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20231101.hi_1455335_6
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इसहाक
इसहाक के दूध छुड़ाने के बाद सारा ने इश्माएल को उनके साथ खेलते हुए देखा, और अपने पति से आग्रह किया कि वे दासी हाजिरा और उनके बेटे को निकाल दे, ताकि इसहाक इब्राहीम का एकमात्र वारिस हो। इब्राहीम हिचकिचा रहा था, लेकिन भगवान के आदेश पर उन्होंने अपनी पत्नी के अनुरोध को सुना।
0.5
87.209725
20231101.hi_1455335_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
इसहाक की युवावस्था में किसी समय, उनके पिता अब्राहम उन्हें मोरिय्याह पर्वत पर ले गए। परमेश्वर की आज्ञा पर इब्राहीम को एक बलि वेदी बनानी थी और उसपर अपने पुत्र इसहाक की बलि देनी थी। जब उन्होंने अपने बेटे को वेदी से बाँध दिया और उसे मारने के लिए चाकू निकाल लिया, तो आखिरी समय में परमेश्वर के एक दूत ने इब्राहीम को आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके बजाय, उसे पास के एक बकरे की बलि देने का निर्देश दिया गया जो झाड़ियों में फंसा हुआ था।
0.5
87.209725
20231101.hi_1455335_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
इसहाक के ४० वर्ष के होने से पहले (उत्पत्ति २५:२०), इब्राहीम ने अपने भतीजे बतूएल के परिवार से इसहाक के लिए एक पत्नी खोजने के लिए मेसोपोटामिया में अपने भण्डारी एलीएजेर को भेजा। एलीएजेर ने इसहाक के लिए अरामी रिबका को चुना। इसहाक से विवाह के कई वर्षों के बाद रिबका ने अभी तक एक बच्चे को जन्म नहीं दिया था और माना जाता था कि वे बांझ थी। इसहाक ने उनके लिये प्रार्थना की और वे गर्भवती हुई। रिबका ने जुड़वां लड़कों, एसाव और याकूब को जन्म दिया। इसहाक ६० वर्ष का था जब उनके दो पुत्रों का जन्म हुआ। इसहाक ने एसाव को और रिबका ने याकूब को प्रसन्न किया।
1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
अपने पिता के मरने के बाद इसहाक बएर-लहै-रोई में चला गया। जब देश में अकाल पड़ा, तो वे गरार के पलिश्तियों के देश में चला गया जहां उसका पिता कभी रहा करते थे। यह देश अब भी राजा अबीमेलेक के अधिकार में था जैसा इब्राहीम के दिनों में था। अपने पिता के समान इसहाक ने भी अबीमेलेक को अपनी पत्नी के विषय में धोखा दिया, और कुएं के व्यापार में भी लग गया। वे अपने पिता द्वारा खोदे गए सभी कुओं में वापस गया और देखा कि वे सभी मिट्टी से बंद थे। इब्राहीम के मरने के बाद पलिश्तियों ने ऐसा किया। सो इसहाक ने उनको ढूंढ निकाला, और बेर्शेबा तक पूरे मार्ग में और कुएं खोदने लगा, और वेां उस ने अपके पिता के दिन की नाई अबीमेलेक से वाचा बान्धी।
0.5
87.209725
20231101.hi_1455335_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
इसहाक बूढ़ा हो गया और अन्धा हो गया। उन्होंने अपने पुत्र एसाव को बुलाया और उसे निर्देश दिया कि इसहाक का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वे उनके लिए अहेर का मांस ले आए। जब एसाव शिकार कर रहा था, तब याकूब ने अपनी माँ की सलाह को सुनने के बाद अपने अंधे पिता को एसाव के रूप में गलत तरीके से पेश करके धोखा दिया और इस तरह अपने पिता का आशीर्वाद प्राप्त किया जैसे कि याकूब इसहाक का प्राथमिक उत्तराधिकारी बन गया और एसाव एक हीन स्थिति में रह गया। उत्पत्ति २५:२९-३४ के अनुसार एसाव ने पहले अपना पहिलौठे का अधिकार याकूब को "रोटी और दाल की दाल" के लिए बेच दिया था। इसके बाद इसहाक ने याकूब को मेसोपोटामिया में अपने मामा के घर की एक पत्नी लेने के लिए भेजा। २० साल तक अपने चाचा लाबान के लिए काम करने के बाद याकूब घर लौट आया। उन्होंने अपने जुड़वां भाई एसाव के साथ मेल मिलाप किया, फिर उन्होंने और एसाव ने अपने पिता, इसहाक को १८० वर्ष की आयु में मरने के बाद हेब्रोन में दफनाया।
0.5
87.209725
20231101.hi_1455335_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
स्थानीय परंपरा के अनुसार इसहाक और रिबका की कब्रें, इब्राहीम और सारा और याकूब और लिआ की कब्रों के साथ, पितृसत्ता की गुफा में हैं।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95
इसहाक
रब्बीवादी परंपरा में बंधन के समय इसहाक की आयु ३७ वर्ष मानी जाती है जो एक बच्चे के रूप में इसहाक के सामान्य चित्रण के विपरीत है। रब्बियों ने यह भी सोचा कि सारा की मृत्यु का कारण इसहाक के इच्छित बलिदान का समाचार था। इसहाक के बलिदान को बाद की यहूदी परंपराओं में ईश्वर की दया की अपील में उद्धृत किया गया है। बाइबिल के बाद की यहूदी व्याख्याएं अक्सर बाइबिल के विवरण से परे इसहाक की भूमिका को विस्तृत करती हैं और मुख्य रूप से इब्राहीम के इसहाक के इच्छित बलिदान पर ध्यान केंद्रित करती हैं जिसे अकेदाह (बाध्यकारी) कहा जाता है। इन व्याख्याओं के एक संस्करण के अनुसार इसहाक बलिदान में मर गया और पुनर्जीवित हो गया। आगदाह के कई खातों के अनुसार बाइबिल के विपरीत, यह शैतान है जो इसहाक को भगवान के एजेंट के रूप में परख रहा है। अपनी मृत्यु की कीमत पर ईश्वर की आज्ञा का पालन करने की इसहाक की इच्छा कई यहूदियों के लिए एक आदर्श रही है जिन्होंने यहूदी कानून के उल्लंघन के लिए शहादत को प्राथमिकता दी थी।
0.5
87.209725
20231101.hi_60001_34
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%AC
अल-अहज़ाब
33|23|ईमानवालों के रूप में ऐसे पुरुष मौजूद है कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने अल्लाह से की थी उसे उन्होंने सच्चा कर दिखाया। फिर उनमें से कुछ तो अपना प्रण पूरा कर चुके और उनमें से कुछ प्रतीक्षा में है। और उन्होंने अपनी बात तनिक भी नहीं बदली
0.5
86.410089
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अल-अहज़ाब
33|24|ताकि इसके परिणामस्वरूप अल्लाह सच्चों को उनकी सच्चाई का बदला दे और कपटाचारियों को चाहे तो यातना दे या उनकी तौबा क़बूल करे। निश्चय ही अल्लाह बड़ी क्षमाशील, दयावान है
0.5
86.410089
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अल-अहज़ाब
33|25|अल्लाह ने इनकार करनेवालों को उनके अपने क्रोध के साथ फेर दिया। वे कोई भलाई प्राप्त न कर सके। अल्लाह ने मोमिनों को युद्ध करने से बचा लिया। अल्लाह तो है ही बड़ा शक्तिवान, प्रभुत्वशाली
0.5
86.410089
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अल-अहज़ाब
33|26|और किताबवालों में सो जिन लोगों ने उसकी सहायता की थी, उन्हें उनकी गढ़ियों से उतार लाया। और उनके दिलों में धाक बिठा दी कि तुम एक गिरोह को जान से मारने लगे और एक गिरोह को बन्दी बनाने लगे
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86.410089
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अल-अहज़ाब
33|27|और उसने तुम्हें उनके भू-भाग और उनके घरों और उनके मालों का वारिस बना दिया और उस भू-भाग का भी जिसे तुमने पददलित नहीं किया। वास्तव में अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
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86.410089
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अल-अहज़ाब
33|28|ऐ नबी! अपनी पत्नी यों से कह दो कि "यदि तुम सांसारिक जीवन और उसकी शोभा चाहती हो तो आओ, मैं तुम्हें कुछ दे-दिलाकर भली रीति से विदा कर दूँ
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86.410089
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अल-अहज़ाब
33|29|"किन्तु यदि तुम अल्लाह और उसके रसूल और आख़िरत के घर को चाहती हो तो निश्चय ही अल्लाह ने तुममे से उत्तमकार स्त्रियों के लिए बड़ा प्रतिदान रख छोड़ा है।"
0.5
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अल-अहज़ाब
33|30|ऐ नबी की स्त्रियों! तुममें से जो कोई प्रत्यक्ष अनुचित कर्म करे तो उसके लिए दोहरी यातना होगी। और यह अल्लाह के लिए बहुत सरल है
0.5
86.410089
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अल-अहज़ाब
33|31|किन्तु तुममें से जो अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठापूर्वक आज्ञाकारिता की नीति अपनाए और अच्छा कर्म करे, उसे हम दोहरा प्रतिदान प्रदान करेंगे और उसके लिए हमने सम्मानपूर्ण आजीविका तैयार कर रखी है
0.5
86.410089
20231101.hi_1103974_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
खजराना
इंदौर से आगे कम्पेल आबाद था। खजराना का इतिहास करीब 1000 वर्ष पुराना है। खजराना स्थित गणेश मंदिर अब विश्व विख्यात हो चुका है इसके ठीक आगे कालिका माता मंदिर भी अपनी सबसे बड़ी प्रतिमा को लेकर विख्यात है । थोड़ा आगे बढ़ने पर प्रसिद्ध मुस्लिम सूफी संत हजरत नाहरशाह वली की दरगाह है।
0.5
86.053414
20231101.hi_1103974_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
खजराना
इंदौर दिग्दर्शिका' पुस्तक में लेखक नगेन्द्र आज़ाद लिखते है कि नाहरशाह वली की दुआओं से मुगल बादशाह शाह आलम को सिंहासन प्राप्त हुआ था। लेखक जावेद शाह ने बताया कि
0.5
86.053414
20231101.hi_1103974_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
खजराना
1759 में हद हो गई जब वजीर ने अपने बादशाह आलमगीर को एक फ़क़ीर के हाथों मरवा दिया। बदनसीब आलमगीर की लाश लालकिले की खिड़की से यमुना नदी के किनारे फेंक दी। जहां हिंदुस्तान के शहंशाह की लाश बिल्कुल नंगी पड़ी रही, बाद में उसे अपने बाप-दादा हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया।
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86.053414
20231101.hi_1103974_5
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खजराना
अली गौहर बादशाह बहुत दुविधा में फंसा था । अपने बाप की हत्या के बाद 12 साल तक दिल्ली की ओर बढ़ने की हिम्मत ना जुटा सका। पीर-फकीरों के दर पर दुआ की दरख़्वास्त लिए भटकता फिरता।
0.5
86.053414
20231101.hi_1103974_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
खजराना
खजराना में बादशाह की अर्जी पहुंची , हुसैन शाह और उनके साथियों ने बादशाह के लिए नाहरशाह वली के आस्ताने पर दुआ की ।
1
86.053414
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खजराना
जब तक शाह आलम बिहार में रहा अंग्रेजों के प्रभाव में था। यानी सन 1760 से 1772 तक का समय । इसी बीच शाह आलम ने बंगाल को वापस जितने की कोशिश की लेकिन सफल नही हुआ।
0.5
86.053414
20231101.hi_1103974_8
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खजराना
1764 में बक्सर की जंग में हारने के बाद मजबूर होकर बंगाल,बिहार और उड़ीसा की दीवानी अंग्रेजों को दे दी ,अंग्रेज शाह आलम की बहुत बेइज्जती करते थे फिर भी उसे बादशाह मानते ।
0.5
86.053414
20231101.hi_1103974_9
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खजराना
उस समय खजराना में नाहरशाह वली की दरगाह पर सबसे पहले खादिम और नाहरशाह के साथी हजरत सखी शाह के बेटे हुसैन शाह मुजावर थे । ज्यादा समय नही गुज़रा था । शाह आलम ने यहां के बुजुर्गों से भी दुआ करवाई थी ।पीर -फकीरों की दुआ कुबूल हुई । 1772 में शाह आलम दिल्ली पहुंचा ।
0.5
86.053414
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
खजराना
1779 में उसने अपनी परेशानियों को लेकर फिर पीर-फकीरों को याद किया और सम्मान में खजराना की दरगाह नाहरशाह वली के निवर्तमान खादिम और मुजावर हजरत हुसैन शाह को 50 बीघा जमीन हमेशा-हमेशा के वास्ते सनद लिखकर दी। गवाही में बुजुर्गों को लिया जिनके दस्तखत सनद पर हैं। इस सनद पर खजराना के उस दौर के पीर-फकीरों पर के दस्तखत है।
0.5
86.053414
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स्नोपियर्सर
स्नोपीयर्सर (कोरियाई: 설국열차)एक 2013 की साइंस फिक्शन एक्शन फिल्म है, जो जैक्स लोब, बेंजामिन लेग्रैंड और जीन-मार्क रोशेट द्वारा फ्रेंच ग्राफिक उपन्यास ले ट्रांसपेरेसिनेज पर आधारित है। यह फिल्म बोंग जून-हो द्वारा निर्देशित की गई थी और बोंग और केली मास्टर्सन द्वारा लिखित थी। एक दक्षिण कोरियाई-चेक सह-उत्पादन, फिल्म बोंग की अंग्रेजी भाषा की पहली फिल्म है; फिल्म का लगभग 85% संवाद अंग्रेजी में है।
0.5
85.50622
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स्नोपियर्सर
फिल्म में क्रिस इवांस, सॉन्ग कांग-हो, टिल्डा स्विंटन, जेमी बेल, ऑक्टेविया स्पेंसर, गो अह-सुंग, जॉन हर्ट और एड हैरिस शामिल हैं । यह स्नोपीयरर ट्रेन में सवार होता है क्योंकि यह ग्लोब-स्पैनिंग ट्रैक की यात्रा करता है, ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए जलवायु इंजीनियरिंग में असफल प्रयास के बाद मानवता के अंतिम अवशेषों को ले जाकर एक नया स्नोबॉल अर्थ बनाया गया है। इवांस ने कर्टिस एवरेट के रूप में, निचले श्रेणी के पूंछ वाले यात्रियों में से एक के रूप में सितारों को प्रशिक्षित किया, क्योंकि वे ट्रेन के सामने के कुलीन वर्ग के खिलाफ विद्रोह करते हैं। प्राग के बैरांडोव स्टूडियो में फिल्मांकन हुआ, ट्रेन की गति का अनुकरण करने के लिए गिंबल्स पर घुड़सवार ट्रेन कार सेट का उपयोग किया गया।
0.5
85.50622
20231101.hi_1195504_2
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स्नोपियर्सर
स्नोपीयर को आलोचकों की प्रशंसा मिली, और इसके अंतर्राष्ट्रीय रिलीज के बाद 2014 के कई फिल्म समीक्षकों की शीर्ष दस सूचियों में दिखाई दिया। स्तुति मुख्य रूप से अपनी दृष्टि, दिशा, और प्रदर्शन, विशेष रूप से इवांस और स्विंटन की ओर निर्देशित थी। शुरू में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक सीमित स्क्रीन शो के लिए योजना बनाई गई थी, महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया ने वीनस्टीन कंपनी को शो को अधिक थिएटरों और डिजिटल स्ट्रीमिंग सेवाओं में विस्तार करने के लिए प्रेरित किया। $ 40 मिलियन के बजट के साथ, यह अब तक का सबसे महंगा कोरियाई उत्पादन बना हुआ है।
0.5
85.50622
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%B0
स्नोपियर्सर
भविष्य में जहां एक असफल जलवायु-परिवर्तन प्रयोग ने सभी लोगों को मार डाला है, केवल भाग्यशाली लोगों को छोड़कर जो स्नोपीयर्सर पर सवार थे, एक ट्रेन जो दुनिया भर में यात्रा करती है, एक नया वर्ग प्रणाली उभरती है।
0.5
85.50622
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स्नोपियर्सर
सीजीआई पर अत्यधिक भरोसा करने के बजाय, नेकवासिल की प्रोडक्शन डिजाइन टीम ने छब्बीस व्यक्तिगत ट्रेन कारों का निर्माण किया और शूटिंग के समय एक वास्तविक ट्रेन की आवाजाही को अनुकरण करने के लिए प्राग के बैरंडोव स्टूडियो में एक विशालकाय जाइरोस्कोपिक जिम्बल का इस्तेमाल किया। बोंग ने कहा कि शूटिंग के तीसरे दिन जिम्बल का उपयोग किया गया था, यह समझाते हुए, "कभी-कभी हम सेट पर कार्सिक महसूस करते थे," जिम्बल के यथार्थवादी प्रभावों के कारण।
1
85.50622
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स्नोपियर्सर
साउंड इंजीनियर अन्ना बेहेलमर, टेरी पोर्टर और मार्क होल्डिंग ने स्नोपीयर के लिए साउंड मिलाया, साउंड एडिटर तेय्योई चोई ने इसकी देखरेख की।
0.5
85.50622
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स्नोपियर्सर
स्नोपीयर का प्रीमियर 29 जुलाई 2013 को सियोल, दक्षिण कोरिया के टाइम्स स्क्वायर में हुआ, 7 सितंबर 2013 को समापन फिल्म के रूप में डावविल अमेरिकन फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग से पहले, बर्लिन फोरम के हिस्से के रूप में बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 7 फरवरी 2014 को साइडबार, 11 जून 2014 को लॉस एंजिल्स फिल्म महोत्सव का उद्घाटन, और 22 जून 2014 को एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ।
0.5
85.50622
20231101.hi_1195504_7
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स्नोपियर्सर
फिल्म को विभिन्न देशों में डीवीडी और ब्लू-रे पर जारी किया गया था, जिसमें फ्रांस और कोरिया सहित, क्यू 3 और क्यू 4 पहले थे, इससे पहले कि फिल्म को उत्तरी अमेरिकी सिनेमाघरों में शुरू किया गया था। यह फिल्म अंततः 21 अक्टूबर 2014 को उत्तरी अमेरिका में होम मीडिया पर रिलीज़ हुई। इसके तुरंत बाद, यह 1 नवंबर 2014 को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध हो गया। नवंबर २०१ It तक इसे वास्तविक यूके रिलीज़ नहीं मिली, जब इसे अमेज़न प्राइम वीडियो के माध्यम से डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया गया। इससे पहले, यूके में बेचे जाने वाले क्षेत्र 2 डीवीडी वास्तव में आयात किए गए थे, कोरियाई संवाद के साथ केवल अंग्रेजी के बजाय स्पैनिश या कैटलन में घटाया गया था। यह 1 मई 2019 को यूके में नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध हो गया।
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85.50622
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स्नोपियर्सर
मूल फ्रांसीसी ग्राफिक उपन्यास के साथ, फिल्म को कल के स्टूडियो द्वारा एक अमेरिकी टेलीविजन शो में रूपांतरित किया गया, जिसमें दो सत्रों का आदेश दिया गया और संयुक्त राज्य अमेरिका में क्यू 2 2020 पर टीएनटी पर प्रसारित होने वाला था, और दुनिया भर में वितरण के लिए नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध था। इस शो में जेनिफर कॉनेली और डेवेड डिग्ग्स, अन्य लोगों के साथ, और फिल्म की एक रीबूट कथा में जगह लेता है, वैश्विक तबाही के लगभग सात साल बाद ट्रेन पर होने वाली घटनाओं के साथ।
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85.50622
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मॉंसी
निकटतम हवाई अड्डा रुद्रपुर व हल्द्वानी के मध्य में स्थित पंतनगर विमानक्षेत्र है। यह सड़क द्वारा लगभग 175 से 200 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर में ही है। जहॉ से सुविधानुसार टैक्सी अथवा कार से पहुंचा जाता है।
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84.817756
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मॉंसी
रेलवे जंक्‍शन काठगोदाम जो कि लगभग 161 किलोमीटर की दूरी पर तथा दूसरा रेलवे जंक्शन 115 किलोमीटर पर रामनगर में है। दोनों स्थानों से सुविधानुसार उत्तराखंड परिवहन की बस अथवा टैक्सी कार द्वारा आसानी से मॉंसी पहुंचा जा सकता है।
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मॉंसी
दिल्‍ली के आनन्द विहार आईएसबीटी से यहॉ के लिए उत्तराखण्ड परिवहन की दिल्ली-मॉंसी बस प्रतिदिन शायं उपलब्ध होती है। जिनके द्वारा 10-12 घंटों में यहॉ पहुंचा जाता है। प्रदेश के अन्‍य स्थानों से भी बसों की सुविधाऐं उपलब्ध हैं।
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मॉंसी
दिल्‍ली से रूट: राष्‍ट्रीय राजमार्ग ९ से हापुड़, गजरौला, मुरादाबाद, रामनगर, भतरोंजखान या घट्टी से भिकियसैण होते हुए मॉंसी।
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मॉंसी
यहॉं पर प्राचीन काल का भूमियॉं मन्दिर स्थापित है, जहॉं बारहों महीने देश व प्रदेश के विभिन्न भागों से श्रधालु और दर्शनार्थी पहुंचते रहते हैं।
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84.817756
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मॉंसी
यह सोमनाथेश्वर महादेव नामक शिवालय तल्ला गेवाड़ के वर्तमान मॉंसी में प्रतिवर्ष होने वाले ऐतिहासिक सोमनाथ मेले की ऐतिहासिक आराध्य भूमि पर स्थित है। इसकी स्थापना कत्यूरी शासनकाल की मानी जाती है।
0.5
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मॉंसी
यह पौराणिक बृद्धकेदार नामक शिवालय यहॉंं सेे चार किलोमीटर दक्षिण की ओर रामगंगा नदी के पश्चिमी तट पर विराजमान है। इस वैदिक काल के शिवालय को नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर का अंग माना जाता है। यहॉं पर महाशिव का धड़ स्थापित है। इसकी स्थापना का अनुमान पन्द्रहवीं सोलहवीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है। यहॉं प्रतिवर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा की रात दूर दूर से भक्तगण आकर पूरी रात रामगंगा नदी में खड़े होकर तथा हाथों दीप प्रज्वलित कर श्रधासुमनों के साथ शिव भक्ति में लीन रहते हैं। भोर होने पर गंगा में विसर्जित कर अपनी-अपनी मनोकामनाओं को साकार करने की मनोकामना करते हैं। सदियों से मेला लगता है। महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%89%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%80
मॉंसी
यह नैथनादेवी नाम शिखर जिसे कभी नागार्जुन कहा जाता था, यह मॉंसी से पूर्व दिशा की ओर विराजमान है। यहॉं गोरखाराज के किले के अवशेष भी मौजूद हैं, जहॉं से उस समय पाली पछांऊॅं इलाके की गतिविधियॉं संचालित थीं। बरषों से देखरेख के अभावों के बाद अवशेष खंडहरों के नामो निशान भी मिटने लगे हैं।
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मॉंसी
मॉंसी के ठीक दक्षिण की ओर मॉं मानिलादेवी पर्वत शिखर है। जहॉं मॉं मानिला देवी के तल्ला व मल्ला मानिला में भव्य मन्दिर हैं।
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84.817756
20231101.hi_35140_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
२०११ के अनुसार, जोवाई की कुल हिन्दू जनसंख्या १,३५१ है जो कुल जनसंख्या का ४.७५% है। यहां मुस्लिम जनसंख्या २७८ (०.९८%) है।
0.5
84.784902
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
जोवाई में कुल १०,६८४ लोग कार्यरत हैं। इनमें से ८६.८% अपने कार्य को मुख्य कार्य (६ माह से अधिक चलने वाला आय स्रोत) बताते हैं, जबकि १३.२% लोग आंशिक रूप (६ माह से कम चलने वाला जीविका स्रोत से भिन्न) बताते हैं। १०,६८४ में से ३६ कृषक (स्वामी या सह-स्वामी) हैं जबकि २९ कृषि मजदूर हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
वार्ड एक स्थानीय प्राधिकृत क्षेत्र होता है जो चुनाव के आंकड़ों में गिना जाता है। जोवाई को १३ वार्ड्स में बांटा गया है जो इस प्रकार से हैं:
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
मुख्य नगर में कुछ विशेष पर्यटन सम्बन्धी नहीं है, किन्तु कुछ दूरी पर अवश्य पर्यटक आकर्षण मिलते हैं। नगर में लाओ म्यूसियान्ग बाजार है जो जिले में सबसे पुराना है। इनके अलावा अन्य आकर्षण इस प्रकार हैं:
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
सायन्टू क्सियार - मिन्तडू नदी द्वारा सींची गयी एक घाटी है जिसे स्थानीय लोग मैडान मडियाह अर्थात् अंकल का मैदान कहते हैं। यह एक ऐतिहासिक मैदान भी है क्योंकि यहां स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियां भी हुई थीं। आज इस मैदान में कियांग नांगबाह नाम के एक निर्भय स्वंत्रता सेनानी का स्मारक बना हुआ है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
जोवाई प्रेस्बिटेरियन गिरजाघर - जयन्तिया हिल्स में बना सब्से पुराना गिरजा है जिसे वैल्श प्रैस्बिटेरियन मिशन ने १५० वर्ष पूर्व बनवाया था। यह नगर के बाहरी क्षेत्र में ही स्थित है। यह यहां के कुछ ब्रिटिश स्थापत्य नमूनों में से एक है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
थाड्लस्केइन झील - ्तत्कालीन जयन्तिया शासक के एक अनुयायी साजर नंगली द्वारा खोदा गया एक सरोवर अब एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%88
जोवाई
लालोंग पार्क - यह पारिस्थितिकी पार्क हालांकि कुछ विशेष प्रसिद्ध नहीं है किन्तु प्रकृति प्रेमियों के लिये यहां बहुत कुछ है। मिण्टडू नदी की पाइन्थोर घाटी का मनोरम दृश्य इस पार्क से दिखाई देता है।
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84.784902
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जोवाई
नारटियांग मोनोलिथ्स - नारटियांग बाजार के निकट एक ही क्षेत्र में एकत्र एकाश्म (मोनोलिथ्स) पाषाण कलाकृतियों का संग्रह यहाम मिलता है।
0.5
84.784902
20231101.hi_1424675_33
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
स्वर में एक और बदलाव वाक्य को एक प्रश्न में बदल देता है। Der Krieg war doch noch nicht verloren? इसका अनुवाद होगा “(क्या आपका मतलब है कि) युद्ध अभी तक हारा नहीं गया था (उस समय तक )?”
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84.226415
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
एक अन्य प्रसिद्ध उदाहरण हैं: स्पेनी और पुर्तगाली में क्रिया ser और estar जिनका अनुवाद "होना" के रूप में किया जा सकता । हालांकि, इसका इस्तेमाल केवल सार या प्रकृति के साथ किया जाता है, जबकि estar का उपयोग स्थितियों या परिस्थियों के साथ किया जाता है। कभी-कभी यह अंतर पूरे वाक्य के अर्थ के बारे में बहुत उपयोगी सिद्ध नहीं होता और अनुवादक इसे अनदेखा कर सकता है । अन्य मामलों में, हालांकि, इसे संदर्भ से समझा जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
जब पिछले दो मामलों में से भी संभव नहीं होता है, तो अनुवादक आमतौर पर एक पैराफ्रेज़ का उपयोग करता है या सिर्फ़ ऐसा कुछ विशिष्ट अर्थ वाले शब्दों को जोड़ता है । निम्नलिखित उदाहरण पुर्तगाली से लिया गया है:“Não estou bonito, eu sou bonito .”
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अननुवाद्यता
शाब्दिक अनुवाद: "मैं (स्पष्ट रूप से/केवल इस समय) सुंदर नहीं हूं ; मैं (अनिवार्य रूप से/हमेशा) सुंदर हूं।"
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84.226415
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
व्याख्या: “मैं सुंदर दिखता ही नहीं, मैं सुंदर हूं ।"दक्षिण स्लाव शब्दों का एक उदाहरण जिसका इतालवी में कोई समकक्ष नहीं है , doček है । इसका अर्थ है किसी के आगमन के लिए आयोजित एक बैठक । ( इसका निकटतम अनुवाद स्वागत हो सकता है; हालांकि, एक doček जरूरी नहीं कि सकारात्मक हो )।
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अननुवाद्यता
रिश्तेदारी के स्तर ( सिंगेनियोनिमो ) से संबंधित शब्दावली अक्सर विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न होती है। अक्सर, शब्द या तो बहुत विशिष्ट या बहुत अस्पष्ट होते हैं जिनका किसी अन्य भाषा में अनुवाद नहीं किया जा सकता । रिश्तेदारी को परिभाषित करने के कुछ नियमों में शामिल हैं: पितृ या मातृ। उदाहरण के लिए, जर्मेनिक भाषाओं, भारतीय भाषाओं और चीनी में, पितृ और मातृ परिवार के सदस्यों के बीच अंतर किया जाता है, जैसे दादी और नानी । इसी प्रकार पुत्र का पुत्र और पुत्री का पुत्र भी अलग-अलग हैं। इसी तरह में, कई भाषाओं में चाची/मासी और चाचा/मामा आगे विभाजित हैं ।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
लिंग । जहाँ इतालवी और अंग्रेजी में विषय के लिंग के आधार पर रिश्तेदारी के संबंधों में स्पष्ट अंतर होते हैं, वहीं कई भाषाओं में ऐसा कोई भेद नहीं है। उदाहरण के लिए, थाई भाषा में, भाई-बहन लिंग से नहीं, बल्कि उम्र के आधार पर पहचाने जाते हैं। चाचा/मामा और चाची/मासी के साथ भी ऐसा ही होता है जब वे संबंधित व्यक्ति के माता-पिता से छोटे होते हैं। थाई में चाचा/ मामा के भतीजे व भतीजी और दादा-दादी के पोता व पोती को इंगित करने के लिए एक ही शब्द है। इसके विपरीत, अंग्रेजी में चचेरे व ममेरे भाई-बहन शब्द में कोई लिंग भेद नहीं है, जबकि रोमन, स्लाव और चीनी भाषाओं सहित कई अन्य भाषाओं में इसका विधान है ।
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20231101.hi_1424675_40
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
खून या शादी से संबंधित । उदाहरण के लिए, अंग्रेजी में uncle शब्द माता-पिता के भाई या माता-पिता की बहन के पति का उल्लेख कर सकता है। इसके विपरीत, हालाँकि, हिंदी, बंगाली, हंगेरियन और चीनी जैसी कई भाषाओं में यहाँ अंतर पाया जाता है ।
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20231101.hi_1424675_41
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अननुवाद्यता
अरबी में, “भाई” का अनुवाद आम तौर पर أخ (Akh). के रूप में किया जाता है । हालाँकि, जबकि यह शब्द एक ऐसे भाई-बहन का वर्णन कर सकता है, जिसके माता-पिता दोनों ही हैं या केवल उनमें से एक शामिल है । एक अलग शब्द है - شقيق (Shaqīq) - एक ऐसे भाई-बहन के लिए जिसके रिश्तेदार दोनों ही शामिल हैं ।
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84.226415
20231101.hi_757451_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
हव्यक ब्राह्मण हिन्दु indo Aryan ब्राह्मणों में एक है। इन्हे "हवीका", "हैगा" तथा "हवीगा" नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में अधिकांश हव्यक भारत का कर्नाटक राज्य के निवासी हैं। हव्यक, आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत दर्शन को मान्ते हैं।
0.5
83.07343
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
"हव्यक" शब्द "हवीगा" या "हवीका" शब्द से व्युत्पन्न हुआ है। हव्यक शब्द का अर्थ है "वे जो हवन (एक तरह कि भारतीय परंपरा) कर सकतें हैं।" हवन तथा होम, हव्यक ब्राह्मणों की पारंपरिक धार्मिक क्रिया है। इस शब्द के स्तोत्र पर कई और सिद्धान्त मौजूद हैं। माना जाता है कि प्राचीन दक्षिण भरात के उत्तर कन्नड़ ज़िला मे कोंकण तथा तुलुवा के बीच का स्थान "हैवा" के नाम से जाना जाता था। यह स्थान हव्यकों का निवास भी है। इसलिए यह माना जाता है कि यह "हव्यक" शब्द का स्तोत्र स्थान है।
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83.07343
20231101.hi_757451_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
हव्यक ब्राह्मण उत्तराखण्ड के नैनिताल ज़िल्ला मे मौजूद अहिछत्र नामक स्थान के निवासी थे। ९वीं शताब्दी के अंत मे (या १० वे शतमान के उद्गम मे) दक्षिण भारत के कदंब राजवंश की स्थापना करने वाले राजा मयूरशर्मा (या मयूरवर्मा) ने हव्यक ब्राह्मणों को वर्तमान के कर्नाटक राज्य मे आकर निवास करने का निमंत्रण दिया था। तालागुण्डा और वर्दहळी शिलालेख से यह मालुम होता है कि कदंब राजवंश ने हव्यक ब्राह्मणों को अहिछत्र से शाही अनुष्ठान करने हेतु बुलवाया था।
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20231101.hi_757451_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
पहले के कई हव्यक परिवार हैगुण्डा (उत्तर कन्नड़ ज़िला के होन्नावर तालूक मे शरावाति नदि के पास स्ठापित एक छोटा सा गांव।) तथा बनवासी (आदिकवि पम्प का यह प्रिय स्ठल कदंब राजवंश की राजधानी थी।) मे बसे थे। मयूरशर्मा (या मयूरवर्मा) द्वारा हव्यक परिवारों को कर्नाटक मे बुलाए जाने की क्रिया को एक शिलालेख मे दर्ज़ किया गया है जो अब वर्दहळी (कर्नाटक के शिमोगा जिला के सागरा तालुक मे स्ठित एक पूजनीय स्ठल।) मे स्ठापित है।
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83.07343
20231101.hi_757451_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
अधिकांश हव्यक ब्राह्मण आज रामचंद्रापुर मठ (शिमोगा जिला मे मौज़ूद एक सुप्रसिद्ध मठ) तथा स्वर्णवळी मठ के विचारों तथा रिवाज़ों का पालन करते हैं। यह सारे मठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित तथा प्रतिपादित की गई अद्वैत वेदान्त का पालन करते हैं। जहां अधिकतम हव्यक सुपारी,धान,केलाश् तथा नारियल के व्यापार मे दाखिल दिखाई पडते हैं तो कुछ हव्यक ब्राह्मण वेदशास्त्र कि पडाई कर पंडित का स्ठान प्राप्त कर लेते हैं। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन मे भी हव्यकों ने एक महत्त्वपूर्ण पात्र निभाया है। दांडी मार्च(नमक सत्याग्रह) तथा बारडोली सत्याग्रह मे हव्यक पुरुष तथा महिलाओं दोनो ने ही प्रमुख पात्र निभाया है। कर्नाटक के सिद्धापुर ग्राम के दोड्डमने हेग्डे परिवार ने इन स्त्याग्रहों मे महत्त्वपूर्ण पात्र निभाया है।
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20231101.hi_757451_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95
हव्यक
हव्यक ब्राह्मण अपने असमान्य भाषा के लिए जाने जाते है। वे हविगन्नड्डा(या हव्यक कन्नड़) नामक उपभाषा का उपयोग करते है जो कन्नड़ भाषा का हि रूपांतरण है। यह कई हद तक कन्नड़ भाषा के ही समान है फिर भी कई कन्नड़ वासी इस भाषा को समझने मे कठिनाई महसूस करते है। हव्यक कन्नड़ के भी कई उपबोलियां मौजूद है जो इलाके के आधार पर वितरित है। हव्यक भाषा मे कई शब्द प्राचीन कन्नड़ (या हळेगन्नडा) से ली गई है जिसके कारण हि समान्य कन्नड वासी इस भाषा को ठीक रूप से समझ नही पाते। हव्यक भाषा भी हळेगन्नडा कि तरह काफी पुरानी और प्राचीन मानी जाती है। माना जाता है कि इस भाषा का निर्माण भी हव्यक ब्राह्मणों ने ही किया था। किंतु इस विषय पर किसि भी तरह का सबूत न होने के कारण, इस भाषा का स्तोत्र भी भारत के कई चीज़ों कि तरह रहस्यमय है। विषेश रूप से दक्षिण कन्नड तथा उत्तर कन्नड के हव्यक भाषा मे स्त्री लिंग के जगह पर तटस्त लिंग का उपयोग किया जाता है। इस तथ्य का ध्यान से अध्ययन करने से कुछ दिलचस्प बाते प्रत्यक्ष होती है। जहां एक ओर उत्तर भारत के भाषाओं मे तटस्त लिंग के उपयोग कि कमी दिखाई पडती है, दूसरी ओर अधिकांश द्रविड़ भाषाओं मे तटस्त लिंग का भारी उपयोग के प्रमाण मिलते है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हव्यक भषा का उद्गम आदि-द्रविड़ युग मे हुआ था जो इस भाषा को प्राचीन बनाता है। परंतु कर्नाटक मे कुछ जगहों मे हव्यक ब्राह्मण हविगन्नडा का उपयोग नही करते।
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हव्यक
हव्यक ब्राह्मण हिंदु ब्राह्मण जाति के उप-जति मे शामिल है जो आदि शंकराचार्य कि रचना अद्वैत वेदांत का अनुसरण करते है। ज़्यादातर हव्यक ब्राह्मण यजुर्वेदि ब्राह्मण होते है जो बौधायन श्रौतसूत्र का पालन करते है। किंतु कुछ हव्यक ब्राह्मण सामवेदि तथा कुछ ऋग्वेदि (जो सबसे प्राचीन वेद है।) भी होते है।
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हव्यक
संगीत, नृत्य और लिखन हव्यको के लिए बहुत आकर्षिक बना रहा है। कर्नाटक का लोक नृत्य यक्षगान विषेश रूप से हव्यकों द्वारा विकसित किया गया है। इसके प्रसिद्ध उदाहरण है च्चिट्टाणि रामचंद्र हेगडे और कीरेमने शंबु हेगडे। हाल ही में च्चिट्टाणि रामचंद्र हेगडे को, उनके यक्षगान के द्वारा रुची तथा समर्पण की कदर करते हुए, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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हव्यक
हव्यकों द्वारा बनाए जाने वाला भोजन अत्यंत अलग तथा स्वादिश्ट होती है। इनमे विभिन्न तरह के खाद्य वस्तु यानि की अप्पे हुली, तोडदेवु, पनस की पापड़ इत्यादि शामिल है।
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अन-नह्ल
आयत 112-114 का स्पष्ट संकेत इस तरफ़ है कि मक्का में जो भारी अकाल पड़ा था वह इस सूरा के अवतरण के समय समाप्त हो चुका था। इस सूरा में एक आयत 115 ऐसी है जिसका हवाला सूरा 6 (अनआम) की आयत 119 में दिया गया है और दूसरी आयत 118 ऐसी है जिसमें सूरा 6 ( अनआम ) की आयत 146 का हवाला दिया गया है । यह इस बात का प्रमाण है कि इन दोनों सूरतों का अवतरणकाल परस्पर निकटवर्ती है। इन साक्ष्यों से पता चलता है कि इस सूरा का अवतरणकाल भी मक्का का अन्तिम कालखण्ड ही है।
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अन-नह्ल
मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इस सूरा में बहुदेववाद का खण्डन, एकेश्वरवाद का प्रमाणीकरण , पैग़म्बर के आमंत्रण को स्वीकार न करने के बुरे परिणाम पर चेतावनी और हित-उपदेश , और सत्य के विरोध पर ताड़ना। वार्ताएँ सूरा का आरंभ बिना किसी भूमिका के सहसा एक चेतावनीयुक्त वाक्य से होता है । मक्का के काफ़िर (पैग़म्बर से) बार-बार कहते थे कि “ जब हम तुम्हें झुठला चुके हैं और खुल्लम-खुल्ला तुम्हारा विरोध कर रहे हैं तो आख़िर वह ईश्वरीय यातना क्यों नहीं आ जाती , जिसकी तुम हमें धमकियाँ देते हो। " इसपर कहा कि मूर्खों! ईश्वरीय यातना तो तुम्हारे सिर पर खड़ी है, अब उसके टूट पड़ने के लिए जल्दी न मचाओ बल्कि जो तनिक अवसर शेष है उससे लाभ उठाकर बात समझने की कोशिश करो । इसके पश्चात् तुरन्त ही समझाने हेतु अभिभाषण आरंभ हो जाता है और निम्नांकित विषय बार-बार एक के बाद दूसरे सामने आने शुरू होते हैं :
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%B2
अन-नह्ल
1. दिल को छूनेवाले प्रमाण और बाह्य जगत् और अन्तरात्मा के परिलक्षित खुले - खुले साक्ष्यों से समझाया जाता है कि बहुदेववाद लक्ष्यहीन और एकेश्वरवाद ही सत्य है ।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%B2
अन-नह्ल
2. इनकार करनेवालों के आक्षेपों , संदेहों , तर्कों और हीले - बहानों का एक - एक करके उत्तर दिया जाता है ।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%B2
अन-नह्ल
4. उन नैतिक और व्यावहारिक परिवतनों को संक्षिप्त किन्तु हृदयग्राही ढंग से बयान किया जाता है , जो मुहम्मद ( सल्ल . ) का लाया हुआ धर्म मानव जीवन में लाना चाहता
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अन-नह्ल
5. नबी ( सल्ल . ) और आपके साथियों की ढारस बँधाई जाती है और साथ - साथ यह भी बताया जाता है कि इनकार करनेवालों के विरोधी और अत्याचारों के मुक़ाबले में उनकी नीति क्या होनी चाहिए ।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%B2
अन-नह्ल
16|1|आ गया आदेश अल्लाह का, तो अब उसके लिए जल्दी न मचाओ। वह महान और उच्च है उस शिर्क से जो व कर रहे हैं
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अन-नह्ल
16|2|वह फ़रिश्तों को अपने हुक्म की रूह (वह्यल) के साथ अपने जिस बन्दे पर चाहता है उतारता है कि "सचेत कर दो, मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तुम मेरा ही डर रखो।"
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अन-नह्ल
16|5|रहे पशु, उन्हें भी उसी ने पैदा किया, जिसमें तुम्हारे लिए ऊष्मा प्राप्त करने का सामान भी है और हैं अन्य कितने ही लाभ। उनमें से कुछ को तुम खाते भी हो
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तोकेलाऊ
टोकेलाऊ की जनसंख्या लगभग १,५०० है, जो किसी भी संप्रभु राज्य या अधीन क्षेत्र में चौथी न्यूनतम जनसंख्या है। २०१६ की जनगणना के अनुसार, लगभग ४५% निवासियों का जन्म विदेशों में हुआ था, विशेषकर समोआ तथा न्यूजीलैंड में। यहाँ की जीवन प्रत्याशा ६९ है, जो अन्य ओशियान द्वीप देशों के समतुल्य है। लगभग ९४% आबादी टोकेलाउअन भाषा को पहली भाषा के रूप में बोलती है। टोकेलाऊ की दुनिया की सबसे छोटी अर्थव्यवस्था है, हालांकि यह अक्षय ऊर्जा में अग्रणी है, और दुनिया का पहला १००% सौर ऊर्जा संचालित क्षेत्र है।
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तोकेलाऊ
टोकेलाऊ को आधिकारिक तौर पर न्यूजीलैंड सरकार और टोकेलाऊ की सरकार, दोनों द्वारा राष्ट्र माना जाता है। यह एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र है, जहाँ हर तीन साल में चुनाव होता है। हालांकि, २००७ में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने टोकेलाऊ को गैर-स्वशासित क्षेत्रों की अपनी सूची में शामिल किया। सूची में इसका समावेश विवादास्पद है, क्योंकि टोकेलाऊ के लोगों ने दो बार आगे के आत्मनिर्णय के खिलाफ मतदान किया है और द्वीपों की छोटी आबादी स्व-शासन की व्यवहार्यता को कम करती है। टोकेलाऊ की विधायी, प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली का आधार टोकेलाऊ द्वीप समूह अधिनियम १९४८ है, जिसे कई अवसरों पर संशोधित किया गया है। १९९३ के बाद से, इस क्षेत्र ने सालाना अपनी सरकार के प्रमुख, उलू-ओ-टोकेलाऊ को चुना है। इससे पहले टोकेलाऊ का प्रशासक ही सरकार में सर्वोच्च अधिकारी हुआ करता था, और इस क्षेत्र का प्रशासन सीधे न्यूजीलैंड सरकार के एक विभाग द्वारा किया जाता था।
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तोकेलाऊ
टोकेलाऊ नाम एक पॉलिनेशियन शब्द है, जिसका अर्थ है "उत्तरी हवा"। अज्ञात समय में यूरोपीय खोजकर्ताओं द्वारा इन द्वीपों का नाम यूनियन आइलैंड्स और यूनियन ग्रुप रखा गया था। टोकेलाऊ आइलैंड्स नाम को १९४६ में आधिकारिक नाम के रूप में अपनाया गया था, और फिर ९ दिसंबर १९७६ को इसे छोटा कर सिर्फ 'टोकेलाऊ' कर दिया गया था।
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तोकेलाऊ
पुरातात्विक साक्ष्य इंगित करते हैं कि टोकेलाऊ - अताफू, नुकूनोनू और फाकोफो के प्रवालद्वीपों में लोग लगभग १,००० साल पहले बसे थे और पूर्वी पोलिनेशिया में "नेक्सस" हो सकते थे। इन लोगों द्वारा पॉलिनेशियन पौराणिक कथाओं का पालन किया जाता था, और ये स्थानीय देवता टुई टोकेलाऊ की पूजा करते थे। स्थानीय संगीत और कला के विकास में भी इन्हीं लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सामाजिक और भाषाई सामंजस्य बनाए रखते हुए तीनों प्रवालद्वीपों ने स्वतंत्र रूप से कार्य किया। टोकेलाऊ समाज मुख्य रूप से कुलों द्वारा शासित था, और कभी-कभी प्रवालद्वीपों के बीच झड़पों और युद्धों के साथ-साथ अंतर-विवाह भी होते थे। "मुख्य रूप से द्वीप", फकोफो, ने अताफू के फैलाव के बाद अताफू और नौकुन्नो पर कुछ प्रभुत्व रखा। मछली और नारियल पर निर्भरता के साथ, प्रवालद्वीपों का जीवन निर्वाह-आधारित था।
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तोकेलाऊ
कमोडोर जॉन बायरन ने २४ जून १७६५ को अताफू की खोज की और इसे "ड्यूक ऑफ यॉर्क आइलैंड" का नाम दिया। तट के लोगों ने बताया कि द्वीप में वर्तमान या पिछले निवासियों के कोई संकेत नहीं थे। बायरन की खोज के बारे में जानने के बाद कैप्टन एडवर्ड एडवर्ड्स ने ६ जून १७९१ को बाउंटी म्यूटिनरों की तलाश में अताफू का दौरा किया। कोई स्थायी निवासी नहीं थे, लेकिन घरों में कैनोज़ और मछली पकड़ने के गियर थे, जिससे कयास लगाए गए कि द्वीप का उपयोग मछली पकड़ने वाले दलों द्वारा अस्थायी निवास के रूप में किया गया था। १२ जून १७९१ को, एडवर्ड्स दक्षिण की ओर रवाना हुए और नुकनूनू की खोज की, जिसे उन्होंने "ड्यूक ऑफ़ क्लेरन्स आईलैंड" का नाम दिया। एक लैंडिंग पार्टी लोगों के साथ संपर्क नहीं बना सकी, लेकिन उन्होंने "मोरआईस" को देखा - लोगों को दफनाने वाले स्थानों को, और कैनोयों को "उनके मध्य में चरणों" के साथ लैगून में नौकायन करते देखा।
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तोकेलाऊ
२९ अक्टूबर १८२५ को यूएस स्ट्रॉन्ग ऑफ यूएसएस डॉल्फिन (१८२१) जहाज के अगस्त आर स्ट्रांग ने नुकुनोनू प्रवालद्वीप में अपने चालक दल के आगमन के बारे में लिखा: जांच करने पर, हमने पाया कि उन्होंने सभी महिलाओं और बच्चों को बस्ती से हटा दिया था, जो काफी छोटी थी, और उन्हें लैगून में एक चट्टान से दूर पड़ी डोंगी में डाल दिया। वे अक्सर किनारे के पास आते थे, लेकिन जब हम पास आते तो वे बड़े शोर-शराबे के साथ बाहर निकल जाते।
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तोकेलाऊ
१४ फरवरी १८३५ को यूनाइटेड स्टेट्स के व्हेलर जहाज जनरल जैकसन के कैप्टन स्मिथ ने फकोफो की खोज की, और इसे "डी'वुल्फ्स आइलैंड" नाम दिया। २५ जनवरी १८४१ को, संयुक्त राज्य अन्वेषण एक्सपेडिशन ने अताफू का दौरा किया और द्वीप पर रहने वाली एक छोटी आबादी की खोज की। निवासी उन्हें अस्थायी लगे; एक प्रमुख की कमी और दोहरी डोंगियों का होना (जो कि अंतर-द्वीप यात्रा के लिए उपयोग की जाती हैं) इस बात का सबूत माना गया था। वे नीले मोतियों और एक लोहे के टुकड़े के वस्तु-विनिमय के इच्छुक थे, जो इस बात का संकेतक था कि वे लोग विदेशियों से पहले भी मिल चुके थे। यह अभियान २८ जनवरी १८४१ को नुनकुनू पहुंचा, लेकिन निवासियों के बारे में कोई जानकारी दर्ज नहीं की। २९ जनवरी १८४१ को, अभियान ने फकोफो की खोज की और इसे "बोडिच" नाम दिया। यहाँ के निवासी भी दिखावट और प्रकृति में अताफू के लोगों के समान ही पाए गए।
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तोकेलाऊ
१८५६ और १९७९ के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दावा किया कि उसने मुख्य द्वीप और दूसरे प्रवालद्वीपों पर संप्रभुता कायम कर ली थी। हालाँकि १९७९ में, यू.एस. ने स्वीकार किया कि टोकेलाऊ न्यूजीलैंड की संप्रभुता के अधीन था, और फिर तुकेगा की संधि द्वारा टोकेलाओ और अमेरिकी समोआ के बीच एक समुद्री सीमा स्थापित की गई थी।
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तोकेलाऊ
टोकेलाऊ के अंतर्गत तीन प्रवालद्वीप आते हैं, जो दक्षिण प्रशांत महासागर में १७१°पश्चिम और १७३°पश्चिम के अक्षाशों और और ८°दक्षिण और १०°दक्षिण के देशान्तरों के बीच, हवाई और न्यूजीलैंड के लगभग मध्य में स्थित हैं। उत्तर में अताफू से दक्षिण में फकाफो तक, टोकेलाऊ २०० किमी से कुछ कम क्षेत्र तक फैला हुआ है। यह समोआ के उत्तर में लगभग ५०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। अताफू और नुकूनोनु, दोनों प्रवालद्वीपों के समूह को पहले ड्यूक ऑफ क्लेरेंस ग्रुप और फाकाओफो को बोर्डिच द्वीप कहा जाता था। उनका संयुक्त भूमि क्षेत्र १०.८ वर्ग किमी है। प्रवाल द्वीपों में कई कोरल द्वीप स्थित हैं, जहाँ गाँव स्थित हैं। टोकलाऊ का उच्चतम बिंदु समुद्र तल से सिर्फ ५ मीटर ऊपर है। यहाँ बड़े जहाजों के लिए कोई बंदरगाह नहीं हैं, हालांकि, तीनों प्रवालद्वीपों के पास एक जेटी है, जहां से सामान और यात्रियों को भेजा जाता है। टोकेलाऊ प्रशांत उष्णकटिबंधीय चक्रवात बेल्ट में स्थित है। स्वांस द्वीप (ओलोहेगा) नामक एक चौथा द्वीप, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से टोकेलाऊ का हिस्सा है, १९०० के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका के नियंत्रण में है और १९२५ के बाद से राजनीतिक रूप से अमेरिकी समोआ के हिस्से के रूप में प्रशासित किया जाता है।
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जेनोबिया
ओडेनैथस की मृत्यु के दो या तीन साल बाद रानी के रूप में ज़ेनोबिया का उल्लेख करने वाला पहला शिलालेख, इसलिए जब ज़ेनोबिया ने "पाल्मिरा की रानी" शीर्षक को अनिश्चित माना है। हालाँकि, वह शायद रानी के रूप में नामित थी जब उसका पति राजा बन गया। रानी के रूप में, ज़ेनोबिया पृष्ठभूमि में बने रहे और ऐतिहासिक रिकॉर्ड में उनका उल्लेख नहीं किया गया। बाद के खातों के अनुसार, जियोवन्नी बोकाशियो द्वारा एक सहित, वह अपने अभियानों पर अपने पति के साथ आई थी। अगर उनके पति के साथ उनके खाते सही हैं, तो दक्षिणी के अनुसार, ज़ेनोबिया ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया होगा और राजनीतिक प्रभाव प्राप्त किया होगा, जिसकी उन्हें बाद के कैरियर में ज़रूरत थी।
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जेनोबिया
ऑगस्टान हिस्ट्री के अनुसार, ओडेनाथस की हत्या मेयोनियस नामक चचेरे भाई ने की थी। अगस्तन इतिहास में, ओडेनाथस के बेटे की पहली पत्नी से उसका नाम हेरोड्स था और उसके पिता द्वारा सह-शासित ताज पहनाया गया था। ऑगस्टान हिस्ट्री का दावा है कि ज़ेनोबिया ने एक समय के लिए मेयोनियस के साथ साजिश रची क्योंकि उसने अपने सौतेले बेटे को अपने पिता के उत्तराधिकारी (अपने बच्चों से आगे) के रूप में स्वीकार नहीं किया था। ऑगस्टान हिस्ट्रीडोज़ ने यह नहीं बताया कि ज़ेनोबिया अपने पति की हत्या की घटनाओं में शामिल थी, और इस अपराध का श्रेय मेयोनियस के नैतिक पतन और ईर्ष्या को दिया जाता है। इतिहासकार अलारिक वॉटसन के अनुसार, इस खाते को काल्पनिक के रूप में खारिज किया जा सकता है। हालाँकि कुछ आधुनिक विद्वानों का सुझाव है कि ज़ेनोबिया राजनीतिक महत्वाकांक्षा और अपने पति की प्रो-रोमन नीति के विरोध के कारण हत्या में शामिल था, उसने सिंहासन पर अपने पहले वर्षों के दौरान ओडेनाथस की नीतियों को जारी रखा।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
जेनोबिया
ऑगस्टान हिस्ट्री में, मेओनियस अपने सैनिकों द्वारा मारे जाने से पहले संक्षिप्त रूप से सम्राट था, हालांकि, उसके शासनकाल के लिए कोई शिलालेख या प्रमाण मौजूद नहीं है। ओडेनाथस की हत्या के समय, ज़ेनोबिया अपने पति के साथ रही होगी; क्रॉसलर जॉर्ज सिनसैलस के अनुसार, उसे बिथिनिया में हेराक्लील पोंटिका के पास मार दिया गया था। ऐसा लगता है कि सिनसेलस ने रिपोर्ट दी थी कि हत्या के बाद सेना को ज़ेनोबिया को सौंपने का समय एक दिन सुचारू था। ज़ेनोबिया शायद पलमायरा में रहा होगा, लेकिन इससे एक चिकनी संक्रमण की संभावना कम हो गई होगी; सैनिकों ने अपने अधिकारियों में से एक को चुना हो सकता है, इसलिए उसके पति के साथ होने का पहला परिदृश्य अधिक होने की संभावना है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड इस बात पर एकमत हैं कि ज़ेनोबिया वर्चस्व के लिए नहीं लड़े थी और ओडेनैथस और ज़ेनोबिया के बेटे, दस वर्षीय वबलथुस के सिंहासन के हस्तांतरण में देरी का कोई सबूत नहीं है। यद्यपि उसने कभी अपने अधिकार में शासन करने का दावा नहीं किया और अपने बेटे के लिए एक रीजेंट के रूप में काम किया, ज़ेनोबिया ने राज्य में सत्ता की बागडोर संभाली, और वबलथुस को उसकी माँ की छाया में रखा गया, कभी वास्तविक शक्ति का प्रयोग नहीं किया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
जेनोबिया
पाल्माइरीन राजशाही नई थी; निष्ठा ओडेनैथस के प्रति निष्ठा पर आधारित थी, जिससे एक उत्तराधिकारी के लिए सत्ता का हस्तांतरण अधिक कठिन हो जाता था क्योंकि यह एक स्थापित राजशाही में होता था। ओडेनाथस ने अपने बड़े बेटे सह-राजा की ताजपोशी करके वंश के भविष्य को सुनिश्चित करने की कोशिश की, लेकिन दोनों की हत्या कर दी गई। ज़ेनोबिया, पल्माइन उत्तराधिकार को सुरक्षित करने और अपने विषयों की वफादारी को बनाए रखने के लिए छोड़ दिया, अपने दिवंगत पति और उसके उत्तराधिकारी (उसके बेटे) के बीच निरंतरता पर जोर दिया। वबलथुस (ज़ेनोबिया प्रक्रिया को ऑर्केस्ट्रेट करने के साथ) ने तुरंत अपने पिता के शाही खिताब को ग्रहण किया, और उनके शुरुआती ज्ञात शिलालेख ने उन्हें किंग्स के राजा के रूप में दर्ज किया।
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जेनोबिया
ओडेनाथस ने रोमन पूर्व के एक बड़े क्षेत्र को नियंत्रित किया, और इस क्षेत्र में सर्वोच्च राजनीतिक और सैन्य अधिकार रखा, जो रोमन प्रांतीय गवर्नरों को आकर्षित करता था।उनकी स्व-निर्मित स्थिति को सम्राट गैलेनियस द्वारा अधिकृत किया गया था,जिनके पास विकल्प के अलावा बहुत कम विकल्प थे। सम्राट और केंद्रीय प्राधिकरण के सापेक्ष ओडेनाथस की शक्ति अभूतपूर्व और लोचदार थी, लेकिन उनकी मृत्यु तक संबंध सुचारू रहे। उनकी हत्या का मतलब था कि पल्माइन शासकों के अधिकार और स्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिए, जिसके कारण उनकी व्याख्या पर विरोध हुआ। रोमन न्यायालय ने ओडेनाथस को एक नियुक्त रोमन अधिकारी के रूप में देखा, जो सम्राट से अपनी शक्ति प्राप्त करता था, लेकिन पाल्माइरेन अदालत ने अपनी स्थिति को वंशानुगत के रूप में देखा। यह संघर्ष सड़क पर रोम और पाल्मायरा के बीच युद्ध का पहला कदम था।
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जेनोबिया
ओडेनाथस के रोमन शीर्षक, जैसे कि डक्स रोमनोरम, करेक्टर टोटियस ओरिएंटिस और एम्पायर टोटियस ओरिएंटिस उनके शाही पूर्वी लोगों से भिन्न थे क्योंकि रोमन रैंक वंशानुगत नहीं थे। वबलथस के पास अपने शाही खिताबों के लिए एक वैध दावा था, लेकिन रोमन लोगों के पास कोई अधिकार नहीं था - विशेष रूप से सुधारक (रोमन प्रणाली में एक वरिष्ठ सैन्य और प्रांतीय कमांडर को दर्शाते हुए), जिसे ज़ेनोबिया ने अपने बेटे के लिए "किंग ऑफ किंग्स" के साथ अपने प्राचीनतम शिलालेखों में इस्तेमाल किया था। किंग्स हालांकि रोमन सम्राटों ने शाही उत्तराधिकार को स्वीकार कर लिया, रोमन सैन्य रैंक की धारणा ने साम्राज्य का विरोध किया। हो सकता है कि सम्राट गैलियेनस ने केंद्रीय अधिकार हासिल करने के प्रयास में हस्तक्षेप करने का फैसला किया हो; अगस्टन इतिहास के अनुसार, पूर्ववर्ती ओरेलियस हेराक्लियानस को पूर्व में शाही शासन का दावा करने के लिए भेजा गया था और पाल्मेइरेन सेना द्वारा उसे हटा दिया गया था। हालाँकि, यह संदिग्ध है, क्योंकि हेराक्लियन्स ने 268 में गैलियनस की हत्या में भाग लिया था। सम्राट होने से कुछ समय पहले ओडेनाथस की हत्या कर दी गई थी, और हेराक्लियन्स को पूर्व में भेजे जाने में असमर्थ रहा होगा, पल्मीरेनियों से लड़ेंगे और समय पर पश्चिम में वापस सम्राट के खिलाफ साजिश में शामिल हो जाएंगे।
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जेनोबिया
ज़ेनोबिया के क्षेत्रीय शासन के दौरान उसके प्रारंभिक शासनकाल की सीमा पर बहस हुई; इतिहासकार फर्गस मिलर के अनुसार, उनका अधिकार 270 तक पल्मायरा और एमेसा तक ही सीमित था। यदि यह मामला होता, तो 270 की घटनाएँ (जिनमें ज़ेनोबिया की लेवंत और मिस्र की विजय देखी गई) असाधारण हैं। यह अधिक संभावना है कि रानी ने अपने दिवंगत पति द्वारा नियंत्रित प्रदेशों पर शासन किया, दक्षिणी और इतिहासकार यूडो हार्टमैन द्वारा समर्थित एक दृश्य, और प्राचीन स्रोतों (जैसे रोमन इतिहासकार यूट्रोपियस) द्वारा समर्थित, जिन्होंने लिखा कि रानी उन्हें अपने पति की शक्ति विरासत में मिली। ऑगस्टान हिस्ट्री में यह भी उल्लेख किया गया है कि ज़ेनोबिया ने गैलियनस के शासनकाल के दौरान पूर्व पर नियंत्रण कर लिया था। विस्तारित क्षेत्रीय नियंत्रण के और सबूत बीजान्टिन के इतिहासकार ज़ोसीमुस का एक बयान था, जिसने लिखा था कि रानी का एंटिओक में निवास था।.
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जेनोबिया
प्राचीन स्रोतों के शत्रुता में उसके साथ रहने के लिए रानी के खिलाफ कोई अशांति दर्ज नहीं की गई है, जो नए शासन के लिए कोई गंभीर विरोध नहीं दर्शाता है। विपक्ष के लिए सबसे स्पष्ट उम्मीदवार रोमन प्रांतीय गवर्नर थे, लेकिन स्रोत यह मत कहो कि ज़ेनोबिया ने उनमें से किसी पर भी मार्च किया या उन्होंने उसे सिंहासन से हटाने की कोशिश की। हार्टमैन के अनुसार, पूर्वी प्रांतों के राज्यपालों और सैन्य नेताओं ने ओबेदानाथस के उत्तराधिकारी के रूप में वबलथस को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया और उनका समर्थन किया। ज़ेनोबिया के शुरुआती शासन के दौरान, उन्होंने फ़ारस के साथ सीमाओं की रक्षा करने और हौरान में तनुखिड्स को शांत करने पर ध्यान केंद्रित किया। फारसी सीमाओं की रक्षा के लिए, रानी ने यूफ्रेट्स (हालाबिये के गढ़-बाद में ज़ेनोबिया-और ज़लाबिए) सहित कई बस्तियों को किलेबंदी की। सस्सानिद फारसियों के साथ टकराव के लिए परिधिगत साक्ष्य मौजूद हैं; संभवत: 269 में, वबलथस ने फारस मैक्सिमस (फारस में महान विजेता) की जीत का खिताब ग्रहण किया; यह उत्तरी मेसोपोटामिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे फ़ारसी सेना के खिलाफ एक अनजानी लड़ाई से जुड़ा हो सकता है।
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जेनोबिया
269 ​​में, जब क्लॉडियस गोथिकस (गैलेनियस के उत्तराधिकारी) इटली और बाल्कन की सीमाओं का जर्मनी के आक्रमणों के खिलाफ बचाव कर रहे थे, ज़ेनोबिया अपने अधिकार को मजबूत कर रहा था; पूर्व में रोमन अधिकारियों को सम्राट के प्रति निष्ठा और ज़ेनोबिया की निष्ठा की बढ़ती माँगों के बीच पकड़ा गया था। पूर्व में अपने अधिकार को मजबूत करने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने के रानी के फैसले का समय और औचित्य स्पष्ट नहीं है; विद्वान गैरी के यंग ने सुझाव दिया कि रोमन अधिकारियों ने पाल्मेरीन अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया, और ज़ेनोबिया के अभियानों का उद्देश्य पैलिमरीन प्रभुत्व बनाए रखना था। एक और कारक रोमन केंद्रीय प्राधिकरण की कमजोरी और प्रांतों की रक्षा करने में इसकी असमर्थता हो सकती है, जिसने शायद ज़ेनोबिया को आश्वस्त किया कि पूर्व में स्थिरता बनाए रखने का एकमात्र तरीका इस क्षेत्र को सीधे नियंत्रित करना था। इतिहासकार जैक्स श्वार्ट्ज ने ज़ेनोबिया के कार्यों को पालमीरा के आर्थिक हितों की रक्षा करने की अपनी इच्छा से बांध दिया, जो कि प्रांतों की रक्षा के लिए रोम की विफलता से खतरे में थे। इसके अलावा, स्चवर्ट्ज़ के अनुसार, आर्थिक हितों ने संघर्ष किया; बोस्सरा और मिस्र को व्यापार प्राप्त हुआ जो अन्यथा पल्मायरा से होकर गुजरता था। बोस्त्रा के पास तनुखिड्स और अलेक्जेंड्रिया के व्यापारियों ने शायद ज़ेनोबिया से सैन्य प्रतिक्रिया शुरू करते हुए, पल्माइन के प्रभुत्व से छुटकारा पाने का प्रयास किया।
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सुरूद-ए-मिल्ली
5. "ज़ेर" का अर्थ है "नीचे", जैसे की हिन्दी-उर्दू में "ज़ेर-ए-ग़ौर" ("जिसपर ग़ौर किया जा रहा हो" या "ध्यान के नीचे") या "ज़ेर-ए-ज़मीन" ("ज़मीन के नीचे")। "ज़ेर-ए-परचम-ए-तू" का मतलब हुआ "तेरे परचम के नीचे"।
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6. "कशीदा" का अर्थ होता है "खिचा" या "खड़ा"। हिन्दी में "कशीदाकारी" ऍम्ब्रोइडॅरी (embroidery) को कहते हैं जिसमें धागे को सूई के ज़रिये कपड़े में से खींचा जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A6-%E0%A4%8F-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80
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8. "बरो-ए" केवल "बरा-ए" कहने का ताजिकी तरीक़ा है (जैसा की हिन्दी में कहते हैं "बरा-ए-महरबानी कुछ करिए", यानि "महरबानी के ज़रिये/ख़ातिर कुछ करिए")। "नंग" का मतलब होता है "इज़्ज़त" या "वह चीज़ जिस से इज़्ज़त जुड़ी हो"। संस्कृत का "नग्न" और हिन्दी का "नंगा" शब्द इस से सम्बन्ध रखते हैं। "नोम" केवल "नाम" बोलने का ताजिकी तरीक़ा है। "नंग-उ नोम-ए मो" का अर्थ हुआ "हमारे इज़्ज़त और नाम"।
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