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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई लोग भले ही सांप्रदायिक मानते हों, लेकिन जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. सईद का कहना है, 'मोदी सांप्रदायिक व्यक्ति नहीं हैं.'
एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में मुफ्ती ने
दादरी की घटना पर
बीजेपी के नेताओं के बयान और उस सिलसिले में पीएम मोदी की प्रतिक्रिया पर अपना नजरिया रखा. मुफ्ती ने कहा, 'दादरी की घटना बहुत भयंकर और दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन मोदी का एजेंडा सबका साथ, सबका विकास है. उन्हें कुछ समय दीजिए. मुझे पूरा यकीन है कि वह बीजेपी के बड़बोलों पर जरूर लगाम लगाएंगे.' साथ ही मुफ्ती ने यह भी कहा कि मोदी का कोई विकल्प नहीं है.
बीफ बैन पर राज्य में दोनों दलों के बीच हुए बवाल के लिए भी सईद मोदी या बीजेपी को जिम्मेदार मानने से इनकार करते हैं. उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में गोहत्या पर दशकों से प्रतिबंध है. यहां यह कोई मुद्दा नहीं है.'
यहां बता दें कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार है. मुफ्ती ने गठबंधन टूटने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने कहा, 'हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है.' |
डेल फिलिप्स (जन्म 22 सितंबर 1998) न्यूजीलैंड के एक क्रिकेटर हैं। उन्होंने 21 अक्टूबर 2019 को ओटागो के लिए 2019-20 प्लंकेट शील्ड सीज़न में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। अपने प्रथम श्रेणी के पदार्पण से पहले, उन्हें 2016 के अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप और 2018 के अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए न्यूजीलैंड के दस्तों में नामित किया गया था। उन्होंने 17 नवंबर 2019 को ओटागो के लिए 2019-20 फोर्ड ट्रॉफी में अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। उन्होंने अपना ट्वेंटी 20 डेब्यू 30 दिसंबर 2019 को, ओटागो के लिए 2019-20 सुपर स्मैश में किया था।
जून 2020 में, उन्हें 2020-20 घरेलू क्रिकेट सीज़न से आगे ओटैगो द्वारा अनुबंध की पेशकश की गई थी।
सन्दर्भ
1998 में जन्मे लोग
जीवित लोग
न्यूज़ीलैंड के क्रिकेट खिलाड़ी |
राजस्थान विधानसभा चुनाव में सरदारशहर से कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा ने जीत दर्ज की है. बीते सात दिसंबर को यहां मतदान हुआ था. चुरू जिले की इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अशोक कुमार पींचा ने चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस के टिकट पर भंवर लाल शर्मा मैदान में थे.
भंवर लाल शर्मा सिटिंग विधायक हैं और दोनों मौजूदा प्रत्याशी लगातार तीसरी बार आमने-सामने थे. दोनों ही एक-एक बार एक-दूसरे को शिकस्त दे चुके हैं.
इस सीट पर सबसे ज्यादा जाट समाज (58 हजार) के वोट हैं. ओबीसी- 54 हजार, राजपूत समाज- 22 हजार, जैन-अग्रवाल समाज- 15 हजार वोट हैं.
चुरू जिले का चुनावी समीकरण
चुरू जिला शेखावटी रीजन में आता है और यहां कुल 6 विधानसभा सीट हैं. 2013 के चुनाव में जिले में कुल 12,33,051 वोटर्स थे, जिनमें से 9,43,249 लोगों (76.5%) ने अपने मतों का इस्तेमाल किया था. यहां 5 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं, जबकि 1 सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है.
सामान्य सीटों में सादुलपुर, तारानगर, सरदारशहर, चुरू, रतनगढ़ है. जबकि सुजानगढ़ सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से 4 सीट पर बीजेपी, 1 पर कांग्रेस और 1 पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी. जिले की इकलौती आरक्षित सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. वोट शेयर की बात की जाए तो बीजेपी को करीब 48 और कांग्रेस को 38 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. जबकि बहुजन समाज पार्टी के खाते में 9 प्रतिशत वोट गया था.
2013 चुनाव का रिजल्ट
भंवर लाल शर्मा (कांग्रेस)- 86,732 (49%)
अशोक कुमार (बीजेपी)- 79,675 (45%)
2008 चुनाव का रिजल्ट
अशोक कुमार (बीजेपी)- 73,902 (49%)
भंवर लाल शर्मा (कांग्रेस)- 64,128 (42%)
विधानसभा का समीकरण
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी. बहुजन समाज पार्टी को 3, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 4, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. जबकि 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.
'To get latest update about Rajasthan elections SMS RJ to 52424 from your mobile . Standard SMS Charges Applicable.' |
एक विवादास्पद टिप्पणी करते हुए सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के एक नेता तोताराम यादव ने शनिवार को कहा कि रेप लड़के और लड़कियों की आपसी सहमति से होते हैं.
इस सवाल पर कि क्या
राज्य में बढ़ती बलात्कार
की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है , यादव ने कहा, ‘ क्या है बलात्कार? ऐसी कोई चीज नहीं है. लड़के और लड़कियों की आपसी सहमति से होते हैं बलात्कार.’
उन्होंने रेप को दो श्रेणियों में भी बांटा और कहा ‘बलात्कार दो तरह के होते हैं- एक जबरन, जबकि दूसरा आपसी सहमति से.’ इस बीच बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज मिश्रा ने दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री तोताराम यादव के बयान की निंदा करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता नारी शक्ति का अपमान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ‘सहमति से होता है रेप’ कह कर सपा नेता ने महिलाओं के बारे में अपनी घटिया सोच को प्रदर्शित किया है. बीजेपी प्रवक्ता ने वर्ष 2014 में दिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘लड़कों से गलतियां हो जाती हैं, तो क्या बलात्कार मामले में फांसी दी जाएगी.’ गौरतलब है कि हाल ही में सत्तारूढ़ दल के एक और विधायक शिवचरण प्रजापति ने कहा था कि बलात्कार के लिए लड़कियां भी कम जिम्मेदार नहीं हैं.
इनपुटः भाषा |
बिग बॉस11 खत्म हो गया, लेकिन इससे जुड़ी खबरें लगातार आ रही हैं. अब बिग बॉस की विनर बनी शिल्पा को लेकर एक पूर्व कंस्टेंट ने प्रतिक्रिया दी है.
बिग बॉस के कारण विवादों में रहे एक्स कंस्टेंट और खुद को बाबा बताने वाले स्वामी ओम ने एक इंटरव्यू में कहा, शिल्पा मेरी धर्मपुत्री हैं. उनके भाई आशु लंबे समय से मुझसे कह रहे थे कि आप शिल्पा को बिग बॉस में जाने के लिए समझाइए. शिल्पा जाने के लिए राजी नहीं थी. वह मानती थी कि इससे उसकी गलत इमेज बनेगी. मैंने उसे समझाया कि मैं स्वामी ओम हूं. मैंने जो कुछ बिग बॉस में भुगता वो तुम्हारे साथ नहीं होगा. तुम जाओ. मैंने सलमान से भी कहा कि शिल्पा की शो में बेइज्जती नहीं होनी चाहिए.
Now Swami OM Claims He sent Shilpa Shinde to BB11 and Told Colors and Salman to make her win 😂🤣🤣🤣😂
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Jan 18, 2018 at 9:02am PST
बिग बॉस 10 के कंटेस्टेंट रहे स्वामी ओम अकसर विवादों में रहते हैं. सोशल मीडिया में स्वामी में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने शिल्पा को बिग बॉस भेजने का दावा किया है.
कहां बीच सड़क पर महिलाओं ने बाबा को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा?
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी ओम पर 10 लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया है. स्वामी ओम ने दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने का विरोध किया था. दरअसल, जब जस्टिस दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने का फैसला हुआ तो स्वामी ओम ने इसका विरोध किया. स्वामी ओम ने बाकायदा नियुक्ति को कोर्ट में चैलेंज किया और इसके खिलाफ याचिका दायर की. कोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया. न सिर्फ याचिका खारिज की गई बल्कि इसे ओछी हरकत मानते हुए स्वामी ओम पर 10 लाख का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया.
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स्वामी ओम एक टीवी चैनल पर लाइव शो के दौरान महिला से मारपीट के बाद चर्चा में आए थे. शो के दौरान स्टूडियो में ही स्वामी ओम ने महिला से मारपीट की थी. इसके बाद स्वामी ओम को बिग बॉस में भी बुलाया गया, वहां भी वो अपनी टिप्पणियों को लेकर काफी विवादों में रहे. |
सरकार के अंदर कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे बीजेपी सांसदों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई और प्रश्नकाल नहीं चल पाया.
सदन की बैठक शुरू होने पर जैसे ही सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, बीजेपी सदस्य सरकार के अंदर कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर नारे लगाने लगे और आसन के समक्ष आ गए.
सभापति ने आसन के समक्ष नारे लगा रहे सदस्यों से कहा कि वह अपने स्थानों पर लौट जाएं और प्रश्नकाल चलने दें. उन्होंने कहा ‘कभी तो प्रश्नकाल चलने दीजिये.’ इसी बीच अन्नाद्रमुक सदस्य भी आसन के समक्ष आ कर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे. माकपा सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो कर कोई मुद्दा उठाते देखे गए.
अपनी बात का असर न होते देख सभापति ने बैठक शुरू होने के चंद मिनट के भीतर ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होते ही बीजेपी सदस्य कोल ब्लाक तथा रेलवे रिश्वत मामले में प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे. उनके साथ ही शिरोमणि अकाली दल के सदस्य भी 1984 के सिख विरोधी दंगों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने की मांग को लेकर आसन के समक्ष आ गए. सपा सदस्य भी आसन के समक्ष आकर सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे. वाम सदस्य भी आसन के समक्ष आकर रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर नारे लगाते देखे गए.
हंगामे के बीच ही पीठासीन सभापति गिरिजा व्यास ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और हंगामा थमता नहीं देख बैठक कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. |
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स की ओर मरीजों को राहत दी गई है. अब एम्स में 500 रुपए से कम की कीमत वाले टेस्ट मुफ्त में होंगे. एम्स इस योजना पर काम कर रहा है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. यह प्रस्ताव स्वास्थय मंत्रालय को भेजा जाएगा.
अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो मरीजों को
एम्स में ब्लड टेस्ट
, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड टेस्ट जैसे कई टेस्टों के लिए अपनी जेब से पैसा खर्च नहीं होगा. एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार, अस्पताल अभी इस योजना पर काम कर रहा है. अगर ये योजना लागू होती है तो हमें प्राइवेट वार्ड की फीस में बढ़ोतरी करने पड़ेगी.
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एम्स में हर रोज लगभग 10,000 से ज्यादा मरीज ऐसे आते हैं. जो कि इन टेस्टों को करवाते हैं. वहीं लगभग 2000 लोग रोजाना अस्पताल में भर्ती किए जाते हैं. एम्स हर साल लगभग 101 करोड़ की कमाई सिर्फ इन टेस्टो, एडमिशन फीस और रजिस्ट्रेशन फीस के जरिए ही कमा लेता है.
एम्स ने यह फैसला 15 डॉक्टरों की कमेटी बनाने के बाद किया है. कमेटी अस्पताल में आ रहे मरीजों को किस प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है इस पर काम कर रही थी.
रणदीप गुलेरिया के अनुसार
अस्पताल में लगभग 266
प्राइवेट रूम हैं, अगर हम प्राइवेट वार्ड का पैसा बढ़ाते भी हैं तो इससे लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि किसी भी प्राइवेट अस्पताल में एक रूम का चार्ज करीब 5000 या 10000 होता बल्कि एम्स में यह सुविधा काफी सस्ती है. |
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में दो अज्ञात बदमाशों ने एक युवक से हजारों की नकदी लूट ली और जब युवक ने उनका विरोध किया तो बदमाशों ने युवक को उसके पिता के सामने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देकर आरोपी मौके से फरार हो गए. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है.
हत्या और लूट की यह वारदात थाना भवन पुलिस थाना क्षेत्र के इंद्रघर गांव की है. जहां 60 हजार की लूट के बाद एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. थाना प्रभारी संदीप बाल्टन ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 22 वर्षीय दीपक सोमवार को अपने पिता राम कुमार के साथ बैंक से पैसे निकालने के बाद घर लौट रहा था.
तभी हथियारबंद दो बदमाश मोटरसाइकिल पर आए और उन्होंने दीपक और उसके पिता राम को थाना भवन पुलिस थाना क्षेत्र के गांव इंद्रघर के पास बीच रास्ते में रोक लिया. इससे पहले कि पिता-पुत्र दोनों कुछ समझ पाते. बदमाशों ने उनसे वो 60,000 रुपये लूट लिए, जो वो बैंक से निकालकर लाए थे.
इस दौरान जब दीपक ने उन दोनों बदमाशों का विरोध करते हुए उन्हें रोकने की कोशिश की तो बदमाशों ने उसे गोली मार दी. जिससे दीपक की मौके पर ही मौत हो गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने दीपक का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया.
थाना प्रभारी संदीप बाल्टन ने बताया कि इस संबंध में लूट और हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है. आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर बदमाशों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द ही बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास दोबारा लिखा जा रहा है. लेखक भी वही हैं, जिन्होंने 28 साल पहले 1987 में इसे लिखा था. उस किताब का नाम था - 'द ब्रदरहुड इन सैफ्रनः द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एंड हिंदू रिवाइलिज्म.' इतिहास के पुनर्लेखन के पीछे मंशा क्या यह तो संघ ही जानता है, लेकिन बताया जा रहा है कि नई किताब में आपातकाल, बालासाहेब देवरस, केएस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली के बीच के सत्ता संघर्ष की कहानी होगी.
वाल्टर एंडरसन और श्रीधर ने लिखी थी किताब
यह किताब अमेरिकी विदेश मंत्रालय के साथ काम कर चुके वाल्टर के. एंडरसन और संघ से नजदीकी रखने वाले श्रीधर डामले ने 1987 में लिखी थी. एंडरसन दिल्ली में भी रह चुके हैं. अब एंडरसन डॉन होपकिन्स और डामले के साथ ही दोबारा इसे लिखने की तैयारी में जुट गए हैं. डामले अब बतौर रिसर्चर शिकागो में रह रहे हैं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को डामले ने बताया कि इस किताब में वह कारण भी होगा जिसकी वजह से आपातकाल के दौरान
देवरस ने इंदिरा गांधी से माफी मांगी
थी.
आपातकाल के दौरान महिलाओं ने चलाया संघ
महिलाओं से दूरी बनाए रखने का आरोप झेलने वाले संघ के बारे में डामले ने एक और खुलासा किया. उन्होंने बताया कि बताया कि आपातकाल के दौरान संघ को सह सरकार्यवाह भाऊराव देवरस, राजेंद्र सिंह, शेषाद्रि, मोरोपंत पिंगले, और दत्तोपंत ठेंगड़ी ने संघ को चलाया. उस दौरान महिला इकाई राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ ने गुरु दक्षिणा जुटाकर संघ के संचालन में मदद की.
पहली बार संघ की बैठक में बुलाई गई थी महिलाएं
डामले ने बताया कि जेल से छूटने के बाद देवरस ने पहली बार महिलाओं को संघ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुलाया था. उन्होंने 25 सेविकाओं को बुलावा भेजा था. हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया था. तब देवरस ने 1948 और 1977 की दुहाई देते हुए कहा था कि उस दौर में कई नेता भाग खड़े हुए थे, लेकिन इन सेविकाओं ने ही संघ को खड़े रखा था.
रणनीति का हिस्सा थी इंदिरा से माफी
डामसे ने कहा कि इंदिरा गांधी से माफी मांगना
रणनीति का हिस्सा
था. यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी को भी इंदिरा से माफी मांगने को कहा गया था. डामले ने 'वाजपेयी ने मुझे बताया था कि मैं बिना इजाजत कुछ नहीं कर रहा.'
एकनाथ गए और फिर कभी नहीं लौटे
डामले के मुताबिक इस किताब का
सबसे दिलचस्प
अंश होगा एकनाथ रानाडे का आपातकाल के दौरान कन्याकुमारी जाना. रानाडे को विवेकानंद मेमोरियल की स्थापना के लिए कन्याकुमारी भेजा गया था. वह छह साल तक सरकार्यवाह रहे, लेकिन कन्याकुमारी जाने के बाद वह संघ में नहीं लौटे. |
दिल्ली में गायक व संगीतकार कैलाश खेर ने आम आदमी पार्टी के लिए अपनी मधुर आवाज दी, तो अब गोवा में गायक रेमो भी देश की इस सबसे चर्चित पार्टी के लिए वैसा ही कर सकते हैं. रेमो अब AAP के सदस्य बन गए हैं.
गोवा के सबसे लोकप्रिय लोक और पॉप गायक रेमो फर्नांडीस अब AAP के चुनाव चिह्न झाड़ू का प्रचार करेंगे. रेमो ने शनिवार को अपने फेसबुक पेज के जरिए इस बारे में ऐलान किया.
रेमो एक फोटो में पारंपरिक सफेद टोपी, बाएं हाथ में एक रसीद और दाएं हाथ में झाड़ू पकड़े दिखे. उन्होंने फेसबुक पर लिखा, 'मेरे लिए कल एक ऐतिहासिक दिन था. अपनी जिंदगी में पहली बार मैं राजनीति पार्टी में शामिल हुआ हूं, क्योंकि पहली बार मैंने एक राजनीतिक दल पर यकीन किया है और वह आम आदमी पार्टी है.'
मूल रूप से गोवा निवासी रेमो पणजी से 25 किलोमीटर आगे सिओलिम गांव के रहने वाले हैं. उन्हें खास तौर पर उनके कुछ तड़कते-भड़कते बॉलीवुड गीतों के लिए जाना जाता है. AAP की सदस्यता लेने के बाद अब उन्होंने राजनीति में कदम रखा है.
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'इससे पहले कि आप सोचें कि इसका मतलब यह है कि मैं राजनीति में चुनाव लड़ने आया हूं, मैं साफ कर दूं कि इसका मतलब यह है कि मैं 10 रुपये की फीस चुकाकर सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता या सदस्य बना हूं. मेरे पास इसकी रसीद भी है.' |
राजीव धवन ने कहा कि हमने 6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिराए जाने के बाद अपनी मांग बदली और हमारी यही मांग है कि हमें 5 दिसंबर 1992 की स्थिति में जिस तरह का ढ़ांचा था उसी स्थिति में हमें मस्जिद सौंपी जाए. उधर करीब 72 बाद कश्मीर घाटी में सभी नेटवर्क पर पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं शुरू कर दी गई हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में मऊ जिले के वालिदपुर में दो मंजिला एक मकान में सोमवार की सुबह हुए सिलिंडर विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और करीब 15 लोग घायल हो गए हैं. दूसरी ओर अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान को आतंकवादी गुटों को अपनी धरती का इस्तेमाल करने से रोकना होगा, और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज़ सईद समेत गुट के शीर्ष ऑपरेटिवों को दंडित करना होगा. इसके अलावा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुलीने सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया है.
धवन ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं दिए गए केंद्रीय गुंबद के नीचे ही राम का जन्म हुआ. गुंबद के नीचे राम जन्म होने, श्रद्धालुओं के वहीं फूल प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध नहीं किया गया. गुम्बद के नीचे तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे. जब वहां पूजा चल रही थी तो अंदर घुसने का मतलब क्या है? इसका मतलब पूजा बाहर ही हो रही थी. कभी भी मन्दिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई. वहां लगातार नमाज़ होती रही थी.
जम्मू-कश्मीर के प्रिसिंपिल सेक्रेटरी रोहित कंसल की ओर से इस बात का ऐलान किया गया था. अभी प्रीपेड मोबाइल फोन धारकों को इंतजार करना पड़ेगा. सभी नेटवर्क को मिलाकर राज्य में 40 लाख पोस्टपेड यूजर हैं जबकि 23 लाख प्रीपेड यूजर हैं.
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि अभी तक जिला अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मऊ जिले में सिलिंडर फटने से लोगों की जान जाने पर गहरा शोक व्यक्त किया है.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशियाई ब्यूरो की प्रमुख एलिस वेल्स ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) / जमात-उद-दावा (JuD) के चार शीर्ष सदस्यों को गिरफ्तार किए जाने का स्वागत भी किया.
सौरव गांगुली के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए कोई और नामांकन नहीं है और इसलिए उनका बीसीसीआई प्रमुख बनना तय है. गांगुली ने आईपीएल के पूर्व कमिश्नर राजीव शुक्ला के साथ यहां नामांकन दाखिल किया. |
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने असिस्टेंट पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं और इस भर्ती के माध्यम से 27 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. हालांकि इस भर्ती में सिर्फ पीडब्ल्यू उम्मीदवार यानि दिव्यांग उम्मीदवार ही भाग ले सकते हैं. इस भर्ती में आवेदन करने के इच्छुक और इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
पद का विवरण
असिस्टेंट पदों के लिए निकाली गई इस भर्ती में 27 उम्मीदवारों का चयन होगा और चयनित उम्मीदवारों को 14650-34990 रुपये पे-स्केल दी जाएगी.
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योग्यता
भर्ती में वो लोग आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की हो.
आयु सीमा
इस पद के लिए 20 से 28 साल तक के उम्मीदवार ही आवेदन कर सकते हैं और यह उम्र 1 जनवरी 2018 के आधार पर तय की जाएगी. वहीं इसमें एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 3 साल और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 साल की छूट दी जाएगी.
चयन प्रक्रिया
उम्मीदवारों का चयन प्री परीक्षा, मुख्य परीक्षा और भाषा टेस्ट के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा.
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आवेदन फीस
आवेदन करने के लिए सभी उम्मीदवारों को 50 रुपये ऑनलाइन माध्यम से जमा करनी होगी.
कैसे करें अप्लाई
उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट www.rbi.org.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
आवेदन करने की आखिरी तारीख-
19 फरवरी 2018 |
बॉलीवुड एक्ट्रेस जरीन खान (Zareen khan) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वो रेड फरारी कार दौड़ाती नज़र आ रही हैं. अपने कैप्शन में वो लिखती हैं 'वीकेंड पर काम पर जाना कुछ ऐसा होता है.' बॉलीवुड एक्ट्रेस की इस वीडियो को देख फैन्स भी दीवाने हो गए. किसी ने लिखा 'मैम हमें भी ले चलो' तो कोई बोला 'सुपर स्वैग'. आप भी देखिए ये दमदार वीडियो.
सलमान खान ने रचाई शादी! इस बॉलीवुड एक्ट्रेस को पहनाई वरमाला, Video देख आप भी खुशी से नाच उठेंगे
A post shared by Zareen Khan (@zareenkhan) on Jul 12, 2019 at 4:06am PDT
इससे पहले ही जरीन खान ने अपने हॉलिडे की तस्वीरें शेयर की थी. वो राजस्थान में छुट्टियां मनाने पहंची थीं. इससे पहले जरीन खान (Zareen Khan) का एक और वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह बुलबुले उड़ाते नजर आ रही थीं. बता दें, जरीन खान (Zareen Khan) इन दिनों पंजाबी फिल्मों में नजर आ रही हैं.
A post shared by Zareen Khan (@zareenkhan) on Jun 8, 2019 at 5:48am PDT
इतना ही नहीं जरीन खान (Zareen Khan) आजकल योगा की भी फैन हो गई हैं. वो आए दिन योगा करते हुए अपनी वीडियो और फोटोज़ पोस्ट कर रही हैं.
A post shared by Zareen Khan (@zareenkhan) on Jul 1, 2019 at 3:44am PDT
जरीन खान (Zareen Khan) ने सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म 'वीर' से एक्टिंग की दुनिया में अपना कदम रखा था. इस फिल्म में वह 'यशोधरा' के रूप में सलमान खान के साथ लीड रोल में दिखाई दी थीं. जरीन खान (Salman Khan) ने बॉलीवुड के साथ ही पंजाबी फिल्मों में भी अपना किरदार निभाया है. फिल्म 'वीर' के बाद जरीन खान 'हाउसफुल-2, रेडी, हेट स्टोरी-3, वीर, अकसर 2, 1921' और पंजाबी फिल्म 'जट्ट जेम्स बॉन्ड' में नजर आई थीं. अब जल्द ही जरीन खान पंजाबी मूवी 'डाका' में भी नजर आने वाली हैं. |
हालुआघाट उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह मय़मनसिंह विभाग के जमालपुर ज़िले का एक उपजिला है। इसमें, ज़िला सदर समेत, कुल 7 उपज़िले हैं। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से उत्तर की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है।
जनसांख्यिकी
यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। जनसांख्यिकीक रूप से, यहाँ, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ९१% के करीब है। शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। यह मयख्यातः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है।
अवस्थिति
हालुआघाट उपजिला बांग्लादेश के उत्तरी सीमा से सटे, मयमनसिंह विभाग के जमालपुर जिले में स्थित है।
इन्हें भी देखें
बांग्लादेश के उपजिले
बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल
मयमनसिंह विभाग
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी)
जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश
http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ)
श्रेणी:मयमनसिंह विभाग के उपजिले
बांग्लादेश के उपजिले |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान वसीम अकरम की कार पर गोली चलाने वाले एक हमलावर को पुलिस ने कराची में गिरफ्तार कर लिया।टिप्पणियां
'जियो टीवी' की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार संदिग्ध हमलावर पेशे से एक निजी सुरक्षा गार्ड है। पुलिस उस फरार व्यक्ति का पता लगा रही है, जिसने हमलावर को यह काम सौंपा था।
पुलिस ने बताया कि वसीम बुधवार को अपनी कार से नेशनल स्टेडियम जा रहे थे, जब शाह फैसल रोड पर उनकी कार पर हमला हुआ। वह नेशनल स्टेडियम में आयोजित 13 दिनों के विशेष प्रशिक्षण शिविर में तेज गेंदबाजों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुलिस अधिकारी मुनीर शेख ने बताया कि उन्होंने घटना की सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है।
'जियो टीवी' की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार संदिग्ध हमलावर पेशे से एक निजी सुरक्षा गार्ड है। पुलिस उस फरार व्यक्ति का पता लगा रही है, जिसने हमलावर को यह काम सौंपा था।
पुलिस ने बताया कि वसीम बुधवार को अपनी कार से नेशनल स्टेडियम जा रहे थे, जब शाह फैसल रोड पर उनकी कार पर हमला हुआ। वह नेशनल स्टेडियम में आयोजित 13 दिनों के विशेष प्रशिक्षण शिविर में तेज गेंदबाजों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुलिस अधिकारी मुनीर शेख ने बताया कि उन्होंने घटना की सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है।
पुलिस ने बताया कि वसीम बुधवार को अपनी कार से नेशनल स्टेडियम जा रहे थे, जब शाह फैसल रोड पर उनकी कार पर हमला हुआ। वह नेशनल स्टेडियम में आयोजित 13 दिनों के विशेष प्रशिक्षण शिविर में तेज गेंदबाजों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुलिस अधिकारी मुनीर शेख ने बताया कि उन्होंने घटना की सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है। |
अक्सर विवादों में रहने वाली राधे मां अमृतसर के गोल्डन टेम्पल पहुंची. यहां चलने वाली लंगर सेवा के लिए उन्होंने करीब 20 लाख रुपये कीमत के बर्तन दान किए.
राधे मां ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने के बाद लंगर हॉल में 12,000 थालियां, 10,000 ग्लास और 10,000 चम्मच और अन्य बर्तन उन्होंने
सेवा के लिए दान दिए.
इस मौके पर राधे मां ने कहा कि उनकी कोई हैसियत नहीं है कि वो स्वर्ण मंदिर में कुछ दान कर सकें, वो सिर्फ सेवा करने के लिए और जो कुछ गुरु ने उनको दिया है, उसमें से उनको कुछ अर्पण करने के लिए पहुंची हैं.
राधे मां
ने कहा कि कई अन्य धार्मिक स्थलों पर भी वह ऐसी मदद करेंगी. बताया जाता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जो पुराने बर्तन है उन को बदला जा सकेगा और अब श्रद्धालुओं को नए बर्तनों में खाना मिल सकेगा.
कौन हैं राधे मां
2015 में एक मॉडल ने राधे मां पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाया था. मुंबई की एक महिला ने उन पर आरोप लगाया था कि राधे मां ने उसे दहेज के लिए मानसिक-शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है. राधे मां ने कहा था कि उन पर जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उससे उन्हें सदमा पहुंचा और उन्होंने जिंदगी खत्म करने की कोशिश भी की. उन्होंने अपने बेटे से जहर भी मांगा.
राधे मां ने कहा था कि 17 साल में उनकी शादी हुई थी. लेकिन 4 साल बाद ही पति दो बच्चों को छोड़कर भाग गया. उन्होंने कहा था कि उनके घर में न तो कोई गुफा है और न सोने के लिए कोई छुपी हुई जगह. उन्होंने बताया था कि जो जेवरात वह पहनती हैं वह उनके बेटे ने दिए हैं. जिस घर में रहती हैं वह भी बेटे का है. |
ज़ख़्मी शेरनी बॉलीवुड की एक हिंदी एक्शन फ़िल्म है, जिसका निर्देशन और निर्माण सुरिंदर कपूर ने किया है। यह फिल्म 2001 में रिलीज़ हुई थी।
संक्षेप
यह एक गाँव की लड़की की शुद्ध प्रतिशोध की कहानी है जिसे स्थानीय गुंडों द्वारा एक कार में सामूहिक बलात्कार किया जाता है। वह डकैत बन जाता है और अपने दुश्मनों से बदला लेता है।
कास्ट
धर्मेंद्र
किरण कुमार
हेमंत बिरजे
रजा मुराद
शिव रिंदानी
चंद्रशेखर
रीमा लागू
जोगिंदर
मोहन जोशी
सपना
सिकंदर खान
दुर्गेश नंदिनी
केके गोस्वामी
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
भारतीय एक्शन फ़िल्में
भारतीय फ़िल्में
2001 की फ़िल्में |
दिल्ली सरकार को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं होगा कि बुधवार की दोपहर छत्रसाल स्टेडियम में जिन हजारों गेस्ट टीचर्स को उपलब्धियां गिनाने के लिए बुलाया गया है, वही सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारे लगाने लगेंगे. दरअसल पिछले कई सालों से स्थायी नौकरी, समान वेतन की मांग कर रहे गेस्ट टीचर्स का गुस्सा उस वक़्त फूट पड़ा, जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ इन वादों को पूरा करने को लेकर कोई नया ऐलान नहीं किया गया. केजरीवाल ने जैसे ही भाषण में एलजी को फाइल भेजने का ज़िक्र किया, गेस्ट टीचर्स ने अपनी सीट से उठना शुरू कर दिया. टीचर्स को जाता हुआ देख, सीएम केजरीवाल आनन फानन में अपने भाषण को ख़त्म कर स्टेडियम से रवाना हो गए.
केजरीवाल के वादों को शिक्षकों ने बताया लॉ़लीपॉप
हालांकि इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. एक शिक्षक ने आरोप लगाया कि जब वह
केजरीवाल
के भाषण को वादों का लॉलीपॉप बता रहे थे, तभी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के दफ़्तर में काम करने वाले महेश नाम के शख्स ने उन्हें देख लेने की धमकी दी और वीडियो भी रिकॉर्ड किया. प्रदर्शनकारी टीचर्स का आरोप है कि मुख्यमंत्री उनसे बार-बार झूठ बोल रहे हैं. गेस्ट टीचर्स की सैलरी बढ़ाने और उनकी नौकरी पक्की करने की घोषणा काफी पहले से की जा रही है, लेकिन अब तक कुछ ठोस फैसला नहीं लिया गया.
सीएम के स्टेडियम से रवाना होने के कुछ देर बाद ही
गेस्ट टीचर्स
ने दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिया. सिर्फ यही नहीं स्टेडियम के बाहर निकलते ही तमाम गेस्ट टीचर्स ने रिंग रोड पर कब्ज़ा कर लिया और करीब 1 घंटे तक रास्ता जाम रखा. शिक्षकों के हंगामे को काबु में करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया और भीड़ को सड़क से हटाने के लिए वाटर कैनन तक का इस्तेमाल करना पड़ा. हालांकि पुलिस को रिंग रोड से गेस्ट टीचर्स को हटाने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी.
दिल्ली में हैं करीब 17 हजार गेस्ट टीचर्स
आपको बता दें कि दिल्ली में करीब 17 हजार गेस्ट टीचर्स हैं. 49 दिनों मे रही सरकार की बनने के बाद से ही गेस्ट टीचर्स आम आदमी पार्टी सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं. केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर्स को शांत करने की कोशिश तो की, लेकिन सरकार का ये दांव उलटा पड़ गया. हालांकि अरविंद केजरीवाल ने छत्रसाल स्टेडियम में हुए हंगामे को बीजेपी और कांग्रेस की साज़िश बताया है.
भाषण के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने अन्य राज्यों में गेस्ट टीचर्स को मिलने वाली सैलरी गिनाते हुए बताया कि ओडिशा में गेस्ट टीचर्स को पहले 5 हजार रुपये महीना मिलता था, टीचर्स ने एक महीने अनशन किया तो राज्य सरकार ने सैलरी बढ़ाकर 7500 रुपये कर दी. यूपी में 8 हजार रुपये महीना, राजस्थान में 9 हजार रुपये, मध्य प्रदेश में 10 हजार 200 रुपये, तो बिहार में 18 हजार रुपये और हरियाणा में 21 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है, लेकिन दिल्ली में अब गेस्ट टीचर्स की हर महीने की सैलरी को 34 हजार रुपये तक बढ़ा दिया है.
केजरीवाल ने आगे कहा कि 'अब गेस्ट टीचर्स को दिन या घंटे नहीं, बल्कि हर महीने के हिसाब से सैलरी दी जाएगी और उन्हें रेगुलर टीचर्स की तरह छुट्टियां भी मिलेंगी. आज यह सब ऐलान कर पाने के लिए हमें व्यवस्था से बहुत लड़ना पड़ा है. यह प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो गया है और एलजी साहब को भेजा गया है. मुझे उम्मीद है कि एलजी साहब शिक्षकों के भविष्य से जुड़े फैसले पर हामी भरेंगे. आख़िर में केजरीवाल ने कहा कि गेस्ट टीचर्स को पक्का करने का काम दिल्ली सरकार जल्द से जल्द पूरा कर लेगी.'
...और भाषण के आखिर में केजरीवाल की कही ये बात पूरे हंगामे की एक बड़ी वजह बन गई. |
एक RGB वर्ण व्योम होता है कोई संयोजी वर्ण व्योम जो कि RGB वर्ण व्योम पर आधारित हो। एक विशिष्ट RGB वर्ण व्योम परिभाषित होता है तीन वार्णिकताओं से जो कि लाल, हरे एवं नीले संयोजी वर्णों का हो और कोई भी वार्णिकता निर्मित कर सकता हो, जो कि प्राथमिक रंगों द्वारा निर्मित त्रिकोण है। एक RGB वर्ण व्योम का पूर्ण ब्यौरे हेतु एक श्वेत बिंदु वार्णिकता एवं गामा सुधार वक्र भी आवश्यक है।
RGB लघु रूप है , , के लिये।
विशिष्टताएं
RGB व्योम प्रायः तीन प्राथमिक रंगों एवं एक श्वेत बिंदु द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाते हैं। निम्न सारणी में भिन्न RGB व्योमों हेतु, तीन प्राथमिक रंग एवं एक श्वेत बिंदु दिए गए हैं। प्राथमिक रंग उनके CIE 1931 वर्ण व्योम की वार्णिकता निर्देशांक (x,y) के मान में दिये गए हैं।
अनुप्रयोग
सर्वाधिक प्रयुक्त कम्प्यूटर ग्राफिक्स में।
रंग |
पैनोरमिक फोटोग्राफी विशेष उपकरण या सॉफ्टवेयर का उपयोग करके फोटोग्राफी की एक तकनीक है, जो क्षैतिज रूप से विस्तारित क्षेत्रों के साथ छवियों को कैप्चर करती है। इसे कभी-कभी विस्तृत प्रारूप फोटोग्राफी के रूप में जाना जाता है। यह शब्द एक ऐसे फ़ोटोग्राफ़ पर भी लागू किया गया है, जिसे अपेक्षाकृत विस्तृत पक्षानुपात में क्रॉप किया गया है, जैसे कि वाइड-स्क्रीन वीडियो में परिचित लेटरबॉक्स प्रारूप।
जबकि "वाइड-एंगल" और "पैनोरमिक" फोटोग्राफी के बीच कोई औपचारिक विभाजन नहीं है, "वाइड-एंगल" आमतौर पर एक प्रकार के लेंस को संदर्भित करता है, लेकिन इस प्रकार के लेंस का उपयोग करने से छवि को पैनोरमा बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। १:१.३३ के सामान्य फिल्म फ्रेम को कवर करने वाले अल्ट्रा वाइड-एंगल फिशये लेंस के साथ बनाई गई छवि को स्वचालित रूप से पैनोरमा नहीं माना जाता है। एक छवि जो देखने के क्षेत्र को दर्शाती है, या मानव आँख के क्षेत्र से अधिक है - लगभग १६०°×७५° - को पैनोरमिक कहा जा सकता है। इसका आम तौर पर मतलब है कि इसका पहलू अनुपात २:१ या उससे बड़ा है, छवि कम से कम दोगुनी चौड़ी है क्योंकि यह उच्च है। परिणामी छवियाँ एक विस्तृत पट्टी का रूप लेती हैं। कुछ पैनोरमिक छवियों में पक्षानुपात ४:१ और कभी-कभी १०:१ होता है, जो ३६० डिग्री तक के दृश्य क्षेत्रों को कवर करता है। एक वास्तविक मनोरम छवि को परिभाषित करने में पहलू अनुपात और क्षेत्र का कवरेज दोनों महत्वपूर्ण कारक हैं।
फोटो-फिनिशर और एडवांस्ड फोटो सिस्टम (एपीएस) कैमरों के निर्माता किसी भी प्रिंट प्रारूप को व्यापक पहलू अनुपात के साथ परिभाषित करने के लिए "पैनोरमिक" शब्द का उपयोग करते हैं, जरूरी नहीं कि ऐसे फोटो जिनमें देखने का एक बड़ा क्षेत्र शामिल हो।
इतिहास
पैनोरमा का उपकरण पेंटिंग में मौजूद था, विशेष रूप से २० ईस्वी में पोम्पेई में पाए गए भित्ति चित्रों में एक विस्टा के एक इमर्सिव 'पैनोप्टिक' अनुभव को उत्पन्न करने के साधन के रूप में बहुत पहले फोटोग्राफी का आगमन। फोटोग्राफी के आगमन से पहले की सदी में और १७८७ से, रॉबर्ट बार्कर के काम के साथ, यह विकास के एक शिखर पर पहुंच गया जिसमें पूरे भवनों का निर्माण ३६० डिग्री पैनोरमा, और यहाँ तक कि शामिल प्रकाश प्रभाव के लिए किया गया था। और गतिशील तत्व। दरअसल, फोटोग्राफी के आविष्कारकों में से एक, डागुएरे का करियर लोकप्रिय पैनोरमा और डियोराम के उत्पादन में शुरू हुआ।
एक पेंटब्रश के बिना एक विस्तृत शहर का दृश्य बनाने के विचार और लालसा ने फ्रेडरिक वॉन मार्टन को प्रेरित किया। वॉन मार्टन ने एक विशेष पैनोरमिक कैमरे का उपयोग करके पैनोरमिक डग्युएरियोटाइप बनाया जिसे उन्होंने स्वयं बनाया था। कैमरा सिंगल डगरेरियोटाइप प्लेट पर व्यापक दृश्य कैप्चर कर सकता है। संपूर्ण और विशद विवरण में एक शहर का दृश्य दर्शकों के सामने रखा गया है।
पैनोरमिक कैमरों का विकास पैनोरमा के लिए उन्नीसवीं सदी की सनक का तार्किक विस्तार था। पैनोरमिक कैमरे के लिए पहले रिकॉर्ड किए गए पेटेंट में से एक जोसेफ पुचबर्गर द्वारा ऑस्ट्रिया में १८४३ में हाथ से क्रैंक किए गए, १५० ° देखने के क्षेत्र, ८-इंच फोकल लंबाई वाले कैमरे के लिए प्रस्तुत किया गया था, जिसने अपेक्षाकृत बड़े डागुएरोटाइप को उजागर किया था, .) लंबा। एक अधिक सफल और तकनीकी रूप से बेहतर पैनोरमिक कैमरा अगले साल १८४४ में जर्मनी में फ्रेडरिक वॉन मार्टेंस द्वारा इकट्ठा किया गया था। उनका कैमरा, मेगास्कोप, घुमावदार प्लेटों का उपयोग करता था और सेट गियर की महत्वपूर्ण विशेषता को जोड़ता था, जो अपेक्षाकृत स्थिर पैनिंग गति प्रदान करता था। नतीजतन, कैमरे ने फोटोग्राफिक प्लेट को ठीक से उजागर कर दिया, अस्थिर गति से परहेज किया जो एक्सपोजर में असमानता पैदा कर सकता है, जिसे बैंडिंग कहा जाता है। मार्टेंस को एक फोटोग्राफर/प्रकाशक लेरेबर्स द्वारा नियुक्त किया गया था। यह भी संभव है कि पुचबर्गर ने अपने कैमरे का पेटेंट कराने से पहले मार्टेंस कैमरा में सुधार किया हो। सामग्री की उच्च लागत और प्लेटों को ठीक से उजागर करने की तकनीकी कठिनाई के कारण, डागुएरियोटाइप पैनोरमा, विशेष रूप से कई प्लेटों (नीचे देखें) से एक साथ पाई गई दुर्लभ हैं।
वेट-प्लेट कोलोडियन प्रक्रिया के आगमन के बाद, फोटोग्राफर आने वाले एल्बम के दो से एक दर्जन प्रिंटों को कहीं भी ले जाएंगे और एक मनोरम छवि बनाने के लिए उन्हें एक साथ जोड़ देंगे। यह फोटोग्राफिक प्रक्रिया तकनीकी रूप से आसान थी और डागुएरोटाइप की तुलना में बहुत कम खर्चीली थी। जबकि विलियम स्टेनली जेवन्स का पोर्ट जैक्सन, न्यू साउथ वेल्स का वेट-कोलोडियन पैनोरमा, शेल कोव के ऊपर एक ऊंची चट्टान से, नॉर्थ शोर १९५३ तक उनकी १८५७ की स्क्रैप-बुक में अनदेखा रहा, कुछ सबसे प्रसिद्ध शुरुआती पैनोरमा थे १८६० के दशक में अमेरिकी गृहयुद्ध में यूनियन आर्मी के लिए एक फोटोग्राफर जॉर्ज एन बरनार्ड द्वारा इस तरह से इकट्ठा किया गया था। उनके काम ने किलेबंदी और इलाके के विशाल अवलोकन प्रदान किए, जो इंजीनियरों, जनरलों और कलाकारों द्वारा समान रूप से मूल्यवान थे। (अमेरिकी गृहयुद्ध की फोटोग्राफी और फोटोग्राफर देखें) १८७५ में उल्लेखनीय प्रयास के माध्यम से, बर्नार्ड ओटो होल्टरमैन और चार्ल्स बेलिस ने सिडनी हार्बर के व्यापक दृश्य को रिकॉर्ड करने के लिए ५६ गुणा ४६ सेंटीमीटर मापने वाली तेईस गीली प्लेटों को लेपित किया।
स्टीरियो साइक्लोग्राफ
एक महोगनी-वुडेड बॉक्स में संयुक्त दो-फिक्स्ड फ़ोकस पैनोरमिक कैमरा वाला कैमरा। कैमरे के स्तर को सेट करने में फोटोग्राफर की मदद करने के लिए लेंस के बीच में एक संकेतक के साथ लेंस एक दूसरे से आठ सेंटीमीटर अलग थे। एक घड़ी मोटर ने कैमरे को घुमाने वाले शाफ्ट को मोड़ने के साथ-साथ नौ सेंटीमीटर चौड़ी फिल्म को पहुँचाया। कैमरा ९×८० . बना सकता है सेमी जोड़ी जिसे एक विशेष दर्शक की आवश्यकता होती है। इन छवियों का उपयोग ज्यादातर मानचित्रण उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
वंडर पैनोरमिक कैमरा
रूडोल्फ स्टर्न द्वारा बर्लिन, जर्मनी में १८९० में निर्मित, वंडर पैनोरमिक कैमरा को अपनी प्रेरक शक्ति के लिए फोटोग्राफर की आवश्यकता थी। कैमरे के अंदर एक तार, तिपाई पेंच में एक छेद के माध्यम से लटका हुआ, लकड़ी के बॉक्स कैमरे के अंदर एक चरखी के चारों ओर घाव। नयनाभिराम फ़ोटो लेने के लिए, फ़ोटोग्राफ़र ने एक्सपोज़र शुरू करने के लिए मेटल कैप को लेंस से दूर घुमाया। रोटेशन को पूर्ण ३६०-डिग्री दृश्य के लिए सेट किया जा सकता है, जो अठारह इंच लंबा नकारात्मक उत्पादन करता है।
पेरिफोटे
१९०१ में पेरिस के लुमियर फ्रेरेस द्वारा निर्मित। पेरिफोट में एक स्प्रिंग-वाउंड क्लॉक मोटर थी जो घूमती थी, और अंदर की बाधा ने फिल्म के रोल और इसके टेक-अप स्पूल को पकड़ रखा था। शरीर से जुड़ा एक ५५ मिमी जैरेट लेंस और एक प्रिज्म था जिसने फिल्म में आधा मिलीमीटर चौड़ा एपर्चर के माध्यम से प्रकाश को निर्देशित किया।
लघु रोटेशन
शॉर्ट रोटेशन, रोटेटिंग लेंस और स्विंग लेंस कैमरों में एक लेंस होता है जो कैमरा लेंस के रियर नोडल पॉइंट के चारों ओर घूमता है और एक घुमावदार फिल्म प्लेन का उपयोग करता है। जैसे ही तस्वीर ली जाती है, लेंस अपने पीछे के नोडल बिंदु के चारों ओर घूमता है, जबकि एक स्लिट फिल्म की एक ऊर्ध्वाधर पट्टी को उजागर करता है जो लेंस की धुरी के साथ संरेखित होती है। एक्सपोजर आमतौर पर एक सेकंड का एक अंश लेता है। आमतौर पर, ये कैमरे ११०° से १४०° के बीच के दृश्य क्षेत्र और २:१ से ४:१ के पक्षानुपात को कैप्चर करते हैं। बनाई गई छवियाँ मानक २४ मिमी × ३६ मिमी ३५ मिमी फ़्रेम की तुलना में नकारात्मक पर १.५ और ३ गुना अधिक स्थान घेरती हैं।
इस प्रकार के कैमरों में वाइडलक्स, नोब्लेक्स और होराइजन शामिल हैं। इनका नकारात्मक आकार लगभग २४×५८ मिमी है। रूसी "स्पेसव्यू एफटी -२", मूल रूप से एक आर्टिलरी स्पॉटिंग कैमरा है, जो ३६-एक्सपोज़र ३५ मिमी फिल्म पर व्यापक नकारात्मक, १२ एक्सपोज़र का उत्पादन करता है।
लघु रोटेशन कैमरे आमतौर पर कुछ शटर गति प्रदान करते हैं और खराब ध्यान केंद्रित करने की क्षमता रखते हैं। अधिकांश मॉडलों में एक निश्चित फोकस लेंस होता है, जो लेंस के अधिकतम एपर्चर की हाइपरफोकल दूरी पर सेट होता है, जो अक्सर लगभग १० मीटर (३० फीट) पर होता है। फ़ोटोग्राफ़र जो नज़दीकी विषयों की तस्वीरें लेना चाहते हैं, उन्हें कम रोशनी की स्थितियों में कैमरे के उपयोग को सीमित करते हुए अग्रभूमि को फ़ोकस में लाने के लिए एक छोटे एपर्चर का उपयोग करना चाहिए।
घूमने वाले लेंस कैमरे सीधी रेखाओं में विकृति पैदा करते हैं। यह असामान्य लगता है क्योंकि व्यापक, घुमावदार दृष्टिकोण से ली गई छवि को सपाट देखा जा रहा है। छवि को सही ढंग से देखने के लिए, दर्शक को पर्याप्त रूप से बड़े प्रिंट का उत्पादन करना होगा और इसे फिल्म प्लेन के वक्र के समान रूप से वक्र करना होगा। मानक फोकल लेंथ लेंस के साथ स्विंग-लेंस कैमरे का उपयोग करके इस विकृति को कम किया जा सकता है। एफटी-२ में ५० मिमी है जबकि अधिकांश अन्य ३५ मिमी स्विंग लेंस कैमरे एक चौड़े कोण लेंस का उपयोग करते हैं, अक्सर २८ मिमी। इन-कैमरा स्टिचिंग का उपयोग करते हुए डिजिटल कैमरों से शूट किए गए पैनोरमा में इसी तरह की विकृति देखी जाती है।
पूर्ण रोटेशन
घूमने वाले पैनोरमिक कैमरे, जिन्हें स्लिट स्कैन या स्कैनिंग कैमरे भी कहा जाता है, ३६०° या अधिक डिग्री रोटेशन करने में सक्षम हैं। एक घड़ी की कल या मोटर चालित तंत्र लगातार कैमरे को घुमाता है और फिल्म को कैमरे के माध्यम से खींचता है, इसलिए फिल्म की गति छवि विमान में छवि आंदोलन से मेल खाती है। एक्सपोजर एक संकीर्ण भट्ठा के माध्यम से किया जाता है। छवि क्षेत्र का मध्य भाग एक बहुत ही तीक्ष्ण चित्र बनाता है जो पूरे फ्रेम में सुसंगत होता है।
डिजिटल रोटेटिंग लाइन कैमरे लाइन द्वारा एक ३६०° पैनोरमा रेखा की छवि बनाते हैं। इस शैली में डिजिटल कैमरे पैनोस्कैन और आईस्कैन हैं। एनालॉग कैमरों में सर्कुट (१९०५), लेमे (१९६२), हुलचेरामा (१९७९), ग्लोबुस्कोप (१९८१), सेट्ज़ राउंडशॉट (१९८८) और लोमोग्राफी स्पिनर ३६० ° (२०१०) शामिल हैं।
फिक्स्ड लेंस
फिक्स्ड लेंस कैमरे, जिन्हें फ्लैटबैक, वाइड व्यू या वाइड फील्ड भी कहा जाता है, में फिक्स्ड लेंस और एक फ्लैट इमेज प्लेन होता है। ये पैनोरमिक कैमरे का सबसे सामान्य रूप हैं और सस्ते एपीएस कैमरों से लेकर परिष्कृत ६×१७ सेमी और ६×२४ सेमी मध्यम प्रारूप वाले कैमरों तक हैं। शीट फिल्म का उपयोग करने वाले पैनोरमिक कैमरे १०×२४ इंच तक के प्रारूपों में उपलब्ध हैं। एपीएस या ३५ मिमी कैमरे फिल्म के एक छोटे से क्षेत्र का उपयोग करके पैनोरमिक पहलू अनुपात में क्रॉप की गई छवियों का उत्पादन करते हैं। विशिष्ट ३५ मिमी या मध्यम प्रारूप फिक्स्ड-लेंस पैनोरैमिक कैमरे सामान्य से अधिक छवि चौड़ाई वाली छवियों का उत्पादन करने के लिए विस्तारित लंबाई के साथ-साथ फिल्म की पूरी ऊंचाई को कवर करने के लिए वाइड फील्ड लेंस का उपयोग करते हैं।
पैनोरमिक चित्र बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के निर्माणों के पिनहोल कैमरों का उपयोग किया जा सकता है। एक लोकप्रिय डिजाइन 'ओटमील बॉक्स' है, एक ऊर्ध्वाधर बेलनाकार कंटेनर जिसमें पिनहोल एक तरफ बना होता है और फिल्म या फोटोग्राफिक पेपर अंदर की दीवार के चारों ओर लपेटा जाता है, और पिनहोल के किनारे तक लगभग सही होता है। यह १८०° से अधिक दृश्य के साथ अंडे के आकार की छवि बनाता है।
चूंकि वे एक ही एक्सपोजर में फिल्म को उजागर करते हैं, फिक्स्ड लेंस कैमरों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक फ्लैश के साथ किया जा सकता है, जो घूर्णी पैनोरमिक कैमरों के साथ लगातार काम नहीं करेगा।
समतल छवि तल के साथ, ९०° दृश्य का सबसे चौड़ा क्षेत्र है जिसे फ़ोकस में और महत्वपूर्ण वाइड-एंगल विरूपण या विग्नेटिंग के बिना कैप्चर किया जा सकता है। १२० डिग्री के निकट इमेजिंग कोण वाले लेंस को छवि के किनारों पर विगनेटिंग को सही करने के लिए एक केंद्र फ़िल्टर की आवश्यकता होती है। १८०° तक के कोणों को कैप्चर करने वाले लेंस, जिन्हें आमतौर पर फ़िशआई लेंस के रूप में जाना जाता है, अत्यधिक ज्यामितीय विकृति प्रदर्शित करते हैं, लेकिन आमतौर पर रेक्टिलिनियर लेंस की तुलना में कम चमक फॉलऑफ़ प्रदर्शित करते हैं।
इस प्रकार के कैमरे के उदाहरण हैं: ताइयोकोकी विस्कावाइड-१६ एसटी-डी (१६ मिमी फिल्म), सिसिलियानो कैमरा वर्क्स पन्नारोमा (३५ मिमी, १९८७ ), हैसलब्लैड एक्स-पैन (३५ मिमी, १९९८), लिनहोफ़ ६१२पीसी, हॉर्समैन एसडब्ल्यू६१२, लिनहोफ़ टेक्नोरमा ६१७, टोमियामा आर्ट पैनोरमा ६१७ और ६२४, और फ़ूजी जी६१७ और जीएक्स६१७ (मध्यम प्रारूप फ़िल्म)।
पैनोमॉर्फ लेंस कैटाडियोप्ट्रिक लेंस के विपरीत, बिना किसी ब्लाइंड स्पॉट के एक पूर्ण गोलार्ध का दृश्य प्रदान करता है।
डिजिटल फोटोग्राफी
खंडित पैनोरमा की डिजिटल सिलाई
डिजिटल फोटोग्राफी के साथ, पैनोरमा बनाने का सबसे आम तरीका चित्रों की एक श्रृंखला लेना और उन्हें एक साथ सिलाई करना है। दो मुख्य प्रकार हैं: बेलनाकार पैनोरमा मुख्य रूप से स्थिर फोटोग्राफी में उपयोग किया जाता है और गोलाकार पैनोरमा आभासी-वास्तविकता छवियों के लिए उपयोग किया जाता है।
खंडित पैनोरमा, जिसे स्टिच्ड पैनोरमा भी कहा जाता है, पैनोरमिक छवि बनाने के लिए दृश्य के थोड़े अतिव्यापी क्षेत्रों के साथ कई तस्वीरों को जोड़कर बनाया जाता है। सिलाई सॉफ्टवेयर का उपयोग कई छवियों को संयोजित करने के लिए किया जाता है। आदर्श रूप से, लंबन त्रुटि के बिना छवियों को एक साथ सही ढंग से सिलाई करने के लिए, कैमरे को उसके लेंस प्रवेश छात्र के केंद्र के बारे में घुमाया जाना चाहिए। सिलाई सॉफ्टवेयर कुछ लंबन त्रुटियों को ठीक कर सकता है और लंबन त्रुटियों को ठीक करने की उनकी क्षमता में विभिन्न कार्यक्रम भिन्न प्रतीत होते हैं। सामान्य तौर पर विशिष्ट पैनोरमा सॉफ्टवेयर सामान्य फोटोमैनीपुलेशन सॉफ्टवेयर में निर्मित कुछ सिलाई की तुलना में इस पर बेहतर लगता है।
कुछ डिजिटल कैमरे विशेष रूप से स्मार्टफोन कैमरे आंतरिक रूप से, कभी-कभी वास्तविक समय में मानक सुविधा के रूप में या स्मार्टफोन ऐप इंस्टॉल करके सिलाई कर सकते हैं।
कैटाडिओप्ट्रिक कैमरे
लेंस- और दर्पण-आधारित (कैटाडिओप्ट्रिक) कैमरों में लेंस और घुमावदार दर्पण होते हैं जो लेंस के प्रकाशिकी में ३६०-डिग्री क्षेत्र के दृश्य को दर्शाते हैं। उपयोग किए गए दर्पण के आकार और लेंस को विशेष रूप से चुना और व्यवस्थित किया जाता है ताकि कैमरा एक ही दृष्टिकोण बनाए रखे। एकल दृष्टिकोण का अर्थ है कि संपूर्ण पैनोरमा अंतरिक्ष में एक बिंदु से प्रभावी ढंग से चित्रित या देखा जाता है। कोई बस प्राप्त छवि को एक बेलनाकार या गोलाकार पैनोरमा में बदल सकता है। यहाँ तक कि देखने के छोटे क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य विचारों की भी सटीक गणना की जा सकती है।
कैटाडिओप्ट्रिक सिस्टम (पैनोरैमिक मिरर लेंस) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि क्योंकि कोई लेंस (जैसे मछली की आंख) के बजाय प्रकाश किरणों को मोड़ने के लिए दर्पण का उपयोग करता है, छवि में लगभग कोई रंगीन विपथन या विकृतियाँ नहीं होती हैं। छवि, दर्पण पर सतह का प्रतिबिंब, एक डोनट के रूप में होता है जिसमें एक सपाट पैनोरमिक चित्र बनाने के लिए सॉफ़्टवेयर लागू किया जाता है। इस तरह के सॉफ्टवेयर की आपूर्ति आमतौर पर उस कंपनी द्वारा की जाती है जो सिस्टम का निर्माण करती है। चूंकि संपूर्ण पैनोरमा एक ही बार में चित्रित किया जाता है, इसलिए गतिशील दृश्यों को बिना किसी समस्या के कैप्चर किया जा सकता है। नयनाभिराम वीडियो को कैप्चर किया जा सकता है और रोबोटिक्स और पत्रकारिता में अनुप्रयोगों को मिला है। मिरर लेंस सिस्टम डिजिटल कैमरे के सेंसर के केवल एक आंशिक भाग का उपयोग करता है और इसलिए कुछ पिक्सेल का उपयोग नहीं किया जाता है। अंतिम छवि के रिज़ॉल्यूशन को अधिकतम करने के लिए हमेशा उच्च पिक्सेल गणना वाले कैमरे का उपयोग करने की अनुशंसा की जाती है।
स्मार्टफोन के लिए सस्ते ऐड-ऑन कैटाडिओप्ट्रिक लेंस भी हैं, जैसे गोपैनो माइक्रो और कोगेटो डॉट ।
कलात्मक उपयोग
स्ट्रिप पैनोरमा
एड रुशा की एवरी बिल्डिंग ऑन द सनसेट स्ट्रिप (१९६६) को इमारत के अग्रभागों को एक साथ फोटो खिंचवाने के लिए बनाया गया था, जैसा कि एक पिकअप ट्रक के पीछे से ४ की यात्रा करते हुए देखा गया था। गली की लंबाई किमी. उस समय के अपने काम की विडंबनापूर्ण 'डपैन' भावना में उन्होंने एक फोल्डआउट बुक में स्ट्रिप फॉर्म में काम प्रकाशित किया, जिसका उद्देश्य 'द स्ट्रिप' के दोनों तरफ सही अभिविन्यास में देखने के लिए एक तरफ या दूसरे से देखा जाना था।
रुस्चा के काम से पहले, १९५४ में योशिकाज़ु सुजुकी ने जापानी वास्तुकला पुस्तक गिन्ज़ा, कवाई, गिन्ज़ा हैचो में गिन्ज़ा स्ट्रीट, टोक्यो पर हर इमारत का एक अकॉर्डियन-फोल्ड पैनोरमा तैयार किया।
जॉइनर्स
जॉइनर्स (जिसके लिए पैनोग्राफी और पैनोग्राफ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है) एक फोटोग्राफिक तकनीक है जिसमें एक तस्वीर को कई अतिव्यापी तस्वीरों से इकट्ठा किया जाता है। यह मैन्युअल रूप से प्रिंट के साथ या डिजिटल छवि संपादन सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके किया जा सकता है और एक दृश्य के चौड़े कोण या पैनोरमिक दृश्य के समान हो सकता है, जो खंडित पैनोरमिक फोटोग्राफी या छवि सिलाई के प्रभाव में समान है। एक योजक अलग है क्योंकि आसन्न चित्रों के बीच अतिव्यापी किनारों को हटाया नहीं जाता है; किनारा तस्वीर का हिस्सा बन जाता है। 'जॉइनर्स' या 'पैनोग्राफी' इस प्रकार एक प्रकार का फोटोमोंटेज और कोलाज का एक उप-सेट है।
इस तकनीक में कलाकार डेविड हॉकनी का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण योगदान है। मानवीय दृष्टि के साथ उनके आकर्षण के माध्यम से, उनकी कलाकृतियों में एक व्यक्तिपरक दृश्य प्रस्तुत करने के उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप समाधान के रूप में (अक्सर कई संपूर्ण) ३५ मिमी फिल्मों के १०×१५ सेमी हाई-स्ट्रीट-संसाधित प्रिंटों का मैनुअल असेंबलिंग हुआ। उन्होंने परिणामी कट-एंड-पेस्ट मोंटाज को "जॉइनर्स" कहा, और उनका सबसे प्रसिद्ध "पियरब्लॉसम हाइवे" है, जिसे गेटी म्यूजियम द्वारा आयोजित किया जाता है। उनके समूह को "हॉकनी जॉइनर्स" कहा जाता था, और वे आज भी जॉइनर्स को पेंट और फोटोग्राफ करते हैं।
जान डिबेट्स की डच माउंटेन सीरीज़ (१९७१ के आसपास) नीदरलैंड के समुद्र के किनारे का पहाड़ बनाने के लिए पैनोरमिक दृश्यों की सिलाई पर निर्भर करती है।
पुनरुत्थानवादी
१९७० और १९८० के दशक में कला फोटोग्राफरों के एक स्कूल ने पैनोरमिक फोटोग्राफी की, नए कैमरों का आविष्कार किया और प्रारूप को पुनर्जीवित करने के लिए पाए गए और अपडेट किए गए एंटीक कैमरों का उपयोग किया। नए पैनोरमिस्टों में केनेथ स्नेलसन, डेविड एविसन, आर्ट सिनसाबाग और जिम अलिंदर शामिल थे।
डिजिटल सिलाई
एंड्रियास गुर्स्की अक्सर अपने बड़े प्रारूप वाले पैनोरमिक इमेजरी में डिजिटल सिलाई का उपयोग करते हैं।
संदर्भ
अग्रिम पठन
बाहरी संबंध
A timeline of panoramic cameras १८४३–१९९४
Stanford University CS १७८ interactive Flash demo e×plaining the construction of cylindrical panoramas.
How to build a panoramic camera with intricate technical details and optical specifications for constructing a swing-lens panoramic camera.
A home-made panoramic head bracket for taking panoramic photographs.
IVRPA - The International VR Photography Association
Pages with unreviewed translations |
लेख: सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही है, जिसके तहत विशाल नकदी भंडार वाली नौ सरकारी कम्पनियां आर्थिक तेजी लाने के लिए चरणबद्ध तरीके से आधारभूत संरचना परियोजनाओं में निवेश करेंगी।
आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) के सचिव अरविंद मायाराम ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम बुधवार को सरकारी कम्पनियों के अध्यक्षों और प्रबंध निदेशकों से मिलेंगे और कम्पनी के निवेश की आखिरी समय सीमा तय करेंगे।टिप्पणियां
मायाराम ने कहा, "चुनी हुई सरकारी कम्पनियों के पास 1.8 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। चुनी हुई परियोजनाओं को समय बद्ध ढंग से कार्यान्वित करने के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने लाया जाएगा।"
वह यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति को सम्बोधित कर रहे थे।
आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) के सचिव अरविंद मायाराम ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम बुधवार को सरकारी कम्पनियों के अध्यक्षों और प्रबंध निदेशकों से मिलेंगे और कम्पनी के निवेश की आखिरी समय सीमा तय करेंगे।टिप्पणियां
मायाराम ने कहा, "चुनी हुई सरकारी कम्पनियों के पास 1.8 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। चुनी हुई परियोजनाओं को समय बद्ध ढंग से कार्यान्वित करने के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने लाया जाएगा।"
वह यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति को सम्बोधित कर रहे थे।
मायाराम ने कहा, "चुनी हुई सरकारी कम्पनियों के पास 1.8 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। चुनी हुई परियोजनाओं को समय बद्ध ढंग से कार्यान्वित करने के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने लाया जाएगा।"
वह यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति को सम्बोधित कर रहे थे।
वह यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति को सम्बोधित कर रहे थे। |
Showed my mom this #Zero teaser who is currently fighting with cancer...And the way she smiled seeing SRK SALMAN dance made my day
Thank u @iamsrk sir#ZeroCelebratesEid#Zero
— Yash Upadhyay (@yash_srkian) June 14, 2018
Thank u @iamsrk sir#ZeroCelebratesEid#Zero
Tell her to keep smiling. I will pray for her recovery fast. https://t.co/lM2Rw1Mkv8 |
यह लेख है: एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा है कि अमेरिका में आर्थिक पुनरुद्धार की धीमी गति के मद्देनजर यूरोप में वित्तीय संकट गहरा सकता है। इस लिहाज से यह साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होगा लेकिन एशियाई देशों को समस्याओं से स्वयं को बचाने के लिए दीर्घकालीन ढांचागत सुधार जारी रखना होगा।टिप्पणियां
एडीबी के अध्यक्ष हारूहिको कुरोदा ने गवर्नर के सेमिनार में कहा, ‘‘एशियाई देशों को झटकों से निपटने के लिए वृहत आर्थिक तत्वों को निरंतर मजबूत बनाना होगा, साथ ही हमें क्षेत्र के दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के कल्याण को आगे बढ़ाने तथा गरीबी कम करने के लिए अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार प्रमुख चुनौती है।’’ सेमिनार में पेश एडीबी रिपोर्ट के अनुसार यूरोप में वित्तीय संकट बढ़ने की आशंका तथा अमेरिका में आर्थिक पुनरुद्धार को लेकर चिंता बनी हुई है। इसे देखते हुए यह साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों की समस्याओं को देखते हुए एशिया में सतत तथा युक्तिसंगत वृद्धि के लिये क्षेत्र को अपने वृद्धि माडल में सुधार करते रहना होगा। ‘वैश्विक आर्थिक संकट एवं रूपांतरण की स्थिति में एशिया की प्रतिक्रिया कैसी हो?’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक संकट एशिया को नींद से जगाने वाला है और नीति निर्माताओं को मौजूदा वैश्विक संकट तथा कुल मिलाकर ढांचागत सुधार के मद्देनजर स्वयं को वाह्य संकट से बचाने के लिए उपाय करने होंगे।
एडीबी के अध्यक्ष हारूहिको कुरोदा ने गवर्नर के सेमिनार में कहा, ‘‘एशियाई देशों को झटकों से निपटने के लिए वृहत आर्थिक तत्वों को निरंतर मजबूत बनाना होगा, साथ ही हमें क्षेत्र के दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के कल्याण को आगे बढ़ाने तथा गरीबी कम करने के लिए अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार प्रमुख चुनौती है।’’ सेमिनार में पेश एडीबी रिपोर्ट के अनुसार यूरोप में वित्तीय संकट बढ़ने की आशंका तथा अमेरिका में आर्थिक पुनरुद्धार को लेकर चिंता बनी हुई है। इसे देखते हुए यह साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों की समस्याओं को देखते हुए एशिया में सतत तथा युक्तिसंगत वृद्धि के लिये क्षेत्र को अपने वृद्धि माडल में सुधार करते रहना होगा। ‘वैश्विक आर्थिक संकट एवं रूपांतरण की स्थिति में एशिया की प्रतिक्रिया कैसी हो?’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक संकट एशिया को नींद से जगाने वाला है और नीति निर्माताओं को मौजूदा वैश्विक संकट तथा कुल मिलाकर ढांचागत सुधार के मद्देनजर स्वयं को वाह्य संकट से बचाने के लिए उपाय करने होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों की समस्याओं को देखते हुए एशिया में सतत तथा युक्तिसंगत वृद्धि के लिये क्षेत्र को अपने वृद्धि माडल में सुधार करते रहना होगा। ‘वैश्विक आर्थिक संकट एवं रूपांतरण की स्थिति में एशिया की प्रतिक्रिया कैसी हो?’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक संकट एशिया को नींद से जगाने वाला है और नीति निर्माताओं को मौजूदा वैश्विक संकट तथा कुल मिलाकर ढांचागत सुधार के मद्देनजर स्वयं को वाह्य संकट से बचाने के लिए उपाय करने होंगे। |
लेख: घरेलू शेयर बाजारों ने कारोबारी सप्ताह के दूसरे दिन जबरदस्त तेजी दिखाई. विदेशी बाजारों से मिल रहे संकेतों के चलते नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स अभूतपूर्व तरीके से ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया. निफ्टी ने पहली बार 9300 का स्तर छुआ जबकि सेंसेक्स 250 से अधिक अंक उछल गया. सेंसेक्स करीब 30000 के स्तर के करीब पहुंच गया. वहीं रुपये में भी जबरदस्त मजबूती देखी गई. रिलायंस इंडस्ट्रीज और अन्य बड़ी कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों का भी निफ्टी पर असर रहा.टिप्पणियां
एफएमसीजी, ऑटो, बैंकिंग, फार्मा, रियल्टी, कैपिटल गुड्स, और पावर शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी मजबूती देखी जा रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.9 फीसदी तक मजबूत हुआ है जबकि निफ्टी के मिडकैप 100 इंडेक्स में 0.7 फीसदी की तेजी देखने को मिल रही है. वहीं, बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी तक बढ़ा है.
प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.51 बजे 168.60 अंकों की बढ़त के साथ 29,824.44 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 45.80 अंकों की मजबूती के साथ 9,263.75 पर कारोबार करते देखे गए. बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 169.3 अंकों की बढ़त के साथ 29,825.14 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 55.1 अंकों की बढ़त के साथ 9,273.05 पर खुला था.
एफएमसीजी, ऑटो, बैंकिंग, फार्मा, रियल्टी, कैपिटल गुड्स, और पावर शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी मजबूती देखी जा रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.9 फीसदी तक मजबूत हुआ है जबकि निफ्टी के मिडकैप 100 इंडेक्स में 0.7 फीसदी की तेजी देखने को मिल रही है. वहीं, बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी तक बढ़ा है.
प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.51 बजे 168.60 अंकों की बढ़त के साथ 29,824.44 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 45.80 अंकों की मजबूती के साथ 9,263.75 पर कारोबार करते देखे गए. बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 169.3 अंकों की बढ़त के साथ 29,825.14 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 55.1 अंकों की बढ़त के साथ 9,273.05 पर खुला था.
प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.51 बजे 168.60 अंकों की बढ़त के साथ 29,824.44 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 45.80 अंकों की मजबूती के साथ 9,263.75 पर कारोबार करते देखे गए. बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 169.3 अंकों की बढ़त के साथ 29,825.14 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 55.1 अंकों की बढ़त के साथ 9,273.05 पर खुला था. |
वेनेजुएला के कार्यकारी राष्ट्रपति निकोलस मदुरो ने रविवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में मामूली अंतर से जीत दर्ज कराई है।
आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक उन्हें चुनाव में 50.66 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं। लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी हेनरिक कैप्रिलेस ने इस चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर दिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (सीएनई) की अध्यक्ष तिबिसे लुसेना ने कहा कि 99.2 फीसदी मतों की हुई गिनती में मदुरो ने कैप्रिलेस को दो फीसदी के भी कम अंतर से पराजित किया है। कैप्रिलेस को 49.07 फीसदी मत मिले हैं।
लुसेना के मुताबिक अन्य उम्मीदवारों को 0.26 फीसदी मत मिले और कुल 78.71 फीसदी मतदान हुआ था।
लुसेना ने कहा, "कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के मद्देनजर हमने सभी उम्मीदवारों से बात की है।" उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम को बदला नहीं जा सकता है।
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक उन्हें चुनाव में 50.66 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं। लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी हेनरिक कैप्रिलेस ने इस चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर दिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (सीएनई) की अध्यक्ष तिबिसे लुसेना ने कहा कि 99.2 फीसदी मतों की हुई गिनती में मदुरो ने कैप्रिलेस को दो फीसदी के भी कम अंतर से पराजित किया है। कैप्रिलेस को 49.07 फीसदी मत मिले हैं।
लुसेना के मुताबिक अन्य उम्मीदवारों को 0.26 फीसदी मत मिले और कुल 78.71 फीसदी मतदान हुआ था।
लुसेना ने कहा, "कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के मद्देनजर हमने सभी उम्मीदवारों से बात की है।" उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम को बदला नहीं जा सकता है।
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (सीएनई) की अध्यक्ष तिबिसे लुसेना ने कहा कि 99.2 फीसदी मतों की हुई गिनती में मदुरो ने कैप्रिलेस को दो फीसदी के भी कम अंतर से पराजित किया है। कैप्रिलेस को 49.07 फीसदी मत मिले हैं।
लुसेना के मुताबिक अन्य उम्मीदवारों को 0.26 फीसदी मत मिले और कुल 78.71 फीसदी मतदान हुआ था।
लुसेना ने कहा, "कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के मद्देनजर हमने सभी उम्मीदवारों से बात की है।" उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम को बदला नहीं जा सकता है।
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
लुसेना के मुताबिक अन्य उम्मीदवारों को 0.26 फीसदी मत मिले और कुल 78.71 फीसदी मतदान हुआ था।
लुसेना ने कहा, "कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के मद्देनजर हमने सभी उम्मीदवारों से बात की है।" उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम को बदला नहीं जा सकता है।
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
लुसेना ने कहा, "कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के मद्देनजर हमने सभी उम्मीदवारों से बात की है।" उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम को बदला नहीं जा सकता है।
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कम अंतर रहने के मद्देनजर सीएनई के विपक्षी रेक्टर विसेंटे डायज ने मतगणना की छानबीन कराने की मांग की है।
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
जीत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए मदुरो ने कहा कि वह मतगणना की छानबीन के लिए तैयार हैं, और इसके साथ ही उन्होंने शांति की अपील की। उन्होंने कहा, "हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं। विपक्ष परीक्षण चाहता है। हम इसका स्वागत करते हैं। मैं एनईसी से इस छानबीन के लिए औपचारिक अनुरोध करता हूं।" मतगणना के बाद उन्होंने कैप्रिलेस से फोन पर बात भी की है।
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
सत्तारूढ़ यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मदुरो, दिवंगत राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के छह वर्ष के कार्यकाल के बाकी बचे हिस्से को पूरा करेंगे। शावेज का कार्यकाल जनवरी से शुरू हुआ था।
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
इस चुनाव परिणाम ने कइयों को चकित कर दिया है, क्योंकि चुनाव पूर्व कराए गए सर्वेक्षण में मदुरो को कैप्रिलेस पर लगभग 10 बिंदु आगे बताया गया था। लेकिन, क्रैप्रिलेस ने चुनाव परिणाम को स्वीकारने से इंकार करते हुए दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग की है।टिप्पणियां
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
कैप्रिलेस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जबतक दोबारा मतगणना नहीं कराई जाती, तबतक विपक्ष चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "मैं झूठ और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करता।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।"
कैप्रिलेस ने कहा, "हम कई राज्यों में जीते हैं। सरकार पराजित हुई है। हमारे दिलों में हमारे लोगों की जीत की जो भावनाएं भरी हैं, वे देर-सबेर वास्तविकता में तब्दील होकर रहेगी।" |
गुटूर गु भारतीय उपग्रह टेलीविजन चैनल सब टीवी पर प्रसारित एक मूक कॉमेडी है, जो बीपी सिंह द्वारा निर्मित और प्रबल बरुआ द्वारा निर्देशित है। यह भारत की पहली मूक कॉमेडी श्रृंखला भी थी। इसके कलाकारों में शीतल मौलिक और सुनील ग्रोवर के साथ नयन भट्ट, भावना बलसावर, जयदत्त व्यास और केके गोस्वामी शामिल हैं। शो के कास्ट मेंबर्स स्क्रीन पर बात नहीं करते हैं।
सारांश
पहला सीज़न बालू का अनुसरण करता है जो अपनी पत्नी, माता-पिता और अपनी दादी के साथ रहता है। एपिसोड में घटनाओं और भ्रमों की एक श्रृंखला होती है जो बालू बनाता है।
दूसरा सीजन मुंबई में रहने वाले एक पंजाबी परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है।
तीसरा सीज़न बालू का अनुसरण करता है जो अपनी पत्नी, माता-पिता और पप्पू महाराज के साथ रहता है। एपिसोड में घटनाओं और भ्रमों की एक श्रृंखला होती है जो बालू बनाता है।
चौथे सीज़न के बाद बकुलेश शाह अपनी पत्नी, माता-पिता, बहन और उनके रसोइया केके जोशी के साथ रहते हैं। एपिसोड में घटनाओं और भ्रमों की एक श्रृंखला है जो बकुल बनाता है।
कलाकार
सीजन वन
सुनील ग्रोवर / कुणाल कुमार बालू कुमार के रूप में (2010-2012)
शीतल मौलिक स्मिता बालू कुमार के रूप में (2010-2012)
दादी के रूप में नयन भट्ट (2010-2012)
भावना बलसावर बबीता जय कुमार के रूप में (2010-2012)
जयदत्त व्यास जय कुमार के रूप में (2010-2012)
पप्पू महाराज के रूप में केके गोस्वामी (2010-2012)
दयानंद शेट्टी हरप्रीत सिंह के रूप में (2010-2012)
चीकू के रूप में जय ठक्कर (2010-2012)
सीज़न दो
जयदत्त व्यास / जगत रावत जय आहूजा के रूप में (2012-2013)
भावना जय आहूजा के रूप में भावना बलसावर (2012-2012)
राहुल लोहानी राहुल आहूजा के रूप में (2012-2013)
अनीता राहुल आहूजा के रूप में अनीता हसनंदानी (2012-2013)
श्याम माशालकर श्याम आहूजा के रूप में (2012-2013)
भैरवी श्याम आहूजा के रूप में भैरवी रायचूरा (2012-2013)
केके गोस्वामी केके के रूप में (2012-2013)
दयानंद शेट्टी के रूप में दया सिंह (2012-2013)
फिट फैट शूज के दुकानदार के रूप में विजय पाटकर
कुशल पंजाबी डांसर के रूप में
एक अपराधी के रूप में अतुल परचुरे
सीज़न तीन
कुणाल कुमार बालू कुमार के रूप में (2014)
शीतल मौलिक स्मिता बालू कुमार के रूप में (2014)
जयदत्त व्यास जय कुमार के रूप में (2014)
भावना बलसावर बबीता जय कुमार के रूप में (2014)
पप्पू महाराज के रूप में केके गोस्वामी (2014)
दयानंद शेट्टी बुली नेबर के रूप में (2014)
चीकू के रूप में जय ठक्कर (2014)
संदर्भ
बाहरी संबंध
गुटूर गु सीजन 2 की आधिकारिक वेबसाइट
सब टीवी के कार्यक्रम
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
Pages with unreviewed translations
भारतीय हास्य टेलीविजन कार्यक्रम |
अज्ञात बदमाशों ने सोमवार सुबह एमपी नगर स्थित आईसीआईसीआई के बैंक के एटीएम में तोड़फोड़ कर लगभग आठ लाख रुपये लूट लिये.
पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार सुबह सूचना मिली थी कि अज्ञात बदमाशों द्वारा संस्कृति संचालनालय के पास आईसीआईसीआई के एटीएम में तोड़फोड़ की गयी है. पुलिस जब वहां पहुंची तो एटीएम तहस नहस पड़ा हुआ था.
बैंक अधिकारियों ने पुलिस को बताया कि तड़के बदमाशों ने एटीएम में तोड़फोड़ की और उसमें रखे हुए लगभग आठ लाख रुपये लूट लिये.
सूत्रों के अनुसार उक्त एटीएम पर गार्ड तैनात नहीं था जिसके कारण बदमाशों ने आसानी से वारदात को अंजाम दिया. पुलिस मामला दर्ज कर मामले की जांच कर रही है. |
स्वयंसेवी पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस ने रविवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन पर 196 देशों का साथ आना, मानवजाति का एक साझा मामले में एक साथ आना है. लेकिन, साथ ही चेताया भी कि अभी भी ऐसी कई बड़ी खाली जगहें हैं जिन्हें भरे जाने की जरूरत है.
ग्रीनपीस के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी निदेशक कुमी नायडू ने एक बयान में कहा, 'मानवजाति आज एक साझा मामले में एक साथ आई है. लेकिन, यही वह बात है जिसका सम्मेलन के समापन के बाद कोई अर्थ है.
पेरिस समझौता
एक लंबी यात्रा पर एक कदम भर है और इसके ऐसे हिस्से हैं जो मुझे परेशान और निराश कर रहे हैं, लेकिन फिर भी यह आगे बढ़ना है.'
उन्होंने कहा कि यह करार अपने आप हमें उस गड्ढे से बाहर नहीं निकालेगा जिसमें हम फंसे हैं. लेकिन, इसकी वजह से गड्ढे के किनारे की ऊंचाई कम हुई है.
पेरिस में संयुक्त राष्ट्र
जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन
में शनिवार शाम पेश समझौते के प्रारूप को 196 देशों के प्रतिनिधियों ने स्वीकार कर लिया. जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया के इस पहले सार्वभौमिक समझौते का उद्देश्य धरती के बढ़ते तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है. विकासशील देशों की मदद के लिए 100 अरब डालर के हरित कोष बनाने की कार्ययोजना भी बनी है.
नायडू ने कहा, 'समझौता बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री तक लाने का लक्ष्य दे रहा है लेकिन वार्ता में उत्सर्जन का लक्ष्य 3 डिग्री तक जा रहा है. यह एक बड़ी समस्या है, लेकिन फिर भी एक समाधान हुआ है.'
नायडू ने कहा कि पेरिस करार में केवल अक्षय ऊर्जा का जिक्र है. इस करार में कई बड़ी खाली जगहें लेकिन इसे स्वच्छ ऊर्जा से भरा जा सकता है.
उन्होंने कहा, 'अक्षय ऊर्जा और बढ़ते तापमान के बीच हम दौड़ में फंसे हैं. पेरिस समझौता अक्षय ऊर्जा को बड़ी बढ़त दे सकता है. पर्यावरण पर कार्रवाई का चक्का देरी से घूमता है लेकिन पेरिस में यह घूमा.'
नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अब तक हुई मौतों के कारण यह समय जश्न मनाने का नहीं है. यह समय अविलंब कार्रवाई का है.
उन्होंने कहा, 'सरकारें अपने अल्पकालिक लक्ष्यों को फिर से तय करें, अक्षय ऊर्जा पर तेजी से काम करें, जीवाश्म ईंधन को समर्थन देना तुरंत बंद करें और 2020 तक वनों की कटाई को पूरी तरह से रोक दें.'
ग्रीनपीस ने भारत के सौर ऊर्जा गठबंधन और अफ्रीका की अक्षय ऊर्जा जैसी पहलों का स्वागत किया है.
इनपुट- IANS |
सनग्लासेज पहनना हमेशा से ट्रेंडी माना जाता है. कुछ लोग क्लासी दिखने के लिए पहनते हैं, तो कुछ लोग अपनी आंखों को सुरक्षा देने के लिए. हालांकि इन्हें लेकर कुछ मिथ भी प्रचलित हैं लेकिन अगर आप अपने आंखों की सुरक्षा करने चाहते हैं तो इन मिथ्स पर ध्यान ना देना ही उचित है.
1. महंगे शेड्स ही अच्छे होते हैं:
शेड्स खरीदते वक्त कीमत देखने के अलावा आपको यह भी देखना चाहिए कि शेड्स UVA और UVB किरणों से आपकी आंखों को पूरी सुरक्षा दे रहे हैं या नहीं.
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2. लेंस का रंग मायने रखता है:
आपके लेंस का रंग चाहे ग्रे हो, ब्लू हो या कुछ भी हो. रंग UV प्रोटेक्शन फैक्टर पर कोई असर नहीं डालता.
3. स्क्रेच सही हैं:
ऐसा नहीं है. अगर आपके शेड्स में स्क्रेच है तो आप देखने के लिए अपनी आंखों पर ज्यादा जोर देते हैं. ऐसा करने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
4. साइज से फर्क नहीं पड़ता:
अगर आपको लगता है कि साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो आप गलत हैं. एक्सपर्ट्स की माने तो, बड़े लेन्स वाले शेड्स अच्छे होते हैं क्योंकि वो रोशनी को आपकी आंखों में जाने नहीं देते.
5. सारे सनग्लासेज एंटी-ग्लेयर होते हैं:
जिन चश्मों में पोलराइज्ड लेंस होता है, सिर्फ वहीं एंटी-ग्लेयर होते हैं.
दोपहर में सोने की आदत है तो जरा ध्यान दें!
6. लो-क्वालिटी के शेड्स भी ठीक होते हैं:
यह सही है कि हम सब पैसे बचाना चाहते हैं, लेकिन जब बात सनग्लासेज की आती है तब अच्छी क्वालिटी के शेड्स खरीदना ही सही होता है.
7. डार्क लेंस ज्यादा सुरक्षा करते हैं:
लेंस के कलर का सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता. |
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पर्चा लीक मामले में आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से पूछताछ कराने की मांग की है.
सुशील मोदी का ट्वीट
मोदी ने ट्विटर पर लिखा- " क्या यह सिर्फ संयोग है कि जिस BSSC का पर्चा लीक करने में 200 करोड़ का घोटाला हुआ, उसका दफ्तर उसी वेटनरी कालेज कैम्पस में है, जहां लालू के राज में 900 करोड़ रुपये का चारा घोटाला हुआ था?"
क्या यह सिर्फ संयोग है कि जिस BSSC का पर्चा लीक करने में 200 करोड़ का घोटाला हुआ, उसका दफ्तर उसी वेटनरी कालेज कैम्पस में है, जहां लालू...
pic.twitter.com/hBxozGoOL9
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi)
February 12, 2017
चारा घोटाले से लिंक
सुशील मोदी ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में गठित एसआईटी को लालू प्रसाद से पूछताछ का आदेश दे सकते हैं? सुशील मोदी ने याद दिलाया कि आय से अधिक सम्पति के मामले में लालू की जमानत लेने वाला एक शख्स पर्चा लीक घोटाले में अभियुक्त है.
रामशीष राय नाम के इस व्यक्ति ने लालू की जमानत के बॉन्ड पर हस्ताक्षर किये थे. वो एवीएन नाम का पब्लिक स्कूल चलाता था जिसकी मान्यता 2 साल पहले ही रद्द हो गई थी. एसआईटी के मुताबिक इसके बावजूद बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा का सेंटर वहां रखा गया था। एसआईटी का ये भी मानना है कि रामाशीष ही पर्चा लीक करने का प्रमुख सूत्रधार है और उसी के स्कूल से पर्चा लीक कराया गया.
पेपर लीक कांड में 6 और गिरफ्तार
वहीं पेपर लीक कांड में रविवार को एसआईटी को एक बड़ी कामयाबी मिली. एसआईटी ने इस मामले में 6 और आरोपियों को गिरफ्तार किया. पटना के एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि सचिवालय सहायक, डाटा इंट्री आँपरेटर, शिक्षक समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों से कई अहम सुराग मिले हैं, उनके पास से कई कागजात बरामद हुए हैं.
गिरफ्तार आरोपियों में ओम प्रकाश गुप्ता जो कि बिहार विकास मिशन में डेटा ऑपरेटर के पद पर तैनात हैं. उसे पटना के अशोक नगर से गिरफ्तार किया गया. साथ ही पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने वाले ऋषिदेव सिंह, महेन्द्रु के निवासी दिनेश कुमार यादव, शीलभ्रद जल संसाधन विभाग में सहायक के पद पर है. औरंगाबाद जिले के रहने वाले अटल बिहारी राय और पटना दीघा निवासी मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया गया है.
गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई छात्रों का एडमिट कार्ड, बड़ी संख्या में मुहर, एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं. अबतक इस मामले में 24 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. |
यह लेख है: कप्तान ने कहा, "मुझे अभी भी वह दिन याद है, जब वह 2005 में यहां जरदारी के साथ आई थीं और उन्होंने कुछ समय यहां बिताया था और ख्वाजा के दरबार में जियारत की थी। वह तीन बार यहां आई थीं और अंतिम बार 2005 में।" टिप्पणियां
कप्तान ने कहा, "उन्होंने दोनों देशों के बीच सौहाद्र्रपूर्ण व मैत्रीपूर्ण सम्बंधों के लिए प्रार्थना की थी।" एक अन्य खादिम के अनुसार, भुट्टो उस समय निर्वासित जीवन जी रही थीं और ऐसा लगा था कि वह पाकिस्तान लौटना चाहती थीं।
उम्र के 20वें वर्ष में चल रहे इस खादिम ने आईएएनएस से कहा, "मुझे उनकी वह बात याद है, जब उन्होंने कहा था कि वह अपने वतन लौटना चाहती हैं।" कप्तान को मदद करने वाले नातिक चिश्ती ने 27 दिसम्बर, 2007 में भुट्टो की हत्या पर शोक जताया। नातिक ने कहा, "यह दरगाह शांति व सद्भाव का प्रतीक है। सूफीवाद दो देशों की जनता के बीच पुल बन सकता है। यह नफरत की नहीं बल्कि सबसे प्रेम की बात करता है।"
कप्तान ने कहा, "उन्होंने दोनों देशों के बीच सौहाद्र्रपूर्ण व मैत्रीपूर्ण सम्बंधों के लिए प्रार्थना की थी।" एक अन्य खादिम के अनुसार, भुट्टो उस समय निर्वासित जीवन जी रही थीं और ऐसा लगा था कि वह पाकिस्तान लौटना चाहती थीं।
उम्र के 20वें वर्ष में चल रहे इस खादिम ने आईएएनएस से कहा, "मुझे उनकी वह बात याद है, जब उन्होंने कहा था कि वह अपने वतन लौटना चाहती हैं।" कप्तान को मदद करने वाले नातिक चिश्ती ने 27 दिसम्बर, 2007 में भुट्टो की हत्या पर शोक जताया। नातिक ने कहा, "यह दरगाह शांति व सद्भाव का प्रतीक है। सूफीवाद दो देशों की जनता के बीच पुल बन सकता है। यह नफरत की नहीं बल्कि सबसे प्रेम की बात करता है।"
उम्र के 20वें वर्ष में चल रहे इस खादिम ने आईएएनएस से कहा, "मुझे उनकी वह बात याद है, जब उन्होंने कहा था कि वह अपने वतन लौटना चाहती हैं।" कप्तान को मदद करने वाले नातिक चिश्ती ने 27 दिसम्बर, 2007 में भुट्टो की हत्या पर शोक जताया। नातिक ने कहा, "यह दरगाह शांति व सद्भाव का प्रतीक है। सूफीवाद दो देशों की जनता के बीच पुल बन सकता है। यह नफरत की नहीं बल्कि सबसे प्रेम की बात करता है।" |
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कहा कि रामायण और बौद्ध धर्म ऐसे दो पहलू हैं जो भारत और आसियान को जोड़ते हैं. इसीलिए उन्हें भारत आसियान स्मारक सम्मेलन में विशेष महत्व दिया गया है.
भारत आसियान यूथ अवॉडर्स में सुषमा ने कहा कि भारत और आसियान के बीच सदियों पुराने रिश्ते हैं. ये संबंध इतिहास, संस्कृति, वाणिज्य और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्र में फैले हुए हैं.
25 जनवरी से होगा आयोजित
भारत आसियान स्मारक सम्मेलन यहां 25 जनवरी से आयोजित होना है. उससे
पहले होने वाले
कार्यक्रमों में से एक भारत आसियान यूथ अवॉडर्स है. उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के विद्वान भारत को एक अहम अध्ययन केंद्र के तौर पर चुनते हैं, प्राचीन वक्त में वे नालंदा विश्वविद्यालय को चुनते थे.
रामायण और बौद्ध धर्म भारत और आसियान को जोड़ते हैं
सुषमा ने कहा, ‘रामायण और बौद्ध धर्म दो पहलू हैं जो
भारत और
आसियान को जोड़ते हैं. इसलिए हमने इन दोनों को स्मारक शिखर सम्मेलन के केंद्र में रखा है.’ |
पिछले 17 महीनों से हर महीने डीजल की कीमत 50 पैसे प्रति माह की दर से बढ़ रही है लेकिन अगले पांच महीनों में इसपर लगाम लगने वाला है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतों में गिरावट के मद्देनजर पेट्रोलियम कंपनियों का डीजल पर घाटा कम होकर 2.49 रुपये प्रति लीटर रह गया है. इराक में हिंसा के बीच जुलाई के पहले पखवाड़े में डीजल की उत्पादन लागत व बिक्री का अंतर दोगुना होकर 3.40 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया था.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब डीजल पर प्रति लीटर नुकसान 2.49 रुपये लीटर रह गया है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा डीजल कीमतों में शुरू की गई 50 पैसे प्रति माह की बढ़ोतरी को जारी रखा है. 1 जुलाई को डीजल के दाम 50 पैसे लीटर बढ़ाए गए थे.
जनवरी, 2013 में डीजल कीमतों में मासिक बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हुआ था. उस समय से अब तक 17 किस्तों में डीजल के दामों में 10.68 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है.
मई में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के समय डीजल पर प्रति लीटर नुकसान 4.41 रुपये प्रति लीटर था. |
यह लेख है: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच बात बनती दिख रही है। खबर है कि फडणवीस सरकार में शिवसेना के 10 मंत्री बनेंगे, जिनमें छह कैबिनेट और चार राज्यमंत्री होंगे। इससे पहले, शिवसेना ने बीजेपी को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि बीजेपी विश्वास मत से पहले गठबंधन पर फैसला कर ले।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के शपथ ग्रहण समारोह में खासी मान मनौव्वल के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक शपथग्रहण के बाद शिवसेना ने बीजेपी को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि बीजेपी विश्वास मत से पहले गठबंधन पर फैसला कर ले।
शिवसेना ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती है तो सदन में विश्वास मत के दौरान वह बीजेपी के खिलाफ वोट करेगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बीजेपी सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए 15 दिनों का समय दिया है, जो कि 15 नवंबर को खत्म हो रहा है। |
बोरॉन (Boron) एक रासायनिक तत्व है। प्रकृति में इस तत्व का निर्माण ब्रह्माण्ड किरणों (कोस्मिक किरणों) द्वारा किसी वस्तु पर हुए प्रहारों से होता है, न की तारों में तारकीय नाभिकीय संश्लेषण की प्रक्रिया में। इसलिये हमारे सौर मंडल में इसकी तादाद अन्य तत्वों की तुलना में कम है। दुनिया में यह अपने जल में घुलने वाले बोरेट (borate) खनिजों के रूप में अधिक मिलता है, जिसमें सुहागा (बोरैक्स) सबसे ज़्यादा जाना-माना है। पृथ्वी पर बोरॉन केवल अन्य तत्वों के साथ बने रासायनिक यौगिकों के रूप में ही मिलता है। शुद्ध रूप में बोरॉन तत्व पृथ्वी पर केवल उल्का गिरने से ही पहुंचता है और इस रूप में यह एक उपधातु है।
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इन्हें भी देखें
सुहागा
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बोरॉन
रासायनिक तत्व
उपधातुएँ
आहारीय खनिज
अपचायक
नाभिकीय संलयन ईन्धन
रासायनिक तत्वों का जीवविज्ञान और औषधशास्त्र |
1858 में माकोवस्की ने सेंट पीटर्सबर्ग में इंपीरियल एकेडमी ऑफ आर्ट्स में प्रवेश किया। 1860 से उन्होंने क्योरिंग ऑफ द ब्लाइंड (1860) और एजेंट्स ऑफ द फाल्स दिमित्री किल द सन ऑफ बोरिस गोडुनोव (1862) जैसी पेंटिंग्स के साथ अकादमी की प्रदर्शनियों में भाग लिया। 1863 में माकोवस्की और तेरह अन्य छात्रों ने अकादमी के बड़े स्वर्ण पदक की प्रतियोगिता में अकादमी द्वारा स्कैंडिनेवियाई पौराणिक कथाओं से विषयों की स्थापना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया; सभी ने औपचारिक डिप्लोमा के बिना अकादमी छोड़ दी। |
पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि अमेरिका शम्सी हवाई ठिकाना सरकार द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंदर खाली कर देगा। मलिक ने बुधवार को कहा, "हम आशा कर रहे हैं कि सरकार द्वारा निर्धारित समय के अंदर अमेरिका शम्सी हवाई ठिकाना खाली कर देगा।" 26 नवंबर के नाटो हमले में 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने हवाई ठिकाना खाली करने के लिए अमेरिका को 11 दिसबंर तक का समय दिया था। अमेरिका करीब एक दशक से इस ठिकाने का इस्तेमाल अफगानिस्तान में आतंकवाद निरोधी कार्रवाईयों के संचालन एवं पाकिस्तान के कबायली इलाकों में ड्रोन हमलों के लिए कर रहा था। मलिक ने कहा कि सरकार, विपक्षी दलों एवं पाकिस्तान की जनता द्वारा ड्रोन हमलों की निंदा की गई है। एजेंसी ने मंत्री के हवाले से बताया, "अमेरिका को पाकिस्तानी जनता की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए और ड्रोन हमलों को बंद करना चाहिए। क्योंकि यह लोगों की भावनाओं के विरुद्ध है।" अमेरिका ने रविवार को शम्सी हवाई ठिकाना खाली करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। |
कांग्रेस उपराष्ट्रपति पद के लिए एक बार फिर हामिद अंसारी को ही उम्मीदवार बना सकती है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, ऐसा करके वह अल्पसंख्यक समुदाय में 'सही संदेश' भेजना चाहती है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान आठ अगस्त को होना है। भाजपा ने हालांकि इस पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने की बात कही है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी।
उपराष्ट्रपति पद के लिए अंसारी की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को इस बारे में जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा से चर्चा की।
जेडी (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा, "प्रधानमंत्री ने शनिवार को देवगौड़ा से हामिद अंसारी के नाम पर चर्चा की.. हमारी पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करती है।"
जेडी (एस) नेता के अनुसार, वैसे तो अंसारी को राष्ट्रपति पद के लिए ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाना चाहिए।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान आठ अगस्त को होना है। भाजपा ने हालांकि इस पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने की बात कही है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी।
उपराष्ट्रपति पद के लिए अंसारी की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को इस बारे में जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा से चर्चा की।
जेडी (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा, "प्रधानमंत्री ने शनिवार को देवगौड़ा से हामिद अंसारी के नाम पर चर्चा की.. हमारी पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करती है।"
जेडी (एस) नेता के अनुसार, वैसे तो अंसारी को राष्ट्रपति पद के लिए ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाना चाहिए।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए अंसारी की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को इस बारे में जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा से चर्चा की।
जेडी (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा, "प्रधानमंत्री ने शनिवार को देवगौड़ा से हामिद अंसारी के नाम पर चर्चा की.. हमारी पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करती है।"
जेडी (एस) नेता के अनुसार, वैसे तो अंसारी को राष्ट्रपति पद के लिए ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाना चाहिए।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
जेडी (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा, "प्रधानमंत्री ने शनिवार को देवगौड़ा से हामिद अंसारी के नाम पर चर्चा की.. हमारी पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करती है।"
जेडी (एस) नेता के अनुसार, वैसे तो अंसारी को राष्ट्रपति पद के लिए ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाना चाहिए।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
जेडी (एस) नेता के अनुसार, वैसे तो अंसारी को राष्ट्रपति पद के लिए ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाना चाहिए।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
अली ने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका मौजूदा कार्यकाल उम्दा रहा। वह प्रख्यात विद्वान भी हैं।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अंसारी का फिर से मनोनयन बुरा खयाल नहीं है।टिप्पणियां
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
इस बीच, भाजपा ने भी कहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह स्वाभाविक है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। हम इस बारे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे और इस बारे में निर्णय लेंगे।"
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है।
प्रसाद ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे पीए संगमा का समर्थन कर रही है। |
देश में नदियों के सूखने या मृतप्राय होते जाने पर खबर नहीं बनती. चुनावी घोषणापत्रों में अमूमन इनका जिक्र नहीं होता. बिहार को जल संसाधन में संपन्न माना जाता है और अतिवृष्टि ने बाजदफा लोगों को दिक् भी किया है. इस बार तो राज्य के उप-मुख्यमंत्री भी बेघर हो गए थे.
पर इसके बरअक्स एक कड़वी सचाई यह भी है कि एक समय में बिहार में लगभग 600 नदियों की धाराएं बहती थीं, लेकिन अब इनमें से अधिकतर या तो सूख चुकी हैं और अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच चुकी हैं. नदी विशेषज्ञों का कहना है कि नदी की इन धाराओं की वजह से न केवल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया था, बल्कि इससे क्षेत्र का भूजल भी रिचार्ज होता था, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ बिहार में ही लगभग 100 नदियां, जिनमें लखंदी, नून, बलान, कादने, सकरी, तिलैया, धाधर, छोटी बागमती, सौरा, फालगू आदि शामिल हैं, खत्म होने की कगार पर हैं.
पिछले नदीसूत्र में हमने सरस्वती का जिक्र किया था और आज आपको बता रहे हैं भविष्य की सरस्वती बनकर विलुप्त होने को अभिशप्त नदी सौरा का.
बिहार के भी पूरब में बसा है खूबसूरत शहर पूर्णिया, जो अब उतना खूबसूरत नहीं रहा. ब्रिटिश काल की छाप लिए इस शहर में एक नदी सौरा बहती थी. नदी बहती तो अब भी है, पर बीमार हो रही है. बहुत बीमार.
पूर्णिया में नदियों को बचाने के लिए अभियान चलाने वाले अखिलेश चंद्रा के मुताबिक, यह नदी लंदन की टेम्स की तरह थी, जो पूर्णिया शहर के बीचों-बीच से गुजरती थी, अब पूरी तरह सूख चुकी है और यहां अब शहर का कचरा डाला जा रहा है.
अखिलेश अपनी एक रिपोर्ट में लिखते हैं, कभी 'पुरैनियां' में एक सौम्य नदी बहती थी सौरा. कोसी की तरह इसकी केशराशि सामान्य दिनों में छितराती नहीं थी. जो 'जट' कभी अपनी 'जटिन' को मंगटिक्का देने का वादा कर 'पू-भर पुरैनियां' आते थे, उन्हें यह कमला नदी की तरह दिखती थी. जटिन जब अपनी कोख बचाने के लिए खुद पुरैनियां आती थी, तो गुहार लगाती थी, "हे सौरा माय, कनी हौले बहो...ननकिरबा बेमार छै...जट से भेंट के बेगरता छै...(हे सौरा माई, आहिस्ते बहिए. बच्चा बीमार है. जट से मुलाकात की सख्त जरूरत है)
...और दुख से कातर हो सौरा नदी शांत हो जाती थी.
अपने लेख में अखिलेश सौरा को 'जब्बर नदी' कहते हैं. जब्बर ऐसी कि कभी सूखती ही नहीं थी. पर बदलते वक्त ने, बदलती जरूरतों, इनसानी लालच और आदतों ने इसे दुबला बना दिया है. नदी का दाना-पानी बंद हो गया है. लोग सांस थामे इसे मरते देख रहे हैं. अखिलेश लिखते हैं, हमारी मजबूरी ऐसी है कि हम शोकगीत भी नहीं गा सकते!
असल में, बदलते भारत की एक विडंबना यह भी है कि हमने जिन भी प्रतीकों को मां का दर्जा दिया है, उन सबकी दुर्गति हो गई है. चाहे घर की बूढ़ी मां हो या गंगा, गाय और हां, पूर्णिया की सौरा नदी भी. इसे दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि हमें जिन प्रतीकों की दुर्गति करनी होती है, उसे हम मां का दर्जा दे देते हैं.
चंद्रा लिखते हैं कि पूर्णिया शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली सौरा नदी को सौर्य संस्कृति की संवाहक है. पर पिछले कुछ वर्षों से इस पर जमीन के कारोबारियों की काली नजर लग गई. नतीजतन, अनवरत कल-कल बहने वाली नदी की जगह पर कंक्रीट के जंगल फैल गए हैं.
एक समय था जब सौरा नदी में आकर पूर्णिया और आसपास के इलाकों में सैकड़ों धाराएं मिलती थीं और इसकी प्रवाह को ताकत देती थीं, लेकिन अब ऐसी धाराएं गिनती की रह गई हैं. इन धाराओं के पेटे में जगह-जगह पक्के के मकान खड़े कर दिए गए. नतीजतन सौरा की चौड़ाई कम होती जा रही है.
हालांकि सौरा बेहद सौम्य-सी दिखने वाली नदी है, पर इसका बहुत सांस्कृतिक महत्व है. इसके नामकरण को लेकर अब भी शोध किये जा रहे हैं. लेकिन, यह माना जाता है कि सूर्य से सौर्य और सौर्य से सौरा हुआ, जिसका तारतम्य जिले के पूर्वी अंतिम हिस्से से सटे सुरजापुर परगना से जुड़ा रहा है.
पूर्णिया-किशनगंज के बीच एक कस्बा है सुरजापुर, जो परगना के रूप में जाना जाता है. बायसी-अमौर के इलाके को छूता हुआ इसका हिस्सा अररिया सीमा में प्रवेश करता है. यह इलाका महाभारतकालीन माना जाता है, जहां विशाल सूर्य मंदिर का जिक्र आया है. पुरातत्व विभाग की एक रिपोर्ट में भी सौर्य संस्कृति के इतिहास की पुष्टि है. वैसे यही वह नदी है, जहां आज भी छठ महापर्व के मौके पर अर्घ देने वालों का बड़ा जमघट लगता है.
अररिया जिले के गिधवास के समीप से सौरा नदी अपना आकार लेना शुरू करती है. वहां से पतली-सी धारा के आकार में वह निकलती है और करीब 10 किलोमीटर तक उसी रूप में चलती है. श्रीनगर-जलालगढ़ का चिरकुटीघाट, बनैली-गढ़बनैली का धनखनिया घाट और कसबा-पूर्णिया का गेरुआ घाट होते हुए सौरा जब बाहर निकलती है, तो इसका आकार व्यापक हो जाता है और पूर्णिया के कप्तानपुल आते-आते इसका बड़ा स्वरूप दिखने लगता है.
यह नदी आगे जाकर कोसी में मिल जाती है. एक समय था, जब सौरा इस इलाके में सिंचाई का सशक्त माध्यम थी. मगर, बदलते दौर में न केवल इसके अस्तित्व पर संकट दिख रहा है, बल्कि इसकी महत्ता भी विलुप्त होती जा रही है.
नदी के आसपास के हिस्से पर आज कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं. पूर्णिया में सौरा नदी के पानी के सभी लिंक चैनल बंद हो गए. अंग्रेजों के समय सौरा नदी का पानी निकलने के लिए लाइन बाजार चौक से कप्तान पुल के बीच चार पुल बनाए गए थे. ऊपर से वाहन और नीचे से बरसात के समय सौरा का अतिरिक्त पानी निकलता चला जाता था. आज पुल यथावत है, पर उसके नीचे जहां नदी की धारा बहती थी, वहां इमारतें खड़ी हैं. इधर मूल नदी का आकार भी काफी छोटा हो गया है. नदी के किनारे से शहर सट गया है.
हालांकि सोशल मीडिया पर अब पूर्णियावासी सौरा को बचाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. फेसबुक पर सौरा नदी बचाओ अभियान नाम का एक पेज बनाया गया है और पूर्णिया शहर के नाम पर बने पेज पर भी लगातार सौरा के बारे में लिखा जा रहा है. स्थानीय अखबारों की मदद से सौरा से जुड़े अभियानों पर लगातार लिखा जा रहा है और जागरूकता भी फैलाई जा रही है. पर असली मसला तो भू-माफिया के चंगुल से सौरा को निकालना है. और उससे भी अधिक बड़ा दोष तो एक इंच और जमीन कब्जा कर लेने की हम सबकी बुनियादी लालची प्रवृत्ति की तरफ जाता है.
सौरा को संजीवनी देनेवाली धाराओं के मुंह बंद किए जा रहे हैं. ऐसे में लग तो यही रहा है कि अगली पीढ़ी सौरा को 'सरस्वती' के रूप में याद करेगी और उसके अस्तित्व की तलाश करेगी. दुख है कि पूर्णिया की सौरा नदी अगली सरस्वती बन रही है.
(मंजीत ठाकुर इंडिया टुडे के विशेष संवाददाता हैं)
*** |
यह लेख है: सबसे प्योर सोना 24 कैरेट (99.9 प्रतिशत शुद्ध) होता है. लेकिन इससे कभी भी जूलरी नहीं बनती. क्योंकि यह बहुत मुलायम होता है. सोने को अलग-अलग शेप में लाने के लिए सोने में मेटल मिक्स किया जाता है. इसीलिए बाज़ारों में 23, 22 और 18 जैसे कैरेट की जूलरी मिलती हैं. आप जूलरी पर लिखे हॉलमार्क से सोने के कैरेट को पहचान सकते हैं:
इसकी जानकारी आप भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) की वेबसाइट http://www.bis.org.in/cert/hallbiscert.htm पर जाकर भी देख सकते हैं.
कैरेट ÷ 24 × 100
मान लें आपकी जूलरी 22 कैरेट की है तो (22 ÷ 24 × 100) हुए 91.6, तो आपकी सोने की शुद्धता है 91.6 प्रतिशत बाकी 8.34 फीसदी उसमें धातु मिली हुई है. जो कि जूलरी को शेप में लाने के लिए जरूरी है.
10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 32,885 है और आप 22 कैरेट की जूलरी खरीद रहे हैं तो इसकी कीमत निकालने के लिए इस फॉर्मूला को देखें.
(जूलरी की कीमत × ग्राम में उसका वज़न + मेकिंग चार्जेज़ + 3 प्रतिशत GST) आप इस फॉर्मूल से जूलरी की सही कीमत निकाल सकते हैं.
10 ग्राम सोने की कीमत - 32,885 (इसे 10 से भाग देने पर 1 ग्राम की कीमत होगी 3,288 रुपये)
22 कैरेट यानी (9.16 सोने) की कीमत होगी = 3,288 × 9.16 = 30,118 रुपये
अब इसमें सुनार के मेकिंग चार्जेज़, 3 प्रतिशत GST को जोड़ें - मान लें मेकिंग चार्जेज़ है 10 प्रतिशत, तो 30,118 का दसवां हिस्सा हुआ 3,011 (30,118 + 3,011 = 33,129) अब इस कुल राशि का 3 प्रतिशत हुआ 993 रुपये. तो टोटल हुआ 34,122 रुपये.
इसीलिए हमेशा ध्यान रखें कि आप किस दाम में कौन-से कैरेट का सोना खरीद रहे हैं. क्योंकि कई बार 18 कैरेट की जूलरी 23 कैरेट के दामों में बेच कर आपके साथ धोखा किया जाता है. इसीलिए हॉलमार्क से जूलरी की गुणवत्ता पहचानें और पक्का बिल जरूर लें. |
आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना का वीडियो सामने आया है. वीडियो में दो लोग कबूतर को पटाखे वाले रॉकेट में बांधकर आग लगा देते हैं. घटना कोव्वुर की है, जहां प्रदेश कांग्रेस प्रमुख एन रघुवीर रेड्डी के स्वागत के लिए यह सब किया गया.
दरअसल, ये कार्यकर्ता अपने कांग्रेस प्रमुख को खुश करना चाहते थे. इसके लिए कार्यकर्ताओं ने कबूतर को रॉकेट के अंदर डालकर उसे कसकर बांधा. फिर जलती बीड़ी से रॉकेट जलाया और कबूतर रॉकेट के साथ आसमान में उड़ गया. हालांकि स्थानीय कांग्रेस ईकाई ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है.
केस दर्ज, पुलिस कर रही जांच
एनजीओ पीपुल फॉर एनिमल की शिकायत पर पुलिस ने पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत राज्य कांग्रेस ईकाई के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने कहा कि वीडियो फुटेज की जांच की जा रही है. आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
पुलिस का अजीबो-गरीब बयान
पुलिस ने कहा है कि दोनों कबूतर हवा में रॉकेट फटने के बाद उड़ गए होंगे. जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कबूतरों के चिथड़े-चिथड़े उड़ गए और यह सब रघुवीर रेड्डी समेत कांग्रेस के दूसरे नेताओं की मौजूदगी में हुआ. |
लॉ में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के लिए 1 जनवरी से आवेदन कर सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया 31 मार्च 2015 तक चलेगी.
इस बार से कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट का एग्जाम ऑनलाइन होगा और स्टूडेंट्स अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी एग्जाम दे सकेंगे. यह एग्जाम 10 मई 2015 को देश के 28 शहरों में आयोजित की जाएगी.
आपको बता दें कि 12वीं के बाद इंटिग्रेटेड एलएलबी और ग्रेजुएशन के बाद एलएलएम में एडमिशन के लिए ये सबसे बड़ा एंट्रेंस टेस्ट है. ये एंट्रेंस टेस्ट देश के 16 लॉ यूनिवर्सिटीज के अलावा दूसरे संस्थानों में दाखिले के लिए भी आयोजित की जाती है. इस बार एलएलएम की 350 सीटें और एलएलबी की करीब 1700 सीटें हैं.
CLAT ऑनलाइन का आयोजन इस बार लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया विधि विवि कराने जा रहा है. |
पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तोयबा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत और अमेरिका द्वारा तय की गई 48 घंटे की समय सीमा की बात से इनकार किया है. पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि कार्रवाई के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है और उसे किसी भी तरह का अल्टीमेटम नहीं दिया गया है.
गौरतलब है कि शनिवार को ही वाशिंगटन पोस्ट में खबर आई थी कि लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत और अमेरिका द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना पर 48 घंटे के भीतर अमल करने के लिए पाकिस्तान राजी हो गया है.
मुंबई में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने की बात शुरुआती जांच के बाद से ही कहता रहा है और अमेरिका ने भी कहा है कि मुंबई पर हमला करने वाले पाकिस्तानी नागरिक थे इसलिए पाकिस्तान को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए. अमेरिका ने शनिवार को पाकिस्तान से कहा था कि वह आतंकियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करे नहीं तो अमेरिका कार्रवाई करेगा. |
कालबेलिया,
इस वंश के संस्थापक गुरु कानिफनाथ जी है ! कालबेलिया दो शब्दों से मिलकर बना है ! काल + बेलिया काल स्वयं महाकाल बेलिया अर्थात उनका नंदी बैल ! उनके समान हेतु हीया कालबेलिया कानो में कुंडल
भुजाओं मे रुद्राक्ष और भंगवे वस्त्र धारण करते हैं जो की भगवान शिव का स्वरूप है !
सांप महादेव का परमभक्त है इसलिए कालबेलिया सांपो का पालन पोषण करते हैं! और सर्प दंश का उपचार करते हैं!
इसलिए कालबेलिया को सपेरा नाम से भी जाना जाता है ! जिस सांप से दुनिया खौफ खाती है उसे कालबेलिया अपनी बीन पे नचाते है!
कालबेलिया समाज का योगदान :-
आधुनिक चक्की के पहियों का निर्माण जिसे पहले घरटी कहा जाता था उसका सर्वप्रथम निर्माण इस समाज में किया गया था !
सांपों और जहरीले कीड़ों के उपचार हेतु सर्वप्रथम प्राकृतिक वनस्पति का निर्माण इस समाज की सबसे बड़ी देन है!
कालबेलिया नृत्य के माध्यम से भारत को विश्व में प्रसिद्धि उपलब्ध कराना गुलाबो सपेरा मोहिनी देवी कालूनाथ इसके उदाहरण है !
कालबेलिया समुदाय: कालबेलिया समाज अपने दान पुण्य के लिए प्रसिद्ध हैं... भूखों, नंगों को भोजन और कपड़ा देना इस समाज की खासियत हैं। कालबेलिया समाज के व्यक्ति 1 झुंड में रहते हैं, जिसे कबीला कहते है, कबीले के सभी सदस्य एक–दूसरे का बहुत मान सम्मान करते हैं। कबीले के मुखिया को सरदार कहा जाता है, जो इस पूरे समूह को एकता और अनुशासन में रखता हैं। ये लोग वन्य जीवों एवम् प्रकृति को अपनी धरोहर मानते हुए पूजा करते हैं और उनकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कबीले के रूप में संगठित रहने के कारण सभी सदस्य आपस में एक दूसरे का पूरा ख्याल रखते हैं और किसी भी तरह के विकार इनसे दूर रहते हैं साथ ही ये लोग हर खुशी गम को मिलकर उत्साह से 1 उत्सव की तरह मनाते हैं।
बहरूपिया समुदाय: ये समुदाय समाज से बहिष्कृत लोगों का संगठन हैं जो अपने मूल रूप में नहीं रहते अपितु भेष बदलकर, लोगों का मनोरंजन करने से प्राप्त हुई भिक्षा, दक्षिणा से अपना जीवनयापन करते हैं। ये समुदाय किसी को अपना मुखिया नहीं मानता, समुदाय का प्रत्येक सदस्य अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने के चक्कर में कही बार हंसी के पात्र बन जाते है, इस समुदाय का मुख्य पेशा चोरी, चुगली और अपनी बातों से पलटने में माहिर हैं, ये विश्वास पात्र नहीं हैं। इस समुदाय के लोग आपस में ही एक दूसरे से वैवाहिक संबंध भी बना लेते हैं, जिसकी वजह से ही ये समाज से बहिष्कृत हैं और इनके इन्हीं कृत्यों की वजह से ये हमेशा किसी न किसी विकार से ग्रस्त रहते हैं और इनके सम्पर्क में अधिक समय तक रहने वाला व्यक्ति भी उसी तरह के रोग से ग्रसित हो जाता है। { A intersting information about kalbeliyaa caste... kalbeliyaa caste ke log saapo ki achi jankari rakhte hai or inke paas unke jhr ka samadhan bhi hota hai or inko saap kat bhi nhi sakte kyuki inke paas unki dvai bhi hoti hai or ye jaat jangalo me rhna pasand kariti hai or nature se Inka lagav jada hota hai or inkeo apne kaam me bahari logo ka interfare acha nhi lagata ye log kai saalo se janvro ke karib rhne se unki SB jankari inko ho gyi hai }✓
कालबेलिया जनजाति
प्राचीन युग में यह जनजाति एक-जगह से दूसरी जगह घुमंतू जीवन व्यतीत करती थी। इनका पारंपरिक व्यवसाय साँप पकड़ना, साँप के विष का व्यापार और सर्प दंश का उपचार करना है। इसी कारण इस लोक नृत्य का स्वरूप और इसको प्रस्तुत करने वाले कलाकारों के परिधान में साँपों से जुड़ी चीज़ें झलकती हैं।
इन्हें सपेरा, सपेला जोगी या जागी भी कहा जाता है। यह अपनी उत्पत्ति को गुरु गोरखनाथ के १२वीं सदी के शिष्य कंलिप्र से जोड़ कर मानते हैं।
कालबेलिया जनजाति की सर्वाधिक आबादी राजस्थान के पाली जिले में है और इसके बाद क्रमशः अजमेर, चितौड़गढ़ और उदयपुर का स्थान आता है। ये एक खानाबदोश जीवन बिताते हैं और उन्हे अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है।
परंपरागत रूप से कालबेलिया पुरुष बेंत से बनी टोकरी में साँप (विशेष रूप से नाग) को बंद कर घर-घर घूमते थे और उनकी महिलाएँ नाच-गा कर भीख मांगती थी। यह नाग साँप का बहुत आदर करते हैं और उसकी हत्या को निषिद्ध मानते और बताते हैं। गांवों में अगर किसी घर में नाग/साँप निकलता है तो कालबेलिया को बुलाया जाता है और वे बिना उसे मारे पकड़ कर ले जाते है।
आम तौर पर कालबेलिया समाज से कटे-कटे रहतें हैं और इनके अस्थाई आवास, जिन्हें डेरा कहा जाता है, अक्सर गावों के बाहरी हिस्सों में बसे होते हैं। कालबेलिया अपने डेरा को एक वृताकर पथ पर बने गावों में बारी-बारी से लगाते रहतें हैं। पीढ़ियों से चले आ रहे इस क्रम के कारण इन्हे स्थानीय वनस्पति और जीव-जंतुओं की ख़ासी जानकारी हो जाती है। इसी ज्ञान के आधार पर वे कई तरह की व्याधियों के आयुर्वेदिक उपचार के भी जानकार हो जातें हैं, जो उनकी आमदनी का एक और वैकल्पिक ज़रिया हो जाता है।
१९७२ के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के पारित होने के बाद से कालबेलिया साँप पकड़ने के अपने परंपरागत पेशे से वंचित हो गये हैं। वर्तमान में कला प्रदर्शन उनकी आमदनी का प्रमुख साधन हो गया है और उन्हे इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिल रही है। फिर भी इसके प्रदर्शन के अवसर अत्यंत सीमित हैं और समुदाय के सभी सदस्य इसमे शामिल नहीं हो सकते, अतः इनकी आबादी का एक बड़ा भाग खेतों में काम करके और पशुपालन द्वारा आजीविका कमाता है।
कालबेलिया नृत्य
किसी भी आनंदप्रद अवसर पर किया जाने वाला कालबेलिया नृत्य इस जनजाति की संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह नृत्य और इस से जुड़े गीत इनकी जनजाति के लिए अत्यंत गौरव की विषय हैं। यह नृत्य संपेरो की एक प्रजाति द्वारा बदलते हुए सामाजिक-आर्थिक परस्थितियों के प्रति रचनात्मक अनुकूलन का एक शानदार उदाहरण है। यह राजस्थान के ग्रामीण परिवेश में इस जनजाति के स्थान की भी व्याख्या करता है।
प्रमुख नर्तक आम तौर पर महिलाएँ होती हैं जो काले घाघरे पहन कर साँप के गतिविधियों की नकल करते हुए नाचती और चक्कर मारती है। शरीर के उपरी भाग में पहने जाने वाला वस्त्र अंगरखा कहलाता है, सिर को ऊपर से ओढनी द्वारा ढँका जाता है और निचले भाग में एक लहंगा पहना जाता है।
यह सभी वस्त्र काले और लाल रंग के संयोजन से बने होते हैं और इन पर इस तरह की कशीदाकारी होती है कि जब नर्तक नृत्य की प्रस्तुति करते हैं तो यह दर्शकों के आँखो के साथ-साथ पूरे परिवेश को एक शांतिदायक अनुभव प्रदान करते हैं।
पुरुष सदस्य इस प्रदर्शन के संगीत पक्ष की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। वे नर्तकों के नृत्य प्रदर्शन में सहायता के लिए कई तरह के वाद्य यंत्र जैसे कि पुँगी (फूँक कर बजाया जाने वाला काठ से बना वाद्य यंत्र जिसे परंपरागत रूप से साँप को पकड़ने के लिए बजाया जाता है), डफली, खंजरी, मोरचंग, खुरालिओ और ढोलक आदि की सहायता से धुन तैयार करते हैं। नर्तकों के शरीर पर परंपरागत गोदना बना होता है और वे चाँदी के गहने तथा छोटे-छोटे शीशों और चाँदी के धागों की मीनकारी वाले परिधान पहनती हैं। प्रदर्शन जैसे-जैसे आगे बढ़ता है धुन तेज होती जाती है और साथ ही नर्तकों के नृत्य की थाप भी.
कालबेलिया नृत्य के गीत आम तौर पर लोककथा और पौराणिक कथाओं पर आधारित होते हैं और होली के अवसर पर विशेष नृत्य किया जाता है। कालबेलिया जनजाति प्रदर्शन के दौरान ही स्वतः स्फूर्त रूप से गीतों की रचना और अपने नृत्यों में इन गीतों के अनुसार बदलाव करने के लिए ख्यात हैं। ये गीत और नृत्य मौखिक प्रथा के अनुसार पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं और इनका ना तो कोई लिखित विधान है ना कोई प्रशिक्षण नियमावली। २०१० में यूनेस्को द्वारा कालबेलिया नृत्य को अमूर्त विरासत सूची में शामिल करने की घोषणा की गयी।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
कालबेलिया नृत्य पर थिरके दर्शक (जागरण)
राजस्थान के लोक नृत्य
राजस्थानी संस्कृति
भारत के लोक नृत्य |
मैक्कार्थी विराम चिह्नों का बहुत कम उपयोग करता है, यहाँ तक कि पॉलीसिंडेटन बनाने के लिए अधिकांश अल्पविरामों को "और" से बदल देता है; इसे "मैक्कार्थी के शब्दकोष में सबसे महत्वपूर्ण शब्द" कहा गया है। उन्होंने ओपरा विन्फ्रे से कहा कि वह "सरल घोषणात्मक वाक्य" पसंद करते हैं और वह किसी सूची को सेट करने के लिए बड़े अक्षरों, अवधियों, कभी-कभी अल्पविराम या कोलन का उपयोग करते हैं, लेकिन कभी भी अर्धविराम का उपयोग नहीं करते हैं, जिसे उन्होंने "मूर्खता" के रूप में लेबल किया है। वह संवाद के लिए उद्धरण चिह्नों का उपयोग नहीं करते हैं और मानते हैं कि "अजीब छोटे चिह्नों से पृष्ठ को ख़राब करने" का कोई कारण नहीं है। एरिक हेज ने नोट किया कि मैक्कार्थी के संवाद में अक्सर विशेषता का अभाव होता है, लेकिन "किसी तरह ... पाठक इस ओर उन्मुख रहता है कि कौन बोल रहा है।" विराम चिह्नों के प्रति उनका रवैया टेनेसी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के दौरान अंग्रेजी के एक प्रोफेसर के लिए किए गए कुछ संपादन कार्यों से जुड़ा है, जब उन्होंने संपादित की जा रही पुस्तक में अधिकांश विराम चिह्न हटा दिए, जिससे प्रोफेसर प्रसन्न हुए। मैक्कार्थी ने 1996 में हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में प्रकाशित साथी सांता फे इंस्टीट्यूट के फेलो डब्ल्यू. ब्रायन आर्थर के प्रभावशाली लेख "इंक्रीजिंग रिटर्न्स एंड द न्यू वर्ल्ड ऑफ बिजनेस" का संपादन किया, और पाठ से अल्पविराम हटा दिया। उन्होंने भौतिक विज्ञानी लॉरेंस एम. क्रॉस और लिसा रान्डेल के लिए कॉपी-संपादन का काम भी किया है। |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार करने वालों के साथ कोई मुरव्वत नहीं करने वाली है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 45 वरिष्ठ अधिकारियों को 'सरकारी कामकाज और जन-सेवा में असंतोषजनक प्रदर्शन' के कारण या तो हटा दिया है या उनकी पेंशन काट ली गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रणालीगत और नीति-नियंत्रित शासन चलाने पर ध्यान दे रही और राजकाज का ऐसा ढांचा चाहती है जो 'संवेदनशील, परदर्शी और जवाबदेह' हो।टिप्पणियां
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रणालीगत और नीति-नियंत्रित शासन चलाने पर ध्यान दे रही और राजकाज का ऐसा ढांचा चाहती है जो 'संवेदनशील, परदर्शी और जवाबदेह' हो।टिप्पणियां
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है। |
हाल ही में हुए रियो पैरालंपिक खेलों में शॉटपुट में सिल्वर पदक जीतने वाली दीपा मलिक ने विस्तारा एयरलाइंस के कर्मियों पर उनके साथ बदसलूकी करने का आरोप लगाया है. दीपा का आरोप है कि क्रू मेंबर ने उनसे धीरे बोलने को कहा, जब उन्होंने इसका विरोध किया तो वो एयर होस्टेस बोलीं स्वीटहार्ट, चिल.
दीपा के आरोप के फौरन बाद ही
एयरलाइन
ने माफीनामा जारी कर दिया. यह घटना बुधवार को हुई जब दीपा विस्तारा की मुंबई-दिल्ली उड़ान यूके 902 से सफर कर रही थीं. उन्होंने एयरलाइन से यह भी शिकायत की है कि एयरलाइन के कर्मचारी व्हील चेयर पर जाने वाले यात्रियों की सही से देखभाल नहीं करते. उन्हें व्हील चेयर पर आए पैसेंजर को सीट पर शिफ्ट करना तक नहीं आता. दीपा ने बताया कि उन्होंने अपनी मम्मी को फोन करके फ्लाइट के लेट हो जाने की खबर देने के लिए फोन मांगा, फोन देने की जगह वहां मौजूद स्टाफ में से एक लड़की ने उन्हें कहा 'स्वीटहार्ट, चिल.'
एयरलाइन को
दीपा
ने लिखित में शिकायत दी और फिर ट्वीट करके एयरलाइन से कहा कि वह कम से कम
विक्लांगों
का सम्मान करें। अपने ट्वीट में उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को भी टैग किया. इसके बाद विस्तारा ने दीपा से माफी मांगी और कहा कि वह मामले की जांच कर रही है. दीपा ने इसके बाद एयर विस्तारा को माफी मांगने और भविष्य में ऐसा नहीं होने देने का वादा करने के लिए शुक्रिया भी कहा. |
यह लेख है: भारत के विश्वनाथन आनंद फीडे रैंकिंग में काबिज दुनिया के शीर्ष 10 खिलाड़ियों में दूसरे सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं, लेकिन मौजूदा विश्व शतरंज चैम्पियन ने संन्यास लेने की किसी योजना से इनकार किया।टिप्पणियां
आनंद 42 वर्ष के हैं और इस साल मई में मॉस्को में बोरिस गेलफैंड के खिलाफ हाल में विश्व चैम्पियनशिप समेत पांच बार यह खिताब अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से अभी संन्यास के बारे में कोई विचार नहीं आया है। आनंद ने साक्षात्कार में संकेत दिया कि वह 2014 में भी अपना खिताब बरकरार रखना चाहते हैं, उन्होंने कहा, बल्कि मैं संन्यास के उलट सोच रहा हूं। हालांकि आनंद मौजूदा विश्व चैम्पियन हैं, लेकिन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन फीडे मौजूदा विश्व रेटिंग में शीर्ष पर हैं और वह उम्र में आनंद की उम्र से आधे 21 वर्ष के हैं। केवल यूक्रेन के वासिले इवानचुक ही आनंद से थोड़े बड़े हैं, जो विश्व रैंकिंग में इस समय नौवें स्थान पर हैं।
संन्यास की बात खारिज करते हुए आनंद ने पूछा, मैं कैसे अलविदा कह सकता हूं? आनंद पिछले दो दशक से शतरंज खेल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई कड़े प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया है, लेकिन भारत का महान शतरंज खिलाड़ी इस्राइल के बोरिस गेलफैंड को सभी वर्गों में सबसे मुश्किल प्रतिद्वंद्वी मानता है।
आनंद 42 वर्ष के हैं और इस साल मई में मॉस्को में बोरिस गेलफैंड के खिलाफ हाल में विश्व चैम्पियनशिप समेत पांच बार यह खिताब अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से अभी संन्यास के बारे में कोई विचार नहीं आया है। आनंद ने साक्षात्कार में संकेत दिया कि वह 2014 में भी अपना खिताब बरकरार रखना चाहते हैं, उन्होंने कहा, बल्कि मैं संन्यास के उलट सोच रहा हूं। हालांकि आनंद मौजूदा विश्व चैम्पियन हैं, लेकिन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन फीडे मौजूदा विश्व रेटिंग में शीर्ष पर हैं और वह उम्र में आनंद की उम्र से आधे 21 वर्ष के हैं। केवल यूक्रेन के वासिले इवानचुक ही आनंद से थोड़े बड़े हैं, जो विश्व रैंकिंग में इस समय नौवें स्थान पर हैं।
संन्यास की बात खारिज करते हुए आनंद ने पूछा, मैं कैसे अलविदा कह सकता हूं? आनंद पिछले दो दशक से शतरंज खेल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई कड़े प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया है, लेकिन भारत का महान शतरंज खिलाड़ी इस्राइल के बोरिस गेलफैंड को सभी वर्गों में सबसे मुश्किल प्रतिद्वंद्वी मानता है।
संन्यास की बात खारिज करते हुए आनंद ने पूछा, मैं कैसे अलविदा कह सकता हूं? आनंद पिछले दो दशक से शतरंज खेल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई कड़े प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया है, लेकिन भारत का महान शतरंज खिलाड़ी इस्राइल के बोरिस गेलफैंड को सभी वर्गों में सबसे मुश्किल प्रतिद्वंद्वी मानता है। |
यह एक लेख है: आपात मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उक्रेन की राजधानी कीव के पास एक छोटे विमान के उतरते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से पांच लोग मारे गए और 13 लोग घायल हो गए।टिप्पणियां
मंत्रालय के अनुसार यह दुर्घटना बोरोडयांका हवाई अड्डा पर उस वक्त हुई जब यह विमान भारी बारिश और आंधी के बीच उतरने की कोशिश कर रहा था।
यह विमान एक पायलट प्रशिक्षण संस्थान का था और इसमें चालक दल के दो सदस्यों के अलावा 16 ‘पैराशूट जंपर्स’ सवार थे। मामले की जांच की जा रही है।
मंत्रालय के अनुसार यह दुर्घटना बोरोडयांका हवाई अड्डा पर उस वक्त हुई जब यह विमान भारी बारिश और आंधी के बीच उतरने की कोशिश कर रहा था।
यह विमान एक पायलट प्रशिक्षण संस्थान का था और इसमें चालक दल के दो सदस्यों के अलावा 16 ‘पैराशूट जंपर्स’ सवार थे। मामले की जांच की जा रही है।
यह विमान एक पायलट प्रशिक्षण संस्थान का था और इसमें चालक दल के दो सदस्यों के अलावा 16 ‘पैराशूट जंपर्स’ सवार थे। मामले की जांच की जा रही है। |
सामाजिक संविदा (Social contract) कहने से प्रायः दो अर्थों का बोध होता है। प्रथमतः सामाजिक संविदा-विशेष, जिसके अनुसार प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले कुछ व्यक्तियों ने संगठित समाज में प्रविष्ट होने के लिए आपस में संविदा या ठहराव किया, अतः यह राज्य की उत्पत्ति का सिद्धांत है। दूसररे को सरकारी-संविदा कह सकते हैं। इस संविदा या ठहराव का राज्य की उत्पत्ति से कोई संबंध नहीं वरन् राज्य के अस्तित्व की पूर्व कल्पना कर यह उन मान्यताओं का विवेचन करता है जिन पर उस राज्य का शासन प्रबंध चले।
ऐतिहासिक विकास में संविदा के इन दोनों रूपों का तार्किक क्रम सामाजिक संविदा की चर्चा बाद में शुरू हुई। परंतु जब संविदा के आधार पर ही समस्त राजनीति शास्त्र का विवेचन प्रारंभ हुआ तब इन दोनों प्रकार की संविदाओं का प्रयोग किया जाने लगा - सामाजिक संविदा का राज्य की उत्पत्ति के लिए तथा सरकारी संविदा का उसकी सरकार को नियमित करने के लिए।
इतिहास
यद्यपि सामाजिक संविदा (अनुबंध) का सिद्धान्त अपने अंकुर रूप में सुकरात के विचारों, सोफिस्ट राजनीतिक दर्शन एवं रोमन विधान में मिलता है तथा मैनेगोल्ड ने इसे जनता के अधिकारों के सिद्धांत से जोड़ा, तथापि इसका प्रथम विस्तृत विवेचन मध्ययुगीन राजनीतिक दर्शन में सरकारी संविदा के रूप में प्राप्त होता है। सरकार के आधार के रूप में संविदा का यह सिद्धांत बन गया। यह विचार न केवल मध्ययुगीन सामंती समाज के स्वभावानुकूल वरन् मध्ययुगीन ईसाई मठाधीशों के पक्ष में भी था क्योंकि यह राजकीय सत्ता की सीमाएँ निर्धारित करने में सहायक था। 16वीं शताब्दी के धार्मिक संघर्ष के युग में भी यह सिद्धांत बहुसंख्यकों के धर्म को आरोपित करने वाली सरकार के प्रति अल्पसंख्यकों के विरोध के औचित्य का आधार बना। इस रूप में इसने काल्विनवाद तथा रोमनवाद दोनों अल्पसंख्यकों के उद्देश्यों की पूर्ति की। परंतु कालांतर में सरकारी संविदा के स्थान पर सामाजिक संविदा को ही हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा प्रश्रय प्राप्त हुआ। स्पष्टत: सामाजिक संविदा में विश्वास किए बिना सरकारी संविदा की विवेचना नहीं की जा सकती, परंतु सरकारी संविदा पर विश्वास किए बिना सामाजिक संविदा का विवेचन अवश्य संभव है। सामाजिक संविदा द्वारा निर्मित समाज शासक और शासित के बीच अंतर किए बिना और इसीलिए उनके बीच एक अन्य संविदा की संभावना के बिना भी, स्वायत्तशासित हो सकता है। यह रूसो का सिद्धांत था। दूसरे, सामाजिक संविदा पर निर्मित समाज संरक्षण के रूप में किसी सरकार की नियुक्ति कर सकता है जिससे यद्यपि वह कोई संविदा नहीं करता तथापि संरक्षक के नियमों के उल्लंघन पर उसे च्युत कर सकता है। यह था लॉक का सिद्धांत। अंत में एक बार सामाजिक संविदा पर निर्मित हो जाने पर समाज अपने सभी अधिकार और शक्तियाँ किसी सर्वसत्ताधारी संप्रभु को सौंप सकता है जो समाज से कोई संविदा नहीं करता और इसीलिए किसी सरकारी संविदा की सीमाओं के अंतर्गत नहीं है। यह हाब्स का सिद्धांत था।
प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में सामाजिक संविदा
सम्भवतः भारत में ही पराक्रमी राजा तथा सामाजिक संविदा का महत्व सबसे पहले समझा गया। मनुस्मृति, महाभारत के शान्तिपर्व तथा चाणक्य के अर्थशास्त्र में व्यक्त विचार सामाजिक संविदा का समर्थन करते हैं।
महाभारत में भीष्म कहते हैं-
अराजकेषु राष्ट्रेषु धर्मो न व्यवतिष्ठते।
परस्परं च खादन्ति सर्वथा धिगराजकम्॥ (शान्ति पर्व, अध्याय-६६)
(जिस राज्य में अराजकता होती है धर्म (सही और गलत का विवेक) स्थिर नहीं रह पाता। नागरिक एक दूसरे को 'खाते' हैं। ऐसा राज्य सब दृष्टियों से खराब होता है।)
सामाजिक संविदा के महत्व को व्यक्त करते हुए भीष्म आगे कहते हैं कि हमने सुना है कि पूर्वकाल में अराजक प्रजा एक दूसरे का वैसे ही भक्षण करती थी जैसे जल में बड़ी मछली छोटी मछली का।
अराजकाः प्रजाः पूर्वं विनेशुरिति नः श्रुतम्।
परस्परं भक्षयन्तो मत्स्या इव जले कृशान्॥ (शान्तिपर्व, अध्याय-६६)
भीष्म आगे कहते हैं-
समेत्य तास्ततश्चक्रुः समयानिति नः श्रुतम्।
वाक्शूरो दण्डपरुषो यश्च स्यात्पारदारिकः॥
यश्च नः समयं भिन्द्यात्त्याज्या नस्तादृशा इति।
विश्वासार्थं च सर्वेषां वर्णानामविशेषतः।
तास्तथा समयं कृत्वा समयेनावतस्थिरे ॥ (शान्तिपर्व, अध्याय-६६)
(हमने सुना है कि तब उनमें से कुछ लोग एक स्थान पर एकत्र होकर एक निर्णय लिया - ' जिसकी वाणी कठोर है, जो स्वभाव से उद्दण्द है, जो दूसरों की स्त्रियों का शील हरण करता है, जो दूसरों के धन को चुराता है, उसका हम त्याग करेंगें ताकि सभी वर्गों के लोगों का विश्वास जीता जा सके। ऐसी व्यवस्था करके उन्होने कुछ समय तक अच्छी तरह रहे।')
लेकिन भीष्म कहते हैं कि 'धन-सम्पदा चाहने वाले नर को चाहिये कि वह राजा की पूजा वैसे ही करे जैसे इन्द्र की की जाती है। राजा को 'दैवी' माना जाता था।
इसी तरह के विचार दीघनिकाय (दीर्घनिकाय , III, 93 ) में आये हैं।
'अब वे प्राणी ... एकत्र हुए और ...'
सामाजिक संविदा के सिद्धांत की आलोचना एवं विरोध
सामाजिक संविदा के सिद्धांत पर आघात यद्यपि हेगेल के समय से ही प्रारंभ हो गया था तथापि डेविड ह्यूम द्वारा इसे सर्वप्रथम सर्वाधिक क्षति पहुँची। ह्यूम के अनुसार सरकार की स्थापना सहमति पर नहीं, अभ्यास पर होती है और इस प्रकार राजनीतिक कृतज्ञता का आधार बताया तथा बर्क ने विकासवादी सिद्धांत के आधार पर संविदा की आलोचना की।
सामाजिक संविदा का सिद्धांत न केवल ऐतिहासिकता की दृष्टि से अप्रमाणित है वरन् वैधानिक तथा दार्शनिक दृष्टि से भी दोषपूर्ण है। किसी संविदा के वैध होने के लिए उसे राज्य का संरक्षण एवं अवलंबन प्राप्त होना चाहिए; सामाजिक संविदा के पीछे ऐसी किसी शक्ति का उल्लेख नहीं। इसलिए यह अवैधानिक है। दूसरे, संविदा के नियम संविदा करने वालों पर ही आरोपित होते हैं, उनकी संतति पर नहीं। सामाजिक संविदा के सिद्धांत का दार्शनिक आधार भी त्रुटिपूर्ण है। यह धारणा कि व्यक्ति और राज्य का संबंध व्यक्ति के आधारित स्वतंत्र संकल्प पर है, सत्य नहीं है। राज्य न तो कृत्रिम सृष्टि है और न इसकी सदस्यता ऐच्छिक है, क्योंकि व्यक्ति इच्छानुसार इसकी सदस्यता न तो प्राप्त कर सकता है और न तो त्याग ही सकता है। दूसरे, यह मानव इतिहास को प्राकृतिक तथा सामाजिक दो अवस्थाओं में विभाजित करता है; ऐसे विभाजन का कोई तार्किक आधार नहीं है; आज की सभ्यता उतनी ही प्राकृतिक समझी जाती है जितनी प्रारंभिक काल की थी। तीसरे, यह सिद्धांत इस बात की पूर्व कल्पना करता है कि प्राकृतिक अवस्था में रहने वाला मनुष्य संविदा के विचार से अवगत था परंतु सामाजिक अवस्था में न रहने वाले के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व की कल्पना करना संभव नहीं। यदि प्राकृतिक विधान द्वारा शासित कोई प्राकृतिक अवस्था स्वीकार कर ली जाए तो ऐसी स्थिति में राज्य की स्थापना प्रगति की नहीं, वरन् परावृत्ति की द्योतक होगी, क्योंकि प्राकृतिक विधान के स्थान पर बल पर आधारित राज्य सत्ता अपनाना प्रतिगमन ही होगा। यदि प्राकृतिक अवस्था ऐसी थी कि वह संविदा का विचार प्रदान कर सके तो यह मानना पड़ेगा कि मनुष्य तब भी सामान्य हित के प्रति सचेत था; इस दृष्टि से उसे सामाजिक सत्ता तथा वैयक्तिक अधिकार के प्रति भी सचेत होना चाहिए। और तब प्राकृतिक और सामाजिक अवस्थाओं में कोई अंतर नहीं रह जाता। अंत में, जैसा ग्रीन ने कहा, इस सिद्धांत की प्रमुख त्रुटि इसका अनैतिहासिक होना नहीं वरन् यह है कि इसमें आधार की कल्पना उन्हें समाज से असंबद्ध करके की गई है। तार्किक ढंग पर अधिकारों का आधार समाज की सहमति है; अधिकार उन्हीं लोगों के बीच संभव है जिनकी प्रवृत्तियाँ एवं अभिलाषाएँ बौद्धिक हैं। अतएव प्राकृतिक अधिकार अधिकार न होकर मात्र शक्तियाँ हैं।
परंतु इन सभी त्रुटियों के होते हुए भी सामाजिक संविदा का सिद्धांत सरकार को स्थायित्व प्रदान करने का एक प्रबल आधार है। यह सिद्धांत इस विचार को प्रतिष्ठापित करता है कि राज्य का आधार बल नहीं विकल्प है क्योंकि सरकार जनसहमति पर आधारित है। इस दृष्टि से यह सिद्धांत जनतंत्र की आधारशिलाओं में से एक है।
बाहरी कड़ियाँ
सामाजिक समझौते का सिद्धांत : हाब्स, लाॅक, रूसो
रूसो का सामाजिक समझौते का सिद्धान्त
Contract Theory of State
The Contractarian Theory of Morals:FAQ
An example social contract for the United States
समाज
राजनैतिक अवधारणाएँ |
आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक सहशिक्षा महाविद्यालय है। पूर्व में इसका नाम 'सनातन धर्म कालेज' था। इसकी स्थापना ३ अगस्त १९५९ को दिल्ली की सनातन धर्म सभा ने किया था। सुप्रसिद्ध परोपकारी श्री आत्मा राम चड्ढा १९६७ में इसकी शासी समिति के अध्यक्ष बने। प्राध्यापक रेणु देसवाल इसकी वर्तमान अध्यक्षा हैं।
इस कॉलेज को एनआईआरएफ 2017 रैंकिंग में ५वां स्थान मिला है और एनएएसी से ए ग्रेड मिला है। यहां बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए और एमकॉम कोर्स कराए जाते हैं। यहां 193 फैकल्टी हैं, जिनमें से 93 महिला और 100 पीएचडी हैं। यहां हर वर्ष ११७९ छात्रों का नामांकन होता है। छात्राओं के लिए न्यूनतांक में १ प्रतिशत की छूट भी है।
सन्दर्भ
दिल्ली के महाविद्यालय |
पटना में एक ट्रेनी महिला कांस्टेबल ने पुलिस इंस्पेक्टर पर छेडखानी का गंभीर आरोप लगाया है. महिला कांस्टेबल के मुताबिक पुलिस इंस्पेक्टर ने बंद कमरे में उसके साथ अश्लील हरकत की. वह दरवाजा खोलकर भागी और किसी तरह अपनी अस्मत बचा सकी. बिहार के
डीजीपी
के आदेश पर आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ महिला थाना में एफआईआर दर्ज की गई है.
महिला कांस्टेबल और सिपाहियों ने आरोपी को ढाई घंटे तक बंधक बनाकर रखा. इस घटना के बाद महिला कांस्टेबल और सिपाहियों में गुस्सा है. महिला पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब वो अपने विभाग में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर वो आम लोगों को क्या सुरक्षा दे सकेंगी.
आक्रोशित महिला कांस्टेबल आरोपी की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं. बिहार के डीजीपी ने इस पर संज्ञान लेते हुए आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया.
ट्रेनी महिला कांस्टेबल के हंगामे की घटना का पता चलते ही एआईजी अरविंद ठाकुर ने कहा कि मामला दर्ज कर आरोपी इंस्पेक्टर पर उचित कार्रवाई की जाएगी. आरोपी को सस्पेंड किया जाएगा और जरूरत पड़ेगी तो उसकी गिरफ्तारी भी की जाएगी. |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: सार्वजनिक क्षेत्र की सेल की रेलवे के साथ मिलकर कांचड़पाड़ा (पश्चिम बंगाल) में रेल कोच बनाने का कारखाना लगाने की योजना है। इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने बताया कि सेल पश्चिम बंगाल में कोच कारखाना लगाने के लिए रेलवे के साथ बातचीत कर रही है। यह वैसा ही संयुक्त उद्यम होगा जैसा कंपनी कुल्टी में वैगन बनाने के लिए राइट्स के साथ कर चुकी है। उन्होंने बताया कि यह कोच कारखाना पश्चिम बंगाल में कांचड़पाड़ा जिले में स्थापित करने का प्रस्ताव है। सेल के अधिकारी इस बारे में सितंबर बाद से रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। इस्पात मंत्री ने हालांकि प्रस्तावित निवेश या रेल कोच कारखाने की क्षमता के बारे में टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि रेलवे तथा सेल ने मेट्रो कोच बनाने तथा रेल पटरी बिछाने के क्षेत्र में उतरने की संभावना टटोलने के लिए संयुक्त टीम गठित की है। सेल के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कंपनी मेट्रो रेल के लिए कोच बनाने के लिए कुछ प्रमुख यूरोपीय रेल प्रौद्योगिकी कंपनियों से बातचीत कर रही है। सेल के चेयरमैन सीएस वर्मा ने कोच कारखाने के सिलसिले में पिछले महीने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। |
मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने सऊदी अरेबियन एयरलाइंस के एक कर्मचारी को सोने की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है. कस्टम विभाग ने आरोपी के पास से तकरीबन 64 लाख रुपये कीमत का सोना बरामद किया है. आरोपी कर्मचारी से पूछताछ जारी है.
मामला गुरुवार रात का है. आरोपी कर्मचारी का नाम गोया अहमद सिराज है. कस्टम विभाग की एयर इंटेलीजेंस यूनिट (एआईयू) ने सऊदी अरेबियन एयरलाइंस की फ्लाइट से जेद्दाह से मुंबई पहुंचे सिराज के सामान की तलाशी ली. तलाशी के दौरान जांच अधिकारियों को सिराज की जेब से तकरीबन 2 किलो 100 ग्राम वजनी
सोने की ईंटें
मिली.
सिराज ने सोने की इन ईंटों को काले रंग के पाउच में कवर कर अपनी ट्राउजर की पॉकेट में रखा था. एआईयू अधिकारियों ने कस्टम एक्ट के तहत सोने को जब्त कर फौरन सिराज को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सिराज ने बताया कि वह सऊदी अरेबियन एयरलाइंस में बतौर ग्राउंड स्टाफ कार्यरत है.
सिराज ने अधिकारियों को आगे बताया कि जब्त किए गए सोने में 2 किलो गोल्ड बार उसका है. वहीं 100 ग्राम बार उसके भाई सऊदी अरब निवासी फहीद अली का है. फिलहाल
एआईयू अधिकारी
सिराज से पूछताछ कर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह कितनी बार गैरकानूनी तरीके से भारत में सोना लेकर आया है. |
यह एक लेख है: रेड बुल के सेबेश्चियन वेटेल रविवार को होने वाली फॉर्मूला वन इंडियन ग्रां प्री में पहले नंबर से शुरुआत करेंगे, जबकि सहारा फोर्स इंडिया को पहली घरेलू रेस में अंक जुटाने की उम्मीद है, क्योंकि एड्रियन सुतिल क्वालीफाइंग ग्रिड में आठवां स्थान हासिल करने में सफल रहे। वेटेल ने 1 मिनट 24.178 सेकेंड के समय से 2011 सत्र में अपनी 13वीं पोल पोजीशन हासिल की। उन्होंने मैकलारेन के लुइस हैमिल्टन को 0.296 सेकेंड से पछाड़ दिया। वेटेल के साथी मार्क वेबर (1 मिनट 24.508 सेकेंड) तीसरे स्थान पर रहे। हैमिल्टन पांचवें स्थान से शुरुआत करेंगे, क्योकि उन्हें फ्लैग चेतावनी की अनदेखी के कारण ग्रिड पर तीन स्थान का जुर्माना लगा। फेरारी के फर्नांडो अलोंसो मैकलारेन के जेनसन बटन के बाद चौथे स्थान से रेस शुरू करेंगे। उनके बाद फेरारी के फेलिप मासा होंगे, जो अंतिम सेकेंड में ट्रैक के किनारे से टकरा गए, सौभाग्य से इस ब्राजीली को कोई चोट नहीं लगी। फोर्स इंडिया के दूसरे ड्राइवर पाल डि रेस्टा ने सुबह अंतिम अभ्यास सत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन क्वालीफाइंग 3 में जगह नहीं बना सके, जिससे वह 1:26.503 सेकेंड से 13वें स्थान पर रहे। वह मर्सीडीज जीपी के माइकल शूमाकर के पीछे रहे। भारत के नरेन कार्तिकेयन 22वें स्थान पर रहे और हिस्पानिया के साथी डेनियल रिकाडरे के पीछे रहे। |
राज्यसभा द्वारा पारित महिला आरक्षण विधेयक की सूचना आज लोकसभा को औपचारिक रूप से दी गई, हालांकि अभी तक यह संकेत नहीं है कि इस विधेयक को निचले सदन में कब लाया जाएगा.
लोकसभा के महासचिव पी डी टी अचारी ने इस बारे में राज्यसभा से प्राप्त संदेश के बारे में सदन को सूचित किया. शुक्रवार को होने वाली लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक स्थगित कर दी गई जिसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि महिला आरक्षण विधेयक को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाले दलों द्वारा विधेयक का कड़ा विरोध करने और भाजपा में इसके विरुद्ध बगावती तेवर उभरने के बाद इसे फिलहाल कुछ दिनों के लिए टालने में ही भलाई समझी जा रही है. भाजपा के कुछ सांसदों ने खुली चेतावनी दी है कि अगर लोकसभा में इस विधेयक को लाया गया तो वे पार्टी व्हिप का उल्लंघन करेंगे.
गुरुवार को सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आश्वासन दिया था कि विधेयक को निचले सदन में लाने से पहले सरकार सभी संबद्ध पक्षों से सलाह मशविरे की प्रक्रिया पूरी करेगी. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी तीनों यादवों को साथ लेकर चल रही हैं.
उन्होंने सरकार से कहा है कि वह विधेयक को लोकसभा में लाने से पहले सभी दलों से सलाह मशविरा करे. तृणमूल सांसदों ने राज्यसभा में विधेयक पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. बजट सत्र का पहला चरण 16 मार्च को समाप्त हो रहा है और दूसरा चरण 12 अप्रैल से शुरू होकर सात मई तक चलेगा. |
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसियन टेक्नोलॉजी (NIOT) में वैकेंसी निकली है. इच्छुक उम्मीदवार 1 अक्टूबर 2015 तक आवेदन कर सकते हैं.
पदों का नाम:
प्रोजेक्ट साइंटिस्ट:
26 पद
पे स्केल: 15600-39100 रुपये
प्रोजेक्ट सीनियर एग्जीक्यूटिव:
2 पद
पे स्केल: 36213 रुपये
प्रोजेक्ट जूनियर असिस्टेंट:
4 पद
पे स्केल: 18531 रुपये
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बात अप्रैल, 2010 की है. बॉम्बे जिमखाना में एक इंटरनेशनल नेटवर्क की मुंबई ब्रांच के प्रोग्राम में मुझे बतौर स्पीकर आमंत्रित किया गया था. मैं वहां रात नौ बजे पहुंची लेकिन मुझे गेट पर ही रोक दिया गया. कुछ देर में मेजबान वहां पहुंचे और गेट पर बात करने के बाद मुझे अंदर लेकर गए. मेरी स्पीच शुरू होने वाली थी. लेकिन घंटेभर बाद ही वहां के सीईओ आए और उन्होंने मेजबानों से कहा कि मैं यहां नहीं रह सकती.
मेरे लिए यह काफी अपमानजनक था. मैंने अपने जीवन में जो हासिल किया है उसे हासिल करना किसी मर्द या औरत के लिए कोई आसान बात नहीं है. लेकिन उसके बावजूद सम्मान का भाव न होना, मुझे बहुत अपमानित करने वाला लगा. उस समय तक मेरी एक पहचान बन चुकी थी और मानव अधिकार मसलों पर मैं संयुक्त राष्ट्र तक हो आई थी. बस इसी दिन ठान लिया कि अब इस अपमान को आगे लेकर नहीं जाना है और ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लडऩी होगी.
हमने 2012 में ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर का दर्जा दिलाने के लिए कानूनी जंग की शुरुआत की. जिसका नतीजा 15 अप्रैल को आया और मेरा मानना है कि भारत के लिए 15 तारीख हमेशा से खास रही है. इसी दिन देश को आजादी मिली थी और इसी दिन हमें भी उपेक्षा से आजादी मिली. आज मैं गर्व कर सकती हैं कि मैं भारतीय हूं और खुद को संपूर्ण रूप से भारत का नागरिक मान सकती हूं.
इस लैंडमार्क फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट की आभारी हूं. जब मैं 15 अप्रैल की सुबह कोर्ट के लिए निकली थी तो यह सामान्य दिनों जैसा ही था. लेकिन जब जस्टिस के.एस. राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर (तीसरे लिंग) का दर्जा देना सोशल या मेडिकल इश्यू नहीं है बल्कि मानव अधिकारों का मामला है’’ और उन्होंने थर्ड जेंडर पर सकारात्मक फैसला दिया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
हम ऐसे युग में कदम रखने जा रहे हैं जहां ट्रांसजेंडर्स वोट डाल सकेंगे, शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा, फॉर्म में उनके लिए भी अलग से जगह होगी और वे सरकारी नौकरी भी कर सकेंगे.
अब यह पूछा जा रहा है कि थर्ड जेंडर का दर्जा मिलने से किस तरह ट्रांसजेंडर्स का जीवन बदल जाएगा? आखिर क्यों नहीं बदलेगा? समाज की कुरीतियां चाहे सती प्रथा हो या अस्पृश्यता, उनके लिए जब कानून बना तो क्या असर नहीं हुआ? रोम एक दिन में नहीं बना था. प्राचीनकाल से हम लोग हैं और समाज का अहम हिस्सा रहे हैं. चाहे महाभारत हो या मनु स्मृति.
शासक आते रहे और जाते रहे. एक समय हमें सम्मान से देखा जाता था लेकिन आजादी के बाद तो बिल्कुल ही भुला दिया गया. बिल्कुल उस तरह जैसे हम महारोग हों? एक समय था जब कोढ़, टीबी और एड्स के मरीजों को घर से बाहर कर दिया जाता था, आज नजरिया बदला है न. इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हमें अधिकार देगा तो हमारे जीवन में कई तरह के बदलावों से लोगों का नजरिया भी बदलेगा. हम लोगों को किसी की दया नहीं चाहिए थी, बतौर इनसान समान हक चाहिए थे.
मैंने शिक्षा हासिल की और मेरे पैरेंट्स ने मुझे सपोर्ट किया. मैंने वह करियर चुना जो मैं चाहती थी. बस, मैं अपनी तरह के बाकी लोगों के लिए भी इसी तरह का जीवन चाहती थी कि वे भी पढ़ें और आगे बढ़ें. जब भी संयुक्त राष्ट्र के किसी प्रोग्राम या अन्य मौकों पर विदेश गई तो मैंने सीखा कि कैसे ब्यूरोक्रैटिक और डिप्लोमैटिक ढंग से बात को रखा जाता है. मैं यूएनडीपी जैसे कई संगठनों के संपर्क में आई. बस, मैंने सोशल डेवलपमेंट को ही अपना लक्ष्य बना लिया था.
अब भी सफर काफी लंबा है. हमने सफर का पहला पड़ाव ही पार किया है. अभी तक जो अधिकार भारत के बाकी नागरिकों के पास थे, अब वे हमें भी मिल गए हैं यानी हम मुख्यधारा में लौट सकेंगे. आगे मेरी कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा ट्रांसजेंडर्स को शिक्षा के महत्व के बारे में बता सकूं और स्कूल ड्रॉपआउट की संख्या भी कम करनी है क्योंकि शिक्षा के अधिकार के जरिए ही इस नए फैसले का भरपूर फायदा लिया जाना संभव है.
अब कोर्ट ने जब इस तरह का आदेश दे दिया है तो मुझे लगता है कि हमारे खिलाफ होने वाली नफरत से जुड़े अपराधों में भी कमी आएगी. कभी हमारे लोगों के साथ कई तरह की हिंसक घटनाएं पेश आती हैं. उपेक्षा की वजह से इस तरह के मामलों में कुछ हो नहीं पाता. अब ऐसा नहीं रहेगा. यही नहीं, कोर्ट के फैसले के मुताबिक, हमें भी अन्य भारतीयों की तरह बच्चे गोद लेने का अधिकार होगा और स्वास्थ्य विभाग को हमारी समस्याओं को भी तवज्जो देनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पूरी तरह लागू करने में बेशक कुछ समय लगेगा. अब हमें नई सरकार बनने का इंतजार है क्योंकि उसके आने के बाद ही इस दिशा में ठोस काम हो सकेगा. हम अपने नए प्रधानमंत्री से मिलकर ट्रांसजेंडर्स के हालात बदलने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
मैं यही कहना चाहूंगी कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसका स्वागत होना चाहिए. हमें भेदभाव की नजर से न देखें. हमें भी मर्यादा पता है. सम्मान देना और लेना आता है. धर्मपरायण हैं. किसी भी अन्य इनसान से किन्हीं भी मायनों में कम नहीं.
लेखिका ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए लडऩे वाली ऐक्टिविस्ट और एनजीओ अस्तित्व की अध्यक्ष हैं. |
रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए रेलवे पूरी तरह से प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में सरकारी कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंसी राइट्स (आरआईटीईएस) लिमिटेड अब रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए बनाई जाने वाली परियोजनाओं के लिए अपनी सलाह देगा. राइट्स ने इसके लिए भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
आईआरसीटीसी ने राइट्स (आरआईटीईएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत राइट्स निर्माण कार्य करने वाली एजेंसियों के चयन के लिए बोली प्रक्रिया के प्रबंधन के अलावा परियोजनाओं के लिए डिजाइन और इंजीनियरिंग का कार्य करेगा. भारतीय रेल का एक मिनी रत्न कहे जाने वाली कंपनी आईआरसीटीसी उच्च गुणवत्ता वाले खानपान, पर्यटन और टिकट सेवा प्रदान करने से लेकर यात्रियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में सुधार करने के लिए अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार कर रही है.
हाल ही में भारतीय रेलवे ने मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए अपने विश्रामालय और शयन गृह के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी को सौंपने का फैसला किया है. आईआरसीटीसी इन सुविधाओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने, उनकी मरम्मत और नवीनीकरण करने और उन्हें यात्रियों के लिए उपलब्ध कराने के लिए खुद को तैयार कर रहा है. समझौता ज्ञापन के तहत, आईआरसीटीसी, परियोजना दर परियोजना के आधार पर, रेलवे स्टेशन पर कार्यों और संबद्ध सुविधाओं के लिए, जरूरत के अनुसार, राइट्स को योजना, डिजाइन, निविदा, निर्माण और पर्यवेक्षण, निरीक्षण और कमीशन सहित सभी कार्यों को सौंप देगा.
राइट्स रेलवे स्टेशनों पर साइट सर्वेक्षण करेगा और परियोजना के लिए मास्टर प्लान, डिजाइन और नक्शा और बजट अनुमान तैयार करेगा. यह बोली प्रक्रिया के लिए परियोजना विनिर्देशों, निविदा अनुसूची और दस्तावेज भी तैयार करेगा और ठेकेदारों के चयन करने में आईआरसीटीसी की मदद करेगा.
राइट्स के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजीव मेहरोत्रा के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले आईआरसीटीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. एके मनोचा ने कहा कि वे विकास कार्यों में तेजी लाने की प्रक्रिया में हैं और सुनिश्चित करेंगे कि सभी परियोजनाएं समय पर पूरी हो. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य रेल यात्रियों के लिए उच्चतम गुणवत्ता सेवाओं और सुविधाओं को सुनिश्चित करना है और अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए हमारा इरादा यह सुनिश्चित करना भी है कि सभी बुनियादी सुविधाओं के उन्नयन और आतिथ्य सेवा विश्व स्तर के हों. आईआरसीटीसी के सीएमडी ने कहा कि वह ए-1 तथा ए श्रेणी के सभी स्टेशनों के 408 प्रतीक्षा गृहों को लेने को तैयार है, बशर्ते यह रेलवे की ओर से सौंपा जाता है. |
अभिनेत्री अदिति राव हैदरी का कहना है कि जब वे हिंदी फिल्म जगत में आई थीं, तो उन्हें यहां के तौर-तरीकों के बारे में बिल्कुल नहीं पता था. लेकिन अब उनको खुशी है कि उन्होंने मायानगरी में अपनी पहचान बना ली है.
अदिति का अब एकमात्र लक्ष्य अपने आपको बॉलीवुड में स्थाई रूप से स्थापित करना है. अदिति जल्द ही फिल्म 'गुड्डू रंगीला' और 'द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा' में खास भूमिकाओं में नजर आएंगी.
अदिति ने कहा, 'सभी चीजें तय की जा रही हैं. मैं खुश हूं कि अब यहां मेरी भी अपनी जगह है. मैं ऐसी अभिनेत्री के रूप में पहचानी जाना चाहती हूं, जिसका दूसरा विकल्प न हो. जो मेरे लिए है, वह मेरा ही रहेगा.'
कातिलाना अदाएं बिखेरती अदिति राव हैदरी
'ये साली जिंदगी' और 'दिल्ली-6' जैसी फिल्मों में काम कर चुकी अदिति कहती हैं कि बॉलीवुड में बाहरी लोगों को काफी मुश्किलें पेश आती हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि हर कोई आपका फायदा उठाना चाहता है. मेरा मानना है कि किसी के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है, जैसा उसका खुद का आचरण और इरादा होता है. आप आकर्षक हैं और अकेली हैं, तो जाहिर है कि पुरुष आपको खास नजरिए से देखेंगे. मेरा तो मानना है कि हर पुरुष अपनी पत्नी या प्रेमिका की गैरहाजिरी में दूसरी महिला के साथ अलग ही तरह का व्यवहार करता है.' हालांकि अदिति इस मामले में भाग्यशाली रही हैं और उनको बुरे अनुभव नहीं हुए हैं.
'रॉकस्टार' और 'लंदन, पेरिस, न्यूयार्क' जैसी फिल्मों में काम कर चुकी अदिति चाहती हैं कि फिल्म जगत में हर किसी को बराबर अवसर मिलने चाहिए. उन्होंने कहा, 'हम बाहरी लोगों को भी अपने आप को साबित करने का मौका मिलना चाहिए, उसके लिए हमें सही भूमिकाओं की जरूरत है.' |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दक्षिण और मध्य इराक में शिया बहुल शहरों को निशाना बनाकर किए गए कार बम विस्फोटों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई।
पिछले कुछ महीनों से इराक में दोबारा समुदाय आधारित हिंसा शुरू हो गई। अप्रैल से अभी तक हुई हिंसाओं में चार हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक महज अगस्त महीने में 804 लोगों की जान गई है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सबसे भयानक विस्फोट बगदाद से 95 किलोमीटर दूर स्थित हिल्लाह शहर में हुआ। यहां एक बाजार और पार्किंग के पास हुए कार बम विस्फोट में नौ लोग मारे गए और 15 लोग घायल हो गए। उन्होंने बताया कि कुछ ही मिनट बाद थोड़ी दूर पर हुए दूसरे बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि राजधानी से 50 किलोमीटर दूर सिकंदरिया शहर में पार्किंग क्षेत्र में हुए एक अन्य कार बम विस्फोट में चार लोग मारे गए और नौ लोग घायल हो गए।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल शहर कर्बला के औद्योगिक क्षेत्र में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए। कर्बला बगदाद से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।टिप्पणियां
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
पिछले कुछ महीनों से इराक में दोबारा समुदाय आधारित हिंसा शुरू हो गई। अप्रैल से अभी तक हुई हिंसाओं में चार हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक महज अगस्त महीने में 804 लोगों की जान गई है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सबसे भयानक विस्फोट बगदाद से 95 किलोमीटर दूर स्थित हिल्लाह शहर में हुआ। यहां एक बाजार और पार्किंग के पास हुए कार बम विस्फोट में नौ लोग मारे गए और 15 लोग घायल हो गए। उन्होंने बताया कि कुछ ही मिनट बाद थोड़ी दूर पर हुए दूसरे बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि राजधानी से 50 किलोमीटर दूर सिकंदरिया शहर में पार्किंग क्षेत्र में हुए एक अन्य कार बम विस्फोट में चार लोग मारे गए और नौ लोग घायल हो गए।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल शहर कर्बला के औद्योगिक क्षेत्र में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए। कर्बला बगदाद से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।टिप्पणियां
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सबसे भयानक विस्फोट बगदाद से 95 किलोमीटर दूर स्थित हिल्लाह शहर में हुआ। यहां एक बाजार और पार्किंग के पास हुए कार बम विस्फोट में नौ लोग मारे गए और 15 लोग घायल हो गए। उन्होंने बताया कि कुछ ही मिनट बाद थोड़ी दूर पर हुए दूसरे बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि राजधानी से 50 किलोमीटर दूर सिकंदरिया शहर में पार्किंग क्षेत्र में हुए एक अन्य कार बम विस्फोट में चार लोग मारे गए और नौ लोग घायल हो गए।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल शहर कर्बला के औद्योगिक क्षेत्र में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए। कर्बला बगदाद से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।टिप्पणियां
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
पुलिस ने बताया कि राजधानी से 50 किलोमीटर दूर सिकंदरिया शहर में पार्किंग क्षेत्र में हुए एक अन्य कार बम विस्फोट में चार लोग मारे गए और नौ लोग घायल हो गए।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल शहर कर्बला के औद्योगिक क्षेत्र में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए। कर्बला बगदाद से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।टिप्पणियां
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल शहर कर्बला के औद्योगिक क्षेत्र में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए। कर्बला बगदाद से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।टिप्पणियां
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिया बहुल एक अन्य शहर कुत में मजदूरों और भोजन के ठेलों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं।
पुलिस ने बताया कि कुत के बाहरी हिस्से में स्थित दो कस्बों सुवायरा और हफरिया में हुए दो कार बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं। |
भारतीय स्टेट बैंक में इसके पांच एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का विलय अगले वित्त वर्ष में हो सकता है. यदि यह विलय हुआ तो एसबीआई एक वैश्विक आकार का बैंक बन जाएगा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल होगा.
भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने आज संकेत दिया कि उसके पांच एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक का विलय अगले वित्त वर्ष में खिसक सकता है क्योंकि उसे अभी भी इस संबंध में सरकार की अधिसूचना का इंतजार है.
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण विलय में विलम्ब हो सकता है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संभवत: एक तिमाही या उसके आसपास विलय में देरी हो सकती है. इसका कारण यह है कि हमें अभी सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और अगर हमें अभी मंजूरी मिलती भी है तो भी अंतिम तिमाही में विलय बहुत बुद्धिमानीभरा नहीं होगा क्योंकि आईटी प्रणाली में काफी कुछ बदलाव की जरूरत होगी.’’ प्रस्तावित विलय से एसबीआई एक वैश्विक आकार का बैंक बन जाएगा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल होगा. उसके पास 22,500 शाखाएं, 58,000 एटीएम तथा 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ 37,000 अरब रुपये या 555 अरब डालर से अधिक की संपत्ति होगी.
अरुंधति ने कहा कि सामान्य तौर पर बैंक आईटी प्रणाली में बदलाव मध्य फरवरी तक बंद कर देता है. ‘‘कभी-कभी आईटी प्रणाली बिल्कुल अनभिज्ञ चीजों पर प्रभाव डाल सकती है. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के वक्त कोई जोखिम नहीं लेते. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के बाद उस पर गौर करना चाहेंगे.’’ यह पूछे जाने पर विलय प्रक्रिया पूरी होने के लिए उनके पास कोई नया समय है, उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल नहीं. पहले सरकार से मंजूरी मिलने दीजिए, उसके बाद ही हमें पता चलेगा.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को विलय योजना को अधिसूचित करना है. टिप्पणियां
पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी. एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक- स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर तथा दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक आफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने आज संकेत दिया कि उसके पांच एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक का विलय अगले वित्त वर्ष में खिसक सकता है क्योंकि उसे अभी भी इस संबंध में सरकार की अधिसूचना का इंतजार है.
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण विलय में विलम्ब हो सकता है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संभवत: एक तिमाही या उसके आसपास विलय में देरी हो सकती है. इसका कारण यह है कि हमें अभी सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और अगर हमें अभी मंजूरी मिलती भी है तो भी अंतिम तिमाही में विलय बहुत बुद्धिमानीभरा नहीं होगा क्योंकि आईटी प्रणाली में काफी कुछ बदलाव की जरूरत होगी.’’ प्रस्तावित विलय से एसबीआई एक वैश्विक आकार का बैंक बन जाएगा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल होगा. उसके पास 22,500 शाखाएं, 58,000 एटीएम तथा 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ 37,000 अरब रुपये या 555 अरब डालर से अधिक की संपत्ति होगी.
अरुंधति ने कहा कि सामान्य तौर पर बैंक आईटी प्रणाली में बदलाव मध्य फरवरी तक बंद कर देता है. ‘‘कभी-कभी आईटी प्रणाली बिल्कुल अनभिज्ञ चीजों पर प्रभाव डाल सकती है. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के वक्त कोई जोखिम नहीं लेते. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के बाद उस पर गौर करना चाहेंगे.’’ यह पूछे जाने पर विलय प्रक्रिया पूरी होने के लिए उनके पास कोई नया समय है, उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल नहीं. पहले सरकार से मंजूरी मिलने दीजिए, उसके बाद ही हमें पता चलेगा.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को विलय योजना को अधिसूचित करना है. टिप्पणियां
पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी. एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक- स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर तथा दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक आफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण विलय में विलम्ब हो सकता है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संभवत: एक तिमाही या उसके आसपास विलय में देरी हो सकती है. इसका कारण यह है कि हमें अभी सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और अगर हमें अभी मंजूरी मिलती भी है तो भी अंतिम तिमाही में विलय बहुत बुद्धिमानीभरा नहीं होगा क्योंकि आईटी प्रणाली में काफी कुछ बदलाव की जरूरत होगी.’’ प्रस्तावित विलय से एसबीआई एक वैश्विक आकार का बैंक बन जाएगा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल होगा. उसके पास 22,500 शाखाएं, 58,000 एटीएम तथा 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ 37,000 अरब रुपये या 555 अरब डालर से अधिक की संपत्ति होगी.
अरुंधति ने कहा कि सामान्य तौर पर बैंक आईटी प्रणाली में बदलाव मध्य फरवरी तक बंद कर देता है. ‘‘कभी-कभी आईटी प्रणाली बिल्कुल अनभिज्ञ चीजों पर प्रभाव डाल सकती है. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के वक्त कोई जोखिम नहीं लेते. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के बाद उस पर गौर करना चाहेंगे.’’ यह पूछे जाने पर विलय प्रक्रिया पूरी होने के लिए उनके पास कोई नया समय है, उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल नहीं. पहले सरकार से मंजूरी मिलने दीजिए, उसके बाद ही हमें पता चलेगा.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को विलय योजना को अधिसूचित करना है. टिप्पणियां
पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी. एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक- स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर तथा दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक आफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अरुंधति ने कहा कि सामान्य तौर पर बैंक आईटी प्रणाली में बदलाव मध्य फरवरी तक बंद कर देता है. ‘‘कभी-कभी आईटी प्रणाली बिल्कुल अनभिज्ञ चीजों पर प्रभाव डाल सकती है. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के वक्त कोई जोखिम नहीं लेते. इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के बाद उस पर गौर करना चाहेंगे.’’ यह पूछे जाने पर विलय प्रक्रिया पूरी होने के लिए उनके पास कोई नया समय है, उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल नहीं. पहले सरकार से मंजूरी मिलने दीजिए, उसके बाद ही हमें पता चलेगा.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को विलय योजना को अधिसूचित करना है. टिप्पणियां
पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी. एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक- स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर तथा दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक आफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी. एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक- स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर तथा दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक आफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बाल विवाह प्रथा के खिलाफ अभियान अब रंग लाने लगा है. मुख्यमंत्री ने दो अक्टूबर से बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ सामाजिक आंदोलन की शुरूआत कर दी है. मुख्यमंत्री के इस अभियान का असर राज्य के बेटियों को हौसला दे रहा है. यही वजह है की बिहार के वैशाली में बीते दो दिनों में तीन नाबालिग बेटियों ने माता-पिता के कम उम्र में शादी के फैसले का न केवल विरोध किया, बल्कि शादी की सभी तैयारियों के बावजूद शादी करने से मना कर दिया.
गत 5 अक्टूबर को वैशाली जिले के जगन्नाथ बसंता की बेटी गुड़िया ने दरवाजे पर आने वाली बारात को शादी वाले दिन इसलिए लौटा दिया, क्योंकि अभी उस की उम्र महज 13 साल की थी और वो आठवीं के आगे की पढ़ाई करना चाहती है. कम उम्र बेटी के इस फैसले के आगे मां-बाप को झुकना पड़ा और समाज के लोगों ने भी गुड़िया का साथ दिया.
गुड़िया ने बताया कि अभी वह आठवी में पढ रही है, मां-पिताजी शादी कर रहे थे, हमने इंकार कर दिया कि अभी पढाई करनी है. बाल विवाह के लिए दहेज एक बहुत बड़ा कारण है. गुड़िया के पिता अजय पासवान कहते हैं कि उनकी पांच बेटियां हैं, सबकी शादी करनी है. कम उम्र मे शादी करने से दहेज कम देना पड़ता है, लेकिन बेटी के इंकार करने पर वो भी मान गए. अजय पासवान ने कहा कि बेटी अभी पढना चाहती है.
वहीं, अगले ही दिन वैशाली जिले के देसरी में भी सीएम नीतीश कुमार की बाल विवाह रोकने की मुहिम एक बार फिर रंग लाई है. कुड़वा ग्राम में दो नाबालिक सगी बहनों के बाल विवाह के खिलाफ फैसले के आगे परिवार को झुकना पड़ा और लड़कियों के फैसले में साथ दिया स्थानीय समाज ने.
गांव के रामबाबू पासवान की 13 बर्षीय पुत्री गंगा कुमारी और 12 बर्षीय पुत्री सुनीता कुमारी की शादी करायी जा रही थी. दोनों की शादी को लेकर पूरी तैयारी कर ली गयी थीं. दोनों के लिए दूल्हे बारात लेकर आ चुके थे, घर मे शादी का माहौल परवान पर था. मंगल गीत गायी जा रही थी.
लेकिन इसी बीच गांव के कुछ बुद्धिजीवी लोगों को जब इसकी भनक लगी, तो गांव वाले इकठ्ठे हुए और
प्रशासन को
सूचना दी, समझाने-बुझाने का सिलसिला शुरू हुआ. मौके पर चाइल्ड लाइन के प्रतिनिधि भी पहुंचे. प्रशासन की मदद से बच्चियों के अभिभावकों भी काफी मशक्कत के बाद शादी रोकने के लिए राजी करवा लिया गया.
उसके बाद लड़के वाले
बारात लेकर
लौट गए, लड़कियों का कहना है कि वो आगे अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती हैं और फिर बालिग होने पर शादी करेगी. इस तरह दोनों नाबालिक लड़कियों की शादी रुक जाने के बाद एक तरफ जहां दोनों को जिंदगियां उम्र से पहले उजड़ने से बच गयी. वहीं इस नाबालिक लड़कियों का शादी रोक दिया जाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. |
अखिल भारतीय रत्न और आभूषण व्यापार महासंघ (जीजेएफ) ने बुधवार को कहा कि देश भर के 65 प्रतिशत जौहरियों ने सोने के सिक्कों और छड़ों की बिक्री रोक दी है ताकि चालू खाते के घाटे (कैड) को कम करने में सरकार के प्रयासों में मदद की जा सके.
जीजेएफ ने अपने सदस्यों से कहा था कि वे सोने के सिक्कों और छड़ों की ब्रिकी स्वैच्छिक रूप से रोक दें ताकि निवेश मांग घटे और सोने के आयात को नियंत्रित किया जा सके. जीजेएफ के 40,000 से अधिक सदस्य हैं.
जीजेएफ के मुताबिक, 'काफी अच्छी प्रतिक्रिया आई है और 65 प्रतिशत से अधिक जौहरियों ने इसे स्वीकार कर लिया है, जिससे मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत में देश की मदद की जा सके.' संगठन ने कहा है कि 65 प्रतिशत जौहरियों की बाजार हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है.
यह स्वैच्छिक प्रतिबंधित छह महीने या कैड संकट में कमी आने तक रह सकता है. जीजेएफ के चेयरमैन हरेश सोनी ने कहा, 'जौहरी समुदाय संकट के समय देश की मदद करने वाला रहा है. हमें इस स्वैच्छिक कार्रवाई के जरिए मदद कर खुशी है.'
बयान में कहा गया है, 'हालांकि सरकार को विनिर्माण बढ़ाने के लिए बुनियादी कदम उठाने होंगे जिससे मूल्यवर्धित निर्यात बढ़ेगा.' उल्लेखनीय है कि चालू खाते का घाटा पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर जीडीपी का 4.8 प्रतशत हो गया और इसे रुपये की विनिमय दर में गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है. कैड विदेशी मुद्रा के अंतरप्रवाह और बहिर्प्रवाह का अंतर है. |
बिहार में एक आदमी ने अपनी पत्नी को गोली मारकर इसलिए घायल कर दिया क्योंकि पत्नी ने उसके पसंद के उम्मीदवार को वोट नहीं किया था.
यह घटना बिहार के उजियारपुर की है. समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन जिले के रहने वाले विनोद पासवान अपनी पत्नी से बेहद नाराज होकर घटना को अंजाम दिया.
समस्तीपुर के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'महिला को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला की हालत गंभीर है और डॉक्टरों ने उसे पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर कर दिया है.'
पुलिस ने बताया कि घटना के बाद से ही विनोद पासवान गायब है, पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. उजियारपुर उन सात लोकसभा सीट में से एक है, जहां बुधवार को मतदान हुए हैं. |
राजनीतिक शोर-शराबे से दूर होकर आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी को लगातार देश के अलग-अलग राज्यों में फैलाने की कोशिश में लगे हुए हैं. दक्षिण भारत में कमल हासन और विशाल को न्योता देने के बाद अब अरविंद केजरीवाल झारखंड में पैर पसारने की कोशिश कर रहे हैं.
हाल ही में आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में पहली बार कदम रखते हुए प्रदेश में अपने लिए जगह बनाने में सफलता हासिल की. आम आदमी पार्टी अब झारखंड में अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रही है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष संजय सिंह और झारखंड प्रभारी संजीव झा ने रांची में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से मुलाकात की है. इससे पहले खुद बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में उनके आवास पर मुलाकात कर चुके हैं.
गठबंधन पर लगेगी मुहर!
केजरीवाल और मरांडी की मुलाकात के बाद पार्टी के नेताओं ने रांची पहुंच कर झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष से दोबारा मुलाकात की है. आप सूत्रों का कहना है कि झारखंड में दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है जिसके तहत जल्द ही झारखंड में आम आदमी पार्टी और झारखंड विकास मोर्चा के गठबंधन पर मुहर लग सकती है.
विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो अगले साल जनवरी में पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल झारखंड में बाबूलाल मरांडी के साथ जनसभाएं भी कर सकते हैं. जनवरी में ही झारखंड में किसी जनसभा के दौरान आम आदमी पार्टी और झारखंड विकास मोर्चा के औपचारिक गठबंधन का ऐलान भी हो सकता है.
सोरेन की छवि से दिक्कत?
आप सूत्रों का कहना है कि झारखंड में आम आदमी पार्टी के पास संगठन मजबूत नहीं है वही झारखंड विकास मोर्चा और बाबूलाल मरांडी के पास अपना मजबूत संगठन मौजूद है. हालांकि आम आदमी पार्टी के पास झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के साथ गठबंधन के रास्ते भी खुले थे लेकिन दिल्ली के नेतृत्व को लगता है कि शिबू सोरेन की छवि बेहतर नहीं है और उनके मुकाबले बाबूलाल मरांडी को लेकर के दिल्ली और झारखंड दोनों जगहों पर उनकी छवि पर कोई दाग नहीं है.
आप नेताओं का मानना है कि बाबूलाल मरांडी के साथ गठबंधन करके झारखंड में न सिर्फ आम आदमी पार्टी को पहचान मिलेगी बल्कि उन्हें एक कद्दावर नेता भी मिलेगा. हालांकि गठबंधन के औपचारिक ऐलान से पहले आम आदमी पार्टी गठबंधन पर विस्तारपूर्वक मंथन करना चाहती है.
झारखंड में
आम आदमी पार्टी
के पास कोई चेहरा मौजूद नहीं है ऐसे में बाबूलाल मरांडी के साथ गठबंधन करके और उन्हें आगे रखकर चेहरा बनाने से पार्टी को कोई एतराज नहीं होगा. दिल्ली के विधायक और झारखंड के प्रभारी संजीव झा पिछले 2 साल से लगातार झारखंड में संगठन के लिए काम कर रहे हैं और छोटी मोटी सभाएं भी कर रहे हैं.
ऐसे में अगर झारखंड विकास मोर्चा के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन होता है तो केजरीवाल के लिए यह एक बड़ी जीत होगी साथ ही उनकी आम आदमी पार्टी को दिल्ली के बाहर दूसरे राज्यों में पनपने में भी मदद मिलेगी. केजरीवाल फिलहाल चुनावी शोर और मीडिया से दूर रहकर जहां दिल्ली में अपनी सरकार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वही पार्टी के दूसरे नेता अलग-अलग राज्यों में संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगे हुए हैं. |
इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp कुछ एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में अगले साल की शुरुआत से बंद हो जाएगा. डेडलाइन फरवरी 2020 की दी गई है. आपको बता दें कि Windows मोबाइल फोन से WhatsApp ने पहले ही अपना सपोर्ट बंद करने का ऐलान किया है. इस साल के आखिर तक Windows फोन में WhatsApp काम करना बंद कर देगा. Windows फोन वैसे तो मिलने बंद हो गए हैं, लेकिन फिर भी दुनिया भर में अब भी कुछ लोग Windows मोबाइल फोन यूज करते हैं.
अब WhatsApp कुछ एंड्रॉयड यूजर्स के लिए बुरी खबर लेकर आया है. WhatsApp के मुताबिक 2.3.7 वर्जन के एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर्स और iOS 7 पर चलने वाले iPhone यूजर्स में 1 फरवरी 2020 से WhatsApp का सपोर्ट नहीं दिया जाएगा. आपको बता दें कि ऐपल के आईफोन के साथ सॉफ्टवेयर अपडेट का इश्यू ज्यादा नहीं है. क्योंकि iPhone 5S जैसे पुराने आईफोन में भी कंपनी नया अपडेट देती है. लेकिन एंड्रॉयड के साथ ऐसा नहीं है, कई कंपनियों के पुराने स्मार्टफोन्स में अब एंड्रॉयड के अपडेट्स मिलने बंद हो गए हैं.
हालांकि WhatsApp ने ये भी कहा है कि कंपनी के इस फैसले से ज्यादा यूजर्स पर असर नहीं पड़ेगा. साथ ही कंपनी ने कहा है कि जो लोग काफी पुराने एंड्रॉयड फोन्स और आईफोन्स यूज कर रहे हैं सिर्फ वो ही इस फैसले से प्रभावित होंगे. क्योंकि अब ज्यादातर लोग नए स्मार्टफोन्स यूज कर रहे हैं और इनमें नए सॉफ्टवेयर अपडेट्स भी दिए जाते हैं.
WhatsApp ने यूजर्स से कहा है कि वो Android 4.0.3 या इससे ऊपर के वर्जन वाले स्मार्टफोन यूज करें ताकि WhatsApp की सर्विस बंद न हो और इसे यूज कर सकें. iPhone यूजर्स अगर iOS 8 या इससे ऊपर का वर्जन यूज करते हैं तो भी आपको वॉट्सऐप चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
इससे पहले भी WhatsApp ने पुराने स्मार्टफोन्स से सपोर्ट बंद किया है. इनमें ब्लैकबेरी और Windows के पुराने वर्जन के स्मार्टफोन्स थे. इसके अलावा Symbian पर चलने वाले स्मार्टफोन्स के लिए भी कंपनी ने सपोर्ट बंद कर दिया है. |
बीसीसीआई के ग्राउंड एवं पिच कमेटी के पूर्व क्षेत्र के सदस्य आशीष भौमिक ने अपनी नियुक्ति से उठे विवाद को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि ईडन गार्डन्स के क्यूरेटर प्रबीर मुखर्जी उनके गुरु हैं। भौमिक ने इन रिपोर्टों का खंडन किया कि इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के लिए उन्हें मुखर्जी के स्थान पर क्यूरेटर इसलिए बनाया गया है क्योंकि इस अनुभवी क्यूरेटर के भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से मतभेद हैं।
भौमिक ने गुरुवार की सुबह ईडन गार्डन्स का दौरा करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘ये सब कहानी मीडिया ने रची है। मैं उन्हें (प्रबीर मुखर्जी) वर्षों से जानता हूं और मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है। वह मेरे गुरु हैं। वह जीवंत किवदंती हैं। मैं उनके साथ काम करूंगा और उम्मीद है कि उनसे मुझे कुछ और सीखने को मिलेगा। यह केवल रूटीन काम है। हमारे बीच किसी तरह की समस्या नहीं है और बोर्ड ने भी कोई निर्देश नहीं दिए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं। रणजी ट्रॉफी चल रही है और मैं कई केंद्रों का दौरा करता हूं। मैं दो महीनों से कई केंद्रों पर गया हूं। यह केवल रूटीन दौरा है। लेकिन मैं यहां फिर से प्रबीर दा का साथ पाकर बहुत खुश हूं।’’ टिप्पणियां
भौमिक बोर्ड के निर्देश पर बुधवार रात कोलकाता पहुंचे। रिपोर्टों के अनुसार 5 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट मैच की पिच की तैयारियों को लेकर मुखर्जी कुछ बातों को लेकर सहमत नहीं थे। वानखेड़े के टर्निंग विकेट पर दस विकेट की हार के बावजूद धोनी यहां भी टर्निंग ट्रैक चाहते हैं।
मुखर्जी ने कप्तान की मांग की आलोचना की थी और इसे अनैतिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का विकेट बनाना वास्तविकता में संभव नहीं है। चार मैच की शृंखला अभी 1-1 से बराबरी पर चल रही है। तीसरा मैच कोलकाता में जबकि चौथा और आखिरी मैच 13 से 17 दिसंबर के बीच नागपुर में खेला जाएगा।
भौमिक ने गुरुवार की सुबह ईडन गार्डन्स का दौरा करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘ये सब कहानी मीडिया ने रची है। मैं उन्हें (प्रबीर मुखर्जी) वर्षों से जानता हूं और मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है। वह मेरे गुरु हैं। वह जीवंत किवदंती हैं। मैं उनके साथ काम करूंगा और उम्मीद है कि उनसे मुझे कुछ और सीखने को मिलेगा। यह केवल रूटीन काम है। हमारे बीच किसी तरह की समस्या नहीं है और बोर्ड ने भी कोई निर्देश नहीं दिए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं। रणजी ट्रॉफी चल रही है और मैं कई केंद्रों का दौरा करता हूं। मैं दो महीनों से कई केंद्रों पर गया हूं। यह केवल रूटीन दौरा है। लेकिन मैं यहां फिर से प्रबीर दा का साथ पाकर बहुत खुश हूं।’’ टिप्पणियां
भौमिक बोर्ड के निर्देश पर बुधवार रात कोलकाता पहुंचे। रिपोर्टों के अनुसार 5 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट मैच की पिच की तैयारियों को लेकर मुखर्जी कुछ बातों को लेकर सहमत नहीं थे। वानखेड़े के टर्निंग विकेट पर दस विकेट की हार के बावजूद धोनी यहां भी टर्निंग ट्रैक चाहते हैं।
मुखर्जी ने कप्तान की मांग की आलोचना की थी और इसे अनैतिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का विकेट बनाना वास्तविकता में संभव नहीं है। चार मैच की शृंखला अभी 1-1 से बराबरी पर चल रही है। तीसरा मैच कोलकाता में जबकि चौथा और आखिरी मैच 13 से 17 दिसंबर के बीच नागपुर में खेला जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं। रणजी ट्रॉफी चल रही है और मैं कई केंद्रों का दौरा करता हूं। मैं दो महीनों से कई केंद्रों पर गया हूं। यह केवल रूटीन दौरा है। लेकिन मैं यहां फिर से प्रबीर दा का साथ पाकर बहुत खुश हूं।’’ टिप्पणियां
भौमिक बोर्ड के निर्देश पर बुधवार रात कोलकाता पहुंचे। रिपोर्टों के अनुसार 5 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट मैच की पिच की तैयारियों को लेकर मुखर्जी कुछ बातों को लेकर सहमत नहीं थे। वानखेड़े के टर्निंग विकेट पर दस विकेट की हार के बावजूद धोनी यहां भी टर्निंग ट्रैक चाहते हैं।
मुखर्जी ने कप्तान की मांग की आलोचना की थी और इसे अनैतिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का विकेट बनाना वास्तविकता में संभव नहीं है। चार मैच की शृंखला अभी 1-1 से बराबरी पर चल रही है। तीसरा मैच कोलकाता में जबकि चौथा और आखिरी मैच 13 से 17 दिसंबर के बीच नागपुर में खेला जाएगा।
भौमिक बोर्ड के निर्देश पर बुधवार रात कोलकाता पहुंचे। रिपोर्टों के अनुसार 5 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट मैच की पिच की तैयारियों को लेकर मुखर्जी कुछ बातों को लेकर सहमत नहीं थे। वानखेड़े के टर्निंग विकेट पर दस विकेट की हार के बावजूद धोनी यहां भी टर्निंग ट्रैक चाहते हैं।
मुखर्जी ने कप्तान की मांग की आलोचना की थी और इसे अनैतिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का विकेट बनाना वास्तविकता में संभव नहीं है। चार मैच की शृंखला अभी 1-1 से बराबरी पर चल रही है। तीसरा मैच कोलकाता में जबकि चौथा और आखिरी मैच 13 से 17 दिसंबर के बीच नागपुर में खेला जाएगा।
मुखर्जी ने कप्तान की मांग की आलोचना की थी और इसे अनैतिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का विकेट बनाना वास्तविकता में संभव नहीं है। चार मैच की शृंखला अभी 1-1 से बराबरी पर चल रही है। तीसरा मैच कोलकाता में जबकि चौथा और आखिरी मैच 13 से 17 दिसंबर के बीच नागपुर में खेला जाएगा। |
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच राहुल द्रविड़ को आईपीएल 2016 के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स ने अपना टीम मेंटर बनाया है. 2015 तक राहुल द्रविड़ राजस्थान रॉयल्स से जुड़े हुए थे. वो इस टीम की कप्तानी भी कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक राहुल द्रविड़ को कोच की भूमिका के लिए टीम से जोड़ने की कोशिशें की गई थीं लेकिन वो अपने परिवार के साथ वक्त बिताना चाहते हैं लिहाजा इस भूमिका के लिए तैयार नहीं हुए.
राहुल द्रविड़
बीते पूरे सीजन के दौरान बहुत व्यस्त रहे. उनकी कोचिंग में अंडर19 टीम
अंडर-19 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट
के फाइनल तक पहुंची. लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद
राजस्थान रॉयल्स
को दो साल के लिए निलंबित करने के बाद
द्रविड़
बोली के लिए उपलब्ध रहे. राजस्थान के लिए पिछले साल तक खेल रहे संजू सैमसन और करुण नायर को भी
दिल्ली डेयरडेविल्स
ने आगामी सीजन के लिए खरीदा है. साथ ही
अंडर-19 टीम
के लिए वर्ल्ड कप खेल चुके रिषभ पंत, खलील अहमद और महीपाल लोमरो भी
आईपीएल-9
के लिए
दिल्ली डेयरडेविल्स
टीम में शामिल हैं.
द्रविड़
ने कहा कि वो दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ जुड़ने को लेकर उत्साहित हैं क्योंकि इसने कई युवा खिलाड़ियों को शामिल किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैं दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ काम करने के लिए उत्साहित हूं. उन्होंने कई युवाओं को टीम से जोड़ा है. मैं पैडी और बाकी सपोर्ट स्टाफ के साथ काम करने को लेकर उत्साहित हूं.’ द्रविड़ ने कहा कि राजस्थान रॉयल्स के साथ कई खूबसूरत यादें जुड़ी हैं लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वो आईपीएल में अगले चैलेंज के लिए तैयार हैं.
इस विख्यात बल्लेबाज ने कहा, ‘मैंने राजस्थान रॉयल्स के साथ बिताए समय का बहुत लुत्फ उठाया. मैंने वहां कुछ बहुत ही अच्छे लोगों के साथ काम किया. उस टीम के साथ मेरी कुछ बेहतरीन यादें जुड़ी हैं. मैं उसी तरह की यादें दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ भी बनाना चाहता हूं. मैंने हमेशा उनके काम करने के अंदाज की सराहना की है. मैं उस ग्रुप के साथ जुड़ने को लेकर उत्साहित हूं.’
दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 2015 का सीजन बहुत ही बेकार था. दिल्ली ने 14 में से केवल 5 मैचों में जीत दर्ज करते हुए आठ टीमों के इस टूर्नामेंट में सातवां स्थान पाया था. जिसके बाद टीम मैनेजमेंट ने कोच गैरी कर्स्टन को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. |
पूर्व एयर चीफ मार्शल अनिल टिपनिस ने कहा है कि कारगिल युद्ध के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान के खिलाफ एयर फोर्स का इस्तेमाल करना नहीं चाहते थे. यही नहीं टिपनिस ने कहा कि वाजपेयी ने सेना को लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की इजाजत नहीं दी थी.
पूर्व नेवी चीफ सुशील कुमार द्वारा लिखी गई किताब की लॉन्चिंग के वक्त ए टिपनिस ने उस घटनाक्रम को याद किया जब 1999 में उनकी और तत्कालीन आर्मी चीफ वेद मलिक की मीटिंग अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हुई थी.
टिपनिस ने कहा कि वाजपेयी जनरल मलिक से जानना चाहते थे कि क्या थल सेना बिना एयर फोर्स की मदद के भारत की चौकियों पर किए गए कब्जों को आजाद करवा पाएगी. बता दें कि 1999 में पाकिस्तान सेना ने घुसपैठियों की मदद से जम्मू-कश्मीर में करगिल, द्रास, बटालिक सेक्टर के कुछ चौकियों पर कब्जा कर लिया था.
इस घटनाक्रम को याद करते हुए टिपनिस ने कहा, "जब तक वेद मलिक वाजपेयी के सवालों को जवाब भी दे पाते मैंने कहा आर्मी को इसकी जरूरत है और हम इसके लिए तैयार है, प्रधानमंत्री थोड़े चिंतामग्न हुए फिर बोले कल सुबह शुरुआत करिएगा."
पूर्व नेवी चीफ सुशील कुमार की किताब 'A Prime Minister to remember- Memories of a military chief', की लॉन्चिंग के मौके पर टिपनिस ने मीटिंग के उस पल को याद किया जब वाजपेयी ने कहा था कि हम लोग लाइन ऑफ कंट्रोल पार नहीं करेंगे. टिपनिस ने कहा, "मैं जैसा उनकी आवाज सुना करता था, उससे ज्यादा रौबदार आवाज में उन्होंने कहा, नहीं हमलोग लाइन ऑफ कंट्रोल पार नहीं करेंगे." टिपनिस ने कहा कि एयरफोर्स मात्र 6 घंटे के शॉर्ट नोटिस पर सेना के साथ हमले को तैयार थी.
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इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दूरसंचार) अन्वेष मंगलम के निर्देशन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रेडियो) चन्द्र शेखर सोलंकी, पुलिस अधीक्षक डायल-100 अमित सक्सेना एवं डायल-100 की टीम द्वारा जैन को राज्य स्तरीय पुलिस कन्ट्रोल रूम डायल-100 की आपातकालीन सेवा से जुड़ी महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी दी गई. उन्हें एक विस्तृत कम्प्यूटर प्रेजेंटेशन भी दिया गया. जैन द्वारा काल टेकर्स कक्ष, डिस्पेचर कक्ष, सर्वर रूम का भ्रमण किया गया एवं उन्होंने इवेंट मॉनीटरिंग / व्हिकल ट्रेकिंग सिस्टम आदि प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी ली व एफआरवी (डायल-100) वाहन तथा उसमें लगे उपकरण एवं वाहन में रखे जाने वाले एक्सट्रेक्शन किट सामग्री का अवलोकन किया.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है। हिन्दू मान्यता में इसे "अविमुक्त क्षेत्र" कहा जाता है।
वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"
नाम का अर्थ
वाराणसी नाम का उद्गम संभवतः यहां की दो स्थानीय नदियों वरुणा नदी एवं असि नदी के नाम से मिलकर बना है। ये नदियाँ गंगा नदी में क्रमशः उत्तर एवं दक्षिण से आकर मिलती हैं। नाम का एक अन्य विचार वरुणा नदी के नाम से ही आता है जिसे संभवतः प्राचीन काल में वरणासि ही कहा जाता होगा और इसी से शहर को नाम मिला। इसके समर्थन में शायद कुछ आरम्भिक पाठ उपलब्ध हों, किन्तु इस दूसरे विचार को इतिहासवेत्ता सही नहीं मानते हैं। लंबे काल से वाराणसी को अविमुक्त क्षेत्र, आनंद-कानन, महाश्मशान, सुरंधन, ब्रह्मावर्त, सुदर्शन, रम्य, एवं काशी नाम से भी संबोधित किया जाता रहा है। ऋग्वेद में शहर को काशी या कासी नाम से बुलाया गया है। इसे प्रकाशित शब्द से लिया गया है, जिसका अभिप्राय शहर के ऐतिहासिक स्तर से है, क्योंकि ये शहर सदा से ज्ञान, शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है। काशी शब्द सबसे पहले अथर्ववेद की पैप्पलाद शाखा से आया है और इसके बाद शतपथ में भी उल्लेख है। लेकिन यह संभव है कि नगर का नाम जनपद में पुराना हो। स्कंद पुराण के काशी खण्ड में नगर की महिमा १५,००० श्लोकों में कही गयी है। एक श्लोक में भगवान शिव कहते हैं: तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रासाद है काशी
वाराणसी का एक अन्य सन्दर्भ ऋषि वेद व्यास ने एक अन्य गद्य में दिया है: गंगा तरंग रमणीय जातकलापनाम, गौरी निरन्तर विभूषित वामभागम.
नारायणप्रियम अनंग मदापहारम, वाराणसीपुर पतिम भज विश्वनाथम
अथर्ववेद में वरणावती नदी का नाम आया है जो बहुत संभव है कि आधुनिक वरुणा नदी के लिये ही प्रयोग किया गया हो। अस्सी नदी को पुराणों में असिसंभेद तीर्थ कहा है। स्कंद पुराण के काशी खंड में कहा गया है कि संसार के सभी तीर्थ मिल कर असिसंभेद के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होते हैं। अग्निपुराण में असि नदी को व्युत्पन्न कर नासी भी कहा गया है। वरणासि का पदच्छेद करें तो नासी नाम की नदी निकाली गयी है, जो कालांतर में असी नाम में बदल गई। महाभारत में वरुणा या आधुनिक बरना नदी का प्राचीन नाम वरणासि होने की पुष्टि होती है। अतः वाराणासी शब्द के दो नदियों के नाम से बनने की बात बाद में बनायी गई है। पद्म पुराण के काशी महात्म्य, खंड-३ में भी श्लोक है:
वाराणसीति विख्यातां तन्मान निगदामि व: दक्षिणोत्तरयोर्नघोर्वरणासिश्च पूर्वत।
जाऋवी पश्चिमेऽत्रापि पाशपाणिर्गणेश्वर:।।
अर्थात दक्षिण-उत्तर में वरुणा और अस्सी नदी है, पूर्व में जाह्नवी और पश्चिम में पाशपाणिगणेश।
मत्स्य पुराण में शिव वाराणसी का वर्णन करते हुए कहते हैं -
वाराणस्यां नदी पु सिद्धगन्धर्वसेविता।
प्रविष्टा त्रिपथा गंगा तस्मिन् क्षेत्रे मम प्रिये॥
अर्थात्- हे प्रिये, सिद्ध गंधर्वों से सेवित वाराणसी में जहां पुण्य नदी त्रिपथगा गंगा आता है वह क्षेत्र मुझे प्रिय है।
यहां अस्सी का कहीं उल्लेख नहीं है। वाराणसी क्षेत्र का विस्तार बताते हुए मत्स्य पुराण में एक और जगह कहा गया है-
वरणा च नदी यावद्यावच्छुष्कनदी तथा।
भीष्मयंडीकमारम्भ पर्वतेश्वरमन्ति के॥
उपरोक्त उद्धरणों से यही ज्ञात होता है कि वास्तव में नगर का नामकरण वरणासी पर बसने से हुआ। अस्सी और वरुणा के बीच में वाराणसी के बसने की कल्पना उस समय से उदय हुई जब नगर की धार्मिक महिमा बढ़ी और उसके साथ-साथ नगर के दक्षिण में आबादी बढ़ने से दक्षिण का भाग भी उसकी सीमा में आ गया। वैसे वरणा शब्द एक वृक्ष का भी नाम होता है। प्राचीनकाल में वृक्षों के नाम पर भी नगरों के नाम पड़ते थे जैसे कोशंब से कौशांबी, रोहीत से रोहीतक इत्यादि। अतः यह संभव है कि वाराणसी और वरणावती दोनों का ही नाम इस वृक्ष विशेष को लेकर ही पड़ा हो।
वाराणसी नाम के उपरोक्त कारण से यह अनुमान कदापि नहीं लगाना चाहिये कि इस नगर के से उक्त विवेचन से यह न समझ लेना चाहिए कि काशी राज्य के इस राजधानी शहर का केवल एक ही नाम था। अकेले बौद्ध साहित्य में ही इसके अनेक नाम मिलते हैं। उदय जातक में सुर्रूंधन (अर्थात सुरक्षित), सुतसोम जातक में सुदर्शन (अर्थात दर्शनीय), सोमदंड जातक में ब्रह्मवर्द्धन, खंडहाल जातक में पुष्पवती, युवंजय जातक में रम्म नगर (यानि सुन्दर नगर), शंख जातक में मोलिनो (मुकुलिनी) नाम आते हैं। इसे कासिनगर और कासिपुर के नाम से भी जाना जाता था। सम्राट अशोक के समय में इसकी राजधानी का नाम पोतलि था। यह निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता है कि ये सभी नाम एक ही शहर के थे, या काशी राज्य की अलग-अलग समय पर रहीं एक से अधिक राजधानियों के नाम थे।
इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कन्द पुराण, रामायण, महाभारत एवं प्राचीनतम वेद ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख आता है। सामान्यतया वाराणसी शहर को लगभग ३००० वर्ष प्राचीन माना जाता है।, परन्तु हिन्दू परम्पराओं के अनुसार काशी को इससे भी अत्यंत प्राचीन माना जाता है। नगर मलमल और रेशमी कपड़ों, इत्रों, हाथी दांत और शिल्प कला के लिये व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र रहा है। गौतम बुद्ध (जन्म ५६७ ई.पू.) के काल में, वाराणसी काशी राज्य की राजधानी हुआ करता था। बनारस के दशाश्वमेध घाट के समीप बने शीतला माता मंदिर का निर्माण अर्कवंशी क्षत्रियों ने करवाया था। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने नगर को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे ५ कि॰मी॰ तक लिखा है।
विभूतियाँ
काशी में प्राचीन काल से समय समय पर अनेक महान विभूतियों का प्रादुर्भाव या वास होता रहा हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
महर्षि अगस्त्य
धन्वंतरि
गौतम बुद्ध
संत कबीर
बाबा किनाराम
लक्ष्मीबाई
पाणिनी
पार्श्वनाथ
पतंजलि
संत रैदास
स्वामी रामानन्दाचार्य
वल्लभाचार्य
शंकराचार्य
गोस्वामी तुलसीदास
महर्षि वेदव्यास
वल्लभाचार्य
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प्राचीन काशी
अतिप्राचीन
गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इतने प्राचीन नगर संसार में बहुत नहीं हैं। हजारों वर्ष पूर्व कुछ नाटे कद के साँवले लोगों ने इस नगर की नींव डाली थी। तभी यहाँ कपड़े और चाँदी का व्यापार शुरू हुआ। कुछ समय उपरांत पश्चिम से आये ऊँचे कद के गोरे लोगों ने उनकी नगरी छीन ली। ये बड़े लड़ाकू थे, उनके घर-द्वार न थे, न ही अचल संपत्ति थी। वे अपने को आर्य यानि श्रेष्ठ व महान कहते थे। आर्यों की अपनी जातियाँ थीं, अपने कुल घराने थे। उनका एक राजघराना तब काशी में भी आ जमा। काशी के पास ही अयोध्या में भी तभी उनका राजकुल बसा। उसे राजा इक्ष्वाकु का कुल कहते थे, यानि सूर्यवंश। काशी में चन्द्र वंश की स्थापना हुई। सैकड़ों वर्ष काशी नगर पर भरत राजकुल के चन्द्रवंशी राजा राज करते रहे। काशी तब आर्यों के पूर्वी नगरों में से थी, पूर्व में उनके राज की सीमा। उससे परे पूर्व का देश अपवित्र माना जाता था।
महाभारत काल
महाभारत काल में काशी भारत के समृद्ध जनपदों में से एक था। महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार एक स्वयंवर में पाण्डवों और कौरवों के पितामह भीष्म ने काशी नरेश की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का अपहरण किया था। इस अपहरण के परिणामस्वरूप काशी और हस्तिनापुर की शत्रुता हो गई। कर्ण ने भी दुर्योधन के लिये काशी राजकुमारी का बलपूर्वक अपहरण किया था, जिस कारण काशी नरेश महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की तरफ से लड़े थे। कालांतर में गंगा की बाढ़ ने हस्तिनापुर को डुबा दिया, तब पाण्डवों के वंशज वर्तमान इलाहाबाद जिले में यमुना किनारे कौशाम्बी में नई राजधानी बनाकर बस गए। उनका राज्य वत्स कहलाया और काशी पर वत्स का अधिकार हो गया।
उत्तर वैदिक काल
इसके बाद ब्रह्मदत्त नाम के राजकुल का काशी पर अधिकार हुआ। उस कुल में बड़े पंडित शासक हुए और में ज्ञान और पंडिताई ब्राह्मणों से क्षत्रियों के पास पहुंच गई थी। इनके समकालीन पंजाब में कैकेय राजकुल में राजा अश्वपति था। तभी गंगा-यमुना के दोआब में राज करने वाले पांचालों में राजा प्रवहण जैबलि ने भी अपने ज्ञान का डंका बजाया था। इसी काल में जनकपुर, मिथिला में विदेहों के शासक जनक हुए, जिनके दरबार में याज्ञवल्क्य जैसे ज्ञानी महर्षि और गार्गी जैसी पंडिता नारियां शास्त्रार्थ करती थीं। इनके समकालीन काशी राज्य का राजा अजातशत्रु हुआ। ये आत्मा और परमात्मा के ज्ञान में अनुपम था। ब्रह्म और जीवन के सम्बन्ध पर, जन्म और मृत्यु पर, लोक-परलोक पर तब देश में विचार हो रहे थे। इन विचारों को उपनिषद् कहते हैं। इसी से यह काल भी उपनिषद-काल कहलाता है।
महाजनपद युग
युग बदलने के साथ ही वैशाली और मिथिला के लिच्छवियों में साधु वर्धमान महावीर हुए, कपिलवस्तु के शाक्यों में गौतम बुद्ध हुए। उन्हीं दिनों काशी का राजा अश्वसेन हुआ। इनके यहां पार्श्वनाथ हुए जो जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर हुए। उन दिनों भारत में चार राज्य प्रबल थे जो एक-दूसरे को जीतने के लिए, आपस में बराबर लड़ते रहते थे। ये राह्य थे मगध, कोसल, वत्स और उज्जयिनी। कभी काशी वत्सों के हाथ में जाती, कभी मगध के और कभी कोसल के। पार्श्वनाथ के बाद और बुद्ध से कुछ पहले, कोसल-श्रावस्ती के राजा कंस ने काशी को जीतकर अपने राज में मिला लिया। उसी कुल के राजा महाकोशल ने तब अपनी बेटी कोसल देवी का मगध के राजा बिम्बसार से विवाह कर दहेज के रूप में काशी की वार्षिक आमदनी एक लाख मुद्रा प्रतिवर्ष देना आरंभ किया और इस प्रकार काशी मगध के नियंत्रण में पहुंच गई। राज के लोभ से मगध के राजा बिम्बसार के बेटे अजातशत्रु ने पिता को मारकर गद्दी छीन ली। तब विधवा बहन कोसलदेवी के दुःख से दुःखी उसके भाई कोसल के राजा प्रसेनजित ने काशी की आमदनी अजातशत्रु को देना बन्द कर दिया जिसका परिणाम मगध और कोसल समर हुई। इसमें कभी काशी कोसल के, कभी मगध के हाथ लगी। अन्ततः अजातशत्रु की जीत हुई और काशी उसके बढ़ते हुए साम्राज्य में समा गई। बाद में मगध की राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र चली गई और फिर कभी काशी पर उसका आक्रमण नहीं हो पाया।
काशी नरेश और रामनगर
वाराणसी १८वीं शताब्दी में स्वतंत्र काशी राज्य बन गया था और बाद के ब्रिटिश शासन के अधीन, ये प्रमुख व्यापारिक और धार्मिक केन्द्र रहा। १९१० में ब्रिटिश प्रशासन ने वाराणसी को एक नया भारतीय राज्य बनाया और रामनगर को इसका मुख्यालय बनाया, किंतु इसका अधिकार क्षेत्र कुछ नहीं था। काशी नरेश अभी भी रामनगर किले में रहते हैं। ये किला वाराणसी नगर के पूर्व में गंगा के तट पर बना हुआ है। रामनगर किले का निर्माण काशी नरेश राजा बलवंत सिंह ने उत्तम चुनार बलुआ पत्थर ने १८वीं शताब्दी में करवाया था। किला मुगल स्थापत्य शैली में नक्काशीदार छज्जों, खुले प्रांगण और सुरम्य गुम्बददार मंडपों से सुसज्जित बना है। काशी नरेश का एक अन्य महल चैत सिंह महल है। ये शिवाला घाट के निकट महाराजा चैत सिंह ने बनवाया था।
रामनगर किला और इसका संग्रहालय अब बनारस के राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर रूप में संरक्षित हैं और १८वीं शताब्दी से काशी नरेश का आधिकारिक आवास रहे हैं। आज भी काशी नरेश नगर के लोगों में सम्मानित हैं। ये नगर के धार्मिक अध्यक्ष माने जाते हैं और यहां के लोग इन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। नरेश नगर के प्रमुख सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी बड़ी धार्मिक गतिविधियों के अभिन्न अंग रहे हैं।
काशी तीर्थ का इतिहास
वाराणसी शहर का बड़ा अंश अतिप्राचीनकाल से काशी कहा जाता है। इसे हिन्दू मान्यता में सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, किन्तु तीर्थ के रूप में वाराणसी का सबसे पुराना उल्लेख महाभारत मे मिलता है।
महाभारत-पूर्व के किसी साहित्य में किसी भी तीर्थ आदि के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। आज के तीर्थस्थल तब अधिकतर वन प्रदेश में थे और मनुष्यों से रहित थे। कहीं-कहीं आदिवासियों का वास रहा होगा। कालांतर में तीर्थों के बारे में कही गयी कथाएं अस्तित्त्व में आयीं और तीर्थ बढ़ते गये, जिनके आसपास नगर और शहर भी बसे। भारतभूमि में आर्यों के प्रसार के द्वारा तीर्थों के अस्तित्व तथा माहात्मय का पता चला। महाभारत में उल्लेख है पृथ्वी के कुछ स्थान पुण्यप्रद तथा पवित्र होते है। इनमें से कोई तो स्थान की विचित्रता के कारण कोई जन्म के प्रभाव और कोई ॠषि-मुनियों के सम्पर्क से पवित्र हो गया है। यजुर्वेदीय जाबाल उपनिषद में काशी के विषय में महत्वपूर्ण वर्णन आता है, परन्तु इस उपनिषद् को आधुनिक विद्वान उतना प्राचीन नहीं मानते हैं।
जाबाल-उपनिषद् खण्ड-२ में महर्षि अत्रि ने महर्षि याज्ञवल्क्य से अव्यक्त और अनन्त परमात्मा को जानने का तरीका पूछा। तब याज्ञवल्क्य ने कहा कि उस अव्यक्त और अनन्त आत्मा की उपासना अविमुक्त क्षेत्र में हो सकती है, क्योंकि वह वहीं प्रतिष्ठित है। और अत्रि के अविमुक्त की स्थिति पूछने पर। याज्ञवल्क्य ने उत्तर दिया कि वह वरणा तथा नाशी नदियों के मध्य में है। वह वरणा क्या है और वह नाशी क्या है, यह पूछने पर उत्तर मिला कि इन्द्रिय-कृत सभी दोषों का निवारण करने वाली वरणा है और इन्द्रिय-कृत सभी पापों का नाश करने वाली नाशी है। वह अविमुक्त क्षेत्र देवताओं का देव स्थान और सभी प्राणियों का ब्रह्म सदन है। वहाँ ही प्राणियों के प्राण-प्रयाण के समय में भगवान रुद्र तारक मन्त्र का उपदेश देते है जिसके प्रभाव से वह अमृती होकर मोक्ष प्राप्त करता है। अत एव अविमुक्त में सदैव निवास करना चाहिए। उसको कभी न छोड़े, ऐसा याज्ञवल्क्य ने कहा है।
जाबालोपिनषद के अलावा अनेक स्मृतियों जैसे लिखितस्मृति, श्रृंगीस्मृति तथा पाराशरस्मृति, ब्राह्मीसंहिता तथा सनत्कुमारसंहिता में भी काशी का माहात्म्य बताया है। प्रायः सभी पुराणों में काशी का माहात्म्य कहा गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में तो काशी क्षेत्र पर काशी-रहस्य नाम से पूरा ग्रन्थ ही है, जिसे उसका खिल भाग कहते हैं। पद्म पुराण में काशी-महात्म्य और अन्य स्थानों पर भी काशी का उल्लेख आता है। प्राचीन लिंग पुराण में सोलह अध्याय काशी की तीर्थों के संबंध में थे। वर्त्तमान लिंगपुराण में भी एक अध्याय है। स्कंद पुराण का काशीखण्ड तो काशी के तीर्थ-स्वरुप का विवेचन तथा विस्तृत वर्णन करता ही है। इस प्रकार पुराण-साहित्य में काशी के धार्मिक महात्म्य पर सामग्री है। इसके अतिरिक्त, संस्कृत-वाड्मय, दशकुमारचरित, नैषध, राजतरंगिणी और कुट्टनीपतम् में भी काशी का वर्णन आता है।
१२वीं शताब्दी ईसवी तक प्राप्त होने वाले लिंग पुराण में तीसरे से अट्ठारहवें अध्याय तक काशी के देवायतनों तथा तीर्थें का विस्तृत वर्णन था। त्रिस्थलीसेतु ग्रन्थ की रचना (सन् १५८० ई.) में लिंगपुराण वैसा ही रहा था।
लैंंगोडपि तृतीयाध्यायात्षोऽशान्तं लिंंगान्युक्तवोक्तम्
अर्थात लिंगपुराण में भी तीसरे से सोलहवें अध्याय तक लिंगो का वर्णन किया है। वर्तमान लिंग पुराण में केवल एक ही अध्याय काशी के विषय में है, जिसमें केवल १४४ श्लोक हैं। इस प्रकार महाभारत के अलावा यदि सभी पुराणों के उल्लेख देखें, तो काशी के तीर्थ रूप के उल्लेख की सूची बहुत लंबी बनती है। शब्दकल्पद्रुम मे २६४ तीर्थों का उल्लेख है, परन्तु महिमा के विचार से भारत के तीर्थों में चार धाम और सप्तपुरियों के नाम शीर्षस्थ माने जाते है। प्रयाग, गया और गंगासागर तक के नाम इनमें नहीं आते। अतः इसे नकारा भी जा सकता है।
क्षेत्र का विस्तार
वाराणसी क्षेत्र के विस्तार के अनेक पौराणिक उद्धरण उपलब्ध हैं। कृत्यकल्पतरु में दिये तीर्थ-विवेचन व अन्य प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार:
ब्रह्म पुराण में भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि- हे सुरवल्लभे, वरणा और असि इन दोनों नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है, उसके बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।
मत्स्य पुराण में इसकी लम्बाई-चौड़ाई अधिक स्पष्ट रूप से वर्णित है। पूर्व-पश्चिम ढ़ाई (२½) योजन भीष्मचंडी से पर्वतेश्वर तक, उत्तर-दक्षिण आधा (1/2) योजन, शेष भाग वरुणा और अस्सी के बीच। उसके बीच में मध्यमेश्वर नामक स्वयंभू लिंग है। यहां से भी एक-एक कोस चारों ओर क्षेत्र का विस्तार है। यही वाराणसी की वास्तविक सीमा है। उसके बाहर विहार नहीं करना चाहिए।
अग्नि पुराण के अनुसार वरणा और असी नदियों के बीच बसी हुई वाराणसी का विस्तार पूर्व में दो योजन और दूसरी जगह आधा योजन भाग फैला था और दक्षिण में यह क्षेत्र वरणा से गंगा तक आधा योजन फैला हुआ था। मत्स्य पुराण में ही अन्यत्र नगर का विस्तार बतलाते हुए कहा गया है- पूर्व से पश्चिम तक इस क्षेत्र का विस्तार दो योजन है और दक्षिण में आधा योजन नगर भीष्मचंडी से लेकर पर्वतेश्वर तक फैला हुआ था।
ब्रह्म पुराण के अनुसार इस क्षेत्र का प्रमाण पांच कोस का था उसमें उत्तरमुखी गंगा है जिससे क्षेत्र का महात्म्य बढ़ गया। उत्तर की ओर गंगा दो योजन तक शहर के साथ-साथ बहती थी।
स्कंद पुराण के अनुसार उस क्षेत्र का विस्तार चारों ओर चार कोस था।
लिंग पुराण में इस क्षेत्र का विस्तार कृतिवास से आरंभ होकर यह क्षेत्र एक-एक कोस चारों ओर फैला हुआ है। उसके बीच में मध्यमेश्वर नामक स्वयंभू लिंग है। यहां से भी एक-एक कोस चारों ओर क्षेत्र का विस्तार है। यही वाराणसी की वास्तविक सीमा है। उसके बाहर विहार न करना चाहिए।
उपरोक्त उद्धरणों से ज्ञात होता है कि प्राचीन वाराणसी का विस्तार काफी दूर तक था। वरुणा के पश्चिम में राजघाट का किला जहां प्राचीन वाराणसी के बसे होने में कोई सन्देह नहीं है, एक मील लंबा और ४०० गज चौड़ा है। गंगा नदी उसके दक्षिण-पूर्व मुख की रक्षा करती है और वरुणा नदी उत्तर और उत्तर-पूर्व मुखों की रक्षा एक छिछली खाई के रूप में करती है, पश्चिम की ओर एक खाली नाला है जिसमें से होकर किसी समय वरुणा नदी बहती थी। रक्षा के इस प्राकृतिक साधनों को देखते हुए ही शायद प्राचीन काल में वाराणसी नगर के लिए यह स्थान चुना गया। सन् १८५७ ई. के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों ने भी नगर रक्षा के लिए वरुणा के पीछे ऊंची जमीन पर कच्ची मिट्टी की दीवारें उठाकर किलेबन्दी की थी। पुराणों में आयी वाराणसी की सीमा राजघाट की उक्त लम्बाई-चौड़ाई से कहीं अधिक है। उन वर्णनों से लगता है कि वहां केवल नगर की सीमा ही नहीं वर्णित है, बल्कि पूरे क्षेत्र को सम्मिलित कर लिया गया है। वरुणा के उस पार तक प्राचीन बसावटों के अवशेष काफी दूर तक मिलते हैं। अतः संभव है कि पुराणों में मिले वर्णन वे सब भाग भी आ गये हों। इस क्षेत्र को यदि नगर में जुड़ा हुआ मानें, तो पुराणों में वर्णित नगर की लम्बाई-चौड़ाई लगभग सही ही बतायी गई है।
गौतम बुद्ध के जन्म पूर्व महाजनपद युग में वाराणसी काशी जनपद की राजधानी थी। किंतु प्राचीन काशी जनपद के विस्तार के बारे में यथार्थ आदि से अनुमान लगाना कठिन है। जातकों में काशी का विस्तार ३०० योजन दिया गया है। काशी जनपद के उत्तर में कोसल जनपद, पूर्व में मगध जनपद और पश्चिम में वत्स था। इतिहासवेत्ता डॉ॰ ऑल्टेकर के मतानुसार काशी जनपद का विस्तार उत्तर-पश्चिम की ओर २५० मील तक था, क्योंकि इसका पूर्व का पड़ोसी जनपद मगध और उत्तर-पश्चिम का पड़ोसी जनपद उत्तर पांचाल था। जातक (१५१) के अनुसार काशी और कोसल की सीमाएं मिली हुई थी। काशी की दक्षिण सीमा का सही वर्णन उपलब्ध नहीं है, शायद इसलिये कि वह विंध्य श्रृंखला तक गई हुई थी व आगे कोई आबादी नहीं थी। जातकों के आधार पर काशी का विस्तार वर्तमान बलिया से कानपुर तक फैला रहा होगा। यहां श्री राहुल सांकृत्यायन कहते हैं, कि आधुनिक बनारस कमिश्नरी ही प्राचीन काशी जनपद रहा था। संभव है कि आधुनिक गोरखपुर कमिश्नरी का भी कुछ भाग काशी जनपद में शामिल रहा हो।
दूसरी वाराणसी
पुरु कुल के राजा दिवोदास द्वारा दूसरी वाराणसी की स्थापना का उल्लेख महाभारत और अन्य ग्रन्थों में आता है। इस नगरी के बैरांट में होने की संभावना भी है। इस बारे में पंडित कुबेरनाथ सुकुल के अनुसार बैराट खंडहर बाण गंगा के दक्षिण (दाएं) किनारे पर है वाम (बाएं) पर नहीं। इस प्रकार गोमती और बैरांट के बीच गंगा की धारा बाधक हो जाती है। गंगा के रास्ते बदलने, बाण गंगा में गंगा के बहने और गंगा-गोमती संगम सैदपुर के पास होने के बारे में आगे सुकुलजी ने महाभारत के हवाले से बताया है कि
गंगा-गोमती संगम पर मार्कण्डेय तीर्थ था, जो वर्तमान में कैथी के समीप स्थित है। अत: ये कह सकते हैं कि यदि गंगा-गोमती संगम सैदपुर के पास था तो यह महाभारत-पूर्व हो सकता है, न कि तृतीय शताब्दी ईसवी के बाद का।
मार्कण्डेयस्य राजेन्द्रतीर्थमासाद्य दुलभम्।
गोमतीगंगयोश्चैव संगमें लोकविश्रुते।।महाभारत
भूगोल तथा जलवायु
भूगोल
वाराणसी शहर उत्तरी भारत की मध्य गंगा घाटी में, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर गंगा नदी के बायीं ओर के वक्राकार तट पर स्थित है। यहां वाराणसी जिले का मुख्यालय भी स्थित है। वाराणसी शहरी क्षेत्र — सात शहरी उप-इकाइयों का समूह है और ये ११२.२६ वर्ग कि॰मी॰ (लगभग ४३ वर्ग मील) के क्षेत्र फैला हुआ है। शहरी क्षेत्र का विस्तार (८२°५६’ पूर्व) - (८३°०३’ पूर्व) एवं (२५°१४’ उत्तर) - (२५°२३.५’ उत्तर) के बीच है। उत्तरी भारत के गांगेय मैदान में बसे इस क्षेत्र की भूमि पुराने समय में गंगा नदी में आती रहीं बाढ़ के कारण उपत्यका रही है।
खास वाराणसी शहर गंगा और वरुणा नदियों के बीच एक ऊंचे पठार पर बसा है। नगर की औसत ऊंचाई समुद्र तट से ८०.७१ मी. है। यहां किसी सहायक नदी या नहर के अभाव में मुख्य भूमि लगातार शुष्क बनी रही है। प्राचीन काल से ही यहां की भौगोलिक स्थिति बसावट के लिये अनुकूल रही है। किन्तु नगर की मूल स्थिति का अनुमान वर्तमान से लगाना मुश्किल है, क्योंकि आज की स्थिति कुछ प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित स्थिति से भिन्न है।
नदियाँ
वाराणसी या काशी का विस्तार प्रायः गंगा नदी के दो संगमों: एक वरुणा नदी से और दूसरा असी नदी से संगम के बीच बताया जाता है। इन संगमों के बीच की दूरी लगभग २.५ मील है। इस दूरी की परिक्रमा (दोनों ओर की यात्रा) हिन्दुओं में पंचकोसी यात्रा या पंचकोसी परिक्रमा कहलाती है। इसक यात्रा का समापन साक्षी विनायक मंदिर में किया जाता है। वाराणसी क्षेत्र में अनेक छोटी बड़ी नदियां बहती हैं। इनमें सबसे प्रमुख नदी तो गंगा ही है, किंतु इसके अलावा अन्य बहुत नदियां हैं जैसे गंगा, बानगंगा, वरुणा, गोमती, करमनासा, गड़ई, चंद्रप्रभा, आदि। बनारस जिले की नदियों के विस्तार से अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि बनारस में तो प्रस्रावक नदियां है लेकिन चंदौली में नहीं है जिससे उस जिले में झीलें और दलदल हैं, अधिक बरसात होने पर गांव पानी से भर जाते हैं तथा फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। नदियों के बहाव और जमीन की के कारण जो हानि-लाभ होता है इससे प्राचीन आर्य अनभिज्ञ नहीं थे और इसलिए सबसे पहले आबादी बनारस में हुई।
जलवायु
वाराणसी में आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु (कोप्पन जलवायु वर्गीकरण Cwa के अनुसार) है जिसके संग यहां ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु ऋतुओं के तापमान में बड़े अंतर हैं। ग्रीष्म काल अप्रैल के आरंभ से अक्टूबर तक लंबे होते हैं, जिस बीच में ही वर्षा ऋतु में मानसून की वर्षाएं भी होती हैं। हिमालय क्षेत्र से आने वाली शीत लहर से यहां का तापमान दिसम्बर से फरवरी के बीच शीतकाल में गिर जाता है। यहां का तापमान ३२° से. ४६°C (९०° फै. ११५°फै.) ग्रीष्म काल में, एवं ५°से. १५°से. (४१°फै. ५९°फै.) शीतकाल में रहता है। औसत वार्षिक वर्षा १११० मि.मी. (४४ इंच) तक होती है। ठंड के मौसम में कुहरा सामान्य होता है और गर्मी के मौसम में लू चलना सामान्य होता है।
यहां निरन्तर बढ़ते जल प्रदूषण और निर्माण हुए बांधों के कारण स्थानीय तापमान में वृद्धि दर्ज हुई है। गंगा का जलस्तर पुराने समय से अच्छा खासा गिर गया है और इस कारण नदी के बीच कुछ छोटे द्वीप भी प्रकट हो गये हैं। इस प्राचीन शहर में पानी का जलस्तर इतना गिर गया है कि इंडिया मार्क-२ जैसे हैंडपंप भी कई बार चलाने के बाद भी पानी की एक बूंद भी नहीं निकाल पाते। वाराणसी में गंगा का जलस्तर कम होना भी एक बड़ी समस्या है। गंगा के जल में प्रदूषण होना सभी के लिए चिंता का विषय था, लेकिन अब इसका प्रवाह भी कम होता जा रहा है, जिसके कारण उत्तराखंड से लेकर बंगाल की खाड़ी तक चिंता जतायी जा रही है।
अर्थ-व्यवस्था
वाराणसी में विभिन्न कुटीर उद्योग कार्यरत हैं, जिनमें बनारसी रेशमी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग एवं हस्तशिल्प प्रमुख हैं। बनारसी पान विश्वप्रसिद्ध है और इसके साथ ही यहां का कलाकंद भी मशहूर है। वाराणसी में बाल-श्रमिकों का काम जोरों पर है।
बनारसी रेशम विश्व भर में अपनी महीनता एवं मुलायमपन के लिये प्रसिद्ध है। बनारसी रेशमी साड़ियों पर बारीक डिज़ाइन और ज़री का काम चार चांद लगाते हैं और साड़ी की शोभा बढ़ाते हैं। इस कारण ही ये साड़ियां वर्षों से सभी पारंपरिक उत्सवों एवं विवाह आदि समारोहों में पहनी जाती रही हैं। कुछ समय पूर्व तक ज़री में शुद्ध सोने का काम हुआ करता था।
भारतीय रेल का इंजन निर्माण हेतु बनारस रेल इंजन कारखाना भी वाराणसी में स्थित है। वाराणसी और कानपुर का प्रथम भारतीय व्यापार घराना निहालचंद किशोरीलाल १८५७ में देश के चौथे ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना से आरम्भ हुआ था। इसका नाम इण्डियन एयर गैसेज़ लि. था। लॉर्ड मकॉले के अनुसार, वाराणसी वह नगर था, जिसमें समृद्धि, धन-संपदा, जनसंख्या, गरिमा एवं पवित्रता एशिया में सर्वोच्च शिखर पर थी। यहां के व्यापारिक महत्त्व की उपमा में उसने कहा था: " बनारस की खड्डियों से महीनतम रेशम निकलता है, जो सेंट जेम्स और वर्सेल्स के मंडपों की शोभा बढ़ाता है"।
प्रशासन एवं राजनीति
वाराणसी के प्रशासन में कई संस्थाएं संलग्न हैं, जिनमें से प्रमुख है वाराणसी नगर निगम एवं वाराणसी विकास प्राधिकरण जो वाराणसी शहर की मास्टर योजना के लिये उत्तरदायी है। यहां की जलापूर्ति एवं मल-निकास व्यवस्था नगर निगम के अधीनस्थ जल निगम द्वारा की जाती है। यहां की विद्युत आपूर्ति उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा की जाती है। नगर से प्रतिदिन लगभग ३५ करोड़ लीटर मल एवं ४२५ टन कूड़ा निकलता है। कूड़े का निष्कासन लैण्ड-फ़िल स्थलों पर किय़ा जाता है। बडी मात्रा में मल निकास गंगा नदी में किया जाता है। शहर और उपनगरीय क्षेत्र में नगर निगम द्वारा बस सेवा भी संचालित की जाती है। नगर की कानून व्यवस्था उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा की वाराणसी मंडल में वाराणसी क्षेत्र के अधीन आती है। नगर में पुलिस के उच्चतम अधिकारी पुलिस अधीक्षक हैं। बनारस शहर वाराणसी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। वर्ष २०१४ में हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नरेन्द्र मोदी यहां से सांसद चुने गये थे। वाराणसी जिले में पाँच विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं। ये इस प्रकार से हैं:
३८७-रोहनिया,
३८८-वाराणसी उत्तर,
३८९-वाराणसी दक्षिण,
३९०-वाराणसी छावनी और
३९१-सेवापुरी।
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वाराणसी उन पांच शहरों में से एक है, जहां गंगा एकशन प्लान की शुरुआत हुई थी।
देखें:एक नज़र में वाराणसी
शिक्षा
वाराणसी के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (आई.सी.एस.ई), केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई) या उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यू.पी.बोर्ड) से सहबद्ध हैं।
उच्च शिक्षा
वाराणसी में तीन सार्वजनिक एवं एक मानित विश्वविद्यालय हैं:
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय जिसकी स्थापना १९१६ में पं.मदन मोहन मालवीय ने एनी बेसेंट के सहयोग से की थी। इसका १३५० एकड़ (५.५ वर्ग कि॰मी॰) में फैला परिसर काशी नरेश द्वारा दान की गई भूमि पर निर्मित है। इस विश्वविद्यालय में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी-बी.एच.यू) एवं आयुर्विज्ञान संस्थान विश्व के सर्वोच्च तीन एवं एशिया सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक हैं। यहां १२८ से अधिक स्वतंत्र शैक्षणिक विभाग हैं।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय: भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस ने इस संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना १७९१ में की थी। ये वाराणसी का प्रथम महाविद्यालय था।
इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य संस्कृत प्राध्यापक जे म्योर, आई.सी.एस थे। इनके बाद जे.आर.बैलेन्टियन, आर.टी.एच.ग्रिफ़िथ, डॉ॰जी.थेवो, डॉ॰आर्थर वेनिस, डॉ॰गंगानाथ झा और गोपीनाथ कविराज हुए। भारतीय स्वतंत्रता उपरांत इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाकर वर्तमान नाम दिया गया।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एक मानित राजपत्रित विश्वविद्यालय है। इसका नाम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर है और यहां उनके सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय सारनाथ में स्थापित एक मानित विश्वविद्यालय है। यहां परंपरागत तिब्बती पठन-पाठन को आधुनिक शिक्षा के साथ वरीयता दी जाती है। उदय प्रताप कॉलिज, एक स्वायत्त महाविद्यालय है जहां आधुनिक बनारस के उपनगरीय छात्रों हेतु क्रीड़ा एवं विज्ञान का केन्द्र है। वाराणसी में बहुत से निजी एवं सार्वजनिक संस्थान है, जहां हिन्दू धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था है। प्राचीन काल से ही लोग यहां दर्शन शास्त्र, संस्कृत, खगोलशास्त्र, सामाजिक ज्ञान एवं धार्मिक शिक्षा आदि के ज्ञान के लिये आते रहे हैं। भारतीय परंपरा में प्रायः वाराणसी को सर्वविद्या की राजधानी कहा गया है। नगर में एक जामिया सलाफिया भी है, जो सलाफ़ी इस्लामी शिक्षा का केन्द्र है।
इन विश्वविद्यालयों के अलावा शहर में कई स्नातकोत्तर एवं स्नातक महाविद्यालय भी हैं, जैसे अग्रसेन डिगरी कॉलिज, हरिशचंद्र डिगरी कॉलिज, आर्य महिला डिगरी कॉलिज, एवं स्कूल ऑफ मैंनेजमेंट।
संस्कृति
वाराणसी का पुराना शहर, गंगा तीरे का लगभग चौथाई भाग है, जो भीड़-भाड़ वाली संकरी गलियों और किनारे सटी हुई छोटी-बड़ी असंख्य दुकानों व सैंकड़ों हिन्दू मंदिरों से पटा हुआ है। ये घुमाव और मोड़ों से भरी गलियां किसी के लिये संभ्रम करने वाली हैं। ये संस्कृति से परिपूर्ण पुराना शहर विदेशी पर्यटकों के लिये वर्षों से लोकप्रिय आकर्षण बना हुआ है। वाराणसी के मुख्य आवासीय क्षेत्र (विशेषकर मध्यम एवं उच्च-मध्यम वर्गीय श्रेणी के लिये) घाटों से दूर स्थित हैं। ये विस्तृत, खुले हुए और अपेक्षाकृत कम प्रदूषण वाले हैं।
रामनगर की रामलीला
यहां दशहरा का त्यौहार खूब रौनक और तमाशों से भरा होता है। इस अवसर पर रेशमी और ज़री के ब्रोकेड आदि से सुसज्जित भूषा में काशी नरेश की हाथी पर सवारी निकलती है और पीछे-पीछे लंबा जलूस होता है। फिर नरेश एक माह लंबे चलने वाले रामनगर, वाराणसी की रामलीला का उद्घाटन करते हैं। रामलीला में रामचरितमानस के अनुसार भगवान श्रीराम के जीवन की लीला का मंचन होता है। ये मंचन काशी नरेश द्वारा प्रायोजित होता है अर पूरे ३१ दिन तक प्रत्येक शाम को रामनगर में आयोजित होता है। अन्तिम दिन इसमें भगवान राम रावण का मर्दन कर युद्ध समाप्त करते हैं और अयोध्या लौटते हैं। महाराजा उदित नारायण सिंह ने रामनगर में इस रामलीला का आरम्भ १९वीं शताब्दी के मध्य से किया था।
बनारस घराना
बनारस घराना भारतीय तबला वादन के छः प्रसिद्ध घरानों में से एक है। ये घराना २०० वर्षों से कुछ पहले ख्यातिप्राप्त पंडित राम सहाय (१७८०-१८२६) के प्रयासों से विकसित हुआ था। पंडित राम सहाय ने अपने पिता के संग पांच वर्ष की आयु से ही तबला वादन आरम्भ किया था। बनारस-बाज कहते हैं। ये बनारस घराने की विशिष्ट तबला वादन शैली है। इन्होंने तत्कालीन संयोजन प्रारूपों जैसे जैसे गट, टुकड़ा, परान, आदि से भी विभिन्न संयोजन किये, जिनमें उठान, बनारसी ठेका और फ़र्द प्रमुख हैं।
आज बनारसी तबला घराना अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है, हालांकि बनारस घराने के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें लखनऊ, फर्रुखाबाद और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि ना और धिन। बनारस घराने में एकल वादन बहुत इकसित हुआ है और कई वादक जैसे पंडित शारदा सहाय, पंडित किशन महाराज और पंडित समता प्रसाद, एकल तबला वादन में महारत और प्रसिद्धि प्राप्त हैं। घराने के नये युग के तबला वादकों में पं॰ कुमार बोस, पं.समर साहा, पं.बालकृष्ण अईयर, पं.शशांक बख्शी, सन्दीप दास, पार्थसारथी मुखर्जी, सुखविंदर सिंह नामधारी, विनीत व्यास और कई अन्य हैं। बनारसी बाज में २० विभिन्न संयोजन शैलियों और अनेक प्रकार के मिश्रण प्रयुक्त होते हैं।
पवित्र नगरी
वाराणसी या काशी को हिन्दू धर्म में पवित्रतम नगर बताया गया है। यहां प्रतिवर्ष १० लाख से अधिक तीर्थ यात्री आते हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण है काशी विश्वनाथ मंदिर, जिसमें भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से प्रमुख शिवलिंग यहां स्थापित है।
हिन्दू मान्यता अनुसार गंगा नदी सबके पाप मार्जन करती है और काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है और यदि मिल जाये तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो कर मोक्ष पाती है। इक्यावन शक्तिपीठ में से एक विशालाक्षी मंदिर यहां स्थित है, जहां भगवती सती की कान की मणिकर्णिका गिरी थी। वह स्थान मणिकर्णिका घाट के निकट स्थित है। हिन्दू धर्म में शाक्त मत के लोग देवी गंगा को भी शक्ति का ही अवतार मानते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ। काशी में वैष्णव और शैव संप्रदाय के लोग सदा ही धार्मिक सौहार्द से रहते आये हैं।
वाराणसी बौद्ध धर्म के पवित्रतम स्थलों में से एक है और गौतम बुद्ध से संबंधित चार तीर्थ स्थलों में से एक है। शेष तीन कुशीनगर, बोध गया और लुंबिनी हैं। वाराणसी के मुख्य शहर से हटकर ही सारनाथ है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन दिया था। इसमें उन्होंने बौद्ध धर्म के मूलभूत सिद्दांतों का वर्णन किया था। अशोक-पूर्व स्तूपों में से कुछ ही शेष हैं, जिनमें से एक धामेक स्तूप यहीं अब भी खड़ा है, हालांकि अब उसके मात्र आधारशिला के अवशेष ही शेष हैं। इसके अलावा यहां चौखंडी स्तूप भी स्थित है, जहां बुद्ध अपने प्रथम शिष्यों से (लगभग ५वीं शताब्दी ई.पू या उससे भी पहले) मिले थे। वहां एक अष्टभुजी मीनार बनवायी गई थी।
वाराणसी हिन्दुओं एवं बौद्धों के अलावा जैन धर्म के अवलंबियों के लिये भी पवित तीर्थ है। इसे २३वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ का जन्मस्थान माना जाता है। वाराणसी पर इस्लाम संस्कृति ने भी अपना प्रभाव डाला है। हिन्दू-मुस्लिम समुदायों में तनाव की स्थिति कुछ हद तक बहुत समय से बनी हुई है।
गंगा नदी
भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा करीब २,५२५ किलोमीटर की दूरी तय कर गोमुख से गंगासागर तक जाती है। इस पूरे रास्ते में गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर यानि उत्तरवाहिनी बहती है। केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां लगभग ८४ घाट हैं। ये घाट लगभग ६.५ किमी लंबे तट पर बने हुए हैं। इन ८४ घाटों में पांच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिक घाट। अस्सी घाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं।
घाट
वाराणसी में १०० से अधिक घाट हैं। शहर के कई घाट मराठा साम्राज्य के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वर्तमान वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवा परिवार रहे हैं। अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कई घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जैसे मणिकर्णिका घाट, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं। पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। काशी के घाट । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र। सुनील झा। अभिगमन तिथि:२९ अप्रैल २०१०
प्रमुख घाट
दशाश्वमेध घाट
काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट ही स्थित है और सबसे शानदार घाट है।इससे संबंधित दो पौराणिक कथाएं हैं: एक के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसका निर्माण शिव जी के स्वागत हेतु किया था। दूसरी कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किये थे। प्रत्येक संध्या पुजारियों का एक समूह यहां अग्नि-पूजा करता है जिसमें भगवान शिव, गंगा नदी, सूर्यदेव, अग्निदेव एवं संपूर्ण ब्रह्मांड को आहुतियां समर्पित की जाती हैं। यहां देवी गंगा की भी भव्य आरती की जाती है।
मणिकर्णिका घाट
इस घाट से जुड़ी भी दो कथाएं हैं। एक के अनुसार भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या करते हुए अपने सुदर्शन चक्र से यहां एक कुण्ड खोदा था। उसमें तपस्या के समय आया हुआ उनका स्वेद भर गया। जब शिव वहां प्रसन्न हो कर आये तब विष्णु के कान की मणिकर्णिका उस कुंड में गिर गई थी। दूसरी कथा के अनुसार भगवाण शिव को अपने भक्तों से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी। देवी पार्वती इससे परेशान हुईं और शिवजी को रोके रखने हेतु अपने कान की मणिकर्णिका वहीं छुपा दी और शिवजी से उसे ढूंढने को कहा। शिवजी उसे ढूंढ नहीं पाये और आज तक जिसकी भी अन्त्येष्टि उस घाट पर की जाती है, वे उससे पूछते हैं कि क्या उसने देखी है?प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार मणिकर्णिका घाट का स्वामी वही चाण्डाल था, जिसने सत्यवादी राजा हरिशचंद्र को खरीदा था। उसने राजा को अपना दास बना कर उस घाट पर अन्त्येष्टि करने आने वाले लोगों से कर वसूलने का काम दे दिया था। इस घाट की विशेषता ये है, कि यहां लगातार हिन्दू अन्त्येष्टि होती रहती हैं व घाट पर चिता की अग्नि लगातार जलती ही रहती है, कभी भी बुझने नहीं पाती।
सिंधिया घाट
सिंधिया घाट, जिसे शिन्दे घाट भी कहते हैं, मणिकर्णिका घाट के उत्तरी ओर लगा हुआ है। यह घाट काशी के बड़े तथा सुंदर घाटों में से एक है। इस घाट का निर्माण १५० वर्ष पूर्व १८३० में ग्वालियर की महारानी बैजाबाई सिंधिया ने कराया था तथा और इससे लगा हुआ शिव मंदिर आंशिक रूप से नदी के जल में डूबा हुआ है। इस घाट के ऊपर काशी के अनेकों प्रभावशाली लोगों द्वारा बनवाये गए मंदिर स्थित हैं। ये संकरी घुमावदार गलियों में सिद्ध-क्षेत्र में स्थित हैं। मान्यतानुसार अग्निदेव का जन्म यहीं हुआ था। यहां हिन्दू लोग वीर्येश्वर की अर्चना करते हैं और पुत्र कामना करते हैं। १९४९ में इसका जीर्णोद्धार हुआ। यहीं पर आत्माविरेश्वर तथा दत्तात्रेय के प्रसिद्ध मंदिर हैं। संकठा घाट पर बड़ौदा के राजा का महल है। इसका निर्माण महानाबाई ने कराया था। यहीं संकठा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। घाट के अगल- बगल के क्षेत्र को "देवलोक' कहते हैं।
मान मंदिर घाट
जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने ये घाट १७७० में बनवाया था। इसमें नक्काशी से अलंकृत झरोखे बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में यंत्र मंत्र वेधशाला भी बनवायी थी जो दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा के संग पांचवीं खगोलशास्त्रीय वेधशाला है। इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर बारजा है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवाया गई थी।
ललिता घाट
स्वर्गीय नेपाल नरेश ने ये घाट वाराणसी में उत्तरी ओर बनवाया था। यहीं उन्होंने एक नेपाली काठमांडु शैली का पगोडा आकार गंगा-केशव मंदिर भी बनवाया था, जिसमें भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर में पशुपतेश्वर महादेव की भी एक छवि लगी है।
असी घाट
असी घाट असी नदी के संगम के निकट स्थित है। इस सुंदर घाट पर स्थानीय उत्सव एवं क्रीड़ाओं के आयोजन होते रहते हैं। ये घाटों की कतार में अंतिम घाट है। ये चित्रकारों और छायाचित्रकारों का भी प्रिय स्थल है। यहीं स्वामी प्रणवानंद, भारत सेवाश्रम संघ के प्रवर्तक ने सिद्धि पायी थी। उन्होंने यहीं अपने गोरखनाथ के गुरु गंभीरानंद के गुरुत्व में भगवान शिव की तपस्या की थी।
अन्य
आंबेर के मान सिंह ने मानसरोवर घाट का निर्माण करवाया था। दरभंगा के महाराजा ने दरभंगा घाट बनवाया था। गोस्वामी तुलसीदास ने तुलसी घाट पर ही हनुमान चालीसा और रामचरितमानस की रचना की थी। बचरज घाट पर तीन जैन मंदिर बने हैं और ये जैन मतावलंबियों का प्रिय घाट रहा है। १७९५ में नागपुर के भोसला परिवार ने भोसला घाट बनवाया। घाट के ऊपर लक्ष्मी नारायण का दर्शनीय मंदिर है। राजघाट का निर्माण लगभग दो सौ वर्ष पूर्व जयपुर महाराज ने कराया।
मंदिर
वाराणसी मंदिरों का नगर है। लगभग हर एक चौराहे पर एक मंदिर तो मिल ही जायेगा। ऐसे छोटे मंदिर दैनिक स्थानीय अर्चना के लिये सहायक होते हैं। इनके साथ ही यहां ढेरों बड़े मंदिर भी हैं, जो वाराणसी के इतिहास में समय समय पर बनवाये गये थे। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर प्रमुख हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर, जिसे कई बार स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है, अपने वर्तमान रूप में १७८० में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्करद वारा बनवाया गया था। ये मंदिर गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट के निकट ही स्थित है। इस मंदिर की काशी में सर्वोच्च महिमा है, क्योंकि यहां विश्वेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इस ज्योतिर्लिंग का एक बार दर्शनमात्र किसी भी अन्य ज्योतिर्लिंग से कई गुणा फलदायी होता है। १७८५ में तत्कालीन गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स के आदेश पर यहां के गवर्नर मोहम्मद इब्राहिम खां ने मंदिर के सामने ही एक नौबतखाना बनवाया था। १८३९ में पंजाब के शासक पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह इस मंदिर के दोनों शिखरों को स्वर्ण मंडित करवाने हेतु स्वर्ण दान किया था। २८ जनवरी १९८३ को मंदिर का प्रशासन उत्तर प्रदेश सरकार नेल लिया और तत्कालीन काशी नरेश डॉ॰विभूति नारायण सिंह की अध्यक्षता में एक न्यास को सौंप दिया। इस न्यास में एक कार्यपालक समिति भी थी, जिसके चेयरमैन मंडलीय आयुक्त होते हैं।
इस मंदिर का ध्वंस मुस्लिम मुगल शासक औरंगज़ेब ने करवाया था और इसके अधिकांश भाग को एक मस्जिद में बदल दिया। बाद में मंदिर को एक निकटस्थ स्थान पर पुनर्निर्माण करवाया गया।
दुर्गा मंदिर, जिसे मंकी टेम्पल भी कहते हैं; १८वीं शताब्दी में किसी समय बना था। यहां बड़ी संख्या में बंदरों की उपस्थिति के कारण इसे मंकी टेम्पल कहा जाता है। मान्यता अनुसार वर्तमाण दुर्गा प्रतिमा मानव निर्मित नहीं बल्कि मंदिर में स्वतः ही प्रकट हुई थी। नवरात्रि उत्सव के समय यहां हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। इस मंदिर में अहिन्दुओं का भीतर प्रवेश वर्जित है।
इसका स्थापत्य उत्तर भारतीय हिन्दू वास्तु की नागर शैली का है। मंदिर के साथ ही एक बड़ा आयताकार जल कुण्ड भी है, जिसे दुर्गा कुण्ड कहते हैं। मंदिर का बहुमंजिला शिखर है और वह गेरु से पुता हुआ है। इसका लाल रंग शक्ति का द्योतक है। कुण्ड पहले नदी से जुड़ा हुआ था, जिससे इसका जल ताजा रहता था, किन्तु बाद में इस स्रोत नहर को बंद कर दिया गया जिससे इसमें ठहरा हुआ जल रहता है और इसका स्रोत अबव र्शषआ या मंदिर की निकासी मात्र है। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर भगवान विष्णु और शेषनाग की पूजा की जाती है। यहां संत भास्कपरानंद की समाधि भी है। मंगलवार और शनिवार को दुर्गा मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रहती है। इसी के पास हनुमान जी का संकटमोचन मंदिर है। महत्ता की दृष्टि से इस मंदिर का स्थागन काशी विश्वभनाथ और अन्नेपूर्णा मंदिर के बाद आता है।
संकट मोचन मंदिर राम भक्त हनुमान को समर्पैत है और स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है। यहां बहुत से धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन वार्षिक रूप से होते हैं। ७ मार्च २००६ को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा शहर में हुए तीन विस्फोटों में से एक यहां आरती के समय हुआ था। उस समय मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। साथ ही एक विवाह समारोह भी प्रगति पर था।
व्यास मंदिर, रामनगर
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब वेद व्यास जी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे। उसके तुरन्त बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये। इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया। इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के परिसर में नया विश्वनाथ मंदिर बना है, जिसका निर्माण बिरला परिवार के राजा बिरला ने करवाया था। ये मंदिर सभी धर्मों और जाति के लोगों के लिये खुला है।
कला एवं साहित्य
वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, वागीश शास्त्री, बलदेव उपाध्याय, सुदामा पांडेय (धूमिल) एवं विद्या निवास मिश्र और अन्य बहुत।
यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में राय कृष्णदास, उनके पुत्र आनंद कृष्ण, संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर, रवि शंकर, बिस्मिल्लाह खां, गिरिजा देवी, सिद्देश्वरी देवी, लालमणि मिश्र एवं उनके पुत्र गोपाल शंकर मिश्र, एन राजम, राजभान सिंह, अनोखेलाल, समता प्रसाद, कांठे महाराज, एम.वी.कल्विंत, सितारा देवी, गोपी कृष्ण, कृष्ण महाराज, राजन एवं साजन मिश्र, महादेव मिश्र एवं बहुत से अन्य लोगों ने नगर को अपनी ललित कलाओं के कौशल से जीवंत बनाए रखा। नगर की प्राचीन और लोक संस्कृति की पारंपरिक शैली को संरक्षित किये ढेरों उत्सव और त्यौहार यहां मनाये जाते हैं। रात्रिकालीन, संगीत सभाएं आदि संकटमोचन मंदिर, होरी, कजरी, चैती मेला, बुढ़वा मंगल यहां के अनेक पर्वों में से कुछ हैं जो वार्षिक रूप से सभी जगहों से पर्यटक एवं शौकीनों को आकर्षित करते हैं।
महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत, जिन्होंने शल्य-क्रिया का संस्कृत ग्रन्थ सुश्रुत संहिता लिखा था; वाराणसी में ही आवास करते थे।
सरस्वती भवन
रामनगर किले में स्थित सरस्वती भवन में दुर्लभ पांडुलिपियों, विशेषकर धार्मिक ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह सुरक्षित है। यहां गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है। यहां मुगल मिनियेचर शैली में बहुत सी पुस्तकें रखी हैं, जिनके सुंदर आवरण पृष्ठ हैं।
जनसांख्यिकी
वाराणसी शहरी क्षेत्र की २००१ के अनुसार जनसंख्या १३,७१,७४९ थी; और लिंग अनुपात ८७९ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था। वाराणसी नगर निगम के अधीनस्थ क्षेत्र की जनसंख्या ११,००,७४८ जिसका लिंग अनुपात ८८३ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था। शहरी क्षेत्र में साक्षरता दर ७७% और निगम क्षेत्र में ७८% थी। निगम क्षेत्र के लगभग १,३८,००० लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में रहते हैं। वर्ष २००४ की अपराध दर १२८.५ प्रति १ लाख थी; जो राज्य की दर ७३.२ से अधिक है, किन्तु राष्ट्रीय अपराध दर १६८.८ से कहीं कम है।
परिवहन
वाराणसी भारत के मुख्य बड़े शहरों जैसे नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और जयपुर आदि से वायु, सड़क एवं रेल यातायात द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। ये दिल्ली से ७७६ कि.मी दूरी पर है। वाराणसी की अधिकांश शहरों से दूरी में अस्तित्त्व का प्रमुख कारण इसका इन शहरों के बीच एक यातायात केन्द्र के रूप में जुड़ा होना है। प्राचीन समय से ही शहर तक्षिला, गाज़ीपुर, पाटलिपुत्र, वैशाली, अयोध्या, गोरखपुर एवं आगरा आदि से जुड़ा रहा है।
वायु
बाबतपुर विमानक्षेत्र (लाल बहादुर शास्त्री विमानक्षेत्र) शहर के केन्द्र से २५ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है और चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, खजुराहो, बैंगकॉक, बंगलुरु, कोलंबो एवं काठमांडु आदि देशीय और अंतर्राष्ट्रीय शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। अधिकांश प्रमुख देशीय विमान सेवाओं में इंडियन एयरलाइंस, किंगफिशर एयरलाइंस, एयर इंडिया, स्पाइसजेट एवं एलाइंस एयर द्वारा वायु सेवाएँ यहां से संचालित होती है।
रेल
बनारस की प्रथम रेलवे लाइन दिसम्बर, १८६२ में ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने कोलकाता से बनवायी थी।
उत्तर रेलवे के अधीन वाराणसी जंक्शन एवं पूर्व मध्य रेलवे के अधीन मुगलसराय जंक्शन नगर की सीमा के भीतर दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। इनके अलावा नगर में १६ अन्य छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन हैं।
सड़क
मौर्य साम्राज्य काल में वाराणसी तक्षिला शहर से इकलौती सड़क द्वारा जुड़ा हुआ था। बाद में इस सड़क का पुनरोद्धार हुआ और शेरशाह सूरी ने १६वीं शताब्दी में इसे विस्तृत कर काबुल से रंगून तक बढ़ाया, जिसे ग्रैंड ट्रंक रोड कहा जाता है। एन.एच.-२ दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग वाराणसी नगर से निकलता है। इसके अलावा एन.एच.-७, जो भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है, वाराणसी को जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, मदुरई और कन्याकुमारी से जोड़ता है।
सार्वजनिक यातायात
ऑटो रिक्शा एवं साइकिल रिक्शा वाराणसी शहर के स्थानीय प्रचलित यातायात साधन हैं। बाहरी क्षेत्रों में नगर-बस सेवा में मिनी-बसें चलती हैं। छोटी नावें और छोटे स्टीमर गंगा नदी पार करने हेतु उपलब्ध रहते हैं।
पर्यटन
संभवतः अपनी अनुपम और अद्वितीय संस्कृति के कारण वाराणसी संसार भर में पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है। शहर में अनेक ३, ४ और ५ सितारा होटल हैं। इसके अलावा पश्चिमी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिये पर्याप्त और दक्ष रहन सहन व्यवस्था है। यहां के स्थानीय खानपान के अलावा लगभग सभी प्रकार की खानपान व्यवस्था शहर में उपलब्ध है। शहर के लोगों का स्व्भाव भी सत्कार से परिपूर्ण है। वाराणसी बनारसी रेशम की साड़ियों और पीतल के सामान के लिये भी प्रसिद्ध है। इसके अलावा उच्च कोटि के रेशमी वस्त्र, कालीन, काष्ठ शिल्प, भित्ति सज्जा एवं प्रदीपन आदि के सामान के साथ-साथ बौद्ध एवं हिन्दू देवी-देवताओं के मुखौटे विशेशः आकर्षण रहे हैं। मुख्य खरीदारी बाजारों में चौक, गोदौलिया, विश्वनाथ गली, लहुराबीर एवं ठठेरी बाजार हैं। अस्सी घाट शहर के डाउनटाउन इलाके गोदौलिया और युवा संस्कृति से ओतप्रोत बी.एच.यू के बीच एक मध्यस्थ स्थान है, जहां युवा, विदेशी और आवधिक लोग आवास करते हैं।
प्रचलित संस्कृति में
चलचित्र बनारस – ए मिस्टिक लव स्टोरी (२००६), वाराणसी के इतिहास और उसके भारतीय परंपराओं में स्थान पर आधारित हिन्दी चलचित्र है।
बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय के बांग्ला उपन्यास अपराजितो में, बनारस के आंशिक दृश्य हैं, जिन्हें बाद में सत्यजित राय द्वारा अपनी फिल्म द अपु ट्राइलॉजी में भी दिखाया गया है। इस फिल्म के कुछ भाग बनारस में ही शूट किये गए हैं।
आयन मैकडोनाल्ड के उपन्यास रिवर ऑफ गॉड्स की पृष्ठभूमि के कुछ अंश बनारस के हैं।
सत्यजित राय की फिल जोइ बाबा फेलुनाथ लगभग सारी बनारस में शूट हुई थी।
१९७८ की सुपरहिट हिन्दी चलचित्र डॉन का गाना खईके पान बनारस वाला अमिताभ बच्चन के साथ बनारसी पान की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।
पंडित विकास महाराज के संयोजन "गंगा" पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म होलीवॉटर यहीं बनी थी।
कृष्ण दास द्वारा गाया गया गीत "काशी विश्वनाथ गंगे" सीडी ब्रॅथ ऑफ द हार्ट में निकला था
जेयॉफ डायर की २००९ में निकली पुस्तक: जैफ इन वेनिस, डेथ इन वाराणसी आधी बनारस पर लिखी है।
विजय सिंह के उपन्यास जय गंगा, इन सर्च ऑफ द रिवर गॉडेस एवं क्लासिकल चलचित्र जय गंगा आंशिक रूप सए बनारस पर बनी हैं। इसमें यहां के घाटों के अच्छे दृश्य हैं।
वर्तमान काल की प्रमुख विभूतियाँ
मदन मोहन मालवीय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक
लाल बहादुर शास्त्री, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री
बिस्मिल्लाह खां, शहनाईवादक, भारत रत्न
कृष्ण महाराज, तबला वादक, पद्म विभूषण
रवि शंकर, सितारवादक, भारत रत्न
सिद्धेश्वरी देवी, खयालगायिका
विकाश महाराज, सरोद के महारथी
नैना देवी, खयाल गायिका
भगवान दास, भारत रत्न
समता प्रसाद (गुदई महाराज) तबला वादक, पद्मश्री
जय शंकर प्रसाद - हिंदी साहित्यकार)
प्रेमचंद - हिंदी साहित्यकार
भारतेंदु हरिश्चंद्र - हिंदी साहित्यकार
इन्हें भी देखें
वाराणसी ज़िला
बाहरी कड़ियाँ
वाराणसी जिला - आधिकारिक जालस्थल
वाराणसी वैभव
वाराणसी के चित्र
उत्तर प्रदेश पर्यटन जालस्थल
होलीवॉटर – वाराणसी
सद्गुरु प्राकट्य धाम, कबीर बाग, लहरतारा, वाराणसी
वाराणसी मानचित्र सभी मुख्य मंदिर एवं घाट चिह्नित
विजय सिंह की फीचर फिल्म 'जय गंगा' से शॉट्स
सन्दर्भ
सम्बन्धित ग्रन्थ
बृहदारण्यक उपनिषद, अध्याय २, खण्ड १, श्लोक-१
कौषीतकी उपनिषद, अध्याय ४, खण्ड-१
*
पाणिनि के अष्टाध्यायी ४/२/११*
ऋग्वेद १/१३०/*
रघुवंश ७/६-१० एवं कुमारसंभवम् ७/५/य
नाट्य शास्त्र: पृ. ३६-३०-४*
</div>
टीका टिप्पणी
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क. अविमुक्तं समासाद्य तीर्थसेवी कुरुद्वह। दर्शनादेवदेस्य मुच्यते ब्रह्महत्यया ॥
ख. ततो वाराणसीं गत्वा देवमच्र्य वृषध्वजम्। कपिलाऊदमुपस्पृश्य राजसूयफलं लभेत् ॥
ग. भौमानामपि तीर्थनां पुणयत्वे कारणं ॠणु। यथा शरीरस्योधेशा: केचित् पुण्यतमा: समृता:॥
पृथिव्यामुधेशा: केचित् पुण्यतमा: समृता:। प्रभावाध्दभुताहभूमे सलिलस्य च तेजसा।
परिग्रहान्युनीमां च तीर्थानां पुण्यता स्मृता॥
घ. अविमुक्तं वै देवानां देवयजनं सर्वेषां भूतानां ब्रह्मसदनमत्र हि जन्तो:
प्राणोषूत्क्रममाणेषु रुद्रस्ताखं ब्रह्म व्याचष्टे येना सावमृततीभूत्वा
मोक्षीभवती तस्मादविमुक्तमेव निषेविताविमुक्तं न विमुंचेदेवमेवैतद्याज्ञवल्क्यः।
च. अविमुक्तं समासाद्य तीर्थसेवी कुरुद्वह। :दर्शनादेवदेस्य मुच्यते ब्रह्महत्यया॥
छ. ततो वाराणसीं गत्वा देवमच्र्य वृषध्वजम्। कपिलाऊदमुपस्पृश्य राजसूयफलं लभेत् ॥
झ. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति। कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥
अर्थात:सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर श्री मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी में श्री महाकाल, ओंकारेश्वर, अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्री घृष्णेश्वर, को स्मरण करें। जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण-मात्र से मिट जाता है।
वाराणसी ज़िला
उत्तर प्रदेश के नगर
वाराणसी ज़िले के नगर
हिन्दू पवित्र शहर
प्राचीन भारत के नगर
हिन्दू तीर्थ स्थल
भारत के रजवाड़े
शैव धर्म
शक्ति पीठ
१८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्थल
बौद्ध धार्मिक स्थल
आज का आलेख
भारत में भूतपूर्व राजधानियाँ
भारत के घाट |
एडिलेड ओवल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 31 रनों से पीटकर चार मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 से बढ़त हासिल कर ली है. भारत ने 10 साल बाद ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट मैच जीता.
लेकिन कंगारू यह हार बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और भारत की जीत पर सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के लिए नाथन लियोन और जोश हेजलवुड आखिरी विकेट के लिए 32 रन की साझेदारी कर चुके थे जिसने भारत की चिंताएं बढ़ा दी थी.
लियोन और हेजलवुड ने ऑस्ट्रेलिया को 291 के स्कोर पर पहुंचा दिया था और आस्ट्रेलिया को जीत के लिए 31 रनों की दरकार थी. लेकिन, इसी स्कोर पर केएल राहुल ने अश्विन की गेंद पर हेजलवुड का कैच लेकर भारत को जीत दिलाई.
शास्त्री बोले- प्रैक्टिस को मारो गोली, लड़कों को आराम की जरूरत है
लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया टीम इंडिया की इस जीत के बाद राहुल के मैच विनिंग कैच पर सवाल उठा रही है. फोक्स क्रिकेट ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, क्या आखिरी कैच क्लीन था? वीडियो में सेकेंड स्लिप पर खड़े केएल राहुल ने हेजलुड का कैच लपका. लेकिन गेंद राहुल के हाथ से हल्की सी फिसलती हुई दिख रही है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि राहुल ने आसानी से कैच लपक लिया है.
ऋषभ पंत का विकेट के पीछे अद्भुत कारनामा, वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी
Was the final catch clean?
Take another look
#AUSvIND
🇦🇺🏏🇮🇳
pic.twitter.com/wz6zm1u2YT
— Fox Cricket (@FoxCricket)
December 10, 2018
ये वीडियो शेयर करने के बाद फैंस ने ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट फोक्स क्रिकेट को आड़े हाथों लिया है. फैंस ने कंगारुओं को नसीहत दी है कि अब बांग्लादेश की तरह बहाने मत बनाओ.
Yes Clean. U guys don't accept anything that make U cry. Poor Aussies. But well play mat U give us a Classic test match
— STR Veriyan (@STR_AnnaVeriyan)
December 10, 2018
clean as ever u can get it for the catch
— murali (@muralimg89)
December 10, 2018
Cleaner than the clarke one. So I guess that's out
— Nikhil (@NykhilChopra)
December 10, 2018
Lol Aussies are now coming up with Pakistan and Bangladesh team excuses 😂
— Dexter (@MunnaKaTunna)
December 10, 2018
Yeah bro fingers are underneath the bowl. DNT push it
— Cricket Fan (@cricketfanera)
December 10, 2018
Just Aussie excuses !!
— DS Roy (@DJSRoy)
December 10, 2018 |
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ना सिर्फ विधानसभा में हैट्रिक लगाकर अपना लोहा मनवाया, बल्कि लोकसभा चुनाव के अब तक रूझानों में अपना पुराना प्रदर्शन दोहराते हुए दिख रहे हैं. लेकिन इन सबसे अलावा रमन सिंह अब एक बेहतर चुनाव भविष्यवेत्ता भी हो गए हैं.
चुनावी परिणाम देखें LIVE
चुनाव परिणाम के पल-पल का अपडेट
लोकसभा चुनाव के दौरान जब कोरबा और जांजगीर लोकसभा सीटों पर प्रचार करने गए थे तो इंडिया टुडे की टीम उनके साथ थी. उस दिन अपनी हर सभाओं में उन्होंने कहा था, 'यह आम चुनाव दो तरह का इतिहास रचने जा रहा है. पहला- कांग्रेस सबसे बड़ी पराजय की ओर बढ़ रही है और वह देश भर में 70 से कम सीटों पर सिमट जाएगी. दूसरा - नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में
272 सीटें जीतकर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनेगी.'
उस दिन की चारों चुनावी सभा में रमन ने इस जुमले को दोहराया, तो हेलिकाप्टर में सवार होकर लौटते हुए इस संवादददाता ने उनसे पूछा,
'ये 70 सीटों से कम का आंकड़ा आप कहां से लाए?’’
मुस्कराते हुए रमन सिंह बोले, 'ये मेरा निजी आकलन है और आप देख लेना कांग्रेस की इससे ज्यादा सीटें नहीं आएंगी.'
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस न सिर्फ दो अंकों में सिमट गई है. बल्कि
विपक्ष का नेता बनने के लिए लोकसभा में
जरुरी 10 फीसदी सदस्य का अंक भी छूती नहीं दिख रही. अब तक के रूझानों के मुताबिक कांग्रेस 45 सीटों पर सिमट रही है. |
चीन में वर्ष 2011 से अब तक 6.4 करोड़ शहरी लोगों को नौकरी प्रदान की गई, जबकि इन पांच वर्षो की अवधि में सरकार ने 4.5 करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा था. यह बात सोमवार को एक अधिकारी ने कही.
मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय के प्रमुख यिन वेमिन ने एक बैठक के दौरान कहा कि इस दौरान वार्षिक आधार नौकरियां लगातार पांचवें वर्ष 1.2 करोड़ से अधिक रहीं.
सरकार ने 2011 से 2015 के बीच शहरी बेरोजगारी की दर पांच फीसदी से कम रखने का लक्ष्य रखा था. यिन ने कहा कि इस समय में बेरोजगारी दर करीब 4.1 फीसदी रही.
वर्ष 2015 के लिए सरकार ने कम से कम एक करोड़ नई नौकरियों का सृजन करने और पंजीकृत बेरोजगारी की दर को 4.5 फीसदी से नीचे रखने का लक्ष्य तय किया था. इससे आगे बढ़कर प्रथम तीन तिमाहियों में चीन ने 1.066 करोड़ नए रोजगार पैदा किए और सितंबर के आखिर तक बेरोजगारी की दर 4.05 फीसदी थी. |
अगर आपकी उम्र 23-24 से ऊपर हो चुकी है और आप अभी तक बेरोजगार हैं तो आपको पता करना चाहिए कि ऐसी कौन सी कमी आप में है जिसके कारण आपको अभी तक नौकरी नहीं मिल रही है. कहीं आपके बेरोजगार होने के पीछे ये कारण तो नहीं है:
1. नर्वस होना:
परीक्षा या इंटरव्यू देते समय ज्यादातर लोग
नर्वस
हो जाते हैं. इसके कारण आप छोटी-छोटी गलतियां करने लगते हैं. कई स्टूडेंट्स बताते हैं कि परीक्षा में नर्वसनेस के कारण कई ऐसे सवालों के हल भी गलत कर आते हैं, जिनके बारे में उन्हें अच्छी जानकारी होती है.
2. ज्यादा सैलरी मांगना:
कई उम्मीदवार सैलरी पैकेज ज्यादा मांगते हैं, जिसके कारण उनकी हायरिंग नहीं हो पाती है. अगर आप बेरोजगार हैं तो काम सीखने के लिए सैलरी से थोड़ा कंपरमाइज जरूर करें.
3. आपका व्यवहार:
इंटरव्यू के दौरान सिर्फ आपका मेरिट ही नहीं जज किया जाता है, बल्कि आपके व्यवहार को भी परखा जाता है. 5-7 मिनट के
इंटरव्यू
में ही यह पता कर लिया जाता है कि आपका व्यवहार अच्छा है या बुरा. इसलिए हमेशा इंटरव्यू के दौरान सकारात्मक रहकर अच्छा व्यवहार करें.
4. आपकी नॉलेज:
आप जिस फील्ड में
करियर
बनाना चाहते हैं उसके बारे में अच्छी जानकारी होनी जरूरी है. बेरोजगार रहकर इधर-उधर भटकने से अच्छा है कि पहले आप अपने नॉलेज को मजबूत करें उसके बाद मार्केट में जाएं. एक बार अगर आप काबिल हो गए तो समझ लीजिए कि नौकरी आपके पीछे आएगी ही आएगी.
5. कम्यूनिकेशन की समस्या:
अगर आप अपनी काबिलियत को अच्छे से बता नहीं पाते हैं तो आप बेरोजगार रह सकते हैं. कम्यूनिकेशन एक आर्ट की तरह है, इसे जरूर सीखना चाहिए. ये जॉब दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है. |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को गुजरात के बनासकांठा के दौरे पर जाएंगे. यहां प्रधानमंत्री बनास डेरी के नये प्लान्ट का उद्धघाटन करेंगे. जिस के बाद गांधीनगर में बीजेपी के नये कार्यलय कमलम् पर जाएंगे.
जिस तरह
गुजरात
में पिछले कुछ वक्त से बीजेपी बेकफुट पर है वेसे में प्रधानमंत्री का ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को बीजेपी दफ्तर पर बीजेपी के नेता, विधायक ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ मुलाकात भी करेंगे. साथ ही मिशन 2017 कि तैयारी और नोटबंदी के गुजरात में किस तरह का असर है उसे लेकर भी बातचीत करेंगे.
आनंदीबेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद गुजरात में विजय रुपानी को मुख्यमंत्री बने अभी 4 महीने ही हुए हैं. तब से
प्रधानमंत्री मोदी
का गुरात में ये 5वां दौरा है. जानकार यही मानते हैं कि, गुजरात में आनंदीबेन के शासन में जिस तरह गुजरात में पाटीदार, ओबीसी और दलित आंदोलन हुए हैं, उनसे पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है.
आने वाले दिनो में बीजेपी को गुजरात विधानसभा चुनाव का सामना भी करना है और बीजेपी में बढ़ती गुटबंदी भी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में प्रधानमंत्री का ये दौरा काफी हद तक गुजरात कि
बीजेपी
कि अदरुनी गुटबाजी को भी कम करने के लिये अहम माना जा रहा है. |
यह एक लेख है: ब्रह्मपुत्र के ऊपर देश का अब तक का सबसे लंबा पुल बनाना आसान काम नहीं था. इसके लिए गहन विचार-विश्लेषण और योजना की जरूरत होती है. इससे भी ज्यादा आवश्यक था किसी ऐसी मजबूत सामग्री का चयन जो हर पल मचलती ब्रह्मपुत्र (यहां लोहित के नाम से) को सालों-साल बांधे रख सके. वैसे भी पूर्वोत्तर का इलाका आने वाले भूकंप के लिए कुख्यात है और इसे सबसे खतरनाक जोन में रखा गया है. इसलिए मजबूती का मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. इस शक्तिशाली पुल के ख्वाब को अंजाम तक पहुंचाने में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सेल, असम के लोहित नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल "ढोला-सदीया" के निर्माण में इस्तेमाल किए गए स्टील का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. सेल ने इस पुल के लिए लगभग 90% या लगभग 30,000 टन इस्पात की आपूर्ति की है, जिसमें टीएमटी, स्ट्रक्चरल और प्लेट्स शामिल हैं. यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश जैसे दो महत्वपूर्ण राज्यों को जोड़ेगा. इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए कंपनी चयन का एक प्रमुख आधार सेल द्वारा प्रस्तुत किया गया उत्पाद-मिश्र (प्रोडक्ट-मिक्स) था. इस 9.15 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत 2011 में शुरू किया गया. यह पुल मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक से 3.55 किलोमीटर लंबा है.
सेल देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्पात की आपूर्ति कर रहा है. ढोला-सदीया पुल के अलावा, सेल इस्पात का उपयोग बोगिबेल रेल-सह-सड़क पुल, एनटीपीसी की 750 मेगावाट की बिजली परियोजना एवं 600 मेगावाट की कमेंग जलविद्युत परियोजना समेत कई बिजली संयंत्र, ट्रांस अरुणाचल हाइवे इत्यादि में भी किया गया है. ये सभी परियोजनाएं इस क्षेत्र के अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. सेल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपना विस्तार करने और बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कुछ विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की है. इसके साथ ही अपने विपणन को बढ़ाने के लिए सुनियोजित रणनीति लागू की है. पूर्वोत्तर के दूरदराज के इलाकों में इस्पात की आपूर्ति करने के लिए, क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों की इस्पात खपत की उच्च क्षमता का उपयोग करने, सरकार का पूर्वोत्तर को देश के साथ जोड़ने की नीति पर ज़ोर की संभावनाएं समेत सभी प्रमुख रूप से कंपनी की प्राथमिकता सूची में हैं. हाल ही में सेल ने इस क्षेत्र में विपणन के लिए एक महाप्रबंधक नियुक्त किया है.
राष्ट्रीय महत्व और गुणवत्ता की ऐसे परियोजनाओं का हिस्सा बनना सेल स्टील पर राष्ट्र के विश्वास का प्रमाण है. जैसा कि सेल अपनी शेष आधुनिकीकरण परियोजनाओं को लगभग पूरा करने की ओर है, इससे ऐसी परियोजनाओं के लिए और बेहतर और अधिक मूल्य-वर्धित इस्पात पेश करने की स्थिति में है. इस आधुनिकीकरण के पूरा होने के बाद सेल के विक्रय इस्पात में मूल्य-वर्धित इस्पात उत्पादन का 50 प्रतिशत भाग होगा. सेल अपने विज्ञापनों में अक्सर एक लाइन का इस्तेमाल करता है 'इस्पात भी हम बनाते हैं', जो कहीं न कहीं सेल के मानवीय चेहरे को प्रदर्शित करती है .
सेल देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्पात की आपूर्ति कर रहा है. ढोला-सदीया पुल के अलावा, सेल इस्पात का उपयोग बोगिबेल रेल-सह-सड़क पुल, एनटीपीसी की 750 मेगावाट की बिजली परियोजना एवं 600 मेगावाट की कमेंग जलविद्युत परियोजना समेत कई बिजली संयंत्र, ट्रांस अरुणाचल हाइवे इत्यादि में भी किया गया है. ये सभी परियोजनाएं इस क्षेत्र के अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. सेल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपना विस्तार करने और बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कुछ विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की है. इसके साथ ही अपने विपणन को बढ़ाने के लिए सुनियोजित रणनीति लागू की है. पूर्वोत्तर के दूरदराज के इलाकों में इस्पात की आपूर्ति करने के लिए, क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों की इस्पात खपत की उच्च क्षमता का उपयोग करने, सरकार का पूर्वोत्तर को देश के साथ जोड़ने की नीति पर ज़ोर की संभावनाएं समेत सभी प्रमुख रूप से कंपनी की प्राथमिकता सूची में हैं. हाल ही में सेल ने इस क्षेत्र में विपणन के लिए एक महाप्रबंधक नियुक्त किया है.
राष्ट्रीय महत्व और गुणवत्ता की ऐसे परियोजनाओं का हिस्सा बनना सेल स्टील पर राष्ट्र के विश्वास का प्रमाण है. जैसा कि सेल अपनी शेष आधुनिकीकरण परियोजनाओं को लगभग पूरा करने की ओर है, इससे ऐसी परियोजनाओं के लिए और बेहतर और अधिक मूल्य-वर्धित इस्पात पेश करने की स्थिति में है. इस आधुनिकीकरण के पूरा होने के बाद सेल के विक्रय इस्पात में मूल्य-वर्धित इस्पात उत्पादन का 50 प्रतिशत भाग होगा. सेल अपने विज्ञापनों में अक्सर एक लाइन का इस्तेमाल करता है 'इस्पात भी हम बनाते हैं', जो कहीं न कहीं सेल के मानवीय चेहरे को प्रदर्शित करती है . |
लेख: भुवनेश्वर जाने वाले एयर इंडिया के विमान के कॉकपिट में संदिग्ध रूप से धुआं उठने के कारण यहां के हवाई अड्डे पर इसे लौटने के लिए बाध्य होना पड़ा. विमान में 155 यात्री सवार थे. नई दिल्ली में एयर इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि विमान की सुरक्षित लैंडिंग हो गई और सभी यात्री सुरक्षित हैं.
एयर इंडिया के मुताबिक इसके विमान एआई 669 ने दोपहर सवा दो बजे छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी लेकिन कॉकपिट में धुआं उठता देख इसके पायलट ने आपातकालीन लैंडिंग की इजाजत मांगी. विमान दोपहर दो बजकर 50 मिनट पर पूरी आपातकालीन प्रक्रिया के तहत मुंबई में सुरक्षित तरीके से उतार लिया गया.टिप्पणियां
प्रवक्ता ने बताया कि विमान की जांच अभियंत्रण विभाग की एक टीम कर रही है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की है और विमान जल्द ही भुवनेश्वर के लिए उड़ान भरेगा. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एयर इंडिया के मुताबिक इसके विमान एआई 669 ने दोपहर सवा दो बजे छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी लेकिन कॉकपिट में धुआं उठता देख इसके पायलट ने आपातकालीन लैंडिंग की इजाजत मांगी. विमान दोपहर दो बजकर 50 मिनट पर पूरी आपातकालीन प्रक्रिया के तहत मुंबई में सुरक्षित तरीके से उतार लिया गया.टिप्पणियां
प्रवक्ता ने बताया कि विमान की जांच अभियंत्रण विभाग की एक टीम कर रही है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की है और विमान जल्द ही भुवनेश्वर के लिए उड़ान भरेगा. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रवक्ता ने बताया कि विमान की जांच अभियंत्रण विभाग की एक टीम कर रही है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की है और विमान जल्द ही भुवनेश्वर के लिए उड़ान भरेगा. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
असिमोव एक सक्षम सार्वजनिक वक्ता थे और उन्हें विज्ञान के बारे में भाषण देने के लिए नियमित रूप से भुगतान किया जाता था। वह विज्ञान कथा सम्मेलनों में अक्सर आते थे, जहां वे मिलनसार और मिलनसार थे। उन्होंने धैर्यपूर्वक हजारों प्रश्नों और अन्य मेल का उत्तर पोस्टकार्ड के साथ दिया और ऑटोग्राफ देकर प्रसन्न हुए। वह मध्यम ऊंचाई (5 फीट 9 इंच (1.75 मीटर)) का था, गठीला, अपने बाद के वर्षों में - "मटन-चॉप" साइडबर्न और एक विशिष्ट न्यूयॉर्क उच्चारण वाला था। उनकी पत्नी जेनेट द्वारा उनकी क्लिप-ऑन बो टाई पर आपत्ति जताए जाने के बाद उन्होंने बोलो टाई पहनना शुरू कर दिया। उनकी शारीरिक निपुणता बहुत ख़राब थी. उन्होंने कभी तैरना या साइकिल चलाना नहीं सीखा; हालाँकि, बोस्टन जाने के बाद उन्होंने कार चलाना सीखा। अपनी हास्य पुस्तक असिमोव लाफ्स अगेन में, उन्होंने बोस्टन ड्राइविंग को "पहियों पर अराजकता" के रूप में वर्णित किया है। असिमोव की व्यापक रुचियों में उनके बाद के वर्षों में गिल्बर्ट और सुलिवन के कॉमिक ओपेरा और द वोल्फ पैक, भक्तों के एक समूह के लिए समर्पित संगठनों में उनकी भागीदारी शामिल थी। रेक्स स्टाउट द्वारा लिखित नीरो वोल्फ रहस्य। उनकी कई लघुकथाओं में गिल्बर्ट और सुलिवन का उल्लेख या उद्धरण है। वह प्रमुख शर्लक होम्स सोसायटी, द बेकर स्ट्रीट इर्रेगुलर्स के एक प्रमुख सदस्य थे, जिसके लिए उन्होंने एक निबंध लिखा था जिसमें तर्क दिया गया था कि प्रोफेसर मोरियार्टी के काम "द डायनेमिक्स ऑफ एन एस्टेरॉयड" में एक प्राचीन सभ्य ग्रह का जानबूझकर विनाश शामिल था। वह सर्व-पुरुष साहित्यिक भोज क्लब ट्रैप डोर स्पाइडर्स के भी सदस्य थे, जो उनके रहस्य सुलझाने वालों के काल्पनिक समूह, ब्लैक विडोवर्स के आधार के रूप में कार्य करता था। बाद में उन्होंने मोरियार्टी के काम पर अपने निबंध को ब्लैक विडोवर्स की कहानी, "द अल्टीमेट क्राइम" के आधार के रूप में इस्तेमाल किया, जो मोर टेल्स ऑफ़ द ब्लैक विडोवर्स में छपी। 1984 में, अमेरिकन ह्यूमनिस्ट एसोसिएशन (एएचए) ने उन्हें ह्यूमनिस्ट ऑफ़ द ईयर नामित किया। . वह मानवतावादी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक थे। 1985 से 1992 में अपनी मृत्यु तक, उन्होंने एएचए के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जो एक मानद नियुक्ति थी। उनके उत्तराधिकारी उनके मित्र और साथी लेखक कर्ट वोनगुट थे। वह स्टार ट्रेक निर्माता जीन रोडडेनबेरी के भी करीबी दोस्त थे, और उन्होंने प्रोडक्शन के दौरान दी गई सलाह के लिए स्टार ट्रेक: द मोशन पिक्चर पर "विशेष विज्ञान सलाहकार" के रूप में स्क्रीन क्रेडिट अर्जित किया था। असिमोव वैज्ञानिक जांच समिति के संस्थापक सदस्य थे। असाधारण के दावों का, सीएसआईसीओपी (अब संशयात्मक जांच समिति) और संशयवादियों के पंथियन में सूचीबद्ध है। CSICOP की स्थापना के संबंध में CSICon 2016 में जेम्स रैंडी के साथ एक चर्चा में, केंड्रिक फ्रेज़ियर ने कहा कि असिमोव "स्केप्टिकल आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे, जो आज कम प्रसिद्ध और सराहे गए हैं, लेकिन तब लोगों की नज़रों में बहुत थे।" उन्होंने कहा कि सीएसआईसीओपी से जुड़े होने के कारण असिमोव ने उनकी नजर में इसे "अत्यधिक दर्जा और अधिकार दिया"। असिमोव ने कार्ल सागन को उन दो लोगों में से एक बताया, जिनसे वह कभी मिले थे, जिनकी बुद्धि उनसे कहीं अधिक थी। उन्होंने दावा किया कि दूसरे, कंप्यूटर वैज्ञानिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता विशेषज्ञ मार्विन मिन्स्की थे। अनिच्छा से ही सही, असिमोव मेन्सा इंटरनेशनल के लंबे समय से सदस्य और उपाध्यक्ष थे; उन्होंने उस संगठन के कुछ सदस्यों को "अपने दिमाग पर गर्व करने वाला और अपने आईक्यू के बारे में आक्रामक" बताया। 1969 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, असिमोव ने ब्रैंडिस विश्वविद्यालय में जुडाह असिमोव छात्रवृत्ति कोष में सालाना योगदान दिया। |
मुंबई में बुधवार को मराठा क्रांति मोर्चा का आयोजन किया जा रहा है. इसमें मराठा समाज के 15-20 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. सुबह 11 बजे जिजामाता उद्यान से शुरू होकर ये मोर्चा शाम 4 बजे आज़ाद मैदान तक चलेगा. मोर्चे की वजह से साउथ मुंबई के सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया गया है. कई सड़कों को बंद कर दिया गया है.
किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं. मोर्चे पर सीसीटीवी और ड्रोन से भी नज़र रखी जाएगी. इस मोर्चे की ख़ासियत है कि इसमें शामिल लोग मूक रहते हैं यानी ख़ामोश रहकर अपना विरोध जताते हैं.
पढ़ें: आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय का 'मूक मार्च' ठाणे पहुंचा, कई पार्टियों के नेता हुए शामिलटिप्पणियां
VIDEO: मराठा मोर्चा की बाइक रैली
इस मोर्चे को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है. जुलाई 2016 में कोपड़ी में एक नाबालिग़ से बलात्कार के बाद मराठा समाज के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई ज़िलों में मूक मोर्चा निकालना शुरू किया. तब से अब तक 57 मोर्चे निकल चुके हैं.
किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं. मोर्चे पर सीसीटीवी और ड्रोन से भी नज़र रखी जाएगी. इस मोर्चे की ख़ासियत है कि इसमें शामिल लोग मूक रहते हैं यानी ख़ामोश रहकर अपना विरोध जताते हैं.
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इस मोर्चे को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है. जुलाई 2016 में कोपड़ी में एक नाबालिग़ से बलात्कार के बाद मराठा समाज के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई ज़िलों में मूक मोर्चा निकालना शुरू किया. तब से अब तक 57 मोर्चे निकल चुके हैं.
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इस मोर्चे को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है. जुलाई 2016 में कोपड़ी में एक नाबालिग़ से बलात्कार के बाद मराठा समाज के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई ज़िलों में मूक मोर्चा निकालना शुरू किया. तब से अब तक 57 मोर्चे निकल चुके हैं.
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इस मोर्चे को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है. जुलाई 2016 में कोपड़ी में एक नाबालिग़ से बलात्कार के बाद मराठा समाज के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई ज़िलों में मूक मोर्चा निकालना शुरू किया. तब से अब तक 57 मोर्चे निकल चुके हैं.
इस मोर्चे को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है. जुलाई 2016 में कोपड़ी में एक नाबालिग़ से बलात्कार के बाद मराठा समाज के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई ज़िलों में मूक मोर्चा निकालना शुरू किया. तब से अब तक 57 मोर्चे निकल चुके हैं. |
अपने दो नौसैनिकों को भारत भेजने के लिए इटली के राजी होने के बाद सरकार ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में इटली के साथ कोई ‘सौदेबाजी’ नहीं हुई और कानूनी सलाह के आधार पर राजनयिक चैनलों के जरिये सावधानीपूर्वक एवं सतत संवाद से मुद्दे का समाधान निकाला गया.
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि इटली के साथ संवाद को सावधानीपूर्वक जारी रखा गया और राष्ट्रीय हितों और विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया.
खुर्शीद ने कहा कि संवाद की प्रक्रिया के दौरान भारत ने इटली को लिखित में आश्वासन दिया है कि यदि मरीन सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के भीतर लौट आते हैं, तो उन्हें मौत की सजा नहीं होगी और गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
दोनों मरीन को मुकदमे का सामना करने के लिए वापस भारत भेजने का ऐलान करने के बाद विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि इटली द्वारा मौत की सजा पर स्पष्टीकरण मांगने के बाद भारत ने लिखित में उक्त आश्वासन दिया.
खुर्शीद ने इस बात पर खुशी जतायी कि मामला अब संतोषजनक निष्कर्ष पर पहुंच गया है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ेगी. गौरतलब है कि दोनों मरीनों पर पिछले साल फरवरी में दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने का मामला चल रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक मौत की सजा का सवाल है, इस मामले की प्रकृति ऐसी नहीं है कि मौत की सजा दी जाए क्योंकि मौत की सजा दुर्लभतम मामलों में दी जाती है. खुर्शीद के मुताबिक, ‘हमारा मानना है कि यह मामला मौत की सजा का नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने इस विषय में कानूनी सलाह लेकर सावधानीपूर्वक उसका आकलन करके स्पष्टीकरण दिया है.
हम एक बार फिर से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस मामले में कोई सौदेबाजी नहीं हुई.’ विदेश मंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हमारे ऊपर बाध्यकारी होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मरीनों को मतदान करने के उद्देश्य से चार सप्ताह के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी थी. चार सप्ताह की अवधि शुक्रवार को ही खत्म हो रही है. खुर्शीद ने कहा कि सरकार में वरिष्ठ नेताओं के रुख और पहल ने इस मामले को सुलझाने में काफी मदद की.
विपक्ष, जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के कारण इटली के मरीन को वापस भेजने के लिए तैयार होने के भाजपा के बयान के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हितों के अनुरूप अगर कोई अच्छी चीज आती है तब इसका श्रेय सभी को जाता है.
गौरतलब है कि इटली ने 11 मार्च को भारत से कहा था कि उसके मरीन (इटली से) वापस नहीं जाएंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि इटली को सुप्रीम कोर्ट में दिये गये हलफनामे का सम्मान करना चाहिए.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने 22 जनवरी के आदेश में दोनों मरीन को इटली जाने की इजाजत दी थी. इटली सरकार ने हलफनामा दिया था कि दोनों मरीन उसकी हिरासत और निगरानी में रहेंगे. इटली ने दोनों मरीनों को वापस सुरक्षित भारत भेजने की भी पूरी जिम्मेदारी ली थी. |
मैराथन के दौरान सोमवार को हुए धमाकों के बाद अब अमेरिका का
बोस्टन शहर
शुक्रवार को गोलियों की आवाज से गूंज उठा. अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) परिसर में गोलीबारी की एक घटना में एक कैंपस पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई. गौरतलब है कि बोस्टन सोमवार को मैराथन के दौरान दो धमाकों से दहल उठा था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे.
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस अधिकारी हंगामे की जानकारी मिलने पर वहां गए थे, जब उन्हें गोलियों से भून दिया गया. अधिकारी को कई गोलियां लगीं और उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
जिला अटॉर्नी कार्यालय ने बताया कि गोलीबारी के बाद राज्य पुलिस और एफबीआई को बुलाया गया. कैंपस पुलिसकर्मी उन्हें परिसर में भवन 32 के निकट पड़ा मिला. उसे मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया.
मैसाचुसेट्स प्रांतीय पुलिस और कैंब्रिज पुलिस गोलीबारी की जांच कर रही है. पुलिस के मुताबिक और कोई शिकार नहीं हुआ है और अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
शहर में एफबीआई और नेशनल गार्ड के अधिकारियों का जमावड़ा देखा गया. एमआईटी की वेबसाइट पर पोस्ट की गई गोलीबारी की घटना से जुड़ी सूचना के मुताबिक एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं. संस्थान ने अपने छात्रों और संकाय सदस्यों को अगले नोटिस तक परिसर में ही रहने को कहा है. |
सीमा पर तैनात अर्द्धसैनिक बल के जवानों को एक जानलेवा बीमारी घेर रही है. सीमा पर तैनात जवान तेजी से एड्स की गिरफ्त में आ रहे हैं और सबसे बुरी हालत है बीएसएफ की.
अफसरों के बीच मची खलबली
बीएसएफ की हर यूनिट में दो-तीन जवान एड्स के शिकार हो चुके हैं. इससे अफसरों में खलबली मची है. अब वो तमाम उपाय किए जा रहे हैं जो जवानों को खतरनाक वायरस से बचा सकें. जवानों को जागरूक करने के अलावा अब उन्हें वो छूट दी गई है, जिसे कभी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक माना जाता था, जवानों को बॉर्डर पर तैनाती के दौरान आसपास के गांवों में अपने परिवार साथ रखने की इजाजत दे दी गई है.
अब तक 299 मामले
जवानों में एड्स के 299 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से कई गंभीर मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली भी लाया गया है लेकिन अगर वक्त रहते जवानों में फैल रहे एड्स से नहीं निपटा गया तो दुश्मनों से लड़ने वाले सैनिक खुद कमजोर पड़ जाएंगे. |
निचले असम के जिलों में हिंसा के विरोध में बजरंग दल द्वारा आहूत 12 घंटे के बंद से आम-जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इन जिलों में स्थिति शांत है और आज हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बंद समर्थकों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में टायर जलाये और वाहनों पर पत्थर फेंके, जिसके बाद गुवाहाटी, धुबरी में गोलोकगंज और अगोमोनी में 500 लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, वित्तीय संस्थान बंद हैं और सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति बहुत कम है। वाहन सड़क से नदारद हैं और राज्य परिवहन निगम की कुछ बसें पुलिस की सुरक्षा में चल रही हैं।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि यहां मालीगांव में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पास भी बंद समर्थकों को एहतियातन हिरासत में लिया गया। ये लोग रेलवे के कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाने से रोक रहे थे हालांकि रेल और हवाई सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने इस बंद का समर्थन किया है।
गत शाम से निचले असम के जिलों में हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है, जहां शुक्रवार से सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो अन्य घायल हैं। इससे पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रही हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हो गई है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी में रात का कर्फ्यू जारी है और सेना गश्त लगा रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बंद समर्थकों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में टायर जलाये और वाहनों पर पत्थर फेंके, जिसके बाद गुवाहाटी, धुबरी में गोलोकगंज और अगोमोनी में 500 लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, वित्तीय संस्थान बंद हैं और सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति बहुत कम है। वाहन सड़क से नदारद हैं और राज्य परिवहन निगम की कुछ बसें पुलिस की सुरक्षा में चल रही हैं।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि यहां मालीगांव में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पास भी बंद समर्थकों को एहतियातन हिरासत में लिया गया। ये लोग रेलवे के कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाने से रोक रहे थे हालांकि रेल और हवाई सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने इस बंद का समर्थन किया है।
गत शाम से निचले असम के जिलों में हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है, जहां शुक्रवार से सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो अन्य घायल हैं। इससे पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रही हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हो गई है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी में रात का कर्फ्यू जारी है और सेना गश्त लगा रही है।
सूत्रों ने बताया कि स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, वित्तीय संस्थान बंद हैं और सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति बहुत कम है। वाहन सड़क से नदारद हैं और राज्य परिवहन निगम की कुछ बसें पुलिस की सुरक्षा में चल रही हैं।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि यहां मालीगांव में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पास भी बंद समर्थकों को एहतियातन हिरासत में लिया गया। ये लोग रेलवे के कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाने से रोक रहे थे हालांकि रेल और हवाई सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने इस बंद का समर्थन किया है।
गत शाम से निचले असम के जिलों में हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है, जहां शुक्रवार से सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो अन्य घायल हैं। इससे पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रही हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हो गई है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी में रात का कर्फ्यू जारी है और सेना गश्त लगा रही है।
उन्होंने बताया कि यहां मालीगांव में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पास भी बंद समर्थकों को एहतियातन हिरासत में लिया गया। ये लोग रेलवे के कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाने से रोक रहे थे हालांकि रेल और हवाई सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने इस बंद का समर्थन किया है।
गत शाम से निचले असम के जिलों में हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है, जहां शुक्रवार से सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो अन्य घायल हैं। इससे पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रही हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हो गई है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी में रात का कर्फ्यू जारी है और सेना गश्त लगा रही है।
गत शाम से निचले असम के जिलों में हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है, जहां शुक्रवार से सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो अन्य घायल हैं। इससे पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रही हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हो गई है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी में रात का कर्फ्यू जारी है और सेना गश्त लगा रही है। |
भारतीय डाक इस साल सितंबर से अपने ग्राहकों को डाक, पार्सल, मनीऑर्डर और अन्य डिलीवरी की स्थिति के बारे में उन्हें एसएमएस भेजकर जानी मुहैया कराएगा.
इसके अलावा,
डाक विभाग
अक्तूबर तक जीपीएस वाले उपकरणों की मदद से डाकिया पर नजर रखना शुरू करेगा. एक पायलट परियोजना के तहत दिल्ली में पार्सल और पंजीकृत
डाकों की डिलीवरी
के लिए डाकिया का पता लगाने में मदद मिलेगी जिन्हें दिए गए पते पर डिलीवरी के लिए भेजा गया है.
भारतीय डाक
के मुख्य महाडाकपाल (दिल्ली) वासुमित्र ने डिजिटल इंडिया सप्ताह के दौरान गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया, ‘सितंबर से, हम लोगों को एसएमएस भेजकर निकटतम केंद्र में पार्सल आने के बारे में सूचित करेंगे और यह जानकारी भी देंगे कि इनकी डिलीवरी कब की जाएगी.’ उन्होंने कहा कि डाक विभाग ग्रामीण इलाकों के लिए 1.3 लाख जीपीएस उपकरण खरीद रहा है. हाथ से चलाए जा सकते वाले इन उपकरणों से डाक घरों से दी जाने वाली हर तरह की सेवाओं में सुविधा होगी. प्रमुख शहरों के लिए 15,000 उपकरणों की अलग से व्यवस्था की जाएगी.
-इनपुट भाषा से |
अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे में कथित तौर पर रिश्वत
दिये जाने के मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने के सरकार के प्रस्ताव को राज्यसभा ने मंजूरी प्रदान कर दी है, हालांकि एनडीए, तृणमूल, अन्नाद्रमुक, वाम दलों ने इसका विरोध करते हुए सदन से वाक आउट किया.
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ
ने
अगस्तावेस्टलैंड से वीवीआईपी हेलीकाप्टरों की खरीद
में कथित तौर पर रिश्वत दिये जाने के आरोपों की जांच जेपीसी से कराने का प्रस्ताव किया. उन्होंने कहा कि जेपीसी इस मामले में सीबीआई द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करेगी ताकि मामले का सत्य शीघ्र सामने आ सके.
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि जेपीसी गठित करने से मामले की जांच में और विलंब होगा. उन्होंने कहा कि जेपीसी के पास गिरफ्तारी सहित विभिन्न अधिकारी नहीं होते, इसलिए वह मामले की सच्चाई जल्द सामने ला पायेगी, इसमें संदेह है.
अन्नाद्रमुक नेता वी मैत्रेयन ने कहा कि सरकार इस मामले में जब प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कर पायी तो वह जेपीसी गठित करने पर क्यों जल्दबाजी दिखा रही है. जेपीसी गठित करने के विरोध में एनडीए, तृणमूल, अन्नाद्रमुक, वाम दलों ने इसका विरोध करते हुए सदन से वाक आउट किया. इसके बाद सदन ने जेपीसी गठित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी.
इससे पहले इसी मुद्दे पर हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा कि सरकार मामले को छिपाने का प्रयास नहीं कर रही है. इस मामले में जो कोई भी जिम्मेदार होगा, उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
एंटनी ने इस मामले की पूरी जांच कराने का आश्वासन देते हुए कहा, ‘हम इस मुद्दे की तह तक जायेंगे.’ उन्होंने इस मामले में चाहे कोई भी संलिप्त हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय में जब भी इस तरह का कोई विवाद उठता है तो वह शर्मिन्दगी महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के संदर्भ में सीबीआई से रिपोर्ट मिलने के बाद हम फिनेमेक्केनिका के साथ हुए इंटेग्रिटी संधि के तहत कठोरतम कदम उठायेंगे. उन्होंने कहा कि कंपनी को सरकार ने जो कारण बताओ नोटिस जारी किया था, उसका जो जवाब दिया गया, उस पर हमें कोई भरोसा नहीं है.
एंटनी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के पास जो भी शिकायत आती है, उसकी प्राथमिक जांच की जाती है. इस जांच के नतीजों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाती है. रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में छह शक्तिशाली कंपनियों को काली सूची में डाला गया है. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के कदमों के कारण ही अभिषेक वर्मा पर कार्रवाई की गयी.
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक जांच शुरू कर दी है. साथ ही इटली में भी गोपनीय जांच चल रही है. जांच पूरा होने के बाद ही इटली हमारे साथ सूचनाएं साझा करेगा. इसके आधार पर हम कड़ी कार्रवाई कर सकेंगे. एंटनी ने साथ ही यह भी कहा कि इस सौदे का जो भी हश्र हो लेकिन सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
एंटनी ने कहा कि इस मामले में उन्हें अपनी सरकार और पार्टी का पूरा समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का भी उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है. रक्षा मंत्री के जवाब के बाद कमलनाथ ने इस मामले की जेपीसी से जांच कराने का प्रस्ताव करते हुए कहा कि इसमें लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्यों को शामिल किया जायेगा.
जेपीसी रिश्वत दिये जाने के मुद्दे के साथ साथ बिचौलियों की भूमिका की भी जांच करेगी. उन्होंने कहा कि जेपीसी से तीन माह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा जायेगा. जेपीसी गठन का विरोध करने के लिए बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कमलनाथ ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच जेपीसी के कराने की मांग पर मुख्य विपक्षी दल ने एक माह तक संसद नहीं चलने दी. आज जब सरकार हेलिकॉप्टर मामले की जेपीसी से जांच कराने का प्रस्ताव कर रही है तो वह उसका विरोध कर रही है.
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने जेपीसी के गठन का विरोध करते हुए कहा कि जब इस मामले में सरकार ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं तो यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि जेपीसी इस मामले में सत्य का पता लगा लेगी. उन्होंने कहा कि जेपीसी के पास गिरफ्तारी सहित कई अधिकार नहीं होते.
जेटली ने कहा कि जेपीसी गठित करने से मामले की जांच में विलंब होगा. इससे दोषियों को इस मामले के सबूत मिटाने का पर्याप्त समय मिल जायेगा. उन्होंने कहा कि मीडिया में यह मामला पिछले एक साल से उठ रहा है. लेकिन सरकार ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की. |
कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा एक भारतीय राजनेता हैं। वे पूर्व में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। श्री वर्मा घोसी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक थे।
प्रारंभिक जीवन
वर्मा का जन्म 1 सितंबर 1950 को बिहार के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर के सुगाव में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक किया।
राजनिति
कृष्ण वर्मा ने २००५ के बिहार विधान सभा चुनाव में मखदुमपुर से जित हासिल की। बाद में २०१५ के बिहार विधान चुनाव में घोसी से पुनः चुनाव जीता।
२९ जुलाई २०१७ को बिहार के मुख्यमंत्री ने एक नया मंत्रालय बनाया। इसमें कृष्ण वर्मा को शिक्षा मंत्री का पद मिला।
सन्दर्भ |
झारखंड की जमशेदपुर पश्चिम सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सरयू राय ने 2014 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को 10517 वोटों के अंतर से हराया था. 2014 के चुनावों के बाद पूर्ण बहुमत में आई भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री रघुबर दास की सरकार में राय को केबिनेट मंत्री बनाया गया था.
सरयू राय भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत संघर्ष करते रहे हैं. उन्होंने सन 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था. बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई. सरयू राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया. उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा.
सरयू राय भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सतत मैदान में डटे रहे हैं. राय ने 1980 में किसानों को दिए जाने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली सहकारिता संस्थाओं के विरुद्ध भी आवाज उठाई थी. तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए जोरदार आंदोलन किया था जो कि सफल भी हुआ. सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था. झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में भी राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही. उनकी पहचान घोटालों का पर्दाफाश करने वाले नेता के रूप में बनी.
जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता, प्रखर पत्रकार तथा मुद्दों एवं नैतिक मूल्यों की राजनीति करने वाले गंभीर व्यक्तित्व के धनी सरयू राय ने बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया. हालांकि साल 2000 में बिहार राज्य के पुनगर्ठन के बाद उन्होंने नवगठित राज्य झारखंड को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में चुना, मगर बिहार में आज भी सरयू राय आर्थिक और सामाजिक विषयों के ऐसे विशेषज्ञ के रूप में सराहे जाते हैं जिनके कार्यों और उपलब्धियों ने वहां की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है. |
लेख: राष्ट्रपति चुनाव के लिए संप्रग प्रत्याशी के तौर पर प्रणव मुखर्जी की उम्मीदवारी को बल मिलता नजर आया रहा है और इस संबंध में घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है।
संप्रग सूत्रों ने बताया कि संभावना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव आयोग की ओर से चुनाव के लिए अधिसूचना जारी किये जाने के कुछ दिनों बाद यानि 15 जून के करीब राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर सकती हैं। कांग्रेस कार्य समिति ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनने के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत किया है।
सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने मुखर्जी से उनके नार्थ ब्लाक स्थित कार्यालय में मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने सरकार में शामिल महत्वपूर्ण सहयोगी दलों द्रमुक, राकांपा और रालोद के साथ ही बाहर से समर्थन दे रही सपा का समर्थन पहले ही प्राप्त कर लिया है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही बसपा और उम्मीद है कि संप्रग का दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस संप्रग उम्मीदवार का विरोध नहीं करेगी।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति पद के लिए लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार और कुछ अन्य लोगों के नाम पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर लिये थे लेकिन एकबार मुखर्जी के नाम की घोषणा होने के बाद उनकी पार्टी द्वारा संप्रग का समर्थन किये जाने की उम्मीद है। टिप्पणियां
इसके पीछे तर्क यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से बंगाल से आने वाले किसी उम्मीदवार का विरोध करने किये जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कोर समूह की बैठक में किसी भी नाम पर विचार विमर्श नहीं किया गया जिसमें सोनिया, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
संप्रग सूत्रों ने बताया कि संभावना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव आयोग की ओर से चुनाव के लिए अधिसूचना जारी किये जाने के कुछ दिनों बाद यानि 15 जून के करीब राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर सकती हैं। कांग्रेस कार्य समिति ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनने के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत किया है।
सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने मुखर्जी से उनके नार्थ ब्लाक स्थित कार्यालय में मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने सरकार में शामिल महत्वपूर्ण सहयोगी दलों द्रमुक, राकांपा और रालोद के साथ ही बाहर से समर्थन दे रही सपा का समर्थन पहले ही प्राप्त कर लिया है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही बसपा और उम्मीद है कि संप्रग का दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस संप्रग उम्मीदवार का विरोध नहीं करेगी।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति पद के लिए लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार और कुछ अन्य लोगों के नाम पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर लिये थे लेकिन एकबार मुखर्जी के नाम की घोषणा होने के बाद उनकी पार्टी द्वारा संप्रग का समर्थन किये जाने की उम्मीद है। टिप्पणियां
इसके पीछे तर्क यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से बंगाल से आने वाले किसी उम्मीदवार का विरोध करने किये जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कोर समूह की बैठक में किसी भी नाम पर विचार विमर्श नहीं किया गया जिसमें सोनिया, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने मुखर्जी से उनके नार्थ ब्लाक स्थित कार्यालय में मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने सरकार में शामिल महत्वपूर्ण सहयोगी दलों द्रमुक, राकांपा और रालोद के साथ ही बाहर से समर्थन दे रही सपा का समर्थन पहले ही प्राप्त कर लिया है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही बसपा और उम्मीद है कि संप्रग का दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस संप्रग उम्मीदवार का विरोध नहीं करेगी।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति पद के लिए लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार और कुछ अन्य लोगों के नाम पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर लिये थे लेकिन एकबार मुखर्जी के नाम की घोषणा होने के बाद उनकी पार्टी द्वारा संप्रग का समर्थन किये जाने की उम्मीद है। टिप्पणियां
इसके पीछे तर्क यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से बंगाल से आने वाले किसी उम्मीदवार का विरोध करने किये जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कोर समूह की बैठक में किसी भी नाम पर विचार विमर्श नहीं किया गया जिसमें सोनिया, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति पद के लिए लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार और कुछ अन्य लोगों के नाम पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर लिये थे लेकिन एकबार मुखर्जी के नाम की घोषणा होने के बाद उनकी पार्टी द्वारा संप्रग का समर्थन किये जाने की उम्मीद है। टिप्पणियां
इसके पीछे तर्क यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से बंगाल से आने वाले किसी उम्मीदवार का विरोध करने किये जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कोर समूह की बैठक में किसी भी नाम पर विचार विमर्श नहीं किया गया जिसमें सोनिया, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
इसके पीछे तर्क यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से बंगाल से आने वाले किसी उम्मीदवार का विरोध करने किये जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कोर समूह की बैठक में किसी भी नाम पर विचार विमर्श नहीं किया गया जिसमें सोनिया, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
इस बीच अन्नाद्रमुक और बीजद की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी ए संगमा ने राजग के समर्थन हासिल करने के लिए आज लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। |
स्किजोफ्रेनिया का वर्णन अक्सर एक सकारात्मक और नकारात्मक (या कमी) लक्षणों के रूप में किया जाता है। सकारात्मक लक्षण शब्द उन लक्षणों को सूचित करता हैं जिसका अनुभव आम तौर पर अधिकांश व्यक्ति नहीं करते हैं लेकिन वे स्किजोफ्रेनिया में उपस्थित रहते हैं। उनमें मिथ्या भ्रम, श्रवण संबंधी विभ्रम और सोच संबंधी विकार शामिल होते हैं और उन्हें विशेष रूप से मनोविकृति की अभिव्यक्ति माना जाता है। नकारात्मक लक्षण वे बातें हैं जो स्किजोफ्रेनिया से प्रभावित व्यक्तियों में उपस्थित नहीं रहते हैं लेकिन वे आम तौर पर स्वस्थ लोगों में पाए जाते हैं, अर्थात, लक्षण जो सामान्य विशेषताओं या क्षमताओं में कमी या नुकसान को दर्शाते हैं। आम नकारात्मक लक्षणों में नीरस या कुंठित करने वाले प्रभाव और मनोभाव, भाषा में कृपणता (वाक् रोध), आनंद की अनुभूति करने की अक्षमता (विषय सुख का लोप), संबंध स्थापित करने की इच्छा का अभाव (असामाजिकता) और प्रेरणा की कमी (इच्छा शक्ति की कमी) शामिल हैं। अनुसंधान से यह सुझाव मिलता है कि सकारात्मक लक्षणों की अपेक्षा नकारात्मक लक्षण जीवन की खराब गुणवत्ता, कार्यात्मक अक्षमता और दूसरों पर बोझ बनने में अधिक योगदान करते हैं।कुंठित करने वाले प्रभाव की उपस्थिति के बावजूद, हाल के अध्ययनों से संकेत मिलता है कि स्किजोफ्रेनिया में अक्सर एक सामान्य या भावुकता का उच्च स्तर भी पाया जाता है, विशेष रूप से तनावपूर्ण या नकारात्मक घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप ऐसा होता है। एक तीसरे लक्षण समूह, विघटनकारी सहलक्षण, की आम तौर पर चर्चा की जाती है और इसमें अराजक भाषण, विचार और व्यवहार शामिल हैं। अन्य लक्षण वर्गीकरण का प्रमाण मौजूद है। |
दफ्तर जाने से पहले क्या पहनें, क्या नहीं? खाना आर्डर करने से पहले क्या मंगाएं, क्या नहीं? रिजर्वेशन होने के बाद जाएं या नहीं? और सबसे बड़ी बात संबंधों को लेकर आप अपनी राय बदलते रहते हैं. जैसे एक व्यक्ति कुछ समय (कुछ दिन-महीने) आपको अच्छा लगा और फिर उसके बारे में आपकी राय बदल गई. खासतौर पर प्रेम संबंधों में आपका यह 'कन्फ्यूजन' भारी पड़ सकता है. रिलेशनशिप थिरेपिस्ट इसे संबंधों के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखते हैं. और यह तब और ज्यादा खतरनाक है जबकि आप एक ही व्यक्ति से बार-बार ब्रेक-अप करें. रहा भी ना जाए और सहा भी ना जाए, ऐसा सिर्फ फिल्मों में ही अच्छा लगता है. मनोविज्ञान में आपके इस रवैए को 'रिसाइक्लिंग रिलेशनशिप' कहा जाता है. जरा संभलकर, असल जिंदगी में यह कन्फ्यूजन आपकी जिंदगी को तबाह कर सकता है.
अगर इन सारे कन्फ्यूजन से आप दिन-महीने-साल के साथ गुजर रहे हैं तो इसे हंसी मजाक में नहीं बल्कि गंभीरता से लेना चाहिए. कभी-कभार अगर आपको ऐसा महसूस होता है तो कोई बात नहीं लेकिन अगर यह कन्फ्यूजन आपकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है तो फिर इसका सॉल्यूशन आपको जल्द से जल्द खोज लेना चाहिए. मनोविज्ञान में इस अवस्था को डिलेरियम यानी 'एक्यूट कन्फ्यूजन स्टेट' या 'एक्यूट ब्रेन सिंड्रोम' कहते हैं.
इमोशंस को लेकर कई आर्टिकल लिख चुकी डॉ. मैरी सी लिमिया कहती हैं, '' अगर आप एक ही व्यक्ति से या फिर अलग-अलग व्यक्तियों से बार-बार ब्रेकअप करते हैं और फिर उन्हें मनाने में जुट जाते हैं तो इस संबंध पर आपको गहराई से सोचना चाहिए. लेकिन उससे भी ज्यादा सोचने की जरूरत आपको अपने इमोशंस के अस्थिर रहने के बारे में है. आपका मस्तिष्क कन्फ्यूजन का शिकार तो नहीं.''
दरअसल 'कन्फ्यूजन' होने पर डर और गुस्सा दो इमोशन हमारे अंदर पैदा होते हैं. इस उदाहरण को ऐसे समझे, जैसे आप एक कार खरीदने जाते हैं. आपको उसका रंग नहीं पसंद. लेकिन आपके दोस्त आपको कहते हैं कि देख भाई इस ब्रांड की यह आखिरी गाड़ी है. अगर चूक गए तो फिर महीनों इतंजार करना पड़ेगा. आपके ऊपर दबाव है कि अपने नापसंदगी को एक मौके के रूप में तब्दील कर दें. आप उस कार को खोने के डर से खरीद तो लेते हैं लेकिन उस गुस्से का क्या करेंगे जो आपकी पसंद का रंग ना मिलने की वजह से पैदा हुआ. गाहे-बगाहे आपको अपनी पसंद के रंग की गाड़ी की याद आती रहेगी और कहीं अगर उस रंग की गाड़ी आप किसी और के पास देखेंगे तो खुद की गाड़ी के प्रति क्षणिक ही सही थोड़ा खीझ पैदा होगी.
यही कुछ संबंधों मं भी होता है. आपने किसी के प्यार में अगर किसी डर या दबाव की वजह से पड़े हैं तो आप उसके साथ स्थिर इमोशन के साथ नहीं रह पाएंगे. गुस्सा हावी होगा तो उससे ब्रेक-अप कर लेंगे और फिर विकल्पहीनता का डर पैदा होगा तो उसे मनाने दौड़ पड़ेंगे. कई बार आप एक छोड़ दूसरे और फिर दूसरे छोड़ तीसरे और फिर न जाने कितने ब्रेक-अप रिलेशनशिप से गुजरेंगे.
कन्फ्यूजन ही है कोई पहाड़ तो नहीं जो टूटेगा ही नहीं...
कन्फ्यूजन से उपजे डर और गुस्से को दबाने की जगह उसका गहराई से विश्लेषण करने की जरूरत है. जाहिर आप खुद नहीं कर पाएंगे लेकिन कन्फ्यूजन के इस दौर से आप गुजर रहे हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक से सलाह लें. क्योंकि डिलेरियम यानी 'एक्यूट कन्फ्यूजन स्टेट' लाइलाज नहीं है. थिरैपिस्ट आपको डर और गुस्सा दोनों इमोशंस को पहचानकर वास्तविक प्यार वाली फीलिंग जगाने में मदद करेगा. अगर जीवन साथी तलाश रहे हैं तब भी और अगर जीवनसाथी चुन चुके हैं दोनों स्थितियों में थिरैपिस्ट आपके लिए मददगार साबित होगा.
*** |
बच्ची के रोने की आवाज सुनकर गांव वालों ने एक खेत में काम कर रहे उसके माता-पिता को सूचित किया. वह बच्ची को पास के गांव के अस्पताल ले गए. इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने सायन्ना को पकड़ कर पेड़ से बांध दिया और फिर उसकी पिटाई की. पुलिस अधिकारी ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा कि जब वह बेहोश हो गया तो कुछ लोग उसे अस्पताल ले जाने लगे लेकिन उसकी रास्ते में मौत हो गई.
VIDEO: राजस्थान में 12 साल तक की लड़कियों से रेप करने पर मृत्युदंड पुलिस ने गांव पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है. जिन्होंने सायन्ना की पिटाई की, वे छिप गए हैं.
VIDEO: राजस्थान में 12 साल तक की लड़कियों से रेप करने पर मृत्युदंड पुलिस ने गांव पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है. जिन्होंने सायन्ना की पिटाई की, वे छिप गए हैं. |
संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की अपील पर भारत ने पाकिस्तान को दो-टूक जवाब दे दिया है. भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में सेक्रेटरी अभिषेक सिंह ने कहा है कि कश्मीर के लोगों ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर भरोसा दिखाया है. मंत्रालय के हवाले से समाचार एजेंसी ने ट्वीट किया...
Abhishek Singh: 1st sec PMI (right to reply): I bring to notice of this august house that people of J&K have peacefully chosen (continued)
— ANI (@ANI_news)
September 27, 2014
in accordance to universally accepted democratic principles &they continue to do so.We reject in their entirety the untenable comment (cont)
— ANI (@ANI_news)
September 27, 2014
of the distinguished delegate of Pakistan.
— ANI (@ANI_news)
September 27, 2014
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि शनिवार को जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे, तो उनके पास जवाब देने का अधिकार होगा और वो इसका इस्तेमाल भी करेंगे. मंत्रालय के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया...
India will use its Right to Reply & set record straight: MEA on PM's response to Pak PM raising J&K issue in UNGA
— ANI (@ANI_news)
September 26, 2014
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाया और वहां संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक जनमत संग्रह करवाने की मांग रखी. पिछले साल भी इसी मंच से शरीफ ने कश्मीर का राग अलापा था. |
आबूगीदा ऐसी लिपि को कहा जाता है जिसमें व्यंजन और स्वर को एक ईकाई में लिखा जाये। उदाहरण के लिए देवनागरी एक आबूगीदा है, क्योंकि "क" के व्यंजन और "ओ" के स्वर को एक ही ईकाई में मिलाकर "को" लिखा जाता है। इसी तरह इथियोपिआ व इरित्रिया की गीइज़ लिपि में "ड" को "ደ" लिखा जाता है और यदि "डी" लिखना हो तो "ई" का स्वर इसी अक्षर में मिलाकर "ዲ" बन जाता है। इसके विपरीत अंग्रेज़ी में प्रयोग होने वाली रोमन लिपि एक आबूगीदा नहीं है, क्योंकि "क" (k) के साथ "ई" (i) जोड़ने पर भी यह दोनों अलग-अलग अक्षर ही रहते हैं, यानि कि "ki"। आबूगीदा गीइज़ भाषा से आया है। ब्राह्मी परिवार की सभी लिपियाँ आबूगीदा हैं।
इन्हें भी देखें
ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ
कनाडा की ऐबोरजीनी लिपि
गीइज़ लिपि
सन्दर्भ |
नोएडा के आरुषि−हेमराज मर्डर केस में आज गाजियाबाद की विशेष अदालत में होने वाली सुनवाई 29 फरवरी तक टल गई है। आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार के आज कोर्ट में पेश होने की अटकलें थीं। हालांकि कल सुप्रीम कोर्ट से तलवार दंपती को फौरी राहत मिल गई है। कोर्ट ने आरुषि हत्याकांड की सुनवाई गाजियाबाद की अदालत से दिल्ली ट्रांसफर करने की उनकी मांग पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत की सुनवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन यह कह दिया है कि नूपुर और राजेश तलवार विशेष अदालत में सुनवाई स्थगित करने की अर्जी दे सकते हैं।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत की सुनवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन यह कह दिया है कि नूपुर और राजेश तलवार विशेष अदालत में सुनवाई स्थगित करने की अर्जी दे सकते हैं। |
आज कल छोटे वीडियोज खूब देखे जाते हैं. चाहें इंस्टाग्राम हो, फेसबुक, यूट्यूब या टिक टॉक हर जगह वीडियोज. आपके पास एंड्रॉयड स्मार्टफोन है और आप इंटरनेट पर कहीं से भी वीडियो डाउनलोड करके देखते हैं, तो शायद आपको थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि कुछ ऐसे वीडियो फाइल्स हैं जिन्हें ओपन करने से आपका स्मार्टफोन हैक हो सकता है.
एक गंभीर खामी है जो एंड्रॉयड मीडिया फ्रेमवर्क में पाई गई है. और ये खामी RCE यानी (Remote Code Execution) से जुड़ी है. दुनिया भर के अरबों एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स इससे प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि ये खामी Android 7.0 से लेकर Android 9.0 तक के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में पाई गई. इस खामी फायदा उठा कर हैकर्स टार्गेट स्मार्टफोन में आर्बिटरी कोड एग्जिक्यूट कर सकते हैं.
एंड्रॉयड मीडिया फ्रेमवर्क के तहत स्मार्टफोन में अलग अलग तरह के मीडिया टाइप्स का सपोर्ट दिया जाता है. फोन के फाइल सिस्टम में जो भी मीडिया फाइल्स होती हैं उन्हें प्ले करने के लिए इसकी जरूरत होती है.
उदाहरण के तौर पर कोई हैकर आपके बिहेवियर को जान कर सबसे पहले ये पता लगा सकता है कि आप कहां वीडियो ज्यादा देखते हैं और कहां से वीडियो डाउनलोड करते हैं. ये हैकर्स के लिए कतई मुश्किल काम नहीं है. अब हैकर्स (यहां हैकर मतलब खतरनाक वाले हैकर से है) ऐसा वीडियो डिजाइन करते हैं जो एंड्रॉयड में दिए गए डिफॉल्ट प्लेयर से चलता है, इसके बाद उनका काम आसान हो जाता है.
इस तरह के वीडियो डिजाइन करके किसी भी तरह से आपके स्मार्टफोन में भेजा जाता है. दिलचस्प दिखने वाले वीडियो आम तौर पर यूजर्स डाउनलोड कर लेते हैं, और ऐसे में हैकर्स का काम आसान हो जाता है.
गौरतलब है कि गूगल ने इस खामी को जान कर इसके लिए सिक्योरिटी पैच अपडेट के तौर पर जारी कर दिया है. लेकिन अभी भी लागों यूजर्स ऐसे हैं जिनके पास ये सिक्योरिटी अपडेट नहीं हैं. क्योंकि इसके लिए उन स्मार्टफोन के मैन्यूफैक्चरर के जरिए अपडेट चाहिए होता है.
अगर आप Android 7 से लेकर Android 9 में से किसी वर्जन के एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूज करते हैं तो तत्काल अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जा कर अपडेट चेक करें और सिक्योरिटी पैच के साथ अपडेट कर लें. ऐसा न करने से आपका स्मार्टफोन हैक हो सकता है.
Github पर जर्मनी के एक डेवेलपर हैं जो यहां marcinguy यूजर नेम के साथ हैं, उन्होंने एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट वीडियो भी अपलोड किया है. यहां उन्होंने ये बताया है कि सिर्फ खतरनाक वीडियो प्ले करके आपका स्मार्टफोन हैक किया जा सकता है.
गूगल ने जुलाई के सिक्योरिटी बुलेटिन में कहा है, ‘मीडिया फ्रेमवर्क की सबसे गंभीर खामी का फायद उठा कर रिमोट अटैकर आर्बिटरी कोड एग्जिक्यूट कर सकते थे’
फिलहाल ये भी नहीं कहा जा सकता है कि एंड्रॉयड की इस गंभीर खामी से कितने यूजर्स प्रभावित हैं. दुनिया भर में 2.5 अरब Android यूजर्स हैं. |
यह लेख है: मालवणी मोरल पुलिसिंग मामले में निंदा की पात्र बनी मुंबई पुलिस अब और मुसीबत मोल नहीं लेना चाहती। यही कारण है कि मुंबई के पुलिस आयुक्त राकेश मरिया ने एक परिपत्र जारी कर सभी पुलिस थानों को सूचित किया है कि लड़के - लड़कियां या महिला और पुरुष क्या पहनें और कैसे रहें, यह देखना पुलिस का काम नहीं है। मॉल, होटल, और बाकी जगहों पर गश्त लगाते समय पुलिस उन्हें तंग न करे।
परिपत्रक में साफ लिखा है कि बार - बार इस तरह की हिदायत देने के बाद भी कुछ पुलिस वाले होटलों, मॉल और बंद कमरे में जाकर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाकर जोड़ों पर कार्रवाई कर रहे हैं। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले मालवणी पुलिस ने मढ़ के कुछ होटेलों में जाकर कमरों में ठहरे युगल जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई की थी। हिरासत में लिए गए सभी जोड़े वयस्क थे। इस मामले में पुलिस की खूब निंदा हुई। पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को जांच का आदेश देना पड़ा।टिप्पणियां
इतना ही नहीं मालवणी मोरल पुलिसिंग मामले में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस आयुक्त के साथ गृह मंत्री से भी मामले में जवाब तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 3 सितम्बर को है। उस दिन कोर्ट की फटकार से बचने के लिए ही शायद यह परिपत्र निकालकर सभी पुलिस थाना इंचार्जों को आदेश दिया गया है कि वे अपने मातहत सभी पुलिस कर्मियों को नए आदेश से अवगत कराएं। परिपत्र में यह चेतावनी भी दी गई है कि इसके बाद भी अगर कोई मोरल पुलिसिंग करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
परिपत्रक में यह भी लिखा गया है कि शहर की कानून और व्यवस्था के लिए संयुक्त आयुक्त के उस आदेश का भी पालन जरूरी है जिसमें कहा गया है कि 'पीटा' के तहत कोई भी कार्रवाई पुलिस उपायुक्त की अनुमति के बिना नहीं की जाए।
परिपत्रक में साफ लिखा है कि बार - बार इस तरह की हिदायत देने के बाद भी कुछ पुलिस वाले होटलों, मॉल और बंद कमरे में जाकर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाकर जोड़ों पर कार्रवाई कर रहे हैं। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले मालवणी पुलिस ने मढ़ के कुछ होटेलों में जाकर कमरों में ठहरे युगल जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई की थी। हिरासत में लिए गए सभी जोड़े वयस्क थे। इस मामले में पुलिस की खूब निंदा हुई। पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को जांच का आदेश देना पड़ा।टिप्पणियां
इतना ही नहीं मालवणी मोरल पुलिसिंग मामले में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस आयुक्त के साथ गृह मंत्री से भी मामले में जवाब तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 3 सितम्बर को है। उस दिन कोर्ट की फटकार से बचने के लिए ही शायद यह परिपत्र निकालकर सभी पुलिस थाना इंचार्जों को आदेश दिया गया है कि वे अपने मातहत सभी पुलिस कर्मियों को नए आदेश से अवगत कराएं। परिपत्र में यह चेतावनी भी दी गई है कि इसके बाद भी अगर कोई मोरल पुलिसिंग करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
परिपत्रक में यह भी लिखा गया है कि शहर की कानून और व्यवस्था के लिए संयुक्त आयुक्त के उस आदेश का भी पालन जरूरी है जिसमें कहा गया है कि 'पीटा' के तहत कोई भी कार्रवाई पुलिस उपायुक्त की अनुमति के बिना नहीं की जाए।
इतना ही नहीं मालवणी मोरल पुलिसिंग मामले में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस आयुक्त के साथ गृह मंत्री से भी मामले में जवाब तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 3 सितम्बर को है। उस दिन कोर्ट की फटकार से बचने के लिए ही शायद यह परिपत्र निकालकर सभी पुलिस थाना इंचार्जों को आदेश दिया गया है कि वे अपने मातहत सभी पुलिस कर्मियों को नए आदेश से अवगत कराएं। परिपत्र में यह चेतावनी भी दी गई है कि इसके बाद भी अगर कोई मोरल पुलिसिंग करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
परिपत्रक में यह भी लिखा गया है कि शहर की कानून और व्यवस्था के लिए संयुक्त आयुक्त के उस आदेश का भी पालन जरूरी है जिसमें कहा गया है कि 'पीटा' के तहत कोई भी कार्रवाई पुलिस उपायुक्त की अनुमति के बिना नहीं की जाए।
परिपत्रक में यह भी लिखा गया है कि शहर की कानून और व्यवस्था के लिए संयुक्त आयुक्त के उस आदेश का भी पालन जरूरी है जिसमें कहा गया है कि 'पीटा' के तहत कोई भी कार्रवाई पुलिस उपायुक्त की अनुमति के बिना नहीं की जाए। |
भारत-बांग्लादेश के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज रविवार से हो रहा है. टीम इंडिया की कमान सुरैश रैना के हाथों में है.
कप्तान सुरेश रैना ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैचों की वनडे श्रृंखला अगले साल होने वाले 50 ओवर के विश्व कप से पूर्व नए खिलाड़ियों को आजमाने का अच्छा मौका है. रैना ने कहा, 'विश्व कप करीब आ रहा है और आपको काफी खिलाड़ियों को आजमाने की जरूरत है. मुझे लगता है कि युवाओं के लिए यह काफी अच्छा मौका है कि वे इस श्रृंखला में काफी अच्छा प्रदर्शन करें और फिर देखेंगे कि आगामी मैचों में क्या होता है.' रैना ने श्रृंखला के लिए चुनी गई टीम का भी बचाव किया.
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि हमने श्रृंखला को हल्के में लिया है. इंग्लैंड का दौरा आ रहा है और इसलिए कुछ खिलाड़ियों को आराम दिया गया है. अगर आप टीम को देखें तो सभी खिलाड़ियों ने आईपीएल और प्रथम श्रेणी मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया है.'
रैना ने कहा, 'मुझे लगता है कि बंग्लादेश के कप्तान ने कहा है कि हम ए टीम के साथ आए है. हम दो देशों के बीच खेल रहे हैं. यह अहम है कि हम निडर होकर क्रिकेट खेलें. हमारे काफी खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और मुझे लगता है कि यह श्रृंखला टीम में जगह पक्की करने के लिए अच्छा मंच है.' |
चुभती, तड़पती और असहाय करने वाली गर्मी को दूर करते हुए दिल्ली-एनसीआर में मानसून ने दस्तक दे दी है. बुधवार शाम से ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में मानसून की बारिश हो रही है. इसके साथ ही मानसून हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब और पूर्वी राजस्थान भी पहुंच गया है.
राजधानी दिल्ली में तापमान सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग
ने राष्ट्रीय राजधानी में मानसून की पुष्टि कर दी है. अब तक 20.6 mm बारिश रिकॉर्ड की गई है.
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने ताजा अनुमान में कहा है कि मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं. अगले 48 घंटे में अरब सागर के शेष भागों और पूरे देश में मानसून पहुंच जाएगा. सूखे की आशंका के बीच इस बार मानसून आने में भले ही कुछ देरी हुई, लेकिन अब
कई राज्यों
में भारी बारिश हो रही है. बारिश ने सूखे की आशंका को लगभग खत्म कर दिया है.
कश्मीर में बाढ़ को लेकर अलर्ट, हाईवे जाम
दूसरी ओर, दक्षिण कश्मीर के संगम में गुरुवार तड़के झेलम नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. कश्मीर घाटी में बीते चौबीस घंटों से लगातार जारी हिमपात और निचले क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश को देखते हुए राज्य में एक बार फिर बाढ़ को लेकर
एलर्ट जारी
कर दिया गया है. भारी बारिश के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद कर दिया गया है.
गुजरात में 34 की मौत
दूसरी ओर, मूसलाधार बारिश से गुजरात, हिमचाल, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गुजरात में बीते 48 घंटे से भारी बारिश हो रही है. बारिश से जानमाल की भारी क्षति हुई है. गुजरात में बारिश से 34 लोगों की मौत हो गई है. राजकोट में पिछले 24 घंटे में 167 एमएम बारिश दर्ज की गई है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. मौसम विभाग ने चक्रवात की चेतावनी भी जारी की है.
मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में 26 से 28 जून तक गांधीनगर में होने वाला चिंतन शिविर भी भारी बारिश की चेतावनी के बाद रद्द कर दिया गया है.
महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात में अगले 24 से 48 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है. गुजरात में आगामी 24 घंटे तक हाई अलर्ट घोषित किया गया है. राज्य के अधिकांश बांध लबालब हो चुके हैं.
उत्तराखंड में झमाझम बारिश
कुमाऊं में मानसून का आगाज झमाझम बारिश के साथ हुआ है. वहां बुधवार रात से बारिश हो रही है. पर्वतीय क्षेत्रों में कई जगह सड़कों पर मलबा आ गया है. बरसाती नाले उफान पर हैं. नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है. अल्मोड़ा हाईवे पर कई जगह पत्थर गिरने की सूचना है.
अभी तक इन राज्यों में पहुंचा मानसून
इस बार मानसून में अभी तक उत्तरी अरब सागर, गुजरात, मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूरे बिहार और जम्मू-कश्मीर में दस्तक दे दी है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और पूर्वी राजस्थान तक भी मानसून पहुंच गया है. 1-23 जून के दौरान देशभर में सामान्य के मुकाबले 23 फीसद अधिक बारिश हुई है. आईएमडी के मुताबिक, इस दौरान 136.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. |