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दो तिरछी रस्सियों के साथ "ट्विन टॉवर" भी समान है।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, बंजी ट्रैम्पोलिन, बंजी और ट्रैम्पोलिन के तत्वों का उपयोग करता है। प्रतिभागी एक ट्रैम्पोलिन पर कूदना शुरू करता है और एक शरीर कवच से जुड़ा होता है, जो बंजी तारों के द्वारा ट्रैम्पोलिन के दोनों तरफ दो लम्बे पोलों से जुड़े होते हैं। जब वे कूदना शुरू करते हैं, तब बंजी रस्सियां कड़ी हो जाती हैं जिससे उन्हें एक ऊंची कूद मिल पाती है जो उन्हें केवल ट्रैम्पोलिन से नहीं मिलती है।
बंजी रनिंग में कोई कूद शामिल नहीं होती. जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इसमें महज बंजी रस्सियों को साथ संलग्न कर के एक ट्रैक पर चलना होता है। धावकों के पास प्रायः एक वेल्क्रो-बैक्ड मार्कर होता है जो यह अंकित करता है कि बंजी रस्सियों के पीछे खींचने से पहले धावक कितनी दूर पहुंचा था।
रैम्प से बंजी कूद. दो रबर के तार - "बंजीज़" - प्रतिभागियों की कमर के चारों ओर एक हार्नेस से बंधे होते हैं। ये बंजी तार, इस्पात के केबलों के साथ जुड़े होते हैं जिनके सहारे वे फिसल सकते हैं, स्टेनलेस पुली को धन्यवाद. प्रतिभागी कूद से पहले बाइक चलाते हैं, स्लेज या स्की करते हैं।
एक कूद के दौरान संभव चोटों की व्यापक संभावनाएं होती हैं। सुरक्षा कवच के विफल होने, रस्सी की लोच का गलत आकलन करने, या रस्सी के कूद मंच से ठीक से जुड़ा न होने की स्थिति में एक कूद के दौरान चोटें लग सकती हैं। ज्यादातर मामलों में, यह लापरवाही से की गई सुरक्षा तैयारी की मानवीय त्रुटि के परिणाम के रूप में होता है। एक अन्य प्रमुख चोट तब लगती है जब कूदने वाला अपने शरीर को रस्सी के साथ उलझा हुआ पाता है। अन्य चोटों में शामिल है नेत्र आघात, रस्सी से जलन, गर्भाशय च्युति, विस्थापन, खंरोच, उंगलियों में ऐंठन और पीठ में चोट.
उम्र, उपकरण, अनुभव, स्थान और वजन कुछ कारक हैं और घबराहट नेत्र अघात को अधिक बुरा बना सकता है।
1997 में, लौरा पैटरसन, 16-सदस्यीय पेशेवर बंजी जंपिंग टीम के एक सदस्या की मौत, भारी कपालीय आघात के कारण हो गई, जब उसने लुइसियाना सुपरडोम के शीर्ष स्तर से एक लापरवाही से व्यवस्थित बंजी रस्सी के साथ छलांग लगाई और कंक्रीट-आधारित मैदान पर सर के बल गिरी. वह एक प्रदर्शनी के लिए अभ्यास कर रही थी जिसे सुपर बाउल XXXI के हाफटाइम शो के दौरान प्रदर्शित किया जाना था। उस कार्यक्रम के बंजी जंपिंग हिस्से को हटा दिया गया और पैटरसन का एक स्मरणोत्सव जोड़ा गया।
साँचा:Extreme Sports
परिचयपंकज सुबीर शिक्षा : एम. एससी. रसायन शास्त्रप्रकाशित पुस्तकेंये वो सहर तो नहीं, ईस्ट इंडिया कम्पनी, महुआ घटवारिन, कसाब.गांधी एट यरवदा.इन, नई सदी का कथा समय, युवा पीढ़ी की प्रेम कथाएँ, नौ लम्बी कहानियाँ, लोकरंगी प्रेमकथाएँ, एक सच यह भी, हिन्दी कहानी का युवा परिदृश्य, हँसते-हँसते रोना ।सम्मान एवं पुरस्कारउपन्यास ये वो सहर तो नहीं को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 2009 का ज्ञानपीठ युवा पुरस्कार। उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को इंडिपेंडेंट मीडिया सोसायटी द्वारा वर्ष 2011 का स्व. जे. सी. जोशी शब्द साधक जनप्रिय सम्मान। उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वागीश्वरी पुरस्कार। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी वर्ष 2008 में भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार हेतु अनुशंसित। कहानी संग्रह महुआ घटवारिन को कथा यूके द्वारा वर्ष 2013 में लंदन के हाउस ऑफ कामंस के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान। समग्र लेखन हेतु वर्ष 2014 में वनमाली कथा सम्मानअमेरिका तथा कैनेडा में हिन्दी लेखन हेतु विशेष रूप से सम्मानित किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित तीन कहानी संकलनों लोकरंगी प्रेम कथाएँ, नौ लम्बी कहानियाँ तथा युवा पीढ़ी की प्रेम कथाएँ में प्रतिनिधि कहानियाँ सम्मिलित। कहानी शायद जोशी कथादेश अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत। पाकिस्तान की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका आज ने भारत की कहानी पर केन्द्रित विशेषांक में चार कहानियों का उर्दू अनुवाद प्रकाशित किया।विशेषतीन कहानियों पर हिन्दी फीचर फिल्मों का निर्माण कार्य चल रहा है। एक कहानी कुफ्र पर लघु फिल्म बन कर रिलीज़ हो चुकी है। फिल्मों में गीत लेखन। कहानियाँ, व्यंग्य लेख एवं कविताएँ नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, हँस, व्यंग्य यात्रा, लमही, प्रगतिशील वसुधा, हिंदी चेतना, परिकथा, सुख़नवर, सेतु, वागर्थ, कथाक्रम, कथादेश, समर लोक, संवेद वराणसी, जज्बात, आधारशिला, समर शेष है, लफ्ज़, अभिनव मीमांसा, अन्यथा जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। इसके अलावा समाचार पत्रों के सहित्यिक पृष्ठों पर भी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दैनिक भास्कर, नव भारत, नई दुनिया, लोकमत आदि हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र शामिल हैं। कई कहानियों तथा व्यंग्य लेखों का तेलगू, पंजाबी, उर्दू, राजस्थानी में अनुवाद। दिनकर स्मृति न्यास दिल्ली द्वारा प्रकाशित शोध ग्रंथों ‘समर शेष है 2007’ तथा ‘हुंकार हूं मैं 2008 ’ में ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर शोध पत्र प्रकाशित। ‘‘हँस’’ में प्रकाशित कहानी ‘‘और कहानी मरती है .....’’ के लिये प्रगतिशील लेखक संघ की सीहोर इकाई ने प्रेमचंद सम्मान से सम्मानित किया। वर्ष 2003 में जनार्दन शर्मा पुरस्कार प्राप्त हुआ। उत्तरप्रदेश की संस्था नवोन्मेष द्वारा 2011 का नवोन्मेष साहित्य सम्मान। जल रोको आयोजन के तहत पत्रिका संकल्प के संपादन पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विशेष पुरस्कार दिया गया। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शोध कार्य। इंटरनेट पर ग़ज़ल के व्याकरण को लेकर विशेष कार्य अपने ब्लॉग के माध्यम से। जहाँ पर ग़ज़ल का व्याकरण सीखने वालों को उसकी जानकारी उपलब्ध करवाते हैं। इंटरनेट पर हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर विशेष रूप से कार्यरत। सह संपादक : हिंदी चेतना, समन्वयक : हिन्दी प्रचारिणी सभा, कैनेडापंकज सुबीरपी.सी. लैब, शॉप नं. 3-4-5-6, सम्राट कॉम्प्लेक्स बेसमेण्टबस स्टैण्ड के सामने, सीहोर, मध्य प्रदेश 466001मोबाइल : 09977855399, दूरभाष : 07562-405545, 07562-695918 पंकज सुबीर नाम पंकज सुबीर प्रकज सुबीर का नाम देश के युवा कथा‍कारों की सूची में शामिल है अभी कुछ दिनों पहले ही भारतीय ज्ञानपीठ ने उनको उनके उपन्‍यास के लिये ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्‍कार देने की घोषणा की है। पंकज सुबीर इंटरनेट पर ग़जल़ गुरू के नाम से प्रसिद्ध हैं क्‍योंकि वे ग़ज़ल के व्‍याकरण पर अपना ब्‍लाग चलाते हैं। कहानी संग्रह 'महुआ घटवारिन और अन्‍य क‍हानियां' के लिये पंकज सुबीर को वर्ष 2012 का 'कथा यूके अंतर्राष्‍ट्रीय इन्‍दू शर्मा कथा सम्‍मान' दिनांक 10 अक्‍टूबर 2013 को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्‍स में सम्‍मान प्रदान किया गया। उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 2010 का नवलेखन पुरस्कार। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी वर्ष 2009 में भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरुस्कार हेतु अनुशंसित।कथादेश अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में कहानी शायद जोशी को साँत्वना पुरस्कार। इंडिया टुडे ने मध्यप्रदेश के युवा साहित्यकारों पर केन्द्रित विशेष आलेख में प्रमुख स्थान दिया। वर्ष 2009 में कहानी महुआ घटवारिन विशेष रूप से चर्चा में आई तथा हंस, आधारशिला एवं नया ज्ञानोदय ने इस कहानी को लेकर आलेख तथा कहानी का प्रकाशन हुआ। वर्ष 2010 में नया ज्ञानोदय के युवा विशेषांक में प्रकाशित कहानी चौथमल मास्साब और पूस की रात को काफी सराहना मिली। कहानियाँ, व्यंग्य लेख एवं कविताएँ नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, हँस, परिकथा, सुंखनवर, सेतु, वागर्थ, कथाक्रम, कथादेश, समर लोक, संवेद वराणसी, जज्बात, आधारशिला, समर शेष है, लफ जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। इसके अलावा समाचार पत्रों के सहित्यिक पृष्ठों पर भी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दैनिक भास्कर, नव भारत, नई दुनिया आदि हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र शामिल हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास दिल्ली द्वारा प्रकाशित शोध ग्रंथों 'समर शेष है 2007' तथा 'हुंकार हूं मैं 2008 ' में 'संस्कृति के चार अध्याय' पर शोध पत्र प्रकाशित। भारतीय भाषा परिषद ने लगातार दो वर्षों तक युवा कथाकारों के विशेषांक में शामिल किया। तथा देश के प्रतिष्ठित भारतीय ज्ञानपीठ ने वर्ष 2007 की युवा लेखकों के विशेषांक में स्थान दिया। हँस में प्रकाशित कहानी और कहानी मरती है।.... के लिये प्रेमचंद सम्मान से सम्मानित। वर्ष 2003 में सुकवि पंडित जनार्दन शर्मा पुरुस्कार प्राप्त हुआ। जल रोको आयोजन के तहत पत्रिका संकल्प के संपादन पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विशेष पुरुस्कार दिया गया। कहानियों 'घेराव' तथा 'राम जाने' का तेलगू तथा ऑंसरिंग मशीन का पंजाबी में अनुवाद। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शोध कार्य। इंटरनेट पर ंगाल के व्याकरण को लेकर विशेष कार्य अपने ब्लॉग के माध्यम से। जहां पर ंगाल का व्याकरण सीखने वालों को उसकी जानकारी उपलब्ध करवाते हैं। इंटरनेट पर हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर विशेष रूप से कार्यरत। सीहोर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से विज्ञान में स्नातक उपाधि तथा रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा प्राप्त की। उसके पश्चात पत्रकारिता से लगाव होने के चलते दैनिक जागरण, साँध्य दैनिक प्रदेश टाइम्स, सहारा समय जैसे समाचार पत्रों तथा चैनलों के लिये पत्रकारिता की। उसी दौरान पत्रकारिता के कड़वे अनुभवों के कारण इंटरनेट पर आधारित अपनी स्वयं की समाचार सेवा सुबीर संवाद सेवा प्रारंभ की। इंटरनेट पर आधारित ये एजेंसीं आज कई सारे समाचार पत्रों तथा चैनलों को समाचार प्रदान करने का कार्य करती है। फ्रीलांस पत्रकारिता के दौरान आजतक, स्टार न्यूज तथा एनडीटीवी जैसे चैनलों के लिये कई समाचारों पर कार्य किया। 2000 में स्वयं के कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की। वर्तमान में फ्रीलांस पत्रकारिता के साथ साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा ग्राफिक्स प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।एक उपन्यास ये वो सहर तो नहीं तथा कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशन।संप्रति : कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र का संचालन
1.1 जीवन परिचयजन्म दिनाँक 11 अक्टूबर 1975 को मध्यप्रदेश के होशँगाबाद जिले के सीवनी मालवा कस्बे में हुआ। पिता के शासकीय सेवा में चिकित्सक होने के कारण मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में शिक्षा दीक्षा हुई। उसमें भी अधिकाँश सीहोर जिले में। प्राथमिक शिक्षा शाजापुर जिले के सुसनेर कस्बे में, उौन तथा सीहोर जिले के आष्टा कस्बे में हुई। माध्यमिक तथा हाईस्कूल शिक्षा सीहोर जिले के ही छोटे से कस्बे इछावर में हुई। तत्पश्चात सीहोर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से विज्ञान में स्नातक उपाधि तथा रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा प्राप्त की। उसके पश्चात पत्रकारिता से लगाव होने के चलते दैनिक जागरण, साँध्य दैनिक प्रदेश टाइम्स, सहारा समय जैसे समाचार पत्रों तथा चैनलों के लिये पत्रकारिता की। उसी दौरान पत्रकारिता के कड़वे अनुभवों के कारण इंटरनेट पर आधारित अपनी स्वयं की समाचार सेवा सुबीर संवाद सेवा प्रारंभ की। इंटरनेट पर आधारित ये एजेंसीं आज कई सारे समाचार पत्रों तथा चैनलों को समाचार प्रदान करने का कार्य करती है। 2000 में स्वयं के कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की। वर्तमान में फ्रीलांस पत्रकारिता के साथ साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा ग्राफिक्स प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। 1.2 माता-पितामाता श्रीमती संतोष पुरोहित तथा पिता डॉ॰ प्रमोद कुमार पुरोहित 1.3 विद्यार्थी जीवन का संघर्ष पिता के शासकीय सेवा में होने के कारण सबसे पहले तो यायावर की तरह शिक्षा लेनी पड़ी। उसमें भी प्राथमिक तथा हाईस्कूल की शिक्षा आष्टा तथा इछावर जैसे कस्बों में हुई जहां पर सुविधाओं का नितांत अभाव था। महाविद्यालयीन शिक्षा के लिये जिला मुख्यालय सीहोर जाना पड़ा क्योंकि इछावर में महाविद्यालय नहीं था। स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा रोज इछावर से सीहोर आना जाना करके करनी पड़ी। आने जाने में ही रोज करीब तीन चार घंटे का समय व्यर्थ हो जाता था। चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय में प्रवेश के लिये प्रवेश परीक्षा देने के कारण बी.एससी. द्वितीय वर्ष की परीक्षा नहीं दी, उधर चिकित्सा महाविद्यालय में भी प्रवेश नहीं हो पाने के कारण एक वर्ष गहन नैराश्य में बीता उससे उबरते हुए पुन: स्नातक तथा स्नातकोत्तर परीक्षाएँ दीं और उत्तीर्ण कीं। 1.4 शिक्षा बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल के अंतर्गत आने वाले शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से जीव विज्ञान विषयों में स्नातक उपाधि तथा उसके बाद वहीं से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। 1.5 जीवन के सुखद एवं दु:खद प्रसंग जीवन का लम्बा समय सीहोर के इछावर कस्बे में बिताने के बाद जब उसे छोड़ना पड़ा तो काफी दु:खद रहा वो विछोह। वो शहर जहां लगभग पूरा बचपन बीता और अधिकांश विद्यालयीन तथा महाविद्यालयीन शिक्षा वहीं रह कर पूरी की। आज भी इछावर कहानियों में कविताओं में आ जाता है। सबसे सुखद क्षण वो था जब अपनी पहली कहानी को दैनिक भास्कर समाचार पत्र की पत्रिका मधुरिमा में प्रकाशित देखा। उसके बाद जब भारतीय ज्ञानपीठ ने कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी को नवलेखन पुरुस्कार के लिये अनुशंसित किया तथा उसका प्रकाशन किया। नई दिल्ली के हिंदी भवन के सभागार में देश के दिग्गज साहित्यकारों के बीच कहानी संग्रह के विमोचन का अवसर भी जीवन के सुखद प्रसंगों में शामिल है। 1.6 वैवाहिक जीवन
1.7 लेखकीय प्रेरणा संभवत: स्कूल के दिनों में ही लेखन के तो नहीं हां पढ़ने के संस्कार ज़रूर मिल गये थे। माताजी को पढ़ने का बहुत शौक है। उनके कारण घर में सभी प्रकार की पुस्तकें आती थीं। इनमें साहित्यिक पत्रिकाओं से लेकर उपन्यास आदि भी शामिल हैं। उन्हीं पत्रिकाओं तथा उपन्यासों को पढ़ पढ़ कर साहित्य के संस्कार मिले। पहली बार जिस कहानी ने सबसे यादा प्रभावित किया वो थी श्री फणीश्वर नाथ रेणू की कहानी लाल पान की बेगम, ये कहानी कोर्स की किसी पुस्तक में शामिल थी। कहानी ने इतना यादा प्रभावित किया कि उसे कई बार पढ़ा और आज भी ये कहानी सबसे पसंदीदा कहानियों में है। उस समय पढ़े गये रूमानी उपन्यासों जिनमें अधिकांश गुलशन नंदा के थे, ने भी लेखन की ओर झुकाया। फिर श्री कमलेश्वर जी, श्री रवीन्द्र कालिया जी, श्री मोहन राकेश, श्रीमती ममता कालिया जी, श्रीमती मन्नू भंडारी जी जैसे साहित्यकारों को पढ़ा और कब स्वयं भी कहानियां लिखने लगा पता नहीं। लेखकीय प्रेरणा का यदि कोई एक कारण ढूंडा जाये तो वो है पढ़ने की आदत, आज भी ये आदत किसी लत की तरह है। 1.8 कृतित्व अब तक सौ से यादा साहित्यिक रचनाएँ जिनमें कहानियाँ, कविताएँ, ग़ज़लें, लेख तथा व्यंग्य लेख शामिल हैं देश भर की शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं हंस, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, कथाक्रम, आधारशिला, जबात, सेतु, लफ, संवेद वाराणसी, समरलोक, कादम्बिनी, अर्बाबे कलम, में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा समाचार पत्रों के सहित्यिक पृष्ठों पर भी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दैनिक भास्कर, नव भारत, नई दुनिया आदि हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र शामिल हैं। भारतीय भाषा परिषद की पत्रिका वागर्थ ने लगातार दो वर्षों तक युवा विशेषांक में देश के प्रतिनिधि युवा कथाकार के रूप में चयन किया, भारतीय ज्ञान पीठ की पत्रिका ने एक बार देश भर के प्रतिनिधि युवा कथाकारों के विशेषांक में स्थान दिया। आचार्य रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास दिल्ली द्वारा प्रकाशित स्मारिका में दो वर्षों से संस्कृति के चार अध्याय पर शोध पत्र प्रकाशित। पार्श्व गायिका सुश्री लता मंगेशकर पर लिखे गये कई शोधात्मक लेख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। ग़ज़ल के व्याकरण तथा तकनीक पर काफी कार्य किया है। कहानी आंसरिंग मशीन का पंजाबी में तथा घेराव का तेलगू में अनुवाद किया गया है। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के कार्यक्रमों में कहानी पाठ तथा ग़ज़ल पाठ किया। 1.8.1 कहानी संग्रह वर्ष 2009 में प्रथम कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा किया गया। 1.8.2 उपन्यास उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 1.8.3 अन्य रचनाएँ एक व्यंग्य संग्रह बुध्दिजीवी सम्मेलन ग़ज़ल के व्याकरण पर एक पुस्तक तथा खंड काव्य तुम्हारे लिये प्रकाशन की प्रक्रिया में। 1.9 कर्म क्षेत्र के विविध आयाम कम्प्यूटर प्रशिक्षण के साथ फ्रीलाँस पत्रकारिता कर्मक्षेत्र। पिछले कुछ सालों से एक अलग प्रकार के काम से जुड़े हैं। ये कार्य है इंटरनेट के माध्यम से नये लिखने वालों को हिंदी ग़ज़ल लिखने के बारे में तकनीकी जानकारी तथा सहायता प्रदान करना। ये कार्य खूब लोकप्रिय हुआ है तथा आज दुनिया भर के देशों में रहने वाले भारतीय इंटरनेट के माध्यम से ग़ज़ल लिखना, कविताएँ लिखना सीख रहे हैं। ये कार्य बहुत संतोष प्रदान करता है। साहित्य के क्षेत्र में तकनीक एवं प्रोद्यौगिकी के उपयोग पर जोर। इंटरनेट की दुनिया में ग़ज़ल गुरू के नाम से मशहूर। फ्रीलांस पत्रकारिता के दौरान आजतक, स्टार न्यूज तथा एनडीटीवी जैसे चैनलों के लिये कई समाचारों पर कार्य किया। कवि तथा शायर के रूप में देश भर के कई अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों तथा मुशायरों में काव्य पाठ किया। इंटरनेट तकनीक का उपयोग करते हुए कई आन लाइन कवि सम्मेलनों का भी आयोजन किया जिनमें दुनिया भर के हिंदी कवियों ने काव्य पाठ किया। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिये इंटरनेट पर कार्यरत। जल संरक्षण पर एक नदी की कथा संकल्प नाम की पत्रिका का संपादन मध्यप्रदेश शासन के लिये किया। 1.10 पुरुस्कार एवं सम्मान संकल्प पत्रिका के संपादन के लिये मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सम्मान।हंस में प्रकाशित कहानी और कहानी मरती है के लिये प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा सम्मान प्रदान। पंडित जनार्दन शर्मा स्मृति कविता सम्मान।कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी ज्ञानपीठ नवलेखन के लिये अनुशंसित।
बौरा फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
अवाजपुर.अकरखेरा • अकबरगंज गढ़िया • अकबरपुर • अकबरपुर दामोदर • अकराबाद • अचरा • अचरातकी पुर • अचरिया वाकरपुर • अजीजपुर • अजीजाबाद • अटसेनी • अटेना • अतगापुर • अताईपुर • अताईपुर कोहना • अताईपुर जदीद • अतुरुइया • अद्दूपुर • अद्दूपुर डैयामाफी • अब्दर्रहमान पुर • अमरापुर • अमिलापुर • अमिलैया आशानन्द • अमिलैया मुकेरी • अरियारा • अलमापुर • अल्लापुर • अल्लाहपुर • अलादासपुर • अलियापुर • अलियापुर मजरा किसरोली • अलेहपुर पतिधवलेश्वर • असगरपुर • अहमद गंज • आजम नगर • आजमपुर • इकलहरा • इजौर • इमादपुर थमराई • इमादपुर समाचीपुर • ऊगरपुर • उम्मरपुर • उलियापुर • उलीसाबाद • उस्मानपुर • • ऊगरपुर • ऊधौंपुर • • अंगरैया •
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समाचार पत्र या अख़बार, समाचारो पर आधारित एक प्रकाशन है, जिसमें मुख्यत: सामयिक घटनायें, राजनीति, खेल-कूद, व्यक्तित्व, विज्ञापन इत्यादि जानकारियां सस्ते कागज पर छपी होती है। समाचार पत्र संचार के साधनो में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। समाचारपत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक एवं छमाही भी होतें हैं। अधिकतर समाचारपत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।
सबसे पहला ज्ञात समाचारपत्र 59 ई.पू. का 'द रोमन एक्टा डिउरना' है। जूलिएस सीसर ने जनसाधरण को महत्वपूर्ण राजनैतिज्ञ और समाजिक घटनाओं से अवगत कराने के लिए उन्हे शहरो के प्रमुख स्थानो पर प्रेषित किया। 8वी शताब्दी में चीन में हस्तलिखित समाचारपत्रो का प्रचलन हुआ।
अखबार का इतिहास और योगदान: यूँ तो ब्रिटिश शासन के एक पूर्व अधिकारी के द्वारा अखबारों की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन उसका स्वरूप अखबारों की तरह नहीं था। वह केवल एक पन्ने का सूचनात्मक पर्चा था। पूर्णरूपेण अखबार बंगाल से 'बंगाल-गजट' के नाम से वायसराय हिक्की द्वारा निकाला गया था। आरंभ में अँग्रेजों ने अपने फायदे के लिए अखबारों का इस्तेमाल किया, चूँकि सारे अखबार अँग्रेजी में ही निकल रहे थे, इसलिए बहुसंख्यक लोगों तक खबरें और सूचनाएँ पहुँच नहीं पाती थीं। जो खबरें बाहर निकलकर आती थींत्र से गुजरते, वहाँ अपना आतंक फैलाते रहते थे। उनके खिलाफ न तो मुकदमे होते और न ही उन्हें कोई दंड ही दिया जाता था। इन नारकीय परिस्थितियों को झेलते हुए भी लोग खामोश थे। इस दौरान भारत में ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘नेशनल हेराल्ड', 'पायनियर', 'मुंबई-मिरर' जैसे अखबार अँग्रेजी में निकलते थे, जिसमें उन अत्याचारों का दूर-दूर तक उल्लेख नहीं रहता था। इन अँग्रेजी पत्रों के अतिरिक्त बंगला, उर्दू आदि में पत्रों का प्रकाशन तो होता रहा, लेकिन उसका दायरा सीमित था। उसे कोई बंगाली पढ़ने वाला या उर्दू जानने वाला ही समझ सकता था। ऐसे में पहली बार 30 मई 1826 को हिन्दी का प्रथम पत्र ‘उदंत मार्तंड’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ।
यह पत्र साप्ताहिक था। ‘उदंत-मार्तंड' की शुरुआत ने भाषायी स्तर पर लोगों को एक सूत्र में बाँधने का प्रयास किया। यह केवल एक पत्र नहीं था, बल्कि उन हजारों लोगों की जुबान था, जो अब तक खामोश और भयभीत थे। हिन्दी में पत्रों की शुरुआत से देश में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ और आजादी की जंग। उन्हें काफी तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता था, ताकि अँग्रेजी सरकार के अत्याचारों की खबरें दबी रह जाएँ। अँग्रेज सिपाही किसी भी क्षेत्र में घुसकर मनमाना व्यवहार करते थे। लूट, हत्या, बलात्कार जैसी घटनाएँ आम होती थीं। वो जिस भी क्षेको भी एक नई दिशा मिली। अब लोगों तक देश के कोने-कोन में घट रही घटनाओं की जानकारी पहुँचने लगी। लेकिन कुछ ही समय बाद इस पत्र के संपादक जुगल किशोर को सहायता के अभाव में 11 दिसम्बर 1827 को पत्र बंद करना पड़ा। 10 मई 1829 को बंगाल से हिन्दी अखबार 'बंगदूत' का प्रकाशन हुआ। यह पत्र भी लोगों की आवाज बना और उन्हें जोड़े रखने का माध्यम। इसके बाद जुलाई, 1854 में श्यामसुंदर सेन ने कलकत्ता से ‘समाचार सुधा वर्षण’ का प्रकाशन किया। उस दौरान जिन भी अखबारों ने अँग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कोई भी खबर या आलेख छपा, उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ी। अखबारों को प्रतिबंधित कर दिया जाता था। उसकी प्रतियाँ जलवाई जाती थीं, उसके प्रकाशकों, संपादकों, लेखकों को दंड दिया जाता था। उन पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाता था, ताकि वो दुबारा फिर उठने की हिम्मत न जुटा पाएँ।
आजादी की लहर जिस तरह पूरे देश में फैल रही थी, अखबार भी अत्याचारों को सहकर और मुखर हो रहे थे। यही वजह थी कि बंगाल विभाजन के उपरांत हिन्दी पत्रों की आवाज और बुलंद हो गई। लोकमान्य तिलक ने 'केसरी' का संपादन किया और लाला लाजपत राय ने पंजाब से 'वंदे मातरम' पत्र निकाला। इन पत्रों ने युवाओं को आजादी की लड़ाई में अधिक-से-अधिक सहयोग देने का आह्वान किया। इन पत्रों ने आजादी पाने का एक जज्बा पैदा कर दिया। ‘केसरी’ को नागपुर से माधवराव सप्रे ने निकाला, लेकिन तिलक के उत्तेजक लेखों के कारण इस पत्र पर पाबंदी लगा दी गई।
उत्तर भारत में आजादी की जंग में जान फूँकने के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी ने 1913 में कानपुर से साप्ताहिक पत्र 'प्रताप' का प्रकाशन आरंभ किया। इसमें देश के हर हिस्से में हो रहे अत्याचारों के बारे में जानकारियाँ प्रकाशित होती थीं। इससे लोगों में आक्रोश भड़कने लगा था और वे ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए और भी उत्साहित हो उठे थे। इसकी आक्रामकता को देखते हुए अँग्रेज प्रशासन ने इसके लेखकों, संपादकों को तरह-तरह की प्रताड़नाएँ दीं, लेकिन यह पत्र अपने लक्ष्य पर डटा रहा।
इसी प्रकार बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र के क्षेत्रों से पत्रों का प्रकाशन होता रहा। उन पत्रों ने लोगों में स्वतंत्रता को पाने की ललक और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। अगर यह कहा जाए कि स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ये अखबार किसी हथियार से कमतर नहीं थे, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अखबार बने आजादी का हथियार प्रेस आज जितना स्वतंत्र और मुखर दिखता है, आजादी की जंग में यह उतनी ही बंदिशों और पाबंदियों से बँधा हुआ था। न तो उसमें मनोरंजन का पुट था और न ही ये किसी की कमाई का जरिया ही। ये अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ आजादी के जाँबाजों का एक हथियार और माध्यम थे, जो उन्हें लोगों और घटनाओं से जोड़े रखता था। आजादी की लड़ाई का कोई भी ऐसा योद्धा नहीं था, जिसने अखबारों के जरिए अपनी बात कहने का प्रयास न किया हो। गाँधीजी ने भी ‘हरिजन’, ‘यंग-इंडिया’ के नाम से अखबारों का प्रकाशन किया था तो मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 'अल-हिलाल' पत्र का प्रकाशन। ऐसे और कितने ही उदाहरण हैं, जो यह साबित करते हैं कि पत्र-पत्रिकाओं की आजादी की लड़ाई में महती भूमिका थी।
यह वह दौर था, जब लोगों के पास संवाद का कोई साधन नहीं था। उस पर भी अँग्रेजों के अत्याचारों के शिकार असहाय लोग चुपचाप सारे अत्याचर सहते थे। न तो कोई उनकी सुनने वाला था और न उनके दु:खों को हरने वाला। वो कहते भी तो किससे और कैसे? हर कोई तो उसी प्रताड़ना को झेल रहे थे। ऐसे में पत्र-पत्रिकाओं की शुरुआत ने लोगों को हिम्मत दी, उन्हें ढाँढस बँधाया। यही कारण था कि क्रांतिकारियों के एक-एक लेख जनता में नई स्फूर्ति और देशभक्ति का संचार करते थे। भारतेंदु का नाटक ‘भारत-दुर्दशा’ जब प्रकाशित हुआ था तो लोगों को यह अनुभव हुआ था कि भारत के लोग कैसे दौर से गुजर रहे हैं और अँग्रेजों की मंशा क्या है।
द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रियोलॉजी, काल्पनिक महाकाव्य पर आधारित तीन एक्शन फिल्में हैं जिसमें द फेलोशिप ऑफ द रिंग, द टू टावर्स और द रिटर्न ऑफ द किंग शामिल हैं। यह ट्रियोलॉजी तीन खंडों में विभाजित है और जे.आर.आर. टोलकिन द्वारा लिखित द लोर्ड ऑफ द रिंग्स किताब पर आधारित है। हालांकि ये फिल्में पुस्तक की सामान्य कहानी का ही अनुसरण करती है लेकिन साथ ही स्रोत सामग्री से कुछ अलग भी इसमें शामिल किया गया है।
मध्य धरती के काल्पनिक दुनियां में सेट ये तीन फिल्में होब्बिट फ्रोडो बग्गीन्स के ईर्द-गिर्द ही घूमती हैं जिसमें वह और फेलोशिप एक रिंग को नष्ट करने की तलाश में निकलते हैं और उसके निर्माता डार्क लोर्ड सौरोन के विनाश को सुनिश्चित करते हैं। लेकिन फैलोशिप विभाजित हो जाता है और फ्रोडो अपने वफादार साथी सैम और विश्वासघाती गोल्लुम के साथ खोज जारी रखता है। इसी बीच, देश निकाला झेल रहे जादूगर गैंडाल्फ़ और एरागोर्न, जो गोन्डोर के सिंहासन के असल वारिस होते हैं, वे मध्य धरती के आजाद लोगों को एकजुट करते हैं और वे अंततः रिंग के युद्ध में विजयी होते हैं।
पीटर जैक्सन इन तीनों फिल्म के निर्देशक हैं और इनका वितरण न्यू लाइन सिनेमा द्वारा की गई है। इसे आज तक के विशालतम और महत्वाकांक्षी फिल्म परियोजनाओं में से एक माना जाता है, जिसका बजट कुल मिलाकर 285 करोड़ डॉलर था और इस परियोजना को पूरा होने में लगभग आठ वर्ष लगे और सभी तीन फिल्मों को एक साथ प्रदर्शित करने के लिए जैक्शन के जन्मस्थान न्यूजीलैंड में बनाया गया। ट्रियोलॉजी के प्रत्येक फिल्म का विशेष वर्धित संस्करण भी था जिसे सिनेमाघरों में जारी होने के एक साल बाद डीवीडी में जारी किया गया था।
सर्वकालीक फिल्मों के बीच इस ट्रियोलॉजी को सबसे ज्यादा वित्तीय सफलता प्राप्त हुई थी। इन फिल्मों की समीक्षकों ने खूब प्रशंसा की और कुल 30 अकादमी पुरस्कार में इनका नामांकन हुआ था जिसमें से कुल 17 पुरस्कार मिले और इसके कलाकारों के चरित्रों और अभिनव के लिए काफी सराहना की गई और साथ ही डिजिटल विशेष प्रभाव के लिए भी व्यापक रूप में प्रशंसा की गई।
2011 और 2012 में रिलीज़ होने वाली द होब्बिट एक फिल्म रुपांतर है जिसे दो भागोंमें बनाया जा रहा है, इसमें गिलर्मो डेल टोरो का जैक्सन सहयोग कर रहे हैं।
निर्देशक पीटर जैक्सन पहली बार द लोर्ड ऑफ द रिंग्स के संपर्क में आए जब उन्होंने 1978 में राल्फ बख्शी की फिल्म देखी थी। जैक्सन को काफी "अच्छी लगी और वे चाहते थे कि उसके बारे में अधिक जाने." बाद में, उन्होंने वेलिंगटन से ऑकलैंड की बारह घंटे की रेल यात्रा के दौरान ही उस किताब के टाई-इन संस्करण को पढ़ा.
1995 में जैक्सन ने द फ्राइटर्नर्स को खत्म कर रहे थे और एक नई परियोजना के रूप में द लोर्ड ऑफ द रिंग्स बनाने का विचार कर रहे थे और साथ ही काफी आश्चर्यचकित थे कि " क्यों कोई इस पर कुछ नहीं कर रहा है" कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न काल्पनिक चित्र जुरासिक पार्क के बाद उस कड़ी में एक नया विकास करते हुए जैक्सन ने अपेक्षाकृत गंभीर और वास्तविक प्रतीत होने वाली एक काल्पनिक फिल्म बनाने की योजना बनाई. अक्टूबर तक वह और उनके साथी फ्रैनवाल्श, मीरामैक्स फिल्म्स के मालिक हार्वे विन्सटीन के साथ मिलकर शाऊल ज़ेन्त्ज़ जिनके पास 1970 के दशक के बाद से ही इस किताब के अधिकार थे, के साथ बातचीत की औरद होब्बिट और द लोर्ड ऑफ द रिंग्स पर आधारित दो फिल्मों पर जोर दिया.
1997 में जब यूनिवर्सल ने किंग काँग को रद्द कर दिया, तब जैक्सन और वाल्श को फौरन विन्सटीन का समर्थन मिला और अधिकारों की छंटाई के लिए एक छह हफ्ते की प्रक्रिया शुरु हुई. जैक्सन और वाल्श ने कोस्टा बोतेस से पुस्तक का संक्षेप में सार लिखने को कहा और इन्होंने किताब को फिर से पढ़ना शुरू किया। दो से तीन महीने के बाद उन्होंने अपने संस्करण को लिखा. पहली फिल्म में जिस विषय की चर्चा की गई थी वह बाद में The Lord of the Rings: The Fellowship of the Ring The Lord of the Rings: The Two Towers बनता और The Lord of the Rings: The Return of the King की शुरुआत होती, सरुमन की मौत के साथ अंत होती और गंदाल्फ और पिपिन मिनास टिरिथ चले जाते. इस प्रस्तुतिकरण में सरुमन के बचने के बाद गवाहीर और गंदाल्फ की एडोरस की यात्रा करते हैं और जब फैलोशिप के एकजुट के समय और फार्मर मेगोट, ग्लोरफिंडेल, राडागास्ट, एलाडेन और एलरोहिर की मौजुदगी में गोल्लम, फ्रोडो पर हमला करता है। बिल्बो एल्रोन्ड की काउंसिल में उपस्थित होता है, सैम गलाड्रियल के आइने में देखता है, सरुमन मृत्यु से पहले प्रायश्चित करता है और उनके गिरने से पहले नाज़गुल पर्वत का विनाश करता है। उन्होंने हार्वे और बॉब विन्सटिन को अपना संस्करण प्रस्तुत किया और अपनी पटकथा पर जोर देते हुए उन्होंने बॉब को केन्द्र में रखा, क्योंकि उसने पुस्तक नहीं पढ़ी थी। 75 करोड़ डॉलर के कुल बजट पर दो फिल्मों के लिए उन्होंने अपनी सहमति व्यक्त की.
1997 के मध्य के दौरान जैक्सन और वाल्श स्टीफन ने सिंक्लैर के साथ लिखना शुरू किया। सिंक्लैर का पार्टनर फिलिप बोयेंस किताब का एक बड़ा प्रशंसक था और उनके वर्णन को पढ़ने के बाद उनके लेखन टीम में शामिल हुआ। दो फिल्मों की पटकथा को लिखने में 13-14 महीने लग गए, जो क्रमशः 147 और 144 पन्नों के थे। नाट्य संबंधी दायित्वों के कारण सिंक्लैर को परियोजना को छोड़ना पड़ा. उनके संशोधन में, सैम को दूसरों की बात छिपकर सुनने के चलते उसे फ्रोडो के साथ जाने को मज़बूर किया गया और सैम की जगह मैरी और पिपिन ने उस रिंग के बारे में पता लगाया और फ्रोडो से इनका सामना होने के बाद स्वेच्छापूर्वक उसके साथ चले जाते हैं और यह रूप मूल उपन्यास में पाया जाता है। गंदाल्फ के ओर्थांक में बिताए गए समय को फ्लैशबैक से बाहर निकाल लिया गया और लोथलोरियन को काट लिया गया और साथ ही ग्लाड्रियल वही करती है जो वह कहानी में रिवेंडेल में करती है। डेनेथोर अपने बेटे के साथ विचारसभा में आती है। अन्य परिवर्तनों में आर्वेन का फ्रोडो का बचाव करना और गुफा ट्रोल में एक्शन की कड़ी भी शामिल है। यहां तक की आर्वेन का विच-किंग को मारने जाना भी.
समस्या तब पैदा हुई जब मार्टी कैट्ज को न्यूजूलैंड भेज दिया गया। वहां चार महीने बिताने के बाद उसने मीरामैक्स से कहाकि इन फिल्मों में और करीब 150 करोड़ डॉलर की लागत है और मीरामैक्स के साथ वित्त करने में असमर्थ है और करीब 15 करोड़ डॉलर पहले ही खर्च हो जाने के चलते उन्होंने दो फिल्मों को एक में ही विलय करने का फैसला किया। 17 जून 1998 को बॉब वेन्सटीन ने पुस्तक रुपांतरण को दो घंटे के फिल्मी प्रयोग को प्रस्तुत किया। उन्होंने ब्री और हेम्सडीप के युद्ध को हटाने का सुझाव दिया, सरुमन को "रखने या हटाने" का, बोरोमीर की बहन के रूप में रोहन और गोंडोर को इयोविन को प्रतिस्थापित करना, रिवेंडेल और मोरिया को छोटा करना, साथ ही साथ उरुक हाई द्वारा मैरी और पिपिन के अपहरण को एंट्स के द्वारा रोकना. "आधे से अच्छी चीजें काटने" के विचार पर जैक्सन ने एतराज जताई तो मीरामैक्स ने घोषणा की कि वेटा कार्यशाला द्वारा संपन्न कोई भी पटकथा या काम उनका है। मार्क ओर्डेस्की के साथ न्यू लाइन सिनेमा के मीटिंग से पहले अपने काम के पैंतीस मिनट के वीडियो को दिखाने के लिए जैक्सन लगभग चार सप्ताह के लिए हॉलीवुड गए थे। नई लाइन सिनेमा पर रॉबर्ट शये ने वीडियो को देखा और पूछाकि आखिर क्यों वे दो फिल्म बना रहे हैं जबकि किताब तीन संस्करणों के रूप में प्रकाशित है, वे फिल्म ट्रियोलॉजी बनाना चाहते थे। जिसके कारण जैक्सन, वाल्श और बोयेंस को अब तीन नए पटकथा लिखने थे।
तीन फिल्मों में विस्तार के लिए रचनात्मक स्वतंत्रता तो ज्यादा थी, लेकिन वाल्श, जैक्सन और बोयेंस को अपनी स्क्रिप्ट के मुताबिक उनका पुनर्गठन करना था। तीन फिल्में ट्रियोलॉजी के तीन संस्करणों के बिल्कुल अनुरूप तो नहीं है, लेकिन तीनों हिस्से के रुपांतरण का प्रतिनिधित्व करती हैं। वैसे जैक्सन ने कहानी के लिए टोल्किन से भी अधिक कालानुक्रमिक दृष्टिकोण को अपनाया. फ्रोडो का खोज इनका मुख्य लक्ष्य है और अरागोर्न मुख्य उप कथानक है, और इसके कई क्रम उन दो कथानकों में प्रत्यक्ष रूप से योगदान ना करने वाले कई दृश्यों को छोड़ दिया गया है। संतोषजनक और सुनिश्चित निष्कर्ष बनाने के लिए बहुत प्रयास किया गया था और सुनिश्चित किया गया कि प्रतिपादन उनकी गति को धीमी ना कर दे. नए दृश्यों के बीच, वहाँ तत्वों का भी विस्तार किया गया है जो टोल्किन को संदिग्ध करती है जैसे युद्ध और जीव के रूप में.
अतिरिक्त नाटक के लिए अधिकांश चरित्रों का फेर-बदल किया गया: अरागोर्न, थियोडेन और ट्रीबर्ड में स्वशंका के तत्वों को जोड़ा गया या परिवर्तित किया गया, जबकि गलाड्रियल, एलरोन्ड और फारामीर के चरिण को स्याह किया गया। बोरोमीर और गोल्लम को अपेक्षाकृत अधिक दयालु जबकि लिगोलस, गिम्ली, सरुमन और डेनोथोर को सरलीकृत के रूप में किया गया। कुछ चरित्र जैसे कि आर्वेन और योमर को किताब के लघु चरित्र जैसे ग्लोरफिंडेल और एर्केनब्रांड के साथ मिला दिया गया है और एक सामान्य मामले की तरह संवाद की पंक्तियों को कभी-कभी दृश्यों की उपयुक्तता के आधार पर स्थानों या पात्रों के बीच बदला गया है। चरित्र-चित्रण के विस्तार के लिए नए दृश्यों को भी जोड़ा गया। फिल्मांकन के दौरान पटकथाओं में आंशिक रूप से उन कलाकारों के योगदान की वजह से विकास होता रहा जो अपने पात्र को अधिक खंगालना चाहते थे। इन पुनर्लेखनों में सबसे अधिक उल्लेखनीय चरित्र आर्वेन, का था जिसे मूल रूप से एक योद्धा राजकुमारी के रूप में योजना बनाई गई थी, लेकिन पुस्तक में देखें तो उसका रूप प्रत्यावर्तित है और जो कहानी में शारीरिक रूप से निष्क्रिय है .
फिल्म निर्माण का सबसे व्यापक अध्ययन द फ्रोडो फ्रैंचाइज है जिसे फिल्म इतिहासकार क्रिस्टिन थॉमसन द्वारा बनाया गया।
इस ट्रियोलॉजी में युद्ध और तलवार की कोरियोग्राफी को विकसित करने के लिए फिल्म निर्माताओं ने हॉलीवुड के मान्यता प्राप्त तलवार गुरु बॉब एंडरसन को नियुक्त किया। एंडरसन ने प्रतिभाशाली विग्गो मोर्टेंसन और कार्ल अर्बन के साथ मिलकर फिल्म में कई तलवार युद्ध और स्टंट के विकास के लिए काम किया। द लोर्ड ऑफ द रिंग्स ट्रियोलॉजी में बॉब एंडरसन ने जो भूमिका अदा की है उनकी उस विशिष्टता को फिल्म रिक्लेमिंग द ब्लेड में दिखाया गया है। तलवार मार्शल आर्ट पर आधारित इस वृत्तचित्र में वेटा कार्यशाला और रिचर्ड टेलर, द लोर्ड ऑफ द रिंग्स के चित्रकार जॉन होवे और अभिनेता विग्गो मोर्टेंसन और कार्ल अर्बन को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है। ट्रियोलॉजी में इनके तलवार से संबंधित भूमिकाओं की चर्चा इसमें की गई है।
अगस्त 1997 में जैक्सन ने क्रिस्टियन रिवर्स के साथ इस ट्रियोलॉजी की कथा रुपांकन की शुरुआत की और अपने नाविक दल को मीडिल अर्थ के डिजाइन को शुरु करने का भार सौंपा. जैक्सन ने अपने पुराने सहयोगी रिचर्ड टेलर को वेटा कार्यशाला में पांच प्रमुख डिजाइन तत्वों: कवच, हथियार, प्रोस्थेटिक/मेकप, प्राणी और लघुचित्र के नेतृत्व का भार सौंपा. नवंबर 1997 में, प्रसिद्ध टोल्किन व्याख्याता एलन ली और जॉन होवे परियोजना में शामिल हुए. फिल्मों में अधिकांश बिम्ब उनके विभिन्न चित्रों पर आधारित है। प्रोडक्शन डिजाइनर ग्रांट मेजर को ली और होवे के डिजाइन को स्थापत्य कला में परिवर्तित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी, विह्लस्ट डेन हेनाह ने कला निर्देशन, स्थानों का पता लगाना और सेट के निर्माण का आयोजन के रूप में काम किया।
जैक्सन की मध्य-धरती की कल्पना को रेंडी कुक द्वारा रे हेरीहौसन की डेविड लीन से मुलाकात के रूप में वर्णित किया गया है। जैक्सन कल्पना के लिए एक दृढ़ यथार्थ और ऐतिहासिक लिहाज चाहते थे और उस दुनिया को तर्कसंगत और विश्वसनीय बनाने का उन्होंने भरसक प्रयास किया। उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड सेना ने फिल्म बनाने के कुछ महीने पहले ही होबीटन को बनाने में मदद की थी ताकि xxx जीव विज्ञान के अनुसार विश्वसनीय जीव प्रतीत होने जैसा डिजाइन किया गया, जैसे गिरे हुए जानवरों को उड़ने में मदद के लिए भारी पंखों को बनाया गया। xx कुल 48,000 हथियारों में से 500 कवच और 10,000 तीर वेटा कार्यशाला के द्वारा बनाया गया। साथ ही उन्होंने कई प्रोस्थेटिक्स जैसे अग्रणी अभिनेताओं के लिए 1,800 होब्बिट के पैरों के जोड़ें, साथ ही पात्रों के लिए कई कान, नाक और सिर बनाया गया और करीब 19,000 पोशाक से भी ज्यादा बुने गए। और प्रत्येक अवलम्ब का डिजाइन कला विभाग द्वारा किया गया था। xxxx
तीनों फिल्मों के प्रधान फोटोग्राफी, का आयोजन न्यूजीलैंड के कई इलाकों के संरक्षण वाले क्षेत्रों और राष्ट्रीय पार्कों में 11 अक्टूबर 1999 से 22 दिसम्बर 2000 के बीच करीब 438 दिनों तक किया गया था। पिकअप शूटिंग को सलाना 2001 से 2004 तक आयोजित किया गया था। सात भिन्न-भिन्न शूटिंग इकाइयों के साथ इस ट्रियोलॉजी की शूटिंग 150 से भी ज्यादा स्थानों में की गई थी, साथ ही साथ वेलिंगटन और क्वीन्सटाउन के आसपास साउंडस्टेजेस भी लगाए गए थे। जेक्सन ने सारे प्रोडक्शन का निर्देशन किया, इसके अलावा अन्य इकाइयों के निर्देशकों में जॉन महाफ्फिए, ज्यॉफ मर्फी, फ्रैंन वाल्श, बर्री ओस्बौरने, रिक पोर्रस और कुछ अन्य सहायक निर्देशक, निर्माता, या लेखक शामिल थे। जैक्सन सजीव उपग्रह फीड के माध्यम से इन इकाइयों की निगरानी करते थे साथ ही उन्हें स्क्रिप्ट का लगातार पुनर्लेखन करना होता था जिसके कारण उनके उपर अतिरिक्त दबाव बन गया था जिसके चलते उन्हें करीब चार घंटे ही सोने के लिए मिलते थे, इसके अलावा अनेक इकाइयों उनके इस कल्पना का व्याख्या भी करती थी। कुछ स्थानों के अत्यंत सुदूर होने के कारण कभी-कभी हैलीकॉप्टर उस इलाके को ढूंढने में असमर्थ होती थी और फिल्म दल को समय पर घर छोड़ नहीं पाती थीं इसीलिए चालक दल अपने साथ उत्तरजीविता किट रखा करते थे। न्यूजीलैंड संरक्षण विभाग द्वारा प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज करने और सार्वजनिक सूचना दिए बिना राष्ट्रीय उद्यानों में फिल्म शूटिंग की अनुमति देने के कारण उनकी कड़ी आलोचना की गई थी। तोंगारिरो नेशनल पार्क में युद्ध के दृश्य फिल्माने से पार्क पर काफी बूरा असर पड़ा था जिसके चलते बाद में पार्क का मरम्मत करना जरूरी हो गया था।
निम्नलिखित कलाकारों के सदस्यों की सूची है जिन्होंने द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रियोलॉजी के विस्तारित संस्करण में अभिनय किया है या अपनी आवाज दी है।
| --| --! एरागोर्न|colspan="3"" | विगो मोर्टेनसेन| --! फ्रोडो बेगिन्स|colspan="3" | एलिजाह वूड| --! बोरोमीर| colspan="3" | सीन बीन| --! 'मेरियाडोक' मेरी ब्रांडीबक| colspan="3" | डोमिनिक मोनागहन| --! समवाइज गमगी| colspan="3" | सीन एस्टिन| --! गंदाल्फ| colspan="3" | इयान मैककेलेन| --! गिमली|colspan="3" | जॉन रेज-डेविएस"| --! लेगोलस| colspan="3" | ऑरलैंडो ब्लूम| --! प्रेरेग्रीन 'पिप्पिन' टूक|colspan="3"" | बिली बॉयड| --! colspan="4" style = "background-color: lightblue;" |
| --| --! बिल्बो बेगिन्स| इयान होल्म| style = "background-color: lightgrey;" | | इयान होल्म| --! श्रीमती ब्रेसगिर्डल | लोरी डुंगे| style = "background-color: lightgrey;" | |style = "background-color: lightgrey;" | | --! बर्लीमन बटरबर | डेविड वेथरले|style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! रोजी कॉटन| सारा मैकलियोड| style = "background-color: lightgrey;" | | सारा मैकलियोड| --! गफ़र गमगी | नॉर्मन फॉरसे| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! एलानोर गमगी | style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | अलेक्जेन्डरा एस्टिन| --! ब्री गेट कीपर | मार्टिन सेडरसन| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! फार्मर मगोट | कैमरॉन रोड्स| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! ओल्ड नोक्स | बिल जॉनसन| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! एवारर्ड प्राउडफूट | नोएल एपेलेबे| style = "background-color: lightgrey;" | | नोएल एपेलेबे| --! मिसेज प्राउडफूट | मेगन एडवर्ड्स| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! ओथो सेकविले | पीटर कोरीगन|style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! लोबेलिआ सेकविले-बेगिन्स | एलिजाबेथ मूडी| style= "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! टेड सेन्डीमेन | ब्रायन सर्जेंट| style= "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! colspan="4" style = "background-color: lightblue;" |
| --| --! अर्वेन|colspan="3"" | लिव टाइलर| --! लोर्ड सेलेबोर्न| मार्टोन सोकास| style = "background-color: lightgrey;" | | मार्टोन सोकास| --! लोर्ड एलरोन्ड|colspan="3"" | ह्यूगो विविंग| --! लेडी गलाड्रील|colspan="3"" | केट ब्लेन्चेट | --! हल्दीर| colspan="2" | क्रेग पार्कर| style = "background-color: lightgrey;" | | --! Rúmil| Jørn बेन्जोन| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! colspan="4" style = "background-color: lightblue;" |
| --| --! डमरोड| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | एलिस्टेयर ब्राउनिंग| --! डेनेथोर| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | जॉन नोबल| --! Éomer| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | कार्ल अर्बन| --! Éothain| style = "background-color: lightgrey;" | | सैम कोमेरी| style= "background-color: lightgrey;" | | --! Éowyn| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | मिरांडा ओट्टो| --! फारामीर| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | डेविड वेंहम| --! फ्रेडा| style= "background-color: lightgrey;" | | ओलिविया टेनेट| style = "background-color: lightgrey;" | | --! गेमलिंग| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | ब्रूस हॉपकिंस| --! ग्रीमबोल्ड| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | ब्रूस फिलिप्स| --! Háma| style = "background-color: lightgrey;" | | जॉन लेग| style = "background-color: lightgrey;" | | --! हलेथ| style = "background-color: lightgrey;" | | कालुम गिटिंस| style = "background-color: lightgrey;" | | --! इयोरलस| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | इयान ह्यूजेस| --! किंग ऑफ द डेड| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | पॉल नोरेल| --! मदरिल| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | जॉन बच| --! मोर्वेन| style = "background-color: lightgrey;" | | रोबेन माल्कॉम| style = "background-color: lightgrey;" | | --! किंग Théoden| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | बर्नार्ड हिल| --! Théodred| style = "background-color: lightgrey;" | | पेरिस होवे स्ट्रीव| style = "background-color: lightgrey;" | | --! ट्रीबियर्ड| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | जॉन रेज-डेविएस | --! colspan="4" style = "background-color: lightblue;" |
| --| --! Sméagol Gollum /|colspan="3"" | एंडी सर्किस| --! गोरबग| style="background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | स्टीफन ऊरे| --! गोथमोग| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | लॉरेंस माकोरे| --! Gríma वोर्मटोंग| style = "background-color: lightgrey;" | | colspan="2" | ब्राड डोरिफ| --! Grishnákh| style = "background-color: lightgrey;" | | स्टीफन ऊरे| style = "background-color: lightgrey;" | | --! लर्ट्ज| लॉरेंस माकोरे| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! मउहुर| style = "background-color: lightgrey;" | | रोबी मगासिवा| style = "background-color: lightgrey;" | | --! सोरन का मुँह| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | ब्रूस स्पेंस| --! द वन रिंग| एलन हावर्ड | style = "background-color: lightgrey;" | | एलन हावर्ड | --! सरुमन|colspan="3"" | क्रिस्टोफर ली| --! सउरन| सला बेकर| style = "background-color: lightgrey;" | | सला बेकर| --! शगरट| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | पीटर टैट| --! शार्कु| style = "background-color: lightgrey;" | | जेड ब्रॉफी| style = "background-color: lightgrey;" | | --! स्नागा| style = "background-color: lightgrey;" | | जेड ब्रॉफी| style = "background-color: lightgrey;" | | --! Uglúk| style = "background-color: lightgrey;" | | नेथानियल लीज| style = "background-color: lightgrey;" | | --! विच-किंग ऑफ अंगमार| शेन रंगी ब्रेंट मैकइनटायर एंडी सर्किस | style = "background-color: lightgrey;" | | लॉरेंस माकोरा एंडी सर्किस | --! colspan="4" style = "background-color: lightblue;" |
| --| --! Déagol| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | थॉमस रोबिन्स| --! एलेनडिल| पीटर मैकेन्जी| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! गिल-गलाड| मार्क फर्ग्यूसन| style = "background-color: lightgrey;" | | style = "background-color: lightgrey;" | | --! इसिलडुर| हैरी सिंक्लेयर| style = "background-color: lightgrey;" | | हैरी सिंक्लेयर| --|)
पहली फिल्म में 540 के आसपास प्रभावी शॉट्स थे, दूसरे में 799 और तीसरे में 1,488 थे। . इसके विस्तारित संस्करण में यह बढ़कर कुल 3,420 हो गई। 260 प्रभावपूर्ण दृश्यों के कलाकारों ने ट्रियोल़जी पर काम करना शुरू किया और द टू टॉवर्स में यह नम्बर करीब दोगुना हो गया। चालक दल के अग्रणी जिम राइजियल और रेंडी कुक ने लंबे समय तक काम किया और वे अक्सर कम समय में विशेष प्रभाव के लिए रात-रात भर काम किया करते थे। जैक्सन की सक्रिय कल्पना एक प्रेरणा थी। उदाहरण के लिए, हेल्म्स डीप के कई प्रमुख शॉट द टू टावर्स के निर्माणोत्तर के छह हफ्ते के भीतर लिए गए और द रिटर्न ऑफ द किंग में भी इसी तरह छह हफ्ते में प्रमुख शॉट लिए गए।
प्रत्येक फिल्म के दिसम्बर में रिलीज़ होने से पहले उत्तर निर्माण के लिए पूरे साल भर का समय का लाभ प्राप्त था जो अक्सर अक्टूबर-नवम्बर में खत्म हो जाता था, जिसके तुरंत बाद ही फिल्मकर्मी अगली फिल्म के कार्य में जूट जाते थे। इस अवधि के उत्तरार्ध में स्कोर निर्माण और संपादन के निरीक्षण के लिए जैक्शन लंदन जाते थे, जबकि द डोरचेस्टर होटल में उनके पास परिचर्चा के लिए कम्प्यूटर फीड होती थी और साथ ही पाइनवूड स्टूडियो से इंटरनेट कनेक्शन का एक मोटा पाइप भी था जिससे वे विशेष प्रभावों को देखते थे। उनके पास एक पोलीकॉम वीडियो लिंक और 5.1 सराउण्ड साउण्ड था, जिससे आमतौर पर वे जहां भी होते थे वहीं से वे मीटिंग कर सकते थे और नए संगीत और ध्वनि प्रभाव को भी सुन सकते थे। विस्तारित संस्करण में भी वर्ष के शुरु में विशेष प्रभावों और संगीत को पूरा करने का कम समय होता था।
दबाव से बचने के लिए जैक्सन ने प्रत्येक फिल्म के लिए एक अलग संपादक को काम पर रखा था। जॉन गिल्बर्ट ने पहली फिल्म पर काम किया, माइक होरटों ने दूसरे और जैक्सन के पुराने सहयोगी ] ने तीसरे फिल्म पर काम किया। प्रतिदिन अक्सर चार घंटे तक संपादन का कार्य किया जाता था, जिसमें 1999-2002 के दौरान लिए गए दृश्यों का संपादन कर लगभग का अनिंतम संग्रह बनाया गया था। कुल मिलाकर, साठ लाख फूट के फिल्म को विस्तारित डीवीडी के कुल समय से संपादित कर 11 घंटे और 23 मिनट में किया गया। यह फिल्म को आकार देने का अंतिम क्षेत्र था, जब जैक्सन को एहसास हुआ कि कभी-कभी सर्वश्रेष्ठ पटकथा स्क्रीन पर अनावश्यक हो सकता है, चूंकि उन्होंने विभिन्न टेक से प्रतिदिन दृश्यों की कटु आलोचना की।
पहली फिल्म का संपादन अपेक्षाकृत हलका था, लेकिन बाद में जेक्शन विस्तारित संस्करण के संकल्पना के साथ आए, हालांकि नई लाइन की स्क्रीनिंग के बाद उन्हें प्रस्तावना के शुरु के लिए फिर से संपादित करना था।xxx फिल्म कर्मियो ने हमेशा स्वीकार किया था कि बनाने के रूप से द टू टावर्स सबसे कठिन फिल्म था, चूंकि इसका कोई शुरूआत या अंत नहीं था और साथ ही अतिरिक्त समस्या के रूप में उचित ढ़ग से कहानी की इंटर-कटिंग की थी।xxx जैक्सन ने फिल्म के उन हिस्सों का संपादन का कार्य जारी रखा जिन हिस्सों का आधिकारिक तौर पर समय समाप्त हो चुका था जिसके परिणामस्वरुप कुछ दृश्यों को द रिटर्न ऑफ द किंग में ले जाया गया, जिसमें Andúril का पूनर्निर्माण और गोल्लुम की पृष्ठ कहानी और सारुमन की मृत्यु शामिल है। बाद में, सरुमन की मृत्यु को विवादास्पद ढ़ग से सिनेमा संस्करण से काट दिया गया था जब जैक्सन को लगा कि कारगर ढंग से तीसरी फिल्म शुरू करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। तीसरी फिल्म के उत्तर निर्माण की तरह सभी हिस्सों के संपादन कार्य अव्यवस्थित थे। सही मायने में जैक्सन ने पहली बार पूरी फिल्म को वेलिंगटन के प्रीमियर में देखा था।
कई फिल्माए गए दृश्य अप्रयुक्त रहे, यहां तक की विस्तारित संस्करण में भी. कटे दृश्यों में शामिल हैं:
पीटर जैक्सन ने कहा है कि वह इन अप्रयुक्त दृश्यों में से कुछ दृश्यों का इस्तेमाल भविष्य में इस फिल्म ट्रियोलॉजी के "अल्टीमेट एडीशन" में करेंगे, जिसे होम वीडियो में रिलीज़ की जाएगी . इन दृश्यों को फिर से फिल्मों में नहीं डाला जाएगा लेकिन अलग से देखने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी. इस संस्करण में संपादित कर हटाए गए टेक भी शामिल होंगे।
साँचा:Sound sample box align right
साँचा:Sample box endहावर्ड शोर ने इस ट्रियोलॉजी के संगीत की रचना की, योजना बनाई, प्रबंधन करवाया और निमार्ण किया। अगस्त 2000 में उन्हें फिल्म की संगीत के लिए लिया गया और उन्होंने सेट का दौरा करते हुए फिल्म के भाग 1 और 3 के असेम्बली कट को देखा था। शोर ने विभिन्न पात्रों, संस्कृति और स्थानों को दर्शाने के लिए कुछ विशिष्ट स्वर लहरियों का प्रयोग किया है। उदाहरण के लिए, होब्बिट्स के साथ-साथ देश के एक विशेष भाग के लिए वहां विशिष्ट स्वर लहरियां हैं।
ये स्कोर मुख्य रूप से लंदन फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा के द्वारा बजाया गया था, जिसमें बेन डेल मेस्ट्रो, इंया, रेनी फ्लेमिंग, सर जेम्स गॉलवे, एनी लेंनोक्स और एमिलिअना तोर्रिनी जैसे कई कलाकारों ने अपना योगदान दिया। यहां तक कि अभिनेता बिली बोयड, विग्गो मोर्तेंसेन, लिव टेलर, मिरांडा ओट्टो और पीटर जैक्सन स्कोर के लिए योगदान दिया। फ्रैंन वाल्श और फिलिप बोयेंस भी विभिन्न संगीत और गाने लिखे हैं, जिसे डेविड सालो ने टोल्किन भाषाओं में अनुवाद किया है। तीसरी फिल्म के अंतिम गीत इंटू द वेस्ट को एक युवा फिल्म निर्माता कैमरॉन डंकन को श्रद्धांजली दी गई है जो जैक्सन और वाल्श के दोस्त थे और जिनकी मृत्यु 2003 में कैंसर से हुई थी।
शोर ने द फैलोशिप के अनेक अलग-अलग चरित्रों की धून की बजाए एक मुख्य धून को बनाया और ट्रियोलॉजी के विभिन्न बिंदुओं को इसे ताकत और कमजोरी की मात्रा पर दर्शाया गया। उस के शीर्ष पर, अलग-अलग संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व के लिए अलग-अलग धून बनाए गए थे। ग्रहित रूप से, शोर को संगीत की जितनी मात्रा तीसरे फिल्म के लिए रोज लिखनी पड़ती थी वह नाटकीय रूप से करीब सात मिनिट तक बढ़ गई थी।
ध्वनि तकनीशियनों ने वर्ष के शुरुआती समय को उपयुक्त ध्वनि ढूंढ़ने में बिताया. कुछ जानवरों, जैसे बाघ और वालरस की आवाजें खरीदे गए थे।
अन्य कई ध्वनियों के लिए तकनीशियनों ने न्यूजीलैंड के स्थानीय लोगों के साथ काम किया। मोरिया क्रम में जिस तरह का प्रभाव है उसी प्रकार की ध्वनियों के प्रतिध्वनि के लिए उन्होंने पुराने सुरंगों में फिर से रिकॉर्ड किया। द टू टॉवर्स में 10,000 न्यूजीलैंड के रग्बी प्रशंसकों ने जैक्सन के साथ उरुक-हाई के सेना की ध्वनि प्रदान की जिसमें जैक्शन मध्य समय के दौरान कंडक्टर के रूप में कार्य किया। उन्होंने रात में कब्रिस्तान में ध्वनि की रिकॉर्डिंग के लिए समय बिताया, इसके अलावा द रिटर्न ऑफ द किंग में पत्थरों की फायरिंग और लैंडिंग की ध्वनि के लिए निर्माण कार्य के श्रमिकों द्वारा पत्थर गिराए जाने की आवाज़ की रिकॉर्डिंग भी उनके पास थी। 2003 में जैक्शन द्वारा नए स्टूडियो की बिल्डिंग का अधिकार प्राप्त करने से पहले, द फिल्म मिक्स में मिश्रण का काम अगस्त और नवम्बर के बीच पूरा हो गया था। हालांकि, भवन का निर्माण अभी तक ठीक से पूरा भी नहीं हुआ था कि द रिटर्न ऑफ द किंग के लिए मिश्रण का कार्य शुरू कर दिया गयाथा।
इस ट्रियोलॉजी का ऑन-लाइन प्रोमोशनल ट्रेलर सबसे पहले 27 अप्रैल 2000 को जारी किया था और जारी करने के पहले 24 घंटे में ही 17 लाख हिट दर्ज की गई और इसी के साथ ही इसने डाउनलोड के सारे रिकार्ड तोड़ दिए. इसके ट्रेलर के लिए अन्य कट के अलावा ब्रेवहार्ट और शॉशैंक रिडेम्पशन के साउण्डट्रेक से चयन किया गया। सन् 2001 में, कांस फिल्म महोत्सव में इस ट्रियोलॉजी से 24 मिनिट का फुटेज दिखाया गया था जो मुख्य रूप से मोरिया क्रम से लिया गया था और इसकी काफी सराहना की गई। साथ ही इस शो में मध्य धरती की तरह दिखने वाला एक क्षेत्र को डिजाइन किया गया था। इस फुटेज का पूरा विवरण यहाँ से प्रप्त किया जा सकता है:
19 दिसम्बर 2001 को द लार्ड ऑफ द रिंग्स: द फैलोशिप ऑफ द रिंग को रिलीज़ किया गया था। अमेरिका में इसके रिलीज़ होने के पहले हफ्ते ही 47 करोड़ डॉलरऔर विश्व भर में लगभग 871 करोड़ डॉलर की कमाई हुई. द लोर्ड ऑफ द रिंग्स: द टू टावर्स की एक पूर्वावलोकन फिल्म के अंतिम क्रेडिट से पहले डाला गया था।
इसका प्रचारक ट्रेलर बाद में जारी किया गया था। इस ट्रेलर में फिल्म रिक्वेम फॉर ए ड्रीम से कुछ संगीत को फिर से बनाया गया है। 18 दिसम्बर 2002 को द लोर्ड ऑफ द रिंग्स: द टू टावर्स रिलीज़ किया गया था। अमेरिका में इसने अपने पहले सप्ताहांत में अपने पूर्ववर्ती से 62 करोड़ डॉलर ज्यादा की कमाई की और विश्व भर में 926 मिलियन डॉलर की कमाई हुई.
23 सितम्बर 2003 को इसका प्रचारक ट्रेलर विशेष रूप से नई लाइन सिनेमा फिल्म सेकंडहैंड लायंस से पहले दिखाया गया। 17 दिसम्बर 2003 को यह रिलीज़ हुई और अमेरिका में पहले सप्ताह के अंत में इसने कुल 72 लाख डॉलर की कमाई की और पूरे विश्व भर में 1 अरब डॉलर का कमाई कर यह दुनिया की दूसरी बड़ी फिल्म बन गई।
प्रत्येक फिल्म में अगली फिल्म का पूर्वावलोकन के साथ मानक टू-डिस्क संस्करण में रिलीज़ की गई थी। थियेटर कट की सफलता से वर्धित संस्करण के करीब चार डिस्क में नए संपादन के साथ विशेष प्रभावों और संगीत को जोड़ा गया। ये निर्देशक की कट नहीं है लेकिन जैक्सन ने कहा है कि उन्हें थियेटर संस्करण पसंद है।
फिल्म के वर्धित कट और उससे संबंधित विशेष लक्षण डिस्क के दो भाग में समाहित हैं, ये विशेष वर्धित संस्करण डीवीडी सेट को निम्न रूप में जारी किया गया है:
इस विशेष वर्धित डीवीडी संस्करण में फैलोशिप की यात्रा का अस्पष्ट मानचित्र भी था।
28 अगस्त 2006 में शाखा संस्करण के साथ-साथ कोस्टा बोट्स द्वारा एक नई फीचर लंबाई वाले वृतचित्र, दोनों संस्करणों को एक साथ एक परिसीमित संस्करण में किया गया। नवम्बर 14, 2006 को इस पूरी ट्रियोलॉजी को छह डिस्क में जारी किया गया था।
मई 2008 में जैक्सन ने कहा कि ट्रियोलॉजी को उच्च परिभाषा ब्लू रे प्रारूप में जारी करने के लिए उन्होंने वार्नर Bros. के साथ काम किया था, हालांकि जारी करने की तिथि की पुष्टि नहीं की गई थी।
16 अप्रैल 2009 को वार्नर Bros. ने ये घोषणा की कि ट्रियोलॉजी का थियेटर संस्करण को ब्लू रे बॉक्स सेट में 2009 के उत्तरार्ध में जारी की जाएगी. जैक्सन ने यह भी कहा है कि वर्धित संस्करण का विकास ब्लू रे के लिए किया गया है और 2011 में द होब्बिट के फिल्मी रुपांतरण के साथ इसे भी जारी किया जाएगा.
जुलाई 2009 में जैक्सन ने एक साक्षात्कार में इस बात की घोषणा की कि इसके वर्धित संस्करण को 2010 के किसी समय में संभावित नए विशेष लक्षणों के साथ जारी किया जाएगा.
14 दिसम्बर 2009 को यह घोषणा की गई कि तीनों फिल्मों को 6 अप्रैल 2010 को ब्लू रे पर जारी किया जाएगा. प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि वर्धित संस्करण को "बाद की तारीख में" जारी किया जाएगा. ब्लू-रे घोषणा के साथ यह भी घोषणा की गई थी कि पहली बार सभी प्रमुख डिजिटल सेवा प्रदाताओं से तीनों फिल्मों के डिजिटल खरीदी की जा सकती है।
द लोर्ड ऑफ द रिंग्स ट्रियोलॉजी पूरे विश्व भर में अब तक की सर्वोच्च आय अर्जित करने वाली मोशन पिक्चर ट्रियोलॉजी है, जो मूल स्टार वार्स त्रयी और द गॉडफ़ादर से भी बेहतर रहीं। इस फिल्म ट्रियलॉजी ने कुल 2.91 अरब डॉलर की कमाई की। साथ ही इस फिल्म ट्रियलॉजी ने अकादमी पुरस्कार जीतने की कुल संख्या के लिए भी एक रिकार्ड कायम किया।
ज्यादातर आलोचकों ने भी इस ट्रियोलॉजी की प्रशंसा की, लॉस एंजिल्स टाइम्स में केनेथ तुरन ने लिखा है कि "भविष्य में इस प्रकार का ट्रियोलॉजी बनाना मुश्किल है, अगर बना भी तो इसकी बराबरी नहीं कर सकता." विशेष रूप से, इयान मैककेलेन, सीन अस्टिन, सीन बीन, एंडी सेर्किस और बर्नार्ड हिल के अभिनय को दर्शकों ने काफी सराहा और साथ ही युद्ध के विशेष प्रभावों और गोल्लम की भी प्रशंसा की गई। कुछ आलोचक जैसे रोगर एबार्ट ने शिकागो सन टाइम्स में इस ट्रियोलॉजी को उच्च रैंक तो नहीं दिया लेकिन विशेष प्रभावों की सराहना करते समय उन्होंने कहानी की महता को दर्शाया, हालांकि उनके उस वर्ष के प्रथम 10 की सुची में कोई भी फिल्म दिखाई नहीं देती. कुछ आलोचको द्वारा फिल्म के धीमी गति से बढ़ने और उसकी लम्बाई की आलोचना की गई, फिलाडेलफिया विकली के अनुसार "यह शानदार सेट टुकड़ों का एक संग्रह है जो बिना किसी गति के एक के बाद एक चलती है।" हालांकि कुल मिलाकर, rottentomatoes.com पर फिल्म आलोचकों में 94% आलोचकों की आम राय ने फिल्म को एक सकारात्मक दर्ज़ा दिया, .
वैसे ये ट्रियोलॉजी अनेक टॉप 10 फिल्म सुची में, जैसे डलास-फोर्ट वर्थ फिल्म क्रिटिक असोसिएशन के टॉप 10 फिल्म, टाइम पत्रिका की ऑल-टीइम 100 मूविज, जेम्स बेरारडिनेली टॉप 100 और स्क्रीन डाइरेक्टरी के ऑल टाइम के टॉप टेन फिल्मों में देखा गया। .. वर्ष 2007 में, यूएसए टूडे ने इस ट्रेयोलॉजी को पिछले 25 वर्षों की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म के रूप में माना.
द लोर्ड ऑफ द रिंग्स ट्रियोलॉजी की बिक्री उसके समकालीन ट्रियोलॉजी जैसे द पाइरेट्स ऑफ द कैरिबियन फिल्म, द स्पाइडर मैन के सीरीज़ और स्टार वार्स के प्रिक्वेल्स आदि से ज्यादा हुए.
ट्रियोलॉजी के तीनो फिल्मों का 30 अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकन हुआ था जिनमें से इन्हें 17 पुरस्कार मिले और यह किसी भी ट्रियोलॉजी फिल्म के लिए एक रिकॉर्ड था। द रिटर्न ऑफ द किंग हर वर्ग में व्यापक रूप से विजित हुआ, जिस पुरस्कार के लिए भी इसका नामांकन हुआ था, इसे बेस्ट पिक्चर के लिए ऑस्कर पुरस्कार भी मिला था जिसे परोक्षतः व्यापक रूप में पूरे ट्रियोलॉजी के लिए पुरस्कार माना जाता था। बेन हर और टाइटेनिक के साथ द रिटर्न ऑफ द किंग ने भी कुल 11 अकादमी पुरस्कार जीतकर एक रिकॉर्ड कायम किया . इन तीनों फिल्मों के किसी भी अभिनेता ने ऑस्कर नहीं जीता, हालांकि द फैलोशिप ऑफ द रिंग के अभिनेता इयान मैककेलेन का उनके कार्य के लिए नामांकन जरुर हुआ था।
अकादमी पुरस्कार के साथ-साथ ट्रियोलॉजी के प्रत्येक फिल्मों ने एमटीवी मूवी अवार्ड्स 'सर्वश्रेष्ठ फिल्म और वेस्ट ड्रामाटिक प्रेजेन्टेशन केटेगोरिज के लिए हुगोपुरस्कार जीता। पहली और तीसरी फिल्म ने BAFTA के सर्वश्रेष्ठ फिल्म का भी पुरस्कार जीता। द टू टावर के साउंडट्रैक ने नामांकन हासिल नहीं किया, क्योंकि पिछले साउंडट्रैक से संगीत शामिल करने वाले साउंडट्रैक को नामांकन के लिए पात्रता पर रोक लगाने के नियम की वजह से. द रिटर्न ऑफ द किंग के समय यह नियम पलट गया और इसे सर्वश्रेष्ठ संगीत स्कोर के लिए ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया।
एक ओर जहां आम तौर पर फिल्मों में किताब से सारे चीजों को लिया गया है वहीं किताब के कुछ पाठकों का मानना है कि फिल्म में कुछ बदलाव किए गए हैं। फिल्म के चरित्रों में कई बदलाव किए गए हैं जैसे गंदाल्फ़, अरागोर्न, आर्वेन, डेनेथोर, फ़ारामीर, गिम्ली, यहां तक कि मुख्य नायक फ्रोडो के रूप में भी बदलाव किए गए हैं साथ ही घटनाओं में भी कई परिवर्तन किए गए हैं, जब किताब से फिल्म की तूलना की जाए तो मालूम चलता है कि किताब से इसका स्वर और विषय कितना अलग है।
कई लोगों का मानना है कि उपन्यास के अंत से पहले वाले अध्याय "द स्कोरिंग ऑफ द शीर" को पूर्ण रूप से मिटा दिया गया है, जिसे टोल्किन कथ्यपरक रूप से आवश्यक मानते थे।
टोल्किन की रचनाओं पर काम करने वाले वेन जी हम्मोंड ने पहली दो फिल्मों के बारे में कहा है:
पुस्तक के कुछ प्रशंसक इस बात से असहमत है कि इस तरह के बदलाव दर्शकों के लिए किए गए हैं, प्रशंसकों को मूल के करीब लाने के लिए ही बहुत सारे परिवर्तन किए गए हैं। एक संयुक्त 8 घंटे का ट्रियोलॉजी संस्करण मौजूद है, जिसे द लोर्ड ऑफ द रिंग्स: द प्यूरिस्ट एडीशन कहा जाता है।
ट्रियोलॉजी के प्रशंसकों ने दावा किया है कि यह पुस्तक का एक सही व्याख्या है और किए गए अधिकांशतः परिवर्तन आवश्यक थे। फिल्म के सह लेखक बोयन्स ने कहा कि जिन लोगों ने ट्रियोलॉजी पर काम किया है, वे इस किताब के प्रशंसक हैं, इन लोगों में क्रिस्टोफर ली भी शामिल हैं जो वास्तव में टोल्किन से व्यक्तिगत रूप से मिले भी थे, साथ ही उन्होंने एक बार कहा कि कोई बात नहीं है, यह सिर्फ उनकी किताब पर ब्याख्या है।
2005 में, मिथोपोइक सोसायटी ने इस ट्रियोलॉजी और इसके लोकप्रिय संस्कृति पर प्रभाव पर महत्वपूर्ण निबंध प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था टोल्किन ऑन फिल्म:ऐस्से ऑन पीटर जैक्शन द लोर्ड ऑफ द रिंग्स . इस पुस्तक की काफी सराहना की गई चूंकि ये काफी संतुलित थी और इसके लेखक को "सही मायने में महत्वपूर्ण" माना गया, क्योंकि वे "फिल्म कैसे सफल और असफल है, दोनों पर विचार रखती है और साथ ही उसके लोकप्रियता की प्रशंसा और शोक दोनों पर नज़र डालती है". निबंध के अन्य विषयों में, 'फिल्मों के मूल्यांकन,' टोलकेन के मूल विषय की तुलना में महिलाओं का प्रस्तुतिरण, फ़िल्म के समर्थन में प्रयुक्त दलीलों की आलोचना और उपन्यास और इसके स्त्रोतों से फिल्म में नायक और वीरता का प्रस्तुतिकरण का मूल्यांकन के रूप में शामिल है। कैथी अकेर्स-जोर्डन, जेन चैंस, विक्टोरिया गाइडोसिक और मॉरीन थूम का तर्क है कि टोल्किन के लेखन और फिल्म में अंतर होने के बावजूद महिलाओं का चित्रण, विशेष रूप से आर्वेन चित्रण समग्र रूप से कथ्यपरक है . फिल्म को किताब का रुपांतर मानने वाली कई दलीलों की डेविड ब्रैटमैन ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि "यह जैक्शन की कल्पना है, टोल्किन की नहीं ", "लेकिन उन्होंने इस पर वाकई मज़बूती से काम किया है ", "उनका यह प्रयास किताब के नए पाठकों को जरुर पैदा करती है ", "अगर देखा जाए तो पूरी फिल्म करीब 40 घंटे की होगी " और पुस्तक अभी भी शेल्फ पर रखी हुई है। . उन्होंने ये भी लिखा है कि " पीटर जैक्सन के पास टोल्किन की नौ वर्षों की समझ है" और उन्होंने फिल्म की दृश्यों और मंच सज्जा को ए का दर्जा, किताब से अलग स्वतंत्र कार्य को बी का दर्जा, टोल्किन की कहानी और व्यौरेवार रूप से वर्णन के प्रति व्श्वसनीयता को सी का दर्जा और टोल्किन की भावना और लहजे के प्रति ईमानदारी को डी का दर्जा दिया है। डैन टिमोन्स लिखते हैं कि फ्रोडो का चित्रण, गुप्त रूप से फिल्म के विषय वस्तु और आंतरिक तर्क को हानि पहुंचाती है, जिसे उन्होंने टोल्किन के मूल रूप को कमजोर माना है। कायला मैककिनी विगिंस का मानना है कि टोल्किन के लेखन और स्रोत सामग्री में नायक का जो लक्षण है उसे फिल्म में गलत समझा गया है और फिल्म में नायक के चरित्र में विकास की जगह साहसिक कार्य पर ध्यान दिया गया है। जेनेट ब्रेन्नन क्रोफ्ट ने टोल्किन के खुद के संभावना और सपाट के शर्तों, जिसका इस्तेमाल उन्होंने प्रस्तावित फिल्म के पटकथा की आलोचना के लिए किया था, का प्रयोग करते हुए आलोचना की है। उन्होंने जैक्सन के "बहुत ज्यादा कम समय" की मनोदशा के साथ टोल्किन की सूक्ष्मता की तुलना की है।
इन फिल्मों के रिलीज होने के बाद देखा गया कि टोल्किन के द लोर्ड ऑफ द रिंग्स और अन्य किताबों के प्रति लोगों के मन में रुचि जागी और लोकप्रिय संस्कृति पर उनका असर तेजी से बढ़ने लगा। ट्रियोलॉजी पर टोल्किन परिवार में मतभेद होने का अफवाह भी फैला था जिसमें क्रिस्टोफर टोल्किन और सिमोन टोल्किन के बीच इसके फिल्म में रुपांतरण के विचार के सही होने या नहीं होने को लेकर असहमति बनी हुई थी। क्रिस्टोफर टोल्किन ने इन दावों का खंडन करते हुए कहाकि, "मेरा खुद का मानना है कि विशेष रूप से द लोर्ड ऑफ द रिंग्स दृश्य नाट्य रूप में परिवर्तन के लिए अनुपयुक्त है। जो फिल्म के लिए सुझाव दिया गया है उसे मैं अस्वीकृत करता हूं, यहां तक कि जिनके विचार मुझसे अलग हैं मैं उनके बारे में बुरा सोचता हूं, ये पूरी तरह से बेबुनियाद है। साथ ही उन्होंने कहा कि "ऐसी कोई भावना व्यक्त नहीं की थी।" 2006 में इस किताब का संगीत रुपांतरण टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा में प्रारम्भ किया गया था लेकिन भद्दी आलोचना के चलते बंद कर दिया गया। 2007 की गर्मियों में लंदन, ब्रिटेन में इसके लघु संस्करण की शुरुआत की गई। फिल्मों की सफलता से वीडियो गेम और व्यापार के कई अन्य प्रकारों का खूब उत्पादन हुआ।
ट्रियोलॉजी की सफलता के परिणामस्वरुप पीटर जैक्सन फिल्म व्यवसाय में स्टीवन स्पेलबर्ग और जार्ज लुकास की तरह एक खिलाड़ी बन गए और उद्योग के कुछ दिग्गजों जैसे ब्रायन सिंगर, फ्रैंक डाराबोन्ट और जेम्स कैमरोन के साथ दोस्ती की प्रक्रिया में आने लगे। जैक्सन ने उसके बाद से अपनी फिल्म निर्माण कंपनी, विंगनट फिल्म्स साथ ही साथ विंगनट इंटरएक्टिव, याने एक वीडियो गेम कंपनी की स्थापना की। साथ ही उन्हें वर्ष 2005 में किंग काँग का रीमेक बनाने का मौका भी दिया गया था। हालांकि ये फिल्म द लोर्ड ऑफ द रिंग्स की तरह सफलता प्राप्त नहीं कर सकी लेकिन इस फिल्म की काफी सराहना की गई और बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई। जैक्सन को न्यूजीलैंड का "फैवरिट सन" बुलाया जाता था। 2004 में हावर्ड शोर द लोर्ड ऑफ द रिंग्स सिम्फनी के साथ यात्रा की जिसका स्कोर दो घेटे का था। हैरी पॉटर फिल्मों के साथ साथ इस ट्रियोलॉजी ने फंतासी फिल्म विधा में नए सिरे से रुचि जगाई. सभवतः ट्रियोलॉजी में न्यूजीलैण्ड के स्थानों के प्रदर्शन के कारण न्यूजीलैंड का पर्यटन काफी ऊंचा उठने लगा और देश का पर्यटन उद्योग दर्शकों की परिचित छवियों के प्रति जागरुक होने लगा।
दिसंबर 2002 में, The Lord of the Rings Motion Picture Trilogy: The Exhibition न्यूजीलैंड2007 के अनुसार के वेलिंगटन में ते पापा संग्रहालय खोला गया, यह प्रदर्शनी दुनिया भर के सात अन्य शहरों में भी लगाया गया।
द लोर्ड ऑफ द रिंग्स से अतिरिक्त मुनाफे पर अदालती मामले भी विरासत के रूप में दर्ज है। सोलह कलाकार सदस्यों ने ने उनकी उपस्थिति से सामग्री की बिक्री से राजस्व न मिलने के चलते मुकदमा किया। 2008 में अदालत ने इस मामले का समाधान किया। वैसे एपेलेबी के लिए मामला का समाधान होने में काफी देर हो चुका था क्योंकि 2007 में ही एपेलेबी की मौत कैंसर से हो गई थी। 2004 में शाऊल ज़ाइन्ट्ज ने भी एक मुकदमा दायर कर दावा किया कि उन्हें उनकी रॉयल्टी के सभी भुगतान नहीं किए गए थे। जैक्सन ने पहली फिल्म के लाभ को लेकर अगले साल खुद स्टूडियो पर मुकदमा कर दिया और पूर्व कड़ी की फिल्मों के विकास को 2007 तक धीमा कर दिया। फरवरी 2008 में टोल्किन ट्रस्ट ने अधिकार संबंधी मूल समझौते का उल्लंघन करने के लिए एक मुकदमा दायर किया, जिसके तहत वे अपने कार्य पर आधारित किसी फिल्मों के सकललाभ के 7.5% की कमाई कर सकती है। ट्रस्ट ने 150 करोड़ डॉलर के मुआवजे की मांग की। हालांकि एक जज ने इस विकल्प का खंडन किया, लेकिन अधिनियमों के अनुसार अनुबंध के तहत स्टूडियो की अनदेखी करने से मुआवजा जीतने के लिए उन्हें अनुमति दिया। 8 सितम्बर 2009 को ट्रस्ट और नई लाइन के बीच इस विवाद के समाधान की घोषणा की गई .
निबंध का प्रभु में व्यवसाय के रूप फिल्म चक्र की लंबाई समीक्षा व्यवसाय के विषय, या फोन पर मूल पुस्तक के साथ तुलना में.xxxx मूल रूप से द मार्स हिल रिव्यू में प्रकाशित.
दक्षिण अमेरिका
पैराग्वे, आधिकारिक तौर पर पैराग्वे गणराज्य, मध्य दक्षिण अमेरिका में एक स्थल-रुद्ध देश है, यह अर्जेंटीना द्वारा दक्षिण और दक्षिणपश्चिम, ब्राजील द्वारा पूर्व और पूर्वोत्तर, और बोलीविया से उत्तर-पश्चिम में घिरा हुआ है। यह पैराग्वे नदी के दोनों किनारों पर बसा हुआ है, जो देश के केंद्र होते हुए उत्तर से दक्षिण तक बहती है। दक्षिण अमेरिका में इसके केंद्रीय स्थान के कारण, इसे कभी-कभी कोराज़ोन डी सुदामेरिक भी कहा जाता है। पैराग्वे अफ्रीका-यूरेशिया के बाहर दो स्थलरुद्ध देशों में से एक है, और अमेरिका में सबसे छोटा स्थल-रुद्ध देश है।
पैराग्वे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय समूहों जैसे अमेरिकी देशों का संगठन, लैटिन अमेरिकी एकीकरण संघ, दक्षिणी शंकु आम बाजार और इंटरपोल का सक्रिय प्रतिभागी है। यह दुनिया के कुछ एक देशों और एकमात्र दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र है जिसने आधिकारिक तौर पर चीन जनवादी गणराज्य के बजाय ताइवान को मान्यता दी है।