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६ साल की बच्ची अपनी मां के लिए बनी मां | उपुक्लाइव ६ साल की बच्ची अपनी मां के लिए बनी मां जो प्यार, करुणा और देखभाल का स्वभाव ईश्वर ने बेटियों को दिया है, वह बेटों को हासिल नहीं है। मां को ब्रेन हैमरेज हो जाने के बाद छह साल की मासूम ने जिस तरह से मां की देखभाल की, उसे देखकर लगता है कि मां असल में बेटी है और बेटी मां है। काई चेंगचेंग जब महज छह साल की थी, तो उसकी मां चेन ली को ब्रेन हैमरेज हो गया था। इसकी वजह से उनकी याददाश्त खराब हो गई। बीते चार साल से अपनी मां को पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाना ही काई की दिनचर्या का हिस्सा हो गया है। वह कहती है कि कभी मां ने मुझे पढ़ना, लिखना सिखाया था, अब मेरी बारी है कि मैं अपनी मां को पढ़ना लिखना सिखाऊं। मैं मां के लिए पढ़ाई किसी खेल की तरह सिखाती हूं, ताकि उनके लिए इसे समझना आसान हो जाए। उदाहरण के लिए जब मैं उन्हें एपल के बारे में बताती हूं, तो उन्हें सेब देती हूं, ताकि वह इसे खाकर उसका स्वाद और उसके बारे में जान सकें। जब मैं रैबिट के बारे में बताती हूं, तो उन्हें खरगोश पकड़ने के लिए देती हूं। काई के पिता एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण और पत्नी के इलाज का खर्च निकाल रहे हैं। इसलिए वह पत्नी की देखभाल के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं। वहीं, बड़ा भाई काई लिंग ने हाई स्कूल में दाखिला लिया है, जिसकी वजह से वह भी मां की देखभाल नहीं कर पाता है। ऐसे में काई ही अपनी मां की देखभाल करती हैं। वह मां को चीनी भाषा सिखाने के साथ ही उन्हें रोज समय पर दवाएं देना भी नहीं भूलती हैं। इसके साथ ही मां को जल्दी से ठीक करने के लिए वह फीजियोथैरेपी एक्सरसाइज कराती हैं। काई कहती हैं कि मां को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है और ठीक होने के लिए उन्हें लगातार समय पर दवाएं लेना जरूरी है। यदि कोई उन्हें याद नहीं दिलाए, तो वह दवा लेना ही भूल जाती हैं। बीचे चार साल से काई लगातार कड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद स्कूल में न सिर्फ अच्छे ग्रेड हासिल करती हैं, बल्कि लीडरशिप रोल भी निभाती हैं। मां के प्रति काई के समर्पण को देखते हुए स्थानीय सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया है और स्थानीय सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने भी उन्हें पहचान दी है। चीन की मीडिया उन लोगों के बारे में अक्सर समाचार दिखाती है, जो इस तरह के काम करते हैं। उपुक्लाइव: ६ साल की बच्ची अपनी मां के लिए बनी मां
होम > उत्पादों > कोहनी सेनेटरी फिटिंग (कोहनी सेनेटरी फिटिंग के लिए कुल २४ उत्पादों) थोक चीन से कोहनी सेनेटरी फिटिंग , लेकिन कम कीमत के अग्रणी निर्माताओं के रूप में सस्ते कोहनी सेनेटरी फिटिंग खोजने की आवश्यकता है। बस कोहनी सेनेटरी फिटिंग पर उच्च गुणवत्ता वाले ब्रांडों पा कारखाना उत्पादन, आप आप क्या चाहते हैं, बचत शुरू करते हैं और हमारे कोहनी सेनेटरी फिटिंग का पता लगाने के बारे में भी राय, आप में सबसे तेजी से उत्तर हम करूँगा कर सकते हैं।
आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के वैश्विक विचार - प्रवाकता.कॉम | प्रवक्ता.कॉम आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के वैश्विक विचार गांधी के आदर्श विचार उनके निजी जीवन तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने आदर्श विचारों को आजादी की लड़ाई से लेकर समाज निर्माण जैसे जीवन के विविध पक्षों में भी आजमाया। उस समय लोग कहा करते थे कि आजादी के लक्ष्य में सत्य और अहिंसा नहीं चलेगी और न ही इससे सभ्य समाज का निर्माण होगा। लेकिन गांधी ने दिखा दिया कि सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर भी आजादी और समाज निर्माण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आजादी के आंदोलन के दौरान गंाधी ने लोगों को संघर्ष के तीन मंत्र दिए-सत्याग्रह, असहयोग और बलिदान। उन्होंने खुद इसे समय की कसौटी पर कसा भी। सत्याग्रह को सत्य के प्रति आग्रह बताया। यानी आदमी को जो सत्य दिखे उस पर पूरी शक्ति और निष्ठा से डटा रहे। बुराई, अन्याय और अत्याचार का किन्हीं भी परिस्थितियों में समर्थन न करे। सत्य और न्याय के लिए प्राणोत्सर्ग करने को बलिदान कहा। अहिंसा के बारे में उनके विचार सनातन भारतीय संस्कृति की प्रतिध्वनि है। गांधी पर गीता के उपदेशों का व्यापक असर रहा। वे कहते थे कि हिंसा और कायरता पूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाए हिंसा को पसंद करुंगा। मैं किसी कायर को अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ा सकता वैसे ही जैसे किसी अंधे को लुभावने दृश्यों की ओर प्रलोभित नहीं किया जा सकता। उन्होंने अहिंसा को शौर्य का शिखर माना। उन्होंने अहिंसा की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा का अर्थ है ज्ञानपूर्वक कष्ट सहना। उसका अर्थ अन्यायी की इच्छा के आगे दबकर घुटने टेक देना नहीं। उसका अर्थ यह है कि अत्याचारी की इच्छा के विरुद्ध अपनी आत्मा की सारी शक्ति लगा देना। अहिंसा के माध्यम से गांधी ने विश्व को यह भी संदेश दिया कि जीवन के इस नियम के अनुसार चलकर एक अकेला आदमी भी अपने सम्मान, धर्म और आत्मा की रक्षा के लिए साम्राज्य के सम्पूर्ण बल को चुनौती दे सकता है। गांधी के इन विचारों से विश्व की महान विभुतियों ने स्वयं को प्रभावित बताया। आज भी उनके विचार विश्व को उत्प्रेरित कर रहे हैं। लोगों द्वारा उनके अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे अहिंसात्मक हथियारों को आजमाया जा रहा है। ऐसे समय में जब पूरे विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों को लील रही है तो गांधी के विचार बरबस प्रासंगिक हो जाते हैं। अब विश्व महसूस भी करने लगा है कि गांधी के बताए रास्ते पर चलकर ही विश्व को नैराश्य, द्वेष और प्रतिहिंसा से बचाया जा सकता है। गांधी के विचार विश्व के लिए इसलिए भी प्रासंगिक हैं कि उन विचारों को उन्होंने स्वयं अपने आचरण में ढालकर सिद्ध किया। उन विचारों को सत्य और अहिंसा की कसौटी पर जांचा-परखा। १९२० का असहयोग आंदोलन जब जोरों पर था उस दौरान चैरी-चैरा में भीड़ ने आक्रोश में एक थाने को अग्नि की भेंट चढ़ा दी। इस हिंसक घटना में २२ सिपाही जीवित जल गए। गांधी जी द्रवित हो उठे। उन्होंने तत्काल आंदोलन को स्थगित कर दिया। उनकी खूब आलोचना हुई लेकिन वे अपने इरादे से टस से मस नहीं हुए। वे हिंसा को एक क्षण के लिए भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे। उनकी दृढ़ता कमाल की थी। जब उन्होंने महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार अपने वादे के मुताबिक भारत को आजादी देने में हीलाहवाली कर रही है तो उन्होंने भारतीयों को टैक्स देने के बजाए जेल जाने का आह्नान किया। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन चलाया। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा की और समुद्र तट पर नमक बनाया। उनकी दृढ़ता को देखते हुए उनके निधन पर अर्नोल्ड टोनी बी ने अपने लेख में उन्हें पैगंबर कहा। प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन का यह कथन लोगों के जुबान पर है कि आने वाले समय में लोगों को सहज विश्वास नहीं होगा कि हांड़-मांस का एक ऐसा जीव था जिसने अहिंसा को अपना हथियार बनाया। हिंसा भरे वैश्विक माहौल में गांधी के विचारों की ग्राहयता बढ़ती जा रही है। जिन अंग्रेजों ने विश्व के चतुर्दिक हिस्सों में युनियन जैक को लहराया और भारत में गांधी की अहिंसा को चुनौती दी, आज वे भी गांधी के अहिंसात्मक आचरण को अपनाने की बात कर रहे हैं। विश्व का पुलिसमैन कहा जाने वाला अमेरिका जो अपनी धौंस-पट्टी से विश्व समुदाय को उपदेश देता है अब उसे भी लगने लगा है कि गांधी की विचारधारा की राह पकड़कर ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। सच तो यह है कि गांधी के शाश्वत मूल्यों की प्रासंगिकता बढ़ी है। गांधी अहिंसा के न केवल प्रतीक भर हैं बल्कि मापदण्ड भी हैं जिन्हें जीवन में उतारने की कोशिश हो रही है। अभी गत वर्ष पहले ही अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ह्वाइट हाउस में अफ्रीकी महाद्वीप के ५० देशों के युवा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि आज के बदलते परिवेश में युवाओं को गांधी जी से प्रेरणा लेने की जरुरत है। गत वर्ष पहले अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने महात्मा गांधी की अगुवाई वाले नमक सत्याग्रह को दुनिया के सर्वाधिक दस प्रभावशाली आंदोलनों में शुमार किया। याद होगा अभी कुछ साल पहले जाम्बिया के लोकसभा सचिवालय द्वारा विज्ञान भवन में संसदीय लोकतंत्र पर एक सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें राष्ट्रमंडल देशों के लोकसभा अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों ने शिरकत की। जाम्बिया की नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष असुमा के. म्वानामवाम्बवा ने इस सम्मेलन के दौरान गांधी के सिद्धान्तों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि भारत के साथ हम भी महात्मा गांधी की विरासत में साझेदार हैं। उन्होनें बताया कि अहिंसा के बारे में गांधी जी की शिक्षाओं ने जाम्बिया के स्वतंत्रता आन्दोलन को बेहद प्रभवित किया। सच तो यह है कि अब गांधी के वैचारिक विरोधियों को भी लगने लगा है कि गांधी के बारे में उनकी अवधारणा संकुचित थी। उन्हें विश्वास होने लगा है कि गांधी के नैतिक नियम पहले से कहीं और अधिक प्रासंगिक और प्रभावी हैं और उनका अनुपालन होना चाहिए। गांधी जी राजनीतिक आजादी के साथ सामाजिक-आर्थिक आजादी के लिए भी चिंतित थे। समावेशी समाज की संरचना को कैसे मजबूत आधार दिया जाए उसके लिए उनका अपना स्वतंत्र चिंतन था। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में विषमता रहेगी, हिंसा भी रहेगी। हिंसा को खत्म करने के लिए विषमता मिटाना जरुरी है। विषमता के कारण समृद्ध अपनी समृद्धि और गरीब अपनी गरीबी में मारा जाएगा। इसलिए ऐसा स्वराज हासिल करना होगा, जिसमें अमीर-गरीब के बीच खाई न हो। शिक्षा के संबंध में भी उनके विचार स्पष्ट थे। उन्होंने कहा है कि मैं पाश्चात्य संस्कृति का विरोधी नहीं हूं। मैं अपने घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखना चाहता हूं जिससे बाहर की स्वच्छ हवा आ सके। लेकिन विदेशी भाषाओं की ऐसी आंधी न आ जाए कि मैं औंधें मुंह गिर पड़ूं। गांधी जी नारी सशक्तीकरण के प्रबल पैरोकार थे। उन्होंने कहा कि जिस देश अथवा समाज में स्त्री का आदर नहीं होता उसे सुसंस्कृत नहीं कहा जा सकता। आज के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व समुदाय को भी समझना होगा कि उनके सुझाए रास्ते पर चलकर ही एक समृद्ध, सामथ्र्यवान, समतामूलक और सुसंस्कृत विश्व का निर्माण किया जा सकता है। आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। सच तो यह है कि गांधी भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत के साथ-साथ सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य हैं। सत्यशोधक संत भी हैं तो शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी भी तो मानववादी विश्व निर्माण के आदर्श मापदण्ड भी। सम्यक प्रगति मार्ग के चिंह्न भी तो भारतीय संस्कृति के परम उद्घोषक भी। गांधी के लिए वेद, पुराण एवं उपनिषद का सारतत्व ही उनका ईश्वर है और बुद्ध, महावीर की करुणा ही उनकी अहिंसा है। सत्य, अहिंसा, ब्रहमचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीर श्रम, आस्वाद, अभय, सर्वधर्म समानता, स्वदेशी और समावेशी समाज निर्माण की परिकल्पना ही उनके जीवन का परम लक्ष्य है। प्रेवियस भारत की मिट्टी की विशिष्टता और बंदा बैरागी नेक्स्ट प्रदेश की मेधाशक्ति के हित में आदेश, जिस पर राजनीति होना तय है
बाइट--०१-- जगराम (ग्रामीण श्रृद्धालु) मेले में सदगुरु महराज के शिष्यों ने पहले साधू संतो को भोजन कराया गया फिर उन्हें भेंट में कम्बल दिया गया। वहीं इस अवसर पर जलौन के सांसद भानू प्रताप वर्मा भी मौजूद रहें और उन्होंने मीडिया से बातचित करते हुए कहा कि इस मेले में हम आते हैं क्योंकि सदगुरू महाराज में हमारी आस्थाह है। बाइट--०२-- भानू प्रताप वर्मा (सांसद जालौन) आपको बता दें कि हर साल सदगुरु महराज की समाधी स्थल पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जहां देश-विदेश से सदगुरु महराज के भक्त पहुंचकर पुजा-अर्चना करते हैं ।
रांची। राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा जारी पत्र को फर्जी बताया कि इस तरह के आरोप लगाने वालों को शर्म आनी चाहिए। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने जानना चाहा कि क्या बाबूलाल मरांडी को महाभारत के संजय की तरह दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई थी। साथ ही बाबूलाल जिस चिट्ठी की बात कर रहे हैं क्या उसकी सत्यता सिद्ध कर पाएंगे। मंत्री ने कहा कि ऐसे में तो कल कोई भी व्यक्ति किसी पर भी कोई भी आरोप लगा दे सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाने से पहले थोड़ी शर्म जरुर आनी चाहिए। रांची : जनता के सामने भाजपा का असली चेहरा उजागर- झाविमो सीपी सिंह ने बाबूलाल मरांडी को चुनौती देते हुए जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि जांच का सामना करने के लिए उनकी पार्टी तैयार है। मंत्री ने कहा कि इस तरह किसी का चरित्र हनन करना उचित नहीं है। हम भी किसी का चरित्र हनन कर सकते हैं मगर ये हमारी पार्टी का संस्कार नहीं है। इस तरह का काम संस्कारहीन व्यक्ति ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में इस तरह के संस्कारहीन लोग हैं जो इस तरह के काम कर रहे हैं। लातेहार : बोरे की दीवार और कागज के छत में रहती... डेक्कन क्रोनिकल पर ३० करोड़ रुपये के घोटाले में मामला... साहिबगंज : बुनियादी सुविधाओं का संकट है आदिम समुदाय के... कटक टी-२० : टेस्ट, वनडे में श्रीलंका को धूल चटाने... निरसा : बेकाबू कार ने हाइवा को मारी टक्कर, पांच...
प्रियंका वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगाया ब्रेकिंग उत्तराखंड प्रियंका वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगाया प्रियंका गांधी वाड्रा का ३५ लोधी एस्टेट वाला बंगला राज्य सभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख भाजपा अनिल बलूनी को आवंटित किया जा चुका है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने ३५ लोधी एस्टेट के बंगले को छोड़ने से पहले बलूनी जी को चाय पर आमंत्रित किया इसके प्रत्युत्तर में राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी ने पत्र लिख कर प्रियंका वाड्रा को उत्तराखंड के परम्परागत पहाड़ी भोजन पर आमंत्रित किया। बताया गया कि बिना किसी सरकारी पद के प्रियंका गांधी २३ साल से इस बंगले पर अवैध रूप से काबिज थी इसलिए यह बंगला खाली करना पड़ा। लेकिन राजनेताओं की ऐसी नायाब आपसी कैमिस्ट्री से कार्यकर्ताओं को निश्चित रूप से सीख मिल सकती है। प्रेवियस पोस्ट:जलागम की सभी योजनाओं में उत्तराखंड आए प्रवासी नागरिकों और बेरोज़गारों को भी जोड़ें नेक्स्ट पोस्ट:दूधी को घास न समझें, इन रोगों की दिव्य औषधि है
दाद (रिंगवर्म) एक प्रकार चर्म रोग है। जिसे डर्माटोफायोटासिस या टिनिया भी कहा जाता है। इसका अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह एग्जिमा का रूप ले लेती है। जो कि दाद से ज्यादा खतरनाक त्वचा से जुड़ी बीमारी है। जब मौसम बदलते हैं तो आपको स्किन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती हैं। जैसे कि खुजली, दाग और दाद। दाद जिसे रिंगवॉर्म भी कहा जाता है, ये एक प्रकार का फंगल संक्रमण है जो आपकी त्वचा की ऊपरी परत पर विकसित होता है। आमतौर पर यह तीन तरह की फंगस के कारण होता है ट्राइकोफिटन, माइक्रोस्पोरम और एपिडर्मोफिटन। दाद आपके शरीर पर कहीं भी हो सकता है, जैसे चेहरे, हाथ, पैर, जांघ, पीठ, छाती, उंगली आदि। आइए जानते हैं इसके प्रकार, होने के कारण, लक्षण और रोकथाम के कुछ सरल उपाय।
मदरसे में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रगान का विरोध,सरकारी अनुदान बंदी के साथ देशद्रोह का मामला।विडिओ।। | मुंबई आस पास गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के अरबिया एहले गर्ल्स स्कूल मैं राष्ट्रगान नहीं गाया जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन में आ गई है और इस मदरसा प्रबंधन के इस कारस्तानी को गंभीर मानते हुए मदरसे का सरकारी अनुदान पूर्ण रूप से बंद कर दिया है इसके साथ स्थानीय पुलिस ने मदरसा प्रबंधन पर राष्ट्रद्रोह का मामला भी दर्ज किया है प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के कोल्हुई थाना क्षेत्र के बड़ागो स्थित अरबिया एहले गर्ल्स कॉलेज मे स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र ध्वज फहराने का कार्यक्रम हुआ लेकिन एक समुदाय विशेष के लोगों ने इसके बाद राष्ट्रगान की जगह सारे जहां से अच्छा गीत गाने की सख्त हिदायत दी इसी बात पर वहां उपस्थित कुछ अन्य शिक्षकों ने इसका विरोध किया वहीं इस पूरे मामले का वीडियो किसी ने बना लिया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया सोशल मीडिया पर यह मामला जोर-शोर से वायरल हुआ और राज्य सरकार के साथ स्थानीय पुलिस के भी तुरंत नजर में आ गया राज्य सरकार जहां इसे गंभीरता से लेते हुए उस मदरसे का सरकारी अनुदान बंद कर दिया है वहीं स्थानीय पुलिस ने मदरसा प्रबंधक के विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज किया है अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने का विरोध करना पड़ा महंगा, ओवैसी के पार्षद को एक साल की जेल सनातन संस्था के प्रमुख को गिरफ्तार करने की मांग करनेवाले भ्रष्टाचारी राधाकृष्ण विखे पाटील को ही पहले गिरफ्तार करें !
कम से कम कर्मचारियों के अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ तो दिलाएं जयराम: राणा - राजेन्द्र राना कम से कम कर्मचारियों के अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ तो दिलाएं जयराम: राणा सुजानपुर: भाजपा के चुनावी दृष्टि पत्र पर अमल न करने व कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल के वरिष्ठता लाभ से वंचित रखने को लेकर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने जयराम सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाली जयराम सरकार ने कदम कदम पर कर्मचारियों के साथ छल किया है और वायदे न निभाकर कर्मचारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने वायदे के विपरीत कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल की वरिष्ठता लाभ से भी वंचित रखा है, जबकि कमीशन के माध्यम से भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार ही भर्तियां की जाती हैं। राजेंद्र राणा ने याद दिलाया कि वर्ष २००७ में भाजपा की तत्कालीन धूमल सरकार ने प्रदेश में ८ साल के अनुबंध कार्यकाल के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया था तथा वर्ष २००९ में अधिसूचना जारी होते ही अनुबंध आधार पर पहली भर्ती की गई। वर्ष २०१२ में सत्ता से जाते-जाते उन्होंने अनुबंध का कार्यकाल ६ साल करने की घोषणा की थी। उसके बाद कांग्रेस की वीरभद्र सिंह ने सत्ता में आने के बाद वर्ष २०१४ में कर्मचारियों का अनुबंध कार्यकाल ५ साल तथा वर्ष 201६ में इसे घटाकर ३ साल कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने शासनकाल में कर्मचारियों को छलने व बरगलाने का ही काम किया है। राणा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकारों के साथ केंद्र में रहते हुए भी भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकारों ने कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया है जिसकी शुरूआत वर्ष २००३ में केंद्र की तत्कालीन एन.डी.ए. सरकार ने कर्मचारियों को धोखा देते हुए पैंशन बंद कर काले अध्याय लिखा था। उसके बाद अनुबंध पर नौकरियां देने का फैसला भाजपा सरकार ने ही लिया और अब जयराम सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर कर्मचारी विरोधी होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से अनेकों वायदे किए थे जिनमें पैंशन को लेकर भी एक कमेटी गठित करने की बात कही थी। लेकिन सत्ता के नशे में मदहोश जयराम सरकार अब तक कमेटी गठित करने सहित किसी भी वायदे पर दृष्टि डालने में भी फेल साबित हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि चुनावी दृष्टि पत्र तो सरकार की नजर-ए-इनायत कब होगी और कर्मचारियों से किए वायदों को लेकर कब नींद से जागेगी, यह तो सरकार व मुख्यमंत्री ही जानें। लेकिन अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ कर्मचारियों का जायज हक है जिसका लाभ देकर भाजपा की पूर्व केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा लिए कर्मचारी विरोधी फैसलों के दाग भाजपा के ऊपर से थोड़े बहुत जरूर धुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि ४-९-1४ के बारे में भी भाजपा सरकार का कर्मचारियों से किया गया वायदा महज एक छलावा साबित हुआ है। कर्मचारी वर्ग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर कर्मचारियों को ४-९-1४ का लाभ दिया जाएगा। लेकिन अब सरकार के २ साल पूरे होने को है लेकिन कर्मचारी अभी तक सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों को वेतन आयोग के लाभों से भी वंचित रख रही है। मनाली-रोहतांग मार्ग दलदल में तब्दील, प्रशासन ने रात को सफर न करने की हिदायत दी
आईआईटी रुड़की ने लांच किया एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क - नवल टाइम्स आईआईटी रुड़की ने लांच किया एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क आईआईटी रुड़की ने दुनिया भर में रहने वाले अपने एलुमनी के साथ एक व्यापक संबंध स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क लांच किया है। यह संस्थान और उसके एलुमनी के एक व्यापक और सटीक एलुमनी डेटाबेस की जरूरत को पूरा करेगा। इसके अलावा, कई एलुमनी एक ऐसे नेटवर्क की मांग कर रहे थे जो उन्हें एलुमनी को खोजने और उनके साथ जुड़ने में मदद कर सकता हो। साथ ही एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से संस्थान के साथ संवाद करने की सुविधा भी प्रदान करता हो। ग्लोबल नेटवर्क इस जरूरत को भी पूरा करने की कोशिश करेगा। यह ग्लोबल नेटवर्क, थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की और अब आईआईटी रुड़की की यात्रा को संजोकर रखने में योगदान देगा। वर्ष १८४७ में स्थापित इस संस्थान के शानदार इतिहास का हिस्सा रहे एलुमनी की पुरानी और नई पीढ़ियों को एक प्लेटफॉर्म पर लेकर आएगा। आईआईटी रुड़की एलुमनी का यह ग्लोबल नेटवर्क एलुमनी वालंटियर्स द्वारा संचालित किया जाएगा। नेटवर्क के कार्यान्वयन में प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदस्यों की गोपनीयता संबंधी चिंताओं का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए। इसके अलावा, सदस्यों के पास अपनी इच्छा के अनुसार संदेशों और सेवाओं की सदस्यता शुरू और समाप्त करने का विकल्प होगा। डेटाबेस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाएगा। नेटवर्क की सदस्यता से कई लाभ मिलेंगे। उदाहरण के लिए, नेटवर्क की लाइफ मेंबरशिप फ्री होगी। सभी सदस्यों को एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों के पास दुनिया भर के लोकल, रीजनल और नेशनल नेटवर्क पर एलुमनी के साथ सोशल और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के अवसर होंगे। यह संकट में फंसे किसी एलुमनी या उसके परिवार के लिए, उनके सहयोगी एलुमनी से मदद जुटाने के लिए एक प्रणाली का निर्माण करेगा। सदस्यों के पास स्टूडेंट्स मेंटोरशिप प्रोग्राम्स, इंटर्नशिप और संस्थान की अन्य गतिविधियों जैसी योजनाओं में भाग लेने और योगदान करने के अवसर होंगे। सदस्यों को ई-न्यूजलेटर्स के माध्यम से एलुमनी और अल्मा मेटर के बारे में नियमित अपडेट प्राप्त होगा। नेटवर्क में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सदस्यों को उपयुक्त रूप से मान्यता दी जाएगी। पहचान पत्र धारकों के लिए विभिन्न संगठनों के उत्पादों और सेवाओं के लिए विशेष छूट की सुविधा दी जाएगी।पहचान पत्र सदस्यों को परिसर में सुचारू रूप से प्रवेश करने में मदद करेगा। उपलब्धता के अनुसार, सदस्य रियायती दर पर आईआईटी रुड़की के गेस्टहाउस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। सदस्यों को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से डीन, हेड ऑफ डिपार्टमेंटध्सेंटर, विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले फैकल्टी या संस्थान के कार्यालय से जुड़ने का अवसर मिलेगा। जहां भी संभव हो, सदस्यों के लिए पुस्तकालय सेवाओं का विस्तार करने की संभावना का पता लगाया जाएगा। अनुरोध पर, सदस्यों को स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के अवसर पर आमंत्रित किया जाएगा। सदस्य रविवार को परिसर के दौरे के लिए अनुरोध कर सकते हैं। परिसर के दौरे में जेम्स थॉमसन बिल्डिंग, हैंगर, इंस्टीट्यूट आर्काइव, मेडलिकॉट म्यूजियम और महात्मा गांधी सेंट्रल लाइब्रेरी के दौरे शामिल होंगे। अनुरोध कम से कम एक सप्ताह पहले किया जाना चाहिए। इस अवसर पर, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा, इस डिजिटल युग में, सोशल और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के संबंध में काफी बदलाव आया है। सूचना प्रौद्योगिकी ने एक पदानुक्रमित और नौकरशाही प्रणाली के बजाय एक सीधा और कुशल मंच के लिए एलुमनी और स्टूडेंट्स की अपेक्षाओं को बढ़ाया है। वे एक-दूसरे के साथ और संस्थान के साथ भी जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा यह देश में संभवतरू अपनी तरह का पहला नेटवर्क होगा। हमें विश्वास है कि यह नेटवर्क अन्य शैक्षणिक संस्थानों में लागू किए जाने में भी सक्षम होगा।
इन्दौर लोकसभा सीट : सुमित्रा 'ताई' की सीट पर बड़े अंतर से जीते भाजपा के शंकर लालवानी - अजय भारत होम टॉप स्टोरी इन्दौर लोकसभा सीट : सुमित्रा ताई की सीट पर बड़े अंतर से... इन्दौर । मध्य प्रदेश की आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध समझी जाने वाली लोकसभा सीट इन्दौर से भाजपा के शंकर लालवानी ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने इन्दौर से ८ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को २०१४ में मिली ४६६९०१ मतों की जीत के रिकार्ड को तोड़ते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पंकज संघवी को ५४७७५४ मतों से हराया है। भाजपा प्रत्याशी लालवानी को कुल 106८569 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 520८15 मत मिले। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने विजयी प्रत्याशी शंकर लालवानी को सांसद निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र दिया। इस मौके पर सुमित्रा महाजन व विधायक रमेश मैंदोला भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि इन्दौर से ८ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को इस भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह ललवानी को पार्टी ने मैदान में उतारा था। हालांकि सुमित्रा महाजन इस सीट पर फिर से चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन पार्टी की ओर से उम्मीदवार के नाम के ऐलान में देरी होते देख उन्होंने खुद ही यह ऐलान कर दिया था कि वह इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस सीट पर पिछले मुकाबलों की बात करें तो लगातार ८ बार बीजेपी की तरफ से सुमित्रा महाजन कुर्सी पर काबिज रहीं। वहीं, कांग्रेस आखिरी बार 19८4 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीती थी। २०१४ के चुनाव में भाजपा की सुमित्रा महाजन को ८54972, कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 3८८071 व आम आदमी पार्टी के अनिल त्रिवेदी को ३५१२४ मत मिले थे। इस बार २०१९ के लोकसभा चुनाव में इन्दौर सीट पर २० प्रत्याशी चुनावी मैदान होकर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी और भाजपा के शंकर लालवानी के मध्य था और लालवानी ने यह मुकाबला ५४७७५४ मतों के रिकार्ड अंतर से जीत लिया है। यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। लालवानी ने १९९३ में पहली बार विधानसभा क्षेत्र-४ से भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद १९९६ में नगर निगम चुनाव में वे अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराकर पार्षद बने। वे नगर निगम सभापति भी रहे। इसके बाद वे नगर अध्यक्ष रहे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। १९९८ में भाजपा की सुमित्रा महाजन से लोकसभा चुनाव हार चुके पकंज संघवी पर कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया, लेकिन उन्हें दूसरी बार भी हार का मुंह देखना पड़ा। संघवी १९८३ में पहली बार पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद १९९८ में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन सुमित्रा महाजन ने उन्हें ४९ हजार ८५२ वोट से चुनाव हार दिया। इसके बाद २००९ में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे से करीब ४ हजार वोट से हार गए। २०१३ में वे इंदौर विधानसभा पांच नंबर सीट से करीब १२ हजार ५०० वोट से विधानसभा चुनाव हारे। :: इंदौर को ३० साल बाद पुरुष सांसद मिला :: इन्दौर लोकसभा सीट से १९५२ में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, १९५७ में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, १९६२ में सीपीआई के होमी दाजी, १९६७ में कांग्रेस के प्रकाशचंद्र सेठी, १९७१ में कांग्रेस के रामसिंह भाई, १९७७ में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, १९८० और १९८४ में कांग्रेस के प्रकाशचन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की। इसके बाद सुमित्रा महाजन ने १९८९ के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया। फिर भाजपा के टिकट पर सुमित्रा ताई ने १९९१, १९९६, १९९८, १९९९, २००४, २००९ और २०१४ में जीत दर्ज की। वो प्रथम महिला हैं जो कभी लोकसभा चुनावों में पराजित नहीं हुई और आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला बनी। लालवानी के जीत से अब इन्दौर को ३० साल बाद पुरुष सांसद मिला है। :: जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी : लालवानी अपनी जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शंकर ललवानी ने कहा जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी। जनता ने इतनी बड़ी जीत दी है, तो मेरे ऊपर शहर की जनता का भार भी काफी रहेगा। बीआरटीएस के विकल्प के रूप में एलिवेटेड ब्रिज होगा, जो शहर की समस्या दूर होगी। ट्रैफिक सुधार और शहर के विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। लालवानी ने जीत का श्रेय सबसे पहले नरेंद्र मोदी और अपनी पार्टी को दिया। अपने प्रतिद्वंदी पंकज संघवी को लेकर कहा कि वे टूरिस्ट वीजा लेकर चुनाव के मैदान में आते रहे हैं, जबकि उन्हें लगातार सक्रिय रहकर समाज की सेवा करना चाहिए। जनता के बीच रहना चाहिए, जो उन्होंने नहीं किया और इसके परिणाम सामने हैं। :: संघवी ने लालवानी को दी जीत की बधाई :: कांग्रेस के प्रत्याशी पंकज संघवी ने हार के बाद ट्वीट पर भाजपा के शंकर लालवानी को जीत की बधाई दी है। संघवी ने लिखा- हार जीत का फैसला तो भगवान करता है। इंसान कोशिश और मेहनत करता है। भाई शंकर लालवानी को जीत की बधाई। उन्होंने आगे लिखा वल्लभ नगर मेरे निवास पर कई सालों से समाजसेवा जारी थी। आगे भी जारी रहेगी। गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद आखिरी सांस तक करता रहूंगा। प्रेवियस आर्टियलप्रियंका गांधी ने पीएम मोदी को दी जीत की बधाई, कहा- जनता का फैसला स्वीकार नेक्स्ट आर्टियललालकृष्ण आडवाणी ने मोदी को दी बधाई, कही बड़ी बात ब्जप प्रदेशाध्यक्ष ने गौर नदी को जीवन देने चलाए फावड़े राजनाथ सिंह का तंज- आत्ममंथन करे सपा-कांग्रेस, सिर्फ मोदी विरोध से... हम सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं :राय
रावत राज में उत्तराखंडी भरेंगे ईमानदारी की रोयल्टी - जंपक्ष त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार में दिनों दिन उत्तराखंड की व्यवस्था बेपटरी होती जा रही हैं| मक्कारों का मकडजाल उत्तराखंड को चहू और से लूटने में लगा है| उत्तराखंड विधुत वितरण निगम उनमे से एक है जो मक्कारों को प्रोत्साहित करता हैं की वो बिजली की चोरी करे व इमानदार लोगो को बिल बढ़ाकर प्रताड़ित किया जा रहा हैं| उत्तराखंड विधुत वितरण निगम अपने अन्दर फैले भ्रष्टाचार को लगाम ना लगा पाने के कारण फिर आयोग में बिजली की दरो को बढाने के लिए प्रस्ताव भेजा हैं व आकड़ो की आने तो इस बार वितरण निगम को वर्ष २०१८-१९ में ६२५ करोड़ की शुद्ध हानि हुई हैं जबकि २०१७-१८ में यही हानि २२९ करोड़ थी इसका मतलब यह है की इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले ३९६ करोड़ ज्यादा की हानि हुई हैं| वर्ष २०१६ में केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार व वितरण निगम के बीच में एक समझोता हुआ था जिसके अंतर्गत उपक्ल को अपने एट&च हानि को २०१८-१९ में १४.५ प्रतिशत तक लेकर आनी थी लेकिन विधुत वितरण खंड हल्द्वानी के अनुसार उनका पारेषण, वितरण व आय का अन्तराल २०.०६ प्रतिशत हैं जिसका मतलब की हल्द्वानी में एक करोड़ की बिजली के बदले ७९ लाख ९६ हजार ही आते हैं| सिर्फ हल्द्वानी में अगर २० प्रतिशत बिजली चोरी हो रही हैं तो आप समझ सकते हैं की पूरे प्रदेश का हाल क्या होगा? २०% त&ड की हानि हैं तो उसमे से आधा हिस्सा चोरी का हैं जिसे की उत्तराखंड विधुत वितरण निगम को रोकना चाहिए था| इस वर्ष ६२५ करोड़ की भरपाई के लिए निगम ने आयोग से बिजली की दरो को बढाने की गुहार की है| यह बिजली की दरे केवल और केवल इमानदार उपभोक्ताओं के लिए बढेंगी क्योकि मक्कार व चोर लोग बिजली पहले की तरह फ्री में जलाते रहेंगे और इनको देख कर और लोग भी चोरी के लिए प्रेरित होंगे और यह घाटा दिनोंदिन बढ़ता रहेगा जो की आय व्यय के आंकड़ो में नज़र आता हैं| अगर आप देखे तो पिछले साल २०१७-१८ में २२.०१ प्रतिशत का त&ड हानि थी और २२9 करोड़ का घाटा हुआ था जबकि २०१८-१९ में घाटा २०.०६ हुआ हैं जबकि हानि पिछले साल से तिगुना ६२५ करोड़ की शुद्ध हानि हुई हैं जो की घाटा घटने के बाद भी तिगुनी हुई हैं| उत्तराखंड की जनता आज उत्तराखंड में इमानदार होने की रोयल्टी दे रही हैं क्योकि बढे हुए दरें केवल और केवल ईमानदार लोग ही भरेंगे वो भी बिना किसी विरोध के ओर यही बढ़ा हुआ पैसा ही उत्तराखंड में हमारे ईमानदार बने रहने की रॉयल्टी हैं। आपकी टिप्पणियों का स्वागत हैं आप हमें ०५९४६ २२२२२४ पर व्हात्सप्प भी कर सकते हैं | किराना, रेस्तरां के लिए सिंगल-विंडो, रिनुवल ख़त्म पूर्व सैनिक स्वास्थ योजना एच में फर्जीवाडा नेक्स्ट नेक्स्ट पोस्ट: भ्रष्टतम व बदतर होती नोयडा की व्यवस्था
पालिका सीट दूसरे राउंड में भी वत्सला आगे | दैनिक दर्शन २४ न्यूज़ फर्रुखाबाद। नगर निकाय चुनाव के दूसरे राउंड की मतगणना खत्म हो गई। इसमें सदर नगर पालिका से बसपा प्रत्याशी वत्सला अग्रवाल ने लगभग १०६४७मतों से बढ़त बना ली है। जबकि दूसरे नंबर पर मौजूद मिथलेश अग्रवाल को १४७७७ वोट मिले। इसके अलावा सपा प्रत्याशी दमयंती सिंह ७९१८ वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। कांग्रेस के हाजी अहमद अंसारी को ३१०३ वोट मिले। फर्रुखाबाद दूसरा राउंड
जम्मू कश्मीर के विलय पर दूसरी आजादी का जश्न:साव बिलासपुर न्यूज - बिलासपुर | भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा बुधवार की शाम बस स्टैंड में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा ३७०... बिलासपुर | भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा बुधवार की शाम बस स्टैंड में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा ३७० और ३५-ए हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए खुशियां मनाई। भारत गणराज्य में जम्मू-कश्मीर के पूर्ण विलय के संबंध में जनमानस को अवगत करते हुए इस मौके पर सांसद अरुण साव का सम्मान किया गया। सांसद साव ने कहा कि भारत के उज्जवल भविष्य के नव निर्माण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ५ वर्षों में अनेक ऐतिहासिक साहसिक निर्णय लिए। उन्होंने कहा कि जैसे 1५ अगस्त १९४७ को देश आजाद हुआ था उसी तरह ५ अगस्त २०१९ को देश को दूसरी आजादी के रूप में जम्मू कश्मीर का पूर्ण विलय भारतीय गणराज्य में हुआ। इस मौके पर बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि देश को आजादी के ७२ वर्षों में आज देश की जनता को महसूस हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लगातार देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है। महापौर किशोर राय ने कहा कि जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय ने जो सपना देखा था उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह ने ५ जुलाई २०१९ को पूरा कर दिया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर ने सांसद अरुण साव का शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम में बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, महापौर किशोर राय, भाजपा जिला महामंत्री रामदेव कुमावत का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर, सुशांत शुक्ला, दुर्गा कश्यप, लोकेशधर दीवान, जयश्री चौकसे, संदीप दास, आदि मौजूद थे। भाजयुमाे के बस स्टैंड में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते भाजपा नेता। जूदेव की पुण्यतिथि पर भाजपाइयों ने दी श्रद्धांजलि बुधवार को भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ६वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके संस्मरणों को विशेष रूप से याद किया गया। इस मौके पर बिलासपुर के सांसद अरुण साव, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, छतीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय, महापौर किशोर रॉय , जिला महामंत्री रामदेव कुमावत , राष्ट्रीय सदस्य सुशांत शुक्ला, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह, राजेश सिंह ठाकुर , राकेश तिवारी , सुनीता मानिकपुरी, जयश्री चौकसे, नंदू सोनी, संजय मुरारका आदि उपस्थित हुए।
अजित सिंह की पार्टी को तीन सीटे देना चाहते हैं जबकि रालोद ५ सीटें लेने पर अड़ी है. इसी को लेकर पेच फंसता दिखाई दे रहा है उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं. शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम महागठबंधन में शामिल हैं, लेकिन सीटों पर कोई बात नहीं हुई है. अजित सिंह ने कहा कि मायावती और अखिलेश यादव की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सम्मानजनक सीटों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह अगर-मगर की बात नहीं करना चाहते हैं. इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने की संभावनाओं पर पार्टी प्रमुख अजित सिंह का कहना है कि अभी सीटों को लेकर उनकी कोई बात नहीं हुई है, लेकिन हमले महागठबंधन में शामिल हैं. आपको बता दें कि अजित सिंह का ये बयान तब सामने आया है जब रालोद का सीटों को लेकर पेच फंसता दिख रहा है. सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी को तीन सीटे देना चाहते हैं जबकि रालोद ५ सीटें लेने पर अड़ी है. इसी को लेकर पेच फंसता दिखाई दे रहा है. #अजित सिंह #बहुजन समाज पार्टी अखिलेश यादव मायावती समाजवादी पार्टी
शुक्र ग्रह तुला पर शासन करता है। कुलस्वामिनी को तुला राशि का आराध्य माना जाता है। इस राशि के व्यक्ति ठण्डी और सुहावनी रातें वाले मौसम में पैदा होते हैं। इस राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ भोले भाले होते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ चर्म रोग और किडनी की समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। रामअविता नाम की लड़कियाँ दृष्टिदोष तथा निचले हिस्से में पीठ दर्द की समस्याओं से परेशान रहते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ ज़रूरत पड़ने पर किसी भी प्रियजन के लिए त्याग करने से कतराते नहीं हैं। रामअविता नाम का स्वामी शुक्र ग्रह और शुभ अंक ६ है। रामअविता नाम वाली ६ अंक की लड़कियां बहुत आकर्षक व खूबसूरत होती हैं। रामअविता नाम की महिलाओं को स्वच्छता का बहुत ख्याल रहता है और कला के क्षेत्र में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती हैं। रामअविता नाम वाली लड़कियां व्यव्हार से सहनशील और घूमने-फिरने के शौक़ीन होती हैं। ६ अंक वाली लड़कियां दूसरों को बड़ी जल्दी आकर्षित कर लेती हैं। अपने जीवन में परिवार का प्यार और सहयोग भरपूर मिलता है रामअविता नाम की लड़कियों को। रामअविता नाम वाली महिलाओं की राशि तुला है। रामअविता नाम की लड़कियां अक्सर अपने लाभ के बारे में सोचती हैं और इसलिए इनमें संतुलन की कमी होती है। तुला राशि वाली महिलाएं जिनका नाम रामअविता है, वे लोग ज़रूरतों और अपनी चाहतों के मुताबिक सोच बदल लेती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों के पास हर बात का तर्क होता है। ये भविष्य के बारे में ज्यादा सोचती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों का स्वभाव बहुत अच्छा होता है, लेकिन ये कभी खुद निर्णय नहीं लेती हैं क्योंकि इन्हें जिम्मेदारी लेना पसंद नहीं होता। रामअविता नाम की महिलाएं हमेशा चीजों व लोगों की आपस में तुलना करने लग जाती हैं। रामअविता की तुला राशि के हिसाब से और नाम
नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया | नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया - बान्सवारा न्यूज,बांसवाड़ा न्यूज़,बांसवाड़ा समाचार नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया बान्सवारा न्यूज - खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन हटाते परिषद कर्मचारी। बांसवाड़ा। नगर परिषद ने अतिक्रमण चिन्हित करने के बाद अब... खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन हटाते परिषद कर्मचारी। बांसवाड़ा। नगर परिषद ने अतिक्रमण चिन्हित करने के बाद अब इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी के तहत सोमवार को खांदू कॉलोनी में स्थित शुभ गार्डन के समीप बिना स्वीकृति लगाए गए एक केबिन हटाया गया। हल्का निरक्षक हेमंत भट्ट ने बताया कि केबिन अतिक्रमण की श्रेणी में था। जिस पर जाहिद खान और कुलदीप निनामा टीम के साथ पहुंचे और हटाने की कार्रवाई की। गौरतल है कि इससे पहले परिषद ने सभी वार्डों में अतिक्रमण चिन्हित कर उन पर लाल रंग से क्रॉस लगाने का अभियान चलाया था। यह प्रक्रिया पूरी होने पर अब चिन्हित अतिक्रमण हटाए जा रहे है।
तेलुगु देशम और टी आर एस की दिल्ली में सरगर्मीयां मुख़्तलिफ़ क़ाइदीन से मुलाक़ातें - थे शियासत डेली होम / इंडिया / तेलुगु देशम और टी आर एस की दिल्ली में सरगर्मीयां मुख़्तलिफ़ क़ाइदीन से मुलाक़ातें तेलुगु देशम और टी आर एस की दिल्ली में सरगर्मीयां मुख़्तलिफ़ क़ाइदीन से मुलाक़ातें आंध्र प्रदेश की इलाक़ाई जमातों ने अलाहिदा रियासत तेलंगाना के मसले पर आज मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों से सिलसिला वार मुलाक़ातें की। सदर तेलुगु देशम पार्टी एन चंद्राबाबू नायडू ने जहां बी जे पी और जनतादल ( यू) क़ाइदीन से मुलाक़ात की वहीं टी आर एस सरबराह के चन्द्र शेखर राव ने सी पी आई क़ाइदीन से मुलाक़ात की। दोनों पार्टीयों ने आर एलडी सरबराह अजीत सिंह से तीन घंटे के वक़फ़ा से अलहदा मुलाक़ातें कीं। सी पी आई और आर एलडी ने जहां इस बिल की ताईद का यक़ीन दिलाया वहीं जनतादल (यू) ने कहा कि वो किसी फ़ैसले से पहले पार्टी मीटिंग में ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करेगी। तेलुगु देशम पार्टी सदर एन चंद्राबाबू नायडू की ज़ेरे सदारत पार्टी वफ़द ने आज सदर बी जे पी राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की। चंद्राबाबू नायडू ने रियासत को तक़सीम करने कांग्रेस के फ़ैसले की वजह से पैदा शूदा सूरत-ए-हाल से सदर बी जे पी को वाक़िफ़ किराया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो दुसरे इलाक़ों के अवाम के साथ मुकम्मिल इंसाफ़ को यक़ीनी बनाए बगै़र बिल को मंज़ूर होने ना दें। इस ज़िमन में वो मर्कज़ पर दबाव डालें। चंद्राबाबू नायडू ने राज नाथ सिंह से मुलाक़ात के बाद मीडीया से बात करते हुए मर्कज़ पर रियासत की तक़सीम के सिलसिले में दस्तूरी क़वाइद की मुबय्यना तौर पर ख़िलाफ़वरज़ी का इल्ज़ाम आइद किया। उन्होंने ये जानना चाहा कि क्या किरण कुमार रेड्डी को इस मसले पर सड़कों पर आना चाहीए या वो सोनिया गांधी के साथ इस मसले को हल करने की कोशिश करें ?। उन्होंने कहा कि किरण कुमार रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी के पास ये हौसला नहीं है कि वो सोनिया गांधी के घर के रूबरू धरना दें। बादअज़ां चंद्राबाबू नायडू ने सदर जमहूरीया परनब मुखर्जी से मुलाक़ात की और आंध्र प्रदेश तंज़ीम जदीद बिल २०१३ में ख़िलाफ़ वरज़ीयों को उजागर क्या। दूसरी तरफ़ टी आर एस ने इस यक़ीन का इज़हार किया कि ये बिल पार्लियामेंट में मंज़ूर होजाएगा। ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए के चन्द्र शेखर राव ने कहा कि उन्हें बिल की मंज़ूरी का सद फ़ीसद यक़ीन है। वो नहीं समझते कि बी जे पी अपने मौक़िफ़ से पलट जाएगी। उन्होंने सीनीयर बी जे पी लीडर सुषमा स्वाराज के तेलंगाना बिल की ताईद में दिए गए बयान का हवाला दिया। प्रेवियस सदर आई सी सी की मुत्तहदा अरब इमारात को मुबारकबाद नेक्स्ट सी एन जी और पाइप पर मुबनी पकवान गैस की कीमतों में कमी
शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक | क्रांतिदूत शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने घोषणा की है कि बोर्ड पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करना शुरू करने वाला है । य... ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने घोषणा की है कि बोर्ड पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करना शुरू करने वाला है । यह एक ऐसा असंवैधानिक कदम है जिसे बोर्ड बिना बिचारे अविवेकपूर्ण ढंग से उठाने जा रहा है । उसने यह भी नहीं सोचा कि इससे मुस्लिम समाज का भी को हित है अथवा नहीं । कुछ वर्ष पहले, इस्लामी संगठनों ने केरल में, विशेष रूप से मुस्लिम बहुल जिलों में शरिया कोर्ट शुरू किए थे, लेकिन उन्हें कभी कोई मान्यता नहीं मिली । निश्चित रूप से, काजियों और कठमुल्लाओं द्वारा दिए गए निर्णयों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया । आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जो भारत में मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है और सत्तारूढ़ केंद्र सरकार के समक्ष शक्ति प्रदर्शन पर आमादा है, जब ऐसा कदम उठाये, तब उसके छुपे मकसद को समझकर गंभीरता से लेने की जरूरत है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि मुसलमानों के सिविल मामलों को निबटाने के लिए, पहले से ही भारतीय संविधान में मुस्लिम पर्सनल लॉ निर्मित है, जो लगभग शरिया के आदेशों के अनुरूप ही है। जहाँ तक आपराधिक मामलों का प्रश्न है, वे तो चाहे जितने शरीया कोर्ट बना लो, चलेंगे संविधान के अनुरूप ही | अपराध चाहे हिन्दू करे या मुसलमान, पुलिस कार्यवाही तो एक समान होगी | तो अब सवाल उठता है कि फिर देश में समानान्तर शरिया अदालतों को चलाने की आवश्यकता ही कहां है? किसके लिए होंगे ये शरिया न्यायालय? एआईएमपीएलबी पर मुख्यतः कट्टरपंथी सुन्नीयों का प्रभुत्व है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में, इस्लाम के शिया संप्रदाय के लोगों ने रामजन्मभूमि, ट्रिपल तलाक जैसे विषयों पर, सुन्नी संप्रदाय की राय से अलग राय व्यक्त की हैं | जाहिर है कि वे सुन्नियों द्वारा अपने साथ किये जा रहे भेदभाव को महसूस करते हैं। मुस्लिम संप्रदायों के बीच कई अन्य धार्मिक मतभेद हैं और उन्हें कभी सुलझाया नहीं गया है। खोजा, बोहरा और अन्य जैसे छोटे छोटे संप्रदाय, सुन्नी बहुमत के साथ मतभेद रखते हैं और भेदभाव महसूस करते हैं। इसके बाद भी सुन्नी प्रभुत्व वाला एआईएमपीएलबी, मुस्लिम समुदाय के बीच खिची सांप्रदायिक विभाजन की ओर बिना ध्यान दिए, सभी पर समान रूप से शरिया कोड लागू करने की कोशिश कर रहा है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या काजियों द्वारा धुर सांप्रदायिक आधार पर दिए गए फैसले, पूरी मुस्लिम आबादी को स्वीकार्य होंगे? क्या मुसलमानों के पासमांडा, असलाट और अर्जल, ताकत के बूते अशरफ द्वारा लगाए गए शरिया को स्वीकार करेंगे? गुजरे जमाने की आपराधिक न्यायप्रणाली माना जाता है कि शरिया कानून, पवित्र कुरान के आदेशों पर आधारित हैं तथा हदीस कथाओं द्वारा समर्थित हैं | सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे इस्लामी देशों में और अफगानिस्तान में अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा इनका कड़ाई से पालन किया जाता हैं। न्याय, खुले में होता है, जहां अपराधियों को जमीन पर पटक कर उनका सिर या कोई अन्य अंग आदि काटा जाता है । क्या भारत में भी शरिया अदालतें इसी प्रकार आपराधिक मामलों पर विचार करेंगी और उपरोक्त इस्लामी देशों की तर्ज पर फैसले भी लागू करेंगी? इन दंडों को वे कैसे लागू करेंगे ? जो भी न्यायाधीश या उनका अधीनस्थ इस प्रकार के दंड देगा, क्या वह भारतीय संविधान के विरुद्ध नहीं होगा ? ऐसी परिस्थिति में भारतीय न्याय तंत्र क्या चुपचाप तमाशा देखेगा? एआईएमपीएलबी और बोर्ड के सभी सदस्य भी क़ानून के जानकार हैं, तथा वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके इस कदम का हर स्तर पर विरोध होगा । और वे चाहते भी यही हैं | उनका एकमात्र उद्देश्य तो मुस्लिम जन के मन में लोकतंत्र के प्रति विरोधी वातावरण बनाना और मुल्लाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करने की मानसिकता तैयार करना है। कुल मिलाकर यह आने वाले लोकसभा चुनावों में मुसलमानों के ध्रुवीकरण का प्रयास है | मुस्लिम जनता चुनाव में केवल उसी को वोट करे, जो पिछले दरवाजे से उनके ईश्वरीय शासन को लागू करने का वादा करे | निश्चय ही यह एक भयानक षडयंत्र का खाका खींचा जा रहा है । इसका एक मकसद उन मदरसा स्नातकों को रोजगार मुहैय्या कराना भी है, जो इस्लामी ग्रंथों और अरबी भाषा से परे कुछ भी नहीं जानते । काश मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की उम्मीदें ओंधे मुंह गिरें, क्योंकि इसके पीछे केवल भारत को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करना है। यह मुस्लिम समाज के प्रगतिशील लोगों के लिए सही समय है कि वे मुल्लावाद के विरोध में खुलकर आवाज उठायें, जैसा कि अन्य इस्लामी देशों में भी हो रहा है। क्रांतिदूत: शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक
होम न्यूज रणवीर सिंह रामलीला के बाद फिर गुजराती किरदार में आएंगे नजर, इस महीने से शुरु करेंगे नई फिल्म की शूटिंग रणवीर सिंह रामलीला के बाद फिर गुजराती किरदार में आएंगे नजर, इस महीने से शुरु करेंगे नई फिल्म की शूटिंग रणवीर सिंह (रणवीर सिंह) लंबे वक्त बाद यश राज फिल्म्स (यश राज फिल्म्स) के साथ फिल्म जय भाई जोरदार (जयेश भाई जोरदार) में नजर आएंगे। इसमें वो एक गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। जानिए कब शुरू होगी इसकी शूटिंग। रणवीर सिंह लंबे वक्त यश राज फिल्म्स के साथ नजर आएंगे (फोटो:इंस्टाग्राम) रणवीर सिंह (रणवीर सिंह) ने गल्ली बॉय जैसी बेहतरीन फिल्म से अपनी शुरूआत की थी। इसके बाद वो जल्द ही कबीर खान (कबीर खान) की फिल्म ८३ में नजर आएंगे। ये फिल्म कपिल देव की लाइफ पर बनी है। इसके साथ ही उनकी झोली में करण जौहर की फिल्म तख्त (तख्त) भी है। इन फिल्मों के अलावा अब उनके पास यश राज बैनर की एक और फिल्म आ गई है। लंबे वक्त बाद रणवीर सिंह और ये प्रोडक्शन हाउस एक साथ आ रहे हैं। रणवीर सिंह (रणवीर सिंह मूवीस) इस बैनर के तहत बनने वाली फिल्म जय भाई जोरदार (जयेश भाई जोरदार) में नजर आएंगे। इसमें रणवीर सिंह रामलीला के बाद एक बार फिर गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। इसे मनीष शर्मा प्रोड्यूस करेंगे। इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होगी। इसके राइटर और डायरेक्टर हैं दिव्यांक ठक्कर हैं। आपको बता दें कि मनीष शर्मा ने बतौर डायरेक्टर अपना करियर रणवीर सिंह की फिल्म बैंड बाजा बारात से शुरू की थी। इस फिल्म के बारे में रणवीर सिंह ने एक इंटरव्यू में खुशी जाहिर करते हुए कहा- जयेशभाई एक बड़े दिल वाली फिल्म है। इसका विचार ही इसका विस्तार है। इसकी कहानी शानदार है। मैं शुक्रगुजार हूं यशराज फिल्म्स का जिन्होंने मेरे लिए इतनी जोरदार कहानी चुनी। अच्छी पटकथा हो तो वो फिल्म लिखते समय ही दिखने लगती है। दिव्यांग ने इस कहानी पर काफी मेहनत की है और उनके टैलेंट को देखते हुए ही मैंने फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी। इस फिल्म में मनोरंजन भी है और यह दिल को भी छू लेती है। इतना ही नहीं, रणवीर सिंह ने अपने इंस्टाग्राम पर एक फनी वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वो इसके डायरेक्टर दिव्यांक ठक्कर के साथ नजर आ रहे हैं। इसमें वो दोनों गुजराती में बात कर रहे हैं। इसमें रणवीर सिंह कुछ मजेदार सवाल दिव्यांक से पूछते हैं और वो इसका जवाब देते हैं। इसमें उन्होंने ये भी जाहिर कर दिया है कि इस फिल्म में वो नजर आने वाले हैं। जानिए रणवीर सिंह ने दीपिका पादुकोण की कैसे तारीफों के पुल बांधे वीडियो में देखिए रणवीर सिंह ने राखी सावंत को क्यों कहा आई लव यू
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ज्नू रो: हाईकोर्ट ने पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी के खिलाफ दायर याचिका खारिज की नई दिल्ली: जेएनयू देशद्रोह मामले की जांच को कथित तौर पर प्रभावित करने के लिए पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका को आज दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि यह याचिका प्रचार के लिए है और अदालतों पर ऐसी याचिकाओं का बोझ नहीं डाला जा सकता. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने सुनवाई शुरू होने के तत्काल बाद कहा, आपने यह याचिका क्यों दायर की? हम इस बात पर हैरान हैं कि यह जनहित में नहीं बल्कि प्रचार हित में है. पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि वह किस आधार पर ये आरोप लगा रहा है? याचिकाकर्ता सतीश पांडे की ओर से पेश हुए वकील ने अखबार में छपीं खबरों का हवाला दिया और कहा कि याचिका बस्सी की ओर से दिए गए बयान पर आधारित है, जो मीडिया में व्यापक तौर पर प्रकाशित हुआ था. इसपर पीठ ने कहा, हम अखबार की खबरों के अनुरूप नहीं चलेंगे. यदि आपके पास इन अखबारों की खबरों के अलावा कुछ और सामग्री है तो आप हमें बता सकते हैं. इस संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि याचिका प्रचार के लिए नहीं है. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर अखबार की खबरों का हवाला दिया. इसपर पीठ ने कहा, हम इस तरह की याचिकाओं का बोझ इस अदालत पर नहीं डाल सकते. अखबार की खबरों के अलावा हमें कोई अन्य सामग्री नहीं मिली है. रिट याचिका खारिज की जाती है. पीठ ने यह भी कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट की जानकारी में है और जांच अभी अधूरी है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि बस्सी का बयान- पुलिस जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी- दरअसल इस मामले में निष्पक्ष एवं स्पष्ट जांच के साथ-साथ अदालती कार्रवाई को भी प्रभावित कर सकता है. याचिका में दावा किया गया कि पुलिस कुछ ऐसे राजनीतिक दलों के हाथों में खेल रही है, जिनके अंतर्गत दिल्ली पुलिस काम कर रही है. याचिका में कहा गया कि बस्सी को निर्देश दिए जाने चाहिएं कि वह १६ फरवरी और १७ फरवरी को दिए अपने बयानों पर अपने विचार स्पष्ट करें. अपनी याचिका में पांडे ने दावा किया था कि पुलिस आयुक्त जैसे उच्च स्तर के अधिकारी की ओर से बेवजह दबाव बनाए जाने की स्थिति में ऐसे किसी मामले में कोई जांच अधिकारी मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से नहीं कर सकता. याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह बस्सी को जांच प्रभावित न करने का निर्देश दे. पांडे ने दावा किया था, आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप कोई अकेले व्यक्ति द्वारा अंजाम दिया गया अपराध नहीं है बल्कि एक सार्वजनिक अपराध है और देश का हर नागरिक प्रभावित है. बस्सी के अलावा, याचिकाकर्ता ने कन्हैया, केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रतिवादी बनाया था.
पहली फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट हुई सैफ अली खान की बेटी सारा, क्या है अगली नंबर १ एक्ट्रेस सारा अली खान न्यूज : सारा अली खान जल्दी ही सैफ अली खान की बेटी होने की इमेज से बाहर आ जाएंगी। जिस तरीके से बड़े फिल्म मेकर उनको साइन कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है। सारा अली खान न्यूज : सारा अली खान की भले ही अभी पहली फिल्म भी रिलीज नहीं हुई है लेकिन सैफ अली खान की बेटी अभी से ही तमाम बड़े फिल्म मेकर्स की पसंद बन गई है। बता दें कि सारा अली खान की डेब्यू फिल्म केदारनाथ है जो ७ दिसंबर को रिलीज होगी। इसमें वह सुशांत सिंह राजपूत के साथ आ रही हैं। हाल ही में फिल्म का टीजर रिलीज हुआ है और इसमें सारा के काम की काफी तारीफ हो रही है। इसके अलावा, इसी साल के अंत में वह रणवीर सिंह के अपोजिट रोहित शेट्टी की फिल्म सिंबा में दिखेंगी। इस यूनिट की भी यही राय है कि सारा अली खान आने वाले समय की सुपरस्टार हैं। वैसे लगता है कि सारा अली खान की इन ताारीफों से इम्तियाज अली खासे प्रभावित हो गए हैं। सुनने में आया है कि उन्होंने सारा को प्यार का पंचनामा फेम कार्तिक आर्यन के अपोजिट अपनी अगली फिल्म के लिए साइन किया है। अलसो रेड : बढ़ते प्रदूषण से परेशान हुईं करीना कपूर खान, गंदी हवा से बचने के लिए जिम में नहीं घर पर ही करती हैं व्यायाम अलसो रेड : दिशा पाटनी ने बिकिनी पहन शेयर की ऐसी फोटो, फैंस बोले- 'आओ कभी हवेली पर' डीएनए की एक खबर के मुताबिक, इम्तियाज की तमाम फिल्मों में ट्रैवलिंग कहानी का एक अहम हिस्सा होती है और इस नई कहानी में भी ऐसा ही फ्लेवर है। कार्तिक का चयन फिल्म के लिए पहले ही कर लिया गया था और उनके अपोजिट किसी नए चेहरे की तलाश थी जिसको पर्दे पर ज्यादा दर्शकों ने देखा न हो। जब इम्तियाज ने केदारनाथ और सिंबा के टीजर्स में सारा अली खान का काम देखा तो उन्होंने उनको कास्ट करने का मन बना लिया। खबर के अनुसार, सारा अली खान को भी फिल्म की कहानी पसंद आई है और वह भी इसके लिए हां कर चुकी हैं। फिल्म की शूटिंग अगले साल शुरू करने की प्लानिंग है। बेशक ये सब देखकर तो लगता है कि सारा अली खान को जल्द ही और भी बड़े ऑफर मिलने वाले हैं। देखना ये होगा कि इस दौड़ में क्या वह जान्हवी कपूर से आगे निकल पाती हैं या नहीं ! पहली फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट हुई सैफ अली खान की बेटी सारा, क्या है अगली नंबर १ एक्ट्रेस डेस्क्रिप्शन: सारा अली खान न्यूज : सारा अली खान जल्दी ही सैफ अली खान की बेटी होने की इमेज से बाहर आ जाएंगी। जिस तरीके से बड़े फिल्म मेकर उनको साइन कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है। टाइम्स नो
जीमेल में बिना सॉफ़्टवेयर हिंदी में लिखें - गूगल आइ एम ई होम फ़्री हिन्दी टूल्स जीमेल में बिना सॉफ़्टवेयर हिंदी में लिखें गूगल आइ एम ई गूगल ईमेल (गूगल ईमेल ग्मेल) में अब आप सैकड़ों प्रकार के नये वर्चुअल की-बोर्ड, लिप्यंतरण उपकरण, और इनपुट मेथड एडीटर (वर्चुअल कीबोर्ड, ट्रांसलिट्रेशन तूल एंड इनपुट मेथोड़ एडीटर) का प्रयोग कर पायेंगे। अब आपको अपनी भाषा और अपने की-बोर्ड (कीबोर्ड) से और दूर रहने की बात एक पुरानी बात होती नज़र आ रही है। अपनी पसंद की भाषाओं के मध्य किसी एक चुनाव (स्विचिंग बिट्वीन लैंग्वेएज) मात्र एक क्लिक (ओन क्लिक) में किया जा सकता है। अब गूगल कुल ७५ इनपुट भाषाएँ (७५ इनपुट लैंग्वेएज) समर्थित करता है। इस सुविधा को जी-मेल (ग्मेल) पर प्रयोग करने के लिए आपको सेटिंग (सेटिंग्स) विकल्प में भाषा (लैंग्वेएज) विकल्प के नीचे दिये इनेबल इनपुट टूल्स के चेक बॉक्स (चेक बॉक्स) पर क्लिक करके अपनी मनपसंद भाषा का चुनाव करना होगा। एक बार इसे सक्षम कर लेने के बाद आप इनपुट उपकरण (इनपुट तूल) का आइकन (इकन) सेटिंग बटन के बायीं ओर देख पायेंगे। आप यहीं इस उपकरण को ऑन और ऑफ (ऑन & ऑफ) भी कर पायेंगे, और यदि आपने एक से अधिक भाषाओं को इनपुट उपकरण (इनपुट तूल) में चुना है तो उनके मध्य किसी एक का चुनाव भी यहीं से सम्भव होता है। गूगल मेल (गूगल मेल ग्मेल) पर यूँ वर्चुअल की-बोर्ड (वर्चुअल कीबोर्ड) और आइ.एम.इ. (इमें) के ऐसे ज़बरदस्त गठजोड़ के बाद से प्लेटफार्म मुक्त (प्लेटफार्म इंडिपेंडेंट) बेहतर भाषा सहायता सम्भव हो सकेगी। यह तब भी बहुत कारगर साबित होगा जब हम यात्रा के दौरान अपनी भाषा में टाइप करना चाहें। साथ ही साथ यह महँगे बहु-भाषीय की-बोर्ड (एक्सपेसिव मल्टीलींगुअल कीबोर्ड) के लिए एक मुफ्त और कारगर विकल्प है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जायें: ३. अब आगे खुलने वाली विंडो में इनपुट टूल्स के आगे दिये ऑफ पर क्लिक करके उसे ऑन कीजिए (स्टेप ५) और चित्रानुसार स्टेप ६, स्टेप ७ व स्टेप ८ को मैनेज कीजिए। स्टेप ९ के अनुसार सब बदलाव सहेज दीजिए। ४. अब आप अपने ग्मेल इनबॉक्स पर नीचे दिखाये गये चित्र के अनुसार गूगल लिप्यंतरण बटन (स्टेप १०) देख पायेंगे। इस पर क्लिक करके आप अपनी चुनी गयी भाषाओं के मध्य टायपिंग के लिए चुनाव कर पायेंगे। आशा है यह पोस्ट आपको पसंद आयेगी और इससे लाभ अर्जित कर पायेंगे। प्रेवियस आर्टियलस्मार्ट वर्क और कड़ी मेहनत को लेकर ब्लॉगिंग में ३ भ्रम नेक्स्ट आर्टियलसफल ब्लॉग के लिए डोमेन, होस्टिंग और प्रीमियम टेम्पलेट चाहिए
पारंपरिक डॉक्टरों की भी सेवानिवृत्त की उम्र ६५ वर्ष होः तिब्बी कांग्रेस नई दिल्ली (भाषा)। यूनानी डॉक्टरों की संस्था ऑल इंडिया तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी ६५ वर्ष करने की मांग की है। संस्था के महासचिव डॉक्टर सैयद अहमद खान ने कहा कि डॉक्टरों की कमी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के सभी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर ६५ वर्ष करने के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने संबंधी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए बयान में यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर गुजारिश की है कि देश के पारंपरिक डॉक्टरों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। डॉक्टर खान ने पत्र में प्रधानमंत्री से मामले में दखल देने का अनुरोध करते हुए कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र का यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टर महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये डॉक्टर केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी काम करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस भेदभाव को खत्म करने को कहते हुए यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी ६५ वर्ष करने का ऐलान २१ जून को मनाए जाने वाले योग दिवस से पहले करने की मांग की है।
औथोर दि संडे पोस्ट डेस्क ११ भारत में न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय बेंच बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। सभी जानते हैं कि भारत की अदालतों में भ्रष्टाचार व्याप्त है आम धारणा यह है कि निचली अदालतों में भ्रष्टाचार बहुत अधिक है और जैसे-जैसे ऊपर की अदालतों में जाते हैं, वह कम होता जाता है। भारतीय इतिहास में पहली बार इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज के खिलाफ मामला दर्ज होने जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया रंजन गोगोई ने सीबीआई को तत्काल मामला दर्ज करने के लिए कहा है।हाईकोर्ट के जस्टिस एस एन शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। न्यायमूर्ति शुक्ला पर यूपी के मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गड़बड़ी करने का आरोप है। कहा गया कि निजी मेडिकल कालेज को लाभ पहुंचाने के लिए न्यायमूर्ति शुक्ला ने सत्र २०१७-१८ में प्रवेश तिथि बढ़ाई थी। यही वजह है कि जस्टिस एस एन शुक्ला के न्यायिक फैसले लेने पर जनवरी 20१८ से रोक लगी हुई है। वहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्य स्थल परिवर्तन प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। खास बात है कि सीजेआई ने पीएम मोदी को जून माह में पत्र लिखकर संसद में अभियोग लाकर शुक्ला को पद से हटाने की मांग भी की थी। तीस बरसों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सीबीआई को किसी सिटिंग जज के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि तीस साल पहले १९९१ में वीरास्वामी केस में किसी भी जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ दस्तावेज सीजेआई को दिखाए बिना जांच शुरु करने के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी थी। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ १९९१ से पहले किसी भी एजेंसी ने किसी भी मामले में हाईकोर्ट में कार्यरत जज के खिलाफ मामले में जांच नहीं की थी। उसके बाद से यह पहली बार है जब कोई जांच एजेंसी को सिटिंग जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी गई है। प्रियंका चोपड़ा ने अपना बर्थडे पर काटा लाखो रु का केक, जानिए खासियत नीति और नीयत पर संदेह मुकद्दर का सिकंदर बने महानायक को मिलेगा दादा साहेब फाल्के अवार्ड विपक्षी एकजुटता के बाद भी संसद से पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक ट्रेन की पटरी पर फेंका खाना खाता व्यक्ति का वीडियो वायरल, लोग बोले हमें शर्म आनी चाहिए
मुख्यपृष्ठमैथेमेटिक्स विज़नभिन्न या दशमलव वाली संख्याओं का ल.स और म.स पता करना। ल.स और म.स का टू इन ओन. हल : ४ / ५, और ३ / ७ का ल.स. = अंश का ल.स. / हर का म.स. या = ४ और ३ का ल.स. / ५ और ७ का म.स. या = १२ / १ चलिए अब हम ४ / ५, और ३ / ७ का ल.स. और म.स. बिना भिन्न वाले सूत्र लगायें ज्ञात करते हैं । इसके लिए हमको इन दोनों भिन्नों को खंडित करना होगा। भिन्नों को तोड़ना या खंडित करने के लिए हमें हर वाले मान को समाप्त करना होगा। हर वाले मान को दो प्रकार से हटाया या समाप्त किया जा सकता : भिन्न को दशमलव में बदलकर । किसी संख्या से अंश में गुणा करें और जो ल. स. और म.स. मिला है उसमें में उसी संख्या से भाग कर दें जिससे पहले गुणा किया गया था । बहुत ही आसानी से काम हो जायेगा। चलिए उदाहरण की सहायता से समझते हैं। उदाहरण : भिन्नों ४ / ५, और ३ / ७ का ल.स. और म.स. बिना भिन्न वाले सूत्र लगायें ज्ञात करने के लिए हम सबसे पहले दोनों भिन्नों के हर का ल.स. निकालना होगा या फिर ऐसी संख्या का गुणा करें दोनों भिन्नों कि हर वाला मान हट जाये । ५ और ७ का ल.स. = ३५ होगा। इसलिए ४ / ५, और ३ / ७ में ३५ का गुणा करने पर, ( ४ / ५ ) 3५ = ४ ७ और ( ३ / ७ ) ३५ = ३ ५ अब २८ और १५ का म.स.और ल.स. आसानी से पता कर सकते हैं। २८ = १ २ २ ७ और दोनों गुणनखंडो में सिर्फ एक ( १ ) मिल रहा है। इसलिए २८ और १५ का म.स. = १ होगा। चुँकि हमने भिन्नों को तोड़ने के लिए ३५ से गुणा किया था , इसलिए हमें ३५ से भाग करनी पड़ेगी । भाग करने पर, १ / ३५ होगा। अतः भिन्न ४ / ५, और ३ / ७ का म.स. = १ / ३५ अब २८ और १५ का ल.स. = २८ १५ = ४२०. चुँकि हमने २८ और १५ प्राप्त किया है भिन्नों ४ / ५, और ३ / ७ में ३५ का गुणा करने पर । इसलिए अब हमें ३५ से ४20 में भाग करनी पड़ेगी। भाग करने पर, ४२० / ३५ = ६ ७ १० / ५ ७ अतः भिन्न ४ / ५, और ३ / ७ का म.स. = १२ आगे जारी है... दशमलव का ल.स.और म.स. । नोट : भिन्नों को दशमलव में भी बदलकर ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है। पर जो भिन्नें पूर्णतः विभाजित होती हैं । उनका ही आसानी से ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है ।
संजय राउत बोले- मजबूत होने का मजा ही तब है... शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार ट्वीट कर विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं. संजय राउत ने ट्वीट कर लिखा है कि मजबूत होने का मजा ही तब है, जब सारी दुनिया कमजोर करने पर तुली है. मुंबई. महाराष्ट्र (महाराष्ट्र) में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस (शिव सेना, नप एंड कांग्रेस) गठबंधन की सरकार ने शनिवार को अपना बहुमत साबित कर दिया और रविवार को विधानसभा स्पीकर (असेंबली स्पेकर) का चुनाव किया जाना है. वहीं, शिवसेना नेता और राज्यसभा संजय राउत (संजय राउत) ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में शरद पवार की जमकर तारीफ, बीजेपी पर प्रहारशिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एनसीपी के मुखिया शरद पवार की जमकर तारीफ की गई है. इसमें कहा गया है कि पवार के बगैर राजनीति नीरस और रुचिहीन है. पूर्व सीएम पर हमला करते हुए लिखा गया है कि महाराष्ट्र में विपक्ष नहीं रहेगा और पवार की राजनीति खत्म हो चुकी है, ऐसी हास्यास्पद और बचकानी बातें करने वाले देवेंद्र फडणवीस को यह दांव उल्टा पड़ गया है.
द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन, बाइनरी विकल्पों पर व्यापार कुछ उपयोगकर्ता यह भी लिखते हैं कि वहां हैऐसे ऑटोक्लिकर्स जो आपके व्यक्तिगत डेटा (पासवर्ड, लॉगिन) को उन स्कैमर को प्रेषित करते हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक अपनी कड़ी मेहनत की है। क्या कोई अतिरिक्त द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन कार्यक्रम वास्तव में सार्थक है? फिलहाल, "एसईओप्रिंट" किसी भी ऑटोक्लिकर्स का समर्थन नहीं करता है और दृढ़ता से उन्हें काम करते समय उपयोग करने की सलाह नहीं देता है, अन्यथा वे उपयोगकर्ता को बैंक सूची में भेजते हैं। और आप सेओस्प्रिंट पर कमाई खो देंगे। समीक्षा, हालांकि, इस तरह के कार्यक्रमों के बारे में एक सकारात्मक नस में लिखी गई है, आमतौर पर डेवलपर्स स्वयं या अन्य बेईमान उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी जाती है। एक निर्धारित राशि के लिए उपयोगकर्ता एक महीने के लिए सेवा के लिए उपयोग मिल जाएगा। यह एक बहुत अच्छा सौदा, में निवेश के रूप में है द्विआधारी विकल्प - पूर्वानुमान रोबोट और मेरी सिफारिशों से बस कुछ ही दिनों में खुद के लिए कई बार भुगतान करना होगा। मुद्रास्फीति प्रबंधन में उपायों के एक सेट का उपयोग शामिल है जो कुछ हद तक मदद करता है जो आय स्थिरीकरण के साथ मूल्य वृद्धि (मामूली) को जोड़ता है। पश्चिमी देशों में प्रयुक्त प्रक्रिया प्रबंधन उपकरण मुद्रास्फीति की प्रकृति और स्तर, व्यापार पर्यावरण के विनिर्देशों और आर्थिक तंत्र के विनिर्देशों के आधार पर भिन्न होते हैं। मोरस्ती शहर में भूमध्यसागरीय सागर के तट पर रिबैट एक भव्य ट्यूनीशियाई किले है। यह सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रक्षात्मक काम है जो अरब विजेताओं द्वारा द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन माघरेब तट पर खड़ा हुआ है। इस्लाम। यह ७९६ में स्थापित किया गया था, यह इमारत मध्ययुगीन काल के दौरान, कई पुनर्गठन प्रारंभिक रूप से एक चतुर्भुज की तरह आकार में, इसमें चार आंतरिक आंगनों वाले दो भवन हैं। इसके अलावा, यह माघरेब के सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रिबेट माना जाता है, इसे मोनास्टिर का प्रमुख स्मारक माना जाता है। ग्यारहवीं शताब्दी के दौरान, अन्नालुसियाई भूगोल और इतिहासकार अल बकरी ने मोंस्थिर के रिबेट पर निम्नलिखित विवरण छोड़े: "यह एक बहुत ही उच्च और ठोस रूप से निर्मित किले है। जमीन के ऊपर, पहली मंजिल पर, एक मस्जिद है जहां एक शेख है, जो पुण्य और योग्यता से भरा है, जो खड़ा है, जिस पर समुदाय की दिशा तय है। " दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है । फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐमजॉन के शेयरों द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन में २ फीसदी की बढ़ोतरी से बेजॉस की कुल संपत्ति में ९० करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ और वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। टूर्नामेंट चयन में (गद९१) व्यक्तियों के एक नंबर टूर आबादी से यादृच्छिक पर चयन किया जाता है, और इस समूह से सबसे अच्छा व्यक्ति माता-पिता के रूप में चुने गए हैं. यह प्रक्रिया अक्सर दोहराया है ने कहा कि व्यक्तियों का चयन. इन चयनित माता-पिता वर्दी यादृच्छिक संतान उत्पन्न. टूर्नामेंट के चयन के लिए पैरामीटर टूर टर्नेरिंगटॉरेल्सन है. टूर मूल्यों से लेकर ले जाता है २ - ओसीआर के लिए सिफारिश की (जनसंख्या में लोगों की संख्या). तालिका ५ और चित्रा ९ टूर्नामेंट आकार और चयन के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के शो (बट९५)। बुनियादी तत्व पूरा होने के बादछवि, आप जारी रख सकते हैं। कार्य का अगला तत्व, चरणों में एक ओलंपिक तेंदुए को कैसे आकर्षित किया जाए, छवि के अंगों और विवरणों को चित्रित करने में शामिल हैं। बैंकों ने एल्गोरिदम का लाभ भी लिया है जो कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर मुद्रा जोड़े की कीमतों को अपडेट करने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं। ये एल्गोरिदम गति को बढ़ाता है जिस पर बैंक बाजार की कीमतों का उद्धरण कर सकते हैं, साथ ही मैन्युअल कामकाजी घंटों की संख्या को कम कर देते हैं, जो कीमतों का उद्धरण लेते हैं। इस बारे में सोचें कि आप आइटम कैसे बेच सकते हैं। आप अपने व्यक्तिगत सामान को उन लोगों को बेच सकते हैं जिन्हें आप जानते हैं, या अजनबियों, या इंटरनेट पर। आप कहां रहते हैं इसके आधार पर, इनमें से प्रत्येक विधि आपको त्वरित आय ला सकती है। फीफा रैंकिंग में भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम एक स्थान नीचे खिसक कर ९७वें स्थान पर पहुंच गई है. इससे पहले टीम ९६वें स्थान पर थी। संबंध जोड़कर तोड़ना बहुत मुश्किल है, विवाहित होकर के फिर संबंध तोड़ना कठिन कार्य है। मन की वैयावृति मानसिक वैयावृति कैसे होती है, यह जानना बहुत आवश्यक है। मोक्षमार्ग में असंख्यात गुनी निर्जरा होती है, ऐसा चिंतन करना चाहिए। तुमसे मेरे कर्म कटे, मुझसे तुम्हें द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन क्या मिला? तुमने अनेकों गतियों में भ्रमण करके संख्यात या असंख्यात काल पर्यंत बिना विश्राम किए दुख सहे है, तब अति अल्प काल के लिए इस भव में यह थोडा सा दुःख क्यों नही सहते हो? २०१८/०७/२५ मुद्रा बाजार में शांत है: सबसे मुद्राओं संकीर्ण सीमाओं महत्वपूर्ण घटनाओं इस सप्ताह से पहले समेकित - डोनाल्ड ट्रम्प, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की बैठक । यह वास्तव में एक बहुत ही आसान काम है, लेकिन यह आप उपकरण या एक संकेतक के प्रत्येक बिक्री के लिए, क्योंकि प्रत्येक ग्राहक के लिए पैसे की एक सुंदर राशि कमाने का मौका देता है, इस सहबद्ध साइट वे कमीशन मिलता है, मंच करने के लिए देता है। यह इन दिनों में काफी अच्छा कमीशन है। इस प्रक्रिया में लोगों को अभी केवल सौंपा गतिविधियों के प्रचार के लिए बाहर ले जाने के लिए की जरूरत है और कुछ में खुद को शामिल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन यह बहुत आसान काम कहा जाता है। यदि आप अधिक इस तरह की पेशकश के मामले में, एक विदेशी मुद्रा व्यापार में रुचि रखते हैं, जो उन लोगों के लिए पैसे की एक सुंदर राशि अर्जित करने के लिए बहुत अच्छा मौका है। सहबद्ध साइटों की मदद से विपणन के लिए सही प्रचार गतिविधियों और सही दृष्टिकोण के साथ, पैसे की एक सुंदर राशि प्रवाह कर सकते हैं। आप से ज्यादा अनुभव नहीं है, द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन तो व्यापार द्विआधारी विकल्प व्यापार और आवश्यकता को स्वीकार किया जा सकता है, एक डेमो व्यापारी खाते का उपयोग करने की कोशिश या जब आप व्यापार करने के लिए कैसे प्रॉपर्ली.तीस मदद कर सकते हैं आप आसानी से उत्कृष्ट ट्रेडों और बुरा ट्रेडों देखने को मिलता है समय की लंबाई के लिए एक मिनी खाते में अपने निवेश को कम सुरक्षित रखते हैं। फिर भी, एक पल के लिए जब आप एक गलती करते हैं, और यहाँ वहाँ एक अनिवार्य नाली हो जाएगा आता है! इस तथ्य को स्पष्ट रूप से समझ जाना चाहिए, ओवरक्लॉकिंग के संभव है, लेकिन यह लगातार और एक स्थिर आधार पर जमा ड्राइव करने के लिए असंभव है! डिज़ाइन परियोजना बाहर ताजा और मूल दिखता है, लेकिन पहले से ही देखा है के रूप में, कई मंचों, उत्पादों की इस तरह उच्च उपज परियोजनाओं के लिए है, न कि केंद्र के लिए की तुलना में सूट करेगा। शामिल जानकारी का एक न्यूनतम राशि संसाधन के पेजों को भरने, पाठ केवल अंग्रेजी भाषा के सामग्री तैयार की। होम प्रदर्शित करता है लाभ का एक कैलकुलेटर गणना के साथ निवेश की योजना, नीचे जमा और भुगतान पर कंपनी के फायदे और हाल ही के लेनदेन को दर्शाता है। अमेरिकी एथलीट मार्क फिलिप शल्ट्ज - ओलंपिक चैंपियन और दो बार विश्व चैंपियन। एक फ्रीस्टाइल पहलवान, वह अमेरिकी लड़ाई के राष्ट्रीय हॉल ऑफ फेम का मानद सदस्य है। गुणा करना। बोनस शेयर जो अगले महीने के भीतर एक निश्चित ट्रेडिंग कारोबार बनाने की योजना बना रहे हैं यह निम्नानुसार कार्य करता है: माह की शुरुआत में ग्राहक बोनस "गुणा" के लिए लागू होता है, जिसमें वे कितने लोगों की योजना बनाते हैं। पहले से, व्यापार संचालन के लिए उन्हें बोनस प्रदान किया जाता है। और अधिक - अधिक बोनस बीआईआर छुट्टी द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन की अवधि बच्चे की देखभाल (३ साल) के मुकाबले कुछ हद तक कम है। इस प्रकार की छुट्टियों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उनका उपयोग प्रासंगिक कार्य अनुभव के संचय को निलंबित नहीं करता है।
अूनप पाण्डेय, नई दिल्ली जीटीबी अस्पताल में मंगलवार को बच्चा बदले जाने के एक मामले को लेकर सुबह से शाम तक गाइनी वार्ड में हंगामे की स्थिति बनी रही। शाम के वक्त पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया। जानकारी के मुताबिक, बड़ौत के रहने वाले इमरान ने डिलिवरी के लिए अपनी पत्नी फरजाना को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां ऑपरेशन के बाद फरजाना को बच्चा पैदा हुआ। पति इमरान ने बताया कि मेडिकल कारणों से मां और बच्चे के अलग-अलग रखा गया था। सुबह के वक्त अस्पताल की एक महिला स्टाफ फरजाना के पास एक बच्चे को लेकर आई और बोली कि तुम्हें बेटा पैदा हुआ है, इसे अपना दूध पिलाओ। दूध पिलाने के बाद वह फिर बच्चे को लेकर चली गई। वही स्टाफ थोड़ी देर बाद दोबारा आई और बोली कि तुम्हें बेटा नहीं, बेटी हुई है। इसके बाद फरजाना के परिजनों ने बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे को बढ़ता देख मौके पर पुलिस और अस्पताल के अधिकारी पहुंच गए। सुबह से लेकर शाम तक चले हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने फरजाना के परिजनों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। जब नए सिरे से सारे पेपर चेक किए गए तो पता चला कि फरजाना को बेटा नहीं, बेटी ही पैदा हुई थी। अस्पताल की उस महिला स्टाफ की एक गलतफहमी की वजह से ऐसी अजीब स्थिति बन गई। हंगामे के दौरान दोनों ही मांओं का रो-रोकर बुरा हाल था। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुनील कुमार गौतम ने बताया कि इस मामले की जानकारी अभी उन तक नहीं पहुंच पाई है।
महाराष्ट्र: शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनाने की तैयारी लोकभारत मुंबई। महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने से इंकार करने के बाद अब बीजेपी का विपक्ष में बैठना तय माना जा रहा है। वहीँ अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं। बीजेपी द्वारा सरकार बनाने से इंकार किये जाने के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। संजय राउत ने कहा कि उद्धव जी ने साफतौर पर कहा है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा, यदि उन्होंने कहा है तो हर कीमत पर मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। वहीँ इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस प्रभारी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है और यही फैसला हमारा है। उन्होंने कहा कि कुछ बयानों में कांग्रेस के शिवसेना को समर्थन देने की बात सामने आ रही है और कुछ इससे इंकार कर रहे हैं लेकिन इन बयानों में कोई सच्चाई नहीं है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में अकेले सरकार बना पाना किसी भी पार्टी के लिए सम्भव नहीं है। बीजेपी शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों दलों के बीच में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार पैदा हो गयी। हालाँकि शिवसेना की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसे महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिलेगा। हालाँकि कांग्रेस और एनसीपी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर शिवसेना को समर्थन देने की बात नहीं कही है। ऐसे में देखना होगा कि क्या राज्यपाल कोश्यारी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता देंगे? यदि ऐसा होता है तो शिवसेना को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस समर्थन देते हैं अथवा नहीं।
बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों के लिए खुशखबरी - बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों के लिए खुशखबरी नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि जो सेवाओं अभी नि:शुल्क हैं २० जनवरी के बाद भी वे फ्री रहेंगी और कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डी.बी महापात्रा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा में यह स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि सभी सरकारी बैंक राष्ट्र सेवा और देशवासियों की सेवा में लगे हुए हैं। इसके मद्देनजर देशवासियों पर बैंकिंग सेवाओं को लेकर कोई भी अतिरिक्त प्रभार नहीं लगाया गया है। सभी सरकारी बैंकों में २० जनवरी से किसी भी नि:शुल्क सेवा को शुल्क में दायरे में नहीं लाया जा रहा है। इस संबंध में वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने भी बैंकों से जानकारी ली है और उन्होंने भी ट्वीट के जरिये यह साफ किया है कि २० जनवरी से कोई भी सरकारी बैंक नि:शुल्क सेवाओं को समाप्त नहीं कर रहा है और इन सेवाओं पर शुल्क नहीं लगा रहा है। प्रेवियस पोस्टप्रिवियस छेड़छाड़ मामला : ५ महीने बाद जेल से बाहर आए विकास बराला नेक्स्ट पोस्टनेक्स्ट सलमान ने १९२१ के लिए जरीन खान को दी शुभकामनाएं
हेडली, इशरत व भारतीय पाखंड होम > संवाद > हेडली, इशरत व भारतीय पाखंड जब अमेरिका में हेडली से पहली पूछताछ में एनआईए ने उसके ब्योरे को पेश किया तो यह राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया कि इशरत लश्कर से जुड़ी थी और अपना मिशन पूरा नहीं कर पाई। संदर्भ हटा दिए गए, उन्हें निरस्त और खारिज कर दिया गया। अब हेडली अपने २०१० के बयान को ही दोहरा रहा है। हेडली के दावों से तीन विवादित तस्वीरें उभर रही हैं। पहली उसका दावा एकदम खोखला है। वह दोषी है। साथ ही ऐसा दोहरा एजेंट रहा है, जिसने अमेरिकी और भारतीय कानून में टाडा अदालत से माफी के जरिए राहत पाई है। इशरत के बारे में उसका बयान राजग सरकार द्वारा दी गई माफी के बदले एहसान भी हो सकता है। लिहाजा, उनकी मूल धारणा में कोई बदलाव नहीं आया है कि इशरत निर्दोष थी, जो फर्जी मुठभेड़ की भेंट चढ़ गई। दूसरा, अब तमाम सबूत बोलते हैं कि इशरत लश्कर की सक्रिय सदस्य थी और अगर पुलिस ने उन लोगों का उड़ा दिया तो इसमें क्या समस्या है, आपको आतंकियों से सक्रियता के साथ निपटने की दरकार है। तीसरी तस्वीर नागरिक अधिकारवादियों का यह सुविधाजनक पहलू कि अगर वह आतंकी थी भी, तो क्या? क्या इससे फ़र्जी मुठभेड़ को वैधता मिल जाती है? इन सभी तस्वीरों के तर्क भारी पड़ते हैं लेकिन ये तथ्य और नैतिकता के आधार पर दोषपूर्ण भी हैं। चलिए उन शुरुआती तीन पहलुओं के संदर्भ में इन्हें कसौटी पर कसते हैं। पहला यह कि संप्रग शासन के दौरान खुफिया हलकों में यह मान लिया गया था कि इशरत एलईटी की सदस्य थी। उस गिरोह को सुनियोजित मुठभेड़ में मार गिराया गया, जो आतंक से निपटने की कवायद के 'अनुरूप' ही था। असल में संप्रग के दूसरे कार्यकाल में ही यह शुरू हुआ, जब सरकार को गुजरात से चुनौती कड़ी होती दिखी और उसके मोदी, शाह और उनके सक्रिय पसंदीदा पुलिसकर्मियों पर उनके विशेष परिचालन समूहों ने सक्रियता बढ़ा दी और 'फर्जी मुठभेड़' पर मातमपुर्सी का सिलसिला शुरू हुआ। इसके दोहरे मकसद थे। एक तो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की जड़ें काटना और दूसरा मुसलमानों को पीडि़त के तौर पर पेश कर चुनावी फायदा उठाना। वास्तव में जब अदालती दखल और शीर्ष राजनीतिक स्तर पर संप्रग के फैसले से मुठभेड़ सुर्खियों में लौटी और राजेंद्र कुमार को लपेटा जाने लगाए जब देश में पहली बार आईबी के किसी अधिकारी के साथ ऐसा सुलूक हो रहा था तो संगठन के अंदरूनी ढर्रे की परतें खुलनी लगीं, जिससे सुरक्षा हलकों में बेचैनी बढ़ गई। तमाम वयोवृद्ध दिग्गजों सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसका विरोध किया और तर्क दिया कि यह बेहद जोखिमभरा है और ऐसी मुठभेड़ें का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए मगर सियासत इस पर हावी हो गई। एक स्तर पर यह सीबीआई बनाम आईबी की लड़ाई बन गई। दूसरी ओर कांग्रेस के विशेष परिचालन समूह के सदस्यों ने नए सिद्धांत गढ़ लिए, जैसे कि कुमार और नरेंद्र मोदी का (नजदीकी याराना) रहा है और जब मोदी हिमाचल में भाजपा के प्रभारी थे तो चंडीगढ़ में आईबी की कमान संभाल रहे कुमार के साथ उनकी करीबी बढ़ी। यह खोज करने में संप्रग को एक दशक, तीन गृह मंत्री और पांच आईबी प्रमुख लग गए। अब यह खुलासा हो चुका है और कांग्रेस को नहीं पता कि उसे कहां मुंह छिपाना है। यह किसी से छिपा नहीं रहा कि सुरक्षा संबंधी सभी खतरों से निपटने में कांग्रेस खासी क्रूर रही है। वर्ष १९८४ से १९९३ के दरमियान उसने बेमिसाल एकनिष्ठता के साथ गुप्त तरीके से पंजाब में अलगाववाद को नेस्तनाबूद किया। अगर विशाल भारद्वाज की 'हैदर' में नब्बे के दशक की शुरुआत के दौरान कश्मीर में आतंक विरोधी गतिविधियों से निपटने की हृदय विदारक तस्वीर ने आपको विचलित किया हो तो याद रखिए कि यह सब नरसिंह राव की 'कमजोर' और अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हो रहा था। इसलिए कांग्रेस के लिए सीधा जवाब यही होगा कि देखो इस मसले पर कौन आवाज उठा रहा है। सबसे बेवकूफाना तर्क यह है कि भाजपा ने हेडली को माफी दी और इशरत को लेकर उसका दावा सौदेबाजी का हिस्सा है। हेडली को लेकर सौदेबाजी संप्रग के समय में ही शुरू हुई थी। अगर आपको संदेह है तो तत्कालीन अमेरिकी राजदूत टिम रोमर की नारायणन से बातचीत के लीक अमेरिकी केबल पर गौर कीजिए, जिसमें वह कहते हैं कि भारत खुद को ऐसे पेश नहीं कर सकता कि वह प्रत्यर्पण से पीछे हट रहा है, लेकिन फिलहाल इसे नहीं उठाएगा। स्वाभाविक रूप से रोमर इशारा करते हैं कि अमेरिकी कानून में अगर किसी को दोषी ठहराया जाता है तो जब तक सजा पूरी न हो जाए, उसका प्रत्यर्पण नहीं हो सकता और यह मामला ३५ साल की सजा से जुड़ा है। लिहाजा, भारतीय माफी महज औपचारिकता है। नागरिक अधिकारवादियों का मामला ज्यादा पुख्ता है, खासतौर से जब वे यह कहते हैं कि अगर वह आतंकी थी भी तो क्या। कोई भी कानून फर्जी मुठभेड़ों को वैधता नहीं देता। यह सर्वमान्य है। भाजपा का तर्क है कि आतंकियों को किसी भी सूरत में ठिकाने लगाया जा सकता है, भले ही वह नैतिक और कानूनी रूप से गलत हो। सवाल है कि क्या इशरत मामला फर्जी मुठभेड़ है। फर्जी और वास्तविक मुठभेड़ों (बटला हाउस मुठभेड़ भी संप्रग के दौर में हुई) के अलावा एक तीसरी और प्रचलित श्रेणी है। खुफिया लोगों ने सबसे अशिष्ट चीज के लिए बेहद शिष्ट शब्द गढ़ा है। इसे वे निर्देशित हत्या का नाम देते हैं। इशरत मुठभेड़ न तो वास्तविक थी और न ही फर्जी। मेरे नजरिए ये यह नियंत्रित हत्या थी। अगर आतंकी खतरों के बढऩे से ऐसी और हत्याएं जरूरी हैं तो आपको भी अमेरिका की तरह कानूनी ढांचा बनाना होगा। या फिर स्कैंडेनेवियाई देशों की राह चलना होगा। अगर इस अवैध और अनैतिक कृत्य को लेकर आप असंतोष जताते हैं तो आपको इसकी शुरुआत कुछ पहले से करनी होगी और अगर १९६८-७१ के दौर वाले नक्सली अध्याय से नहीं तो १९८४-९३ के पंजाब से ही सही। आप इशरत पर भी नहीं रुक सकते। क्या संप्रग के राज में किसी आजाद नाम के माओवादी पर कोई हंगामा हुआ, आजाद भारत में किसी अन्य की तुलना में कांग्रेस के राज में ही सबसे ज्यादा नियंत्रित हत्याएं हुईं। असंतोष जताने के लिए सुविधावादी नहीं हुआ जा सकता।
इस नेता का बड़ा बयान, कहा पीएम मोदी करते है कपड़ों से...इनकी पहचान इंदौर में एक सभा को संबोधित करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, मेरे घर में हाल ही में निर्माण कार्य चल रहा था। इस दौरान मेरे यहां काम कर रहे मजदूर जब खाना खाने बैठे तो मुझे उनके खाना खाने का तरीका कुछ अजीब लगा। वे सभी पोहा खा रहे थे। मैंने उनके सुपरवाइजर से पूछा कि ये लोग बंगलादेशी हैं क्या? इसके बाद वे मजदूर काम पर ही नहीं आए। बता दें कि असम में न्र्च के खिलाफ हुए हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान पीएम मोदी झारखंड में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मंच से उन्होंने कहा था कि देश में आग कौन लोग लगा रहे हैं, यह उनके कपड़ों से पता चल जाता है। पीएम मोदी ने कहा था, ये कांग्रेस और उसके साथी हो-हल्ला मचा रहे हैं, तूफान खड़ा कर रहे हैं. उनकी बात चलती नहीं है तो आगजनी फैला रहे हैं. ये जो आग लगा रहे हैं, टीवी पर जो उनके दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन जारी है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने कहा था कि जो लोग देश में आग लगाते हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है कि वे कौन लोग हैं। अब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, मेरे घर में काम कर रहे मजदूरों के पोहा खाने के तरीके से मैं समझ गया कि वह बांग्लादेशी हैं। प्रेवियस केजरीवाल के सपोर्ट उतरा ये चाय वाला, फ्री में पीला रहे ४ किस्म की चाय नेक्स्ट बाबा रामदेव ने मोदी सरकार को दी ये नसीहत, कहा इस पर दे ध्यान

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