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और प्रयोगशालाएँ स्थापित करने के लिए राज्यों को आवंटित किए गए हैं। जुलाई २०१५ तक, वर्ष २०१५-१६ के लिए ८४ लाख के लक्ष्य के मुकाबले किसानों को केवल ३४ लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी किए गए थे। अ
और प्रयो[MASK]शा[MASK]ाएँ स्थापित करने के लिए राज[MASK]यो[MASK] क[MASK] आवंटित [MASK]िए गए हैं।[MASK]जुलाई २०१५ तक, वर्ष २०१५-१६ के लिए ८४ लाख के ल[MASK]्ष्य के मुक[MASK][MASK]ले किसानों को केवल ३४ लाख म[MASK]दा स्वास[MASK]थ्य क[MASK]र्ड (एसए[MASK]सी) जा[MASK]ी किए गए थे। अ
रुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, केरल, मिजोरम, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से थे, जिन्होंने तब तक इस योजना के तहत एक भी एसएचसी जारी नहीं किया था। फरवरी 20१६ तक यह
रुणाचल प्रद[MASK][MASK], ग[MASK]वा, गुजरात, [MASK]रियाणा, केरल, मिजोरम[MASK] सिक[MASK]कि[MASK], तमिलनाडु, उत्तराखंड औ[MASK] पश्चिम [MASK][MASK]गाल उन राज्यों म[MASK]ं से थे, ज[MASK]न[MASK]होंने तब तक [MASK]स योजना के [MASK]हत एक [MASK][MASK] एसएचसी जारी नहीं [MASK]िय[MASK] था। फरवरी 20१६ तक [MASK]ह
संख्या बढ़कर १.१2 करोड़ हो गई फरवरी 20१६ तक, १04 लाख मिट्टी के नमूनों के लक्ष्य के मुकाबले, राज्यों ने 8१ लाख मिट्टी के नमूनों के संग्रह की सूचना दी और ५२ लाख नमूनों का परीक्षण किया। १६.०५.20१7 तक किस
संख्या बढ़कर १.१[MASK] [MASK]रोड़ हो गई [MASK]रवरी 20१६ तक, १04 लाख मिट्ट[MASK] [MASK][MASK] नमूनों क[MASK] लक्ष्य के मुकाबल[MASK][MASK] राज्यों ने 8१ लाख मिट्टी क[MASK] नमू[MASK][MASK]ं के संग्रह की सू[MASK][MASK]ा दी और ५२ लाख नमूनों का परी[MASK]्ष[MASK] किय[MASK]। १६.०५.20१7 तक किस
ानों को ७२५ लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं। २०१५-१६ के लिए लक्ष्य १०० लाख मिट्टी के नमूने एकत्र करना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लिए उनका परीक्षण करना है। २ करोड़ कार्ड छपाई
ानो[MASK] को ७२५ लाख मृदा स्वास्थ्य कार्[MASK] वितरित [MASK]िये ज[MASK] चुक[MASK] हैं। २०१५-१६ के लिए लक्ष्य १०० ला[MASK] मिट[MASK]टी के नमूने एकत्र [MASK]रना [MASK]र म[MASK]दा स्वा[MASK]्[MASK]्य क[MASK]र्ड जारी करने के ल[MASK]ए उनका परीक्षण करन[MASK] है। २ करोड़ कार्ड छपाई
के अधीन हैं और मार्च २0१६ से पहले वितरित किए जाएंगे सरकार की योजना २017 तक 1२ करोड़ मृदा कार्ड वितरित करने की है भारत में सरकारी योजनाएँ भारत में कृषि २०१५ में भारतमहात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना
के अधीन है[MASK] और मार्[MASK] २0१६ से [MASK]हल[MASK] वित[MASK]ित क[MASK]ए [MASK]ाएंगे सरकार की योजना २017 तक 1२ करोड़ मृदा कार्ड वितरित करने की है[MASK]भा[MASK]त में सर[MASK]ारी योजन[MASK]एँ भारत में कृषि २०१५ मे[MASK] भारतमहात्[MASK]ा गांध[MASK] प्र[MASK]ासी सुरक्षा यो[MASK]ना
एक विशेष सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसमें पेंशन और जीवन बीमा शामिल है, जो प्रवासी जांच आवश्यक (ईसीआर) पासपोर्ट रखने वाले विदेशी भारतीय श्रमिकों के लिए प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू की
एक विशेष सामाज[MASK]क सुरक्षा योजना है [MASK]ि[MASK]में पेंशन [MASK]र जीवन बीमा शामिल है, जो [MASK]्रवासी जांच आवश[MASK]यक (ईसीआर) पा[MASK]प[MASK]र्ट र[MASK][MASK]े वाल[MASK] विदेशी भारतीय श्रमि[MASK][MASK]ं के लिए प्रवासी [MASK]ार[MASK]ीय मामलों के मं[MASK]्रालय द्वारा शु[MASK]ू क[MASK]
गई है। यह एक स्वैच्छिक योजना है जो श्रमिकों को उनकी तीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए बनाई गई है: सेवानिवृत्ति के लिए बचत, उनकी वापसी और पुनर्वास के लिए बचत, और प्राकृतिक कारणों से
गई है। यह एक स्व[MASK]च्[MASK]िक य[MASK]जना है [MASK]ो [MASK]्रमिकों को उनकी तीन वित[MASK]त[MASK]य जरूरतों को [MASK]ूरा करने [MASK]ें मदद कर[MASK]े के लिए ब[MASK]ाई गई है: सेवानिवृत्ति के लि[MASK] [MASK]च[MASK], [MASK]नकी वापसी और पुनर[MASK]व[MASK]स के लि[MASK] ब[MASK]त, और प्राकृतिक कारणों से
मृत्यु के लिए मुफ्त जीवन बीमा कवरेज प्रदान करना। भारत में सरकारी योजनाएँशाक्य राजवंश की राजकुमारी सुंदरी नंदा, जिन्हें सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है, राजा शुद्धोदन (सिद्धार्थ गौतम के पिता) और रानी
मृत[MASK]यु के लिए मुफ्त ज[MASK]वन बीमा कवरेज प्रदान [MASK]रना। भ[MASK]रत [MASK]ें सरकारी योजनाएँशाक्य राजवंश की राजकुम[MASK]री सुंदरी नंदा, जिन्हें सुंदरी के नाम से भी जाना जात[MASK] है, राजा शुद्धो[MASK]न (सिद्ध[MASK]र्थ गौतम के पिता) [MASK]र [MASK]ानी
महापजापति गोतमी (सिद्धार्थ गौतम की मौसी) की पुत्री थीं। सिद्धार्थ गौतम के ज्ञान-प्राप्ति के उपरांत उन्होंने संन्यास लेने का निर्णय किया और कुछ समय उपरान्त एक अर्हंत बन गईं। वह बुद्ध द्वारा निर्दिष्ट ध
मह[MASK]पजापति गोतमी (सिद्धार्थ गौतम की म[MASK]स[MASK][MASK] की पुत्री थीं। सिद्धार्थ ग[MASK]तम के ज्ञा[MASK]-प[MASK]रा[MASK]्ति के [MASK]परांत उन्होंने संन्[MASK][MASK]स लेने का निर[MASK]णय किया और कुछ समय उ[MASK]रान्[MASK] एक अर्हं[MASK] बन गईं[MASK] वह बुद्ध द्वारा नि[MASK]्दिष्ट [MASK]
्यान की परंपरा में भिक्षुणियों के बीच अग्रणी मानी गयी है। सुन्दरी ६वीं सदी ईसा पूर्व में उत्तर भारत (बिहार और उत्तर प्रदेश) में रहती थीं। उनके पिता राजा शुद्धोदन, जो सिद्धार्थ के पिता भी थे, और उनकी म
्यान क[MASK] पर[MASK]परा में भ[MASK][MASK]्षुणियों के बीच अग्रणी म[MASK]नी गयी है। सुन्[MASK]री [MASK]व[MASK]ं सदी ईसा पूर्व में उ[MASK]्तर भारत (बिहार औ[MASK] उ[MASK]्तर प्रदेश) म[MASK]ं [MASK]हती [MASK]ी[MASK]। उनके पिता राजा शुद[MASK]धो[MASK]न, जो सिद्धार्थ के प[MASK]ता भी थे, और उ[MASK]की म
ां महाप्रजापति थीं। महाप्रजापति शुद्धोदन की दूसरी पत्नी थीं, जो उनकी पहली पत्नी रानी माया की छोटी बहन थीं। नंदा का नाम आनंद, संतोष और सुख का है. उनके माता-पिता सुंदरी के जन्मने पर विशेष रूप से आनंदित
ा[MASK] महाप्रज[MASK][MASK]त[MASK] थीं। महाप्रजापति शुद्धोदन की द[MASK]सरी पत्नी थीं[MASK] जो उनक[MASK] पहल[MASK] पत्नी रा[MASK][MASK] माय[MASK] की छोटी [MASK]हन थीं[MASK] नंदा क[MASK] नाम आनंद, संतोष और सुख का है. उनके माता-पिता [MASK]ुंदर[MASK] क[MASK] जन्मने [MASK]र विशे[MASK] रूप से आनंदित
थे। उसकी सुंदरता दिन-प्रतिदिन प्रखर हो रही थी, इसलिए उन्हे बाद में "जनपद कल्याणी" के रूप में जाना जा गया। समय के साथ, उसके परिवार के कई सदस्यो (कपिलवस्तु के शाक्य वंश) ने अपने सांसारिक जीवन को त्यागकर
थ[MASK]। उसकी स[MASK]ंदरता दिन-प्रतिदि[MASK] प्रखर हो रही थी, इसलिए उन्हे बाद में "जनपद क[MASK]्याणी" के रू[MASK] में जाना जा गया। समय के साथ, उ[MASK]क[MASK] [MASK]र[MASK]वार के कई सदस्यो (क[MASK]िलवस्तु के शाक्य वंश) ने अपने सांस[MASK]रिक जीवन को त्या[MASK]कर
संन्यासी जीवन में प्रवृत्त होने का प्रेरणा लिया जिसमे उनके भाई नंदा और दो चचेरे भाई अनुरुद्ध और आनंद भी थे। उसकी मां, महाप्रजापति, संघ की प्रथम बौद्ध भिक्षुणी बनी. उन्होंने बुद्ध से संघ में महिलाओं क
संन्[MASK][MASK]सी [MASK]ीवन में प्रवृत्त होने का प[MASK]र[MASK][MASK]णा ल[MASK]या जिसमे उनके भाई नंदा और दो चचेरे भ[MASK]ई अ[MASK]ुरु[MASK]्ध और आनंद भी थे[MASK] उसक[MASK] मां, म[MASK]ाप्रजापति, संघ की प्[MASK]थम ब[MASK]द्[MASK] भिक्ष[MASK]णी बनी. उन्होंने [MASK]ुद्ध से संघ में [MASK]हिल[MASK]ओं क
ो शामिल करने की अनुमति देने के लिए प्रार्थना की थी। इसके परिणामस्वरूप, कई अन्य शाक्य स्त्रियाँ, जिसमें सिद्धार्थ की पत्नी राजकुमारी यशोधरा भी थी, बौद्ध विक्षुणी बनी। इस पर, नंदा ने भी संसार का त्याग क
ो शाम[MASK]ल करने की अनुमति द[MASK]ने क[MASK] लिए प्रार्थना की थी। इसके [MASK]रिणामस्वरूप, कई अन्य शा[MASK]्य स्त्रियाँ, जिसमें सिद्धार्थ की पत्नी राजकुमार[MASK] यश[MASK]धरा भी थी, बौद्ध विक्षुणी बनी। [MASK]स पर, नंदा ने भी संसार का त्याग क
िया, परन्तु यह कहा गया है कि वह इसे बुद्ध और धर्म में आत्म-विश्वास के लिए नहीं किया, बल्कि सिद्धार्थ के प्रति भ्रातृ-प्रेम और संबंध के भावना के कारण किया था। सुंदरीनंदा का ध्यान आरम्भ में अपने सौन्दर्
[MASK][MASK]ा, परन्तु यह क[MASK]ा गया ह[MASK] [MASK]ि [MASK]ह इसे बुद्ध औ[MASK] धर्म में आत्म-[MASK]िश्वास के लिए नह[MASK]ं किया, बल्कि सिद्धार्[MASK] के प्रति भ[MASK]रातृ-प्रेम और संबंध के भाव[MASK]ा के कार[MASK] किया था। [MASK]ुंदरीनंद[MASK] का [MASK]्[MASK]ान आरम्भ में अपने सौन्दर्
य पर केंद्रित था। वह दृढ़ता पूर्वक ध्यान की उच्च परम्पराओं का पालन नहीं कर रही थी, जो अन्य शाक्य राजवंश के कई सदस्यों ने अपने लौकिक जीवन को त्यागने के लिए रचे थे. बुद्ध उनकी निन्दा करेंगे, इसलिए वह बह
[MASK] पर केंद्रित था। वह [MASK]ृढ[MASK]ता [MASK]ूर्वक ध्य[MASK]न [MASK]ी उच्च परम्पराओं का पालन नहीं कर र[MASK]ी [MASK]ी, जो अन्य शाक[MASK]य रा[MASK]वंश के कई सदस्यों ने अपने लौक[MASK]क जीवन को त्यागने के लिए रचे थे. ब[MASK]द्ध उनकी न[MASK]न्दा करें[MASK]े, इसलिए वह बह
ुत समय तक उससे बचती रही।परन्तु अन्तत: उन्होने बुद्ध से सन्यास की दीक्षा ली। एक दिन, बुद्ध ने सभी भिक्षुणियों से व्यक्तिगत रूप में अपने शिष्य के रूप में उनकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहा, लेकिन नंदा
ुत समय त[MASK] उससे बचती रही।परन्तु अ[MASK]्तत: उन्होने बुद्ध से सन्यास की दीक्षा ली[MASK] एक दिन, बुद्ध ने सभी भिक्षुणियों स[MASK] व्यक[MASK]तिगत [MASK]ूप में अप[MASK]े शिष्य के [MASK]ूप मे[MASK] उनकी शिक्षा प्र[MASK]प्[MASK] करन[MASK] क[MASK] ल[MASK]ए कहा, लेक[MASK]न नंदा
ने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से उसे बुलवाया, और फिर वह सलज्ज और चिंत्य भाव से पहुँची। बुद्ध ने उससे बात की और उसकी सभी सकारात्मक गुणों की प्रशंसा की, ताकि नंदा उसकी बातों को इच
ने उसक[MASK] आज्ञा का पालन नहीं किया। बुद्ध ने स्[MASK]ष्ट रूप से उसे बुलवाया, औ[MASK] फिर वह सलज्ज और [MASK]िंत्य भाव [MASK]े पहुँ[MASK]ी। बुद्ध ने उससे बात [MASK]ी और उसकी स[MASK]ी सकारात्मक ग[MASK]णों की प्[MASK]शंसा की, ताक[MASK] नं[MASK]ा [MASK][MASK]की बातों को इच
्छुक रूप से सुने और उसमें आनंदित हो। बुद्ध की शिक्षा को उन्होंने सप्रसन्न स्वीकार कर लिया. बुद्ध की यौगिक शक्ति से सुंदरी ने देखा कि कैसे उनकी युवावस्था और सुंदरता का नाश हो रहा है. इस दृश्य का उनके ऊ
्छुक रूप से सुने और उसमे[MASK] आनंदित हो। बुद्ध क[MASK] शिक्षा को उन्हो[MASK]ने सप्रसन्न स[MASK]वीक[MASK]र कर लिया. बुद्ध क[MASK] यौ[MASK]िक शक्ति से सुंदरी ने देखा [MASK]ि कैसे [MASK]नकी युवावस्था और सुंदरता का नाश हो रहा है. इस दृश्य का उनके [MASK]
पर गहरा प्रभाव पड़ा. नंदा को इस प्रभावी छवि को देखने के बाद, बुद्ध ने उससे इस तरह से अनित्य की धारणा को समझाया कि उसने इसकी सत्यता को पूरी तरह से समझा, और इस प्रकार निब्बान की सर्वोत्तम आनंद को प्राप्
[MASK]र गहरा प्र[MASK]ाव प[MASK]़ा. नं[MASK]ा [MASK]ो इस प्रभावी छवि को देखने के बाद, बु[MASK]्ध ने उससे [MASK]स तरह से अनित्[MASK] की [MASK]ारणा को समझाया [MASK]ि उसने इ[MASK]की सत्यता को पूरी तरह स[MASK] [MASK]मझ[MASK], और इ[MASK] प्रक[MASK]र नि[MASK]्बान की सर्व[MASK]त्तम आनंद को प्राप्
त किया। बाद में बुद्ध ने सुंदरी नंदा को उन भिक्षुणियों में मान्यता दी जिन्होंने ध्यान की प्रथा में प्रमुख स्थान प्राप्त किया था। अर्हन्त बनाने के उपरांत इस पवित्र सुख का आनंद लेते हुए, उनको और किसी इं
त किया[MASK] बाद में [MASK]ुद[MASK]ध [MASK]े सु[MASK]दरी नं[MASK]ा को उन [MASK]िक[MASK][MASK]ुणियों में मान[MASK]यता [MASK]ी जिन्हो[MASK]ने [MASK]्या[MASK] की प्रथा में प्रम[MASK]ख स्थान प्[MASK]ाप्त क[MASK]या था। अर्हन्त ब[MASK]ाने [MASK]े उपरांत इस पव[MASK]त्र सुख का आनंद लेते हुए, उनको [MASK]र किसी [MASK]ं
द्रिय सुख की आवश्यकता नहीं थी और शीघ्र ही उसने अपनी आत्मिक शांति पाई. बुद्धचरित - अश्वघोषअसम लोक सेवा आयोग एपीएससी (अंग्रेजी: असम पब्लिक सर्विस कमिश्न) असम सरकार के अधीन राज्य के सभी सरकारी सरकारी विभ
द्र[MASK]य सुख की आवश्यकता नहीं थी और श[MASK]घ्र ही उसने अपनी आत्मिक शा[MASK]ति पाई. बु[MASK]्धचरित - अश्वघ[MASK]षअस[MASK] लोक सेवा आयोग ए[MASK]ीएससी (अ[MASK]ग्रेजी: असम पब्लिक सर्व[MASK]स कमिश्न) असम सरकार के अ[MASK]ीन राज्य [MASK]े सभी सरकारी सरका[MASK]ी [MASK]िभ
ागों में ग्रुप-ए एवं ग्रुप-बी सिविल सेवा के खाली पदों पर पात्र उम्मीदवारों का चयन करने के लिए एक राज्य भर्ती एजेंसी है, इसकी स्थापना असम सरकार के प्रावधान के अनुसार १ अप्रैल १937 को असम लोक सेवा आयोग
ा[MASK]ों म[MASK]ं ग्रुप-ए एवं ग्रुप-बी [MASK]ि[MASK]िल सेवा के खाली पदों पर [MASK]ात्[MASK] उम्मीदवारों का चयन करने के लिए एक [MASK]ाज्य भर्ती एजेंसी है, इ[MASK]की स्[MASK]ापना असम सरकार के प्रावधान क[MASK] अनुसार १ अप्रै[MASK] १937 को असम लोक सेवा आयोग
अस्तित्व में आया। संघ लोक सेवा आयोग के संविधान द्वारा बनाई गई ये एक सरकारी संस्था है लोक सेवा आयोग से संबंधित प्रावधान संविधान के भाग-क्सीव के अध्याय-ई में दिए गए हैं। संविधान में प्रावधान राज्य सेवाओ
अस्ति[MASK]्व में आया। संघ लोक सेवा आयोग क[MASK] संव[MASK]धा[MASK] द्व[MASK][MASK]ा [MASK]नाई [MASK]ई य[MASK] [MASK]क [MASK]रकारी संस्था है लोक सेवा आयोग स[MASK] संबंध[MASK]त प्रावधान संविधान के [MASK]ाग-क्सीव के [MASK]ध्याय-ई में [MASK]िए गए हैं। संविध[MASK]न में प्रावधान र[MASK]ज्य सेवाओ
ं से संबंधित मामलों से निपटने के लिए आयोग की क्षमता सुनिश्चित करता है और उन्हें किसी भी क्षेत्र के प्रभाव से स्वतंत्र तरीके से अपने कर्तव्य करने की क्षमता देता है, आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्
ं से संबंधित मामल[MASK]ं से [MASK]िपटने के लिए आयोग की क्षमता [MASK]ुनिश्चि[MASK] करता [MASK]ै [MASK]र उन्हें किसी भ[MASK] [MASK]्षेत्र [MASK][MASK] प्रभाव से स्वतंत्र त[MASK]ीके से अपने कर्तव्य [MASK][MASK]ने की क्षमता देता है, आयोग के अध[MASK]यक्ष औ[MASK] सदस्यों की नियुक्
ति असम राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है वर्तमान समय में आयोग में १ अध्यक्ष और ६ सदस्य हैं। असम लोक सेवा आयोग का प्रथम कार्य राज्य के सरकारी विभागों (जैसे- प्रशासनिक, कृषि, पुलिस, शिक्षा, आवास, वित्
ति असम राज्य के राज्यपाल द्व[MASK][MASK]ा की जाती है वर्तमान स[MASK]य [MASK]े[MASK] आयोग में [MASK] अध्यक्ष और ६ सदस्य हैं। असम लोक सेवा आयो[MASK] का प्रथम कार्य र[MASK]ज्य के सरकारी व[MASK]भागों (जैसे[MASK] प्रशासनिक, [MASK]ृषि, पुलिस, शिक्षा, आ[MASK]ास, वित्
त, परिवहन) में सिविल सेवा पदों पर पात्र उम्मीदवारों के लिए संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करना है। असम सरकार के प्रावधान के अनुसार असम लोक सेवा आयोग १ अप्रैल १९३७ को अस्तित्व में आया था। भारतीय अध
त, परिवहन) में सिविल सेवा प[MASK]ों पर [MASK]ात[MASK]र उम्मीदवा[MASK][MASK]ं के लिए संयुक्[MASK] [MASK]्रतिय[MASK]ग[MASK] परीक्षा का आयोजन करना है। असम [MASK]रकार के प्रावधान के अनुसार अस[MASK] लोक सेवा आयोग १ अप[MASK][MASK]ैल १[MASK]३७ को अस्तित्व में आया था। भारतीय अध
िनियम १९३५ इससे पहले आयोग अध्यक्ष लंदन के एक रिटायर्ड आईसीएस अधिकारी श्री जेम्स हेज़लेट थे, १९५१ में एक नया विनियमन आने तक श्री जेम्स हेज़लेट के बाद पांच और रिटायर्ड आईसीएस अधिकारियों को अलग-अलग समय क
िनियम १९३५ इससे [MASK]हले आयोग अध्यक्ष लंदन के [MASK]क रिटायर्ड आईसीए[MASK] अधिका[MASK]ी श्री जेम्स हेज़लेट थे, १९५१ में एक नया वि[MASK]ियमन आने तक श्री जेम्स हेज़लेट के बाद [MASK][MASK]ंच और रिटायर्ड आईसीएस अधिकारियों को अलग-अलग सम[MASK] क
े अध्यक्ष बनाया गया, भारत गणतंत्र बनने के बाद भारत के संविधान के अनुच्छेद ३१८ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए असम सरकार के राज्यपाल द्वारा आयोग के नए नियम बनाए गए और ये १ सितंबर १९५१ से लाग
[MASK] [MASK]ध[MASK]यक्ष बनाया गया, भारत गणतंत्र बनने के बाद भारत [MASK]े संविधान के अनुच्छ[MASK]द ३१८ [MASK]्वारा प[MASK]रदत्त शक्त[MASK]यों क[MASK] प्रय[MASK]ग कर[MASK]े हुए अ[MASK]म सरकार [MASK]े राज्य[MASK]ाल द्वारा आयोग के नए नियम बनाए गए और [MASK]े १ सि[MASK]ंबर १९५१ स[MASK] लाग
ू हुए। असम लोक सेवा आयोग ने उसी वर्ष कार्यों की सीमा विनियमन को संविधान के अनुच्छेद ३२० के खंड ई के प्रावधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने हेतु सुनिश्चित किया गया। असम राज्य के प्रतिष्ठित शिक
ू हु[MASK]। [MASK]सम लोक से[MASK]ा [MASK][MASK]ोग ने उसी [MASK][MASK]्ष कार्यों [MASK]ी सीमा विनि[MASK]मन को संव[MASK][MASK]ान के अनुच्छ[MASK]द [MASK]२० के खंड ई क[MASK] प्र[MASK][MASK]धान द्[MASK]ारा प्रदत[MASK]त शक[MASK][MASK]ियों का [MASK]्रयोग करने हे[MASK]ु स[MASK]निश्[MASK]ित किया [MASK]य[MASK]। अ[MASK]म राज्य के प[MASK]रतिष[MASK]ठित शिक
्षाविद् श्री कामेश्वर दास, अप्स्क विनियम १९५१ की घोषणा होने के बाद आयोग के पहले गैर आधिकारिक अध्यक्ष थे उन्होंने जुलाई १952 तक अध्यक्ष पद का कार्यकाल संभाल। असम लोक सेवा आयोग अपने कर्तव्य और कार्यों क
्षाविद् श्र[MASK] कामेश[MASK]वर दास, अप्स्क विनिय[MASK] १९५१ की [MASK]ोषणा होने के बाद आयोग के पहले [MASK][MASK]र आधिकारिक अध्यक्ष थे उन्[MASK]ो[MASK]ने जुलाई [MASK]952 तक [MASK]ध्यक्ष पद क[MASK] का[MASK]्यकाल संभाल। असम लोक सेवा आय[MASK]ग अपने कर्[MASK]व[MASK]य [MASK]र कार्[MASK]ों [MASK]
ा निर्वहन करने के लिए भारत के संविधान अनुच्छेद ३२० के अनुसार आयोग का अध्यक्ष राज्य के राज्यपाल द्वारा संबोधित कुछ नियमों और विनियमों के तहत आदेश लेने के लिए स्वतंत्र है। राज्य सरकार की विभिन्न सेवाओं
ा निर्वहन कर[MASK]े के लिए भारत के संविधान अनुच्छेद ३२० के अनुसार आयोग का अध्य[MASK]्ष रा[MASK]्य के राज्यपा[MASK] द्[MASK]ारा संबोध[MASK]त [MASK]ु[MASK] नियमों और विनियमों [MASK]े [MASK]हत आदे[MASK] लेने के लिए [MASK]्वतंत्र है। र[MASK]ज्य सरकार की [MASK]िभिन्न से[MASK]ाओ[MASK]
में सीधी भर्ती के लिए उम्मीदवारों का चयन करना सरकार को सलाह देने के लिए आयोग के दायरे में सरकार के अधीन सेवारत अधिकारियों को प्रभावित करने वाले सभी अनुशासनात्मक केस सरकारी विभागों के भर्ती नियमों/सेवन
में सीध[MASK] [MASK]र्ती के लिए उम्मीदवारों का च[MASK]न करना सरक[MASK]र को सलाह देने के लि[MASK] आ[MASK]ोग [MASK]े दायरे [MASK][MASK]ं सरकार के अध[MASK][MASK] सेवारत अ[MASK]िकारि[MASK]ों को प्[MASK]भावित करने वाले सभ[MASK] अ[MASK]ुशासनात्मक केस सरकारी विभागों के भर्ती नियमों/सेवन
नियमों को लागू करने के लिए संबंधित सभी मामलों पर सरकार को सलाह देना सिविल सेवाओं में भर्ती की पद्धति के संबंध में सरकार को सलाह देना सरकारी कर्मचारियों के संबंध में सुरक्षा और सैलरी निर्धारण से संबंध
नियमों क[MASK] लागू करने के लिए संबंधित [MASK]भी [MASK]ामल[MASK]ं पर सरकार को [MASK]लाह देना सिविल सेवाओ[MASK] [MASK]ें भर्ती क[MASK] [MASK]द्धति के संबंध म[MASK]ं स[MASK]कार को सलाह देना सरकार[MASK] कर्मचारि[MASK]ों के [MASK]ंबंध [MASK]ें सुर[MASK]्ष[MASK] और स[MASK]ल[MASK]ी नि[MASK]्धारण से स[MASK]ब[MASK]ध
ित मामलों पर सरकार को सलाह देना सरकारी सेवाओं के लिए इंटरव्यू/स्क्रीनिंग टेस्ट/ लिखित परीक्षा का आयोजित करना एपीएससी भर्ती परीक्षा एपीएससी संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा असम सिविल सेवा (जूनियर ग्रेड) असम प
ित [MASK]ा[MASK][MASK][MASK]ं पर सरकार को सल[MASK]ह देना[MASK]सरकारी सेवाओ[MASK] [MASK]े ल[MASK]ए [MASK]ं[MASK]रव्यू/स्क्रीनिंग टेस्ट/ लिखित [MASK]रीक्[MASK]ा का आयो[MASK]ित करना एपीएससी भर्ती परीक्षा एप[MASK]एसस[MASK] [MASK]ंयुक्त प्रतियोगी परीक्षा असम सिविल सेव[MASK] (जूनियर ग्रे[MASK]) असम प
ुलिस सेवा (जूनियर ग्रेड) असम वित्त सेवा (जूनियर ग्रेड ई) आयोग के वर्तमान पदाधिकारी सूची यह भी देखें असम का इतिहास असम के लोक नृत्य असम की चाय बागान समुदाय असम में उच्च शिक्षा के संस्थानों की सूची एपीए
ुलिस सेवा (जून[MASK]यर ग्रेड) असम व[MASK]त्त से[MASK]ा (जूनियर ग्र[MASK]ड ई) आयोग [MASK]े व[MASK]्तमान पद[MASK]धिकारी सूची [MASK]ह भी देखें असम का इतिहास असम के लोक नृत[MASK]य असम की चाय बागान समुदाय असम में उच्च शिक्षा के [MASK][MASK]स्थानों क[MASK] सूची एपीए
ससी आधिकारिक वेबसाइट असम भर्ती आधिकारिक वेबसाइट एपीएससी भर्ती पोर्टल भारतीय राज्यों के लोकसेवा आयोगअरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम (पूर्व नाम: फ़िरोज़ शाह कोटला ग्राउण्ड) दिल्ली का एक प्रमुख खेल का मैदान
ससी आधिकारिक [MASK]ेबसाइट [MASK]सम भर्ती आ[MASK]ि[MASK]ार[MASK]क वेब[MASK]ाइट एपीएससी [MASK]र्[MASK]ी प[MASK]र्ट[MASK] भारतीय राज्यों के लोकसेवा आयोगअरु[MASK] जे[MASK]ली क्रिकेट स्टेडियम (प[MASK]र्व नाम: [MASK]़ि[MASK]ोज़ शाह कोटला ग्रा[MASK]ण्ड) दिल्ली का ए[MASK] प्रमुख खेल क[MASK] मै[MASK]ान
है। यहाँ क्रिकेट खेला जाता हैं। स्टेडियम का पहले नाम फ़िरोज़ शाह कोटला ग्राउण्ड था किन्तु मोदी सरकार ने इसका नाम पूर्व वित्त मन्त्री श्री अरुण जेटली जी केे नाम पर अरुण जेटली स्टेडियम कर दिया। विश्व के
ह[MASK]। यहाँ क्रिक[MASK]ट खेला ज[MASK]ता हैं। स्टेडिय[MASK] का पहले नाम फ़िरोज़ शाह कोटला ग्राउण्ड था किन्तु मो[MASK]ी स[MASK]कार ने इसका नाम प[MASK]र्व वित्त मन्[MASK][MASK]री श्री अरुण जे[MASK]ली जी केे नाम पर अ[MASK]ु[MASK] जे[MASK]ली स्टे[MASK]ियम कर दिया। विश्व के
प्रमुख खेल मैदान भारत के प्रमुख खेल मैदानपशुपालन विभाग महाराष्ट्र में पशुपालन की देखभाल के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित एक विभाग है। महाराष्ट्र में पशुपालन महाराष्ट्र में कई किसान अपनी आजीविका
प्[MASK][MASK]ु[MASK] खेल मैदान भारत के प्रमुख [MASK]े[MASK] मैदान[MASK]शुपालन विभाग महाराष्ट्र में पशुपालन की देखभाल के लिए महाराष[MASK]ट्र सरक[MASK]र द्वार[MASK] [MASK]ंचालित एक विभाग है। महाराष्ट्र [MASK]ें पशुपालन मह[MASK]राष्ट[MASK]र [MASK]ें कई किसा[MASK] अपन[MASK] आजीविका
के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं। दूध,मांस,अंडे,ऊन, उनकी खाद (गोबर) और खाल की आपूर्ति के अलावा, जानवर, मुख्य रूप से बैल, किसानों और ड्रायर्स दोनों के लिए शक्ति का प्रमुख स्रोत हैं। इस प्रकार पशुपालन ग्रा
के लिए पश[MASK][MASK]ा[MASK]न पर [MASK]िर[MASK]भर हैं। द[MASK]ध,मांस[MASK]अंडे,ऊन, उ[MASK]की खाद (ग[MASK]बर) और खाल की आपूर्ति क[MASK] अलावा, जानवर, मुख्य र[MASK]प से बैल, [MASK]िसानों और ड्[MASK]ायर्[MASK] दोनों के लिए शक्त[MASK] का प्रमुख स्रोत [MASK]ैं। इस [MASK]्र[MASK]ार पशुपाल[MASK] [MASK]्रा
मीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वित्त वर्ष २०१५-१६ में इस क्षेत्र से उत्पादन का राष्ट्रीय सकल मूल्य ८,१२३ अरब रुपये था। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालय भारत में पशुपालनपशुपालन और डेयरी
मीण अर्थ[MASK][MASK][MASK]वस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वित्त वर्ष २०१५-१६ में इस क्षे[MASK]्र से उत्प[MASK]दन का र[MASK]ष्ट्रीय [MASK]कल मू[MASK]्य ८,[MASK]२३ अरब रुपये था।[MASK]महाराष[MASK]ट्र के सरकार[MASK] मंत्रालय भारत म[MASK][MASK] पशुपालनपशुपाल[MASK] और [MASK]ेयरी
विभाग (डीएएचडी) एक भारत सरकार का विभाग है। यह मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का एक सहायक विभाग है जिसे २०१९ में एक नए भारतीय मंत्रालय के रूप में गठित किया गया था।डीएएचडी या पूर्ववर्ती पशुपालन,
[MASK]ि[MASK]ा[MASK] (ड[MASK]एएचडी) एक भा[MASK]त स[MASK]कार का विभाग है। यह मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय क[MASK] एक सहा[MASK]क विभा[MASK] है जिस[MASK] २०१९ में एक नए भार[MASK]ीय मंत्रा[MASK]य के रूप में गठित किया गया [MASK]ा।डीएएचडी या पूर[MASK]व[MASK]र्ती पशु[MASK]ा[MASK][MASK],
मत्स्य पालन और डेयरी विभाग का गठन १९९१ में कृषि और सहयोग विभाग के दो प्रभागों, अर्थात् पशुपालन और डेयरी विकास, को एक अलग विभाग में विलय करके किया गया था। १९९७ में विभाग का मत्स्य पालन प्रभाग खाद्य प्
म[MASK]्स्य प[MASK][MASK]न और डेयरी विभाग का गठन १९९१ में कृषि और सहयोग [MASK][MASK][MASK][MASK]ग के दो प्रभागों, अर्थात् [MASK]शुपालन और डेयर[MASK] विकास, को एक अलग [MASK]िभ[MASK]ग में विलय क[MASK][MASK]े कि[MASK]ा गया था। [MASK]९९७ मे[MASK] विभाग का मत्स[MASK]य पालन प[MASK]रभाग खाद्य [MASK]्
रसंस्कृत उद्योग मंत्रालय का एक हिस्सा इसमें स्थानांतरित कर दिया गया।फरवरी २०१९ में मत्स्य पालन विभाग को पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से अलग किया गया था और यह तब से पशुपालन और डेयरी विभाग के रूप
रसंस्कृत उद्योग मंत्रा[MASK]य का ए[MASK] ह[MASK]स्सा इ[MASK]में स्[MASK]ानांतरि[MASK] कर दिया गया।फरवरी २०[MASK]९ में मत्स[MASK]य पालन विभाग को पशुपालन, डेयरी औ[MASK] मत्स्य [MASK]ाल[MASK] व[MASK]भाग से अ[MASK]ग कि[MASK]ा गया था और यह तब से पशुपालन और डेयर[MASK] विभाग के रूप
में कार्य कर रहा है। पशुपालन और डेयरी विभाग भारत में पशुपालनमत्स्यपालन मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार का एक राज्य मंत्रालय है। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयकृषि मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्रालय ह
में कार्य कर र[MASK]ा है। [MASK]शुपालन और डेय[MASK]ी विभाग भारत में पशुपाल[MASK]मत्स्यपालन मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार का एक राज[MASK]य मंत्रालय है। महाराष्ट्र क[MASK] सरक[MASK][MASK]ी म[MASK]त्रालयकृषि मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्राल[MASK] ह
ै। महाराष्ट्र राज्य में कृषि से संबंधित नियमों और विनियमों और कानूनों के निर्माण और प्रशासन के लिए सर्वोच्च निकाय है। इस मंत्रालय का नेतृत्व वर्तमान मंत्री धनंजय मुंडे कर रहे हैं। अकाल आयोग (१८८१) की
ै। म[MASK]ाराष[MASK]ट्र राज्य में कृषि से सं[MASK]ंधित नियमों और वि[MASK]ियमों और कानूनों के निर[MASK][MASK]ाण [MASK]र प्रश[MASK]सन के लिए सर्वोच्च निक[MASK]य है। इस मंत्राल[MASK] का नेतृत्व वर्तमान मंत्री धनंजय मुंड[MASK] कर रहे हैं। अकाल आयोग (१८८१) की
सिफ़ारिश के बाद १८८३ में कृषि विभाग की स्थापना की गई। १९६५-६६ में फसलों की विभिन्न संकर किस्मों को तैनात किया गया जिसने हरित क्रांति की नींव रखी। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयखेल एवं युवा कल्याण मंत्र
सिफ़ारिश के ब[MASK]द १८८३ में कृषि व[MASK]भाग की स्थाप[MASK]ा की गई। १९६५[MASK]६६ में फसलो[MASK] [MASK][MASK] विभिन्न संकर [MASK]िस[MASK]मों को तैनात किया गया जिस[MASK]े हरित [MASK]्रांत[MASK] [MASK]ी नींव रखी। महा[MASK]ाष्[MASK]्र के सरकारी मं[MASK]्रालय[MASK]ेल एवं युवा कल्याण म[MASK]त्र
ालय महाराष्ट्र सरकार का एक राज्य मंत्रालय है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के मंत्री द्वारा किया जाता है। संजय बंसोडे महाराष्ट्र सरकार के वर्तमान खेल और युवा कल्याण मंत्री हैं। महाराष्ट्र के सरकार
ालय महाराष्ट्र सरकार का एक राज्य मं[MASK][MASK]रालय है। म[MASK]त्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के [MASK]ंत्री द्व[MASK]रा किया जाता [MASK]ै[MASK] संजय बंसोडे महाराष्ट्र सरकार के [MASK]र्तमान [MASK]ेल और युवा [MASK]ल्याण मंत्री हैं। महाराष्ट्र के सरका[MASK]
ी मंत्रालयसांस्कृतिक मामलों का मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार में एक मंत्रालय है। मंत्रालय क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के मंत्री द्वारा किया जाता
ी म[MASK]त्रालयसा[MASK]स्कृतिक मामलों का मंत्रालय [MASK]हाराष्[MASK]्र सरका[MASK] में एक मंत्रालय है। म[MASK]त्रालय क[MASK]षेत्रीय संस्कृति [MASK]ो बढ[MASK]ावा देने के लिए जिम्मेदार [MASK]ै। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्त[MASK] के [MASK]ंत[MASK]री द्वारा [MASK]िया जा[MASK][MASK]
है। सुधीर मुंगंतीवार वर्तमान सांस्कृतिक मामलों के मंत्री हैं। कैबिनेट मंत्री की सहायता राज्य मंत्री द्वारा की जाती है। २९ जून २०२२ से रिक्त, टीबीडी है। मंत्रालय के पूरे महाराष्ट्र में विभिन्न सांस्कृ
ह[MASK]। सुधीर [MASK][MASK]ंगंती[MASK]ार वर्तमान सांस्कृत[MASK]क मामलों के मंत[MASK]री हैं। कैबिनेट मंत्[MASK]ी की सहायता रा[MASK]्य मंत्री द्वारा क[MASK] जाती ह[MASK]। २९ जून २०२२ से रिक्त, टी[MASK]ीडी है।[MASK]मंत्[MASK]ा[MASK]य के पू[MASK]े महाराष्ट्र म[MASK]ं विभिन्न सांस्कृ
तिक केंद्र हैं। नांदेड़ में उर्दू संस्कृति केंद्र का नाम बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार के नाम पर रखा गया है। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयशालेय शिक्षण मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्रालय है। यह महा
ति[MASK] केंद[MASK]र हैं। नांदे[MASK]़ में उर[MASK]दू संस्कृति [MASK]ेंद्[MASK] का नाम बॉलीवुड [MASK]भ[MASK]नेता दिलीप [MASK]ुमार के नाम पर रखा गया है। महा[MASK]ाष्ट्र क[MASK] सरकारी म[MASK]त्रालयशालेय श[MASK]क्[MASK]ण मंत्रालय महाराष्ट्र सर[MASK]ार का एक मंत्[MASK][MASK]लय है। यह महा
राष्ट्र राज्य में शिक्षा संबंधी नीतियों को डिजाइन करने और लागू करने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के मंत्री दीपक केसरकर करते हैं महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयपर्यावरण मंत्रालय
राष्ट्र राज[MASK]य में शिक्षा संब[MASK]धी नीतियों को डिजाइन करने और लागू करने के लिए [MASK]ि[MASK]्[MASK][MASK]द[MASK]र है। मंत्रालय का नेतृ[MASK][MASK]व क[MASK]बिन[MASK]ट स्तर के मं[MASK][MASK]री [MASK]ीपक केसरकर करत[MASK] हैं महाराष्ट[MASK]र के सरकारी म[MASK]त्रालयपर्[MASK]ावरण मंत्राल[MASK]
महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्रालय है। मंत्रालय महाराष्ट्र में पर्यावरण संबंधी मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के मंत्री द्वारा किया जाता है। एकनाथ शिंदे महार
महार[MASK]ष्ट्र सरकार का एक [MASK]ंत्राल[MASK] है। मंत्रा[MASK]य [MASK]हाराष्ट्र म[MASK]ं पर्यावरण [MASK]ंबंधी [MASK]ुद[MASK]दों को बढ़ावा देने क[MASK] लिए जिम[MASK]मेदार है।[MASK]मंत्र[MASK]लय का नेतृ[MASK]्व कैब[MASK]नेट स्तर के मंत्री द्वारा किया जाता है। ए[MASK]नाथ [MASK]िंदे महार
ाष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री और पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री हैं। २०२० में पर्यावरण मंत्रालय का नाम बदलकर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर दिया गया। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयचार्ल्स
[MASK]ष्ट्र के वर्तमा[MASK] मुख्यमंत्री और पर्यावरण और जल[MASK]ा[MASK]ु [MASK]रिवर्तन म[MASK][MASK]्री हैं। २०२० में पर्या[MASK][MASK]ण [MASK]ंत्रालय का नाम बद[MASK]कर पर्यावरण और ज[MASK]वायु [MASK]रिवर्तन मंत्रालय कर दिया ग[MASK]ा।[MASK]महा[MASK]ाष[MASK]ट्[MASK] के सरकारी मंत्रालयचार्ल्स
हर्बर्ट बेस्ट सीसी, सीएच, सीबीई, एफआरएस, एफआरएससी, एफआरसीपी (२७ फरवरी, १८९९ - ३१ मार्च, १९७८), एक अमेरिकी-कनाडाई चिकित्सा वैज्ञानिक और इंसुलिन के सह-खोजकर्ताओं में से एक थे। १९७८ में निधन १८९९ में जन्
हर्बर्ट बेस्ट सीसी, सीएच, सीबी[MASK], एफआरएस[MASK] एफ[MASK]रएसस[MASK][MASK] एफआरसीपी (२७ फरवरी, १८९९ - ३१ मा[MASK]्च, [MASK]९७८), ए[MASK] अमेरिकी-कना[MASK]ाई चिकित्सा वैज्ञानिक और इंसु[MASK]िन के सह-खोज[MASK]र्ताओं में से एक थे। १९७८ में न[MASK]धन १८९९ म[MASK]ं [MASK]न्
मे लोगसामाजिक न्याय मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्रालय है। यह समाज के वंचित और हाशिए पर मौजूद वर्गों के कल्याण, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर क
मे ल[MASK]गसामाजिक न्याय मंत्रालय महाराष्ट्र सरका[MASK] क[MASK] एक मंत्रालय है। [MASK]ह समाज के वंचि[MASK] और हाशिए पर मौज[MASK]द व[MASK]्गों के कल्याण, सा[MASK]ाजि[MASK] [MASK]्याय और सशक्तिकरण के लिए जिम्मेदार है। म[MASK]त्राल[MASK] [MASK][MASK] नेतृत्व कैबिनेट स्[MASK]र क
े मंत्री द्वारा किया जाता है। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री और सामाजिक न्याय मंत्री हैं। मंत्रालय का गठन १९२८ में हुआ था। कल्याण विभाग की स्थापना १९३२ में हुई थी। समाज कल्याण निदेशालय
े मंत्री द्वारा कि[MASK]ा [MASK]ाता है[MASK] [MASK]कनाथ शिंदे महाराष्ट[MASK]र के व[MASK]्तमान मुख्यमंत्री [MASK]र सा[MASK]ाजिक न्य[MASK]य [MASK]ंत्री ह[MASK]ं। मंत्रालय का गठन १९२८ में [MASK]ुआ था। कल्[MASK]ाण वि[MASK]ाग क[MASK] स्थापना १९३२ में हुई थी। समाज कल्[MASK]ा[MASK] [MASK]िदे[MASK]ालय
२३ सितंबर १९५७ को बनाया गया था। मंत्रालय द्वारा समाज के वंचित वर्गों के लिए कई संस्थान शुरू किए गए हैं। विकलांग व्यक्तियों के लिए संस्थान महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयदिव्यांग कल्याण मंत्रालय महाराष्ट
२३ सितंबर १९५७ को बनाया [MASK]या था।[MASK]मंत्रालय [MASK]्वारा समाज के वंच[MASK]त वर्गों के लिए कई संस्थान शुर[MASK] किए [MASK]ए हैं। विकलांग व्यक्तियो[MASK] के लिए संस्थान महारा[MASK]्ट्र के सरक[MASK]री मंत्रालयदिव्य[MASK]ंग कल[MASK]याण मंत्रालय [MASK]हा[MASK]ाष्ट
्र सरकार का मंत्रालय है जिसे सामाजिक न्याय मंत्रालय से अलग करके ९ जनवरी २०२३ को बनाया गया था। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट स्तर के मंत्री द्वारा किया जाता है। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत
्र सरकार का मंत[MASK]रालय है ज[MASK]से सामाजि[MASK] न्या[MASK] [MASK]ंत्रालय [MASK]े अलग करके ९ जनवरी २०२३ [MASK]ो बनाया ग[MASK]ा थ[MASK]। मंत्रालय का नेतृत्[MASK] कै[MASK]िनेट स्तर के मंत्री द्वारा [MASK]िया जाता है[MASK] एकना[MASK] शिंदे महाराष्ट्र [MASK]े [MASK]र्तमान मुख्यम[MASK]त
्री और दिव्यांग कल्याण मंत्री हैं। महाराष्ट्र के सरकारी मंत्रालयस्तनों की खुद जांच कर सकती हैं महिलाये। डॉक्टर कहते है कि महिलाएं अपने स्तनों की खुद जांच कर सकती हैं। डॉक्टरों बताया कि महिलाओं में जाग
्री और दिव्य[MASK]ंग कल्[MASK]ाण मं[MASK]्री हैं[MASK] [MASK]ह[MASK]राष्[MASK]्[MASK] के सरकारी मंत्रालयस्तनों की खुद जांच क[MASK] सकती है[MASK] महिलाये। डॉक्टर क[MASK][MASK]े है कि महिलाएं अ[MASK]ने [MASK]्तनों की खुद जांच कर सकती हैं। डॉ[MASK]्टर[MASK]ं बताया [MASK]ि महिला[MASK]ं में जा[MASK]
रूकता की कमी के कारण ही स्तन कैंसर के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। कैंसर के कुछ सामान्य से लक्षण हैं, जिनमें सीने में दर्द होना, सीने की चमड़ी में लाली आ जाना, स्तन के आसपास सूजन आना, निप्पल डिस्चार्ज,
रूकत[MASK] की [MASK]मी के कारण ही स्[MASK][MASK] कैंसर के बढ़ने का एक प्रमुख क[MASK]रण है[MASK] [MASK]ैंसर के कुछ [MASK]ाम[MASK]न्य से लक्षण है[MASK], ज[MASK]नमें सीने में दर्द होना, सीने की [MASK]मड़ी में ला[MASK]ी आ [MASK]ाना, स्[MASK]न के आसपास सूजन आना[MASK] न[MASK]प्पल डिस्चार्ज,
निप्पल से खून बहना, स्तन के आकार में परिवर्तन होना अथवा निप्पल का भीतर की तरफ मुड़ना स्तन के कैंसर से लक्षण हैं। यदि उक्त लक्षणों में से महिलाओं को कोई लक्षण दिखता है तो वे तुरंत डाक्टर से सलाह लें।
नि[MASK]्पल स[MASK] खून बहना[MASK] स्तन [MASK]े आकार में परिवर्तन होना अथवा निप्प[MASK] का भ[MASK]तर क[MASK] तर[MASK] मुड़ना स्तन के कैंसर से लक्षण [MASK]ैं[MASK] यदि उक्त लक्षणों में से महि[MASK]ाओं को कोई लक्[MASK]ण दिखता है तो वे तुरंत डाक्ट[MASK] [MASK][MASK] सलाह ल[MASK]ं।
२० से ३० साल की उम्र तक हर तीन साल के बाद और ३० साल तक की उम्र की महिला को साल में एक बार अपने स्तन कैंसर की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने महिलाओं को खुद ही स्तन के कैंसर का चेकअप करने की ट्रेनिग भी दी।
२० से ३० साल की उम्र तक हर तीन सा[MASK] क[MASK] बाद और ३० सा[MASK] तक की उम्र की [MASK][MASK]िला को साल में [MASK]क बार अप[MASK]े स्तन कैंसर की जांच करवानी च[MASK]हिए। उन्होंने महिल[MASK]ओं को खुद ही स्तन के कै[MASK]सर का चेकअप [MASK]रने की [MASK]्रेन[MASK]ग भी दी।
सीनियर एसएमओ डा. रमिदर कौर ने कहा कि अगर हम लोग स्तन कैंसर के प्रति जानकार रहेंगे तो कैंसर से होने वाली मौत दर को कम कर सकते हैं।कपाट लाने की की उद्घोषणा १८४२ में काबुल की लड़ाई के दौरान भारत में ब्र
सीनियर एसएमओ डा. [MASK]मिदर [MASK]ौर ने [MASK]हा कि अगर [MASK]म लोग स्[MASK]न कैंस[MASK] क[MASK] प्र[MASK]ि जानकार रहेंगे तो कैंसर से होन[MASK] वाली मौत दर को कम कर सकते हैं।कपाट ल[MASK]ने क[MASK] [MASK]ी उद्घ[MASK]षणा १८४२ में [MASK]ाबुल की लड़ाई [MASK]े दौर[MASK]न भ[MASK]रत मे[MASK] ब्र
िटेन के क्षेत्रों के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड एलेनबोरो द्वारा जारी एक आदेश था। इस आदेश में जाट सैनिकों से गजनी से उन कपाटों को वापस लाने का आदेश दिया गया था जिनके बारे में कहा जाता था कि महमूद गजनवी
िटेन के क्षेत्रों के तत्काली[MASK] ग[MASK]र्नर-जनर[MASK] लॉ[MASK]्ड [MASK]लेनबोरो [MASK]्वारा जारी एक आदेश था। इस आद[MASK]श में जाट सैनिको[MASK] से गजनी से उन कप[MASK][MASK]ों को वापस ल[MASK]ने का आद[MASK]श दिया गया था जिनके बारे में कह[MASK] जाता था कि महम[MASK]द गजनवी
ने लगभग ८०० साल पहले गुजरात के प्रभास पाटन में सोमनाथ मंदिर के विनाश के बाद मन्दिर के कपाटों को गजनी ले गया था और उसकी मृत्यु के बाद इन्हें उसके मकबरे के दरवाजे के रूप में लगाया गया था। ये दरवाजे भारत
ने लगभग ८०० साल पहले [MASK]ुजरात [MASK]े [MASK]्रभास पाटन में सो[MASK]नाथ मंदिर [MASK]े [MASK]िनाश के बाद मन्दिर के कपाटों को गजनी [MASK][MASK] गया था औ[MASK] उसकी मृत्यु के बाद इन्हें उसके [MASK]कबरे के दरवाजे के रूप में लगाय[MASK] गया था। ये [MASK]रवाजे भारत
लाये गये किन्तु बाद में पता चला कि ये सोमनाथ मन्दिर के दरवाजे नहीं थे। इस आदेश का आधार क्या था, यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि न तो तुर्क-फ़ारसी स्रोत और न ही भारतीय स्रोत ऐसे किसी कपाट का उल्लेख करते है
[MASK]ाये गये किन्तु ब[MASK]द में [MASK]ता [MASK]ल[MASK] कि ये सोमनाथ मन्दि[MASK] के [MASK]रवाजे नहीं थे। इस आद[MASK]श का आध[MASK]र क्या था[MASK] यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि न तो तुर्क-फ़ारसी स्रोत और न ही भारतीय स्रोत ऐसे क[MASK]सी [MASK]पाट का [MASK][MASK]्लेख करते है
ं। १८४२ में, एलेनबरो के प्रथम अर्ल एडवर्ड लॉ ने कपाटों को लाने की अपनी उद्घोषणा जारी की। इस आदेश में उन्होंने अफगानिस्तान में स्थित सेना को गजनी होकर भारत आने तथा गजनी में महमूद की कब्र से चंदन के कपा
ं। १८[MASK]२ में, एलेनब[MASK]ो के [MASK]्[MASK][MASK]म अर[MASK][MASK] एडवर्ड लॉ ने कपाटों को ल[MASK]ने की अपन[MASK] उद[MASK]घोषणा ज[MASK]री की। [MASK]स आदेश में [MASK]न्होंने अफगानिस्तान में स्थित सेना को गजनी होकर भ[MASK]रत आने तथा गजन[MASK] में महमूद क[MASK] कब्र से चंदन क[MASK] कपा
टों को भारत वापस लाने का आदेश दिया। ऐसा माना जाता था/है कि महमूद इन्हें सोमनाथ के मन्दिर को तोड़ने के बाद गजनी ले गया था। एलेनबरो के निर्देश के तहत, जनरल विलियम नॉट ने सितंबर १८४२ में गेट वहँ से निकला
टों को भारत व[MASK]पस लान[MASK] का आदेश द[MASK]या[MASK] ऐसा [MASK]ाना [MASK][MASK]ता था/है कि महमूद इन्हें सोमन[MASK]थ के मन्दिर को तोड[MASK]ने [MASK]े बाद गजनी ले ग[MASK]ा था। एलेनबरो [MASK]े न[MASK]र[MASK]द[MASK]श के तहत, जनरल व[MASK]ल[MASK]यम नॉट ने सि[MASK]ंबर १८४२ मे[MASK] [MASK]ेट वहँ [MASK]े न[MASK]क[MASK][MASK]
दिये। इन कपाटों को भारत वापस लाने के लिए ६वीं जाट लाइट इन्फैंट्री की एक पूरी सिपाही रेजिमेंट को तैनात किया गया था। जब यह कपाट भारत आ गया तो जाँच में पता चला कि ये कपाट न तो गुजराती या भारतीय डिज़ाइन
दिये। इन कपाटों को भ[MASK][MASK]त वापस लाने के लिए ६वीं [MASK]ाट लाइट [MASK]न्फैंट्री की एक पूरी स[MASK]पाही रेजिमे[MASK]ट को [MASK]ैनात किया गया था। ज[MASK] यह कपाट भारत आ गया तो जाँच में पता चला क[MASK] ये क[MASK]ाट [MASK] तो गुजराती या भारतीय डिज़ाइन
के थे, और न ही चंदन की लकड़ी के थे। बल्कि ये देवदार की लकड़ी के थे जो गज़नी की देशज लकड़ी थी। अतः ये कपाट सोमनाथ के मन्दिर के कपाट थे, यह प्रामाणित नहीं हुआ। उन्हें आगरा किले के शस्त्रागार भंडार कक्ष
के थे, और न ही चंदन की [MASK]कड[MASK]ी के थे। बल्क[MASK] ये द[MASK]वदार की लकड़ी के थे जो गज़नी की देश[MASK] लकड़ी थी। अतः ये कपाट स[MASK]मनाथ के मन्दिर के कपाट थे, यह प्रामा[MASK]ित नहीं हुआ। [MASK]न[MASK]हें आग[MASK]ा किले के शस[MASK]त्र[MASK]गा[MASK] भं[MASK]ार कक्ष
में रख दिया गया जहां वे आज भी पड़े हुए हैं। सन १८४३ में लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में मंदिर के कपाट लाने के आदेश के मामले में एलेनबरो की भूमिका के सवाल पर बहस भी हुई थी।भारतीय नाम: दहियर, दहियल, ग्वालिन,
में र[MASK] दिया ग[MASK]ा जहां वे आ[MASK] भी पड[MASK]े हुए ह[MASK]ं। सन १८[MASK]३ मे[MASK] लं[MASK]न के हाउस ऑफ कॉमन[MASK]स मे[MASK] [MASK]ंदिर के कपा[MASK] लाने के आदेश क[MASK] मामल[MASK] मे[MASK] एलेनबरो क[MASK] भूमिका के सवाल पर [MASK]हस भी हुई थी।भारतीय नाम: दहियर, दहि[MASK]ल, ग्वालिन,
दयाल, दहगल, काली सुई चिड़िया, श्रीवद (संस्कृत), दहियक (संस्कृत), कालकंठ (संस्कृत)। वर्ग श्रेणी: गाने वाली चिड़िया संरक्षण स्थिति (इउस्न): सङ्कट-मुक्त वन्य जीव संरक्षण अनुसूची : ४ नीड़-काल : मार्च से
दय[MASK]ल, द[MASK][MASK]ल, काली सुई चिड़िया, श्रीवद (सं[MASK]्कृत), दहियक (संस[MASK]कृत), कालकंठ ([MASK]ंस्कृत[MASK]। वर्ग [MASK]्रेणी: ग[MASK]ने [MASK]ा[MASK]ी चिड़िया स[MASK]रक्षण स्थिति (इउ[MASK]्न): [MASK]ङ्कट-मु[MASK]्त वन्य जीव सं[MASK]क्ष[MASK] अनुसूची : ४ नीड[MASK][MASK][MASK]ाल : [MASK]ार[MASK]च स[MASK]
जुलाई तक। आकार : लगभग ७.५ इंच दहियर पक्षी सामान्य रूप से भारत मे पाया जाने वाला पक्षी है। यह सुबह के समय मधुर संगीत गाता हुआ मिल जाता है। इनका रंग काला तथा सफेद होता है। पूछ को झटके के साथ ऊपर तथा नीच
जुलाई तक[MASK] आक[MASK]र : लगभग ७.५ इंच द[MASK]ियर पक्षी [MASK]ामान्य रूप से भा[MASK]त मे पाया जाने वाला पक्षी [MASK]ै। यह [MASK]ु[MASK]ह के समय मधुर संगी[MASK] ग[MASK]त[MASK] हुआ मिल जाता ह[MASK]। [MASK]नका रंग काला तथा सफेद होता है। पूछ [MASK]ो झटके के स[MASK][MASK] ऊपर तथा नीच
े करते हैं। पहचान एवं रंग रूप: दहियर मानव आवास के निकट झाड़ी, उपवन वाटिकाओं आदि में कीड़े-मकोड़े (खोजते या किसी ऊंची शाखा पर बैठकर मधुर संगीत सुनाते देखा जा सकता है। इसके नर और मादा दोनों ही अपनी पूंछ
े क[MASK]ते हैं। [MASK]हचान एवं रंग रूप: दहियर मानव आवास के निक[MASK] झाड[MASK][MASK], उपवन वाटि[MASK]ाओं आदि में कीड़े-म[MASK]ो[MASK]़े [MASK]खो[MASK]ते या [MASK]िसी ऊंची [MASK]ाखा पर ब[MASK]ठकर मधुर सं[MASK]ीत सुनाते देखा जा सकत[MASK] है[MASK] इसक[MASK] नर [MASK]र मादा दोनों ही अपनी पूंछ
को ऊपर उठाते हैं और एक झटके में ही नीचे गिरा देते हैं। नर का वर्ण आभायुक्त कृष्ण, अधोभाग श्वेत एवं डैने कृष्ण वर्णीय होते हैं जिन पर बड़ी श्वेत चित्तियाँ होती हैं, पूँछ लम्बी और उठी हुई होती है। मादा
को ऊपर उठाते [MASK]ैं और एक झटके मे[MASK] ही [MASK]ी[MASK]े गिरा देते है[MASK]। नर का वर्ण आभायुक्त कृष्ण, अधोभाग श्वेत एवं डैने कृष्ण वर्णीय होते हैं ज[MASK][MASK] पर बड़ी श्वे[MASK] चित्तियाँ ह[MASK]ती हैं, पूँछ लम्बी औ[MASK] उठी हुई होती है। म[MASK]दा
का वर्ण गहन वातामी, जिस पर नीली आभा होती है। उदर का भाग किञ्चित वातामी, डैने गहन श्याव कल्छौह जिन पर दोनों ओर तनु श्वेत वर्णीय पंख बीच में होते हैं परन्तु उनमें आभा नर जितनी नहीं होती हैं। चोंच और पै
का वर्ण गहन वात[MASK]मी, ज[MASK][MASK] पर [MASK]ीली आभा होती है। [MASK]द[MASK] का भाग किञ्चित वाता[MASK]ी, ड[MASK]ने गह[MASK] श्याव कल्छौह जि[MASK] [MASK]र दोनों ओर तनु श्वेत [MASK][MASK]्णीय पं[MASK] बीच में होते हैं परन्त[MASK] उनमें आ[MASK]ा नर जितनी नही[MASK] [MASK][MASK]ती हैं। चो[MASK]च और पै
र कृष्णवर्णी होते हैं। निवास: दहियर वाटिकाओं और मैदानों की झाड़ियों में देखा जा सकता है। इसे घने जंगल और खुले स्थान प्रिय नहीं हैं और धूप-छाँव युक्त कँटीली झाड़ियाँ अधिक रुचिकर हैं। भूमि पर भी भोजन खो
र [MASK]ृष्ण[MASK]र्णी होते [MASK][MASK][MASK][MASK] न[MASK]व[MASK]स[MASK] दहियर [MASK]ाटिकाओं और मैदानों की झाड़ियों [MASK]ें दे[MASK]ा जा सकता है। इ[MASK]े घने जंगल और खुले स्थान प्रिय नहीं ह[MASK]ं और धूप-[MASK]ाँव य[MASK]क्त कँटीली झाड[MASK][MASK]याँ अधिक रुचिकर हैं। भूमि पर [MASK]ी [MASK]ोजन खो
जना इसे प्रिय है। भारत में इसके प्रजनन का समय मार्च से आरम्भ होकर जुलाई तक होता है। यह अपना नीड़ २-७ मीटर की ऊँचाई पर वृक्षों और भवनों के बाहरी सुरक्षित कोटरों, अट्टालिकाओं के नीचे आदि स्थानों पर बनात
जना इसे प[MASK]रिय है। भारत में इसके प्रजनन [MASK]ा समय मार्च से आरम्भ होकर जुलाई तक होता है। यह अपना [MASK]ीड़ २[MASK]७ मीट[MASK] की ऊ[MASK]च[MASK]ई प[MASK] वृक्षों [MASK]र भवनों के बाह[MASK][MASK] सुरक्षित कोट[MASK]ो[MASK][MASK] अट[MASK]टालिकाओ[MASK] [MASK]े नीचे आदि स्थानो[MASK] पर बनात
ी है। इनका नीड़ सुन्दर होता है जिसे बनाने के लिए ये घास, तृणमूल, पक्षियों के पंख और रेशों का उपयोग करते हैं। समय आने पर मादा इसमें ४-५ अण्डे देती है। अण्डे सुन्दर और आभायुक्त होते हैं जिनका वर्ण तनु ह
ी है। इनका नीड[MASK] सुन्[MASK]र होता है जिसे बनाने के ल[MASK]ए ये घास, तृणमूल[MASK] पक्षियों के [MASK]ंख और रेशों का उपयोग करते [MASK]ैं[MASK] सम[MASK] आने पर मादा इसमें ४-५ अण[MASK]डे दे[MASK][MASK] [MASK]ै। अण्डे सुन्दर और आभायुक्त होते हैं जिनका वर्ण तनु ह
रित होता है एवं उन पर भूरे वर्ण की चित्तियाँ होती है।निर्मोहगढ़ का युद्ध १७०२ में सिखों और मुगल साम्राज्य के बीच लड़ा गया था जिसमें सिख विजयी हुए थे। आनंदपुर (१७००) की खूनी लड़ाई में शाही मुगल सेना हा
रित ह[MASK]ता है एवं उन पर भ[MASK]रे वर्ण की [MASK]ित[MASK]तिय[MASK]ँ ह[MASK]ती है[MASK]निर[MASK][MASK]ोहगढ़ का युद[MASK]ध [MASK]७०२ में सिखों और मुगल साम्राज्य के बीच [MASK]ड़ा गया था जिसमें सिख वि[MASK]यी [MASK]ुए थे। आनंदपु[MASK] ([MASK]७००[MASK] की खूनी लड[MASK]ाई में शा[MASK]ी [MASK]ु[MASK][MASK] स[MASK]ना हा
र गई। इस युद्ध में मुगल सेना की हार की खबर सुनने के बाद औरंगजेब ने स्वयं गुरु गोबिंद सिंह के खिलाफ वजीर खान के नेतृत्व में एक नई सेना भेजी। वजीर खान शिवालिक पहाड़ियों के पहाड़ी राजाओं के बड़ी संख्या म
र गई[MASK] इस युद[MASK]ध में मुगल से[MASK]ा की हार की खबर सुनने के बाद औरंगजेब ने स्वयं गुरु गोबिंद [MASK]िंह के खिला[MASK] वजीर खान [MASK]े नेतृत्व में [MASK]क नई [MASK]ेना भेजी। [MASK]जीर खान शि[MASK]ालिक पह[MASK]ड़ियों के पह[MASK]ड[MASK]ी राजाओं के बड़ी संख्[MASK]ा म
ें सैनिकों के साथ आगे बढ़ा। आनंदपुर के ठीक बाहर निर्मोहगढ़ में सतलुज नदी के तट पर सिखों से वज़ीर खान का युद्ध हुआ। मुगलों ने एक तरफ से गुरु पर हमला किया और पहाड़ी राजाओं ने दूसरी तरफ से उन पर हमला किय
ें सैनिकों के स[MASK]थ [MASK]गे बढ़ा। [MASK]नंदपुर के ठीक [MASK]ाहर निर्म[MASK]हग[MASK]़ मे[MASK] सतलुज नदी के तट प[MASK] सिखों से वज़ीर खान का युद्ध हुआ। मुगलों ने ए[MASK] तरफ से गुरु पर हमला किया और पहाड़ी राजाओं ने दू[MASK]री तरफ से उ[MASK] पर हमला किय
ा। लड़ाई पूरे दिन और रात तक भयंकर रूप से जारी रही। अंततः मुगलों और पहाड़ी राजाओं की संयुक्त सेना समाप्त हो गई और पीछे हटने के लिए मजबूर हो गयी। अगली सुबह, मुगलों और पहाड़ी राजा की सेना ने फिर से हमला
ा। लड़ाई [MASK]ूरे दिन [MASK]र रात तक [MASK]यंकर रूप से जारी रही। अंततः मुगलों और पह[MASK]ड़ी राजाओं की संयुक्त सेना समाप्त हो [MASK]ई और पीछ[MASK] हटने क[MASK] लिए मजबूर हो गयी। अगली स[MASK]बह, मुगलों और पहाड़ी र[MASK]जा की सेना ने फिर से हम[MASK]ा
करना शुरू कर दिया और गुरु गोबिंद सिंह ने, खुद को बहुत अधिक संख्या में पाते हुए, उस स्थान से निकलने का फैसला किया। दुश्मन सैनिकों ने उनका पीछा किया और तब गुरु जी की सेना ने फिर लड़ने का फैसला किया। इस
[MASK]रना शुरू कर दिया [MASK]र गुरु गोबिंद सिंह ने, खुद को ब[MASK]ुत अधिक संख्या में पा[MASK]े हुए, उस स्थान से [MASK]िक[MASK]ने [MASK]ा फ[MASK]सला किया। दुश्म[MASK] स[MASK][MASK]िक[MASK]ं ने उनक[MASK] पीछा किया [MASK]र तब गुरु [MASK]ी की [MASK]ेना ने फिर लड[MASK]ने [MASK]ा फ[MASK]सला किय[MASK]। इस
बार मुगलों और पहाड़ी राजाओं की संयुक्त सेना निर्णायक रूप से हार गई और दो दिनों की लड़ाई के बाद शाही मुगल सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।जनता दल (सेक्युलर) भारत का एक राजनैतिक दल है जिसके नेत
बार मु[MASK]लों और पहाड़ी राजाओं की संयुक्त [MASK][MASK]ना निर[MASK]णायक रूप से हार [MASK]ई और दो दिनों की लड़ाई के [MASK][MASK]द शाही मुगल से[MASK]ा को [MASK]ीछे हटने क[MASK] लिए [MASK]जबूर [MASK][MASK]ना पड़ा।जनता दल (सेक्युलर[MASK] भारत का एक राजनै[MASK]िक दल है जिसके नेत
ा भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री एच. डी. देवेगौड़ा हैं। यह दल कर्नाटक और केरल में प्रान्तीय दल के रूप में पंजीकृत है। इसकी स्थापना १९९९ में जनता दल से टूटकर हुई.हृदय शंकर सिंह उत्तर प्रदेश में मां शाकुंभ
[MASK] भारत के पूर्[MASK] प्र[MASK]ानमन्त्री एच[MASK] डी. दे[MASK]े[MASK]ौड़ा [MASK]ैं। यह दल कर्नाटक और क[MASK][MASK][MASK] में प्रान्तीय [MASK]ल के रूप में प[MASK]जी[MASK][MASK]त है। इसकी [MASK]्थ[MASK]पना १[MASK]९९ में जनता दल से टूटकर हुई.हृ[MASK]य शंकर सिंह उत्तर [MASK]्रदेश में मां [MASK]ा[MASK]ुंभ
री विश्वविद्यालय के पहले कुलपति हैं। इससे पहले प्रोफेसर एच. एस. सिंह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग से प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रति-
री व[MASK]श्वविद्यालय के पहले कुलपति हैं। इससे पहले प्[MASK]ोफे[MASK]र एच. एस. [MASK]िंह चौ[MASK]री चरण सिंह विश्वविद्[MASK]ालय [MASK]े जं[MASK]ु विज[MASK]ञ[MASK]न व[MASK]भ[MASK]ग से प्रोफेसर [MASK]द से सेव[MASK]निवृत्त हुए थे. वह चौधरी [MASK]रण सिंह विश[MASK][MASK]वि[MASK]्यालय [MASK]ें [MASK]्रति-
कुलपति, परीक्षा नियंत्रक और सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज में निदेशक रहे हैं।पालीवाल ब्राम्हण वंश की उपशाखा है | जिसका भारतीय इतिहास में वर्णन मिलता है | ऋषि हारित मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक
कुल[MASK]ति, पर[MASK]क्षा नियंत्रक औ[MASK] सर छोटू राम इंजीन[MASK]यरिंग कॉलेज मे[MASK] नि[MASK]ेशक रहे हैं[MASK]पालीवाल ब्राम्हण वंश की उपशाखा [MASK]ै | जिसका भारतीय इतिहास म[MASK]ं वर्णन मिलता [MASK]ै | ऋषि हा[MASK]ि[MASK] मेवाड़ में गुहिल राजवंश के सं[MASK]्थाप[MASK]
बप्पा रावल के गुरु थे | जिन्होंने बप्पा रावल को अजेय देह तथा धरती में गडा धन प्रदान किया | ऋषि हारित के वंशज ऋषि सरसल जी हुए | राजऋषि सरसल जी जो की मेवाड़ राज्य के राजा राणा राहप के गुरु और राजपुरोहित
बप्पा रावल के गुरु थे [MASK] [MASK][MASK]न्होंने बप्[MASK]ा रावल को अजेय देह तथा [MASK]रती म[MASK]ं गडा [MASK]न प्रदान किया | ऋषि हारित के वंशज ऋषि सरसल जी हुए [MASK] राजऋषि सरसल जी ज[MASK] की मेवाड़ र[MASK][MASK]्य के राजा राणा राहप के गुरु [MASK][MASK] राज[MASK]ुरोहित
थे |इन्हीं के वन्शज पुरोहित हुए |नारायणपुर बाद भारत के उत्तर प्रदेश का एक गाँव है। यह हसनपुर बारू ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। यह गांव हाथरस जिले के सादाबाद ब्लॉक में स्थित है, २हसनपुर बारू के उत्
थे |इन्हीं के वन्शज पुर[MASK]हित [MASK]ुए |नारायण[MASK]ुर बाद भारत [MASK]े उत्तर प्रदेश का एक गाँव है। य[MASK] ह[MASK]नपुर बारू ग्राम प[MASK]चा[MASK]त के अंत[MASK]्गत आता [MASK]ै। य[MASK] गांव हाथरस जिल[MASK] के सा[MASK]ाब[MASK]द ब्ल[MASK]क में स्[MASK]ित है, २हसनपुर ब[MASK]रू के उत्
तर में किमी. हाथरस ज़िले के गाँव विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांकद कॉन्ज्यूरिंग २ २016 की अमेरिकी अलौकिक हॉरर फिल्म है, जिसका निर्देशन जेम्स वान ने किया है। चाड हेस, केरी डब्ल्यू. हेस, जेम्स वान और डेविड
तर में किमी. हाथरस [MASK]़[MASK]ले के गाँव विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांकद कॉन्ज्[MASK]ूर[MASK]ं[MASK] २ २[MASK]16 की अमे[MASK][MASK][MASK]ी अल[MASK]किक ह[MASK]र[MASK] फिल्[MASK] है, जिसक[MASK] निर्[MASK]ेशन जेम्[MASK] वान न[MASK] किया है। चाड हेस, [MASK]ेरी डब्ल्यू. हेस, जेम्[MASK] [MASK]ान और डे[MASK]िड
लेस्ली जॉनसन ने फिल्म का पटकथा लिखा है। यह फिल्म २013 की द कॉन्ज्यूरिंग फिल्म की अगली कड़ी, द कॉन्ज्यूरिंग श्रृंखला की दूसरी किस्त और द कॉन्ज्यूरिंग यूनिवर्स फ्रेंचाइजी की तीसरी किस्त है। पैट्रिक विल
ल[MASK]स्[MASK]ी [MASK]ॉनसन ने फिल्म का [MASK]टकथा लिखा है। यह फ[MASK]ल्म २013 [MASK]ी द कॉन्ज्यूरिंग फिल्[MASK] की अगली कड़ी, द कॉन[MASK]ज[MASK]यूरिंग श्रृं[MASK]ला की दूसर[MASK] किस्त और द कॉन्ज्[MASK]ूरिंग यूनिवर्स फ्रेंचाइजी की तीसरी कि[MASK]्त [MASK]ै। पैट्रिक विल
्सन और वेरा फ़ार्मिगा ने पहली फिल्म से असाधारण जांचकर्ता और लेखक एड और लोरेन वॉरेन के रूप में अपनी भूमिकाएं दोहराईं। फिल्म वॉरेन परिवार पर आधारित है, जो हॉजसन परिवार की सहायता के लिए इंग्लैंड की यात्र
्सन [MASK]र वेरा फ़ार्मिगा ने पहली फिल्म से अस[MASK]धारण जांचकर्ता और लेखक एड और लोरेन वॉरेन के रूप [MASK]ें अप[MASK]ी भूमिक[MASK]एं दोह[MASK]ाईं। फ[MASK][MASK]्म वॉ[MASK][MASK]न प[MASK]ि[MASK]ार पर [MASK][MASK]ार[MASK]त है, जो हॉजसन परिवार क[MASK] [MASK]हायता के लिए इ[MASK]ग्लैंड की [MASK][MASK]त्र
ा करते हैं, जो १९७७ में अपने एनफील्ड काउंसिल हाउस में पोल्टरजिस्ट गतिविधि का अनुभव कर रहे हैं, जिसे बाद में एनफील्ड पोल्टरजिस्ट के रूप में जाना जाने लगा। वेरा फ़ार्मिगा - लोरेन वॉरेन पैट्रिक विल्सन -
ा करते हैं, जो १९७७ में अपने एन[MASK]ी[MASK][MASK]ड काउंसिल ह[MASK]उस में पोल्ट[MASK]जिस्ट ग[MASK]िविधि [MASK][MASK] अनुभव कर रहे हैं, जिसे बाद में [MASK]नफ[MASK]ल्ड पोल्टर[MASK]िस्ट के [MASK]ूप में जाना [MASK]ा[MASK]े लगा। वेर[MASK] फ़ार्मिगा - लोरेन वॉ[MASK]ेन पैट्रिक विल्सन -
एड वॉरेन मैडिसन वोल्फ - जेनेट हॉजसन फ्रांसिस ओ'कॉनर - पैगी हॉजसन लॉरेन एस्पोसिटो - मार्गरेट हॉजसन बेंजामिन हाई - बिली हॉजसन पैट्रिक मैकाले - जॉनी हॉजसन साइमन मैकबर्नी - मौरिस ग्रोस मारिया डॉयल कैनेडी
एड वॉरेन मैडिसन वोल्फ [MASK] जेनेट हॉजसन [MASK][MASK]रांसिस ओ'कॉनर - पैगी हॉजस[MASK] लॉरेन एस्प[MASK]सिटो - मार्गरेट हॉजसन बेंजामिन हाई - बिली [MASK][MASK]जसन पैट्रिक मै[MASK]ाले - जॉन[MASK] हॉजसन स[MASK]इमन मैकब[MASK]्नी - मौरिस ग्रोस मारिया [MASK]ॉयल कैनेडी
- पैगी नॉटिंघम साइमन डेलाने - विक नॉटिंघम फ्रेंका पोटेंटे - अनीता ग्रेगरी बॉब एड्रियन - बिल विल्किंस रॉबिन एटकिन डाउन्स - शैतान की आवाज बोनी आरोन्स - नन जेवियर बोटेट - क्रुक्ड मैन स्टीव कूल्टर - फादर
- पैगी नॉटिंघम साइमन डेला[MASK]े - विक नॉटिंघम फ्रेंक[MASK] प[MASK]टेंटे - अनीता ग्रेगरी बॉब ए[MASK]्रियन - बिल विल्किंस रॉबिन एटकिन डाउन्स - शैतान की आवा[MASK] बोनी आरोन्स - नन जेवियर बोटेट - क्रुक्ड मैन[MASK]स्टीव कूल्टर - फादर
गॉर्डन अभी सिन्हा - हैरी व्हिटमार्क क्रिस रॉयड्स - ग्राहम मॉरिस स्टर्लिंग जेरिन्स - जूडी वॉरेन डैनियल वोल्फ - केंट एलन एनी यंग - कांस्टेबल हीप्स इलियट जोसेफ - कांस्टेबल पीटरसन कोरी इंग्लिश - स्केप्टिक
गॉर्डन अभी सिन्हा [MASK] हैरी व्हिटमार्क क्[MASK]िस र[MASK]यड्स - ग्[MASK]ाहम म[MASK]रिस स्टर्लिं[MASK] जेरिन्स - जू[MASK]ी वॉरेन डै[MASK]ियल वोल्फ - केंट एलन एनी यंग - कांस्टेबल हीप्[MASK] [MASK]लियट [MASK][MASK]सेफ - कांस्टे[MASK]ल पीटरसन कोरी इंग्लिश - स्केप्[MASK]िक
कपलान जोसेफ बिशारा - शैतान शैनन कूक - ड्रयू २०१६ की फ़िल्मेंमाकेन्यू अराता (, , जन्म १६ नवंबर, १९९६) एक जापानी-अमेरिकी अभिनेता हैं। वह जापानी माता-पिता, सोया चिबा और जापानी एक्शन फिल्म स्टार सन्नी चि
[MASK]पलान जोसेफ बिशारा - शैतान [MASK]ैनन कूक - ड्[MASK]यू २०[MASK]६ की फ़िल्म[MASK]ंमाकेन्य[MASK] अराता ([MASK] , जन्म १६ नव[MASK]ब[MASK], १९९६) एक जाप[MASK]नी-अमेरिकी अभिनेता हैं। वह जापानी [MASK]ाता-पिता, सोया चिबा और जा[MASK]ानी एक्शन फिल्म स्ट[MASK]र स[MASK]्नी चि
बा के बेटे हैं, और उनके दो भाई-बहन हैं, एक सौतेली बहन का नाम जूरी मनसे (उनके पिता की पिछली शादी से बेटी) और एक भाई जिसका नाम गॉर्डन मैडा है। १९९६ में जन्मे लोगडॉ. केतन रेवनवार एक भारतीय दंत चिकित्सक ह
[MASK]ा के बेटे हैं, और उ[MASK]के दो भाई-बहन हैं[MASK] एक सौतेली बहन का नाम जूरी [MASK]नसे (उनके प[MASK]ता क[MASK] [MASK][MASK]छली शादी से बे[MASK]ी) और [MASK]क भाई जिसका नाम गॉर्डन मैडा है।[MASK]१९९६ में जन्म[MASK] लोगडॉ. केतन रेवनवार एक भारत[MASK]य दंत [MASK]िक[MASK][MASK]्सक ह