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int64
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dict
100
{ "bn": "মেয়েরা উচ্চকণ্ঠে সহাস্য গল্প করিতে করিতে আবক্ষজলে বসনাঞ্চল প্রসারিত করিয়া দুই হস্তে তাহা মার্জন করিয়া লইতেছে, কোমর-বাঁধা মেছুনিরা চুপড়ি লইয়া জেলেদের নিকট হইতে মাছ কিনিতেছে, এ-সমস্তই সে চিরনূতন অশ্রান্ত কৌতুহলের সহিত বসিয়া বসিয়া দেখে, কিছুতেই তাহার দৃষ্টির পিপাসা নিবৃত্ত হয় না", "hi": "लड़कियाँ उच्च स्वर से हँसती हुई बातें करती हुई छाती तक गहरे पानी में अपना वस्त्रांचल फैलाकर दोनों हाथों से उसे धो रही थीं, आँचल कमर में खोंसे मछुआरिनें डलिया लेकर मछुआरों से मछली खरीद रही थीं, इस सबको वह चिरनूतन अश्रांत कौतूहल से बैठा देखता था, उसकी दृष्टि की पिपासा किसी भी तरह निवृत्त नहीं होती थी" }
101
{ "bn": "নৌকার ছাতের উপরে গিয়া তারাপদ ক্রমশ দাঁড়ি-মাঝিদের সঙ্গে গল্প জুড়িয়া দিল", "hi": "नौका की छत पर जाकर तारापद ने धीरे-धीरे खिबैया-माँझियों से बातचीत छेड़ दी" }
102
{ "bn": "মাঝে মাঝে আবশ্যকমতে মাল্লাদের হাত হইতে লগি লইয়া নিজেই ঠেলিতে প্রবৃত্ত হইল; মাঝির যখন তামাক খাইবার আবশ্যক, তখন সে নিজে গিয়া হাল ধরিল,", "hi": "बीच-बीच में आवश्यकतानुसार वह मल्लाहों के हाथ से लग्गी लेकर खुद ही ठेलने लग जाता; माँझियों को जब तमाखू पीने की जरूरत पड़ती तब वह स्वयं जाकर हाल सँभाल लेता ," }
103
{ "bn": "যখন সে দিকে পাল ফিরানো আবশ্যক সমস্ত সে দক্ষতার সহিত সম্পন্ন করিয়া দিল", "hi": "जब जिधर हाल मोड़ना आवश्यक होता, वह दक्षतापूर्वक संपन्न कर देता" }
104
{ "bn": "সন্ধ্যার প্রাক্‌কালে অন্নপূর্ণা তারাপদকে জিজ্ঞাসা করিলেন, “রাত্রে তুমি কী খাও\"", "hi": "संध्या होने के कुछ पूर्व अन्नपूर्णा ने तारापद को बुलाकर पूछा, ‘‘रात में तुम क्या खाते हो’’" }
105
{ "bn": "তারাপদ কহিল, “যা পাই তাই খাই; সকল দিন খাইও না\"", "hi": "तारापद बोला, ‘‘जो मिल जाता है वही खा लेता हूँ; रोज खाता भी नहीं\"" }
106
{ "bn": "এই সুন্দর ব্রাক্ষ্মণবালকটির আতিথ্যগ্রহণে ঔদাসীন্য অন্নপূর্ণাকে ঈষৎ পীড়া দিতে লাগিল", "hi": "इस सुंदर ब्राह्मण-बालक की आतिथ्य-ग्रहण करने की उदासीनता अन्नपूर्णा को थोड़ी कष्टकर प्रतीत हुई" }
107
{ "bn": "তাঁহার বড়ো ইচ্ছা, খাওয়াইয়া পরাইয়া এই গৃহচ্যুত পান্থ বালকটিকে পরিতৃপ্ত করিয়া দেন", "hi": "उनकी बड़ी इच्छा थी कि खिला-पिलाकर, पहना-ओढ़ाकर इस गृह-च्युत यात्री बालक को संतुष्ट करें" }
108
{ "bn": "কিন্তু কিসে যে তাহার পরিতোষ হইবে তাহার কোনো সন্ধান পাইলেন না", "hi": "किंतु किससे वह संतुष्ट होगा, यह वे नहीं जान सकीं" }
109
{ "bn": "অন্নপূর্ণা চাকরদের ডাকিয়া গ্রাম হইতে দুধ মিষ্টান্ন প্রভৃতি ক্রয় করিয়া আনিবার জন্য ধুমধাম বাধাইয়া দিলেন", "hi": "नौकरों को बुलाकर गाँव से दूध-मिठाई आदि खरीद मँगाने में अन्नपूर्णा ने धूमधाम मचा दी" }
110
{ "bn": "তারাপদ যথাপরিমাণে আহার করিল, কিন্তু দুধ খাইল না", "hi": "तारापद ने पेट-भर भोजन तो किया, किंतु दूध नहीं पिया" }
111
{ "bn": "মৌনস্বভাব মতিলালবাবুও তাহাকে দুধ খাইবার জন্য অনুরোধ করিলেন; সে সংক্ষেপে বলিল, “আমার ভালো লাগে না\"", "hi": "मौन स्वभाव मतिलाल बाबू तक ने उससे दूध पीने का अनुरोध किया; उसने संक्षेप में कहा, ‘‘मुझे अच्छा नहीं लगता\"" }
112
{ "bn": "নদীর উপর দুই-তিন দিন গেল", "hi": "नदी पर दो-तीन दिन बीत गए" }
113
{ "bn": "তারাপদ রাঁধাবাড়া, বাজার-করা হইতে নৌকাচালনা পর্যন্ত সকল কাজেই স্বেচ্ছা ও তৎপরতার সহিত যোগ দিল", "hi": "तारापद ने भोजन बनाने, सौदा खरीदने से लेकर नौका चलाने तक सब कामों में स्वेच्छा और तप्परता से योग दिया" }
114
{ "bn": "যে-কোনো দৃশ্য তাহার চোখের সম্মুখে আসে তাহার প্রতি তারাপদর সকৌতুলহল দৃষ্টি ধাবিত হয়, ", "hi": "जो भी दृश्य उसकी आँखों के सामने आता, उसी ओर तारापद की कौतूहलपूर्ण दृष्टि दौड़ जाती; " }
115
{ "bn": "যে-কোনো কাজ তাহার হাতের কাছে আসিয়া উপস্থিত হয় তাহাতেই সে আপনি আকৃষ্ট হইয়া পড়ে", "hi": "जो भी काम उसके हाथ लग जाता, उसी की ओर वह अपने आप आकर्षित हो जाता" }
116
{ "bn": "তাহার দৃষ্টি, তাহার হস্ত, তাহার মন সর্বদাই সচল হইয়া আছে; ", "hi": "उसकी दृष्टि, उसके हाथ, उसका मन सर्वदा ही गतिशील बने रहते, " }
117
{ "bn": "এইজন্য সে এই নিত্যসচলা প্রকৃতির মতো সর্বদাই নিশ্চিন্ত উদাসীন, অথচ সর্বদাই ক্রিয়াসক্ত", "hi": "इसी कारण वह इस नित्य चलायमान प्रकृति के समान सर्वदा निश्चिंत, उदासीन रहता; किंतु सर्वदा क्रियासक्त भी" }
118
{ "bn": "মানুষমাত্রেরই নিজের একটি স্বতন্ত্র অধিষ্ঠানভূমি আছে; কিন্তু তারাপদ এই অনন্ত নীলাম্বরবাহী বিশ্বপ্রবাহের একটি আনন্দোজ্জ্বল তরঙ্গ— ভূত-ভবিষ্যতের সহিত তাহার কোনো সম্বন্ধ নাই— সম্মুখাভিমুখে চলিয়া যাওয়াই তাহার একমাত্র কার্য", "hi": "यों तो हर मनुष्य की अपनी एक स्वतंत्र अधिष्ठान भूमि होती है, किंतु तारापद इस अनंत नीलांबरवाही विश्व-प्रवाह की एक आनंदोज्ज्वल तरंग था–भूत-भविष्यत् के साथ उसका कोई संबंध न था - आगे बढ़ते जाना ही उसका एकमात्र काम था" }
119
{ "bn": "এ দিকে অনেক দিন নানা সম্প্রদায়ের সহিত যোগ দিয়া অনেকপ্রকার মনোরঞ্জনী বিদ্যা তাহার আয়ত্ত হইয়াছিল", "hi": "इधर बहुत दिन तक नाना संप्रदायों के साथ योग देने के कारण अनेक प्रकार की मनोरंजनी विद्याओं पर उसका अधिकार हो गया था" }
120
{ "bn": "কোনোপ্রকার চিন্তার দ্বারা আচ্ছন্ন না থাকাতে তাহার নির্মল স্মৃতিপটে সকল জিনিস আশ্চর্য সহজে মুদ্রিত হইয়া যাইত", "hi": "किसी भी प्रकार की चिंता से आच्छन्न न रहने के कारण उसके निर्मल स्मृति-पट पर सारी बातें अद्भुत सहज ढंग से अंकित हो जातीं" }
121
{ "bn": "পাঁচালি, কথকতা, কীর্তনগান, যাত্রাভিনয়ের সুদীর্ঘ খণ্ডসকল তাহার কণ্ঠাগ্রে ছিল", "hi": "पांचाली कथकता१, कीर्तन-गान, जात्राभिनय के लंबे अवतरण उसे कंठस्थ थे" }
122
{ "bn": "মতিলালবাবু চিরপ্রথামত একদিন সন্ধ্যাবেলায় তাঁহার স্ত্রী-কন্যাকে রামায়ণ পড়িয়া শুনাইতেছিলেন; কুশলবের কথার সূচনা হইতেছে এমন সময় তারাপদ উৎসাহ সংবরণ করিতে না পারিয়া নৌকার ছাদের উপর হইতে নামিয়া আসিয়া কহিল, “বই রাখুন আমি কুশলবের গান করি, আপনারা শুনে যান \"", "hi": "मतिलाल बाबू अपनी नित्य-प्रति की प्रथा के अनुसार एक दिन संध्या समय अपनी पत्नी और कन्या को रामायण पढ़कर सुना रहे थे, लव-कुश की कथा की भूमिका चल रही थी, तभी तारापद अपना उत्साह संवरण न कर पाने के कारण नौका की छत से उतर आया और बोला, ‘‘किताब रहने दें मैं लव-कुश का गीत सुनाता हूँ, आप सुनते चलिए!’’" }
123
{ "bn": "এই বলিয়া সে কুশলবের পাঁচালি আরম্ভ করিয়া দিল", "hi": "यह कहकर उसने लव-कुश की पांचाली शुरू कर दी" }
124
{ "bn": "বাঁশির মতো সুমিষ্ট পরিপূর্ণস্বরে দাশুরায়ের অনুপ্রাস ক্ষিপ্রবেগে বর্ষণ করিয়া চলিল ;দাঁড়ি মাঝি সকলেই দ্বারের কাছে আসিয়া ঝুঁকিয়া পড়িল; হাস্য করুণা এবং সংগীতে সেই নদীতীরের সন্ধ্যাকাশে এক অপূর্ব রসস্রোত প্রবাহিত হইতে লাগিল— দুই নিস্তব্ধ তটভূমি কুতুহলী হইয়া উঠিল, পাশ দিয়া যে-সকল নৌকা চলিতেছিল, তাহাদের আরোহীগণ ক্ষণকালের জন্য উৎকণ্ঠিত হইয়া সেই দিকে কান দিয়া রহিল; যখন শেষ হইয়া গেল সকলেই ব্যথিতচিত্তে দীর্ঘনিশ্বাস ফেলিয়া ভাবিল, ইহারই মধ্যে শেষ হইল কেন", "hi": "बाँसुरी के समान सुमिष्ट उन्मुक्त स्वर पर आकर झुके पड़ रहे थे उस नदी-नीर के संध्याकाश में हास्य, करुणा एवं संगीत का एक अपूर्व रस-स्त्रोत प्रवाहित होने लगा दोनों निस्तब्ध किनारे कौतूहलपूर्ण हो उठे, पास से जो सारी नौकाएँ गुजर रही थीं उनमें बैठे लोग क्षण-भर के लिए उत्कंठित होकर उसी ओर कान लगाए रहे जब गीत समाप्त हो गया तो सभी ने व्यथित चित्त से लंबी साँस लेकर सोचा, इतनी जल्दी यह क्यों समाप्त हो गया" }
125
{ "bn": "সজলনয়না অন্নপূর্ণার ইচ্ছা করিতে লাগিল, ছেলেটিকে কোলে বসাইয়া বক্ষে চাপিয়া তাহার মস্তক আঘ্রাণ করেন", "hi": "सजल नयना अन्नपूर्णा की इच्छा हुई कि उस लड़के को गोद में बिठाकर छाती से लगाकर उसका माथा चूँम ले" }
126
{ "bn": "মতিলালবাবু ভাবিতে লাগিলেন, ‘এই ছেলেটিকে যদি কোনোমতে কাছে রাখিতে পারি তবে পুত্রের অভাব পূর্ণ হয়'", "hi": "मतिलाल बाबू सोचने लगे, 'यदि इस लड़के को किसी प्रकार अपने पास रख सकूँ तो पुत्र का अभाव पूरा हो जाए'" }
127
{ "bn": "কেবল ক্ষুদ্র বালিকা চারুশশীর অন্তঃকরণ ঈর্ষা ও বিদ্বেষে পরিপূর্ণ হইয়া উঠিল", "hi": "केवल छोटी बालिका चारुशशि का अंतःकरण ईर्ष्या और विद्वेष से परिपूर्ण हो उठा" }
128
{ "bn": "চারুশশী তাহার পিতামাতার একমাত্র সন্তান, তাঁহাদের পিতৃমাতৃস্নেহের একমাত্র অধিকারিণী", "hi": "चारुशशि अपने माता-पिता की इकलौती संतान और उनके स्नेह की एकमात्र अधिकारिणी थी" }
129
{ "bn": "তাহার খেয়াল এবং জেদের অন্ত ছিল না", "hi": "उसकी धुन और हठ की कोई सीमा न थी" }
130
{ "bn": "খাওয়া, কাপড় পরা, চুল বাঁধা সম্বন্ধে তাহার নিজের স্বাধীন মত ছিল, কিন্তু সে মতের কিছুমাত্র স্থিরতা ছিল না", "hi": "खाने, पहनने, बाल बनाने के संबंध में उसका स्वतंत्र मत था; किंतु उसके मन में तनिक भी स्थिरता नहीं थी" }
131
{ "bn": "যেদিন কোথাও নিমন্ত্রণ থাকিত সেদিন তাহার মায়ের ভয় হইত, পাছে মেয়েটি সাজসজ্জা সম্বন্ধে একটা অসম্ভব জেদ ধরিয়া বসে", "hi": "जिस दिन कहीं निमंत्रण होता उस दिन उसकी माँ को भय रहता कि कहीं लड़की साज-सिंगार को लेकर कोई असंभव जिद न कर बैठे" }
132
{ "bn": "যদি দৈবাৎ একবার চুল বাঁধাটা তাহার মনের মতো না হইল, তবে সেদিন যতবার চুল খুলিয়া যতরকম করিয়া বাঁধিয়া দেওয়া যাক্‌ কিছুতেই তাহার মন পাওয়া যাইবে না, অবশেষে মহা কান্নাকাটির পালা পড়িয়া যাইবে", "hi": "यदि दैवात् कभी केश-बंधन उसके मन के अनुकूल न हुआ तो फिर उस दिन चाहे जितनी बार बाल खोलकर चाहे जितने प्रकार से बाँधे जाते, वह किसी तरह संतुष्ट न होती और अंत में रोना-धोना मच जाता" }
133
{ "bn": "সকল বিষয়েই এইরূপ", "hi": "हर बात में यही दशा थी" }
134
{ "bn": "আবার এক-এক সময় চিত্ত যখন প্রসন্ন থাকে তখন কিছুতেই তাহার কোনো আপত্তি থাকে না", "hi": "पर कभी-कभी जब चित्त प्रसन्न रहता तो उसे किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति न होती" }
135
{ "bn": "তখন সে অতিমাত্রায় ভালোবাসা প্রকাশ করিয়া তাহার মাকে জড়াইয়া ধরিয়া চুম্বন করিয়া হাসিয়া বকিয়া একেবারে অস্থির করিয়া তোলে", "hi": "उस समय वह प्रचुर मात्रा में स्नेह प्रकट करके अपनी माँ से लिपटकर चूमकर हँसती हुई करते-करते उसे एकदम परेशान कर डालती" }
136
{ "bn": "এই ক্ষুদ্র মেয়েটি একটি দুর্ভেদ্য প্রহেলিকা", "hi": "यह छोटी बालिका एक दुर्भेंद्य पहेली थी" }
137
{ "bn": "এই বালিকা তাহার দুর্বাধ্য হৃদয়ের সমস্ত বেগ প্রয়োগ করিয়া মনে মনে তারাপদকে সুতীব্র বিদ্বেষে তাড়না করিতে লাগিল", "hi": "यह बालिका अपने दुर्बोध्य हृदय के पूरे वेग का प्रयोग करके मन-ही-मन विषम ईर्ष्या से तारापद का निरादर करने लगी" }
138
{ "bn": "পিতামাতাকেও সর্বতোভাবে উদ্‍‍বেজিত করিয়া তুলিল", "hi": "माता-पिता को भी पूरी तरह से उद्विग्न कर डाला" }
139
{ "bn": "আহারের সময় রোদনোন্মুখী হইয়া ভোজনের পাত্র ঠেলিয়া ফেলিয়া দেয়, রন্ধন তাহার রুচিকর বোধ হয় না, দাসীকে মারে, সকল বিষয়েই অকারণ অভিযোগ করিতে থাকে, ", "hi": "भोजन के समय रोदनोन्मुखी होकर भोजन के पात्र को ठेलकर फेंक देती, खाना उसको रुचिकर नहीं लगता; नौकरानी को मारती, सभी बातों में अकारण शिकायत करती रहती," }
140
{ "bn": "তারাপদর বিদ্যাগুলি যতই তাহার এবং অন্য সকলের মনোরঞ্জন করিতে লাগিল, ততই যেন তাহার রাগ বাড়িয়া উঠিল", "hi": "जैसे-जैसे तारापद की विद्याएँ उसका एवं अन्य सबका मनोरंजन करने लगीं, वैसे-ही-वैसे मानो उसका क्रोध बढ़ने लगा" }
141
{ "bn": "তারাপদর যে কোনো গুণ আছে ইহা স্বীকার করিতে তাহার মন বিমুখ হইল, অথচ তাহার প্রমাণ যখন প্রবল হইতে লাগিল, তাহার অসন্তোষের মাত্রাও উচ্চে উঠিল", "hi": "तारापद में कोई गुण है, इसे उसका मन स्वीकार करने से विमुख रहता और उसका प्रमाण जब प्रबल होने लगा तो उसके असंतोष की मात्रा भी बढ़ गई" }
142
{ "bn": "তারাপদ যেদিন কুশলবের গান করিল সেদিন অন্নপূর্ণা মনে করিলেন, ‘সংগীতে বনের পশু বশ হয়, আজ বোধ হয় আমার মেয়ের মন গলিয়াছে'", "hi": "तारापद ने जिस दिन लव-कुश का गीत सुनाया उस दिन अन्नपूर्णा ने सोचा, संगीत से वन के पशु तक वश में आ जाते हैं, आज शायद मेरी लड़की का मन पिघल गया है'" }
143
{ "bn": "তাহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, “চারু, কেমন লাগল\"", "hi": "उससे पूछा, ‘‘चारु, कैसा लगा\"" }
144
{ "bn": "সে কোনো উত্তর না দিয়ে অত্যন্ত প্রবলবেগে মাথা নাড়িয়া দিল", "hi": "उसने कोई उत्तर दिए बिना बड़े जोर से सिर हिला दिया" }
145
{ "bn": "এই ভঙ্গিটিকে ভাষায় তর্জমা করিলে এইরূপ দাঁড়ায়, কিছুমাত্র ভালো লাগে নাই এবং কোনোকালে ভালো লাগিবে না", "hi": "भाषा में इस मुद्रा का तरजुमा करने पर यह रूप होता–जरा भी अच्छा नहीं लगा, और न कभी अच्छा लगेगा" }
146
{ "bn": "চারুর মনে ঈর্ষার উদয় হইয়াছে বুঝিয়া তাহার মাতা চারুর সম্মুখে তারাপদর প্রতি স্নেহ প্রকাশ করিতে বিরত হইলেন", "hi": "चारु के मन में ईर्ष्या का उदय हुआ है, यह समझकर उसकी माँ ने चारु के सामने तारापद के प्रति स्नेह प्रकट करना कम कर दिया" }
147
{ "bn": "সন্ধ্যার পরে যখন সকাল-সকাল খাইয়া চারু শয়ন করিত তখন অন্নপূর্ণা নৌকাকক্ষের দ্বারের নিকট আসিয়া বসিতেন এবং মতিবাবু ও তারাপদ বাহিরে বসিত এবং অন্নপূর্ণার অনুরোধে তারাপদ গান আরম্ভ করিত; ", "hi": "संध्या के बाद जब चारु जल्दी-जल्दी खाकर सो जाती तब अन्नपूर्णा नौका-कक्ष के दरवाजे के पास आकर बैठतीं और मति बाबू और तारापद बाहर बैठते अन्नपूर्णा के अनुरोध पर तारापद गाना शुरू करता " }
148
{ "bn": "তাহার গানে যখন নদীতীরের বিশ্রামনিরতা গ্রামশ্রী সন্ধ্যার বিপুল অন্ধকারে মুগ্ধ নিস্তব্ধ হইয়া রহিত এবং অন্নপূর্ণার কোমল হৃদয়খানি স্নেহে ও সৌন্দর্যরসে উচ্ছলিত হইতে থাকিত তখন হঠাৎ চারু দ্রুতপদে বিছানা হইতে উঠিয়া আসিয়া সরোষ-সরোদনে বলিত, “মা, তোমারা কী গোল করছ, আমার ঘুম হচ্ছে না\"", "hi": "उसके गाने से जब नदी के किनारे की विश्रामनिरता ग्राम-श्री संध्या के विपुल अंधकार में मुग्ध निस्तब्ध हो जाती और अन्नपूर्णा का कोमल हृदय स्नेह और सौंदर्य-रस से छलकने लग जाता तब सहसा चारु बिछौने से उठकर तेजी से आकर सरोष रोती हुई कहती, ‘‘माँ, तुमने यह क्या शोर मचा रखा है! मुझे नींद नहीं आती\"" }
149
{ "bn": "পিতামাতা তাহাকে একলা ঘুমাইতে পাঠাইয়া তারাপদকে ঘিরিয়া সংগীত উপভোগ করিতেছেন ইহা তাহার একান্ত অসহ্য হইয়া উঠিত", "hi": "माता-पिता उसको अकेला सुलाकर तारापद को घेरकर संगीत का आनंद ले रहे हैं, यह उसे एकदम असह्य हो उठता" }
150
{ "bn": "এই দীপ্তকৃষ্ণনয়না বালিকার স্বাভাবিক সুতীব্রতা তারাপদর নিকটে অত্যন্ত কৌতুকজনক বোধ হইত", "hi": "इस दीप्त कृष्णनयना बालिका की स्वाभाविक उग्रता तारापद को बड़ी मनोरंजक प्रतीत होती" }
151
{ "bn": "সে ইহাকে গল্প শুনাইয়া, গান গাহিয়া, বাঁশি বাজাইয়া, বশ করিতে অনেক চেষ্টা করিল কিন্তু কিছুতেই কৃতকার্য হইল না", "hi": "उसने इसे कहानी सुनाकर, गाना गाकर, वंशी बजाकर वश में करने की बहुत चेष्टा की; किंतु किसी भी प्रकार सफल नहीं हुआ" }
152
{ "bn": "কেবল তারাপদ মধ্যাহ্নে যখন নদীতে স্নান করিতে নামিত, ", "hi": "केवल जब मध्याह्न में तारापद नदी में स्नाने करने उतरता, " }
153
{ "bn": "পরিপূর্ণ জলরাশির মধ্যে গৌরবর্ণ সরল তনু দেহখানি নানা সন্তরণভঙ্গিতে অবলীলাক্রমে সঞ্চালন করিয়া তরুণ জলদেবতার মতো শোভা পাইত, ", "hi": "परिपूर्ण जलराशि में अपनी गौरवर्ण सरल कमनीय देह को तैरने की अनेक प्रकार की क्रीड़ाओं में संचालित करता, तरुण जल-देवता के समान शोभा पाता, " }
154
{ "bn": "তখন বালিকার কৌতুহল আকৃষ্ট না হইয়া থাকিত না; সে সেই সময়টির জন্য প্রতীক্ষা করিয়া থাকিত; ", "hi": "तब बालिका का कौतूबल आकर्षित हुए बिना न रहता वह इसी समय की प्रतीक्षा करती रहती; " }
155
{ "bn": "কিন্তু আন্তরিক আগ্রহ কাহাকেও জানিতে দিত না, এবং এই অশিক্ষাপটু অভিনেত্রী পশমের গলাবন্ধ বোনা একমনে অভ্যাস করিতে করিতে মাঝে মাঝে যেন অত্যন্ত উপেক্ষাভরে কটাক্ষে তারাপদর সন্তরণলীলা দেখিয়া লইত", "hi": "किंतु आंतरिक इच्छा का किसी को भी पता न चलने देती, और यह अशिक्षापटु, अभिनेत्री ध्यानपूर्वक ऊनी गुलूबंद बुनने का अभ्यास करती हुई बीच-बीच में मानो अत्यंत उपेक्षा-भरी दृष्टि से तारापद की संतरण-लीला देखा करती" }
156
{ "bn": "নন্দীগ্রাম কখন ছাড়াইয়া গেল তারাপদ তাহার খোঁজ লইল না", "hi": "नंदीग्राम कब छूट गया, तारापद को पता न चला" }
157
{ "bn": "অত্যন্ত মৃদুমন্দ গতিতে বৃহৎ নৌকাখানা কখনো পাল তুলিয়া, কখনো গুণ টানিয়া, নানা নদীর শাখাপ্রশাখার ভিতর দিয়া চলিতে লাগিল; ", "hi": "विशाल नौका अत्यंत मृदु-मंद गति से कभी पाल तानकर, कभी रस्सी खींचकर अनेक नदियों की शाखा-प्रशाखाओं में होकर चलने लगी; " }
158
{ "bn": "নৌকারোহীদের দিনগুলিও এই-সকল নদী-উপনদীর মতো শান্তিময় সৌন্দর্যময় বৈচিত্র্যের মধ্য দিয়া সহজ সৌম্য গমনে মৃদুমিষ্ট কলস্বরে প্রবাহিত হইতে লাগিল", "hi": "नौकारोहियों के दिन भी इन सब नदी-उपनदियों के समान, शांति-सौंदर्यपूर्ण वैचित्र्य के बीच सहज सौम्य गति से मृदुमिष्ट कल-स्वर में प्रवाहित होने लगे" }
159
{ "bn": "কাহারো কোনোরূপ তাড়া ছিল না; মধ্যাহ্নে স্নানাহারে অনেকক্ষণ বিলম্ব হইত; এ দিকে, সন্ধ্যা হইতে না হইতেই একটা বড়ো দেখিয়া গ্রামের ধারে, ঘাটের কাছে, ঝিল্লিমন্দ্রিত খদ্যোতখচিত বনের পার্শ্বে নৌকা বাঁধিত", "hi": "किसी को किसी प्रकार की जल्दी नहीं थी; दोपहर को स्नानाहार में बहुत समय व्यतीत होती; और इधर संध्या होते न होते बड़े दिखने वाले किसी गाँव के किनारे, घाट के समीप, झिल्लीमंद्रित खद्योतखचित वन के पास नौका बाँध दी जाती" }
160
{ "bn": "এমনি করিয়া দিনদশেকে নৌকা কাঁঠালিয়ায় পৌঁছিল", "hi": "इस प्रकार दसेक दिन में नौका काँठालिया पहुँची" }
161
{ "bn": "জমিদারের আগমনে বাড়ি হইতে পালকি এবং টাটুঘোড়ার সমাগম হইল এবং বাঁশের লাঠি হস্তে পাইক-বরকন্দাজের দল ঘন ঘন বন্দুকের ফাঁকা আওয়াজে গ্রামের উৎকণ্ঠিত কাকসমাজকে যৎপরোনাস্তি মুখর করিয়া তুলিল", "hi": "जमींदार के आगमन से घर से पालकी और टट्टू-घोड़ों का समागम हुआ, और हाथ में बाँस की लाठी धारण किए सिपाही-चौकीदारों के दल ने बार-बार बंदूक की खाली आवाज से गाँव के उत्कंठित काक समाज को ‘यत्परोनास्ति’ मुखर कर दिया" }
162
{ "bn": "এই-সমস্ত সমারোহে কালবিলম্ব হইতেছে, ইতিমধ্যে তারাপদ নৌকা হইতে দ্রুত নামিয়া একবার সমস্ত গ্রাম পর্যটন করিয়া লইল", "hi": "इस सारे समारोह में समय लगा, इस बीच में तारापद ने तेजी से नौका से उतरकर एक बार सारे गाँव का चक्कर लगा डाला" }
163
{ "bn": "কাহাকেও দাদা, কাহাকেও খুড়া, কাহাকেও দিদি, কাহাকেও মাসি বলিয়া দুই-তিন ঘণ্টার মধ্যে সমস্ত গ্রামের সহিত সৌহার্দ্য-বন্ধন স্থাপিত করিয়া লইল", "hi": "किसी को दादा, किसी को काका, किसी को दीदी, किसी को मौसी कहकर दो-तीन घंटे में सारे गाँव के साथ सौहार्द्र बंधन स्थापित कर लिया" }
164
{ "bn": "কোথাও তাহার প্রকৃত কোনো বন্ধন ছিল না বলিয়াই তারাপদ দেখিতে দেখিতে অল্পদিনের মধ্যেই গ্রামের সমস্ত হৃদয় অধিকার করিয়া লইল", "hi": "कहीं भी उसके लिए स्वभावतः कोई बंधन नहीं था, इससे तारापद ने देखते-देखते थोड़े दिनों में ही गाँव के समस्त हृदयों पर अधिकार कर लिया" }
165
{ "bn": "এত সহজে হৃদয় হরণ করিবার কারণ এই, তারাপদ সকলেরই সঙ্গে তাহাদের নিজের মতো হইয়া স্বভাবতই যোগ দিতে পারিত", "hi": "इतनी आसानी से हृदय-हरण करने का कारण यह था कि तारापद हरेक के साथ उसका अपना बनकर स्वाभाविक रूप से योग दे सकता था" }
166
{ "bn": "সে কোনোপ্রকার বিশেষ সংস্কারের দ্বারা বদ্ধ ছিল না, অথচ সকল অবস্থা, সকল কাজের প্রতিই তাহার একপ্রকার সহজ প্রবণতা ছিল", "hi": "वह किसी भी प्रकार के विशेष संस्कारों के द्वारा बँधा हुआ नहीं था, अतएव सभी अवस्थाओं में और सभी कामों में उसमें एक प्रकार की सहज प्रवीणता थी" }
167
{ "bn": "বালকের কাছে সে সম্পূর্ণ স্বাভাবিক বালক অথচ তাহাদের হইতে শ্রেষ্ঠ ও স্বতন্ত্র, বৃদ্ধের কাছে সে বালক নহে অথচ জ্যাঠাও নহে, রাখালের সঙ্গে সে রাখাল অথচ ব্রাক্ষ্মণ", "hi": "बालकों के लिए वह बिलकुल स्वाभाविक बालक था और उनसे श्रेष्ठ और स्वतंत्र, वृद्धों के लिए वह बालक न रहता, किंतु पुरखा भी नहीं; चरवाहों के साथ चरवाहा था, फिर भी ब्राह्मण" }
168
{ "bn": "সকলের সকল কাজেই সে চিরকালের সহযোগীর ন্যায় অভ্যস্তভাবে হস্তক্ষেপ করে; ময়রার দোকানে বসিয়া একখানা শালপাতা লইয়া সন্দেশের মাছি তাড়াইতে প্রবৃত্ত হয়", "hi": "हरेक के हर काम में वह चिरकाल के सहयोगी के समान अभ्यस्त भाव से हस्तक्षेप करता हलवाई की दुकान पर बैठकर साल के पत्ते से संदेश पर बैठी मक्खियाँ उड़ाने लग जाता" }
169
{ "bn": "ভিয়ান করিতেও সে মজবুত, তাঁতের রহস্যও তাহার কিছু কিছু জানা আছে, ", "hi": "मिठाइयाँ बनाने में भी पक्का था, करघे का मर्म भी उसे थोड़ा-बहुत मालूम था, " }
170
{ "bn": "কুমারের চক্রচালনও তাহার সম্পূর্ণ অজ্ঞাত নহে", "hi": "कुम्हार का चाक चलाना भी उसके लिए बिलकुल नया नहीं था" }
171
{ "bn": "তারাপদ সমস্ত গ্রামটি আয়ত্ত করিয়া লইল, কেবল গ্রামবাসিনী একটি বালিকার ঈর্ষা সে এখনো জয় করিতে পারিল না", "hi": "तारापद ने सारे गाँव को वश में कर लिया, बस केवल ग्रामवासिनी बालिका की ईर्ष्या वह अभी तक नहीं जीत पाया था" }
172
{ "bn": "এই বালিকাটি তারাপদর সুদূরে নির্বাসন তীব্রভাবে কামনা করিতেছে জানিয়াই বোধ করি তারাপদ এই গ্রামে এতদিন আবদ্ধ হইয়া রহিল", "hi": "यह बालिका उग्रभाव से उसके बहुत दूर निर्वासन की कामना करती थी, यही जानकर शायद तारापद इस गाँव में इतने दिन आबद्ध बना रहा" }
173
{ "bn": "কিন্তু বালিকাবস্থাতেও নারীদের অন্তররহস্য ভেদ করা সুকঠিন, চারুশশী তাহার প্রমাণ দিল", "hi": "किंतु बालिकावस्था में भी नारी के अंतर रहस्य का भेद जानना बहुत कठिन है, चारुशशि ने इसका प्रमाण दिया" }
174
{ "bn": "বামুনঠাকরুণের মেয়ে সোনামণি পাঁচ বছর বয়সে বিধবা হয়; সে-ই চারুর সমবয়সী সখী", "hi": "ब्राह्मण पुरोहिताइन की कन्या सोनामणि पाँच वर्ष की अवस्था में विधवा हो गई थी; वह चारु की समवयस्का सहेली थी" }
175
{ "bn": "তাহার শরীর অসুস্থ থাকাতে গৃহপ্রত্যাগত সখীর সহিত সে কিছুদিন সাক্ষাৎ করিতে পারে নাই", "hi": "अस्वस्थ होने के कारण वह घर लौटी सहेली से कुछ दिनों तक भेंट न कर सकी" }
176
{ "bn": "সুস্থ হইয়া যেদিন দেখা করিতে আসিল সেদিন প্রায় বিনা কারণেই দুই সখীর মধ্যে একটু মনোবিচ্ছেদ ঘটিবার উপক্রম হইল", "hi": "स्वस्थ होकर जिस दिन भेंट करने आई उस दिन प्रायः अकारण ही दोनों सहेलियों में कुछ मनोमालिन्य की नौबत आ गई" }
177
{ "bn": "চারু অত্যন্ত ফাঁদিয়া গল্প আরম্ভ করিয়াছিল", "hi": "चारु ने अत्यंत विस्तार से बात आरंभ की थी" }
178
{ "bn": "সে ভাবিয়াছিল তারাপদ নামক তাহাদের নবার্জিত পরমরত্নটির আহরণকাহিনী সবিস্তারে বর্ণনা করিয়া সে তাহার সখীর কৌতুহল এবং বিস্ময় সপ্তমে চড়াইয়া দিবে", "hi": "उसने सोचा था कि तारापद नामक अपने नवार्जित परम रत्न को जुटाने की बात का विस्तारपूर्वक वर्णन करके वह अपनी सहेली के कौतूहल एवं विस्मय को सप्तम पर चढ़ा देगी" }
179
{ "bn": "কিন্তু যখন সে শুনিল, তারাপদ সোনামণি তাহাকে দাদা বলিয়া থাকে, ", "hi": "किंतु, जब उसने सुना कि तारापद सोनामणि उसको ‘भाई’ कहकर पुकारती है, " }
180
{ "bn": "যখন শুনিল তারাপদ কেবল যে বাঁশিতে কীর্তনের সুর বাজাইয়া মাতা ও কন্যার মনোরঞ্জন করিয়াছে তাহা নহে, সোনামণির অনুরোধে তাহাকে স্বহস্তে একটি বাঁশের বাঁশি বানাইয়া দিয়াছে, তাহাকে কতদিন উচ্চশাখা হইতে ফল ও কণ্টক-শাখা হইতে ফুল পাড়িয়া দিয়াছে, তখন চারুর অন্তঃকরণে যেন তপ্তশেল বিঁধিতে লাগিল", "hi": "जब उसने सुना कि तारापद ने केवल बाँसुरी पर कीर्तन का सुर बजाकर माता और पुत्री का मनोरंजन ही नहीं किया है, सोनामणि के अनुरोध से उसके लिए अपने हाथों से बाँस की एक बाँसुरी भी बना दी है, न जाने कितने दिनों से वह उसे ऊँची डाल से फल और कंटक-शाखा से फूल तोड़कर देता रहा है तब चारु के अंतःकरण को मानो तप्तशूल बेधने लगा" }
181
{ "bn": "চারু জানিত, তারাপদ বিশেষরূপে তাহাদেরই তারাপদ— অত্যন্ত গোপনে সংরক্ষণীয়, ইতরসাধারণে তাহার একটু-আধটু আভাসমাত্র পাইবে, অথচ কোনোমতে নাগাল পাইবে না, ", "hi": "चारु समझती थी कि तारापद विशेष रूप से उन्हीं का तारापद था–अत्यंत गुप्त रूप में संरक्षणीय; अन्य साधारणजन केवल उसका थोड़ा-बहुत आभास-मात्र पाएँगे, फिर भी किसी भी तरह उसका सामीप्य न पा सकेंगे, " }
182
{ "bn": "দূর হইতে তাহার রূপে গুণে মুগ্ধ হইবে এবং চারুশশীদের ধন্যবাদ দিতে থাকিবে", "hi": "दूर से ही उसके रूप-गुण पर मुग्ध होंगे और चारुशशि को धन्यवाद देते रहेंगे" }
183
{ "bn": "এই আশ্চর্য দুর্লভ দৈবলব্ধ ব্রাক্ষ্মণবালকটি সোনামণির কাছে কেন সহজগম্য হইল", "hi": "यही अद्भुत दुर्लभ, दैवलब्ध ब्राह्मण-बालक सोनामणि के लिए सहजहम्य क्यों हुआ" }
184
{ "bn": "আমরা যদি এত যত্ন করিয়া না আনিতাম, এত যত্ন করিয়া না রাখিতাম, তাহা হইলে সোনামণিরা তাহার দর্শন পাইত কোথা হইতে", "hi": "हम यदि उसे इतना यत्न करके न लाते, इतने यत्न से न रखते तो सोनामणि आदि उसका दर्शन कहाँ से पातीं" }
185
{ "bn": "সোনামণির দাদা! শুনিয়া সর্বশরীর জ্বলিয়া যায়", "hi": "सोनामणि का ‘भैया’ शब्द सुनते ही उसके शरीर में आग लग गई" }
186
{ "bn": "যে তারাপদকে চারু মনে মনে বিদ্বেষশরে জর্জর করিতে চেষ্টা করিয়াছে, তাহারই একাধিকার লইয়া এমন প্রবল উদ্‌বেগ কেন – বুঝিবে কাহার সাধ্য", "hi": "चारु जिस तारापद को मन ही मन विद्वेष-बाणों से जर्जर करने की चेष्टा करती रही है, उसी के एकाधिकार को लेकर इतना प्रबल उद्वेग क्यों –किसकी सामर्थ्य है जो यह समझे!" }
187
{ "bn": "সেই দিনই অপর একটা তুচ্ছসূত্রে সোনামণির সহিত চারুর মর্মান্তিক আড়ি হইয়া গেল", "hi": "उसी दिन किसी अन्य तुच्छ बात के सहारे सोनामणि के साथ चारु की गहरी कुट्टी हो गई" }
188
{ "bn": "এবং সে তারাপদর ঘরে গিয়া তাহার শখের বাঁশিটি বাহির করিয়া তাহার উপর লাফাইয়া মাড়াইয়া সেটাকে নির্দয়ভাবে ভাঙিতে লাগিল", "hi": "और वह तारापद के कमरे में जाकर उसकी प्रिय वंशी लेकर उस पर कूद-कूदकर उसे कुचलती हुई निर्दयतापूर्वक तोड़ने लगी" }
189
{ "bn": "চারু যখন প্রচণ্ড আবেগে এই বংশিধ্বংসকার্যে নিযুক্ত আছে এমন সময় তারাপদ আসিয়া ঘরে প্রবেশ করিল", "hi": "चारु जब प्रचंड रोष में इस वंशी-ध्वंस कार्य में व्यस्त थी तभी तारापद ने कमरे में प्रवेश किया" }
190
{ "bn": "সে বালিকার এই প্রলয়মূর্তি দেখিয়া আশ্চর্য হইয়া গেল", "hi": "बालिका की यह प्रलय-मूर्ति देखकर उसे आश्चर्य हुआ" }
191
{ "bn": "কহিল, “চারু, আমার বাঁশিটা ভাঙছ কেন\"", "hi": "बोला, ‘‘चारु, मेरी वंशी क्यों तोड़ रही हो\"" }
192
{ "bn": "চারু রক্তনেত্রে রক্তিমমুখে “বেশ করছি, খুব করছি” বলিয়া আরো বার দুই-চার বিদীর্ণ বাঁশির উপর অনাবশ্যক পদাঘাত করিয়া উচ্ছ্বসিত কণ্ঠে কাঁদিয়া ঘর হইতে বাহির হইয়া গেল", "hi": "चारु रक्त नेत्रों और लाल मुख से ‘‘ठीक कर रही हूँ, अच्छा कर रही हूँ’’ कहकर टूटी हुई वंशी को और दो-चार अनावश्यक लातें मारकर उच्छृवसित कंठ से रोती हुई कमरे से बाहर चली गई" }
193
{ "bn": "তারাপদ বাঁশিটা তুলিয়া উলটিয়া পালটিয়া দেখিল, তাহাতে আর পদার্থ নাই", "hi": "तारापद ने वंशी उठाकर उलट-पलटकर देखी, उसमें अब कोई दम नहीं था" }
194
{ "bn": "অকারণে তাহার পুরাতন নিরপরাধ বাঁশিটার এই আকস্মিক দুর্গতি দেখিয়া সে আর হাস্য সংবরণ করিতে পারিল না", "hi": "अकारण ही अपनी पुरानी वंशी की यह आकस्मिक दुर्गति देखकर वह अपनी हँसी न रोक सका" }
195
{ "bn": "চারুশশী প্রতিদিনই তাহার পক্ষে পরম কৌতুহলের বিষয় হইয়া উঠিল", "hi": "चारुशशि दिनोंदिन उसके परम कौतूहल का विषय बनती जा रही थी" }
196
{ "bn": "তাহার আর একটি কৌতুহলের ক্ষেত্র ছিল মতিলালবাবুদের লাইব্রেরিতে ইংরাজি ছবির বইগুলি", "hi": "उसके कौतूहल का एक और क्षेत्र था, मतिलाल बाबू की लाइब्रेरी में तस्वीरों वाली अंग्रेजी की किताबें" }
197
{ "bn": "বাহিরের সংসারের সহিত তাহার যথেষ্ট পরিচয় হইয়াছে, কিন্তু এই ছবির জগতে সে কিছুতেই ভালো করিয়া প্রবেশ করিতে পারে না", "hi": "बाहरी जगत् से उसका यथेष्ट परिचय हो गया था, किंतु तस्वीरों के इस जगत् में वह किसी प्रकार भी अच्छी तरह प्रवेश नहीं कर पाता था" }
198
{ "bn": "কল্পনার দ্বারা আপনার মনে অনেকটা পূরণ করিয়া লইত কিন্তু তাহাতে মন কিছুতেই তৃপ্তি মানিত না", "hi": "कल्पना द्वारा वह अपने मन में बहुत कुछ जमा लेता, किंतु उससे उसका मन किसी प्रकार तृप्त न होता" }
199
{ "bn": "ছবির বহির প্রতি তারাপদর এই আগ্রহ দেখিয়া একদিন মতিলালবাবু বলিলেন, “ইংরিজি শিখবে তা হলে এ-সমস্ত ছবির মানে বুঝতে পারবে\" তারাপদ তৎক্ষণাৎ বলিল, “শিখব\"", "hi": "तस्वीरों की पुस्तकों के प्रति तारापद का यह आग्रह देखकर एक दिन मतिलाल बाबू बोले, ‘‘अंग्रेजी सीखोगे तब तुम इन सारी तस्वीरों का अर्थ समझ लोगे!’’ तारापद ने तुरंत कहा, ‘‘सीखूँगा\"" }