folksong
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सो जा बारे वीर सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर तातीताती पुरी बनाई ओई में डारो घी पी ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे वीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर एक कटोरा दूध जमाओ और बनाई खीर ले ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे बीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर बरा पे डारो पालना पीपर पे डारी डोर सो जा मोरे बारे भइया मैं लाऊँ गगरिया बोर सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर
bundeli-bns
म्हारै आंगणा बाजा बाजिया जी मंकारा म्हारै आंगणा बाजा बाजिया जी मंकारा , पछोकड़ री म्हारै धर्या हे निसान । बधावा मैं सुना जी मकारा म्हारा सोहरा गढ़ा का चौधरी जी मकारा । म्हारी सासड़ री म्हारी घर की सै मैड़ , बधावा जी मैं सुनां जी मकारा ।
haryanvi-bgc
महेंदी ते वावी मालवे ने मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . नानो दिअर्यो लाडको ने काइन लाव्यो मेहँदी नो छोड़ रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . वाटी कूटी ने भर्यो वाटको ने भाभी रंगों तमारा हाथ रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . हाथ रंगीने वीरा शु करूं रे एनो जोनारो परदेस रे मेहँदी रंग लाग्यो रे मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . लाख टका नू रोकडा रे कोई जाजो दरिया पार रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . .
gujarati-guj
हथ करघे का कपड़ा पावैं हथ करघे का कपड़ा पावैं गांधी का फरमाण बजावैं गरीब जुलाहां के कुंबनां नै रोटी कमान का काम दिलावैं
haryanvi-bgc
राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी कुछ गर्मी से कुछ सर्दी से दूजा जोर जवानी का कोठे चढ़न ते देवर बुलावै आजा राज दुलारी अंगिया भीजै हमारी मैं कैसे आऊं मेरे छोटे से देवरिया कदम कदम हुआ भारी अंगिया भीजै हमारी बारां बरस पिया चाकरी से आए रोवै राज दुलारी अंगिया भीजै हमारी
haryanvi-bgc
131 कैदो आनके आखदा सहुरयो ओये मैंथो कौन चंगा मत देसिआ ओये एह नितदा पयार न जाए खाली पिंज गडी दादास ना देसिया ओये हथों मार सियालां ने गल्ल टाली परा छड झेड़ा एह भेरसिया ओये रग इक वधीक है लंडयां दीए किरतघण फरफेज मलखेसिया ओये
panjabi-pan
मेरी मालन रंगीली गून्थ लायी री सेहरा मेरी मालन रंगीली गून्थ लायी री सेहरा गून्थ लायी री कहां तो बोया केवड़ा री कहां तो बोया गुलाब री किनारे किनारे बोया केवड़ा री क्यारी में बोया गुलाब री किन ये डाल झुकाइयां री और किन ये बीने हैं फूल री मेरी मालन छबीली . . . माली ने डाल झुकाइयां री और मालन ने बीने हैं फूल री गून्था ए गून्था वारी ला हां धरा ए चंगेरी के बीच री मेरी मालन छबीली . . . सिर धर मालन निसरी री मेरठ के तखत बजार री लोग महाजन पूछिया अरी कर सेहरे का मेल री मेरी मालन छबीली . . . . यौं तो लगे या मे डेढ़ सौ री , और लाल लगे लख चार री उड़ने तो लगी चिड़कली जी कूकन लागे मोर री मेरी मालन छबीली . . . किन यह सेहरा मंगाइयां री और किस के घर में जाय री . . . का बेटा . . . का पोता ब्याहियां उन घर जाये री मेरी मालन छबीली . . .
haryanvi-bgc
190 असकंदरी नेवरां वीर बलियां पिपल वतरे झुमके सारयो ने हस जड़े छनकंगनां नाल जुगनी ठिके नाल ही चा सवारयो ने चंननहार लोगाढ़ियां नाल लूहला वडी डोल मयानडे धारयो ने दाज घत के विच संदूक बधे सुनो की की दाज रंगारयो ने वारस शाह मियां असल दाज रांझा इक ओह बदरंग करायो ने
panjabi-pan
बाबू के मउरिया में लगले अनार कलिया बाबू के मउरिया1 में लगले अनार कलिया2 । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया3 । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 1 ॥ बाबू सरहज से बोलिहऽ अमीर4 बोलिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 2 ॥ बाबू के दोरवा5 में लगले अनार कलिया । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 3 ॥ बाबू के अँगुठी में लगले अनार कलिया । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया । 4 ॥
magahi-mag
श्री रामचन्द्र जन्म लिये चैत सुदि नौमी श्री रामचन्द्र जन्म लिये चैत सुदि नौमी । दाई जो झगड़े नरा की छिनाई कौशिल्या जी की साड़ी लैहों , सोर की उठाई । श्री . . . नाइन झगड़े नगर की बुलाई कौशिल्या जी को हार लैहों , महल की पुताई । श्री . . . पंडित जो झगड़ें वेद की पढ़ाई दशरथ जी को घोड़ा लैहों वेद की पढ़ाई । श्री . . . ननदी जी झगड़े आँख की अंजाई तीन लोक राज लैहों सांतिया धराई । श्री . . .
bundeli-bns
सजन बड़ा रे बईमान है सजन बड़ा रे बईमान है , दगा दिया परदेशी १ काया जीव से कह रही , सुन ले प्राण अधार लागी लगन पिया मत तोड़ो मैं तो तेरे पास . . . सजन बड़ा रे . . . २ जीव काया से कह रही , सुण ले काया मेरी बात अष्ट पहेर दिन रेन के प्रित बाळ पणा की . . . सजन बड़ा रे . . . ३ तुम राजा हम नग्र है , फिरी गई राम दुवाई तुम तो पुरुष हम कामनी कीस मद मे रहते . . . सजन बड़ा रे . . . ४ मैं पंछी परदेस का , मेरी मत कर आस देख तमाशा संसार का दुजो करो घर बार . . . सजन बड़ा रे . . . ५ चार दिन का खेलणा , खेलो संग साथ मनरंग स्वामी यो कहे मेरी मत कर आस . . . सजन बड़ा रे . . .
nimadi-noe
लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै । ऐसा रै होय कोई बीरा नै जिवाले आधा राज सबाई धरती , लिछमन कै । कै तो जिवाले सीता रै सतबंती कै तो जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै । क्यों तै जिवाले सीता रै सतबंती , क्यां तै जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै । सत तै जिवाले सीता रै सतबंती , बूटी तै जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै ।
haryanvi-bgc
उदना रेख करम में खाँची उदना रेख करम में खाँची । होन हार सो साँची । जैसी लिखी भाग में भाबई आन अगारूॅ नाँची । पक्की मौत होत पाँवँन की उबै गिनो ना काँची । राखी बात आपविघ हाँतन आन बदे मैं बाँची साजी बुरई ईसुरी चर्चा सिनसारी में माँची ।
bundeli-bns
सपने में आए भरतार सपनौ तौ देखौ बहना मेरी रात में जी ऐजी कोई सपने में आये भरतार ॥ 1 ॥ सपनौ तौ . घोड़ा है बाँधो बहना मेरी थान पै री ऐरी मेरे आये हैं महल मझार ॥ 2 ॥ पाँचों उतारे पियाजी ने कापड़े जी एजी कोई खोलि धरे हथियार ॥ 3 ॥ अचकपचक तो पलका पै पग धरौजी ऐजी मैं लीनी झटकि जगाय ॥ 4 ॥ उंगली पकरि के बैठी मोय कर लई जी एजी कोई हँसि हँसि पूछी बात ॥ 5 ॥ प्रेम तौ बाढ़ौ जागो रस काम कौ जी ऐसी मेरे डाली है गले में बाँह ॥ 6 ॥ इतने ही में नैना मेरे खुल गये जी एजी यहाँ ते कित गये दाबादार ॥ 7 ॥ कहनि सुननि तो बहना कछु ना भई री एजी कोई रूठि गये भरतार ॥ 8 ॥ प्यारे पिया बिन बहना कल ना पड़े जी , एजी मोय सामन नाँहि सुहाय ॥ 9 ॥ कर्म लिखौ सो बहना मेरी है गयो री एजी जाकौ कोई नाहैं मेंटनहार ॥ 10 ॥
braj-bra
कदी आ मिल यार प्यारिआ कदी आ मिल यार प्यारिआ । तेरीआँ वाटाँ तों सिर वारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ । चढ़ बागीं कोइल कूकदी । नित सोजे़अलम1 दे फूकदी । मैनूँ ततड़ी को शाम विसारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ । बुल्ला सहु कद घर आवसी । मेरे बलदी भा2 बुझावसी । ओहदी वाटाँ तों सिर वारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ ।
panjabi-pan
इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बाईसा रा बीरा लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोलालहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सुसराजी तो दिल्ली रा राजवी सा म्हारा सासूजी तो गढ़ रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोलालहेरियो सा
rajasthani-raj
रंग उड़े रे गुलाल इना घर में रंग उड़े रे गुलाल इना घर में पाणी पड़े रे तुबार इना घर में जई ने कीजो कचेरी बिठईया से दफ्तर के लिखईया से दाई ने बेग बुलावे इना घर में दाई बुलाय जच्चा क्या फरमाव हम घर नाको मोड़ाय इना घर में जई ने किजो उना सार का खिलईया से पांसा का जितईया से सासू जी ने बेग बुलाव इना घर में सासू बुलाय बच्चा क्या फरमाव कुवर अटोला में झेले इना घर में आप तो जच्चा रानी लाल लई सूता , गोपाल लई सूता हमखे लगाई दौड़ादौड़ इना घर में जाय ने कीजो कंठी का पेरईया से चौसर का निरखईया से जेठाणी खे बेग बुलाव इना घर में जेठाणी बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारा चखे कुंकू धराय इना घर में जाई ने कीजो उन पागां का पेरईया से पेचां का निरखईया से देराणी खे बेग बुलाव इना घर में देराणी बुलाय जच्चा क्या फरमावो देस इन रसोई निपाय इना घर में म्हारा कोने खाट बिछाय इना घर में नणदल खे बेग बुलाय इना घर में नणदल बुलाय जच्चा क्या फरमाओ म्हारा कंवळे सांतीपुड़ा मांडे इना घर में पड़ोसण खे बेग बुलाव इना घर में पड़ोसण बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारे इस दन मंगल गवाड़ो इना घर में जोसीड़ा खे बेग बुलावो इना घर में जोसीड़ो बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारा नाना को नाम धरावो इना घर में ढोली बुलाय जच्चा क्या फरमावो ढोली बुलाय जच्चा क्या फरमावो दस दन ढोल बजाव इना घर में
malvi-mup
आल्हा ऊदल बज पड़ गैल आल्हा पर ओ पर गिरे गजब के धार जब से ऐलों इन्द्रासन से तब से बिदत भैल हमार पिल्लू बियायल बा खूरन में ढालन में झाला लाग मुरचा लागि गैल तरवारन में जग में डूब गैल तरवार आल्हा लड़ैया कबहीं नव् देखल जग में जीवन में दिन चार एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा खुसी मंगन होय जाय खोलै अगाड़ी खोलै पिछाड़ी गरदनियाँ देल खोलाय जीन जगमियाँ धर खोले सोनन के खोलै लगाम पीठ ठोंक दे जब घोड़ा के घोड़ा सदा रहव कलियान चलल जे राजा डेबा ब्राहमन घुड़ बेनुल चलल बनाय घड़ी अढ़ाई का अन्तर में रुदल कन पहुँचल जाय देखल सूरत घुड़ बेनुल के रुदल बड़ मंगन होय जाय देहिया पोंछे जब घोड़ बेनुल के रुदल हँस के कैल जनाब हाथ जोड़ के रुदल बोलल घोड़ा सुन ले बात हमार तब ललकारें रुदल बोलल डेबा मंत्री के बलि जाओ घोड़ा बेनुलिया तैयारी कर जलदी बोल करव् परमान घोड़ा पलाने डेबा ब्राहमन रेसम के भिड़े पलान चोटी गुहावे सोनन से चाँदी खील देल मढ़वाय पूँछ मढ़ावल हीरा से महराजा सुनीं मोर बात सात लाख के हैकलवा है घोड़ा के देल पेन्हाय एतो पोसाक पड़ल घोड़ा के रुदल के सुनी हवाल
bhojpuri-bho
अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ ? भोगा , बुरी रै कंगाली , धन बिन कीसी रै मरोड़ धनवन्त घरां आणके कह जा निरधन ऊँचीनीची सब सह जा सर पर बंधाबंधाया रह जा माथे पर का रै मोड़ । अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ निरधन सारी उमर दुख पावे भूखा नंग रहके हल बाहवे भोगा , बिना घी के चूरमा तेरी रहला कमर तै रै तोड़ अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ भावार्थ ' बुरी है ग़रीबी , धन के बिना कैसा नखरा ? मैं सब भोग चुका हूँ , गरीबी बुरी बला है । धन के बिना कोई नखरा नहीं किया जा सकता । धनी ग़रीब के घर आकर , जो चाहता है कहकर चला जाता है । ग़रीब व्यक्ति उसकी हर ऊँचीनीची बात सह जाता है । धन के बिना तो सर पर बंधी पगड़ी का भी कोई मोल नहीं रह जाता । अरे मैं सब झेल चुका हूँ । बहुत बुरी है ये कंगाली । धन के बिना कोई सुख नहीं पाया जा सकता है । ग़रीब व्यक्ति सारी उमर दुख पाता है । वह भूखानंगा रह कर हल चलाता है और खेत जोतता है । अरे ओ भोगा , क्या किया तूने ? बिना घी की रोटी का जो चूरमा चूरा तूने कपड़े में बांध कर अपनी कमर पर लटका रखा है , वह तेरी कमर का बोझ बनकर उसे तोड़ रहा है । अरे , मैं यह बुरी कंगाली ख़ूब झेल चुका हूँ । पैसे के बिना जीवन में कोई सुख नहीं है । '
haryanvi-bgc
झूले नदलाल झुलाओ सखी पालना झूलें नंदलाल झुलाओ सखी पालना काहे के तोरे बनो पालना , काहे के लागे फंुदना । झूलें नन्दलाल . . . अगर चंदन के बने हैं पालना , रेशम की डोरी रुपे के लागे फंुदना । झूलें नन्दलाल . . . को झूलें को जो झुलावे , को जो बलैया लेत मुख चूमना । झूलें नन्दलाल . . . कान्हा झूले , सखिया झुलावें , यशोदा बलैया नंद मुख चूमना । झूलें नन्दलाल . . .
bundeli-bns
352 एह रसम कदीम है जोगियां दी ओहनूं मारदे ने जेहड़ी टुरक दी ए खैर मंगदे दियां फकीर ताई अगे कुतयां दे वांग घुरकदी ए एह खसम नूं खान नूं किवें दसी जेहड़ी खैर देंदी पई झुरकदी ए एक पेरनी के अहलवाननी ए इके कंजरी ए किसे तुरक दी ए पहले फूक के अग मताबियां नूं पिछों सरद पानी वेख बुरकदी ए रन्न गुंडी नूं जिथों पैजार1 वजन ओथों चुप चुपीतड़ी सुरकदी ए इक झट दे नाल मैं पट लैणी जेहड़ी जुलफ गलां उते लुटकदी ए सयाने जानदे ने धनी जाय झोटी जेहड़ी साहन दी मुतरी खुरकदी ए फकर जान मगन खैर भुखे मरदे अगों सगां2 वांगूं पई दुरकदी ए लंडी वैहड़ नूं खेतरी हथ आई पई उपरों उपरों मुरकदी ए वारस शाह वांगूं सानं रन्न खचरी अख विच ज्यों कुकरे रूड़कदी ए
panjabi-pan
तेरा हर्या पीपल सौंपल डाली भौं पड़ै तेरा हर्या पीपल सौंपल डाली भौं पड़ै एक आरतड़े की मैं सार न जाणूं क्यूंकर कीज्या बटणां आरता एक दूर देसां तै मेरी नणन्द आई आरता समझाईयां एक डाल छोटा पेड़ मोटा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ कसीदा गोद भतीजा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ लोटा गोद बेटा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ तोरी गोद छोरी कर दे सुहागण आरता छोरियां ने मकर कसार बहुआं ने खाटी राबड़ी द्योत्यां ने खेलणे , पोते हांडै रोवते लीपै ते पोत म्हारी धीयड़ , हाग हाग दाबै म्हारी कुल बहू छोरियो तम अपणे घर जाओ , बेल बधावै म्हारी कुल बहू
haryanvi-bgc
हमखो न अखिया दिखाओ मोरे सैया हमखों न अंखिया दिखाओ मोरे सैयां । दइजे में तुमने रुपये गिना लये , रुपया गिना के कायको बिकाय गये । अब खरीखोटी न सुनाओ मोरे सैयां । हमखों . . . दइजे के धन पे बने पैसा वारे , छैल छबीले बने बाबू प्यारे रौब कछु न जमाओ अब सैयां । हमखों . . . चूल्हा न करहों चौका न करहों बासन न करहों पानी न भरहों कौनऊ नौकरानी लगाओ मोरे सैयां । हमखों . . . सुनतई मुरझा गई शैखी तुम्हारी बरछी सी लगे जे बतियां हमारी रोटी बना के खबाओ न सैयां । हमखों . . .
bundeli-bns
सूती थी रंग महल में सूती थी रंग महल में , सूती ने आयो रे जन जाणु , सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे सुपने में आग्या जी , म्हारी नींद गवाग्या जी सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसाग्या जी सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे तब तब महेला ऊतरी , गई गई नन्दल रे पास , बाईसा थारो बिरो चीत आयो जी पूछे भाभी गेली बावली , बीरोजी गया है परदेस , सुपने तो तने झुटो ही आयो रे देखो ननद थारी भाईजी की बातां , लाज शरम नहीं आवे , सुपने के बाहने नैणां से नैण मिलाग्या जी सुपने में आग्या जी , म्हारी नींद गवाग्या जी , सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसया गया जी , सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे
rajasthani-raj
राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे गोना घाटो बेडेजे बोको सारी गागंड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो गोना घाटो बेडेजे बोको सारी गागंड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो रुपयो झोला कान्डोयो बोको सारी मकड़ाई सारी गागंड़ा फिरीयो रुपयो झोला कान्डोयो बोको सारी मकड़ाई सारी गागंड़ा फिरीयो सारी गागंड़ा फिरीयो बोको बा सूरतो बन डूंगू सारी गागंड़ा फिरीयो बोको बा सूरतो बन डूंगू राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे गोना घाटो बेडेजे सारी गांगड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो गोना घाटो बेडेजे सारी गांगड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल
korku-kfq
जल भर ले हिलोरें हिलोर रसरिया रेशम की जल भर ले हिलोरें हिलोर रसरिया रेशम की अरर जल भर ले हिलोरे हिलोर रेशम की रसरी तब नीकी ल़ागे सोने की गगरिया होय रसरिया रेशम की सोने की गगरी तब नीकी लागे सुघड़ महरिया होय रसरिया रेशम की सुघड़ महरिया तब नीकी लागे साथे में छैला होय रसरिया रेशम की साथे म छैला तब नीको लागे गोदी म ललना होय रसरिया रेशम की सुघड़ महरिया तब नीकी लागे सत् रंग चुनरी हारसरिया रेशम की सतरंग चुनरी तब मीको लागे मखमल का लहंगा होय रसरिया रेशम की मखमल का लहंगा तब नीको लागे सब अंग गहना होय रसरिया रेशम की
awadhi-awa
9 मौजू चौधरी पिंड दी पांध1 वाला चंगा भाइयां दा सरदार आहा अठ पुत्र दो बेटियां तिसदिआं सन वडा टबर अते परिवार आहा भले भाइआं विच प्रतीत उसदी मंनिआ चोंतरे विच सरकार आहा वारस शाह एह कुदरतां रब्ब दीयां ने धीदो नाल उस बहुत पयार आहा
panjabi-pan
केलवा जे फरये ला घवद से ओहपर केलवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय नारियलवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय अमरुदवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय
bhojpuri-bho
अंगिका फेकड़ा अटकनमटकन , दहिया चटकन बर फूले , करेला फूले इरिचमिरिच मिरचाय के झावा हाथी दाँत समुद्र के लावा लौआ लाठी चन्दन काठी मार पड़ोकी पाँजड़ तोड़ । कागजपत्तर कलम दवात इटा पाटी सोने के टाट टाट गिरा दे पूरे आठ । चिल्लर पटपट , गंगा हो लाल हथिया सूढ़ ठुट्ठोॅ पीपर पतझाड़ कौआ कानोॅ , तेली बेमानोॅ मियाँ ढोलकिया , फूस कन्हैया । अलिया गे झलिया गे बाप गेलौ पुरैनिया गेे लानतौ लाललाल बिछिया गे कोठी तर छिपैयेैं गे बालू में नुकैयैं गे झमकलझमकल जैहियें गे सास केॅ गोड़ेॅ लगिहें गे ननदी केॅ ठुनकैहियैं गे । सुइया हेराय गेल खोजी दे नै तेॅ मैया मारबे करतौ ना । अट्टा ऐन्होॅ , पट्टा ऐन्होॅ धोबिया के पाट ऐन्होॅ कुम्हरा के चाक ऐन्होॅ बीचोॅ गामोॅ में मुकद्धम मुखिया बनी जइहोॅ तोंय राजा बेटा गोड़ोॅ लागोॅ , ठाकुर जी केॅ , धरती धरमोॅ केॅ साठी माय केॅ । बाप कहाँ गेल छौ ? ढाका बंगाला । कीकी लानतो ? पूड़ीमिठैइया । हमर्हौ देबे ? नै रे भैया । चिकना भरभर , चिकना भरभर । ताय पुड़ी ताय के के पकाय नूनू पकाय नुनूहैं खाय । गाय गेलौ रनेॅ बनेॅ भैंस गेलौ बीजू वनेॅ कानी भैंसियाँ धान खाय छै राजा बेटा हाँक दै छै घूबे तेॅ घूर गे धान फूसूर । करिया झुम्मर खेलै छी लीख पटापट मारै छी । बीजू रे बन्धवा कै चन्दवा ? एक चन्दवा । घोघो रानी कतना पानी अतना पानी , अतना पानी ?
angika-anp
घरी घरी पै ईसुरी, घरी सौ दृगन दिखात घरी घरी पै ईसुरी , घरी सौ दृगन दिखात , मुईयाँ बाँके छेल की , नजर न भूलत रात । ऑखियाँ तरसें यार खाँ कबै नजर मिल जाय , नजर बचा के ईसुरी रजऊ बरक कड़ जाय । तरै तरै के करत हैं , तेरे ऊपर प्यार , हमहँ अकेले एक हैं , रजऊ की दमके यार । घातें सबई लगाँय हैं , घर खोरन की कोद , ईसुर डूबे रसरँगन , और न पावै सोद ।
bundeli-bns
मृत्यु गीत टांडो लाद चल्यो बणजारो । टेक अरे मन लोभी थारो काई रयण को पतियारो । चौक1 गिर पड्यो कोट , बिखर गइ माटी ॥ माटी को हुइ गयो गारो , थारो कइ रयण को पतियारो । मन लोभी थारो कइ रयण को पतियारो । चौक2 वाड़ लगायो तुन बहुत रसीलो भाई जेकि पेरी को रस न्यारोन्यारो । थारो रयण को कइ पतियारो । चौक3 बुझ गयो दीपक जळ गइ बाती ॥ भाई थारा महल म पड़ि गयो अंधियारो । थारो काइ रयण को पतियारो मन लोभी , टांडो लाच चल्यो बणझारो , थारो काइ रयण को पतियारो चौक4 लेय कटोरो भिक मांगण निकल्यो ॥ भाइ कोइ न नि दियो उधारो , थारो रयण को काइ पतियारो । टांडो लाद चल्यो बणझाारो , थारो रयण को काइ पतियारो । छाप कई ये कबीर सुणो भई साधु ऐसा संत अमरापुर पाया , थारो रयण को कइ पतियारो । बणजारा अपना टांडा बैलों पर लादकर चला । अरे मानव तू उस बणजारे की बालद के समान अल्प समय के लिए इस संसार में आया है । बणजारा अपने मार्ग पर जाते हुए रात्रि में ठहरता है और सबेरा होते ही अपने गंतव्य की ओर टाण्डा मालअसबाब बैलों पर लादकर चल पड़ता है , उसी के समान मानव तू भी दुनिया में आया है और समय पूरा होने पर चल पड़ेगा । अरे मन तेरे रहने का क्या भरोसा है , यानी कब दुनिया से जाना पड़ेगा , क्या भरोसा है ? यह शरीर पंचत्व का बना है , कच्ची मिट्टी के कोट के समान है । जिस प्रकार कच्ची मिट्टी का किला गिरकर बिखर जाता है और उस माटी का गारा हो जाता है , उसी प्रकार कब जीव इस घर को छोड़कर चला जायेगा और यह पंचतव्व द्वारा निर्मित देह मिट्टी गारा हो जायेगी । तेरा रहने का क्या भरोसा है ? अरे लोभी मन तेरा रहने का क्या भरोसा है ? तात्पर्य है जो भी भजन , धरमपुण्य , भले कार्य करके अपने मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर । अरे लोभी मानव तूने बहुत मीठे रस वाला गन्ने का खेत भरा , उस गन्ने की पेरी गन्ने में कुछकुछ दूरी पर गठानें होती हैं , उन गठानों के बीच के भाग को पेरी कहते हैं के रस की मिठास अलग होती है । जड़ के ऊपरी हिस्से की पेरी का रस ज्यादा मीठा होता है और ऊपर जैसेजैसे पेरी आती है क्रमशः उन पेरियों के रस की मिठास कम होती जाती है । मनुष्य तू प्रारम्भ से ही भगवान की भक्ति में लग जा और उस भक्ति की मिठास को प्राप्त कर , उसमें मजा ले । आगे क्या भरोसा है , कब तक दुनिया में रहना होगा ? अरे मानव दीपक बुझ जाता है और फिर रहीसही बत्ती भी जल जाती है । अरे भाई दीपक बुझा और तेरे महल में अंधेरा हुआ । जीव चला गया तो इस शरीर में अंधेरा हुआ और शरीर की हलचल समाप्त हो जाती है । मानव तन तेरे रहने का क्या भरोसा है ? इसलिए प्रारम्भ से ही चेत जा । कबीरदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य प्रारम्भ से ही चेत कर भगवान की भक्ति और भले कर्म धरमपुण्य कर लेते हैं , ऐसे संत अमरापुर पा लेते हैं ।
bhili-bhb
570 हीर नाल फिराक1 दे आह मारी रब्बा वेख असाडियां भखन भाही अगे अग पिछे सप शीह सांडे साडी वाह ना चलदी चैही राही इके मेलसाइयां रांझा यार मैंनूं इके दोहां दी ऊमर दी अलख लाही एडा केहर कीता देस वालया ने एस शहर नूं कादरा अग लाई
panjabi-pan
375 भला दस खां जोगिया यार साडा हुण केहड़ी तरफ नूं उठ गया वेखां आप हुण केहड़ी तरफ फिरदा अते मुझ गरीब नूं कुठ1 गया रूठे आदमी घरां विच आन मिलदे गल समझ जा बधड़ी मुठ2 गया घरां विच पैंदा गुनां सजनां दा यार होर नाहीं किसे गुठ गया घर यार ते ढूंढ़दी फिरे बाहर किते महल ना माड़ियां उठ गया सानूं चैन आराम ते सबर नाहीं सोहणा यार जदोकणा रूठ गया
panjabi-pan
नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके । अम्माँ वाली लाड़ो माथे चाँद चमके ॥ 1 ॥ माँगे लाड़ो के टीका सोभे , मोतिया की झलक देखा री लाड़ो । अम्माँ पेयारी लाड़ो माथे चाँद चमके ॥ 2 ॥ नाके लाड़ो के बेसर सोभे , चुनिया1 अजब बिराजे लाड़ो । नथिया अजब बिराजे लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 3 ॥ काने लाड़ो के बाली2 सोभे , झुमके की झलक देखा री लाड़ो । कनपासा3 की झलक देखा री लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 4 ॥ जाने4 लाड़ो के सूहा5 सोभे , छापे की झलक देखा री लाड़ो । छापा अजब बिराजे लाड़ो , माथे चाँद चमके । भइया पेयारी लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 5 ॥
magahi-mag
असमानों उत्तरी इल्ल वे (ढोला) असमानों उत्तरी इल्ल वे तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे सभ्भे ने कुआरियाँ , जीवें ढोला ढोल मक्खना दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना भावार्थ ' आकाश से चील उतरी अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ? सभी कुंवारी हैं जीते रहो , सजन ओ सजना ओ मक्खन परदेसीओं का दिल राज़ी रखना '
panjabi-pan
246 भोग भोगना दुध ते दहीं पीवन पिंडा पालके रात दिन धोवना एं खरा कठन है फकर दी वाट झागन1 मुंहों आखके काहे वगोवना एं वाहें वंझली त्रीमतां नित घूरे गाईं महीं वलायके चोवना एं वारस आख जटा केही बनी तैनूं सुआद छडके खेह2 क्यों होवना एं
panjabi-pan
दादा मियाँ लगाइन घनी बगिया दादा मियाँ लगाइन1 घनी बगिया । मेवा तोड़ तोड़ खइहे , मेरे लाल बने2 ॥ 1 ॥ ससुर भँडुए की साँखरी गलिया । दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने ॥ 2 ॥ दादा मियाँ की ऊँची दलनियाँ3 । जहाँ सासु को नचइहो4 मेरे लाल बने ॥ 3 ॥ बाबा मियाँ लगाइन घनी बगिया । मेवा तोड़ तोड़ खइहे , मेरे लाल बने ॥ 4 ॥ साले भँडु़ए की साँखरी गलिया । दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने ॥ 5 ॥
magahi-mag
आया था ओ गेहूं काट कै आया था ओ गेहूं काट कै आंदे ठाली लाठी मार छेत्त के पूछण लाग्या चोट कड़ै सी लागी
haryanvi-bgc
मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी मैं तुम ते पूछूं हो मेरे राजा कैसी लगै पनिहारी जैसी दूध पै जमे मलाई मेरी गोरी ऐसी लगै पनिहारी मेरे राजा . . . मैं तमतै पूछूं हो मेरे राजा कैसे लगै घरआली जैसी चुभच्चै मैं आवै बदबोई मेरी गोरी ऐसी लगै घरआली मेरे राजा . . . लिखलिख चीट्ठी बीरण पै भेजूं मेरे राजा आ गए बीरण हजारी मेरे राजा . . . मैं तमतै पूछूं हो मेरे जीजा कैसे लगै पनिहारी जैसी चुभच्चै मैं आवै बदबोई मेरे साला ऐसी लगै पनिहारी मेरे राजा . . . मैं तमतैं पूछूं हो मेरे जीजा कैसे लगै मेरी बहणां जैसी दूध पै आवै मलाई जी साला ऐसी लगै थारी बहणां मेरे राजा . . . मैं थम तै पूछूं जी मेरे राजा अब कैसी तेरी मत मारी मैं तम तै बोलूं हे मेरी गोरी अब डरदै की मत मारी मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी
haryanvi-bgc
बने दूल्हा छवि देखो भगवान की बने दूल्हा छवि देखो भगवान की , दुल्हन बनी सिया जानकी । जैसे दूल्हा अवधबिहारी , तैसी दुल्हन जनक दुलारी , जाऊ तन मन से बलिहारी । मनसा पूरन भई सबके अरमान की । दुल्हन बनी . . . ठांड़े राजा जनक के द्वार , संग में चारउ राजकुमार , दर्शन करते सब नरनार धूम छायी है डंका निशान की । दुल्हन बनी . . . सिर पर कीट मुकुट को धारें , बागो बारम्बार संभारे , हो रही फूलन की बौछारें । शोभा बरनी न जाए धनुष बाण की । दुल्हन बनी . . . पण्डित ठांड़े शगुन विचारें , कोऊकोऊ मुख से वेद उचारें । सखियां करती हैं न्यौछारें , माया लुट गई है हीरा के खान की । दुल्हन बनी . . . कह रहे जनक दोई कर जोर , सुनियोसुनियो अवधकिशोर , कृपा करो हमारी ओर । हमसे खातिर न बनी जलपान की । दुल्हन बनी . . .
bundeli-bns
अंगिका बुझौवल तोहरा कन गेलाँ लेॅ केॅ बैठलाँ । पीढ़ा तोहरा कन गेलाँ खोली केॅ बैठलाँ । जूत्ता चानी हेनोॅ चकमक , बीच दू फक्का जे नै जानेॅ , जे नै जानेॅ ओकरोॅ हम्में कक्का । दाँत हिन्हौ टट्टी , हुन्हौ टट्टी बीच में गोला पट्टी । जीभ हाथ गोड़ लकड़ी पेट खदाहा जे नै बूझै ओकरोॅ बाप गदहा । नाव फरेॅ नै फूलै , ढकमोरै गाछ । पान जड़ नै पत्ता , की छेकोॅ ? अमरलत्ता तोहरा घरोॅ में केकरोॅ पेट चीरलोॅ । गेहूँ चलै में रीमझीम , बैठै में थक्का चालीस घोॅर , पैतालीस बच्चा । रेल खेत में उपजै , हाट बिकाबै साधूब्राह्मण सब कोय खाबै नाम कहैतें लागै हस्सी आधा गदहा , आधा खस्सी । खरबूजा लाल गे ललनी , लाल तोरोॅ जोॅड़ हरिहर पत्ता , लाल तोरोॅ फोॅर । खमरूआ राग जानै गाना नै जानै गाय ब्राह्मण एक्को नै मानै जों कदाचित जंगल जाय एक हापकन बाघौ केॅ खाय । मक्खन हमरोॅ राजा केॅ अनगिनती गाय रात चरै दिन बेहरल जाय । तारा हिनकी सास आरो हमरी सास दोनों माय घी तोहें बूझोॅ हम्में जाय छी । ससुरपुतोहू साँपोॅ हेनोॅ ससरै , माँड़ रं पसरै सभै छोड़ी केॅ नाक केॅ पकड़ै । पोटा एक गाछ मनमोहन नाम बारह डार , बारह नाम । बरस , दिन , तिथि एक जोगी आवत देखा रंगरूप सिन्दूर के रेखा रोज आबै , रोज जाय जीवजन्तु केकरो नै खाय । सूरज
angika-anp
फागुन के आइल बहार हो बलमुआ फागुन के आइल बहार हो बलमुआ छोड़ द नोकरिया घरे आव , आहे घरे आव । । टेक । । घरहिं खिअइबो तोहे पूरी मिठइया ऊपर से तोहके सेजिया सूताइब हींक भरि जिअब लहालोट हो , बलमुआ छोड़ द नोकरिया घरे आव , आहे घरे आव । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से
bhojpuri-bho
मान उतारने का गीत खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार । तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार । तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । हे माता1 दरवाजा खोलो । हे माता तेरे आँगन में दोचार नारियल हैं । हे माता तेरे आँगन में दोचार बकरे हैं । माता को भेंट के लिए दोचार नारियल और दोचार बकरे लेकर आये हैं ।
bhili-bhb
गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला मानेला पान्तारी कोरा कीटजे मानेला मानेला पान्तारी कोरा कीटजे मानेला रही रुपों जड़ी तालान आमा रानी ताड़ान भोले रही रुपों जड़ी तालान आमा रानी ताड़ान भोले ओ बिडेजा मानेला ओ बिडेजा मानेला पान्तारी कोरा बो बिडे जा पान्तारी कोरा बो बिडे जा मानेला ईय भागो रानी साथ बुहार रानी सेगेवा जा मानेला मानेला ईय भागो रानी साथ बुहार रानी सेगेवा जा मानेला स्रोत व्यक्ति निशा , ग्राम आंवलिया
korku-kfq
काबर समाये रे मोर काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा झूलत रहिथे तोरे चेहरा ए हिरदे के अएना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा अपने अपन मोला हांसी आथे सुरता मा तोर रोवासी आथे अपने अपन मोला हांसी आथे सुरता मा तोर रोवासी आथे का जादू डारे ए ए रे टोनहा तैं ए पिंजरा के मैंना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा आथे घटा करिया घनघोर झूमर जाथे मंजूर मन मोर आथे घटा करिया घनघोर झूमर जाथे मंजूर मन मोर पुरवईया असन आ आ आजे संगी पानी हो के रैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा का होगे मोला तोर गीत गा के नाचे के मन होथे काम बुता मा मन नइ लागे धकर धकर तन होथे आके कुछु कहिते ए ए ए संगवारी मया के बोली बैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा झूलत रहिथे तोरे चेहरा ए हिरदे के अएना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा
chhattisgarhi-hne
चलो मनवा उस देश को चलो मनवा उस देश को , हंसा करत विश्राम १ वा देश चंदा सुरज नही , आरे नही धरती आकाश अमृत भोजन हंसा पावे बैठे पुरष के पासा . . . चलो मनवा . . . २ सात सुन्न के उपरे , सतगरु संत निवासा अमृत से सागर भरिया कमल फुले बारह मासा . . . चलो मनवा . . . ३ ब्रह्मा विष्णु महादेवा , आरे थके जोत के पासा चैदह भवन यमराज है वहां नहीं काल का वासा . . . चलो मनवा . . . ४ कहत कबीर धर्मदास से , तजो जगत की आसा अखंड ब्रह्मा साहेब है आपही जोत प्रकाशा . . . चलो मनवा . . .
nimadi-noe
कहवाँ में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा कहवाँ में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा कहवाँ में रोपबई बेइलिया अहो रामा । नइहरा में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा ससुरा में रोपबई बेइलिया अहो रामा । पनिए पटयबई हरी केबड़ा अहो रामा दूधवे पटयबई बेइलिया अहो रामा । काँचे सूते गुँथबई हरी केबड़ा अहो रामा रेसम सूते गुँथबई बेइलिया अहो रामा । के मोरा पेन्हतन हरी केबड़ा अहो रामा के मोरा पेन्हतन बेइलिया अहो रामा । भइया मोरा पेन्हतन हरी केबड़ा अहो रामा सइयाँ मोरा पेन्हतन बेइलिया अहो रामा ।
magahi-mag
लागा झुलानिया प धक्का लागा झुलानिया प धक्का , बलम कलकत्ता पहुंची गए कैसे क मति मोरी बैरन होई गई कीन्ह्यो मैं हठ अस पक्का , बलम कलकत्ता . . . लागे जेठानिया के बोल बिखै ज़हर से लागा करेजवा में लुक्काआग , बलम कलकत्ता . . . रेक्सा चलायें पिया तांगा चलायें झुलनी के कारण भयें बोक्का पागल , बलम कलकत्ता . . . बरहें बरिस झुलनी लई के लौटें , देहिंयाँ हमारि भै मुनक्का , बलम कलकत्ता . . . लागा झुलानिया प धक्का बलम कलकत्ता पहुँची गए
awadhi-awa
मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी पतली जी पाणी जाए नार सांवलड़ी कोए काहे बटेऊ जाय कुएं पै पाहुचा कोए बूझण लाग्या नार बात सांवलड़ी गोरी एक घूंट पाणी पिलाय दूर का प्यासा मेरा संग अकेला जाए पाणिडा पिला दे मैं तो क्यूंकर पाणिडा पिलाऊं नहर जल भारी कूएं का जल खारी रे मेरी सास बड़ी जल्लाद खसम मेरा खूनी रे कोए इतणी सी सुण के बात मुसाफिर जा जादू डार्या रे मेरी नेजू के नो टूक डोल उत रह ग्या रे तैं चाल म्हारे घरां पिलाद्यूं तनै पाणी रे तेरी भोत करूं मिजबानी म्हारे घरां चाल रे मैं क्यूंकर घर ने चालूं सुण मेरी बात हे तेरी सास बड़ी जल्लाद खसम तेरा खूनी रे तैं भर बैदे का भेस गली में आइयो रे मैं जाय पडूँ बेमार तुरत बुलवाऊं रे सासू उठ जलदी सी घड़ा तार सास मैं मरी री मेरा उठ्या कमर मैं दरद पेट मेरा दूखै री सुण ले सासू बात पिरान मेरे चाले री गलियां में हांडे बैद नबज दिखलादे री इतनी सी सुण के बात सास दौड़ी गई री गलिआं में पोंहची जाय बैद तै बोली हे चाल रे बैदा म्हारे घर ने तन्नै लेण नै आई रे मेरी बहू पड़ी बेमार नबज तुम देखो रे कोए बहू का पकड्या हाथ नबज उसनै देखी रे मेरा मिट्या कमर का दरद सास मैं राजी री बैदे नै देदे फीस सास मैं अच्छी री लेके नै अपनी फीस बैद घर गया रे बहू किस पै धोए पैर अर किस पै झुकाई तन्ने पटिआं बहू किस पै पाड़ी मांग सुणा द्यो हे बहु बतिआं सासू मन पै धोएै पैर दिल पै पटिआं बहूं ज्यों कै चाल्लो चाल जमाणा खोटा तेरा सुसर बसैं परदेस बालम तेरा छोटा
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भरथरी लोक-गाथा - भाग 3 चल मिरगा ल राम मय जियावॅव दाई मोर अमरित पानी ल लावॅव ओ जोगी लार्वव ओ , भाई ये दे जी । घोड़ा मा मिरगा ल लादिके भरथरी ये ओ देखतो दीदी चले जावत हे गोरखपुर म न चले जावय गिंया गोरखनाथ गुरु धुनि रमे हे न जेकर तीर म जाय भरथरी ओ भरथरी ओ , भाई ये दे जी । लगे हे धुनिबाबा के गोरखनाथ के ओ घोड़ा म मिरगा ल लादे हे चले आवय गिंया भरथरी ये न । मोहिनी ये दीदी मोर मोहिनी बरोबर दिखय ओ , भरथरी ओ भाई ये दे जी । गोरखनाथ के चेला ये मोर चेलिन ओ भरथरी ल कइसे देखत हे मोहिनी ये गिंया । ये मोहावत हे ना चेलिन बोलत हे ना कहसन सुघ्घर हे ना मोर कहां के लिखे भगवान ये ओ जेहर भेजे ओ , बाई ये दे जी । मोहिनी बरोबर मोहत हे भरथरी ये राम गोरखनाथ गुर के चरण मा चले जावत हे न सुनिले गुरु बात मिरगा ल कहय , तय जिया देबे न तोर पईया लागव बारंबार गा , बारंबार गा , भाई ये दे जी । तब तो बोलय गुरू गोरखनाथ सुनिले राजा मोर बात मिरगिन के लागे सरापे न चरण छुए नई दॅव । सराप ये गा पाप धो लेबे न जेकर पाछू चरण छूबे गा , ये दे छूबे जी , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी सुन गुरु मोर बात मिरगा जिया देना कहत हॅव मिरगा ल गुरु । तय जिया दे गा मोर मिरगिन सराप , मोला लगे हे न ये ला मिटा देते न मोर अइसे बोलय भरथरी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । गोरखनाथ गुरु कहत हे मिरगा देहँव जियाय तब तो बोलय भरथरी ल जोग साधे ल रे तोला परही बेटा बारा साल मे न । जोग साधबे बेटा तब जाके तोर पाप ह कटय गा , बैरी कटय गा भाई ये दे जी । लगे हे धुनि गुरु के गोरखनाथ के न जेमा आवत हे राम का तो कूदय भरथरी ये लगे हे धूनि गोरखनाथ के जेमा जा कूदथे भरथरी ह जीव ल देवत हे तियाग सुन राजा मोर बात गुरु गोरखनाथ जेला देखत हे न मय तो कइसे दुख म परेव ओ , ये परेव ओ , भाई ये दे जी । भरथरी ये दे जीव ल मोर बचावत हे राम गुरु गोरखनाथ ये धुनि मं जावे अमाय भरथरी ल निकाल गुरु मोर जावत हे मोर मिरगा ल देवय जिआय , ये जिआय ओ , भाई ये दे जी । आगू जनम के ये मिरगा मोर साधू ये राम छय आगर छय कोरी चेलिन ये जेकर काला मिरगा जनम लेके बेटा सिंघलदीप म गा राज करीस जेला मारे तॅय बान ये दे लागे सराप मोर कइसे समझाय भरथरी ल , भरथरी ल ओ , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी ह सुन गुरु मोर बात जोग ल साधव मॅय अभी न गुरु बोलत हे आज सुन राजा मोर बात हावस कच्चा कुंवर जोग नई साधव रे चार दिन के सुख ल , भोग ले गा , भोग ले गा , भाई ये दे जी । जेकर पाछू म भरथरी चले आबे बेटा जोग सधा देहॅव तोला मय पाप काटिहॅव तोर अइसे बोलत हे न भरथरी ल बात भरथरी ये ओ घर आवत हे न मोर गुरु गोरखनाथ के चरण छुवय ओ , भाई ये दे जी । घर मं , रंगमहल मं मोर आइके ओ कइसे माता ला बतावत हे सुन दाई मोर बात काला मिरगा ये ओ मय तो दिहेंव जिआय गोरखनाथ गुरु जहां धुनि रमाय मोर काला मिरगा ल जिआये ओ , जिआये ओ , भाई ये दे जी । आनंद मंगल होवत हे फुलवारानी ओ , बेटा ल गोदी मँ बैठारत हे मोर देख गिंया आनंद मंगल मनाय अंगना मँ हीरा मोर राजा के न ये दे परजा ल ओ मेवा मिठाई बँटाय अब जेला देखय फुलवारानी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । बारा बरस के तोर ऊमर आय अब आगे बेटा तोर घर में बसा देवॅव कय दिन के जिन्दगी , मोर बाचे बेटा तोर सुख ल राम देखि लेतेंव बेटा ये दे जेखर पाछू नैना ग , सुख भोगे गा , भाई ये दे जी । अइसे फुलवा सोचिके सुनले महराज का तो नाऊ ल बलावत हे कइना खोजे बर न लिख पाती भेजय खोज के आवा गिंया मोर उत्तर दिसा नई तो पांय कहना दक्षिण बर जाय कइना नइ पावय न मोर आके बात ल बोलय ओ , कइसे बानी ओ , भाई ये दे जी । खोजतखोजत कइना ल पथ बीच मँ ओ जइसे पावत हे नाऊ ह रानी ल देवय बताय जइसे भरथरी आय तइसे सुन्दर कइना देखि आयेंव दाई सुनरानी , मोर बात समादेई ये ओ , मोर भरथरी के कइसे नारी बनजाही ओ , भाई ये दे जी । सुन्दर जांवर जोड़ी ये दुनिया मां रानी अइसे बोलत हावय नाऊ ह जग मँ नाम कमाय जइसे कइना ये न तइसे राजा हमार सादी कर देवा ओ रानी ल बोलत हे ओ जेकर बानी ल सुनत हे रानी ओ भाई रानी ओ , भाई ये दे जी । लिख के पतरिका भेजत हे नेवता ल भेजय सुनले कहत हावॅव बात ल परतापी राजा , जेकर बेटा ये न भरथरी ह ओ मोर आनी बानी के राजे ल नेवता जावय ओ , भाई ये दे जी । शादी के करे तियारी ये दे रचे बिहाव देख तो रानी सामदेई के घर मा लानत हे न गवना ल कराय मोर रंगमहल मँ गिया हीरा साहीं दीदी दूनों दिखत हें न मोर फुलवा बरोबर चमके ओ , रंगमहल ओ , भाई ये दे जी । गवना कराके भरथरी चल लानत हे राम रंगमहल ल सजाये हे फौजफटाका ओ ये दे फोरत हे राम संगी सहेली न मंगल गीत सुनाय मोर आनंद बधाई मनाय ओ , मनाय ओ , भाई ये दे जी । एक दिन बइरी गुजरत हे दूसर दिन ओ तीन दिन के छइंहा मा घर सौंपत हे न भरथरी ल ओ रानी सामदेई न मोर राजा बनाय भरथरी ल , भरथरी ल ओ , भाई ये दे जी । का तो गाजे के पराई ये समय बीतत हे राम जोगी के जोग बैरी दिन ये चले आवय गिंया मंगनी के बेटा बारा बच्छर बर आय रहिस दीदी फुलवारानी ये ओ जेला गय हे भुलाय मोर तो सुरता लगे हे विचार ओ , ए विचार ओ , भाई ये दे जी । रंगमहल म जावत हे भरथरी ये ओ सामदेई जिहां पलंग म बइठे हे भरथरी ये न चले जावय दीदी मोर पलंग के ओ ये दे तीर म न कइसे विधि कर हबरय ओ , ये हबरय हो , भाई ये दे जी । पलंग मं पॉव ल रखत हे जऊन समय म राम गाज के देख तो पराई ये खोनपलंग ए ओ टूट जावय दीदी धरती मं मढ़ाय जेला देखत हावय भरथरी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । का तो जोनी मय पायेंव का तो लागे हे पाप का तो कारण पलंग मोर टूटगे रानी देवव बताय भेद नई जनँव ओ मोला दे दे बताय ये दे अइसे विधि भरथरी ओ दाई पूछय ओ , भाई ये दे जी ।
chhattisgarhi-hne
चाय पी पी के दूध घी की कर दई महगाई चाय पी पी के दूध घी की कर दई महंगाई । बड़ी आफत जा आई । बेंचे दूध घरे न खावें , लड़का वारे बूंद न पावें । चाहे पाहुन लो आ जावें देवी देवता लो होम देशी घी के न पाई । । बड़ी . . . घर को बेंचे मोल को धरते , रिश्तेदारों से छल करते , जे नई बदनामी से डरते , डालडा से काम चले हाल का सुनाई । बड़ी . . . घी और दूध के रहते भूखे , जब तो बदन परे हैं सूखे , भोजन करत रोज के रूखे स्वाद गोरस बिना भोजन को समझो न भाई । बड़ी . . . देशी घी खों हेरत फिरते , चालीस रुपया सेर बताते , डालडा तो खूब पिलाते , बेईमानी की खाते हैं खूब जे कमाई । बड़ी . . . जब से चलो चाय को पीना , जिनखों मिले न धड़के सीना आदत वालों का मुश्किल है जीना , सुबह शाम उनको परवे न रहाई । बड़ी . . . अपना बने चाय के आदी , चालू स्पेशल को स्वादी , कर दई गौरस की बरबादी । बीच होटल में जहाँ देखो चाय है दिखाई । बड़ी . . .
bundeli-bns
कहमाँ गमोलँ तोहूँ एता दिन सिवजी कहमाँ गमोलँ1 तोहूँ एता2 दिन सिवजी , पियरी3 जनेउआ कहाँ पावल4 हे । गेलियो5 हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा , बराम्हन रचल धमार6 हे । एता दिन हमें गउरी सासुर7 गमउली8 सुखे9 सुखे गेल ससुरार हे ॥ 1 ॥ तुहूँ गमौलऽ सिउजी अइसे से ओइसे , नयना काजर कहाँ पाव10 जी । गेलियो हम गउरा हे तोहरो नइहरवा , सरहजवा रचल धमार हे । ओहु जे11 सरहोजिया हे उमिर के12 काँचल13 दिहलन कजरा लगाय हे ॥ 2 ॥ तोहूँ जे हकऽ14 सिउजी अइसे से ओइसे , पियर धोतिया कहाँ पाव जी । गेलियो से गेलियो गउरी तोहरो नइहरवा , सरवा15 रचल धमार हे । सरहजवा हथी गउरी काँचे से बुधिया16 देलन धोतिया रँगाय हे ॥ 3 ॥ कहमाँ गमवलऽ सिउजी मास पखवरवा17 पउआँ18 कहाँ भराव जी । गेलियो हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा , नउआ19 रचल धमार हे । नउआ जे हकइ20 गउरा ओहु छोट जतिया21 भरि देलक22 हमरा के पाँव हे ॥ 4 ॥ कहमाँ से अयलऽ सिउजी एता मोटरी23 लेके24 कहमाँ पयलऽ25 कलेउ26 हे । गेलियो जे हम गउरा तोहरो नइहरवा से , सासुजी देलन सजाय हे । एक खइँचा27 देलन गउरा पुआ28 पकमनमा , दुइ खइँचा लाइ29 मिठाइ हे ॥ 5 ॥ एतना जे सुनलन गउरा गेंठरी उठवलन , धरि देलन कोठिया30 के साँधेकंधे पर हे । हमर नइहरवा सिउजी सब दिन उरेहल31 काहे गेलऽ32 ससुरार हे ॥ 6 ॥ सास ससुरवा गउरा हथी गँगाजलिया33 सार34 सरहज कमल फूल हे । ससुरा के लोग हथी लाइ मिठइया , रोज जायब ससुरार हे ॥ 7 ॥
magahi-mag
बिच्छू उतारने का मंत्र काली गाय कपने गई , हरे डूंगरे गई वहाँ से चिरि फिरि सागड़े गोठाणे गई वाहाँ एक पोठो करीयो एक पोठाम् बारेह विछु निकल्या , एक विछु चोटी पे चड्यो मेर से निहि उतरे मेरा गुरू उतारा , इस मंत्र को एक बार में नही उतरे तो 10 मिनिट बाद दुबारा बोलना और जहाँ तक चढ़ा हुआ है वहाँ तक हाथ फेरतेफेरते नीचे की ओर लाते हैं । बिच्छू उतारने के लिये रखोड़े का उपयोग करते हैं । बिच्छू उतारने के लिये अलगअलग मंत्र का उपयोग करते हैं ।
bhili-bhb
फाग गीत नाचण तो नाचण चाली ढोल गेरो वाजे रे । होळी आगे गेरिया झरावर नाचे रे , हालो देखाने । हाँ रे हालो देखाने हवजी वालो जायो नाचे रे , हालो देखाने । एक पत्नी कहती है कि नाचने वाली नाचने का चली , ढोल अच्छा बज रहा है , देखने को चलो । मेरा पति भी नाच रहा है ।
bhili-bhb
अंछरयों की राणी झूमझमा झम , खुटों का झाँवर रे , अंछर्यो1 की राँणी आई , गीत गान्दरे । नौ सोर मुरली बाजी , मोछंग2 की धुन म फूलू की पंखुड़ी , भौंर का गीतू म । . . . . . . . ओजी हो धमधमाधम , भौंरों की बरात रे अंछर्यों की राँणी आई , फूल फुलान्दी रे । बाँज की डाल्यों म आई , बुराँस का फूलू म , फ्योंलि का फूलू म आई , झमकदा गीतू म । . . . . ओजी हो छमछमाछम , खुट्यों का झाँवर ये अंछर्यों की राँणी आई , गीत गान्द रे । लंगलंगी डाल्यों म आई , रुमझुम पातु म , छुणक्यलि3 दाथी म आई , घुगति4 की घू घू म । . . . . ओजी हो सरसरासर , सर , बथौं का दगड़ रे अंछर्यों की राणी आई , मुलमुल हैंसदी रे । हो . . . . हो . . . . . हो
garhwali-gbm
देवी मैया के दरस कूँ देवी मैया के दरस कूँ घर से निकरौ लाँगुरिया ॥ टेक माथे तिलक सिंदूर कौ रे टोपी पहरी लाल , पीरे कुरता पै पड़ी रे गल फूलन की माल ॥ देवी . झण्डा सोहै हाथ में रे बाजत मुख से बैन , काजर कटीली डार कै री खूब चलावत सैन ॥ देवी . मेंहदी रच रही हाथ में रे घड़ी कलाई सोह , ठुमक 2 कै वो चलै री दिल कूँ लेवे मोह ॥ देवी . जोगिन ठाड़ी राह में रे भरिभरि देखै नैन , मन तिरपत हे गयौ हमारौ ऐसी उसकी कैन ॥ देवी .
braj-bra
दूब का डांडळा अकाव का फूल दूब का डांडळा अकाव का फूल , राणी ओ मोठी बहू अरघ देवाय । अरघ दई नऽ वर पाविया , अमुक सरीका भरतार । आतुली पातुली , लाओ रे गंगाजल पाणी , न्हावण करऽ रनुबाई राणी । रनुबाई , रनुबाई , खोलो किवाड़ , पूजण वाळई ऊभी दुवार । पूजण वाळई काई माँगऽ । दूध , पूत , अहवात माँगऽ । हटियाळो बाळो माँगऽ । जटियाळो भाई माँगऽ । बहू को रांध्यो माँगऽ । बेटी को परोस्यो माँगऽ । टोंगळया बुडन्तो गोबर माँगऽ । पोयचा बुड़न्तो गोरस माँगऽ । पूत की कमाई माँगऽ । धणी को राज माँगऽ । सोन्ना सी सरवर गऊर पूजा हो रनादेव । माय नऽ बेटी गऊर पूजा हो रनादेव । नणंद भौजाई गऊर पूजा हो रनादेव । देराणी जेठाणी गऊर पूजा हो रनादेव । सास न बहू गऊर पूजा हो रनादेव । अड़ोसेण पड़ोसेण गऊर पूजा हो रनादेव । पड़ोसेण पर टूट्यो गरबो भान हो रनादेव । दूध केरी दवणी मजघर हो रनादेव । पूत केरो पालणो पटसाळ हो रनादेव । असी पत टूट्यो गरबो भान हो रनादेव ।
nimadi-noe
इक दिन जा बैठी सो डार के पटा इक दिन जा बैठी सो डार के पटा ईने बना दये , बिना नोन के भटा तनक चीखो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया एक दिन जा बैठी सो ले रई पुआर और खीर मे लगा दओ हींग को बघार तनक सूँघो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया इक दिन जा बैठी सो कर रई सिंगार और ओंठ मे लगा लओ ईने पाँव को महार तनक देखो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया
bundeli-bns
मोटी सी साड़ी ल्या दै हो मोटी सी साड़ी ल्या दै हो जिसकी चमक निराली . . . जलियाँवाला बाग का जलसा डायर फायर करता हो भारत का बदला लेने को लंदन में शेर विचरता हो डायर मारया , खुद मरया गया ना वार कती खाली मोटी सी साड़ी ल्या दै हो जिसकी चमक निराली . . . .
haryanvi-bgc
539 अजू बन्ह खड़ा हथ पीर अगे तुसी लाडले परवरदगार1 दे हो तुसी फकर अलाह दे पीर पूरे विच रेख2 दे मेख3 नूं मारदे हो होवे दुआ कबूल पयारयां दी दीन दुनी4 दे कम सवारदे हो अठे पहर खुदा दी याद अंदर तुसी नफस5 शैतान नूं मारदे हो हुकम रब्ब दे थी तुसी नहीं बाहर पीर खास हजूर दरबार दे हो मेरी नूंह नूं सप्प दा असर होया तुसी कील मंतर सप्प मारदे हो रूढ़े जान बेड़े औगनहारयां दे फजल6 करो ते पार उतारदे हो तेरे चलयां नूंह मेरी जीउंदी ए डुबन लगयां नूं तुसी तारदे हो वारस शाह दे उजर7 मुआफ करने बखशनहार बंदे गुनाहगर दे हा
panjabi-pan
काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी जूरेना काली हो गोलन बेटी जूरेना तेरा मायू से गोदी वो बेटी रावसी बोली तेरा मायू से गोदी वो बेटी रावसी बोली सुसरा से गोदी वो बेटी काली हो गोलेन सुसरा से गोदी वो बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी जूरेना काली हो गोलन बेटी जूरेना तेरा भाई से गोदी बेटी रावसी बोली तेरा भाई से गोदी बेटी रावसी बोली सुसरा से गोदी वो बेटी जूरेना सुसरा से गोदी वो बेटी जूरेना स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल
korku-kfq
करूं कढ़ाई गुलगुला सेढल माता धोकन जाय करूं कढ़ाई गुलगुला सेढल माता धोकन जाय । इब म्हारी सेढल माता राज्जी होय । दादी दायला फूल्या नहीं समाय ।
haryanvi-bgc
यारौ पर नारी से बरकौ यारौ पर नारी से बरकौ । येइ हुकुम है हरकौ । ई कलजुग कौ जाल कठिन है । रहवौ बड़ी खबर कौ । जिनके संगै परी भांवरैं । जोड़ा नारी नर को । जो सुख चाहौ घरी भरेकौ । मिटे जनम को खटकौ । ईसुर स्याम आस सब छोड़ौ भजन करौ रधुवर कौ ।
bundeli-bns
विदाई गीत तारा घर मा हिरे भर्यो हिडोलो , हिचणे वालि काहाँ चालि वो बेनी । तारा भाइ काजे हेलिमेलि लेजी वो , हिचणावालि , काहाँ चालि वो बेनी । तारि भोजाइ के हेलिमेलि वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । तारा बावा के हेलिमेलि लेजी वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । तारि माय काजे हेलिमेलि लेजि वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । वरवधू को विदा करते समय यह गीत गाया जाता है वधू से कहा गया है कि तेरे घर मंे रेशम जड़ित झूला है , उसमें झूलने वाली बनी अब कहाँ चली ? जाते समय भाई से मिल लेना , भावज से मिल लेना , पिता से मिल लेना और माता से मिल लेना ।
bhili-bhb
बागां में मेंहा बरसै सरवर पै मेंहा बरसै बागां में मेंहा बरसै सरवर पै मेंहा बरसै मत बरसै इन्दर मेरी मां का जाया बरसै माला पै रंग बरसै चम्पा पै रंग बरसै मत बरसै इन्दर राजा थाली में बीरा बरसै
haryanvi-bgc
मैं आई थी मीठियां की लालच मैं आई थी मीठियां की लालच फीकी दे भुला दई । मैं आई थी गेहुआं की खात्तर बाजरा की दे भुला दई । मैं आई थी घणियां की खात्तर दो दो दे भुला दई ।
haryanvi-bgc
श्रमिक बोल १ . बोलीबोलऽ , चोली खोलऽ , चोली के भीतर , लाल कबूतर , खाए के मांगे , सबुज दाना , धरधर लेइयें पर , पांजर मोटा , खइबऽ सोटा , धर धरेसी , ध के पेसी , पेसन वाला , है मतवाला , ढिलवा भैया , करे ढिलाई , ओकर मउगी , करे सगाई । २ . हाथ भरो जी हैसा , जोर करो जी हैसा , जोर जुगुती हैसा , हो छुट्टी हैसा , छुट्टी होना हैसा , मौज उड़ाना हैसा , मौजेदारी हैसा , साव मदारी हैसा , घामघमैला हैसा ।
bhojpuri-bho
कहमा रे हँसा आवल, कहमा समाएल हो राम कहमा रे हँसा1 आवल2 कहमा समाएल3 हो राम । कउन गढ़ कयलक4 मोकाम5 कहाँ रे लौटि जायत हो राम ॥ 1 ॥ निरगुन से हंसा आवल , सगुना समायल हो राम । बिसरी गयल हरिनाम , माया में लपटायल हो राम ॥ 2 ॥ नया रे गवनमा के आवल , पनियाँ के6 भेजल हो राम । देखल कुइयाँ के रीत , से जिया घबड़ायल हो राम ॥ 3 ॥ डोलवो7 न डोलहइ8 इनरवा9 रसरिया10 त छूटल हो राम । देखल कुइयाँ के रीत , हिरा मोरा काँपे हो राम ॥ 4 ॥ सास ननद मोरा बयरिन11 गगरी फूटल हो राम । का लेके12 होयबइ13 हजूर14 से आजु नेह टूटल हो राम ॥ 5 ॥ सास मोरा सुतल अटरिया , ननद कोठा ऊपर हो राम । सामी मोरा सुतलन अगमपुर , कइसे के जगायब15 हो राम ॥ 6 ॥ लटवा16 धुनिए धुनि17 माता रोवइ । पटिया18 लगल बहिनी हो राम । बहियाँ पंकड़ि मइया रोवइ , से आज नेह टूटल हो राम ॥ 7 ॥ चारि जना खाट उठावल , मुरघट19 पहुँचावल हो राम । जँगला20 से लकड़ी मँगावल , काया के छिपावल हो राम ॥ 8 ॥ फिन21 नहीं अयबइ22 इ नगरिया । मनुस चोला न पायम23 हो राम ॥ 9 ॥
magahi-mag
सोना के ढकनी में हरदी परोसल सोना के ढकनी1 में हरदी परोसल2 । उपरे3 लहलही दूभ4 हो , सिरवा5 हरदी चढ़ावे ॥ 1 ॥ पहिले चढ़ावे बराम्हन अप्पन6 । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे । सोना के ढकनी में हरदी परोसन । उपरे लहलही दूभ हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 2 ॥ पहिले चढ़ावे बाबा जे अप्पन । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 3 ॥ पहिले चढ़ावे चच्चा जे अप्पन । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 4 ॥
magahi-mag
परस बठंता अपना बाबल बुज्झा परस बठंता अपना बाबल बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कातक न्हणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला लाइयो बाग बगीचे हो राम दूध घमोड़ती अपनी मायड़ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला सिंच्चो धरम की क्यारी हो राम धार काढ़ता अपना बीरा बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा बेब्बे बड़ाए दुहेल्ला ले ले न गोद भतीजा हो राम पीसणा पीसती अपनी भावज ओ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा ननदल बड़ाए दुहेल्ला काढो ना कसीदा हो राम
haryanvi-bgc
किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ दादा किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ दादा चार दल थारै ऊमहे एक दल आप दल दूजा बाप दल तीजा दल घर के भातिआ चौथे दल ऊधली का री जाया मौड बांध के बन्ना आइया किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ बाबल चार दल थारै ऊमहे एक दल आप दल दूजा बाप दल तीजा दल घर के भातिआ चौथे दल ऊधली का री जाया मौड़ बांध के बन्ना आइया
haryanvi-bgc
मेरी बीबी सोवै अटरिया मेरी बीबी सोवै अटारिया पहने है झुमके बालियां बीबी सोई सोई उठ जागियां अपने बाबा दादा से बर मांगिया बाबुल एक कहा मोरा कीजिये मुझे राय रतन बर दीजियो बेटी रायरतन सिर सेहरा जैसे बागों में खिल रहा केवड़ा बेटी मत कर मन पछतावड़ा तेरी अम्मा गोरी बाबल सांवला बेटी आप किसन भी सांवले रुक्मण का रंग ऊजला
haryanvi-bgc
बिछिया पेरिया आपका बिछिया पेरिया आपका अपणा सुहाग का आनड़िया रा बाप का अलबेली जच्चा मान करो मान करो , गुमान करो री जच्चा मान करो तोड़ा पेरिया आपका अपणा सुहाग का कीकाजी रा बाप का अलबेली जच्चा मान करो
malvi-mup
लाल मेरी अँगिया न छूऔ लाल मेरी अँगिया न झूऔ , तिहारे करूँगी कपोलन लाल ॥ टेक यह अँगिया नाहिं धनुष जनक को , छुबत टुटौ तत्काल ॥ लाल . नहिं अँगिया गौतम की नारी , छुबत उड़ी नन्दलाल ॥ लाल . गिरिधर धारि भये गिरधारी , नहिं जानौ बृजलाल ॥ लाल . जावौ तुम खाबौ सुदामा के तन्दुल , गैयन के प्रतिपाल ॥ लाल . कहा बिलोकत कुटिल भृकुटि कर , नाहिं है पूतना काल ॥ लाल . यह अँगिया काली नहिं समझो , नथ्यौ जाय पाताल ॥ लाल . इतनी सुन मुसकाय साँवरे , लियौ अबीर गुलाल ॥ लाल . ‘सूरश्याम’ मुख मसक छिड़क अंग , सखियाँ करीं निहाल ॥ लाल .
braj-bra
आपणो संग रलाईं प्यारे आपणो संग रलाईं प्यारे , आपणो संग रलाईं । पहिलों नेंहु लगाया सी तैं , आपे चाई चाई । मैं लाा ए कि तुध लाया , आपणी ओड़ निभाई । आपणो संग रलाईं प्यारे । राह पवाँ ताँ धाड़े बेले , जंगल लक्ख बलाईं । भौंकण चीते ते चित्त मुचित्ते1 , भौंकण करन अदाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे । पार तेरे जगतार चढ़ेआ , कन्ढे लक्ख बलाईं । हौल दिले दा थर थर कम्बदा । बेड़ा पार लंघाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे । कर लई बंदगी रब्ब सच्चे दी , पवण कबूल दुआईं । बुल्ले शाह ते शाहँ दा मुखड़ा , घुँघट खोहल विखाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे ।
panjabi-pan
ईसुरी की फाग-23 ऐसी हती रजउ की सानी दूजी नईं दिखानी । बादशाह कै बेगम नइयाँ ना राजा घर रानी । तीनऊ लोक भुअन चौदा में ऐसी नईं दिखानीं । ईसुर पिरकट भईं हैं जग में श्री वृषभान भुबानी । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' का अपनी प्रेयसी ' रजऊ ' से मिलन नहीं हो पाया । इस वियोग में ' रजऊ ' के रूप की प्रशंसा करते हुए वे कहते हैं — मेरी ' रजऊ ' की ऐसी शान थी कि उसके जैसी दूसरी नहीं दिखाई दी । बादशाह की बेगम और राजा की रानी भी वैसी नहीं हो सकती । तीनों लोक और चौदह भुवनों में भी ऐसी कोई नहीं दिखती । ऐसा लगता है मानो रजऊ के रूप में वृषभान कुमारी यानि राधा जी ही प्रकट हो गई हैं ।
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अबै जिन बरसो बादरा रे अबै जिन बरसो बादरा रे बरसन लागे बादरा रे , चुंअन मोरे लागे बांगला रे । अबै . . . चुंअन मोरे लागे बांगला रे , भींजन मोरे लागे पालना रे । अबै . . . भींजन मोरे लागे पालना रे , रोबन मोरे लागे लालना रे । अबै . . . अबै घर नइयां साजना रे । अबै . . .
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बाना गीत कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । बइण कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । भोजाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । भाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । जमीन पर गादी बिछाकर दूल्हादुल्हन को बैठाते हैं , जिसे बाना बैठाना कहा जाता है । दूल्हे के बाने बैठने पर गीत में प्रश्नोत्तर किये गये हैं कि किसनेकिसने कहा जब दूल्हा गादी पर बैठ गया ? उत्तर में कहा है कि बहन , भौजाई व भाई ने कहा , तब बना गादी पर बैठा ।
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सकल गुण धाम अम्बे तू भला क्या गान गाऊ मै सकल गुण धाम अम्बे तू , भला क्या गान गाऊ मैं । बनाऊँ साज पूजन को , कहाँ पर साज पाऊँ मैं । तुमईं हो व्याप्त ग्रंथों में , तुमईं वेदों पुराणों में । कहाँ वह ज्ञान है मुझको , जो माता को सुनाऊँ मैं । । मृदुल सुचि पद्म आसीना , कहाँ आसन बनाऊ मैं । लगैया पार अब नैया , तेरो सो कौन पाऊँ मैं । । सुनो हे मातु अब बिनती , अनाथों ओ गरीबों की । तुम्हें ही मध्य पाऊँ मैं , तुम्हारा गान गाऊँ मैं । ।
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म्हारा दादाजी आया, म्हारी माता हो आया म्हारा दादाजी आया , म्हारी माता हो आया दामा रो लोभी बीरो घर रयो तम क्योंनी आया म्हारा माड़ी रा जाया तम बिना सूनी म्हारी बिरदड़ी विरद अलोणी बीरा , थारी बेन अलोमी कड़ही री चीगट म्हरे चढ़ रई थारा पिछवाड़े बेन्या गंगा हो जमना न्हाईधोई ने बेन्या चीगट हेड़जे न्हाया धोया से बीरा उजला नी दीखां उजला तो दीखां रामरथ बीर से
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मेरे टांडै मैं सोला सै राणी मेरे टांडै मैं सोला सै राणी पर तेरै सिकल की नहीं सै तैं तो चाल मेरे ए टांडे मैं राणी ओड़ै बिछ रहे पिलंग जरी के तेरे आग लागै टांडै कै जले बल जाइयो हो पिलंग जरी के तेरी गठड़ी में दाम कोन्या जले तैं तो ठगदा फिरै सै जगत नै मेरी गठड़ी मैं दाम भतेरे दिन छिपदे ए ले ल्यूंगा फेरे पर तिरिआ ना अपणी होवै नार चाहे कितणे ए लाड लडाले काग्गा ना हंसा होवै जले चाहे चारों बेद पढाले
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झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा झूलण खातर घल्या करैं सैं पींघ सामण में मीठी बोली तेरी सै जणो कोयल जामण में तेरे दामण में लिसकार उठै चमक रिहा घोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा लरज लरज कै जावै से योह् जामण की डाली पड़ के नाड़ तुड़ा लै तैं रोवै तन्ने जामण आली तेरे ढुंगे पै लटकै काला नाग सा मोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा मोटी मोटी अंखियां के मांह डोरा स्याही का के के गुण मैं कहूं तेरी इस नरम कलाई का चंदरमा सा मुखड़ा तेरा जणों नूर का लोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा
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116 काज़ी आखदा खौफ खुदाई दा कर मापे जिद चढ़े चा मारनी गे तेरी किआड़ीयों1 जीभ कढा सुट्टण मारे शरम दे खून गुजारनी गे जिस वकत दिता असां चा फतवा उस वकत ही मार उतारनी गे वारस शाह कउं तरक2 बुरयाइया नूं नहीं अग दे विच निधारनो गे
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565 काज़ी आखया बोल फकीर मियां छड झूठ दे दब दबेड़यां नूं असल गल जो आख दरगाह अंदरना कर ज़िकर तूं झगड़यां झेड़यां नूं सारे देस विच धुम ते शोर होया दोवें फड़े हो आपने फेड़यां नूं एस जट दी शरम जे लाह सुटी खुआर कीता जे सयालां ते खेड़यां नूं पहलां मचयों आनके दावयां ते है सलाम वलां छलां तेरयां नूं आबू1 भुन्नदियां झाड़ के चब2 चुका हुण वौहटड़ी देह खां खेड़यां नूं आओ वेख लवो सुनन गिनन वालयो ए मियां जा डोबदे बेड़यां नूं दुनियांदारां नूं औरतां जुहद फकरां मियां छोड़ दे झगड़यां झेड़यां नूं काज़ी बहुत जे आंवदा तरस तैनूं बेटी आपनी बखश दे खेड़यां नूं नित माल पराया चुरा खांदे एह दस मसले राही पेड़यां नूं ऐबी3 कुल जहान दे पकड़नीगे वारस शाह फकीर दे फेड़यां नूं
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बीबी तो म्हारी जैसे चन्दा चकोर बीबी तो म्हारी जैसे चन्दा चकोर लाडो तो मांगे म्हारी हाथी का दान हस्ती का दान तेरा बाबा जी देगा बाबल जी देगा म्हारे पै तो हैंगे लक्ख चार हे री लक्ख चार लाड्डो तो म्हारी जैसी चन्दा चकोर
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387 तेरे मौर लौंदे फाट खान उते मेरी फुरकदी अज मुतैहर1 है नी मेरा कुतकां2 लवे ते तेरे चुतड़ अज दोहां दा वडड़ा भेत है नी चिबड़3 वांग तेरे बिउ कढ सुटां तैनूं आया है जोर दा कहर है नी एस भेड दे खून तों किसे चिड़ के नाहीं मार लगया कदी शहर है नी उजाड़े खोर गधे वांगूं कुटिएगी तैनूं वढड़ी किसे दी विहर4 है नी वारस शाह ए मारदी रन्न कुती किसे छडावनी वेहड़े ते कहर है नी
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पीरे पट वाले मेरे सैया पीरे पट वाले मेरे सैयां कै तुम संग किये साधुन के कै सरजू में दई गैयां । पीरे . . . ना हम संग किये साधुन के ना सरजू में दई गैयां । पीरे . . . गुण अवगुण तुम तो सब जानो तुम से नाथ झुपी नैयां । पीरे . . .
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आल्हा ऊदल कौन सकेला तोर पड़ गैल बाबू कौन ऐसन गाढ़ भेद बताब तूँ जियरा के कैसे बूझे प्रान हमार हाथ जोड़ के रुदल बोलल भैया सुन धरम के बात पड़ि सकेला है देहन पर बड़का भाइ बात मनाव पूरब मारलों पुर पाटन में जे दिन सात खण्ड नेपाल पच्छिम मारलों बदम जहौर दक्खिन बिरिन पहाड़ चार मुलुकवा खोजि ऐलों कतहीं नव जोड़ी मिले बार कुआँर कनियाँ जामल नैना गढ़ में राजा इन्दरमन के दरबार बेटी सयानी सम देवा के बर माँगल बाघ जुझर बड़ि लालसा है जियरा में जो भैया के करौं बियाह करों बिअहवा सोनवा से एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा मन मन करे गुनान जोड़ गदोइ अरजी होय गैल बबुआ रुदल कहना मान हमार जन जा रुदल नैनागढ़ में बबुआ किल्ला तूरे मान के नाहिं बरिया राजा नैना गढ़ के लोहन में बड़ चण्डाल बावन दुलहा के बँधले बा साढ़े सात लाख बरियात समधी बाँधल जब गारत में अगुआ बेड़ी पहिरलन जाय भाँट बजनियाँ कुल्हि चहला भैल मँड़वा के बीच मँझार एकहा ढेकहो ढेलफुरवा मुटघिंचवा तीन हजार मारल जेबव् नैनागढ़ में रुदल कहना मान हमार केऊ बीन नव्बा जग दुनिया में जे सोनवा से करे बियाह
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खिल खिल गए दो दाणे अनार के खिल खिल गए दो दाणे अनार के , हां हां खिल गए दो दाणे अनार के मनैं नहाणा बणाया सभाल के , कैसे नहाऊं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . . मनैं खाणा बनाया संभाल के , कैसे खाऊं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . . मनैं चोपड़ सजाई संभाल के , कैसे खेलूं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . .
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356 मथा वेख के करो इलाज इसदा रखां नजर जो दयो फरमा मैंनूं नाडी वेख के एस दी करां कारी देवे उठ के हथ दिखा मैंनूं रोग कास तों चलया करो जाहर मजा मूंह दा एह बता मैंनूं वारस शाह मियां छती रोग कटां मलकुल1 मौत दी याद दवा मैंनूं
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आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टीली में आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टीली में सूं टाल एकलड़ी क्यों चाली हे इतनो बाबाजी रोहेत इतनो ताऊ जी रोहेत एकलड़ी क्यों चाली हे इतनो मामा जी रोहेत इतनो फूफा जी रोहेत एकलड़ी क्यों चाली हे आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टोली में सूं टाल एकलड़ी क्यों चाली हे
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ऊना सा पाणी ठंडा वई रया रे डळी बाई ना आंगणे चार खुणी बावड़ी चार खुण्यो कुंड कणे म्हारो नीर झकोल्यो रूणीजा रा देव रामदेव जी नीर झकोल्यो वणे असनान करिया सुगणा बई रा आंगणे चम्पो मोगरो कणे चंपो मरोड़ियो रूणीजा रा देव रामदेव जी वणाए चंपो मरोड़ियो
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मैया महक रहे तोरे बाग मदिरवा गर के मैया महक रहे तोरे बाग , मंदिरवा एंगर के । चम्पा चमेली केतकी फूली , मैया फूल रही कचनार । मंदिरवा . . . फूले गुलाब चांदनी बेला , केवरा की है बहार । मंदिरवा . . . कमल कुमुदनी मोंगरा फूलो , फूल रहे गुलदाख । मंदिरवा . . . दिन के राजा रात की रानी , फूलन की भरमार । मंदिरवा . . . भांतिभांति के फूल खिले हैं , बरने कौन प्रकार । मंदिरवा . . . उन फूलन के बने हैं गजरे , देवी को होत शृंगार । मंदिरवा . . .
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32 वाह ला रहे भाई भाबियां भी रांझा रूस हजारयों धाया ई भुख नंग नूं झागके पंध करके रातीं विच मसीत ते आया ई हथ वंझली पकड़ के रात अधी औथे रांझे नूं मजा भी आया ई रन्न मरद न पिंड विच रिहा कोई घेरा गिरद मसीत ते पाया ई वारस शाह मियां पंड झगड़ियां दी पिच्छे मुलां मसीत दा आया ई
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429 उन्हां छुटदियां हाल पुकार कीती पंजसत मुशटंडियां आ गईयां वांग काबली कुतियां गिरद होइयां दा दा अललहिसाब1 लगा गईयां उन्हां अक के धक्के रख अगे घरों कढ के ताक चढ़ा गईयां धके दे के सट पलट उसनूं होड़ा बड़ा मजबूत फसा गईयां बाज तोड़के ताबयों2 लाहयों ने माशूक दी दीद हटा गईयां सूबेदार तगयार3 नूं ढा छठया वडा जोगी नूं वायदा पा गईयां अगे वांग ही नवीयां फिर होइयां वेख भड़कदी ते तेल पा गईयां घरों कढ अरूडी तेसुटया ने बहिश्तों कढ के दोजके पा गईयां जोगी मसत हैरान हो दंग रहया केहा जादूड़ा घोल पिला गईयां अगे ठूठे नूं झूरदा खफा हुंदा उते होर पसार बना गईयां वारस शाह मियांनवां सिहर4 होया परियां जिन्न फरिशते नूं ला गईयां
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पहले आवै री माता जुलजुली पहले आवै री माता जुलजुली पाछे हलहल ताप सच्ची सेढ़ मसाणिया हाड़ खिणै खिणै माता निकले मोती की हुणियार सच्ची सेढ़ मसाणिया मेर करेगी री माता आपणी पाल्ले जूं झड़ जाय सच्ची सेढ़ मसाणिया तन्नै ध्यावै री माता दो जगे एक पुरुस दूजी नार सच्ची सेढ़ मसाणिया पुरस करेगा री माता बिनती वा धण लागै तेरे पांय सच्ची सेढ़ मसाणिया
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वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर , आशकाँ दिनाँ ना समझे कोर । कोठे चढ़ के देवाँ होका , जंगल बस्ती मिले ना ठोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । आशक देाहीं जहानी मुट्ठे , नाज़ माशूकाँ दे ओह कुट्ठे , किस तो बाँधा फट्ट तलवार । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । दे दीदार सोया जद माही , अचनचेत पई गल फाही । डाढी कीती बेपरवाही , मैनूँ मिल ग्या ठग्ग लाहौर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । शीरीं है बिरहों दा खाणा , कोह चोटी फरिहाद निमाणा । यूसफ मिसर बाज़ार विकाणा , इस नूँ नाही वेक्खण कोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । लैला मजनूँ दोवें बरदे , सोहणी डुब्बी विच बहर दे । हीर वन्जाए सभे घर दे , इस दी छिक्की माही डोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । आशक फिदे चुप चुपाते , जैसे मस्त सदा मध माते । दाम जुल्फ दे अन्दर फाथे , ओत्थे वस्स ना चल्ले ज़ोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । जे ओह आण मिले दिल जानी , उस तों जान कराँ कुरबानी । सूरत दे विच्च है लासानी , आलम दे विच्च जिस दा शोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । बुल्ला सहु नूँ कोई ना वेक्खे , जो वेक्खे सो किसे ना लेक्खे । उसदा रंग रूप ना रेक्खे , ओही होवे हो के चोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर ।
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सूरज कौंल (सूरज कुँवर) जाँदी मऊ कू बेटा अडयी नि लांदी । बिराणा देशा को बेटा गारो बैरी होन्दा , नि जाणो कुंवर मेरा बैरयूंकी भकौणा । मान जा सूरजू बेटा माता की अड्याई1 , दानों2 कू बोलियूं बाला ओला3 को सवाद । तेरो होलो सूरजू बाला भिमलो बजार कनि होली कुंवर तेरी नौरंगी तिवारी । तेरि खोली गणेश वाला मुख च झूमदो , तेरी भुली सुरजी बाला दणमण4 रोंदा । कुदेलो5 दिदाजी6 भीमली को दैजो7 , को ऋतु जणाली , को बसन्त बौडाली । मिन जांणा सुरजी भुली8 ताता लूहागढ़ , मी ल्हौलो सुरजी त्वीकू मल्यागिरी सोनो । मल्यागिरि सोना की त्वीकू सोन चूड़ी गडौलो । त्वी को लौलो सुरजी भुली भिमली को दैजो । घर बौडी येजौली द्यीलो सरनामी दैजो । त्वी ऋतु जणौलो त्वी बसन्त बौडोलो । आज का भोल भुलो भौं कुछ ह्वेजैन , मरदू को बचणो भुली चार दिन हुन्द । त्वीतई9 जिया10 ब्वै बाला बुझौणो बुझौंद , मान्याला सुरजू बेटा दाना11 की अडज्ञयीं12 । त्वी सणी कुंवर बाला नयो ब्यो करुंला , नयो ब्यो करुंला नाम जोतरा धरुंला । तेरी तिल्लू बाखरी बेटा छटपट छयूंदा13 । निल्हेणो सूरजू तिना जोतरा को भामो । मैंन जाणा इजा ब्वै आज भोटन्त का राज , मौरणो ह वैजाना इजा जोतरा का बाना14 नयो ब्यऊ करीली तू सूरत कौक ल्हैली , घर बौड़ी येजौजू इजा तिलू मारी खौलो , भैं15 कुछ ह्वैजैन जाण बालुरी भीटन्त । त्वी तई इजा ब्वै बाला बुझौंणी बुझौंद , तू जांदी सूरजू गुरु गोरख का पास , बागुरी गोरख तेरी रकसा16 करलो । जैलागे सूरजू गुरु गोरख की धुनी , गोरख की धुनी होला नौ नाथ की सिद्धी । बारा नाम बैरागी सोल नाम संन्यासी । गोरख का पास बाला अलक लगौंद , तू बोल सूरजू बाला कै काम को आयो । मैसणी देदणा गुरु सांबर17 की विद्या । बोकासी18 जाप देणा पंजाबी चुंगटी । तै दिन गोरख त्वी कू समझौंण लागे , तेरो माता को छई बेटा तु येको येकन्तू । मान्याल सूरजू बाला भोटन्त नी जाणों , सुपीना की बात जन बगड़ का माछा जो गैना भोटन्त बाला घर बौड़ी नी आया । तै दिन सूरजू बोदा भौं19 कुछ ह्वे जैना , मैंन जाणा गुरजी आज भोटन्त का राज । जो बैरी जांचदा वैकू हत्यार भीड़ देदों , जो माता जंचदी गुरु थाल छोड़ि देदों तिरिया को जांचणौं मीकू मरणों ह्वे गये । नौ दिन नौ राति रैगे गोरख का पास , धूनी लगौद चला आसण बिछौंद । गाड़ याले गोरख तिन हाथ ताल छुरी , तालछुरी गाडू तैकि मूंड्यिाले । रूपसी20 कन्दूणियं21 धनी खुरसानी चीरा22 , पैरने सुरीज त्वीकु फटीक23 मुन्दरा । सुफेद कपड़यूं भगोया चायांले , पैराये गुरु त्वींकू भगोया मुड्वासी । काँधू मां धर्याले तेरा खरवा की झोली , एक हाथ देये तेरो तेजमली सोटा , दूजा हाथ देये तेरा नौपुरी को बांस । धर्याले बगल पर बगमरी आसण । त्वीसणे दिाले बाला कानू को मंतर । बोकसाडी24 जाप देये कांवर की धूल , साबर25 की विद्या देये पंजाबी चुंगटी । त्वीकुणे कुंवर जब बिपदा पड़ली , मीकुणी सूरज तब याद करी याली । ऐगये सूरज लौटी नौलाख कैंतुरी , पकैदे जिया ब्वैं मींक द्वी पाथा26 कलेउ चौपथा27 सामल28 मीक बाटा29 को धरियाल30 , मिन जाँणा जिया ब्वै आज ताता लूहागढ़ । औडू नेडू ये जादी मेरी तेलिया बाड़णी , लगैदे बाडणी31 मेरी जुलफिऊंमा32 तेल । औडू नेडू देजादी मेरी हे माला धोबणीं , लगैदे धोबड़ी मेरा कपड़ौ छुयेड़ों । कपड़ि सजैदे मेरी तूमी जसो फूल , मिन जाणा धोबणीं वे बांका भोटन्ता । पैराले सूरजू तीन झिलमिलों33 जामो34 , ओडू नेडू बुलावा मेरी घोड़ी का बखड्या35 । गाड़ीदे बखड्या मेरी सुर्जमुखी घोड़ी , मल्यो रंग घोड़ी मेरी सजाई देवा ।
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हांसी सहर से पाते मंगवा दो हांसी सहर से पाते मंगवा दो सिरसे के छीपी से रंगवा दो गाढ़ा मारा जी पीलो रंगवा दो पीलो ओढ़ म्हारी जच्चा पाणी ने चाली लाल पड़ोसिन मुख मोड़ा गाढा मारा जी पीलो रंगवा दो एडा तो शेड़ा साहबा मोर पपीहा घूंघट पर सान्ती ओम लिखा दो पति प्यारा जी पीलो रंगवा दो पीलो ओढ़ म्हारी जच्चा खेत ने चाली ननद जेठानी बिलराव पति प्यारा जी पीलो रंगवा दो
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रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत रे होरी रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत रे होरी । कर झटकत घूंघट पट खोलत , मलत कपोलन रोरी । महल . . . कंचन की पिचकारी घालत , तक मारत उर ओरी । महल . . . सोने के घड़न अतर अरगजा , लै आईं सब गोरी । महल . . . हिलमिल फाग परस्पर खेलत , केसर रंग में बोरी । महल . . . अपनीअपनी घात तके दोऊ , दाव करत बरजोरी । महल . . . कंचन कुँअरि नृपत सुत हारे , जीती जनक किशोरी । महल . . .
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