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Discourse Mode
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6 classes
51
नाम पं. रामखेलावन है।
1Descriptive
51
रामखेलावन जी के जीवन में एक सुधार मिलता है।
1Descriptive
51
अपनी कन्‍या का, जिन्‍हें हम शास्त्रिणी जी लिखते हैं, नाम उन्‍होंने सुपर्णा रखा है।
4Narrative
51
गांव की जीभ में इसका रूप नहीं रह सका;
4Narrative
51
प्रोग्रसिव राइटर्स की साहित्यिकता की तरह' पन्‍ना' बन गया है।
4Narrative
51
इस सुधार के लिए हम पं. रामखेलावन जी को धन्‍यवाद देते हैं।
1Descriptive
51
पंडित जी समय काटने के विचार से आप ही कन्‍या को शिक्षा देते थे, फलस्‍वरूप कन्‍या भी उनके साथ समय काटती गई और पंद्रह साल की अवस्‍था तक सारस्‍वत में हिलती रही।
4Narrative
51
फिर भी गांव की वधू-वनिताओं पर, उसकी विद्वता का पूरा प्रभाव पड़ा।
4Narrative
51
दूसरों पर प्रभाव डालने का उसका जमींदारी स्‍वभाव था, फिर संस्‍कृत पढ़ी, लोग मानने लगे।
4Narrative
51
गति में चापल्‍य उसकी प्रतिभा का सबसे बड़ा लक्षण था।
1Descriptive
51
उन दिनों छायावाद का बोलबाला था, खास तौर से इलाहाबाद में लड़के पन्‍त के नाम का माला जपते थे।
1Descriptive
51
ध्‍यान लगाए कितनी लड़ाइयां लड़ीं प्रसाद, पन्‍त और माखनलाल के विवेचन में।
1Descriptive
51
भगवतीचरण बायरन के आगे हैं, पीछे रामकुमार, कितनी ताकत से सामने आते हुए।
1Descriptive
51
महादेवी कितना खीचती हैं।
1Descriptive
51
मोहन उसी गांव का इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय में बी.ए. ( पहले साल ) में पढ़ता था।
1Descriptive
51
यह रंग उस पर भी चढ़ा और दूसरों से अधिक।
4Narrative
51
उसे पन्‍त की प्रकृति प्रिय थी, और इस प्रियता से जैसे पन्‍त में बदल जाना चाहता था।
1Descriptive
51
संकोच, लज्‍जा, मार्जित मधुर उच्‍चारण, निर्भिक नम्रता, शिष्‍ट अलाप, सजधज उसी तरह।
1Descriptive
51
रचनाओं से रच गया।
4Narrative
51
साधना करते सधी रचना करने लगा।
4Narrative
51
पर सम्‍मेलन शरीफ अब तक नहीं गया।
4Narrative
51
पिता हाई कोर्ट में क्‍लर्क थे।
1Descriptive
51
गर्मी की छुट्टियों में गांव आया हुआ है।
1Descriptive
51
सुपर्णा से परिचय है जैसे पर्ण और सुमन का।
1Descriptive
51
सुमन पर्ण के ऊपर है, सुपर्णा नहीं समझी।
4Narrative
51
जमींदार की लड़की, जिस तरह वहां की समस्‍त डालों के ऊपर अपने को समझती थी, उसके लिए भी समझी।
1Descriptive
51
ज्‍यों-ज्‍यों समय की हवा से हिलती थी, सुमन की रेणु से रंग जाती थी; वह उसी का रंग है।
1Descriptive
51
मोहन शिष्‍ट था, पर अपना आसन न छोड़ता था।
1Descriptive
51
सुपर्णा एक दिन बाग में थी।
1Descriptive
51
मोहन लौटा हुआ घर आ रहा था।
1Descriptive
51
सुपर्णा रंग गई।
4Narrative
51
बुलाया।
4Narrative
51
मोहन फिर भी घर की तरफ चला।
4Narrative
51
मोहन! ये आम बाबूजी दे गए हैं, ले जाओ। तकवाहा बाजार गया है।' मोहन बाग की ओर चला। नजदीक गया तो सुपर्णा हंसने लगी,' कैसा धोखा देकर बुलाया है?
2Dialogue
51
- आम बाबूजी ने तुम्‍हारे यहां कभी और भिजवाए हैं?
2Dialogue
51
मोहन लजाकर हंसने लगा।
4Narrative
51
लेकिन तुम्‍हारे लिए कुछ आम चुनकर मैंने रखे हैं।
2Dialogue
51
चलो।' मोहन ने एक बार संयत दृष्टि से उसे देखा।
4Narrative
51
सुपर्णा साथ लिए बीच बाग की तरफ चली,' मैंने तुम्‍हें आते देखा था, तुमसे मिलने को छिपकर चली आई।
2Dialogue
51
तकवाहे को सौदा लेने बाजार ( दूसरे गांव ) भेज दिया है।
2Dialogue
51
याद है मोहन?'' क्‍या?'' मेरी गुइंइयों ने तुम्‍हारे साथ, खेल में।'' वह तो खेल था।'' नहीं वह सही था।
2Dialogue
51
मैं अब भी तुम्‍हें वही समझती हूं।'' लेकिन तुम पयासी हो।
2Dialogue
51
शादी तुम्‍हारे पिता को मंजूर न होगी।'' तो तुम मुझे कहीं ले चलो। मैं तुमसे कहने आई हूं।
2Dialogue
51
दूसरे से ब्‍याह करना मैं नहीं चाहती।' मोहन की सुंदरता गांव की रहने वाली सुपर्णा ने दूसरे युवक में नहीं देखी।
4Narrative
51
उसका आकर्षण उसकी मां को मालूम हो चुका था।
1Descriptive
51
उसका मोहन के घर जाना बंद था।
1Descriptive
51
आज पूरी शक्ति लड़ाकर, मौका देखकर मोहन से मिलने आई है।
4Narrative
51
मोहन खिंचा।
4Narrative
51
उसे वहां वह प्रेम न दिखा, वह जिसका भक्त था, कहा-' लेकिन मैं कहां ले चलूं?'' जहां रहते हो।'' वहां तो पिताजी हैं।'' तो और कहीं।'' खाएंगे क्‍या?' खाना पड़ता है, यह सुपर्णा को याद न था।
2Dialogue
51
मोहन से लिपटी जा रही थी।
1Descriptive
51
इसी समय तकवाहा बाजार से आ गया था।
1Descriptive
51
देखकर सचेत करने के लिए आवाज दी।
4Narrative
51
सुपर्णा घबराई। मोहन खड़ा हो गया।
4Narrative
51
तकवाहा सौदा देकर मोहन को जमींदार की ही दृष्टि से घूरता रहा।
4Narrative
51
मतलब समझकर मोहन धीरे-धीरे बाग से बाहर निकला और घर की ओर चला। तकवाहा धार्मिक था।
4Narrative
51
जैसा देखा था, पं. रामखेलावन जी से व्‍याख्‍या समेत कहा।
4Narrative
51
साथ ही इतना उपदेश भी दिया कि मालिक! पानी की भरी खाल है, कल क्‍या हो जाए!
1Descriptive
51
बिटिया रानी का जल्‍द से ब्‍याह कर देना चाहिए।
1Descriptive
51
पं. रामखेलावन जी भी धार्मिक थे।
1Descriptive
51
धर्म की सूक्ष्‍मतम दृष्टि से देखने लगे तो मालूम पड़ा कि सुपर्णा के गर्भ है, नौ-दस महीने में लड़का होगा।
4Narrative
51
फिर? इस महीने लगन है- ब्‍याह हो जाना चाहिए।
1Descriptive
51
जल्‍दी में बनारस चले। पं. गजानन्‍द शास्‍त्री बनारस के बैद्य हैं।
4Narrative
51
वैदकी साधारण चलती है, बड़े दांव-पेंच करते हैं तब। पर आशा बहुत बढ़ी-चढ़ी है।
1Descriptive
51
सदा बड़े-बड़े आदमियों की तारीफ करते हैं और ऐस स्‍वर से, जैसे उन्‍हीं में ऐ एक हों।
1Descriptive
51
वैदकी चले इस अभिप्राय से शाम को रामायण पढ़ते-पढ़वाते हैं तुलसी कृत; अर्थ स्‍वयं कहते हैं।
1Descriptive
51
गोस्‍वामी जी के साहित्‍य का उनसे बड़ा जानकार- विशेषकर रामायण का, भारतवर्ष में नहीं, यह श्रद्धापूर्वक मानते हैं।
1Descriptive
51
सुनने वाले ज्‍यादातर विद्यार्थी हैं, जो भरसक गुरु के यहां भोजन करके विद्याध्‍ययन करने काशी आते हैं।
1Descriptive
51
कुछ साधारण जन हैं, जिन्‍हें असमय पर मुफ्त दवा की जरूरत पड़ती है।
1Descriptive
51
दो-चार ऐसे भी आदमी, जो काम तो साधारण करते हैं, पर असाधारण आदमियों में गप लड़ाने के आदी हैं।
1Descriptive
51
मजे की महफिल लगती है।
1Descriptive
51
कुछ महीने हुए, शास्‍त्री जी की तीसरी पत्‍नी का असच्चिकित्‍सा के कारण देहांत हो गया है।
1Descriptive
51
बड़े आदमी की तलाश में मिलने वाले अपने मित्रों से शास्‍त्री जी बिना पत्‍नी वाली अड़चनों का बयान करते हैं, और उतनी बड़ी गृहस्‍थी आठाबाठा जाती है-
1Descriptive
51
इसके लिए विलाप। सुपात्र सरयूपारीण ब्राह्मण हैं;
1Descriptive
51
मामखोर सुकुल। पं. रामखेलावन जी बनारस में एक ऐसे मित्र के यहां आकर ठहरे, जो वैद्य जी के पूर्वोक्‍त प्रकार के मित्र हैं।
4Narrative
51
रामखेलावन जी लड़की के ब्‍याह के लिए आए हैं, सुनकर मित्र ने उन्‍हें ऊपर ही लिया, और शास्‍त्री जी की तारीफ करते हुए कहा,' सुपात्र बनारस शहर में न मिलेगा।
4Narrative
51
शास्‍त्री जी की तीसरी पत्‍नी अभी गुजरी हैं;
2Dialogue
51
फिर भी उम्र अभी अधिक नहीं, जवान हैं।' शास्‍त्री, वैद्य, सुपात्र और उम्र भी अधिक नहीं- सुनकर पं. रामखेलावन जी ने मन-ही-मन बाबा विश्‍वनाथ को दंडवत की और बाबा विश्‍वनाथ ने हिंदू-धर्म के लिए क्‍या-क्‍या किया है, इसका उन्‍हें स्‍मरण दिलाया- वे भक्‍तवत्‍सल आशुतोष हैं, यह यहीं से विदित हो रहा है- मर्यादा की रक्षा के लिए अपनी पुरी में पहले से वर लिए बैठे हैं- आने के साथ मिला दिया।
4Narrative
51
अब यह बंधन न उखड़े, इसकी बाबा विश्‍वनाथ को याद दिलाई।
4Narrative
51
पं. रामखेलावन जी के मित्र पं. गजानन्‍द शास्‍त्री के यहां उन्‍हें लेकर चले।
4Narrative
51
जमींदार पर एक धाक जमाने की सोची; कहा,' लेकिन बड़े आदमी हैं, कुछ लेन-देन वाली पहले से कह दीजिए, आखिर उनकी बराबरी के लिए कहना ही पड़ेगा कि जमींदार हैं।'' जैसा आप कहें।'' कुल मिलाकर तीन हजार तो दीजिए, नहीं तो अच्‍छा न लगेगा।'' इतना तो बहुत है।'' ढाई हजार?
2Dialogue
51
इतने से कम में न होगा।
2Dialogue
51
यह दहेज की बात नहीं, बनाव की बात है।'' अच्‍छा, इतना कर दिया जाएगा।
2Dialogue
51
लेकिन विवाह इसी लगन में हो जाना चाहिए।'' मित्र चौंका। संदेह मिटाने के लिए कहा,' भई, इस साल तो नहीं हो सकता।' पं. रामखेलावन जी घबराकर बोले,' आप जानते ही हैं ग्‍यारह साल के बाद लड़की जितना ही पिता के यहां रहती है, पिता पर पाप चढ़ता है।
2Dialogue
51
पंद्रह साल की है।
2Dialogue
51
सुंदर जोड़ी है।
2Dialogue
51
लड़की अपने घर जाए, चिंता कटे।
2Dialogue
51
जमाना दूसरा है।' मित्र को आशा बंधी।
2Dialogue
51
सहानुभूतिपूर्वक बोले,' बड़ा जोर लगाना पड़ेगा, अगले साल हो तो बुरा तो नहीं?' पं. रामखेलावन जी चलते हुए रुककर बोले,' अब इतना सहारा दिया है, तो खेवा पार ही कर दीजिए।
2Dialogue
51
बड़े आदमी ठहरे, कोई हमसे भी अच्‍छा तब तक आ जाएगा।' मित्र को मजबूती हुई।
2Dialogue
51
बोले,' उनकी स्‍त्री का देहांत हुआ है, अभी साल भी पूरा नहीं हुआ।
2Dialogue
51
बरखी से पहले मंजूर न करेंगे।
2Dialogue
51
लेकिन एक उपाय है, अगर आप करें।'' आप जो भी कहें, हम करने को तैयार हैं, भला हमें ऐसा दामाद कहां मिलेगा?
2Dialogue
51
' बात यह कि कुल सराधें एक ही महीने में करवानी पड़ेगीं, और फिर ब्रह्मभोज भी तो है, और बड़ा। कम-से-कम तीन हजार खर्च होंगे।
2Dialogue
51
फिर तत्‍काल विवाह। आप तीन हजार रुपए भी दीजिए। पर उन्‍हें नहीं।
2Dialogue
51
अरे रे!- इसे वे अपमान समझेंगे।
2Dialogue
51
हम दें।
2Dialogue
51
इससे आपकी इज्‍जत बढ़ेगी, और आखिर हमें बढ़कर उनसे कहना भी तो है कि बराबर की जगह है?
2Dialogue
51
हजार जब उनके हाथ पर रखेंगे कि आपके ससुरजी ने बरखी के खर्च के लिए दिए हैं, तब यह दस हजार के इतना होगा, यही तो बात थी।
2Dialogue
51
वे भी समझेंगे।' पं. रामखेलावन जी दिल से कसमसाए, पर चारा न था।
1Descriptive
51
उतरे गले से कहा,' अच्‍छा बात है।' मित्र ने कहा,' तो रुपए कब तक भेजिएगा?
2Dialogue