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20231101.hi_853039_8
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साप्पोरो
2010 में, ग्रेटर साप्पोरो, साप्पोरो महानगरीय क्षेत्र (2.3 मिलियन आबादी) का कुल सकल घरेलू उत्पाद 84.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
0.5
63.952991
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साप्पोरो
2006 तक, साप्पोरो में पर्यटकों की वार्षिक संख्या 14,104,000 तक पहुंच गई, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 5.9% की वृद्धि के साथ(2005 में 13,323,000) थी। 2006 ही पहला वर्ष था कि साप्पोरो आने वाले पर्यटकों की संख्या 14 मिलियन से भी अधिक थी।
0.5
63.952991
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साप्पोरो
यहाँ, आधुनिक कला के होक्काइदो संग्रहालय, साप्पोरो आर्ट पार्क, मोरेमामा पार्क, मिलिशी कोटरो आर्ट संग्रहालय, हांगो शाइन मेमोरियल मूर्तिकला संग्रहालय, मियानोमोरी कला संग्रहालय, साप्पोरो अंतर्राष्ट्रीय कला महोत्सव जैसे कई आर्कषण के केन्द्र हैं।
0.5
63.952991
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साप्पोरो
ऐतिहासिक स्थलों में होक्काइदो के पूर्व सरकारी कार्यालय की इमारत, साप्पोरो क्लॉक टॉवर, होकाइदो श्राइन और साप्पोरो टीवी टॉवर आदि शामिल हैं।
0.5
63.952991
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वरतन्तु
इतना कह कर महर्षि वरतन्तु का शिष्य कौत्स खड़ा हो गया और वहाँ से जाने लगा। यह देख, राजा रघु ने उसे रोक कर थोड़ी देर ठहरने की प्रार्थना की। राजा ने कहा-
0.5
62.368626
20231101.hi_1341216_10
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वरतन्तु
"हे पण्डितवर ! आप यह तो बता दीजिए कि गुरु-दक्षिणा में कौन सी वस्तु आप अपने गुरु को देना चाहते हैं और कितनी देना चाहते हैं।
0.5
62.368626
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वरतन्तु
यह सुन कर, इतने बड़े विश्वजित् नामक यज्ञ को यथाविधि करने पर भी जिसे गर्व छू तक नहीं गया, और जिसने ब्राह्मण आदि चारों वर्णों तथा ब्रह्मचर्य आदि चारों आश्रमों की रक्षा का भार अपने ऊपर लिया है उस राजा रघु से उस चतुर ब्रह्मचारी ने अपना गुरु-दक्षिणा-सम्बन्धी प्रयोजन, इस प्रकार, स्पष्ट शब्दों में कहना प्रारम्भ किया। उसने कहा:-
0.5
62.368626
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वरतन्तु
"जब मेरा विद्याध्ययन हो चुका- जो कुछ मुझे पढ़ना था सब मैं पढ़ चुका- तब मैंने आचार्य वरतन्तु से प्रार्थना की कि आप कृपा करके गुरु-दक्षिणा के रूप में मेरी कुछ सेवा स्वीकार करें। परन्तु महर्षि के आश्रम में रह कर मैंने बड़े ही भक्ति-भाव से उसकी सेवा की थी। इससे वे मुझ पर पहले ही से बहुत प्रसन्न थे। अतएव, बिदा होते समय, मेरी प्रार्थना के उत्तर में उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि तेरी अकृत्रिम भक्ति ही से मैं सन्तुष्ट हूँ; मुझे गुरु-दक्षिणा नहीं चाहिए। परन्तु मैंने हठ की। गुरु-दक्षिणा स्वीकार करने के लिए मेरे बार-बार प्रार्थना करने पर प्राचार्य को क्रोध हो आया। इस कारण, मेरी दरिद्रता का कुछ भी विचार न करके, उन्होंने यह आज्ञा दी कि मैंने जो तुझे चौदह विद्यायें सिखाई हैं उनमें से एक एक विद्या के बदले एक एक करोड़ रुपया ला दे। यही चौदह करोड़ रुपया माँगने के लिए मैं आप के पास आया था। परन्तु, मेरा सत्कार करने के समय आपने मिट्टी के जिन पात्रों का उपयोग किया उन्हें देख कर ही मैं अच्छी तरह समझ गया हूँ कि इस समय आप के पास प्रभुता का सूचक "प्रभु" शब्द मात्र शेष रह गया है। सम्पत्ति के नाम से और कुछ भी आप के पास नहीं। फिर,महर्षि वरतन्तु से प्राप्त की गई चौदह विद्याओं का बदला भी मुझे थोड़ा नहीं देना ! अतएव इतनी बड़ी राशि आप से माँगने के लिए मेरा मन गवाही नहीं देता। मैं, इस विषय में, आपसे आग्रह नहीं करना चाहता ।"
0.5
62.368626
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वरतन्तु
जिसके शरीर की कान्ति चन्द्रमा की कान्ति के समान आनन्ददायक थी, जिसकी इन्द्रियों का व्यापार पापाचरण से पराङ्मुख था, जिसने कभी कोई पापकर्म नहीं किया था- ऐसे सार्वभौम राजा रघु ने, वेदार्थ जानने वाले विद्वानों में श्रेष्ठ, कौत्स, ऋषि की पूर्वोक्त विज्ञप्ति सुन कर, यह उत्तर दिया:--
1
62.368626
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वरतन्तु
"आपका कहना ठीक है; परन्तु मैं आपको विफल-मनोरथ होकर लौट नहीं जाने दे सकता। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा ! सारे शास्त्रों का जानने वाला कौत्स ऋषि, अपने गुरु को दक्षिणा देने के लिए, याचक बन कर आया; परन्तु रघु उसका मनोरथ सिद्ध न कर सका। इससे लाचार होकर उसे अन्य दाता के पास जाना पड़ा। इस तरह के लोकापवाद से मैं बहुत डरता हूँ। मैं, अपने ऊपर, ऐसे अपवाद के लगाये जाने का मौका नहीं देना चाहता। इस कारण, आप मेरी पवित्र और सुन्दर अग्निहोत्र-शाला में -जहाँ आहवनीय, गार्हपत्य और दक्षिण, ये तीनों अग्नि निवास करते हैं- दो तीन दिन, मूर्तिमान चौथे अग्नि की तरह, ठहरने की कृपा करें। मान्यवर, तब तक मैं आपका मनोरथ सिद्ध करने के लिए, यथाशक्ति, उपाय करना चाहता हूँ।"
0.5
62.368626
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वरतन्तु
यह सुन कर वह ब्राह्मण श्रेष्ठ बहुत प्रसन्न हुआ। उसने कहा:- "बहुत अच्छा। महाराज, आप सत्यप्रतिज्ञ हैं। आपकी आज्ञा मुझे सर्वथा मान्य है।" यह कह कर वह ऋषि राजा रघु की यज्ञ-शाला में जा ठहरा।
0.5
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वरतन्तु
इधर राजा रघु ने सोचा कि पृथ्वी-मण्डल में जितना द्रव्य था वह तो मैं, दिग्विजय के समय, प्रायः सभी ले चुका। थोड़ा बहुत जो रह गया है उसे भी ले लेना उचित नहीं। अतएव, कौत्स के निमित्त द्रव्य प्राप्त करने के लिए कुवेर पर चढ़ाई करनी चाहिए। इस प्रकार मन में सङ्कल्प करके उसने धनाधिप से ही चौदह करोड़ रुपया वसूल करने का निश्चय किया। कुवेर तक पहुँचना और उसे युद्ध में परास्त करना रघु के लिए कोई बड़ी बात न थी। महामुनि वशिष्ठ ने पवित्र-मन्त्रोच्चारण-पूर्वक रधु पर जो जल छिड़का था, उसके प्रभाव से राजा रघु का सामर्थ्य बहुत ही बढ़ गया था। बड़े बड़े पर्वतों के शिखरों पर, दुस्तर महासागर के भीतर, यहाँ तक कि आकाश तक में भी-वायु से सहायता पाये हुए मेघ की गति के समान-उसके रथ की गति थी। कोई जगह ऐसी न थी जहाँ उसका रथ न जा सकता हो।
0.5
62.368626
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वरतन्तु
राजा रघु ने कुवेर को एक साधारण माण्डलिक राजा समझ कर, अपने पराक्रम से उसे परास्त करने का निश्चय किया। अतएव उस महाशू-वीर और गम्भीर राजा ने, सायं काल, अपने रथ को अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित किया; और, प्रातःकाल, उठ कर प्रस्थान करने की इच्छा से रात को उसी के भीतर शयन भी किया। परन्तु प्रभात होते ही उसके कोशागार के सन्तरी दौड़े हुए उसके पास आये। उन्होंने आकर निवेदन किया कि महाराज, एक बड़े ही आश्चर्य की बात हुई है। आपके कोष में रात को आकाश से सोने की वृष्टि हुई है। यह समाचार पा कर राजा समझ गया कि देदीप्यमान सुवर्ण-राशि की यह वृष्टि धनाधिप कुवेर ही की कृपा का फल है। उसी ने यह सोना आसमान से बरसाया है। अतएव, अब उस पर चढ़ाई करने की आवशयकता नहीं। इन्द्र के वज्राघात से कट कर भूमि पर गिरे हुए सुमेरु-पर्वत के शिखर के समान, आकाश से गिरा हुआ, सुवर्ण का वह सारा का सारा ढेर, उसने कौत्स को दे डाला।
0.5
62.368626
20231101.hi_1022558_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80
पुमोरी
1982 में पुमोरी पर चढ़ने वाले एक समूह ने एवरेस्ट के आस पास एक स्की-हाइक भी किया। जिम ब्रिजवेल ने पुमोरी पर चढ़ाई अभियान का नेतृत्व किया।
0.5
61.849833
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पुमोरी
13 अक्टूबर 1974 "पश्चिमी दीवार’’ नया मार्ग अल्पाइन क्लब अनपो, जापान द्वारा शिखर पर पहुंचे मिनोरू ताकगी और नोबुयाकी कानेको।
0.5
61.849833
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पुमोरी
3 दिसंबर 1986 पुर्वी दीवार तीन दिनों में हिरोशी आटा और योशिकी शेषारा (जापान) द्वारा नया मार्ग, के द्वारा शिखर पर पहुंचे।
0.5
61.849833
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पुमोरी
1986 1985 कैटलन रूट पुर्वी दीवार पर, टॉड बाइबलर द्वारा एकल प्रयास द्वारा 5 दिसंबर को शिखर पर पहुंचा।
0.5
61.849833
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पुमोरी
2002 एक ईरानी अभियान से तीन महिलाएं (लीला बहरामि, मित्रा नाज़री, और फ़ारेन्धेश) 20 अक्टूबर को दक्षिण पूर्व के मुख से होते हुए पूर्व की ओर पहुंचीं। शेरपा ने दो बार टीम के लिए रास्ता खोलना बंद कर दिया क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि महिलाएँ कठिनाइयों का प्रबंधन कर सकती हैं।
1
61.849833
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पुमोरी
अक्टूबर 1988 के अंत में दो आइसलैंडिक पर्वतारोहियों की मृत्यु हो गई उन्हें 30 साल बाद, नवंबर 2018 में एक अमेरिकी पर्वतारोही द्वारा खोज पाया गया।
0.5
61.849833
20231101.hi_1022558_10
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पुमोरी
1989 में पुमोरी पर हिमस्खलन में चार स्पेनिश पर्वतारोहियों की एक टीम की मृत्यु हो गई थी।और फिर सितंबर 2001 में एक और स्पेनिश टीम को हिमस्खलन में मृत्यु हो गई थी।
0.5
61.849833
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पुमोरी
19 अक्टूबर 2002 को, पांच बास्क पर्वतारोहियों को सेराक उनके ऊपर गिरने वाले हिमस्खलन की वजह से दक्षिण-पूर्व में 600-800 मीटर नीचे बह गया।
0.5
61.849833
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पुमोरी
25 अप्रैल 2015 को नेपाल भूकंप। 7.8 एम और एवरेस्ट बेस कैंप। मैं एक गवाह ने इसे "पुमोरी से आने वाला एक विशाल हिमस्खलन" के रूप में वर्णित किया। हिमस्खलन ने खुम्बू ग्लेशियर के हिस्से और एवरेस्ट बेस कैंप कम से कम 19 लोग मारे गए थे।
0.5
61.849833
20231101.hi_857641_2
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नाकर
कडवुं ६ में अंजना हनुमान से रामकथा सुनाने को कहती हैं। हनुमान क्रौंचवध और इक्ष्वाकु की वंशावली कहते हैं।
0.5
61.285762
20231101.hi_857641_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0
नाकर
ऋषिश्रंग की कथा, दशरथ का यज्ञ, राम जन्म, विश्वामित्र का आगमन, वेदवती की कथा, सीता जन्म, धनुभंग, सीताविवाह की कथा हैं।
0.5
61.285762
20231101.hi_857641_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0
नाकर
इसमें १७ कडवे हैं जो राम सुग्रीव की मित्रता , राम की परीक्षा हेतु सुग्रीव द्वारा राम को 'अगस्ति पर्वत' उठाने को कहना, राम द्वारा उसे उठाना, सीता की खोज हेतु वानरों का प्रयाण, राम का हनुमान को मुद्रिका देना की कथा बताते हैं।
0.5
61.285762
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नाकर
इसमें सभी रामायण अनुसार है केवल जब मेधनाद सर्पास्त्र छोडता है तब नारद आकर राम से गरुड़ के आह्वान का सूचन देते हैं।
0.5
61.285762
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नाकर
अन्य कडवो मे द्रौपदी वस्त्राहरण, पांडवो का निर्वासन, द्रौपदी द्वारा कृष्ण की कटी अंगुली पर पट्टी बांधना ईत्यादि कथा हैं।
1
61.285762
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नाकर
प्रथम ३० कडवो मे संजय द्वारा सेना की संख्या, राजाओं के नाम, अर्जुन का विषाद, भगवद्गीता और दो दिनों के युद्ध का वर्णन हैं और इसका अंत भीष्म की शरशैया से होता हैं।
0.5
61.285762
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0
नाकर
सौप्तिकपर्व मे अश्वस्थामा शिव स्तुति कर पांडवो के पुत्र का वध होता हैं और पांडवों द्वारा अश्वत्थामा से मणि छीन कर द्रौपदी को प्रसन्न करने की कथा हैं।
0.5
61.285762
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0
नाकर
यहां केवल एक परिवर्तन है की कृष्ण जब पांडवो के साथ स्नान करने जाते हैं तब पांडवपुत्र जाने से मना करते हैं जिससे अश्वत्थामा उनकी हत्या करते हैं।
0.5
61.285762
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नाकर
इसमें धृतराष्ट्र द्वारा भीम की मूर्ति भंग करना, गांधारी का विलाप और शाप एवं कुंती द्वारा कर्णजन्म का रहस्य कहने की कथा हैं।
0.5
61.285762
20231101.hi_59996_28
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%B8%E0%A4%B8
अल-क़सस
28|25|फिर उन दोनों में से एक लजाती हुई उसके पास आई। उसने कहा, "मेरे बाप आपको बुला रहे हैं, ताकि आपने हमारे लिए (जानवरों को) जो पानी पिलाया है, उसका बदला आपको दें।" फिर जब वह उसके पास पहुँचा और उसे अपने सारे वृत्तान्त सुनाए तो उसने कहा, "कुछ भय न करो। तुम ज़ालिम लोगों से छुटकारा पा गए हो।"
0.5
61.115863
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अल-क़सस
28|26|उन दोनों स्त्रियों में से एक ने कहा, "ऐ मेरे बाप! इसको मज़दूरी पर रख लीजिए। अच्छा व्यक्ति, जिसे आप मज़दूरी पर रखें, वही है जो बलवान, अमानतदार हो।"
0.5
61.115863
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अल-क़सस
28|27|उसने कहा, "मैं चाहता हूँ कि अपनी इन दोनों बेटियों में से एक का विवाह तुम्हारे साथ इस शर्त पर कर दूँ कि तुम आठ वर्ष तक मेरे यहाँ नौकरी करो। और यदि तुम दस वर्ष पूरे कर दो, तो यह तुम्हारी ओर से होगा। मैं तुम्हें कठिनाई में डालना नहीं चाहता। यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम मुझे नेक पाओगे।"
0.5
61.115863
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अल-क़सस
28|28|कहा, "यह मेरे और आपके बीच निश्चय हो चुका। इन दोनों अवधियों में से जो भी मैं पूरी कर दूँ, तो तुझपर कोई ज़्यादती नहीं होगी। और जो कुछ हम कह रहे हैं, उसके विषय में अल्लाह पर भरोसा काफ़ी है।"
0.5
61.115863
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अल-क़सस
28|29|फिर जब मूसा ने अवधि पूरी कर दी और अपने घरवालों को लेकर चला तो तूर की ओर उसने एक आग-सी देखी। उसने अपने घरवालों से कहा, "ठहरो, मैंने एक आग का अवलोकन किया है। कदाचित मैं वहाँ से तुम्हारे पास कोई ख़बर ले आऊँ या उस आग से कोई अंगारा ही, ताकि तुम ताप सको।"
1
61.115863
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अल-क़सस
28|30|फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो दाहिनी घाटी के किनारे से शुभ क्षेत्र में वृक्ष से आवाज़ आई, "ऐ मूसा! मैं ही अल्लाह हूँ, सारे संसार का रब!"
0.5
61.115863
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%B8%E0%A4%B8
अल-क़सस
28|31|और यह कि "डाल दे अपनी लाठी।" फिर जब उसने देखा कि वह बल खा रही है जैसे कोई साँप हो तो वह पीठ फेरकर भागा और पीछे मुड़कर भी न देखा। "ऐ मूसा! आगे आ और भय न कर। निस्संदेह तेरे लिए कोई भय की बात नहीं
0.5
61.115863
20231101.hi_59996_35
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%B8%E0%A4%B8
अल-क़सस
28|32|अपना हाथ अपने गिरेबान में डाल। बिना किसी ख़राबी के चमकता हुआ निकलेगा। और भय के समय अपनी भुजा को अपने से मिलाए रख। ये दो निशानियाँ है तेरे रब की ओर से फ़िरऔन और उसके दरबारियों के पास लेकर जाने के लिए। निश्चय ही वे बड़े अवज्ञाकारी लोग हैं।"
0.5
61.115863
20231101.hi_59996_36
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%B8%E0%A4%B8
अल-क़सस
28|33|उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझसे उनके एक आदमी की जान गई है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे
0.5
61.115863
20231101.hi_1094957_12
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होकुसाई
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0.5
60.435139
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1
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60.435139
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60.435139
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0.5
60.435139
20231101.hi_898640_21
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%AE
आइटेनीयम
नई जानकारी मल्टीथ्रेडिंग, लचीलापन सुधार (इंटेल इंस्ट्रक्शन रीप्ले आरएएस) और कुछ नए निर्देशों (थ्रेड प्राथमिकता, पूर्णांक निर्देश, कैश प्रीफेचिंग, और डेटा एक्सेस संकेत) में सुधार प्रस्तुत करती है।
0.5
59.676325
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%AE
आइटेनीयम
इंटेल के उत्पाद परिवर्तन अधिसूचना (पीसीएन) 111456-01 में आइटेनीयम 9500 शृंखला सीपीयू के चार मॉडल सूचीबद्ध हैं, जिन्हें बाद में संशोधित दस्तावेज़ में हटा दिया गया था। बाद में भागों को इंटेल की सामग्री घोषणा डेटा शीट्स (एमडीडीएस) डेटाबेस में सूचीबद्ध किया गया था। इंटेल ने बाद में आइटेनीयम 9500 संदर्भ पुस्तिका पोस्ट की।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%AE
आइटेनीयम
2012 हेवलेट-पैकार्ड कंपनी वी। ओरेकल कॉर्प समर्थन मुकदमे के दौरान, सांता क्लारा काउंटी कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा अदालत के दस्तावेजों से पता चला कि 2008 में, हेवलेट-पैकार्ड ने 2009 से आइटेनीयम माइक्रोप्रोसेसरों के उत्पादन और अद्यतन को बनाए रखने के लिए इंटेल को $ 440 मिलियन का भुगतान किया था। 2014 में, दोनों कंपनियों ने 250 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसने इंटेल को 2017 तक एचपी की मशीनों के लिए आइटेनीयम सीपीयू बनाने के लिए बाध्य किया। समझौते की शर्तों के तहत, एचपी को इंटेल से चिप्स के लिए भुगतान करना पड़ता है, जबकि इंटेल ने टुकविला लॉन्च किया , पॉलसन, किटसन, और किटसन + चिप्स धीरे-धीरे प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए होड़ लगाते हैं।
0.5
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आइटेनीयम
पॉलसन के उत्तराधिकारी (कोड नाम किटसन) की अफवाहें 2012-2013 में फैलनी शुरू हुईं। यह पहली बार आने वाले 22 एनएम सिकुड़ से जुड़ा हुआ था, और बाद में इसे कम-महत्वाकांक्षी 32 एनएम नोड तक आइटेनीयम की बिक्री में गिरावट के चेहरे में संशोधित किया गया था। अप्रैल 2015 में, इंटेल, हालांकि उसने अभी तक औपचारिक विनिर्देशों की पुष्टि नहीं की थी, इस बात की पुष्टि की कि यह परियोजना पर काम करना जारी रखा है। इस बीच, आक्रामक मल्टीकोर ज़ीऑन ई 7 मंच ने इंटेल रोडमैप में आइटेनीयम-आधारित समाधानों को विस्थापित कर दिया।
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आइटेनीयम
जुलाई 2016 में, हेवलेट पैकार्ड एंटरप्राइज (एचपीई) नामक एचपी स्पिनऑफ नेकंप्यूटर वर्ल्ड में घोषणा की कि किटसन को 2017 के मध्य में रिलीज़ किया जाएगा। [55] [56] फरवरी 2017 में, इंटेल ने बताया कि वह उस वर्ष के बाद वॉल्यूम में शिप करने की योजना के साथ, ग्राहकों का परीक्षण करने के लिए किटसन भेज रहा था।
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आइटेनीयम
इंटेल ने आधिकारिक तौर पर 11 मई, 2017 को आइटेनीयम 9700 शृंखला प्रोसेसर परिवार लॉन्च किया। विशेष रूप से, किटसन में पोल्सन पर से कोई माइक्रोआर्किटेक्चर सुधार नहीं है, केवल उच्च गति की घड़ी है।
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आइटेनीयम
सर्वर प्रोसेसर के ज़ीऑन परिवार की तुलना में, आइटेनीयम इंटेल के लिए उच्च मात्रा वाला उत्पाद कभी नहीं रहा है। इंटेल उत्पादन संख्या जारी नहीं करता है। एक उद्योग विश्लेषक ने अनुमान लगाया कि 2007 में उत्पादन दर सालाना 200,000 प्रोसेसर थी।
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आइटेनीयम
गार्टनर इंक के अनुसार, 2007 में सभी विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले आइटेनीयम सर्वर (प्रोसेसर नहीं) की कुल संख्या लगभग 55,000 थी। (यह स्पष्ट नहीं है कि क्लस्टर सर्वर एक सर्वर के रूप में गिना जाता है या नहीं।) यह 417,000 आरआईएससी सर्वर (सभी आरआईएससी विक्रेताओं में फैला हुआ) और 8.4 मिलियन x86 सर्वरों के साथ तुलना करता है। आईडीसी रिपोर्ट करता है कि कुल 184,000 आइटेनीयम-आधारित सिस्टम 2001 से 2007 तक बेचे गए थे। संयुक्त पावर / एसपीएआरसी / आइटेनीयम सिस्टम बाजार के लिए, आईडीसी रिपोर्ट करता है कि पॉवर ने 42% राजस्व पर कब्जा कर लिया और एसपीएआरसी ने 32% पर कब्जा कर लिया, जबकि आइटेनीयम आधारित सिस्टम राजस्व 2008 की दूसरी तिमाही में 26% तक पहुंच गया। एक आईडीसी विश्लेषक के अनुसार, 2007 में, एचपी ने आइटेनीयम सिस्टम राजस्व का शायद 80% हिस्सा लिया था। गर्टनर के अनुसार, 2008 में, एचपी ने आइटेनीयम की बिक्री के 95% के लिए जिम्मेदार ठहराया। 2008 के अंत में एचपी की आइटेनीयम प्रणाली की बिक्री 4.4 बिलियन डॉलर की वार्षिक दर से थी, और 2009 के अंत तक 3.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई, सन माइक्रोसिस्टमस के लिए यूनिक्स सिस्टम राजस्व में 35% की गिरावट और आईबीएम 11% की गिरावट के मुकाबले, इस अवधि के दौरान x86-64 सर्वर राजस्व में 14% की वृद्धि हुई।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%AE
आइटेनीयम
दिसंबर 2012 में, आईडीसी ने एक शोध रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया था कि आइटेनीयम सर्वर शिपमेंट 2016 के माध्यम से 26,000 सिस्टम (2008 में शिपमेंट की तुलना में 50% से अधिक की गिरावट के साथ) के साथ सपाट रहेगा।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
कनौंणी नाम की उत्पति कनौंणियॉं शब्द से हुई है, अर्थात कनौंणियॉं नामक उपनाम के लोगों की रिहायस। प्राचीन इतिहास के अनुसार, जैसा कि अाज भी उत्तराखंड के इतिहासकार तथा गेवाड़ घाटी के अधिकॉश अनुभववेत्ता इस इतिहास से भली भॉति सहमत हैं। तल्ला गेवाड़ के सूर्यवंशी ठाकुर मेलदेव कनौणियॉं बिष्ट ने स्वेच्छा से अपने राज्य को कई हिस्सों में विभाजित किया था। जिनमें से कुछों के साक्ष्य स्पष्ट हैं। जैसा कि अपने चार पुत्रों और एक पुत्री में। यानि पॉच भागों में विभाजन। पहला विभाजन शीर्ष पुत्र को यह है रामगंगा के पश्चिमी ओर का दक्षिणी भू भाग (कनौंणी), दूसरा विभाजन दूसरे पुत्र को यह है रामगंगा के पश्चिमी ओर का उत्तरी क्षेत्र (डॉंग), तीसरा विभाजन तीसरे पुत्र को यह है रामगंगा के पूर्व में राज्य का दक्षिणी भू भाग (काला चौना), चौथा विभाजन चौथे पुत्र को रामगंगा के पश्चिम की ओर आदीग्राम बंगाारी और आदीग्राम फुलोरिया के बीच का पठार (आदीग्राम कनौणियॉं ) तथा पॉचवांं विभाजन यह है रामगंगा के पूर्वी छोर से लगा उत्तर में आदीग्राम कनौणियॉं के सामने से लेकर काला चौना की सीमा रेखा तक का भू भाग, यह दिया अपनी पुत्री को। जो आज मॉंसी के नाम से प्रसिद्ध है।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
इस प्रकार कनौंणी नामक प्रस्तुत गाँव सूर्यवंशी ठाकुर मेलदेव कनौणियॉ बिष्ट के प्रथम पुत्र को आबंटित भू भाग है। जो आज तल्ला गेवाड़ में वर्तमान मॉंसी बाजार के साथ सटा रामगंगा के पश्चिमी किनारे पर कनौंणी नाम से विख्यात है। यहाँ के निवासी कनौणियॉं बिष्ट कहलाने वाले हिन्दू सूर्यवंशी ठाकुर मेलदेव कनौणियॉंं(जिन्हें कत्यूरी राजवंश के लड़देव की वंशावली का माना जाता है) के शीर्ष पुत्र के वंशज कहलाते हैं। यहॉ की कुल आबादी के मूल निवासी कनौंणियॉं बिष्ट नामक उपनाम से हिन्दू राजपूतों में से एक कहलाते हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
कनौंणी नामक प्रस्तुत गाँव भिकियासैंण से मॉंसी मोटर मार्ग के समीप स्थित है। जिसे कुमांऊॅं मण्डल के परगना पाली अर्थात पाली पछांऊॅं कहे जाने वाले इलाके के अन्तर्गत कह सकते हैं। इस गॉंव का क्षेत्रफल तकरीबन चार-पॉंच वर्ग किलोमीटर है। पूर्व दिशा में रामगंगा नदी, पश्चिम की ओर लमाकॉंसू और गैरखेत उत्तर में आदीग्राम फुलोरिया तथा दक्षिणी छोर पर मोहणा नामक गॉंव हैं।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
कनौंणी की सभ्यता एवं संस्कृति पूर्ण रूप से कुमांऊॅंनी और हिन्दू है। घरों की बनावट व सजावट में ही सर्वप्रथम पर्वतीय लोक कला व संस्कृति दृष्टिगोचर होती है। दशहरा, दीपावली, नामकरण, जनेऊ आदि शुभ अवसरों पर महिलाएँ घर में ऐंपण (अर्पण) बनाती हैं। इसके लिए घर, ऑंगन तथा सीढ़ियों को गेरू से लीपा जाता है। चावलों को भिगोकर पीसा जाता है तथा उसके लेप से आकर्षक चित्र बनाए जाते हैं। विभिन्न अवसरों पर नामकरण-चौकी, सूर्य-चौकी, स्नान-चौकी, जन्मदिन-चौकी, यज्ञोपवीत-चौकी, विवाह-चौकी, धूमिलअर्ध्य-चौकी, वर-चौकी, आचार्य-चौकी, अष्टदल-कमल, स्वास्तिक-पीठ, विष्णु-पीठ, शिव-पीठ, सरस्वती-पीठ तथा विभिन्न प्रकार की परम्परागत कलाकृतियॉं बनाई जाती हैं। इन्हेें तकरीबन महिलाऐं व बालिकाऐं ही बनाती हैं।
0.5
57.345324
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
कनौंणी में बोलचाल की भाषा अर्थात बोली को पाली पछांऊॅं की कुमांऊॅंनी कहा जाता है। सरकारी कामकाज में बोलने व लिखने की भाषा हिन्दी है। अध्ययन व अध्यापन हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पाया जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
पहले ठंड की अधिकता के कारण घर छोटे लेकिन पक्के हुआ करते थे। जो लकड़ी व पत्थर के नक्काशीयुक्त होते हैं। घरों के ऊपर यानि छतों पर पत्थर बिछाने का प्रचलन है। प्रत्येक घर के आगे खुली जगह और खुला आॅगन होता है, जिनमें कलाकारी के साथ पत्थर बिछे होते हैं। आॅगन के तीनों छोर खोई भिड़ नामक चारदिवारीयुक्त होता है। समयानुसार इमारती लकड़ियों व उचित पत्थरों की कमी और बदलते सामाजिक परिवेश के अनुरूप घरों की बनावट में परिवर्तन होने लगा है। लोग सीमेण्ट व ईंट के घरों का उपयोग करने लगे हैं।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
पारम्परिक रूप से यहॉं की महिलायें घाघरा, आँगड़ी, पिछोड़ी, कुर्ती पहनतीं थीं। अब पेटीकोट, ब्लाउज व साड़ी पहननेे लगीं हैं। पुरूष मर्दानी धोती, कुर्ता, चूड़ीदार पजामा,अंगरखोई, फतोई, भोटुवा, साफा, टोपी पहनते थे। जाड़ों (सर्दियों) में ऊनी कपड़ों का उपयोग होता है। विवाह आदि शुभ कार्यो के अवसर पर कई क्षेत्रों में अभी भी सनील का घाघरा और पिछोड़ी पहनने की परम्परा है। सिर में शीषफूल। गले में गुलोबन्द, चर्‌यो, माला, सुत, जजीर, हॅसुली। नाक में नथ, बुलॉग, फूली। कानों में कर्णफूल, कुण्डल। हाथों में सोने या चाँदी के पौंजी, धागुले। पैरों में बिछुए पजेब, पौंटा इत्यादि प्रकार के आभूषण पहनने की परम्परा प्राचीनकाल से रही है। विवाहित औरत की पहचान गले में चरेऊ पहनने से होती है। विवाह इत्यादि शुभ अवसरों पर पिछौड़ा पहनने का भी यहाँ प्रचलन है।
0.5
57.345324
20231101.hi_836387_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
सोमनाथ मेला, सोमनाथ, सल्डिया सोमनाथ यानि वर्तमान ऐतिहासिक सोमनाथ कहा जाने वाला मेला कनौणियॉं बिष्ट व मॉंसीवाल नामक उपनाम के लोगों से सम्बन्धित है। इस तल्ला गेवाड़ में माॅंसी के समीप परन्तु अब मॉंसी में प्रतिवर्ष होने वाले ऐतिहासिक सोमनाथ मेले की आराध्य भूमि को सोमनाथेश्वर कहते हैं। जो आज भी तत्समय के इतिहास के सुनहरे पन्नों और पाली पछांऊॅं इलाके की कुमांऊॅंनी सॉस्कृतिक विरासत को समेटे है। यहीं से मेले के इतिहास का पदार्पण हुआ था और इसी सोमनाथेश्वर महादेव नामक शिवालय से मेला शुरू होता था। वक्त बदला, लोग बदले और मेले का स्वरूप भी अछूता न रह सका और बीसवीं सदी के अन्त तक मेला मॉंसी के बाजार में होने लग गया और इतिहास भी काफी कुछ बदल गया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%A3%E0%A5%80
कनौंणी
उल्लेखनीय है, सोमनाथेश्वर (श्रीनाथेश्वर) महादेव नामक शिवालय पर सैकड़ों वर्ष पूर्व कत्यूरी राजवंशावली के लड़देव के वंशजों में से मेलदेव कनौणियॉं का षड़यंत्रों द्वारा वध कर दिया था। तबसे इस मेले की शुरुआत हुई है। यहाँ पर एक प्राचीन नौला (बावड़ी) है। इसी नौले में उनका कत्ल कर दिया था। तब से इस नौले का स्वच्छ साफ व शीतल जल सभी लोग पीते है। मात्र कनौंणियॉ नामक उपनाम से जाने जाने वाले चार गॉवों (कनौंणी, डॉंग, काला चौना व आदीग्राम कनौणियॉं) के मेलदेव कनौणियॉं के वंशज इस नौले का पानी आज भी ग्रहण नहीं करते।
0.5
57.345324
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युगचक्र
राम त्रेता युग के अंत में प्रकट हुए। वायु पुराण और मत्स्य पुराण के अनुसार राम २४वें युगचक्र में प्रकट हुए थे। पद्म पुराण के अनुसार राम ६वें (पिछले) मन्वंतर के २७वें युगचक्र में भी प्रकट हुए थे।
0.5
57.233368
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युगचक्र
व्यास को चार वेदों, महाभारत और पुराणों के संकलनकर्ता के रूप में जाना जाता है। विष्णु पुराण, कूर्म पुराण और शिव पुराण के अनुसार कलियुग के अपमानित युग में मनुष्यों का मार्गदर्शन करने के लिए वेद (ज्ञान) लिखने के लिए प्रत्येक द्वापरयुग के अंत में एक अलग व्यास आते हैं।
0.5
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युगचक्र
युगचक्र की लंबी अवधि को तोड़ते हुए, युगों की लंबाई, संख्या और क्रम के संबंध में नए सिद्धांत सामने आए हैं।
0.5
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युगचक्र
स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि (१८५५-१९३६) ने अपनी पुस्तक द होली साइंस (१८९४) की प्रस्तावना में २४,००० वर्षों के एक युगचक्र का प्रस्ताव रखा।
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युगचक्र
उन्होंने दावा किया कि यह समझ एक गलती थी कि कलियुग ४,३२,००० वर्षों तक रहता है जिसका पता उन्होंने द्वापरयुग के समाप्त होने के तुरंत बाद राजा परीक्षित से लगाया (३१०१ ईसापूर्व के आसपास) और उनके दरबार के सभी बुद्धिमान व्यक्ति हिमालय पर्वत पर सेवानिवृत्त हो गए। युगों की सही गणना करने वाला कोई नहीं बचा, कलियुग की आधिकारिक शुरुआत कभी नहीं हुई। ४९९ के बादईस्वी, आरोही द्वापरयुग में जब मनुष्यों की बुद्धि विकसित होने लगी लेकिन पूरी तरह से नहीं, तो उन्होंने गलतियों को देखा और जिसे वे दिव्य वर्ष मानते थे उसे मानव वर्ष (१:३६० अनुपात) में परिवर्तित करके उन्हें सुधारने का प्रयास किया। सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि के लिए युक्तेश्वर की युग की लंबाई क्रमशः ४,८००, ३,६००, २,४०० और १,२०० "मानव" वर्ष (कुल १२,००० वर्ष) है।
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युगचक्र
उन्होंने चार युगों और उनकी ४:३:२:१ लंबाई और धर्म अनुपात को स्वीकार किया लेकिन उनके युगचक्र में आठ युग शामिल थे, चार युगों का मूल अवरोही सेट और उसके बाद एक आरोही (उल्टा) सेट जहाँ उन्होंने प्रत्येक सेट को एक "दैवयुग" या "विद्युत युगल" कहा। उनका युगचक्र २४,००० वर्षों तक चलता है जिसके बारे में उनका मानना है कि यह विषुव के एक पूर्वगमन (परंपरागत रूप से २५,९२० वर्ष; १,९२० वर्ष का अंतर) के बराबर है। उनका कहना है कि दुनिया ने ४९९ ईस्वी में मीन-कन्या युग में प्रवेश किया ("चक्र तल") और आरोही द्वापरयुग का वर्तमान युग १६९९ में शुरू हुआईस्वी वैज्ञानिक खोजों और बिजली जैसी प्रगति के समय के आसपास।
0.5
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युगचक्र
उन्होंने बताया कि २४,००० साल के युगचक्र में सूर्य किसी दोहरे तारे के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करता है और एक आकाशगंगा केंद्र के निकट और दूर होता जाता है जिसकी जोड़ी लंबी अवधि में परिक्रमा करती है। उन्होंने इस आकाशगंगा केंद्र को विष्णुनाभि कहा जहाँ ब्रह्मा धर्म को नियंत्रित करते हैं या जैसा कि युक्तेश्वर ने इसे परिभाषित किया, मानसिक गुण। अवरोही-आरोही चौराहे ("चक्र-नीचे") पर ब्रह्मा से सबसे दूर होने पर धर्म सबसे कम होता है जहाँ निकटतम होने पर "चक्र-शीर्ष" पर विपरीत होता है। धर्म के निम्नतम स्तर पर (४९९ ईस्वी), मानव बुद्धि स्थूल भौतिक संसार से परे कुछ भी नहीं समझ सकती है।
0.5
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युगचक्र
जॉसक्लिन गॉडविन का कहना है कि युक्तेश्वर युगों के पारंपरिक कालक्रम को राजनीतिक कारणों से गलत और धांधली मानते थे लेकिन युक्तेश्वर के अपने राजनीतिक कारण हो सकते हैं जैसा कि अटलांटिस और समय के चक्र में छपी एक पुलिस रिपोर्ट में स्पष्ट है जो युक्तेश्वर को एक से जोड़ता है। गुप्त उपनिवेशवाद-विरोधी आंदोलन जिसे युगान्तर कहा जाता है जिसका अर्थ है "नया युग" या "एक युग का संक्रमण"।
0.5
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युगचक्र
गॉडविन का दावा है कि जैन समय चक्र और प्रगति के यूरोपीय मिथक ने युक्तेश्वर को प्रभावित किया जिसका सिद्धांत हाल ही में भारत के बाहर प्रमुख हुआ। ऊर्ध्वगामी चक्र में मानवता पारंपरिक विचारों के विपरीत है। गॉडविन कई दर्शन और धर्मों की ओर इशारा करते हैं जो उस समय शुरू हुए जब "मनुष्य स्थूल भौतिक संसार से परे नहीं देख सकता था" (७०१ ईसापूर्व१६९९ ईस्वी)। केवल भौतिकवादी और नास्तिक ही १७०० के बाद के युग का सुधार के रूप में स्वागत करेंगे।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
समय के साथ जोगोरी का रूप बदल गया है। जबकि पुरुषों की जोगोरी अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रही, जोसॉन राजवंश के दौरान महिलाओं की जोगोरी नाटकीय रूप से कम हो गई, जो 19 वीं शताब्दी के अंत में अपनी सबसे छोटी लंबाई तक पहुंच गई। हालाँकि, सुधार के प्रयासों और व्यावहारिक कारणों से, महिलाओं के लिए आधुनिक जोगोरी अपने पहले के समकक्षों की तुलना में अधिक लंबी है। बहरहाल, लंबाई अभी भी कमर से ऊपर है। परंपरागत रूप से, गोरम छोटे और संकीर्ण थे, हालांकि आधुनिक गोरम लंबे और चौड़े हैं। कपड़े, सिलाई तकनीक और आकार में भिन्न-भिन्न प्रकार की जोगोरी हैं।
0.5
56.563938
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
छीमा "स्कर्ट" को संदर्भित करता है, जिसे हंजा में सांग () या गन () भी कहा जाता है। अंडरस्कर्ट, या पेटीकोट परत को सोक्चिमा कहा जाता है। गोगुरियो के प्राचीन भित्ति चित्रों और ह्वांगनाम-डोंग, ग्योंग्जू के पड़ोस से खुदाई में मिले मिट्टी के खिलौने के अनुसार, गोगुरियो महिलाओं ने बेल्ट को ढकते हुए जोगोरी के साथ एक चीमा पहना था।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
हालांकि धारीदार, चिथड़े और गोर स्कर्ट गोगुरियो और जोसॉन काल से जाने जाते हैं, छीमा आम तौर पर आयताकार कपड़े से बने होते थे जिन्हें स्कर्ट बैंड में कल्लोलित या इकट्ठा किया जाता था। इस कमरबंद ने स्कर्ट के कपड़े को ही आगे बढ़ाया और स्कर्ट को शरीर के चारों ओर बन्धन के लिए बनाया।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
सोक्चिमा को मोटे तौर पर 20वीं शताब्दी की शुरुआत तक ओवरस्कर्ट के समान तरीके से बनाया गया था, जब पट्टियाँ जोड़ी गईं, बाद में एक बिना आस्तीन की चोली या 'सुधारित' पेटीकोट में विकसित हुई। 20वीं शताब्दी के मध्य तक, कुछ बाहरी छीमा ने बिना आस्तीन की चोली भी प्राप्त कर ली थी, जिसे बाद में जोगोरी द्वारा कवर किया गया था।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
बाजी पुरुषों के हानबोक के निचले हिस्से को संदर्भित करता है। यह कोरियाई में "पतलून" के लिए औपचारिक शब्द है। वेस्टर्न स्टाइल पैंट की तुलना में यह टाइट फिट नहीं बैठता। विशाल डिजाइन का उद्देश्य कपड़ों को फर्श पर बैठने के लिए आदर्श बनाना है। यह आधुनिक पतलून के रूप में कार्य करता है, लेकिन आजकल बाजी शब्द का प्रयोग आमतौर पर कोरिया में किसी भी प्रकार की पैंट के लिए किया जाता है। बांधने के लिए बांधने के लिए एक बाजी की कमर के चारों ओर एक पट्टी होती है।
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56.563938
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
पोशाक की शैली, सिलाई विधि, कढ़ाई आदि के आधार पर बाजी अरेखित ट्राउजर, लेदर ट्राउजर, सिल्क पैंट या कॉटन पैंट हो सकते हैं।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
पो एक सामान्य शब्द है जो बाहरी वस्त्र या ओवरकोट का जिक्र करता है। पो के दो सामान्य प्रकार हैं, कोरियाई प्रकार और चीनी प्रकार।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
कोरियाई प्रकार कोरिया काल के तीन राज्यों की एक सामान्य शैली है, और इसका उपयोग आधुनिक दिनों में किया जाता है। एक बेल्ट का उपयोग तब तक किया जाता था जब तक कि इसे देर से जोसॉन राजवंश के दौरान एक रिबन द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया गया था। दुरुमागी पो की एक किस्म है जिसे सर्दी से बचाव के लिए पहना जाता था। यह व्यापक रूप से जोगोरी और बाजी के ऊपर एक बाहरी वस्त्र के रूप में पहना जाता था। इसे जुमागुई, जुचौई या जुई भी कहा जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%95
हानबोक
चीनी प्रकार चीन से पो की विभिन्न शैलियों है। उत्तर-दक्षिण राज्यों की अवधि से शुरू होकर, 1895 में कोरियाई प्रकार के दुरुमागी को राष्ट्रव्यापी अपनाने तक इतिहास के माध्यम से उनका उपयोग किया गया था।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
जानकीनगर
जानकीनगर एक गाँव एवं ग्राम पंचायत (ग्राम सभा) है यह ग्राम पंचायत रामपुर मथुरा ब्लाक तहसील महमूदाबाद जिला सीतापुर जिला राज्य उत्तर प्रदेश भारत में है।
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जानकीनगर
जानकीनगर गाँव के दो नाम हैं। एक जानकीपुर और दूसरा जानकीनगर। जानकीनगर अधिकारिक नाम है। जबकि इस एरिया में यह जानकीपुर नाम से जाना जाता है। यहाँ से 12 किलोमीटर की दूरी पर कस्बा बहादुरगंज है
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जानकीनगर
जानकीनगर गाँव, तहसील महमूदाबाद जिला सीतापुर और उत्तर प्रदेश भारत के राज्य में स्थित है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार गाँव की जनसंख्या 1556 है, जिसमें पुरुष जनसंख्या 862 और महिला जनसंख्या 694 है। जानकीनगर गाँव का लिंग अनुपात -समिति 2011
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जानकीनगर
जनगणना डाटा 2011 के अनुसार गाँव की 1556 कुल आबादी में से 1000 पुरुषों पर 805 फेमल्स हैं। गाँव में 6 साल से कम उम्र के प्रति 1000 लड़कों पर 913 लड़कियां हैं। जानकीनगर गाँव की साक्षरता
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जानकीनगर
जनकिनगर गांव में कुल आबादी में से 537 लोग साक्षर हैं, उनमें से 374 पुरुष और 163 महिलाएं हैं। जानकीनगर की कुल साक्षरता दर 40.84% ​​है, पुरुष साक्षरता 50.82% है और महिला साक्षरता दर 28.15% है।
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जानकीनगर
जानकीनगर गाँव का कुल भौगोलिक क्षेत्र 113.63 हेक्टेयर है। जानकीनगर का जनसंख्या घनत्व 14 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर है। गाँव में घर की कुल संख्या 266 है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
जानकीनगर
जानकीनगर गाँव की ग्राम पंचायत का नाम जानकीनगर है। सीडी ब्लॉक का नाम रामपुर मथुरा और तहसील / तालुक या उप जिला महमूदाबाद है। 2011 का जनगणना 2011 का डेटा संदर्भ वर्ष है। उप जिला मुख्यालय का नाम महमूदाबाद है और उप जिला मुख्यालय की दूरी गांव से 30 किलोमीटर है। जिला हेड क्वार्टर का नाम सीतापुर है और यह गांव से दूरी 95 किमी दूर है। जानकीनगर गाँव का निकटतम शहर महमुदाबाद, बहराइच , सीतापुर, और लखनऊ हैं। दूरी 95 किमी है। जानकीनगर गाँव का पिनकोड 261204 है जनगणना 2011 के अनुसार गाँव जानकीनगर का गाँव कोड 138693 है।
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जानकीनगर
वकतावर पुरवा (1 किमी), लाला पुरवा,(1 किमी) लोनियन पुरवा (950 मी), कंडी (840 मी), मित्तौरा, (1.3 किमी) खितूरी (1.7 किमी), बसंतपुर (3.7 किमी), कुमढ़ौरा, (1.4 किमी) सईंन पुरवा, (1.8 किमी) भगौतीपुर 2.5 किमी), पंडित पुरवा, (1.8 किमी) केंवरा (2.1 किमी), ढपालिन पुरवा (2.8 किमी),
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
जानकीनगर
जानकीनगर गाँव में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय उच्च माध्यमिक विद्यालय जानकीनगरऔर एक मदरसा मदरसा इस्लामिया अरबिया तालीमुल क़ुरआन है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
हज़रत सालेह अलैहि सलाम कौम को बार-बार समझाते और फ़रमाते रहे, पर कौम पर बिलकुल असर न हुआ, बल्कि उसकी दुश्मनी तरक़्क़ी पाती रही और उसका विरोध बढ़ता ही रहा और वह किसी तरह बुत्तपरस्ती से बाज़ न आई। अगरचें एक छोटी और कमज़ोर जमाअत ने ईमान क़ुबूल कर लिया और वह मुसलमान हो गई, मगर क़ौम के सरदार और बड़े-बड़े सरमायादार उसी तरह बातिल-परस्ती पर क़ायम रहे और उन्होंने दी हुईं हर किस्म की नेमतों का शुक्रिया अदा करने के बजाए नाशुक्री का तरीक़ा अपना लिया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
वे हज़रत सालेह अलैहि सलाम का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा करते कि ‘सालेह अलैहि सलाम अगर हम बातिल परस्त होते, अल्लाह के सही मज़हब के इंकारी होते और उसके पसंदीदा तरीक़े पर कायम न होते, तो आज हमको यह सोने-चांदी की बहुतात, हरे-भरे बाग और दूसरी नेमते हासिल न होतीं। तुम ख़ुद को और अपने मानने वालों को देखो ओर फिर उनकी तंगहाली, और गरीबी पर नज़र करों और बतलाओ कि अल्लाह के प्यारे और मकबूल कोन हैं?
0.5
56.04069
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
हज़रत सालेह अलैहि सलाम फ़रमाते कि ‘तुम अपने इस ऐश और अमीरी पर शेखी न मारो और अल्लाह के सच्चे रसूल और उसके सच्चे दीन का मज़ाक न उड़ाओ, इसलिए अगर तुम्हारे घमंड और दुश्मनी का यही हाल रहा, तो पल में सब कुछ फ़ना हो जाएगा और फिर न तुम रहोगे और न॑ यह तुम्हारा समाज, बेशक ये सब अल्लाह की नेमते हैं, बशर्ते कि इनके हासिल करने वाले उसका शुक्र अदा करें और उसके सामने सरे नियाज़ झुंकाएं और बेशक यही अज़ाब व लानत के सामान हैं, अगर इनका इस्तिक़बाल शेख़ी व गुरूर के साथ किया जाए। इसलिए यह समझना गलती है कि ऐश का हर सामान अल्लाह की खुश्नूदी का नत्तीजा है।’
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56.04069
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
समूद को यह हैरानी थी कि यह कैसे मुम्किन है कि हमीं में का एक इंसान अल्लाह का पैगम्बर बन जाए और वह अल्लाह का हुक्म सुनाने लगे। वे बड़े ताज्जुब से कहते –
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56.04069
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
यानी अगर ऐसा होना ही था तो इसके अहल हम थे, न कि सालेह अलैहि सलाम और कभी अपनी क़ौम के कमज़ोर लोगों (जों कि मुसलमान हो गए थे) को खिताब करके कहते –
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B9
सालिह
बहरहाल हज़रत सालेह अलैहि सलाम की मगरूर व सरकश क़ौम ने उनकी पैग़म्बराना दावत व नसीहत को मानने से इंकार किया और अल्लाह के निशान (मोजजे) का मुतालबा किया, तब सालेह ने अल्लाह के दरबार में दुआ की और कुबूलियत के बाद अपनी क़ौम से फ़रमाया कि तुम्हारा मतलूब निशान ऊंटनी की शक्ल में यहां मौजूद है। देखो, अगर तुमने इसको तकलीफ पहुंचायी तो फिर यही हलाकत का सामान साबित होगा और अल्लाह ने तुम्हारे और उसके दर्मियान पानी के बारी तय कर दी है। एक दिन तुम्हारा है और एक दिन इसका, इसलिए इसमें फ़र्क न आए।
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