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6 classes
50
योग्य वर के अभाव से उसका विवाह अब तक रोक रक्खा है।
1Descriptive
50
मैट्रिक परीक्षा में पद्मा का सूबे में पहला स्थान आया था।
1Descriptive
50
उसे वृत्ति मिली थी।
1Descriptive
50
पत्नी को, योग्य वर न मिलने के कारण विवाह रूका हुआ है, शुक्लजी समझा देते हैं।
1Descriptive
50
साल-भर से कन्या को देखकर माता भविष्य-शंका से कांप उठती हैं।
1Descriptive
50
पद्मा काशी विश्वविद्यालय के कला-विभाग में दूसरे साल की छात्रा है।
1Descriptive
50
गर्मियों की छुट्टी है, इलाहाबाद घर आयी हुई है।
4Narrative
50
अबके पद्मा का उभार, उसका रंग-रूप, उसकी चितवन-चलन-कौशल-वार्तालाप पहले से सभी बदल गये हैं।
4Narrative
50
उसके हृदय में अपनी कल्पना से कोमल सौन्दर्य की भावना, मस्तिष्क में लोकाचार से स्वतन्त्र अपने उच्छृंखल आनुकूल्य के विचार पैदा हो गये हैं।
1Descriptive
50
उसे निस्संकोच चलती- फिरती, उठती-बैठती, हँसती-बोलती देखकर माता हृदय के बोलवाले तार से कुछ और ढीली तथा बेसुरी पड़ गयी हैं।
4Narrative
50
एक दिन सन्ध्या के डूबते सूर्य के सुनहले प्रकाश में, निरभ्र नील आकाश के नीचे, छत पर, दो कुर्सियाँ डलवा माता और कन्या गंगा का रजत-सौन्दर्य एकटक देख रही थी।
1Descriptive
50
माता पद्मा की पढ़ाई, कॉलेज की छात्राओं की संख्या, बालिकाओं के होस्टल का प्रबन्ध आदि बातें पूछती हैं, पद्मा उत्तर देती है।
1Descriptive
50
हाथ में है हाल की निकली स्ट्रैंड मैगजीन की एक प्रति। तस्वीरें देखती जाती है।
1Descriptive
50
हवा का एक हलका झोंका आया, खुले रेशमी बाल, सिर से साड़ी को उड़ाकर, गुदगुदाकर, चला गया।
4Narrative
50
' सिर ढक लिया करो, तुम बेहया हुई जाती हो।'' माता ने रूखाई से कहा।
2Dialogue
50
पद्मा ने सिर पर साड़ी की जरीदार किनारी चढ़ा ली, आँखें नीची कर किताब के पन्ने उलटने लगी।
4Narrative
50
' पद्मा!'' गम्भीर होकर माता ने कहा।
4Narrative
50
' जी!'' चलते हुए उपन्यास की एक तस्वीर देखती हुई नम्रता से बोली।
4Narrative
50
मन से अपराध की छाप मिट गयी, माता की वात्सल्य-सरिता में कुछ देर के लिए बाढ़-सी आ गयी, उठते उच्छ्वास से बोली,'' कानपुर में एक नामी वकील महेशप्रसाद त्रिपाठी हैं।'''' हूँ'' एक दूसरी तस्वीर देखती हुई।
4Narrative
50
' उनका लड़का आगरा युनिवर्सिटी से एम।ए।
2Dialogue
50
में इस साल फर्स्ट क्लास फर्स्ट आया है।'''' हूँ'' पद्मा ने सिर उठाया।
2Dialogue
50
आँखें प्रतिभा से चमक उठीं।
4Narrative
50
' तेरे पिताजी को मैंने भेजा था, वह परसों देखकर लौटे हैं।
2Dialogue
50
कहते थे, लड़का हीरे का टुकड़ा, गुलाब का फूल है।
2Dialogue
50
बातचीत दस हजार में पक्की हो गयी है।'''' हूँ'' मोटर की आवाज पा पद्मा उठकर छत के नीचे देखने लगी।
2Dialogue
50
हर्ष से हृदय में तरंगें उठने लगीं।
4Narrative
50
मुस्किराहट दबाकर आप ही में हँसती हुई चुपचाप बैठ गयी।
4Narrative
50
माता ने सोचा, लड़की बड़ी हो गयी है, विवाह के प्रसंग से प्रसन्न हुई है।
1Descriptive
50
खुलकर कहा,'' मैं बहुत पहले से तेरे पिताजी से कह रही थी, वह तेरी पढ़ाई के विचार में पड़े थे।'' नौकर ने आकर कहा,'' राजेन बाबू मिलने आये हैं।'' पद्मा की माता ने एक कुर्सी डाल देने के लिए कहा।
2Dialogue
50
कुर्सी डालकर नौकर राजेन बाबू को बुलाने नीचे उतर गया।
4Narrative
50
तब तक दूसरा नौकर रामेश्वरजी का भेजा हुआ पद्मा की माता के पास आया।
4Narrative
50
कहा,'' जरूरी काम से कुछ देर के लिए पण्डितजी जल्द बुलाते हैं।
2Dialogue
50
'
5Other
50
जीने से पद्मा की माता उतर रही थीं, रास्ते में राजेन्द्र से भेंट हुई।
4Narrative
50
राजेन्द्र ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया।
4Narrative
50
पद्मा की माता ने कन्धे पर हाथ रखकर आशिर्वाद दिया और कहा,' 'चलो, पद्मा छत पर है, बैठो, मैं अभी आती हूँ।''
2Dialogue
50
राजेन्द्र जज का लड़का है, पद्मा से तीन साल बड़ा, पढ़ाई में भी।
1Descriptive
50
पद्मा अपराजिता बड़ी-बड़ी आँखों की उत्सुकता से प्रतीक्षा में थी, जब से छत से उसने देखा था।
1Descriptive
50
' आइए, राजेन बाबू, कुशल तो है?'' पद्मा ने राजेन्द्र का उठकर स्वागत किया।
2Dialogue
50
एक कुर्सी की तरफ बैठने के लिए हाथ से इंगित कर खड़ी रही।
4Narrative
50
राजेन्द्र बैठ गया, पद्मा भी बैठ गयी।
4Narrative
50
' राजेन, तुम उदास हो!'''' तुम्हारा विवाह हो रहा है?'' राजेन्द्र ने पूछा। पद्मा उठकर खड़ी हो गयी।
2Dialogue
50
बढ़कर राजेन्द्र का हाथ पकड़कर बोली,'' राजेन, तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं?
2Dialogue
50
जो प्रतिज्ञा मैंने की है, हिमालय की तरह उस पर अटल रहूँगी।''
2Dialogue
50
पद्मा अपनी कुर्सी पर बैठ गयी।
4Narrative
50
मैगजीन खोल उसी तरह पन्नों में नजर गड़ा दी।
4Narrative
50
जीने से आहट मालूम दी।
4Narrative
50
माता निगरानी की निगाह से देखती हुई आ रही थीं।
1Descriptive
50
प्रकृति स्तब्ध थी।
1Descriptive
50
मन में वैसी ही अन्वेषक चपलता।
1Descriptive
50
' क्यों बेटा, तुम इस साल बी।ए। हो गये?'' हँसकर पूछा।
2Dialogue
50
' जी हाँ।'' सिर झुकाये हुए राजेन्द्र ने उत्तर दिया।
4Narrative
50
' तुम्हारा विवाह कब तक करेंगे तुम्हारे पिताजी, जानते हो?'''' जी नहीं।'''' तुम्हारा विचार क्या है?'''' आप लोगों से आज्ञा लेकर विदा होने के लिए आया हूँ, विलायत भेज रहे हैं पिताजी।'' नम्रता से राजेन्द्र ने कहा।'' क्या बैरिस्टर होने की इच्छा है?'' पद्मा की माता ने पूछा।
2Dialogue
50
' जी हाँ।'''' तुम साहब बनकर विलायत से आना और साथ एक मेम भी लाना, मैं उसकी शुध्दि कर लूँगी।'' पद्मा हँसकर बोली।
2Dialogue
50
नौकर ने एक तश्तरी पर दो प्यालों में चाय दी- दो रकाबियों पर कुछ बिस्कुट और केक। दूसरा एक मेज उठा लिया।
4Narrative
50
राजेन्द्र और पद्मा की कुर्सी के बीच रख दी, एक धुली तौलिया ऊपर से बिछा दी।
4Narrative
50
सासर पर प्याले तथा रकाबियों पर बिस्कुट और केक रखकर नौकर पानी लेने गया, दूसरा आज्ञा की प्रतीक्षा में खड़ा रहा।
4Narrative
50
' मैं निश्चय कर चुका हूँ, जबान भी दे चुका हूँ।
2Dialogue
50
अबके तुम्हारी शादी कर दूँगा।'' पण्डित रामेश्वरजी ने कन्या से कहा।'' लेकिन मैंने भी निश्चय कर लिया है, डिग्री प्राप्त करने से पहले विवाह न करूँगी।'' सिर झुकाकर पद्मा ने जवाब दिया।
2Dialogue
50
' मैं मैजिस्ट्रेट हूँ बेटी, अब तक अक्ल ही की पहचान करता रहा हूँ, शायद इससे ज्यादा सुनने की तुम्हें इच्छा न होगी।'' गर्व से रामेश्वरजी टहलने लगे।
2Dialogue
50
पद्मा के हृदय के खिले गुलाब की कुल पंखडिया हवा के एक पुरजोर झोंके से काँप उठीं।
4Narrative
50
मुक्ताओं-सी चमकती हुई दो बूँदें पलकों के पत्रों से झड़ पड़ी।
4Narrative
50
यही उसका उत्तर था।
1Descriptive
50
' राजेन जब आया, तुम्हारी माता को बुलाकर मैंने जीने पर नौकर भेज दिया था, एकान्त में तुम्हारी बातें सुनने के लिए।
2Dialogue
50
तुम हिमालय की तरह अटल हो, मैं भी वर्तमान की तरह सत्य और दृढ़।'' रामेश्वरजी ने कहा,'' तुम्हें इसलिए मैंने नहीं पढ़ाया कि तुम कुल-कलंक बनो।'''' आप यह सब क्या कह रहे हैं?'''' चुप रहो। तुम्हें नहीं मालूम?
2Dialogue
50
तुम ब्राह्मण-कुल की कन्या हो, वह क्षत्रिय-घराने का लड़का है- ऐसा विवाह नहीं हो सकता।'' रामेश्वरजी की साँस तेज चलने लगीं, आँखें भौंहों से मिल गयीं।
2Dialogue
50
' आप नहीं समझे मेरे कहने का मतलब।'' पद्मा की निगाह कुछ उठ गयी।
2Dialogue
50
' मैं बातों का बनाना आज दस साल से देख रहा हूँ।
2Dialogue
50
तू मुझे चराती है?
2Dialogue
50
वह बदमाश!'''' इतना बहुत है। आप अदालत के अफसर है! अभी- अभी आपने कहा था, अब तक अक्ल की पहचान करते रहे हैं, यह आपकी अक्ल की पहचान है!
2Dialogue
50
आप इतनी बड़ी बात राजेन्द्र को उसके सामने कह सकते हैं?
2Dialogue
50
बतलाइए, हिमालय की तरह अटल सुन लिया, तो इससे आपने क्या सोचा?'' आग लग गयी, जो बहुत दिनों से पद्मा की माता के हृदय में सुलग रही थी।
2Dialogue
50
' हट जा मेरी नजरों से बाहर, मैं समझ गया।'' रामेश्वर जी क्रोध से काँपने लगे।'' आप गलती कर रहे हैं, आप मेरा मतलब नहीं समझे, मैं भी बिना पूछे हुए बतलाकर कमजोर नहीं बनना चाहती।'' पद्मा जेठ की लू में झुलस रही थी, स्थल पद्म-सा लाल चेहरा तम-तमा रहा था।
2Dialogue
50
आँखों की दो सीपियाँ पुरस्कार की दो मुक्ताएँ लिये सगर्व चमक रही थीं।
1Descriptive
50
रामेश्वरजी भ्रम में पड़ गये। चक्कर आ गया।
4Narrative
50
पास की कुर्सी पर बैठ गये।
4Narrative
50
सर हथेली से टेककर सोचने लगे।
4Narrative
50
पद्मा उसी तरह खड़ी दीपक की निष्कम्प शिखा-सी अपने प्रकाश में जल रही थी।
1Descriptive
50
' क्या अर्थ है, मुझे बता।'' माता ने बढ़कर पूछा।
2Dialogue
50
' मतलब यह, राजेन को सन्देह हुआ था, मैं विवाह कर लूँगी- यह जो पिताजी पक्का कर आये हैं, इसके लिए मैंने कहा था कि मैं हिमालय की तरह अटल हूँ, न कि यह कि मैं राजन के साथ विवाह करूँगी।
2Dialogue
50
हम लोग कह चुके थे कि पढ़ाई का अन्त होने पर दूसरी चिन्ता करेंगे।'' पद्मा उसी तरह खड़ी सीधे ताकती रही।
2Dialogue
50
' तू राजेन को प्यार नहीं करती?'' आँख उठाकर रामेश्वरजी ने पूछा।
2Dialogue
50
' प्यार? करती हूँ।'''' करती है?'''' हाँ, करती हूँ।'''' बस, और क्या?'''' पिता!'' पद्मा की आबदार आँखों से आँसुओं के मोती टूटने लगे, जो उसके हृदय की कीमत थे, जिनका मूल्य समझनेवाला वहाँ कोई न था।
4Narrative
50
माता ने ठोढ़ी पर एक उँगली रख रामेश्वरजी की तरफ देखकर कहा,'' प्यार भी करती है, मानती भी नहीं, अजीब लड़की है।'''' चुप रहो।'' पद्मा की सजल आँखें भौंहों से सट गयीं,'' विवाह और प्यार एक बात है?
2Dialogue
50
विवाह करने से होता है, प्यार आप होता है।
2Dialogue
50
कोई किसी को प्यार करता है, तो वह उससे विवाह भी करता है?
2Dialogue
50
पिताजी जज साहब को प्यार करते हैं, तो क्या इन्होंने उनसे विवाह भी कर लिया है?'' रामेश्वरजी हँस पड़े। रामेश्वरजी ने शंका की दृष्टि से डाक्टर से पूछा,'' क्या देखा आपने डाक्टर साहब?'''' बुखार बड़े जोर का है, अभी तो कुछ कहा नहीं जा सकता।
2Dialogue
50
जिस्म की हालत अच्छी नहीं, पूछने से कोई जवाब भी नहीं देती।
2Dialogue
50
कल तक अच्छी थी, आज एकाएक इतने जोर का बुखार, क्या सबब है?'' डॉक्टर ने प्रश्न की दृष्टि से रामेश्वरजी की तरफ देखा।
2Dialogue
50
रामेश्वरजी पत्नी की तरफ देखने लगे।
4Narrative
50
डाक्टर ने कहा,'' अच्छा, मैं एक नुस्खा लिखे देता हूँ, इससे जिस्म की हालत अच्छी रहेगी।
2Dialogue
50
थोड़ी-सी बर्फ मँगा लीजिएगा।
2Dialogue
50
आइस-बैग तो क्यों होगा आपके यहाँ ?एक नौकर मेरे साथ भेज दीजिए, मैं दे दूँगा।
2Dialogue
50
इस वक्त एक सौ चार डिग्री बुखार है।
2Dialogue
50
बर्फ डालकर सिर पर रखिएगा।
2Dialogue
50
एक सौ एक तक आ जाय, तब जरूरत नहीं।'' डॉक्टर चले गये।
2Dialogue
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रामेश्वरजी ने अपनी पत्नी से कहा,'' यह एक दूसरा फसाद खड़ा हुआ। न तो कुछ कहते बनता है, न करते।
2Dialogue
50
मैं कौम की भलाई चाहता था, अब खुद ही नकटों का सिरताज हो रहा हूँ।
2Dialogue
50
हम लोगों में अभी तक यह बात न थी कि ब्राह्मण की लड़की का किसी क्षत्रिय लड़के से विवाह होता।
2Dialogue
50
हाँ, ऊँचे कुल की लड़कियाँ ब्राह्मणों के नीचे कुलों में गयी हैं।
2Dialogue