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1
710
Discourse Mode
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6 classes
3
तीस और मारे गए।
4Narrative
3
यहां कनिष्क ने हुकूमत की थी और लोगों को अमन-ओ-आश्ती और हुस्न-ओ-दौलत से माला-माल किया था।
1Descriptive
3
पच्चीस और मारे गए।
4Narrative
3
यहां बुद्ध का नग़मा-ए-इरफ़ाँ गूँजा था, यहां भिक्षुओं ने अमन-ओ-सुलह-ओ-आश्ती का दर्स-ए-हयात दिया था।
1Descriptive
3
अब आख़िरी गिरोह की अजल आ गई थी।
1Descriptive
3
यहां पहली बार हिन्दोस्तान की सरहद पर इस्लाम का पर्चम लहराया था।
1Descriptive
3
मुसावात और अखुत और इन्सानियत का पर्चम। सब मर गए।
4Narrative
3
अल्लाहु-अकबर। फ़र्श ख़ून से लाल था।
2Dialogue
3
जब मैं प्लेटफार्म से गुज़री तो मेरे पांव रेल की पटरी से फिस्ले जाते थे जैसे में अभी गिर जाऊँगी और गिर कर बाक़ीमांदा मुसाफ़िरों को भी ख़त्म कर डालूंगी।
1Descriptive
3
हर डिब्बे में मौत आ गई थी और लाशें दरमियान में रख दी गई थीं और ज़िंदा लाशों का हुजूम चारों तरफ़ था और बल्लोची सिपाही मुस्कुरा रहे थे।
1Descriptive
3
कहीं कोई बच्चा रोने लगा किसी बूढ़ी माँ ने सिसकी ली।
1Descriptive
3
किसी के लुटे हुए सुहाग ने आह की और चीख़ती चिल्लाती रावलपिंडी के प्लेटफार्म पर आ खड़ी हुई।
4Narrative
3
यहां से कोई पनाह गज़ीं गाड़ी में सवार न हुआ।
4Narrative
3
एक डिब्बे में चंद मुसलमान नौजवान पंद्रह बीस बुर्क़ापोश औरतों को लेकर सवार हुए।
4Narrative
3
हर नौजवान राइफ़ल से मुसल्लह था।
1Descriptive
3
एक डिब्बे में बहुत सा सामान-ए-जंग लादा गया, मशीन गनें, और कारतूस, पिस्तौल और राइफ़लें।
1Descriptive
3
झेलम और गुजर ख़ां के दरमियानी इलाक़े में मुझे सिंगल खींच कर खड़ा कर दिया गया।
4Narrative
3
मैं रुक गई।
4Narrative
3
मुसल्लह नौजवान गाड़ी से उतरने लगे।
4Narrative
3
बुर्क़ापोश ख़वातीन ने शोर मचाना शुरू किया।
4Narrative
3
हम हिंदू हैं, हम सिख हैं।
2Dialogue
3
हमें ज़बरदस्ती ले जा रहे हैं।
2Dialogue
3
उन्होंने बुर्के फाड़ डाले और चिल्लाना शुरू किया।
4Narrative
3
नौजवान मुसलमान हंसते हुए उन्हें घसीट कर गाड़ी से निकाल लाए।
4Narrative
3
हाँ ये हिंदू औरतें हैं, हम उन्हें रावलपिंडी से उनके आरामदेह घरों, उनके ख़ुशहाल घरानों, उनके इज़्ज़तदार माँ-बाप से छीन कर लाए हैं।
2Dialogue
3
अब ये हमारी हैं, हम उनके साथ जो चाहे सुलूक करेंगे।
2Dialogue
3
अगर किसी में हिम्मत है तो उन्हें हमसे छीन कर ले जाये।
2Dialogue
3
सरहद के दो नौजवान हिंदू पठान छलांग मार कर गाड़ी से उतर गए, बल्लोची सिपाहियों ने निहायत इत्मिनान से फ़ायर कर के उन्हें ख़त्म कर दिया।
4Narrative
3
पंद्रह बीस नौजवान और निकले, उन्हें मुसल्लह मुसलमानों के गिरोह ने मिनटों में ख़त्म कर दिया।
4Narrative
3
दरअसल गोश्त की दीवार लोहे की गोली का मुक़ाबला नहीं कर सकती।
3Informative
3
नौजवान हिंदू औरतों को घसीट कर जंगल में ले गए, मैं और मुँह छुपा कर वहां से भागी।
4Narrative
3
काला, ख़ौफ़नाक स्याह धुआँ मेरे मुँह से निकल रहा था।
1Descriptive
3
जैसे कायनात पर ख़बासत की स्याही छा गई थी और सांस मेरे सीने में यूं उलझने लगी जैसे ये आहनी छाती अभी फट जाएगी और अंदर भड़कते हुए लाल लाल शोले इस जंगल को ख़ाक-ए-सियाह कर डालेंगे जो उस वक़्त मेरे आगे पीछे फैला हुआ था और जिसने इन पंद्रह औरतों को चश्म ज़दन में निगल लिया था।
1Descriptive
3
लाला मूसा के क़रीब लाशों से इतनी मकरूह सड़ादं निकलने लगी कि बल्लोची सिपाही उन्हें बाहर फेंकने पर मजबूर हो गए।
4Narrative
3
वो हाथ के इशारे से एक आदमी को बुलाते और उससे कहते, उसकी लाश को उठा कर यहां लाओ, दरवाज़े पर। और जब वो आदमी एक लाश उठा कर दरवाज़े पर लाता तो वो उसे गाड़ी से बाहर धक्का दे देते।
1Descriptive
3
थोड़ी देर में सब लाशें एक एक हमराही के साथ बाहर फेंक दी गईं और डिब्बों में आदमी कम हो जाने से टांगें फैलाने की जगह भी हो गई।
4Narrative
3
फिर लाला मूसा गुज़र गया और वज़ीर आबाद आ गया।
4Narrative
3
वज़ीर आबाद का मशहूर जंक्शन, वज़ीर आबाद का मशहूर शहर, जहां हिन्दोस्तान भर के लिए छुरियां और चाक़ू तैयार होते हैं।
1Descriptive
3
वज़ीर आबाद जहां हिंदू और मुसलमान सदियों से बैसाखी का मेला बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं और उस की ख़ुशियों में इकट्ठे हिस्सा लेते हैं, वज़ीर आबाद का स्टेशन लाशों से पटा हुआ था।
1Descriptive
3
शायद ये लोग बैसाखी का मेला देखने आए थे।
1Descriptive
3
लाशों का मेला शहर में धुआँ उठ रहा था और स्टेशन के क़रीब अंग्रेज़ी बैंड की सदा सुनाई दे रही थी और हुजूम की पुरशोर तालियों और क़हक़हों की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थीं।
1Descriptive
3
चंद मिन्टों में हुजूम स्टेशन पर आ गया।
4Narrative
3
आगे आगे देहाती नाचते गाते आरहे थे और उनके पीछे नंगी औरतों का हुजूम, मादर-ज़ाद नंगी औरतें, बूढ़ी, नौजवान, बच्चीयां, दादीयां और पोतीया, माएं और बहूएं और बेटियां, कुंवारियां और हामिला औरतें, नाचते गाते हुए मर्दों के नर्ग़े में थीं।
1Descriptive
3
औरतें हिंदू और सिख थीं और मर्द मुसलमान थे और दोनों ने मिलकर ये अजीब बैसाखी मनाई थी, औरतों के बाल खुले हुए थे।
1Descriptive
3
उनके जिस्मों पर ज़ख़्मों के निशान थे और वो इस तरह सीधी तन कर चल रही थीं जैसे हज़ारों कपड़ों में उनके जिस्म छुपे हों, जैसे उनकी रूहों पुर सुकून आमेज़ मौत के दबीज़ साये छा गए हों।
1Descriptive
3
उनकी निगाहों का जलाल द्रौपदी को भी शरमाता था और होंट दाँतों के अंदर यूं भिंचे हुए थे गोया किसी मुहीब लावे का मुँह-बंद किए हुए हैं।
1Descriptive
3
शायद अभी ये लावा फट पड़ेगा और अपनी आतिश-फ़िशानी से दुनिया को जहन्नुम राज़ बना देगा।
1Descriptive
3
मजमें से आवाज़ें आईं।
4Narrative
3
" पाकिस्तान ज़िंदाबाद।"" इस्लाम ज़िंदाबाद।"" क़ाइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना ज़िंदाबाद।" नाचते थिरकते हुए क़दम परे हट गए और अब ये अजीब-ओ-ग़रीब हुजूम डिब्बों के ऐन सामने था।
2Dialogue
3
डिब्बों में बैठी हुई औरतों ने घूँघट काढ़ लिए और डिब्बे की खिड़कियाँ यके बाद दीगरे बंद होने लगीं।
4Narrative
3
बल्लोची सिपाहियों ने कहा, खिड़कियाँ मत बंद करो, हवा रुकती है, खिड़कियाँ बंद होती गईं।
2Dialogue
3
बल्लोची सिपाहियों ने बंदूक़ें तान लीं।
4Narrative
3
ठाएं, ठाएं फिर भी खिड़कियाँ बंद होती गईं और फिर डिब्बे में एक खिड़की भी न खुली रही।
4Narrative
3
हाँ कुछ पनाह गज़ीं ज़रूर मर गए।
4Narrative
3
नंगी औरतें पनाह गज़ीनों के साथ बिठा दी गईं और मैं इस्लाम ज़िंदाबाद और क़ाइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना ज़िंदाबाद के नारों के दरमियान रुख़्सत हुई।
4Narrative
3
गाड़ी में बैठा हुआ एक बच्चा लुढ़कता लुढ़कता एक बूढ़ी दादी के पास चला गया और उससे पूछने लगा," माँ तुम नहा के आई हो?" दादी ने अपने आँसूओं को रोकते हुए कहा," हाँ नन्हे, आज मुझे मेरे वतन के बेटों ने, भाईयों ने नहलाया है।"" तुम्हारे कपड़े कहाँ है अम्मां?"" उन पर मेरे सुहाग के ख़ून के छींटे थे बेटा।
2Dialogue
3
वो लोग उन्हें धोने के लिए ले गए हैं।
1Descriptive
3
"
5Other
3
दो नंगी लड़कियों ने गाड़ी से छलांग लगा दी और मैं चीख़ती चिल्लाती आगे भागी और लाहौर पहुंच कर दम लिया।
4Narrative
3
मुझे एक नंबर प्लेटफार्म पर खड़ा किया गया।
4Narrative
3
नंबर 2 प्लेटफार्म पर दूसरी गाड़ी खड़ी थी।
1Descriptive
3
ये अमृतसर से आई थी और उसमें मुसलमान पनाह गज़ीं बंद थे।
1Descriptive
3
थोड़ी देर के बाद मुस्लिम ख़िदमतगार मेरे डिब्बों की तलाशी लेने लगे और ज़ेवर और नक़दी और दूसरा क़ीमती सामान मुहाजिरीन से ले लिया गया।
4Narrative
3
उसके बाद चार-सौ आदमी डिब्बों से निकाल कर स्टेशन पर खड़े किए थे।
1Descriptive
3
ये मज़बह के बकरे थे क्योंकि अभी अभी नंबर 2 प्लेटफार्म पर जो मुस्लिम मुहाजिरीन की गाड़ी आकर रुकी थी उसमें चार-सौ मुसलमान मुसाफ़िर कम थे और पच्चास मुस्लिम औरतें अग़वा कर ली गई थीं, इसलिए यहां पर भी पच्चास औरतें चुन-चुन कर निकाल ली गईं और चार-सौ हिन्दोस्तानी मुसाफ़िरों को तहे तेग़ किया गया ताकि हिन्दोस्तान और पाकिस्तान में आबादी का तवाज़ुन बरक़रार रहे।
1Descriptive
3
मुस्लिम ख़िदमत गारों ने एक दायरा बना रखा था और छुरे हाथ में थे और दायरे में बारी बारी एक मुहाजिर उनके छुरे की ज़द में आता था और बड़ी चाबुकदस्ती और मश्शाक़ी से हलाक कर दिया जाता था।
1Descriptive
3
चंद मिनटों में चार सौ आदमी ख़त्म कर दिए गए और फिर मैं आगे चली।
4Narrative
3
अब मुझे अपने जिस्म के ज़र्रे ज़र्रे से घिन्न आने लगी।
4Narrative
3
इस क़दर पलीद और मुतअफ़्फ़िन महसूस कर रही थी।
1Descriptive
3
जैसे मुझे शैतान ने सीधा जहन्नुम से धक्का देकर पंजाब में भेज दिया हो।
1Descriptive
3
अटारी पहुंच कर फ़िज़ा बदल सी गई।
4Narrative
3
मुग़लपुरा ही से बल्लोची सिपाही बदले गए थे और उनकी जगह डोगरों और सिख सिपाहियों ने ले ली थी।
1Descriptive
3
लेकिन अटारी पहुंच कर तो मुसलमानों की इतनी लाशें हिंदू मुहाजिर ने देखीं कि उनके दिल फ़र्त-ए-मसर्रत से बाग़ बाग़ हो गए।
4Narrative
3
आज़ाद हिन्दोस्तान की सरहद आ गई थी वर्ना इतना हसीन मंज़र किस तरह देखने को मिलता और जब मैं अमृतसर स्टेशन पर पहुंची तो सिखों के नारों ने ज़मीन-आसमान को गूँजा दिया।
4Narrative
3
यहां भी मुसलमानों की लाशों के ढेर के ढेर थे और हिंदू जाट और सिख और डोगरे हर डिब्बे में झांक कर पूछते थे, कोई शिकार है, मतलब ये कि कोई मुसलमान है।
1Descriptive
3
एक डिब्बे में चार हिंदू ब्राह्मण सवार हुए। सर घुटा हुआ, लंबी चोटी, राम-नाम की धोती बाँधे, हरिद्वार का सफ़र कर रहे थे।
1Descriptive
3
यहां हर डिब्बे में आठ दस सिख और जाट भी बैठ गए, ये लोग राइफ़लों और बल्लमों से मुसल्लह थे और मशरिक़ी पंजाब में शिकार की तलाश में जा रहे थे।
4Narrative
3
उनमें से एक के दिल में कुछ शुब्हा सा हुआ।
4Narrative
3
उसने एक ब्राह्मण से पूछा," ब्राह्मण देवता किधर जा रहे हो?"" हरिद्वा,। तीर्थ करने।"" हरिद्वार जा रहे हो कि पाकिस्तान जा रहे हो।"" मियां अल्लाह अल्लाह करो।" दूसरे ब्राह्मण के मुँह से निकला।
2Dialogue
3
जाट हंसा," तो आओ अल्लाह अल्लाह करें।" ऊँथा सहां, शिकार मिल गया भई आ ओर हीदा अल्लाह बेली करिए।
2Dialogue
3
इतना कह कर जाट ने बल्लम नक़ली ब्राह्मण के सीने में मारा।
4Narrative
3
दूसरे ब्राह्मण भागने लगे। जाटों ने उन्हें पकड़ लिया।"
4Narrative
3
ऐसे नहीं ब्राह्मण देवता, ज़रा डाक्टरी मुआइना कराते जाओ।
2Dialogue
3
हरिद्वार जाने से पहले डाक्टरी मुआइना बहुत ज़रूरी होता है।" डाक्टरी मुआइने से मुराद ये थी कि वो लोग ख़त्ना देखते थे और जिसके ख़त्ना हुआ होता उसे वहीं मार डालते।
1Descriptive
3
चारों मुसलमान जो ब्राह्मण का रूप बदल कर अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे।
1Descriptive
3
वहीं मार डाले गए और मैं आगे चली।
4Narrative
3
रास्ते में एक जगह जंगल में मुझे खड़ा कर दिया गया और मुहाजिरीन और सिपाही और जाट और सिख सब निकल कर जंगल की तरफ़ भागने लगे।
4Narrative
3
मैंने सोचा शायद मुसलमानों की बहुत बड़ी फ़ौज उन पर हमला करने के लिए आ रही है।
1Descriptive
3
इतने में क्या देखती हूँ कि जंगल में बहुत सारे मुसलमान मुज़ारे अपने बीवी-बच्चों को लिए छुपे बैठे हैं।
1Descriptive
3
सिरी अस्त अकाल और हिंदू धरम की जय के नारों की गूंज से जंगल काँप उठा, और वो लोग नर्ग़े में ले लिए गए।
4Narrative
3
आधे घंटे में सब सफ़ाया हो गया।
4Narrative
3
बुड्ढे, जवान, औरतें और बच्चे सब मार डाले गए।
4Narrative
3
एक जाट के नेज़े पर एक नन्हे बच्चे की लाश थी और वो इस से हवा में घुमा घुमा कर कह रहा था, आई बैसाखी।
1Descriptive
3
आई बैसाखी जटा लाए हे हे।
2Dialogue
3
जालंधर से उधर पठानों का एक गांव था।
1Descriptive
3
यहां पर गाड़ी रोक कर लोग गांव में घुस गए।
4Narrative
3
सिपाही और मुहाजिरीन और जाट पठानों ने मुक़ाबिल किया।
4Narrative
3
लेकिन आख़िर में मारे गए, बच्चे और मर्द हलाक हो गए तो औरतों की बारी आई और वहीं इसी खुले मैदान में जहां गेहूँ के खलियान लगाए जाते थे और सरसों के फूल मुस्कुराते थे और इफ़्फ़त मआब बीबियाँ अपने खाविंदों की निगाह-ए-शौक़ की ताब न ला कर कमज़ोर शाख़ों की तरह झुकी झुकी जाती थीं।
1Descriptive
3
इसी वसीअ मैदान में जहां पंजाब के दिल ने हीर-राँझे और सोहनी-महीनवाल की ला-फ़ानी उलफ़त के तराने गाय थे।
1Descriptive
3
उन्हें शीशम, सरस और पीपल के दरख़्तों तले वक़्ती चकले आबाद हुए।
4Narrative