Story_no
int32
0
7.77k
Sentence
stringlengths
1
710
Discourse Mode
class label
6 classes
50
लेकिन, यह सब आखिर कौम ही में हुआ है।'''' तो क्या किया जाय?'' स्फारित, स्फुरित आँखें, पत्नी ने पूछा।
2Dialogue
50
' जज साहब से ही इसकी बचत पूछूंगा।
2Dialogue
50
मेरी अक्ल अब और नहीं पहँुचती।
2Dialogue
50
अरे छीटा!'''' जी!'' छीटा चिलम रखकर दौड़ा।
2Dialogue
50
' जज साहब से मेरा नाम लेकर कहना, जल्द बुलाया है।'''' और भैया बाबू को भी बुला लाऊँ?
2Dialogue
50
''' नहीं-नहीं।'' रामेश्वरजी की पत्नी ने डांट दिया।
2Dialogue
50
जज साहब पुत्र के साथ बैठे हुए वार्तालाप कर रहे थे।
1Descriptive
50
इंग्लैंड के मार्ग, रहन-सहन, भोजन-पान, अदब-कायदे का बयान कर रहे थे।
1Descriptive
50
इसी समय छीटा बँगले पर हाजिर हुआ, और झुककर सलाम किया।
4Narrative
50
जज साहब ने आँख उठाकर पूछा,'' कैसे आये छीटाराम?'''' हुजूर को सरकार ने बुलाया है, और कहा है, बहुत जल्द आने के लिए कहना।'''' क्यों?'''' बीबी रानी बीमार हैं, डाक्टर साहब आये थे, और हुजूर'' बाकी छीटा ने कह ही डाला था।
2Dialogue
50
' और क्या?'''' हुजूर'' छीटा ने हाथ जोड़ लिये।
2Dialogue
50
उसकी आँखें डबडबा आयीं।
4Narrative
50
जज साहब बीमारी कड़ी समझकर घबरा गये! ड्राइवर को बुलाया। छीटा चल दिया।
4Narrative
50
ड्राइवर नहीं था।
1Descriptive
50
जज साहब ने राजेन्द्र से कहा,'' जाओ, मोटर ले आओ।चलें, देखें, क्या बात है।'' राजेन्द्र को देखकर रामेश्वरजी सूख गये।
4Narrative
50
टालने की कोई बात न सूझी।
4Narrative
50
कहा,'' बेटा, पद्मा को बुखार आ गया है, चलो, देखो, तब तक मैं जज साहब से कुछ बातें करता हूँ।'' राजेन्द्र उठ गया।
2Dialogue
50
पद्मा के कमरे में एक नौकर सिर पर आइस-बैग रक्खे खड़ा था।
1Descriptive
50
राजेन्द्र को देखकर एक कुर्सी पलंग के नजदीक रख दी।
4Narrative
50
' पद्मा!'''' राजेन!'' पद्मा की आँखों से टप-टप गर्म आँसू गिरने लगे।
4Narrative
50
पद्मा को एकटक प्रश्न की दृष्टि से देखते हुए राजेन्द्र ने रूमाल से उसके आँसू पोंछ दिये।
4Narrative
50
सिर पर हाथ रक्खा, बड़े जोर से धड़क रही थी।
1Descriptive
50
पद्मा ने पलकें मूंद ली, नौकर ने फिर सिर पर आइस-बैग रख दिया।
4Narrative
50
सिरहाने थरमामीटर रक्खा था।
1Descriptive
50
झाड़कर, राजेन्द्र ने आहिस्ते से बगल में लगा दिया।
4Narrative
50
उसका हाथ बगल से सटाकर पकड़े रहा।
4Narrative
50
नजर कमरे की घड़ी की तरफ थी।
1Descriptive
50
निकालकर देखा, बुखार एक सौ तीन डिग्री था।
1Descriptive
50
अपलक चिन्ता की दृष्टि से देखते हुए राजेन्द्र ने पूछा,'' पद्मा, तुम कल तो अच्छी थीं, आज एकाएक बुखार कैसे आ गया?'' पद्मा ने राजेन्द्र की तरफ करवट ली, कुछ न कहा।
2Dialogue
50
' पद्मा, मैं अब जाता हूँ।'' ज्वर से उभरी हुई बड़ी-बड़ी आँखों ने एक बार देखा, और फिर पलकों के पर्दे में मौन हो गयीं।
4Narrative
50
अब जज साहब और रामेश्वरजी भी कमरे में आ गये।
4Narrative
50
जज साहब ने पद्मा के सिर पर हाथ रखकर देखा, फिर लड़के की तरफ निगाह फेरकर पूछा,'' क्या तुमने बुखार देखा है?'''' जी हाँ, देखा है।'''' कितना है?'''' एक सौ तीन डिग्री।'''' मैंने रामेश्वरजी से कह दिया है, तुम आज यही रहोगे।
2Dialogue
50
तुम्हें यहाँ से कब जाना है?
2Dialogue
50
- परसों न?'''' जी।'''' कल सुबह बतलाना घर आकर, पद्मा की हालत-कैसी रहती है।
2Dialogue
50
और रामेश्वरजी, डॉक्टर की दवा करने की मेरे खयाल से कोई जरूरत नहीं।'''' जैसा आप कहें।'' सम्प्रदान-स्वर से रामेश्वरजी बोले।
2Dialogue
50
जज साहब चलने लगे।
4Narrative
50
दरवाजे तक रामेश्वरजी भी गये।
4Narrative
50
राजेन्द्र वहीं रह गया।
4Narrative
50
जज साहब ने पीछे फिरकर कहा,'' आप घबराइए मत, आप पर समाज का भूत सवार है।'' मन-ही-मन कहा,'' कैसा बाप और कैसी लड़की! तीन साल बीत गये।
2Dialogue
50
पद्मा के जीवन में वैसा ही प्रभात, वैसा ही आलोक भरा हुआ है।
1Descriptive
50
वह रूप, गुण, विद्या और ऐश्वर्य की भरी नदी, वैसी ही अपनी पूर्णता से अदृश्य की ओर, वेग से बहती जा रही है।
1Descriptive
50
सौन्दर्य की वह ज्योति-राशि स्नेह-शिखाओं से वैसी ही अम्लान स्थिर है।
1Descriptive
50
अब पद्मा एम।ए।
1Descriptive
50
क्लास में पढ़ती है।
1Descriptive
50
वह सभी कुछ है, पर वह रामेश्वरजी नहीं हैं।
1Descriptive
50
मृत्यु के कुछ समय पहले उन्होंने पद्मा को एक पत्र में लिखा था,'' मैंने तुम्हारी सभी इच्छाएँ पूरी की हैं,पर अभी तक मेरी एक भी इच्छा तुमने पूरी नहीं की।
2Dialogue
50
शायद मेरा शरीर न रहे, तुम मेरी सिर्फ एक बात मानकर चलो- राजेन्द्र या किसी अपर जाति के लड़के से विवाह न करना।
2Dialogue
50
बस।'' इसके बाद से पद्मा के जीवन में आश्चर्यकर परिवर्तन हो गया।
4Narrative
50
जीवन की धारा ही पलट गयी।
4Narrative
50
एक अद्भुत स्थिरता उसमें आ गयी।
4Narrative
50
जिस गति के विचार ने उसके पिता को इतना दुर्बल कर दिया था, उसी जाति की बालिकाओं को अपने ढंग पर शिक्षित कर, अपने आदर्श पर लाकर पिता की दुर्बलता से प्रतिशोध लेने का उसने निश्चय कर लिया।
4Narrative
50
राजेन्द्र बैरिस्टर होकर विलायत से आ गया।
4Narrative
50
पिता ने कहा,'' बेटा, अब अपना काम देखो।'' राजेन्द्र ने कहा,'' जरा और सोच लूँ, देश की परिस्थिति ठीक नहीं।'''' पद्मा!'' राजेन्द्र ने पद्मा को पकड़कर कहा।
2Dialogue
50
पद्मा हँस दी।
4Narrative
50
' तुम यहाँ कैसे राजेन?'' पूछा।'' बैरिस्टरी में जी नहीं लगता पद्मा, बड़ा नीरस व्यवसाय है, बड़ा बेदर्द। मैंने देश की सेवा का व्रत ग्रहण कर लिया है, और तुम?'''' मैं भी लड़कियाँ पढ़ाती हूँ- तुमने विवाह तो किया होगा?
2Dialogue
50
''' हाँ, किया तो है।'' हँसकर राजेन्द्र ने कहा।
2Dialogue
50
पद्मा के हृदय पर जैसे बिजली टूट पड़ी, जैसे तुषार की प्रहत पद्मिनी क्षण भर में स्याह पड़ गयी।
4Narrative
50
होश में आ, अपने को सँभालकर कृत्रिम हँसी रँगकर पूछा,'' किसके साथ किया?'''' लिली के साथ।'' उसी तरह हँसकर राजेन्द्र बोला।
2Dialogue
50
' लिली के साथ!'' पद्मा स्वर में काँप गयी।
2Dialogue
50
' तुम्हीं ने तो कहा था-विलायत जाना और मेम लाना।'' पद्मा की आँखें भर आयीं।
2Dialogue
50
हँसकर राजेन्द्र ने कहा,'' यही तुम अंगेजी की एम.ए. हो?
2Dialogue
50
लिली के मानी ?''
2Dialogue
51
श्रीमती गजानन्‍द शास्त्रिणी श्रीमान् पं. गजानन्‍द शास्‍त्री की धर्मपत्‍नी हैं।
1Descriptive
51
श्रीमान् शास्‍त्री जी ने आपके साथ यह चौथी शादी की है, धर्म की रक्षा के लिए।
4Narrative
51
शास्त्रिणी के पिता को षोडशी कन्‍या के लिए पैंतालीस साल का वर बुरा नहीं लगा, धर्म की रक्षा के लिए।
4Narrative
51
वैद्य का पेशा अख्यितार किए शास्‍त्री जी ने युवती पत्‍नी के आने के साथ' शास्त्रिणी' का साइन-बोर्ड टाँगा, धर्म की रक्षा के लिए।
4Narrative
51
शास्त्रिणी जी उतनी ही उम्र में गहन पातिव्रत्‍य पर अविराम लेखनी चलाने लगीं, धर्म की रक्षा के लिए।
4Narrative
51
मुझे यह कहानी लिखनी पड़ रही है, धर्म की रक्षा के लिए।
1Descriptive
51
इससे सिद्ध है, धर्म बहुत ही व्‍यापक है।
1Descriptive
51
सूक्ष्‍म दृष्टि से देखने वालों का कहना है कि नश्‍वर संसार का कोई काम धर्म के दायरे से बाहर नहीं।
3Informative
51
संतान पैदा होने के पहले से मृत्‍यु के बाद पिंडदान तक जीवन के समस्‍त भविष्‍य, वर्तमान और भूत को व्‍याप्‍त कर धर्म-ही-धर्म है।
3Informative
51
जितने देवता हैं, चूँकि देवता हैं, इसलिए धर्मात्‍मा हैं।
3Informative
51
मदन को भी देवता कहा है।
1Descriptive
51
यह जवानी के देवता हैं।
1Descriptive
51
जवानी जीवनभर का शुभ मुहूर्त है, सबसे पुष्‍ट, कर्मठ और तेजस्‍वी सम्‍मान्‍य, फलत: क्रियाएं भी सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण, धार्मिकता लिए हुए।
3Informative
51
मदन को कोई देवता न माने तो न माने पर यह निश्‍चय है कि आज तक कोई देवता इन पर प्रभाव न डाल सका।
1Descriptive
51
किसी धर्म, शास्‍त्र और अनुशासन के मानने वालों ने ही इनकी अनुवर्तिता की है।
3Informative
51
यौवन को भी कोई कितना निंद्य कहे, चाहते सब हैं, वृद्ध सर्वस्‍व भी स्‍वाहा कर।
3Informative
51
चिह्न तक लोगों को प्रिय हैं- खिजाब की कितनी खपत! धातु-पुष्टि की दवा सबसे ज्‍यादा बिकती है।
3Informative
51
साबुन, सेंट, पाउडर, क्रीम, हेजलीन, वेसलीन, तेल-फुलेल के लाखों कारखानें हैं और इस दरिद्र देश में।
3Informative
51
जब न थे, रामजी और सीताजी उबटन लगाते थे।
1Descriptive
51
नाम और प्रसिद्धि कितनी है- संसार के सिनेमा-स्‍टारों को देख जाइए।
1Descriptive
51
किसी शहर में गिनिए- कितने सिनेमा-हाउस हैं।
1Descriptive
51
भीड़ भी कितनी- आवारागर्द मवेशी काइन्‍ज हाउस में इतने न मिलेंगे।
1Descriptive
51
देखिए -‍ हिंदू, मुसलमान, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध, क्रिस्‍तान, सभी; साफा, टोपी, पगड़ी, कैप, हैट और पाग से लेकर नंगा सिर- घुटना तक, अद्वैतवादी, विशिष्‍टतावादी, द्वैतवादी, द्वैताद्वैतवादी, शुद्धाद्वैतवादी, साम्राज्‍यवादी, आतंकवादी, समाजवादी, काजी, सूफी से लेकर छायावादी तक; खड़े-बेड़े, सीधे-टेढ़े सब तरह के तिलक-त्रिपुंड; बुरकेवाली, घूंघटवाली, पूरे और आधे और चौथाई बाल वाली, खुली और मुंदी चश्‍मेवाली आंखें तक देख रही हैं।
1Descriptive
51
अर्थात संसार के जितने धर्मात्‍मा हैं, सभी यौवन से प्‍यार करते हैं।
1Descriptive
51
इसलिए उसके कार्य को भी धर्म कहना पड़ता है।
1Descriptive
51
किसी के न कहने, न मानने से वह अधर्म नहीं होता।
1Descriptive
51
अस्‍तु, इस यौवन के धर्म की ओर शास्त्रिणी जी का धावा हुआ, जब वे पंद्रह साल की थीं
1Descriptive
51
अविवाहिता। यह आवश्‍यक था, इसलिए पाप नहीं।
1Descriptive
51
मैं इसे आवश्‍यकतानुसार ही लिखूंगा।
4Narrative
51
जो लोग विशेष रूप से समझना चाहते हों, वे जितने दिन तक पढ़ सकें, काम-विज्ञान का अध्‍ययन कर लें।
1Descriptive
51
इस शास्‍त्र पर जितनी पुस्‍तकें हैं, पूर अध्‍ययन के लिए पूरा मनुष्‍य-जीवन थोड़ा है।
1Descriptive
51
हिंदी में अनेक पुस्‍तकें इस पर प्रकाशित हैं, बल्कि प्रकाशन को सफल बनाने के लिए इस विषय की पुस्‍तकें आधार मानी गई हैं।
1Descriptive
51
इससे लोगों को मालूम हो‍गा कि यह धर्म किस अवस्‍था से किस अवस्‍था तक किस-किस रूप में रहता है।
1Descriptive
51
शास्त्रिणी जी के पिता जिला बनारस के रहने वाले हैं, देहात के, प्रयासी, सरयूपारीण ब्राह्मण; मध्‍यमा तक संस्‍कृत पढ़े; घर के साधारण जमींदार, इसलिए आचार्य भी विद्वता का लोहा मानते हैं।
1Descriptive
51
गांव में एक बाग कलमी लंगड़े का है।
1Descriptive
51
हर साल भारत-सम्राट को आम भेजने का इरादा करते हैं, जब से वायुयान-कंपनी चली। पर नीचे से ऊपर को देखकर ही रह जाते हैं, सांस छोड़कर।
1Descriptive
51
जिले के अंग्रेज हाकिमों को आम पहुंचाने की पितामह के समय से प्रथा है।
1Descriptive
51
ये भी सनातन धर्मानुयायी हैं।
1Descriptive