folksong
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हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । ताऊ भी रहसा बाबा भी रहसा , रहसा सब परिवार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । जीजा जी रहसा मामा भी रहसा , रहसा सब परिवार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । बूआ लाई उसका कुर्ता टोपी , फूफा लाया गलहार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । मामी तो लाई उसका घोड़ा डोला , मामा लाया जोड़े साथ मेरे ललना के , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । नाना आये उस पै मोहरें बारीं , नानी ने भेजी मोती माल मेरे ललना की , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
haryanvi-bgc
बसन्त कौ प्यार क्वाँरी मनबगिया कोयलिया कूक रई , बिरछन नें कर लऔ सिंगार , झूमे नए फूलन के हार । दूर हरी खेतन में बगरी है भाँग , गंध झरत केवरे सें झूम रई डाँग , होंन लगे रागरंग आ गई बहार , नदिया की निरमल भई धार । अनहोंनी बात भई सोंने में बास , धरती पै होंन लगो महुअन कौ रास । नाँनीँ रसबुँदियन की बरसै फुआर , रूपेसौ हो गऔ सिंसार । पीपी कें बैर चली बहकी है चाल , महँक उठीं मेंड़ें सब हो गईं बेहाल । कलियाँ रस बगरा कें मस्ती रइँ ढार , पाँखन में मुन्सारे पार । सेंमर सज आऔ है टेसू के संग , बौराये आम देख इनके सब रंग । बनीठनी सकियँन सँग ठाँड़ी कचनार , पीर करै हिय में तकरार । सरसों में गोरी कौ कंचन भऔ आँग , भरी नई बालन नें मोंतिन सें माँग । सोभा लख आसमान धीरज ना धार बगरौ है धरती के थार राधा नें रूप सजौ सोरउ सिंगार , कुंजन में नन्दन बन हो रऔ बलहार । काए ना कान्हा फिर लेबें औतार ? धरती में इतनों है प्यार । क्वाँरी मनबगिया में कोयलिया कू क रई , बिरछन नें कर लऔ सिंगार , झूमे नए फूलन के हार ।
bundeli-bns
मेनू हीरे हीरे आखे हाय मेनू हीरे हीरे आखे हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छनके हाय नी मुंडा लम्बर दा , नी मुंडा लम्बर दा सुबा सवारे उठ नदिया मैं जानी आ मल मल दही दियाँ फुटियां नहौनियां , नी उहदे पाणी च सुनींदे हासे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा , सुबा सवारे उठ खुही मे जानीआ सुहा शुआ गहरा जद धके मै लौनी आ , मैनू लगा मेरी वखी संग जापे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा , सुबा सवेरे उठ बागे मैं जानीआ बागे मैं जानीआ , नी बागे मैं जानीआ चुन चुन मरुआ चमेली मैं लैउनीआ , उहदे साह दी सुगंध औंदी जापे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मैंनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा
panjabi-pan
दूरि गमन से अयलन कवन दुलहा दूरि गमन1 से अयलन कवन दुलहा , दुअराहिं भरि गेल साँझ2 हे । केने3 गेल , किआ भेल सुगइ कवन सुगइ , कोहबर के करू न विचार हे ॥ 1 ॥ एक हम राजा के बेटी , दूसरे पंडितवा के बहिनी , हम से न होतइ बिचार हे । अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन दुलहा , घोड़े पीठे भेलन असवार हे ॥ 2 ॥ अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन सुगइ , पटुक4 झारिए झुरिए5 उठलन कवन सुगइ । पकड़ले घोरा6 के लगाम हे । अपने तो जाहथि7 जी परभु , ओहे रे तिरहुत देसवा , हमरा के8 सौंपले जाएब जी ॥ 3 ॥ नइहर में हव9 धनि , माय बाप अउरो सहोदर भाई , ससुरा में हव छतरीराज10 हे ॥ 4 ॥ बिनु रे माय बाप , कइसन हे नइहर लोगवा , बिनु सामी नहीं ससुरार हे । किआ11 काम देथिन12 जी परभु , माय बाप अउरो सहोदर भाई , चाहे काम देथिन छतरीराज हे ? ॥ 5 ॥
magahi-mag
523 सद मांदरी खेड़यां लख आंदे फकर वैद ते नाल मदारियां दे तिरयाक अकबर अफलातून वाला दारू वडे फरग पसारियां दे जिनहां जात हजारे दे सप कीले घत आंदे ने विच पटारियां दे गडे लख ताविज ते धूप हरमल सूत आंदे ने कंज कुआरियां दे कोई अक चवा खवा गंडे नागदौण1 ते पान सुपारियां दे तेल मिरच ते बूटियां दुध पैसे घिओ देंदे ने नाल खुआरियां दे वारस शाह सपाधियां पिंड बधे खेड़यां जोर लाए जरां जारियां दे
panjabi-pan
427 रांझा खायके मार फिर गरम होया मार मारया भूत फतूर दे ने वेख परी दे नाल खम1 मारया ए उस फरिशते बैत मामूर2 दे ने कमर बन्न के पीर नूं याद कीता लाई थापना मलक हजूर दे ने डेरा बखशी दा मारके लुट लया फते पाई पठान कसूर दे ने वारस शाह जां अंदरों गरम होया लाटां छटियां ताओ तनूर दे ने
panjabi-pan
दादा जीए, दादी जीए, आउर सभ लोग दादा1 जीए , दादी2 जीए , आउर3 सभ लोग । मोरे लाला के गोरेगोरे गाल ॥ 1 ॥ कुरता चूमूँ , टोपी चूमूँ , चूमूँ उनकर गाल । मोरे लाला के भुअरेभुअरे4 बाल ॥ 2 ॥
magahi-mag
जायगो हऊ जाणी रे मन तूक जायगो हऊ जाणी रे मन तूक १ पाँच तत्व को पींजरो बणायो , जामे बस एक प्राणी लोभ लालूच की लपट चली है जायगो बिन पाणी . . . रे मन तू . . . २ भुखीयाँ के कारण भोजन प्यारा , प्यासा के कारण पाणी ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी नही मिल्यो गुरु ज्ञानी . . . रे मन तू . . . ३ राज करन्ता राजा भी जायगा , रुप निखरती राणी वेद पड़न्ता पंडित जायेगा और सकल अभिमानी . . . रे मन तू . . . ४ चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा , जाय पवन और पाणी दास कबीर जी की भक्ति भी जायगा जोत म जोत समाणी . . . रे मन तू . . .
nimadi-noe
कोई सात जणी पाणी जायं री कोई सात जणी पाणी जायं री कोई कुएं रही मंडलाए री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई अगली के कांटो लागियो फिर सातों रही मंडराए री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कैं तैरो कांटो काढियो कैं तेरो पकड़ो पांय री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई नाई का ने कांटो काढियो मेरा देवर पकड़ो पांय री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई नाई का ने देसो परगनो कोई देवर बहण ब्याह री मनै बदो महीनो फागण को
haryanvi-bgc
जौ लों जग में राम जियावैं जौ लों जग में राम जियावैं । जे बातें बरकावै । हात पाँव दृगदाँत बतीसउ सदा एक से राबैं । ना रिन ग्रेही करै काऊ खाँ ना घर बनौ मिटावै । आपुस की बनी नइँ बिगरै कुलै दाग ना आवै । इतने में कुछ होय ईसुरी बिना मौत मर जावै ।
bundeli-bns
विदाई गीत बनी झाझा भाई ने भेले रमतेली वो । बनी पीपल छांया मा रमतेली वो । बनी झाझी वयण भेले रमतेली वो । बनी झाझी भोजाई ने भेले रमतेली वो । बनी झाझी फुई ने भेले रमतेली वो । वर पक्ष की ओर से दुल्हन को कहा जाता है कि यह पीपल का वृक्ष बहुत पुराना है । इस पीपल की ठंडी छाया में बहुत से भाई , भौजाई , बुआ , बहन के साथ खेलती थीं ।
bhili-bhb
लग रही आस करूँ ब्रजवास लग रही आस करूँ भजन करूँ और ध्यान धरूँ , छैया कदमन की मैं ॥ सदा करूँ सत्संग मण्डली सन्त जनन की मैं ॥ लग . पलकन डगर बुहार रेणुका ब्रज गलियन की मैं । अभिलाषी प्यासी रहें अँखियां हरि दरसन की मैं । भूख लगै घरेघर तै भिक्षा करूं द्विजन की मैं । गंगाजल में धोय भेट धरूँ नन्दनन्दन की मैं ॥ शीतल प्रसादहि पाय करूँ शुद्धी निज मन की मैं । सेवा में मैं सदा रहूँ नित ब्रज भक्तन की मैं ॥ ब्रज तज इच्छा करूँ नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं । ‘घासीराम’ शरण पहुँचे गिरिराजधरन की मैं ॥
braj-bra
भाग हमारा जागीयाँ तुम म्हारी नौका धीमी चलो , आरे म्हारा दीन दयाला १ जाई न राम थाड़ा रयाँ , जमना पयली हो पारा नाव लावो रे तुम नावड़ा आन बैगा पार उतारो . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . २ उन्डी लगावजै आवली , उतरा ठोकर मार सोना मड़ाऊ थारी आवली रूपया न को रास . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ३ निरबल्या मोहे बल नही , मोहे फेरा घड़ावो राम म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो म्हारो घणो परिवार . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ४ बिना पंख को सोरटो , आरे पंछी चल्यो रे आकाश रंग रूप वो को कुछ नही लग भुख नी प्यास . . . . म्हारी . . . . . . . . ५ कहत कबीर धर्मराज से , आरे हाथ ब्रम्हा की झारी जन्म . जन्म का हो दुखयारी राखो लाज हमारी . . . . तुम म्हारी . . . . . . . .
nimadi-noe
तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी तू रंग जोगिआ रंग दे सेवक जाण रे बनवारी राम नाम की चाल जमी हो सिव संकर की बूटी हो भू गुरवो की डोर पड़ी हो किलफां जिसकी छटी हो ग्वाल बाल गोपाल हो संग में ग्वालन की दधि लूटी हो देख कै चोला मोरा जोगिआ आसा तिरसना टूटी हो फिर पहर कै चोला करूं तुम्हारा ध्यान रे बनवारी तू परेम के रंग . . . सूत सूत मैं राम रम्या हो मेरै चोलै प्यारै मैं गोकल मैं गउंआं चरती हों जमना बहे किनारै मैं सत का सिलमा लगा दिआ जो चमके एक इसारै मैं बेला फूल बण्या बिसणू का जो राम रह्या हमारे मैं तार तार तै आवै हरी की तान रै बनवारी तू परेम के रंग . . . ठपपै मैं ठाकर जी बैठे देखूं पल्लै चारूं मैं नारायण नरसी की क्यारी बणी होई इन फुलवारां मैं नो लख तार्यां की चमकीली मिलै जो बजार्या मैं चांद सूरज बी बणे होए हों मेरै चोलै प्यारै मैं तू सत्त धरम नै पक्का करदे आण रे बनवारी तू परेम के रंग . . . राम नाम तू रंग में रंग दे गंगा जल लहराता हो इस चोलै ने ओ पहरेगा जिसका हर तै नाता हो यो चोला तो उसने भावै जिस नै मोहन भाता हो मैं बेचैन रहूं तेरै बिन मनगुण तेरे गाता हो मैं राम पार हो जाऊं कर गुणगान रे बनवारी तू परेम के रंग . . .
haryanvi-bgc
हमाओ बीघन कौ परिवार हमाओ बीघन कौ परिवार चलाबैं कैसें हम करतार दयानिध कर दो बेड़ा पार । तनकसौ घर भारी किल्लूर डरन के मारैं रत हम दूर एक जौ चटा चाट रओ चाट एक जौ पड़ा पटक रओ खाट । एक जौ खड़ौ खुजा रऔ खाज एक जो मुरा , मुरा रऔ प्याज एक जौ सिड़ी सुड़क रऔ नाक एक जौ चड़ौ टोर रओ छाज एक जे लला बुआ रए लार मताई कानों करै समार हारकैं रोउन अँसुबा ढार काए खौं पबरौ जौ परिवार । एक जौ खड़ी खाट पै खड़ौ एक जौ फिरत स्थाई में भिड़ौ कढ़ोरा अलमारी सें कड़ौ लल्तुआ लालटेन पै चड़ौ । चतुरिया चूले ऊपर चड़ी चाट रइ हँड़िया में की कड़ी रमकुरा जात खुजाउत मुड़ी सिमइयँन की वीनत है सुड़ी । एक जे लला लगा रए लेट एक जे नंगधुरंगे सेट कड़त आ रओ मटकासौ पेट पेट पै रोटी धरें चपेट । एक कौ जौनों हम मौं धोउत दूसरौ मौड़ा तीनों रोउत रात भर इनखौं ढाँकत फिरत बता दो फिर हम काँसें सोउत ? घुरत रत तन ज्यों घुरतइ राँग बढ़त जा रइ डाड़ी की डाँग तौउ जे मौड़ीमौड़ा करत गरम कपड़न की रोजइ माँग । रखा लए लम्बेलम्बे बार निकरतइ घर सें पटियाँ पार बुआ दो प्रभू तेल की धार खुपड़ियाँ कर लेबें सिंगार । कुटुम में कैसें किऐ पढ़ायँ फीस खौ पइसा काँसै ल्यायँ ? जेब की खौंप न भरबा पाई नओ कुरता काँसैं सिलवाये ? कभउँ नइँ नोंन , कभउँ नइँ मिर्च चलै कैसें जा घर कौ खर्च ? लिड़इ के काल लिबउवा आए और सँग में दो धुंगा ल्याए , न घर में नैकऊ बचो अचार , डरी डबला में सेरक बार , आजकल की दएँ दैत उधार ? काए सें राम करें सत्कार ? बढ़त गइ हर सालै सन्तान न आओ दोउ जनन खौं ग्यान आज देरी पै पटकत मूँड़ चटत जा घरीघरी पै जान करा जनसंख्या कौ बिस्तार बने हम हाय देस के भार । दयानिध कर दो बेड़ा पार ।
bundeli-bns
घोलो री नंणद मेंहदी के पात घोलो री नंणद मेंहदी के पात रगड़ रचाओ मेंहदी जी राज नणद रचाए हाथ और पां हम नै रचाई चिटली आंगली जी राज झूठी सी रची हाथ और पां जुलम रची सै चिटली आंगली जी राज नहा ले री धो ले कर ले सिंगार पट्टी झूला ले सच्चे मोतियां की राज होली री भावज म्हारे री साथ आज मिला दूं बीरा आपणै ते जी राज खोलो रे बीरा बजर किवाड़ सांकल खोलो लोहे सार की जी राज नहीं खुले बजर किवाड़ सांकल खुले ना लोहे सार की जी राज रिमझिम बरसै सै मींह बाहर भीजै तेरी गोरड़ी जी राज खुल गए बजर किवाड़ सांकल खुल गई लोहे सार की जी राज लई धण हेवड़े कै ला आंसू तो पूंजै पंच रंग चीर कै जी राज जीवो जी नणदल थारे बीर सदा सुहागण म्हारी नणदली जी राज द्यूँगी री नणदल बुगचे की तील छटे महीने सीधा कोथली जी राज
haryanvi-bgc
आवे अचक मेरी बाखर में आवे अचक मेरी बाखर में , होरी को खिलार ॥ डारत रंग करत रस बतियाँ , सहजहि सहज लगत आवे छतियाँ । ये दारी तेरौ लगवार ॥ होरी को . आवै . जानत नाहिं चाल होरी की , समझत बहुत घात चोरी की । आखिर तो गैयन को ग्वार ॥ होरी को . आवै . गारी देत अगाड़ी आवै , आपहु नाचै और मोहि नचावै । देखत ननदी खोले किवार ॥ होरी को . आवै . सालिगराम बस्यों ब्रज जब से , ऐसो फाग मच्यो नहिं तब ते । इन बातन पै गुलचा खाय ॥ होरी को . आवै .
braj-bra
कोई नी मिल्यो म्हारा देश को कोई नी मिल्यो म्हारा देश को , आरे केक कहूँ म्हारा मन की १ देश पति चल देश को , आरे उने धाम लखायाँ चिन्ता डाँकन सर्पनी काट हुंडी हो लाया . . . कोई नी . . . २ मन को हो चहु दिश छोड़ दे , आरे साहेब ढूँढी लावे ढूँढे तो हरि ना मिले आरे घट में लव हो लागे . . . कोई नी . . . ३ लाल कहू लाली नही , आरे जरदा भी नाही रुप रंग वाको कछु नही आरे व्यापक घट माही . . . कोई नी . . . ४ पाणी पवन सा पातला , आरे जैसे सुर्या को घाम जैसे चंदा की हो चाँदणी आरे साई हैं मेरो राम . . . कोई नी . . . ५ पाव धरन को ठोर नही , आरे मानो मत मानो मुक्ती सुधारो जीव की आरे जीवन पयचाणो . . . कोई नी . . .
nimadi-noe
काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल रूप कटोरी में बटणां , सूण कटोरी में तेल हठ म्हारी लाडो बैठी बटणा तेरी लाडो मां सुहागण पांय ना दे छीकै पांय ना दे पांय ना दे सुहागण अणन्द बधावा हो तेरी लाडो सास छिनलिया छीकै पाएं धरैगी रिपट पड़ेगी टूटैं सोकण के हाड काहे कटोरी में बटणां काहे कटोरी में तेल ऐत लाडो बैठा बटणां सूने कटोरी में बटणां रूप कटोरी में तेल ऐत लाडो बैठा बटणां आ मेरी दादी देख ले आ मेरी अम्मां देख ले तुम देखियां सुख होय ऐत लाडो बैठा बटणां आ मेरी बुआ देख ले आ मेरी मामी देख ले तमरे घणे मण चाय ऐत लाडो बैठा बटणां
haryanvi-bgc
नानी-सी मांजरी मालवऽ गई मालव सी लाई माटी नानीसी मांजरी मालवऽ गई , मालव सी लाई माटी , माटी का बणाया हत्थी , हत्थी चलऽ आणा बाणा , माटी का माय टुलेक दाणा ।
nimadi-noe
ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी स्रोत व्यक्ति परसराम , ग्राम लखनपुर
korku-kfq
होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो देखण दो फलाणा राज रा भीम होजी उन राया रो कई देखणो वे तो नमी रया हो उनके चीरां रे भार बधावोजी म्हें सुण्यो होजी रसोई रा पड़दा खोल दो म्हने देखण दो साजनिया री धीय बधावोजी म्हें सुण्यो होजी उन राणी रो कई देखणो वे तो नमी रया उनका चुड़िला रा भार नानी बऊ दबीरया केसरिया रे भार बधावो जी म्हें सुण्यो ।
malvi-mup
पियवा जे चललन गोरखपुर, धनियाँ अरज करे हे पियवा जे चललन गोरखपुर , धनियाँ अरज करे हे । परभुजी , हमरा लइहऽ1 कँगनमा , कँगनमा हम पहिरब हे ॥ 1 ॥ अँगना खेलइते2 तोहें ननदी त भउजी से बचन बोले हे । भउजी , तोहरा के होतो नंदलाल , हमरा तोंही3 का4 देबऽ हे ॥ 2 ॥ तू हमर लउरी5 ननदिया , आउर6 सिर साहेब हे । हम देबो गोरखपुर के कँगना , होरिला जमे7 होयत हे ॥ 3 ॥ गोड़ हाथ पड़त8 ननदिया , आदित9 मनायल10 हे । आदित , मोर भउजी बेटवा बिययतन11 बधइया हम कँगनमा लेबइ हे ॥ 4 ॥ आधी रात बितलइ , पहर रात , होरिला जलम लेल हे । बाजे लागल आनंद बधावा , महल उठे सोहर हे ॥ 5 ॥ मचिया बइठल तोंहे भउजो त सुनह बचन मोरा हे । कहलऽ तू हमरा कँगनमा , कँगनमा बधइया लेबो हे ॥ 6 ॥ नऽ देबो , हे ननदो , नऽ देबो , पीआ के अरजल12 हे । कँगना हइ पीया के कमइया , 13 कँगनमा हम कइसे देबो हे ॥ 7 ॥ सुनहऽ हो आदित , सुनहऽ , हम तोर गोड़ धरी हे । आदित , भउजी मोर बेटिया बिययतन बधइया न दे हथन14 हे । कोदो15 के भतवा के पंथ16 पड़े , जबे भोर होयत हे ॥ 8 ॥ बेटवा क सोहर हम सुनम , हम बधइया देम हे । पहिला अरजन17 के कँगनमा , से हो रे पहिरायम हे ॥ 9 ॥ भइया के दसो दरबजवा , दसो घर दीप जरे हे । आदित , भउजी के होवइन होरिलवा , बसमतिया18 के पंथ पड़े हे ॥ 10 ॥
magahi-mag
बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल दूब लाने का गीत बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल , छोरियाँ आई दूब लेणथे कुण्याजी री बेटी हो , कुण्याजी री भेँण हो , के थारो नाम है , म्हेँ बिरमादासजी री बेटी हाँ , ईसरदासजी री भेँण हाँ , रोवाँ म्हारो नाम है ।
nimadi-noe
बोया बोया री मां मेरी बणी बोया बोया री मां मेरी बणी आला खेत खेत रूखाली मैं गई राही राही री मां मेरी दो पंछी जायं एक गोरा एक सांवला जी गोरा जी मां मेरी राही जा सांवल म्हारे खेत में री ‘के रे सांवल भूला सै राह के तेरी ब्याही बाप कै जी ‘ना मैं है सुन्दर भूला सूं राह न मेरी ब्याही बाप कै जी’ ‘हम तै हे सुन्दर तेरे लगवाल बाप तेरे के साजना जी’ ‘तेरे कैसे रे सांवल तीन सौ साठ बाप मेरे के मेहनती जी’ ‘तेरी कैसी हे सुन्दर तीन सौ साठ बाप मेरे की झीमरी जी’
haryanvi-bgc
बनी ए थारे बाबा जी से कहियो बनी ए धारे बाबा जी से कहियो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी बनी ए थरे ताऊ जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी बनी ए थरे बाब्बू जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो स सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी
haryanvi-bgc
पूजा गोवर्धन की करि लै अरी तेरे सब संकट कटि जायें , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ टेक अड्डे पै भीर बड़ी हो , मोटर नाँय एक खड़ी हो । अरी तू चल दै चालम चाल , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . जा मानसी गंगा नहियो , गिर्राज कूँ माथ नवइयो । और फिर परिकम्मा कू जाय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . परिकम्मा में मिलें भिखारी , दीजो भिक्षा उनकूँ डारी । अरी तू पुन्य बड़ौ ही पाय , पूजा गोवर्धन की करिले ॥ अरी . मन्दिर जो बीच पड़िंगे , पइसा एकएक चढ़िंगे । अरी तू दर्शन करती जाय , पूजा गोवर्धन की करिले । अरी . जब आवै पूछरी को लौठा , बिन खाय जो पड़ौ सिलौठा ॥ अरी वाय चरनन सीस झुकाय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . जब राधाकुण्ड कूँ जाबें , वहाँ दोनों कुण्ड में नहावैं । अरी तेरे पाप सभी धुल जाँय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . तू लौट गोवर्धन आवै , श्रम तेरौ सब हर जावै , अरी जब मानसी गंगा नहाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी . पूजा कौ थाल सजइयो , बर्फी को भोग लगइयो । मुकुट गिर्राज कू शीश नवाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी . गिरिराज से ध्यान लगावे , मन वांछित फल तू पावे ॥ अरी चह ‘नन्दन’ कहत सुनाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी .
braj-bra
संझा बोलत माई हे किनकर घरे जाग संझा बोलत माई हे किनकर1 घरे जाग2 ॥ 1 ॥ कथि केर3 धियवा4 कथि केर बात5 । कथि केर दियवा6 जरइ7 सारी रात ॥ 2 ॥ सोने केर दियवा , कपासे केर बात । सोरही गइया8 के घियवा , जरइ सारी रात ॥ 3 ॥
magahi-mag
मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब बटेऊ राही राही जा था तूं तो बहुत सरूपी नार गैल मेरी चालै ना मैं तो एक कहूंगी बात बटेऊ तूं सुणता जा तेरै मारूंगी जूत हजार बटेऊं तूं गिणता जा मेरे बाबुल के घर का बाग मेवा तो रुत की सै मेरे भाई भतीजे साठ कुआं म्हारा घर का सै
haryanvi-bgc
114 सुलतान भाई आया हीर संदा आखे मां नूं घिऊ नूं ताड़ अम्मां असां फेर जे बाहर एह डिठीसुटां एसनूं जान थीं मार अम्मां तेरे आखयां सतर1 जे ना बैठी फेरां एसदी धौन तलवार अम्मां चाक वड़े नाहीं साडे विच बेहड़े नहीं डकरे करांगे चार अम्मां जेकर धी ना हुकम विच रखियाई सभ साड़ सुटां घर बाहर अम्मां वारस शाह जेकर धी बुरी होवे रोहड़ दे समुंदरों पार अम्मां
panjabi-pan
जशोदा तेरो लाल री वशी मे देवे गारी जशोदा तेरो लाल री वंशी में देवे गारी । जब हम जावें नीर भरन खों , रोके गैल हमारी । जशोदा . . . जब हम जावें दही बेंचन खों , मांगे दान मुरारी । जशोदा . . . जब हम जावें जल भरने खों , फोरे गगर हमारी । जशोदा . . . वाके गुण में कहा सुनाऊं , लाज लगत है भारी । जशोदा . . . तुम बरजो अपने कान्हा खों , न तो तजिहैं पुरी तिहारी । जशोदा . . .
bundeli-bns
खुदेड़ बेटी बोड़ि1बोड़ी ऐगे ब्वै2 । देख । पूस मैना । गौंकि बेटो ब्वारि ब्वै । मेतु3 आइ गैना मैतुड़ा4 बूलालि ब्वै । बोइ5 होलि जौंकी । मेरि जीकूड़ी6 म ब्वै । कूयड़ी7 सि लौंकी8 । मूल्वड़ी9 वासलि ब्वै । डाड्यूं10 चैत मासज । भौलि गैने डालि ब्वे । फूलिगे बुरांसज । माल की धूगति ब्वै । मैत आंदि होली । डाल्युं मां हिलांस ब्वै । गीत गांदि होली । ऊलरि मैनो कि ब्वै । ऋतु बोड़ि ऐगे । हैरि ह्वेने डांडि ब्वै । फूल फूलि गैने । घूगती घुरलि ब्वै । डाल्यूंडाल्यूं मांजअ । मैतुड़ा बुलालि ब्वै । बोह होलि जौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ लाल बअणी होलि ब्वै । काफुलू11 कि डाली । लोग खान्दा होला ब्वै । लूण रालि राली । गौंकि दीदीभूलि ब्वै । जंगुल न जाली । कंडि मोरिमोरि12 ब्वै । हींसर13 बिराली । ‘बाडुलि14 लागलि ब्वै । आग भभराली15’ । बोई बोदि होलि ब्वै । मैत आलिआली । याद ओंद मीत ब्वै । अपड़ा भुलौंकी । मेरि जोकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ ल्हालि कूरो16 गाडिब्वै । गौं कि बेटिब्वारी । हैरिभरीं होलि ब्वै । गेंउजो , कि सारी17 । यं बार मैनों कि ब्वै । बार ऋतु आली । जौंकि बोई होलि ब्वै । मैतुडा बुलाली । मैतु ऐगै होलि ब्वै । दीदिभूलि गौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ स्वामिजी हमेशा ब्वै । परदेश रैने । साथ का दगड़या18 ब्वै । घअर आइ गैने । ऊंकु प्यारी ह्वेगि ब्वै । विदेशू को वासअ । बाठा देखीदेखी ब्वै । गैनि दिनमासअ । बाडुलि लागलि ब्वै । आग भभराली । या त घअर आला , ब्वै । या त चिट्ठिं आली । चिट्ठि भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लोंकी ॥ बाबजी भी मेरा ब्वै । निरमोही रैने । जौन पाथो19 भोरि ब्वै । मेरा रूप्या खैने । गालि देंद सासु ब्वै । मैंबाबु20 कि मारी । बासि खाणू देंद ब्वै । कोलि मारी मारी । बोद तेरो बाबु ब्वै । जो रूपया नि खांदो । मेरो लाड़ोप्यारी ब्वै । विदेशू नि रांदो । बाबा न बणये ब्वै । इनि गति मेरी । ज्वानि तअ उड़िगे ब्वै । वाठो हेरीहेरी । चिट्ठी भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी । मेरि जीकूड़ी21 म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥
garhwali-gbm
298 हमी वडे फकीर सत पीढ़ीए हां रसम जग दा हमी जानने हां कंद मूल उजाड़ विच खायके ते बनवास लै के मौज मानने हां नगर विच ना आतमा परचदा ए उदयान1 बह के तम्बू तानने हां वारस तीरथ जोग बैराग होवे रूप तिनां दा हमीं पछानने हां
panjabi-pan
जसोदा तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई , तेरे लाला ने माटी खाई ॥ टेक अद्भुत खेल सखन संग खैल्यौ , इतनौ सौ माटी को डेल्यौ तुरत श्याम ने मुख से मेल्यौ , जानै गटकगटक गटकाई ॥ 1 ॥ माखन कू कबहूँ ना नाटी , क्यों लाला तैनें खाई माटी धमकावै जसुदा लै साँटी , जाय नेंक दया नहिं आई ॥ 2 ॥ ऐसौ स्वाद नांय माखन में , नाँय मिश्री मेवा दाखन में जो रस ब्रजरजके चाखन में , जानें भुक्ति को मुक्ति कराई ॥ 3 ॥ मुख के माँहि आँगुरी मेली , निकर परी माँटी की डेली भीर भई सखियन की भेली , जाय देखें लोग लुगाई ॥ 4 ॥ मोहन कौ म्हौड़ौ फरवायौ , तीन लोग वैभव दरसायौ जब विश्वास जसोदाए आयौ , ये तो पूरन ब्रह्म कन्हाई ॥ 5 ॥ जा रजकू सुरनर मुनि तरसें , धन्यभाग्य जो नितप्रति परसैं , जिनकी लगन लगी होय हरसैं , कहें ‘घासीराम’ सुनाई ॥ 6 ॥
braj-bra
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई होती है तब सभी महिलाये उसे विदा करते हुए यह सीख देती है । मात कहे बात भली सुन सुन्दरी , लक्ष धरी वात न निभाव्जे हो सयानी कुल न ल्जाव्जे । ससरा खअपना बाप सम जान्जे , सासु ख माय सम जान्जे ओ सयानी . . . जेठ का सामन हलू हलू चालजे , जेठानी का मान ख ब्धावजे ओ सयानी . . . देवर ख अपना भाई सम जान्जे , देरानी ख सई सहेली सम जाणिजे ओ सयानी . . . . नन्द ख अपनी बैन सम जान्जे , ननदोई जी आया मिज्वान ओ सयानी . . . . मात कहे बात भली सुन सुन्दरी , लक्ष धरी बात न निभाव्जे वो सयानी कुल न ल्जाव्जे
nimadi-noe
निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो स्रोत व्यक्ति चिरौंजीलाल , ग्राम कुकड़ापानी
korku-kfq
कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप साना बाम्बू लकप लकप साना बाम्बू लकप लकप साना बाम्बू लकप लकप स्रोत व्यक्ति सुलोचना , ग्राम नानी मकड़ाई
korku-kfq
देवी गीत- देबी दयाल भईं अंगन मोरे होलिया में उड़त है गुलाल मईया का रंग सतरंगी सेनुरा भीजै बिंदिया भीजै चेहरा है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी चुडिया भीजै कंगना भीजै हाथ है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी लहंगा भीजै चुनरी भीजै देहियाँ है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी पायल भीजै बिछुआ भीजै एड़िया है ललाम लाल गुलाल मईया का रंग सतरंगी
awadhi-awa
आले आले बँसवा कटावलूँ आले आले1 बँसवा कटावलूँ , डढ़िया2 नबि नबि3 जाय । से जीरा छावल कोहबर ॥ 1 ॥ सेहे4 पइसि5 सूतल6 दुलहा दुलरइता दुलहा । जबरे7 सजनमा केर धिया , से जीरा छावल कोहबर ॥ 2 ॥ ओते8 सुतूँ9 ओते सुतूँ , दुलहिन , दुलरइतिन दुलहिन । पुरबी चदरिया10 मइला होय जयतो , से जीरा छावल कोहबर ॥ 3 ॥ एतना बचनियाँ जब सुनलन , दुलहिन सुहबे । खाट छोड़िए भुइयाँ11 लोटे हे , से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 4 ॥ भनसा12 पइसल तोहे13 बड़की सरहोजिया14 । अपन ननदिया के बौंसावह15 से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 5 ॥ उठूँ मइयाँ16 उठूँ मइयाँ , जाऊँ कोहबरवा । अपन सँम्हारू17 लामी केस , से जीरा छावल कोहबर ॥ 6 ॥ कइसे उठूँ , कइसे उठूँ भउजी हे । छिनारी पूता18 बोलहे19 कुबोल , से जीरा छावल कोहबर ॥ 7 ॥ कने20 गेल21 कीया22 भेलऽ23 छिनारी के भइया हे । हमर ननदिया रूसवल24 से जीरा छावल कोहबर ॥ 8 ॥
magahi-mag
मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात रे बीरा बारी बारी जां मैं तो पीसूंगी चकले के पाट रे बीरा बारी बारी जां मैं तो घोलूंगी हिरणी के दूध रे बीरा बारी बारी जां मैं तो लाऊंगी देवेन्द्र भाई के हाथ रे बीरा बारी बारी जां
haryanvi-bgc
141 चूचक आखया लंडयां जाह साथों तैनूं वल है झगड़यांझेड़यां दा तूं सरदार हैं चोरां उचकयां दा सूहा बैठा एं महानूआं भेड़यां दा तैनूं वैर है नाल अजानयां दे अते वैर है दब दरेड़यां दा आप छेड़ के पिछड़ें दी फिरन रोंदे एह चज है माहणूआं1 फेड़यां दा वारस शाह इबलीस2 दी शकल कैदी एह मूल हैसब बखेड़यां3 दा
panjabi-pan
चवरी गीत वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठि वो मारी बेनी । सोनानी पालकी वासे । कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा , कुकड़ डालगो कटके । वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठो रे बेना , सोनानी पालकी वासे । कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा , कुकड़ डालगो कटके । चावरी में दूल्हादुल्हन बैठे हैं , दोनों पक्ष की महिलाएँ गीत गाती हैं । वधू पक्ष की महिलाएँ कहती हैं दुल्हन सोने की पालकी में बैठी है , सोने की पालकी खुशबू दे रही है । बूढ़ा दूल्हा मुर्गेमुर्गी के डाले पिंजरा में बैठा है , पिंजरा कटकटा रहा है । वर पक्ष की ओर से कहा गया है दूल्हा सोने की पालकी में बैठा है , पालकी खुशबू दे रही है , बूढ़ी दुल्हन मुर्गेमुर्गी के डाले में बैठी है और डालगा पिंजरा कटकटा रहा है ।
bhili-bhb
इशक अव्वल दा नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । अव्वल दा रोज़ अज़ल1 दा । विच्च कड़ाही तल तल जावे , तलेआँ नूँ चा तलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । मोएआँ नूँ एह वल वल मारे , दलिआँ नूँ चा दलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । क्या जाणा कोई चिणग पई है , नित्त सूल कलेजे सल्ल दा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । तीर इशक दा लग्गा जिगर विच्च , हिलाएआँ वी नहीं हलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । बुल्ला सहु दा नेहुँ अनोखा , रलाएआँ भी नहीं रलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
panjabi-pan
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको , माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस , गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन , हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी पांय सारु चम्पक लाव्जो , पांय सारु बिछिया , पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी अंग सारु साडी लाव्जो , अंग सारु पैठनी , अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
nimadi-noe
तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना! तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना दुनिया का देख ढंग , चड्यूँ च कच्चो रंग । भेद भौ कुछ नी च , सब एक समाना छै रुप्या को कोट सिलैले तब चलदो बाँगो , जेब मा वेका धेला नी च चुफ्लो वे को नाँगो कली होक्का साँदी रख्या , बीड़ी पेन्दा ज्यादा , कोणा पर बीड़ी सुलगै , रजै फुंके आदा नौना को भैंसो ब्यायूँ , बुड्या लग्यूँ च सास , ब्वारी करदी सैर फैर , सासू काटदी घास सासू कर्दी कूटणी पीसणी ब्वारी ह्वैगे सयाणी , नौनों मू चा को गिलास , बुड्या मू पंज्वाणी । जोंखी मूंडी फुंडू धोली , चिफ्ली करी दाड़ी , घर की जनानीक धोती नी , रंडीक लौंदा साड़ी हात पर बीड़ि लीले , गिच्चा पर पान , बुड्या बुड्योंन जोंखी मूंडी , हम भी होन्दा ज्वान
garhwali-gbm
ईसुरी की फाग-24 बाँकी रजउ तुमारी आँखें रव घूंगट में ढाँके । हमने अबै दूर से देखीं कमल फूल सी पाँखें । जिदना चोट लगत नैंनन की डरे हजारन कांखें । जैसी राखे रई ' ईसुरी ' ऐसईं रईयो राखें । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' अपनी प्रेयसी ' रजऊ ' की आँखों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं — प्रिय रजऊ , तुम्हारी आँखें बेहद सुन्दर हैं इनको तुम घूँघट में ही छिपा लो । अभी तो मैंने दूर से देखी हैं लेकिन मानो वो कमल की पंखुड़ियों हैं । जिस दिन इन आँखों की चोट लगती है उस दिन हज़ारों लोग कराहते हैं । लेकिन मेरे प्रति जैसा प्रेम भाव अब रखे हो वैसा ही रखना ।
bundeli-bns
रातिए जे एलै रानू गउना करैले रातिए जे एलै रानू गउना करैले कोहबर घर में सूतल नीचीत । जकरो दुअरिया हे रानो कोसी बहे धार से हो कैसे सुतै हे नीचीत । सीरमा बैसल हे रानो कोसिका जगावै सूतल रानो उठल चेहाय । कांख लेल धोतिया हे रानो मुख दतमनि माय तोरा हँटो हे रानो बाप तोरा बरजौ जनु जाहु कोसी असनान । हँटलौ ने माने रानो दबलौ ने माने चल गेलै कोसी असनान । ।
angika-anp
विवाह - गीत - बेरिया की बेरिया मै बेरिया की बेरिया मै बरिज्यो बाबा जेठ जनि रचिहो बियाह हठी से घोडा पियासन मरिहै गोरा बदन कुम्हलाय कहो तो मोरी बेटी छ्त्रू छ्वाओं कहो तो नेतवा ओहार कहो तो मोरी बेटी सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय काहे को मोरे बाबा छ्त्रू छ्वायो काहे कैं नेतवा ओहार काहे को मोरे बाबा सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय आजू कै रोजे बाबा तोहरी मडैइया कालही सुघर बार के साथ काचहि दुधवा पियायो मोरी बेटी दहिया खियायो सढीयार एकहू गुनहिया न लाइयु मोरी बेटी चल्यु परदेसिया के साथ काहे कै मोरे बाबा दुधवा पियायो दहिया खियायो सढीयार जानत रह्यो बेटी पर घर जइहें गोरा बदन रहि जाय इहै दुधवा बाबा भैया कैं पीऔत्यों जेनि तोहरे दल कै सिंगार
awadhi-awa
ऐसा काला तूं बना रे ऐसा काला तूं बना रे . . . . . . जैसी उड़द की दाल दाल होय तो धोय लूं तेरा रंग न धोया जाय रे
haryanvi-bgc
491 परमेह1 दा मैंनूं है असर होया रंग जरद होया एस वासते नी छांपां खुभ गइयां गलां मेरिया ते दाग पै गया चुभ वरासते नी कटे जांदे नूं भजके मिलिसां मैं तनिया ढिलोहां चोली दिया पालते नी रूंनी अथरू डुलिया मुखडे ते खुल गए ततोलड़े2 पासते नी सुरखी होंठां दी आप मैं चूस लई रंग उड गया एस वासते नी कटा घुटया विच गलवकड़ी दे डूकां लाल होइयां आस पास ते नी मेरे पढू नूं कट ने ढुड मारी लासां पै गइयां मेरे मास ते नी वारस शाह मैं पुज गरीबनी हां क्यों आंखदे लोक मुहासते3 नी
panjabi-pan
ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ काले काले तेरे भातिआं जी ए बेबे गिरदां आले देवर जेठ ओछे ओछे तेरे भातिआं जी ए बेबे पंठा आले देवर जेठ गंजे गंजे तेरे भातिआं जी
haryanvi-bgc
249 तुसीं जोग दा पंथ बताओ मैंनूं शौक जागया हरफ1 नगीनयां दे एस जोग दे पंथ विच आ वड़या छपन ऐब सवाब कमीनयां दे हिरस अग ते सबर दा पवे पानी जोग ठंड घते विच सीनयां दे इक फकर ई रब्ब दे रहन साबत होर थिड़कदे अहल2 खजीनयां दे तेरे दर ते आन मुथाज होए असीं नौकर हां बाझ महीनयां दे वारस हो फकीर मैं नगर मंगां छडां वायदे एहनां रोजीनयां3 दे
panjabi-pan
डोहा गीत डोहो मांड्यो कि दयणी , दिवल्यो मांगे तेल । डोहो पान यातली , डोहो सुरभरयो रमसे । डोहो तेल पर खेले ने । डोहो घिंव पर खेले । डोहो केरेल्यो रे लोल । दीपावली के बाद डोहा खेलते हैं । एक मिट्टी के कलश या मटकी में कई छेद कर देते हैं । उसके अन्दर घी या तेल भरकर एक दीपक रखते हैं , उसे डोहा कहते हैं । एक लड़की डोहे को सिर पर रखती है साथ में लड़केलड़कियाँ रहते हैं , ढोल बजाकर नाचते हैं और गीत गाते हैं । डोहे वाली पार्टी गाँव में प्रत्येक घर जाकर गीत गाती है , घर के लोग उनको अनाज देते हैं । उसकी गोठ पार्टी करते हैं । एक गाँव के लोग दूसरे गाँव में भी डोहा खेलने जाते हैं ।
bhili-bhb
जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे , आया म्हारा गणपत राव , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारी पटसाळ लहलहे आया म्हारा दशरथ बाप , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारो पाळणो लहलहे आई म्हारी कौशल्या माय , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारो मण्डप लहलहे आया म्हारा रामलछमण बीरा हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारी आरती लहलहे आई म्हारी सुभद्रा बेण । हरकत पगरण आरम्भियो ।
nimadi-noe
बिराजे आज सरजू तीर बिराजे आज सरजू तीर चौकी चारु भनिन मय राजे , तापर सिया रघुबीर । । बिराजे . . . जनक लली दमिनि अति सुन्दर , पिय धन श्याम शरीर । पीताम्बर पट उत छवि छाजत , इत नीलाम्बरचीर । । बिराजे . . . सिय सिर सुभग चन्द्रिका झलकत , उत कलगी मंदीर । । पिय कर वाम सिया हैं सोहे , दाहिन कर धनु तीर । । बिराजे . . . मृदु मुसकात बतात परस्पर , हरत हृदय की पीर । । कंचन कुंअरि निरखि यह शोभा , रहो न तनमन धीर । । बिराजे . . .
bundeli-bns
मथुरा के लोगवा आवत है नन्दलाल के हाथी , तूरत डार मीरोरत छाती , ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ । मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी , फेरत है सिर के गगरी , भींजत है लहँगा चुनरी , बान्हत है टेढ़का पगरी ।
bhojpuri-bho
डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़ डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़ करके नीची नाड़ सासू जी के पांय लिये सै लिये चरण चुचकार जीओ हे तेरे भाई भतीजे बणा रहो भरतार मेरे बेट्टे की बेल बधाई जाम्मे हे राजकंवार
haryanvi-bgc
293 मुठी मुठी ए गल ना करो अड़ीयो मैं तां सुनदयां ही मर गई जे नी तुसां इक जदाकनी गल टोरी खली1 तली ही मैं रूढ़ गई जे नी गये टुट सतरान2 ते अकल डुबी मेरे धूह कलेजड़े पई जे नी कीकूं कन्न पड़ाय के जींवदा ए गलां सुनदयां ई जिंद गई जे नी उहदा दुखड़ा रोवना जदों सुनयां मुठी मीट3 के मैं बह गई जे नी मसू भिन्नड़ा4 जो लैंदियां ने जिंद सुनदयां ई निकल गई जे नी किवें वेखीए ओस मसतानड़े नूं जैदा धुम त्रिंजणा पई जे नी वेखां केहड़े देश दा एह जोगी उस तों कौन पयारी रूस गई जे नी अक पोसत धतूरा ते भंग पी के मौत ओस ने क्यों मुल लई जे नी जिसदा मां न बाप न भैण भाई कोई कौन करेगा ओसदी सही जे नी
panjabi-pan
वत्त ना करसाँ माण वत्त ना करसाँ माण रँझेटे यार दा वे अड़िआ । इशक अल्ला दी जात दा मेहणा , कैह वल्ल कराँ पुकार किसे नहीं रहणा , अग्गे दी गल्ल ओही जाणै , कौण कोई दम मारदा वे अड़ेआ । अज्ज अजोकी रात मेरे घर वस्स खाँ वे अड़िआ , दिल दीआँ घुंडिआँ खोल असाँ नाल हस्स वे अड़िआ , दिलबर यार करार कीत्तोई , की इतबार सोहणे यार दा वे अड़िआ , जान कराँ कुरबान भेत ना दसाईं अड़िआ । ढूँढ़ा तकीए दाएरे उठ्ठ उठ्ठ नस्सना ऐं , रत्न मिल सइआँ पुच्छदीआँ , होया वक्त भंडार वे अड़ेआ । हिक्क करदीआँ खुदी हंकार उन्हां थी तारना ऐं , हिक्क पिच्छे पिच्छे फिरन खुआर सड़िआँ नूँ साड़ना ऐं , मैंडे यार की इतबार तेरे प्यार दा वे अड़िआ । चिक्कड़ भरेआँ नाल तूँ झूमर घत्तना ऐं , लाया हार शिंगार मैथीं उठ्ठ नस्सना ऐं , बुल्ला सहु घर आओ , होय वक्त दीदार दा वे अड़िआ ।
panjabi-pan
मिली-जुली चलहु चुमावन, सुनहु सिवसंकर हे मिलीजुली चलहु चुमावन , सुनहु सिवसंकर हे । आजु हुइ राम के बियाह , सुनहु सिवसंकर हे ॥ 1 ॥ दसपाँच सखिया बारिय भोरे1 अउरो बड़ सुन्नर हे । हाथ लेले सोने के थार2 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 2 ॥ चुमवल मइया कोसिला मइया , अवरो तीनों मइया हे । आज अजोधेया में उछाह3 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 3 ॥
magahi-mag
शबरी के खट्टे मीठे बेर बेर बड़े मीठे लगे शबरी के खट्टे मीठे बेर , बेर बड़े मीठे लगे । एक दिन शबरी जंगल गई थी , जंगल गई थी । ले आई खट्टे मीठे बेर , बड़े मीठे लगे । एक मुट्ठी बेर शबरी रामजी को दीन्हीं रामजी ने खाय लिये बेर , बेर बड़े मीठे लगे । एक मुट्ठी बेर शबरी लखन जी को दीन्हीं । फेंक दिये उनके बेर , बेर बड़े खट्टे लगे । वही बेर बनें थे , पर्वत पे बूटी । आये लखन के काम बेर . . .
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103 मलकी जाए के वेहड़े विच पुछदी ए वेहड़ा केहड़ा भाइयां सावयां1 दा साडे माही दी खवर है किते अड़ियो किधर मारया गया पछोतावयां दा जरा हीर कुड़ी उहनूं सददी ए रंग धोवंदी पलंघ देयां पावयां दा रांझा बोलयां सथरो मन्न आकड़ एह जे पिआ सरदार नथावयां दा सिर पटे सफा कर सोए रिहा जिबे बालका मुन्नया बावयां दा वारस शाह जयों चोर नूं मिले वाहर2 उमे साह मरे मारया हावयां दा
panjabi-pan
मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन डोयरा माजा राजा मारे डोयरा माजा राजा मारे आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने बाकीमा झूरना इयां माडो रानी बाकीमा झूरना इयां माडो रानी जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे बाकी मा झूरना इयां डो रानी बाकी मा झूरना इयां डो रानी गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम टेमलावाड़ी
korku-kfq
लूटन चलो श्याम की अमरैया लूटन चलो श्याम की अमरैयां । कहना कन्हैया प्यारे जन्म लियो हैं हां कहना बाजे बधैयां लूटन . . . मथुरा कन्हैया प्यारे जन्म लिवो हैं गोकुल बाजे बधैयां । लूटन . . . कहां तो बाजे ढोलक मंजीरा कहां बाजे शहनैयां । लूटन . . . मथुरा बाजे ढोलक मंजीरा गोकुल बाजे शहनैयां । लूटन . . .
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प्रभु तोरी महिमा परम अपारा प्रभु तोरी महिमा परम अपारा जाको मिले न कोऊ पारा । । सबरे जगत खों आप रचावें सबके हो तुम पालन हारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । कैसो सूरज गरम बनायो कैसो शीतल चांद उजारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । जुदाजुदा नभ के तो ऊपर चमकत कैसे हैं धु्रवतारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । उन प्रभु खों तुम भज लो प्यारे कर लो अपनो बेड़ा पार । प्रभु तोरी महिमा . . . ।
bundeli-bns
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा1 । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । टिकवा2 ले गुरहँथियेसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला दुलहिन को वस्त्राभूषण देता है रे , जेठ भैंसुरा ॥ 1 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । नथिया3 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 2 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । हँसुली4 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 3 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । बजुआ5 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 4 ॥ अच्छा अच्छा कपड़ा चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । सड़िया ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 5 ॥
magahi-mag
गरबा का गणपति गरबा का गणपति ऐजी सुमर गणपति को ध्यान म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी सांते तम रिद्धिसिद्धि लावजोजी म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी कंकूना पगल्या पधार जो म्हारा गरबा में बेगा आवजो
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ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे । सूई सेवे ना बिन धागे । इशक मज़ाजी दाता है । जिस पिच्छे मस्त हो जाता है । इशक जिन्हाँ दी हड्डीं पैंदा । सोई निरजीवत मर जांदा । इशक पिता ते माता ए । जिस पिच्छे मस्त हो जाता ए । आशक दा तन सुक्कदा जाए । मैं खड़ी चन्द पर के साए । वेख माशूकाँ खिड़ खिड़ हासे । इशक बेताल पढ़ाता है । जिस ते इशक एह आया है । ओह बेबस कर दिखलाया है । नशा रोम रोम में आया है । इस विच्च न रत्ती ओहला है । हर तरफ दिसेन्दा मौला है । बुल्ला आशक वी हुण तरदा है । जिस फिकर पीआ दे घर दा है । रब्ब मिलदा वेक्ख उचरदा है । मन अन्दर होया झाता है । जिस पिच्छे मस्त हो जाता है ।
panjabi-pan
आ मिल यार आर मिल यार सार लै मेरी , मेरी जान दुःखाँ ने घेरी । अन्दर ख्वाब विछोड़ा होया , खबर ना पैंदी तेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । सुं´े बन विच्च लुट्टी साइआँ , सूर पंगल1 ने घेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । मुल्लाँ जज़ी सानूँ राह बतावण , देण भरम दे फेरी । एह ताँ ठग्ग जगत दे , जिह लावण जाल चुफेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । करम शरा दे धरम बतावण , संगल पावण पैंरी । ज़ात मज़हब एह इशक ना पुच्छदा , इशक शरा दा वैरी । नदिओं पार मुल्क सज्जण दा , लहवो2 लअब3 ने घेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । सतगुर बेड़ी फड़ी खलोती , तैं क्यों लाई आ देरी ? बुल्ले शाह सहु तैनूँ मिलसी , दिल नूँ देह दलेरी । आ मिल यार सार लै मेरी । प्रीतम पास ते टोलणा किसनूँ , भुल्ल ग्यों सिखर दुपहरी । आ मिल यार सार लै मेरी । मेरी जान दुःखाँ ने घेरी ।
panjabi-pan
ईख नलाई के फल पाई ईख नलाई के फल पाई ईख नलाई मन्ने कंठी घड़ाई ले गया चोर बहू के सिर लाई सुसरा तै लडूंगी पीठ फेर कै लडूंगी आजा हे सासड़ तन्ने डंडा तै घडूंगी जेठ तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी आजा हे जिठानी तेरा धान सा छउूंगी देवर तै लडूं घूंघट खोल कै लडूंगी आजा हे द्यौरानी तन्नै खूटिया धरूंगी पड़ोसी तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी आजा हे पड़ोसन तन्नै पाड़ के धरूंगी बालम तै लडूंगी महलां बैठी हे लडूंगी आजा हे सोकन तेरा डंडा बित्ती घडूंगी
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442 असां किसे दे नाल नहीं कुझ मतलब सिरो पा लै के खुशी हो रहे लोकां मेहने मार बेपती कीती मारे शरम दे अदरी रो रहे गुसे नाल एह वाल पैकान1 वांगू साडे जिसम दे तीर खलो रहे वारस शाह ना संग नूं रंग आवे लख सूहे जे विच डबो रहे
panjabi-pan
माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो सुन्नो घड़े रो सुनार मोरे कसूम्बो रगमग्यो सोनी घड़जे ईश्वर राम को मंूदड़ो म्हारी रणु बाई दो नौसरियो हार सोनी हार की छोलण ऊतरे म्हारा सुभद्रा बई हो तिलक लिलाट गोरे कसुम्बो रगमग्यो
malvi-mup
माता पिता ने धरम डिगा दिया माता पिता ने धरम डिगा दिया महाराणा तैं डर कै पति का परेम भुलावण लाग्यी क्यों धिंगताणा कर कै अपनी मां के संग थी मीरा पूजा बीच निगाह थी एक वर पूजण गया मंदिर में बारात सजी संग जा थी मैं बोली कौण कित जा सै समझ लावण आली मां थी न्यूं बोली बनड़ा बनड़ी ल्यावे जिसने पति की चाह थी मैं बोली मेरा पति कौन झट हाथ लगाया गिरधर कै पति का परेम . . . नाम सुणा जब गिरधर जी का आनंद हो गई काया बीरबानी ने पति बिना अच्छी लागै ना धन माया उसका परेम ठीक हो जा सै जिस ने ज्यादा परेम बढ़ाया खुद माता के कहने से मैंने गिरधर पति बनाया करूं परीति सच्चे दिल तै परेम बीच में भर कै पति का परेम . . .
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नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया । गइया चरावे हीरालाल जी ॥ 1 ॥ कारी गाय सुन्नर1 ऐसो लेरू2 । दुधवा पियत हीरालाल जी ॥ 2 ॥ सोने के सेहला3 गढ़ा दऽ मोरे बाबा । अउर जड़ा दऽ हीरालाल जी ॥ 3 ॥ सोने के सेहला बाबू मरमो4 न जानूँ । कइसे जड़इबे हीरालाल जी ॥ 4 ॥ तोहरो ससुर जी के साँकर गलिया । झरि जयतो सेहला के फूल जी ॥ 5 ॥ आगे आगे जइतन बाबा5 जी साहेब । सेकर6 पीछे मामा7 सोहागिन जी । जेकर8 पीछे जइतन छोटकी बहिनिया । चुनि लेतन सेहला के फूल जी ॥ 6 ॥
magahi-mag
हो गाड़ी वाला रे हो गाड़ी वाला रे . . पता दे जा रे , पता ले जा रे गाड़ी वाला पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता दे जा पता ले जा रे पता दे जा रे गाड़ी वाला का तोर गांव के नाव दिवाना डाक खाना के पता का नाम का थाना कछेरी के तोरे पारा मोहल्ला पता का को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही पहार सड़किया पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ी वाला मया नई चिन्हे देसी बिदेसी मया के मोल न तोल जात बिजाति न जाने रे मया , मया मयारु के बोल कायामाया सब नाच नचावे मया के एक नजरिया पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ीवाला . . जीयत जागत रहिबे रे बैरी भेजबे कभुले चिठिया बिन बोले भेद खोले रोवे , जाने अजाने पिरितिया बिन बरसे उमड़े घुमड़े , जीव मया के बैरी बदरिया पता दे जा रे पता ले जारे गाड़ी वाला . . . पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता दे जा हो गाड़ी वाला रे . .
chhattisgarhi-hne
466 करे जिन्हां दी रब्ब हमायतां नी हक तिन्हां दा खूल मामूल1 कीता जदों मुशरिकां2 आन सवाल कीता तदों चन्न दो खन्न3 रसूल कीता कढ पधरो ऊठनी रब्ब सचे करामात पगम्बरी मूल कीता वारस शाह जां कशफ4 वखा दिता तदों जटी ने फकर कबूल कीता
panjabi-pan
उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है जीवण अमूल पिआरे क्यूं बखत खो रह्या है रहणा न इत बणैगा दुनिया सरा सी फानी इस मैं फंस्या तैं पियारे क्यूं मस्त हो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर भाई पिता अर पुत्तर होगा न कोई साथी क्यूं मोह का बोझा नाहक मैं ढो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर ले ले धरम का तीसा मत भूल रे दीवाने नैकी की खेती कर ले क्यूं बखत खो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर किसती अमूल पा कै हिम्मत तै पार कर लै इस जल असार जग मैं तैं क्यूं डबो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर
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विवाह गीत बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे । दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है , उनका वर्णन गीत में किया गया है बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है । तागली , हार , बीटियाँ , हाटका , बेड़ी माँग रहा है । कड़े हाथ में पहनने का , तागली गले में पहनने का , हार गले में पहनने की , हार गले में पहनने की , बीटी अँगुली में पहनने का , हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है ।
bhili-bhb
झिम्मा रुणझूण पाखरा जा माझ्या माहिरा । । हू हू । । तिथ घराचा दरवाजा । चंदनी लाकडाचा पेशवाई थाटाचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरा अंगणी । बघ फुलली निंबोणी गोडी दारात पुरवणी । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरीचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरीचा । झोपाळा आल्याड बांधियला फुलांनी गुंफियला । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरी मायबाई । डोळे लावुनी वाट पाही तिला खुशाली सांगाया जा । माझ्या माहिरी पाखरा जा । । हू हू । ।
marathi-mar
कैसे क दरसन पाऊँ कैसे क दरसन पाऊँ मैया तेरी सकड़ी दुवरिया सकड़ी दुवरिया मैया , चंदन किवड़िया धरम धजा फहराय मैया तेरी सकड़ी दुवरिया देवी के द्वारे एक निरथन पुकारे देव माया घर जाऊँरी मैया तेरी सकड़ी दुवरिया देवी के द्वारे एक अंधा पुकारे देव नयन घर जाऊँरी देवी के द्वारे एक बाँझ पुकारे देव पुत्र घर जाऊँरी देवी के दारे एक कुष्ठा पुकारे देव काया घर जाऊँरी मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
malvi-mup
रंग रंगीली भोत रंग भीनी रंग रंगीली भोत रंग भीनी उस धनाबऊ रे हाथ राचन दो मेंदी उस मोड़ादे रे हाथ राचन दो मेंदी पेलो मास गोरी धन लाओ आल भोले मनजाय राचन दो मेंदी मोड़ादे रे हाथ
malvi-mup
वेक्खो नी शाह अनायत साईं वेक्खो नी शाह अनायत साईं मैं नाल करदा किवें अदाईं । कदी आवे कदी आवे नाहीं , त्यौं त्यौं मैनूँ भड़कण भाहीं । नाल अल्लाह पैगाम सुणाईं , मुक्ख वेक्खण नूँ तरसाईं । वेक्खो नी शाह अनायत साईं । बुल्ला सहु केही लाई मैनूँ , रात हनेर उठ तुरदी नै नूँ । जिस औझड़ तों सभ कोई डरदा , सो मैं ढूँढा चाईं चाईं । वेक्खो नी शाह अनायत साईं । मैं नाल करदा किवें अदाईं ।
panjabi-pan
बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा , बथुए का रांध रै साग आठ बलधां का रै हालिड़ा नीरणा चार हालिड़ा की छाक बरसन लागी रे हालिड़ा बादली सास नणद का रे हालिड़ा ओलणा इब कूण उठाये छाक कसकै तै रे बांधो गोरीधन लाऊणा झटदे उठाल्यो छाक ड्योलै तै ड्योला रे हालिड़ा मैं फिरी कितै ना पाया थारा खेत ऊंच्चे चढ़कै गोरीधण देख ले म्हारे धोले बलध कै टाल पाछा तैं फिर कै रे हालिड़ा देख ले , कोई बोझ मरै छकियार किसाक जाम्या रे हालिड़ा बाजरा किसीक जाम्मी सै जुआर लाम्बे तै सिरटे गोरीधण बाजरा , मुड़वां सिरटै जुआर कै मण बीघे निपजै रे हालिड़ा बाजरा , कै मण बीघे जुआर नौ मण बीघे निपजा गोरी बाजरा , दस मण बीघे जुआर अपणै घड़ाले रे हालिड़ा गोखरू मेरी भंवर की नाथ
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परदा किस तों राखीदा परदा किस तों राखीदा ? क्यों ओहले बैह बैह झाकीदा ? पहलों आपे साजन साजे दा , हुण दस्सना ऐं सबक निमाजे दा , हुण आया आप नज़ारे नूँ , विच्च लैला बण बण झाकीदा । परदा किस तों राखीदा ? शाह शमस दी खल्ल लुहाएओ , मनसूर नूँ चा सूली दवाएओ , ज़करीए1 सिर कलवत्तर2 धराएओ , की लेक्खा रहेआ बाकी दा ? परदा किस तों राखीदा ? कुन्न3 केहा फअकुन4 कहाया , बेचूनी5 दा चून6 बणाया , खातर तेरी जगत बणाया , सिर पर छतर लौलाकी दा7 । परदा किस तों राखीदा ? हुण साड्डे वल्ल धाया ए , ना रहिन्दा छुपा छुपाया ए , किते बुल्ला नाम धराया ए , विच्च ओहला रखया खाकी दा । परदा किस तों राखीदा ?
panjabi-pan
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे बाबा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे ताऊ हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे बाब्बू हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे चाचा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे फूफा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मौसा हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई
haryanvi-bgc
झाळ झपकऽ बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी झाळ झपकऽ , बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी , धणियेर आंगणऽ कुआ खणाया , हरिया एतरो पाणी , जूड़ो छोड़ी न्हावण बठ्या , धणियेर घर की राणी , धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी । आमुलड़ा री डाल म्हारी माता , सालुड़ो सुखाड़ऽ , सालुड़ा रा रम्मक झम्मक , नाचऽ ठम्मक ठम्मक , धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी ।
nimadi-noe
अंगिका फेकड़ा चलोॅ हे हिरनी माय फूल तोड़ै लेॅ फूलोॅ के गाछ तर ऐल्हौं जमाय बेटी केॅ लेल्हखौं डोली चढ़ाय ज्यौंज्यौं डोलिया डुलकल जाय त्यौंत्यौं बेटी हकरल जाय बोॅर बैठलोॅ बरोॅ तर कनियाँय बैठली पीपरोॅ तर बरोॅ केॅ लागलै दाँती कनियाँय धूनेॅ छाती । कनियाँय मनियाँय झिंगाझोर कनयाँय माय केॅ लेॅ गेल चोर दौड़ोॅ हो शहर के लोग । झरिया ऐलै बुनरिया ऐलै करका मेघ लगैलेॅ ऐलै डाला कुण्डा घोॅर करोॅ बेटी केॅ विदा करोॅ । औठीपौठी लौका बीच में गू खौका । पांड़े पड़ोकी चुटिया में तेल पांड़े के धियापुता खेलेॅ गुलेल पांडे़ ढबढबढब । यद्दू बेचेॅ कद्दू , बंगाली बेचेॅ पान यद्दू के एक बेटा , सेहो गाड़ीमान यद्दू दूर गेलेॅ हो । अथरोबथरो सीमा गेली सीम तोड़े नीमा गेली नीन तोड़े , दा बूढ़ी भात अभी गोबरे हाथ । ऊबु पान फूल पत्ता गुलाबी रंग कच्चा कटोरी में के आगिन बुझाय देॅ मोरी भौजी । ओ ना मा सी धं गुरूजी पढ़ंग चटिया लंग बाजे मृदंग । तार काटूँ , तनकुन काटूँ काटूँ रे बनखज्जा हाथी पर से घुंघर बोले टन देॅ केॅ राजा राजा के रजोली बेटी भैया के दुपट्टा हिच्च मारौं , घिच्च मारौं चीचे हेनोॅ बच्चा ।
angika-anp
भादों की अँधेरी, झकझोर भादों की अँधेरी , झकझोर1 । ना बास ना बास , पापी मोर । डुलदो2 तू क्यों , पापी प्राणी । स्वामी बिना मैक , बड़ी खडरी3 । विश्वासी मन जो , औंद भारी । भादों की बरसात जग रूझ4 । मन की मेरो ना , आग बुझ । स्वामी बिना झूठी , लाणीं खांणी5 । मनु की मनुमा , रई गांणी6 ।
garhwali-gbm
201 दुर्रे1 शरह दे मार उधेड देसां करां उमर खिताब दा नयां हीरे घत कखां दे बिन मैं साड़ सुटां तैनूं वेखसी पिंड गरां हीरे अखीं मीट के वकत लघा मोईए एह जोबना बदलां छां हीरे खेड़े करीं कबूल जे खैर चाहवें छड चाक रंझेटे दा नां हीरे वारस शाह हुण आसरा रब्ब दा ए जदों विटरे2 बाप ते मां हीरे
panjabi-pan
अगे, अगे चेरी बेटी, तोँहु देखि आहु गे माइ अगे , अगे चेरी बेटी , तोँहु1 देखि आहु2 गे माइ । कइसन3 समधी बाबू , महला उठावे गे माइ । इँटवा चुनिए चुनि4 महला उठावे गे माइ । चुनमे5 चुनेटल6 चारों घटिया बनावे गे माइ ॥ 1 ॥ अरे , अरे हजमा , तोंहुँ देखि आहु गे माइ । कइसन समधी भँड़ुआ , सजे बरियात गे माइ । धोइले7 धोइले कपड़ा , रँगल बतीसो दाँत गे माइ । छैले छैले गभरू8 सजल बरियात गे माइ ॥ 2 ॥ बइठल समधी बाबू जाजिम बिछाय गे माइ । जँघिया दुलरइतिन बेटी लट छिटकावे गे माइ । बीड़वा9 जे फेंकलन दुलहा , बीड़वो न लेथिन10 गे माइ । हँसथिन न बोलथिन , दुलहिन मुँहमो न खोलथिन गे माइ ॥ 3 ॥ किनकर11 गुमानी12 धनि , मुँहमो न बोले गे माइ । किनकर गुमानी बेटी , बीड़वो न लेइ13 गे माइ । परभु के गुमानी धनि , मुँहमो न बोले गे माइ । बाबा के दुलरइतिन बेटी , बीड़बो न लेइ गे माइ ॥ 4 ॥ बाबा तोर देखलूँ दुलहा , टट्टर14 घर खाड़ा गे माइ । भइया तोर देखलूँ लोकदिनियाँ15 सँघे साथे गे माइ । चाचा तोर देखलूँ तमोलिन के पास गे माइ । कइसे के करियो16 दुलहा तोहर बिसवास गे माइ । तुहूँ त हकहु17 दुलहा बड़ रँगरसिया18 गे माइ ॥ 5 ॥
magahi-mag
215 जो कुझ विच रजा दे लिख दितां मुंहों बस न आखिये भैड़ीए नी सुन्ना सखना चाक नूं रखया ई मथे भौरीए चंदरीए चैड़ीए नी जेकर मंतरकील दा ना आवे ऐवें सुतड़े नाग ना छेड़ीए नी इके यार दे नाम तों फिदा होईए मौहरा दे के इके नबेड़ीए नी दगा देवना होवे जिस आदमी नूं पहले रोज ही चा खटेड़ीए नी जे ना उतरीए यार दे नाल पूरे ऐडे पिटने ना सहेड़ीए नी वारस शाह तोड़ निभाहुनी दस सानूं नहीं दे जवाब चा टोरये नी
panjabi-pan
शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर
korku-kfq
189 कंगन नाल जंजीरियां पंज मुणियां हार लौंगां दे नाल पुरायो ने तुंगा1 नाल कपूरां2 दे जुट सुचे तोड़े पाउंदे गजरयां छायो ने पहौंची जुगनियां नाल हमेल माला मोहर बिछुए नाल घड़ायो ने सोहनियां अलियां नाल पंजेब फबे घुंगरालड़े घुंगरू लायो ने वारस शाह गहना ठीक चाक आहा सोई खटड़े3 चा पवायो ने
panjabi-pan
उरजौ ना स्याम कही मानों उरजौ ना स्याम कही मानों , फट जै हैं , चुनरिया ना तानों । इत मथरा उत गोकल नगरी , बीच बसत है बरसानो । रजा कंस कौ राज बुरओ है , मथरा बीच रूपौ थानों । मैं बेटी वृषभान लला की , काऊकी ईसुर ना जानों ।
bundeli-bns
से वणजारे आए से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । लालाँ दा ओह वणज करेन्दे , होक्का आख सुणाए । लाल ने गहणे सोने सात्थी , माए नाल लै जावाँ । सुणिआ हौका मैं दिल गुज़री , मैं भी लाल ल्यावाँ । इक्क ना इक्क कन्नाँ विच्च पा के , लोक्काँ नूँ दिखलावाँ । लोक जानण एह लालाँ वाली , लइआँ मैं भरमाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । ओड़क जा खलोती ओहना ते , मैं भनों सद्धराइआँ । भाई वे लालाँ वालिओ मैं वी , लाल लेवण नूँ आइआँ । ओहनाँ भरे संदूक विखाले , मैनूँ रीझाँ आइआँ । वेक्खे लाल सुहाणे सारे , हक्क तो हक्क सवाए । से वणजारे1 आए नी माए , से वणजारे आए । भाई वे लालाँ वालिआ वीरा , एहना दा मुल्ल दसाईं । जे तूँ आई हैं लाल खरीदण , धड़ तों सीस लुहाईं । डम्ह2 कदी सुई दा ना सहिआ , सिर कित्थों दित्ता जाई । लाज़मी होके घर मुड़ आई , पुच्छण गवांढी आए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । तूँ जु गई सैं लाल खरीदण , उच्ची अड्डी चाई नी । केहड़ा मुहरा ओत्थों रन्ने तूँ , लै के घर आई नी । लाल सी भारे मैं साँ हलकी , खाली कन्नी साईं नी । भारा लाला अणमुल्ला ओत्थों , मैत्थों चुक्किआ ना जाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । कच्ची कच्च विहाजण जाणा , लाब विहाजण चल्ली । पल्ले खरच ना साख ना काई , हत्थों हारन चल्ली । मैं मोटी मुशटंडी दिसाँ , लालाँ नूँ चारन चल्ली । जिस शाह ने मुल्ल लै के देणा , सो शाह मुँह ना लाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । गलिआँ दे विच्च फिराँ दिवानी , नी कुड़ीए मुटिआरे । लाल चुगेन्दी नाज़क होई , एह गल्ल कौण नितारे । जाँ मैं मुल्ल ओहना नूँ पुच्छिआ , मुल्ल करन ओह भारे । डम्ह सूई दा कदे ना खाधा , ओह आक्खण सिर वारे । जेहड़िआँ गइआँ लाल विहाजण , ओहनाँ सीस लुहाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए ।
panjabi-pan
सुसरै जी से अरज करूं थी सुसरै जी से अरज करूं थी मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी बहू इस रुत मैं दाख नहीं सै मेवा मिसरी खाल्यो जी बालम जी से अरज करूं थी मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी ओ गए पंसारी की दुकान पै ल्याए हरी हरी दाख तुला कै खा कै सोई पिलंग पै बालम तै कर री बात बड़े प्यार तै जो गोरी थम छोरी जणोगी बुरी बात करो गी हम तै जो गोरी थम पुत जणोगी दाख मंगा द्यूं और कहीं तै
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रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय इयाँ पलंगो बाने जा बेटा आमा रानी का पलंगो रे आमा रानी का पलंगो रे आमा रानी का पलंगो रे स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा
korku-kfq
पेलो मास जो लागियो ये पेलो मास जो लागियो ये धनारायणी आल भोले मन जाय अनोखा धनराणी , ऐके धनराणी मजला मजला आप पेले मजल थारे लापसी ऐके धनराणी दूसरे मजल बूरा खांड तीसरे मजल थारे खोपरो चौथ दाड़िम दाख
malvi-mup
532 सैदा आखदा रोंदड़ी पई डोली चुप करे नाहीं हतिआरड़ी1 ओए वडी जवान बाला कोई परी सूरत तिन कपड़े वडी मुटिआरड़ी ओए जे मैं हथ लावां सिरों लाह लैंदी चा घतदी चीख चिहारड़ी2 ओए हथ लावण पलंग नूं मिले नाहीं खौफ खतरियो3 रहे निआरड़ी4 ओए मैंनूं मारके आप नित रहे रोंदी एस डौल ही रहे कुआरड़ी5 ओए नाल सस ननाण दे गल नाही पई मचदी नित खुआरड़ी6 ओए असां ओसनूं मूलना हथ लाया कोई नागर7 लोथ है भारड़ी8 ओए ऐवे गफलतां विच बरब्बाद कीती वारस शाह एह उमर पयारड़ी ओए
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180 रत्न हीर ते आइयां फेर सभे रांझे यार तेरे सानूं घलया ई खूंडी वंझली कमली सुट धते छड देस परदेस नूं चलया ई जे तैं अंत ओहनूं पिछा देवना सी ओहदा कालजा कासनूं सलया ई असां एतनी गल मालूम कीती तेरा निकल ईमान हुण चलया ई
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