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मरी ऍल गणतंत्र (रूसी: , अंग्रेज़ी: मारी एल रिपब्लिक) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। यह रूस के पूर्वी यूरोपीय मैदान में वोल्गा नदी के किनारों पर स्थित है और इसकी राजधानी योश्कार-ओला शहर है। मरी ऍल वोल्गा नदी के किनारों पर विस्तृत है। गणतंत्र का पश्चिमी क्षेत्र दलदली मरी द्रोणी में आता है। मरी ऍल की ५७% ज़मीन पर वन फैले हुए हैं। इसमें ४७६ बड़ी-छोटी नदिया बहती हैं और २०० से अधिक झीलें हैं। सर्दियों में मरी ऍल की बहुत सी नदियाँ और दलदल बर्फ़ग्रस्त होकर जम जाते हैं। बसंत और पतझड़ में पानी से भर जाने से इसके दलदली क्षेत्रों में यातायात लगभग बंद ही जो जाता है और उनमें से गुज़रना दुर्गम हो जाता है। जनवरी का औसत तापमान -१३ सेंटीग्रेड और जुलाई का औसत तापमान १९ सेंटीग्रेड होता है। सर्दियों में बर्फ़ गरती है और गर्मियों में अक्सर बारिश पड़ती है। मरी कबीलें इस इलाके में ५वीं सदी से पहले से बसे हुए हैं। तुर्की सुनहरे उर्दू ने इस क्षेत्र को अपनी ख़ानत में शामिल कर लिया था और १४४० ईसवी के दशक में यह काज़ान ख़ानत का हिस्सा बना। १५५२ में ईवान भयानक ने इसे पूरे काज़ान ख़ानत समेत रूसी त्सार-राज्य में शामिल कर लिया। सोवियत संघ की स्थापना के बाद ४ नवम्बर १९२० में 'मरी स्वशासित ओब्लास्त' ( , मारी ऑटोनोम्यस ओब्लास्त) गठित हुआ जिसे ५ दिसम्बर १९३६ में जोसेफ़ स्टालिन के संविधान के तहत 'मरी स्वशासित सोवियत समाजवादी गणतंत्र' (मारी आसर) के नाम से पुनर्गठित किया गया। २२ दिसम्बर १९९० को मरी ऍल गणतंत्र अपने वर्तमान रूप में गठित हुआ। २०१० की जनगणना के अनुसार मरी ऍल के ४३.९% लोग मरी समुदाय, ४७.४% लोग रूसी समुदाय, ५.८% लोग तातार समुदाय और ०.९% लोग चूवाश समुदाय के थे। मरी ऍल के कुछ नज़ारे इन्हें भी देखें रूस के गणतंत्र रूस के गणतंत्र रूस के प्रशासनिक विभाग
शेक्सपीयर द्वारा लिखे गये प्रसिद्ध नाटकों में से एक है रोमियो एंड जूलियट ई अपने करियर के शुरुआती दिनों शेक्सपियर ने ये नाटक लिखा था जो कि एक लड़का और एक लड़की की प्रेम कहानी और उनकी दुखांत मौत पर आधारित है ई नाटक एक इटालियन कहानी पर आधारित है ई राजकुमार एसकेलस - वेरोना का शासक काउंट पेरिस - शासक का सम्बन्धी मरक्युश्यो - शासक का सम्बन्धी और रोमियो का मित्र लार्ड मोंटेग्यू - मोंटेग्यू परिवार का मुखिया और रोमियो का पिता लेडी मोंटेग्यू - लार्ड मोंटेग्यू की पत्नी और रोमियो की माँ रोमियो मोंटेग्यू - लार्ड मोंटेग्यू का पुत्र और कहानी का नायक लार्ड कैपुलेट - कैपुलेट परिवार का मुखिया और जूलियट का पिता लेडी कैपुलेट - लार्ड कैपुलेट की पत्नी और जूलियट की माँ जूलियट कैपुलेट - कैपुलेट की पुत्री और कहानी की नायिका बेनवोलियो - लार्ड मोंटेग्यू का भतीजा और रोमियो का चचेरा भाई बलथासार - रोमियो का नौकर टिबोल्ट - लेडी कैपुलेट का भतीजा और जूलियट का चचेरा भाई रोज़लिन - लार्ड कैपुलेट की भतीजी नर्स - जूलियट की देखभाल करने वाली एक उम्रदराज औरत फ्रायर लारेंस - एक पादरी, रोमियो का खास शुभचिंतक दवा विक्रेता - एक गरीब और बूढा व्यक्ति, जिस से रोमियो ज़हर खरीदता है नाटक का स्थान इटली का वेरोना नाम का शहर है ई नाटक की शुरुआत में ये दिखाया जाता है कि कैपुलेट और मोंटेग्यू परिवारों के बीच नफरत और शत्रुता है ई रोमियो जो कि मोंटेग्यू परिवार का लड़का है, वह रोज़ालिन से प्यार करता हैई रोज़ालिन लार्ड कैपुलेट की भतीजी हैई कैपुलेट परिवार की एक दावत और नृत्य पार्टी में रोमियो और उसका चचेरा भाई बेनवोलियो चोरी छुपे शामिल हो जाते हैं ई यहाँ रोमियो की मुलाक़ात जूलियट से होती है और दोनों एक दुसरे से प्यार करने लग जाते हैं ई बाद में दोनों को एहसास होता है कि उनके परिवारों के बीच की नफरत के कारण उनकी शादी नहीं हो पायेगी ई रोमियो के करीबी फ्रायर लारेंस जो कि एक पादरी हैं वो उन दोनों की चर्च में गुप्त रूप से शादी करवा देते हैं ई वो सोचते हैं कि उचित समय आने पर इस शादी के बारे में दोनों परिवारों को बता दिया जायेगा और शायद इस शादी से दोनों परिवारों के मध्य की नफरत भी मिट जाएगी ई इस शादी की गवाह जूलियट की एक नौकरानी भी है जो जूलियट के लिए उसकी निजी नर्स की भूमिका भी निभाती है ई मरक्युश्यो, रोमियो का खास मित्र है और टिबोल्ट, जूलियट की माँ के भाई का पुत्र है ई लेकिन दोनों को उनकी शादी या प्यार के बारे में बिल्कुल नहीं पता ई एक दिन दोनों के बीच में लड़ाई हो जाती है ई रोमियो आकर बीच बचाव करता है लेकिन टिबोल्ट मौका पाते ही तलवार से मरक्युश्यो को मौत के घाट उतार देता है ई अब रोमियो अपना आपा खो देता है और टिबोल्ट का पीछा करता है और उसे तलवार के द्वंद युद्ध में मौत के घाट उतार देता है ई शहर में दो हत्याएं होने की खबर वेरोना के राजकुमार के पास पहुँचती है ई राजकुमार रोमियो को अगले दिन का सूरज निकलने से पहले सदा के लिए वेरोना शहर छोड़ कर चले जाने की सज़ा दे देता है जबकि जूलियट की माँ रोमियो के लिए मौत की सज़ा की मांग करती है ई उसी रात रोमियो चोरी से जूलियट से मिलने आता है और वो सुबह उस से सदा के लिए विदा लेकर मान्टुआ शहर की ओर चला जाता है ई जूलियट बहुत दुखी है लेकिन वो किसी को भी अपनी शादी के बारे में बता नहीं पाती ई उसके पिता उसकी शादी वेरोना शहर के राजकुमार के ही एक रिश्तेदार काउंट पेरिस से तय कर देते हैं ई जूलियट शादी के लिए राज़ी नहीं होती ई वह फ्रायर लारेंस पादरी के पास जाती है और आत्महत्या की इच्छा ज़ाहिर करती है ई इस पर पादरी उसे एक उपाय बताते है और उसे एक विशेष बेहोशी की दवा देते है ई ये दवा उसे इस तरह से बेहोश कर देगी कि सभी उसे मरा हुआ समझ लेंगे और इस दवा का असर एक निश्चित समय तक रहेगा ई योजना के अनुसार जूलियट को रात को सोने से पहले इसे पीना है और अकेले सोना है , सुबह होते ही सभी उसे मरा हुआ समझेंगे और फिर उसकी लाश को शवगृह में रख दिया जायेगा, और बाद में उसके होश में आने पर उसे रोमियो के पास भेज दिया जायेगा और रोमियो को भी इस योजना के बारे में संदेश भेज कर सूचित कर दिया जायेगा ई पूरी योजना समझने के बाद जूलियट ख़ुशी ख़ुशी घर वापस चली जाती है और अपने पिता से माफ़ी मांगती है और काउंट पेरिस से शादी के लिए सहमती दे देती है ई अगले दिन के लिए उसकी शादी की घोषणा कर दी जाती है ई जूलियट योजना के अनुसार वो दवाई लेती है और सुबह सभी उसे मरा हुआ समझ लेते हैं ई काउंट पेरिस को भी जूलियट की अकस्मात् मौत का पता चलता है ई पादरी फ्रायर लारेंस अपने एक सन्देशवाहक को पत्र देकर रोमियो के पास भेज देते हैं ई इतने में जूलियट को अंतिम विदाई दी जाती है ई बल्थासार, जो कि रोमियो के परिवार का नौकर है, वो जूलियट की मौत की खबर देने के लिए रोमियो के पास जाता है ई अब कहानी में महत्वपूर्ण मोड़ आता है कि पादरी फ्रायर लारेंस का भेजा हुआ सन्देशवाहक रोमियो के पास पहुँच नहीं पाता, उसे किसी की चिकित्सा के लिए रास्ते में ही रोक लिया जाता है जबकि बल्थासार रोमियो के पास पहुँच कर उसे जूलियट की मौत की दुखद खबर देता है ई ये खबर सुनकर रोमियो को एक सदमा लगता है और वह एक छोटे से पात्र में ज़हर लेकर आता है ई बल्थासार को इस ज़हर के बारे में पता नहीं चलता ई दोनों वेरोना शहर के लिए रवाना हो जाते हैं ई शवगृह के बाहर काउंट पेरिस, जो वहां शोक के लिए आया था, रोमियो को देख लेता है और वो रोमियो को युद्ध के लिए ललकारता है जिसमे काउंट पेरिस मारा जाता है ई रोमियो अंदर पहुँच कर जूलियट की लाश को देखता है ई भरे हृदय से रोमियो जुलियट को विदाई देता है और ज़हर पी लेता है ई इतने में जूलियट को होश आता है और उसे एहसास होता है कि रोमियो ने ज़हर पी लिया ई रोमियो में अब इतनी सांसे नहीं बची कि वो कुछ समझ सके ई इतने में पादरी फ्रायर लारेंस वहां आ जाता और जूलियट, जो रोमियो की मौत के सदमे में है और फ्रायर लारेंस के रोकने के बावजूद, एक खंजर से आत्महत्या कर लेती है ई बाद में दोनों परिवारों के लोग भी वहां पहुँच जाते हैं ई पादरी फ्रायर लारेंस दोनों की शादी और इस योजना में अपनी भूमिका स्वीकार करता है और दोनों की मौत पर अफ़सोस प्रकट करता है ई अगले दिन वेरोना शहर का राजकुमार अपने दरबार में दोनों परिवारों की दुश्मनी को रोमियो और जूलियट की दुखदायी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराता है और आगे से मिल जुल कर रहने का आह्वान करता है ई दोनों परिवारों के लोग नफरत भुला कर गले मिलते हैं ई इस तरह से रोमियो और जूलियट की इस प्रेम कहानी का त्रासदिक अंत हो जाता है ई
सांवर्डे (संवोर्डम) भारत के गोवा राज्य के दक्षिण गोवा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़ुवारी नदी के उत्तरी तट पर बसा हुआ है। नदी के पार कुड़चड़े नगर स्थित है। इन्हें भी देखें दक्षिण गोवा ज़िला दक्षिण गोवा ज़िला गोवा के नगर दक्षिण गोवा ज़िले के नगर
न्यूजीलैंड अंडर-१९ क्रिकेट टीम १९86 से आधिकारिक अंडर-१९ टेस्ट मैच खेल रही है। टीम के पूर्व कप्तानों में स्टीफन फ्लेमिंग, क्रेग मैकमिलन, क्रिस केर्न्स और ब्रेंडन मैकुलम शामिल हैं। उन्होंने ५ फरवरी, २००७ को बर्ट सुक्लिफ ओवल, लिंकन में भारत के खिलाफ अपने आखिरी मैच के साथ ४१ मैच खेले हैं। उनका जीत/हार का रिकॉर्ड ११/९ है। अप्रैल २०१४ में, बॉब कार्टर जो न्यूजीलैंड के सहायक कोच थे, ने उच्च प्रदर्शन वाले कोच का पद संभालने के लिए राष्ट्रीय पक्ष के साथ अपनी भूमिका छोड़ दी। कार्टर अंडर-१९ और ए टीम पक्षों को विकसित करने के लिए जिम्मेदार है।
टेबल माउंटन (अंग्रेज़ी: टेबल माउंटेन, अर्थ: मेज़ पहाड़), जिसे स्थानीय अफ़्रीकी खोईखोई भाषा में होएरिकवाग्गो (होएरिक्वाग्गो) कहते हैं, दक्षिण अफ़्रीका के केप टाउन नगर के पास स्थित एक चपटे और समतल शिखर वाला एक प्रसिद्ध पर्वत है। यह एक पर्यटक आकर्षण और थलचिन्ह है। इसे पास ही स्थित केप ऑफ़ गुड होप नामक अंतरीप से समुद्र से भी देखा जा सकता है। इन्हें भी देखें केप ऑफ़ गुड होप पश्चिमी केप के पर्वत दक्षिण अफ़्रीका के पर्वत
एन बी ए सीज़न एन बी ए सीज़न नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन के सीज़न
दौडनगर (म) - वार्ड नो.११ में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
स्टेज्-क्राफ़्ट् (स्टेजक्राफ्ट) इण्डस्ट्रियल् लाइट् एण्ड् मैजिक् (इल्म) द्वारा वीडियो-वॉल् (वीडियो-दीवार) से बना एक ऑन-सैट् आभासी निर्माण वैक्स तकनीक है। प्रारम्भ में इस तकनीक को डिज़्नी+ की द मैण्डलोरियन् शृङ्खला के लिए विकसित किया गया था, तब से इसका प्रयोग अन्य प्रस्तुतियों में किया गया है और इसे एक क्रान्तिकारी दृश्य प्रभाव तकनीक के रूप में उद्धृत किया गया है। जिस साउण्डस्टेज् में स्टेजक्राफ़्ट् को लागू किया जाता है, उसे द वॉल्यूम् कहा जाता है।
जयद्रथ-वध मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। इसका प्रकाशन १९१० में हुआ था। यह हरिगीतिका छंद में रचित है। गुप्त जी की प्रारम्भिक रचनाओं में 'भारत भारती' को छोड़कर 'जयद्रथ वध' की प्रसिद्धि सर्वाधिक रही। यह खण्डकाव्य सात सर्गों में विभक्त है। इसमें महाभारत का वह प्रसंग वर्णित है, जिसके अन्तर्गत द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्यूह की रचना किये जाने से लेकर अर्जुन द्वारा जयद्रथ के वध तक की कथा आ जाती है। महाभारत के युद्ध के समय द्रोणाचार्य के द्वारा बनाये गये चक्रव्यूह में, अर्जुन की अनुपस्थिति में युद्ध के लिए गये हुए अभिमन्यु को फंसाकर जब जयद्रथ द्वारा उसका वध का दिया जाता है तो युद्ध से लौटे हुए अर्जुन के लिए यह मृत्यु असहनीय हो उठती है और वे जयद्रथ-वध की प्रतिज्ञा कर बैठते हैं तथा उस लक्ष्य की पूर्ति भी कर देते हैं। गुप्त जी ने महाभारत की कथा के इसी अंश को इस खण्ड-काव्य का वर्ण्य-विषय बनाया है। कवि ने ग्रन्थ के प्रारम्भ में मंगलाचरण के रूप में भगवान राम की स्तुति की है और इसके बाद इस कृति के उद्देश्य, महाभारत-युद्ध के कारण, उसके उत्तरदायी व्यक्ति और परिणामों का संकेत किया है। महाभारत का युद्ध होने के मूल कारण पर विचार करते हुए कवि का मत है कि संसार का सबसे बुरा कर्म अपने अधिकार का उपयोग न करना है। अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए यदि कभी अपने बन्धुओं को दण्ड देना पड़े तो यह कर्म अधर्म न माना जाकर धर्म ही माना जायेगा। कवि ने देशवासियों को यह संदेश दिया है कि पारस्परिक ईर्ष्या-द्वेष का भाव छोड़कर मिल-झुल कर रहना चाहिए। आपस की फूट विनाशकारी होती है। इस काव्य की भाषा तत्समनिष्ठ खड़ी बोली है। हरिगीतिका छन्द का प्रयोग किया गया है। आलंकारिक भाषा की छटा दर्शनीय है। काव्य की द्रष्टि से 'जयद्रथ वध' मैथिलीशरण गुप्त के कृतित्व के आरम्भिक काल की रचनाओं में सर्वश्रेष्ठ है। चित्रणकला और अप्रस्तुत विधान बहुत अच्छा है। भाषा में प्रवाह और ओज है। सुभद्रा और उत्तरा के विलाप में करूणा की अप्रतिबद्ध धारा प्रावाहित हुई है। जयद्रथ-वध की प्रथम सर्ग वाचक ! प्रथम सर्वत्र ही जय जानकी जीवन कहो,फिर पूर्वजों के शील की शिक्षा तरंगों में बहो। दुख, शोक, जब जो आ पड़े, सो धैर्य पूर्वक सब सहो,होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो॥ अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है। इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ,जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ॥ सब लोग हिलमिल कर चलो, पारस्परिक ईर्ष्या तजो,भारत न दुर्दिन देखता, मचता महाभारत न जो॥ हो स्वप्नतुल्य सदैव को सब शौर्य्य सहसा खो गया,हा ! हा ! इसी समराग्नि में सर्वस्व स्वाहा हो गया। दुर्वृत्त दुर्योधन न जो शठता-सहित हठ ठानता, जो प्रेम-पूर्वक पाण्डवों की मान्यता को मानता,तो डूबता भारत न यों रण-रक्त-पारावार में,ले डूबता है एक पापी नाव को मझधार में। हा ! बन्धुओं के ही करों से बन्धु-गण मारे गये !हा ! तात से सुत, शिष्य से गुरु स-हठ संहारे गये। इच्छा-रहित भी वीर पाण्डव रत हुए रण में अहो।कर्त्तव्य के वश विज्ञ जन क्या-क्या नहीं करते कहो ? वह अति अपूर्व कथा हमारे ध्यान देने योग्य है,जिस विषय में सम्बन्ध हो वह जान लेने योग्य है। अतएव कुछ आभास इसका है दिया जाता यहाँ,अनुमान थोड़े से बहुत का है किया जाता यहाँ॥ रणधीर द्रोणाचार्य-कृत दुर्भेद्य चक्रव्यूह को,शस्त्रास्त्र, सज्जित, ग्रथित, विस्तृत, शूरवीर समूह को, जब एक अर्जुन के बिना पांडव न भेद कर सके,तब बहुत ही व्याकुल हुए, सब यत्न कर करके थके॥ यों देख कर चिन्तित उन्हें धर ध्यान समरोत्कर्ष का,प्रस्तुत हुआ अभिमन्यु रण को शूर षोडश वर्ष का। वह वीर चक्रव्यूह-भेदने में सहज सज्ञान था,निज जनक अर्जुन-तुल्य ही बलवान था, गुणवान था॥ हे तात् ! तजिए सोच को है काम क्या क्लेश का ?मैं द्वार उद्घाटित करूँगा व्यूह-बीच प्रवेश का॥ यों पाण्डवों से कह, समर को वीर वह सज्जित हुआ,छवि देख उसकी उस समय सुरराज भी लज्जित हुआ।।नर-देव-सम्भव वीर वह रण-मध्य जाने के लिए,बोला वचन निज सारथी से रथ सजाने के लिए। यह विकट साहस देख उसका, सूत विस्मित हो गया,कहने लगा इस भाँति फिर देख उसका वय नया इन्हें भी देखें जयद्रथमहाभारत में जयद्रथ सिंधु प्रदेश के राजा थे। जयद्रथ का विवाह कौरवों की एकमात्र बहन दुशाला से हुआ था। जयद्रथ वृद्धक्षत्र के पुत्र थे। वृद्धक्षत्र के यहाँ जयद्रथ का जन्म देर से हुआ था और जयद्रथ को यह वरदान प्राप्त था कि जयद्रथ का वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा, साथ ही यह वरदान भी प्राप्त था कि जो भी जयद्रथ को मारेगा और जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, उसके सिर के हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे। महाभारत का भयंकर युद्ध चल रहा था। लड़ते-लड़ते अर्जुन रणक्षेत्र से दूर चले गए थे। अर्जुन की अनुपस्थिति में पाण्डवों को पराजित करने के लिए द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया। उसने कुशलतापूर्वक चक्रव्यूह के छः चरण भेद लिए, लेकिन सातवें चरण में उसे दुर्योधन, जयद्रथ आदि सात महारथियों ने घेर लिया और उस पर टूट पड़े। जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर ज़ोरदार प्रहार किया। वह वार इतना तीव्र था कि अभिमन्यु उसे सहन नहीं कर सका और वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर अर्जुन क्रोध से पागल हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर लेगा। जयद्रथ भयभीत होकर दुर्योधन के पास पहुँचा और अर्जुन की प्रतिज्ञा के बारे में बताया। दुर्य़ोधन उसका भय दूर करते हुए बोला-'चिंता मत करो, मित्र! मैं और सारी कौरव सेना तुम्हारी रक्षा करेंगे। अर्जुन कल तुम तक नहीं पहुँच पाएगा। उसे आत्मदाह करना पड़ेगा।' अगले दिन युद्ध शुरू हुआ। अर्जुन की आँखें जयद्रथ को ढूँढ रही थीं, किंतु वह कहीं नहीं मिला। दिन बीतने लगा। धीरे-धीरे अर्जुन की निराशा बढ़ती गई। यह देख श्रीकृष्ण बोले-'पार्थ! समय बीत रहा है और कौरव सेना ने जयद्रथ को रक्षा कवच में घेर रखा है। अतः तुम शीघ्रता से कौरव सेना का संहार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ो।' यह सुनकर अर्जुन का उत्साह बढ़ा और वह जोश से लड़ने लगे। लेकिन जयद्रथ तक पहुँचना मुश्किल था। सन्ध्या होने वाली थी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी माया फैला दी। इसके फलस्वरूप सूर्य बादलों में छिप गया और सन्ध्या का भ्रम उत्पन्न हो गया। सन्ध्या हो गई है और अब अर्जुन को प्रतिज्ञावश आत्मदाह करना होगा।-यह सोचकर जयद्रथ और दुर्योधन ख़ुशी से उछल पड़े। अर्जुन को आत्मदाह करते देखने के लिए जयद्रथ कौरव सेना के आगे आकर अट्टहास करने लगा। जयद्रथ को देखकर श्रीकृष्ण बोले-'पार्थ! तुम्हारा शत्रु तुम्हारे सामने खड़ा है। उठाओ अपना गांडीव और वध कर दो इसका। वह देखो अभी सूर्यास्त नहीं हुआ है।' यह कहकर उन्होंने अपनी माया समेट ली। देखते-ही-देखते सूर्य बादलों से निकल आया। सबकी दृष्टि आसमान की ओर उठ गई। सूर्य अभी भी चमक रहा था। यह देख जयद्रथ और दुर्योधन के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। जयद्रथ भागने को हुआ लेकिन तब तक अर्जुन ने अपना गांडीव उठा लिया था। तभी श्रीकृष्ण चेतावनी देते हुए बोले-'हे अर्जुन! जयद्रथ के पिता ने इसे वरदान दिया था कि जो इसका मस्तक ज़मीन पर गिराएगा, उसका मस्तक भी सौ टुकड़ों में विभक्त हो जाएगा। इसलिए यदि इसका सिर ज़मीन पर गिरा तो तुम्हारे सिर के भी सौ टुकड़े हो जाएँगे। हे पार्थ! उत्तर दिशा में यहाँ से सो योजन की दूरी पर जयद्रथ का पिता तप कर रहा है। तुम इसका मस्तक ऐसे काटो कि वह इसके पिता की गोद में जाकर गिरे।' अर्जुन ने श्रीकृष्ण की चेतावनी ध्यान से सुनी और अपनी लक्ष्य की ओर ध्यान कर बाण छोड़ दिया। उस बाण ने जयद्रथ का सिर धड़ से अलग कर दिया और उसे लेकर सीधा जयद्रथ के पिता की गोद में जाकर गिरा। जयद्रथ का पिता चौंककर उठा तो उसकी गोद में से सिर ज़मीन पर गिर गया। सिर के ज़मीन पर गिरते ही उनके सिर के भी सौ टुकड़े हो गए। इस प्रकार अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी हुई।
वह समुच्चय जिसके अवयवों की संख्या परिमित हो उसे परिमित समुच्चय (फिनीट सेट) कहते हैं। ब = {भारत के प्रधानमंत्री} रिक्त समुच्चय एवं शून्य समुच्चय समुच्चयों का संघ सर्वनिष्ठ (समुच्चय सिद्धान्त)
त्रिपुर उपनिषद् एक मध्ययुगीन उपनिषद है। यह एक शाक्त उपनिषद है और ऋग्वेद से संबन्धित है। उपनिषद के रूप में यह वेदान्त साहित्य का भाग है। त्रिपुर उपनिषद में देवी त्रिपुर सुन्दरी को ब्रह्माण्ड की परम शक्ति कहा गया है।
अवंतिका एक्सप्रेस १२९६१/१२९६२ एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है जोकि इंदौर और मुंबई सेंट्रल के बीच चलती है। यह दैनिक रूप से संचालित होती है। ट्रैन का "अवंतिका" नाम इंदौर के पास स्थित एक ऐतिहासिक शहर उज्जैन के पूर्व नाम 'अवंती' से लिया गया है। अवन्तिका एक्सप्रेस १ एसी १ क्लास कम एसी २ टियर, १ एसी २ टियर, ५ एसी ३ टियर, १२ स्लीपर श्रेणी, ४ सामान्य श्रेणी के कोच है. समय में, यह भी किया जाता है, एक उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन. के रूप में सबसे अधिक रेल सेवाएं भारत में, कोच रचना संशोधन किया जा सकता है के विवेक पर भारतीय रेल पर निर्भर करता है मांग. यह एक दैनिक ट्रेन और दूरी को शामिल किया गया के ८२९ किलोमीटर में १३ घंटे ५५ मिनट के रूप में १२९६१ अवंतिका एक्सप्रेस (५९.५७ किमी/घंटा) और १३ घंटे ४५ मिनट के रूप में १२९६२ अवंतिका एक्सप्रेस (६०.२९ किमी/घंटा) है । पश्चिमी रेलवे पूरा डीसी बिजली के रूपांतरण के लिए एसी पर ५ फरवरी २०१२. यह अब नियमित रूप से हौलेड द्वारा वडोदरा के आधार वाप ५ या वैप ४ई इंजन है । मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
उमरी (उम्री) भारत के हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र ज़िले में स्थित एक गाँव है। इन्हें भी देखें हरियाणा के गाँव कुरुक्षेत्र ज़िले के गाँव
चक मोहमिद फूलपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
एपिक टीवी एक भारतीय टेलीविजन चैनल है जो भारतीय इतिहास , लोककथाओं और महाकाव्य शैली पर ध्यान देने के साथ एक्शन, ड्रामा, कॉमेडीऔर कथात्मक गैर-कथा और काल्पनिक प्रोग्रामिंग प्रसारित करता है। आईएन १० मीडिया प्राइवेट द्वारा शुरू किया गया। १९ नवंबर २०१४ को लिमिटेड , आनंद महिंद्रा के स्वामित्व वाली एक कंपनी, यह हिंदी में कार्यक्रम प्रसारित करती है। पिट्टी ग्रुप के सीईओ आदित्य पिट्टी एपिक टीवी के प्रबंध निदेशक हैं। इसके कुछ कार्यक्रम जैसे राजा, रसोई और अन्य कहानियां ; कहि सुनी ; धर्मक्षेत्र ; संराचना को नेटफ्लिक्स में जोड़ा गया है। चैनल का नारा है " सोच से आगे "। एपिक ऑन नाम का उनका डिजिटल प्लेटफॉर्म २०१७ की शुरुआत में लॉन्च किया गया था, जिसमें अधिकांश शो उपलब्ध है। कंपनी ने मीडिया नेटवर्क के रूप में खुद को संगठित करने और निर्माण करने की दृष्टि का खुलासा किया है, सामग्री जीवन-चक्र के हर स्पर्श-बिंदु पर नए उद्यमों के साथ जो आईएन १० मीडिया के बैनर तले समेकित होंगे। अपनी विस्तार योजनाओं के हिस्से के रूप में, कंपनी ने दो नए टेलीविज़न चैनल - गुब्बारे टीवी (एक बच्चों का चैनल) और इशारा टीवी लॉन्च करने की भी घोषणा की। कलयुग: एक आरंभ स्टोरीज़ बाय रबीन्द्रनाथ टैगोर यम किसी से कम नहीं एनिमल्स इन माइथोलॉजी बैक टू फ्लैशबैक विथ जावेद जाफरी भारत - रिदम ऑफ अ नेशन बाय सधगुरु (अधिग्रहित) भारत की आवाज़ कल्चरल हेरिटेज इंडिया (अधिग्रहित) दीपटॉक्स बाय दीप त्रिवेदी (अधिग्रहित) देवलोक विथ देवदत्त पटनायक (३ सीज़न) एकांत (२ सीज़न और सरहद पार स्पेशल एपिसोड) एपिक इक चैलेंज एपिक के दस (२ सीज़न) ग्लोरी टू गॉड (अधिग्रहित) हिट द रोड इंडिया (अधिग्रहित) इंडियन मार्शल आर्ट्स - एक इतिहास जाने पहचाने विथ जावेद अख़्तर जर्नीज़ इन इंडिया (अधिग्रहित) कलयुग - एक आरंभ ख्वाब का सफ़र विथ महेश भट्ट किस्सा करेंसी का वंस मोर विथ जावेद जाफरी लुटेरे - बैंडिट्स ऑफ ब्रिटिश इंडिया (३ सीज़न) मेड इन इंडिया मिड विकेट टेल्स विथ नसीरुद्दीन शाह राजा रसोई और अंदाज़ अनोखा (२ सीज़न) राजा, रसोई और अन्य कहानियां (२ सीज़न) रक्त (२ सीज़न) रेजिमेंट डेयरीज (२ सीज़न) रोड लेस ट्रेवल्ड (अधिग्रहित) संपत्ति और सौदा - टेल्स ऑफ ट्रेड शरणम् - सफ़र विश्वास का (२ सीज़न) द क्रिएटिव इंडियंस (अधिग्रहित) द ग्रेट एस्केप त्योहार की थाली वे बैक होम (अधिग्रहित) वाइल्ड वाइल्ड इंडिया (अधिग्रहित) विल्डरनेस डेज (अधिग्रहित) जय हनुमान (अधिग्रहित) महाभारत कथा (अधिग्रहित) श्री गणेश (अधिग्रहित) ७ सीक्रेट्स फ्रॉम हिन्दू कैलेंडर आर्ट ७ सीक्रेट्स ऑफ विष्णु अल्फाजों की बुनियाद अनु क्लब - अमर चित्र कथा (अधिग्रहित) गो गंगेस (अधिग्रहित) खट्टे मीठे गप्पे किस्सा करेंसी का इंडियन मार्शल आर्ट्स - शस्त्र का शास्त्र इतिहास की थाली से माय गीता बाय देवदत्त पटनायक सामग्री, संपत्ति और सौदा शरणम् फैथ डायरीज (२ सीज़न) सिलसिला सिनेमा का सुपंडी एंड फ्रेंड्स - अमर चित्र कथा (अधिग्रहित) द कृष्णा स्टोरी (एपीफाइड) त्योहार की थाली रेसिपी स्पेशल उम्मीद इंडिया स्पेशल्स टीवी चैनलों की सूची भारत में हिन्दी टीवी चैनल
वालिस और फ़्यूचूना, आधिकारिक तौर पर वालिस और फ़्यूचूना द्वीपों का क्षेत्र, एक फ्रांसीसी द्वीप सामूहिकता है, जो दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तुवालु से लेकर उत्तर-पश्चिम, फ़िजी से दक्षिण-पश्चिम, टोंगा से दक्षिण-पूर्व, समोआ से पूर्व और टोकेलाऊ के बीच दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में स्थित है। हालांकि फ्रान्सीसी और पोलिनेशियन, वालिस और फ़्यूचूना दोनों फ्रेंच पॉलिनेशिया नामक इकाई से अलग हैं। २०१८ की जनगणना में ११,५५८ (२००३ की जनगणना में १४,९४४ से कम) की आबादी के साथ इसका भूमि क्षेत्र १४२.४२ किमी२ (५४.९९ वर्ग मील) है। माता उतु इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह क्षेत्र तीन मुख्य ज्वालामुखी उष्णकटिबंधीय द्वीपों के साथ-साथ कई छोटे टापुओ से बना है, और दो द्वीप समूहों में विभाजित है, जो पूर्वोत्तर में वॉलिस द्वीप (उविए) के अलावा लगभग २60 किमी (१६० मील) की दूरी पर स्थित हैं। दक्षिण पश्चिम में होओर्न द्वीप (जिसे फ़्यूचूना द्वीप के रूप में भी जाना जाता है), जिसमें फ़्यूचूना द्वीप मुख्य और ज्यादातर निर्जन अलोफ़ा द्वीप शामिल हैं। २००३ के बाद से, वालिस और फ़्यूचूना एक विदेशी विदेशी सामूहिकता के रूप में हैं। १९६१ और २००३ के बीच, इसे एक फ्रांसीसी विदेशी क्षेत्र का दर्जा मिला हुआ था, हालांकि स्थिति बदलने पर इसका आधिकारिक नाम नहीं बदला गया। फ़्यूचूना को पहली बार १६१६ में विलेम शाउटन और जैकब ले मायरे द्वारा यूरोपीय मानचित्रों पर दिखाया गया था। उन्होंने डच शहर होओर्न के ऊपर द्वीपों का नाम "होर्न्स आइलैंडेन" रखा था, जहां से वे आये थे। १८३७ में फ्रांसीसी मिशनरियों के आगमन के साथ, क्षेत्र में बसने वाले पहले यूरोपीय थे, जिन्होंने आबादी को रोमन कैथोलिक धर्म में परिवर्तित किया। ५ अप्रैल १८४२ को, मिशनरियों ने स्थानीय आबादी के एक हिस्से के विद्रोह के बाद फ्रांस की सुरक्षा के लिए कहा। ५ अप्रैल १८८७ को, यूवा की रानी (वालिस द्वीप पर) ने आधिकारिक तौर पर एक फ्रांसीसी रक्षक की स्थापना की संधि पर हस्ताक्षर किए। फ़्यूचूना और अलोफी के द्वीपों पर सिग्वे और अलो के राजाओं ने भी १६ फरवरी १८८८ को एक फ्रांसीसी रक्षक की स्थापना के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए। द्वीपों को न्यू कैलेडोनिया के फ्रांसीसी उपनिवेश के अधिकार के तहत रखा गया था। १९१७ में, तीन पारंपरिक राज्यों को फ्रांस ने अपने अधिकार में ले लिया और वालिस और फ़्यूचूना की उपनिवेश में बदल दिया गया, जो अभी भी न्यू कैलेडोनिया की कॉलोनी के अधिकार में था। १९५९ में, द्वीपों के निवासियों ने १९६१ में एक फ्रांसीसी विदेशी क्षेत्र बनने के लिए मतदान किया, इस प्रकार न्यू कैलेडोनिया से उनकी अधीनता समाप्त हो गई। वालिस और फ़्यूचूना, हवाई से न्यूजीलैंड की ओर दो तिहाई रास्ते में, निर्देशांक (२२५ मील समोआ के पश्चिम में और ३००) मील (४८० किमी) फिजी के उत्तर-पूर्व में) में स्थित है। इस क्षेत्र में युवेया द्वीप (सबसे अधिक आबादी वाला), फ़्यूचूना द्वीप, अलोफी का निर्जन द्वीप और २० निर्जन टापू शामिल हैं, जो १२९ किलोमीटर (८० मील) की समुद्र तट के साथ कुल २७४ वर्ग किलोमीटर (१०६ वर्ग मील) में फैला है। इस क्षेत्र का उच्चतम बिंदु ५२४ मीटर (१,7१9 फीट) पर मोंट प्यूक (फ़्यूचूना द्वीप पर) है। द्वीपों के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के गुजरने से आने वाले तूफानों के कारण नवंबर से अप्रैल तक द्वीपों में एक गर्म, बारिश का मौसम रहता है। मई से अक्टूबर तक शांत, शुष्क मौसम होता है, जोकि उस समय के दौरान दक्षिण-पूर्वी व्यापार हवाओं की प्रबलता के कारण होता है। वर्ष भर में कम से कम २६० दिनों में बारिश होती है, औसत वार्षिक वर्षा २,५०० से ३,००० मिलीमीटर (९८-११८ इंच) तक रहती है। औसत आर्द्रता ८०% है और औसत तापमान २६.६च (७९.९फ) रहती है। द्वीपों का केवल पांच प्रतिशत भूमि क्षेत्र ही कृषि योग्य है; स्थायी फसलें कुल फसल का २०% ही होती हैं। वनों की कटाई (मूल जंगलों के केवल छोटे हिस्से), ईंधन के प्रमुख स्रोत के रूप में लकड़ी की निरंतर उपयोग के परिणामस्वरूप, एक गंभीर समस्या है; जंगलों के कटने के परिणामस्वरूप, विशेष रूप से फ़्यूचूना का पहाड़ी इलाकों में कटाव का खतरा बना रहता है। प्राकृतिक मीठे पानी के संसाधनों की कमी के कारण अलोफी पर कोई स्थायी बस्तियाँ नहीं हैं। जुलाई २०१८ की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी ११,५५८ (वालिस द्वीप पर ७२.१%, फुतुना द्वीप पर २७.९%) थी, जो जुलाई २००३ की जनगणना में १4,९44 से कम है। अधिकांश आबादी पोलिनेशियन जातीयता की है, इसके अलावा यहां महानगरीय फ्रांसीसी मूल के और/या फ्रांसीसी वंश के मूल-जनित गोरों की एक छोटी अल्पसंख्यक आबादी भी मौजुद है। २०१८ की जनगणना में, १४ वर्ष और उससे अधिक की आबादी में से ५९.१% लोगों ने वालिसियन (२००८ की जनगणना में ६०.२% से नीचे), २७.९% ने फ़्यूचूअन (२००८ में २९.९% से नीचे) और १२.७% लोगों ने फ्रान्सीसी (२००८ में ९.७% से ऊपर) बोलने की सूचना दी। वालिस और फ़्यूचूना में लोगों का भारी आबादी (९९%) रोमन कैथोलिक हैं, जो वालिस और फ़्यूचूना के अपने स्वयं के रोमन कैथोलिक सूबा द्वारा तामील किया जाता है। २००५ में वालिस और फ़्यूचूना की जीडीपी बाजार विनिमय दरों पर १८८ मिलियन अमरीकी डॉलर थी। क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पारंपरिक निर्वाह कृषि तक सीमित है, जिसमें लगभग ८०% श्रम शक्ति कृषि (नारियल और सब्जियां), पशुधन (ज्यादातर सूअर), और मछली पकड़ कर अपनी आजीविका कमाती है। लगभग ४% आबादी सरकारी दफ्तरों में कार्यरत है। फ्रांस सरकार सी आने वाली रियायत, जापान और दक्षिण कोरिया को मछली पकड़ने के अधिकार का लाइसेंस, आयात कर, और न्यू कैलेडोनिया, फ्रेंच पोलिनेशिया और फ्रांस में प्रवासी श्रमिकों से आने वाले धन से राजस्व आता हैं। उद्योगों में कोपरा, हस्तशिल्प, मछली पकड़ने और लकड़ी उद्योग शामिल हैं। कृषि उत्पादों में नारियल, ब्रेड फल, याम, तारो, केले, सूअर, और मछली शामिल हैं। १९९१ में, बीएनपी परिबास की सहायक कंपनी बीएनपी नोवेल-कैलेडोनी ने एक सहायक कंपनी, बांके डे वालिस-एट-फ़्यूचूना की स्थापना की, जो वर्तमान में इस क्षेत्र का एकमात्र बैंक है। दो साल पहले बांके इंडोस्यूज ने माता-यूतु में शाखा को बंद कर दिया था जो कि १९७७ में खोला गया था, इस क्षेत्र अब कोई भी बैंक नही है। कई निर्यातों में कोपरा, रसायन और मछली शामिल हैं। वालिस और फ़्यूचूना की संस्कृति पोलिनेशियन है, और अपने पड़ोसी देशों समोआ और टोंगा की संस्कृतियों के समान है। वालियन और फ़्यूचूना संस्कृति भाषा, नृत्य, भोजन और उत्सव के तौर-तरीकों में बहुत समान घटक साझा करते हैं। मछली पकड़ने और कृषि पारंपरिक व्यवसाय हैं और ज्यादातर लोग पारंपरिक एक अंडाकार आकार के टेगे घरों में रहते हैं। कई पॉलिनेशियन द्वीपों के साथ कावा, दो द्वीपों में पीया जाने वाला एक लोकप्रिय पेय है, और अनुष्ठानों में एक पारंपरिक प्रसाद है। अत्यधिक विस्तृत तपे वस्त्र कला वालिस और फ़्यूचूना की एक विशेषता है। फ्रांसीसी प्रशासक सुपरियर डे वालिस-एट-फ़्यूचूना की आधिकारिक वेबसाइट जिला सीमाओं के साथ वालिस और फ़्यूचूना का मानचित्र वालिस और फ़्यूचूना के बारे में जानकारी वालिस और फ़्यूचूना फ्रांस के विदेशी सामूहिकता ओशिआनिया का भूगोल अधीन क्षेत्रानुसार ओशिआनिया में स्थापत्य
भारत के राज्यों की यह सूची उस प्रतिशतानुसार जिसमें १२-२३ महीनों के बच्चों को सभी सुझावित टीके दिए गए। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वेबसाइट भारत में स्वास्थ्य कार्यक्रम भारत में टीकाकरण
कविता सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कला और सौंदर्यशास्त्र स्कूल में कला इतिहास के प्रोफेसर हैं।एमएसए विश्वविद्यालय, बड़ौदासे १९८७ में उन्होंने एमएफए प्राप्त की, और पंजाब विश्वविद्यालय से १९९७ में पीएचडी की।उन्हें२००२ मेंजेएनयू मेंनियुक्त किया गया था। उनके शोध के हितों ने भारत के भारतीय चित्रकला, विशेष रूप से मुगल और राजपूत स्कूलों, और संग्रहालयों का इतिहास और राजनीति का इतिहास शामिल किया। जेएनयू में शामिल होने से पहले, सिंह ने मार्ग प्रकाशनों के लिए एक अनुसंधान संपादक के रूप में काम किया, जिसके दौरान उन्होंने प्रदर्शनी पावर एंड डिजायर को सह-क्यूरेट किया साउथ एशियन पेंटिंग्स फ्रॉम द सेन डिएगो म्यूज़ियम ऑफ आर्ट, एडविन बिनी तृतीय कलेक्शन। प्रदर्शनी १० अक्टूबर २००० से ७ जनवरी २००१ तक न्यूयॉर्क में हुई थी। ओमिना ओकाडा द्वारा एक कैटलॉग बाद में आई। 200७ में, कविता सिंह ने नव खोला देवी कला फाउंडेशन की दूसरी प्रदर्शनी के लिए एक क्यूरेटोरियल टीम का नेतृत्व किया। प्रदर्शनी का शीर्षक वेयर इन द वर्ल्ड था।सूची में कविता सिंह की शुरूआत के संक्षिप्त संस्करण को ऑनलाइन दिखाया गया। ३१ दिसंबर २०० ९ तक वह मैक्स प्लैंक सोसाइटी के फ्लोरेंस में प्रोफेसर डॉ। गेरहार्ड वुल्फ के साथ कुंस्टिस्ट्रीविच इंस्टीट्यूट के साथ एक भागीदार थे। १९६४ में जन्मे लोग
सहीह अल-बुख़ारी (अरबी : ), जिसे बुखारी शरीफ़ (अरबी : ) भी कहा जाता है। सुन्नी इस्लाम के कुतुब अल-सित्ताह (छह प्रमुख हदीस संग्रह) में से एक है। इन पैग़म्बर की परंपराओं, या हदीसों को मुस्लिम विद्वान मुहम्मद अल-बुख़ारी ने एकत्र किया। इस हदीस का संग्रह ८४६/२३२ हिजरी के आसपास पूरा हो गया था। सुन्नी मुसलमान सही बुख़ारी और सही मुस्लिम को दो सबसे भरोसेमंद संग्रह मानते हैं। ज़ैदी शिया मुसलमानों द्वारा भी एक प्रामाणिक हदीस संग्रह के रूप में माना और इसका उपयोग भी किया जाता है। कुछ समूहों में, इसे कुरान के बाद सबसे प्रामाणिक पुस्तक माना जाता है। अरबी शब्द "सहीह" का मतलब प्रामाणिक या सही का अर्थ देता है। सही मुस्लिम के साथ सही अल बुखारी को "सहीहैन" (सहीह का बहुवचन) के नाम से पुकारा जाता है। इब्न अल-सलाह के अनुसार, आमतौर पर सही अल-बुख़ारी के नाम से जाने जानी वाली किताब का वास्तविक शीर्षक है: "अल-जामी 'अल-सहीह अल-मुस्नद अल-मुख्तसर मिन उमूरि रसूलिल्लाहि व सुननिही व अय्यामिही" है। शीर्षक का एक शब्द-से-शब्द अनुवाद है: पैगंबर, उनके प्रथाओं और उनके काल के संबंध में जुड़े मामलों के संबंध में प्रामाणिक हदीस का संग्रह। इब्न हजर अल-असकलानी ने उसी शीर्षक का उल्लेख किया, जिसमें उमूर (अंग्रेजी: मामलों ) शब्द को हदीस शब्द से बदल दिया गया था। अल बुखारी १६ साल की उम्र से अब्बासिद खिलाफ़त में व्यापक रूप से यात्रा करते थे, उन परंपराओं को इकट्ठा करते थे जिन्हें वह भरोसेमंद माना था। यह बताया गया है कि अल-बुखारी ने अपने इस संग्रह में लगभग ६००,००० उल्लेखों को इकट्टा करने में अपने जीवन के १६ साल समर्पित किए थे। बुखारी के सही में हदीस की सटीक संख्या पर स्रोत अलग-अलग हैं, इस पर निर्भर करता है कि हदीस को पैगंबर परंपरा का वर्णन माना गया है या नहीं। विशेषज्ञों ने, सामान्य रूप से, ७,39७ हदीसों को पूर्ण-इस्नद हदीसों की संख्या का अनुमान लगाया है, और उन्ही हदीसों में पुनरावृत्ति या विभिन्न संस्करणों के विचारों के बिना, पैगंबर के हदीसों की संख्या लगभग २,60२ तक कम हो गई है। उस समय बुखारी ने हदीस के मुतालुक पहले के कामों के देखा और उन्हें परखा। उर पूरी छान बीन के बाद जिसे सहीह (सही) और हसन (अच्छा) माना जाएगा उन्हीं को संग्रह किया। और उनमें से कई दईफ़ या ज़ईफ़ (कमज़ोर) हदीस भी शामिल हैं। इस से साफ़ ज़ाहिर होता है कि इनको हदीस को संकलित करने में अपनी रुचि थी और उन्हों ने इस को किया भी। उनके संकल्प को और मजबूत करने के लिए उनके शिक्षक, हदीस विद्वान इशाक इब्न इब्राहिम अल-हंथली ने उन्हें बताया था, "हम इशाक इब्न राहवेह के साथ थे, जिन्होंने कहा, 'अगर आप केवल पैगंबर के प्रामाणिक कथाओं की एक पुस्तक संकलित करेंगे।' यह सुझाव मेरे दिल में रहा, इसलिए मैंने सहीह को संकलित करना शुरू किया। " बुखारी ने यह भी कहा, "मैंने पैगंबर को एक सपने में देखा और ऐसा लगता था कि मैं उनके सामने खड़ा था। मेरे हाथ में एक पंखा था जिससे मैं उनकी रक्षा कर रहा था। मैंने कुछ ख्वाब की ताबीर बताने वालों से पुछा, तो उन्हों ने मुझ से कहा कि "आप उन्हें (उनकी हदीसों को) झूठ से बचाएंगे"। "यही वह है जो मुझे सहीह का उत्पादन करने के लिए आमादा किया था।" इस पुस्तक में इस्लाम के उचित मार्गदर्शन प्रदान करने में जीवन के लगभग सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जैसे प्रार्थना करने और पैगंबर मुहम्मद द्वारा इबादतों के अन्य कार्यों की विधि। बुखारी ने अपना काम ८४६/२३२ हिजरी के आसपास पूरा कर लिया, और अपने जीवन के आखिरी चौबीस वर्षों में अन्य शहरों और विद्वानों का दौरा किया, उन्होंने जो हदीस एकत्र किया था उसे पढ़ाया। बुखारी के हर शहर में, हजारों लोग मुख्य मस्जिद में इकट्ठे होते हैं ताकि उन से संग्रह की गयी इन परंपराओं को पढ़ सकें। पश्चिमी शैक्षणिक संदेहों के जवाब में, जो कि उनके नाम पर मौजूद पुस्तक की वास्तविक तिथि और लेखक के रूप में है, विद्वान बताते हैं कि उस समय के उल्लेखनीय हदीस विद्वान अहमद इब्न हनबल (८५५ ई / २४१ हिजरी), याह्या इब्न माइन (८४७ ई / २३३ हिजरी), और अली इब्न अल-मादिनी (८४८ ई / २३४ हिजरी) ने इनकी पुस्तक की प्रामाणिकता स्वीकार की और संग्रह तत्काल प्रसिद्धि होगया। यहाँ तक प्रसिद्द हुआ कि लेखक (बुख़ारी) की मृत्यु के बाद लोग इस किताब को किसी संशोधन किये मानने लगे और यह एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बन गई। चौबीस वर्ष की इस अवधि के दौरान, अल बुखारी ने अपनी पुस्तक में मामूली संशोधन किए, विशेष रूप से अध्याय शीर्षक। प्रत्येक संस्करण का नाम इसके वर्णनकर्ता द्वारा किया जाता है। इब्न हजर अल- असकलानी के अनुसार उनकी किताब नुक्ता में , सभी संस्करणों में हदीस की संख्या समान है। बुखारी के एक भरोसेमंद छात्र अल-फिराबरी (डी। ९३२ सीई / ३२० एएच) द्वारा वर्णित संस्करण सबसे प्रसिद्ध है। अल-खतिब अल-बगदादी ने अपनी पुस्तक इतिहास बगदाद में फिराबरी को यह कहते हुए उद्धृत किया: "सत्तर हजार लोगों ने मेरे साथ सहहि बुखारी को सुना"। फिराबरी सही अल बुखारी के एकमात्र फैलाने वाले नहीं थे। इब्राहिम इब्न मक़ल (९०७ ई / २९५ हिजरी), हम्मा इब्न शाकेर (९२३ ई / ३११ हिजरी), मंसूर बर्दूज़ी (९३१ ई / ३१९ हिजरी) और हुसैन महमीली (९४१ ई / ३३० हिजरी) ने अगली पीढ़ियों को इस किताब के ज़रिये पढाया और फैलाया। ऐसी कई किताबें हैं जो मतभेद रखती हैं, जिन में सब से अहम् फ़तह अल-बारी है। उल्लेखनीय इस्लामी विद्वान अमीन अहसान इस्लाही ने सही अल बुखारी के तीन उत्कृष्ट गुण सूचीबद्ध किए हैं: चयनित अहादीस के वर्णनकर्ताओं की श्रृंखला की गुणवत्ता और सुदृढ़ता। मुहम्मद अल बुखारी ने गुणवत्त और दृढ़ अहादीस का चयन करने के लिए दो सिद्धांत मानदंडों का पालन किया है। सबसे पहले, एक कथाकार का जीवनकाल प्राधिकरण के जीवनकाल से आगे नहीं होना चाहिए जिससे वह वर्णन करता है। दूसरा, यह सत्यापित होना चाहिए कि उल्लेखनकारों ने मूल स्रोत व्यक्तियों से मुलाकात की है। उन्हें स्पष्ट रूप से यह भी कहना चाहिए कि उन्होंने इन उल्लेखनकारियों से कथा प्राप्त की है। यह मुस्लिम इब्न अल-हाजज द्वारा निर्धारित की गई एक कठोर मानदंड है। मुहम्मद अल बुखारी ने केवल उन लोगों से कथाएं स्वीकार की जिन्होंने अपने ज्ञान के अनुसार, न केवल इस्लाम में विश्वास किया बल्कि इसकी शिक्षाओं का पालन किया। इस प्रकार, उन्होंने मुर्जियों से कथाओं को स्वीकार नहीं किया है। अध्यायों की विशेष व्यवस्था और श्रृंखला। यह लेखक के गहन ज्ञान और धर्म की उनकी समझ व्यक्त करता है। इसने पुस्तक को धार्मिक विषयों की समझ में एक और उपयोगी मार्गदर्शिका बना दी है। इब्न अल-सलाह ने कहा: "साहिह को लेखक बनाने वाले पहले बुखारी, अबू अब्द अल्लाह मुहम्मद इब्न इस्माइल अल-जुफी थे, इसके बाद अबू अल-उसैन मुस्लिम इब्न अल-अंजज एक-नायसबुरि अल-कुशायरी थे , जो उनके छात्र थे, साझा करते थे एक ही शिक्षक। ये दो पुस्तकें कुरान के बाद सबसे प्रामाणिक किताबें हैं। अल-शफीई के बयान के लिए, जिन्होंने कहा, "मुझे मलिक की किताब की तुलना में ज्ञान युक्त पुस्तक की जानकारी नहीं है," - अन्य एक अलग शब्द के साथ इसका उल्लेख किया - उन्होंने बुखारी और मुसलमान की किताबों से पहले यह कहा। बुखारी की किताब दो और अधिक उपयोगी दोनों के लिए अधिक प्रामाणिक है। " इब्न हजर अल- असक्लानी ने अबू जाफर अल-उक्विला को उद्धृत करते हुए कहा, "बुखारी ने साहिह लिखा था, उन्होंने इसे अली इब्न अल-मादिनी , अहमद इब्न हनबल , याह्या इब्न माइन के साथ-साथ अन्य लोगों को भी पढ़ा। उन्होंने इसे माना एक अच्छा प्रयास और चार हदीस के अपवाद के साथ इसकी प्रामाणिकता की गवाही दी गई। अल-अक्विला ने तब कहा कि बुखारी वास्तव में उन चार हदीस के बारे में सही थे। " इब्न हजर ने तब निष्कर्ष निकाला, "और वे वास्तव में प्रामाणिक हैं।" इब्न अल-सलाह ने अपने मुक्द्दीमा इब्न अल-इलाला फी 'उलम अल-आदीद में कहा : "यह हमें बताया गया है कि बुखारी ने कहा है,' मैंने अल-जामी पुस्तक में शामिल नहीं किया है ' जो प्रामाणिक है और मैंने किया अल्पसंख्यक के लिए अन्य प्रामाणिक हदीस शामिल नहीं है। '" इसके अलावा, अल-धाहाबी ने कहा," बुखारी ने यह कहते हुए सुना था,' मैंने एक सौ हजार प्रामाणिक हदीस और दो सौ हजार याद किए हैं जो प्रामाणिक से कम हैं। ' " महिला नेतृत्व के संबंध में बुखारी में कम से कम एक प्रसिद्ध हाद (अकेली) हदीस, इसकी सामग्री और उसके हदीस कथाकार (अबू बकरी) के आधार पर लिखी गयी, जिसको कुछ लेखकों ने प्रामाणिक नहीं माना। शेहदेह हदीस की आलोचना करने के लिए लिंग सिद्धांत का उपयोग करता हैं, जबकि फारूक का मानना है कि इस तरह के हदीस इस्लाम में सुधार के लिए असंगत हैं। एफी और एफ़ी शरिया क़ानून के लिए हदीस के बजाये समकालीन व्याख्या पर चर्चा करना चाहते हैं। एक और हदीस ("तीन चीजें बुरी किस्मत लाती हैं: घर, महिला और घोड़ा।"), अबू हुरैराह द्वारा उल्लेख की गई, इस पर फतेमा मेर्निसी ने संदर्भ से बाहर होने और बुखारी के संग्रह में कोई स्पष्टीकरण ना होनी की आलोचना की है। इमाम जरकाशी (१३४४-१३९२) हदीस संग्रह में हज़रत आइशा द्वारा सूचित हदीस में स्पष्टीकरण दिया गया है: "... वह [अबू हुरैरा] हमारे घर में आया जब पैगंबर वाक्य के बीच में थे। उसने इसके बारे में केवल अंत सुना। पैगंबर ने क्या कहा था: 'अल्लाह यहूदियों को खारिज करे; वे (यहूदी) कहते हैं कि तीन चीजें बुरी किस्मत लाती हैं: घर, महिला और घोड़े।" 'इस मामले में सवाल उठाया गया है कि बुखारी में अन्य हदीस को अपूर्ण और कमी की उचित संदर्भ सूचना मिली है या नहीं सही बुखारी पैगंबर के दवा और उपचार के तरीके और हिजामा जिसे अशास्त्रीय होने की संभावना पेश की गई है। सुन्नी विद्वान इब्न हजर अल-असकलानी, पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर, हदीस की आलोचना करते हुए कहा कि इस हदीस का दावा है कि आदम की ऊंचाई ६० हाथ थी और तब से मानव ऊंचाई कम हो रही है। हदीस की संख्या १६२३ इब्न अल-सलाह ने यह भी कहा: "हदीस की किताब, सहीह में ७,२७5 हदीस है, जिसमें कुछ हदीसें बार-बार दोहराई भी गयी हैं। ऐसा कहा गया है कि बार-बार दोहराई गयी हदीसों को छोड़कर यह संख्या २,२30 है।" यह उन हदीस का जिक्र कर रहे हैं हो मुस्नद हैं, जो मुहम्मद से उत्पन्न होकर सहयोगियों द्वारा प्रामाणिक हैं। अनवार उल-बारी - सय्यद अहमद रज़ा बिजनोरी द्वारा तोहफ़ तुल-क़ारी - मुफ़्ती सईद अहमद पालनपुरी द्वारा नसर उल-बारी - मोलाना उस्मान ग़नी द्वारा हाशिया - अहमद अली सहारनपुरी (१८८० में मृत्यु) शरह इब्न बत्ताल - अबू अल-हसन 'अली इब्न खलाफ इब्न' अब्द अल-मलिक (मृत्यु: ४४९ हिजरी) १० खंडों में प्रकाशित, अतिरिक्त एक खंड इंडेक्स के साथ। तफ़सीर अल-गारिब माँ फ़ी अल-सहीहैन - अल-हुमादी द्वारा (१०९५ ई में मृत्यु)। अल-मुतावरी अल-अबवाब बुख़ारी - नासीर अल-दीन इब्न अल-मुनययिर (मृत्यु: ६८३ एएच): चुनिंदा अध्याय का एक स्पष्टीकरण; एक मात्रा में प्रकाशित। शरह इब्न कसीर (मृत्यु : ७७४ हिजरी) शरह अला-अल-दीन मगलते (मृत्यु : ७९२ हिजरी) फ़तह अल-बारी - इब्न रजब अल-हंबली द्वारा (मृत्यु: ७९५ हिजरी) अल-कोकब अल-दरारी फ़ी शरह अल-बुखारी - अल-किर्मानी द्वारा (मृत्यु: ७९६ हिजरी) शरह इब्नु अल-मुलाक्किन (मृत्यु : ८०४ हिजरी) अत-ताशीह - सुयूती द्वारा (मृत्यु : ८११ हिजरी) शरह अल-बरमावी (मृत्यु : ८३१ हिजरी) शरह अल-तिलमसानी अल-मालिकी (मृत्यु : ८४२ हिजरी) फ़तह उल-बारी फ़ी शरह सही अल बुखारी - अल-हाफ़ित इब्न हजर द्वारा (मृत्यु: ८५२ हिजरी) इरशाद अल-सरी ली शरह सही अल-बुख़ारी अल-क़सतलानी द्वारा (मृत्यु: ९२३ हिजरी); साहिह अल-बुखारी के स्पष्टीकरणों में सबसे प्रसिद्ध में से एक शरह अल-बल्किनी (मृत्यु : ९९५ हिजरी) उमदा अल कारी फ़ी शरह सही अल बुखारी ' बद्र अल-दीन अल-एनी द्वारा लिखी गई और बेरूत में दार इहिया अल-तुरत अल-अरबी द्वारा प्रकाशित अल-तनक़ीह - अल-ज़ारकाशी द्वारा शरह इब्नी अबी हमज़ा अल-अन्दलूसी शरह अबी अल-बक़ा 'अल-अहमदी शरह इब्नु राशिद "नुज़हत उल क़ारी शारह सही अल-बुख़ारी" - मुफ़्ती शरीफुल हक़ द्वारा हाशियत उल बुखारी - ताजुस शरियह मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खान खान क़ादरी अल अज़हरी द्वारा फैज़ अल-बारी - मौलाना अनवर शाह कश्मीरी द्वारा इनाम-उल-बारी मुफ्ती मोहम्मद तक़ी उस्मानी (९ खंड; ७ प्रकाशित) नीमत-उल-बारी फ़ी शरह साही अल-बुख़ारी - गुलाम रसूल सैदी द्वारा, १६ खंड कनज़ुल मुतवरी फ़ी मा मादीनी लामी 'अल-दरारी व सही अल-बुख़ारी - शैख़ उल हदीस मौलाना मोहम्मद जकरिया कंधलावी -२४ खंड। यह पुस्तक प्रारंभ में मौलाना राशिद अहमद गंगोही द्वारा व्याख्यान का संकलन है और इसे मौलाना जकरिया द्वारा अतिरिक्त स्पष्टीकरण के साथ पूरा किया गया था। सहीह अल बुखारी में सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक तर्जुमा अल-बाब या उस अध्याय का नाम है। कई महान विद्वानों ने एक आम तरीक़ा अपनाया; "बुख़ारी की फ़िक़्ह उनके अध्यायों में"। हाफ़िज़ इब्न हजर असकलानी और कुछ अन्य लोगों को छोड़कर इस विद्वान के तरीके पर कई विद्वानों ने टिप्पणी नहीं की है। शाह वालीयुल्लाह मुहादीथ देहालावी ने अब्वाब या अध्यायों के तराजुम या अनुवाद को समझने के लिए १४ उसूल (विधियों) का उल्लेख किया था, फिर मौलाना शैख महमूद हसन अद-देवबंदी ने एक उसूल और जोड़ कर १५ उसूल बनाये। शैखुल हदीस मौलाना मुहम्मद जकरिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में ७० यूसुल पाए गए थे। उन्होंने विशेष रूप से तराजीम सहीह अल बुखारी के उसूलों के बारे में अपनी पुस्तक अल-अब्वाब वअत-तराजीम फ़ी सही अल-बुख़ारी में लिखा है। '' में लिखा था। सही अल-बुख़ारी का अनुवाद नौ खंडों में "सही अल बुखारी अरबी अंग्रेजी के अर्थों का अनुवाद" शीर्षक के तहत मोहम्मद मुहसीन खान द्वारा अंग्रेजी में किया गया है। इस काम के लिए इस्तेमाल किया गया पाठ फ़तह अल-बारी है, जो १९५९ में मिस्र के प्रेस मुस्तफा अल-बाबी अल-हलाबी द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह अल सादावी प्रकाशन और दार-हम-सलाम द्वारा प्रकाशित किया गया है और यूएससी में शामिल है - मुस्लिम ग्रंथों के एमएसए संग्रह । यह पुस्तक उर्दू, बंगाली, बोस्नियाई, तमिल, मलयालम, अल्बेनियन , बहासा मेलयु इत्यादि सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है। यह भी देखें सुनन अबू दाऊद सुनन इब्न माजह हदीस का एप्प, कुल १३ अहादीस की किताबें प्रोजेक्ट टाइगर लेख प्रतियोगिता के अंतर्गत बनाए गए लेख
नर्मदाशंकर लालशंकर दवे (गुजराती : ) (२४ अगस्त १८३३ २६ फ़रवरी १८८६), गुजराती के कवि विद्वान एवं महान वक्ता थे। वे नर्मद के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होने ही १८८० के दशक में सबसे पहले हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा था। गुजराती साहित्य के आधुनिक युग का समारंभ कवि नर्मदाशंकर 'नर्मद' (१८३३-१८८६ ई.) से होता है। वे युगप्रवर्त्तक साहित्यकार थे। जिस प्रकार हिंदी साहित्य में आधुनिक काल के आरंभिक अंश को 'भारतेंदु युग'की संज्ञा दी जाती है, उसी प्रकार गुजराती में नवीन चेतना के प्रथम कालखंड को 'नर्मद युग' कहा जाता है। हरिश्चंद्र की तरह ही उनकी प्रतिभा भी सर्वतोमुखी थी। उन्होंने गुजराती साहित्य को गद्य, पद्य सभी दिशाओं में समृद्धि प्रदान की, किंतु काव्य के क्षेत्र में उनका स्थान विशेष है। लगभग सभी प्रचलित विषयों पर उन्होंने काव्यरचना की। महाकाव्य और महाछंदों के स्वप्नदर्शी कवि नर्मद का व्यक्तित्व गुजराती साहित्य में अद्वितीय है। गुजराती के प्रख्यात साहित्यकार मुंशी ने उन्हें 'अर्वाचीनों में आद्य' कहा है। नर्मद का जन्म और प्राथमिक शिक्षण सूरत में हुआ। पिता लालशंकर नागर ब्राह्मण थे और मुंबई में मसिजीवी होकर निवास करते थे। फलत: उनका माध्यमिक शिक्षण वहीं के एल्फिंस्टन इन्स्टिट्यूट में संपन्न हुआ। कुछ समय उसी संस्था के कालेज में अध्ययन करने के उपरांत विवाहित होकर पुन: सूरत चले गए जहाँ पंद्रह रुपए मासिक की 'म्हेताजीगीरी' करने लगे। पत्नी के देहावसान के बाद फिर मुंबई आए और अपूर्ण शिक्षा को पूर्ण कर पहले शिक्षक बने, फिर साहित्य और पत्रकारिता की दिशा में प्रवृत्त हो गए। अपने साहस और स्वदेशप्रेम से युक्त ओजस्वी भाषणों से उन्होंने पर्याप्त जाग्रति उत्पन्न की। 'बुद्धिवर्धक सभा' की स्थापना करके जागरूक योद्धा की तरह देश में व्याप्त आलस्य, संदेह और रूढ़ियों के उच्छेदन में संलग्न हो गए। स्वयं दो-दो विधवाओं को साहचर्य प्रदान करके सामाजिक मान्यताओं का खंडन किया। 'डांडियों' नामक पाक्षिक पत्र निकालकर क्रांति की विचारधारा को जनता में प्रसारित किया। संगृहीत रूप में उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं - गद्य - 'नर्मगद्य', 'नर्मकोश', 'नर्मकथाकोश', 'धर्मविचार', 'जूनृं नर्मगद्य'; नाटक - 'सारशाकुंतल', 'रामजानकी दर्शन', 'द्वौपदी दर्शन', 'बालकृष्ण विजय', 'कृष्णकुमारी'; कविता - 'नर्म कविता', 'हिंदुओनी पडती'; आत्मचरित - 'मारी हकीकत'; २४ वर्ष तक लगातार उन्होंने 'मसिजीवी' होकर लेखनी द्वारा 'असिधाराव्रत' का एकनिष्ठता के साथ निर्वाह किया। इस काल में उन्हें कभी-कभी विषम आर्थिक संघर्ष करना पड़ा किंतु साहित्यसाधन से वे उदासीन नहीं हुए। उनके मन में धारणा थी कि गुजराती भाषा में महाकाव्य की रचना की जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने 'वीरसिंह' तथा 'रुदनरसिक' नामक महाकाव्य लिखे पर वे अपूर्ण ही रह गए। उन्होंने 'वीरवृत्त' का सफल प्रयोग किया। पिंगल की दिशा में भी उनका कार्य प्रशंसनीय है। 'जोस्सो' से युक्त उनकी कविता कहीं कहीं कृत्रिम और अगंभीर भी लगती है पर उनमें आवेश का बोध सर्वत्र मिलता है। बलराम जैसे मनीषी विवेचकों के मत से उनकी कविता काव्यगुणों में भले ही उत्कृष्ट सिद्ध न हो पर उनके युगनिर्माता व्यक्तित्व को वह पूरी तरह अभिव्यक्त करती है, इसमें संदेह नहीं। 'जय जय गरबी गुजरात', 'सूरत सेनानी मूरत', 'नव करशो कोई शोक', 'सहु चलो जीतवा जंग', 'रण तो धीरानुं धीरानुं' तथा 'दासपणुं क्यां सुधी' इत्यादि काव्यरचनाएँ इसी प्रकार की हैं और उनसे नर्मद के शूर स्वभाव का पूरा परिचय मिलता है। १५०० पंक्तियों का काव्य हिंदूओनी पड़ती उनकी कवित्वशक्ति का स्मरणीय उदाहरण है। उसमें उद्बोधन का स्वर सबसे प्रबल है और वह उनकी प्रतिनिधि काव्यकृति कही जा सकती है। गद्य की दिशा में उन्होंने जो पथ प्रदर्शित किया उसी का अनुसरण दयाराम आदि परवर्ती साहित्यकारों ने किया। उनसे पूर्व बहीखाते से ऊपर के स्तर का गद्य गुजराती साहित्य में अनुपलब्ध था। नर्मद ने गद्य को अंगरेजी से प्रेरणा ग्रहण करते हुए सुस्थिर रूप दिया तथा उसमें निबंध, जीवनचरित्र, नाटक, इतिहास, विवेचन, संशोधन, संपादन, पत्रलेखन आदि सभी कार्य संपन्न किए। वे गुजराती के सर्वप्रथम निबंधकार हैं। उनपर अंग्रेजी निबंधकारों का प्रभाव स्पष्ट है। पत्रकार होने के नाते निबंध उनकी अभिव्यक्ति का मुख्य वाहन बना। 'नर्मगद्य' तथा 'धर्मविचार' नामक दो संग्रहग्रंथों में उनके भिन्न-भिन्न प्रकार के निबंध संगृहीत हैं। 'मारी हकीकत' लिखकर उन्होंने गुजराती में आत्मचरित लिखने का शुभारंभ किया। उनकी यह कृति गांधी जी की आत्मकथा के लिए भी एक आदर्श नहीं, ऐसा कुछ लोगों का विचार है। यह यद्यपि क्रमबद्ध न होकर टिप्पणी रूप में लिखी गई है तथापि नर्मद की सत्यनिष्ठा इससे प्रकट हो जाती है। 'राज्यरंग' नामक कृति में उन्होंने इतिहास का आलेखन किया है। इस कृति से उनकी सांस्कृतिक दृष्टि का भी परिचय मिलता है। कोशसाहित्य निर्माण का कार्य भी उन्होंने किया। 'नर्मकोष' और 'नर्मकथाकोष' उनके साहित्यिक अध्यवसाय का प्रमाण है। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय जय जय गरवी गुजरात
सबसे अधिक उपयोगी वर्गीकरण प्रणालियों में से एक संयंत्र वर्गीकरण का इस्तेमाल करता है। वर्गीकरण व्यवस्थित नामकरण और इसी तरह के समूहों में जीवों के आयोजन का विज्ञान है। संयंत्र वर्गीकरण सकल आकृति विज्ञान का उपयोग करता है कि एक पुराना विज्ञान है (शारीरिक विशेषताओं, [यानी, फूल प्रपत्र, पत्ती आकार, फल फार्म, आदि]) पौधों के इसी तरह के समूहों में उन्हें अलग करने के लिए। अक्सर पौधों भेद विशेषताओं है कि उनके नाम का एक हिस्सा बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, क़ुएर्चुस अल्बा पत्ती के नीचे सफेद है क्योंकि नामक एक सफेद ओक, है। संयंत्र वर्गीकरण के विज्ञान व्यवस्था के नए विज्ञान में समाहित किया जा रहा है। और अधिक परिष्कृत सूक्ष्मदर्शी और प्रयोगशाला रासायनिक विश्लेषण के विकास के लिए इस नए विज्ञान संभव बना दिया है। व्यवस्था में इस तरह के रासायनिक मेकअप और प्रजनन सुविधाओं के रूप में पौधों की विकासवादी समानता पर आधारित है। नामावली में विसंगतियों की पाठ्यपुस्तकों के बीच में मिल जाएगा, तो यह सतत अनुसंधान के साथ कि संयंत्र वर्गीकरण परिवर्तन का उल्लेख किया जाना चाहिए। पकड़ा नहीं मिलता है जिसमें यह लक्ष्य से बढ़ रहा है, के रूप में सही है। "आप संवाद कर रहे हैं?" पर नहीं बल्कि ध्यान केंद्रित संयंत्र वर्गीकरण के एक सिंहावलोकन माली कई सांस्कृतिक प्रथाओं के आधार को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, आग तुषार रोज परिवार की एक बीमारी है; इसलिए, यह इस रोग निदान के लिए गुलाब के परिवार के सदस्यों को पहचान के लिए उपयोगी है। आम संयंत्र वर्गीकरण वर्गीकरण के वैज्ञानिक प्रणाली टाक्सा (एकवचन, टैक्सोन) नामक समूहों में सभी जीवित चीजों में बिताते हैं। पौधों प्लांटी के राज्य में कर रहे हैं। अन्य राज्यों कवक, प्रॉटिस्टा (खमीर, बैक्टीरिया, और प्रोतोज़ोअन्स् सहित एक कोशिकीय जीवों), और पशु (जानवरों) शामिल हैं। और संवहनी पौधे (जाइलम और फ्लोएम की एक नाड़ी तंत्र के साथ पौधों) (काई और लिवेर्वर्त्स् सहित) ब्र्योफ्य्तेस्: संयंत्र राज्य दो टाक्सा में बांटा गया ग्य्म्नोस्पेर्मए बीजरहित और वरीयता प्राप्त: (कभी कभी उच्च पौधों कहा जाता है) संवहनी पौधे दो उपसमूहों में बांटा जाता है। वरीय पौधों दो टाक्सा, जिम्नोस्पेर्मए और आवृतबीजी में बिताते हैं। ये परिदृश्य में पौधों की सबसे अधिक है। ये टाक्सा प्रभागों (या जाति) में विभाजित करते हैं। डिवीजन नाम 'फ्य्टा' में खत्म होता है। संघो के उदाहरण जिन्कगो, कोनिफर, और फूल पौधों शामिल हैं। (नग्न बीज अर्थ) जिम्नोस्पर्म फूलों का उत्पादन, बल्कि इस तरह के पाइन शंकु के रूप में संशोधित ब्रच्त्स्, के अंत पर बीज का उत्पादन नहीं करते। कई पैमाने या सुई की तरह छोड़ दिया है। आर्बोर्वितए, जुनिपरों, डगलस देवदार, देवदार, चीड़, और सजाना जिम्नोस्पर्म के उदाहरण हैं। अङिओपस्पेर्म्स् (मग्नोलिओफ्य्त या चौड़े फूल पौधों) फूल के माध्यम से बीज का उत्पादन। सबसे चौड़े पत्तों है। मोनोचोत्य्लेदोन् और द्विबीपत्री (डाइकोटों): वनस्पतियों दो टाक्सा में बांटा जाता है। मोनोचोत्स् और डाइकोटों के बीच भेद परिदृश्य प्रबंधन में एक आम बात है। उदाहरण के लिए, हमारे आम हेर्नबिचिदेस् के कुछ मोनो/ दैकोट स्तर पर काम करते हैं। लॉन खरपतवार स्प्रे (जैसे २,४-डी और दैकाम्बा के रूप में) डाइकोटों (चौड़े पौधों दन्दिलिओन्स्) की तरह नहीं बल्कि मोनोचोत्स (घास) को मार डालो। अन्य हेर्बिचिदेस् झाड़ी या फ्लोवीर(डाइकोटों) में घास (एक मोनोकोट) को मारने के लिए माली की इजाजत दी, मोनोकोट ले।किन नहीं डाइकोटों मार डालेगा। [चित्र १।] अवरोही क्रम में अतिरिक्त टाक्सा परिवार, वंश, और प्रजातियों में शामिल हैं उच्च पौधों के परिवारों को अपने प्रजनन संरचनाओं (फूल, फल, और बीज) में निहित विशेषताओं से एक दूसरे से अलग हो रहे हैं। कई परिवार के सदस्यों संयंत्र दिखावे, बीज स्थान और उपस्थिति, और विकास की आदत में आम विशेषताओं का हिस्सा। हालांकि, कुछ परिवारों उपस्थिति में विविधता का एक बहुत कुछ है। वे आम तौर पर तुलनीय सांस्कृतिक आवश्यकताओं और इसी तरह के कीट और रोग की समस्याओं का हिस्सा के रूप में परिवार बागवानी में प्राथमिक महत्व है। कीट प्रबंधन और सांस्कृतिक तकनीकों अक्सर परिवार के स्तर पर चर्चा कर रहे हैं। परिवार के नाम 'एसीए' में खत्म होता है। आम परिवारों के उदाहरण निम्नलिखित हैं: कपरीफोलीएसिए - बड़ों, होनीसाकल, स्नोबेरी और विबुर्नुम सहित होनीसाकल परिवार, फाबेसीए- जापानी शिवालय, टिड्डी और साइबेरियाई पिसश्रुब सहित मटर परिवार, ओलिएसीए- जैतून का परिवार, राख, फोरसाइथिया, बकाइन और प्रिवेट सहित रोसेसीए- सेब, कोतोनेस्तेर्, च्रबप्प्लेस्, पोतेन्तिअल्ल्स्, पहुंच, बेर, एश, और २५० आम परिदृश्य पौधों सहित गुलाब परिवार, जीनस और प्रजाति परिवार के स्तर के पार वर्गीकरण डिवीजनों जीनस और विशिष्ट विशेषण नाम, एक साथ प्रजातियों कहा जाता है। पौधे एक द्विपद प्रणाली का उपयोग कर नाम हैं। जीनस नाम पहले आता है और (स्मिथ) की तरह एक व्यक्ति के अंतिम नाम के अनुरूप है। विशिष्ट विशेषण के नाम एक और अधिक विशिष्ट पहचानकर्ता के रूप में इस प्रकार है। यह (जॉन) की तरह एक व्यक्ति का पहला नाम के अनुरूप होगा। पीढ़ी (जीनस का बहुवचन), जिसके सदस्य वे एक ही परिवार के भीतर अन्य पीढ़ी के साथ की तुलना में एक दूसरे के साथ आम में अधिक विशेषताएं हैं समूहों रहे हैं। जड़ों, तनों, कलियों, और पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि फूलों और फलों की समानता, सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की सुविधा है। पौधों की आम नाम आम तौर पर पीढ़ी के लिए लागू होते हैं। उदाहरण के लिए एसर जुनिपरों की मैपल की जीनस, राख के फ्रक्षिनुन्क्ष , और जुनिपेरुस है। विशिष्ट विशेषण आम तौर पर जीनस या आवश्यक पहचान विशेषताओं का पालन लेकिन एक दूसरे की प्रतिकृतियां के रूप में वर्गीकृत किया जा करने के रूप में नहीं तो पर्याप्त भिन्नता प्रदर्शित करने वाले व्यक्ति पौधों के समूहों के उप समूहों इन्ब्रीदिङ को दर्शाता है। विशिष्ट विशेषण नाम हमेशा जीनस के साथ संयोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। जीनस और विशिष्ट विशेषण के नाम लिखे गए हैं, वे हमेशा रेखांकित किया है या वे लैटिन शब्द हैं निरूपित करने के लिए इतलिचिसेद किया जाना चाहिए। जीनस नाम हमेशा बड़ा है, लेकिन विशिष्ट विशेषण नाम नहीं है। प्रजातियों के एकवचन और बहुवचन वर्तनी में ही है। लेखन में, संक्षिप्त "सपा।" जीनस के लिए "। एसपीपी" एक अज्ञात प्रजातियों और इंगित करता है कई प्रजातियों को इंगित करता है। उदाहरण के लिए, "एसर सपा।" मेपल के एक अज्ञात प्रजाति का संकेत होता है, और "एसर एसपीपी।" मेपल जीनस में कई प्रजातियों को दर्शाता है। "सपा।" या "एसपीपी।" रेखांकित या इतलिचिसेद नहीं है। तकनीकी पत्र में, पहला, प्रजातियों की पहचान प्राधिकरण कहा जाता है जो व्यक्ति, विशिष्ट विशेषण के नाम इस प्रकार है। उदाहरण के लिए, जापानी मेपल एसर पल्मतुम थुन्बेर्ग या एसर पल्मतुम टी सोलेनम ट्यूबरोसम लिनिअस या सोलेनम ट्यूबरोसम एल लिखा जाएगा आयरिश आलू लिखा जाएगा विविधता और फसल जीनस और प्रजातियों के स्तर के पार वर्गीकरण डिवीजनों विविधता या फसल रहे हैं। यह एक व्यक्ति के बीच का नाम लिए इसी तरह की एक और भी अधिक विशिष्ट पहचानकर्ता है, वैराइटी या उप प्राकृतिक आबादी में अद्वितीय मतभेद प्रदर्शित व्यक्तियों को सौंपा प्रजातियों में से एक उप-समूह है। मतभेद दाय कर रहे हैं और सच से प्रकार पुन: पेश हर पीढ़ी में। उदाहरण फूलगोभी और गोभी के लिए एक ही प्रजाति ब्रेसिका गोभी की किस्में हैं। तकनीकी लेखन में विविधता और उप प्रजातियों के नाम के साथ चिह्नित किया जाना चाहिए "वर।" या "एसएसपी।" एक प्रजाति का नाम निम्नलिखित है। नाम वर जबकि, इटैलिक या रेखांकित कर रहे हैं। या एसपीपी। इतलिचिसेद या रेखांकित नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए, होनेय लोचुस्त के कॉटे से रहित किसम ग्लदिस्तिअ त्रिअचन्तोस् वर लिखा जाएगा। इनेर्मिस। बिग्फ्रुइत् शाम हलके पीले रंग ओनेओथेर मैक्रोकरपा एसएसपी लिखा जाएगा। इन्चना। फसल, अपनी विशिष्ठ विशेषताओं को बनाए रखने कि प्रदर्शन के बजाय एक अद्वितीय मतभेद और, जब बीज या कलमों द्वारा रेप्रोदुचेद ("किस्म की खेती") पौधों की खेती को सौंपा प्रजातियों में से एक उप-समूह है। टमाटर के उदाहरण के लिए, 'अर्ली गिर्ल 'अन्द' बिगा बोय्या'और् कल्टीवर्स। तकनीकी लेखन में, फसल नाम जीनस और विशिष्ट विशेषण अनुसरण करता है और हमेशा पूंजीकृत और एकल उद्धरण के अंदर लिखा है, लेकिन इतलिचिसेद् या रेखांकित नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर जय लाल मेपल एसर रुबुरुम् 'अक्टूबर जय' है। यह एक किस्म की एक किस्म के लिए संभव है। उदाहरण के लिए, चोर्नुस फ्लोरिडा वर। रूब्रा 'चेरोकी चीफ'। तनाव एक रोग या बेहतर रंग करने के लिए प्रतिरोध की तरह विशिष्ट विशेषताओं के साथ फसल की एक उप-समूह है। उदाहरण के लिए, 'अर्ली गिर्ल ' टमाटर। क्लोन अलैंगिक प्रचार (यानी, कलमों) द्वारा निकाली गई फसल का एक उप-समूह है। संतानों के एक माता पिता है और इसलिए आनुवंशिक सामग्री का कोई आदान-प्रदान हुआ है, क्योंकि माता-पिता के समान हैं। रेखा बीज द्वारा प्रचारित फसल का एक उप-समूह है फार्म विकास की आदत, बीज द्वारा प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य नहीं द्वारा चयन पर आधारित है। उदाहरण के लिए, स्तंभ नॉर्वे मेपल। पौधों की वैज्ञानिक नाम लन्तिनिसेद हैं। लिनिअस वर्गीकरण पर पहली बार प्रकाशित पुस्तकों जब, लैटिन विज्ञान की भाषा के रूप में पश्चिमी यूरोप में इस्तेमाल किया गया था। लिनिअस लैटिन और ग्रीक के नाम का उपयोग इस प्रवृत्ति को जारी रखा। लैटिन लतन्तिनुम् (प्राचीन इटली के एक क्षेत्र) और प्राचीन रोम की भाषा थी। फ्रेंच, स्पेनिश और इतालवी भाषाओं उनकी शब्दावली का एक बड़ा हिस्सा वारिस और लैटिन से व्याकरण। लैटिन अभी भी विज्ञान, चिकित्सा, कानून, और दर्शन का एक हिस्सा है। उदाहरण के लिए, "चार बार एक दिन ', जिसका अर्थ है" मरने में क़ुअतेर् "(क ई ड) का उपयोग कर सकते हैं एक दवा के लिए एक डॉक्टर के पर्चे की। "ई प्लुरिबुस उनाम", संयुक्त राज्य अमेरिका के एक प्रारंभिक आदर्श वाक्य है, "बहुत से बाहर, एक अर्थ है"। आज, लैटिन यह देशों और भाषाओं के बीच बहुभाषी तटस्थता प्रदान करता है कि लाभ है। वैज्ञानिक नाम उच्चारण जीनस और विशिष्ट विशेषण नामों वर्तनी में सार्वभौमिक हैं (जो कि प्रत्येक संयंत्र के लिए एक एकल जीनस और विशिष्ट विशेषण नाम है, दुनिया भर में, एक ही वर्तनी)। लैटिन का उपयोग करके, पौधों सकारात्मक २००,००० से अधिक जाना जाता पौधों की प्रजातियों से पहचाना जा सकता है। हालांकि, वैज्ञानिक नामों का उच्चारण सार्वभौमिक नहीं है, और स्थानीय भाषा के आधार पर अलग अलग होंगे। उदाहरण के लिए, टमाटर 'पैर की अंगुली-मई-पैर की अंगुली' या 'पैर की अंगुली-महिंद्रा की अंगुली' सुनाया जा सकता है। मूल भाषा और उपयोगकर्ता की स्थानीय बोली के आधार पर, वैज्ञानिक नाम वास्तव में विभिन्न देशों में बल्कि अलग लग सकता है। कई लैटिन नाम 'सामान्य' आम नाम बन गए हैं। उदाहरण के लिए: एनीमोन, एक प्रकार का फल, एक प्रकार का पौधा, और विबुर्नुम। यहां अमेरिकी-अंग्रेजी के लिए कुछ बुनियादी दिशा निर्देशों हैं: लैटिन पूरी तरह ध्वन्यात्मक होना चाहिए था। कोई मूक पत्र हैं। क्या तुमने देखा है कि तुम क्या कहना है। व्यंजन आप सामान्य रूप से स्पष्ट कर रहे हैं। पत्र 'सी' और 'जी' स्वर 'ए', 'ओ' और 'यू' के सामने सामान्य रूप से कर रहे हैं। के सामने 'मैं' और 'ई', ध्वनि ('सेसिल "और" कोमल ") नरम हो जाता है। पत्र "चर्चा" "कश्मीर" की तरह स्पष्ट कर रहे हैं। स्वर एक बल शब्दांश में लंबे होते हैं। उदाहरण के लिए, एसर प्र-सेवा हो जाता है और पाइनस पाई नौस हो जाते हैं। कोई मूक अक्षरों के होते हैं। उदाहरण के लिए, रुडबेकिया हो जाता है रूड-बके ई-उह और मिसकन्थुस साइनेसिस याद आती है, कर सकते हैं-इस प्रकार सियी-नीइनी-बहन हो जाता है लहजे कहाँ जाता है, स्थानीय भाषा शैली का एक मामला है। यहां अमेरिकी-अंग्रेजी के लिए कुछ सुझाव हैं। दो शब्दांश शब्दों में, आम तौर पर पहले अक्षर का चिह्न। उदाहरण के लिए, कोरनुस्सा ने कोर- एन योउ स हो जाते हैं। सबसे दूसरे शब्दों में, अंतिम अक्षर से पहले अक्षर का चिह्न। उदाहरण के लिए, एक प्रकार का फल रू-डो-देन -द्रोन हो जाता है। पिछले शब्दांश दो स्वरों में शामिल है, तो अंतिम अक्षर को तीसरे पर दबाव का चिह्न। उदाहरण के लिए, बडलीजा कली-ली-जाह हो जाता है और घंटी काम-पीए-नू-ला हो जाता है। एक व्यक्ति के नाम के आधार पर एक नाम उच्चारण करते हैं, ध्वनि बदलने की कोशिश नहीं की; नाम के पहले भाग पर दबाव का चिह्न दसरी ओर, आम के नाम अक्सर उपयोग में स्थानीय कर रहे हैं और कई बार स्पष्ट रूप से विशिष्ट संयंत्र की पहचान नहीं है। उदाहरण के लिए, लिरिओदेन्द्रोन टुलीपिफेरा उत्तर में ट्यूलिप पेड़ के रूप में और दक्षिण में पीले चिनार के रूप में जाना जाता है। चोर्पिनुस् करोलिनिअ अमेरिकी हानबीन, नीले बीच, मुच्लेवूद, पानी बीच, और आइरनवुड से चला जाता है। यूरोपीय सफेद लिली, निम्फ़ेआ अल्बा, १५ अंग्रेजी आम के नाम, ४४ फ्रेंच आम नाम, १०५ जर्मन आम नाम है, और ८१ डच आम नाम है।
'वसुदेव' कालजयी कथाकार एवं मनीषी डॉ॰नरेन्द्र कोहली द्वारा रचित प्रसिद्ध उपन्यास है। भारत की पौराणिक गाथाओं में वसुदेव और देवकी सुपरिचित नाम हैं। कृष्ण के माता-पिता के रूप में उन्हें सभी जानते हैं। किंतु, उनके बारे में विस्तार से चर्चा कम ही होती है। प्रख्यात उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली ने अपने उपन्यास वसुदेव के द्वारा इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया है। उन्होंने वसुदेव-देवकी के उस जीवनकाल का वर्णन किया है जिसमें उनकी चरम जिजीविषा के दर्शन होते हैं। वसुदेव और देवकी के विवाह से लेकर कंस वध तक के विभिन्न घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए लेखक ने तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों को भी दर्शाने का एक सफल प्रयास किया है। इस उपन्यास की कथा वासुदेव की नहीं, बल्कि वसुदेव की है। व्यक्ति के धरातल पर वह चरित्र की शुद्धता की ओर बढ़ रहे हैं, समाज के धरातल पर सारे प्रहार अपने वक्ष पर झेलकर जागृति का शंख फूंक रहे हैं और राजनीति के धरातल पर एक सच्चे क्षत्रिय के रूप में शस्त्रबद्ध हो सारी दुष्ट शक्तियों से लोहा ले रहे हैं। इसमें उपनिषदों का अद्वैत वेदान्त भी है, भागवत की लीला और भक्ति भी तथा महाभारत की राजनीति भी। किन्तु नरेन्द्र कोहली कहीं नहीं भूलते कि यह कृति एक उपन्यास है। एक मौलिक सृजनात्मक उपन्यास। इस अद्भुत कथा में दुरूहता अथवा जटिलता नहीं है। यह आज का उपन्यास है। आप इसमें अपनी और अपने ही युग की अत्यन्त सरस कथा पाएंगे। लेखक ने अपने उपन्यास में जिस प्लाट को लिया है, उसकी सभी बातें जगजाहिर हैं। उसके सभी मुख्य प्रसंग भारतीयों को कंठस्थ हैं। इसके बावजूद यह लेखक की कुशलता ही है कि उपन्यास में कहीं भी बोरियत नहीं होती। पौराणिक गाथाओं में वसुदेव और देवकी के विवाह तथा कृष्ण जन्म के बीच न के बराबर प्रसंग हैं। लेकिन इस शून्य में भी लेखक ने बड़े ही तार्किक ढंग से कई प्रसंगों की रचना की है। उपन्यास विधा में लेखक की पकड़ का यह प्रतीक है। पूरे उपन्यास में कुल ६२ अध्याय हैं। जिनमें से २८ अध्याय कृष्ण के जन्म से पूर्व के घटनाक्रम के बारे में हैं। और यही २८ अध्याय पूरे उपन्यास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अध्याय हैं। इनमें देवकी और वसुदेव की चरम जिजीविषा का लोमहर्षक विवरण बड़ी कुशलता से प्रस्तुत किया गया है। किसी भी पाठक के लिए इन अध्यायों को पढ़ना अपने आप में अद्भुत अनुभव होगा। अलौकिक प्रसंगों की तर्कसंगत व्याख्या वसुदेव में पुराण कथा से कोई छेड़-छाड़ किए बिना, ही इसे तार्किकता का बाना पहनाया गया है। कथा में आने वाले अलौकिक प्रसंग जैसे कृष्ण के जन्म के समय कारागार के द्वार स्वत: खुल जाने को तर्कसंगत एवं युगानुकूल बनाया गया है। कृष्ण के जन्म के समय भयंकर वर्षा के कारण, अपने परिवारों की सुरक्षा हेतु चिंतित, कारागार के समस्त प्रहरी घबराहट और जल्दबाजी में द्वार खुले छोड़कर ही चले गए। दूसरा प्रसंग कृष्ण द्वारा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत धारण करने का है, जिसकी व्याख्या देवकी के मुख से लेखक ने इस प्रकार की है, कृष्ण ने गोपालों को लगाकर, भूमि खोदकर मिट्टी गोवर्धन पर चढ़ाकर उसे और ऊंचा कर दिया, इतनी ऊंची भूमि तैयार कर ली जिस पर सारे गोपाल और गाय सुरक्षित रह सकें, वहां तक बाढ़ का पानी नहीं चढ़ सकता। नायक वसुदेव अन्याय के सम्मुख न झुकने वाले और नीति एवं युक्ति से अपने संघर्ष को जारी रखने की शक्ति के प्रतीक हैं। देवकी के विवाह के पश्चात् विदाई के समय, मागध तांत्रिक भविष्यवाणी करता है कि देवकी की संतान से कंस के प्राणों को संकट है, कंस देवकी को मारने हेतु खड्ग उठा लेता है, यह देखकर भी वहां उपस्थित किसी भी व्यक्ति के हृदय में कंस के विरोध का विचार नहीं आता। कंस के राज्य में सर्वत्र भय, असहायता और विवशता ही व्याप्त है। ऐसी स्थिति में देवकी के पिता देवक और सगे भाई भी खड्ग तो क्या उठाते, जिह्वा से भी विरोध नहीं करते। वसुदेव, जो देवकी के पति हैं, क्रोधित नहीं होते, संतुलित मस्तिष्क से विचार करते हुए परिस्थिति को समझने का प्रयास करते हैं। जब कंस ने महाराजा उग्रसेन से सत्ता छीनकर उन्हें बंदी बना लिया तब उनकी सहायता के लिए ही कोई नहीं आया, मेरी सहायता कौन करेगा ? अत: वे संपूर्ण स्थिति का मन ही मन मूल्यांकन करके, तत्काल ही शक्ति नहीं वरन् युक्ति से काम लेने का निश्चय करते हैं। साहसी और नीति कुशल वसुदेव, कंस को देवकी का वध करने से रोकते हुए, कंस को वचन देते हैं कि वे देवकी की प्रत्येक संतान उसे सौंप देंगे। वसुदेव आस्थावादी हैं, उनका ईश्वर में अटूट विश्वास है। उनकी जिजीविषा प्रेरणादायी है। वे कहते हैं, मैं सैनिक हूं और सैनिक तब तक अपना शस्त्र नहीं छोड़ता, जब तक उसकी भुजा ही न कट जाए। वे संतान की रक्षा हेतु अथक प्रयास करते हैं, परंतु असफल ही रहते हैं। उनके सामने छ: संतानों का वध हो जाता है, परंतु देवकी के सातवें गर्भ को रोहिणी के शरीर में सुरक्षित करके, रोहिणी को नंदगांव भेजने में वे सफल हो ही जाते हैं। आठवीं संतान को वे स्वयं प्रतिकूल परिस्थिति में भी नंद को सौंपकर आते हैं। इसके पश्चात् भी वसुदेव कंस की शक्ति के सम्मुख पराजित नहीं होते। वे आह्वान करते हैं, देश के हित में अपना हित देखना सीखो, देश सुरक्षित नहीं तो हममें से कोई सुरक्षित नहीं है। कंस के वध के उपरांत भी यह उपन्यास समाप्त नहीं होता क्योंकि अधर्म का आधार स्तम्भ मथुरा नरेश कंस नहीं वरन् मगध नरेश जरासंध है। कंस वध के उपरांत, यादवों को समाप्त करने और मथुरा को नष्ट करने हेतु जरासंध के आक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। उपन्यास के अंतिम दृश्य में, अंतिम पृष्ठ पर वसुदेव यादवों का धर्मयुद्ध के लिए आह्वान करते हैं। इस समय भी वे अकेले ही संघर्ष के लिए तैयार हैं, धर्मयुद्ध में यह चिंतन नहीं करना होता है कि कौन मेरे साथ आएगा, कौन नहीं आएगा। इतना समझ लो कि मैं न युद्ध की अवहेलना करना चाहता हूं, न पलायन। क्षत्रिय तब तक संघर्ष से पीछे नहीं हटता, जब तक उसका मस्तिष्क ही न कट जाए।२ नरेन्द्र कोहली ने अपने उपन्यास 'वसुदेव' में साहित्य में उपेक्षित रहे पात्र वसुदेव और देवकी को केन्द्र में रखकर कथा का ताना-बाना बुना है। इस उपन्यास के सभी प्रमुख पात्र -वसुदेव, देवकी, रोहिणी, नंद, बलराम हमारे सम्मुख नवीन एवं तेजस्वी रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। यद्यपि लेखक ने पौराणिक कथा में कोई परिवर्तन नहीं किया है, तथापि सभी पात्र और संपूर्ण कथानक, प्रेरणा और शक्ति के स्रोत तथा प्रासंगिक प्रतीत होते हैं और यही इसकी विशिष्टता है। वसुदेव कृष्ण के पिता होते हुए भी कृष्ण-साहित्य में उपेक्षित ही रहे हैं, सूर एवं सूर के सम-सामायिक परवर्ती कवियों की दृष्टि से भी उपेक्षित। वसुदेव या तो कंस के कारागार में असहाय और विवश बंदी दिखाई देते हैं या कृष्ण-जन्म के समय पुत्र को सुरक्षित गोकुल पहुंचाने हेतु आकुल उफनती यमुना पार करने वाले वसुदेव से ही हम परिचित हैं। इसके पश्चात् कंस-वध के बाद कारागार से मुक्त होने पर ही वसुदेव दृष्टिगोचर होते हैं। इसी प्रकार कृष्ण की माता के रूप में, कृष्ण की बाल-लीलाओं के वर्णन में यशोदा ही सामने आती है, देवकी नहीं। आधुनिक काल में हिन्दी साहित्य में भी केवल पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र के 'कृष्णायन' में और मैथिलीशरण गुप्त के 'द्वापर' में वसुदेव-देवकी का चित्रण किया गया है, लेकिन परंपरागत रूप में ही। इसी प्रकार रोहिणी का चरित्र भी कृष्ण-भक्ति काव्य में वात्सल्य की दृष्टि से यशोदा की छाया मात्र ही है। कृष्ण और बलराम की परिचर्चा में ही उसका एक दो बार उल्लेख किया गया है। नंद का स्थान भी गौण ही रहा है। गुप्त जी के द्वापर एवं हरिऔध के 'प्रिय प्रिवास' में अवश्य नंद का उल्लेख मिलता है। देवकी-वसुदेव की कथा कहते हुए लेखक ने बड़ी कुशलता से कृष्ण की बाललीलाओं का भी चित्रण किया है। अपने पूर्व उपन्यासों की भांति लेखक ने इस उपन्यास में भी कई प्रसंगों का प्रचलित धारणाओं के विपरीत मानवीकरण का प्रयास किया है, उनकी तार्किक प्रस्तुति का सहारा लिया है। लेकिन, साथ ही उन्होंने कई प्रसंगों में ईश्वरीय चमत्कार को भी स्वीकार किया है। महाभारत और कृष्ण से जुड़े विभिन्न धारावाहिकों में देवकी और वसुदेव का चित्रण प्राय: एक ऐसे असहाय माता-पिता के रूप में किया गया है, जो हाथ पर हाथ रखकर ईश्वरीय चमत्कार की प्रतीक्षा करते हैं। लेकिन, अपने इस उपन्यास में लेखक ने वसुदेव-देवकी के जीवन के उन सबसे मुश्किल क्षणों का एक बिल्कुल ही अलग चित्र खींचा है। उन्होंने वसुदेव को एक ऐसे कर्मयोगी के रूप में प्रस्तुत किया है जो अपनी विलक्षण मेधाशक्ति और सूझबूझ के साथ कंस के अन्याय का विरोध करते हैं। 'वसुदेव' लेखक की उपन्यास-कला तथा चिंतन शैली का सहारा पाकर एक स्पृहणीय व्यक्तित्व के रूप में उभर कर आए हैं। वे भारतीयता के आख्याता हैं तथा कष्ट सहने में चट्टान के समान वज्र-कठोर हैं। वे गंभीर हैं, वीर हैं, शस्त्र तथा शास्त्र के ज्ञाता हैं। नीतिनिपुण हैं और समायानुकूल आचरण करने वाले हैं। विषम से विषम परिस्थिति भी उन्हें तोड़ नहीं पाती। वे आस्तिक हैं तथा प्रभु की सामर्थ्य में उनका अटूट विश्वास है। स्वभाव से धैर्यवान होने के साथ-साथ वे उद्घत है। क्षत्रियोचित स्वाभिमान उनमें कूट-कूट कर भरा है। शास्त्रीय दृष्टि से वे धीरोदात्त नायक हैं उन्होंने कहा कि वसुदेव नीतिनिपूण हैं तथा व्यवहारिक हैं। तत्कालिक संकट से मुक्ति पाने के लिए दिए गए वचन की पालना करना वे आवश्यक नहीं समझते इसीलिए अपने पुत्रों को कंस से बचाने की योजना बनाते हैं तथा सातवें तथा आठवें पुत्रों की रक्षा करने में सफल रहते हैं। उन्होंने कहा कि वसुदेव का व्यक्तित्व श्रद्धास्पद है। वे विकट योद्धा हैं तथा मथुरा के समाज में उनके प्रति अटूट श्रद्धा है। देवकी भी वसुदेव के समान ही धैर्यशील, साहसी, आस्थावादी एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवट से काम लेने वाली शक्तिशालिनी नारी के रूप में दृष्टिगोचर होती है। उपन्यास के आरंभ में देवकी उतनी शक्तिशालिनी अथ्वा परिपक्व दिखाई नहीं देती, परंतु परिस्थितियों की अग्नि में तपकर वह सशक्त होती जाती है। यहां तक कि जब प्रथम पुत्र के वध के बाद, जहां वसुदेव निराश हो जाते हैं, देवकी सच्ची अर्धांगिनी के समान उनकी शक्ति बनती है। निराशा में डूबकर जब वसुदेव कहते हैं हम और पुत्रों को जन्म नहीं देंगे। देवकी दृढ़तापूर्वक कहती है - हम पुत्रों को जन्म देंगे ताकि हमारा आठवां पुत्र यथाशीघ्र इस अत्याचारी को समाप्त कर सके। यहां हम देवकी के (परम्परागत चरित्र के विपरीत) साहसी, ओजस्वी, जुझारु व्यक्तित्व से परिचित होते हैं। कंस के कारागार में भी देवकी सहमी हुई हिरनी नहीं वरन् सिंहनी जैसी दिखाई देती है। कृष्ण के जन्म से पूर्व तो वह भय और आशंका के स्थान पर अपूर्व आनंद में डूबी हुई दिखाई देती है। कंस इस उपन्यास में सत्ता, शक्ति, अन्याय तथा अत्याचार का प्रतीक - एक खलनायक है। वह अपने पिता उग्रसेन से दस्यु के समान सत्ता छीनकर, स्वयं राजा बन जाता है। उसकी क्रूरता, शक्ति और आतंक के कारण कोई भी उसका विरोध करने का साहस नहीं करता। वसुदेव के प्रथम पुत्र का जन्म होने पर वह उसका वध कर देता है; परंतु वह इतना भयभीत है कि शिशु के अंतिम संस्कार के लिए वसुदेव के साथ कुछ लोगों को जाने की अनुमति भी नहीं देता। वह डरता है, कहीं कोई विरोध-प्रदर्शन या आंदोलन खड़ा न हो जाए। कंस के लिए, देवकी का सातवां गर्भ पहेली बन जाता है, अत: विवश एवं क्रोधित कंस, वसुदेव-देवकी को कारागृह में डाल देता है। जब वसुदेव की आठवीं संतान कन्या होती है, तब भी उसे संदेह होता है। उसे नंद के पुत्र कृष्ण पर संदेह होता है तो वह उसे मारने के अनेक असफल प्रयत्न करता है। अंतत: कृष्ण-बलराम को समाप्त करने के लिए वह षड्यंत्र रचता है और उन्हें मथुरा लाने हेतु अक्रूर को भेजता है। किंतु होता वही है, जो मागध तांत्रिक की भविष्यवाणी थी। देवकी की आठवीं संतान अर्थात् कृष्ण कंस का वध कर देते हैं। रोहिणी इस उपन्यास में एक और सशक्त पात्र है, जो हर कदम पर वसुदेव-देवकी का साथ देती है। यहां तक कि वह देवकी के सातवें गर्भ को स्वयं अपने शरीर में धारण करती है और नंदगांव जाकर बलराम को जन्म देती है। वह धर्म के मार्ग पर दृढ़ रहने वाली, तत्कालीन समाज और राजनीति की बारीकियों को समझने वाली विदुषी है। वह नंद को मथुरा की राजनीति और कंस के कारनामों से परिचित करवाती है। कंस से मुक्ति पाने का उपाय सुझाते हुए वह नंद से कहती है, सबसे पहले प्रजा की चेतना को कंस के कारागार से मुक्त करना होगा।३ उपन्यास के अंत में बलराम के प्रति उसका अधिकार भाव तथा मोह का अतिरेक, उसकी स्त्री सुलभ कमजोरी के परिचायक हैं। गुरु गर्गाचार्य, उपन्यास के एक और सशक्त पात्र हैं जो उपन्यास में शक्ति के स्रोत के रूप में सामने आते हैं। वे धर्म के मर्म को समझते हैं और वसुदेव को हताशा और निराशा के क्षणों में सही मार्ग दिखाकर संघर्ष की प्रेरणा देते हैं। वे वसुदेव को स्मरण कराते हैं, तुम पर समाज में सतोगुण जगाने का दायित्व है। समाज की कायरता निरंतर किसी कंस का निर्माण करती है। जाओ साहसपूर्वक जीवन का संग्राम लड़ो। ४ यशोदा और कृष्ण यशोदा और कृष्ण को परंपरागत भूमिका में ही प्रस्तुत किया गया है। इन पात्रों में कोई नवीनता नहीं है। यह अवश्य है कि वसुदेव के नायक वसुदेव हैं, अत: कृष्ण यहां प्रमुख भूमिका में नहीं हैं, वे वसुदेव के लक्ष्य को पूर्ण करने में सहायक मात्र हैं। उपन्यास में देवकी-वसुदेव, नंद यशोदा, नंद-रोहिणी, वसुदेव-गर्गाचार्य के बीच कई ऐसे संवाद हैं जो भारत की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और उसमें व्याप्त समस्याओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अध्याय २४ में एक जगह रोहिणी-नंद संवाद विशेष रूप से उल्लेखनीय है : रोहिणी नंद से कहती हैं, प्रजा का यह भ्रम दूर करना है कि कंस उनका राजा है। राजा कंस नहीं है तो यादवों का राजा कौन है? नंद कुछ संभ्रम में थे। कोई वन में रहकर प्रजा को लूटे, उसे पीड़ित करे, तो वह क्या है? वह दस्यु है। और वही दस्यु वन से निकल कर राजप्रासाद में आ जाए, तो वह राजा हो जाएगा क्या? रोहिणी ने कहा, इसी भ्रम को तो मिटाना है। राजप्रासाद में रहने, राजसभा में सिंहासन पर बैठने तथा सेना पर नियंत्रण कर लेने से तो कोई राजा नहीं होता। प्रतिपाद्य एवं प्रासंगिकता नरेन्द्र कोहली ने यह गाथा केवल आध्यात्मिक पक्ष की न रख आधुनिक सन्दर्भ से जोड़ कर सरल व्यवहार में लिखी है। कहानी द्वापर युग की होने के पश्चात् भी आज की परिस्थितियों से जोड़ी जा सकती हैं। उपन्यास में श्री कृष्ण के जन्म संबंधित घटनाएँ तथा उन के आलोकिक कृत्यों को आज के उन वैज्ञानिक बुद्धि वाले पाठकों को ध्यान में रख कर उकेरा गया हैं जो 'मिथोलॉजी' और 'साइंस फिक्शन' के प्रति अलग अलग दृष्टिकोण रखतें हैं। उपन्यास के मध्यांतर पश्चात लगता ही नहीं कि आप कोई ऐतहासिक कथा पढ़ रहे हैं अपितु लगता है आज के ही राजनीतिक व सामाजिक परिवेश का चित्र देख रहे हैं। कंस को प्रसन्न करने के लिए उस के मंत्रियों सहित समाज के बुद्धिजिवियों द्वारा अपनी आत्मा बेच देने का अध्याय आज का ही लगता है। इतना ही नहीं कंस के एक शिक्षा मंत्री के कारनामें, नाम व ब्योरा अनायास ही पाठक के चेहरे पर मुस्कान ला देता है। लेखक ने पूरी क्षमता से समाज के उन लोगों को जागृत करने का प्रयास किया है जो अपने वातानुकूलित कक्षों में बैठ देश की अच्छी बुरी दशा पर अपनी राय देतें हैं और स्वयं वोट देना भी शर्म का काम समझतें हैं। देवकी वसुदेव की इस गाथा का एक मात्र और मुख्य संदेश यही हैं कि राष्ट्र की प्रत्येक समस्या का स्रोत, संताप और समाधान राष्ट्र के समाज में ही होता है और समाज के वसुदेव जैसे मनीषियों के बलिदानों से ही देश सुरक्षित व सभ्य रह पाता है। श्री कृष्ण जैसे अवतारों का अवतरण भी इन्हीं मनीषियों की तपस्या का परिणाम होता है न कि कोई स्वाभाविक प्रक्रिया। देश व समाज की हर समस्या पर शासक व राजनीति को दोष न दे कर स्वयं अपना धर्म निभाना और फिर उस कर्तव्यपूर्ति पश्चात किसी पुरस्कार की अपेक्षा न करने का संदेश ही संभवत: लेखक का निहित उद्देश्य है। यह उपन्यास एक और नागयज्ञ का मंगलाचरण है तथा समस्त भारतवासियों को इसमें आहुति देने का खुला निमंत्रण भी इसी में है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग कंस के युग का ही अनुवाद है। इस युग में भी वसुदेव अनिवार्य हैं। जो कृष्ण को अपने रक्त में धारण कर सकें। तभी अधर्म का नाश और धर्म की रक्षा संभव है। इसी हेतु वसुदेव की रचना अत्यंत प्रासंगिक है। - अरविंद सोरल नरेन्द्र कोहली कृत 'वसुदेव' का हिन्दी औपन्यासिक साहित्य में स्थान सामाजिक उपन्यासों में जो स्थान प्रेमचंद के 'गोदान' का है, पौराणिक-आधुनिकतावादी उपन्यासों में नरेन्द्र कोहली कृत 'वसुदेव' का स्थान उससे तनिक भी न्यूनतर नहीं है। 'वसुदेव' मनुष्य की जिजीविषा, अन्याय एवं दमन के विरुद्ध लड़ने की उसकी अदम्य इच्छाशक्ति का एवं उसकी निष्कपट आस्था एवं समर्पण का अद्भुत महाकाव्य है। जहां 'गोदान' में प्रेमचंद ने जर्जर ग्रामीण एवं शहरी जीवन की सामाजिक व्यवस्था का मार्मिक चित्रण किया है, वहीं 'वसुदेव' में कोहली ने लोभ, स्वार्थ एवं त्रास से क्षीयमान समाज को कुशलता से न सिर्फ उकेरा है बल्कि उसके कारणों की भी खासी पड़ताल करी है। प्रेमचंद ने 'गोदान' में मालती एवं मेहता के संवादों के माध्यम से अपने दार्शनिक विचारों को सामने रखा है, जो पर्याप्त लम्बे और उबाऊ हो गए हैं एवं कथा के प्रवाह में विघ्न उत्पन्न करते हैं। पाठक उन्हें सरसरी निगाह से पढ़कर या पन्ने पलट कर छोड़ देता है। इसके विपरीत 'वसुदेव' में कोहली का चिंतन संक्षिप्त सूक्तियों के माध्यम से प्रकट होता है, जो पाठक के दिमाग को तुरंत पकड़ लेती हैं। कथा के रस में व्याघात उत्पन्न नहीं होता, वरन पाठक एक नयी उपलब्धि पर मन ही मन और तृप्त होता हुआ और सामग्री की अपेक्षा में आतुरतापूर्वक आगे पढता चलता है। संक्षेप में कहा जाये तो प्रतिपाद्य, शिल्प और भाषा की दृष्टि से 'वसुदेव' के रूप में हिन्दी उपन्यास के उस विकास के चरम के दर्शन होते हैं जो लगभग सात दशकों पूर्व प्रेमचंद के 'गोदान' के रूप में उपलब्ध हुआ था। हिन्दी साहित्य के भविष्य के लिए यह तथ्य अत्यंत उत्साहजनक है कि विभिन्न ऊँचे -नीचे मोड़ों से गुज़रते हुए हिन्दी उपन्यास ने यह मुकाम हासिल कर लिया है। इस सदी के पूर्वार्ध में नरेन्द्र कोहली के रूप में हिन्दी ने उस कालजयी साहित्यकार को अपने विकसित रूप में पुनः प्राप्त कर लिया है जो उसने प्रेमचंद के रूप में पिछली शताब्दी के पूर्वार्ध में खोया था।
बोलेंग (बोलेंग) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के सियांग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। इन्हें भी देखें अरुणाचल प्रदेश के नगर सियांग ज़िले के नगर
डॉ॰ अब्दुल कदीर खान, (जन्मः १ अप्रैल १936 भोपाल, ब्रिटिश भारत) एक पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक और धातुकर्म इंजीनियर, जिन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के संस्थापक माना जाता है। इन्हें पाकिस्तान में प्यार से मोहसिन-ए-पाकिस्तान कहा जाता है। जनवरी २००४ में खान ने पाकिस्तान के परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी प्रसार के एक गुप्त अन्तरराष्ट्रीय नेटवर्क में लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को शामिल करने की बात स्वीकार की थी। इस बात के सबूत होने के बावजूद कि परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में हैं कि खान और उनके नेटवर्क ने खतरनाक कुचक्र रचा था, पाकिस्तान राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने ५ फ़रवरी २००४ को कट्टरपन्थी गुटों के दबाव में क्षमादान देने की घोषणा की। तमाम आरोपों के बावजूद अब्दुल कदीर खान को पाकिस्तान में नायक के रूप में स्वीकार किया जाता है। ६ फरवरी २००९ को पाकिस्तान के इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सरदार मुहम्मद असलम ने डॉ॰ खान को एक स्वतन्त्र नागरिक घोषित करते हुए उन्हें पाकिस्तान में कहीं भी आने-जाने की स्वतन्त्रता प्रदान की। खान, अब्दुल कदीर
सदिश कलन (वेक्टर कैल्कुलस) में सदिश क्षेत्र (वेक्टर फील्ड) किसी दिक् (स्पेस) के हर बिन्दु-स्थान को एक सदिश राशि देने की क्रिया को कहा जाता है, यानि कि इसमें प्रत्येक स्थान से एक राशि और एक दिशा सम्बन्धित की जाती है। सदिश क्षेत्र कई भौतिक चीज़ों को समझने के लिये बहुत लाभकारी है, मसलन पानी के बहाव को परिभाषित करने के लिये उस द्रव में स्थित हर स्थान के साथ एक दिशा और एक राशि लगाई जा सकती है जिससे यह समझा जा सकता है कि उस प्रवाह के अलग-अलग भागों पर क्या बल काम कर रहा है। इसी तरह किसी चुम्बकीय क्षेत्र को भी एक सदिश क्षेत्र द्वारा दर्शा कर उसे समझा जा सकता है। इन्हें भी देखें
अदिति (शिराली) रंजन भारतीय शिल्प के क्षेत्र में कार्यरत एक शिक्षक, शोधकर्ता, लेखक और टेक्सटाइल एव्म वस्त्र डिजाइनर हैं। वह १९७४ से २०१२ तक राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद में बातौर अध्यापक रहीं। रंजन को हैंडमेड इन इंडिया: ए जियोग्राफिक इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स (हैंडमड इन इंडिया: आ जियोग्राफिक एन्सिक्लोपिडिया ऑफ इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स) के लिए जाना जाता है, जिसे उन्होंने अपने जीवनसाथी और साथी डिजाइनर एम पी रंजन के साथ संपादित किया। रंजन का मुख्य कार्य क्षेत्र बुनाई संरचना और वस्त्र निर्माण के अध्ययन में निहित है। वह भारतीय हस्तकला, वस्त्र, और दृश्यकला पर आलेख और शोध भी करती है। उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में शामिल हैं: कर्नाटक की नवलगुंद दरियाँ (नवलगुंड दुर्रीज ऑफ कर्नाटक), १९९२, चंद्रशेखर भेदा, अदिति रंजन, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान भारत में हस्तनिर्मित: भारतीय हस्तशिल्प का एक भौगोलिक विश्वकोश (हैंडमड इन इंडिया: आ जियोग्राफिक एन्सिक्लोपिडिया ऑफ इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स), २००९ जिसे उन्होंने अपने पति एमपी रंजन के साथ सह-संपादित किया। पुस्तक का लेखन २००२ से २००७ तक पांच वर्षों में किया गया था। यह भारत की कला और शिल्प परंपराओं का विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत करती है। इस परियोजना की अवधारणा रंजन द्वारा की गई थी और इसे परिणाम तक लाने के लिए देश भर में व्यापक शोध और क्षेत्र कार्य किया गया।। पुस्तक सभी शिल्पों की एक आधिकारिक निर्देशिका है। यह पुस्तक हस्तशिल्प विभाग, वस्त्र मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा प्रकाशित की गई थी। अदिति रंजन १९७२ से राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद में टेक्सटाइल (वस्त्र) डिज़ाइन के विषय में शिक्षिका रही हैं। २०११ से २०१६ तक उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की वस्त्र परंपराओं पर एक शोध परियोजना की। यह परियोजना राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के आउटरीच कार्यक्रमों (आउट्रीच प्रोग्राम) के तत्वावधान में की गई थी। इसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा कमीशन किया गया था। रंजन ने अहमदाबाद ट्रंक, हाउस ऑफ एम जी (अहमदाबाद ट्रंक, थे हाउस ऑफ म्ग) की टेक्सटाइल गैलरी के लिए साड़ियों और शॉल का एक निजी संग्रह भी तैयार किया है। उनकी एक उल्लेखनीय प्रदर्शनी 'आर्ट ऑफ द लूम' (आर्ट ऑफ थे लूम), २०१९ रही । इस प्रदर्शनी में लीना साराभाई मंगलदास और अंजलि मंगलदास के व्यक्तिगत संग्रह से हथकरघा वस्त्र प्रदर्शित किए गए। इन्हें भी देखें
मनिरामपुर उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह खुलना विभाग के यशोर ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल ८ उपज़िले हैं, और मुख्यालय यशोर सदर उपज़िला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से दक्षिण-पश्चिम की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। खुलना विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ८३.६१% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। बांग्लादेश के सारे विभागों में, खुलना विभाग में मुसलमान आबादी की तुलना में हिन्दू आबादी की का अनुपात सबसे अधिक है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। मनिरामपुर उपजिला बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, खुलना विभाग के यशोर जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल उपज़िला निर्वाहि अधिकारी उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश श्रेणी:खुलना विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
स्वान मल्ला, थराली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) मल्ला, स्वान, थराली तहसील मल्ला, स्वान, थराली तहसील मल्ला, स्वान, थराली तहसील
बेरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हरियाणा हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित एक विधान सभा क्षेत्र है। यह रोहतक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। [डॉ. रघुवीर कादयान] कुल ६ बार विधायक बने चुके हैं। बेरी सीट से पहली बार 19६7 में प्रताप सिंह दौलता कांग्रेस से जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। इसके बाद 19६8 में कांग्रेस से रण सिंह ने चुनाव जीता। १९७२ में प्रताप सिंह दौलता ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। १९७७ में रण सिंह ने जेएनपी के बैनर तले चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। १९८० में हुए उपचुनाव में अजित सिंह कादयान जेएनपी (एसएल) ने चुनाव जीता। १९८२ में ओमप्रकाश बेरी ने लोकदल पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। १९८७ में डॉ रघुवीर सिंह कादियान ने लोकदल से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। १९९१ में एक बार फिर ओमप्रकाश बेरी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। १९९६ में वीरेंद्र पाल ने एसपी के बैनर तले चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद वर्ष २००५ से २०१९ तक कांग्रेस पार्टी से लगातार ५ बार चुनाव जीते। इस क्षेत्र के वर्तमान विधायक डॉ. रघुवीर सिंह कादियान हैं। जानें बेरी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास, डॉ रघुवीर सिंह कादियान है यहां लगातार ५ बार से विधायक नया हरियाणा (हिंदी में) ये भी देखें रोहतक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हरियाणा के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
सेस्सा ऑर्किड अभयारण्य (सेस्सा आर्किड सेंक्चुअरी) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के पश्चिम कमेंग ज़िले में भालुकपोंग के समीप हिमालय के चरणों में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह ईगलनेस्ट वन्य अभयारण्य के दक्षिणपश्चिम में स्थित है और दोनों कमेंग हाथी अभयारण्य के भाग हैं। सेस्सा अभयारण्य में कई ऑर्किड जातियाँ अपने मूलक्षेत्र में संरक्षित करी गई हैं। इन्हें भी देखें ईगलनेस्ट वन्य अभयारण्य पश्चिम कमेंग ज़िला पश्चिम कमेंग ज़िला अरुणाचल प्रदेश के वन्य अभयारण्य
दक्षिण सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट (स्सम) एक सशस्त्र विद्रोह समूह है जोकि दक्षिण सूडान में नील नदी के ऊपरी क्षेत्र में सक्रिय हैं।
जोंक नदी (जोंक रिवर) रायपुर के पूर्वी क्षेत्र का जल लेकर शिवरीनारायण के ठीक विपरीत दक्षिणी तट पर महानदी में मिलती है। इसकी रायपुर जिले में लम्बाई ९० किलोमीटर है तथा इसका प्रवाह क्षेत्र २,४८० वर्ग मीटर है। यह ओड़िशा के नुआपड़ा और बरगढ़ जिलों के मध्य तथा छत्तीसगढ़ के महासमुन्द और रायपुर जिलों में बहती है। इन्हें भी देखें महानदी की उपनदियाँ ओड़िशा की नदियाँ छत्तीसगढ़ की नदियाँ
तरुण बोस हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे जो १९६० और १९७० के दशकों में हिन्दी फ़िल्मों में सक्रीय रहे थे। इनका जन्म कोलकाता में हुआ था हालाँकि इनका पालन पोषण नागपुर शहर में हुआ था। बचपन से ही इनको नाटकों में भाग लेने का शौक था और १५ साल की उम्र में ही उन्होंने नया खुला आकाशवाणी केन्द्र, नागपुर में अपना स्वर परीक्षण (ऑडिशन) दिया। जल्द ही उन्होंने डाक-तार विभाग में नौकरी हासिल कर ली ताकि घरवालों के दबाव के बिना वह अपना कलाकार बनने का सपना पूर्ण कर सकें। नामांकन और पुरस्कार १९२८ में जन्मे लोग १९७२ में निधन भारतीय फ़िल्म अभिनेता
गोपीचंद नारंग (११ फरवरी १९३१ १५ जून २०२२) हिन्दी-उर्दू साहित्यकार थे जिन्हें भारत सरकार द्वारा सन २००४ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक समालोचना साख्तियात पससाख्तियात और मशरीक़ी शेरियात के लिये उन्हें सन् १९९५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। पद्मभूषण (२००४) साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९९५) गालिब पुरस्कार (१९८५) पाकिस्तान राष्ट्रपति स्वर्ण पतक (१९७७) इक़बाल सम्मान (२०११) पाकिस्तान राष्ट्रपति "सितारा ए इम्तियाज़ " पुरस्कार (२०१२) प्रोफेसर एमेरिटस दिल्ली विश्वविद्यालय (२००५२०२२) प्रोफेसर एमेरिटस जामिया मिलिया इस्लामिया (२०१३२०२२) मूर्ति देवी पुरस्कार (२०१२) सर सय्यद एक्सीलेंस राष्ट्रीय पुरस्कार (२०२१) नारंग ने भाषा, साहित्य, कविता और सांस्कृतिक अध्ययन पर ६० से अधिक विद्वतापूर्ण और आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित की हैं; कई का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। हिंदुस्तानी किस्सों से मखुज उर्दू मसनवियां (१९६१) इम्ला नामा (१९७४) पुराणों की कहानियां (१९७६) अनीस शनासी (१९८१) सफर आशना (१९८२) इकबाल का फैन (सं. १९८३) उर्दू अफसाना, रिवायत और मसाइल (सं. १९८६) सनिहा-ए-करबाला बतौर शेरी इस्तिआरा (१९८६) आमिर खुसरो का हिंदवी कलाम (१९८७) अद्बी तनकीद और उस्लोबियत (१९८९) कारी आस तनकीद (१९९२) सख्तियत, पास-सख्तियत और मशरिकी शेरियत (१९९३) उर्दू ग़ज़ल और हिंदुस्तानी जहाँ-ओ तहज़ीब (२००२) हिंदुस्तान की तहरीक-ए-आजादी और उर्दू शायरी (२००३) तारक़ी पसंददी, जदीदियत, मबद-ए-जदीदियत (२००४) अनीस और दबीर (२००५) जदीदियात के बाद (२००५) उर्दू की नई बस्ती (२००६) उर्दू ज़बान और लिसानियत (२००६) सज्जाद ज़हीर: अदाबी ख़िदमत और तारक़ी पसंद तहरीक (२००७) फिराक गोरखपुरी: शायर, नक्काद, दानीश्वर (२००८) देखना तकरीर की लज्जत (२००९) फिक्शन शेरियत (२००९) ख्वाजा अहमद फारूकी के खुटौत गोपी चंद नारंग के नाम (२०१०) काग़ज़-ए आतिश ज़दाह (२०११) तपीश नामा-ए तमन्ना (२०१२) आज की कहानियां (२०१३) गालिब: मानी-अफरीनी, जदलियाती वजा', शून्यता और शेरियत (गालिब: अर्थ, मन, द्वंद्वात्मक विचार और काव्य) (२०१३) कुलियात-ए हिंदवी अमीर खुसरो: मा'ए तशरीह ओ ताजज़िया नुस्खा-ए बर्लिन। (२०१७) मशहर के खुतूत गोपी चंद नारंग के नाम। खंड ई, खंड ई, खंड ई, खंड इव (२०१७) इम्ला नामा पाकिस्तानी संस्करण। (२०२१) दिल्ली उर्दू की करखंडारी बोली (१९६१)उर्दू भाषा और साहित्य: महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य (१९९१) साहित्यिक उर्दू गद्य में पढ़ना (सं. १९६५) राजिंदर सिंह बेदी: चयनित लघु कथाएँ (सं. १९८९) कृष्ण चंदर: चयनित लघु कथाएँ (सं. १९९०) बलवंत सिंह: चयनित लघु कथाएँ (सं. १९९६) गालिब: इनोवेटिव मीनिंग एंड द इंजिनियस माइंड। (२०१७) फैज अहमद फैज: थॉट स्ट्रक्चर, इवोल्यूशनरी लव एंड एस्थेटिक सेंसिबिलिटी (२०१९) 'उर्दू ग़ज़ल: भारत की समग्र संस्कृति का उपहार। (२०२०) द हिडन गार्डन: मीर तकी मीर (२०२१) आमिर खुसरो का हिंदवी कलाम (१९८७) पाठकवादी आलोचना (१९९९) उर्दू पर खुलता दरीचा (२००४) बिसविन शताब्दी में उर्दू साहित्य (२००५) संरचनावाद, उत्तर-संरचनावाद और प्राच्य काव्यशास्त्र (२०००) उर्दू कैसे लिखे (२००१) उर्दू ग़ज़ल और भारतीय मानस वी संस्कृति (२०१६) भारतीय लोक कथाएँ पर आधार उर्दू मसनवियाँ (२०१६) गालिब: अर्थवत्ता, रचनातमक्त एवं शून्यता (२०२०) आमिर खुसरो: हिंदवी लोक काव्य संकल्प (२०२१) गोपी चंद नारंग पर पुस्तकें डॉ मो. हामिद अली खान १९९५. गोपी चंद नारंग: हयात ओ खिदमात। दिल्ली: एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस। मनाज़ीर आशिक हरगंवी। १९९५. गोपी चंद नारंग और अदाबी नज़रिया साज़ी। नई दिल्ली: अदब प्रकाशन। अब्दुल हक, एड. १९९६. अर्मुघान-ए नारंग। नई दिल्ली: मॉडर्न पब्लिशिंग हाउस। [दिल्ली विश्वविद्यालय से उनकी सेवानिवृत्ति की पूर्व संध्या पर प्रो. गोपी चंद नारंग के सम्मान में चयनित पत्र।] शहजाद अंजुम, एड. २००३. दीदावर नक़्क़ाद गोपी चंद नारंग, शहज़ीद अंजुम द्वारा संपादित। दिल्ली: एजुकेशन पब्लिशिंग हाउस। अब्दुल मन्नान तारज़ी। २००३. नारंग ज़ार: प्रोफेसर नारंग की हयात और अदाबी ख़िदमत का मंज़ूम तनक़ीदी जैज़ा। नई दिल्ली: मकतबा इस्ताआरा। फे। देखा गया। एजाज, एड. २००४. गोपी चंद नारंग (नियमित पुस्तक संस्करण)। कोलकाता: इंशा प्रकाशन। सैफी सिरोंजी। २००६. गोपी चंद नारंग और उर्दू तन्कीद। सिरोंज: इंतिसाब प्रकाशन। नंद किशोर विक्रम। २००८. बैन उल-अक्वामी उर्दू शाखसियत: गोपी चंद नारंग। दिल्ली: प्रकाशक और विज्ञापनदाता। मौला बख्श। २००९. जदीद अदाबी थ्योरी और गोपी चंद नारंग। दिल्ली: एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस। मुश्ताक सदफ। २०१०. देखना तकरीर की लज्जत: गोपी चंद नारंग के अदाबी इंटरव्यू। बैंगलोर: कर्नाटक उर्दू अकादमी। शायर, अबुल कलाम कासमी, संपादन। २०११. गोपी चंद नारंग: शक्सियत और अदाबी खिदमात। नई दिल्ली: मकतबा जामिया लिमिटेड सैफी सिरोंजी। २०१२. माबाअद-ए जदीदियात और गोपी चंद नारंग। सिरोंज: इंतिसाब प्रकाशन। मनाज़ीर आशिक हरगानवी। २०१३. तनक़ीद का नया मंज़र नामा और गोपी चंद नारंग। दिल्ली: अर्शिया प्रकाशन। महबूब राही, नज़ीर फतेहपुरी, संपादन। २०१३. गोपी चंद नारंग एक हम जिहात शाक्षियात। नई दिल्ली: एम.आर. प्रकाशन मुश्ताक सदफ, एड. २०१४. अदाबी थ्योरी, शेरियात और गोपी चंद नारंग। दिल्ली: एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस। दानिश इलाहाबादी, एड. २०१४. गोपी चंद नारंग और गालिब शनासी। दिल्ली: एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस। जमील अख्तर। २०१५. जिंदगी नामा: गोपी चंद नारंग। दिल्ली: एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस। अतहर नबी, एड. २०१६. हश्त पहलु नक्काद गोपी चंद नारंग। दिल्ली: अर्शिया प्रकाशन। शहनाज कादिरी। २०१९ प्रो. गोपी चंद नारंग की तन्कीद निगारी। दिल्ली: एमआर प्रकाशन। नजमुन्निसा नाज़। २०१७. गोपी चंद नारंग की डाकनी खिदमात। दिल्ली: दारुल ईशात मुस्तुफ़ई, दिल्ली. शाहिदा उसैद रिज़वी। २०२१. बातें हमारी याद रहीं। दिल्ली: अर्शिया प्रकाशन। जफर सिरोंजी। २०२२. सादी की आंख गोपी चंद नारंग। सिरोंज: इंतिसाब प्रकाशन। उमर फरहत। २०२२. गोपी चंद नारंग पाकिस्तानी आदिबोन की नज़र में। पाकिस्तान: किताबी दुनिया. इदरीस अहमद। २०२२. प्रो. गोपी चंद नारंग अदीब-ओ-दानीश्वर। नई दिल्ली: गालिब इंस्टीट्यूट। २०१२ बैक इंटरव्यू उर्दू में २००४ पद्म भूषण साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उर्दू भाषा के साहित्यकार
विलियम मार्टिन "बिली" जोएल (जन्म ९ मई 1९4९) एक अमेरिकी संगीतकार और पियानोवादक, गायक-गीत लेखक और शास्त्रीय संगीत रचयिता हैं। रिया के अनुसार, 1९73 में उनके हिट गीत "पियानो मैन" के रिलीज होने के बाद से जोएल संयुक्त राज्य अमेरिका के छठे बेस्ट-सेलिंग (सबसे अधिक बिकने वाले) रिकॉर्डिंग कलाकार और तीसरे बेस्ट-सेलिंग एकल कलाकार बन गये। १९८० तथा १९९० के दशक में जोएल के १० शीर्ष हिट थे और संयुक्त राज्य अमेरिका में ४० शीर्ष हिट में ३३ उन्हीं के हैं, इनमे से सभी गाने उन्होंने अकेले ही लिखे थे। वे छह बार ग्रेमी पुरस्कार के विजेता रहे, २३ बार उन्हें ग्रेमी के लिए नामांकित किया गया है और दुनिया भर में उनके १०0 मिलियन से अधिक रिकार्डों की बिक्री हो चुकी है। उन्हें सौंगराइटर्स हॉल ऑफ फ़ेम (१९९२), रॉक एंड रोल हॉल ऑफ फ़ेम (रॉक एंड रोल हाल ऑफ फेम) (१९९९), लौंग आइलैंड म्यूजिक हॉल ऑफ फ़ेम (लॉन्ग आयलैंड मुज़िक हाल ऑफ फेम) (२००६) और हिट परेड हॉल ऑफ फ़ेम (२००९) में शामिल किया गया। १९९३ में जोएल ने पॉप संगीत से "संन्यास" ले लिया, लेकिन दौरा जारी रखा (अक्सर एल्टन जॉन के साथ)। २००१ में, उन्होंने पियानो के शास्त्रीय संगीत की एक सीडी फैंटेसीज एंड डेल्युजंस (फंटेसी & डेल्यून्स) जारी की। सन २००७ में, पॉप लेखन और "ऑल माई लाइफ" नामक एक एकल की रिकॉर्डिंग के साथ उन्होंने संक्षिप्त वापसी की, जिसे उन्होंने अपनी तीसरी पत्नी कैटी ली जोएल के लिए लिखा था। सितम्बर २००७ में, जोएल ने "क्रिसमस इन फलूजा" लिखा, जो सैनिकों के लिए एक श्रद्धांजलि और युद्ध का एक गंभीर चित्रण है। गीत को कैस डीलोन द्वारा रिकॉर्ड किया गया और उसके बाद दिसंबर २००८ में जिसका खुद जोएल द्वारा लाइव संस्करण किया गया, जो सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही जारी किया गया। तीन साल के अंतराल के बाद २००६ में जोएल ने फिर से दौरा करना शुरू किया और उसके बाद बड़े पैमाने पर दौरा किया, दुनिया के अनेक नगरों की यात्रा की। मार्च २००९ में, जोएल ने अपने पियानोवादक साथी एल्टन जॉन के साथ अपना लोकप्रिय फेस टु फेस (फेस तो फेस) दौरा फिर से आरंभ किया। मार्च २०१० में दौरा समाप्त हुआ और फिलहाल कोई यात्रा निर्धारित नहीं है, हालांकि २०१० में विश्राम करने की इच्छा रखने वाले जोएल ने रॉलिंग स्टोन (रॉलिंग स्टोन) पत्रिका के हवाले से कहा: "हमलोग संभवतः फिर शुरू करेंगे. उसके साथ काम करना हरदम मजेदार होता है।" जीवन और कैरियर जोएल का जन्म द ब्रोंक्स, न्यूयॉर्क में हुआ और न्यूयॉर्क के हिक्सविले के लेविटन अनुभाग में वे बड़े हुए. उनके पिता, हावर्ड (जन्म के समय हेल्मुथ), कार्ल अम्सन जोएल नामक जर्मन-यहूदी व्यापारी और निर्माता के पुत्र थे, जो नाज़ी शासन के आने के बाद स्विट्जरलैंड चले गये और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका चले आये। बिली जोएल की मां, रोजालिंड नीमैन का जन्म इंग्लैंड के एक यहूदी परिवार (फिलिप और रेबेका नीमैन) में हुआ था। उनके माता-पिता का १९६० में तलाक हो गया और उनके पिता वियना, ऑस्ट्रिया चले गए। बिली की एक बहन है, जुडिथ जोएल और एक सौतेला भाई है, अलेक्जेंडर जोएल, जो यूरोप का एक प्रशंसित शास्त्रीय संगीतकार है, जो फिलहाल स्ट्राट्सथिएटर ब्राउनश्विक का प्रमुख संगीत निर्देशक है। जोएल के पिता एक निपुण शास्त्रीय पियानोवादक थे। बिली ने अपनी मां के आग्रह पर अनिच्छा से कम उम्र में पियानो सीखना शुरू किया; उनके गुरुओं में विख्यात अमेरिकी पियानोवादक मोर्टन एसट्रिन और संगीतकार/गीतकार टिमोथी फोर्ड शामिल हैं। खेल के बजाय संगीत में उनकी रुचि के कारण शुरुआत में उन्हें चिढ़ाया जाता और बदमाशियां की जाती थी। (उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा है कि उनकी पियानो प्रशिक्षक उन्हें बैले भी सिखाया करती थीं। उनका नाम फ्रांसिस नेइमैन था और वे एक जुलियार्ड प्रशिक्षित संगीतकार थीं। वे अपने घर के पीछे स्थित स्टूडियो में शास्त्रीय पियानो और बैले सिखाया करतीं, इससे पड़ोस के बदमाशों को लगा कि वे नृत्य सीख रहे हैं)। एक किशोर के रूप में, जोएल ने आत्मरक्षा में सक्षम होने के लिए मुक्केबाजी सीखनी शुरू की। कम समय में ही उन्होंने गैर-पेशेवर गोल्डेन ग्लोव्स दौर में सफलतापूर्वक मुक्केबाजी की, बाईस प्रतियोगिताएं जीती, लेकिन अपना चौबीसवां मैच खेलते समय उनकी नाक टूट जाने के कारण उन्होंने जल्द ही खेल छोड़ दिया। जोएल हिक्सविले हाई स्कूल (हिक्सविले हाई स्कूल) में १९६७ की कक्षा में भर्ती हुए. पत्रकार बिल ओ'रेली दरअसल जोएल के साथ उनके करीब ही बड़े हुए. यस नेटवर्क के शो सेंटरस्टेज (सेंटरस्टेज) में माइकल के साथ एक साक्षात्कार में ओ'रेली ने कहा कि जोएल "हिक्सविले अनुभाग में था - मेरी ही उम्र का - और वह उग्र था। वह इस तरह (अपने बाल) पीछे की ओर किया करता था। और हम उसे जानते थे, क्योंकि उसके दोस्त धूम्रपान किया करते थे और यह और वह सब किया करते और हमारे पास और भी जोक्स (जॉक्स) थे।" हालांकि जोएल ने हिक्सविले से स्नातक नहीं किया। पियानो बार में काम करने के कारण स्नातक के लिए आवश्यक अंग्रेजी विषय की कमी रह गयी; संगीतकारों की देर रात वाली जीवनशैली की वजह से एक महत्वपूर्ण परीक्षा के दिन वे देर से उठे. उन्होंने डिप्लोमा लिए बिना ही हाई स्कूल छोड़ दिया और संगीत में कैरियर शुरू किया। "मैंने उनसे कहा, 'भांड में जाय. अगर मैं कोलंबिया युनिवर्सिटी नहीं जा रहा हूं, तो क्या, मैं कोलंबिया रिकार्डस जा रहा हूं और वहां आपको किसी हाई स्कूल डिप्लोमा की जरूरत नहीं पडती'." कोलंबिया, जो वास्तव में एक लेबल बन चुका था, ने अंततः उन्हें अनुबंधित कर लिया। १९९२ में, उन्होंने स्कूल बोर्ड में अपने निबंध जमा किये और उनके स्कूल छोड़ने के २५ वर्ष बाद हिक्सविले हाई स्कूल के वार्षिक स्नातक समारोह में उन्हें डिप्लोमा से सम्मानित किया गया। १९६४ में, द एड सुलेवान शो में द बीटल्स देखने के बाद, जोएल ने पूर्णकालिक संगीत कैरियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया और शामिल होने के लिए कोई स्थानीय लौंग आइलैंड बैंड की तलाश शुरू की। अंततः उन्होंने इकोस (एकोस) पा लिया, यह समूह ब्रिटिश इंवेजन को कवर करने (ब्रिटिश इंवेशन कवर्स) में माहिर था। इकोस एक लोकप्रिय न्यूयॉर्क आकर्षण बन गया, इससे उन्होंने हाई स्कूल छोड़कर एक पेशेवर संगीतकार बन जाने का निर्णय किया। उन्होंने जब इकोस के लिए संगीत देना आरंभ किया, तब वे १४ साल के थे। जोएल जब १६ साल के थे, तब उन्होंने १९६५ में इकोस (एकोस) के साथ रिकॉर्डिंग सत्रों के लिए संगीत देना शुरू किया। शैडो मोर्टन द्वारा निर्मित अनेक रिकॉर्डिंग के लिए जोएल ने पियानो बजाया, साथ ही (जैसा कि जोएल का दावा है, लेकिन गीतकार एली ग्रीनविच इससे इंकार करते हैं) शंग्री-लास के लीडर ऑफ़ द पैक (लीडर ऑफ थे पैक), और कामसूत्र प्रोडक्शंस के जरिये जारी अनेक रिकॉर्ड के लिए लिए भी संगीत दिया। इस दौरान, इकोस ने अनेक देर-रात्रि शो के आयोजन शुरू किये। बाद में, १९६५ में, इकोस (एकोस) ने अपना नाम बदलकर एमेराल्ड्स (एमराल्ड) और फिर लौस्ट सोल्स (लोस्ट सॉल्स) रखा। दो साल के लिए, जोएल ने लौस्ट सोल्स के साथ सत्र किये और प्रदर्शन किया। १९६७ में, इस बैंड को छोड़कर वे एक लौंग आइलैंड बैंड द हैसल्स (हसस्ल्स) में शामिल हुए, जिसने यूनाइटेड आर्टिस्ट्स रिकॉर्ड्स (यूनाइटेड आर्टिस्ट रिकॉर्ड्स) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था। अगले डेढ़ साल से अधिक समय में उन्होंने १९६७ में द हैसल्स (थे हसस्ल्स), १९६८ में आवर ऑफ़ द वुल्फ (हूर ऑफ थे वॉल्फ) और चार एकल जारी किया, जो सभी वाणिज्यिक रूप से विफल रहे। १९६९ में द हैसल्स के अंत के बाद, उन्होंने हैसल्स के ड्रमर जोन स्मॉल के साथ मिलकर युगल अट्टिला (आटीला) बनाया। जुलाई १९७० में अट्टिला ने अपने नामस्रोत से पहला एलबम जारी किया और उसी अक्टूबर को यह टूट गया। इस ग्रुप के टूटने की वजह बना स्मॉल की पत्नी एलिजाबेथ से जोएल का प्रेम संबंध, जिससे आखिरकार जोएल ने शादी कर ली। फैमिली प्रोडक्शंस के साथ जोएल ने अपना पहला एकल रिकॉर्ड अनुबंध हस्ताक्षरित किया और इसके बाद उनका पहला एकल एलबम रिकॉर्ड हुआ। कोल्ड स्प्रिंग हार्बर (लौंग आइलैंड टाउन के उसी नाम का एक संदर्भ), १९७१ में जारी किया गया। हालांकि, इस एलबम को गलत रफ्तार पर तैयार किया गया और इस त्रुटि के साथ शुरू में यह एलबम जारी कर दी गयी, परिणामस्वरूप जोएल का अर्द्धस्वर बहुत ऊंचा सुनाई पड़ता है। फैमिली प्रोडक्शंस के अनुबंध की शर्तें भी ऎसी कष्टकर थीं कि एलबम की बिक्री से बहुत ही कम पैसे की गारंटी होती थी। "शी'ज गौट ए वे" (शे'स गोट आ व्ट) और "एवरीबड़ी लव्स यू नाऊ" (एवेरिबडी लव्स यू नो) जैसे लोकप्रिय एलबम जैसे कट्स मूल रूप से इसी एलबम में जारी हुए, हालांकि तब तक उन पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया, जब तक कि सौंग्स इन द एटिक (सोंग इन थे आटिक) का लाइव प्रदर्शन १९८१ में जारी नहीं हो गया। तबसे, वे पसंदीदा संगीत इकाई बन गए। १९८४ में कोल्ड स्प्रिंग हार्बर को चार्ट में दूसरा मौका प्राप्त हुआ, जब कोलंबिया ने गति सही करके धीमा करने के बाद इस एलबम को फिर से जारी किया। लगभग एक वर्ष बाद एलबम अमेरिका में #१५८ पर पहुंचा और ब्रिटेन में #९५ पर. कोल्ड स्प्रिंग हार्बर ने मेरीली रश (मेरिली रुश) ("एंजिल ऑफ़ द मॉर्निंग" (एंगल ऑफ थे मॉर्निंग)) का ध्यान आकर्षित किया और उन्होंने १९७१ में सेप्टर रिकॉर्ड्स (सेप्टर रिकॉर्ड्स) के लिए "शी'ज गौट ए वे" (शेस गोट आ व्ट) का (ही'ज गौट ए वे (हेस गोट आ व्ट)) एक महिला (फेममें) संस्करण बनाया। १९७१ में न्यूयॉर्क शहर में स्थानीय रूप से जोएल की बुकिंग हुई और १९७२ के प्रारंभ में वे लॉस एंजिल्स चले गये, उन्होंने अपना एक नया नाम रखा बिल मार्टिन . कैलिफोर्निया में विलशायर बुलेवर्ड के द एक्जिक्यूटिव रूम (थे एसेकेटिव रूम) पियानो बार में छः महीने तक काम किया। यहीं पर उन्होंने बार के विभिन्न ग्राहकों के बारे में अपने चिह्नक हिट "पियानो मैन" की रचना की। इसके बाद उन्होंने अपने बैंड सदस्यों (ड्रमर रिस क्लार्क, गिटारवादक अल हर्ट्ज़बर्ग और बास वादक लैरी रसेल) के साथ जून १९७२ के अंत तक पूरे यूएस (उस) और प्युर्टो रिको की यात्रा की और जे. गेल्स बैंड, द बीच ब्वॉय (थे बीच बॉयज़) और ताज महल जैसे सुर्ख़ियों में छाये रहने वाले बैंडों में प्रारंभिक कार्यक्रम पेश किया। प्युर्टो रिको में मैरी सोल फेस्टिवल (मार य सोल फेस्टिवल) में उन्होंने भीड़ को उत्तेजना से भर दिया, इससे उनके कैरियर को एक बड़ा बढ़ावा मिला। इसके अलावा, फिलाडेल्फिया रेडियो स्टेशन, डब्ल्यूएमएमआर (व्म्मर)-एफएम (फ्म) ने एक लाइव कार्यक्रम से लिये गये जोएल के एक नए गीत "कैप्टन जैक" (कप्टन जैक) का प्रसारण शुरू किया। यह ईस्ट कोस्ट में एक भूमिगत हिट बन गया। कोलंबिया रिकॉर्ड्स के एक अधिकारी हर्ब गोर्डन ने जोएल का संगीत सुना और जोएल की प्रतिभा से अपनी कंपनी को अवगत कराया. जोएल ने १९७२ में कोलंबिया के साथ एक रिकॉर्डिंग अनुबंध पर हस्ताक्षर किए और लॉस एंजिल्स चले गए। वे वहां तीन साल रहे (और इन तीन वर्षों को उन्होंने सबसे बड़ी गलती करार दिया) और १९७५ में न्यूयॉर्क शहर लौट गये। कोलंबिया वर्ष: १९७३-१९७६ लॉस एंजिल्स में जोएल के अनुभव रिकॉर्ड कंपनी के अधिकारियों से जुड़े हैं, जिन्होंने उनका अनुबंध के साथ करते हुए इस शर्त के साथ किया कि अगले दस एलबम के लिए कोलंबिया प्रोडक्शंस के लोगो के साथ-साथ फैमिली प्रोडक्शंस का लोगो भी लगाया जायेगा. एक शर्त यह थी कि जोएल के बिकने वाले हरेक एलबम की २५ प्रतिशत रॉयल्टी फैमिली प्रोडक्शंस को प्राप्त होगी। पियानो मैन का श्रेष्ठ गीत शीर्षक गीत ही था, बिलबोर्ड हॉट १०० में इसे महज #२५ स्थान मिलने के बावजूद यह गीत जोएल का चिह्नक गीत बना (वे लगभग अपने सभी कार्यक्रमों का अंत इसी से किया करते)। यात्रा बैंड में भी बदलाव किया गया, गिटार पर डोन इवान्स ने अल हर्ट्ज़बर्ग की जगह ली और बास परपैट्रिक मैकडॉनल्ड्स आये, जिन्हें १९७४ में डोउग स्टेगमेयर ने प्रतिस्थापित किया, जो १९८९ तक बिली के साथ बने रहे। टॉम व्हाइटहॉर्स बैंजो और पेडल स्टील और फिर जॉनी अल्मोंड सैक्स तथा कीबोर्ड पर आकर बैंड को तैयार किया। बिली के संक्रामक उत्साह और प्रतिभा ने बैंड को एक दृढ प्रदर्शन इकाई में बदल दिया, अमेरिका और कनाडा की बड़े पैमाने पर यात्रा की गयी और तत्कालीन लोकप्रिय संगीत शो पर दिखने लगे। कोलंबिया लेबल पर अपने दूसरे एलबम स्ट्रीटलाइफ सेरेनेड (स्ट्रीटलाइफ सेरेनेड) लिखने के लिए जोएल लॉस एंजिल्स में ही रहे। लगभग इसी दौरान न्यूयॉर्क के पास के बेडफोर्ड-स्टुवेसेंट (बेडफोर्ड-स्तुवेसंत) के उनके पुराने मित्र जोन ट्रॉय जोएल के प्रबंधक के रूप में काम करने लगे, हालांकि जल्द ही जोएल की पत्नी एलिजाबेथ द्वारा उन्हें प्रतिस्थापित किया गया। दोनों उपनगरों और भीतरी शहर के मसाले एलबम में डाले गये। एलबम का "द एंटरटेनर" (थे एन्टर्टाइनर) नामक गीत श्रेष्ठ रहा, जो अमेरिका में #३४ हिट बना, इसने विषय-वस्तु की दृष्टि से उस जगह से शुरू किया जहां "पियानो मैन" ने छोड़ा था। जोएल इस बात से परेशान हुए कि रेडियो के लिए अधिक अनुकूल बनाने के लिए "पियानो मैन" को बहुत अधिक संपादित कर दिया गया था और "द एंटरटेनर" से "इफ यू'आर गोन्ना हैव ए हिट, यू गोट्टा मेक इट फिट, सो दे कट इट डाउन टु ३:०५" ("इफ यू'रे गोना हवे आ हित, यू गोत्ता मके इट फिट, सो ते कट इट डाउन तो ३:०५") जैसे व्यंग्यात्मक पंक्तियों को संपादित करने के लिए उन्हें कहा गया, ताकि एलबम के लंबे संस्करण की तुलना में रेडियो के लिए एक्लों को छोटा किया जा सके। हालांकि स्ट्रीटलाइफ सेरेनेड को अक्सर जोएल के कमजोर एलबमों में शामिल किया जाता है (जोएल ने इस एलबम के प्रति अपनी अरुचि की पुष्टि भी की है), फिर भी इसमें कुछ उल्लेखनीय गीत हैं, इनमें शीर्षक गीत "लॉस एन्जिलेनोस" भी शामिल है, इसके अलावा वाद्य संगीत "रूट बीयर रैग" (रूट बीर राग) भी है, जो ७० के दशक में उनके लाइव कार्यक्रमों का मुख्य भाग हुआ करता था और जो २००७ तथा २००८ में फिर से बार-बार दुबारा शुरू हुआ। स्ट्रीटलाइफ सेरेनेड (स्ट्रीटलाइफ सेरेनेड) जोएल की अधिक विश्वासपूर्ण गायन शैली की शुरुआत के रूप में भी चिह्नित हुआ। १९७५ के अंत में, उन्होंने बो डिडली (बो डिद्दले) के द २०एथ एनिवर्सरी ऑफ़ रॉक 'एन' रोल (थे २०त अन्निवरसरी ऑफ रॉक 'न' रोल) सभी कलाकारों के एलबम के लिए पियानो तथा ऑर्गन बजाया. एल.ए. संगीत रंगमंच से विरक्त होने के बाद जोएल १९७६ में न्यूयॉर्क लौट आए। वहां उन्होंने टर्न्स्टाइल (टर्न्स्टाइल्स) की रिकॉर्डिंग की, जिसके लिए उन्होंने पहली बार अपने चुने हुए संगीतकारों का स्टूडियो में उपयोग किया और एक अधिक प्रायोगिक भूमिका को अपनाया. शुरू में एल्टन जॉन के बैंड के सदस्यों के साथ कारिबू रैंच में गीतों को रिकॉर्ड किया गया और विख्यात शिकागो निर्माता जेम्स विलियम गुर्सियो द्वारा इसका निर्माण किया गया, लेकिन परिणाम से जोएल संतुष्ट नहीं हुए. गानों को फिर से न्यूयॉर्क में रिकॉर्ड किया गया और जोएल ने कार्यभार संभाला और एलबम का निर्माण खुद किया। मामूली हिट "से गुडबाई टु हॉलीवुड" (से गुडबए तो हॉलीवुड) से फिल स्पेक्टर की गूंज सुनाई देती थी और इसे रोनी स्पेक्टर ने आवृत किया था (२००८ के एक रेडियो साक्षात्कार में जोएल ने कहा कि अब वे अपने लाइव कार्यक्रमों में "से गुडबाई टु हॉलीवुड" का प्रदर्शन नहीं करेंगे क्योंकि एक सुर में यह बहुत ऊंचा है और उनकी स्वरतंत्री की धज्जियां उड़ा देता है।) एलबम में "न्यूयॉर्क स्टेट ऑफ़ माइंड" गीत को भी शामिल किया गया, जो एक ब्लूसी (ब्ल्यूसी), जैज़ शैली का काव्य है, जो जोएल का चिह्नक गीत बन गया। और जिसे बाद में उनकी कोलंबिया लेबल की साथी बारबरा स्ट्रेइसैंड ने अपने १९७७ के स्ट्रेइसैंड सुपरमैन (स्ट्रीसैंड सुपरमान) एलबम में आवृत किया और टोनी बेनेट के साथ एक युगल के रूप में अपने २००१ प्लेयिंग वित मी फ्रेंडस: बेनेट सिंग्स थे ब्ल्यूस एलबम में भी शामिल किया। एलबम के अन्य गीतों में शामिल हैं "समर, हाइलैंड फॉल्स", "मियामी २०१७ (सीन द लाइट्स गो आउट ऑन ब्रॉडवे)" और "से गुड बाई टु हॉलीवुड", जो एक १९८१ में एक लाइव संस्करण में शीर्ष ४० पर जा पहुंचे। "प्रील्यूड/एंग्री यंग मैन" जैसे गीत वर्षों तक उनके कार्यक्रमों के एक मुख्य आधार बने रहे। द स्ट्रेंजर के लिए, कोलंबिया रिकॉर्ड्स ने निर्माता फिल रामोन के साथ जोएल की टीम बनायी। अमेरिका में बिलबोर्ड चार्ट के शीर्ष-२५ में से एलबम के चार ने स्थान पा लिया: "जस्ट द वे यू आर" (जस्त थे व्ट यू अरे) (#३), "मूविइन' आउट (एंथोनिज साँग)" (मूवीन' आउट (एंथनी'स सोंग)) #१७), "ओनली द गुड डाई यंग" (ओनली थे गुड दिए यंग) (#२४) और "शी'ज ऑलवेज ए वुमन" (शे'स अल्वए आ वुमान) (#१७)। एलबम ने कोलंबिया की इससे पहले सबसे अधिक बिकनेवाले एलबम सायमन एंड गर्फुन्केल के ब्रिज ओवर ट्रबल्ड वाटर (ब्रिज ओवर ट्रुबल्ड वाटर) की बिक्री को भी पार कर लिया, और इसे बहु-प्लैटिनम प्रमाणित किया गया। उनका पहला शीर्ष दस एलबम चार्ट पर #२ पर जा पहुंचा। उसके बाद रामोन ने बिली जोएल के प्रत्येक स्टूडियो रिलीज का निर्माण किया स्टॉर्म फ्रंट (स्टॉर्म फ्रंट) तक, जिसे प्रारंभ में १९८९ में जारी किया गया। इस एलबम में "सीन्स फ्रॉम एन इटैलियन रेस्टुरेंट" (सीन्स फ्र्म अन इटालियन रेस्टोरेंट) गीत को भी शामिल किया गया, यह एलबम-उन्मुखी रॉक क्लासिक है, जो उनका एक बहुत विख्यात गीत बन गया। गीत में एक रेस्तरां का संदर्भ है, कार्नेगी हॉल के पास फोंटाना डि ट्रेवी, वे वहां प्रदर्शन के लिए जाया करते थे और गीत की प्रसिद्ध परिचित पंक्ति है - "ए बोटल ऑफ़ व्हाईट, ए बोटल ऑफ़ रेड, परहैप्स ए बोटल ऑफ़ रोज' इंस्टीड? " (आ बोतल ऑफ व्हाइट, आ बोतल ऑफ रेड, पर्हप आ बोतल ऑफ रोज़' इंस्टेड?) जो वास्तव में फोंटाना डि ट्रेवी में उनके ऑर्डर देने पर एक बार एक वेटर ने उनसे शब्दशः यह पंक्ति कही थी, यह उनके गीत के हिस्से के लिए प्रेरणा बन गयी। द स्ट्रेंजर ने जोएल को वर्ष के रिकॉर्ड और वर्ष के गीत के लिए ग्रैमी में नामांकित कराया, अपनी पत्नी एलिजाबेथ के लिए बतौर उपहार लिखे गए गीत "जस्ट द वे यू आर" के लिए उन्हें यह सम्मान मिला। फरवरी १९७९ को उन्हें देर रात पेरिस के होटल के कमरे में (वे दौरे पर थे) एक फोन आया, जिसके द्वारा उन्हें बताया गया कि उन्होंने दोनों श्रेणियों में जीत हासिल कर ली है। उनके अगले एलबम से लोगों ने बड़ी उम्मीदें बांध रखी थीं। मैनहट्टन में एक दिन के रूप में उन्होंने ५२न्द स्ट्रीट (५२न्द स्ट्रीट) की कल्पना की थी और उसी प्रसिद्ध स्ट्रीट के नाम से उन्होंने एलबम का नाम रखा, जहां १९३०, ४० और ५० के दशक में विश्व के अनेक प्रमुख जैज कार्यक्रम होते रहे और कलाकारों की भीड़ जुटती रही। प्रशंसकों ने "माई लाइफ" (मी लाइफ) (#३), "बिग शॉट" (बिग शॉट) (#१४) और "ऑनेस्टी" (होनेस्टी) (#२४) के हिट की प्रसिद्धि पर सात मिलियन प्रतियां खरीदी. इससे ५२न्द स्ट्रीट (५२न्द स्ट्रीट) जोएल का पहला #१ एलबम बन गया। "माई लाइफ" अंततः एक नए अमेरिकी टेलीविजन हास्य कार्यक्रम बॉसम बडीज (बोसम बुड्डीज) का थीम गीत बन गया, जिसमे अभिनेता टॉम हैंक्स को लिया गया, जो उनकी शुरूआती भूमिकाओं में एक था। एलबम ने ग्रैमी में सर्वश्रेष्ठ पॉप गायन प्रदर्शन, पुरुष और वर्ष के एलबम का खिताब जीता। ५२न्द स्ट्रीट कॉम्पैक्ट डिस्क पर जारी होने वाला पहला एलबम बना, जब यह जापान में १ अक्टूबर १982 को सोनी के सीडी प्लेयर सीडीपी (कप)-१0१ के साथ बिक्री के लिए भेजा गया. फ़ोटो प्रचार और एलबम के आवरण पर जोएल को एक ट्रपेट पकडे हुए दिखाए जाने के बावजूद उन्होंने इस एलबम में कोई वाद्य यंत्र नहीं बजाया है, हालांकि एलबम के दो गीतों में कुछ विख्यात जैज ट्रपेट वादकों को शामिल किया गया है। फ्रेडी हब्बार्ड ने "जैंजिबार" (ज़ांजीबार) में दो एकल में काम किया है और "हाफ ए माइल अवे" (हाफ आ मिले आवे) के हॉर्न अनुभाग में माइकल ब्रेकर और रैंडी ब्रेकर के साथ जॉन फैडिस भी शामिल हुए. १९७९ में, बिली जोएल ने २-४ मार्च के बीच होने वाले ऐतिहासिक हवाना जाम फेस्टिवल के हवाना,क्यूबा की यात्रा की, उनके साथ-साथ रीटा कूलिज, स्टीफन स्टिल्स, सीबीएस (क्ब्स) जैज ऑल-स्टार्स, ट्रायो ऑफ़ डूम, फानिया ऑल-स्टार्स, बिली स्वान, बोनी ब्राम्लेट, माइक फिन्नेगन, वेदर रिपोर्ट, के अलावा इराकेरे, पाचो अलोंसो, टाटा गुइनेस और ओर्क्वेस्ता अरागोन जैसे क्यूबाई कलाकारों की एक श्रृंखला भी वहां मौजूद थी। उनके प्रदर्शन को अर्नेस्टो जुआन कैस्टेलानोस के वृत्तचित्र हवाना जाम '७९ में संग्रहित किया गया है। प्रारंभिक १९८० का दशक "जस्ट द वे यू आर", "शी'ज ऑलवेज ए वुमन" और "ऑनेस्टी" जैसे पियानो-संचालित गाथा-गीत की सफलता ने जोएल को कभी भी चैन से नहीं रहने दिया, क्योंकि अनेक आलोचक उन पर "बैलाडियर" (समत्रिपदी) का बिल्ला लगाने में देर नहीं लगाते रहे। ग्लास हाउसेस के जरिये उन्होंने आत्मविश्वास के साथ नई लहर लोकप्रियता पर हमला किया और रंगमंचों और स्टेडियमों में लाइव कार्यक्रमों के लिए बनायी अनेक तीक्ष्ण-धार वाले गीतों की प्रथा को जन्म दिया, अब वे लगभग पूरी तरह से अकेले ही प्रदर्शन करने लगे थे। सामने के आवरण पर जोएल के वास्तविक जीवन के आधुनिक शीशे के घर को शामिल किया किया गया है। एलबम बिलबोर्ड चार्ट पर ६ सप्ताह तक #१ पर बना रहा और कई हिट की प्राप्ति की, जैसे कि "यू में बी राईट" (यू मई बे राइट) (क्ब्स के मध्य-९० के हास्य कार्यक्रम डेव्स वर्ल्ड के लिए थीम गीत के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिसकी आवृत्ति साउथसाइड जॉनी ने की) (#७, मई १980), "क्लोज टु द बोर्डरलाइन" (क्लोस तो थे बॉर्डरलाइन) ("यू में बी राईट" एकल का बी-साइड), "डोंट आस्क मी व्हाई" (#१9, सितंबर १980), "समटाइम्स ए फैंटेसी" (#3६, नवंबर १980) और "इट्स स्टिल रुक एंड रोल टु मी", जो जुलाई १980 में जोएल का पहला बिलबोर्ड #१ गीत बना। ग्लास हाउसेस ने सर्वश्रेष्ठ रॉक गायन प्रदर्शन, पुरुष का ग्रेमी अवार्ड जीता। इसने लोकप्रिय एलबम, पॉप/रॉक श्रेणी के लिए अमेरिकन म्यूजिक अवार्ड भी जीता। एलबम का समापन गीत, 'थ्रू द लौंग नाईट", ("इट्स स्टिल रॉक एंड रोल टु मी" (इट'स स्टिल रॉक & रोल तो मे) एकल का बी-साइड) एक लोरी है, जिसमे जोएल को एक गीत में खुद से सुसंगत होते दिखाया गया है, उनके अनुसार द बीटल्स के "यस इट इज" (येस इट इस) से यह प्रेरित है। उनकी अगली रिलीज, सौंग्स इन द एटिक (सोंग इन थे आटिक), उनके कैरियर के आरंभिक दिनों के विख्यात गीतों के लाइव प्रदर्शनों के संयोजन से तैयार हुई। जून और जुलाई १९८० में बड़े अमेरिकी रंगमंचों और अंतरंग नाईट क्लब शो के दौरान इसे रिकॉर्ड किया गया। इस रिलीज ने अनेक प्रशंसकों से परिचय कराया, जिन्होंने तब जोएल को पहचान लिया था जब १९७७ में द स्ट्रेंजर ने उनकी पहले की अनेक रचनाओं को पछाड़ते हुए जबर्दस्त सफलता पायी थी। एलबम बिलबोर्ड चार्ट पर #८ पर जा पहुंचा और इसने दो हिट एकल पैदा किया: "से गुडबाई टु हॉलीवुड" (से गुडबए तो हॉलीवुड) (#१७) और "शी'ज गौट ए वे" (#२३)। इसकी ३ मिलियन से अधिक प्रतियां बिक गयीं। हालांकि उनके पहले के कुछ एलबम की तरह इसे उतनी सफलता नहीं मिली, लेकिन जोएल अभी भी इसे सफल एलबम मानते हैं। जोएल के कैरियर की अगली लहर द नायलोन कर्टेन (थे नाईलोन कर्टेन) की रिकॉर्डिंग के साथ शुरू हुई। अनेक आलोचकों द्वारा इसे उनका सबसे साहसी और महत्वाकांक्षी एलबम माना गया और खुद जोएल द्वारा इसे अब तक के अपने कार्य का सबसे पसंदीदा उद्धृत किया गया, जोएल ने अपने इस भारी बीटल्स-प्रभावित एलबम में लेंनोन/मैककार्टनी की गीतलेखन शैली से एक या दो पृष्ठों से अधिक को ग्रहण किया। १९८१ के अंत में द नायलोन कर्टेन पर काम शुरू हुआ। १५ अप्रैल १९८२ को लौंग आइलैंड में एक गंभीर मोटरसाइकिल दुर्घटना के कारण जोएल के काम में देरी हुई, एलबम को पूरा होने में कुछ सप्ताह देर लगी। एलबम के प्रचार में जोएल ने एक संक्षिप्त यात्रा शुरू की, इस दौरान उनका पहला विशेष वीडियो, लाइव फ्रॉम लौंग आइलैंड (लाइव फ्र्म लॉन्ग आयलैंड) ३० दिसम्बर १९८२ को न्यूयॉर्क के यूनियनडेल स्थित नस्सु कोलिजियम में रिकॉर्ड किया गया। नायलोन कर्टेन चार्ट पर #७ पर जा पहुंचा, आंशिक रूप से इसलिए भी कि म्त्व में बड़े स्तर पर वीडियो के लिए "एलेनटाउन" और "प्रेसर" नामक एकल गीतों का प्रसारण हुआ। "एलेनटाउन" (एलंटॉउन) बिलबोर्ड हॉट १०० पर छः सप्ताह तक #1७ की स्थिति पर टिका रहा, १९८२ में सर्वाधिक बजाया जाने वाला गीत बन गया, इस कारण १९८३ के वर्ष के अंत के शीर्ष ७0 में शामिल हुआ और द नायलोन कर्टेन एलबम का सबसे सफल गीत बन गया, "प्रेसर" से आगे निकल गया; "प्रेसर" चार्ट पर #२० तक पहुंचा (जहां यह तीन हफ्ते तक बना रहा) और "गुडनाईट सैगोन" (गुडनिट सैगों) अमेरिकी चार्ट पर #५६ पर पहुंचा। क्रिस्टी ब्रिंकले और ऐन इनोसेंट मैन छुट्टी से लौटने के बाद "अपटाउन गर्ल" (उपटाउन गर्ल) जोएल का लिखा पहला गीत है। "अपटाउन गर्ल" सुपर मॉडल क्रिस्टी ब्रिंकले के बारे में है, जिसके साथ इस गीत की रचना के दौरान उनका मिलना-जुलना शुरू हुआ था (संगीत वीडियो में ब्रिंकले भी शामिल हैं)। विश्व स्तर पर यह गीत हिट हुआ और अमेरिका में यह चार्ट पर #३ पर पहुंचा और ब्रिटेन में जोएल का यह एकमात्र #१ बना। "ऐन इनोसेंट मैन " (अन इनोसेंट मन) नामक यह एलबम १९५० और १९६० के दशक के रॉक एंड रोल संगीत को सम्मान के रूप में संकलित किया गया और परिणामस्वरूप जोएल का दूसरा बिलबोर्ड #१ हिट सामने आया, १98३ की गर्मियों में एलबम का पहला एकल "टेल हर अबाउट इट" (टेल हेर आबात इट) को यह सम्मान मिला। एलबम खुद चार्ट पर #४ पर पहुंच गया और ब्रिटेन में #२ पर. इसे ६ शीर्ष-३० एकलों का गौरव प्राप्त हुआ, जो जोएल की सूची के किसी भी एलबम में सबसे अधिक है। उस समय ग्रीष्म में जब एलबम जारी हुआ, डब्ल्यूसीबीएस-एफएम (वैब्स-फ्म) ने "द लौंगेस्ट टाइम" (थे लॉन्गस्ट टाइम) बजाना शुरू कर दिया, नियमित दौर में भी और "डू वोप शॉप" (दू वॉप शॉप) पर भी. अनेक प्रशंसक चाहते थे कि शरद में इसे अगले एकल के रूप में जारी किया जाय, लेकिन उस अक्टूबर में "अपटाउन गर्ल" जारी हुआ, #३ पर पहुंचा और बिलबोर्ड के १98३ हॉट १00 वर्ष-अंत के चार्ट में #२0 की रैंकिंग पाया। इसके अलावा, जेम्स ब्राउन-प्रेरित गीत "ईजी मनी" (ईसी मोने) को १98३ की उसी नाम की रोडनी डेंजरफील्ड फिल्म (रॉडनी दागेर्फील्ड मूवी) में लिया गया। दिसंबर में शीर्षक गीत "ऐन इनोसेंट मैन" एक एकल के रूप में जारी हुआ और १९८४ के आरंभ में अमेरिका में #१० पर जा पहुंचा और ब्रिटेन में #८ पर. उस मार्च में आखिरकार "द लौंगेस्ट टाइम" (थे लॉन्गस्ट टाइम) एक एकल के रूप में जारी किया गया, जो हॉट १०0 में #१४ पर और एडल्ट कंटेम्पररी चार्ट में #१ पर पहुंचा। उसी साल ग्रीष्म में, "लीव ए टेंडर मूमेंट अलोन" (लीवे आ टेंडर मोमेंट एलोने) जारी हुआ और हिट #२७ रहा, जबकि "कीपिंग द फेथ" (किपिंग थे फ़ैथ) जनवरी १9८5 में #१८ पर जा पहुंचा। "कीपिंग द फेथ" के वीडियो के लिए, क्रिस्टी ब्रिंकले ने "रेडहेड गर्ल इन ए शेवरलेट" (रेधेड गर्ल इन आ चेव्रोलेट) में काम किया। ऐन इनोसेंट मैन को ग्रैमी के लिए वर्ष का एलबम के लिए भी नामांकित क्या गया था, लेकिन माइकल जैक्सन के थ्रिलर (थ्रिलर) ने बाजी मार ली। बिली जोएल ने यूएसए फॉर अफ्रीका के "वी आर द वर्ल्ड" (वे अरे थे वर्ल्ड) परियोजना के लिए १9८5 में भी हिस्सा लिया। ऐन इनोसेंट मैन की सफलता के बाद उनके सबसे सफल एक्लों के एलबम के रिलीज के लिए जोएल से संपर्क किया गया। यह पहली बार नहीं था जब यह प्रसंग आया हो, लेकिन "ग्रेटेस्ट हिट्स" एलबम्स को जोएल किसीके कैरियर के अंत के चिह्नक के रूप में माना करते थे। लेकिन इस बार वे मान गये और ४-तरफ़ा एलबम और २-सीडी सेट के रूप में ग्रेटेस्ट हिट्स वोल्यूम १ और २ जारी हुए, इनमें गीतों को उनके रिलीज के अनुक्रम में रखा गया। "यू'आर ओनली ह्युमन (सेकंड विंड)" (यू'रे ओनली हमन (सेकंड विंड)) और "द नाईट इज स्टिल यंग" (थे नाइट इस स्टिल यंग), इन नए गीतों को एलबम के प्रचार के लिए एकल के रूप में रिकॉर्ड और जारी किया गया; दोनों ही शीर्ष ४0 पर पहुंचे, क्रमशः #९ और #3४ पर स्थान पाया। ग्रेटेस्ट हिट्स बहुत अधिक सफल रहा और १०.५ मिलियन से अधिक प्रतियां (२१ मिलियन इकाईयां) बिकने के कारण इसे आरआईएए (रिया) द्वारा डबल डायमंड प्रमाणित किया गया। आरआईएए (रिया) के अनुसार आज की तारीख में अमेरिकी संगीत इतिहास में सबसे अधिक बिकने वाला यह छठा एलबम है। ग्रेटेस्ट हिट्स (ग्रेटस्ट हिट्स) एलबम के साथ संयोगात्मक रूप से जोएल ने एक २-वोल्यूम वीडियो एलबम जारी किया, जो १९७७ से वर्तमान समय तक उनके रिकॉर्ड किये गये प्रोमोशनल वीडियो का एक संयोजन था। ग्रेटेस्ट हिट्स (ग्रेटस्ट हिट्स) एलबम से अलग नए एकलों के लिए वीडियो के साथ-साथ इस परियोजना के लिए जोएल ने अपने पहले हिट "पियानो मैन" के लिए भी एक वीडियो रिकॉर्ड किया। यद्यपि यह शीर्ष दस में पहुंचा, मगर जोएल के अन्य एलबमों की तुलना में द ब्रिज सफल नहीं रहा, फिर भी इसने एयरप्लेन! के निर्देशक की एक गूढ़ हास्य फिल्म रुथलेस पीपल (रूठलेस पेओपल) से "ए मैटर ऑफ़ ट्रस्ट" (आ मैटर ऑफ ट्रस्ट) और "मॉडर्न वुमन" (मॉडर्न वुमान) जैसे हिट दिए। (दोनों ही #१०)। पियानोमैन की अपनी छवि से हटते हुए जोएल इस वीडियो में लेस पॉल-हस्ताक्षरित गिब्सन गिटार बजाते देखे जाते हैं। "दिस इज द टाइम" नामक गाथागीत ने भी चार्ट में स्थान पाया, यह #१८ पर पहुंचा और प्रोम (सामूहिक नृत्य) सर्किट का पसंदीदा बन गया। जोएल के अनेक संकलन सेटों में "मॉडर्न वुमन" के नहीं रहने (माई लाइव्स इसका अपवाद है) की वजह यह रही कि वे बराबर ही साक्षात्कारों में कहते रहे कि उन्हें इस गीत की परवाह नहीं. १८ नवम्बर १९८६ को, मूनलाइटनिंग (मूनलाइटिंग) के तीसरे सत्र के प्रकरण में "बिग मैन ऑन मल्बेरी स्ट्रीट" (बिग मन ऑन मूल्बेरी स्ट्रीट) गीत का विस्तारित संस्करण इस्तेमाल किया गया। इस प्रकरण का शीर्षक भी "बिग मैन ऑन मल्बेरी स्ट्रीट" (बिग मन ऑन मूल्बेरी स्ट्रीट) था। सपने के एक दृश्य में, मैडी हाएस अपनी पूर्व पत्नी के साथ डेविड एडिसन की कल्पना करते हैं। गीत में एक अतिरिक्त होर्न एकल जोड़ा गया है। द ब्रिज जोएल का अंतिम एलबम है जिस पर फैमिली प्रोडक्शंस का लोगो लगा, अंततः आर्टी रिप्प के साथ उनका संबंध विच्छेद हुआ। लगभग इसी समय, जोएल ने डिज्नी के ओलिवर एंड कम्पनी के ध्वनि कार्य को पूरा किया, जो १९८८ में जारी हुआ; यह चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास ओलिवर ट्विस्ट का ढीला अनुकूलन है। डोजर के रूप में जोएल ने फिल्म में अपनी अभिनय व संगीत प्रतिभा दोनों का प्रदर्शन किया। फिल्म के लिए, जोएल ने "व्हाई शुड आई वरी?" (वाई सोल्ड ई वरी?) शीर्षक गीत को रिकॉर्ड किया। आलोचकों का रवैया आम तौर पर फिल्म के प्रति सकारात्मक रहा, पहली बार अभिनय करने के बावजूद आलोचकों ने जोएल के अभिनय योगदान को विशिष्ट रूप से दर्शाया. साक्षात्कारों में, जोएल ने कहा कि एक बच्चे के रूप में डिज्नी कार्टून के अपने प्यार के कारण ही उन्होंने यह काम स्वीकार किया। जोएल ने अनेक साक्षात्कारों में और २००८ के परफौर्मिंग सौंगराइटर (परफोर्मिंग सोंग्व्राइटर) पत्रिका के हालिया साक्षात्कार में भी कहा कि वे नहीं सोचते कि द ब्रिज (थे ब्रिज) एक अच्छा एलबम है। अपने पूरे दौरे के दौरान द ब्रिज (थे ब्रिज) का प्रचार करते रहे, इसी समय जोएल और उनके संचालकों ने सोवियत संघ की यात्रा की योजना बनानी शुरू की। बर्लिन की दीवार के बनने के बाद वे पहले अमेरिकी रॉक प्रदर्शनकारियों में से एक बने, यह एक ऐसा तथ्य है जो इतिहास में गुम नहीं होने वाला और जो जोएल की बार-बार याद दिलाता रहेगा. वहां छः लाइव प्रदर्शन हुए, मास्को और लेनिनग्राड के प्रत्येक के तीन-तीन आंतरिक रंगमंचों पर. जोएल और उनका परिवार (उनकी जवान बेटी अलेक्सा सहित) और उनके पूरे यात्रा बैंड ने जून १९८७ में यह दौरा किया। यात्रा के खर्च के समायोजन के लिए टीवी और वीडियो के लिए इस यात्रा को फिल्माया गया और कार्यक्रमों का विश्व भर में रेडियो पर एक साथ प्रसारण किया गया। अधिकांश दर्शकों ने जोएल के ओजस्वी कार्यक्रम में जोश भरने के लिए बड़ी देर तक तालियां बजायी, जैसा कि अन्य देशों में कभी नहीं हुआ था जहां उन्होंने प्रदर्शन किया था। जोएल के अनुसार, प्रत्येक बार प्रशंसकों पर प्रकाश डाला जाता था, कोई आनंद लेता प्रतीत होता तो वह खुद को स्थिर कर लिया करता था। इसके अलावा, जो लोग "अतिप्रतिक्रिया" दिखा रहे थे, उन्हें सुरक्षाकर्मियों द्वारा हटा दिया जा रहा था। अक्टूबर १९८७ में, (रूसी भाषा में "संगीत कार्यक्रम") एलबम जारी किया गया। 'ऐन इनोसेंट मैन" (अन इनोसेंट मन) जैसे गायन के लिए उनके चुनौतीपूर्ण गीतों को ऊंची तान पर गाने के लिए गायक पीटर हेवलिट को लाया गया था। जोएल ने भी द बीटल्स के क्लासिक "बैक इन द यू.एस.एस.आर." (बऐक इन थे उ.स.स.र.) और बॉब डेलान के "द टाइम्स दे आर अ-चेंजिं'" (थे टाइम्स ते अरे आ-चांगीन) के संस्करणों को गाया. अनुमान है कि जोएल ने इस यात्रा और संगीत कार्यक्रमों पर अपनी जेब के १ मिलियन डॉलर गंवा दिए, जोएल ने डिज्नी के ओलिवर एंड कम्पनी को पूरा किया, लेकिन उन्होंने कहा कि जो सद्भावना वहां दिखायी गयी वो इसके लायक थी। स्टॉर्म फ्रंट और रिवर ऑफ़ ड्रीम स्टॉर्म फ्रंट (स्टॉर्म फ्रंट) एलबम की रिलीज के समय ही साथ-साथ संयोगवश जोएल के कैरियर में भारी परिवर्तन हुए और उनके व्यापारिक मामलों में गंभीर उलट-पलट की अवधि की शुरुआत हुई। अगस्त १९८९ में, एलबम के जारी होने के ठीक पहले, एक लेखा परीक्षण में वेबर के हिसाब-किताब में बड़ी गड़बड़ी पाने के बाद जोएल ने अपने प्रबंधक (और पूर्व साले) फ्रैंक वेबर को काम से निकाल दिया। बाद में जोएल ने वेबर पर ९० मिलियन अमेरिकी डॉलर का दावा ठोंक दिया, उस पर धोखाधड़ी और विश्वास संबंधी कर्तव्य का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और जनवरी 19९० को वेबर के खिलाफ एक आंशिक फैसले में उन्हें २ मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का आदेश दिया गया; अप्रैल में, वेबर द्वारा दायर ३० मिलियन डॉलर के एक प्रति-मुकदमे को अदालत ने खारिज कर दिया। . "वी डीन्ट स्टार्ट द फायर" (वे डिडन'त स्टार्ट थे फिरे) एलबम के लिए पहला एकल सितंबर १९८९ को जारी किया गया और यह जोएल का तीसरा और हाल का उस #१ हिट बन गया, दो सप्ताह तक शीर्ष पर बना रहा; १980 के दशक का यह बिलबोर्ड का अंतिम-दूसरा #१ एकल भी था। स्टॉर्म फ्रंट अक्टूबर में जारी किया गया और अंततः यह ग्लास हाउसेस (ग्लास हाउस) के बाद जोएल का #१ एलबम बन गया, नौ साल बाद. टर्नस्टिल्स के बाद से स्टॉर्म फ्रंट ऐसा पहला एलबम था जो निर्माता फिल रामोन के बिना ही रिकॉर्ड किया गया। इस एलबम के लिए, वे एक नयी ध्वनि चाहते थे और फोरेनर ख्याति के मिक जोन्स के साथ उन्होंने काम किया। जोएल ने अपने बैंड का पुनर्निर्माण किया, सबको निकाल दिया, सिवाय ड्रमर लिबर्टी डेवीटो, गिटारवादक डेविड ब्राउन और सैक्सोफोन बजाने वाले मार्क रिवेरा को छोड़ कर. उन्होंने नए चेहरे लाये, जिनमें प्रतिभावान बहु-यंत्रवादक क्रिस्टल टालिएफेरो भी शामिल हैं। स्टॉर्म फ्रंट का दूसरा एकल, "आई गो टू एक्सट्रीम्स" (ई गो तो एक्स्ट्रेम्स) ने १990 के आरंभ इसे #६ पर पहुंचाया. यह एलबम इसके गीत "लेनिनग्राड" के कारण भी उल्लेखनीय बना, जिसे १987 के अपने दौरे के दौरान इसी नाम के सोवियत शहर में एक जोकर से मुलाक़ात के बाद उन्होंने लिखा था; और इसका गीत "द डाउनईस्टर अलेक्सा" (थे डावनीस्टर एलेक्सा) लौंग आइलैंड के उन मछुआरों की दुर्दशा को रेखांकित करता है, जिनकी रोजी-रोटी मुश्किल से चलती है। इस एलबम का एक और विख्यात एकल गाथागीत है "एंड सो इट गोज" (एंड सो इट गोस) (१990 के अंत में #३७). यह गीत मूल रूप से १983 में लिखा गया था, लगभग उस समय के आसपास जब जोएल ऐन इनोसेंट मैन के लिए गीत लिख रहे थे; लेकिन "एण्ड सो इट गोज" (एंड सो इट गोस) एलबम के रेट्रो विषय में फिट नहीं हो पाया, सो इसे स्टॉर्म फ्रंट तक सहेज कर रख छोड़ा गया। १९९२ की गर्मियों में जोएल ने अपने पूर्व वकील एलेन ग्रबमैन के खिलाफ ९० मिलियन डॉलर का एक अन्य मुकदमा दायर किया, उन पर धोखाधड़ी सहित विश्वास संबंधी जिम्मेदारी के उल्लंघन, दुराचार और अनुबंध का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए, लेकिन किसी अज्ञात राशि के लिए मुकदमा अदालत के बाहर ही निपटा लिया गया। जोएल ने १९९३ के शुरूआत में रिवर ऑफ ड्रीम्स पर काम करना शुरू किया। इसका कवर क्रिस्टी ब्रिंकले द्वारा की गयी रंग-बिरंगी चित्रकारी थी, जो कि एलबम के हरेक गानों के दृश्यों की एक श्रृंखला थी। अब तक की तारीख का जोएल का लिखा पहला विशिष्ट एकल टॉप १० तक आखिरी था, बिलबोर्ड हॉट १०0 में # ३ पर पहुंचा और बिलबोर्ड में १९९३ के अंत में हॉट १०0 के चार्ट में # २१ का दर्जा मिला.शीर्षक गाने के अलावा, एलबम में "ऑल अवाउट सोल" (एल आबात सोल) (पृष्ठभूमि से कलर मी बैड के गायन से) और "लुल्ला बाय (लुलेब्ये) (गुडनाइट, माई एंजेल)" भी शामिल था, इसे अपनी बेटी अलेक्सा के लिए लिखा था। "ऑल अबाउट सोल" (एल आबात सोल) का रेडियो रीमिक्स संस्करण पाया जा सकता है द एसेंसियल बिली जोएल (थे एसेन्शियल बिली जोएल) (२००१) में और इसका एक डेमो संस्करण आया माई लाइव्स (२००५) में. गाना "द ग्रेट वॉल ऑफ चायना" (थे ग्रेट वाल ऑफ चीना) अपने पूर्व प्रबंधक फ्रैंक वेबर के बारे में लिखा गया था और वे २००६ में जोएल के दौरना के नियमित रूप से जुड़े लोगों की सूची में थे। ३1 दिसम्बर १९९९ को मैडिसन स्क्वायर गार्डेन में सहसस्राब्दी संगीत कार्यक्रम में "२००० इयर" छाया रहा और एक दशक से भी ज्यादा समय में "फेमस लास्ट वर्ड्स" (फेमस लास्ट वॉर्ड्स) से जोएल के पॉप लेखन का पटाक्षेप हुआ। २५ अगस्त १९९४ को जोएल और उनकी दूसरी पत्नी क्रिस्टी ब्रिंकले का तलाक हुआ। ३१ दिसम्बर १९९९ को जोएल ने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में कार्यक्रम पेश किया। उस समय जोएल ने कहा कि यह उनका आखिरी संगीत समारोह होगा। संगीत समारोह (द नाइट ऑफ द २००० इयर के रूप में डब किया गया) लगभग चार घंटे चला और बाद में इसे रिलीज किया गया।२००० ईयर्स: थे मिलेनियम कंसर्ट १९९७ "टू मेक यू फिल माई लव" (तो मके यू फील मी लव) और "हे गर्ल" (हे गर्ल) दोनों को जोएल के ग्रेटेस्ट हिट्स वॉल्यूम ई में स्थान दिया गया। २००१ में, जोएल ने शास्त्रीय पियानो के एक हिस्से के रूप में फैंटासीज एण्ड डिल्यूशन (फंटेसी & डेल्यून्स) का संग्रह रिलीज किया। ये सभी जोएल द्वारा रचित और जू रिचर्ड द्वारा गाए गए थे। अपने लाइव कार्यक्रमों में जोएल अक्सर इन गीतों का टुकड़ा गूंथ कर पेश करते और उनमें से कुछ हिट शो मूविन' आउट (मूवीन' आउट) का हिस्सा था। शास्त्रीय चार्ट में एलबम शीर्ष #१ पर पहुंचा। 2१ सितंबर २००१ को जोएल ने "न्यू यॉर्क स्टेट ऑफ माइंड" (नव यॉर्क स्टेट ऑफ माइंड) का लाइव प्रदर्शन लाभार्थ संगीत कार्यक्रम के तौर पर गाया और २० अक्टूबर २००१ को न्यू यॉर्क सिटी के मैडिसन स्क्वायर गार्डेन में "मियामी २०१7 (सीन द लाइट्स गो आउट ऑन ब्रॉडवे (सीन थे लाइट्स गो आउट ऑन ब्रॉडव्य))" के साथ संगीत कार्यक्रम में गाया. उस रात, उन्होंने एल्टन जॉन के साथ "योर सॉन्ग" भी गाया. वर्ष २००५ में कोलंबिया ने एक बॉक्स सेट माई लाइव्स (मी लीव्) रिलीज किया, जो एक बड़े हद तक डेमो, कुछ छिटपुट चीजों के साथ लाइव/वैकल्पिक संस्करण और साथ में कुछ टॉप ४० हिट गानों का संकलन हैं। इस संकलन में उमिक्सिट (उमिक्सित) सॉफ्टवेयर भी सम्मिलित है, जिसमें लोग अपने पीसी (प्क) में "जैंजिबर" (ज़ांजीबार, "ओनली द गुड डाई यंग" (ओनली थे गुड दिए यंग), किपइन द फेथ () और "आई गो टू एक्सट्रिम्स" (ई गो तो एक्स्ट्रेम्स) और "मूविन' आउट" (मूवीन' आउट) (एंथोनी के गीत) रिमिक्स कर सकते हैं। साथ में इसमें रिवर ऑफ ड्रीम्स (रिवर ऑफ ड्रीम) दौरे के शो का डीवीडी (द्व्ड) भी शामिल है। ७ जनवरी २००६ को जोएल ने पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा शुरू किया। १३ सालों में कोई भी गाना नहीं लिखा गया, न ही कम से कम रिलीज हुआ, उन्होंने अपने पूरे कैरियर में गानों का एक नमूना तैयार किया, जिसमें कुछ मुख्य हिट्स के साथ ही साथ "जैंजिबर" (ज़ांजीबार) और "ऑल फॉर लेयना" (एल फॉर लेयना) जैसे अधूरे धुन शामिल हैं। उनके दौरे में न्यू यॉर्क सिटी के मैडिसन स्क्वायर गार्डेन में कई महीनों तक १२ बिक चुके अभूतपूर्व संगीत कार्यक्रम शामिल हैं। मैडिसन स्क्वायर गार्डन में इस गायक ने अपनी कार्यावधि में १२ शो करके न्यू जर्सी के निवासी ब्रूश स्प्रिंगस्टीन का पिछला रिकॉर्ड तोड़ डाला, जिन्होंने उस मंच से अग्रिम रूप से बिक चुके १० शो किये थे। जोएल ने इस एरिना में पहले निवृत्त संख्या (१२) का रिकॉर्ड बनाया, वह एक गैर खिलाड़ी द्वारा अर्जित रिकॉर्ड है। इसके लिए जोएल का सम्मान फिलाडेल्फिया में वाचोविया सेंटर में किया गया, जहां जोएल के सम्मान में ४६ फिलाडेल्फिया सोल्ड आउट शो (४६ फिलाडेल्फिया सोल्ड-आउट शोज) के लिए फिलाडेल्फिया फ्ल्येर्स के रंगों में एक बैनर लगाया गया। न्यू यॉर्क के अलबनी के टाइम्स यूनियन सेंटर (पूर्व में क्निकरबोकर एरिना और पेप्सी एरिना) के इतिहास में सर्वाधिक कार्यक्रम पेश करने के लिए एक उनके नाम का बैनर लगाया गया। यह सम्मान उन्हें 1७ अप्रैल 200७ को वहां किए गए शो के हिस्से के रूप में दिया गया। १३ जून २००६ को कोलंबिया ने १२ गार्डेन लाइव नाम के डबल एलबम को रिलीज किया, जो जोएल के २००६ दौरे के समय मैडिसन सस्क्वायर गार्डेन में हुए १२ विभिन्न शो से ३२ लाइव रिकॉर्डिंग का संग्रह है। २००६ में ही, इतने सालों में पहली बार बिली जोएल ने यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड (२००६ के दौरे में यूरोपियन चरण के अंग रूप में) का दौरा किया। ३१ जुलाई २००६ को जोएल ने रोम के एक नि:शुल्क संगीत समारोह में कोलोजियम के साथ पृष्ठभूमि में गाना गया। आयोजकों ने अनुमान लगाया इस संगीत समारोह में ५००,००० लोगों ने भाग लिया, जिसका प्रारंभ ब्रायन एडम्स द्वारा किया गया था। २००६ के अंत में जोएल ने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और हवाई का दौरा किया और इसके बाद २००७ में मिडवेस्ट में बसंत आ जाने से पहले ही फरवरी और मार्च २००७ में दक्षिणपूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया। उसी साल ३ जनवरी को न्यूयॉर्क पोस्ट में यह खबर लीक हो गयी कि बिली ने एक नया गाना गीत के साथ रिकॉर्ड किया है - लगभग १४ वर्षों में यह पहला नया गाना था जिसे उन्होंने गीत के साथ लिखा था। यह "ऑल माई लाइफ" (एल मी लाइफ) शीर्षक गाना था, जोएल का नवीनतम एकल (२००६ में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में लाइव "यू'आर माई होम" (यू'रे मी होम) के दूसरे ट्रैक के साथ) था और २७ फ़रवरी २००७ को दुकानों में रिलीज हुआ। ४ फ़रवरी को जोएल ने सुपर बाउल अली (सुपर बाउल अली) के लिए राष्ट्रीय गीत गाया, और सुपर बाउल. (सुपर बाउल.) में दो बार राष्ट्रीय गीत गाने वाले पहले गायक बन गए तथा १७ अप्रैल २००७ को न्यूयॉर्क, अलबनी के टाइम्स यूनियन सेंटर में उनके नौवें संगीत समारोह के लिए जोएल को सम्मानित किया गया। इस क्षेत्र में बॉक्स ऑफिस में किसी कलाकार की उपस्थिति के मामले में अब वे शीर्ष पर है। यह उपलब्धि हासिल करने के लिए उनके सम्मान में एक बैनर लगाया गया। १ दिसम्बर २००७ को जोएल ने अपने नए गाने का "क्रिसमस इन फल्लुजाह" (क्रिसमस इन फ्ल्लुजाह) का प्रीमियर किया। गाना लौंग आईलैंड के एक नए संगीतकार कैस डीलॉन (कास डिल्लों) द्वारा गाया गया, क्योंकि जोएल को लगा कि यह गाना किसी ऐसे किसीके द्वारा गाया जाना चाहिए जिसका दर्जा सैनिक के उम्र जितना हो। यह गाना इराक में रह रहे सैनिकों को समर्पित किया गया। जोएल ने सितंबर २००७ में इसे इराक में रह रहे अमेरिकी सैनिकों के भेजे गए कई पत्रों को पढ़ने के बाद लिखा. १993 में रिवर ऑफ ड्रीम्स (रिवर ऑफ ड्रीम) के बाद जोएल द्वारा रिलीज किया गया "क्रिसमस इन फल्लुजाह" दूसरा पॉप/रॉक गीत है। गाने से हुई आय से होम्स फॉर आवर ट्रूप्स (होम्स फॉर और ट्रूप्स) फाउंडेशन लाभान्वित हुआ। एकाडमी ऑफ म्युजिक की १५१वीं वर्षगांठ मनाते हुए २६ जनवरी २००८ को जोएल ने फिलाडेल्फिया आर्केस्ट्रा के साथ कार्यक्रम पेश किया। जोएल ने अपने नए शास्त्रीय गीतों के "वाल्ट्ज नं. २ (स्टेइंवे हॉल)" (वाल्ट्ज नो. २ (स्टेनवे हाल)) का प्रीमियर किया। उन्होंने पूरे ऑकेस्ट्रा के साथ नायलॉन कर्टेन गाने "स्कैंडिनेवियन स्काई" (स्केन्डिनेवियन स्कीज) और "व्हेयर'ज द आर्केस्ट्रा?" (व्हेरे'स थे ऑर्केस्ट्रा) समेत विरले ही गाये जानेवाले गानो के साथ अपेक्षाकृत अपने कम प्रसिद्ध बहुत सारे गाने भी गाये. १० मार्च को जोएल ने न्यूयॉर्क सिटी में वाल्डोर्फ अस्टोरिया होटल के एक समारोह में अपने मित्र जॉन मेलेनकैंप को रॉक एण्ड रोल हॉल ऑफ फेम (रॉक एंड रोल हाल ऑफ फेम) में शामिल किया। उन्हें शामिल करने के दौरान दिए गए भाषण में जोएल ने कहा: जोएल का जादू बरकरार है क्योंकि वर्तमान समय में भी उनका दौरा जारी है। अनकैसविले, कनेक्टिकट के मोहेगन सन कैसीनो में मई से जुलाई २००८ में उनके १० संगीत समारोह का टिकट बिक गया। मोहेगन सन ने अपने परिसर में उनके नाम और साथ में १० नंबर का बैनर लटका कर उन्हें सम्मानित किया है। १९ जून २००८ को कनाडा में ओंटारियो के विंडसर में सीजर्स विंडसर (पूर्व में कैसीनो विंडसर) फिर से खोले जाने के एक समारोह में, जहां केवल कैसिनो वीआईपियों को आमंत्रित किया गया था, के लिए उन्होंने गाना गाया. वे हल्के मूड में थे और मजाक कर रहे थे, यहां तक कि उन्होंने अपना परिचय "बिली जोएल के डैड" के रूप में दिया और कहा "आपलोगों को एक मोटे गंजे इनसान को देखने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी." उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि "शी'ज ऑलवेज ए वुमैन" (शे'स अल्वए आ वुमान) के संगीत के लिए प्रेरणा उन्हें कनाडा के लोक-पॉप संगीतकार गॉर्डन लिफ्टफूट से मिली। शिया स्टेडियम (शीया स्टेडियम) को तोड़ने जाने से पहले १६ जुलाई २००८ और १८ जुलाई २००८ को जोएल ने अंतिम संगीत समारोह किया। उनके मेहमानों में टोनी बेनेट, डॉन हेनले, जॉन मेयर, जॉन मेलेनकैंप, स्टीवन टायलर, रोजर डाल्टरे, गर्थ ब्रूक्स और पॉल मेकार्टनी शामिल थे। मैककार्टने ने १९६५ में बीटल्स के साथ अपने कार्यक्रम को याद करते हुए शो का समापन किया, जो कि रॉक एंड रोल उद्योग के लिए पहला प्रमुख स्टेडियम था। ११ दिसम्बर २००८ को सिडनी के एसर एरिना में एक संगीत समारोह के दौरान जोएल ने "क्रिसमस इन फल्लुजाह" (क्रिसमस इन फ्ल्लुजाह) के अपने प्रस्तुतीकरण को रिकॉर्ड किया और इसे केवल ऑस्ट्रेलिया में एकल लाइव के रूप में रिलीज किया। जोएल द्वारा "क्रिसमस इन फल्लुजाह" का प्रदर्शन यह अकेला आधिकारिक रिलीज था, क्योंकि २००७ में कैस डीलॉन ने स्टुडियो रिकॉर्डिंग में गाया और २००७ में लाइव गाने के लिए बहुत सारा समय था। दिसंबर २००८ में ऑस्ट्रेलिया में अपने दौरे के दौरान जोएल ने गीत गाया. १९ मई २००९ जोएल के पूर्व ड्रम वादक लिबर्टी डेविटो ने एनवाईसी (निक) में यह दावा करते हुए जोएल और सोनी म्युजिक पर मुदकमा दायर किया कि १० सालों से उनकी रॉयल्टी बकाया है। जोएल के किसी भी गाने का गीत लिखे जाने का श्रेय डेविटो को नहीं दिया गया, साथ में उन्होंने दावा किया है कि उनमें से कुछ को लिखने में उन्होंने मदद की थी। अप्रैल 20१० में यह घोषणा की गई कि जोएल और डेविटो ने आपस में मामले को सुलझा लिया है। १९९४ के शुरूआत में, जोएल ने एल्टन जॉन के साथ व्यापक पैमाने पर "फेस-टू-फेस" दौरा किया, पॉप संगीत के इतिहास में यह उनका सबसे लंबा चलनेवाला और सबसे बड़ा एक के बाद एक सफल कार्यक्रम रहा। इन शोज के दौरान, दोनों ने अपने-अपने गाने गाए, एक-दूसरे के गाने और युगल गीत गाए. २००३ के दौरे के उन २४ तारीखों में टिकट की बिक्री से उन दोनों ने कुल कमाई ४६ मिलियन यूएस (उस) डॉलर की। मार्च २००९ में जोएल और जॉन ने फेस-टू-फेस दौरा फिर से शुरू किया और यह मार्च २०१० में कुछ समय के लिए फिर से समाप्त हो गया। फरवरी २०१० में, जोएल ने व्यापार प्रेस में अफवाहों का खंडन किया कि उन्होंने २०१० की गर्मियों का दौरा रद्द किया, बल्कि उन्होंने कहा कि कभी कोई तारीख बुक ही नहीं थी और यह भी कि इस साल उनका इरादा छुट्टी लेने का था। संगीत कार्यक्रम की शुरूआत दो पियानो कलाकारों के साथ हुई, जिन्होंने यगुल गीत बजाया; इसके बाद अपने-अपने बैंडों के साथ उन्होंने अपना लोकप्रिय गीत गाया; कार्यक्रम का अंत एल्टन के बैंड के साथ दोनों के अपने-अपने लोकप्रिय गीत को फिर से गाने के साथ हुआ। जोएल ने यूके (उक) के चैनेल फाइव में एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने क्रिस्टी ब्रिंकले के साथ शादी से पहले १९८० के दशक में एल मैकफर्सन के साथ डेटिंग की। जोएल ने यह भी कहा कि "दिस नाइट" (तीस नाइट) और "एण्ड सो इट गोज" (एंड सो इट गोस) गीत मैकफर्सन के साथ उनके रिश्ते के बारे में लिखा गया था। विवाह और परिवार जोएल ने अपने व्यवसाय प्रबंधक एलिजाबेथ वेबर स्मॉल से ५ सितंबर १९७३ में शादी की। वह उनके नाम के बहुत ही कम समय के रहे बैंड अटिला (आटीला) के संगीत साथी जोन स्मॉल की पूर्व पत्नी थीं। २० जुलाई १९८२ को उनका तलाक हो गया। २३ मार्च १९८५, को जोएल ने क्रिस्टी ब्रिंकले से शादी की। उनकी बेटी अलेक्सा रे जोएल का जन्म २९ दिसम्बर १९८५ को हुआ। संगीत के क्षेत्र में जोएल के आदर्शों में एक रे चार्ल्स के नाम पर अलेक्सा का मध्य नाम रे रखा गया। २५ अगस्त १९९४ को जोएल और ब्रिंकले का तलाक हो गया, हालांकि दोनों के बीच दोस्ती बनी रही। २ अक्टूबर २004 को जोएल ने २3 वर्षीय केटी ली के साथ ब्याह किया। शादी के समय जोएल ५५ साल के थे। जोएल की बेटी अलेक्सा रे जो तब १८ साल की थी, शादी में मैड-ऑफ-ऑनर (मेड-ऑफ-ऑनर) बनी। जोएल की दूसरी पत्नी क्रिस्टी ब्रिंकले शादी में शामिल हुईं और वर-वधू को उन्होंने आशीर्वाद दिया। ली के ऊपर यह : पीबीएस (पब्स) शो, जॉर्ज हिर्स्च: लिविंग इट अप! (जॉर्ज हिरच: लिविंग इट उप!) के लिए ली रेस्त्रां संवाददाता के रूप में काम करती थी। २006 में, केटी ली ने ब्रावो के टॉप शेफ की मेजबानी की। दूसरे सीजन के लिए वे नहीं लौटीं, उस समय वे अपने पति के साथ दौरे पर जा रही थीं। अब उनके पास हैंप्टोन्स (हैंप्टनस) पत्रिका में साप्ताहिक स्तंभ है और मनोरंजक टेलीविजन कार्यक्रम एक्सट्रा (एक्स्ट्रा) के लिए संवाददाता है। १७ जून २009 को दोनों ने इस बात की पुष्टि की कि शादी के पांच साल के बाद वे अलग हो गए हैं। १९९६ में, नौका विहार से बहुत पुराना उनका दबा हुआ प्रेम उभर आया, उनकी दिली ख्वाहिश रही थी कि वे इसे अपना दूसरा कैरियर बनाएं. सो, लौंग आईलैंड नौका विहार व्यवसायी पीटर नीडहम के साथ उन्होंने लौंग आईलैंड बोट कंपनी बनाया। कई वर्षों तक जोएल ने अवसाद से संघर्ष किया। १९७० में, डावांडोल कैरियर और व्यक्तिगत समस्याओं से उनकी हालत बहुत बिगड़ गयी थी। उन्होंने आत्महत्या के लिए एक नोट लिख छोड़ा था (जो "टूमौरो इज टूडे" (टॉमॉरो इस तोडे) गीत बन गया) और फर्नीचर पॉलिश पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की, बाद में उन्होंने कहा, "मैंने फर्नीचर पॉलिश पिया. यह ब्लीच से कहीं अधिक स्वादिष्ट था।" उनका ड्रम वादक, जॉन स्मॉल, उन्हें अस्पताल ले गया। मीडोब्रूक हॉस्पिटल में जोएल की जांच हुई, जहां उन्हें निगरानी में रखा गया और अवसाद का उपचार किया गया। बाद में जोएल ने किशोरों को आत्महत्या से रोकने के लिए संदेश के तौर पर "यू'आर ओनली ह्यूमन (सेकेंड विंड)" (यू'रे ओनली हमन (सेकंड विंड)) रिकॉर्ड किया। पदार्थ दुरुपयोग उपचार २००२ में, जोएल को कनेक्टिकट स्थित न्यू कनान के सिल्वर हिल हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा, जो कि एक पदार्थ दुरूपयोग और मनोरोग केंद्र (सब्सटेन्स अबुस् एंड साइकाइत्रिक सेंटर) है। मार्च २००५ में बेट्टी फोर्ड सेंटर में उनकी जांच हुई, जहां उन्होंने ३० दिन बिताये. लंबे समय से जोएल डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक रहे हैं और उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए बिल क्लिंटन, सीनेट के लिए हिलरी क्लिंटन और अभी हाल ही में राष्ट्रपति पद के लिए बराक ओबामा का समर्थन किया। २००८ में, ब्रूस स्प्रिंगस्टीन के साथ जोएल ने बराक ओबामा के समर्थन में धन उगाहनेवाले एक संगीत समारोह में भाग लिया। वैराइटी और रोलिंग स्टोन में प्रकाशित हुए रिपोर्ट के अनुसार, जोएल अपनी आत्मकथा जारी करने की तैयारी में हैं। २०१० में किसी भी समय. गीत की प्रेरणाएं जोएल के गीत में न्यू यॉर्क सिटी के महानगरीय क्षेत्र खासतौर पर लौंग आईलैंड का बहुत बार जिक्र हुआ है। उदाहरण के लिए, १९८० के दशक में मीराक्ल माइल (मिरेकल मिले) की पंक्ति "इट्स स्टील रॉक एंड रोल टू मी" (इट'स स्टिल रॉक & रोल तो मे) में संदर्भ रईस खरीददारीवाले जिले नॉर्दन बौलेवार्ड में स्थित मंहास्सेट समुदाय का है और १९८० के दशक में "यू मे बी राइट" (यू मई बे राइट) में ब्रुकलीन के अनुभाग बेडफोर्ड-स्टुयवेंट में पैदल चलते जाना पागलपन का सबूत है। १९७३ के अपने गीत "द बैलर्ड ऑफ बिली द किड" (थे बल्लाद ऑफ बिली थे किड) में उन्हें नगरपालिका ओएस्टर बे (ओयस्टर बे) के शहर में किसी "बिली" का वर्णन किया है, जिसमें हिक्सविले का गांव स्थित है। अपने एलबम सॉन्ग्स इन द अटिक (सोंग इन थे आटिक) के नीचे दी गयी टिप्पणी में उन्होंने कहा है कि यह "बिली" वे खुद नहीं हैं, बल्कि ओएस्टर बे का एक बारटेंडर है। संगीत समारोह में, जोएल अक्सर न्यूयॉर्क के लिए "न्यूयॉर्क स्टेट ऑफ माइंड" (नव यॉर्क स्टेट ऑफ माइंड) का जयगान करते हैं, जिसमें वे उपनगर के स्थानों के लिए लौंग आईलैंड के शहरों जैसे ओसन साइड, न्यूयॉर्क के लिए मैनहटन में रिवरसाइड ड्राइव का नाम लेते हैं। इसके अलावा, जोएल के गीत "द डाउनइस्टर 'अलेक्सा में कई लौंग आईलैंड/न्यू इंग्लैंड के स्थानों और बंदरगाहों का जिक्र है, जैसे ब्लॉक आईलैंड साउड, मार्था'ज वाइनयार्ड, ननटुकेट, मोनटुक और गार्डिनर्स वे. "सीनस फ्रॉम एन इटालियन रेस्टुरेंट (सीन्स फ्र्म अन इटालियन रेस्टोरेंट) में जोएल गाते हैं "डू यू रिमेंबर दोज डेज हैंगिंग आउट एट द विलेज ग्रीन?" (दो यू रिमेंबर ठोस डेस हंगींग आउट एट थे विलेज ग्रीन?) एक शॉपिंग सेंटर से लगे पार्क का जिक्र है जो हिक्सविले में उनके बचपन के घर के करीब था। उस गीत में "पार्कवे डायनर" का भी जिक्र है, जो लेवीटाउन और ईस्ट मेडो, लौंग आईलैंड की सीमा पर स्थित है, हालांकि अब यह एम्प्रेस डायनर है। और, "लेनिनग्राड" में जोएल ने जब "चिल्ड्रेन लीवड इन लेविटाउन एण्ड हिड इन द शेलटर अंडरग्राउंड" (चिल्ड्रन लीवे इन लेविटाउन एंड हिड इन थे शेल्टर्स अंडरग्राउंड) गाया तो हिक्सविले के बाद पड़नेवाले गांव लेविटाउन, जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विकसित किया गया और यह "अमेरिका का पहला उपनगर" के रूप में जाना जाता है, का जिक्र करते हैं तो यूएस (उस) और यूएसएसआर (उसर) शीतयुद्ध के अनुभवों के बीच तुलना करते हैं। जोएल के बहुत सारे गाने विशिष्ट व्यक्तिगत अनुभवों से निकल कर बाहर आये हैं, इसमें "पियानो मैन" भी शामिल है, जिसे उन्होंने १९७० के दशक में लॉस एंजिल्स के पियानो बार में नियमित रूप से काम करते हुए लिखा था और "सीन्स फ्रॉम एन इटालियन रेस्टुरेंट" (सीन्स फ्र्म अन इटालियन रेस्टोरेंट) को हाईस्कूल के उनके कुछ पुराने सहपाठियों को देखकर और जीवन में अपने स्कूल में रहे कभी लोकप्रिय आइकॉन को देख कर "पिक्ड टू अर्ली" (पीकड तो अर्ली) लिखा गया था। एक वृत्तचित्र में, जो कि द स्ट्रेंजर के ३०वें वर्षगांठ के लिए विशेष बॉक्स सेट के हिस्से के रूप में रिलीज हुआ था, में जोएल कहते हैं कि वह रेस्त्रां जिससे गाने प्रेरित है, वह फॉन्टाना दी ट्रेवी (फॉन्टाना दी ट्रेवी) कहलाता है (उनके आधिकारिक यू ट्यूब चैनेल में जोएल को इस बारे कहते हुए देखा जा सकता है)। जोएल कहते जाते है कि कार्नेगी हॉल (कार्नेग हाल) के ही सड़क पर फॉन्टाना दी ट्रेवी हुआ करता था, (जोएल यह भी कहते हैं कि वह रेस्त्रां अब वहां नहीं है)। वे कहते हैं कि २ जून १९७७ को कार्नेगी हॉल में उनके कार्यक्रम से संबंधित पोस्टर को देखकर फॉन्टाना के मालिक ने जोएल को पहचाना. "उस ब्लॉक के चारों तरफ एक रेखा थी। मालिक पोस्टर को देखता है और फिर वह मुझे देखता है और कहता है, 'ऐं! तुम तो वही हो!' तब से, मुझे अच्छी जगह के लिए परेशान नहीं होना पड़ा. लोगों को आश्चर्य है 'सीन्स फ्रॉम ऐन इटालियन रेस्टुरेंट' कहां है। जी हां, वहीं वह जगह थी। " उनका गाना "वियना" यूरोप में अपने पिता को मिलने जाने के समय सड़क की सफाई करते हुए एक बुगुर्ज महिला को देख कर शायद लिखा गया था। पहले तो उन्हें इस बात से गहरा सदमा लगा कि बुजुर्गों के लिए लोगों के मन में बहुत कम सम्मान है, लेकिन फिर उनके पिता ने समझाया कि उन्हें समाज के उपयोगी बने रहने देना भी उनके प्रति सम्मान जताने जैसा ही है। यह जान कर कि "वियना वेट्स फॉर यू" बढ़ती उम्र के प्रति उनके भीतर बैठा डर शांत हुआ। प्लेबाय को दिए साक्षात्कार में जोएल ने संकेत दिया है कि "रोजालिंडा'ज आईज" (रोसलिन्दा'स एएस) उनकी मां रोजालिंडा के लिए लिखा गया है, जबकि यह गीत उनके पिता द्वारा उनकी मां के लिए लिखा जाना चाहिए था। १९७७ में "ओनली द गुड डाई यंग" (ओनली थे गुड दिए यंग) जब पहली बार रिलीज हुआ तब धार्मिक समुदाय के भीतर थोड़ी-सी हलचल मची. कुछ रेडियो स्टेशनों ने तो कोई भी एयरटाइम देने से मना कर दिया। जोएल ने गीत के बारे में कहा है कि "गीत का विषय इतना भी कैथोलिक विरोधी नहीं था जितना कि लालसा समर्थक." वे गीत के एक प्रमुख तथ्य के बारे में ध्यान दिलाते हुए कहते हैं कि सभी आलोचक चूक गए लगते हैं - वे गीत में कहीं भी लड़की का साथ पाने में विफल रहे और उसने अपना सतीत्व बनाए रखा। एक गीतकार के रूप में, जोएल ने अपने मजदूर वर्गीय जड़ों का उपयोग किया, हालांकि उनकी सफलता उन्हें उनसे बहुत दूर ले गयी। १९९४ में उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि "समानता को बरकरार रखना - यही वह चीज है जो कुछ लोगों के लिए कठिन होती है". "मैंने जितना भी पैसा बनाया है और तमाम जितनी भी सफलता को मैंने प्राप्त किया है, उसके लिए मैं अभी भी मेहनत कर रहा हूं. मैं काम करता हूं. मैं बहुत मेहनत करता हूं. और अगर लोगों को लगता है कि यह कोई बहुत बड़ा काम नहीं है, तो उन्हें इस काम को कुछ समय के लिए ही सही आजमाना चाहिए. इसके बहुत सारे छिटपुट फायदे हैं और अच्छे पैसे मिलते हैं; लेकिन इसके लिए बहुत सारे पहलुओं पर जी जान से प्रयास करते रहना होता हैं। इसीलिए मैं महसूस करता हूं कि मैं हर तरह से श्रमजीवी हूं. वह कभी मुझसे छूटा नहीं. अपनी ख्याति के भरोसे मैं आराम नहीं कर रहा हूं. विरासत में मिला पैसा मेरे पास नहीं है। मैंने गरीबी से शुरू किया। दरअसल, अपने जीवन में ज्यादातर मैं गरीबी में रहा. यहां तक कि '८० के दशक में जब मैंने सोचा कि मैं अमीर बन गया हूं, ऐसा नहीं था - मैं भुगत रहा था। वास्तव में मुझे ऐसा लगता नहीं है कि मुझे इस बात पर विश्वास करना होगा कि मैं कारखाने में जो हूं. मुझे वही काम मिला. मैं जानता हूं कि यह कैसा है। लेकिन मुझे लगता है कि यह मेरे लिए आडंबरपूर्ण और पाखंडपूर्ण होगा कि किसी संकरी गली में हाथों में बन्स लिये खड़े होकर मैं समानता के साथ संपर्क बनाये रहूं. यह दिल से आता है। मेरा एक परिवार है और मेरा एक विस्तारित परिवार, मित्र, कारोबरी संबंध है - जैसा कि हर किसी का होता है।" शास्त्रीय संगीत समेत १९५० के दशक के डू वोप, ब्रॉडवे/टिन पैन एले, जैज, ब्लूज, गोस्पेल, पॉप म्युजिक और रॉक एण्ड रोल विभिन्न शैलियों से मिली प्रेरणा जोएल के संगीत में प्रतिबिंबित होती है। बिली जोएल के संगीत और निजी जीवन में रे चार्ल्स का बहुत बड़ा प्रभाव रहा था। विभिन्न तरह के इन प्रभावों के कारण लंबी अवधि तक उन्हें व्यापक सफलता मिली, लेकिन साथ में इससे लोकप्रिय संगीत में उनका वर्गीकृत करना आज बड़ा कठिन हो गया है। जोएल के प्रभावों में निम्न शामिल हैं: द बीच ब्वॉय बेन ई. किंग, फ्रेंकी वैली एण्ड फोर सीजन और कैरोल किंग. अतिरिक्त जानकारी : बिली जोएल बैंड पुरस्कार और उपलब्धियां एक परीक्षा छूट जाने के कारण हाई स्कूल से कभी स्नातक न होने के बावजूद, जोएल को एकाधिक डॉक्टर की मानद उपाधियां प्रदान की गयी: डॉक्टर ऑफ ह्यूमेन लेटर्स फेयरफिल्ड यूनिवर्सिटी से (१९९१) डॉक्टर ऑफ म्युजिक बार्कले कॉलेज ऑफ म्युजिक से (१९९३) डॉक्टर ऑफ ह्यूमेन लेटर्स हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी से (१९९७) डॉक्टर ऑफ म्युजिक साउथेंप्टन कॉलेज से (२०००) डॉक्टर ऑफ फाइन आर्ट्स सिरैक्यूज यूनिवर्सिटी से (२००६) डॉक्टर ऑफ म्युजिकल आर्ट्स मैनहटन स्कूल ऑफ म्युजिक से (२००८) स्कूल बोर्ड द्वारा हाई स्कूल छोड़ने के २५ साल के बाद अंत में उन्हें उनका हाई स्कूल डिप्लोमा दिया गया। १९९९ में, क्लीवलैंड, ओहियो में जोएल को रॉक एण्ड रोल हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। २००२ के लिए म्युजिक केयर्स पर्सन ऑफ द इयर, ग्रेमी अवार्ड के ही समय में हर साल दिए जानेवाला एक अवार्ड, जोएल को दिया गया। जोएल के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में नेल्ली फुर्ताडो, स्टीव वंडर, जॉन बोन जोवी, डायना कराल, रोब थॉमस और नेटली कोल समेत बहुत सारे कलाकारों ने उनके गीतों का संस्करण पेश किया। १५ अक्टूबर २००६ को उन्हें लौंग आईलैंड म्युजिक हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। २००५ में, जोएल ने हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में सितारा हासिल किया। उनकास्विले में टाइम्स यूनियन सेंटर, नैस्सु कोलीसेयम, मैडिसन स्क्वायर गार्डन, मोहेगन सन एरिना; फिलाडेल्फिया में वाचोविया सेंटर और हर्टफोर्ड में हर्टफोर्ड सिविक सेंटर के छत में बैनर लगे। (गलती से जोएल को न्यूयॉर्क सिटी के यांकी स्टेडियम में प्रदर्शन करनेवाला पहला कलाकार बताया गया; १९६८ में द इस्ले ब्रदर्स ने यहां प्रदर्शन किया था और १९७० के दशक के दौरान लैटिन सुपरग्रुप फैनिया ऑल-स्टार्स ने स्टेडियम में बजाया और लाइव एलबम रिकॉर्ड किया।) उन्होंने सिरैक्यूज युनिवर्सिटी में बिली जोएल विजिटिंग कंपोजर सीरीज को प्रायोजित किया। जोएल अकेले कलाकार हैं जिन्होंने यांकी और शिया दोनों स्टेडियम में प्रदर्शन किया, साथ में जाइंट्स स्टेडियम में भी. अन्य मीडिया योगदान डॉन किर्शनर रॉक कॉन्सर्ट (१९७४) (टेलीविज़न) (परफॉर्मड "पियानो मैन", "समवेयर अलोंग द लाइन" एंड "कैप्टन जैक") द मिड नाईट स्पेशल (१९७५) (टेलीविज़न) (सैंग "ट्रावेलिंग प्रेयर" एंड "द बैलड ऑफ़ बिली द किड") द माइक डगलस शो (१९७६) (टेलीविज़न) बिली जोएल टुनाईट (१९७६) (टाइम लाइफ वीडियो) (वीएचएस) (व्ह) (पल्मेर ऑडीटोरियम, कनेक्टिकट कॉलेज, न्यू लंडन, सीटी (क्ट)) सैटरडे नाईट लाइव (१८ फ़रवरी १९७८) (एनबीसी) (नब्क) (चेवी चेज़ द्वारा आयोजित) (सैंग "जस्ट द वे यू आर" और "ऑनली द गुड डाई यंग") (बिली पास्ड अप गोइंग टु हिस १० इयर हाई स्कुल रीयूनियन टु अपियर ऑन द शो) द ओल्ड ग्रे विसेल टेस्ट (१९७८) (लंडन, इंग्लैंड) (टेलीविजन) मुसिकलेडेन (१९७८) (जर्मन टेलीविजन कॉन्सर्ट) २०/२० (१९८०) (टेलीविजन) सैटरडे नाईट लाइव (१४ नवम्बर १९८१) (एनबीसी) (नब्क) (बर्नाडेट पीटर्स द्वारा आयोजित) (सैंग "मियामी २०१७ (सीन द लाइट्स गो आउट ऑन ब्रॉडवे)" और "शी गॉट अ वे" लाइव वाया सैटलाईट हूक-अप फ्रॉम हिस मिड-टाउन मैनहट्टन रिकॉर्डिंग स्टूडियो) लाइव फ्रॉम लौंग आइलैंड (१९८२) (सीबीएस/फॉक्स) (कब्क/फॉक्स) (वीएचएस) (व्ह) (एचबीओ (हबो) में मूलतः प्रसारित बिली जोएल: अ टेलीविजन फर्स्ट . नासाओ कॉलीज़ीयम पर लाइव रिकॉर्डेड) एमटीवी (म्त्व) स्पेशल: इनोसेंट मैन टूर (१९८३) (टेलीविजन) ("बिहाइंड-द-सीन्स" लुक एट जोएल इनोसेंट मैन टूर) फ्रॉम अ पियानो मैन टु एन इनोसेंट मैन (१९८४) (बीबीसी (बैक) टेलीविजन ब्रॉडकास्ट) "द लौन्गेस्ट टाइम" के लिए टुडे (जून १९८४) ने म्युज़िक वीडियो प्रचलित किया। फार्म ऐड (सितम्बर १९८५) (टेलीविजन) कंट्रीब्युटेड पियानो ऑन ट्विस्टेड सिस्टर्स सौंग "बी करुल टु योर स्क्रुएल" ऑन देयर १९८५ एल्बम कम आउट एंड प्ले लेट नाईट विथ डेविड लेटरमैन (सितम्बर १९८६) लाइव फ्रॉम लेनिनग्रैड यूएसएसआर (उसर) (१९८७) (सीबीएस (क्ब्स)) (वीएचएस (व्ह)) (एचबीओ (हबो) में मूलतः प्रसारित) ऑलिवर एंड कंपनी (१९८८) (डिज्नी फुल-लेंथ एनिमेटेड फीचर में डौगर नामक चरित्र के लिए आवाज और गायन आवाज दोनों उपलब्ध किया।) सेसेम स्ट्रीट (१९८८) (सैंग "जस्ट ड वे यू आर" टु ऑस्कार द ग्रौच, एंड "द एल्फाबेट सौंग" विथ किड्स) १९८९ एनएफएल सुपर बाउल ज़्क्सी (राष्ट्रीय संगीत गाया, जो रॉबी स्टेडियम, मियामी, फ्लोरिडा) लेट नाईट विथ डेविड लेटर मैन (१७ अगस्त १९८९) (एनबीसी) (नब्क) संगीत अतिथि मिक जोन्स के साथ प्रदर्शन किया सैटरडे नाईट लाइव (२१ अक्टूबर १९८९) (एनबीसी) (नब्क) (कैथलीन टर्नर द्वारा आयोजित) ("वि डिड नॉट स्टार्ट द फायर" और "द डाउनइस्टर एलेक्सा" गाया) (डाई स्क्वारेन ओस्ट बर्लिनर" में कार्य किया जो "हॉलीवुड स्क्वैर्स " का जर्मन टेक ऑफ़ था जिसके भूमिका का नाम जोसेफ बेसेलमियर था) आईज ऑफ द स्ट्रॉम (१९९०) (वीएचएस (व्ह)) (सोनी (सोनी)) (स्ट्रॉम फ्रंट एलबम से पांच म्युजिक वीडियो का संकलन) अ मैटर ऑफ़ ट्रस्ट (१९९१) (सीबीएस) (क्ब्स) (वीएचएस) (व्ह) (१९८६ के रशियन टूर का दस्तावेजी) लेट शो विथ डेविड लेटरमैन (३० अगस्त १९९३) शो पर सबसे पहले संगीत अतिथि जिसने "नो मैन लैंड" पर प्रदर्शन किया सैटरडे नाईट लाइव (२३ अक्टूबर १९९३) (एनबीसी) (जॉन मल्कोविच द्वारा आयोजित) ("द रिवर्स ऑफ़ ड्रीम्ज़" और "ऑल अबाउट सोल" गया) शेड्स ऑफ़ ग्रे (१९९३) (सोनी) (सोनी) (रिवर्स ऑफ़ ड्रीम्ज़ के बनाने पे एक पीबीएस (पब्स) प्रलेखी. वीएचएस (व्ह) पर विमोचित) लाइव फ्रॉम द रिवर्स ऑफ़ ड्रीम्ज़ (सोनी) (१९९४) (३सैट पर आयोजित (जर्मन टेलीविजन); २००५ में स्थापित माई लाइव्स बॉक्स में डीवीडी पर विमोचित) फ्रैंकफर्ट, जर्मनी से लाइव. १९९४ ग्रैमी अवार्ड शो, फ्रैंक सिनाट्रा के स्वीकृति भाषण पर मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड को निर्देशक ने कट कर दिया। जोएल अपना "द रिवर ऑफ़ ड्रीम्स" के गाने का प्रदर्शन छोड़ कर, अपने दर्शकों से समय देखने के बहाने से रुका और यह कहकर विज्ञापन करने लगा "बहुमूल्य समय जा रहा है, डॉलर्स...डॉलर्स...डॉलर्स..." जो दर्शकों के हंसी से ख़त्म हुआ। वह तो गाना खेल शुरू. द रोज़ी ओ'डोनेल शो (१९९७) (टेलीविजन) बिहाइंड द म्युज़िक (१९९७) (टेलीविजन) वीएच१ (व्ह१) स्टोरीटेलर (१997) (टेलीविजन) वीएच१ (व्ह१) वीडियो टाइम लाइन (१998) (टेलीविजन) ६० मिनट (२६ अप्रैल १९९८) स्टीव क्रॉफ्ट द्वारा साक्षात्कार. इंसाइड द एक्टर्स स्टूडियो (१९९९) (ब्रावो नेटवर्क) मैड अबाउट यू : "मुर्रे एट द डौग शो" (१९९९) (एनबीसी (नब्क) टेलीविजन) (एपियर्ड एस हिमसेल्फ; रोट द म्युज़िक फॉर द सॉन्ग "लूलाबाई फॉर यू" विच वास फीचर्ड इन द एपिसोड. पॉल रीसर ने गीत लिखा था।) एबीसी (अब्क) २००० (१९९९/२०००) (टेलीविजन, वीएचएस (व्ह)) (अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण, जोएल का न्यू इयर इव कॉन्सर्ट के भाग लाइव प्रसारित हुआ) ! एक स्मिथसोनियन समारोह (२०००) (जोएल सर्वद एस होस्ट एंड परफॉर्मर; पीबीएस (पब्स) पर आयोजित; डीवीडी पर विमोचित) एमएलबी (म्ल्ब) वर्ल्ड सिरीज़- सबवे सिरीज़ गेम १ (२०००) (टेलीविजन) (राष्ट्रीय संगीत प्रदर्शित) अमेरिका: अ ट्रिब्यूट टु हीरोज़ (२००१) (टेलीविजन, रेडियो, डीवीडी (द्व्ड)) चार्ली रोज़ (२००१) (पीबीएस (पब्स) टेलिविज़न/डीवीडी (द्व्ड)) द कॉन्सर्ट फॉर न्यूयॉर्क सिटी (२००१) (टेलीविजन, वीएचएस (व्ह)/डीवीडी (द्व्ड)) एक और ई स्पेशल: इन हिस ओन वर्ड्स (२००१) (एक और ई नेटवर्क) (पेंसिल्वेनिया युनिवर्सिटी में मास्टर क्लास रिकॉर्ड हुई) द एसेंशियल वीडियो कलेल्शन (२००१) (सोनी) (डीवीडी/वीएचएस) (म्युज़िक वीडियो संकलन) मूविंग आउट (२००२) एक म्युज़िक है जो बिली जोएल्स के २४ गानों में सबसे ज्यादा ब्रॉडवे में हिट हुई थी २००२ से २००५ तक (पिछला ब्रॉडवे शो ११ दिसम्बर २००५ में हुआ) जोएल गीतकार, संगीतकार और वाद्यवृन्दकार थे और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ वाद्यवृन्दकार के लिए टोनी अवार्ड जीता। संगीत वास्तव में एक नृत्य प्रदर्शन था जो प्रसिद्ध नृत्य-निर्देशक ट्वैला थार्प द्वारा तैयार हुआ जिसे माइकल कैवेनॉ ने गाया. द २००३ टोनी अवार्ड्स (टेलीविजन) ("न्यूयॉर्क स्टेट ऑफ़ माइंड" पर प्रदशन) द एलेन डेजेनेरेस शो (२००५) (टेलीविजन) ("मियामी २०१७" और "ऑनली द गुड डाई यंग" पर प्रदर्शन किया)) लेट नैट विथ कोनन ओ'ब्रेन (२००५) (एनबीसी) ("एवरीबॉडी लव्स यू नाओ" और "विएना" पर प्रदर्शन किया) द टुडे शो (२००५) (एनबीसी (नब्क)) ("कीपिंग द फेथ" और "शी इज़ राईट ऑन टाइम" पर प्रदर्शन किया) द टुडे शो (२००६) (एनबीसी) (नब्क) (टोनी बेनेट के साथ "द गुड लाइफ" पर लाइव प्रदर्शन किया) द बिग डील विथ डौनी डोइश (२००६) (सीएनबीसी (कनब्क)) अमेरिकन चौपर (२००६) ("द बिली जोएल बाइक") (टेलीविजन, डीवीडी (द्व्ड)) टोक्यो, जापान (२००६) (टेलीविजन, डीवीडी) (कॉन्सर्ट को टेप किया गया और वह द फ्यूजी टेलिविज़न नेटवर्क द्वारा उत्पादित हुआ) एनएफएल (नल) सुपर बाउल अली (२००७) (दो सुपर बाउल में राष्ट्रीय संगीत गाने वाला जोएल सबसे पहला था) द औप्राह विनफ्रे शो (२४ मार्च २००८) (अपनी पत्नी केटी के साथ उपस्थित हुए और "ऑनली द गुड डाई यंग" पर प्रदर्शन किया) द साऊथ बैंक शो (१३ जुलाई २००८) (जोएल ने अपनी कैरियर पर चर्चा की) इन्हें भी देखें सर्वाधिक बिकने वाले संगीत कलाकारों की सूची बिली जोएल आधिकारिक वेबसाइट ऑलम्युज़िक में बिली जोएल बिली योएल द्वारा लाइव प्रदर्शन का इतिहास १९४९ में जन्में लोग १९७० दशक के गायक १९८० दशक के गायक १९९० दशक के गायक २००० दशक के गायक २०१० दशक के गायक अमेरिकी पॉप पियानोवादक अमेरिकी पॉप गायक अमेरिकी रॉक संगीतकार अमेरिकी रॉक पियानोवादक अंग्रेज़ी-भाषा के गायक ग्रेमी अवार्ड के विजेता यहूदी अमेरिकी संगीतकारों और गीतकार जर्मन अमेरिकी यहूदी न्यूयॉर्क से संगीतकार लांग आइलैंड के लोग ब्रोंक्स के लोग रॉक एण्ड रोल हॉल ऑफ़ फेम इंडकटीज श्रेष्ठ लेख योग्य लेख
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील संभल, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७२१ उत्तर प्रदेश के जिले (नक्शा) संभल तहसील के गाँव
ताजपुर डोघरा सूर्यगढा, लखीसराय, बिहार स्थित एक गाँव है। लखीसराय जिला के गाँव
क़ादियां भारत के पंजाब राज्य के गुरदासपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का चौथा बड़ा शहर और नगर निगम है, और अमृतसर से पूर्वोत्तर दिशा में स्थित है। यह स्थान पंडित लेखराम नगर के नाम से भी जाना जाता है। सन् १५३० में मिर्ज़ा हादी बेग़ ने इस नगर को बसाया था, जिनका परिवार मुग़ल शासक बाबर के काल में समरक़न्द से भारता आया था। संस्था के संस्थापक ने १३ मार्च १९०३ में इसकी नींव रखी। क़ादियाँ को अहमदिय्या मुस्लिम जमात की नींव रखने वाले मिर्ज़ा हादी बेग़ का जन्मस्थान होने पर यह वैश्विक स्तर पर पहचान रखता है। अहमदिया जमात मुख्य दफ़्तर यहाँ है। आर्य समाज का इतिहास यह नगर आर्य समाज के कारण भी प्रमुख रहा है। पंडित लेखराम जी ने इस नगर मे आर्यसमाज की स्थापना की थी और साथ ही साथ गौ रक्षा के लिए बहुत कार्य किया और यहीं उनका बलिदान हुआ. इन्हें भी देखें मिर्ज़ा हादी बेग़ पंजाब के शहर गुरदासपुर ज़िले के नगर
अकलुज (अकलुज) भारत के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह नीरा नदी के किनारे बसा हुआ है। इन्हें भी देखें महाराष्ट्र के शहर सोलापुर ज़िले के नगर
विलियम मेकपीस थैकरी (विलियम मकेपेस थाकरे / १८११ १८६३) उन्नीसवीं शताब्दी के अंग्रेजी के उपन्यासकार। विलियम मेकपीस का जन्म कोलकाता में हुआ था। पिता की मृत्यु के उपरांत १८१७ में स्वदेश चला गया। शिक्षा चार्टरहाउस स्कूल और केब्रिज में हुई। एक वर्ष के भीतर ही विश्वविद्यालय छोड़कर यूरोप भ्रमण के लिये चला गया। लौटकर कानून का अध्ययन प्रारंभ किया, परंतु शीघ्र ही उसे भी छोड़कर पत्रकारिता की ओर ध्यान दिया। क्रमश: दो पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ किया; परंतु दोनों असफल रहे। अब उसने चित्रकला के अध्ययनार्थ पेरिस और रोम की यात्रा की। पेरिस में १८३६ में इज़ाबेला शॉ से विवाह किया। अगले वर्ष इंग्लैंड लौटने पर उसने 'फ्रेजर्स मैंगज़ीन' में लिखना आरंभ किया। 'दि यलोप्लश पेपर्स' (१८३७-८); 'कैथरीन' (१८४०), 'दि ग्रेट हॉगर्टी डायमंड' (१८४१) और 'बैरी लिंडन' (१८४४) इसी पत्रिका में प्रकाशित हुए। परंतु प्रसिद्धि सर्वप्रथम 'पंच' नामक पत्रिका में प्रकाशित रचनाओं, विशेषकर; 'दि बुक ऑव स्नॉब्स' (१८४६-७), द्वारा प्राप्त हुई। 'बैनिटी फेयर' (१८४७-८) के प्रकाशन ने उसके जीवन में असली मोड़ ला दिया। इस असाधरण रचना के कारण वह फील्डिंग जैसे शीर्षस्थ अंग्रेजी उपन्यासकारों के समकक्ष हो गया और जीवित उपन्यासंकारों में चार्ल्स डिकेंस को छोड़कर उसका कोई प्रतिद्वंद्वी न रहा। अगला उपन्यास 'पेंडेनिस' (१८४८-५०) काफी अंशों में आत्मकथात्मक है। १८५१ में 'दि इंग्लिश ह्यूमरिस्ट्स ऑव दि एटीन्थ सेंचुरी' तथा १८५६ में 'फोर जॉर्जेज' पर उसने बड़े सफल भाषण दिए। ये भाषण क्रमश: १८५२ और १८५६ में उसने अमरीका में भी दिए। इस बीच 'हेनरी एस्मंड' (१८५२), जो संभवत: उसकी सर्वोत्कृष्ट रचना तथा अंग्रेजी का सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक उपन्यास है तथा 'दि न्यूकम्स' (१८५३) प्रकाशित हो चुके हैं। 'दि वर्जीनियंस' (१८५७-९) 'एस्मंड' का ही उत्तर भाग है, परंतु उसमें थैकरे की कला का वैसा उत्कृष्ट रूप नहीं मिलता। १८६० में वह 'कॉर्नहिल मैंगज़ीन' का प्रधान संपादक बना, तथा उसमें 'लॉवेल दि विडोअर' (१८६०) और 'दि एडवेंचर्स ऑव फिलिप' (१८६१-२) प्रकाशित किए। 'दि राउण्ड अवाउंट पेपर्स' (१८६०-३) उन चित्ताकर्षक निबंधों का संग्रह है जो उसने इस पत्रिका में नियमित रूप से लिखे थे। अंतिम उपन्यास 'डेनिस डूबल' उसकी अचानक मृत्यु के कारण अधूरा रह गया, तथापि इसमें पुन: उसकी कला अपने सर्वोच्च शिखर पर दिखाई देती है।
नलवारी भारत के असम राज्य का एक जिला हैं । यह नालारी जिला का मुख्य सदर हैं । "नलवारी" शब्द "नल" और "वारी" इस दो शब्द से निकला हैं।"नल" शब्द का अर्थ होता हैं "ईख" और "वारी" का मतलव होता हैं एक संरक्षित इलाका जहाँ खेत की जाती हैं । इन्हें भी देखें असम के नगर
स्टेफ़नी टेरेसा फ्रोनमेयर (जन्म २८ अगस्त १९८५) एक अंग्रेजी में जन्मी जर्मन स्त्री रोग विशेषज्ञ और क्रिकेटर हैं, जो एक ऑलराउंडर के रूप में जर्मनी की महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं। वह २००९ से २०१७ में अपनी स्थापना से राष्ट्रीय टीम की कप्तान थीं और देश के शीर्ष प्रदर्शन करने वाले एथलीटों में से एक के रूप में खेलना जारी रखती हैं।
अकार्बनिक रसायन के सन्दर्भ में, पोलिश वैज्ञानिक काज़िमीर फायान्स (काजिमीर्ज़ फजन) ने सन १९२३ में निम्नलिखित नियम बताए- यदि धनायन के आकार को कम कर दिया जाए तथा ऋणायन के आकार को बढ़ा दिया जाए तो आयनिक बंध में सहसंयोजी लक्षण बढ़ जाते हैं। यदि धनयनों का आकार व आवेश एक जैसा हो तो उस धनायन की ध्रुवण क्षमता अधिक होगी जिनके इलेक्ट्रोनिक विन्यास संक्रमण धातु जैसे होते हैं। यदि धनायन तथा ऋणायन पर आवेश की मात्रा बढ़ाई जाए तो आयनिक बंध के सहसंयोजी लक्षणों में वृद्धि होगी। धनायन का आकार अपने मूल परमाणु से छोटा होता है। केटायन का आयनिक विभव जितना अधिक होता हैं उसकी सह-संयोजक बंध बनाने की क्षमता उतनी अधिक होता हैं। उपरोक्त नियमों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कोई रासायनिक आबन्ध, आयनिक होगा या सहसंयोजी। उपरोक्त नियमों का सारांश निम्नलिखित तालिका में दिया गया है- अकार्बनिक रसायन शास्त्र
पाचोरा (पछोरा) भारत के महाराष्ट्र राज्य के जलगाँव ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हिवरा नदी के किनारे बसा हुआ है। इन्हें भी देखें महाराष्ट्र के शहर जलगाँव ज़िले के नगर
मटिया () एक गांव है, जो कि भारत के बिहार राज्य के वैशाली जिले में स्थित है। यह बिहार के चार जिले से घिरा हुआ है, इसके पूर्व में समस्तीपुर, पश्चिम में सारण, उत्तर में मुजफ्फरपुर और दक्षिण में पटना है। इसके निकटतम शहर हाजीपुर यहां से लगभग २३ किमी (ट्रेन के माध्यम से) और ३१ किमी (सड़क के माध्यम से) दूर है। यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन पश्चिम में देसरी (लगभग २ किमी) और पूर्व में सहदेई बुजुर्ग (लगभग ३ किमी) दूर है। जनगणना २०११ की सूचना के अनुसार मटिया गांव का स्थान कोड या गांव कोड २३६०२९ है। यह बिहार, भारत में वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग तहसील में स्थित है। २००९ के आंकड़ों के मुताबिक, चकजमाल मटिया के ग्राम पंचायत है। गांव का कुल भौगोलिक क्षेत्र २२५ हेक्टेयर है। काली मंदिर (बिशहर स्थान) इस गांव में एक सुंदर मंदिर है। यह एक बहुत ही सुंदर मंदिर है, इस मंदिर का अद्भुत नजारा पूरे गांव के लिए एक अद्वितीय पहचान देता है। भगवान और देवी के आशीर्वाद से हमेशा सभी ग्रामीण खुश रहते हैं। मंदिर विशाल पेड़ों से घिरे हुए हैं जो मिठासभरी और आशीर्वादमय छाया प्रदान करते हैं। राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय है, जो विद्यार्थियो को कक्षा १ से ८ तक की शिक्षा प्रदान करता है। यह काली मंदिर के सामने स्थित है। राजकीय उच्च विद्यालय, मटिया एक आगामी परिसर है जो विद्यार्थियो को ९वीं और १०वीं कक्षा के अध्ययन को प्रदान करेगी। यह भी काली मंदिर के सामने बनाया जा रहा है। ट्रेन से(निकटतम रेलवे स्टेशन-देसरी)हाजीपुर - २१ किलोमीटर (१३ मील)बरौनी - ६६ किलोमीटर (४१ मील)मुजफ्फरपुर - ७४ किलोमीटर (४६ मील)पटना - ५३ किलोमीटर (३३ मील) सड़क सेहाजीपुर - ३१ किलोमीटर (१९ मील) न्ह१०३ के माध्यम सेबरौनी - ७४ किलोमीटर (४६ मील) श९३ के माध्यम सेमुजफ्फरपुर - ८१ किलोमीटर (५० मील) न्ह१०३ के माध्यम सेपटना - ४४ किलोमीटर (२७ मील) न्ह१०३ के माध्यम से अस्पताल और स्वास्थ्य आप १० किमी के दायरे के भीतर किसी भी स्वास्थ्य से संबंधित समस्या के लिए बहुत से अस्पतालों और चिकित्सा स्थल पा सकते हैं। आसपास के गांव इन्हें भी देखें मटिया अंग्रेजी में वैशाली ज़िले के गाँव
पुर्णा (पूर्ण) भारत के महाराष्ट्र राज्य के परभणी ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें महाराष्ट्र के शहर परभणी ज़िले के नगर
इरोम चानू शर्मिला(जन्म:१४ मार्च १९७२) मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम, १९५८ को हटाने के लिए लगभग १६ वर्षों तक (४ नवम्बर २००० से ९ अगस्त २०१६ ) भूख हड़ताल पर रहीं। इरोम ने अपनी भूख हड़ताल तब की थी जब २ नवम्बर के दिन मणिपुर की राजधानी इंफाल के मालोम में असम राइफल्स के जवानों के हाथों १० बेगुनाह लोग मारे गए थे। उन्होंने ४ नवम्बर २000 को अपना अनशन शुरू किया था, इस उम्मीद के साथ कि १९५८ से अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में और १९९० से जम्मू-कश्मीर में लागू आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) को हटवाने में वह महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चल कर कामयाब होंगी। पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न हिस्सों में लागू इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को किसी को भी देखते ही गोली मारने या बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार है। शर्मिला इसके खिलाफ इम्फाल के जस्ट पीस फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन से जुड़कर भूख हड़ताल करती रहीं। सरकार ने शर्मिला को आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया था। क्योंकि यह गिरफ्तारी एक साल से अधिक नहीं हो सकती अतः हर साल उन्हें रिहा करते ही दोबारा गिरफ्तार कर लिया जाता था। नाक से लगी एक नली के जरिए उन्हें खाना दिया जाता था तथा इस के लिए पोरोपट के सरकारी अस्पताल के एक कमरे को अस्थायी जेल बना दिया गया था। आम आदमी पार्टी द्वारा राजनीति में आने का निमंत्रण जस्ट पीस फाउंडेशन ट्रस्ट (जेपीएफ) के जरिए शर्मिला को आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने मणिपुर की लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर २०१४ के लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया किंतु उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। अनशन का अंत जुलाई २०१६ में उन्होंने अचानक घोषणा की कि वे शीघ्र ही अपना अनशन समाप्त कर देंगी। उन्होंने अपने इस निर्णय का कारण आम जनता की उनके संघर्ष के प्रति बेरुखी को बताया। ९ अगस्त २०१६ को लगभग १६ साल के पश्चात् उन्होंने अपना अनशन तोड़ा तथा राजनीति में आने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं। बीबीसी हिन्दी पर इरोम शर्मिला पर लेख। मणिपुर के लोग १९७२ में जन्मे लोग
मटकाण्डा, चम्पावत तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा मटकाण्डा, चम्पावत तहसील मटकाण्डा, चम्पावत तहसील
चलुरु प्रत्यूषा (जन्म २५ जुलाई १९९८) भारत की एक क्रिकेट खिलाड़ी हैं। फरवरी २०२१ में, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीमित ओवरों के मैचों के लिए, प्रयूषा ने भारत की महिला क्रिकेट टीम को अपना पहला कॉल-अप अर्जित किया। १९९८ में जन्मे लोग
निमसा (निंसा) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम बर्धमान ज़िले में स्थित एक शहर है। इन्हें भी देखें पश्चिम बर्धमान ज़िला पश्चिम बर्धमान ज़िला पश्चिम बंगाल के शहर पश्चिम बर्धमान ज़िले के नगर
टेलिविज़न धारावाहिक या रेडियो धारावाहिक ऐसी नाटकीय कथा को कहते हैं जिसे किश्तों में विभाजित कर के उन किश्तों को टेलिविज़न या रेडियो पर एक-एक करके दैनिक, साप्ताहिक, मासिक या किसी अन्य क्रम के अनुसार प्रस्तुत किया जाता है। इन्हें अंग्रेज़ी व कई अन्य भाषाओं में साबुन नाटक या सोप ऑपेरा (सोप ओपेरा) कहा जाता है क्योंकि ऐसे रेडियो धारावाहिकों को शुरू में प्रॉक्टर एंड गैम्बल, कोलगेट-पामोलिव और लीवर ब्रदर्स जैसी साबुन बनाने वाली कम्पनियों के सौजन्य से पेश किया जाता था। इन धारावाहिकों को टी वी सीरियल (त्व सीरियल) या टी वी शृंखला भी कहते हैं। टेलिविज़न व रेडियो धारावाहिकों का एक अहम तत्व उनकी कहानियों का अनंत चलता हुआ विस्तार होता है, जिसमें मुख्य कथाक्रम के अन्दर नई कहानियाँ आरम्भ होती है और फिर कई कड़ियों के दौर में विकसित होती हैं और फिर अंजाम पर पहुँचती हैं। कई ऐसी कहानियाँ एक-साथ चल सकती हैं और धारावाहिक लिखने-बनाने वाले अक्सर इनका रुख़ दर्शकों की बदलती रुचियों और भावनाओं के अनुसार बनाते जाते हैं। इसी तरह कहानी में मोड़ देकर उन पात्रों की भूमिका बढ़ा दी जाती है जो दर्शकों की रूचि रखें और उन्हें अक्सर निकाल दिया जाता है जिनमें दर्शकों को दिलचस्पी कम हो। भारत में 'हम लोग', 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी', 'ससुराल गेंदा फूल', 'यह रिश्ता क्या कहलाता है' और सीआईडी जैसे धारावाहिक बहुत सफल रहे हैं। १९८० के दशक में पाकिस्तान के 'धूप किनारे' और 'तन्हाईयाँ' जैसे धारावाहिक भी सफल रहे और भारत में भी देखे गए। अमेरिका का 'गाइडिंग लाईट' (गाइडिंग लाइट) नामक धारावाहिक १९३७ में रेडियो पर शुरू हुआ, १९५२ में टेलिविज़न पर स्थानांतरित हुआ और फिर २००९ में जाकर बंद हुआ - कुछ स्रोत इसे विश्व का सबसे लम्बे चलने वाला धारावाहिक बताते हैं। १९७० के दशक के अंत में दूरदर्शन पर दो धारावाहिक शुरू हुए थे जिन्हें भारत के पहले धारावाहिकों का दर्जा दिया गया था। इनके नाम थे 'अशान्ति शान्ति के घर' जिसमें आगा और नादिरा ने मुख्य भूमिकायें निभाईं थीं एवं 'लड्डू सिंह टैक्सी ड्राइवर' जिसमें 'पेंटल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इन्हें भी देखें हम लोग (टीवी धारावाहिक) भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
शापित एक २०१० में बनी व विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित बॉलीवुड फ़िल्म है। जिसमें मुख्य किरदार में आदित्य नारायण, राहुल देव आदि हैं। इस फ़िल्म को २०११ में जी़ सिने पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। २०१० में बनी हिन्दी फ़िल्म
इसाबेल अदजानी () फ्रांसीसी फिल्म अभिनेत्री और गायिका है। अदजानी ने १९७० से अब तक अंग्रेजी, फ्रांसीसी और जर्मन फिल्मों में काम किया है। उन्होंने एक हिन्दी फिल्म इश्क़ इन पेरिस में भी काम किया है। इसाबेल यसमिन अदजानी का जन्म पेरिस नगर निगम के १७ वें जिले में हुआ। उनकी माँ बायर्न से और पिता अल्जीरिया के कांस्टैंटाइन नामक प्रदेश से हैं। एलरोवी पर इसाबेल अदजानी १९५५ में जन्मे लोग फ़्रांस के लोग
बुग्गारं , नेरडिगोंड मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अदिलाबादु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
रागिमानिपल्लॆ (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
मजेरु (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय भारत में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थित है। यह एक पुरातात्विक संग्रहालय है। इसे १८७५ में राजा महंत घासीदास ने बनवाया था। वर्ष १९५३ में रानी ज्योति और उनके पुत्र दिग्विजय ने इस भवन का पुनर्निर्माण करवाया था। इस संग्रहालय में हथियारों के नमूने, प्रावीन सिक्कें, मूर्तियाँ और नक्काशी आदि प्रदर्शित किए गए हैं, साथ ही क्षेत्रीय आदिवासी जनजातीय परम्पराओ को प्रदर्शित करने वाले कई प्रादर्श यहाँ रखे गए है।सन १९५३ को इस संग्रहालय भवन का लोकार्पण गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के करकमलों द्वारा किया गया। इस संग्रहालय में वर्तमान में कुल १७२७९ पुरावशेष एवं कलात्मक सामग्रियां हैं जिनमें ४३२४ सामग्रियां गैरपुरावशेष हैं तथा शेष १२९५५ पुरावशेष हैं। रायपुर के संग्रहालय रायपुर के पर्यटन स्थल
मौखिक पुनर्जलीकरण चिकित्सा (ओआरटी) एक प्रकार का द्रव प्रतिस्थापन है जिसका उपयोग निर्जलीकरण को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है, खासकर अतिसार में इसका उपयोग किया जाता हैं, इसमें मामूली मात्रा में चीनी और नमक, विशेष रूप से सोडियम और पोटेशियम के साथ पीने का पानी शामिल है।मौखिक पुनर्जलीकरण चिकित्सा नासोगैस्ट्रिक ट्यूब द्वारा भी दी जा सकती है। थेरेपी में नियमित रूप से जिंक सप्लीमेंट्स का उपयोग शामिल होना चाहिए।मौखिक पुनर्जलीकरण चिकित्सा के प्रयोग से डायरिया से मृत्यु के जोखिम को ९३% तक कम करने का अनुमान लगाया गया है।
मर्चेंट बैंकिंग की उत्पत्ति सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी के दौरान देर मध्ययुगीन समय रेत फ्रांस में इटली का पता लगाया जा रहा है। इतालवी मर्चेंट बैंकरों इंग्लैंड में केवल विदेशी मुद्रा का बिल , लेकिन यह भी सभी संस्थानों और एक संगठित मुद्रा बाज़ार के साथ जुड़े तकनीकों की शुरुआत की। मर्चेंट बैंकिंग व्यापारियों जो अपने खुद के व्यापार के अलावा अन्य व्यापारियों के लेन-देन के वित्तपोषण में सहायता के शुरू में शामिल थे। फ्रांस में, सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी के दौरान एक मर्चेंट बैंकर ( लीमेर्छन्द बन्क़ुएर ) न केवल एक व्यापारी लेकिन एक उद्यमी ख़ासकर था। उन्होंने कहा कि होनहार गतिविधियों के सभी प्रकार में अपने संचित लाभ का निवेश किया। उन्होंने कहा कि उनकी व्यापारी गतिविधियों के लिए बैंकिंग कारोबार जोड़ा और एक मर्चेंट बैंकिंग बन गया। मर्चेंट बैंकिंग बैंकिंग और परामर्श सेवाओं का एक संयोजन है। यह वित्तीय विपणन, प्रबंधकीय और कानूनी मामलों के लिए अपने ग्राहकों के लिए परामर्श प्रदान करता है। कंसल्टेंसी एक शुल्क के लिए सलाह , मार्गदर्शन और सेवा प्रदान करने के लिए इसका मतलब है। यह एक व्यापारी एक व्यवसाय शुरू करने में मदद करता है। इसे बढ़ाने के लिए (लीजिए) वित्त मदद करता है। यह विस्तार और व्यापार के आधुनिकीकरण के लिए मदद करता है। यह एक व्यवसाय के पुनर्गठन में मदद करता है। यह बीमार व्यावसायिक इकाइयों को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। यह भी रजिस्टर शेयर बाजार में खरीदने और बेचने के शेयरों के लिए कंपनियों को मदद मिलती है। संक्षेप में, मर्चेंट बैंकिंग एक व्यवसाय चलाने के लिए जब तक शुरू करने के लिए सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध कराता है। यह एक व्यापार के लिए वित्तीय इंजीनियर के रूप में कार्य करता है। मर्चेंट बैंकिंग के कार्य मर्चेंट बैंकिंग के कार्यों के रूप में सूचीबद्ध कर रहे हैं : ग्राहको के लिए ऊपर उठाने के वित्त मर्चेंट बैंकिंग में मदद करता है अपने ग्राहकों के शेयर , डिबेंचर, बैंक ऋण, आदि के मुद्दे के माध्यम से वित्त जुटाने के लिए यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार से धन जुटाने के लिए अपने ग्राहकों को मदद मिलती है। इस वित्त एक नया व्यापार या परियोजना शुरू करने के लिए या आधुनिकीकरण या व्यापार के विस्तार के लिए प्रयोग किया जाता है। स्टॉक एक्सचेंज में ब्रोकर मर्चेंट बैंकरों शेयर बाजार में दलालों के रूप में काम करते हैं। वे खरीदने और उनके ग्राहकों की ओर से शेयरों को बेचने। वे इक्विटी शेयरों पर अनुसंधान का संचालन। वे भी अपने ग्राहकों के बारे में जो शेयर खरीदने के लिए , जब खरीदने के लिए खरीदते हैं, और जब बेचने के लिए कितना सलाह। बड़े दलालों, म्युचुअल फंड , उद्यम पूंजी कंपनियों और निवेश बैंकों मर्चेंट बैंकिंग सेवाओं की पेशकश। मर्चेंट बैंकरों कई मायनों में अपने ग्राहकों की मदद। उदा एक परियोजना के स्थान के बारे में परामर्श देना , एक परियोजना रिपोर्ट तैयार करने , व्यवहार्यता अध्ययन का आयोजन, परियोजना के वित्तपोषण , वित्त के स्रोतों बाहर खोजने, रियायतें और सरकार की ओर से प्रोत्साहन के बारे में सलाह देने के लिए एक योजना बना रही है। विस्तार और आधुनिकीकरण पर सलाह मर्चेंट बैंकरों के विस्तार और व्यावसायिक इकाइयों के आधुनिकीकरण के लिए सलाह देते हैं। वे विलय और समामेलन , अधिग्रहण और अधिग्रहणों, कारोबार का विविधीकरण, विदेशी सहयोग और संयुक्त उद्यम, प्रौद्योगिकी उन्नयन , आदि पर विशेषज्ञ सलाह देते हैं। सार्वजनिक निर्गम अपवर्जित प्रबंध कंपनियों अपवर्जित कंपनियों मर्चेंट बैंक की सलाह और पब्लिक इश्यू का प्रबंधन। वे निम्नलिखित सेवाएं प्रदान: एस सलाह पब्लिक इश्यू समय गोली था। आकार और सलाह एस के मुद्दे की कीमत। हमारे प्रबंधक मुद्दा अभिनय कर रहे थे , और अनुप्रयोगों और आबंटन को स्वीकार इन प्रतिभूतियों की मदद करने का। मदद इन मुद्दा अंडरराइटर्स और दलालों नियुक्त किए गए थे। बाहर रखा गया एस शेयर बाजार में सूचीबद्ध शेयरों आदि। हैंडलिंग औद्योगिक परियोजनाओं के लिए सरकार की सहमति एक व्यापारी की परियोजना शुरू करने के लिए सरकार की अनुमति मिल गया है। इसी तरह, एक कंपनी के विस्तार या आधुनिकीकरण गतिविधियों के लिए अनुमति की आवश्यकता है। इसके लिए कई औपचारिकताओं को पूरा किया जाना है। मर्चेंट बैंकों को अपने ग्राहकों के लिए यह सब काम करते हैं। छोटी कंपनियों और उद्यमियों को विशेष सहायता मर्चेंट बैंकों व्यापार के अवसरों, सरकार की नीतियों , प्रोत्साहन और रियायतें उपलब्ध बारे में छोटी कंपनियों को सलाह। यह भी मदद करता है उन्हें इन अवसरों , रियायतें , आदि का लाभ लेने के लिए। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए सेवाएं मर्चेंट बैंकों सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए कई सेवाओं की पेशकश। वे लंबी अवधि के पूंजी , प्रतिभूतियों, विदेशी सहयोग के विपणन को ऊपर उठाने और अवधि ऋण संस्थानों से लंबी अवधि के वित्त की व्यवस्था करने में मदद करते हैं। रुग्ण औद्योगिक इकाइयों के पुनरुद्धार मर्चेंट बैंकों ( इलाज ) बीमार औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवित करने के लिए मदद करते हैं। यह बैंकों , अवधि ऋण संस्थानों , और ( औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड ) बीआईएफआर की तरह अलग अलग एजेंसियों के साथ बातचीत करता है। यह भी योजना बना रही है और पूर्ण पुनरुद्धार पैकेज कार्यान्वित। एक व्यापारी बैंक अपने ग्राहकों के विभागों (निवेश) का प्रबंधन करता है। यह सुरक्षित, तरल और ग्राहक के लिए लाभदायक निवेश करता है। यह निवेश निर्णय लेने के लिए अपने ग्राहकों के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करता है। कंपनी के पुनर्गठन यह विलय या मौजूदा कारोबारी इकाइयों , मौजूदा इकाई या विनिवेश की बिक्री का अधिग्रहण भी शामिल है। यह उचित वार्ता, दस्तावेजों की तैयारी और कानूनी औपचारिकताओं के पूरा होने की आवश्यकता है। मर्चेंट बैंकरों के लिए अपने ग्राहकों के लिए इन सभी सेवाओं की पेशकश। मर्चेंट बैंकरों भी सेवाओं को काम पर रखने में मदद करते हैं। लीज़ पट्टादाता और पट्टेदार , जिससे पट्टादाता इस तरह के एक निश्चित अवधि के लिए पट्टेदार द्वारा उपकरण के रूप में अपनी विशिष्ट संपत्ति के उपयोग की अनुमति देता है के बीच एक अनुबंध है। पट्टादाता एक शुल्क का किराया बुलाया लेता है। ब्याज और लाभांश का प्रबंधन मर्चेंट बैंकरों डिबेंचर / ऋण, और शेयरों पर लाभांश पर ब्याज के प्रबंधन में अपने ग्राहकों की मदद। उन्होंने यह भी समय ( अंतरिम / वार्षिक ) और लाभांश की दर के बारे में अपने ग्राहक को सलाह।
वह नवप्रवर्तन जो नया बाजार और नया नेटवर्क निर्मित करता है और अन्ततः वर्तमान बाजार और नेटवर्क को छिन्न-भिन्न करके बाजार में स्थापित अग्रणी कम्पनियों को हटा देता है, उसे विदारी नवप्रवर्तन (दिसृप्टिव इनोवेशन) या विदारी प्रौद्योगिकी (डिस्रप्टिव टेक्नॉलॉजी) कहते हैं। (१) ट्रांजिस्टर के विकास ने वाल्व को अधिकांश कामों से हटा दिया। (२) पीसी के आने से मिनी कम्प्यूटर, वर्क स्टेशन आदि बाहर हो गये। (३) डिजिटल फोटोग्राफी के आने से परम्परागत रासायनिक फोटोग्राफी समाप्त हो गयि। (४) मोबाइल फोन का विकास एक विदारी नवप्रवर्तन सिद्ध हुआ जिसने परम्परागत अचल फोन को बाजार से हटा दिया। (५) विकिपीडिया के आने से परम्परागत विश्वकोश बाहर हो गये।
सुगम संगीत भारतीय संगीत विद्या का एक अंग है। वह संगीत जिसमें जिसे सहजता से सीखा और गाया बजाया जा सके, जिसे निश्चित नियमों में बाँधा नहीं गया है, जो लोक में प्रिय है, सुगम संगीत कहलाता है। लोक गीत, लोकप्रिय संगीत, भजन, फ़िल्मी गीत आदि इसी श्रेणी में आते हैं।
बी॰सी॰जी॰ (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) का टीका (बैसिल् कैलमेटइगुरीन (बॉग) वासीन) एक टीका है जो मुख्यतः यक्ष्मा (टीबी) की रोकथाम के लिए उपयोग किया जाता है। जिन देशों में यक्ष्मा प्रायह: होता है वहाँ स्वस्थ शिशुओं को इसकी एक खुराक जनम के बाद जितना जल्दी हो सके, लगाने की सलाह दी जाती है। हिव/एड्स वाले बच्चे को टीका नहीं दिया जाना चाहिए। उन क्षेत्रों में जहां यक्ष्मा आम नहीं है, केवल उच्च जोखिम वाले शिशुओं का आमतौर पर टीकाकरण किया जाता है, और यक्ष्मा के संदिग्ध मामलों की जाँच की जाती है और उपचार किया जाता है। जिन वयस्कों में यक्ष्मा नहीं है, और जिन्हें पहले से प्रतिरक्षित नहीं किया गया है लेकिन अक्सर दवा-प्रतिरोधी यक्ष्मा के संपर्क में आते हैं, उन्हें भी प्रतिरक्षित किया जा सकता है। संरक्षण की दरें व्यापक रूप से भिन्न होती हैं और दस और बीस वर्षों के बीच रहती हैं। बच्चों में यह लगभग २०% को संक्रमित होने से रोकता है और जो लोग संक्रमित होते हैं उनमें से यह आधे को बीमारी के विकसित होने से बचाता है। टीका त्वचा में इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। अतिरिक्त खुराक के समर्थन में कोई सबूत नहीं है। इसका उपयोग कुछ प्रकार के मूत्राशय कैंसर के उपचार में भी किया जा सकता है। इस के गंभीर दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं। इंजेक्शन के स्थान पर अक्सर लालिमा, सूजन और हल्के दर्द होते हैं। उपचार के बाद एक छोटा अल्सर हो सकता है, जो ठीक होने के बाद कुछ निशान छोड़ दे। प्रतिरक्षा प्रणाली की खराब कार्यक्षमता वाले लोगों में दुष्प्रभाव अधिक सामान्य और संभावित रूप से अधिक गंभीर होते हैं। यह गर्भावस्था में उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है। टीका मूल रूप से मायकोबैक्टीरियम बोविस से विकसित किया गया था जो आमतौर पर गायों में पाया जाता है। हालाँकि यह कमजोर कर दिया गया है, यह अब भी जिवित है। बी॰सी॰जी॰ के टीके का चिकित्सकीय रूप में उपयोग पहली बार १९२१ में किया गया था। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में मौजूद है, जो एक बुनियादी स्वास्थ्य प्रणाली में सबसे आवश्यक महत्वपूर्ण दवाओं की सूची है। २०१४ तक इसकी थोक लागत ०.१६ अमरीकी डौलर है। यूनाइटेड स्टेट्स में इसकी लागत 1०० से 2०० अमरीकी डौलर है। प्रत्येक वर्ष लगभग 1० करोर (1०० मिलियन) बच्चों को यह टीका दिया जाता है।
सहजन (ड्रम्स्तिक ट्री ; वानस्पतिक नाम : "मोरिंगा ओलिफेरा" (मोरिंगा ओलेफेरा) ) एक बहु उपयोगी पेड़ है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। इस पेड़ के विभिन्न भाग अनेकानेक पोषक तत्वों से भरपूर पाये गये हैं इसलिये इसके विभिन्न भागों का विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है। सहजन की खेती करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए: १. उपयुक्त भूमि का चयन करें: सहजन वृक्ष धार्मिक रूप से प्रतिस्पर्धी होता है और इसलिए आपको उसे उचित जल्दबाजी देने के लिए समुचित भूमि का चयन करना होगा। सहजन के लिए उपयुक्त भूमि में अच्छा संपादन, निराई, और अच्छी निष्पादन क्षमता होनी चाहिए। २. बीजों का चयन करें: अच्छे गुणवत्ता वाले और प्रमाणित बीजों का चयन करें। सहजन के लिए ज्यादातर ग्रेड आ या प्रमाणित बीज उपलब्ध होते हैं। बीजों को जल्दी निकालने और उन्हें धूप में सुखाने के बाद उपयोग करें। ३. सहजन की रोपण करें: सहजन की खेती के लिए वृक्षों को अंतरालों के साथ रोपण करें। आप छाछ या उर्वरक का उपयोग करके जल देने के पश्चात रोपण कर सकते हैं। आपको सहजन को प्रत्येक वृक्ष के बासे के चारों ओर २-३ फुट गहराई में रोपण करना चाहिए। ४. नियमित रूप से सिंचाई करें: सहजन की खेती के दौरान नियमित रूप से सिंचाई करें। यह विशेष रूप से सूखे मौसम में जरूरी होता है। यदि आपके प्रदेश में वर्षा पर्याप्त नहीं होती है, तो एक सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें जो वृक्षों को पानी पहुंचाती हो। ५. खरपतवार संचालन करें: सहजन की खेती में खरपतवार संचालन करना महत्वपूर्ण होता है। नियमित रूप से वृक्षों के आसपास की जमीन को साफ और खरपतवार मुक्त रखें। इसके अलावा, विषाणुरोधी औषधि का उपयोग करके कीटों और रोगों के प्रभावों से बचाव करें। ६. उचित फसल संयंत्रण करें: सहजन की खेती में उचित फसल संयंत्रण करना जरूरी होता है ताकि वृक्षों को ठीक से विकसित होने में मदद मिले। सहजन को पूरे संगठन में ठीक से स्थापित करने के लिए आपको नियमित तौर पर पोधों को प्रशिक्षित करना चाहिए। ७. प्रकृति संरक्षण करें: अपनी सहजन खेती में प्रकृति संरक्षण को महत्व दें। पेड़-पौधों को काटने या नष्ट करने के बजाय उन्हें संरक्षित र खें और पर्यावरण की देखभाल करें। यदि आप सहजन की खेती करने से पहले अधिक विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि विभाग, कृषि विशेषज्ञ या किसानों से सलाह लेना उचित होगा। इसकी पत्तियों और फली की सब्जी बनती है। इसका उपयोग जल को स्वच्छ करने के लिये तथा हाथ की सफाई के लिये भी उपयोग किया जा सकता है। इसका कभी-कभी जड़ी-बूटियों में भी उपयोग होता है। हिमांशु तिवारी(लेखक-गोला गोकर्णनाथ खीरी) पौधे का वर्णन इसका पौधा लगभग १० मीटर उँचाई वाला होता है किन्तु लोग इसे डेढ़-दो मीटर की ऊँचाई से प्रतिवर्ष काट देते हैं ताकि इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ सरलता से पहुँच सके। इसके कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं। सहजन के लगभग सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं। एशिया और अफ्रीका में कच्ची फलियाँ (ड्रम स्टिक) खायी जाती हैं। कम्बोडिया, फिलीपाइन्स, दक्षिणी भारत, श्री लंका और अफ्रीका में पत्तियाँ खायी जाती हैं। विश्व के कुछ भागों में नयी फलियाँ खाने की परम्परा है जबकि दूसरे भागों में पत्तियाँ अधिक पसन्द की जातीं हैं। इसके फूलों को पकाकर खाया जायता है और इनका स्वाद खुम्भी (मशरूम) जैसा बताया जाता है। अनेक देशों में इसकी छाल, रस, पत्तियों, बीजों, तेल, और फूलों से पारम्परिक दवाएँ बनायी जाती है। जमैका में इसके रस से नीली डाई (रंजक) के रूप में उपयोग किया जाता है। दक्षिण भारतीय व्यंजनों में इसका प्रयोग बहुत किया जाता है। मोरिंगा ,ड्रम्स्तिक या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इस में ३०० से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें ९० तरह के मल्टीविटामिन्स, ४५ तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, ३५ तरह के दर्द निवारक गुण और १७ तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। मुनगा (मध्य भारत के सगंधीय एवं औषधीय पादप) भली फली सहजन (अभिव्यक्ति) सहजन की चटनी-अचार से बीमारी होती है दूर (वेब दुनिया) सहजन के सेवन से रुकता है बालों का झड़ना (जागरण) भली फली सहजन (अभिव्यक्ति) सहजन के फायदे
सारी (फारसी: ; माज़ंदरानी: श्री, या आर्देबील पुराणा नां: सत्रकरता) ईरान का नगर है। यह नगर मज़ंदरान प्रांत में आता है। २००६ की जनगणना के अनुसार इस जिले की कुल जनसंख्या २६१,२९३ है। ईरान के नगर
पोरिया धरमजयगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
पश्चिमी प्रान्त दक्षिण अफ्रीका में घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पश्चिमी केप प्रांत का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम है। दक्षिण अफ्रीका की क्षेत्रीय क्रिकेट टीम
खुमनथेम प्रकाश सिंह मणिपुरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानीसंग्रह मंगी इसेई के लिये उन्हें सन् १९८६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत मणिपुरी भाषा के साहित्यकार
लवार घाटी ( उच्चारण [वाले ड ल ला लवा]), २८० किलोमीटर तक फैले, दोनों प्रशासनिक क्षेत्रों पेस दे ला लोयरे और सेंटर-वल दे लोयरे में लॉयर नदी के मध्य में स्थित है डी लॉयर । यूनेस्को ने इसे २००० में वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में सूचीबद्ध किया है, लवार घाटी साइट में लगभग ८०० वर्ग किमी शामिल हैं। इन्हें भी देखें फ्रांस में विश्व धरोहर स्थल
करुंगुड़ी (करुंगुज़्ही) भारत के तमिल नाडु राज्य के चेंगलपट्टु ज़िले में स्थित एक शहर है। इन्हें भी देखें तमिल नाडु के शहर चेंगलपट्टु ज़िले के नगर
डिएगो आर्मैन्ड़ो माराडोना (३० अक्टूबर १९६०; लानुस, ब्यूनस आयर्स - २५ नवम्बर २०२०) अर्जेन्टीना के एक पूर्व फ़ुटबॉल खिलाड़ी और अर्जेन्टीना के राष्ट्रीय टीम के वर्तमान प्रबंधक थे । उन्हें व्यापक रूप से आज तक का सबसे बेहतरीन फ़ुटबॉल खिलाड़ी माना जाता है। फीफा प्लेयर ऑफ़ दी सेंचुरी पुरस्कार के लिए उन्हें इंटरनेट मतदान में सर्वप्रथम स्थान मिला और उन्होंने पेले के साथ पुरस्कार में साझेदारी की। अपने पेशेवर क्लब कॅरियर के दौरान माराडोना ने अर्जेंटिनोस जूनियर, बोका जूनियर्स, बार्सिलोना, सेविला, नेवेल्स ओल्ड बॉय और नापोली के लिए खेलते हुए अनुबंध शुल्क लेने में विश्व रिकोर्ड कायम किया। अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर में, अर्जेन्टीना के लिए खेलते हुए, उन्होंने ९१ कैप्स अर्जित किए और ३४ गोल किए। उन्होंने चार फीफा विश्व कप टूर्नामेंटों में खेला, जिसमें १९८६ का विश्व कप शामिल था, इसमें उन्होंने अर्जेन्टीना की कप्तानी की और टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ट खिलाड़ी होने का गोल्डन बॉल पुरस्कार जीता और निर्णायक मुकाबले में वेस्ट जर्मनी पर जीत हासिल की। उसी टूर्नामेंट के क्वार्टर-फाइनल दौर में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ़ २-१ की जीत में २ गोल दागे, जो फ़ुटबॉल के इतिहास में दर्ज हो गए, हालांकि दो बिल्कुल ही अलग कारणों के लिए। पहला गोल एक दंड मुक्त हैंडबॉल था जिसे "हैंड ऑफ़ गॉड" के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरा गोल एक शानदार ६ मीटर की दूरी से और छह इंग्लैंड के खिलाड़ियों के बीच से निकाला गया एक गोल था, जो आम तौर पर "दी गोल ऑफ़ दी सेंचुरी" के नाम से जाना जाता है। विभिन्न कारणों से, माराडोना को खेल जगत का एक सर्वाधिक विवादास्पद और समाचार-योग्य व्यक्तित्व माना जाता है। इटली में कोकीन के लिए डोपिंग परीक्षण में विफल होने के कारण १९९१ में उन्हें १५ महीनों के लिए निलंबित कर दिया गया और उस में चल रहे १९९४ के वर्ल्ड कप के दौरान एफेड्रीन का उपयोग करने के कारण उन्हें घर भेज दिया गया। १९९७ में अपने ३७वें जन्मदिन पर खेल से रिटायर होने के बाद वे खराब स्वास्थ्य और वजन बढ़ने की समस्या से लगातार परेशान रहे और उनकी सतत कोकीन की लत ने शायद ही कोई असर दिखाया. २००५ में एक पेट स्टेप्लिंग आपरेशन ने उनके बढ़ते हुए वज़न को नियंत्रित करने में मदद की। अपने कोकीन की लत पर काबू पाने के बाद, वे अर्जेन्टीना के एक लोकप्रिय टी.वी. मेज़बान बन गए। उनके स्पष्टवादी तरीकों ने कभी-कभी उनके और पत्रकारों तथा खेल अधिकारियों के बीच अंतर पैदा कर दिया। हालांकि उनके पास पूर्व प्रबंधकीय अनुभव कम था, वे नवंबर २००८ में अर्जेन्टीना की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के प्रमुख कोच बने। माराडोना का जन्म लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ, जो कोरिएंटेस प्रॉविंस में स्थानांतरित हो गई, लेकिन उनका पालन पोषण विला फ़िओरिटो में हुआ, जो ब्यूनस आयर्स के दक्षिणी बाहरी भाग में बसी एक झोपड़पट्टी है। तीन बेटियों के बाद वे पहले पुत्र थे। उनके दो छोटे भाई हैं, ह्यूगो (एल टरको) और एडूअर्डो (लालो), वे दोनों भी पेशेवर फ़ुटबॉल खिलाड़ी ही थे। १० साल की उम्र में, माराडोना एक प्रतिभा स्काउट द्वारा चयनित किए गए, जब वे पड़ोस के रोजा एस्ट्रेला क्लब में खेल रहे थे। वे लॉस केबोलिटास (दी लिटिल अनियन) के प्रधान बन गए, ब्यूनस आयर्स की अर्जेंटिनोस जूनियर्स की एक जूनियर टीम. १२ वर्षीय बॉल बॉय के रूप में उन्होंने फ़र्स्ट डिविज़न खेलों के मध्यकाल विराम के दौरान गेंद के साथ अपनी जादुई प्रतिभा दिखा कर दर्शकों को खुश करते थे। २० अक्टूबर १९७६ में, माराडोना ने अपनी सोलहवीं सालगिरह से दस दिन पहले अर्जेंटिनोस जूनियर्स के साथ पेशेवर शुरूआत की। उन्होंने १ मिलियन पाउंड के लिए बोका जूनियर्स में अंतरण से पहले तक, १98१ और १९७६ के बीच वहां खेला। १98१ सीज़न के दौरान टीम के मध्यकाल में शामिल होकर, माराडोना पूरे १982 में खेले और अपना प्रथम लीग विजेता पदक भी हासिल किया। अर्जेंटिनोस जूनियर्स के लिए खेलते हुए, इंग्लिश क्लब शेफील्ड यूनाइटेड ने उनकी सेवाएं पाने के लिए १80,००० पाउंड की बोली लगाई, जो ख़ारिज कर दी गई। १९८२ के विश्व कप के बाद, जून में, माराडोना उस समय के विश्व रिकॉर्ड कीमत ५ मिलियन पाउंड पर स्पेन में बार्सिलोना के लिए अंतरित हुए. १९८३ में कोच सीज़र लुइ मेनोटी की देख-रेख में बार्सिलोना और माराडोना ने रियल मैड्रिड को हरा कर कोपा डेल रे (स्पेन की वार्षिक राष्ट्रीय प्रतियोगिता) जीता और एथलेटिक डे बिलबाओ को हरा कर स्पेनिश सुपर कप जीता। हालांकि, बार्सिलोना के साथ माराडोना का कार्यकाल मुश्किल भरा रहा। सर्वप्रथम हैपेटाइटिस के साथ मुकाबला और फिर एथलेटिक बिलबाओ के एनडोनी गोइकोएट्क्सेया के द्वारा गलत-समय वाली मुठभेड़ के कारण टूटे एक पैर ने उनके कॅरियर को खतरे में डाल दिया, लेकिन माराडोना की शारीरिक शक्ति और इच्छा शक्ति ने उनके जल्द ही मैदान में वापस आने को संभव बनाया। बार्सिलोना में, लगातार माराडोना कभी टीम के निदेशक और विशेष कर क्लब के अध्यक्ष जोसफ ल्युईस नुनेज़ के साथ विवादों में उलझ जाते थे, परिणामस्वरूप अंततः १९८४ में उन्होंने कैम्प नोऊ से हटाए जाने की मांग की। वे इटली के सेरी आ के नापोली में फिर एक रिकॉर्ड शुल्क ६.९ मिलियन पाउंड के साथ स्थानांतरित किए गए। नापोली में माराडोना अपने पेशेवर कॅरियर के शीर्ष पर पहुंचे। वे जल्द ही क्लब के प्रशंसकों के बीच एक बहुत ही पसंदीदा खिलाड़ी बन गए और अपने समय में उन्होंने टीम को उसके इतिहास के सबसे सफल दौर में पहुंचा दिया। माराडोना के नेतृत्व में, नापोली ने अपना एकमात्र सेरी आ इटालियन चैंपियनशिप १९८६/८७ और १९८९/१९९० में जीता और दो बार वर्ष १९८८-१९८९ और 19८७-१९८८ में वे लीग में दूसरे स्थान पर आए। माराडोना के दौर में नापोली को मिले अन्य सम्मानों में 19८७ का कोपा इटालिया, (१९८९ में कोपा इटालिया में दूसरा स्थान), १९८९ में उएफा कप और १९९० का इटालियन सुपरकप शामिल हैं। माराडोना 19८७/८८ सेरी आ में सर्वाधिक स्कोर बनानेवाले रहे। हालांकि, इटली में बिताए गए समय के दौरान, माराडोना की व्यक्तिगत समस्याओं में वृद्धि हुई। उनके कोकीन का सेवन जारी रहा और जाहिर तौर पर 'तनाव' के कारण खेलों और अभ्यासों से दूर रहने के कारण क्लब द्वारा उन पर ७०,००० अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया। वहां एक नाजायज़ बेटे को लेकर उन्हें निंदा का सामना करना पड़ा; और कैमोरा के साथ अपनी कथित दोस्ती के कारण भी वे संदेह के घेरे में रहे। कोकीन के लिए किए गए ड्रग परीक्षण में असफल होने पर मिले १५ महीने की पाबंदी के बाद माराडोना ने १९९२ में अपमानित होकर नापोली छोड़ दिया। जब तक वे अपनी अगली टीम सेविला(१९९२-९३) में शामिल हुए, उन्हें पेशेवर फ़ुटबॉल खेले दो वर्ष हो चुके थे। 19९३ में वे नेवेल्स ओल्ड बोएज़ के लिए खेले और १९९५ में २ वर्षों के लिए बोका जूनियर्स के पास लौट गए। माराडोना १९८६ विश्व कप से कुछ ही समय पहले टोटेंहम हौटस्पर की ओर से इंटर मिलान के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में नज़र आए। यह मैच जो टोटेंहम ने २-१ से जीता, ओसिए आरडीलेस का उपहार था, जिसने अपने मित्र माराडोना को खेलने पर जोर दिया। वे ग्लेन होडल के साथ खेले, जिन्होंने अर्जेन्टीना के लिए अपने नंबर दस की शर्ट छोड़ दी। उस वर्ष के विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ अपना "गोल ऑफ़ दी सेंचुरी" के दौरान माराडोना ने ड्रिबल करते हुए होडल को चकमा दिया। नापोली में बिताए अपने समय के साथ ही, माराडोना ने अंतर्राष्ट्रीय फ़ुटबॉल जगत में अपनी प्रसिद्धि पाई. अर्जेन्टीना की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम एल्बीसेलेस्टेस के लिए खेलते हुए उन्होंने लगातार चार फीफा वर्ल्डकप टूर्नामेंटों में भाग लिया, जिसमें उन्होंने १९८६ में अर्जेन्टीना को विजय दिलाई और १९९० में दूसरा स्थान दिलाया। उन्होंने १६ वर्ष की आयु में अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की पूर्णतया शुरूआत २७ फ़रवरी १९७७ में हंगरी के खिलाफ़ की। १८ वर्ष की आयु में, उन्होंने अर्जेन्टीना के लिए वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप खेला और उस टूर्नामेंट के नायक बने जो सोवियत संघ से ३-१ की जीत हासिल करके चमके. २ जून १979 में, माराडोना ने स्कॉटलैंड के हेम्पडेन पार्क के खिलाफ अपना प्रथम सीनियर अंतर्राष्ट्रीय गोल किया जिसमें उनकी टीम ने ३-१ से जीत हासिल की। १९८२ विश्व कप माराडोना ने १९८२ में अपना प्रथम विश्व कप टूर्नामेंट खेला। पहले दौर में, बचाव में माहिर अर्जेन्टीना बेल्जियम से हार गई। हालांकि टीम ने दूसरे दौर में प्रवेश करने के लिए हंगरी और ई एल साल्वाडोर को आसानी से हरा दिया, लेकिन वे दूसरे दौर में ब्राजील और फिर संभावित विजेता इटली से पराजित हुए. माराडोना सभी पांच मैचों में बिना स्थानापन्न हुए खेले, परन्तु ब्राजील के खिलाफ खेले गये मैच में खेल की समाप्ति से ५ मिनट पहले उन्हें एक गंभीर फाउल करने के कारण खेल से बाहर कर दिया गया। १९८६ विश्व कप माराडोना की कप्तानी में अर्जेन्टीना की राष्ट्रीय टीम ने, मेक्सिको में खेले गए निर्णायक मैच में पश्चिम जर्मनी को हरा कर १९८६ के फीफा विश्वकप में जीत हासिल किया। १९८६ के विश्व कप के दौरान माराडोना ने अपने वर्चस्व को कायम रखा और वे टूर्नामेंट के सबसे सक्रिय खिलाड़ी थे। उन्होंने अर्जेन्टीना गेम के हर क्षण को खेला, ५ गोल दागे और ५ में सहायता की। यद्यपि, उनकी ख्याति को पुख्ता करने वाले वे दो गोल थे जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ २-१ से जीते गए क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान किए। विशेषकर यह मैच अर्जेन्टीना और ग्रेट ब्रिटेन के यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड (इंग्लैंड जिसका एक हिस्सा है) के मध्य चल रही फाल्कलैंड्स युद्ध के दौरान खेली गई और इससे जुड़ी भावनाएं मैच के दौरान भी वातावरण में देखी गई। रिप्ले से पता चला कि उसका पहला गोल हाथ से गेंद को मार कर किया गया था। मैराडोना शर्मीले कपटपूर्ण थे, उन्होंने उसकी व्याख्या "मैराडोना के सर से थोड़ा और थोड़ा भगवान के हाथों से" के रूप में की। यह हैंड ऑफ़ गॉड या "ला मानो दे दियोस" के नाम से जाना जाता है। आख़िरकार, २२ अगस्त २००५ में अपने एक टी.वी. शो पर माराडोना ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने गेंद को जानबूझ कर कर हाथों से मारा था और उन्हें तुरंत ही इस बात का एहसास हो गया था कि वह गोल नाजायज़ था। हालांकि, इंग्लैंड के खिलाड़ियों के क्रोध के बावजूद, इस गोल का वजूद कायम रहा। माराडोना के दूसरे गोल को बाद में फीफा द्वारा विश्व कप के इतिहास का सर्वश्रेष्ट गोल नामित किया जाना था। उन्हें गेंद अपने हिस्से में प्राप्त हुई, उन्होंने गेंद को घुमाया और उसे ११ बार छूते हुए और इंग्लैंड के ५ आउटफील्ड खिलाडियों (जिसमें ग्लेन होडल, पीटर रीड, केनी सैनसम, टेरी बुचर और टेरी फेन्विक शामिल थे) और गोलरक्षक पीटर शिलटन को चकमा देते हुए फील्ड की आधी लम्बाई दौड़ कर तय किया। इस गोल को २००२ में फीफा द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन चुनाव में सदी का सर्वश्रेष्ठ गोल चुना गया। इसके बाद माराडोना ने बेल्जियम के खिलाफ सेमी-फाइनल में दो और गोल किए, जिसके दूसरे गोल में उनका एक और कलाप्रवीण ड्रिब्लिंग प्रदर्शन शामिल था। फाइनल में, विरोधी पक्ष पश्चिमी जर्मन ने डबल-मार्किंग के द्वारा उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उन्होंने विजयी गोल के लिए जॉर्ज बुरुचागा को अंतिम पास देने के लिए स्थान खोज ही लिया। अर्जेन्टीना ने अज्टेका स्टेडियम में ११५,००० दर्शकों के सामने पश्चिमी जर्मनी को ३-२ से हराया और माराडोना ने विश्व कप ट्राफी को अपने हाथों से ग्रहण किया और यह सुनिश्चित किया कि फ़ुटबॉल के इतिहास में उन्हें एक महान हस्ती के रूप में याद किया जाएगा. उनके लिए एक श्रद्धांजलि में, अज्टेका स्टेडियम के अधिकारियों ने "सदी का गोल" दागती उनकी एक मूर्ति बनवाई और उसे स्टेडियम के प्रवेश-द्वार पर स्थापित किया। १९९० विश्व कप १९९० के फीफा विश्व कप में माराडोना ने फिर अर्जेन्टीना की कप्तानी की। एक टखने की चोट ने उनके समग्र प्रदर्शन को प्रभावित किया और चार साल पहले के मुकाबले वे बहुत कम प्रभावशाली रहे। अर्जेन्टीना पहले दौर में लगभग बाहर हो गया था, वह अपने समूह में केवल तीसरे स्थान की योग्यता पा सका। ब्राजील के खिलाफ १६ मैचों के दौर में, क्लौडियो कानिजिया ने माराडोना द्वारा सेट किए जाने के बाद एकमात्र गोल दागा. क्वार्टर फाइनल में अर्जेन्टीना ने यूगोस्लाविया का सामना किया, १२० मिनट के बाद यह मैच ०-० पर खत्म हुआ और माराडोना द्वारा गोल के केन्द्र में मारे गए एक कमज़ोर शॉट के कारण चूके एक पेनल्टी शूटआउट के बावजूद भी अर्जेन्टीना पेनल्टी किक्स के द्वारा इस मैच में आगे रहा। मेजबान देश इटली के खिलाफ़ सेमीफाइनल में भी १-१ की बराबरी के बाद पेनल्टी द्वारा ही फैसला किया गया, माराडोना ने बहादुरी के साथ गेंद को उसी बिंदु पर मारा, जहां वे पहली बार चूक गए थे और इस बार वे अपने प्रयास में सफल रहे। निर्णायक मैच में, अर्जेन्टीना १-० के अंतर से पश्चिम जर्मनी से पराजित हुआ, मैच का एकमात्र गोल आंद्रेआज़ ब्रेह्मे द्वारा रूडी वोलर पर ८५ वें मिनट में किए गए एक विवादास्पद फाउल से मिले पेनल्टी का परिणाम था। १९९४ विश्व कप १९९४ के फीफा विश्व कप में माराडोना केवल दो मैचों में खेलें, जिनमें उन्होंने ग्रीस के खिलाफ एक गोल किया, यह गोल उन्होंने एफेड्रीन डोपिंग के लिए किए गए ड्रग परीक्षण में विफल होने के कारण घर भेज दिए जाने से पहले किया था। अपनी आत्मकथा में, माराडोना का यह तर्क था कि यह परीक्षा परिणाम उनके व्यक्तिगत ट्रेनर के रिप फ्यूअल नामक शक्तिवर्धक पेय पदार्थ दिए जाने के कारण था। उनका दावा था कि उस पेय पदार्थ के अमेरिकी संस्करण में, अर्जेन्टीनी संस्करण के विपरीत, वह रसायन निहित था और उसके खत्म हो जाने पर उनके कोच को अनजाने ही अमेरिकी संस्करण खरीदना पड़ा. फीफा ने उन्हें उस ९४ से निष्कासित कर दिया और अर्जेन्टीना दूसरे दौर में बाहर हो गया। माराडोना ने अलग से यह दावा भी किया है कि फीफा के साथ उनका एक समझौता हुआ था कि वह उन्हें प्रतिस्पर्धा से पहले अपना वज़न कम करने के लिए वह ड्रग लेने की अनुमति देगा ताकि वे खेल सकें, जिससे यह संगठन मुकर गया। माराडोना के अनुसार, ऐसा इसलिए था ताकि उनकी अनुपस्थिति के कारण विश्व कप अपनी प्रतिष्ठा ना खो दे। उनका यह आरोप कभी सिद्ध नही किया गया। माराडोना का शरीर चुस्त था और वे शारीरिक दबाव को अच्छी तरह समझते थे। उनके मजबूत पैर और कम गुरुत्व के केन्द्र उन्हें कम स्प्रिंट में फायदा देते थे। उनके शारीरिक ताकत का प्रदर्शन उनके द्वारा बेल्जियम के विरुद्ध १९८६ विश्व कप में दागे गए दो गोलों से होता है। माराडोना एक रणनीतिकार और एक टीम खिलाड़ी थे, साथ ही वे गेंद के साथ उच्च तकनीकी भी थे। वे स्वयं को सीमित स्थान पर प्रभावी ढंग से संचालित कर सकते थे और वे केवल उस गोलमाल से बाहर निकलने के लिए (जैसा कि १९८६ के इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे गोल में) या टीम के किसी खाली सदस्य की सहायता करने के लिए रक्षकों को आकर्षित करते थे। छोटे कद के, परन्तु मजबूत होने के कारण अपने पीछे एक रक्षक के होने के बाद भी वे गेंद को काफी लम्बे समय तक बचाए रख पाते थे, ताकि उनके टीम के किसी खिलाड़ी के दौड़ कर पहुंचने या एक त्वरित शॉट के लिए जगह मिलने का इंतज़ार कर सकें. माराडोना के विशिष्ट चालों में से एक थी के वे बाएं विंग से पूरी-तेज़ी से ड्रिब्लिंग कर सकते थे और प्रतिद्वंद्वी के गोल सीमा क्षेत्र में पहुंचकर वे अपने टीम के खिलाड़ियों को सटीक पास देते थे। एक और विशिष्ट शॉट था राबोना, जो पूरा वज़न अपने उपर रखने वाले पैरों के पीछे का एक रिवर्स-क्रॉस शॉट था। इस कौशल ने खेल में कई मदद दी, जैसे १९९० में स्विट्जरलैंड के खिलाफ खेले गये दोस्ताना मैच में रेमोन दिआज़ के हेडर के लिए दिया गया शक्तिशाली क्रॉस. वे एक खतरनाक फ्री किक लेने वाले भी थे। सेवानिवृत्ति और सम्मान प्रेस द्वारा वर्षों तक पीछा किए जाने पर, एक बार माराडोना ने उन संवाददाताओं पर संपीड़ित-हवा राइफल चला दी, जो उनका कहना था कि उनकी गोपनीयता पर हमला कर रहे थे। उनके पूर्व टीम के साथी जॉर्ज वालडेनो की कही यह बात कई लोगों की भावनाओं को व्यक्त करती है: २००० में, माराडोना ने अपनी आत्मकथा प्रकाशित की यों सोय एल डिएगो ("आई एम दी डिएगो "), जो उनके स्वदेश में तुरंत एक बेस्टसेलर बन गया। दो साल बाद, माराडोना ने इस पुस्तक की क्यूबन रॉयल्टी "दी क्यूबन पीपल एंड फिदेल" को दान कर दी। फीफा ने २००० में, प्लेयर ऑफ़ दी सेंचुरी का चुनाव करने के लिए, इंटरनेट पर प्रशंसकों का एक चुनाव आयोजित किया। माराडोना ५३.६% वोट पाकर चुनाव में अग्रणी स्थान पर रहे। तथापि, बाद में, पुरस्कार का फैसला कैसे किया जाएगा इसकी मूल घोषणा के विपरीत, फीफा ने "फ़ुटबॉल परिवार" को नियुक्त किया, जिसमें फ़ुटबॉल विशेषज्ञ शामिल थे और उन्होंने पेले को यह सम्मान देने के पक्ष में अपना मतदान किया। माराडोना ने इस प्रक्रिया में परिवर्तन का विरोध करते हुए कहा कि यदि पेले को उनका स्थान दिया गया तो वे समारोह में उपस्थित नहीं होंगे। आखिरकार, दो पुरस्कार बनाये गये और इस जोड़ी में दोनों को दिया गया। माराडोना ने अपना पुरस्कार स्वीकार कर लिया, लेकिन पेले को औपचारिक रूप से सम्मान दिए जाने का इंतज़ार किए बिना ही वहां से चले गए। २००१ में, अर्जेन्टीना फ़ुटबॉल एसोसिएशन(आफा) ने फीफा प्राधिकार को माराडोना के लिए १० नंबर जर्सी को रिटायर करने के लिए कहा. फीफा, ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, फिर भी अर्जेन्टीना के अधिकारियों का कहना है कि फीफा ने संकेत दिया है कि वह ऐसा करेगा। माराडोना ने अन्य प्रशंसक चुनाव जीते, जिसमे २००२ का एक फीफा चुनाव शामिल है जिसमें इंग्लैंड के खिलाफ उनके द्वारा दागे गए दूसरे गोल को विश्व कप के इतिहास में दागा गया सर्वश्रेष्ठ गोल चयनित किया गया; ऑल-टाइम अल्टीमेट वर्ल्ड कप टीम निर्धारित करने के लिए किये गए चुनाव में भी उन्होंने सर्वाधिक वोट जीते। २६ दिसम्बर २००३ में अर्जेंटिनोस जूनियर ने अपने स्टेडियम का नाम माराडोना के नाम पर रखा। २२ जून २००५ में, यह घोषणा की गई कि माराडोना बोका जूनियर्स में उनके खेल उपाध्यक्ष के रूप में लौटेंगे और फर्स्ट डीविज़न तालिका के प्रबंधन का कार्यभार संभालेंगे (२००४-०५ के निराशाजनक दौर के बाद जो बोका के शत वार्षिकी के समय में हुआ)। १ अगस्त २००५ को उनका अनुबंध शुरू हुआ और उनके सबसे पहले सुझावों में से एक बहुत कारगर साबित हुआ: वह माराडोना ही थे जिन्होंने एल्फियो बासिल को नए कोच के रूप में लेने का फैसला किया। माराडोना द्वारा खिलाड़ियों के साथ एक निकट संबंध को प्रोत्साहित करने के साथ, बोका की जीत का सफर शुरू हुआ और २००५ में उसने अपरटुरा खिताब, २००६ में क्लौसुरा खिताब, २००५ में कोपा सुडामेरीका और २००५ में रेकोपा सुडामेरीका खिताब जीते। १५ अगस्त २००५ में, माराडोना ने एक मेज़बान के रूप में अर्जेंटाइन टेलीविजन के ला नोचे डेल १० ("दी नाईट ऑफ़ दी नंबर १०") नामक एक टॉक-वेरायटी शो से अपनी शुरूआत की। उनकी प्रथम रात्रि के मुख्य अतिथि थे पेले; दोनों ने दोस्ताना ढंग से बातचीत की और अतीत की कड़वाहटों का कोई संकेत नहीं दिया। हालांकि, इस शो में एक कार्टून खलनायक भी शामिल था जिसकी साफ़ तौर पर पेले के साथ शारीरिक समानता थी। अगली शामों में, एक अवसर को छोड़कर वे सभी रेटिंग में आगे रहे। अधिकांश मेहमान, फ़ुटबॉल जगत या फ़िल्मी जगत से लाए गए थे जिनमें ज़िडान, रोनाल्डो और हर्नान क्रेस्पो शामिल थे, लेकिन इनमें फिदेल कास्त्रो और माइक टायसन जैसे अन्य उल्लेखनीय हस्तियों के साथ साक्षात्कार भी शामिल था। २६ अगस्त २००६ में यह घोषणा की गई कि माराडोना आफा के साथ अपनी असहमति के कारण बोका जूनियर्स में अपना पद छोड़ रहे हैं, जिसने बासिल को अर्जेन्टीना की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के लिए चयनित किया था। सर्बिया के पुरस्कार-विजेता फिल्म निर्माता एमिर कुस्तुरिका ने माराडोना के जीवन पर एक वृत्तचित्र का निर्माण किया, जिसका शीर्षक था माराडोना . मई २००६ में, माराडोना उक के सॉकर एड (जो यूनीसेफ के लिए धन एकत्रित करने का एक कार्यक्रम था) के लिए खेलने को राज़ी हो गए। सितंबर २००६ में, माराडोना ने स्पेन में एक तीन-दिवसीय आंतरिक फ़ुटबॉल विश्वकप टूर्नामेंट में अपने प्रसिद्ध नीली और सफेद संख्या १० में अर्जेन्टीना की कप्तानी की। इसके अलावा २००६ में, डिएगो माराडोना को, माइक्रो-एल्गी स्पाईरुलिना अगेंस्ट मालन्यूट्रीशन, ईंसम के उपयोग के लिए इंटरगवर्मेंटल इंस्टीट्यूशन का सद्भावना राजदूत नियुक्त किया गया। २२ मार्च २०१० में, माराडोना एक लंदन स्थित अख़बार दी टाइम्स द्वारा १० महानतम विश्व कप खिलाड़ियों में पहले स्थान पर चुने गए। उन्होंने, अर्जेंटिनोस जूनियर्स के पूर्व मिडफील्ड साथी कार्लोस फ्रेन के साथ कोच के रूप में कार्य करने का प्रयास किया। इस जोड़ी ने मंडिय ऑफ़ कॉर्रिएंटेस (१९९४) और रेसिंग क्लब (१९९५) में नेतृत्व किया लेकिन सफलता कम ही मिली। २००८ में अर्जेन्टीना के राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के कोच अल्फियो बासिल के इस्तीफे के बाद, डिएगो माराडोना ने तुरंत इस खाली पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का प्रस्ताव रखा। कई प्रेस सूत्रों के अनुसार, उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी थे डिएगो सिमोन, कार्लोस बिआंची, मिगुएल एन्जिल रूसो और सर्जियो बतिस्ता. २९ अक्टूबर २००८ में, आफा के अध्यक्ष जूलियो ग्रोनडोना ने पुष्टि की कि दिसंबर २००८ से माराडोना राष्ट्र की ओर से कोच होंगे। १९ नवम्बर २००८ में, डिएगो माराडोना ने पहली बार अर्जेन्टीना को उस समय संचालित किया जब उसने ग्लासगो में स्थित हैम्पडेन पार्क में स्कॉटलैंड के खिलाफ मुकाबला किया और जिसे अर्जेन्टीना ने १-० से जीता। ग्लासगो का शहर माराडोना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि वह हैम्पडेन पार्क ही था जहां माराडोना ने अर्जेन्टीना के लिए १९79 में पहला गोल दागा था। राष्ट्रीय टीम के प्रभारी होते हुए अपने प्रथम तीन मैच जीतने के बाद, उन्होंने बोलिविया के खिलाफ ६-१ की हार का सामना किया और टीम की अब तक की निकृष्टतम हार की बराबरी की। 20१0 के विश्व कप टूर्नामेंट के लिए सिर्फ दो योग्यता मैच के शेष रहते, अर्जेन्टीना पांचवें स्थान पर था और अर्हता प्राप्त करने में असफल होने की संभावना का सामना कर रहा था, लेकिन आखिरी दो मैचों में जीत ने उसे फाइनल में जाने की योग्यता प्रदान की। अर्जेन्टीना द्वारा योग्यता प्राप्त करने के बाद, माराडोना ने खेल-पश्चात् आयोजित एक सजीव संवादाता सम्मेलन में अभद्र भाषा का प्रयोग किया जिसके तहत उन्होंने मीडिया के सदस्यों को कहा "सक इट एंड कीप ऑन सकिंग इट". प्रतिक्रिया स्वरूप, फीफा ने फ़ुटबॉल से जुड़ी उनकी सभी गतिविधियों पर दो महीने का प्रतिबंध लगाया और उनके भविष्य के आचरणों के लिए चेतावनी देते हुए च्फ २५००० का जुर्माना लगाया. उन पर लगा प्रतिबंध १५ जनवरी २०१० को समाप्त हुआ। उनके प्रतिबंध के दौरान अर्जेन्टीना का एक दोस्ताना मैच, देश में १५ दिसम्बर को निर्धारित हुआ, परन्तु यह बाद में रद्द कर दिया गया। उनके माता-पिता डिएगो माराडोना सीनियर और डालमा साल्वाडोर फ्रेंको हैं। उनके परनाना मटेओ करिओलिक का जन्म कोर्कुला, डालमेशिया, अब क्रोएशिया (संभवतः तब ऑस्ट्रिया के साम्राज्य में) हुआ था और वे अर्जेन्टीना में बस गए, जहां माराडोना की नानी साल्वाडोरा का जन्म हुआ। साल्वाडोरा ने अपनी बेटी का नाम क्रोएशियाई क्षेत्र पर डालमा रखा और जिनके नाम पर माराडोना ने अपनी बड़ी बेटी का नाम रखा। माराडोना ने अपनी लम्बे समय की मंगेतर क्लाउडिया विलाफाने से, अपनी पुत्रियों के जन्म के पश्चात, डालमा नीरा (२ अप्रैल १९८७ को जन्म) और गिअनिना डिनोरा (१६ मई १९८९ को जन्म), ७ नवम्बर १९८९ को ब्यूनस आयर्स में शादी कर ली। २009 में डिनोरा के मां बनने पर माराडोना दादा बन गए। अपनी आत्मकथा में, माराडोना मानते हैं कि वे हमेशा क्लाउडिया के प्रति वफादार नहीं थे, हालांकि वे उसे अपने जीवन के प्यार के रूप में सन्दर्भित करते हैं। माराडोना और विलाफाने ने २००४ में तलाक ले लिया। बेटी डालमा ने बाद में कहा कि तलाक सभी के लिए सबसे अच्छा समाधान था, क्योंकि उसके माता-पिता मित्रवत बने रहे। श्रद्धांजलि की एक श्रृंखला के लिए, उन्होंने जून २००५ में नापोली की एक साथ यात्रा की तथा २००६ फीफा वर्ल्ड कप के दौरान अर्जेन्टीना के मैचों सहित कई अन्य अवसरों पर भी उन्हें एक साथ देखा गया। तलाक की कार्यवाही के दौरान, माराडोना ने स्वीकार किया कि वे डिएगो सिनाग्रा के पिता हैं (२० सितम्बर १९८६ में जन्म)। इतालवी अदालत ने १९९३ में पहले ही यह निर्णय दे दिया था, जब माराडोना ने पितृत्व को साबित करने या खंडन करने के लिए एना परीक्षण से गुजरने से मना कर दिया। डिएगो जूनियर ने, पहली बार माराडोना से २०03 में मुलाक़ात, जब वह नेपल्स में एक गोल्फ़ कोर्स में चालाकी से घुस गया जहां माराडोना खेल रहे थे। तलाक के बाद, क्लाउडिया ने थिएटर निर्माता के रूप में एक कॅरियर की शुरूआत की और डालमा ने अभिनय कॅरियर में पदार्पण किया, उसने लॉस एंजिल्स के एक्टर्स स्टूडियो में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की है। उनकी छोटी बेटी, गिअनिना की सगाई, अब अट्लेटिको मैड्रिड के स्ट्राइकर सर्जियो अगुएरो से हो चुकी है। उनका बेटा डिएगो सिनाग्रा इटली में एक फ़ुटबॉलर है नशीली दवाओं का दुरुपयोग और स्वास्थ्य मुद्दे १९८० के मध्य से २००४ तक डिएगो माराडोना कोकीन के आदी थे। उन्होंने कथित तौर पर इस ड्रग का सेवन १९८३ में बार्सिलोना में शुरू किया। जिस समय वे नापोली के लिए खेल रहे थे, उसी समय से उन्हें नियमित लत लग चुकी थी, जिसने अब उनके फ़ुटबॉल खेलने की क्षमता में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था। उनके खेल से संन्यास लेने के कई वर्षों तक उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से बिगड़ता गया। ४ जनवरी २००० में, उरुग्वे के पुनता डेल एस्टे में छुट्टियां मनाने के दौरान माराडोना को एक स्थानीय क्लिनिक के आपात कमरे में फ़ौरन ले जाना पड़ा. एक पत्रकार सम्मेलन में, डॉक्टरों ने कहा कि "एक अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या" के कारण हृदय की मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने का पता चला है। यह बाद में पता चला कि उनके खून में कोकीन की मात्रा पाई गई है और माराडोना को पुलिस के समक्ष सारी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी. इसके बाद वे अर्जेन्टीना छोड़ कर एक ड्रग पुनर्वास योजना का पालन करने के लिए क्यूबा चले गए। माराडोना में वजन बढ़ने की प्रवृति थी और अपने खेल कॅरियर के अंत से ही वे तेज़ी से बढ़ते हुए मोटापे से ग्रसित रहे, जब तक कि ६ मार्च २००५ में कोलम्बिया के कार्टाजेना डी इंडीआस में एक क्लिनिक में उन्होंने अपनी गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी नहीं करवा ली। जब थोड़े समय बाद माराडोना वापस सार्वजनिक दृष्टि में आए, तब वे काफी दुबले हो चुके थे। १८ अप्रैल २००४ में डॉक्टरों ने बताया कि माराडोना कोकीन का अतिरिक्त सेवन करने के कारण बहुत गम्भीर हृदपेशिज रोधगलन का शिकार हो गए हैं; और उन्हें ब्यूनस आयर्स के अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया। बड़ी तादाद में प्रशंसक क्लिनिक के आस-पास एकत्र हुए. दिल का दौरा पड़ने के कुछ दिनों बाद, एक नर्स मोबाईल फोन से माराडोना की तस्वीरें लेते हुए पकड़ी गई और उसे अस्पताल के प्रबंधकों द्वारा तुरंत निलम्बित कर दिया गया। २३ अप्रैल को उन्हें श्वासयंत्र से बाहर लाया गया और २९ अप्रैल को अस्पताल से छूटने तक उन्हें कई दिनों के लिए गहन चिकित्सा केंद्र में ही रखा गया। उन्होंने वापस क्यूबा जाने का प्रयास किया, जहां उन्होंने दिल का दौरा पड़ने तक का अपने जीवन का अधिकतर समय व्यतीत किया था, परन्तु उनके परिवार वालों ने इसका विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपने अभिभावकता के अधिकार का उपयोग कर पाने की अनुमति लेने के लिए एक न्यायिक याचिका दायर की। २९ मार्च २००७ को, ब्यूनस आयर्स के एक अस्पताल में माराडोना को फिर से दाखिल करवाया गया। हैपेटाइटिस और मद्यपान के प्रभाव के कारण उनका इलाज किया गया और ११ अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी देने के दो दिन बाद उन्हें पुनः भर्ती कर लिया गया। आने वाले दिनों में उनके स्वास्थ्य को लेकर लगातार अफवाहें रहीं, जिनमें एक महीने के भीतर तीन बार उनके मृत्यु के झूठे दावे शामिल हैं। उन्हें एक शराब-संबंधित समस्याओं में विशेषज्ञता वाले एक मनोरोग क्लिनिक में स्थानांतरित कर दिया गया, उन्हें ७ मई को छुट्टी दे दी गई। ८ मई २००७ को, माराडोना अर्जेन्टीना टेलीविज़न पर दिखाई दिए और कहा कि उन्होंने मद्यपान करना छोड़ दिया है और ढाई वर्षों से ड्रग का सेवन भी नहीं किया है। नब्बे के दशक के दौरान, डिएगो माराडोना ने दाहिने विंग और अर्जेन्टीना में कार्लोस मेनेम कि निओलिब्रल प्रेसिडेंसी का समर्थन किया। हाल के वर्षों में, माराडोना ने वाम-पंथी विचारधाराओं के प्रति अधिक सहानुभूति दिखाई. क्यूबा में अपने उपचार के समय उनकी मित्रता फिदेल कास्त्रो के साथ हो गई। उनके बाएं पैर पर कास्त्रो का टैटू बना है और उनके दाहिने हाथ पर एर्नेस्टो "चे" ग्वेरा का चित्र बना हुआ है। अपनी आत्मकथा 'एल डिएगो' में उन्होंने इस पुस्तक को कई लोगो और समूहों को समर्पित किया है, जिनमें फिदेल कास्त्रो भी शामिल हैं, उन्होंने लिखा है "टू फिदेल कास्त्रो एंड, थ्रू हिम, ऑल दी क्यूबन पीपल". माराडोना वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति हूगो चावेज़ के भी एक समर्थक हैं। २००५ में वे विशेषकर चावेज़ से मिलने के उद्देश्य से वेनेजुएला गए, वहां मीराफ्लोरेस में चावेज़ द्वारा उनका स्वागत किया गया। इस बैठक के बाद माराडोना ने दावा किया कि वे एक "महान व्यक्ति" (स्पेनिश में "उन ग्रेंडे") से मिलने के लिए आए थे परन्तु उनकी मुलाकात एक विशाल व्यक्ति से हुई है (स्पेनिश में "उन जिजांटे", अर्थात् वे महान से भी ज़्यादा महान हैं)। "मैं चावेज़ में विश्वास करता हूं, मैं चाविस्टा हूं. सब कुछ जो फिदेल करता है और सब कुछ जो चावेज़ करता है, मेरे लिए अच्छा है।" उन्होंने उल्लेखनीय रूप से २००५ के मार डेल प्लाटा, अर्जेन्टीना में समिट ऑफ़ दी अमेरिकास के दौरान, साम्राज्यवाद के प्रति अपनी खिलाफ़त की घोषणा की। वहां उन्होंने अर्जेन्टीना में जॉर्ज डब्ल्यू बुश की उपस्थिति का विरोध किया, जिसके तहत उन्होंने "स्टॉप बुश" लिखी हुई एक टी शर्ट पहनी और बुश को "मानव कचरा" कह कर सम्बोधित किया। अगस्त २००७ में, माराडोना अपने विरोध में एक कदम और आगे बढ़ गए, जब उन्होंने चावेज़ के साप्ताहिक टीवी शो पर आकर कहा: "मैं हर उस चीज़ से नफ़रत करता हूं जो अमेरिका से आती है। मैं इससे पूरी शिद्दत से नफ़रत करता हूं." दिसंबर २००७ में, ईरान के लोगों के समर्थन में माराडोना ने एक हस्ताक्षरित शर्ट भेंट की: उसे ईरानियन विदेश मंत्रालय के संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाना है। मार्च २००९ में इटली के अधिकारियों ने घोषणा की कि माराडोना पर अब भी इटली की सरकार का ३७ मिलियन यूरो का टैक्स बकाया है; जिस पर २३.५ मिलियन यूरो का ब्याज प्रोद्भूत है। उन्होंने बताया कि अभी तक, माराडोना ने केवल ४२,००० यूरो, दो लग्ज़री घड़ियों और बालियों के एक सेट का भुगतान ही किया है। लोकप्रिय संस्कृति में १९८६ के बाद से, विदेशों में रहने वाले अर्जेन्टीना के लोगों के लिए माराडोना का नाम पहचान की निशानी के तौर पर दूरदराज के क्षेत्रो तक में सुनना एक आम बात है। टारटन सेना, इंग्लैंड के खिलाफ हैंड ऑफ़ गॉड गोल के सम्मान में उसके होकी कोकी के एक संस्करण को गाती है। अर्जेन्टीना में, माराडोना का ज़िक्र प्रायः उन्ही शब्दों का प्रयोग करके किया जाता है जो ख्याति प्राप्त व्यक्तियों के लिए ही आरक्षित हैं। एक अर्जेंटीनी फिल्म एल हिजो दे ला नोविया ("सन ऑफ़ दी ब्राइड") में, कोई पात्र जो एक कैथोलिक पुजारी की नकल करता है एक बार संरक्षक से कहता है: "उन्होंने उसे पूजनीय बनाया और फिर क्रॉस पर चढ़ा दिया". जब एक दोस्त ने उसे शरारत की सीमा पार कर जाने पर डांटा, तब उस नकली पुजारी ने प्रत्युत्तर में कहा: "लेकिन मैं तो माराडोना के बारे में बात कर रहा था". माराडोना एल कज़ाडोर दे एवेंतुरस नामक अर्जेन्टीनी हास्य पुस्तक में कई छोटे किरदार में शामिल थे। इसके बंद हो जाने के बाद, उसके लेखक ने एक नए अल्पकालिक "एल दिए" नामक हास्य पुस्तक की शुरुआत की, जिसमें माराडोना को मुख्य चरित्र के रूप में प्रयोग किया गया। रोज़ेरियो, अर्जेन्टीना, में प्रशंसकों ने "चर्च ऑफ़ माराडोना" का आयोजन किया। २००३ में माराडोना के ४३वें जन्मदिन ने ४३ डी.डी. वर्ष की शुरूआत को चिह्नित किया - "देस्प्स दे डिएगो" या डिएगो के बाद - इसके २०० संस्थापक सदस्यों के लिए। दस हजार से भी अधिक लोग चर्च के आधिकारिक वेब साइट के ज़रिए इसके सदस्य बने। ब्राज़ील के एक शीतल पेय गुआराना अंटार्कटिका टेलीविजन विज्ञापन में माराडोना को ब्राजील के राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के सदस्य के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमे वे पीली जर्सी पहने हुए हैं और ब्राज़ील के कप्तानों काका और रोनाल्डो के साथ ब्राज़ील का राष्ट्रीय गान गाते हुए नज़र आते हैं। बाद में इस विज्ञापन में वे नींद से जाग कर यह एहसास करतें हैं कि ब्राज़ील का शीतल पेय ज्यादा पी लेने के कारण उन्हें यह बुरा सपना आता है। इस विज्ञापन ने जारी होने के बाद अर्जेंटीनी मीडिया में कुछ विवाद उत्पन्न किए (हालांकि इस विज्ञापन को अर्जेन्टीना के बाज़ार में प्रसारित नहीं होना था, प्रशंसक इसे इंटरनेट के माध्यम से देख सकते थे)। माराडोना ने जवाब में कहा कि उन्हें ब्राज़ील की राष्ट्रीय टीम की जर्सी को पहनने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन वे बोका जूनियर्स के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रिवर प्लेट, का शर्ट पहनने से इन्कार कर देंगे। घरेलू क्लब प्रतियोगिताओं में प्रति मैच गोल करने का समग्र औसत ०.५२६ है। अर्जेन्टीना के लिए लगातार २१ मैचों में और चार विश्व कपों में शुरूआत की (१९८२, १९८६, १९९०, १९९४) १६ बार राष्ट्रीय टीम के कप्तान के रूप में विश्व कप-रिकॉर्ड में प्रवेश. २१ विश्व कप में वे ८ गोल दागते और ८ बार गोल करने में सहायता करते नज़र आए, जिसमें 19८6 में किए गए ५ गोल और ५ सहायता शामिल हैं। अर्जेन्टीना की ओर से विश्व कप में दूसरे-सर्वाधिक गोल करने वाले के लिए सहबद्ध (१९९४ में गुइलर्मो स्टेबिल के चिह्नों की बराबरी की; और १९९८ में गैब्रिएल बतिस्तुता द्वारा पार किया गया) प्राइमेरा डिविज़न: १९८१ कोपा डेल रे: १९८३ कोपा डे ला लीगा: १९८३ स्पेनिश सुपर कप: १९८३ सेरिए ए: १९८७, १९९० कोपा इटली: १९८७ इटालियन सुपर कप: १९९ फीफा वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप: १९७९ आरटेमिओ फ्रेंची ट्रॉफी: १९९३ ७५वीं वर्षगांठ फीफा कप: १९७९ फीफा उ-२० विश्व कप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के लिए गोल्डन बॉल पुरस्कार: १९७९ अर्जेंटाइन लीग टॉप स्कोरर: १९७९, १९८०, १९८१ अर्जेन्टीना फ़ुटबॉल राइटर के फ़ुटबॉलर ऑफ़ डी यर: १९७९, १९८०, १९८१, १९८६ दक्षिण अमेरिकी फ़ुटबॉलर ऑफ़ डी यर (एल मुंडो, कराकास): १९७९, १९८६, १९८९, १९९०, १९९२ इतालवी गुएरिन डी'ओरो: १९८५ वर्ष के अर्जेंटीनी सपोर्ट राइटर खिलाड़ी: १९८६ फीफा विश्व कप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के लिए गोल्डन बॉल: १९८६ वर्ल्ड ओन्ज़े डी'ओर में सर्वश्रेष्ठ फ़ुटबॉल खिलाड़ी: १९८६, १९८७ वर्ल्ड प्लेयर ऑफ़ दी इयर (वर्ल्ड सॉकर मैगज़ीन): १९८६ कपोकानोनिएरे (सेरिए ए शीर्ष स्कोर करने वाले): १९८७-८८ फ़ुटबॉल की सेवा करने के लिए गोल्डन बॉल (फ़्रांस फ़ुटबॉल) १९९६ सदी के अर्जेंटीनी स्पोर्ट्स राइटर्स खिलाड़ी: १९९९ "फीफा सदी का गोल" (१९८६ (२-१) वी.इंग्लैंड; दूसरा गोल): २00२ इन्हें भी देखें अर्जेंटीना के फ़ुटबॉल खिलाड़ी १९६० में जन्मे लोग
ढुंगसिल तल्ला, नैनीताल तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा तल्ला, ढुंगसिल, नैनीताल तहसील तल्ला, ढुंगसिल, नैनीताल तहसील
एनएचके (जापानी: (निप्पौन होसो क्योकाइ) अर्थात जापान प्रसारण निगम) जापान में एकमात्र लोक प्रसारण निगम है। प्रसारण का शुभारम्भ १९२५ में हुआ था। निगम के लिए धन जापान में टेलीविज़न दर्शकों से प्राप्त शुल्क से आता है। इस व्यवस्था का उद्देश्य राजनीति और निजी संगठनों के प्रभाव से मुक्त, निष्पक्ष प्रसारण उपलब्ध कराना और दर्शकों और श्रोताओं की राय को प्राथमिकता देना है। एनएचके इस समय देश के भीतर (यानी जापान में) ५ टीवी और ३ रेडियो चैनलों पर प्रसारण करता है। मुख्य सतही यानि टैरेस्ट्रियल टीवी सेवा के सामान्य टेलीविज़न और शैक्षिक टेलीविज़न चैनल तथा ३ रेडियो चैनल समाचार, शैक्षिक कार्यक्रम, पारिवारिक मनोरंजन आदि के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। ३ सैटेलाइट टीवी चैनल विविध रुचियों के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। एनएचके वर्ल्ड अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण सेवाएँ प्रदान करता है। एनएचके वर्ल्ड का परिचय एनएचके वर्ल्ड एनएचके की विदेश प्रसारण सेवा है। यह सेवा टीवी, रेडियो और इंटरनेट पर विश्व के दर्शकों और श्रोताओं के लिए समाचार और कार्यक्रम प्रसारित करती है। एनएचके का प्रसारण जापानी और अंग्रेज़ी भाषाओं में किया जाता है। यह चौबीसों घंटे प्रसारित होने वाली सेवा है। एनएचके वर्ल्ड के उद्देश्य दुनिया भर के लोगों तक सटीक ढंग से शीघ्र अति शीघ देश-विदेश के समाचार पहुँचाना। एनएचके के विश्वव्यापी तन्त्र का बेहतरीन उपयोग करते हुए एशिया के बारे में अलग-अलग दृष्टिकोण से जानकारी प्रदान करना। बड़ी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सूचना का महत्वपूर्ण स्रोत बनना। जापान की सँस्कृति और रहन-सहन के विविध पहलुओं, समाज और राजनीति की ताज़ा घटनाओं, नवीनतम वैज्ञानिक और औद्योगिक रुझानों और महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर जापान की भूमिका और राय के बारे में शीघ्र अति शीघ्र और अधिक सटीक प्रसारण करना। जापान और अन्य देशों के बीच आपसी सद्भाव बढ़ाना और मैत्री तथा साँस्कृतिक सम्पर्क प्रोत्साहित करना। एनएचके वर्ल्ड की सेवाएँ एनएचके वर्ल्ड टीवी (अंतर्राष्ट्रीय टेलीविज़न प्रसारण) एनएचके वर्ल्ड टीवी, अंग्रेज़ी भाषा में टेलीविज़न सेवा है। यह सेवा दिन में २४ घंटे जापान, एशिया और शेष दुनिया के बारे में ताज़ातरीन जानकारी के साथ विविध कार्यक्रम भी प्रसारित करती है। इसे तीन संचार उपग्रहों के माध्यम से दुनिया भर में प्रसारित किया जाता है। एनएचके वर्ल्ड प्रीमियम (कार्यक्रम वितरण) एनएचके वर्ल्ड प्रीमियम, जापानी भाषा में टीवी कार्यक्रमों की सेवा है। समाचारों और जानकारी से भरपूर कार्यक्रमों के अलावा नाटक, बाल जगत, खेल, मनोरंजन, संस्कृति और कला जगत से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। यह सेवा उपग्रह टेलीविज़न सेवा और केबल नेटवर्क के माध्यम से दिन में २४ घंटे उपलब्ध रहती है। एनएचके वर्ल्ड रेडियो जापान एनएचके वर्ल्ड रेडियो जापान जापानी और अंग्रेज़ी सहित विश्व भर में १८ भाषाओं में प्रसारण करता है। प्रत्येक भाषा में प्रसारण की अवधि अलग-अलग है फिर भी प्रतिदिन कुल मिलाकर पचपन घंटे दस मिनट कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। एनएचके वर्ल्ड इंटरनेट सेवा १८ भाषाओं में कार्यक्रम, आडियो समाचार और जापानी भाषा सीखने के पाठ जैसी अनेक सेवाएँ उपलब्ध हैं। कुछ भाषाओं में समाचार वीडियो स्ट्रीमिंग, समाचारों का पाठ और मोबाइल समाचार सेवा भी उपलब्ध हैं (सेवाओं की उपलब्धता विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग है)। प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम एलिसन और लिल्लिया (२००८) कार्डकाप्टर साकुरा (१९९८-२००२) डायनैमिक चाइना (२००७-वर्तमान) ड्न्जियन्स एण्ड ड्रैगन्स (१९९६-२००२) फुतात्सू नो स्पिका जापानी प्रसारण चैनल
कॊत्तकोट (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
कोटखाई (कोट्खाई) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। कोटखाई गिरि नदी के किनारे बसा हुआ है। कोटखाई गिरीगंगा उपत्यका में स्थित है तथा जुब्बल-कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कोटखाई एक छोटा सा शहर है, जो हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में १८०० मीटर की ऊंचाई पर स्तित है। जगह का यह नाम एक खाई पर स्थित राजा के महल से पड़ा। 'कोट' का शाब्दिक अर्थ है दुर्ग या महल और 'खाई' का खाई। जगह का शांतिपूर्ण वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य दूर-दराज के क्षेत्रों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इन्हें भी देखें हिमाचल प्रदेश के शहर शिमला ज़िले के नगर
अगर आप जलसर्प (हाइड्रा) तारामंडल पर जानकारी ढूंढ रहें हैं तो जलसर्प तारामंडल का लेख देखिये नर जलसर्प या हाइड्रस (अंग्रेज़ी: हाइड्रुस) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। यह बहुत ही छोटा तारामंडल है। ध्यान रहे कि यह जलसर्प तारामंडल (उर्फ़ हाइड्रा तारामंडल) से बिलकुल अलग है, जो इस से कहीं ज़्यादा बड़ा है। इसकी परिभाषा लगभग ४०० वर्ष पूर्व एक डच खगोलशास्त्री ने दो डच नाविकों द्वारा करे अध्ययन के आधार पर की थी। नर जलसर्प तारामंडल में तीन मुख्य तारे हैं, हालांकि वैसे इसमें १९ तारों को बायर नाम दिए जा चुके हैं। इनमें से चार के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए जा चुके हैं। इस तारामंडल के मुख्य तारे और अन्य वास्तुएँ इस प्रकार हैं - बेटा हाइड्राई ( ह्यी) - यह इस तारामंडल का सबसे रोशन तारा है और पृथ्वी से देखी जाने वाली इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) +२.८० मैग्निट्यूड पर मापी गयी है। ऍचडी १०१८० (हद १०१८०) - यह एक सूर्य जैसा तारा है, जिसका अध्ययन करने पर पता चला है कि इसके इर्द-गिर्द कम-से-कम ७ और शायद ९, ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा कर रहें हैं। इन्हें भी देखें
सिन्धी विकिपीडिया विकिपीडिया का सिन्धी भाषा का संस्करण है। २८ मई, २००९ तक इस पर लेखों की संख्या ३२८ है और यह विकिपीडिया का २०७वां सबसे बड़ा संस्करण है।
सामना मराठी एवं हिन्दी में प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र है। इसका स्वामित्व शिव सेना नामक हिन्दू राष्ट्रवादी दल के हाथ में है। श्री बाल ठाकरे इसके मुख्य सम्पादक हैं। संजय राउत इसके कार्यकारी सम्पादक हैं। यह समाचारपत्र अपने स्पष्ट (बेबाक) टिप्पणियों के लिये प्रसिद्ध है। यह सरकार, तंत्र और जनसामान्य से सम्बन्धित किसी भी विषय पर बहुत ही खुले शब्दों में प्रतिक्रिया देता है।
सुप्रसिद्ध व्यापारिक संस्थान भरसर के संचालक मंडल के तत्कालीन सदस्य हेनरी अष्टम कालीन ब्रिटिश सरकार के आर्थिक सलाहकार, महारानी एलिजाबेथ के प्रथम मुद्रानिर्यंता तथा ब्रिटिश रायल एक्सचेंज के अादि संस्थापक सर थोमस ग्रेशम (सन् १५१९-१५७९) इस विशिष्ट आर्थिक सिद्धांत (सन् १५६०) के उद्भावक माने जाते हैं। यद्यपि यह सिद्धांत उनसे बहुत प्राचीन है, फिर भी तत्कालीन मौद्रिक स्थिति के आधिकारिक गंभीर अध्ययन एवं सूक्ष्म विश्लेषण के द्वारा इन्होंने अपने इस मत की सर्वप्रथम स्थापना की इसलिये उनके नाम पर यह सिद्धांत प्रचलित हुआ। सर थोमस ग्रेशम के शब्दों के इस सिद्धांत का हिंदी रूपांतर इस प्रकार है : "यदि एक ही धातु के सिक्के एक ही अंकित मूल्य के किंतु विभिन्न तौल एवं धात्विक गुणधर्म के एक साथ ही प्रचलन में रहते हैं, बुरा सिक्का अच्छे सिक्के को प्रचलन से निकाल बाहर करता है पर अच्छा कभी भी बुरे को प्रचलन से निकाल बाहर नहीं कर सकता।" इस सिद्धांत का वर्तमान संशोधित स्वरूप निम्नलिखित है : "यदि सभी परिस्थितियाँ यथावत् रहें तो बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को प्रचलन से निकाल बाहर करती है।" सामान्यतः एक धातुमान में कम घिसे सिक्के, द्विधातु एवं बहु धातुमान में धात्विक दृष्टि से अपेक्षाकृत मूल्यवान्, कागजी मान से परिवर्त्य मुद्रा और धात्विक एवं कागजी सहमान में बाजार की दृष्टि से आंतरिक या धात्विक दृष्टि से मूल्यवान् तथा सममूल्य की होते हुए भी नवीन तथा कलात्मक मुद्रा अच्छी समझी जाती है। अच्छी मुद्रा संग्रह के लिये उपयुक्त होने, धातु के रूप में विक्रय द्वारा विशेष लाभार्जन के निमित्त देशविदेश में चोरबाजारी के लिये अधिक उपयुक्त होने तथा बुरी मुद्रा की बुराईयों के कारण अपने पास न रखने की मनोवैज्ञानिक प्रवृक्ति के कारण अपने मूल कार्य क्रयविक्रय के साधन में प्रयुक्त होने की अपेक्षा उपर्युक्त कार्यों के लिये प्रचलन से बाहर कर दी जाती है। इस सिद्धांत के प्रयोग की सीमा का निर्धारण मुद्रा की माँग, मुद्रा के प्रति विश्वास, मौद्रिक विधान तथा साख व्यवस्था द्वारा होता है। इन दृष्टियों से यदि मुद्रा की पूर्ति माँग से अधिक न हो, बुरी मुद्रा इतनी बुरी न हो गई हो कि उस पर से जनता का विश्वास ही उठ गया हो तथा उसका प्रचलन विधानसम्मत होते हुए भी अग्राह्य हो गया हो और जब प्रचलन में कोई भी मुद्रा प्रामाणिक नहीं रहती या एक असीमित और अन्य मुदाएँ सीमित विधिग्राह्य होती हैं तथा साख व्यवस्था यदि ऐसी रहती है कि किसी मुद्रा के प्रचलन से बाहर जाने पर मूल्यस्तर प्रभावित नही होता तथा मुद्राबाजार का सुव्यवस्थित नियंत्रण रहता है तो यह सिद्धांत लागू नहीं हो पाता। == बाहरी कड़ियाँ
थापला-घुड०ई, पौडी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा थापला-घुड०ई, पौडी तहसील थापला-घुड०ई, पौडी तहसील
जोगिन्दर मोर (जन्म: ४ अगस्त १९७७) हरियाणवी कवि और लेखक हैं। उनका जन्म हरियाणा के बरोदा गांव में हुआ है। वह छोटू राम लॉ कॉलेज, रोहतक में कानून के शिक्षक भी हैं। उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में आमंत्रित किया जाता है। टूटे हुए बर्तनों को तो जोड़ते हैं लोग... जोगेन्द्र मोर की प्रसिद्ध कविता है। वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कवियों के बीच प्रशंसित हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिभा खोज कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक न्यायाधीश के रूप में आमंत्रित किया गया है। सम्मान एवं पुरस्कार हरियाणा गौरव सम्मान (हरियाणा कला परिषद द्वारा) क़लमवीर (क़लमवीर विचार मंच बाहदुरगढ़) रोहतक के लोग १९७७ में जन्मे लोग
३१ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग बख्शी का तालाब को राष्ट्रीय राजमार्ग २५ से जोड़ता है। भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग (पुराने संख्यांक)
थानगाँउ नेपालके पुर्वांचल विकास क्षेत्रके सगरमाथा अंचलके उदयपुर जिलाकी एक गाँव विकास समिति है। इन्हें भी देखें
कर्काडन (अरबी कर्कडान या करकद्धन कारगदान से, फ़ारसी : ) एक पौराणिक प्राणी है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भारत और फारस के घास के मैदानों में रहता था। कारगदान शब्द का अर्थ फ़ारसी और अरबी में गैंडा भी होता है। कर्कदान के चित्रण उत्तर भारतीय कला में भी पाए जाते हैं। यूनिकॉर्न की तरह, इसे कुंवारियों द्वारा वश में किया जा सकता है और अन्य जानवरों के प्रति उग्र रूप से कार्य करता है। मूल रूप से भारतीय गैंडे (शब्द के अर्थों में से एक) पर आधारित और पहली बार १०वीं/११वीं शताब्दी में वर्णित, यह बाद के लेखकों के कार्यों में एक पौराणिक जानवर "एक छायादार गैंडे के पूर्वज" के साथ विकसित हुआ अजीब से संपन्न गुण, जैसे औषधीय गुणों से संपन्न सींग । भारत का लोकसाहित्य
निडिल, लोहाघाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा निडिल, लोहाघाट तहसील निडिल, लोहाघाट तहसील
कंबेहरी में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
विभूति पट्टनायक ओड़िया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी महिषासुर मुहन के लिये उन्हें सन् २०१५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत ओड़िया भाषा के साहित्यकार
पासाएटेन नदी कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रदेश मैं बहनें वाला एक नदी है। कनाडा का भूगोल कनाडा की नदियाँ
काफल्ी कमेडा, कपकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा कमेडा, काफल्ी, कपकोट तहसील कमेडा, काफल्ी, कपकोट तहसील
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-२०१३ भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एक कानून है जिसके माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में जनसाधारण को खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। भारतीय संसद द्वारा पारित होने के उपरांत सरकार द्वारा १० सितम्बर, २०१३ को इसे अधिसूचित कर दिया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्य लोगों को सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में उत्तम खाद्यान्न उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें। इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ७५ प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की ५० प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस प्रकार देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या को इसका लाभ मिलने का अनुमान है। पात्र परिवारों को प्रतिमाह पांच कि. ग्रा. चावल, गेहूं व मोटा अनाज क्रमशः ३, २ व १ रुपये प्रति कि. ग्रा. की रियायती दर पर मिल सकेगा। अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) में शामिल परिवारों को प्रति परिवार ३५ कि. ग्रा. अनाज का मिलना पूर्ववत जारी रहेगा। इसके लागू होने के ३६५ दिन के अवधि के लिए, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएम) के अंतर्गत सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु, पात्र परिवारों का चयन किया जाएगा। गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के छ: माह के उपरांत भोजन के अलावा कम से कम ६००० रुपये का मातृत्व लाभ भी मिलेगा। १४ वर्ष तक की आयु के बच्चे पौष्टिक आहार अथवा निर्धारित पौष्टिक मानदण्डानुसार घर राशन ले जा सकें। खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति न हो पाने की स्थिति में, लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा। इस अधिनियम के जिला एवं राज्यस्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी प्रावधान है। पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। २०१४ के आरम्भ तक हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के ४ राज्यों में इस अधिनियम का कार्यान्वयन प्रारंभ हो चुका था तथा इस अधिनियम के अंतर्गत राज्यों को खाद्यान्न का आवंटन भी प्रारंभ हो चुका था। भारत के अधिनियम
चित्रा मुद्गल (जन्म : १९४४) हिन्दी की वरिष्ठ कथालेखिका हैं। उन्हें सन २०१८ का हिन्दी भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है। उनके उपन्यास आवां पर उन्हें वर्ष २००३ में व्यास सम्मान मिला था। उनका जीवन किसी रोमांचक प्रेम-कथा से कम नहीं है। उन्नाव के जमींदार परिवार में जन्मी किसी लड़की के लिए साठ के दशक में अंतरजातीय प्रेमविवाह करना आसान काम नहीं था। लेकिन चित्रा जी ने तो शुरू से ही कठिन मार्ग के विकल्प को अपनाया। पिता का आलीशान बंगला छोड़कर २५ रुपए महीने के किराए की खोली में रहना और मजदूर यूनियन के लिए काम करना - चित्रा ने हर चुनौती को हँसते-हँसते स्वीकार किया। १० दिसम्बर १९४४ को जनमी चित्रा मुद्गल की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक ग्राम निहाली खेड़ा (जिला उन्नाव, उ.प्र.) से लगे ग्राम भरतीपुर के कन्या पाठशाला में। हायर सेकेंडरी पूना बोर्ड से की और शेष पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से। बहुत बाद में स्नातकोत्तर पढ़ाई पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय मुंबई से की। चित्रकला में गहरी अभिरुचि रखने वाली चित्रा ने जे.जे.स्कूल ऑफ आर्टस से फाइन आर्टस का अध्ययन भी किया है। सोमैया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान श्रमिक नेता दत्ता सामन्त के संपर्क में आकर श्रमिक आंदोलन से जुड़ीं। उन्हीं दिनों घरों में झाडू-पोंछा कर, उत्पीड़न और बदहाली में जीवन-यापन करने वाली बाइयों के उत्थान और बुनियादी अधिकारों की बहाली के लिए संघर्षरत संस्था 'जागरण' की बीस वर्ष की वय में सचिव बनीं। अब तक नौ कहानी संकलन, तीन उपन्यास, एक लेख-संकलन, एक उपन्यास, एक लेख-संकलन, एक बाल उपन्यास, चार बालकथा-संग्रह, छह संपादित पुस्तकें। गुजराती में दो अनूदित पुस्तकें प्रकाशित। अंग्रेज़ी में 'हाइना ऐंड अदर शार्ट स्टोरीज' बहुप्रशंसित। दिल्ली दूरदर्शन के लिए फ़िल्म 'वारिस' का निर्माण। अढ़ाई गज की ओढ़नी बहुचर्चित उपन्यास 'एक ज़मीन अपनी' के लिए सहकारी विकास संगठन मुंबई द्वारा फणीश्वरनाथ 'रेणु' सम्मान से सम्मानित। हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा १९९६ के साहित्यकार सम्मान से सम्मानित और २००० में अपने उपन्यास आवां के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित। कृति पोस्ट बॉक्स नंबर २०३- नाला सोपारा पर साहित्य अकादमी सम्मान ५ दिसम्बर, २०१८ को। चित्रा मुद्गल - निजी साक्षात्कार यू के कथा सम्मान भारतीय महिला साहित्यकार १९४४ में जन्मे लोग चेन्नई के लोग
उस्मानी या उसमानी क बहु-प्रचलित मुस्लिम उपनाम है। इसका अर्थ इस्लाम के तीसरे खलीफा उस्मान से सम्बंधित या उनके वंश से जुड़े लोग हैं। हालांकि इस उपनाम के लोग विश्व कई जगहों पर पाए जाते हैं, लेकिन इन लोगों की संख्या भारत-पाकिस्तान में अधिक है।
टुनेरा, डीडीहाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा टुनेरा, डीडीहाट तहसील टुनेरा, डीडीहाट तहसील
कोई भी रासायनिक पदार्थ जिसका सेवन करने पर किसी जीव के शरीर या मन में परिवर्तन होता है, उसे औषधि (ड्रग) कहते हैं। सामान्यतः औषधि को भोजन तथा पोषण प्रदान करने वाले अन्य पदार्थों से अलग माना जाता है। दवाओं का सेवन साँस के माध्यम से, इंजेक्शन द्वारा, धूम्रपान द्वारा, अंतर्ग्रहण द्वारा, त्वचा पर एक पैच के माध्यम से अवशोषण के द्वारा, सपोसिटरी, या जीभ के नीचे विघटन के माध्यम से किय जाता है। औषध विज्ञान में, दवाएँ वे रासायनिक पदार्थ है, जो आमतौर पर ज्ञात संरचना का होते हैं। इनका उपयोग किसी बीमारी को दूर करने, बीमारी की रोकथाम या निदान या भलाई को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। परम्परागत रूप से दवाएं औषधीय पौधों से निष्कर्षण के माध्यम से प्राप्त की जाती थीं, लेकिन हाल ही में कार्बनिक संश्लेषण द्वारा भी इनका निर्माण किया जाने लगा है।