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जिलाधिकारी हरिद्वार श्री सी० रविशंकर ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कलेक्ट्रेट परिसर रोशनाबाद में पौधारोपण किया। जिलाधिकारी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जनपदवासियों से पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षित होगी तभी जीवन सुरक्षित होगा। वही विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री परशुराम पार्क भीमगोड़ा में महानगर कांग्रेस कमेटी के महासचिव बादल गोस्वामी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजीव शर्मा के संयोजन में वृक्षारोपण किया गया। परशुराम पार्क में पौधारोपण करने वालो में वीर गिरि,सोनू गुप्ता,गोविंद भंडारी,सोनू चौहान,शिवम गिरि,सुभम,गिरि,मनोज शर्मा, ने पीपल, आम के पेड़ लगाए आदि ने किया। आज विभिन्न स्थानों पर पर्यावरण बचाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम हुए ऐसे ही एक कार्यक्रम में चिकित्सा स्वास्थय एवं परिवार कल्याण समिति हरिद्वार के सदस्यों के द्वारा वृक्षारोपण किया गया जिसमे उन्होंनेवृक्ष लगाओ देश बचाओ का नारा देते हुए वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर जिला टी.बी चिकित्सालय के बहार व मेला अस्पताल के कैम्पस परिसर में वृक्षारोपण किया गया, सभी का बस एक ही उद्देश्य था कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं जिससे हरिद्वार में या देश में कही भी पेड़ो की कमी न हो। कोरोना माहमारी के चलते देश मे हर जगह जहाँ स्वास्थ विभाग अपनी जान की बाज़ी लगा कर दिन रात कार्य कर रहा है वही बीच मे समय निकाल कर अपनी जिमेदारी समझते हुए आज वृक्षारोपढ का कार्य भी सम्पन्न किया गया। वृक्षारोपण करना हर नागरिक का धर्म होना चाहिए जिससे शहर व देश हरा भरा ओर स्वच्छ रहे व सभी को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहे। जिस प्रकार पेड़ों को काटा जा रहा है यही सबसे बड़ा कारण है कि पृथ्वी पर तापमान त्रीव गति से बढ़ता जा रहा है और उसकी वजह से ही अलग अलग तरह की आपदा आ रही है इसलिये सभी को आगे आकर पेड़ लगाने चाहिए। इस मौके पर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से दिनेश लखेड़ा, राजेंद्र तेश्वर, राकेश भंवर, हिमांशु राणा,नवनीत पटवाल, सलीम, महेश कुमार, जगमोहन, रजनी, चीकू कालरा, दीपक आदि मौजूद रहे।
बाराबंकी। नवागत पुलिस अधीक्षक श्री दिनेश कुमार सिंह द्वारा आज पुलिस कार्यालय के विभिन्न शाखाओं प्रधान लिपिक, आंकिक, रिट सेल, स्थानीय अभिसूचना इकाई, सम्मन सेल, डीसीआरबी, शिकायत प्रकोष्ठ, मॉनीटरिंग सेल, आईजीआरएस आदि का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान रजिस्टरों, फाइलों आदि के रख रखाव एवं साफ-सफाई एवं विभागीय फाइलों के निस्तारण, जांच, सम्मन तामीला की स्थिति, ऑनलाइन पोर्टलों पर शिकायतों की आख्या अपलोड करने की स्थिति, पुलिस वेरीफिकेशन की स्थिति आदि का निरीक्षण किया गया। अभिलेखों के बेहतर व व्यवस्थित रख-रखाव एवं उनको अद्यावधिक रखने हेतु सम्बन्धित को निर्देशित किया गया। इस दौरान पुलिस कार्यालय के विभिन्न शाखाओं में नियुक्त अधिकारी/कर्मचारीगण मौजूद रहे।
प्रेम पत्र क्या होता है:-दुनिया में जब पहली बार प्यार होता है और प्रेमी और प्रेमिका दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात कहते हैं और दोनों एक हो जाते हैं अर्थात दोनों एक दूसरे के साथ सच्चे प्यार के बंधन में बंध जाते हैं रिलेशनशिप में आ जाते हैं तब दोनों एक दूसरे से हर दिन बात करते हैं परंतु कुछ प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखते हैं प्रेम पत्र वह होता है जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक कागज पर अपने दिल में प्रेमिका। के प्रति प्यार की भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करता है अर्थात लिखता है प्रेमी अपनी प्रेमिका को कागज पर अपने दिल की बात लिखना और अपनी प्रेमिका का हाल पूछना अपने प्यार को व्यक्त करना शेयर लिखना होता है और यही प्रेम पत्र होता है और प्रेमिका अपने प्रेमी को प्रेम पत्र का जवाब अवश्य देती है प्रेम पत्र के माध्यम से दोनों में एक दूसरे के प्रति सच्चा प्यार बढ़ता है। प्रेमिका को सरल प्रेम पत्र कैसे लिखें(सिंपल लव लेटर तो गर्ल्फ्रेंड):-अगर आप भी अपनी प्रेमिका को एक सरल तरीके से प्रेम पत्र लिखना चाहते हैं तो आपको कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं है केवल आपको एक कागज होना चाहिए जिस पर आप अपनी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिख सकें और एक आपके पास पेन होना चाहिए अगर यह दो चीजें आपके पास है तो आप अपनी प्रेमिका को सर प्रेम पत्र लिख सकते हैं। सबसे पहले आप एक कागज में और बहुत ही सुंदर लिखाई से अपनी प्रेमिका का हाल पूछे फिर आप अपनी प्रेमिका को उसके प्रति अपने दिल में प्यार की भावना को शब्दों के रूप में व्यक्त करें जिससे आप की प्रेमिका को आपके सच्चे प्यार का एहसास हो और आप बहुत सुंदर लिखाई से पत्र लिखें और आप अपनी प्रेमिका की तारीफ के लिए बहुत सुंदर शायरी अवश्य लिखें इससे आपकी प्रेमिका बहुत प्रसन्न होगी। प्रेमिका को पत्र लिखें वक्त क्या गलती ना करे:-प्रेमिका को पत्र लिखते वक्त आपको यह गलती कभी भी नहीं करनी चाहिए सबसे पहले जब भी आप अपनी प्रेमिका को पत्र लिखें तो अगर आपकी लिखने में लिखाई अच्छे नहीं है तो आप पहले प्रैक्टिस करें और अपनी लिखावट को सुधारें और फिर अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखें और दूसरी गलती प्रेम पत्र लिखते वक्त आपको कागज का टुकड़ा बहुत ही अच्छा लेना है। और आपका पैन भी अच्छा होना चाहिए जिससे आपका प्रेम पत्र और भी सुंदर दिखने लगेगा और आपकी प्रेमिका को पढ़ने में भी मजा आएगा और एक गलती और कभी भी आप अपना पहले प्रेम पत्र में अपना नाम ना लिखें क्योंकि अगर वह प्रेम पत्र आपकी प्रेमिका के घरवालों के हाथ लग गया तो आपके लिए बहुत मुश्किल हो सकती हैं कृपया प्रेम पत्र लिखते वक्त यह गलतियां ना करें। प्रेमिका को ज्यादा लंबा पत्र ना लिखें:-अगर आप अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखते हैं और उस प्रेम पत्र को बहुत ज्यादा ही लंबा पांच और सात तेजू में लिखते हैं तो ऐसा कभी ना करें क्योंकि ऐसा होगा आपकी प्रेमिका को पत्र पढ़ने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और घर पर होने के पश्चात आपकी प्रेमिका आपका पूरा पत्थर नहीं पढ़ पाएगी। और आपकी प्रेमिका को वह पत्र बोरिंग लगने लगेगा जब भी आप अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखें तो वह सिर्फ एक पेज से ज्यादा ना लिखें और आप कम शब्दों में अपनी प्रेमिका को पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात और आपका उसके प्रति प्यार को जाहिर करने की कोशिश करें और पत्र की लिखाई को सुंदर रखें आपकी प्रेमिका आपसे जरूर इंप्रेस होगी। प्रेमिका तक अपना पत्र कैसे पहुंचाएं:-यह सबसे जरूरी बात है कि अपनी प्रेमिका तक पत्र कैसे पहुंचाएं हम आपको बता दें कि अगर आपने अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिख लिया है आप उसके जरिए ही प्रेम पत्र पहुंचाएं जिस पर आप को सबसे ज्यादा भरोसा है आप अपनी प्रेमिका को पत्थर पहुंचाने के लिए उस व्यक्ति या अपने दोस्त की मदद ने जिस पर आप को सबसे ज्यादा भरोसा है और जो भरोसे वाला है। जिस पर आपको विश्वास है कि यह पत्र आपकी प्रेमिका को अवश्य पहुंच जाएगा और पत्र के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगा या आप अपनी प्रेमिका की दोस्त से मदद ले सकते हैं आप प्रेमिका की उस दोस्त से मदद लें जो प्रेमिका की सबसे अच्छी दोस्त हो वह आपका प्रेम पत्र आपकी प्रेमिका तक अवश्य और सुरक्षित तरीके से पहुंचा देगी और आपको कोई भी चिंता नहीं सताएगी। दोस्तों यह सिंपल लव लेटर तो गर्ल्फ्रेंड पोस्ट अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी है तो आप कॉमेंट करके हमें जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें और आप हमें फ़ॉलो करना बिलकुल ना भूलें आप हमें फ़ॉलो जरूर करें।थंक्य्स!
चिचोली(राजेन्द्र दुबे)- चिचोली थाना क्षेत्र के एक गांव में महिला का शव मिलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है । घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई है । मिली जानकारी के मुताबिक चिचोली थाना क्षेत्र के दूधिया गांव में चिखाल नाला के किनारे एक महिला का शव मिला है । जिसकी सूचना चिचोली पुलिस को दी गई है । घटना की जानकारी मिलते ही चिचोली टीआई अजय सोनी और पुलिस टीम के साथ ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए हैं । बताया जा रहा है कि शनिवार की सुबह कुछ ग्रामीण मंदिर जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में चिखाल नाला के किनारे पैर देखें । जब उन्होंने पास में जाकर देखा तो एक महिला का शव पड़ा था । महिला की शिनाख्त रामकला पति बिसन करोचे उम्र ३५ साल के रूप में हुई है । पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच कर रही है । टीआई अजय सोनी का कहना है कि जिस महिला की लाश मिली है उसके गले में कपड़ा बंधा हुआ है जिससे हत्या की आशंका लग रही है फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है । मारुति नव गें स्विफ्ट इन दो शानदार गाड़ियों से मार्केट में दबदबा बनाएगी मारुति, १ लीटर में तय करेंगी ४०क्म सफर! चने की खेती: किसान चने की अच्छी उपज कैसे ले इस प्रकार होगी बम्फर पैदावार और जाने उन्नत खेती खेती के बारे में।
इस आर्टिकल में लेटेस्ट और बहुत ही बेहतरीन सैमसंग मोबाइल की जानकारी दी जा रही है। इन स्मार्टफोन की कीमत ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में २० हजार रुपये से भी कम है। आज हम आपको २० हजार रुपये से भी कम में मिल रहे बेस्ट सैमसंग मोबाइल प्राइस के बारे में बता रहे हैं। यह स्मार्टफोन लेटेस्ट फीचर और स्पेसिफिकेशन वाले हैं। इनका लुक और डिजाइन भी प्रीमियम है। यह स्मार्टफोन ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में आकर्षक डिस्काउंट और ऑफर के बाद २० रुपये से भी कम में मिल रहे हैं। अगर आप सिटीबैंक, उनकार्ड, रुपय या र्बल बैंक के कार्ड से शॉपिंग करते हैं, तो आप एक्स्ट्रा १०% इंस्टेंट डिस्काउंट का लाभ भी उठा सकते हैं। नोट : आमाज़न ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल से बंपर डिस्काउंट पर शॉपिंग करने के लिए यहां क्लिक करें। रामपुर दो दिन के भीतर दूसरा केस हो गया दर्ज, आजम खान के साथ रामपुर में ये क्या हो रहा है?
हनुमान जी को कलयुग में जागृत देव माना गया है, रामभक्त हनुमान जी चमत्कारी सफलता देने वाले देवता माने गए है। आज के समय में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए है। अतः हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तो द्वारा अनेक प्रयास किये जाते है। इन उपायों से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और सुख-समृद्धि, धन-दौलत प्राप्त होती है। ये उपाय इस प्रकार हैं- हनुमान जी का चौपाई पढ़ सबसे सरल उपाय है बजरंग बली को प्रसन्न करने का। हनुमान चालीसा की ये चौपाई पढ़ने से बहुत जल्द शुभ फल प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति मंगलवार के दिन रात के समय हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ करता है जिसमें अष्टसिद्धी व नवनिधी के वाक्य निर्मित हैं वो व्यक्ति धन धान्य से संपन्न होता है। भूत पिशाच निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावे इस चौपाई का जाप उनलोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है जिनको भय सताता हो। इस चौपाई का प्रतिदिन शाम में १०८ बार जाप किया जाए तो हर प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती है। नाशे रोग हरे सब पीड़ा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ये चौपाई उन लोगों यह रामबाण उपाय है जो लंबी बीमारियों से पीडित है। इसके अलावा कार्यों में आ रही बेवजह की बाधाएं आनी भी रुक जाती हैं और आप आसानी से अपना हर कार्य पूरा करते हुए पढ़ाई, जॉब या बिजनेस में सफलता पाते हैं। धीरे-धीरे आपको आर्थिक संपंन्नता भी प्राप्त होती है। अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बीर दीन जानकी माता ये चौपाई चमत्कारी चौपाई है जो आपको परेशानियों से लड़ने की शक्ति देती है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद आधे घंटे तक जाप करें। कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आपका हर काम बिना किसी परेशानी के होने लगा है और जो रुक रहे रहे वो कार्य भी आसानी से पूरे हो गए हैं। धन प्राप्ति से लेकर जिस भी विशेष कामना के साथ आप इस चौपाई का जाप १०८ बार करेंगे वह तुरंत पूरा होगा। विद्या बाण गुणी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर बिना ज्ञान और बुद्धि के संसार में कुछ भी पाना संभव नहीं है। ऐसा व्यक्ति हमेशा ही गरीबी और उपेक्षा का शिकार होता है। विद्या बुद्धि प्राप्ति के लिए सुबह स्नान के बाद १०८ बार इन चौपाइयों का जाप करें। भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे इसका प्रतिदिन जाप करने से व्यक्ति के हर बिगड़े कार्य बन जाते हैं और किसी भी कार्य में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आती। व्यापार में बाधा हो या आर्थिक परेशानियां, प्रतिदिन प्रातः काल इसका १०८ बार जाप करें।
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा परस्पर अविश्वास की भावना हैं। रूस और अमेरिका दोनों एक-दूसरे से भयभीत हैं और परस्पर अविश्वास करते हैं। दोनों को लगता है कि दूसरा पक्ष उन्हें पूरी तरह नष्ट करने पर तुला हुआ हैं, अतः उसे अधिक तैयारी करनी चाहिए। डाॅ. ओम नागपाल के शब्दों में," निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा राजनीतिक ही हैं। तकनीकी बाधा इसके सम्मुख गौण हैं। संसार मे जब तक राजनीतिक तनाव कम नहीं होता, निःशस्त्रीकरण संभव नहीं हैं।" संसार के अधिकांश बड़े देश भ्रम के शिकार हैं कि उनके पास अपने शत्रु से अधिक और घातक शस्त्र होना ही उनकी सुरक्षा की गारन्टी हैं। इसी धारणा के आधार पर ही ये देश अपनी शस्त्र क्षमता और हथियारों का भण्डार बढ़ाते चले जाते हैं। वे निःशस्त्रीकरण के प्रस्ताव भी ऐसे रखते हैं कि उनकी श्रेष्ठता दूसरे पक्ष पर बनी रहे। प्रो. शूमाँ ने ठीक ही लिखा था," वाशिंग्टन के नीति निर्धारक अपने फार्मूले के प्रति दृढ़ रहे हैं। निःशस्त्रीकरण के सभी अमेरिकी प्रस्तावों के विषय में यह पहले से ही ज्ञात रहता था कि उसे सोवियत रूस ठुकरा देगा। सभी प्रस्ताव रूस को दुविधा में डालने के लिए प्रस्तुत किये जाते थे। सबका पहले ही प्रचार किया जाता था, जो किसी भी समझौते को असंभव बना देते हैं।" यही बात निःशस्त्रीकरण संबंधी रूसी प्रस्तावों के बारे में भी कही जा सकती हैं। निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा आर्थिक स्वार्थ हैं। अमेरिका और रूस संसार के दो सबसे बड़े शस्त्र उत्पादक व्यापारी है। दुनिया के बाजार में जो शस्त्र बेचे जाते हैं, उनकी लगभग ५० प्रतिशत बिक्री अमेरिका द्वारा की जाती हैं। इसी तरह कुल शस्त्रों की बिक्री की लगभग २८ प्रतिशत रूस द्वारा की जाती हैं। इसके अतिरिक्त शस्त्रों का व्यापार एकाधिकार का व्यापार हैं। इसमें प्रतिस्पर्द्धा बहुत कम और लाभ बहुत अधिक हैं। निःशस्त्रीकरण के मार्ग में कुछ व्यावहारिक कठिनाइयाँ भी हैं। किसी समझौते पर तभी हस्तक्षार हो सकते हैं, जबकि दोनों पक्षों को इस बात का आश्वासन हो कि समझौते का पालन होगा। परन्तु आश्वासन के लिए निरीक्षण की वैज्ञानिक व्यवस्था चाहिए। निरीक्षण करने की अनुमति देने पर अन्य सैनिक रहस्य खुलने का भय बना रहता हैं । अतः कई व्यावहारिक कारण भी हैं, जो निःशस्त्रीकरण संबंधी किसी समझौते पर पहुँचने नहीं देते। राष्ट्रीय स्वार्थ निशस्त्रीकरण के मार्ग में बहुत बड़ी चुनौती हैं। राष्ट्र सबसे पहले अपने हितों को देखते है और उसके बाद अपनी राष्ट्रीय सीमा से बाहर निकलकर आदर्शों में लिपटी हुई भाषा में अन्तर्राष्ट्रीय बात को धोखा देने का यत्न करते हैं। कोई भी राष्ट्र इसका अपवाद नही हैं। उदाहरणार्थ, भारत ने १९६८ की परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये। भारत चीन से भयभीत हैं और परमाणु अप्रसार संधि को शंका की दृष्टि से देखता हैं। निशस्त्रीकरण राजनीतिक समस्याओं के समाधान पर निर्भर करता हैं, अतः पहले राजनीतिक समस्याओं को हल किया जाये या निःशस्त्रीकरण किया जाये। ये दोनों एक-दूसरे के मार्ग में बाधा डालते हैं। यह सोचा जाता हैं कि शस्त्र झगड़ों का कारण हैं इनको घटाने से अन्तरराष्ट्रीय प्रेम और मैत्री बढ़ेगी, किन्तु यह प्रयत्न एकपक्षीय होगा। होना यह चाहिए कि मनमुटाव, अविश्वास तथा प्रतिद्वन्द्विता को दूर करने के लिए प्रत्येक दिशा में प्रयास किया जाये। वास्तव में, निशस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कार्य तब-तक नहीं हो सकता जब तक महाशक्तियों में मौलिक मतभेद बने रहेंगे। निशस्त्रीकरण पूरी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में हिंसा के स्थान पर समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से आपसी सद् विश्वास और सहानुभूति से सुलझाने का ही दूसरा नाम हैं। आज जब अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति वैचारिक प्रतियोगिता, संकीर्ण राष्ट्रवाद, स्वार्थपूर्ण राष्ट्रीय हितों की सीमा में बंधी हैं तो निशस्त्रीकरण करना संभव नही हैं। निःशस्त्रीकरण के लिए एक नए दृष्टिकोण, नये वातावरण, नये विश्वास और नये मानव की आवश्यकता हैं। कैलाश एडउकेशन सेवा भाव के उद्देश्य से बनाई गई हैं। इस वेबसाइट पर दी गई सभी जानकारियां केवल अच्छे विश्वास और सामान्य सूचना के उद्देश्य से प्रकाशित की जाती है । आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे कमेंट कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।
भारत की उन्नत्ति में किसानों की अहम भूमिका रही है। देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का कार्य भी यहां के किसान द्वारा ही किया जाता रहा है। किसान के कौशल और पुरुषार्थ को सम्मानित करने की देश में समृद्ध परंपरा रही है। इसी कड़ी में बुधवार १४ सितंबर २०२२ को राजधानी दिल्ली के एन. ए. एस.सी कॉम्प्लेक्स में आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन कृषि क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों, कृषि शिक्षा संस्थानों द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व कार्यों को सम्मानित करने हेतु किया गया। इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे और उन्होंने सभी विजेताओं का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें पुरस्कृत किया। भारत कृषि क्षेत्र में तेजी से उभरने वाला देश बन रहा है। इसके पीछे एक बड़ा योगदान देश के किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों का है। किसानों को सही बीज, खाद से लेकर उचित सिंचाई तकनीक उपलब्ध कराने का कार्य इन संस्थानों एवं केंद्रों द्वारा किया जा रहा है। इसका नतीजा है कि भारत कृषि उत्पादों के मामले में विश्व में अग्रणी स्थान पर पहुंचने की योग्यता रख रहा है। कृषि विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों के इस महत्वपूर्ण योगदान से जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है, वहीं देश का किसान समृद्धशाली हुआ है। इसी योगदान को देखते हुए आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ का आयोजन किया गया। आयोजन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ आउटलुक पत्रिका के सीईओ इंद्रनील रॉय, आउटलुक हिंदी के एडिटर गिरिधर झा एवं अन्य सहयोगी मौजूद रहे। इसके साथ ही आयोजन के प्रायोजक स्वराज ट्रैक्टर, कोर्टेवा, सीड वर्क्स, सम्मुनति के गणमान्य सदस्य भी सम्मान समारोह में शामिल हुए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आयोजन में विभिन्न कृषि विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वालों में किसान विकास केंद्र गुमला झारखंड, किसान विकास केंद्र महेंद्रगढ़ हरियाणा, किसान विकास केंद्र कूचबेहर पश्चिम बंगाल और किसान विकास केंद्र बाराबंकी उत्तर प्रदेश शामिल रहे। इसी के साथ उडुपी कल्परासा नारियल तेल एवं मसाला उत्पादक कंपनी, काझनी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, लवकुश एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, श्री कृष्णा उत्पादोन्मुखी कृषक समिति जैसी एफपीओ को सम्मानित किया गया। आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ में सम्मानित होने वाले कृषि वैज्ञानिकों में डॉक्टर नरेश सेलोकर, डॉक्टर राहुल त्रिपाठी, डॉक्टर प्रोलय कुमार, डॉक्टर प्रदीप कर्माकर शामिल रहे। सम्मानित होने वाले कृषि शिक्षण संस्थानों में गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर, इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स हैदराबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल न्यूट्रीशन एंड फिजियोलॉजी बंगलुरु के नाम भी शामिल रहे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इन सभी सम्मानित हुए किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इनके योगदान से ही भारत की कृषि समृद्ध हुई है और इनका सम्मान भारत के कौशल, पुरुषार्थ का सम्मान है।
होम / प्राइमरी का मास्टर न्यूज / २८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी, सरकारी कार्यालय रहेंगे बंद । २८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी, सरकारी कार्यालय रहेंगे बंद । उत्तर प्रदेश: २८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी है। यहां गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस के अवसर पर अवकाश घोषित किया गया है। बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में आदेश जारी किया है। यह आदेश सूबे के सभी प्रमुख विभागों के विभागाध्यक्ष, जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव विधान सभा, सूचना और जनसंपर्क विभाग को भेज दिया गया है। इस दिन स्कूल व अन्य सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। सिखों के दस गुरुओं में से नौवें गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि २८ नवंबर को मनाई जाती है। १६७५ में उनकी हत्या कर दी गई थी। मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली में इस समय जहां गुरुद्वारा शीश गंज साहिब है वहां वह शहीद हुए थे। गुरु तेग बहादुर जी धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थक थे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस के अवसर पर कार्यकारी आदेशों के अंतर्गत २४ नवंबर को घोषित अवकाश की तारीख में बदलाव किया है। अब कार्यकारी आदेशों के अंतर्गत २८ नवंबर को अवकाश घोषित किया गया है। इसके लिए यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पॉलिटिक्स न्यूज फ्र्म इंडिया ब्जप :- बीजेपी नेताओं से मिले उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व चीफ, भगवा पार्टी में होंगे शामिल? पॉलिटिक्स न्यूज फ्र्म इंडिया :- कोविड संकट के बीच नहीं थमेगा ब्जप का चुनाव प्रचार, वर्चुअल रैली के जरिये विरोधियों को घेरने की तैयारी!
देहरादून राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को गुनियालगांव में निर्माणाधीन सैन्य धाम पहुंचकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर अधिकारियों से जानकारी ली। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी उपस्थित रहे।गौरतलब है कि देहरादून के गुनियालगांव में सैन्य धाम का निर्माण हो रहा है जिसे उत्तराखण्ड के पांचवें धाम के नाम से भी जाना जायेगा। सैन्य धाम के लिए प्रदेश के १७३४ शहीद सैनिकों के आंगन से कलश में मिट्टी लायी गयी है जिसे यहां बनने वाली अमर जवान ज्योति की नींव में रखा गया है। सैन्य धाम के प्रवेश द्वार का नाम प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम से रखा जायेगा। वहीं प्रांगण में बाबा जसवन्त सिंह और हरभजन सिंह का मंदिर भी बनाया जायेगा। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि सैन्य धाम शहीदों के प्रति सम्मान का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। उन्होंने कहा कि सैन्य धाम को पांचवे धाम के नाम से जाना जाएगा और इसका निर्माण भव्य एवं दिव्य रूप में हो इसके लिए चारों धामों से पवित्र मिट्टी भी लाई जाए। उन्होंने कहा कि जिन सैनिकों ने देश के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया है उन्हें सर्वाेच्च सम्मान मिले। राज्यपाल ने कहा कि देश के अन्य वॉर मैमोरियल की केस स्टडी कर सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है जो अपने-आप में अलग रूप में बनेगा।उन्होंने कहा कि यह देश की सेना के शौर्य और गौरवशाली इतिहास को संजोने वाला स्थान होगा। सैन्य धाम में शहीद सैनिकों को सर्वाेच्च सम्मान देने के लिए उनके आंगन से मिट्टी, शहीदों के नाम, लाईट एण्ड साउण्ड शो, म्यूजियम व ऑडिटोरियम बनाये जायेंगे जिससे हमारे युवा आने वाले युगों-युगों तक इन शहीदों को याद कर प्रेरणा ले सकेंगे। राज्यपाल ने कहा कि २०२३ में पूर्ण होने वाला यह सैन्य धाम पूरे राष्ट्र में एक अलग मिसाल बनेगा। उन्होंने सभी अधिकारियों को इसके निर्माण में पूरी निष्ठा और लगन से कार्य करने को कहा। सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र कुमार चौधरी ने सैन्य धाम निर्माण की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर जिला अधिकारी देहरादून सोनिका सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
सारे काशी में यह रुक्का (शोर) पड़ गया कि यह कौन स्वामी आ गया? ऋषि के प्रादुर्भाव से काशी हिल गई। मैं हरियाणा सभा के कार्यालय यह पूरा गीत लेने पहुँचा। मन्त्री श्री रामफल जी की कृपा से सभा के कार्यकर्ता ने पूरा भजन दे दिया। यह किस लिये? इंग्लैण्ड की जिस पत्रिका का हमने ऊपर अवतरण दिया है, उसमें ऋषि की चर्चा करते हुए सन् १८७१ में कुछ इसी भाव के वाक्य पढ़कर इस गीत का ध्यान आ गया। यह आर्य समाज स्थापना से चार वर्ष पहले का लेख है। सन् १८६९ के काशी शास्त्रार्थ में पौराणिक आज पर्यन्त ऋषि जी को पराजित करने की डींग मारते चले आ रहे हैं। इंग्लैण्ड से दूर बैठे गोरी जाति के लोगों में काशी नगरी के शास्त्रार्थ में महर्षि की दिग्विजय की धूम मच गई। हमारे हरियाणा के आर्य कवि सदृश एक बड़े पादरी ने काशी में ऋषि के प्रादुर्भाव पर इससे भी जोरदार शब्दों में यह कहा व लिखा थे एन्टाइरे सिटी वास एक्सिटेड एंड कोंवूलसेड अर्थात् सारी काशी हिल गई। नगर भर में उत्तेजना फैल गई- ''यह कौन स्वामी आया?'' रुक्का (शोर) सारे यूरोप में पड़ गया। लिखा है, थे रेपुटन ऑफ थे चेरीश्ड इडोल्स बेगान तो साफ्फर, एंड थे टेम्पल्स एमोलमेंट सुस्तेनेड आ सिरियस डेपुटन इन थे वेल्यू प्रतिष्ठित प्रसिद्ध मूर्तियों की साख को धक्का लगा। मन्दिरों के पुजापे और चढ़ावे को बहुत आघात पहुँचा। ध्यान रहे कि मोनियर विलियस के शदकोश में कोंवूलसेड का अर्थ कपित भी है। काशी को ऋषि ने कपा दिया। जब ऋषि के साथ केवल परमेश्वर तथा उसका सद्ज्ञान वेद था, उनका और कोई साथी संगी नहीं था, तब सागर पार उनके साहस, संयम, विद्वत्ता व हुंकार की ऐसी चर्चा सर्वत्र सुनाई देने लगी। अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।
"ऋषि दयानन्द के चरित्र में अनेक सद्गुणों का विकास इस प्रकार हुआ है कि वह मुझे बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। कुछ लोग महर्षि के जिस गुण को एवं उसके विकास को दोष समझते हैं, उसे ही मैं एक महत्वपूर्ण और आवश्यक गुण समझता हूँ। बालक मूलशंकर की शिवरात्रि संबंधी घटना से लेकर ऋषि दयानन्द की पुराण, कुरान, बाइबल आदि की स्वतंत्र आलोचना तक, लोग उस पर विचार स्वातंत्र्य और अन्य धर्मों की ओर घृणात्मक दृष्टि का लांछन लगाते हैं। परंतु उसने कब और कहाँ अन्य धर्मों पर घृणात्मक दृष्टि की है, मुझे तो इसका पता नहीं चलता। उसने यह तो कहीं नहीं कहा कि अमुक धर्म बूरा व घृणा योग्य है, अतः उस धर्म के अनुयायी उसे मानना छोड़ दें। उसने 'सत्यार्थप्रकाश' में अन्य धर्म संबंधी जिन ग्रंथों की आलोचना की है, वह उसके विचार स्वातंत्र्य का सुंदर उदाहरण है। स्मरण रखना चाहिए कि विचार स्वातंत्र्य कोई भयंकर वस्तु नहीं है। उसी से युगान्तर उपस्थित हो सकता है। वही संसार को उत्थान के मंच पर ले जाता है। विचार स्वातंत्र्य से घबराना कोरी कायरता है। यदि ऋषि ने 'सत्यार्थप्रकाश' में अन्य धर्मों की स्वतंत्र आलोचना की है तो पुण्यकर्म ही किया है। अन्य धर्म वालों को उससे न तो घबराना चाहिए, न ही चिढ़ना ही चाहिए। उनका कर्तव्य है कि वे स्थिर चित्त से उस पर विचार करें और उन्हें यदि ऋषि के बतलाये हुए दोष ठीक जचें तो प्रसन्नतापूर्वक अपने धर्म का संस्कार करें। इससे तो उन्नति ही होगी। अतः ऋषि की विचार स्वतंत्रता पुण्य वस्तु है। संसार उससे लाभ उठा सकता है। क्या ऋषि का यह गुण सम्मान योग्य नहीं है?" अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-३ की एक तस्वीर साझा की है। यह पहली बार है कि चंद्रयान -३ की तस्वीर, जिसे अंतरिक्ष एजेंसी कहती है, विधानसभा चरण में है। हाल ही में एक अपडेट में, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि वे चंद्रयान -३ की प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण कर रहे हैं, जिसके इस साल अगस्त में लॉन्च होने की उम्मीद है। चंद्रमा मिशन की तस्वीरें स्पेस ऑन व्हील्स नामक एक वृत्तचित्र का हिस्सा थीं, जिसे इसरो ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया है, जिसमें भारत द्वारा लॉन्च किए गए ७५ उपग्रहों को दिखाया गया है। आजादी का अमृत महोत्सव उत्सव। इसरो के वीडियो में चंद्रयान-३ के लैंडर को दिखाया गया है जो चांद की सतह को छूएगा। यह भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान, वीनस ऑर्बिटर मिशन और निसार मिशन पर चल रहे काम को भी दर्शाता है। मूल रूप से २०२० के अंत में लॉन्च होने वाला था, चंद्रयान -३ को कोरोनावायरस महामारी के कारण विलंबित किया गया था। इसरो ने पहले कहा था कि चंद्रयान-३ में ऑर्बिटर नहीं होगा। भारत का पिछला चंद्र मिशन चंद्रयान -२, जिसका उद्देश्य अज्ञात चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर रोवर को उतारना था, को २२ जुलाई, २019 को देश के सबसे शक्तिशाली भू-समकालिक प्रक्षेपण यान में लॉन्च किया गया था। हालांकि, लैंडर विक्रम ७ सितंबर, २०१९ को हार्ड-लैंड हुआ, जिसने अपने पहले प्रयास में चंद्र सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला राष्ट्र बनने के भारत के सपने को धराशायी कर दिया। अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान -२ मिशन पर ९६० करोड़ रुपये खर्च किए, जिसका ऑर्बिटर २0 अगस्त २019 से अण्डाकार गति में चंद्र सतह से लगभग १०० किमी दूर चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। चंद्रयान -३ इसरो के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आगे के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए लैंडिंग करने की भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा।
ऑस्ट्रेलिया में जारी त२० वर्ल्ड कप २०22 से एक बड़ी खबर सामने आई है। भले ही श्रीलंका की टीम क्रिकेट के इस महाकुंभ से बाहर हो चुकी हो। लेकिन श्रीलंका टीम की मुसीबतें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जहां इस टूर्नामेंट के दौरान श्रीलंकाई टीम के ४ खिलाड़ी चोटिल हो गए तो वहीं अभी खिलाड़ी के ऊपर ऑस्ट्रेलिया में रेप का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते इस खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में गिरफ्तार भी किया गया है। दरअसल श्रीलंकाई खिलाड़ी दानुष्का को कथित तौर पर कल सिडनी में गिरफ्तार किया गया है। इस खिलाड़ी पर ऑस्ट्रेलिया की एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है। इस टूर्नामेंट में श्रीलंका की टीम अपना आखिरी मुकाबला इंग्लैंड के खिलाफ खेल रही थी और उस समय यह खिलाड़ी अपनी टीम के साथ मौजूद थे ऐसे में मैच के तुरंत बाद खिलाड़ी को गिरफ्तार किया गया। हालांकि श्रीलंका की टीम जहां ६ नवंबर की सुबह ही कोलंबो के लिए रवाना हो गई। तो वही यह खिलाड़ी अभी भी सिडनी में मौजूद है। द ऑस्ट्रेलियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस श्रीलंकाई खिलाड़ी पर यौन उत्पीड़न के साथ ४ बड़े गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक २९ साल की ये महिला हैं। जिससे श्रीलंका के यह खिलाड़ी १ डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे। उस महिला ने खिलाड़ी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। जानकारी थी आपको बता दें कि कथित साल का यह खिलाड़ी साल २०१८ में भी इसी तरीके की घटना में पहले भी फंस चुके हैं जब श्रीलंकाई पुलिस ने श्रीलंका के एक नॉर्वेजियन महिला के साथ कथित दुष्कर्म के लिए उनकी और उनकी दोस्त की जांच की थी इसके बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड ने बल्लेबाज को कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि बाद में पुलिस ने इस खिलाड़ी पर लगे सभी आरोपों को खारिज करार दिया।
ज्वालापुर क्षेत्र की रहने वाली नाबालिग के साथ सामूहिक दुराचार की पुष्टि हो गई है। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद ४ आरोपियों को यूपी के मेरठ से गिरफ्तार किया है, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ। हालांकि, नाबालिग का सरकारी अस्पताल में महिला चिकित्सक ने मेडिकल किया था। मेडिकल रिपोर्ट ने दुष्कर्म की पुष्टि नहीं थी। लेकिन अब आरोपियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के कबूलनामे के बाद निजी अस्पताल के मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। घटना के मुताबिक, ज्वालापुर की रहने वाली १०वीं की छात्रा ३० जनवरी को मां की डांट से आजिज आकर घर से भाग गई थी। परिजनों ने छात्रा के लापता की शिकायत पुलिस से की। परिजन की शिकायत पर सक्रिय हुई पुलिस छात्रा की तलाश में जुटी रही। करीब २० दिन बाद छात्रा नाटकीय घटनाक्रम के तहत रोडवेज बस स्टैंड पर अपने एक रिश्तेदार को मिली। पुलिस ने पहले तो किशोरी से बातचीत नहीं की। लेकिन बाद में किशोरी ने परिजन को आपबीती बयां की। किशोरी ने बताया कि घर से मेरठ के लिए रवाना हो गई थी। सहारनपुर से मेरठ जाते वक्त उसे रोडवेज बस में तीन युवक मिले वह उनके साथ मेरठ चली गई। जहां तीनों युवकों ने अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया। घटना की जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। लेकिन पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टी नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया। पुलिस ने पीड़िता व पीड़िता के परिजनों की बातों को मानने से इनकार किया। नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को पकड़वाने और सच साबित करने के लिए पीड़िता ने चाल चली। पीड़िता ने दोबारा अपनी फेसबुक आईडी बनाई और उस आईडी से मुख्य आरोपी इसरार गुज्जर निवासी सहारनपुर को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी, जिसे अगले दिन इसरार ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद इसरार ने पीड़िता के साथ फोन पर बात भी की। इसरार ने बताया कि दो दिन बाद सहारनपुर आ रहा है। ये सभी बातें पीड़िता ने अपने फोन में रिकॉर्ड कर ली। जिसे सबूत के तौर पर पुलिस के सामने पेश किया। इसके बाद पीड़िता की बातों पर यकीन करते हुए पुलिस ने इसरार समेत ४ आरोपियों को मेरठ से दबोचा। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि एसएसआई नितेश कुमार की अगुवाई में गठित पुलिस टीम ने अथक प्रयास के बाद गैंगरेप के आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि पेशे से गन्ना छीलने वाले दिहाड़ी मजदूर मेरठ में कार्य के लिए जा रहे थे। उन्हें ही किशोरी बस में मिली थी। किशोरी को अकेली पाकर वह उसे बहला फुसलाकर अपने साथ ले गए। जहां तीनों के अलावा उनके ठेकेदार ने भी किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस किशोरी को वेस्ट यूपी भी ले गई थी। जहां उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। अब्दुल कादिर पुत्र फुरकान, मोहम्मद इसरार पुत्र खालिद, ठेकेदार अहसान पुत्र मोहम्मद कामिल एवं नदीम पुत्र फुरकान निवासी नथमलपुर चिलकाना सहारनपुर यूपी है। पुलिस पूछताछ में बताया कि गांव खांसी परतापुर मेरठ में गैंगरेप किया। आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, अपहरण, पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। परिजनों ने सीएचसी ज्वालापुर में तैनात महिला चिकित्सक द्वारा की गई जांच पर अब सवाल खड़े कर दिए हैं। वापस लौटने के बाद इस नाबालिग बच्ची का ज्वालापुर स्थित सीएचसी की डॉ. नताशा बडेजा द्वारा परीक्षण किया गया था, जिसमें दुष्कर्म होने से साफ इंकार किया गया था। लेकिन आरोपियों के पकड़े जाने के बाद आई रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि के बाद सरकारी अस्पताल द्वारा बरती गई लापरवाही पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा विज्ञापन संख्या ०१/व्सा/२०२२/आए/ए&म के सांपेक्ष विभिन्न विषयों में सहायक अभियंता (प्रशिक्षु) के पद के लिए साक्षात्कार प्रवेश पत्र जारी किए गये हैं। जिन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है, वे यूपीपीसीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं। यूपीपीसीएल भर्ती के माध्यम से कुल ११३ एई रिक्त सीटों पर नियुक्ति की जा रही है, जिनमें से ७५ पद एलेक्ट्रिवल/पावर विभाग में, १४ इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार विभाग में और २४ कंप्यूटर विज्ञान/सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में हैं। आधिकारिक वेबसाइट के लिए उपेनर्जी.इन पर जाएं । होमपेज पर "रिक्ति/परिणाम" टैब चुनें। आपको विज्ञापन संख्या ०१/व्सा/२०२२/आए/ए&म के सांपेक्ष विभिन्न विषयों में सहायक अभियंता (प्रशिक्षु) के पद के लिए साक्षात्कार प्रवेश पत्र डाउनलोड करने के लिए एक लिंक मिलेगा। लिंक पर क्लिक करें।
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे २०२२: १५ अक्टूबर ग्लोबल हैंडवाशिंग डे है, जो एक वैश्विक वकालत दिवस है जो बीमारियों को रोकने और जीवन बचाने के लिए एक प्रभावी और किफायती तरीके के रूप में साबुन से हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समझने के लिए समर्पित है। वैश्विक हाथ धोने का दिन लोगों को महत्वपूर्ण समय पर साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक तरीकों को डिजाइन, परीक्षण और दोहराने का अवसर है। कोविड -१९ महामारी के बाद हाथ की स्वच्छता काफी लोकप्रिय हो गई है। और हाथ धोने की आदत बनाने के लिए उसे समर्पित एक दिन है; वैश्विक हाथ धोने का दिन। यह दुनिया भर के लोगों की सार्वभौमिक हाथ स्वच्छता की आदतों को एकजुट करने की एक पहल है। यह वैश्विक वकालत दिवस प्रत्येक वर्ष १५ अक्टूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम, यूनाइट फॉर यूनिवर्सल हैंड हाइजीन, हाथ की स्वच्छता को बढ़ाने के लिए समाज के सभी लोगों से मिलकर काम करने का आह्वान करती है। इस दिन का महत्व हाथ धोने और स्वच्छ रखने की स्वस्थ आदतों के लाभों में निहित है। इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए कि हाथ प्राथमिक संपर्क हैं जिसके माध्यम से रोग हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इसलिए इसे साफ रखना हर उम्र के लोगों के लिए बेहद जरूरी है। यह दिन लोगों को व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने का एक अवसर है, जिसमें हाथ धोना, सैनिटाइज़र का उपयोग करना और अन्य उपयुक्त प्रसाधन शामिल हैं। यह दिन अपने नागरिकों के बीच स्वच्छता संदेश को डिजाइन करने और दोहराने में सरकारी प्रयासों का भी निरीक्षण करता है। इस दिन की स्थापना ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई थी, जो अंतरराष्ट्रीय हितधारकों का एक गठबंधन है जो साबुन से हाथ धोने को बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट रूप से काम करता है। पहला ग्लोबल हैंडवाशिंग डे २००८ में आयोजित किया गया था जब दुनिया भर के १२० मिलियन से अधिक बच्चों ने ७० से अधिक देशों में साबुन से हाथ धोए थे। तब से लेकर अब तक ग्लोबल हैंडवाशिंग डे बढ़ता ही जा रहा है।
बीपीएल (ब्प्ल) का (फुल फॉर्म) पूरा नाम बेलो पॉवर्टी लाइन होता है जिसको हिंदी में गरीबी रेखा से नीचे होता है. ब्प्ल एक कार्ड है जिसे गरीबी रेखा के स्तर को बताने के लिए उपयोग किया जाता है। इस कार्ड के आधार पर ही सरकार यह तय करती है की कौन कौन व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे स्तर में आते है। यह सरकार द्वारा बनाया गया एक तरह का गरीबी रेख पहचानने वाला बेंच मार्क है जो उस व्यक्ति की आय को दर्शाता है की व्यक्ति गरीबी रेखा की इस सुविधा के अधीन आता है या नहीं आता है। गरीबी रेखा में कौन कौन आता है और कौन नहीं आता है। यह कहना आसान भी है और मुश्किल भी है। हम एसा कह सकते है कि वे परिवार जो पर्त्येक दिन का मात्र १५० रुपये ही कमा पाते है या जिनकी आमदनी प्रति दिन की १५० रूपये से कम होती है उन लोगो को ब्प्ल की सुविधा दी जाते है। इसके अलावा यदि कोई परिवार या व्यक्ति प्रति दिन का १५० रूपये से अधिक या ३०० रूपये तक प्रति दिन कमा रहा है तो वह गरीबी रेखा के अंतर्गत नही माना जाता है। गरीबी रेखा के आधार के आंकड़ो के आधार पर ही सरकार यह निर्णय क्र पाती है की किन निम्न वर्ग के गृहस्त परिवारों को राशन और केरोसिन वगैरह की सुबिधा दी जानी चाहिए। गरीबी रेखा के अंतर्गत कुछ चुने हुए निम्न वर्ग के लोगो को ब्प्ल कार्ड उपलब्ध कराया जाता है। ब्प्ल राशन कार्ड द्वरा गरीबी रेखा में आने वाले इन लोगो को सरकार द्वारा प्रति माह राशन उपलब्ध कराया जाता है। जिसमे उन्हें ३५ किलो चावल बहुत ही कम दामो में ( ३ रूपये की दर) उपलब्ध करा दिए जाते है। चावल के अलावा भी उन्हें राशन का सामान जैसे केरोसिन तेल , नमक, गेहूं एव नमक बगैराह उपलब्ध करा दिया जाता है।
लाक फुल फॉर्म फुल फॉर्म लाइन ऑफ एक्च्युअल कंट्रोल होता है जिसे हिंदी में वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा, भारतीय नियंत्रण क्षेत्र को चीनी नियंत्रण क्षेत्र से अलग करती हैं। यह दोनों सेनाओं के बीच काफी लंबी दूरी होती है जिससे वह अपने क्षेत्र की निगरानी और सुरक्षा करते हैं या लाक २ देशों की बीच की सीमाओं या निश्चित भूभाग को निर्धारित करती हैं। इससे देश आपसी विवाद से बचे और युद्ध जैसी गलत प्रक्रियाएं ना हो। भारत और चीन के बीच की वास्तविक सीमा रेखा ४,०५७ किलोमीटर लंबी यह सीमा रेखा जम्मू कश्मीर में भारत के अधिकतर क्षेत्र और चीन क्षेत्र अक्साई चीन को अलग करती है। यह लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती हुई एक वास्तविक नियंत्रण रेखा का निर्माण करती है। एलएसी को एक प्रकार की युद्ध विराम रेखा भी कहा जाता है। जब १९६२ के भारत चीन युद्ध के पश्चात दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थान पर तैनात थी उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया था। इससे पहले भारत और चीन के बीच कोई भी नियंत्रण रेखा नहीं थी, परंतु शांति और युद्ध के गलत परिणामों से बचने के लिए इस रेखा का निर्माण किया गया। इस रेखा को दोनों देशों द्वारा माना गया तथा यह भी तय किया कि वह कभी भी एक दूसरे के भूभाग सीमा में प्रवेश नहीं करेंगे तथा इससे दूरी बनाकर ही रखेंगे। कुछ चीनी विद्वानों द्वारा यह दावा किया जाता है कि लाक शब्द का उपयोग सबसे पहले चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा २४ अक्टूबर १९५९ को एक पत्र में माध्यम से भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम लिखा गया था। जिसमें इस शब्द का प्रयोग किया गया था १९९६ में भारतीय और चीन के सीमा समझौते के बाद इस शब्द को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। इसके तुरंत बाद ही भारत और चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ ही शांति और रखरखाव पर दोनों ही देश सहमत हुए तथा दोनों ने यह भी तय किया कि वह एक दूसरे की सीमाओं में ना ही प्रवेश करेंगे और ना ही किसी भी प्रकार की युद्ध रणनीति को बढ़ावा देंगे। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत और चीन के संबंध धीरे धीरे ठीक होना शुरू हो गए।
लोकल इंदौर १४ फरवरी। इंदौर में गाठ दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अकस्मात सुखलिया स्थित रैन बसेरे का निरीक्षण करने के बाद वहा का वहां का नजारा बदला जाने को ले कर इंदौर के अखबारों और शोशल मीडिया पर चल रही खबरों का नगर निगम ने खंडन किया है। आयुक्त सुश्री पाल ने बताया कि मुख्यमंत्रीजी के रैन बसेरों के भ्रमण के मद्देनजर कोई बनावटी व्यवस्था नहीं की गई थी। नगर निगम प्रशासन ने इस संबंध में कुछ अख़बारों और सोशल मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित ख़बरों का खंडन किया है। आयुक्त नगर निगम सुश्री प्रतिभा पाल ने बताया है कि इन रैन बसेरों में आने वाले लोग अपनी आवश्यकता अनुसार ही यहाँ रहने के लिए आते हैं। प्रायः ऐसे लोग दूरदराज़ के स्थानों से इंदौर में आवश्यक काम के कारण आते हैं और एक या दो रात यहाँ रुकने के बाद चले जाते हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के अभी दो दिन पूर्व रैन बसेरा के भ्रमण के दौरान यहाँ बाहर के मुसाफ़िर सहज रूप से रूके हुए थे। जिला प्रशासन को रैन बसेरा में मुख्यमंत्री जी के भ्रमण की सूचना पूर्व निर्धारित नहीं थी। आकस्मिक रूप से रैन बसेरा में मुख्यमंत्री जी का भ्रमण किसी भी तरह से पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में नहीं था। आयुक्त सुश्री पाल ने बताया कि मुख्यमंत्रीजी के रैन बसेरों के भ्रमण के मद्देनजर कोई बनावटी व्यवस्था नहीं की गई थी। नगर निगम प्रशासन ने इस संबंध में कुछ अख़बारों और सोशल मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित ख़बरों का खंडन किया है। अपर आयुक्त श्री अभय राजनगावकर ने बताया है कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग रोज़गार की तलाश या अन्य प्रयोजन के लिए शहर आते है। ऐसे लोगों के लिए रात्रि विश्राम की नि:शुल्क सुविधा है। यात्री के आने पर उसकी पंजी में एंट्री करते है तथा सेफ्टी के लिए आधार कार्ड की फोटोकॉपी जमा करा लेते है। रुकने के लिए सोने के लिए पलंग, बिस्तर, चादर, कम्बल , तकिया आदि की व्यवस्था के साथ साथ शौचालय, यूरिनल तथा नहाने की व्यवस्था है । पीने के पानी की व्यवस्था के साथ साथ विगत दिनों संभाग आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के निर्देश के बाद १ फरवरी से नि:शुल्क रात का भोजन भी वितरण कराया जा रहा है। यह भोजन दीनदयाल रसोई केंद्र पर तैयार कर डिनर पैकेट वितरण कराए जा रहे है। ठंड के समय सभी १0 रैन बसेरा में अलाव जलाया जाता है। इन रैन बसेरा का संचालन दो एजेंसियों माँ आस्था सामाजिक संस्था तथा वाल्मीकि समाज सेवा द्वारा किया जाता है, जो दिन प्रतिदिन के केंद्र संचालन, सफ़ाई, प्रबंधन के लिए उत्तर दायीं है। इनके द्वारा केयर टेकर रखे गए हैं जो देख रेख हेतु उपलब्ध रहते है। रैन बसेरा के भवन निगम के स्वामित्व के है, इस लिए बिल्डिंग मेंटेनेंस निगम के जोनल ऑफिस करते है। अखबारों में खबर छपी थी मुख्यमंत्री के जाते ही रेन बसेरा खाली हो गया था। कहा जा रहा था की मुख्यमंत्री के आने के कारण वहा बाहर से यात्री लाये गए थे और मुख्यमंत्री के जाते ही चले गए थे।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने गुरुवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि देश के १४३ प्रमुख जलाशयों में औसत जल स्तर सालाना ८% और पिछले १० वर्षों के औसत से १७% अधिक है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख जलाशयों में उच्च जल स्तर १ अक्टूबर से १3 अक्टूबर तक 'मानसून के बाद' के मौसम के दौरान ९०% अधिक वर्षा होने के कारण हुआ है। इस महीने उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में सामान्य से ३६६% अधिक बारिश हुई है। रबी की फसलों की बुवाई मे उच्च जल स्तर कृषि भूमि को सिंचाई करने में मदद कर सकता है । वही वर्त्तमान में देश में लगभग ४८% कृषि भूमि सिंचित होती है। सीडब्ल्यूसी द्वारा जिन १४३ जलाशयों के जल स्तर की निगरानी की जाती है, उनमें से ११२ पश्चिम, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून-सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। जलाशयों में १५९ बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी भरा हुआ है, जो उनकी संयुक्त क्षमता का ९०% है। नवीनतम सीडब्ल्यूसी के गाइडलाइन के अनुसार, एक साल पहले जलाशयों में उपलब्ध पानी १४६ बीसीएम था, और पिछले १० वर्षों का औसत १३६ बीसीएम था। जलाशयों का वर्तमान जल स्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के संग्रहण का १०८ प्रतिशत और पिछले १० वर्षों के औसत संग्रहण का ११७ प्रतिशत था।जलाशयों में बढ़ा हुआ जल का स्तर नहर प्रणालियों के माध्यम से सिंचाई की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करती है। इन जलाशयों में से ४६ जल विद्युत सयंत्रो से ६० मेगावाट से अधिक बिजली पैदा की जाती है । जल स्तर में क्षेत्रीय भिन्नताओं के अनुसार, मध्य क्षेत्र के २६ जलाशयों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और दक्षिणी क्षेत्र के ३९ जलाशयों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पिछले साल और औसतम पिछले १० वर्षों की तुलना मे इस बार अधिक बारिश हुई है । पूर्वी क्षेत्र - झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड और बिहार में २१ जलाशयों का जल स्तर एक साल पहले की तुलना में अधिक बढ़ा है, लेकिन वर्तमान जल स्तर पिछले १० वर्षों के औसत से कम है। पश्चिमी क्षेत्र के ४६ जलाशयों - गुजरात और महाराष्ट्र - में जल स्तर अब पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अधिक बढ़ा है, साथ ही साथ पिछले दशक के औसत संग्रहण भी है। इसी तरह, उत्तरी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के १० जलाशयों में पिछले साल और पिछले १० साल के औसत की तुलना में वर्तमान में अधिक पानी है। जून-सितंबर के मौसम में भारत की मानसून वर्षा सामान्य से ६.५% अधिक थी, क्योंकि मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा पूर्वी और उत्तरी राज्यों में घाटे की भरपाई करती है। मौसम विभाग ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी भी वापसी के चरण में है। इस महीने उत्तर और मध्य क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा ने खरीफ फसलों को विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में प्रभावित किया है।
रायपुर।मुख्य सचिव विवेक ढांड ने बुधवार को मंत्रालय में हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक मे एन.एम.डी.सी. से बस्तर संभाग में सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) मद से प्रस्तावित कई जनकल्याणकारी कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिये है। बैठक में संभाग के छह जिलों- बस्तर, दंतेवाड़ा(बचेली और किरन्दुल परियोजना), बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोण्डागांव में सी.एस.आर. मद के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष २०१७-१८ के लिए १६८ कार्यो के लिए २०७ करोड़ रूपए के प्रस्तावों की जानकारी दी गई। इनमें अद्योसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, ऊर्जा, आजीविका और नागरिक अधिकार एवं सशक्तिकरण के कार्य शामिल है।मुख्य सचिव ने बैठक में मौजूद एन.एम.डी.सी. के डायरेक्टर संदीप तुला को नगरनार के ग्राम कोपागुड़ा में सुपर स्पेशीलिटी अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने के निर्देश दिए है। साथ ही मुख्य सचिव ने नगरनार के ग्राम चोकावाड़ा में आईटीआई और पॉलिटेक्निक भवन निर्माण के लिए एन.एम.डी.सी. के अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके लिए संभागीय कमिश्नर और वन विभाग के अधिकारियों के सहयोग से भूमि व्यपर्वतन सहित सभी आवश्यक कार्रवाई तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बस्तर संभाग के जिला कलेक्टरों से सी.एस.आर. मद के तहत प्रस्तावित विभिन्न कार्यो की जानकारी ली।
समस्तीपुर/कल्याणपुर :- प्रसव को पहुंचने वाली हर गर्भवती महिलाओं को लापरवाही और केस बिगड़ने का हौवा दिखाकर आशाएं निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देती हैं। आशाओं के मोटे कमीशन के चक्कर में कई बार जच्चा-बच्चा की मौत तक हो जाती है। अब तक कई मामले हो चुके हैं, मगर अफसर इससे अंजान बने हुए हैं। ऐसा ही एक मामला समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड अंतर्गत लदौरा पंचायत से सामने आया है। जहां किशोरी सहनी की २३ वर्षीय गर्भवती पुत्री मीता देवी आशा कार्यकर्ता और अवैध नर्सिंग होम में बलि की भेंट चढ़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि गर्भवती मीता देवी ३ अगस्त को बकरी चरा रही थी कि इसी दौरान आशा बहू मृतक को आकर बोली कि आपको अल्ट्रासाउंड के लिए चलना है और लेकर उसे कल्याणपुर स्थित प्राइवेट नर्सिंग होम सेवा सदन एवं चाइल्ड केयर में लाकर इलाज करवाने लगी जहां की डॉक्टरों ने उसे कमजोरी और खून की कमी का हवाला देते हुए खून चढ़ाने की बात कहने लगे। इसी दरम्यान उसे कई तरह का सुई और दवा दिया गया। जिस कारण उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई और मध्य रात्रि उसकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने गुरुवार को कई घंटों तक कल्याणपुर-पूसा मुख्य मार्ग को लदौरा चौक पर जाम कर दिया। जिस कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों और परिजनों को समझा-बुझाकर जाम स्थल को सुचारु रूप से चालू करवाया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। गांवों में स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए तैनात की गईं आशा मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचाने का काम कर रही हैं। आपको बता दें कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डाक्टरों के नर्सिग होम का बोलबाला है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में जिले में दर्जनों ऐसे अस्पताल चल रहे हैं। अधिकारी ऐसे नर्सिग होमों से अवैध वसूली भी करते हैं।
मृदा विभिन्न प्रकार के पदार्थों का मिश्रण है। उदाहरण के लिए, कण, छोटे कंकड़, क्षय और जीवित जीव जिन्हें खाद सूक्ष्म जीव, आदि कहा जाता है। मृदा की ऊपरी सतह वह है जिसमें पौधे खाद, मिट्टी के कण और जीवित जीवन की शरण में रहते हैं। मृदा या मिट्टी चट्टानों द्वारा ही निर्मित होती हैं। मृदा की परिभाषा इस प्रकार है- मृदा भूमि की वह ऊपरी परत हैं जिसका निर्माण मूलरूप से चट्टानों के विखण्डित होने उनमें वनस्पति व जीवेां के सड़ने, गलने तथा जलवायु की क्रिया से निर्मित अम्लीय पदार्थों से लाखों वर्षों की प्रक्रिया के बाद मृदा का रूप लेती हैं। १. बलुई मृदा - बलुई दोमट मिट्टी जिसमें बालू, सिल्ट एवं चीका की अपेक्षित मात्रा का प्रतिशत क्रमशः ६५, २५ एवं १0 प्रतिशत है। इसमें नेत्रजन की मात्रा ४० से ४५ प्रतिशत तक मिलती है। २. दोमट मिट्टी - दोमट मृदा प्रमुख रूप से बालू एवं सिल्ट का सम्श्रिण है जिसमे बालू की मात्रा ४५ प्रतिशत, सिल्ट ४० प्रतिशत एवं चीक २3 प्रतिशत पाया जाता है। मध्यम उर्वरता की यह मृदा कृषि उद्यम के लिए आदर्श होती है। छोटे बालू कणों की उपस्थिति के कारण यह भुरभुरी होती है, जिसमें हल चलाना सुगम एवं जल वायु का संचालन अत्यन्त सुगम होता है। ३. मटियार मृदा - यह सूक्ष्मदर्शी कणों का समूहन है, जिसकी ऊपरी सतह का रंग हल्का भूरा, पीला एवं हल्का काला होता है। इसमें दोमट मिट्टी की तुलना में चीका की मात्रा अधिक पायी जाने के कारण नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। इसमें बालू की मात्रा २८ प्रतिशत, सिल्ट की मात्रा ३7 प्रतिशत एवं चीका की मात्रा ३5 प्रतिशत होती है। नाइट्रोजन की अधिकतर ५०-६० प्रतिशत होने के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है। यह अति गहरी एवं आन्तरिक अवरोधयुक्त भारी मृदा है। जिसका अम्ल अनुपात उदासीन से साधारण क्षारीय होता है, तथा इसका जल निकास खराब होता है। इसमें धान की खेती के साथ मत्स्यपालन एवं सिंघाड़ा की खेती लाभप्रद होती है। ४. कछारी मृदा - इसमें जीवांश एवं मटियार कणों की विशेष कमी होती है। फलत: इसमें लचीलापन एवं तन्मयता बिल्कुल नहीं होती है। गंगा के बाढ़ द्वारा प्रतिवर्ष नवीन मृदा की परत जमा होती है, जिससे इसकी उर्वरता का ह्रास नहीं होता है। ५. ऊसर मृदा - भारत के उत्तरी मैदान में कहीं-कहीं ऊसर भूमि देखी जाती है यह ऐसी भूमि है जो कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती। भूमि के ऊपर सफेद रंग का क्षारीय पदार्थ बिछा हुआ मिलता है। इस क्षारीय पदार्थ की अधिकता के कारण भूमि बेकार हो जाती है। ऐसी भूमि को उत्तर प्रदेश में रेहू यो ऊसर पंजाब में राखर या थर और महाराष्ट्र में चोपान या कैल कहते हैं। इस मिट्टी के उत्पत्ति के प्रमुख कारणों में जल एकत्रित होना, वर्षा की न्यूनता, उच्च जल-तल, मन्द ढाल एवं शुष्कता है। कुण्डा तहसील में यह मिट्टी उन भागों में पायी जाती है जहां वर्षाकालीन जल जमाव रहता है। ६. लाल मृदा - इसके अंतर्गत उष्ण कटिबंधीय लाल तथा पीली मृदा आती हैं। भारत में २० लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में यह मृदा मिलती हैं। यह मृदा सामान्यत: चूना, पोटास, फास्फोरस जीवांश तथा नाइट्रोजन की कमी से यह मृदा कम उपजाऊ हैं। बघेलखंड, छत्तीसगढ़ तथा पूर्वी तमिलनाडु मेंं यह मृदा मुख्यत: बलुई हैं। पूर्वांचल, झारखंड, पंबंगाल, अरावली क्षेत्र, उड़ीसा, उत्तरी आंध्रप्रदेश तथा पूर्वी कर्नाटक की लाल मृदा बलुई-दोमट हैं। ७. लैटेराइट मृदा - लैटेराइट मृदा विशेषतया भारी वर्षा, अधिक तापमान वाले ऊँचे सपाट अपरदित सतहों पर पाई जाती हैं। तीव्र निक्षालन क्रिया द्वारा पोशक तत्वों का नाश हो जाना इस मृदा का सामान्य लक्षण हैं। यह मृदा गीली होने पर गारे के समान ढ़ीली तथा सूखने पर ईट के समान कठोर हो जाती हैं। इसलिये एफ बुकनान ने १९१० में इस प्रसिद्ध मिट्टी को लैटेराइट कहा था। लेटिन भाषा में लेटर का अर्थ ईट से हैं। छत्तीसगढ़ में इसे मूरम तथा इस मृदा के क्षेत्र को भाठा कहते हैं। इसमें मोटे अनाज का उत्पादन एवं पशु चारण होता हैं। भारत में यह मृदा पूर्वी पश्चिमी घाट, झारखंड, तथा मेघालय में अधिक हैं। ८. काली या रेगट मृदा - काली मृदा दक्कन के लावा प्रदेश में पायी जाती है। इसका रंग सामान्यतया काला होता हैं। यह ऊपजाऊ मृदा है। वर्षा ऋतु में फूलकर चिपचिपी हो जाती हैं। नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती हैं। ग्रीष्म ऋतु में इसमें से नमी निकलने से दरारे पड़ जाती हैं। काली मृदा के क्षेत्र महाराष्ट्र, पश्चिम मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु हैं। छत्तीसगढ़ मे इन्हें अनेक नाम से जानते हैं। कन्हार, मटासी, डोरसा, पटपा, के नाम उल्लेखनीय हैं। ९. जलोढ़ मृदा - उत्तर भारत के विशाल मैदान में पंजाब से असम तक ६.८ लाख वर्ग किमी. में यह मृदा मिलती हैं, विभिन्न शैल कणों से बनी ये मिट्टियां उपजाऊ हैं। १०. मरूस्थलीय मृदा - पवन द्वारा लाकर राजस्थान में जमा की गई बालू से बनी मरूस्थलीय मिट्टी बलुई हैं। इस मृदा में चूने तथा अन्य क्षारों का जमाव हैं। इस मिट्टी का रंग धूसर हैं। यह कम उत्पादक हैं। सिंचाई से अच्छी उपज होती हैं। इसका विस्तार प. राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ, हरियाणा एवं दक्षिण पंजाब में २.२ लाख वर्ग किमी. में फैली हैं। ११.तटीय मृदा - बंगाल के तट पर तथा प्रायद्वीपीय भारत के तट पर तटीय मिट्टी की एक लंबी पट्टी हैं। ये जलोढ़ मृदा से अलग सीमा बनाती है। १२. पर्वतीय मृदा - ये जटिल एवं अत्याधिक विविधता वाली मृदा हैं। कहीं पर घूसर श्वेत जैसा होतीहैं। यह मृदा कृषि के लिये अच्छी नहीं हैं। यह चीड़ आदि शंकुधारी वनो की मिट्टी हैं। चाय की खेती एवं फलों के बगानों तथा आलू की पैदावार के लिये विख्यात हैं। यह मिट्टी हिमालय की घाटियों , कांगड़ा देहरादून तथा दाजिर्ंलिंग में पायी जाती हैं।
स्वाधीनता किसी राष्ट्र पर ऊपर से नहीं उतरती बल्कि अनिच्छुक हाथों से छिनने के लिए राष्ट्र को ऊपर उठना होता है। तिलक जी ने जन भीरुता को ललकारा। संस्कृति में हुए प्रदूषण के विरुद्ध आह्वान किया व लाठी क्लब संचालित किये । आपने शिक्षा के महत्व को समझा व समझाया । आपने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को नौकरशाही तैयार करने की कार्यशाला बताया। डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी व फर्गुसन कॉलेज की स्थापना की। तिलक जी की प्रेस का नाम आर्यभूषण था। आपने दिनांक २ जनवरी १८८१ से समाचार पत्र मराठा अंग्रेजी में व दिनाँक १ जनवरी १98२ से केसरी समाचार पत्र मराठी में शुरू किया। इन समाचार पत्रों में के माध्यम से तिलक जी ने भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम उर्जा दी। केसरी में देश का दुर्भाग्य नामक शीर्षक से लेख लिखा जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया। इस उन्हें राजद्रोह के अभियोग में २७ जुलाई १८९७ को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें ६ वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत माण्डले (बर्मा) जेल में बन्द कर दिया गया। चापेकर ने ललकारते हुए लिखा अब अवसर देख म्लेच्छ रेलगाड़ियों से स्त्रियों को घसीट कर बेइज्जत करते हैं। हे कायरों तुम लोग कैसे सहन करते हो ? इसके विरूद्ध आवाज उठाओ । इस कविता के प्रकाशन पर बाल गंगाधर तिलक पर मुकदमा चलाया गया १४ सितम्बर१८९७ को तिलक जी को डेढ़ वर्ष की सजा दी गई । लोकमान्य तिलक ने १९०८ में क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया। जिसके लिये तिलक जी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया व उन्हें बर्मा मांडले जेल में भेज दिया गया। यह बात चापेकर बंधुओं के शरीर में तीर की तरह लगी और उनकी आत्माओं को झीझोड़कर रख दिया । जिन्होंने हीरक जयंती २२ जून १८९७ को रैण्ड का वध कर दिया। तिलक जी ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया। (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। १९०७ में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी। गरम दल में लोकमान्य तिलक के साथ लाला लाजपत राय और श्री बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे। इन तीनों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा। तिलकजी ने १९१६ में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की। बाल गंगाधर तिलक की पत्नी के स्वर्गवास के समय जेल में होने के कारण अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके। तिलक जी द्वारा मांडले जेल में लिखी गयी टीका गीता-रहस्य महत्वपूर्ण है इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। तिलकजी का २ अगस्त 19२0 को बम्बई में स्वर्गवास हुआ।
राँची: कांके क्षेत्र के समाजसेवी सह झामुमो युवा नेता जुल्फान खान और झामुमो युवा नेता सह ऊपर कोनकी अंजुमन कमिटी के नयाब सेक्रेटरी वसीम अकरम ने रविवार को पिठोरिया थाना के नए थाना प्रभारी अभय कुमार को बुके देकर स्वागत किया। मौके पर दोनों समाजसेवियों ने क्षेत्र की समस्याओं से थाना प्रभारी को अवगत कराया। वहीं थाना क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाने के लिए पुलिस का हर हाल में सहयोग करने की बात कही। इस दौरान थाना प्रभारी ने भी भरोसा दिलाया कि, पिठोरिया पुलिस के द्वारा क्षेत्र में अपराध मुक्त और आपसी सौहार्द बनी रहेगी। वहीं झामुमो नेता वसीम अकरम ने थाना प्रभारी से क्षेत्र में नशा के कारोबारियों पर अंकुश लगाने की अपील की। इस पर थाना प्रभारी ने कहा की हम लोग इस पर गंभीर हैं। नशा व्यपारियों के खिलाफ अभियान चलाकर छापेमारी भी की जाएगी और कानून सम्मत कार्रवाई भी की जाएगी।
म्प पुलिस कॉन्स्टेबल रेसल्ट २०२२ : मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती २०२२ में शामिल हुए विद्यार्थियों जिस खबर का इंतजार था आखिरकार वह खबर आई गई है क्योंकि मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती २०२२ के लिए परिणाम जारी कर दिए हैं यदि आप भी इन परीक्षा में शामिल हुए थे तो अधिकारी वेबसाइट पेब.म्प.गोव.इन पर जाकर अपने परिणाम चेक कर सकते हैं परिणाम चेक करने का डायरेक्ट लिंक आपको इस पोस्ट में भी उपलब्ध कराया जाएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। जानकारी के लिए बता दें मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती २०२२ परीक्षा आयोजन का कार्यक्रम पूरे एक महीना १७ जनवरी से १७ फरवरी २०२२ तक चला था जिसके लिए १२ नंबर २०२२ को परीक्षा परिणाम जारी कर दिए गए हैं जबकि पहली राउंड की परीक्षा के परिणाम २३ मार्च २०२२ को जारी कर दिए गए थे जिसमें लगभग ३१,००० अभर्तियों को क्वालीफाई किया गया था। एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती २०२२ रिजल्ट चेक करने के लिए सबसे पहले मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पेब.म्प.गोव.इन पर जाएं। अब आपको वेबसाइट के होम पेज पर ही एमपी पुलिस कांस्टेबल रिजल्ट कार्ड लिंक देखने को मिल जाएगा। लिंक पर क्लिक करें और लॉगइन पेज में मांगी जा रही जानकारी आवेदन नंबर और जन्मतिथि दर्ज करें। अब आप अपना रिजल्ट चेक करें और डाउनलोड कर सकते हैं इसके अलावा भविष्य में उपयोग के लिए इसका प्रिंटआउट जरूर रखें। एमपी पुलिस कॉन्स्टेबल के ७५०० नए पदों पर भर्ती को लेकर बड़ी खबर, इस बार फिजिकल टेस्ट होगा महत्वपूर्ण! म्प फॉरेस्ट गार्ड भारती २०२२ : मध्यप्रदेश फॉरेस्ट गार्ड के १७७२ पदों पर निकलने जा रही भर्ती, जल्द होगा नोटिफिकेशन जारी! म्प अपेक्स बैंक भारती : एमपी राज्य सहकारी अपैक्स बैंक में निकली भर्ती, १८ से ६५ साल तक के अभ्यार्थी कर सकतें है आवेदन!
धनिया (अंग्रेज़ी: कोथंदर) या कोथमीर भारतीय रसोई में प्रयोग की जाने वाली एक सुंगंधित हरी पत्ती है। मारवाडी भाषा में इसे धोणा कहा जाता है। सामान्यतः इसके पत्तो का उपयोग सब्ज़ी की सजावट और ताज़े मसाले के रूप में किया जाता है। इसके बीज को सुखाकर सूखे मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। धनिया २ तरह की होती हैं देशी धनिया इसमें स्वाद और खुशबू ज्यादा होती है ये बाजारों में दिसम्बर से फरवरी तक ही खाने के लिए उपलब्ध होती है हायब्रीड धनि ये बाजारों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन स्वाद ओर खुशबू में ज्यादा अच्छी नहीं होती। हसीब उल नवाज़ द्वारा परामर्श: धनियाबीज (धनदाल) संपूर्ण पाचन तन्त्र को मज़बूत करता है। धनिया बीज को रोज़ दो - तीन बार सौंफ़ की तरह चबाकर खाएं। सौंफ के साथ भी खा सकते हैं। अगले दिन से आपका चेहरा ताज़ा दिखेगा। जिन्हें शुगर है वह भी खा सकते हैं। धनिया बीज से शुगर, कन्ट्रोल में रहती है। धनिया बीज के सेवन से पेन्क्रियाज़ मज़बूत होती है। और उदर वायु (गैस) की समस्या से निजात मिलती है।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ (अंग्रेजी:इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन;इयाता) एक अन्तर्राष्ट्रीय वायुसेवाओं का उद्योग व्यापार समूह है, जिसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है। यहीं पर अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन का मुख्यालय भि स्थित है। इस संगठन का उद्देश्य है वायुसेवा उद्योग की सेवा और बढ़ावा देना। यह संघ २८० वायुसेवाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो अनुसूचित अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात का ९३% भाग है। इस संगठन के महानिदेशक हैं जियोवानी बिसिग्नानी। वर्तमान में यह संगठन १५० से अधिक देशों में व्याप्त है और इसके विश्वव्यापी १०१ कार्यालय हैं। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ( आईएटीए / एएमटीए /) दुनिया की एयरलाइंस का व्यापार संघ है। २ ९ ० एयरलाइंस, मुख्य रूप से प्रमुख वाहक, ११७ देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए, आईएटीए की सदस्य एयरलाइनों का कुल उपलब्ध सीट माइल्स हवाई यातायात का लगभग 8२% हिस्सा लेना है। आईएटीए एयरलाइनगतिविधि का समर्थन करता है और उद्योग नीति और मानकों को तैयार करने में मदद करता है। इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, क्यूबेक, कनाडा में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में कार्यकारी कार्यालयों के साथ है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के लिए संक्षिप्त। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन के क्रमबद्ध विकास के लक्ष्य के साथ १९४५ में एक निजी संगठन की स्थापना की गई। पूर्व अंतर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ (१९१९ में स्थापित) पर आधारित, जो मुख्य रूप से एक यूरोपीय एयरलाइन थी। इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है और इसके कार्यालय जिनेवा, न्यूयॉर्क, लंदन आदि में हैं। २२५ सदस्य कंपनियां हैं (१९९६ के अंत तक)। जापान एयरलाइंस सितंबर १९५४ में एक आधिकारिक है, और दैनिक कार्य स्थायी बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। स्टैंडिंग बोर्ड के तहत, प्रौद्योगिकी, कानूनी, वित्त और परिवहन के लिए एक स्थायी समिति है। संचालन को मोटे तौर पर एसोसिएशन की गतिविधियों जैसे कि प्रौद्योगिकी और कानूनी मामलों और किरायासमायोजन गतिविधियों जैसे किराया स्तरों के निर्धारण में विभाजित किया गया है। विशेष रूप से, दुनिया तीन जिलों में विभाजित है। विमान किराया , शुल्क से संबंधित परिवहन सम्मेलनगतिविधियाँ महत्वपूर्ण हैं। किराये आदि, को अंततः प्रत्येक देश की सरकारों द्वारा अनुमोदित किया जाता है, लेकिन उन्हें अर्ध-सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका इयाता को सौंपा गया है। यात्रियों और कार्गो के लिए नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं, लेकिन मुद्रा और ईंधन मुद्दों के लिए विशेष बैठकें भी बुलाई जाती हैं। गैर-आईएटीए कंपनियों द्वारा कम किराया आक्रामक से निपटने के उपाय हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गए हैं। अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ के लिए संक्षिप्त। मैंने एआटा भपढ़ा। १ ९ ४५ में हवाना समझौते द्वारा स्थापित एक नागरिक एयरलाइन संगठन। हवाई परिवहन के विकास के लिए, हम किराए, सेवा सामग्री, विमानन प्रौद्योगिकी और अन्य को एकजुट करने की योजना बना रहे हैं। अक्टूबर १ ९ ७ ९ में संगठन में सुधार किया गया था, और किराया सेटिंग विधि लचीला बना दिया गया था। जुलाई १ ९९९ तक, सदस्यों की संख्या २६५ (24७ नियमित सदस्य, १8 सहयोगी सदस्य) हैं। जापान से, जापान एयरलाइंस, एएनए, निप्पॉनएयर सिस्टम और निप्पॉन कार्गो एयरलाइंस नियमित सदस्यों के रूप में भाग लेते हैं। मुख्यालय मॉन्ट्रियल और जिनेवा हैं। इयाता की स्थापना अप्रैल, १९४५, में हवाना, क्यूबा में हुई थी। यह अन्तर्राष्ट्रीय वायु ट्रैफिक संगठन का उत्तराधिकारी है, जिसकी स्थापना १९१९ में द हेग में हुई थी। इसी वर्ष विश्व की प्रथम अनुसूचित विमान सेवा का आरंभ हुआ था। स्थापना के समय इयाता में ३१ राष्ट्रों से ५७ सदस्य थे। इनमें से अधिकांश यूरोप और उत्तरी अमरीका से थे। आज इसके २४० से धिक सदस्य हैं, जो कि विश्व के १४० से अधिक राष्ट्रों से हैं। अन्तिम परिवर्तन १०:११, २४ अक्टूबर २०२२।
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अपशकुन लेना एक पुरानी प्रथा है जिसके विभिन्न समाजों में विभिन्न रंग व रूप पाए जाते हैं। इस्लाम धर्म की दृष्टि से यह एक घृणित प्रथा है जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे निषिद्ध ठहराया है, तथा इस बात को स्पष्ट किया है कि उसका किसी चीज़ के लाभ व हानि में कोई प्रभाव नहीं है। बल्कि मनुष्य को जीवन के सभी मामलों में आशावादी रहने की शिक्षा दी है और उसकी रूचि दिलाई है। प्रस्तुत लेख में अच्छा फाल शकुन-, आशावाद के रूप, निराशावाद व अपशकुन की वास्तविकता, इस्लाम धर्म में उसके निषेद्ध, अरब एवं गैर अरब समाज में उसके रंग व रूप, और निराशावाद की हानियों और आशावाद के लाभ का उल्लेख किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने काजा, मनाली और कुल्लू में आयोजित रैलियों को संबोधित किया और इस दौरान उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में एक बार पुन: भारी बहुमत से डबल इंजन वाली भाजपा सरकार का बनना तय है। नड्डा ने कहा कि पहले राजनीति और चुनाव में एंटी इनकम्बैंसी होती थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदुस्तान की राजनीति में प्रो-इनकम्बैंसी का एक नया शब्द जोड़ दिया। जब सही नेतृत्व हो, विकास की नीति हो, काम करने की नीयत हो तो एंटी-इनकम्बैंसी नहीं बल्कि प्रो-इनकम्बैंसी होती है। जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ अन्याय किया है और यहां के लोगों को धोखा दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल प्रदेश को इंडस्ट्रियल पैकेज भी दिया था, जिसे कांग्रेस की यूपीए सरकार ने वापस ले लिया। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने हिमाचल प्रदेश का स्पैशल कैटेगरी स्टेटस छीन लिया। जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने बिना मांगे ही हिमाचल प्रदेश का स्पेशल स्टेटस का दर्जा बहाल कर दिया।
एक रिसर्च के अनुसार सुबह के समय में सेक्स करने से बीर्य की गुड्बत्ता १२ प्रतिशत बढ़ जाती जाती है। इसलिए जिस किसी भी महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है। बे महिलाये सुबह के समय सेक्स करे इससे गर्भधारण करने की स्म्भाबना बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही कई सेक्स सम्बन्धी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। सुबह के समय सेक्स करने से आप दिनभर तरोताजा और फिट रह सकते हैं। सुबह के समय सेक्स के दौरान हमारे शरीर से निकलने वाले केमिकल्स से हमें अधिक संतुष्टि मिलती है। जिससे हम ना सिर्फ खुश रहते हैं बल्कि हम स्वस्थ भी महसूस करते हैं। रिसर्च के अनुसार यदि कोई कपल सफ्ताह में ३ दिन सेक्स करता है। तो इससे हार्ट अटेक का खतरा कम हो जाता है। इसलिए सम्भब हो सके तो रात की जगह सुबह के समय सेक्स करे और अपने स्वास्थ को स्वस्थ रखे। सुबह के समय सेक्स करने से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिससे लिंग में अधिक कड़ापन आजाता है। इससे आक्सीजन का संचार अच्छी तरह से बालो तथा त्वचा में होता है। इससे आपकी त्वचा तथा बालो सम्बंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तथा आपकी त्वचा दमकने लगती है। सुबह के टाइम में किया गया सेक्स किसी भी व्यायाम से कम नहीं होता है। क्योकि इस समय हबा में आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। सेक्स के दोरान व्यक्ति बड़ी बड़ी सांसे लेता हैं। जिससे जादा से जादा आक्सीजन फेफड़ो तक आसानी से पहुच जाती है। इसलिए सुबह सेक्स का फायदा उठाये। सुबह के समय हमारा दिमाग बिलकुल शांत होता है। और सभी परेशानियों से मुख्त होता है। उस समय हमारा पूरा नियंत्रण होता है। हमारे दिमाग पर और यदि आप सुबह के समय सेक्स करते हैं। तो आपका बीर्य भी बहुत देर में निकलता है जिससे शीघ्रपतन नहीं होता है। जब लड़की पहली बार शारीरिक संबंध बनाती है तो उनके पीरियड का समय अनियमित हो जाता है। यह सामान्य सी बात है, परंतु यदि पीरियड आने में अधिक देरी हो तो यह प्रेगनेंसी भी हो सकती है। पहली बार शारीरिक संबंध बनाने के कारण लड़कियों के दिमाग में सेक्स की प्रति उत्साह अधिक बढ़ जाता है। इसी कारण उनके दिमाग और भी ज्यादा क्रियाशील हो जाता है अर्थात उनके सोचने समझने की क्षमता अधिक हो जाती है। पहली बार शारीरिक संबंध बनाने से लड़कियों में अनेक प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं। सामान्य सी बात है, पहली बार संबंध बनाने से लड़कियों के अंगों में बढ़ोतरी होने लगती है और त्वचा में चमक के साथ साथ चेहरे पर भी निखार आता है। नेक्स्ट आर्टियलनरगिस फाखरी ने बिकनी फोटो से मचाया हंगामा! नरगिस फाखरी ने बिकनी फोटो से मचाया हंगामा!
थे घोस्ट टीसर: नागार्जुन की एक अंधेरी गली के शॉट से होती है, जिसमें कैमरे की ओर पीठ करते हुए तीन लोगों से लड़ते हुए दिखाया गया है। काफी उम्मीदों के बीच शनिवार की रात नागार्जुन ने खुद अपनी आने वाली एक्शन फिल्म द घोस्ट का टीजर पेश किया। द किलिंग मशीन, एक संक्षिप्त टीज़र जो दर्शकों को फिल्म से नागार्जुन के गूढ़ चरित्र की पहली झलक प्रदान करता है और उनकी अविश्वसनीय तलवार से लड़ने की शक्ति का प्रदर्शन करता है। टीज़र की शुरुआत नागार्जुन की एक अंधेरी गली के शॉट के साथ होती है जिसमें कैमरे की ओर पीठ करते हुए तीन लोगों से लड़ते हैं। वह दो तलवारें निकालता है, प्रत्येक हाथ में एक को पकड़े हुए, और अपने कई दुश्मनों पर हमला करता है। वह उन सभी को एक-एक करके काफी खूनी लड़ाई में मारता है जो अच्छी तरह से व्यवस्थित है। फिर, जब नागार्जुन ने कैमरे की ओर देखा, तो कैमरा ने उनका चेहरा प्रकट करने के लिए पैन किया। किसी भी सीन में कोई लाइन नहीं थी। घोषणा से एक और अफवाह भी दूर हो गई। कुछ अफवाहों में कहा गया था कि फिल्म सीधे ओटीटी पर जा रही थी। लेकिन नागार्जुन ने टीजर प्रीमियर में साफ कर दिया कि द घोस्ट पहले सिनेमाघरों में खुलेगी। फैंस ने नागार्जुन के लुक और टीजर को खूब पसंद किया। कई यूजर्स ने इसे साल की सबसे बड़ी हिट घोषित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। फिल्म, जिसमें सोनल चौहान, गुल पनाग और अनिखा सुरेंद्रन भी हैं, का निर्देशन और निर्माण प्रवीण सत्तारू ने किया था। श्री वेंकटेश्वर सिनेमाज एलएलपी, नॉर्थस्टार एंटरटेनमेंट द घोस्ट को फाइनेंस कर रहा है। नागार्जुन द घोस्ट से पहले अयान मुखर्जी की ब्रह्मास्त्र में भी सहायक भूमिका में नजर आएंगे। ७ सितंबर को डेब्यू करने वाली इस फिल्म में रणबीर कपूर, अमिताभ बच्चन और आलिया भट्ट भी हैं।
रांचीः पिछले वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस, मनाया जा रहा था तब भी देश में कोरोना महामारी फैली हुई थी, और इस बार भी जब मई दिवस मनाया जाना है, देश कोरोना महामारी की चपेट में है। वर्तमान में ये महामारी विकराल रूप धारण कर भयंकर तबाही मचा रही है। पूंजीवादी व्यवस्था ने श्रम के शोषण के साथ साथ, दुनिया के पर्यावरण को इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है कि, यह धरती मानव जाति के रहने लायक नहीं रही। ऊपर से इस संकट के सारे बोझ को मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनता की पीठ पर लाद दिया गया है। महामारी से पहले ही दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही थी। उस संकट को मजदूरों, किसानों व आम मेहनतकश जनता पर लादने के लिए चार श्रम संहिता (लेबर कोड़), किसान विरोधी तीन कृषि कानून, बिजली विधेयक जैसे अन्य कानून तैयार किए गएं, जो मजदूरों, किसानों व आम जनता के शोषण को तेज करने वाले हैं। फिर कोविड आपदा की आड़ में इन्हें कानूनी रूप दे दिया गया। मोदी सरकार ने पिछले एक साल में इससे निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, उल्टे आपदा को अवसर में बदलते हुए, कारपोरेट घरानों, दवा कम्पनियों और निजी अस्पतालों की स्वार्थ पूर्ति करने में लगी रही। इस समय अस्पतालों, डाक्टरों, स्टाफ, दवा, ऑक्सीजन आदि का इंतजाम करना था और इनकी संख्या बढ़ानी थी, और निजी अस्पतालों का अधिग्रहण कर सार्वजनिक चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करना था, मगर यह सब न करके, निजी क्षेत्र को लूटने और सामानों की कालाबाजारी की छूट मिली हुई है। सरकार ने सोचा था कि महामारी और इसकी वजह से लागू प्रतिबंध के कारण आम जनता इसका विरोध नहीं कर पाएगी। मगर किसानों ने, मजदूरों के समर्थन से, जूझारू और ऐतिहासिक संघर्ष छेड़कर, सरकार को गलत साबित कर दिया है। इस बहादुराना जन प्रतिरोध के बावजूद, केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा संकट के बोझ को मेहनतकश आबादी पर लादने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। पिछले साल के अनुभव से सबक न लेकर, मजदूरों व किसानों पर नए सिरे से लाकडाउन लगाने की कोशिश की जा रही है। विश्व व्यापी संकट की इस घड़ी में मजदूर वर्ग को अपनी भूमिका निभाने के लिए आगे आना होगा। मजदूर वर्ग इसके लिए तैयार है, मगर उसके साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए, जो पिछले वर्ष नहीं हुआ था। इस महामारी के समय भी जब मजदूर, अपने और परिवार की जान जोखिम में डालकर, कारखानों का पहिया चला रहे हैं। १) महामारी व लाकडाउन के नाम पर, किसी प्रकार की कटौती किए बिना, मजदूरों को पूरे वेतन का भुगतान किया जाए। २) लाकडाउन के बहाने मजदूरों को काम से बर्खास्त या निकाला न जाए। ३) सभी मजदूरों व उनके परिजनों को कोरोना पीड़ित होने पर, प्राथमिकता देकर, मुफ्त व अनिवार्य इलाज किया जाए और देहांत होने पर ५० लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिया जाए। ४) मजदूरों को घर से कार्यस्थल तक आवागमन की सुविधा दी जाए। उक्त बातें अस्थाई, कैजुअल, ठेका, बदली, सभी मजदूरों के लिए लागू हों। ५) जहां सीधे तौर पर कोई नियोक्ता नहीं है, जैसे कि घरेलू कामगार, फुटकर विक्रेता, ऑटो चालक आदि, उन्हें १०,००० रुपए की सहायता दी जाए। सभी मजदूरों को सस्ता राशन प्रदान किया जाए। सरकार बेघर लोगों के लिए रहने की उचित व्यवस्था करें। अगर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा मजदूरों की रोजी-रोटी और जीवन की सुरक्षा की गारंटी की जाती है, तो पिछले वर्ष जैसा मंजर नहीं होगा। लेकिन हम देख रहे हैं कि नियोक्ता द्वारा कोरोना वायरस से पीड़ित मजदूरों की न तो देखभाल की जा रही है, न मृतकों को मुआवजा ही दिया जा रहा है। महामारी के समय न केवल नर्स, अस्पताल स्टाफ जैसे चिकित्सा कर्मी ही, बल्कि नगर निगम के सफाई कर्मचारी, ट्रांसपोर्ट कर्मचारी, हमारे लिए रोजमर्रा की जरूरतों का उत्पादन करने वाले फैक्ट्री मजदूर और निश्चित ही किसानों ने महामारी के समय अब तक बेमिसाल, बहादुराना भूमिका निभाई है। किन्तु केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा अपनी नाकामी का ठीकरा एक दूसरे पर और जनता पर फोड़ा जा रहा है, जिनकी संवेदनहीनता, कुप्रबंधन, जन विरोधी नीतियों की वजह से हजारों लोगों की मौत हो रही है। कुंभ जैसे आयोजनों में लाखों की भीड़ जमा कर धार्मिक नेताओं ने साफ तौर पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। अमीर कोरोना महामारी से बचने के लिए विदेश की सैर पर जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियां और रोड़ शो करने दिया। एक साल का वक्त मिलने के बाद भी सरकारों ने कोई इंतजाम नहीं किया, न अस्पताल, न आक्सीजन, सब पहले जैसा चलता रहा। इन सब में मजदूरों व मेहनतकशों का कोई दोष नहीं है। मगर मजदूरों, मेहनतकश जनता को कोई श्रेय नहीं दिया गया, उल्टे पिछले वर्ष हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी करने वाले मजदूरों के साथ जानवरों सा व्यवहार किया गया और जिस प्रकार कोरोना के नाम पर सीएजी विरोधी आन्दोलन को कुचला गया था, वैसे ही केन्द्र सरकार इस बार किसान आंदोलन के साथ करने की कोशिश कर रही है। हम सभी मजदूर संगठन इस मई दिवस के अवसर पर जनता से अपील करते हैं कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए आपस में सहयोग करें, मजदूरों, मेहनतकश जनता के रोजी-रोजगार के सवालों पर संघर्ष करें, किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए हो रहे इस आन्दोलन का समर्थन करें और केन्द्र व राज्य सरकारों की जन विरोधी, कॉरपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं।
बिग बॉस १३ फेम शहनाज गिल (शहनाज़ गिल) इन दिनों अपनी नई एल्बम और तस्वीरों को लेकर सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं। शहनाज़ गिल अपनी तस्वीरों के जरिए फैंस को दीवाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होती हैं। वहीँ हाल ही में शहनाज ने अपनी कुछ लेटेस्ट तस्वीरें शेयर की हैं जो इंटरनेट पर वायरल हो रही है। जिसमें उनका लुक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है। बिग बॉस १३ फेम शहनाज गिल इन दिनों अपनी नई एल्बम और तस्वीरों को लेकर सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं। शहनाज़ गिल अपनी तस्वीरों के जरिए फैंस को दीवाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होती हैं। वहीँ हाल ही में शहनाज ने अपनी कुछ लेटेस्ट तस्वीरें शेयर की हैं जो इंटरनेट पर वायरल हो रही है। जिसमें उनका लुक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है। आउटफिट की बात करें तो उन्होंने व्हाइट टॉप, लाइट ब्लू जींस और ब्लैक लेदर जैकेट कैरी की हुई है। शहनाज़ गिल की काफी अच्छी फैन फॉलोइंग है। वहीं इन दिनों उनके पास कई सारे प्रोजेक्ट्स हैं। हाल ही में एक्ट्रेस बादशाह के साथ फ्लाई' म्यूजिक वीडियो में नजर आए थीं, जिसमें उनके अंदाज ने फैंस का दिल जीता था। बता दें शहनाज गिल जल्द ही दिलजीत दोसांझ के साथ फिल्म में दिखाई देने वाली हैं। इससे पहले एक्ट्रेस ने दिलजीत के साथ भी तस्वीरें शेयर की थी, जिसमें कुछ तस्वीरों में वे दोनों पोज देते नजर आए।
इंदौर। पिड़वाय मे एक कांग्रेस कार्यकर्ता के यहाँ गमी के कार्यक्रम में शरीक होने जाते वक्त गाय को बचाने में कार का बैलेंस बिगड़ जाने से एक्सीडेंट हो गया। श्री यादव की कार बेलेंस बिगड़ जाने के कारण करीब २५ फिट नीचे एक पोल से टकरा गई, लेकिन कार के सेफ्टी बलून निकल जाने के कारण बड़ा हादसा नही हो सका। श्री यादव के सिर में चोट आई है, थोड़ा खून निकलने के कारण उन्हें जांच के लिए आईसीयू में रखा गया था, लेकिन जांच नार्मल आने के कारण उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, जहा उनकी तबीयत ठीक बताई जा रही है। श्री यादव के कार के ड्राइवर को भी चोट आई है उन्हें एमवाय हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है।
इजरायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एलियंस के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। पिछले तीस वर्षों से इजरायल के अंतरिक्ष सुरक्षा कार्यक्रम के प्रमुख और सेवानिवृत्त हैम इश्हेद मानते हैं कि एलियंस पृथ्वी पर रह रहे हैं और वे गुप्त रूप से अमेरिका और इजरायल के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि एलियंस अपने अस्तित्व का खुलासा आम लोगों के लिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग अभी इस तरह के खुलासे के लिए तैयार नहीं हैं। हेम ने इज़राइली समाचार पत्र येडियट अहरोनोट को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एलियंस के रहस्यों को प्रकट करने वाले थे, लेकिन सही समय पर, गेलेक्टिक फेडरेशन के एलियंस ने ट्रम्प को रोक दिया। इस्हेद ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने पांच साल पहले सार्वजनिक रूप से यह कहा होता, तो उन्हें अस्पताल ले जाया जाता। लेकिन उसे उम्मीद है कि अब चीजें बदल जाएंगी। इशेद ने कहा कि उन्होंने अपनी बात कहीं भी रखी, सभी ने उन्हें पागल कहा लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है और उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। २०११ में जब ईशेड सेवानिवृत्त हुए, तो उनके योगदान को देखते हुए, इजरायली मीडिया ने उन्हें फादर ऑफ इज़राइल सैटेलाइट प्रोग्राम भी कहा। अपने पद से हटने के बाद, उन्होंने अपना अधिकांश ध्यान उसी चीज़ पर केंद्रित किया है जो उनके लिए बहुत रहस्यमय और दिलचस्प है, वह एलियंस हैं। येरुशलम पोस्ट के अनुसार, इस व्यक्ति ने अपने विचारों को एक पुस्तक का रूप भी दिया है। द यूनिवर्स बियॉन्ड द क्षितिज नाम की इस किताब में उन्होंने यह भी समझाने की कोशिश की है कि कैसे इन एलियंस ने हमारी पृथ्वी पर परमाणु दुर्घटनाओं को रोका है। उन्होंने इस किताब में एलियंस की प्रकृति, उनके अस्तित्व से संबंधित कई सिद्धांत दिए हैं। गौरतलब है कि इजरायली अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य में चंद्रमा मिशन की तैयारी कर रही है। इससे पहले, इज़राइल ने अप्रैल में कोशिश की थी, लेकिन रोबोटिक शिल्प से संबंधित उनका निजी वित्तपोषण मिशन विफल रहा। इससे पहले, केवल अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ही चंद्रमा पर एक नियंत्रित लैंडिंग करने में सक्षम रहे हैं। ईशेद ने दावा किया हो सकता है कि अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री मंगल पर एलियंस के साथ एक भूमिगत आधार में मौजूद हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी देश अभी तक मंगल पर मानव को उतारने में सक्षम नहीं है। हालांकि, अमेरिका और चीन मंगल पर नजर गड़ाए हुए हैं।
कुछ दिन पहले हमने आपको के आगमन के बारे में बताया था पोको आने वाले दिनों में फ४ ५ग। खैर, आज ब्रांड ने ट्विटर पर डिवाइस के सबसे महत्वपूर्ण विनिर्देशों में से एक की पुष्टि की - प्रोसेसर। प्रदर्शन जो आपको और अधिक करते रहने के लिए प्रेरित करेगा! स्नैपड्रैगन ८०० सीरीज़ के सबसे बेहतरीन प्रोसेसर का अनुभव करने के लिए तैयार हो जाइए। जैसा कि हम ऊपर ट्वीट में देख सकते हैं, पोको दावा है कि अगला फ४ ५ग "८०० श्रृंखला के सबसे अनुकूलित प्रोसेसर" द्वारा संचालित होगा, जबकि छवि स्पष्ट रूप से चिपसेट के ऊपर मौजूद "स्नैपड्रैगन ८७० ५ग" शब्दों को दिखाती है। किसी भी मामले में, यह पुष्टि हमें बताती है कि, जैसा कि पहले लीक हुआ था, पोको फ४ ५ग कुछ महीने पहले चीन में पेश किए गए रेडमी क४0स का रीब्रांड हो सकता है। यदि ऐसा है, तो हम पहले से ही मान सकते हैं कि पोको फ४ ५ग ६,६7-इंच अमोलेड फद + डिस्प्ले के साथ १२०हज़ के रिफ्रेश रेट और डॉल्बी विजन सपोर्ट के साथ आएगा। जबकि स्नैपड्रैगन ८७० चिप को तेज लैडर५ रैम और उस ३.१ इंटरनल मेमोरी के साथ जोड़ा जाएगा। फोटोग्राफिक क्षेत्र के लिए, के रूप में पोको फ४ ५ग को रेडमी क४0स पर अपग्रेड देखना चाहिए, जो कि रेडमी क6४स पर मिले ४८म्प मुख्य कैमरे (ओईस के साथ भी) के बजाय ओईस द्वारा सहायता प्राप्त ४0म्प मुख्य कैमरा है। किसी भी तरह से, अन्य कैमरे समान होने चाहिए, इसलिए ८म्प का अल्ट्रा वाइड लेंस कैमरा, २म्प का मैक्रो कैमरा और २0म्प का फ्रंट कैमरा। अंत में, स्मार्टफोन ४५००व फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ ६७माह की बैटरी द्वारा संचालित होगा।यह दो स्टीरियो स्पीकर, एक साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर और एक इंफ्रारेड एमिटर के साथ आएगा। डिवाइस अंड्रॉयड १३ पर आधारित मिउई १२ पर चलेगा। नर्ड, प्रौद्योगिकी, फोटोग्राफी, वीडियो निर्माता और गेमर के बारे में भावुक। और निश्चित रूप से मुझे ज़ियाओमी उत्पादों से प्यार है! ट्विटर पर उपलब्ध है। जब आप पहली बार एक सामाजिक लॉगिन बटन का उपयोग करते हुए लॉग इन करते हैं, तो हम आपकी गोपनीयता सेटिंग्स के आधार पर, सामाजिक लॉगिन प्रदाता द्वारा साझा की गई आपकी खाता सार्वजनिक प्रोफ़ाइल जानकारी एकत्र करते हैं। हमारी साइट पर एक खाता बनाने के लिए हम आपके ईमेल पते का उपयोग करेंगे। मैं स्वीकार करता हूं कि मेरी ईमेल का उपयोग नई टिप्पणियों की सूचनाएं प्राप्त करने के लिए किया जाता है (आप किसी भी समय सदस्यता रद्द कर सकते हैं)। ११ के लिए ज़ियाओमी शुन्ज़ाओ ज़१५२ मैक्स वैक्यूम क्लीनर यूरोप से भेज दिया गया! इलाइफ आ८० प्लस केवल ७९ के लिए फर्श की सफाई करने वाला रोबोट यूरोप से मुफ़्त भेजा गया! रोबोरॉक एस७ प्रो अल्ट्रा फ्लोर क्लीनिंग रोबोट ९९९ में यूरोप से नि:शुल्क भेजे जाने की पेशकश पर है!
कोरोना महामारी के बावजूद आने वाले दिनों में १०,००० से १५,००० आंदोलनकारी किसान एकत्रित होकर दिल्ली तक मार्च करने की तैयारी में हैं। द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) ने घोषणा की कि राज्य के कई हिस्सों से किसानों और खेती करने वाले मजदूरों के समूह आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर बढ़ना शुरू कर देंगे, ताकि आंदोलन स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती रहे। बता दें कि पंजाब में सोमवार (३ मई) को ६,७९८ नए कोविड मामले आए हैं, जबकि ६01६ मरीज इससे ठीक हुए हैं और १५७ लोगों की मौत हुई है। इस तरह राज्य में कुल ६0,७०९ सक्रिय मामले हैं।

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