folksong
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सूते पिया खरिहनवाँ हो, फागुन के महीनवा सूते पिया खरिहनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । कुकुर के नीन , भइल तन छीन , मोती भइल बाटे दनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । अइसे पिआसल पिया मन हुलासल , गंगा बनल मोर नयनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । बन के कोइलिया , बोले मीठ बोलिया , हमके बुझाला सपनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से
bhojpuri-bho
म्हारा तो ऑगण रूखड़ो बधाई लाई ननदी , हां रे सांवलिया कहां से आई सौंठ , कांह से आई पीपली कहां से आई ननदी , हां रे सांवलिया बम्बई से आई सौंठ , इन्दौर से आई पीपली फलाने गांव से आई ननदी , हां रे सांवलिया काय में आई सौंठ , काय में आई पीपली काय में आई ननदी , हां रे सांवलिया डब्बे में आई सौंठ , डब्बी में आई पीपली तांगे में आई नंदी , हां रे सांवलिया काहे को आई सौंठ , काहे का आई पीपली काहे को आई नंदी , हां रे सांवलिया जच्चा के लिए सौंठ , बच्चा के लिए पीपली लूटन को आई नंदी , हां रे सांवलिया ।
malvi-mup
अवगुन बहुत करे अवगुन बहुत करे , गुरुजी मैंने अवगुन बहुत करे । जब से पांव धरे धरनी पे , लाखन जीवन मरे । गुरुजी . . . जब से कलम धरी कागज पे , दस के बीस करे । गुरुजी . . . गैल चलत मैंने तिरिया निरखी , मनसा पाप करे । गुरुजी . . . पाप पुण्य की बांधी गठरिया , सिर पे बोझ धरे । गुरुजी . . .
bundeli-bns
उतरहि दिस से नैया एक आयल हे उतरहि दिस से नैया एक आयल हेऽ हिंगुर रंगल दुनू मांगि हेऽ नैयो नै छियै बनिजरबो नै छियै हेऽ बिनु रे खेबैया नैया आबै हेऽ कहाँ गेलऽ किया भेलऽ रैया रनपाल हो जल्दी से देहु नैया कात लगाय हो किए तहूँ छिही गे बुढ़िया दैतनी जे भूतनी गे निसिभाग राति पाड़ै छै हाक गे नहि हम छिये बेरीबरबा दैतनी जे भूतनी रे नहि हम भूतनी पिसाचनी रे जाति के जे छिकियै बैरीबरबा बराहमन कुल बेटिया रे लोक कहै छै कोसिका कुमारि रे जब तहूँ पुछले बेरीबरवा जातिया ठेकान रे कहि दहि अपनो नाम ठेकान रे जाति के छियै माय कोसिका जाति के मलाह गे मायबाप रखलक माय कोसिका कोहला दे देव नाम गे पहिलुक पूजा कोहला देव , तोहरे देबअ हो चलऽ कोहला देव हमर साथ हो माय हमर आन्हरि कोसिका बाप काया कोढ़ि गे हमे कौना जइबौ संग साथ गे माय के आँखि देबौ , बाप के काया देबौ बनाय हो चलू कोहला वीर हमर संग साथ हो गोड़ तोरा लागै छी माय कोसिका दुह कर जोड़ि हे विपत्ति बेरिया होहु ने सहाय हे ।
angika-anp
कोइ सखि माथा बन्हावे, कोइ सखि उबटन हे कोइ सखि माथा बन्हावे1 कोइ सखि उबटन हे । कोइ सखि चीर सँम्हारे , कोइ रे समुझावत हे ॥ 1 ॥ सासु के बन्दिहऽ2 पाँव , जेठानी बात मानिहऽ3 हे । ननदी के करिहऽ पिरीत4 देवर कोर5 राखिहऽ6 हे ॥ 2 ॥ भउजी जे बाँन्हथिन खोँइछा7 अँचरा बिलमावथि8 हे । आज भवन मोरा सून9 भेल , ननद भेलन पाहुन हे ॥ 3 ॥ बाबा जे हथिन10 निरमोहिया , त हिरिदिया11 कठोर भेल हे । हमरा के सौंपलन रघुनंन्नन , अपना पलटि12 घर हे ॥ 4 ॥
magahi-mag
जौ जश दे धरती माता जौ1 जश दे धरती माता जौ जश दे कुरम2 देवता जौ जश दे भूमि का भम्याल3 जौ जश दे गंगा की सौणी4 धार जौ जश दे पंचनाम देव जौ जश दे भायों5 की जमात जौ जश दे देऊ भूम गढ़वाल
garhwali-gbm
एक घोड़ी नजारे ते आई एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने रास बुलाई हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी होठां नै मरकावै बनड़े ने खान सिखावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी आखियां नै मरकावै बाले बनड़े नै सैन सिनावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी पायां ने मरकावै बाले बनड़े ने चाल सिखावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने राम बुलाई हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।
haryanvi-bgc
पाई खुदा के घर की कीनैं? पाई खुदा के घर की कीनैं ? की खाँ मरनै जीनैं ? बिघ ललाट के अच्छर ऐसे , लिखे ना काऊ चीनैं । एकन खाँ धन वान करत हैं , एकन को धन छीनैं । ईसुर ऐसे कलम करत है अल्ला ख्याल नवीनैं ।
bundeli-bns
दरवाजा पे नौबत बाजे दरवाजा पे नौबत बाजे लाल म्हारे भोत नीको लागे दाई हमारे मन भावे आवतो सो दीनड़ झेले लाल म्हारे भोत नीको लागे सासू हमारा मन भावे वे कुंवर पठोला में झेले वे जोठाणी हमारे मन भावे वे चखेते फूंको धरावे लाल मोय भोत नीको लागे वे देराणी हमारे मन भावे वे दस दन रसोई निपाये वे कोणा में खाट बिछावे लाल मोय भोत नीको लागे वे नणंद हमारे मन भावे वे कंवळे ते सांतीपूड़ा लावे वे पड़ोसन हमारे मन भावे वे दस दिन मंगल गावे वे ढोली हमारे मन भावे वे अँगना में ढ़ोल घोरावे वे जोसी हमारे मन भावे वे ललना को नाम धरावे ।
malvi-mup
बनड़ी! चलो जी हमारे साथ बनड़ी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी बन्ने दादा जी छोड़े ना जांय दादी में हमारा मन घना बन्ने बाबल छोड़े ना जांय अम्मा में हमारा मन घना बन्ने चाचा ताऊ छोड़े ना जांय चाची ताई में मन घना बन्ने भाई बहन छोड़े ना जांय मामा मामी में मन घना बन्ने यह घर छोड़ा ना जांय इस नगरी में हमारा मन रमा बन्नी यह सब झूठा है जंजाल असल में सच्चे दो जने बनी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी
haryanvi-bgc
भक्ती भरमणा दुर करो भक्ती भरमणा दुर करो , आरे ठगाई नही जाणा १ कायन की साधु गोदड़ी , आरे कायन का हो धागा कोण पुरुष दर्जी भया कुण सिवण हारा . . . भक्ती . . . २ हवा की बणी साधु गोदड़ी , आरे पवन का हो धागा मन सुतार दर्जी भया वो सिवण हारा . . . भक्ती . . . ३ काहाँ से आई रे हवा पवन , आरे कहा से आया रे पाणी कहा से आई रे मिर्गा लोचणी कळु कब की छपाणी . . . भक्ती . . . ४ आग आई रे हवा पवन , आरे पीछे आया रे पाणी बीच म आई रे मिर्गा लोचणी कळु जब की छपाणी . . . भक्ती . . . ५ धवळो घोड़ो रे मुख हंसळो , आरे मोती जड़ीया रे लगाम चंदा सुरज दुई पैगड़ा प्रभू हूया असवार . . . भक्ती . . .
nimadi-noe
जोगवा बेसाहन चलल मोर भइया रे टोनमा जोगवा1 बेसाहन2 चलल मोर भइया रे टोनमा । भइया चलले सँगे साथ रे टोनमा ॥ 1 ॥ घुरि फिरि3 देखथिन बेटी दुलरइतिन बेटी रे टोनमा । अँखियन से ढरे लोर4 रे टोनमा ॥ 2 ॥ आगे आगे अवथिन5 भइया दुलरुआ भइया रे टोनमा । पाछे पाछे भउजी6 चली आवे रे टोनमा ॥ 3 ॥ भउजी के हाथ में सोने के सिंघोरबा7 रे टोनमा । भइया हाथे तरवार रे टोनमा ॥ 4 ॥
magahi-mag
लोक गीत हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व । हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व । जाणे वाली पछि फिरे वो , जाणे वाली पछि फिरे वो । सुबुन बुंद हात वा गुजरी , सुबुन बुंद हात वो गुजरी । फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ । कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ । कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ । फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ । हाथ में दर्पण चमक रहा है , पैर में पायजेब चमक रहे हैं । ओ जाने वाली पीछे मुड़ , जाने वाली पीछे मुड़ । सभी के हाथों में गूजरी हैं । फिरफिर कर घास उखाड़ , खेत में खरपतवार रह गया है वो कमली भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार रह गया है वो रूमा भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार रह गया है वो राली भावज । इस प्रकार से निंदाई कर रहे लोगों के नाम लेलेकर गीत आगे बढ़ता जाता है ।
bhili-bhb
467 फिरे जोम1 दी भरी ते शाण चड़ी आ टली नी मुंडिए2 वासता ई मरदमार रकाने जग बाजे मान मतिये गुंडिए वासता ई बखशी सब गुनाह तकसीर तेरी लिया हीर नूं नडिये वासता ई वारस शाह समझाय के जटड़ी नूं लाह दिल दी घुंडिए वासता ई
panjabi-pan
कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना कटाया अपना नाम रसीले बन में एकले । कदिया ना भेजी राजा बाप के कदिया ना आये तांगा जोर रसीले बन में एकले । कदिया ना बैठे राजा चौंतरे कदिया न परखी मेरी चाल रसीले बन में एकले । कदिया न बुनी राजा जेवड़ी कदिया ना बुरी मेरी खाट रसीले बन में एकले । अब के तो जाऊं गोरी नौकरी अब के तो कटाऊं अपना नाम रसीले बन में एकले । अब के तो भेजूं गोरी बाप के अब के तो ल्याऊं तांगा जोर रसीले बन में एकले । अब के तो बैठून गोरी चौंतरे अब के तो परखूं तेरी चाल रसीले बन में एकले । अब के बाटूं गोरी जेवड़ी अब के तो बुनूं तेरी खाट रसीले बन में एकले ।
haryanvi-bgc
म्हारे आंगण कीचड़ा म्हारे आंगण कीचड़ा बे किन डोल्या पाणी म्हारी हथलाड्डो नहाई बे नाण डोल्या पाणी आया सामजी ढै पड्या बे उन की टांग निताणी टांग निताणी के करै बे गोडे पडग्या पाणी पड़ी ए पड़ी ललकारे बे जनूं दल्लो राणी मोरी म्हं को लीक्ड्या बे जणूं सामण का पाणी धम्मड़ धम्मड़ कूटी बे जणूं धान्नां की घाणी
haryanvi-bgc
हीरा मोती का गंज पड़िया हीरा मोती का गंज पड़िया आता सा फलाणा राम फिसल पड़िया दौड़तासा छोटा भई ने झेल लिया घणीखमा हो दादा म्हारा घणीखमा काय की तमखे दादा फिकर पड़ी हमखे काव करने की फिकर पड़ी वे तो दालकड़ी का गंज पड़िया आतासा जमई जी फिसल पड़िया दौड़तीसी बईरां ने झेल लिया घणीखमा हो म्हारा राज घणीखमा काय की फिकर तमखे पड़ी संडास सोरने की फिकर हमखे पड़े
malvi-mup
छैला जिकुड़ि1 धड़क धड़क कदी । अपणि नी छ बाणी । । छैला2 की याद करी उलरिगे3 पराणी4 । । पखन जखन सरग5 गिड़िके स्यां स्यां के बिजुलि सरके ढाडु6 पड़ं तड़तड़ के रुण झुण के पाणी । । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । बीच मुलक देश अहो कनु कै जी ज्यू त सहो । की जो क्या ब्यूत7 कहो । छि मैं छवीं8 नि लाणी । । जिकुड़ि धड़क धड़क कदी । अपणि नी छ बाणी । । छैला बणि की उदास , लैंदी दौं गरम स्वास ? बणिगे तन को कबास9 , कंदुड़ि10 छन बयाणी11 । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । हिरहिर के बथो12 औंद क्वी नी पर खबर लौंद कनु कै जी शान्त होंद पापि यो पराणी ? धड़क धड़क जिकुड़ि कदी अपणि नी छ बाणी । । झट अब घर जौलो इनु इनु वीं भेंट ल्यौलो मन हे , तू क्यां कु लोलो करदि काचि13 गाणी ? छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । घर की तू जोत छई कुल मां उपोत छई सुन्दर जनु फुलीं जई छै तु दिल कि राणी । जिकुड़ि धड़क धड़क कदी अपणि नी छ बाणी । । फ्यूली14 की कली जनी क्वां सो स्यो वदन तनी औंदो हा याद जनी , तरस दो पराणी । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । डांड्यों15 बसदी हिलांस16 रुकदो दौं किलै स्वांस खांदी क्या चुचा , फांस ? . . .
garhwali-gbm
लाडो पूछै बाबा से ए बाबा लाडो पूछै बाबा से ए बाबा मैं किस बिध देखण जाऊं रंगीला आ उतर्या बागां मैं हाथ टोकरियां फूलां की हे लाडो मालणिया बन कर जाओ रंगीला आ उतर्या बागां मैं कच्ची कच्ची कलियां तोड़ लीं अर मैं रिपट पड़ी री मुखड़ा देख गया बागां मैं बोल गया बतलाए गया री म्हारे सावै धरी बनड़ी के नजर लगाए गया बागां मैं
haryanvi-bgc
तेरे दुलहे ने लाया सोहाग, सोहागिन तेरे लिए तेरे दुलहे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 1 ॥ माँगो1 का टीका बने ने लाया । मोतिये में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 2 ॥ नाको का बेसर बने ने लाया । चुनिये2 में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 3 ॥ कानो3 की बाली बने ने लाया , झुमके में लाया सोहाग । तेरे नौसे4 ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 4 ॥ गले का माला बने ने लाया । हँसुली में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए । तेरे नीसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 5 ॥ जानो5 का सूहा6 बने ने लाया । छापे में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए । तेरे नौसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 6 ॥
magahi-mag
गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा , सोने के कलसे में । मैं बी तेरे संग चलूंगी , गांधी के जलसे में
haryanvi-bgc
कांटो लागो रे देवरिया कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय अपने महल की मैं अलबेली जोबन खिल रहे फूल चमेली धूप लगे कुम्हलाय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय आधी राह हमें ले आयो रास्ता छोड़ कुरस्ता ध्यायो सास नणद तें पूछ न आयो चलत चलत मेरी पिंडली दुखानी सिगरी देह पिराय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय
haryanvi-bgc
345 रन्न वेखना ऐब है अन्नयां नूं रब्ब अखियां दितियां वेखने नूं सब खलक1 दा वेख के लौ मुजरा2 करो दीद इस जग दे पेखने नूं महांदेव जहे पारब्बती अगे काम लयांवदा सी मथा टेकने नूं रावन राजयां सिरां दे दाअ लाये जरा जायके अखियां सेकने नूं सब दीद मुआफ है आशकां नूं रब्ब यन दिते जग देखने नूं अजराईल हथ कलम लै वेखदा ए तेरा नाम इस जग तों छेकने नूं
panjabi-pan
लमटेरा की तान हमारे लमटेरा की तान , समझ लो तीरथ कौ प्रस्थान , जात हैं बूढ़ेबारे ज्वान , जहाँ पै लाल धुजा फहराय । नगनग देह फरकबै भइया , जो दीवाली गाय । । दिवारी आई है , उमंगै लाई है । आज दिवारी के दिन नौनी लगै रात अँधियारी , मानों स्याम बरन बिटिया नैं पैरी जरी की सारी । मौनियाँ नचै छुटक कैं खोर , कि जैसें बनमें नाचैं मोर , दिवारी गाबैं करकर सोर , कि भइया बिन बछड़ा की गाय । बिन भइया की बहिन बिचारी गली बिसूरत जाय । । भाई दौज आई है , कि टीका लाई है । आन लगे दिन ललित बसन्ती फाग काउ नैं गाई । ढुलक नगड़िया बजी , समझ लओ कै अब होरी आई । । बजाबैं झाँजैं , झैला , चंग , नचत नरनारी मिलकें संग , रँगे तन रंग , गए हैं मन रंग , कहरवा जब रमसइँयाँ गाय । पतरी कम्मर बूँदावारी , सपनन मोय दिखाय । । अ र र र र होरी है , स र र र र होरी है । गाई चैतुअन नैं बिलवाई , चैत् काटबे जाबैं । सौंनेचाँदी को नदियासी पिसी जबा लहराबैं । । दिखाबैं अम्मन ऊपर मौर , मौर पर गुंजारत हैं भौंर , कि मानौ तने सुनहरे चौंर , मौर की सुन्दर छटा दिखाय । । चलत लहरिया बाव चुनरिया , उड़उड़ तन सैं जाय । । गुलेलें ना मारौ लँयँ का तुमहारौ गायँ बुँदेला देसा के हो , ब्याह की बेला आई । ब्याहन आए जनक जू के घर , तिरियन गारी गाई । । करे कन्या के पीरे हाँत , कि मामा लैकें आए भात , बराती हो गए सकल सनात , बिदा की बेला नीर बहाय , छूट चले बाबुल तोरे आँगन , दूर परी हौं जाय । । खबर मोरी लैयँ रइयो , भूल मोय ना जइयो । बरसन लागे कारे बदरा , आन लगो चौमासौ । बाबुल के घर दूर बसत हैं , जी मैं लगो घुनासौ । । उमड़ो भाईबहिन कौ प्यार , कि बिटिया छोड़ चलीं ससुरार । है आ गओ सावन कौ त्यौहार कि भइया राखी लेव बँदाय । माँगैं भाबी देव , नौरता खाँ फिर लियो बुलाय । । और कछु नइँ चानैं , हमें इतनइँ कानैं ।
bundeli-bns
पोथिया पढ़इते तोहिं परभुजी, त सुनहऽ बचन मोरा हो ‘तिलरी राउर मइया पेन्हो , आउर बहिनिया पेन्हो हे । हो परभुजी , हमहुँ न काली कोयलिया , तिलरिया हमरा ना सोभे हे ॥ ’ पोथिया पढ़इते1 तोहिं परभुजी , त सुनहऽ2 बचन मोरा हो । परभुजी , हमरा झुलनियाँ3 केरा साध , झुलनियाँ हम पहिरब4 हो ॥ 1 ॥ बोलिया तो , अहो धनि , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे । धनियाँ , कारी रे कोयलिया अइसन5 देहिया , झुलनियाँ तोरा न सोभे हे ॥ 2 ॥ बोलिया त , अहो परभु , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे । परभुजी , कारी के रे सेजिया जनि जइहऽ , साँवर होइ जायेब6 हे ॥ 3 ॥ मचिया बइठल तोहिं सासुजी , सुनहऽ बचन मोरा हे । सासुजी , बरजहुँ7 अपन बेटवा , सेजिया हमर जनि अवथुन , 8 , साँवर होइ जवथुन9 हे ॥ 4 ॥ बहुआ10 छोरि देहु माँग के सेनुरवा , नयना भरि काजर हे । बहुआ , बरजब अपन बेटवा , सेजिया तोहर न जयतन11 हे ।
magahi-mag
देसां मैं देस हरियाणा देसां मैं देस हरियाणा । जित दूध दही का खाणा ।
haryanvi-bgc
मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी कोई रंग पाट्यो अजमेर मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी सींचण मैं गई जी कोई छोटा देवर साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी घोलण मैं गई जी कोई द्योर जिठाण्यां साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी लावण मैं गई जी कोई छोटी नणदल साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । छोटी बूज्झे ए बड़ी तम कहो रात की बात मेहंदी किसीक रची जी राज । मेहंदी तो मैं लाय लई तूं आई न आधी रात मेहंदी अधिक बणी जी राज । द्योरेजिठानी सब कोई आई तूं नहीं आई आधी रात मेहंदी रंग भरी जी राज ।
haryanvi-bgc
अब कैसे जाऊँ लाड़ो, सामने खड़ी रे लाल अब कैसे जाऊँ लाड़ो1 सामने खड़ी रे लाल । माँगो टीका पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो दिल में बसी रे लाल ॥ 1 ॥ नाको बेसर पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 2 ॥ कानो बाली पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 3 ॥ हाथों कँगन पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 4 ॥ गले माला पहन लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 5 ॥ हाथों पहुँची2 पेन्ह लाडो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 6 ॥ जान3 सूहा4 पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो सामने खड़ी रे लाल ॥ 7 ॥
magahi-mag
149 पैचां कैदो नूं आखया सबर कर तूं तैनूं मारया ने झखां मारया ने हाये हाये फकीर ते कहर होया कोई वडा ही खून गुजारया ने बहुत दे दिलासड़ा पूंझ अखीं कैदो लंडे दा जीऊ चा ठारया ने कैदो आखदा धीयां दे वल होके देशों दीन ईमान निघारया ने वारस अंध राजा ते बेदाद1 नगरी झूठा दे दिलासड़ा मारया ने
panjabi-pan
एक रोटी को बैल बिका एक रोटी को बैल बिका अर पैसा बिक गया ऊंट चौतींसा नै खोदिया भैंस गाया का बंट चौंतीसा ने चौंतीसा मारै जिये वेश कसाई औह मारै तकड़ी अर उस ने छुरी चलाई
haryanvi-bgc
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे . . .
braj-bra
509 पिहढ़े घतके कदी न बहे बूहे असीं एहते दुख विच मरांगे नी एहदा जिउना पलमदा पिंड साडे असीं एह इलाज की करांगे नी सोहनी रन्न बाजार ना वेचनीए वयाह पुत दा होरद करांगे नी मुलां वैद हकीम लै जान पैसे कहियां चटियां गैब दियां भरांगे नी वहुटी गभरू दोहां नूं बाढ़ अंदर असी बाहरों जंदरा जड़ां नी सैदा ढाह के एस तों लए लेखा असी चीकनों मूल न डरांगे नी शरमिंदगी जग दी सहागे जरा मुंह परां नूं होर दे करांगे नी कदी चरखड़ा डाह ना छोप कते असी मेल भंडार की करांगे नी वारस शाह शरमिंदगी एस दी तों असीं डुब के खूह विच मरांगे नी
panjabi-pan
कई आँवा मोरिया, जांबू मोरिया कई आँवा मोरिया , जांबू मोरिया कई मोरी कचनार म्हारा राज आज जमेरी रसभरी फलाणा राय तमारा राज में उना जमई का झाडू का लाड़ आज जमेरी रसभरी फलाणी बऊ तमारा राज में बेटी का दूनादूना लाड़ म्हारा राज आज जमेरी रसभरी ।
malvi-mup
आल्हा ऊदल नाम रुदल के सुन गैले सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय जे बर हिछलीं सिब मंदिर में से बर माँगन भेल हमार एतो बारता है सोनवा के रुदल के सुनीं हवाल घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर घोड़ा उड़ावल बघ रुदल सिब मंदिर में पहुँचल जाय घोड़ा बाँध दे सिब फाटक में रुदल सिब मंदिर में गैल समाय पड़लि नजरिया है सोनवा के रुदल पड़ गैल दीठ भागल सोनवा अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय सोने पलंगिया बिछवौली सोने के मढ़वा देल बिछवाय सात गलैचा के उपर रुदल के देल बैठाय हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओ कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बँधलव फाँड़ बोले राजा बघ रुदल भौजी सोनवा के बलि जाओं बारह वरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुँआर किला तूड़ दों नैना गढ़ के सोनवा के करों बियाह एतनी बोली रानी सोनवा सुन गैल सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय दूध मँगौली गैया के खोआ खाँड़ देल बनवाय जेंइ लव जेंइ लव बाबू रुदल एहि जीबन के आस कड़खा बोली रुदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान हमार किरिया खैलीं मोहबा गढ़ में अब ना अन गराहों पान
bhojpuri-bho
537 अजू आखया कहर अंोर यारो वेखो गजब फकीर ने चाया ए मेरा सीने दा केवड़ा1 मार जिदों कम कार थी चाए गवाया ए फकर मेहर कदे सारी खलक उते एस कहर जहान ते चाया ए वारस शाह मियां नवां सांग2 वेखो दिओ आदमी होए के आया ए
panjabi-pan
जीरा रगरि रगरि हम पिसलूँ जीरा रगरि रगरि1 हम पिसलूँ । जीरा पीले बहू , जीरा पीले धनी ॥ 1 ॥ पाग2 के पेंच3 में छानली हे । जीरा पीले जरा , जीरा पीले जरा ॥ 2 ॥ होअत बलकवा के दूध । जीरा पीले जचा , जीरा पीले जचा ॥ 3 ॥ हम बबा के अलरी दुलरी4 । हमरा न जीरा ओल्हाय , 5 जीरा कइसे पीऊँ ॥ 4 ॥
magahi-mag
आज अनंद भलइ हमर नगरी बधैया आज अनंद भलइ1 हमर नगरी । मोर दादा लुटावे अनधन सोना , मोर दादी लुटावे मोती के लरी2 ॥ 1 ॥ बाबूजी लुटावथ3 कोठीअटारी , मइया लुटाबे फूल के झरी । मोबारख4 होय होरिला तोहरो गली ॥ 2 ॥
magahi-mag
काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू बनजा बेटा रमा चाचू बनजा बेटा अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी
korku-kfq
झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे अमा रानी का जा बेटा अमा रानी का जा बेटा ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति रूक्मणी , ग्राम मकड़ाई
korku-kfq
76 तेरा आखया असां मनजूर कीता मझीं देह संभाल के सारियां नी खबरदार रहे मझीं विच खड़ा बेले विच मुसीबतां भारियां नी रोला करे नाहीं नाल खधिया1 दे एस कदे नाहीं मझी चारियां नी मत खेड रूझे खड़ियां जाण2 मझीं होण पिंड दे विच खुआरियां नी
panjabi-pan
चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो चढ़ लाडा , चढ़ रे ऊँचे रो , देखाधूं थारो सासरो रे जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा , ऐंडू के शार्रूं सासरो रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो , देखांधू थारा सुसरा रे जाणें जाणें पड़गो रा वौरा , ऐड़ा रे थारा सुसरा रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे जाणें जाणें पड़गा री " बोंरी ' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो , देखांधू थारो सासरो रे जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी , ऐड़ी तो थारी साली रे
rajasthani-raj
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । सच्च सुण के लोक ना सहिन्दे नी , फिर सच्चे पास ना बहिन्दे नी , सच्च मिट्ठा आशक प्यारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । सच्च शरा करे बरबादी ए , सच्च आशक दे घर शादी1 ए , सच्च करदा नवीं अबादी ए , जेही शरा तरीकत हारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । चुप्प आशक तों ना हुन्दी ए , जिस आई सच्च सुगन्धी ए , जिस माल्ह सुहाग दी गुन्दी ए , छड्ड दुनिआँ कूड़ पसारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । बुल्ला सहु सच्च हुण बोले हैं , सच्च शरा तरीकत फोले हैं , गल्ल चौत्थे पद2 दी खोले हैं , जेहा शरा तरीके हारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।
panjabi-pan
म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे , जरमरियो काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो लाड़ी आयो ने अनुअर डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो बेड़ो लायो ने थाली डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो लोटो लायो ने लोटी डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो सीरस लायो ने ढ़ाल्यो डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो म्हारो बालूड़ो ग्यो तो सासरे . . . जरमरियो ढ़ोलो काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो ।
rajasthani-raj
पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु रामा सरिका बोले रे बेटा म्हारो कलेजा टूटे पेप रे पाला जोमेडो में माडो इयां बेटी रेपे रेपे मांडिये पान सुपारी जोमे डो इयां बेटी रेपे रेपे मांडिये काली ग्वाली किटी टाला डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे डून्डा ओड़ा चूटी तीये रामा चाचू बनजा बेटा आमा रानी का बोली वा जा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा
korku-kfq
जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां जच्चा की चटोरी जीभ चलेबी मंगवा द्यो नां उसकी सासू गिरवै रखद्यो ससुरै का लगवा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी जिठाणी नै गिरवै रखद्यो जेठै का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी देवरानी गिरवै रखद्यो देवर का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी ननद ने गिरवै रखद्यो ननदोइए का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां
haryanvi-bgc
468 जो कुझ तुसी फरमांओ सो जाए आखां दिल जानथी चेलड़ी होइआं मैं तैनूं पीर जी भुल के बुरा बोली भुली विसरी आन विगोइआं मैं तेरी पाक जबान दा हुकम लैके कासिद1 होयके आन खलोइआं मैं वारस शाह दे मोजजे साफ कीती नहीं मुढ दी वढी बदखोइआं मैं
panjabi-pan
मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय जेवर मत मांगो नन्दी डिब्बों का सिंगार जेवर में से आरसी दूंगी छलला लूंगी निकाल मन खोल के मांगो . . . तीयल मत मांगे नन्दी बुगचे का सिंगार कपड़े में मैं अंगिया दूंगी मुलकत लूंगी निकाल मन खोल के मांगो . . . बर्तन मत मांगो नन्दी चौके का सिंगार बर्तन में मैं कटोरा दूंगी तल्ला लेऊं निकाल
haryanvi-bgc
यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो माय चमेली नौ तैल गोरो लाड़ो लाड़ी बैठ्या उबटणे
malvi-mup
मृत्यु गीत टेक दल खोलो कमल का फूल हंसा , सायब रे न मिलावण ना होय रे । चौक1 गऊ न का दूध नीबजे रे हंसा , दूध का दही होय रे । आरे हंसा दूध न का दही होय रे । मयड़ो रोळो माखण नीबजे रे , ऐसो फिर नहिं दहिड़ो होय सायब रेन मिलावण होय । चौक2 फूल फूलियो गुलाब को हंसा , भँवरो गयो लोभाय रे , आरे हंसा भँवरो गयो लोभाय रे । कलीकली भँवरो गुँजी रह्यो हंसा , एसो फूल गयो कुम्हलाय । सायब रे न मिलावण ना होय रे । चौक3 पाटियां पाड़ी रूड़ा प्रेम की रे हंसा , सोभती बिंदिया सजाई रे । आरे हंसा रे न मिलावण ना होय रे । चूंदड़ ओढ़ कोई प्रेम की रे , वकि मुक्ति का होय कल्याण , सायब रेन मिलावण ना होय रे । चौक4 नंदी किनारे घर कर्यो हंसा , नहावत निरमल नीर रे । आरे हंसा नहावत निरमल नीर रे । धरमी राजा पार उतरिया , ऐसो पापी गोता खाय सायब से मिलावण ना होय रे । छाप कइये कमाली कबिर सा की लड़की , ऐसा खत अमरापुर पाया । हंस कमल दल का फूल खोलो , भगवान से मिलना न हो । गौ से दूध उत्पन्न होता है , दूध से दही बनता है , छाछ बनाई , मक्खन निकाला , उसके बाद दही नहीं हो सकता , इसी प्रकार समय खो दिया फिर भगवान से मिलना नहीं हो सकता । गुलाब का फूल खिला , उस पर भँवरा लुभाया । कलीकली पर भँवरा गुंजार करता रहा और ऐसा करते फूल मुरझा गया । इस प्रकार ऐसा करते हुए अरे मानव उस फूल के समान तेरी जिन्दगी खत्म हो गई । भगवान का भजन न किया , इससे भगवान का सामीप्य नहीं हुआ । फिर चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा । अरे हंसा जीव महिलाओं को सम्बोधन किया गया है स्नान किया , सिर के बालों की पाटियाँ प्रेम से पाड़ी । ललाट पर सुन्दर बिन्दी लगाई , इससे भगवान का सामीप्य नहीं मिलता है । अरे भगवान से लगन की चूनरी ओढ यानी भगवान का भजन भी कर , जिससे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो । आनन्दपूर्वक जीवन के साथ भजन भी कर । अरे जीव नदी के किनारे घर बनाया और खूब निर्मल जन से स्नान किया , किन्तु धर्म नहीं किया ? धम्र करने वाले पार उतर गए अर्थात् इस संसार रूपी नदी से पार उतर गये । तात्पर्य यह कि मुक्ति पा गये और पापी बीच में ही गोते खाते हैं । कबीरदासजी की पुत्री कमाली कहती है कि धर्म करने वालों को अमरापुर की प्राप्ति होती है ।
bhili-bhb
280 अजड़1 चारना कम पैगम्बरां दा केहा अमल शैतान दा रोलयो ई भेडां चारके तोहमतां जोड़ना ए क्यों गजब फकीर ते खोलयो ई वाही छड के खोलियां चारियां नी होयों जोगीड़ा जीऊना ठोलयो ई सच मन के पिछांह मुड़ जा जटा केहा कूड़ दा फोलना फोलयो ई वारस शाह एह उमर नित कर जाया2 शकर विच प्याज क्यों घोलयो ई
panjabi-pan
563 रांझा आखदा पुछो खां एह छापा किथों दामन नाल चमेड़या जे राह जांदड़े किसे ना पैन चंबड़े एह भूतना किथों सहेड़या जे सारे मुलक एह झगड़दा पया फिरदा किसे हटकया ते नहीं होड़या जे वारस शाह कुसंभे दे फोग वांगूं ओहदा उड़का रसा नचोड़या जे
panjabi-pan
पिपरी लेके सासु खड़ी, पिपरिया पीले बहू पिपरी1 लेके सासु खड़ी , पिपरिया पीले बहू । हो जयतो2 होरिलवा ला3 दूध , पिपरिया पीले बहू ॥ 1 ॥ पिपरी पीते मोरा होठ हरे , मोरा कंठ जरे हे । हिरदय कमलवा4 के फूल पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 2 ॥ पिपरी जेके भउजी खड़ी , चाची खड़ी । पुरतो5 होरिलवा के साध , पिपरिया पीले बहू ॥ 3 ॥ पिपरी पीते मोरा आँख जरे , नयना लोर6 ढरे । पिपरी न कंठ ओल्हाय7 पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 4 ॥
magahi-mag
275 जदों करम अलाह दा करे मदद बेड़ा पार हो जाए निमानयों दा लैणा करज़ नाहीं बूहे जा वहीए केहा तान है असां नितानयां दा मेरे करम सवलड़े आन जागे खेत जंमया भुंनयां दानयां दा वारस शाह मियां वडा वैद रांझा सरदार है सभ सिआनयां दा
panjabi-pan
रच्छा करी बटुकनाथ भैरों रच्छा करी बटुकनाथ भैरों , चौड़िया नारसिंह , वीर नौरतिया नारसिंह । ढौंढिया नारसिंह , चौरंगी नारसिंह । फोर मंत्र ईश्वरो वाच । ऊं नमो आदेश , गुरु कौं आदेश प्रथम सुमिरौं नादबुद1 भैरों , द्वितीय सुमिरौं ब्रह्मा भैरों , तृतीय सुमिरों मछेन्द्रनाथ भैरों , मच्छ रूप धरी ल्यायो । चतुर्थ सुमिरौं चौरंगी नाथ , विंधा उत्तीर्ण करी ल्यायों । पंचमें सुमिरों पिंगला देवी , षष्ठे सुमिरौं श्री गुरु गोरख साई , सप्तमे सुमिरौं चंडिका देवी या पिंडा2 को छल करी , छिद्र करी , भूत , प्रेत हर ले स्वामी प्रचंड बाण मारि ले स्वामी सप्रेम सुमिरौ नादबुद भैरों , तेरा इस पिंडा को ध्यान छोड़ादे इस पिंडा को भूत , प्रेत , ज्वर उखेल3 दे स्वामी फिर सुमिरौं दहिका देवी , इस पिंडा को दग्ध बाण उषेल दे स्वामी अब मैं सुमिरौं कालिपुत्र कलुबा वीर , द्यू लो तोई स्वामी गूगल को धूप , कलुवा वीर आग रख पीछ रख सवा कोस मू रख , पाताल मू रख फीली फेफ्नी को मास रख , मुंड को मुंडारो उखेल , मुंड को जर उखेल पीठी को सलको उखेल , कोरवी की धमाक उखेल , बार बिथा , छत्तीस बलई4 तू उखेल , रे बाबा मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति , सब साचा पिंडा राचा , चालो मंत्र , ईश्वरो वाच फोर मंत्र , फट् स्वाहा , या बिक्षा नी आन दूसरी बार ।
garhwali-gbm
बारात के रास्ते का गीत उभो रे मयदान मा , उभो रहयो रे बेना । बइं ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । बणवि ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । भाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । भोजाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । फुवा वाटे , उभो रहयो रे बेना । फुइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । गांवल्या वाटे , उभो रहयो रे बेना । बना रुक गया है , क्यों रुका ? उसकी बहन पीछे रह गई थी , इसलिए रुका । इस प्रकार सम्बन्धियों के नाम लेकर गाते हुए गीत आगे बढ़ता चला जाता है ।
bhili-bhb
का लेके अयले ननदिया, बोलाओ राजा बीरन के का1 लेके2 अयले3 ननदिया , बोलाओ राजा बीरन4 के । पाँच के टिकवा , 5 दस के टिकुलिया , 6 लेके आयल ननदिया ॥ 1 ॥ हमर बहिनियाँ बहुत किछु लयलक7 । ओकरा8 के पियरी पेन्हाउ , 9 बोलाबु राजा बीरन के ॥ 2 ॥
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515 हुकम हीर दा माऊ तों लया सहती गलां आपों विच दोहां मेलियां ने अनी आओ खां आपो विच गल गिनो सभ घलियां सभ सहेलियां ने रूजू1 आन होइयां सभे पास सहती जिवें गुरु अगे सभ चेलियां ने कहे कुआरियां कई वियाहियां ने चंद जेहे सरीर मथेलियां ने उन्हां माऊ ते बाप नूं भुन्न खाधा मुंग चने कुआरियां खेलियां ने विच हीर सहती दोवें बैठियां न दुआल बैठियां आन सहेलियां ने सभनां बैठ के इक सलाह कीती भाबी नणद ते आन रवेलियां ने सुती पई लोको उठ चलना जे बाहर करनियां जां काले केलियां ने सइयों हुम हुमा के आवना जे गलां करनियां अज कहेलियां ने वारस शाह शिंगार महावतां न जिवें हथनियां किले ते पेलियां ने
panjabi-pan
कबीरो किन भरमायो, अम्माँ महारो कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो १ कबीरा की औरत कहती सासु से ऐसो पुत्र क्यो जायो खबर हुती मख नीच काम की ब्याव काहै को करती कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो २ कबीरा की माता कहती कबीर से तुन म्हारो दुध लजायो खबर हुती मख गर्भवाँस की दुध काहे को पिलाती कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो
nimadi-noe
रणिहाट नी जाणू गजेसिंह, हल जोता का दिन, गजेसिंह रणिहाट नी जाणू गजेसिंह , हल जोता का दिन , गजेसिंह छिः दारु नी पेणी गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह हौंसिया छै बैख गजेसिंह , बड़ा बाबू को बेटा , गजेसिंह त्यरा कानू कुंडल गजेसिंह , त्यरा हातू धगुला , गजेसिंह त्वे राणी लूटली गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह तेरो बाबू मारेणे गजेसिंह , राणिहाट नी जाणू गजेसिंह बैरियों का बदाण गजेसिंह , सांपू का डिस्याण , गजेसिंह बड़ा बाबू को बेटा गजेसिंह , दरोलो नी होणो , गजेसिंह मर्द मरी जाँदा गजेसिंह , बोल रई जांदा , गजेसिंह ।
garhwali-gbm
माथे मटुक्डी महिनी गोरी माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा ससराजी मऴया , मुने लाजू करी या ने घणी हाम रे . . गोकुल मां , हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा जेठजी मऴया मुने झिणु बोल्या ने घणी हाम रे . . . . गोकुल मां हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा सासुजी मऴया , मुने पाए लाग्या ने घणी हाम रे . . . गोकुल मां . . हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी मां म्हारा परणयाजी मऴया , मुने प्रीत करया नी घणी हाम रे . . . ऐ गोकुल मां . . हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला रे , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .
gujarati-guj
सारी चोर-बोर कर डारी सारी चोरबोर कर डारी , कर डारी गिरधारी । गिरधारी पकरन के काजैं । जुर आईं ब्रजनारी । नारी भेस करौ मोहन कौ । पैराई तन सारी । सारी पैर नार भए मोहन , नाचें दैदै तारी तारी लगा ग्वाल सब हँस रय ईसुर कयँ बलहारी ।
bundeli-bns
अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़ अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़ , बावन चन्दन की कोठड़ी , कोठड़ी मऽ बठ्या राणी रनुबाई नार हो , बाळा कुंवर की मावली । भोळा हो धणियेर , भोळा तुम्हारो राज , तो नव दिन पियर हम जावां जी । तुम देवी मूरख गंवार , नव दिन पीयर मत जाओ । तपऽ तपऽ चैत केरो घाम , कड़ी को बाळो कुम्हलई जासे तुम्हारा बाला खऽ राखो तुम्हारा पास , नव दिन पियर हम जावां जी । ।
nimadi-noe
खोय देत हो जीवन बिना काम के भजन करो कछु राम के खोय देत हो जीवन बिना काम के , भजन करो कछु राम के । जी बिन देह जरा न रुकती , चाहो अन्त समय में मुक्ती ऐसी करो जतन से जुक्ती , ध्यान करियों सबेरे न तो शाम के । भजन . . . लख चौरासी भटकत आये , मानुष देह कठिन से पाये , फिर भी माने न समुझायें , गलती चक्कर में फंसे बिना राम के । भजन . . . ईश्वर मालिक से मुंह फेरे , दिल से नाम कभऊं न टेरे , वन के नारि कुटुम्ब के चेरे , कोरी ममता में फंसे इते आन के । भजन . . . छोड़ो मात पिता और भ्राता , जो हैं तीन लोक के दाता , करियो उन ईश्वर से नाता , क्षमा करिहें अपराध अपना जान के । भजन . . .
bundeli-bns
आल्हा ऊदल पड़ गैल बीड़ा जाजिम पर बीड़ा पड़ल नौ लाख हे केऊ रजा लड़वैया रुदल पर बीड़ा खाय चौहड़ काँपे लड़वेया के जिन्ह के हिले बतीसो दाँत केकर जियरा है भारी रुदल से जान दियावे जाय बीड़ा उठावल जब लहरा सिंड्घ कल्ला तर देल दबाय मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले जुझाम जुझाम एको एका दल बटुरल जिन्ह के दल बावन नवे हजार बूढ़ बियाउर के गनती नाहिं जब हाथ के गनती नाहिं बावन मकुना के खोलवाइन रजा सोरह सै दन्तार नब्वे सै हाथी के दल में ड़ड़ उपरे नाग डम्बर उपरे मेंड़राय चलल परवतिया परबत के लाकट बाँध चले तरवार चलल बँगाली बंगाला के लोहन में बड़ चण्डाल चलल मरहट्टा दखिन के पक्का नौ नौ मन के गोला खाय नौ सौ तोप चलल सरकारी मँगनी जोते तेरह हजार बावन गाड़ी पथरी लादल तिरपन गाड़ी बरुद बत्तिस गाड़ी सीसा जद गैल जिन्ह के लंगे लदल तरवार एक रुदेला एक डेबा पर नब्बे लाख असवार बावन कोस के गिरदा में सगरे डिगरी देल पिवाय सौ सौ रुपया के दरमाहा हम से अबहीं लव चुकाय लड़े के बोरिया भागे नौ नौ मन के बेड़ी देओं भरवाय बोगुल फूँकल पलटन में बीगुल बाजा देल बजाय
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फूल लोढ़े चलली हे गउरा, बाबा फुलवारी फूल लोढ़े1 चलली हे गउरा2 बाबा फुलवारी । बसहा चढ़ल महादेव , लावले3 दोहाई4 ॥ 1 ॥ लोढ़ल5 फफलवा हे गउरा देलन छितराए । रोवते कनइते6 हे गउरा , घर चलि आवे ॥ 2 ॥ मइया अलारि7 पूछे , बहिनी दुलारि पूछे । कउने तपसिया8 हे गउरा , तोरो के डेरावे ॥ 3 ॥ लाज के बतिया9 हे अम्मा , कहलो न जाए । भउजी जे रहित हे अम्मा , कहिति समुझाए ॥ 4 ॥ पूछु गल सखिया10 सलेहर11 कहिहें समुझाए । बड़े बड़े जट्टा हे अम्मा , सूप अइसन12 दाढ़ी ॥ 5 ॥ ओही तपसिया हे अम्मा , हमरो डेरावे । ओही तपसिया हे अम्मा , पड़ले दोहाई ॥ 6 ॥ बुद्धि तोरा जरउ13 हे गउरा , जरउ गेयान । ओही तपसिया है गउरा , पुरुख14 तोहार ॥ 7 ॥
magahi-mag
करमा गीत-6 रांधत देखेंव मोगरी मछरी परसत देखेंव भोंगा सागे । अइसन सुआरी बर बड़ गुस्सा लागे । भारतें तुतारी दुई चारें । माहिरा तुतारी दुई चारें । चलि देबों मइके हमारे । मसके देइ मइके तुम्हारे । कर लेब दूसर बिहांव । कर लेइहा दूसर बिहाव हमर सूरत कहां पइहा । अइसन सुधरई का करबो । चिटको तो चाल कहर नइहे ।
chhattisgarhi-hne
हवा बहे रसे-रसे घुमड़इ कजरिया हवा बहे रसेरसे घुमड़इ कजरिया , जिया कहे चलचल पिया के नगरिया । जहिया से सइँया मोरा गेलन विदेसवा , आवे न अपने न भेजे कोई सनेसवा । लिलचा के रह जाहे ललकल नजरिया . जिया कहे चलचल पिया के नगरिया । जाड़ा जड़ाई गेलई सउँसे ई देहिया , गरमी में सब जरई सबरे सनेहिया । जियरा डेराय रामा छाय घटा करिया जिया कहे चलचल पिया के नगरिया ।
magahi-mag
रुकमिनी जेवनार बनाए रुकमिनी जेवनार1 बनाए , मकसूदन2 जेमन3 आए जी । सोभित रतन जड़ाओ4 कुंडल , मोर मकुट सिर छाजहिं ॥ 1 ॥ केसर तिलक लिलार5 सोभित , उर बयजन्तरी6 माल हे । बाँहे बिजाइठ7 सोबरन बाला , अँगुरी अँगुठी सोहहिं ॥ 2 ॥ सेयाम रूप मँह पीयर बसतर , चकमक झकझक लागहिं । कनक कंकन , चरन नेपुर , रूप काहाँ लौं बरनउँ ॥ 3 ॥ जिनकर रूप सरूप मुनिजन , मनहिं मन नित गावहिं । झारि बिछौना , लाइ झारी8 सब के पाँव धोवावहि ॥ 4 ॥ कनक , कलसबा , सुन्नर झारी , गिलास दय आगे धरयो । अंजुल9 जोरी विनय करि के , सभें के पाँत बइठावहि ॥ 5 ॥ कनक थारी में रुचिर ओदन10 दाल फरक परोसहिं । सुन्नर भोजन परसि परसि , घीउ11 ऊपर ढरकावहि ॥ 6 ॥ साग , बैंगन , अलुआ12 मूरी , कटहर , बड़हर परोसहि । अदरख , अमड़ा , अरु करइला , इमली चटनी लावहिं ॥ 7 ॥ कदुआ , ककड़ी अउर खीरा , राइ दही रहता13 बनो । बारा , बजका आउ तिलौरी , हरखि पापर देइ दियो ॥ 8 ॥ अदउरी , दनउरी आउर मेथौरी , हरखि दही आगे धरयो । देइ अचमन14 जल गँगा के , बाद सभे बीरा15 दियो ॥ 9 ॥ खाइ बीरा हँसि हँसि बोलथि हरि रुकमिनी का चही16 देऊँ परेम परगास हमरा , हाथ जोरि बिनति करी ॥ 10 ॥
magahi-mag
आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले (भाटियाली) आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले । । सहे ना यौवन ज्वाला , प्रेम ना करे छिलाम भालो गो । दुइ नयने नदी नाला तुइ बन्धु बहाइले । । आगे तो ना जानि आमि , एत पाषाण हइबे तुमि गो । बइसे थाकताम एकाकिनी , कि इहते प्रेम ना करिले । । तुमि बन्धु ताके सुखे , मरब आमि देखुक लोके गो अभागिनीर मरणकाले आइस खबर पाइले । ।
bengali-ben
वनिक मैं हूँ साहुकारा नाथ , कीजिए हमारा सौदा , छोटी बड़ी इलायची , छुहड़ा घर भरा है । लवंग ओ सुपारी , कत्था केवरा सुवास भरो , बांका है मुनक्का , जो डब्बे में रक्खा है । किसमिस बादाम , ओ चिरंजी तमाम रक्खी , गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है । सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो , काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है । हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी , धनिया मसाला सब आला दरसाई है । कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता , दीजिए न दाम , दास चरणों पर पड़ा है ।
bhojpuri-bho
वारे लाँगुरिया रुक मत जइयौ वारे लाँगुरिया रुक मत जइयो कहूँ गैल में ॥ टेक तोय दऊँ पहले ही बतलाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया जो रुकि गयौ कहुँ गैल में , फिर तौ लेगौ देर लगाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगरिया मोय आदत तेरी नहीं भावत है , तू तो सुन लै रे चितलाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया मैंने बोली जात करौली की , हम तौ दरस करेंगे वहाँ जाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया गोद मेरी देखि सूनी है , अब मैया तो देगी भराय ॥ लाँगुरिया .
braj-bra
जामुना रे जामुना आरे बेटा जामुना रे जामुना आरे बेटा नद्दी किनारे जामुना का जामुना चोरो रे आरे बेटा जामुना चोरो रे मिया किलो डूमूर भैया मिया किलो जुगुनो दाना जोगी पिंजरा सिंगारे जा जोगी ये जोगी ये जोगी आमा पिंगी रुवेन जा कापरा लियेन सालो आगीन केन जा बोले रे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल
korku-kfq
देव खितरपाल घड़ी-घड़ी का विघ्न टाल देव खितरपाल1 घड़ीघड़ी का विघ्न टाल माता महाकाली का जाया2 चंड भैरों3 खितरपाल प्रचंड भैरों खितरपाल , काल भैरों खितरपाल माता महाकाली का जाया , बूढ़ा महारुद्र का जाया
garhwali-gbm
छापक पेड़ छिउलिया,त पतवन धन बन हो छापक पेड़ छिउलिया त पतवन धन बन हो ताहि तर ठाढ़ हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो चरतहीं चरत हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो हरिनी की तोर चरहा झुरान कि पानी बिनु मुरझेलू हो नाहीं मोर चरहा झुरान ना पानी बिनु मुरझींले हो हरिना आजु राजा के छठिहार तोहे मारि डरिहें हो मचियहीं बइठली कोसिला रानी , हरिनी अरज करे हो रानी मसुआ तो सींझेला रसोइया खलरिया हमें दिहितू न हो पेड़वा से टांगबी खलरिया त मनवा समुझाइबि हो रानी हिरिफिरि देखबि खलरिया जनुक हरिना जिअतहिं हो जाहू हरिनी घर अपना खलरिया ना देइबि हो हरिनी खलरी के खंझड़ी मढ़ाइबि राम मोरा खेलिहें नू हो जबजब बाजेला खंजड़िया सबद सुनि अहंकेली हो हरिनी ठाढ़ि ढेकुलिया के नीचे हरिन बिसूरेली हो
bhojpuri-bho
4 मदह1 पीर दी हुब्ब2 नाल कीचे जैंदे खादमा विच वी पीरिआं नी बाझ ओस जनाब दे पार नाही लख ढूंढ़दे फिरन फकीरिआं नी जिहड़े पीर दी मेहर मनजू़र होए घर तिनहां दे मीरिआं पीरिआं नी रोजे़ हशर ने पीर दे तालबां नूं हथ सजड़े मिलणगिआं चीरिआं नी
panjabi-pan
राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत मोहर हम पचास लेवां हां जी हां । राजा जी जै थारे जन्मैगी घी ओढां हम चुंदड़िया हां जी हां । राजा जी कौल बचन कर लो जी याद मोहर पचास हम लेवां हां जी हां । दाइए पूत जन्मा हमारी नार , तेरा दाई क्या रे लेया हां जी हां । राजा जी दोए बरस की सै बात दाई कै पैरां फेर पड़ो हां जी हां । राजा जी मेंह अन्धेरोड़ी रात चतर दाई कैसे चले हां जी हां । दाइए छिन्न भिन्न बरसैं मेह , ओढो थारी घाघरी हां जी हां ।
haryanvi-bgc
सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे सेनुरा सेनुरा जनी करूँ , सेनुरा बेसाहम1 हे । धनि2 लागि3 जयबइ4 सेनुरा के हाट , से सेनुरा ले आयम5 एतना कहिए दुलहा उठलन , चलि भेलन6 मोरँग7 हे । मोरँग देसे सेनुरा सहत8 भेलइ9 सेनुरा लेआबल हे ॥ 2 ॥ लेहु धनि सेनुरा से सेनुरा आउर टिकुली बेनुली10 हे । धनि साटि लेहु अपन लिलार , चलहु मोर ओबर11 हे ॥ 3 ॥ कइसे12 के साटि हम बेनुली , कइसे करूँ सेनुर हे । कइसे के चलूँ हम ओबर , हम तो कुमार बार13 हे ॥ 4 ॥ चुटकी भर लेहु न सेनुरबा , सोहगइलबा14 बेसाहहु15 हे । भरी देहु धानि के माँग , धानि तोहर होयत हे ॥ 5 ॥ चुटकी भरी लिहलन सेनुरबा , सोहगइलबा बेसाहल हे । दुलहा भरी देलन धानि के माँग , अब धानि आपन हे ॥ 6 ॥ बाबा जे रोबथिन मँड़उबा16 बीचे , भइया खँम्हवे धयले17 हे । अमाँ जे रोबथिन घरे भेल18 अब धिया पर हाथे हे ॥ 7 ॥ सखि सभ माथा बन्हावल19 लट छिटकावल20 हे । अजी सखि , चलूँ गजओबर , अब भेल पर हाथ हे ॥ 8 ॥ सेनुरा सेनुरा जे हम कयलूँ , सुनेरा21 त काल भेल हे । सेनुरा से पड़लूँ सजन घर , नइहर22 मोर छूटल हे ॥ 9 ॥ छूटि गेल भाई से भतीजबा , आउरो घर नइहर हे । अब हम पड़लूँ परपूता23 हाँथे , सेनुर दान भेल हे ॥ 10 ॥
magahi-mag
आल्हा ऊदल जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर रात सपनवाँ सिब वाबा के एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय करे हिनाइ बघ रुदल के ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय
bhojpuri-bho
आज दिन सोने का कीजो महाराज आज दिन सोने का कीजो महाराज सोने को सब दिन , रूपों की रात , मोती के कलसे भराऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . आज बहूरानी मेरे घर में है आई नौबतनगाड़े , बजवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . हरेहरे गोबर अँगना लिपाऊँ बंदनवारें बँधवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . सखीसहेलिन सबकू बुलवा के मंगलगीत गवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . साजसिंगार बहू को करवा के राईनोन उतारूँ महाराज ॥ आज दिन सोने को कीजे महाराज् ॥
braj-bra
नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी नीहोर तोरे पैयाँ पड़े कया देख मैया अंगना हो आई कया देख मुसकाई नीहोर तोरे पैयां पड़े दूधां देख मैया अंगना हो आई पूतां देख मुसकाई नीहोर तोरे पैयां पड़े पाँवां ने तेरे बिछिया सोवता अनबट देख मुसकाई नोहोर तोरे पैयां पड़े
malvi-mup
मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरे ताऊ ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चली मेरी बन खंड की कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरे बाबुल ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चाली
haryanvi-bgc
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा1 । गए सो गए फेर नहीं आए , मेरी जानी मीत प्यारे । मैं बाज्झों पल रहिन्दे नाहीं , हुण क्यों असाँ विसारे । विच्च कबराँ दे खबर न काई , मार केहा झुलाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । चित्त पाया ना जाए असाथों , उभ्भे साह ना रहिन्दे । असीं मोयाँ दे परले पार होए , जीविंदेआँ विच्च बहिन्दे । अज कि भलक तगादा2 सानूँ , होसी वड्डा कहाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । ओत्थे मगर प्यारे लग्गे , ताँ असीं एत्थे आए । एत्थे सानूँ रहण ना मिलदा , अग्गे कित वल्ल धाए । जो कुझ अगलिआँ दे सिर बीती , असाँ भी ओह टिकाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । बुल्ला एत्थे रहण ना मिलदा , रोन्दे पिटदे चल्ले । इक्क नाम धन्नी दा खरची है , होर पया नहीं कुझ पल्ले । मैं सुफना सभ जग भी सुफना , सुनणा लोक बिबाणा3 । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा ।
panjabi-pan
ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी एक विपत्ति राजा दशरथ पड़ गई राम लखन वनवासी ओ रघुबर . . . दूसरी विपत्ति श्री राम पे पड़ गई वनवन फिरत उदासी । रघुबर . . . तीसरी विपत्ति रावण पे पड़ गई लंका जली दिन राती । रघुबर . . . चौथी विपत्ति रावण पे पड़ गई थाहि लगी जन घाती । रघुबर . . .
bundeli-bns
अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा बरोठा नी पाकी मसूर कमला बई नी सेरी बीरा हांकड़ी यो थो मदनलालजी नो भोको परवार रे सौदागर बीरा धणी रे घुमर से बीरा आविया आंवा कटाडूं रे बीरा आमळी लम्बी बंदाडूं पटसाल
malvi-mup
168 तुसीं एसदे खयाल ना पवो अड़ियो नहीं खटी कुझ एस सपार उतों नी मैं जीउंदी एस बिन रहां कीकूं घोल घोल घती रांझे यार उतों झलां बेलयां विच एह फिर भौंदा सिर वेचदा मैं गुनाहगार उतों मेरे वासते कार कमांवदा ए मेरी जिंद घाती एहदी कार उतों तदों भाबियां साक ना बणदियां सन जदों सुटया पकड़ पहाड़ उतों घरों भाइयां चा जवाब दिता एहना भूई दीआं पतियां चार उतों ना उमैद हो के वतन छड तुरया मोती तुरे जिउं पट दी तार उतों बिना मेहनतां मसकले1 लख फेरो नहीं मोरचा2 जाए तलवार उतों एह मेहणा लहेगा कदी नाहीं एस सियालां दे सभ प्रवार उतों नढी आखसन झगड़दी नाल लोकां एस सोहणे भंबड़े3 यार उतों वारस शाह समझा तूं भाइयां नूं हुण मुड़े ना ला लख हजार उतों
panjabi-pan
आल्हा ऊदल जिब ना बाँचल मोर देवी के सोनवा जान बचाई मोर नाम रुदल के सुन के सोनवा बड़ मगन होय जाय लौंड़ी लोंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी बात मनाव रात सपनवाँ में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय जौन झँपोला मोर गहना के कपड़ा के लावव् उठाय जौन झँपोला है गहना के कपड़ा के ले आवव् उठाय खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय पेनहल घँघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय चोलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बंद लगाय पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झंझकार सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दाँत सात लाख के मँगटीका है लिलार में लेली लगाय जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवा मने मने करे गुनान मन जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुँआर वैस हमार बित गैले नैनागढ़ में रहलीं बार कुँआर आग लगाइब एह सूरत में नेना सैव लीं नार कुँआर निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली बनाय पड़लि नजरिया इंदरमन के से दिन सुनों तिलंगी बात कहवाँ के राजा एत बरिया है बाबू डोला फँदौले जाय सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ गिराय
bhojpuri-bho
534 खेड़े निशा1 दिती अगे जोगीड़े दे सानूं कसम है पीर फकीर दी जी मरां होए के एस जहान कोहड़ा कदे सूरत जे डिठी है हीर दी जी सानूं हीर जटी धौली धार दिसे कोह2 काफ3 ते धार कशमीर दी जी लंका कोट पहाड़ दा परा दिसे फरहाद नूंनहर जो शीर4 दी जी दूरों वेखके फातिहा आख छडां गुरु पीर पंजाब दे पीर दी जी सानूं कहिकहा5 कंध दे वांग दिसे ढुका नेड़े ते कालजा चीर दी जी उसदी झाल ना असां थी जाए झली झाल कौन झले जटी हीर दी जी भैंस मार के ते सिंग नाद ढोई ऐवे हवस गई दुध खीर दी जी लोक आखदे हुसन दा दरया वगे सानूं खबर ना ओसदे नीर दी जी वारस शाह झूठ ना बोलीए जोगियां ते खयानत ना करीए मीर पीर दी जी
panjabi-pan
कान्हा के होली रंग बगरे हे बिरिज धाम मा कान्हा खेले रे होली वृन्दावन ले आये हवे गोली ग्वाल के टोली कनिहा में खोचे बंसी मोर मुकुट लगाये यही यशोदा मैया के किशन कन्हैया आए आघू आघू कान्हा रेंगे पाछु ग्वाल गोपाल हाथ में धरे पिचकारी फेके रंग गुलाल रंग बगरे हे . . . दूध दही के मटकी मा घोरे रहे भांग बिरिया पान सजाये के खोचे रहे लवांग ढोल नंगाडा बाजे रे फागुन के मस्ती होगे रंगारंग सबो गाँव गली बस्ती रंग बगरे हे . . . गोपी ग्वाल सब नाचे रे गावन लगे फाग जोरा जोरी मच जाहे कहूँ डगर तैं भाग ग्वाल बाल के धींगा मस्ती होली के हुड्दंग धानी चुनरी राधा के होगे रे बदरंग रंग बगरे हे . . . करिया बिलवा कान्हा के गाल रंगे हे लाल गली गली माँ धुमय वो मचाये हवे धमाल रास्ता छेके कान्हा रे रंग गुलाल लगाये एती ओती भागे राधा कैसन ले बचाए रंग बगरे हे . . . आबे आबे कान्हा तैं मोर अंगना दुवारी फागुन के महिना मा होली खेले के दारी छत्तीसगढ़िया मनखे हमन यही हमार चिन्हारी तोर संग होली खेले के आज हमार हे बारी रंग बगरे हे . . .
chhattisgarhi-hne
माँग लाड़ो टीका सोभे, मोतिये की बहार माँग लाड़ो टीका सोभे , मोतिये की बहार । लाड़ो हवले1 चलि आओ । ए बोलवे दिलवर जान , लाड़ो हवले चलि आओ ॥ 1 ॥ नाक लाड़ो बेसर सोभे , चुनिये2 की बहार । हवले चलि आओ , देखे दिलबर जान ॥ 2 ॥ कान लाड़ो बाली सोभे , झुमके की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 3 ॥ गले लाड़ो माला सोभे , सिकड़ी की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे दिलबर जान ॥ 4 ॥ साँवली सलोनी लाड़ो , सर के लम्बे बाल । हवले चलि आओ लाड़ो , देखें दिलवर जान ॥ 5 ॥ जान लाड़ो सूहा सोभे , छापे की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 6 ॥
magahi-mag
ये बिगाड़ो लाँगुरिया नईनई फैशन की जोगिन ने ये बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ टेक ॥ बिगाड़ौ लाँगुरिया , रे बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ नयीनयी . पानी भरन को मैं चलूँ तो पीछे चल दे लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आवै कुआ ढकेलू लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . गोबर थापन मैं चलूँ तो पीछे चलदे लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आबै गोबर में थापूँ लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . रसोई तपन को मैं चलूँ तो पीछे आवै लाँगुरिया , मेरेे मन में ऐसी2 आवै बेलन से मारूँ लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . सेज पौढ़न को जब मैं जाऊँ पीछे से आवै लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आवै पलका से ढकेलूँ लाँगुरिया , नयीनयी फैशन की .
braj-bra
सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी , ए जी कोई दे भेजी मेरी सास , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी अलां तो पलां हे मां मेरी छेकले जी , ए जी कोई बी सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी ओढूँ तो दीखै हे मां मेरी छेकले जी , ए जी कोई रड़कै सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी सासरे में बेट्टी हे मां मेरी न्यूं रह्वै जी , ए जी कोई ज्यूं रै कढ़ाई बीच तेल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी ।
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ऐ गा मोटरवाला ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई के पैसा लेबे तें जाबो दुरूग अउ भिलाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई एक झन जाबे ते , पांच रुपया लगथे दुनिया ले बाहिर , ऐ हा काबर हमला ठगथे एको घांव गेहस , ते आज पहली जावथस लगथे तें अभी अभी , मोटर ला चलावत हस साड़े चार लेथव , फेर चिल्हर नइये पाई वो ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई के झन जाहु ते , गन के बता ना चार झन जाबो , बता बैठे के ठिकाना कोन कोन हावव , ते खड़े खड़े जाहु टुरा टुरी दु लईका हे , काला मैं बताहूँ ऐ हावय बाबु के ददा , मैं नोनी के दाई ऐ गा मोटरवाला नन्न्न्ना काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई जल्दी चढ़ना तेंहा , भीतरी में खुसर ना सोझ बाय गोठिया , हमला तैं झन हुदर ना पैसा देके भीतरी में , दम हा हमर घुटही तोला जाये हाबय ते चल , नहीते मोटर घलो छुटही कहाँ के तोर दुरूग जाही , कहाँ के भिलाई वो ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला हूं हूं हूं हूं हूं हूं
chhattisgarhi-hne
346 जेही नियत है तेही मुराद मिलीया घरो घरी छाई सिर पावना एं फिरे भौंकदा मंगदा खवारहुंदा लख दगे पखंड कमावना एं सानूं रब्ब ने दुध ते दहीं दिता असां खावना ते हंडावना एं सोना रूपड़ा1 पहन के असीं बहिए वारस शाह क्यों जीभ रमावना एं गधा उदरका2 नाल ना होय घोड़ी शाह परी ना होए यरोपीए नी गोरे रंग दे नाल तूं जग मुठा विचों गुनाह दे कारने पोलीए नी वेहड़े विच तूं कंजरी वांग नचे चोरां यारां दीए विच वचोलीए नी असांपीर कहया तुसां हीर जाता भुल गई हैं समझ विच भालीए नी अंत एह जहान छड जावना ए ऐडे कुफर अपराध ना तोलीए नी फकर असल अलाह दी हैन सूरत अगे रब्बदे झूठ ना बोलीए नी हुसन मतीए बोबके3 सोन चिड़ीए नैनां वालिये शोख ममोलीए नी तैंढा भला थीवे साडा छड पिछा अबा जिऊनीए आलीए भोलीए नी वारस शाह केती गल होए चुकी मूत विच ना मछीयां टोलिए नी
panjabi-pan
बाजूबंद री लूम टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए लागी प्यारी फुलवारी आतो झूम झूम जाए ल्याई गोरी रो संदेशो घर आओ नी सजन बैरी आंसुडा रो हार बिखर नही जाए कोई चमकी री चुंदरी में सळ पड़ जाए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो री बयारिया झालो सहयो नही जाए
rajasthani-raj
71 बाप हम के पुछदा कौन हुंदा एह मुंडड़ा किस सरदार दा ए हथ लाया पिंड ते दाग पैंदा एह महीं दे नहीं दरकार दा ए सुघड़ चतर ते अकल दा कोट नढा महीं बहुत सम्भाल के चारदा ए हिके नाल पयार दे हूंग दे के सोटा सिंग ते मूल ना मारदा ए माल आपणा जान के सांभ लयावे कोई कम्म ना करे विगार दा ए वसे नूर अल्लाह दा मुखड़े ते मुंहों रब्ब ही रब्ब चितारदा ए
panjabi-pan
297 रसम जग दी करो अतीत साईं साडियां सूरतां वल ध्यान कीजो अजू मेहर दे वेहड़े नूं करो फेरा सहती सोहणी ते नजर आन कीजो वेहड़ा महर दा चलो विखा लयाईये जरा हीर दी तरफ ध्यान कीजो वारस वेखीए घरां सरदारी ढयां नूं अजे साहिबो नहीं गुमान कीजो
panjabi-pan
हार लगल बेनियाँ, सोहाग लगल बेनियाँ हार लगल1 बेनियाँ , सोहाग लगल बेनियाँ । मोती लगल हे , सोभइ सुगही2 के सेजिया ॥ 1 ॥ अँगना में हकइ3 चलन केरा4 हे गछिया5 । बिछ गेलइ6 हे धनि , सुगही के सेजिया ॥ 2 ॥ से चले लगलइ हे उहाँ7 हार लागल बेनियाँ । ओने से8 आवल पुरबा9 आयल सुख नीनियाँ ॥ 3 ॥ भुला गेलइ हे मोरा हार लगल बेनियाँ । भुला गेलइ हे मोरा सुहाग लगल बेनियाँ ॥ 4 ॥ आग लावे10 गेलूँ11 हम , ननदी के अँगना । उहीं12 धरल हे देखलूँ , हार लगल बेनियाँ ॥ 5 ॥ बाबा खउकी13 भइया खउकी , तुहूँ मोरा धानि । लगाइ देलऽ हे मोर बहिनी के चोरिया ॥ 6 ॥ बाबा कीर14 भइया कीर , परभु तोर दोहइया । हम न लगौली15 तोर बहिनी के चोरिया ॥ 7 ॥ आग लावे गेली हम , ननदो के अँगना । ओहँइ16 देखली , हम हार लगल बेनियाँ ॥ 8 ॥ आबे देहु , आबे देहु , हाजीपुर के हटिया17 । कीन देबो18 हे धनि , हार लगल बेनियाँ ॥ 9 ॥ लाय देहो हे परभु , हार लगल बेनियाँ । रूस गेल हे धनि , लाय देबो बेनियाँ ॥ 10 ॥
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नागरजा हे बिष्णु तब दूदी पेण लैगे , हे देव जी विष तेरा घिचा पर अमृत त बणीगे । पूतना हेरदी रै यशोदा को बालीक , अभी मरदो तभी छ मरदो । निराशे गए वा जब दूद्यौं दूँद नी रयो तब बोलदेहे दीदी यशोदा , अपणा बालक तू फुँडो1 गाडीयाल2 । तब विष्णु भगवान वीं की छाती पर चिपटीन पूतना को सारो खून चूसयाले तब पूतना बणैयाले आम जनी गुठली , बांज जनो बकल बराँदी3 तैं तरांदी4 पूतना रागसेण , भगवान वा मारी तिने । छया धेनु का चरैया हे मोहन , ह्वैल्या द्वारिकानन्दन हे मोहन । छया वसुदेव का जाया हे मोहन , ह्वैंल्या देवकी का लाडा हे मोहन । छई दई को दूपकी , हे मोहन , ह्वैल्या दूद की बिराली हे मोहन । त्वैकू बार मास होला हे मोहन , बोण घोर से प्यारा हे मोहन । तेरी नौसुन्या मुरुली हे मोहन , एक भौण5 मा मिलौंद हे मोहन । औदू बाँसुली बजौंदू हे मोहन । यूँ चीडू की बणायों हे मोहन , तेरी बार बीसी धेनु हे मोहन , ओडू नेडू औंदन , हे मोहन । त्वै बिना ग्वैरू की , हे मोहन , सभा नी शोभदी हे मोहन । चला ग्वाल बाल भायों , तुम खेला गेंदुवा6 , सोना को गेन्दुवा मेरो , विष्णु पटन मढ़यूँ छ । सोना को बण्यू छ , चांदी का घुँघर । हे प्रभु सोवन गेन्दुवा तेरो हाथ नी लियेंदू , भ्वां नी धरेन्दू तब खेलण जाँा सब कुंज वन मा , कुंज वन मा खिल्या बार भाँति का फूल । अनमन भाँति की औदे फूल की वासिनी , भौंरा छन गुँजणा , मारी7 रूणाणी छन , कि अनमन भाँति की केसर लेला । सारा कुंज वन मा खेल गेन्दुवा । ब्रज की गुजन्यों संग खेल गेन्दुवा छट छुटे गेंदुवा जमुना मा गिरिगे । वीं गैरी8 जमुना माछीन9 धूल्याले10 । तब विष्णु भगीवान धावड़ी11 लगौंदा । ग्वाल बाल सब घर बोड़ी ऐन , जिया को बालीक जभुनी छाला छुटिगे । तब जिया जसोमती इना बेन बोदी हे प्रभो , मेरो बाला जमुना छाला रैगे । सबूका बाला घर ऐन , मेरो कृष्ण नी आयो । जागदी रै गये त्वै स्या राणी सत्यभामा । काली नाग रंदो तैं गरी जमुना , हे मेरा कृष्ण नाग डसी जालो । कृष्ण भगीवान इना रैन बली , गाडी दिने गेन्दुवा , साधी लिने नाग भेंटद भाँटद छन गेन्दुवा कृष्ण भगवान , अनमन भाँति को खेल लाँद गोविन्द । ओडू12 नेडू ऐगे कातिक मास , कातिक मास बगवाली13 ऐन , जोन्याली14 रात बग्बाल्यों का खेल मधुवन मा , रचला रास राधिकोंका संग । सात सई15 गुजरी , आठ सई राणी , नौ सई आछरी16 तेरी मोहन रूप को रौंसिया छई , फूलू को हौंसिया । राधिकौंका संग खेल बोल , करदो रास पोथल्यों17 को ख्याल तब गुजरी बोदीन , मोहन मायादार , हाथी मिलैक खेल लौला । तब मोहन नारेणन मोहन रूप धरे , मोहन रूप धरे गाडे मोहन मुरली तब सभी राधिका राम , मोहित होई गैन , कि चित होइगे चंचल देव्यो , मन होइगे उदास । ये मुरल्यान हमारो मन मोहित देव्यो । तब गुजन्यों का साथ हाथी मिलैक , नाचदो मोहन कालिया नाच । जोन्याली रातू मा तब पूरणमासी की खिलदी जोन छन कई मधुवन मा । चल दीदी18 भुल्यों , ल्यूला असीनान , कठा होई गैन राम जी की गुजरी । राम जी की गुजरी खट की आछरी । चला दीदी भुल्यों जमुना का छाला19 , तब तउँ देव्योंन शृंगार सजाये , दांतुड़ी मंजैन जई जसो फूल , स्यूंदोली20 गाडीन21 देव्योन धौली22 जसो फाट , हाथ की पौंछी पैरीन , गला की कंठी , रमछम बाजेन देव्यों , खुटौं23 का घूंघर । रमकदी छमकदी गैन वीं नीली जमुना , वीं गैरी जमुना देव्यों , जमुनी छाला । जमुनी का छाला देव्यों , ल्यूला असीनान कपड़ी गाड़ीक देव्यों , भुयाँ24 धरी देवा , नंगी ह्वैन गुजरी , जल मा गैन । तबरी ए गैन विष्णु भगवान , नंगी गुजरी देखेन तौन , देो कपड़यों को ढेर जमुनी छाला लीला पुरुष छा भगवान , कपड़ी उठैक डाला चढ़ी गैन । मोहन नारेण गाड़े तब मोहन मुरली , तीन ताल मुरली आज सुणौंदा । नंगी गुजरियों सूणे मोहन बांसुली , चकोर की बच्ची सी तपराण25 लै गैन । तब देखे डाला मा तौन नारैण , हे कनो भाग ह्वैलो शरम खांदीन । तब धरे देव्योंन दूद्यों26 मती27 हाती28 ओ नंगी गुजरी जल मां बैठेन । हाथ जोड़दाा मोहन , माथो नवौंदा , हमारा वस्तरदी द्या , रख्याला लाज । मुलमुल हैंसदा तब मोहन छलिया , रतन्याली आंख्योंन मोहित ह्वैग्या । क्यक गुजन्यों , नंगी गै छई जल मा ? आज बटी29 देव्यों नंगी न नह्यान
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बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे । । लाव तो सब सारू लावजे रे वीरा , नई तो रहेजे अपणा देश । माड़ी जाया , चूनर लावजे । । संपत थोड़ी , विपत घणी हो बइण , कसी पत आऊँ थारा द्वार । । माड़ी जाई , कसी पत आऊँ थारा द्वार । । भावज रो कंकण गयणा मेलजे रे वीरा , चूनर लावजे । असी पत आवजे म्हारा द्वार , माड़ी जाया , चूनर लावजे । ।
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बगिया में ठाढ़ा भेल कवन बेटी बगिया1 में ठाढ़ा भेल कवन बेटी , बगिया सोभित लगे हे । बाँहि2 पसार मलिनिया कि आजु फुलवा लोर्हब3 हे ॥ 1 ॥ धीर धरु अगे मालिन धीर धरु , अवरो4 गँभीर बनु हे । जब दुलहा होइहें कचनार5 तबे फुलवा लोर्हब हे ॥ 2 ॥ मँड़वाहिं ढाढ़ा भेल कवन बेटी , मड़वा सोभित लगे हे । बाँहि पसार कवन दुलहा , आजु धनि हमर6 हे ॥ 3 ॥ धीर धरु अजी परभु , धीर धरु , अवरो गंभीर बनु हे । जब बाबू करिहन7 कनेयादान , तबे तोहर होयब हे ॥ 4 ॥
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