folksong
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---|---|
588
हीर रूह ते चाक कलबूत जानो बालनाथ एह पीर बनाया ई
पंज पीर ने पंज खवास1 तेरे जिन्हां थापना तुध नु लाया ई
काज़ी हक झंवेल ने अमल तेरे अयाल मुनकिर नकीर2 ठहराया ई
कोठा गैर दा अते अजराईल खेड़ा जेहड़ा लैंदा ई रूह नूं धाया ई
सइयां हीर दीयां घर बार तेरा जिन्हां नाल पैवंद3 बनाया ई
कैंदों लंगा शैतान मलऊन4 जानों जिसने विच दीवान फड़ाया ई
बांग हीर दे बन्ह लै जान तैनूं किसे नाल ना साथ लदाया ई
जेहड़ा बोलदा नातका5 वंझली दा जिस होश दा राग सुनाया ई
सहती मौत ते जिसम है यार रांझा उन्हां दोहां ने भेड़ मचाया ई
शैहवत भाबियां ते भुख रवेल बांदी जिन्हां जन्नतों बाहर कढाया ई
जोगी तारक6 बणया कन्न पाड़ जिसने सभ अंग भबूत रमाया ई
दुनियां जाण एवे जिवे झंग पेके गैर कालड़ा बाग बनाया ई
त्रिंजन एह बदअमलियां तेरियां ने कढ भिशत थीं दोजखी पाया ई
ओह मसीत है माऊ दा शिकम7 बंदे जिस विच शबरोज8 लंघाया ई
अदली राजा ते नेक ने अमल तेरे जिस हीर ईमान दिवाया ई
वारस शाह मियां बेड़ा पार तिन्हां जिन्हां रब्ब दा नाम धिआया ई | panjabi-pan |
नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता हे जी
नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता हे जी
हां जी काहे चारूं दिसां पड़ेगी फुवार
हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा
संग की सहेली मां मेरी झूलती जी
हमने झूलण का हे मां मेरी चाव जी
हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा
सखी सहेली मां मेरी भाजगी जी
हां जी काहे हम तै तो भाज्या ना जाय
पग की है पायल उलझी दूब में जी
नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता जी
हां जी काहे चारूं पास्यां पड़ेगी फुवार | haryanvi-bgc |
229
कुड़ियां जा वलाया रांझने नूं फिरे दुख ते दरद दा लदया ई
आय घिंन सुनेहड़ा सजनां दा तैनूं हीर प्यारी ने सदया ई
तेरे वासते मापयां घरों कढी असां सैहरा पेईड़ा रदया ई
झब होए फकीर ते पहुंच मैंथे , उथे झंडड़ा कास नूं गड़िया ई | panjabi-pan |
जरमन तेरा जाइयो राज
जरमन तेरा जाइयो राज ,
आज ना तडकै
तन्ने मारे बिराने लाल
जहाज भरभर के
मैं किस पर करूँ सिंगार
कालजा धड़के
भावार्थ
' अरे जरमन तेरा राज ख़त्म हो जाए , आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही
पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भरभर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय मैं
शृंगार करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है ' | haryanvi-bgc |
पड़दा ओल्है जच्चा बोलै राजन उरै बुलाओ जी
पड़दा ओल्है जच्चा बोलै राजन उरै बुलाओ जी
राजन उरै बुलाओ जी
झूमदा झामदा राजन आया हम नै क्या फरमाओ जी
हम नै क्या फरमाओ जी
सूंठ तो सठवा की ल्यावो खांड तो खंडवा की ल्यावो
घीव तो सुरही का ल्यावो मेवा तो काबुल का ल्यावो
गून्द तो अजमेरी ल्यावो इतना सौदा ल्यावो जी
इतना सौदा ल्यावो जी
सौदा ल्याय आंगण बिच ऊम्या सौदा किसने सौंपा जी
सौदा किसनै सौंपा जी
सास नणद का नहीं भरोसा भीतर ही लै जाओ जी
भीतर ही लै जाओ जी
दोनूं मिलकै फोड़न लाग्गै सूंठ भड़ाभड़ फोड़ी जी
सूंठ भड़ाभड़ फोड़ी जी
दोनूं मिलके पीसण लाग्गै भारी चाकी फेरी जी
भारी चाकी फेरी जी
दोनूं मिलकै लाडू बांधै बड़े बड़े लाडू बांधै जी
बड़े बड़े लाडू बांधै जी
लाडू बान्धै पति जीभ सम्भालै इक लाडू दबकावै जी
इक लाडू दबकावै जी
सुन सुण जी म्हारे राजदिवाने चोरी ना खट्टयावै जी
चोरी ना खट्टयावै जी
राजा जी जाय बजार में बैठे आ आ लड़ैं बिलाई जी
आ आ लड़ैं बिलाई जी
प्यार मित्तर न्यू उठ बोले या के कुबध कमाई जी
या के कुबध कमाई जी
म्हारी धण नै बेटा जाया लाडूडा बन्धवाया जी
लाडूडा बन्धवाया जी
ये लडै मेरी सुसरी बिलाई हमनै ना चखाया जी
हम नै ना चखाया जी | haryanvi-bgc |
चल्यौ अइयौ रे श्याम मेरे पलकन पे
चल्यौ अइयौ रे श्याम मेरे पलकन पे चल्यौ अइयो रे ॥ टेक
तू तो रीझौ मेरे नवल जीवना , तू तौ . . .
मैं रीझी तेरे तिलकन पै , तेरे तिलकन पै ॥ चल्यौ .
तू तौ रीझौ मेरी लटक चाल पै , तू तौ . . .
मैं रीझी तेरी अलकन पै , तेरी अलकन पै ॥ चल्यौ .
‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखे , पुरुषोत्तम . . .
अबीर गुलाल की झलकन पै , अरी झलकन पै । चल्यौ . | braj-bra |
276
जेहड़े पिंड विच आवे तां लोक पुछण एहतां जोगड़ा बालड़ा छोटड़ा ई
कन्नीं मुंदरां एस नूं ना फबन एहदे तेड़ ना बन्ने लंगोटड़ा ई
सत जनम के हमी हां नाथ पूरे कदे वाहया नहीओं जोतड़ा ई
दुख भंजन नाथ है नाम मैं तां घनंतर वैद दा पोतरा ई
जे कोई असां दे नाल दम मारदा ए एस जग तों जायगा औतरा ई
हीरा नाथ है वढा गुरदेव साडा चले उसदा पूजने चैतरा ई
वारस शाह जो आज्ञा लै साढी दुध पुतरां दे नाल सौतरा ई | panjabi-pan |
जच्चा तो मेरी भोली भाली री
जच्चा तो मेरी भोली भाली री
जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री
चार कनस्तर घी के खागी ढाई मण पक्का बूरा री
जच्चा तो मेरी पाणी ना मांगे री
जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री
सांप मार सिरहाणे धर लिया बीच्छू मार बगल मैं री
जच्चा तो मेरी मच्छरों तै डरदी री
जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री
आए गयां का लहंगा पाड़े सास नणंद की चुटिया री
जच्चा तो मेरी लड़ना ना जाणै री
जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री
जेठ सुसर की काण ना मानै देवर तै राड़ जगावै री
जच्चा तो मेरी सरम हजारी री
जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री | haryanvi-bgc |
वर्षा का गीत
खयड़ी न बयड़ी रेलछेल पाणी , इड्ला ना घेर पर पाणी निहिं ।
वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥
खयड़ी न बयड़ी रेलछेल पाणी , इड्ला ना घेर पर पाणी निहिं ।
वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥
चोखा अतरी विजली , सुपड़ा अतरो बुलावो ।
गाजण्यों काहाँ मरीग्यो ,
वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥
टूटलास् खाटलाय पड़ी तो मांगती , पाणी दे वो पाणी दे ।
नोण दे वा मीरी दे , कुयडू पान्यो काइ करि खाऊँ ,
ढूडी व ढूडी व ॥
जब फसल बोने के बाद वर्षा रुक जाती है और फसलें सूखने लगती हैं तो लोग
रात्रि में एकत्रित होकर ग्राम में निकलते हैं । प्रत्येक घर जाकर गीत गाकर अनाज ,
नमक , मिर्च माँगते हैं और दूसरे दिन एकत्रित सामग्री से उज्ज्वणी मनाते हैं । उज्ज्वणी
करने से वर्षा हो जाती है यह विश्वास है । इसमें जो गीत गाया जाता है उसे ढूडी
खेलना कहते हैं । प्रत्येक घर की महिला सुपड़े में पानी लेकर ढूडी वालों पर फेंकती है ।
गीत में कहा गया है
पहाड़पहाड़ियों पर खूब वर्षा हो रही है , इडला के घर पानी नहीं है । हे बादल बाबा
बरस जा । नाले सूख गये , लावातीतर प्यासे मर रहे हैं । हे बादल बरसो । बहुत
छोटी बिजली चमक रही है , सूप के समान बादल हैं । हे गरजने वाले बादल कहाँ
कर गया ? हे मेघ बाबा बरसो ।
माँगती के घर के सामने जाकर गीत में कहा गया है
टूटी हुई खटिया पर माँगती पड़ी है , माँगती पानी दे । नमक दे और मिर्च दे , कोरी रोटी
किस प्रकार खाऊँ ? | bhili-bhb |
60
रांझा आखदा एह जहान सुफना छड जावना ई मतवालीये नी
तुसां जिहे सरदारां नूं एह लाजम आये गये मुसाफरां पालीये नी
ऐडा हुसन दाना गुमान कीजे एह लै पलंघ ते सने निहालीये1 नी
वारस आसरा रब्ब दा रखया ई , उठ जावना ई नैना वालीए नी | panjabi-pan |
अहे बाम्हन के पड़ले हँकार, बरुअवा के मूंड़न हे
अहे बाम्हन के पड़ले हँकार1 बरुअवा2 के मूंड़न हे ।
बाम्हन अइले वेद भनन3 हे ॥ 1 ॥
अहे गोतिया के पड़ले हँकार , बरुअवा के मंूडन हे ।
गोतिया अइले माँड़ो4 छावन5 हे ॥ 2 ॥
अहे गोतिनी के पड़ले हँकार , बरुअवा के मंूड़न हे ।
गोतिनी अइले मंगल गावन हे ॥ 3 ॥
अहे कुम्हरा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूड़न हे
कुम्हरा अइले कलसा लिहले6 हे ॥ 4 ॥
अहे हजमा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
हजमा अइले छुरवा7 लिहले हे ॥ 5 ॥
अहे बड़ही8 के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
बड़ही अइले पिढ़वा9 लिहले हे ॥ 6 ॥
अहे फूआ10 के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
फूआ अइले अँचरा पसरले11 हे ॥ 7 ॥
अहे , बाबा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
बाबा जे अइले गेंठी खोलले12 हे ॥ 8 ॥
अहे भइया के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
अहे भइया गइले13 रिसिआय14 बहिनी घरलूटन15 हे ॥ 9 ॥
अहे , भउजी के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे ।
अहे , ननद अइले घरलूटन , बरुअवा के मूंड़न हे ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
मोय ब्रज बिसरत नैया
मोय ब्रज बिसरत नैयां ,
सखी री मोय तो ब्रज बिसरत नैयां । ।
सोने सरूपे की बनी द्वारिका ,
गोकुल जैसी छवि नइयां ।
मोय सखी . . .
उज्जवल जल जमुना की धारा ,
बाकी भांति जल नैयां ।
मोय सखी . . .
जो सुख कहियत मात जशोदा ,
सो सुख सपने नैयां ।
मोय सखी . . . | bundeli-bns |
नाचइ नदिया बीच हिलोर
नाचइ नदिया बीच हिलोर
वनमां नचइ बसंती मोर
लागै सोरहों बसंत को
सिंगारु गोरिया ।
सूधे परैं न पाँव
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं
बयस बावरी मुँहु बिदुराबै
को गीता कौ बाँचै
चिड़िया चाहै पंख पसार
उड़िबो दूरि गगन के पार | kanauji-bjj |
भजन
टेक सीता हो राम सुमर लेणा , भजि लेवो भगवान ,
सीता हो राम सुमर लेणा ।
चौक1 सपना की रे संपत भइ , बांधिया गजराज ।
भंवर भयो उठ जागीया , तेरा वही रे हवाल ।
सीता हो राम . . .
चौक2 वाये सोनू नहिं नीबजे , मोती लाग्या डालम डाल ।
भाग बिना केम पावसो , तपस्या बिन राज ।
सीता हो राम . . .
चौक3 राजा दसरथ की अयोध्या है , नंदि सरजु का तीर ,
जा घर बैठी राणी कौशल्या , जिनका जाया रघुवरी ।
सीता हो राम . . .
चौक4 बिना रे पंख का सोरठा , उड़ि गया रे अकास ,
रंग रूप वाहां को कछु नहिं , भूखा न प्यास ।
सीता हो राम . . .
छाप झिणि झिणि नोबत वाजसे , वाजे गरू रबार ,
सेन भगत की रे वीणती , राखो चरण आधार ,
सीता हो राम . . .
सीताराम का स्मरण करें अर्थात् भगवान का भजन कर लें ।
यह संसार क्षणिक स्वप्न के समान है । स्वप्न में मनुष्य मालदार हो जाता है , उसके घर हाथी झूलने लगते हैं । भोर होने पर फिर वही हाल । हे मानव भजन कर ले । सोना बोने से उगता नहीं , न ही डाली पर मोती लगते हैं । भाग्य के बना कुछ नहीं मिलेगा । तपस्या के बिना राज्य भी नहीं मिलता है । सरयू नदी के तट पर राजा दशरथ
की अयोधया है , जिनके पास कौशिल्या रानी हैं , उनके पुत्र रघुवीर हैं । उनका भजन कर लो । यह जीव बिना पंख का पक्षी है , उसका रंग रूप कुछ नहीं है । न भूख लगती है न प्यास । हे मानव सीताराम की भक्ति कर ले , तो पार उतर जायेगा । | bhili-bhb |
318
जोगी मंग के पिंड तयार होया आटा मेलके खपरा पूरया ए
किसे हस के रूग चा पाया ए किसे जोगी नूं चा वडूरया ए
वारस खेड़यां दी झात पाईया सू जिवें चैधवी दा चंद पूरया ए | panjabi-pan |
आध पाव बाजरा कूट्टण बैठी
आध पाव बाजरा कूट्टण बैठी
उछल उछल घर भरियो सैतान बाजरा
आध पाव बाजरा पकावण बैठी
खदक खदक हंडिया भरियो सैतान बाजरा | haryanvi-bgc |
लम्बी नाड़ लटकमा चोटी
लम्बी नाड़ लटकमा चोटी साफा बान्धै मेरा राजा हे
पट्ठे बाह्वै तेल रमावै सोकण तै बतलावै हे
सांझ पड़े महलों में आवै बिजली सी वे पाटे हे
उठ सवेरे चाकी झो देई कुएं में पड़न की ध्या लेई हे
पीसछाण दोघड़ धर लई हम पानी भर लावां हे
पहले तो बहू रोटी खाले फिर पानी भर लाइयो हे
तुम खावो थारा बेटा खुआओ मेरी सासू हे
दोघड़ मेली घाट में फेर चारों तरफ लखाई ए
नार गम्म गम्म कूवे मैं जान टका सी खो देई ए
सासू भी रोवै सुसरा भी रोवै बलमा नै रुधन मचा दिया हे
सासू तो मेरी ये दुख देखे मने रे पीसना दे गई रे
सुसरा तो मेरा ये दुख रोवै बालक बोहड़िया मर गई रे
बलमा तो मेरा ये दुख रोवै मेरी बैटरी बुझ गई रे | haryanvi-bgc |
556
कू कू कीता कूक कूक रांझने ने उचा कूकदा चांगर1 धरासदा ए
बू बू मारके ललकारां करे धुमां राजे पुछया शो विशवास दा ए
रांझे आखया राजया चिरी जीवें तेरा राज ते हुकम अरासता2 ए
हुकम मुलक दिता तैनूं रब्ब सच्चे करम रब्ब दा फिकर गम कासदा ए
तेरी धाक पई रूम शाम अंदर बादशाह डरे आस पास दा ए
तेरे राज विच बिनां तकसीर मारे ना गुनाह ते ना कोई वासता ए
मखी फसदी ए जिवें शहद अंदर वारस शाह इसजग विच फासदा ए | panjabi-pan |
541
चलीं जोगिया रब्ब दा वासता ई असीं मरद नूं मरद ललकारने हां
जो कुझ सरे सो लै नजर पैर पकड़ां जान माल परवार भी वारने हां
पया कलह दा कोडमां सभ रोंदा असी काग ते मोर उडारने हां
हथ बन्हके बेनती जोगिया वे असी आजजी नाल पुकारने हां
चोर सदया माल दे सांभणे नूं तेरियां कुदरतां तों बलिहारने हां
वारस शाह वसाह की एस दम दा ऐवें रायगां1 उमर क्यों हारने हां | panjabi-pan |
अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे
ऐ भउजी . .
काये . .
एक बात काहव
का बात ए
रूप में फंस के मरिस पतिंगा , रस में अरझगे भौंरा हा
अच्छा
गंध म मछरी धुन मा हिरना , भईया बर सब्बो संघरा
हट
हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे
खेते म जाथंव , बता के जाथे ए . . . ए . . .
खेते म जाथंव , बता के जाथे
बीड़ी सिपचाहूँ कहिके लहुट आथे , हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या , तोर मया म भईया अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे
भउजी हे धीरन , भईया हे लुठुवा आहा आहा
भउजी हे धीरन , भईया हे लुठुवा
भउजी हाबे अधरतिहा भईया हे सुकुवा , हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे
भईया के सुंता , भउजी के सुतीयां आहा हो हो
भईया के सुंता , भउजी के सुतीयां
भउजी हाबे मोर अठन्नी भईया हे रुपिया , हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे | chhattisgarhi-hne |
पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया
साभार : सिद्धार्थ सिंह
पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया
काहे से आएं बैदा बेटौना ,
काहे से आई दवाई रे , नजरा गैली गोरिया
मोटर से आएं बैदा बेटौना ,
टेम्पो से आई दवाई रे , नजरा गैली गोरिया
बैदा बेटौना पलंग चढ़ी बैठो ,
नाड़ी का रोग बताओ रे , नजरा गैली गोरिया
न इनके गर्मी न इनके सर्दी ,
इनके तो चढ़ी है मोटाई रे , नजरा गैली गोरिया | awadhi-awa |
कुझ कत्त कुड़े
कुझ कत्त कुड़े ना वत्त कुड़े , छल्ली लाह भरोटे घत्त कुड़े ।
जे पूणी पूणी कत्तेंगी , ताँ नंगी मूल ला वत्तेंगी ।
सौ वरिआं दे जे कत्तेंगी , ताँ काग मारीगा झुटकुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।
विच्च गफलत जो तैं दिन जाले1 कत्तके कुझ ना लेओ सँभाले ।
बाझों गुण सहु आपणे नाले , तेरी क्यों कर होसी गत्त2 कुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।
माँ पिओ तेरे गन्ढी3 पाजिआँ , अजे ना तैनूँ सुरताँ आइआँ ।
दिन थोड़े ते चाअ मकाइआँ , ना आसे पेके वत्त कुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।
जे दाज विहूणी जावेंगी , ताँ किसे भली ना भावेंगी ।
ओत्थे सहु नूँ किवें रीझावेंगी , कुझ लै फकराँ दी मत्त कुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।
तेरे नाल दीआँ दाज रंगाए नी , ओहनाँ सूहे सालू पाए नी ।
तूँ पैर उलटे क्यों जाए नी , ओत्थे जाए ताँ लग्गे तत्त कुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।
बुल्ला सहु घर आपणे आवे , चूढ़ा बीड़ा4 सभ सुहावे ।
हुण होसी ताँ गल लावे , नहीं रोसे नैणी रत्त कुड़े ।
कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । | panjabi-pan |
कच्चे नीम्ब की निम्बोली
कच्चे नीम्ब की निम्बोली सामण कद कद आवै रे
जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भर ल्यावै रे
बाबा दूर मत ब्याहियो दादी नहीं बुलाने की
बाब्बू दूर मत ब्याहियो अम्मा नहीं बुलाने की
मौसा दूर मत ब्याहियो मौसी नहीं बुलाने की
फूफा दूर मत ब्याहियो बूआ नहीं बुलाने की
भैया दूर मत ब्याहियो भाभी नहीं बुलाने की
काच्चे नीम्ब की निम्बोली सामणया कद आवै रे
जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भय ल्यावै रे | haryanvi-bgc |
146
कैदो आखदा लोको एह झूठ सारा खेखन कुड़ियां ने एह भरपूर कीते
झुगी साड़ भांडे भन खोह दाढ़ी लाह पग पठे पुट दूर कीते
टंगों पकड़ घसीट के विच खाई लतां मारके खलक रंजूर1 कीते
वारस शाह गुनाह थीं पकड़ काफर हढ पैर मलायकां2 दूर कीते | panjabi-pan |
सांटो रे
जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे
जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे
नानाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे
कीका गूँज गली को भावे ।
तो नानीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे
कीका गूँज गली को भावे ।
जा रे कीका थने झगल्यो टोपी चावे
जा रे कीका थने रजई गादी चावे तो
मामाजी री मामीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया
सांटो रे कीका गूँज गली को भावे ।
जो रे कीका चावे रेसम डोरी पालणो
तो भुवाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया
सांटो रे कीका गूँज . . . गली को भावे ।
बच्चों की ज़रूरत वाली चीज़ों के नाम जोड़तेजोड़ते यह गीत लम्बा होता चला जाता है । | malvi-mup |
326
चकी हानयां विच विचार पैंदी एहदी धुम्म तंदूर ते भठ है नी
कमजात कुपतड़ा वड कंजर डबी पुरे दे नाल दी चठ है नी
भैणे कार खोटा ठग माझड़े दा जेहा रन्न घरोली दा हठ है नी
मंग खान हराम मुशटंडयां नूं वडा सार हसधात1 दरी लठ है नी
मुशटंडड़े तुरत पछाण लईए कम्म डाह देहो एह तां जट है नी
एह जट है झुगड़े पट है नी एह तां चैधरी चैड़ चुपट है नी
गदों लदया सने एह छट है नी भावें वेलने दी एह तां लठ है नी
वारस शाह ना एसदा रस मिठा एह तां काठे कमाद दा गठ है नी | panjabi-pan |
आली मनमोहन के मारै
आली मनमोहन के मारै ।
जमना गैल बिसारें ।
जब देखो तब खड़े कुंज में ।
गहें कदम की डारैं ।
जो कोऊ भूल जात है रास्ता
बरबस आन बिठारैं ।
जादौं नई हँसी काऊसों ।
जा नइ रीत हमारैं ।
ईसुर कौन चाल अब चलिये ,
जे तो पूरौ पारें । | bundeli-bns |
दिल्ली की दलाली
दिल्ली की दलाली
तेरा पल्ला लटके
छोरे बजावैं बांसली
तों खड़ी मटकै | haryanvi-bgc |
लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़
लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर उतारा करता जाओ
उतारो नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे रामलखमण नी वाट
लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर दातन करता जाओ
दातन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे रामलखमण नी वाट
लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर नहावन करता जाओ
नहावन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे रामलखमण नी वाट
लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर भोजन करता जाओ
भोजन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे रामलखमण नी वाट
लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़
हे परभू परोड़ ना रे
म्हारे घर परोधन करता जाओ
परोधन नहीं करूँ रे
के म्हारे घर सीता जूवे वाट
सीता एकली रे
के जूवे रामलखमण नी वाट | gujarati-guj |
सखी री मेरे उमड़ आये बदरा
सखी री मेरे उमड़ आये बदरा
आये आये री मेरे घर की तलवटी
पहिला बधावा मेरे बाबुल बार
दूजा बधावा मेरे माई जाये बीर
बाप बधावे री सखी जन्म पाया
बीर बधावे नौरंग चूंदड़ी
तीजा बधावा सखी री मेरे ससुरे के बार
चौथा बधावा मेरे लखपत जेठ के
ससुर बधावे सखी री मैंने यह घर पाया
जेठ बधावे सखी री मैंने आधा धन पाया
पांचमां बधावा मेरे राजड़े के बार
उसी बधावे मेरा मन रहसिया
राजड़े बधावे सखी मैंने यह घर पाया
अन्न धन पाया दूध पूत पाया
इसी बधावे मेरा मन रहसिया | haryanvi-bgc |
आ जैहो बड़े भोर दही लै के (कार्तिक स्नान का गीत)
आ जैहो बड़े भोर दही लै के , आ जैहो बड़े भोर । । टेक । ।
नें मानो कुड़री धर राखो , मुतियन लागी कोर ।
नें मानो मटकी धर राखो , सबरे बिरज कौ मोल ।
नें मानो चुनरी धर राखो , लिख है पपीहरा मोर ।
नें मानो गहने धर राखो , बाजूबंद हमेल ।
चंद्रसखी भज बालकृष्ण छब , छलिया जुगलकिशोर । | bundeli-bns |
दोई नेंनन की तरवारें
दोई नेंनन की तरवारें ,
प्यारी फिरें उवारें ।
अलेमान , गुजराम सिरोही ।
सुलेमान झकमारे ।
ऐंचत बाढ़ म्याँन घूँघट की ,
दैकाजर की धारैं ।
ईसुर स्याम बरकते रइयो ,
अंधयारै उजयारै । | bundeli-bns |
मोर के मजुरवा केरा नाया कोहबर
मोर के मजुरवा1 केरा2 नाया कोहबर ।
गंगा जमुनी3 बिछामन भेलइ हे ॥ 1 ॥
ताहि पइसी सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा ।
जवरे4 भये दुलरइतिन सुघइ5 हे ॥ 2 ॥
ओते सुतूँ , ओते सुतूँ दुलरइतिन सुघइ हे ।
घामे6 रे चदरिया मइला होय रे , नाया कोहबर ॥ 3 ॥
एतना बचनियाँ जब सुनलन दुलरइता सुघइ हे ।
चलि भेजन अपन नइहरवा रूसि7 हे ॥ 4 ॥
अँतरा8 में मिललन दुलरइता भइया हे ।
काहे बहिनी बिदइया भेलऽ हे ।
परपूत9 बोलऽ हे कुबोली बोली हे ॥ 6 ॥
बाँधल10 केसिया भइया , खोलाइ देलन हे ।
संखा चुड़िया11 फोड़ाइ12 देलन हे ।
कसमस चोलिया फराइ13 देलन हे ॥ 7 ॥
घुरू घुरू14 बहिनी , नइहरवा चलूँ हे ॥ 8 ॥
खोलल केसिया भइया बँधाइ देलन हे ।
कसमस चोलिया सिलाइ देलन हे ॥ 9 ॥
संखा चूड़िया पेन्हाइ देलन हे ।
छिनारी पूता15 के बन्हाइ देलन हे ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी
पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी
पांचां री नवी , नवी भांत लसकरिया कम्मर कसिया
भम्मर लारां लई चलोजी
लारां चलो तो दासी थेंई बाजोजी
घर हो केसरिया री नार
सीता लंखी , आंबा बरनी , बादल बरनी
मारूणी हठ छोड़ोजी | malvi-mup |
97
वलौ बसतलाहि रिज़क अलअबादा1 रज खाए के मुसतिआं चाइयां नी
कुलू वशरबू दा सी अमर होया ला तुसरे फू2 फुरमाइयां नी
किथों पचण इहनां मुशटंडियां नूं नित खांवदे दुध मलाइयां नी
रिज़क रब्ब देसी असीं उठ चले लगा करन हुण ऐड चवाइयां नी
वमामिन बहिश्त फिलअरज3 होया आहे लै सांभ मझीं घर आइयां नी | panjabi-pan |
गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी
गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी
गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी
गिली टलो चना डोना कलो ऐ
गिली टलो चना डोना कलो ऐ
टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये
टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये
टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये
टेयन टेंका कुन्कर बे सिरिन बोचोयन डो राधो बेटी
टेयन टेंका कुन्कर बे सिरिन बोचोयन डो राधो बेटी
टेयन टेंका कन्करा बे सिरिन बोचोयेन
टेयन टेंका कन्करा बे सिरिन बोचोयेन
स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी | korku-kfq |
माँगे टीका लाड़ो माँगे, ए वोही न लाये बने
माँगे1 टीका लाड़ो2 माँगे3 ए वोही4 न लाये बने5 ।
अच्छी नइहर बाली माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 1 ॥
नाको बेसर लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ।
अच्छी भइया पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 2 ॥
कानो बाली6 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ।
अच्छी अब्बा पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 3 ॥
हाथों कँगन लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ।
हाथों पहुँची7 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ।
अच्छी नइहर वाली माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 4 ॥
जाने8 सूहा9 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ।
अच्छी भइया पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
441
जिवें मुरशदां पास जा डिगन तालब तिवें सहती दे पांवदी हीर फेरे
करीं सभ तकसीर मुआफ मेरी पैरी पवां ते मन्नीए नाल मेरे
बखशे नित गुनाह खुदा सचा वंदे असंख गुनाह दे भरन बेड़े
वारस शाह मनावड़ा असां आंदां साडी सुलह कराएगा नाल तेरे | panjabi-pan |
पैले न्यूते पैले न्यूते, वेदमुखी बरमा
पैले1 न्यूते2 पैले न्यूते , वेदमुखी बरमा ,
आज चैन्द बरमा जी को काज ।
तब न्यूते , तब न्यूते औजो को बेटा ,
आज चैन्द बढ़ैं3 को काज ।
आज न्यूती याले मैन हालदान4 की बाड़ी ,
आज चैन्द हलदी को काज ,
आज न्यूती यालेन मैन मंगल्यानी5 नारी ,
आज चैन्द मांगल को काज ।
आज न्यूती यालेन मैन साट्यों की सटेड़ी6
आज चैंद मोतियों को काज । | garhwali-gbm |
ए बहू आई असल गंवार
ए बहू आई असल गंवार या तो सासू की गैल लड़ै सै
सासू कहण लागी बहू उठ कै तैं पीस ले
चूल्हा कासण और बुहारी उठ कै नै देले नै
रोटी पोणी पाणी भरणा पड़ी पां पसार कै
काया मेरी बा ने घेरी सांस ल्यूं मूं पाड़ कै
बहू झुंझलाई बूढ़ी मारी है पछाड़ कै
भाजो रै नगरी के लोगो बूढी बोली ललकार कै
बुढिआ पड़ी ए पड़ी ससडै सै बहू सास की तरफ सरके सै
ऐ बहू आई असल गंवार . . .
पड़ी थी पुकार बूढ़ा आया लाठी उठाय कै
ओछे रे कुटम की ओछी बड़गी घर में आय कै
जाणू था मैं सन्तो तन्नै ल्याया था घर ब्याह कै
बहू झुंझलाई मूसल ल्याई सै उठाय कै
मूसल उठाया बुढै के मार्या हे उठाय कै
आडी खड़ी खाट बूढ़ा कूद गया सुसाय कै
सिर फूट्या गोडै फूटे पड्या धरण में आय कै
ऐ बहू आई असल गंवार . . .
बाहर तै जद आया भौंदू रोण लागी कलहारी नार
नर के मैं नाए ब्याही जीओ क्यूं मरे भरतार
बुढिआ नै गाली दीनी बूढ़ा गया लाठी मार
धमकी दे चाल्ली मन्नै न्यूं हे पडूंगी कूएं में जाय कै
हो मैं बोली ना सरम की मारी हो पति कुलां की रख दई थारी
ऐ बहू आई असल गंवार . . .
नार का सिखाया भौंदू जा पकड़ी बूढी की नाड़
पोली मैं तो बूढ़ी पीटी मुक्के मारे दोए चार
कित ग्या तलाकी बूढा इबे द्यून उन्ने सुधार
गद्धमगध बूढी पीटी जा पकड़ी बूढ़े की नाड़
के मैं जींदा नहीं जाणा इबे देऊं तन्नै मार
पूत तो सपूत दीजो हरदम रह सेवा में तैयार
इसे तै पूत तै न दूरे राखो करतार
ऐ बहू आई असल गंवार . . . | haryanvi-bgc |
सास गारी देवे
सास गारी देवे , ननंद मुंह लेवे , देवर बाबू मोर ।
संइया गारी देवे , परोसी गम लेवे , करार गोंदा फूल ।
केरा बारी में डेरा देबो चले के बेरा हो ॥
आए बेपारी गाड़ी म चढ़िके ।
तो ल आरती उतारव थारी म धरिके हो ॥ करार . .
.
टिकली रे पइसा ल बीनी लेइतेंव ।
मोर सइकिल के चढ़इया ल चिन्ही लेइतेंव ग ॥ करार . . .
राम धरे बरछी लखन धरे बान ।
सीता माई के खोजन बर निकलगे हनुमान ग ॥ करार . . .
पहिरे ल पनही खाये ल बीरा पान ।
मोर रइपुर के रहइया चल दिस पाकिस्तान ग ॥ करार . . | chhattisgarhi-hne |
कदी दुनिया में रणधीर डर्या नहीं करदे
कदी दुनिया में रणधीर डर्या नहीं करदे
जिननै सै नहीं मरणा आन्दा
उन नै हर कोई डर दिखलान्दा
हरियाणा के वीर कदी डर्या नहीं करदे
मौत तै डर्या करैं वे पापी
जिन नै पाप करें हो काफी
माफी की याचना वीर कर्या नहीं करदे | haryanvi-bgc |
अरे मेरे करम के खारे जल गए
अरे मेरे करम के खारे जल गए एअर मोमी दूदाभ
अरे मेरे करम के सुनरा मर गए रूठ गए मनिहार
बहू री मेरी मत रोवै मुझे लगा री लाल का दाग
मां अरी धौले धौले पहर कपड़े राड़ा भेष भरावै
अरी चले सूनरा के मेरी नाथे उतरवाये
अरी देही जले जैसे कांच की भट्टी पकावे
अरी बिच्छू ने मारा डंक लहर क्यूं न आवे
अपना मन समझावन लागी दो नैनों में भर आया पानी
अरी सासू जब धसूं महल में दरी बिछौना सूना
कुछ एक दिनां की ना है मुझे सारे जनम का रोना
अरे यानी थी तब रही बाप के मुझे सोच कुछ न था
अब कैसे कटै दिन रैन री मुझ को एक दिना की ना है | haryanvi-bgc |
452
वफादार ना रन जहान उते लांदी शेरदे नक विच नथ नाहीं
गधा नहीं कुलद1 मनखट2 खोजा अत खसरयां दो काई कथ नाही
नामरद दी वार ना किसे गावी अते बुजदिलां दी काई सथ नाही
जोगी नाल ना रन्न दा टुरे टूना रोज रोज थी चड़े अगथ नाही
यारी सोंहदी नही सोहागना नूं रंडी रन्न दे सोहदी नथ नाही
वारस शाह ओह आप है करनहारा इहना धदयां दे कुझ हथ नाही | panjabi-pan |
रामी
‘बाटा गोड़ाई1 क्या तेरो नौं2 छ , बोल , बौराणि3 कख तेरो गौंछ4 ? ’
‘बटोहीजोगी न पूछ मैकू । केकु पुछदि , क्या चैंद दवैकू ?
रौतु5 की बेटि छौ , रामी नौछ । सेटु की ब्वारि छौं , पालि गौछ ।
मेरा स्वामी न भी छोड़ी घबर । निर्दयी ह्वे गैने मई पअर ।
ज्यूरा6 का घर नी जगा मैकू । स्वामि विछोह होयूं च जैंकू ।
रामी तैं स्वामी को याद ऐगे । हायकूटिल7 छूटण लैगे ।
‘चल , बौराणी , छैलू8 बैठी जौला । आपड़ी खैरी9 उखीमू लीला । ’
‘जा , जोगी , अपड़ा बाठा लागण । मेरा सरील ना लऊ आगअ ।
जोगी ह्वेकी भी आंखी नि खूली । छैलू बैठलि त्यरि दीदीभूली । ’
‘बौराणी गाली नी देणी भोतअ । करव रैंद गौंको सयाणो रौतअ ? ’
जोगी न गौं मा अलंक लाई । भूखो छौं , भोजन देवा मई ।
बूडडी माइ तैं दया ऐगे । खेतु से ब्बारी बुलौण लैगे ।
‘घअर और ब्वारी तू । झट कैकअ । घर मू भूखो चअ साधु एकज । ’
‘सासु जी , कैकू बुलाये रौलअ10 । ये जोगी लगीगै आज बौलअ11 ।
ये जोगी कू नि पकांदू रोटी । गालि देने येन खोटीखोटी ।
ये पापी जोगी शरम नीचअ । कैकुतैं आये हमारा बीचअ ? “
‘अपड़ी ब्वारी समझऊ भाई । भूखो छौं , मात बणावा जाई । ’
रामि रुसाड़ों12 झुलयोण लैगे । स्वामी की याद भी औण लैगे ।
‘मा लू का पात मा धारे मातअ । भी तेरा भात नी लांदु हाय ।
रामी का स्वामी की थालि माजअ भात दे , रोटि मै खैलो आज । ’
”खांदु छै जोगी तअखाई लेदा । नी खांदो जोगी तअजाई लैदी ।
भतेरा जोगी झोलीऊ ल्हीकअ । रोजाना घूमि निपौंदा भीकअ । “
जोगी न आखीर भेद खोले । बूडडी माई से इनो बोले ।
”मैं छऊं माता तुम्हारी जायो । आज नौ साल से घअर आयों । “ | garhwali-gbm |
रामचन्दर चललन बियाह करे
रामचन्दर चललन बियाह करे , रिमिझिमि बादल हे ।
अरे रिखियन1 खबरि जनावउ2 कहाँ दल उतरत3 हे ॥ 1 ॥
परिछे बाहर भेली सासु त , सोना के डलनि4 लेले हे ।
अहे , किनकर5 आरती उतारू , कउन बर सुन्नर हे ॥ 2 ॥
साम6 बरन7 सिरीराम , त गोरही8 लछुमन हे ।
सिरी रामचन्दर के आरती उतारूँ , ओहि बर सुन्नर हे ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
धरणी रीटे साँपीण
धरणी रीटे साँपीण ,
अगाश रीटली शीणी ,
मणछ मगार लाणदो ,
विपता भगवान दीणी ।
हसा खाण , बांठी बुलाण ,
कोया न बाटुड़ लाणो ।
चार दिन मानछड़ो
मरेय न अंयागौर जाणो ।
कूण कियो बांठो को मरीणो ,
कूणी दुबड़िया लायो रीण ।
पापी अपरादी ज्योंरा मेरा ,
न माणदो कसी की गीण । | garhwali-gbm |
विवाह गीत
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे वो ।
हवा निहि लागे वो बेनि पंखो ढुलाइ दे ।
पंखो नि चाले तो बेनी रेडियो चालादू दे ।
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे ।
बनी तेरी हवेली में हवा नहीं लग रही है , पंखा चला दे । पंखा नहीं चले तो रेडियो चालू कर दे । | bhili-bhb |
नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नैं
नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नैं
कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का
कमला नै ल्यावै उसका बाप
कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का
औरां की छोह्रियां पहरै सैंडल
कमला पहरै काले सूट
कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का
औरां की छोह्रियां पहरै फराकां
कमला पहरै काले सूट
कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का
नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नै
कमला नै ल्यावै उसका बाप
कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का | haryanvi-bgc |
पति क्यो बैठया उदास रात दिन
पति क्यो बैठया उदास रात दिन
कई देवो दिल की बात
१ पति कहे तीरीया से ,
तुमको कभी नई कण
तीरीया मन में कभी नही राखे
या खोटी तीरीया की जात . . .
रात दिन . . .
२ हट पड़ी तीरीया नही माने ,
अंन जरा नही खाये
सब तीरीया काई सार की
कब कई दिल की बात . . .
रात दिन . . .
३ मणीया बाद भाई गयो रे बाद म ,
नही कोई संग सगाली
म्हारा मन म ऐसी आवे
वा करी कृष्ण न घात . . .
रात दिन . . .
४ इतनी बात सुणी तीरीया न ,
रात को नींद नी आई
सोचत सोचत रैन गवाई
फिरी हुयो परभात . . .
रात दिन . . .
५ घर को धंधो सबई छोड़यो ,
दबड़ी न पनघट आई
सब सखीयाँ तो बराबरी
वहाँ कही दिल की बात . . .
रात दिन . . .
६ तुक देखी न मन बात कई ,
तु मती कोई क कैसे
कान कान बा बात चली रे
वा गई कृष्ण का पास . . .
रात दिन . . . | nimadi-noe |
377
अखी सामने चोर जे नजर आवे क्यों दुख विच आपनूं गालिए वे
मियां जोगीया झूठियां करे गलां घर होण तां कासनूं भालिए वे
अग बुझी नूं ढेरिआ1 लख दीजन बिना फूक मारी नहीं बालिए वे
हीर वेखके तुरत पछाण लया हस आखदी बात समालिए वे
सहती पास ना खोलना भेत मूले शेर पास ना बकरी पालिए वे
देख माल चुरायके पया मुकर राह जांदड़े कोई ना भालिए वे
वारस शाह मिलखाइयां माल लधा चलो कुजियां बदर2 पिवालिए वे | panjabi-pan |
थारो काई काई रूप बखाणूँ रनुबाई
थारो काई काई रूप बखाणूँ रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारी अगळई मूंग की सेंगळई रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारो सिर सूरज को तेज रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारी नाक सुआ की रेख रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारा डोला निंबू की फाक रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारा दाँत दाड़िम का दाणा रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारा ओंठ हिंगुळ की रेख रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारा हाथ चम्पा का छोड़ रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारा पांय केळ का खंब रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । ।
थारो काई काई रूप बखाणूं रनुबाई ,
सौरठ देस सी आई ओ । । | nimadi-noe |
हरी ए झंजीरी मनरा न पहरूं
हरी ए झंजीरी मनरा न पहरूं
मनरा हरा ए म्हारा राजा जी का बाग , सुलतानी जी का बाग
मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का
काली ए झंजीरी मनरा न पहरूं
मनरा काला ए म्हारा राजा जी का सिर , सुलतानी जी का सिर
मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का
धोली ए झंजीरी मनरा न पहरूं
मनरा धोला ए म्हारा राजा जी का दांत , सुलतानी जी का दांत
मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का
पीली झंजीरी ए मनरा न पहरूं
मनरा पीला ए म्हारा राजा जी का कापड़ा , सुलतानी जी का कापड़ा
मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का
सरबै झंजीरी ए मनरा मैं पहरूं
यो मेरा राजा जी का सर्व सुहाग , सुलतानी जी का सर्व सुहाग
मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का | haryanvi-bgc |
हमखों कर डारो बैरागी
हमखों कर डारो बैरागी ,
रजऊ की आसा लागी ।
अपने जानें कभऊ नई भई
धूनी बरै न आगी ।
इन हातन का दई दच्छिना
हमने भिच्छया माँगी ।
फेरी देत रजऊ के लाने
ईसुर बस्ती त्यागी । | bundeli-bns |
गांधी था सत का मतवाला
गांधी था सत का मतवाला ।
सत का था उस नै परण पाला । ।
सचाई हाथ तै दी ना जाणे ।
चाहे प्राण पड़े थे गवांणे । ।
सत के बल पै अमरता पाई ।
सांच नै आंच ना लागण पाई । । | haryanvi-bgc |
टिकवा जे लइह राजा, बचवा लगाइ हो
टिकवा1 जे लइह2 राजा , बचवा3 लगाइ हो ।
टिकुली जे लइह राजा , चमके लिलार हो ।
जलदी4 लउटिह5 राजा , जड़वा6 के दिनवाँ हो ॥ 1 ॥
हँथवा7 के फरहर8 धनि , मुँहवाँ के लाएक9 हो ।
से हो10 कइसे तेजब धनि , जड़वा के दिनवाँ हो ।
से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो ॥ 2 ॥
कंठवा जे लइह राजा , सिकड़ी लगाइ हो ।
टिकुली जे लइह राजा , चमके लिलार हो ।
जलदी लउटिह राजा , जड़वा के दिनवाँ हो ॥ 3 ॥
हँथवा के फरहर , धनि मुँहवाँ के लाएक हो ।
से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो ।
से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
दीवा कै मण रै दीवा कै मण
दीवा कै मण रै दीवा कै मण गाल्या लोहरे तो कै मण जाल्या कोयला जे
दीवा नौ मण रै दीवा नौ मण गाल्या लोहरे दीवा दस मण जाल्या कायला जे
बात्ते रै तेरे बात्त घाल्यूं सवा सेर की घड़ीए उजेऊं तेलको जे
भर चास्सूं रै भर चास्सूं म्हारै संकर की धनसाल
घर प्यारे कै चांदणो जे
भर चास्सूं रै भर चास्सूं म्हारे रामसिंह की धमसाल
घर राम सरन कै चांदणो जे | haryanvi-bgc |
वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो
वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो ,
सेळा जामुण की रे छाया । ।
व्हाँ रे बालुड़ो पाती तोड़ऽ
रनुबाई डुबीडुबी न्हावऽ ।
न्हावतज् न्हावतज् धणियेरजी नऽ देख्यो ,
कसी पत दीसो हो जवाब । ।
हाथ जोड़ी नऽ सीस नवां म्हारी सई हो ,
नैणां सी दीसां जवाब । । | nimadi-noe |
भैया सो जा बारे बीर (लोरी)
भैया सो जा बारे बीर
बीर की निंदिया लागी , जमनाजी के तीर । । टेक । ।
आम से बांदो पालनों , पीपर से बांदी डोर ।
जों लो भैया सोवन न पाए , टूट गई लमडोर । ।
अब नें रोओ मोरे बारे बीरन
नैनन बह गए नीर । ।
धीरेंधीरें आँख मूंद ले
अब आ जैहे नींद ।
जब तक मोरो भैया सोहे
झपट बनेंहो खीर । ।
तातीताती खीर बनैहें
ओई में डारहैं घी ।
बाई खीर जब भैया खैहें
ठंडो परहै जी । । | bundeli-bns |
जी हो ए ही रे दिवलो इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो
जी हो ए ही रे दिवलो , इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो
जेमऽ पुरव्यो सवा घड़ो तेल , सोन्ना की डांडी दिया हो बळऽ
जी हाँ ए ही रे दिवलो , मजघर मऽ धर्यो ,
मजघर बठी म्हारी सदासुहागेण माय ,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ आरती मऽ धर्यो ,
आरती धरऽ म्हारी सदासुहागेण बैण ,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ पटसाळ मऽ धर्यो ,
पटसाल खेलऽ म्हारा नारा ताना बाळ ,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ
जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ सभा मऽ धर्यो ,
सभा मऽ बठ्या छे समधी लोग ,
सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ | nimadi-noe |
जमुना किनारे मेरा घर है रे
जमुना किनारे मेरा घर हैं रे
गोपाल गागर भर दे रे जमुना
जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली
सास ससुर मेरे संग हैं रे । गोपाल
जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली
सात सखी मेरे संग हैं रे । जमुना . . .
गोपाल गागर भर दे रे । जमुना . . .
जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली
श्याम सुन्दर मेरो वर है रे । जमुना | bundeli-bns |
126
झगड़ डूम ते फतू कलाल दौड़े भोला चूहड़ा ते झंडू चाक मियां
जा हीर अगे धुम घतीया ने बची कही उडाई आ खाक मियां
तेरी मां तेरे उते बहुत गुस्से बाप करेगा मार हलाक मियां
रांझा जा तेरे सिर आन बनी नाले आखदी मारीए चाक मियां
सियालां फिकर कीता तेरे मारने दा गिणे आपनूं बहुत चलाक मियां
तोता अम्ब दी डाली ते करे मौजां ते गुलेलड़ा पौस पटाक मियां
चुल्हीं सियालां ने अज न अग पाई सारा कोड़मा बहुत गमनाक मियां
वारस शाह यतीम दे मारने नूं चढ़ी सब झनाउं दी ढाक मियां | panjabi-pan |
261
दिन चार बना सुका मुंदरां बाल नाथ दी नजर गुजारियां ने
गुस्से नाल विगाड़ के गल सारी डरदे गुरु तो चा सवारियां ने
जोरावरां दी गल है बहत औखी जान बुझके बदी वसारियां ने
गुरु केहा सो ओहनां प्रवान कीता नरदां पुठियां ते बाजी हारियां ने
घुट वट के सम्म बुकुंम1 नसुम्भ होई काई गल ना मोड़के सारियां ने
लया उसतरा गुरु दे हथ दिता जोगी करन दी नीत चा उजाड़ियां ने
वारस शाह हुण हुकमदी पई पुठी लख वैरियां ठग के मारियां ने | panjabi-pan |
जोगीरा
१ .
दानापुर दरियाव किनारा , गोलघर निशानी
लाट साहेब ने किला बनाया , क्या गंगा जल पानी
जोगी जी वाह वाह , जोगी जी सार रा रा ।
दिल्ली देखो ढाका देखो , शहर देखो कलकत्ता ।
एक पेड़ तो ऐसा देखो , फर के ऊपर पत्ता ,
जोगी जी वाह वाह , जोगी जी सार रा रा ।
कौन काठ के बनी खड़ौआ , कौन यार बनाया है ,
कौन गुरु की सेवा कीन्हो , कौन खड़ौआ पाया ,
चनन काठ के बनी खड़ौआ , बढ़यी यार बनाया हो ,
हम गुरु की सेवा कीन्हा , हम खड़ौआ पाया है ,
जागी जी वाह वाह , जोगी जी सारा रा रा ।
२ .
किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली
किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी , फिर देख चली जा ।
किसकी बेटी तारा मंदोदरी किसकी बेटी सीता ?
किसके बेटा रामलछुमन चित्रकूट पर जीता ?
किसके मारे अर्जुन मर गए किसके मारे भीम ?
किसके मारे बालि मर गये , कहाँ रहा सुग्रीव ?
उत्तर
१ .
विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली
पवन के बेटा हनुमान जी , ओहि लंका के जारी
२ .
कृष्ण मारे आर्जुन मर गए कृष्ण के मारे भीम
राम के मारे बालि मर गए लड़ता था सुग्रीव ।
३ .
कौन जिला का रहने वाला , क्या बस्ती का नाम ?
कौन जात का छोकड़ा बता तो अपना नाम ? फिर देख चली जा ।
धरती माँ का जनम बता दो , कौन देव का टीका
कौन गुरु का सेवा किया , कहाँ जोगीरा सीखा ? फिर देख चली जा ।
क्या चीज का रेल बना है , क्या चीज का पहिया ?
क्या चीज का टिकट बना है , क्या चीज का रुपैया ? फिर देख चली जा ।
४ .
कौन देस से राजा आया कौन देस से रानी ?
कौन देस से जोगी आया मारा उलटा बानी ? फिर देख चली जा ।
काहे खातिर राजा रूसा काहे खातिर रानी ?
काहे खातिर जोगी रूसा काहे मारा बानी ? फिर देख चली जा । | bhojpuri-bho |
घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा
घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा
मिया मिलटो धारना सुभान सुभाये
घामू घामू तीसो तीस एजेकेन जा आबा
मिया मिलटो गाधी लियेन सुभाये
घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा
मिया मिलटो मिगरी चुटी सुभाये
घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा
मिया मिलटो भानी टालान सुभाये
भानी टालान चोजेमा सुभाये कौन जा
इंज सांटी किमीन भी का भागायेन
घरना सुभान चोजेमा सुभान कौन जा
इंज सांटी कौन भी का भागायेन
स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा | korku-kfq |
नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया
नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया
तेकी डाळ गई गुजरात
ते अब घर आओ तीरथ वासी ।
नानो सो अम्बो गंगा घर लगई आया
तेकी कैरी लगी लटलूम
हे अब घर आओ तीरथ वासी ।
नानी सी गय्या गंगा घर धरी आया
तेका जाया अक्खरनी समाय
ते अब घर आओ तीरथ वासी ।
नानी सी कन्या , गंगा घर छोड़ी आया ,
तेका जाया पालणां नी समाय ,
ते अब घर आओ तीरथवासी ।
नानो सो पुत्र गंगा घर धरी आया ,
तेका जाया पालणां नी समाय ,
ते अब घर आओ तीरथवासी । | nimadi-noe |
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
मैं तां खड़ी सां बाबल जी दे पास ,
बाबलजी तों आस ,
बाबल वर लोड़ीये ,
नी बेटी कियो जया नी लाडो ,
कियो जया वर लोडिये ,
वे बाबल ज्यों तारयाँ विचों चान ,
चान्नां विच्चों कान्ह ,
कन्हयिया वर लोडिये ,
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
मैं तां खड़ी सां भैया जी दे पास ,
भैयाजी तों आस ,
भैया वर लोडिये ,
नी बहना कियो जया नी लाडो ,
कियो जया वर लोडिये ,
वे भैया , ज्यों तारयाँ विचों चान ,
चान्नां विच्चों कान्ह
कन्हयिया वर लोडिये ।
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
मैं तां खड़ी सां चाचाजी दे पास ,
चाचजी तों आस ,
चाचा वर लोडिये ,
नी बेटी कियो जया नी लाडो ,
कियो जया वर लोडिये ,
वे चाचा ज्यों तारयाँ विचों चान ,
चान्नां विच्चों कान्ह ,
कन्हयिया वर लोडिये ।
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
नी लाडो , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी ,
मैं तां खड़ी सां मामाजी दे पास ,
मामा जी तों आस ,
मामा वर लोड़ीये ,
नी बेटी कियो जया नी लाडो ,
कियो जया वर लोडिये ,
वे मामा ज्यों तारयाँ विचों चान ,
चान्नां विच्चों कान्ह ,
कन्हयिया वर लोडिये । | panjabi-pan |
219
यारो ठग सयालां तहकीक1 जानो धीयां ठगनियां सब सिखांवदे ने
कौल हार जवानां दे साक खोवन पयोंद2 होर धिर लांवदे ने
पुत वेख सरदारां दे मोह लैदे एहनूं महींदा चाक बनंवदे ने
दाड़ी शेख दी छुरा कसाइयां दा बैठ परे3 विच पैंच सदांवदे ने
जट चोर ते यार ते राह मारन डडियां4 मोहदे सन्नां लांवदे ने
वारस शाह एह जट नी सभ खोटे वडे ठग ए जट झनांदे ने | panjabi-pan |
पितर नेवतौनी
ये सरगऽ में बसेले बर्हम बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि ।
ये सरगऽ में बसेले महादेव बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि ।
इसी तरह ठाकुर बाबा , सुरुज , खिरलिच , काली , दुर्गा , चन्द्रमा , अछैबट सभी देवता एवं उनकी पत्नी देवी का और सभी कीड़ोंमकोड़ों का भी आवाहन किया जाता है ।
दुआरी छेंकौनी गीत
छोड़ींछोड़ीं सखी सबे रोकल दुआर हे
मोर दुलहा बाड़े लड़िका नादान हे ।
अहिरा के जात हंउअन बोली पतिशाह हे
कइसे में छोड़ीं सखी रोकल दुआर हे
तोर दुलहा बाड़े सखी लड़िका नादान हे ।
दुल्हे का उत्तर
अहिरा के जात हईं बोली पतिशाह रे
काहे के बाबा तोर गइले पूजन रे ।
काहे के भइया तोर गइले बोलावे रे । | bhojpuri-bho |
मोरया आछो बोल्यो रे
मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने
मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने , रात ने , रात ने
औ , म्हारे हिवडे में बेगी रे गुजार मोरिया
आछो बोलियों रे ढलती रात ने | rajasthani-raj |
हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय
हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय
हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय
हाँ हे इयां माय हाँ , ऐनी कोनजई चोज गेटी
हाँ हे इयां माय हाँ , ऐनी कोनजई चोज गेटी
डाके माय हाँ , ये इयां बा हाँ , इनी कोनजई चूज गेटी
डाके माय हाँ , ये इयां बा हाँ , इनी कोनजई चूज गेटी
डाके बा हाँ , ये इयां बा हाँ , ये इयां डाई डो डाई
डाके बा हाँ , ये इयां बा हाँ , ये इयां डाई डो डाई
इनी बोकोजई , टियांटेन का आमा बोकोजई ढाने डाई हाँ
इनी बोकोजई , टियांटेन का आमा बोकोजई ढाने डाई हाँ
स्रोत व्यक्ति परसराम , ग्राम लखनपुर | korku-kfq |
आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा
आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा
आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा
सिल्ला लियेन नाइडो हिडायेन
सिल्ला लियेन नाइडो हिडायेन
सिल्ला लियेन चोजमा नाइ डाले डो आयोम
सिल्ला लियेन चोजमा नाइ डाले डो आयोम
स्रोत व्यक्ति नानी बाई , ग्राम भोजूढाना | korku-kfq |
ससुरे परलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई
ससुरेपरलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई
राजा जी परमात्मा जैहें पहिचानि , करब हम कौन बहाना
आवा गवन . . .
मोरे पिछवारे रंगरेजवा बेटौना गुरु
बीरन लागौ हमार , करब हम कौन बहाना
आवा गवन . . .
एक बोर मोरी बोरौ चुनरिया ज्ञान ,
भक्ति और कर्म के आलोक से मेरी आत्मा की शुद्धि कर दो
राजा न पावें पहिचानि , करब हम कौन बहाना
आवा गवन . . .
संकरी गलिय होई के डोला जो निकरा
छूटा जो आपन देस , करब हम कौन बहाना
आवा गवन . . .
आवा गवन नगिच्याय करब अब कौन बहाना | awadhi-awa |
397
खुआर खजलां रूलदियां फिरदिां सी अखीं वेखदयां होर दियां होर होइयां
आप दुध दियां धोतियां नेकबख्तां अगे चोर दे असी नी चोर होइयां
चोर चैधरी गुंडी परधान कीती ए उलट अवलायां जोर होइयां
बदजेब1 तों कोझियां भैड़ मूंहियां अगे हुसन दे बागदियां मोर होइयां
एह चुगल बलोचां दी टुंब डिठी मिा दोज घूठी मनखोर2 होइयां
एहदी बनत देखो नाल नखरयां दे मालजादियां3 विच लहौर होइयां | panjabi-pan |
550
डाची शाह मुराद दी आन रिंगी ऊतों बोलया साई संवारीए नी
शाला ढुक आवे हुश ढुक नेड़े आ चड़ी कचावे ते डारीए नी
मेरी गई कतार कुराह घुथी कोई सेहर कीती टूने हारीए नी
दाई सूई दी बोतड़ी एह डाची घिन छिक पलाने दी लाड़ीए नी
वारस शाह बहिश्त दी मोरनी तूं एह फहरशतयां ऊंठ ते चाड़ीए नी | panjabi-pan |
मृत्यु गीत
पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम , गाठड़ी काहाँ उतारां रे जी ॥
गाठड़ी त ढोल्या नीचे उतारो रे , दयाराम भगवान लेखो मांगेगा ॥
भगवान लेखो त तुम पछ लीजो रे , हम त भूखा चली आया ॥
ताजा भोजन की थाली परसेली रे राम ,
कोई के जिमाड्या होय त जीमो राम
निहिं ते भूख्या चली जाओ राम ॥
भगवान लेखो मांगे राम ॥
पाप धरम की गाठड़ी रे राम ,
गाठड़ी काहाँ उतारां रे राम ,
काठड़ी त ढोल्या हेट उतार दो राम ,
भगवान लेखो मांगे राम ॥
लेखो तो तुम पाछे लेजो , तीसा मरता आया जी ॥
कोराकोरा मटका भरिया रे राम ,
तुमने पिलाया होय तो पीवो जी ।
नि तो तीस्या चली जावो राम ॥
पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम ,
गाठड़ी काहाँ उतारूँ ॥
गाठड़ी तो ढोल्या हेट उतारो राम ,
भगवान लेखो मांगे जी ॥
लेखो तो तुम पाछे लेजोजी ।
हम तो उघाड़ा आया जी ॥
कोराकोरा कपड़ा गाठड़ा बंदिया पड़िया राम ,
कोई के पेहराया होय त पेरो राम ,
नहीं तो उघाड़ा चल्या जाओ राम ॥
भगवान लेखो मांगे जी ॥
पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम गाठड़ी काहाँ उतारूँ ॥
गाठड़ी तो ढोल्या हेट उतारो राम ,
भगवान लेखो मांगे जी ॥
लेखो तो तुम पाछे लीजो
हम तो पायं बलता आया राम ॥
नवी नवी मोजड़िया गाठड़ा मा बंधी
कोई के पेहराया होय त पेरो जी ,
नहीं तो अलवाणा चल्या जाओ राम
भगवान लेखो मांगे जी ॥
मनुष्य इस देह को छोड़कर जब धर्मराज के यहाँ जाता है तो वहाँ क्या कहता
है ? क्या उत्तर मिलता है ? यह इस गीत में बताया गया है ।
मनुष्य इस संसार में खूब धन अर्जित करता है , कोई मेहनत करके कमाता है और
कोई चोरी , भ्रष्टाचार , मिलावट से धन अर्जित करता है । कोई अपनी मेहनत की कमाई
से धर्म कार्य करता है , दान देता है । कोई दुनिया वालों पर प्रभाव डालने के लिए पाप
की कमाई को धार्मिक कार्यों में लगाकर अपने को आदर्श दानी कहलाता है , किन्तु इस
संसार से जब जाता है तो धनदौलत , पुत्रबहू आदि सभी यहीं रह जाते हैं , कोई भी
साथ में नहीं ले जा सकता । उसके साथ तो केवल पाप और धर्म की गठरी जाती है ।
जिसने अपने परिश्रम की कमाई से जीवनयापन करते हुए यथाशक्ति धरम किया है ,
वही साथ जाता है । पाप की कमाई वाला पाप की गठरी ले जाता है । वहाँ जाकर विनय
करता है कि दयालु पापधरम की गठरी साथ में लाया हूँ इसे कहाँ उतारूँ ? उसे
उत्तर मिलता है दयाराम गठरी तो पलंग के नीचे रख दो , भगवान हिसाब माँगेंगे ।
तुमने कितना धरम कियिा है औ कितना पाप किया है ? मनुष्य वहाँ कहता है कि
हिसाब तो आप बाद में लेना , मैं दुनिया से भूखा आया हूँ , मुझे भोजन चाहिए । उत्तर
मिलता है कि ताजे भोजन की थाली परोसी हुई है , तुमने अपनी मेहनत की कमाई
से किसी अपंग , अनाथ , गरीब , साधू ब्राह्मण को जिमाया हो तो जीम लो , नहीं तो
भूखे चले जाओ । अरे राम भगावान तो हिसाब माँगते हैं , तुम्हें पात्रता आती हो तो जीमो ।
आगे इसी प्रकार प्रश्न करके कहता है कि मैं प्यास आया हूँ , मुझे पानी चाहिए । उत्तर
मिलता है कि किसी प्यासे को पानी पिलाया हो तो पी लो नहीं तो प्यासे जाओ । यहाँ
ठंडे पानी के मटके भरे हैं , तुम्हें पात्रता हो तो पी लो ।
आगे जीव कहता है मैं उघाड़ा आया हूँ वस्त्र चाहिए । उत्तर मिलता है कि यहाँ नयेनये
कपड़ों के गाठड़े बँधे हैं । तुमने किसी गरीब , असहाय को वस्त्र दान किया हो तो पहन लो ,
नहीं तो उघाड़े चले जाओ । आगे कहता है कि मेरे पैर जलते हैं मोजड़िया चाहिए । उत्तर
वही मिलता है कि तूने किसी को मोजड़िया पहनाई हो तो पहन लो , नहीं तो वैसे ही चले
जाओ । भगवान तो हिसाब माँगते हैं ।
इस मृत्यु गीत का मुख्य उद्देश्य यह है कि दुनिया में अपने परिश्रम की कमाई से जीवनयापन
करते हुए उसमें से बचे तो यथाशक्ति गरीब , अपंग , ब्राह्मण , साधु को दान देना चाहिए । इस
प्रकार दान की ओर प्रेरित किया गया है । | bhili-bhb |
एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया
एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया ,
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥
महरमहर ममहावत हाबे धनहा खेत के माटी ह ,
सुवा ददरिया गावत हाबे , खेतहारिन के साँटी ह ॥
उबुकचुबूक उछाल मारे गाँव के तरिया ,
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥
फोरे के तरिया खेते पलोबो , सोन असन हम धान उगाबो ,
महतारी भुईया ले हमन , धान पाँच के महल बनाबो ।
अड़बड़ बियापे रिहिस , पौर के परिया , बादल करिया ।
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥ | chhattisgarhi-hne |
बुड्या जवाई
1 .
बुढ्याकू बेटि क्या देणि छ
मुणडमा आपदा लेणि छ ,
वर्ष द्वी मांज मरि जाँदो छै
छोरि1 कू रांड करि जांदो छ ।
2 .
मुर्खलो2 खोसि जब रोंदी वा
दुःख का बैन यना बोदि वा ,
बाबा जी तुमन क्यों सैंत्यो मैं
फेंकणया होइ कनु व्वेकु मैं ।
3 .
माजि तिन कोखि क्यों राख्यो मैं
होंद ही केकु नी फेंक्यो मैं ,
केकुतैं लाड़ करि पालयो मैं
फेर ये दुःख मां डाल्यों मैं ।
4 .
त्वेन जो बेटि नी जाण्यों मैं
गोरू या भैंससी जारयों मैं ,
पन्द्रसौ लेणिछै त्वैमेरी
यांकुही होइ तू मां मेरी ।
5 .
धर्मदी कर्म नीजाण्यों जो
जात्यादी रूपभी नीमान्यों जो ,
शोचदा वर्ष मैनौकी छौं
साठ का बुढ्या कू दीने छौं ।
6 .
बेचितैं पुडांड़ि3 अर कूडी4 कू
पन्द्रसौ दीनि त्वे पापी कू ,
बाबा जी त्वेकू ह्वै सौकारी
मेरारै भाग मा जीलारो ।
7 .
कीराकी होइ दै जो काले
चाँदिसी चमकदी वो वाले ,
हारादी छड़ा छन सी मैकू
दैव यनु ना करी तू कैकू ।
8 .
माजि तिन थैलि पर दीने डीठ
बेटिकू फेरी जो यनि पीठ ,
त्वेकू वा थेली ही रई जान
लोक परलोक ना हो यो यान ।
9 .
कै घड़ी दिन्या तिन मैंकु बांद
वर्ष का बीच ह्वैग्युं राँड ,
त्योंखि भी मैकू तैंनीछ आज
दैव ही रखलो मेरी लाज ।
10 .
गैणा जो लोगु का पर थारी
तौं की भी बात रै दिन चारी
नाक पर मुर्खलो रये मेरा
स्योभि छै मासमा गये डेरा ।
11 .
मार अर गालि देंदान सोरा
सैसुरी मैतिनी क्वीभि मेरा ,
पूछरो आज नी क्वीभि मैकू
बाबा जी रोण मिन क्या आज त्वेकू ।
12 .
क्वीभि शुभ काम जब होंदान
मैकू तैं क्वीभिनी बोदान ,
सभी मा बैण वख जांदिन
गीत अर मांगल गाँदिन ।
13 .
कब्बि जो भूलिकी गैगी मैं
राँड निर्लज्ज बस ह्वैगी मैं ,
मैकु तैं डैणा सब बोदान
देखि मैं खाण जनु औंदान ।
14 .
राँड कू बारनी त्यौहार
राँड कू केकुछौ शृंगार ,
राँड ह्वै डोमू से भि नीच छ
राँड को जगतमा क्वीभि नीछ ।
15 .
मुख भी स्वामि को नी देख्यो
सुख संसार को नी देख्यो ,
स्वीणा नी देखे सुख की रात
लाण औं खाणकी क्या बात ।
16 .
बालि ही राँड मैं ह्वैग्यूं जो
जन्म की दुःखिया रैग्यू जो ,
दोष यां माँग नी क्वी मेरो
बाबा जी पाप छ यो तेरो ।
17 .
दुखि ये चित्त की हड्कार
रोणु बी पीटणू फिड्कार ,
कल्लो तै बंश को संहार
जागलो तब्बि यो संसार ।
18 .
थैलि कै काम जो ऐ जाली
भैंसि वा भेल कू ह्वै जाली ,
मुकद्मा जोर को लै जालो
थैली ”योगीन्द्र“ वो खैजालो । | garhwali-gbm |
केसर भई राधिका रानी
केसर भई राधिका रानी ,
गलन गलन मिहकानी ।
चम्पा , जुही केतकी बेला
ललत बेल लिपटानी
जिनसें भौत तड़ंगें उठतीं
ज्यों गुलाब कौ पानी ।
ईसुर किसनचन्द मधुकर नें
लइ सुगन्द मनमानी । | bundeli-bns |
परबत उपर नेमुआ चनन केर गाछ
परबत उपर नेमुआ चनन1 केर गाछ , लिखूँ कोहबर ।
ताहि तर दुलरइता दुलहा खेलइ जुगवा सार2 लिखूँ कोहबर ॥ 1 ॥
किया तोंहे अजी बाबू , खेलबऽ जुगवा सार , लिखूँ कोहबर ।
तोहरो दुलरइतिन सुघवे3 नइहरवा भागल जाय , लिखूँ कोहबर ॥ 2 ॥
जाय देहु जाय देहु , अम्माँ जी के पास , लिखूँ कोहबर ।
उनको पीठी4 बजतइन5 सुबरन केर साँट6 लिखूँ कोहबर ॥ 3 ॥
ई मति जानु बाबू , सासु निरमोहिया , लिखूँ कोहबर ।
उनकर धिया हइन7 परान के अधार , लिखूँ कोहबर ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
लका मे हनुमान अलबेले राम
लंका में हनुमान , अलबेले राम
काहे को सोटा काहे को लंगोटा
काहे चढ़ा दूं चोला ।
सोने को सोटा , लाख को गोटा
सेंदुर चढ़ाय दऊं चोला ।
बनबन भटके फिरत अकेले
डाले फूलन को सेला । लंका में . . . ।
काहे को मुकुट , काहे को मुस्टक
काहे को बनहै झेला ।
सोने को मुकुट , चंदन की मुस्टक
फूलों का डाले झेला । लंका में . . . । | bundeli-bns |
528
सैदें मार बुकल पचाड़की1 बधी जुती झाड़के डांग लै कड़कया ए
वाहो दाह चलया खड़ी बांह करके वांग कटकूं2 माल ते सरकया ए
काले बाग विच जोगी दे जा वड़या वेखके जट नूं तड़कया ए
खड़ा हो माही मुंढे खान आवे नाल भांवड़े शोर कर मड़कया ए
सैंदा संग के खड़ा थर थर कंबे उसदा अंदरों कालजा धड़कया ए
चली रब्ब दे वासते जोगिया ओए खार विच कलेजे दे अड़कया ए
जोगी पुछया कीह बनी तैनूं एस हाल आवे जट बड़कया ए
जटी वड़ी कपाह विच बन्ह झोली काला नाग अजगैब3 दा लड़गया ए
वारस शाह जो रन्नां आ जमा होईयां सप झाड़ बूटे किते बड़गया ए | panjabi-pan |
एक दिन होगा ढेर मैदान में
एक दिन होगा ढेर मैदान में , किस गफलत में फिर रहा सै ।
सब बातां नै भूल जायेगा , जब आवैगा बखत अखोरी ।
माता बहनां धौरा धरजां , उल्टी हटजा अरज सरीरी ।
यम के दूत पकड़ कै लेजां , हाथां में तेरे घाल जंजीरी ।
एैल फेल नै भूल जायेगा , रेते में रल जां ठाठ ।
सीस पकड़ कै रोवैगा , रै कुनबा हाजा बारह बाट ।
नैपे सिर का कफन मिले ना , नीचे तो जा काठ की खाट ।
भजा सै भजन जबान में , किस ढंग का छल भर रहा सै ।
एक दिन होगा ढेर . . .
उस मालिक की भक्ति करले न , घर ईसवर के होगा जाणा ।
के तो राजी खुसी डिगर जा , ना तै होगा धिंगताणा ।
मोहर छाप तेरी खाली रहजा , छट लिया तेरा अन्न जल दाणा ।
भक्ति करले उस मालिक की , दीये छोड़ कपट का जाल ।
धरमराज की पूंजी बरतै , मूरख कोन्या करता ख्याल ।
एक दिन खाली होवै कोथली , लिकड़ जां तेरे सारे माल ।
एक दिन जलना पड़ै समसान में , किस मोह ममता में घिर रहा सै ।
एक दिन होगा ढेर . . . | haryanvi-bgc |
भजन
टेक हारे सतगुरू का भरम नी पायो रे ,
लियो रतन कोख अवतार रे ।
चौक1 आठ मास नव गर्भ रयो रे ।
हंसा कोन पदारथ लायो रे ।
आरे हंसा कोन पदारथ लायो रे ।
कितना पुन से आयो मोरे हंसा ,
ऐसो काई नाम धरायो रे ।
लियो रतन कोख अवतार रे ।
चौक2 दान पुन प्रणाम कियो रे हंसा ,
वइ काया संग लायो रे ।
इतना पुन से आयो मोर हंसा ,
ऐसो हीरा नाम धरायो रे ।
लियो रतन कोख अवतार रे ।
चौक3 तीनी पण तुन धुल म गमायो हंसा ,
हजुव नि समझ्यो गंवार रे ।
अरे हंसा हजुव नि समझ्यो गंवार रे ।
बइण भाणिज तुन वलकी नी जाण्यो ।
थारो रगीसर को अवतार रे ।
लियो रतन कोख अतवार रे ।
चौक4 जहाज पुरानी नंदी वव गयरी , केवटियो नादान रे ।
आरे हंसा केवटियो नादान रे ।
धर्मी राजा पार उतरियो , ऐसो पापी गोता खाय रे ।
लियो रतन कोख अतवार रे ।
कइये कमाली कबिर सा री लड़की ये निरबाणी ।
अरे हंसा ये पंथ है निरबाणी ।
गऊ का दान तुम देवो मेरे हंसा हो , तेरा धरम उतारेगा पार ।
लियो रतन कोख अवतार ।
हाँ , मनुष्य तूने सतगुरू का भेद नहीं पाया , तूने रत्न की कोख से अवतार लिया है । माँ की कोख को रतन कोख कहा गया है ।
आठ नौ माह त माँ के पेट में रहा , कौन सा पदार्थ लाया ? अरे मानव तू जान ले कितने पुण्य से मानव रूप में आया , ऐसा कौन सा नाम रखा है ?
तूने पूर्व जन्म में जो भी दानपुण्य और अराधना की , वही इस काया शरीर के साथ लाया है । इतने पुण्य से तू आया है और हीरा नाम रखा है । मानव को हीरा माना है जैसे धरती माता की कोख से बड़े प्रयत्न के बाद हीरा बाहर निकलकर संसार के लोगों के सामने आता है , वैसे ही माता की कोख से मनुष्य आता है ।
अब मनुष्य के बुढ़ापे को कहा है कि बालपन , किशोर , युवावस्था तीनों पन धूल में गमा दिये अर्थात्तूने अपनी मुक्ति के लिए कुछ नहीं किया । अरे गँवार बुढ़ापा आ गया , तू अभी तक नहीं समझा । बहनभाणिजी को तूने नहीं पहचाना अर्थात् तूने नहीं पहचाना अर्थात् तूने बहनभाणजी को दान नहीं दिया । तेरा जन्म व्यर्थ गया ।
भजन में बहनभाणजी को दान देने की प्रेरणा दी गई है ।
अरे मानव जिस प्रकार जहार पुरान हो और नदी गहरी हो और नाविक नादान नासमझ हो , उसमें धरम करने वाले राजा मनुष्य पार हो जाते हैं और पापी लोग नदी में गोते खाया करते हैं ।
कबीरजी की लड़की कमाली कहती है कि अरे मानव गौ का दान करो तो वह धरम तुझे पार उतार देगा । भजन में गौदान की महत्ता प्रतिपादित की गई है । | bhili-bhb |
नौ नौ नौरते संझा माई के
नौ नौ नौरते संझा माई के
सोलां कनागत पितरां के
उठ माई बैठ माई खोल दे पाट
मैं आई तने पूजण ने
पूज पिछोकड़ कै फल लागे
भाई भतीजे पूरे पंचास
कड़वी कचरी कड़वी बेल
पूत फलियां तेरी बेल
मक्का देरी मक्का द
तेरे आये बोहड़िआ धक्का दे | haryanvi-bgc |
104
मलकी आखदी लड़यों ना नाल चूचक कोई सुखन1 न जीउ ते लावना ई
केहा मापियां पुतरां लड़न हुंदा तुसां खटना ते असां खावना ई
छिड़ माल दे नाल मैं घोल घती रातीं सांभ मझीं घरीं आवना ई
तूं ही चोय के दुध जमावना ईं तूं ही हीर दा पलंघ वछावना ई
कुड़ी कल दी तेरे तों रूस बैठी तूं ही उस नूं आ मनावना ई
मंगू माल ते हीर सयाल तेरी नाले घूरना ते नाले खावना ई
तेरे नाम तों हीर कुरबान कीती मंगू सांभ के चार लयावना ई | panjabi-pan |
मिट्ठड़ा ना लगदा शोर
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर ।
हुण मैं ते राजी रैहनाँ ,
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर ।
मैं घर खिला सगूफा होर ,
वेक्खिआँ बाग बहाराँ होर
हुण मैनूँ कुझना कैहणा ।
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर ।
हुण मैं मोई नी मेरीए माँ ,
पूणी मेरी लै गया काँ ,
डों डों करदी मगरे जाँ ,
पूणी दे दई साईं दे नाँ ।
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर ।
बुल्ला साइ दे नाल प्यार ,
मेहर अनायत करे हजार ,
इक्को कौल1 ते एहो करार2 ,
दिलबर दे विच्च रैहणा
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर । | panjabi-pan |
89
मांउ हीर दी ते लोक करन चुगली तेरी मलकिए धीउ बेआब1 है नी
असीं मासियां फुफियां लज मोइयां साडा अंदरों जी कबाब है नी
चाक नाल दे नेहुं लगाया सू अठे पहर रहिंदी गरकाब2 है नी
तेरी कुड़ी दा मगज है बेगमां दा वेखो चाक जोउ फिरे नवाब है नी
वारस शाह मुंह उंगलियां लोक घतन चढ़ी हीर नूं लोढ़े दी खराब3 है नी | panjabi-pan |
मोती बारे हैं, बेर बेर मोती बारे हैं
मोती बारे हैं , बेर बेर1 मोती बारे हैं ।
दादा के घोड़े चढ़ि आए नवसा2 दुलहा ।
दादी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 1 ॥
नाना के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा ।
नाना के हाथी चढ़ि आए नवसा दुलहा ।
नानी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 2 ॥
अब्बा के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा ।
अम्मा दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 3 ॥
चाचा के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा ।
चाची दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 4 ॥
भइया के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा ।
भाभी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
लंगुरिया - १
करिहां चट्ट पकरि के पट्ट नरे में ले गयो लांगुरिया ॥ टेक ॥
आगरे की गैल में दो पंडा रांधे खीर , चूल्ही फ़ूंकत मूंछे बरि गयीं फ़ूटि गयी तकदीर ॥ करिहां ॥
आगरे की गैल में एक लम्बो पेड खजूर , ता ऊपर चढि के देखियो केला मैया कितनी दूरि ॥ करिहां ॥
आगरे की गैल में एक डरो पेंवदी बेर , जल्दी जल्दी चलो भवन को दरशन को हो रही देर ॥ करिहां ॥
आगरे की गैल में लांगुर ठाडो रोय , लांगुरिया पूरी भई भोर भयो मति सोय ॥ करिहां ॥ | bhadrawahi-bhd |
585
अफसोस मैंनूं आपणी नाकसीं1 दा गुनाहगार नूं हशर दे सूर दा ए
एना मोमनां खौफ ईमान दा ए अते हादियां बैंत मंसूर दाए
सूबेदार नूं तलब सपाह2 दा ए अते चाकरां काट कसूर दा ए
सानूं शरम ईमान वा खौफ रहिंदा जिव मूसा नूं खौफ कोहतूर3 दा ए
इन्हां गाजियां4 करम बहिश्त होवे ते शहीदां नूं वायदा हूर दा ए
एवे बाहरों शान खराब विचों जिवे ढोल सुहांवदा दूर दा ए
वारस शाह वसनीक जंडयालड़े दा ते शगिरद मखदूम कसूर दा ए | panjabi-pan |
140
कैदो लथड़ी तफड़ी खून वंिदे कूक बाहुड़ी ते फरयाद मियां
मैंनूं मारके हीर खबार कीता पैंचो पिंड दयो देहो खां दाद मियां
कफनी पाड़ बादशाह दे जा दसां मैं तां पटसुटां बुनयाद मियां
मैं बोलनों न रिहा सच पिछे झगी कूक कीता बे आबाद मियां
चो झगड़िये चल के नाल चूचक एह गल न जाये बरब्बाद मियां
वारस शाह अहमकां1 नूं बिना फट खाधे नहीं आंवदा इशक स्वाद मियां | panjabi-pan |
होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय
होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय
होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय
होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय
इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो
इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो
इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो
आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम
आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम
आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम
चोज सांही बुरा माडी माडी येरे
चोज सांही बुरा माडी माडी येरे
चोज सांही बुरा माडी माडी येरे
स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी | korku-kfq |
बारहमासा
प्रथम मास असाढि सखि हो , गरज गरज के सुनाय ।
सामी के अईसन कठिन जियरा , मास असाढ नहि आय ॥
सावन रिमझिम बुनवा बरिसे , पियवा भिजेला परदेस ।
पिया पिया कहि रटेले कामिनि , जंगल बोलेला मोर ॥
भादो रइनी भयावन सखि हो , चारु ओर बरसेला धार ।
चकवी त चारु ओर मोर बोले दादुर सबद सुनाई ॥
कुवार ए सखि कुँवर बिदेश गईले , तीनि निसान ।
सीर सेनुर , नयन काजर , जोबन जी के काल ॥
कातिक ए सखी कतकि लगतु है , सब सखि गंगा नहाय ।
सब सखी पहिने पाट पीतम्बर , हम धनि लुगरी पुरान ॥
अगहन ए सखी गवना करवले , तब सामी गईले परदेस ।
जब से गईले सखि चिठियो ना भेजले , तनिको खबरियो ना लेस ॥
पुस ए सखि फसे फुसारे गईले , हम धनि बानि अकेली ।
सुन मन्दिलबा रतियो ना बीते , कब दोनि होईहे बिहान ॥
माघ ए सखि जाडा लगतु है , हरि बिनु जाडो न जाई ।
हरि मोरा रहिते त गोद मे सोबइते , असर ना करिते जाड ॥
फागुन ए सखि फगुआ मचतु है , सब सखि खेलत फाग ।
खेलत होली लोग करेला बोली , दगधत सकल शरीर ॥
चैत मास उदास सखि हो एहि मासे हरि मोरे जाई ।
हम अभागिनि कालिनि साँपिनि , अवेला समय बिताय ॥
बइसाख ए सखि उखम लागे , तन मे से ढुरेला नीर ॥
का कहोँ आहि जोगनिया के , हरिजी के राखे ले लोभाई ॥
जेठ मास सखि लुक लागे सर सर चलेला समीर ।
अबहुँ ना सामी घरवा गवटेला , ओकरा अंखियो ना नीर ॥ | bhojpuri-bho |
देखत स्याम माँग पै मोये
देखत स्याम माँग पै मोये ,
गोला मुख पै गोये
फन्दन फन्द फूल बेला कौ ,
बीचन बीच बिदोये ।
बेनी जलद चार कय केरत ,
तिरवेंनी सें धोये ,
उठत पराग अतर पटिया की ,
गये सरवोर निचोये ।
ईसुर उतै प्राण की परवी
मन लै चली चितौये । | bundeli-bns |
आ गई रे बरसात सुहानी
आ गई रे बरसात सुहानी
चारऊ ओर भई हरियाली ,
धरती ने पहिरी चूनर धानी । आ गई . . .
झूला पड़ गओ डालीडाली
आम पे बोले कोयल रानी । आ गई . . .
रिमझिमरिमझिम मेहा बरसे ,
ताल तलैयन भर गयो पानी । आ गई . . .
दादुर मोर पपीहा बोलो ,
कैसी प्यारी ऋतु ये लुभानी । आ गई . . . | bundeli-bns |
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
तनै मेरी मौसी गैहणै धरी’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
दिल्ली में सोना पाया’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
तनै लट्ठे की चादर पाई’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
तनै टूम घड़णनै सुनरा पाया’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां
रोहतक में बाजा मिला’क नां
सुण सुण मौसा सुणी’क नां | haryanvi-bgc |
390
हीर आखदी एस फकीर नूं नी केहा घतयो गैर दा वायदा नी
इनां आजजां नूं पई मारनी ए एस जीवने दा क्या फायदा नी
अल्ला वालयां नाल की बैर चायो भला कुआरीए एह बुरा कायदा नी
पैर चुम्म फकीर दे टहल कीजे एस कम्म विच खैर दा जायदा1 नी
पिछों फड़ेंगी कुतका जोगिड़े दा कौन जानदा केहड़ा जायदा नी
वारस शाह फकीर जे होण गुसे खौफ शहर नूं कहर वबाय2 दा नी | panjabi-pan |
गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई
गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई
इन लोटन में आग लगादे मेरा गुलीबन्द घरवादे
गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई
गुलीबन्द है खाजा चपरा , आच्छे कीमती लादूं कपरा
सारी दे मंगवाई मरद ते कहे लुगाई | haryanvi-bgc |
चोका चावल पीला हलदी झूडो बाईकेन न्यूटा कूले
चोका चावल पीला हलदी झूडो बाईकेन न्यूटा कूले
झूडो बाई डो झूडो बाई हो सारी राटे बलटन बाई केन नारुयेरे
चोका चावल पीली हलदी बुलुरी बाई केन न्यूटा कूले
बुलुरी बाई डो बुलुरी बाई डो सारी राटे बलटन बाईकेन नारुयेरे
चोका चावल पीली हलदी सोसो बाईकेन न्यूटा कूले
सोसो बाई डो सोसो बाई डो सारी राटे बलटन बाईकेन नारुयेरे
स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |