folksong
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17 तुसां छतरे मरद बना दिते सप रसियां दे करो डारीयो नी राजे भोज दे मुख लगाम दे के चढ़ दौड़ियां हो टूनेहारीयो नी कैरों पाडवां दी सभ गाल सुटी ज़रा गल दे नाल बुरियारीयो नी रावण लंका लुटायके गरक होया कारन तुसां दे ही हैंसियारीयो नी
panjabi-pan
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो जई चोप्यो हो दसरथ दरबार सहेली ऐ आंबो मोरियो बड़ को गोड़ थरू थांबर हुई रयो वाकी डाली हो गई असमान सहेली ऐ आंबो मोरियो बड़ की डाली जो डाली हीरा जड़िया बड़ का पत्ता राज मोती रा लूम बड़ खे देखन रामलछमन आविया उनका सांते हो तैतीस करोड़ देवता बड़ खे देखन हो सीता माता आविया उनका सांते हो राधारूकमारी जोड़ बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो जई चोप्यो फलाणा राम दरबार बड़ देखण आई उनका भाईभतीजा री जोड़ बड़ देखण आई देराणीजेठाणी री जोड़
malvi-mup
मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी बिनती सुनो... मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . कष्ट निवारो संकट काटो , दुख टारो महरानी भवानी बिनती सुनो । बिनती सुनो . . . कितने भक्त हैं तारे तुमने , मोह तारो महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . ना हम जाने आरती पूजा , ना भक्ति महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . कैसे तुम्हारे दरशन पाऊं , कैसे चरण दबाऊं महरानी । बिनती सुनो . . . अपनी शक्ति दिखाओ मैया , शरण तुम्हारे आऊँ भवानी । बिनती सुनो . . .
bundeli-bns
41 मुलां आखया नामाकूल1 जटा फरज कट के रात गुजार जाईं फजर होई तों अगों ही उठ एथों सिर कजके मसजदों निकल जाईं घर रब्ब दे मसजदां हुंदयां ने अजगैब2 दीयां हुजतां नांह उठाईं वारस शाह खुदा दे खानयां नूं एह मुलां भी चंबड़े ने बलाईं
panjabi-pan
मालू राजुला हैको गास छोड़े विरालीक1 तई । तीसरो गास छोड़े अगनी का नऊ । चौथो गास वो अफू भोरजन कर्द । छोड़ याले तब साई न माता को थाल , मालूशाही की माता झप2 अंगवाल3 मारदे । तू जोगी नी छई तू छई बेटा मेरो । किलै4 छोड़ी बेटा , सात राणी बौराणी ? किलै छोड़ी राजा अपणी रैत5 मैत ? नि छऊ माई मैं तेरो मालूशाही , न मेरी राणी छई न मेरो राज । मालूशाही माता दणमण6 रोन्दे : तू बोल न बोल बेटा , तू मेरो मालू छई । कनो7 निरमोही होई तु कै8 पापीन भरमाई9 । कंचन काया छै तेरी उजली आतमा , केक बेटा त्वैन यो राखो रमाई ? मैं नी छऊँ मेरी माता , तेरो जायो10 , मैं छऊं माता गुरू गोरख को चेलो । तब गाडे जोगीन बोकसाड़ी11 विद्या , वैई12 बगत13 मा वो अन्तर्ध्यान ह्वैगे छोड़ तब्री रंगीली वैराट , चली गए वो जलन्धर देस मा जलन्धर देस मा विषल्या का शैर14 । वै शैर मा रन्दी छई वा राणी विषल्या , जै राणी की छई विष की मगरी15 , ऊ मगरियों मा विष चारियूं छयो , जु तें पाणी पेंद छौं , विष खै मरी जांद छयो , मालशाही जोगी पौंछीगे दोफरी का धाम , विष की मगरी पाणी पीयाले । जोगी तई तब विष लगो गए ढली गये वो चन्दनसी गेंडो16 । राणी विसल्या तब पाणी भरण ऐगे , देखे वैन जोगी पड्यूं हात हात भर की जटा बेत17 बेत भर का नंग18 , पर मुखड़ी पर वैकी बाला19 सुरज की उद्यों20 छौं वीं स्वाणी21 सूरत भोली मूरत देखी , वीं दया ऐगे । लक22 लगाये वींन , विष गाडीयाले , जीतो23 होई गए मरयूं मालूशाही तनी24 जीती25 रयान सुणली26 सभाई । तब बोलदी विषल्या रौतेली तुम मेरा नाथ साई , मैं तुम्हारी जोगीणा । विसल्या मैं जाग जलन्धर देस , जब घर औलू त्व विवै ल्यौलू । रंगीली को राजा छऊँ , मैं रंगीली मालूशाही । तिन मेरा पराण बचाया , त्वै मैं विषल्या , भुलण्या नी विसरण्या । हे जी , तब जांदू मालूशाही जलन्धर देस मा , विघनी विजैपाल छा घट27 मू , तब मिली गैन विधनी विजैपाल । चार गारा मन्त्रीन साई न , देखा दूं तब तौंका घटा बन्द होई गैन , तब औंदन जोगी मू कये बिघनी विजैपाल , हे भायों , केव घट बन्द होइन ? हे भाई , तू छई मातमी28 जोगी , हमारा घट बन्ध्या गैन । तु कुछ तन्त्र जाणनी त हमारो कारज साधी ले । अहा , ई किसम को साधू हम नी मिलणो ? तब बोलदो जोगीहे विघनी विजैपाल , राजुला न व्यायान , तुमन मारीइ जाण । जोगी पौंछीगे तब राजुला का पास , राजुलीन देखे रूपवन्तो साई , कनू देखेन्द यो मालूशाही की तरौं । मालूशाही बोल्दराजुला रौतेली , तेरा नौं को जोगी छौ , तेरा रूप को भोगी । भौ29 कुछ होइ जान , मैन तू बेवैक ल्याणी । तेरा बाना30 छोड़ी राजुला रंगीली बैराट , तेरा बाना छोड़ी राजुला , राण्यों का भौन । तेरा बाना छोड़ें राजुला , माता की माया , तेरा बाना धरे जोगी को ध्यान । आई गैन तबारे विघनी विजैपाल , राजुला हमारी होली , तू जोगी कखन31 आयो ? विघनी विजैपाल छा बांका भड़ , ऊँ देखी पड़32 कम्पदा छा , डाल्यों33 का जड़ला34 । ऊँन तब जुद्ध शुरू करीयाले । मालूशाही होलो बोक्सा35 को चेला , कनी खोली वैन बगसाड़ी36 विद्या इना भैरव तब पैदा ह्वैन जौन विघनी विजैपालू का कलेजा कोरीकोरी खैन । एक नी ऊँन छोड़ीन विघनी विजैपाल , गाबा37 सी काटीक , निमो38 मी निचोड़ीन39 । तब प्रफूल ह्वैगे राजुला राणी , तुम होला स्वामी मेरा पूर्वला40 का सांगाती41 , मैं तुमारी छऊँ , तुम मेरा छतर42 । तब सिंगार करदी राजुला रंगीली , आँख्यों गाजल43 चढौंदी , माथा वेंदी भली गाड़दी44 स्यू45 द पाटी , फूलून सजैक । तब सजीगे वींको औला46 सरी47 डोला , नौरंग मालूशाही छौ दस रँगी राजुला । रंगीलो मालूशाही औंद रंगीली वैराट , रंगीली वैराट मा जै जै होंद
garhwali-gbm
बौ का हात भली रसाण बौ का हात भली रसाण मारी बाखरी , पूज्यो मसाण1 , बौका2 हात , भली रसाण3 सड़क फुंड बाखरा मेरा , ब्याखनदां4 जाण , बौ का डेरा बौ छ मेरी छोटी छौनक5 , बौ का बौंड6 , भली रौनक । उबा बणू बल हिंसरी गोंदा , छोटी बौ बडू छ फोंदा पल्यापताला7 वासी त कवा8 , बौ बणीगे , बजारी हवा । बौ च मेरी रिक पठोली9 , बौ की धोती कैन लटोली10 ?
garhwali-gbm
एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । काजर लगाउन एयँदे टिकली सजाउन काजर लगाउन एयँदे टिकली सजाउन बिछिया लगाउन एयँदे पयँरी बजाउन बिछिया लगाउन एयँदे पयँरी बजाउन भरे बजार में चिन्हुन मके तुइ भरे बजार में चिन्हुन मके तुइ मके चूड़ी ऽ ऽ मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । मँडई बुलायँदे तुके खाजा खवायँदे मँडई बुलायँदे तुके खाजा खवायँदे झुलना झुलाउन तुके सरकस दखायँदे झुलना झुलाउन तुके सरकस दखायँदे हात के तुचो धरुन सँग ने मयँ हात के तुचो धरुन सँग ने मयँ तुके चूड़ी ऽ ऽ तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । पान खवायँदे तुके चटनीचमन चो पान खवायँदे तुके चटनीचमन चो । गोदना गोदायँदे हाते मयँ तो तुचो नाव चो गोदना गोदायँदे हाते मयँ तो तुचो नाव चो । मया चो बाँसुरी बजाउन मयँ मया चो बाँसुरी बजाउन मयँ तुके चूड़ी ऽ ऽ तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । ला ला ला ला ला ला ला ला ला हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ
chhattisgarhi-hne
प्रेमी पथिक चंदा आधा सरग1 पर थै2 सर्कणी बादल्यूँ मा , काँसी की सी थकुलि3 रड़नी खत्खली4 खूल्यूँ मा । निन्यारे5 थे निजन बण का नौवत्या गीत गाणी , शर्दे रातै शरदि लगणी , शीतली पौन पाणी । बस्ती धोरा6 कखि मि थइ नी गैर भी जंगली थौ , डालौं7 परथौ बथौं8 लगणू होंद सुँस्याटसी थौ । धुधू धूधू धुरकि पुरको धुर्कणूसी जनू थौ , नेडू औणू धमकि धमकी धम्कदो भारि स्यूँ थौ । हे हे बृन्दा गजब कनि ह्वै बज्र पड़नू सफा धो , 9 , तेरो निर्णै कुछ भित निह्वै दुख सबसे बड़ो यो । सच्ची सादी चतुर गहिरो सत्य संकल्प वाली , हिर्दै सौंपे मइ मु तिन जो ओ कनो कष्ट पाली । कदों कदों मनहिं मन मा याद बृन्दा कि सारी । देख्णो साम्णे बिसरि पड़गे स्यू कि भैंभी तवारी । क्या दौं जाणे डुकरि भागेगे शेर तो फाल10 काटी , नन्दू चल्लै फिरभि बणिगे एकदौ संग भाटी । मन्मा मुखैनी मुख मा मनै नी , तू पूरि कन्कै मइं बोलु त्वेम्बी , ताँचै त देवी सब बात मेरी , मन्मा टटोली तरखि छाणि ल्हे ली । जो कत्कली की खुद11 कल्वलीसी , लग्णी च वा बोलिहि नी सकेंदी । कथ्णा हि गौंक्रा करु पर्त ज्यू को , गुंडी त वा खोलिहि नी सकेंदी । गोरोसी मुख सुर्जकान्तमणिसी किर्णून थौ12 चस्कणू , जां की झूलन फुलवाडि परथौ पीलो उद्यो13 दम्कण । लम्बा लोलक दिप्प था कंदुड़14 का मोती जड्या झूलणा दर्पन सी गलवाड़ियों15 पर थमा दुद्वी बण्या सूझणा । थै बाँई नकदोड़ि मा चमकणो फूली सुहाणी कनी , हीरा की कणि ठोंठ मा यकतरैं तोता कि थामी जनी । छोटी लाल पिठाई की टुपुकि सी बेंदी थई भालकी , सोना का जनि जंत्र या सजदि थै टीकी धरीं लालकी । जाँखे थे मृग बालि बीसि रिगणी16 पाणी न गैथै मर्ये , हब्रे17 सूरज देखणी हबरि18 वा थै सोचणी प्राण मा , कीदौ उभ्र गर्जन का च किचदौं ब्रह्माण्ड का ध्यान मा । दुद्वी चूड़ि बरीक हाथु पर थै सोना कि सादी कनी , लच्छे रेशम की मृणालु पर छै फूलू पिछाड़ी जनी । बायाँ हाथ की अंगुली पर छई भिन्ना भई मुंदरी , खोद्यूँ थौ नउँ हिन्दि मा टकटकी वृन्दावती सुंदरी । दैणा हाथ न चौंठि मा कलम की मुख्ड़ी छुआई उड़ैं , बायाँ हाथ न दाबि कागज धर्यू अर्दोन धारी फुडैं । कूर्ती पैरियूं आसमानि अलगीं छाती तई दीखणी , देची ही जनि दिव्य मन्दिर बिटे संसार पलींखणी । पोंछे सूरज धार19 का पिछनई बृन्दा खड़ीकीखड़ी , देख्दी सामणि म्वाँ फंडो नजर तो फुंल्वाड़ि दी परपडी । को दौं यो , कनु धूर्त बैठिक तई पुछ्याँ ही बिना , मनमा सोचदि ह्वैक तैं पिरपिरी20 यो चोर होलो किना ।
garhwali-gbm
आल्हा ऊदल निकलल पलटन लहरा के बाबू मेघ झरा झर लाग झाड़ बरुदन के लड़वैया साढ़े साठ लाख असवार चलल जे पलटन है लहरा के सिब मंदिर के लेल तकाय बावन दुआरी के सिब मंदिर बावनों पर तोप देल धरवाय रुदल रुदल घिराइल सिव मंदिर माँ जरल करेजा है रुदल के घोड़ा पर फाँद भेल असवार ताल जो मारे सिब मंदिर में बावनों मंदिर बिरल भहराय बोलल राजा लहरा सिंह रुदल कहना मानव हमार डेरा फेर दव अब एजनी से तोहर महाकाल कट जाय नाहिं मानल बघ रुदल बाबू सूनीं धरम के बात बातन बातन में झगड़ा भैल बातन बढ़ल राड़ बातक झगड़ा अब के मेटे झड़ चले लागत तरवार तड़तड़ तड़तड़ लेगा बोले जिन्ह के खटर खटर तरवार सनसन सनसन गोली उड़ गैल दुइ दल कान दिलह नाहिं जाय झाड़ बरुदन के लड़वैया सै साठ गिरल असवार जैसे बढ़इ बन के कतरे तैसे कूदि काटत बाय आधा गंगा जल बहि गैल आधा बहल रकत के धार ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार ढलिया बहि बहि कछुआ होय गैल तरुअरिया भैल धरियार छूरि कटारी सिंधरी होय गैल धै धै तिलंगा खाय नब्बे हजारन के पलटन में दसे तिलंगा बाँचल बाय
bhojpuri-bho
आल्हा ऊदल जन जा रुदल नैना गढ़ में बबुआ कहना मान हमार प्रतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बर के भैल अँगार हाथ जोड़ के रुदल बोलल भेया सुनी बात हमार कादर भैया तूँ कदरैलव् तोहरो हरि गैल ग्यान तोहार धिरिक तोहरा जिनगी के जग में डूब गैल तरवार जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में अम्बा जोर चली तरवार टूबर देहिया तूँ मत देखव् झिलमिल गात हमार जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में दिन रात चली तरवार एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा बड़ मोहित होय जाय हाथ जोड़ के आल्हा बोलल बाबू सुनव् रुदल बबुआन केत्त मनौलों बघ रुदल के बाबू कहा नव् मनलव् मोर लरिका रहल ता बर जोरी माने छेला कहा नव् माने मोर जे मन माने बघ रुदल से मन मानल करव् बनाय एतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय दे धिरकारीरुदल बोलल भैया सुनीं गरीब नेवाज डूब ना मूइलव् तूँ बड़ भाइ तोहरा जीअल के धिरकार बाइ जनमतव् तूँ चतरा घर बबुआ नित उठ कुटतव् चाम जात हमार रजपूतन के जल में जीबन है दिन चार चार दिन के जिनगानी फिर अँधारी रात दैब रुसिहें जिब लिहें आगे का करिहें भगवान जे किछु लिखज नरायन बिध के लिखल मेंट नाहिं जाय
bhojpuri-bho
नीकल चले दो भाई रे बन को नीकल चले दो भाई रे बन को १ अभी म्हारा आगणा म राम हो रमता , रमताँ जोगी की लार माता कोशल्याँ ढुढ़ण चली अन खोज खबर नही आई रे . . . बन को . . . २ आगे आगे राम चलत है , पिछे लक्ष्मण भाई जिनके बीच मे चले हो जानकी अन शोभा वरनी न जाई रे . . . बन को . . . ३ राम बिना म्हारो रामदल सुनो , लक्ष्मण बीना ठकूराई सीता बीना म्हारी सुनी रसवाई अन कुण कर चतुराई रे . . . बन को . . . ४ हारे श्रावण गरजे , न भादव बरसे , पवन चले पुरवाई कोण झाड़ निच भीजता होयगँ राम लखन सीता माई रे . . . बन को . . . ५ भीतर रोवे माता कोशल्या , बाहेर भारत भाई राजा दशरथ ने प्राण तज्यो हैं अन कैकई रई पछताई रे . . . बन को . . . ६ हारे गंगा किनारे मगन भया रे , आसण दियो लगाई तुलसीदास आशा रघुवर की अन मड़ीयाँ रहि बन्दवाई रे . . . बन को . . .
nimadi-noe
भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का दारु पिलायो ओर समदी काये रोजेना आयो गल्ला नापियो पाइ से नापियो खोटी में रखियो पैसा गिनाया ताली में गिनायो पेटी में रखियो भोला भोला का बात बनायो भोला का सगाई जुड़ायो ओ समदी काये रासेना आयो स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल
korku-kfq
चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर, हम राजा दसरथ हे चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर , हम राजा दसरथ हे । डगरिन , मोर घर अयलन भगमान , भेलन1 नंदलाल2 मोरा हे ॥ 1 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहुँ न पयलन3 हे । राजा लेइ आहु डोलिया कहार , बुलइत4 नहीं जायम5 हे ॥ 2 ॥ एतना सुनइते राजा दसरथ , डोलिया फनावल6 हे । डगरिन चढ़ि चलूँ मोर महलिया , बालक नहबावहु7 हे ॥ 3 ॥ हम लेबो हँथिया से घोड़वा अउरी गजमोतीए8 हे । तमकि के बोलहकइ9 डगरिन , तबे नहबायब हे ॥ 4 ॥ एतना सुनत राजा दशरथ , डगरिन अरज करे हे । डगरिन ले लेहु सहन10 भंडार , बालक नहबावहु हे ॥ 5 ॥ धन धन धन राजा दसरथ , धन कौसीला माता हे । ललना , धन धन डगरिन भाग , ले राम नेहबावल हे ॥ 6 ॥
magahi-mag
लेहऽ दुलरइता भइया कँधवा कोदरिया लेहऽ1 दुलरइता भइया कँधवा2 कोदरिया3 । परबत से जड़ी ला देहु भइया ॥ 1 ॥ तोड़िए काटिए4 भइया बाँहलन मोटरिया । लऽ न दुलरइतिन बहिनी जोग के जड़िया ॥ 2 ॥ पिसिए कुटिए5 बहिनी भरल कटोरिया । पीअऽ न दुलरइता दुलहा जोग के जड़िया ॥ 3 ॥ हमें न पीबो सुघइ6 जोग के जड़िया । हम भागी जायबो बाबा के पासे ॥ 4 ॥
magahi-mag
सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला , रेशम लम्बी डोर हो , झालरियो । । रनुबाई गंगा भरिया , जमुना भरिया , जाय कवेरी झकोळ हों , झालरियो । । बेटी म्हारी , पहिलाज आणऽ ससराजी आया , काळो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , दूसराज आणो जेठजी आया , धौळो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , तीसराज आणो देवरजी आया , छैल बछेरी लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबकी आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , चवथाज आणो धणियेरजी आया , हँसलो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटा म्हारी , ससरो भी फिरी गयो , जेठ भी फिर गयो , देवर भी फिरी गयो । हाड़ा राव को कुँवर कन्हैयो । । ओ नी पाछऽ फिरऽ हो , झालरियो । । पिताजी जळ जमुना को काळो पाणी , देखी नऽ डर लागऽ हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , नाव लगावसे , डोंग्या चलावसे , पार उतारी लई जासे हो , झालरियो । । पिताजी चैतबैसाख की घाम पड़ऽ नऽ , म्हारी कड़ी को बाळो कोम्हलासे हो , झालरियो । । बेटी म्हारी छतरी लगावसे , तम्बू तणावसे , छावळऽ छावलऽ लई जासे हो , झालरियो । ।
nimadi-noe
568 रांझा आखदा जाह की वेखनी ए बुरा मौत थीं इह विजोग है नी पए धाड़वी लुट लै चले मैंनूं इह दुख की जानदा लोग है नी मिली रांझे नूं हीर ते सवाह मैंनूं तेरे नाम दा असां नं रोग है नी बुकल लेफ दी जफियां वहुटियां दियां एह रुत सयाल दा भोग है नी शौकन रंन गवांढ कपतयां दा भले मरद दे बाब1 दा रोग है नी खुशी किव होवन मरद फुल वांगूं घरी जिन्हां दे नित दा सोग है नी तिन्हां विच जहान की मजा पाया गल जिन्हां दे रेशटा2 जोग है नी जेहड़ा बिनां खुराक दे करे कुशती ओस मरद नूं जानिए फोग है नी आसमान ढह पवे ते नहीं मरदे बाकी जिन्हां जहान ते चोग है नी कूंज कां नूं मिले ते शोर पैंदा वारस शाह एह धुरों संजोग है नी
panjabi-pan
सोहर साभार : सिद्धार्थ सिंह चलो चली सखिया सहेलिया त हिलि मिलि सब चली हो सखी जमुना का निर्मल नीर कलस भरि लाई हो कोउ सखी हाथ मुख धोवें त कोउ सखी घैला बोरै हो अरे जसुदा जी ठाढ़ी ओनावै कन्हैया कतौ रोवें हो घैला त धरिन घिनूची पर गेडुरी तखत पर हो जसुदा झपटि के चढ़ी महलिया कन्हैया कहाँ रोवै हो चलो चली सखिया सहेलिया त हिलि मिलि सब चली हो सखी जसुदा के बिछुड़े कन्हैया उन्हें समुझैबे हो कई लियो तेलवा फुलेलवा आँखिन केरा कजरा हो जसुदा कई लियो सोरहो सिंगार कन्हैया जानो नहीं भये हो नीर बहे दूनो नैन दुनहु थन दूधा बहे हो सखी भीजै चुनरिया का टोक मैं कैसे जानू नहीं भये हो
awadhi-awa
अरे सायबा खेलणऽ गई गनागौर अरे सायबा खेलणऽ गई गनागौर , अबोलो क्यों लियो जी महाराज । । अरे सायबा , अबोलो देवरजेठ , सायबजी सी ना , रहवा जी महाराज । । अरे सायबा , पड़ी गेई रेशम गांठ , टूटऽ रे पण ना छूटऽ जी महाराज । । अरे सायबा , खाटो दूा अरू दही , फाट्यो रे मन ना जुड़ जी महाराज । । अरे सायबा , खेलणऽ गई गनागौर , अबोलो क्यों लियो जी महाराज । ।
nimadi-noe
विवाह -गीत - घुमची बरन मै सुन्नर घुमची बरन मै सुन्नर बाबा मुनरी बरन करिहांव हमरे बरन बर ढुंढयो मेरे बाबा तब मोरा रचहू बियाह इहड़ खोज्यो बेटी बीहड़ खोज्यो , खोज्यों मै देस सरिवार तोहरे जोगे बेटी बर कतहूँ न पायों अब बेटी रह्हू कुवाँरि इहड़ खोज्यो बाबा बीहड़ खोज्यो , खोज्यों तू देस सरिवार चार परगिया पै नग्र अयोध्या दुइ बर राम कुवाँर उहे बर माँगै बेटी अन धन सोनवा बारह बरद धेनू गाय उहे बर माँगै बेटी नव लाख दायज हथिनी दुवारे कै चार नहीं देबो मोरे बाबा अन धन सोनवा बारह बरद धेनू गाय नहीं देबो मोरे बाबा नव लाख दायज तब बर हेरौ हरवाह
awadhi-awa
मैया के भुवन अरे हा अखण्डी ज्योति जरे मैंया के भुवन अरे हां , अखण्डी ज्योति जरे । काहे के दीया काहे के बाती काहे के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सोने की दीया कपूर की बाती , सोने के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . कौना मंदिर में जोत जरावे , कौना कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सीता सुहागन जोत जरावें , राम जी कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सब वेदन मे तोरो जस गावे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . .
bundeli-bns
आल्हा ऊदल कौड़ी लागे फुलवारी के मोर कोड़ी दे चुकाय तब ललकारे डेबा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं हम तो राजा लोहगाँ के दुनियाँ सिंघ नाम हमार नेंवता ऐली समदेवा के उन्ह के नेंतवा पुरावन आय एतनी बोली जब सुन गैले लौंड़ी के भैल अँगार करे हिनाइ बघ रुदल के सेरहा चाकर पर मालिक के रुदल रोटी बिरानी खाय कत बड़ सोखी बघ रुदल के जे सोनवा से करे खाय बियाह जरल करेजा है बघ रुदल के तरवा से बरे अँगार लौंड़ी हो के अतर दे अब का सोखी रहा हमार छड़पल राजा है बघ रुदल लौंड़ी कन पहुँचल जाय पकड़ल पहुँचा लौंड़ी के धरती में देल गिराय अँचरा फाड़े जब लौंड़ी के जिन्ह के बंद तोड़े अनमोल हुरमत लूटे ओहि लौंड़ी के लौंड़ी रामराम चिचियाय भागल लौंड़ी हैं सोनवा के फुलवारी से गैल पराय बठली सोनवा सिब मंदिर में जहवाँ लौंड़ी गैल बनाय बोले सोनवा लौंड़ी से लौंड़ी के बलि जाओं केह से मिलल अब तूँ रहलू एतना देरी कैलू बनाय तब ललकारे लौंड़ी बोलल रानी सोनवा के बलि जाओ देवर आइल तोर बघ रुदल फुलवारी में जुमल बनाय जिव ना बाँचल लौंड़ी के सोनवा , जान बचावव हमार
bhojpuri-bho
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा वरपक्ष की ओर से खोली देवा खोली देवा , ए दौड़ पड़दा1 देखू मैं कन्या को रूप । कन्या पक्ष का उत्तर हमारी कन्या छ गौरी स्वरूप , तुमारो बन्दड़ा श्याम स्वरूप । केन होय केन होय श्याम स्वरूप , बन्दड़ा पर लगे जेठ की धूप । वरपक्ष की ओर से खोली देवा खोली देवा , ए दौड़ पड़दा , देखूँ मैं कन्या को रूप । कन्या पक्ष का उत्तर हमारी कन्या छ सावित्री स्वरूप , तुमारो बन्दड़ा , चमार सी कालो । बन्दड़ा पर लगे , जेठ की धूप ।
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भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला उनी सुतारण ले लाव ललकार हातां री झालो देती आवे रे गुड़ री गूजरी भेरू जी जो तम कलस्या रा सावला उनी कुमारण से लाव ललकार भेरूजी जो तम तेलसिंदूर सावला उनी तेलण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम नायका रा सावला उनी कंठालण ले लाव ललकार भेरूजी जोतम मेवा रा सावला उनी मालण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम बीड़ा रा सावला उनी तंवोलण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम घुघरा रा सावला उनी सुनारण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम घीखिचड़ा रा सावला उनी कलालण खे लाव ललकार भेयजी जो तम घीखिचड़ा रा सावला उनी बऊ खे लाव ललकार भेरूजी जो तक भेंट का सावला तो तम उना सेवक ले लाव ललकार भेरूजी जो तम आरती का सावला तो तम उनी कुंवासी खे लाव ललकार
malvi-mup
बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी तेरे बाबा की ऊंची हवेली बन्ना जी तेरे बाबल की ऊंची हवेली बन्ना जी मैं तो चढ़ती चढ़ती आई बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी तेरी दादी बड़ी लड़ाकी तेरी अम्मा का तेज मिजाज बन्ना जी मैं तो डरती डरती आई
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इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं तूं किस कारण आए प्यारे बन्दड़े इसी गर्मी मैं असी सर्दी मैं तुम किस कारण आए प्यारे बन्दड़े इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं हम थारे कारण आए प्यारी बन्दड़ी इसी गर्मी मैं इसी सर्दी मैं हम थारे कारण आए बन्दड़ी जनेती ले ब्याईयो म्हारे घर आईयो पिरस्यां मैं आण बठाईयो प्यारे बन्दड़े बाजा ले ल्याईयो म्हारे घर आईयो गालां मैं आण बजवाईयो प्यारे बन्दड़े गहणा तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्दड़ी ने आण पहराईयो प्यारे बन्दड़े महन्दी तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्नी के हाथ रचाईयो प्यारे बन्दड़े चोरी तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्दड़ी का सीस गुंदाईयो प्यारे बन्दड़े रात अन्धेरडी या बन्दड़ी कामनगैरी तुम पाच्छै घोड़ा राखो प्यारे बन्दड़े नदी का किनारा यो जोबन का सै जोड़ा तुम कस कै पौंचा पकड़ो प्यारे बन्दड़े
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162 भाइयां भाबियां चा जवाब दिता मैंनूं वतनथीं चा त्राहयो जे भूएं खोह के बाप दा लया विरसा मैंनूं अपने गलों चा लाहयो जे मैंनूं मार के बोलियां भाबियां ने कोई सच दा कौल निभायो जे मैंनूं दे जवाब चा कढयो जे हल जोड़ क्यारड़ा वाहयो जे रत्न रन्न खसमां मैंनूं ठिठ कीता मेरे अरश दा किंगरा1 ढाहयो जे नित बोलियां मारदियां जाह सयालों मेरा कढना देश थीं चाहयो जे असीं हीर सयाल दे चाक लगे जटी मेहर दे नाल दिल फाहयो2 जे हुण चिठियां लिख के घलियां जे जदों खेतरी दा राखा चाहयो जे वारस शाह समझा जटेटियां नूं साडे नाल केहा मथा डाहयो जे
panjabi-pan
आँगन में बतासे लुटा दूँगी, आँगन में आँगन में बतासे लुटा दूँगी , आँगन में । सासु जी अइहें , चरुआ1 चढ़इहें । 2 भला उनको चुनरिया पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 1 ॥ चरुआ चढ़ावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे चुनरिया छिना लूँगी , आँगन में ॥ 2 ॥ गोतिनी जे अइहें , पलँग बिछइहें । भला उनको तिलरिया3 पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 3 ॥ पलँगा बिछावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे तिलरिया छिना लूँगी , आँगन में ॥ 4 ॥ ननद जो अइहें , आँख लगइहें4 । भला उनको कँगनवाँ पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 5 ॥ आँख लगावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे कँगनवाँ छिना लूँगी , आँगन में ॥ 6 ॥
magahi-mag
कहमा ते बहैये मैया कमलेसरी हे कहमा ते बहैये मैया कमलेसरी हे हे कमला बहै छै बलान । कहमा मैया बहै कोसीधार । । अलापुर बहै मैया , मैया कमलेसरी हे तिरहुत बहै छै मैया बलान मैया धरमपुर बहै छै कोसीधार हे । किअ दय समदव मैया मैया कमलेसरी हे , मैया हे किय दय समदव बलान हे । पानफूल दयसमदव मैया मैया कमलेसरी हे मैया हे परवा दय समदव बलान हे । पाठी दय समदव मैया , कोसीधार हे मैया हे पाठी दय ।
angika-anp
90 कैदो आखदा थी वयाह मलकी दोहाई रब्ब दी मन्न लै डायने नी इके मारके वढ के करीं बेरे1 मुंह भन्न सु चुआयने नाल सायने नी वेख वेख धीउ दा लाड की दंद कढें अंत झूरसैं रन्ने कसायने नी इके बन्न के भोरे चा घतीं लिंब वांग भडोले दे आयने नी गुस्से नाल मलकी तप लाल पई झब दौड़ तू मिठिये नायने नी सद लया तूं हीर नूं ढूंढ़ के ते तैनूं मां सदेंदिये है डायने नी खड़ दुंबीये मनिये भेड़िये नी मुशटंडिये बार दीये डायने नी वारस शाह वांगूं किते डुब मोईये घर आ सयापे दिये नायने नी
panjabi-pan
खिल रहा चान्द लटक रहे तारे खिल रहा चान्द लटक रहे तारे चल चन्दरावल पाणी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी सासड़ की जाई मेरी ननद हठीली रात ने खंदा दई पाणी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी उरले घाट मेरा घड़ा न डूबे परले किसन मुरारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी क्यांहे की तिरी ईंढली गुजरिया प्यारी क्यांहे की जल झारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी अन्दन चंदन की ईंढली कन्हैया प्यारे सोने की जल झारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी
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आरी के हेंठे-हेंठे लगि गेल फुलवारी आरी1 के हेंठेहेंठे2 लगि गेल फुलवारी । कान्हर3 बछरू चरावल हे ॥ 1 ॥ फेरू फेरू4 अहो कान्हर , अपनी बछरुआ । चरि जएतन5 घनी फुलवारी हे । येली6 चरि जइहें , बेली7 चरि जइहें , चंपा ममोरले8 डाढ़ हे ॥ 2 ॥ काहे से9 गाँयब10 हो कान्हर फल के मउरिया11 । काहे से गाँथब हो कान्हर चंपाकली हरवा । दुलहा दुलहिन चौका चलि बइठल , बाम्हन वेद उचारल हे ॥ 3 ॥ हँसि हँसि पूछल दुलहा कवन दुलहा । कउने हथुन12 बाबू तोहार हे , कउने हथुन अम्मा तोहार हे ॥ 4 ॥ जिनका डँरवा13 में पिअरी14 धोतिया सोभे , ओहे15 हथि बाबूजी हमार हे । जेकर हँथवा में सोने के कँगना सोभे , ओही हथि अम्मा हमार हे ॥ 5 ॥ कामर16 ओढ़न , कामर डाँसन17 ओहि हथिन चच्चा हमार हे । जिनकाहि सोभे परभु लहरापटोरवा , ओहि हथिन चाची हमार हे ॥ 6 ॥ धीरे से अइहें गंभीरे चुमइहें18 ओही हथिन बहिनी हमार हे । जिनका मुँहवाँ में लहालही19 बिरवा20 ओहि हथिन भइया हमार हे ॥ 7 ॥ अइंठलिजोइंठलि21 ओठ ममोरलि22 ओहि हथिन भउजी हमार हे ॥ 8 ॥
magahi-mag
224 गई उमर ते वकत फिर नहीं मुड़दे गए करम ते भाग न आवंदे ने गई गल जबान थीं नहीं मुड़दी गए रूह कलबूत1 ना आंवदे ने गई जान जहान थीं छड जुसा कई होर सयाने फरमांवदे ने मुड़ एतने फेर जे आंवदे ने रांझे यार होरी मुड़ आंवदे ने अगे वाहियों चा गवायो ने हुन इशक थीं चा गवांवदे ने रांझे यार होरां एह थाप छडी किते जा के कन्न पड़वांवदे ने इके अपनी जिंद गवाउंदे ने इके हीर जटी बन्न लयांवदेने वेखो जट हुण फंद चलांवदे ने बन चेलड़े घोन हो आंवदे ने वारस शाह मियां सानूं कौन सदे भाई भाबियां हुनर चलांवदे ने
panjabi-pan
आरे ओ, ओरे सुजन नाइया (भाटियाली) आरे ओ , ओरे सुजन नाइया कोन वा देशे याओ रे तुमि , सोनार तरी बाइया । । कोन वा देशे बाड़ी तोमार , कोन वा देशे याओ । । एइ घाटे लगाइया नाओ , आमार लइया याओ । । सोनार तरी , रंगेर बादाम , दिवाछ उड़ाइया । पुबाली बातासे बादाम उड़े रइया रइया । । रंग देखिया एइ अभागी कान्दे घाटे बइया । सोतेर टाने कलसी आमार गेल रे भसिया । । आइस आइस सुजन नाइया , कलसी देओ धरिया । । कि धन लइया याइब घरे , शून्य आमार हिया । ।
bengali-ben
सोने का सरोता, बताओ धनराणी सोने का सरोता , बताओ धनराणी सोने का सरोता , रूपा की डांडी कतरकतर बिड़ला , चाबो धनराणी पेलो मास जो लागियो , आल भोले मन जाए ।
malvi-mup
ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री जब री सासू मेरी पीसन ने खन्दावे बाबुल की पनचक्की मोहे याद बड़ी आवे री जब री जेठाणी मोहे रोटी ने खन्दावे बाबुल की बाह्मनिया मोहे याद बड़ी आवे री जब री ननद मोहे पाणी ने खन्दावे बाबुल की झीमरिया मोहे याद बड़ी आवे री ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री
haryanvi-bgc
कान्हा बरसाने में आय जैयो कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी , बुलाय गई राधा प्यारी . . . . . . . कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा माखन मिश्री खाय जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी , बुलाय गई राधा प्यारी . . . . . . .
braj-bra
जगमग राज रा भोजा जगमग राज रा भोजा जगमग राज री मेंदी जगमग राज री पेरण री चतराई हो ऐसा म्हारा राज जमई जी , सासरिया में सोवे जी सासरिया में सोपे जमई जी , सासू लाड़ लड़ावे जी जगमग राज रा जामा , ने जगमग राज री केसर जगमग राज री पेरण री चतराई जी जगमग राज राकड़ा , जगमग राज री पोंची जगमग राज री कंठी , जगमग राज री डोरा जगमग राज रा मोती , जगमग राज री चूनी जगमग राज री पेरण री चतराई हो
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66 नाल नढियां घिन्न के चरखड़े नूं तुसां बैठणा विच भंडार हीरे असीं आणके रूलांगे विच वेहड़े साडी कोई न लएगा सार हीरे टिकी देके वेहड़ियों कढ छडें सानूं ठग के मूल न मार हीरे साडे नाल जे औड़ निबाहुणी ए सच्चा देह खा कौल इकरार हीरे
panjabi-pan
पहिलो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च कुमारी पहिलो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च कुमारी , दूजो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च माँ की दुलारी । तीजो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च भायों की लड्याली , चौथो फेरो फेरे लाड़ी , मैत1 छोड़याली । पाँचों फेरो फेरे लाड़ी , सैसर2 की च त्यारी , छठो फेरो फेरे लाड़ी , सासु की च ब्वारी3 , सातों फेरो फेरे लाड़ी , कन्या ह्वे चुके तुमारी ।
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पिया लै दो हमें हरियल सारी पिया लै दो हमें हरियल सारी , पलका पै मचल रई हैं प्यारी सूत महीन , झीन ना हौवै , बड़ी मुलाम तरज बारी । छोरन मोर पपीरा राजें , जरद कोर की जरतारी । बीचन बीच बेल बूटन सें भरी होय कछु फुलवारी । कहत ईसुरी सुनलो प्यारी , भोर भगा है सुकमारी ।
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आज भई मोरे मन की, सुनो सैंया आज भई मोरे मन की , सुनो सैंया सासो न आवे हमारो का बिगरे , चरुजा चढ़ाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठके पिया चूल्हा जलइयो , हम चरुआ धर लैहें , सुनो सैंया । आज . . . जिठनी न आवे हमारो का बिगरे , लड्डू बंधाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठ के पिया मेवा ले अइयो , हम लड्डू बांध लैहें , सुनो सैंया । आज . . . ननदी न आवें हमारो का बिगरे , संतिया धराई बच जैहें , सुनो । सैंया . . . तुम उठके पिया गोबर ले आइयो , हम संतिया धर लैहें , सुनो सैंया । आज . . . पड़ोसन न आवे हमारो का बिगरे , सोहर गबाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठके पिया ढोलक बजइयो , हम सोहर गा लैहें , सुनो सैंया । आज . . .
bundeli-bns
अरे रे काला भँवरवा, तू नेवति ला नैहर मोरा हे अरे रे काला भँवरवा1 तू नेवति ला2 नैहर मोरा हे ॥ 1 ॥ किये ले3 नेवतबइ नैहरवा , किये ले ससुर लोग हे । लौंग4 लेइ नेवतिहे नैहरवा , कसइली5 ले ससुर लोग हे ॥ 2 ॥ कहँवा से औतइ6 महरिआ7 कहाँ से बीरन भइया हे । पूरब से औतइ महरिआ , पछिम से बीरन भइया हे ॥ 3 ॥ कहँवा उतरबइ8 महरिआ , कहँवे बीरन भइया हे । कड़वे उतरबइ महरिआ , अँचरे9 बीरन भइया हे ॥ 4 ॥ किये किये10 खयतइ बोझियवा11 दूध खाँड़ बीरन भइया हे ॥ 5 ॥ किये दे12 समाधबइ13 बोझियवा , त किये दे बीरन भइया हे । दान दे समधबइ14 बोझियवा , त चढ़न के घोड़वा बीरन भइया हे । हँसइत जयतइ15 बोझियवा , कुरचइत16 बीरन भइया हे ॥ 6 ॥ खोली देहु बहिनी गुदरिया17 त , तू पेन्हिलऽ चुनरी मोरा हे । छोड़ी देहु मन के कुरोध18 तू भइया से मिलन करू हे ॥ 7 ॥
magahi-mag
चलो मन बँसरी बजावे चलो मन बँसरी बजावे जिहाँ मोहना रे , राधा रानी नाचे ठुमा–ठुम रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना जमुना के खड़ मे कदम के बिरखा , नाचथे मँजुरा अव फुदकथे मिरगा , खेतले कछार जिहाँ बोलथे पपीहरा रे , कलपथे हाबे पाना फुल । रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना । रूनझुन घुनझुन जिँहा कदम के छईहाँ , नाचथे गुवालिन जिँहा जोरे जोरे बईँहा झाँझ मजिँरा जिँहा झमके झमाझम रे , घुँघरू सुनाथे छुनाछुन ॥ रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना कलकल छल छल , छलकथे जमुना , झनन झनन झनके तारा अव तमुरा । महर महर बन म मन लेय लहरा ले , भँवरा गुँजावे गुनागुन रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ चलो मन बँसरी बजावे जिहाँ मोहना रे , राधा रानी नाचे ठुमा–ठुम रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना
chhattisgarhi-hne
144 कुड़ियां सद के पैचों ने पुछ कीती लंगा कासनूं ढाह के मारया जे बाझ ऐवें तकसीर1 गुनाह लुटया इके कोई गुनाह नितारया जे हाल हाल करदा परे विच बैठा एडा कहर ते खून गुजारया जे झुगी साड़ के मार के भन्न भांडे एस फकर नूं मार उजाड़या जे कहो कौन तकसीर फकीर अंदर फड़े चोर वांगूं ढांह मारया जे वारस शाह मियां पुछे छोहरियां नूं अग लाए फकीर कयों साड़या जे
panjabi-pan
आइये बहुअड़ इस घरां आइये बहुअड़ इस घरां तेरी सासड़ आई सुसर घरां आइये बहुअड़ इस घरां तेरी जिठाणी आई जेठ घरां
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हरी हरी गोबर घोलती हरी हरी गोबर घोलती गज मोती चौक पुरावो कुम्भकलश अमृत भरियाजी जानूं मोरित आज आवो म्हारा रामचंद आवजो जाकी जोती थी वाट ऊँची अटारी रगमगी दिवलो जले रे उजास खेलामारूणी खेले सोगटा खोलो मनड़ा री बात आबो म्हारा रामचंद आवजो जेकी जोती थी वाट लीली दरियाई को घाघरों साड़ी रंग सुरंग अंगिया पहने कटावकी जी बंदा खोलो सुजान छींकत घोड़ीला जीण कस्या बरजत हुवा असवार राय आंगण बिच धन खड़ी पीवू खड़ाजी , जीवो छींकन हार ।
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एकली घेरी बन में आन स्याम एकली घेरी बन में आन स्याम तेने या के ठानी रे स्याम मोहे बिन्दराबन जानो लौट के बरसाने आनो जे मोहे होवे अबेर लरैं देवरानी जेठानी रे एकली घेरी बन . . . दान दधि को देजा मेरो कंस के खसम लगे तेरो मारूं कंस मिटाऊं बंस ना छोडूँ निसानी रे एकली घेरी बन . . . दान मैं कभी न दूँगी रे कंस ते जाय कहूंगी रे आज तलक या ब्रज में कोई भयो न दानी रे एकली घेरी बन . . .
haryanvi-bgc
वे इशका मारिआ ई रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक हुराँ दे वधे अडम्बर । इशक ना छुड्डदा पीर पैगम्बर । इशक ना छुपदा बाहर अन्दर । इशक कमाया शरफ कलन्दर । बाराँ बरस पाणी विच्च ठारीआँ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । आदम कणकों मनाँ कराएओ । पिच्छे चा शैतान दौडाएओ । कल्ल बैहश्तों जिमीं रूलाएओ । भला पसार पसरेआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मूसा नूँ कोह तूर1 पठाएओ । इसराईल नूँ ज़िब्हा2 कराएओ । यूनस मच्छली तों निगलाएओ । की ओहनाँ नूँ रूतबा चाढ़िआ ई ? रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मनसूर नूँ चा सूल दित्ता । राहब दा कढवाएओ पित्ता । सरमद दा की औगुण डिा ? फेर ओहनाँ कम्म की सारिआ ई ? रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । यूसफ नूँ विच्च खूहे पायो । भाइआँ नूँ इल्ज़ाम दिवायो । ख्वाब जुलेखाँ नूँ दिखलायो । फिर उस नूँ तख्त चाढ़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । फरऊन ने खुदा कहाया । ईसा नाल अशतंड3 जगाया । नील नदी विच्च ओह डुबाया । खुदीओं कर तुध मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । नमरूद4 ने वी खुदा कहाया । जिस ते रब्ब ने तीर चलाया । मच्छर तों उसनूँ मरवाया । कारूँ जिमीं निघराया ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । आपे चा अमाम बणाया । उसदे नाल यज़ीद5 लड़ाया । चौधीं तबकीं शोर मचाया । सिर नेजे ते चाढ़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । फौजाँ मेल मंगाईआँ भाइआँ । मुशकाँ चूहिआँ तों टुकवाइआँ । डिट्ठी कुदरत तेरी साइआँ । मैं सिर तेरे तो वारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । लंका चढ़ के नाद बजायो । लंका राम कोलों लुटवायो । हरनाकश कित्हा बैहशत बणायो । ओह विच्च दरवाजे मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । दित्ता दहसिर लई बेचारी । तद हनूँवंत ने लंका साड़ी । रावण दी सभ चा अटारी । ओड़क रावण मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । कैरो पांडों करन लड़ाइआँ । उठाराँ खूहणिआँ तदों खपाइआँ । मारन भाई सक्किआँ भाइआँ । की ओत्थे नेआँ नितारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । गोपिआँ नाल की चज्ज कमायो । मक्खण काहन तो लुटवायो । राजे कंस नूँ पकड़ मँगायो । बोदिओं पकड़ पछाड़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक लैला दे धुम्माँ पाईआँ । तद मीआँ मजनूँ अक्खिआँ लाईआँ । इशक ने धाराँ आप चुंघाईआँ । खूहे ते बरस गुज़ारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक होरीं हीर पर आए । तद मीआँ राँझे कन्न पड़वाए । साहिबाँ नूँ विआहवण आए । सिर मिरजे दा वारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । रस्सी नूँ चा थलीं रूलायो । सोहणी कच्चे घड़े डुबायो । रोडे दे सिर गिल्हा जो आयो । पुरषे कर कर मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मुगलाँ ज़हर प्याले पीते । भूरेआँ वाले राजे कीते । कुल अशराफ फिरन चुप्प कीते । भला ओहनाँ नूँ झाड़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । बुल्ला शाह फकीर विचारा । कर चल्लिआ कूच नगारा । जग विच्च रोश्न नाम हमारा । नूरों सूरज उतारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । राँझा जोगीड़ा बण आया राँझा जोगीड़ा बण आया , वाह साँगी साँग रचाया । ऐस जोगी दे नैण कटोरे , बाजाँ वांगूँ लैंदे डोरे । मुक्ख डिठिआँ दुःख जावण झोरे , इन्हाँ अब्बीआँ लाल वन्जाया6 ।
panjabi-pan
हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री सद नूणी मक्खन की लाइयो री तू अपने हाथ खिलाइयो री हो बरसाने वाली कदम्ब नीचे आइयो री जो तेरी द्यौरजिठाणी लड़ैगी एक की लाख सुणाइयो री जो तेरा बाला कन्थ लड़ैगा तू हम से परीत लगाइयो री चन्द्र सखी भज बाल किरसन छवि तू हर के चरण चित लाइयो री हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री
haryanvi-bgc
पुरबा जे बहै छै झलामलि हे कोसी पुरबा जे बहै छै झलामलि हे कोसी , पछिया बहै छै मधुर । अंगना में कुँइयाँ खनाय दियो कोसिका , बाँटि दियो रेशम के डोर । झटपट अंगिया मंगाय दियो कोसिका माय , भैरव भैया भुखलो न जाय । साठी धान कूटि के भतवा रान्हलियै , मुंगिया दड़रि के कैलो दालि । जीमय ले बैठलै भैरव छोटे भइया , कोसी बहिन बेनिया डोलाय । बेनिया डोलावैत बहिनो चुवलै पसीना , नैन से ढरै मोती लोर । जनु कानु जनु खिझु कोसिका हे बहिनो , तोरो जोकर डोलिया बनाय । घर पछुअरवा में बसै छै कहरवा , कोसी जोकर डोलिया बनाय । झलकैत जेती सुसुरारि ।
angika-anp
क्या कहूं रानी! तुम्हारा भाग क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग तुम्हीं हमारा बंस बधाया जी धन्य बहूरानी जी जिन जाया . . . ज्ञानी जी धन्य धन्य हमारा भाग जी मिली तुम बहूरानी जी क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग . . . धन्य . . . बहूरानी जिन जाया हमारा लाल ज्ञानी जी क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग . . .
haryanvi-bgc
हे हर जी ल्याए हैं झोली भर फूल हे हर जी ल्याए हैं झोली भर फूल राधा जोगे नां ल्याए भगवान हे जी बांटे हैं सब परवार राधा जोगे नां बचे भगवान हे जी राधा के मन मैं सै छोह टग टग महलें चढ़ गई भगवान हे राधा नै जा मूंदे अजड़ किवाड़ सांकल लोहे सार की भगवान । हे राधा रिमझिम बरसे है मैंह किरसन भीजें बाहरणै भगवान हे राधा खोलो नै अजड़ किवाड़ सांकल लोह सार की भगवान हे हर जी जां बांटै झोली भर फूल बहैं जाओ सो रहो भगवान हे हर जी कै मन मैं था छोह् ढगढग महलां ऊतरे भगवान हे हर जी जा सोए बिरछां की धाएं धोली चादर ताण कै भगवान हे जी राधा के मन मैं था चाव टग टग महलें ऊतरी भगवान हे हर जी पूछी हैं कूएं पणिहार कहीं देखे सांवरे भगवान हे राधा नहीं देखे किसन मुरार नहीं देखे सांवरे भगवान हे हर जी पूछै हैं हाली पाली लोग कहीं देखे सांवरे भगवान हे राधा वे सूते बिरछां की छांह धोली चादर ताण कै भगवान हे राधा देख्या है पल्ला ए उघाड़ किरसन सूते नींद मैं भगवान हे हर जी ऊठो न किरसन मुरार उठो न पियारे सांवरे भगवान हे हर जी नैणां मैं रम गई धूल पैरां मैं छाले पड़ गए भगवान हे हर जी राधा तो रूसै बारम्बार किरसन रूसै न सरै भगवान
haryanvi-bgc
269 छड चोरियां यारियां दगा जआ बहुत औखियां एह फकीरियां ने जोग जालना सार दा तकला ए एस जोग विच बहुत जहीरियां ने जोगी नाल नसीहतां हो जांदे जिवें ऊठ दे नक नकीरियां ने तूंबा खपरी सिमरना नाद सिंगी चिमटा भन्ग नलयेर1 जंजीरियां ने छड त्रीमतां झाक हो जोगी फकर नाल जहान की सीरियां ने वारस शाह एह जट फकीर होया नहीं हांदियां गधे तों पीरियां ने
panjabi-pan
बार ही बारे विनवूं, गरवे से बाबुल बार ही बारे विनवूं , गरवे से बाबुल कातिक लगिन लिखाव हो आलालीला बांस कटाव नागर बेल मंडवा छवाव सुलतान दूले , रामदूले आनि बाजिया वे हातीड़ा हठसाल बांदो , घोड़ी ला घुड़साल बांदो बराती खे देवो जनिवास , साजनसमधी सास सेरी जवाली अनपोय लाया , तिमन्यो अनपोय लाया नाड़ा को रंग बदरंग बाबुल उनखे बांध दीजो गजरा अनगूंथ लाया , रेणी अनरंग लाया दुपट्टा को रंग भदरंग काकुल उनखे बांध दीजो सुलतान दूले राम दूले रूस चलिया दे
malvi-mup
करन्ड कस्तूरी भरिया छाबा भरिया फूलड़ा जी करन्ड कस्तूरी भरिया , छाबा भरिया फूलड़ा जी । तुम भेजो हो धणियेर रनुबाई , जो हम करसां आरती जी थारी आरतड़ी ख आदर दीसाँ , देव दामोदर भेंटसा जी । । करन्डी कस्तूरी भरिया , छाबा भरिया फूलड़ा जी । ।
nimadi-noe
छोटे से मोरे मदन गोपाल (लोरी) छोटीछोटी गैयाँ छोटेछोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल कहाँ गईं गैयाँ , कहाँ गए ग्वाल कहाँ गए मोरे मदन गोपाल । हारे गईं गैयाँ , पहाड़ गए ग्वाल खेलन गए मोरे मदन गोपाल का खाएँ गैयाँ ? का खाएँ ग्वाल का खाएँ मोरे मदन गोपाल ? घास खाएँ गैयाँ , दूध पिएँ ग्वाल माखन खाएँ मोरे मदन गोपाल । छोटीछोटी गैयाँ छोटेछोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल
bundeli-bns
मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत कहूं सीधा तैं चालै आडा याहे बात कसूत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत तेरै संग मैं पांच भूतणी कोन्या मानै रांड ऊतणी तैं पाक्का सै भूत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत पांच चोर सै तेरे रे साथी तेरी समझ में कोन्या रे आती चौड़े लोआ दे जूत
haryanvi-bgc
जमुना किनारे मेरौ गाँव जमुना किनारे मेरौ गाँव आ जइयो ॥ टेक ॥ जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली , मैं ब्रज की गोपिका नवेली । राधा रंगीली मेरौ नाम कि बंशी बजाय जइयो ॥ 1 ॥ मलमल कै स्नान कराऊँ , घिसघिस चन्दन खौर लगाऊँ । पूजा करूँ सुबह शाम कि माखन माख जइयो ॥ 2 ॥ खसखस कौ बंगला बनवाऊँ , चुनचुन कलियाँ सेज सजाऊँ । धीरेधीरे दाबूँ में पाम , प्रेमरस पियाय जइयो ॥ 3 ॥ देखत रहूँगी बाट तुम्हारी जल्दी अइयो कृष्णमुरारी । झाँकी करेंगी ब्रजवाम कि हंसमुस्काय जइयो ॥ 4 ॥ तुम से फँस रहौ प्रेम हमारौ , खिच्चो कह रहौ आटे बारौ । बाबू खलीफा मेरौ काम नैंक करवाय जइयो ॥ 5 ॥
braj-bra
सभवा बइठल तोहे बाबू साहेब, अउरी सिर साहेब हे सभवा1 बइठल तोहे बाबू साहेब , अउरी सिर साहेब हे । साहेब , मोर नइहर लोचन2 पठइती , तो बाबू जी अनन्द होइतन हे ॥ 1 ॥ बाबूजी होयथीं अनदंे मन , मइया हरखि जयतइ हे । बहिनी के जुड़ा जयतइ छतिया , भइया मोर हुलसि जायत हे ॥ 2 ॥ मोर पिछुअरवा3 नउआ4 भइया तोही मोर हित बसे हे । नउआ , चली जाहु हमर ससुररिया , दुलरइतिन देइ5 के नइहर हे ॥ 3 ॥ कहाँ के हहु तोंहि हजमा , 6 त केकर7 पेठावल हे । ललना , कउन बाबू के भेल नंदलाल , लोचन लेइ आवल हे ॥ 4 ॥ कवन पुर8 के हम हीअइ नउआ , कवन बाबू पेठावल9 हे । ललना , कवन बाबू के भेलइन नंदलाल , लोचन लेइ आवल हे ॥ 5 ॥ लेहु हो नउआ , तूं साल अउ दोसाला लेहु हे । नउआ , लेहु तोंहि पटुका पटोर10 लहसि घर जाहुक हो ॥ 6 ॥ मइया , जे हमर दुलरइतिन मइया , सुनहट बचन मोर हे । मइया , अइसन भेजिहऽ पियरिया , 11 कि देखि के हिरदय साले हे ॥ 7 ॥ भउओ , जे हमरो दुलरइतिन भउजो , सुनहट वचन मोरा हे । भउजो , अइसन भेजिह सोंठउरवा , 12 जे गोतनी के हिरदय साले हे ॥ 8 ॥
magahi-mag
पिया हो गये तबाह सट्टा हार के फिरन लगे हाथ झार के पिया हो गये तबाह सट्टा हार कें , फिरन लगे हाथ झार कें सबरी मिटा गृहस्थी डारी , घर में बचे न लोटा थारी , रोवे लड़कन की महतारी । गहना जेवर सब लै गए उतार कें फिरन लगे . . . रुपया पैसे सबरे हारे , लड़का बिटिया फिरें उघारे , अब तो फिरें हाथ पसारे । खाना खरचा खों बल पे उधार कें । फिरन लगे . . . हम तो समझा समझा हारे , करजा ऊपर से कर डारे , उलझन में हैं प्राण हमारे । कछु घर में न बचो सब हार के । फिरन लगे . . . अच्छेअच्छे सब पछतावें , सट्टा जुआं से पार न पावें , सबकी नजरन से गिर जावें । काम करियो तुम सोच विचार के । फिरन लगे हाथ झार के । पिया हो गये तबाह . . . ।
bundeli-bns
286 मार आशकां दी लज लाह सुटी यारी लाके घिंन लै जावनी सी अंत खेड़यां वयाह लै जावनी सी यारी उसदे नाल ना लावनी सी ऐडी धुम कियों मूरखा पावणी सी एह सूरत न गधे चड़ावनी सी वारस शाह जे मंग ले गए खेड़े दाढ़ी परे दे विच क्यों मुणावनी सी
panjabi-pan
बारात स्वागत का गीत आवोआवो वो याहयण रामरामी । मिलोमिलो वो याहयण रामरामी । बठोबठो वो याहयण रामरामी । पाणिपीवो वो याहयण रामरामी । आवोआवो वो याहयण रामरामी । समधन से गीत में कहा है समधन बैठने के लिये मंडप बना रखा है । आओ रामराम । समधन आओ मिल लेवें । बैठो पानी पिओ । जब माँडवे में वर पक्ष की महिलाएँ बैठ जाती हैं तब गाली गीत वधू पक्ष की ओर से प्रारम्भ हो जाता है , जवाब वर पक्ष से दिया जाता है ।
bhili-bhb
बेबे हे करम्यां की गत न्यारी बेबे हे करम्यां की गत न्यारी मेरे तै कही नहीं जावै किसे के फिरते इधर उधर नै कोए कोए तरसै एक पुतर नै पर बन कुछ न पावै बेबे हे . . . कोए कोए ओढ़े सीड दुसाले उसके बस्तर घणे निराले किसै नै पाटै बी ना पावै बेबे हे . . . कोए कोए सोवै रंग महल मैं उस के नौकर रहें टहल मैं किसै के छान नहीं पावै बेबे हे . . .
haryanvi-bgc
दसमास रे बेटा बोझ मरी थी दसमास रे बेटा बोझ मरी थी मायड़ ने निरणा दे चढ़या अपणी मायड़ नै मैं बांदी री ल्यादूं बड़े ए साजन की धीअड़ी बारां मास रे बीरा गोद खिलाया बाहण का निरणा दे चल्या अपणी बाहण नै मैं अगड़ घड़ा दयूं ऊपर नौरंग चूंदड़ी
haryanvi-bgc
झूमर तो पिया! तुम गढ़वाओ झूमर तो पिया तुम गढ़वाओ बिन्दी लावै मेरे भातइये चल चुप रह नार देखे तेरे भातइये पांच का लावैं पच्चीस ले जाएं ब्याज मूल में तुझे ले जाएं देखे तेरे भातइये कांटे तो पिया तुम गढ़वाओ कड़े गजरे लावैं मेरे भातइये बून्दे अंगूठी लावैं मेरे भातइये पांच का लावैं पच्चीस ले जाएं दस पांच और ऊपर ले जाएं ब्याज मूल में तुझे ले जाएं देखे तेरे भातइये
haryanvi-bgc
गजराई नै टेर लगाई गज घंटा दिया बजाई गजराई नै टेर लगाई गज घंटा दिया बजाई बचा दिए उन के प्राण गरड़ चट्ढ आइयो जी भगवान द्रोपदा नैं टेर लगाई उन की साड़ी तुएं बढ़ाई मार्या दुसासन का मान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान नरसी ने दान कर्या था सरसै मैं भात भर्या था कर दिया हुंडी का भुगतान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान दास तेरा कहवाऊं कर दरसण खुसी हो जाऊं राख्यो मेरी तरफ को ध्यान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान
haryanvi-bgc
क्यो रोये मोरी माई हो ममता क्यो रोये मोरी माई हो ममता क्यो रोये मोरी माई १ तो पाँच हाथ को कफन बुलायो , उपर दियो झपाई चार वेद चैरासी हो फेरा उपर लीयो उठाई . . . हो ममता . . . २ तो लाख करोड़ी माया हो जोड़ी , करकर कपट कमाई नही तुन खाई , नही तुन खरची रई गई धरी की धरी . . . हो ममता . . . ३ तो भाई बन्धू थारो कुटूम कबीलो , सबई रोवे रे घर बार घर की हो तीरीया तीन दिन रोवे दूसरो कर घर बार . . . हो ममता . . . ४ तो हाड़ जल जसी बंध की हो लकड़ी , कैश जल जसो घाँस सोना सरीकी थारी काया हो जल कोई नी उब थारा पास . . . हो ममता . . . . . .
nimadi-noe
बरस एकादशी करिये बरस एकादशी करिये नणदळ न्हावा ने जईये राधा , रूकमणी और सतभामा ललता से कहिये कुवजा से कहिये बाईजी न्हावा ने जईये गंगा , जमना और सरसती तिरवेनी में न्हइये भवसागर तिरिये बाईजी न्हावा ने जईये न्हाई धोई सुमिरण करस्यां गऊ सेवा करिहें गऊ पूजा करिये नणदल न्हावा ने जईये सांवलिया नी संग जो रेस्यां सोयलड़ो चईये बाईजी न्हावा ने जईये मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणा रहिये प्रभु चरणा रहिये बाईजी न्हावाने जईये
malvi-mup
ऐसे कपटी श्याम ऐसे कपटी श्याम कुंजन बन छोड़ चले उधो ३ जो मैं होती जल की मछरिया श्याम करत स्नान चरण गह लेती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती चन्दन का बिरला श्याम करत श्रृंगार मैथ बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती मोर की पांखी श्याम लगाते मुकुट मुकुट बिच रहती मैं उधो ऐसे क पटी 2 जोमें होती तुलसी का बिरला श्याम लगाते भोग थल बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती बांस की पोली श्याम छेड़ते राग अधर बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी2 जो मैं होती बन की हिरनिया श्याम चलते बाण प्राण तज देती मैं उधो ऐसे कपटी 2
braj-bra
166 नी मैं घोल घती एहदे मुखड़े तों पाओ दुध चूरी एहदा कूत है नी इललिल दीयां जलियां पौंदा ए जिकर हयू ते लायभूत1 है नी नहीं भाबियां ते करतूत काई सभे लड़न नूं होई मजबूत है नी जदों तुसां ते सी गाली देंदियां साओ एहतां ऊतनी2 दा कोई ऊत है नी भारया तुसां दे मेहनयां गालियां दा एह तां सुक के होया तबूत3 है नी सौंप पीरां नूं झल विच छेड़ महीयां एहदी मदद ते खिजर ते लूत4 है नी वारस शाह फिरां ओहदे मगर लगा अज तीक ओ रिहा अछूत है नी
panjabi-pan
जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी कुछ नां जाणै जी जच्चा तै म्हारी कीड़ी तै डरपै जी सांप मार सिराणै दीन्यां बीच्दू मार बगल मैं दीन्यां जच्चा तै म्हारी कीड़ी तै डरपै जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी कुछ नहीं खाती जी चार कनस्तर घी के खागी नौ बोरी तै खांड जी जच्चा तै म्हारी कुछ नहीं खाती जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी लड़ना नां जाणै जी आई गई का लहंगा पाड़ै सास नणन्द की चुटिया जी जच्चा तै म्हारी लड़ना नां जाणै जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी
haryanvi-bgc
मैया तेरे लाला को लागी नजरिया मैया तेरे लाला को लागी नजरिया माथे पे चंदा इनके बना दो , मोहन माला गले पहना दो डालो गले में पुतरिया , इन्हें लागी नजरिया । मैया . . . रेशम का धागा कमर पहिरा दो मोरो के पंखों की झालर लगा दो जाने न दो इन्हें कोऊ की बाखरिया । मैया . . . सोने की थाली में दीपक उजारो मेवा सुपाड़ी नारियल धारो सूनो न छोड़ो इन्हें अपनी सजेरिया । मैया . . .
bundeli-bns
रजमतिया के चिट्टी छोटकी गोतिनिया के तनवा के बतिया , पतिया रोईरोई ना , लिखावे रजमतिया । सोस्ती श्री चिट्टी रउरा भेजनी तेमे लिखल , सोरे पचे अस्सी रोपेया , भेजनी तवन मिलल ओतना से नाही कटी , भारी बा बिपतिया । पतिया . . . छोटकी के झूला फाटल , जेठकी के नाहीं , बिटिया सेयान भइल , ओकरो लूगा चाही , अबगे धरत बाटे कोंहड़ा में बतिया , पतिया . . . रोज रोज मंगरा मदरसा जाला , एक दिन तुरले रहे मौलवी के ताला , ओकरा भेंटाइल बा करीमना संघतिया । पतिया . . . पांडे जी के जोड़ा बैला गइलेसऽ बिकाइ , मेलवा में गइले त पिलवा भुलाइल , चार डंडा मरले मंगरू , भाग गइल बेकतिया । पतिया . . . जाड़ा के महीना बा , रजाई लेम सिआइ , जाड़ावा से मर गइल दुरपतिया के माई , बड़ा जोर बीमार बा भिखारी काका के नतिया । पतिया . . . कबरी बकरिया रातभर मेंमिआइल , छोटका पठरुआ लिखीं कतना में बिकाई , दुखवा के परले खिंचत बानी जँतिया । पतिया . . .
bhojpuri-bho
माझे माझे दियरा परिये गेल माझे माझे दियरा परिये गेल लागी गेल कमला फूल । नान्ही नान्ही डलिया बुनाबिहे छौड़ी मलनिया , तोड़ली हे कमला फूल । कोन फूल ओढ़न कोन फूल पहिरन कोन फूल हे सिंगार । एली फूल ओढ़न बेली फूल परिहन , चमेली फूल कोसिका के हे सिंगार ।
angika-anp
मोटी मोटी बून्दां झले पै आई मोटी मोटी बून्दां झले पै आई तो गाबरू नै चाद्दर ताणी , हो मन्ने तेरी सोंह जद वोह् चाद्दर भीजण लागी तो गाबरू नै छतरी ताणी , हो मन्ने तेरी सोंह जद वोह् छतरी भीजण लागी तो गाबरू नै बैल जुड़ाई , हो मन्ने तेरी सोंह बाजणी सी बैल बिदकणे से नारे तो गाबरू नै बांह तुड़ाई , हो मन्ने तेरी सोंह
haryanvi-bgc
सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन डोंगरा सागुन केन न्यूता कूले डोंगरा सागुन केन न्यूता कूले चोखा चावली डो पीला हल्दी चोखा चावली डो पीला हल्दी पीला हल्दी डो न्यूता कूले पीला हल्दी डो न्यूता कूले जामुन जामुन डो गाडा जामुन जामुन जामुन डो गाडा जामुन गाडा जामुन केन न्यूता कूले गाडा जामुन केन न्यूता कूले चोखा चावल डो पीला हल्दी चोखा चावल डो पीला हल्दी पीला हल्दी डो न्यूता कूले पीला हल्दी डो न्यूता कूले स्रोत व्यक्ति कालूराम , ग्राम मोरगढ़ी
korku-kfq
आयो आयो चौमासा त्वैक जागी रयो आयो आयो चौमासा त्वैक जागी रयो । मैं पापणीं सदा मन भरी रयो । मेरा स्वामी को मन निठुर होयो । घर बार छोड़ीक विदेश रयो । हाई मेरा स्वामी जी मैंने क्या खायो । तुमरी प्रीति से न्यारी होयो ।
garhwali-gbm
बुल्ले शाह की सीहरफी - 2 अलफ आपणे आप नूँ समझ पहले , किस वास्ते है तेरा रूप प्यारे । बाझ आपणे आप दे सही कीते , रहेओं विच्च दसौरी दे दुःख भारे । होर लक्ख उपाओ ना सुक्ख होवे , पुच्छ सिआणे ने जग्ग सारे । सुक्ख रूप अखंड चेतन हैं तूँ , बुल्ले शाह पुकारदे वेद चारे । बे बन्ह अक्खीं अते कन्न दोवें , गोशे1 बैठ के बात विचारीए जी । छड्ड सिआणपाँ जग्ग जहान कूड़ा , कहेआ आरफाँ दा दिल धारीए जी । पैरीं जा जंजीर बे खाइशी दे , ऐस नफस2 नूँ कैद कर डारीए जी । जान जान देवें जान रूप तेरा , बुल्ले शाह एह खुशी गुज़ारीए जी । ते तंग छिद्दर3 नहीं विच्च तेरे , जित्थे कक्ख ना इक्क समावंदा है । ढूँढ़ वेख जहान दी ठौर4 कित्थे , अन हुंदड़ा5 नजरीं आँवदा है । जिवें ख्वाब दा खयाल होवे सत्तिआँ नूँ , तराँ तराँ दे रूप विखालदा है । बुल्ला शाह ना तुध थीं कुझ बाहर , तेरा भरम तैनूँ भरमाँवदा है । से समझ के बैठ जहान अंदर , तूँ ताँ कुल इसरार जहान दा है । तेरे डिठिआं दिसदा सभ कोई , नहीं कोई ना किसे पछाणदा है । तेरा खयाल एहो हर तराँ दिसे , जिवें बाल बेताल कर जाणदा है । बुल्ले शाह फाहे तौण बावरे नूँ , फसे आप आपे फाही ताणदा है । जीम जीवणा भला कर मन्निआँ तैं , डरें सरन थीं एह अगयान भारा । इक्क तूँ ही ताँ जिन्द जहान दी हैं , घटा कासे जूँ मिलें सभ माहों न्यारा । तेरे जेहा ना दूसर कोई , आदि अंत बाझों लगे सदा प्यारा । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ अमर हैं सदा नहीं मरन वाला । चे चानणा कुल जहान दा तूँ , तेरे आसरे होएआ व्योहार सारा । तूँ ही सभ की आँख मैं वेखदा हाँ , तुझे सज्झद6 चानणा और अँधारा । नित्त जागणा सोवणा खाब सेती , एह ते होए अग्गे तेरे कई वारा । बुल्ला शाह प्रकाश सरूप तेरा , घट्ट वद्ध ना हो तूँ इक्क सारा । हे हिरस7 हैरान कर सुट्टिआ तूँ , तैनूँ अपणा आप भुलाया सू । पातशाहिओं सुट्ट कंगाल कीता , कर लक्ख तों कक्ख वखया सू । मध मत्तड़े8 शेर नूँ तंद कच्ची । पैरीं पा के बन्ह बहाया सू । बुल्ले शाह तमासड़ा होर वेक्खो , लै समुन्दर नूँ कुजड़े पाया सू । खे ख़बर ना आपणी रक्खदा ऐं , लग्ग खयाल दे नाल तूँ खयाल होएआ । ज़रा खयाल नूँ सुट्ट बे खयाल हो तूँ , जिवें रहे ना उठ्ठ जागिया ना सोएआ । तदों देख खाँ अंदरों कौण जागे , नहीं घास में छुप हाथी खलोएआ । बुल्ला शाह जो गले दे विच्च गहणा , फिरे ढूँढदा तिवें मैं आप खोहिआ । दाल दिलों दिलगीर ना होएँ मूलों , दूजी चीज ना पैदा तहकीक कीजे । अव्वल जाँ सहुबत करे आशकाँ दी , सुखन तिन्हाँ दे आबेहयात पीजे । चश्म जिगर हो मलन हो रहे तेरे , नहीं सूझता तिन्हाँ को साफ कीजे । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तेहैं एक अनंद में सदा जी जे । जाल ज़रा नाँ सुक्क तूँ रक्ख दिल ते , हो बे शक तू हैं खुद खसम जाईं । जिवें सिंघ भुलाए बल आपणे नूँ , चरे घास मिल अजान साईं । पिच्छों समझ बल गरजिओं अजामारे , भएआ सिंघ दा सिंघ कुझ भेद नाहीं । तैसी तूँ भी तराँ कुछ अबर धारे , बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं । रे रंग जहान दे देखदा हैं , सोहणे बाझ दीदार दे दिसदे नीं । जिवें होत हबाब बहुरंग दे जी , अंदर आब9 दे जरा विच्च फिसदे नीं । आब खाक आतश बात भए इकट्ठे , देख अज के कल्ल विच्च खिसकदे नीं । बुल्ला शाह सँभाल के वेख खाँ तूँ , दुःख सुक्ख सभे एह किसदे नीं । जे ज़ोर नहीं जाणे आवणे दा , ओत्थे कोह वाँग हमेश अडोल है सी । जिवें बद्दलाँ दे तले चंद चलदा , लग्गा बालकाँ नूँ वड्डा भोल है सी । चल्ले मन इन्दरी प्रान दे आदिक , दिसे देखणेहार अडोल है सी । बुल्ला शाह सँभाल खुशहाल है जी , ऐन आरफाँ दा एहो बोल है जी । सीन सितम करना ऐं जान अपणी ते , भुल्ल आप थीं होर कुझ होवणा जी । सोईओ लिखिआ शेअर चितेरिआँ10 ने , सच्च जाा के बालकाँ रोवणा जी । जरा सैल नहीं वेख भुलना ऐं , लग्गा चिकड़ों जान क्यों धोवणा जी । बुल्ला शाह जंजाल11 नहीं मूल कोई , जाण बुज्झ के भुल्ल खलोवणा जी । शीन शुबहा नहीं कोई ज़रा इस में , सदा अपणा आप सरूप है जी । नहीं ज्ञान अज्ञान की ठौर ऊहा , कहाँ सूरमें छाओं और धूप है जी । पड़ा सेज है माहिमैं सही सोया , कूड़ा सुखन कारंग अरूप है जी । बुल्ला शाह सँभाल जब मूल देक्खाँ , ठौर ठौर मैं आप सरूप है जी । सुआद सबर करना आया नबी उत्ते , देख रंग ना दिल डोलाईए जी । सदा तुखम दी तरफ निगाह करनी , पात फूल की ओर ना जाईए जी । जोई आए और अटक रहे नाहीं , सो कौण दानश12 जीव लाईए जी । बुल्ला शाह सँभाल दुःख खंड चाखी , जिसे दुःख फल तिसे क्यों खाईऐ जी । जुआद ज़रूर मगरूर को छोड़ दीजे , नहीं और कुछ एह ही पछानणा ई । जा सों उट्ठिआ ताँ ही के बीच डाले , होए अडोल देक्खो आप चानणा ई । सदा चीज़ ना पैदा हो देखीए जी , मेरे मेरे कर जीअ मैं जानणा ई । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ सदा अनंद मैं छानणा ई । तोए तौर महबूब दा जिन्हाँ डिट्ठा , तिन्हाँ दूई तरफों मुक्ख मोड़ेआ ई । कोई लटक प्यारे दी लुट्ट लीती , हटे नाहीं ऐसा जी जोड़िआ ई । अठ्ठे पहर मस्तान दीवान फिरदे , ओहनाँ पैर आलूद13 ना बोझिआ ई । बुल्ला शाह ओह आप महबूब होए , शोक यार दे कुफर सभ तोड़िआ ई । ज़ोए ज़ाहर जुदा नहीं यार तै थीं , फिरे ढूँढदा किसनूँ दस्स मैनूँ । पहिलों ढूँढणे हार नूँ ढूँढ़ खाँ जी , पिच्छों प्रतच्छ घरे विच्च रस तैनूँ । मत्त तूँहीएँ होवें आप यार सभदा , फिरें ढूँढदा जंगलाँ विच्च जिहनूँ । बुल्ला शाह तूँ आप महबूब प्यारा , भुल्ल आप थीं ढूँढदा फिरे कीहनूँ ? ऐन ऐन है आप बिना नुक्ता , सदा चैन महबूब दिलदार मेरा । इक्क वार महबूब नूँ देक्खाँ , और देक्खणे हार है सभ केहड़ा । उस तों लक्ख वहशत कुरबान कीते , पहुँचा होए बेगम चकाए जेहड़ा । बुल्ला शाह हर हाल विच्च मस्त विरदे , हाथी मत्तडे तोड़ जं़जीरा घेरा । गै़न ग़म ने मार हैरान कीता , अठे पहर मैं प्यारे नूँ लोडींदी साँ । मैनूँ खावणा पीवणा भुल्ल गिया , रब्बा मेल जानी हत्थ जोड़दी साँ । सइआँ छड्ड गइआँ मैं इकल्लड़ी नूँ , अंग साक नालों नाता तोड़दी साँ । बुल्ला शाह जब आप नूँ सही कीता , तब मैं सतड़ी अंग न मोड़दी साँ । फे फिकर गिया सइओं मेरीओ नी , मैं ताँ आपणे आप नूँ सही कीता । कूड़ी देह सिहुँ नेहों चुकाया मैं ख़ाक छाण के लाल नूँ फोल लीता । देख धूहें दे धौलरे14 जग्ग सारा , सुट्ट पाया है जीआ ते हार जीता । बुल्ला शाह अनंद आखंड सदा , लक्ख आपणे आप आबेहयात पीता । काफ कौण जाणे जानी जान दे नूँ , आप जानणेहार एह कुल दा ए । परतक्ख दी आदि परमान जे ते , सिद्ध कीते जिस्दे नहीं भुल्लदा ए । नेत नेत कर बेद पुकारदे नी , नहीं दूसरा ऐस दे तुल दा ए । बुल्ला शाह सँभाल जद आप देक्खा , सदा सहंग15 प्रकाश होए झुलदा ए । गाफ गुज़र गुमान ते समझ बैह के , हंकार दा आसरा कोई नाहीं । बुद्ध आप संघात चढ़ देखीए जी , पड़ा कान पखान ज्यों भुम माहीं । आप आत्मा ज्ञान सरूप सत्ता , सदा नहीं फिरदा खड़ा एक जाँहीं । बुल्ला शाह बबेक बिचार सेती , खुदा छोड़ खुद होए खसम साईं । लाम लग्ग आक्खे जाग खा सोया , जाण बुज्झ के दुःख क्यों पावना ऐं ? ज़रा आप ना हटें बुरेआइआँ तों , मसले कड्ढ लोक सुणावनाँ ऐं । काग16 विष्ट17 जीवन को जाण तजे , संताँ विखे मोड़ क्यों चित्त लुभावनाँ ऐं । बुल्ला शाह ओह जानणेहार दिल दा , करें चोरिआँ साध सदावनाँ ऐं । मीम मौजूद है हर जाह मौला , तिस देख क्या भेख बणाया सू । जिवें एक ही तुखम18 बहु तराँ दिसे , तिवें आपणा आप भुलाया सू । मैह आपणे अपणे खयाल करदा , नर नार होए चित्त मिलाया सू । बुल्ला शाह ना मूल थीं कुझ होया , सो जाने जिसे जनाया सू । नून नाम अरूप उठा दीजे पिछ , असत अर भांत परेआ साँच है जी । जोई चित्त की चितवनी विच्च आवे , सोई जान तहकीक कर कार है जी । तों बिन की बरत काहैं तूँ साक्खी , तूँ जान रूप में है जी । बुल्ला शाह जे भूप19 अचल्ल बैठा , तेरे अग्गे प्रतिकृति का नाच है जी । वा वझत एह हक्क ना आवणा ई , इक्क पलक दे लक्ख करोड़ देवें । जतन करें ताँ आप अचाह होवें , तूँ ताँ पहर अठ्ठे विखे रस सेवें । कूड़ बिपार कर धूड़ सिर मलसें , चेत्तन्न मन देवें जड़ काच लेवें । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ अनंत लग्ग देह मैं कहाँ मेवें । हे हर तराँ होवे दिलदार प्यारा , रंग रंग दा रूप बणाया ई । कहूँ आप को भूल रंजूल20 होया , कहूँ उरध भरमाए संताया ई । जदों आपणे आप में प्रगट होया , सदानन्द21 के माहिं समाया ई । बुल्ला शाह जे आहदे थाँ अत्त सोई , जिवें नीर मैं नीर मिलाया ई । अलफ अज्ज़ बणिआ सभ्भे कच्च मेरा , शादी गमी थीं पार खलोया मैं । भया दूर भरम , मरम पाया मैं , डर काल का जीआ ते खोया मैं । साध संगत की दया तेभाअ निरमल , घट घट विच्च तन सुक्ख सोया मैं । बुल्ला शाह जद आप नूँ सही कीता , जोई आदि थाँ अंत फिर होया मैं । ये यार पाया सइओं मेरीओ नी , मैं ताँ आपणा आप गुआए के नी । रही सुध ना बुध जहान केरी , थक्की बिरत22 आनन्द मैं आएके नी । अठ्ठे आम बिसराम ना काम कोई , धुन ज्ञान की भाह जलाएके नी । बुल्ला शाह मुबारकाँ लक्ख देवो , बहीए शांत जानी गल लाएके नी ।
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480 तुसी मेहर करो असीं घरी जाईए नाल सहती दे डाल बनाईए जी बहर1 इशक दा खुशक गम नाल होया नाल अकल दे मीह वरसाईए जी किवें करां मैं कोशशां अकल दियां तेरे इशक दियां पूरीया पाईए जी जां तयारियां टुरन दियां झब करिए असीं सजनों हुकम कराईए जी हजरत सूरत इखलास2 लिख दयो मैंनूं कुर्रा3 फाल4 नजूम दा पाईए जी खोल फालनामा ते दीवान हाफज वारस शाह तों फाल कढाईए जी
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लचिका रानी दूसरा खण्ड रम्मा सुनोॅ आगू के वचनमो रे ना रम्मा सुनोॅ सब भाई , बहिन धरि धियनमो रे ना रम्मा लचिका के आगू रोॅ बचनमो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै पापी राजवो रे ना रम्मा शिव मंदिरवा के नगीचवो रे ना रम्मा घुसियैलो छेलै जहाँ रानी लचिको रे ना रम्मा कानै छेलै कपरवा धुनिधुनि रे ना रम्मा वहाँ जायके बोले पापी राजवो रे ना रम्मा चल्लोॅ आवोॅ मंदिर से बहरवो रे ना रम्मा आपनोॅ तों चाहोॅ कुशलवो रे ना रम्मा अगर नै ऐभौ बहरवो रे ना रम्मा काटी देवौ तोरोॅ सिरवो रे ना रम्मा सुनीकेॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा बौले सुनीकेॅ लचिका रनियो रे ना रम्मा सुनोॅ हमरो अरजबो रे ना रम्मा केना हम्में निकलबै बहरवो रे ना रम्मा भीजलोॅ हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा झलकतै हमरोॅ सभे अंगवो रे ना रम्मा निकलै में लागै हमरा शरममो रे ना रम्मा घटवा पर हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा लानी केॅ देभौ हमरोॅ अगुओ रे ना रम्मा तबेॅ पीन्ही केॅ निकलबै बहरवो रे ना रम्मा सुनि केॅ लचिका के बतियो रे ना रम्मा लानी केॅ देलकै राजा नुग्गासाया बुलाऊजवो रे ना रम्मा सब चीज पीन्हीं निकललै बहरबो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै राजा के समनमो मेें रे ना रम्मा राजा भेलै खुशिया मगनमो रे ना रम्मा राखलेॅ छेलै उड़न खटोलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ बैठलकै उपरवो रे ना रम्मा पापी राजा भेलै आनन्दवो रे ना रम्मा लैकेॅ चली देलकै सथवो रे ना रम्मा जतना छेलै लश्करियो रे ना रम्मा सब गेलै राजा के नगरियो रे ना रम्मा बरपपा के सुनो अब जिकरियो रे ना रम्मा भारी हल्ला होलै गढ़ के भीतरवो रे ना रम्मा रूदन पीटन पड़ी गेलै महलियो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह के रोवै महतरियो रे ना रम्मा छाती पीटीपीटी कहै बचनियो रे ना रम्मा नाश होलै कुलखनदनमो रे ना रम्मा पूतोहो के करनमो रे ना रम्मा केतना घर भेलै मोसमतवो रे ना रम्मा सबके धोएैलै सिर सिन्दुरवो रे ना । रम्मा छोड़ी केॅ गेलै आपनोॅ ललनमो रे ना रम्मा गेलै हठ करि पोखिरियो रे ना रम्मा धनजन करलकै संहरवो रे ना रम्मा करनि के पैलकै फलवो रे ना रम्मा महीना दिनो के रहै ललनमो रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ वहाँ के हलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लै गेलै लक्ष्मीपुर के रजवो रे ना रम्मा खटोलबा के उपरवो रे ना रम्मा जबेॅ पहुँचलै गाँव के नजदीकवो रे ना रम्मा दस कोस रहलै फसिलवो रे ना रम्मा पड़ी गेलै वहाँ कममो रे ना रम्मा लागलोॅ रहै वहाँ पचरंग बजरवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लैकेॅ वहाँ रजवो रे ना रम्मा पहुँचलै जायकेॅ ठिकनमो रे ना रम्मा उतारलकै वहाँ उड़नखटोलवो रे ना रम्मा जुटी गेलै पलटनियो रे ना रम्मा करै लागलै सब लोग दतबनमो रे ना रम्मा बोलै लचिका तबेॅ बचनियो रे ना रम्मा सुनि लेॅ राजा हमरोॅ बचनमो रे ना रम्मा यहाँ तनवाय देहोॅ तम्बुकवो रे ना रम्मा आपनोॅ मकानमा तांय रे ना रम्मा हम्मे चलबै तम्बुकबा भीतरबो रे ना रम्मा यहाँ सें करलेॅ जैबै दनमो रे ना रम्मा देहोॅ तहूँ मंगाई केॅ समनमो रे ना रम्मा करवे हम्मे तबेॅ दतनमो रे ना रम्मा तोहरे हाथो सें पियबै हम्में पनियो रे ना रम्मा धीरेंधीरें चलबै तोहरोॅ घरबो रे ना रम्मा दिन भरी में चलबै पाव भर रसतवो रे ना रम्मा नाहीं मानबै बीचोॅ एक्को बतियो रे ना रम्मा मारी देभौ तों हमरोॅ जनमो रे ना रम्मा यहेॅ छौं हमरोॅ कहनामो रे ना रम्मा तबेॅ होतौं तोहरोॅ इच्छा पूरनमो रे ना रम्मा सुनी केॅ रानी के बचनमो रे ना रम्मा राजा कहै मीठी बोलियो रे ना रम्मा तुरंते होय जैतै सब काममो रे ना रम्मा राजा कही केॅ एतना बचनमो रे ना रम्मा बौलेलकै सब नौकरबो रे ना रम्मा राजा देलकै सबकेॅ हुकुममो रे ना रम्मा जल्दी सें तनाबै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस यहाँ सें मकनमो रे ना रम्मा घर तक तानी दै तम्बुकवो रे ना रम्मा तम्बुकवा तानै सब नौकरवो रे ना रम्मा राजा कहैलेॅ गेलै खबरवो रे ना रम्मा सगरो तनाय गेलै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस रसतवा लागै दस बरसवा दिनमो रे ना रम्मा राजा तबेॅ बोलाबै दीवनमो रे ना रम्मा जल्दी सें जैभौ तों नगरियो रे ना रम्मा खंजाची केॅ देहोॅ खबरियो रे ना रम्मा सुनी केॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ सें चल्लै दीवनमो रे ना रम्मा गेलै खजांची के पसबो रे ना रम्मा कहि देलकै राजा के हुकुममो रे ना रम्मा खजांची देलकै तुरंते समनमो रे ना रम्मा एैले तबेॅ लैकेॅ दिवनमो रे ना रम्मा रानी केॅ देलकै सब समनमो रे ना रम्मा तबेॅ करेॅ लागलै रानी दानमो रे ना रम्मा दान करतें हुवेॅ चल्लै डगरियो रे ना रम्मा चली देलकै राजा के दरबरियो रे ना रम्मा दिन भरि में चलै रती भर जमीनमो रे ना रम्मा मनमा में करिकेॅ विचरवो रे ना रम्मा हमरे खातिर कुल होलै नशवो रे ना रम्मा येहो सोचतें चल्लै मनमो रे ना
angika-anp
ऐसी हो प्रीत निभावजो ऐसी हो प्रीत निभावजो , आरे जग मे होय नी हाँसी १ बैठ्या बामण चन्दन घसे , आरे थाड़ी कुबजा हो दासी फुल फुल्यो रे गुलाब को माला गुथो हो खासी . . . ऐसी हो प्रीत . . . २ राम नाम संकट भयो , आरे दिल फिरे हो उदासी तुम हो देवन का हो देवता राखो लाज हमारी . . . ऐसी हो प्रीत . . . ३ जल डुबता बर्तन तिरिया , आरे तिरिया कंुजर हाथी पथ राख्यो रे पहेलाद को लाज द्रोपता राखी . . . ऐसी हो प्रीत . . . ४ दास दल्लु की हो बिनती , आरे राखो चरण लगाई मृत्यू सी हमक छोड़ावजो मन म चिंता हो लागी . . . ऐसी हो प्रीत . . .
nimadi-noe
ऐसी बोलो कौनऊँ बानी ऐसी बोलो कौनऊँ बानी । ना काऊ की जानीं । सगुन मैं होय , ना निर्गुन में । नाहिं बेदन में धानी । ना आकासैं नंपातालैं , नई देवतन जानी । ना भूतन में ना प्रेतन में , ना जल जीब बखानी कयें ईसुरी जोड़ मिला दो । जब जानैं हम ज्ञानीं ।
bundeli-bns
गणेश वन्दना परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता । परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता । सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । दिवला दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । दिवला दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । धारण ढाळा तुम्हारा पांय , आओ म्हारा गणपति देवता । धारण ढाळा तुम्हारा पांय , आओ म्हारा गणपति देवता । कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां , आओ म्हारा गणपति देवता । कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां , आओ म्हारा गणपति देवता । सर्वप्रथम गणेशजी आपका स्मरण करते हैं , आपके कान सूपड़े के समान , आँखें दीपक के समान और पैर खम्भों के समान हैं । कुंकुमचावल से आपकी पूजा करें , आप पधारिये ।
bhili-bhb
गोबर से लिपलूँ अँगना, हरबोबिन लाल गोबर से लिपलूँ1 अँगना , हरबोबिन लाल । बिछवा2 रेंगल3 जाय हे , हरगोबिन लाल ॥ 1 ॥ ओने से4 अयलन दुलरइतिन छिनरो हे , हरगोबिन लाल । काट लेलक5 छिनरो के बिछवा हे , हरगोबिन लाल ॥ 2 ॥ कउन बइदा6 के बोलाऊँ हे , हरगोबिन लाल । कउन ओझा के गुनाऊँ हे , हरगोबिन लाल ॥ 3 ॥ ओने से अयलन कवन रसिया हे , हरगोबिन लाल । जरा एक7 जगहा8 देखाऊँ हे , हरगोबिन लाल ॥ 4 ॥ इसे के जगहा देखाऊँ हे , हरगोबिन लाल । लहँगा में बिछवा समायल9 हे , हरगोबिन लाल ॥ 5 ॥
magahi-mag
सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री हे री नेवरी पै नान्ही नान्ही बूंद नेवरी में बाज्जा घला दे री बहू तन्ने बाज्जा भावै ए हे री मेरा लाल लड़ाइआं बीच बहू मेरा के जीवणा सै री सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री
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148 कैदो बाहुड़ी ते फरयाद कूके धीयां वालयो करो नयां मियां मेरा हट पसारी दा लुटया ई कोल वेखदा पिंड गिरां मियां मेरे भंग अफीम ते पोसत लुड़िया होर नयामतां दा क्या नां मियां मेरी तुसंा दे नाल ना सांझ कोई पिंन टुकड़े पिंड दे खां मियां तोते बाग उजाड़दे मेवयां दे अते फाह लयांवदे कां मियां
panjabi-pan
घड़ी एक घोड़ीलो थोबजे रे सायब बनड़ा घड़ी एक घोड़ीलो थोबजे रे सायब बनड़ा दाऊजी से मिलवा दो रे हठीला बनड़ा दाऊजी से मिलकर काई करो वो सायब बनड़ी दो न पालकड़े पाँव चालो घर आपणा
malvi-mup
झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण पानीपत के टेसण ऊपर मींडक बांटै बाण एक अचंभा मन्नै सुण्या यो कुत्ता कपडणे धोवै ओबरै में म्हैस जुगालै ऊंट पिलंग पै सोवै झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . . कीड़ी मरी पहाड़ पै खींचण चले चमार दो सै जोड़ी जूती बणगी सांटै कई हजार झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . . कुतिआ चाली बिजार में गलै बांध के ईंट बिजार के बणिए न्यूं उठ बोलैं ताई लता लेगी क छींट झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . .
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आज लाड़ो केरा अजबी बहार रे बना आज लाड़ो1 केरा अजबी बहार रे बना । बाना2 सुरती3 गजबी सोहार4 रे बना ॥ 1 ॥ बाना , अपन अपन नयनमा5 सम्हार रे6 बना । बाना , लगी जयतउ नजरी के बान रे बना ॥ 2 ॥ बाना , दुलहा हइ दुलहिन के जोग रे बना ॥ 3 ॥
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होली गीत टेक हो साँवरा मती मारो पिचकारी चौक1 मति मारो रे मोहे जात में रयणा , में पर घर की हूँ नारी । हमको रे लजा तुम कोरे ऐसा । तो मुख से देऊँगी गाली , फजीता होयगा तुम्हारा , साँवरा मति मारो पिचकारी । चौक2 ऐसी रे होस होत हइयाँ में , फिर परणों तुम नारी । जाय कहूँगी जसोदा माय को , हजुवन में हुँ कुँवारी ढूढो तो वर माता हमारी , साँवरा मति मारो पिचकारी । चौक3 पर नारी पंलव पकड़ों ऐसी हे चाल तुम्हारी । माता पिता ना रे व्रत भयो छे तो राजा कन्स हों भय भारी सुणेगा तो होय विस्तारी । साँवर मति मारो पिचकारी । छाप धन गोकल धनधन विन्द्रावन धन हों जसोदा माई । धन मयता नरसइया नु स्वामी । तो मांगु ते बेड कर जोड़ी सदा संग रहूँगा तुम्हारी । साँवरा मति मारो पिचकारी । हे साँवरे श्रीकृष्ण मुझ पर पिचकारी से रंग मत छींटो । हे साँवरे मुझ पर पिचकारी से रंग न डालो । मुझे अपनी जाति में रहना है । मैं पराये घर की स्त्री हूँ । आप ऐसा करेंगे अर्थात् रंग डालेंगे तो हमें लज्जा आयेगी , अगर आप रंग डालेंगे तो मैं अपने मुँ से गाली दूँगी और आपके फजीते हो जायेंगे । हे साँवरे पिचकारी न मारो । एक गोपी कहती है कि अगर आपको इतना शौक है तो तुम ब्याह कर लो । मैं यशोदा माता से जाकर कहूँगी , अभी तक मैं कुँवार हूँ मेरे लिए वर ढूँढ़ो । हे साँवरे पिचकारी न मारो । एक नारी कहती है कि आप एक पराई नारी का पल्ला पकड़ना चाहते हैं , ऐसी चाल दिखाई देती है । राजा कंस का भय नहीं लगता , सुनोगे तो होश उड़ जायेंगे । हे साँवरे पिचकारी न मारो । गोकुल , वृन्दावन और यशोदा माता धन्य हो । नरसिंह मेहता के स्वामी श्रीकृष्ण धन्य हो । दोनों हाथ जोड़कर वरदान माँगती हूँ कि सदा आपके साथ रहूँ ।
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हम धनी जी खिचड़ी की साध हम धनी जी खिचड़ी की साध खिचड़ी हाल मंगा द्यो जी । खिचड़ी हे गोरी मायड़ भावज पै मांग हम पै मेवा मीसरी जी । हम धनी जी पीला की साध पीला हाल मंगा द्यो जी । पीला ए गोरी मायड़ भावज पै मांग हम पै नौरंग चूंदड़ी जी । हम धनी जी खिचड़ी की साध खिचड़ी हाल मंगा द्यो जी ।
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वाह वाह छिन्ज पई दरबार। वाह वाह छिन्ज पई दरबार । खलक तमाशे आई यार । असाँ अज्ज की कीता ते कल्ल की करना , भट्ठ असाडा आया । ऐसी वाह क्यारी बीजी , जो चिड़िआँ खेत वन्जाया । मगर पीआ दे जेहड़े लग्गे , उठ चल पहुता तार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । इक्क अलाम्भा सइआँ दा , दूजा है संसार । नंग नामूस एत्थों दे एत्थे , लाह पगड़ी भूएं मार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । नड्ढा गिरदा बुड्ढा गिरदा , आपो आपणी बार । की बीवी की बाँदी लौंढी , की धोबी मुटिआर । अमलाँ सेती होण निबेड़े , नबी लँघावे पार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । बुल्ला सहु नूँ वेक्खण आवे , आपणा भाणा करदा । जूनो गूनी भांउे घड़दा , ठीकरिआँ कर धरदा । एह तमाशा वेख के , चल अगला वेख बाज़ार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । खलक तमाशे आई यार ।
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विवाह निमंत्रण गीत - अरे अरे करा भवरवा अरे अरे करा भवरवा करिया तोहरी जतिया भवरा आजु मेरे काज परोजन नेवत दई आओ अरगन नेवत्यो परगन नेवत्यो अउर नानियाउर एक नहीं नेवत्यो बीरन भईया जेन्से बैर भये सास भेटै आपन भईया नन्दा बीरन भईया अरे बाजरा कै फाटै हमरी छतिया कही उठी भेटू अपने बीरन बिनु अरे अरे करा भवरवा करिया तोहरी जतिया भौरा फिर से नेवत्य दै आओ बीरन मोरे आवें
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235 अगे चूड़ियां1 नाल हंडाइयों नी जुलफां कुंडलदार हुन देख मियां घत कुंडलां नाग सयाह पलमण2 वेखे ओह झला जिस लेख मियां मल वटना लोड़ ददासड़े दा नयन खूनियां दे भरन भेख मियां आ हुसन दी दीद कर देख जुलफां खूनी नयनां दे भेख नू वेख मियां
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हालत एक गरीब किसान की हालत एक गरीब किसान की कवि नरसिंह कात्तिक बदी अमावस थी और दिन था खास दीवाळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का । कितै बणैं थी खीर , कितै हलवे की खुशबू ऊठ रही हाळी की बहू एक कूण मैं खड़ी बाजरा कूट रही । हाळी नै ली खाट बिछा , वा पैत्यां कानी तैं टूट रही भर कै हुक्का बैठ गया वो , चिलम तळे तैं फूट रही ॥ चाकी धोरै जर लाग्या डंडूक पड़्या एक फाहळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का ॥ सारे पड़ौसी बाळकां खातिर खीलखेलणे ल्यावैं थे दो बाळक बैठे हाळी के उनकी ओड़ लखावैं थे । बची रात की जळी खीचड़ी घोळ सीत मैं खावैं थे मगन हुए दो कुत्ते बैठे साहमी कान हलावैं थे ॥ एक बखोरा तीन कटोरे , काम नहीं था थाळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का ॥ दोनूं बाळक खीलखेलणां का करकै विश्वास गये मां धोरै बिल पेश करया , वे लेकै पूरी आस गये । मां बोली बाप के जी नै रोवो , जिसके जाए नास गए फिर माता की बाणी सुण वे झट बाबू कै पास गए । तुरत ऊठकै बाहर लिकड़ ग्या पति गौहाने आळी का आंख्यां कै मांह आंसू आगे घर देख्या जब हाळी का ॥ ऊठ उड़े तैं बणिये कै गया , बिन दामां सौदा ना थ्याया भूखी हालत देख जाट की , हुक्का तक बी ना प्याया देख चढी करड़ाई सिर पै , दुखिया का मन घबराया छोड गाम नै चल्या गया वो , फेर बाहवड़ कै ना आया । कहै नरसिंह थारा बाग उजड़ग्या भेद चल्या ना माळी का । आंख्यां कै मांह आंसू आगे घर देख्या जब हाळी का ॥
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भरथरी लोक-गाथा - भाग 5 बड़ अक्कल वाली ये रानी ये देख तो भगवान साते मँ कैसे आ बइठे हे मनेमन मँ भरथरी हर , मोर गुनत हे ओ बिना आगी पानी के बनावत हे सबे सइना के न मोर सोहाग ओ चल बनाई के न मोर सुन्दर कलेवा खवावय ओ , ये खवावय ओ , भाई ये दे जी । सबे के पूर्ति ल करिके मोर सुनिले न ओ कइसे विधि कइना बइठे हे भरभरी ह न जब सोचे गिंया ओही जनम ओ मोर पलंग न , टूटे हे राम रानी नई तो गिंया , मोर बताए ओ मोर साली हर आज बतावय ओ , मँयहर पूँछव ओ भाई ये दे जी । आजेच्च पूछिहँव के काले ओ कईके सोचत हे ओ देख तो दीदी मोर मने म भरथरी ये न जब सोचि के राम चल बइठत हे ओ ओही समय म न मोर चेरिया ल ओ कइना भेजत हे राम सुनिले जोगी मोर बात तोर सारी ह महल म बलावत हे चले जावॅव ओ , भाई ये दे जी । गोदी म बालक ल धरावत हे आज कइना ह ओ देख तो दीदी मोर भरथरी ल भरथरी ये ओ बालक ल देखय न सुनिले कइना मोर बात सोने पलंग ओ कइसे टूटिस हे ना आज महली ये रात तोर बहिनी हर ओ सामदेई हर ना नई बताइसे ओ मोला बतादे कइना मोर सदे के ये तो बाते ये ओ , तय बतादे ओ , भाई ये दे जी । जब धन बोलत हे कइना ह सुनिले जोगी मोर बात मॅय हर नई तो बतांव न मोर बालक हो पहली ये गिंया मोर गोदी म न बालक हावे ओ मॅय हर का करिहॅव ओ मोर गोदी मा बालक हावय ओ , जोगी हावय ओ , भाई ये दे जी । हरके अऊ बरजे ल नई मानय भरथरी ये ओ देखतो दीदी रटन धरे ये मोर रानी ये ओ सुनले भरथरी बात मॅयहर छोड़त हव न आजे चोला ल ओ हेता करके दीदी जीभ चाबी के न मोर चोला ल ओ चल छोड़त हे न मोर राजा हर देखथे कइना ओ बाई देखय ओ , भाई ये दे जी । दफन देई के भरथरी अपन रऊल बर ओ देखतो दीदी चले आवत हे एके महिना मे न दूसर महीना के छाय मोर सुआ के पेट में अवतारे ओ , चल धरय ओ , भाई ये दे जी । बीच कंगोरा म बइठके मोर फुलवा ये ओ टोंटीटोंटी दीदी बाजत हे भरथरी ये न मोर आवाज ल चल सुन के न घर ले निकलत हे सुनले सुआ रे बात ओही जनम के मोर सारी अव न तय बतादो हीरा मोर सोने पलंग कइसे टूटिस हे न कइसे विधि कर पूँछय हो , ये दे पूँछय ओ , भाई ये दे जी । जब बोले मोर सुआ हर सुनले जीजा मोर बात कुकुर के पेट म अँवतारे न तीन महीना म राम मॅयहर लेहव हीरा तोला दिल की बात बतावॅव ओ बतावॅव ओ जोगी ये दे जी । जब सुआ मरी जायय ओ मोर भरथरी ओ पैर तरी सुआ गिर जाय भरथरी ए न दफन करें गिया तीन महीना ल न चल सोचत हे न मॅयहर कब राजे ल सुनॅव ओ जीव सफल ओ बाई होवय ओ , रानी ये दे जी । नई अन्न खावॅव पानी नई तो पियय दीदी का बइहाभूतहा होय हे भरथरी हर ओ मोरे बात मन फुदका मारे राम चल तरिन ओ मन सोचिके न मोर चेहरा गया कुम्हलाय , ये कुम्हलाय ओ , भाई ये दे जी । गोरा बदन काला होई गय चेहरा गय कुम्हलाय दुबरावत चले जावत हे तीने महीना म ओ मोर जाई के न मोर कइना हर राम मोर कुकुर के पेट अवतार ये ओ , चल धरे ओ , भाई ये दे जी । कुकुर के पेट अवतार ल चल पैरा म ओ जोगी पैरावट म मोर जाइके ने धीरेधीरे गिंया भरथरी ये न ओही जनम के भोर सारी अस ओ सोने पलंग ह कइसे टूटिस हे न मोला हालेल देना बताय ओ भाई बोलय ओ , भाई ये दे जी । जब बोलय मोर कुतनिन ह सुनले जीजा मोर बात मंय अवतारे ल धरे हॅव दुई अवतारे ल धरे हॅव सुनले जीजा मोर बात सुरा के पेट में जनम लेहॅव तब तोला जीजा मॅय बता देहॅव जब सोच के ओ मोर कुकुर हर न चोला छोड़त हे राम भरथरी ये ना दफन करिके ओ मोर माथा ल धरके बइठे ओ , भाई आके ओ , भाई ये दे जी । धररधरर आंसू चलत हे सुनिले भगवान का तो कलपना मोला परे हे मन म सोचत हे न विकट हैता गिंया करी डारेंब ओ मोर हाथे म चोला छुटे ओ , भाई छुटे ओ , भाई ये दे जी । सुराके पेट म जाइके अवतारे ओ देख तो दीदी छै महीना मा चल जनमथे न चल डबरा म ओ भूरीभूरी दीदी जिहां दिखत हे न भरथरी ए ओ खोजत जावय राम सुनिले भगवान सुनी लेट कइना बात मोला कइसे आज बतावय ओ , ए बतावय ओ , भाई ये दे जी । सोने पलंग मोर टूटिस रानी हांसीस ओ तेकर बात बता देना जब बोलय मोर सुरा हर सुनिले सुरिन मोरबात कहना वचन जोगी नई मानय मोरे पिछे म धरी ले जोगी चोला छोड़ी के न मैं ये दे जावत हॅव कौंआ के पेट अवतार ओ , चल लेहॅव ओ , भाई ये दे जी । तीन जोनी ल तो छोरी के मोर जावत हे ओ कौंआ के पेट मँ अवतारे न चल जाई के न मोर बइठे गिंया मोर आमा के डार मोर कांवेकांवे ओ नारियाये ओ , भाई ये दे जी । जब बोलय भरथरी ह सुनले कौंआ रे बात सुनले कोयली मोर काग बोली से गिंया मॅयहर लिहेंव पहिचान मोर बइठे आमा के डारे ओ , ये दे बइठे ओ , भाई ये दे जी । बोली से मय लिहेंव पहिचान सुन काग मोर बात कइसे पलंग पर टूटिसे रानी हांसिस न देदे साला जवाब जब कौंआ हर ओ चल मरत हे न ये दे छोड़ॅव जोगी , अपन चोला ल न मय हर गऊ के पेट अवतारे ओ , चल हेह्व ओ , भाई ये दे जी । चोला स छोड़िके कौंआ हर मोर गिरी गे ओ अब दफन ये दे देवत हे भरभरी ये न फेर सोचत हे राम चारे अवतारे न एकर होगे दीदी येहर कब मोला बताहय ओ , बताहय ओ , भाई ये दे जी । दस महीना के छॉय मा कोठा मँ ओ देखतो जनम लेके आवत हे बछिया जोनी न जल धरे हे न सुघ्घर गइया ए ओ मोर कइसे बछेवा हर दिखय ओ , ये दे दिखय ओ , भाई ये दे जी । मुरली बिन गइया रोवत हे सुनिले भगवान बछड़ा हर रोवत हे दैहाने म नोई दूध हर ओ राउत बिना गिंया चल कलपत हे ना मोर जउने समय म ओ भरथरी चले आवय ओ , भाई ये दे जी । सुनिले बछिया ए दे बाते ल मोला बतादे ओ सोने के पलंग मोर टूटे हे ओही जनम के मोर सारी अस ओ बचन पियारी न मोर हाल ल देना बताये ओ , भाई आजे ओ , भाई ये दे जी ।
chhattisgarhi-hne
कन्यादान गीत ठाटी म ठण को वाज्यो , हिवड़ो सवायो जी । बनी पुई आवें ती , अड़ी जाजी वो । बनी डूबी आपे ते , छोड़ देजी वो । बनी बइण आवे ते , अड़ी जाजी वो । बनी बुकड़ी आपे ते छोड़ि देजी वो । बनी भाई आवे ते अड़ी जाजी वो बनी गाय आपे ते छोड़ि देजी वो । यह गीत बारात रवाना होने से पूर्व जब दुल्हन को भेंट ओपी दी जाती है , उस समय गाया जाता है । दुल्हन को भेंट देने के अवसर पर गाये जाने वाले कन्यादान गीत में कहा गया है बनी , बुआ आए तो अड़ जाना , बहन आए तो अड़ जाना और भाई आए तो अड़ जाना । ये लोग तुझे भैंस , गाय या बकरी दें तो छोड़ देना ।
bhili-bhb
आल्हा ऊदल बज पड़ गैल आल्हा पर ओ पर गिरे गजब के धार जब से ऐलों इन्द्रासन से तब से बिदत भैल हमार पिल्लू बियायल बा खूरन में ढालन में झाला लाग मुरचा लागि गैल तरवारन में जग में डूब गैल तरवार आल्हा लड़ैया कबहीं नव् देखल जग में जीवन में दिन चार एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा खुसी मंगन होय जाय खोलै अगाड़ी खोलै पिछाड़ी गरदनियाँ देल खोलाय जीन जगमियाँ धर खोले सोनन के खोलै लगाम पीठ ठोंक दे जब घोड़ा के घोड़ा सदा रहव कलियान चलल जे राजा डेबा ब्राहमन घुड़ बेनुल चलल बनाय घड़ी अढ़ाई का अन्तर में रुदल कन पहुँचल जाय देखल सूरत घुड़ बेनुल के रुदल बड़ मंगन होय जाय देहिया पोंछे जब घोड़ बेनुल के रुदल हँस के कैल जनाब हाथ जोड़ के रुदल बोलल घोड़ा सुन ले बात हमार तब ललकारें रुदल बोलल डेबा मंत्री के बलि जाओ घोड़ा बेनुलिया तैयारी कर जलदी बोल करव् परमान घोड़ा पलाने डेबा ब्राहमन रेसम के भिड़े पलान चोटी गुहावे सोनन से चाँदी खील देल मढ़वाय पूँछ मढ़ावल हीरा से महराजा सुनीं मोर बात सात लाख के हैकलवा है घोड़ा के देल पेन्हाय एतो पोसाक पड़ल घोड़ा के रुदल के सुनी हवाल
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छिंगुनिया के छल्ला छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे , नथुनियाँ , न झुलनी , न मुँदरी जुड़ी , आयो लै के कनैठी अंगुरिया को छल्ला इहै छोट छल्ला पे ढपली बजइबे कितै दिन नचइबे , गबइबे , खिजइबे कसर सब निकार लेई , फिन मोर लल्ला कबहुँ गोरिया तोर पल्ला न छोड़ब , चिपक रहिबे बनिके तोरा पुछल्ला करइ ले अपुन मनमानी कुछू दिन उहै छोट लल्ला तुही का नचइबे भये साँझ आवै दुहू हाथ खाली जिलेबी के दोना न चाटन के पत्ता , मेला में सैकल से जावत इकल्ला , सनीमा के नामै दिखावे सिंगट्टा हमहूँ चली जाब देउर के संगै उहै ऊँच चक्कर पे झूला झुलइबे काहे मुँहै तू लगावत सबन का लगावत हैं चक्कर ऊ लरिका निठल्ला उहाँ गाँव माँ घूँघटा काढ रहितिउ , इहाँ तू दिखावत सबै मूड़ खुल्ला न केहू का हम ई घरै माँ घुसै देब , चपड़चूँ करे तौन मइके पठइबे लरिकन को किरकट दुआरे मचत , मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला , इहाँ देउरन की न कौनो कमी मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा तुहै छोड़ , कहि देत , मइके न जइबे मचावत है काहे से बेबात हल्ला , अगिल बेर तोहका चुनरिया बनइबे , पड़ी जौन लौंडेलपाड़न के चक्कर दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे छिंगुनियाके छल्ला पे . . .
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266 साबत हुंदी लंगोटी जे सुनीं नाथा काहे झगड़ा चा उजाड़दा मैं जीभ इशक थीं चुप जे रहे मेरी ऐडे पाड़ने कास नूं पाड़दा मैं इस जिऊ नूं नढी ने मोह लया नित फकर दा नाम चितार दार मैं जिऊ मार के रहन जे होवे मेरा ऐडे मामले कासनूं धारदा मैं जे मैं मसत उजाड़ विच जा बैंहदा महीं सयाल दियां कासनूं चारदा मैं सिर रोड करा क्यों कन्न पाटन जेकर किबर1 हंकार नूं मारदा मैं जे मैं जानदा कन्न तूं पाड़ देने इह मुंदरां मूल ना धारदा मैं जे मैं जानदा इशक थीं मना करना तेरे टिले ते धार ना मारदा मैं इके कन्न सवार दे फेर मेरे नहीं घतूंगु धौंस सरकार दा मैं होर कम नहीं सी फिकर होवने दा इक वारस रखदा हां गम यार दा मैं
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