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इसके लिए एक लेख लिखें: कावेरी जल विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक से कहा, हमारे आदेश की अवहेलना बंद करें
कावेरी जल विवाद पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोर्ट 30 सितंबर के आदेश में संशोधन करे. केंद्र ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का विरोध किया है. सरकार ने कहा कि यह काम संसद का है. बता दें कि कोर्ट ने 30 सितंबर के अपने आदेश में बोर्ड के गठन का आदेश दिया था. उधर, उच्चतम न्यायालय ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए कर्नाटक से कहा कि कर्नाटक कोर्ट के आदेश की अवहेलना बंद करे और सूचित करे कि उसने तमिलनाडु के लिए जल छोड़ा है या नहीं. मंगलवार को दोपहर बाद इस मामले में फिर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी नहीं देने पर सवाल उठाते हुए कहा - हमारे आदेश का पालन करके अपनी साफ मंशा को सामने लाइए. यह बात तब कही गई जब कर्नाटक ने अदालत द्वारा तय की गई 1 अक्टूबर की तारीख के बाद भी पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को पानी नहीं दिया. कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिए थे कि एक अक्टूबर से अगले छह दिन तक तमिलनाडु को पानी दिया जाए. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को लताड़ते हुए तमिलनाडु के लिए 1 से 6 अक्टूबर तक 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था और कहा था कि ऐसे हालात पैदा मत कीजिए कि कानून का गुस्सा टूट पड़े. कोर्ट के आदेशों का पालन होना ही चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.टिप्पणियां वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी नहीं देने पर सवाल उठाते हुए कहा - हमारे आदेश का पालन करके अपनी साफ मंशा को सामने लाइए. यह बात तब कही गई जब कर्नाटक ने अदालत द्वारा तय की गई 1 अक्टूबर की तारीख के बाद भी पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को पानी नहीं दिया. कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिए थे कि एक अक्टूबर से अगले छह दिन तक तमिलनाडु को पानी दिया जाए. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को लताड़ते हुए तमिलनाडु के लिए 1 से 6 अक्टूबर तक 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था और कहा था कि ऐसे हालात पैदा मत कीजिए कि कानून का गुस्सा टूट पड़े. कोर्ट के आदेशों का पालन होना ही चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.टिप्पणियां वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को लताड़ते हुए तमिलनाडु के लिए 1 से 6 अक्टूबर तक 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था और कहा था कि ऐसे हालात पैदा मत कीजिए कि कानून का गुस्सा टूट पड़े. कोर्ट के आदेशों का पालन होना ही चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.टिप्पणियां वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.टिप्पणियां वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे. वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: Mithun Chakrborty Birthday: कभी अमिताभ बच्चन की फिल्म में साइड रोल करने वाले मिथुन चक्रवर्ती कैसे बने सबसे बड़े सुपरस्टार, पढ़ें खास बातें...
लेख: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और डिस्को डांसर के नाम से पहचाने जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) का आज जन्मदिन है. आज 69 वर्ष के हो चुके मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty)  का एक नाम गोरांग चक्रवर्ती भी है, जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हैं. फिल्मी दुनिया से लेकर डांस तक अपनी शानदार पहचान बनाने वाले मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने राजनीति में भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई है. मिथुन चक्रवर्ती राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं. बॉलीवुड में एंट्री करने के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी शानदार फिल्मों से दर्शकों का खूब दिल जीता, साथ ही कई अवॉर्ड्स भी अपने नाम किये. मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty)  के फिल्मी करियर में उनकी एक्टिंग को सबसे ज्यादा 'सुरक्षा, साहस, वारदात, बॉक्सर, प्यारी बहना, प्रेम प्रतिज्ञा, मुजरिम और अग्निपथ' जैसी फिल्मों में सराहा गया.  बॉलीवुड के महान अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने सन 1976 में आई फिल्म 'मृगया' के जरिए एक्टिंग की दुनिया में अपना कदम रखा था. उनकी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी काफी हिट साबित हुई थी. इस फिल्म के लिए मिथुन चक्रवर्ती को नेशनल फिल्म अवॉर्ड के खिताब से भी नवाजा गया था. हालांकि इसके बाद मिथुन चक्रवर्ती कुछ  समय के लिए फिल्मों से दूर चले गए. फिल्म 'मृगया' के बाद मिथुन चक्रवर्ती सीधा 1982 में आई फिल्म 'डिस्को डांसर' में नजर आए. इस फिल्म में मिथुन ने 'जिम्मी' की भूमिका अदा की थी. इसके साथ ही फिल्म डिस्को डांसर से 'मिथुन दा' ने एक्टिंग के साथ ही बेहतरीन डांसर के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. फिल्म अग्निपथ में 'कृष्णन अय्यर' का रोल निभाने वाले मिथुन चक्रवर्ती को फिल्मफेयर अवॉर्ड के बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के खिताब से नवाजा गया.  बेहतरीन एक्टर के तौर पर पहचाने जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने हिंदी फिल्मों के अलावा बंगाली, उड़िया, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया है. हिट और फ्लॉप, दोनों तरह की फिल्मों को मिलाकर मिथुन चक्रवर्ती अब तक करीब 350 फिल्मों में नजर आ चुके हैं. मिथुन चक्रवर्ती की हाल ही में आई फिल्म 'ताशकंद फाइल्स' में भी उनके अभिनय को काफी पसंद किया गया. मिथुन चक्रवर्ती की यह फिल्म भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हत्या से संबंधित फिल्म है.  फिल्मों के अलावा मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) समाजसेवक के तौर पर भी काफी जाने जाते हैं. डांस इंडिया डांस में ग्रैंड मास्टर बनकर नजर आने वाले मिथुन चक्रवर्ती का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है. एक बेहतरीन एक्टर के अलावा मिथुन चक्रवर्ती काफी अच्छे बिजनेसमैन भी हैं.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: चंद्रयान 2 की तस्वीरें सामने आईं, अगले हफ्ते श्रीहरिकोटा से होगा प्रक्षेपण
यह एक लेख है: अंतरिक्ष यान का भार 3.8 टन है. यह 8 हाथियों के वजन के बराबर है. इसे भारत में तैयार किया गया है. इसमें तीन मॉड्यूल हैं - ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान). ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह को चित्रित करेगा और चंद्रमा पर खनिजों का मानचित्रण करेगा. लैंडर जिसका वजन 1,471 किलोग्राम है, वह चंद्रमा के कंपन और उसके तापमान को मापेगा. 27 किलोग्राम का प्रज्ञान रोवर चंद्र मिट्टी का विश्लेषण करने के लिए कैमरों और उपकरणों से लैस है. यह एक रोबोटिक मिशन है और इसमें कोई मानव चांद की सतह पर नहीं जाएगा.  जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को बाहुबली रॉकेट माना जाता है जिसका वजन 640 टन है और यह 44 मीटर लंबा है. बता दें कि चंद्रयान-2 अपने पूर्ववर्ती चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है. चंद्रयान-1 को करीब 10 साल पहले भेजा गया था. - चंद्रयान 2 15 जुलाई, 2019 को लगभग आधी रात को प्रक्षेपित किया जाएगा. - चंद्रयान 2 तैयार है, और इसे 'बाहुबली' अथवा जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV Mk III) के ज़रिये लॉन्च किया जाएगा. - चंद्रयान 2 में एक ऑरबिटर, 'विक्रम' नामक एक लैंडर तथा 'प्रज्ञान' नामक एक रोवर शामिल हैं.चंद्रयान 2 का वज़न 3.8 टन है, जो आठ वयस्क हाथियों के वज़न के लगभग बराबर है. - चंद्रयान 2 चंद्रमा के ऐसे हिस्से पर पहुंचेगा, जहां आज तक किसी अभियान में नहीं जाया गया. - यह भविष्य के मिशनों के लिए सॉफ्ट लैंडिंग का उदाहरण बनेगा. - भारत चंद्रमा के धुर दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने जा रहा है, जहां पहुंचने की कोशिश आज तक कभी किसी देश ने नहीं की. - चंद्रयान 2 कुल 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाएगा. - LASER रेंजिंग के लिए NASA के उपकरण को निःशुल्क ले जाया जाएगा. - चंद्रयान 2 पूरी तरह स्वदेशी अभियान है. - भुगतान करने के बाद भारत NASA के डीप स्पेस नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा. - चंद्रयान 2 काफी उत्साहवर्द्धक मिशन है. - चंद्रयान 2 ISRO का अब तक का सबसे जटिल अभियान है. - लैंडर के अलग होने तथा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बीच वाले 15 मिनट सबसे ज़्यादा घबराहट रहेगी. -चंद्रयान 2 को कामयाब बनाने के लिए ISRO कड़ी मेहनत कर रहा है. - ISRO में पुरुष और महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं. - चंद्रयान 2 में मज़बूती को सुनिश्चित करने और इसकी कामयाबी के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए देरी की गई.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: आखिर क्यों कांग्रेस की अपनी पहली मीटिंग में भाई राहुल से दूर बैठी नजर आईं प्रियंका गांधी?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) को एक बहुत अच्छे कारण के लिए राहुल गांधी से दूर वाली सीट आवंटित की गई थी. दरअसल, कांग्रेस यह संदेश देने की कोशिश कर रही थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छोटी बहन प्रियंका उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी की उस मीटिंग में मौजूद अन्य कांग्रेस के महासचिव. कांग्रेस यह संदेश नहीं देना चाहेगी कि प्रियंका गांधी को गांधी परिवार का सदस्य होने के नाते कोई विशेष तवज्जो दी जा रही है. इससे न सिर्फ पार्टी के भीतर बल्कि आम लोगों में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा.  47 वर्षीय प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) के औपचारिक रूप से 23 जनवरी को राजनीति में प्रवेश करने के साथ कांग्रेस पार्टी में यह निर्णय लिया गया है कि वह उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 44 सीटों की कमान अपने हाथों में रखेंगी. जबकि बाकी सीटों की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधों पर होगी. सोमवार से शुरू होने वाले राहुल गांधी के रोड शो में दोनों के भाग लेने की भी संभावना है. गौरतलब है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी है. उनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी है. कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिवों की बैठक में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने कहा कि बीजेपी को उखाड़ने में जान लगा देंगे. सूत्रों के मुताबिक प्रियंका ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का जो भी आदेश होगा वो मानेंगी और ज़िम्मेदारी पूरी करने की कोशिश करेंगी. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि मैं सिर्फ़ 2019 के लिए नहीं, बल्कि लंबे वक़्त के लिए यूपी जा रही हूं. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के लिये उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों का चयन फरवरी के आखिर तक हो जायेगा. प्रियंका को राहुल गांधी से अलग बैठाए जाने के पीछे का मकसद साफ है कि कांग्रेस किसी भी सूरत में यह संदेश नहीं देना चाहेगी कि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) को राहुल गांधी की बहन और गांधी परिवार से आने की वजह से कोई एडवांटेज मिल रहा है. यही वजह है कि जब कांग्रेस मुख्यालय में प्रियंका गांधी को कमरा आवंटित किया गया, तब उनके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी शिफ्ट किया गया. पहले सिर्फ प्रियंका गांधी का ही नाम प्लेट लगा था, मगर रातोंरात ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी उसी कमरे के बाहर नेमप्लेट लगा दिया गया और यह बताया गया कि दोनों का कमरा एक ही होगा. उस वक्त भी कांग्रेस ने यही संदेश देने की कोशिश की थी कि पार्टी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का जो पद और कद है, वही प्रियंका गांधी का भी है.  सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया 11 फरवरी को लखनऊ जाएंगे. प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले तीन दिन लखनऊ में रहेंगे और स्थानीय नेताओं से मुलाकात का दौर चलेगा. उसके बाद फिर वह अन्य इलाकों में रोड शो में शामिल होंगे और इलाहाबाद भी जाएंगे.  इससे पहले बुधवार को प्रियंका गांधी के कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने के साथ ही बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता वहां जमा हो गए और 'प्रियंका गांधी जिंदाबाद', प्रियंका नहीं ये आंधी है, दूसरी इंदिरा गांधी है', प्रियंका गांधी आई है, नयी रोशनी लाई है' के नारे लगाने लगे. वह करीब 15 मिनट कांग्रेस मुख्यालय में रुकीं और इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से पार्टी के स्थानीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: लाखों आदिवासी जंगल से होंगे बेदखल? केंद्र ने फैसले पर रोक की मांग की, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार
लेख: वन भूमि से करीब 11 लाख आदिवासियों व अन्य को बेदखल करने के मामले पर केंद्र सरकार और गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच से केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से जल्द सुनवाई की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताते हुए गुरुवार को सुनवाई करने की बात की है.  इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 राज्यों की सरकारों से एक करीब मिलियन आदिवासी और अन्य लोगों को वन भूमि से बेदखल करने के आदेश जारी किए हैं. ये आदेश वनों में रहने के अधिकार के उनके दावों को वन अधिकार कानून के तहत खारिज करने के बाद आया है. अदालत ने 24 जुलाई तक उन्हें निष्कासित करने को कहा है और देहरादून स्थित वन सर्वेक्षण को निर्देश दिया है कि हटाए गए अतिक्रमणों पर उपग्रह-छवि आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत करें. सुप्रीम कोर्ट में राज्यों द्वारा दायर हलफनामों के अनुसार, वन अधिकार अधिनियम के तहत अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों द्वारा किए गए लगभग 11,72,931 (1.17 मिलियन) भूमि स्वामित्व के दावों को विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया गया है. इनमें वो लोग शामिल हैं जो ये सबूत नहीं दे पाए कि  कम से कम तीन पीढ़ियों से भूमि उनके कब्जे में थी।   ये कानून 31 दिसंबर 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों तक वन भूमि पर रहने वालों को भूमि अधिकार देने का प्रावधान करता है. दावों की जांच जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति और वन विभाग के अधिकारियों के सदस्यों द्वारा की जाती है.  इनकी मध्य प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा में सबसे बड़ी संख्या है- जिसमें अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनों के निवासियों (वन अधिकार कानून की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत भारत भर के वनों में रहने वालों द्वारा प्रस्तुत भूमि स्वामित्व के कुल दावों का 20% शामिल है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत वनवासियों के साथ किए गए ऐतिहासिक अन्याय को रद्द करने के लिए कानून बनाया गया था, जो पीढियों से रह रहे लोगों को भूमि पर "अतिक्रमण" करार देता था.  शीर्ष अदालत ने विशेष रूप से 17 राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी किए हैं कि उन  सभी मामलों में जहां भूमि स्वामित्व के दावे खारिज कर दिए गए हैं  उन्हें12 जुलाई, 2019 तक बेदखल किया जाए. ऐसे मामलों में जहां सत्यापन/ पुन: सत्यापन/ पुनर्विचार लंबित है, राज्य को चार महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए.  2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुमानित 104 मिलियन आदिवासी हैं. लेकिन सिविल सोसाइटी समूहों का अनुमान है कि वन क्षेत्रों में 1,70,000 गांवों में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों मिलाकर लगभग 200 मिलियन लोग हैं, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 22% हिस्सा कवर करते हैं.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: अयोध्या: मुस्लिम परिवार की बनाई मालाओं से सजतें हैं 'बजरंगबली'
यूं तो भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या (Ayodhya) हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, लेकिन यहां के हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi) स्थित 'बजरंगबली' नाजिम नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति के लाए फूलों से सजाए जाते हैं. इतना ही नहीं, नाजिम की पत्नी चुन्नी के हाथों गुंथी फूलों की माला भगवान हनुमान के गले की शोभा बढ़ाती है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोंडा जिले में गोंडा-अयोध्या हाईवे पर वजीरगंज विकास खंड स्थित जमादार पुरवा बसे नाजिम अली का परिवार फूलों की खेती करता है. इनके बगीचे से चुनकर अयोध्या लाए गए फूल ही हनुमानगढ़ी में चढ़ाए जाते हैं. यह बात अलग है कि रामजन्मभूमि (Ramjanmbhoomi) दुनियाभर में हिंदू-मुस्लिम विवाद के लिए जाना जाता रहा है. लेकिन यहां के मंदिरों में प्राण-प्रतिष्ठित हुए भगवान का मुस्लिम परिवारों द्वारा उगाए जाने वाले फूलों से ही श्रृंगार होता है. हनुमान गढ़ी सहित अन्य देव स्थानों पर इनके उगाए फूलों से ही पूजा-पाठ होती चली आ रही है. नाजिम ने बताया, "हम 20-25 सालों से गेंदे और गुलाब की खेती करते हैं. हनुमानगढ़ी में पहले मेरे अब्बा फूल देते थे. मैंने जब से होश संभाला है, तब से देख रहा हूं कि हनुमानगढ़ी, रामलला, नागेश्वरनाथ सहित अयोध्या के अन्य मंदिरों में भी हमारे ही लाए फूल चढ़ाए जाते हैं." फूलों की खेती करने वाले नाजिम ने कहा, "मेरी बीवी के हाथों गुंथी माला भगवान के गले में डाली जाती है. मेरी बीवी भी शादी के बाद से ही हमारे इस काम में बराबर की भागीदारी करती है. हम दोनों पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन अपने बच्चों पढ़ाई का हमने पूरा इंतजाम किया है." उन्होंने बताया कि दिसंबर में तैयार होने वाली फूलों की 50 कलियों की बंडल बनाकर इसे गोंडा, अयोध्या, लखनऊ में बेच दिया जाता है. यह फूल देश के अन्य स्थानों- जैसे दिल्ली, मुंबई, पंजाब और हरियाणा तक ले जाए जाते हैं.नाजिम ने कहा कि फूलों की खेती करने में उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है. फूल तैयार करने के बाद कुछ स्थानीय स्तर पर बेचते हैं और ज्यादातर खपत अयोध्या में होती है. नाजिम का कहना है कि सरकारी अनुदान मिले तो वे लोग बड़े पैमाने पर खेती कर सकते हैं. तब जिंदगी खुशहाल हो जाती. कुछ भी हो, जिस राम जन्मभूमि के नाम पर वर्षो से घमासान होता रहा है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता रहा है, उसी राम जन्मभूमि और हनुमानगढ़ी स्थित भगवान की मूर्तियों पर हम मुसलमानों के उगाए फूल चढ़ाते आ रहे हैं, यह कितनी खुशी की बात है.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: कश्मीर के बारे में बिलावल भुट्टो के बयान पर मचा बवाल
पाकिस्तान की 'अगली पीढ़ी' के सियासतदां बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) भारत से पूरा कश्मीर वापस लेगी। अपनी उम्र के तीसरे दशक से गुजर रहे बिलावल पंजाब के मुल्तान सूबे में पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। पाकिस्तान में बेहद रसूखदार भुट्टो परिवार के चश्मो-चिराग बिलावल ने कहा, मैं कश्मीर वापस लूंगा, पूरा का पूरा, और मैं इसका एक इंच भी नहीं छोड़ूंगा, क्योंकि बाकी सूबों की तरह यह भी पाकिस्तान का है। बिलावल ने जिस वक्त यह बात कही, उस समय पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज अशरफ भी उनके करीब मौजूद थे। 2018 में अगले आम चुनाव में शिरकत करने का ऐलान कर चुके बिलावल पीपीपी के प्रमुख हैं। पार्टी आधिकारिक तौर पर भारत के साथ अच्छे रिश्तों की हिमायती है। बिलावल की मां बेनजीर भुट्टो दो बार देश की प्रधानमंत्री चुनी गईं और उनके नाना जुल्फिकार अली भुट्टो, जिन्होंने 1967 में पीपीपी की स्थापना की थी, 1970 के दशक में देश के प्रधानमंत्री रहे। बिलावल के पिता आसिफ अली जरदारी 2008 से 2013 के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : ताजा सर्वेक्षण में हिलेरी को ट्रंप के मुकाबले नौ अंकों की बढ़त
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने ताजा चुनावी सर्वेक्षण में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप पर नौ अंकों की बढ़त कायम कर ली है. सीएनएन-ओआरसी की ओर से कराए गए ताजा सर्वेक्षण के अनुसार हिलेरी 52 फीसदी लोगों की पसंद हैं, जबकि 43 फीसदी लोग ट्रंप को अपना अगला राष्ट्रपति देखना चाहते हैं. इसी नेटवर्क के पिछले सर्वेक्षण के नतीजे से तुलना करें तो हिलेरी ने सात अंकों की बढ़ोतरी हासिल की है. यही नहीं हिलेरी की नीतिगत क्षमता पर भरोसा करने वालों का आंकड़ा भी बढ़ गया है. इस सर्वेक्षण में 48 फीसदी लोगों ने माना कि हिलेरी की नीतियां देश को सही दिशा में ले जाएंगी. पिछले सर्वेक्षण में हिलेरी के बारे में यह ख्याल रखने वालों का आंकड़ा 43 फीसदी था. नीतिगत क्षमता के संदर्भ में ट्रंप पर भरोसा करने वालों का आंकड़ा स्थिर बना हुआ है.टिप्पणियां सीबीएस न्यूज की ओर से कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक हिलेरी को 46 फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल है, जबकि ट्रंप को 39 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं. पिछले सप्ताह फिलाडेल्फिया में हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद हिलेरी की लोकप्रियता में चार अंकों का इजाफा हुआ है. सभी सर्वेक्षणों पर नजर रखने वाली संस्था 'रियल क्लियर पॉलिटिक्स डॉट कॉम' के अनुसार हिलेरी को ट्रंप पर औसतन 3.9 अंकों की बढ़त हासिल है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) यही नहीं हिलेरी की नीतिगत क्षमता पर भरोसा करने वालों का आंकड़ा भी बढ़ गया है. इस सर्वेक्षण में 48 फीसदी लोगों ने माना कि हिलेरी की नीतियां देश को सही दिशा में ले जाएंगी. पिछले सर्वेक्षण में हिलेरी के बारे में यह ख्याल रखने वालों का आंकड़ा 43 फीसदी था. नीतिगत क्षमता के संदर्भ में ट्रंप पर भरोसा करने वालों का आंकड़ा स्थिर बना हुआ है.टिप्पणियां सीबीएस न्यूज की ओर से कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक हिलेरी को 46 फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल है, जबकि ट्रंप को 39 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं. पिछले सप्ताह फिलाडेल्फिया में हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद हिलेरी की लोकप्रियता में चार अंकों का इजाफा हुआ है. सभी सर्वेक्षणों पर नजर रखने वाली संस्था 'रियल क्लियर पॉलिटिक्स डॉट कॉम' के अनुसार हिलेरी को ट्रंप पर औसतन 3.9 अंकों की बढ़त हासिल है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सीबीएस न्यूज की ओर से कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक हिलेरी को 46 फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल है, जबकि ट्रंप को 39 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं. पिछले सप्ताह फिलाडेल्फिया में हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद हिलेरी की लोकप्रियता में चार अंकों का इजाफा हुआ है. सभी सर्वेक्षणों पर नजर रखने वाली संस्था 'रियल क्लियर पॉलिटिक्स डॉट कॉम' के अनुसार हिलेरी को ट्रंप पर औसतन 3.9 अंकों की बढ़त हासिल है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: पंजाब हाइवे पर घने कोहरे में ट्रक और मिनी बस टकराई, कार भी आई चपेट में, 7 लोग घायल
पंजाब में घने कोहरे की वजह से एक हाईवे पर बड़ी दुर्घटना हुई जिसमें कम से कम सात लोगों के घायल होने की ख़बर है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मोगा-हुसैनीवाला हाइवे पर गलत साइड से आ रही एक ट्र्क ने सामने से आती एक मिनी बस और कार को टक्कर मारी. जैसा कि तस्वीर में देखा जा सकता है कार, मिनी बस के ऊपर चढ़ गई है जिसकी वजह से उसका बोनेट नीचे दबा हुआ है. बता दें कि गुरुवार को घने कोहरे की वजह से मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 गाड़ियां एक दूसरे से टकराईं जिसमें कई लोग घायल हुए. बताया गया था कि यह दुर्घटना दिल्ली एनसीआर में फैसले घने कोहरे की वजह से हुई थी. बता दें कि दीवाली पर पटाखों से उठे धुएं की वजह से उत्तरी भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है. यहां तक की तीन दिन बाद भी हवा में धुआं फैला हुआ है और रास्ते पर धुंधलापन छाया हुआ है. बता दें कि गुरुवार को घने कोहरे की वजह से मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 गाड़ियां एक दूसरे से टकराईं जिसमें कई लोग घायल हुए. बताया गया था कि यह दुर्घटना दिल्ली एनसीआर में फैसले घने कोहरे की वजह से हुई थी. बता दें कि दीवाली पर पटाखों से उठे धुएं की वजह से उत्तरी भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है. यहां तक की तीन दिन बाद भी हवा में धुआं फैला हुआ है और रास्ते पर धुंधलापन छाया हुआ है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पाक अदालत ने भारतीय मूल की लापता महिला के बारे में रिपोर्ट मांगी
लेख: पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर के पुलिस प्रमुख को आज निर्देश दिया कि वह भारतीय मूल की उस कनाडाई महिला रजविंदर कौर गिल के बारे में 31 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे, जो शहर से गत अगस्त से ही लापता है। लाहौर हाईकोर्ट के जस्टिस शेख नजमुल हसन ने यह आदेश गिल के पिता सिकंदर गिल की ओर से दायर एक याचिका पर दिया, जिन्होंने अपनी पुत्री की सुरक्षित बरामदगी की मांग की है। गिल ने अदालत को बताया कि उनकी पुत्री लाहौर में हीरे की प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए 25 अगस्त को पाकिस्तान आई थी। वह लापता हो गई और उसे शहर में दोबारा नहीं देखा गया। गिल ने कहा, हमने उससे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन प्रयास असफल रहा। उन्होंने अदालत ने अनुरोध किया कि वह पुलिस को निर्देश दें कि वह उनकी पुत्री को खोजकर उसे जल्द से जल्द अदालत में पेश करे। न्यायाधीश ने लाहौर पुलिस प्रमख असलम तरीन को नोटिस जारी किया और उन्हें 31 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। इससे पहले जांचकर्ताओं ने कहा था कि रजविंदर कौर गिल अपने ही जवाहरात व्यापार के सिलसिले में लाहौर आई थी। वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की दूर की रिश्तेदार हैं। जांचकर्ताओं की ओर से पेश रिपोर्ट के अनुसार रजविंदर मध्य अगस्त में कनाडा से दुबई होते हुए लाहौर पहुंची थीं। वह लाहौर के तीन होटलों में रुकीं और कुछ लोगों से मुलाकात की, जिनकी अभी पुलिस को पहचान करनी है। टिप्पणियां रजविंदर 31 अगस्त को लापता हो गईं। उन्हें न्यूज वन चैनल के पत्रकार इकबाल हुसैन से मुलाकात करने के लिए कराची रवाना होना था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने हुसैन से पूछताछ की, लेकिन उन्हें रजविंदर की उनसे मुलाकात की योजनाओं के बारे में पता नहीं चल पाया। पंजाब पुलिस प्रमुख ने प्रांतीय सरकार से सिफारिश की है कि जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल का गठन होना चाहिए। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों। लाहौर हाईकोर्ट के जस्टिस शेख नजमुल हसन ने यह आदेश गिल के पिता सिकंदर गिल की ओर से दायर एक याचिका पर दिया, जिन्होंने अपनी पुत्री की सुरक्षित बरामदगी की मांग की है। गिल ने अदालत को बताया कि उनकी पुत्री लाहौर में हीरे की प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए 25 अगस्त को पाकिस्तान आई थी। वह लापता हो गई और उसे शहर में दोबारा नहीं देखा गया। गिल ने कहा, हमने उससे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन प्रयास असफल रहा। उन्होंने अदालत ने अनुरोध किया कि वह पुलिस को निर्देश दें कि वह उनकी पुत्री को खोजकर उसे जल्द से जल्द अदालत में पेश करे। न्यायाधीश ने लाहौर पुलिस प्रमख असलम तरीन को नोटिस जारी किया और उन्हें 31 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। इससे पहले जांचकर्ताओं ने कहा था कि रजविंदर कौर गिल अपने ही जवाहरात व्यापार के सिलसिले में लाहौर आई थी। वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की दूर की रिश्तेदार हैं। जांचकर्ताओं की ओर से पेश रिपोर्ट के अनुसार रजविंदर मध्य अगस्त में कनाडा से दुबई होते हुए लाहौर पहुंची थीं। वह लाहौर के तीन होटलों में रुकीं और कुछ लोगों से मुलाकात की, जिनकी अभी पुलिस को पहचान करनी है। टिप्पणियां रजविंदर 31 अगस्त को लापता हो गईं। उन्हें न्यूज वन चैनल के पत्रकार इकबाल हुसैन से मुलाकात करने के लिए कराची रवाना होना था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने हुसैन से पूछताछ की, लेकिन उन्हें रजविंदर की उनसे मुलाकात की योजनाओं के बारे में पता नहीं चल पाया। पंजाब पुलिस प्रमुख ने प्रांतीय सरकार से सिफारिश की है कि जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल का गठन होना चाहिए। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों। गिल ने कहा, हमने उससे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन प्रयास असफल रहा। उन्होंने अदालत ने अनुरोध किया कि वह पुलिस को निर्देश दें कि वह उनकी पुत्री को खोजकर उसे जल्द से जल्द अदालत में पेश करे। न्यायाधीश ने लाहौर पुलिस प्रमख असलम तरीन को नोटिस जारी किया और उन्हें 31 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। इससे पहले जांचकर्ताओं ने कहा था कि रजविंदर कौर गिल अपने ही जवाहरात व्यापार के सिलसिले में लाहौर आई थी। वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की दूर की रिश्तेदार हैं। जांचकर्ताओं की ओर से पेश रिपोर्ट के अनुसार रजविंदर मध्य अगस्त में कनाडा से दुबई होते हुए लाहौर पहुंची थीं। वह लाहौर के तीन होटलों में रुकीं और कुछ लोगों से मुलाकात की, जिनकी अभी पुलिस को पहचान करनी है। टिप्पणियां रजविंदर 31 अगस्त को लापता हो गईं। उन्हें न्यूज वन चैनल के पत्रकार इकबाल हुसैन से मुलाकात करने के लिए कराची रवाना होना था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने हुसैन से पूछताछ की, लेकिन उन्हें रजविंदर की उनसे मुलाकात की योजनाओं के बारे में पता नहीं चल पाया। पंजाब पुलिस प्रमुख ने प्रांतीय सरकार से सिफारिश की है कि जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल का गठन होना चाहिए। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों। इससे पहले जांचकर्ताओं ने कहा था कि रजविंदर कौर गिल अपने ही जवाहरात व्यापार के सिलसिले में लाहौर आई थी। वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की दूर की रिश्तेदार हैं। जांचकर्ताओं की ओर से पेश रिपोर्ट के अनुसार रजविंदर मध्य अगस्त में कनाडा से दुबई होते हुए लाहौर पहुंची थीं। वह लाहौर के तीन होटलों में रुकीं और कुछ लोगों से मुलाकात की, जिनकी अभी पुलिस को पहचान करनी है। टिप्पणियां रजविंदर 31 अगस्त को लापता हो गईं। उन्हें न्यूज वन चैनल के पत्रकार इकबाल हुसैन से मुलाकात करने के लिए कराची रवाना होना था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने हुसैन से पूछताछ की, लेकिन उन्हें रजविंदर की उनसे मुलाकात की योजनाओं के बारे में पता नहीं चल पाया। पंजाब पुलिस प्रमुख ने प्रांतीय सरकार से सिफारिश की है कि जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल का गठन होना चाहिए। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों। रजविंदर 31 अगस्त को लापता हो गईं। उन्हें न्यूज वन चैनल के पत्रकार इकबाल हुसैन से मुलाकात करने के लिए कराची रवाना होना था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने हुसैन से पूछताछ की, लेकिन उन्हें रजविंदर की उनसे मुलाकात की योजनाओं के बारे में पता नहीं चल पाया। पंजाब पुलिस प्रमुख ने प्रांतीय सरकार से सिफारिश की है कि जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल का गठन होना चाहिए। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों। हालांकि पंजाब पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि रजविंदर गुप्तचर एजेंसियों की हिरासत में हों।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: अब ईंधन को सीधे आयात करे सकेंगी निजी विमान कंपनियां
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए सरकार ने  बुधुवार को अधिसूचना जारी कर निजी विमानन कंपनियों को विमान ईंधन एटीएफ का सीधा आयात करने की अनुमति दे दी।  एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा।टिप्पणियां वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए सरकार ने बुधुवार को अधिसूचना जारी कर निजी विमानन कंपनियों को विमान ईंधन एटीएफ का सीधा आयात करने की अनुमति दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा।टिप्पणियां वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए सरकार ने बुधुवार को अधिसूचना जारी कर निजी विमानन कंपनियों को विमान ईंधन एटीएफ का सीधा आयात करने की अनुमति दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए सरकार ने बुधुवार को अधिसूचना जारी कर निजी विमानन कंपनियों को विमान ईंधन एटीएफ का सीधा आयात करने की अनुमति दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है। नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए सरकार ने बुधुवार को अधिसूचना जारी कर निजी विमानन कंपनियों को विमान ईंधन एटीएफ का सीधा आयात करने की अनुमति दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों से विमान ईंधन खरीदने के बजाय इसका सीधा आयात करने की इच्छुक विमानन कंपनियों को एक आयात लाइसेंस के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास आवेदन करना होगा। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने 7 फरवरी को निर्णय किया था कि वाणिज्य मंत्रालय विमान ईंधन का सीधा आयात करने की अनुमति देगा। संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस विदेश से विमान ईंधन का आयात करने की लंबे समय से अनुमति मांगती रही है, ताकि उसे उंची दर पर बिक्रीकर का भुगतान न करना पड़े। कुछ राज्यों में विमान ईंधन पर बिक्री कर 30 प्रतिशत तक है। विमान कंपनियों के परिचालन खर्च में ईंधन की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर एटीएफ का आयात करने की अनुमति दी गई है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: पारदर्शी भूमि अधिग्रहण कानून जल्द : पीएम
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को वादा किया कि किसानों के हितों की हिफाजत के लिए जल्द ही एक निष्पक्ष एवं पारदर्शी कानून लागू किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने 65वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैं देश के कुछ हिस्सों में उद्योग, अधोसंरचना और शहरीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर व्याप्त तनाव से वाकिफ हूं।" सिंह ने कहा, "नि:संदेह जनहित की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण जरूरी है। लेकिन अधिग्रहण पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए। जिन लोगों की आजीविका अधिग्रहण की जाने वाली जमीन पर निर्भर है, उनके हित की पूरी तरह रक्षा की जानी चाहिए।" सिंह ने कहा, "हम यह सुनिश्चित कराएंगे कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी के साथ अन्याय न हो। हमारी सरकार 117 वर्ष पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को हटाकर उसके स्थान पर एक नया कानून लाना चाहती है। यह नया कानून दूरदर्शी और संतुलित है।" ज्ञात हो कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे को वितरित कर दिया है और सभी घटकों से उस पर टिप्पणी और सुझाव मांगे हैं। ये सुझाव और टिप्पणियां इस महीने के अंत तक मंत्रालय को भेजे जा सकते हैं। सिंह ने कहा, "हमने इस विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए पहल की है। हम जल्द ही संसद में यह विधेयक पेश करेंगे।"
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: जमीन के लिए आरोपी ने बेटे की मदद से की बुजुर्ग पिता की हत्या
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: यूपी के इटावा जिले में सोमवार को जमीन की खातिर एक व्यक्ति ने अपने बेटे की मदद से अपने बुजुर्ग पिता की हत्या कर दी. पुलिस सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला के चौविया थाना क्षेत्र के खेड़ाहेलू गांव के मिलिकिया मजरे में जयवीर सिंह नामक व्यक्ति ने अपने पिता विजय बहादुर (80) पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ प्रहार किये. उन्होंने बताया कि बाद में जयवीर के बेटे अजय पाल ने विजय बहादुर को गोली मार दी. इस घटना में बुजुर्ग की मौके पर ही मौत हो गयी. सूत्रों ने बताया कि जयवीर 20 बीघा जमीन का बैनामा अजय पाल के नाम ना करने के कारण अपने पिता से नाराज था. पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. गौरतलब है कि एक ऐसा ही मामला मुंबई के सटे पालघर से आया था. जहां के खारीवली गांव में घरेलू झगड़े को लेकर दो भाइयों ने अपने पिता की पीट-पीटकर कथित रूप से हत्या कर दी थी. जिला ग्रामीण पुलिस ने बताया था कि घटना के संबंध में आरोपियों दीपक कालुराम जाधव और उसके भाई निलेश को गिरफ्तार किया गया है. पालघर के पुलिस प्रवक्ता हेमंत कुमार काटकर ने कहा कि अपने 52 वर्षीय पिता कालुराम जाधव के साथ बहस होने के बाद दोनों ने बुरी तरह से उनकी पिटाई कर दी. बाद में दीवार से पिता का सिर भिड़ा दिया. घटना सोमवार की रात करीब आठ बजे की है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: फालोऑन के बाद इज्जत बचाने की चुनौती...
राहुल द्रविड़ के नाबाद शतक के बावजूद फालोऑन खेलने को मजबूर हुआ भारत चौथे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के चौथे दिन दूसरी पारी में 129 रन पर तीन विकेट गंवाने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ इज्जत बचाने के लिए जूझ रहा है। भारत को 4-0 की शिकस्त से बचाने का दारोमदार अब काफी हद तक मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पर है जो दिन का खेल खत्म होने पर 35 रन बनाकर क्रीज पर डटे हुए हैं। दूसरे छोर पर अमित मिश्रा आठ रन बनाकर उनका साथ निभा रहे हैं। तेंदुलकर ने अब तक अपनी पारी में 51 गेंद का सामना करते हुए पांच चौके जड़े हैं। भारत को अब भी पारी की हार से बचने के लिए 163 रन की दरकार है जबकि उसके सात विकेट शेष हैं। इंग्लैंड ने पहली पारी छह विकेट पर 591 रन बनाकर घोषित की थी जिसके जवाब में भारत पहली पारी में द्रविड़ (नाबाद 146) के शतक के बावजूद 300 रन ही बना सका और उसे फालोऑन के लिए मजबूर होना पड़ा। नियमित सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर के अस्वस्थ होने के कारण पारी का आगाज करने उतरे द्रविड़ ने अपनी पारी के दौरान 266 गेंद का सामना करते हुए 20 चौके मारे और इस दौरान अपने करियर का 35वां तथा श्रृंखला का तीसरा टेस्ट शतक जड़ा। उनकी पारी की मदद से टीम इंडिया मौजूदा श्रृंखला में सात पारियों में पहली बार 300 रन का आंकड़ा छूने में सफल रही। द्रविड़ इसके साथ ही पारी की शुरुआत करने के बाद नाबाद लौटने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने। इससे पहले वीरेंद्र सहवाग और सुनील गावस्कर यह कारनामा कर चुके हैं। दूसरी पारी में वीरेंद्र सहवाग और द्रविड़ ने पहले विकेट के लिए 49 रन जोड़कर भारत को सधी हुई शुरुआत दिलाई।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: अनिवार्य अधिकार पत्र के बिना पहुंचीं कुछ इकाइयां, बीसीसीआई को SGM स्‍थगित करनी पड़ी
विवादों में घिरी बीसीसीआई आज लोढ़ा समिति की व्यापक प्रशासनिक सुधारों की सिफारिशों को लागू करने की पहली समयसीमा से चूक गई क्योंकि उसे तकनीकी आधार पर अपनी विशेष आम बैठक को स्थगित करना पड़ा. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर अपने सारे शीर्ष अधिकारियों को गंवाने का खतरा मंडरा रहा है जिसमें अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी शामिल हैं. उसे शुक्रवार को एसजीएम में भविष्य की रणनीति पर चर्चा करनी थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को क्रिकेट बोर्ड को चेताया था कि या तो वह ‘रास्ते पर आये’ या फिर परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहे. बोर्ड को सुधारों का पहला सेट लागू करने के लिये आज तक का समय दिया गया था, जिसमें उसे संघ एवं नियमों संबंधित नये सहमति पत्र को अपनाने की जरूरत थी. हालांकि इस मामले पर चर्चा के लिये बैठक को कल तक के लिये स्थगित करना पड़ा क्योंकि बीसीसीआई की कुछ सदस्यीय इकाइयां अनिवार्य अधिकार पत्र के बिना आ गई थीं. बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें अपनी संबंधित इकाइयों से उचित अधिकार पत्र के साथ आने को कहा गया है.’बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को चुनौती देते हुए पुनरीक्षा याचिका दायर की थी लेकिन अब उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. टिप्पणियां लोढ़ा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई द्वारा किये गये विभिन्न उल्लघंनों के बारे में बताया जो पैनल की सिफारिशों के खिलाफ थे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड को फटकार लगाई. बीसीसीआई के पास स्थिति रिपोर्ट का जवाब देने के लिए छह अक्‍टूबर तक का समय है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर अपने सारे शीर्ष अधिकारियों को गंवाने का खतरा मंडरा रहा है जिसमें अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी शामिल हैं. उसे शुक्रवार को एसजीएम में भविष्य की रणनीति पर चर्चा करनी थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को क्रिकेट बोर्ड को चेताया था कि या तो वह ‘रास्ते पर आये’ या फिर परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहे. बोर्ड को सुधारों का पहला सेट लागू करने के लिये आज तक का समय दिया गया था, जिसमें उसे संघ एवं नियमों संबंधित नये सहमति पत्र को अपनाने की जरूरत थी. हालांकि इस मामले पर चर्चा के लिये बैठक को कल तक के लिये स्थगित करना पड़ा क्योंकि बीसीसीआई की कुछ सदस्यीय इकाइयां अनिवार्य अधिकार पत्र के बिना आ गई थीं. बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें अपनी संबंधित इकाइयों से उचित अधिकार पत्र के साथ आने को कहा गया है.’बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को चुनौती देते हुए पुनरीक्षा याचिका दायर की थी लेकिन अब उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. टिप्पणियां लोढ़ा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई द्वारा किये गये विभिन्न उल्लघंनों के बारे में बताया जो पैनल की सिफारिशों के खिलाफ थे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड को फटकार लगाई. बीसीसीआई के पास स्थिति रिपोर्ट का जवाब देने के लिए छह अक्‍टूबर तक का समय है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बोर्ड को सुधारों का पहला सेट लागू करने के लिये आज तक का समय दिया गया था, जिसमें उसे संघ एवं नियमों संबंधित नये सहमति पत्र को अपनाने की जरूरत थी. हालांकि इस मामले पर चर्चा के लिये बैठक को कल तक के लिये स्थगित करना पड़ा क्योंकि बीसीसीआई की कुछ सदस्यीय इकाइयां अनिवार्य अधिकार पत्र के बिना आ गई थीं. बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें अपनी संबंधित इकाइयों से उचित अधिकार पत्र के साथ आने को कहा गया है.’बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को चुनौती देते हुए पुनरीक्षा याचिका दायर की थी लेकिन अब उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. टिप्पणियां लोढ़ा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई द्वारा किये गये विभिन्न उल्लघंनों के बारे में बताया जो पैनल की सिफारिशों के खिलाफ थे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड को फटकार लगाई. बीसीसीआई के पास स्थिति रिपोर्ट का जवाब देने के लिए छह अक्‍टूबर तक का समय है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें अपनी संबंधित इकाइयों से उचित अधिकार पत्र के साथ आने को कहा गया है.’बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को चुनौती देते हुए पुनरीक्षा याचिका दायर की थी लेकिन अब उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. टिप्पणियां लोढ़ा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई द्वारा किये गये विभिन्न उल्लघंनों के बारे में बताया जो पैनल की सिफारिशों के खिलाफ थे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड को फटकार लगाई. बीसीसीआई के पास स्थिति रिपोर्ट का जवाब देने के लिए छह अक्‍टूबर तक का समय है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) लोढ़ा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई द्वारा किये गये विभिन्न उल्लघंनों के बारे में बताया जो पैनल की सिफारिशों के खिलाफ थे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड को फटकार लगाई. बीसीसीआई के पास स्थिति रिपोर्ट का जवाब देने के लिए छह अक्‍टूबर तक का समय है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: कोहरे के कारण 69 रेलगाड़ियां देरी से चल रहीं, 4 हुईं रद्द
यह लेख है: उत्तरी भारत के कई हिस्सों में शनिवार को घने कोहरे के कारण 69 रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं और चार को रद्द कर दिया गया है. उत्तर रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र मेल और विक्रमशिला एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 26 घंटे देरी से चल रही हैं, जबकि नंदन कानन एक्सप्रेस 16 घंटे देरी से चल रही है.टिप्पणियां अधिकारी ने बताया कि उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, ताज एक्सप्रेस और कालका मेल को रद्द कर दिया गया है. अधिकारी ने साथ ही बताया कि 16 रेलगाड़ियों के समय में परिवर्तन किया गया है. दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के मुताबिक, कोहरे के कारण शनिवार को उड़ानें प्रभावित नहीं हुईं. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अधिकारी ने बताया कि उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, ताज एक्सप्रेस और कालका मेल को रद्द कर दिया गया है. अधिकारी ने साथ ही बताया कि 16 रेलगाड़ियों के समय में परिवर्तन किया गया है. दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के मुताबिक, कोहरे के कारण शनिवार को उड़ानें प्रभावित नहीं हुईं. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: 'जंजीर' के रीमेक में नहीं दिखेंगे अर्जुन रामपाल
यह एक लेख है: अभिनेता अर्जुन रामपाल अब अपूर्व लखिया की फिल्म 'जंजीर' का हिस्सा नहीं हैं। पहले उन्हें इस फिल्म में शेर खान की भूमिका मिलनी तय थी लेकिन अब वह इस फिल्म से बाहर हो गए हैं। अपूर्व ने 1973 में प्रकाशित सुपरहिट फिल्म 'जंजीर' का रीमेक बनाने का फैसला किया है। उस फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और प्राण ने अहम भूमिका निभाई थी। अपूर्व ने कहा, "अर्जुन अब हमारी फिल्म का हिस्सा नहीं हैं। उनके पास तारीख की कमी थी और यही कारण है कि वह इस फिल्म से हट गए हैं।"टिप्पणियां यह रोल पहले कथित तौर पर संजय दत्त को दिया गया था लेकिन अपूर्व ने इस अफवाह को नकार दिया है। संजय के स्थान पर अर्जुन का नाम इस रोल के लिए तय होने से पहले ही चर्चा में आया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार दक्षिण के अभिनेता राम चरण तेजा निभा रहे हैं। मूल फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी। प्रियंका चोपड़ा फिल्म में माला की भूमिका में दिखेंगी, जो मूल फिल्म में जया का किरदार था। अपूर्व ने 1973 में प्रकाशित सुपरहिट फिल्म 'जंजीर' का रीमेक बनाने का फैसला किया है। उस फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और प्राण ने अहम भूमिका निभाई थी। अपूर्व ने कहा, "अर्जुन अब हमारी फिल्म का हिस्सा नहीं हैं। उनके पास तारीख की कमी थी और यही कारण है कि वह इस फिल्म से हट गए हैं।"टिप्पणियां यह रोल पहले कथित तौर पर संजय दत्त को दिया गया था लेकिन अपूर्व ने इस अफवाह को नकार दिया है। संजय के स्थान पर अर्जुन का नाम इस रोल के लिए तय होने से पहले ही चर्चा में आया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार दक्षिण के अभिनेता राम चरण तेजा निभा रहे हैं। मूल फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी। प्रियंका चोपड़ा फिल्म में माला की भूमिका में दिखेंगी, जो मूल फिल्म में जया का किरदार था। अपूर्व ने कहा, "अर्जुन अब हमारी फिल्म का हिस्सा नहीं हैं। उनके पास तारीख की कमी थी और यही कारण है कि वह इस फिल्म से हट गए हैं।"टिप्पणियां यह रोल पहले कथित तौर पर संजय दत्त को दिया गया था लेकिन अपूर्व ने इस अफवाह को नकार दिया है। संजय के स्थान पर अर्जुन का नाम इस रोल के लिए तय होने से पहले ही चर्चा में आया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार दक्षिण के अभिनेता राम चरण तेजा निभा रहे हैं। मूल फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी। प्रियंका चोपड़ा फिल्म में माला की भूमिका में दिखेंगी, जो मूल फिल्म में जया का किरदार था। यह रोल पहले कथित तौर पर संजय दत्त को दिया गया था लेकिन अपूर्व ने इस अफवाह को नकार दिया है। संजय के स्थान पर अर्जुन का नाम इस रोल के लिए तय होने से पहले ही चर्चा में आया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार दक्षिण के अभिनेता राम चरण तेजा निभा रहे हैं। मूल फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी। प्रियंका चोपड़ा फिल्म में माला की भूमिका में दिखेंगी, जो मूल फिल्म में जया का किरदार था। इस फिल्म में मुख्य किरदार दक्षिण के अभिनेता राम चरण तेजा निभा रहे हैं। मूल फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी। प्रियंका चोपड़ा फिल्म में माला की भूमिका में दिखेंगी, जो मूल फिल्म में जया का किरदार था।
2
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों ?
ज़िंदगी बर्बाद करने का कारखाना आपने देखा है? भारत में महानगरों से लेकर ज़िलों में ज़िंदगी बर्बाद करने का कारखाना खुला हुआ है, जिसे हम अंग्रेज़ी में यूनिवर्सिटी और हिन्दी में विश्वविद्यालय कहते हैं. इस कारखाने की ख़ूबसूरती यही है कि जिसकी ज़िंदगी बर्बाद होती है उसे फर्क नहीं पड़ता. जो बर्बाद कर रहा है उसे भी कोई फर्क नहीं पड़ता. उत्तर प्रदेश के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी में इस साल बीए और एमए के 80 फीसदी छात्र फेल हो गए हैं. जिस यूनिवर्सिटी में चार लाख से अधिक छात्र फेल हो जाएं वो दुनिया की सबसे बड़ी ख़बर होनी चाहिए. क्या आपने सुना है कि ऑक्सफोर्ड, हावर्ड, मिशिगन यूनिवर्सिटी के 80 प्रतिशत छात्र फेल हो गए? और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. हिन्दी अखबारों के स्थानीय संस्करण में विश्वविद्यालय इस बात का श्रेय ले रहा है कि इस बार वीडियो कैमरे लगा कर नकल रोक दी गई, इसलिए इतने छात्र फेल हो गए हैं. मूर्खता की हद न होती तो विश्वविद्यालय प्रशासन इस तरह के दावे नहीं करता. आखिर इस यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर इतना ख़राब क्यों है कि बिना नकल की परीक्षा होने पर 80 प्रतिशत छात्र फेल कर जाएं. उस यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर, प्रिंसिपल, प्रोफेसर और लेक्चरर फिर किस लिए आते हैं. क्या यहां फेल होने की पढ़ाई होती है? यह भारत ही नहीं विश्व के शिक्षा जगत की भयंकर घटना है, जिसे भूकंप और सूनामी की तरह कवर किया जाना चाहिए था. इसीलिए मैंने कहा कि भारत में यूनिवर्सिटी के नाम पर कस्बों से लेकर महानगरों तक में छात्रों को बर्बाद करने का कारखाना खुला हुआ है. फ़ैज़ाबाद में है ये डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी. इस यूनिवर्सिटी में ज़्यादातर गर्वनमेंट एडेड और प्राइवेट कॉलेज हैं. इनकी संख्या 600 से अधिक बताई जाती है. कई कॉलेज ऐसे हैं जहां 10,000 से लेकर 20,000 तक छात्र पढ़ते हैं. 2017-18 में बीए बीएससी, बीकॉम के तीनों साल के और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के सवा छह लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी. 80 प्रतिशत फेल हो गए तो इस हिसाब से फेल होने वाले छात्रों की संख्या करीब 4 लाख 80,000 के करीब छात्र फेल हैं. बीएससी थर्ड ईयर के 80 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हैं. बीएससी प्रथम वर्ष में 56 प्रतिशत छात्र फेल हो गए हैं. सुल्तानपुर के गनपत सहाय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय के गणित में फाइनल ईयर में करीब 300 छात्र थे लेकिन इनमें से मात्र 20-25 छात्र पास हुए हैं. 275 के करीब फेल हो गए हैं. एक छात्र ने बताया कि 300 छात्रों के लिए एक परमानेंट प्रोफेसर हैं और दो एडाहक हैं. फाइनल ईयर में गणित में चार पेपर होते हैं. आप इससे भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नौजवानों के जीवन के साथ किस तरह का खिलवाड़ हो रहा है. इस कॉलेज में 18000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं. अगर स्थायी शिक्षक नहीं होंगे, उन्हें अच्छी तनख्वाह नहीं मिलेगी तो पढ़ाएगा कौन. नकल रोक देने का श्रेय लेना आसान है, लेकिन क्या सिर्फ नकल रोकी गई या फिर परीक्षा में आखिरी वक्त में बदलाव किया गया. यह भी एक गंभीर सवाल है. बीए और एमए का छात्र ऑब्जेक्टिव टाइप जवाब देकर निकलेगा तो फिर उच्च शिक्षा का मतलब क्या हुआ. कई शिक्षकों ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि छात्रों को ऑब्जेक्टिव सिस्टम का कोई अभ्यास नहीं था. वैसे भी भूगोल और जीव विज्ञान का छात्र बिना रेखा चित्र बनाए, विस्तार से समझाए कैसे साबित करेगा कि उसे विषय का ज्ञान हुआ है. गणित में नंबर इस बात के भी मिलते हैं कि आखिर तक सवाल के हल करने का रास्ता कितना सही था सिर्फ आखिर हल पर ही नहीं मिलते हैं. लेकिन फेल होने वाले ज्यादातर छात्र तीसरे वर्ष के हैं, जहां पहले की तरह ही प्रश्न पछे गए. यह सारी जानकारी छात्रों से मिली है.  क्या आपको यह सुनकर हैरानी नहीं हुई कि एक ग़रीब राज्य की यूनिवर्सिटी दोबारा कॉपी चेक करने के लिए 3000 रुपये लेती है. एक कॉपी के तीन हज़ार. अगर किसी छात्र को तीन कॉपी की जांच करानी है तो उसे 9000 देने होंगे. इस हिसाब से 4 लाख छात्रों ने दोबारा जांच के आवेदन किए तो यूनिवर्सिटी के पास इन गरीब छात्रों की जेब से निकल कर 120 करोड़ आ जाएंगे. क्या ये डकैती नहीं है? अवध यूनिवर्सिटी के कॉलेज जिन इलाकों में हैं वहां के ज़्यादातर छात्र ग़रीब या साधारण परिवारों के हैं. उनके लिए 3000 की राशि बहुत है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि उत्तर पुस्तिका के अवलोकन से असंतुष्ट छात्र उत्तर पुस्तिका मिलने की तारीख से 15 दिन के अंदर 3000 रुपये प्रति प्रश्नपत्र की दर से शुल्क का भुगतान कर चैलेंज इवेलुएशन के लिए आवेदन कर सकेगा.  यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. हिन्दी अखबारों के स्थानीय संस्करण में विश्वविद्यालय इस बात का श्रेय ले रहा है कि इस बार वीडियो कैमरे लगा कर नकल रोक दी गई, इसलिए इतने छात्र फेल हो गए हैं. मूर्खता की हद न होती तो विश्वविद्यालय प्रशासन इस तरह के दावे नहीं करता. आखिर इस यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर इतना ख़राब क्यों है कि बिना नकल की परीक्षा होने पर 80 प्रतिशत छात्र फेल कर जाएं. उस यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर, प्रिंसिपल, प्रोफेसर और लेक्चरर फिर किस लिए आते हैं. क्या यहां फेल होने की पढ़ाई होती है? यह भारत ही नहीं विश्व के शिक्षा जगत की भयंकर घटना है, जिसे भूकंप और सूनामी की तरह कवर किया जाना चाहिए था. इसीलिए मैंने कहा कि भारत में यूनिवर्सिटी के नाम पर कस्बों से लेकर महानगरों तक में छात्रों को बर्बाद करने का कारखाना खुला हुआ है. फ़ैज़ाबाद में है ये डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी. इस यूनिवर्सिटी में ज़्यादातर गर्वनमेंट एडेड और प्राइवेट कॉलेज हैं. इनकी संख्या 600 से अधिक बताई जाती है. कई कॉलेज ऐसे हैं जहां 10,000 से लेकर 20,000 तक छात्र पढ़ते हैं. 2017-18 में बीए बीएससी, बीकॉम के तीनों साल के और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के सवा छह लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी. 80 प्रतिशत फेल हो गए तो इस हिसाब से फेल होने वाले छात्रों की संख्या करीब 4 लाख 80,000 के करीब छात्र फेल हैं. बीएससी थर्ड ईयर के 80 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हैं. बीएससी प्रथम वर्ष में 56 प्रतिशत छात्र फेल हो गए हैं. सुल्तानपुर के गनपत सहाय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय के गणित में फाइनल ईयर में करीब 300 छात्र थे लेकिन इनमें से मात्र 20-25 छात्र पास हुए हैं. 275 के करीब फेल हो गए हैं. एक छात्र ने बताया कि 300 छात्रों के लिए एक परमानेंट प्रोफेसर हैं और दो एडाहक हैं. फाइनल ईयर में गणित में चार पेपर होते हैं. आप इससे भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नौजवानों के जीवन के साथ किस तरह का खिलवाड़ हो रहा है. इस कॉलेज में 18000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं. अगर स्थायी शिक्षक नहीं होंगे, उन्हें अच्छी तनख्वाह नहीं मिलेगी तो पढ़ाएगा कौन. नकल रोक देने का श्रेय लेना आसान है, लेकिन क्या सिर्फ नकल रोकी गई या फिर परीक्षा में आखिरी वक्त में बदलाव किया गया. यह भी एक गंभीर सवाल है. बीए और एमए का छात्र ऑब्जेक्टिव टाइप जवाब देकर निकलेगा तो फिर उच्च शिक्षा का मतलब क्या हुआ. कई शिक्षकों ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि छात्रों को ऑब्जेक्टिव सिस्टम का कोई अभ्यास नहीं था. वैसे भी भूगोल और जीव विज्ञान का छात्र बिना रेखा चित्र बनाए, विस्तार से समझाए कैसे साबित करेगा कि उसे विषय का ज्ञान हुआ है. गणित में नंबर इस बात के भी मिलते हैं कि आखिर तक सवाल के हल करने का रास्ता कितना सही था सिर्फ आखिर हल पर ही नहीं मिलते हैं. लेकिन फेल होने वाले ज्यादातर छात्र तीसरे वर्ष के हैं, जहां पहले की तरह ही प्रश्न पछे गए. यह सारी जानकारी छात्रों से मिली है.  क्या आपको यह सुनकर हैरानी नहीं हुई कि एक ग़रीब राज्य की यूनिवर्सिटी दोबारा कॉपी चेक करने के लिए 3000 रुपये लेती है. एक कॉपी के तीन हज़ार. अगर किसी छात्र को तीन कॉपी की जांच करानी है तो उसे 9000 देने होंगे. इस हिसाब से 4 लाख छात्रों ने दोबारा जांच के आवेदन किए तो यूनिवर्सिटी के पास इन गरीब छात्रों की जेब से निकल कर 120 करोड़ आ जाएंगे. क्या ये डकैती नहीं है? अवध यूनिवर्सिटी के कॉलेज जिन इलाकों में हैं वहां के ज़्यादातर छात्र ग़रीब या साधारण परिवारों के हैं. उनके लिए 3000 की राशि बहुत है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि उत्तर पुस्तिका के अवलोकन से असंतुष्ट छात्र उत्तर पुस्तिका मिलने की तारीख से 15 दिन के अंदर 3000 रुपये प्रति प्रश्नपत्र की दर से शुल्क का भुगतान कर चैलेंज इवेलुएशन के लिए आवेदन कर सकेगा.  यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. फ़ैज़ाबाद में है ये डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी. इस यूनिवर्सिटी में ज़्यादातर गर्वनमेंट एडेड और प्राइवेट कॉलेज हैं. इनकी संख्या 600 से अधिक बताई जाती है. कई कॉलेज ऐसे हैं जहां 10,000 से लेकर 20,000 तक छात्र पढ़ते हैं. 2017-18 में बीए बीएससी, बीकॉम के तीनों साल के और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के सवा छह लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी. 80 प्रतिशत फेल हो गए तो इस हिसाब से फेल होने वाले छात्रों की संख्या करीब 4 लाख 80,000 के करीब छात्र फेल हैं. बीएससी थर्ड ईयर के 80 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हैं. बीएससी प्रथम वर्ष में 56 प्रतिशत छात्र फेल हो गए हैं. सुल्तानपुर के गनपत सहाय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय के गणित में फाइनल ईयर में करीब 300 छात्र थे लेकिन इनमें से मात्र 20-25 छात्र पास हुए हैं. 275 के करीब फेल हो गए हैं. एक छात्र ने बताया कि 300 छात्रों के लिए एक परमानेंट प्रोफेसर हैं और दो एडाहक हैं. फाइनल ईयर में गणित में चार पेपर होते हैं. आप इससे भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नौजवानों के जीवन के साथ किस तरह का खिलवाड़ हो रहा है. इस कॉलेज में 18000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं. अगर स्थायी शिक्षक नहीं होंगे, उन्हें अच्छी तनख्वाह नहीं मिलेगी तो पढ़ाएगा कौन. नकल रोक देने का श्रेय लेना आसान है, लेकिन क्या सिर्फ नकल रोकी गई या फिर परीक्षा में आखिरी वक्त में बदलाव किया गया. यह भी एक गंभीर सवाल है. बीए और एमए का छात्र ऑब्जेक्टिव टाइप जवाब देकर निकलेगा तो फिर उच्च शिक्षा का मतलब क्या हुआ. कई शिक्षकों ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि छात्रों को ऑब्जेक्टिव सिस्टम का कोई अभ्यास नहीं था. वैसे भी भूगोल और जीव विज्ञान का छात्र बिना रेखा चित्र बनाए, विस्तार से समझाए कैसे साबित करेगा कि उसे विषय का ज्ञान हुआ है. गणित में नंबर इस बात के भी मिलते हैं कि आखिर तक सवाल के हल करने का रास्ता कितना सही था सिर्फ आखिर हल पर ही नहीं मिलते हैं. लेकिन फेल होने वाले ज्यादातर छात्र तीसरे वर्ष के हैं, जहां पहले की तरह ही प्रश्न पछे गए. यह सारी जानकारी छात्रों से मिली है.  क्या आपको यह सुनकर हैरानी नहीं हुई कि एक ग़रीब राज्य की यूनिवर्सिटी दोबारा कॉपी चेक करने के लिए 3000 रुपये लेती है. एक कॉपी के तीन हज़ार. अगर किसी छात्र को तीन कॉपी की जांच करानी है तो उसे 9000 देने होंगे. इस हिसाब से 4 लाख छात्रों ने दोबारा जांच के आवेदन किए तो यूनिवर्सिटी के पास इन गरीब छात्रों की जेब से निकल कर 120 करोड़ आ जाएंगे. क्या ये डकैती नहीं है? अवध यूनिवर्सिटी के कॉलेज जिन इलाकों में हैं वहां के ज़्यादातर छात्र ग़रीब या साधारण परिवारों के हैं. उनके लिए 3000 की राशि बहुत है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि उत्तर पुस्तिका के अवलोकन से असंतुष्ट छात्र उत्तर पुस्तिका मिलने की तारीख से 15 दिन के अंदर 3000 रुपये प्रति प्रश्नपत्र की दर से शुल्क का भुगतान कर चैलेंज इवेलुएशन के लिए आवेदन कर सकेगा.  यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. नकल रोक देने का श्रेय लेना आसान है, लेकिन क्या सिर्फ नकल रोकी गई या फिर परीक्षा में आखिरी वक्त में बदलाव किया गया. यह भी एक गंभीर सवाल है. बीए और एमए का छात्र ऑब्जेक्टिव टाइप जवाब देकर निकलेगा तो फिर उच्च शिक्षा का मतलब क्या हुआ. कई शिक्षकों ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि छात्रों को ऑब्जेक्टिव सिस्टम का कोई अभ्यास नहीं था. वैसे भी भूगोल और जीव विज्ञान का छात्र बिना रेखा चित्र बनाए, विस्तार से समझाए कैसे साबित करेगा कि उसे विषय का ज्ञान हुआ है. गणित में नंबर इस बात के भी मिलते हैं कि आखिर तक सवाल के हल करने का रास्ता कितना सही था सिर्फ आखिर हल पर ही नहीं मिलते हैं. लेकिन फेल होने वाले ज्यादातर छात्र तीसरे वर्ष के हैं, जहां पहले की तरह ही प्रश्न पछे गए. यह सारी जानकारी छात्रों से मिली है.  क्या आपको यह सुनकर हैरानी नहीं हुई कि एक ग़रीब राज्य की यूनिवर्सिटी दोबारा कॉपी चेक करने के लिए 3000 रुपये लेती है. एक कॉपी के तीन हज़ार. अगर किसी छात्र को तीन कॉपी की जांच करानी है तो उसे 9000 देने होंगे. इस हिसाब से 4 लाख छात्रों ने दोबारा जांच के आवेदन किए तो यूनिवर्सिटी के पास इन गरीब छात्रों की जेब से निकल कर 120 करोड़ आ जाएंगे. क्या ये डकैती नहीं है? अवध यूनिवर्सिटी के कॉलेज जिन इलाकों में हैं वहां के ज़्यादातर छात्र ग़रीब या साधारण परिवारों के हैं. उनके लिए 3000 की राशि बहुत है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि उत्तर पुस्तिका के अवलोकन से असंतुष्ट छात्र उत्तर पुस्तिका मिलने की तारीख से 15 दिन के अंदर 3000 रुपये प्रति प्रश्नपत्र की दर से शुल्क का भुगतान कर चैलेंज इवेलुएशन के लिए आवेदन कर सकेगा.  यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. क्या आपको यह सुनकर हैरानी नहीं हुई कि एक ग़रीब राज्य की यूनिवर्सिटी दोबारा कॉपी चेक करने के लिए 3000 रुपये लेती है. एक कॉपी के तीन हज़ार. अगर किसी छात्र को तीन कॉपी की जांच करानी है तो उसे 9000 देने होंगे. इस हिसाब से 4 लाख छात्रों ने दोबारा जांच के आवेदन किए तो यूनिवर्सिटी के पास इन गरीब छात्रों की जेब से निकल कर 120 करोड़ आ जाएंगे. क्या ये डकैती नहीं है? अवध यूनिवर्सिटी के कॉलेज जिन इलाकों में हैं वहां के ज़्यादातर छात्र ग़रीब या साधारण परिवारों के हैं. उनके लिए 3000 की राशि बहुत है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि उत्तर पुस्तिका के अवलोकन से असंतुष्ट छात्र उत्तर पुस्तिका मिलने की तारीख से 15 दिन के अंदर 3000 रुपये प्रति प्रश्नपत्र की दर से शुल्क का भुगतान कर चैलेंज इवेलुएशन के लिए आवेदन कर सकेगा.  यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. यही नहीं नंबर देने और बदलने की शर्तें भी कॉपी जटिल हैं यानी तय है कि छात्र के 3000 भी डूबेंगे. क्या जानबूझ कर युवाओं को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है ताकि वे सिर्फ और सिर्फ व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा को ही ज्ञान समझ सकें. ये सवाल भारत के नौजवानों को खुद से पूछना है. वर्ना यूनिवर्सिटी की हालत देखकर एक सिद्धांत बिना नोबेल लिए यहीं प्रतिपादित कर सकता हूं कि अगर किसी देश की जवानी को आसानी से बर्बाद कर देना है तो वो भारत है. बस नौजवानों को आप किसी यूनिवर्सिटी में भेज दीजिए. जो छात्र साल भर की फीस 4000 देता है वो कॉपी दोबारा चेक कराने के लिए 21000 देगा क्या यह अन्याय नहीं है. अगर यह अन्याय और डकैती नहीं है तो फिर क्या है. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. छात्रो ने ही जानकारी भेजी है, और खुद ही रिकॉर्ड कर भेजा है. हमारे सहयोगी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि कई मार्कशीट देखने पर पता चलता है कि छात्र को एक पेपर में 75 में 60 नंबर आए हैं मगर दूसरे पेपर में ज़ीरो आया है. अगर गड़बड़ी नहीं है तो फिर रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को क्यों हटाया गया. अव्वल तो ऐसी गड़बड़ी हुई क्यों. अगर रिजल्ट सही नहीं हुए तो बीए पास कर प्रतियोगिता परीक्षा में जाने वाले और आगे पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा. उनके करियर के साथ ये खिलवाड़ क्यों हो रहा है. आपको बिहार यूनिवर्सिटी का हाल तो पता ही होगा जहां 2017 के साल में एक भी परीक्षा नहीं हुई. मुमकिन है वहां के छात्र भी साल भर व्हाट्स अप हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा में व्यस्त और मस्त होंगे. वैसे हमने अपनी यूनिवर्सिटी सीरीज़ में 17 अक्तूबर को इस राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी का हाल बताया था. टिप्पणियां अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. अयोध्या के सबसे बड़े कॉलेज कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में करीब 11000 छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड थे. यहां 145 रेगुलर शिक्षक होने चाहिए थे, मगर उस वक्त 85 ही थे. 85 शिक्षकों पर 11000 छात्रों को पढ़ाने का करिश्मा सिर्फ उस भारत में हो सकता है जहां मंत्रियों के बच्चे कभी पढ़ने नहीं आते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं जहां 20 छात्रों पर एक प्रोफेसर होता है. शिक्षक बताते हैं कि कई कॉलेजों में कागज पर शिक्षकों की संख्या पूरी मिलेगी मगर वे वहां होते ही नहीं हैं. यह भी एक किस्म का घोटाला है. एडेड कॉलेज में बहुत से परमानेंट शिक्षक पढ़ाते तो हैं मगर मैनेजमेंट जिन शिक्षकों को 15-20 हज़ार की सैलरी पर रखता है उनकी दिलचस्पी नहीं होती और न ही योग्य होते हैं. यह भी सोचिए कि 20,000 की सैलरी पर पढ़ाने वाले लेक्चरर की क्या गुणवत्ता होगी. सोचिए वरना बहुत देर हो जाएगी और ऐसे कॉलेज करोड़ों नौजवानों को हमेशा के लिए बर्बाद कर चुके होंगे.  इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं. इससे पहले कि घर-घर में नौजवान तीन-तीन साल यूनिवर्सिटी में गुज़ारने के बाद किसी लायक न बनें, हम अपने सवाल बदल लें. नेताओं ने नौजवानों को कीचड़ में फेंक दिया है. नौजवान उस कीचड़ से अपनी बर्बादी की होली खेल रहा है. आप कब पूछेंगे कि 6 एम्स में 70 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बिना टीचर के एम्स जैसे संस्थानों से आपका बच्चा किस टाइप का डॉक्टर बन कर निकल रहा है. सोचिए एम्स जैसे संस्थानों में चुने जाने के लिए कितना परिश्रम करना होता है. आप सोचिए क्या वह भारत बेहतर हो सकता है जिसके नौजवानों को, जिसकी जवानी को बर्बाद करने की फैक्ट्रियां खुली हुई हैं.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: GST लागू होने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटरों के 5 लाख रोजगार पैदा होंगे : केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी
यह एक लेख है: केंद्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने बुधवार को कहा कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद देश में ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटरों के कम से कम 5 लाख रोजगार पैदा होंगे, जो सूचना प्रौद्योगिकी के साथ वित्तीय विषयों में दक्षता रखते हों. रूडी ने इंदौर के विजय नगर क्षेत्र में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र के उद्घाटन समारोह के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारी सरकार का ध्यान लोगों में उद्यमिता विकसित कर स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. हम चाहते हैं कि युवा रोजगार मांगने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बने. यह स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि उद्यमिता के क्षेत्र में निवेश बढ़ने से रोजगार के अवसरों में इजाफा हो रहा है.टिप्पणियां सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियों में कटौती के सवाल पर रूडी ने कहा कि रोजगार ढांचे का पुनर्गठन जारी होने के चलते इस क्षेत्र में ज्यादा पगार वाले उच्च स्तर के नियोजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी है, लेकिन मध्यम, निचले और शुरुआती स्तर की नौकरियों की उपलब्धता बरकरार है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) रूडी ने इंदौर के विजय नगर क्षेत्र में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र के उद्घाटन समारोह के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारी सरकार का ध्यान लोगों में उद्यमिता विकसित कर स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. हम चाहते हैं कि युवा रोजगार मांगने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बने. यह स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि उद्यमिता के क्षेत्र में निवेश बढ़ने से रोजगार के अवसरों में इजाफा हो रहा है.टिप्पणियां सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियों में कटौती के सवाल पर रूडी ने कहा कि रोजगार ढांचे का पुनर्गठन जारी होने के चलते इस क्षेत्र में ज्यादा पगार वाले उच्च स्तर के नियोजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी है, लेकिन मध्यम, निचले और शुरुआती स्तर की नौकरियों की उपलब्धता बरकरार है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियों में कटौती के सवाल पर रूडी ने कहा कि रोजगार ढांचे का पुनर्गठन जारी होने के चलते इस क्षेत्र में ज्यादा पगार वाले उच्च स्तर के नियोजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी है, लेकिन मध्यम, निचले और शुरुआती स्तर की नौकरियों की उपलब्धता बरकरार है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: अमेरिका में अधिक मात्रा में हेरोइन लेने से कई मरे, दर्जनों लोग हुए बीमार
यह लेख है: अमेरिका के कई राज्यों में हाल में हेरोइन का अधिक मात्रा में सेवन करने से कई लोगों की मौत हुई है और दर्जनों अन्य प्रभावित हुए हैं. अधिकारी इस तरह की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं. इंडियाना, केंटुकी, ओहियो और वेस्ट वर्जीनिया में पिछले कुछ दिनों से बचाव कर्मी अधिक मात्रा में नशीला पदार्थ लेने वालों को बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं. हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस तरह की घटनाओं के लिए कौन व्यक्ति या संगठन जिम्मेदार है. सिनसिनाटी में पुलिस ने पिछले दो दिनों में हेरोइन का अधिक मात्रा में सेवन करने की 78 घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद आज आम लोगों से हेरोइन के स्रोतों की पहचान करने को कहा.टिप्पणियां ल्टन काउंटी के अधिकारी इस प्रकार के मामलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन सेवाए ले रहे हैं. काउंटी के स्वास्थ्य आयुक्त टिम इनग्राम ने कहा कि पिछले छह दिनों में आपातकालीन सेवाओं में ‘अभूतपूर्व’ बढ़ोतरी हुई है. कारी ने बताया कि इस सप्ताह नशीले पदार्थ की ‘ओवरडोज’ के 174 मामले सामने आये हैं। इनमें से तीन व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. ओहियो में पिछले साल अधिक मात्रा में मादक पदार्थ लेने से 3,050 लोगों की मौत हुई थी, जो औसत से आठ प्रतिशत अधिक है. बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के हालिया आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 2014 के दौरान अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के सेवन के कारण 47,055 लोगों की मौत हुयी थी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत अधिक था. इंडियाना, केंटुकी, ओहियो और वेस्ट वर्जीनिया में पिछले कुछ दिनों से बचाव कर्मी अधिक मात्रा में नशीला पदार्थ लेने वालों को बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं. हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस तरह की घटनाओं के लिए कौन व्यक्ति या संगठन जिम्मेदार है. सिनसिनाटी में पुलिस ने पिछले दो दिनों में हेरोइन का अधिक मात्रा में सेवन करने की 78 घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद आज आम लोगों से हेरोइन के स्रोतों की पहचान करने को कहा.टिप्पणियां ल्टन काउंटी के अधिकारी इस प्रकार के मामलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन सेवाए ले रहे हैं. काउंटी के स्वास्थ्य आयुक्त टिम इनग्राम ने कहा कि पिछले छह दिनों में आपातकालीन सेवाओं में ‘अभूतपूर्व’ बढ़ोतरी हुई है. कारी ने बताया कि इस सप्ताह नशीले पदार्थ की ‘ओवरडोज’ के 174 मामले सामने आये हैं। इनमें से तीन व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. ओहियो में पिछले साल अधिक मात्रा में मादक पदार्थ लेने से 3,050 लोगों की मौत हुई थी, जो औसत से आठ प्रतिशत अधिक है. बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के हालिया आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 2014 के दौरान अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के सेवन के कारण 47,055 लोगों की मौत हुयी थी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत अधिक था. हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस तरह की घटनाओं के लिए कौन व्यक्ति या संगठन जिम्मेदार है. सिनसिनाटी में पुलिस ने पिछले दो दिनों में हेरोइन का अधिक मात्रा में सेवन करने की 78 घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद आज आम लोगों से हेरोइन के स्रोतों की पहचान करने को कहा.टिप्पणियां ल्टन काउंटी के अधिकारी इस प्रकार के मामलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन सेवाए ले रहे हैं. काउंटी के स्वास्थ्य आयुक्त टिम इनग्राम ने कहा कि पिछले छह दिनों में आपातकालीन सेवाओं में ‘अभूतपूर्व’ बढ़ोतरी हुई है. कारी ने बताया कि इस सप्ताह नशीले पदार्थ की ‘ओवरडोज’ के 174 मामले सामने आये हैं। इनमें से तीन व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. ओहियो में पिछले साल अधिक मात्रा में मादक पदार्थ लेने से 3,050 लोगों की मौत हुई थी, जो औसत से आठ प्रतिशत अधिक है. बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के हालिया आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 2014 के दौरान अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के सेवन के कारण 47,055 लोगों की मौत हुयी थी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत अधिक था. ल्टन काउंटी के अधिकारी इस प्रकार के मामलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन सेवाए ले रहे हैं. काउंटी के स्वास्थ्य आयुक्त टिम इनग्राम ने कहा कि पिछले छह दिनों में आपातकालीन सेवाओं में ‘अभूतपूर्व’ बढ़ोतरी हुई है. कारी ने बताया कि इस सप्ताह नशीले पदार्थ की ‘ओवरडोज’ के 174 मामले सामने आये हैं। इनमें से तीन व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. ओहियो में पिछले साल अधिक मात्रा में मादक पदार्थ लेने से 3,050 लोगों की मौत हुई थी, जो औसत से आठ प्रतिशत अधिक है. बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के हालिया आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 2014 के दौरान अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के सेवन के कारण 47,055 लोगों की मौत हुयी थी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत अधिक था. बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के हालिया आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 2014 के दौरान अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के सेवन के कारण 47,055 लोगों की मौत हुयी थी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत अधिक था.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: वैज्ञानिकों ने प्‍लास्टिक से बने ऐसे रेशे विकसित किए जिससे बने कपड़े इंसान को रखेंगे कूल-कूल..
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक से बने किफायती रेशों का विकास किया है जिसे बुनकर पहनने वाले कपड़े बनाये जाएं तो वे हमारे शरीर को अधिक ठंडक प्रदान करेंगे और अभी हम जो कपड़े पहनते हैं, उसकी तुलना में ये ज्यादा आरामदेह होंगे. अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इस तरह के फैब्रिक वैसे कपड़ों के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे, जो जलवायु में उष्णता बढ़ने पर भी हमारे शरीर को ठंडा रखेगे. अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर यी कुई ने कहा, ‘लोग जहां रहते हैं या जहां काम करते हैं, उन परिसरों को ठंडा रखने के बजाय हम लोगों को ठंडा रखें तो इससे उर्जा की बचत होगी.’टिप्पणियां नए तरह का यह रेशा कम-से-कम दो तरीकों से शरीर की गर्मी को उत्सर्जित करेगा और सूती कपड़ों की तुलना में इससे पहनने वाला करीब चार डिग्री  फारेनहाइट ठंडा महसूस करेगा. इस अध्ययन का प्रकाशन साइंस जर्नल में हुआ है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर यी कुई ने कहा, ‘लोग जहां रहते हैं या जहां काम करते हैं, उन परिसरों को ठंडा रखने के बजाय हम लोगों को ठंडा रखें तो इससे उर्जा की बचत होगी.’टिप्पणियां नए तरह का यह रेशा कम-से-कम दो तरीकों से शरीर की गर्मी को उत्सर्जित करेगा और सूती कपड़ों की तुलना में इससे पहनने वाला करीब चार डिग्री  फारेनहाइट ठंडा महसूस करेगा. इस अध्ययन का प्रकाशन साइंस जर्नल में हुआ है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) नए तरह का यह रेशा कम-से-कम दो तरीकों से शरीर की गर्मी को उत्सर्जित करेगा और सूती कपड़ों की तुलना में इससे पहनने वाला करीब चार डिग्री  फारेनहाइट ठंडा महसूस करेगा. इस अध्ययन का प्रकाशन साइंस जर्नल में हुआ है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: बीजेपी ने किया था ऐलान, कमलनाथ सरकार बनाने जा रही राम वन पथ गमन
यह एक लेख है: कांग्रेस ने चुनावों के वक्त राम वन पथ गमन का वायदा किया अब उसे मूर्त रूप देने बजट भी जारी कर दिया गया है. वनवास के दौरान भगवान राम के चरण जिन रास्तों पर पड़े थे, वहां राम वन गमन पथ बनाने का ऐलान 2008 में बीजेपी ने किया था लेकिन उस वक्त ये भाषणों और कागजों में लकीरें खींचने तक सीमित रह गया. अब कमलनाथ सरकार राम वन पथ गमन के लिए बोर्ड गठित करने की भी तैयारी कर रही है.       भगवान राम जिस रास्ते से वानप्रस्थ के लिए गए उसे कागज़ से निकालकर सड़क बनाने के लिए पहले कांग्रेस पीपीपी मोड पर काम करना चाहती थी, लेकिन अब इंतजार किए बगैर 2000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित कर दिया गया है. राज्य में रामवन पथ गमन की प्रारंभिक लंबाई लगभग 350 किमी नापी गई है. शुरुआत में 22 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ये पथ चित्रकूट से शुरू होकर अमरकंटक तक बनाया जाना प्रस्तावित है.        मध्यप्रदेश सरकार में धर्मस्व विभाग के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा 'पूरा नक्शा, चार्ट बन गया है, इसे हम लोग कार्यरूप में जल्द ही परिणीत करेंगे.' जल्द ही चित्रकूट से अमरकंटक तक गांव-गांव में उत्सव मनाने की तैयारी है. इसके लिए मंदाकिनी के जल की कांवड़ यात्रा निकालकर उद्गम स्थल पर नर्मदा का अभिषेक किया जाएगा. कांग्रेस नेताओं ने चुनाव से पहले मंदिर परिक्रमा की, बजट में मठ-मंदिरों का खास ध्यान रखा अब राम वन पथ गमन फाइल से लेकर निर्माण की कगार पर है तो बीजेपी को वोटबैंक में सेंध का खतरा है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा ''बीजेपी ने राम वन पथ गमन पर काम किया, रास्ते को ढूंढा, लेकिन कांग्रेस जो 'मुंह में राम बगल में छुरी' पर काम करती है वो सिर्फ कागजी वायदा कर रही है क्योंकि उसे हाल में होने वाले नगरीय चुनाव में वोट लेना है.'' वैसे मध्यप्रदेश की आर्थिक हालत खस्ता है. उस पर 1.87 लाख का कर्ज़ा है. दिसंबर 2018 से सरकार ने हर महीने औसत 1500 करोड़ रुपये का कर्ज़ भी लिया है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: कोलकाता में झूला टूटने से 17 युवक घायल, छह की हालत गंभीर
यह लेख है: पश्चिम बंगाल में राजधानी कोलकाता के साल्ट लेक इलाके में मंगलवार को एक मनोरंजन पार्क में एक झूले के टूट जाने से 17 युवक घायल हो गए, जिनमें से छह की हालत गंभीर है।टिप्पणियां पुलिस ने बताया कि क्षमता से अधिक लोगों के आने के कारण पानी पर चलने वाला झूला टूट गया। इस घटना के बाद घायल युवकों के परिजनों और मित्रों ने काफी हंगामा किया लेकिन पुलिस के जल्द पहुंच जाने के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। घायलों को कलकत्ता हार्ट रिसर्च सेंटर ले जाया गया, जहां से उन्हें अपोलो अस्पताल और एएमआरआई अस्पताल भेज दिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि क्षमता से अधिक लोगों के आने के कारण पानी पर चलने वाला झूला टूट गया। इस घटना के बाद घायल युवकों के परिजनों और मित्रों ने काफी हंगामा किया लेकिन पुलिस के जल्द पहुंच जाने के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। घायलों को कलकत्ता हार्ट रिसर्च सेंटर ले जाया गया, जहां से उन्हें अपोलो अस्पताल और एएमआरआई अस्पताल भेज दिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। घायलों को कलकत्ता हार्ट रिसर्च सेंटर ले जाया गया, जहां से उन्हें अपोलो अस्पताल और एएमआरआई अस्पताल भेज दिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: सेना को फ्रोजेन चिकेन की सप्लाई में लगा धांधली का आरोप
यह एक लेख है: सेना के उत्तरी कमांड में नियमों को ताकपर रखकर ऊंचे दाम कोट करने वाली कंपनियों को बिना जांच किए फ्रोजेन चिकेन सप्लाई का ठेका दे दिया गया है। सेना के पूर्व जनरल जवानों को फ्रोजेन चिकेन खिलाने के सख्त खिलाफ हैं और तीन सांसदों ने भी इस सिलसिले में रक्षा मंत्री को चिट्ठी लिखी है। हालांकि इस मसले पर सेना का कहना है कि ठेके से पहले सारी प्रक्रिया पूरी की गई और इस तरह के आरोप गलत मंशा और वेंडरों की आपसी दुश्मनी की वजह से लगाए जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल सेना के पांच कमांड में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जो एक साल के लिए था लेकिन इसी फैसले का गलत इस्तेमाल कर उत्तरी कमांड के लद्दाख और करगिल सेक्टर में भी फ्रोजेन चिकेन की सप्लाई शुरू हो गई। ऐसे मुश्किल इलाकों में फ्रोज़ेन चिकेन सप्लाई के लिए सेना ने अलग से मानक तय किए हैं जबकि उत्तरी कमांड ने हाल ही में तमिलनाडु की कंपनी सुगुना फूड्स के साथ जो शार्ट टर्म करार किया उसमें नियमों को ताक पर रख दिया गया। उत्तरी कमांड ने 15 नवंबर से 14 दिसंबर तक के लिए चिकेन सप्लाई के लिए टेंडर मंगाया लेकिन टेंडर जमा करने के आखिरी दिन बाकी फर्मों को कहा गया कि एक महीने का टेंडर रद्द हो गया है। ऐसे में सुगुना फूड्स को ठेका कैसे मिला इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सुगुना फूड्स के 117 रुपये प्रति किलो के टेंडर को मंजूरी मिली जबकि इन्ही शर्तो पर पश्चिमी कमांड को दूसरे सप्लायर सिर्फ 96 रुपये की रेट पर चिकेन सप्लाई कर रहे हैं। लिहाजा इस ठेके में सेना को करीब 28 लाख रुपयों का चूना लगा। कायदे से जिस कंपनी को ठेका दिया जाता है सेना के अफसर उसकी जांच करते हैं लेकिन सुगुना फूड्स को जांच से पहले ही फ्रोजेन चिकेन सप्लाई की इजाज़त मिल गई।   सुगुना फूड्स की फैक्टरी तमिलनाडु में है जिसे ठेका ऐसे वक़्त मिला जब कर्नाटक में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते केरल ने तमिलनाडु से चिकेन मंगाने पर रोक लगा रखी है। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल सेना के पांच कमांड में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जो एक साल के लिए था लेकिन इसी फैसले का गलत इस्तेमाल कर उत्तरी कमांड के लद्दाख और करगिल सेक्टर में भी फ्रोजेन चिकेन की सप्लाई शुरू हो गई। ऐसे मुश्किल इलाकों में फ्रोज़ेन चिकेन सप्लाई के लिए सेना ने अलग से मानक तय किए हैं जबकि उत्तरी कमांड ने हाल ही में तमिलनाडु की कंपनी सुगुना फूड्स के साथ जो शार्ट टर्म करार किया उसमें नियमों को ताक पर रख दिया गया। उत्तरी कमांड ने 15 नवंबर से 14 दिसंबर तक के लिए चिकेन सप्लाई के लिए टेंडर मंगाया लेकिन टेंडर जमा करने के आखिरी दिन बाकी फर्मों को कहा गया कि एक महीने का टेंडर रद्द हो गया है। ऐसे में सुगुना फूड्स को ठेका कैसे मिला इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सुगुना फूड्स के 117 रुपये प्रति किलो के टेंडर को मंजूरी मिली जबकि इन्ही शर्तो पर पश्चिमी कमांड को दूसरे सप्लायर सिर्फ 96 रुपये की रेट पर चिकेन सप्लाई कर रहे हैं। लिहाजा इस ठेके में सेना को करीब 28 लाख रुपयों का चूना लगा। कायदे से जिस कंपनी को ठेका दिया जाता है सेना के अफसर उसकी जांच करते हैं लेकिन सुगुना फूड्स को जांच से पहले ही फ्रोजेन चिकेन सप्लाई की इजाज़त मिल गई।   सुगुना फूड्स की फैक्टरी तमिलनाडु में है जिसे ठेका ऐसे वक़्त मिला जब कर्नाटक में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते केरल ने तमिलनाडु से चिकेन मंगाने पर रोक लगा रखी है। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। उत्तरी कमांड ने 15 नवंबर से 14 दिसंबर तक के लिए चिकेन सप्लाई के लिए टेंडर मंगाया लेकिन टेंडर जमा करने के आखिरी दिन बाकी फर्मों को कहा गया कि एक महीने का टेंडर रद्द हो गया है। ऐसे में सुगुना फूड्स को ठेका कैसे मिला इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सुगुना फूड्स के 117 रुपये प्रति किलो के टेंडर को मंजूरी मिली जबकि इन्ही शर्तो पर पश्चिमी कमांड को दूसरे सप्लायर सिर्फ 96 रुपये की रेट पर चिकेन सप्लाई कर रहे हैं। लिहाजा इस ठेके में सेना को करीब 28 लाख रुपयों का चूना लगा। कायदे से जिस कंपनी को ठेका दिया जाता है सेना के अफसर उसकी जांच करते हैं लेकिन सुगुना फूड्स को जांच से पहले ही फ्रोजेन चिकेन सप्लाई की इजाज़त मिल गई।   सुगुना फूड्स की फैक्टरी तमिलनाडु में है जिसे ठेका ऐसे वक़्त मिला जब कर्नाटक में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते केरल ने तमिलनाडु से चिकेन मंगाने पर रोक लगा रखी है। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। सुगुना फूड्स के 117 रुपये प्रति किलो के टेंडर को मंजूरी मिली जबकि इन्ही शर्तो पर पश्चिमी कमांड को दूसरे सप्लायर सिर्फ 96 रुपये की रेट पर चिकेन सप्लाई कर रहे हैं। लिहाजा इस ठेके में सेना को करीब 28 लाख रुपयों का चूना लगा। कायदे से जिस कंपनी को ठेका दिया जाता है सेना के अफसर उसकी जांच करते हैं लेकिन सुगुना फूड्स को जांच से पहले ही फ्रोजेन चिकेन सप्लाई की इजाज़त मिल गई।   सुगुना फूड्स की फैक्टरी तमिलनाडु में है जिसे ठेका ऐसे वक़्त मिला जब कर्नाटक में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते केरल ने तमिलनाडु से चिकेन मंगाने पर रोक लगा रखी है। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। सुगुना फूड्स की फैक्टरी तमिलनाडु में है जिसे ठेका ऐसे वक़्त मिला जब कर्नाटक में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते केरल ने तमिलनाडु से चिकेन मंगाने पर रोक लगा रखी है। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। सुगुना फूड्स 100 फीसदी हलाल चिकेन तैयार करती है जबकि सेना में मजहब को लेकर बेहद एहतियात बरती जाती है और 80 फीसदी झटका चिकेन इस्तेमाल होता है। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। उत्तरी कमांड के प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल का भी कहना है कि फ्रोजेन चिकेन लद्दाख और करगिल जैसे मुश्किल इलाकों के लिए मुफीद नहीं हैं। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। इतना ही नहीं, जनरल जसवाल के मुताबिक निजी कंपनियों के हाथ सप्लाई की क्वालिटी और रखरखाव देकर सेना भारी गलती कर रही है। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। पश्चिमी कमांड के प्रमुख रह चुके एक पूर्व जनरल भी जवानों को ताजा चिकेन की बजाय फ्रोजेन चिकेन देने के खिलाफ हैं। जनरल हूण सियाचिन की जंग में हिंदुस्तानी फौज़ के कमांडर थे और उनका कहना है कि उत्तरी कमांड में सिर्फ सियाचिन में ही फ्रोजेन चिकेन दिया जाना चाहिए बाकी इलाकों में नहीं। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। सेना में फ्रोजेन चिकेन सप्लाई के खिलाफ तीन सांसदों ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी को खत लिखा है।टिप्पणियां आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद सर्व सत्यनारायण इस फैसले के पीछे बड़ी कंपनियों की लॉबी को मानते हैं जबकि मध्यप्रदेश से सांसद गजेंद्र सिंह ने सेना को हो रहे नुकसान का सवाल उठाया है। बीजेपी सांसद शाहनवाज़ हुसैन ने इसे जवानों की सेहत के लिए नुकसानदेह बताया है। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा। सांसदों के खत के जवाब में रक्षा मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा दिया है पर सवाल है कि इस दौरान जो जवान फ्रोजेन चिकेन खाएंगे उनकी सेहत की गारंटी कौन लेगा।
8
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: वर्ल्ड कप : ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने जुझारूपन नहीं दिखाने के लिए टीम इंडिया की आलोचना की
यह एक लेख है: ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने विश्वकप सेमीफाइनल में जुझारूपन नहीं दिखाने के लिए भारतीय टीम की आलोचना की, जबकि अपनी राष्ट्रीय टीम की 95 रन से जीत दर्ज करने के लिए तारीफों के पुल बांधे। भारत 329 रन के लक्ष्य का पीछा करते 46.5 ओवर में 233 रन पर आउट हो गया। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कहा कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (65) और विराट कोहली (1) जब जरूरत थी, तब अपनी टीम को प्रेरित करने में नाकाम रहे। 'डेली टेलीग्राफ' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "भारत के पास ऑस्ट्रेलियाई लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना तभी बनी रहती, जब धोनी या कोहली में से कोई बड़ी पारी खेलते, लेकिन दोनों में से कोई भी ऐसा नहीं कर पाए। जब तक धोनी क्रीज पर थे, भारत की उम्मीद बनी रही, लेकिन विश्वकप सेमीफाइनल में भारतीय कप्तान ने आसानी से घुटने टेक दिए।" इसमें लिखा है, "टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेने वाले धोनी संभवत: अपना आखिरी वनडे खेल रहे थे। उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल के हाथों रन आउट होने से पहले भारत की तरफ से सर्वाधिक 65 रन बनाए। धोनी ने रन आउट होने से बचने के लिए डाइव तक नहीं लगाई। उनके आउट होने से भारत की रही सही उम्मीद भी खत्म हो गई।" 'सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड' ने भी धोनी के आउट होने को अजीब करार दिया। समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "ऑस्ट्रेलिया का सात विकेट पर 328 रन का स्कोर पर्याप्त है, जैसे सवाल का जवाब मिल चुका था। हालांकि बैचेनी तब तक खत्म नहीं हुई, जब तक कि धोनी की 65 रन की पारी का अजीबोगरीब अंत नहीं हुआ। ग्लेन मैक्सवेल ने हालांकि भारतीय कप्तान को बेहतरीन तरीके से रन आउट किया, लेकिन धोनी ने भी इससे बचने के लिए खास प्रयास नहीं किया।"
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: ओडिशा : पीएम मोदी और शाह के अलावा 'ड्रीम गर्ल' सहित कई फिल्मी सितारे भी करेंगे बीजेपी का प्रचार
लेख: ओडिशा (Odisha) में लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में प्रचार के लिए बीजेपी (BJP) अपने दिग्गज नेताओं के साथ-साथ फिल्मी सितारों का भी सहारा लेगी. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तथा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) के अलावा 'ड्रीम गर्ल' हेमा मालिनी (Hema Malini) समेत नौ फिल्मी सितारे ओडिशा में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए प्रचार करेंगे. बीजेपी ने ओडिशा में 11, 18, 23 और 29 अप्रैल को चार चरणों में होने वाले चुनावों के लिए बुधवार को अपने 40 ''स्टार प्रचारकों'' की सूची जारी की. पार्टी के एक नेता ने कहा कि 40 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में जमा करा दी गई है. ओडिशा में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीटों पर एक साथ चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी की सूची के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर, जुएल उरांव, धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा समेत कई नेता स्टार प्रचारक होंगे. (इनपुट भाषा से)
8
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: लालकृष्ण आडवाणी की वेबसाइट हैक
यह लेख है: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आधिकारिक वेबसाइट को आज एक पाकिस्तानी हैकर ने कथित तौर पर हैक कर लिया और ‘आजाद कश्मीर’ का संदेश पोस्ट कर दिया। खुद को मुहम्मद बिलाल बताने वाले हैकर ने आडवाणी की वेबसाइट पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ लिखा और कश्मीर में सैन्य शासन के अंत का आह्वान किया। आडवाणी की वेबसाइट ‘एलकेआडवाणी डॉट इन’ को हैक किए जाने की घटना उस वक्त सामने आई है, जब कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाही गिलानी ने दावा किया कि भाजपा के प्रधानमंत्री के पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने उनके पास अपने दो दूत भेजे थे। बिलाल नामक हैकर ने वेबसाइट पर ‘गुड मार्निंग नरेंद्र मोदी’ नामक संदेश से लिखने की शुरुआत की और फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया। उधर, चुनावी प्रचार के लिए तमिलनाडु पहुंचे आडवाणी को हैकिंग की इस घटना के बारे में जानकारी नहीं थी। उनके किसी सहयोगी अथवा आवास पर रहने वाले व्यक्ति को भी इस घटना के बारे में जानकारी नहीं थी।
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: गुजरातः अडानी फाउंडेशन के अस्पताल में 5 साल में 1,000 बच्चों की मौत
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अडानी फाउंडेशन की ओर से गुजरात के भुज टाउन में संचालित जीके जनरल हास्पिटल में एक हजार बच्चों की पिछले पांच साल में मौत का मामला सामने आया है. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गुजरात की बीजेपी सरकार ने यह जानकारी दी है. कांग्रेस के विधायक संतोकबेन अरेथिया की ओर से प्रश्न काल में उठाए गए सवाल का लिखित जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया कि अडानी फाउंडेशन की ओर से संचालित अस्पताल में पिछले पांच साल के भीतर 1018 बच्चों की मौत हुई. स्वास्थ्य महकमा संभालने वाले उप मुख्यमंत्री ने मौत के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि 2014-15 में 188, 2015-16 में 187, 2016-17 में 208, 2017-18 में 276 और 2018-19 में 159 बच्चों की मौत हुई. मौत के पीछे उन्होंने विभिन्न बीमारियों और अन्य चिकित्सा जटिलताओं को जिम्मेदार ठहराया.   उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया कि मौतों की जांच के लिए पिछले साल मई में एक कमेटी गठित हुई थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बच्चों, खासकर नवजातों की मौत के पीछे कई कारणों को जिम्मेदार बताया था. उन्होंने बताया कि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में गंभीर जटिलताएं, संक्रामक रोग, सांस संबंधी परेशानियों आदि के चलते बच्चों की मौत हुई. पैनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पटेल ने विधानसभा को बताया कि तय मानक गाइडलाइंस के आधार पर ही  अस्पताल की ओर से इलाज करने की बात सामने आई है.
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: ग्राउंड रिपोर्ट : जम्मू-कश्मीर चुनाव में किसे मिलेगा कश्मीरी पंडितों का साथ?
लेख: घाटी में सैलाब के असर से उबरते लोगों के सामने अब चुनाव हैं, लेकिन उनके मुताबिक चुनने को कुछ नहीं। घाटी के कश्मीरी पंडितों को बीजेपी अपने साथ मान रही है, लेकिन हकीकत यह है कि वे भी बंटे हुए हैं। देश के कई शहरों में कश्मीरी पंडित बसे हुए हैं। हर बार चुनावों से पहले उनकी याद हर पार्टी को आती है। यह वे भी जानते हैं, लेकिन इस बार जिस तरह बीजेपी उसे लुभा रही है, उसकी तुलना किसी पार्टी से नहीं की जा सकती, यह वे खुद भी मान रहे हैं। पार्टी ने अनुच्छेद 370 के बारे में ज्यादा बात नहीं करने का फैसला किया है। बस चुपचाप से ग्राउन्ड पर कश्मीरी पंडितों तक पहुंचकर यह आश्वासन दे रही है कि सिर्फ वो ही उनके हालात बदल पाएगी। बावजूद इसके जितने भी कश्मीरी पंडितों से एनडीटीवी ने बात की, तो उन्होंने साफ कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हर कश्मीरी पंडित बीजेपी को ही वोट देगा। जब हम हबाकदल पहुंचे, तो वहां हमें कश्मीर यूनिवर्सिटी में कभी अंग्रेजी पढ़ाने वाले मोतीलाल कौल एक शेर गुनगुनाते हुए मिले, "ये देखो वो जला घर किसी का, वो टूटे किसी के सितारे, वो फूटी किस्मत..." उनसे बात करके पता चला कि दरअसल ये शेर उस तबाही को बयान करता है, जो उनकी आपबीती है। इस शेर का असली मतलब उनके घर को देखकर भी पता चला। घर बैठने लायक नहीं बचा है, इसलिए वह बाहर बैठे रहते हैं। इस बेघरी में वो किसको चुनें किसको नहीं। उनके लिए बीजेपी या पीडीपी में कोई फर्क नहीं। यहां आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जो घर से अगर बीजेपी को वोट देने निकले, लेकिन रास्ते में किसी ने बिरयानी खिला दी, तो वह अपना मन बदल भी सकता है, क्योंकि पेट में दाना नहीं है। मोतीलाल ने साफ-साफ कहा कि बीजेपी को पंडितों के वोटों का आसरा है, लेकिन ऐसा नहीं कि पंडितों में बीजेपी की लहर है। एक अहम तबका कांग्रेस की तरफ अब भी खड़ा है। गुलाम नबी आजाद अच्छे आदमी हैं, जितना उन्होंने हमारी मदद की, किसी ने नहीं की, यह शेखपुरा विनोद का कहना है। जबकि हबाकदल के किरणजी ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि बीजेपी ही वोट लेगी, दूसरी पार्टियां भी हैं। उधर, बीजेपी की कोशिश एक-एक कश्मीरी पंडित तक पहुंचने की है। पार्टी की अल्पसंख्यक सेल का अंदाजा है कि देशभर में करीब 90,000 प्रवासी कश्मीरी पंडितों के रजिस्टर्ड वोट हैं। इनमें से 60,000 जम्मू में और 30,000 दिल्ली और बाकी शहरों में हैं।  लेकिन घाटी में सिर्फ 2500 कश्मीरी पंडितों के वोट हैं। मुश्किल यह है कि प्रवासी कश्मीरी ज्यादा वोट नहीं करते। बीजेपी इस बार उन्हें मतदान केंद्रों तक लाने का इरादा रखती है। श्रीनगर में बीजेपी प्रवक्ता खालिद जहांगीर ने एनडीटीवी से कहा, हमारे लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वोटिंग आसानी से हो जाए ओर ज्यादा लोग वोट कर सकें। उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया है कि बीजेपी कई कश्मीरी पंडितों के नए वोट भी बनवा रही है। उधर महबूबा मुफ्ती का कहना है कि कश्मीरी पंडित बीजेपी की जागीर नहीं है, वह हमारे समाज के हिस्सा हैं। बीजेपी की मुश्किलें और भी हैं। पार्टी यहां बनने से पहले ही बिखर रही है। सीटों के बंटवारे को लेकर नाराजगी साफ है। अशोक बट्ट ने हबाकदल में बहुत काम किया, लेकिन अब वह इस बात से दुखी हैं कि पार्टी ने उन्हें हबाकदल की सीट न देकर खनयार से उतारा। जबकि हबाकदल की सीट मुंबई में रहने वाले एक डॉक्टर को दे दी। अशोक बट्ट कहते हैं, मैं क्या जानूं, उन्होंने मुझे हबाकदल क्यों नहीं दिया। दरअसल, बीजेपी हबाकदल के अलावा सोपोर और त्राल को अपने लिए सुरक्षित सीट मान रही है, लेकिन अब हबाकदल में ही सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी हो रही हैं।
2
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: गावस्कर बोले, ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट ने की 'उद्दंडता', टीम इंडिया करे क्लीन स्वीप...
यह एक लेख है: T20 सीरीज के बीच में ही ऑस्ट्रेलियाई टीम के एक साथ कई बदलाव की रणनीति जानकारों के गले नहीं उतर रही। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर इसे 'उद्दंडता' का नाम दे रहे हैं। उन्होंने टीम इंडिया को नसीहत भी दी है कि उसे 3-0 से जीत हासिल कर सीरीज को क्लीन स्वीप करना चाहिए। एडिलेड में 0-1 से पिछड़ने के बावजूद मेलबर्न टी-20 मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम ने छह बदलाव का एलान किया, तो फैन्स और जानकार हैरान हुए बिना नहीं रह सके। मेलबर्न में मैच गंवाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने सीरीज भी गंवा दी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई रवैया जानकारों की नजरों में चढ़ गया। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं, "आपको हमेशा अपनी बेहतरीन टीम ही चुननी चाहिए। जब तक कि कोई खिलाड़ी यह नहीं कहता कि वो मानसिक रूप से थका हुआ या शारीरिक रूप से फिट नहीं है। आप उसे टीम से बाहर नहीं कर सकते, वह भी तब, जब आप पहला गेम हार चुके हों। आप ऐसा करते हैं तो ये उद्दण्डता के अलावा और कुछ नहीं नज़र आता। आपने ऐसा किया और टीम इंडिया ने आपको उसका नतीजा दिखा दिया।" पूर्व कप्तान गावस्कर ने यहां तक कहा कि टीम इंडिया को तीसरा मैच जीतने की भी पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। उनके मुताबिक टीम इंडिया को सीरीज को क्लीन स्वीप करने में कोई रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वो यह भी कहते हैं कि जिस तरह टी-20 में प्रदर्शन कर रही है, वह आने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए अच्छा संकेत है। टिप्पणियां गावस्कर कहते हैं, "जीत तो जीत होती है। अलग-अलग फॉर्मेट की जीत की तुलना नहीं करनी चाहिए। जिस तरह से दबाव में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है ये टी-20 वर्ल्ड कप के लिए बहुत अच्छा संकेत है।" पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती। एडिलेड में 0-1 से पिछड़ने के बावजूद मेलबर्न टी-20 मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम ने छह बदलाव का एलान किया, तो फैन्स और जानकार हैरान हुए बिना नहीं रह सके। मेलबर्न में मैच गंवाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने सीरीज भी गंवा दी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई रवैया जानकारों की नजरों में चढ़ गया। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं, "आपको हमेशा अपनी बेहतरीन टीम ही चुननी चाहिए। जब तक कि कोई खिलाड़ी यह नहीं कहता कि वो मानसिक रूप से थका हुआ या शारीरिक रूप से फिट नहीं है। आप उसे टीम से बाहर नहीं कर सकते, वह भी तब, जब आप पहला गेम हार चुके हों। आप ऐसा करते हैं तो ये उद्दण्डता के अलावा और कुछ नहीं नज़र आता। आपने ऐसा किया और टीम इंडिया ने आपको उसका नतीजा दिखा दिया।" पूर्व कप्तान गावस्कर ने यहां तक कहा कि टीम इंडिया को तीसरा मैच जीतने की भी पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। उनके मुताबिक टीम इंडिया को सीरीज को क्लीन स्वीप करने में कोई रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वो यह भी कहते हैं कि जिस तरह टी-20 में प्रदर्शन कर रही है, वह आने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए अच्छा संकेत है। टिप्पणियां गावस्कर कहते हैं, "जीत तो जीत होती है। अलग-अलग फॉर्मेट की जीत की तुलना नहीं करनी चाहिए। जिस तरह से दबाव में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है ये टी-20 वर्ल्ड कप के लिए बहुत अच्छा संकेत है।" पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं, "आपको हमेशा अपनी बेहतरीन टीम ही चुननी चाहिए। जब तक कि कोई खिलाड़ी यह नहीं कहता कि वो मानसिक रूप से थका हुआ या शारीरिक रूप से फिट नहीं है। आप उसे टीम से बाहर नहीं कर सकते, वह भी तब, जब आप पहला गेम हार चुके हों। आप ऐसा करते हैं तो ये उद्दण्डता के अलावा और कुछ नहीं नज़र आता। आपने ऐसा किया और टीम इंडिया ने आपको उसका नतीजा दिखा दिया।" पूर्व कप्तान गावस्कर ने यहां तक कहा कि टीम इंडिया को तीसरा मैच जीतने की भी पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। उनके मुताबिक टीम इंडिया को सीरीज को क्लीन स्वीप करने में कोई रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वो यह भी कहते हैं कि जिस तरह टी-20 में प्रदर्शन कर रही है, वह आने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए अच्छा संकेत है। टिप्पणियां गावस्कर कहते हैं, "जीत तो जीत होती है। अलग-अलग फॉर्मेट की जीत की तुलना नहीं करनी चाहिए। जिस तरह से दबाव में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है ये टी-20 वर्ल्ड कप के लिए बहुत अच्छा संकेत है।" पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती। पूर्व कप्तान गावस्कर ने यहां तक कहा कि टीम इंडिया को तीसरा मैच जीतने की भी पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। उनके मुताबिक टीम इंडिया को सीरीज को क्लीन स्वीप करने में कोई रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वो यह भी कहते हैं कि जिस तरह टी-20 में प्रदर्शन कर रही है, वह आने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए अच्छा संकेत है। टिप्पणियां गावस्कर कहते हैं, "जीत तो जीत होती है। अलग-अलग फॉर्मेट की जीत की तुलना नहीं करनी चाहिए। जिस तरह से दबाव में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है ये टी-20 वर्ल्ड कप के लिए बहुत अच्छा संकेत है।" पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती। गावस्कर कहते हैं, "जीत तो जीत होती है। अलग-अलग फॉर्मेट की जीत की तुलना नहीं करनी चाहिए। जिस तरह से दबाव में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है ये टी-20 वर्ल्ड कप के लिए बहुत अच्छा संकेत है।" पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती। पूर्व कप्तान गावस्कर टीम की बल्लेबाजी, ख़ासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के फॉर्म से काफी प्रभावित हैं। उन्हें लगता है कि ये बल्लेबाज जब तक फॉर्म में हैं किसी भी विपक्षी टीम के गेंदबाज की मुश्किलों की लिस्ट छोटी नहीं हो सकती।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: इंटरनेट स्वतंत्रता के मामले में पाकिस्तान सबसे खराब देशों में शामिल, रिपोर्ट में खुलासा
यह एक लेख है: कश्मीर में इंटरनेट की सेवा ठप रहने के चलते पाकिस्तान भारत की आलोचना करता रहा है, लेकिन एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि लगातार नौ साल से इंटरनेट उपयोग के मामले में पाकिस्तान स्वतंत्र नहीं है. इसी के साथ इस साल पाकिस्तान ने इस मामले में 100 से 26 स्कोर किया है जबकि पिछले साल यह 27 था. फ्रीडम हाउस (गैर सरकारी संगठन) ने मंगलवार को 'द क्राइसिस ऑफ सोशल मीडिया' शीर्षक के साथ अपनी फ्रीडम ऑन द नेट (एफओटीएन) रिपोर्ट को जारी किया, जिसमें जून 2018 से मई 2019 के बीच वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में समग्र गिरावट दर्ज की गई है. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, रिपोट में पाकिस्तान को 100 (सबसे खराब) में से 26वें नंबर पर रखा गया है, पिछले साल की रैकिंग के मुकाबले यह एक स्थान नीचे है. इंटरनेट के उपयोग में आने वाली बाधाओं के लिए इस देश ने 25 में से 5 स्कोर किया है, इंटरनेट पर सर्च की जाने वाली चीजों की सीमित मात्रा में पाकिस्तान ने 35 में से 14 स्कोर किया है और उपयोगकर्ता अधिकार सूचकांक के उल्लंघन के मामले में पाकिस्तान ने 40 में से सात अंक प्राप्त किए हैं. वैश्विक स्तर पर, इंटरनेट और डिजिटल मीडिया स्वतंत्रता के मामले में पाकिस्तान दस सबसे खराब देशों में से एक है. क्षेत्रीय रैकिंग के मामले में पाकिस्तान, वियतनाम और चीन के बाद तीसरा सबसे खराब देश है. इंटरनेट स्वतंत्रता में आई गिरावट के अलावा रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पाकिस्तान में सूचनात्मक रणनीति के माध्यम से चुनाव में भी हेरफेर किया गया है जिनमें अति-पक्षपात टीकाकरों, बोट्स (इंटरनेट प्रोग्राम) या भ्रामक या गलत जानकारी फैलाने के लिए न्यूज साइट के साथ-साथ कनेक्टीविटी पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध और वेबसाइट्स की ब्लाकिंग जैसे तकनीकी चाल भी शामिल हैं.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: 10 आतंकियों को मार गिराने के बाद अलविदा कह गए कमांडो मोहन नाथ गोस्वामी
यह लेख है: सेना के विशेष बल के कमांडो लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी आज हमारे बीच नहीं हैं। वह कश्मीर के हंदवारा में गुरुवार को आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए। पिछले 11 दिनों की छोटी सी अवधि में आतंकवाद के खिलाफ विभिन्न अभियानों में उन्होंने 10 आतंकियों को मार गिराने में भागीदारी निभाई थी। उधमपुर के रक्षा प्रवक्ता कर्नल एसडी गोस्वामी ने बताया, पिछले 11 दिनों में उन्होंने कश्मीर घाटी में तीन आतंकवाद निरोधी अभियानों में सक्रिय भाग लिया था, जिसमें 10 आतंकवादी मारे गए थे और एक जिंदा पकड़ा गया था। प्रवक्ता ने बताया कि लांस नायक गोस्वामी 2002 में सेना के पैरा कमांडो से जुड़े थे। उन्होंने बताया कि लांस नायक ने अपनी इकाई के सभी अभियानों में भाग लिया था और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधी कई सफल अभियानों का हिस्सा रहे। उन्होंने बताया, पहला अभियान खुरमूर, हंदवारा में 23 अगस्त को अंजाम दिया गया था। इस अभियान में पाकिस्तानी मूल के लश्कर-ए-तैयबा के तीन कट्टर आतंकवादी मारे गए थे।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया, इसके बाद उन्होंने कश्मीर के रफीयाबाद अभियान में स्वेच्छा से भाग लिया। यह अभियान दो दिनों 26 और 27 अगस्त तक चला। इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के तीन और आतंकवादी मारे गए। उन्होंने बताया कि इस अभियान में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला को जिंदा पकड़ा गया था। लांस नायक गोस्वामी का तीसरा अभियान कुपवाड़ा के पास हफरूदा का घना जंगल था। यह उनका अंतिम अभियान साबित हुआ, लेकिन इस अभियान में चार आतंकवादियों को मार गिराया गया। लांस नायक गोस्वामी नैनीताल में हल्द्वानी के इंदिरा नगर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और सात साल की बेटी है। उधमपुर के रक्षा प्रवक्ता कर्नल एसडी गोस्वामी ने बताया, पिछले 11 दिनों में उन्होंने कश्मीर घाटी में तीन आतंकवाद निरोधी अभियानों में सक्रिय भाग लिया था, जिसमें 10 आतंकवादी मारे गए थे और एक जिंदा पकड़ा गया था। प्रवक्ता ने बताया कि लांस नायक गोस्वामी 2002 में सेना के पैरा कमांडो से जुड़े थे। उन्होंने बताया कि लांस नायक ने अपनी इकाई के सभी अभियानों में भाग लिया था और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधी कई सफल अभियानों का हिस्सा रहे। उन्होंने बताया, पहला अभियान खुरमूर, हंदवारा में 23 अगस्त को अंजाम दिया गया था। इस अभियान में पाकिस्तानी मूल के लश्कर-ए-तैयबा के तीन कट्टर आतंकवादी मारे गए थे।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया, इसके बाद उन्होंने कश्मीर के रफीयाबाद अभियान में स्वेच्छा से भाग लिया। यह अभियान दो दिनों 26 और 27 अगस्त तक चला। इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के तीन और आतंकवादी मारे गए। उन्होंने बताया कि इस अभियान में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला को जिंदा पकड़ा गया था। लांस नायक गोस्वामी का तीसरा अभियान कुपवाड़ा के पास हफरूदा का घना जंगल था। यह उनका अंतिम अभियान साबित हुआ, लेकिन इस अभियान में चार आतंकवादियों को मार गिराया गया। लांस नायक गोस्वामी नैनीताल में हल्द्वानी के इंदिरा नगर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और सात साल की बेटी है। उन्होंने बताया कि लांस नायक ने अपनी इकाई के सभी अभियानों में भाग लिया था और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधी कई सफल अभियानों का हिस्सा रहे। उन्होंने बताया, पहला अभियान खुरमूर, हंदवारा में 23 अगस्त को अंजाम दिया गया था। इस अभियान में पाकिस्तानी मूल के लश्कर-ए-तैयबा के तीन कट्टर आतंकवादी मारे गए थे।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया, इसके बाद उन्होंने कश्मीर के रफीयाबाद अभियान में स्वेच्छा से भाग लिया। यह अभियान दो दिनों 26 और 27 अगस्त तक चला। इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के तीन और आतंकवादी मारे गए। उन्होंने बताया कि इस अभियान में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला को जिंदा पकड़ा गया था। लांस नायक गोस्वामी का तीसरा अभियान कुपवाड़ा के पास हफरूदा का घना जंगल था। यह उनका अंतिम अभियान साबित हुआ, लेकिन इस अभियान में चार आतंकवादियों को मार गिराया गया। लांस नायक गोस्वामी नैनीताल में हल्द्वानी के इंदिरा नगर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और सात साल की बेटी है। प्रवक्ता ने बताया, इसके बाद उन्होंने कश्मीर के रफीयाबाद अभियान में स्वेच्छा से भाग लिया। यह अभियान दो दिनों 26 और 27 अगस्त तक चला। इस मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के तीन और आतंकवादी मारे गए। उन्होंने बताया कि इस अभियान में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला को जिंदा पकड़ा गया था। लांस नायक गोस्वामी का तीसरा अभियान कुपवाड़ा के पास हफरूदा का घना जंगल था। यह उनका अंतिम अभियान साबित हुआ, लेकिन इस अभियान में चार आतंकवादियों को मार गिराया गया। लांस नायक गोस्वामी नैनीताल में हल्द्वानी के इंदिरा नगर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और सात साल की बेटी है। लांस नायक गोस्वामी का तीसरा अभियान कुपवाड़ा के पास हफरूदा का घना जंगल था। यह उनका अंतिम अभियान साबित हुआ, लेकिन इस अभियान में चार आतंकवादियों को मार गिराया गया। लांस नायक गोस्वामी नैनीताल में हल्द्वानी के इंदिरा नगर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और सात साल की बेटी है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अयोध्या फैसले के समय पर उठाए सवाल, कहा, 'बेहद दुखी हूं'
यह एक लेख है: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mehmood Qureshi) ने करतारपुर गलियारा (Kartarpur Corridor) खोले जाने के दिन अयोध्या मामले (Ayodhya Verdict) में आए फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इस तरह के खुशी के मौके पर दिखाए गई ‘असंवेदनशीलता' से बेहद दुखी हैं. गौरतलब है कि भारतीय उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड' को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाये.  प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया. इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था. ‘डॉन न्यूज टीवी' ने कुरैशी के हवाले से कहा, ‘‘ क्या इसको थोड़े दिन टाला नहीं जा सकता था? मैं इस खुशी के मौके पर दिखाए गई ‘असंवेदनशीलता' से बेहद दुखी हूं. '' करतारपुर गलियारे के बहुप्रतीक्षित उद्घाटन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ आपको इससे ध्यान भटकाने की बजाय इस खुशी के मौके का हिस्सा बनना चाहिए था. यह विवाद संवेदनशील था और उसे इस शुभ दिन का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए था.'' यह गलियारा गुरदासपुर में बाबा नानक गुरुद्वारे को पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब से जोड़ता है. यहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे. गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान की रावी नदी के पास स्थित है और पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से करीब चार किलोमीटर दूर है. इस साल 12 नवंबर को गुरु नानक की 550वीं जयंती के जश्न के हिस्से के रूप में इसे खोला गया है.  पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि मुस्लिम ‘‘ भारत में पहले ही काफी दबाव में है और भारतीय अदालत का यह फैसला उन पर और दबाव बढ़ाएगा.'' कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान फैसले को विस्तार से पढ़ने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया देगा. इस बीच, पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद हुसैन ने फैसले को ‘‘ शर्मनाक, बेहुदा, अवैध और अनैतिक'' करार दिया.  सरकारी पाकिस्तानी रेडियो की एक खबर के अनुसार सूचना और प्रसारण मामलों में प्रधानमंत्री की विशेष सहायक फिरदौस एवान ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय शीर्ष अदालत ने बता दिया कि वह स्वतंत्र नहीं है. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां करतारपुर गलियारा खोल पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित कर रहा है वहीं दूसरी ओर भारत मुसलमानां सहित अल्पसंख्यकों पर जुल्म कर रहा है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: सोनभद्र हत्याकांड पर बोले सीएम योगी- कांग्रेस और सपा के जो भी नेता इसके पीछे हैं सजा के लिए तैयार रहें
यह एक लेख है: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र हत्याकांड के लिये कांग्रेस और सपा के नेताओं को रविवार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्हें इसकी सजा के लिये तैयार रहना चाहिये. योगी ने सोनभद्र के उम्भा गांव में बुधवार को जमीन पर कब्जे को लेकर हुई गोलीबारी में मारे गये लोगों के परिजन से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि उनकी सरकार इस वारदात की तह में जाएगी और 'घड़ियाली आंसू' बहाने वालों का पर्दाफाश करेगी. उन्होंने सपा को भी घेरे में लेते हुए कहा, ''यह बात सामने आयी है कि इस मामले की तह में कांग्रेस के नेताओं का पाप है. जिन लोगों ने यह पाप किया, उनकी समाजवादी पार्टी के साथ आर्थिक साझेदारी रही है. उन लोगों के खिलाफ सरकार ने सख्त कार्रवाई भी की है.'' योगी ने एक सवाल पर कहा कि कांग्रेस और सपा के नेता इस पाप के लिये जिम्मेदार हैं और इसकी सजा के लिये उन्हें तैयार भी रहना चाहिये. मालूम हो कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने करीब 30 घंटे तक मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस में हिरासत में रहने के दौरान शनिवार को सोनभद्र हत्याकांड के पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी.  बीते बुधवार को सामूहिक हत्याकांड में 10 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद पहली बार सोनभद्र पहुंचे योगी ने कहा कि आजादी के बाद वर्ष 1955 में कांग्रेस की सरकार ने सोनभद्र में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के नाम पर जनजाति के लोगों की भूमि को एक पब्लिक ट्रस्ट के नाम कर दिया. वर्ष 1989 में उस ट्रस्ट से जुड़े लोगों के नाम पर वह जमीन कर दी गयी. वर्ष 2017 में वह जमीन कुछ लोगों को बेची गयी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गड़बड़ी की जांच के लिये राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी है जो 10 दिन में रिपोर्ट देगी.  उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस घटना में पुलिस की तरफ से कहां-कहां लापरवाही हुई है, इसकी जांच वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को सौंपी गयी है. योगी ने कहा कि उम्भा समेत दर्जनों गांव में जनजातीय लोगों की जमीनें हड़पे जाने के प्रकरण सामने आये हैं. सरकार आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये भी प्रभावी कार्रवाई करेगी.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं रॉबर्ट वाड्रा, मनी लॉन्ड्रिंग और जमीन सौदों से जुड़े गंभीर आरोपों में कसता जा रहा है शिकंजा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें जल्द समाप्त होने वाली नहीं हैं क्योंकि जांच एजेंसियां उनकी स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी कंपनी से जुड़े विभिन्न मामलों में आने वाले दिनों में फिर उनसे पूछताछ कर सकती हैं. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में रॉबर्ट वाड्रा से तीन दिनों तक पूछताछ की.  ईडी ने आज उनसे राजस्थान के बीकानेर में जमीन घोटाले से जुड़े मामले में  जयपुर से पूछताछ की. राजस्थान हाईकोर्ट ने वाड्रा और उनकी मां मौरीन वाड्रा को 12 फरवरी को ईडी के समक्ष पेश होकर उनकी कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का जवाब देने को कहा है.  रॉबर्ट वाड्रा और कंपनी में साझेदार उनकी मां को पिछले साल नवंबर में तीसरी बार समन जारी किया गया था, लेकिन वे पेश होने के बजाय किसी प्रकार की प्रतिरोधी कार्रवाई नहीं करने और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट पहुंचे थे. राजस्थान उच्च न्यायालय ने उनको मामले में जांच एजेंसी का सहयोग करने का निर्देश दिया.   एजेंसी ने सितंबर 2015 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था, जिसमें स्काईलाइट हॉस्पिेलिटी पर बीकानेर के कोलायत गांव में गरीबों के पुनर्वास की जमीन का अधिग्रहण करने का आरोप है. आरोप है कि वाड्रा ने सस्ते दाम पर 69.55 हेक्टेयर जमीन खरीदी और उसे अवैध लेन-देन के माध्यम से अलेगेनी फिनलीज को 5.15 करोड़ रुपये में बेच दिया.  एजेंसी के दावों के अनुसार, जांच में पाया गया कि अलेगेनी का कोई रियल बिजनेस नहीं है और अंशधारक भी फर्जी पाए गए.  इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2017 में राजस्थान सरकार के आग्रह पर बीकानेर जमीन सौदे के सिलसिले में 18 मामले दर्ज किए थे.   इन 18 मामलों में चार मामले स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी के खिलाफ दर्ज किए गए हैं.  ईडी सूत्रों के अनुसार, गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में एक जमीन सौदे से जुड़े मामले में आने वाले दिनों में नया मामला दर्ज किए जाने पर भी वाड्रा को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.  गुरुग्राम में 2009-12 के दौरान 1,417 एकड़ जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 23 जनवरी को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कई अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया, जिसमें 15 निजी बिल्डर भी शामिल हैं.  हरियाणा पुलिस ने पिछले साल दो सितंबर को वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ गुरुग्राम के जमीन सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर मामला दर्ज किया था. वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी ने शिकोहपुर गांव में 2008 में डीएलएफ को 3.5 एकड़ जमीन उस समय प्रचलित दर से काफी ऊंची कीमत पर बेची थी.   ईडी ने वाड्रा पर उनके करीबी मनोज अरोड़ा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में भी शिकंजा कसा है. भगोड़े आर्म्स डीलर संजय भंडारी के खिलाफ एक अन्य मामले में आयकर विभाग की जांच के दौरान मनोज अरोड़ा की भूमिका उजागर हुई थी.  कथित तौर पर लंदन की जायदाद भंडारी ने खरीदी थी और इसके नवीकरण पर अतिरिक्त खर्च के बावजूद उसे उतनी ही राशि में 2010 में बेच दिया था.  ईडी का कहना है कि उसे लंदन में वाड्रा की कई नई जायदादों के बारे में सूचना मिली है, जिनमें दो घर हैं. एक घर की कीमत 50 लाख पौंड और दूसरे की कीमत 40 लाख पौंड है.  इसके अलावा छह फ्लैट हैं. इन जायदादों की कुल कीमत 120 लाख पौंड है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: बॉक्स ऑफिस क्लैश पर बोले करण जौहर, 'ईद पर रिलीज का अधिकार केवल सलमान खान के पास'
लेख: फिल्म निर्माता करण जौहर का कहना है कि ईद पर फिल्में रिलीज करने का हक केवल सलमान खान के पास है और वह अपनी फिल्म ईद पर तभी रिलीज करेंगे जब वह सलमान के साथ कोई फिल्म बनाएंगे. करण की निर्माण कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस की फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' होली के मौके पर रिलीज हो रही है. फिल्म में आलिया भट्ट और वरुण धवन मुख्य भूमिकाएं निभा रहे हैं. करण जौहर का मानना है कि ईद सलमान खान की फिल्मों के उत्सव का वक्त होता है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के टकराने को लेकर करण ने न्यूज एजेंसी आईएएएएस से कहा, "हम यहां केवल फिल्में रिलीज करने के लिए नहीं हैं, बल्कि यह तरीके से होना चाहिए. एक निर्माता होने के तौर पर हमें कुछ चीजें अपने दिमाग में रखने की जरूरत है."टिप्पणियां शशांक खेतान के निर्देशन में बनी 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में वरुण फिल्म में छोटे शहर के मध्यमवर्गीय युवक की भूमिका निभा रहे हैं वहीं आलिया एक अच्छी बहू के रूप में नजर आएंगी. वरुण और आलिया ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2012 में आई फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से की थी. दोनों 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' में भी साथ नजर आ चुके हैं, इस फिल्म का निर्देशन भी शशांक खेतान ने किया था. फिल्म 10 मार्च को रिलीज हो रही है. निर्देशक के तौर पर करण की आखिरी फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' थी जो दिवाली के मौके पर अजय देवगन की 'शिवाय' से टकराई थी, इस टकराव का फिल्मों की कमाई पर चाहे जो असर पड़ा हो पर इसकी वजह से उनकी और अजय की पत्नी काजोल की 25 सालों की दोस्ती जरूर टूट गई. (इनपुट आईएएनएस से भी) बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के टकराने को लेकर करण ने न्यूज एजेंसी आईएएएएस से कहा, "हम यहां केवल फिल्में रिलीज करने के लिए नहीं हैं, बल्कि यह तरीके से होना चाहिए. एक निर्माता होने के तौर पर हमें कुछ चीजें अपने दिमाग में रखने की जरूरत है."टिप्पणियां शशांक खेतान के निर्देशन में बनी 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में वरुण फिल्म में छोटे शहर के मध्यमवर्गीय युवक की भूमिका निभा रहे हैं वहीं आलिया एक अच्छी बहू के रूप में नजर आएंगी. वरुण और आलिया ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2012 में आई फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से की थी. दोनों 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' में भी साथ नजर आ चुके हैं, इस फिल्म का निर्देशन भी शशांक खेतान ने किया था. फिल्म 10 मार्च को रिलीज हो रही है. निर्देशक के तौर पर करण की आखिरी फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' थी जो दिवाली के मौके पर अजय देवगन की 'शिवाय' से टकराई थी, इस टकराव का फिल्मों की कमाई पर चाहे जो असर पड़ा हो पर इसकी वजह से उनकी और अजय की पत्नी काजोल की 25 सालों की दोस्ती जरूर टूट गई. (इनपुट आईएएनएस से भी) शशांक खेतान के निर्देशन में बनी 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में वरुण फिल्म में छोटे शहर के मध्यमवर्गीय युवक की भूमिका निभा रहे हैं वहीं आलिया एक अच्छी बहू के रूप में नजर आएंगी. वरुण और आलिया ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2012 में आई फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से की थी. दोनों 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' में भी साथ नजर आ चुके हैं, इस फिल्म का निर्देशन भी शशांक खेतान ने किया था. फिल्म 10 मार्च को रिलीज हो रही है. निर्देशक के तौर पर करण की आखिरी फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' थी जो दिवाली के मौके पर अजय देवगन की 'शिवाय' से टकराई थी, इस टकराव का फिल्मों की कमाई पर चाहे जो असर पड़ा हो पर इसकी वजह से उनकी और अजय की पत्नी काजोल की 25 सालों की दोस्ती जरूर टूट गई. (इनपुट आईएएनएस से भी) (इनपुट आईएएनएस से भी)
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पाकिस्तान में आत्मघाती हमले में 13 की मौत
यह एक लेख है: पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के पेशावर शहर के बाहरी इलाके में रविवार को एक जनाजे को निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती बम विस्फोट में 13 लोग मारे गए तथा 32 अन्य घायल हो गए। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पेशावर के बदाभर इलाके में आत्मघाती हमलावर ने बम विस्फोट किया। बम विस्फोट से कुछ ही मिनट पहले खबर पख्तूनख्वा प्रांत के उपाध्यक्ष खुशदिल खान एक स्थानीय निवासी के जनाजे की नमाज में शामिल होकर कब्रिस्तान से निकले थे। लेडी रीडिंग अस्पताल में अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में 13 शव और 32 घायलों को लाया गया है। कई घायलों की हालत गंभीर है।टिप्पणियां पुलिस ने बताया कि उन्हें आत्मघाती हमलावर की टांगें और सिर मिल गया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग आत्मघाती हमलावर की विस्फोटक जैकेट में बंधे बॉल बेयरिंग से पहुंची चोट का निशाना बने। बम इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर खोजबीन अभियान शुरू कर दिया है। अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले कुछ सप्ताह से खबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान तालिबान की हिंसक गतिविधियां बढ़ गई हैं। शुक्रवार को तालिबान प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि यदि मारे गए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के परिवार को रिहा नहीं किया गया, तो आत्मघाती हमलावर देशभर में सुरक्षा बलों और सरकार के खिलाफ आत्मघाती हमले करेंगे। बम विस्फोट से कुछ ही मिनट पहले खबर पख्तूनख्वा प्रांत के उपाध्यक्ष खुशदिल खान एक स्थानीय निवासी के जनाजे की नमाज में शामिल होकर कब्रिस्तान से निकले थे। लेडी रीडिंग अस्पताल में अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में 13 शव और 32 घायलों को लाया गया है। कई घायलों की हालत गंभीर है।टिप्पणियां पुलिस ने बताया कि उन्हें आत्मघाती हमलावर की टांगें और सिर मिल गया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग आत्मघाती हमलावर की विस्फोटक जैकेट में बंधे बॉल बेयरिंग से पहुंची चोट का निशाना बने। बम इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर खोजबीन अभियान शुरू कर दिया है। अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले कुछ सप्ताह से खबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान तालिबान की हिंसक गतिविधियां बढ़ गई हैं। शुक्रवार को तालिबान प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि यदि मारे गए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के परिवार को रिहा नहीं किया गया, तो आत्मघाती हमलावर देशभर में सुरक्षा बलों और सरकार के खिलाफ आत्मघाती हमले करेंगे। पुलिस ने बताया कि उन्हें आत्मघाती हमलावर की टांगें और सिर मिल गया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग आत्मघाती हमलावर की विस्फोटक जैकेट में बंधे बॉल बेयरिंग से पहुंची चोट का निशाना बने। बम इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर खोजबीन अभियान शुरू कर दिया है। अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले कुछ सप्ताह से खबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान तालिबान की हिंसक गतिविधियां बढ़ गई हैं। शुक्रवार को तालिबान प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि यदि मारे गए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के परिवार को रिहा नहीं किया गया, तो आत्मघाती हमलावर देशभर में सुरक्षा बलों और सरकार के खिलाफ आत्मघाती हमले करेंगे। पिछले कुछ सप्ताह से खबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान तालिबान की हिंसक गतिविधियां बढ़ गई हैं। शुक्रवार को तालिबान प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि यदि मारे गए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के परिवार को रिहा नहीं किया गया, तो आत्मघाती हमलावर देशभर में सुरक्षा बलों और सरकार के खिलाफ आत्मघाती हमले करेंगे।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: इलाहाबाद में भगदड़ : आजम खान ने कुंभ मेला प्रभारी पद से इस्तीफा दिया
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां ने कुंभ मेले के दौरान रविवार को कम से कम 36 श्रद्धालुओं की मौत का कारण बने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए मेले के प्रभारी पद से इस्तीफे की पेशकश की है। आजम ने कहा, हालांकि यह हादसा कुंभ मेला क्षेत्र से बाहर (रेलवे स्टेशन पर) हुआ है, मैं इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं और मेले के प्रभारी पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज रहा हूं। खां ने कहा कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर रविवार हुए दर्दनाक हादसे से मैं बहुत दुखी हूं और सारी रात सो नहीं सका हूं, बावजूद इसके कि हमने कुंभ मेले की अच्छी से अच्छी व्यवस्था करने में अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। आजम ने कहा, हालांकि यह हादसा कुंभ मेला क्षेत्र से बाहर (रेलवे स्टेशन पर) हुआ है, मैं इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं और मेले के प्रभारी पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज रहा हूं। खां ने कहा कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर रविवार हुए दर्दनाक हादसे से मैं बहुत दुखी हूं और सारी रात सो नहीं सका हूं, बावजूद इसके कि हमने कुंभ मेले की अच्छी से अच्छी व्यवस्था करने में अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: सेंसेक्स 9 अंकों की गिरावट के साथ 27,238 के स्तर पर बंद हुआ
यह लेख है: शेयर बाजारों में गिरावट के साथ कारोबार का अंत हुआ. कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन सेंसेक्स में क्लोजिंग के दौरान चली आ रही तेजी पर लगा लगा और यह 9 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी 6 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ. निफ्टी 8,400 के स्तर पर सिमटा.टिप्पणियांप्रमुख सूचकांक सेंसेक्स आज सुबह 10.36 बजे 51.31 अंकों की गिरावट के साथ 27,195.85 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 20.05 अंकों की कमजोरी के साथ 8,387.15 पर कारोबार करते देखे गए.  बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 130.85 अंकों की बढ़त के साथ 27,378.01 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 50.45 अंकों की बढ़त के साथ 8,457.65 पर खुला.   प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स आज सुबह 10.36 बजे 51.31 अंकों की गिरावट के साथ 27,195.85 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 20.05 अंकों की कमजोरी के साथ 8,387.15 पर कारोबार करते देखे गए.  बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 130.85 अंकों की बढ़त के साथ 27,378.01 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 50.45 अंकों की बढ़त के साथ 8,457.65 पर खुला.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: मध्यप्रदेश में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव बने नेता प्रतिपक्ष
यह लेख है: मध्यप्रदेश के बीजेपी के दिग्गज नेता गोपाल भार्गव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए. भोपाल में केद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोपाल भार्गव के नाम का प्रस्ताव रखा. इसका नरोत्तम मिश्रा और कुंवर सिंह ने समर्थन किया. छात्र राजनीति के दौर में कॉलेज निर्माण के लिए जेल में रहे गोपाल भार्गव 1980 में पहली बार गढ़ाकोटा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए थे. इसके बाद 1984 में पहली बार रहली से विधायक बने. भार्गव को उमा भारती की सरकार में पहली बार मंत्री बनाया गया था. साल 2008 में उन्हें पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया. साल में दो बार सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाने वाले भार्गव को ‘शादी बाबा' के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने बेटे की शादी भी ऐसे ही समारोह में की थी. फिलहाल वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. गोपाल भार्गव बुन्देलखंड अंचल के बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. वे सन 1984 से 2018 तक लगातार सागर जिले की रहली विधानसभा से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. उन्होंने सभी आठ चुनाव जीते. मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार में 15 साल लगातार मंत्री बने रहने वाले वे एक मात्र विधायक हैं. गोपाल भार्गव उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान तीनों मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे हैं. मध्यप्रदेश में बीजेपी के विधायकों का नेता चुनने के लिए सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में बैठक हुई. बैठक में राजनाथ ने पार्टी विधायकों से चर्चा की. बीजेपी की ओर से प्रतिपक्ष के नेता पद के लिए तीन ब्राह्मण नेता दावेदार थे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और राजेंद्र शुक्ल. इन सबकी अलग-अलग कारणों से मजबूत दावेदारी थी. नरोत्तम मिश्रा दिल्ली की पसंद थे, तो भार्गव लगातार आठ बार से विधायक निर्वाचित होने के कारण प्रबल दावेदार थे. शुक्ल को इस बार विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाने का श्रेय है. इन तीनों दावेदारों में से एक को नेता चुनना बीजेपी के लिए आसान नहीं था. पार्टी में गोपाल भार्गव के नाम पर आम सहमति बन गई और फिर उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुन लिया गया. दूसरी ओर, मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ने कांग्रेस को वॉक ओवर देने से मना कर दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस के एनपी प्रजापति के सामने पूर्व शिक्षा मंत्री और आदिवासी चेहरे के तौर पर जाने जाने वाले कुंवर विजय शाह को प्रत्याशी बनाया है. विजय शाह हरसूद से विधायक हैं. कांग्रेस का आरोप है कि सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुनने की परंपरा को बीजेपी ने तोड़ा है. ऐसे में वह उसे उपाध्यक्ष पद नहीं देगी. वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में वरिष्ठतम विधायक को चुनने की परंपरा को नहीं निभाया है. विधानसभा में कांग्रेस के पास विधायकों का आंकड़ा बहुमत से 2 कम है, लेकिन सपा-बसपा-निर्दलियों की मदद से उसे भरोसा है कि वह अध्यक्ष का चुनाव जीत लेगी. राजनाथ सिंह सोमवार की शाम को विमान से भोपाल पहुंचे. बीजेपी नेताओं ने उनकी अगवानी की. इसके बाद वे सीधे बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे. विधायकों की बैठक में राजनाथ के साथ पर्यवेक्षक के तौर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी डॉ विनय सहस्रबुद्धे भी मौजूद रहे.
2
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा जल्द होगी : संपत
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: नए मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने आज कहा कि राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा जल्द ही की जाएगी। संपत ने अपना नया पद भार संभालने के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं और इसके कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी।’’ चुनाव की तारीख पूछे जाने पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि इस बारे में कुछ रहस्य भी बने रहने दें। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद उनका फौरी कार्य राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव कराना है। सवालों के जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रपति के चुनाव के संदर्भ में निर्वाचन अधिकारियों, सहायक निर्वाचन अधिकारियों और संचालन अधिकारियों की कार्यशाला पिछले महीने आयोजित की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में पहले ही जुटा हुआ है। इनके लिए संबंधित कर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले आयोजित हो चुका है। टिप्पणियां उनके अनुसार इन राज्यों की मतदाता सूची का संशोधन और मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण भी किया जा चुका है। आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने की अधिसूचना इसी हफ्ते जारी किए जाने की उम्मीद है। पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 13 जून को जारी हुई थी। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। संपत ने अपना नया पद भार संभालने के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं और इसके कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी।’’ चुनाव की तारीख पूछे जाने पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि इस बारे में कुछ रहस्य भी बने रहने दें। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद उनका फौरी कार्य राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव कराना है। सवालों के जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रपति के चुनाव के संदर्भ में निर्वाचन अधिकारियों, सहायक निर्वाचन अधिकारियों और संचालन अधिकारियों की कार्यशाला पिछले महीने आयोजित की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में पहले ही जुटा हुआ है। इनके लिए संबंधित कर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले आयोजित हो चुका है। टिप्पणियां उनके अनुसार इन राज्यों की मतदाता सूची का संशोधन और मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण भी किया जा चुका है। आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने की अधिसूचना इसी हफ्ते जारी किए जाने की उम्मीद है। पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 13 जून को जारी हुई थी। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद उनका फौरी कार्य राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव कराना है। सवालों के जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रपति के चुनाव के संदर्भ में निर्वाचन अधिकारियों, सहायक निर्वाचन अधिकारियों और संचालन अधिकारियों की कार्यशाला पिछले महीने आयोजित की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में पहले ही जुटा हुआ है। इनके लिए संबंधित कर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले आयोजित हो चुका है। टिप्पणियां उनके अनुसार इन राज्यों की मतदाता सूची का संशोधन और मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण भी किया जा चुका है। आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने की अधिसूचना इसी हफ्ते जारी किए जाने की उम्मीद है। पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 13 जून को जारी हुई थी। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में पहले ही जुटा हुआ है। इनके लिए संबंधित कर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले आयोजित हो चुका है। टिप्पणियां उनके अनुसार इन राज्यों की मतदाता सूची का संशोधन और मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण भी किया जा चुका है। आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने की अधिसूचना इसी हफ्ते जारी किए जाने की उम्मीद है। पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 13 जून को जारी हुई थी। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। उनके अनुसार इन राज्यों की मतदाता सूची का संशोधन और मतदान केन्द्रों का युक्तिकरण भी किया जा चुका है। आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने की अधिसूचना इसी हफ्ते जारी किए जाने की उम्मीद है। पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 13 जून को जारी हुई थी। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। सत्तारूढ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और एनसीपी नेता पी ए संगमा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की दौड़ में पहले ही शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। सत्ता पक्ष की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सबसे प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: आईपीएल में सौरव गांगुली की वापसी
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की मंगलवार को आईपीएल में नाटकीय वापसी हो गई। खराब दौर से जूझ रही पुणे वॉरियर्स ने घायल तेज गेंदबाज आशीष नेहरा की जगह उन्हें अनुबंधित किया है। पुणे वॉरियर्स के टीम निदेशक अभिजीत सरकार ने कहा, हम आशीष नेहरा की फिटनेस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे और रिपोर्ट कल ही आई है। मैं गांगुली से पहले ही से संपर्क में था। सौरव को क्रिकेट का इतना अनुभव है जो टीम के काम आएगा। हमने कल रात को उनके नाम पर मुहर लगाई। पहले तीन सत्र में कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ खेलने वाले गांगुली को जनवरी में हुई नीलामी में किसी टीम ने नहीं खरीदा था। उन्होंने केकेआर का मेंटर बनने से भी इनकार कर दिया था। पहले कोच्चि टस्कर्स केरल ने उन्हें खरीदने की कोशिश की जिसे आईपीएल संचालन परिषद ने नामंजूर कर दिया। उन्होंने पुणे के साथ अनुबंध किया है जिससे लगातार छह मैच हार चुकी टीम को संबल मिलेगा।
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: नाइजीरिया में बोको हराम के हमलों में 19 लोगों की गई जान
यह एक लेख है: नाइजीरिया में आतंकी संगठन बोको हराम के चार सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों में 19 लोगों की मौत हो गई. नाइजीरियाई पुलिस ने बताया कि यह बोको हराम के आठ साल के आतंकवाद की जन्म भूमि मैदुगुरी में पिछले कुछ महीनों में अब तक का सबसे घातक हमला है. बोर्नो प्रांत के पुलिस आयुक्त ने बताया कि मंगलवार रात को हुए हमलों में 23 अन्य लोग घायल हो गए. पुलिस आयुक्त ने कहा कि मृतकों में 12 नागरिक आत्मरक्षा बल के सदस्य हैं. वहीं, 7 अन्य उनकी मौत पर शोक जताने के लिए एकत्रित होने वाले लोग हैं.टिप्पणियां आत्मरक्षा बल के एक प्रवक्ता डैनबैट्टरा बेलो ने बताया कि कम से कम एक आत्मघाती हमलावर महिला थी. उन्होंने बताया कि हमलावरों ने उनके सहकर्मियों को खासतौर पर उस वक्त निशाना बनाया जब वे ड्यूटी पर तैनात थे. बोको हराम बाजार वाले इलाकों, जांच चौकियों और अन्य जगहों पर हमला करने के लिए लड़कियों और युवतियों का ज्यादा इस्तेमाल करने लगा है. चरमपंथी संगठन से बचकर भागने वाली कुछ युवतियों ने बताया कि लड़कियों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और आत्मघाती अभियानों पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) आत्मरक्षा बल के एक प्रवक्ता डैनबैट्टरा बेलो ने बताया कि कम से कम एक आत्मघाती हमलावर महिला थी. उन्होंने बताया कि हमलावरों ने उनके सहकर्मियों को खासतौर पर उस वक्त निशाना बनाया जब वे ड्यूटी पर तैनात थे. बोको हराम बाजार वाले इलाकों, जांच चौकियों और अन्य जगहों पर हमला करने के लिए लड़कियों और युवतियों का ज्यादा इस्तेमाल करने लगा है. चरमपंथी संगठन से बचकर भागने वाली कुछ युवतियों ने बताया कि लड़कियों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और आत्मघाती अभियानों पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
2
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: 48 भारतीय अरबपतियों में मुकेश अम्बानी सबसे धनी
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अम्बानी 22.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ देश के सबसे धनी व्यक्ति हैं। प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स की सूची में 48 भारतीय अरबपतियों को शामिल किया गया है, जिसमें सबसे पहला स्थान मुकेश अम्बानी को दिया गया है। देश के सबसे धनी 10 लोगों में सावित्री जिंदल और परिवार (विश्व सूची में 80वें स्थान पर), सुनील मित्तल और परिवार (113वां स्थान), कुमार बिड़ला (116वां स्थान), अनिल अम्बानी (118वां स्थान), दिलीप संघवी (124वां स्थान), शशि और रवि रुइया (133वां स्थान) तथा कुशल पाल सिंह (153वां स्थान) को भी शामिल किया गया है। पिछले साल मुकेश अम्बानी की सम्पत्ति में 4.7 अरब डॉलर की कमी आई, इसके बाद भी वह वह विश्व सूची में 19वें स्थान पर हैं। मेक्सिको के दूरसंचार कारोबारी कार्लोस स्लिम 69 अरब डॉलर सम्पत्ति के साथ लगातार तीसरे साल सूची में पहले स्थान पर हैं। सूची में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और समाजसेवी 56 वर्षीय बिल गेट्स 61 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर हैं बर्कशायर हैथवे के 81 वर्षीय वारेन बफेट हैं। उनकी सम्पत्ति 44 अरब डॉलर है। दुनिया के लगभग एक तिहाई से अधिक अरबपतियों की सम्पत्ति में पिछले साल कमी आई है। इस्पात सम्राट लक्ष्मी मित्तल को दूसरे सबसे धनी भारतीय बताया गया है। उनकी सम्पत्ति में पिछले साल काफी अधिक गिरावट आई। उनकी सम्पत्ति पिछले साल 10.4 अरब डॉलर घटकर 20.7 अरब डॉलर रह गई। पहली बार वह दुनिया के सबसे धनी 10 लोगों के समूह से बाहर चले गए। विश्व सूची में उन्हें 21वां स्थान दिया गया। सूची में 15.9 अरब डॉलर के साथ विप्रो क अध्यक्ष अजीम प्रेमजी 41वें स्थान पर हैं। वह तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं।टिप्पणियां इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। देश के सबसे धनी 10 लोगों में सावित्री जिंदल और परिवार (विश्व सूची में 80वें स्थान पर), सुनील मित्तल और परिवार (113वां स्थान), कुमार बिड़ला (116वां स्थान), अनिल अम्बानी (118वां स्थान), दिलीप संघवी (124वां स्थान), शशि और रवि रुइया (133वां स्थान) तथा कुशल पाल सिंह (153वां स्थान) को भी शामिल किया गया है। पिछले साल मुकेश अम्बानी की सम्पत्ति में 4.7 अरब डॉलर की कमी आई, इसके बाद भी वह वह विश्व सूची में 19वें स्थान पर हैं। मेक्सिको के दूरसंचार कारोबारी कार्लोस स्लिम 69 अरब डॉलर सम्पत्ति के साथ लगातार तीसरे साल सूची में पहले स्थान पर हैं। सूची में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और समाजसेवी 56 वर्षीय बिल गेट्स 61 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर हैं बर्कशायर हैथवे के 81 वर्षीय वारेन बफेट हैं। उनकी सम्पत्ति 44 अरब डॉलर है। दुनिया के लगभग एक तिहाई से अधिक अरबपतियों की सम्पत्ति में पिछले साल कमी आई है। इस्पात सम्राट लक्ष्मी मित्तल को दूसरे सबसे धनी भारतीय बताया गया है। उनकी सम्पत्ति में पिछले साल काफी अधिक गिरावट आई। उनकी सम्पत्ति पिछले साल 10.4 अरब डॉलर घटकर 20.7 अरब डॉलर रह गई। पहली बार वह दुनिया के सबसे धनी 10 लोगों के समूह से बाहर चले गए। विश्व सूची में उन्हें 21वां स्थान दिया गया। सूची में 15.9 अरब डॉलर के साथ विप्रो क अध्यक्ष अजीम प्रेमजी 41वें स्थान पर हैं। वह तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं।टिप्पणियां इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। पिछले साल मुकेश अम्बानी की सम्पत्ति में 4.7 अरब डॉलर की कमी आई, इसके बाद भी वह वह विश्व सूची में 19वें स्थान पर हैं। मेक्सिको के दूरसंचार कारोबारी कार्लोस स्लिम 69 अरब डॉलर सम्पत्ति के साथ लगातार तीसरे साल सूची में पहले स्थान पर हैं। सूची में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और समाजसेवी 56 वर्षीय बिल गेट्स 61 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर हैं बर्कशायर हैथवे के 81 वर्षीय वारेन बफेट हैं। उनकी सम्पत्ति 44 अरब डॉलर है। दुनिया के लगभग एक तिहाई से अधिक अरबपतियों की सम्पत्ति में पिछले साल कमी आई है। इस्पात सम्राट लक्ष्मी मित्तल को दूसरे सबसे धनी भारतीय बताया गया है। उनकी सम्पत्ति में पिछले साल काफी अधिक गिरावट आई। उनकी सम्पत्ति पिछले साल 10.4 अरब डॉलर घटकर 20.7 अरब डॉलर रह गई। पहली बार वह दुनिया के सबसे धनी 10 लोगों के समूह से बाहर चले गए। विश्व सूची में उन्हें 21वां स्थान दिया गया। सूची में 15.9 अरब डॉलर के साथ विप्रो क अध्यक्ष अजीम प्रेमजी 41वें स्थान पर हैं। वह तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं।टिप्पणियां इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। सूची में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और समाजसेवी 56 वर्षीय बिल गेट्स 61 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर हैं बर्कशायर हैथवे के 81 वर्षीय वारेन बफेट हैं। उनकी सम्पत्ति 44 अरब डॉलर है। दुनिया के लगभग एक तिहाई से अधिक अरबपतियों की सम्पत्ति में पिछले साल कमी आई है। इस्पात सम्राट लक्ष्मी मित्तल को दूसरे सबसे धनी भारतीय बताया गया है। उनकी सम्पत्ति में पिछले साल काफी अधिक गिरावट आई। उनकी सम्पत्ति पिछले साल 10.4 अरब डॉलर घटकर 20.7 अरब डॉलर रह गई। पहली बार वह दुनिया के सबसे धनी 10 लोगों के समूह से बाहर चले गए। विश्व सूची में उन्हें 21वां स्थान दिया गया। सूची में 15.9 अरब डॉलर के साथ विप्रो क अध्यक्ष अजीम प्रेमजी 41वें स्थान पर हैं। वह तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं।टिप्पणियां इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। इस्पात सम्राट लक्ष्मी मित्तल को दूसरे सबसे धनी भारतीय बताया गया है। उनकी सम्पत्ति में पिछले साल काफी अधिक गिरावट आई। उनकी सम्पत्ति पिछले साल 10.4 अरब डॉलर घटकर 20.7 अरब डॉलर रह गई। पहली बार वह दुनिया के सबसे धनी 10 लोगों के समूह से बाहर चले गए। विश्व सूची में उन्हें 21वां स्थान दिया गया। सूची में 15.9 अरब डॉलर के साथ विप्रो क अध्यक्ष अजीम प्रेमजी 41वें स्थान पर हैं। वह तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं।टिप्पणियां इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। इस साल सूची में 1,226 अरबपतियों को शामिल किया गया है और उनकी औसत सम्पत्ति 3.7 अरब डॉलर प्रत्येक है। वर्ष 2011 की सूची में 1,210 अरबपतियों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल सभी अरपतियों की कुल सम्पत्ति 4600 अरब डॉलर है। अरपतियों में सबसे अधिक अमेरिका, उसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र, उसके बाद यूरोप, अमेरिकी महादेश, मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के हैं। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है। सूची में 104 अरबपति महिलाओं को शामिल किया गया है। वालमार्ट की वारिश क्रिस्टी वाल्टन 25.3 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ दुनिया की सबसे धनी महिला हैं। विश्व सूची में उन्हें 11वां स्थान मिला है।
13
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: शीना बोरा और राहुल मुखर्जी की सगाई हो चुकी थी!
लेख: मुंबई में बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड के मामले में जहां पुलिस तह तक पहुंचने में जुटी है वहीं एक और तथ्य सामने आ रहा है कि शीना बोरा और राहुल मुखर्जी के संबंध केवल प्रेम तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि दोनों की शादी होने वाली थी क्योंकि दोनों की सगाई हो चुकी थी। सूत्रों के अनुसार जांच में यह खुलासा हुआ है। सूत्र बता रहे हैं कि साल 2011 में दोनों की यह सगाई हुई थी। पुलिस के सूत्रों का कहना है कि पुलिस अभी तक हत्याकांड में इस्तेमाल कार का कुछ पता नहीं कर पाई है। यह वही कार है जिसमें कथित रूप से शीना की हत्या हुई थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए प्रयोग में लाई गई थी।टिप्पणियां पुलिस को इस बात का शक है कि हत्या के लिए किराये की कार का प्रयोग किया गया था। पुलिस ने यह मान लिया है कि हत्या वाले दिन पीटर मुखर्जी मुंबई में नहीं थे। पीटर उन दिनों लंदन गए थे। सूत्रों के अनुसार जांच में यह खुलासा हुआ है। सूत्र बता रहे हैं कि साल 2011 में दोनों की यह सगाई हुई थी। पुलिस के सूत्रों का कहना है कि पुलिस अभी तक हत्याकांड में इस्तेमाल कार का कुछ पता नहीं कर पाई है। यह वही कार है जिसमें कथित रूप से शीना की हत्या हुई थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए प्रयोग में लाई गई थी।टिप्पणियां पुलिस को इस बात का शक है कि हत्या के लिए किराये की कार का प्रयोग किया गया था। पुलिस ने यह मान लिया है कि हत्या वाले दिन पीटर मुखर्जी मुंबई में नहीं थे। पीटर उन दिनों लंदन गए थे। पुलिस के सूत्रों का कहना है कि पुलिस अभी तक हत्याकांड में इस्तेमाल कार का कुछ पता नहीं कर पाई है। यह वही कार है जिसमें कथित रूप से शीना की हत्या हुई थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए प्रयोग में लाई गई थी।टिप्पणियां पुलिस को इस बात का शक है कि हत्या के लिए किराये की कार का प्रयोग किया गया था। पुलिस ने यह मान लिया है कि हत्या वाले दिन पीटर मुखर्जी मुंबई में नहीं थे। पीटर उन दिनों लंदन गए थे। पुलिस को इस बात का शक है कि हत्या के लिए किराये की कार का प्रयोग किया गया था। पुलिस ने यह मान लिया है कि हत्या वाले दिन पीटर मुखर्जी मुंबई में नहीं थे। पीटर उन दिनों लंदन गए थे। पुलिस ने यह मान लिया है कि हत्या वाले दिन पीटर मुखर्जी मुंबई में नहीं थे। पीटर उन दिनों लंदन गए थे।
2
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: यूपी विधानसभा चुनाव 2017 : पूर्वी उत्तर प्रदेश की 102 सीटों के लिए क्‍या है बीजेपी की रणनीति
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: इलाहाबाद से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर एक तीर्थस्‍थान स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के समय राम, सीता और लक्ष्‍मण को यहीं निषाद राजा यानी मल्‍लाहों के राजा ने आश्रय दिया था. यहां का घाट पर गंदगी भरी है. इस इलाके के सांसद हैं केशव प्रसाद मौर्य जो यूपी बीजेपी के अध्‍यक्ष भी हैं. वहीं विधायक समाजवादी पार्टी से हैं. गांव वाले शिकायत करते हैं कि न तो सांसद महोदय ने और न ही विधायक जी ने यहां से गंदगी साफ करने में कोई रुचि दिखाई है. एक स्‍थानीय गाइड सुरेंद्र निषाद कहते हैं, 'हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निषादों की तारीफ करते हुए कहा था कि देश के लिए निषाद समाज के योगदान को सम्‍मान देने के लिए भारत के एक उपग्रह का नाम नाविक (नैविगेशन विद इंडियन कॉन्‍स्‍टेलेशन) रखा गया है. हम लोगों को और खुशी मिलती अगर पीएम घाटों को भी साफ करवा देते.' इलाहाबाद में हालांकि मतदान संपन्‍न हो चुका है. लेकिन राजनीतिक दलों के लिए लोगों के हितों से जुड़े मुद्दे इतने अप्रासंगिक कहीं भी नहीं रहे जितना पूर्वी उत्तर प्रदेश के इन 17 जिलों में जहां शनिवार को और फिर बुधवार को मतदान होना है. यहां केवल लोगों की जाति का ही महत्‍व है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस क्षेत्र में लगभग क्‍लीन स्‍वीप किया था क्‍योंकि यहां अन्‍य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) की संख्‍या इलाके की कुल जनसंख्‍या का करीब 40 फीसदी है. इनमें यादव भी शामिल हैं जो समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन करते हैं. इनके अलावा करीब 200 समूह हैं जिन पर एक बार फिर बीजेपी की नजर है.   लेकिन 2017 में मायावती की बीएसपी और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की सपा के अलावा कुछ अन्‍य जाति आधारित राजनीतिक दल भी मैदान में हैं जो इस वोट बैंक में सेंध लगाने में लगे हैं. गोरखपुर आधारित ऐसा ही एक राजनीतिक दल है निर्बल इंडियन शोषित आम दल (NISHAD), जिसका नेतृत्‍व पूर्व होमियोपैथी डॉक्‍टर संजय निषाद कर रहे हैं. इनका दावा है कि यूपी की आबादी में करीब 2 फीसदी की संख्‍या वाले निषाद समाज का बड़ा हिस्‍सा उनकी पार्टी का समर्थक है. गोरखपुर ग्रामीण सीट, जहां निषाद समाज के करीब एक लाख लोग रहते हैं,  से चुनाव में किस्‍मत आजमा रहे डॉ. निषाद कहते हैं, 'सभी पार्टियों ने केवल हमारा शोषण किया है और हमारे समाज को कोई भी राजनीतिक लाभ नहीं मिला. निषाद विधायकों और सांसदों को शायद ही राज्‍य या केंद्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्‍व मिलता है. अब हमें हमारा बकाया चाहिए. लेकिन वह कबूल करते हैं कि जब तक यूपी के अति पिछड़ा वर्ग के ज्‍यादातर लोग एक नहीं होते और खुद का मोर्चा नहीं बनाते, वो सत्ता की उम्‍मीद नहीं कर सकते. वह कहते हैं, 'जिसका दल होता है उसका बल होता है.' पिछड़ी जातियों में भी एक स्‍पष्‍ट वर्गीकरण है. प्रजापति, सैनी, बिंद, मौर्य और अन्‍य अति पिछड़े वर्गों समेत निषाद को भी 1980 और 90 के मंडल कमीशन के फायदों से मुख्‍यत: बाहर रखा गया. इन्‍हें मुख्‍यत: आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों जैसे यादव, कुर्मी, कोयरी और लोध ने किनारे कर दिया. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. इलाहाबाद में हालांकि मतदान संपन्‍न हो चुका है. लेकिन राजनीतिक दलों के लिए लोगों के हितों से जुड़े मुद्दे इतने अप्रासंगिक कहीं भी नहीं रहे जितना पूर्वी उत्तर प्रदेश के इन 17 जिलों में जहां शनिवार को और फिर बुधवार को मतदान होना है. यहां केवल लोगों की जाति का ही महत्‍व है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस क्षेत्र में लगभग क्‍लीन स्‍वीप किया था क्‍योंकि यहां अन्‍य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) की संख्‍या इलाके की कुल जनसंख्‍या का करीब 40 फीसदी है. इनमें यादव भी शामिल हैं जो समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन करते हैं. इनके अलावा करीब 200 समूह हैं जिन पर एक बार फिर बीजेपी की नजर है.   लेकिन 2017 में मायावती की बीएसपी और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की सपा के अलावा कुछ अन्‍य जाति आधारित राजनीतिक दल भी मैदान में हैं जो इस वोट बैंक में सेंध लगाने में लगे हैं. गोरखपुर आधारित ऐसा ही एक राजनीतिक दल है निर्बल इंडियन शोषित आम दल (NISHAD), जिसका नेतृत्‍व पूर्व होमियोपैथी डॉक्‍टर संजय निषाद कर रहे हैं. इनका दावा है कि यूपी की आबादी में करीब 2 फीसदी की संख्‍या वाले निषाद समाज का बड़ा हिस्‍सा उनकी पार्टी का समर्थक है. गोरखपुर ग्रामीण सीट, जहां निषाद समाज के करीब एक लाख लोग रहते हैं,  से चुनाव में किस्‍मत आजमा रहे डॉ. निषाद कहते हैं, 'सभी पार्टियों ने केवल हमारा शोषण किया है और हमारे समाज को कोई भी राजनीतिक लाभ नहीं मिला. निषाद विधायकों और सांसदों को शायद ही राज्‍य या केंद्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्‍व मिलता है. अब हमें हमारा बकाया चाहिए. लेकिन वह कबूल करते हैं कि जब तक यूपी के अति पिछड़ा वर्ग के ज्‍यादातर लोग एक नहीं होते और खुद का मोर्चा नहीं बनाते, वो सत्ता की उम्‍मीद नहीं कर सकते. वह कहते हैं, 'जिसका दल होता है उसका बल होता है.' पिछड़ी जातियों में भी एक स्‍पष्‍ट वर्गीकरण है. प्रजापति, सैनी, बिंद, मौर्य और अन्‍य अति पिछड़े वर्गों समेत निषाद को भी 1980 और 90 के मंडल कमीशन के फायदों से मुख्‍यत: बाहर रखा गया. इन्‍हें मुख्‍यत: आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों जैसे यादव, कुर्मी, कोयरी और लोध ने किनारे कर दिया. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस क्षेत्र में लगभग क्‍लीन स्‍वीप किया था क्‍योंकि यहां अन्‍य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) की संख्‍या इलाके की कुल जनसंख्‍या का करीब 40 फीसदी है. इनमें यादव भी शामिल हैं जो समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन करते हैं. इनके अलावा करीब 200 समूह हैं जिन पर एक बार फिर बीजेपी की नजर है.   लेकिन 2017 में मायावती की बीएसपी और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की सपा के अलावा कुछ अन्‍य जाति आधारित राजनीतिक दल भी मैदान में हैं जो इस वोट बैंक में सेंध लगाने में लगे हैं. गोरखपुर आधारित ऐसा ही एक राजनीतिक दल है निर्बल इंडियन शोषित आम दल (NISHAD), जिसका नेतृत्‍व पूर्व होमियोपैथी डॉक्‍टर संजय निषाद कर रहे हैं. इनका दावा है कि यूपी की आबादी में करीब 2 फीसदी की संख्‍या वाले निषाद समाज का बड़ा हिस्‍सा उनकी पार्टी का समर्थक है. गोरखपुर ग्रामीण सीट, जहां निषाद समाज के करीब एक लाख लोग रहते हैं,  से चुनाव में किस्‍मत आजमा रहे डॉ. निषाद कहते हैं, 'सभी पार्टियों ने केवल हमारा शोषण किया है और हमारे समाज को कोई भी राजनीतिक लाभ नहीं मिला. निषाद विधायकों और सांसदों को शायद ही राज्‍य या केंद्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्‍व मिलता है. अब हमें हमारा बकाया चाहिए. लेकिन वह कबूल करते हैं कि जब तक यूपी के अति पिछड़ा वर्ग के ज्‍यादातर लोग एक नहीं होते और खुद का मोर्चा नहीं बनाते, वो सत्ता की उम्‍मीद नहीं कर सकते. वह कहते हैं, 'जिसका दल होता है उसका बल होता है.' पिछड़ी जातियों में भी एक स्‍पष्‍ट वर्गीकरण है. प्रजापति, सैनी, बिंद, मौर्य और अन्‍य अति पिछड़े वर्गों समेत निषाद को भी 1980 और 90 के मंडल कमीशन के फायदों से मुख्‍यत: बाहर रखा गया. इन्‍हें मुख्‍यत: आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों जैसे यादव, कुर्मी, कोयरी और लोध ने किनारे कर दिया. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. गोरखपुर ग्रामीण सीट, जहां निषाद समाज के करीब एक लाख लोग रहते हैं,  से चुनाव में किस्‍मत आजमा रहे डॉ. निषाद कहते हैं, 'सभी पार्टियों ने केवल हमारा शोषण किया है और हमारे समाज को कोई भी राजनीतिक लाभ नहीं मिला. निषाद विधायकों और सांसदों को शायद ही राज्‍य या केंद्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्‍व मिलता है. अब हमें हमारा बकाया चाहिए. लेकिन वह कबूल करते हैं कि जब तक यूपी के अति पिछड़ा वर्ग के ज्‍यादातर लोग एक नहीं होते और खुद का मोर्चा नहीं बनाते, वो सत्ता की उम्‍मीद नहीं कर सकते. वह कहते हैं, 'जिसका दल होता है उसका बल होता है.' पिछड़ी जातियों में भी एक स्‍पष्‍ट वर्गीकरण है. प्रजापति, सैनी, बिंद, मौर्य और अन्‍य अति पिछड़े वर्गों समेत निषाद को भी 1980 और 90 के मंडल कमीशन के फायदों से मुख्‍यत: बाहर रखा गया. इन्‍हें मुख्‍यत: आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों जैसे यादव, कुर्मी, कोयरी और लोध ने किनारे कर दिया. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. पिछड़ी जातियों में भी एक स्‍पष्‍ट वर्गीकरण है. प्रजापति, सैनी, बिंद, मौर्य और अन्‍य अति पिछड़े वर्गों समेत निषाद को भी 1980 और 90 के मंडल कमीशन के फायदों से मुख्‍यत: बाहर रखा गया. इन्‍हें मुख्‍यत: आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों जैसे यादव, कुर्मी, कोयरी और लोध ने किनारे कर दिया. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. पड़ोस के बिहार में एमबीसी को यादवों के विरोध के बावजूद राज्‍य की नौकरशाही और पंचायती राज संस्‍थाओं में आरक्षण का लाभ मिलता है, और ऐसा मुख्‍यत: मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के दखल की वजह से होता है, जो खुद कुर्मी जाति से आते हैं. यूपी में आरक्षण या सरकारी नीतियों का सबसे ज्‍यादा लाभ जाटवों और यादवों को मिला है. ये वो जातियां हैं जो मायावती या समाजवादी पार्टी को समर्थन देती हैं जिन्‍होंने पिछले करीब 15 वर्षों से बारी-बारी से राज्‍य पर शासन किया है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. कुम्‍हार जाति के 30 वर्षीय राजमिस्‍त्री विनय कुमार कहते हैं, 'अगर आप मिर्जापुर के लेबर चौक का चक्‍कर लगाएंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश मजदूर अति पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. अब बीजेपी कह रही है, 'अति पिछड़ा वर्ग के लिए हम ही सही पार्टी हैं.' मैंने मोदी जी के लिए वोट दिया था लेकिन मेरी मजदूरी में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.' 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. 2014 के आम चुनाव से पहले राज्‍य में ऊंची जातियों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को अति पिछड़े वर्गों द्वारा महसूस की जा रही उपेक्षा का एहसास हुआ. उसके बाद पार्टी ने जाति आधारित कई छोटी पार्टियों से गठबंधन किया. इनमें ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्‍व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसकी राजभर जाति पर पकड़ है और अपना दल जो कि कुर्मी जाति की पार्टी है जिसकी राज्‍य में करीब 3.5 फीसदी आबादी है और जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. लेकिन बीजेपी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी खुद थे. ओबीसी नेता के रूप में नरेंद्र मोदी (जो तेली जति से आते हैं) को पेश करके और विकास के मजबूत एजेंडे के साथ बीजेपी बिखरे हुए पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही - उसे अति पिछड़ों में करीब 60 फीसदी का जबरदस्‍त समर्थन मिला. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. यह पहली बार नहीं था जब बीजेपी ने अति सशक्‍त वोट बैंक के रूप में अति पिछड़ा वर्ग की क्षमता को पहचाना था. 1980 के दशक के आखिर में अयोध्‍या में राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान वह बड़ी संख्‍या में एकजुट हुए थे, लेकिन आंदोलन का नेतृत्‍व ओबीसी नेताओं कल्‍याण सिंह और उमा भारती को दे दिया गया जो लोध जाति के हैं. कल्‍याण सिंह दो बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने, पहली बार 1991 में और फिर 1997 में. धीरे-धीरे राम मंदिर निर्माण आंदोलन कमजोर पड़ गया और बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई और पिछड़ी जातियों पर इसकी पकड़ भी ढीली पड़ गई और वो मायावती और समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं.इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. एक बार फिर बीजेपी के सामने 2014 के बाद इस वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है. पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्‍वपूर्ण पद देकर इसकी नींव रखनी शुरू की. जैसे केशव प्रसाद मौर्य जो कि कुशवाहा जाति के हैं और लोकसभा सांसद हैं, को पार्टी ने प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया. साथ ही पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने समाजावादी पार्टी के कई ओबीसी नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया तो साथ ही बसपा के भी कई दिग्‍गज पार्टी से जुड़े. इनमें यूपी में बीएसपी में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं. इस बीच में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी, जिससे ये जातियां केंद्र सरकार की कल्‍याण योजनाओं और वंचित वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों के लिए योग्‍य हो गईं. बीजेपी अखिलेश के इस कदम का मुकाबला करने के लिए अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा संस्‍थानों में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रही है, वर्तमान में यह अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जा रहा है. पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग और गैर यादव पिछड़ा वर्ग से करीब 170 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जो इसके विरोधियों की तुलना में कहीं ज्‍यादा हैं.टिप्पणियां लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. लेकिन वाराणसी में कुर्मी जाति के बीच प्रसिद्ध एक हनुमान मंदिर में छोटे किसानों का एक समूह बीजेपी को लेकर सशंकित है. वो कहते हैं, 'हमलोग मोदी को वोट देते अगर वो हमारे बैंक खातों में पैसे डलवा देते ताकि हम नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई कर पाते, इसलिए नहीं कि बीजेपी ने कुर्मी नेता को पार्टी में ऊंचा पद दिया या हमारी जाति के लोगों को ज्‍यादा टिकट दिए. जाति महत्‍वपूर्ण है लेकिन कुछ महत्‍वपूर्ण तात्‍कालिक जरूरतें हैं जो उससे परे हैं.' डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.'जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है. डॉ. निषाद के कार्यालय में एक पूरी दीवार अपने समुदाय के प्रतीकों के लिए समर्पित है जिसमें दो यूरोपीय हस्तियां भी शामिल हैं, 15वीं सदी के नाविक और खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डी गामा. 'हम एक ही कबीले के हैं.' 'निषादों की तरह इन्‍होंने भी नई दुनिया की खोज करते हुए पानी के जरिए ही जीवनयापन किया और हमें प्रेरित किया है.' जैसे जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रहा है, यहां रंगों और जातीय अंकगणित की कोई कमी नहीं है.
9
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: गेंदबाजों का एक्शन सुधारने की कोशिश में वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड
यह एक लेख है: वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। टीम के प्रदर्शन के साथ-साथ स्पिनरों पर गलत गेंदबाजी एक्शन की वजह से लगे बैन ने विंडीज क्रिकेट बोर्ड को परेशानी में डाल दिया है। इस सबसे निजात पाने के लिए बोर्ड ने एक रिव्यू कमेटी बनाई है जो गेंदबाजों के एक्शन को ठीक करने में मदद करेगी। हाल के दिनों में वेस्ट इंडीज़ के सुनील नरेन, मार्लन सैमुएल्स और शेन शिलिंफ़ोर्ड गलत गेंदबाजी एक्शन के लिए आईसीसी के निशाने पर हैं। आईसीसी नियम के मुताबिक जिन गेंदबाजों पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजी करने पर बैन लगा हुआ है वे घरेलू क्रिकेट में गेंदबाजी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें आईसीसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है लेकिन घरेलू बोर्ड से इजाजत जरूरी होगी। नरेन का गेंदबाजी एक्शन कई बार सवालों के घेरे में रहा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजी करने पर रोक लगने के बाद नरेन ने सुधार की कोशिश की लेकिन वे आईसीसी के टेस्ट में फेल हो गए। बोर्ड ने नरेन को हर संभव मदद देने का एलान किया था। हालांकि अब नरेन दोबारा टेस्ट दे सकते हैं लेकिन सैमुएल्स को 12 महीने का इंतजार करना होगा। टिप्पणियां सैमुएल्स की गेंदबाजी पर बैन लगने के बाद विंडीज़ बोर्ड परेशान होकर रिव्यू कमेटी बनाने को मजबूर हो गई है। इससे पहले स्पिनर शिलिंफोर्ड की गेंदबाजी एक्शन पर भारत दौरे पर सवाल उठ चुके हैं। विंडीज़ बोर्ड से पहले बीसीसीआई ने अपने स्पिनरों की गेंदबाजी एक्शन को सुधारने के लिए एक कमेटी बना रखी है। इस कमेटी की सिफारिशों को सख्त तरीके से लागू किया जाता है। प्रज्ञान ओझा की बॉलिंग एक्शन को बीसीसीआई द्वारा बनाई कमेटी ने गलत पाया जिसके बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा। हालांकि बॉलिंग एक्शन में बदलाव के बाद ओझा घरेलू मैचों में खेल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी वापसी बाकी है। हाल के दिनों में वेस्ट इंडीज़ के सुनील नरेन, मार्लन सैमुएल्स और शेन शिलिंफ़ोर्ड गलत गेंदबाजी एक्शन के लिए आईसीसी के निशाने पर हैं। आईसीसी नियम के मुताबिक जिन गेंदबाजों पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजी करने पर बैन लगा हुआ है वे घरेलू क्रिकेट में गेंदबाजी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें आईसीसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है लेकिन घरेलू बोर्ड से इजाजत जरूरी होगी। नरेन का गेंदबाजी एक्शन कई बार सवालों के घेरे में रहा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजी करने पर रोक लगने के बाद नरेन ने सुधार की कोशिश की लेकिन वे आईसीसी के टेस्ट में फेल हो गए। बोर्ड ने नरेन को हर संभव मदद देने का एलान किया था। हालांकि अब नरेन दोबारा टेस्ट दे सकते हैं लेकिन सैमुएल्स को 12 महीने का इंतजार करना होगा। टिप्पणियां सैमुएल्स की गेंदबाजी पर बैन लगने के बाद विंडीज़ बोर्ड परेशान होकर रिव्यू कमेटी बनाने को मजबूर हो गई है। इससे पहले स्पिनर शिलिंफोर्ड की गेंदबाजी एक्शन पर भारत दौरे पर सवाल उठ चुके हैं। विंडीज़ बोर्ड से पहले बीसीसीआई ने अपने स्पिनरों की गेंदबाजी एक्शन को सुधारने के लिए एक कमेटी बना रखी है। इस कमेटी की सिफारिशों को सख्त तरीके से लागू किया जाता है। प्रज्ञान ओझा की बॉलिंग एक्शन को बीसीसीआई द्वारा बनाई कमेटी ने गलत पाया जिसके बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा। हालांकि बॉलिंग एक्शन में बदलाव के बाद ओझा घरेलू मैचों में खेल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी वापसी बाकी है। नरेन का गेंदबाजी एक्शन कई बार सवालों के घेरे में रहा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजी करने पर रोक लगने के बाद नरेन ने सुधार की कोशिश की लेकिन वे आईसीसी के टेस्ट में फेल हो गए। बोर्ड ने नरेन को हर संभव मदद देने का एलान किया था। हालांकि अब नरेन दोबारा टेस्ट दे सकते हैं लेकिन सैमुएल्स को 12 महीने का इंतजार करना होगा। टिप्पणियां सैमुएल्स की गेंदबाजी पर बैन लगने के बाद विंडीज़ बोर्ड परेशान होकर रिव्यू कमेटी बनाने को मजबूर हो गई है। इससे पहले स्पिनर शिलिंफोर्ड की गेंदबाजी एक्शन पर भारत दौरे पर सवाल उठ चुके हैं। विंडीज़ बोर्ड से पहले बीसीसीआई ने अपने स्पिनरों की गेंदबाजी एक्शन को सुधारने के लिए एक कमेटी बना रखी है। इस कमेटी की सिफारिशों को सख्त तरीके से लागू किया जाता है। प्रज्ञान ओझा की बॉलिंग एक्शन को बीसीसीआई द्वारा बनाई कमेटी ने गलत पाया जिसके बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा। हालांकि बॉलिंग एक्शन में बदलाव के बाद ओझा घरेलू मैचों में खेल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी वापसी बाकी है। सैमुएल्स की गेंदबाजी पर बैन लगने के बाद विंडीज़ बोर्ड परेशान होकर रिव्यू कमेटी बनाने को मजबूर हो गई है। इससे पहले स्पिनर शिलिंफोर्ड की गेंदबाजी एक्शन पर भारत दौरे पर सवाल उठ चुके हैं। विंडीज़ बोर्ड से पहले बीसीसीआई ने अपने स्पिनरों की गेंदबाजी एक्शन को सुधारने के लिए एक कमेटी बना रखी है। इस कमेटी की सिफारिशों को सख्त तरीके से लागू किया जाता है। प्रज्ञान ओझा की बॉलिंग एक्शन को बीसीसीआई द्वारा बनाई कमेटी ने गलत पाया जिसके बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा। हालांकि बॉलिंग एक्शन में बदलाव के बाद ओझा घरेलू मैचों में खेल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी वापसी बाकी है। विंडीज़ बोर्ड से पहले बीसीसीआई ने अपने स्पिनरों की गेंदबाजी एक्शन को सुधारने के लिए एक कमेटी बना रखी है। इस कमेटी की सिफारिशों को सख्त तरीके से लागू किया जाता है। प्रज्ञान ओझा की बॉलिंग एक्शन को बीसीसीआई द्वारा बनाई कमेटी ने गलत पाया जिसके बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट से ब्रेक लेना पड़ा। हालांकि बॉलिंग एक्शन में बदलाव के बाद ओझा घरेलू मैचों में खेल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी वापसी बाकी है।
2
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: स्‍क्‍वॉश में भारत के वी. सेंथिलकुमार ने अंडर-19 एशियाई खिताब जीता
यह लेख है: भारत के उभरते हुए खिलाड़ी वेलावन सेंथिलकुमार ने दो गेम से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए शनिवार को यहां अंडर-19 एशियाई जूनियर व्यक्तिगत स्‍क्‍वॉश चैम्पियनशिप में जोर्डन के मोहम्मद अल सराज को 12-14,  9-11,  11-6,  11-8, 11-7 से शिकस्त देकर खिताब अपने नाम किया.टिप्पणियां चेन्नई का यह खिलाड़ी इंडियन स्‍क्‍वॉश अकादमी में ट्रेनिंग करता हैं. सेंथिल कुमार, रवि दीक्षित के 2010 में जीती गयी ट्रॉफी के बाद यह खिताब जीतने वाला दूसरा भारतीय है. दिलचस्प बात है कि रवि भी इसी अकादमी में ट्रेनिंग करते थे वेलावन को दूसरी वरीयता मिली थी जबकि सराज चौथे वरीय थे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) चेन्नई का यह खिलाड़ी इंडियन स्‍क्‍वॉश अकादमी में ट्रेनिंग करता हैं. सेंथिल कुमार, रवि दीक्षित के 2010 में जीती गयी ट्रॉफी के बाद यह खिताब जीतने वाला दूसरा भारतीय है. दिलचस्प बात है कि रवि भी इसी अकादमी में ट्रेनिंग करते थे वेलावन को दूसरी वरीयता मिली थी जबकि सराज चौथे वरीय थे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
9
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: सरबजीत ‘नॉन रिवर्सिबल’ कोमा में, भारत ने फिर की रिहाई की मांग
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: जानलेवा हमले में पिछले सप्ताह गंभीर रूप से घायल भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह ‘नॉन रिवर्सिबल’ कोमा में चले गए हैं और यहां अस्पताल में डॉक्टर उनकी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उधर, भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तानी विदेश सचिव से मुलाकात की और मानवीय एवं सहानुभूति के आधार पर सरबजीत सिंह को तत्काल रिहा करने का पाकिस्तान से आग्रह किया। भारत ने सरबजीत के लिए बेहतर इलाज की मांग करते हुए कहा कि उसे भारत नहीं तो किसी दूसरे देश भेजा जाए। गौरतलब है कि सरकारी सूत्रों ने बताया है कि सरबजीत की हालत जिस तरह से गिर रही है उससे वह ‘दिमागी रूप से मृत’ की हालत में जा सकते हैं। किसी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पहुंची क्षति और मस्तिष्क के चेतना स्तर का संकेतक बताने वाले ग्लासगो कोमा स्केल पर सरबजीत की हालत ‘नाजुक स्तर’ तक गिर गई है। उधर, सरबजीत सिंह का परिवार आज पाकिस्तान से भारत लौट आया। सरबजीत के परिजन ने स्वदेश लौटने के बाद कहा कि वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मिलने का प्रयास करेंगे। बहन दलबीर कौर ने मांग की है कि सरबजीत के इलाज में मदद के लिए भारतीय चिकित्सकों को पाकिस्तान बुलाया जाना चाहिए या फिर उसे इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। उधर, भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तानी विदेश सचिव से मुलाकात की और मानवीय एवं सहानुभूति के आधार पर सरबजीत सिंह को तत्काल रिहा करने का पाकिस्तान से आग्रह किया। भारत ने सरबजीत के लिए बेहतर इलाज की मांग करते हुए कहा कि उसे भारत नहीं तो किसी दूसरे देश भेजा जाए। गौरतलब है कि सरकारी सूत्रों ने बताया है कि सरबजीत की हालत जिस तरह से गिर रही है उससे वह ‘दिमागी रूप से मृत’ की हालत में जा सकते हैं। किसी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पहुंची क्षति और मस्तिष्क के चेतना स्तर का संकेतक बताने वाले ग्लासगो कोमा स्केल पर सरबजीत की हालत ‘नाजुक स्तर’ तक गिर गई है। उधर, सरबजीत सिंह का परिवार आज पाकिस्तान से भारत लौट आया। सरबजीत के परिजन ने स्वदेश लौटने के बाद कहा कि वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मिलने का प्रयास करेंगे। बहन दलबीर कौर ने मांग की है कि सरबजीत के इलाज में मदद के लिए भारतीय चिकित्सकों को पाकिस्तान बुलाया जाना चाहिए या फिर उसे इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। गौरतलब है कि सरकारी सूत्रों ने बताया है कि सरबजीत की हालत जिस तरह से गिर रही है उससे वह ‘दिमागी रूप से मृत’ की हालत में जा सकते हैं। किसी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पहुंची क्षति और मस्तिष्क के चेतना स्तर का संकेतक बताने वाले ग्लासगो कोमा स्केल पर सरबजीत की हालत ‘नाजुक स्तर’ तक गिर गई है। उधर, सरबजीत सिंह का परिवार आज पाकिस्तान से भारत लौट आया। सरबजीत के परिजन ने स्वदेश लौटने के बाद कहा कि वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मिलने का प्रयास करेंगे। बहन दलबीर कौर ने मांग की है कि सरबजीत के इलाज में मदद के लिए भारतीय चिकित्सकों को पाकिस्तान बुलाया जाना चाहिए या फिर उसे इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। उधर, सरबजीत सिंह का परिवार आज पाकिस्तान से भारत लौट आया। सरबजीत के परिजन ने स्वदेश लौटने के बाद कहा कि वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मिलने का प्रयास करेंगे। बहन दलबीर कौर ने मांग की है कि सरबजीत के इलाज में मदद के लिए भारतीय चिकित्सकों को पाकिस्तान बुलाया जाना चाहिए या फिर उसे इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। बहन दलबीर कौर ने मांग की है कि सरबजीत के इलाज में मदद के लिए भारतीय चिकित्सकों को पाकिस्तान बुलाया जाना चाहिए या फिर उसे इलाज के लिए विदेश भेजा जाना चाहिए। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। भारत लौटकर दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया ने बार-बार उनसे पूछा कि भारत की सरकार पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रही। प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए दलबीर ने उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि सरबजीत के मामले में सबसे ज्यादा निराश वह भारत सरकार से हैं। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। कौर ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि जेल में सरबजीत पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेडिकल की कोई रिपोर्ट नहीं दी। मुझे उनके इलाज पर शक है।टिप्पणियां दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। दलबीर ने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उसे जानकारी दी है कि तालिबान ने उसे भी मारने की धमकी दी है। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं। 49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के अलावा उसे कई प्रकार की चोटें लगी थीं । उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे।   एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘दिल धड़क रहा है’ लेकिन ‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’ क्योंकि ऐसा उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नतीजा है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में हैं और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं हैं।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: विदेशी खातों पर सरकार ने कहा, कार्रवाई है जारी
यह एक लेख है: केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि विदेशी बैंकों में जमा धन के संबंध में 2011 में फ्रांस की ओर से मिली सूचना की जांच की जा रही है और इस संबंध में आयकर कानून के तहत उचित कार्रवाई शुरू कर दी गई है। स्विट्जरलैंड में खाताधारी कई व्यक्तियों और कंपनियों की सूची फ्रांस ने मुहैया कराई थी। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर यह आरोप लगाया था कि फ्रांस ने 2011 में जो सूची मुहैया कराई थी उस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। वित्त मंत्रालय ने इस मसले पर एक बयान जारी कर कहा कि दी गई सूचना का विश्लेषण किया है और इस संबंध में एक-एक मामले पर कार्रवाई की जाएगी। बयान में कहा गया कि इस संबंध में विदेशी आयकर प्राधिकरण से अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम संगठनों की सूची में दिए गए नामों का खुलासा करने की मांग पर बयान में कहा गया, "फ्रांस की सरकार से मिली जानकारी दोहरे काराधान के तहत गुप्त रखने के प्रावधान से बंधा हुआ है।" मंत्रालय के बयान में इस बात खुलासा नहीं किया गया है कि फ्रांस द्वारा दी गई सूची में कितने लोगों के नाम हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर यह आरोप लगाया था कि फ्रांस ने 2011 में जो सूची मुहैया कराई थी उस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। वित्त मंत्रालय ने इस मसले पर एक बयान जारी कर कहा कि दी गई सूचना का विश्लेषण किया है और इस संबंध में एक-एक मामले पर कार्रवाई की जाएगी। बयान में कहा गया कि इस संबंध में विदेशी आयकर प्राधिकरण से अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम संगठनों की सूची में दिए गए नामों का खुलासा करने की मांग पर बयान में कहा गया, "फ्रांस की सरकार से मिली जानकारी दोहरे काराधान के तहत गुप्त रखने के प्रावधान से बंधा हुआ है।" मंत्रालय के बयान में इस बात खुलासा नहीं किया गया है कि फ्रांस द्वारा दी गई सूची में कितने लोगों के नाम हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया कि इस संबंध में विदेशी आयकर प्राधिकरण से अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम संगठनों की सूची में दिए गए नामों का खुलासा करने की मांग पर बयान में कहा गया, "फ्रांस की सरकार से मिली जानकारी दोहरे काराधान के तहत गुप्त रखने के प्रावधान से बंधा हुआ है।" मंत्रालय के बयान में इस बात खुलासा नहीं किया गया है कि फ्रांस द्वारा दी गई सूची में कितने लोगों के नाम हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम संगठनों की सूची में दिए गए नामों का खुलासा करने की मांग पर बयान में कहा गया, "फ्रांस की सरकार से मिली जानकारी दोहरे काराधान के तहत गुप्त रखने के प्रावधान से बंधा हुआ है।" मंत्रालय के बयान में इस बात खुलासा नहीं किया गया है कि फ्रांस द्वारा दी गई सूची में कितने लोगों के नाम हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मंत्रालय के बयान में इस बात खुलासा नहीं किया गया है कि फ्रांस द्वारा दी गई सूची में कितने लोगों के नाम हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। केजरीवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि स्विटजरलैंड के जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में करीब 700 लोगों के खाते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से जून 2011 में मिली जानकारी कुछ निश्चित बैंक खातों के बारे में है। इसमें निजी और गैर निजी खाते शामिल हैं। "टिप्पणियां बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया कि इन खातों पर उचित कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई तथ्यों के आधार पर की जाएगी जिसमें कर निर्धारण, कर संग्रह और जुर्माना शामिल होगा।   उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि कुछ उद्योगपति और राजनेताओं के स्विटजरलैंड के बैंक में खाता हैं। उन्होंने कहा कि हवाला के जरिये जिन्होंने भी इन खातों में पैसा जमा कराया है, तथ्यों के अधार पर उनके परिसरों पर छापे मारे जाने चाहिए एवं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि एचएसबीसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को धन की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: प्राइम टाइम इंट्रो : दिखने लगे ग्लोबल वॉर्मिंग के नतीजे
यह एक लेख है: याद कीजिए आप एक हफ्ते में कितनी बार बोलते हैं कि मौसम में बहुत बदलाव हो गया है. बारिश या तो नहीं होती है, होती है तो बाढ़ का कहर पैदा कर देती है. कई जगहों पर नए नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. गर्मी के भी. बारिश के भी और सूखे के भी. जिन शहरों को हमने सबसे सुरक्षित माना है, वही अब बैठे बैठे डूब जा रहे हैं. उत्तर भारत के लोग आए दिन फेसबुक पर लिखते रहते हैं कि दस पंद्रह साल पहले दुर्गापूजा के समय हम फुल स्वेटर पहना करते थे, यहां तो दुर्गा पूजा समेत अक्टूबर बीत गया मगर गर्मी है कि कंफ्यूज़ कर दे रही है. कभी एसी चलाओ तो कभी पंखा मत चलाओ. इसका मतलब है कि हम इस बदलाव को तब भी महसूस करते हैं जब शहर में बाढ़ का कहर न हो या जंगलों में दावानल न हो. सैंकड़ों लोगों की मौत के बाद, हज़ारों घरों के ढहने के बाद हम थोड़े दिन बाद स्थिति सामान्य मान लेते हैं और फिर अपनी दुनिया में खो जाते हैं. लेकिन जिस दुनिया में हम खो जाने का भ्रम पाल रहे हैं दरअसल उस दुनिया को हमने बहुत पहले खो दिया है. मूल बात ये है कि हमने इस धरती को रहने लायक छोड़ा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जो दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन यानी एमिशन या पैदा होने की मात्रा पर नज़र रखती है. इसका नाम है World Meteorological Organization (WMO). इसकी एक रिपोर्ट के अनुसार हम जिनता समझते हैं, स्थिति उससे भी अधिक भयाकन है. यानी अब हम अपने जीवनकाल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम होते हुए नहीं देख सकेंगे क्योंकि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन यानी जमावड़ा 400 पार्ट्स पर मिलियन (ppm) के स्तर को पार कर चुका है. पहले भी CO2 का कंसंट्रेशन 400 को पार कर चुका है लेकिन तब कुछ सीमित इलाकों में कुछ महीने के लिए था. पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरी दुनिया के स्तर पर पूरे साल भर के लिए इसकी मात्रा 400 पीपीएम पार कर गई है. यह बताया गया है कि धरती पर इससे अधिक कार्बन डाइआक्साइड कभी भी इस स्तर पर नहीं पहुंचा है. तब भी नहीं जब क़रीब 3.8 अरब साल पहले पहला बैक्टीरियम बना होगा या ये कहें कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति हो रही होगी. काफी टेक्निकल हो गया ये मामला तो लेकिन अगर हम ये कहें कि इसके कारण दुनिया भर में हर साल ढाई लाख लोगों की मौत होने लगेगी. जो ज़िंदा रहेंगे उनमें से 12.2 करोड़ ग़रीबी की हालत में धकेल दिये जाएंगे. गर्मियां और भी ज़्यादा गर्म होंगी, बाढ़ और भी ज़्यादा भयानक होंगी और समुद्र ज़मीन का और बड़ा हिस्सा निगल लेगा. हम बार बार सुनते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर औद्योगिक दौर के स्तर तक ले जाना है. धरती का तापमान उस समय के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए. ओद्योगिक युग मने अठारहवीं सदी और अभी है इक्कीसवीं सदी का सोलहवां साल. अठारहवीं सदीं में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा आज की तुलना में आधी से कुछ अधिक ही थी. तब कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा थी 278 पीपीएम. यह एक आदर्श मात्रा थी जिसके कारण समुद्र, वातावरण और जैवमंडल के बीच संतुलन बना हुआ था. जैवमंडल मने धरती और वायु यानी वो जगह जहां हम और आप, तमाम तरह के जीव जंतु रहते हैं. औद्योगिक क्रांति से हमने तेल, कोयला वग़ैरह का ख़ूब इस्तमाल करना शुरू कर दिया. जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी और प्रकृति का संतुलन ख़त्म होने लगा. 2015 में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले 144% ज़्यादा हो गया. ग्रीन हाउस गैस का ज़िक्र आप बार बार सुनते होंगे. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. ग्रीनहाउस गैस में 65 फीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रह जाता है. आम तौर पर समुद्र, जंगल, पेड़ पौधे, शाक सब्ज़ियां कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं. नई रिपोर्ट कह रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है. अभी तो ये दुनिया के आधे कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं मगर ख़तरा इस बात का है कि इनकी ये क्षमता भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने के कगार पर है. मतलब अब इनसे ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि हमारे गुनाहों पर पर्दा डाल कर हमें बचा लेंगे. एक और जानकारी के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच हमारे क्लाइमेट में वॉर्मिंग इफेक्ट यानी गर्मी क़रीब 37 फीसदी बढ़ी. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. लेकिन जिस दुनिया में हम खो जाने का भ्रम पाल रहे हैं दरअसल उस दुनिया को हमने बहुत पहले खो दिया है. मूल बात ये है कि हमने इस धरती को रहने लायक छोड़ा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जो दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन यानी एमिशन या पैदा होने की मात्रा पर नज़र रखती है. इसका नाम है World Meteorological Organization (WMO). इसकी एक रिपोर्ट के अनुसार हम जिनता समझते हैं, स्थिति उससे भी अधिक भयाकन है. यानी अब हम अपने जीवनकाल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम होते हुए नहीं देख सकेंगे क्योंकि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन यानी जमावड़ा 400 पार्ट्स पर मिलियन (ppm) के स्तर को पार कर चुका है. पहले भी CO2 का कंसंट्रेशन 400 को पार कर चुका है लेकिन तब कुछ सीमित इलाकों में कुछ महीने के लिए था. पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरी दुनिया के स्तर पर पूरे साल भर के लिए इसकी मात्रा 400 पीपीएम पार कर गई है. यह बताया गया है कि धरती पर इससे अधिक कार्बन डाइआक्साइड कभी भी इस स्तर पर नहीं पहुंचा है. तब भी नहीं जब क़रीब 3.8 अरब साल पहले पहला बैक्टीरियम बना होगा या ये कहें कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति हो रही होगी. काफी टेक्निकल हो गया ये मामला तो लेकिन अगर हम ये कहें कि इसके कारण दुनिया भर में हर साल ढाई लाख लोगों की मौत होने लगेगी. जो ज़िंदा रहेंगे उनमें से 12.2 करोड़ ग़रीबी की हालत में धकेल दिये जाएंगे. गर्मियां और भी ज़्यादा गर्म होंगी, बाढ़ और भी ज़्यादा भयानक होंगी और समुद्र ज़मीन का और बड़ा हिस्सा निगल लेगा. हम बार बार सुनते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर औद्योगिक दौर के स्तर तक ले जाना है. धरती का तापमान उस समय के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए. ओद्योगिक युग मने अठारहवीं सदी और अभी है इक्कीसवीं सदी का सोलहवां साल. अठारहवीं सदीं में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा आज की तुलना में आधी से कुछ अधिक ही थी. तब कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा थी 278 पीपीएम. यह एक आदर्श मात्रा थी जिसके कारण समुद्र, वातावरण और जैवमंडल के बीच संतुलन बना हुआ था. जैवमंडल मने धरती और वायु यानी वो जगह जहां हम और आप, तमाम तरह के जीव जंतु रहते हैं. औद्योगिक क्रांति से हमने तेल, कोयला वग़ैरह का ख़ूब इस्तमाल करना शुरू कर दिया. जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी और प्रकृति का संतुलन ख़त्म होने लगा. 2015 में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले 144% ज़्यादा हो गया. ग्रीन हाउस गैस का ज़िक्र आप बार बार सुनते होंगे. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. ग्रीनहाउस गैस में 65 फीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रह जाता है. आम तौर पर समुद्र, जंगल, पेड़ पौधे, शाक सब्ज़ियां कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं. नई रिपोर्ट कह रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है. अभी तो ये दुनिया के आधे कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं मगर ख़तरा इस बात का है कि इनकी ये क्षमता भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने के कगार पर है. मतलब अब इनसे ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि हमारे गुनाहों पर पर्दा डाल कर हमें बचा लेंगे. एक और जानकारी के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच हमारे क्लाइमेट में वॉर्मिंग इफेक्ट यानी गर्मी क़रीब 37 फीसदी बढ़ी. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. यह बताया गया है कि धरती पर इससे अधिक कार्बन डाइआक्साइड कभी भी इस स्तर पर नहीं पहुंचा है. तब भी नहीं जब क़रीब 3.8 अरब साल पहले पहला बैक्टीरियम बना होगा या ये कहें कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति हो रही होगी. काफी टेक्निकल हो गया ये मामला तो लेकिन अगर हम ये कहें कि इसके कारण दुनिया भर में हर साल ढाई लाख लोगों की मौत होने लगेगी. जो ज़िंदा रहेंगे उनमें से 12.2 करोड़ ग़रीबी की हालत में धकेल दिये जाएंगे. गर्मियां और भी ज़्यादा गर्म होंगी, बाढ़ और भी ज़्यादा भयानक होंगी और समुद्र ज़मीन का और बड़ा हिस्सा निगल लेगा. हम बार बार सुनते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर औद्योगिक दौर के स्तर तक ले जाना है. धरती का तापमान उस समय के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए. ओद्योगिक युग मने अठारहवीं सदी और अभी है इक्कीसवीं सदी का सोलहवां साल. अठारहवीं सदीं में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा आज की तुलना में आधी से कुछ अधिक ही थी. तब कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा थी 278 पीपीएम. यह एक आदर्श मात्रा थी जिसके कारण समुद्र, वातावरण और जैवमंडल के बीच संतुलन बना हुआ था. जैवमंडल मने धरती और वायु यानी वो जगह जहां हम और आप, तमाम तरह के जीव जंतु रहते हैं. औद्योगिक क्रांति से हमने तेल, कोयला वग़ैरह का ख़ूब इस्तमाल करना शुरू कर दिया. जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी और प्रकृति का संतुलन ख़त्म होने लगा. 2015 में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले 144% ज़्यादा हो गया. ग्रीन हाउस गैस का ज़िक्र आप बार बार सुनते होंगे. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. ग्रीनहाउस गैस में 65 फीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रह जाता है. आम तौर पर समुद्र, जंगल, पेड़ पौधे, शाक सब्ज़ियां कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं. नई रिपोर्ट कह रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है. अभी तो ये दुनिया के आधे कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं मगर ख़तरा इस बात का है कि इनकी ये क्षमता भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने के कगार पर है. मतलब अब इनसे ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि हमारे गुनाहों पर पर्दा डाल कर हमें बचा लेंगे. एक और जानकारी के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच हमारे क्लाइमेट में वॉर्मिंग इफेक्ट यानी गर्मी क़रीब 37 फीसदी बढ़ी. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. हम बार बार सुनते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर औद्योगिक दौर के स्तर तक ले जाना है. धरती का तापमान उस समय के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए. ओद्योगिक युग मने अठारहवीं सदी और अभी है इक्कीसवीं सदी का सोलहवां साल. अठारहवीं सदीं में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा आज की तुलना में आधी से कुछ अधिक ही थी. तब कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा थी 278 पीपीएम. यह एक आदर्श मात्रा थी जिसके कारण समुद्र, वातावरण और जैवमंडल के बीच संतुलन बना हुआ था. जैवमंडल मने धरती और वायु यानी वो जगह जहां हम और आप, तमाम तरह के जीव जंतु रहते हैं. औद्योगिक क्रांति से हमने तेल, कोयला वग़ैरह का ख़ूब इस्तमाल करना शुरू कर दिया. जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी और प्रकृति का संतुलन ख़त्म होने लगा. 2015 में कार्बन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले 144% ज़्यादा हो गया. ग्रीन हाउस गैस का ज़िक्र आप बार बार सुनते होंगे. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. ग्रीनहाउस गैस में 65 फीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रह जाता है. आम तौर पर समुद्र, जंगल, पेड़ पौधे, शाक सब्ज़ियां कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं. नई रिपोर्ट कह रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है. अभी तो ये दुनिया के आधे कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं मगर ख़तरा इस बात का है कि इनकी ये क्षमता भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने के कगार पर है. मतलब अब इनसे ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि हमारे गुनाहों पर पर्दा डाल कर हमें बचा लेंगे. एक और जानकारी के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच हमारे क्लाइमेट में वॉर्मिंग इफेक्ट यानी गर्मी क़रीब 37 फीसदी बढ़ी. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. ग्रीन हाउस गैस का ज़िक्र आप बार बार सुनते होंगे. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. ग्रीनहाउस गैस में 65 फीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में रह जाता है. आम तौर पर समुद्र, जंगल, पेड़ पौधे, शाक सब्ज़ियां कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं. नई रिपोर्ट कह रही है कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है. अभी तो ये दुनिया के आधे कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं मगर ख़तरा इस बात का है कि इनकी ये क्षमता भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने के कगार पर है. मतलब अब इनसे ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि हमारे गुनाहों पर पर्दा डाल कर हमें बचा लेंगे. एक और जानकारी के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच हमारे क्लाइमेट में वॉर्मिंग इफेक्ट यानी गर्मी क़रीब 37 फीसदी बढ़ी. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. पेरिस समझौते के तहत दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का स्तर औद्योगिक दौर से पहले के मुक़ाबले सिर्फ़ 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने की संभावना भी बहुत कम हो गई है. कहा गया है कि तमाम देशों की सरकारों को पेरिस समझौते को तेज़ी से लागू करना होगा. वर्ना हम धरती को सुरक्षित स्तर पर नहीं पहुंचा सकेंगे. World Meteorological Organization (WMO) सूचनाओं के आदान प्रदान और कौन देश क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी के लिए एक ग्लोबल डेटा सिस्टम भी बना रहा है. अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो इन दिनों पर दिवाली गिफ्ट से भरी कारों से सड़कें जाम मिलेंगी और सांस लेने के लिए जो हवा है वो ख़राब मिलेगी.टिप्पणियां System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) के मॉनीटरिंग सिस्टम्स के मुताबिक दिल्ली के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर पीएम 2.5 का स्तर 321 microgram per cubic metre हो गया है. बुधवार सुबह शाहदरा, शांतिपथ और आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 350 ug/m3 तक पहुंच गया था जबकि पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. आपको याद ही होगा कि इसी साल जनवरी में दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 430 से 435 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आस पास हो गया था. तब दिल्ली में कितना हंगामा हुआ था. दिल्ली सरकार को भी ऑड इवन का फॉर्मूला लेकर आना पड़ा था. फेसबुक पर दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एक ग्रुप एयरवेदा ने कहा है कि दीवाली से तीन दिन पहले से आपका बच्चा एक दिन में चौदह सिगरेट के बराबर धुआं ग्रहण करेगा. फिलहाल कारण तो ट्रैफिक के कारण है और बादलों के घिरने से भी प्रदूषक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है. चीन न सही, भारतीय पटाखे भी तो जलाएंगे. इससे भी प्रदूषण का स्तर पांच गुना हो जाएगा. कई लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक पर नज़र लगा रहे हैं. दरअसल एक दिन से प्रदूषण इसलिए भी बढ़ता है कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक तो रोज़ ही प्रदूषण पैदा कर रहा है. आप ट्रैफिक कम नहीं कर सकते, आप पटाखे बंद नहीं कर सकते, तो समाधान क्या है. वैसे बहुतों ने पटाखों का इस्तमाल कम कर दिया है या बंद कर दिया है. बाकी शहरों में भी स्थिति ख़राब है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक से भी अधिकतम हो गई है, ये जाएगी नहीं तो होगा क्या. हम इस पर तो बात कर ही सकते हैं क्योंकि ये तो ग्लोबल औसत है.
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत पर अमेरिका ने खुशी जताई
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अमेरिका ने इस बात से खुशी जताई है कि भारत और पाकिस्तान के अधिकारी जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर हालात को लेकर अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।टिप्पणियां क्या अमेरिका दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच बातचीत से संतुष्ट है, इस सवाल पर विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने कहा, हम यह देखते हुए खुश हैं कि वे उच्च स्तर पर एक-दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। हम सोचते हैं कि यह सही तरीका है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, हमारी समझ है कि नियंत्रण रेखा पर हिंसा पर भारत और पाकिस्तान के बीच उच्चस्तरीय बातचीत के प्रयास जारी रहने चाहिए। विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पाकिस्तान की विदेशमंत्री हिना रब्बानी खार से मुलाकात के लिए न्यूयॉर्क जाएंगे। हिना वहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने पहुंची हैं। समझा जाता है कि जब विदेश विभाग के अधिकारी न्यूयॉर्क में हिना से बातचीत करेंगे तो एलओसी के हालात पर भी चर्चा हो सकती है। क्या अमेरिका दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच बातचीत से संतुष्ट है, इस सवाल पर विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने कहा, हम यह देखते हुए खुश हैं कि वे उच्च स्तर पर एक-दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। हम सोचते हैं कि यह सही तरीका है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, हमारी समझ है कि नियंत्रण रेखा पर हिंसा पर भारत और पाकिस्तान के बीच उच्चस्तरीय बातचीत के प्रयास जारी रहने चाहिए। विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पाकिस्तान की विदेशमंत्री हिना रब्बानी खार से मुलाकात के लिए न्यूयॉर्क जाएंगे। हिना वहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने पहुंची हैं। समझा जाता है कि जब विदेश विभाग के अधिकारी न्यूयॉर्क में हिना से बातचीत करेंगे तो एलओसी के हालात पर भी चर्चा हो सकती है। समझा जाता है कि जब विदेश विभाग के अधिकारी न्यूयॉर्क में हिना से बातचीत करेंगे तो एलओसी के हालात पर भी चर्चा हो सकती है।
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: संगीता मिश्रा, आयशा राय, नीता सिंह नामों वाली अनजान लड़कियों से अगर है Facebook पर दोस्ती तो सावधान, IB ने किया बड़ा खुलासा
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक ऐसे कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना व सुरक्षा बलों के जवानों व अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए किया जाता था. यह कॉल सेंटर इस्लामाबाद से 116 किलोमीटर दूर झेलम शहर में है. इस कॉल सेंटर को चलाने वाली कंपनी कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी लिमिटेड (पीटीसीएल) है. इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के सहयोग से चलने वाला यह कॉल सेंटर भारतीय सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था. ये वही सिमकार्ड होते थे जो अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने वाले भारत के लोगों, खासतौर से महिलाओं से सीमा पर पाकिस्तानी कस्टम विभाग द्वारा जब्त किए जाते थे. इस सनीसनीखेज हनीट्रैप के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के साथ-साथ कुछ अन्य राज्यों की पुलिस ने जब देशव्यापी जांच शुरू की तो ऐसे 100 से ज्यादा सिम कार्डो का पता चला. पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाली भारतीय महिलाओं से जब्त सिम कार्ड का उपयोग सीमापार स्थित कॉल सेंटरों में काम करने वाली पाकिस्तानी महिलाओं की पहचान छिपाने के लिए किया जाता है. भारतीय सिम कार्ड के जरिए संगीता मिश्रा, आयशा राय, नीता सिंह जैसे नामों से फेसबुक पर फर्जी भारतीय आईडी बनाए गए थे. झेलम के इस कॉल सेंटर में काम करने वाली लड़कियों को खासतौर से धारा-प्रवाह हिंदी बोलने की ट्रेनिंग दी गई थी. आईएसआई के गुर्गों की मदद से ये लड़कियां पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों व अधिकारियों की तलाश करती थीं और बाद में उनसे संपर्क स्थापित करती थीं. चैट से शुरुआत करने के बाद ये लड़कियां फेसबुक पर वीडियो कॉल करके उसे रिकॉर्ड कर लेती थीं. उसके बाद ये लड़कियां व्हाट्सएप पर उनसे कुछ ज्यादा ही अंतरंग बातें करने लगती थीं. भारतीय अधिकारियों को लगता था कि वे भारतीय लड़कियों से बात करते हैं और इस तरह वे आईएसआई के कॉल सेंटर के जरिए हनीट्रैप में फंस जाते थे. दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इस बात का खुलासा तब हुआ जब गुप्तचरों ने दिल्ली की एक महिला से पूछताछ की. महिला की उम्र 30 से कुछ ही साल अधिक रही होगी. उसने बताया कि वह जब पाकिस्तान गई थी तब पाकिस्तानी कस्टम विभाग ने उससे उसका सिम कार्ड और फोन दोनों जब्त कर लिया था. सूत्रों ने बताया, "जांच के दौरान पता चला कि दिल्ली के ही मोबाइल और उसके सिम कार्ड का उपयोग झेलम शहर स्थित आईएसआई द्वारा संचालित पीटीसीएल के कॉल सेंटर में हो रहा है." पुलिस अधिकारी ने कहा, "महिला की बातों से इस बात का भी खुलासा हुआ कि पाकिस्तानी अधिकारी जिस भारतीय मोबाइल फोन या सिम कार्ड के उपयोग पर रोक की बात करके फोन व सिम जब्त करते हैं, उसी सिम कार्ड व फोन का इस्तेमाल पाकिस्तान की धरती पर हो रहा है." सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में सेना के गुप्तचर विभाग यानी मिलिटरी इंटेलीजेंस को इसकी भनक तब लगी जब भारतीय सुरक्षा बल के कुछ अधिकारी फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे स्कैंडल में फंस गए. बाद में जब भारतीय मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया गया और भारत में सिम कार्ड के मालिकों का पता चला तब जाकर खुफिया एजेंसियों को आईएसआई द्वारा भारतीय अधिकारियों पर डोरे डालने के इस करतूत की जानकारी मिली. सूत्रों ने बताया कि इसी साल उत्तर प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने फेसबुक पर महिलाओं की 125 फर्जी आईडी का पता लगाया जिनका इस्तेमाल आईएसआई ने भारतीय अर्धसैनिक बल व सेना के अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए किया था. इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और मिलिटरी एजेंसी ने फर्जी अकाउंट का डाटा एटीएस से साझा किया था. ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल और बीएसएफ जवान अच्युतानंद मिश्रा को पिछले साल अक्टूबर में आईएसआई द्वारा हनीट्रैप में फंसाए जाने के बाद भातीय एजेंसियों ने अपना डाटा अन्य प्रदेशों की पुलिस से साझा किया. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी लड़कियों ने फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए भारतीय सुरक्षा बलों के कई अन्य जवानों व अधिकारियों को भी फुसलाया है. उत्तर प्रदेश एटीएस की तरह दिल्ली पुलिस भारतीय सुरक्षाबलों की फ्रेंड लिस्ट में शामिल सैकड़ों ऐसी लड़कियों के फेसबुक अकाउंट को खंगाल रही है जो आईएसआई से प्रशिक्षण लेकर उसके लिए काम करती थीं.
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: भारतीय मूल के दो अमेरिकी छात्रों ने साइंस कॉन्टेस्ट में जीता प्रथम पुरस्कार
यह लेख है: भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों ने 10 लाख डॉलर (करीब साढ़े छह करोड़) की पुरस्कार राशि वाली ‘इंटेल टैलेंट सर्च’ में अपना परचम लहराया है। उनमें से दो छात्र नवोन्मेष एवं शोध श्रेणी में विजेता बन कर उभरे हैं, जबकि चार अन्य युवा छात्रों ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में दूसरा या तीसरा स्थान अपने नाम किया है। प्रथम तीन स्थानों के पुरस्कारों में भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों ने दो पुरस्कार अपने नाम किए हैं। अमोल पंजाबी ने बेसिक रिसर्च के लिए मेडल ऑफ डिस्टिंकशन हासिल किया है जबकि माया वर्मा ने नवोन्मेष के लिए फर्स्ट प्लेस मेडल प्राप्त किया। सभी तीन श्रेणियों में ऐसा ही रहा और भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों को दूसरा तथा तीसरा स्थान मिला। सोसाइटी फॉर साइंस एंड पब्लिक की सीईओ एवं अध्यक्ष और साइंस टैलेंट सर्च की अलुमना माया अजमेरा ने बताया कि ये लोग भविष्य की जरूरत के लिए हल तैयार कर रहे हैं। मैसाचुएटेस के पंजाबी (17) ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दवा निर्माताओं को कैंसर और हृदय रोग उपचार के लिए नयी चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद कर सकेगा। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। प्रथम तीन स्थानों के पुरस्कारों में भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों ने दो पुरस्कार अपने नाम किए हैं। अमोल पंजाबी ने बेसिक रिसर्च के लिए मेडल ऑफ डिस्टिंकशन हासिल किया है जबकि माया वर्मा ने नवोन्मेष के लिए फर्स्ट प्लेस मेडल प्राप्त किया। सभी तीन श्रेणियों में ऐसा ही रहा और भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों को दूसरा तथा तीसरा स्थान मिला। सोसाइटी फॉर साइंस एंड पब्लिक की सीईओ एवं अध्यक्ष और साइंस टैलेंट सर्च की अलुमना माया अजमेरा ने बताया कि ये लोग भविष्य की जरूरत के लिए हल तैयार कर रहे हैं। मैसाचुएटेस के पंजाबी (17) ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दवा निर्माताओं को कैंसर और हृदय रोग उपचार के लिए नयी चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद कर सकेगा। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। सभी तीन श्रेणियों में ऐसा ही रहा और भारतीय मूल के अमेरिकी छात्रों को दूसरा तथा तीसरा स्थान मिला। सोसाइटी फॉर साइंस एंड पब्लिक की सीईओ एवं अध्यक्ष और साइंस टैलेंट सर्च की अलुमना माया अजमेरा ने बताया कि ये लोग भविष्य की जरूरत के लिए हल तैयार कर रहे हैं। मैसाचुएटेस के पंजाबी (17) ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दवा निर्माताओं को कैंसर और हृदय रोग उपचार के लिए नयी चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद कर सकेगा। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। सोसाइटी फॉर साइंस एंड पब्लिक की सीईओ एवं अध्यक्ष और साइंस टैलेंट सर्च की अलुमना माया अजमेरा ने बताया कि ये लोग भविष्य की जरूरत के लिए हल तैयार कर रहे हैं। मैसाचुएटेस के पंजाबी (17) ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दवा निर्माताओं को कैंसर और हृदय रोग उपचार के लिए नयी चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद कर सकेगा। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। मैसाचुएटेस के पंजाबी (17) ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दवा निर्माताओं को कैंसर और हृदय रोग उपचार के लिए नयी चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद कर सकेगा। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। कैलिफोर्निया की वर्मा (17) ने फेफड़े की कार्यप्रणाली के विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित एक ऐसे बेहद सस्ते उपकरण का निर्माण किया है जिससे इस समय चिकित्या प्रयोगशालाओं में इस समय इस्तेमाल किये जाने वाले महंगे यंत्र के समान ही सटीकता से फेफड़े संबंधी बीमारी के निदान में मदद मिलेगी।टिप्पणियां इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। इलिनोइस की मीना जगदीसन (17) ने ‘सेकंड प्लेस ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’, पेंसिल्वेनिया के मिलिंद जगोटा (18) ने ‘सेकंड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’, वर्जीनिया के कुणाल श्रॉफ (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर बेसिक रिसर्च’ जबकि ओहायो की काव्या रविचंद्रन (17) ने ‘थर्ड प्लेस मेडल ऑफ डिस्टिंक्शन फॉर इनोवेशन’ का पुरस्कार जीता है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है। इस प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान पाने वाले तीन विजेताओं को डेढ़ लाख डॉलर, दूसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 75,000 डॉलर की राशि मिली है और तीसरा स्थान हासिल करने वाले तीन विजेताओं को 35,000 डॉलर की राशि मिली है।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: रेल बजट कल होगा पेश, हो सकती है बुलेट ट्रेन की घोषणा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: संसद में कल रेल बजट पेश किया जाएगा। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी इस बार बुलेट ट्रेन की घोषणा कर सकते हैं। 591 किलोमीटर लंबे दिल्ली−जयपुर−जोधपुर रूट की स्टडी करने और इस लाइन पर 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने की घोषणा की जा सकती है। इसके अलावा दिल्ली−मुंबई रूट पर 200 किलोमीटर की रफ्तार से हाईस्पीड ट्रेन चलाने का ऐलान भी हो सकता है।टिप्पणियां रेल बजट में हादसों को रोकने के लिए रेलवे की सिग्नल और दूरसंचार व्यवस्था को बेहतर बनाने की रुपरेखा भी पेश किए जाने की संभावना है। इसके अलावा कर्नाटक और गुजरात में अत्याधुनिक रेल कोच कारखाना लगाने का प्रस्ताव भी किया जा सकता है। इस बार के बजट में पहले की तुलना में कम नई ट्रेनों की घोषणा हो सकती है। पिछली बार सरकार ने 132 नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी लेकिन इस बार रेलवे की सेफ्टी कमेटी नई ट्रेनों की बजाय पुरानी ट्रेनों से ही काम चलाने पर जोर दे रही है। कमेटी का कहना है कि नई ट्रेनें चलाने से रेलवे सुरक्षा प्रभावित है। नॉर्दन रेलवे में कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां हर तीन मिनट में ट्रेन गुजरती है। रेल बजट में हादसों को रोकने के लिए रेलवे की सिग्नल और दूरसंचार व्यवस्था को बेहतर बनाने की रुपरेखा भी पेश किए जाने की संभावना है। इसके अलावा कर्नाटक और गुजरात में अत्याधुनिक रेल कोच कारखाना लगाने का प्रस्ताव भी किया जा सकता है। इस बार के बजट में पहले की तुलना में कम नई ट्रेनों की घोषणा हो सकती है। पिछली बार सरकार ने 132 नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी लेकिन इस बार रेलवे की सेफ्टी कमेटी नई ट्रेनों की बजाय पुरानी ट्रेनों से ही काम चलाने पर जोर दे रही है। कमेटी का कहना है कि नई ट्रेनें चलाने से रेलवे सुरक्षा प्रभावित है। नॉर्दन रेलवे में कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां हर तीन मिनट में ट्रेन गुजरती है। इस बार के बजट में पहले की तुलना में कम नई ट्रेनों की घोषणा हो सकती है। पिछली बार सरकार ने 132 नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी लेकिन इस बार रेलवे की सेफ्टी कमेटी नई ट्रेनों की बजाय पुरानी ट्रेनों से ही काम चलाने पर जोर दे रही है। कमेटी का कहना है कि नई ट्रेनें चलाने से रेलवे सुरक्षा प्रभावित है। नॉर्दन रेलवे में कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां हर तीन मिनट में ट्रेन गुजरती है।
9
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: एक्जिम बैंक ने विदेशी निवेशकों को बांड जारी कर एक अरब डॉलर जुटाया
यह एक लेख है: भारतीय निर्यात आयात बैंक (एक्जिम बैंक) ने विदेशी निवेशकों को बांड बेचकर एक अरब डॉलर (करीब 6,700 करोड़ रुपये) जुटाने की रविवार को घोषणा की। एक्जिम बैंक ने एक बयान में कहा कि शुरू में 50 करोड़ डॉलर जुटाने की घोषणा की गई थी, लेकिन निवेशकों की अच्छी मांग को देखते हुए इसे एक अरब डॉलर का किया गया। बयान के अनुसार निर्गम के लिए 157 निवेशकों से 2.50 अरब डॉलर से अधिक का ऑर्डर मिला।टिप्पणियां एक्जिम बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यदुवेन्द्र माथुर ने कहा कि जुटाए गए कोष का उपयोग भारतीय परियोजना निर्यात, दीर्घकालीन ऋण के रूप में निवेश और ऋण सहायता में किया जाएगा। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक्जिम बैंक ने एक बयान में कहा कि शुरू में 50 करोड़ डॉलर जुटाने की घोषणा की गई थी, लेकिन निवेशकों की अच्छी मांग को देखते हुए इसे एक अरब डॉलर का किया गया। बयान के अनुसार निर्गम के लिए 157 निवेशकों से 2.50 अरब डॉलर से अधिक का ऑर्डर मिला।टिप्पणियां एक्जिम बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यदुवेन्द्र माथुर ने कहा कि जुटाए गए कोष का उपयोग भारतीय परियोजना निर्यात, दीर्घकालीन ऋण के रूप में निवेश और ऋण सहायता में किया जाएगा। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बयान के अनुसार निर्गम के लिए 157 निवेशकों से 2.50 अरब डॉलर से अधिक का ऑर्डर मिला।टिप्पणियां एक्जिम बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यदुवेन्द्र माथुर ने कहा कि जुटाए गए कोष का उपयोग भारतीय परियोजना निर्यात, दीर्घकालीन ऋण के रूप में निवेश और ऋण सहायता में किया जाएगा। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक्जिम बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यदुवेन्द्र माथुर ने कहा कि जुटाए गए कोष का उपयोग भारतीय परियोजना निर्यात, दीर्घकालीन ऋण के रूप में निवेश और ऋण सहायता में किया जाएगा। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: UGC Net Final Answer Key: नेट परीक्षा की फाइनल आंसर-की जारी, जल्द आएगा रिजल्ट
यह एक लेख है: यूजीसी नेट परीक्षा की फाइनल आंसर-की (UGC NET Final Answer Key) जारी कर दी गई है. उम्मीदवार फाइनल आंसर-की नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency) की ऑफिशियल वेबसाइट ntanet.nic.in पर जाकर चेक और डाउनलोड कर सकते हैं. फाइनल आंसर-की आने के बाद अब जल्द ही नेट परीक्षा का रिजल्ट (NTA UGC NET Result) जारी कर दिया जाएगा. ऑफिशियल नोटिफिकेशन के मुताबिक  यूजीसी नेट परीक्षा का रिजल्ट (UGC NET 2019 Result) 15 जुलाई तक जारी होना है. लेकिन फाइनल आंसर-की आने के बाद इस सप्ताह नेट का रिजल्ट जारी होने के कयास लगाए जा रहे हैं. स्टूडेंट्स के रिजल्ट का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है. नेट परीक्षा 20 जून से 26 जून के बीच आयोजित की गई थी. नेट  परीक्षा में 6,81,718 उम्मीदवारों ने भाग लिया था. परीक्षा का आयोजन दो शिफ्ट में किया गया था. पहली शिफ्ट सुबह 9.30 से दोपहर 12.30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 2.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक चली थी. बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नेट परीक्षा की आंसर-की 1 जुलाई को जारी कर दी थी. NTA ने आंसर-की पर आपत्ति दर्ज करवाने के लिए 3 जुलाई शाम 5 बजे तक का समय दिया था.   उम्मीदवार नीचे दिए गए लिंक की मदद से एक क्लिक में फाइनल आंसर-की डाउनलोड कर सकते हैं.UGC NET Final Answer Key
8
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: MP Sex Scandal: जांच के घेरे में आरोपियों की विदेश यात्रा, 4 बैंक खाते भी किए गए सील
यह लेख है: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर से 18 सितंबर की रात को गिरफ्तार किए गए सेक्स रैकेट की 2 आरोपियों को पुलिस हिरासत में इंदौर से भोपाल लाया गया, उन्हें आगे की जांच के लिये सागर और छतरपुर जिलों में भी ले जाया जाएगा. एसआईटी की टीम आरोपियों के बैंक बैलैंस के साथ उनकी विदेश यात्राओं का ब्योरा भी खंगाल रही है. सूत्रों के मुताबिक रैकेट से जुड़ी एक आरोपी एक सांसद और पूर्व मंत्री के साथ नेपाल, दुबई और यूरोप के कुछ देशों में भी घूमने गई थी. एसआईटी ने आरोपियों के लेनदेन का ब्योरा समझने के लिये चार बैंक खातों और दो ऑपरेटर्स के दो बैंक लॉकरों को जब्त कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक तकरीबन एक दशक तक मध्यप्रदेश में सत्ता के गलियारों में ताकतवर लोगों के संपर्क में रहने वाले इस गिरोह ने बड़े ट्रांसफर और पोस्टिंग में कमीशन से बड़ी रकम जमा की है. हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट मामला : जांच के दायरे में साइबर सेल के सीनियर आईपीएस! भोपाल में रैकेट की दो महिला के कम से कम चार बैंक खातों और दो लॉकरों को लेन-देन का ब्योरा जानने के लिये सील कर दिया गया है. साथ ही, भोपाल की पॉश टाउनशिप में रहने वाली ये महिलाएं जिन महंगी गाड़ियों में घूमती थीं उसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. इस पूरे मामले की जांच से जुड़े एक सूत्र ने ये जानकारी दी. हाई-प्रोफाइल हनी-ट्रैप रैकेट : मास्टरमाइंड की निगाहें टिकी थीं दिल्ली पर, नेताओं-अफसरों से अंतरंगता इस केस में कितने पेंच हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि SIT ने लोगों के बीच एक ई-मेल आईडी info.sit@mppolice.gov.in जारी की थी. कहा था कि कथित रैकेट से संबंधित किसी भी जानकारी को इस ईमेल आईडी पर भेजा जा सकता है. पीएचक्यू के सूत्रों ने NDTV को बताया कि इस ईमेल आईडी पर हर घंटे दो से तीन मेल भेजे जा रहे हैं.
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: केवल पीएम मोदी और सोनिया गांधी ने 'आधार' पर पूछा यह सवाल : नंदन निलेकणि
एस जयशंकर को सीधे केंद्रीय मंत्री का पद मिला है, ये अपने आप में पहला मौका है लेकिन 10 साल पहले इस तरह कैबिनेट में जगह पाने वाले शख्स नंदन नीलेकणि हो सकते थे. उन्हें राहुल गांधी ने मानव संसाधन विकास मंत्री का पद देने के लिए बुलाया था. हालांकि बिल्कुल आखिरी समय में सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पुनर्विचार के बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया जबकि नीलेकणि दिल्ली के लिए उड़ान भरने को बिल्कुल तैयार थे. नीचे दिया गया पुस्तक का अंश पढ़ें... हमारी उनसे बेंगलुरु में एक कॉन्फ्रेंस रूम में मुलाकात होती है. उस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे बेंगलुरु के शानदार मौसम ने आधार विवाद से उठी गर्मी को और उसके प्रकोप को खत्म कर दिया है. नंदन पर आधार विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा बनाए गए सर्विलांस फ्रेंकस्टीन बनाने का आरोप था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्णायक रूप से फैसला सुनाया और आज नंदन को अपने मिशन के पूरे होने का बड़ा संतोष है, जो एक सरकार के तहत शुरू हुआ और उस सरकार में जाकर पूरा हुआ जो पिछली सरकार से वैचारिक तौर पर विपरीत है. ये पूरा सफर एक फोन कॉल से शुरू हुआ. नंदन कहते हैं, 2009 में मुझे राहुल गांधी का फोन आया. उन्होंने मुझे नतीजों वाले दिन फोन किया था, जब कांग्रेस ने और ज्यादा सीटों के साथ वापसी की थी. यह यूपीए सरकार के लिए अप्रत्याशित दूसरी जीत थी, जिसमें कांग्रेस ने अकेले 206 सीटें हासिल की थीं. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं भारत का मानव संसाधन विकास मंत्री बनने का इच्छुक हूं?' हमें कोई ऐसा चाहिए जो बाहर से हो. मैंने अपने सहयोगियों से बात की और उन सभी ने जवाब दिया, ''ठीक है यार.'' फिर मैंने उनसे कह दिया कि वे तैयार हैं. नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के दिन मैं बेंगलुरु में था. अब मुझे इन फंडों के बारे में नहीं पता था कि राजनीति के लिए आपको दिल्ली में डटे रहना पड़ेगा और अपने नाम के ऐलान होने की प्रतीक्षा करनी होगी. सुबह 11 बजे मुझे यह पूछने के लिए फोन आया कि क्या मैं दिल्ली में हूं. मैं ठहरा एक आईटी वाला बंदा. मैंने कहा 'नहीं.' मैं बेंगलुरु में था. उन्होंने पूछा कि क्या मैं शपथ ग्रहण के लिए शाम 5 बजे तक आ सकता हूं तो मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास प्राइवेट जेट नहीं है. इसके बाद मैं दिल्ली जाने लिए कोई विमान देखने लगा. मजेदार बात ये है कि एस.एम. कृष्णा, जिन्हें विदेश मंत्री के पद के लिए चुना गया था, वे दिल्ली जा रहे थे. वह भी बेंगलुरु में थे लेकिन उनका घर हवाई अड्डे से बहुत पास था, इसलिए वे पहुंचने में कामयाब रहे. और इस बीच में हवाई जहाज की व्यवस्था करने की कोशिश में जुटा था. नंदन ने बताते हैं, 'राहुल गांधी ने फिर फोन किया और कहा माफ कीजिए, आपको शामिल नहीं किया जा रहा है' बाद में मुझे लगा कि शायद सोनिया गांधी को लगा होगा कि मैं कॉरपोरेट वाला आदमी और हूं और गरीबों की समस्याओं को नहीं समझूंगा. वहीं, मनमोहन सिंह को लगा होगा कि मैं एक टेक्नोक्रैट हूं, राजनेता नहीं. लिहाजा एचआरडी मंत्रालय संभालना मेरे लिए काफी राजनैतिक हो जाएगा. यह एक प्रमुख काम था- वे इसे बेंगलुरु के मामूली से आदमी को नहीं देना चाहते थे.' नंदन हंस पड़े. 'ये राहुल का विचार था, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया. मैं अपने पुराने काम पर लौट आया.' किताब में, नंदन नीलेकणि ने यह भी बताया कि आधार योजना कैसे विकसित हुई और उन्हें नरेंद्र मोदी समेत देश भर के लोगों को कैसे समझाना पड़ा. नंदन तब के मुख्‍य विपक्षी नेताओं भाजपा के अरुण जेटली और सुषमा स्वराज से मुलाकात को याद करते हैं और कहते हैं कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे, जो संयोग कहें या भाग्‍य, वो एक दिन के आधार का सबसे बड़ा पैरोकार बन गए. नंदन याद करते हैं, 'भले ही गुजरात में सब कुछ तैयार था, मुख्यमंत्री मोदी ने रोलआउट को मंजूरी नहीं दी थी. तब मुझे उनसे मिलने का संदेश मिला और इसलिए मैं गुजरात गया.' मैंने सोचा, "मुझे इस प्रोजेक्ट को सफल बनाना है, मैं किसी से भी मिल सकता हूं. उन्होंने कहा, ''बैठक आधे घंटे के लिए निर्धारित थी जो डेढ़ घंटे चली, और फिर मुख्यमंत्री ने नंदन नीलेकणि के साथ तस्वीरें लीं, जिसे उन्होंने बाद में शेयर भी गया. 'मुझे लगता है कि वे लोगों को दिखाना चाहते थे कि मैं उनसे मिलने गया था. इसलिए, मैं उनके साथ वहां बैठा और उन्होंने मुझे अपने जीवन के सफर में 2002 दंगों पर उनके उठाए कदम, चाय वाले के रूप में अपनी शुरुआत तक, सब कुछ बताया. मेरे जाते ही उन्होंने प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी.' मैंने पूछा, 'क्या आपको कभी निराशा हुई कि आप एक राजनीतिक खेल के बीच में फंस गए?' यह खेल है. भारत में सुधार लीनियर फैशन में नहीं होते हैं.  यह दो कदम आगे-एक-कदम पीछे लेने वाली प्रक्रिया है. यह उच्च गतिविधि और पूर्ण निष्क्रियता के समय की अवधि होती है, लेकिन यही सच है. यही राजनीति की प्रकृति है. जब उच्च गतिविधि का समय होता है, तो आप यथासंभव से अधिक कर जाते हैं. वहीं जब यह निष्क्रियता में जाता है, तो आप अपना समय बिताते हैं. कुछ तो होगा. मंत्री या नौकरशाह बदल जाएंगे. यदि आप लंबा खेल खेल रहे हैं, तो आप इस प्रकार की चीजों से निपट सकते हैं.' UIDAI योजना को राजनीति से दूर रखने के लिए, नंदन और उनकी टीम ने एक ऐसा नाम भी चुना जो गैर-राजनीतिक था. 'मैं ऐसी वैसी XYZ योजना नहीं चाहता था, इसलिए हमने सावधानीपूर्वक बहुत रिसर्च की और "आधार" मिला, जिसका अर्थ है नींव; आपकी पहचान ही नींव है.' इससे भी महत्वपूर्ण बात, 'आधार' शब्द लगभग सभी भारतीय भाषाओं में काम करता है. लेकिन राजनीतिकरण से बचने के प्रयास में, नंदन बताते हैं कि कैसे इसका एक-एक अक्षर राजनीतिक हो गया. 'योजना का नारा है "आम आदमी का अधिकार." उस समय आम आदमी पार्टी द्वारा 'आम आदमी' को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने से पहले तक यह नारा अक्सर कांग्रेस इस्तेमाल करती थी. केवल दो लोगों ने इस पर ध्यान दिया- सोनिया गांधी और नरेंद्र मोदी. जब मैं मोदी जी से मिला, तो उन्होंने कहा, "आपने कांग्रेस का नारा का क्यों प्रयोग किया है?" फिर एक दिन, श्रीमती गांधी ने मुझे बताया कि उनका मानना था कि मैं आधार पर भाजपा के रंगों का इस्तेमाल कर रहा था, जो लोगों को भेजा जा रहा था. इस पर मैंने कहा कि यह तिरंगे के रंग हैं. मुझे उन्हें दिखाने के लिए नमूने लेने थे कि वे वास्तव में राष्ट्रीय ध्वज के रंग थे. अब यहां एक अरब लोगों के लिए एक कार्ड जा रहा था, तो जाहिर है कि एक व्यक्ति इसके लिखावट, प्रतीकों और रंगों के बारे में चिंतित होगा. वह कहते हैं, फिर भी पूरे सिस्टम में मेरे लिए आश्चर्य की बात ये थी कि इस बारे में केवल सोनिया गांधी और मोदी जी ने इसके बारे में पूछा! "...... और फिर नंदन नीलेकणि और आधार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ आया. 2014 का चुनाव और अपनी घरेलू सीट, बैंगलोर दक्षिण से एक सांसद का चुनाव लड़ने का उनका फैसला. वह भाजपा के स्वर्गीय अनंत कुमार से चुनाव हार गए. नंदन की चुनावी हार संभवत: किसी चीज में उनकी पहली असफलता थी. यह अनुभव उन्होंने बेबाकी से सुनाया. यहां तक कि इसमें आधार की भी भूमिका थी. '2014 के चुनावों में, मुझे भाजपा ने 'आधार मैन' के रूप में सबके सामने लाया - यहां तक कि मोदी जी ने भी आकर मेरे और आधार के खिलाफ अभियान चलाया. खैर यही राजनीति है.' व्यक्तिगत हार के अलावा, नंदन और आधार के लिए उनके विजन के लिए यूपीए की हार ज्‍यादा चिंताजनक थी. वह याद करते हैं, 'मैं घबरा गया क्योंकि आधार का कोई और पैरोकार नहीं था. विपक्ष में बैठी बीजेपी की की आधिकारिक स्थिति इसे खत्म करने की थी. गृह मंत्रालय, जिससे में अब तक दूर ही रहा था, ने अचानक अवसर देखा और दखल देना शुरू कर दिया. अंतत: मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और आधार व उससे देश को होने वाले फायदों के बारे में चर्चा की. तब उन्‍होंने मुझसे वही सामान्‍य से सवाल पूछे, जिनमें से एक यह था कि अगर बांग्‍लादेशियों को ये मिल गए तो? मैंने उन्‍हें बताया कि यह कोई नागरिकता नंबर नहीं है बल्कि पहचान (आईडी) नंबर है. मैंने उन्‍हें बताया कि इससे सरकारकी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी जिससे सरकार को काफी बचत होगी और भ्रष्‍टाचार भी कम होगा. उस वक्‍त, सौभाग्‍य से तेल की कीमतें भी बहुत ज्‍यादा थीं. इसलिए सरकार बचत पर ध्‍यान दे रही थी. अंत में वो आधार के सबसे बड़े पैरोकार बन गए. प्रधानमंत्री का आधार को समर्थन देना और लगभग इसे टेकओवर कर लेने के बाद अलग तरह की परेशानियां हुईं. कांग्रेस ने जल्‍दबाजी में इसे बंद कर दिया. राहुल गांधी के एक फोन कॉल के साथ शुरू हुई यात्रा के बाद अब कॉल करने वाले व्यक्ति खुद नंदन थे. 'मैंने उन्हें इस प्रोजेक्ट को अपनाने का आग्रह करने के लिए एक संदेश भेजा क्योंकि यह शायद यूपीए-2 की सबसे बड़ी उपलब्धि थी. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वे साफ तौर पर कहते हैं कि उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने ये मौका बर्बाद कर दिया.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: दबे पांव आ रहा है स्वाइन फ्लू, राजस्थान में सबसे ज्यादा मरीज, इन बातों का रखें ध्यान
लेख: पिछले कुछ बरसों से स्वाइन फ्लू की दस्तक स्वास्थ्य सेवाओं को चौकन्ना कर देती है. पिछले दो बरस में तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली यह खतरनाक बीमारी इस साल भी दबे पांव चली आ रही है और जनवरी के पहले तीन हफ्ते में देशभर में इसके 2777 मामले सामने आए हैं और कुल 85 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें अकेले राजस्थान (Swine Flu In Rajasthan) में मरीजों की तादाद 1233 है और मरने वालों का आंकड़ा 49 तक पहुंच चुका है.  स्वाइन फ्लू ( Swine Flu 2019 ) का प्रकोप राजधानी दिल्ली सहित देश के तमाम हिस्सों में बढ़ रहा है. दिल्ली में 20 जनवरी तक इसके कुल 229 मामले दर्ज किए गए. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इसके मरीजों और मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि उसके बाद पंजाब का स्थान है, जहां 90 लोग इसकी चपेट में आए और नौ की मौत हो गई. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी बीमारी की आमद दर्ज की गई है.  इस बुखार से 6 गुना बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, हर साल मरते हैं 5 लाख लोग   Sexual Hygiene Tips: हेल्‍दी सेक्‍शुअल लाइफ के लिए ध्यान रखें ये 4 बातें आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 14,992 लोग स्वाइन फ्लू के वायरस के शिकार हुए और इनमें से 1,103 की मौत हो गई. उससे पिछले बरस इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका. इस साल भी यह बीमारी दबे पांव चली आ रही है और स्वास्थ्य एजेंसियां इसपर नियंत्रण के तमाम उपाय कर रही हैं. और खबरों के लिए क्लिक करें.   महिलाओं की योनी में क्यों लगानी पड़ती है जाली! क्या होते हैं नुकसान और क्या हैं विकल्प सर्दियों में फटे होंठ अब नहीं करेंगे परेशान, ये देसी नुस्‍खे अपनाकर देखें किडनी स्‍टोन निकालने के ये हैं 5 तरीके, नहीं करानी पड़ेगी सर्जरी प्रोटीन से भरपूर अंडा हेल्‍थ और स्किन को देता है गजब के फायदे Diabetes: ब्‍लड शुगर को कंट्रोल करता है धनिया, जानें धनिए के फायदे खराब डाइजेशन में सुधार लाने के लिए रामबाण हैं ये 6 घरेलू नुस्‍खे
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: एससी/एसटी कानून के प्रावधानों को लेकर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
एससी/एसटी कानून के प्रावधानों को हलका करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. केंद्र सरकार व अन्य ने 20 मार्च 2018  के आदेश पर फिर से विचार करने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. पुनर्विचार याचिका पर फैसला देने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट SC/ST अत्याचार निवारण ( संशोधन ) कानून 2018 का परीक्षण करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र द्वारा यह कानून लाया गया था.  इस नए कानून के तहत फिर से कठोर प्रावधान बरकरार किए गए. इस संशोधन को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने गत 20 मार्च को दिए गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी. इतना ही नहीं कोर्ट ने अभियुक्त की अग्रिम जमानत का भी रास्ता खोल दिया था. इससे बाद सरकार एससी-एसटी संशोधन का नया कानून 2018 में ले आई.  वकील पृथ्वीराज चौहान और प्रिया शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश को किया जाए लागू. एससी-एसटी संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नए कानून 2018 में नए प्रावधान 18 A के लागू होने से फिर दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी. याचिका में नए कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को लोकसभा और राज्यसभा ने पास कर दिया था और इसे नोटिफाई कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशव्यापी विरोध हुआ था. जिसके बाद सरकार ने कानून को पूर्ववत रूप में लाने के लिए एससी-एसटी संशोधन बिल संसद में पेश किया था और दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है.  इस संशोधन के जरिए एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है जो कहती है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है और न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है. संशोधित कानून में ये भी कहा गया है कि इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान (सीआरपीसी धारा 438) का लाभ नहीं मिलेगा. यानि अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी.  संशोधित कानून में साफ कहा गया है कि इस कानून के उल्लंघन पर कानून में दी गई प्रक्रिया का ही पालन होगा और अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी. साफ है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिल्कुल उलट होगा. पूर्व की भांति इस कानून में शिकायत मिलते ही एफआईआर दर्ज होगी. अभियुक्त की गिरफ्तारी होगी और अभियुक्त को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी यानी जेल जाना होगा.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: प्रधानमंत्री क्यों देते पत्रकारों के सवालों के जवाब
यह लेख है: पांच साल में पहली बार प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आए प्रधानमंत्री ने अगर पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए तो वे इतने मायूस क्यों हैं? प्रधानमंत्री का यह रुख़ दरअसल बताता है कि वे इस पत्रकारिता की परवाह नहीं करते.अगर उनको यह एहसास होता कि पत्रकारों से बात न करने के नुक़सान होंगे तो वे ख़ूब बात करते, तमाम सवालों के जवाब देते. लेकिन यह नुक़सान क्योंकर होगा? जिस प्रधानमंत्री ने पत्रकारों को एक सेकेंड का समय नहीं दिया, उसे मीडिया ने बिल्कुल सिर आंखों पर बिठाए रखा.प्रधानमंत्री अपने दौरों पर मीडिया को नहीं ले जाते रहे, बस एक टीम उनके साथ हुआ करती थी,  लेकिन क्या मज़ाल कि उनके किसी भी भाषण की रिपोर्ट छूटी हो.पिछले पांच साल में वे जहां-जहां गए, जो-जो बोले, जिन-जिन के गले लगे या पड़े, उन सबकी रिपोर्ट मीडिया ने बड़ी निष्ठा से की.प्रधानमंत्री ने बताया कि किसी देश से 100 मिलियन डॉलर का निवेश आ रहा है तो बिना तस्दीक किए मान लिया कि वे सच ही बोल रहे होंगे, अगर प्रधानमंत्री ने बताया कि उनके रहते आतंकियों के हौसले टूट चुके हैं तब किसी ने नहीं पूछा कि फिर इतने आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं.अगर बीते पांच साल में अलग-अलग नेताओं को मिले मीडिया कवरेज का हिसाब लगाया जाए तो प्रधानमंत्री दूसरों से कोसों आगे नज़र आएंगे.अगर पिछले प्रधानमंत्रियों से भी उनकी तुलना की जाएगी तो भी प्रधानमंत्री सबको काफ़ी पीछे छोड़ते दिखेंगे.यह अलग बात है कि इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और बीजेपी को फिर भी मीडिया से शिकायत रही और मौक़ा मिलते वे अपने से असहमत पत्रकारों को पत्रकारिता सिखाने की कोशिश करते नज़र आए. जब किसी प्रधानमंत्री को बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस किए इतनी कवरेज मिलेगी तो वह क्योंकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेगा? जब पत्रकारिता उसके आगे श्रद्धानत रहेगी तो वह क्यों उनको आंखों में आंख डाल कर सवाल पूछने का अवसर देगा. ऐसा नहीं कि प्रधानमंत्री ने इस दौरान इंटरव्यू दिए ही नहीं.उन्होंने कई इंटरव्यू दिए.कुछ इंटरव्यूज़ के बारे में कहा गया कि उनमें सवाल और जवाब पहले से तय थे.इन पंक्तियों के लेखक के पास इसकी पुष्टि का कोई ज़रिया नहीं है.कुछ इंटरव्यू उन्होंने प्रसून जोशी और अक्षय कुमार जैसे लोगों को देना ज़रूरी समझा.प्रसून जोशी का इंटरव्यू सबसे लंबा था लेकिन चापलूसी की अद्भुत मिसाल था.उस इंटरव्यू को देखकर सीखा जा सकता है कि इंटरव्यू कैसे नहीं लेना चाहिए. लेकिन पत्रकारिता से जु़डे इंटरव्यू भी अच्छे सवालों वाले नहीं रहे.चुनाव के दौर में भी प्रधानमंत्री ने अलग-अलग चैनलों के पत्रकारों से बात की.किसी एक भी इंटरव्यू में यह नहीं दिखा कि उन्हें असुविधा में डालने वाले सवाल उनसे पूछे गए हों.इसके अलावा पांच साल के दौरान उनके तरह-तरह के भाषणों का अविकल प्रसारण करने वाले टीवी चैनलों ने कुछ अवसरों पर बहुत स्पष्ट तौर पर पकड़ में आने वाली गलतियों को छोड़ कर कोई गंभीर सवाल उठाया- यह याद नहीं आता.तो जब ऐसा अबाध प्रचार प्रधानमंत्री को बिना प्रेस कॉन्फ़्रेंस के मिल रहा हो तो वे पत्रकारों के जवाब देना क्यों ज़रूरी समझते. यह नतीजा निकालना आसान है कि मीडिया का एक बड़ा हिस्सा मोदी भक्ति में रमा रहा, इसलिए उसने अपनी आलोचनात्मक भूमिका खो दी.लेकिन सच्चाई यह है कि ख़ुद को सरकार विरोधी मानने वाले अख़बारों और चैनलों पर भी जानी-पहचानी आलोचना के अलावा कोई ऐसा गंभीर विमर्श नहीं दिखा जिससे लोगों को सही और सटीक सूचनाएं मिल सकें. दरअसल यह पूरा दौर पत्रकारिता के एक बड़े संकट की सूचना का दौर है.शायद पत्रकारिता में जल्दी से जल्दी ख़बर देने का जो नया दबाव है, उसने पत्रकारिता के गुण धर्म को लगभग क्षतिग्रस्त कर दिया है.यह हड़बड़ाए हुए पत्रकारों का दौर है जिनके पास सूचनाओं की पुष्टि करने की भी फुरसत नहीं है.तो होता यह है कि किसी भी स्रोत से कोई सूचना चली आती है, पत्रकार उसके बस वाहक होकर रह जाते हैं, वह उसे संशोधित नहीं कर पाते, उससे प्रतिप्रश्न नहीं कर पाते. मसलन, बीजेपी और प्रधानमंत्री का जो़र सबसे ज्यादा इस बात पर रहा कि उनके कार्यकाल में आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब मिला.अगर इसमें 2010 से 2014 के बीच और 2014 के अभी तक के आंकड़ों का तटस्थ विश्लेषण किसी के पास होता तो यह बात बहुत स्पष्ट हो जाती कि इस मामले में उनकी ओर से किया जा रहा दावा ग़लत है.इसी तरह सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के पस्त पड़ जाने का दावा भी पूरी तरह संदिग्ध है.उल्टे पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ज़्यादा तीखे ढंग से युद्धविराम उल्लंघन करता रहा.यही बात नोटबंदी के असर या दूसरे आर्थिक दावों को लेकर कही जा सकती है. ऐसा नहीं कि इन आंकड़ों का किसी को ध्यान नहीं रहा होगा.लेकिन धीरे-धीरे यह संस्कृति ख़त्म होती जा रही है कि आप किसी ताकतवर आदमी से सवाल पूछें.या अगर कोई ताकतरवर आदमी किसी सवाल का ग़लत भी जवाब दे तो उससे फिर से नए सिरे से सवाल पूछा जाए.अमित शाह के पास यह सुविधा है कि वे प्रज्ञा ठाकुर को लेकर सवाल पूछे जाने पर पूरी जांच को ही ख़ाारिज कर दें.उन्हें कोई यह बताने वाला नहीं होता कि वे गलत बोल रहे हैं.पत्रकारिता में बस सवाल पूछने का दिखावा बचा है.टीवी पर अनवरत चलने वाली जो बहसें होती हैं उनमें सवाल भी जाने-पहचाने होते हैं, जवाब भी और उन बहसों के नतीजे भी. ऐसी हालत में प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आ भी जाएं तो पत्रकारों पर कृपा करते हैं.वे पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं देते तब भी किसी को बुरा नहीं लगता.बात आई-गई हो जाती है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' का संपादक रहते हुए कभी दिलीप पडगांवकर ने कहा था कि देश का सबसे ताकतवर आदमी इस देश का प्रधानमंत्री है और दूसरा सबसे ताकतवर आदमी 'टाइम्स ऑफ इंडिया' का संपादक है.तब भी इस वक्तव्य की बहुत आलोचना हुई थी.किसी अच्छे पत्रकार को ताकत के मोह में नहीं पड़ना चाहिए.यह मोह सबसे पहले उसकी पत्रकारिता का क्षरण करता है.लेकिन पत्रकारिता जब अपना काम कर रही होती है तब वह जिस नैतिक आभा से भरी होती है, उसकी ताकत के आगे भी सब सिर झुकाते हैं. लेकिन यह शायद किसी और दौर की बात है.अब तो हालत ये है कि सत्ताधीश आता है, भाषण देता है, कृपा की तरह कुछ पत्रकारों का हालचाल पूछता है और किसी सवाल का जवाब देने की परवाह किए बिना निकल जाता है और उसके एक दिन बाद तमाम अख़बारों और चैनलों में उसकी संन्यासी मुद्रा में तस्वीरें होती हैं.ऐसे में वह किसके प्रति जवाबदेह हो और क्यों जवाबदेह हो.दरअसल पत्रकारिता को कुछ सवाल अपने-आप से भी पूछने की ज़रूरत है.
2
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: 'नौ सैनिकों की वापसी नहीं करता तो अलग पड़ जाता इटली'
इटली की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने कहा कि दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी अपने नौ सैनिकों को यदि देश भारत वापस नहीं भेजता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अलग-थलग पड़ जाता। इसी खतरे को देखते हुए नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने का निर्णय लिया गया। इस मुद्दे पर सरकार से अहमति के कारण इटली के विदेश मंत्री गिलियो तेरजी पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के एक दिन बाद बुधवार को संसद में मोंटी ने कहा, "हमारी प्राथमिकता हमारे दो नौ सैनिकों तथा भारत में रह रहे इटली के सभी लोगों की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा थी।" मोंटी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ विवाद के कारण इटली के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने का खतरा था। उन्होंने कहा कि नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने के इटली के फैसले से दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, जिससे 'तुरंत समाधान' निकल सकता है। उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया। इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। इस मुद्दे पर सरकार से अहमति के कारण इटली के विदेश मंत्री गिलियो तेरजी पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के एक दिन बाद बुधवार को संसद में मोंटी ने कहा, "हमारी प्राथमिकता हमारे दो नौ सैनिकों तथा भारत में रह रहे इटली के सभी लोगों की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा थी।" मोंटी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ विवाद के कारण इटली के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने का खतरा था। उन्होंने कहा कि नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने के इटली के फैसले से दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, जिससे 'तुरंत समाधान' निकल सकता है। उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया। इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। मोंटी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ विवाद के कारण इटली के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने का खतरा था। उन्होंने कहा कि नौ सैनिकों को वापस भारत भेजने के इटली के फैसले से दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, जिससे 'तुरंत समाधान' निकल सकता है। उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया। इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। उन्होंने इस मामले को भारत सरकार द्वारा इटली से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए हुए विवादास्पद समझौते के आर्थिक हितों से जोड़ने की अटकलों को खारिज किया। इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। इटली के अस्थाई विदेशमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ लेने वाले मोंटी ने तेरजी के इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए यह भी कहा कि उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी नहीं दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इटली के विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अंतरिम सरकार ने उनकी आवाज को अनसुना कर नौ सैनिकों को वापस भारत भेजा। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। ज्ञात हो कि इटली के मालवाहक जहाज के दो सुरक्षा कर्मियों- मेस्सिमिलानो लाटोरे तथा सेलवाटोरे जिरोने को आम चुनाव में मतदान करने और परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया था। लेकिन अब इटली ने उन्हें वापस भारत भेजने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। बाद में हालांकि इटली सरकार ने उनकी वापसी पर सहमति जताई और नौ सैनिक भारत लौटे। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। इटली के उक्त दोनों सुरक्षाकर्मियों पर 15 फरवरी, 2012 को केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका को समुद्री लुटेरे समझकर उन पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।टिप्पणियां इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। इटली का कहना है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई, इसलिए मुकदमा उनके यहां चलेगा। लेकिन भारत का दावा है कि घटना उसके समुद्र क्षेत्र में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों आरोपियों को इटली में 24-25 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाग लेने के लिए अपने देश जाने की अनुमति दी थी।
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: दिल्ली में कांग्रेस को वोट देकर अपना मत खराब न करें : आम आदमी पार्टी
यह लेख है: आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी ने दिल्ली वासियों से कहा है कि कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब न करें. दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति और खराब होती जा रही है. हालत ये है कि दिल्ली में वार्ड अध्यक्ष तक नहीं मिल रहे हैं. कांग्रेस की दिल्ली प्रदेश इकाई ने आम आदमी पार्टी के मॉडल टाउन विधानसभा के वार्ड 77 के अध्यक्ष विपिन खन्ना को अपना वार्ड अध्यक्ष बताया. ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कल प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की एक लिस्ट जारी की थी. इसमें विपिन खन्ना को जीटीबी नगर से वार्ड अध्यक्ष दिखाया गया है. अखिलेशपति त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आज से डेढ़ साल पहले ही विपिन खन्ना कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं. विपिन खन्ना वर्तमान में आम आदमी पार्टी के मॉडल टाउन विधानसभा के वार्ड नंबर 77 के अध्यक्ष पद पर आसीन हैं. त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति आज इतनी खराब हो चुकी है कि, उनके पास वार्ड स्तर के लिए भी कार्यकर्ता नहीं बचे हैं. उन्होंने कहा कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब न करें.
8
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: नगालैंड : रेप आरोपी को जेल से निकाल कर भीड़ ने चौराहे पर दी फांसी, एसपी और डीएम सस्पेंड
यह एक लेख है: दिमापुर में हुई हिंसा को लेकर नगालैंड सरकार ने शहर के पुलिस अधीक्षक और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को सस्पेंड कर दिया है। इससे पहले गुरुवार शाम गुस्साई भीड़ ने दिमापुर सेंट्रल जेल में बलात्कार आरोपी एक युवक वहां से बाहर निकाला और फिर पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी थी।    इस घटना के मद्देनजर मुख्यमंत्री टी आर ज़ेलियांग ने इलाके के हालात की समीक्षा के लिए कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी, जिसमें दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने का फैसला कैबिनेट किया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। जानकारी यह भी है कि कथित आरोपी करीम का शव नगालैंड में ही दफन किया जाएगा, क्यूंकि माना जा रहा कि अगर उसे वापिस असम के करीमगंज ले जाया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। उधर सेना की चार कोर को अलर्ट पर रखा गया, ताकि अगर जरूरत पड़ने तो उन्हें करीमगंज, बरपेटा और नौगांव जैसे अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भेजा जा सके। इसके साथ ही नगालैंड के लोगों को असम जाने से रोका जा रहा है। दूसरी तरफ असम और नगालैंड बॉर्डर पर सुरक्षा बड़ा दी है। इससे पहले दीमापुर में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने वहां कर्फ्यू लगा दिया है। कल शाम दिमापुर सेंट्रल जेल के पास एकत्र गुस्साई भीड़ ने जेल तोड़ एक कैदी को बाहर निकाला। फिर उसे नग्न अवस्था में शहर में सात किलोमीटर तक घुमाया और घसीटा जिसके कारण उसकी मौत हो गई। भीड़ ने फिर उसे शेहर के बीचों-बीच एक क्लॉक टावर में फांसी भी लगा दी। इस चौंका देने वाली घटना में कम से कम छह लोग घायल हुए और एक स्थानीय नागरिक की मौत भी हो गई। गृह मंत्रालय ने इस घटना को स्थानीय पुलिस की असफलता करार दिया है। जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय पहुंची है, उसके मुताबिक दीमापुर सेंट्रल जेल से चार और कैदी भी भाग गए थे, लेकिन उनमें से तीन अब वापिस गिरफ्तार किए जा चुके हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'यह एक गंभीर मसला है। पिछले कई दिनों से रेप के एक मामले को लेकर लोगों में काफी गुस्सा था, लेकिन लोकल प्रशासन उस गुस्से को आंक नहीं पाया और जब स्थिति हाथ से बाहर चली गई तब लाचार हो गया।' गृह मंत्रालय ने नगालैंड प्रशासन और जेल अधिकारियों से इस घटना को लेकर एक रिपोर्ट भी मांगी है।
13
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: वह मदद मांगती रही, लोग तमाशा देखते रहे...!
लेख: हिसार में 18 साल की लड़की की उसके हॉस्टल के ही सामने हत्या कर दी गई। वह मदद के लिए चिल्लाती रही लेकिन कोई नहीं आया। हरियाणा के हिसार में एक 18 साल की लड़की की दिन दहाड़े उसके होस्टल के सामने हत्या कर दी गई। सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि वर्षा मदद की गुहार लगाती रही लेकिन वहां मौजूद लोग तमाशबीन बने रहे। गुरु जंबेश्वर यूनिवर्सिटी की फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाली 18 साल की वर्षा को दिन दहाड़े कत्ल कर दिया गया। हत्या होस्टल के ठीक सामने उस वक्त हुई जब वह ऑटो में बैठकर अपने घर रेवाड़ी जा रही थी। उसी वक्त पहले से मौजूद एक युवक ने उसपर हमला कर दिया। हैरानी इस बात की है कि क़ातिल को अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं है।टिप्पणियां वर्षा की हत्या गला काट कर की गई। पुलिस के मुताबिक वर्षा करीब 20 मिनट तक मदद की गुहार लगाती रही लेकिन कैंपस में मौजूद सारे लोग तमाशा देखते रहे। कोई भी मदद के लिए नहीं आया। अगर वक्त रहते मदद मिलती तो जान बच सकती थी। हरियाणा के हिसार में एक 18 साल की लड़की की दिन दहाड़े उसके होस्टल के सामने हत्या कर दी गई। सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि वर्षा मदद की गुहार लगाती रही लेकिन वहां मौजूद लोग तमाशबीन बने रहे। गुरु जंबेश्वर यूनिवर्सिटी की फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाली 18 साल की वर्षा को दिन दहाड़े कत्ल कर दिया गया। हत्या होस्टल के ठीक सामने उस वक्त हुई जब वह ऑटो में बैठकर अपने घर रेवाड़ी जा रही थी। उसी वक्त पहले से मौजूद एक युवक ने उसपर हमला कर दिया। हैरानी इस बात की है कि क़ातिल को अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं है।टिप्पणियां वर्षा की हत्या गला काट कर की गई। पुलिस के मुताबिक वर्षा करीब 20 मिनट तक मदद की गुहार लगाती रही लेकिन कैंपस में मौजूद सारे लोग तमाशा देखते रहे। कोई भी मदद के लिए नहीं आया। अगर वक्त रहते मदद मिलती तो जान बच सकती थी। गुरु जंबेश्वर यूनिवर्सिटी की फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाली 18 साल की वर्षा को दिन दहाड़े कत्ल कर दिया गया। हत्या होस्टल के ठीक सामने उस वक्त हुई जब वह ऑटो में बैठकर अपने घर रेवाड़ी जा रही थी। उसी वक्त पहले से मौजूद एक युवक ने उसपर हमला कर दिया। हैरानी इस बात की है कि क़ातिल को अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं है।टिप्पणियां वर्षा की हत्या गला काट कर की गई। पुलिस के मुताबिक वर्षा करीब 20 मिनट तक मदद की गुहार लगाती रही लेकिन कैंपस में मौजूद सारे लोग तमाशा देखते रहे। कोई भी मदद के लिए नहीं आया। अगर वक्त रहते मदद मिलती तो जान बच सकती थी। वर्षा की हत्या गला काट कर की गई। पुलिस के मुताबिक वर्षा करीब 20 मिनट तक मदद की गुहार लगाती रही लेकिन कैंपस में मौजूद सारे लोग तमाशा देखते रहे। कोई भी मदद के लिए नहीं आया। अगर वक्त रहते मदद मिलती तो जान बच सकती थी। अगर वक्त रहते मदद मिलती तो जान बच सकती थी।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: फ्रेंच ओपन : सानिया महिला युगल के पहले ही दौर में हारीं, पेस, बोपन्ना पुरुष युगल के दूसरे दौर में पहुंचे
यह लेख है: रोहन बोपन्ना और लिएंडर पेस फ्रेंच ओपन टेनिस टूर्नामेंट के पुरुष युगल के दूसरे दौर में जगह बनाने में सफल रहे, लेकिन सानिया मिर्जा को महिला युगल के पहले दौर में ही शिकस्त का सामना करना पड़ा. बोपन्ना और उरूग्वे के उनके जोड़ीदार पाब्लो क्युवास को माथियास बोर्ग और पाल हेनरी मथीयू की फ्रांस की जोड़ी को एकतरफा मुकाबले में हराने में बिल्कुल भी पसीना नहीं बहाना पड़ा. भारत और उरूग्वे की नौवीं वरीय जोड़ी ने फ्रांस की जोड़ी पर सिर्फ 53 मिनट में 6-1 6-1 से जीत दर्ज की. बोपन्ना और क्युवास अगले दौर में ट्रीट हुई और डेनिस इस्तोमिन की जोड़ी से भिड़ेंगे. पेस और अमेरिका के उनके जोड़ीदार स्काट लिप्सकी ने मालदोवा के राडू अल्बोट और दक्षिण कोरिया के हियोन चुंग को एक घंटे और 55 मिनट चले मुकाबले में 7-6 4-6 6-2 से हराया. हालांकि सानिया और कजाखस्तान की यारोस्लाव श्वेदोवा की चौथी वरीय जोड़ी को पहले दौर में ही रूस की अनास्तासिया पावलुचेनकोवा और आस्ट्रेलिया की दारिया गावरिलोवा की गैर-वरीय जोड़ी के खिलाफ कड़े मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा. सानिया और श्वेदोवा को दो घंटे और 23 मिनट चले मुकाबले में 6-7 6-1 2-6 से हार झेलनी पड़ी.टिप्पणियां   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) भारत और उरूग्वे की नौवीं वरीय जोड़ी ने फ्रांस की जोड़ी पर सिर्फ 53 मिनट में 6-1 6-1 से जीत दर्ज की. बोपन्ना और क्युवास अगले दौर में ट्रीट हुई और डेनिस इस्तोमिन की जोड़ी से भिड़ेंगे. पेस और अमेरिका के उनके जोड़ीदार स्काट लिप्सकी ने मालदोवा के राडू अल्बोट और दक्षिण कोरिया के हियोन चुंग को एक घंटे और 55 मिनट चले मुकाबले में 7-6 4-6 6-2 से हराया. हालांकि सानिया और कजाखस्तान की यारोस्लाव श्वेदोवा की चौथी वरीय जोड़ी को पहले दौर में ही रूस की अनास्तासिया पावलुचेनकोवा और आस्ट्रेलिया की दारिया गावरिलोवा की गैर-वरीय जोड़ी के खिलाफ कड़े मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा. सानिया और श्वेदोवा को दो घंटे और 23 मिनट चले मुकाबले में 6-7 6-1 2-6 से हार झेलनी पड़ी.टिप्पणियां   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पेस और अमेरिका के उनके जोड़ीदार स्काट लिप्सकी ने मालदोवा के राडू अल्बोट और दक्षिण कोरिया के हियोन चुंग को एक घंटे और 55 मिनट चले मुकाबले में 7-6 4-6 6-2 से हराया. हालांकि सानिया और कजाखस्तान की यारोस्लाव श्वेदोवा की चौथी वरीय जोड़ी को पहले दौर में ही रूस की अनास्तासिया पावलुचेनकोवा और आस्ट्रेलिया की दारिया गावरिलोवा की गैर-वरीय जोड़ी के खिलाफ कड़े मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा. सानिया और श्वेदोवा को दो घंटे और 23 मिनट चले मुकाबले में 6-7 6-1 2-6 से हार झेलनी पड़ी.टिप्पणियां   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: राजीव रंजन की कलम से : सैन्य मामलों में भारत इजरायली मॉडल अपनाएगा?
इसे हम ईंट का जवाब पत्थर से कह सकते हैं या सेर को सवा सेर भी कह सकते हैं। शायद ये पहली बार है कि जब सरहद पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने एक बीएसएफ के जवान को मार गिराया तो उसका मुंहतोड़ जवाब महज कुछ घंटों के भीतर बीएसएफ ने दे दिया हो। इसको लेकर जब मैंने सीमा पर तैनात बीएसएफ के एक सीनियर अधिकारी से बात की तो उनका जवाब साफ था। हमारे जवान जब पेट्रोलिंग पर थे, तो अचानक पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन पर फायरिंग शुरू दी, एक जवान पर तो एक नहीं पांच से ज्यादा गोलियां दाग दीं और तो और जवानों पर ग्रेनेड से भी फायर किए, हमारा जवान तो उसी जगह मारा गया। फिर हम क्या करते, आधे घंटे के अंदर हमने भी दो पाकिस्तानियों को मार गिराया और कुछ घंटों के भीतर दो और। घायलों की तो बात ही छोड़िए। इतना ही नहीं मरे हुए पाकिस्तानी जवानों का शव वो 5 बजे के बाद तब उठा पाए जब दिल्ली से हुक्म पहुंचा और वो सफेद झंडे के साथ आगे आए। अब वो दिन भी याद कीजिए जब पुंछ के पास एक साल पहले मेंढर एलओसी पर पाकिस्तानी सैनिक हमारे एक जवान का सिर काटकर पाकिस्तान लेकर चले गए थे और दूसरे जवान का शव क्षत विक्षत हालत में छोड़ दिया था। हालांकि सेना ने उसका बदला तो जरूर लिया, लेकिन यह बदला लेने में छह महीने से ज्यादा लग गए। ऐसा भी नहीं था कि उस वक्त हमारी सेना और बीएसएफ के जवान माकूल जवाब लेने में सक्षम नहीं थे और न ही उनके जोश और हौसले में कोई कमी थी। कमी थी तो सरकार की ओर से मिले स्पष्ट निर्देश की। आज सरकार का साफ हुक्म है कि अगर सरहद पर कोई भी नापाक हरकत होती है तो उसका जवाब देने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। तो क्या यह अंतर राजनीतिक इच्छा शक्ति का है? यानी अगर सीमा पार से एक गोली फायर होती है तो उसका जवाब दस गोलियों से दिया जाए। पर इसका नतीजा क्या होगा ये पूछे जाने पर एलओसी पर तैनात एक सेना के अफसर कहते हैं कि हमने बहुत भाईचारा दिखा लिया हमको क्या मिला। अब सख्ती दिखाएंगे तो वो भी कुछ उल्टी हरकत करने से पहले दस बार सोचेंगे तो।          वैसे जबसे 2003 में पाकिस्तान के साथ सरहद पर अमन कायम करने के लिए युद्ध-विराम समझौता हुआ तब से ऐसे तुरंत जवाब नहीं दिए जाते हैं। ऐसी कार्रवाई इजरायली सैनिक ही आनन-फानन में करते हैं, जब भी उनके सैनिक को दुश्मन मार गिराता है। पहले जब हमारी सीमा पर फायरिंग होती थी, जवान जवाब देने से पहले सोचता था कि पता नहीं, बॉस क्या कहेंगे। किसी जांच में फंस न जाऊं, पर अब तो स्थिति उलट है, इंतजार मत कीजिए, किसी भी हालत में पीछे मत हटिए और ऐसा मुंहतोड़ जवाब दीजिए जो दुश्मन को नानी याद करा दे। यहां यह बताना जरूरी है कि 24 घंटे पहले ही रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि मैं सेना से यही कहूंगा कि उकसाओ मत, समुचित जवाब दो। पीछे हटने की जरूरत नहीं है और अगर कुछ होता है, डबल एनर्जी से जवाब दो। तो क्या भारत सैन्य मामलों में इजरायली मॉडल अपनाने जा रहा है?
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: उना कांड : अपने पुरस्कार लौटाएंगे गुजरात के दलित लेखक
दलित युवकों की पिटाई का विरोध करते हुए गुजरात के दलित लेखक अमृतलाल मकवाना ने राज्य सरकार से उन्हें मिले पुरस्कार को वापस लौटाने की सोमवार को घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन को समुदाय (दलितों) के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। मकवाना ने बताया कि वह बुधवार को अपना पुरस्कार और उसके साथ मिली 25,000 रुपये की राशि अहमदाबाद के जिलाधिकारी को वापस लौटाएंगे। सुरेन्द्रनगर जिले में वाधवान कस्बे के निवासी मकवाना ने कहा, ''गुजरात में ऐसी घटनाएं अक्‍सर हो रही हैं, लेकिन सरकार दलितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।'' कांग्रेस से जुड़े रहे इस लेखक को गुजरात सरकार ने 2012-13 का 'दासी जीवन श्रेष्ठ दलित साहित्य कृति अवार्ड' दिया था। लेखक को 25,000 रुपये नकद, एक प्रमाणपत्र और शॉल दिया गया था। मकवाना ने कहा, ''गिर सोमनाथ जिले के मोटा समधियाला गांव में जो हुआ वह बहुत भयावह और क्रूर है। दलितों के प्रति ऐसा अत्याचार निंदनीय है और उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। दुख की बात है कि ऐसी घटनाएं हमारे आसपास लगातार हो रही हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है।''टिप्पणियां उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मकवाना ने बताया कि वह बुधवार को अपना पुरस्कार और उसके साथ मिली 25,000 रुपये की राशि अहमदाबाद के जिलाधिकारी को वापस लौटाएंगे। सुरेन्द्रनगर जिले में वाधवान कस्बे के निवासी मकवाना ने कहा, ''गुजरात में ऐसी घटनाएं अक्‍सर हो रही हैं, लेकिन सरकार दलितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।'' कांग्रेस से जुड़े रहे इस लेखक को गुजरात सरकार ने 2012-13 का 'दासी जीवन श्रेष्ठ दलित साहित्य कृति अवार्ड' दिया था। लेखक को 25,000 रुपये नकद, एक प्रमाणपत्र और शॉल दिया गया था। मकवाना ने कहा, ''गिर सोमनाथ जिले के मोटा समधियाला गांव में जो हुआ वह बहुत भयावह और क्रूर है। दलितों के प्रति ऐसा अत्याचार निंदनीय है और उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। दुख की बात है कि ऐसी घटनाएं हमारे आसपास लगातार हो रही हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है।''टिप्पणियां उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सुरेन्द्रनगर जिले में वाधवान कस्बे के निवासी मकवाना ने कहा, ''गुजरात में ऐसी घटनाएं अक्‍सर हो रही हैं, लेकिन सरकार दलितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।'' कांग्रेस से जुड़े रहे इस लेखक को गुजरात सरकार ने 2012-13 का 'दासी जीवन श्रेष्ठ दलित साहित्य कृति अवार्ड' दिया था। लेखक को 25,000 रुपये नकद, एक प्रमाणपत्र और शॉल दिया गया था। मकवाना ने कहा, ''गिर सोमनाथ जिले के मोटा समधियाला गांव में जो हुआ वह बहुत भयावह और क्रूर है। दलितों के प्रति ऐसा अत्याचार निंदनीय है और उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। दुख की बात है कि ऐसी घटनाएं हमारे आसपास लगातार हो रही हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है।''टिप्पणियां उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मकवाना ने कहा, ''गिर सोमनाथ जिले के मोटा समधियाला गांव में जो हुआ वह बहुत भयावह और क्रूर है। दलितों के प्रति ऐसा अत्याचार निंदनीय है और उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। दुख की बात है कि ऐसी घटनाएं हमारे आसपास लगातार हो रही हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है।''टिप्पणियां उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने कहा, ''करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है।''टिप्पणियां उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उल्‍लेखनीय है कि गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: IPL MIvsRPS : गौतम गंभीर की केकेआर को पानी पिला चुके इस गेंदबाज ने भरी हुंकार, कहा- फाइनल अलग होगा!
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: शाहरुख खान के मालिकाना हक वाली कोलकाता नाइटराइडर्स टीम का IPL-10 का सफर शुक्रवार को खत्म हो गया. मुंबई इंडियन्स ने इस मैच में अगर एकतरफा अंदाज में जीत दर्ज की, तो इसमें लेगब्रेक बॉलर कर्ण शर्मा का अहम रोल रहा. कर्ण ने तो केकेआर की बल्लेबाजी की कमर ही तोड़ दी और उनकी गेंदों के सामने गंभीर सेना नाचती दिखी. उन्होंने केकेआर मुख्य विस्फोटक बल्लेबाजों को पलक झपकते ही चलता कर दिया. उनके शिकारों में कप्तान गौतम गंभीर, सुनील नरेन शामिल रहे. अब कर्ण का सारा ध्यान फाइनल मुकाबले पर है, जिसमें उन्हें राइजिंग पुणे से भिड़ना है. हालांकि कर्ण को इस मैच की चिंता नहीं है और उन्होंने पुणे के खिलाफ रिकॉर्ड खराब होने की बातों पर ध्यान नहीं देने पर जोर देते हुए कहा कि अंतिम और निर्णायक मुकाबला अलग ही होगा... आईपीएल में तीसरा खिताब जीतने की उम्मीदें पाले मुंबई इंडियंस का सामना रविवार को हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में राइजिंग पुणे से होगा, जिसके कप्तान स्टीव स्मिथ हैं और उनकी टीम शानदार फॉर्म में है. इतना ही नहीं इससे पहले के सभी मुकाबलों में वह मुंबई के हरा चुकी है. ऐसे में एक्सपर्ट मुंबई पर पुणे को फेवरेट बता रहे. एक्सपर्ट से अलग क्वालिफायर-2 में मुंबई इंडियंस के कर्ण शर्मा ने चेताते हुए कहा है कि लीग मैचों के आधार पर मुंबई को हल्के में लेना भारी पड़ेगा. उनको भरोसा है कि लीग चरण और क्वालिफायर में मिली हार का आईपीएल फाइनल में कोई असर नहीं होगा. कर्ण ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हम फाइनल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लीग चरण की हार अब अतीत की बात है.' वास्तव में कर्ण शर्मा को स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की जगह टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. गौतरलब है कि शुरुआती दौर में भज्जी ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन बाद में वह सफल नहीं रहे.टिप्पणियां कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. आईपीएल में तीसरा खिताब जीतने की उम्मीदें पाले मुंबई इंडियंस का सामना रविवार को हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में राइजिंग पुणे से होगा, जिसके कप्तान स्टीव स्मिथ हैं और उनकी टीम शानदार फॉर्म में है. इतना ही नहीं इससे पहले के सभी मुकाबलों में वह मुंबई के हरा चुकी है. ऐसे में एक्सपर्ट मुंबई पर पुणे को फेवरेट बता रहे. एक्सपर्ट से अलग क्वालिफायर-2 में मुंबई इंडियंस के कर्ण शर्मा ने चेताते हुए कहा है कि लीग मैचों के आधार पर मुंबई को हल्के में लेना भारी पड़ेगा. उनको भरोसा है कि लीग चरण और क्वालिफायर में मिली हार का आईपीएल फाइनल में कोई असर नहीं होगा. कर्ण ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हम फाइनल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लीग चरण की हार अब अतीत की बात है.' वास्तव में कर्ण शर्मा को स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की जगह टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. गौतरलब है कि शुरुआती दौर में भज्जी ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन बाद में वह सफल नहीं रहे.टिप्पणियां कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. एक्सपर्ट से अलग क्वालिफायर-2 में मुंबई इंडियंस के कर्ण शर्मा ने चेताते हुए कहा है कि लीग मैचों के आधार पर मुंबई को हल्के में लेना भारी पड़ेगा. उनको भरोसा है कि लीग चरण और क्वालिफायर में मिली हार का आईपीएल फाइनल में कोई असर नहीं होगा. कर्ण ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हम फाइनल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लीग चरण की हार अब अतीत की बात है.' वास्तव में कर्ण शर्मा को स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की जगह टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. गौतरलब है कि शुरुआती दौर में भज्जी ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन बाद में वह सफल नहीं रहे.टिप्पणियां कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. कर्ण ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हम फाइनल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लीग चरण की हार अब अतीत की बात है.' वास्तव में कर्ण शर्मा को स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की जगह टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. गौतरलब है कि शुरुआती दौर में भज्जी ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन बाद में वह सफल नहीं रहे.टिप्पणियां कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. वास्तव में कर्ण शर्मा को स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की जगह टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. गौतरलब है कि शुरुआती दौर में भज्जी ने अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन बाद में वह सफल नहीं रहे.टिप्पणियां कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. कर्ण ने कहा, ‘यह मेरे हाथ में नहीं है. टीम को मेरी जरूरत थी और मैं अच्छी गेंदबाजी करके जीत में अहम भूमिका निभाना चाहता था. मैं जब नहीं खेलता हूं, तब भी काफी मेहनत करता हूं.’ यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है. यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. कागजों पर भी दोनों टीमें बराबरी की लग रही है चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है जिसमें पहले क्वालीफायर में मिली धमाकेदार जीत शामिल थी. फाइनल हालांकि नया मैच है और मुंबई तीनों हार का बदला चुकता कर सकती है.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: पाकिस्तान के पूर्व MLA ने मांगी भारत में शरण तो इमरान खान की पार्टी बोली- जहां चाहें, वहां रहने के लिए आजाद
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक मंत्री ने मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को पूर्व पार्टी सदस्य और विधायक बलदेव कुमार (Baldev Kumar) के भारत में राजनीतिक शरण मांगने पर कोई आपत्ति नहीं है. कुमार अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ पिछले महीने भारत आए थे. वह इस समय पंजाब के लुधियाना जिले के खन्ना में रह रहे हैं. कुमार ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान इसलिए छोड़ा क्योंकि अल्पसंख्यकों को ‘वहां उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है'.  खैबर पख्तूनख्वा के सूचना मंत्री शौकत अली यूसफजई ने मीडिया से कहा कि कुमार जहां कहीं भी रहना चाहते हैं, उन्हें इसकी आजादी है. कुमार ने तीन वर्ष तक खैबर पख्तूनख्वा के स्वात जिले में पीटीआई अध्यक्ष के तौर पर काम किया था. यूसफजई ने कहा कि कुमार का पीटीआई से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि उन्हें 2013 से 2018 तक खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के विशेष सहायक रहे सरदार सोरन सिंह की हत्या में कथित भूमिका के चलते पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. इससे पहले कुमार ने लुधियाना में संवाददाताओं से कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है और वहां मुसलमान तक सुरक्षित नहीं हैं. बता दें, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के एक पूर्व विधायक ने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों से उनके अधिकार छीने जाने का आरोप लगाते हुए भारत में शरण मांगी है. बलदेव कुमार ने यह भी आरोप लगाया है कि आतंकवाद को पाकिस्तान में समर्थन मिल रहा है. कुमार ने खन्ना में मंगलवार को पत्रकारों से कहा, ‘मैं यहां शरण मांगने आया हूं और (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी साहब से मदद का आग्रह करूंगा.'  यह पूछे जाने पर कि वह अपना देश छोड़कर भारत क्यों आये, कुमार ने कहा, ‘सारी दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति क्या है. हमें (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान) खान साहब से उम्मीद थी कि उनके (सत्ता में) आने के बाद पाकिस्तान की किस्मत बदलेगी.' उन्होंने कहा कि लेकिन वह (इमरान) ऐसा करने में नाकाम रहे. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘खान साहब नये पाकिस्तान की बात कर रहे थे. यद्यपि पुराना पाकिस्तान नये पाकिस्तान से बेहतर था. आप (पाकिस्तान में) स्थिति देख रहे हैं और मैं भी वही देख रहा हूं. एक दिन हमारी सिख लड़की का अपहरण कर लिया गया. ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए.'
13
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: हमें गंभीर पर दबाव कम करना होगा : बिस्ला
कोलकाता नाइट राइडर्स के सलामी बल्लेबाज मानविंदर बिस्ला ने खराब फॉर्म से जूझ रहे टीम के सभी बल्लेबाजों से एकजुट होकर कप्तान गौतम गंभीर पर दबाव कम करने की अपील की है।टिप्पणियां बिस्ला ने कहा, एक बल्लेबाजी यूनिट के तौर पर हमने गंभीर पर काफी दबाव बना दिया है। हम टूर्नामेंट में अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सके हैं। कोलकाता की टीम अगले दो मैचों में चेन्नई सुपर किंग्स और दिल्ली डेयरडेविल्स से भिड़ेगी। बिस्ला ने कहा, टूर्नामेंट के बाकी मैचों में यदि दूसरे बल्लेबाज फॉर्म में लौटते हैं, तो गंभीर उन्मुक्त होकर खेल सकता है। केकेआर और चेन्नई सुपर किंग्स का जब सामना होगा, तो पिछले साल के फाइनल की यादें ताजा हो जाएगी, जब बिस्ला ने करियर की सर्वश्रेष्ठ 89 रन की पारी खेलकर कोलकाता को जीत दिलाई थी। बिस्ला ने हालांकि कहा कि यह उपलब्धि अतीत की बात है। उन्होंने कहा, वह पिछले साल की बात है, लेकिन अब नया सत्र है। देखते हैं कि रविवार को क्या होता है। बिस्ला ने कहा, एक बल्लेबाजी यूनिट के तौर पर हमने गंभीर पर काफी दबाव बना दिया है। हम टूर्नामेंट में अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सके हैं। कोलकाता की टीम अगले दो मैचों में चेन्नई सुपर किंग्स और दिल्ली डेयरडेविल्स से भिड़ेगी। बिस्ला ने कहा, टूर्नामेंट के बाकी मैचों में यदि दूसरे बल्लेबाज फॉर्म में लौटते हैं, तो गंभीर उन्मुक्त होकर खेल सकता है। केकेआर और चेन्नई सुपर किंग्स का जब सामना होगा, तो पिछले साल के फाइनल की यादें ताजा हो जाएगी, जब बिस्ला ने करियर की सर्वश्रेष्ठ 89 रन की पारी खेलकर कोलकाता को जीत दिलाई थी। बिस्ला ने हालांकि कहा कि यह उपलब्धि अतीत की बात है। उन्होंने कहा, वह पिछले साल की बात है, लेकिन अब नया सत्र है। देखते हैं कि रविवार को क्या होता है। बिस्ला ने कहा, टूर्नामेंट के बाकी मैचों में यदि दूसरे बल्लेबाज फॉर्म में लौटते हैं, तो गंभीर उन्मुक्त होकर खेल सकता है। केकेआर और चेन्नई सुपर किंग्स का जब सामना होगा, तो पिछले साल के फाइनल की यादें ताजा हो जाएगी, जब बिस्ला ने करियर की सर्वश्रेष्ठ 89 रन की पारी खेलकर कोलकाता को जीत दिलाई थी। बिस्ला ने हालांकि कहा कि यह उपलब्धि अतीत की बात है। उन्होंने कहा, वह पिछले साल की बात है, लेकिन अब नया सत्र है। देखते हैं कि रविवार को क्या होता है।
9
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: मेरे पिता स्वराज से अच्छा नाचते हैं : उमर
जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता सुषमा स्वराज को आड़े हाथों लिया। स्वराज ने राजघाट पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ नृत्य किया था। उमर ने ट्वीटर पर ट्वीट किया कि उनके पिता स्वराज से बेहतर नर्तक हैं। उमर ने मंगलवार को अपराह्न् 3.25 बजे ट्वीट किया, "सुषमा स्वराज का नृत्य करते हुए वीडियो देखने के बाद मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मेरे पिता सुषमा स्वराज से बेहतर नर्तक हैं।" ज्ञात हो कि जम्मू एवं कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके फारुख अब्दुल्ला को हाल में एक कश्मीरी लोकगीत पर नृत्य करते हुए देखा गया था। एक मिनट का यह वीडियो इतना हिट हुआ था कि फेसबुक साइट पर तमाम दर्शकों ने इसे देखा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ राजघाट पर रविवार को 24 घंटे के सत्याग्रह के दौरान ठुमके लगाए थे। सुषमा के इस नृत्य ने विवाद को जन्म दे दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि स्वराज ने इस कृत्य के जरिए उस स्थल को अपवित्र कर दिया।
13
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: जामिया में हुई घटना के बाद दक्षिणपूर्व दिल्ली के स्कूल सोमवार को रहेंगे बंद
लेख: जामिया विश्वविद्यालय के समीप हिंसा के बाद पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर दक्षिणपूर्व दिल्ली के सभी सकूल सोमवार को बंद रहेंगे.  उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह घोषणा की. सिसोदिया ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली में जामिया, ओखला, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और मदनपुर खादर समेत दक्षिण पूर्व जिले के इलाकों में सभी सरकारी और निजी स्कूल कल बंद रहेंगे. दिल्ली सरकार ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया है.''  दिल्ली में साउथ ईस्ट जिले में ओखला, जामिया, न्यू फ्रैंड्स कालोनी, मदनपुर खादर क्षेत्र के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल कल बंद रहेंगे. वर्तमान हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया है. बता दें कि नागरिकता संशोधन क़ानून पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में रविवार को भी विरोध प्रदर्शन हुआ. पिछले तीन दिन से यहां जामिया के छात्र संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. रविवार को छात्रों के साथ कई अन्‍य लोग भी प्रदर्शन में शामिल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने जामिया से संसद तक जाने की कोशिश में हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें अब तक आगे नहीं बढ़ने दिया है.  रविवार को प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतर आए और सराय जुलैना में उन्‍होंने 3 बसों में आग लगा दी. आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की 4 गाड़ियां मौके पर पहुंची लेकिन प्रदर्शनकारियों ने दमकल एक गाड़ी में भी तोड़फोड़ की जिसमें एक फायरमैन को चोट लगी है.
9
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: भूकंप से हिला मध्य इटली
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: मध्य इटली में रविवार को 4.8 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। इससे इमारतें हिल गईं और लोगों में दहशत फैल गई।टिप्पणियां इटली के भूभौतिकी संस्थान के अनुसार भूकंप राजधानी रोम और दक्षिणी शहर नेपल्स के बीच फ्रोंसिनोन में महसूस किया गया जो 10.7 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था । इसमें जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप से आब्रुजो क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा हो गया और आपातकालीन सेवाओं को फोन आने लगे। इटली के भूभौतिकी संस्थान के अनुसार भूकंप राजधानी रोम और दक्षिणी शहर नेपल्स के बीच फ्रोंसिनोन में महसूस किया गया जो 10.7 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था । इसमें जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप से आब्रुजो क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा हो गया और आपातकालीन सेवाओं को फोन आने लगे। भूकंप से आब्रुजो क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा हो गया और आपातकालीन सेवाओं को फोन आने लगे।
8
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: दिल्‍ली : दिन दहाड़े 21 वर्षीय शख्‍स की पड़ोसी लड़कों ने की चाकू मारकर हत्‍या
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के ओखला थाना इलाके में शनिवार दोपहर करीब 3 बजे दिल दहलाने वाली घटना सामने आई. दरअसल 5-6 लड़कों ने मिलकर 21 साल के सईद अनवर नाम के युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी. चश्मदीदों के मुताबिक सईद पर एक दर्जन से ज्यादा वार किए गए. इस घटना के दौरान मौके पर मौजूद पब्लिक मूकदर्शक बनी रही. वारदात ओखला फेज वन के कल्याण विहार में हुई. सईद अनवर के पिता का कहना है कि मेरे बेटे को कई बार चाकू मारे गए. जख्मी 21 वर्षीय सईद अनवर को ओखला के ईएसआई हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस हत्या का मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है. पुलिस के मुताबिक आरोपियों की पहचान हो गयी है. आरोपी मृतक के पड़ोसी हैं और एक दूसरे को जानते हैं. मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया है. जख्मी 21 वर्षीय सईद अनवर को ओखला के ईएसआई हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस हत्या का मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है. पुलिस के मुताबिक आरोपियों की पहचान हो गयी है. आरोपी मृतक के पड़ोसी हैं और एक दूसरे को जानते हैं. मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पुड्डचेरी : रंगासामी ने शपथ ली, गरीबों को 25 किलो चावल
यह लेख है: पुड्डचेरी के 60 वर्षीय मुख्यमंत्री एन. रंगासामी ने सोमवार को अपना कार्यभार संभाला। उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (बीपीएल) परिवारों को 25 किलो चावल मुफ्त देने का आदेश दिया। नई सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन राशि भी 750 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दी। इससे पहले राज निवास में उपराज्यपाल इकबाल सिंह ने ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) पार्टी के नेता रंगासामी को पद एवं गोपीयता की शपथ दिलाई। रंगासामी के साथ किसी भी अन्य मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई। दो माह पूर्व गठित एआईएनआरसी पार्टी ने 50 सदस्यीय विधानसभा के लिए ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। रंगासामी दो निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी घोषित किए गए थे। आईएनआरसी को 17 में से 15 सीटें मिलीं, जबकि एआईएडीएमके को पांच सीटें मिलीं। गठबंधन की दोनों पार्टियों ने मिलकर 20 सीटें हासिल की। पूर्व कांग्रेस नेता रंगासामी इससे पहले 2001 से लेकर 2008 तक इस केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: गर्व है हमारा एक स्वयंसेवक दिल्ली का मुख्यमंत्री बना : अन्ना हजारे
यह लेख है: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल को शुभकामनाएं दी हैं और कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका एक स्वयंसेवक दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है। हजारे ने संवाददाताओं से कहा, मैंने मतगणना के दिन भी अरविंद को बधाई दी थी। मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने पर मैं फिर उन्हें बधाई देता हूं। मुझे गर्व है कि हमारे एक स्वयंसेवक ने दिल्ली में सरकार बनाई है। उन्होंने कहा, अब जो सरकार चलाएंगे, मुझे उन पर पूरा भरोसा है कि वे दिल्ली को एक भ्रष्टाचार मुक्त और आदर्श शहर बनाएंगे, जो बाद में पूरे देश के लिए एक उदाहरण साबित होगा। हजारे ने कहा, उन्होंने हमारे साथ कई सालों तक काम किया और अब मुख्यमंत्री, मंत्री बने हैं। मैंने पहले भी कहा था कि बेदी जीते चाहे केजरीवाल जीते, दोनों हमारे स्वयंसेवक रहे हैं। टीम अन्ना के पूर्व सदस्य केजरीवाल ने रामलीला मैदान में आयोजित शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए हजारे को आमंत्रित किया था, लेकिन हजारे शपथ-ग्रहण समारोह में नहीं आए। हजारे ने कुछ साल पहले रामलीला मैदान में ही आंदोलन किया था।
9
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: नवादा में मोटरसाइकिल और ऑटो की टक्कर में दो की मौत
लेख: बिहार के नवादा जिला के अकबरपुर थाना अंतर्गत बड़ैल गांव के पास बुधवार को एक मोटरसाइकिल और ऑटोरिक्शा के बीच टक्कर में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए. नवादा सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त अवर निरीक्षक दिनकर दयाल ने बताया कि मृतकों में भदौनी मुहल्ला निवासी शहनवाज अंसारी और हिसुआ थाना अंतर्गत गोबरटोली मुहल्ले के निवासी भिक्षा पासवान शामिल है.टिप्पणियां उन्होंने बताया कि दोनों घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) नवादा सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त अवर निरीक्षक दिनकर दयाल ने बताया कि मृतकों में भदौनी मुहल्ला निवासी शहनवाज अंसारी और हिसुआ थाना अंतर्गत गोबरटोली मुहल्ले के निवासी भिक्षा पासवान शामिल है.टिप्पणियां उन्होंने बताया कि दोनों घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने बताया कि दोनों घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: परिवार के खिलाफ जाकर की शादी, तो पिता और भाई ने कर दी लड़की की हत्या, फिर...
यह एक लेख है: उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां थाना भवन कस्बे में एक महिला की हत्या के आरोप में पिता और भाई सहित परिवार के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बृहस्पतिवार को बताया कि महिला का शव पिछले हफ्ते यहां जंगल में पाया गया था. पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) प्रदीप कुमार ने बताया कि 20 वर्षीय गुलशफा की हत्या करने के आरोप में नियामत अली, उसके बेटे नजाकत और उनके दामाद शराफत को गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि गुलशफा ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ एक लड़के से प्यार किया था.  सीओ ने कहा कि आरोपियों ने महिला की गला दबाकर हत्या करने का अपराध स्वीकार किया है क्योंकि उसने ‘परिवार के नाम पर धब्बा' लगाया था. सीओ ने कहा कि परिवार ने गुलशफा का विवाह किसी अन्य व्यक्ति से तय किया था, फिर भी उसका अपने प्रेमी के साथ संबंध था. पुलिस के मुताबिक थानाभवन के जलालाबाद इलाके के जंगल में उसका शव पाया गया और उसके गर्दन में दुपट्टा लिपटा हुआ था. उसके परिवार ने पुलिस को गुमराह करने के लिए इसे आत्महत्या बताया.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों के बच्चों को नागरिकता दी जाए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
लेख: असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी और जमात-ए-उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि असम में डेरा जमाए अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश के नागरिकों के बच्चों की नागरिकता के मामले में उन्हें भी पक्ष बनाया जाए. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित इस मामले में उनको भी पक्ष बनाया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है आप उस पीठ के समक्ष अर्जी दाखिल कर पक्ष बनाने की मांग करें. दरअसल अवैध आव्रजकों के भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ देखेगी कि मौजूदा भारतीय कानून के तहत इन बच्चों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है या नहीं. संविधान पीठ असम में डेरा जमाए बांग्लादेश के अवैध आव्रजकों के बच्चों की स्थितियों पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा संविधान पीठ की बड़ी पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करेगी. टिप्पणियां यह भी पढ़ें - घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तांतरण समझौता : पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है आप उस पीठ के समक्ष अर्जी दाखिल कर पक्ष बनाने की मांग करें. दरअसल अवैध आव्रजकों के भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ देखेगी कि मौजूदा भारतीय कानून के तहत इन बच्चों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है या नहीं. संविधान पीठ असम में डेरा जमाए बांग्लादेश के अवैध आव्रजकों के बच्चों की स्थितियों पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा संविधान पीठ की बड़ी पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करेगी. टिप्पणियां यह भी पढ़ें - घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तांतरण समझौता : पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं. दरअसल अवैध आव्रजकों के भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ देखेगी कि मौजूदा भारतीय कानून के तहत इन बच्चों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है या नहीं. संविधान पीठ असम में डेरा जमाए बांग्लादेश के अवैध आव्रजकों के बच्चों की स्थितियों पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा संविधान पीठ की बड़ी पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करेगी. टिप्पणियां यह भी पढ़ें - घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तांतरण समझौता : पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं. संविधान पीठ असम में डेरा जमाए बांग्लादेश के अवैध आव्रजकों के बच्चों की स्थितियों पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा संविधान पीठ की बड़ी पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करेगी. टिप्पणियां यह भी पढ़ें - घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तांतरण समझौता : पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं. यह भी पढ़ें - घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तांतरण समझौता : पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: पश्चिम बंगाल को 500 रुपये के नए नोट नहीं भेज रही केंद्र सरकार : ममता बनर्जी
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र की राजग सरकार पर पश्चिम बंगाल में 500 रुपये के नए नोट नहीं जारी कर इस राज्य के साथ भेदभावपूर्ण राजनीति करने का आरोप लगाया एवं कहा कि अन्य राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने के बाद अगली कार्ययोजना तय करेंगी. ममता बनर्जी ने कहा, "उन्होंने राजस्थान को 500 रुपये के नोट भेजे हैं, लेकिन वे पश्चिम बंगाल को 500 रुपये के नोट नहीं भेज रहे हैं. केंद्र सरकार सही ढंग से कार्य करने में पूरी तरह विफल रही है. ग्रामीण भारत मर रहा है, वह कार्ड नहीं इस्तेमाल करता. वे क्या करेंगे? पूरा ग्रामीण भारत चीख रहा है, किसान चीख रहे हैं. यदि खाना ही उपलब्ध नहीं होगा, तो लोग खाएंगे क्या? प्लास्टिक?? ’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बड़े पुराने नोटों का चलन बंद होने के कारण राज्य में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. उन्होंने केंद्र सरकार के इस अनुरोध पर ऐतराज करने पर उच्चतम न्यायालय की सराहना की कि वह यह निर्देश दे कि शीर्ष अदालत के सिवा कोई भी अदालत नोटबंदी की अधिसूचना पर याचिकाएं नहीं सुन सकती. ममता आज कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय गईं और वहां की क्षेत्रीय निदेशक रेखा वारियर से भेंट के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "मैंने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी बैंकों एवं एटीएम पर नकदी उपलब्ध हो. आम लोगों को परेशानियां नहीं होनी चाहिएं. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. यह मत कहिए कि हम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि 'कोशिश' अनिश्चित शब्द है. यह लापरवाही एवं अक्षमता को ढाल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मैं आपको दोष नहीं दे रही. आप कहां से नोट देंगे, यदि केंद्र ने दिया ही नहीं है." वह पार्टी नेताओं के साथ आरबीआई कार्यालय के आसपास स्थित एटीएम पर भी गईं और उन्होंने लोगों से बातचीत की.टिप्पणियां उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) ममता बनर्जी ने कहा, "उन्होंने राजस्थान को 500 रुपये के नोट भेजे हैं, लेकिन वे पश्चिम बंगाल को 500 रुपये के नोट नहीं भेज रहे हैं. केंद्र सरकार सही ढंग से कार्य करने में पूरी तरह विफल रही है. ग्रामीण भारत मर रहा है, वह कार्ड नहीं इस्तेमाल करता. वे क्या करेंगे? पूरा ग्रामीण भारत चीख रहा है, किसान चीख रहे हैं. यदि खाना ही उपलब्ध नहीं होगा, तो लोग खाएंगे क्या? प्लास्टिक?? ’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बड़े पुराने नोटों का चलन बंद होने के कारण राज्य में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. उन्होंने केंद्र सरकार के इस अनुरोध पर ऐतराज करने पर उच्चतम न्यायालय की सराहना की कि वह यह निर्देश दे कि शीर्ष अदालत के सिवा कोई भी अदालत नोटबंदी की अधिसूचना पर याचिकाएं नहीं सुन सकती. ममता आज कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय गईं और वहां की क्षेत्रीय निदेशक रेखा वारियर से भेंट के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "मैंने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी बैंकों एवं एटीएम पर नकदी उपलब्ध हो. आम लोगों को परेशानियां नहीं होनी चाहिएं. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. यह मत कहिए कि हम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि 'कोशिश' अनिश्चित शब्द है. यह लापरवाही एवं अक्षमता को ढाल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मैं आपको दोष नहीं दे रही. आप कहां से नोट देंगे, यदि केंद्र ने दिया ही नहीं है." वह पार्टी नेताओं के साथ आरबीआई कार्यालय के आसपास स्थित एटीएम पर भी गईं और उन्होंने लोगों से बातचीत की.टिप्पणियां उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने केंद्र सरकार के इस अनुरोध पर ऐतराज करने पर उच्चतम न्यायालय की सराहना की कि वह यह निर्देश दे कि शीर्ष अदालत के सिवा कोई भी अदालत नोटबंदी की अधिसूचना पर याचिकाएं नहीं सुन सकती. ममता आज कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय गईं और वहां की क्षेत्रीय निदेशक रेखा वारियर से भेंट के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "मैंने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी बैंकों एवं एटीएम पर नकदी उपलब्ध हो. आम लोगों को परेशानियां नहीं होनी चाहिएं. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. यह मत कहिए कि हम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि 'कोशिश' अनिश्चित शब्द है. यह लापरवाही एवं अक्षमता को ढाल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मैं आपको दोष नहीं दे रही. आप कहां से नोट देंगे, यदि केंद्र ने दिया ही नहीं है." वह पार्टी नेताओं के साथ आरबीआई कार्यालय के आसपास स्थित एटीएम पर भी गईं और उन्होंने लोगों से बातचीत की.टिप्पणियां उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) ममता आज कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय गईं और वहां की क्षेत्रीय निदेशक रेखा वारियर से भेंट के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "मैंने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी बैंकों एवं एटीएम पर नकदी उपलब्ध हो. आम लोगों को परेशानियां नहीं होनी चाहिएं. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. यह मत कहिए कि हम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि 'कोशिश' अनिश्चित शब्द है. यह लापरवाही एवं अक्षमता को ढाल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मैं आपको दोष नहीं दे रही. आप कहां से नोट देंगे, यदि केंद्र ने दिया ही नहीं है." वह पार्टी नेताओं के साथ आरबीआई कार्यालय के आसपास स्थित एटीएम पर भी गईं और उन्होंने लोगों से बातचीत की.टिप्पणियां उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) यह मत कहिए कि हम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि 'कोशिश' अनिश्चित शब्द है. यह लापरवाही एवं अक्षमता को ढाल देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मैं आपको दोष नहीं दे रही. आप कहां से नोट देंगे, यदि केंद्र ने दिया ही नहीं है." वह पार्टी नेताओं के साथ आरबीआई कार्यालय के आसपास स्थित एटीएम पर भी गईं और उन्होंने लोगों से बातचीत की.टिप्पणियां उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने कहा, "लोग अपने बचत खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे. उन्हें रोका जा रहा है. क्या उनका पैसा सुरक्षित है? देश जानना चाहता है." अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद से नोटबंदी के फैसले को तीन दिन में अंदर वापस लेने का आह्वान कर चुकीं ममता ने कहा, "तीन दिन की समयसीमा बीत जाने के बाद मैं अन्य राजनीतिक दलों से बात करूंगी एवं अगली कार्य योजना तय करूंगी."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: बीए में पढ़ने वाले स्टूडेंट ने बनाया 7 बच्चों का गैंग, चोरी की बाइक के साथ करते थे ऐसा, पुलिस ने यूं दबोचा
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने वाहन चोरों के ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसे बीए में पढ़ने वाला स्टूडेंट ऑपरेट कर रहा था. इस गैंग में वाहन चोरी करने वाले 7 नाबालिग बच्चों के साथ गैंग के सरगना समेत चार बदमाश पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनके कब्जे से 9 मोटरसाइकिल सहित एक स्कूटी एक मोटर साइकिल की चेचिस भी बरामद की है. बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है जबकि नाबालिक चोरों को जुवेनाइल कोर्ट में पेश करने के बाद बाल सुधार गृह भेज दिया गया है. पुलिस की गिरफ्त खड़े प्रिंस, अंकित, लोकेश और राहुल शातिर किस्म के वाहन चोर है. प्रिंस इस गिरोह का सागना है जो दादरी के ही एक कॉलेज से बीए की पढ़ाई कर रहा है. प्रिंस ने अंकित, लोकेश और राहुल के साथ मिल कर गैंग बनाया. इसके बाद इस गैंग में नाबालिक बच्चों को बहला-फुसलाकर अपने गैंग में शामिल कर लिया और उसके बाद नाबालिग बच्चों के माध्यम से मोटरसाइकिल चोरी की वारदातों को अंजाम देने लगा. प्रिंस का मानना था की ये मासूम बच्चे अगर चोरी करते समय पकड़े भी जाते आसानी से छूट जाते थे.  इस गैंग ने एक माह 11 मोटरसाइकिल चोरी व स्कूटी चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया. जिसके चलते दादरी पुलिस लगातार हो रही चोरी की वारदातों के पड़े से परेशान होकर चेकिंग अभियान चलाई हुई थी इस दौरान प्रिंस और लोकेश को पकड़ लिया. इनसे गहन पूछताछ से इस गैंग का खुलासा हुआ और चोरी की मोटरसाइकिल चोरी व स्कूटी बरामद हो गई. पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए आरोपियों में लोकेश की अहम भूमिका होती थी. प्रिंस और राहुल चोरी की मोटरसाइकिल लोकेश की दुकान पर भेज दिया करते थे. जिसका बाइक रिपेयरिंग का वर्कशॉप है. जहां से वह इन मोटरसाइकिलों को 22 सौ रुपये से लेकर 5 हजार रुपए में बेच दिया करता था. अगर कोई मोटरसाइकिल बिक नहीं पाती थी तो उसके सामान को खोल कर दूसरे मोटरसाइकिल में लगा दिया करता था. पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि इस गैंग में शामिल सात नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं, जिन्हे पुलिस ने पकड़ा है. बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि नाबालिग चोरों को जुवेनाइल कोर्ट में पेश करने के बाद बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: महिलाओं के लिए संयुक्त रूप से शिक्षा कार्यक्रम संचालित करेंगे एसोचैम और एचआरडी मंत्रालय
यह लेख है: महिलाओं के बीच शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए उद्योग संस्था एसोचैम महिला फाउंडेशन (एडब्ल्यूएफ) ने कहा है कि यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ अगले 12 महीनों में कई कार्यक्रम संचालित करेगा।टिप्पणियां एक आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि फाडंडेशन देश में महिलाओं और लड़कियों के बीच शिक्षा एवं कौशल को बढ़ावा देने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर करेगा। फाउंडेशन अध्यक्ष रेवती जैन ने एक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस पहल के तहत आगामी 12 महीनों में कई कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।   एक आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि फाडंडेशन देश में महिलाओं और लड़कियों के बीच शिक्षा एवं कौशल को बढ़ावा देने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर करेगा। फाउंडेशन अध्यक्ष रेवती जैन ने एक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस पहल के तहत आगामी 12 महीनों में कई कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।   फाउंडेशन अध्यक्ष रेवती जैन ने एक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस पहल के तहत आगामी 12 महीनों में कई कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: वो 49 दिन बनाम ये 49 दिन, कितनी बदल गई केजरीवाल सरकार!
यह एक लेख है: पार्टी में चल रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 49 दिन पूरे कर लिए हैं। अपने पहले कार्यकाल में AAP की सरकार 49 दिनों तक ही चली थी। दूसरे कार्यकाल में सरकार पिछली बार से बिल्कुल अगल अंदाज़ में लग रही है। 'लोकपाल' के मुद्दे पर इस्तीफा देने वाली सरकार इस बार 'लोकपाल' और 'स्वराज बिल' पर सुस्त नज़र आ रही है। पहले कार्यकाल में 'भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक्शन' में दिखने वाली सरकार ने इस बार भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई ख़ास पहल नहीं की गई है। पार्टी के भीतर चल रही खींचतान से भी सरकार की छवि ख़राब हुई है। हालांकि इस दौरान केजरीवाल सरकार ने जनता के हित में आधी दर पर बिजली देना, हर महीने 20,000 लीटर मुफ़्त पानी देने और दिल्ली डायलॉग कमीशन का गठन करने समेत कई अन्य फैसले लिए हैं। ई-राशन कार्ड की शुरुआत, ड्यूटी के दौरान दिल्ली पुलिस, पारा मिलिट्री फ़ोर्स या दिल्ली सरकार के कर्मचारियों की मौत पर 1 करोड़ रुपये के मुआवज़े का ऐलान भी सरकार ने किया है।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: चीन और पाक को उन्हीं की भाषा में जवाब दें : मुलायम सिंह यादव
यह एक लेख है: लोकसभा में मंगलवार को चीन और पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखाओं का उल्लंघन करने और भारतीय सैनिकों की हत्या किए जाने पर गहरा रोष जताते हुए इन दोनों देशों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने की मांग की गई। शून्यकाल में सपा के मुलायम सिंह यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए आगाह किया कि चीन की तरफ से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा है और उस पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि वह बार-बार धोखा देता आया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भी आज एक बार फिर कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर भारत के पांच जवानों की हत्या करने का दुस्साहस किया। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों नियंत्रण रेखा पर हमले कर रहे हैं। मुलायम ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच भारत के खिलाफ सांठ-गांठ हो सकती है या नहीं, इस बारे में रक्षामंत्री को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही हमारी सीमा पर घात लगाए बैठे हैं तो हमको पूरा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि चीन हमला करने की पूरी तैयारी कर रहा है और वह हिंदुस्तान पर हमला करेगा। उसने पूरा नक्शा बना लिया है और हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर भी उसकी नजर है। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। शून्यकाल में सपा के मुलायम सिंह यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए आगाह किया कि चीन की तरफ से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा है और उस पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि वह बार-बार धोखा देता आया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भी आज एक बार फिर कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर भारत के पांच जवानों की हत्या करने का दुस्साहस किया। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों नियंत्रण रेखा पर हमले कर रहे हैं। मुलायम ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच भारत के खिलाफ सांठ-गांठ हो सकती है या नहीं, इस बारे में रक्षामंत्री को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही हमारी सीमा पर घात लगाए बैठे हैं तो हमको पूरा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि चीन हमला करने की पूरी तैयारी कर रहा है और वह हिंदुस्तान पर हमला करेगा। उसने पूरा नक्शा बना लिया है और हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर भी उसकी नजर है। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भी आज एक बार फिर कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर भारत के पांच जवानों की हत्या करने का दुस्साहस किया। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों नियंत्रण रेखा पर हमले कर रहे हैं। मुलायम ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच भारत के खिलाफ सांठ-गांठ हो सकती है या नहीं, इस बारे में रक्षामंत्री को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही हमारी सीमा पर घात लगाए बैठे हैं तो हमको पूरा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि चीन हमला करने की पूरी तैयारी कर रहा है और वह हिंदुस्तान पर हमला करेगा। उसने पूरा नक्शा बना लिया है और हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर भी उसकी नजर है। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। मुलायम ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच भारत के खिलाफ सांठ-गांठ हो सकती है या नहीं, इस बारे में रक्षामंत्री को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही हमारी सीमा पर घात लगाए बैठे हैं तो हमको पूरा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि चीन हमला करने की पूरी तैयारी कर रहा है और वह हिंदुस्तान पर हमला करेगा। उसने पूरा नक्शा बना लिया है और हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर भी उसकी नजर है। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। उन्होंने दावा किया कि चीन हमला करने की पूरी तैयारी कर रहा है और वह हिंदुस्तान पर हमला करेगा। उसने पूरा नक्शा बना लिया है और हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर भी उसकी नजर है। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। सपा नेता ने कहा कि चीन ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतर घुसकर शिविर लगाए थे। उन्होंने कहा कि ठीक है कि वे वापस गए हैं लेकिन उस क्षेत्र को पूरी तरह समझ कर गए हैं कि वहां कैसे आना है और क्या करना है। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। उन्होंने कहा कि देश पहले भी चीन से धोखा खा चुका है और 1962 में उसने भारत पर हमला किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना सदमा हुआ कि वह उसे सह नहीं पाए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और रक्षामंत्री एके एंटनी से मुखातिब होते हुए कहा कि वे चीन पर भरोसा नहीं करें। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। मुलायम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरा करने आया था तो भारत को उसी समय सतर्क हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत जैसे विशाल देश का डर नहीं है।  बांग्लादेश के अलग होने को वह भुला नहीं पा रहा है और इसके चलते वह भारत से नाराज है। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के खिलाफ जिस कश्मीर ने देश का इतना साथ दिया, उसे वह क्या दे रही है। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। मुलायम ने कहा कि कश्मीर में न रोजगार है, न आवागमन के लिए अच्छी सडकें हैं, न बिजली है, न पानी है। उन्होंने कश्मीरियों को सुविधाएं देने की जोरदार मांग की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। तिब्बत के बारे में उन्होंने कहा कि समाजवादियों की शुरू से राय रही है कि तिब्बत भारत का पहरेदार है लेकिन उसे भी चीन के हवाले कर दिया गया।टिप्पणियां सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि ऐसा करने में भाजपा भी शामिल रही है और इसके लिए अकेले कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा भी दोषी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की। इस बीच केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जा सकता है। बस जरूरत है, सबको एक रहने की।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: पाक में ड्रोन हमले जारी रहेंगे : अमेरिका
यह लेख है: अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों पर ड्रोन हमले रोकने का व्हाइट हाउस का कोई इरादा नहीं है। इस बयान के बाद पाक और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तनाव फिर तेज़ होने के आसार हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यदि सीआईए के ड्रोन विमानों की नजर में कोई संदिग्ध आतंकवादी नजर आता है तो उस पर हमला किया जायेगा। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तानी संसद द्वारा इन हमलों के खात्मे के लिये अपील को नजरंदाज किया है।टिप्पणियां हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इस बार हालात दूसरे हैं । अब पाकिस्तान सरकार और कमजोर स्थिति में है। अब जब वह अमेरिकी कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से निंदा करता है तो उसे शांति से बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में पिछले साल रे डेविस प्रकरण और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाये जाने जैसे अन्य घटनाक्रम के बाद खटास आई थी। नवंबर में जब अमेरिकी सेना ने 24 पाक सैनिकों को मार गिराया था तो दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गये। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यदि सीआईए के ड्रोन विमानों की नजर में कोई संदिग्ध आतंकवादी नजर आता है तो उस पर हमला किया जायेगा। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तानी संसद द्वारा इन हमलों के खात्मे के लिये अपील को नजरंदाज किया है।टिप्पणियां हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इस बार हालात दूसरे हैं । अब पाकिस्तान सरकार और कमजोर स्थिति में है। अब जब वह अमेरिकी कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से निंदा करता है तो उसे शांति से बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में पिछले साल रे डेविस प्रकरण और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाये जाने जैसे अन्य घटनाक्रम के बाद खटास आई थी। नवंबर में जब अमेरिकी सेना ने 24 पाक सैनिकों को मार गिराया था तो दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गये। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तानी संसद द्वारा इन हमलों के खात्मे के लिये अपील को नजरंदाज किया है।टिप्पणियां हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इस बार हालात दूसरे हैं । अब पाकिस्तान सरकार और कमजोर स्थिति में है। अब जब वह अमेरिकी कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से निंदा करता है तो उसे शांति से बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में पिछले साल रे डेविस प्रकरण और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाये जाने जैसे अन्य घटनाक्रम के बाद खटास आई थी। नवंबर में जब अमेरिकी सेना ने 24 पाक सैनिकों को मार गिराया था तो दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गये। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इस बार हालात दूसरे हैं । अब पाकिस्तान सरकार और कमजोर स्थिति में है। अब जब वह अमेरिकी कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से निंदा करता है तो उसे शांति से बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में पिछले साल रे डेविस प्रकरण और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाये जाने जैसे अन्य घटनाक्रम के बाद खटास आई थी। नवंबर में जब अमेरिकी सेना ने 24 पाक सैनिकों को मार गिराया था तो दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गये। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में पिछले साल रे डेविस प्रकरण और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाये जाने जैसे अन्य घटनाक्रम के बाद खटास आई थी। नवंबर में जब अमेरिकी सेना ने 24 पाक सैनिकों को मार गिराया था तो दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गये।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: कोलम्बो टेस्ट : संगकारा और माहेला ने श्रीलंका को सम्भाला
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पूर्व कप्तान कुमार संगकारा (नाबाद 61) और दिग्गज बल्लेबाज माहेला जयवर्धने (नाबाद 31) की उम्दा पारियों की बदौलत श्रीलंका क्रिकेट टीम ने आस्ट्रेलिया के साथ सिंहली स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर जारी तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन शनिवार का खेल खत्म होने तक अपनी पहली पारी में दो विकेट के नुकसान पर 166 रन बना लिए हैं। अपने टेस्ट करियर का 36वां अर्द्धशतक लगाने वाले संगकारा ने 125 गेंदों का सामना करते हुए नौ चौके लगाए हैं जबकि माहेला ने 83 गेंदों पर पांच बार गेंद को सीमा रेखा के बाहर भेजा है। दोनों बल्लेबाज तीसरे विकेट के लिए अब तक 69 रनों की साझेदारी कर चुके हैं। श्रीलंका ने 65 ओवर बल्लेबाजी की है। श्रीलंका ने पारी की शुरुआत करने आए लाहिरू थिरिमान्ने और थरंगा पारानाविताना के विकेट गंवाए हैं। लाहिरू 28 रन बनाकर पीटर सिडल की गेंद पर बोल्ड हुए। लाहिरू ने 80 गेंदों का सामना करते हुए दो चौके लगाए। लाहिरू का विकेट 56 रन के कुल योग पर गिरा। पारानाविताना का विकेट 97 रन के कुल योग पर गिरा। पारानाविताना ने 102 गेंदों का सामना करते हुए पांच चौके लगाए। लोहारू के साथ पहले विकेट के लिए 56 रन और फिर संगकारा के साथ दूसरे विकेट के लिए 41 रन जोड़े। पहली पारी की तुलना में मेजबान टीम अभी भी 150 रन पीछे है जबकि उसके आठ विकेट सुरक्षित हैं। इससे पहले, अपने करियर का 15वां शतक लगाने वाले अनुभवी बल्लेबाज माइकल हसी (118) की उम्दा पारी की बदौलत आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 316 रन बनाए। मैच के पहले दिन 63 रनों पर नाबाद लौटने वाले हसी ने 157 गेंदों पर इस श्रृंखला में अपना दूसरा शतक पूरा किया। हसी ने 178 गेंदों का सामना करते हुए 17 चौके और दो छक्के लगाए। उन्होंने पहले दिन अपने साथ नाबाद लौटने वाले विकेट कीपर बल्लेबाज ब्रैड हेडिन (35) के साथ छठे विकेट के लिए 75 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई। आस्ट्रेलियाई टीम ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक पांच विकेट पर 235 रन बनाए थे। श्रीलंका की ओर से अपना पहला टेस्ट खेल रहे शामिंदा इरांगा ने चार विकेट लिए जबकि चनाका वेलेगेदारा को तीन और सुरंग लोकमल को दो सफलता मिली। इरांगा ने हसी और हैडिन को आउट किया जबकि वेलेगेदारा ने मिशेल जानसन (8), पीटर सिडल (0) और ट्रेंट कोपलैंड (1) को चलता किया। इससे पहले, मैच के प्रथम दिन आस्ट्रेलिया की ओर से शान मार्श ने 81 रनों की बहुमूल्य पारी खेली थी। मार्श और पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग (48) ने तीसरे विकेट के लिए 79 रन जोड़कर टीम को अच्छा सहारा दिया। पोंटिग ने अपनी 91 गेंदों की पारी में छह चौके लगाए जबकि अपने करियर का पहला अर्धशतक लगाने वाले मार्श ने 207 गेंदों पर सात चौके लगाए। मार्श ने पालेकेले में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में पोंटिंग की गैरमौजूदगी में 141 रनों की शानदार पारी खेली थी। वह मार्श का पहला टेस्ट मैच था। पोंटिग अपने बच्चे के जन्म के कारण दूसरा टेस्ट मैच नहीं खेल सके थे। तीन मैचों की इस श्रृंखला में मेहमान टीम ने 1-0 की बढ़त बना रखी है। उसने गॉल में खेला गया पहला टेस्ट मैच 125 रनों के अंतर से जीता था जबकि पालेकेले में खेला गया दूसरा टेस्ट मैच बराबरी पर छूटा था।
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: जीत के खुमार में सराबोर हुआ सारा देश
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पूरा भारत टीम इंडिया की क्रिकेट विश्व कप की ऐतिहासिक जीत के खुमार में सराबोर हो गया है और खिलाड़ियों पर पूरे देश से बधाइयों और पुरस्कारों की बरसात जारी है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की टीम की श्रीलंका पर रोमांचक छह विकेट की जीत के बाद शनिवार रात 10.49 पर पूरा देश अभूतपूर्व जश्न में सराबोर हो गया, जिसने 28 वर्ष के अंतराल के बाद विश्व कप क्रिकेट फिर जीत लिया। इसके बाद मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भावनाओं से भरे उद्गार भी उभरने लगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी टीम इंडिया की जबर्दस्त जीत के बाद दिल्ली की सड़कों पर निकलीं और सैकड़ों उत्साही प्रशंसकों के साथ जीत के जश्न में शामिल हुईं। व्यस्त आईटीओ चौराहे के पास बहादुरशाह जफर मार्ग पर रात करीब 11 बजे जैसे ही सोनिया गांधी की गाड़ी पहुंची, वहां उपस्थित लोगों ने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया और तिरंगा लहराया। सोनिया ने प्रशंसकों से हाथ मिलाया। वहां उपस्थित लोगों ने जोरदार ढंग से सोनिया गांधी के साथ जीत का जश्न मनाया। उन्होंने प्रशंसकों से कहा कि भारतीय टीम ने विश्व कप जीत कर वास्तव में हमें गौरवान्वित किया है। प्रशंसकों ने इंडिया इंडिया.. और वंदे मातरम का जयघोष किया। विशेष सुरक्षा बल की सुरक्षा में आई सोनिया करीब 20 मिनट आईटीओ पर रुकी और उसके बाद दिल्ली गेट की ओर रवाना हो गईं। दिल्ली के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक आईटीओ पर जबर्दस्त जाम लग गया। इस समाचार को सुनने के बाद कई क्षेत्रों से लोग आईटीओ की ओर आ गए जिसके कारण जाम की स्थिति और भी गंभीर हो गई। सोनिया ने टीम को बधाई देते हुए कहा, टीम इंडिया को मेरी हार्दिक बधाई। आपने देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी इस स्वर्णिम जीत को याद रखेगी। भारतीय कप्तान धोनी को भेजे संदेश में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा, सफलता का सफर लम्बा और कठिन रहा। आपकी टीम हर स्तर पर कसौटी पर खरी उतरी। प्रतिभा ने कहा, समर्पण, इस मार्ग पर आगे बढ़ने और नेतृत्व प्रदान करने की इच्छा से अंतत: युवाओं का प्रतिभाशाली समूह तैयार हुआ और वरिष्ठ खिलाड़ियों के अनुभव और टीम के कोच एवं कर्मचारियों के कठिन परिश्रम से भारत विश्व चैम्पियन बना। आप सब सही मायने में एक अरब से अधिक भारतीय लोगों के धन्यवाद के पात्र हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टीम इंडिया को बधाई देते हुए कहा, मैं भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई देने में देश के साथ हूं। धोनी और टीम इंडिया का प्रयास रंग लाया है। इन्होंने दुनिया को दिखाया है कि भारत क्रिकेट के खेल में सिरमौर है। असम में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के बाद दिल्ली लौटने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाम छह बजे से टीवी पर क्रिकेट मैच का आनंद लिया। उन्होंने कहा, भारतीय क्रिकेटरों ने जबर्दस्त टीम भावना का प्रदर्शन किया है, उनकी एकाग्रता और दक्षता के कारण विश्व कप में जीत हासिल हुई जिसके वह हकदार थे। सिंह ने कहा, टीम इंडिया ने हमें गौरवान्वित किया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भारतीय कप्तान धोनी को 2 करोड़, जबकि टीम इंडिया में शामिल दिल्ली के चार खिलाड़ियों को 1-1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा, मुख्यमंत्री ने 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार देकर भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को सम्मानित करने का फैसला किया है। साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि 28 बरस बाद विश्व कप जीतने के लिए वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, विराट कोहली और आशीष नेहरा को 1-1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने विजेता टीम के प्रत्येक सदस्य को बेंगलुरु विकास परिषद से रिहायशी प्लॉट देने की घोषणा की। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरयाल निशंक ने धोनी और तेंदुलकर को मसूरी में एक रिहायशी प्लॉट या घर देने का वादा किया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में धोनी के नाम पर एक स्टेडियम बनाया जाएगा। गुजरात सरकार ने यूसुफ पठान और मुनाफ पटेल को एकलव्य पुरस्कार देने की घोषणा की, जिसकी पुरस्कार राशि एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र है। महान गायिका लता मंगेशकर, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने सहित कई बॉलीवुड हस्तियों ने भारतीय टीम को बधाई दी।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: राम मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा होगा : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
लेख: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण का संकल्प पूरा होगा। भागवत विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता रहे अशोक सिंघल के लिए आयोजित एक शोक सभा में बोल रहे थे। भागवत ने कहा कि अशोक सिंघल के सपने को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता रहे अशोक सिंघल के लिए आयोजित एक शोक सभा के दौरान रविवार को संघ परिवार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा उठाया। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस बाबत हिंदुत्ववादी नेता के सपने को पूरा करने के लिए 'गंभीर प्रयास' करना चाहिए। सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए भागवत ने इस महीने की शुरुआत में उनसे हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह दो चीजें पूरी करना चाहते थे- राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रसार। इन लक्ष्यों की दिशा में निष्ठापूर्ण कार्य करने से इन्हें पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरी मुलाकात के दौरान अशोकजी ने अपने दो प्रण साझा किए थे- एक तो राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और दूसरा विश्व में वैदिक ज्ञान का प्रसार। अगर हमें अशोकजी के प्रण को साकार करना है तो हमें आज संकल्प लेना होगा कि हम उनके प्रण को अपना प्रण बनाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें राम मंदिर का निर्माण पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अशोकजी की भावना इस कार्य में हमारा मार्गदर्शन करेगी। हमें अशोकजी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना और काम करना है और आगामी सालों में हमें उम्मीद है कि हम राम मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। आरएसएस सुप्रीमो ने कहा कि सिंघल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे साथ हैं। टिप्पणियां भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता रहे अशोक सिंघल के लिए आयोजित एक शोक सभा के दौरान रविवार को संघ परिवार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा उठाया। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस बाबत हिंदुत्ववादी नेता के सपने को पूरा करने के लिए 'गंभीर प्रयास' करना चाहिए। सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए भागवत ने इस महीने की शुरुआत में उनसे हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह दो चीजें पूरी करना चाहते थे- राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रसार। इन लक्ष्यों की दिशा में निष्ठापूर्ण कार्य करने से इन्हें पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरी मुलाकात के दौरान अशोकजी ने अपने दो प्रण साझा किए थे- एक तो राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और दूसरा विश्व में वैदिक ज्ञान का प्रसार। अगर हमें अशोकजी के प्रण को साकार करना है तो हमें आज संकल्प लेना होगा कि हम उनके प्रण को अपना प्रण बनाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें राम मंदिर का निर्माण पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अशोकजी की भावना इस कार्य में हमारा मार्गदर्शन करेगी। हमें अशोकजी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना और काम करना है और आगामी सालों में हमें उम्मीद है कि हम राम मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। आरएसएस सुप्रीमो ने कहा कि सिंघल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे साथ हैं। टिप्पणियां भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया। सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए भागवत ने इस महीने की शुरुआत में उनसे हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह दो चीजें पूरी करना चाहते थे- राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रसार। इन लक्ष्यों की दिशा में निष्ठापूर्ण कार्य करने से इन्हें पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरी मुलाकात के दौरान अशोकजी ने अपने दो प्रण साझा किए थे- एक तो राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण और दूसरा विश्व में वैदिक ज्ञान का प्रसार। अगर हमें अशोकजी के प्रण को साकार करना है तो हमें आज संकल्प लेना होगा कि हम उनके प्रण को अपना प्रण बनाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें राम मंदिर का निर्माण पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अशोकजी की भावना इस कार्य में हमारा मार्गदर्शन करेगी। हमें अशोकजी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना और काम करना है और आगामी सालों में हमें उम्मीद है कि हम राम मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। आरएसएस सुप्रीमो ने कहा कि सिंघल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे साथ हैं। टिप्पणियां भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया। उन्होंने आगे कहा कि हमें राम मंदिर का निर्माण पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अशोकजी की भावना इस कार्य में हमारा मार्गदर्शन करेगी। हमें अशोकजी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना और काम करना है और आगामी सालों में हमें उम्मीद है कि हम राम मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। आरएसएस सुप्रीमो ने कहा कि सिंघल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे साथ हैं। टिप्पणियां भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी सिंघल से अपने 60 साल के संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया में वैदिक मूल्यों के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि राम और भरत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि सिंघल कभी भी बांटने वाले नहीं बल्कि जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया। उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल के निधन को हिंदू समाज के लिए गहरे शोक का विषय और अपूरणीय क्षति करार देते हुए कहा था कि इस समाज ने एक संघर्षशील और जुझारू नेतृत्व को खो दिया।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: जापान में परमाणु संयंत्र से रिसाव के खतरे का स्तर बढ़ा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: जापान परमाणु नियामक प्राधिकरण (एनआरए) ने बुधवार को फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से रिसे रेडियोधर्मी जल के कारण खतरे के स्तर को बढ़ाने की घोषणा की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार एनआरए ने कहा कि 'इटरनेशनल न्यूक्लियर एंड रेडियोलॉजिकल इवेंट स्केल' (आईएनईएस) के मानक पर वर्तमान दुर्घटना का स्तर तीन के बराबर है। इसका अर्थ है कि घटना गंभीर है और स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। मार्च 2011 में एक भूकंप के बाद संयंत्र पर खतरे का स्तर सात कर दिया गया था जो खतरे का सर्वाधिक स्तर है और 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना के खतरे के बराबर है।टिप्पणियां संयंत्र की संचालक कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने स्वीकार किया कि 300 टन रेडियोएक्टिव जल स्टील के भंडारण टंकियों से रिसकर समुद्र में चला गया है। वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि टंकियों से रिसाव की घटना स्वयं में स्तर तीन के बराबर की घटना है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार एनआरए ने कहा कि 'इटरनेशनल न्यूक्लियर एंड रेडियोलॉजिकल इवेंट स्केल' (आईएनईएस) के मानक पर वर्तमान दुर्घटना का स्तर तीन के बराबर है। इसका अर्थ है कि घटना गंभीर है और स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। मार्च 2011 में एक भूकंप के बाद संयंत्र पर खतरे का स्तर सात कर दिया गया था जो खतरे का सर्वाधिक स्तर है और 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना के खतरे के बराबर है।टिप्पणियां संयंत्र की संचालक कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने स्वीकार किया कि 300 टन रेडियोएक्टिव जल स्टील के भंडारण टंकियों से रिसकर समुद्र में चला गया है। वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि टंकियों से रिसाव की घटना स्वयं में स्तर तीन के बराबर की घटना है। मार्च 2011 में एक भूकंप के बाद संयंत्र पर खतरे का स्तर सात कर दिया गया था जो खतरे का सर्वाधिक स्तर है और 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना के खतरे के बराबर है।टिप्पणियां संयंत्र की संचालक कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने स्वीकार किया कि 300 टन रेडियोएक्टिव जल स्टील के भंडारण टंकियों से रिसकर समुद्र में चला गया है। वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि टंकियों से रिसाव की घटना स्वयं में स्तर तीन के बराबर की घटना है। संयंत्र की संचालक कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने स्वीकार किया कि 300 टन रेडियोएक्टिव जल स्टील के भंडारण टंकियों से रिसकर समुद्र में चला गया है। वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि टंकियों से रिसाव की घटना स्वयं में स्तर तीन के बराबर की घटना है। वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि टंकियों से रिसाव की घटना स्वयं में स्तर तीन के बराबर की घटना है।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: जम्मू कश्मीर के राजौरी में पाक की ओर से की गई गोलीबारी में एक जवान शहीद
यह एक लेख है: जम्मू कश्मीर के पीरपंजाल इलाक़े में पाकिस्तान ने फिर सीज़फ़ायर तोड़ा. राजौरी के बालाकोट और मेंढर सेक्टर में एलओसी पार से फ़ायरिंग हुई है. भारतीय सुरक्षाबलों ने इस फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया है. पाक की ओर से अचानक की गई फायरिंग में भारतीय सुरक्षा बल का एक जवान शहीद हो गया है जबकि एक अन्य के घायल होने की खबर है. इससे पहले खबर थी कि दीवाली की रात जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की ओर से कुछ एक जगहों को छोड़कर ज्यादातर इलाकों में गोलाबारी न के बराबर हुई. रविवार की रात करीब 8 बजे आरएसपुरा सेक्टर में पाक रेंजर्स ने दो जगहों पर छोटे हथियार से वही सुचेतगढ़ में मोर्टार से फायर किया. हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी की गई. इसके बाद सरहद पर रात भर शांति बनी रही. इसके बावजूद सरहद पर रहने वाले लोगों के मन में डर कायम है. डर की वजह से मारे ज्यादातर लोग घर लौटने को तैयार नहीं है. 50 हजार से ज्यादा लोग ने सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने रिश्तेदार के घऱ पर डेरा डाला है या फिर सरकारी कैंपों में चले गए हैं. सीमा पर गांव के सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए गए ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. पाक की ओर से गोलाबारी कब लोगों को निशाना बना ले कहा नहीं जा सकता है. अभी तक पाक की ओर से हुई गोलाबारी से 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सैकड़ों के घर तबाह हो गए हैं.टिप्पणियां कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.   इससे पहले खबर थी कि दीवाली की रात जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की ओर से कुछ एक जगहों को छोड़कर ज्यादातर इलाकों में गोलाबारी न के बराबर हुई. रविवार की रात करीब 8 बजे आरएसपुरा सेक्टर में पाक रेंजर्स ने दो जगहों पर छोटे हथियार से वही सुचेतगढ़ में मोर्टार से फायर किया. हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी की गई. इसके बाद सरहद पर रात भर शांति बनी रही. इसके बावजूद सरहद पर रहने वाले लोगों के मन में डर कायम है. डर की वजह से मारे ज्यादातर लोग घर लौटने को तैयार नहीं है. 50 हजार से ज्यादा लोग ने सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने रिश्तेदार के घऱ पर डेरा डाला है या फिर सरकारी कैंपों में चले गए हैं. सीमा पर गांव के सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए गए ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. पाक की ओर से गोलाबारी कब लोगों को निशाना बना ले कहा नहीं जा सकता है. अभी तक पाक की ओर से हुई गोलाबारी से 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सैकड़ों के घर तबाह हो गए हैं.टिप्पणियां कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.   रविवार की रात करीब 8 बजे आरएसपुरा सेक्टर में पाक रेंजर्स ने दो जगहों पर छोटे हथियार से वही सुचेतगढ़ में मोर्टार से फायर किया. हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी की गई. इसके बाद सरहद पर रात भर शांति बनी रही. इसके बावजूद सरहद पर रहने वाले लोगों के मन में डर कायम है. डर की वजह से मारे ज्यादातर लोग घर लौटने को तैयार नहीं है. 50 हजार से ज्यादा लोग ने सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने रिश्तेदार के घऱ पर डेरा डाला है या फिर सरकारी कैंपों में चले गए हैं. सीमा पर गांव के सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए गए ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. पाक की ओर से गोलाबारी कब लोगों को निशाना बना ले कहा नहीं जा सकता है. अभी तक पाक की ओर से हुई गोलाबारी से 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सैकड़ों के घर तबाह हो गए हैं.टिप्पणियां कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.   इसके बावजूद सरहद पर रहने वाले लोगों के मन में डर कायम है. डर की वजह से मारे ज्यादातर लोग घर लौटने को तैयार नहीं है. 50 हजार से ज्यादा लोग ने सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने रिश्तेदार के घऱ पर डेरा डाला है या फिर सरकारी कैंपों में चले गए हैं. सीमा पर गांव के सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए गए ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. पाक की ओर से गोलाबारी कब लोगों को निशाना बना ले कहा नहीं जा सकता है. अभी तक पाक की ओर से हुई गोलाबारी से 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सैकड़ों के घर तबाह हो गए हैं.टिप्पणियां कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.   पाक की ओर से गोलाबारी कब लोगों को निशाना बना ले कहा नहीं जा सकता है. अभी तक पाक की ओर से हुई गोलाबारी से 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सैकड़ों के घर तबाह हो गए हैं.टिप्पणियां कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.   कई मवेशी भी फायरिंग की चपेट में आ गए हैं और फसल का नुकसान हुआ है सो अलग. लोगों का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक सारे लोग अपने घऱ नहीं लौटेंगे. हालांकि कई घरों में अपने सामान और मवेशी की हिफाजत के लिए लोग घर छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन उनकी भी जान अटकी हुई है कि पता नहीं कब वे पाक गोलाबारी में निशाना बन जाए.
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: एफडीआई पर संसद में शक्ति परीक्षण अगले हफ्ते
शीतकालीन सत्र के शुरुआती चार दिन भारी हंगामे का सबब बने मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मुद्दा अगले हफ्ते संसद में फिर छाया रहेगा और दोनों ही सदनों में इस मुद्दे पर ‘शक्ति परीक्षण’ होगा। राज्यसभा ने तय किया कि इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा होगी। यह चर्चा मत विभाजन वाले नियम के तहत हो रही है। लोकसभा में चार और पांच दिसंबर को चर्चा तय है। निचले सदन में भी चर्चा के बाद मत विभाजन होगा। संप्रग के महत्वपूर्ण समर्थक दल सपा ने इस मुद्दे पर मिले जुले संकेत दिए हैं। अटकलों का बाजार गर्म है कि क्या वह अगले सप्ताह मत विभाजन में सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। राज्यसभा में सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि उच्च सदन में यदि सरकार यह मुद्दा लाती है तो हम एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। राज्यसभा ने तय किया कि इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा होगी। यह चर्चा मत विभाजन वाले नियम के तहत हो रही है। लोकसभा में चार और पांच दिसंबर को चर्चा तय है। निचले सदन में भी चर्चा के बाद मत विभाजन होगा। संप्रग के महत्वपूर्ण समर्थक दल सपा ने इस मुद्दे पर मिले जुले संकेत दिए हैं। अटकलों का बाजार गर्म है कि क्या वह अगले सप्ताह मत विभाजन में सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। राज्यसभा में सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि उच्च सदन में यदि सरकार यह मुद्दा लाती है तो हम एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। संप्रग के महत्वपूर्ण समर्थक दल सपा ने इस मुद्दे पर मिले जुले संकेत दिए हैं। अटकलों का बाजार गर्म है कि क्या वह अगले सप्ताह मत विभाजन में सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। राज्यसभा में सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि उच्च सदन में यदि सरकार यह मुद्दा लाती है तो हम एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। राज्यसभा में सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि उच्च सदन में यदि सरकार यह मुद्दा लाती है तो हम एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।टिप्पणियां माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे। इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे।
8
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल डील को बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ रिव्यू पेटिशन पर कल फैसला सुनाएगा SC
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: राफेल लड़ाकू विमान सौदे को बरकरार रखने और सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को बरकरार रखने के 14 दिसंबर, 2018 फैसला सुनाया था. इसके बाद इसके खिलाफ रिव्यू पेटिशन दाखिल की गई थी. वहीं, सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले अपने आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग कर रही याचिकाओं पर भी गुरुवार को ही फैसला सुनाया जाएगा.  सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री - यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी जिनमें पिछले साल के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी है जिसमें फ्रांस की कंपनी ‘दसॉल्ट' से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गयी थी.  सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में फैसला सुनाएगी. 14 दिसम्बर 2018 को शीर्ष अदालत ने 58,000 करोड़ के इस समझौते में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जांच का मांग कर रही याचिकाओं को खारिज कर दिया था. वहीं, सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट 56 पुनर्विचार याचिकाओं, चार ताजा रिट याचिकाओं और मामला स्थानांतरित करने संबंधी पांच याचिकाओं समेत 65 याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा. ये याचिकाएं उसके फैसले के बाद दायर की गयी थी. सबरीमला पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद केरल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर 2018 के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद छह फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शीर्ष न्यायालय ने 4:1 के बहुमत से 28 सितंबर 2018 को दिए फैसले में केरल के मशहूर अयप्पा मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर लगे रोक को हटा दिया था और कहा था कि हिंदू धर्म की सदियों पुरानी यह परंपरा गैरकानूनी और असंवैधानिक है. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने खुली अदालत में याचिकाओं पर सुनवाई की थी और पक्षकारों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
9
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: बाल ठाकरे को मारने का प्लान था : हेडली
यह एक लेख है: अमेरिका में गिरफ्तार डेविड कोलमैन हेडली ने शिकागो कोर्ट में बयान दिया है कि बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे को मारने का प्लान था। इस सिलसिले में हेडली ने शिवसेना नेता राजा राम रेगे से मुलाकात की थी। 26 नवम्बर 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले के सहआरोपी एवं मुम्बई स्थित शिवसेना मुख्यालय की टोह लेने वाले डेविड हेडली ने शिकागो की अदालत को बताया कि शिवसेना एक आतंकवादी संगठन है। शिकागो की अदालत में मुम्बई हमले के सहआरोपी तहव्वुर राणा के खिलाफ सुनवाई शुरू हो गई है और अभियोजन पक्ष का मुख्य गवाह हेडली गवाही कोर्ट में गवाही दे रहा है। हेडली ने अदालत को बताया कि उसने मुम्बई के प्रवेश बिंदुओं के बारे में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के अपने आकाओं को जानकारी कैसे दी।दूसरी ओर, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हम हेडली से नहीं डरते, ऐसे कई हेडली देखे हैं।'  उन्होंने कहा, 'कांग्रेसी सरकार की बदौलत ऐसे हालात बनते हैं। मेरे शिवसैनिक मेरी सुरक्षा के लिए काफी हैं। हमारी भूमिका राष्ट्रहित में ली गई है और हम उस पर बने रहेंगे।हेडली ने राणा, आईएसआई के मेजर इकबाल और लश्कर-ए-तैयबा के साजिद को भेजे कई ईमेल के बारे में पूछा जिसका उद्देश्य इस बात की पुष्टि करना था कि राणा और वह दोनों पाकिस्तान स्थित लोगों के साथ सीधे संपर्क में थे।
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: अवैध संबंध तलाक मांगने का एक आधार हो सकता है, आपराधिक नहीं : कोर्ट
दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि अवैध संबंध तलाक मांगने का एक आधार हो सकता है लेकिन किसी अनैतिक कृत्य को किसी आपराधिक कृत्य के क्षेत्र में नहीं ले जाया जा सकता है। अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोपों से बरी करते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने पति के विवाहेतर रिश्तों के चलते कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा, ‘‘अवैध रिश्ते रखने का आरोपी का कृत्य भले ही अपनी पत्नी के प्रति बेवफाई दिखाती हो। यह विश्वासघात करना हो सकता है, लेकिन यह अनैतिक कृत्य के दायरे से आगे बढ़ कर दंड संहिता के तहत सजा आमंत्रित करने वाले किसी आपराधिक कृत्य के दायरे तक नहीं जाएगा।’’टिप्पणियां जैन ने कहा कि इसकी वजह से उसकी पत्नी तलाक मांगने के लिए आगे बढ़ी होगी लेकिन यह भादंसं की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसावा) के दायरे में नहीं आएगा। अदालत ने आरोपी को आरोपों से बरी करते हुए कहा कि यह ‘‘मुकम्मल तौर पर साबित नहीं किया गया’’ कि उसका कोई विवाहेतर रिश्ता था। अभियोजन के अनुसार महिला को जब अपनी शादी के एक साल के अंदर अपने पति के विवाहेतर रिश्तों का पता चला तो उसने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। महिला के भाई ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। उसने यह दावा किया कि आरोपी उसकी बहन को नियमित रूप से पीटता था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा, ‘‘अवैध रिश्ते रखने का आरोपी का कृत्य भले ही अपनी पत्नी के प्रति बेवफाई दिखाती हो। यह विश्वासघात करना हो सकता है, लेकिन यह अनैतिक कृत्य के दायरे से आगे बढ़ कर दंड संहिता के तहत सजा आमंत्रित करने वाले किसी आपराधिक कृत्य के दायरे तक नहीं जाएगा।’’टिप्पणियां जैन ने कहा कि इसकी वजह से उसकी पत्नी तलाक मांगने के लिए आगे बढ़ी होगी लेकिन यह भादंसं की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसावा) के दायरे में नहीं आएगा। अदालत ने आरोपी को आरोपों से बरी करते हुए कहा कि यह ‘‘मुकम्मल तौर पर साबित नहीं किया गया’’ कि उसका कोई विवाहेतर रिश्ता था। अभियोजन के अनुसार महिला को जब अपनी शादी के एक साल के अंदर अपने पति के विवाहेतर रिश्तों का पता चला तो उसने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। महिला के भाई ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। उसने यह दावा किया कि आरोपी उसकी बहन को नियमित रूप से पीटता था। जैन ने कहा कि इसकी वजह से उसकी पत्नी तलाक मांगने के लिए आगे बढ़ी होगी लेकिन यह भादंसं की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसावा) के दायरे में नहीं आएगा। अदालत ने आरोपी को आरोपों से बरी करते हुए कहा कि यह ‘‘मुकम्मल तौर पर साबित नहीं किया गया’’ कि उसका कोई विवाहेतर रिश्ता था। अभियोजन के अनुसार महिला को जब अपनी शादी के एक साल के अंदर अपने पति के विवाहेतर रिश्तों का पता चला तो उसने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। महिला के भाई ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। उसने यह दावा किया कि आरोपी उसकी बहन को नियमित रूप से पीटता था। अभियोजन के अनुसार महिला को जब अपनी शादी के एक साल के अंदर अपने पति के विवाहेतर रिश्तों का पता चला तो उसने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। महिला के भाई ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। उसने यह दावा किया कि आरोपी उसकी बहन को नियमित रूप से पीटता था।
8
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: आईपीएल में सट्टा लगाने के आरोप में 2 लोग गिरफ्तार, 76 हजार नकदी बरामद
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: मुंबई सटे काशीमीरा इलाके में आईपीएल मैच पर सट्टा लगाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ठाणे ग्रामीण पुलिस के विशेष दल ने सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तारी की है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से 76,610 रुपये और सट्टे के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ उपकरण और साहित्य भी बरामद किया है. पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉक्टर महेश पाटिल ने इलाके में बढ़ रही अपराधिक वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष दल का गठन किया है, जो ठाणे ग्रामीण  क्षेत्र में चलने वाली अवैध गतिविधियों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है. टिप्पणियां शनिवार रात  पुलिस उप अधीक्षक नकुल न्यामणे के नेतृत्व में विशेष दल ने  काशीमीरा के शिवानी गेस्ट हाऊस के रूम नंबर 212 में छापा मारा. वहां गुजरात लायन्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच चल रहे मैच पर लगाया जा रहा था. पुलिस ने मौके पर मौजूद 37 साल के मोहम्मद अफजल खान और 31 साल के विजय दिलीप कुरील को गिरफ्तार किया जबकि उसके तीन साथी भागने में कामयाब रहे. पुलिस ने आरोपियों के पास से सट्टा खेलने में इस्तेमाल होने वाले सामान सहित 76,610 रुपये नकद भी जब्त किया है और बाकी के फरार आरोपियों की तलाश कर रही है. ( काशीमीरा से राजा मयाल का इनपुट ) पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉक्टर महेश पाटिल ने इलाके में बढ़ रही अपराधिक वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष दल का गठन किया है, जो ठाणे ग्रामीण  क्षेत्र में चलने वाली अवैध गतिविधियों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है. टिप्पणियां शनिवार रात  पुलिस उप अधीक्षक नकुल न्यामणे के नेतृत्व में विशेष दल ने  काशीमीरा के शिवानी गेस्ट हाऊस के रूम नंबर 212 में छापा मारा. वहां गुजरात लायन्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच चल रहे मैच पर लगाया जा रहा था. पुलिस ने मौके पर मौजूद 37 साल के मोहम्मद अफजल खान और 31 साल के विजय दिलीप कुरील को गिरफ्तार किया जबकि उसके तीन साथी भागने में कामयाब रहे. पुलिस ने आरोपियों के पास से सट्टा खेलने में इस्तेमाल होने वाले सामान सहित 76,610 रुपये नकद भी जब्त किया है और बाकी के फरार आरोपियों की तलाश कर रही है. ( काशीमीरा से राजा मयाल का इनपुट ) शनिवार रात  पुलिस उप अधीक्षक नकुल न्यामणे के नेतृत्व में विशेष दल ने  काशीमीरा के शिवानी गेस्ट हाऊस के रूम नंबर 212 में छापा मारा. वहां गुजरात लायन्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच चल रहे मैच पर लगाया जा रहा था. पुलिस ने मौके पर मौजूद 37 साल के मोहम्मद अफजल खान और 31 साल के विजय दिलीप कुरील को गिरफ्तार किया जबकि उसके तीन साथी भागने में कामयाब रहे. पुलिस ने आरोपियों के पास से सट्टा खेलने में इस्तेमाल होने वाले सामान सहित 76,610 रुपये नकद भी जब्त किया है और बाकी के फरार आरोपियों की तलाश कर रही है. ( काशीमीरा से राजा मयाल का इनपुट ) पुलिस ने आरोपियों के पास से सट्टा खेलने में इस्तेमाल होने वाले सामान सहित 76,610 रुपये नकद भी जब्त किया है और बाकी के फरार आरोपियों की तलाश कर रही है. ( काशीमीरा से राजा मयाल का इनपुट )
9
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: यूपी में चौथे चरण का मतदान भी कम रोचक नहीं, 189 करोड़पति, 116 दागी उम्मीदवारों के साथ कई बड़े चेहरे मैदान में
लेख: 1.चौथे फेज के प्रमुख चेहरों में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या का नाम भी शामिल है. वह कुंडा से निर्दलीय सीट पर लड़ रहे हैं. राजा भैय्या कुंडा से निर्दलीय विधायक हैं और अखिलेश सरकार में मंत्री हैं. वह लगातार 5 बार निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में कुंडा विधानसभा से जीत चुके हैं. 2.अदिति सिंह कांग्रेस की तरफ से रायबरेली सदर से लड़ रही हैं. वह रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं. उन्होंने लंदन से एमबीए किया है. 3.इलाहाबाद पश्चिम सीट से पूजा पाल बीएसपी की तरफ से लड़ रही हैं. वह बसपा विधायक हैं और अतीक अहमद को हरा चुकी हैं. पहले वह हाउसकीपिंग का काम करती थीं. 4.रामपुर खास से कांग्रेस की तरफ से आराधना मिश्रा लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. प्रमोद का यहां से लगातार 9 बार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं.टिप्पणियां 5.मेजा से बीजेपी की सीट पर नीलम करवरिया लड़ रही हैं. नीलम बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी हैं. उनके पास 4.63 करोड़ रुपए के 8 बंगले और फ्लैट हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. 2.अदिति सिंह कांग्रेस की तरफ से रायबरेली सदर से लड़ रही हैं. वह रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं. उन्होंने लंदन से एमबीए किया है. 3.इलाहाबाद पश्चिम सीट से पूजा पाल बीएसपी की तरफ से लड़ रही हैं. वह बसपा विधायक हैं और अतीक अहमद को हरा चुकी हैं. पहले वह हाउसकीपिंग का काम करती थीं. 4.रामपुर खास से कांग्रेस की तरफ से आराधना मिश्रा लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. प्रमोद का यहां से लगातार 9 बार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं.टिप्पणियां 5.मेजा से बीजेपी की सीट पर नीलम करवरिया लड़ रही हैं. नीलम बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी हैं. उनके पास 4.63 करोड़ रुपए के 8 बंगले और फ्लैट हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. 3.इलाहाबाद पश्चिम सीट से पूजा पाल बीएसपी की तरफ से लड़ रही हैं. वह बसपा विधायक हैं और अतीक अहमद को हरा चुकी हैं. पहले वह हाउसकीपिंग का काम करती थीं. 4.रामपुर खास से कांग्रेस की तरफ से आराधना मिश्रा लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. प्रमोद का यहां से लगातार 9 बार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं.टिप्पणियां 5.मेजा से बीजेपी की सीट पर नीलम करवरिया लड़ रही हैं. नीलम बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी हैं. उनके पास 4.63 करोड़ रुपए के 8 बंगले और फ्लैट हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. 4.रामपुर खास से कांग्रेस की तरफ से आराधना मिश्रा लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. प्रमोद का यहां से लगातार 9 बार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं.टिप्पणियां 5.मेजा से बीजेपी की सीट पर नीलम करवरिया लड़ रही हैं. नीलम बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी हैं. उनके पास 4.63 करोड़ रुपए के 8 बंगले और फ्लैट हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. 5.मेजा से बीजेपी की सीट पर नीलम करवरिया लड़ रही हैं. नीलम बाहुबली उदयभान करवरिया की पत्नी हैं. उनके पास 4.63 करोड़ रुपए के 8 बंगले और फ्लैट हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. 6.ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य लड़ रहे हैं जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. स्वामी बसपा से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हैं.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?
लेख: आज एक ऐसी कहानी पर बात करेंगे जिसके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. ऐसी बहुत ही कम कहानियां होती हैं जिनके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं होता. ऐसी कहानियों को हर खेमे के लोग बिना अपराध बोध के देख सकते हैं. देखते हुए कोई ज़िम्मेदार दिख जाए तो यह उनका दोष होगा. उनकी नज़र का कसूर होगा. मान लीजिए कि आप लेट गए हैं. आंखें बंद हैं और आपकी छाती सड़क बन गई है. उस छाती पर एक नंगी औरत धम धम करती हुई दौड़ी चली जा रही है. उसके पीछे धम धम करते हुए बहुत से नौजवान दौड़े चले आ रहे हैं. आंख बंद कर लेने से आपको इस बात की तकलीफ़ नहीं होगी कि औरत का चेहरा कैसा था, वो कौन थी, उसके पीछे मारने के लिए दौड़े चले आ रहे नौजवानों का चेहरा कैसा था, वो कौन थे. भीड़ की इतनी सूचनाएं हमारे आसपास जमा हो गई हैं कि अब सूचनाएं बेअसर होने लगी हैं. उनका असर ही नहीं होता है. आपको लगता है कि वही पुरानी बात है. पहले आप उस आवाज़ को महसूस कीजिए, धम-धम की जो एक औरत को नंगा दौड़ाती है और उस शोर को जो एक नंगी औरत के पीछे गूंजता है. बिहार के भोजपुर ज़िले की यह तस्वीर है. घटना का पैटर्न वही है. हज़ार बार कहा है कि भीड़ सुरक्षा बलों की तरह हर जगह तैयार खड़ी है. उसके दिमाग़ में लगातार ज़हर भरा जा रहा है ताकि भीड़ की गैस कभी ख़त्म न हो. वो रोबोट की तरह हो गई है. रोबो रिपब्लिक. जिसके दिमाग़ में ज़हर पहले से भरा हो और वह सिर्फ़ एक कमांड पर या फिर अपने आप ट्रिगर हो जाए. जैसे गोमांस की तस्करी के शक़ पर कोई पहलू ख़ान मार दिया जाता है, वैसे ही किसी अपराध में शामिल होने का शक़ होगा और वो भीड़ किसी रैपिड ऐक्शन फोर्स की तरह आएगी और मार देगी. भोजपुर में एक नौजवान की हत्या होती है. लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी जाती है. लोग नाराज़ हो जाते हैं. पहले दुकानों को जलाते हैं. फिर वाहनों को जलाते हैं. वो जला सकते हैं क्योंकि उनके पास भीड़ है. पुलिस चुप रहेगी क्योंकि उसे चुप कराने का लंबा अभ्यास कराया जा चुका है. पुलिस के भीतर भी वह ज़हर असर कर चुका है. इसलिए वह कई बार ख़ुद में और उस भीड़ में फ़र्क़ नहीं कर पाती है. इसलिए वहां होने के लिए बस होती है. रोकने के लिए नहीं होती है. भीड़ को शक़ है कि नौजवान की हत्या के पीछे किसी औरत का हाथ है. चूंकि भीड़ को शक़ इसलिए अब वह कुछ भी कर सकती है. वह कहीं किसी पहलू ख़ान को मार सकती है, किसी की आंख निकाल सकती है. किसी की आंत निकाल सकती है. इसलिए वह किसी औरत को सरे बाज़ार नंगा कर सकती है. क्योंकि भीड़ को शक़ है. यही हमारे दौर का सबसे बड़ा विश्वास है. भीड़ को शक़ है. अब जबकि शक़ है इसलिए उस औरत के कपड़े उतारे जाते हैं, उसे देवी से औरत बनाया जाता है. पूजा की जगह पीटा जाने लगता है. मुझे बार-बार पूजा करना अच्छा नहीं लगता मगर आपके और हिंदुस्तान की औरतों के दिमाग़ में यही ठूंस दिया गया है कि वे देवी है और उनकी पूजा होती है इसलिए पूजा का ज़िक्र कर रहा हूं वरना मेरे लिए पूजा को कोई मतलब नहीं है. बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. बिहार के भोजपुर ज़िले की यह तस्वीर है. घटना का पैटर्न वही है. हज़ार बार कहा है कि भीड़ सुरक्षा बलों की तरह हर जगह तैयार खड़ी है. उसके दिमाग़ में लगातार ज़हर भरा जा रहा है ताकि भीड़ की गैस कभी ख़त्म न हो. वो रोबोट की तरह हो गई है. रोबो रिपब्लिक. जिसके दिमाग़ में ज़हर पहले से भरा हो और वह सिर्फ़ एक कमांड पर या फिर अपने आप ट्रिगर हो जाए. जैसे गोमांस की तस्करी के शक़ पर कोई पहलू ख़ान मार दिया जाता है, वैसे ही किसी अपराध में शामिल होने का शक़ होगा और वो भीड़ किसी रैपिड ऐक्शन फोर्स की तरह आएगी और मार देगी. भोजपुर में एक नौजवान की हत्या होती है. लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी जाती है. लोग नाराज़ हो जाते हैं. पहले दुकानों को जलाते हैं. फिर वाहनों को जलाते हैं. वो जला सकते हैं क्योंकि उनके पास भीड़ है. पुलिस चुप रहेगी क्योंकि उसे चुप कराने का लंबा अभ्यास कराया जा चुका है. पुलिस के भीतर भी वह ज़हर असर कर चुका है. इसलिए वह कई बार ख़ुद में और उस भीड़ में फ़र्क़ नहीं कर पाती है. इसलिए वहां होने के लिए बस होती है. रोकने के लिए नहीं होती है. भीड़ को शक़ है कि नौजवान की हत्या के पीछे किसी औरत का हाथ है. चूंकि भीड़ को शक़ इसलिए अब वह कुछ भी कर सकती है. वह कहीं किसी पहलू ख़ान को मार सकती है, किसी की आंख निकाल सकती है. किसी की आंत निकाल सकती है. इसलिए वह किसी औरत को सरे बाज़ार नंगा कर सकती है. क्योंकि भीड़ को शक़ है. यही हमारे दौर का सबसे बड़ा विश्वास है. भीड़ को शक़ है. अब जबकि शक़ है इसलिए उस औरत के कपड़े उतारे जाते हैं, उसे देवी से औरत बनाया जाता है. पूजा की जगह पीटा जाने लगता है. मुझे बार-बार पूजा करना अच्छा नहीं लगता मगर आपके और हिंदुस्तान की औरतों के दिमाग़ में यही ठूंस दिया गया है कि वे देवी है और उनकी पूजा होती है इसलिए पूजा का ज़िक्र कर रहा हूं वरना मेरे लिए पूजा को कोई मतलब नहीं है. बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. भोजपुर में एक नौजवान की हत्या होती है. लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी जाती है. लोग नाराज़ हो जाते हैं. पहले दुकानों को जलाते हैं. फिर वाहनों को जलाते हैं. वो जला सकते हैं क्योंकि उनके पास भीड़ है. पुलिस चुप रहेगी क्योंकि उसे चुप कराने का लंबा अभ्यास कराया जा चुका है. पुलिस के भीतर भी वह ज़हर असर कर चुका है. इसलिए वह कई बार ख़ुद में और उस भीड़ में फ़र्क़ नहीं कर पाती है. इसलिए वहां होने के लिए बस होती है. रोकने के लिए नहीं होती है. भीड़ को शक़ है कि नौजवान की हत्या के पीछे किसी औरत का हाथ है. चूंकि भीड़ को शक़ इसलिए अब वह कुछ भी कर सकती है. वह कहीं किसी पहलू ख़ान को मार सकती है, किसी की आंख निकाल सकती है. किसी की आंत निकाल सकती है. इसलिए वह किसी औरत को सरे बाज़ार नंगा कर सकती है. क्योंकि भीड़ को शक़ है. यही हमारे दौर का सबसे बड़ा विश्वास है. भीड़ को शक़ है. अब जबकि शक़ है इसलिए उस औरत के कपड़े उतारे जाते हैं, उसे देवी से औरत बनाया जाता है. पूजा की जगह पीटा जाने लगता है. मुझे बार-बार पूजा करना अच्छा नहीं लगता मगर आपके और हिंदुस्तान की औरतों के दिमाग़ में यही ठूंस दिया गया है कि वे देवी है और उनकी पूजा होती है इसलिए पूजा का ज़िक्र कर रहा हूं वरना मेरे लिए पूजा को कोई मतलब नहीं है. बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. भीड़ को शक़ है कि नौजवान की हत्या के पीछे किसी औरत का हाथ है. चूंकि भीड़ को शक़ इसलिए अब वह कुछ भी कर सकती है. वह कहीं किसी पहलू ख़ान को मार सकती है, किसी की आंख निकाल सकती है. किसी की आंत निकाल सकती है. इसलिए वह किसी औरत को सरे बाज़ार नंगा कर सकती है. क्योंकि भीड़ को शक़ है. यही हमारे दौर का सबसे बड़ा विश्वास है. भीड़ को शक़ है. अब जबकि शक़ है इसलिए उस औरत के कपड़े उतारे जाते हैं, उसे देवी से औरत बनाया जाता है. पूजा की जगह पीटा जाने लगता है. मुझे बार-बार पूजा करना अच्छा नहीं लगता मगर आपके और हिंदुस्तान की औरतों के दिमाग़ में यही ठूंस दिया गया है कि वे देवी है और उनकी पूजा होती है इसलिए पूजा का ज़िक्र कर रहा हूं वरना मेरे लिए पूजा को कोई मतलब नहीं है. बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.टिप्पणियां कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में. दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: इंडोनेशिया में ज्वालामुखी विस्फोट, 600 लोग हटाए
लेख: इंडोनेशिया में माउंट करांगेटंग ज्वालामुखी में विस्फोट की चेतावनी जारी करने के दूसरे दिन शनिवार को 600 लोगों को अस्थायी शिविरों में ले जाया गया। समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक सियाऊ द्वीप में स्थित इस ज्वालामुखी से शुक्रवार को लावा और धुआं निकलना शुरू हुआ। इसके बाद अधिकारियों ने इसकी ढलान पर बसे तीन गांवों को खाली कराने का आदेश जारी किया। इंडोनेशिया के ज्वालामुखी विशेषज्ञ सुरोनो ने कहा कि शनिवार को भी लावा निकलता रहा, हालांकि अब तक किसी के मरने की खबर नहीं है। सुरोनो ने कहा कि 582 लोगों को अस्थायी शरणार्थी शिविर में ले जाया गया है। करांगेटंग इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में से एक है। पिछले साल अगस्त में हुए ज्वालामुखी विस्फोट में चार लोग मारे गए थे। इंडोनेशिया प्रशांत महासागर में स्थित अग्निवलय (रिंग ऑफ फायर) पर स्थित है। अग्निवलय में नियमित रूप से भूकम्प और ज्वालामुखी विस्फोट की घटना देखने को मिलती है। पिछले साल अक्टूबर-नवम्बर में जावा द्वीप पर मेरापी ज्वालामुखी में हुए कई विस्फोटों में 300 से अधिक लोग मारे गए थे।
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['hin']