folksong
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| language
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---|---|
सूते पिया खरिहनवाँ हो, फागुन के महीनवा
सूते पिया खरिहनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । ।
कुकुर के नीन , भइल तन छीन ,
मोती भइल बाटे दनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । ।
अइसे पिआसल पिया मन हुलासल ,
गंगा बनल मोर नयनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । ।
बन के कोइलिया , बोले मीठ बोलिया ,
हमके बुझाला सपनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । ।
कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से | bhojpuri-bho |
म्हारा तो ऑगण रूखड़ो
बधाई लाई ननदी , हां रे सांवलिया
कहां से आई सौंठ , कांह से आई पीपली
कहां से आई ननदी , हां रे सांवलिया
बम्बई से आई सौंठ , इन्दौर से आई पीपली
फलाने गांव से आई ननदी , हां रे सांवलिया
काय में आई सौंठ , काय में आई पीपली
काय में आई ननदी , हां रे सांवलिया
डब्बे में आई सौंठ , डब्बी में आई पीपली
तांगे में आई नंदी , हां रे सांवलिया
काहे को आई सौंठ , काहे का आई पीपली
काहे को आई नंदी , हां रे सांवलिया
जच्चा के लिए सौंठ , बच्चा के लिए पीपली
लूटन को आई नंदी , हां रे सांवलिया । | malvi-mup |
अवगुन बहुत करे
अवगुन बहुत करे ,
गुरुजी मैंने अवगुन बहुत करे ।
जब से पांव धरे धरनी पे ,
लाखन जीवन मरे । गुरुजी . . .
जब से कलम धरी कागज पे ,
दस के बीस करे । गुरुजी . . .
गैल चलत मैंने तिरिया निरखी ,
मनसा पाप करे । गुरुजी . . .
पाप पुण्य की बांधी गठरिया ,
सिर पे बोझ धरे । गुरुजी . . . | bundeli-bns |
उतरहि दिस से नैया एक आयल हे
उतरहि दिस से नैया एक आयल हेऽ
हिंगुर रंगल दुनू मांगि हेऽ
नैयो नै छियै बनिजरबो नै छियै हेऽ
बिनु रे खेबैया नैया आबै हेऽ
कहाँ गेलऽ किया भेलऽ रैया रनपाल हो
जल्दी से देहु नैया कात लगाय हो
किए तहूँ छिही गे बुढ़िया
दैतनी जे भूतनी गे
निसिभाग राति पाड़ै छै हाक गे
नहि हम छिये बेरीबरबा
दैतनी जे भूतनी रे
नहि हम भूतनी पिसाचनी रे
जाति के जे छिकियै बैरीबरबा
बराहमन कुल बेटिया रे
लोक कहै छै कोसिका कुमारि रे
जब तहूँ पुछले बेरीबरवा जातिया ठेकान रे
कहि दहि अपनो नाम ठेकान रे
जाति के छियै माय कोसिका
जाति के मलाह गे
मायबाप रखलक माय कोसिका
कोहला दे देव नाम गे
पहिलुक पूजा कोहला देव ,
तोहरे देबअ हो
चलऽ कोहला देव हमर साथ हो
माय हमर आन्हरि कोसिका
बाप काया कोढ़ि गे
हमे कौना जइबौ संग साथ गे
माय के आँखि देबौ ,
बाप के काया देबौ बनाय हो
चलू कोहला वीर हमर संग साथ हो
गोड़ तोरा लागै छी माय कोसिका
दुह कर जोड़ि हे
विपत्ति बेरिया होहु ने सहाय हे । | angika-anp |
कोइ सखि माथा बन्हावे, कोइ सखि उबटन हे
कोइ सखि माथा बन्हावे1 कोइ सखि उबटन हे ।
कोइ सखि चीर सँम्हारे , कोइ रे समुझावत हे ॥ 1 ॥
सासु के बन्दिहऽ2 पाँव , जेठानी बात मानिहऽ3 हे ।
ननदी के करिहऽ पिरीत4 देवर कोर5 राखिहऽ6 हे ॥ 2 ॥
भउजी जे बाँन्हथिन खोँइछा7 अँचरा बिलमावथि8 हे ।
आज भवन मोरा सून9 भेल , ननद भेलन पाहुन हे ॥ 3 ॥
बाबा जे हथिन10 निरमोहिया , त हिरिदिया11 कठोर भेल हे ।
हमरा के सौंपलन रघुनंन्नन , अपना पलटि12 घर हे ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
जौ जश दे धरती माता
जौ1 जश दे धरती माता
जौ जश दे कुरम2 देवता
जौ जश दे भूमि का भम्याल3
जौ जश दे गंगा की सौणी4 धार
जौ जश दे पंचनाम देव
जौ जश दे भायों5 की जमात
जौ जश दे देऊ भूम गढ़वाल | garhwali-gbm |
एक घोड़ी नजारे ते आई
एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने रास बुलाई हो राम
घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।
घोड़ी होठां नै मरकावै बनड़े ने खान सिखावै हो राम
घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।
घोड़ी आखियां नै मरकावै बाले बनड़े नै सैन सिनावै हो राम
घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।
घोड़ी पायां ने मरकावै बाले बनड़े ने चाल सिखावै हो राम
घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।
एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने राम बुलाई हो राम
घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । | haryanvi-bgc |
पाई खुदा के घर की कीनैं?
पाई खुदा के घर की कीनैं ?
की खाँ मरनै जीनैं ?
बिघ ललाट के अच्छर ऐसे ,
लिखे ना काऊ चीनैं ।
एकन खाँ धन वान करत हैं ,
एकन को धन छीनैं ।
ईसुर ऐसे कलम करत है
अल्ला ख्याल नवीनैं । | bundeli-bns |
दरवाजा पे नौबत बाजे
दरवाजा पे नौबत बाजे
लाल म्हारे भोत नीको लागे
दाई हमारे मन भावे
आवतो सो दीनड़ झेले
लाल म्हारे भोत नीको लागे
सासू हमारा मन भावे
वे कुंवर पठोला में झेले
वे जोठाणी हमारे मन भावे
वे चखेते फूंको धरावे
लाल मोय भोत नीको लागे
वे देराणी हमारे मन भावे
वे दस दन रसोई निपाये
वे कोणा में खाट बिछावे
लाल मोय भोत नीको लागे
वे नणंद हमारे मन भावे
वे कंवळे ते सांतीपूड़ा लावे
वे पड़ोसन हमारे मन भावे
वे दस दिन मंगल गावे
वे ढोली हमारे मन भावे
वे अँगना में ढ़ोल घोरावे
वे जोसी हमारे मन भावे
वे ललना को नाम धरावे । | malvi-mup |
बनड़ी! चलो जी हमारे साथ
बनड़ी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी
बन्ने दादा जी छोड़े ना जांय दादी में हमारा मन घना
बन्ने बाबल छोड़े ना जांय अम्मा में हमारा मन घना
बन्ने चाचा ताऊ छोड़े ना जांय चाची ताई में मन घना
बन्ने भाई बहन छोड़े ना जांय मामा मामी में मन घना
बन्ने यह घर छोड़ा ना जांय इस नगरी में हमारा मन रमा
बन्नी यह सब झूठा है जंजाल असल में सच्चे दो जने
बनी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी | haryanvi-bgc |
भक्ती भरमणा दुर करो
भक्ती भरमणा दुर करो ,
आरे ठगाई नही जाणा
१ कायन की साधु गोदड़ी ,
आरे कायन का हो धागा
कोण पुरुष दर्जी भया
कुण सिवण हारा . . .
भक्ती . . .
२ हवा की बणी साधु गोदड़ी ,
आरे पवन का हो धागा
मन सुतार दर्जी भया
वो सिवण हारा . . .
भक्ती . . .
३ काहाँ से आई रे हवा पवन ,
आरे कहा से आया रे पाणी
कहा से आई रे मिर्गा लोचणी
कळु कब की छपाणी . . .
भक्ती . . .
४ आग आई रे हवा पवन ,
आरे पीछे आया रे पाणी
बीच म आई रे मिर्गा लोचणी
कळु जब की छपाणी . . .
भक्ती . . .
५ धवळो घोड़ो रे मुख हंसळो ,
आरे मोती जड़ीया रे लगाम
चंदा सुरज दुई पैगड़ा
प्रभू हूया असवार . . .
भक्ती . . . | nimadi-noe |
जोगवा बेसाहन चलल मोर भइया रे टोनमा
जोगवा1 बेसाहन2 चलल मोर भइया रे टोनमा ।
भइया चलले सँगे साथ रे टोनमा ॥ 1 ॥
घुरि फिरि3 देखथिन बेटी दुलरइतिन बेटी रे टोनमा ।
अँखियन से ढरे लोर4 रे टोनमा ॥ 2 ॥
आगे आगे अवथिन5 भइया दुलरुआ भइया रे टोनमा ।
पाछे पाछे भउजी6 चली आवे रे टोनमा ॥ 3 ॥
भउजी के हाथ में सोने के सिंघोरबा7 रे टोनमा ।
भइया हाथे तरवार रे टोनमा ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
लोक गीत
हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व ।
हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व ।
जाणे वाली पछि फिरे वो , जाणे वाली पछि फिरे वो ।
सुबुन बुंद हात वा गुजरी , सुबुन बुंद हात वो गुजरी ।
फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ ।
कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ ।
कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ ।
फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ ।
हाथ में दर्पण चमक रहा है , पैर में पायजेब चमक रहे हैं । ओ जाने वाली पीछे मुड़ , जाने वाली पीछे मुड़ । सभी के हाथों में गूजरी हैं । फिरफिर कर घास उखाड़ , खेत में खरपतवार रह गया है वो कमली भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार रह गया है वो रूमा भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार
रह गया है वो राली भावज । इस प्रकार से निंदाई कर रहे लोगों के नाम लेलेकर गीत आगे बढ़ता जाता है । | bhili-bhb |
467
फिरे जोम1 दी भरी ते शाण चड़ी आ टली नी मुंडिए2 वासता ई
मरदमार रकाने जग बाजे मान मतिये गुंडिए वासता ई
बखशी सब गुनाह तकसीर तेरी लिया हीर नूं नडिये वासता ई
वारस शाह समझाय के जटड़ी नूं लाह दिल दी घुंडिए वासता ई | panjabi-pan |
कदिया ना गये राजा नौकरी
कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना कटाया अपना नाम
रसीले बन में एकले ।
कदिया ना भेजी राजा बाप के कदिया ना आये तांगा जोर
रसीले बन में एकले ।
कदिया ना बैठे राजा चौंतरे कदिया न परखी मेरी चाल
रसीले बन में एकले ।
कदिया न बुनी राजा जेवड़ी कदिया ना बुरी मेरी खाट
रसीले बन में एकले ।
अब के तो जाऊं गोरी नौकरी अब के तो कटाऊं अपना नाम
रसीले बन में एकले ।
अब के तो भेजूं गोरी बाप के अब के तो ल्याऊं तांगा जोर
रसीले बन में एकले ।
अब के तो बैठून गोरी चौंतरे अब के तो परखूं तेरी चाल
रसीले बन में एकले ।
अब के बाटूं गोरी जेवड़ी अब के तो बुनूं तेरी खाट
रसीले बन में एकले । | haryanvi-bgc |
म्हारे आंगण कीचड़ा
म्हारे आंगण कीचड़ा
बे किन डोल्या पाणी
म्हारी हथलाड्डो नहाई बे
नाण डोल्या पाणी
आया सामजी ढै पड्या बे
उन की टांग निताणी
टांग निताणी के करै बे
गोडे पडग्या पाणी
पड़ी ए पड़ी ललकारे बे
जनूं दल्लो राणी
मोरी म्हं को लीक्ड्या बे
जणूं सामण का पाणी
धम्मड़ धम्मड़ कूटी बे
जणूं धान्नां की घाणी | haryanvi-bgc |
हीरा मोती का गंज पड़िया
हीरा मोती का गंज पड़िया
आता सा फलाणा राम फिसल पड़िया
दौड़तासा छोटा भई ने झेल लिया
घणीखमा हो दादा म्हारा घणीखमा
काय की तमखे दादा फिकर पड़ी
हमखे काव करने की फिकर पड़ी
वे तो दालकड़ी का गंज पड़िया
आतासा जमई जी फिसल पड़िया
दौड़तीसी बईरां ने झेल लिया
घणीखमा हो म्हारा राज घणीखमा
काय की फिकर तमखे पड़ी
संडास सोरने की फिकर हमखे पड़े | malvi-mup |
छैला
जिकुड़ि1 धड़क धड़क कदी ।
अपणि नी छ बाणी । ।
छैला2 की याद करी
उलरिगे3 पराणी4 । ।
पखन जखन सरग5 गिड़िके
स्यां स्यां के बिजुलि सरके
ढाडु6 पड़ं तड़तड़ के
रुण झुण के पाणी । ।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी । ।
बीच मुलक देश अहो
कनु कै जी ज्यू त सहो ।
की जो क्या ब्यूत7 कहो ।
छि मैं छवीं8 नि लाणी । ।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी ।
अपणि नी छ बाणी । ।
छैला बणि की उदास ,
लैंदी दौं गरम स्वास ?
बणिगे तन को कबास9 ,
कंदुड़ि10 छन बयाणी11 ।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी । ।
हिरहिर के बथो12 औंद
क्वी नी पर खबर लौंद
कनु कै जी शान्त होंद
पापि यो पराणी ?
धड़क धड़क जिकुड़ि कदी
अपणि नी छ बाणी । ।
झट अब घर जौलो
इनु इनु वीं भेंट ल्यौलो
मन हे , तू क्यां कु लोलो
करदि काचि13 गाणी ?
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी । ।
घर की तू जोत छई
कुल मां उपोत छई
सुन्दर जनु फुलीं जई
छै तु दिल कि राणी ।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी
अपणि नी छ बाणी । ।
फ्यूली14 की कली जनी
क्वां सो स्यो वदन तनी
औंदो हा याद जनी ,
तरस दो पराणी ।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी । ।
डांड्यों15 बसदी हिलांस16
रुकदो दौं किलै स्वांस
खांदी क्या चुचा , फांस ? . . . | garhwali-gbm |
लाडो पूछै बाबा से ए बाबा
लाडो पूछै बाबा से ए बाबा
मैं किस बिध देखण जाऊं
रंगीला आ उतर्या बागां मैं
हाथ टोकरियां फूलां की हे लाडो
मालणिया बन कर जाओ
रंगीला आ उतर्या बागां मैं
कच्ची कच्ची कलियां तोड़ लीं
अर मैं रिपट पड़ी री
मुखड़ा देख गया बागां मैं
बोल गया बतलाए गया
री म्हारे सावै धरी बनड़ी के
नजर लगाए गया बागां मैं | haryanvi-bgc |
तेरे दुलहे ने लाया सोहाग, सोहागिन तेरे लिए
तेरे दुलहे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 1 ॥
माँगो1 का टीका बने ने लाया ।
मोतिये में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 2 ॥
नाको का बेसर बने ने लाया ।
चुनिये2 में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 3 ॥
कानो3 की बाली बने ने लाया ,
झुमके में लाया सोहाग ।
तेरे नौसे4 ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 4 ॥
गले का माला बने ने लाया ।
हँसुली में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ।
तेरे नीसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 5 ॥
जानो5 का सूहा6 बने ने लाया ।
छापे में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ।
तेरे नौसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा
गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा ,
सोने के कलसे में ।
मैं बी तेरे संग चलूंगी ,
गांधी के जलसे में | haryanvi-bgc |
कांटो लागो रे देवरिया
कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय
अपने महल की मैं अलबेली
जोबन खिल रहे फूल चमेली धूप लगे कुम्हलाय
कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय
आधी राह हमें ले आयो
रास्ता छोड़ कुरस्ता ध्यायो
सास नणद तें पूछ न आयो
चलत चलत मेरी पिंडली दुखानी सिगरी देह पिराय
कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय | haryanvi-bgc |
345
रन्न वेखना ऐब है अन्नयां नूं रब्ब अखियां दितियां वेखने नूं
सब खलक1 दा वेख के लौ मुजरा2 करो दीद इस जग दे पेखने नूं
महांदेव जहे पारब्बती अगे काम लयांवदा सी मथा टेकने नूं
रावन राजयां सिरां दे दाअ लाये जरा जायके अखियां सेकने नूं
सब दीद मुआफ है आशकां नूं रब्ब यन दिते जग देखने नूं
अजराईल हथ कलम लै वेखदा ए तेरा नाम इस जग तों छेकने नूं | panjabi-pan |
लमटेरा की तान
हमारे लमटेरा की तान ,
समझ लो तीरथ कौ प्रस्थान ,
जात हैं बूढ़ेबारे ज्वान , जहाँ पै लाल धुजा फहराय ।
नगनग देह फरकबै भइया , जो दीवाली गाय । ।
दिवारी आई है ,
उमंगै लाई है ।
आज दिवारी के दिन नौनी लगै रात अँधियारी ,
मानों स्याम बरन बिटिया नैं पैरी जरी की सारी ।
मौनियाँ नचै छुटक कैं खोर ,
कि जैसें बनमें नाचैं मोर ,
दिवारी गाबैं करकर सोर , कि भइया बिन बछड़ा की गाय ।
बिन भइया की बहिन बिचारी गली बिसूरत जाय । ।
भाई दौज आई है ,
कि टीका लाई है ।
आन लगे दिन ललित बसन्ती फाग काउ नैं गाई ।
ढुलक नगड़िया बजी , समझ लओ कै अब होरी आई । ।
बजाबैं झाँजैं , झैला , चंग ,
नचत नरनारी मिलकें संग ,
रँगे तन रंग , गए हैं मन रंग , कहरवा जब रमसइँयाँ गाय ।
पतरी कम्मर बूँदावारी , सपनन मोय दिखाय । ।
अ र र र र होरी है ,
स र र र र होरी है ।
गाई चैतुअन नैं बिलवाई , चैत् काटबे जाबैं ।
सौंनेचाँदी को नदियासी पिसी जबा लहराबैं । ।
दिखाबैं अम्मन ऊपर मौर ,
मौर पर गुंजारत हैं भौंर ,
कि मानौ तने सुनहरे चौंर , मौर की सुन्दर छटा दिखाय । ।
चलत लहरिया बाव चुनरिया , उड़उड़ तन सैं जाय । ।
गुलेलें ना मारौ
लँयँ का तुमहारौ
गायँ बुँदेला देसा के हो , ब्याह की बेला आई ।
ब्याहन आए जनक जू के घर , तिरियन गारी गाई । ।
करे कन्या के पीरे हाँत ,
कि मामा लैकें आए भात ,
बराती हो गए सकल सनात , बिदा की बेला नीर बहाय ,
छूट चले बाबुल तोरे आँगन , दूर परी हौं जाय । ।
खबर मोरी लैयँ रइयो ,
भूल मोय ना जइयो ।
बरसन लागे कारे बदरा , आन लगो चौमासौ ।
बाबुल के घर दूर बसत हैं , जी मैं लगो घुनासौ । ।
उमड़ो भाईबहिन कौ प्यार ,
कि बिटिया छोड़ चलीं ससुरार ।
है आ गओ सावन कौ त्यौहार कि भइया राखी लेव बँदाय ।
माँगैं भाबी देव , नौरता खाँ फिर लियो बुलाय । ।
और कछु नइँ चानैं ,
हमें इतनइँ कानैं । | bundeli-bns |
पोथिया पढ़इते तोहिं परभुजी, त सुनहऽ बचन मोरा हो
‘तिलरी राउर मइया पेन्हो , आउर बहिनिया पेन्हो हे ।
हो परभुजी , हमहुँ न काली कोयलिया , तिलरिया हमरा ना सोभे हे ॥ ’
पोथिया पढ़इते1 तोहिं परभुजी , त सुनहऽ2 बचन मोरा हो ।
परभुजी , हमरा झुलनियाँ3 केरा साध , झुलनियाँ हम पहिरब4 हो ॥ 1 ॥
बोलिया तो , अहो धनि , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे ।
धनियाँ , कारी रे कोयलिया अइसन5 देहिया , झुलनियाँ तोरा न सोभे हे ॥ 2 ॥
बोलिया त , अहो परभु , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे ।
परभुजी , कारी के रे सेजिया जनि जइहऽ , साँवर होइ जायेब6 हे ॥ 3 ॥
मचिया बइठल तोहिं सासुजी , सुनहऽ बचन मोरा हे ।
सासुजी , बरजहुँ7 अपन बेटवा , सेजिया हमर जनि अवथुन , 8 , साँवर होइ जवथुन9 हे ॥ 4 ॥
बहुआ10 छोरि देहु माँग के सेनुरवा , नयना भरि काजर हे ।
बहुआ , बरजब अपन बेटवा , सेजिया तोहर न जयतन11 हे । | magahi-mag |
देसां मैं देस हरियाणा
देसां मैं देस हरियाणा ।
जित दूध दही का खाणा । | haryanvi-bgc |
मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी
मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी
कोई रंग पाट्यो अजमेर
मेहंदी रंग भरी जी राज ।
मेहंदी सींचण मैं गई जी
कोई छोटा देवर साथ
मेहंदी रंग भरी जी राज ।
मेहंदी घोलण मैं गई जी
कोई द्योर जिठाण्यां साथ
मेहंदी रंग भरी जी राज ।
मेहंदी लावण मैं गई जी
कोई छोटी नणदल साथ
मेहंदी रंग भरी जी राज ।
छोटी बूज्झे ए बड़ी
तम कहो रात की बात
मेहंदी किसीक रची जी राज ।
मेहंदी तो मैं लाय लई
तूं आई न आधी रात
मेहंदी अधिक बणी जी राज ।
द्योरेजिठानी सब कोई आई
तूं नहीं आई आधी रात
मेहंदी रंग भरी जी राज । | haryanvi-bgc |
अब कैसे जाऊँ लाड़ो, सामने खड़ी रे लाल
अब कैसे जाऊँ लाड़ो1 सामने खड़ी रे लाल ।
माँगो टीका पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो दिल में बसी रे लाल ॥ 1 ॥
नाको बेसर पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 2 ॥
कानो बाली पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 3 ॥
हाथों कँगन पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 4 ॥
गले माला पहन लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 5 ॥
हाथों पहुँची2 पेन्ह लाडो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 6 ॥
जान3 सूहा4 पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल ।
अब कैसे जाऊँ लाड़ो सामने खड़ी रे लाल ॥ 7 ॥ | magahi-mag |
149
पैचां कैदो नूं आखया सबर कर तूं तैनूं मारया ने झखां मारया ने
हाये हाये फकीर ते कहर होया कोई वडा ही खून गुजारया ने
बहुत दे दिलासड़ा पूंझ अखीं कैदो लंडे दा जीऊ चा ठारया ने
कैदो आखदा धीयां दे वल होके देशों दीन ईमान निघारया ने
वारस अंध राजा ते बेदाद1 नगरी झूठा दे दिलासड़ा मारया ने | panjabi-pan |
एक रोटी को बैल बिका
एक रोटी को बैल बिका अर पैसा बिक गया ऊंट
चौतींसा नै खोदिया भैंस गाया का बंट
चौंतीसा ने चौंतीसा मारै जिये वेश कसाई
औह मारै तकड़ी अर उस ने छुरी चलाई | haryanvi-bgc |
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे . . . | braj-bra |
509
पिहढ़े घतके कदी न बहे बूहे असीं एहते दुख विच मरांगे नी
एहदा जिउना पलमदा पिंड साडे असीं एह इलाज की करांगे नी
सोहनी रन्न बाजार ना वेचनीए वयाह पुत दा होरद करांगे नी
मुलां वैद हकीम लै जान पैसे कहियां चटियां गैब दियां भरांगे नी
वहुटी गभरू दोहां नूं बाढ़ अंदर असी बाहरों जंदरा जड़ां नी
सैदा ढाह के एस तों लए लेखा असी चीकनों मूल न डरांगे नी
शरमिंदगी जग दी सहागे जरा मुंह परां नूं होर दे करांगे नी
कदी चरखड़ा डाह ना छोप कते असी मेल भंडार की करांगे नी
वारस शाह शरमिंदगी एस दी तों असीं डुब के खूह विच मरांगे नी | panjabi-pan |
कई आँवा मोरिया, जांबू मोरिया
कई आँवा मोरिया , जांबू मोरिया
कई मोरी कचनार म्हारा राज
आज जमेरी रसभरी
फलाणा राय तमारा राज में
उना जमई का झाडू का लाड़
आज जमेरी रसभरी
फलाणी बऊ तमारा राज में
बेटी का दूनादूना लाड़
म्हारा राज आज जमेरी रसभरी । | malvi-mup |
आल्हा ऊदल
नाम रुदल के सुन गैले सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय
जे बर हिछलीं सिब मंदिर में से बर माँगन भेल हमार
एतो बारता है सोनवा के रुदल के सुनीं हवाल
घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर
घोड़ा उड़ावल बघ रुदल सिब मंदिर में पहुँचल जाय
घोड़ा बाँध दे सिब फाटक में रुदल सिब मंदिर में गैल समाय
पड़लि नजरिया है सोनवा के रुदल पड़ गैल दीठ
भागल सोनवा अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय
सोने पलंगिया बिछवौली सोने के मढ़वा देल बिछवाय
सात गलैचा के उपर रुदल के देल बैठाय
हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओ
कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बँधलव फाँड़
बोले राजा बघ रुदल भौजी सोनवा के बलि जाओं
बारह वरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुँआर
किला तूड़ दों नैना गढ़ के सोनवा के करों बियाह
एतनी बोली रानी सोनवा सुन गैल सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय
भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय
दूध मँगौली गैया के खोआ खाँड़ देल बनवाय
जेंइ लव जेंइ लव बाबू रुदल एहि जीबन के आस
कड़खा बोली रुदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान हमार
किरिया खैलीं मोहबा गढ़ में अब ना अन गराहों पान | bhojpuri-bho |
537
अजू आखया कहर अंोर यारो वेखो गजब फकीर ने चाया ए
मेरा सीने दा केवड़ा1 मार जिदों कम कार थी चाए गवाया ए
फकर मेहर कदे सारी खलक उते एस कहर जहान ते चाया ए
वारस शाह मियां नवां सांग2 वेखो दिओ आदमी होए के आया ए | panjabi-pan |
जीरा रगरि रगरि हम पिसलूँ
जीरा रगरि रगरि1 हम पिसलूँ ।
जीरा पीले बहू , जीरा पीले धनी ॥ 1 ॥
पाग2 के पेंच3 में छानली हे ।
जीरा पीले जरा , जीरा पीले जरा ॥ 2 ॥
होअत बलकवा के दूध ।
जीरा पीले जचा , जीरा पीले जचा ॥ 3 ॥
हम बबा के अलरी दुलरी4 ।
हमरा न जीरा ओल्हाय , 5 जीरा कइसे पीऊँ ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
आज अनंद भलइ हमर नगरी
बधैया
आज अनंद भलइ1 हमर नगरी ।
मोर दादा लुटावे अनधन सोना , मोर दादी लुटावे मोती के लरी2 ॥ 1 ॥
बाबूजी लुटावथ3 कोठीअटारी , मइया लुटाबे फूल के झरी ।
मोबारख4 होय होरिला तोहरो गली ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
काली ग्वाली खिटी टालान
काली ग्वाली खिटी टालान
काली ग्वाली खिटी टालान
रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा
रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा
रेइनी जाम्बू चूटी लियेन
रेइनी जाम्बू चूटी लियेन
रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे
रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे
रमा चाचू बनजा बेटा
रमा चाचू बनजा बेटा
अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे
अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे
स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी | korku-kfq |
झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे
झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे
झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे
अमा रानी का जा बेटा
अमा रानी का जा बेटा
ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे
ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे
स्रोत व्यक्ति रूक्मणी , ग्राम मकड़ाई | korku-kfq |
76
तेरा आखया असां मनजूर कीता मझीं देह संभाल के सारियां नी
खबरदार रहे मझीं विच खड़ा बेले विच मुसीबतां भारियां नी
रोला करे नाहीं नाल खधिया1 दे एस कदे नाहीं मझी चारियां नी
मत खेड रूझे खड़ियां जाण2 मझीं होण पिंड दे विच खुआरियां नी | panjabi-pan |
चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो
चढ़ लाडा , चढ़ रे ऊँचे रो , देखाधूं थारो सासरो रे
जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा , ऐंडू के शार्रूं सासरो रे
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो , देखांधू थारा सुसरा रे
जाणें जाणें पड़गो रा वौरा , ऐड़ा रे थारा सुसरा रे
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे
जाणें जाणें पड़गा री " बोंरी ' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो , देखांधू थारो सासरो रे
जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी , ऐड़ी तो थारी साली रे | rajasthani-raj |
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।
सच्च सुण के लोक ना सहिन्दे नी ,
फिर सच्चे पास ना बहिन्दे नी ,
सच्च मिट्ठा आशक प्यारे नूँ ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।
सच्च शरा करे बरबादी ए ,
सच्च आशक दे घर शादी1 ए ,
सच्च करदा नवीं अबादी ए ,
जेही शरा तरीकत हारे नूँ ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।
चुप्प आशक तों ना हुन्दी ए ,
जिस आई सच्च सुगन्धी ए ,
जिस माल्ह सुहाग दी गुन्दी ए ,
छड्ड दुनिआँ कूड़ पसारे नूँ ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।
बुल्ला सहु सच्च हुण बोले हैं ,
सच्च शरा तरीकत फोले हैं ,
गल्ल चौत्थे पद2 दी खोले हैं ,
जेहा शरा तरीके हारे नूँ ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । | panjabi-pan |
म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे
म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे , जरमरियो
काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो
लाड़ी आयो ने अनुअर डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो
बेड़ो लायो ने थाली डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो
लोटो लायो ने लोटी डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो
सीरस लायो ने ढ़ाल्यो डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो
म्हारो बालूड़ो ग्यो तो सासरे . . . जरमरियो ढ़ोलो
काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो । | rajasthani-raj |
पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु
पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु
पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु
रामा सरिका बोले रे बेटा म्हारो कलेजा टूटे
पेप रे पाला जोमेडो में माडो इयां बेटी
रेपे रेपे मांडिये
पान सुपारी जोमे डो इयां बेटी
रेपे रेपे मांडिये
काली ग्वाली किटी टाला
डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे
डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे
डून्डा ओड़ा चूटी तीये
रामा चाचू बनजा बेटा
आमा रानी का बोली वा जा बेटा मारे
स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा | korku-kfq |
जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां
जच्चा की चटोरी जीभ चलेबी मंगवा द्यो नां
उसकी सासू गिरवै रखद्यो ससुरै का लगवा द्यो ब्याज
जलेबी मंगवा द्यो नां
उसकी जिठाणी नै गिरवै रखद्यो जेठै का लगा द्यो ब्याज
जलेबी मंगवा द्यो नां
उसकी देवरानी गिरवै रखद्यो देवर का लगा द्यो ब्याज
जलेबी मंगवा द्यो नां
उसकी ननद ने गिरवै रखद्यो ननदोइए का लगा द्यो ब्याज
जलेबी मंगवा द्यो नां
जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां | haryanvi-bgc |
468
जो कुझ तुसी फरमांओ सो जाए आखां दिल जानथी चेलड़ी होइआं मैं
तैनूं पीर जी भुल के बुरा बोली भुली विसरी आन विगोइआं मैं
तेरी पाक जबान दा हुकम लैके कासिद1 होयके आन खलोइआं मैं
वारस शाह दे मोजजे साफ कीती नहीं मुढ दी वढी बदखोइआं मैं | panjabi-pan |
मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय
मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय
जेवर मत मांगो नन्दी डिब्बों का सिंगार
जेवर में से आरसी दूंगी छलला लूंगी निकाल
मन खोल के मांगो . . .
तीयल मत मांगे नन्दी बुगचे का सिंगार
कपड़े में मैं अंगिया दूंगी मुलकत लूंगी निकाल
मन खोल के मांगो . . .
बर्तन मत मांगो नन्दी चौके का सिंगार
बर्तन में मैं कटोरा दूंगी तल्ला लेऊं निकाल | haryanvi-bgc |
यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो
यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो
माय चमेली नौ तैल
गोरो लाड़ो लाड़ी बैठ्या उबटणे | malvi-mup |
मृत्यु गीत
टेक दल खोलो कमल का फूल हंसा , सायब रे न मिलावण ना होय रे ।
चौक1 गऊ न का दूध नीबजे रे हंसा , दूध का दही होय रे ।
आरे हंसा दूध न का दही होय रे ।
मयड़ो रोळो माखण नीबजे रे , ऐसो फिर नहिं दहिड़ो होय
सायब रेन मिलावण होय ।
चौक2 फूल फूलियो गुलाब को हंसा , भँवरो गयो लोभाय रे ,
आरे हंसा भँवरो गयो लोभाय रे ।
कलीकली भँवरो गुँजी रह्यो हंसा ,
एसो फूल गयो कुम्हलाय ।
सायब रे न मिलावण ना होय रे ।
चौक3 पाटियां पाड़ी रूड़ा प्रेम की रे हंसा , सोभती बिंदिया सजाई रे ।
आरे हंसा रे न मिलावण ना होय रे ।
चूंदड़ ओढ़ कोई प्रेम की रे , वकि मुक्ति का होय कल्याण ,
सायब रेन मिलावण ना होय रे ।
चौक4 नंदी किनारे घर कर्यो हंसा , नहावत निरमल नीर रे ।
आरे हंसा नहावत निरमल नीर रे ।
धरमी राजा पार उतरिया , ऐसो पापी गोता खाय
सायब से मिलावण ना होय रे ।
छाप कइये कमाली कबिर सा की लड़की , ऐसा खत अमरापुर पाया ।
हंस कमल दल का फूल खोलो , भगवान से मिलना न हो । गौ से दूध उत्पन्न
होता है , दूध से दही बनता है , छाछ बनाई , मक्खन निकाला , उसके बाद दही नहीं
हो सकता , इसी प्रकार समय खो दिया फिर भगवान से मिलना नहीं हो सकता ।
गुलाब का फूल खिला , उस पर भँवरा लुभाया । कलीकली पर भँवरा गुंजार करता
रहा और ऐसा करते फूल मुरझा गया । इस प्रकार ऐसा करते हुए अरे मानव उस
फूल के समान तेरी जिन्दगी खत्म हो गई । भगवान का भजन न किया , इससे
भगवान का सामीप्य नहीं हुआ । फिर चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा ।
अरे हंसा जीव महिलाओं को सम्बोधन किया गया है स्नान किया , सिर के
बालों की पाटियाँ प्रेम से पाड़ी । ललाट पर सुन्दर बिन्दी लगाई , इससे भगवान का
सामीप्य नहीं मिलता है । अरे भगवान से लगन की चूनरी ओढ यानी भगवान
का भजन भी कर , जिससे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो । आनन्दपूर्वक जीवन के साथ
भजन भी कर ।
अरे जीव नदी के किनारे घर बनाया और खूब निर्मल जन से स्नान किया , किन्तु
धर्म नहीं किया ? धम्र करने वाले पार उतर गए अर्थात् इस संसार रूपी नदी से
पार उतर गये । तात्पर्य यह कि मुक्ति पा गये और पापी बीच में ही गोते खाते हैं ।
कबीरदासजी की पुत्री कमाली कहती है कि धर्म करने वालों को अमरापुर की प्राप्ति
होती है । | bhili-bhb |
280
अजड़1 चारना कम पैगम्बरां दा केहा अमल शैतान दा रोलयो ई
भेडां चारके तोहमतां जोड़ना ए क्यों गजब फकीर ते खोलयो ई
वाही छड के खोलियां चारियां नी होयों जोगीड़ा जीऊना ठोलयो ई
सच मन के पिछांह मुड़ जा जटा केहा कूड़ दा फोलना फोलयो ई
वारस शाह एह उमर नित कर जाया2 शकर विच प्याज क्यों घोलयो ई | panjabi-pan |
563
रांझा आखदा पुछो खां एह छापा किथों दामन नाल चमेड़या जे
राह जांदड़े किसे ना पैन चंबड़े एह भूतना किथों सहेड़या जे
सारे मुलक एह झगड़दा पया फिरदा किसे हटकया ते नहीं होड़या जे
वारस शाह कुसंभे दे फोग वांगूं ओहदा उड़का रसा नचोड़या जे | panjabi-pan |
पिपरी लेके सासु खड़ी, पिपरिया पीले बहू
पिपरी1 लेके सासु खड़ी , पिपरिया पीले बहू ।
हो जयतो2 होरिलवा ला3 दूध , पिपरिया पीले बहू ॥ 1 ॥
पिपरी पीते मोरा होठ हरे , मोरा कंठ जरे हे ।
हिरदय कमलवा4 के फूल पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 2 ॥
पिपरी जेके भउजी खड़ी , चाची खड़ी ।
पुरतो5 होरिलवा के साध , पिपरिया पीले बहू ॥ 3 ॥
पिपरी पीते मोरा आँख जरे , नयना लोर6 ढरे ।
पिपरी न कंठ ओल्हाय7 पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
275
जदों करम अलाह दा करे मदद बेड़ा पार हो जाए निमानयों दा
लैणा करज़ नाहीं बूहे जा वहीए केहा तान है असां नितानयां दा
मेरे करम सवलड़े आन जागे खेत जंमया भुंनयां दानयां दा
वारस शाह मियां वडा वैद रांझा सरदार है सभ सिआनयां दा | panjabi-pan |
रच्छा करी बटुकनाथ भैरों
रच्छा करी बटुकनाथ भैरों ,
चौड़िया नारसिंह , वीर नौरतिया नारसिंह ।
ढौंढिया नारसिंह , चौरंगी नारसिंह ।
फोर मंत्र ईश्वरो वाच ।
ऊं नमो आदेश , गुरु कौं आदेश
प्रथम सुमिरौं नादबुद1 भैरों ,
द्वितीय सुमिरौं ब्रह्मा भैरों ,
तृतीय सुमिरों मछेन्द्रनाथ भैरों ,
मच्छ रूप धरी ल्यायो ।
चतुर्थ सुमिरौं चौरंगी नाथ ,
विंधा उत्तीर्ण करी ल्यायों ।
पंचमें सुमिरों पिंगला देवी ,
षष्ठे सुमिरौं श्री गुरु गोरख साई ,
सप्तमे सुमिरौं चंडिका देवी
या पिंडा2 को छल करी , छिद्र करी ,
भूत , प्रेत हर ले स्वामी
प्रचंड बाण मारि ले स्वामी
सप्रेम सुमिरौ नादबुद भैरों ,
तेरा इस पिंडा को ध्यान छोड़ादे
इस पिंडा को भूत , प्रेत , ज्वर उखेल3 दे स्वामी
फिर सुमिरौं दहिका देवी ,
इस पिंडा को दग्ध बाण उषेल दे स्वामी
अब मैं सुमिरौं कालिपुत्र कलुबा वीर ,
द्यू लो तोई स्वामी गूगल को धूप ,
कलुवा वीर आग रख पीछ रख
सवा कोस मू रख , पाताल मू रख
फीली फेफ्नी को मास रख ,
मुंड को मुंडारो उखेल ,
मुंड को जर उखेल
पीठी को सलको उखेल ,
कोरवी की धमाक उखेल ,
बार बिथा , छत्तीस बलई4 तू उखेल , रे बाबा
मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति , सब साचा
पिंडा राचा , चालो मंत्र , ईश्वरो वाच
फोर मंत्र , फट् स्वाहा ,
या बिक्षा नी आन दूसरी बार । | garhwali-gbm |
बारात के रास्ते का गीत
उभो रे मयदान मा , उभो रहयो रे बेना ।
बइं ना वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
बणवि ना वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
भाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
भोजाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
फुवा वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
फुइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
गांवल्या वाटे , उभो रहयो रे बेना ।
बना रुक गया है , क्यों रुका ? उसकी बहन पीछे रह गई थी , इसलिए रुका । इस प्रकार सम्बन्धियों के नाम लेकर गाते हुए गीत आगे बढ़ता चला जाता है । | bhili-bhb |
का लेके अयले ननदिया, बोलाओ राजा बीरन के
का1 लेके2 अयले3 ननदिया , बोलाओ राजा बीरन4 के ।
पाँच के टिकवा , 5 दस के टिकुलिया , 6 लेके आयल ननदिया ॥ 1 ॥
हमर बहिनियाँ बहुत किछु लयलक7 ।
ओकरा8 के पियरी पेन्हाउ , 9 बोलाबु राजा बीरन के ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
515
हुकम हीर दा माऊ तों लया सहती गलां आपों विच दोहां मेलियां ने
अनी आओ खां आपो विच गल गिनो सभ घलियां सभ सहेलियां ने
रूजू1 आन होइयां सभे पास सहती जिवें गुरु अगे सभ चेलियां ने
कहे कुआरियां कई वियाहियां ने चंद जेहे सरीर मथेलियां ने
उन्हां माऊ ते बाप नूं भुन्न खाधा मुंग चने कुआरियां खेलियां ने
विच हीर सहती दोवें बैठियां न दुआल बैठियां आन सहेलियां ने
सभनां बैठ के इक सलाह कीती भाबी नणद ते आन रवेलियां ने
सुती पई लोको उठ चलना जे बाहर करनियां जां काले केलियां ने
सइयों हुम हुमा के आवना जे गलां करनियां अज कहेलियां ने
वारस शाह शिंगार महावतां न जिवें हथनियां किले ते पेलियां ने | panjabi-pan |
कबीरो किन भरमायो, अम्माँ महारो
कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो
१ कबीरा की औरत कहती सासु से
ऐसो पुत्र क्यो जायो
खबर हुती मख नीच काम की
ब्याव काहै को करती
कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो
२ कबीरा की माता कहती कबीर से
तुन म्हारो दुध लजायो
खबर हुती मख गर्भवाँस की
दुध काहे को पिलाती
कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो | nimadi-noe |
रणिहाट नी जाणू गजेसिंह, हल जोता का दिन, गजेसिंह
रणिहाट नी जाणू गजेसिंह , हल जोता का दिन , गजेसिंह
छिः दारु नी पेणी गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह
हौंसिया छै बैख गजेसिंह , बड़ा बाबू को बेटा , गजेसिंह
त्यरा कानू कुंडल गजेसिंह , त्यरा हातू धगुला , गजेसिंह
त्वे राणी लूटली गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह
तेरो बाबू मारेणे गजेसिंह , राणिहाट नी जाणू गजेसिंह
बैरियों का बदाण गजेसिंह , सांपू का डिस्याण , गजेसिंह
बड़ा बाबू को बेटा गजेसिंह , दरोलो नी होणो , गजेसिंह
मर्द मरी जाँदा गजेसिंह , बोल रई जांदा , गजेसिंह । | garhwali-gbm |
माथे मटुक्डी महिनी गोरी
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां
ओ मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .
सांकळी शेरी माँ म्हारा ससराजी मऴया ,
मुने लाजू करी या ने घणी हाम रे . . गोकुल मां ,
हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला ,
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां
ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .
सांकळी शेरी माँ म्हारा जेठजी मऴया
मुने झिणु बोल्या ने घणी हाम रे . . . . गोकुल मां
हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली रे गोकुल मां
ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .
सांकळी शेरी माँ म्हारा सासुजी मऴया ,
मुने पाए लाग्या ने घणी हाम रे . . . गोकुल मां . .
हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला ,
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां
ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .
सांकळी शेरी मां म्हारा परणयाजी मऴया ,
मुने प्रीत करया नी घणी हाम रे . . . ऐ गोकुल मां . .
हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला रे ,
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां
ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . | gujarati-guj |
सारी चोर-बोर कर डारी
सारी चोरबोर कर डारी ,
कर डारी गिरधारी ।
गिरधारी पकरन के काजैं ।
जुर आईं ब्रजनारी ।
नारी भेस करौ मोहन कौ ।
पैराई तन सारी ।
सारी पैर नार भए मोहन ,
नाचें दैदै तारी
तारी लगा ग्वाल सब हँस रय
ईसुर कयँ बलहारी । | bundeli-bns |
अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़
अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़ ,
बावन चन्दन की कोठड़ी ,
कोठड़ी मऽ बठ्या राणी रनुबाई नार हो ,
बाळा कुंवर की मावली ।
भोळा हो धणियेर , भोळा तुम्हारो राज ,
तो नव दिन पियर हम जावां जी ।
तुम देवी मूरख गंवार ,
नव दिन पीयर मत जाओ ।
तपऽ तपऽ चैत केरो घाम ,
कड़ी को बाळो कुम्हलई जासे
तुम्हारा बाला खऽ राखो तुम्हारा पास ,
नव दिन पियर हम जावां जी । । | nimadi-noe |
खोय देत हो जीवन बिना काम के भजन करो कछु राम के
खोय देत हो जीवन बिना काम के , भजन करो कछु राम के ।
जी बिन देह जरा न रुकती ,
चाहो अन्त समय में मुक्ती
ऐसी करो जतन से जुक्ती ,
ध्यान करियों सबेरे न तो शाम के । भजन . . .
लख चौरासी भटकत आये ,
मानुष देह कठिन से पाये ,
फिर भी माने न समुझायें ,
गलती चक्कर में फंसे बिना राम के । भजन . . .
ईश्वर मालिक से मुंह फेरे ,
दिल से नाम कभऊं न टेरे ,
वन के नारि कुटुम्ब के चेरे ,
कोरी ममता में फंसे इते आन के । भजन . . .
छोड़ो मात पिता और भ्राता ,
जो हैं तीन लोक के दाता ,
करियो उन ईश्वर से नाता ,
क्षमा करिहें अपराध अपना जान के । भजन . . . | bundeli-bns |
आल्हा ऊदल
पड़ गैल बीड़ा जाजिम पर बीड़ा पड़ल नौ लाख
हे केऊ रजा लड़वैया रुदल पर बीड़ा खाय
चौहड़ काँपे लड़वेया के जिन्ह के हिले बतीसो दाँत
केकर जियरा है भारी रुदल से जान दियावे जाय
बीड़ा उठावल जब लहरा सिंड्घ कल्ला तर देल दबाय
मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले जुझाम जुझाम
एको एका दल बटुरल जिन्ह के दल बावन नवे हजार
बूढ़ बियाउर के गनती नाहिं जब हाथ के गनती नाहिं
बावन मकुना के खोलवाइन रजा सोरह सै दन्तार
नब्वे सै हाथी के दल में ड़ड़ उपरे नाग डम्बर उपरे मेंड़राय
चलल परवतिया परबत के लाकट बाँध चले तरवार
चलल बँगाली बंगाला के लोहन में बड़ चण्डाल
चलल मरहट्टा दखिन के पक्का नौ नौ मन के गोला खाय
नौ सौ तोप चलल सरकारी मँगनी जोते तेरह हजार
बावन गाड़ी पथरी लादल तिरपन गाड़ी बरुद
बत्तिस गाड़ी सीसा जद गैल जिन्ह के लंगे लदल तरवार
एक रुदेला एक डेबा पर नब्बे लाख असवार
बावन कोस के गिरदा में सगरे डिगरी देल पिवाय
सौ सौ रुपया के दरमाहा हम से अबहीं लव चुकाय
लड़े के बोरिया भागे नौ नौ मन के बेड़ी देओं भरवाय
बोगुल फूँकल पलटन में बीगुल बाजा देल बजाय | bhojpuri-bho |
फूल लोढ़े चलली हे गउरा, बाबा फुलवारी
फूल लोढ़े1 चलली हे गउरा2 बाबा फुलवारी ।
बसहा चढ़ल महादेव , लावले3 दोहाई4 ॥ 1 ॥
लोढ़ल5 फफलवा हे गउरा देलन छितराए ।
रोवते कनइते6 हे गउरा , घर चलि आवे ॥ 2 ॥
मइया अलारि7 पूछे , बहिनी दुलारि पूछे ।
कउने तपसिया8 हे गउरा , तोरो के डेरावे ॥ 3 ॥
लाज के बतिया9 हे अम्मा , कहलो न जाए ।
भउजी जे रहित हे अम्मा , कहिति समुझाए ॥ 4 ॥
पूछु गल सखिया10 सलेहर11 कहिहें समुझाए ।
बड़े बड़े जट्टा हे अम्मा , सूप अइसन12 दाढ़ी ॥ 5 ॥
ओही तपसिया हे अम्मा , हमरो डेरावे ।
ओही तपसिया हे अम्मा , पड़ले दोहाई ॥ 6 ॥
बुद्धि तोरा जरउ13 हे गउरा , जरउ गेयान ।
ओही तपसिया है गउरा , पुरुख14 तोहार ॥ 7 ॥ | magahi-mag |
करमा गीत-6
रांधत देखेंव मोगरी मछरी
परसत देखेंव भोंगा सागे ।
अइसन सुआरी बर
बड़ गुस्सा लागे ।
भारतें तुतारी दुई चारें ।
माहिरा तुतारी दुई चारें ।
चलि देबों मइके हमारे ।
मसके देइ मइके तुम्हारे ।
कर लेब दूसर बिहांव ।
कर लेइहा दूसर बिहाव
हमर सूरत कहां पइहा ।
अइसन सुधरई का करबो ।
चिटको तो चाल कहर नइहे । | chhattisgarhi-hne |
हवा बहे रसे-रसे घुमड़इ कजरिया
हवा बहे रसेरसे घुमड़इ कजरिया ,
जिया कहे चलचल पिया के नगरिया ।
जहिया से सइँया मोरा गेलन विदेसवा ,
आवे न अपने न भेजे कोई सनेसवा ।
लिलचा के रह जाहे ललकल नजरिया .
जिया कहे चलचल पिया के नगरिया ।
जाड़ा जड़ाई गेलई सउँसे ई देहिया ,
गरमी में सब जरई सबरे सनेहिया ।
जियरा डेराय रामा छाय घटा करिया
जिया कहे चलचल पिया के नगरिया । | magahi-mag |
रुकमिनी जेवनार बनाए
रुकमिनी जेवनार1 बनाए , मकसूदन2 जेमन3 आए जी ।
सोभित रतन जड़ाओ4 कुंडल , मोर मकुट सिर छाजहिं ॥ 1 ॥
केसर तिलक लिलार5 सोभित , उर बयजन्तरी6 माल हे ।
बाँहे बिजाइठ7 सोबरन बाला , अँगुरी अँगुठी सोहहिं ॥ 2 ॥
सेयाम रूप मँह पीयर बसतर , चकमक झकझक लागहिं ।
कनक कंकन , चरन नेपुर , रूप काहाँ लौं बरनउँ ॥ 3 ॥
जिनकर रूप सरूप मुनिजन , मनहिं मन नित गावहिं ।
झारि बिछौना , लाइ झारी8 सब के पाँव धोवावहि ॥ 4 ॥
कनक , कलसबा , सुन्नर झारी , गिलास दय आगे धरयो ।
अंजुल9 जोरी विनय करि के , सभें के पाँत बइठावहि ॥ 5 ॥
कनक थारी में रुचिर ओदन10 दाल फरक परोसहिं ।
सुन्नर भोजन परसि परसि , घीउ11 ऊपर ढरकावहि ॥ 6 ॥
साग , बैंगन , अलुआ12 मूरी , कटहर , बड़हर परोसहि ।
अदरख , अमड़ा , अरु करइला , इमली चटनी लावहिं ॥ 7 ॥
कदुआ , ककड़ी अउर खीरा , राइ दही रहता13 बनो ।
बारा , बजका आउ तिलौरी , हरखि पापर देइ दियो ॥ 8 ॥
अदउरी , दनउरी आउर मेथौरी , हरखि दही आगे धरयो ।
देइ अचमन14 जल गँगा के , बाद सभे बीरा15 दियो ॥ 9 ॥
खाइ बीरा हँसि हँसि बोलथि हरि रुकमिनी का चही16
देऊँ परेम परगास हमरा , हाथ जोरि बिनति करी ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले (भाटियाली)
आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले । ।
सहे ना यौवन ज्वाला ,
प्रेम ना करे छिलाम भालो गो ।
दुइ नयने नदी नाला तुइ बन्धु बहाइले । ।
आगे तो ना जानि आमि ,
एत पाषाण हइबे तुमि गो ।
बइसे थाकताम एकाकिनी , कि इहते प्रेम ना करिले । ।
तुमि बन्धु ताके सुखे ,
मरब आमि देखुक लोके गो
अभागिनीर मरणकाले आइस खबर पाइले । । | bengali-ben |
वनिक
मैं हूँ साहुकारा नाथ , कीजिए हमारा सौदा ,
छोटी बड़ी इलायची , छुहड़ा घर भरा है ।
लवंग ओ सुपारी , कत्था केवरा सुवास भरो ,
बांका है मुनक्का , जो डब्बे में रक्खा है ।
किसमिस बादाम , ओ चिरंजी तमाम रक्खी ,
गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है ।
सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो ,
काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है ।
हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी ,
धनिया मसाला सब आला दरसाई है ।
कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता ,
दीजिए न दाम , दास चरणों पर पड़ा है । | bhojpuri-bho |
वारे लाँगुरिया रुक मत जइयौ
वारे लाँगुरिया रुक मत जइयो कहूँ गैल में ॥ टेक
तोय दऊँ पहले ही बतलाय ॥ लाँगुरिया .
वारे लाँगुरिया जो रुकि गयौ कहुँ गैल में ,
फिर तौ लेगौ देर लगाय ॥ लाँगुरिया .
वारे लाँगरिया मोय आदत तेरी नहीं भावत है ,
तू तो सुन लै रे चितलाय ॥ लाँगुरिया .
वारे लाँगुरिया मैंने बोली जात करौली की ,
हम तौ दरस करेंगे वहाँ जाय ॥ लाँगुरिया .
वारे लाँगुरिया गोद मेरी देखि सूनी है ,
अब मैया तो देगी भराय ॥ लाँगुरिया . | braj-bra |
जामुना रे जामुना आरे बेटा
जामुना रे जामुना आरे बेटा
नद्दी किनारे जामुना का जामुना चोरो रे
आरे बेटा जामुना चोरो रे
मिया किलो डूमूर भैया मिया किलो
जुगुनो दाना जोगी पिंजरा सिंगारे
जा जोगी ये जोगी ये जोगी
आमा पिंगी रुवेन जा कापरा लियेन
सालो आगीन केन जा बोले रे
स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल | korku-kfq |
देव खितरपाल घड़ी-घड़ी का विघ्न टाल
देव खितरपाल1 घड़ीघड़ी का विघ्न टाल
माता महाकाली का जाया2 चंड भैरों3 खितरपाल
प्रचंड भैरों खितरपाल , काल भैरों खितरपाल
माता महाकाली का जाया , बूढ़ा महारुद्र का जाया | garhwali-gbm |
छापक पेड़ छिउलिया,त पतवन धन बन हो
छापक पेड़ छिउलिया त पतवन धन बन हो
ताहि तर ठाढ़ हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो
चरतहीं चरत हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो
हरिनी की तोर चरहा झुरान कि पानी बिनु मुरझेलू हो
नाहीं मोर चरहा झुरान ना पानी बिनु मुरझींले हो
हरिना आजु राजा के छठिहार तोहे मारि डरिहें हो
मचियहीं बइठली कोसिला रानी , हरिनी अरज करे हो
रानी मसुआ तो सींझेला रसोइया खलरिया हमें दिहितू न हो
पेड़वा से टांगबी खलरिया त मनवा समुझाइबि हो
रानी हिरिफिरि देखबि खलरिया जनुक हरिना जिअतहिं हो
जाहू हरिनी घर अपना खलरिया ना देइबि हो
हरिनी खलरी के खंझड़ी मढ़ाइबि राम मोरा खेलिहें नू हो
जबजब बाजेला खंजड़िया सबद सुनि अहंकेली हो
हरिनी ठाढ़ि ढेकुलिया के नीचे हरिन बिसूरेली हो | bhojpuri-bho |
4
मदह1 पीर दी हुब्ब2 नाल कीचे जैंदे खादमा विच वी पीरिआं नी
बाझ ओस जनाब दे पार नाही लख ढूंढ़दे फिरन फकीरिआं नी
जिहड़े पीर दी मेहर मनजू़र होए घर तिनहां दे मीरिआं पीरिआं नी
रोजे़ हशर ने पीर दे तालबां नूं हथ सजड़े मिलणगिआं चीरिआं नी | panjabi-pan |
राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत
राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत मोहर हम पचास लेवां
हां जी हां ।
राजा जी जै थारे जन्मैगी घी ओढां हम चुंदड़िया
हां जी हां ।
राजा जी कौल बचन कर लो जी याद मोहर पचास हम लेवां
हां जी हां ।
दाइए पूत जन्मा हमारी नार , तेरा दाई क्या रे लेया
हां जी हां ।
राजा जी दोए बरस की सै बात दाई कै पैरां फेर पड़ो
हां जी हां ।
राजा जी मेंह अन्धेरोड़ी रात चतर दाई कैसे चले
हां जी हां ।
दाइए छिन्न भिन्न बरसैं मेह , ओढो थारी घाघरी
हां जी हां । | haryanvi-bgc |
सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे
सेनुरा सेनुरा जनी करूँ , सेनुरा बेसाहम1 हे ।
धनि2 लागि3 जयबइ4 सेनुरा के हाट , से सेनुरा ले आयम5
एतना कहिए दुलहा उठलन , चलि भेलन6 मोरँग7 हे ।
मोरँग देसे सेनुरा सहत8 भेलइ9 सेनुरा लेआबल हे ॥ 2 ॥
लेहु धनि सेनुरा से सेनुरा आउर टिकुली बेनुली10 हे ।
धनि साटि लेहु अपन लिलार , चलहु मोर ओबर11 हे ॥ 3 ॥
कइसे12 के साटि हम बेनुली , कइसे करूँ सेनुर हे ।
कइसे के चलूँ हम ओबर , हम तो कुमार बार13 हे ॥ 4 ॥
चुटकी भर लेहु न सेनुरबा , सोहगइलबा14 बेसाहहु15 हे ।
भरी देहु धानि के माँग , धानि तोहर होयत हे ॥ 5 ॥
चुटकी भरी लिहलन सेनुरबा , सोहगइलबा बेसाहल हे ।
दुलहा भरी देलन धानि के माँग , अब धानि आपन हे ॥ 6 ॥
बाबा जे रोबथिन मँड़उबा16 बीचे , भइया खँम्हवे धयले17 हे ।
अमाँ जे रोबथिन घरे भेल18 अब धिया पर हाथे हे ॥ 7 ॥
सखि सभ माथा बन्हावल19 लट छिटकावल20 हे ।
अजी सखि , चलूँ गजओबर , अब भेल पर हाथ हे ॥ 8 ॥
सेनुरा सेनुरा जे हम कयलूँ , सुनेरा21 त काल भेल हे ।
सेनुरा से पड़लूँ सजन घर , नइहर22 मोर छूटल हे ॥ 9 ॥
छूटि गेल भाई से भतीजबा , आउरो घर नइहर हे ।
अब हम पड़लूँ परपूता23 हाँथे , सेनुर दान भेल हे ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
आल्हा ऊदल
जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब
केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर
रात सपनवाँ सिब वाबा के
एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार
सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय
फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय
तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय
करे हिनाइ बघ रुदल के
ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल
सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह
पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय
मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार
जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय
मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान
लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं
फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय
एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय
सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय
बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय
कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात
कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय | bhojpuri-bho |
आज दिन सोने का कीजो महाराज
आज दिन सोने का कीजो महाराज
सोने को सब दिन , रूपों की रात ,
मोती के कलसे भराऊँ महाराज ॥ आज दिन . . .
आज बहूरानी मेरे घर में है आई
नौबतनगाड़े , बजवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . .
हरेहरे गोबर अँगना लिपाऊँ
बंदनवारें बँधवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . .
सखीसहेलिन सबकू बुलवा के
मंगलगीत गवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . .
साजसिंगार बहू को करवा के
राईनोन उतारूँ महाराज ॥
आज दिन सोने को कीजे महाराज् ॥ | braj-bra |
नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी
नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी
नीहोर तोरे पैयाँ पड़े
कया देख मैया अंगना हो आई
कया देख मुसकाई
नीहोर तोरे पैयां पड़े
दूधां देख मैया अंगना हो आई
पूतां देख मुसकाई
नीहोर तोरे पैयां पड़े
पाँवां ने तेरे बिछिया सोवता
अनबट देख मुसकाई
नोहोर तोरे पैयां पड़े | malvi-mup |
मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली
मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली
मेरे ताऊ ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चली
मेरी बन खंड की कोयल बन खंड छोड़ कहां चली
मेरे बाबुल ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चाली | haryanvi-bgc |
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ।
कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा1 ।
गए सो गए फेर नहीं आए ,
मेरी जानी मीत प्यारे ।
मैं बाज्झों पल रहिन्दे नाहीं ,
हुण क्यों असाँ विसारे ।
विच्च कबराँ दे खबर न काई ,
मार केहा झुलाणा ।
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ।
कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा ।
चित्त पाया ना जाए असाथों ,
उभ्भे साह ना रहिन्दे ।
असीं मोयाँ दे परले पार होए ,
जीविंदेआँ विच्च बहिन्दे ।
अज कि भलक तगादा2 सानूँ ,
होसी वड्डा कहाणा ।
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ।
कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा ।
ओत्थे मगर प्यारे लग्गे ,
ताँ असीं एत्थे आए ।
एत्थे सानूँ रहण ना मिलदा ,
अग्गे कित वल्ल धाए ।
जो कुझ अगलिआँ दे सिर बीती ,
असाँ भी ओह टिकाणा ।
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ।
कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा ।
बुल्ला एत्थे रहण ना मिलदा ,
रोन्दे पिटदे चल्ले ।
इक्क नाम धन्नी दा खरची है ,
होर पया नहीं कुझ पल्ले ।
मैं सुफना सभ जग भी सुफना ,
सुनणा लोक बिबाणा3 ।
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ।
कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । | panjabi-pan |
ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी
ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी
एक विपत्ति राजा दशरथ पड़ गई
राम लखन वनवासी ओ रघुबर . . .
दूसरी विपत्ति श्री राम पे पड़ गई
वनवन फिरत उदासी । रघुबर . . .
तीसरी विपत्ति रावण पे पड़ गई
लंका जली दिन राती । रघुबर . . .
चौथी विपत्ति रावण पे पड़ गई
थाहि लगी जन घाती । रघुबर . . . | bundeli-bns |
अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा
अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा
बरोठा नी पाकी मसूर
कमला बई नी सेरी बीरा हांकड़ी
यो थो मदनलालजी नो भोको परवार
रे सौदागर बीरा धणी रे घुमर से बीरा आविया
आंवा कटाडूं रे बीरा आमळी
लम्बी बंदाडूं पटसाल | malvi-mup |
168
तुसीं एसदे खयाल ना पवो अड़ियो नहीं खटी कुझ एस सपार उतों
नी मैं जीउंदी एस बिन रहां कीकूं घोल घोल घती रांझे यार उतों
झलां बेलयां विच एह फिर भौंदा सिर वेचदा मैं गुनाहगार उतों
मेरे वासते कार कमांवदा ए मेरी जिंद घाती एहदी कार उतों
तदों भाबियां साक ना बणदियां सन जदों सुटया पकड़ पहाड़ उतों
घरों भाइयां चा जवाब दिता एहना भूई दीआं पतियां चार उतों
ना उमैद हो के वतन छड तुरया मोती तुरे जिउं पट दी तार उतों
बिना मेहनतां मसकले1 लख फेरो नहीं मोरचा2 जाए तलवार उतों
एह मेहणा लहेगा कदी नाहीं एस सियालां दे सभ प्रवार उतों
नढी आखसन झगड़दी नाल लोकां एस सोहणे भंबड़े3 यार उतों
वारस शाह समझा तूं भाइयां नूं हुण मुड़े ना ला लख हजार उतों | panjabi-pan |
आल्हा ऊदल
जिब ना बाँचल मोर देवी के सोनवा जान बचाई मोर
नाम रुदल के सुन के सोनवा बड़ मगन होय जाय
लौंड़ी लोंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी बात मनाव
रात सपनवाँ में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय
जौन झँपोला मोर गहना के कपड़ा के लावव् उठाय
जौन झँपोला है गहना के कपड़ा के ले आवव् उठाय
खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय
पेनहल घँघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय
चोलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बंद लगाय
पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झंझकार
सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दाँत
सात लाख के मँगटीका है लिलार में लेली लगाय
जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग
काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवा मने मने करे गुनान
मन जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुँआर
वैस हमार बित गैले नैनागढ़ में रहलीं बार कुँआर
आग लगाइब एह सूरत में नेना सैव लीं नार कुँआर
निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली बनाय
पड़लि नजरिया इंदरमन के से दिन सुनों तिलंगी बात
कहवाँ के राजा एत बरिया है बाबू डोला फँदौले जाय
सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ गिराय | bhojpuri-bho |
534
खेड़े निशा1 दिती अगे जोगीड़े दे सानूं कसम है पीर फकीर दी जी
मरां होए के एस जहान कोहड़ा कदे सूरत जे डिठी है हीर दी जी
सानूं हीर जटी धौली धार दिसे कोह2 काफ3 ते धार कशमीर दी जी
लंका कोट पहाड़ दा परा दिसे फरहाद नूंनहर जो शीर4 दी जी
दूरों वेखके फातिहा आख छडां गुरु पीर पंजाब दे पीर दी जी
सानूं कहिकहा5 कंध दे वांग दिसे ढुका नेड़े ते कालजा चीर दी जी
उसदी झाल ना असां थी जाए झली झाल कौन झले जटी हीर दी जी
भैंस मार के ते सिंग नाद ढोई ऐवे हवस गई दुध खीर दी जी
लोक आखदे हुसन दा दरया वगे सानूं खबर ना ओसदे नीर दी जी
वारस शाह झूठ ना बोलीए जोगियां ते खयानत ना करीए मीर पीर दी जी | panjabi-pan |
कान्हा के होली
रंग बगरे हे बिरिज धाम मा
कान्हा खेले रे होली
वृन्दावन ले आये हवे
गोली ग्वाल के टोली
कनिहा में खोचे बंसी
मोर मुकुट लगाये
यही यशोदा मैया के
किशन कन्हैया आए
आघू आघू कान्हा रेंगे
पाछु ग्वाल गोपाल
हाथ में धरे पिचकारी
फेके रंग गुलाल
रंग बगरे हे . . .
दूध दही के मटकी मा
घोरे रहे भांग
बिरिया पान सजाये के
खोचे रहे लवांग
ढोल नंगाडा बाजे रे
फागुन के मस्ती
होगे रंगारंग सबो
गाँव गली बस्ती
रंग बगरे हे . . .
गोपी ग्वाल सब नाचे रे
गावन लगे फाग
जोरा जोरी मच जाहे
कहूँ डगर तैं भाग
ग्वाल बाल के धींगा मस्ती
होली के हुड्दंग
धानी चुनरी राधा के
होगे रे बदरंग
रंग बगरे हे . . .
करिया बिलवा कान्हा के
गाल रंगे हे लाल
गली गली माँ धुमय वो
मचाये हवे धमाल
रास्ता छेके कान्हा रे
रंग गुलाल लगाये
एती ओती भागे राधा
कैसन ले बचाए
रंग बगरे हे . . .
आबे आबे कान्हा तैं
मोर अंगना दुवारी
फागुन के महिना मा
होली खेले के दारी
छत्तीसगढ़िया मनखे हमन
यही हमार चिन्हारी
तोर संग होली खेले के
आज हमार हे बारी
रंग बगरे हे . . . | chhattisgarhi-hne |
माँग लाड़ो टीका सोभे, मोतिये की बहार
माँग लाड़ो टीका सोभे , मोतिये की बहार ।
लाड़ो हवले1 चलि आओ ।
ए बोलवे दिलवर जान , लाड़ो हवले चलि आओ ॥ 1 ॥
नाक लाड़ो बेसर सोभे , चुनिये2 की बहार ।
हवले चलि आओ , देखे दिलबर जान ॥ 2 ॥
कान लाड़ो बाली सोभे , झुमके की बहार ।
हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 3 ॥
गले लाड़ो माला सोभे , सिकड़ी की बहार ।
हवले चलि आओ लाड़ो , देखे दिलबर जान ॥ 4 ॥
साँवली सलोनी लाड़ो , सर के लम्बे बाल ।
हवले चलि आओ लाड़ो , देखें दिलवर जान ॥ 5 ॥
जान लाड़ो सूहा सोभे , छापे की बहार ।
हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
ये बिगाड़ो लाँगुरिया
नईनई फैशन की जोगिन ने ये बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ टेक ॥
बिगाड़ौ लाँगुरिया , रे बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ नयीनयी .
पानी भरन को मैं चलूँ तो पीछे चल दे लाँगुरिया ,
मेरे मन में ऐसीऐसी आवै कुआ ढकेलू लाँगुरिया ॥
नयीनयी फैशन की .
गोबर थापन मैं चलूँ तो पीछे चलदे लाँगुरिया ,
मेरे मन में ऐसीऐसी आबै गोबर में थापूँ लाँगुरिया ॥
नयीनयी फैशन की .
रसोई तपन को मैं चलूँ तो पीछे आवै लाँगुरिया ,
मेरेे मन में ऐसी2 आवै बेलन से मारूँ लाँगुरिया ॥
नयीनयी फैशन की .
सेज पौढ़न को जब मैं जाऊँ पीछे से आवै लाँगुरिया ,
मेरे मन में ऐसीऐसी आवै पलका से ढकेलूँ लाँगुरिया ,
नयीनयी फैशन की . | braj-bra |
सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी
सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी ,
ए जी कोई दे भेजी मेरी सास , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी
अलां तो पलां हे मां मेरी छेकले जी ,
ए जी कोई बी सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी
ओढूँ तो दीखै हे मां मेरी छेकले जी ,
ए जी कोई रड़कै सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी
सासरे में बेट्टी हे मां मेरी न्यूं रह्वै जी ,
ए जी कोई ज्यूं रै कढ़ाई बीच तेल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी । | haryanvi-bgc |
ऐ गा मोटरवाला
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
के पैसा लेबे तें जाबो दुरूग अउ भिलाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई हीहीई
एक झन जाबे ते , पांच रुपया लगथे
दुनिया ले बाहिर , ऐ हा काबर हमला ठगथे
एको घांव गेहस , ते आज पहली जावथस
लगथे तें अभी अभी , मोटर ला चलावत हस
साड़े चार लेथव , फेर चिल्हर नइये पाई वो
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई हीहीई
के झन जाहु ते , गन के बता ना
चार झन जाबो , बता बैठे के ठिकाना
कोन कोन हावव , ते खड़े खड़े जाहु
टुरा टुरी दु लईका हे , काला मैं बताहूँ
ऐ हावय बाबु के ददा , मैं नोनी के दाई
ऐ गा मोटरवाला
नन्न्न्ना काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई हीहीई
जल्दी चढ़ना तेंहा , भीतरी में खुसर ना
सोझ बाय गोठिया , हमला तैं झन हुदर ना
पैसा देके भीतरी में , दम हा हमर घुटही
तोला जाये हाबय ते चल , नहीते मोटर घलो छुटही
कहाँ के तोर दुरूग जाही , कहाँ के भिलाई वो
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
काय बता ना बाई
ऐ गा मोटरवाला
हूं हूं हूं
हूं हूं हूं | chhattisgarhi-hne |
346
जेही नियत है तेही मुराद मिलीया घरो घरी छाई सिर पावना एं
फिरे भौंकदा मंगदा खवारहुंदा लख दगे पखंड कमावना एं
सानूं रब्ब ने दुध ते दहीं दिता असां खावना ते हंडावना एं
सोना रूपड़ा1 पहन के असीं बहिए वारस शाह क्यों जीभ रमावना एं
गधा उदरका2 नाल ना होय घोड़ी शाह परी ना होए यरोपीए नी
गोरे रंग दे नाल तूं जग मुठा विचों गुनाह दे कारने पोलीए नी
वेहड़े विच तूं कंजरी वांग नचे चोरां यारां दीए विच वचोलीए नी
असांपीर कहया तुसां हीर जाता भुल गई हैं समझ विच भालीए नी
अंत एह जहान छड जावना ए ऐडे कुफर अपराध ना तोलीए नी
फकर असल अलाह दी हैन सूरत अगे रब्बदे झूठ ना बोलीए नी
हुसन मतीए बोबके3 सोन चिड़ीए नैनां वालिये शोख ममोलीए नी
तैंढा भला थीवे साडा छड पिछा अबा जिऊनीए आलीए भोलीए नी
वारस शाह केती गल होए चुकी मूत विच ना मछीयां टोलिए नी | panjabi-pan |
बाजूबंद री लूम
टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
लागी प्यारी फुलवारी आतो झूम झूम जाए
ल्याई गोरी रो संदेशो घर आओ नी सजन
बैरी आंसुडा रो हार बिखर नही जाए
कोई चमकी री चुंदरी में सळ पड़ जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो री बयारिया
झालो सहयो नही जाए | rajasthani-raj |
71
बाप हम के पुछदा कौन हुंदा एह मुंडड़ा किस सरदार दा ए
हथ लाया पिंड ते दाग पैंदा एह महीं दे नहीं दरकार दा ए
सुघड़ चतर ते अकल दा कोट नढा महीं बहुत सम्भाल के चारदा ए
हिके नाल पयार दे हूंग दे के सोटा सिंग ते मूल ना मारदा ए
माल आपणा जान के सांभ लयावे कोई कम्म ना करे विगार दा ए
वसे नूर अल्लाह दा मुखड़े ते मुंहों रब्ब ही रब्ब चितारदा ए | panjabi-pan |
297
रसम जग दी करो अतीत साईं साडियां सूरतां वल ध्यान कीजो
अजू मेहर दे वेहड़े नूं करो फेरा सहती सोहणी ते नजर आन कीजो
वेहड़ा महर दा चलो विखा लयाईये जरा हीर दी तरफ ध्यान कीजो
वारस वेखीए घरां सरदारी ढयां नूं अजे साहिबो नहीं गुमान कीजो | panjabi-pan |
हार लगल बेनियाँ, सोहाग लगल बेनियाँ
हार लगल1 बेनियाँ , सोहाग लगल बेनियाँ ।
मोती लगल हे , सोभइ सुगही2 के सेजिया ॥ 1 ॥
अँगना में हकइ3 चलन केरा4 हे गछिया5 ।
बिछ गेलइ6 हे धनि , सुगही के सेजिया ॥ 2 ॥
से चले लगलइ हे उहाँ7 हार लागल बेनियाँ ।
ओने से8 आवल पुरबा9 आयल सुख नीनियाँ ॥ 3 ॥
भुला गेलइ हे मोरा हार लगल बेनियाँ ।
भुला गेलइ हे मोरा सुहाग लगल बेनियाँ ॥ 4 ॥
आग लावे10 गेलूँ11 हम , ननदी के अँगना ।
उहीं12 धरल हे देखलूँ , हार लगल बेनियाँ ॥ 5 ॥
बाबा खउकी13 भइया खउकी , तुहूँ मोरा धानि ।
लगाइ देलऽ हे मोर बहिनी के चोरिया ॥ 6 ॥
बाबा कीर14 भइया कीर , परभु तोर दोहइया ।
हम न लगौली15 तोर बहिनी के चोरिया ॥ 7 ॥
आग लावे गेली हम , ननदो के अँगना ।
ओहँइ16 देखली , हम हार लगल बेनियाँ ॥ 8 ॥
आबे देहु , आबे देहु , हाजीपुर के हटिया17 ।
कीन देबो18 हे धनि , हार लगल बेनियाँ ॥ 9 ॥
लाय देहो हे परभु , हार लगल बेनियाँ ।
रूस गेल हे धनि , लाय देबो बेनियाँ ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
नागरजा
हे बिष्णु तब दूदी पेण लैगे ,
हे देव जी विष तेरा घिचा पर
अमृत त बणीगे ।
पूतना हेरदी रै यशोदा को बालीक ,
अभी मरदो तभी छ मरदो ।
निराशे गए वा जब दूद्यौं दूँद नी रयो
तब बोलदेहे दीदी यशोदा ,
अपणा बालक तू फुँडो1 गाडीयाल2 ।
तब विष्णु भगवान वीं की छाती पर चिपटीन
पूतना को सारो खून चूसयाले
तब पूतना बणैयाले आम जनी गुठली ,
बांज जनो बकल
बराँदी3 तैं तरांदी4 पूतना रागसेण ,
भगवान वा मारी तिने ।
छया धेनु का चरैया हे मोहन ,
ह्वैल्या द्वारिकानन्दन हे मोहन ।
छया वसुदेव का जाया हे मोहन ,
ह्वैंल्या देवकी का लाडा हे मोहन ।
छई दई को दूपकी , हे मोहन ,
ह्वैल्या दूद की बिराली हे मोहन ।
त्वैकू बार मास होला हे मोहन ,
बोण घोर से प्यारा हे मोहन ।
तेरी नौसुन्या मुरुली हे मोहन ,
एक भौण5 मा मिलौंद हे मोहन ।
औदू बाँसुली बजौंदू हे मोहन ।
यूँ चीडू की बणायों हे मोहन ,
तेरी बार बीसी धेनु हे मोहन ,
ओडू नेडू औंदन , हे मोहन ।
त्वै बिना ग्वैरू की , हे मोहन ,
सभा नी शोभदी हे मोहन ।
चला ग्वाल बाल भायों , तुम खेला गेंदुवा6 ,
सोना को गेन्दुवा मेरो , विष्णु पटन मढ़यूँ छ ।
सोना को बण्यू छ , चांदी का घुँघर ।
हे प्रभु सोवन गेन्दुवा तेरो हाथ नी लियेंदू ,
भ्वां नी धरेन्दू
तब खेलण जाँा सब कुंज वन मा ,
कुंज वन मा खिल्या बार भाँति का फूल ।
अनमन भाँति की औदे फूल की वासिनी ,
भौंरा छन गुँजणा , मारी7 रूणाणी छन ,
कि अनमन भाँति की केसर लेला ।
सारा कुंज वन मा खेल गेन्दुवा ।
ब्रज की गुजन्यों संग खेल गेन्दुवा
छट छुटे गेंदुवा जमुना मा गिरिगे ।
वीं गैरी8 जमुना माछीन9 धूल्याले10 ।
तब विष्णु भगीवान धावड़ी11 लगौंदा ।
ग्वाल बाल सब घर बोड़ी ऐन ,
जिया को बालीक जभुनी छाला छुटिगे ।
तब जिया जसोमती इना बेन बोदी
हे प्रभो , मेरो बाला जमुना छाला रैगे ।
सबूका बाला घर ऐन , मेरो कृष्ण नी आयो ।
जागदी रै गये त्वै स्या राणी सत्यभामा ।
काली नाग रंदो तैं गरी जमुना ,
हे मेरा कृष्ण नाग डसी जालो ।
कृष्ण भगीवान इना रैन बली ,
गाडी दिने गेन्दुवा , साधी लिने नाग
भेंटद भाँटद छन गेन्दुवा कृष्ण भगवान ,
अनमन भाँति को खेल लाँद गोविन्द ।
ओडू12 नेडू ऐगे कातिक मास ,
कातिक मास बगवाली13 ऐन , जोन्याली14 रात
बग्बाल्यों का खेल मधुवन मा ,
रचला रास राधिकोंका संग ।
सात सई15 गुजरी , आठ सई राणी ,
नौ सई आछरी16 तेरी मोहन
रूप को रौंसिया छई , फूलू को हौंसिया ।
राधिकौंका संग खेल बोल ,
करदो रास पोथल्यों17 को ख्याल
तब गुजरी बोदीन , मोहन मायादार ,
हाथी मिलैक खेल लौला ।
तब मोहन नारेणन मोहन रूप धरे ,
मोहन रूप धरे गाडे मोहन मुरली
तब सभी राधिका राम , मोहित होई गैन ,
कि चित होइगे चंचल देव्यो ,
मन होइगे उदास ।
ये मुरल्यान हमारो मन मोहित देव्यो ।
तब गुजन्यों का साथ हाथी मिलैक ,
नाचदो मोहन कालिया नाच ।
जोन्याली रातू मा तब पूरणमासी की
खिलदी जोन छन कई मधुवन मा ।
चल दीदी18 भुल्यों , ल्यूला असीनान ,
कठा होई गैन राम जी की गुजरी ।
राम जी की गुजरी खट की आछरी ।
चला दीदी भुल्यों जमुना का छाला19 ,
तब तउँ देव्योंन शृंगार सजाये ,
दांतुड़ी मंजैन जई जसो फूल ,
स्यूंदोली20 गाडीन21 देव्योन धौली22 जसो फाट ,
हाथ की पौंछी पैरीन , गला की कंठी ,
रमछम बाजेन देव्यों , खुटौं23 का घूंघर ।
रमकदी छमकदी गैन वीं नीली जमुना ,
वीं गैरी जमुना देव्यों , जमुनी छाला ।
जमुनी का छाला देव्यों , ल्यूला असीनान
कपड़ी गाड़ीक देव्यों , भुयाँ24 धरी देवा ,
नंगी ह्वैन गुजरी , जल मा गैन ।
तबरी ए गैन विष्णु भगवान ,
नंगी गुजरी देखेन तौन ,
देो कपड़यों को ढेर जमुनी छाला
लीला पुरुष छा भगवान ,
कपड़ी उठैक डाला चढ़ी गैन ।
मोहन नारेण गाड़े तब मोहन मुरली ,
तीन ताल मुरली आज सुणौंदा ।
नंगी गुजरियों सूणे मोहन बांसुली ,
चकोर की बच्ची सी तपराण25 लै गैन ।
तब देखे डाला मा तौन नारैण ,
हे कनो भाग ह्वैलो शरम खांदीन ।
तब धरे देव्योंन दूद्यों26 मती27 हाती28
ओ नंगी गुजरी जल मां बैठेन ।
हाथ जोड़दाा मोहन , माथो नवौंदा ,
हमारा वस्तरदी द्या , रख्याला लाज ।
मुलमुल हैंसदा तब मोहन छलिया ,
रतन्याली आंख्योंन मोहित ह्वैग्या ।
क्यक गुजन्यों , नंगी गै छई जल मा ?
आज बटी29 देव्यों नंगी न नह्यान | garhwali-gbm |
बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे
बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे । ।
लाव तो सब सारू लावजे रे वीरा ,
नई तो रहेजे अपणा देश ।
माड़ी जाया , चूनर लावजे । ।
संपत थोड़ी , विपत घणी हो बइण ,
कसी पत आऊँ थारा द्वार । ।
माड़ी जाई , कसी पत आऊँ थारा द्वार । ।
भावज रो कंकण गयणा मेलजे रे वीरा ,
चूनर लावजे ।
असी पत आवजे म्हारा द्वार ,
माड़ी जाया , चूनर लावजे । । | nimadi-noe |
बगिया में ठाढ़ा भेल कवन बेटी
बगिया1 में ठाढ़ा भेल कवन बेटी , बगिया सोभित लगे हे ।
बाँहि2 पसार मलिनिया कि आजु फुलवा लोर्हब3 हे ॥ 1 ॥
धीर धरु अगे मालिन धीर धरु , अवरो4 गँभीर बनु हे ।
जब दुलहा होइहें कचनार5 तबे फुलवा लोर्हब हे ॥ 2 ॥
मँड़वाहिं ढाढ़ा भेल कवन बेटी , मड़वा सोभित लगे हे ।
बाँहि पसार कवन दुलहा , आजु धनि हमर6 हे ॥ 3 ॥
धीर धरु अजी परभु , धीर धरु , अवरो गंभीर बनु हे ।
जब बाबू करिहन7 कनेयादान , तबे तोहर होयब हे ॥ 4 ॥ | magahi-mag |