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51 | अच्छा, अभी चलिए: देख तो लीजिए, विवाह की बातचीत न कीजिएगा, नहीं तो निकाल ही देंगे। | 2Dialogue
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51 | समझिए- पत्नी मरी हैं।' रामखेलावन दबे। धीरे-धीरे चलते गए। | 2Dialogue
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51 | लड़की कुछ पढ़ी भी है? | 2Dialogue
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51 | पढ़ती थी- तीन साल हुए, जब मैं गया था, गवाही थी- मौका देखने के लिए?' मित्र ने पूछा। | 2Dialogue
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51 | लड़की तो सरस्वती है। आपने देखा ही है। | 2Dialogue
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51 | संस्कृत पढ़ी है।'' ठीक है। देखिए, बाबा विश्वनाथ हैं।' मित्र की तरह पर उतरे गले से कहा। | 2Dialogue
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51 | रामखेलावन जी डरे कि बिगाड़ न दे। दिल से जानते थे, बदमाश है, उनकी तरफ से झूठ गवाही दे चुका है रुपए लेकर; लेकिन लाचार थे; | 1Descriptive
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51 | कहा,' हम तो आपमें बाबा विश्वनाथ को ही देखते हैं। | 2Dialogue
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51 | यह काम आपका बनाया बनेगा।' मित्र हंसा। | 2Dialogue
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51 | बोला,' कह तो चुके। | 2Dialogue
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51 | गाढ़े में काम न दे, वह मित्र नहीं, दुश्मन है।' सामने देखकर,' वह शास्त्री जी का ही मकान है, सामने।' था वह किराये का मकान। | 2Dialogue
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51 | अच्छी तरह देखकर कहा,' हैं नहीं बैठक में; शायद पूजा में हैं।' दोनों बैठक में गए। | 2Dialogue
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51 | मित्र ने पं. रामखेलावन जी को आश्वासन देकर कहा,' आप बैठिए। मैं बुलाए लाता हूं।' पं. रामखेलावन जी एक कुर्सी पर बैठे। | 4Narrative
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51 | मित्रवर आवाज देते हुए जीने पर चढ़े। | 4Narrative
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51 | जिस तरह मित्र ने यहां रोब गांठा था, उसी तरह शास्त्री जी पर गांठना चाहा। | 1Descriptive
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51 | वह देख चुका था, शास्त्री खिजाब लगाते हैं, अर्थ- विवाह के सिवा दूसरा नहीं। | 1Descriptive
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51 | शास्त्री जी बढ़-चढ़कर बातें करते हैं, यह मौका बढ़कर बातें करने का है। | 1Descriptive
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51 | उसका मंत्र है, काम निकल जाने पर बेटा बाप का नहीं होता। | 1Descriptive
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51 | उसे काम निकालना है। | 1Descriptive
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51 | शास्त्री जी ऊपर एकांत में दवा कूट रहे थे। | 1Descriptive
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51 | आवाज पहचानकर बुलाया। मित्र ने पहुंचने के साथ देखा- खिजाब ताजा है। | 1Descriptive
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51 | प्रसन्न होकर बोला,' मेरी मानिए, तो वह ब्याह कराऊं, जैसा कभी किया न हो, और बहू अप्सरा, संस्कृत पढ़ी, रुपया भी दिलाऊं।' शास्त्री जी पुलकित हो उठे। | 2Dialogue
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51 | कहा,' आप हमें दूसरा समझते हैं? | 2Dialogue
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51 | - इतनी मित्रता रोज की उठक-बैठक, आप मित्र ही नहीं- हमारे सर्वस्व हैं। | 2Dialogue
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51 | आपकी बात न मानेंगे तो क्या रास्ता-चलते की मानेंगे? | 2Dialogue
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51 | - आप भी!'' आपने अभी स्नान नहीं किया शायद? | 2Dialogue
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51 | नहाकर चंदन लगाकर अच्छे कपड़े पहनकर नीचे आइए। | 2Dialogue
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51 | विवाह करने वाले जमींदार साहब हैं। | 2Dialogue
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51 | वहीं परिचय कराऊंगा। | 2Dialogue
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51 | लेकिन अपनी तरफ से कुछ कहिएगा मत। नहीं तो, बड़ा आदमी है, भड़क जाएगा। | 2Dialogue
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51 | घर की शेखी में मत भूलिएगा। | 2Dialogue
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51 | आप जैसे उसके नौकर हैं। | 2Dialogue
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51 | हां, जन्म-पत्र अपना हरगिज न दीजिएगा। | 2Dialogue
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51 | उम्र का पता चला तो न करेगा। | 2Dialogue
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51 | मैं सब ठीक कर दूंगा। | 2Dialogue
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51 | चुपचाप बैठे रहिएगा। | 2Dialogue
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51 | नौकर कहां है?'' बाजार गया है।'' आने पर मिठाई मंगवाइएगा। | 2Dialogue
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51 | हालांकि खाएगा नहीं। | 2Dialogue
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51 | मिठाई से इंकार करने पर नमस्कार करके सीधे ऊपर का रास्ता नापिएगा। | 2Dialogue
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51 | मैं भी यह कह दूंगा, शास्ती तजी ने आधे घंटे का समय दिया है।' शास्त्री गजानन्द जी गदगद हो गए। | 2Dialogue
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51 | ऐसा सच्चा आदमी यह पहला मिला है, उनका दिल कहने लगा। | 4Narrative
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51 | मित्र नीचे उतरा और मित्र से गंभीर होकर बोला,' पूजा में हैं, मैं तो पहले ही समझ गया था। | 4Narrative
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51 | दस मिनट के बाद आंख खोली, जब मैंने घंटी टिनटिनाई। | 2Dialogue
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51 | जब से स्त्री का देहांत हुआ है, पूजा में ही तो रहते हैं। | 2Dialogue
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51 | सिर हिलाकर कहा- चलो। देखिए, बाबा विश्वनाथ ही हैं। | 2Dialogue
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51 | हे प्रभो! शरणागत-शरण! तुम्हीं हो- बाबा विश्वनाथ!' कहते हुए मित्र ने पलकें मूंद लीं। | 2Dialogue
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51 | इसी समय पैरों की आहट मालूम थी। | 2Dialogue
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51 | देखा, नौकर आ रहा था। | 2Dialogue
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51 | डांटकर कहा,' पंखा झल। शास्त्री जी अभी आते हैं।' नौकर पंखा झलने लगा। | 2Dialogue
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51 | वैद्य का बैठका था ही। | 1Descriptive
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51 | पं. रामखेलावन जी प्रभाव में आ गए। | 4Narrative
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51 | आधे घंटे बाद जीने में खड़ाऊं की खटक सुन पड़ी। | 4Narrative
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51 | मित्र उठकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया, उंगली के इशारे पं. रामखेलावन जी को खड़े हो जाने के लिए कहकर। | 4Narrative
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51 | मित्र की देखा-देखी पंडित जी ने भी भक्तिपूर्वक हाथ जोड़ लिए। | 4Narrative
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51 | नौकर अचंभे से देख रहा था। | 1Descriptive
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51 | ऐसा पहले नहीं देखा था। | 1Descriptive
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51 | शास्त्री जी के आने पर मित्र ने घुटने तक झुककर प्रणाम किया। | 4Narrative
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51 | पं. रामखेलावन जी ने भी मित्र का अनुसरण किया। | 4Narrative
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51 | बैठिए, गदाधर जी' कोमल सभ्य कंठ से कहकर गजानंद जी अपनी कुर्सी पर बैठ गए। | 4Narrative
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51 | वैद्यजी की बढिया गद्दीदार कुर्सी बीच में थी। | 1Descriptive
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51 | पं. रामखेलावन जी आश्चर्य और हर्ष से देख रहे थे। | 1Descriptive
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51 | आश्चर्य इसलिए कि शास्त्री जी बड़े आदती तो हैं ही, उम्र भी अधिक नहीं, 25 से 30 कहने की हिम्मत नहीं पड़ती। | 1Descriptive
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51 | शास्त्री जी ने नौकर को पान और मिठाई ले आने के लिए भेजा और स्वाभाविक बनावटी विनम्रता के साथ मित्रवर गदाधर ने आगंतुक अपरिचित महाशय का परिचय पूछने लगे। पं. गदाधर जी बड़े दात्त कंठ से पं. रामखेलावन जी की प्रशंसा कर चले, पर किस अभिप्राय से वे गए थे, यह न कहा। कहा,' महाराज! आप एक अत्यंत आवश्यक गृहधर्म से मुक्त होना चाहते हैं। | 4Narrative
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51 | पलकें मूंदते हुए, भावावेश मे, शास्त्री जी ने कहा,' काशी तो मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है।'' हां, महाराज!' मित्र ने और आविष्ट होते हुए कहा,' वह छूट तो सबसे बड़ी मुक्ति है, पर यह साधारण मुक्ति ही है, जैसे बाबा विश्वनाथ के परमसिद्ध भक्त स्वीकारमात्र से इस भव-बंधन से मुक्ति दे सकते हैं।' कहकर हाथ जोड़ दिए। पं. रामखेलावन जी ने भी साथ दिया। | 2Dialogue
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51 | हां, नहीं, कुछ न कहकर एकांत धार्मिक दृष्टि को परम सिद्ध पं. गजानन्द जी शास्त्री पलकों के अंदर करके बैठ रहे। | 4Narrative
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51 | इसी समय नौकर पान और मिठाई ले आया। | 4Narrative
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51 | शास्त्री जी ने खटक से आंखें खोलकर देखा, नौकर को शुद्ध जल ले आने के लिए कहकर बड़ी नम्रता से पं. रामखेलावन जी को जलपान करने के लिए पूछा। | 4Narrative
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51 | पं. रामखेलावन जी दोनों हाथ उठाकर जीभ काटकर सिर हिलाते हुए बोले,' नहीं महराज, नहीं, यह तो अधर्म है। चाहिए तो हमें कि हम आपकी सेवा करें, बल्कि आपके सेवा संबंध में सदा के लिए-'' अहाहा! क्या कही!- क्या कही!' कहकर, पूरा दोना उठाकर एक रसगुल्ला मुंह में छोड़ते हुए मित्र ने कहा,' बाबा विश्वनाथ जी के वर से काशी का एक-एक बालक अंतर्यामी होता है, फिर उनकी सभा के परिषद शास्त्री जी तो-'' शास्त्री जी अभिन्न स्नेह की दृष्टि से प्रिय मित्र को देखते रहे। | 2Dialogue
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51 | मित्र ने, स्वल्पकाल मे रामभवन का प्रसिद्ध मिष्ठान्न उदरस्थ कर जलपान के पश्चात मगही बीड़ों की एक नत्थी मुखव्यादान कर यथा स्थान रखी। | 4Narrative
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51 | शास्त्री जी विनयपूर्वक नमस्कार कर जीना तै करने को चले। | 4Narrative
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51 | उनके पीठ फेरने पर मित्र ने रामखेलावन जी को पंजा दिखाकर हिलाते हुए आश्वासन दिया। | 4Narrative
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51 | शास्त्री जी के अदृश्य होने पर इशारे से पं. रामखेलावन जी को साथ लेकर वासस्थल की ओर प्रस्थान किया। | 4Narrative
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51 | रामखेलावन जी के मौन पर शास्त्री जी का पूरा-पूरा प्रभाव पड़ चुका था। | 1Descriptive
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51 | कहा,' अब हमें इधर से जाने दीजिए; कल रुपए लेकर आएंगे। | 2Dialogue
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51 | लेकिन इसी महीने विवाह हो जाएगा? | 2Dialogue
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51 | ' इसी महीने- इसी महीने', गंभीर भाव से मित्र ने कहा,' जन्मपत्र लड़की का लेते आइएगा। | 2Dialogue
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51 | हां, एक बात और है। बाकी डेढ़ हजार में बाहर सौ का जेवर होना चाहिए, नया; आइएगा हम खरीदवा देंगे', दलाली की सोचते हुए- कहा,' आपको ठग लेगा। | 2Dialogue
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51 | आप इतना तो समझ गए होंगे कि इतने के बिना बनता नहीं, तीन सौ रुपए रह जाएंगे। | 2Dialogue
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51 | खिलाने-पिलाने और परजों को देने की बहुत है। बल्कि कुछ बच जाएगा आपके पास। | 2Dialogue
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51 | फिजूल खर्च हो यह मैं नहीं चाहता। | 2Dialogue
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51 | इसीलिए, ठोस-ठोस काम वाला खर्च कहा। | 2Dialogue
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51 | अच्छा, नमस्कार!' शास्त्री जी का ब्याह हो गया। | 4Narrative
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51 | सुपर्णा पति के साथ है। शास्त्री जी ब्याह करते-करते कोमल हो गए थे। | 1Descriptive
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51 | नवीना सुपर्णा को यथाभ्यास सब प्रकार प्रीत रखने लगे। | 4Narrative
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51 | बाग से लौटने पर सुपर्णा के हृदय में मोहन के लिए क्रोध पैदा हुआ। | 4Narrative
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51 | घरवालों ने सख्त निगरानी रखने के अलावा, डर के मारे उससे कुछ नहीं कहा। | 4Narrative
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51 | उसने भी विरोध किए बिना विवाह के बहाव में अपने को बहा दिया। | 4Narrative
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51 | मन में यह प्रतिहिंसा लिए हुए, कि मोहन इस बहते में मिलेगा। और उसे हो सकेगा तो उचित शिक्षा देगी। | 4Narrative
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51 | शास्त्री जी को एकांत भक्त देखकर मन में मुस्कराई। | 4Narrative
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51 | सुपर्णा का जीवन शास्त्री जी के लिए भी जीवन सिद्ध हुआ। | 4Narrative
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51 | शास्त्री जी अपना कारोबार बढ़ाने लगे। | 4Narrative
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51 | सुपर्णा को वैदक की अनुवादित हिंदी पुस्तकें देने लगे, नाड़ी-विचार चर्चा आदि करने लगे। | 4Narrative
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51 | उस आग में तृण की तरह जल-जलकर जो प्रकाश देखने लगे, वह मर्त्य में उन्हें दुर्लभ मालूम दिया। | 4Narrative
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51 | एक दिन श्रीमती गजानन्द शास्त्रिणी के नाम से स्त्रियों के लिए बिना फीस वाला रोग परीक्षणालय खोल दिया- इस विचार से कि दवा के दाम मिलेंगे, फिर प्रसिद्धि होने पर फीस भी मिलेगी। | 4Narrative
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51 | लेकिन ध्यान से सुपर्णा के पढ़ने का कारण कुछ और है। | 1Descriptive
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51 | शास्त्री जी अपनी मेज की सजावट तथा प्रतीक्षा करते रोगियों के समय काटने के विचार से' तारा' के ग्राहक थे। | 1Descriptive
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51 | एक दिन सुपर्णा' तारा' के पन्ने उलटने लगी। | 4Narrative
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51 | मोहन की एक रचना छिपी थी। | 1Descriptive
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51 | यह उसकी पहली प्रकाशित कविता थी। | 1Descriptive
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51 | विषय था' व्यर्थ प्रणय'। बात बहुत कुछ मिलती थी। | 1Descriptive
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