id
int64 0
5.31k
| translation
dict |
---|---|
200 | {
"bn": "মতিবাবু খুব খুশি হইয়া গ্রামের এন্ট্রেন্স্ স্কুলের হেড্ মাস্টার রামরতনবাবুকে প্রতিদিন সন্ধ্যাবেলায় এই বালকের ইংরাজি- অধ্যাপনকার্যে নিযুক্ত করিয়া দিলেন",
"hi": "मति बाबू बड़े खुश हुए उन्होंने गाँव के एंट्रेंस स्कूल के हेडमास्टर रामरतन बाबू की प्रतिदिन संध्या-समय इस लड़के को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए नियुक्त कर दिया"
} |
201 | {
"bn": "তারাপদ তাহার প্রখর স্মরণশক্তি এবং অখণ্ড মনোযোগ লইয়া ইংরাজি-শিক্ষায় প্রবৃত্ত হইল",
"hi": "तारापद अपनी प्रखर स्मरण-शक्ति एवं अखंड मनोयोग के साथ अंग्रेजी शिक्षा में प्रवृत्त हुआ"
} |
202 | {
"bn": "সে যেন এক নূতন দুর্গম রাজ্যের মধ্যে ভ্রমণে বাহির হইল, পুরাতন সংসারের সহিত কোনো সম্পর্ক রাখিল না;",
"hi": "मानो वह किसी नवीन दुर्गम राज्य में भ्रमण करने निकला हो, उसने पुराने जगत् के साथ कोई संपर्क न रखा;"
} |
203 | {
"bn": "পাড়ার লোকেরা আর তাহাকে দেখিতে পাইল না; যখন সে সন্ধ্যার পূর্বে নির্জন নদীতীরে দ্রুতবেগে পদচারণ করিতে করিতে পড়া মুখস্থ করিত তখন তাহার উপাসক বালকসম্প্রদায় দূর হইতে ক্ষুণ্নচিত্তে সসম্ভ্রমে তাহাকে নিরীক্ষণ করিত, ",
"hi": "मुहल्ले के लोग अब उसे न देख पाते; जब वह संध्या के पहले निर्जन नदी-तट पर तेजी से टहलते-पाठ कंठस्थ करता, तब उसका उपासक बालक-संप्रदाय दूर से खिन्नचित्त होकर संभ्रमपूर्णक उसका निरीक्षण करता, "
} |
204 | {
"bn": "তাহার পাঠে ব্যাঘাত করিতে সাহস করিত না",
"hi": "उसके पाठ में बाधा डालने का साहस न कर पाता"
} |
205 | {
"bn": "চারুও আজকাল তাহাকে বড়ো একটা দেখিতে পাইত না",
"hi": "चारु भी आजकल उसे बहुत नहीं देख पाती थी"
} |
206 | {
"bn": "পূর্বে তারাপদ অন্তঃপুরে গিয়া অন্নপূর্ণার স্নেহদৃষ্টির সম্মুখে বসিয়া আহার করিত— কিন্তু তদুপলক্ষে প্রায় মাঝে মাঝে কিছু বিলম্ব হইয়া যাইত বলিয়া সে মতিবাবুকে অনুরোধ করিয়া বাহিরে আহারের বন্দোবস্ত করিয়া লইল",
"hi": "पहले तारापद अंतःपुर में जाकर अन्नपूर्णा की स्नेह-दृष्टि के सामने बैठकर भोजन करता था–किंतु इसके कारण कभी-कभी देर हो जाती थी इसीलिए उसने मति बाबू से अनुरोध करके अपने भोजन की व्यवस्था बाहर ही करा ली थी"
} |
207 | {
"bn": "ইহাতে অন্নপূর্ণা ব্যথিত হইয়া আপত্তি প্রকাশ করিয়াছিলেন, কিন্তু মতিবাবু বালকের অধ্যয়নের উৎসাহে অত্যন্ত সন্তুষ্ট হইয়া এই নূতন ব্যবস্থার অনুমোদন করিলেন",
"hi": "अन्नपूर्णा ने व्यथित होकर इस पर आपत्ति प्रकट की थी, किंतु अध्ययन के प्रति बालक का उत्साह देखकर अत्यंत संतुष्ट होकर उन्होंने इस नई व्यवस्था का अनुमोदन कर दिया"
} |
208 | {
"bn": "এমন সময় চারুও হঠাৎ জেদ করিয়া বসিল, “আমিও ইংরাজি শিখিব\"",
"hi": "तभी सहसा चारु भी जिद कर बैठी, ‘‘मैं भी अंग्रेजी सीखूँगी\""
} |
209 | {
"bn": "তাহার পিতামাতা তাঁহাদের খামখেয়ালি কন্যার এই প্রস্তাবটিকে প্রথমে পরিহাসের বিষয় জ্ঞান করিয়া স্নেহমিশ্রিত হাস্য করিলেন— কিন্তু কন্যাটি এই প্রস্তাবের পরিহাস্য অংশটুকুকে প্রচুর অশ্রুজলধারায় অতি শীঘ্রই নিঃশেষে ধৌত করিয়া ফেলিয়াছিল",
"hi": "उसके माता-पिता ने अपनी कन्या के इस प्रस्ताव को पहले तो परिहास का विषय समझकर स्नेह-मिश्रित हँसी उड़ाई–किंतु कन्या ने इस प्रस्ताव के परिहास्य अंश को प्रचुर अश्रु जलधारा से तुरंत पूर्ण रूप से धो डाला"
} |
210 | {
"bn": "অবশেষে এই স্নেহদুর্বল নিরুপায় অভিভাবকদ্বয় বালিকার প্রস্তাব গম্ভীরভাবে গ্রাহ্য করিলেন",
"hi": "अंत में इन स्नेह-दुर्बल निरुपाय अभिभावकों ने बालिका के प्रस्ताव को गंभीरता से स्वीकार कर लिया"
} |
211 | {
"bn": "চারু মাস্টারের নিকট তারাপদর সহিত একত্র অধ্যয়নে নিযুক্ত হইল",
"hi": "तारापद के साथ-साथ चारु भी मास्टर से पढ़ने लग गई"
} |
212 | {
"bn": "কিন্তু পড়াশুনা করা এই অস্থিরচিত্ত বালিকার স্বভাবসংগত ছিল না",
"hi": "किंतु पढ़ना-लिखना इस अस्थिर चित्त बालिका के स्वभाव के विपरीत था"
} |
213 | {
"bn": "সে নিজে কিছু শিখিল না, কেবল তারাপদর অধ্যয়নে ব্যাঘাত করিতে লাগিল",
"hi": "वह स्वयं तो कुछ न सीख पाई, बस तारापद की पढाई में विघ्न डालने लगी"
} |
214 | {
"bn": "সে পিছাইয়া পড়ে, পড়া মুখস্থ করে না, কিন্তু তবু কিছুতেই তারাপদর পশ্চাদ্বর্তী হইয়া থাকিতে চাহে না",
"hi": "वह पिछड़ जाती, पाठ कंठस्थ न करती किंतु फिर भी वह किसी प्रकार तारापद से पीछे रहना न चाहती"
} |
215 | {
"bn": "তারাপদ তাহাকে অতিক্রম করিয়া নূতন পড়া লইতে গেলে সে মহা রাগারাগি করিত, এমন-কি কান্নাকাটি করিতে ছাড়িত না",
"hi": "तारापद के उससे आगे निकलकर नया पाठ लेने पर वह बहुत रुष्ट होती, यहाँ तक कि रोने-धोने से भी बाज न आती थी"
} |
216 | {
"bn": "তারাপদ পুরাতন বই শেষ করিয়া নুতন বই কিনিলে তাহাকেও সেই নূতন বই কিনিয়া দিতে হইত",
"hi": "तारापद के पुरानी पुस्तक समाप्त कर नई पुस्तक खरीदने पर उसके लिए भी नई पुस्तक खरीदनी पड़ती"
} |
217 | {
"bn": "তারাপদ অবসরের সময় নিজে ঘরে বসিয়া লিখিত এবং পড়া মুখস্থ করিত, ইহা সেই ঈর্ষাপরায়ণা কন্যাটির সহ্য হইত না; ",
"hi": "तारापद छुट्टी के समय स्वयं कमरे में बैठकर लिखता और पाठ कंठस्थ करता, यह उस ईर्ष्या-परायण बालिका से सहन न होता अंश को फाड़ आती"
} |
218 | {
"bn": "সে গোপনে তাহার লেখা খাতায় কালী ঢালিয়া আসিত, কলম চুরি করিয়া রাখিত, এমন-কি বইয়ের যেখানে অভ্যাস করিবার, সেই অংশটি ছিঁড়িয়া আসিত",
"hi": "वह छिपकर उसके लिखने की कॉपी में स्याही उड़ेल देती, कलम चुराकर रख देती, यहाँ तक कि किताब में जिसका अभ्यास करना होता उस "
} |
219 | {
"bn": "তারাপদ এই বালিকার অনেক দৌরাত্ম্য সকৌতুকে সহ্য করিত, ",
"hi": "तारापद बालिका की यह सारी धृष्टता आमोदपूर्वक सहता; "
} |
220 | {
"bn": "অসহ্য হইলে মারিত, কিন্তু কিছুতেই শাসন করিতে পারিত না",
"hi": "असह्य होने पर मारता, किंतु किसी प्रकार भी उसका नियंत्रण नहीं कर सका"
} |
221 | {
"bn": "দৈবাৎ একটা উপায় বাহির হইল",
"hi": "दैवात् एक उपाय निकल आया"
} |
222 | {
"bn": "একদিন বড়ো বিরক্ত হইয়া নিরুপায় তারাপদ তাহার মসীবিলুপ্ত লেখা খাতা ছিন্ন করিয়া ফেলিয়া গম্ভীর বিষণ্নমুখে বসিয়া ছিল; চারু দ্বারের কাছে আসিয়া মনে করিল, আজ মার খাইবে কিন্তু তাহার প্রত্যাশা পূর্ণ হইল না",
"hi": "एक दिन बहुत खीझकर निरुपाय तारापद स्याही से रँगी अपनी लिखने की कॉपी फाड़-फेंककर गंभीर खिन्न मुद्रा में बैठा था; दरवाजे के समीप खड़ी चारु ने सोचा, आज मार पड़ेगी किंतु उसकी प्रत्याशा पूर्ण नहीं हुई"
} |
223 | {
"bn": "তারাপদ একটি কথামাত্র না কহিয়া চুপ করিয়া বসিয়া রহিল",
"hi": "तारापद्र बिना कुछ कहे चुपचाप बैठा रहा"
} |
224 | {
"bn": "বালিকা ঘরের ভিতরে বাহিরে ঘুর্ঘুর্ করিয়া বেড়াইতে লাগিল",
"hi": "बालिका कमरे के भीतर-बाहर चक्कर काटने लगी"
} |
225 | {
"bn": "বারংবার এত কাছে ধরা দিল যে তারাপদ ইচ্ছা করিলে অনায়াসেই তাহার পৃষ্ঠে এক চপেটাঘাত বসাইয়া দিতে পারিত",
"hi": "बारंबार उसके इतने समीप से निकलती कि तारापद चाहता तो अनायास ही उसकी पीठ पर थप्पड़ जमा सकता था"
} |
226 | {
"bn": "কিন্তু সে তাহা না দিয়া গম্ভীর হইয়া রহিল",
"hi": "किंतु वह वैसा न करके गंभीर ही बना रहा"
} |
227 | {
"bn": "বালিকা মহা মুশকিলে পড়িল",
"hi": "बालिका बड़ी मुश्किल में पड़ गई"
} |
228 | {
"bn": "কেমন করিয়া ক্ষমা প্রার্থনা করিতে হয় সে বিদ্যা তাহার কোনোকালেই অভ্যাস ছিল না, অথচ অনুতপ্ত ক্ষুদ্র হৃদয়টি তাহার সহপাঠীর ক্ষমালাভের জন্য একান্ত কাতর হইয়া উঠিল",
"hi": "किस प्रकार क्षमा-प्रार्थना करनी होती है, उस विद्या का उसने कभी अभ्यास न किया था, तथापि उसका अनुतप्त क्षुद्र हृदय अपने सहपाठी से क्षमा-याचना करने के लिए अत्यंत कातर हो उठा"
} |
229 | {
"bn": "অবশেষে কোনো উপায় না দেখিয়া ছিন্ন খাতার এক টুকরা লইয়া তারাপদর নিকটে বসিয়া খুব বড়ো বড়ো করিয়া লিখিল, “আমি আর কখনো খাতায় কালী মাখাব না\"",
"hi": "अंत में कोई उपाय न देखकर फटी हुई लेख-पुस्तिका का टुकड़ा लेकर तारापद के पास बैठकर खूब बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा, ‘मैं फिर कभी किताब पर स्याही नहीं फैलाऊँगी'"
} |
230 | {
"bn": "লেখা শেষ করিয়া সেই লেখার প্রতি তারাপদর মনোযোগ আকর্ষণের জন্য অনেকপ্রকার চাঞ্চল্য প্রকাশ করিতে লাগিল",
"hi": "लिखना समाप्त करके वह उस लेख की ओर तारापद का ध्यान आकर्षित करने के लिए अनेक प्रकार की चंचलता प्रदर्शित करने लगी"
} |
231 | {
"bn": "দেখিয়া তারাপদ হাস্য সংবরণ করিতে পারিল না— হাসিয়া উঠিল",
"hi": "यह देखकर तारापद हँसी न रोक सका–वह हँस पड़ा"
} |
232 | {
"bn": "তখন বালিকা লজ্জায় ক্রোধে ক্ষিপ্ত হইয়া উঠিয়া ঘর হইতে দ্রুতবেগে ছুটিয়া বাহির হইয়া গেল",
"hi": "इस पर बालिका लज्जा और क्रोध से अधीर होकर कमरे में भाग गई"
} |
233 | {
"bn": "যে কাগজের টুকরায় সে স্বহস্তে দীনতা প্রকাশ করিয়াছে সেটা অনন্ত কাল এবং অনন্ত জগৎ হইতে সম্পূর্ণ লোপ করিতে পারিলে তবে তাহার হৃদয়ের নিদারুণ ক্ষোভ মিটিতে পারিত",
"hi": "जिस कागज के टुकड़े पर उसने अपने हाथ से दीनता प्रकट की थी उसको अनंतकाल के लिए अनंत जगत से बिलकुल लोप कर पाती तो उसके हृदय का गहरा क्षोभ मिट सकता"
} |
234 | {
"bn": "এ দিকে সংকুচিতচিত্ত সোনামণি দুই-একদিন অধ্যয়নশালার বাহিরে উঁকিঝুঁকি মারিয়া ফিরিয়া চলিয়া গিয়াছে",
"hi": "उधर संकुचित चित्त सोनामणि एक-दो-दिन अध्ययनशाला के बाहर घूम-फिरकर झाँककर चली गई"
} |
235 | {
"bn": "সখী চারুশশীর সহিত তাহার সকল বিষয়েই বিশেষ হৃদ্যতা ছিল, কিন্তু তারাপদর সম্বন্ধে চারুকে সে অত্যন্ত ভয় এবং সন্দেহের সহিত দেখিত",
"hi": "सहेली चारु शशि के साथ सब बातों में उसका विशेष बंधुत्व था, किंतु तारापद के संबंध में वह चारु को अत्यंत भय और संदेह से देखती"
} |
236 | {
"bn": "চারু যে সময়ে অন্তঃপুরে থাকিত, সেই সময়টি বাছিয়া সোনামণি সসংকোচে তারাপদর দ্বারের কাছে আসিয়া দাঁড়াইত",
"hi": "चारु जिस समय अंतःपुर में होती, उसी समय का पता लगाकर सोनामणि संकोच करती हुई तारापद के द्वार के पास आ खड़ी होती"
} |
237 | {
"bn": "তারাপদ বই হইতে মুখ তুলিয়া সস্নেহে বলিত, “কী সোনা, খবর কী মাসি কেমন আছে\"",
"hi": "तारापद किताब से मुँह उठाकर सस्नेह कहता, ‘‘क्यों सोना! क्या समाचार है मौसी कैसी है\""
} |
238 | {
"bn": "সোনামণি কহিত, “অনেক দিন যাও নি, মা তোমাকে একবার যেতে বলেছে\"",
"hi": "सोनामणि कहती, ‘‘बहुत दिन से आए नहीं, माँ ने तुमको एक बार चलने के लिए कहा है\""
} |
239 | {
"bn": "মার কোমরে ব্যথা বলে দেখতে আসতে পারে না",
"hi": "कमर में दर्द होने के कारण वे तुम्हें देखने नहीं आ सकतीं"
} |
240 | {
"bn": "এমন সময় হয়তো হঠাৎ চারু আসিয়া উপস্থিত",
"hi": "इसी बीच शायद सहसा चारु आ उपस्थित होती"
} |
241 | {
"bn": "সোনামণি শশব্যস্ত,সে যেন গোপনে তাহার সখীর সম্পত্তি চুরি করিতে আসিয়াছিল",
"hi": "सोनामणि घबरा जाती, वह मानो छिपकर अपनी सहेली की संपत्ति चुराने आई हो"
} |
242 | {
"bn": "চারু কণ্ঠস্বর সপ্তমে চড়াইয়া চোখ মুখ ঘুরাইয়া বলিত, “অ্যাঁ সোনা! তুই পড়ার সময় গোল করতে এসেছিস, আমি এখনই বাবাকে গিয়ে বলে দেব\"",
"hi": "चारु आवाज को सप्तम पर चढ़ाकर, भौंह चढ़ाकर, मुँह बनाकर कहती, ‘‘ये सोना, तू पढ़ने के समय हल्ला मचाने आती है, मैं अभी जाकर पिताजी से कह दूँगी\""
} |
243 | {
"bn": "যেন তিনি নিজে তারাপদর একটি প্রবীণা অভিভাবিকা; তাহার পড়াশুনায় লেশমাত্র ব্যাঘাত না ঘটে রাত্রিদিন ইহার প্রতিই তাহার একমাত্র দৃষ্টি",
"hi": "मानो वह स्वयं तारापद की एक प्रवीण अभिभाविका हो, उसके पढ़ने-लिखने में लेश-मात्र भी बाधा न पड़े और मानो दिन-रात बस इसी पर उसकी दृष्टि रहती हो"
} |
244 | {
"bn": "কিন্তু সে নিজে কী অভিপ্রায়ে এই অসময়ে তারাপদর পাঠগৃহে আসিয়া উপস্থিত হইয়াছিল তাহা অন্তর্যামীর অগোচর ছিল না এবং তারাপদও তাহা ভালোরূপ জানিত",
"hi": "किंतु वह स्वयं किस अभिप्राय से असमय ही तारापद के पढ़ने के कमरे में आकर उपस्थित हुई थी, यह अंतर्यामी से छिपा नहीं था और तारापद भी उसे अच्छी तरह जानता था"
} |
245 | {
"bn": "কিন্তু সোনামণি বেচারা ভীত হইয়া তৎক্ষণাৎ একরাশ মিথ্যা কৈফিয়ত সৃজন করিত; ",
"hi": "किंतु बेचारी सोनामणि डरकर उसी क्षण हजारों झूठी कैफियतें देतीं; "
} |
246 | {
"bn": "অবশেষে চারু যখন ঘৃণাভরে তাহাকে মিথ্যাবাদী বলিয়া সম্ভাষণ করিত তখন সে লজ্জিত শঙ্কিত পরাজিত হইয়া ব্যথিতচিত্তে ফিরিয়া যাইত",
"hi": "अंत में जब चारु घृणापूर्वक उसको ‘मिथ्यावादिनी’ कहकर संबोधित करती तो वह लज्जित-शंकित-पराजित होकर व्यथित चित्त से लौट जाती"
} |
247 | {
"bn": "দয়ার্দ্র তারাপদ তাহাকে ডাকিয়া বলিত, “সোনা, আজ সন্ধ্যাবেলায় আমি তোদের বাড়ি যাব এখন\" চারু সর্পিণীর মতো ফোঁস করিয়া উঠিয়া বলিত, “যাবে বৈকি তোমার পড়া করতে হবে না আমি মাস্টারমশায়কে বলে দেব না \"",
"hi": "दयार्द्र तारापद उसको बुलाकर कहता, ‘‘सोना, आज संध्या समय मैं तेरे घर आऊँगा, अच्छा!’’ चारु सर्पिणी के समान फुफकारती हुई उठकर कहती, ‘‘हाँ, जाओगे! तुम्हें पाठ तैयार नहीं करना है मैं मास्टर साहब से कह दूँगी!’’"
} |
248 | {
"bn": "চারুর এই শাসনে ভীত না হইয়া তারাপদ দুই-একদিন সন্ধ্যার পর বামুনঠাকরুনের বাড়ি গিয়াছিল",
"hi": "चारु की इस धमकी से न डरकर तारापद एक-दो दिन संध्या के समय पुरोहित जी के घर गया था"
} |
249 | {
"bn": "তৃতীয় বা চতুর্থ বারে চারু ফাঁকা শাসন না করিয়া আস্তে আস্তে এক সময় বাহির হইতে তারাপদর ঘরের দ্বারে শিকল আঁটিয়া দিয়া মার মসলার বাক্সের চাবিতালা আনিয়া তালা লাগাইয়া দিল",
"hi": "तीसरी या चौथी बार चारु ने कोरी धमकी न देकर धीरे-धीरे एक बार बाहर से तारापद के कमरे के दरवाजे की साँकल चढ़ाकर माँ के मसाले के बक्स का ताला लाकर लगा दिया"
} |
250 | {
"bn": "সমস্ত সন্ধ্যাবেলা তারাপদকে এইরূপ বন্দী অবস্থায় রাখিয়া আহারের সময় দ্বার খুলিয়া দিল",
"hi": "सारी संध्या तारापद को इसी बंदी अवस्था में रखकर भोजन के समय द्वार खोला"
} |
251 | {
"bn": "তারাপদ রাগ করিয়া কথা কহিল না এবং না খাইয়া চলিয়া যাইবার উপক্রম করিল",
"hi": "गुस्से के कारण तारापद कुछ बोला नहीं और बिना खाए चले जाने की तैयारी करने लगा"
} |
252 | {
"bn": "তখন অনুতপ্ত ব্যাকুল বালিকা করজোড়ে সানুনয়ে বারংবার বলিতে লাগিল, “তোমার দুটি পায়ে পড়ি, আর আমি এমন করব না, তোমার দুটি পায়ে পড়ি, তুমি খেয়ে যাও\"",
"hi": "उस समय अनुतप्त व्याकुल बालिका हाथ जोड़कर विनयपूर्वक बारंबार कहने लगी, ‘‘तुम्हारे पैरों पड़ती हूँ, फिर ऐसा नहीं करुँगी, तुम्हारे पैरों पड़ती हूँ, तुम खाकर जाना!’’"
} |
253 | {
"bn": "তাহাতেও যখন তারাপদ বশ মানিল না, তখন সে অধীর হইয়া কাঁদিতে লাগিল; তারাপদ সংকটে পড়িয়া ফিরিয়া আসিয়া খাইতে বসিল",
"hi": "उससे भी जब तारापद वश में न आया तो वह अधीर होकर रोने लगी; संकट में पड़कर तारापद लौटकर भोजन करने बैठ गया"
} |
254 | {
"bn": "চারু কতবার একান্তমনে প্রতিজ্ঞা করিয়াছে যে, সে তারাপদর সহিত সদ্ব্যবহার করিবে, কখনো তাহাকে মুহূর্তের জন্য বিরক্ত করিবে না, ",
"hi": "चारु ने कितनी बार अकेले में प्रतिज्ञा की कि वह तारापद के साथ सद्व्यवहार करेगी, फिर कभी उसे एक क्षण के लिए भी परेशान न करेगी, "
} |
255 | {
"bn": "কিন্তু সোনামণি প্রভৃতি আর পাঁচজন মাঝে আসিয়া পড়াতে কখন তাহার কিরূপ মেজাজ হইয়া যায় কিছুতেই আত্মসংবরণ করিতে পারে না",
"hi": "किंतु सोनामणि आदि अन्य पाँच जनों के बीच आ पड़ते ही न जाने कब, कैसे उसका मिजाज बिगड़ जाता और वह किसी भी प्रकार आत्म-नियंत्रण न कर पाती"
} |
256 | {
"bn": "কিছুদিন যখন উপরি-উপরি সে ভালোমানুষি করিতে থাকে তখনই একটা উৎকট আসন্ন বিপ্লবের জন্য তারাপদ সতর্কভাবে প্রস্তুত হইয়া থাকে",
"hi": "कुछ दिन जब ऊपर-ऊपर से वह भलमनसाहत बरतती तब किसी आगामी उत्कट-विप्लव के लिए तारापद सतर्कतापूर्वक प्रस्तुत हो जाता"
} |
257 | {
"bn": "আক্রমণটা হঠাৎ কী উপলক্ষে কোন্ দিক হইতে আসে কিছুই বলা যায় না তাহার পরে প্রচণ্ড ঝড়, ঝড়ের পরে প্রচুর অশ্রুবারিবর্ষণ, তাহার পরে প্রসন্ন স্নিগ্ধ শান্তি",
"hi": "आक्रमण हठात् तूफान, तूफान के बाद प्रचुर अश्रुवारि वर्षा, उसके बाद प्रसन्न-स्निग्ध शांति"
} |
258 | {
"bn": "এমন করিয়া প্রায় দুই বৎসর কাটিল",
"hi": "इस तरह लगभग दो वर्ष बीत गए"
} |
259 | {
"bn": "এত সুদীর্ঘকালের জন্য তারাপদ কখনো কাহারো নিকট ধরা দেয় নাই",
"hi": "इतने लंबे समय तक तारापद कभी किसी के पास बँधकर नहीं रहा"
} |
260 | {
"bn": "বোধ করি, পড়াশুনার মধ্যে তাহার মন এক অপূর্ব আকর্ষণে বদ্ধ হইয়াছিল; ",
"hi": "शायद पढ़ने-लिखने में उसका मन एक अपूर्व आकर्षण में बँध गया था; "
} |
261 | {
"bn": "বোধ করি, বয়োবৃদ্ধি-সহকারে তাহার প্রকৃতির পরিবর্তন আরম্ভ হইয়াছিল এবং স্থায়ী হইয়া বসিয়া সংসারের সুখস্বচ্ছন্দতা ভোগ করিবার দিকে তাহার মন পড়িয়াছিল; ",
"hi": "लगता है, वयोवृद्धि के साथ उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन आरंभ हो गया था और स्थिर बैठे रहकर संसार के सुख-स्वच्छंदता का भोग करने की ओर उसका मन लग रहा था; "
} |
262 | {
"bn": "বোধ করি, তাহার সহপাঠিকা বালিকার নিয়তদৌরাত্ম্যচঞ্চল সৌন্দর্য অলক্ষিতভাবে তাহার হৃদয়ের উপর বন্ধন বিস্তার করিতেছিল",
"hi": "कदाचित् उसकी सहपाठिनी बालिका का स्वाभाविक दौरात्म्य, चंचल सौंदर्य अलक्षित भाव से उसके हृदय पर बंधन फैला रहा था"
} |
263 | {
"bn": "এ দিকে চারুর বয়স এগারো উত্তীর্ণ হইয়া যায়",
"hi": "इधर चारु की अवस्था ग्यारह पार कर गई"
} |
264 | {
"bn": "মতিবাবু সন্ধান করিয়া তাঁহার মেয়ের বিবাহের জন্য দুই-তিনটি ভালো ভালো সম্বন্ধ আনাইলেন",
"hi": "मति बाबू ने खोजकर अपनी पुत्री के विवाह के लिए दो-तीन अच्छे रिश्ते जुटाए"
} |
265 | {
"bn": "কন্যার বিবাহবয়স উপস্থিত হইয়াছে জানিয়া মতিবাবু তাহার ইংরাজি পড়া এবং বাহিরে যাওয়া নিষেধ করিয়া দিলেন",
"hi": "कन्या की अवस्था विवाह के योग्य हुई जानकर मति बाबू ने उसका अंग्रेजी पढ़ना और बाहर निकलना बंद कर दिया"
} |
266 | {
"bn": "এই আকস্মিক অবরোধে চারু ঘরের মধ্যে ভারি একটা আন্দোলন উপস্থিত করিল",
"hi": "इस आकस्मिक अवरोध पर घर के भीतर चारु ने भारी आंदोलन उपस्थित कर दिया"
} |
267 | {
"bn": "তখন একদিন অন্নপূর্ণা মতিবাবুকে ডাকিয়া কহিলেন, “পাত্রের জন্যে তুমি অত খোঁজ করে বেড়াচ্ছ কেন তারাপদ ছেলেটি তো বেশ আর তোমার মেয়েরও ওকে পছন্দ হয়েছে” ",
"hi": "तब अन्नपूर्णा ने एक दिन मति बाबू को बुलाकर कहा, ‘‘पात्र के लिए तुम इतनी खोज क्यों करते फिर रहे हो तारापद लड़का तो अच्छा है और तुम्हारी लड़की भी उसको पसंद है\""
} |
268 | {
"bn": "শুনিয়া মতিবাবু বিস্ময় প্রকাশ করিলেন",
"hi": "सुनकर मति बाबू ने बड़ा विस्मय प्रकट किया"
} |
269 | {
"bn": "কহিলেন, “সেও কি কখনো হয়\"",
"hi": "कहा, ‘‘भला यह कभी हो सकता है!\""
} |
270 | {
"bn": "তারাপদর কুলশীল কিছুই জানা নেই",
"hi": "तारापद का कुल-शील कुछ भी तो ज्ञात नहीं है"
} |
271 | {
"bn": "আমার একটিমাত্র মেয়ে, আমি ভালো ঘরে দিতে চাই",
"hi": "मैं अपनी इकलौती लड़की को किसी अच्छे घर में देना चाहता हूँ"
} |
272 | {
"bn": "একদিন রায়ডাঙ্গার বাবুদের বাড়ি হইতে মেয়ে দেখিতে আসিল",
"hi": "एक दिन रायडाँगा के बाबुओं के घर से लोग लड़की देखने आए"
} |
273 | {
"bn": "চারুকে বেশভূষা পরাইয়া বাহির করিবার চেষ্টা করা হইল",
"hi": "वस्त्राभूषण पहनाकर चारु को बाहर लाने की चेष्टा की गई"
} |
274 | {
"bn": "সে শোবার ঘরের দ্বার রুদ্ধ করিয়া বসিয়া রহিল— কিছুতেই বাহির হইল না",
"hi": "वह सोने के कमरे का द्वार बंद करके बैठ गई–किसी प्रकार भी बाहर न निकली"
} |
275 | {
"bn": "মতিবাবু ঘরের বাহির হইতে অনেক অনুনয় করিলেন, ভর্ৎসনা করিলেন, ",
"hi": "मति बाबू ने कमरे के बाहर से बहुत अनुनय-विनय की, बहुत फटकारा, "
} |
276 | {
"bn": "কিছুতেই কিছু ফল হইল না",
"hi": "किसी प्रकार भी कोई परिणाम न निकला"
} |
277 | {
"bn": "অবশেষে বাহিরে আসিয়া রায়ডাঙ্গার দূতবর্গের নিকট মিথ্যা করিয়া বলিতে হইল, কন্যার হঠাৎ অত্যন্ত অসুখ করিয়াছে, আজ আর দেখানো হইবে না",
"hi": "अंत में बाहर आकर रायडाँगा के दूतों से बहाना बनाकर कहना पड़ा कि एकाएक कन्या बहुत बीमार हो गई है, आज दिखाई की रस्म नहीं हो सकेगी"
} |
278 | {
"bn": "তাহারা ভাবিল, মেয়ের বুঝি কোনো-একটা দোষ আছে, তাই এইরূপ চাতুরী অবলম্বন করা হইল",
"hi": "उन्होंने सोचा लड़की में शायद कोई दोष है, इसी से इस चतुराई का सहारा लिया गया है"
} |
279 | {
"bn": "তখন মতিবাবু ভাবিতে লাগিলেন, তারাপদ ছেলেটি দেখিতে শুনিতে সকল হিসাবেই ভালো; উহাকে আমি ঘরেই রাখিতে পারিব, ",
"hi": "तब मति बाबू विचार करने लगे, तारापद लड़का देखने-सुनने में सब तरह से अच्छा है; उसको मैं घर ही में रख सकूँगा, "
} |
280 | {
"bn": "তাহা হইলে আমার একমাত্র মেয়েটিকে পরের বাড়ি পাঠাইতে হইবে না",
"hi": "ऐसा होने से अपनी एकमात्र लड़की को पराए घर नहीं भेजना पड़ेगा"
} |
281 | {
"bn": "ইহাও চিন্তা করিয়া দেখিলেন,তাঁহার অশান্ত অবাধ্য মেয়েটির দুরন্তপনা তাঁহাদের স্নেহের চক্ষে যতই মার্জনীয় বোধ হউক শ্বশুরবাড়িতে কেহ সহ্য করিবে না",
"hi": "यह भी सोचा कि उनकी अशांत-अबाध्य लड़की का दुरांतपना उनकी स्नेहपूर्ण आँखों को कितना ही क्षम्य प्रतीत हो, ससुराल वाले सहन नहीं करेंगे"
} |
282 | {
"bn": "তখন স্ত্রী-পুরুষে অনেক আলোচনা করিয়া তারাপদর দেশে তাহার কৌলিক সংবাদ সন্ধান করিবার জন্য লোক পাঠাইলেন",
"hi": "फिर पति-पत्नी ने सोच-विचारकर तारापद के घर उसके कुल का हाल-चाल जानने के लिए आदमी भेजा"
} |
283 | {
"bn": "খবর আসিল যে, বংশ ভালো কিন্তু দরিদ্র",
"hi": "समाचार आया कि वंश तो अच्छा है, किंतु दरिद्र है"
} |
284 | {
"bn": "তখন মতিবাবু ছেলের মা এবং ভাইয়ের নিকট বিবাহের প্রস্তাব পাঠাইলেন",
"hi": "तब मति बाबू ने लड़के की माँ एवं भाई के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा"
} |
285 | {
"bn": "তাঁহারা আনন্দে উচ্ছ্বসিত হইয়া সম্মতি দিতে মুহূর্তমাত্র বিলম্ব করিলেন না",
"hi": "उन्होंने आनंद से उच्छ्वासित होकर सम्मति देने में मुहूर्त-भर की भी देर न की"
} |
286 | {
"bn": "কাঁঠালিয়ায় মতিবাবু এবং অন্নপূর্ণা বিবাহের দিনক্ষণ আলোচনা করিতে লাগিলেন, কিন্তু স্বাভাবিক গোপনতাপ্রিয় সাবধানী মতিবাবু কথাটা গোপন রাখিলেন",
"hi": "काँठालिया के मति बाबू और अन्नपूर्णा विवाह के मुहूर्त के बारे में विचार करने लगे, किंतु स्वाभाविक गोपनताप्रिय, सावधान मति बाबू ने बात को गोपनीय रखा"
} |
287 | {
"bn": "চারুকে ধরিয়া রাখা গেল না",
"hi": "चारु को बंद न रखा जा सका"
} |
288 | {
"bn": "সে মাঝে মাঝে বর্গির হাঙ্গামার মতো তারাপদর পাঠগৃহে গিয়া পড়িত",
"hi": "वह बीच-बीच में बर्गी के हंगामे के समान तारापद के पढ़ने के कमरे में जा पहुँचती"
} |
289 | {
"bn": "কখনো রাগ, কখনো অনুরাগ, কখনো বিরাগের দ্বারা তাহার পাঠচর্যার নিভৃত শান্তি অকস্মাৎ তরঙ্গিত করিয়া তুলিত",
"hi": "कभी रोष, कभी प्रेम, कभी विराग के द्वारा उसके अध्ययन-क्रम की निभृत शांति को अकस्मात् तरंगित कर देती"
} |
290 | {
"bn": "তাহাতে আজকাল এই নির্লিপ্ত মুক্তস্বভাব ব্রাক্ষ্মণবালকের চিত্তে মাঝে মাঝে ক্ষণকালের জন্য বিদ্যুৎস্পন্দনের ন্যায় এক অপূর্ব চাঞ্চল্য-সঞ্চার হইত",
"hi": "उससे आजकल इस निर्लिप्त मुक्त स्वभाव से ब्राह्मण के मन में बीच-बीच में कुछ समय के लिए विद्युत्स्पंदन के समान एक अपूर्व चांचल्य का संचार हो जाता"
} |
291 | {
"bn": "যে ব্যক্তির লঘুভার চিত্ত চিরকাল অক্ষুণ্ন অব্যাহতভাবে কালস্রোতের তরঙ্গচূড়ায় ভাসমান হইয়া সম্মুখে প্রবাহিত হইয়া যাইত, সে আজকাল এক-একবার অন্যমনস্ক হইয়া বিচিত্র দিবাস্বপ্নজালের মধ্যে জড়ীভূত হইয়া পড়ে",
"hi": "जिस व्यक्ति का हलका चित्त सर्वदा अक्षुण्ण अव्याहत भाव से काल-स्त्रोत की तरंग-शिखरी पर उतराकर सामने बह जाता वह आजकल प्रायः अन्यमनस्क होकर विचित्र दिवा-स्वप्न के जाल में उलझ जाता"
} |
292 | {
"bn": "এক-একদিন পড়াশুনা ছাড়িয়া দিয়া সে মতিবাবুর লাইব্রেরির মধ্যে প্রবেশ করিয়া ছবির বইয়ের পাতা উল্টাইতে থাকিত; ",
"hi": "वह प्रायः पढ़ना-लिखना छोड़कर मति बाबू की लाइब्रेरी में प्रवेश करके तस्वीरों वाली पुस्तकों के पन्ने पलटता रहता; "
} |
293 | {
"bn": "সেই ছবিগুলির মিশ্রণে যে কল্পনালোক সৃজিত হইত তাহা পূর্বেকার হইতে অনেক স্বতন্ত্র এবং অধিকতর রঙিন",
"hi": "उन तस्वीरों के मिश्रण से जिस कल्पना-लोक की रचना होती वह पहले की अपेक्षा बहुत स्वतंत्र और अधिक रंगीन था"
} |
294 | {
"bn": "চারুর অদ্ভুত আচরণ লক্ষ্য করিয়া সে আর পূর্বের মতো স্বভাবত পরিহাস করিতে পারিত না, ",
"hi": "चारु का विचित्र आचरण देखकर वह अब पहले के समान परिहास न कर पाता; "
} |
295 | {
"bn": "দুষ্টামি করিলে তাহাকে মারিবার কথা মনেও উদয় হইত না",
"hi": "ऊधम करने पर उसको मारने की बात मन में उदय भी न होती"
} |
296 | {
"bn": "নিজের এই গূঢ় পরিবর্তন, এই আবদ্ধ আসক্ত ভাব তাহার নিজের কাছে এক নূতন স্বপ্নের মতো মনে হইতে লাগিল",
"hi": "अपने में यह गूढ़ परिवर्तन, यह आबद्ध-आसक्त भाव से अपने निकट एक नूतन स्वप्न के समान लगने लगा"
} |
297 | {
"bn": "শ্রাবণ মাসে বিবাহের শুভদিন স্থির করিয়া মতিবাবু তারাপদর মা ও ভাইদের আনিতে পাঠাইলেন, তারাপদকে তাহা জানিতে দিলেন না",
"hi": "श्रावण में विवाह का शुभ दिन निश्चित करके मति बाबू ने तारापद की माँ और भाइयों को बुलावा भेजा तारापद को यह नहीं बताया"
} |
298 | {
"bn": "কলিকাতার মোক্তারকে গড়ের বাদ্য বায়না দিতে আদেশ করিলেন এবং জিনিসপত্রের ফর্দ পাঠাইয়া দিলেন",
"hi": "कलकत्ता के फौजी बैंड को पेशगी देने के लिए मुख्तार को आदेश दिया और सामान की सूची भेद दी"
} |
299 | {
"bn": "আকাশে নববর্ষার মেঘ উঠিল",
"hi": "आकाश में वर्षा के नए बादल आ गए"
} |
Subsets and Splits