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int64 0
5.31k
| translation
dict |
---|---|
0 | {
"bn": "কাঁঠালিয়ার জমিদার মতিলালবাবু নৌকা করিয়া সপরিবারে স্বদেশে যাইতেছিলেন",
"hi": "काँठलिया के जमींदार मतिलाल बाबू नौका से सपरिवार अपने घर जा रहे थे"
} |
1 | {
"bn": "পথের মধ্যে মধ্যাহ্নে নদীতীরের এক গঞ্জের নিকট নৌকা বাঁধিয়া পাকের আয়োজন করিতেছেন এমন সময় এক ব্রাহ্মণ বালক আসিয়া জিজ্ঞাসা করিল, “বাবু, তোমরা যাচ্ছ কোথায়\"",
"hi": "रास्ते में दोपहर के समय नदी के किनारे की एक मंडी के पास नौका बाँधकर भोजन बनाने का आयोजन कर ही रहे थे कि इसी बीच एक ब्राह्मण-बालक ने आकर पूछा, ‘‘बाबू, तुम लोग कहाँ जा रहे हो\""
} |
2 | {
"bn": "প্রশ্নকর্তার বয়স পনেরো-ষোলোর অধিক হইবে না মতিবাবু উত্তর করিলেন, “কাঁঠালে\"",
"hi": "सवाल करने वाले की उम्र पंद्रह-सोलह से अधिक न होगी मति बाबू ने उत्तर दिया, ‘‘काँठालिया\""
} |
3 | {
"bn": "ব্রাহ্মণ বালক কহিল, “আমাকে পথের মধ্যে নন্দীগাঁয়ে নাবিয়ে দিতে পার, বাবু সম্মতি প্রকাশ করিয়া জিজ্ঞাসা করিলেন, “তোমার নাম কী\"",
"hi": "ब्राह्मण-बालक ने कहा, ‘‘मुझे रास्ते में नंदीग्राम उतार देंगे आप’’ बाबू ने स्वीकृति प्रकट करते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा क्या नाम है\""
} |
4 | {
"bn": "ব্রাহ্মণ বালক কহিল, “আমার নাম তারাপদ\"",
"hi": "ब्राह्मण-बालक ने कहा, ‘‘मेरा नाम तारापद है\""
} |
5 | {
"bn": "গৌরবর্ণ ছেলেটিকে বড়ো সুন্দর দেখিতে",
"hi": "गौरवर्ण बालक देखने में बड़ा सुंदर था"
} |
6 | {
"bn": "বড়ো বড়ো চক্ষু এবং হাস্যময় ওষ্ঠাধরে একটি সুললিত সৌকুমার্য প্রকাশ পাইতেছে",
"hi": "उसकी बड़ी-बड़ी आँखों और मुस्कराते हुए ओष्ठाधरों पर सुललित सौकमार्य झलक रहा था"
} |
7 | {
"bn": "পরিধানে একখানি মলিন ধুতি",
"hi": "वस्त्र के नाम पर उसके पास एक मैली धोती थी"
} |
8 | {
"bn": "অনাবৃত দেহখানি সর্বপ্রকার বাহুল্যবর্জিত; কোনো শিল্পী যেন বহু যত্নে নিখুঁত নিটোল করিয়া গড়িয়া দিয়াছেন",
"hi": "उघरी हुई देह में किसी प्रकार का बाहुल्य न था, मानो किसी शिल्पी ने बड़े यत्न से निर्दोष, सुडौल रूप में गढ़ा हो"
} |
9 | {
"bn": "যেন সে পূর্বজন্মে তাপস-বালক ছিল এবং নির্মল তপস্যার প্রভাবে তাহার শরীর হইতে শরীরাংশ বহুলপরিমাণে ক্ষয় হইয়া একটি সম্মার্জিত ব্রাহ্মণশ্রী পরিস্ফুট হইয়া উঠিয়াছে",
"hi": "मानो वह पूर्वजन्म में तापस-बालक रहा हो और निर्मल तपस्या के प्रभाव से उसकी देह का बहुत-सा अतिरिक्त भाग क्षय होकर एक साम्मर्जित ब्राह्मण्य-श्री परिस्फुट हो उठी हो"
} |
10 | {
"bn": "মতিলালবাবু তাহাকে পরম স্নেহভরে কহিলেন, “বাবা, তুমি স্নান করে এসো, এইখানেই আহারাদি হবে” তারাপদ বলিল, “রোসুন\"",
"hi": "मतिलाल बाबू ने बड़े स्नेह से उससे कहा, ‘‘बेटा, स्नान कर आओ, भोजनादि यहीं होगा\" तारापद बोला, ‘‘ठहरिए!’’"
} |
11 | {
"bn": " বলিয়া তৎক্ষণাৎ অসংকোচে রন্ধনের আয়োজনে যোগদান করিল",
"hi": "और वह तत्क्षण निस्संकोच भोजन के आयोजन में सहयोग देने लगा"
} |
12 | {
"bn": "মতিলালবাবুর চাকরটা ছিল হিন্দুস্থানী, মাছ-কোটা প্রভৃতি কার্যে তাহার তেমন পটুতা ছিল না; ",
"hi": "मतिलाल बाबू का नौकर गैर-बंगाली था, मछली आदि काटने में वह इतना निपुण नहीं था; "
} |
13 | {
"bn": "তারাপদ তাহার কাজ নিজে লইয়া অল্পকালের মধ্যেই সুসম্পন্ন করিল এবং দুই-একটা তরকারিও অভ্যস্ত নৈপুণ্যের সহিত রন্ধন করিয়া দিল",
"hi": "तारापद ने उसका काम स्वयं लेकर थोड़े ही समय में अच्छी तरह से संपन्न कर दिया और जो-एक तरकारी भी बड़ी थोड़े ही समय में अच्छी तरह से संपन्न कर दिया और दो-एक तरकारी भी बड़ी कुशलता से तैयार कर दी"
} |
14 | {
"bn": "পাককার্য শেষ হইলে তারাপদ নদীতে স্নান করিয়া বোঁচকা খুলিয়া একটি শুভ্র বস্ত্র পরিল; ",
"hi": "भोजन बनाने का कार्य समाप्त होने पर तारापद ने नदी में स्नान करके पोटली खोली और एक सफेद वस्त्र धारण किया; "
} |
15 | {
"bn": "একটি ছোট কাঠের কাঁকই লইয়া মাথার বড়ো বড়ো চুল কপাল হইতে তুলিয়া গ্রীবার উপর ফেলিল এবং মার্জিত পইতার গোছা বক্ষে বিলম্বিত করিয়া নৌকায় মতিবাবুর নিকট গিয়া উপস্থিত হইল",
"hi": "काठ की एक छोटी-सी कंघी लेकर सिर के बड़े-बड़े बाल माथे पर से हटाकर गर्दन पर डाल लिए और स्वच्छ जनेऊ का धागा छाती पर लटकाकर नौका पर बैठे मति बाबू के पास जा पहुँचा"
} |
16 | {
"bn": "মতিবাবু তাহাকে নৌকার ভিতরে লইয়া গেলেন",
"hi": "मति बाबू उसे नौका के भीतर ले गए"
} |
17 | {
"bn": "সেখানে মতিবাবুর স্ত্রী এবং তাঁহার নবমবর্ষীয়া এক কন্যা বসিয়া ছিলেন",
"hi": "वहाँ मति बाबू की स्त्री और उनकी नौ वर्षीया कन्या बैठी थी"
} |
18 | {
"bn": "মতিবাবুর স্ত্রী অন্নপূর্ণা এই সুন্দর বালকটিকে দেখিয়া স্নেহে উচ্ছ্বসিত হইয়া উঠিলেন— মনে মনে কহিলেন, ‘আহা, কাহার বাছা, কোথা হইতে আসিয়াছে— ইহার মা ইহাকে ছাড়িয়া কেমন করিয়া প্রাণ ধরিয়া আছে'",
"hi": "मति बाबू की स्त्री अन्नपूर्णा इस सुंदर बालक को देखकर स्नेह से उच्छवसित हो उठीं, मन-ही-मन कह उठीं, ‘अहा! किसका बच्चा है, कहाँ से आया है इसकी माँ इसे छोड़कर किस प्रकार जीती होगी'"
} |
19 | {
"bn": "যথাসময়ে মতিবাবু এবং এই ছেলেটির জন্য পাশাপাশি দুইখানি আসন পড়িল",
"hi": "यथासमय मति बाबू और इस लड़के के लिए पास-पास दो आसन डाले गए"
} |
20 | {
"bn": "ছেলেটি তেমন ভোজনপটু নহে; অন্নপূর্ণা তাহার স্বল্প আহার দেখিয়া মনে করিলেন, সে লজ্জা করিতেছে; ",
"hi": "लड़का ऐसा भोजन-प्रेमी न था, अन्नपूर्णा ने उसका अल्प आहार देखकर मन में सोचा कि लजा रहा है;"
} |
21 | {
"bn": "তাহাকে এটা ওটা খাইতে বিস্তর অনুরোধ করিলেন; ",
"hi": "उससे यह-वह खाने को बहुत अनुरोध करने लगीं; "
} |
22 | {
"bn": "কিন্তু যখন সে আহার হইতে নিরস্ত হইল তখন সে কোনো অনুরোধ মানিল না",
"hi": "किंतु जब वह भोजन से निवृत्त हो गया तो उसने कोई भी अनुरोध न माना"
} |
23 | {
"bn": "দেখা গেল, ছেলেটি সম্পূর্ণ নিজের ইচ্ছা অনুসারে কাজ করে, ",
"hi": "देखा गया, लड़का हर काम अपनी इच्छा के अनुसार करता, "
} |
24 | {
"bn": "অথচ এমন সহজে করে যে তাহাতে কোনোপ্রকার জেদ বা গোঁ প্রকাশ পায় না",
"hi": "लेकिन ऐसे सहज भाव से करता कि उसमें किसी भी प्रकार की जिद या हठ का आभास न मिलता"
} |
25 | {
"bn": "তাহার ব্যবহারে লজ্জার লক্ষণও লেশমাত্র দেখা গেল না",
"hi": "उसके व्यवहार में लज्जा के लक्षण लेशमात्र भी दिखाई नहीं पड़े"
} |
26 | {
"bn": "সকলের আহারাদির পরে অন্নপূর্ণা তাহাকে কাছে বসাইয়া প্রশ্ন করিয়া তাহার ইতিহাস জানিতে প্রবৃত্ত হইলেন",
"hi": "सबके भोजनादि के बाद अन्नपूर्णा उसको पास बिठाकर प्रश्नों द्वारा उसका इतिहास जानने में प्रवृत्त हुईं"
} |
27 | {
"bn": "বিস্তারিত বিবরণ কিছুই সংগ্রহ হইল না",
"hi": "कुछ भी विस्तृत विवरण संग्रह नहीं हो सका"
} |
28 | {
"bn": "মোট কথা এইটুকু জানা গেল, ছেলেটি সাত-আট বৎসর বয়সেই স্বেচ্ছাক্রমে ঘর ছাড়িয়া পলাইয়া আসিয়াছে",
"hi": "बस इतनी-सी बात जानी जा सकी कि लड़का सात-आठ बरस की उम्र में ही स्वेच्छा से घर छोड़कर भाग आया है"
} |
29 | {
"bn": "অন্নপূর্ণা প্রশ্ন করিলেন, “তোমার মা নাই\"",
"hi": "अन्नपूर्णा ने प्रश्न किया, ‘‘तुम्हारी माँ नहीं है\""
} |
30 | {
"bn": "তারাপদ কহিল, “আছেন\"",
"hi": "तारापद ने कहा, ‘‘हैं\""
} |
31 | {
"bn": "অন্নপূর্ণা জিজ্ঞাসা করিলেন, “তিনি তোমাকে ভালোবাসেন না\"",
"hi": "अन्नपूर्णा ने पूछा, ‘‘वे तुम्हें प्यार नहीं करतीं\""
} |
32 | {
"bn": "তারাপদ এই প্রশ্ন অত্যন্ত অদ্ভুত জ্ঞান করিয়া হাসিয়া উঠিয়া কহিল, “কেন ভালোবাসবেন না\"",
"hi": "इसे अत्यंत विचित्र प्रश्न समझकर हँसते हुए तारापद ने कहा, ‘‘प्यार क्यों नहीं करेंगी!’’"
} |
33 | {
"bn": "অন্নপূর্ণা প্রশ্ন করিলেন, “তবে তুমি তাঁকে ছেড়ে এলে যে\"",
"hi": "अन्नपूर्णा ने प्रश्न किया, ‘‘तो फिर तुम उन्हें छोड़कर क्यों आए\""
} |
34 | {
"bn": "তারাপদ কহিল, “তাঁর আরো চারটি ছেলে এবং তিনটি মেয়ে আছে\"",
"hi": "तारापद बोला, ‘‘उनके और भी चार लड़के और तीन लड़कियाँ हैं\""
} |
35 | {
"bn": "অন্নপূর্ণা বালকের এই অদ্ভুত উত্তরে ব্যথিত হইয়া কহিলেন, “ওমা, সে কী কথা পাঁচটি আঙুল আছে ব’লে কি একটি আঙুল ত্যাগ করা যায়\"",
"hi": "बालक के इस विचित्र उत्तर से व्यथित होकर अन्नपूर्णा ने कहा, ‘‘ओ माँ, यह कैसी बात है! पाँच अँगुलियाँ हैं, तो क्या एक अँगुली त्यागी जा सकती है\""
} |
36 | {
"bn": "তারাপদর বয়স অল্প, তাহার ইতিহাসও সেই পরিমাণে সংক্ষিপ্ত কিন্তু ছেলেটি সম্পূর্ণ নূতনতর",
"hi": "तारापद की उम्र कम थी, उसका इतिहास भी उसी अनुपात में संक्षिप्त था; किंतु लड़का बिलकुल असाधारण था"
} |
37 | {
"bn": "সে তাহার পিতামাতার চতুর্থ পুত্র, শৈশবেই পিতৃহীন হয়",
"hi": "वह अपने माता-पिता का चौथा पुत्र था, शैशव में ही पितृहीन हो गया था"
} |
38 | {
"bn": "বহু সন্তানের ঘরেও তারাপদ সকলের অত্যন্ত আদরের ছিল;",
"hi": "बहु-संतान वाले घर में भी तारापद सबको अत्यंत प्यारा था, "
} |
39 | {
"bn": "মা ভাই বোন এবং পাড়ার সকলেরই নিকট হইতে সে অজস্র স্নেহ লাভ করিত",
"hi": "माँ, भाई-बहन और मुहल्ले के सभी लोगों से वह अजस्त्र स्नेह-लाभ करता"
} |
40 | {
"bn": "এমন-কি, গুরুমহাশয়ও তাহাকে মারিত না— মারিলেও বালকের আত্মীয়পর সকলেই তাহাতে বেদনা বোধ করিত",
"hi": "यहाँ तक कि गुरुजी भी उसे नहीं मारते थे–मारते तो भी बालक के अपने-पराए सभी उससे वेदना का अनुभव करते"
} |
41 | {
"bn": "এমন অবস্থায় তাহার গৃহত্যাগ করিবার কোনোই কারণ ছিল না",
"hi": "ऐसी अवस्था में उसका घर छोड़ने का कोई कारण नहीं था"
} |
42 | {
"bn": "যে উপেক্ষিত রোগা ছেলেটা সর্বদাই চুরি-করা গাছের ফল এবং গৃহস্থ লোকদের নিকট তাহার চতুর্গুণ প্রতিফল খাইয়া বেড়ায় সেও তাহার পরিচিত গ্রামসীমার মধ্যে তাহার নির্যাতনকারিণী মার নিকট পড়িয়া রহিল, আর সমস্ত গ্রামের এই আদরের ছেলে একটা বিদেশী যাত্রার দলের সহিত মিলিয়া অকাতরচিত্তে গ্রাম ছাড়িয়া পলায়ন করিল",
"hi": "जो उपेक्षित रोगी लड़का हमेशा चोरी करके पेड़ों से फल और गृहस्थों से उसका चौगुना प्रतिफल पाता घूमता-फिरता वह भी अपनी परिचित ग्राम-सीमा के भीतर अपनी कष्ट देने वाली माँ के पास पड़ा रहा और समस्त ग्राम का दुलारा यह लड़का एक बाहरी जात्रा-दल में शामिल होकर निर्ममता से ग्राम छोड़कर भाग खड़ा हुआ"
} |
43 | {
"bn": "সকলে খোঁজ করিয়া তাহাকে গ্রামে ফিরাইয়া আনিল",
"hi": "सब लोग उसका पता लगाकर उसे गाँव लौटा लाए"
} |
44 | {
"bn": "তাহার মা তাহাকে বক্ষে চাপিয়া ধরিয়া অশ্রুজলে আর্দ্র করিয়া দিল, ",
"hi": "उसकी माँ ने उसे छाती से लगाकर आँसुओं से आर्द्र कर दिया, "
} |
45 | {
"bn": "তাহার বোনরা কাঁদিতে লাগিল; তাহার বড়ো ভাই পুরুষ-অভিভাবকের কঠিন কর্তব্য পালন উপলক্ষে তাহাকে মৃদু রকম শাসন করিবার চেষ্টা করিয়া অবশেষে অনুতপ্তচিত্তে বিস্তর প্রশ্রয় এবং পুরস্কার দিল",
"hi": "उसकी बहनें रोने लगीं; उसके बड़े भाई ने पुरुष-अभिभावक का कठिन कर्तव्य-पालन करने के उद्देश्य से उस पर मृदुभाव से शासन करने का यत्न करके अंत में अनुतप्त चित्त से खूब प्रश्रय और पुरस्कार दिया"
} |
46 | {
"bn": "পাড়ার মেয়েরা তাহাকে ঘরে ঘরে ডাকিয়া প্রচুরতর আদর এবং বহুতর প্রলোভনে বাধ্য করিতে চেষ্টা করিল",
"hi": "मुहल्ले की लड़कियों ने उसको घर-घर बुलाकर खूब प्यार किया और नाना प्रलोभनों से उसे वश में करने की चेष्टा की"
} |
47 | {
"bn": "কিন্তু বন্ধন, এমন-কি স্নেহবন্ধনও তাহার সহিল না; তাহার জন্মনক্ষত্র তাহাকে গৃহহীন করিয়া দিয়াছে",
"hi": "किंतु बंधन, यही नहीं, स्नेह का बंधन भी उसे सहन नहीं हुआ, उसके जन्म-नक्षत्र ने उसे गृहहीन कर रखा था"
} |
48 | {
"bn": "সে যখনই দেখিত নদী দিয়া বিদেশী নৌকা গুণ টানিয়া চলিয়াছে, ",
"hi": "वह जब भी देखता कि नदी में कोई विदेशी नौका अपनी रस्सी घिसटाती जा रही है, "
} |
49 | {
"bn": "গ্রামের বৃহৎ অশ্বত্থগাছের তলে কোন্ দূরদেশ হইতে এক সন্ন্যাসী আসিয়া আশ্রয় লইয়াছে, অথবা বেদেরা নদীতীরের পতিত মাঠে ছোটো ছোটো চাটাই বাঁধিয়া বাঁখারি ছুলিয়া চাঙারি নির্মাণ করিতে বসিয়াছে, ",
"hi": "गाँव के विशाल पीपल के वृक्ष के तले किसी दूर देश के किसी संन्यासी ने आश्रय लिया है अथवा बनजारे नदी के किनारे ढालू मैदान में छोटी-छोटी चटाइयाँ बाँधकर खपच्चियाँ छीलकर टोकरियाँ बनाने में लगे हैं, "
} |
50 | {
"bn": "তখন অজ্ঞাত বহিঃপৃথিবীর স্নেহহীন স্বাধীনতার জন্য তাহার চিত্ত অশান্ত হইয়া উঠিত",
"hi": "तब अज्ञात बाह्य पृथ्वी को स्नेहहीन स्वाधीनता के लिए उसका मन बेचैन हो उठता"
} |
51 | {
"bn": "উপরি-উপরি দুই-তিনবার পলায়নের পর তাহার আত্মীয়বর্গ এবং গ্রামের লোক তাহার আশা পরিত্যাগ করিল",
"hi": "लगातार दो-तीन बार भागने के बाद उसके कुटुंबियों और गाँव के लोगों ने उसकी आशा छोड़ दी"
} |
52 | {
"bn": "প্রথম সে একটা যাত্রার দলের সঙ্গ লইয়াছিল",
"hi": "पहले उसने एक जात्रा-दल का साथ पकड़ा"
} |
53 | {
"bn": "অধিকারী যখন তাহাকে পুত্রনির্বিশেষে স্নেহ করিতে লাগিল এবং দলস্থ ছোটো-বড়ো সকলেরই যখন সে প্রিয়পাত্র হইয়া উঠিল, ",
"hi": "जब अधिकारी उसको पुत्र के समान स्नेह करने लगे और जब वह दल के छोटे-बड़े सभी का प्रिय पात्र हो गया, "
} |
54 | {
"bn": "এমন-কি, যে বাড়িতে যাত্রা হইত সে বাড়ির অধ্যক্ষগণ, ",
"hi": "यही नहीं, जिस घर में जात्रा होती उस घर के मालिक, "
} |
55 | {
"bn": "বিশেষত পুরমহিলাবর্গ যখন বিশেষরূপে তাহাকে আহ্বান করিয়া সমাদর করিতে লাগিল, ",
"hi": "विशेषकर घर का महिला वर्ग जब विशेष रूप से उसे बुलाकर उसका आदर-मान करने लगा, "
} |
56 | {
"bn": "তখন একদিন সে কাহাকেও কিছু না বলিয়া কোথায় নিরুদ্দেশ হইয়া গেল তাহার আর সন্ধান পাওয়া গেল না",
"hi": "तब एक दिन किसी से बिना कुछ कहे वह भटककर कहाँ चला गया, इसका फिर कोई पता न चल सका"
} |
57 | {
"bn": "তারাপদ হরিণশিশুর মতো বন্ধনভীরু, আবার হরিণেরই মতো সংগীতমুগ্ধ",
"hi": "तारापद हरिण के छौने के समान बंधनभीरु था और हरिण के ही समान संगीत-प्रेमी भी"
} |
58 | {
"bn": "যাত্রার গানেই তাহাকে প্রথম ঘর হইতে বিবাগি করিয়া দেয়",
"hi": "जात्रा के संगीत ने ही उसे पहले घर से विरक्त किया था"
} |
59 | {
"bn": "গানের সুরে তাহার সমস্ত শিরার মধ্যে অনুকম্পন এবং গানের তালে তাহার সর্বাঙ্গে আন্দোলন উপস্থিত হইত",
"hi": "संगीत का स्वर उसकी समस्त धमनियों में कंपन पैदा कर देता और संगीत की ताल पर उसके सर्वांग में आंदोलन उपस्थित हो जाता"
} |
60 | {
"bn": "যখন সে নিতান্ত শিশু ছিল তখনো সংগীতসভায় সে যেরূপ সংযত গম্ভীর বয়স্ক-ভাবে আত্মবিস্মৃত হইয়া বসিয়া বসিয়া দুলিত, ",
"hi": "जब वह बिलकुल बच्चा था तब भी वह संगीत-सभाओं में जिस प्रकार संयत-गंभीर प्रौढ़ भाव से आत्मविस्मृत होकर बैठा-बैठा झूमने लगता, "
} |
61 | {
"bn": "দেখিয়া প্রবীণ লোকের হাস্য সংবরণ করা দুঃসাধ্য হইত",
"hi": "देखकर प्रवीण लोगों के लिए हँसी संवरण करना कठिन हो जाता"
} |
62 | {
"bn": "কেবল সংগীত কেন, গাছের ঘন পল্লবের উপর যখন শ্রাবণের বৃষ্টিধারা পড়িত,",
"hi": "केवल संगीत ही क्यों, वृक्षों के घने पत्तों के ऊपर जब श्रावण की वृष्टि-धारा पड़ती, "
} |
63 | {
"bn": "আকাশে মেঘ ডাকিত, অরণ্যের ভিতর মাতৃহীন দৈত্যশিশুর ন্যায় বাতাস ক্রন্দন করিতে থাকিত, তখন তাহার চিত্ত যেন উচ্ছৃঙ্খল হইয়া উঠিত, ",
"hi": "आकाश में मेघ गरजते, पवन अरण्य में मातृहीन दैत्य-शिशु की भाँति क्रंदन करता रहता तब उसका चित्त मानो उच्छृंखल हो उठता "
} |
64 | {
"bn": "নিস্তব্ধ দ্বিপ্রহরে বহুদূর আকাশ হইতে চিলের ডাক, বর্ষার সন্ধ্যায় ভেকের কলরব, ",
"hi": "निस्तब्ध दोपहरी में आकाश से बड़ी दूर से आती चील की पुकार, वर्षा ऋतु की संध्या में मेढ़कों का कलरव, "
} |
65 | {
"bn": "গভীর রাত্রে শৃগালের চীৎকারধ্বনি সকলই তাহাকে উতলা করিত",
"hi": "गहन रात में श्रृगालों की चीत्कार-ध्वनि–सभी उसको अधीर कर देते"
} |
66 | {
"bn": "এই সংগীতের মোহে আকৃষ্ট হইয়া সে অনতিবিলম্বে এক পাঁচালির দলের মধ্যে গিয়া প্রবিষ্ট হইল",
"hi": "संगीत के इस मोह से आकृष्ट होकर वह शीघ्र ही एक पांचाली जल (लोकगीत गायकों का दल) में भर्ती हो गया"
} |
67 | {
"bn": "দলাধ্যক্ষ তাহাকে পরম যত্নে গান শিখাইতে এবং পাঁচালি মুখস্থ করাইতে প্রবৃত্ত হইল, এবং তাহাকে আপন বক্ষ-পিঞ্জরের পাখির মতো প্রিয় জ্ঞান করিয়া স্নেহ করিতে লাগিল",
"hi": "मंडली का अध्यक्ष उसे बड़े यत्न से गाना सिखाने और पांचाली कंठस्थ कराने में प्रवृत्त हुआ और उसे अपने वृक्ष-पिंजर के पक्षी की भाँति प्रिय समझकर स्नेह करने लगा"
} |
68 | {
"bn": "পাখি কিছু কিছু গান শিখিল এবং একদিন প্রত্যুষে উড়িয়া চলিয়া গেল",
"hi": "पक्षी ने थोड़ा-बहुत गाना सीखा और एक दिन तड़के उड़कर चला गया"
} |
69 | {
"bn": "শেষবারে সে এক জিম্ন্যাস্টিকের দলে জুটিয়াছিল",
"hi": "अंतिम बार वह कलाबाजी दिखाने वालों के दल में शामिल हुआ"
} |
70 | {
"bn": "জ্যৈষ্ঠমাসের শেষভাগ হইতে আষাঢ়মাসের অবসান পর্যন্ত এ অঞ্চলে স্থানে স্থানে পর্যায়ক্রমে বারোয়ারির মেলা হইয়া থাকে",
"hi": "ज्येष्ठ के अंतिम दिनों से लेकर आषाढ़ के समाप्त होने तक इस अंचल में जगह-जगह क्रमानुसार समवेत रूप से अनुष्ठित मेले लगते"
} |
71 | {
"bn": "তদুপলক্ষে দুই-তিন দল যাত্রা, পাঁচালি, কবি, নর্তকী এবং নানাবিধ দোকান নৌকাযোগে ছোটো ছোটো নদী উপনদী দিয়া এক মেলা-অন্তে অন্য মেলায় ঘুরিয়া বেড়ায়",
"hi": "उनके उपलक्ष्य में जात्रा वालों के दो-तीन दल पांचाली गायक, कवि नर्तकियाँ एवं अनेक प्रकार की दुकाने छोटी-छोटी नदियों, नदियों, उपनदियों के रास्ते नौकाओं द्वारा एक मेले के समाप्त होने पर दूसरे मेले में घूमती रहतीं"
} |
72 | {
"bn": "গত বৎসর হইতে কলিকাতার এক ক্ষুদ্র জিম্ন্যাস্টিকের দল এই পর্যটনশীল মেলায় আমোদচক্রের মধ্যে যোগ দিয়াছিল",
"hi": "पिछले वर्ष से कलकत्ता की एक छोटी कलाबाज-मंडली इस पर्यटनशील मेले के मनोरंजन में योग दे रही थी"
} |
73 | {
"bn": "তারাপদ প্রথমত নৌকারোহী দোকানির সহিত মিলিয়া মিশিয়া মেলায় পানের খিলি বিক্রয়ের ভার লইয়াছিল, ",
"hi": "तारापद ने पहले तो नौकारूढ़ दुकानदारों के साथ मिलकर पान की गिलौरियाँ बेचने का भार लिया, "
} |
74 | {
"bn": "পরে তাহার স্বাভাবিক কৌতুহলবশত এই জিম্ন্যাস্টিকের আশ্চর্য ব্যায়ামনৈপুণ্যে আকৃষ্ট হইয়া এই দলে প্রবেশ করিয়াছিল",
"hi": "बाद में अपने स्वाभाविक कौतूहल के कारण इस कारण कलाबाज-दल के अद्भुत व्यायाम-नैपुण्य से आकृष्ट होकर उसमें प्रवेश किया"
} |
75 | {
"bn": "তারাপদ নিজে নিজে অভ্যাস করিয়া ভালো বাঁশি বাজাইতে শিখিয়াছিল— ",
"hi": "तारापद ने अपने आप अभ्यास करके अच्छी तरह वंशी बजाना सीख लिया था–"
} |
76 | {
"bn": "জিম্ন্যাস্টিকের সময় তাহাকে দ্রুত তালে লক্ষ্মৌ ঠুংরির সুরে বাঁশি বাজাইতে হইত—এই তাহার একমাত্র কাজ ছিল",
"hi": "करतब दिखाने के समय वह द्रुत ताल पर लखनवी ठुमरी के सुर में वंशी बजाता–यही उसका एकमात्र काम था"
} |
77 | {
"bn": "এই দল হইতেই তাহার শেষ পলায়ন",
"hi": "उसका आखिरी पलायन इसी दल से हुआ था"
} |
78 | {
"bn": "সে শুনিয়াছিল, নন্দীগ্রামের জমিদারবাবুরা মহাসমারোহে এক শখের যাত্রা খুলিতেছেন— শুনিয়া সে তাহার ক্ষুদ্র বোঁচকাটি লইয়া নন্দীগ্রামে যাত্রার আয়োজন করিতেছিল, এমন সময় মতিবাবুর সহিত তাহার সাক্ষাৎ হয়",
"hi": "उसने सुना था कि नंदीग्राम के जमींदार बाबू बड़ी धूमधाम से एक शौकिया जात्रा-दल बना रहे हैं–अतः वह अपनी छोटी सी पोटली लेकर नंदीग्राम की यात्रा की तैयारी कर रहा था, इसी समय उसकी भेंट मति बाबू से हो गई"
} |
79 | {
"bn": "তারাপদ পর্যায়ক্রমে নানা দলের মধ্যে ভিড়িয়াও আপন স্বাভাবিক কল্পনাপ্রবণ প্রকৃতি-প্রভাবে কোনো দলের বিশেষত্ব প্রাপ্ত হয় নাই",
"hi": "एक के बाद एक नाना दलों में शामिल होकर भी तारापद ने अपनी स्वाभाविक कल्पना-प्रवण प्रकृति के कारण किसी भी दल की विशेषता प्राप्त नहीं की थी"
} |
80 | {
"bn": "অন্তরের মধ্যে সে সম্পূর্ণ নির্লিপ্ত এবং মুক্ত ছিল",
"hi": "वह अंतःकरण से बिलकुल निर्लिप्त और मुक्त था"
} |
81 | {
"bn": "সংসারে অনেক কুৎসিত কথা সে সর্বদা শুনিয়াছে এবং অনেক কদর্য দৃশ্য তাহার দৃষ্টিগোচর হইয়াছে, কিন্তু তাহা তাহার মনের মধ্যে সঞ্চিত হইবার তিলমাত্র অবসর প্রাপ্ত হয় নাই",
"hi": "संसार में उसने हमेशा से कई बेहूदी बातें सुनीं और अनेक अशोभन दृश्य देखे, किंतु उन्हें उसके मन में संचित होने का रत्ती-भर अवकाश न मिला"
} |
82 | {
"bn": "এ ছেলেটির কিছুতেই খেয়াল ছিল না",
"hi": "उस लड़के का ध्यान किसी ओर था ही नहीं"
} |
83 | {
"bn": "অন্যান্য বন্ধনের ন্যায় কোনোপ্রকার অভ্যাসবন্ধনও তাহার মনকে বাধ্য করিতে পারে নাই",
"hi": "अन्यान्य बंधनों की भाँति किसी प्रकार का अभ्यास-बंधन भी उसके मन को बाध्य न कर सका"
} |
84 | {
"bn": "সে এই সংসারের পঙ্কিল জলের উপর দিয়া শুভ্রপক্ষ রাজহংসের মতো সাঁতার দিয়া বেড়াইত",
"hi": "वह उस संसार में पंकिल जल के ऊपर शुभपक्ष राजहंस की भाँति तैरता फिरता"
} |
85 | {
"bn": "কৌতুহলবশত যতবারই ডুব দিত তাহার পাখা সিক্ত বা মলিন হইতে পারিত না",
"hi": "कौतूहलवश भी वह जितनी बार डुबकी लगाता, उसके पंख न तो भीग पाते थे, न मलिन हो पाते थे"
} |
86 | {
"bn": "এইজন্য এই গৃহত্যাগী ছেলেটির মুখে একটি শুভ্র স্বাভাবিক তারুণ্য অম্লানভাবে প্রকাশ পাইত, তাহার সেই মুখশ্রী দেখিয়া প্রবীণ বিষয়ী মতিলালবাবু তাহাকে বিনা প্রশ্নে, বিনা সন্দেহে, পরম আদরে আহ্বান করিয়া লইয়াছিলেন",
"hi": "इसी कारण इस गृह-त्यागी लड़के के मुख पर एक शुभ स्वाभाविक तारुण्य अम्लान भाव से झलकता रहता उसकी यही मुखश्री देखकर प्रवीण, दुनियादार मतिलाल बाबू ने बिना कुछ पूछे, बिना संदेह किए बड़े प्यार से उसका आह्वान किया था"
} |
87 | {
"bn": "আহারান্তে নৌকা ছাড়িয়া দিল",
"hi": "भोजन समाप्त होने पर नौका चल पड़ी"
} |
88 | {
"bn": "অন্নপূর্ণা পরম স্নেহে এই ব্রাক্ষ্মণবালককে তাহার ঘরের কথা, তাহার আত্মীয়পরিজনের সংবাদ জিজ্ঞাসা করিতে লাগিলেন; তারাপদ অত্যন্ত সংক্ষেপে তাহার উত্তর দিয়া বাহিরে আসিয়া পরিত্রাণ লাভ করিল",
"hi": "अन्नपूर्णा बड़े स्नेह से ब्राह्मण-बालक से उसके घर की बातें, उसके स्वजन-कुटुंबियों का समाचार पूछने लगीं; तारापद ने अत्यंत संक्षेप में उनका उत्तर देकर बाहर आकर परित्राण पाया"
} |
89 | {
"bn": "বাহিরে বর্ষার নদী পরিপূর্ণতার শেষ রেখা পর্যন্ত ভরিয়া উঠিয়া আপন আত্মহারা উদ্দাম চাঞ্চল্যে প্রকৃতিমাতাকে যেন উদ্বিগ্ন করিয়া তুলিয়াছিল",
"hi": "बाहर परिपूर्णता की अंतिम सीमा तक भरकर वर्षा नदीं ने अपने आत्म-विस्मृत उद्दाम चांचल्य से प्रकृति-माता को मानो उद्विग्न कर दिया था"
} |
90 | {
"bn": "মেঘনির্মুক্ত রৌদ্রে নদীতীরের অর্ধনিমগ্ন কাশতৃণশ্রেণী, এবং তাহার উর্ধ্বে সরস সঘন ইক্ষুক্ষেত্র এবং তাহার পরপ্রান্তে দূরদিগন্তচুম্বিত নীলাঞ্জনবর্ণ বনরেখা সমস্তই যেন কোন্-এক রূপকথার সোনার কাঠির স্পর্শে সদ্যজাগ্রত নবীন সৌন্দর্যের মতো নির্বাক্ নীলাকাশের মুগ্ধদৃষ্টির সম্মুখে পরিস্ফুট হইয়া উঠিয়াছিল,",
"hi": "मेघ-मुक्त धूप में नदी किनारे की अर्धनिमग्न काशतृण-श्रेणी एवं उसके ऊपर सरस सघन ईख के खेत और उससे भी परवर्ती प्रदेश में दूर-दिंगत चुंबित नीलांजन-वर्ग वनरेखा, सभी-कुछ मानो किसी काल्पनिक कथा की सोने की छड़ी के स्पर्श से सद्यःजाग्रत् नवीन सौंदर्य की भाँति नीरव नीलाकाश की मुग्ध दृष्टि के सम्मुख परिस्फुटित हो उठा हो; "
} |
91 | {
"bn": "সমস্তই যেন সজীব, স্পন্দিত, প্রগল্ভ, আলোকে উদ্ভাসিত, নবীনতায় সুচিক্কণ, প্রাচুর্যে পরিপূর্ণ",
"hi": "सभी कुछ मानो सजीव स्पंदित, प्रगल्भ प्रकाश में उद्भासित, नवीनता से मसृण और प्राचुर्य से परिपूर्ण हो"
} |
92 | {
"bn": "তারাপদ নৌকার ছাদের উপরে পালের ছায়ায় গিয়া আশ্রয় লইল",
"hi": "तारापद ने नौका की छत पर पाल की छाया में जाकर आश्रय लिया"
} |
93 | {
"bn": "পর্যায়ক্রমে ঢালু সবুজ মাঠ, প্লাবিত পাটের খেত, গাঢ় শ্যামল আমনধানের আন্দোলন, ঘাট হইতে গ্রামাভিমুখী সংকীর্ণ পথ, ",
"hi": "ढालू हरा मैदान, पानी से भरे पाट के खेत, गहन श्याम लहराते हुए आमन धान, घाट से गाँव की ओर जाने वाले सँकरे रास्ते, "
} |
94 | {
"bn": "ঘনবনবেষ্টিত ছায়াময় গ্রাম তাহার চোখের উপর আসিয়া পড়িতে লাগিল",
"hi": "सघन वन-वेष्टित छायामय गाँव–एक के बाद एक उसकी आँखों के सामने से निकलने लगे"
} |
95 | {
"bn": "এই জল স্থল আকাশ, এই চারি দিকের সচলতা সজীবতা মুখরতা, এই উর্ধ্ব-অধোদেশের ব্যাপ্তি এবং বৈচিত্র্য এবং নির্লিপ্ত সুদূরতা, ",
"hi": "जल, स्थल, आकाश, चारों ओर की यह गतिशीलता, सजीवता, मुखरता, आकाश-पृथ्वी की यह व्यापकता और वैचित्र्य एवं निर्लिप्त सुदूरता, "
} |
96 | {
"bn": "এই সুবৃহৎ চিরস্থায়ী নির্নিমেষ বাক্যবিহীন বিশ্বজগৎ তরুণ বালকের পরমাত্মীয় ছিল; ",
"hi": "यह अत्यंत विस्तृत, चिरस्थायी, निर्निमेष, नीरव, वाक्य-विहीन विश्व तरुण बालक के परमात्मीय थे; "
} |
97 | {
"bn": "অথচ সে এই চঞ্চল মানবকটিকে এক মুহূর্তের জন্যও স্নেহবাহুদ্বারা ধরিয়া রাখিতে চেষ্টা করিত না",
"hi": "पर फिर भी वह इस चंचल मानव को क्षण-भर के लिए भी स्नेह-बाहुओं में बाँध रखने की कोशिश नहीं करता था"
} |
98 | {
"bn": "নদীতীরে বাছুর লেজ তুলিয়া ছুটিতেছে, গ্রাম্য টাটুঘোড়া সম্মুখের দুই দড়ি-বাঁধা পা লইয়া লাফ দিয়া দিয়া ঘাস খাইয়া বেড়াইতেছে, ",
"hi": "नदी के किनारे बछड़े पूँछ उठाए दौड़ रहे थे, गाँव का टट्टू-घोड़ा रस्सी से बँधे अपने अगले पैरों के बल कूदता हुआ घास चरता फिर रहा था, "
} |
99 | {
"bn": "মাছরাঙা জেলেদের জাল বাঁধিবার বংশদণ্ডের উপর হইতে ঝপ্ করিয়া সবেগে জলের মধ্যে ঝাঁপাইয়া মাঝ ধরিতেছে, ছেলেরা জলের মধ্যে পড়িয়া মাতামাতি করিতেছে, ",
"hi": "मछरंग पक्षी मछुआरों के जाल बाँधने के बाँस के डंडे से बड़े वेग से पानी में झप से कूदकर मछली पकड़ रहा था, लड़के पानी में खेल रहे थे, "
} |
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