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शैली चोपड़ा, एक भारतीय व्यापारिक पत्रकार, लेखिका और उद्यमी हैं। वह "शी द पीपल" की संस्थापक हैं। टीवी ने महिलाओं को रोल मॉडल की कहानियों के साथ सशक्त बनाने के लिए एक मंच दिया और उन्हें महिलाओं पर बदलती बातचीत और उनके लिए क्या मायने रखता है इसके लिए प्रेरित किया। एक व्यवसायिक पत्रकार के रूप में, वेएनडीवी- प्रोफिट और ईटीनाउ में काम करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने २०१२ में बिजनेस जर्नलिज्म में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार, २००७ में सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी भाषा की रिपोर्टर और कई अन्य पुरस्कार जीते हैं। फिर उन्होंने एक उद्यमी बनने का निश्चय किया और चार किताबें लिखीं। उनके उद्यम भारत के महिला चैनल "शी द पीपल" टीवी और गोल्फिंगइंडियन.कॉम हैं।। उनकी पुस्तकों में पेंग्विन द्वारा प्रकाशित "फेमिनिस्ट रानी", रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित "व्हेन आई वाज़ २५ बाय", और "बिग कनेक्ट- सोशल मीडिया और इंडियन पॉलिटिक्स" और टाइम्स बुक्स द्वारा प्रकाशित "बर्डीज इन बिजनेस" शामिल हैं। शैली चोपड़ा का जन्म पंजाब के जालंधर में २१ जुलाई १९८१ को अनिल और सुमन के घर हुआ था। अनिल चोपड़ा भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त लड़ाकू विमान के पायलट थे। शैली ने १९९८ में वायु सेना स्वर्ण जयंती संस्थान, नई दिल्ली से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने, द एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म, चेन्नई से २००२ बैच में ब्रॉडकास्ट और टेलीविज़न में मास्टर डिग्री पूरी की। उन्होंने बीबीसी के साथ पत्रकारिता स्कूल में प्रसारण का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने सीएनबीसी, एनडीटीवी और ईटीनाउ के साथ काम किया है। उसने एनडीटीवी २४ क्स ७ के साथ मार्केट्स एंड कॉरपोरेट अफेयर्स एडिटर और एनडीटीवी प्रोफिट में सीनियर न्यूज एडिटर-कॉर्पोरेट के रूप में पांच साल और फिर ईटी नाउ के साथ तीन साल तक काम किया। उन्होंने जी-२० , डब्ल्यूईएफ @ दावोस, द ब्रेटन वुड्स कॉन्फ्रेंस २०11, इंडिया इकोनॉमिक समिट और वर्ल्ड रिटेल कांग्रेस जैसे अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों को भी कवर किया है। उन्हें प्रभाव पत्रिका द्वारा मीडिया, विपणन और विज्ञापन में भारत की ५० सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक नामित किया गया था। २००७ में उन्होंने पूरे भारत में सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी रिपोर्टर के लिए न्यूज़ टेलीविज़न अवार्ड जीता और बाद में २००८ में, बिजनेस-गोल्फ शो बिजनेस ऑन कोर्स, ने बेस्ट शो अवार्ड जीता। मार्च २०१० में, चोपड़ा ने सर्वश्रेष्ठ व्यावसायिक एंकर का पुरस्कार जीता और उन्हें फिक्की के वुमन अचीवर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चोपड़ा को इंडियन एक्सप्रेस आरएनजी अवार्ड्स २०१२ में बिजनेस जर्नलिज्म में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शैली और उनके पति शिवनाथ ठुकराल ने भी मुंबई के ताजमहल होटल के बाहर से २६/११ के आतंकी हमले के दौरान लाइव रिपोर्टिंग की थी। उद्यमी बनने से पहले वे ईटीनाउ की प्रमुख एंकर थीं। उन्होंने गोल्फ पर "टी टाइम विद शैली" नामक एक धारावाहिक भी किया था। उन्होंने २०१५ में 'शीदपीपल' नामक एक डिजिटल वेबसाइट शुरू की, जो महिला पत्रकारिता पर केंद्रित है। १९८१ में जन्मे लोग भारतीय महिला पत्रकार जालंधर के लोग
साधोपुर उर्फ सुलेमानपुर फूलपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
स्नेह सिद्धान्त में जॉन बाल्बी ने मनुष्य की विशेष अन्यों से मज़बूत स्नेह बंधन बनाने की प्रवृत्ति को वैचारिक रूप दिया, तथा विरह से उत्पन्न व्यक्तित्व की समस्याओं व संवेगात्मक पीड़ा के साथ-साथ चिंता, गुस्से, उदासी तथा अलगाव की व्याख्या की। बच्चे के जन्म के समय उसके चारों ओर के वातावरण में माँ की अहम् भूमिका है। बच्चे का पहला सम्बन्ध माँ से आरम्भ होता है। स्मिथ कहते हैं कि कुदरत ने इस रिश्ते को मज़बूत बनाया है, तो समाज, धर्म और साहित्य ने माँ और बच्चे के स्नेह को पवित्रता प्रदान की। इस लेख में, समाजशास्त्रियों की मानव समाज में प्रेममूलक सम्बन्धों की दो अवधारणाओं की चर्चा के बाद, स्नेह की वैकल्पिक सोच के संदभ में, लारेन्ज़ के हंस, बतख आदि पक्षियों के चूज़ों, तथा हार्लो के बंदर के बच्चों, पर अध्ययनों का संक्षिप्त वर्णन देकर, बाल्बी के स्नेह सिद्धान्त को रखा गया है। और अंत में स्नेह सिद्धान्त के अन्य क्षेत्रों में बढ़ते दायरे पर नज़र डाली गयी है। स्नेह की दो प्रचलित अवधारणायें बच्चे और माँ का रिश्ता समाज की नीव है, यह विचार अमेरिका के हैरी हार्लो तथा इंग्लैंड के जॉन बाल्बी ने १९५८ में, अलग-अलग शोध पत्रों में प्रस्तुत किया। इससे पहले समाजशास्त्रियों में समूह के आधार के बारे में दो अवधारणायें प्रचलित थीं। पहली सीखने के सिद्धान्त से जुड़ी है, और इसका सम्बन्ध व्यवहारवादियों की मान्यता से है कि नवजात बच्चे को दूध चाहिए, जो माँ देती है, इसलिए बच्चा माँ के निकट रहता है। मनोविश्लेषणवादियों ने इसमें काम या सेक्स की प्रवृत्ति को जोड़ा, जिसके कई आयाम हैं, जॉन बाल्बी ने इनका उल्लेख अपने शोध पत्र में विस्तार से किया है। इन दोनों अवधारणाओं के बारे में कोई ठोस सबूत न होने के कारण हार्लो और बाल्बी ने इन्हें नकार दिया, और इसका विकल्प ढूँढने लगे। और दोनों का ध्यान जंतुओं के व्यवहार पर प्राकृतिक वातावरण में हो रहे अध्ययनों पर गया, जिसे इथोलाजी कहते हैं। इम्प्रिन्टिंग या अध्यंकन एक इथोलाजिस्ट लारेंज़ ने कुछ पक्षियों हंस, बतख आदि पर अध्ययनों में देखा था कि चूज़ा अपनी माँ के पीछे साथ-साथ चले इसी में उसकी सुरक्षा है, तथा उसे खाना ढूंडने और तैरने का अनुभव भी होगा। हंस या बतख के चूजों में, लारेंज़ के अनुसार, इस तरह से जल्दी सीखने, अध्यंकन के लिए वातावरण से तीन तरह के उत्तेजक ज़रूरी हैं, (१) चूज़े की आवाज़ के उत्तर में एक किसम की आवाज़; (२) कोई वस्तु चूज़े से दूर जा रही हो; (३) वह वस्तु समय-समय पर आवाज़ निकाले। अक्सर यह वस्तु चूज़े की माँ होगी, क्योंकि चूज़े के अंडे से बाहर निकलते समय वही पास में होती है। माँ की जगह, यदि कोई आदमी हो तो चूज़ा उसी के पीछे चलेगा, पर यह तीनो गुण उसमें होने चाहिए। अध्यंकन का मतलब नवजात शिशु के मन पर माँ या देख-भाल करने वाले की आकृति की छाप पड़ने से है। लारेंज़ ने यह खोज १९३५ में की थी। जब एक बार चूज़े में यह ठप्पा या इम्प्रिंट पड़ जाता है, इसमें परिवर्तन आसानी से नहीं होता। अर्थात हंस के चूज़े में यदि अंडे से बाहर निकलने के एकदम बाद यदि हंस का ठप्पा लग जाये तो वह जीवन भर हंस के पीछे चलेगा। यदि चूज़े में पहली छवि आदमी की बनी तो वह आदमी के पीछे चलेगा, हंस के पीछे नहीं। वह आदमी पतली लड़की हो या बूढा मर्द, कोई फरक नहीं पड़ेगा। सबसे चौंकाने वाली बात, लारेंज़ के लिए थी, हंस के चूज़े को पालने वाली माँ यदि दूसरी प्रजाति की थी, कुछ सालों बाद जब यह चूज़ा व्यस्क हुआ, तो प्रजनन के लिए उसी प्रजाति के पक्षी को चुना जो पालने वाली माँ की प्रजाति का था, हंस नहीं। यही परिणाम बाद में भेड़ में भी देखे गए, जिनका वर्णन नीचे किया गया है। लारेंज़ ने लिखा है कि, यद्यपि अध्यंकन सीखने के अंतर्गत आता है, किन्तु इसमें अधिगम या सीखने की तरह प्रलोभन की ज़रुरत नहीं है। यह जंतुओं में एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्राकृतिक अवस्था में बच्चे का माँ से प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाने में सहायक है और इसका दूरगामी असर होता है। लारेंज़ की अध्यंकन की खोज तथा इथोलाजी का असर जॉन बाल्बी की सोच पर भी पड़ा। इसके साथ एक महत्पूर्ण बात जो स्नेह सिद्धान्त की आधारशिला मज़बूत करने में सहायक हुई, वह थी हार्लो और बाल्बी के बीच विचारों का आदान-प्रदान। इसमें माध्यम थे इथोलाजिस्ट राबर्ट हाइंड, जो उस समय इंग्लैंड में बंदरों में माँ और बच्चे के व्यवहार का अध्ययन कर रहे थे। हार्लो और बाल्बी इस बात से प्रभावित थे कि नवजात शिशु के सहज व्यवहार उसे माँ से जोड़ते हैं। हार्लो ने इसे बंदर के बच्चे पर प्रयोंगो से सिद्ध किया तथा बाल्बी ने मनुष्य के बच्चों पर जानकारी इकट्ठी की और इसे वैचारिक रूप दिया। बंदरों में बच्चे और माँ का सम्बन्ध हार्लो ने व्यवहारवादियों और मनोविश्लेषकों पर प्रहार करते हुए कहा, हालाँकि यह सही है कि माँ बच्चे की दूध की ज़रुरत पूरी करती है इसलिए उससे सम्बन्ध बन सकता है, परन्तु ऐसे सम्बन्ध किसी भी वस्तु से बन सकते हैं और वह जल्दी टूट भी जाते हैं। इसलिए उन सहज व्यवहारों का अध्ययन होना चाहिए जो माँ को स्नेह के रिश्तों में बांधते हैं। उन्होंने आगे लिखा, क्योंकि मानव के नवजात शिशु पर इस तरह के प्रयोग नहीं हो सकते, इसलिए बंदर के बच्चों को चुना। तब तक हार्लो प्रयोगशाला में बंदर के बच्चों को ६ से १२ घंटे के भीतर माँ से अलग कर, उनको पालने में सफल हो चुके थे। नए प्रयोगों में हार्लो को, बाल्बी द्वारा मनुष्य के बच्चों में देखे गए दो सहज व्यवहार के बारे में, बंदर के बच्चों में पर्याप्त समानता मिली, जैसे, नवजात शिशु का नरम वस्तु से चिपकना तथा उसके साथ ज्यादा समय बिताना। इतना ही नहीं, हार्लो ने पाया कि लगभग ३०० दिन की उम्र के बंदर के बच्चे नरम कपड़े से लिपटी माँ का पर्याय या क्लाथ मोथर सुरोगट को निहारने में भी ज्यादा समय देने लगे। अगले कई सालों में जो प्रयोग हुए उनका सारांश मार्ग्रेट हार्लो और हैरी हार्लो ने १९६६ में एक शोध पत्र में दिया है। इस शोध पत्र में उन्होंने लिखा कि काम या सेक्स की सहज प्रवृत्ति मानव और बंदर में समूह को बांधने का आधार खो चुकी है। वह आगे लिखते हैं कि बंदर के बच्चे के सामाजिक विकास पर विस्कान्सिन विश्वविद्यालय में जो खोज हुई है उससे पांच प्रेममूलक तंत्रों या आफेक्शनल सिस्टम्स का पता लगा, जो इन बंदरों में सामाजिक सम्बन्धों का आधार है। यह पांच प्रेममूलक तंत्र हैंबच्चा-माँ स्नेह तंत्र; बच्चा-बच्चा स्नेह तंत्र; विषम लिंगी स्नेह तंत्र; मातृत्व स्नेह तंत्र; तथा पितृत्व स्नेह तंत्र। अंत में उन्होंने लिखा है कि यह पांच स्नेह तंत्र नर-वानर समूह या प्रिमत्स के विकास में महत्वपूर्ण रहे होंगे। इनसे समूह के सदस्यों में मेल-जोल बनाए रखने में मदद मिली होगी, जिससे समूह में सहयोग पनपा, बाहरी ताकतों से जूझने की क्षमता बढ़ी, और बच्चे को सीखने का वातावरण मिला। स्नेह के दूरगामी परिणामों के बारे में इससे भी और अधिक जानकारी बंदरों पर हुए उन प्रयोगों से मिली जो हैरी हार्लो और उनके साथियों ने बंदर के बच्चों को उनकी माँ से अलग कर, विस्तार में कई सालों तक देखे, जिनका वर्णन हार्लो और मीअर्स ने एक किताब में किया है, तथा मनुष्य में बाल्बी ने माँ से अलगाव और माँ के विलोप का बच्चे पर असर स्नेह सिद्धांत के खण्ड-२ और खण्ड-३ में किया जिसका परिचय अगले भाग में दिया गया है। बाल्बी का स्नेह सिद्धान्त बाल्बी ने लिखा है कि स्नेह सिद्धान्त पर कार्य १९५६ में शुरू हुआ और अनेक शोधपत्रों में इससे जुडी वैज्ञानिक समस्याओं पर १९५३ से १९६३ तक विवेचना की गयी, लेकिन स्नेह सिद्धान्त का मुख्य प्रारूप स्नेह और विलोप या अट्टाच्मेंट एंड लॉस तीन खण्डों में१९६९(१९९७) में खण्ड-१; १९७३ में खण्ड-२; तथा, १९७८ में खण्ड-३, छपा। बाल्बी और उनकी सहयोगी एन्स्वर्थ ने इन तीन खण्डों में छपे मुख्य विचारों तथा इससे जुड़ी खोजों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए लिखा कि वह दोनों शैक्षिक व्यवसाय में आने से पहले ही बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में माता-पिता के योगदान पर काम कर रहे थे, विशेषकर वह बच्चे जो अकेले रह जाते हैं, जिन्हें माँ का प्रेम नहीं मिलता। वह आगे लिखते हैं, कि बाल्बी का पहला अध्ययन जो ४४ यूवा चोरों पर था, पता चला कि इन बच्चों में अधिकतर ऐसे थे जिन्हें स्नेह नहीं मिला। इसके बाद विश्व स्वस्थ्य संगठन के लिए बाल्बी ने एक रिपोर्ट तैयार की, जो मातृत्व का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य में योगदान से जुड़ी थी, और इसका मुख्य उद्देश्य बच्चे की परवरिश से स्नेह का विकास करना था। बाल्बी के तीन खंडों में स्नेह सिद्धान्त की जो मुख्य बातें हैं, वह एन्स्वर्थ और बाल्बी के अनुसार यह हैं। खण्ड-१ के पहले और दूसरे भाग में स्नेह सिद्धान्त से जुड़े उद्विकास के विचारों तथा सहज व्यवहारों के अध्ययन का विस्तार में वर्णन है। इसके अतिरिक्त स्नेह की शारीरिक आवश्यकताओं से जुड़े सिद्धान्त (भूख, प्यास, काम आदि की पूर्ती) को नकार कर, उसकी जगह ऐसे व्यवहार तंत्र तथा संचालन तंत्र जिनका कोई विशेष उद्देश्य हो, जैसे लारेंज़ का अध्यंकन और हार्लो के प्रेममूलक तंत्र। इनके अतिरिक्त, बाल्बी ने लिखा है कि मनुष्यों में, बच्चे के विकास के साथ-साथ स्नेह से जुड़े माँ एवं अन्य व्यक्तियों की छवि तथा उसका सहज व्यवहारों से सम्बन्ध आन्तरिक कार्यकारी प्रारूपों को जन्म देते हैं, जिनका स्नेह सिद्धांत में विशेष स्थान है। खंड-१ के पांचवे भाग के आरंभ में स्नेह के विकास की चार अवस्थाएं बताई गई हैं। अवस्था-१, आरंभ की इस अवस्था में नवजात बच्चा एक विशेष प्रकार से लोगों से व्यवहार करता है (पहचानता नहीं): व्यक्ति की ओर मुड़ना, आँखों से पीछा करना, पकड़ना, पहुंचना, हंसना, आदि। अवस्था-२, उपरोक्त व्यवहारों का और ज्यादा प्रयोग, परन्तु माँ की तरफ विशेष ध्यान देना। अवस्था-३, बच्चा लोगों को पहचानने लगता है, माँ को विशेष रूप से देखता है, और नए लोगों से व्यवहार अलग हो जाता है। अवस्था-४, स्नेह की वस्तु या माँ से नजदीकी सम्बन्ध, और उससे जुड़े व्यवहारों में सुधार करना। बाल्बी के खण्ड-२ में बच्चे के उन सहज व्यवहारों पर विशेष ध्यान दिया गया है जो स्नेह की वस्तुओं से अलगाव के कारण पैदा होते हैं, और साथ में ऐसी स्थितियां जिन में स्नेह तंत्र कार्यान्वित होते हैं। बाल्बी के अनुसार यह बच्चों के अलग-अलग व्यक्तित्व के विकास का आधार है, जैसे कुछ बच्चे डरपोक होगे, या कुछ में स्नेह से जुड़ी चिंता ज़्यादा होगी। इसके अतिरिक्त बच्चे के सामान्य विकास में स्नेह के मज़बूत आधार पर भी बल दिया गया है। बाल्बी के खण्ड-३ के शुरू में संज्ञान की उन प्रक्रियाओं का वर्णन है जो सूचनाओं के अचेतन रूप से संयोजन में सहायक हैं। इनका आन्तरिक कार्यकारी प्रारूपों के विकास में विशेष महत्त्व बताया गया है। इस खण्ड में मुख्य ध्यान व्यस्क व्यक्ति में शोक पर है। स्नेह की वस्तु के विलोप या चले जाने से व्यक्ति चार अवस्थाओं से गुजरेगासुन्नता; स्नेह की वस्तु की तरस और गुस्सा; अव्यवस्था और निराशा; तथा, पुनःसंयोजन का प्रयास और उदासी। स्नेह सिद्धान्त का प्रसार स्नेह सिद्धान्त के जंतुओं में बढ़ते आधार को देखकर, एलिसन जौली लिखती है, उद्विकास की प्रक्रिया में बच्चे और माँ के बीच एक सशक्त, प्रचुर और व्यक्तिगत सम्बन्ध का चयन होता है, जिसका नाम शायद प्यार है। यद्यपि हार्लो ने इन प्रेममूलक सम्बंधों को बंदर में बच्चे और माँ, तथा बाल्बी ने मनुष्य में बच्चे और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति, तक सीमित रखा, पर उन्होंने, जौली कहती है, स्नेह को सामाजिक जीवन का आधार बताया। लेख के इस भाग में, हार्लो और बाल्बी के विचारों के बढ़ते आधार का अंदाज़ा, स्तनधारियों में चूहे से लेकर बंदर, और मनुष्यों में भक्त और उसके अराध्य देव के रिश्ते, पर होने वाले अध्ययनों से लग जायेगा। स्तनधारियों में आपसी मेल-जोल केंडल के अनुसार मनुष्यों, और वास्तव में सभी स्तनधारियों में बच्चे के आरंभ के वातावरण का सबसे मुख्य अंग माँ है। वह आगे लिखते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय परिवार के टूटने से बच्चों का माँ-बाप से रिश्तों का अभाव, उनके विकास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था। केंडल लिखते हैं, हार्लो द्वारा बंदर के बच्चों पर किये गए प्रयोंगों से इस विचार को वैज्ञानिक आधार मिला, परन्तु इसमें मुख्य योगदान बाल्बी का रहा। चूहों पर हुए प्रयोग दो महत्वपूर्ण बातें जिनकी ओर केंडल ने ध्यान दिलाया है। एक, माँ-बाप अपने बच्चे के व्यवहार से संवेगात्मक रूप से जुड़े होते हैं, जिसमें मुख्य बात है बच्चे को ख़ुशी और दुःख देने वाली घटनाओं का निवारण। दो, मनुष्य और जंतुओं में पहले २-३ साल तक बच्चा नीहित स्मृति तंत्र पर निर्भर रहता है जो अचेतन होता है, उम्र बढ़ने के साथ उसमें जो परिवर्तन होते हैं वह चेतन या स्पष्ट स्मृति तंत्र बनाते हैं। यह दोनों बातें, केंडल के अनुसार, मनुष्यों और जंतुओं में स्नेह के तंत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। केंडल ने बताया कि चूहे (रत्स एंड मिस) में जब बच्चे को माँ से अलग किया जाता है, तो उनमें ऐसे व्यवहार देखे गए जैसे आदमी के बच्चे में माँ से अलग करने पर देखे गए, मुख्यतः पहले विरोध, और फिर उदासी की अवस्था। इसका असर हाईपोथेलेमिक-पिटयुईटेरी-एड्रिनल तंत्र में देखा गया। यह परिवर्तन ऐसी रासायनिक प्रक्रियाओं को जन्म देते हैं जो बच्चे के चेतन या स्पष्ट स्मृति तंत्र में बाधा डालती है। अर्थात यह स्मृति तंत्र या तो विकसित नहीं हो पाता, या ठीक से नियंत्रण नहीं कर पता जब भी तनाव की परिस्थिति हो। भेड़-बकरियों के रेवड़ भेड़ और बकरियां, प्राकृतिक और पालतू दोनों अवस्थाओं, में समूह या रेवड़ में रहती हैं। मेमने का समूह के साथ लगाव हो यह मेमने और समूह दोनों के लिए ज़रूरी समझा गया है। स्मिथ ने इस लगाव या सम्बन्ध के विकास का भेड़ में अध्ययन के दौरान देखा कि मेमना जन्म के थोड़े समय बाद खड़ा होकर अपने सिर को ऐसी वस्तु के नीचे डालता है जो उसके कन्धों के बराबर है। आम तौर से यह भेड़ की अगली या पिछली टांगों के बीच की जगह होती है, इसके साथ-साथ भेड़ भी मेमने का चाटती ओर सूंघती है, तथा सिर और मूंह से सहलाती है। स्मिथ ने इन व्यवहारों का वर्णन करते हुए लिखा है कि इस सम्पर्क से एक ओर माँ अपने बच्चे की छवि अपने मस्तिष्क में बनती है, दूसरी ओर मेमना का माँ से सम्बन्ध बनता है। यदि मेमने और भेड़ या बकरी के बीच यह सम्बन्ध आरम्भ में नहीं बन पाता तो भेड़ या बकरी मेमने को नकार देगी और मेमना समूह के साथ नहीं चलता। इस सम्बन्ध का दूरगामी असर भी देखा गया। आम तौर से भेड़ और बकरियां एक रेवड़ में रहती है, व्यस्क होने पर भेड़ प्रजनन के लिए भेड़ को ही चुनेगी और बकरी अपनी प्रजाति का साथी। केंड्रिक और उनके साथियों ने देखा कि, यदि पैदा होने के बाद से भेड़ के बच्चे को बकरी पाले, तथा बकरी के बच्चे को भेड़ पाले, तो व्यस्क होने पर, भेड़ जो बकरी के साथ पली है प्रजनन के लिए बकरी चुनेगी, तथा बकरी जिसे भेड़ ने पाला है प्रजनन के लिए भेड़ चुनेगी। इसके अतिरिक्त केंड्रिक ने यह भी देखा कि भेड़ें अन्य भेड़ों के चेहरे, लगभग ५० तक, काफी देर तक याद रख सकती है। एलिसन जौली के अनुसार नर-वानर समूह में स्नेह सम्बन्धों की निम्न मुख्य विशेषताएं हैं। नर-वानर समूह की पहली विशेषता है कि बच्चा शारीरिक और संवेगात्मक रूप से माँ से जुड़ा है, और यह सम्बन्ध लेमर से लेकर मनुष्य तक और अधिक जटिल होता जाता है। माँ से बच्चे के इस सम्बन्ध का जीवन के आरंभिक काल में सामाजिक व्यवहार के प्रशिक्षण में विशेष महत्त्व है। दूसरे, जौली के अनुसार, माँ जब तक बच्चे को विशेष रूप में नहीं देखे वह ठीक से जी नहीं पायेगा, या उसके सामाजिक व्यवहार में कमी रह जाएगी। जैसे, यह ज़रूरी है कि, माँ अपने बच्चे को अपनी गोदी में बिठाए, उसे स्तनपान करने दे, उसकी सफाई करे, और उसे सहलाए और उसकी मदद करे। बच्चे के सहज व्यवहार, जैसे, चिपकना, रेंगना, जड़ता, तथा चूसना इस सम्बन्ध को मज़बूत बनाते हैं। इनके साथ-साथ कई किसम की आवाजें माँ और बच्चे को एक दूसरे की तरफ आकर्षित करती हैं। तीसरे, जौली का कहना है कि जॉन बाल्बी ने सशक्त रूप से लारेंज़ के अध्यंकन के सिद्धान्त को मानव के विकास के सन्दर्भ में रखा। यही नहीं, बाल्बी ने बच्चे को असहाय अवस्था से बाहर निकलकर उद्विकास के सन्दर्भ में देखने की पहल की। अर्थात बच्चे में ऐसे व्यवहारों का चयन हुआ जिससे वह माँ के सम्पर्क में रहे, उसे पहचाने, अजनवी से डरे, और खतरा होते ही माँ के पास जाये। चौथे, जौली का मानना है कि यह ज़रूरी नहीं कि नर-वानर समूह में बच्चा माँ के अभाव में मर जाए, बच्चे का व्यवहार समूह के अन्य सदस्यों में मातृत्व की भावना जगाने में सक्षम है। जौली का कहना है कि सामाजिक व्यवहार में एक स्तर पर यदि चूक हो जाए, उसकी भरपाई की कई संभावनाएं हैं। बच्चे के संगी-साथी और अन्य व्यस्क नर व मादा इसमें सहायता करते हैं। अंत में, जौली का मानना है कि प्राकृतिक अवस्था में ऐसी असंख्य घटनाएं घटती हैं जिनका प्रयोगशाला में अंदाजा लगाना कठिन है। यह घटनाएं बच्चे को सशक्त करती हैं, जैसे, बच्चे के बड़े होने पर, स्तनपान छुड़ाना, गोद से दूर रखना, पेड़ से कूदने में मदद, खतरे का अहसास, आदि। व्यक्तित्व का विकास बाल्बी ने खण्ड-१ के अंत में कुछ बातों को रेखांकित किया है। सबसे पहले, स्नेह की प्रवृत्ती और स्नेह व्यवहारों में अन्तर स्पष्ट किया। दूसरे, उन्होंने कहा बच्चे का स्नेह वस्तु के साथ व्यवहार स्नेह बन्धन का आधा भाग है। माँ का बच्चे से व्यवहार, और फिर पिता व अन्य सदस्यों का इसमें योगदान, इसे पूर्ण करता है। तीसरे, बच्चों के व्यक्तित्व में स्नेह के अनेक नमूने या प्रारूप मिलते हैं, मानसिक स्वास्थ्य में योगदान के लिए इन्हें समझना अत्यधिक ज़रूरी होगा। बाल्बी के अनुसार स्नेह सिद्धान्त के तीनों खण्ड, वस्तु से स्नेह सम्बन्ध बनाना, स्नेह वस्तु से अलगाव, तथा स्नेह वस्तु का विलोप, संयुक्त रूप से स्नेह को समझने के लिए ज़रूरी हैं। स्नेह सिद्धान्त के ऊपर जो अध्ययन हुए हैं, तेंक्रेडे और फ्रेले के अनुसार, उन में स्नेह को समग्र रूप से देखा गया है, चाहे वह बच्चे और माँ के बीच हो, व्यस्क नर और नारी में प्रेम, या भक्त और उसका अराध्य देव। तेंक्रेडे और फ्रेले ने स्नेह सिद्धान्त की चार मुख्य विशेषतायें या कसौटियां बतायी, स्नेह की वस्तु से नजदीकी या प्रोक्सीमिटी मेंटनेंस, स्नेह की वस्तु से अलगाव का विरोध और विरह वेदना या सेपरेशन डिस्ट्रेस, स्नेह की वस्तु एक सुरक्षित आधार या सेक्यूरे बसे, तथा स्नेह की वस्तु एक सुरक्षित स्वर्ग या सफ़े हॉवेन। परन्तु खोज के लिए इनसे जुड़े किसी एक पहलू पर ध्यान देना स्वाभाविक है, जैसे आन्तरिक कार्यकारी प्रारूप। स्नेह सिद्धान्त के बारे में कुछ लोगों का विचार है कि जहाँ जॉन बाल्बी ने स्नेह को नयी सोच देकर वैज्ञानिक स्तर पर ला खड़ा किया, वहीँ एन्स्वर्थ ने इसके विचारों की पुष्टि के लिए प्रमाण एकत्र किये। एन्स्वर्थ और उनके साथियों ने माँ और बच्चे के बारे में दो विधियोंगृह निरिक्षण तथा अनोखी परिस्थितिसे आंकड़े इकट्ठे किये। पहली विधि में घर जाकर माँ और बच्चे के व्यवहार का अध्ययन, तथा दूसरी विधि में बच्चे को माँ से अलग कर एक कमरे में रखना और एक अजनवी महिला से मुलाकात, और फिर बच्चे का माँ से पुनर्मिलन के समय व्यवहार देखना। इस परिक्षण से बच्चों की तीन श्रेणियाँ सामने आई। सुरक्षित या सेक्यूरे बच्चे माँ से पुनर्मिलन के समय खुश रहते, शांत हो जाते और खेलने लगते। अन्य बच्चे दो श्रेणियों में बंट गए, एक असुरक्षित परिहारी या इन्सिक्यूरे-एवोयदांट, जो पुनर्मिलन के समय माँ से दूसरी ओर मूंह मोड़ लेते, न कोई ख़ुशी, तथा खेल में कोई रुचि नहीं, तथा दूसरे असुरक्षित विरोधी/उभयभावी या इन्सिक्यूरे रेसिसतेंट/अम्बिवालेट, जो पुनर्मिलन के समय माँ से गुस्से में रहते पर संपर्क भी करते, न कोई ख़ुशी, तथा खेल में कोई रुचि नहीं। स्टील के अनुसार पिछले ५० सालों में एन्स्वर्थ के यह तीन नमूने या श्रेणियाँ बच्चों के नैदानिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। उसने एक चौथे नमूने का भी उल्लेख किया, जिसमें बच्चा अपने माता-पिता के सामने सदैव असामान्य रूप से भयभीत रहता है। बारथोलोमेव ने बाल्बी के स्नेह सिद्धान्त का वयस्कों में अध्ययन किया और व्यक्तित्व में स्नेह के चार प्रारूप खोजेसुरक्षित या सेक्यूरे, चिंतित या प्रिओकऊपीड, खारिजी या डिस्मिसिंग, और डरपोक या फ्रफूल। हालाँकि व्यक्तित्वों के इन चार प्रारूपों को लेकर कई दिशाओं में अध्ययन किये गए हैं, स्टील का कहना है कि एक नयी दिशा है पिता का बच्चे के विकास में योगदान। भक्त और उसका अराध्य देव खोज कर्ताओं ने स्नेह बन्धन की उपरोक्त चार मुख्य कसौटियों, नजदीकी रखना, विरह वेदना, सुरक्षित आधार, तथा सुरक्षित स्वर्ग, को भक्त का उसके अराध्य देव से सम्बन्ध समझने के लिए रूपांतरण किया। उनकी अवधारणा है, जिसे सबसे पहले किर्कपेट्रिक ने विस्तार में रखा, कि भगवान से सम्बन्ध को स्नेह बन्धन मान सकते हैं। भक्त का भगवान से सम्बन्ध अनेक रूपों में मिलेगा, बालक, प्रेमी, सखा, आश्रय देने वाला, आदि। सिसिरेली ने इन चार कसौटियों को इस प्रकार रखा, भगवान से नजदीकी सम्बन्ध बनाना, भगवान से अलगाव का दुःख, भगवान एक सुरक्षित आधार, तथा भगवान एक सुरक्षित स्वर्ग। सिसिरेली आगे लिखते हैं कि किर्कपेट्रिक का मानना है कि भगवान से सम्बन्ध दो तरह से बन सकता है, एक तो वह लोग जिनका माँ से विश्वसनीय सम्बन्ध है, इसको सीधे भगवान पर स्थानांतरित कर सकते हैं, दूसरे वह लोग जिनका माँ से विश्वसनीय सम्बन्ध नहीं है, इसकी पूर्ती के लिए भगवान से नाता जोड़ेंगे। ग्रेंक्विस्ट और उनके साथियों का विचार है कि जब स्नेह तंत्र बाहरी या आतंरिक वातावरण की घटनाओं से उत्तेजित होता है तो व्यक्ति भगवान से नजदीकी ढूँढेगा या महसूस करेगा। इन्हें भी देखें जॉन बाल्बी (अंग्रेज़ी में) हैरी हार्लो (अंग्रेज़ी में) लारेंज़ (अंग्रेज़ी में) इथोलाजी (अंग्रेज़ी में) अध्यंकन (अंग्रेज़ी में) नर-वानर समूह (अंग्रेज़ी में)
यह लेख १९६१ में बुरुंडी के प्रधान मंत्री के पद के गठन के बाद से १९९८ में इसके उन्मूलन के बाद से बुरुंडी के प्रधानमंत्रियों को सूचीबद्ध करता है । कुल चौदह लोगों ने बुरुंडी के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया है (एक कार्यवाहक प्रधान मंत्री की गिनती नहीं)। इसके अतिरिक्त, दो व्यक्ति, पियरे नगेंन्दुम्वे और अलबिन नयमोया , दो गैर-लगातार अवसरों पर सेवा कर चुके हैं। कार्यालयधारकों की सूची यह भी देखें बुरुंडी की राजनीति बुरुंडी के राजाओं की सूची बुरुंडी के राष्ट्रपति बुरुंडी के उपाराष्ट्रपति बुरुंडी के प्रधान मंत्री रूआंडा-उरूंडी के औपनिवेशिक राज्यपालों की सूची बुरुंडी के औपनिवेशिक निवासियों की सूची इनकंबेंट्स की सूची
पकीरुपेट (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील संभल, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७२१ उत्तर प्रदेश के जिले (नक्शा) संभल तहसील के गाँव
मुसर्रत अली बिट्टन,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। २०१२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की बिल्सी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-११४)से चुनाव जीता। उत्तर प्रदेश १६वीं विधान सभा के सदस्य बिल्सी के विधायक
मेजर जनरल शाह नवाज खान (२४ जनवरी १९१४ ९ दिसम्बर 1९83) आजाद हिन्द फौज के प्रसिद्ध अधिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने पर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों तथा कर्नल प्रेम सहगल के ऊपर अंग्रेज सरकार ने मुकद्दमा चलाया। बॉलीवुड फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की मॉं को उन्होंने मुंहबोली बेटी माना था । खान एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना में एक अधिकारी के रूप में कार्य किया था। युद्ध के बाद, उसे देशद्रोह के लिए दोषी ठहराया गया, और ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा किए गए एक सार्वजनिक न्यायालय-मार्शल में मौत की सजा सुनाई गई। भारत में अशांति और विरोध के बाद भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ ने सजा को कम कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक नाटकीय बदलाव आया। १५ अगस्त १९४७ भारत को आजादी मिलने तक, भारतीय राजनैतिक मंच विविध जनान्दोलनों का गवाह रहा। इनमें से सबसे अहम् आन्दोलन, आजाद हिन्द फौज के १७ हजार जवानों के खिलाफ चलने वाले मुकदमे के विरोध में जनाक्रोश के सामूहिक प्रदर्शन थे। मेजर जनरल शहनवाज को मुस्लिम लीग और ले. कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लन को अकाली दल ने अपनी ओर से मुकदमा लड़ने की पेशकश की, लेकिन इन देशभक्त सिपाहियों ने कांग्रेस द्वारा जो डिफेंस टीम बनाई गई थी, उसी टीम को ही अपना मुकदमा पैरवी करने की मंजूरी दी। मजहबी भावनाओं से ऊपर उठकर सहगल, ढिल्लन, शहनवाज का यह फैसला सचमुच प्रशंसा के योग्य था। हिन्दुस्तानी तारीख में 'लाल किला ट्रायल' का अहम् स्थान है। लाल किला ट्रायल के नाम से प्रसिध्द आजाद हिन्द फौज के ऐतिहासिक मुकदमे के दौरान उठे इस नारे 'लाल किले से आई आवाज-सहगल, ढिल्लन, शाहनवाज़' ने उस समय हिन्दुस्तान की आजादी के हक के लिए लड रहे लाखों नौजवानों को एक सूत्र में बांध दिया था। वकील भूलाभाई देसाई इस मुकदमे के दौरान जब लाल किले में बहस करते, तो सड़कों पर हजारों नौजवान नारे लगा रहे होते। पूरे देश में देशभक्ति का एक वार सा उठता। १५ नवम्बर १९४५ से ३१ दिसम्बर १९४५ यानी, ५७ हिन्दुस्तान की आजादी के संघर्ष में टर्निंग पॉइंट था। यह मुकदमा कई मोर्चों पर हिन्दुस्तानी एकता को मजबूत करने वाला साबित हुआ। इस ट्रायल ने पूरी दुनिया में अपनी आजादी के लिए लड़ रहे लाखों लोगों के अधिकारों को जागृत किया। सहगल, ढिल्लन और शाहनवाज के अलावा आजाद हिन्द फौज के अनेक सैनिक जो जगह-जगह गिरफ्तार हुए थे और जिन पर सैकड़ों मुकदमे चल रहे थे, वे सभी रिहा हो गए। ३ जनवरी १९४६ को आजाद हिन्द फौज के जांबाज सिपाहियों की रिहाई पर 'राईटर एसोसिएशन ऑफ अमेरिका' तथा ब्रिटेन के अनेक पत्रकारों ने अपने अखबारों में मुकदमे के विषय में जमकर लिखा। इस तरह यह मुकदमा अंतर्राष्ट्रीय रूप से चर्चित हो गया। अंग्रेजी सरकार के कमाण्डर-इन-चीफ सर क्लॉड अक्लनिक ने इन जवानों की उम्र कैद सजा माफ कर दी। हवा का रुख भांपकर वे समझ गए, कि अगर इनको सजा दी गई तो हिन्दुस्तानी फौज में बगावत हो जाएगी। विचारणा के दौरान ही भारतीय जलसेना में विद्रोह शुरू हो गया। मुम्बई, कराची, कोलकाता, विशाखापत्तनम आदि सब जगह विद्रोह की ज्वाला फैलते देर न लगी। इस विद्रोह को जनता का भी भरपूर समर्थन मिला। इन्हें भी देखें आजाद हिन्द फौज आजाद हिन्द फौज पर अभियोग भारतीय स्वतंत्रता सेनानी आज़ाद हिन्द फ़ौज १९१४ में जन्मे लोग १९८३ में निधन प्रथम लोक सभा सदस्य द्वितीय लोक सभा के सदस्य ५वीं लोक सभा के सदस्य
१०६९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
नृसिंह तृतीय (१२६३~१२९२) होयसल राजवंश के राजा थे। उनके कार्यकाल में उनके भाई और कन्ननुर के राजा रामनाथ से लड़ाई रही। होयसला के राजा
याह्या बौशकी से मार्ग काइली अल्जीरियाई शहर बोउमेड्स के वेल्लाया शहर में एक सड़क है। यह सड़क एक शहीद याह्या बौशकी नाम के नाम से जानी जाती है, जो १९३५ में टक में पैदा हुई थी और २८ दिसंबर, १९६० को कुंजी में सम्मान के क्षेत्र में गिर गई। वह खेचन के पहाड़ों में औथ के ज़ौउ ऑर्क में थला ओफ़ेला गाँव का मूल निवासी है। याहिया बौशकी स्वतंत्रता के अल्जीरियाई युद्ध के दौरान ऐतिहासिक इव क्षेत्र में नेशनल लिबरेशन फ्रंट (फन) और नेशनल लिबरेशन आर्मी (नला) के राजनीतिक आयुक्त थे। उन्होंने लबेड़िया से लबडेरिया के पास कबिदे के पास को लारबा के पास से पार किया। टक के शहर में जीन कॉलोना डी'ऑर्नानो की सड़क का नाम अल्जीरिया की स्वतंत्रता के बाद याहिया बुस्चकी की सड़क के रूप में बदल दिया गया था। यह सड़क उत्तर में लुई पाश्चर एवेन्यू में शुरू हुई जो थेनिया के अस्पताल के पास चलती थी। रूए चार्ल्स लावेर्गी ने इस सड़क को थोनिया के दरबार के पास बीच में काट दिया। यह दक्षिण की ओर समाप्त हो गया और एक सीढ़ी से थायोनिया स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। इस गली के आसपास कई सार्वजनिक इमारतें मौजूद हैं: कॉलेज ऑफ थेनिया। अब्देलहामिद बेन बदी स्कूल। स्कूल मोहम्मद बौशकी। तेणिया का स्टेडियम। तेनिया ४ की नागरिक सुरक्षा। आधिकारिक बौमेर्देस प्रांत की वेबसाइट आधिकारिक बौमेर्देस प्रांत की वेबसाइट
सरस्वतीचन्द्र का उल्लेख इनसे हो सकता है: सरस्वतीचन्द्र (उपन्यास), गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी का एक गुजराती उपन्यास सरस्वतीचन्द्र (फिल्म), उपन्यास पर आधारित हिन्दी फिल्म सरस्वतीचन्द्र (धारावाहिक), उपन्यास पर आधारित २०१३ का हिन्दी धारावाहिक
गंगापुर विधानसभा क्षेत्र राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है।
विकिपीडिया पर एचटीएमएल के उपयोग के लिए, विकिपाठ में सहायता:एचटीएमएल देखें। हाइपरटेक्स्ट मार्कअप भाषा या हत्मल वेब ब्राउज़र में प्रदर्शित होने के लिए डिज़ाइन किए गए दस्तावेज़ों के लिए मानक मार्कअप भाषा है। इसे कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स (सीएसएस) और जावास्क्रिप्ट जैसी स्क्रिप्टिंग भाषाओं जैसी प्रौद्योगिकियों द्वारा सहायता प्रदान की जा सकती है। वेब ब्राउज़र एक वेब सर्वर या स्थानीय भंडारण से एचटीएमएल दस्तावेज़ प्राप्त करते हैं और दस्तावेज़ों को मल्टीमीडिया वेब पृष्ठों में प्रस्तुत करते हैं। एचटीएमएल एक वेब पेज की संरचना का वर्णन करता है और मूल रूप से दस्तावेज़ की उपस्थिति के लिए शामिल संकेत। एचटीएमएल तत्व एचटीएमएल पृष्ठों के बिल्डिंग ब्लॉक हैं। एचटीएमएल निर्माणों के साथ, छवियों और अन्य ऑब्जेक्ट्स जैसे इंटरैक्टिव फॉर्म को रेंडर किए गए पृष्ठ में एम्बेड किया जा सकता है। एचटीएमएल पाठ जैसे शीर्षकों, अनुच्छेदों, सूचियों, लिंक, उद्धरण और अन्य आइटमों के लिए संरचनात्मक शब्दार्थ को दर्शाकर संरचित दस्तावेज़ बनाने का एक साधन प्रदान करता है। एचटीएमएल तत्वों को टैग द्वारा चित्रित किया जाता है, जो कोण कोष्ठक का उपयोग करके लिखा जाता है। टैग जैसे और सीधे पृष्ठ में सामग्री का परिचय देते हैं। अन्य टैग जैसे कि दस्तावेज़ पाठ के बारे में जानकारी घेरना और प्रदान करना और उप-तत्वों के रूप में अन्य टैग शामिल हो सकते हैं। ब्राउज़र एचटीएमएल टैग प्रदर्शित नहीं करते हैं, लेकिन पृष्ठ की सामग्री की व्याख्या करने के लिए उनका उपयोग करते हैं। <इंग /> <इनपुट /> <प> एचटीएमएल जावास्क्रिप्ट जैसी स्क्रिप्टिंग भाषा में लिखे गए कार्यक्रमों को एम्बेड कर सकता है, जो वेब पृष्ठों के व्यवहार और सामग्री को प्रभावित करता है। सीएसएस का समावेश सामग्री के रूप और लेआउट को परिभाषित करता है। वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (डब्ल्यू ३ सी), एचटीएमएल के पूर्व रखरखाव और सीएसएस मानकों के वर्तमान रखरखावकर्ता ने १९९७ से स्पष्ट प्रस्तुति एचटीएमएल पर सीएसएस के उपयोग को प्रोत्साहित किया है। एचटीएमएल का एक रूप, जिसे एचटीएमएल ५ के रूप में जाना जाता है, का उपयोग वीडियो और ऑडियो प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, मुख्य रूप से तत्व का उपयोग करके, जावास्क्रिप्ट के सहयोग से। <कैनवस> अप्रैल २००९ में टिम बर्नर्स-ली १९८० में, भौतिक विज्ञानी टिम बर्नर्स-ली, सर्न के एक ठेकेदार ने दस्तावेजों का उपयोग करने और साझा करने के लिए सर्न शोधकर्ताओं के लिए एक प्रणाली इन्क्वायर का प्रस्ताव और प्रोटोटाइप किया। १९८९ में, बर्नर्स-ली ने इंटरनेट-आधारित हाइपरटेक्स्ट सिस्टम का प्रस्ताव करते हुए एक ज्ञापन लिखा। बर्नर्स-ली ने एचटीएमएल को निर्दिष्ट किया और १९९० के अंत में ब्राउज़र और सर्वर सॉफ्टवेयर लिखा। उस वर्ष, बर्नर्स-ली और सर्न डेटा सिस्टम इंजीनियर रॉबर्ट कैलियू ने वित्त पोषण के लिए एक संयुक्त अनुरोध पर सहयोग किया, लेकिन परियोजना को औपचारिक रूप से सर्न द्वारा अपनाया नहीं गया था। अपने व्यक्तिगत नोट्स में १९९० से उन्होंने सूचीबद्ध किया "कई क्षेत्रों में से कुछ जिनमें हाइपरटेक्स्ट का उपयोग किया जाता है" और पहले एक विश्वकोश रखा। एचटीएमएल का पहला सार्वजनिक रूप से उपलब्ध विवरण "एचटीएमएल टैग" नामक एक दस्तावेज था, जिसका उल्लेख पहली बार १९९१ के अंत में टिम बर्नर्स-ली द्वारा इंटरनेट पर किया गया था। यह एचटीएमएल के प्रारंभिक, अपेक्षाकृत सरल डिजाइन वाले १८ तत्वों का वर्णन करता है। हाइपरलिंक टैग को छोड़कर, ये सर्न में एक इन-हाउस स्टैंडर्ड जनरलाइज्ड मार्कअप लैंग्वेज (एसजीएमएल) आधारित प्रलेखन प्रारूप एसजीएमएलगुइड से दृढ़ता से प्रभावित थे। इनमें से ग्यारह तत्व अभी भी एचटीएमएल ४ में मौजूद हैं। एचटीएमएल एक मार्कअप भाषा है जिसका उपयोग वेब ब्राउज़र पाठ, छवियों और अन्य सामग्री को दृश्य या श्रव्य वेब पृष्ठों में व्याख्या और रचना करने के लिए करते हैं। एचटीएमएल मार्कअप के प्रत्येक आइटम के लिए डिफ़ॉल्ट विशेषताओं को ब्राउज़र में परिभाषित किया गया है, और इन विशेषताओं को वेब पेज डिज़ाइनर के सीएसएस के अतिरिक्त उपयोग द्वारा बदला या बढ़ाया जा सकता है। कई टेक्स्ट तत्व एसजीएमएल का उपयोग करने के लिए १९८८ आईएसओ तकनीकी रिपोर्ट टीआर ९५३७ तकनीकों में पाए जाते हैं, जो बदले में प्रारंभिक टेक्स्ट फॉर्मेटिंग भाषाओं की विशेषताओं को कवर करता है जैसे कि सीटीएसएस (संगत समय-साझाकरण प्रणाली) ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए १९६० के दशक की शुरुआत में विकसित अपवाह कमांड द्वारा उपयोग किया जाता है: ये स्वरूपण कमांड टाइपसेटर द्वारा मैन्युअल रूप से दस्तावेजों को प्रारूपित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कमांड से प्राप्त किए गए थे। हालांकि, सामान्यीकृत मार्कअप की एसजीएमएल अवधारणा केवल प्रिंट प्रभावों के बजाय तत्वों (विशेषताओं के साथ नेस्टेड एनोटेट पर्वतमाला) पर आधारित है, संरचना और मार्कअप के पृथक्करण के साथ; एचटीएमएल को सीएसएस के साथ इस दिशा में उत्तरोत्तर स्थानांतरित किया गया है। बर्नर्स-ली ने एचटीएमएल को एसजीएमएल का एक अनुप्रयोग माना। इसे औपचारिक रूप से इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (आईईटीएफ) द्वारा एचटीएमएल विनिर्देश के लिए पहले प्रस्ताव के १९९३ के मध्य के प्रकाशन के साथ परिभाषित किया गया था, बर्नर्स-ली और डैन कोनोली द्वारा "हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (एचटीएमएल)" इंटरनेट ड्राफ्ट, जिसमें व्याकरण को परिभाषित करने के लिए एसजीएमएल दस्तावेज़ प्रकार की परिभाषा शामिल थी। मसौदा छह महीने के बाद समाप्त हो गया, लेकिन इन-लाइन छवियों को एम्बेड करने के लिए एनसीएसए मोज़ेक ब्राउज़र के कस्टम टैग की स्वीकृति के लिए उल्लेखनीय था, जो सफल प्रोटोटाइप पर मानकों को आधार बनाने के आईईटीएफ के दर्शन को दर्शाता है। इसी तरह, डेव रैगेट के प्रतिस्पर्धी इंटरनेट-ड्राफ्ट, "एचटीएमएल + (हाइपरटेक्स्ट मार्कअप प्रारूप)", १९९३ के अंत से, तालिकाओं और भरने वाले फॉर्म जैसी पहले से लागू सुविधाओं को मानकीकृत करने का सुझाव दिया। १९९४ की शुरुआत में एचटीएमएल और एचटीएमएल + ड्राफ्ट समाप्त होने के बाद, आईईटीएफ ने एक एचटीएमएल वर्किंग ग्रुप बनाया, जिसने १९९५ में "एचटीएमएल २.०" पूरा किया, पहला एचटीएमएल विनिर्देश जिसे एक मानक के रूप में माना जाना चाहिए जिसके खिलाफ भविष्य के कार्यान्वयन आधारित होने चाहिए। आईईटीएफ के तत्वावधान में आगे के विकास को प्रतिस्पर्धी हितों द्वारा रोक दिया गया था। १९९६ के बाद से, एचटीएमएल विनिर्देशों को वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (डब्ल्यू ३ सी) द्वारा वाणिज्यिक सॉफ्टवेयर विक्रेताओं से इनपुट के साथ बनाए रखा गया है। हालांकि, २००० में, एचटीएमएल भी एक अंतरराष्ट्रीय मानक बन गया (आईएसओ / आईईसी १५४४५: २०००)। एचटीएमएल ४.०१ १९९९ के अंत में प्रकाशित किया गया था, जिसमें 20०१ के माध्यम से आगे इरेटा प्रकाशित हुआ था। 200४ में, वेब हाइपरटेक्स्ट एप्लिकेशन टेक्नोलॉजी वर्किंग ग्रुप (डब्ल्यूएचवाईडब्ल्यूजी) में एचटीएमएल ५ पर विकास शुरू हुआ, जो २००८ में डब्ल्यू ३ सी के साथ एक संयुक्त वितरण योग्य बन गया, और २८ अक्टूबर 2०१४ को पूरा और मानकीकृत किया गया। एचटीएमएल संस्करण समयरेखा २४ नवंबर, १९९५ एचटीएमएल २.० को आरएफसी १८६६ के रूप में प्रकाशित किया गया था। पूरक आरएफसी ने क्षमताओं को जोड़ा: २५ नवंबर, १९९५: आरएफसी १८६७ (फॉर्म-आधारित फ़ाइल अपलोड) मई १९९६: आरएफसी १९४२ (तालिकाएँ) अगस्त १९९६: आरएफसी १९८० (क्लाइंट-साइड छवि मानचित्र) जनवरी १९९७: आरएफसी २०७० (अंतर्राष्ट्रीयकरण)) १४ जनवरी, १९९७ एचटीएमएल ३.२ के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। यह डब्ल्यू ३ सी द्वारा विशेष रूप से विकसित और मानकीकृत पहला संस्करण था, क्योंकि आईईटीएफ ने 1२ सितंबर, १९९६ को अपने एचटीएमएल वर्किंग ग्रुप को बंद कर दिया था। प्रारंभ में कोड-नाम "विल्बर", एचटीएमएल ३.२ ने गणित के सूत्रों को पूरी तरह से गिरा दिया, विभिन्न मालिकाना एक्सटेंशन के बीच ओवरलैप को सुलझाया और नेटस्केप के अधिकांश दृश्य मार्कअप टैग को अपनाया। दोनों कंपनियों के बीच आपसी समझौते के कारण नेटस्केप के ब्लिंक एलिमेंट और माइक्रोसॉफ्ट के मार्की एलिमेंट को छोड़ दिया गया था। एचटीएमएल के समान गणितीय सूत्रों के लिए एक मार्कअप को मैथएमएल में १४ महीने बाद तक मानकीकृत नहीं किया गया था। १८ दिसम्बर १९९७ एचटीएमएल ४.० के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। यह तीन विविधताएं प्रदान करता है: सख्त, जिसमें बहिष्कृत तत्वों को मना किया जाता है संक्रमणकालीन, जिसमें बहिष्कृत तत्वों की अनुमति है फ्रेमसेट, जिसमें ज्यादातर केवल फ्रेम से संबंधित तत्वों की अनुमति है। प्रारंभ में कोड-नाम "कौगर", एचटीएमएल ४.० ने कई ब्राउज़र-विशिष्ट तत्व प्रकारों और विशेषताओं को अपनाया, लेकिन साथ ही नेटस्केप की दृश्य मार्कअप सुविधाओं को स्टाइल शीट के पक्ष में बहिष्कृत के रूप में चिह्नित करके चरणबद्ध करने की मांग की। एचटीएमएल ४ आईएसओ ८८७९ - एसजीएमएल के अनुरूप एक एसजीएमएल एप्लिकेशन है। २४ अप्रैल, १९९८ एचटीएमएल ४.० संस्करण संख्या में वृद्धि के बिना मामूली संपादन के साथ फिर से जारी किया गया था। २४ दिसम्बर १९९९ एचटीएमएल ४.०१ के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। यह एचटीएमएल ४.० के समान तीन विविधताएं प्रदान करता है और इसका अंतिम इरेटा १२ मई, 2००१ को प्रकाशित हुआ था। आईईसी १५४४५:२००० ("आईएसओ एचटीएमएल", एचटीएमएल ४.०१ स्ट्रिक्ट पर आधारित) को आईएसओ / आईईसी अंतर्राष्ट्रीय मानक के रूप में प्रकाशित किया गया था। आईएसओ में यह मानक आईएसओ / आईईसी जेटीसी १ /एससी 3४ (आईएसओ / आईईसी संयुक्त तकनीकी समिति १, उपसमिति 3४ - दस्तावेज़ विवरण और प्रसंस्करण भाषाओं) के डोमेन में आता है। एचटीएमएल ४.०१ के बाद, कई वर्षों तक एचटीएमएल का कोई नया संस्करण नहीं था क्योंकि समानांतर, एक्सएमएल-आधारित भाषा एक्सएचटीएमएल के विकास ने २००० के दशक की शुरुआत और मध्य के माध्यम से डब्ल्यू ३ सी के एचटीएमएल वर्किंग ग्रुप पर कब्जा कर लिया था। मुख्य लेख: एचटीएमएल ५ २८ अक्टूबर २०१४ एचटीएमएल ५ के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। १ नवंबर, 20१6 एचटीएमएल ५.१ के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। १४ दिसम्बर २०१७ एचटीएमएल ५.२ के रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश। एचटीएमएल ड्राफ्ट संस्करण समयरेखा एचटीएमएल टैग, १८ एचटीएमएल टैग सूचीबद्ध करने वाला एक अनौपचारिक सर्न दस्तावेज़, पहली बार सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया गया था। एचटीएमएल डीटीडी का पहला अनौपचारिक मसौदा, सात के साथ बाद के संशोधन (१५ जुलाई, ६ अगस्त, १८ अगस्त, १७ नवंबर, १९ नवंबर, २० नवंबर, २२ नवंबर) - एचटीएमएल डीटीडी १.१ (आरसीएस संशोधनों के आधार पर एक संस्करण संख्या के साथ पहला, जो १.० के बजाय १.१ से शुरू होता है), एक अनौपचारिक मसौदा हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज द्वारा प्रकाशित किया गया था आईईटीएफ आईआईआईआर वर्किंग ग्रुप एक इंटरनेट ड्राफ्ट (एक मानक के लिए एक मोटा प्रस्ताव) के रूप में। इसे दूसरे संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था एक महीने बाद। एचटीएमएल + आईईटीएफ द्वारा इंटरनेट ड्राफ्ट के रूप में प्रकाशित किया गया था और हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज ड्राफ्ट के लिए एक प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव था। जुलाई १९९४ में इसकी अवधि समाप्त हो गई। आईईटीएफ द्वारा प्रकाशित एचटीएमएल २.० का पहला मसौदा (संशोधन ००) (संशोधन ०२ से "एचटीएमएल २.०" कहा जाता है), जिसने अंततः नवंबर १९९५ में आरएफसी १८६६ का प्रकाशन किया। अप्रैल १९९५ (मार्च १९९५ को लिखा गया) एचटीएमएल ३.० को एक मानक के रूप में प्रस्तावित किया गया था आईईटीएफ, लेकिन प्रस्ताव पांच महीने बाद (२८ सितंबर १९९५) समाप्त हो गया आगे की कार्रवाई के बिना। इसमें कई क्षमताएं शामिल थीं जो रैगेट के एचटीएमएल + प्रस्ताव में थीं, जैसे कि तालिकाओं के लिए समर्थन, आंकड़ों के चारों ओर पाठ प्रवाह और जटिल गणितीय सूत्रों का प्रदर्शन। डब्ल्यू ३ सी ने एचटीएमएल ३ और कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स के लिए एक परीक्षण बिस्तर के रूप में अपने स्वयं के एरिना ब्राउज़र का विकास शुरू किया, लेकिन एचटीएमएल ३.० कई कारणों से सफल नहीं हुआ। मसौदे को 1५० पृष्ठों पर बहुत बड़ा माना जाता था और ब्राउज़र विकास की गति, साथ ही इच्छुक पार्टियों की संख्या, आईईटीएफ के संसाधनों से आगे निकल गई थी। उस समय माइक्रोसॉफ्ट और नेटस्केप सहित ब्राउज़र विक्रेताओं ने एचटीएमएल ३ की ड्राफ्ट सुविधाओं के विभिन्न सबसेट को लागू करने के साथ-साथ इसमें अपने स्वयं के एक्सटेंशन पेश करने का विकल्प चुना। (ले देख ब्राउज़र युद्ध). इनमें दस्तावेजों के शैलीगत पहलुओं को नियंत्रित करने के लिए एक्सटेंशन शामिल थे, "विश्वास [अकादमिक इंजीनियरिंग समुदाय के] के विपरीत कि पाठ रंग, पृष्ठभूमि बनावट, फ़ॉन्ट आकार और फ़ॉन्ट चेहरे जैसी चीजें निश्चित रूप से एक भाषा के दायरे से बाहर थीं जब उनका एकमात्र इरादा यह निर्दिष्ट करना था कि दस्तावेज़ कैसे व्यवस्थित किया जाएगा। डेव रैगेट, जो कई वर्षों से डब्ल्यू ३ सी फेलो रहे हैं, ने उदाहरण के लिए टिप्पणी की है: "कुछ हद तक, माइक्रोसॉफ्ट ने एचटीएमएल सुविधाओं का विस्तार करके वेब पर अपना व्यवसाय बनाया। एचटीएमएल ५ का लोगो एचटीएमएल ५ को डब्ल्यू ३ सी द्वारा वर्किंग ड्राफ्ट के रूप में प्रकाशित किया गया था। यद्यपि इसका वाक्यविन्यास एसजीएमएल से मिलता-जुलता है, एचटीएमएल ५ ने एसजीएमएल एप्लिकेशन होने के किसी भी प्रयास को छोड़ दिया है और वैकल्पिक एक्सएमएल-आधारित एक्सएचटीएमएल ५ सीरियलाइजेशन के अलावा स्पष्ट रूप से अपने स्वयं के "एचटीएमएल" सीरियलाइजेशन को परिभाषित किया है। २०११ एचटीएमएल ५ - अंतिम कॉल १४ फरवरी २०११ को, डब्ल्यू ३ सी ने एचटीएमएल ५ के लिए स्पष्ट मील के पत्थर के साथ अपने एचटीएमएल वर्किंग ग्रुप के चार्टर का विस्तार किया। मई २०११ में, कार्य समूह ने एचटीएमएल ५ को "लास्ट कॉल" में उन्नत किया, विनिर्देश की तकनीकी सुदृढ़ता की पुष्टि करने के लिए डब्ल्यू ३ सी के अंदर और बाहर समुदायों के लिए एक निमंत्रण। डब्ल्यू ३ सी ने 20१४ तक पूर्ण विनिर्देश के लिए व्यापक इंटरऑपरेबिलिटी प्राप्त करने के लिए एक व्यापक परीक्षण सूट विकसित किया, जो सिफारिश के लिए लक्ष्य तिथि थी। जनवरी २०११ में, व्हाट्सएप ने अपने "एचटीएमएल ५" जीवन स्तर का नाम बदलकर "एचटीएमएल" कर दिया। डब्ल्यू ३ सी फिर भी एचटीएमएल ५ जारी करने के लिए अपनी परियोजना जारी रखता है। २०१२ एचटीएमएल ५ उम्मीदवार की सिफारिश जुलाई २०१२ में, डब्ल्यूएचओजी और डब्ल्यू ३ सी ने अलगाव की डिग्री पर फैसला किया। डब्ल्यू ३ सी एचटीएमएल ५ विनिर्देश कार्य जारी रखेगा, एक एकल निश्चित मानक पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसे डब्ल्यूएचडब्ल्यूजी द्वारा "स्नैपशॉट" माना जाता है। डब्ल्यूएचडब्ल्यूजी संगठन एचटीएमएल ५ के साथ "लिविंग स्टैंडर्ड" के रूप में अपना काम जारी रखेगा। एक जीवन स्तर की अवधारणा यह है कि यह कभी पूरा नहीं होता है और हमेशा अद्यतन और सुधार किया जा रहा है। नई सुविधाएँ जोड़ी जा सकती हैं लेकिन कार्यक्षमता नहीं हटाई जाएगी। दिसंबर २०१२ में, डब्ल्यू ३ सी ने एचटीएमएल ५ को उम्मीदवार सिफारिश के रूप में नामित किया। डब्ल्यू ३ सी सिफारिश में उन्नति के लिए मानदंड "दो १००% पूर्ण और पूरी तरह से इंटरऑपरेबल कार्यान्वयन" है। २०१४ एचटीएमएल ५ - प्रस्तावित सिफारिश और सिफारिश सितंबर २०१४ में, डब्ल्यू ३ सी ने एचटीएमएल ५ को प्रस्तावित सिफारिश में स्थानांतरित कर दिया। २८ अक्टूबर २०१४ को, एचटीएमएल ५ को एक स्थिर डब्ल्यू ३ सी सिफारिश के रूप में जारी किया गया था, जिसका अर्थ है कि विनिर्देश प्रक्रिया पूरी हो गई है। मुख्य लेख: एक्सएचटीएमएल एक्सएचटीएमएल एक अलग भाषा है जो एक्सएमएल १.० का उपयोग करके एचटीएमएल ४.०१ के पुनर्निर्माण के रूप में शुरू हुई। इसे अब एक अलग मानक के रूप में विकसित नहीं किया जा रहा है। एक्सएचटीएमएल १.० को २६ जनवरी, 2००० को डब्ल्यू ३ सी सिफारिश के रूप में प्रकाशित किया गया था, और बाद में १ अगस्त, 2००2 को संशोधित और पुनर्प्रकाशित किया गया था। यह एचटीएमएल ४.० और ४.०१ के समान तीन विविधताएं प्रदान करता है, जो एक्सएमएल में मामूली प्रतिबंधों के साथ सुधारित किया गया है। एक्सएचटीएमएल १.१ रूप में प्रकाशित किया गया था डब्ल्यू ३ सी सिफारिश ३१ मई, 2००१ को। यह एक्सएचटीएमएल १.० सख्त पर आधारित है, लेकिन इसमें मामूली परिवर्तन शामिल हैं, अनुकूलित किया जा सकता है, और डब्ल्यू ३ सी सिफारिश "एक्सएचटीएमएल का मॉड्यूलराइजेशन" में मॉड्यूल का उपयोग करके फिर से तैयार किया गया है, जिसे १० अप्रैल, 2००१ को प्रकाशित किया गया था। एक्सएचटीएमएल २.० एक कामकाजी मसौदा था, इस पर काम २००9 में एचटीएमएल ५ और एक्सएचटीएमएल ५ पर काम के पक्ष में छोड़ दिया गया था। एक्सएचटीएमएल २.० एक्सएचटीएमएल १.एक्स के साथ असंगत था और इसलिए, एक्सएचटीएमएल १.एक्स के अपडेट की तुलना में एक्सएचटीएमएल-प्रेरित नई भाषा के रूप में अधिक सटीक रूप से विशेषता होगी। एक एक्सएचटीएमएल सिंटैक्स, जिसे "एक्सएचटीएमएल ५.१" के रूप में जाना जाता है, को एचटीएमएल ५ ड्राफ्ट में एचटीएमएल ५ के साथ परिभाषित किया जा रहा है। एचटीएमएल प्रकाशन का डब्ल्यूएचएटीडब्ल्यूजी में संक्रमण यह भी देखें: एचटीएमएल ५ डब्ल्यू ३ सी और व्हाट्सएप संघर्ष २८ मई २०१९ को, डब्ल्यू ३ सी ने घोषणा की कि व्हाट्सएप एचटीएमएल और डोम मानकों का एकमात्र प्रकाशक होगा। डब्ल्यू ३ सी और डब्ल्यूएचडब्ल्यूडब्ल्यूजी २०१२ से प्रतिस्पर्धी मानकों को प्रकाशित कर रहे थे। जबकि डब्ल्यू ३ सी मानक २००७ में डब्ल्यूएचओडब्ल्यूजी के समान था, मानकों को विभिन्न डिजाइन निर्णयों के कारण उत्तरोत्तर अलग किया गया है। डब्ल्यूएचडब्ल्यूजी "लिविंग स्टैंडर्ड" कुछ समय के लिए वास्तविक वेब मानक था। एचटीएमएल मार्कअप में कई प्रमुख घटक होते हैं, जिनमें टैग (और उनकी विशेषताएं), चरित्र-आधारित डेटा प्रकार, वर्ण संदर्भ और इकाई संदर्भ शामिल हैं। एचटीएमएल टैग आमतौर पर जोड़े में आते हैं जैसे और, हालांकि कुछ खाली तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए अप्रकाशित होते हैं, उदाहरण के लिए। ऐसी जोड़ी में पहला टैग स्टार्ट टैग है, और दूसरा एंड टैग है (उन्हें ओपनिंग टैग और क्लोजिंग टैग भी कहा जाता है)। <ह१></ह१><इंग> एक अन्य महत्वपूर्ण घटक एचटीएमएल दस्तावेज़ प्रकार घोषणा है, जो मानक मोड रेंडरिंग को ट्रिगर करता है। निम्नलिखित क्लासिक "हैलो, वर्ल्ड!" कार्यक्रम का एक उदाहरण है: के बीच का पाठ और वेब पेज का वर्णन करता है, और बीच का पाठ और दृश्यमान पृष्ठ सामग्री है। मार्कअप टेक्स्ट ब्राउज़र टैब और विंडो शीर्षक पर दिखाए गए ब्राउज़र पेज शीर्षक को परिभाषित करता है, और टैग आसान स्टाइल के लिए उपयोग किए जाने वाले पृष्ठ के विभाजन को परिभाषित करता है। के बीच और, वेबपेज मेटाडेटा को परिभाषित करने के लिए एक तत्व का उपयोग किया जा सकता है। <हत्मल></हत्मल><बॉडी></बॉडी><तितले>तीस इस आ तितले</तितले><दीव><हेड></हेड><मेटा> दस्तावेज़ प्रकार घोषणा एचटीएमएल ५ के लिए है। यदि कोई घोषणा शामिल नहीं है, तो विभिन्न ब्राउज़र प्रतिपादन के लिए "क्विर्क मोड" पर वापस आ जाएंगे। <!दोक्रायप हत्मल> मुख्य लेख: एचटीएमएल तत्व एचटीएमएल तत्व सामग्री श्रेणियाँ एचटीएमएल दस्तावेज़ नेस्टेड एचटीएमएल तत्वों की एक संरचना को दर्शाते हैं। इन्हें एचटीएमएल टैग द्वारा दस्तावेज़ में इंगित किया गया है, कोण कोष्ठक में संलग्न है: । [बेहतर स्रोत की जरूरत है]<प> सरल, सामान्य मामले में, एक तत्व की सीमा टैग की एक जोड़ी द्वारा इंगित की जाती है: एक "प्रारंभ टैग" और "अंत टैग"। तत्व की पाठ सामग्री, यदि कोई हो, तो इन टैग के बीच रखी जाती है। <प></प> टैग प्रारंभ और अंत के बीच आगे टैग मार्कअप भी संलग्न कर सकते हैं, जिसमें टैग और पाठ का मिश्रण शामिल है। यह मूल तत्व के बच्चों के रूप में आगे (नेस्टेड) तत्वों को इंगित करता है। प्रारंभ टैग में टैग के भीतर तत्व की विशेषताएं भी शामिल हो सकती हैं। ये अन्य जानकारी को इंगित करते हैं, जैसे दस्तावेज़ के भीतर अनुभागों के लिए पहचानकर्ता, शैली की जानकारी को दस्तावेज़ की प्रस्तुति से बाइंड करने के लिए उपयोग किए जाने वाले पहचानकर्ता, और कुछ टैग जैसे छवियों को एम्बेड करने के लिए उपयोग किए जाने वाले, प्रारूप में छवि संसाधन का संदर्भ इस तरह: कुछ तत्व, जैसे कि लाइन ब्रेक, या किसी भी एम्बेडेड सामग्री, या तो पाठ या आगे के टैग की अनुमति नहीं देते हैं। इन्हें केवल एक खाली टैग (स्टार्ट टैग के समान) की आवश्यकता होती है और अंत टैग का उपयोग नहीं करते हैं। <ब्र /><ब्र /> कई टैग, विशेष रूप से बहुत आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले पैराग्राफ तत्व के लिए समापन अंत टैग, वैकल्पिक हैं। एक एचटीएमएल ब्राउज़र या अन्य एजेंट संदर्भ और एचटीएमएल मानक द्वारा परिभाषित संरचनात्मक नियमों से किसी तत्व के अंत के लिए बंद होने का अनुमान लगा सकता है। ये नियम जटिल हैं और अधिकांश एचटीएमएल कोडर द्वारा व्यापक रूप से समझ में नहीं आते हैं। <प> एचटीएमएल तत्व का सामान्य रूप इसलिए है: । कुछ एचटीएमएल तत्वों को खाली तत्वों के रूप में परिभाषित किया जाता है और वे रूप लेते हैं। खाली तत्व कोई सामग्री संलग्न नहीं कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, टैग या इनलाइन टैग। एचटीएमएल तत्व का नाम टैग में उपयोग किया जाने वाला नाम है। ध्यान दें कि अंत टैग का नाम एक स्लैश वर्ण से पहले है, और खाली तत्वों में अंत टैग न तो आवश्यक है और न ही अनुमति है। यदि विशेषताओं का उल्लेख नहीं किया गया है, तो प्रत्येक मामले में डिफ़ॉल्ट मानों का उपयोग किया जाता है। ''कॉन्टेंट''<तग अटट्रिब्यूट१="वेल्यू१" अटट्रिब्यूट२="वेल्यू२"><ब्र /><इंग>/ तत्व के उदाहरण यह भी देखें: एचटीएमएल तत्व एचटीएमएल दस्तावेज़ का शीर्ष लेख: | शीर्षक सिर में शामिल है, उदाहरण के लिए: ... एच. टी. एम. एल शीर्षकों को एच १ के साथ टैग के साथ परिभाषित किया गया है जो उच्चतम (या सबसे महत्वपूर्ण) स्तर है और एच ६ कम से कम है: <ह१><ह६> प्रभाव इस प्रकार हैं: स्तर १ शीर्षक शीर्ष स्तर २ स्तर ३ शीर्षक स्तर ४ शीर्षक स्तर ५ शीर्षक स्तर ६ शीर्षकध्यान दें कि सीएसएस प्रतिपादन को काफी बदल सकता है। <ब्र />. और के बीच का अंतर यह है कि पृष्ठ की शब्दार्थ संरचना को बदले बिना एक पंक्ति को तोड़ता है, जबकि पृष्ठ को पैराग्राफ में विभाजित करता है। तत्व उसमें एक खाली तत्व है, हालांकि इसमें विशेषताएं हो सकती हैं, यह कोई सामग्री नहीं ले सकता है और इसमें अंत टैग नहीं हो सकता है। <ब्र /><प><ब्र /><प><ब्र /> यह एचटीएमएल में एक लिंक है। लिंक बनाने के लिए टैग का उपयोग किया जाता है। विशेषता लिंक का यूआरएल पता रखती है। <आ>ह्रेफ ऐसे कई संभावित तरीके हैं जिनसे उपयोगकर्ता इनपुट /एस दे सकता है जैसे: टिप्पणियाँ मार्कअप की समझ में मदद कर सकती हैं और वेबपृष्ठ में प्रदर्शित नहीं होती हैं। एचटीएमएल में उपयोग किए जाने वाले कई प्रकार के मार्कअप तत्व हैं: संरचनात्मक मार्कअप पाठ के उद्देश्य को इंगित करता है उदाहरण के लिए, "गोल्फ" को दूसरे स्तर के शीर्षक के रूप में स्थापित करता है। संरचनात्मक मार्कअप किसी भी विशिष्ट रेंडरिंग को निरूपित नहीं करता है, लेकिन अधिकांश वेब ब्राउज़रों में तत्व स्वरूपण के लिए डिफ़ॉल्ट शैलियाँ होती हैं। कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स (सीएसएस) का उपयोग करके सामग्री को आगे स्टाइल किया जा सकता है। <ह२>गोल्फ</ह२> प्रस्तुति मार्कअप पाठ के प्रकटन को इंगित करता है, भले ही इसका उद्देश्य कुछ भी हो उदाहरण के लिए, इंगित करता है कि दृश्य आउटपुट उपकरणों को बोल्ड टेक्स्ट में "बोल्डफेस" प्रस्तुत करना चाहिए, लेकिन बहुत कम संकेत देता है कि ऐसा करने में असमर्थ डिवाइस (जैसे कि कर्ण डिवाइस जो पाठ को जोर से पढ़ते हैं) को क्या करना चाहिए। दोनों के मामले में और, ऐसे अन्य तत्व हैं जिनमें समतुल्य दृश्य प्रतिपादन हो सकते हैं लेकिन जो प्रकृति में अधिक शब्दार्थ हैं, जैसे कि और क्रमशः। यह देखना आसान है कि एक कर्ण उपयोगकर्ता एजेंट को बाद के दो तत्वों की व्याख्या कैसे करनी चाहिए। हालांकि, वे अपने प्रस्तुति समकक्षों के बराबर नहीं हैं: उदाहरण के लिए, स्क्रीन-रीडर के लिए किसी पुस्तक के नाम पर जोर देना अवांछनीय होगा, लेकिन स्क्रीन पर इस तरह के नाम को इटैलिक किया जाएगा। स्टाइल के लिए सीएसएस का उपयोग करने के पक्ष में एचटीएमएल ४.० विनिर्देश के तहत अधिकांश प्रस्तुति मार्कअप तत्वों को बहिष्कृत कर दिया गया है।<ब>बोल्ड टेक्स्ट</ब><ब>बोल्ड टेक्स्ट</ब><ई>इटालिक टेक्स्ट</ई><स्ट्रोंग>स्ट्रोंग टेक्स्ट</स्ट्रोंग><एम>एम्फासाइज़्ड टेक्स्ट</एम> हाइपरटेक्स्ट मार्कअप किसी दस्तावेज़ के भागों को अन्य दस्तावेज़ों की लिंक्स में बनाता है एक एंकर तत्व दस्तावेज़ में एक हाइपरलिंक बनाता है और इसकी विशेषता लिंक के लक्ष्य यूआरएल को सेट करती है। उदाहरण के लिए, एचटीएमएल मार्कअप, "विकिपीडिया" शब्द को हाइपरलिंक के रूप में प्रस्तुत करेगा। किसी छवि को हाइपरलिंक के रूप में प्रस्तुत करने के लिए, तत्व में सामग्री के रूप में एक तत्व डाला जाता है। जैसे, विशेषताओं के साथ एक खाली तत्व है लेकिन कोई सामग्री या समापन टैग नहीं है। .हरेफ्विकीपेडैमगाब्रिमग मुख्य लेख: एचटीएमएल विशेषता किसी तत्व की अधिकांश विशेषताएं नाम-मूल्य जोड़े हैं, जिन्हें तत्व के नाम के बाद किसी तत्व के प्रारंभ टैग के भीतर अलग और लिखा जाता है। मान को एकल या दोहरे उद्धरणों में संलग्न किया जा सकता है, हालांकि कुछ वर्णों से युक्त मानों को एचटीएमएल में अनकोटेड छोड़ा जा सकता है (लेकिन एक्सएचटीएमएल नहीं)। विशेषता मूल्यों को बिना उद्धृत छोड़ने को असुरक्षित माना जाता है। नाम-मूल्य जोड़ी विशेषताओं के विपरीत, कुछ विशेषताएं हैं जो तत्व के प्रारंभ टैग में उनकी उपस्थिति से तत्व को प्रभावित करती हैं, तत्व के लिए विशेषता की तरह। =इसमापिंग कई सामान्य विशेषताएं हैं जो कई तत्वों में दिखाई दे सकती हैं: विशेषता किसी तत्व के लिए दस्तावेज़-व्यापी अनन्य पहचानकर्ता प्रदान करती है. इसका उपयोग तत्व की पहचान करने के लिए किया जाता है ताकि स्टाइलशीट अपने प्रस्तुति गुणों को बदल सकें, और स्क्रिप्ट इसकी सामग्री या प्रस्तुति को बदल, एनिमेट या हटा सकें। पृष्ठ के यूआरएल में संलग्न, यह तत्व के लिए विश्व स्तर पर अद्वितीय पहचानकर्ता प्रदान करता है, आमतौर पर पृष्ठ का एक उप-अनुभाग। उदाहरण के लिए, ईद "विशेषताएँ" में.इधप्स://एन.विकिपीड़िया.ऑर्ग/विकी/हत्मल#अटट्रिब्यूट् विशेषता समान तत्वों को वर्गीकृत करने का एक तरीका प्रदान करती है। इसका उपयोग शब्दार्थ या प्रस्तुति उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक हत्मल दस्तावेज़ यह इंगित करने के लिए पदनाम का उपयोग कर सकता है कि इस वर्ग मान वाले सभी तत्व दस्तावेज़ के मुख्य पाठ के अधीनस्थ हैं। प्रस्तुति में, ऐसे तत्वों को एक साथ इकट्ठा किया जा सकता है और एचटीएमएल स्रोत में होने वाले स्थान पर दिखाई देने के बजाय पृष्ठ पर फुटनोट के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। वर्ग विशेषताओं का उपयोग माइक्रोफॉर्मेट में शब्दार्थ रूप से किया जाता है। एकाधिक वर्ग मान निर्दिष्ट किए जा सकते हैं; उदाहरण के लिए तत्व को दोनों और कक्षाओं में रखता है।क्लास<क्लास="नोटशन"><क्लास="नोटशन इम्पोर्तंट">नोटशनिम्पोर्तंट एक लेखक किसी विशेष तत्व को प्रस्तुतिकरण गुण असाइन करने के लिए विशेषता का उपयोग कर सकता है। स्टाइलशीट के भीतर से तत्व का चयन करने के लिए किसी तत्व या विशेषताओं का उपयोग करना बेहतर अभ्यास माना जाता है, हालांकि कभी-कभी यह एक सरल, विशिष्ट या तदर्थ स्टाइल के लिए बहुत बोझिल हो सकता है।शैलाइडक्लास विशेषता का उपयोग किसी तत्व को सबटेक्स्टुअल स्पष्टीकरण संलग्न करने के लिए किया जाता है। अधिकांश ब्राउज़रों में यह विशेषता टूलटिप के रूप में प्रदर्शित होती है।तितले विशेषता तत्व की सामग्री की प्राकृतिक भाषा की पहचान करती है, जो बाकी दस्तावेज़ से अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी अंग्रेज़ी भाषा के दस्तावेज़ में: लांग संक्षिप्त नाम तत्व, , का उपयोग इनमें से कुछ विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है: अब्ब्र यह उदाहरण एचटीएमएल के रूप में प्रदर्शित होता है; अधिकांश ब्राउज़रों में, संक्षिप्त नाम पर कर्सर को इंगित करने से शीर्षक पाठ "हाइपरटेक्स्ट मार्कअप भाषा" प्रदर्शित होना चाहिए। अधिकांश तत्व पाठ दिशा निर्दिष्ट करने के लिए भाषा से संबंधित विशेषता लेते हैं, जैसे कि दाएं-से-बाएं पाठ के लिए "आरटीएल" के साथ, उदाहरण के लिए, अरबी, फारसी या हिब्रू। दीर वर्ण और एंटिटी संदर्भ यह भी देखें: एक्सएमएल और एचटीएमएल वर्ण इकाई संदर्भों और यूनिकोड और एचटीएमएल की सूची संस्करण ४.० के रूप में, एचटीएमएल २५२ वर्ण इकाई संदर्भों का एक सेट और १,११४,०5० संख्यात्मक चरित्र संदर्भों का एक सेट परिभाषित करता है, जो दोनों व्यक्तिगत वर्णों को शाब्दिक रूप से लिखने के बजाय सरल मार्कअप के माध्यम से लिखने की अनुमति देते हैं। एक शाब्दिक चरित्र और इसके मार्कअप समकक्ष को समकक्ष माना जाता है और समान रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इस तरह से वर्णों को "भागने" की क्षमता वर्णों के लिए अनुमति देती है और (जब क्रमशः और , के रूप में लिखा जाता है) मार्कअप के बजाय चरित्र डेटा के रूप में व्याख्या की जाती है। उदाहरण के लिए, एक शाब्दिक सामान्य रूप से एक टैग की शुरुआत को इंगित करता है, और आमतौर पर एक चरित्र इकाई संदर्भ या संख्यात्मक वर्ण संदर्भ की शुरुआत को इंगित करता है; इसे किसी तत्व की सामग्री में या किसी विशेषता के मूल्य में शामिल करने की अनुमति देता है या लिखता है। डबल-कोट वर्ण (), जब किसी विशेषता मान को उद्धृत करने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, तो विशेषता मान के भीतर ही प्रकट होने पर या उससे भी बचना चाहिए। समतुल्य रूप से, एकल-उद्धरण वर्ण (), जब विशेषता मान को उद्धृत करने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, तो विशेषता मान के भीतर प्रकट होने पर या (या एचटीएमएल ५ या एक्सएचटीएमएल दस्तावेज़ों के रूप में) से भी बचना चाहिए। यदि दस्तावेज़ लेखक ऐसे पात्रों से बचने की आवश्यकता को अनदेखा करते हैं, तो कुछ ब्राउज़र बहुत क्षमाशील हो सकते हैं और उनके इरादे का अनुमान लगाने के लिए संदर्भ का उपयोग करने का प्रयास कर सकते हैं। परिणाम अभी भी अमान्य मार्कअप है, जो दस्तावेज़ को अन्य ब्राउज़रों और अन्य उपयोगकर्ता एजेंटों के लिए कम पहुँच योग्य बनाता है जो उदाहरण के लिए खोज और अनुक्रमण उद्देश्यों के लिए दस्तावेज़ को पार्स करने का प्रयास कर सकते हैं। <&&ल्ट;&एम्प;<&&एम्प;&#क्स२६;&#३८;&"&कोट;&#क्स२२;&#३४;'&#क्स२७;&#३९;&एपोस; पलायन उन वर्णों के लिए भी अनुमति देता है जो आसानी से टाइप नहीं किए जाते हैं, या जो दस्तावेज़ के वर्ण एन्कोडिंग में उपलब्ध नहीं हैं, तत्व और विशेषता सामग्री के भीतर प्रतिनिधित्व करने के लिए। उदाहरण के लिए, तीव्र उच्चारण (), एक वर्ण जो आमतौर पर केवल पश्चिमी यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी कीबोर्ड पर पाया जाता है, किसी भी एचटीएमएल दस्तावेज़ में इकाई संदर्भ के रूप में या संख्यात्मक संदर्भ के रूप में या, उन वर्णों का उपयोग करके लिखा जा सकता है जो सभी कीबोर्ड पर उपलब्ध हैं और सभी वर्ण एन्कोडिंग में समर्थित हैं। यूटीएफ -८ जैसे यूनिकोड कैरेक्टर एन्कोडिंग सभी आधुनिक ब्राउज़रों के साथ संगत हैं और दुनिया के लेखन प्रणालियों के लगभग सभी पात्रों तक सीधी पहुंच की अनुमति देते हैं। ए&ईक्यूट;&#ज़े९;&#२३३; एचटीएमएल तत्व सामग्री के लिए कई डेटा प्रकारों को परिभाषित करता है, जैसे स्क्रिप्ट डेटा और स्टाइलशीट डेटा, और विशेषता मानों के लिए ढेर सारे प्रकार, जिनमें आईडी, नाम, यूआरआई, संख्याएं, लंबाई की इकाइयां, भाषाएं, मीडिया डिस्क्रिप्टर, रंग, वर्ण एन्कोडिंग, दिनांक और समय आदि शामिल हैं। ये सभी डेटा प्रकार वर्ण डेटा की विशेषज्ञता हैं। दस्तावेज़ प्रकार घोषणा एचटीएमएल दस्तावेज़ों को दस्तावेज़ प्रकार घोषणा (अनौपचारिक रूप से, एक "डॉकटाइप") के साथ शुरू करने की आवश्यकता होती है। ब्राउज़रों में, डॉकटाइप रेंडरिंग मोड को परिभाषित करने में मदद करता है-विशेष रूप से क्विर्क मोड का उपयोग करना है या नहीं। डॉकटाइप का मूल उद्देश्य दस्तावेज़ प्रकार परिभाषा (डीटीडी) के आधार पर एसजीएमएल टूल द्वारा एचटीएमएल दस्तावेजों के पार्सिंग और सत्यापन को सक्षम करना था। डीटीडी जिसे डीओसीटाइप संदर्भित करता है, उसमें एक मशीन-पठनीय व्याकरण होता है जो इस तरह के डीटीडी के अनुरूप दस्तावेज़ के लिए अनुमत और निषिद्ध सामग्री निर्दिष्ट करता है। दूसरी ओर, ब्राउज़र एचटीएमएल को एसजीएमएल के अनुप्रयोग के रूप में लागू नहीं करते हैं और परिणामस्वरूप डीटीडी को नहीं पढ़ते हैं। एचटीएमएल ५ डीटीडी को परिभाषित नहीं करता है; इसलिए, एचटीएमएल ५ में डॉकटाइप घोषणा सरल और छोटी है: एचटीएमएल ४ डॉकटाइप का एक उदाहरण यह घोषणा एचटीएमएल ४.०१ के "सख्त" संस्करण के लिए डीटीडी का संदर्भ देती है। एसजीएमएल-आधारित सत्यापनकर्ता दस्तावेज़ को ठीक से पार्स करने और सत्यापन करने के लिए डीटीडी पढ़ते हैं। आधुनिक ब्राउज़रों में, एक वैध डॉकटाइप क्विर्क मोड के विपरीत मानक मोड को सक्रिय करता है। इसके अलावा, एचटीएमएल ४.०१ संक्रमणकालीन और फ्रेमसेट डीटीडी प्रदान करता है, जैसा कि नीचे बताया गया है। संक्रमणकालीन प्रकार सबसे समावेशी है, जिसमें वर्तमान टैग के साथ-साथ पुराने या "बहिष्कृत" टैग शामिल हैं, जिसमें बहिष्कृत टैग को छोड़कर सख्त डीटीडी है। फ्रेमसेट में संक्रमणकालीन प्रकार में शामिल टैग के साथ एक पृष्ठ पर फ्रेम बनाने के लिए आवश्यक सभी टैग हैं। मुख्य लेख: शब्दार्थ एचटीएमएल सिमेंटिक एचटीएमएल एचटीएमएल लिखने का एक तरीका है जो अपनी प्रस्तुति (लुक) पर एन्कोडेड जानकारी के अर्थ पर जोर देता है। एचटीएमएल ने अपनी स्थापना से सिमेंटिक मार्कअप को शामिल किया है, लेकिन इसमें प्रेजेंटेशनल मार्कअप, जैसे, और टैग भी शामिल हैं। शब्दार्थ तटस्थ अवधि और डिव टैग भी हैं। १९९० के दशक के उत्तरार्ध से, जब कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स अधिकांश ब्राउज़रों में काम करना शुरू कर रहे थे, वेब लेखकों को प्रस्तुति और सामग्री के पृथक्करण की दृष्टि से प्रस्तुति एचटीएमएल मार्कअप के उपयोग से बचने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। <फॉण्ट><ई><सेंटर> सिमेंटिक वेब की २००१ की चर्चा में, टिम बर्नर्स-ली और अन्य लोगों ने उन तरीकों के उदाहरण दिए जिनमें बुद्धिमान सॉफ़्टवेयर "एजेंट" एक दिन स्वचालित रूप से वेब क्रॉल कर सकते हैं और मानव उपयोगकर्ताओं के लाभ के लिए पहले असंबंधित, प्रकाशित तथ्यों को ढूंढ सकते हैं, फ़िल्टर कर सकते हैं और सहसंबंधित कर सकते हैं। ऐसे एजेंट अब भी आम नहीं हैं, लेकिन वेब २.०, मैशप और मूल्य तुलना वेबसाइटों के कुछ विचार करीब आ सकते हैं। इन वेब एप्लिकेशन हाइब्रिड और बर्नर्स-ली के शब्दार्थ एजेंटों के बीच मुख्य अंतर इस तथ्य में निहित है कि जानकारी का वर्तमान एकत्रीकरण और संकरण आमतौर पर वेब डेवलपर्स द्वारा डिज़ाइन किया जाता है, जो पहले से ही वेब स्थानों और विशिष्ट डेटा के एपीआई शब्दार्थ को जानते हैं जो वे मैश, तुलना और गठबंधन करना चाहते हैं। एक महत्वपूर्ण प्रकार का वेब एजेंट जो वेब पृष्ठों को स्वचालित रूप से क्रॉल और पढ़ता है, बिना किसी पूर्व ज्ञान के कि यह क्या मिल सकता है, वेब क्रॉलर या खोज-इंजन मकड़ी है। ये सॉफ़्टवेयर एजेंट वेब पृष्ठों की शब्दार्थ स्पष्टता पर निर्भर हैं क्योंकि वे एक दिन में लाखों वेब पृष्ठों को पढ़ने और इंडेक्स करने के लिए विभिन्न तकनीकों और एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं और वेब उपयोगकर्ताओं को खोज सुविधाएं प्रदान करते हैं जिसके बिना वर्ल्ड वाइड वेब की उपयोगिता बहुत कम हो जाएगी। खोज-इंजन मकड़ियों के लिए एचटीएमएल दस्तावेजों में पाए जाने वाले पाठ के टुकड़ों के महत्व को रेट करने में सक्षम होने के लिए, और मैशप और अन्य संकर बनाने वालों के साथ-साथ अधिक स्वचालित एजेंटों के लिए भी, एचटीएमएल में मौजूद शब्दार्थ संरचनाओं को प्रकाशित पाठ के अर्थ को बाहर लाने के लिए व्यापक रूप से और समान रूप से लागू करने की आवश्यकता है। प्रेजेंटेशनल मार्कअप टैग वर्तमान एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल सिफारिशों में बहिष्कृत हैं। एचटीएमएल के पिछले संस्करणों से अधिकांश प्रस्तुतिकरण सुविधाओं की अनुमति नहीं है क्योंकि वे खराब पहुंच, साइट रखरखाव की उच्च लागत और बड़े दस्तावेज़ आकार ों की ओर ले जाते हैं। अच्छा शब्दार्थ एचटीएमएल वेब दस्तावेज़ों की पहुंच में भी सुधार करता है (वेब सामग्री एक्सेसिबिलिटी दिशानिर्देश भी देखें)। उदाहरण के लिए, जब कोई स्क्रीन रीडर या ऑडियो ब्राउज़र किसी दस्तावेज़ की संरचना का सही ढंग से पता लगा सकता है, तो यह सही ढंग से चिह्नित होने पर बार-बार या अप्रासंगिक जानकारी पढ़कर दृष्टिबाधित उपयोगकर्ता का समय बर्बाद नहीं करेगा। एचटीएमएल दस्तावेज़ों को किसी भी अन्य कंप्यूटर फ़ाइल के समान साधनों द्वारा वितरित किया जा सकता है। हालाँकि, वे अक्सर वेब सर्वर से या ईमेल द्वारा हप द्वारा वितरित किए जाते हैं। मुख्य लेख: हाइपरटेक्स्ट स्थानांतरण प्रोटोकॉल वर्ल्ड वाइड वेब मुख्य रूप से हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एचटीटीपी) का उपयोग करके वेब सर्वर से वेब ब्राउज़र में प्रेषित एचटीएमएल दस्तावेजों से बना है। हालांकि, एचटीटीपी का उपयोग एचटीएमएल के अलावा छवियों, ध्वनि और अन्य सामग्री की सेवा के लिए किया जाता है। वेब ब्राउज़र को यह जानने की अनुमति देने के लिए कि उसे प्राप्त होने वाले प्रत्येक दस्तावेज़ को कैसे संभालना है, दस्तावेज़ के साथ अन्य जानकारी प्रेषित की जाती है। इस मेटा डेटा में आमतौर पर माइम प्रकार (जैसे, या) और वर्ण एन्कोडिंग (एचटीएमएल में वर्ण एन्कोडिंग देखें) शामिल हैं। टेक्स्ट/हत्मलाप्प्लिकेशन/खत्मल+क्स्म्ल आधुनिक ब्राउज़रों में, हत्मल दस्तावेज़ के साथ भेजा गया मिमे प्रकार प्रभावित कर सकता है कि दस्तावेज़ प्रारंभ में कैसे व्याख्या की जाती है। एक्सएचटीएमएल माइम प्रकार के साथ भेजा गया एक दस्तावेज़ अच्छी तरह से गठित एक्सएमएल होने की उम्मीद है; सिंटैक्स त्रुटियों के कारण ब्राउज़र इसे रेंडर करने में विफल हो सकता है। एचटीएमएल माइम प्रकार के साथ भेजा गया एक ही दस्तावेज़ सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया जा सकता है, क्योंकि कुछ ब्राउज़र एचटीएमएल के साथ अधिक उदार हैं। व३च अनुशंसाएँ बताती हैं कि अनुशंसा के परिशिष्ट च में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने वाले खत्मल १.० दस्तावेज़ों को मिमे प्रकार के साथ लेबल किया जा सकता है। एक्सएचटीएमएल १.१ यह भी बताता है कि एक्सएचटीएमएल १.१ दस्तावेजों तो माइम प्रकार के साथ लेबल किया जाना चाहिए। मुख्य लेख: एचटीएमएल ईमेल अधिकांश ग्राफिकल ईमेल क्लाइंट एचटीएमएल (अक्सर बीमार परिभाषित) के सबसेट के उपयोग की अनुमति देते हैं ताकि स्वरूपण और सिमेंटिक मार्कअप प्रदान किया जा सके जो सादे पाठ के साथ उपलब्ध नहीं है। इसमें रंगीन शीर्षकों, जोर देने और उद्धृत पाठ, इनलाइन छवियों और आरेखों जैसी टाइपोग्राफिक जानकारी शामिल हो सकती है। ऐसे कई क्लाइंट में एचटीएमएल ई-मेल संदेशों की रचना के लिए एक जीयूआई संपादक और उन्हें प्रदर्शित करने के लिए एक रेंडरिंग इंजन दोनों शामिल हैं। ई-मेल में हत्मल के उपयोग की कुछ लोगों द्वारा संगतता मुद्दों के कारण आलोचना की जाती है, क्योंकि यह फ़िशिंग हमलों को छिपाने में मदद कर सकता है, क्योंकि अंधे या दृष्टिबाधित लोगों के लिए पहुँच समस्याओं के कारण, क्योंकि यह स्पैम फ़िल्टर को भ्रमित कर सकता है और क्योंकि संदेश का आकार सादे पाठ से बड़ा है। एचटीएमएल वाली फ़ाइलों के लिए सबसे आम फ़ाइल नाम एक्सटेंशन है। इसका एक सामान्य संक्षिप्त नाम है, जिसकी उत्पत्ति कुछ शुरुआती ऑपरेटिंग सिस्टम और फ़ाइल सिस्टम, जैसे कि डॉस और एफएटी डेटा संरचना द्वारा लगाई गई सीमाएं, फ़ाइल एक्सटेंशन को तीन अक्षरों तक सीमित करती हैं। .हत्मल.हत्म मुख्य लेख: एचटीएमएल अनुप्रयोग एक एचटीएमएल एप्लिकेशन (एचटीए; फ़ाइल एक्सटेंशन) एक माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एप्लिकेशन है जो एप्लिकेशन के ग्राफिकल इंटरफ़ेस प्रदान करने के लिए ब्राउज़र में एचटीएमएल और डायनामिक एचटीएमएल का उपयोग करता है। एक नियमित एचटीएमएल फ़ाइल वेब ब्राउज़र की सुरक्षा के सुरक्षा मॉडल तक ही सीमित है, केवल वेब सर्वर से संवाद करती है और केवल वेब पेज ऑब्जेक्ट्स और साइट कुकीज़ में हेरफेर करती है। एक एचटीए पूरी तरह से विश्वसनीय एप्लिकेशन के रूप में चलता है और इसलिए इसमें अधिक विशेषाधिकार हैं, जैसे फ़ाइलों और विंडोज रजिस्ट्री प्रविष्टियों का निर्माण / क्योंकि वे ब्राउज़र के सुरक्षा मॉडल के बाहर काम करते हैं, एचटीए को एचटीटीपी के माध्यम से निष्पादित नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे डाउनलोड किया जाना चाहिए (ईएक्सई फ़ाइल की तरह) और स्थानीय फ़ाइल सिस्टम से निष्पादित किया जाना चाहिए। .हता एचटीएमएल ४ विविधताएं इसकी स्थापना के बाद से, एचटीएमएल और इसके संबंधित प्रोटोकॉल ने अपेक्षाकृत जल्दी स्वीकृति प्राप्त की। [किसके द्वारा?] हालाँकि, भाषा के शुरुआती वर्षों में कोई स्पष्ट मानक मौजूद नहीं थे। यद्यपि इसके रचनाकारों ने मूल रूप से एचटीएमएल की कल्पना प्रस्तुति विवरण से रहित एक शब्दार्थ भाषा के रूप में की थी, ने कई प्रस्तुतिकरण तत्वों और विशेषताओं को भाषा में धकेल दिया, जो बड़े पैमाने पर विभिन्न ब्राउज़र विक्रेताओं द्वारा संचालित थे। एचटीएमएल के आसपास के नवीनतम मानक भाषा के कभी-कभी अराजक विकास को दूर करने के प्रयासों को और सार्थक और अच्छी तरह से प्रस्तुत दस्तावेजों दोनों के निर्माण के लिए एक तर्कसंगत नींव बनाने के लिए। एचटीएमएल को एक शब्दार्थ भाषा के रूप में अपनी भूमिका में वापस करने के लिए, डब्ल्यू ३ सी ने प्रस्तुति के बोझ को कंधे पर रखने के लिए सीएसएस और एक्सएसएल जैसी शैली भाषाएं विकसित की हैं। संयोजन के रूप में, एचटीएमएल विनिर्देश ने धीरे-धीरे प्रस्तुति तत्वों पर लगाम लगा दी है। वर्तमान में निर्दिष्ट एचटीएमएल के विभिन्न रूपों को अलग करने वाले दो अक्ष हैं: एसजीएमएल-आधारित एचटीएमएल बनाम एक्सएमएल-आधारित एचटीएमएल (एक्सएचटीएमएल के रूप में संदर्भित) एक अक्ष पर, और दूसरे अक्ष पर सख्त बनाम संक्रमणकालीन (ढीला) बनाम फ्रेमसेट। एसजीएमएल-आधारित बनाम एक्सएमएल-आधारित एचटीएमएल नवीनतम में एक अंतर[कब अ?] एचटीएमएल विनिर्देश एसजीएमएल-आधारित विनिर्देश और एक्सएमएल-आधारित विनिर्देश के बीच अंतर में निहित हैं। एक्सएमएल-आधारित विनिर्देश को आमतौर पर अधिक पारंपरिक परिभाषा से स्पष्ट रूप से अलग करने के लिए एक्सएचटीएमएल कहा जाता है। हालाँकि, रूट तत्व नाम एक्सएचटीएमएल-निर्दिष्ट एचटीएमएल में भी "एचटीएमएल" बना हुआ है। डब्ल्यू ३ सी का इरादा एक्सएचटीएमएल १.० एचटीएमएल ४.०१ के समान होना था, सिवाय इसके कि जहां अधिक जटिल एसजीएमएल पर एक्सएमएल की सीमाओं को वर्कअराउंड की आवश्यकता होती है। क्योंकि एक्सएचटीएमएल और एचटीएमएल निकटता से संबंधित हैं, उन्हें कभी-कभी समानांतर में प्रलेखित किया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में, कुछ लेखक दो नामों को (एक्स) एचटीएमएल या एक्स (एचटीएमएल) के रूप में जोड़ते हैं। एचटीएमएल ४.०१ की तरह, एक्सएचटीएमएल १.० में तीन उप-विनिर्देश हैं: सख्त, संक्रमणकालीन और फ्रेमसेट। किसी दस्तावेज़ के लिए विभिन्न उद्घाटन घोषणाओं के अलावा, एचटीएमएल ४.०१ और एक्सएचटीएमएल १.० दस्तावेज़ के बीच अंतर- प्रत्येक संबंधित डीटीडी में- काफी हद तक वाक्यात्मक हैं। एचटीएमएल का अंतर्निहित वाक्यविन्यास कई शॉर्टकट की अनुमति देता है जो एक्सएचटीएमएल नहीं करता है, जैसे कि वैकल्पिक उद्घाटन या समापन टैग वाले तत्व, और यहां तक कि खाली तत्व जिनके पास अंत टैग नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत, एक्सएचटीएमएल को सभी तत्वों को एक उद्घाटन टैग और एक समापन टैग की आवश्यकता होती है। हालाँकि, एक्सएचटीएमएल एक नया शॉर्टकट भी पेश करता है: टैग के अंत से पहले एक स्लैश को शामिल करके एक एक्सएचटीएमएल टैग को एक ही टैग के भीतर खोला और बंद किया जा सकता है: । इस आशुलिपि की शुरूआत, जिसका उपयोग एचटीएमएल ४.०१ के लिए एसजीएमएल घोषणा में नहीं किया जाता है, इस नए सम्मेलन से अपरिचित पहले के सॉफ़्टवेयर को भ्रमित कर सकता है। इसके लिए एक फिक्स टैग को बंद करने से पहले एक स्थान शामिल करना है, जैसे: । <ब्र/><ब्र /> एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल के बीच सूक्ष्म अंतर को समझने के लिए, एक वैध और अच्छी तरह से गठित एक्सएचटीएमएल १.० दस्तावेज़ के परिवर्तन पर विचार करें जो एक वैध एचटीएमएल ४.०१ दस्तावेज़ में परिशिष्ट सी (नीचे देखें) का पालन करता है। यह अनुवाद करने के लिए निम्न चरणों की आवश्यकता होती है: एक तत्व के लिए भाषा एक्सएचटीएमएल एक्सएमएल: लैंग विशेषता के बजाय लैंग विशेषता के साथ निर्दिष्ट की जानी चाहिए। एक्सएचटीएमएल एक्सएमएल की अंतर्निहित भाषा-परिभाषित कार्यक्षमता विशेषता का उपयोग करता है। एक्सएमएल नामस्थान (एक्सएमएलएनएस = यूआरआई) निकालें। एचटीएमएल में नेमस्पेस के लिए कोई सुविधा नहीं है। दस्तावेज़ प्रकार घोषणा खत्मल १.० से हत्मल ४.०१ में परिवर्तित करें। (आगे स्पष्टीकरण के लिए डीटीडी अनुभाग देखें)। सुनिश्चित करें कि दस्तावेज़ का माइम प्रकार पाठ/एचटीएमएल पर सेट है। एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल दोनों के लिए, यह सर्वर द्वारा भेजे गए एचटीटीपी हेडर से आता है।कॉन्टेंट-लिपी क्स्म्ल रिक्त-तत्व सिंटैक्स को हत्मल शैली रिक्त तत्व (करने के लिए) में परिवर्तित करें.<ब्र /><ब्र /> वे एक्सएचटीएमएल १.० से एचटीएमएल ४.०१ तक दस्तावेज़ का अनुवाद करने के लिए आवश्यक मुख्य परिवर्तन हैं। एचटीएमएल से एक्सएचटीएमएल में अनुवाद करने के लिए किसी भी छोड़े गए उद्घाटन या समापन टैग को जोड़ने की भी आवश्यकता होगी। चाहे एचटीएमएल या एक्सएचटीएमएल में कोडिंग यह याद रखने के बजाय एचटीएमएल दस्तावेज़ के भीतर हमेशा वैकल्पिक टैग शामिल करना सबसे अच्छा हो सकता है कि कौन से टैग छोड़े जा सकते हैं। एक अच्छी तरह से गठित एक्सएचटीएमएल दस्तावेज़ एक्सएमएल की सभी वाक्यविन्यास आवश्यकताओं का पालन करता है। एक मान्य दस्तावेज़ खत्मल के लिए सामग्री विनिर्देश का पालन करता है, जो दस्तावेज़ संरचना का वर्णन करता है। डब्ल्यू ३ सी एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल के बीच एक आसान माइग्रेशन सुनिश्चित करने के लिए कई सम्मेलनों की सिफारिश करता है (एचटीएमएल संगतता दिशानिर्देश देखें)। निम्न चरणों को केवल खत्मल १.० दस्तावेज़ों पर लागू किया जा सकता है: भाषा निर्दिष्ट करने वाले किसी भी तत्व पर दोनों और विशेषताओं को शामिल करें।क्स्म्ल:लांगलांग केवल हत्मल में रिक्त के रूप में निर्दिष्ट तत्वों के लिए रिक्त-तत्व सिंटैक्स का उपयोग करें। खाली-तत्व टैग में एक अतिरिक्त स्थान शामिल करें: उदाहरण के लिए इसके बजाय।<ब्र /><ब्र /> उन तत्वों के लिए स्पष्ट बंद टैग शामिल करें जो सामग्री की अनुमति देते हैं लेकिन खाली छोड़ दिए जाते हैं (उदाहरण के लिए, , नहीं)।<दीव></दीव><दीव /> एक्सएमएल घोषणा को छोड़ दें। डब्ल्यू ३ सी के संगतता दिशानिर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करके, एक उपयोगकर्ता एजेंट को दस्तावेज़ को एचटीएमएल या एक्सएचटीएमएल के रूप में समान रूप से व्याख्या करने में सक्षम होना चाहिए। उन दस्तावेज़ों के लिए जो एक्सएचटीएमएल १.० हैं और इस तरह से संगत बनाए गए हैं, डब्ल्यू ३ सी उन्हें एचटीएमएल (माइम प्रकार के साथ), या एक्सएचटीएमएल (एक या माइम प्रकार के साथ) के रूप में सेवा करने की अनुमति देता है। जब एक्सएचटीएमएल के रूप में वितरित किया जाता है, तो ब्राउज़रों को एक्सएमएल पार्सर का उपयोग करना चाहिए, जो दस्तावेज़ की सामग्री को पार्स करने के लिए एक्सएमएल विनिर्देशों का कड़ाई से पालन करता है। टेक्स्ट/हत्मलाप्प्लिकेशन/खत्मल+ज़्म्लाप्प्लिकेशन/क्स्म्ल संक्रमणकालीन बनाम सख्त एचटीएमएल ४ ने भाषा के तीन अलग-अलग संस्करणों को परिभाषित किया: सख्त, संक्रमणकालीन (एक बार ढीला कहा जाता है) और फ्रेमसेट। सख्त संस्करण नए दस्तावेजों के लिए अभिप्रेत है और इसे सर्वोत्तम अभ्यास माना जाता है, जबकि संक्रमणकालीन और फ्रेमसेट संस्करणों को उन दस्तावेजों को संक्रमण करना आसान बनाने के लिए विकसित किया गया था जो पुराने एचटीएमएल विनिर्देश के अनुरूप थे या एचटीएमएल ४ के संस्करण के लिए किसी भी विनिर्देश के अनुरूप नहीं थे। संक्रमणकालीन और फ्रेमसेट संस्करण प्रस्तुति मार्कअप के लिए अनुमति देते हैं, जिसे सख्त संस्करण में छोड़ा जाता है। इसके बजाय, कैस्केडिंग स्टाइल शीट को एचटीएमएल दस्तावेजों की प्रस्तुति में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। क्योंकि एक्सएचटीएमएल १ केवल एचटीएमएल ४ द्वारा परिभाषित भाषा के लिए एक्सएमएल सिंटैक्स को परिभाषित करता है, वही अंतर एक्सएचटीएमएल १ पर भी लागू होता है। संक्रमणकालीन संस्करण शब्दावली के निम्नलिखित भागों की अनुमति देता है, जो सख्त संस्करण में शामिल नहीं हैं: एक शिथिल सामग्री मॉडल प्रस्तुति से संबंधित तत्व रेखांकित करें () (बहिष्कृत एक हाइपरलिंक के साथ एक आगंतुक को भ्रमित कर सकता है।उ सेंटर (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। फॉण्ट (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। बसेफोंट (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। प्रस्तुति से संबंधित विशेषताएँ बऐकग्राउंड (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। और (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें) विशेषताओं के लिए (डब्ल्यू ३ सी के अनुसार आवश्यक तत्व।बग्कलर्बॉडी अलीन (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। पर विशेषता, , अनुच्छेद () और शीर्ष (...) तत्वदीव्फोर्म्फ१ह६ अलीन ), (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें.), (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें।) और (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें।) तत्व पर विशेषताओंनोशादेसिज़विडहर अलीन (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। पर विशेषता और तत्वोंलीजेंडकैप्शन अलीन (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। और (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें।बग्कलोर्टेबल बग्कलर (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। तत्व पर विशेषतात्र क्लियर (अप्रचलित) तत्व पर विशेषताब्र लिपी ), (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। ) और (बहिष्कृत. इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें।कम्पक्टस्टारतोलुल संक्रमणकालीन विनिर्देश में अतिरिक्त तत्व मेनू (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। सूची (कोई विकल्प नहीं, हालांकि अव्यवस्थित सूची की सिफारिश की जाती है) दीर (इसके बजाय सीएसएस का उपयोग करें। सूची (कोई विकल्प नहीं, हालांकि अव्यवस्थित सूची की सिफारिश की जाती है) इसींडेक्स (बहिष्कृत। (तत्व को सर्वर-साइड समर्थन की आवश्यकता होती है और आमतौर पर दस्तावेज़ सर्वर-साइड में जोड़ा जाता है, और तत्वों को विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है)फोर्मिनपुट आप्लेट (इसके बजाय तत्व का उपयोग करें।ऑब्जेक्ट स्क्रिप्ट तत्व पर भाषा (अप्रचलित) विशेषता (विशेषता के साथ अनावश्यक)।लिपी संबंधित एंटिटी फ़्रेम करें फ्रेमसेट संस्करण में संक्रमणकालीन संस्करण में सब कुछ शामिल है, साथ ही तत्व (इसके बजाय उपयोग किया जाता है) और तत्व। फ्रेमसेटबॉडीफ्रामें फ्रेमसेट बनाम संक्रमणकालीन उपरोक्त संक्रमणकालीन मतभेदों के अलावा, फ्रेमसेट विनिर्देश (चाहे एक्सएचटीएमएल १.० या एचटीएमएल ४.०१) एक अलग सामग्री मॉडल निर्दिष्ट करते हैं, जिसमें प्रतिस्थापन के साथ, जिसमें या तो तत्व होते हैं, या वैकल्पिक रूप से ए के साथ। फ्रेमसेटबॉडीफ्रमेनोफ्रेमश्बॉडी विनिर्देश संस्करणों का सारांश जैसा कि यह सूची दर्शाती है, विरासत समर्थन के लिए विनिर्देश के ढीले संस्करणों को बनाए रखा जाता है। हालांकि, लोकप्रिय गलत धारणाओं के विपरीत, एक्सएचटीएमएल के कदम का मतलब इस विरासत समर्थन को हटाना नहीं है। बल्कि एक्सएमएल में एक्स एक्सटेंसिबल के लिए खड़ा है और डब्ल्यू ३ सी पूरे विनिर्देश को मॉड्यूलर कर रहा है और इसे स्वतंत्र एक्सटेंशन तक खोल रहा है। एक्सएचटीएमएल १.० से एक्सएचटीएमएल १.१ तक की चाल में प्राथमिक उपलब्धि पूरे विनिर्देश का मॉड्यूलराइजेशन है। एचटीएमएल का सख्त संस्करण एक्सएचटीएमएल १.१ विनिर्देश के लिए मॉड्यूलर एक्सटेंशन के एक सेट के माध्यम से एक्सएचटीएमएल १.१ में तैनात किया गया है। इसी तरह, ढीले (संक्रमणकालीन) या फ्रेमसेट विनिर्देशों की तलाश करने वाले किसी व्यक्ति को समान विस्तारित एक्सएचटीएमएल १.१ समर्थन मिलेगा (इसमें से अधिकांश विरासत या फ्रेम मॉड्यूल में निहित है)। मॉड्यूलराइजेशन भी अपनी समय सारिणी पर विकसित करने के लिए अलग-अलग सुविधाओं की अनुमति देता है। इसलिए उदाहरण के लिए, एक्सएचटीएमएल १.१ उभरते एक्सएमएल मानकों जैसे कि मैथएमएल (एक्सएमएल पर आधारित एक प्रस्तुति और शब्दार्थ गणित भाषा) और एक्सफॉर्म-मौजूदा एचटीएमएल रूपों को बदलने के लिए एक नई अत्यधिक उन्नत वेब-फॉर्म तकनीक के लिए तेजी से माइग्रेशन की अनुमति देगा। संक्षेप में, एचटीएमएल ४ विनिर्देश ने मुख्य रूप से एसजीएमएल के आधार पर एक एकल स्पष्ट रूप से लिखित विनिर्देश में सभी विभिन्न एचटीएमएल कार्यान्वयन पर लगाम लगाई। एक्सएचटीएमएल १.०, इस विनिर्देश को पोर्ट किया गया है, जैसा कि है, नए एक्सएमएल परिभाषित विनिर्देश के लिए। अगला, एक्सएचटीएमएल १.१ एक्सएमएल की एक्स्टेंसिबल प्रकृति का लाभ उठाता है और पूरे विनिर्देश को मॉड्यूलर करता है। एक्सएचटीएमएल २.० का उद्देश्य मानक-शरीर-आधारित दृष्टिकोण में विनिर्देश में नई सुविधाओं को जोड़ने में पहला कदम था। व्हाट्सएप एचटीएमएल बनाम एचटीएमएल ५ मुख्य लेख: एचटीएमएल प्रकाशन का व्हाट्सएप में संक्रमण एचटीएमएल लिविंग स्टैंडर्ड, जिसे डब्ल्यूएचवाईडब्ल्यूजी द्वारा विकसित किया गया है, आधिकारिक संस्करण है, जबकि डब्ल्यू ३ सी एचटीएमएल ५ अब डब्ल्यूएचवाईडब्ल्यूजी से अलग नहीं है। डब्ल्यूवाईएसआईडब्ल्यूवाईजी के संपादक कुछ डब्ल्यूवाईएसआईडब्ल्यूवाईजी संपादक हैं (जो आप देखते हैं वह आपको क्या मिलता है), जिसमें उपयोगकर्ता सब कुछ बताता है क्योंकि यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) का उपयोग करके एचटीएमएल दस्तावेज़ में दिखाई देता है, जो अक्सर वर्ड प्रोसेसर के समान होता है। संपादक कोड दिखाने के बजाय दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है, इसलिए लेखकों को एचटीएमएल के व्यापक ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है। डब्ल्यूवाईएसआईडब्ल्यूवाईजी संपादन मॉडल की आलोचना की गई है, मुख्य रूप से उत्पन्न कोड की कम गुणवत्ता के कारण; आवाज़ें हैं[कौन?] विसिवम मॉडल में बदलाव की वकालत कर रहा है (आप क्या देखते हैं आपका क्या मतलब है)। डब्ल्यूवाईएसआईडब्ल्यूवाईजी संपादक अपनी कथित खामियों के कारण एक विवादास्पद विषय बने हुए हैं जैसे: अर्थ के विपरीत मुख्य रूप से लेआउट पर भरोसा करते हुए, अक्सर मार्कअप का उपयोग करना जो इच्छित अर्थ को व्यक्त नहीं करता है लेकिन बस लेआउट की प्रतिलिपि बनाता है। अक्सर बेहद वर्बोज़ और अनावश्यक कोड का उत्पादन होता है जो एचटीएमएल और सीएसएस की कैस्केडिंग प्रकृति का उपयोग करने में विफल रहता है। अक्सर अव्याकरणिक मार्कअप का उत्पादन करना, जिसे टैग सूप या शब्दार्थ रूप से गलत मार्कअप (जैसे इटैलिक के लिए) कहा जाता है।<एम> चूंकि एचटीएमएल दस्तावेजों में जानकारी का एक बड़ा सौदा लेआउट में नहीं है, इसलिए मॉडल की आलोचना की गई है कि "आप जो देखते हैं वह आपको मिलता है" -प्रकृति। सिर्फ २० मिनट में सीखें एच॰टी॰एम॰एल॰ (आपकी अपनी भाषा हिंदी में)
२००९ आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन तीन २४ से ३१ जनवरी २००९ करने के लिए एक क्रिकेट टूर्नामेंट कि ब्यूनस आयर्स में जगह ले ली, अर्जेंटीना था। यह २०११ क्रिकेट विश्व कप के लिए आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग का हिस्सा है और योग्यता का गठन किया। टूर्नामेंट युगांडा दूसरे में आने के साथ, अफगानिस्तान से जीता था। उन टीमों २०११ विश्व कप योग्यता टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। दोनों ४ मैच जीते और, एक खो दिया है के रूप में पापुआ न्यू गिनी किया था; रैंकिंग टाई नेट रन रेट से टूट गया था। पापुआ न्यू गिनी, पहले चार जीत तक पहुंचने के लिए कर रहे थे के रूप में अफगानिस्तान और युगांडा दोनों बारिश के कारण रद्द अपने पांचवें मैच था और उन्हें अगले दिन फिर से खेलना पड़ा। बारिश भी फाइनल दौर रैंकिंग मैचों (जो किसी भी मामले में पदोन्नति और निर्वासन को प्रभावित नहीं होगा) को रद्द करने के परिणामस्वरूप, और समूह दौर परिणाम तालिका अंतिम स्टैंडिंग था। इस प्रकार के रूप में टूर्नामेंट के लिए टीमों को २००८ में डिवीजन दो और २००७ में डिवीजन तीन, और डिवीजन चार के परिणामों के अनुसार निर्णय लिया गया है, और इस प्रकार हैं: (५वा २००७ डिवीजन दो) (६वा २००७ डिवीजन दो) (३रा २००७ डिवीजन तीन) (४था २००७ डिवीजन तीन) (१ला २००८ डिवीजन चार) (२रा २008 डिवीजन चार) इस टूर्नामेंट से शीर्ष दो टीमें दक्षिण अफ्रीका में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप क्वालीफायर २००९ में खेलने के लिए अर्हता प्राप्त की। फाइनल और प्लेऑफ़ बाद पांचवें दौर समूह का परित्याग दिन प्लेऑफ मैचों अनुसूचित थे पर रिप्ले के लिए नेतृत्व मैचों प्लेऑफ मैच रद्द कर दिया गया।
करोल बाग (कभी-कभी क़रोल बाग़) पश्चिम दिल्ली का एक बड़ा बाजार एवं आवासीय क्षेत्र है। प्रशासनिक रूप से यह मध्य दिल्ली ज़िले का भाग है। इसके निकट प्राचीन सांस्कृतिक स्थल आनंद पर्बत स्थित है। आनंद पर्वत दिल्ली का एक प्राचीन संस्कृति का क्षेत्र है, पहले जिसका नाम काला पहाड़ था। यहां की ज़मीन में अभ्रक की मात्रा बहुत अधिक है। किसी ज़माने में यह दिल्ली का बहुश्रुत स्थल था। यह इण्डिया गेट के भूमि तल से १६५ फुट ऊँचा पहाड़ है जहाँ ऊपर बनें घरों की छतों से आज भी पूरी दिल्ली का ३६० डिग्री का विहंगम दिग्भ्रमणात्मक दृश्य रमणीय है।यह सर्वत्र कीकर और जांड नामक झाड़ीनुमा कटीले पेड़ों से अटा पड़ा है। यहाँ पुरानी अकादमिक संस्कृति रही है। ऊपर पुराने विद्यालय स्वातन्त्रय पूर्व अंग्रेजी राज से आज भी ज्यों के त्यों हैं। अब भी वहां अनेक स्वतंत्र भारत से पूर्व के परिवार के लोग रहते हैं जो अधिकांश अध्यापकों के वंशज हैं। यहाँ दशकों से सैन्य छावनी स्थित है जो ६०० एकड़ से अधिक पर्वतीय हरित क्षेत्र का संरक्षण करती आई है। यहां के पुराने हरित भागों में बीसवीं शती के ९० के दशक तक भी जंगली नील गाय, चितरीदार हिरन, जंगली सूअर, लौमड़ियां, जंगली कुत्ते, मोर, तोते,बत्तख,जलेबिया साँप, नेवले, भूमिगत दीमक की बांबियां, सफेद उल्लू, बड़ी नस्ल के चमगादड़, गिद्ध, की भरमार रही है। कुल मिलाकर आनंदकर जलवायु का निकर होने से सरकार ने इसका नामकरण आनंद पर्बत ही कर दिया। इन्हें भी देखें दिल्ली के आवासीय क्षेत्र दिल्ली में सड़कें दिल्ली के उपमंडल मध्य दिल्ली ज़िला
प्रोफेसर हरिशंकर आदेश (जन्म ७ अगस्त १९३६) प्रवासी हिंदी लेखक, कवि एवं संगीतकार हैं। उन्होंने ट्रिनिडाड, कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय भाषा तथा संस्कृति के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। प्रो॰ आदेश ने कनाडा, अमेरिका व त्रिनिडाड के मिनिस्टर ऑफ रिलीजन, भारतीय विद्या संस्थान के महानिदेशक, श्री आदेश आश्रम ट्रिनिडाड के कुलपति, ज्योति एवं जीवन ज्योति त्रैमासिक के प्रधान संपादक तथा वर्ष विवेक एवं अंतरिक्ष समीक्षा के संपादक जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वे अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू समाज अमेरिका तथा विद्या मन्दिर कनाडा के आध्यात्मिक गुरु, स्वतंत्र साहित्यकार एवं संगीतकार, संगीत निर्देशक, गायक, वादक, प्रवाचक, यायावर, मानद उप राज्यपाल व भूतपूर्व सांस्कृतिक दूत (भारत) भी रहे हैं। उन्होंने आश्रम कॉलिज ट्रिनिडाड में प्रधानाचार्य व हिन्दी तथा संगीत के प्रोफ़ेसर के पद पर आपने महत्वपूर्ण सेवाएँ समाज को अर्पित की हैं। हिन्दी अंग्रेज़ी व उर्दू की लगभग सभी विधाओं में साहित्य व संगीत की रचना। उनकी लगभग ३५० से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। महाकाव्य: अनुराग, शकुन्तला, महारानी दमयन्ती, ललित गीत रामायण, देवी सावित्री, रघुवंश शिरोमणी मुक्तक काव्य: निराशा, रवि की भाभी (हास्य-वयंग्य), मन की दरारें, लहू और सिंदूर, आकाश गंगा,देवालय,शतदल,निर्वेद,रजनीगंधा, शरद:शतम्, लहरों का संगीत, प्रवासी की पाती भारत माता केई नाम, रम्य भाव रश्मियां, आमों का पंचायत, वैदिक नीहारिका, पत्नी चालीसा गुरु शतक,पति शतक,देशांतर,बिखरे फूल, रत्ना के कंत, मनोरंजन,राम कह तू, रमजान,ईद मुबारक, क्रिसमस आया,देवी महातम,मदिरालय,आहात आकांक्षाएँ, देव और दानव,नियति के चरण, रविप्रिया, मंजु मीलन, ललित पत्र प्रसून, आकाश यात्रा, देश विदेश, शताब्दी के स्वर,आत्म विवेक,मदिरालय,निष्ठा निकुंज,निर्मल सप्तशती,आदेश सप्तशती,जीवन सप्तशती,जमुना सप्तशती, विवेक सप्तशती, सुरभि सप्तशती, पत्नी सप्तशती ,प्रवासी सप्तशती खण्ड काव्य : मनोव्यथा,सावित्री, महाभारत कथा,देवी उपाख्यान, जनगीता,निष्पाप,रहस्य, साधना, नुत्त हंस,महिमा,ललिता लक्ष्मी,हैतुक भक्ति, तपस्वी हाथी, आचरणवान साधु,शव दहन स्थान, कोप भाजन,राजतनय, गरिमा , सत्संगति, महत्व,रह गई याद, पिछली सुधियाँ,रह गई याद कथा साहित्य: रजत जयन्ती, निशा की बाहें, सागर और सरिता,मर्यादा के बंधन,लकीरों का खेल ,आत्मा की आवाज, देवयानी, श्मीम, देवताओं का वरदान,स्वर्ग और नर्क, पिताजी के श्री मुख से नाटक: देशभक्ति, सूरदास, निषाद कुमार, अशोक वाटिका, शबरी उपन्यास: निष्कलंक, गुबार देखते रहे निबन्ध: झीनी झीनी बीनी चदरिया, ज्योति पर्व, उर्दू: शबाब, आज की रात, लम्हे,देवता,मंजिल नहीं मिली तो क्या ?, जाऊँ तो कहाँ जाऊं बालकाव्य: विहान, कश्मीर,आओ बच्चों, वेणु, देखो मगर चाचा चले ब्याह रचाने,जीवन के तीन रंग,शिशु संकल्प,मेरा घोडा, टीम्मक टु, कबूतर और शिकारी संगीत: सरगम, षड्ज, ऋषभ, गंधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद, राग विवेक आदि ग्रंथ; इसके अतिरिक्त भी महाकवि प्रो. हरिशंकर आदेश अनेकों रचनाएँ हैं, जिनकी संख्या ३५० तक हो सकती है सम्मान एवं पुरस्कार टिनिडाड, कनाडा, यू॰के॰ व यू॰एस॰ए॰ के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित। जिनमें त्रिनिदाद और टोबैगो सरकार का हमिंग बर्ड स्वर्ण पदक पुरस्कार तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान का पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार प्रमुख है। प्रो. हरिशंकर आदेश (साहित्य कुंज) कैनेडा के प्रवासी हिन्दी लेखक
बौद्ध ग्रन्थ महावास्तुु तथा सुमंगल विलासिनी के अनुसार आदित्य बन्धु या अर्कबन्धुु शाक्यवंशी लोग हैं । आदित्य और अर्क सूर्य के पर्यावाची हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भी शाक्यवंश के लोग सूर्यवशी क्षत्रिय थे। इनकी राजधानी कपिलवस्तु थी । कपिलवस्तु को ही अर्कों के पूर्वजों की जन्मभूमि बताया गया है । कपिलवस्तु सूर्यवंशी राज्य कोशल का हिस्सा थी तथा यहाॅं पर सूर्य-शाक्यवंश का गणराज्य था । शाक्यवंश में महाराजा शाक्य तथा सिद्धार्थ हुये, जो कि बाद में दिव्य-ज्ञान प्राप्त करके गौतम बुद्ध कहलाये । गौतमबुद्ध का एक नाम अर्कबन्धु भी है इसी कारण उनके अनेक कुलज अर्क नामधारी हुए । अमरकाश के पृ.सं. ४ पर लिखा है- स शाक्यसिंहः सर्वार्थः सिद्धः शौद्धोदनिश्च सः । गौतमश्चार्क बन्धुुश्च मायादेवीसुतश्च सः ।। अनुवादः- शाक्यमुनि, शाक्यसिंह, सर्वार्थसिद्ध, शौद्धोदनि, गौतम, अर्कबन्धु और मायादेवीसुत, ये सात नाम बौद्धमत के प्रचारक भगवान बुद्ध (शाक्यमुनि) के है । अर्क जातक महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मो की कहानियां जातक कथाओं के नाम से जानी जाती हैं। कथा संख्या १६९ कों अर्क जातक कहा जाता है। इसके अनुसार तेजस्वी एवं ज्ञान से परिपूर्ण गौतमबुद्ध का अर्क भी कहा गया है। कालान्तर में उनके अनेक वंशजों ने अर्क नाम धारण किया ।
जोसेफ फ़िलिप पियरे येव्स एलियट ट्रूडो, (; ; अक्टूबर १८, १९१९ सितम्बर २८, २०००), को सामान्यत: पियरे ट्रूडो या पियरे एलियट ट्रूडो, अप्रैल २०, १९६८ से ४ जून १९७९ तक और फिर ३ मार्च १९८० से ३० जून १९८४ तक कनाडा के १५वें प्रधानमंत्री थे। टूडो ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात अधिवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता के तौर पर क़्युबेक की राजनीति में शुरुवात की। १९६० में वो कनाडा की लिबरल पार्टी के जरिये राष्ट्रीय राजनीति में शामिल हुए। उन्हें लेस्टर बी. पियरसन के संसदीय सचिव चुना गया और बाद में न्याय मंत्री चुने गये। ट्रूडो १९६८ में लिबरलों के नेता चुने गये। फिर १९६० से मध्य १९८० तक वो कनाडा की राजनीति में छाये रहे। आवेश से पहले तर्क ( "रीसों बेफोर पैशन") उनका व्यक्तिगत ध्येय था। उन्होंने १९८४ में राजनीति से सन्यास ले लिया और उनके बाद जॉन टर्नर कनाडा के प्रधानमंत्री बने। उनके ज्येष्ठ पुत्र जस्टिन ट्रूडो वर्तमान में कनाडा के तेइसवें प्रधानमंत्री हैं। बुद्धिजीवी उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व, बुद्धिमत्ता और राजनैतिक नेतृत्व क्षमता को क़्युबेक स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय एकता को बचाए रखने, अक्टूबर समस्या (हिंसक विद्रोहों) का दमन करने, एक अखिल कनाडियाई पहचान को बढावा देने व कानूनी बहुभाषावाद को अनुमति दिलाने के लिये उन्हें सलाम करते हैं। आलोचक उन्हें घमंड, आर्थिक कुप्रबंध और क़्युबेक संस्कृति और कनाडियाई प्रेयरीओं की आर्थिक क्षमताओं को कुचलने के लिये कनाडा की निर्णय लेने की समिति को गैरकानूनी रूप से केंद्रीकृत करने के लिये उनकी आलोचना करते हैं। वैसे जनता के बीच तो उनकी प्रसिद्धि बंटी हुई है लेकिन शिक्षाविद व इतिहास के स्कॉलर उन्हें कनाडा के महानतम प्रधानमंत्रियों में गिनते हैं और उन्हें आधुनिक कनाडा का पितामह मानते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री
हसनपुर सोराँव हंडिया, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
कफलगांव विचला-चौ.३, थलीसैंण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा विचला-चौ.३, कफलगांव, थलीसैंण तहसील विचला-चौ.३, कफलगांव, थलीसैंण तहसील
निवेद्यम (मलयालम: ) भारत से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक नालापत बालमणि अम्मा का काव्य संग्रह है, जो १९८७ में पहली बार मलयालम भाषा में प्रकाशित हुआ।
६२१ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
शज़ैम! एक अमेरिकी सुपरहीरो फ़िल्म है जो डीसी कॉमिक्स के इसी नाम के एक चरित्र पर आधारित है । यह डीसी एक्सटेंडेड यूनिवर्स (डीसीईयू) में सातवीं फ़िल्मी है। डेविड एफ॰ सैंडबर्ग द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म की पटकथा हेनरी गेडन द्वारा उनकी और डैरेन लेम्के की एक कहानी के आधार पर लिखी गयी है। फिल्म में एशर एंजेल ने बिली बैटसन नामक एक किशोर लड़के की भूमिका निभाई है, जो जादूई शब्द "शज़ैम" बोलते ही एक वयस्क सुपरहीरो (ज़ैकरी लीवाई) में बदल जाता है। मार्क स्ट्रांग, जैक डायलन ग्रैज़र और जाइमन ऊनसू ने फ़िल्म में सहायक भूमिकाएं निभाई हैं। १९४१ के सीरियल एडवेंचर्स ऑफ़ कैप्टन मार्वल (चरित्र का मूल नाम) के बाद से यह चरित्र का पहला फिल्म संस्करण होगा और साथ ही यह इस चरित्र पर पूरी तरह से केंद्रित पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म होगी। शज़ैम पर आधारित एक लाइव एक्शन फ़िल्म का विकास २००० के दशक की शुरुआत में ही शुरू हो गया था लेकिन यह परियोजना कई वर्षों तक अधर में लटकी रही। २००८ में एक बार यह फ़िल्म प्री-प्रोडक्शन स्तर तक पहुँच गई थी, जब पीटर सेगल को इसके निर्देशक के रूप में चुना गया था, और ड्वेन जॉनसन को मुख्य भूमिका के लिए चुना गया था, लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ पायी। विलियम गोल्डमैन, एलेक सोकोलो, जोएल कोहेन और जॉन अगस्त समेत कई अन्य लोग भी विभिन्न बिंदुओं पर इस परियोजना से लेखकों के रूप में जुड़े थे। वार्नर ब्रदर्स ने आधिकारिक तौर पर २०१४ में इस फिल्म की घोषणा की, और सैंडबर्ग को फरवरी २०१७ में और फिर लेवी को उसी साल अक्टूबर में फ़िल्म से जोड़ा गया। जनवरी २०१८ में कनाडा के टोरंटो और ओन्टारियो में प्रिंसिपल फोटोग्राफी शुरू हुई। फ़िल्म के अधिकतर दृश्य पाइनवुड टोरंटो स्टूडियो में फिल्माए गए। मई २०१८ तक फ़िल्मांकन समाप्त हो गया था। शज़ैम! ५ अप्रैल २०१९ को २डी, रीयलडी, ३डी और आईमैक्स ३डी प्रारूपों में न्यू लाइन सिनेमा और वार्नर ब्रदर्स पिक्चर्स द्वारा रिलीज की गई थी । एशर एंजेल तथा ज़ैकरी लीवाई बिली बैटसन / शज़ैम! मार्क स्ट्रांग डॉक्टर थैडीयस सिवाना जैक डायलन ग्रैज़र फ्रेडरिक "फ्रेडी" फ्रीमैन जाइमन ऊनसू शज़ैम (जादूगर) ग्रेस फुल्टोन मैरी ब्रॉमफील्ड इयान चेन यूजीन चोई जोवन अर्मांड पेड्रो पेना फेथ हरमन डार्ला डडली
मर्द की ज़बान १९८७ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। पूनम ढिल्लों - लता शक्ति कपूर - मोंटी राज किरन - आनन्द जय किशन श्राफ नामांकन और पुरस्कार १९८७ में बनी हिन्दी फ़िल्म
अस्पष्ट तर्क (फ़ुज़्ज़ी लॉजिक/फजी लॉजिक) एक प्रकार का बहु-मान तर्क (मनी-वैल्युड लॉजिक) है जिसमें चरों के सत्यमान (तृथ वेल्यूस) ० और १ के बीच में कुछ भी हो सकते हैं (न कि केवल ० या १)। इसका उपयोग 'आंशिक सत्य' की अवधारणा के अनुरूप है क्योंकि प्रायः हम जीवन में पाते हैं कि कोई तर्क न पूर्णतः 'सत्य' होता है न पूर्णतः 'असत्य'। इसके विपरीत बूलीय तर्क में चरों के मान या तो ० होते हैं या १। डिजिटल परिपथ बूलीय तर्क पर ही काम करते हैं। 'फजी लॉजिक' शब्दसमूह का उपयोग सबसे पहले १९६५ में लोट्फी जादेह (लोटफी ज़ादेह) ने अस्पष्ट समुच्चय-सिद्धान्त (फजी सेट थियरी) के प्रतिपादन के साथ किया था। किन्तु अस्पष्ट तर्क का अध्ययन १९२० के दशक के समय से ही चल रहा था जिसको अनन्त-मान तर्क कहते थे। अस्पष्ट तर्क का उपयोग बहुत से क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक किया जाता है जिसमें कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं- नियंत्रण सिद्धान्त, कृत्रिम बुद्धि आदि। सत्य की कोटि (ट्रुथ की डिग्रियां) ट्रुथ और प्रोबैबिलिटिज़ (संभावनाओं) की दोनों डिग्रियों का रेंज ० और १ के बीच होता है और इसलिए शुरू-शुरू में ये एक जैसे लग सकते हैं। हालांकि, वैचारिक रूप से वे अलग होते हैं; ट्रुथ, अस्पष्ट रूप से परिभाषित सेट में मेम्बरशिप का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) थ्यौरी (संभाव्यता का सिद्धांत) की तरह किसी इवेंट (घटना) या कंडीशन (स्थिति) के लाइकलिहुड (अनुरूप) नहीं होता है। उदाहरण के लिए, १०० म्ल का एक गिलास लेते हैं जिसमें ३० म्ल जल है। तब हम दो अवधारणाओं पर विचार कर सकते हैं: एम्प्टी (खाली) और फुल (भरा हुआ)। इनमें से प्रत्येक के अर्थ को एक निश्चित फ़ज़ी सेट के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। उसके बाद ही कोई इस गिलास को ०.७ खाली और ०.३ भरे हुए गिलास के रूप में परिभाषित कर सकता है। ध्यान दें कि खालीपन की अवधारणा, सब्जेक्टिव (व्यक्तिपरक) होगी और इस प्रकार यह पर्यवेक्षक या डिज़ाइनर पर निर्भर करेगी। दूसरा डिज़ाइनर भी बराबर-बराबर अच्छी तरह से एक सेट मेम्बरशिप कार्य का डिजाइन करेगा जहां गिलास को 5० म्ल से कम के सभी वैल्यूज़ के लिए भरा हुआ माना जाएगा. यह समझना बहुत जरूरी है कि फ़ज़ी लॉजिक, ट्रुथ डिग्रियों को वेगनेस फेनोमेनन (अस्पष्टता की घटना) के एक गणितीय मॉडल के रूप में प्रयोग करता है जबकि प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता), रैंडमनेस का एक गणितीय मॉडल है। एक प्रोबैबिलिस्टिक सेटिंग सबसे पहले गिलास के पूरा भरा होने के लिए एक स्केलर वेरिएबल (अदिश परिवर्तनीय) को परिभाषित करेगा और फिर प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) का वर्णन करते हुए कंडीशनल डिस्ट्रीब्यूशंस को परिभाषित करेगा जिसे कोई व्यक्ति एक विशिष्ट पूर्णता के स्तर को दर्शाकर गिलास को भरा हुआ कहेगा. हालांकि, कुछ घटना के घटित होने की स्वीकृति के बिना इस मॉडल का कोई अर्थ नहीं है, उदाहरण के लिए, कुछ मिनट के बाद, गिलास आधा खाली हो जाएगा. ध्यान दें कि कंडीशनिंग को एक स्पेसिफिक ऑब्ज़र्वर (विशिष्ट पर्यवेक्षक) को रखकर प्राप्त किया जा सकता है जो गिलास के लिए स्तर और नियतात्मक पर्यवेक्षकों के एक वितरण (डिस्ट्रीब्यूशन) या दोनों का अनियमित रूप से चयन करता है। परिणामस्वरूप, प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) (अधिसम्भाव्यता) में साधारणतः फ़ज़ीनेस के सिवा कुछ नहीं है, ये तो मात्र अलग-अलग अवधारणाएं हैं जो बाहर से एक जैसी लगती हैं क्योंकि इनमें वास्तविक संख्याओं [०, १] के एक जैसे अन्तराल का प्रयोग होता है। डे मॉर्गन (दे मॉर्गन) के प्रमेय में दोहरी प्रयोज्यता और अनियमित वेरिएबल्स के गुण हैं। फिर भी, चूंकि ऐसे प्रमेय बाइनरी लॉजिक स्टेट्स के गुणों के अनुरूप होते हैं, इसलिए व्यक्ति यह देख सकता है कि कहां पर भ्रम पैदा हो सकता है। ट्रुथ वैल्यूज़ का अनुप्रयोग एक बेसिक अनुप्रयोग, एक सतत परिवर्तनीय के उप-श्रेणियों को परिलक्ष्यित कर सकता है। उदाहरण के लिए, एंटी-लॉक ब्रेक के तापमान के मापन में विशेष तापमान की श्रेणियों को परिभाषित करने वाले कई अलग मेम्बरशिप (सदस्यता) वाले फंक्शंस का समावेश हो सकता है जो ब्रेक्स को अच्छी तरह से नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं। प्रत्येक फंक्शन, एक ट्रुथ वैल्यू के उसी तापमान वैल्यू को चित्रित करता है जिसका रेंज ० से १ के बीच होता है। इन ट्रुथ वैल्यूज़ को तब ब्रेक्स को नियंत्रित करने के तरीक़ों को निर्धारित करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इस इमेज में, कोल्ड (शीतल), वार्म (उष्ण) और हॉट (गर्म) अभिव्यक्तियों के अर्थ को एक तापमान स्केल के फंक्शंस मैपिंग के ज़रिये दर्शाया गया है। उस स्केल पर के एक बिंदु में तीन "ट्रुथ वैल्यूज़" हैं तीन फंक्शंस में से प्रत्येक के लिए एक-एक वैल्यू. इमेज की खड़ी रेखा एक विशेष तापमान को तीन तीर (ट्रुथ वैल्यूज़) गेज़ के माध्यम से दर्शाती है। चूंकि लाल तीर शून्य को सूचित करता है इसलिए इस तापमान को "नॉट हॉट" (गर्म नहीं) माना जा सकता है। नारंगी रंग का तीर (०.२ पर इशारा करते हुए) इसे "स्लाइट्ली वार्म" (हल्का उष्ण) और नीला तीर (०.८ पर इशारा करते हुए) इसे "फेयरली कोल्ड" (काफी शीतल) के रूप में वर्णित कर सकता है। भाषायी वेरिएबल्स (भाषाई अस्थिरता) (भाषाई अस्थिरता) जबकि गणित में वेरिएबल्स साधारणतः संख्यात्मक वैल्यूज़ को ग्रहण करते हैं लेकिन फ़ज़ी लॉजिक के अनुप्रयोगों में, गैर-संख्यात्मक भाषाई वेरिएबल्स (भाषाई अस्थिरता) का प्रायः नियमों और तथ्यों की अभिव्यक्ति की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। एक भाषायी वेरिएबल जैसे कि एज (उम्र), में यंग या युवा अथवा इसके विपरीत ओल्ड या वृद्ध जैसा एक वैल्यू शामिल हो सकता है। हालांकि, भाषायी वेरिएबल्स (भाषाई अस्थिरता) की सबसे बड़ी प्रयोज्यता यही है कि प्राथमिक शर्तों पर लागू भाषायी हेजेज के माध्यम से इसे संशोधित किया जा सकता है। भाषायी हेजेज कुछ कार्यों के साथ संबद्ध हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ल. आ. ज़ादेह ने मेम्बरशिप कार्य के वर्ग को लेने का सुझाव दिया। हालांकि, यह मॉडल अच्छी तरह से काम नहीं करता है। अधिक जानकारी के लिए सन्दर्भ देखें. फ़ज़ी सेट थ्यौरी, फ़ज़ी सेट्स पर फ़ज़ी प्रचालकों को परिभाषित करता है। इसके अनुप्रयोग में यही समस्या है कि उपयुक्त फ़ज़ी प्रचालक ज्ञात नहीं हो सकता है। इसी कारणवश, फ़ज़ी लॉजिक आम तौर पर इफ-तें (यदि-तो) नियमों का प्रयोग करता है या उसकी संरचना करता है, जैसे - फ़ज़ी एसोसिएटिव मेट्रिसेस. नियमों को आम तौर पर निम्न रूप से व्यक्त किया जाता है: इफ वेरिएबल इस प्रोपर्टी तें एक्शन उदाहरण के लिए, एक साधारण तापमान नियामक जो एक पंखे का प्रयोग करता है, उसे इस प्रकार देख सकते हैं: यदि (इफ) तापमान बहुत शीतल है (इस) तो (तें) पंखे को रोक दें यदि (इफ) तापमान शीतल है (इस) तो (तें) पंखे को धीमा कर दें यदि (इफ) तापमान (इस) सामान्य है तो (तें) इस स्तर को बनाए रखें यदि (इफ) तापमान गर्म है (इस) तो (तें) पंखे की गति बढ़ा दें इसमें कोई "एल्स" (अन्यथा) नहीं है - सभी नियमों का मूल्यांकन किया जाता है क्योंकि तापमान एक ही समय पर अलग-अलग डिग्रियों में "कोल्ड" (शीतल) और "नोर्मल" (सामान्य) हो सकते हैं। बूलीयन लॉजिक के एंड (और), और (या) तथा नोट (नहीं) प्रचालक, फ़ज़ी लॉजिक में मौजूद होते हैं जिन्हें आम तौर पर मिनिमम (न्यूनतम), मैक्सिमम (उच्चतम) और कंप्लीमेंट (पूरक) के रूप में परिभाषित किया जाता है; जब उन्हें इस तरह से परिभाषित किया जाता है तब उन्हें ज़ादेह प्रचालक कहा जाता है। इसलिए फ़ज़ी वेरिएबल्स क्स और य के लिए: अन्य प्रचालक भी हैं जो स्वभावतः भाषायी होते हैं उन्हें हेजेज़ कहते हैं और उनका भी अनुप्रयोग किया जा सकता है। ये आम तौर पर एड्वर्ब्स (क्रिया-विशेषण) होते हैं, जैसे - "वेरी" (बहुत) या "समव्हाट" (कुछ-कुछ), जो एक गणितीय सूत्र का प्रयोग करके सेट के अर्थ को संशोधित कर देते हैं। अनुप्रयोग में, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्रोलोग (प्रोलोग) को इसके फैसिलिटिज़ के साथ फ़ज़ी लॉजिक को कार्यान्वित करने के लिए अच्छी तरह से गिअर किया जाता है ताकि "नियमों" के एक डेटाबेस को स्थापित किया जा सके जो लॉजिक को घटाने के लिए पूछे जाते हैं। इस तरह की प्रोग्रामिंग को लॉजिक प्रोग्रामिंग के रूप में जाना जाता है। जब एक बार फ़ज़ी रिलेशंस को परिभाषित कर दिया जाता है, तब फ़ज़ी रिलेशनल डेटाबेस को विकसित करना संभव हो जाता है। प्रथम फ़ज़ी रिलेशनल डेटाबेस, फ्र्डब को मारिया ज़ेमांकोवा के शोध प्रबंध में देखा गया। बाद में, बकल्स-पेट्री मॉडल (बकल्स-पेट्री मॉडल), प्रेड-टेस्टेमेल मॉडल (प्रदे-टेस्टमाले मॉडल), उमानो-फुकामी मॉडल (उमानो-फुकमी मॉडल) या जे. एम. मेडिना (ज.म. मेडीना), एम. ए. विला एट अल. द्वारा जेफ्रेड मॉडल जैसे कुछ अन्य मॉडलों का उद्भव हुआ। फ़ज़ी डेटाबेस के सन्दर्भ में, कुछ फ़ज़ी क्वेरिंग लैंग्वेजों को परिभाषित किया गया है और पी. बोस्क (प. बोस्क) एट अल. द्वारा सॉल्फ पर और जे. गैलिंडो (ज. गलिन्दो) एट अल. द्वारा फ्सल पर प्रकाश डाला गया है। ये लैंग्वेज, स्क्ल स्टेटमेंट्स में फ़ज़ी ऐस्पेक्ट्स को शामिल करने के उद्देश्य से कुछ संरचनाओं को परिभाषित करते हैं, जैसे फ़ज़ी कंडीशंस, फ़ज़ी कम्पैरेटर्स, फ़ज़ी कांस्टैंट्स, फ़ज़ी कंस्ट्रेंट्स, फ़ज़ी थ्रेसहोल्ड्स, भाषायी लेबल्स और अन्य. गणितीय फ़ज़ी लॉजिक गणितीय लॉजिक में, "फ़ज़ी लॉजिक" के कई औपचारिक सिस्टम्स हैं; उनमें से अधिकांश तथाकथित टी-नोर्म फ़ज़ी लॉजिक्स से संबंधित हैं। प्रोपोज़िशनल फ़ज़ी लॉजिक्स सबसे महत्वपूर्ण प्रोपोज़िशनल फ़ज़ी लॉजिक्स हैं: मोनोइडल टी-नोर्म-आधारित प्रोपोज़िशनल फ़ज़ी लॉजिक, लॉजिक का एक एक्सिओमेटाइज़ेशन है जहां कंजंक्शन (संयोजन) को एक लेफ्ट कंटीन्युअस (सतत) टी-नोर्म द्वारा परिभाषित किया जाता है और इम्प्लिकेशन (निहितार्थ) को टी-नोर्म के रेसिडुअम (अवशेष) के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसके मॉडल्स मत्ल-अल्जेब्रास के अनुरूप होते हैं जो प्रिलाइनियर कम्युटेटिव बाउंडेड इंटीग्रल रेसिडुएटेड लेटिसेस होते हैं। बेसिक प्रोपोज़िशनल फ़ज़ी लॉजिक, मत्ल लॉजिक का ही एक विस्तार है जहां कंजंक्शन को एक सतत टी-नोर्म के द्वारा परिभाषित किया जाता है और इम्प्लिकेशन को टी-नोर्म के रेसिडुअम के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। इसके मॉडल्स, ब्ल-अल्जेब्रास के अनुरूप होते हैं। ल्युकासिएविक्ज़ फ़ज़ी लॉजिक (उकासिविक्ज़ फ़ुज़्ज़ी लॉजिक), बेसिक फ़ज़ी लॉजिक ब्ल का विस्तार है जहां स्टैंडर्ड कंजंक्शन, ल्युकासिएविक्ज़ टी-नोर्म होता है। इसमें बेसिक फ़ज़ी लॉजिक के एक्सिओम्स के साथ डबल निगेशन के एक्सिओम भी होते हैं और इसके मॉडल्स, म्व-अल्जेब्रास के अनुरूप होते हैं। गोडेल फ़ज़ी लॉजिक, बेसिक फ़ज़ी लॉजिक ब्ल का विस्तार है जहां कंजंक्शन, गोडेल टी-नोर्म होता है। इसमें ब्ल के एक्सिओम्स के साथ-साथ कंजंक्शन के आइडेम्पोटेंस का एक एक्सिओम भी होता है और इसके मॉडल्स को ग-अल्जेब्रास कहा जाता है। प्रोडक्ट फ़ज़ी लॉजिक, बेसिक फ़ज़ी लॉजिक ब्ल का विस्तार है जहां कंजंक्शन, प्रोडक्ट टी-नोर्म होता है। इसमें ब्ल के एक्सिओम्स के साथ-साथ कंजंक्शन के कैंसेलेटिविटी के लिए एक और एक्सिओम भी होता है और इसके मॉडल्स को प्रोडक्ट अल्जेब्रास कहा जाता है। मूल्यांकित वाक्यविन्यास वाला फ़ज़ी लॉजिक (कभी-कभी पावेल्का'स लॉजिक (पावेलका'स लॉजिक) भी कहा जाता है), एव द्वारा सूचित, गणितीय फ़ज़ी लॉजिक का एक और सामान्यीकरण है। जबकि फ़ज़ी लॉजिक के उपर्युक्त प्रकारों में परंपरागत वाक्यविन्यास और मेनी-वैल्यूड सिमेंटिक्स होते हैं, लेकिन एव में, वाक्यविन्यास का भी मूल्यांकन किया जाता है। इसका अर्थ यही है कि प्रत्येक सूत्र का एक मूल्यांकन होता है। एव के एक्सिओमेटाइज़ेशन की उत्पत्ति ल्युकास्ज़िएविक्ज़ फ़ज़ी लॉजिक से हुई है। क्लासिकल गोडेल कम्प्लीटनेस प्रमेय का सामान्यीकरण,एव में प्रूवेबल (साध्य) होता है। प्रेडिकेट फ़ज़ी लॉजिक्स ये उपरोक्त-उल्लिखित फ़ज़ी लॉजिक में यूनिवर्सल और एक्ज़िस्टेंशियल क्वांटिफाइयर्स को ठीक उसी प्रकार से योग करके इसका विस्तार करते हैं जिस प्रकार से प्रोपोज़िशनल लॉजिक से प्रेडिकेट लॉजिक निर्मित होता है। टी-नोर्म फ़ज़ी लॉजिक्स में यूनिवर्सल (रेस्प. एक्ज़िस्टेंशियल) क्वांटिफाइयर के सिमेंटिक्स, क्वांटिफाइड उप-सूत्र के उदाहरणों के ट्रुथ डिग्रियों के इन्फिमम (रेस्प. सुप्रीमम) होते हैं। हाइयर-ऑर्डर फ़ज़ी लॉजिक्स ये लॉजिक्स, जिन्हें फ़ज़ी टाइप थ्यौरी भी कहा जाता है, प्रेडिकेट फ़ज़ी लॉजिक्स का विस्तार करते हैं ताकि प्रेडिकेट्स और हाइयर-ऑर्डर ऑब्जेक्ट्स को भी क्वांटिफाइ करने में सक्षम हो सके। फ़ज़ी टाइप थ्यौरी, बी. रसेल द्वारा शुरू की गई क्लासिकल सिंपल टाइप थ्यौरी का एक सामान्यीकरण है और इसका गणितीय रूप से सविस्तार ए. चर्च और एल.हेन्किन द्वारा किया गया है। फ़ज़ी लॉजिक के लिए डिसाइडेबिलिटी के मुद्दे "डिसाइडेबल सबसेट" और "रिकर्सिवली इन्युमरेबल सबसेट" की धारणा, क्लासिकल मैथमेटिक्स और क्लासिकल लॉजिक के मूलभूत विचार हैं। उसके बाद, फ़ज़ी सेट थ्यौरी के ऐसी अवधारणाओं के एक उपयुक्त विस्तार का प्रश्न उठता है। फ़ज़ी ट्यूरिंग मशीन (तुरिंग मशीन), मार्कोव नोर्मल फ़ज़ी एल्गोरिदम और फ़ज़ी प्रोग्राम के धारणाओं के आधार पर इ. एस.सैंटोस ने ऐसी एक दिशा में एक पहला प्रस्ताव रखा (सैंटोस १९७० देखें)। उसके बाद, एल. बायासिनो और जी. गेर्ला ने सिद्ध किया कि ऐसी परिभाषा पर्याप्त नहीं है और इसलिए निम्नलिखित परिभाषा का प्रस्ताव दिया। , [०,१] में रैशनल संख्याओं के सेट को सूचित करता है। सेट स का फ़ज़ी सबसेट स [०,१], रिकर्सिवली इन्युमरेबल होता है यदि रिकर्सिव मैप ह : स न , इस तरह से मौजूद हो कि स में प्रत्येक क्स के लिए, न के सन्दर्भ में फंक्शन ह(क्स,न) बढ़ रहा हो और स (क्स) = लिम ह (क्स, न) हो। हम कहते हैं कि स, डिसाइडेबल है यदि स और इसका पूरक स दोनों ही रिकर्सिवली इन्युमरेबल हो। ल-सबसेट्स के सामान्य मामले में ऐसी एक थ्यौरी का विस्तार, गेर्ला २००६ में प्रस्तावित है। प्रस्तावित परिभाषाएं, फ़ज़ी लॉजिक के साथ अच्छी तरह से संबंधित हैं। वास्तव में, निम्नलिखित प्रमेय सच साबित होते हैं (यदि फ़ज़ी लॉजिक के डिडक्शन अपारेटस (कटौती करने वाले साधन), कुछ स्पष्ट कार्यसाधकता को अच्छी तरह से संतुष्ट करते हों)। प्रमेय. कोई भी एक्सिओमेटाइज़ेबल फ़ज़ी थ्यौरी, रिकर्सिवली इन्युमरेबल होता है। विशेष रूप से, लॉजिक के आधार पर ट्रू फार्मूलों (सच के सूत्र) का फ़ज़ी सेट, इस तथ्य के बावजूद रिकर्सिवली इन्युमरेबल होता है कि वैलिड फार्मूलों (वैध सूत्रों) का क्रिस्प सेट आम तौर पर रिकर्सिवली इन्युमरेबल नहीं होता है। इसके अलावा, कोई भी एक्सिओमेटाइज़ेबल और कम्प्लीट थ्यौरी, डिसाइडेबल होता है। फ़ज़ी लॉजिक के चर्च थीसिस (चर्च थेसिस) को समर्थन देने के लिए यह एक मुक्त प्रश्न है जो यह दावा करता है कि फ़ज़ी सबसेट्स के रिकर्सिव इन्युमरेबिलिटी की प्रस्तावित धारणा, एक पर्याप्त धारणा है। इस उद्देश्य के लिए, फ़ज़ी व्याकरण और फ़ज़ी ट्यूरिंग मशीन की धारणा पर आगे की जांच आवश्यक होनी चाहिए (उदाहरण के लिए वीडर्मंस पेपर देखें)। एक और मुक्त प्रश्न, फ़ज़ी लॉजिक में गोडेल के प्रमेयों के विस्तार को ढूंढने के लिए इस धारणा को शुरू करना है। अनुप्रयोग के क्षेत्र फ़ज़ी लॉजिक का प्रयोग निम्न के ऑपरेशन और प्रोग्रामिंग में किया जाता है: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन, अब्स और क्रूज़ कंट्रोल के रूप में ऑटोमोबाइल और ऐसे वाहन सबसिस्टम्स डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग, जैसे एज डिटेक्शन कुछ माइक्रोकंट्रोलर्स और माइक्रोप्रोसेसर्स (उदाहरण के लिए, फ्रीस्केल ६८हक१२) पोलरिमेट्रिक वेदर रडार के हाइड्रोमिटिओर क्लासिफिकेशन एल्गोरिदम्स ऑफेंसिव टेक्स्ट को फ़िल्टर करने के लिए मेसेज बोर्ड्स और चैट रूम्स के लैंग्वेज फिल्टर्स लॉर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्मों में प्रयुक्त मैसिव इंजिन जिससे बहुत बड़ी सेना के क्रमानुसार चाल या गति के साथ-साथ क्रमरहित चाल को दर्शाना संभव हुआ मिनरल डिपोज़िट एस्टीमेशन (खनिज़ के जमाव का आकलन या अनुमान) रिमोट सेंसिंग में पैटर्न रिकॉग्निशन वीडियो गेम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस घरेलू उपकरण (जैसे - वॉशिंग मशीन) फ़ज़ी लॉजिक की आपत्तियां "इमप्रिसाइज़ लॉजिक" के समान फ़ज़ी लॉजिक, लॉजिक के किसी अन्य रूप की अपेक्षा कम प्रिसाइज़ नहीं होता है: यह इनहेरेंट्ली इमप्रिसाइज़ अवधारणाओं को हैंडल करने का एक संगठित और गणितीय पद्धति है। "कोल्डनेस" (शीतलता) की अवधारणा को समीकरण में व्यक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि यद्यपि तापमान, एक क्वांटिटी है लेकिन "कोल्डनेस" नहीं. हालांकि, लोगों को यह पता है कि "कोल्ड" क्या है और वे इस बात से सहमत है कि "कोल्ड" और "नॉट कोल्ड" में ज्यादा अंतर नहीं है जहां कोई वस्तु न डिग्रियों पर "कोल्ड" है लेकिन न+१ डिग्रियों पर "नॉट कोल्ड" है बाइवैलेंस के सिद्धांत के अनुसार एक कॉन्सेप्ट क्लासिकल लॉजिक को आसानी से हैंडल नहीं किया जा सकता है। परिणाम में कोई सेट जवाब नहीं होता है इसलिए इसे 'फ़ज़ी' जवाब मान लिया जाता है। फ़ज़ी लॉजिक साधारणतया वेगनेस का एक गणितीय मॉडल है जिसे उपर्युक्त उदाहरण में साबित कर दिया गया है। प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) को व्यक्त करने का एक नया तरीका फ़ज़ी लॉजिक और प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता), अनिश्चितता को व्यक्त करने के अलग-अलग तरीकें हैं। जबकि फ़ज़ी लॉजिक और प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) थ्यौरी दोनों का प्रयोग सब्जेक्टिव बिलीफ को प्रकट करने के लिए किया जा सकता है लेकिन फ़ज़ी सेट थ्यौरी, फ़ज़ी सेट मेम्बरशिप (अर्थात्, एक सेट में कितना वेरिएबल है) की अवधारणा का प्रयोग करता है और प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) थ्यौरी, सब्जेक्टिव प्रोबैबिलिटी (व्यक्तिपरक अधिसम्भाव्यता) (व्यक्तिपरक अधिसम्भाव्यता) (अर्थात, मुझे कैसे संभाव्य लगता है कि सेट में वैरिएबल है) की अवधारणा का प्रयोग करता है। हालांकि यह अंतर अधिकतर दार्शनिक है, फ़ज़ी लॉजिक से उत्पन्न पॉसिबिलिटी मेज़र (संभावना की माप), स्वाभाविक रूप से प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) मेज़र (संभाव्यता की माप) से अलग है इसलिए वे प्रत्यक्ष रूप से समकक्ष नहीं हैं। हालांकि, ब्रुनो डे फिनेटी के कार्य से कई सांख्यिकीविद् सहमत है कि सिर्फ एक ही तरह की गणितीय अनिश्चितता की आवश्यकता है और इस प्रकार फ़ज़ी लॉजिक की कोई आवश्यकता नहीं है। दूसरी ओर, बार्ट कोस्को का तर्क है कि प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता), फ़ज़ी लॉजिक का एक सबथ्यौरी है क्योंकि प्रोबैबिलिटी, सिर्फ एक ही तरह की अनिश्चितता को हैंडल करती है। वह फ़ज़ी सबसेटहुड की अवधारणा से बायेस के प्रमेय की व्युत्पत्ति साबित होने का दावा भी करते हैं। लोत्फी ज़ादेह का तर्क है कि फ़ज़ी लॉजिक स्वभाव से प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) से अलग होता है और यह इसकी जगह नहीं ले सकता है। उन्होंने प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) को फ़ज़ी प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) में फ़ज़ीफ़ाइ कर दिया और इसे उसमें सामान्यीकृत भी कर दिया जिसे प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) थ्यौरी कहा जाता है। अनिश्चितता के अन्य तरीकों में डेम्प्स्टर-शेफर थ्यौरी (डेम्प्स्टर-शफर थ्योरी) और रफ सेट्स शामिल हैं। ध्यान दें, हालांकि, कि फ़ज़ी लॉजिक, प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) के प्रति विवादास्पद नहीं बल्कि कुछ-कुछ पूरक होता है (क्फ.) बड़ी-बड़ी समस्याओं को मापने में कठिनाई इस आलोचना का मुख्य कारण यही है कि जो भी समस्याएं हैं, वे सब कंडीशनल पॉसिबिलिटी के साथ ही हैं लेकिन फ़ज़ी सेट थ्यौरी, कंडीशनल प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) के समकक्ष है (हैल्पर्न (२००३), सेक्शन ३.८ देखें). निष्कर्ष निकालने में यह कठिनाई पैदा करता है। हालांकि प्रोबैबिलिस्टिक प्रणालियों के साथ फ़ज़ी-आधारित सिस्टम्स के तुलनात्मक क्षेत्र में अभी तक अधिक अध्ययन नहीं हो पाया है। इन्हें भी देखें आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क बायोलॉजिकली इंस्पायर्ड कंप्यूटिंग फ़ज़ी ऐसोसिएट मेट्रिक्स फ़ज़ी कंट्रोल सिस्टम फ़ज़ी कंट्रोल लैंग्वेज फ़ज़ीक्लिप्स एक्सपर्ट सिस्टम पैराडोक्स ऑफ द हीप टाइप-२ फ़ज़ी सेट्स और सिस्टम्स फ़ॉर्मल फ़ज़ी लॉजिक - सिटिज़नडियम में लेख फ़ज़ी लॉजिक - स्कॉलरपीडिया में लेख मॉडलिंग विथ वर्ड्स - स्कॉलरपीडिया में लेख फ़ज़ी लॉजिक - स्टैनफोर्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फिलोस्फी में लेख फ़ज़ी मैथ - फ़ज़ी लॉजिक का शुरुआती स्तर पर परिचय. फ़ज़ी लॉजिक और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स: ई-ओ-त लिंक्स वाले पृष्ठ वेब पेज अबाउट फ्सल: फ्सल के सन्दर्भ और लिंक्स सॉफ्टवेयर और उपकरण डोटफ़ज़ी (डोत्फुज़्ज़ी): ओपेन सोर्स फ़ज़ी लॉजिक लाइब्रेरी (च#) पीवाइफ़ज़ीलाइब (पैफुज़्ज़िलिब): ओपेन सोर्स लाइब्रेरी टु राइट सॉफ्टवेयर विथ फ़ज़ी लॉजिक (पायथन (पैथों)) पीवाइफ़ज़ी (पैफुज़्ज़ी): ओपेन सोर्स फ़ज़ी लॉजिक पैकेज (पायथन (पैथों)) रॉकऑन फ़ज़ी (रॉकॉन फ़ुज़्ज़ी): ओपेन सोर्स फ़ज़ी कंट्रोल ऐंड सिमुलेशन टूल (जावा (जावा)) फ्री एदुकेशनल सॉफ्टवेयर ऐंड एप्लीकेशन नोट्स ओपेन फ़ज़ी लॉजिक बेस्ड इन्फेरेंस इंजन ऐंड डाटा माइनिंग वेब सर्विस बेस्ड ऑन मेटारुल फ्री फ़ज़ी लॉजिक लाइब्रेरी (च++) फ़ज़ी लॉजिक ट्यूटोरियल फ़ज़ी लॉजिक ट्यूटोरियल] फ़ज़ी लॉजिक इन यौर गेम - गेम प्रोग्रामिंग के उद्देश्य वाला ट्यूटोरियल. सिंपल टेस्ट टू चेक हाउ वेल यु अंडरस्टैंड इट अनुसंधान लेख जो वर्णन करता है कि कैसे औद्योगिक दूरदर्शिता का एकीकरण इंटेलिजेंट एजेंटों और फ़ज़ी लॉजिक के साथ पूंजी का बजट निर्धारित करने में किया जा सकता है इंस्टीट्युट फॉर रिसर्च ऐंड एप्लीकेशंस ऑफ फ़ज़ी मॉडलिंग यूरोपीय सेंटर फॉर सॉफ्ट कम्प्यूटिंग लॉजिक इन कंप्यूटर साइंस प्रोबैबिलिटी (अधिसम्भाव्यता) इंटरप्रिटेशन
भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (ऑकीसेरॉस बिरोस्ट्रिस ) एक साधारण हॉर्नबिल है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। यह सर्वाधिक वानस्पतिक पक्षी है और आमतौर पर जोड़े में दिखायी पड़ती है। इनमे पूरे शरीर पर ग्रे रंग के रोयें होते हैं और इनके पेट का हिस्से हल्का ग्रे या फीके सफ़ेद रंग का होता है। इनके सिर का उभार काले या गहरे ग्रे रंग का होता है और शिरस्त्राण इस उभार के वक्रता बुंडू तक फैला होता है। अनेकों शहरों के ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली हॉर्नबिलों में से एक हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में ये विशाल वृक्ष युक्त मार्गों का उपभोग कर पाती हैं। यह लगभग २४ इंच लम्बी होती है। इनके शरीर का ऊपरी हिस्सा मिश्रित ग्रे और भूरे रंग का होता है और फीके पीले रंग की आंख की भौहों के भी कुछ हल्के निशान देखे जा सकते हैं। कान का आवृत भाग गहरे रंग का होता है। पंख के उड़ान भरने वाले पर गहरे भूरे रंग के होते हैं और इनका सिरा सफ़ेद रंग का होता है। इनकी पूंछ का अग्रसिरा सफ़ेद होता है और गहरे रंग की उपांत धारी होती है। इनकी आंख की पुतली लाल रंग की होती है और पलक पर बाल होते हैं। इनका शिरस्त्राण छोटा और नुकीला होता है। नर पक्षियों में यह शिरस्त्राण गहरे रंग की चोंच पर बड़े आकार का होता है जबकि उसके चोंच का पृष्ठीय सिरा और निचला जबड़ा हल्के पीले रंग का होता है। आंख के चरों और की त्वचा नर पक्षियों में गहरे रंग की और मादा में कभी-कभी फीके लाल रंग की होती है। मादा पक्षी की चोंच अधिक पीली होती है और जो आधार और शिरस्त्राण पर काली होती है। यह प्रजाति मुख्यतः मैदानों में २००० फीट की ऊंचाई तक पायी जाती है। यह हिमालय के दक्षिण की और स्थित छोटे पर्वतों में पाई जाती है जो पश्चिम में सिन्धु नदी से और पूर्व में गंगा के डेल्टा द्वारा घिरे हैं। यह स्थानीय शुष्क पश्चिमी क्षेत्र में विचरण करती हुई पाई जा सकती है। यह उन शहरों के अन्दर भी पायी जा सकती है जहां प्राचीन वृक्ष युक्त मार्ग हों. यह मैदानों में १४०० मीटर तक पाई जा सकती है और पश्चिमी घाटों की मालाबार ग्रे हॉर्नबिल से बहुत अधिक समानता नहीं रखती. व्यवहार और पारिस्थितिकी इनकी आवाज़ कूकने जैसी जो कुछ-कुछ काली चील के समान होती है। इनकी उड़ान थोड़ी मुश्किल होती है और ये हवा में तैरने के साथ अपने फैले हुए पंखों को फड़फड़ाते हैं। ये छोटे समूहों या जोड़ों के रूप में पाए जाते हैं। इनका प्रजनन काल अप्रैल से जून तक होता है और ये एक बार ऐ से पांच तक बिलकुल एक ही आकार एवम रूप के अंडे देती हैं। भारतीय ग्रे हॉर्नबिल आमतौर पर लम्बे पेड़ की कोटरों में अपना घोंसला बनाती है। अपनी आवश्यकतानुसार ये एक पहले से मौजूद कोटर या गड्ढे को और भी गहरा कर सकती हैं। मादा पक्षी पेड़ के कोटर में प्रवेश करती है और घोंसले के छेड़ को बंद कर देती है, मात्र एक छोटी से लम्बवत दरार छोड़ती है जिसका प्रयोग नर पक्षी उसे भोजन देने के लिए करता है। मादा पक्षी घोंसले के प्रवेश द्वार को अपने मलोत्सर्ग द्वारा बंद करती है। घोंसले के अन्दर आने पर मादा पक्षी अपने उड़न पंखों का निर्मोचन कर देती है और अण्डों को सेती है। जब मादा पक्षी के पंख पुनः विकसित होते हैं तो ठीक इसी समय उसके चूजे भी अंडे से बाहर आने की अवस्था में होते हैं और अंडा टूटकर खुल जाता है। मुंबई के पास के एक घोंसले पर कियेगए अध्ययन से यह पता लगा कि वह फलदार पेड़ जिन पर यह रहती हैं उनके नाम स्ट्रेबलस एस्पर, कैन्सजेरा र्हीडी, कैरिसा कैरनडस, ग्रिविया टिलीएफोलिया, लैनिया कोरोमैन्डेलिका, फिक्स सप्प., स्टेरक्युलिया युरेंस और सेक्युरिनेगा ल्यूकोपाइरस है। ये प्रजाति गोंघा, बिच्छु, कीड़ों, छोटे पक्षियों (इन्हें गुलाब सदृश छल्ले वाले तोतों के चूजों को ले जाते हुए और संभवतः अपना शिकार बनाते हुए देखा गया है) और सरीसृपों को अपना भोजन बनाने के लिए जानी जाती है, ये थेवेतिया पेरुवियाना को अपने भोजन के रूप में खाने के लिए भी प्रसिद्द हैं जो अधिकांश रीढ़ धारियों के लिए विषाक्त माना जाता है। यह प्रजाति लगभग पूर्णतया वानस्पतिक होती है और बहुत ही कम अवसरों पर भूमि पर आती है, जहां से वे गिरे हुए फल उठा सकें या धूल में नहा सकें. एशिया के पंछी भारत के पंछी नेपाल के पंछी पाकिस्तान के पंछी १७८६ में जानवर वर्णित
बिहार राज्य मे समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड के रहीमाबाद कस्बे मे स्थित एक मदरसा जो शिक्षा का केन्द्र है।
रगडीगाड-खा.प.-२, थलीसैंण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा रगडीगाड-खा.प.-२, थलीसैंण तहसील रगडीगाड-खा.प.-२, थलीसैंण तहसील
निघासन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के उत्तर प्रदेश विधान सभा के ४०३ निर्वाचन क्षेत्रों में से एक हैं। यह लखीमपुर खीरी जिले का एक हिस्सा है और खीरी (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) में पाँच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव १९५७ में "डीपीएसीओ (१९५६)" के बाद हुआ था (परिसीमन आदेश) १९५६ में पारित किया गया था। २००८ में "संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के आदेश का परिसीमन" पारित होने के बाद, निर्वाचन क्षेत्र को पहचान संख्या १३८ सौंपी गई। निघासन विधानसभा क्षेत्र का विस्तार निघासन तहसील है; पीसी बेनौरा, मल्बेहर, राम नगर बगहा, गुलेरिया टी। अमेठी, रामिया बेहार, सुजानपुर, जंगल सुजानपुर, सेमरी, चंदपुरा, सोहरिया, रामिया बेहार सीएमसी के धौरहरा और धौरहरा तहसील के धौरहरा एनपी। यह भी देखें खीरी (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) लखीमपुर खीरी जिला उत्तर प्रदेश विधान सभा उत्तर प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
सिरकार एक्सप ७६४३ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन चेन्नई एग्मोर रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:म्स) से ०५:२०प्म बजे छूटती है और काकीनाडा पोर्ट रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:कोआ) पर ०९:४०आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है १६ घंटे २० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
यदि किसी स्थान पर स्थित किसी स्थिर आवेशित कण पर बल लगता है तो कहते हैं कि उस स्थान पर विद्युत्-क्षेत्र (इलेक्ट्रिक फील्ड) है। विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों के द्वारा उत्पन्न होता है या समय के साथ परिवर्तित हो रहे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण। विद्युत क्षेत्र की अवधारणा सबसे पहले माइकल फैराडे ने दिया था। विद्युत क्षेत्र एक सदिश (वेक्टर) राशि है। परिभाषा : किसी आवेश के चारों तरफ का वह क्षेत्र जिसमें किसी अन्य आवेश को लाने पर वह वैद्युत बल (आकर्षण या प्रतिकर्षण बल) का अनुभव करता है, विद्युत क्षेत्र कहलाता है। इसकी एस आई इकाई, वोल्ट प्रति मीटर (व/म) है। इसी प्रकार विद्युत क्षेत्र की तीव्रता भी है: " विद्युत् क्षेत्र की किसी बिंदु पर स्थित एकांक धनावेश जितने बल का अनुभव करता है,उसे उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।" इसका सी मात्रक न्यूटन प्रति कुलम है। इन्हें भी देखें
कांकरेज (कंक्रेज) भारत के गुजरात राज्य के बनासकांठा ज़िले की एक तालुका है। इन्हें भी देखें
वीरसामी पर्मुल (जन्म ११ अगस्त १९८९) एक गुयाना के पेशेवर क्रिकेटर हैं। पर्मुल वेस्टइंडीज क्षेत्रीय क्रिकेट में गुयाना के लिए खेलते हैं और वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं। उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ १३ नवंबर २०१२ को ढाका के शेर-ए-बांग्ला नेशनल स्टेडियम में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेट खिलाड़ी
पालियावास राजस्थान के नागौर जिले में डेगाना पंचायत समिति का एक गांव है। यह ग्राम पंचायत मुख्यालय भी है। नागौर ज़िले के गाँव
फुटवीयर डिजाइन एण्ड डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट एक शैक्षिक संस्थान है जिसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित है। इसके अन्य केन्द्र फुरसतगंज (रायबरेली), गुना, चेन्नै, कोलकाता, रोहतक, छिन्दवाड़ा, तथा जोधपुर में हैं। फुटवीयर डिजाइन एण्ड डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट का जालघर भारत के शैक्षिक संस्थान
बुरान्दॊड्डि (कर्नूलु) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कर्नूलु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
टरनिप मोजेक वाइरस एक विषाणु है जो पौधों में रोग पैदा करता है। इसमें आनुवांशिक पदार्थ के रूप में आरएनए होता है तथा इसकी औसत लम्बाई ७२०न्म होती है। ६२० सेण्टीग्रेड तापमान तक गर्म करने पर इसका मृत्यु हो जाती है। - वाइरस डाटाबेस
गेटवे ऑफ़ इन्डिया (भारत का प्रवेशद्वार) भारत के मुम्बई शहर के दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित एक स्मारक है। स्मारक को दिसंबर १९११ में अपोलो बंडर, मुंबई (तब बॉम्बे) में ब्रिटिश सम्राट राजा-सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया था। शाही यात्रा के समय, प्रवेशद्वार का निर्माण नहीं हुआ था, और सम्राट को एक कार्डबोर्ड संरचना के द्वारा बधाई दी गयी थी। १६वीं शताब्दी के गुजराती वास्तुकला के तत्वों को शामिल करते हुए, भारतीय-इस्लामी वास्तुकला शैली में निर्मित इस स्मारक की आधारशिला मार्च १९१३ में रखी गई थी। वास्तुकार जॉर्ज विटेट द्वारा स्मारक का अंतिम डिजाइन १९१४ में स्वीकृत किया गया था, और इसका निर्माण १९२४ में पूरा हुआ था। २६ मीटर (८५ फीट) ऊँची इस संरचना का निर्माण असिताश्म (बेसाल्ट) से किया गया है और यह एक विजय की प्रतीक मेहराब है। इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है। इसके निर्माण के बाद, गेटवे का उपयोग महत्वपूर्ण सरकारी कर्मियों के लिए भारत में एक प्रतीकात्मक औपचारिक प्रवेश द्वार के रूप में किया गया था। गेटवे वह स्मारक भी है जहां से एक साल पहले भारत से ब्रिटिश वापसी के बाद, १९४८ में भारत की सेना में अंतिम ब्रिटिश सैनिक रवाना हुए थे। यह ताज महल पैलेस और टावर होटल के सामने एक कोण पर तट पर स्थित है और अरब सागर की ओर दिखता है। आज, यह स्मारक मुंबई शहर का पर्याय बन गया है, और इसके प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह प्रवेश द्वार स्थानीय लोगों, रेहड़ी-पटरी वालों और सेवाओं की मांग करने वाले फोटोग्राफरों के लिए एक सभा स्थल भी है। यह स्थानीय यहूदी समुदाय के लिए महत्व रखता है क्योंकि यह २००३ से मेनोराह की रोशनी के साथ हनुका उत्सव का स्थान रहा है। गेटवे पर पांच घाट स्थित हैं, जिनमें से दो का उपयोग वाणिज्यिक नौका संचालन के लिए किया जाता है। गेटवे अगस्त २००३ में एक आतंकवादी हमले का स्थल था, जब इसके सामने खड़ी एक टैक्सी में बम विस्फोट हुआ था। २००८ के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद इसके परिसर में लोगों के एकत्र होने के बाद गेटवे तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी गई थी, जिसमें गेटवे के सामने ताज होटल और इसके आसपास के अन्य स्थानों को निशाना बनाया गया था। फरवरी २०१९ में राज्य के राज्यपाल द्वारा जारी एक निर्देश के बाद, मार्च २०१९ में, महाराष्ट्र राज्य सरकार ने पर्यटकों की सुविधा के लिए स्थान विकसित करने के लिए एक चार-चरणीय योजना का प्रस्ताव रखा। इतिहास एवं महत्व गेटवे ऑफ़ इन्डिया का निर्माण १९११ के दिल्ली दरबार से पहले २ दिसंबर १९११ को अपोलो बंडर, मुंबई (बॉम्बे) में भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी पत्नी मैरी ऑफ टेक के आगमन की स्मृति में किया गया था; यह किसी ब्रिटिश सम्राट की भारत की पहली यात्रा थी। हालाँकि, उन्हें स्मारक का केवल एक कार्डबोर्ड मॉडल देखने को मिला, क्योंकि निर्माण १९१५ तक शुरू नहीं हुआ था। गेटवे की आधारशिला ३१ मार्च १९१३ को बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर सर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क द्वारा रखी गई थी और गेटवे के लिए जॉर्ज विटेट के अंतिम डिज़ाइन को अगस्त १९१४ में मंजूरी दी गई थी। गेटवे के निर्माण से पहले, अपोलो बंडर स्थानीय मछली पकड़ने का स्थान था। १९१५ और १९१९ के बीच अपोलो बंडर में समुद्री दीवार के निर्माण के साथ-साथ उस भूमि को पुनः प्राप्त करने का काम जारी रहा जिस पर गेटवे बनाया जाना था। गैमन इंडिया ने गेटवे का निर्माण कार्य शुरू किया था। इसकी नींव १९२० में पूरी हुई जबकि निर्माण १९२४ में पूरा हुआ। गेटवे को ४ दिसंबर १९२४ को तत्कालीन वायसराय, रूफस इसाक, फर्स्ट मार्क्वेस ऑफ रीडिंग द्वारा जनता के लिए खोल दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, भारत छोड़ने वाली अंतिम ब्रिटिश सेना, समरसेट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन, २८ फरवरी 19४8 को एक समारोह के हिस्से के रूप में, ब्रिटिश राज के अंत का संकेत देते हुए, २१ तोपों की सलामी के साथ गेटवे से गुज़री थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एन. कमला, गेटवे को "मुकुट में जड़ा आभूषण" और "विजय और उपनिवेशीकरण का प्रतीक" के रूप में संदर्भित करती हैं। यह स्मारक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की विरासत की याद दिलाता है, अर्थात् इसका उपयोग किसी ब्रिटिश सम्राट की भारत की पहली यात्रा और ब्रिटिश भारत में प्रमुख औपनिवेशिक कर्मियों के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में है। आज गेटवे मुंबई शहर का पर्याय बन गया है। अपने निर्माण के बाद से, यह प्रवेश द्वार समुद्र के रास्ते बंबई आने वाले आगंतुकों को दिखाई देने वाली पहली संरचनाओं में से एक बना हुआ है। २००३ से, गेटवे स्थानीय यहूदी समुदाय के लिए हर साल हनुक्का उत्सव के लिए मेनोराह को रोशन करने का स्थान रहा है। इस अनुष्ठान की शुरुआत मुंबई में चबाड (नरीमन हाउस में स्थित) के रब्बी गेवरियल नोआच होल्ट्ज़बर्ग ने की थी। २००८ के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद यह प्रार्थना स्थल भी बन गया, जिसमें अन्य लोगों के अलावा, नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया गया था। २००८ के आतंकवादी हमलों में रब्बी होल्त्ज़बर्ग की जान चली गई। पीले बेसाल्ट और कंक्रीट से बनी यह संरचना आयताकार है, जिसमें दो लंबी भुजाएँ और दो बहुत छोटी भुजाएँ हैं। तीन धनुषाकार मार्ग लंबी भुजाओं के बीच चलते हैं, साथ ही दो छोटी भुजाओं के बीच एक एकल धनुषाकार मार्ग भी है। केंद्रीय मेहराब ऊंचा और चौड़ा है, ऊपर एक अतिरिक्त मंजिल है, जहां से चार बुर्ज उठते हैं। छोटी भुजाओं पर बने मेहराबों का आकार और डिज़ाइन लंबी भुजाओं पर बने छोटे मेहराबों के समान है। गेटवे ऑफ़ इन्डिया की शैली इंडो-सारसेनिक वास्तुकला है, जिसमें कई विवरण गुजराती क्षेत्रीय शैली से लिए गए हैं। इसका अग्रभाग गुजराती मस्जिद के अग्रभाग की याद दिलाता है, उदाहरण के लिए १४२४ की जामा मस्जिद, अहमदाबाद, जबकि मूल आकार, शास्त्रीय वास्तुकला की शब्दावली में, आठ खंभों की फर्श योजना वाला एक ऑक्टोपिलोन है, जैसा कि कुछ विजयी मेहराबों और स्मारकों में उपयोग किया जाता है, जिसमें पेरिस में आर्क डी ट्रायम्फ डू कैरोसेल भी शामिल है। बाहरी हिस्से में आभूषणों के संयमित लेकिन जटिल बैंड और छोटे मेहराबों के चारों ओर जाली स्क्रीन हैं। गेटवे के मेहराब की ऊंचाई है और इसके केंद्रीय गुंबद का व्यास है। यह स्मारक पीले बेसाल्ट और प्रबलित कंक्रीट से बनाया गया है। पत्थर स्थानीय स्तर से मंगवाए गए थे जबकि छिद्रित स्क्रीनें ग्वालियर से लाई गई थीं। स्मारक का मुख मुंबई हार्बर की ओर है। प्रवेश द्वार की संरचना पर चार बुर्ज हैं, और प्रवेश द्वार के मेहराब के पीछे सीढ़ियाँ बनी हैं जो अरब सागर की ओर जाती हैं। स्मारक में जटिल पत्थर की जाली का काम किया गया है। स्कॉटिश वास्तुकार, जॉर्ज विटेट ने स्वदेशी वास्तुशिल्प तत्वों को गुजरात की १६वीं शताब्दी की वास्तुकला के तत्वों के साथ जोड़ा। एक एस्प्लेनेड बनाने के लिए बंदरगाह के सामने का पुनर्निर्माण किया गया, जो शहर के केंद्र तक जाएगा। मेहराब के दोनों ओर ६०० लोगों के बैठने की क्षमता वाले बड़े हॉल हैं। निर्माण की लागत थी, जो तत्कालीन सरकार द्वारा वहन की गई थी। धन की कमी के कारण, एप्रोच रोड कभी नहीं बनाया गया था। इसलिए, गेटवे अपनी ओर जाने वाली सड़क से एक कोण पर खड़ा है। फरवरी २०१९ में, सीगेट टेक्नोलॉजी और साइआर्क ने स्मारक की डिजिटल स्कैनिंग और संग्रह द्वारा गेटवे को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करने और संरक्षित करने के मिशन पर शुरुआत की थी। एकत्र की गई छवियों और डेटा का उपयोग फोटो-वास्तविक त्रि-आयामी मॉडल बनाने के लिए किया जाएगा। यह विरासत स्मारकों को डिजिटल रूप से संरक्षित करने के लिए साइआर्क के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का एक हिस्सा है। इसमें स्थलीय लेजर स्कैनिंग, ड्रोन और फोटोग्राममिति अभ्यास के साथ किए गए हवाई सर्वेक्षण शामिल हैं। चित्र और त्रि-आयामी मॉडल भविष्य के किसी भी पुनर्निर्माण कार्य की जानकारी देंगे। स्थान एवं घाट गेटवे ताज महल पैलेस और टॉवर होटल के सामने एक कोण पर खड़ा है, जिसे १९०३ में बनाया गया था। प्रवेश द्वार के मैदान में, स्मारक के सामने, मराठा योद्धा-नायक शिवाजी की मूर्ति खड़ी है, जिन्होंने १७वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की स्थापना के लिए मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस प्रतिमा का अनावरण २६ जनवरी १९६१ को भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर किया गया था। इसने राजा-सम्राट जॉर्ज पंचम की कांस्य प्रतिमा का स्थान ले लिया। २०१६ में, मिड-डे ने बताया कि जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के एलफिंस्टन कॉलेज के पीछे, फोर्ट, मुंबई में एक टिन शेड में बंद करके रखा गया है। जॉर्ज पंचम की मूर्ति जी.के. म्हात्रे द्वारा बनाई गई थी, जिनके पास भारत में ३०० से अधिक मूर्तियां हैं। म्हात्रे के परपोते हेमंत पठारे और इतिहासकार, शोधकर्ता और शिक्षाविद् संदीप दहिसरकर ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति को एक संग्रहालय में स्थानांतरित करने के प्रयास किए हैं, जिनमें से बाद वाले ने मूर्ति को स्वदेशी कला के रूप में फिर से स्थापित किया है। प्रवेश द्वार के इलाके में दूसरी मूर्ति स्वामी विवेकानन्द की है, एक भारतीय भिक्षु जिन्हें पश्चिम में वेदांत और योग जैसे भारतीय दर्शन की शुरूआत और हिंदू धर्म लाने में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में श्रेय दिया जाता है। स्मारक के चारों ओर पाँच घाट स्थित हैं। पहला घाट भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के लिए विशेष है, जबकि दूसरे और तीसरे का उपयोग वाणिज्यिक नौका संचालन के लिए किया जाता है, चौथा बंद है, और पांचवां रॉयल बॉम्बे यॉट क्लब के लिए विशेष है। दूसरा और तीसरा घाट पर्यटकों के लिए घारापुरी गुफाओं तक पहुंचने का शुरुआती बिंदु है, जो स्मारक से नाव द्वारा पचास मिनट की दूरी पर हैं। प्रवेश द्वार से अन्य मार्गों में रेवास, मांडवा और अलीबाग के लिए नौका सवारी शामिल है, जबकि प्रवेश द्वार से क्रूज भी संचालित होते हैं। कथित तौर पर ये घाट दैनिक यात्रियों से अधिक संख्या में यात्रियों को ले जाते हैं। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट जहाजों को गेटवे का उपयोग करने के लिए लाइसेंस देता है जबकि महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड उन्हें फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करता है। पर्यटन एवं विकास गेटवे मुंबई के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। गेटवे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्वावधान में महाराष्ट्र में एक संरक्षित स्मारक है। यह स्थानीय लोगों, सड़क विक्रेताओं और फोटोग्राफरों के लिए एक नियमित सभा स्थल है। २०१२ में, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम ने एलिफेंटा संगीत और नृत्य महोत्सव को एलिफेंटा गुफाओं में अपने मूल स्थान से स्थानांतरित कर दिया - जहां यह आयोजन स्थल द्वारा प्रदान की गई बढ़ी हुई क्षमता के कारण गेटवे पर २३ वर्षों से मनाया जा रहा था। गेटवे २,००० से २,५०० लोगों की मेजबानी कर सकता है, जबकि एलीफेंटा गुफाएं केवल ७०० से ८०० लोगों की मेजबानी कर सकती हैं। २०१२ तक, बॉम्बे नगर निगम ने ५ करोड़ की लागत से क्षेत्र को बहाल करके पैदल यात्रियों के लिए गेटवे के आसपास प्लाजा क्षेत्र को बढ़ा दिया। इसमें पेड़ों को काटना, उद्यान क्षेत्र को कम करना, शौचालयों को बदलना और कार पार्क को बंद करना शामिल था। पुनर्विकास के कारण इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज और अर्बन डिज़ाइन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बीच विवाद पैदा हो गया और खराब परियोजना कार्यान्वयन के लिए सरकार की आलोचना की गई, जिस पर आलोचकों का आरोप था कि यह मूल योजनाओं के अनुरूप होने में विफल रही है। जनवरी २०१४ में, फिलिप्स लाइटिंग इंडिया ने, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम के सहयोग से सोलह मिलियन शेड्स के साथ एक एलईडी प्रकाश प्रणाली स्थापित करके, गेटवे को रोशन करने के लिए २ करोड़ का खर्च उठाया। फिलिप्स ने अपने फिलिप्स कलर काइनेटिक्स और एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग के उत्पादों का उपयोग किया, और उसे रोशनी परियोजना के लिए कोई ब्रांडिंग नहीं मिली, जिसमें 13२ प्रकाश बिंदु बनाए गए थे, जो कथित तौर पर पुराने प्रकाश व्यवस्था की तुलना में साठ प्रतिशत अधिक ऊर्जा कुशल थे। अगस्त २०१४ में, राज्य पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय ने समुद्र से खारे जमाव के कारण होने वाली गिरावट को ध्यान में रखते हुए, एएसआई द्वारा गेटवे के संरक्षण का प्रस्ताव दिया था। लागत का एक अनुमान एएसआई द्वारा तैयार और अनुमोदित किया जाना था। इस तरह का आखिरी संरक्षण बीस साल पहले किया गया था। इससे पहले जून २001 और मई २00२ के बीच गेटवे पर एक स्वतंत्र अध्ययन किया गया था, जिसका उद्देश्य मौसम की स्थिति और खनिजों के संतृप्त रंग के कारण पत्थरों के रंग परिवर्तन की डिग्री को समझते हुए स्मारक के भविष्य के संरक्षण की जानकारी देना था। अध्ययन में पाया गया कि स्मारक के पत्थर अन्य मौसमों की तुलना में मानसून के दौरान अधिक गहरे दिखाई देते हैं, जबकि स्मारक के आंतरिक हिस्सों में रंग परिवर्तन मौसमी आर्द्रता और तापमान में बदलाव के साथ बढ़ता है, क्योंकि वे समुद्र, बारिश के पानी या सूरज की रोशनी का सामना नहीं करते हैं। यह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि स्मारक के बाहरी हिस्सों की तुलना में आंतरिक हिस्सों में परिवर्तन की डिग्री और समग्र रंग परिवर्तन अधिक है। २०१५ में, महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड और महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने अपोलो बंडर के पास एक यात्री घाट और गेटवे और बॉम्बे प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब के बीच एक सैरगाह के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस परियोजना का उद्देश्य गेटवे के सभी घाटों को बंद करके भीड़ को कम करना और स्थान को केवल एक पर्यटक आकर्षण के रूप में फिर से केंद्रित करना था। गेटवे में टाटा समूह, आरपीजी समूह और जेएसडब्ल्यू समूह जैसी इच्छुक कंपनियां और कॉर्पोरेट हाउस हैं, जिन्होंने गेटवे को बनाए रखने और इसकी सुविधाओं को बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है। ऐसा तब हुआ जब राज्य सरकार ने अपनी महाराष्ट्र वैभव राज्य संरक्षित स्मारक अंगीकरण योजना के तहत ३७१ विरासत स्थलों की पहचान की थी। इस योजना के तहत, कंपनियां और कॉरपोरेट अपनी कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए विरासत स्मारकों को गोद ले सकते हैं और उनके रखरखाव के लिए धन दे सकते हैं। यह योजना प्रायोजकों को विज्ञापनों और विज्ञापनों में विरासत स्मारकों को प्रदर्शित करने के अपने अधिकार बेचकर राजस्व उत्पन्न करने का अवसर भी प्रदान करती है। अन्य राजस्व-सृजन अवसरों में स्थल पर प्रवेश टिकटों की बिक्री और सुविधाओं के उपयोग के लिए शुल्क लेना शामिल है। फरवरी २०१९ में, महाराष्ट्र राज्य सरकार ने स्मारक के जीर्णोद्धार, सफाई और सौंदर्यीकरण की योजना शुरू की। एक परियोजना योजना एक महीने में तैयार की जानी थी। राज्य के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने बॉम्बे नगर निगम के आयुक्त और वास्तुकारों को इस उद्देश्य के लिए किए जाने वाले उपायों पर एक महीने में एक परियोजना योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उसी महीने, राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा पत्थरों और सतह की दरारों पर कालेपन और शैवाल को देखते हुए रासायनिक संरक्षण का प्रस्ताव रखा गया था। संरचनात्मक स्थिरता ऑडिट आखिरी बार आठ साल पहले आयोजित किया गया था और स्मारक पर पौधों की वृद्धि को सालाना हटा दिया गया था। मार्च २०१९ में राज्य सरकार साइट पर आने वाले पर्यटकों के प्रबंधन के लिए चार-चरणीय योजना पर सहमत हुई। इसमें स्मारक का भौतिक संरक्षण, ध्वनि और प्रकाश शो की स्थापना, स्मारक के चारों ओर लंगरगाह का स्थानांतरण और एक सुव्यवस्थित, टिकट वाली प्रवेश प्रणाली शामिल थी। योजना में संरक्षित विरासत स्थलों के लिए यूनेस्को के मार्गदर्शन का पालन किया गया और संग्रहालय और पुरातत्व निदेशालय सहित इच्छुक पार्टियों के विचारों को ध्यान में रखा गया, जिसके दायरे में स्मारक है; मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, जिसे ज़मीन सौंपी गई है; और बॉम्बे नगर निगम, जो स्थान को नियंत्रित करता है। एक उपयुक्त प्रबंधन योजना तैयार करने का कार्य वास्तुकारों को सौंपा गया था। अगस्त २०१९ में, स्नैपचैट ने अपने लैंडमार्कर फीचर्स को गेटवे तक बढ़ा दिया, जिसके द्वारा उपयोगकर्ता गेटवे की अपनी तस्वीरों के ऊपर संवर्धित वास्तविकता अनुभवों को सुपरइम्पोज़ कर सकते हैं। गेटवे पर २५ अगस्त २००३ को एक आतंकवादी हमले का स्थान था, जब इसके सामने एक बम विस्फोट हुआ था। ताज महल होटल के पास खड़ी एक टैक्सी में हुए बम विस्फोट की तीव्रता ने कथित तौर पर आसपास खड़े लोगों को समुद्र में फेंक दिया। १३ अगस्त २००५ को, मानसिक रूप से अस्थिर एक व्यक्ति ने गेटवे परिसर में मणिपुर की दो युवा लड़कियों को चाकू मार दिया। २००७ को नए साल की पूर्व संध्या, प्रवेश द्वार पर भीड़ ने एक महिला के साथ छेड़छाड़ की थी। नवंबर २००८ के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद, जिसमें गेटवे के सामने स्थित ताज महल पैलेस और टॉवर होटल सहित अन्य स्थानों को निशाना बनाया गया था, समाचार टेलीविजन पत्रकारों और कैमरामैन सहित लोगों की भीड़ गेटवे परिसर में एकत्र हुई। इसके बाद आसपास के क्षेत्र में सार्वजनिक पहुँच वर्जित कर दी गई। गेटवे और घारापुरी गुफाओं पर हमलों के डर से, राज्य सरकार ने गेटवे पर सभी घाटों को बंद करने और उनके स्थान पर दो नए घाट बनाने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब के पास बनाया जाएगा। आतंकवादी हमलों के जवाब में, ३ दिसंबर २००८ को गेटवे परिसर में एक एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। फरवरी २०१९ में, पुलवामा हमले के मद्देनजर परिसर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए थे। जनवरी २०२० में, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली पर हमले के बाद, गेटवे "ऑक्युपाई गेटवे" के नाम से रातों-रात शुरू होने वाले स्वतःस्फूर्त विरोध प्रदर्शन का स्थल बन गया। बाद में यातायात और लोगों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए प्रदर्शनकारियों को गेटवे परिसर से मुंबई के आज़ाद मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया। मुंबई स्थित वीडियो गेम मुंबई गलीज़ के काल्पनिक मानचित्र में गेटवे ऑफ़ इंडिया को प्रदर्शित करने की उम्मीद है। कई फिल्में, जैसे भाई भाई (१९५६), गेटवे ऑफ इंडिया (१९५७), शरारत (१९५९), हम हिन्दुस्तानी (१९६०), मिस्टर एक्स इन बॉम्बे (१९६४), साधु और शैतान (१९६८), आंसू और मुस्कान (१९७०), अंदाज (१९७१), छोटी सी बात (१९७६) और डॉन (१९७८) की शूटिंग गेटवे ऑफ इंडिया पर की गई है। मुंबई के दर्शनीय स्थल
निरुपमा दत्त (जन्म १९५५) एक प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रकार , आलोचक , अनुवादक और कवित्री हैं। निरुपमा दत्त पंजाबी मूल की एक नारीवादी लेखिका हैं और पंजाबी व अंग्रेजी में लिखती हैं। "एक नदी सांवली सी" (पंजाबी : ) उनका प्रसिद्ध काव्य संग्रह है जिस के लिए उन्हें सन २००० में दिल्ली साहित्य अकेडमी ने पुरस्कार से समानित किया था। सन २००४ में उन्होंने अजीत कौर से मिल कर कविता की एक पुस्तक "कवितांजली" सम्पादित की और पंजाबी की लघु कथाओं का अंग्रेजी में और वोइस्स शीर्षक के अधीन अनुवाद किया जो पेंगुअन ने प्रकाशित किया है। उन्होंने पाकिस्तानी लेखिकाओं की एक गल्प पुस्तक "हाफ थे स्काई अंग्रेजी में अनुवाद व संपादित की है। १९५५ में जन्मे लोग
हानान दाउद खलील अशरवी (जन्म ८ अक्टूबर १९४६) एक फिलिस्तीनी विधायक, कार्यकर्ता और विद्वान है। वह एक प्रोटेगी और बाद में सहकर्मी और एडवर्ड सैड की करीबी दोस्त थी। प्रथम इंतिफादा के दौरान अशरावी एक महत्वपूर्ण नेता थे, जिन्होंने मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए फिलिस्तीनी प्रतिनिधिमंडल के आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में कार्य किया और उन्हें कई बार फिलिस्तीनी विधान परिषद के लिए चुना गया। अशरवी फिलिस्तीनी पूर्व प्रधानमंत्री सलाम फैयाद की तीसरी पार्टी के सदस्य हैं। वह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय परिषद के लिए चुनी गई पहली महिला हैं। अश्वरी विश्व बैंक मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका ( मेना ), संयुक्त राष्ट्र अनुसंधान संस्थान सामाजिक विकास ( उनरीस्ड ) और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद सहित कई अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों के सलाहकार बोर्ड में कार्य करता है। उन्होंने अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरुत में अंग्रेजी विभाग में साहित्य में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। अशरवी ने पीएचडी भी अर्जित की । वर्जीनिया विश्वविद्यालय से मध्यकालीन और तुलनात्मक साहित्य में। अश्वरी का जन्म फिलीस्तीनी ईसाई माता-पिता के रूप में ८ अक्टूबर, १९४६ को नब्लस शहर में हुआ था, जो कि फिलिस्तीन के लिए ब्रिटिश जनादेश था, जो अब वेस्ट बैंक का हिस्सा है। उनके पिता, डौड मिखाइल एक चिकित्सक थे और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के संस्थापकों में से एक, और उनकी माँ वाडी अस्साद मिखाइल एक नेत्रपाल नर्स थीं। १९४८ युद्ध और शिक्षा आश्रवी परिवार नबलस में रहता था। तब नब्लस से, उसका परिवार उत्तर में टिबेरियास के गर्म शहर में चला गया, जहाँ वे १९४८ में इज़राइल राज्य बनने तक बने रहे। १९४८ में १९४८ के अरब-इजरायल युद्ध के परिणामस्वरूप टिबियास से अम्मान, जॉर्डन तक ब्रिटिश जनादेश बलों द्वारा मिखाइल परिवार को स्थानांतरित कर दिया गया था। शुरू में, उसके पिता, डौड मिखाइल, इजरायल बनने में पीछे रहे, लेकिन बाद में जॉर्डन में परिवार के साथ जुड़ गए। १९५० में उनका परिवार जॉर्डन बैंक के वेस्ट बैंक के समय में रामल्ला में बसने में सक्षम था। यहां उन्होंने लड़कियों के लिए क्वेकर स्कूल रामल्लाह फ्रेंड्स गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की। वह अपने पिता द्वारा सक्रियता के लिए प्रेरित थी, जो समाज में महिलाओं के लिए एक बड़ी भूमिका का पक्षधर था और जॉर्डन के अधिकारियों द्वारा अरब राष्ट्रवादी समाजवादी पार्टी और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के साथ उनकी गतिविधियों के लिए बार-बार कैद किया गया था। उन्होंने अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरुत में अंग्रेजी विभाग में साहित्य में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। बेरूत में अमेरिकी विश्वविद्यालय में साहित्य में स्नातक की छात्रा के रूप में उसने एबीसी न्यूज के पीटर जेनिंग्स को दिनांकित किया जो तब एबीसी के बेरुत ब्यूरो प्रमुख के रूप में वहां तैनात थे। जब १९६७ में छह-दिवसीय युद्ध शुरू हुआ, तो लेबनान में २२ वर्षीय छात्र के रूप में अशरावी को इजरायल ने अनुपस्थित घोषित कर दिया और वेस्ट बैंक में फिर से प्रवेश से इनकार कर दिया। अगले छह वर्षों के लिए, अशरावी ने यात्रा की और पीएचडी की शिक्षा प्राप्त की । वर्जीनिया विश्वविद्यालय से मध्यकालीन और तुलनात्मक साहित्य में। १९७३ में पारिवारिक पुनर्मूल्यांकन योजना के तहत अशरावी को अपने परिवार में फिर से शामिल होने की अनुमति दी गई। ८ अगस्त, १९७५ को, उन्होंने एमिल अशरावी (जन्म १९५१) से शादी की, एक ईसाई जेरूसलम जो अब एक फोटोग्राफर और एक थिएटर निर्देशक हैं। साथ में उनकी दो बेटियाँ हैं, अमल (जन्म १९७७) और ज़ीना (जन्म 19८1)। २८ जून, २००८ को अमेरिकी विश्वविद्यालय बेरूत में अशरवी को एक डॉक्टरेट की उपाधि मिली, जो विश्वविद्यालय के १३९ वें आरंभ के साथ एक पुरस्कार समारोह के भाग के रूप में था। वह फिलिस्तीन अध्ययन संस्थान के न्यासी बोर्ड की सदस्य हैं। अश्रवी ने अर्लहम कॉलेज और स्मिथ कॉलेज से मानद उपाधि प्राप्त की है। अश्वरी कई मानवाधिकारों और लैंगिक मुद्दों के एक भावुक वकील हैं। वह कई अंतरराष्ट्रीय शांति, मानवाधिकारों और लोकतंत्र पुरस्कारों की प्राप्तकर्ता हैं, जैसे कि ओलोफ पाल्म पुरस्कार , डेमेंडर ऑफ़ डेमोक्रेसी अवार्ड, जेन एडम्स इंटरनेशनल वीमेन्स लीडरशिप अवार्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जीनिया वीमेंस सेंटर की प्रतिष्ठित अलुम्ना अवार्ड, गणमान्य। लाइफटाइम अचीवमेंट्स औब एलुमनाई अवार्ड, और शांति और सुलह के लिए महात्मा गांधी इंटरनेशनल अवार्ड। वह एक गैर-प्रैक्टिस एंग्लिकन है । २६ सितंबर २००९ को, अल जज़ीरा इंग्लिश पर एक के बाद एक रिज़ ख़ान के साक्षात्कार में, आश्रवी ने उनकी वर्तमान भूमिका को इस तरह परिभाषित किया: "मैं खुद को एक बहुआयामी मिशन के साथ अनिवार्य रूप से एक इंसान के रूप में समझता हूं। मूल रूप से, मैं एक फिलिस्तीनी हूं, मैं एक महिला हूं, मैं एक कार्यकर्ता और मानवतावादी हूं, एक राजनीतिज्ञ होने से ज्यादा। और एक ही समय में मुझे लगता है कि एक शांत और जानबूझकर पसंद के परिणामस्वरूप बहुत बार चीजें हमारे ऊपर जोर डालती हैं। " राजनीति और सक्रियता स्वेच्छा से एक छात्र लेकिन वेस्ट बैंक में फिर से प्रवेश करने से इनकार कर दिया, वह लेबनान में जनरल ऑफ फिलिस्तीनी छात्रों के लिए प्रवक्ता बन गई, महिलाओं के क्रांतिकारी समूहों को संगठित करने और शरणार्थी शिविरों में जाने वाले विदेशी पत्रकारों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में सेवा करने में मदद की। अशरवी १९७३ में पारिवारिक पुनर्मूल्यांकन योजना के तहत वेस्ट बैंक में लौट आए और बिरजीत विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग की स्थापना की। उसने १९७३ से १९७८ तक उस विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, और फिर १९८१ से १९८४ तक; और १९८६-१९९० तक उन्होंने कला संकाय के डीन के रूप में विश्वविद्यालय की सेवा की। वह १९९५ तक बिरजीत विश्वविद्यालय में एक संकाय सदस्य बनी रहीं, उन्होंने कई कविताओं, लघु कथाओं, पत्रों और लेखों को फिलिस्तीनी संस्कृति, साहित्य और राजनीति पर प्रकाशित किया। फिलिस्तीनी क्षेत्रों में अशरवी की राजनीतिक सक्रियता बिरजीत में उनके अकादमिक करियर के रूप में शुरू हुई। १९७४ में, उन्होंने बिरजीत यूनिवर्सिटी लीगल एड कमेटी और ह्यूमन राइट्स एक्शन प्रोजेक्ट की स्थापना की। १९८८ में फर्स्ट इंतिफादा के दौरान उनके राजनैतिक कार्यों में बड़ी तेजी आई, जब वह १९९३ तक अपनी डिप्लोमैटिक कमेटी में सेवारत इंतिफादा पॉलिटिकल कमेटी में शामिल हो गए। १९९१ से १९९३ तक वह मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए फिलिस्तीनी प्रतिनिधिमंडल के आधिकारिक प्रवक्ता और नेतृत्व / मार्गदर्शन समिति और प्रतिनिधिमंडल की कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। १९९३ से १९९५ तक, यासर अराफात और यित्ज़ाक राबिन द्वारा ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ, फिलिस्तीनी स्व-शासन स्थापित किया गया था, और अशरावी ने यरूशलेम में नागरिक अधिकार के लिए फिलीस्तीनी स्वतंत्र आयोग की तैयारी समिति की अध्यक्षता की। अशरावी ने १९९६ से फिलिस्तीनी विधान परिषद , यरुशलम के गवर्नर के निर्वाचित सदस्य के रूप में भी काम किया है। १९९६ में, अश्वरी को फिलिस्तीनी प्राधिकरण उच्च शिक्षा और अनुसंधान मंत्री नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने १९९८ में राजनीतिक भ्रष्टाचार, विशेष रूप से अराफात की शांति वार्ता से निपटने के विरोध में पद से इस्तीफा दे दिया। १९९८ में, अश्वरी ने ग्लोबल डायलॉग एंड डेमोक्रेसी के संवर्धन के लिए मिफ्तह- फिलिस्तीनी पहल की स्थापना की, एक पहल जो फिलिस्तीनी मानवाधिकारों, लोकतंत्र और शांति के लिए सम्मान की दिशा में काम करती है। नवंबर २००४ में, अशरावी ने सैन डिएगो के जोआन बी। क्रोक इंस्टीट्यूट फॉर पीस एंड जस्टिस डिस्ट्रिक्टेड लिन्चर सीरीज़ विश्वविद्यालय में "कॉन्सेप्ट, कॉन्सेप्ट एंड प्रोसेस इन पीसमेकिंग: द फिलिस्तीनी-इजरायल एक्सपीरियंस" नामक एक व्याख्यान दिया। अप्रैल २००७ में, अश्वरी ने वाशिंगटन, डीसी में फिलिस्तीन केंद्र का दौरा किया और "फिलिस्तीन एंड पीस: द चैलेंजेस अहेड" शीर्षक से एक व्याख्यान दिया । जुलाई २०११ में, उन्होंने कनाडा के विदेश मंत्री जॉन बेयर्ड के साथ एक बैठक में फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व किया और उन्हें फिलिस्तीनी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए राजी किया। सिडनी शांति पुरस्कार २००३ में अश्वरी को सिडनी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके चयन ने मैरी रॉबिन्सन ( मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और आयरलैंड के पूर्व राष्ट्रपति) और आर्कबिशप डेसमंड टूटू की प्रशंसा की। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री मैडेलिन अलब्राइट ने भी चयन का समर्थन किया और कहा, "वह [अश्रवी] अपने कारण के लिए एक शानदार प्रवक्ता हैं।" उसका चयन कुछ यहूदी राजनीतिक संगठनों के बीच विवादास्पद था। माइकल कपेल, ऑस्ट्रेलिया / इज़राइल और यहूदी मामलों की परिषद के बोर्ड के एक सदस्य ने उन्हें "इस्लामी आतंक के लिए माफी" कहा। एक्टिविस्ट एंटनी लोवेनस्टीन ने अपनी पुस्तक माई इजरायल प्रश्न में तर्क दिया कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और विभिन्न यहूदी संगठनों ने शांति पुरस्कार जीतने से रोकने के लिए अशरावी को बदनाम और बर्बर किया। विवाद में से, इजरायल के राजनेता येल दयान ने कहा, "और यह हनन अशरवी। । । मुझे लगता है कि वह बहुत साहसी है, और वह शांति प्रक्रिया में काफी योगदान देती है। " हिब्रू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री बरूच किमर्लिंग ने लिखा, "एक इजरायली के रूप में, एक यहूदी के रूप में और एक अकादमिक के रूप में मुझे गहरा खेद है और शर्म आती है कि ऑस्ट्रेलियाई यहूदी समुदाय के सदस्य इस सही नामांकन के खिलाफ काम कर रहे हैं।" २ सितंबर २०१२ में हफिंगटन पोस्ट और जेरूसलम पोस्ट के मुद्दे, अमेरिकी यहूदी समिति के कार्यकारी निदेशक डेविड हैरिस ने अपने लेख "हानन अशरवी इज ट्रूथ टू स्मोकिंग हैज़ हेल्थ टू है" लिखा है कि आशिकी "केवल ऐतिहासिक संशोधनवाद में स्वर्ण पदक अर्जित किया है" जोर लगाने के लिए "अरब देशों से कोई यहूदी शरणार्थी नहीं थे। इसके बजाय, उसके अनुसार, केवल 'प्रवासी' थे जिन्होंने अपने पैतृक घरों को स्वेच्छा से छोड़ दिया था। यहूदियों को उत्पीड़न के लिए नहीं गाया गया था, और अगर वे थे, तो वास्तव में, ' ज़ायोनीज़ ' द्वारा एक भूखंड था। " प्रकाशित काम करता है एंथोलॉजी ऑफ फिलिस्तीनी साहित्य (एड)। आधुनिक फिलिस्तीनी लघु कथा: व्यावहारिक आलोचना का एक परिचय कब्जे के तहत समकालीन फिलिस्तीनी साहित्य समकालीन फिलिस्तीनी कविता और कथा साहित्यिक अनुवाद: सिद्धांत और व्यवहार शांति का यह पक्ष: एक व्यक्तिगत खाता ( सैन डिएगो विश्वविद्यालय में जोन बी। क्रोक इंस्टीट्यूट फॉर पीस एंड जस्टिस में अशरवी के भाषण की व्याख्यान प्रतिलिपि और वीडियो १९४६ में जन्मे लोग
यह हृदय में रहता है और अपनें अवलम्बन कर्म द्वारा हृदय का पोषण करता है।
रेम्बो (रेम्बो चतुर्थ या जॉन रेम्बो के रूप में भी जानी जाती है) रैम्बो (रैम्बो इव, जाॅन रैम्बो या रैम्बो: द फाइट कंटिन्युस) वर्ष २००८ की अमेरिकी-जर्मन भाषी [१][३] एक स्वतंत्र [४] एक्शन फ़िल्म हैं, जिसे बतौर निर्देशन, सह-लेखन के साथ सिल्वेस्टर स्टलोन ने मशहूर शीत युद्ध/वियतनाम युद्ध के पूर्व सिपाही जाॅन रैम्बो की शीर्षक भूमिका की है। यह रैम्बो फ्रैंचाइज़ी की चौथी और अंतिम संस्करण है, जो रैम्बो ई के बीस साल बाद रिलीज हुई है। यह फ़िल्म रिचर्ड क्रेना को बतौर श्रद्धांजलि है, जिन्होंने पिछली तीन सिरिज में कर्नल सैम ट्राउटमैन का किरदार निभाया था, साल 200३ को उनकी हृदय नाकाम होने की वजह से देहांत हो गया। फ़िल्म एक पूर्व अमेरिकी विशेष सैन्य दस्ते के फौजी, जाॅन रैम्बो के इर्द-गिर्द है, जो एक चर्च पादरी के कहने पर मिशनरियों के समूह को बचाने निकल पड़ता है जिनको बर्मा के क्रुर शासित मिलिट्री के आदमियों ने अगवा कर लिया है। पूरी रेम्बो श्रृंखला में २३६ हत्याओं के साथ, सर्वाधिक हत्याओं का रिकार्ड रेम्बो के नाम है। फ़िल्म ने अंतर्राष्ट्रीय बाॅक्स-ऑफिस में $११३,२४४,२९० मिलियन से अधिक की कमाई की। इसके बाद इसने होम विडियो रिलीज की, जिसमें उन्होंने $४१,५००,६८३ मिलियन की डीवीडी बिक्री की। फ़िल्म को केबल टेलीविजन के माध्यम से स्पाईक टीवी पर जुलाई ११, २०१० को प्रिमियर किया गया। जिसमें थियटरों में काटे गए अतिरिक्त दृश्यों को ब्रोडकास्ट किया। दो हफ्तों बाद उन्हीं अतिरिक्त दृश्यों को ब्लू-रे कैसेटों के साथ रिलीज किया गया। अफगानिस्तान की घटना के बीस साल बाद, इस बीच बर्मा में थान श्वे के कठोर शासन के अधीन, राष्ट्र के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के खिलाफ कठोर रुख अपनाते है। निरंकुश मिलिट्री अफसर मेजर पा-टी-टिंट, तत्मादाव सिपाहियों के गुट की अगवाई कर, आतंक के बल पर हुए छोटे स्थानीय गाँवों में लूटपाट मचाता है। वह बेहद बर्बरता से निरीह ग्रामीणों का कत्लेआम करता है और जबरन किशोर एवं जवान लड़कों को अपनी फौज में बहाल होने की धमकी देता है। इन्हीं दरम्यान, पूर्व फौजी जाॅन रैम्बो थाइलैण्ड में रहते हुए, अपनी गुजर-बसर के लिए वह जिंदा सांपो को पकड़कर उनको बेचने के साथ सालवीन नदी पर लोगों को अपनी नाव से सवारी कराता है। माइकल बर्नेट नाम के मिशनरी (धर्मप्रचारक) रैम्बो से मिलता है और बर्मा के करेन मूलवासियों की मदद के लिए अपने दल साथ वहां एक परोपकारी अभियान पर ले जाने की दर्खास्त करता है। रैम्बो सहायता देने से इंकार करता है, लेकिन साराह मिलर नाम की दूसरी मिशनरी की गुजारिश पर वह मंजूर होता है। इस सफर के दौरान, उनकी नाव को बर्मी लुटेरे रोककर वो लोग रास्ता छोड़ने के बदले साराह को देने की मांग करते हैं। लेकिन उनका यह समझौता विफल हो जाता है, जब रैम्बो उन लुटेरों को गोली मार देता है। रैम्बो की इस हरकत से माइकल उसपर बुरी तरह चिढ़ जाता है। बर्मा पहुँचकर, माइकल उसे वापिस जाने को कहता है, ये सहमत कराकर कि अब वे उसकी बिना मदद के भी जा सकते हैं और फिर वह रैम्बो की इस एक्शन की रिपोर्ट अधिकारियों के सुपुर्द करने का भी मन बना लेता है। पर जब तक वे मिशनरी ग्रामीणों की मदद कर पाते तत्मादाव उनपर धावा डालते हुए, कई मासूमों और दो मिशनरियों को मारकर उनमें बाकी बचे लोगों में साराह और माइकल का अपहरण कर लेते हैं। मिशनरियों की वापसी के कोई आसार नजर नहीं आने पर, उनके पादरी तब रैम्बो को उन पांच भाड़े के कात़िलों को दिशा देकर उस गांव तक पहुँचाने को कहता है, जहाँ आखिरी बार उन मिशनरियों ने पड़ाव रखा था। रैम्बो इससे सहमत होकर, उन मेर्सेनैरिस को उनके ठिकाने पहुँचा देता है, पर उस दल का लीडर लेविस उसे अपनी नौका में ठहरने का हुक्म देता है। मेर्सेनैरी की टीम उस गाँव को पहुँचते हैं, जो पूरी तरह तबाह और क्षतविक्षत सड़ती लाशों से अटी पड़ी हैं। थोड़ी देर में, तत्मादाव सिपाहियों की टुकड़ियां अपने साथ कुछ बंधकों को बारूदी विस्फोटक से भरे चावल के खेत में भागने को मजबूर करते है, पर बचकर भागने वालों को भी वो नहीं छोड़ते हैं। अपनी तादाद से ज्यादा देख, वे मेर्सेनैरिस अपने बचाव के लिए, बेमन से उनके हटने तक का इंतजार करते हैं। पर तब उनको हैरानी होती है, जब रैम्बो अचानक अपने तीर-कमान के साथ आ धमकता है और तात्मादाव सिपाहियों के खेमे का एक वार में सफाया कर डाल, उन बंधको को सुरक्षित भाग निकलने देता है। रैम्बो अब उन मेर्सेनैरिस को गाँव के लोगों के लिए बदला लेने और पी.ओ.डब्ल्यू कैंप से बंधकों को रिहा करने को मनाता है। रात के वक्त वे कैंप में घुसपैठ करते हैं और बंधकों में मौजुद, साराह को बचा लेते हैं। इस भाग निकलने पर, टिंट के सिपाही उनका पीछा करते हैं। रैम्बो का अनुसरण करती हुई टीम को द्वितीय विश्वयुद्ध जमाने का बिना विस्फोट किया गया, "टाॅलब्वाय" नामक बम मिलता है। उधर तत्मादाव के सिपाही किसी तरह बाकी मेर्सेनैरिस और बंधकों को ढुंढ़कर पकड़ लेती है, पर रैम्बो, साराह और स्कूल ब्वाय नाम का मेर्सेनैरी स्नाइफर उनके हाथ नहीं आते। ज्यों ही तत्मादाव उन मेर्सेनैरिस और बंधकों को मार डालने की तैयारी करती, रैम्बो एक जीप पर लदी .५१ कैलिबर की मशीनगन पर कब्जा जमाकर ताबड़तोड़ गोली चलाते हुए, उन सिपाहियों पर क़हर बरसाता है। जबरदस्त गोलीबारी और आगजनी में तत्मादाव को भारी नुकसान पहुँचता है। करेन विद्रोही पुरे दलबल के साथ इस जंग में शामिल होकर, जल्द तत्मादाव को घुटने टिका देती है। टिंट, अपनी हार महसूस होने पर, इलाके से भाग निकलने की कोशिश करता है, लेकिन रैम्बो उसका रास्ता रोककर अपने खंजर से, उसकी अतड़ियां फाड़ डालता है। आखिरी दृश्य में, रैम्बो, साराह की कही बातों से प्रोत्साहित होकर, अमेरिका वापिस लौटता है। एरिज़ोना हाईवे किनारे पैदल चलते, दूर घोड़ों के अस्तबल को निहारते हुए एक जंग लगी मेलबाॅक्स पर आकर ठहरता है। जिसपर "आर. रैम्बो" की इबारत पढ़कर रैम्बो मुस्कराता है और कंकड़नुमा ढलानवाले रास्ते उतरता है जिसके साथ फ़िल्म का क्रेडिट रोल शुरू होता है। जॉन रेम्बो के रूप में सिल्वेस्टर स्टेलोन साराह मिलर के रूप में जूली बेंज स्कूली लड़के के रूप में मैथ्यू मार्सडन, एक युवा ब्रिटिश निशानेबाज़ लुईस के रूप में ग्राहम मक्टाविश एन-जू के रूप में टिम कांग डियाज़ के रूप में रे गेलेगोस रीज़ के रूप में जेक ला बोट्ज़ टिंट के रूप में मोंग मोंग खिन माइकल बर्नेट के रूप में पॉल शुल्ज़ जेफ - मिशनरी #४ के रूप में कैमरून पियर्सन डेंटिस्ट - मिशनरी #२ के रूप में थॉमस पीटरसन वीडियोग्राफर - मिशनरी #३ के रूप में टोनी स्कारबर्ग उपदेशक - मिशनरी #५ के रूप में जेम्स वियरिंग स्मिथ सांप के शिकारी #२ के रूप में कासिकोर्न नियोम्पत्ताना सांप के शिकारी #१ के रूप में शालियु "लेक" बेमरंग्बन माइन्ट के रूप में सुपाकोर्न "टोक" कित्सुवोन लेफ्टिनेंट आय के रूप में औंग आय नोई रेव आर्थर मार्श के रूप में केन हावर्ड समुद्री डाकू नेता के रूप में आंग थेंग सर्प ग्राम स्वामी के रूप में पोर्न्पोप "तोर" कम्पुसिरी साँप ग्राम एमसी के रूप में वसावत पन्यारत सर्प ग्राम के युवा सपेरे के रूप में कम्म्युअल काव्तेप २३ फ़रवरी २००७ को फिल्मांकन शुरू किया गया और ४ मई २००७ को समाप्त हो गया। फिल्म की शूटिंग चियांग माई, थाईलैंड के अतिरिक्त मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिज़ोना में की गई थी। बर्मा के पास फिल्मांकन के दौरान, स्टेलोन और दल के बाकी सदस्य बर्मी सैनिकों की गोलियों से बाल-बाल बचे। स्टेलोन बर्मा को एक एक "नारकीय स्थान" के रूप में वर्णित करते है। उन्होंने कहा कि "हमारे सिरों के ऊपर से गोलियां गुजरीं" तथा उन्होनें "कटी हुई टांगों तथा बारूदी सुरंगों से लगने वाली सभी प्रकार की चोटों, जले हुए जख्मों तथा कटे हुए कानों वाले लोगों को देखा." रेम्बो श्रृंखला की हाल ही में जारी हुई फिल्म को जारी करने से पहले कई नाम दिए गए और इसे निम्न नामों से जाना गया: रेम्बो चतुर्थ - रूस() और ब्राजील में इस शीर्षक का इस्तेमाल किया गया (), क्योंकि इन देशों में फर्स्ट ब्लड को मूल रूप से केवल रेम्बो (या रेम्बो: फर्स्ट ब्लड इन रशिया ()) के नाम से जारी किया गया था और यही फिल्म का पूरा नाम है जो प्रशंसकों और जनता के द्वारा भी जाना और बताया जाता है। जॉन रेम्बो - यह फिल्म का असली शीर्षक था किन्तु बदल दिया गया क्योंकि स्टेलोन ने सोचा कि इससे दर्शल ऐसा सोच सकते हैं कि यह रेम्बो श्रृंखला की अंतिम फिल्म है। कई अन्य देशों में शीर्षक जॉन रेम्बो ही रखा गया, क्योंकि पहली रेम्बो फिल्म, फर्स्ट ब्लड को कई विदेशी क्षेत्रों में रेम्बो नाम से जारी किया गया था। टीवी पर फिल्म का प्रीमियर रेम्बो के रूप में हुआ, लेकिन शीर्षक अनुक्रम में नाम जॉन रेम्बो के रूप में दिखाया गया। रेम्बो: रिग्रेसो अल इन्फियर्नो (रेग्रेसो अल इनफिरनो) -स्पेनिश में रेम्बो: रिटर्न टू हैल - लैटिन अमेरिका और मेक्सिको फिल्म का नाम है और तथा अन्य लैटिन देशों में फिल्म का नाम रेम्बो: रिग्रेसो अल इन्फियर्नो (रेग्रेसो अल इनफिरनो) से जॉन रेम्बो: वुएल्टा अल इन्फियर्नो (वुएल्टा अल इनफिरनो) (स्पेनिश में जॉन रेम्बो: बैक टू हैल कर दिया गया और कुछ अन्य लैटिन क्षेत्रों में अभी भी फिल्म का मूल शीर्षक जॉन रेम्बो ही है। रेम्बो: अल रिग्रेसो - चिली में (रेम्बो: द रिटर्न), क्योंकि इन क्षेत्रों में फर्स्ट ब्लड को रेम्बो के नाम से भी जाना जाता था। रेम्बो ४: जॉन रेम्बो -बैक टू हैल- सिंगापुर का शीर्षक रेम्बो: द फाइनल बैटलफील्ड -जापानी शीर्षक. १२ अक्टूबर २००७ को लायंसगेट ने घोषणा की कि फिल्म का नाम बदल कर रेम्बो: टू हैल एंड बैक किया जा रहा है। ऑनलाइन समुदाय से कुछ नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद स्टेलोन ने एआईसीएन (ऐक्न) के हैरी नोल्स के साथ बात की और कहा: "लायंसगेट ने इस पर अत्यधिक जल्दबाजी से काम लिया है। मैं सिर्फ यह सोच रहा था कि शीर्षक जॉन रेम्बो रॉकी बाल्बोआ द्वारा दिया गया था और इससे लोगों को ऐसा लग सकता था कि यह अंतिम रेम्बो फिल्म है और मुझे नहीं लगता कि अनिवार्य रूप से ऐसा होगा .वह निश्चित रूप से एक शानदार योद्धा है, ऐसा कोई कारण नहीं है कि वह अन्य साहसिक अभियान को जारी ना रख सके. जैसे जॉन वायने ने द सर्चर्स में किया।" ब्रायन टाइलर ने फिल्म के मूल संगीत की रचना की. स्टेलोन चाहते थे कि टायलर जैरी गोल्डस्मिथ की मूल रचनाओं को फिल्म में शामिल करें. उन्होनें गोल्डस्मिथ की मूल रचना पर भरोसा नहीं किया, हालांकि संगीत के रूप में उन्होंने इसका काफी इस्तेमाल इस फिल्म को दूसरी फिल्मों से जोड़ने के लिए किया तथा संगीत श्रृंखला को बनाए रखने के लिए मूल संगीत की शैली के अनुसार स्वयं द्वारा रचित संगीत तथा वाद्यों का प्रयोग भी किया। साउंडट्रैक में २० गीत हैं। ब्रायन टायलर ने २००३ में द हंटेड के लिए भी संगीत की रचना की थी, जो आश्चर्यजनक ढंग से पहली रेम्बो फिल्म, फर्स्ट ब्लड से काफी मिलती जुलती है। रेम्बो थीम ०३:३४ नो रूल्स ऑफ़ एंगेजमेंट ७:०९ द रेस्क्यू ४:0४ सर्चिंग फॉर मिशनरीज़ ७:0७ हंटिंग मर्सेनरीज़ २:४४ क्रॉसिंग इनटू बर्मा ६:५९ द विलेज १:४४ रेम्बो रिटर्न्स ०२:४४ व्हेन यू आर पुश्ड २:२6 द काल टू वार २:5२ प्रिज़न कैम्प ४:४2 अटैक ऑन द विलेज ०३:०१ रेम्बो टेक्स चार्ज ०२:२३ द कम्पाउंड ७:४८ बैटल अडेगियो ३:१० रेम्बो मेन टाइटल ३:३0 रेम्बो एंड टाइटल २:५९ २५ जनवरी २००८ को रेम्बो २७५१ अत्तरी अमेरिकी थियेटरों में जारी हुई और अपने पहले दिन इसने कुल ६४,९०,००० डॉलर और अपने शुरूआती सप्ताह में इसने १,८२,००,००० डॉलर की कमाई की. अमेरिका और कनाडा में मीट द स्पार्टन्स के बाद सप्ताहांत में सर्वाधिक कमाई करने वाली यह दूसरी फिल्म थी। फिल्म ने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में बॉक्स ऑफिस पर कुल ४,२७,5४,१०५ डॉलर और अन्य क्षेत्रों में कुल ७,0४,८९,०५० डॉलर की कमा कर दुनिया भर में कुल ११,३५,४3,१५५ डॉलर की कमाई की. फिल्म ने डीवीडी की बिक्री द्वारा कुल ४,२३,६८,६१९ डॉलर की कमाई की है, जिससे फिल्म से प्राप्त होने वाली सकल आय १५,५२,०९,७०६ डॉलर हो गई। एक अप्रत्याशित कदम के रूप में यूरोप की सबसे बड़ी सिनेमा श्रंखला (और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी), ओडियन ने विवादास्पद ढंग से "वाणिज्यिक मतभेदों" का आरोप लगाते हुए ब्रिटेन में अपनी किसी भी स्क्रीन पर फिल्म को दिखने के लिए इन्कार कर दिया. यूसीआई (उसी) ने आयरलैंड गणराज्य के सिनेमाघरों के साथ यही किया, जिन्हें ओडियन द्वारा प्रबंधित किया गया था। तथापि ब्रिटेन और आयरलैंड गणराज्य में फिल्म को दूसरी थियेटर श्रृंखलाओं जैसे एम्पायर सिनेमा, व्यू, सिनेवर्ल्ड तथा वार्ड एंडरसन द्वारा दिखाया गया। वितरकों के साथ कानूनी और व्यावसायिक समस्याओं के कारण फिल्म को स्विट्जरलैंड के फ्रेंच भाषी क्षेत्र में नहीं दिखाया गया था, यद्यपि यह फ्रांस तथा स्विस जर्मन भाषी क्षेत्र के सिनेमाघरों में उपलब्ध थी। अत्यधिक खूनी हिंसा, यौन हमले, भयानक चित्र और भाषा के कारण फिल्म को एमपीएए (म्पा) द्वारा आर (र) दर्जा दिया गया था। फिल्म के प्रति समीक्षात्मक प्रतिक्रिया आम तौर पर मिश्रित है; रोटेन टोमेटोज़ पर फिल्म समीक्षा की रेटिंग के दौरान इसने कुल ३७% अंक अर्जित किए. न्यूयॉर्क टाइम्स में अपनी समीक्षा में ए.ओ. स्कॉट ने लिखा है, "चरित्र के पौराणिक पहलू को बिना माफ़ी या विडंबना के दर्शा कर-मि. स्टेलोन बहुत चालाक है-या शायद बेवकूफ हो सकते हैं, हालांकि मैं समझता हूं कि वे ऐसे नहीं हैं। उसका चेहरा ग्रेनाइट के एक कुरूप हिस्से की तरह दिखता है और उनका अभिनय केवल थोड़ा अधिक अर्थपूर्ण है, लेकिन यह आदमी काम को पूरा करता है। दोबारा स्वागत है". फोर्ट वर्थ बिज़नेस प्रैस के माइकल एच. प्राईस ने लिखा, "स्टेलोन बढती उम्र की यथार्थवादी स्वीकृति के साथ भूमिका निभाता है और १९५१ की द अफ्रीकन क्वीन के हम्फ्रे बोगार्ट और १९९२ की अनफोरगिवन के क्लाइंट ईस्टवुड की याद दिलाता है-साथ ही उस प्रभाव को बयान करने के लिए शब्द नहीं है जो मूल फिल्म फर्स्ट ब्लड ने १९५३ की द वाइल्ड वन के मार्लन ब्रांडो और १९७१ की बिली जैक के टॉम लौग्लिन से प्राप्त किए." जोनाथन गैरेट ((अटलांटा जर्नल संविधान के एक पूर्व लेखक) ने एक साक्षात्कार में कहा : "रेम्बो मेरे द्वारा देखी गयी सबसे हिंसक फिल्म है।" फिल्म के आखिरी ११ मिनट इतने हिंसक है कि यह हम सिपाही थे को सेसेम स्ट्रीट की तरह बना देता है।" जब उनसे पूछा गया कि फिल्म के बारे में उनके क्या विचार थे, फर्स्ट ब्लड के लेखक डेविड मोरेल ने कहा:मुझे यह सूचना देते हुए ख़ुशी हो रही है कि कुल मिलाकर मैं खुश हूं. हिंसा का स्तर हर किसी के लिए शायद उपयुक्त नहीं है, लेकिन इसमें एक गंभीर संदेश है। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी फिल्म में मेरे उपन्यास फर्स्ट ब्लड के लहज़े का प्रयोग किया गया है। चरित्र के बारे में मैंने जैसा सोचा था, यह बिलकुल वैसा ही है - क्रोधी, जला हुआ और आत्म घृणा से भरा हुआ, क्योंकि रेम्बो अपने काम से नफरत करता है और फिर भी जानता है कि यही इकलौती चीज़ है जिसे वह अच्छी तरह से करता है। ... मुझे लगता है कि कुछ चीज़ों को बेहतर ढंग से किया जा सकता था बेहतर है, [लेकिन] मुझे लगता है कि यह फिल्म निश्चित रूप से तीन सितारों के लायक है। बर्मा में प्रतिक्रिया वर्तमान में बर्मी सरकार ने फिल्म को प्रतिबंधित कर दिया है। बर्मी सैन्य शासन ने बर्मा में डीवीडी विक्रेताओं को आदेश दिया है कि फिल्म की विवादस्पद सामग्री के कारण वे फिल्म को वितरित ना करें. हालांकि थियेटर या डीवीडी पर कभी जारी न होने के बावज़ूद, रेम्बो की नक़ल उपलब्ध है और बर्मी सेना के नकारात्मक चित्रण के कारण अधिकांश जनसंख्या में अलोकप्रिय होने के बावज़ूद, करेन स्वतंत्रता सेनानियों और बर्मी सैन्य तानाशाही की आलोचना करने करने के कारण निकाले गए बर्मी लोगों में यह फिल्म जबरदस्त हिट रही. करेन स्वतंत्रता सेनानियों के अनुसार इस फिल्म ने उनके मनोबल अत्यधिक बढ़ाया है। यहां तक कि बर्मी स्वतंत्रता सेनानियों ने समर्थन करने वाले बिन्दुओं और नारों के रूप में फिल्म के कुछ डॉयलॉग (विशेष रूप से "कुछ ना पाने के जियो, या कुछ पाने के लिए मरो") भी अपनाए हैं। सिलवेस्टर स्टेलोन कहते हैं "यह मेरे लिए किसी भी फिल्म में सबसे गौरवपूर्ण क्षण है।" इसके अलावा, विदेशी बर्मी लोगों ने करेन लोगों पर बर्मी सैनिकों के उत्पीड़न के ज्वलंत चित्रण के लिए फिल्म की प्रशंसा की है। होम वीडियो रिलीज़ २७ मई २००८ को अमेरिका में डीवीडी और ब्लू रे डिस्क संस्करण जारी किये गए। डीवीडी १ और २ डिस्क के संस्करणों में उपलब्ध है। विशेष संस्करण में एक २.४० एनामोर्फिक चौड़ी स्क्रीन वाली प्रस्तुति है और डोल्बी डिजिटल ५.१ ईएक्स (एक्स) ट्रैक है। एकल संस्करण में एक सामान्य ५.१ डोल्बी डिजिटल ट्रैक है। ब्लू-रे डिस्क में डोल्बी डिजिटल ५.१ ईएक्स (एक्स) तथा डीटीस (दस) एचडी (हद) ७.१ ट्रैक हैं। डीवीडी और ब्लू-रे डिस्क में पहली डिस्क पर फिल्म, हटाए गए दृश्य, ६ संक्षिप्त प्रस्तुतियां और सिल्वेस्टर स्टेलोन द्वारा की गई व्याख्या है। ब्लू-रे डिस्क में ट्रेलर गैलरी सहित २ विशेष सुविधाएं भी हैं। २ डिस्क वाली डीवीडी और ब्लू-रे डिस्क संस्करणों में फिल्म की डिजिटल प्रतिलिपि है। सभी चार रेम्बो फिल्मों तथा २0 बोनस सुविधाओं के साथ एक ६ डिस्क वाला डीवीडी सैट भी उपलब्ध है जिसे एक सीमित संस्करण वाले टिन के डिब्बे में पैक किया गया है। रेम्बो १-३ के साथ ब्लू-रे डिस्क सैट भी जारी किया गया था। ब्रिटेन में डीवीडी को २३ जून २००८ में जारी किया गया था। बॉक्स ऑफिस पर औसत बिक्री के बावज़ूद, रेम्बो के डीवीडी संस्करण की अच्छी बिक्री हुई. अब तक १.७ मिलियन प्रतियां बेच कर और कुल 3७ मिलियन डॉलर कमा कर २००८ की सर्वाधिक बिकने वाली डीवीडी में यह १9वें स्थान पर है। डीवीडी की बिक्री में ४,२३,६८,6१9 डॉलर कमाने के बाद से, इस फिल्म की कुल सकल आय १5,४6,११,७७४ डॉलर तक हो गई है। एक्सटेंडेड कट (अतिरिक्त दृश्य) डेली योमिउरी ऑनलाइन साक्षात्कार के दौरान जब फिल्म के सन्देश के बारे में पूछा गया तो सिल्वेस्टर स्टेलोन ने उल्लेख किया कि वह फिल्म के अतिरिक्त दृश्य करेंगे, जिन्हें मूल शीर्षक जॉन रेम्बो के नाम से दिखाया जाएगा. फिर भी, मई २००८ में जे लीनो के साथ एक साक्षात्कार के बाद यह खबर सर्वाधिक चर्चा में आई, जब उन्होनें निर्देशक द्वारा काटे गए दृश्यों के बारे में घोषणा की और कहा कि इससे प्राप्त होने वाली आय बर्मा भेजी जाएगी. इन सब से बढ़ कर घोषणा के कुछ समय पश्चात् ही इन दृश्यों को पूरा करने के लिए स्टेलोन को प्रेरित करने के लिए एक ऑनलाइन याचिका दिखाई दी. २००८ के कॉमिक-कोन में यह अस्पष्ट घोषणा की गई थी कि निर्देशक कट (या जैसे कि उन्होनें इसे नाम दिया था - "एक्सटेंडेड कट") २००९ में जारी किये जाएंगे, हालांकि इसके अतिरिक्त और कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके अतिरिक्त, निर्देशक कट का प्रीमियर २००८ के ज्यूरिख फिल्म महोत्सव में किया गया। डीवीडी एक्टिव ने घोषणा की कि कनाडा और अमेरिका में केवल ब्लू रे डिस्क पर इसका प्रीमियर २७ जुलाई २०१० को किया जाएगा. कवर चित्र पर जॉन रेम्बो की बजाए केवल इसका मौजूदा शीर्षक है। हालांकि शुरूआती नामावली में यह जॉन रेम्बो के नाम से है। फिल्म में नए दृश्य वही हैं जिन्हें रेम्बो २ की डिस्क डीवीडी से हटा दिया गया था, उन्हें फिर से दिखाया गया है। उपरोक्त हटाए गए दृश्यों के अलावा कोई नए मार धाड़ के (एक्शन) दृश्य नहीं हैं जो पिछली रेम्बो २ डिस्क डीवीडी और ब्लू रे पर उपलब्ध कराए गए थे। ब्लू-रे पर जारी करने से दो सप्ताह पहले ११ जुलाई २०१० को एक्सटेंडेड कट का प्रीमियर स्पाईक टी वी) पर किया गया। ८ अगस्त और ९ अगस्त,२०१० को स्टेलोन की नवीनतम फिल्म द एक्स्पेंडेबल्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ चुने हुए दृश्यों के साथ इसे फिर से दिखाया गया। सिल्वेस्टर स्टेलोन द्वारा निर्देशित फिल्में २००८ की फ़िल्में अमेरिकी एक्शन थ्रिलर फिल्में अंगरेजी-भाषा की फिल्में बर्मी-भाषा की फिल्में थाई-भाषा की फिल्में २००० दशक की एक्शन फिल्में साहसिक युद्ध फिल्में थाईलैंड में फिल्माई गई फिल्में थाईलैंड में फिल्मों के सेट वीनस्टीन कंपनी की फिल्में लायंस गेट की फिल्में नू इमेज की फिल्में
भिखंपुरा में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
रिफ्लेक्सोलॉजी (क्षेत्र चिकित्सा) एक वैकल्पिक चिकित्सा है, पूरक या इलाज की एकीकृत चिकित्सा विधि है जिसमें बिना तेल या लोशन का इस्तेमाल किये विशिष्ट अंगूठे, अंगुली और हस्त तकनीक द्वारा पैर और हाथ पर दबाव डाला जाता है। रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट का दावा है कि यह ज़ोन और रिफ्लेक्स क्षेत्र की प्रणाली पर आधारित है, जहां वे कहते हैं कि पैर और हाथ पर शरीर की एक छवि प्रतिबिंबित होती है, जो इस आधार पर है कि इस तरह के कार्य शरीर में एक शारीरिक बदलाव लाते हैं। यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण की २००९ की एक व्यवस्थित समीक्षा ने यह निष्कर्ष दिया कि "आज तक का उपलब्ध सबसे अच्छा सबूत ठोस रूप से यह प्रदर्शित नहीं करता कि रिफ्लेक्सोलॉजी किसी चिकित्सा स्थिति के उपचार के लिए प्रभावी है". कनाडा का रिफ्लेक्सोलॉजी एसोसिएशन, रिफ्लेक्सोलॉजी को परिभाषित करता है: "एक प्राकृतिक चिकित्सा कला जो इस सिद्धांत पर आधारित है कि पैर, हाथ, कान और ज़ोन के भीतर उनसे संबंधित क्षेत्रों में रिफ्लेक्स होते हैं, जो शरीर के हर हिस्से, ग्रंथि और अंगों से सम्बंधित होते हैं। इन रिफ्लेक्सेस पर उपकरणों, क्रीम या लोशन के बिना उपयोग के दबाव के माध्यम से रिफ्लेक्सोलॉजी तनाव को कम करता है, परिसंचरण में सुधार लाता है और शरीर के संबंधित क्षेत्रों के प्राकृतिक कार्य को बढ़ावा देने में मदद करता है, जहां इसके प्रयोग का प्राथमिक क्षेत्र पैर होता है।" इस बात पर रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट में कोई आम सहमति नहीं है कि रिफ्लेक्सोलॉजी किस तरह काम करती है; एकीकृत विचार इस विषय पर है कि पैरों के क्षेत्र, शरीर के क्षेत्रों से संबंधित हैं और इन क्षेत्रों के साथ क्रिया करते हुए एक व्यक्ति अपने क्यूई के माध्यम से स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट कहते हैं कि शरीर दस बराबर ऊर्ध्वाधर क्षेत्र में विभाजित है, जो दांए की ओर पांच और बांए की ओर पांच स्थित है। साथ ही तीन अनुप्रस्थ लाइनें भी होती हैं, जिसमें कंधा कमरपेटी का ऊपरी भाग, कमर और पैल्विक तल शामिल है। चिकित्सा पेशेवरों द्वारा यह चिंता व्यक्ति की गई है कि रिफ्लेक्सोलॉजी, जिसकी प्रभावकारिता सिद्ध नहीं है, द्वारा संभावित गंभीर बीमारियों का उपचार करने से उपयुक्त चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में देरी हो सकती है। रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट द्वारा रिफ्लेक्सोलॉजी को एक पूरक चिकित्सा के रूप में प्रस्तावित किया गया है और इससे चिकित्सा उपचार को प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. रिफ्लेक्सोलॉजी की प्रभावकारिता की एक व्यवस्थित समीक्षा के एक अध्ययन में पाया गया कि एकाधिक काठिन्य रोगियों में मूत्र लक्षणों के उपचार में महत्वपूर्ण प्रभाव को देखा गया है। इस अध्ययन में अन्य सभी स्थितियों की समीक्षा में कोई विशेष प्रभाव का कोई सबूत नहीं दिखाया गया। ऑपरेशन का घोषित तंत्र रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट का यह मानना है कि एक ऊर्जा क्षेत्र, अदृश्य जीवन शक्ति या क्यूई का अवरोध, चिकित्सा को रोक सकता है। रिफ्लेक्सोलॉजी का एक अन्य सिद्धांत यह विश्वास है कि पैरों में इसके प्रयोग के माध्यम से चिकित्सक तनाव और शरीर के अन्य भागों में दर्द को दूर कर सकते हैं। एक स्पष्टीकरण यह है कि पैर में दबाव के प्राप्त होने से पैर संकेत भेज सकता है जो कि तंत्रिका-तंत्र को संतुलन कर सकता है या एंडोर्फिन जैसे रासायनो को जारी कर सकता है जो कि तनाव और दर्द को कम करता है। इन परिकल्पनाओं को सामान्य चिकित्सा समुदायों द्वारा खारिज किया गया, जिन्होंने वैज्ञानिक सबूतों और बीमारी के ठीक से परीक्षण किए गए सिद्धांतो की कमी को पेश किया है। रिफ्लेक्सोलॉजी के विभिन्न संस्करणों का अभ्यास किया जाता है। इसे चार महाद्वीपों पर प्रलेखित किया गया है: एशिया, यूरोप, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका. सबसे सामान्य सिद्धांत यह है कि रिफ्लेक्सोलॉजी का आरम्भ करीब ५००० साल पहले चीन में हुआ था। प्रारम्भिक ताओवादियों को कई चीनी स्वास्थ्य प्रथाओं को उत्पन्न करने का श्रेय दिया गया है। उत्तरी अमेरिका के चेरोकी जनजातियों ने रिफ्लेक्सोलॉजी के एक रूप का अभ्यास किया जिसे उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी पारित किया। रिफ्लेक्सोलॉजी भारत, जापान और चीन में वर्तमान है। परंपरागत पूर्व एशियाई पाद रिफ्लेक्सोलॉजी को जापानी में ज़ोकु शिन डो कहा जाता है। यह जापानी मालिश तकनीक का पाद हिस्सा है। चीन में जोकु शिन डो का आरम्भ करीब ५००० साल पहले हुआ था। कुछ वर्षों में चिकित्सा क्षेत्र या रिफ्लेक्सोलॉजी में कई बदलाव किए गए हैं। चीन में, एक्यूप्रेशर का अभ्यास अंगुलियों को घुमाने के माध्यम से किया गया जबकि एक्यूपंक्चर का उपयोग सुइयों के इस्तेमाल से किया गया। रिफ्लैक्स प्वाइंट का विश्वास अभी भी मौजूद है, मेरिडियंस के नए सिद्धांतों के साथ नई दिशाओं में इसका अभ्यास किया जाता था। मेरिडियन चिकित्सा की चीनी अवधारणा रिफ्लेक्सोलॉजी के दावों का मौलिक हिस्सा है। प्रारम्भिक मिश्र निवासियों द्वारा अभ्यास किये जाने वाले प्राचीन संस्करण और आज की रिफ्लेक्सोलॉजी के बीच का सटीक सम्बन्ध अस्पष्ट है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में स्वास्थ्य को प्रभावित करने के प्रयास में पैरों में इसके इस्तेमाल के कई अभ्यास शामिल हैं। वर्तमान रिफ्लेक्सोलॉजी के पूर्वगामी रूप को १९१३ में विलियम एच. फिट्ज़गेराल्ड, एम.डी. (१८७२-१९४२), एक कान, नाक और गले के विशेषज्ञ और डॉ॰ एडविन बॉवर्स द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में शुरू किया गया था। फिट्ज़गेराल्ड ने दावा किया कि दबाव को लागू करने से शरीर के अन्य क्षेत्रों में एक संवेदनाहारी पर था। १९३० और १९४० के दशक में युनिस डी. इंघम (१८८९-१९७४), द्वारा रिफ्लेक्सोलॉजी को थोड़ा और संशोधित किया गया था जो कि एक नर्स और फिजियोथेरेपिस्ट थी। इंघम ने दावा किया कि पैर और हाथ विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं और पैरों पर पूरे शरीर को "रिफ्लेक्स" के रूप में चिह्नित किया। यही समय तह जब "ज़ोन चिकित्सा" का पुनः नामकरण रिफ्लेक्सोलॉजी किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट अक्सर इंघम के सिद्धांतो का अध्ययन करते हैं, हालांकि हाल में कुछ और विधियों का निर्माण किया गया है। रिफ्लेक्स चिकित्सकों का विनियमन यूनाइटेड किंगडम में रिफ्लेक्सोलॉजी का विनियमन वर्तमान में स्वैच्छिक आधार पर कम्प्लीमेंट्री एंड नेचुरल हेल्थकेयर काउंसिल (कहक) द्वारा किया जाता है। पंजीकृत लोगों के पास पूर्ण सार्वजनिक और पेशेवर देयता बीमा होनी चाहिए और पुनः पंजीयन की एक शर्त अतिरिक्त वार्षिक पाठ्यक्रम है। नोट : चूंकि कहक के साथ पंजीकरण स्वैच्छिक होता है, इसके बावजूद भी कोई अभ्यास कर सकता है और खुद का वर्णन एक रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट के रूप में कर सकता है। इसके अलावा, रिफ्लेक्सोलॉजी की तकनीकों में से किसी की प्रभावकारिता का कोई सबूत ऐसे पंजीकरण के लिए आवश्यक नहीं होता है। (कहक द्वारा "विनियमित" सभी क्षेत्रों पर यही लागू होता है) रिफ्लेक्सोलॉजी की आम आलोचना में दावा किया गया है कि इसके प्रभाव के लिए साक्ष्य का अभाव रहा है, या इसके सिद्धांतों के लिए वैज्ञानिक या स्पष्ट प्रदर्शन की कमी, एक केंद्रीय विनियमन, मान्यता और लाइसेंस की कमी है, या रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट के लिए चिकित्सा प्रशिक्षण प्रदान नहीं किया जाता है और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अल्प अवधि होती है। जैसा कि अन्य छद्मविज्ञान के साथ है, कूटभेषज से परे बिना किसी साबित प्रभाव के, अगर रोगी उन पर भरोसा करता है और देरी या प्रभावी चिकित्सा इलाज को अस्वीकार कर देता है तो वहां महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है। रिफ्लेक्सोलॉजी दावा करती है कि ऊर्जा (क्यूई) हेरफेर करना अत्यधिक विवादास्पद है, चूंकि शरीर में जीवन ऊर्जा (क्यूई), ऊर्जा संतुलन, 'क्रिस्टलीय संरचना,' या शरीर के 'रास्ते' के मौजूदगी के लिए कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। लोकप्रिय संस्कृति में उपयोग पेन & टेलर: बुलषित! के एपिसोड में (१-०२ वैकल्पिक चिकित्सा) (७ फ़रवरी २००३) रिफ्लेक्सोलॉजी खंड पर एक सेगमेंट दिखाया गया। इन्हें भी देखें रिफ्लेक्सोलॉजी शरीर और संगठन सेंट्रल लंदन कॉलेज ऑप रिफ्लेक्सोलॉजी पूरक और प्राकृतिक हेल्थकेयर परिषद इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ रिफ्लेक्सोलॉजी आईएफआर, इजरायली फोरम ऑफ रिफ्लेक्सोलॉजी ओंटारियो कॉलेज ऑफ रिफ्लेक्सोलॉजी रिफ्लेक्सोलॉजी एसोसिएशन ऑफ कनाडा रिफ्लेक्सोलॉजी इन यूरोप नेटवर्क रिफ्लेक्सोलॉजी स्कूल एंड सर्टिफिकेशन / एक्रिडिटेशन रिक्वायरमेंट्स टीएसएआरएस, द साउथ अफ्रीकन रिफ्लेक्सोलॉजी एसोसिएशन ओवरव्यू, वैज्ञानिक सबूत के सहित
अंग प्रत्यारोपण से अभिप्राय किसी शरीर से एक स्वस्थ और कार्यशील अंग निकाल कर उसे किसी दूसरे शरीर के क्षतिग्रस्त या विफल अंग की जगह प्रत्यारोपित करने से है, (किसी रोगी के एक अंग को उसी रोगी के किसी दूसरे अंग में प्रत्यारोपित करना भी अंग प्रत्यारोपण की श्रेणी में आता है)। अंग दाता जीवित या मृत दोनो हो सकता है। जो अंग प्रत्यारोपित हो सकते हैं उनमे हृदय, गुर्दे, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय, शिश्न, आँखें और आंत शामिल हैं। ऊतक जो प्रत्यारोपित हो सकते हैं उनमे अस्थियाँ, कंडर (टेंडन), कॉर्निया, हृदय वाल्व, नसें, बाहु और त्वचा शामिल हैं। प्रत्यारोपण औषधि, आधुनिक चिकित्सा क्षेत्र के सबसे चुनौतीपूर्ण और जटिल क्षेत्रों में से एक है। चिकित्सा प्रबंधन क्षेत्र की कुछ सबसे बड़ी समस्याओं में किसी शरीर द्वारा प्रत्यारोपित अंग को अस्वीकार कर देना है- जहां शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र प्रत्यारोपित अंग के विरुद्ध प्रतिक्रिया कर उसे नकार देता है और इसके कारण प्रत्यारोपण विफल हो जाता है और अब इस प्रत्यारोपित अंग को उस शरीर में ही कार्यशील बनाए रखना प्रत्यारोपण औषधि के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। यह एक बहुत ही समय संवेदनशील प्रक्रिया है। अधिकांश देशों में प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त अंगों की कमी है। अधिकांश देशों में अस्वीकृति के जोखिम को कम करने और आवंटन का प्रबंधन करने के लिए एक औपचारिक प्रणाली है। कुछ देश यूरोट्रांसप्लांट जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े हैं ताकि दाता अंगों की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके। प्रत्यारोपण कुछ जैव नैतिक मुद्दे भी उठाता है जैसे मृत्यु की परिभाषा, कब और कैसे एक अंग के लिए सहमति दी जानी चाहिए और प्रत्यारोपण में प्रयुक्त अंग के लिए भुगतान करना आदि।
भारतीय कृषि विमा कम्पनी (ऐक) भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की एक विमा कम्पनी है। यह भारत के लगभग ५०० जिलों में उत्पादन-आधारित तथा मौसम आधारित फसल विमा प्रदान करती है। यह लगभग २ करोड़ किसानों की विमा करती है, और इस प्रकार यह विश्व की सबसे बड़ी फसल विमा कम्पनी है। इसका मुख्यालय मुख्यालय नयी दिल्ली में है। भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
क्वीनाडा, गंगोलीहाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा क्वीनाडा, गंगोलीहाट तहसील क्वीनाडा, गंगोलीहाट तहसील
पिकोमेट्रे एक नैनोमीटर का एक हज़ारवां हिस्सा है, एक माइक्रोमेट्रे का एक लाखवां (जिसे माइक्रोन भी कहा जाता है), और इसे माइक्रोमैट्रॉन, कलंक या बाइक्रोन कहा जाता था। [२] प्रतीक एक बार इसके लिए इस्तेमाल किया गया था। [३] यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त (लेकिन गैर-एसआई) इकाई की लंबाई का एक सौवां भी है। लम्बाई की इकाइयाँ परिमाण की कोटि (लम्बाई)
अभिसारी क्रमविकास (कॉनवरजेंट इवॉल्यूशन) दो भिन्न जीववैज्ञानिक जातियों में भिन्न समयों पर स्वतंत्र रूप से हुए क्रमविकास से एक ही प्रकार के शरीर-लक्षण उत्पन्न होने की प्रक्रिया होती है। यह साधरणतः किसी एक-जैसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए भिन्न जातियों में विकसित होने वाली किसी शरीर अंग या अन्य लक्षण में देखा जाता है। उदाहरण के लिए पक्षियों और कीटों में परों की उत्पत्ति अभिसारी क्रमविकास द्वारा हुई है। इन्हें भी देखें क्रमविकासीय जीवविज्ञान अवधारणाएँ
अरुतप्रकाश वल्ललार चिदम्बरम रामलिंगम (५ अक्टूबर १८२३ ३० जनवरी १८७४) प्रसिद्ध तमिल सन्त एवं कवि थे। दीक्षा से पूर्व उनका नाम रामलिंगम था । उन्हें "रामलिंग स्वामिगल" तथा "रामलिंग आदिगल" नाम से भी जाना जाता है। इन्हें उन सन्तों की श्रेणी में रखा जाता है जिन्हें "ज्ञान सिद्ध" कहा जाता है।
अहुआरा नौबतपुर, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। गाँव, अहुआरा, नौबतपुर
२०२३ तुर्की-सीरिया भूकंप के लिए मानवीय प्रतिक्रिया: विभिन्न देशों और संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है २०२३ तुर्की-सीरिया भूकंप के लिए १०५ देशों और १६ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने मानवीय सहायता सहित भूकंप के पीड़ितों के लिए समर्थन का संकल्प लिया। ग्यारह देशों ने मलबे के नीचे पीड़ितों का पता लगाने के लिए खोजी और बचाव कुत्तों के साथ टीमों को प्रदान किया है और साथ ही मौद्रिक सहायता की पेशकश की गई। हालाँकि, सीरिया के लिए आउटरीच "कम उत्साही" था। संयुक्त राष्ट्र सदस्य और पर्यवेक्षक राज्यों से सहायता अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार साझा मानवता और इस्लामी भाईचारे के आधार पर तुर्की और सीरिया को क्रमशः १० मिलियन अफगानी ($१११,०२४) और ५ मिलियन अफगानी ($५५,५12) का राहत पैकेज भेजेगी। बांग्लादेश ने बचाव उपकरण, दवा, टेंट और भोजन के साथ तुर्की में ४६-सदस्यीय चिकित्सा और बचाव दल भेजा। बचाव दल में बांग्लादेश सेना के २४ सदस्य, बांग्लादेश फायर सर्विस एंड सिविल डिफेंस के १२ कर्मी और एक पत्रकार के साथ १० चिकित्सा पेशेवर शामिल हैं। वे बांग्लादेश वायु सेना के सी-१३० जे परिवहन विमान से तुर्की के लिए रवाना हुए। टीम ने १० फरवरी को १७ साल की एक लड़की को मलबे से जिंदा निकाला था। ढाका में तुर्की दूतावास ने तुर्की एयरलाइंस द्वारा सहायता प्राप्त टीका (तुर्की सहयोग और समन्वय एजेंसी) अभियान के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं के रूप में बांग्लादेश के लोगों से समर्थन की मांग की। टर्किश एयरलाइंस ने तुर्की को मुफ्त में राहत देने की पेशकश की, और बांग्लादेश सरकार मानवीय सहायता की त्वरित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए सीमा शुल्क आवश्यकताओं के साथ सहायता करेगी। बांग्लादेश ने सीरिया को ११ टन मानवीय सहायता और दवाएं भी भेजीं, जिसमें बांग्लादेश वायु सेना के सी-१३० जे परिवहन विमान पर आवश्यक संख्या में टेंट, कंबल और सूखा भोजन शामिल है। भारत ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (न्द्र्फ) की टीम को भारतीय सेना की मेडिकल टीम के साथ तुर्की भेजा, जिसमें आगरा स्थित ६० पैरा फील्ड अस्पताल के ९९ सदस्य शामिल थे। मेडिकल टीम में आर्थोपेडिक सर्जिकल टीम और एक सामान्य सर्जिकल विशेषज्ञ टीम सहित क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट टीम शामिल हैं। आपदा राहत सामग्री और एक बचाव दल ले जाने वाले पहले भारतीय वायु सेना के विमान में चिकित्सा आपूर्ति, ड्रिलिंग मशीन और अन्य सहायता उपकरण सहित आवश्यक उपकरण के साथ ५० कर्मचारी और एक विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वायड शामिल थे। उसने मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) के साथ तुर्की को दो और सी-१७ विमान भेजे हैं। ९ फरवरी को, भारत ने कुल छह इआफ च-१७ ग्लोबमास्टर ई विमान बचाव दल, डॉग स्क्वायड, दवा और उपकरण भेजे। और इसने ढही हुई सामग्री के नीचे फंसे पीड़ितों की निगरानी के लिए द्रोणी ड्रोन और दवाएं और खाद्य पदार्थ ले जाने के लिए किसान ड्रोन भी भेजे। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की दो टीमों को खोज और बचाव कार्यों के लिए तैयार किया जा रहा है। भारतीय सेना ने भूकंप प्रभावित तुर्की के लिए ८९ सदस्यीय मेडिकल टीम भेजी है। वे ३०-बेड वाली चिकित्सा सुविधा स्थापित करने के लिए एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर, एक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, कार्डियक मॉनिटर और अन्य उपकरणों से लैस हैं। ८ फरवरी तक, भारत ने तुर्की और सीरिया में लगभग १५० बचावकर्ताओं और खोजी कुत्तों को भेजा था, साथ ही क्रमशः तुर्की और सीरिया को 1३० टन और ६ टन की आपूर्ति की थी। पाकिस्तान ने तुर्की और सीरिया दोनों को मानवीय सहायता भेजी, जबकि तुर्की में बचावकर्मियों और डॉक्टरों को भी भेजा। पाकिस्तान से एक आधिकारिक ५१ सदस्यीय रेस्क्यू ११२२ टीम को जल्द से जल्द तुर्की भेजा गया। बाद में पाकिस्तान सेना की दो टीमें भी तुर्की और सीरिया में राहत और बचाव अभियान में शामिल हुईं, जिससे बचावकर्ताओं की कुल संख्या २०० से अधिक हो गई पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने अपने एक महीने के वेतन को राहत कोष में दान करने का फैसला किया। तुर्की सरकार, वायुसेना और इस्लामाबाद में उनके दूतावास के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करते हुए तुर्की के लोगों के लिए राहत प्रयास करने के लिए ६-७ फरवरी, २०२३ की रात को पाकिस्तान वायु सेना के एक विशेष विमान के माध्यम से सहायता दलों ने अदाना के लिए उड़ान भरी। प्रधान मंत्री के निर्देश पर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) शीतकालीन टेंट, कंबल और अन्य महत्वपूर्ण जीवन रक्षक आपूर्ति सहित सभी उपलब्ध संसाधनों को जुटा रहा है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रशिक्षित शहरी खोज और बचाव दलों को उनके उपकरण और दवाओं के साथ भेजा जा रहा है। विंटर टेंट और कंबल ले जाने वाले 1६ सहायता ट्रक लाहौर शहर से तुर्की के लिए रवाना हुए। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले एक अज्ञात पाकिस्तानी ने उस$३० मिलियन दान दिया। सऊदी अरब के किंग सलमान और उनके क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने किंग सलमान मानवतावादी सहायता और राहत केंद्र को सीरिया और तुर्की के लोगों पर भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए एक एयरलिफ्ट संचालित करने, स्वास्थ्य, आश्रय, भोजन और रसद सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। तुर्की और सीरिया में भूकंप के पीड़ितों की मदद के लिए "सहेम" मंच के माध्यम से एक राष्ट्रीय अभियान का आयोजन करें। अभियान की घोषणा से पहले ही मंच को ३.४ मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का दान मिल चुका था। [2४९] इस अभियान ने लॉन्च के बाद पहले ४8 घंटों में यूएस$५० मिलियन से अधिक राशि जुटाई। [2५०] [२५१]1३ फरवरी 202३ तक दान श्र्ल्स ३20,०००,००० (उस$८५ मिलियन) से अधिक हो गया है। [२५२] सऊदी अरब ने बचाव और चिकित्सा दलों को भेजा जो गुरुवार, ९ फरवरी 202३ को तुर्की पहुंचे। ९8 टन राहत सामग्री ले जाने वाला एक अन्य विमान भी उसी दिन तुर्की के अदाना हवाई अड्डे पर उतरा। इन्हें भी देखें गुजरात भूकम्प २००१ (भुज) २०२३ तुर्की-सीरिया भूकंप तुर्की का भूगोल
अनोखी अदा १९७३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। जितेन्द्र - राकेश रेखा - नीता गुप्ता विनोद खन्ना - गोपाल पदमा खन्ना - राधिका केशव राणा - गोविंद नामांकन और पुरस्कार
बोयल ताडिपत्रि (कर्नूलु) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कर्नूलु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
श्रीनिवास रामचन्द्र कुलकर्णी (जन्म १९५६) भारत में जन्मे एक खगोल विज्ञानी हैं। वो वर्तमान में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में खगोल शास्त्र और ग्रह विज्ञान के प्रोफेसर हैं। इसके अतिरिक्त वो कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में केल्टेक ओप्टिकल ओब्जर्वेटरी (कू) के निदेशक भी हैं जो पालमार और कॅक वेधशाला सहित अन्य दूरदर्शियों को देखरेख का काम करते हैं। रोयल सोसाइटी, लंदन १९५६ में जन्मे लोग महाराष्ट्र के लोग २०वीं सदी के भारतीय खगोलविद आईआईटी दिल्ली के छात्र
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद / एइया) दिल्ली स्थित भारत का सार्वजनिक आयुर्वेद चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान है। इसकी स्थापना २०१६ में हुई थी। मौलिक सिद्धान्त विभाग प्रसूति एवं स्त्रीरोग विभाग रसशास्त्र एवं भैषज्यकल्पना विभाग रोग एवं विकृतिविज्ञान विभाग अनुवाद अनुसन्धान एवं जैवचिकित्सा अनुसन्धान विभाग राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का जालघर भारत में अनुसंधान संस्थाएँ
मल्ला सीमा, रानीखेत तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा सीमा, मल्ला, रानीखेत तहसील सीमा, मल्ला, रानीखेत तहसील
मुटावनी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फ़तेहाबाद प्रखंड में स्थित एक गाँव है। आगरा जिले के गाँव
चनौती न.ज़.आ., नैनीताल तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा न.ज़.आ., चनौती, नैनीताल तहसील न.ज़.आ., चनौती, नैनीताल तहसील
विनायक सीताराम सरवटे (१८८४ - १९७२) : एक मराठी स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक नेता और इंदौर के लेखक थे। उन्हें स्वतंत्रता के बाद मध्य भारत राज्य से भारत की संविधान सभा के लिए मनोनीत किया गया था। उन्होंने अपनी बेटी, शालिनी ताई मोघे के साथ, "बाल निकेतन संघ", समाज सेवा और शिक्षा में एक संगठन की स्थापना की। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में १९६६ में भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शालिनी ताई मोघे सरवटे बस अड्डा १९६६ पद्म भूषण
अंजलि बंसल पूर्व में एक वैश्विक सहयोगी और प्रबंध निदेशक है टीपीजी प्राइवेट इक्विटी के साथ और न्यू यॉर्क और मुंबई में मैकिन्से एंड कंपनी के साथ एक रणनीति सलाहकार है। उन्होंने स्पेंसर स्टुअर्ट के भारत की प्रैक्टिस की स्थापना की और उन्हें सफलतापूर्वक एक बेहद प्रतिष्ठित अखिल भारत मंच के रूप में विकसित किया। वह एशिया प्रशांत नेतृत्व टीम के एक भाग के रूप में भी एक वैश्विक साझीदार थी और एशिया प्रशांत बोर्ड और सीईओ अभ्यास का नेतृत्व किया। वह बिजनेस टुडे द्वारा और फॉर्च्यून मैगज़ीन द्वारा "इंडियन बिज़नेस में सबसे शक्तिशाली महिलाओं" में से एक के रूप में सूचीबद्ध थीं। उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद। इसरो के कार्यकाल के बाद अंजलि ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भेदभाव के साथ अपनी स्नातकोत्तर की परीक्षा पूरी की, जहां उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय वित्त और व्यापार में महारत हासिल की। अंजलि ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) फार्मास्युटिकल्स इंडिया, बाटा इंडिया लिमिटेड, टाटा पावर और वोल्टास-टाटा एंटरप्राइज के सार्वजनिक बोर्डों पर एक स्वतंत्र गैर कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य करता है। वह टीपीजी प्रायव्हेट इक्विटी के साथ एक वैश्विक साझेदार और प्रबंध निदेशक हैं और न्यू यॉर्क और मुंबई में मैकिन्से एंड कंपनी के साथ एक रणनीति सलाहकार हैं। उन्होंने स्पेंसर स्टुअर्ट के भारत की प्रैक्टिस की स्थापना की और उन्हें सफलतापूर्वक एक बेहद प्रतिष्ठित अखिल भारत मंच के रूप में विकसित किया। वह एशिया प्रशांत नेतृत्व टीम के एक भाग के रूप में भी एक वैश्विक साझीदार थी और एशिया प्रशांत बोर्ड और सीईओ अभ्यास का नेतृत्व किया। वह बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (बीसीसीआई) की प्रबंध समिति और सीआईआई नेशनल कमिटी फॉर वुमन का हिस्सा कॉर्पोरेट कॉरपोरेट बोर्डों पर महिलाओं के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस कार्यक्रम के फिक्की सेंटर के सह-संस्थापक और चेयर भी हैं। अंजलि ने एक इंजीनियर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था। २०१३ में बिजनेस टुडे द्वारा अंजलि को भारत में व्यापार में सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है। फॉर्च्यून इंडिया पत्रिका २०१२। २०११ में इंडिया टुडे। भारतीय महिला अभियंता
हरिनकोल पीरपैंती, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। भागलपुर जिला के गाँव
धनसारी, कर्णप्रयाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) धनसारी, कर्णप्रयाग तहसील धनसारी, कर्णप्रयाग तहसील
गांव मांडी, तहसील इसराना,जिला पानीपत,हरियाणा समुंद्र तल से ऊंचाई :२३१ मीटर गांव का इतिहास पानीपत जिले का मांडी गाँव धनाना से आये घनगस गोत्र के जाटों ने लगभग ११-१२ वी शताब्दी के आसपास बसाया था । पहले गाँव को इसराना के पास जहाँ आजकल तहसील है वहाँ बसाया था, पर वहां का पानी खराब होने के कारण गाँव वर्तमान स्थान पर बसा । रिपोर्ट ऑन थे रिविज़न ऑफ सेटलीमेंट ऑफ थे पानीपत तहसिल एंड करनाल परगना ऑफ थे करनाल डिस्ट्रिक्ट के लेखक देंजिल चार्ल्स जेल्फ इब्बेत्सन के अनुसार मांडी गाँव इलाके में बहुत बड़ा तपा था । जब अंग्रेज इस इलाके पर काबिज हुए और उन्होंने कानून बनाने शुरू किए तो उन्होंने कानून में कस्टमेरी लॉ आम चलन के रीति रिवाज को शामिल करते हुए लिखा कि जब गांव बसा तब से मांडी गांव के जाटों में जमीन का बटवारा चुंडाबाट आधार पर किया जाता है अंग्रेजो ने भी जब नई लैंड स्टेलमेंट लागू की तो चुंडाबाट (पर हेड) को आधार बनाया। गांव में कई जमीन के मुकदमों का फैसला भी अदालतों ने इसी रिवाज को आधार मान कर किया। गलंट हरियाणा, थे फर्स्ट एंड क्रुशियल बैटलफील्ड ऑफ अध १८५७ नामक किताब के लेखक च.ब. सिंह शेओरन ने किताब में लिखा है कि १८५७ के प्रथम स्वत्रंत्रता सग्राम में इस इलाके में सबसे पहले मांडी गाँव ने व १५ अन्य पडोसी गावों ने अंग्रजो को लगान देने से इंकार कर दिया और लड़ाई में भाग लेने रोहतक चले गए । वहां से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने दिल्ली गए और २२ दिन बाद वापिस आये । गांव में मुख्य मार्ग पर श्री बाल गौपाल कृष्ण गौशाला है जिसमे समस्त गांव के सहयोग से बेसहारा गायों की सेवा की जाती है। गांव मांडी में आर्य समाज का भी खूब प्रभाव रहा है। गांव में गुग्गा वीर का प्राचीन मंदिर है जिसकी सेवा के लिए एक समिति बनाई गई है। यहां पर चैत की नौवीं को गुग्गा वीर की स्मृति में बहुत बड़ा मेला लगता है और कुश्ती प्रतियोगिता के लिए दंगल का आयोजन सैकड़ों वर्षों से आयोजित ही रहा है। गांव में सरकारी स्कूल के पास एक प्राचीन शिव भी बना हुआ है। गांव में लख़नाथ पाना के बड़े जोहड़ (तालाब) के समीप साईं मंदिर बना हुआ है। स्वतंत्रता सेनानी श्री मौजी राम मांडी, आजादी के लिए जेल जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी मौजी राम कलसान का जन्म सन १८९७ में गांव मांडी में हुआ था। श्री मौजी राम आजादी से पहले कांग्रेस के सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे, वे मौची का काम करते थे आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थे और आजादी के लिए कांग्रेस द्वारा किए आंदोलन में १९३४ में जेल गए थे। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें छः महीने जेल की सजा सुनाई और पचास रुपए जुर्माना भी लगाया। उन्हें रोहतक जेल में रखा गया। १९४७, में आजादी मिली बाद उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन भी मिली थी। स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस - मांडी गावं के प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे है, वे जाट महासभा हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे थे। चौधरी रणदीप घनगस रंदीप घंगा - हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया कॉर्डिनेटर है । चंडीगढ़ में एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में संपादक के पद पर कार्यरत रहे है । भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के प्रदेश अध्यक्ष रहे है । इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय सचिव रहे है । आल इण्डिया न्यूज़पेपर एडिटर कांफ्रेंस, नई दिल्ली के सदस्य रहे है एवं स्टेट मीडिया एक्रिडेशन कमेटी चंडीगढ़ हरियाणा सरकार के सदस्य भी रहे है । डा. संदीप घनगस - गाँव मांडी के म्ब्ब्स करने वाले पहले डाक्टर है आज कल पानीपत में बच्चो के डाक्टर है । चौधरी राजबीर घनगस एडवोकेट - हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय में सहायक महाअधिवक्ता के पद पर कार्यरत है । चौधरी प्रदीप कुमार घनगस - हरियाणा पर्यटन विभाग में सेवारत है। चौधरी प्रदीप कुमार घनगस के सपुत्र गौरव घनगस, करनाल में बैंक मैनेजर और एडवोकेट सुमित घनगस पानीपत में वकील है। पूर्व मंत्री प्रीत सिंह- गांव मांडी के श्री प्रीत सिंह १९७७ में कलायत विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक बने और चौधरी देवीलाल ने उनको अपने मंत्रिमंडल में राजस्व विभाग का मंत्री बनाया। शहीद रणधीर सिंह- शहीद रणधीर सिंह का जन्म ७ जनवरी १९५५को गांव मांडी में हुआ था। सन 19७4 में रणधीर सिंह हरियाणा पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ। २०अप्रैल २०05 महम रोड गोहाना में रणधीर सिंह की शहदात हुई। हरियाणा के गाँव
स्टीयरिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है, जो थोड़ा अम्लीय होता है। इसका सबसे आम प्राकृतिक भंडार है - ताड़ के फल का तेल। आम चीज़ों में साबुन वो वस्तु है जहाँ इसका प्रयोग मिलता है। इसका सूत्र च१८ह३६ओ२ है जिसे वैश्विक-कार्बनिक-नामाकरण पद्धति से ऑक्टा-डिकान-ओइक अम्ल कहेंगे।
अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) ( (आयोक); (सियो)) एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉज़ेन में स्थित है। इसकी स्थापना पियरे डे कोबेर्टिन ने २३ जून १८९४ को कि थी तथा यूनानी व्यापारी देमित्रिस विकेलस इसके प्रथम अध्यक्ष बने थे। वर्तमान समय में विश्व की कुल २०५ राष्ट्रीय ओलम्पिक समितिया (एनओसी) इसकी सदस्य हैं। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस २०२२ का थीम "एक साथ, एक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए" रखा गया है। आईओसी की स्थापना पियरे डे कोबेर्टिन द्वारा २३ जून १८९४ को की गई थी। २३ जून को प्रति वर्ष ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जून २०१७ तक, इसकी सदस्यता में ९५ सक्रिय सदस्य, ४१ मानद सदस्य, एक मानद अध्यक्ष (जैक्स रोगे)और एक सम्मान सदस्य (हेनरी किसिंजर) शामिल हैं। आईओसी दुनिया भर में आधुनिक ओलंपिक आंदोलन का सर्वोच्च शासी निकाय है। आईओसी हर चार साल में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल और युवा ओलम्पिक खेल का आयोजन करता है। आईओसी द्वारा आयोजित पहला ग्रीष्मकालीन ओलंपिक १८९६ में यूनान के एथेंस व पहला शीतकालीन ओलंपिक १९२४ में फ्रांस के चेमोनिक्स में आयोजित किया था। १९९२ तक ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक दोनों एक ही वर्ष आयोजित किए जाते थे। कार्य और भूमिका अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्य कार्य ओलंपिक आंदोलन को बढ़ावा देना और ओलंपिक आंदोलन का नेतृत्व करना है। खेल और खेल प्रतियोगिताओं के संगठन, विकास और समन्वय को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना; ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करना; सक्षम सार्वजनिक या निजी संगठनों और अधिकारियों के साथ सहयोग करने का प्रयास करना ताकि खेल द्वारा मानवता की सेवा और शांति को बढ़ावा मिले; ओलंपिक आंदोलन को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ कार्य करना; पुरुषों और महिलाओं की समानता के सिद्धांत को लागू करने के दृष्टिकोण के साथ सभी स्तरों पर और सभी संरचनाओं में खेल में महिलाओं के प्रचार को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना। ये वर्तमान में है
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव , तहसील ठाकुरद्वारा, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७१७ गाँव कोड: ११४७५९ इन्हें भी देखें उत्तर प्रदेश की तहसीलों का नक्शा ठाकुरद्वारा तहसील के गाँव
लॉयन्सगेट () एक अमेरिकी-कनाडाई मनोरंजन कंपनी है। इसका गठन १० जुलाई, १९९७ को फ्रैंक गिउस्ट्रा द्वारा, वैंकूवर, ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में किया गया था और वर्तमान में इसका मुख्यालय सांता मोनिका, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में है। इन्हें भी देखें
हेलो! पडोसी... कौन है दोषी? एक भारतीय टेलीविजन कॉमेडी श्रृंखला है जो सहारा वन चैनल पर प्रसारित होती है, जिसमें कादर खान ने अभिनय किया है। नवंबर २०११ में श्रृंखला को कॉमेडी शो से ड्रामा-सीरीज़ में बदल दिया गया श्रृंखला का नाम बदलकर पिया का घर प्यारा लगे रखा गया। सेजल मेहता के रूप में संजीदा शेख बिट्टो के रूप में गिरिराज काबरा राम भरोसे के रूप में कादर खान मुनी झा हंसमुख लाल मेहता के रूप में तबस्सुम पाशा के रूप में गुलफाम खान मानव पटेल के रूप में अमित डोलावत विभा रोकरे के रूप में नवीना बोले हिमानी चावला हिमानी के रूप में सआदत परवेज़ बब्बन मियाँ के रूप में भारतीय हास्य टेलीविजन कार्यक्रम भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
डिप्लोपिया एक ही वस्तु की दो छवियों की एक साथ धारणा है जो एक दूसरे के संबंध में क्षैतिज या लंबवत रूप से विस्थापित हो सकती हैं। इसे दोहरी दृष्टि भी कहा जाता है, यह नियमित परिस्थितियों में दृश्य फोकस का नुकसान है, और अक्सर स्वैच्छिक होता है। हालाँकि, जब यह अनैच्छिक रूप से होता है, तो इसके परिणामस्वरूप बाह्यकोशिकीय मांसपेशियों की कार्यप्रणाली ख़राब हो जाती है, जहाँ दोनों आँखें अभी भी कार्यशील हैं, लेकिन वे वांछित वस्तु को लक्षित करने के लिए मुड़ नहीं सकती हैं। इन मांसपेशियों में समस्याएं यांत्रिक समस्याओं, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन के विकारों, कपाल नसों (ई, इव, और वि) के विकारों के कारण हो सकती हैं जो मांसपेशियों को संक्रमित करती हैं, और कभी-कभी सुपरन्यूक्लियर ओकुलोमोटर मार्ग या विषाक्त पदार्थों के अंतर्ग्रहण से जुड़े विकारों के कारण हो सकती हैं। डिप्लोपिया एक प्रणालीगत बीमारी के पहले लक्षणों में से एक हो सकता है, विशेष रूप से मांसपेशियों या तंत्रिका संबंधी प्रक्रिया के लिए, और यह किसी व्यक्ति के संतुलन, गति या पढ़ने की क्षमताओं को बाधित कर सकता है।
बरही भारत के झारखण्ड राज्य की विधानसभा का एक निर्वाचन क्षेत्र है। हजारीबाग ज़िले में स्थित यह विधानसभा क्षेत्र हजारीबाग लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। झारखंड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
६४० ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
बैजलपुर असरगंज, मुंगेर, बिहार स्थित एक गाँव है। मुंगेर जिला के गाँव
गोहरी लखीसराय, लखीसराय, बिहार स्थित एक गाँव है। लखीसराय जिला के गाँव
उखरा (उखरा) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम बर्धमान ज़िले में स्थित एक शहर है। इन्हें भी देखें पश्चिम बर्धमान ज़िला पश्चिम बर्धमान ज़िला पश्चिम बंगाल के शहर पश्चिम बर्धमान ज़िले के नगर
मधुसूदनपुर (मधुसूदनपुर) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली ज़िले में स्थित एक शहर है। यह कोलकाता महानगर क्षेत्र का भाग है। इन्हें भी देखें कोलकाता महानगर क्षेत्र पश्चिम बंगाल के शहर हुगली ज़िले के नगर कोलकाता महानगर क्षेत्र
ये एक हिन्दी व गुजराती अभिनेता है इन्होंने गुजराती भाषा में कई अभिनय किये । हिन्दी भाषा में एफ आई आर , वर्तमान तारक मेहता का उल्टा चश्मा में अभिनय किया है ।
मछुन्द्री नदी (मच्चंदरी रिवर) भारत के गुजरात राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह गीर राष्ट्रीय उद्यान में उत्पन्न होती है और ५९किमी दक्षिण दिशा में बहकर अरब सागर में विलय हो जाती है। इसका जलसम्भर क्षेत्र लगभग ४०६ वर्ग किमी है। इन्हें भी देखें गीर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात की नदियाँ
जो इंग्लैंड के प्रधानमन्त्री रह चुके है। इन्हें भी देखें ब्रिटेन के प्रधान मन्त्री ब्रिटेन के प्रधानमंत्री
ऑपरेशन जिब्राल्टर , पाकिस्तान की जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की रणनीति का कोडनाम था जो भारतीय शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के लिए किया गया था। सफल होने पर, पाकिस्तान को कश्मीर पर नियंत्रण हासिल करने की उम्मीद थी, लेकिन यह अभियान एक बड़ी विफलता साबित हुई। पाकिस्तान ने ,विशेष रूप से स्पेन के अरब आक्रमण के समानांतर ध्यान आकर्षित करने के लिए ,इस नाम को चुना जिसे जिब्राल्टर के बंदरगाह से लॉन्च किया गया था। [७] अगस्त १९६५ में, पाकिस्तानी सेना के आज़ाद कश्मीर नियमित सेना के सैनिकों, [८] [९]जो स्थानीय लोगों के रूप में घुल मिल गए थे, कश्मीरी मुसलमानों के बीच एक उग्रवाद को उकसाने के लक्ष्य से पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया था। हालांकि, समन्वय के अभाव की वजह से शुरूआत से ही रणनीति बहुत ही खराब हो गई थी, और घुसपैठियों को जल्द ही खोजा गया था। इस अभियान ने १९६५ में भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत की, जो भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से दोनों पड़ोसियों के बीच पहली बड़ी लड़ाई थी। १ ९ ४७ में उप महाद्वीप के विभाजन के समय, सर सिरिल रैडक्लिफ को ब्रिटिश वासीराय लॉर्ड माउंटबेटन की देखरेख में गठित सीमा आयोग का प्रभार दिया गया था। आयोग ने मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों को पाकिस्तान के गठन के क्षेत्र में शामिल करने का फैसला किया था, जबकि गैर-मुस्लिम क्षेत्रों को भारत में शामिल किया जाना था। जम्मू-कश्मीर, गुरदासपुर, फिरोजपुर जैसे कई प्रदेशों में मुस्लिम बहुमत था, लेकिन उन्हें भारत में शामिल किया गया क्योंकि वे रियासत थे और स्थानीय राजाओं को पाकिस्तान या भारत में शामिल होने का मौका दिया गया था। इससे कश्मीर में एक मजबूत विद्रोह हुआ, जिसमें ८६% मुसलमान थे। यह कश्मीर पर भारत-पाक युद्धों का आधार था। पहला कश्मीर युद्ध के बाद, भारत ने कश्मीर के दो-तिहाई से अधिक अपना कब्ज़ा बनाए रखा, पाकिस्तान ने शेष कश्मीर क्षेत्रों को जीतने का अवसर मांगा। भारत के चीन के साथ युद्ध के बाद १ ९ ६२ में चीन-भारतीय युद्ध के बाद उद्घाटन हुआ और परिणामस्वरूप भारतीय सैन्य कर्मियों और उपकरणों दोनों में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए। इस अवधि के दौरान, भारतीय सेना से संख्यात्मक रूप से छोटा होने के बावजूद, पाकिस्तान की सशस्त्र बलों के पास भारत में वायु-शक्ति और कवच में एक गुणात्मक बढ़त थी, [१0] जिसने भारत को अपनी रक्षा व्यवस्था का निर्माण पूरा करने से पहले उपयोग करने की मांग की थी। १ ९ ६५ की गर्मियों में कच्छ प्रकरण के रैन, जहां भारतीय और पाकिस्तानी सेना मज़बूत हुए, पाकिस्तान के लिए कुछ सकारात्मक परिणाम हुए। इसके अलावा, दिसंबर १ ९ ६३ में, श्रीनगर में हजरतबल मंदिर से एक पवित्र अवशेष [११] के गायब होने से घाटी में मुसलमानों के बीच उथल-पुथल और गहन इस्लामिक भावना पैदा हुई थी, जिसे पाकिस्तान द्वारा विद्रोह के आदर्श के रूप में देखा गया था। [१2] इन कारकों ने पाकिस्तानी कमान की सोच को बल मिला: कि सभी युद्धों के खतरे से पीछा गुप्त तरीके का इस्तेमाल कश्मीर में एक प्रस्ताव को मजबूर करेगा। [१3] [१4] [१5] यह मानते हुए कि एक कमजोर भारतीय सेना का जवाब नहीं होगा, पाकिस्तान ने "मुजाहिदीन" और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान सेना नियमित भेजने का फैसला किया। ऑपरेशन के लिए मूल योजना, जिब्राल्टर को कोडित, १ ९ ५० के दशक की शुरुआत में तैयार की गई थी; हालांकि इस योजना को आगे बढ़ाए जाने के लिए इस स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त लग रहा था। तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और अन्यों के समर्थन में, यह उद्देश्य "घुसपैठ का हमला" था, जो लगभग ४०,००० लोगों की एक विशेष प्रशिक्षित अनियमित बल थी, जो बेहद प्रेरित और अच्छी तरह से सशस्त्र था। यह तर्क था कि संघर्ष केवल कश्मीर तक ही सीमित हो सकता है। सेवानिवृत्त पाकिस्तानी जनरल अख्तर हुसैन मलिक के शब्दों में, लक्ष्य "कश्मीर की समस्या को कमजोर करने, भारतीय संकल्प को कमजोर करने और सामान्य युद्ध को उकसाने के बिना भारत को सम्मेलन तालिका में लाने के लिए" थे। [१6] परिणामस्वरूप, आधार और खुफिया जानकारी योजना का निष्पादन "ऑपरेशन नुसरत" लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य मुकाबला करने के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में सेवा करने के लिए, और भारतीय सेना के जवाब को मापने के लिए, और सीआरएल में अंतराल का पता लगाने का उद्देश्य था स्थानीय आबादी। [१7] निष्पादन की योजना पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के शुरुआती रिजर्वेशन के बावजूद, ऑपरेशन गति में था। अगस्त १ ९ ६५ के पहले हफ्ते में, (कुछ सूत्रों ने इसे २४ जुलाई को रखा) [१८] पाकिस्तानी सैनिक जो आजाद कश्मीर रेजिमेंटल फोर्स (अब आज़ाद कश्मीर रेजिमेंट) के सदस्य थे, भारतीय-और पाकिस्तानी कब्जे वाले फायर लाइन को समाप्त करने लगे। कश्मीर पीर पंजाल रेंज में गुलमर्ग, उड़ी और बारामुल्ला में कई स्तंभों को कश्मीर घाटी के चारों ओर महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा करना था और एक सामान्य विद्रोह को प्रोत्साहित करना था, जिसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सीधे मुकाबला किया जाएगा। ३०,००० [४] [१ ९] के भारतीय स्रोतों के मुताबिक - ४0,००० पुरुष लाइन पार कर चुके थे, जबकि पाकिस्तानी सूत्रों ने ५,०००-७,००० में इसे ही रखा था। [२०] "जिब्राल्टर फोर्स" [४] के रूप में जाना जाने वाले ये सैनिकों का आयोजन किया गया था और मेजर जनरल अख्तर हुसैन मलिक, जीओसी १2 डिविजन [५] [६] द्वारा सेना का विभाजन १0 बलों (५ कंपनियों प्रत्येक) में किया गया था। [४] १0 बलों को विभिन्न कोड नाम दिए गए थे, जो कि ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मुस्लिम शासकों के बाद थे। [१ ९] ऑपरेशन का नाम, जिब्राल्टर, खुद को इस्लामिक अर्थों के लिए चुना गया था। [2१] ८ वीं शताब्दी के उमाय्याद ने हिस्पैनिया की विजय जीब्राल्टर से शुरू की, एक ऐसी परिस्थिति जिसकी वजह से पाकिस्तान ने भारतीय कश्मीर के लिए परिकल्पना की थी, अर्थात ऑपरेशन जिब्राल्टर से कश्मीर का विजय। चुना गया क्षेत्र मुख्य रूप से वास्तविक फायर लाइन और साथ ही जनसंख्या वाले कश्मीर घाटी में भी थे। योजना बहु आयामी थी। घुसपैठियों स्थानीय आबादी के साथ मिलना होगा और विद्रोह के लिए उन्हें उत्तेजित कश्मीर में "सशस्त्र विद्रोह" की स्थिति बनाने के लिए, इस बीच, गुरिल्ला युद्ध शुरू होगा, पुलों, सुरंगों और राजमार्गों को नष्ट कर, दुश्मन संचार, उपस्कर प्रतिष्ठानों और मुख्यालयों के साथ-साथ हवाई क्षेत्र पर हमला करने [२२] को उत्पीड़ित किया जाएगा - भारतीय शासन के खिलाफ राष्ट्रीय विद्रोह यह माना जाता था कि भारत न तो हमला करेगा [२३] और न ही किसी अन्य पूर्ण पैमाने पर युद्ध में शामिल होगा, और कश्मीर की मुक्ति का तेजी से पालन करेगा ९ घुसपैठ बलों में से, कमांडर मेजर मलिक मुनवर खान अली ने महंधर-राजौरी इलाके में अपने उद्देश्य को हासिल करने में कामयाब रहे। असफलता के कारणों हालांकि गुप्त घुसपैठ पूरी विफलता थी, जिसकी अंततः १ ९ ६५ में भारत-पाकिस्तान युद्ध का नेतृत्व किया गया था, सैन्य विश्लेषकों ने इस पर मतभेद किया है कि क्या योजना स्वयं दोषपूर्ण थी या नहीं। कुछ लोगों ने यह माना है कि योजना अच्छी तरह से कल्पना की गई थी, लेकिन खराब निष्पादन [उद्धरण वांछित] के चलते, लेकिन लगभग सभी पाकिस्तानी और तटस्थ विश्लेषकों ने यह रख दिया है कि पूरे अभियान "एक बेईमान प्रयास" [२८] और पतन के लिए बर्बाद हो गया। पाकिस्तानी सेना की असफलताओं का अनुमान है कि पाकिस्तानी अग्रिमों द्वारा प्रदान किए गए अवसरों से आम तौर पर असंतुष्ट कश्मीरी लोग अपने भारतीय शासकों के खिलाफ विद्रोह करेंगे और कश्मीर के एक तेज और निर्णायक आत्मसमर्पण के बारे में लाएंगे। कश्मीरी लोगों ने हालांकि, विद्रोह नहीं किया। इसके बजाय, भारतीय सेना को ऑपरेशन जिब्राल्टर और इस तथ्य के बारे में जानने के लिए पर्याप्त जानकारी दी गई थी कि सेना में विद्रोहियों की लड़ाई नहीं थी, जैसा कि शुरू में था, लेकिन पाकिस्तानी सेना नियमित थे। [२ ९] पाकिस्तान वायु सेना के तत्कालीन चीफ एयर मार्शल नूर खान के मुताबिक आसन्न अभियान पर सैन्य सेवाओं में थोड़ा समन्वय था। [३०] पाकिस्तानी लेखक परवेज इकबाल चीमा का कहना है कि पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ मुहम्मद मुसा को कथित तौर पर इतना विश्वास था कि यह योजना सफल होगी और संघर्ष कश्मीर में स्थानीय होगा क्योंकि उन्होंने वायु सेना को सूचित नहीं किया, क्योंकि उनका मानना था कि ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होगी किसी भी बड़े वायु क्रिया। [१8] कई वरिष्ठ पाकिस्तानी सैनिक अधिकारी और राजनीतिक नेता आसन्न संकट से अनजान थे, इस तरह न केवल भारत ही आश्चर्य की बात है, बल्कि पाकिस्तान भी। [3१] कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस योजना के खिलाफ थे, क्योंकि विफलता के कारण भारत के साथ एक सर्व-युद्ध के लिए नेतृत्व हो सकता है, जो कि कई लोगों से बचने की इच्छा थी इन्हें भी देखें ब्रिगेडियर शौकत कादिर की पीएएफ पर ऑपरेशन जिब्राल्टर: लड़ाई था कि कभी नहीं की मेजबानी पर रेडिफ़.कॉम ग्रैंड स्लैम एक लड़ाई के अवसरों को खो दिया मेजर (सेवानिवृत्त.) आगा हुमायूं अमीन, रक्षा जर्नल (पाकिस्तान), सितंबर २००० ऑपरेशन जिब्राल्टर एक उन्मेंगिटेटेड आपदा?
गुनकानॆपल्लॆ (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील मुरादाबाद, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७१९ उत्तर प्रदेश के जिले (नक्शा) मुरादाबाद तहसील के गाँव
भालचंद्र नेमाडे (जन्म-१९३८) भारतीय मराठी लेखक, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक तथा शिक्षाविद हैं। १९६३ में केवल २५ वर्ष की आयु में प्रकाशित 'कोसला' नामक उपन्यास से उन्हें अपार सफलता मिली। सन १९९१ में उनकी टीकास्वयंवर इस कृति के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष २०१४ का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा।श्री नेमाडे की प्रमुख कृतियों में 'कोसला' और 'हिन्दू' उपन्यास शामिल हैं। उनके साहित्य में 'देशीवाद' (स्वदेशीकरण) पर बल दिया गया है। वह ६०के दशक के लघु पत्रिका आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे। प्राध्यापक भालचंद्र नेमाडे मराठी के प्रसिद्ध लेखक वी.स. खांडेकर, वि.वा. शिरवाडकर, विं.दा. करंदीकर के बाद यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले चौथे मराठी लेखक हैं। प्रो. भालचन्द्र नेमाडे मराठी साहित्य में सर्वस्पर्शी तथा सर्वप्रतिष्ठित नाम है। उपन्यास, कविता एवं आलोचना में उनकी विरल ख्याति है। श्री नेमाड़े मराठी आलोचना में 'देसीवाद' के प्रवर्तक हैं। १९६३ में प्रकाशित 'कोसला' उपन्यास ने मराठी उपन्यास लेखन में दिशा प्रवर्तन का काम किया। इस उपन्यास ने मराठी गद्य लेखन को पिछली आधी शताब्दी में लगातार चेतना और फॉर्म के स्तर पर उद्वेलित किया। उनके अन्य उपन्यास 'हिन्दू' में सभ्यता विमर्श उपस्थित है। यह कृति काल की आवधारणा की वैज्ञानिक दृष्टि से भाष्य करती है। ग्रामीण से आधुनिक परिसर तक की सामाजिक विसंगतियों को गहराई से अभिव्यक्त करने वाले श्री नेमाड़े मराठी साहित्य की तीन पीढ़ियों के सर्वप्रिय लेखक हैं। १९९० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (आलोचनात्मक कृति 'टीका स्वयंवर' के लिये) २०११ में पद्मश्री साहित्याची भाषा के लिये कुरुंदकर पुरस्कार (१९८७) देखणी के लिये कुसुमाग्रज पुरस्कार (१९९१) देखणी केलिये ना.धों. महानोर पुरस्कार (१९९२) कुसुमाग्रज प्रतिष्ठान (नाशिक) द्वारा प्रदत्त जनस्थान पुरस्कार, (२०१३) झूल के लिये कर्हाड का यशवंतराव चव्हाण पुरस्कार (१९८४) महाराष्ट्र फाउंडेशनच का गौरव पुरस्कार (२००१) बिढार के लिये ह.ना. आपटे पुरस्कार (१९७६) हिंदू एक समृद्ध अडगळ के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार-२०१५ हिंदू जगण्याची समृद्ध अडगळ २००३ देशजवाद का अदम्य योद्धा (प्रफुल्ल शिलेदार) पुस्तक समीक्षा: भालचन्द्र नेमाड़े का महत्वपूर्ण उपन्यास (प्रभासाक्षी) १९३८ में जन्मे लोग साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत मराठी भाषा के साहित्यकार
भारत में नकली समाचार देश में गलत सूचना या दुस्सूचना को संदर्भित करता है जो मौखिक और पारंपरिक मीडिया के माध्यम से और हाल ही में संचार के डिजिटल रूपों जैसे कि संपादित वीडियो, मीम्स, असत्यापित विज्ञापनों और सोशल मीडिया प्रचारित अफवाहों के माध्यम से फैलाया जाता है। देश में सोशल मीडिया के माध्यम से फैली झूठी खबरें एक गंभीर समस्या बन गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप भीड़ की हिंसा होने की संभावना है, जैसा कि मामला था जहां २०१८ में सोशल मीडिया पर प्रसारित गलत सूचना के परिणामस्वरूप कम से कम २० लोग मारे गए थे। शब्दावली और पृष्ठभूमि नकली समाचार को उन खबरों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो जानबूझकर और सत्यापित रूप से गलत हैं और पाठकों को गलत सूचना देने और गुमराह करने की क्षमता रखती हैं। अकादमिक टाइपोलॉजी में नकली समाचारों को तथ्यात्मकता की डिग्री, धोखे की प्रेरणा और प्रस्तुति के रूप के आधार पर कई रूपों में वर्गीकृत किया जाता है; इसमें ऐसे व्यंग्य और पैरोडी शामिल हैं जिनका तथ्यों में आधार होता है, लेकिन संदर्भ से बाहर होने पर गुमराह कर सकते हैं, इसमें धोखाधड़ी या गुमराह करने के इरादे से बनाई गई 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मीडिया संदेशों के रूप में है जो सत्यापित नहीं हैं, फर्जी सलाह और साजिश के सिद्धांत हैं। कोरोनावायरस महामारी के बारे में फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में कम से कम दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसका विरोध करने के लिए, ४०० से अधिक भारतीय वैज्ञानिक १४ अप्रैल २०२० तक वायरस के बारे में झूठी जानकारी को खत्म करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम २०१९ सीएए के विरोध प्रदर्शनों ने सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों और दिल्ली पुलिस को समान रूप से निशाना बनाते हुए नकली समाचारों और हेरफेर की सामग्री की बाढ़ ला दी। सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों को वीडियो साझा करते देखा गया, जिसमें झूठा आरोप लगाया गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र हिंदू विरोधी नारे लगा रहे थे। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत की केंद्र सरकार से "मुद्दे पर प्रसारित की जा रही फर्जी खबरों को दूर करने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम के उद्देश्यों और लाभों को प्रचारित करने के लिए एक याचिका पर विचार करने के लिए कहा।" भाजपा नेताओं ने एक फोन नंबर जारी किया, जिसमें लोगों से अधिनियम के प्रति समर्थन दिखाने के लिए मिस्ड कॉल देने को कहा गया। नंबर को ट्विटर पर व्यापक रूप से साझा किया गया था, जिसमें फर्जी दावों के साथ लोगों को अकेली महिलाओं के साथ दोस्ती करने और नेटफ्लिक्स जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए मुफ्त सब्सक्रिप्शन का लालच दिया गया था। भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने कथित तौर पर पाकिस्तान के लगभग ५००० सोशल मीडिया हैंडल की पहचान की जो सीएए पर "फर्जी और झूठे प्रचार" फैला रहे थे, कुछ इस प्रक्रिया में "गहरे नकली वीडियो" का उपयोग कर रहे थे। फर्जी, आग लगाने वाली और सांप्रदायिक खबरों पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मध्यस्थ मौजूद थे। पुरानी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए, यहां तक कि प्रमुख हस्तियों द्वारा भी विरोध को सांप्रदायिक रंग देते हुए साझा किया गया। पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल यह बताने के लिए भी किया गया था कि विरोध प्रदर्शनों में कई जगहों पर हिंसा शामिल थी। इसी तरह पुलिस की बर्बरता से जुड़ी कुछ पुरानी क्लिप को फिर से पोस्ट किया गया और सीएए प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के साथ गलत तरीके से जोड़ा गया। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" और हिंदू समुदाय के खिलाफ परेशान करने वाले नारे लगाते हुए विकृत वीडियो साझा किए। २०१९ के भारतीय आम चुनाव के दौरान फर्जी खबरें बहुत प्रचलित थीं। चुनाव के निर्माण के दौरान समाज के सभी स्तरों पर गलत सूचना प्रचलित थी। चुनावों को कुछ लोगों ने "भारत का पहला व्हाट्सएप चुनाव" कहा था, जिसमें कई लोगों द्वारा व्हाट्सएप को प्रचार के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया गया था। जैसा कि वाइस मीडिया और आल्ट न्यूज़ लिखते हैं, "पार्टियों ने प्लेटफॉर्म को हथियार बना लिया है" और "गलत सूचना को हथियार बना लिया गया"। भारत में २२ अनुसूचित भाषाएं हैं, और उन सभी में पुनरीक्षण जानकारी फेसबुक जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए मुश्किल हो जाती है, जिसने सिंधी, ओडिया और कन्नड़ जैसी भाषाओं को पूरी तरह से छोड़ दिया है, मई २०१९ के अनुसार उनमें से केवल १० को वीट करने के लिए संसाधनों को इकट्ठा किया है। फिर भी, फेसबुक ने एक दिन में लगभग दस लाख खातों को हटा दिया, जिनमें चुनाव से पहले गलत सूचना और फर्जी खबरें फैलाना भी शामिल था। पाकिस्तान के खिलाफ नकली समाचार २०१९ में ईयू डिसइन्फोलैब के एक अध्ययन में पाया गया कि "६५ से अधिक देशों में कम से कम २६५ नकली स्थानीय समाचार वेबसाइटों को भारतीय प्रभाव नेटवर्क द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसका उद्देश्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को प्रभावित करना और पाकिस्तान की जनता की धारणा को प्रभावित करना है।" २०२० तक इंडियन क्रॉनिकल्स नामक एक जांच में ऐसी भारत-समर्थक नकली समाचार वेबसाइटों की संख्या ११६ देशों में बढ़कर ७५० हो गई थी। नकली समाचार फैलाने वाली वेबसाइटों और ऑनलाइन संसाधनों के प्रमुख उदाहरणों में ऑपइंडिया और पोस्टकार्ड न्यूज़ शामिल हैं। बीबीसी समाचार के अनुसार कई नकली समाचार वेबसाइटें श्रीवास्तव समूह नामक एक भारतीय कंपनी द्वारा चलाई जा रही थीं, जो यूरोप में पाकिस्तान विरोधी पैरवी के प्रयासों के लिए ज़िम्मेदार थी और लगातार नकली समाचारों और प्रचार के प्रसार से जुड़ी हुई थी। वेबसाइटें, जो अन्य मीडिया आउटलेट्स से सिंडिकेटेड समाचार सामग्री की नकल करने के लिए जानी जाती हैं, वास्तविक समाचार वेबसाइटों के रूप में प्रदर्शित होने के लिए, अपने नेटवर्क से जुड़े गैर सरकारी संगठनों से संबंधित व्यक्तियों से पाकिस्तान की आलोचनात्मक राय और कहानियां बनाती हैं। नेटवर्क संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और यूरोपीय संसद जैसे निर्णय लेने वाले संगठनों को प्रभावित करने का प्रयास करता है, जहां इसका प्राथमिक उद्देश्य "पाकिस्तान को बदनाम करना" है। अक्टूबर २०१९ में नेटवर्क ने भारतीय प्रशासित कश्मीर के दूर-दराज़ यूरोपीय संसद के सांसदों के एक समूह की एक विवादास्पद यात्रा प्रायोजित की, जिसके दौरान उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। समूह द्वारा संचालित डोमेन में "मैनचेस्टर टाइम्स", "टाइम्स ऑफ़ लॉस एंजिल्स", "टाइम्स ऑफ़ जिनेवा" और "न्यू डेल्ही टाइम्स" शामिल हैं। उनके कवरेज का एक सामान्य विषय अलगाववादी समूहों, अल्पसंख्यकों, मानवाधिकार मामलों और पाकिस्तान में आतंकवाद जैसे मुद्दों पर होता है। ईयू क्रॉनिकल, एक श्रीवास्तव समूह की वेबसाइट, जिसने यूरोपीय संघ से समाचार देने का दावा किया था, को ऑप-एड लेख "उनके लेखकों, उनमें से कुछ यूरोपीय सांसदों" के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराया गया था, जो पत्रकार मौजूद नहीं थे, पाठ से साहित्यिक चोरी की गई थी। अन्य स्रोत, और सामग्री ज्यादातर पाकिस्तान पर केंद्रित है। ईपीटुडे, एक अन्य समाचार वेबसाइट जिसने पाकिस्तान विरोधी सामग्री को उजागर किया था, को पोलिटिको यूरोप के अनुसार इसी तरह उजागर होने के बाद बंद करने के लिए मजबूर किया गया था। भारतीय लॉबिंग हितों को प्रोजेक्ट करने के अपने प्रयासों के तहत नेटवर्क ने मृत मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के नकली व्यक्तित्वों को फिर से जीवित किया, द इकोनॉमिस्ट और वॉयस ऑफ अमेरिका जैसी नियमित मीडिया एजेंसियों का इस्तेमाल किया, यूरोपीय संसद के लेटरहेड का इस्तेमाल किया, नकली फोन नंबर और पते सूचीबद्ध किए संयुक्त राष्ट्र की कि अपनी वेबसाइटों पर, अस्पष्ट पुस्तक प्रकाशन कंपनियों और सार्वजनिक व्यक्तित्वों का निर्माण किया, सैकड़ों नकली गैर सरकारी संगठनों, थिंक टैंकों, अनौपचारिक समूहों और इमाम संगठनों को पंजीकृत किया, साथ ही पाकिस्तानी डोमेन पर साइबर स्क्वाटिंग का संचालन किया। अधिकांश वेबसाइटों की ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर मौजूदगी थी। यह भी नोट किया गया कि २०१९ में ईयू डिसइन्फोलैब की पहली रिपोर्ट के बाद कुछ डोमेन केवल बाद में अलग-अलग नामों से पुनर्जीवित होने के लिए बंद हो गए थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि नकली वेबसाइटों की सामग्री का मुख्य लक्ष्य यूरोप में पाठक नहीं हैं, बल्कि एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल और याहू न्यूज इंडिया जैसे मुख्यधारा के भारतीय समाचार आउटलेट हैं जो नियमित रूप से अपनी सामग्री का पुन: उपयोग और पुनर्प्रकाशन करते हैं और उनके माध्यम के रूप में कार्य करते हैं। भारत में करोड़ों। कश्मीर से संबंधित गलत सूचना और दुष्प्रचार व्यापक रूप से प्रचलित है। सीरियाई और इराकी गृहयुद्धों की तस्वीरों के कई उदाहरण हैं, जिन्हें अशांति को बढ़ावा देने और उग्रवाद को समर्थन देने के इरादे से कश्मीर संघर्ष के रूप में पेश किया जा रहा है। अगस्त २०१९ में जम्मू और कश्मीर के अनुच्छेद ३७० के भारतीय निरसन के बाद लोग पीड़ित थे या नहीं, आपूर्ति की कमी और अन्य प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विघटन का पालन किया गया। सीआरपीएफ और कश्मीर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के अलावा अन्य सरकारी हैंडल से क्षेत्र में गलत सूचना और गलत सूचना को बढ़ावा दिया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नकली भड़काऊ समाचार फैलाने वाले खातों को निलंबित करने के लिए ट्विटर को प्राप्त करने में सहायता की। भारतीय सेना और इंडिया टुडे जैसे मीडिया घरानों ने विभिन्न दावों का खंडन किया जैसे कि भारतीय सेना ने घरों को जला दिया, सीमा पार से गोलीबारी में छह कर्मियों की मौत हुई, और कार्यकर्ता शेहला राशिद द्वारा ट्विटर के जरिए लगाए गए यातना के आरोपों की शृंखला। दूसरी ओर, द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया कि नई दिल्ली में अधिकारी क्षेत्र में सामान्यता की भावना दिखा रहे थे, जबकि "कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि बड़े विरोध प्रदर्शन होते रहे"। अखबार ने एक सैनिक रविकांत के हवाले से कहा, "एक दर्जन, दो दर्जन, इससे भी अधिक, कभी-कभी बहुत सारी महिलाओं के साथ भीड़ बाहर आती है, हम पर पथराव करती है और भाग जाती है।" भारत के सर्वोच्च न्यायालय को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा बताया गया था कि "५ अगस्त के बाद सुरक्षा बलों द्वारा एक भी गोली नहीं चलाई गई है", हालांकि बीबीसी ने अन्यथा रिपोर्ट की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को "जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।" सोशल मीडिया पर सेना के जवानों के रूप में प्रस्तुत करने वालों को भारतीय सेना द्वारा झूठी खबर और गलत सूचना बताया गया है। २०१६ के भारतीय नोट विमुद्रीकरण के हिस्से के रूप में भारत ने एक नया २,००० का नोट पेश किया। इसके बाद बैंकनोटों में जोड़े गए "जासूसी तकनीक" के बारे में कई फर्जी खबरें व्हाट्सएप पर वायरल हुईं और सरकार को खारिज करनी पड़ी। नमो [ बेहतरस्रोतजरूरत ]ऐप, भारत के प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी को समर्पित एक ऐप, को प्रचारित करने और फर्जी खबरों को फैलाने की सूचना मिली थी। वितरण के तरीके सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के कारण होने वाली क्षति भारत में इंटरनेट की पहुंच में वृद्धि के कारण बढ़ी है, जो २०१२ में १३.७ करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं से बढ़कर २०१९ में ६० करोड़ से अधिक हो गई है। फेसबुक और ट्विटर के जरिए भी नकली समाचार फैलाई जाती है। नकली समाचार अक्सर अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है और स्थानीय हिंसा के साथ-साथ बड़े पैमाने पर दंगों का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है। २०१३ के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान लव जिहाद साजिश के सिद्धांत को प्रचारित करने वाले और एक फर्जी समाचार वीडियो प्रसारित करने वाले दुष्प्रचार अभियान के माध्यम से बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काई गई थी। सोशल मीडिया की अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा इंटरनेट शटडाउन का उपयोग किया जाता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को अटार्नी जनरल द्वारा आधार को सोशल मीडिया खातों से जोड़ने जैसे सुझाव दिए गए हैं। नवंबर २०१९ में भारतीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन समाचार स्रोतों और सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट की निरंतर निगरानी के द्वारा नकली समाचारों के प्रसार का मुकाबला करने के लिए एक तथ्य जाँच मॉड्यूल स्थापित करने की योजना बनाई। मॉड्यूल "खोजें, आकलन करें, बनाएं और लक्ष्य करें" के चार सिद्धांतों पर काम करेगा। मॉड्यूल शुरू में सूचना सेवा अधिकारियों द्वारा चलाया जाएगा। २०१९ के अंत में प्रेस सूचना ब्यूरो (जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है) ने एक तथ्य-जाँच इकाई की स्थापना की, जो सरकार से संबंधित समाचारों को सत्यापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। कश्मीर में पत्रकारों को बार-बार आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र ओएचसीएचआर के तीन विशेष प्रतिवेदकों ने "आपराधिक प्रतिबंध की धमकी के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में स्थिति पर स्वतंत्र रिपोर्टिंग को बंद करने के पैटर्न" पर चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से पत्रकार गौहर गिलानी, मसरत का उल्लेख किया। ज़हरा, नसीर गनई और पीरज़ादा आशिक और २०१७ में नकली समाचार, डिसइंफॉर्मेशन और प्रोपेगैंडा पर संयुक्त घोषणा में पुष्टि की गई स्थिति को दोहराते हुए कि "झूठी खबर" या "गैर-उद्देश्यपूर्ण जानकारी" सहित अस्पष्ट और अस्पष्ट विचारों के आधार पर सूचना के प्रसार पर सामान्य प्रतिबंध "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ असंगत हैं।" जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने १५ मई २०२० को एक नई मीडिया नीति-२०२० जारी की, जिसमें लिखा था कि "कोई भी व्यक्ति या समूह जो फर्जी समाचार, अनैतिक या राष्ट्र विरोधी गतिविधियों या साहित्यिक चोरी में लिप्त है, उसे कानून के तहत कार्रवाई के अलावा डी-एम्पैनल्ड किया जाएगा"। ईपीडब्ल्यू के लिए लिखते हुए गीता ने लिखा है कि नीति सरकार द्वारा प्रसारित "नागरिकों को सूचना के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता बनाने" के लिए काम करेगी। द इंडियन एक्सप्रेस ने एक संपादकीय प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि "ऐसे समय में जब लोकतांत्रिक राजनीतिक आवाजें गायब हैं" केंद्र शासित प्रदेश में नीति एक "अपमान है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के आख्यान पर नियंत्रण रखना है।" भारतीय प्रेस परिषद ने कहा कि फर्जी खबरों से संबंधित प्रावधान प्रेस के मुक्त कामकाज को प्रभावित करते हैं। रोकने के क्षणयंत्र तथ्य की जाँच करने वाले संगठन बूम, ऑल्ट न्यूज़, फैक्टली और एसएमहोक्सस्लेयर जैसी फैक्ट-चेकिंग वेबसाइटों के निर्माण को ठुकराते हुए भारत में फैक्ट-चेकिंग एक व्यवसाय बन गया है। मीडिया घरानों के पास अब अपने तथ्य-जांच विभाग भी हैं जैसे कि इंडिया टुडे ग्रुप, टाइम्स इंटरनेट के पास टीओआई फैक्टचेक और द क्विंट का वेबकूफ है। इंडिया टुडे ग्रुप, विश्वास.न्यूज, फैक्टली, न्यूजमोबाइल, और फैक्ट क्रेसेंदों (सभी इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क सर्टिफाइड) फैक्ट-चेकिंग में फेसबुक के पार्टनर हैं। केरल के कन्नूर जैसे भारत के कुछ हिस्सों में सरकार ने सरकारी स्कूलों में नकली समाचार कक्षाएं संचालित कीं। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को नकली समाचारों के प्रति लोगों को अधिक जागरूक बनाने के लिए अधिक सार्वजनिक-शिक्षा पहलों का संचालन करना चाहिए। २०१८ में गूगल समाचार ने अंग्रेजी सहित सात आधिकारिक भारतीय भाषाओं में ८००० पत्रकारों को प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया। यह कार्यक्रम, दुनिया में गूगल की सबसे बड़ी प्रशिक्षण पहल है, जो नकली समाचारों और तथ्य-जांच जैसी गलत सूचना विरोधी प्रथाओं के बारे में जागरूकता फैलाएगा। सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा काउंटरमेशर्स भारत में फेसबुक ने बूम और द क्विंट द्वारा वेबकूफ जैसी तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइटों के साथ साझेदारी की है। व्हाट्सएप पर फैली अफवाहों से जुड़ी ३० से अधिक हत्याओं के बाद व्हाट्सएप ने गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय पेश किए, जिसमें उन लोगों की संख्या को सीमित करना शामिल था, जिन्हें एक संदेश भेजा जा सकता था, साथ ही खातों को निलंबित करने जैसे अन्य उपायों के बीच एक टिप-लाइन शुरू की जा सकती थी। और संघर्ष विराम पत्र भेजना। व्हाट्सएप ने प्रासंगिक संदेशों के लिए एक छोटा सा टैग भी जोड़ा , जिसे अग्रेषित किया गया । उन्होंने डिजिटल साक्षरता के लिए एक कोर्स भी शुरू किया और कई भाषाओं में अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापन दिए। ट्विटर ने खातों को हटाने जैसी फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए भी कार्रवाई की है। २०२२ में तमिलनाडु सरकार ने "फर्जी समाचारों और गलत सूचनाओं के ऑनलाइन प्रसार की निगरानी और अंकुश लगाने के लिए" तमिलनाडु पुलिस के तहत एक विशेष सोशल मीडिया निगरानी केंद्र के गठन की घोषणा की। यह सभी देखें प्रतीक सिन्हा (२०१९)। इंडिया मिसइन्फॉर्म्ड: द ट्रू स्टोरी। हार्पर कॉलिन्स इंडिया।आईएसबीएन९७८९३५३०२८३७४ भारत में नकली समाचार
इन्वेस्टर्स ग्रुप फील्ड, विन्निपेग नगर, कनाडा में स्थित एक बहु प्रयोजन स्टेडियम है। यह कैनेडियन फुटबॉल लीग टीम विन्निपेग ब्लू बॉम्बर्स का घरेलू मैदान है। इन्वेस्टर्स ग्रुप फील्ड की आधिकारिक वेबसाइट कैनेडियन फुटबॉल लीग के मैदान
पॊलसनपल्लि (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
दो या दो से अधिक पक्षों के बीच हुए समझौते का दस्तावेज समझौता ज्ञापन (अंग्रेजी: मेमोरंदम ऑफ अन्डरस्टैंडिंग (मू)), कहलाता है। समझौता ज्ञापन में एक साझा कार्यक्रम की रूपरेखा के साथ साथ-साथ काम करने के निश्चय की बात लिखी गयी होती है। यह एक विधिक पत्र है। इसका महत्व उस स्थिति में होता है जब कोई पक्ष किये गये वचनों के अनुसार कार्य नहीं कर रहा हो तो दूसरा पक्ष न्यायालय में जा सकता है।
उत्तर मालुकू, जो इण्डोनेशियाई भाषा में मालुकू उतारा कहलाता है, दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के मालुकू द्वीपसमूह के उत्तरी भाग में स्थित एक प्रान्त है। इसकी राजधानी छोटे-से हालमाहेरा द्वीप पर स्थित सोफ़ीफ़ी शहर है। तेरनाते द्वीप इसी प्रान्त में शामिल है। इन्हें भी देखें इंडोनेशिया के प्रांत इंडोनेशिया के प्रांत
टाहो झील (अंग्रेजी: लेक तहोए), संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएरा नेवादा में एक बड़ी मीठे पानी की झील है। ६,२२५ फीट (१,८९७ मीटर) की ऊँचाई पर स्थित, यह कार्सन सिटी के पश्चिम में कैलिफ़ोर्निया और नेवादा के बीच की राज्य रेखा का निर्माण करती है। ताहो झील उत्तरी अमेरिका की सबसे बड़ी अल्पाइन झील है, और १22,१६0,२८० एकड़फुट (१50.७ वर्गकिमी) के क्षेत्रफल के साथ यह संयुक्त राज्य अमेरिका में केवल पांच महान झीलों से पीछे है। इसकी गहराई १,६45 फीट (50१ मीटर) है, जो इसे ओरेगन में क्रेटर लेक (१,९४९ फीट या ५९४ मीटर) के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका की दूसरी सबसे गहरी झील बनाती है। झील का निर्माण लगभग बीस लाख साल पहले टाहो बेसिन झील के हिस्से के रूप में हुआ था, जबकि आधुनिक विस्तार ने हिमयुग के दौरान आकार लिया। इसे इसके स्वच्छ जल और चारों तरफ स्थित पहाड़ों से मिली सुन्दरता के लिए जाना जाता है। झील के आसपास के क्षेत्र को भी टाहो झील या केवल टाहो के नाम से भी जाना जाता है। झील का ७५% से अधिक जल क्षेत्र राष्ट्रीय वन भूमि है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका की वन सेवा की टाहो झील बेसिन प्रबंधन इकाई शामिल है। नेवादा और कैलिफोर्निया दोनों में झील टाहो एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह सर्दियों के खेल, गर्मियों के आउटडोर मनोरंजन और पूरे साल आनंद देने वाले नज़ारों का घर है। स्नो और स्की रिसॉर्ट क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और प्रतिष्ठा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नेवादा की तरफ बड़े कैसीनो स्थित है, और राजमार्ग पूरे क्षेत्र में साल भर पहुंच प्रदान करते हैं।
यह बाँध अफ्रीका के बोत्सवाना के थुने नदी पर बना है। यह बाँध निर्माणाधीन है। इसकी लम्बाई १.७ किमी और ऊँचाई ३६.६ मीटर होगी। इसका पानी गाँव गाँव में सप्लाई किया जायेगा। अफ्रीका के बाँध
यह उन्नाव जिले का एक गांव है, जहाँ हिंदी के प्रख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ था।
मौखरि वंश का शासन गुप्त राजवंश के पतन के बाद स्थापित हुआ था। गया जिले के निवासी मौखरि लोग जो चक्रवर्ती गुप्त राजवंश के समय गुप्तवंश के लोगों के सामन्त थे। मौखरि वंश के लोग उत्तर प्रदेश के कन्नौज में तथा राजस्थान के बड़वा क्षेत्र में तीसरी सदी में फैले हुए थे। मौखरि वंश के शासकों को उत्तर गुप्त वंश के चौथे शासक कुमारगुप्त के साथ युद्ध हुआ था जिसमें ईशान वर्मा ने मौखरि वंश से मगध को छीन लिया था। मौखरि वंश के सामन्त ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई। कन्नौज का प्रथम मौखरि वंश का सामन्त हरिवर्मा था। उसने ५१० ई. में शासन किया था। उसका वैवाहिक सम्बन्ध उत्तर वंशीय राजकुमारी हर्षगुप्त के साथ हुआ था। ईश्वर वर्मा का विवाह भी उत्तर गुप्त वंशीय राजकुमारी उपगुप्त के साथ हुआ था। यह कन्नौज तक ही सीमित रहा। यह राजवंश तीन पीढ़ियों तक चलता रहा। हरदा लेख से स्पष्ट होता है कि सूर्यवर्मन, ईशानवर्मन का छोटा भाई था। अवंति वर्मा सबसे शक्तिशाली तथा प्रतापी राजा था। इसके बाद मौखरि वंश का अन्त हो गया। डॉक्टर जायसवाल के अनुसार मौखरी वर्तमान गया जिले मे बसी हुई मौहरी जाति के पूर्वज थे। आज मौहरी वैश्यजातीय हैं परन्तु हरहा अभिलेख से पता चलता है की मौखरी छत्रिय थे। गया के मौखरी कान्यकुब्ज के मौखरी का भी उल्लेख मिलता है जिसमे हरीवर्मा ,आदित्यवर्मा , ईश्वरवर्मा के नाम मिलते हैं इन्हें भी देखें बिहार का इतिहास बिहार के राजवंश भारत का इतिहास
गदनपुर वक्त कायमगंज, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। फर्रुखाबाद जिला के गाँव
८८२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
विभक्ति का शाब्दिक अर्थ है - ' विभक्त होने की क्रिया या भाव' या 'विभाग' या 'बाँट'। व्याकरण में शब्द (संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण) के आगे लगा हुआ वह प्रत्यय या चिह्न विभक्ति कहलाता है जिससे पता लगता है कि उस शब्द का क्रियापद से क्या संबंध है। संस्कृत व्याकरण के अनुसार नाम या संज्ञाशब्दों के बाद लगनेवाले वे प्रत्यय 'विभक्ति' कहलाते हैं जो नाम या संज्ञा शब्दों को पद (वाक्य प्रयोगार्थ) बनाते हैं और कारक परिणति के द्वारा क्रिया के साथ संबंध सूचित करते हैं। प्रथमा, द्वितीया, तृतीया आदि विभक्तियाँ हैं जिनमें एकवचनं (सिंगुलार), द्विवचनं, बहुवचनतीन बचन होते है। पाणिनीय व्याकरण में इन्हें 'सुप' आदि २७ विभक्ति के रूप में गिनाया गया है। संस्कृत व्याकरण में जिसे 'विभक्ति' कहते है, वह वास्तव में शब्द का रूपांतरित अंग होता है। जैसे,रामेण, रामाय इत्यादि। आजकल की प्रचलित हिन्दी की खड़ी बोली में इस प्रकार की (संस्कृत की तरह की) विभक्तियाँ प्रायः नहीं हैं, केवल कर्म और सप्रदान कारक के सर्वनामों में विकल्प से आती हैं। जैसे,मुझे, तुझे, इन्हें इत्यादि। खड़ी बोली में बल्कि संज्ञाओं की तीन कारक हेलो में विभक्ति होती है:- अविकारी, इतर और संबोधन। नीचे दिया गया श्लोक रामरक्षास्त्रोत्र में आया है और इसे विभक्ति समझाने के लिये उपयोग किया जाता है। इसमें 'राम' शब्द के आठ रूप आये हैं जो क्रमशः आठों विभक्तियों के एकवचन के रूप हैं। रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे। रामेण अभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः। रामात् नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहम्। रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम ! मामुद्धर।। इन्हें भी देखें
सान जुआन दे रबानेरा का गिरजाघर (स्पेनी भाषा में: इग्लेसिया दे सन जुआन दे रबनेरा) एक गिरजा है जो सोरिया, स्पेन में मौजूद है। इसे बिएन दे इंतेरेस कल्चरल की सूची में १९२९ में शामिल किया गया था। स्पेन के गिरजाघर स्पेन के स्मारक
महमद तृतीय (, महमद-इ सालिस; ; २६ मई १५६६२१ दिसम्बर १६०३)</स्पैन> १५९५ से अपनी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान थे। वे अपने पिता मुराद तृतीय की जगह सुल्तानी तख़्त पर आसीन हुए। उस्मानिया साम्राज्य में तख़्त पर आसीन होने के साथ ही "भ्रातृवध" की विवादस्पद परंपरा के आग़ाज़ सुल्तान महमद फ़ातिह के दौर में हुआ और आहिस्ता-आहिस्ता यह परंपरा ज़ोर पकड़ती गई। इसकी बुनियादी वजह नए सुल्तान के लिए बग़ावत के ख़तरों को कम करना था और महमद तृतीय तख़्त पर आसीन होने के तुरन्त बाद भ्रातृवध के इस सिलसिले में, ने उनके २७ भाईयों का वध किया। इसके साथ-साथ उन्होंने अपनी बीस से ज़्यादा बहनों को भी वध किया। वे शासन करने में कोई रुचि नहीं रखते थे और तमाम राजनैतिक अधिकार उनकी माँ सफ़िया सुल्तान के हाथों में थे। इनके दौर की महत्वपूर्ण घटना हंगरी में ऑस्ट्रिया और उस्मानियों के दरमियान युद्ध था जो १५९६ से १६०५ तक जारी रहा था। युद्ध में उस्मानियों की पराजय के कारण से सुल्तान को सेना की अगुवाई ख़ुद संभालनी पड़ी और वे सुलेमान प्रथम के बाद युद्धक्षेत्र में उतरने वाले पहले उस्मानी शासक थे। इनकी सेना ने १५९६ में एगेर पर विजय प्राप्त की और केरेसत्ज़ेस की लड़ाई में हाब्सबर्ग और ट्रांसिल्वेनिया की सेनाओं को हरा दी। अगले साल सुल्तान के वैद्यों ने उनकी बिगड़ती सेहत की वजह से उनको युद्धक्षेत्र में उतरने से मना कर दिया। उस्मानी साम्रज्य के सुल्तान १५६६ में जन्मे लोग १६०३ में निधन
मखदूम शरफुद्दीन अहमद बिन याह्या मनेरी, जिन्हें मखदूम-उल-मुल्क बिहारी और मखदूम-ए-जहां (१२६३-१३८१) के नाम से जाना जाता है। ), १३वीं सदी के सूफी फकीर थे । शेख शरफुद्दीन अहमद का जन्म जुलाई १२६४ ईस्वी (शाबान ६६१ एएच) को बिहार में पटना के पास एक गांव मनेर में हुआ था। उनके पिता मखदूम कमालुद्दीन याह्या मनेरी बिन इज़राइल बिन ताज फकीह अल-खलील (फिलिस्तीन) से थे, जो मनेर के एक सूफी संत थे। उनकी मृत्यु १३८१ ई. (६ शव्वाल, ७८२ हिजरी) में हुई।
कल्मार लैन (स्वीडी: कलमार लन, अंग्रेज़ी: कलमार) स्वीडन का एक लैन है। 'लैन' स्वीडन का उच्च-स्तरीय प्रशासनिक विभाग होता है, जिसे कभी-कभी 'काउंटी' भी कहते हैं। इन्हें भी देखें स्वीडन की काउंटियाँ स्वीडन की काउंटियाँ