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dict
300
{ "bn": "গ্রামের নদী এতদিন শুষ্কপ্রায় হইয়া ছিল, মাঝে মাঝে কেবল এক-একটা ডোবায় জল বাধিয়া থাকিত; ", "hi": "गाँव की नदी इतने दिन तक सूखी पड़ी थी; बीच-बीच में केवल किसी-किसी गढ्डे में ही पानी भरा रहता था; " }
301
{ "bn": "ছোটো ছোটো নৌকা সেই পঙ্কিল জলে ডোবানো ছিল এবং শুষ্ক নদীপথে গোরুর গাড়ি-চলাচলের সুগভীর চক্রচিহ্ন খোদিত হইতেছিল— ", "hi": "छोटी-छोटी नौकाएँ उस पंकिल जल में डूबी पड़ी थीं और नदी की सूखी धार में बैलगाड़ियों के आवागमन से गहरी लीकें खुद गई थीं–" }
302
{ "bn": "এমন সময় একদিন, পিতৃগৃহ-প্রত্যাগত পার্বতীর মতো, কোথা হইতে দ্রুতগামিনী জলধারা কলহাস্য-সহকারে গ্রামের শূন্যবক্ষে আসিয়া সমাগত হইল— ", "hi": "ऐसे समय एक दिन पिता के घर से लौटी पार्वती के समान न जाने कहाँ से द्रुतगामिनी जलधारा कल-हास्य करती हुई गाँव के शून्य वक्ष पर उपस्थित हुई–" }
303
{ "bn": "উলঙ্গ বালকবালিকারা তীরে আসিয়া উচ্চৈঃস্বরে নৃত্য করিতে লাগিল, ", "hi": "नंगे बालक-बालिकाएँ किनारे आकर ऊँचे स्वर के साथ नृत्य करने लगे, " }
304
{ "bn": "অতৃপ্ত আনন্দে বারংবার জলে ঝাঁপ দিয়া দিয়া নদীকে যেন আলিঙ্গন করিয়া ধরিতে লাগিল, ", "hi": "मानो वे अतृप्त आनंद से बारंबार जल में कूद-कूदकर नदी को आलिंगन कर पकड़ने लगे हों, " }
305
{ "bn": "কুটিরবাসিনীরা তাহাদের পরিচিত প্রিয়সঙ্গিনীকে দেখিবার জন্য বাহির হইয়া আসিল— ", "hi": "कुटी में निवास करने वाली अपनी परिचित प्रिय संगिनी को देखने के लिए बाहर निकल आईं–" }
306
{ "bn": "শুষ্ক নির্জীব গ্রামের মধ্যে কোথা হইতে এক প্রবল বিপুল প্রাণহিল্লোল আসিয়া প্রবেশ করিল", "hi": "शुष्क निर्जीव ग्राम में न जाने कहाँ से आकर एक प्रबल विपुल प्राण-हिल्लोल ने प्रवेश किया" }
307
{ "bn": "দেশবিদেশ হইতে বোঝাই হইয়া ছোটো বড়ো আয়তনের নৌকা আসিতে লাগিল— ", "hi": "देश-विदेश से छोटी-बड़ी लदी हुई नौकाएँ आने लगीं–" }
308
{ "bn": "বাজারের ঘাট সন্ধ্যাবেলায় বিদেশী মাঝির সংগীতে ধ্বনিত হইয়া উঠিল", "hi": "बाजार का घाट संध्या समय विदेशी मल्लाहों के संगीत से ध्वनित हो उठा" }
309
{ "bn": "দুই তীরের গ্রামগুলি সম্বৎসর আপনার নিভৃত কোণে আপনার ক্ষুদ্র ঘরকন্না লইয়া একাকিনী দিনযাপন করিতে থাকে, ", "hi": "दोनों किनारे के गाँव पूरे वर्ष अपने निभृत कोने में अपनी साधारण गृहस्थी लिए एकाकी दिन बिताते हैं, " }
310
{ "bn": "বর্ষার সময় বাহিরের বৃহৎ পৃথিবী বিচিত্র পণ্যোপহার লইয়া গৈরিকবর্ণজলরথে চড়িয়া এই গ্রাম্যকন্যকাগুলির তত্ত্ব লইতে আসে; ", "hi": "वर्षा के समय बाहरी विशाल पृथ्वी विचित्र पण्योपहार लेकर गैरिक वर्ण जलस्थ में बैठकर इन ग्राम-कन्याओं की खोज-खबर लेने आती है; " }
311
{ "bn": "তখন জগতের সঙ্গে আত্মীয়তাগর্বে কিছুদিনের জন্য তাহাদের ক্ষুদ্রতা ঘুচিয়া যায়, ", "hi": "इस समय जगत् के साथ आत्मीयता के गर्व से कुछ दिन के लिए उनकी लघुता नष्ट हो जाती है; " }
312
{ "bn": "সমস্তই সচল সজাগ সজীব হইয়া উঠে এবং মৌন নিস্তব্ধ দেশের মধ্যে সুদূর রাজ্যের কলালাপধ্বনি আসিয়া চারি দিকের আকাশকে আন্দোলিত করিয়া তুলে", "hi": "सब सचल, सजग और सजीव हो उठते हैं एवं मौन निस्तब्ध प्रदेश में सुदूर राज्य की कलालापध्वनि आकर चारों दिशाओं को आंदोलित कर देती है" }
313
{ "bn": "এই সময়ে কুড়ুলকাটায় নাগবাবুদের এলাকায় বিখ্যাত রথযাত্রার মেলা হইবে", "hi": "इसी समय कुडूलकाटा में नाग बाबुओं के इलाके में विख्यात रथ-यात्रा का मेला लगा" }
314
{ "bn": "জ্যোৎস্না-সন্ধ্যায় তারাপদ ঘাটে গিয়া দেখিল, কোনো নৌকা নাগরদোলা, কোনো নৌকা যাত্রার দল, কোনো নৌকা পণ্যদ্রব্য লইয়া প্রবল নবীন স্রোতের মুখে দ্রুতবেগে মেলা অভিমুখে চলিয়াছে; ", "hi": "ज्योत्स्ना-संध्या में तारापद ने घाट पर जाकर देखा, कोई नौका-चरखी लिए, कोई यात्रा करने वालों की मंडली लिए, कोई बिक्री का सामान लिए प्रबल नवीन स्त्रोत की धारा में तेजी से मेले की ओर चली जा रही है; " }
315
{ "bn": "যাত্রার দল বেহালার সঙ্গে গান গাহিতেছে এবং সমের কাছে হাহাহাঃ শব্দে চীৎকার উঠিতেছে, ", "hi": "यात्रा का दल सारंगी के साथ गीत गा रहा है और सम पर हा-हा-हा शब्द की ध्वनि हो उठती है, " }
316
{ "bn": "পশ্চিমদেশী নৌকার দাঁড়িমাল্লাগুলো কেবলমাত্র মাদল এবং করতাল লইয়া উন্মত্ত উৎসাহে বিনা সংগীতে খচমচ শব্দে আকাশ বিদীর্ণ করিতেছে— ", "hi": "पश्चिमी प्रदेश की नौका के मल्लाह केवल मृदंग और करताल लिए उन्मत्त-उत्साह से बिना संगीत के खचमच शब्द से आकाश को विदीर्ण कर रहे हैं–" }
317
{ "bn": "উদ্দীপনার সীমা নাই", "hi": "उद्दीपनों की सीमा नहीं थी" }
318
{ "bn": "দেখিতে দেখিতে পূর্বদিগন্ত হইতে ঘনমেঘরাশি প্রকাণ্ড কালো পাল তুলিয়া দিয়া আকাশের মাঝখানে উঠিয়া পড়িল, ", "hi": "देखते-देखते पूर्व क्षितिज से सघन मेघराशि ने प्रकांड काला पाल तानकर आकाश के बीच में खड़ा कर दिया, " }
319
{ "bn": "চাঁদ আচ্ছন্ন হইল— পুবে-বাতাস বেগে বহিতে লাগিল, ", "hi": "चाँद ढक गया–पूर्व की वायु वेग से बहने लगी, " }
320
{ "bn": "মেঘের পশ্চাতে মেঘ ছুটিয়া চলিল, ", "hi": "मेघ के पीछे मेघ दौड़ चले, " }
321
{ "bn": "নদীর জল খল খল হাস্যে স্ফীত হইয়া উঠিতে লাগিল", "hi": "नदी में जल कलकल हास्य से बढ़कर उमड़ने लगा–" }
322
{ "bn": "নদীতীরবর্তী আন্দোলিত বনশ্রেণীর মধ্যে অন্ধকার পুঞ্জীভূত হইয়া উঠিল, ", "hi": "नदी-तीरवर्ती आंदोलित वनश्रेणी में अंधकार पुंजीभूत हो उठा, " }
323
{ "bn": "ভেক ডাকিতে আরম্ভ করিল, ", "hi": "मेढकों ने टर्राना शुरू कर दिया, " }
324
{ "bn": "ঝিল্লিধ্বনি যেন করাত দিয়া অন্ধকারকে চিরিতে লাগিল", "hi": "झिल्ली की ध्वनि जैसे कराँत लेकर अंधकार को चीरने लगी" }
325
{ "bn": "সম্মুখে আজ যেন সমস্ত জগতের রথযাত্রা,", "hi": "सामने आज मानो समस्त जगत् की रथ-यात्रा हो, " }
326
{ "bn": "চাকা ঘুরিতেছে, ", "hi": "चक्र घूम रहा है, " }
327
{ "bn": "ধ্বজা উড়িতেছে, ", "hi": "ध्वजा फहरा रही है, " }
328
{ "bn": "পৃথিবী কাঁপিতেছে,", "hi": "पृथ्वी काँप रही है, " }
329
{ "bn": "মেঘ উড়িয়াছে, ", "hi": "मेघ उड़ रहे हैं, " }
330
{ "bn": "বাতাস ছুটিয়াছে, ", "hi": "वायु दौड़ रहा है, " }
331
{ "bn": "নদী বহিয়াছে, ", "hi": "नदी बह रही है, " }
332
{ "bn": "নৌকা চলিয়াছে, গান উঠিয়াছে;", "hi": "नौका चल रही है, गान-स्वर गूँज रहे हैं" }
333
{ "bn": "দেখিতে দেখিতে গুরু গুরু শব্দে মেঘ ডাকিয়া উঠিল, ", "hi": "देखते-देखते गुरु गंभीर ध्वनि में मेघ गरजने लगा, " }
334
{ "bn": "বিদ্যুৎ আকাশকে কাটিয়া কাটিয়া ঝলসিয়া উঠিল, ", "hi": "विद्युत आकाश को चीर-चीरकर चकाचौंध उत्पन्न करने लगी, " }
335
{ "bn": "সুদুর অন্ধকার হইতে একটা মুষলধারাবর্ষী বৃষ্টির গন্ধ আসিতে লাগিল", "hi": "सुदूर अंधकार में से मूसलधार वर्षा की गंध आने लगी" }
336
{ "bn": "কেবল নদীর এক তীরে এক পার্শ্বে কাঁঠালিয়া গ্রাম আপন কুটিরদ্বার বন্ধ করিয়া দীপ নিবাইয়া দিয়া নিঃশব্দে ঘুমাইতে লাগিল", "hi": "केवल नदी के एक किनारे पर एक ओर काँठालिया ग्राम अपनी कुटी के द्वार बंद करके दीया बुझाकर चुपचाप सोने लगा" }
337
{ "bn": "পরদিন তারাপদর মাতা ও ভ্রাতাগণ কাঁঠালিয়ায় আসিয়া অবতরণ করিলেন, পরদিন কলিকাতা হইতে বিবিধসামগ্রীপূর্ণ তিনখানা বড়ো নৌকা আসিয়া কাঁঠালিয়ার জমিদারি কাছারির ঘাটে লাগিল এবং পরদিন অতি প্রাতে সোনামণি কাগজে কিঞ্চিৎ আমসত্ত্ব এবং পাতার ঠোঙায় কিঞ্চিৎ আচার লইয়া ভয়ে ভয়ে তারাপদর পাঠগৃহদ্বারে আসিয়া নিঃশব্দে দাঁড়াইল— ", "hi": "दूसरे दिन तारापद की माता और भाई आकर काँठालिया में उतरे; उसी दिन कलकत्ता से विविध सामग्री से भरी तीन बड़ी नौकाएँ काँठालिया के जमींदार की कचहरी के घाट पर आकर लगीं एवं उसी दिन बहुत सवेरे सोनामणि कागज में थोड़ा अमावट एवं पत्ते के दोने में कुछ अचार लेकर डरती-डरती तारापद के पढ़ने के कमरे के द्वार पर चुपचाप आ खड़ी हुई–" }
338
{ "bn": "কিন্তু পরদিন তারাপদকে দেখা গেল না", "hi": "किंतु उस दिन तारापद नहीं दिखाई दिया" }
339
{ "bn": "স্নেহ-প্রেম-বন্ধুত্বের ষড়যন্ত্রবন্ধন তাহাকে চারি দিক হইতে সম্পূর্ণরূপে ঘিরিবার পূর্বেই সমস্ত গ্রামের হৃদয়খানি চুরি করিয়া একদা বর্ষার মেঘান্ধকার রাত্রে এই ব্রাক্ষ্মণবালক আসক্তিবিহীন উদাসীন জননী বিশ্বপৃথিবীর নিকট চলিয়া গিয়াছে", "hi": "स्नेह-प्रेम-बंधुत्व के षड्यंत्र-बंधन उसको चारों ओर से पूरी तरह से घेरें, इसके पहले ही वह ब्राह्मण-बालक समस्त ग्राम का हृदय चुराकर एकाएक वर्षा की मेधांधकारणपूर्ण रात्रि में आसाक्तिविहीन उदासीन जननी विश्वपृथिवी के पास चला गया" }
340
{ "bn": "বালকদিগের সর্দার ফটিক চক্রবর্তীর মাথায় চট্ করিয়া একটা নূতন ভাবোদয় হইল, ", "hi": "बालकों के सरदार फटिक चक्रवर्ती के दिमाग़ में चट से एक नए विचार का उदय हुआ" }
341
{ "bn": "নদীর ধারে একটা প্রকাণ্ড শালকাষ্ঠ মাস্তুলে রূপান্তরিত হইবার প্রতীক্ষায় পড়িয়া ছিল ; ", "hi": "नदी के किनारे एक विशाल शाल की लकड़ी मस्तूल में रूपांतरित होने की प्रतीक्षा में पड़ा था; " }
342
{ "bn": "স্থির হইল, সেটা সকলে মিলিয়া গড়াইয়া লইয়া যাইবে", "hi": "तय हुआ, उसको सब मिलकर लुढ़काते हुए ले चलेंगे" }
343
{ "bn": "যে ব্যক্তির কাঠ আবশ্যক-কালে তাহার যে কতখানি বিস্ময় বিরক্তি এবং অসুবিধা বোধ হইবে, ", "hi": "जिस व्यक्ति की लकड़ी है, उसे अपनी ज़रूरत के समय कितना विस्मय, खीझ और असुविधा होगी, " }
344
{ "bn": "তাহাই উপলব্ধি করিয়া বালকেরা এ প্রস্তাবে সম্পূর্ণ অনুমোদন করিল", "hi": "उसी का हिसाब लगाकर बालकों ने इस प्रस्ताव का पूरी तरह अनुमोदन किया" }
345
{ "bn": "কোমর বাঁধিয়া সকলেই যখন মনোযোগের সহিত কার্যে প্রবৃত্ত হইবার উপক্রম করিতেছে এমন সময়ে ফটিকের কনিষ্ঠ মাখনলাল গম্ভীরভাবে সেই গুঁড়ির উপরে গিয়া বসিল ; ", "hi": "जब सभी मनोयोग के साथ कमर कसकर कार्य में प्रवृत्त होने की तैयारी कर रहे थे, इसी समय फटिक का छोटा भाई माखनलाल गंभीर भाव से उस लकड़ी के कुंदे पर जा बैठा; " }
346
{ "bn": "ছেলেরা তাহার এইরূপ উদার ঔদাসীন্য দেখিয়া কিছু বিমর্ষ হইয়া গেল", "hi": "उसकी इस प्रकार की उदार उदासीनता को देख लड़के कुछ उदास हो गए" }
347
{ "bn": "একজন আসিয়া ভয়ে ভয়ে তাহাকে একটু-আধটু ঠেলিল কিন্ত সে তাহাতে কিছুমাত্র বিচলিত হইল না ; ", "hi": "एक ने आकर डरते-डरते उसे थोड़ा-बहुत ठेला, लेकिन वह इससे तनिक भी विचलित नहीं हुआ; " }
348
{ "bn": "এই অকাল-তত্ত্বজ্ঞানী মানব সকলপ্রকার ক্রীড়ার অসারতা সম্বন্ধে নীরবে চিন্তা করিতে লাগিল", "hi": "यह अकाल-तत्त्वज्ञानी मानव सब प्रकार की क्रीड़ाओं की असारता के संबंध में नीरव भाव से चिन्ता करने लगा" }
349
{ "bn": "ফটিক আসিয়া আস্ফালন করিয়া কহিল, “ দেখ্‌, মার খাবি এইবেলা ওঠ্‌\"", "hi": "फटिक आकर अकड़कर बोला, \"देख, तू मार खाएगा फ़ौरन उठ जा\"" }
350
{ "bn": "সে তাহাতে আরো একটু নড়িয়াচড়িয়া আসনটি বেশ স্থায়ীরূপে দখল করিয়া লইল", "hi": "इस पर वह ज़रा हिल-डुलकर और भी अच्छी तरह से आसन पर स्थायी दखल जमाकर बैठ गया" }
351
{ "bn": "এরূপ স্থলে সাধারণের নিকট রাজসম্মান রক্ষা করিতে হইলে অবাধ্য ভ্রাতার গন্ডদেশে অনতিবিলম্বে এক চড় কষাইয়া দেওয়া ফটিকের কর্তব্য ছিল — সাহস হইল না", "hi": "ऐसे अवसर पर सबके सामने राज-सम्मान की रक्षा के लिए ढीठ छोटे भाई के गाल पर फ़ौरन एक चपत जड़ देना ही फटिक का कर्तव्य था‒पर साहस नहीं हुआ" }
352
{ "bn": "কিন্তু, এমন একটা ভাব ধারণ করিল, যেন ইচ্ছা করিলেই এখনই উহাকে রীতিমত শাসন করিয়া দিতে পারে কিন্তু করিল না; ", "hi": "लेकिन उसने ऐसा भाव दिखाया, जैसे चाहने पर अभी उसको भली-भाँति सबक़ सिखा सकता है, लेकिन सिखाया नहीं; " }
353
{ "bn": "কারণ, পূর্বাপেক্ষা আর-একটা ভালো খেলা মাথায় উদয় হইয়াছে, তাহাতে আর-একটু বেশি মজা আছে", "hi": "क्योंकि पहले की अपेक्षा और एक दूसरा अच्छा खेल उसके दिमाग़ में आया; उसमें और अधिक मज़ा है" }
354
{ "bn": "প্রস্তাব করিল, মাখনকে সুদ্ধ ঐ কাঠ গড়াইতে আরম্ভ করা যাক", "hi": "प्रस्ताव रखा कि माखन के साथ ही उस लकड़ी को लुढ़काना शुरू किया जाए" }
355
{ "bn": "মাখন মনে করিল, ইহাতে তাহার গৌরব আছে ; কিন্তু অন্যান্য পার্থিব গৌরবের ন্যায় ইহার আনুষঙ্গিক যে বিপদের সম্ভাবনাও আছে, তাহা তাহার কিংবা আর-কাহারো মনে উদয় হয়", "hi": "माखन ने सोचा, इसी में उसका गौरव है; किन्तु अन्यान्य पार्थिव गौरवों की तरह ही इससे जुड़ी विपदाओं की संभावनाएँ हैं, यह उसके या दूसरों के दिमाग़ में आई नहीं" }
356
{ "bn": "ছেলেরা কোমর বাঁধিয়া ঠেলিতে আরম্ভ করিল — ‘ মারো ঠেলা হেঁইয়ো, সাবাস জোয়ান হেঁইয়ো'", "hi": "लड़कों ने कमर कसकर ठेलना आरंभ किया‒ \"मारो ठेला…हेंइओ….शाबाश…… जवा….हेंइओ\"" }
357
{ "bn": "গুঁড়ি একপাক ঘুরিতে-না ঘুরিতেই মাখন তাহার গাম্ভীর্য গৌরব এবং তত্ত্বজ্ঞান সমেত ভূমিসাৎ হইয়া গেল", "hi": "कुंदे के एक घेरा घूमते-न-घूमते माखन अपने गांभीर्य गौरव और तत्त्वज्ञान के साथ धराशायी हो गया" }
358
{ "bn": "খেলার আরম্ভেই এইরূপ আশাতীত ফললাভ করিয়া অন্যান্য বালকেরা বিশেষ হৃষ্ট হইয়া উঠিল, কিন্তু ফটিক কিছু শশব্যস্ত হইল", "hi": "खेल के शुरू में ही इस प्रकार आशातीत फलप्राप्ति से दूसरे बालक विशेष प्रसन्न हुए, लेकिन फटिक कुछ घबराया" }
359
{ "bn": "মাখন তৎক্ষণাৎ ভূমিশয্যা ছাড়িয়া ফটিকের উপরে গিয়া পড়িল, একেবারে অন্ধভাবে মারিতে লাগিল", "hi": "माखन उसी क्षण भूमिशय्या छोड़ फटिक के ऊपर टूट पड़ा और उसे अंधाधुंध पीटने लगा" }
360
{ "bn": "তাহার নাকে মুখে আঁচড় কাটিয়া কাঁদিতে কাঁদিতে গৃহাভিমুখে গমন করিল", "hi": "उसके नाक-मुँह खसोटकर रोता हुआ घर की ओर चल दिया" }
361
{ "bn": "খেলা ভাঙিয়া গেল", "hi": "खेल बीच में रुक गया" }
362
{ "bn": "ফটিক গোটাকতক কাশ উৎপাটন করিয়া লইয়া একটা অর্ধনিমগ্ন নৌকার গলুইয়ের উপরে চড়িয়া বসিয়া চুপচাপ করিয়া কাশের গোড়া চিবাইতে লাগিল", "hi": "फटिक कुछ कास उखाड़ जल में एक अधडूबी नाव की गलही के ऊपर चढ़, बैठकर चुपचाप कास की जड़ें चबाने लगा" }
363
{ "bn": "এমনসময় একটা বিদেশী নৌকা ঘাটে আসিয়া লাগিল", "hi": "इसी समय एक बाहरी नाव घाट पर आ लगी" }
364
{ "bn": "একটি অর্ধবয়সী ভদ্রলোক কাঁচা গোঁফ এবং পাকা চুল লইয়া বাহির হইয়া আসিলেন", "hi": "एक अधेड़ उम्र के सज्जन बाहर निकले, उनकी मूँछें काली थी और बाल पके थे" }
365
{ "bn": "বালককে জিজ্ঞাসা করিলেন, “ চক্রবর্তীদের বাড়ি কোথায়\"", "hi": "उन्होंने बालक से पूछा, \"चक्रवर्ती का घर कहाँ है\"" }
366
{ "bn": "বালক ডাঁটা চিবাইতে চিবাইতে কহিল, “ ঐ হোথা\"", "hi": "बालक डंठल चबाते-चबाते बोला, \"वह, उधर\"" }
367
{ "bn": "কিন্তু কোন্‌দিকে যে নির্দেশ করিল, কাহারো বুঝিবার সাধ্য রহিল না", "hi": "लेकिन उसका संकेत किस ओर था…..यह समझना किसी के लिए भी आसान नहीं था" }
368
{ "bn": "ভদ্রলোকটি আবার জিজ্ঞাসা করিলেন, “ কোথা", "hi": "सज़्जन ने फिर पूछा, \"किधर\"" }
369
{ "bn": "সে বলিল, “ জানি নে\"", "hi": "उन्होंने कहा, \"मालूम नहीं\"" }
370
{ "bn": "বলিয়া পূর্ববৎ তৃণমূল হইতে রসগ্রহণে প্রবৃত্ত হইল", "hi": "कहकर वह पहले की तरह ही तिनके से रस ग्रहण में प्रवृत्त रहा" }
371
{ "bn": "বাবুটি তখন অন্য লোকের সাহায্য অবলম্বন করিয়া চক্রবর্তীদের গৃহের সন্ধানে চলিলেন", "hi": "तब वे सज्जन दूसरे व्यक्ति की सहायता से चक्रवर्ती के घर की खोज में चले" }
372
{ "bn": "অবিলম্বে বাঘা বাগদি আসিয়া কহিল, “ ফটিকদাদা, মা ডাকছে\"", "hi": "तुरत बाघा बाग्दी ने आकर कहा, \"फटिक भैया, माँ बुला रही हैं\"" }
373
{ "bn": "ফটিক কহিল, “ যাব না\"", "hi": "फटिक बोला, \"मैं नहीं जाऊँगा\"" }
374
{ "bn": "বাঘা তাহাকে বলপূর্বক আড়কোলা করিয়া তুলিয়া লইয়া গেল; ফটিক নিষ্ফল আক্রোশে হাত পা ছুঁড়িতে লাগিল", "hi": "बाघा बलपूर्वक उसे गोदी में भरकर उठा ले चला; फटिक निष्फल क्रोध में हाथ-पैर पटकने लगा" }
375
{ "bn": "ফটিককে দেখিবামাত্র তাহার মা অগ্নিমূর্তি হইয়া কহিলেন, “ আবার তুই মাখনকে মেরেছিস! ”", "hi": "फटिक को देखते ही उसकी माँ अग्निमूर्ति होकर बोली, \"फिर तूने माखन को मारा\"" }
376
{ "bn": "ফটিক কহিল, “ না, মারি নি\" “ ফের মিথ্যে কথা বলছিস! ” “ কখ্‌খনো মারি নি মাখনকে জিজ্ঞাসা করো\"", "hi": "फटिक ने कहा, \"नहीं, मारा नहीं है\" \"फिर झूठ बोल रहा है\" \"कभी मारा भी है…..माखन से पूछो\"" }
377
{ "bn": "মাখনকে প্রশ্ন করাতে মাখন আপনার পূর্ব নালিশের সমর্থন করিয়া বলিল, “ হাঁ, মেরেছে\"", "hi": "माखन से पूछने पर माखन ने अपनी पहली शिकायत का समर्थन करते हुए कहा, \"हाँ, मारा है\"" }
378
{ "bn": "তখন আর ফটিকের সহ্য হইল না", "hi": "फिर फटिक से और सहा नहीं गया" }
379
{ "bn": "দ্রুত গিয়া মাখনকে এক সশব্দ চড় কষাইয়া দিয়া কহিল, “ ফের মিথ্যে কথা! ”", "hi": "तेज़ी से जाकर माखन को कसकर चपत जमाते हुए कहा, \"फिर झूठ\"" }
380
{ "bn": "মা মাখনের পক্ষ লইয়া ফটিককে সবেগে নাড়া দিয়া তাহার পৃষ্ঠে দুটা-তিনটা প্রবল চপেটাঘাত করিলেন", "hi": "माँ ने माखन का पक्ष लेकर फटिक को बड़े वेग से झकझोरा और उसकी पीठ पर ज़ोरों से दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए" }
381
{ "bn": "ফটিক মাকে ঠেলিয়া দিল", "hi": "फटिक ने माँ को ढकेल दिया" }
382
{ "bn": "মা চীৎকার করিয়া কহিলেন, “ অ্যাঁ, তুই আমার গায়ে হাত তুলিস! ”", "hi": "माँ ने चिल्लाकर कहा, \"अरे तूने मेरी देह पर हाथ उठाया\"" }
383
{ "bn": "এমন সময়ে সেই কাঁচাপাকা বাবুটি ঘরে ঢুকিয়া বলিলেন, “ কী হচ্ছে তোমাদের\"", "hi": "इसी समय अधेड़ सज्जन ने घर में प्रवेश करते हुए कहा, \"तुम लोगों ने क्या आफ़त मचा रखी है\"" }
384
{ "bn": "ফটিকের মা বিস্ময়ে আনন্দে অভিভূত হইয়া কহিলেন, “ ওমা, এ যে দাদা, তুমি কবে এলে\" বলিয়া গড় করিয়া প্রণাম করিলেন", "hi": "फटिक की माँ आश्चर्य और आनंद से अभिभूत हो बोली, \"अरे, भैया! तुम कब आए\" ‒कहते हुए झुककर प्रणाम किया" }
385
{ "bn": "বহুদিন হইল দাদা পশ্চিমে কাজ করিতে গিয়াছিলেন, ইতিমধ্যে ফটিকের মার দুই সন্তান হইয়াছে, তাহারা অনেকটা বাড়িয়া উঠিয়াছে, তাহার স্বামীর মৃত্যু হইয়াছে, কিন্তু একবারও দাদার সাক্ষাৎ পায় নাই", "hi": "बहुत दिन हुए भैया पश्चिम की ओर काम करने चले गए थे, इसी बीच फटिक की माँ की दो संतानें हुईं, वे काफ़ी बड़ी हो गईं; उसके पति की मृत्यु हुई, लेकिन इस बीच एक बार भी भैया से मिलना नहीं हुआ" }
386
{ "bn": "আজ বহুকাল পরে দেশে ফিরিয়া আসিয়া বিশ্বম্ভরবাবু তাঁহার ভগিনীকে দেখিতে আসিয়াছেন", "hi": "आज बहुत दिनों बाद घर लौटकर विश्वंभर बाबू अपनी बहन से मिलने आए हैं" }
387
{ "bn": "কিছুদিন খুব সমারোহে গেল", "hi": "कुछ दिन बड़े आनंद में बीते" }
388
{ "bn": "অবশেষে বিদায় লইবার দুই-একদিন পূর্বে বিশ্বম্ভরবাবু তাঁহার ভগিনীকে ছেলেদের পড়াশুনা এবং মানসিক উন্নতি সম্বন্ধে প্রশ্ন করিলেন", "hi": "अंत में विदा के दो-एक दिन पूर्व विश्वंभर बाबू ने अपनी बहन से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं मानसिक विकास के विषय में पूछा" }
389
{ "bn": "উত্তরে ফটিকের অবাধ্য উচ্ছৃঙ্খলতা, পাঠে অমনোযোগ, এবং মাখনের সুশান্ত সুশীলতা ও বিদ্যানুরাগের বিবরণ শুনিলেন", "hi": "उत्तर में फटिक का कहना न मानना, उच्छृंखलता, पढ़ने में अरुचि और माखन के शांत, सुशील स्वभाव और विद्यानुराग का विवरण सुना" }
390
{ "bn": "তাঁহার ভগিনী কহিলেন, “ ফটিক আমার হাড় জ্বালাতন করিয়াছে\"", "hi": "उनकी बहन ने कहा, \"फटिक ने मुझे बड़ा परेशान कर रखा है\"" }
391
{ "bn": "শুনিয়া বিশ্বম্ভর প্রস্তাব করিলেন, তিনি ফটিককে কলিকাতায় লইয়া গিয়া নিজের কাছে রাখিয়া শিক্ষা দিবেন", "hi": "यह सुनने के बाद विश्वंभर बाबू ने प्रस्ताव किया कि वे फटिक को कलकत्ते ले जाकर अपने पास रख उसकी शिक्षा की व्यवस्था करेंगे" }
392
{ "bn": "বিধবা এ প্রস্তাবে সহজেই সম্মত হইলেন", "hi": "विधवा बहन इस प्रस्ताव पर सहज ही राज़ी हो गईं" }
393
{ "bn": "ফটিককে জিজ্ঞাসা করিলেন, “ কেমন রে ফটিক, মামার সঙ্গে কলকাতায় যাবি\"", "hi": "फटिक से पूछा, \"क्यों रे, तू मामा के साथ कलकत्ते जाएगा\"" }
394
{ "bn": "ফটিক লাফাইয়া উঠিল বলিল, “ যাব\"", "hi": "फटिक उछलकर बोला, \"जाऊँगा\"" }
395
{ "bn": "যদিও ফটিককে বিদায় করিতে তাহার মায়ের আপত্তি ছিল না, কারণ তাঁহার মনে সর্বদাই আশঙ্কা ছিল — কোন্‌দিন সে মাখনকে জলেই ফেলিয়া দেয় কি মাথাই ফাটায় কি কী একটা দুর্ঘটনা ঘটায়, ", "hi": "हालाँकि फटिक को भेजने में माँ को आपत्ति नहीं थी, क्योंकि उनके मन में हमेशा से यह आशंका बनी रहती थी कि यह किसी दिन माखन को पानी में ढकेल न दे या उसका सिर ही न फोड़ दे, पता नहीं कौन-सी दुर्घटना घटा बैठे, " }
396
{ "bn": "তথাপি ফটিকের বিদায়গ্রহণের জন্য এতাদৃশ আগ্রহ দেখিয়া তিনি ঈষৎ ক্ষুণ্ন হইলেন ‘ কবে যাবে ‘, ‘ কখন্‌ যাবে ‘ করিয়া ফটিক তাহার মামাকে অস্থির করিয়া তুলিল ; উৎসাহে তাহার রাত্রে নিদ্রা হয় না", "hi": "तथापि फटिक का जाने में ऐसा आग्रह देख वे कुछ दुःखी हुईं \"कब जाना है, \" \"किस समय जाना है\" आदि पूछते हुए मामा को उसने हैरान कर दिया, उत्साह के कारण उसे रात में नींद नहीं आयी" }
397
{ "bn": "অবশেষে যাত্রাকালে আনন্দের ঔদার্য-বশত তাহার ছিপ ঘুড়ি লাটাই সমস্ত মাখনকে পুত্রপৌত্রাদিক্রমে ভোগদখল করিবার পুরা অধিকার দিয়া গেল", "hi": "जाते समय आनंद की उदारतावश अपनी मछली पकड़ने की बंसी, पतंग, लट्टू सब कुछ माखन को पुत्र-पौत्रादि क्रम से पूरे अधिकार से दे गया" }
398
{ "bn": "কলিকাতায় মামার বাড়ি পৌঁছিয়া প্রথমত মামির সঙ্গে আলাপ হইল", "hi": "कलकत्ते में मामा के घर पहुँचकर सबसे पहले उसका मामा के साथ परिचय हुआ" }
399
{ "bn": "মামি এই অনাবশ্যক পরিবারবৃদ্ধিতে মনে মনে যে বিশেষ সন্তুষ্ট হইয়াছিলেন তাহা বলিতে পারি না", "hi": "मामी इस अनावश्यक परिवार-वृद्धि से मन-ही-मन विशेष संतुष्ट हुई हों, ऐसा नहीं कह सकते" }