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यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: पिछले साल की तुलना में अब बेहतर खिलाड़ी हूं : सानिया
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: शीर्ष भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने प्रतिष्ठित डब्ल्यूटीए चाइना ओपन खिताब जीतकर 2013 सत्र खत्म किया और उनका मानना है कि वह पिछले साल की तुलना में अब बेहतर खिलाड़ी हैं। चाइना ओपन से महिला युगल खिलाड़ियों को विजेता पुरुष टीम की तुलना में 500 से अधिक रैंकिंग अंक और 1,26,420 डॉलर की इनामी राशि मिलती है। सानिया का सत्र का यह पांचवां खिताब था और इस दौरान उन्हें कई कारणों से लगातार जोड़ीदार बदलने पड़े। वर्ष 2012 में सानिया ने दो खिताब जीते थे लेकिन वह तीन अन्य में उप-विजेता रही थीं जिसमें चाइना ओपन भी शामिल है।टिप्पणियां सानिया ने अपना सत्र जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ लगातार दो खिताब जीतकर समाप्त किया। वह जापान ओपन में कारा से जुड़ी थीं और पहले ही टूर्नामेंट में दोनों ट्राफी जीतने में सफल रही थीं। सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’ चाइना ओपन से महिला युगल खिलाड़ियों को विजेता पुरुष टीम की तुलना में 500 से अधिक रैंकिंग अंक और 1,26,420 डॉलर की इनामी राशि मिलती है। सानिया का सत्र का यह पांचवां खिताब था और इस दौरान उन्हें कई कारणों से लगातार जोड़ीदार बदलने पड़े। वर्ष 2012 में सानिया ने दो खिताब जीते थे लेकिन वह तीन अन्य में उप-विजेता रही थीं जिसमें चाइना ओपन भी शामिल है।टिप्पणियां सानिया ने अपना सत्र जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ लगातार दो खिताब जीतकर समाप्त किया। वह जापान ओपन में कारा से जुड़ी थीं और पहले ही टूर्नामेंट में दोनों ट्राफी जीतने में सफल रही थीं। सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’ सानिया का सत्र का यह पांचवां खिताब था और इस दौरान उन्हें कई कारणों से लगातार जोड़ीदार बदलने पड़े। वर्ष 2012 में सानिया ने दो खिताब जीते थे लेकिन वह तीन अन्य में उप-विजेता रही थीं जिसमें चाइना ओपन भी शामिल है।टिप्पणियां सानिया ने अपना सत्र जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ लगातार दो खिताब जीतकर समाप्त किया। वह जापान ओपन में कारा से जुड़ी थीं और पहले ही टूर्नामेंट में दोनों ट्राफी जीतने में सफल रही थीं। सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’ वर्ष 2012 में सानिया ने दो खिताब जीते थे लेकिन वह तीन अन्य में उप-विजेता रही थीं जिसमें चाइना ओपन भी शामिल है।टिप्पणियां सानिया ने अपना सत्र जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ लगातार दो खिताब जीतकर समाप्त किया। वह जापान ओपन में कारा से जुड़ी थीं और पहले ही टूर्नामेंट में दोनों ट्राफी जीतने में सफल रही थीं। सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’ सानिया ने अपना सत्र जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ लगातार दो खिताब जीतकर समाप्त किया। वह जापान ओपन में कारा से जुड़ी थीं और पहले ही टूर्नामेंट में दोनों ट्राफी जीतने में सफल रही थीं। सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’ सानिया ने बीजिंग से कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने हर चीज में सुधार किया है। मेरी फिटनेस बेहतर बन गयी है। मैंने नेट में भी खुद में काफी सुधार किया है। मेरी सर्विस भी पहले से सुधर गई है इसलिए अब मैं पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर खिलाड़ी हूं।’
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: फोर्ब्स की 'ताकतवर हस्तियों' की सूची में पीएम मोदी नौवें नंबर पर, पिछले साल से छह स्थान ऊपर
धानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी को फोर्ब्स पत्रिका की 2015 की ताकतवर हस्तियों की सूची में नौवें स्थान पर रखा गया है। 2014 की फोर्ब्स की ताकतवर हस्तियों की सूची में मोदी 15वें स्थान पर थे। इस सूची में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन पहले स्थान पर हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को सूची में दूसरे स्थान पर रखा गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तीसरे, पोप फ्रांसिस चौथे और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पांचवें स्थान पर हैं। इस सूची में शीर्ष 10 में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स छठे, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की चेयरपर्सन जैनेट येलेन सातवें, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन आठवें और गूगल के लैरी पेज 10वें स्थान पर हैं।टिप्पणियां फोर्ब्स ने बुधवार को यह सूची जारी करते हुए कहा कि भारत में 1.2 अरब लोगों की देखरेख करने को 'हाथ मिलाने' से अधिक बहुत कुछ करने की जरूरत होती है। मोदी को अपनी पार्टी बीजेपी के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाना चाहिए और 'झगड़ालू विपक्ष' को नियंत्रण में रखना चाहिए। मोदी के बारे में पत्रिका ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री के पहले साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही। बराक ओबामा और शी चिनफिंग के साथ अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान उन्होंने वैश्विक नेता के रूप में अपना कद बढ़ाया है। इस सूची में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन पहले स्थान पर हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को सूची में दूसरे स्थान पर रखा गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तीसरे, पोप फ्रांसिस चौथे और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पांचवें स्थान पर हैं। इस सूची में शीर्ष 10 में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स छठे, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की चेयरपर्सन जैनेट येलेन सातवें, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन आठवें और गूगल के लैरी पेज 10वें स्थान पर हैं।टिप्पणियां फोर्ब्स ने बुधवार को यह सूची जारी करते हुए कहा कि भारत में 1.2 अरब लोगों की देखरेख करने को 'हाथ मिलाने' से अधिक बहुत कुछ करने की जरूरत होती है। मोदी को अपनी पार्टी बीजेपी के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाना चाहिए और 'झगड़ालू विपक्ष' को नियंत्रण में रखना चाहिए। मोदी के बारे में पत्रिका ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री के पहले साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही। बराक ओबामा और शी चिनफिंग के साथ अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान उन्होंने वैश्विक नेता के रूप में अपना कद बढ़ाया है। फोर्ब्स ने बुधवार को यह सूची जारी करते हुए कहा कि भारत में 1.2 अरब लोगों की देखरेख करने को 'हाथ मिलाने' से अधिक बहुत कुछ करने की जरूरत होती है। मोदी को अपनी पार्टी बीजेपी के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाना चाहिए और 'झगड़ालू विपक्ष' को नियंत्रण में रखना चाहिए। मोदी के बारे में पत्रिका ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री के पहले साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही। बराक ओबामा और शी चिनफिंग के साथ अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान उन्होंने वैश्विक नेता के रूप में अपना कद बढ़ाया है। मोदी के बारे में पत्रिका ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री के पहले साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही। बराक ओबामा और शी चिनफिंग के साथ अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान उन्होंने वैश्विक नेता के रूप में अपना कद बढ़ाया है।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: म्यांमार में रखाइन की राजधानी सितवे में आज तड़के अलग- अलग स्थानों पर तीन विस्फोट
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: म्यांमा में रखाइन राज्य की राजधानी सितवे में आज तड़के एक वरिष्ठ अधिकारी के घर समेत अलग अलग स्थानों पर तीन विस्फोट हुए. एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तीन बमों में विस्फोट हुआ जबकि तीन जिंदा बम मिले. पुलिस का एक कर्मी जख्मी हुआ है, लेकिन उसकी हालत गंभीर नहीं है.टिप्पणियां उन्होंने बताया कि इन विस्फोटों में किसी की मौत नहीं हुई है. अधिकारी ने बताया कि ये विस्फोट स्थानीय समयानुसार सुबह करीब चार बजे हुए.  इनमें से एक विस्फोट राज्य सरकार के सचिव के आवास के परिसर में, एक दफ्तर में और एक तट पर जाने वाली सड़क पर हुआ. इनपुट- भाषा उन्होंने बताया कि इन विस्फोटों में किसी की मौत नहीं हुई है. अधिकारी ने बताया कि ये विस्फोट स्थानीय समयानुसार सुबह करीब चार बजे हुए.  इनमें से एक विस्फोट राज्य सरकार के सचिव के आवास के परिसर में, एक दफ्तर में और एक तट पर जाने वाली सड़क पर हुआ. इनपुट- भाषा इनपुट- भाषा
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: क्या काजू खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है? ऋजुता दिवेकर ने बताया सच...
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: सर्दी को सुपरफूड और सुपरकूल होने के लिए जाना जाता है. इस मौसम का फूडीज को तो दिल से इंतजार रहता है; वहज है इस मौसम में आने वाले फल और सब्जियां. इसके साथ ही साथ सर्दियों के मौसम में एक और चीज है जो आपकी जुबां और सेहत दोनों के लिए अच्छी है. वह यह कि इस मौसम में आप बेफिक्र होकर नट्स खा सकते हैं; मतलब जहां गर्मियों में आप यह सोचते हैं कि मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए आप इन्हें ज्यादा नहीं खा सकते वहीं सर्दियों में आप इसी तासीर की वजह से जी भर मेवे खा सकते हैं. यह शरीर में गर्मी पैदा करने में मददगार हैं. इतना ही नहीं मेवे प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और बीमार पड़ने से खुद को बचाने के लिए अपने आहार में शामिल करने जैसे के आपके पास कई बहाने भी होते हैं. सर्दी के मौस में मूंगफली, बादाम, अखरोट और यहां तक कि काजू जैसे नट्स खूब पसंद किए जाते हैं. लेकिन कुछ लोगों को इस बात की चिंता सताने लगती है कि कहीं इनसे कोलेस्ट्रॉल तो नहीं बढ़ जाएगा. खासकर काजू का सेवन अक्सर कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर और यहां तक कि वजन बढ़ने से भी जुड़ा हुआ माना जाता है. लेकिन सच्चाई इससे बिलकुल अलग है.  Belly Fat: ये 4 एक्सरसाइज घटाएंगी आपका मोटापा, कम टाइम में होगा ज्यादा फायदा! काजू के बारे में कुछ मिथकों को तोड़ा है सोशल मीडिया पर सेलेब न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने. अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की गई एक छोटी क्लिप में रुजुता ने कहा कि आपको अपने आहार में काजू को शामिल करना चाहिए. "काजू, भारत और अफ्रीका में उगाया जाता है और ये भी बादाम और अखरोट की ही तरह अच्छे हैं. लेकिन फिर भी आपके डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ बादाम और अखरोट खाने की सलाह देते होंगे, क्योंकि काजू में कोलेस्ट्रॉल होता है." वीडियो में रुजुता कहती हैं. Weight Loss: तोंद घटाना चाहते हैं तो इन 5 फूड को आज ही खाना छोड़ें, तेजी से कम होगी पेट की चर्बी! Remedies For Diabetes: सर्दियों में खाएं ये बस 4 चीजें, ड़ायबीटिज होगी कंट्रोल हालांकि, सच यह है कि काजू में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता. असल में काजू पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है, जो पैर में कभी-कभी सुन्नता का इलाज करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा काजू को मधुमेह यानी डायबिटीज के रोगी भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं. हर दिन एक मुट्ठी काजू खाने से रात में पैर की ऐंठन को कम करने में भी मदद मिलेगी. ब्लड शुगर यानी रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल करने में भी काजू फायदेमंद है. Premature Ejaculation: शीघ्रपतन की समस्या को दूर करेंगे ये 8 फूड रुजुता ने बताया कि काजू का फल एक नारंगी की तुलना में विटामिन सी से पांच गुना अधिक समृद्ध है. प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए अच्छा होने के अलावा, विटामिन सी कार्डियो के लिए भी अच्छा है. काजू में मौजूद पोषक तत्व आपको स्वस्थ जोड़ और दिल दे सकते हैं. 1. काजू प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है. काजू कोलेस्टेरॉल को कंट्रोल करने में मददगार है. इसे साथ ही काजू स्किन के लिए भी अच्छा है. काजू से आप त्वचा की झुर्रियों को कम कर सकते हैं. साथ ही यह याद्दाश्त को तेज़ करने में भी मदद करता है.  2. शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है, हड्डियों और पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है.   3. काजू में हृदय-स्वस्थ गुण होते हैं, जो रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं. पोटेशियम, विटामिन ई और बी 6 और फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करते हैं. Attention Girls! ये हैं वो 6 काम जो पीरियड्स में नहीं करने चाहिए... Diabetes Mistakes: ये 5 गलतियां बढ़ा सकती हैं आपका बल्ड शुगर लेवल, ऐसे करें कंट्रोल... Cashew Benefits: काजू खाने के फायदे आपकी आंखों के लिए भी हो सकते हैं. Photo Credit: iStock 4. काजू में ज़ेक्सैन्थिन और ल्यूटिन एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. काजू के नियमित सेवन से आंखों को नुकसान से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और उम्र के साथ होने वाली दृष्टि की हानि को रोका जा सकता है. 5. आप वजन घटाने के आहार (Weight Loss Diet) में भी काजू को शामिल कर सकते हैं. माना कि यह कैलोरी में उच्च है, लेकिन साथ ही यह सुपर हेल्दी भी हैं. वज़न कम करने के लिए आहार में संतुलित तरीके से नट्स को शामिल कर फायदा लिया जा सकता है.  फोन देखने के तरीके का सेक्स और हाइट पर पड़ता है असर : शोध जानें कैसे आपकी आंखें बता सकती हैं आपको डायबिटीज है कि नहीं 6. काजू में कॉपर और आयरन भी होता है. लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करने के लिए दोनों पोषक तत्व एक साथ काम करते हैं. काजू के नियमित सेवन से हड्डियों की सेहत भी बेहतर हो सकती है. Ayurvedic Remedies: डायबिटीज को दूर भगा देंगी ये 4 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां (रुजुता दिवेकर मुंबई बेस्ड न्यूट्रिशनिस्ट हैं.) (अस्वीकरण: यहां दी गई सामग्री या सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.) और खबरों के लिए क्लिक करें. Weight Loss: लाल रंग के ये 5 फल वजन घटाने के लिए हैं अचूक उपाय! जानें इनके कमाल के फायदे Belly Fat Exercises: जानें उस वर्कआउट के बारे में जिससे वजन के साथ ही बैली फैट होगा कम Weight Loss: ये 3 डाइट टिप्स करेंगे वजन कम, गायब होगा बैली फैट... Type 2 Diabetes: दालचीनी है ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए असरदार उपाय! जानें दालचीनी के कई और फायदे बॉलीवुड के इन 5 हीरो ने चुना अपने से आधी उम्र का जीवनसाथी, इनसे सीखें रिश्ता निभाने के गुर
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: स्थानीय लोगों की संतुष्टि के बाद ही ठेकेदारों को भुगतान करें अधिकारी : डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया
यह लेख है: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संबद्ध अधिकारियों को शनिवार को निर्देश दिया कि वे इलाकों में निर्माण कार्यों को लेकर स्थानीय लोगों की संतुष्टि के बाद ही ठेकेदारों को भुगतान करें. सिसोदिया ने लोक निर्माण कार्यों - नालियों, गलियों आदि का निरीक्षण करने के लिए शनिवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र पटपड़गंज में कई इलाकों का दौरा किया.टिप्पणियां उप मुख्यमंत्री द्वारा उनके फेसबुक पेज पर जारी एक वीडियो के मुताबिक, इस दौरे में ज्यादातर स्थानीय लोग इन लोक निर्माण कार्यों से संतुष्ट दिखे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'लोगों की मंजूरी के बाद उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इन ठेकेदारों को भुगतान करने को कहा.' (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सिसोदिया ने लोक निर्माण कार्यों - नालियों, गलियों आदि का निरीक्षण करने के लिए शनिवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र पटपड़गंज में कई इलाकों का दौरा किया.टिप्पणियां उप मुख्यमंत्री द्वारा उनके फेसबुक पेज पर जारी एक वीडियो के मुताबिक, इस दौरे में ज्यादातर स्थानीय लोग इन लोक निर्माण कार्यों से संतुष्ट दिखे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'लोगों की मंजूरी के बाद उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इन ठेकेदारों को भुगतान करने को कहा.' (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उप मुख्यमंत्री द्वारा उनके फेसबुक पेज पर जारी एक वीडियो के मुताबिक, इस दौरे में ज्यादातर स्थानीय लोग इन लोक निर्माण कार्यों से संतुष्ट दिखे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'लोगों की मंजूरी के बाद उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इन ठेकेदारों को भुगतान करने को कहा.' (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा
बहुस्तरीय सुरक्षा के बीच 40 दिवसीय अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई. 2,280 श्रद्धालुओं का पहला जत्था यात्रा पर रवाना हुआ. पर्यटन राज्यमंत्री प्रिया सेठी और जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने काफिले को दक्षिण कश्मीर के हिमालय में स्थित भगवान शिव को समपर्ति गुफा की ओर सुबह लगभग साढ़े पांच बजे रवाना किया. यहां भगवती नगर यात्री निवास से 72 वाहनों का काफिला जय भोलेनाथ और बम बम भोले के जयकारे के बीच रवाना हुआ. अधिकारियों ने बताया कि खुफिया चेतावनी मिलने के चलते सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा बंदोबस्त किए गए. इनमें सैटेलाइट ट्रेकिंग प्रणाली, जैमर, बुलेटप्रूफ बंकर, श्वान दस्ते, सीसीटीवी कैमरे और त्वरित प्रतिक्रिया बलों के अतिरिक्त हजारों सुरक्षा कर्मी शामिल हैं जो घाटी में बढ़ी हिंसा और खतरे के मद्देनजर मार्ग में तैनात हैं. एक अधिकारी ने बताया कि पहले जत्थे के श्रद्धालुओं में 1,811 पुरूष, 422 महिलाएं, 47 साधु हैं जिनकी सुरक्षा में केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वाहन साथ चल रहे हैं. इनमें से 698 श्रद्धालु 25 वाहनों में सवार होकर बालटाल आधार शिविर की ओर रवाना हो गए जबकि जम्मू बेस कैंप से 1,535 श्रद्धालु और 47 साधु 47 वाहनों में सवार होकर पहलगाम आधार शिविर की ओर रवाना हो गए. सिंह ने कहा कि यात्रा में कोई व्यवधान ना आए इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उप मुख्यमंत्री ने कहा, सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सड़क के रास्ते यात्रा और आधार शिविरों के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का खास ध्यान रखा गया है. सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक एसएन श्रीवास्तव ने कल कहा था कि वार्षिक यात्रा एक बड़ी चुनौती है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सरकार ने पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के 35,000 से 40,000 जवानों को तैनात किया है. राज्य में सीआरपीएफ के वर्तमान बल के अतिरिक्त केंद्र ने राज्य सरकार को अर्द्धसैनिलक बलों की लगभग 250 कंपनियां मुहैया करवाई हैं जिनमें 25,000 जवान हैं. बीएसएफ ने यात्रा के मार्ग में करीब 2,000 जवानों को तैनात किया है. सेना ने पांच बटालियन मुहैया करवाई हैं, इनके अलावा पुलिस की अतिरिक्त 54 कंपनियों को भी यहां लाया गया है.टिप्पणियां श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अधिकारियों ने बताया कि खुफिया चेतावनी मिलने के चलते सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा बंदोबस्त किए गए. इनमें सैटेलाइट ट्रेकिंग प्रणाली, जैमर, बुलेटप्रूफ बंकर, श्वान दस्ते, सीसीटीवी कैमरे और त्वरित प्रतिक्रिया बलों के अतिरिक्त हजारों सुरक्षा कर्मी शामिल हैं जो घाटी में बढ़ी हिंसा और खतरे के मद्देनजर मार्ग में तैनात हैं. एक अधिकारी ने बताया कि पहले जत्थे के श्रद्धालुओं में 1,811 पुरूष, 422 महिलाएं, 47 साधु हैं जिनकी सुरक्षा में केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वाहन साथ चल रहे हैं. इनमें से 698 श्रद्धालु 25 वाहनों में सवार होकर बालटाल आधार शिविर की ओर रवाना हो गए जबकि जम्मू बेस कैंप से 1,535 श्रद्धालु और 47 साधु 47 वाहनों में सवार होकर पहलगाम आधार शिविर की ओर रवाना हो गए. सिंह ने कहा कि यात्रा में कोई व्यवधान ना आए इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उप मुख्यमंत्री ने कहा, सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सड़क के रास्ते यात्रा और आधार शिविरों के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का खास ध्यान रखा गया है. सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक एसएन श्रीवास्तव ने कल कहा था कि वार्षिक यात्रा एक बड़ी चुनौती है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सरकार ने पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के 35,000 से 40,000 जवानों को तैनात किया है. राज्य में सीआरपीएफ के वर्तमान बल के अतिरिक्त केंद्र ने राज्य सरकार को अर्द्धसैनिलक बलों की लगभग 250 कंपनियां मुहैया करवाई हैं जिनमें 25,000 जवान हैं. बीएसएफ ने यात्रा के मार्ग में करीब 2,000 जवानों को तैनात किया है. सेना ने पांच बटालियन मुहैया करवाई हैं, इनके अलावा पुलिस की अतिरिक्त 54 कंपनियों को भी यहां लाया गया है.टिप्पणियां श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इनमें से 698 श्रद्धालु 25 वाहनों में सवार होकर बालटाल आधार शिविर की ओर रवाना हो गए जबकि जम्मू बेस कैंप से 1,535 श्रद्धालु और 47 साधु 47 वाहनों में सवार होकर पहलगाम आधार शिविर की ओर रवाना हो गए. सिंह ने कहा कि यात्रा में कोई व्यवधान ना आए इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उप मुख्यमंत्री ने कहा, सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सड़क के रास्ते यात्रा और आधार शिविरों के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का खास ध्यान रखा गया है. सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक एसएन श्रीवास्तव ने कल कहा था कि वार्षिक यात्रा एक बड़ी चुनौती है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सरकार ने पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के 35,000 से 40,000 जवानों को तैनात किया है. राज्य में सीआरपीएफ के वर्तमान बल के अतिरिक्त केंद्र ने राज्य सरकार को अर्द्धसैनिलक बलों की लगभग 250 कंपनियां मुहैया करवाई हैं जिनमें 25,000 जवान हैं. बीएसएफ ने यात्रा के मार्ग में करीब 2,000 जवानों को तैनात किया है. सेना ने पांच बटालियन मुहैया करवाई हैं, इनके अलावा पुलिस की अतिरिक्त 54 कंपनियों को भी यहां लाया गया है.टिप्पणियां श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उप मुख्यमंत्री ने कहा, सर्वोच्च स्तर के सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सड़क के रास्ते यात्रा और आधार शिविरों के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का खास ध्यान रखा गया है. सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक एसएन श्रीवास्तव ने कल कहा था कि वार्षिक यात्रा एक बड़ी चुनौती है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. सरकार ने पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के 35,000 से 40,000 जवानों को तैनात किया है. राज्य में सीआरपीएफ के वर्तमान बल के अतिरिक्त केंद्र ने राज्य सरकार को अर्द्धसैनिलक बलों की लगभग 250 कंपनियां मुहैया करवाई हैं जिनमें 25,000 जवान हैं. बीएसएफ ने यात्रा के मार्ग में करीब 2,000 जवानों को तैनात किया है. सेना ने पांच बटालियन मुहैया करवाई हैं, इनके अलावा पुलिस की अतिरिक्त 54 कंपनियों को भी यहां लाया गया है.टिप्पणियां श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सरकार ने पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के 35,000 से 40,000 जवानों को तैनात किया है. राज्य में सीआरपीएफ के वर्तमान बल के अतिरिक्त केंद्र ने राज्य सरकार को अर्द्धसैनिलक बलों की लगभग 250 कंपनियां मुहैया करवाई हैं जिनमें 25,000 जवान हैं. बीएसएफ ने यात्रा के मार्ग में करीब 2,000 जवानों को तैनात किया है. सेना ने पांच बटालियन मुहैया करवाई हैं, इनके अलावा पुलिस की अतिरिक्त 54 कंपनियों को भी यहां लाया गया है.टिप्पणियां श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) श्रीवास्तव ने कहा, यात्रा को व्यवधान रहित रखने के लिए इस बार सर्वोच्च सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक मुनीर खान की ओर से सेना, सीआरपीएफ और राज्य के रेंज डीआईजी को भेजे गए पत्र में एसएसपी अनंतनाग को प्राप्त खुफिया जानकारी के बारे में बताया गया है जिसके मुताबिक आतंकियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं तथा करीब 100 पुलिस अफसरों तथा अधिकारियों को खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इस वर्ष यात्रा की अवधि पिछले वर्ष के मुकाबले आठ दिन कम है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: हार गए, लेकिन हमारे लिए भी कुछ सकारात्मक पहलू रहे : इशांत
लेख: भारत भले ही बुधवार को समाप्त हुई एक-दिवसीय शृंखला में दक्षिण अफ्रीका से हार गया हो, लेकिन तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने कहा कि उनकी टीम के लिए भी कुछ सकारात्मक पहलू रहे जिनका उपयोग वह दो टेस्ट मैचों की आगामी शृंखला में करेगी। भारत को पहले दो एक-दिवसीय मैचों में करारी हार झेलनी पड़ी जबकि तीसरा मैच बारिश के कारण पूरा नहीं हो पाया। रद्द कर दिए गए इस मैच में 40 रन के एवज में चार विकेट लेकर फार्म में लौटने वाले इशांत ने कहा कि स्थिति उतनी बुरी नहीं है जितनी लग रही है। इस तेज गेंदबाज ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'दोनों टीमों में प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और सभी के दिमाग में यह बात होती है। यदि आप अपने विचारों पर नियंत्रण रख सकते हो और आप आत्मविश्वासी हो तो फिर जानते हो कि क्या करना है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह बड़ी हार है।' उन्होंने कहा, 'हां हमने शृंखला गंवाई है, लेकिन हमारे लिए भी इसमें कुछ सकारात्मक पहलू रहे और हम टेस्ट शृंखला में उनका उपयोग करेंगे।' इशांत ने कल रेयान मैकलारेन को आउट करके 70वें मैच में 100 विकेट भी पूरे किए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के आठ विकेट पर 301 रन बनाने के संबंध में कहा, 'शुरू में विकेट में उछाल थी, लेकिन बाद में वह थोड़ा धीमा हो गया।' इशांत ने कहा, 'हमें इस तरह के विकेटों पर वैरीएशन का उपयोग करने की जरूरत है क्योंकि पिच थोड़ा शुष्क रहती है। हवा अलग अलग दिशाओं से बहती हैं और कप्तान को अपने गेंदबाजों को रोटेट करना पड़ता है। हम प्रत्येक अलग अलग तरह के गेंदबाज हैं और हमें मौका दिया गया जो कि अच्छी बात है।' भारतीय पारी शुरू होने से पहले ही बारिश आ गयी और बल्लेबाजों को मौका नहीं मिला। भारतीय बल्लेबाज अभी तक इस दौरे में छाप नहीं छोड़ पाए हैं। दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका के सलामी बल्लेबाज क्विंटन डि काक ने तीनों मैच में शतक जमाया। इशांत ने कहा, 'यह उसके लिए अच्छा है वह रन बनाने में सफल रहा, लेकिन मुझे लगता है कि वह विशेषकर आज काफी भाग्यशाली रहा। सभी तीनों मैचों में गेंद उसके बल्ले से ऊपरी हिस्से से लगकर खाली स्थानों से होकर गई। इनमें संभावना बन सकती थी। आज तो उसे दो जीवनदान मिले।' इशांत ने भारतीय गेंदबाजों के प्रदर्शन पर कहा, 'सभी बोल रहे हैं कि हमने कितने मैच खेले हैं, लेकिन यदि आप औसत उम्र को देखो तो गेंदबाजी इकाई के रूप में हम काफी युवा हैं। सभी सीख रहे हैं। हमने गलतियां की और हमने उनसे सबक भी लिया।' इस तेज गेंदबाज को स्वयं आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें उम्मीद है बुरा दौर पीछे छूट चुका है। इशांत ने कहा, 'यह जिंदगी का हिस्सा है। प्रत्येक उतार चढ़ाव से गुजरता है। मैंने रन लुटाए और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं। लेकिन लोगों को सोचना चाहिए कि यह आखिर में खेल है और गलतियां होती हैं। जब मैं वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैचों में नहीं खेला तो मैंने विश्लेषण किया कि मैं अपने गेंदबाजी में क्या सुधार कर सकता हूं।' उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण यह है कि चयनकर्ताओं ने मुझे मौका दिया और टीम में वापसी की। सहयोगी स्टाफ और कप्तान भी यह मानता है कि मैं वापसी कर सकता हूं और अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। यह मेरे लिए काफी मायने रखता है।'
13
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: अफजल को क्षमादान देने पर कश्मीर विधानसभा में चर्चा 28 को
लेख: संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को क्षमादान देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव 28 सितम्बर को सदन पटल पर रखा जाएगा। निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद ने इस आशय का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश किया है। सदन पटल पर रखे जाने वाले प्रस्तावों की जानकारी शनिवार को विधानसभा सचिवालय में मीडिया की मौजूदगी में दी गई। बताया गया कि सदन पटल पर कुल सात प्रस्ताव रखे जाएंगे जिनमें लंगाते विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले इंजीनियर राशिद का प्रस्ताव दूसरे स्थान पर है। विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा, "सदन पटल पर राशिद का प्रस्ताव अब 28 सितम्बर को रखा जाएगा।" ज्ञात हो कि राशिद ने अफजल गुरु को माफी दिए जाने की मांग सम्बंधी प्रस्ताव विधानसभा में लाने के निर्णय की घोषणा इस महीने की शुरुआत में ही की थी। विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) पहले ही कह चुकी है कि वह प्रस्ताव के पक्ष में मत देगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा जारी बयान के मुताबिक सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस इस मुद्द पर फैसला पार्टी के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में होने वाली विधायक दल की बैठक में लेगी।
9
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: बुंदेलखंड डायरी पार्ट 3 : डाकू ददुआ के इलाके में बुंदेलखंड पैकेज की एक खोज
आठ साल पहले जिस कोल्हुवा के जंगल में ददुआ को एसटीएफ ने मार गिराया था उसी जंगल में बुंदेलखंड पैकेज को हम खोजने निकले। बुंदेलखंड के किसानों को आत्महत्या और सूखे से बचाने के लिए केंद्र सरकार 7266 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों को दिया। लेकिन पैसे का बड़ा हिस्सा नेता और अधिकारियों की जेब में गया। किसानों को इसका कितना फायदा मिला, ये देखने के लिए बांदा से करीब 60 किमी दूर अतर्रा तहसील से कोल्हुवा के जंगल में चल पड़े। रास्ते में आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार आशीष सागर ने हमें बताया कि रसिन गांव में 76 करोड़ रुपये की लागत से रसिन बांध बनाया गया है जिसका मकसद करीब 5 हज़ार एकड़ खेत तक सूखे के हालात में पानी पहुंचाना है। इस साल मानसून नहीं के बराबर रहा है। इसलिए पहले हमें रसिन बांध का जायजा लेना चाहिए। 2012 में बांध बनकर तैयार हुआ। विध्यांचल पहाड़ियों की गोद में बने इस बांध पर सिंचाई विभाग का कोई कारिंदा मौजूद नहीं था। रसिन गांव के नाम पर इस बांध का नाम रसिन बांध रखा गया। यहां हमें भूषण नाम के किसान मिले जिनकी 12 बीघे ज़मीन का अधिग्रहण इस बांध को बनाने में किया गया था। इनकी जमीन का मुआवजा 24 हज़ार रुपये बीघे के हिसाब से मिला। भूषण ने हमें बताया कि बांध को बने 3 साल से ज्यादा हो गया लेकिन आज तक इस गेट नहीं खुला। इससे लगती नहरें सूखी पड़ी है। यही नहीं इस बांध का पानी आज तक रसिन गांव के खेतों में नहीं पहुंचा। कैमरे को देखकर कुछ और गांव वाले आ गए। हमारी नजर खंडहरनुमा बनी एक इमारत पर ठहर गई। बताया गया कि ये बांध का कंट्रोल रुम है। टूटी खिड़कियां-दरवाजे को चोर उठा ले गए थे। आजकल ये आवारा पशु और नशेड़ियों के बैठने का अड्डा बना हुआ है। जिस बांध का कंट्रोल रूम बदहाल हो चुका है वो सूखे खेतों को कैसे हरा करेगा, हमारी समझ में आ चुका था। यहीं से कुछ दूरी पर हमें दो पार्क दिखाई पड़े। किसी तरह जानलेवा ढलान को पारकर हम इस पार्क पहुंचे।   गांव वालों ने बताया यहां गौतम बुद्ध की मूर्ति लगी थी। पार्क में बहुत खोजने पर बुद्ध की प्रतिमा के कुछ अवशेष हमें भी मिले। आशीष सागर और शिव नारायण ने बकायदा उसे लेकर फोटो खींचे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि दो करोड़ रुपये में आखिर किसानों के पैसे से ये पार्क क्यों बनवाए गए। यहां लगे सफेद खंबों को पहले मैं सीमेंट का मान रहा था लेकिन तभी मेरी नजर आंधी में गिरे एक खंबे पर पड़ी। ये देखकर हैरान रह गया कि दूर से सीमेंट के दिखने वाले ये खंबे फाइबर के थे और इसके अंदर बालू और मौरंग को भर दिया गया था। पार्क और बांध की हालत देखकर मुझे दुख भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। आशीष ने बताया कि ये तो ट्रेलर है, बुंदेलखंड पैकेज की कहानी अभी बाकी है। यहां से 30 किमी दूर कोल्हुवा के घने जंगल में चल पड़े। हमें बताया गया कि ददुआ, ठोंकिया, बड़खड़िया के मारे जाने के बाद अभी बबली नाम का एक डाकू सक्रिय है। ये सुनकर कुछ घबराहट हुई, हमने कार गांव में छोड़ दी और पैदल पटपर पहाड़ी नाले पर बने चेक डैम को देखने चल पड़े।टिप्पणियां कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। किसानों को इसका कितना फायदा मिला, ये देखने के लिए बांदा से करीब 60 किमी दूर अतर्रा तहसील से कोल्हुवा के जंगल में चल पड़े। रास्ते में आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार आशीष सागर ने हमें बताया कि रसिन गांव में 76 करोड़ रुपये की लागत से रसिन बांध बनाया गया है जिसका मकसद करीब 5 हज़ार एकड़ खेत तक सूखे के हालात में पानी पहुंचाना है। इस साल मानसून नहीं के बराबर रहा है। इसलिए पहले हमें रसिन बांध का जायजा लेना चाहिए। 2012 में बांध बनकर तैयार हुआ। विध्यांचल पहाड़ियों की गोद में बने इस बांध पर सिंचाई विभाग का कोई कारिंदा मौजूद नहीं था। रसिन गांव के नाम पर इस बांध का नाम रसिन बांध रखा गया। यहां हमें भूषण नाम के किसान मिले जिनकी 12 बीघे ज़मीन का अधिग्रहण इस बांध को बनाने में किया गया था। इनकी जमीन का मुआवजा 24 हज़ार रुपये बीघे के हिसाब से मिला। भूषण ने हमें बताया कि बांध को बने 3 साल से ज्यादा हो गया लेकिन आज तक इस गेट नहीं खुला। इससे लगती नहरें सूखी पड़ी है। यही नहीं इस बांध का पानी आज तक रसिन गांव के खेतों में नहीं पहुंचा। कैमरे को देखकर कुछ और गांव वाले आ गए। हमारी नजर खंडहरनुमा बनी एक इमारत पर ठहर गई। बताया गया कि ये बांध का कंट्रोल रुम है। टूटी खिड़कियां-दरवाजे को चोर उठा ले गए थे। आजकल ये आवारा पशु और नशेड़ियों के बैठने का अड्डा बना हुआ है। जिस बांध का कंट्रोल रूम बदहाल हो चुका है वो सूखे खेतों को कैसे हरा करेगा, हमारी समझ में आ चुका था। यहीं से कुछ दूरी पर हमें दो पार्क दिखाई पड़े। किसी तरह जानलेवा ढलान को पारकर हम इस पार्क पहुंचे।   गांव वालों ने बताया यहां गौतम बुद्ध की मूर्ति लगी थी। पार्क में बहुत खोजने पर बुद्ध की प्रतिमा के कुछ अवशेष हमें भी मिले। आशीष सागर और शिव नारायण ने बकायदा उसे लेकर फोटो खींचे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि दो करोड़ रुपये में आखिर किसानों के पैसे से ये पार्क क्यों बनवाए गए। यहां लगे सफेद खंबों को पहले मैं सीमेंट का मान रहा था लेकिन तभी मेरी नजर आंधी में गिरे एक खंबे पर पड़ी। ये देखकर हैरान रह गया कि दूर से सीमेंट के दिखने वाले ये खंबे फाइबर के थे और इसके अंदर बालू और मौरंग को भर दिया गया था। पार्क और बांध की हालत देखकर मुझे दुख भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। आशीष ने बताया कि ये तो ट्रेलर है, बुंदेलखंड पैकेज की कहानी अभी बाकी है। यहां से 30 किमी दूर कोल्हुवा के घने जंगल में चल पड़े। हमें बताया गया कि ददुआ, ठोंकिया, बड़खड़िया के मारे जाने के बाद अभी बबली नाम का एक डाकू सक्रिय है। ये सुनकर कुछ घबराहट हुई, हमने कार गांव में छोड़ दी और पैदल पटपर पहाड़ी नाले पर बने चेक डैम को देखने चल पड़े।टिप्पणियां कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। 2012 में बांध बनकर तैयार हुआ। विध्यांचल पहाड़ियों की गोद में बने इस बांध पर सिंचाई विभाग का कोई कारिंदा मौजूद नहीं था। रसिन गांव के नाम पर इस बांध का नाम रसिन बांध रखा गया। यहां हमें भूषण नाम के किसान मिले जिनकी 12 बीघे ज़मीन का अधिग्रहण इस बांध को बनाने में किया गया था। इनकी जमीन का मुआवजा 24 हज़ार रुपये बीघे के हिसाब से मिला। भूषण ने हमें बताया कि बांध को बने 3 साल से ज्यादा हो गया लेकिन आज तक इस गेट नहीं खुला। इससे लगती नहरें सूखी पड़ी है। यही नहीं इस बांध का पानी आज तक रसिन गांव के खेतों में नहीं पहुंचा। कैमरे को देखकर कुछ और गांव वाले आ गए। हमारी नजर खंडहरनुमा बनी एक इमारत पर ठहर गई। बताया गया कि ये बांध का कंट्रोल रुम है। टूटी खिड़कियां-दरवाजे को चोर उठा ले गए थे। आजकल ये आवारा पशु और नशेड़ियों के बैठने का अड्डा बना हुआ है। जिस बांध का कंट्रोल रूम बदहाल हो चुका है वो सूखे खेतों को कैसे हरा करेगा, हमारी समझ में आ चुका था। यहीं से कुछ दूरी पर हमें दो पार्क दिखाई पड़े। किसी तरह जानलेवा ढलान को पारकर हम इस पार्क पहुंचे।   गांव वालों ने बताया यहां गौतम बुद्ध की मूर्ति लगी थी। पार्क में बहुत खोजने पर बुद्ध की प्रतिमा के कुछ अवशेष हमें भी मिले। आशीष सागर और शिव नारायण ने बकायदा उसे लेकर फोटो खींचे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि दो करोड़ रुपये में आखिर किसानों के पैसे से ये पार्क क्यों बनवाए गए। यहां लगे सफेद खंबों को पहले मैं सीमेंट का मान रहा था लेकिन तभी मेरी नजर आंधी में गिरे एक खंबे पर पड़ी। ये देखकर हैरान रह गया कि दूर से सीमेंट के दिखने वाले ये खंबे फाइबर के थे और इसके अंदर बालू और मौरंग को भर दिया गया था। पार्क और बांध की हालत देखकर मुझे दुख भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। आशीष ने बताया कि ये तो ट्रेलर है, बुंदेलखंड पैकेज की कहानी अभी बाकी है। यहां से 30 किमी दूर कोल्हुवा के घने जंगल में चल पड़े। हमें बताया गया कि ददुआ, ठोंकिया, बड़खड़िया के मारे जाने के बाद अभी बबली नाम का एक डाकू सक्रिय है। ये सुनकर कुछ घबराहट हुई, हमने कार गांव में छोड़ दी और पैदल पटपर पहाड़ी नाले पर बने चेक डैम को देखने चल पड़े।टिप्पणियां कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। यही नहीं इस बांध का पानी आज तक रसिन गांव के खेतों में नहीं पहुंचा। कैमरे को देखकर कुछ और गांव वाले आ गए। हमारी नजर खंडहरनुमा बनी एक इमारत पर ठहर गई। बताया गया कि ये बांध का कंट्रोल रुम है। टूटी खिड़कियां-दरवाजे को चोर उठा ले गए थे। आजकल ये आवारा पशु और नशेड़ियों के बैठने का अड्डा बना हुआ है। जिस बांध का कंट्रोल रूम बदहाल हो चुका है वो सूखे खेतों को कैसे हरा करेगा, हमारी समझ में आ चुका था। यहीं से कुछ दूरी पर हमें दो पार्क दिखाई पड़े। किसी तरह जानलेवा ढलान को पारकर हम इस पार्क पहुंचे।   गांव वालों ने बताया यहां गौतम बुद्ध की मूर्ति लगी थी। पार्क में बहुत खोजने पर बुद्ध की प्रतिमा के कुछ अवशेष हमें भी मिले। आशीष सागर और शिव नारायण ने बकायदा उसे लेकर फोटो खींचे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि दो करोड़ रुपये में आखिर किसानों के पैसे से ये पार्क क्यों बनवाए गए। यहां लगे सफेद खंबों को पहले मैं सीमेंट का मान रहा था लेकिन तभी मेरी नजर आंधी में गिरे एक खंबे पर पड़ी। ये देखकर हैरान रह गया कि दूर से सीमेंट के दिखने वाले ये खंबे फाइबर के थे और इसके अंदर बालू और मौरंग को भर दिया गया था। पार्क और बांध की हालत देखकर मुझे दुख भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। आशीष ने बताया कि ये तो ट्रेलर है, बुंदेलखंड पैकेज की कहानी अभी बाकी है। यहां से 30 किमी दूर कोल्हुवा के घने जंगल में चल पड़े। हमें बताया गया कि ददुआ, ठोंकिया, बड़खड़िया के मारे जाने के बाद अभी बबली नाम का एक डाकू सक्रिय है। ये सुनकर कुछ घबराहट हुई, हमने कार गांव में छोड़ दी और पैदल पटपर पहाड़ी नाले पर बने चेक डैम को देखने चल पड़े।टिप्पणियां कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। पार्क और बांध की हालत देखकर मुझे दुख भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। आशीष ने बताया कि ये तो ट्रेलर है, बुंदेलखंड पैकेज की कहानी अभी बाकी है। यहां से 30 किमी दूर कोल्हुवा के घने जंगल में चल पड़े। हमें बताया गया कि ददुआ, ठोंकिया, बड़खड़िया के मारे जाने के बाद अभी बबली नाम का एक डाकू सक्रिय है। ये सुनकर कुछ घबराहट हुई, हमने कार गांव में छोड़ दी और पैदल पटपर पहाड़ी नाले पर बने चेक डैम को देखने चल पड़े।टिप्पणियां कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। कोल्हुवा के जंगल में जंगल विभाग ने 55 चेकडैम बनाए हैं और हर एक की कीमत 5 लाख रुपये है। कुछ दूर आगे चलकर कुछ पत्थर रखकर एक हदबंदी देखने को मिली। हमें बताया गया कि पांच लाख का चेक डैम यही है। आशीष ने बताया कि यहीं के आदिवासियों को बुलाकर नदी के पत्थर रख दिए गए। इससे आगे बढ़ने पर चेकडैमनुमा चीज भी नहीं मिली। आशीष सागर ने बताया कि यहां आकर कोई काम को चेक नहीं कर सकता लिहाजा कागजी चेकडैम बनाकर पैसा डकार लिया गया। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है। जब हम लौटने लगे तो कुछ किसान बैठे मिले। किसानों ने बताया कि इस साल बारिश बिल्कुल नहीं हुई लिहाजा हालात काफी खराब हैं। जानवर अगर नहीं हों तो हम भूखों मर जाएं। जब बदहाल किसानों के लिए योजनाएं एसी के बंद कमरों में बैठकर बने तो उससे खुशहाल केवल अधिकारी और नेता हो सकते हैं। ये बात हमें समझ आ चुकी थी। बुंदेलखंड के चार रोज़ा यात्रा का विवरण मैने तीन भाग में दिया। किसान और पैकेज की राजनीति के बारे में थोड़ा बहुत सोच में अगर बदलाव आए तो समझ लीजिएगा कि हम किसान के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं बस सोचने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है।
13
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: गो कशी रोकने के लिए खट्टर सरकार का नया कानून विधानसभा में पारित
गो कशी रोकने के लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार का कानून विधानसभा में पारित हो गया है। नए कानून में गो हत्या के लिए 10 साल तक की सजा होगी, पुराने कानून में ये सजा 5 साल तक ही थी। हरियाणा में देसी नस्ल की गाय को बचाने और गाय पालन को बढ़ावा देने के मक़सद से बनाया गया गौ वंश संरक्षण और संवर्द्धन बिल बिना किसी विरोध के सदन में पारित हो गया। नए कानून में सजा के कड़े प्रावधान किये गए हैं। लेकिन कयासों के उलट नए कानून में गो कशी के लिए सजा ए मौत का कोई प्रावधान नहीं है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिल पास होने के बाद कहा कि गो कशी रोकने के लिए पहले भी कानून था लेकिन हमने नए को और बेहतर बनाया है। इससे गौ संरक्षण और संवर्धन दोनों होगा। नए कानून के तहत प्रदेश में ऐसी लैब बनाई जाएंगी जिनमें गौ मांस और बाकी जानवरों के मीट की जांच की जा सकेगी। विवाद की स्थिति में लैब की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जा सकेगी। गाय के लिए अभ्यारण्य बनाने का भी प्रावधान किया गया है। सरकार की नज़र दूध उत्पादन बढ़ाने की भी है। पशु पालन मंत्री ओम प्रकाश धनकड़ ने कहा कि जो लोग छोटी डेरी लगाएंगे उन्हें सरकार 50 परसेंट की सब्सिडी देगी। ऐसे ही बड़ी डेरी के लिए भी 25 फ़ीसदी सब्सिडी दी जाएगी। हालांकि बिल का विपक्षी दलों ने कोई विरोध नहीं किया लेकिन कुछ खामियों की तरफ सरकार का ध्यान ज़रूर खींचा। इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक ज़ाकिर हुसैन ने बिल पर बहस में दो संशोधन सुझाए। उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्ट का जो प्रावधान रखा गया है उसमें राज्य के भीतर के लिए कानून होना चाहिए ताकि कोई जो वैध तरीके से काम रहे हैं। उन्हें कोई तंग न करे, इसके अलावा अगर कोई अधिकारी भी इस मामले में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ भी सजा का प्रावधान होना चाहिए।
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: प्रदीप कुमार की कलम से : कप्तानों के प्रदर्शन के चलते याद रहेगी सीरीज़
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मौजूदा सीरीज़ में दोनों टीमों के कप्तान जोरदार प्रदर्शन के चलते लंबे समय तक याद किए जाएंगे। टेस्ट इतिहास में पहली बार किसी सीरीज़ में कप्तानों ने सात शतक बनाए हैं। कप्तान के तौर पर विराट कोहली ने इस सीरीज़ में तीन शतक जमाए, वहीं दूसरी ओर से स्टीवन स्मिथ के बल्ले से भी इतने ही शतक निकले, जबकि एडिलेड टेस्ट में कप्तान माइकल क्लार्क ने बेहतरीन शतक बनाया। इस लिहाज से देखें तो विराट कोहली और स्टीवन स्मिथ इस सीरीज़ के हीरो रहे। इन दोनों को पहली बार टेस्ट में कप्तानी का मौका मिला और दोनों ने दिखाया कि कप्तानी के दबाव में उनका प्रदर्शन कहीं निखर कर सामने आता है। स्टीवन स्मिथ ने इस सीरीज़ में बल्ले से धमाल दिखाते हुए चार शतकों की बदौलत 769 रन बनाए। 128 से ज्यादा की औसत से चार या उससे कम टेस्ट मैचों की एक सीरीज़ में वह सबसे ज्यादा रन बनाने वाले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बन गए हैं। वहीं दूसरी ओर विराट कोहली ने सीरीज़ के चार टेस्ट मैचों की आठ पारियों में चार शतक की बदौलत 692 रन बनाए। भारत की ओर से ऑस्ट्रेलियाई मैदान पर किसी भी बल्लेबाज़ का एक सीरीज़ में यह सबसे बड़ा स्कोर है। एडिलेड में सीरीज़ के पहले टेस्ट में विराट कोहली को टीम इंडिया की ओर से कप्तानी का मौका मिला और उन्होंने दोनों पारियों में जोरदार शतक जड़कर इतिहास बना दिया। कोहली की शतकीय पारी की बदौलत टीम इंडिया एडिलेड में ऐतिहासिक जीत के करीब पहुंच गई थी, हालांकि कोहली टीम को जीत नहीं दिला पाए, लेकिन उन्होंने अपने आलोचकों का भी दिल जीत लिया। एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी माइकल क्लार्क कर रहे थे। अपने दोस्त फिलिफ ह्यूज़ की मौत के सदमे और पीठ की तकलीफ के बावजूद उन्होंने गजब की हिम्मत दिखाते हुए एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में शानदार शतक बनाया। ब्रिसबेन और मेलबर्न में टीम इंडिया के कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी के जिम्मे थी। ब्रिसबेन टेस्ट में कप्तान धोनी बल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को जब जीत के लिए महज 128 रन बनाने थे, तो उन्होंने अपने गेंदबाज़ों का बखूबी इस्तेमाल किया। ऑस्ट्रेलिया के छह विकेट गिर गए, जिसमें तीन के कैच धोनी ने ही लपके थे। लेकिन दूसरी ओर महज 25 साल में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान बने स्टीव स्मिथ ने लगातार दूसरे टेस्ट में शतक बना दिया। एडिलेड के पहले टेस्ट में उन्होंने नॉट आउट 162 रन और नॉटआउट 52 रन बनाए थे। ब्रिसबेन की पहली पारी में कप्तान के तौर पर स्टीवन स्मिथ ने 133 रन बनाए, जबकि दूसरी पारी में उन्होंने 28 रनों का योगदान दिया। मेलबर्न टेस्ट में स्टीवन स्मिथ ने लगातार तीसरे टेस्ट में तीसरा शतक ठोक दिया। उन्होंने पहली पारी में 192 रन की जोरदार पारी खेली। स्मिथ अगर दोहरा शतक पूरा कर लेते तो सबसे कम उम्र में दोहरा शतक बनाने वाले कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम होता। डॉन ब्रैडमैन ने 1937 में 28 साल और 131 दिन की उम्र में ये रिकॉर्ड बनाया था। स्टीवन स्मिथ इस टेस्ट की दूसरी पारी में महज 14 रन बना पाए। इस टेस्ट में भारत के कप्तान थे, महेंद्र सिंह धोनी, जिन्होंने नाज़ुक मौके पर दूसरी पारी में विकेट पर टिक कर भारत के लिए मैच बचाया। 24 रन की अहम पारी के दौरान ही वह भारत की ओर से टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कप्तान बन गए। टेस्ट में बतौर कप्तान धोनी के नाम भारत की ओर से सबसे ज्यादा 3454 रन हैं। इतना ही नहीं उन्होंने विकेट के पीछे पहली पारी में पांच और दूसरी पारी में चार शिकार बनाए। इसी दौरान विकेट के पीछे सबसे ज्यादा स्टंपिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उन्होंने अपने नाम कर लिया। इसी टेस्ट के दौरान एमएस धोनी ने टेस्ट से संन्यास लेकर क्रिकेट की दुनिया को चौंका दिया। 90 टेस्ट मैचों में 60 टेस्ट मैच में धोनी ने कप्तानी की, भारत की ओर से सबसे ज्यादा और सबसे ज्यादा टेस्ट जीत का भारतीय रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा। सीरीज़ के आखिरी टेस्ट सिडनी में स्टीवन स्मिथ ने पहली पारी में 117 रन और दूसरी पारी में 71 रन ठोक दिए। वहीं भारत की ओर से विराट कोहली ने कप्तान के तौर पर लगातार तीसरी पारी में शतक बनाकर इतिहास बना दिया। वह इस मुकाम तक पहुंचने वाले इकलौते क्रिकेटर हैं। पहली पारी में कोहली ने 147 रन और दूसरी पारी में 46 रन बनाए। स्टीवन स्मिथ को जोरदार बल्लेबाज़ी के लिए मैन ऑफ द सीरीज़ भले चुना गया हो लेकिन विराट कोहली का दावा किसी लिहाज से स्मिथ से कमतर नहीं था। जाहिर है कि यह सीरीज़ बतौर कप्तान विराट कोहली की पहली सीरीज़ थी, लेकिन जिस तरह से उन्होंने आक्रामक और जिम्मेदारी भरे क्रिकेट का परिचय दिया है, उससे जाहिर है कि वह महेंद्र सिंह धोनी की जगह लेने के लिए तैयार कर चुके हैं। टेस्ट मैचों में धोनी के बाद विराट कोहली का नया दौर शुरू हो चुका है। जबकि दूसरी ओर माइकल क्लार्क के दावेदार की भूमिका में स्टीवन स्मिथ पूरी तरह फिट नजर आ रहे हैं। हालांकि दोनों के पास अनुभव की कमी जरूर है, लेकिन आने वाले समय में यह दोनों विश्व क्रिकेट के सबसे जोरदार कप्तान के तौर पर उभरने के लिए तैयार हैं।
2
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: रेड्डी के रिश्तेदार के बैंक लॉकरों से नकदी, आभूषण जब्त
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: खनन कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी के ओबुलापुरम खनन कम्पनी के प्रबंध निदेशक बी. श्रीनिवास रेड्डी के कई बैंक लाकरों से शनिवार को नकदी, स्वर्ण आभूषण और दस्तावेज जब्त किए। इसके अलावा पुलिस ने जनार्दन रेड्डी के वाहन चालक के आवास से चार लाख रुपये जब्त किए। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने एक्सिस बैंक की एक शाखा के लाकरों से करीब 10 लाख रुपये, स्वर्ण आभूषण और भूमि दस्तावेज जब्त किए। भूमि दस्तावेजों के मुताबिक रेड्डी ने कर्नाटक और पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भूमि ख्ररीदी है। ज्ञात हो कि बैंक लाकरों को खोलने में मदद के लिए जनार्दन रेड्डी के साले श्रीनिवास रेड्डी को शनिवार तड़के हैदराबाद से रेड्डी बंधुओं के राजनीतिक गढ़ बेल्लारी लाया गया। सूत्रों ने बताया कि बैंक के दो लाकरों को तोड़ना पड़ा क्योंकि श्रीनिवास रेड्डी और बैंक दोनों ने कहा कि लाकरों की चाबी गुम हो गई है। आंध्र प्रदेश पुलिस ने जनार्दन रेड्डी के वाहन चालक के आवास से चार लाख रुपये जब्त किए। पुलिस ने अवैध खनन मामले में एक पूर्व सरकारी अधिकारी के रिश्तेदारों के आवासों की भी तलाशी ली। पुलिस ने अनंतपुर शहर में कर्नाटक के पूर्व मंत्री के वाहन चालक बाशा के घर की तलाशी ली और वहां से चार लाख रुपये, दो किलोग्राम चांदी की सामग्री और कुछ दस्तावेज जब्त किए। सूत्रों ने बताया कि पुलिस चालक से पूछताछ कर रही है। इसके अलावा पुलिस ने खनन विभाग के पूर्व निदेशक वी.डी. राजगोपाल के आवासों की तलाशी ली और वहां से कुछ दस्तावेज जब्त किए। ज्ञात हो कि तलाशी अभियान ऐसे समय में चलाया गया जब अनंतपुर जिला स्थित एक न्यायालय ने शनिवार को ट्रक चालक वेंकटरामी रेड्डी और उसके सहायक ईश्वर रेड्डी को पुलिस हिरासत में भेजा है। इनके ट्रक से तीन बैगों में 4.9 करोड़ रुपये बरामद हुए। पुलिस ने इन दोनों को अनंतपुर जिले के गुंतकाल में गुरुवार को गिरफ्तार किया। दोनों कर्नाटक के बेल्लारी जिले से नकदी आंध्र प्रदेश पहुंचाने जा रहे थे। उन्होंने पूछताछ में कथित रूप से बताया कि यह नकदी ओबुलापुरम खनन कम्पनी (ओएमसी) के प्रबंध निदेशक बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी की है जो जनार्दन रेड्डी के साथ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं।
13
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: दिल्ली चुनाव : किसके खाते में जाएंगे मुस्लिम वोट?
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दिल्ली में चुनाव को ज्यादा वक्त नहीं बचा है। 7 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं, लेकिन जानकार मानते हैं कि दिल्ली में मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही है। सबकी नजर इस बात पर है कि मुस्लिम मतदाता किस पार्टी को वोट देता है। दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब 11 फीसदी है, जो दिल्ली की 70 में से आठ सीटों के नतीजों को सीधे तौर पर प्रभावित करने की ताकत रखती है। सेंट्रल दिल्ली की तीन और ईस्ट दिल्ली की पांच सीटों पर 35 से 40 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। पिछली बार कांग्रेस के आठ विधायकों में से चार विधायक इन्हीं सीटों से जीते थे, लेकिन इस बार कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि बीजेपी से सीधे टक्कर में न होने की वजह से कहीं उनका यह वोट बैंक आम आदमी के झोली में न चला जाए। जहां इस बार कांग्रेस ने 70 में से छह सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है, वहीं आम आदमी पार्टी की टिकट पर पांच मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि बीजेपी ने सिर्फ एक मुसलमान उम्मीदवार को मटिया महल से टिकट दिया है। दिल्ली में मुकाबला कांटे का है, ऐसे में एक-एक वोट सभी पार्टियों के लिए अहमियत रखता है।
9
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: गवाहों के पेश नहीं होने पर मुंबई हमलों की सुनवाई फिर टली
लेख: मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्त रहने के आरोप का सामना कर रहे सात संदिग्ध लोगों के खिलाफ मामले की सुनवाई आज तीन हफ्ते के लिए मुल्तवी कर दी गई क्योंकि अभियोजन पक्ष के तीन गवाह जिरह के लिए पेश नहीं हो सके। अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों ने पीटीआई को बताया कि रावलपिंडी में अदियाला जेल के अंदर इस मामले की सुनवाई कर रहे आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश चौधरी हबीब उर रहमान ने इस मामले की सुनवाई नौ फरवरी तक के लिए मुल्तवी कर दी। सूत्रों ने बताया कि अभियोजन पक्ष के गवाह सुनवाई के लिए पेश नहीं हो सके क्योंकि उड़ानों के रद्द हो जाने के चलते वे कराची से रावलपिंडी नहीं पहुंच सकते थे। सूत्रों ने बताया कि एक नेता की हत्या हो जाने के बाद कराची में हिंसा होने के चलते उड़ानों को रद्द कर दिया गया। पिछले करीब चार हफ्तों से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध पर इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी थी।टिप्पणियां अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों ने पीटीआई को बताया कि रावलपिंडी में अदियाला जेल के अंदर इस मामले की सुनवाई कर रहे आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश चौधरी हबीब उर रहमान ने इस मामले की सुनवाई नौ फरवरी तक के लिए मुल्तवी कर दी। सूत्रों ने बताया कि अभियोजन पक्ष के गवाह सुनवाई के लिए पेश नहीं हो सके क्योंकि उड़ानों के रद्द हो जाने के चलते वे कराची से रावलपिंडी नहीं पहुंच सकते थे। सूत्रों ने बताया कि एक नेता की हत्या हो जाने के बाद कराची में हिंसा होने के चलते उड़ानों को रद्द कर दिया गया। पिछले करीब चार हफ्तों से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध पर इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी थी।टिप्पणियां अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि अभियोजन पक्ष के गवाह सुनवाई के लिए पेश नहीं हो सके क्योंकि उड़ानों के रद्द हो जाने के चलते वे कराची से रावलपिंडी नहीं पहुंच सकते थे। सूत्रों ने बताया कि एक नेता की हत्या हो जाने के बाद कराची में हिंसा होने के चलते उड़ानों को रद्द कर दिया गया। पिछले करीब चार हफ्तों से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध पर इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी थी।टिप्पणियां अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि एक नेता की हत्या हो जाने के बाद कराची में हिंसा होने के चलते उड़ानों को रद्द कर दिया गया। पिछले करीब चार हफ्तों से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध पर इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी थी।टिप्पणियां अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले करीब चार हफ्तों से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध पर इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी थी।टिप्पणियां अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। अदालत में आज की सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों के तीन अधिकारियों से जिरह होनी थी। मुंबई हमलों को लेकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण मिलने के बारे में उनसे जिरह होनी है। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले के इन सात संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, धन मुहैया कराने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी।
8
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: शेयर बाजार में गिरावट जारी, सेंसेक्स 37 अंक टूटा
यह लेख है: कमजोर वैश्विक रुख के बीच बाद बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 157 अंक नीचे जाने के बाद अंतत: 37 अंक नीचे बंद हुआ। वाहन कंपनियों की बिक्री के कमजोर आंकड़ों व निवेशकों द्वारा बिजली व मशीनरी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली किए जाने से पिछले दो सत्रों में 289 अंक टूट चुका सेंसेक्स शुक्रवार को और 37 अंक गिरकर 20,851.33 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 10 अंक नीचे 6,211.15 अंक पर आ टिका। वहीं, एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज का एसएक्स-40 सूचकांक 50.62 अंक नीचे 12,384.67 अंक पर बंद हुआ। ब्रोकरों ने कहा कि दिसंबर में वाहनों की बिक्री में गिरावट ने निवेशकों की उम्मीद पर पानी फेर दिया। वाहन कंपनियों के शेयरों में बिकवाली से टाटा मोटर्स 2.49 प्रतिशत, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा 3.85 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ। उन्होंने कहा कि दिसंबर में चीन के विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट से भी घरेलू बाजार की धारणा प्रभावित हुई। हालांकि, आईटी शेयरों में लिवाली समर्थन ने बाजार को और गिरने से बचा दिया। इनफोसिस 2.61 प्रतिशत, जबकि टीसीएस 2.76 प्रतिशत बढ़त के साथ बंद हुआ।
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पिछले आठ साल में मैं बूढ़ा हुआ हूं, लेकिन मिशेल की उम्र नहीं बढ़ी : बराक ओबामा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति पद के आठ साल के कार्यकाल के दौरान उनकी उम्र तो बढ़ी है, लेकिन प्रथम महिला के तौर पर देश को लगातार 'प्रेरित' करती रहने वाली उनकी 'प्रतिभावान पत्नी' मिशेल ओबामा की उम्र नहीं बढ़ी है। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए 54-वर्षीय बराक ओबामा ने अपनी पार्टी के हजारों डेलीगेटों, नेताओं और समर्थकों से कहा, ''आज से 12 साल पहले आज की रात मैंने पहली बार इस कन्वेंशन को संबोधित किया था...'' वह वर्ष 2004 में बोस्टन में हुए डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की बात कर रहे थे। बराक ओबामा ने कहा, ''तब आप मेरी दो छोटी बच्चियों - मालिया और साशा से मिले थे, जो आज दो बेहतरीन युवतियां बन गई हैं, जो मुझे गर्व से भर देती हैं... आपने मेरी होनहार पत्नी और साथी मिशेल को पसंद किया था, जिन्होंने मुझे बेहतर पिता और बेहतर पुरुष बनाया... उन्होंने प्रथम महिला के तौर पर हमारे देश को प्रेरित किया... वह ऐसी महिला हैं, जिनकी उम्र एक दिन भी नहीं बढ़ी है...''टिप्पणियां ओबामा ने कहा, ''मैं जानता हूं कि मेरे लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता... मेरी बच्चियां मुझे हर समय इस बात की याद दिलाती हैं, और कहती हैं... वाह, डैडी... आप बहुत बदल गए हैं... और यह सच है...'' ओबामा की इस बात पर श्रोता ठहाके लगाने लगे। उन्होंने आगे कहा, ''बोस्टन में पहली बार (संबोधन के दौरान) मैं बहुत युवा था... मुझे इतनी बड़ी भीड़ को संबोधित करने में शायद थोड़ी घबराहट भी हो रही थी...'' ओबामा ने कहा, ''लेकिन मैं विश्वास से भरपूर था... अमेरिका में विश्वास... एक उदार, बड़े दिल वाला देश, जिसने मेरी कहानी को, हम सबकी कहानियों को संभव बनाया...'' अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए 54-वर्षीय बराक ओबामा ने अपनी पार्टी के हजारों डेलीगेटों, नेताओं और समर्थकों से कहा, ''आज से 12 साल पहले आज की रात मैंने पहली बार इस कन्वेंशन को संबोधित किया था...'' वह वर्ष 2004 में बोस्टन में हुए डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की बात कर रहे थे। बराक ओबामा ने कहा, ''तब आप मेरी दो छोटी बच्चियों - मालिया और साशा से मिले थे, जो आज दो बेहतरीन युवतियां बन गई हैं, जो मुझे गर्व से भर देती हैं... आपने मेरी होनहार पत्नी और साथी मिशेल को पसंद किया था, जिन्होंने मुझे बेहतर पिता और बेहतर पुरुष बनाया... उन्होंने प्रथम महिला के तौर पर हमारे देश को प्रेरित किया... वह ऐसी महिला हैं, जिनकी उम्र एक दिन भी नहीं बढ़ी है...''टिप्पणियां ओबामा ने कहा, ''मैं जानता हूं कि मेरे लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता... मेरी बच्चियां मुझे हर समय इस बात की याद दिलाती हैं, और कहती हैं... वाह, डैडी... आप बहुत बदल गए हैं... और यह सच है...'' ओबामा की इस बात पर श्रोता ठहाके लगाने लगे। उन्होंने आगे कहा, ''बोस्टन में पहली बार (संबोधन के दौरान) मैं बहुत युवा था... मुझे इतनी बड़ी भीड़ को संबोधित करने में शायद थोड़ी घबराहट भी हो रही थी...'' ओबामा ने कहा, ''लेकिन मैं विश्वास से भरपूर था... अमेरिका में विश्वास... एक उदार, बड़े दिल वाला देश, जिसने मेरी कहानी को, हम सबकी कहानियों को संभव बनाया...'' बराक ओबामा ने कहा, ''तब आप मेरी दो छोटी बच्चियों - मालिया और साशा से मिले थे, जो आज दो बेहतरीन युवतियां बन गई हैं, जो मुझे गर्व से भर देती हैं... आपने मेरी होनहार पत्नी और साथी मिशेल को पसंद किया था, जिन्होंने मुझे बेहतर पिता और बेहतर पुरुष बनाया... उन्होंने प्रथम महिला के तौर पर हमारे देश को प्रेरित किया... वह ऐसी महिला हैं, जिनकी उम्र एक दिन भी नहीं बढ़ी है...''टिप्पणियां ओबामा ने कहा, ''मैं जानता हूं कि मेरे लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता... मेरी बच्चियां मुझे हर समय इस बात की याद दिलाती हैं, और कहती हैं... वाह, डैडी... आप बहुत बदल गए हैं... और यह सच है...'' ओबामा की इस बात पर श्रोता ठहाके लगाने लगे। उन्होंने आगे कहा, ''बोस्टन में पहली बार (संबोधन के दौरान) मैं बहुत युवा था... मुझे इतनी बड़ी भीड़ को संबोधित करने में शायद थोड़ी घबराहट भी हो रही थी...'' ओबामा ने कहा, ''लेकिन मैं विश्वास से भरपूर था... अमेरिका में विश्वास... एक उदार, बड़े दिल वाला देश, जिसने मेरी कहानी को, हम सबकी कहानियों को संभव बनाया...'' ओबामा ने कहा, ''मैं जानता हूं कि मेरे लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता... मेरी बच्चियां मुझे हर समय इस बात की याद दिलाती हैं, और कहती हैं... वाह, डैडी... आप बहुत बदल गए हैं... और यह सच है...'' ओबामा की इस बात पर श्रोता ठहाके लगाने लगे। उन्होंने आगे कहा, ''बोस्टन में पहली बार (संबोधन के दौरान) मैं बहुत युवा था... मुझे इतनी बड़ी भीड़ को संबोधित करने में शायद थोड़ी घबराहट भी हो रही थी...'' ओबामा ने कहा, ''लेकिन मैं विश्वास से भरपूर था... अमेरिका में विश्वास... एक उदार, बड़े दिल वाला देश, जिसने मेरी कहानी को, हम सबकी कहानियों को संभव बनाया...'' उन्होंने आगे कहा, ''बोस्टन में पहली बार (संबोधन के दौरान) मैं बहुत युवा था... मुझे इतनी बड़ी भीड़ को संबोधित करने में शायद थोड़ी घबराहट भी हो रही थी...'' ओबामा ने कहा, ''लेकिन मैं विश्वास से भरपूर था... अमेरिका में विश्वास... एक उदार, बड़े दिल वाला देश, जिसने मेरी कहानी को, हम सबकी कहानियों को संभव बनाया...''
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: 'पीके' : आमिर खान और हिरानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
यह लेख है: बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान, निर्माणाधीन फिल्म ‘पीके’ के निर्देशक और अन्य अभिनेताओं के खिलाफ गुरुवार को चांदनी चौक इलाके में शूटिंग के दौरान धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई। प्राथमिकी तब दर्ज की गई जब स्थानीय लोगों ने एक दृश्य पर आपत्ति जताई, जिसमें भगवान शिव की वेशभूषा धारण किए एक व्यक्ति को रिक्शा खींचते दिखाया गया, जिसमें बुर्का पहने दो महिलाएं बैठी थीं। शुरुआत में लोगों ने सोचा कि अभिनेता रामलीला पार्टी के सदस्य हैं, लेकिन कैमरे को देखने पर उन्होंने मुद्दे के बारे में जांच-पड़ताल की। भगवान शिव की तरह वेशभूषा धारण किए व्यक्ति को लोगों ने पकड़ लिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गश्त ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने मामले के बारे में पूछताछ की और तीनों अभिनेताओं को कोतवाली थाने ले गया। तीनों अभिनेताओं ने पुलिस से कहा कि यह फिल्म का स्वप्न दृश्य था और उनके पास शूटिंग के लिए अनुमति और सभी कानूनी दस्तावेज हैं, लेकिन उग्र भीड़ थाने पहुंच गई थी और उसने यह आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी कि वे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, हमने अभिनेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए :किसी वर्ग की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने की मंशा से पूजा स्थल को अपवित्र करने और 153 ए :विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को प्रोत्साहन देने: को लेकर प्राथमिकी दर्ज की। एक पुलिस सूत्र ने बताया कि आमिर खान और फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी को प्राथमिकी में नामजद किया गया है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: पीएम मोदी मिले शिंजो आबे से, वाराणसी और क्योटो के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर करार
यह एक लेख है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे पर आज दोनो देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके मुताबिक क्योटो शहर के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 'स्मार्ट सिटी' के रूप में विकसित किया जाएगा। साझीदार शहर संबंधी सहमति पत्र पर भारतीय राजदूत दीपा वाधवा और क्योटो शहर के मेयर दाईसाका कोदोकावा ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबे मौजूद थे। मोदी के पांच दिवसीय जापान दौरे पर पहुंचने के तत्काल बाद दोनों देशों ने इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि इस समझौते के तहत धरोहर के संरक्षण में सहयोग, शहर के आधुनिकीरण तथा कला, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग की बातें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच स्मार्ट प्राचीन शहर कार्यक्रम के लिए एक रूपरेखा का काम करेगा। क्योटो जापान में बौद्ध संस्कृति से जुड़ा एक प्राचीन शहर है जो प्रधानमंत्री के इस दौरे का विशेष प्रतीक है, क्योंकि मोदी भारत के शहरों का कायाकल्प करने का इरादा रखते हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है और इस यात्रा से भारत को काफी उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान परमाणु करार और बुलेट ट्रेन पर अहम समझौतों को अंजाम दे सकते हैं। साथ ही 85 अरब डॉलर के व्यापारिक समझौतों की भी उम्मीद जताई जा रही है। अपनी इस यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए 'उत्साहित' मोदी ने जापान यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा कि भारत के विकास और तरक्की के उनके दृष्टिकोण में जापान बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत में 100 स्मार्ट सिटी के निर्माण की अपनी परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए जापान के अनुभवों को देखने के लिए प्रधानमंत्री अपनी जापान यात्रा के पहले चरण में जापान की स्मार्ट सिटी क्योटो की यात्रा करेंगे। दोनों नेताओं के बीच 1 सितंबर को टोक्यो में महत्वपूर्ण शिखर बैठक होगी। इस दौरान दोनों पक्ष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर गौर करेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को लेकर कहा है कि भारत को इस यात्रा से 'बड़ी उम्मीदें' हैं। दोनों पक्षों के बीच शीर्ष स्तर की वार्ता के दौरान रक्षा, असैन्य परमाणु, ढांचागत विकास और पृथ्वी की दुर्लभ खनिज संपदा के क्षेत्र में सहयोग जैसे मुद्दे विचार-विमर्श के लिए एजेंडे पर शीर्ष पर रहने की संभावना है। इस दौरान रक्षा और असैन्य परमाणु क्षेत्रों सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की भी उम्मीद है। इनमें से एक समझौता दुर्लभ खनिज संपदा के संयुक्त उत्पादन से संबंधित है। मोदी ने जापान यात्रा पर रवाना होने से पूर्व अपने बयान में कहा, अपने अच्छे मित्र प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निमंत्रण पर मैं भारत और जापान के बीच वार्षिक शिखर बैठक के लिए उत्सुकता से अपनी जापान यात्रा का इंतजार कर रहा हूं।
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: शेयर बाजारों में गिरावट, सेंसेक्स 163 अंक नीचे
लेख: देश के शेयर बाजारों में शुक्रवार को गिरावट का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 162.58 अंकों की गिरावट के साथ 18,683.68 पर और निफ्टी 52.50 अंकों की गिरावट के साथ 5,686.25 पर बंद हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 13.51 अंकों की गिरावट के साथ 18,832.75 पर खुला और 162.58 अंकों यानी 0.86 फीसदी की गिरावट के साथ 18,683.68 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,894.42 के ऊपरी और 18,656.41 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से 26 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। एसबीआई (3.89 फीसदी), टाटा स्टील (3.25 फीसदी), ओएनजीसी (3.05 फीसदी), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (2.38 फीसदी) और भेल (2.13 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। सेंसेक्स की तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे बजाज ऑटो (0.36 फीसदी), मारुति सुजुकी (0.32 फीसदी), सिप्ला (0.14 फीसदी) और एचएफडीसी (0.09 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 7.65 अंकों की गिरावट के साथ 5,731.10 पर खुला और 52.50 अंकों यानी 0.91 फीसदी की गिरावट के साथ 5,686.25 पर बंद हुआ।टिप्पणियां मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप 66.27 अंकों की गिरावट के साथ 6660.68 पर और स्मॉलकैप 49.37 अंकों की गिरावट के साथ 7,069.65 पर बंद हुआ। बीएसई के सभी सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। सार्वजनिक कम्पनियां (1.70 फीसदी), रियल्टी (1.64 फीसदी), धातु (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.33) और बैंकिंग (1.20 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई के कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1122 शेयरों में तेजी और 1733 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 123 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 13.51 अंकों की गिरावट के साथ 18,832.75 पर खुला और 162.58 अंकों यानी 0.86 फीसदी की गिरावट के साथ 18,683.68 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,894.42 के ऊपरी और 18,656.41 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से 26 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। एसबीआई (3.89 फीसदी), टाटा स्टील (3.25 फीसदी), ओएनजीसी (3.05 फीसदी), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (2.38 फीसदी) और भेल (2.13 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। सेंसेक्स की तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे बजाज ऑटो (0.36 फीसदी), मारुति सुजुकी (0.32 फीसदी), सिप्ला (0.14 फीसदी) और एचएफडीसी (0.09 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 7.65 अंकों की गिरावट के साथ 5,731.10 पर खुला और 52.50 अंकों यानी 0.91 फीसदी की गिरावट के साथ 5,686.25 पर बंद हुआ।टिप्पणियां मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप 66.27 अंकों की गिरावट के साथ 6660.68 पर और स्मॉलकैप 49.37 अंकों की गिरावट के साथ 7,069.65 पर बंद हुआ। बीएसई के सभी सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। सार्वजनिक कम्पनियां (1.70 फीसदी), रियल्टी (1.64 फीसदी), धातु (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.33) और बैंकिंग (1.20 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई के कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1122 शेयरों में तेजी और 1733 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 123 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। एसबीआई (3.89 फीसदी), टाटा स्टील (3.25 फीसदी), ओएनजीसी (3.05 फीसदी), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (2.38 फीसदी) और भेल (2.13 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। सेंसेक्स की तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे बजाज ऑटो (0.36 फीसदी), मारुति सुजुकी (0.32 फीसदी), सिप्ला (0.14 फीसदी) और एचएफडीसी (0.09 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 7.65 अंकों की गिरावट के साथ 5,731.10 पर खुला और 52.50 अंकों यानी 0.91 फीसदी की गिरावट के साथ 5,686.25 पर बंद हुआ।टिप्पणियां मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप 66.27 अंकों की गिरावट के साथ 6660.68 पर और स्मॉलकैप 49.37 अंकों की गिरावट के साथ 7,069.65 पर बंद हुआ। बीएसई के सभी सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। सार्वजनिक कम्पनियां (1.70 फीसदी), रियल्टी (1.64 फीसदी), धातु (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.33) और बैंकिंग (1.20 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई के कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1122 शेयरों में तेजी और 1733 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 123 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप 66.27 अंकों की गिरावट के साथ 6660.68 पर और स्मॉलकैप 49.37 अंकों की गिरावट के साथ 7,069.65 पर बंद हुआ। बीएसई के सभी सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। सार्वजनिक कम्पनियां (1.70 फीसदी), रियल्टी (1.64 फीसदी), धातु (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.33) और बैंकिंग (1.20 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई के कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1122 शेयरों में तेजी और 1733 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 123 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सार्वजनिक कम्पनियां (1.70 फीसदी), रियल्टी (1.64 फीसदी), धातु (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.33) और बैंकिंग (1.20 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई के कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1122 शेयरों में तेजी और 1733 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 123 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात से वहां के छात्र परेशान, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
जम्मू-कश्मीर के हालात से 2400 छात्र परेशानी में फंस गए हैं. प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृति योजना के तहत देश के अन्य कॉलेजों में वे दाखिला नहीं ले पा रहे हैं. छात्रों के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. कोर्ट से इंजीनियरिंग में दाखिले की समय सीमा बढ़ाने की मांग जम्मू-कश्मीर के हालात को देखते हुए समय सीमा एक माह बढ़ाने के लिए याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. मंगलवार को इस पर सुनवाई की जाएगी. जम्मू-कश्मीर के वकील शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमना को बताया कि राज्य में इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए काउंसलिंग पूरी हो चुकी है और 15 अगस्त तक छात्रों को देश के कॉलेजों में दाखिला लेना है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लगी होने और हालत को देखते हुए यह संभव नहीं है. छात्र जम्मू-कश्मीर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इन हालात में सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर के छात्रों के भविष्य को देखते हुए यह समय 15 सितंबर तक बढ़ा दे. कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. 13 अगस्त को याचिका पर सुनवाई तय की गई है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव मंगलवार से गोवा में
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: 43वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मंगलवार से गोवा में शुरू हो रहा है, जो 20 से 30 नवंबर तक चलेगा। उद्घाटन समारोह के लिए सिने सितारे अक्षय कुमार मुख्य अतिथि होंगे। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी भी उपस्थित होंगे, और उनके साथ पोलैंड के संस्कृति मंत्री और गोवा के मुख्य मंत्री मनोहर पर्रिकर भी मौजूद रहेंगे। इस 10-दिवसीय महोत्सव में दर्शकों के लिए उत्कृष्ट सिनेमा का प्रदर्शन किया जाएगा। भारतीय परिदृश्य जैसे वर्गों के तहत फीचर और गैर फीचर सिनेमा को शामिल किया गया है। इसके अलावा भारतीय सिंहावलोकन, श्रद्धांजलि, उत्कृष्ट तथा विद्यार्थी फिल्मों और काफी कुछ शामिल किया गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्क्रीनिंग वर्ग के तहत महोत्सव के विभिन्न पक्ष, विश्व सिनेमा, विदेशी सिंहावलोकन, श्रद्धांजलि, प्रमुख देश, पर्दे पर रेखाचित्र (एनिमेशन और 3-डी सिनेमा), वृतचित्र  जैसे विशेष पहलू दर्शाए जाएंगे। टिप्पणियां इस अवधि में 200 से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी, जिनमें ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त आंग ली की 'लाइफ ऑफ पाई' का भी प्रदर्शन किया जाएगा और साथ ही महोत्सव में अंतिम फिल्म के तौर पर मीरा नायर की 'द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' दिखाई जाएगी। भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष के समारोह के तहत महोत्सव में 'शताब्दी समारोह' के लिए एक विशेष अंश शामिल किया गया है, जिसमें भारतीय सिनेमा के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास की चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा शताब्दी वर्ष के मद्देनजर 'शताब्दी फिल्म पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेष ज्यूरी पैनल द्वारा किया जाएगा। इस 10-दिवसीय महोत्सव में दर्शकों के लिए उत्कृष्ट सिनेमा का प्रदर्शन किया जाएगा। भारतीय परिदृश्य जैसे वर्गों के तहत फीचर और गैर फीचर सिनेमा को शामिल किया गया है। इसके अलावा भारतीय सिंहावलोकन, श्रद्धांजलि, उत्कृष्ट तथा विद्यार्थी फिल्मों और काफी कुछ शामिल किया गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्क्रीनिंग वर्ग के तहत महोत्सव के विभिन्न पक्ष, विश्व सिनेमा, विदेशी सिंहावलोकन, श्रद्धांजलि, प्रमुख देश, पर्दे पर रेखाचित्र (एनिमेशन और 3-डी सिनेमा), वृतचित्र  जैसे विशेष पहलू दर्शाए जाएंगे। टिप्पणियां इस अवधि में 200 से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी, जिनमें ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त आंग ली की 'लाइफ ऑफ पाई' का भी प्रदर्शन किया जाएगा और साथ ही महोत्सव में अंतिम फिल्म के तौर पर मीरा नायर की 'द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' दिखाई जाएगी। भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष के समारोह के तहत महोत्सव में 'शताब्दी समारोह' के लिए एक विशेष अंश शामिल किया गया है, जिसमें भारतीय सिनेमा के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास की चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा शताब्दी वर्ष के मद्देनजर 'शताब्दी फिल्म पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेष ज्यूरी पैनल द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्क्रीनिंग वर्ग के तहत महोत्सव के विभिन्न पक्ष, विश्व सिनेमा, विदेशी सिंहावलोकन, श्रद्धांजलि, प्रमुख देश, पर्दे पर रेखाचित्र (एनिमेशन और 3-डी सिनेमा), वृतचित्र  जैसे विशेष पहलू दर्शाए जाएंगे। टिप्पणियां इस अवधि में 200 से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी, जिनमें ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त आंग ली की 'लाइफ ऑफ पाई' का भी प्रदर्शन किया जाएगा और साथ ही महोत्सव में अंतिम फिल्म के तौर पर मीरा नायर की 'द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' दिखाई जाएगी। भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष के समारोह के तहत महोत्सव में 'शताब्दी समारोह' के लिए एक विशेष अंश शामिल किया गया है, जिसमें भारतीय सिनेमा के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास की चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा शताब्दी वर्ष के मद्देनजर 'शताब्दी फिल्म पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेष ज्यूरी पैनल द्वारा किया जाएगा। इस अवधि में 200 से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी, जिनमें ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त आंग ली की 'लाइफ ऑफ पाई' का भी प्रदर्शन किया जाएगा और साथ ही महोत्सव में अंतिम फिल्म के तौर पर मीरा नायर की 'द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' दिखाई जाएगी। भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष के समारोह के तहत महोत्सव में 'शताब्दी समारोह' के लिए एक विशेष अंश शामिल किया गया है, जिसमें भारतीय सिनेमा के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास की चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा शताब्दी वर्ष के मद्देनजर 'शताब्दी फिल्म पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेष ज्यूरी पैनल द्वारा किया जाएगा। भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष के समारोह के तहत महोत्सव में 'शताब्दी समारोह' के लिए एक विशेष अंश शामिल किया गया है, जिसमें भारतीय सिनेमा के गौरवशाली 100 वर्ष के इतिहास की चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा शताब्दी वर्ष के मद्देनजर 'शताब्दी फिल्म पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेष ज्यूरी पैनल द्वारा किया जाएगा।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: 'जब जब लोकपाल संसद में आया तब तब लोकसभा भंग हुई'
लोकपाल विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच चल रही रस्साकशी के बीच भाजपा के एक सांसद ने एक ऐसा रहस्योद्घाटन किया जो सरकार के लिए चिंता की बात है। राज्यसभा के सांसद एसएस अहलुवालिया के मुताबिक एक विचित्र संयोग है कि संसद में जब जब लोकपाल विधेयक चर्चा के लिए आया तब तब लोकसभा भंग हो गई। उन्होंने कहा कि ऐसा 1968 से हो रहा है। उस वर्ष नौ मई को लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक पेश किया गया था। इसे संसद की चयन समिति के पास भेजा गया था। लोकसभा में यह लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक, 1969 के रूप में 20 अगस्त 1969 को पारित हुआ। बहरहाल इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने से पहले चौथी लोकसभा भंग हो गई और विधेयक भी निरस्त हो गया। इसके बाद 11 अगस्त 1971 को दूसरा लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक पेश किया गया। इसे न तो किसी समिति को भेजा गया और न ही यह सदन में पारित हुआ। पांचवीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह विधेयक भी खत्म हो गया। इसके बाद 28 जुलाई 1977 को इस आशय का विधेयक लाया गया। इसे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया। संयुक्त प्रवर समिति की अनुशंसाओं से पहले ही छठी लोकसभा भंग हो गई और साथ ही विधेयक भी खत्म हो गया।
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: 8वीं मंजिल से बच्चा गिरा, बर्फ के कारण बची जान
लेख: युक्रेन के खारकोव शहर में तीन वर्षीय एक बच्चा 8वीं मंजिल से गिर गया, लेकिन नीचे बर्फ के विशाल ढेर के कारण वह सुरक्षित बच गया। आंतरिक मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।टिप्पणियां समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, बच्चा अपनी मां की अनुपस्थिति में कमरे की खिड़की खोलकर नीचे झांक रहा था, और इसी दौरान वह खिड़की से नीचे गिर गया। मंत्रालय ने कहा, बच्चा खिड़की के नीचे बर्फ के विशाल ढेर पर गिर पड़ा। वह जीवित था और उसे तुरंत आपातकालीन चिकित्सा अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने कहा कि बच्चे की हालत गंभीर है, लेकिन स्थिर है। समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, बच्चा अपनी मां की अनुपस्थिति में कमरे की खिड़की खोलकर नीचे झांक रहा था, और इसी दौरान वह खिड़की से नीचे गिर गया। मंत्रालय ने कहा, बच्चा खिड़की के नीचे बर्फ के विशाल ढेर पर गिर पड़ा। वह जीवित था और उसे तुरंत आपातकालीन चिकित्सा अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने कहा कि बच्चे की हालत गंभीर है, लेकिन स्थिर है। मंत्रालय ने कहा, बच्चा खिड़की के नीचे बर्फ के विशाल ढेर पर गिर पड़ा। वह जीवित था और उसे तुरंत आपातकालीन चिकित्सा अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने कहा कि बच्चे की हालत गंभीर है, लेकिन स्थिर है।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: War Box Office Collection Day 5: सलमान खान की फिल्म को पछाड़ कर आगे बढ़ी 'वॉर', किया चौंकाने वाला कलेक्शन
यह लेख है: War Box Office Collection Day 4: बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) और टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) की फिल्म 'वॉर' (War) ने रविवार को सिनेमाहॉल में धूम मचाकर रख दी है. बीते रविवार को 'वॉर' (War) के दमदार प्रदर्शन ने साल की बड़ी फिल्मों को बखूबी पछाड़ दिया है. बॉक्स ऑफिस इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) और टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) की 'वॉर' (War) ने बीते 6 अक्टूबर को 36 करोड़ रुपये की कमाई की है. इस लिहाज से फिल्म ने पांच दिनों में ही 158 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है. पहले वीकेंड पर ही 158 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाली 'वॉर' ने 'भारत' का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. क्योंकि सलमान खान की फिल्म 'भारत' ने पांच दिनों में केवल 140 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था. बॉक्स ऑफिस इंडिया की वेबसाइट के अनुसार फिल्म को दशहरा पर एक एडवांटेज मिल सकता है, जिससे फिल्म अपना यह कलेक्शन और भी बढ़ा सकती है. गांधी जयंति के मौके पर रिलीज हुई 'वॉर' (हिंदी) ने पहले दिन 51.60 करोड़, दूसरे दिन 23.10 करोड़, तीसरे दिन 21.30 और चौथे दिन 27.60 करोड़ रुपये कमाए हैं. फिल्म की इस रफ्तार को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह जल्द ही 200 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर लेगी. कमाई से इतर फिल्म को समीक्षकों और दर्शकों से भी काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. खासकर सोशल मीडिया पर 'वॉर' को लेकर काफी क्रेज देखने को मिला. बता दें कि फिल्म 'वॉर (War)' की कहानी 'कबीर' ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) और 'खालिद' टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) की है. फिल्म में हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि गुरु और शिष्य एक दूसरे से टकराने को मजबूर हो जाते हैं. बेकाबू गुरु पर नकेल कसने के लिए शिष्य खालिद का इस्तेमाल किया जाता है, और फिर शुरू होते हैं जबरदस्त एक्शन. बाइक, कार, हेलीकॉप्टर, बर्फ पहाड़ हर जगह एक्शन देखने को मिलता है. कहानी में कई जबरदस्त ट्विस्ट भी डाले गए हैं और फिल्म का अंत भी थोड़ा सरप्राइजिंग रखा गया है. इन सबसे इतर दर्शकों को वॉर (War) में भरपूर मात्रा में ऐक्शन और स्टंट्स देखने को मिलेगा.
9
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: छगन भुजबल की गिरफ्तारी बदले की भावना से नहीं : देवेंद्र फडणवीस
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल को प्रवर्तन निदेशालय ने किसी बदले की कार्रवाई के तहत गिरफ्तार नहीं किया है। विधानसभा में मंगलवार को बयान देते हुए फड़णवीस ने कहा कि भुजबल को प्रवर्तन निदेशालय की जांच में उनके खिलाफ मिले सबूतों के कारण गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "यह कोई बदले की भावना से की गई कार्रवाई नहीं है। हम घोटालेबाजों को बचाने में कोई मदद करेंगे और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि अगर राज्य में भ्रष्टाचार होता है तो प्रवर्तन निदेशालय को क्या चुप बैठना चाहिए। फडणवीस ने एजेंसी पर जांच के लिए दबाव डालने के अरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, "प्रवर्तन निदेशालय एक स्वतंत्र निकाय है। इसलिए दबाव बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं है।" प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल से सोमवार को 11 घंटे तक पूछताछ और उसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में हिरासत में ले लिया। इसके बाद महाराष्ट्र में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन और रास्ता जाम करने की घटनाएं शुरू हो गई। भुजबल के समर्थन में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, क्योंकि वह पिछड़े वर्ग के एक जानेमाने नेता हैं। टिप्पणियां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने मंगलवार को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और भुजबल की गिरफ्तारी की निंदा की। वहीं, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम का स्वागत किया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) मुख्यमंत्री ने कहा, "यह कोई बदले की भावना से की गई कार्रवाई नहीं है। हम घोटालेबाजों को बचाने में कोई मदद करेंगे और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि अगर राज्य में भ्रष्टाचार होता है तो प्रवर्तन निदेशालय को क्या चुप बैठना चाहिए। फडणवीस ने एजेंसी पर जांच के लिए दबाव डालने के अरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, "प्रवर्तन निदेशालय एक स्वतंत्र निकाय है। इसलिए दबाव बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं है।" प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल से सोमवार को 11 घंटे तक पूछताछ और उसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में हिरासत में ले लिया। इसके बाद महाराष्ट्र में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन और रास्ता जाम करने की घटनाएं शुरू हो गई। भुजबल के समर्थन में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, क्योंकि वह पिछड़े वर्ग के एक जानेमाने नेता हैं। टिप्पणियां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने मंगलवार को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और भुजबल की गिरफ्तारी की निंदा की। वहीं, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम का स्वागत किया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल से सोमवार को 11 घंटे तक पूछताछ और उसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में हिरासत में ले लिया। इसके बाद महाराष्ट्र में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन और रास्ता जाम करने की घटनाएं शुरू हो गई। भुजबल के समर्थन में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, क्योंकि वह पिछड़े वर्ग के एक जानेमाने नेता हैं। टिप्पणियां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने मंगलवार को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और भुजबल की गिरफ्तारी की निंदा की। वहीं, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम का स्वागत किया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने मंगलवार को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और भुजबल की गिरफ्तारी की निंदा की। वहीं, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम का स्वागत किया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: पानी में चूड़ियां पीसकर पी गई महिला, हालत गंभीर
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पति से लड़ाई होने पर एक महिला कथित रूप से चूड़ियां पीसकर पानी के साथ पी गई। उसकी हालत गंभीर बताई जाती है।टिप्पणियां वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय यादव ने बताया कि अनीता नाम की 35 वर्षीय महिला की अपने पति राजकुमार से लड़ाई हो गई थी। उन्होंने बताया कि आज जब महिला घर पर अकेली थी तो उसने चूड़ियों को पीसा और पानी के साथ पी गई। उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय यादव ने बताया कि अनीता नाम की 35 वर्षीय महिला की अपने पति राजकुमार से लड़ाई हो गई थी। उन्होंने बताया कि आज जब महिला घर पर अकेली थी तो उसने चूड़ियों को पीसा और पानी के साथ पी गई। उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि आज जब महिला घर पर अकेली थी तो उसने चूड़ियों को पीसा और पानी के साथ पी गई। उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: इटली की अदालत की अजीबोगरीब टिप्पणी, महिला चिल्लाई नहीं, इसका मतलब रेप नहीं हुआ
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: इटली के न्याय मंत्री ने अपने अधिकारियों से उस मामले की कथित रूप से जांच करने को कहा है जिसमें एक अदालत ने एक महिला के बलात्कार के आरोपी को इसलिए बरी कर दिया क्योंकि महिला मदद के लिए चिल्लाई नहीं थी. इतालवी संवाद समिति एएनएसए ने कहा कि मंत्री आंद्रे ओर्लांदो ने मंत्रालय निरीक्षकों से इस मामले की जांच करने को कहा है. एएनएसए ने कहा कि तुरिन में एक अदालत ने पिछले महीने फैसला सुनाया था कि कथित रूप से बलात्कार करने वाले अपने सहकर्मी को महिला का ‘‘बहुत हो चुका’’ कहना यह साबित करने के लिए बहुत कमजोर प्रतिक्रिया है कि उसका बलात्कार हुआ था. फैसले में कहा गया था कि वह चिल्लाई नहीं या उसने मदद नहीं मांगी. विपक्षी फोर्जा इटालिया पार्टी के सांसद अन्नाग्रेजिया कलाब्रिया ने फैसले की निंदा की. महिला समूहों ने भी इस फैसले की आलोचना की है.टिप्पणियां   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)   (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: Railway Jobs: मोदी सरकार ने रेलवे में 4 लाख नौकरियों का किया ऐलान, तो कांग्रेस बोली- एक और जुमला
यह एक लेख है: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) की ओर से रेलवे में चार लाख भर्तियां (RRB Recruitment 2019) करने संबंधी ऐलान को कांग्रेस ने एक और जुमला बताया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रेल मंत्री पीयूष गोयल की ओर से रेलवे में अगले दो वर्ष में चार लाख भर्तियां करने संबंधी घोषणा को ‘एक और जुमला' करार दिया और कहा कि करीब पांच साल खामोश बैठी सरकार अचानक खाली पदों को भरने के लिए जाग गयी है.  पी चिदंबरम ने गुरुवार को को ट्वीट किया, ‘रेलवे में करीब पांच साल से 2,82,976 पद रिक्त हैं और सरकार अचानक से जगती है और कहती है कि हम इसे तीन महीने में भरेंगे. यह एक और जुमला है.' उन्होंने कहा, ‘कई सरकारी विभागों की यही कहानी है. एक तरफ खाली पद हैं और दूसरी तरफ बेरोजगार युवा हैं.'  गौरतलब है कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा था कि रेलवे अगले दो वर्ष में सेवानिवृत्ति से होने वाली वैकेंसी और अन्य स्थानों के लिये कुल मिलाकर चार लाख लोगों को नौकरी के अवसर देने जा रहा है. दरअसल, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा था कि भारती रेलवे 2021 तक चार लाख भर्तियां निकालेगा. उन्होंने यह भी कहा था कि अगले दो सालों में 2.3 लाख खाली पद भी भर लिए जाएंगे. बता दें कि 2 लाख 30 हजार नए पदों पर होने वाली भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. कुल 23 हजार पद आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए होंगे. ये भर्ती 2 फेज में होगी. पहले फेज में 1 लाख 31 हजार 428 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी होगा. ये नोटिफिकेशन फरवरी या मार्च में जारी किया जाएगा. जबकि दूसरे फेज में 99 हजार पदों पर भर्ती के लिए मई-जून 2020 में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: सब्सिडी वाले सिलेंडर का कोटा 12 करने की सोच रही सरकार
कांग्रेस पार्टी के दबाव में पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने रविवार को कहा कि सरकार सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर का सलाना कोटा बढ़ाकर 12 करने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिए कि सरकार डीजल और एलपीजी की दरों में एकमुश्त वृद्धि कर सकती है। इससे पहले मोइली ने पिछले सप्ताह कहा था कि सब्सिडी वाले एलपीजी का कोटा 9 से बढ़ाकर 12 करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि़, पेट्रोलियम मंत्री ने अब कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा किया जाएगा। मोइली ने कहा, 'मैंने समाचार पत्रों में राहुल गांधी द्वारा एलपीजी सीमा बढ़ाने का मुद्दा प्रधानमंत्री के समक्ष उठाए जाने के बारे में पढ़ा है। मुझे अभी तक कांग्रेस उपाध्यक्ष या प्रधानमंत्री की ओर से कोई टिप्पणी नहीं मिली है।' उन्होंने कहा कि 15 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में से 89.2 फीसदी उपभोक्ता एक साल में ज्यादा से ज्यादा 9 रसोईं गैस सिलेंडर का उपयोग करते हैं। केवल 10 फीसदी ही एलपीजी सिलेंडरों की बाजार मूल्य पर खरीद कर अतिरिक्त जरूरत पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोटा बढ़ाकर 12 किया जाता है, तो करीब 97 फीसद एलपीजी उपभोक्ता सब्सिडी वाले एलपीजी के दायरे में आ जाएंगे। कोटा बढ़ाकर 12 करने से सरकार पर 3,300 करोड़ रुपये से 5,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ईंधन सब्सिडी बोझ आ जाएगा। मोइली ने कहा कि अगर सब्सीडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव आता है तो इसके नफा-नुकसान की समीक्षा करने की जरूरत होगी। अंतत: निर्णय सीसीईए या सीसीपीए द्वारा किया जाएगा।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: मुंबई के चर्चगेट स्टेशन पर बम होने की सूचना से मचा हड़कंप, बढ़ाई गई सुरक्षा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: मुंबई के बेहद व्यस्त चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर बम लगाए जाने की चेतावनी कोरी अफवाह निकली. फोन पर मिली सूचना पर हरकत में आई पुलिस ने पूरे इलाके की गहन तलाशी ली, लेकिन पुलिस को ऐसा कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा. पुलिस ने बताया कि फोन पर दी गई चेतावनी कोरी अफवाह थी. रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अनुसार उसके कंट्रोल रूम पर सुबह करीब 10:45 बजे फोन आया कि स्टेशन पर एक बम फटने वाला है. आरपीएफ और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने तत्काल तलाशी अभियान शुरू कर दिया. इस अभियान में मुंबई पुलिस और आतंकवाद निरोधक दस्ते के लोग शामिल थे. तलाशी अभियान करीब ढाई घंटे तक चला. बम की बात अफवाह निकली और स्टेशन पर कोई बम बरामद नहीं हुआ. आरपीएफ ने बताया कि फोन कॉल के बाद उसने ऐहतियाती कदम उठाए और स्टेशन पर सुरक्षा कड़ी कर दी. आरपीएफ और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) स्टेशन और ट्रेनों पर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. फोन किसने किया इसकी जांच चल रही है. घटना के बाद पश्चिम रेलवे ने कहा कि सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. टिप्पणियां पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंदर भाकर ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान एजेंसियों को कुछ नहीं मिला. ऐहतियातन सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. (इनपुट भाषा से) रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अनुसार उसके कंट्रोल रूम पर सुबह करीब 10:45 बजे फोन आया कि स्टेशन पर एक बम फटने वाला है. आरपीएफ और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने तत्काल तलाशी अभियान शुरू कर दिया. इस अभियान में मुंबई पुलिस और आतंकवाद निरोधक दस्ते के लोग शामिल थे. तलाशी अभियान करीब ढाई घंटे तक चला. बम की बात अफवाह निकली और स्टेशन पर कोई बम बरामद नहीं हुआ. आरपीएफ ने बताया कि फोन कॉल के बाद उसने ऐहतियाती कदम उठाए और स्टेशन पर सुरक्षा कड़ी कर दी. आरपीएफ और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) स्टेशन और ट्रेनों पर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. फोन किसने किया इसकी जांच चल रही है. घटना के बाद पश्चिम रेलवे ने कहा कि सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. टिप्पणियां पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंदर भाकर ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान एजेंसियों को कुछ नहीं मिला. ऐहतियातन सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. (इनपुट भाषा से) आरपीएफ ने बताया कि फोन कॉल के बाद उसने ऐहतियाती कदम उठाए और स्टेशन पर सुरक्षा कड़ी कर दी. आरपीएफ और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) स्टेशन और ट्रेनों पर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. फोन किसने किया इसकी जांच चल रही है. घटना के बाद पश्चिम रेलवे ने कहा कि सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. टिप्पणियां पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंदर भाकर ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान एजेंसियों को कुछ नहीं मिला. ऐहतियातन सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. (इनपुट भाषा से) पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंदर भाकर ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान एजेंसियों को कुछ नहीं मिला. ऐहतियातन सभी स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. (इनपुट भाषा से) (इनपुट भाषा से)
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: SRHvsGL:युवराज सिंह के फॉर्म से उत्‍साह से लबरेज हैदराबाद, रैना के गुजरात लायंस से होगा सामना...
यह एक लेख है: आईपीएल 10 के छठे मैच में गत विजेता सनराइजर्स हैदराबाद की टक्कर गुजरात के लायंस से होगी. यह मैच सनराइजर्स हैदराबाद के घरेलू मैदान पर शाम 4 बजे से खेला जाएगा. हैदराबाद ने अपने पहले मैच में बैंगलोर को 35 रन से मात देकर जीत के साथ शुरुआत की, वहीं सुरेश रैनपा की गुजरात टीम को बड़ा स्कोर बनाने के बाद भी कोलकाता से 10 विकेट की करारी हार मिली. ज़ाहिर है गुजरात की कोशिश जीत हासिल कर प्वाइंट्स टेबल में खाता खोलने की है और इसके लिए टीम अपने गेंदबाज़ों से पहले से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करेगी. दूसरी और हैदराबाद जीत की लय को बनाए रखने के लिए तैयार नज़र आ रही है.  टिप्पणियां हैदराबाद के लिए कप्तान डेविड वॉर्नर का ख़राब फ़ॉर्म फ़िक्र की बात हो सकती है लेकिन इसके बावजूद पिछली बार की चैंपियन टीम संतुलित नज़र आ रही है.  पिछले मैच में हैदराबाद के लिए युवराज सिंह (27 गेंद पर 62 रन), मोज़ेज हेनरिकेज़ (37 गेंद पर 52 रन) और शिखर धवन (31 गेंद पर 40 रन) ने रन बैंगलोर के ख़िलाफ़ बटोरे. युवराज की पहले ही मैच में धुआंधार बल्‍लेबाजी ने वॉर्नर को खुश कर दिया है. उन्‍हें उम्‍मीद है कि आगे के मैचों में भी चंडीगढ़ के इस खिलाड़ी का बल्‍ला यूं ही धमाल मचाता रहेगा. अगर गेंदबाज़ों की बात करे तो अफ़ग़ानिस्तान के राशिद ख़ान (36 रन देकर 2 विकेट), भुवनेश्वर कुमार (27 रन देकर 2 विकेट), आशीष नेहरा (42 रन देकर 2 विकेट) विकेट निकाले. दूसरी तरफ़ गुजरात के बाल्लेबाज़ों प्रदर्शन कोलकाता के ख़िलाफ़ अच्छा रहा...लेकिन गेंदबाज़ों ने अपने कप्तान सुरेश रैना को निराश किया.प्रवीण कुमार (2 ओवर 13 रन, कोई विकेट नहीं) को छोड़ दें तो धवल कुलकर्णी (4 ओवर में 42 रन कोई विकेट नहीं) और शिविल कौशिक (4 ओवर, 40 रन कोई विकेट नहीं)  का प्रदर्शन भुला देने वाला साबित हुआ.दोनों टीमों के पहले मैचों को देखते हुए इस मुक़ाबले में हैदराबाद का पलड़ा भारी दिखाई देता है लेकिन वॉर्नर इसके बावजूद रैना की सेना को कमज़ोर आंकने की ग़लती नहीं करना चाहेंगे. हैदराबाद के लिए कप्तान डेविड वॉर्नर का ख़राब फ़ॉर्म फ़िक्र की बात हो सकती है लेकिन इसके बावजूद पिछली बार की चैंपियन टीम संतुलित नज़र आ रही है.  पिछले मैच में हैदराबाद के लिए युवराज सिंह (27 गेंद पर 62 रन), मोज़ेज हेनरिकेज़ (37 गेंद पर 52 रन) और शिखर धवन (31 गेंद पर 40 रन) ने रन बैंगलोर के ख़िलाफ़ बटोरे. युवराज की पहले ही मैच में धुआंधार बल्‍लेबाजी ने वॉर्नर को खुश कर दिया है. उन्‍हें उम्‍मीद है कि आगे के मैचों में भी चंडीगढ़ के इस खिलाड़ी का बल्‍ला यूं ही धमाल मचाता रहेगा. अगर गेंदबाज़ों की बात करे तो अफ़ग़ानिस्तान के राशिद ख़ान (36 रन देकर 2 विकेट), भुवनेश्वर कुमार (27 रन देकर 2 विकेट), आशीष नेहरा (42 रन देकर 2 विकेट) विकेट निकाले. दूसरी तरफ़ गुजरात के बाल्लेबाज़ों प्रदर्शन कोलकाता के ख़िलाफ़ अच्छा रहा...लेकिन गेंदबाज़ों ने अपने कप्तान सुरेश रैना को निराश किया.प्रवीण कुमार (2 ओवर 13 रन, कोई विकेट नहीं) को छोड़ दें तो धवल कुलकर्णी (4 ओवर में 42 रन कोई विकेट नहीं) और शिविल कौशिक (4 ओवर, 40 रन कोई विकेट नहीं)  का प्रदर्शन भुला देने वाला साबित हुआ.दोनों टीमों के पहले मैचों को देखते हुए इस मुक़ाबले में हैदराबाद का पलड़ा भारी दिखाई देता है लेकिन वॉर्नर इसके बावजूद रैना की सेना को कमज़ोर आंकने की ग़लती नहीं करना चाहेंगे. दूसरी तरफ़ गुजरात के बाल्लेबाज़ों प्रदर्शन कोलकाता के ख़िलाफ़ अच्छा रहा...लेकिन गेंदबाज़ों ने अपने कप्तान सुरेश रैना को निराश किया.प्रवीण कुमार (2 ओवर 13 रन, कोई विकेट नहीं) को छोड़ दें तो धवल कुलकर्णी (4 ओवर में 42 रन कोई विकेट नहीं) और शिविल कौशिक (4 ओवर, 40 रन कोई विकेट नहीं)  का प्रदर्शन भुला देने वाला साबित हुआ.दोनों टीमों के पहले मैचों को देखते हुए इस मुक़ाबले में हैदराबाद का पलड़ा भारी दिखाई देता है लेकिन वॉर्नर इसके बावजूद रैना की सेना को कमज़ोर आंकने की ग़लती नहीं करना चाहेंगे.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: एक ऐसी अनोखी बिल्ली... इसके बारे में न आपने सुना होगा और न कभी देखा होगा
यह एक लेख है: आए दिन हमें दुनियाभर में कुछ न कुछ अजीबोगरीब चीजें देखने को मिल ही जाती है, अब चाहे वे इंसान से जुड़ा कोई वाकया हो या फिर जानवरों से जुड़ी को बात हो. इसी क्रम में हेड्डी नामक एक अजीबोगरीब बिल्ली इन दिनों इंटरनेट पर काफी चर्चा में है. वह इसलिए क्योंकि इस बिल्ली के शरीर पर लगभग दो पौंड से ज्यादा बाल हैं . मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की बिल्ली कभी नहीं देखी गई. दरअसल, यह खबर अमेरिका से है. एक अस्पताल में उस वक्त सभी लोग चौंक गए, जब पॉल रसेल नाम के एक 82 वर्ष का वृद्ध व्यक्ति अपने साथ में एक अजीबोगरीब बिल्ली को लेकर पंहुचा. इस बिल्ली को देखकर इसकी असल हालत का पता साफ चल रहा था, जो की काफी दयनीय थी.   अस्पताल में वृद्ध व्यक्ति द्वारा लाए गए इस बिल्ली के शरीर पर करीब दो पौंड से ज्यादा बाल थे. बिल्ली के शरीर पर इतने उसे बहुत परेशान कर रहे थे. इसलिए उसे अस्पतान में लाया गया था ताकि उसके बाल उसके शरीर से हटाए जा सके और बिल्ली को अस परेशानी से मुक्त किया जा सके.  टिप्पणियां इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा जल्द ही इस बिल्ली को उसके बालों से मुक्ति दिलाने की तैयारी की जाने लगी. इसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा एक छोटा का इलाज शुरू कर दिया गया, जिसमें इस बिल्ली को उसके बालों से आजादी दिलाकर नया लुक दे दिया गया. डॉक्टरों द्वारा बिल्ली की खूबसूरती सबके सामने आई और उसको अपने लंबे बालों से भी आजादी मिली. बता दें, इस बिल्ली की कई सारी तस्वीरों को पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग वाइल्ड लाइफ सेंटर की ओर से उनके फेसबुक पेज पर शेयर की गई थीं. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा जल्द ही इस बिल्ली को उसके बालों से मुक्ति दिलाने की तैयारी की जाने लगी. इसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा एक छोटा का इलाज शुरू कर दिया गया, जिसमें इस बिल्ली को उसके बालों से आजादी दिलाकर नया लुक दे दिया गया. डॉक्टरों द्वारा बिल्ली की खूबसूरती सबके सामने आई और उसको अपने लंबे बालों से भी आजादी मिली. बता दें, इस बिल्ली की कई सारी तस्वीरों को पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग वाइल्ड लाइफ सेंटर की ओर से उनके फेसबुक पेज पर शेयर की गई थीं. डॉक्टरों द्वारा बिल्ली की खूबसूरती सबके सामने आई और उसको अपने लंबे बालों से भी आजादी मिली. बता दें, इस बिल्ली की कई सारी तस्वीरों को पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग वाइल्ड लाइफ सेंटर की ओर से उनके फेसबुक पेज पर शेयर की गई थीं.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: चिकनगुनिया से डरने की नहीं है जरूरत, नहीं फैल रहा कोई नया वायरस
राजधानी में 14 चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद वायरस पर प्रारंभिक शोध बताती है कि ये कोई नायाब वायरस नहीं. यानी चिकनगुनिया का कोई नया वायरस पैर नहीं पसार रहा. एम्स के वायरोलॉजी विभाग के इंचार्ज डॉ. ललित दर ने साफ किया कि फिलहाल ऐसा दिख नहीं रहा कि कोई नया वायरस हो. ये वही वायरस है जो 2006-07 में या फिर 1960-80 में चिकनगुनिया का देखा गया था.टिप्पणियां अचानक हुई कई चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एहतियातन चिकनगुनिया के वायरस के कैटेगराइजेशन पर शोध की जिम्मेदारी एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल को दी थी. पुराना शोध बताता है कि चिकनगुनिया में मृत्यु दर 0.1% की है वो भी तब जब मरीज को कई और बीमारी हो. एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा वो खतरे से बाहर है. हालांकि वायरस को लेकर अंतिम रूप से शोध के नतीजे अगले हफ्ते तक आएंगे, लेकिन संकेत साफ है कि डरने जैसी कोई खास बात नहीं. एम्स के वायरोलॉजी विभाग के इंचार्ज डॉ. ललित दर ने साफ किया कि फिलहाल ऐसा दिख नहीं रहा कि कोई नया वायरस हो. ये वही वायरस है जो 2006-07 में या फिर 1960-80 में चिकनगुनिया का देखा गया था.टिप्पणियां अचानक हुई कई चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एहतियातन चिकनगुनिया के वायरस के कैटेगराइजेशन पर शोध की जिम्मेदारी एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल को दी थी. पुराना शोध बताता है कि चिकनगुनिया में मृत्यु दर 0.1% की है वो भी तब जब मरीज को कई और बीमारी हो. एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा वो खतरे से बाहर है. हालांकि वायरस को लेकर अंतिम रूप से शोध के नतीजे अगले हफ्ते तक आएंगे, लेकिन संकेत साफ है कि डरने जैसी कोई खास बात नहीं. अचानक हुई कई चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एहतियातन चिकनगुनिया के वायरस के कैटेगराइजेशन पर शोध की जिम्मेदारी एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल को दी थी. पुराना शोध बताता है कि चिकनगुनिया में मृत्यु दर 0.1% की है वो भी तब जब मरीज को कई और बीमारी हो. एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा वो खतरे से बाहर है. हालांकि वायरस को लेकर अंतिम रूप से शोध के नतीजे अगले हफ्ते तक आएंगे, लेकिन संकेत साफ है कि डरने जैसी कोई खास बात नहीं. एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा वो खतरे से बाहर है. हालांकि वायरस को लेकर अंतिम रूप से शोध के नतीजे अगले हफ्ते तक आएंगे, लेकिन संकेत साफ है कि डरने जैसी कोई खास बात नहीं.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: उम्मीद है कि फडणवीस ने बतौर CM जो गलतियां की उन्हें नहीं दोहराएंगे: शिवसेना
यह एक लेख है: शिवसेना ने सोमवार को उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर देवेंद्र फडणवीस उन गलतियों को नहीं दोहराएंगे जो उन्होंने राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए की थीं. फडणवीस के आनन-फानन में 23 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर एक बार फिर हमला बोलते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना' के एक संपादकीय में कहा कि भाजपा ने वह चेहरा खो दिया है जिसे लोग पसंद करते थे. उन्हें 80 घंटों बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था. इसमें दावा किया गया कि लोगों ने भाजपा से दूरी बना ली है. शिवसेना ने कहा, 'भाजपा के पास जो मौजूदा समर्थन है (अपने खुद के विधायकों एवं निर्दलीय विधायकों का) वह संभवत: पार्टी के साथ नहीं रहेगा. पार्टी के साथ जो कुछ भी हो रहा है वह उसके पूर्व के कर्मों का नतीजा है.' बता दें, प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता फडणवीस को रविवार को विधानसभा में विपक्ष का नेता घोषित किया गया. इस पर शिवसेना ने कहा, 'फडणवीस को याद रखना चाहिए कि इतिहास में उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिसने हर किसी को अंधेरे में रख कर और बहुमत के बिना अवैध तरीके से शपथ ली थी.' पार्टी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि वह उस पद (मुख्यमंत्री) पर महज “80 घंटों” के लिए रहे. अगर वह अपनी इस छवि से बाहर निकलना चाहते हैं तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नियमानुसार काम करना होगा और भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दल के पूर्व नेता एकनाथ खड़से से ट्यूशन लेनी चाहिए.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: भूमि अधिग्रहण विधेयक बुधवार को राज्यसभा में होगा पेश
यह लेख है: बहु-प्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बुधवार को राज्यसभा में चर्चा और मतदान किया जा सकता है। 'भूमि अधिग्रहण में स्वच्छ मुआवजा एवं पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन विधेयक 2012' के नाम से यह विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 216 और विरोध में 19 मत पड़े थे।टिप्पणियां एक सरकारी विज्ञप्ति में मंगलवार को बताया गया है कि यह विधेयक तीन मुख्य स्तंभों व्यापक परिभाषित प्रक्रिया के जरिए सहमति, मुआवजा और पुनर्वास पर टिका है। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा को विधेयक पारित होने के पूर्व आश्वासन दिया था कि इस विधेयक में राज्य सरकारों को उनकी जरूरतों के हिसाब से लागू करने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा था, "हमारी नजर में यह (विधेयक) एक मध्यम मार्ग है। समूह अलग-अलग चीजों की मांग कर रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि हमने उनसे संपर्क नहीं किया।" 'भूमि अधिग्रहण में स्वच्छ मुआवजा एवं पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन विधेयक 2012' के नाम से यह विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 216 और विरोध में 19 मत पड़े थे।टिप्पणियां एक सरकारी विज्ञप्ति में मंगलवार को बताया गया है कि यह विधेयक तीन मुख्य स्तंभों व्यापक परिभाषित प्रक्रिया के जरिए सहमति, मुआवजा और पुनर्वास पर टिका है। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा को विधेयक पारित होने के पूर्व आश्वासन दिया था कि इस विधेयक में राज्य सरकारों को उनकी जरूरतों के हिसाब से लागू करने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा था, "हमारी नजर में यह (विधेयक) एक मध्यम मार्ग है। समूह अलग-अलग चीजों की मांग कर रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि हमने उनसे संपर्क नहीं किया।" एक सरकारी विज्ञप्ति में मंगलवार को बताया गया है कि यह विधेयक तीन मुख्य स्तंभों व्यापक परिभाषित प्रक्रिया के जरिए सहमति, मुआवजा और पुनर्वास पर टिका है। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा को विधेयक पारित होने के पूर्व आश्वासन दिया था कि इस विधेयक में राज्य सरकारों को उनकी जरूरतों के हिसाब से लागू करने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा था, "हमारी नजर में यह (विधेयक) एक मध्यम मार्ग है। समूह अलग-अलग चीजों की मांग कर रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि हमने उनसे संपर्क नहीं किया।" ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा को विधेयक पारित होने के पूर्व आश्वासन दिया था कि इस विधेयक में राज्य सरकारों को उनकी जरूरतों के हिसाब से लागू करने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा था, "हमारी नजर में यह (विधेयक) एक मध्यम मार्ग है। समूह अलग-अलग चीजों की मांग कर रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि हमने उनसे संपर्क नहीं किया।"
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: मिनी स्कर्ट पर प्रतिबंध नहीं लग सकता : गोवा के पर्यटन मंत्री दिलीप पारुलेकर
कांग्रेस ने गोवा के लोक निर्माण विभाग मंत्री सुदीन धवलीकर के राज्य के नाइटक्लबों में लड़कियों के छोटी स्कर्ट और समुद्र तट पर बिकनी पहनने पर रोक लगाने संबंधी बयान पर उनके इस्तीफे की मांग की है। वहीं पर्यटन मंत्री दिलीप पारुलेकर ने बुधवार को कहा कि इन पोशाकों पर प्रतिबंध नहीं लग सकता। पारुलेकर ने अपने कैबिनेट सहयोगी के बयान से उपजे विवाद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही। पारुलेकर ने पणजी में पर्यटन से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान कहा, हम नाइटक्लबों और समुद्र तटों पर मिनी स्कर्ट और बिकनी पर रोक नहीं लगा सकते। यह संभव नहीं है। इधर, कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गादास कामत ने इससे पहले यहां बयान जारी कर कहा, हम कैबिनेट से उनके (सुदीन धवलीकर) निष्कासन की मांग करते हैं। सुदीन को महिलाओं के पोशाक को लेकर सलाह देने की जगह राज्य में पानी की समस्या पर ध्यान देना चाहिए। धवलीकर महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के सदस्य हैं, जो राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है। कामत ने कहा कि भाजपा को धवलीकर पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा, भाजपा यह कह कर नहीं बच सकती कि धवलीकर का बयान निजी है। इधर, धवलीकर ने संवाददाताओं से पणजी में एक उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को कहा था, युवा लड़कियों का नाइटक्लबों में छोटी स्कर्ट पहनना गोवा की संस्कृति के अनुरूप नहीं है। युवा लड़कियों का हर जगह छोटी स्कर्ट पहनना गोवा की संस्कृति के लिए खतरा है। क्या होगा अगर यह जारी रहा? हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने महिलाओं को शराब न पीने की भी सलाह दी थी और कहा था कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।
2
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: हताश व्यक्ति हैं सेना प्रमुख : व्यालार रवि
यह एक लेख है: प्रवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि ने सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह को हताश व्यक्ति करार दिया है। उनकी यह टिप्पणी सेना में हथियार व युद्ध सामग्री की कमी को लेकर सेना प्रमुख की ओर से प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के सम्बंध में आई है।टिप्पणियां रवि ने कहा, "सेना अनुशासित बल है, लेकिन सेना प्रमुख को न्यायालय से भी सेवा विस्तार नहीं मिला। सम्भव है कि वह हताशा में ये कदम उठा रहे हों।" रवि ने इससे इनकार किया कि उन्होंने सेना प्रमुख की ओर से प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र पढ़ा है। सेना प्रमुख ने 12 मार्च को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि युद्ध सामग्री समाप्त हो रही है, वायु रक्षा प्राचीन हो गई है और पैदल सेना हथियारों के संकट से जूझ रही है। सेना प्रमुख ने सोमवार को समाचार पत्र 'द हिन्दू' को दिए साक्षात्कार में इसका भी खुलासा किया था कि घटिया वाहनों की खरीद से सम्बंधित एक रक्षा सौदे को मंजूरी के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी। रवि ने कहा, "सेना अनुशासित बल है, लेकिन सेना प्रमुख को न्यायालय से भी सेवा विस्तार नहीं मिला। सम्भव है कि वह हताशा में ये कदम उठा रहे हों।" रवि ने इससे इनकार किया कि उन्होंने सेना प्रमुख की ओर से प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र पढ़ा है। सेना प्रमुख ने 12 मार्च को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि युद्ध सामग्री समाप्त हो रही है, वायु रक्षा प्राचीन हो गई है और पैदल सेना हथियारों के संकट से जूझ रही है। सेना प्रमुख ने सोमवार को समाचार पत्र 'द हिन्दू' को दिए साक्षात्कार में इसका भी खुलासा किया था कि घटिया वाहनों की खरीद से सम्बंधित एक रक्षा सौदे को मंजूरी के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी। सेना प्रमुख ने सोमवार को समाचार पत्र 'द हिन्दू' को दिए साक्षात्कार में इसका भी खुलासा किया था कि घटिया वाहनों की खरीद से सम्बंधित एक रक्षा सौदे को मंजूरी के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: मलेशिया में भारतीय की गोली मारकर हत्या
यह एक लेख है: मलेशिया के केदाह राज्य में गुरुवार को एक जातीय भारतीय की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने बताया कि माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक के शानमुगम (45) को कुलिम शहर में एक चौराहे पर रोक कर मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने उन्हें बहुत नजदीक से नौ गोलियां मारीं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शिक्षक वाहन की अगली सीट पर मृत अवस्था में मिले। उनकी मौत गोली लगने से हुई है।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया कि आशंका है कि बदमाशों के पास 9एमएम की स्वाचालित पिस्तौल थी। पुलिस को मौके से गोली के नौ खोखे मिले हैं। वारदात के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस इसे हत्या का मामला मान कर चल रही है। पुलिस ने बताया कि माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक के शानमुगम (45) को कुलिम शहर में एक चौराहे पर रोक कर मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने उन्हें बहुत नजदीक से नौ गोलियां मारीं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शिक्षक वाहन की अगली सीट पर मृत अवस्था में मिले। उनकी मौत गोली लगने से हुई है।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया कि आशंका है कि बदमाशों के पास 9एमएम की स्वाचालित पिस्तौल थी। पुलिस को मौके से गोली के नौ खोखे मिले हैं। वारदात के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस इसे हत्या का मामला मान कर चल रही है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शिक्षक वाहन की अगली सीट पर मृत अवस्था में मिले। उनकी मौत गोली लगने से हुई है।टिप्पणियां प्रवक्ता ने बताया कि आशंका है कि बदमाशों के पास 9एमएम की स्वाचालित पिस्तौल थी। पुलिस को मौके से गोली के नौ खोखे मिले हैं। वारदात के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस इसे हत्या का मामला मान कर चल रही है। प्रवक्ता ने बताया कि आशंका है कि बदमाशों के पास 9एमएम की स्वाचालित पिस्तौल थी। पुलिस को मौके से गोली के नौ खोखे मिले हैं। वारदात के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस इसे हत्या का मामला मान कर चल रही है। वारदात के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस इसे हत्या का मामला मान कर चल रही है।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: 1 जुलाई से लागू होना है GST, सात राज्यों का इसे पारित करना अब भी बाकी
यह एक लेख है: देश में नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने के लिए अनिवार्य राज्य जीएसटी को अभी भी सात राज्यों ने पारित नहीं किया है. इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं जबकि जीएसटी को लागू करने में एक महीने से भी कम वक्त बचा है. अब तक 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राज्य जीएसटी विधेयक को अपनी संबंधित विधानसभाओं से पारित करा चुके हैं. हालांकि मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल का अब भी राज्य जीएसटी पारित करना बाकी है. इनमें जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार है. बाकी सभी गैर-भाजपा शासित राज्य हैं.टिप्पणियां पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार से जीएसटी को देरी से लागू करने के लिए कह रहा है और इस मुद्दे को राज्य के वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते हुए जीएसटी परिषद की बैठक में भी उठाया था. जीएसटी संविधान संशोधन के मुताबिक सभी राज्यों को 15 सितंबर 2017 से पहले राज्य विधानसभाओं से राज्य जीएसटी को पारित कराना है.   इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं जबकि जीएसटी को लागू करने में एक महीने से भी कम वक्त बचा है. अब तक 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राज्य जीएसटी विधेयक को अपनी संबंधित विधानसभाओं से पारित करा चुके हैं. हालांकि मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल का अब भी राज्य जीएसटी पारित करना बाकी है. इनमें जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार है. बाकी सभी गैर-भाजपा शासित राज्य हैं.टिप्पणियां पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार से जीएसटी को देरी से लागू करने के लिए कह रहा है और इस मुद्दे को राज्य के वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते हुए जीएसटी परिषद की बैठक में भी उठाया था. जीएसटी संविधान संशोधन के मुताबिक सभी राज्यों को 15 सितंबर 2017 से पहले राज्य विधानसभाओं से राज्य जीएसटी को पारित कराना है.   हालांकि मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल का अब भी राज्य जीएसटी पारित करना बाकी है. इनमें जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार है. बाकी सभी गैर-भाजपा शासित राज्य हैं.टिप्पणियां पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार से जीएसटी को देरी से लागू करने के लिए कह रहा है और इस मुद्दे को राज्य के वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते हुए जीएसटी परिषद की बैठक में भी उठाया था. जीएसटी संविधान संशोधन के मुताबिक सभी राज्यों को 15 सितंबर 2017 से पहले राज्य विधानसभाओं से राज्य जीएसटी को पारित कराना है.   पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार से जीएसटी को देरी से लागू करने के लिए कह रहा है और इस मुद्दे को राज्य के वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते हुए जीएसटी परिषद की बैठक में भी उठाया था. जीएसटी संविधान संशोधन के मुताबिक सभी राज्यों को 15 सितंबर 2017 से पहले राज्य विधानसभाओं से राज्य जीएसटी को पारित कराना है.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: कांग्रेस को बड़ा झटका: SC ने गुजरात में दो सीटों पर राज्यसभा चुनाव एक साथ कराने की मांग ठुकराई, कहा- अभी EC जाइए
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: गुजरात में दो सीटों पर राज्यसभा चुनाव एक साथ कराने की कांग्रेस की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन में दखल देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद चुनावी याचिका यानी इलेक्शन पेटिशन के जरिए ही इसे चुनौती दी जा सकती है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता गुजरात प्रदेश कांग्रेस के वकील विवेक तंखा से कहा कि अभी निर्वाचन आयोग के सामने याचिका लगाएं. चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही हम चुनाव याचिका के रूप में सुनेंगे. इस समय नहीं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि रेगुलर वैकेंसी भरने के लिए एकसाथ चुनाव होते हैं. लेकिन आकस्मिक यानी कैजुअल वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराने की कोई बाध्यता नहींहै. आप इसकी याचिका चुनाव आयोग के सामने दाखिल करें. कांग्रेस के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने के बाद चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा गया था. चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल करते हुए दो सीटों पर अलग- अलग चुनाव कराने के अपने फैसले को सही ठहराया है और कहा था कि कांग्रेस की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. हलफनामे में कहा गया था कि अमित शाह और स्मृति ईरानी की खाली हुई सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना कानून के मुताबिक है. चुनाव आयोग 1957 से यह चुनाव कराता आया है. साथ ही कहा गया कि चुनाव आयोग पहले से ही कैजुएल रिक्तियों के लिए अलग-अलग चुनाव कराता आया है. जब किसी सदस्य की राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होता है तो वो रेगुलर वेकेंसी होती है, जिसके लिए एक साथ ही चुनाव कराया जाता है. चुनाव आयोग ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2009 के सत्यपाल मलिक मामले के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि कैजुअल वैकेंसी को अलग-अलग चुनाव से भरा जाएगा.  बता दें, गुजरात कांग्रेस के नेता विपक्ष परेशभाई धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दो सीटों के लिए जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि एक ही दिन दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना असंवैधानिक और संविधान की भावना के खिलाफ है. गुजरात से राज्यसभा में खाली हुई दो सीटों पर भी 5 जुलाई को चुनाव होंगे. दरसअल, चुनाव आयोग की अधिसूचना की मुताबिक अमित शाह को लोकसभा चुनाव जीतने का प्रमाणपत्र 23 मई को ही मिल गया था, जबकि स्मृति ईरानी को 24 मई को मिला. इससे दोनों के चुनाव में एक दिन का अंतर हो गया. इसी आधार पर आयोग ने राज्य की दोनों सीटों को अलग-अलग माना है, लेकिन चुनाव एक ही दिन होंगे.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: मध्य प्रदेश : जूनियर अफसर को सबके सामने बनाया मुर्गा
यह लेख है: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में अफसर की तानाशाही का एक नमूना देखने को मिला जहां मामूली-सी गलती पर मानवता को शर्मसार करने वाली सजा दी गई। यहां के सरकारी दफ्तर में एक अधिकारी ने जूनियर अधिकारी को मुर्गा बना दिया। दरअसल, पथरिया विकास खंड के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी बीडी प्रजापति का कसूर सिर्फ इतना था कि जब किसान अपनी समस्याएं लेकर इनके पास आए तो इन्हें अपने बड़े अफसर के पास जाना पड़ा लेकिन अफसर के कमरे में बिना पूछे जाना इनके लिए आफत बन गया।टिप्पणियां इनके सीनियर अफसर राजेश त्रिपाठी ने इन्हें डांट-फटकार के बाद मुर्गा बनने की सजा दे डाली। वह भी एक-दो पल के लिए नहीं बल्कि पूरे 15 मिनट तक के लिए। जब बात आगे बढ़ी तो आला अफसर भी मामले में पर्दा डालने में जुट गए। सरकारी अफसर की तानाशाही को देखते हुए दूसरे कर्मचारी नाराज हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यहां के सरकारी दफ्तर में एक अधिकारी ने जूनियर अधिकारी को मुर्गा बना दिया। दरअसल, पथरिया विकास खंड के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी बीडी प्रजापति का कसूर सिर्फ इतना था कि जब किसान अपनी समस्याएं लेकर इनके पास आए तो इन्हें अपने बड़े अफसर के पास जाना पड़ा लेकिन अफसर के कमरे में बिना पूछे जाना इनके लिए आफत बन गया।टिप्पणियां इनके सीनियर अफसर राजेश त्रिपाठी ने इन्हें डांट-फटकार के बाद मुर्गा बनने की सजा दे डाली। वह भी एक-दो पल के लिए नहीं बल्कि पूरे 15 मिनट तक के लिए। जब बात आगे बढ़ी तो आला अफसर भी मामले में पर्दा डालने में जुट गए। सरकारी अफसर की तानाशाही को देखते हुए दूसरे कर्मचारी नाराज हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इनके सीनियर अफसर राजेश त्रिपाठी ने इन्हें डांट-फटकार के बाद मुर्गा बनने की सजा दे डाली। वह भी एक-दो पल के लिए नहीं बल्कि पूरे 15 मिनट तक के लिए। जब बात आगे बढ़ी तो आला अफसर भी मामले में पर्दा डालने में जुट गए। सरकारी अफसर की तानाशाही को देखते हुए दूसरे कर्मचारी नाराज हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जब बात आगे बढ़ी तो आला अफसर भी मामले में पर्दा डालने में जुट गए। सरकारी अफसर की तानाशाही को देखते हुए दूसरे कर्मचारी नाराज हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: एशियन गेम्स में जाने के लिए तैयार हैं हज़ार, पर पदक कितने लाएंगे?
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अगले महीने इंचियॉन में एशियन गेम्स होने वाले हैं। लेकिन इस दौरे पर जाने से पहले सबसे बड़ी चिंता भारतीय दल का साइज़ है। नियम के मुताबिक क़रीब 25 फ़ीसदी अधिकारी ही दल का हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन हालात हैरान करने वाले बन गए हैं। चाहे कितने भी विवाद हों, अधिकारी खिलाड़ियों के कंधों पर बंदूक रख कर गोलिलां चला ही लेते हैं। अलग−अलग ट्रेनिंग कैंपों में इंचियन एशियाई खेलों के लिए तैयारी करते एथलीटों की मेहनत को देख कर इनसे मेडल की उम्मीद ज़रूर बढ़ जाती है, लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं जो अधिकारियों की मदद से दक्षिण कोरिया के विदेशी दौरों के लिए 912 सदस्यों के जम्बो दल में शामिल हो गए हैं। ये संख्या हास्यास्पद नज़र आती है। ज़रा पिछले एशियाई और कॉमनवेल्थ के खेलों में भारतीय दल की संख्या और वहां हासिल मेडल के नंबर्स पर ग़ौर फ़रमाइये− साल 2010 में गुआंगझोऊ के एशियाई खेलों से 625 भारतीय एथलीट 65 पदक लेकर वापस लौटे। दिल्ली में हुए 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में 619 भारतीय एथलीटों ने 101 पदक जीते। इसी साल ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में 215 भारतीय एथलीट 64 पदक जीतने में कामयाब रहे।   सितंबर में होने वाले एशियाई खेलों के लिए 662 एथलीटों के नाम क्लीयरेंस के लिए भेजे गए हैं जिनसे 72 से 100 पदकों की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय खेल प्राधिकरण के अधिकारी मानते हैं कि ये संख्या बहुत बड़ी है। भारतीय खेल प्राधिकरण के डीजी जीजी थामसन कहते हैं कि हम लिस्ट की जांच कर रहे हैं। हम हफ़्तेभर के समय में इस लिस्ट को छोटा कर उसे मंत्रालय के पास भेजेंगे जो इस पर आखिरी फ़ैसला लेंगे। भारतीय खेल अधिकारियों के लिए फ़िक्र की और भी वजहें हैं। अगर भारतीय बॉक्सिंग संघ के चुनाव वक्त पर नहीं हुए तो भारतीय बॉक्सर्स एशियाड से बाहर रह सकते हैं। इसके अलावा एशियाई खेलों में भारतीय क्रिकेट की टी-20 टीम से पदक की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन, बीसीसीआई ने एशियाई खेलों को तवज्जो नहीं देकर इनसे बाहर रहने का ही फ़ैसला कर लिया है। जीजी थामसन कहते हैं हम निराश हैं। अगर क्रिकेट टीम इंचियन जाती तो हमें खुशी होती। हम क्रिकेट की फ़ंडिंग नहीं करते। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि हम क्रिकेट को एशियाई खेलों में बढ़ावा नहीं दें। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एथलीटों की संख्या में कटौती ज़रूर की जाएगी। लेकिन ये सब जितना जल्दी हो जाए प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी विवाद की उलझनों से बचकर हिस्सा ले सकेंगे। भारतीय खेल संघों पर अगर लगाम न कसी जाए तो क़रीब हज़ार एथलीट और अधिकारी कोरियाई एशियाई खेलों में हिस्सा लेते नज़र आएंगे। इनमें से कितने पदक जीत पाएंगे इसकी ज़िम्मेदारी अधिकारियों की नहीं। ये मसला खिलाड़ियों को ही सुलझाना पड़ेगा यानी जवाबदेही सिर्फ़ एथलीटों की ही होगी।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: अपने विस्तार के लिए 2.5 अरब डॉलर का निवेश करेगी फ्लिपकार्ट
भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की योजना अगले चार से पांच साल में लॉजिस्टिक में दो अरब डॉलर और देश भर में वेयरहाउस नेटवर्क में 50 करोड़ डॉलर निवेश करने की है। कंपनी के सह संस्थापक व मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) बिन्नी बंसल ने यह जानकारी दी। कंपनी देश भर में 80-100 वेयरहाउस खोलेगी। फ्लिपकार्ट ने यहां देश का सबसे बड़ा फुलफिलमेंट सेंटर खोला है। बंसल ने संवाददाताओं से कहा कि वे फंड का इंतजाम अपने स्रोतों के अलावा आईपीओ व निजी निवेशकों से करेंगे। तेलंगाना के वित्त मंत्री ई.राजेंद्र ने शहर के बाहरी इलाके में स्थित गुंदला पोचामपल्ली में बंसल की उपस्थिति में देश में फ्लिपकार्ट के सबसे बड़े फुलफिलमेंट सेंटर का उद्घाटन किया। 2.2 लाख वर्ग फीट में फैला और 5.89 घन फीट की स्टोरेज क्षमता वाला यह फ्लिपकार्ट का देश में 17वां वेयरहाउस है। अत्याधुनिक व स्वचालित फुलफिलमेंट सेंटर से प्रतिदिन 1.2 लाख वस्तुओं की डिलीवरी की संभावना है। टिप्पणियां बंसल ने कहा कि वेयरहाउस को सेलरों को ई-कॉमर्स की सेवा आसानी से मुहैया कराने के लिए तैयार किया गया है, जबकि इससे ग्राहकों को तेजी से और निर्बाध तरीके से सुविधा मिलेगी। कुल पांच करोड़ उत्पादों के साथ फ्लिपकार्ट में कुल 4.5 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से एक करोड़ उपयोगकर्ता रोजाना तौर पर लॉग इन करते हैं। बंसल ने संवाददाताओं से कहा कि वे फंड का इंतजाम अपने स्रोतों के अलावा आईपीओ व निजी निवेशकों से करेंगे। तेलंगाना के वित्त मंत्री ई.राजेंद्र ने शहर के बाहरी इलाके में स्थित गुंदला पोचामपल्ली में बंसल की उपस्थिति में देश में फ्लिपकार्ट के सबसे बड़े फुलफिलमेंट सेंटर का उद्घाटन किया। 2.2 लाख वर्ग फीट में फैला और 5.89 घन फीट की स्टोरेज क्षमता वाला यह फ्लिपकार्ट का देश में 17वां वेयरहाउस है। अत्याधुनिक व स्वचालित फुलफिलमेंट सेंटर से प्रतिदिन 1.2 लाख वस्तुओं की डिलीवरी की संभावना है। टिप्पणियां बंसल ने कहा कि वेयरहाउस को सेलरों को ई-कॉमर्स की सेवा आसानी से मुहैया कराने के लिए तैयार किया गया है, जबकि इससे ग्राहकों को तेजी से और निर्बाध तरीके से सुविधा मिलेगी। कुल पांच करोड़ उत्पादों के साथ फ्लिपकार्ट में कुल 4.5 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से एक करोड़ उपयोगकर्ता रोजाना तौर पर लॉग इन करते हैं। 2.2 लाख वर्ग फीट में फैला और 5.89 घन फीट की स्टोरेज क्षमता वाला यह फ्लिपकार्ट का देश में 17वां वेयरहाउस है। अत्याधुनिक व स्वचालित फुलफिलमेंट सेंटर से प्रतिदिन 1.2 लाख वस्तुओं की डिलीवरी की संभावना है। टिप्पणियां बंसल ने कहा कि वेयरहाउस को सेलरों को ई-कॉमर्स की सेवा आसानी से मुहैया कराने के लिए तैयार किया गया है, जबकि इससे ग्राहकों को तेजी से और निर्बाध तरीके से सुविधा मिलेगी। कुल पांच करोड़ उत्पादों के साथ फ्लिपकार्ट में कुल 4.5 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से एक करोड़ उपयोगकर्ता रोजाना तौर पर लॉग इन करते हैं। बंसल ने कहा कि वेयरहाउस को सेलरों को ई-कॉमर्स की सेवा आसानी से मुहैया कराने के लिए तैयार किया गया है, जबकि इससे ग्राहकों को तेजी से और निर्बाध तरीके से सुविधा मिलेगी। कुल पांच करोड़ उत्पादों के साथ फ्लिपकार्ट में कुल 4.5 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से एक करोड़ उपयोगकर्ता रोजाना तौर पर लॉग इन करते हैं। कुल पांच करोड़ उत्पादों के साथ फ्लिपकार्ट में कुल 4.5 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से एक करोड़ उपयोगकर्ता रोजाना तौर पर लॉग इन करते हैं।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन: रूपा गांगुली ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाने और दुष्प्रचार करने का किया विरोध
युगांडा में आयोजित किए जा रहे 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की आम सभा के दौरान पाकिस्तानी संसदीय शिष्टमंडल ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारतीय सैन्‍य बलों ने कश्मीर को बंधक बनाया हुआ है. भारतीय संसदीय शिष्टमंडल की सदस्य रूपा गांगुली ने इस पाकिस्तानी दुष्प्रचार का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि सैनिक शासन की परंपरा पाकिस्तान में व्याप्त है और वह 33 साल सेना के शासन में रहा है. भारत में सैनिक शासन कभी भी और कहीं भी नही रहा है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल 22 से 29 सितंबर, 2019 तक कम्पाला, युगांडा में आयोजित किए जा रहे 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भाग ले रहा है.  इस शिष्टमंडल में अधीर रंजन चौधरी (लोकसभा सांसद), रूपा गांगुली (राज्‍यसभा सांसद), डॉ एल हनुमंथैया (राज्‍यसभा सांसद), अपराजिता सारंगी (लोकसभा सांसद), लोकसभा की महासचिव, स्नेहलता श्रीवास्तव सम्मिलित हैं. भारत की ओर से राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी और सचिव, जो राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सदस्य भी हैं, इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं.  इससे पहले मालदीव में आयोजित 'सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति' विषय पर दक्षिण एशियाई देशों की संसदों के अध्यक्षों के चौथे शिखर सम्मलेन, जो 1-2 सितम्बर 2019 को माले में संपन्न हुआ, के दौरान भी पाकिस्तान ने यह मुद्दा उठाया था जिसका लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में जोरदार विरोध किया गया था. परिणामतः माले घोषणापत्र में पाकिस्तान के द्वारा उठाये गए मुद्दों को पूर्णतया नकार दिया गया.
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: तेज बहादुर यादव की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, नामांकन रद्द होने के बाद पहुंचे थे कोर्ट
यह लेख है: सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल, वाराणसी से महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें दखल देने का कोई आधार नहीं मिला. जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है. तेज बहादुर की ओर से प्रशान्त भूषण ने कहा कि वो चुनाव को चुनौती नही दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा बस ये कहना है कि तेज बहादुर का नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है और उन्हें 19 मई को चुनाव लडने की इजाजत दी जाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि मैंने अपनी बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न किया था. हमें जवाब रखने का पूरा मौका नही दिया गया. मैं चुनाव को नही रोक रहा हूं बस मैं चाहता हूं कि मेरा नाम जोड़ा जाए.   आपको बता दें कि वाराणसी में 19 मई को चुनाव होना है. तेज बहादुर यादव ने 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था. इसे 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उसे 19 अप्रैल, 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन नामांकन पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया. तेज बहादुर यादव ने कहा है कि उन्होंने नामांकन पत्र के साथ अपने बर्खास्तगी का आदेश दिया था जिसमें साफ था कि उसे अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त किया गया था. याचिका में ये भी कहा गया है कि रिटर्निंग अफसर ने उसे चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए वाजिब समय भी नहीं दिया. रिटर्निंग अफसर ने 30 अप्रैल की शाम 6 बजे उसे नोटिस जारी कर एक मई की सुबह 11 बजे तक ये प्रमाण पत्र लाने को कहा. याचिका में इस फैसले को मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है और कहा गया है कि ये कदम सत्ता पक्ष के दल को वॉकओवर दिलाने के लिए उठाया गया. निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यादव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे, क्योंकि जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना आवश्यक था कि उन्हें 'भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त' नहीं किया गया है.' तेज बहादुर यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा था कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए तथा शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता को हाई प्रोफाइल वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति दे, जहां 19 मई को मतदान होना है.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: ‘हाउडी मोदी’ में ट्रंप के शामिल होने के फैसले पर बोले PM मोदी- हमें खुशी है, उनका स्वागत करने का है इंतजार
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ह्यूस्टन में सामुदायिक कार्यक्रम में शामिल होने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला दोनों देशों के बीच विशेष मित्रता को रेखांकित करता है. प्रधानमंत्री ने कई ट्वीट किए और कहा कि भारतीय मूल के समुदाय के साथ मिलकर कार्यक्रम में ट्रंप का स्वागत करने का वह इंतजार कर रहे हैं. कार्यक्रम 22 सितंबर को ह्यूस्टन में आयोजित होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी 22 सितंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी' में शिरकत करेंगे, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वह भी भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'हमें खुशी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 22 सितंबर को ह्यूस्टन में सामुदायिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.' हालिया इतिहास में यह पहली बार होगा जब दो सबसे बड़े लोकंतत्रों के नेता एक संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे. एनआरजी स्टेडियम में होने वाले कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी! शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर' के लिए रिकार्ड संख्या में 50,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है. ‘हाउडी' शब्द का प्रयोग ‘आप कैसे हैं?' के लिए किया जाता है. दक्षिण पश्चिम अमेरिका में अभिवादन के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है. वहीं, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफनी ग्रिशम ने एक बयान में कहा, ‘यह (मोदी-ट्रम्प की साझा रैली होगी) अमेरिका और भारत के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने, दुनिया के सबसे पुराने एवं सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी की पुन: पुष्टि करने और उनकी ऊर्जा तथा व्यापारिक संबंधों को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने का बेहतरीन मौका होगा.' यह पहला मौका होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करेंगे। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि ट्रम्प का ‘हाउडी मोदी' कार्यक्रम में हिस्सा लेना ‘‘ऐतिहासिक'' और ‘‘अभूतपूर्व'' है. श्रृंगला ने कहा, ‘यह दोस्ती तथा सहयोग के मजबूत रिश्तों को दर्शाता है, जो भारत और अमेरिका के बीच विकसित हुए हैं.' राजदूत ने व्हाइट हाउस की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘ यह अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक है और भारत-अमेरिका के बीच करीबी संबंधों को दर्शाता है.' राजदूत ने कहा कि दोनों नेताओं का कार्यक्रम को संबोधित करना एक बड़ी मिसाल कायम करता है, जो अपरंपरागत एवं अनोखी है. श्रृंगला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का 50,000 से अधिक अमेरिकी-भारतीयों (अधिकतर अमेरिकी नागरिकों) को संबोधित करना ऐतिहासिक होगा.' व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रम्प के साथ हुई मुलाकात में इसका अनुरोध किया था. भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने उसे विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. अधिकारी ने कहा कि ट्रम्प ने तुरन्त ही प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. मोदी और ट्रम्प के बीच इस साल यह तीसरी मुलाकात होगी। जी-7 से पहले दोनों नेताओं ने जून में जापान में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: शाहरुख़ को नहीं हज़म हुआ शब्दों पर सेंसर का बैन
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख़ खान ने सेंसर बोर्ड द्वारा कुछ आपत्तिजनक या गालियों वाले शब्दों पर प्रतिबंध लगाने पर थोड़ी आपत्ति जताई है, साथ ही शाहरुख़ ने सेंसर बोर्ड को सुझाव भी दिए हैं। सेंसर बोर्ड ने कुछ गालियों और अभद्र शब्दों की लिस्ट जारी कर ऐसे शब्दों पर फिल्मों में प्रतिबंध लगाने को कहा था, जिससे न सिर्फ शाहरुख़ खान, बल्कि करीब-करीब पूरा बॉलीवुड और यहां तक कि सेंसर बोर्ड के कुछ सदस्य भी सहमत नहीं थे। मुंबई में हुए एक प्रमोशनल इवेंट में शाहरुख़ ने कहा कि, जहां तक भाषा और फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन की बात है, ये सब आधारित होता है अलग-अलग फिल्मों पर, लेकिन मेरे नज़रिये से हर चीज़ या हर फ़िल्म के लिए एक ही पैमाना नहीं होना चाहिए और सभी फिल्मों के लिए एक लिस्ट जारी करना सही नहीं है। शाहरुख़ ने लगे हाथो सेंसर बोर्ड को सुझाव भी दे दिया और कहा कि 'सेंसर बोर्ड को सर्टिफिकेट की कटेगरी बढ़ानी चाहिए, जिसमें 'यू/ए' और 'ए' के अलावा Parental Guidence यानी माता-पिता के साथ फ़िल्म देखना, Non Parental Guidence यानी बिना माता-पिता के साथ फ़िल्म देखने जी इजाज़त, Strictly Adult यानी 18 से कम आयु को किसी भी कीमत पर फ़िल्म न दिखाएं, वगैरह-वगैरह।' इधर ख़बरों के अनुसार शाहरुख़ की सेंसर बोर्ड पर इस टिपणी से पहले सेंसर बोर्ड ने अपनी एनुअल मीटिंग में गालियों और अभद्र शब्दों की इस लिस्ट पर फिलहाल रोक लगा दी है और बाद में इस लिस्ट पर फैसले को कहा है, क्योंकि न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि सेंसर बोर्ड के कई सदस्य इस लिस्ट से सहमत नहीं थे।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: यशवंत सिन्हा का अरुण जेटली पर वार- 80 साल की उम्र में नौकरी मांगने वाला मजाक अच्छा था, मुझे पसंद आया
यह एक लेख है: यशवंत सिन्हा ने इस पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री वायपेयी ने उन्हें विदेश मंत्री बनाया था, अगर वो असक्षम थे तो क्यों उन्हें ये महत्वपूर्ण ज़म्मेदारी सौंपी गयी थी, वो भी ऐसे वक्त पर जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं आमने-सामने थीं. यशवंत सिन्हा सीधे-सीधे आरोप लगा रहे हैं कि जिस आदमी ने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी वो क्या लोगों की समस्याओं के बारे में जाने. जेटली सिन्हा के ज़माने की अर्थव्यवस्था की खामियां गिनाकर जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी की लड़ाई में मौका कांग्रेस को मिल गया है. उसने जेटली पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये सही कदम ना उठाए तो वो पूर्व वित्त मंत्री वही बन जाएंगे. लेकिन वित्त मंत्री की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं. शुक्रवार को संसद की कन्सलटेटिव कमेटी की बैठक में एक सांसद ने वित्त मंत्री की मौजूदगी में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर सवाल उठा दिया और चिंता जताई. सूत्रों के मुताबिक सांसद ने बैठक में कहा कि सरकार जिस तरह से हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है वो नाकाफी है.टिप्पणियां उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. यशवंत सिन्हा सीधे-सीधे आरोप लगा रहे हैं कि जिस आदमी ने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी वो क्या लोगों की समस्याओं के बारे में जाने. जेटली सिन्हा के ज़माने की अर्थव्यवस्था की खामियां गिनाकर जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी की लड़ाई में मौका कांग्रेस को मिल गया है. उसने जेटली पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये सही कदम ना उठाए तो वो पूर्व वित्त मंत्री वही बन जाएंगे. लेकिन वित्त मंत्री की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं. शुक्रवार को संसद की कन्सलटेटिव कमेटी की बैठक में एक सांसद ने वित्त मंत्री की मौजूदगी में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर सवाल उठा दिया और चिंता जताई. सूत्रों के मुताबिक सांसद ने बैठक में कहा कि सरकार जिस तरह से हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है वो नाकाफी है.टिप्पणियां उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. बीजेपी की लड़ाई में मौका कांग्रेस को मिल गया है. उसने जेटली पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये सही कदम ना उठाए तो वो पूर्व वित्त मंत्री वही बन जाएंगे. लेकिन वित्त मंत्री की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं. शुक्रवार को संसद की कन्सलटेटिव कमेटी की बैठक में एक सांसद ने वित्त मंत्री की मौजूदगी में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर सवाल उठा दिया और चिंता जताई. सूत्रों के मुताबिक सांसद ने बैठक में कहा कि सरकार जिस तरह से हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है वो नाकाफी है.टिप्पणियां उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. लेकिन वित्त मंत्री की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं. शुक्रवार को संसद की कन्सलटेटिव कमेटी की बैठक में एक सांसद ने वित्त मंत्री की मौजूदगी में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर सवाल उठा दिया और चिंता जताई. सूत्रों के मुताबिक सांसद ने बैठक में कहा कि सरकार जिस तरह से हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है वो नाकाफी है.टिप्पणियां उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. टिप्पणियां उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. उधर शिवसेना ने फिर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल उठा दिये हैं. शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा - "अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की पहल नाकाम साबित हुई है. सरकार को बड़े स्तर पर दखल देना होगा. इसके लिए सरकार को आम लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ कम करने के लिए टैक्स रेट घटाना होगा. सरकार को GST रेट में बदलाव करने पर भी विचार करना चाहिए." साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है. साफ है, कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है. यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के असंतुष्ट नेता और एनडीए के नाराज़ सहयोगी दल भी सरकार की आर्थिक नातियों पर खुल कर सवाल उठा रहे हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी और एनडीए के अंदर से उट रही विरोध की इन आवाज़ों से सरकार आने वाले दिनों में कैसे निपटती है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पाकिस्‍तान के आतंकी सरगना हाफिज सईद की संस्था कश्मीर में आवश्यक वस्तुएं भेजेगी
लेख: प्रतिबंधित जमात-उद-दावा की धर्मादा शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) ने जम्मू एवं कश्मीर में रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों से भरा वाहनों का काफिला भेजने की सोमवार को घोषणा की। एफआईएफ का प्रमुख आतंकी सरगना हाफिज सईद है। वाहनों के काफिले में वे सामान भरे हैं, जिन्हें इस संस्था ने पूरे पाकिस्तान से दान के रूप में एकत्र किया है। एफआईएफ के बयान के मुताबिक, काफिला मुजफ्फराबाद से मंगलवार को चाकोथी के लिए रवाना होगा। चाकोथी नियंत्रण रेखा के पास सीमा से लगा गांव है। वहां से ये समान कमान ब्रिज से कश्मीर भेजे जाएंगे। यह पुल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत अधिकृत कश्मीर से जोड़ता है। जरूरी सामानों में चावल, तेल, ताजा और सूखी सब्जियां, मक्खन, शिशु आहार और दवाइयां हैं। टिप्पणियां इस संस्था के हाफिज अब्दुल रऊफ ने वैश्विक मानवतावादी संगठनों और संस्थाओं से कश्मीर मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एफआईएफ के बयान के मुताबिक, काफिला मुजफ्फराबाद से मंगलवार को चाकोथी के लिए रवाना होगा। चाकोथी नियंत्रण रेखा के पास सीमा से लगा गांव है। वहां से ये समान कमान ब्रिज से कश्मीर भेजे जाएंगे। यह पुल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत अधिकृत कश्मीर से जोड़ता है। जरूरी सामानों में चावल, तेल, ताजा और सूखी सब्जियां, मक्खन, शिशु आहार और दवाइयां हैं। टिप्पणियां इस संस्था के हाफिज अब्दुल रऊफ ने वैश्विक मानवतावादी संगठनों और संस्थाओं से कश्मीर मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) जरूरी सामानों में चावल, तेल, ताजा और सूखी सब्जियां, मक्खन, शिशु आहार और दवाइयां हैं। टिप्पणियां इस संस्था के हाफिज अब्दुल रऊफ ने वैश्विक मानवतावादी संगठनों और संस्थाओं से कश्मीर मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इस संस्था के हाफिज अब्दुल रऊफ ने वैश्विक मानवतावादी संगठनों और संस्थाओं से कश्मीर मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: लाखों रुपये के नोट देखकर भी नहीं बदली इस ऑटो चालक की नीयत, बना ईमानदारी की मिसाल
लेख: लाखों रुपये के नोट देकर भी इंसान की नीयत नहीं बदली। उसने ईमानदारी से जिनके पैसे थे, उन्हें फोन किया और नोटों से भरी थैली वापस कर दी। ईमानदारी की ये सच्ची कहानी मुंबई से सटे भिवंडी की है। दरअसल, भिवंडी से काल्हेर जाने के लिए मिलिंद अंबावने सलीम शेख के ऑटो पर सवार हुए। मिलिंद अपने दोस्त के साथ मिलकर एक नई दुकान खोलने वाले थे, इसलिए साथ में दस सालों की कमाई 1 लाख 60 हज़ार रुपये, ज़रूरी कागज़ात और कुछ सामान भी था। ऑटो में बैठकर उन्होंने सामान आगे रखा, लेकिन नोटों से भरी थैली ऑटो के पीछे रख दी। जब ऑटो से उतरे तो सामान निकाल लिया, लेकिन पैसों से भरी थैली लेना भूल गए। आधे घंटे बाद मिलिंद को पैसों की याद आई। तीन घंटे भटकते रहे। उस दौरान ऑटो चालक सलीम शेख घर पहुंचे और ऑटो पार्क वक्त उन्हें वो थैली दिखी। लाखों रुपये देखकर भी सलीम का ईमान नहीं डोला। उन्होंने थैली में मौजूद कागज़ातों से मिलिंद का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया और पैसे लौटाकर आए।टिप्पणियां बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है। सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है। दरअसल, भिवंडी से काल्हेर जाने के लिए मिलिंद अंबावने सलीम शेख के ऑटो पर सवार हुए। मिलिंद अपने दोस्त के साथ मिलकर एक नई दुकान खोलने वाले थे, इसलिए साथ में दस सालों की कमाई 1 लाख 60 हज़ार रुपये, ज़रूरी कागज़ात और कुछ सामान भी था। ऑटो में बैठकर उन्होंने सामान आगे रखा, लेकिन नोटों से भरी थैली ऑटो के पीछे रख दी। जब ऑटो से उतरे तो सामान निकाल लिया, लेकिन पैसों से भरी थैली लेना भूल गए। आधे घंटे बाद मिलिंद को पैसों की याद आई। तीन घंटे भटकते रहे। उस दौरान ऑटो चालक सलीम शेख घर पहुंचे और ऑटो पार्क वक्त उन्हें वो थैली दिखी। लाखों रुपये देखकर भी सलीम का ईमान नहीं डोला। उन्होंने थैली में मौजूद कागज़ातों से मिलिंद का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया और पैसे लौटाकर आए।टिप्पणियां बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है। सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है। आधे घंटे बाद मिलिंद को पैसों की याद आई। तीन घंटे भटकते रहे। उस दौरान ऑटो चालक सलीम शेख घर पहुंचे और ऑटो पार्क वक्त उन्हें वो थैली दिखी। लाखों रुपये देखकर भी सलीम का ईमान नहीं डोला। उन्होंने थैली में मौजूद कागज़ातों से मिलिंद का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया और पैसे लौटाकर आए।टिप्पणियां बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है। सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है। बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है। सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है। सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: Video- पानी की पाइप लाइन में हुआ जोरदार धमाका, कारों के उड़े परखच्चे, इमारतों की टूटी खिड़कियां
यह लेख है: सोमवार की दोपहर यूक्रेन की राजधानी कीव की एक सड़क पर सब कुछ सामान्य था, तभी अचानक सड़क कांपने लगी और सड़क के अंदर एक जोरदार धमाका हुआ. इस धमाके में कई कारें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं और आसपास की इमारतों के शीशे भी टूट गए. धमाका किसी विस्फोटक की वजह से नहीं बल्कि पानी की पाइप लाइन में पानी के अधिक दबाव के कारण हुआ. इस धमाके से सड़क का बड़ा हिस्सा बुरी तरह तबाह हो गया और सड़क पर बाढ़ के हालात पैदा गए. यह पूरा घटनाक्रम एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया.  सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि पहले तो सड़क बड़ी तेजी से कांपती है और फिर तेज धमाका होता है. धमाके के साथ वहां बड़ी मात्रा में पानी बहने लगता है. फुटेज में दिखाया गया है कि एक महिला बाहर झांकने भी आती है, लेकिन वह समझ नहीं पाती कि आखिर हुआ क्या है. एक अन्य कैमरे में सड़क पर कीचड़ की बाढ़ दिखाई गई है. घटना के बाद पूरे इलाके में सिर्फ कीचड़ और धूल का ही मंजर था. धमाके में सड़के के किनारे दुकानों को भी काफी नुकसान हुआ है. इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो को वहां के एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि पहले तो सड़क बड़ी तेजी से कांपती है और फिर तेज धमाका होता है. धमाके के साथ वहां बड़ी मात्रा में पानी बहने लगता है. फुटेज में दिखाया गया है कि एक महिला बाहर झांकने भी आती है, लेकिन वह समझ नहीं पाती कि आखिर हुआ क्या है. एक अन्य कैमरे में सड़क पर कीचड़ की बाढ़ दिखाई गई है. घटना के बाद पूरे इलाके में सिर्फ कीचड़ और धूल का ही मंजर था. धमाके में सड़के के किनारे दुकानों को भी काफी नुकसान हुआ है. इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो को वहां के एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि पहले तो सड़क बड़ी तेजी से कांपती है और फिर तेज धमाका होता है. धमाके के साथ वहां बड़ी मात्रा में पानी बहने लगता है. फुटेज में दिखाया गया है कि एक महिला बाहर झांकने भी आती है, लेकिन वह समझ नहीं पाती कि आखिर हुआ क्या है. एक अन्य कैमरे में सड़क पर कीचड़ की बाढ़ दिखाई गई है. घटना के बाद पूरे इलाके में सिर्फ कीचड़ और धूल का ही मंजर था. धमाके में सड़के के किनारे दुकानों को भी काफी नुकसान हुआ है. इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो को वहां के एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  एक अन्य कैमरे में सड़क पर कीचड़ की बाढ़ दिखाई गई है. घटना के बाद पूरे इलाके में सिर्फ कीचड़ और धूल का ही मंजर था. धमाके में सड़के के किनारे दुकानों को भी काफी नुकसान हुआ है. इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो को वहां के एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यूक्रेन मीडिया के मुताबिक पानी की पाइप का ब्लास्ट इतना जोरदार था कि पानी और कीचड़ का फव्वारा इमारतों की सातवीं मंजिल तक को छू गया. यूक्रेन के स्थानीय पत्रकार ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. टिप्पणियां   सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.    सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.  सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है. विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा भी बन गया था.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: अमेरिका ने लीबिया की स्थिति पर जताई गहरी चिंता
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अमेरिका ने लीबिया की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताई है, जहां लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर हुए हिंसक बल प्रयोग से करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने कहा, लीबिया से आ रही विचलित कर देने वाली रिपोर्टों और हालात पर अमेरिका काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि, हालांकि अमेरिका लीबिया से आ रहे तथ्यों की सच्चाई जानने में जुटा हुआ है, लेकिन कुछ विश्वसनीय खबरें मिली हैं कि कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया एवं मानवाधिकार संस्थाओं की वहां तक कम पहुंच के चलते मारे गए लोगों की सही-सही संख्या का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा, हमने लीबिया के विदेशमंत्री मुसा कुसा सहित कई लीबियाई अधिकारियों के समक्ष शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर घातक बल प्रयोग करने के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, हमनें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्वक जनसभा करने सहित सार्वभौमिक अधिकारों के महत्व के बाबत अपनी बात लीबियाई अधिकारियों से समक्ष दोहराई है। उन्होंने कहा, लीबियाई अधिकारियों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की बात कही है। क्राउले ने लीबिया सरकार से उनकी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहने का आह्वान किया है। साथ ही क्राउले कहा है कि उन सुरक्षा अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए, जो इन प्रतिबद्धताओं पर अमल नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि मुअम्मर गद्दाफी के 41 सालों के शासन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में सरकारी दमन के चलते अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: भारत ने तीसरा वनडे जीता, सीरीज पर कब्जा
यह एक लेख है: मध्यक्रम के बल्लेबाज रोहित शर्मा (नाबाद 86) के साहसी अर्द्धशतक की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज को तीसरे वनडे मैच में तीन विकेट से हराकर पांच मैचों की शृंखला अपने नाम कर ली। भारतीय टीम ने जीत के लिए जरूरी 226 रन का लक्ष्य 46.2 ओवर में सात विकेट खोकर हासिल किया। रोहित ने 91 गेंदों की अपनी पारी में पांच चौके और दो छक्के जड़े। रोहित के अलावा सलामी बल्लेबाज पार्थिव पटेल (46), हरभजन सिंह (41) और अंतिम पलों में प्रवीण कुमार (15 गेंदों में नाबाद 25 रन) ने भी महत्वपूर्ण पारियां खेलीं। इस जीत के साथ भारत ने वनडे शृंखला में 3-0 से अजेय बढ़त बना ली। भारत एक समय 92 रन पर छह विकेट गंवाकर जूझ रहा था, लेकिन रोहित ने हरभजन के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 88 रन जोड़कर टीम को परेशानियों से उबारा। भारत के चार प्रमुख बल्लेबाज शिखर धवन (04), विराट कोहली (00), कप्तान सुरेश रैना (03) और यूसुफ पठान (01) दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके, जबकि बद्रीनाथ ने 11 रन बनाए। इससे पहले वेस्टइंडीज ने ऑलराउंडर एंड्रे रसेल (नाबाद 92) की आतिशी पारी की बदौलत संकट से उबरते हुए आठ विकेट के नुकसान पर 225 रन बनाए। भारत के लेग स्पिनर अमित मिश्रा (28 रन देकर तीन विकेट) और तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल (60 रन देकर तीन विकेट) की शानदार गेंदबाजी की वजह से वेस्टइंडीज एक समय 96 रन पर सात विकेट गंवाकर बहुत बड़े संकट में था, लेकिन इसके बाद मैदान में उतरे रसेल ने धुआंधार बल्लेबाजी की। रसेल ने अपनी लाजवाब पारी से वेस्टइंडीज के गेंदबाजों को सम्मानजनक स्कोर दिया। रसेल ने 64 गेंदों की अपनी पारी में आठ चौके और पांच लंबे छक्के जड़े। वेस्टइंडीज की शुरुआत अच्छी रही थी और उसका स्कोर 14.4 ओवर में एक विकेट के नुकसान पर 65 रन था, लेकिन अगले 14.5 ओवर में भारतीय गेंदबाजों ने विपक्षी बल्लेबाजों पर हावी होते हुए 31 रन के भीतर छह खिलाडियों को पैवेलियन की राह दिखाई और स्कोर 96 रन पर सात विकेट हो गया। रसेल ने बॉ (73 गेंद में 36 रन) के साथ मिलकर आठवें विकेट के लिए 78 रन बनाए और भारतीय गेंदबाज वेस्टइंडीज के पुछल्ले बल्लेबाजों पर दबाव बनाने में नाकाम रहे। रसेल ने रैना को निशाना बनाते हुए उनके एक ओवर में 22 रन ठोके। इससे पहले रैना ने टॉस जीतकर मेजबान टीम को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। मुनाफ ने कप्तान के निर्णय को सही साबित करते हुए पारी के दूसरे ओवर में वेस्टइंडीज को किर्क एडवर्डस (00) के रूप में पहला झटका दिया। लिंडल सिमंस (45) और रामनरेश सरवन (28) ने दूसरे विकेट के लिए 65 रन जोड़े। सरवन के रन आउट होने के बाद मिश्रा ने विपक्षी बल्लेबाजों पर दबाव बनाते हुए तीन झटके दिए। हरभजन ने आक्रामक बल्लेबाज किरोन पोलार्ड (06) का आउट करके एकमात्र सफलता हासिल की।
9
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: टीएमसी-कांग्रेस में सुलह : लोकपाल बिल फिर होगा राज्यसभा में पेश
लेख: भ्रष्टाचार के विरोध में तैयार किया गया लोकपाल बिल एक बार फिर अगले हफ्ते राज्य सभा में पेश किया जा सकता है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार बिल में कुछ बदलाव करने को राजी हो गई है। सरकार की ओर से किए जाने वाले बदलावों में तृणमूल कांग्रेस द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल किया जा रहा है।टिप्पणियां बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने बिल के कुछ हिस्सों पर यह कहकर आपत्ति जताई थी कि इससे राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन होता है। लोकपाल बिल के तहत केंद्र में एक लोकपाल और सात सदस्य होंगे और बिल यह भी कहता है कि राज्यों को भी इसी तर्ज पर लोकायुक्त बनाने होंगे। तृणमूल, भाजपा और तमाम अन्य दलों को राज्यों को निर्देशित करने वाला उपबंध पसंद नहीं आया था। उनका मानना था कि यह उपबंध देश के संघीय ढांचे का हृांस करता है। इन लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार को यह आदेश नहीं देना चाहिए बल्कि यह राज्य पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह कैसा लोकायुक्त तैयार करें। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने पिछले साल अपने आंदोलन में कहा था कि यदि राज्यों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया तब यह बिल बेकार साबित होगा। इस बिल के समर्थन के लिए सरकार ने तमाम राजनीतिक दलों से बातचीत आरंभ कर दी है। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने बिल के कुछ हिस्सों पर यह कहकर आपत्ति जताई थी कि इससे राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन होता है। लोकपाल बिल के तहत केंद्र में एक लोकपाल और सात सदस्य होंगे और बिल यह भी कहता है कि राज्यों को भी इसी तर्ज पर लोकायुक्त बनाने होंगे। तृणमूल, भाजपा और तमाम अन्य दलों को राज्यों को निर्देशित करने वाला उपबंध पसंद नहीं आया था। उनका मानना था कि यह उपबंध देश के संघीय ढांचे का हृांस करता है। इन लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार को यह आदेश नहीं देना चाहिए बल्कि यह राज्य पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह कैसा लोकायुक्त तैयार करें। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने पिछले साल अपने आंदोलन में कहा था कि यदि राज्यों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया तब यह बिल बेकार साबित होगा। इस बिल के समर्थन के लिए सरकार ने तमाम राजनीतिक दलों से बातचीत आरंभ कर दी है। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने पिछले साल अपने आंदोलन में कहा था कि यदि राज्यों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया तब यह बिल बेकार साबित होगा। इस बिल के समर्थन के लिए सरकार ने तमाम राजनीतिक दलों से बातचीत आरंभ कर दी है।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: अमेरिका : पिता ने बच्ची को सजा के लिए घर से बाहर किया, 3 साल की बच्ची हो गई लापता
यह लेख है: अमेरिकी राज्य टेक्सास में एक पिता ने अपनी तीन साल की बेटी को दूध न पीने पर आधी रात को घर के बाहर खड़ा कर दिया, जिसके बाद बच्ची लापता हो गई. रिचर्ड्सन पुलिस विभाग ने फेसबुक पर लिखा, "शेरिन मैथ्यूस को उसके पिता वेस्ली ने आखिरी बार सनिंगडेल के 900 ब्लॉक स्थित घर के पिछवाड़े में देखा था." सार्जेट केविन पेर्लिच ने 'क्रोन डॉट कॉम' को सोमवार सुबह बताया, "बच्ची शनिवार रात लगभग तीन बजे से लापता है. उसके पिता ने दूध न खत्म करने की सजा के तौर पर उसे डलास में अपने घर के बाहर की गली से लगे एक पेड़ के पास खड़े रहने के लिए कहा."  बेटी को वहीं खड़ा करने के बाद वेस्ली मैथ्यूज घर के अंदर चले गए और वह 15 मिनट बाद दोबारा उसी स्थान पर गए तब उन्हें वहां बेटी खड़ी नहीं मिली. मैथ्यूज ने पुलिस को पांच घंटे बाद अपनी लापता बेटी की सूचना दी. केविन ने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया संदिग्ध लग रही थी. बच्ची के लापता होने की स्थिति में जैसी प्रतिक्रिया सामान्यतया मां-बाप की होती है, उनकी प्रतिक्रिया वैसी नहीं थी.  वेस्ली को बच्ची को त्यागने और उसके जीवन को खतरे में डालने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद रविवार को उन्हें बॉंन्ड पर रिहा कर दिया गया. मैथ्यूज ने जांचकर्ताओं को बताया कि गली में भेंड़िए देखे गए थे, लेकिन जांचकर्ताओं ने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे लगे कि कोई और बच्ची को उठा ले गया हो.  टिप्पणियां 'एनबीसी' न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की तह तक पहुंचने के लिए जांचकर्ताओं ने परिवार के तीन वाहनों, सेलफोन और लैपटॉप को जब्त कर लिया है. जांच के लिए शेरिन मैथ्यूज की बड़ी बहन को सोमवार को एहतियातन हिरासत में भी रखा गया.  पुलिस के बयान के अनुसार, "शेरिन को विकास संबंधी समस्या और बोलन में दिक्कत थी. उसे आखिरी बार गुलाबी रंग के टॉप, काले रंग के पाजामा और गुलाबी फ्लिप फ्लॉप (चप्पल) पहने हुए देखा गया था. मैथ्यू परिवार ने दो साल पहले भारत के एक अनाथालय से लड़की को गोद लिया था." (आईएएनएस) बेटी को वहीं खड़ा करने के बाद वेस्ली मैथ्यूज घर के अंदर चले गए और वह 15 मिनट बाद दोबारा उसी स्थान पर गए तब उन्हें वहां बेटी खड़ी नहीं मिली. मैथ्यूज ने पुलिस को पांच घंटे बाद अपनी लापता बेटी की सूचना दी. केविन ने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया संदिग्ध लग रही थी. बच्ची के लापता होने की स्थिति में जैसी प्रतिक्रिया सामान्यतया मां-बाप की होती है, उनकी प्रतिक्रिया वैसी नहीं थी.  वेस्ली को बच्ची को त्यागने और उसके जीवन को खतरे में डालने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद रविवार को उन्हें बॉंन्ड पर रिहा कर दिया गया. मैथ्यूज ने जांचकर्ताओं को बताया कि गली में भेंड़िए देखे गए थे, लेकिन जांचकर्ताओं ने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे लगे कि कोई और बच्ची को उठा ले गया हो.  टिप्पणियां 'एनबीसी' न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की तह तक पहुंचने के लिए जांचकर्ताओं ने परिवार के तीन वाहनों, सेलफोन और लैपटॉप को जब्त कर लिया है. जांच के लिए शेरिन मैथ्यूज की बड़ी बहन को सोमवार को एहतियातन हिरासत में भी रखा गया.  पुलिस के बयान के अनुसार, "शेरिन को विकास संबंधी समस्या और बोलन में दिक्कत थी. उसे आखिरी बार गुलाबी रंग के टॉप, काले रंग के पाजामा और गुलाबी फ्लिप फ्लॉप (चप्पल) पहने हुए देखा गया था. मैथ्यू परिवार ने दो साल पहले भारत के एक अनाथालय से लड़की को गोद लिया था." (आईएएनएस) वेस्ली को बच्ची को त्यागने और उसके जीवन को खतरे में डालने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद रविवार को उन्हें बॉंन्ड पर रिहा कर दिया गया. मैथ्यूज ने जांचकर्ताओं को बताया कि गली में भेंड़िए देखे गए थे, लेकिन जांचकर्ताओं ने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे लगे कि कोई और बच्ची को उठा ले गया हो.  टिप्पणियां 'एनबीसी' न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की तह तक पहुंचने के लिए जांचकर्ताओं ने परिवार के तीन वाहनों, सेलफोन और लैपटॉप को जब्त कर लिया है. जांच के लिए शेरिन मैथ्यूज की बड़ी बहन को सोमवार को एहतियातन हिरासत में भी रखा गया.  पुलिस के बयान के अनुसार, "शेरिन को विकास संबंधी समस्या और बोलन में दिक्कत थी. उसे आखिरी बार गुलाबी रंग के टॉप, काले रंग के पाजामा और गुलाबी फ्लिप फ्लॉप (चप्पल) पहने हुए देखा गया था. मैथ्यू परिवार ने दो साल पहले भारत के एक अनाथालय से लड़की को गोद लिया था." (आईएएनएस) 'एनबीसी' न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की तह तक पहुंचने के लिए जांचकर्ताओं ने परिवार के तीन वाहनों, सेलफोन और लैपटॉप को जब्त कर लिया है. जांच के लिए शेरिन मैथ्यूज की बड़ी बहन को सोमवार को एहतियातन हिरासत में भी रखा गया.  पुलिस के बयान के अनुसार, "शेरिन को विकास संबंधी समस्या और बोलन में दिक्कत थी. उसे आखिरी बार गुलाबी रंग के टॉप, काले रंग के पाजामा और गुलाबी फ्लिप फ्लॉप (चप्पल) पहने हुए देखा गया था. मैथ्यू परिवार ने दो साल पहले भारत के एक अनाथालय से लड़की को गोद लिया था." (आईएएनएस) पुलिस के बयान के अनुसार, "शेरिन को विकास संबंधी समस्या और बोलन में दिक्कत थी. उसे आखिरी बार गुलाबी रंग के टॉप, काले रंग के पाजामा और गुलाबी फ्लिप फ्लॉप (चप्पल) पहने हुए देखा गया था. मैथ्यू परिवार ने दो साल पहले भारत के एक अनाथालय से लड़की को गोद लिया था." (आईएएनएस)
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: वीआईपी साईं दर्शन और आरती की फ़ीस बढ़ी, एक मार्च 2016 से लागू होंगी नई दरें
यह लेख है: नासिक में शिरडी साईंबाबा ट्रस्ट ने वीआईपी दर्शन और आरती शुल्क में वृद्धि की है। काकड़ आरती की फीस जो 500 रुपये है, उसे बढ़ाकर 600 रुपये और सामान्य आरती की फीस 300 रुपये से बढाकर 400 रुपये प्रति व्यक्ति कर दी गई है। इसी तरह वीआईपी दर्शन का पास जो 100 रुपये में मिलता है उसे बढ़ाकर 200 रुपये प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। ट्रस्ट के मुताबिक नई दरें एक मार्च 2016 से लागू होंगी और अब भक्त निवास में ठहरने वाले साईं भक्तों को भी वीआईपी दर्शन के पास मिल सकेंगे। उसके लिए भक्त निवास में ही काउंटर बनाये जायेंगे। एक जानकारी के मुताबिक एक घंटे में औसतन 300 वीआईपी दर्शन पास बिकता है। बिना पास के साईं दर्शन में जहां कई घंटे लगते हैं वहीं वीआईपी दर्शन पास के जरिये 20 से 30 मिनट में साईं दर्शन का मौका मिल जाता है। ट्रस्ट के मुताबिक नई दरें एक मार्च 2016 से लागू होंगी और अब भक्त निवास में ठहरने वाले साईं भक्तों को भी वीआईपी दर्शन के पास मिल सकेंगे। उसके लिए भक्त निवास में ही काउंटर बनाये जायेंगे। एक जानकारी के मुताबिक एक घंटे में औसतन 300 वीआईपी दर्शन पास बिकता है। बिना पास के साईं दर्शन में जहां कई घंटे लगते हैं वहीं वीआईपी दर्शन पास के जरिये 20 से 30 मिनट में साईं दर्शन का मौका मिल जाता है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: 'हिन्दी, उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं शहरयार'
यह लेख है: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उर्दू के नामचीन शायर प्रो. अखलाक मोहम्मद खान 'शहरयार' को देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से नवाजते हुए कहा कि वह हिन्दी, उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं और उनकी शायरी के गहरे अर्थ हैं। अमिताभ ने कहा कि उर्दू कविता उनसे गौरवान्वित हुई है, वह डॉ. राही मासूम रजा की तरह ही हिन्दी उर्दू के बीच बनी एक काल्पनिक दीवार को तोड़ने के पक्षधर रहे हैं और वह वास्तव में हिन्दी उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं। उन्होंने कहा कि शहरयार साहब ने 'फासले', 'अंजुमन', 'गमन' और 'उमराव जान' के गीतों के रूप में फिल्मों को नायाब मोती दिए हैं जो अपने आप में विराट जीवन दर्शन को समेटे हुए हैं जो गीत कभी पुराने नहीं पड़ते। अमिताभ ने कहा कि सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है को सुनकर लोग बरबस रुक जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम सब अलग तरह से अपना जीवन जीते हैं और जीवन की आपाधापी में व्यस्त रहते हैं, इसमें बहुत कम ऐसे अवसर मिलते हैं जब हम जीवन के गहरे अथरें को समझते हैं और उनसे साक्षात्कार करते हैं।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की शाहरुख खान की जमकर तारीफ, कहा- वह सेट पर हीरोगिरी नहीं दिखाते
लेख: नवाजुद्दीन सिद्दीकी पहली बार ‘रईस’ में शाहरुख खान के साथ काम कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह सेट पर किसी के साथ काम करने का उनका अब तक का सबसे अच्छा अनुभव है, क्योंकि शाहरुख बहुत सहयोगात्मक रख अपनाते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से शाहरुख सेट पर अपने साथी कलाकारों की मदद करते हैं, वह लाजवाब है. नवाजुद्दीन ने बताया, ‘मैंने मेरे जीवन में शाहरुख जैसा सह-अभिनेता कभी नहीं देखा. लोग उन्हें सबसे अमीर अभिनेता के तौर पर देखते हैं और सोचते हैं कि वह एक सुपरस्टार हैं, लेकिन मैंने उनमें पाया कि वह सबसे उपर एक अभिनेता हैं. वह अत्यधिक मददगार हैं.’टिप्पणियां उन्होंने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वह फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक शाहरुख के साथ काम कर रहे हैं. इसकी वजह उनका खुलापन और हर किसी के प्रति लगाव का रवैया है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) नवाजुद्दीन ने बताया, ‘मैंने मेरे जीवन में शाहरुख जैसा सह-अभिनेता कभी नहीं देखा. लोग उन्हें सबसे अमीर अभिनेता के तौर पर देखते हैं और सोचते हैं कि वह एक सुपरस्टार हैं, लेकिन मैंने उनमें पाया कि वह सबसे उपर एक अभिनेता हैं. वह अत्यधिक मददगार हैं.’टिप्पणियां उन्होंने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वह फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक शाहरुख के साथ काम कर रहे हैं. इसकी वजह उनका खुलापन और हर किसी के प्रति लगाव का रवैया है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वह फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारों में से एक शाहरुख के साथ काम कर रहे हैं. इसकी वजह उनका खुलापन और हर किसी के प्रति लगाव का रवैया है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: हमें इस विजयी लय को जारी रखने की उम्मीद : जडेजा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा ने शुक्रवार को कहा कि मेजबान टीम शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वन-डे में अपनी विजयी लय को जारी रखते हुए पांच मैचों की सीरीज में 2-1 से बढ़त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। कोच्चि में भारत के लिए सीरीज 1-1 से बराबर करने में अहम भूमिका निभाने वाले जडेजा ने कहा, ‘‘हमने जिस तरह से पिछला मैच जीता, उससे हम काफी खुश हैं। हम सिर्फ इस विजयी लय को जारी रखकर इस मैच को जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। हम उम्मीद लगाए हैं कि हम सही चीजें करें। हम कल के गेम के बारे में काफी पाजीटिव हैं।’’ कोच्चि में अपने ऑल राउंड प्रदर्शन (37 गेंद में नाबाद 61 रन और 12 रन देकर दो विकेट) से मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीतने वाले जडेजा ने कहा कि वह कल भी ऐसा ही प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे। जडेजा ने कहा, ‘‘मैंने पिछले मैच में खेल के सभी तीनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन किया। मैं ऐसा ही करके भारत के लिये मैच जीतने की कोशिश करूंगा।’’ सौराष्ट्र के ऑल राउंडर ने कहा, ‘‘मुझे गेंदबाजी में कोई ज्यादा समस्या नहीं हुई थी। मैं हमेशा अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं और ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहता। जहां तक मेरी गेंदबाजी की बात है तो मैं इसमें ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहता।’’ जडेजा को लगता है कि वह इस रणजी सत्र में दो तिहरे शतक जड़कर बेहतर बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रणजी सत्र अच्छा रहा था। मैंने दो तिहरे शतक जमाए थे। यह मेरी बल्लेबाजी का सबसे सकारात्मक पहलू है। मैंने दो बार लंबी पारियां खेली हैं। मैं गलत शॉट पर आउट हुआ था। उम्मीद है कि दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा।’’टिप्पणियां विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ कोच्चि में भारत के लिए सीरीज 1-1 से बराबर करने में अहम भूमिका निभाने वाले जडेजा ने कहा, ‘‘हमने जिस तरह से पिछला मैच जीता, उससे हम काफी खुश हैं। हम सिर्फ इस विजयी लय को जारी रखकर इस मैच को जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। हम उम्मीद लगाए हैं कि हम सही चीजें करें। हम कल के गेम के बारे में काफी पाजीटिव हैं।’’ कोच्चि में अपने ऑल राउंड प्रदर्शन (37 गेंद में नाबाद 61 रन और 12 रन देकर दो विकेट) से मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीतने वाले जडेजा ने कहा कि वह कल भी ऐसा ही प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे। जडेजा ने कहा, ‘‘मैंने पिछले मैच में खेल के सभी तीनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन किया। मैं ऐसा ही करके भारत के लिये मैच जीतने की कोशिश करूंगा।’’ सौराष्ट्र के ऑल राउंडर ने कहा, ‘‘मुझे गेंदबाजी में कोई ज्यादा समस्या नहीं हुई थी। मैं हमेशा अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं और ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहता। जहां तक मेरी गेंदबाजी की बात है तो मैं इसमें ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहता।’’ जडेजा को लगता है कि वह इस रणजी सत्र में दो तिहरे शतक जड़कर बेहतर बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रणजी सत्र अच्छा रहा था। मैंने दो तिहरे शतक जमाए थे। यह मेरी बल्लेबाजी का सबसे सकारात्मक पहलू है। मैंने दो बार लंबी पारियां खेली हैं। मैं गलत शॉट पर आउट हुआ था। उम्मीद है कि दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा।’’टिप्पणियां विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ कोच्चि में अपने ऑल राउंड प्रदर्शन (37 गेंद में नाबाद 61 रन और 12 रन देकर दो विकेट) से मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीतने वाले जडेजा ने कहा कि वह कल भी ऐसा ही प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे। जडेजा ने कहा, ‘‘मैंने पिछले मैच में खेल के सभी तीनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन किया। मैं ऐसा ही करके भारत के लिये मैच जीतने की कोशिश करूंगा।’’ सौराष्ट्र के ऑल राउंडर ने कहा, ‘‘मुझे गेंदबाजी में कोई ज्यादा समस्या नहीं हुई थी। मैं हमेशा अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं और ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहता। जहां तक मेरी गेंदबाजी की बात है तो मैं इसमें ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहता।’’ जडेजा को लगता है कि वह इस रणजी सत्र में दो तिहरे शतक जड़कर बेहतर बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रणजी सत्र अच्छा रहा था। मैंने दो तिहरे शतक जमाए थे। यह मेरी बल्लेबाजी का सबसे सकारात्मक पहलू है। मैंने दो बार लंबी पारियां खेली हैं। मैं गलत शॉट पर आउट हुआ था। उम्मीद है कि दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा।’’टिप्पणियां विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ जडेजा ने कहा, ‘‘मैंने पिछले मैच में खेल के सभी तीनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन किया। मैं ऐसा ही करके भारत के लिये मैच जीतने की कोशिश करूंगा।’’ सौराष्ट्र के ऑल राउंडर ने कहा, ‘‘मुझे गेंदबाजी में कोई ज्यादा समस्या नहीं हुई थी। मैं हमेशा अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं और ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहता। जहां तक मेरी गेंदबाजी की बात है तो मैं इसमें ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहता।’’ जडेजा को लगता है कि वह इस रणजी सत्र में दो तिहरे शतक जड़कर बेहतर बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रणजी सत्र अच्छा रहा था। मैंने दो तिहरे शतक जमाए थे। यह मेरी बल्लेबाजी का सबसे सकारात्मक पहलू है। मैंने दो बार लंबी पारियां खेली हैं। मैं गलत शॉट पर आउट हुआ था। उम्मीद है कि दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा।’’टिप्पणियां विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ जडेजा को लगता है कि वह इस रणजी सत्र में दो तिहरे शतक जड़कर बेहतर बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रणजी सत्र अच्छा रहा था। मैंने दो तिहरे शतक जमाए थे। यह मेरी बल्लेबाजी का सबसे सकारात्मक पहलू है। मैंने दो बार लंबी पारियां खेली हैं। मैं गलत शॉट पर आउट हुआ था। उम्मीद है कि दोबारा इन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा।’’टिप्पणियां विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ विराट कोहली की फार्म में बारे में जडेजा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह चिंता की बात है। विराट काफी लंबे समय से अच्छा कर रहा था। यह हर क्रिकेटर की जिंदगी में होता है, हर कोई उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है। इसमें कोई शक नहीं अगर वह अच्छा करेगा तो टीम का मनोबल भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि कल वह भारत के लिए अच्छा खेले।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’ यह पूछने पर कि उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को यहां अपने घरेलू मैदान पर पहला मैच खेलने से पहले अभ्यास सत्र में कुछ नर्वस क्षणों से रूबरू होना पड़ा तो जडेजा ने कहा, ‘‘वह अब भी वही हैं। निश्चित रूप से वह घरेलू मैदान पर अपना पहला मैच खेलने को लेकर रोमांचित हैं।’’
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: यूक्रेन मुद्दे को लेकर अमेरिका ने रूस पर दबाव बढ़ाया
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अमेरिका ने यूक्रेन मुद्दे को लेकर रूस पर अपना दबाव और बढ़ा दिया है। अमेरिका चाहता है कि रूस जिनेवा में इसी सप्ताह संपन्न बैठक में यूक्रेन पर हुए चार-पक्षीय समझौते का पालन करे। अमेरिका ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि मास्को अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं करता तो उसके खिलाफ और प्रतिबंध लगाए जाएंगे। यह चेतावनी इसलिए दी गई है, क्योंकि प्रतीत होता है कि अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूक्रेन और रूस के बीच हुआ समझौता बेअसर हो गया है, क्योंकि पूर्व सोवियत गणराज्य में मास्को समर्थित विद्रोहियों ने हटने से इनकार कर दिया है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया, आने वाले दिनों में मुझे लगता है कि हमारे पास यह देखने का अवसर होगा कि क्या रूस इसे कर सकता है और क्या वह इस करार को बनाए रखेगा। उन्होंने बताया, हम इस बात नजर भी बनाए हुए हैं कि रूस संयम बरतने तथा अपने हथियारबंद लोगों को वहां की इमारतों तथा उन जगहों से वापस बुलाने की अपनी जिम्मेदारी का पालन करता है या नहीं, जहां उन्होंने कब्जा कर रखा है। राइस ने कहा कि हम देख रहे हैं कि रूस इस मसले पर क्या जवाब देता है। इससे पूर्व रूस ने अमेरिका की चेतावनी पर बेहद कड़ाई से अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: डॉ.अंबेडकर पर टिप्पणी मामला : अखिलेश यादव ने किया आजम खान का बचाव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के प्रति कथित अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप में विपक्ष के निशाने पर आये अपने वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खान का बचाव करते हुए आज कहा कि बसपा ने जमीनों पर कब्जा किया, उन पर स्मारक खड़े किए और जनता की गाढ़ी कमाई बरबाद की, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है. अखिलेश ने राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में खान द्वारा अम्बेडकर के प्रति की गई कथित टिप्पणी संबंधी सवाल पर कहा, बसपा पर यही आरोप है कि उन्होंने बड़ी-बड़ी जमीनें कब्जा करके स्मारक बना दिए. क्या तब भी केवल सपा के नेता ही यह आरोप लगा रहे थे. जनता का पैसा बरबाद हुआ, उस पर लोग सवाल जरूर खड़े करते हैं. उन्होंने कहा, लखनऊ की एक ऐतिहासिक जेल, जिसमें काकोरी काण्ड के आरोपी क्रांतिकारियों को रखा गया था, बसपा ने उस इतिहास को खत्म करके उस पर स्मारक बनवा दिया. कांग्रेस के लोग बताएं कि क्या इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की जमीन पर कब्जा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा, हम भी बाबा साहब अम्बेडकर को मानते हैं. हम कहें कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने अम्बेडकर जी के नाम से गांवों का विकास शुरू किया. बसपा वाले कहते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. अखिलेश ने विपक्ष के साथ-साथ मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा, विधानसभा का चुनाव आ रहा है. महापुरुषों के ठेकेदार हर तरफ घूम रहे हैं. आप (मीडिया) किसी को ठेकेदार न बनने दें. मालूम हो कि प्रदेश के नगर विकास एवं संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने गत सोमवार को गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में लगी अम्बेडकर की प्रतिमाओं की पांरपरिक बनावट पर टिप्पणी करते हुए कथित तौर पर कहा था कि अम्बेडकर उंगली उठाकर कहते हैं कि वह जिस जमीन पर खड़े हैं, वह तो उनकी है ही, साथ ही जिस तरफ वह उंगली से इशारा कर रहे हैं, वह जमीन भी उन्हीं की है. टिप्पणियां उनके इस बयान पर जहां बसपा ने कड़ा ऐतराज जताया था, वहीं भाजपा ने कल पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया था तथा जगह-जगह खान के पुतले जलाए थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अखिलेश ने राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में खान द्वारा अम्बेडकर के प्रति की गई कथित टिप्पणी संबंधी सवाल पर कहा, बसपा पर यही आरोप है कि उन्होंने बड़ी-बड़ी जमीनें कब्जा करके स्मारक बना दिए. क्या तब भी केवल सपा के नेता ही यह आरोप लगा रहे थे. जनता का पैसा बरबाद हुआ, उस पर लोग सवाल जरूर खड़े करते हैं. उन्होंने कहा, लखनऊ की एक ऐतिहासिक जेल, जिसमें काकोरी काण्ड के आरोपी क्रांतिकारियों को रखा गया था, बसपा ने उस इतिहास को खत्म करके उस पर स्मारक बनवा दिया. कांग्रेस के लोग बताएं कि क्या इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की जमीन पर कब्जा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा, हम भी बाबा साहब अम्बेडकर को मानते हैं. हम कहें कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने अम्बेडकर जी के नाम से गांवों का विकास शुरू किया. बसपा वाले कहते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. अखिलेश ने विपक्ष के साथ-साथ मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा, विधानसभा का चुनाव आ रहा है. महापुरुषों के ठेकेदार हर तरफ घूम रहे हैं. आप (मीडिया) किसी को ठेकेदार न बनने दें. मालूम हो कि प्रदेश के नगर विकास एवं संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने गत सोमवार को गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में लगी अम्बेडकर की प्रतिमाओं की पांरपरिक बनावट पर टिप्पणी करते हुए कथित तौर पर कहा था कि अम्बेडकर उंगली उठाकर कहते हैं कि वह जिस जमीन पर खड़े हैं, वह तो उनकी है ही, साथ ही जिस तरफ वह उंगली से इशारा कर रहे हैं, वह जमीन भी उन्हीं की है. टिप्पणियां उनके इस बयान पर जहां बसपा ने कड़ा ऐतराज जताया था, वहीं भाजपा ने कल पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया था तथा जगह-जगह खान के पुतले जलाए थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अखिलेश ने विपक्ष के साथ-साथ मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा, विधानसभा का चुनाव आ रहा है. महापुरुषों के ठेकेदार हर तरफ घूम रहे हैं. आप (मीडिया) किसी को ठेकेदार न बनने दें. मालूम हो कि प्रदेश के नगर विकास एवं संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने गत सोमवार को गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में लगी अम्बेडकर की प्रतिमाओं की पांरपरिक बनावट पर टिप्पणी करते हुए कथित तौर पर कहा था कि अम्बेडकर उंगली उठाकर कहते हैं कि वह जिस जमीन पर खड़े हैं, वह तो उनकी है ही, साथ ही जिस तरफ वह उंगली से इशारा कर रहे हैं, वह जमीन भी उन्हीं की है. टिप्पणियां उनके इस बयान पर जहां बसपा ने कड़ा ऐतराज जताया था, वहीं भाजपा ने कल पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया था तथा जगह-जगह खान के पुतले जलाए थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उनके इस बयान पर जहां बसपा ने कड़ा ऐतराज जताया था, वहीं भाजपा ने कल पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया था तथा जगह-जगह खान के पुतले जलाए थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: Super 30 Box Office Collection Day 20: ऋतिक रोशन की फिल्म की शानदार कमाई जारी, अब तक कमाए इतने करोड़
लेख: Super 30 Box Office Collection Day 20: बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की फिल्म 'सुपर 30 (Super 30)' का बॉक्स ऑफिस पर अभी तक कबजा कायम है. विकास बहल (Vikas Bahl) के निर्देशन में बनी फिल्म 'सुपर 30' अभी भी फैन्स के बीच छाई हुई है. हालांकि अब फिल्म की कमाई में ठोड़ी गिरावट आ गई है. फिल्म समीक्षक तरण आर्दश के अनुसार ऋतिक रोशन और मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur) स्टारर इस फिल्म ने मंगलवार को 1.35 करोड़ रुपये की कमाई की थी. वहीं, फिल्म की कमाई बुधवार को केवल 1.30 करोड़ रुपये पर ही सिमटकर रह गई. हालांकि इसके अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं आए हैं. इस हिसाब से इस फिल्म ने अब तक 130 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है.  खास बात ये है कि ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की फिल्म 'सुपर 30 (Super 30)' को बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित भारत के पांच राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है. फिल्म क्रिटिक्स के साथ ही दर्शकों से भी इस फिल्म को काफी सराहना मिल रही है. बता दें कि 'सुपर 30' ने पहले हफ्ते 75.85 करोड़ रुपए और दूसरे हफ्ते 37.86 करोड़ रुपए की कमाई की थी. वहीं तीसरे हफ्ते इस फिल्म ने 12 करोड़ 50 लाख रुपये की कमाई की थी.  बता दें विकास बहल के निर्देशन में बनी ये फिल्म मैथमेटिशियन आनंद कुमार के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने पिछड़े पृष्ठभूमि के बच्चों को मुफ्त में आईआईटी की तैयारी करवाई. इस फिल्म के जरिए लोगों को न केवल आनंद कुमार (Anand Kumar) के बारे में पता चला है, बल्कि उनके जीवन की कई कहानियां भी सुनने को मिली हैं. इस फिल्म में ऋतिक रोशन (Hrtihik Roshan) की परफॉर्मेंस को काफी सराहा जा रहा है.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: IIT रोपड़  से करें MS और PhD, B.Tech और B.E वालों के लिए भी शानदार मौका
यह एक लेख है: अंतिम तिथि, शैक्षिक योग्यता व आवेदन से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।  http://www.iitrpr.ac.in/admissions टिप्पणियां आपको बता दें कि एनआईआरएफ रैंकिंग में देश भर के इंजीनियरिंग संस्थानों में इसे नौंवे पायदान पर रखा गया है। आईआईटी रोपड़ से आपको रेगुलर, डायरेक्ट और एक्सटर्नल पीएचडी के ऑप्शन मिलेंगे। अगले सत्र से एमबीबीएस कोर्स की सीटें बढ़ाएगा एम्सIGNOU से Ph.D और M.Phil. करने का मौका, इस डेट से पहले करें अप्लाईUGC ने विश्वविद्यालयों से एरोनॉटिक्स में कोर्स शुरु करने को कहा आपको बता दें कि एनआईआरएफ रैंकिंग में देश भर के इंजीनियरिंग संस्थानों में इसे नौंवे पायदान पर रखा गया है। आईआईटी रोपड़ से आपको रेगुलर, डायरेक्ट और एक्सटर्नल पीएचडी के ऑप्शन मिलेंगे। अगले सत्र से एमबीबीएस कोर्स की सीटें बढ़ाएगा एम्सIGNOU से Ph.D और M.Phil. करने का मौका, इस डेट से पहले करें अप्लाईUGC ने विश्वविद्यालयों से एरोनॉटिक्स में कोर्स शुरु करने को कहा अगले सत्र से एमबीबीएस कोर्स की सीटें बढ़ाएगा एम्सIGNOU से Ph.D और M.Phil. करने का मौका, इस डेट से पहले करें अप्लाईUGC ने विश्वविद्यालयों से एरोनॉटिक्स में कोर्स शुरु करने को कहा
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: नोटबंदी है 'सफल राजनीतिक पासापलट' : फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गाय सॉरमैन
नोटबंदी 'सफल राजनीतिक तख्तापलट' है. विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्र गाय सॉरमैन ने यह कहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि यह भ्रष्टाचार का समूल सफाया करने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रही. सॉरमैन का मानना है कि भ्रष्टाचार के सफाए के लिए अभी और कदम उठाए जाने की जरूरत है. सॉरमैन ने कहा, ‘नोटबंदी एक सफल राजनीतिक तख्तापलट था जिसकी बहुसंख्यक भारतीयों ने सराहना की. सरकार ने दिखाया किया कि वह भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन, जाली नोट और भ्रष्टाचार पर एक बड़े प्रहार के तहत पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1000 के नोटों को अमान्य करार करने की घोषणा की थी. सॉरमैन ने कहा, ‘इसी के साथ उसने वाणिज्यि लेन-देन को बाधित किया है तथा बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था की गति धीमी कर दी लेकिन क्या इसने भ्रष्टाचार रोका? वाकई नहीं.’ ‘इकोनोमिक्स डज नॉट लाइ : ए डिफेंस ऑफ फ्री मार्केट इन टाइम ऑफ क्राइसिस’ समेत कई किताबें लिख चुके इन फ्रांसीसी अर्थशास्त्री ने कहा, ‘खेल के नये नियमों के हिसाब से भ्रष्टाचार के तौर तरीके के बदले गए हैं.’ नोटबंदी के पश्चात भाजपा नीत राजग सरकार ने कई स्थानीय निकायों और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव जीता. टिप्पणियां सॉरमैन ने यह भी कहा कि सरकार भ्रष्टाचार की मूल वजह यानी अत्यधिक विनियमन के खिलाफ कदम उठा नहीं पायी यानी, इन विनियमों की वजह से किसी भी स्तर पर नौकरशाहों को अदम्य ताकत मिल जाती है. हालांकि उन्होंने मोदी सरकार की इस समझ के लिए सराहना की कि वृद्धि को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका भारतीय उद्यमियों, बड़ी कंपनियों और नये एवं छोटे पूंजीपतियों को कल्पना एवं नवोन्मेष की आजादी देना है. हालांकि उनका कहना था कि बुनियादी ढांचे की कमी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नौकरशाही से मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी मोदी अर्थव्यवस्था को अनुमान के हिसाब मदद पहुंचाने के बजाय राजनीतिक और प्रतीकात्मक लाभ लेने में ज्यादा रूचि लेते हुए जान पड़ते हैं.’   सॉरमैन ने कहा, ‘नोटबंदी एक सफल राजनीतिक तख्तापलट था जिसकी बहुसंख्यक भारतीयों ने सराहना की. सरकार ने दिखाया किया कि वह भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन, जाली नोट और भ्रष्टाचार पर एक बड़े प्रहार के तहत पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1000 के नोटों को अमान्य करार करने की घोषणा की थी. सॉरमैन ने कहा, ‘इसी के साथ उसने वाणिज्यि लेन-देन को बाधित किया है तथा बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था की गति धीमी कर दी लेकिन क्या इसने भ्रष्टाचार रोका? वाकई नहीं.’ ‘इकोनोमिक्स डज नॉट लाइ : ए डिफेंस ऑफ फ्री मार्केट इन टाइम ऑफ क्राइसिस’ समेत कई किताबें लिख चुके इन फ्रांसीसी अर्थशास्त्री ने कहा, ‘खेल के नये नियमों के हिसाब से भ्रष्टाचार के तौर तरीके के बदले गए हैं.’ नोटबंदी के पश्चात भाजपा नीत राजग सरकार ने कई स्थानीय निकायों और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव जीता. टिप्पणियां सॉरमैन ने यह भी कहा कि सरकार भ्रष्टाचार की मूल वजह यानी अत्यधिक विनियमन के खिलाफ कदम उठा नहीं पायी यानी, इन विनियमों की वजह से किसी भी स्तर पर नौकरशाहों को अदम्य ताकत मिल जाती है. हालांकि उन्होंने मोदी सरकार की इस समझ के लिए सराहना की कि वृद्धि को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका भारतीय उद्यमियों, बड़ी कंपनियों और नये एवं छोटे पूंजीपतियों को कल्पना एवं नवोन्मेष की आजादी देना है. हालांकि उनका कहना था कि बुनियादी ढांचे की कमी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नौकरशाही से मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी मोदी अर्थव्यवस्था को अनुमान के हिसाब मदद पहुंचाने के बजाय राजनीतिक और प्रतीकात्मक लाभ लेने में ज्यादा रूचि लेते हुए जान पड़ते हैं.’   सॉरमैन ने कहा, ‘इसी के साथ उसने वाणिज्यि लेन-देन को बाधित किया है तथा बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था की गति धीमी कर दी लेकिन क्या इसने भ्रष्टाचार रोका? वाकई नहीं.’ ‘इकोनोमिक्स डज नॉट लाइ : ए डिफेंस ऑफ फ्री मार्केट इन टाइम ऑफ क्राइसिस’ समेत कई किताबें लिख चुके इन फ्रांसीसी अर्थशास्त्री ने कहा, ‘खेल के नये नियमों के हिसाब से भ्रष्टाचार के तौर तरीके के बदले गए हैं.’ नोटबंदी के पश्चात भाजपा नीत राजग सरकार ने कई स्थानीय निकायों और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव जीता. टिप्पणियां सॉरमैन ने यह भी कहा कि सरकार भ्रष्टाचार की मूल वजह यानी अत्यधिक विनियमन के खिलाफ कदम उठा नहीं पायी यानी, इन विनियमों की वजह से किसी भी स्तर पर नौकरशाहों को अदम्य ताकत मिल जाती है. हालांकि उन्होंने मोदी सरकार की इस समझ के लिए सराहना की कि वृद्धि को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका भारतीय उद्यमियों, बड़ी कंपनियों और नये एवं छोटे पूंजीपतियों को कल्पना एवं नवोन्मेष की आजादी देना है. हालांकि उनका कहना था कि बुनियादी ढांचे की कमी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नौकरशाही से मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी मोदी अर्थव्यवस्था को अनुमान के हिसाब मदद पहुंचाने के बजाय राजनीतिक और प्रतीकात्मक लाभ लेने में ज्यादा रूचि लेते हुए जान पड़ते हैं.’   सॉरमैन ने यह भी कहा कि सरकार भ्रष्टाचार की मूल वजह यानी अत्यधिक विनियमन के खिलाफ कदम उठा नहीं पायी यानी, इन विनियमों की वजह से किसी भी स्तर पर नौकरशाहों को अदम्य ताकत मिल जाती है. हालांकि उन्होंने मोदी सरकार की इस समझ के लिए सराहना की कि वृद्धि को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका भारतीय उद्यमियों, बड़ी कंपनियों और नये एवं छोटे पूंजीपतियों को कल्पना एवं नवोन्मेष की आजादी देना है. हालांकि उनका कहना था कि बुनियादी ढांचे की कमी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नौकरशाही से मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी मोदी अर्थव्यवस्था को अनुमान के हिसाब मदद पहुंचाने के बजाय राजनीतिक और प्रतीकात्मक लाभ लेने में ज्यादा रूचि लेते हुए जान पड़ते हैं.’   हालांकि उनका कहना था कि बुनियादी ढांचे की कमी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नौकरशाही से मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी मोदी अर्थव्यवस्था को अनुमान के हिसाब मदद पहुंचाने के बजाय राजनीतिक और प्रतीकात्मक लाभ लेने में ज्यादा रूचि लेते हुए जान पड़ते हैं.’
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: बेटे को कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद मंत्री पद छोड़ने वाले BJP नेता से बोले CM- पार्टी में रहना है तो बेटे के खिलाफ प्रचार करें
लेख: चुनाव प्रचार की अगुवाई कर रहे भाजपा के मुख्यमंत्री ठाकुर मतदाताओं को यह बताना कभी नहीं भूलते कि 'उनके पूर्व कैबिनेट मंत्री अपने पुत्र आश्रय शर्मा से मोह के कारण भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा के लिए मंडी में चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं.' उन्होंने सार्वजनिक सभाओं के दौरान कहा 'अगर उन्हें पार्टी में बने रहना है, तो उन्हें पार्टी के लिए वहां से भी प्रचार करना होगा, जहां से उनका बेटा चुनाव लड़ रहा है.' भाजपा महासचिव चंद्र मोहन ठाकुर ने बताया, 'अनिल शर्मा को या तो 'पुत्र मोह' से ऊपर उठना चाहिए या उन्हें (पार्टी से) इस्तीफा दे देना चाहिए.' मंडी के अपने गढ़ में 'पंडित जी' के नाम से लोकप्रिय छह बार के विधायक और तीन बार के सांसद सुखराम और उनके पोते आश्रय शर्मा ने भाजपा छोड़ने के बाद 25 मार्च को कांग्रेस का दामन थाम लिया. अपने प्रतिद्वंद्वियों पर पलटवार करते हुए राज्य कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कुलदीप राठौड़ ने कहा कि अनिल शर्मा के बेटे को मंडी से मैदान में उतारकर पार्टी भाजपा को गुगली से आउट करने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अनिल शर्मा के बेटे को मनोनीत करने का फैसला सत्तारूढ़ भाजपा को फिसलन भरी विकेट पर धकेलने के लिए कांग्रेस द्वारा किया गया एक चतुराई भरा कदम है. मंडी मुख्यमंत्री ठाकुर का गृह क्षेत्र है. अनिल शर्मा के पिता सुखराम ने मंडी जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अपने प्रतिद्वंद्वियों पर कटाक्ष करते हुए आश्रय शर्मा ने कहा कि 'उनके पिता की आत्मा कांग्रेस में है, भाजपा में केवल उनका शरीर है.' कांग्रेस के अभियान के शुरू होने के मौके पर अनिल शर्मा ने घोषणा की थी कि वह अपनी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, लेकिन अपने बेटे के खिलाफ नहीं करेंगे. उन्होंने 12 अप्रैल को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया लेकिन भाजपा या राज्य विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया. हिमाचल प्रदेश में 19 मई को चार लोकसभा सीटों शिमला (आरक्षित), कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी में मतदान होगा.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: बिग बॉस 10, दिसंबर 16 ऐपिसोड : प्रियंका जग्गा ने लोपामुद्रा को कहा मेकअप की दुकान
'बिग बॉस 10' के 61वें दिन लोपामुद्रा के कैप्टन बन जाने के बाद स्वामी ओम काफी चिंतित दिखे. इसलिए तो, उन्होंने मोना से कहा कि लोपा अब कैप्टन बन गई हैं तो उन्हें जेल में डाल कर रहेगी. स्वामी ओम मनवीर से कहते हैं कि उन्होंने कैप्टंसी टास्क हार कर अच्छा नहीं किया. इस पर मनवीर स्वामी पर नाराजगी दिखाते हैं. इसके बाद मनवीर बानी से यह कहते हुए नजर आते हैं कि लोपा की नाखून बढ़ी हुई थी, इस पर बानी ने भी कहा कि हां मैंने भी उसके साथ कई टास्क किए हैं, तो मैंने भी देखा है.   मनवीर बानी से कहते हैं कि नीतिभा से पहले उनकी काफी लड़ाई होती थी, लेकिन अब उनके बीच अच्छी दोस्ती हो चुकी है. वहीं, दूसरी ओर गौरव बानी से यह कहते हुए नजर आते हैं कि अगर वो घर से चली जाएंगी तो उनके लिए यहां रहना काफी डिफिकल्ट हो जाएगा. बानी कहती है कि अगर ऐसा है तो उन्होंने उन्हें धोखा क्यों दिया? गौरव कहते हैं कि उन्हें इस बात का एहसास है, 'बिग बॉस' लोपा से कहते हैं कि आप घर की कैप्टन, तो आप किसी पांच ऐसे सदस्यों को चुने जो सजा के पात्र हैं.   लोपा पहला नाम स्वामी ओम का लेती हैं. उसके बाद दूसरा नाम प्रियंका, तीसरा गौरव, चौथा बानी और पांचवां नाम नीतिभा का लेती हैं. प्रियंका कहती हैं कि उनका जब वक्त आएगा वह उन्हें दिखा देगी. प्रियंका, लोपा को कहती हैं कि उन्होंने पानी उनके उपर इसलिए फेंका था क्योंकि सब देख सके कि वे बिना मेकअप के कैसी लगती हैं.   यहां रोहन प्रियंका के खिलाफ होते हैं कि वे उन्हें पर्सनल कमेंट नहीं कर सकती हैं. लोपा कहती हैं कि सलमान जब उन्हें कह चुके हैं कि वे बिना मेकअप के भी सुंदर लगती हैं तो उन्हें उनकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां तक की प्रियंका लोपा को मेकअप की दुकान भी कह देती हैं. लोपा कहती हैं कि वे करोंडों लोगों के सामने वे अवॉर्ड जीत चुकी हैं तो उन्हें उनकी बातों का कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.   'बिग बॉस' सजा के लिए चुने गए सदस्यों को इनाम के हकदार बनने का मौका देते हैं. उन्हें गार्डन एरिया में अपने सामने रखे सिलिंडर से निकलने वाले गिफ्ट को सबसे पहले कैच करना है, फिर वे सजा से बच सकते हैं. नीतिभा, सबसे पहले गिफ्ट कैच करती हैं. उन्हें गिफ्ट के तौर पर घर से आई चिट्ठी मिलती है जिसमें उनकी मां का बर्थडे मैसेज होता है. अगले बार गौरव को एक गिफ्ट मिलता है जिसमें उन्हें एक फ्रेंड के साथ डिनर डेट के लिए चुनना है.   गौरव यहां बानी का नाम लेते हैं. स्वामी ओम गिफ्ट कैच करने से चूक जाते हैं क्योंकि वे गौरव से बातें करने में व्यस्त रहते हैं. अपनी बारी आने पर बानी भी गिफ्ट लेने से चूक जाती हैं. उनके गिफ्ट में घर से आया हुआ वीडियो मैसेज होता है. मनवीर, मनु से कहते है बानी डिप्रेशन में जा रही हैं और वे सारे टास्क में फेल हो रही हैं. प्रियंका अपनी बारी आने पर गिफ्ट कैच करने से चूक जाती हैं. लोपा कहती हैं कि भगवान सब देख रहा है कि कौन गलत कर रहा है और कौन सही हैं.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: एसीबी मामले में दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट से फिलहाल नहीं मिली राहत
यह एक लेख है: दिल्ली में एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारों को सीमित करने वाले गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मामले में फिलहाल दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को राहत नहीं मिली है। दिल्ली हाइकोर्ट की वेकेशन बेंच नेइस मामले की सुनवाई करने या फिर नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य बेंच के सामने ही होगी। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार पहले ही हाइकोर्ट का रुख कर चुकी है, जिसकी सुनवाई 29 मई को हुई थी। हाइकोर्ट ने हालांकि नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सरकार को कहा था कि इस बारे में उपराज्यपाल को ज्ञापन दिया जाना चाहिए। बुधवार को वेकेशन बेंच के सामने इसी तरह नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य कोर्ट में ही होनी चाहिए। इससे पहले 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार को उस वक्त हाइकोर्ट का सहारा मिला था जब ब्यूरो ने घूस लेने के मामले में दिल्ली पुलिस के हवलदार को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।टिप्पणियां कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दिल्ली हाइकोर्ट की वेकेशन बेंच नेइस मामले की सुनवाई करने या फिर नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य बेंच के सामने ही होगी। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार पहले ही हाइकोर्ट का रुख कर चुकी है, जिसकी सुनवाई 29 मई को हुई थी। हाइकोर्ट ने हालांकि नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सरकार को कहा था कि इस बारे में उपराज्यपाल को ज्ञापन दिया जाना चाहिए। बुधवार को वेकेशन बेंच के सामने इसी तरह नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य कोर्ट में ही होनी चाहिए। इससे पहले 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार को उस वक्त हाइकोर्ट का सहारा मिला था जब ब्यूरो ने घूस लेने के मामले में दिल्ली पुलिस के हवलदार को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।टिप्पणियां कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार पहले ही हाइकोर्ट का रुख कर चुकी है, जिसकी सुनवाई 29 मई को हुई थी। हाइकोर्ट ने हालांकि नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सरकार को कहा था कि इस बारे में उपराज्यपाल को ज्ञापन दिया जाना चाहिए। बुधवार को वेकेशन बेंच के सामने इसी तरह नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य कोर्ट में ही होनी चाहिए। इससे पहले 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार को उस वक्त हाइकोर्ट का सहारा मिला था जब ब्यूरो ने घूस लेने के मामले में दिल्ली पुलिस के हवलदार को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।टिप्पणियां कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बुधवार को वेकेशन बेंच के सामने इसी तरह नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सामान्य कोर्ट में ही होनी चाहिए। इससे पहले 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार को उस वक्त हाइकोर्ट का सहारा मिला था जब ब्यूरो ने घूस लेने के मामले में दिल्ली पुलिस के हवलदार को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।टिप्पणियां कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार को उस वक्त हाइकोर्ट का सहारा मिला था जब ब्यूरो ने घूस लेने के मामले में दिल्ली पुलिस के हवलदार को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।टिप्पणियां कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने भी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो को केंद्रीय कर्मचारियों पर भी कारवाई करने का अधिकार है। हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जता चुका है कि हाइकोर्ट ने इस मामले में उसका पक्ष नहीं सुना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हाइकोर्ट की टिप्पणी का केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
13
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: पढ़ें अदालत ने क्यों कहा कि कोई मां अपनी बेटी का नाम 'साइनाइड' नहीं रख सकती
यह एक लेख है: ब्रिटेन की एक अदालत ने एक अहम मामले में यह व्यवस्था दी कि कोई मां अपनी बेटी का नाम 'साइनाइड' नहीं रख सकती है। अदालत ने कहा कि उनकी असामान्य पसंद से उनके बच्चों को नुकसान हो सकता है। लड़की के जुड़वे भाई का नाम प्रीचर रखने वाली महिला ने इस बात पर जोर दिया कि उसे अपने बच्चों के नामकरण का अधिकार है। हालांकि शीर्ष न्यायाधीशों ने गुरुवार को वेल्स की रहने वाली मां के तर्कों को दरकिनार कर दिया।टिप्पणियां अपने तरह के इस पहले मामले में अपील अदालत के न्यायाधीशों ने यह व्यवस्था दी कि मां की 'आसामान्य' पसंद से उसके बच्चों को नुकसान पहुंच सकता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) लड़की के जुड़वे भाई का नाम प्रीचर रखने वाली महिला ने इस बात पर जोर दिया कि उसे अपने बच्चों के नामकरण का अधिकार है। हालांकि शीर्ष न्यायाधीशों ने गुरुवार को वेल्स की रहने वाली मां के तर्कों को दरकिनार कर दिया।टिप्पणियां अपने तरह के इस पहले मामले में अपील अदालत के न्यायाधीशों ने यह व्यवस्था दी कि मां की 'आसामान्य' पसंद से उसके बच्चों को नुकसान पहुंच सकता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) अपने तरह के इस पहले मामले में अपील अदालत के न्यायाधीशों ने यह व्यवस्था दी कि मां की 'आसामान्य' पसंद से उसके बच्चों को नुकसान पहुंच सकता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
2
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: दिल्ली : विदेश भेजने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश, चार गिरफ्तार
दुबई में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर कबूतरबाजी और विदेश में नौकरी दिलाकर ठगी करने वाले गिरोह का दिल्ली पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने चार शातिर ठगों को गिरफ्तार कर उनसे 48 पासपोर्ट के साथ लगभग तीन लाख रुपये नगद बरामद किया है. इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों सुब्रत साहू उर्फ अभिषेक, कौशल सिंह, अनिल नायक उर्फ राहुल और नितिन राठौड़ उर्फ सूरज को गिरफ्तार किया है. यह सभी पॉश एरिया में आलीशान दफ्तर खोलकर इश्तहार देकर कबूतरबाजी का काला कारोबार कर रहे थे. साथ ही यह उन युवाओं को भी ठगते थे जिनको नौकरी की तलाश थी. वे लड़कों को दुबई सहित कई देशों में नौकरी दिलाने का लालच देकर उनसे लाखों की रकम ऐंठ लेते थे. दिल्ली के कालकाजी थाने में कई शिकायतें आईं, जिसके बाद थाने की पुलिस सक्रिय हुई. मामले की जांच की तो पाया कि लगभग तीन दर्जन लोगों को यह शातिर गैंग ठग चुकी है. बिहार और यूपी से आकर कई लोग इन्हें पैसे देते थे, इस उम्मीद में कि दुबई में अच्छी नौकरी मिल जाएगी और जिंदगी अच्छी बीतेगी. लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिन्हें वे अपना पासपोर्ट और कैश दे रहे हैं वह एक ठगों की बड़ी गैंग है.   जब्त किए गए पासपोर्ट टिप्पणियां साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के कालकाजी थाने की पुलिस टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया और चार लोगों को गिरफ्तार किया. साथ ही उनसे 48 ओरिजनल पासपोर्ट और तीन लाख कैश भी बरामद किया गया है. पुलिस अभी उन लोगों से भी बातचीत कर रही है जिनके पासपोर्ट इन कबूतरबाजों के कब्जे से बरामद हुए हैं .   पुलिस की मानें तो इस गैंग ने कई ऐसे लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है जिन्हें विदेश जाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. पुलिस अब इन गिरफ्तार शातिर ठगों के विदेशी कनेक्शन की भी तफ्तीश में जुटी हुई है. इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों सुब्रत साहू उर्फ अभिषेक, कौशल सिंह, अनिल नायक उर्फ राहुल और नितिन राठौड़ उर्फ सूरज को गिरफ्तार किया है. यह सभी पॉश एरिया में आलीशान दफ्तर खोलकर इश्तहार देकर कबूतरबाजी का काला कारोबार कर रहे थे. साथ ही यह उन युवाओं को भी ठगते थे जिनको नौकरी की तलाश थी. वे लड़कों को दुबई सहित कई देशों में नौकरी दिलाने का लालच देकर उनसे लाखों की रकम ऐंठ लेते थे. दिल्ली के कालकाजी थाने में कई शिकायतें आईं, जिसके बाद थाने की पुलिस सक्रिय हुई. मामले की जांच की तो पाया कि लगभग तीन दर्जन लोगों को यह शातिर गैंग ठग चुकी है. बिहार और यूपी से आकर कई लोग इन्हें पैसे देते थे, इस उम्मीद में कि दुबई में अच्छी नौकरी मिल जाएगी और जिंदगी अच्छी बीतेगी. लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिन्हें वे अपना पासपोर्ट और कैश दे रहे हैं वह एक ठगों की बड़ी गैंग है.   जब्त किए गए पासपोर्ट टिप्पणियां साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के कालकाजी थाने की पुलिस टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया और चार लोगों को गिरफ्तार किया. साथ ही उनसे 48 ओरिजनल पासपोर्ट और तीन लाख कैश भी बरामद किया गया है. पुलिस अभी उन लोगों से भी बातचीत कर रही है जिनके पासपोर्ट इन कबूतरबाजों के कब्जे से बरामद हुए हैं .   पुलिस की मानें तो इस गैंग ने कई ऐसे लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है जिन्हें विदेश जाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. पुलिस अब इन गिरफ्तार शातिर ठगों के विदेशी कनेक्शन की भी तफ्तीश में जुटी हुई है. बिहार और यूपी से आकर कई लोग इन्हें पैसे देते थे, इस उम्मीद में कि दुबई में अच्छी नौकरी मिल जाएगी और जिंदगी अच्छी बीतेगी. लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिन्हें वे अपना पासपोर्ट और कैश दे रहे हैं वह एक ठगों की बड़ी गैंग है.   जब्त किए गए पासपोर्ट टिप्पणियां साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के कालकाजी थाने की पुलिस टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया और चार लोगों को गिरफ्तार किया. साथ ही उनसे 48 ओरिजनल पासपोर्ट और तीन लाख कैश भी बरामद किया गया है. पुलिस अभी उन लोगों से भी बातचीत कर रही है जिनके पासपोर्ट इन कबूतरबाजों के कब्जे से बरामद हुए हैं .   पुलिस की मानें तो इस गैंग ने कई ऐसे लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है जिन्हें विदेश जाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. पुलिस अब इन गिरफ्तार शातिर ठगों के विदेशी कनेक्शन की भी तफ्तीश में जुटी हुई है. साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के कालकाजी थाने की पुलिस टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया और चार लोगों को गिरफ्तार किया. साथ ही उनसे 48 ओरिजनल पासपोर्ट और तीन लाख कैश भी बरामद किया गया है. पुलिस अभी उन लोगों से भी बातचीत कर रही है जिनके पासपोर्ट इन कबूतरबाजों के कब्जे से बरामद हुए हैं .   पुलिस की मानें तो इस गैंग ने कई ऐसे लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है जिन्हें विदेश जाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. पुलिस अब इन गिरफ्तार शातिर ठगों के विदेशी कनेक्शन की भी तफ्तीश में जुटी हुई है. पुलिस की मानें तो इस गैंग ने कई ऐसे लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है जिन्हें विदेश जाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. पुलिस अब इन गिरफ्तार शातिर ठगों के विदेशी कनेक्शन की भी तफ्तीश में जुटी हुई है.
8
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी को किया ढेर
यह लेख है: इससे  पहले 11 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवारा इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए थे. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हंदवारा के गलूरा इलाके में हुए मुठभेड़ में दोनों आतंवादी मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि मारे गये आतंकवादियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है और यह भी पता नहीं चल सका है कि वह किस आतंकवादी संगठन से हैं.  वहीं 15 सितंबर को भी कुलगाम जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के पांच आतंकवादी मारे गए थे. इनमें से एक आतंकवादी पिछले साल बैंक में नकदी भरने वाली एक वैन पर हमले में शामिल था जिसमें पांच पुलिसकर्मी और बैंक के दो सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. टिप्पणियां  (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)  (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
2
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: डांस की बात से ही सदमे में आ जाती हूं : इलियाना
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अभिनेत्री इलियाना डीक्रूज कहती हैं कि पर्दे पर नृत्य करने की बात से वह सदमे में आ जाती हैं। इलियाना जल्द ही फिल्म 'मैं तेरा हीरो' में नजर आने वाली है, जिसमें अभिनेता वरुण धवन उनके नायक हैं। इलियाना ने कहा, पर्दे पर नृत्य करने की बात से ही मैं सदमे में आ जाती हूं। मैं काफी चिंतित हो जाती हूं, क्योंकि मैं कुशल नृत्यांगना नहीं हूं। मैं बहुत घबरा जाती हूं, लेकिन जब तनाव में नहीं होती हूं तो अच्छे से नृत्य कर लेती हूं। उन्होंने कहा कि वरुण ने उन्हें शूटिंग को सहजता से लेने में मदद की। फिल्म का निर्देशन वरुण के पिता डेविड धवन ने किया है। दक्षिण भारतीय फिल्मों की प्रतिष्ठित अभिनेत्री इलियाना ने फिल्म 'बर्फी' से हिन्दी फिल्म जगत में कदम रखा था, जिसमें उनके सह-कलाकार प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर थे। इलियाना कहती हैं कि अब तक वह जितने लोगों से मिली हैं, प्रियंका उन सब से ज्यादा कर्मठ अभिनेत्री है। उन्होंने कहा, "वह बहुत मेहनत करती है। 24 घंटे काम करती है। ऐसी बात नहीं है कि दो अभिनेत्रियां दोस्त नहीं हो सकतीं। असल बात यह है कि हम सब अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। मैंने नरगिस फाकरी के साथ भी काफी अच्छा वक्त बिताया।" इस समय इलियाना अपनी आने वाली फिल्म 'मैं तेरा हीरो' के प्रचार में व्यस्त हैं।
9
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: गांधीनगर : बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी की जगह अमित शाह को ही क्यों दिया टिकट?
बीजेपी ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव के कुल 184 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी. इसमें गांधीनगर की बहुचर्चित सीट से लालकृष्ण आडवाणी की जगह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को टिकट मिला है. बीजेपी की राजनीति के 'पितामह' माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने को लेकर न केवल पार्टी में हलचल है बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं.सूत्र बता रहे हैं कि गुजरात की बीजेपी इकाई ने गांधीनगर से किसी का नाम ही नहीं भेजा था. गांधीनगर से कौन चुनाव लड़ेगा, राज्य नेतृत्व ने इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया गया था. दरअसल राज्य इकाई के ज्यादातर नेता गांधीनगर सीट से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव लड़ते हुए देखना चाहते थे. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि भाजपा की प्रदेश इकाई ने मांग की थी कि या तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को या शाह को इस बार राज्य से लोकसभा चुनाव में उतारा जाए. प्रदेश भाजपा नेताओं ने यह भी मांग की थी शाह गांधीनगर से चुनाव लड़ें. पार्टी पर्यवेक्षक निमाबेन आचार्य ने बताया था कि भाजपा ने 16 मार्च को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की राय जानने के लिए गांधीनगर में पर्यवेक्षकों को भेजा था और इनमें से अधिकतर ने शाह का पक्ष लिया.पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी (91) ने छह बार गांधीनगर सीट पर जीत दर्ज की है.  गांधीनगर संसदीय सीट के ही तहत नारणपुरा से अमित शाह विधायक रहे हैं. फिलहाल अमित शाह राज्यसभा सांसद हैं. पार्टी नेताओं का मानना था कि अमित शाह के लड़ने से गुजरात में 'मिशन 26' पूरा करने में मिल सकती है. यूं तो पार्टी की एक बैठक के बाद यह कहा गया था कि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य 91 वर्षीय आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लड़ने का फैसला उन पर छोड़ दिया गया है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि आडवाणी से पार्टी ने इसको लेकर संपर्क नहीं किया. एक अन्य बुजुर्ग नेता कलराज मिश्रा ने मौके की नजाकत भांपते हुए टिकट घोषित होने से पहले ही खुद ही चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी.पार्टी ने अभी कानपुर सीट से प्रत्याशी तय नहीं किया है. यह सीट मुरली मनोहर जोशी की है. आडवाणी का टिकट कटने के बाद माना जा रहा है कि पार्टी जोशी की तरह किसी और को इस सीट से उतार सकती है. हालांकि इससे पहले बीजेपी ने कहा था 75 पार के नेता चुनाव लड़ सकते हैं  मगर मंत्री पद या संगठन में पद नहीं मिलेगा.
9
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: UP में मिडडे मील के लिए बच्चे उगाएंगे फल और सब्जियां, ये है वजह
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिडडे मील (दोपहर का भोजन) योजना के अंतर्गत एक बेहतरीन प्रयोग किया गया है, जिसके अनुसार स्कूलों को अब अपने खुद के बगीचे बनाने होंगे, ताकि उसमें सब्जियां व फल उगाएं जा सकें. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने प्रत्येक सरकारी स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कक्षा आठवीं तक मिलने वाले दोपहर के भोजन में बगीचे में उगाई गई एक सब्जी या फल शामिल करना अनिर्वाय होगा.  शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "जब बच्चों को कड़ी मेहनत करके सब्जियां उगाने को कहा जाएगा और बाद में उन्हें वही खाने में परोसी जाएगी, उन्हें उसका स्वाद एकदम अलग प्रतीक होगा, क्योंकि वह उस भोजन के प्रति पहले से ही लगाव विकसित कर चुके होंगे." योजना के पीछे सीधा सा विचार दोपहर के भोजन में पोषक मूल्य को बढ़ावा देना और बच्चों को पौधों, सब्जियों और फलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करना है.  मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, जिन विद्यालयों के पास प्र्याप्त भूमि नहीं है वह टेरिस गार्डन, पॉर्ट, कंटेनर और बैग का इस्तेमाल कर के फल और सब्जियां उगा सकते हैं. बगीचे की देखरेख बच्चों को ही करनी होगी, जिसके लिए वह विद्यालय के स्टाफ और शिक्षकों से मदद ले सकते हैं.  उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कहा, "मानव संसाधन विकास मंत्रालय इसके लिए प्रत्येक विद्यालय को प्रतिवर्ष पांच हजार रुपये प्रदान करेगा. हर विद्यालय को क्षेत्र में होने वाले फल सब्जियों को लेकर अपनी योजना इसके लिए प्रस्तुत करनी होगी."
9
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: सेना प्रमुख जानते थे कि ऐसी खबरें आएंगी!
लेख: सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह द्वारा मार्च में एक अंग्रेजी पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू को देखकर पता चलता है कि उन्हें इस बात की भनक थी कि जनवरी के मध्य में सेना की दो इकाइयों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के अभ्यास को लेकर खबरें पक रही थीं। जनरल सिंह ने 13 मार्च को 'द वीक' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा था, 'मान लीजिए, हमारी एक कोर या डिवीजन या ब्रिगेड अभ्यास कर रही है तो कोई कहेगा कि ओह, उन्होंने अभ्यास किया। यह अभ्यास नहीं था, वे कुछ और करना चाहते थे।' उन्होंने कहा, 'अब आप इससे एक खबर बनाएंगे। इन दिनों कई लोग अपने खराब मकसद से खबरें बनाना चाहते हैं।' सेना प्रमुख ने आलोचनात्मक लहजे में कहा कि आज एक पत्रकार के लिए खराब खबर ही अच्छी खबर है वहीं अच्छी खबर का महत्व ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को कोई संदेह है तो उसे आना चाहिए और हमारा सामना करना चाहिए। वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि वे गलत हैं।टिप्पणियां उस इंटरव्यू में जनरल सिंह ने यह भी कहा था कि सेना पेशेवर काम कर रही है लेकिन वर्दी और बिना वर्दी वाले दोनों तरह के लोग हैं, कुछ सरकारी सेवक हैं जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं। वे सभी खराब चीजों को हवा देना शुरू कर देते हैं। जनरल ने कहा था, 'आप उन्हें (पत्रकारों को) कुछ दिलचस्प बताते हैं तो यह पहले पन्ने पर आ जाता है और कोई भी यह तक नहीं देखता कि इसमें कोई सचाई है या नहीं। ऐसा हो चुका होता है। यानी आपने पहले ही किसी पर कीचड़ उछाल दी। कई सारे ऐसे लोग हैं जो यह कर रहे हैं और मुझे नहीं पता कि उनका क्या मकसद है।' पिछले महीने दिए गए सेना प्रमुख के यह बयान बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उस खबर के मद्देनजर अहम हैं, जिसमें कहा गया था कि सेना की दो इकाइयों ने 16.17 जनवरी की रात को दिल्ली की ओर असामान्य तरीके से कूच कर दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस खबर को ‘डर फैलाने’ वाली बता कर खारिज किया, वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इन्हें बेबुनियाद कहा। सेना प्रमुख ने आज इसे 'मूखर्तापूर्ण' खबर बताया। जनरल सिंह ने 13 मार्च को 'द वीक' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा था, 'मान लीजिए, हमारी एक कोर या डिवीजन या ब्रिगेड अभ्यास कर रही है तो कोई कहेगा कि ओह, उन्होंने अभ्यास किया। यह अभ्यास नहीं था, वे कुछ और करना चाहते थे।' उन्होंने कहा, 'अब आप इससे एक खबर बनाएंगे। इन दिनों कई लोग अपने खराब मकसद से खबरें बनाना चाहते हैं।' सेना प्रमुख ने आलोचनात्मक लहजे में कहा कि आज एक पत्रकार के लिए खराब खबर ही अच्छी खबर है वहीं अच्छी खबर का महत्व ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को कोई संदेह है तो उसे आना चाहिए और हमारा सामना करना चाहिए। वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि वे गलत हैं।टिप्पणियां उस इंटरव्यू में जनरल सिंह ने यह भी कहा था कि सेना पेशेवर काम कर रही है लेकिन वर्दी और बिना वर्दी वाले दोनों तरह के लोग हैं, कुछ सरकारी सेवक हैं जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं। वे सभी खराब चीजों को हवा देना शुरू कर देते हैं। जनरल ने कहा था, 'आप उन्हें (पत्रकारों को) कुछ दिलचस्प बताते हैं तो यह पहले पन्ने पर आ जाता है और कोई भी यह तक नहीं देखता कि इसमें कोई सचाई है या नहीं। ऐसा हो चुका होता है। यानी आपने पहले ही किसी पर कीचड़ उछाल दी। कई सारे ऐसे लोग हैं जो यह कर रहे हैं और मुझे नहीं पता कि उनका क्या मकसद है।' पिछले महीने दिए गए सेना प्रमुख के यह बयान बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उस खबर के मद्देनजर अहम हैं, जिसमें कहा गया था कि सेना की दो इकाइयों ने 16.17 जनवरी की रात को दिल्ली की ओर असामान्य तरीके से कूच कर दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस खबर को ‘डर फैलाने’ वाली बता कर खारिज किया, वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इन्हें बेबुनियाद कहा। सेना प्रमुख ने आज इसे 'मूखर्तापूर्ण' खबर बताया। सेना प्रमुख ने आलोचनात्मक लहजे में कहा कि आज एक पत्रकार के लिए खराब खबर ही अच्छी खबर है वहीं अच्छी खबर का महत्व ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को कोई संदेह है तो उसे आना चाहिए और हमारा सामना करना चाहिए। वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि वे गलत हैं।टिप्पणियां उस इंटरव्यू में जनरल सिंह ने यह भी कहा था कि सेना पेशेवर काम कर रही है लेकिन वर्दी और बिना वर्दी वाले दोनों तरह के लोग हैं, कुछ सरकारी सेवक हैं जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं। वे सभी खराब चीजों को हवा देना शुरू कर देते हैं। जनरल ने कहा था, 'आप उन्हें (पत्रकारों को) कुछ दिलचस्प बताते हैं तो यह पहले पन्ने पर आ जाता है और कोई भी यह तक नहीं देखता कि इसमें कोई सचाई है या नहीं। ऐसा हो चुका होता है। यानी आपने पहले ही किसी पर कीचड़ उछाल दी। कई सारे ऐसे लोग हैं जो यह कर रहे हैं और मुझे नहीं पता कि उनका क्या मकसद है।' पिछले महीने दिए गए सेना प्रमुख के यह बयान बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उस खबर के मद्देनजर अहम हैं, जिसमें कहा गया था कि सेना की दो इकाइयों ने 16.17 जनवरी की रात को दिल्ली की ओर असामान्य तरीके से कूच कर दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस खबर को ‘डर फैलाने’ वाली बता कर खारिज किया, वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इन्हें बेबुनियाद कहा। सेना प्रमुख ने आज इसे 'मूखर्तापूर्ण' खबर बताया। उस इंटरव्यू में जनरल सिंह ने यह भी कहा था कि सेना पेशेवर काम कर रही है लेकिन वर्दी और बिना वर्दी वाले दोनों तरह के लोग हैं, कुछ सरकारी सेवक हैं जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं। वे सभी खराब चीजों को हवा देना शुरू कर देते हैं। जनरल ने कहा था, 'आप उन्हें (पत्रकारों को) कुछ दिलचस्प बताते हैं तो यह पहले पन्ने पर आ जाता है और कोई भी यह तक नहीं देखता कि इसमें कोई सचाई है या नहीं। ऐसा हो चुका होता है। यानी आपने पहले ही किसी पर कीचड़ उछाल दी। कई सारे ऐसे लोग हैं जो यह कर रहे हैं और मुझे नहीं पता कि उनका क्या मकसद है।' पिछले महीने दिए गए सेना प्रमुख के यह बयान बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उस खबर के मद्देनजर अहम हैं, जिसमें कहा गया था कि सेना की दो इकाइयों ने 16.17 जनवरी की रात को दिल्ली की ओर असामान्य तरीके से कूच कर दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस खबर को ‘डर फैलाने’ वाली बता कर खारिज किया, वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इन्हें बेबुनियाद कहा। सेना प्रमुख ने आज इसे 'मूखर्तापूर्ण' खबर बताया। पिछले महीने दिए गए सेना प्रमुख के यह बयान बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उस खबर के मद्देनजर अहम हैं, जिसमें कहा गया था कि सेना की दो इकाइयों ने 16.17 जनवरी की रात को दिल्ली की ओर असामान्य तरीके से कूच कर दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस खबर को ‘डर फैलाने’ वाली बता कर खारिज किया, वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इन्हें बेबुनियाद कहा। सेना प्रमुख ने आज इसे 'मूखर्तापूर्ण' खबर बताया।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: अजलान शाह हॉकी : भारत की लगातार दूसरी हार
लेख: भारत को सुल्तान अजलान शाह कप हॉकी टूर्नामेंट में लगातार दूसरी हार का सामना करना पड़ा है। शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के हाथों मात खाने वाली भारतीय टीम रविवार को अपने दूसरे लीग मैच में दक्षिण कोरिया के हाथों 1-2 से हार गई। ऑस्ट्रेलिया ने पहले मैच में भारत की युवा टीम को 4-3 से हराया था। ऐसी उम्मीद थी कि भारत अपने दूसरे मैच में जीत हासिल करते हुए खाता खोलेगा लेकिन दानिश मुज्तबा के नेतृत्व में खेल रही युवा टीम उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। भारत के लिए मैच का एकमात्र गोल मलाक सिंह ने 38वें मिनट में किया। मलाक का यह टूर्नामेंट में दूसरा गोल है। दक्षिण कोरिया के लिए कांग मून क्वेन ने 28वें और 60वें मिनट में गोल दागे। इससे पहले, दिन के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूसरे लीग मैच में पाकिस्तान को 6-0 से हरा दिया। टिप्पणियां ऑस्ट्रेलिया की यह लगातार दूसरी जीत है जबकि पाकिस्तान को पहली हार मिली है। पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में शनिवार को न्यूजीलैंड पर 4-3 के अंतर से जीत दर्ज की थी। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले मैच में भारत की युवा टीम को 4-3 से हराया था। ऐसी उम्मीद थी कि भारत अपने दूसरे मैच में जीत हासिल करते हुए खाता खोलेगा लेकिन दानिश मुज्तबा के नेतृत्व में खेल रही युवा टीम उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। भारत के लिए मैच का एकमात्र गोल मलाक सिंह ने 38वें मिनट में किया। मलाक का यह टूर्नामेंट में दूसरा गोल है। दक्षिण कोरिया के लिए कांग मून क्वेन ने 28वें और 60वें मिनट में गोल दागे। इससे पहले, दिन के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूसरे लीग मैच में पाकिस्तान को 6-0 से हरा दिया। टिप्पणियां ऑस्ट्रेलिया की यह लगातार दूसरी जीत है जबकि पाकिस्तान को पहली हार मिली है। पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में शनिवार को न्यूजीलैंड पर 4-3 के अंतर से जीत दर्ज की थी। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था। भारत के लिए मैच का एकमात्र गोल मलाक सिंह ने 38वें मिनट में किया। मलाक का यह टूर्नामेंट में दूसरा गोल है। दक्षिण कोरिया के लिए कांग मून क्वेन ने 28वें और 60वें मिनट में गोल दागे। इससे पहले, दिन के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूसरे लीग मैच में पाकिस्तान को 6-0 से हरा दिया। टिप्पणियां ऑस्ट्रेलिया की यह लगातार दूसरी जीत है जबकि पाकिस्तान को पहली हार मिली है। पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में शनिवार को न्यूजीलैंड पर 4-3 के अंतर से जीत दर्ज की थी। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था। इससे पहले, दिन के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूसरे लीग मैच में पाकिस्तान को 6-0 से हरा दिया। टिप्पणियां ऑस्ट्रेलिया की यह लगातार दूसरी जीत है जबकि पाकिस्तान को पहली हार मिली है। पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में शनिवार को न्यूजीलैंड पर 4-3 के अंतर से जीत दर्ज की थी। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था। ऑस्ट्रेलिया की यह लगातार दूसरी जीत है जबकि पाकिस्तान को पहली हार मिली है। पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में शनिवार को न्यूजीलैंड पर 4-3 के अंतर से जीत दर्ज की थी। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था। शनिवार को तीसरे मैच में मेजबान मलेशिया ने कोरिया को 3-2 से हराया था।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा पर लगा धोखाधड़ी का आरोप, बॉम्बे हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत- जानें पूरा मामला
यह एक लेख है: बॉलीवुड के फेमस कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा (Remo D'souza) पर हाल ही में धोखाधड़ी का आरोप लगा है. रेमो डिसूजा के खिलाफ गाजियाबाद मेजिस्ट्रेट कोर्ट ने गैर- जमानती वारेंट जारी किया है. बता दें, साल 2016 में बिजनेसमैन सत्येंद्र त्यागी ने रेमो डिसूजा पर उनसे फिल्म बनाने के लिए पैसे लेने का आरोप लगाया था. जिसके बाद उन्होंने रेमो (Remo D'souza) के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया था. गाजियाबाद मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कई बार तलब किया, हालांकि रेमो एक बार भी वहां नहीं पहुंचे. पिंकविला की रिपोर्ट के मुताबिक गैर- जमानती वारेंट जारी होने के बाद उन्होंने बॉम्बे हाई में अंतरिम राहत के लिए अपील की. हालांकि रेमो डिसूजा (Remo D'souza) की इस अपील को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने खारिज कर दिया. बता दें, मुंबई पुलिस को अभी तक रेमो डिसूजा के खिलाफ वारेंट नहीं मिला है, जिस वजह से अभी तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है. सत्येंद्र त्यागी ने साल 2016 में रेमो पर फिल्म 'अमर मस्ट डाई (Amar Must Die)' बनाने के लिए 5 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया था.  त्यागी ने अपनी शिकायत में कहा था कि रेमो (Remo D'souza) ने उनसे वादा किया था कि इस इंवेस्टमेंट के वह दुगने पैसे देंगे. हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया. वहीं, अगर वर्क फ्रंट की बात करें, तो जल्द ही रेमो डिसूजा स्ट्रीट डांसर 3 डी (Street Dancer 3D) फिल्म में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा वह डांस रियलिटी शो 'डांस प्लस 5 (Dance Plus 5)' में बतौर जज भी नजर आएंगे.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: 5जी चालू होते ही समझ में आएगी इसकी अहमियत : दूरसंचार सचिव
यह लेख है: दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा कि 5जी के पूरे देश में चालू होते ही इसकी अहमियत स्थापित हो जाएगी. सुंदरराजन ने कहा, "तीव्र रफ्तार वाले, व्यापक व विश्वसनीय 5जी नेटवर्क को चालू करने की तकनीकी चुनौतियों को हम जितना समझेंगे इसकी अहमियत उतनी ही ज्यादा होगी. इससे पहले जब 2जी, 3जी और 4जी दुनियाभर में चालू हुआ था तो भारत में इनकी इतनी अहमियत नहीं जान पड़ती थी. हालांकि 5जी में हमारे लिए बड़े अवसर हैं."  वह 5जी इंडिया 2018 इंटरनेशनल कान्फ्रेंस को संबोधित कर रही थीं.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ), कंज्यूमर यूनिटी और ट्रस्ट सोसायटी इंटरनेशनल (सीयूटीएस) ने आईसीटी मानकीकरण और 5जी में भारत के अग्रणी स्थान हासिल करने में इसके महत्व पर एक रिपोर्ट जारी किया है.  सुंदरराजन ने कहा, "भारत का संचार बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है और इसलिए यह जरूरी है कि भविष्य के संचार नेटवर्क को बनाने के लिए हम प्रशासन, उद्योग और दुनियाभर में अकादमिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ें."  टिप्पणियां भारत मौजूदा दौर में अहम मोड़ पर है क्योंकि सरकार सफलतापूर्वक निकट भविष्य में शुरू होने वाली 5जी प्रौद्योगिकी के आलोक में प्रगतिगामी डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था के संभावित फायदे उठाने की ओर उन्मुख है.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है." वह 5जी इंडिया 2018 इंटरनेशनल कान्फ्रेंस को संबोधित कर रही थीं.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ), कंज्यूमर यूनिटी और ट्रस्ट सोसायटी इंटरनेशनल (सीयूटीएस) ने आईसीटी मानकीकरण और 5जी में भारत के अग्रणी स्थान हासिल करने में इसके महत्व पर एक रिपोर्ट जारी किया है.  सुंदरराजन ने कहा, "भारत का संचार बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है और इसलिए यह जरूरी है कि भविष्य के संचार नेटवर्क को बनाने के लिए हम प्रशासन, उद्योग और दुनियाभर में अकादमिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ें."  टिप्पणियां भारत मौजूदा दौर में अहम मोड़ पर है क्योंकि सरकार सफलतापूर्वक निकट भविष्य में शुरू होने वाली 5जी प्रौद्योगिकी के आलोक में प्रगतिगामी डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था के संभावित फायदे उठाने की ओर उन्मुख है.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है." ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ), कंज्यूमर यूनिटी और ट्रस्ट सोसायटी इंटरनेशनल (सीयूटीएस) ने आईसीटी मानकीकरण और 5जी में भारत के अग्रणी स्थान हासिल करने में इसके महत्व पर एक रिपोर्ट जारी किया है.  सुंदरराजन ने कहा, "भारत का संचार बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है और इसलिए यह जरूरी है कि भविष्य के संचार नेटवर्क को बनाने के लिए हम प्रशासन, उद्योग और दुनियाभर में अकादमिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ें."  टिप्पणियां भारत मौजूदा दौर में अहम मोड़ पर है क्योंकि सरकार सफलतापूर्वक निकट भविष्य में शुरू होने वाली 5जी प्रौद्योगिकी के आलोक में प्रगतिगामी डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था के संभावित फायदे उठाने की ओर उन्मुख है.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है." सुंदरराजन ने कहा, "भारत का संचार बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है और इसलिए यह जरूरी है कि भविष्य के संचार नेटवर्क को बनाने के लिए हम प्रशासन, उद्योग और दुनियाभर में अकादमिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ें."  टिप्पणियां भारत मौजूदा दौर में अहम मोड़ पर है क्योंकि सरकार सफलतापूर्वक निकट भविष्य में शुरू होने वाली 5जी प्रौद्योगिकी के आलोक में प्रगतिगामी डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था के संभावित फायदे उठाने की ओर उन्मुख है.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है." भारत मौजूदा दौर में अहम मोड़ पर है क्योंकि सरकार सफलतापूर्वक निकट भविष्य में शुरू होने वाली 5जी प्रौद्योगिकी के आलोक में प्रगतिगामी डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था के संभावित फायदे उठाने की ओर उन्मुख है.  ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है." ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, "बड़े आर्थिक संदर्भ में अहम भूमिका निभाने वाले मानकों पर परिचर्चा आवश्यक है और भारत जैसे विकासशील देशों के मामले में इसकी प्रासंगिकता को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर नहीं देखा जा सकता है."
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: मुलायम के बाद मनमोहन ने मायावती को लंच पर बुलाया
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके सरकारी आवास पर रविवार को भोजन पर मुलाकात की। यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुलाकात 22 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से सम्बंधित थी, मायावती ने इससे इनकार कर दिया। मायावती ने कहा, "इस तरह की मुलाकातें होती रहती हैं। संसद का सत्र शुरू होने वाला है। इस दोपहर भोज को सत्र से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "उत्तर प्रदेश में जब हमारी सरकार थी, तब भी मैं प्रधानमंत्री से मिलती रहती थी। उस दौरान भी मुझे भोजन पर आमंत्रित किया गया था।"टिप्पणियां यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कांग्रेस का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा, "अक्टूबर में मैंने एक रैली की थी, और मुझे इस मुद्दे पर जो कहना है, उसी समय मैंने कह दिया था।" ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है। यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुलाकात 22 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से सम्बंधित थी, मायावती ने इससे इनकार कर दिया। मायावती ने कहा, "इस तरह की मुलाकातें होती रहती हैं। संसद का सत्र शुरू होने वाला है। इस दोपहर भोज को सत्र से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "उत्तर प्रदेश में जब हमारी सरकार थी, तब भी मैं प्रधानमंत्री से मिलती रहती थी। उस दौरान भी मुझे भोजन पर आमंत्रित किया गया था।"टिप्पणियां यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कांग्रेस का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा, "अक्टूबर में मैंने एक रैली की थी, और मुझे इस मुद्दे पर जो कहना है, उसी समय मैंने कह दिया था।" ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है। मायावती ने कहा, "इस तरह की मुलाकातें होती रहती हैं। संसद का सत्र शुरू होने वाला है। इस दोपहर भोज को सत्र से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "उत्तर प्रदेश में जब हमारी सरकार थी, तब भी मैं प्रधानमंत्री से मिलती रहती थी। उस दौरान भी मुझे भोजन पर आमंत्रित किया गया था।"टिप्पणियां यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कांग्रेस का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा, "अक्टूबर में मैंने एक रैली की थी, और मुझे इस मुद्दे पर जो कहना है, उसी समय मैंने कह दिया था।" ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "उत्तर प्रदेश में जब हमारी सरकार थी, तब भी मैं प्रधानमंत्री से मिलती रहती थी। उस दौरान भी मुझे भोजन पर आमंत्रित किया गया था।"टिप्पणियां यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कांग्रेस का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा, "अक्टूबर में मैंने एक रैली की थी, और मुझे इस मुद्दे पर जो कहना है, उसी समय मैंने कह दिया था।" ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है। यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कांग्रेस का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा, "अक्टूबर में मैंने एक रैली की थी, और मुझे इस मुद्दे पर जो कहना है, उसी समय मैंने कह दिया था।" ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है। ज्ञात हो कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन जारी है।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: 10 सालों में तमिलनाडु में हिंदू संगठनों के 127 कार्यकर्ता मारे गए : प्रमोद मुतालिक
विवादित दक्षिणपंथी संगठन श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने बुधवार को कहा कि हिंदू संगठनों के नेताओं पर हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें हिंदू संगठनों के नेताओं को आत्मरक्षा के लिए हथियारों के लाइसेंस मुहैया कराने की जरूरत पर जोर दिया जाएगा। मुतालिक ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस सुरक्षा कुछ ही क्षेत्रों में सीमित होने के कारण हिंदू संगठनों के नेताओं के लिए हथियार साथ में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिंदू संगठनों के नेताओं को चरमपंथी ताकतों सहित विभिन्न हलकों से खतरा है। श्रीराम सेना प्रमुख ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता को भी ऐसी अर्जियां दी जाएंगी। मुतालिक ने सुझाव दिया कि सरकार दलितों सहित ऐसे सभी लोगों को हथियारों के लाइसेंस मुहैया कराने पर विचार कर सकती है जिनकी जान को खतरा है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 साल में सिर्फ तमिलनाडु में हिंदू संगठनों के 127 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। नाबालिग लड़कियों सहित महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर मुतालिक ने कहा कि सरकार और स्कूल प्रबंधनों को छात्रों के लिए एक ड्रेस कोड बनाना चाहिए क्योंकि ऐसे अपराधों की एक बड़ी वजह कपड़े भी हैं।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: कपिल सिब्बल ने की चुनाव आयोग से शिकायत : नरेंद्र मोदी ने छिपाए अपने विवाह से जुड़े तथ्य
लेख: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने आज नरेंद्र मोदी के विवाहित होने के मुद्दे पर चुनाव आयोग से मांग की है कि मोदी द्वारा पहले के हलफनामों में तथ्यों को छिपाने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। सिब्बल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात के बाद कहा, ‘आज मैंने चुनाव आयोग में याचिका दाखिल कर मोदी के खिलाफ चुनावी हलफनामों में अपनी शादी के संबंध में तथ्यों को छिपाने को लेकर आईपीसी के अनेक प्रावधानों के तहत कार्रवाई की मांग की है’। उन्होंने कहा कि 2002 और 2012 के बीच मोदी ने गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव लड़ने के दौरान हलफनामे दाखिल किए हैं जहां उन्होंने अपने शादीशुदा होने के बारे में जानकारी नहीं दी है। सिब्बल ने कहा, ‘उन्होंने देश को इस तथ्य के बारे में नहीं बताया। अब वडोदरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कहा है कि वह शादीशुदा हैं’। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने उनकी याचिका पर विचार करने का आश्वासन दिया है। इससे पहले बुधवार को गुजरात के वडोदरा लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी पत्नी का नाम जशोदाबेन बताया था। इससे पहले वह इस कॉलम  को खाली छोड़ दिया करते थे।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: कुश्ती को भी तवज्जो दिला गया 'बोल बच्चन' का प्रमोशन...
लेख: फिल्मों के प्रमोशन के लिए नई−नई तरकीबें अपनाना इन दिनों फैशन बन गया है... आमिर खान अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए कभी बनारस की गलियों में भटकते हैं, कभी पटना के ऑटोरिक्शा वाले की शादी में पहुंचकर ध्यान खींच लेते हैं... इसी तरह नई फिल्म 'बोल बच्चन' की टीम ने भी रिलीज़ से ऐन पहले प्रमोशन और मार्केटिंग को एक नया आयाम दे दिया है... फिल्म के सितारे अजय देवगन और अभिषेक बच्चन तथा निर्देशक रोहित शेट्टी की टीम फिल्म की खातिर दिल्ली में मास्टर चंदगीराम के अखाड़े में पहुंच गई और सुर्खियां बटोर लीं... बॉलीवुड वालों का यह नया दांव भले ही उन्हें जिता पाए या नहीं, लेकिन ओलिम्पिक के मौसम में कुश्ती के खेल को तवज्जो दिलाने में कामयाब रहा... वैसे अखाड़े की परम्परा के मुताबिक इन सितारों का खूब जमकर स्वागत भी किया गया, और खासकर, छोटे बच्चों में ग़ज़ब का उत्साह देखने को मिला... लेकिन अब इस प्रमोशन कैम्पेन को मिल रहे मीडिया कवरेज से शायद भारतीय कुश्ती में ग्लैमर का रंग भरने की शुरुआत हो गई है... हालांकि इसी अखाड़े से निकलकर सोनिका कालीरमन जैसी एथलीटों ने खूब नाम कमाया है, बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार के 'फीयर फैक्टर - खतरों के खिलाड़ी' और 'बिग बॉस' जैसे रिएलिटी शो में आकर नाम भी बटोरा, लेकिन इन सबकी बड़ी वजह उनकी काबिलियत के अलावा खुद उनका ग्लैमरस होना भी रहा... अखाड़े में मरहूम मास्टर चंदगीराम की कई तस्वीरें उस मौके का गवाह बनी रहीं... वर्ष 1970 के बैंकॉक एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर चंदगीराम अपने जीते−जी भारत में महिला कुश्ती के भी हीरो बने रहे... अपने बेटे और बेटियों को इस खेल में लगाकर वह भरोसा करते रहे कि इस खेल के दिन ज़रूर लौटेंगे... सो, आज अगर इन सितारों को चंदगीराम देखते, तो बेहद खुश होते... मैदान में पहुंचे बिना किसी भी खेल की रूह को महसूस करना मुमकिन नहीं होता... अजय देवगन ने बताया कि बचपन में वह भी कभी−कभी कुश्ती किया करते थे, इसलिए वह समझते हैं कि इस खेल का एक अलग ही नशा है... अजय ने कहा, कुश्ती की दुनिया बिल्कुल अलग है, और मैं मानता हूं कि कुश्ती को उसका वह हक नहीं मिला, जो दूसरे स्पोर्ट्स को मिलता रहा है...टिप्पणियां इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... बॉलीवुड वालों का यह नया दांव भले ही उन्हें जिता पाए या नहीं, लेकिन ओलिम्पिक के मौसम में कुश्ती के खेल को तवज्जो दिलाने में कामयाब रहा... वैसे अखाड़े की परम्परा के मुताबिक इन सितारों का खूब जमकर स्वागत भी किया गया, और खासकर, छोटे बच्चों में ग़ज़ब का उत्साह देखने को मिला... लेकिन अब इस प्रमोशन कैम्पेन को मिल रहे मीडिया कवरेज से शायद भारतीय कुश्ती में ग्लैमर का रंग भरने की शुरुआत हो गई है... हालांकि इसी अखाड़े से निकलकर सोनिका कालीरमन जैसी एथलीटों ने खूब नाम कमाया है, बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार के 'फीयर फैक्टर - खतरों के खिलाड़ी' और 'बिग बॉस' जैसे रिएलिटी शो में आकर नाम भी बटोरा, लेकिन इन सबकी बड़ी वजह उनकी काबिलियत के अलावा खुद उनका ग्लैमरस होना भी रहा... अखाड़े में मरहूम मास्टर चंदगीराम की कई तस्वीरें उस मौके का गवाह बनी रहीं... वर्ष 1970 के बैंकॉक एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर चंदगीराम अपने जीते−जी भारत में महिला कुश्ती के भी हीरो बने रहे... अपने बेटे और बेटियों को इस खेल में लगाकर वह भरोसा करते रहे कि इस खेल के दिन ज़रूर लौटेंगे... सो, आज अगर इन सितारों को चंदगीराम देखते, तो बेहद खुश होते... मैदान में पहुंचे बिना किसी भी खेल की रूह को महसूस करना मुमकिन नहीं होता... अजय देवगन ने बताया कि बचपन में वह भी कभी−कभी कुश्ती किया करते थे, इसलिए वह समझते हैं कि इस खेल का एक अलग ही नशा है... अजय ने कहा, कुश्ती की दुनिया बिल्कुल अलग है, और मैं मानता हूं कि कुश्ती को उसका वह हक नहीं मिला, जो दूसरे स्पोर्ट्स को मिलता रहा है...टिप्पणियां इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... हालांकि इसी अखाड़े से निकलकर सोनिका कालीरमन जैसी एथलीटों ने खूब नाम कमाया है, बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार के 'फीयर फैक्टर - खतरों के खिलाड़ी' और 'बिग बॉस' जैसे रिएलिटी शो में आकर नाम भी बटोरा, लेकिन इन सबकी बड़ी वजह उनकी काबिलियत के अलावा खुद उनका ग्लैमरस होना भी रहा... अखाड़े में मरहूम मास्टर चंदगीराम की कई तस्वीरें उस मौके का गवाह बनी रहीं... वर्ष 1970 के बैंकॉक एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर चंदगीराम अपने जीते−जी भारत में महिला कुश्ती के भी हीरो बने रहे... अपने बेटे और बेटियों को इस खेल में लगाकर वह भरोसा करते रहे कि इस खेल के दिन ज़रूर लौटेंगे... सो, आज अगर इन सितारों को चंदगीराम देखते, तो बेहद खुश होते... मैदान में पहुंचे बिना किसी भी खेल की रूह को महसूस करना मुमकिन नहीं होता... अजय देवगन ने बताया कि बचपन में वह भी कभी−कभी कुश्ती किया करते थे, इसलिए वह समझते हैं कि इस खेल का एक अलग ही नशा है... अजय ने कहा, कुश्ती की दुनिया बिल्कुल अलग है, और मैं मानता हूं कि कुश्ती को उसका वह हक नहीं मिला, जो दूसरे स्पोर्ट्स को मिलता रहा है...टिप्पणियां इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... अखाड़े में मरहूम मास्टर चंदगीराम की कई तस्वीरें उस मौके का गवाह बनी रहीं... वर्ष 1970 के बैंकॉक एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर चंदगीराम अपने जीते−जी भारत में महिला कुश्ती के भी हीरो बने रहे... अपने बेटे और बेटियों को इस खेल में लगाकर वह भरोसा करते रहे कि इस खेल के दिन ज़रूर लौटेंगे... सो, आज अगर इन सितारों को चंदगीराम देखते, तो बेहद खुश होते... मैदान में पहुंचे बिना किसी भी खेल की रूह को महसूस करना मुमकिन नहीं होता... अजय देवगन ने बताया कि बचपन में वह भी कभी−कभी कुश्ती किया करते थे, इसलिए वह समझते हैं कि इस खेल का एक अलग ही नशा है... अजय ने कहा, कुश्ती की दुनिया बिल्कुल अलग है, और मैं मानता हूं कि कुश्ती को उसका वह हक नहीं मिला, जो दूसरे स्पोर्ट्स को मिलता रहा है...टिप्पणियां इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... मैदान में पहुंचे बिना किसी भी खेल की रूह को महसूस करना मुमकिन नहीं होता... अजय देवगन ने बताया कि बचपन में वह भी कभी−कभी कुश्ती किया करते थे, इसलिए वह समझते हैं कि इस खेल का एक अलग ही नशा है... अजय ने कहा, कुश्ती की दुनिया बिल्कुल अलग है, और मैं मानता हूं कि कुश्ती को उसका वह हक नहीं मिला, जो दूसरे स्पोर्ट्स को मिलता रहा है...टिप्पणियां इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... इस खेल को लेकर ये स्टार संजीदा दिखाई दे रहे थे, और इसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए... अभिषेक बच्चन को क्रिकेट बहुत पसंद है, और वह आईपीएल की मुंबई इंडियन्स टीम के बड़े फ़ैन हैं, लेकिन अखाड़े में पहुंचकर वह भी कुश्ती से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके... कुश्ती के जोश में उन्होंने ओलिम्पिक में फिर भारतीय पहलवानों से पदक जीतने की उम्मीद जताई... अभिषेक ने कहा, पिछली बार भी कुश्ती ने पदक जीता था, और इस बार भी अगस्त में हम ओलिम्पिक पदक ज़रूर जीतेंगे... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है... 'बोल बच्चन' में अजय देवगन ने एक पहलवान का किरदार निभाया है, इसलिए फिल्म के प्रमोटर्स इसे अखाड़ों में भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं... फिल्म से कुश्ती को फौरन फायदा पहुंचे, न पहुंचे, लेकिन फिल्म की टीम को पता है कि गांवों और छोटे शहरों में कुश्ती के लाखों दीवाने हैं और 100 करोड़ के क्लब में पहुंचने के लक्ष्य के चलते उन्होंने अखाड़ों को भी भुनाने की योजना बनाई है...
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: प्रो रेसलिंग लीग आज से : पहलवान सुशील कुमार बाहर, लेकिन मिला विराट कोहली का साथ
यह लेख है: आज से दिल्ली के केडी जाधव रेसलिंग स्टेडियम (इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम) में पहली प्रो रेसलिंग लीग शुरू हो रही है। पहले दिन पंजाब रॉयल्स और रेवान्ट्स गरुड़ टीमों के बीच मुकाबले होने हैं। लीग की शुरुआत से पहले भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली का इस लीग से जुड़ना कुश्ती के लिए अच्छी खबर है। विराट कोहली बेंगलुरु योद्धाज फ्रेंचाइजी के सह-मालिक बन गए हैं। विराट कोहली आज के मैच के दौरान स्टेडियम में नजर भी आने वाले हैं। एक दिन पहले भारतीय स्टार बल्लेबाज रोहित शर्मा के प्रो रेसलिंग की यूपी वॉरियर्स टीम का सह मालिक बनने की खबर आई थी, लेकिन लीग के शुरू होने से ठीक पहले डबल ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के बाहर होने की खबर आ गई जो लीग के लिए अच्छी खबर नहीं मानी जा सकती। लेकिन लंदन ओलिंपिक्स के कांस्य पदक विजेता योगेशवर दत्त, 2015 वर्ल्ड चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता नरसिंह पंचम यादव,. गीता और बबीता फोगाट बहनें इस लीग की रौनक को फीका पड़ने से रोक सकती हैं। इन सबके अलावा इस घरेलू लीग में तीन बार की अमेरिकी वर्ल्ड चैंपियन एडेलिन ग्रे, यूक्रेन की वर्ल्ड चैंपियन ओकसाना हरहेल, जॉर्जिया के वर्ल्ड चैंपियन ब्लादिमिर कुश्ती के चाहने वालों के लिए इस लीग के आकर्षण की मुख्य वजह बन सकते हैं। टिप्पणियां छह टीमों की ये प्रो रेसलिंग लीग (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और मुंबई की टीमें) में राउंड रॉबिन मैचों के आधार पर घरेलू और विपक्षी टीमों के मैदानों पर खेली जाएगी। 15 करोड़ की इनामी राशि वाली इस लीग की विजेता टीम को 3 करोड़ रुपए की बड़ी रकम हासिल होगी। 10 से 27 दिसंबर तक चलने वाली इस लीग के पहले दिन पंजाब की ओर से गीता फोगाट, प्रियंका फोगाट और मौसम खत्री जैसे कुश्ती के जाने-माने नाम अपना दम दिखाते दिख सकते हैं, जबकि मुंबई गरुड़ की ओर से रितु फोगाट और अमित धनकड़ जैसे नामों के साथ दोनों ही टीमों के कुछ मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस लीग को चमकाने में अपना रोल अदा करेंगे। एक दिन पहले भारतीय स्टार बल्लेबाज रोहित शर्मा के प्रो रेसलिंग की यूपी वॉरियर्स टीम का सह मालिक बनने की खबर आई थी, लेकिन लीग के शुरू होने से ठीक पहले डबल ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के बाहर होने की खबर आ गई जो लीग के लिए अच्छी खबर नहीं मानी जा सकती। लेकिन लंदन ओलिंपिक्स के कांस्य पदक विजेता योगेशवर दत्त, 2015 वर्ल्ड चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता नरसिंह पंचम यादव,. गीता और बबीता फोगाट बहनें इस लीग की रौनक को फीका पड़ने से रोक सकती हैं। इन सबके अलावा इस घरेलू लीग में तीन बार की अमेरिकी वर्ल्ड चैंपियन एडेलिन ग्रे, यूक्रेन की वर्ल्ड चैंपियन ओकसाना हरहेल, जॉर्जिया के वर्ल्ड चैंपियन ब्लादिमिर कुश्ती के चाहने वालों के लिए इस लीग के आकर्षण की मुख्य वजह बन सकते हैं। टिप्पणियां छह टीमों की ये प्रो रेसलिंग लीग (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और मुंबई की टीमें) में राउंड रॉबिन मैचों के आधार पर घरेलू और विपक्षी टीमों के मैदानों पर खेली जाएगी। 15 करोड़ की इनामी राशि वाली इस लीग की विजेता टीम को 3 करोड़ रुपए की बड़ी रकम हासिल होगी। 10 से 27 दिसंबर तक चलने वाली इस लीग के पहले दिन पंजाब की ओर से गीता फोगाट, प्रियंका फोगाट और मौसम खत्री जैसे कुश्ती के जाने-माने नाम अपना दम दिखाते दिख सकते हैं, जबकि मुंबई गरुड़ की ओर से रितु फोगाट और अमित धनकड़ जैसे नामों के साथ दोनों ही टीमों के कुछ मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस लीग को चमकाने में अपना रोल अदा करेंगे। इन सबके अलावा इस घरेलू लीग में तीन बार की अमेरिकी वर्ल्ड चैंपियन एडेलिन ग्रे, यूक्रेन की वर्ल्ड चैंपियन ओकसाना हरहेल, जॉर्जिया के वर्ल्ड चैंपियन ब्लादिमिर कुश्ती के चाहने वालों के लिए इस लीग के आकर्षण की मुख्य वजह बन सकते हैं। टिप्पणियां छह टीमों की ये प्रो रेसलिंग लीग (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और मुंबई की टीमें) में राउंड रॉबिन मैचों के आधार पर घरेलू और विपक्षी टीमों के मैदानों पर खेली जाएगी। 15 करोड़ की इनामी राशि वाली इस लीग की विजेता टीम को 3 करोड़ रुपए की बड़ी रकम हासिल होगी। 10 से 27 दिसंबर तक चलने वाली इस लीग के पहले दिन पंजाब की ओर से गीता फोगाट, प्रियंका फोगाट और मौसम खत्री जैसे कुश्ती के जाने-माने नाम अपना दम दिखाते दिख सकते हैं, जबकि मुंबई गरुड़ की ओर से रितु फोगाट और अमित धनकड़ जैसे नामों के साथ दोनों ही टीमों के कुछ मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस लीग को चमकाने में अपना रोल अदा करेंगे। छह टीमों की ये प्रो रेसलिंग लीग (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और मुंबई की टीमें) में राउंड रॉबिन मैचों के आधार पर घरेलू और विपक्षी टीमों के मैदानों पर खेली जाएगी। 15 करोड़ की इनामी राशि वाली इस लीग की विजेता टीम को 3 करोड़ रुपए की बड़ी रकम हासिल होगी। 10 से 27 दिसंबर तक चलने वाली इस लीग के पहले दिन पंजाब की ओर से गीता फोगाट, प्रियंका फोगाट और मौसम खत्री जैसे कुश्ती के जाने-माने नाम अपना दम दिखाते दिख सकते हैं, जबकि मुंबई गरुड़ की ओर से रितु फोगाट और अमित धनकड़ जैसे नामों के साथ दोनों ही टीमों के कुछ मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस लीग को चमकाने में अपना रोल अदा करेंगे। 10 से 27 दिसंबर तक चलने वाली इस लीग के पहले दिन पंजाब की ओर से गीता फोगाट, प्रियंका फोगाट और मौसम खत्री जैसे कुश्ती के जाने-माने नाम अपना दम दिखाते दिख सकते हैं, जबकि मुंबई गरुड़ की ओर से रितु फोगाट और अमित धनकड़ जैसे नामों के साथ दोनों ही टीमों के कुछ मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस लीग को चमकाने में अपना रोल अदा करेंगे।
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: लाल किले से पीएम मोदी नहीं करेंगे वन रैंक, वन पेंशन का ऐलान : सूत्र
लेख: इससे पहले, केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन से सरकार का भावनात्मक जुड़ाव है और इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है। इस बयान के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लाल किले की प्राचीर से इसकी घोषणा कर सकते हैं। पूर्व सैनिक इस मसले को लेकर 60 दिन से जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। शुक्रवार सुबह सुरक्षा के मद्देनज़र जंतर-मंतर को खाली कराया जा रहा था और धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों को भी वहां से हटाने की कोशिश की गई।टिप्पणियां पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की कोशिशों के दौरान पुलिस के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। पूर्व सैनिकों का सवाल था, "क्या अब हम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं...?" इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां बने रहने की इजाज़त दे दी। दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया। पूर्व सैनिक इस मसले को लेकर 60 दिन से जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। शुक्रवार सुबह सुरक्षा के मद्देनज़र जंतर-मंतर को खाली कराया जा रहा था और धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों को भी वहां से हटाने की कोशिश की गई।टिप्पणियां पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की कोशिशों के दौरान पुलिस के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। पूर्व सैनिकों का सवाल था, "क्या अब हम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं...?" इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां बने रहने की इजाज़त दे दी। दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया। पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की कोशिशों के दौरान पुलिस के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। पूर्व सैनिकों का सवाल था, "क्या अब हम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं...?" इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां बने रहने की इजाज़त दे दी। दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया। दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज लेंगे कैबिनेट की अंतिम बैठक, शनिवार को देंगे इस्तीफा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह मंगलवार को अंतिम बार अपने कैबिनेट की बैठक लेने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कैबिनेट के स्टाफ और सहयोगियों के साथ होने जा रही मनमोहन सिंह की इस बैठक में फार्मा सेक्टर में एफडीआई पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी जा सकती है। वैसे बताया गया है कि प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के अगले दिन, यानि 17 मई को अपना पद छोड़ देंगे। वहीं, आज पीएमओ के स्टाफ ने प्रधानमंत्री को गर्मजोशी के साथ विदाई दी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कांग्रेस तथा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी 14 मई को विदाई रात्रिभोज भी देने जा रही हैं। सू़त्रों के अनुसार रात्रिभोज के दौरान डॉ मनमोहन सिंह को एक स्मृतिचिह्न भी दिया जा सकता है, जिस पर कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्यों के अतिरिक्त केंद्रीय मंत्रियों के भी हस्ताक्षर हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव 2014 के लिए मतदान सम्पन्न हो चुका है, और मतगणना 16 मई को होने जा रही है। उन्होंने इस साल के आरंभ में ही अगली बार इस पद की दौड़ में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी। डॉ मनमोहन सिंह ने 10 साल तक यूपीए सरकारों की कमान संभाली है, और पद छोड़ने से एक दिन पहले वह राष्ट्र के नाम अपना विदाई भाषण भी देने वाले हैं। कांग्रेस के नेता हमेशा से प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच के संबंधों को आदर्श कार्यविभाजन बताते रहे हैं, जिससे सरकार और पार्टी के बीच तालमेल बना रहा। कांग्रेस हमेशा से कहती रही है कि पार्टी अध्यक्ष ओर प्रधानमंत्री के बीच इससे बेहतर संबंध नहीं हो सकते, और वह इन दोनों के बीच मतभेद की खबरों को अफवाह और दुष्प्रचार कहकर खारिज करती रही है।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: प्राइम टाइम इंट्रो : पानी की रेल सिर्फ़ लातूर के लिए ही क्यों?
लेख: आप मानें या न मानें, कहने में बुरा लगेगा, थोड़ी तकलीफ भी होगी। ऐसा नहीं है कि पानी की रेल चलाने से लोगों को राहत नहीं पहुंच रही लेकिन पानी की रेल से कितने लोगों को राहत पहुंच रही है, अब एक सख्त सवाल पूछने का वक्त आ गया है। क्या पानी की रेल पूरे सूखाग्रस्त इलाके को कवर करती है या किसी खास शहर तक। जिस शहर में जाती है क्या उस शहर में पानी के वितरण को लेकर स्थिति में बदलाव आया है। महाराष्ट्र सरकार ने अब तक 4500 करोड़ रुपये सूखा राहत में लगा दिये हैं। उनका क्या नतीजा आया है। क्या लोगों को राहत मिल रही है। हम सिर्फ सरकार की वाहवाही या निंदा के फ्रेम में ही सारा कुछ देखने के आदी होते जा रहे हैं। आपको खुद भी सोचना चाहिए कि पानी की रेल और सूखा ग्रस्त इलाकों में पहले से चल रहे पानी के टैंकरों में क्या अंतर है। जैसे पानी की रेल जब लातूर पहुंची तो इसे एक बड़े प्रयास के रूप में दिखाया गया। लेकिन उसी लातूर शहर में सैकड़ों पानी के टैंकर चल रहे थे। फर्क यही है कि वे सारे टैंकर अलग अलग ट्रैक्टरों से खींचे जा रहे थे। पानी की रेल एक कतार में टैंकरों को खींचती हुई चली आ रही थी। इसमें कोई शक नहीं कि दूसरी जगह से पानी भर कर लाने में एक मज़बूत सरकारी इरादा दिखता है लेकिन क्या यह सवाल पूछने का वक्त नहीं आ गया है कि इसके पहुंचने से लातूर शहर में ही क्या बदलाव आया। लातूर शहर की आबादी 5 लाख है। क्या आप जानते हैं कि पानी की रेल सिर्फ लातूर शहर के लिए चली है। गांवों के लिए नहीं चली है। 2011 की जनगणना के अनुसार लातूर के गांवों में 18 लाख की आबादी रहती है। तो यह पानी की रेल चली है 5 लाख की शहरी आबादी के लिए। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए क्या हो रहा है इसका कोई वीडियो चलते हुए आपको नहीं दिखेगा। पानी की रेल को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे इसने पहुंच कर पूरे लातूर की आबादी की प्यास बुझाने का काम किया हो। सांतिया ने बताया कि कुछ ही दिन के भीतर टैंकरों के दाम भी बढ़ गए हैं। एक टैंकर का औसत दाम हो गया है 1500 रुपये जो कुछ दिन पहले तक 1200 रुपये था और फरवरी में 500 रुपये प्रति टैंकर था। इसलिए ज़रूरी है कि जो तस्वीर आप देख रहे हैं या जिसकी बार बार बात हो रही है उसे खुरच कर उसकी परतों को भी देखें। यह भी समझिये कि सूखा सिर्फ लातूर में नहीं पड़ा है। लातूर के आसपास के ज़िले परभणी, बीड़, उस्मानाबाद में भी सूखा है लेकिन किसी वजह से सूखे की चर्चा और समाधान के प्रयास का केंद्र लातूर ही बन गया है। इसमें मीडिया की भी कमी हो सकती है लेकिन आपको प्रिंट से लेकर टीवी तक का हिसाब करना होगा। कई पत्रकार लातूर के अलावा भी अन्य जगहों पर गए हैं। पानी की रेल गई भी तो शहर के लिए। गांव के लिए क्या हुआ। यह सोचियेगा क्योंकि सांतिया ने जब लातूर के ज़िला प्रशासन से फोन पर बात की तो उनसे यही कहा गया कि पानी की रेल सिर्फ लातूर शहर के लिए है। तो हमने यही जानने का प्रयास किया कि लातूर शहर के हालात में ही पानी की रेल से क्या बदलाव आया। लातूर के 5 लाख शहरी के लिए कितने लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इस पर ज़िला प्रशासन कहता है कि शहर को हर दिन ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता अतुल देओलेकर का कहना है कि 5 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। सिटी कलेक्टर ने हमारी सहयोगी सांतिया को बताया कि इस वक्त अलग अलग ज़रिये से एक करोड़ 20 लाख लीटर पानी की सप्लाई है। इसमें से तीस से चालीस लाख लीटर पानी बोरवेल से आ रहा है। 25 लाख लीटर पानी रेल से आ रहा है। बांध और चेकडैम से चालीस लाख लीटर पानी आ रहा है। पांच लाख लीटर पानी बांध और नदियों की तलहटी की खुदाई कर निकाला जा रहा है। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए पानी की रेल नहीं चली है। चली है सिर्फ पांच लाख शहरी आबादी के लिए। गांव के लोगों का सबसे बड़ा कसूर है कि वे ट्वीटर पर नहीं हैं और उन्हें हैशटैग चलाना नहीं आता है। ख़ैर। ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए और इंतज़ाम है 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी का। प्रशासन के दावे के अनुसार जिनता ज़रूरी है उसका आधा पानी ही उपलब्ध है। स्थानीय लोगों ने सांतिया को बताया कि पहले भी निगम वाले पानी का टैंकर आठ से दस दिन के अंतर पर भेजते थे। आज भी आठ से दस दिनों के अंतर पर ही पानी मिल रहा है। प्रशासन का कहना है कि इस वक्त लातूर शहर के लोगों को पानी चार से पांच दिनों के अंतर पर मिल रहा है। सूखे के वक्त पानी का हिसाब सामान्य दिनों से काफी कम लगाया जाता है। इस वक्त के सरकारी पैमाने के अनुसार एक आदमी को हर दिन 20 लीटर पानी दिया जाता है। एक परिवार में चार लोग हुए तो 80 लीटर पानी रोज़ मिलेगा। यह पानी सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए होता है। दस दिन के अंतर से टैंकर आएगा तो 800 लीटर चाहिए। लेकिन निगम की तरफ से दस दिन पर 200 लीटर पानी दिया जा रहा है। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। जैसे पानी की रेल जब लातूर पहुंची तो इसे एक बड़े प्रयास के रूप में दिखाया गया। लेकिन उसी लातूर शहर में सैकड़ों पानी के टैंकर चल रहे थे। फर्क यही है कि वे सारे टैंकर अलग अलग ट्रैक्टरों से खींचे जा रहे थे। पानी की रेल एक कतार में टैंकरों को खींचती हुई चली आ रही थी। इसमें कोई शक नहीं कि दूसरी जगह से पानी भर कर लाने में एक मज़बूत सरकारी इरादा दिखता है लेकिन क्या यह सवाल पूछने का वक्त नहीं आ गया है कि इसके पहुंचने से लातूर शहर में ही क्या बदलाव आया। लातूर शहर की आबादी 5 लाख है। क्या आप जानते हैं कि पानी की रेल सिर्फ लातूर शहर के लिए चली है। गांवों के लिए नहीं चली है। 2011 की जनगणना के अनुसार लातूर के गांवों में 18 लाख की आबादी रहती है। तो यह पानी की रेल चली है 5 लाख की शहरी आबादी के लिए। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए क्या हो रहा है इसका कोई वीडियो चलते हुए आपको नहीं दिखेगा। पानी की रेल को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे इसने पहुंच कर पूरे लातूर की आबादी की प्यास बुझाने का काम किया हो। सांतिया ने बताया कि कुछ ही दिन के भीतर टैंकरों के दाम भी बढ़ गए हैं। एक टैंकर का औसत दाम हो गया है 1500 रुपये जो कुछ दिन पहले तक 1200 रुपये था और फरवरी में 500 रुपये प्रति टैंकर था। इसलिए ज़रूरी है कि जो तस्वीर आप देख रहे हैं या जिसकी बार बार बात हो रही है उसे खुरच कर उसकी परतों को भी देखें। यह भी समझिये कि सूखा सिर्फ लातूर में नहीं पड़ा है। लातूर के आसपास के ज़िले परभणी, बीड़, उस्मानाबाद में भी सूखा है लेकिन किसी वजह से सूखे की चर्चा और समाधान के प्रयास का केंद्र लातूर ही बन गया है। इसमें मीडिया की भी कमी हो सकती है लेकिन आपको प्रिंट से लेकर टीवी तक का हिसाब करना होगा। कई पत्रकार लातूर के अलावा भी अन्य जगहों पर गए हैं। पानी की रेल गई भी तो शहर के लिए। गांव के लिए क्या हुआ। यह सोचियेगा क्योंकि सांतिया ने जब लातूर के ज़िला प्रशासन से फोन पर बात की तो उनसे यही कहा गया कि पानी की रेल सिर्फ लातूर शहर के लिए है। तो हमने यही जानने का प्रयास किया कि लातूर शहर के हालात में ही पानी की रेल से क्या बदलाव आया। लातूर के 5 लाख शहरी के लिए कितने लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इस पर ज़िला प्रशासन कहता है कि शहर को हर दिन ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता अतुल देओलेकर का कहना है कि 5 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। सिटी कलेक्टर ने हमारी सहयोगी सांतिया को बताया कि इस वक्त अलग अलग ज़रिये से एक करोड़ 20 लाख लीटर पानी की सप्लाई है। इसमें से तीस से चालीस लाख लीटर पानी बोरवेल से आ रहा है। 25 लाख लीटर पानी रेल से आ रहा है। बांध और चेकडैम से चालीस लाख लीटर पानी आ रहा है। पांच लाख लीटर पानी बांध और नदियों की तलहटी की खुदाई कर निकाला जा रहा है। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए पानी की रेल नहीं चली है। चली है सिर्फ पांच लाख शहरी आबादी के लिए। गांव के लोगों का सबसे बड़ा कसूर है कि वे ट्वीटर पर नहीं हैं और उन्हें हैशटैग चलाना नहीं आता है। ख़ैर। ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए और इंतज़ाम है 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी का। प्रशासन के दावे के अनुसार जिनता ज़रूरी है उसका आधा पानी ही उपलब्ध है। स्थानीय लोगों ने सांतिया को बताया कि पहले भी निगम वाले पानी का टैंकर आठ से दस दिन के अंतर पर भेजते थे। आज भी आठ से दस दिनों के अंतर पर ही पानी मिल रहा है। प्रशासन का कहना है कि इस वक्त लातूर शहर के लोगों को पानी चार से पांच दिनों के अंतर पर मिल रहा है। सूखे के वक्त पानी का हिसाब सामान्य दिनों से काफी कम लगाया जाता है। इस वक्त के सरकारी पैमाने के अनुसार एक आदमी को हर दिन 20 लीटर पानी दिया जाता है। एक परिवार में चार लोग हुए तो 80 लीटर पानी रोज़ मिलेगा। यह पानी सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए होता है। दस दिन के अंतर से टैंकर आएगा तो 800 लीटर चाहिए। लेकिन निगम की तरफ से दस दिन पर 200 लीटर पानी दिया जा रहा है। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। इसलिए ज़रूरी है कि जो तस्वीर आप देख रहे हैं या जिसकी बार बार बात हो रही है उसे खुरच कर उसकी परतों को भी देखें। यह भी समझिये कि सूखा सिर्फ लातूर में नहीं पड़ा है। लातूर के आसपास के ज़िले परभणी, बीड़, उस्मानाबाद में भी सूखा है लेकिन किसी वजह से सूखे की चर्चा और समाधान के प्रयास का केंद्र लातूर ही बन गया है। इसमें मीडिया की भी कमी हो सकती है लेकिन आपको प्रिंट से लेकर टीवी तक का हिसाब करना होगा। कई पत्रकार लातूर के अलावा भी अन्य जगहों पर गए हैं। पानी की रेल गई भी तो शहर के लिए। गांव के लिए क्या हुआ। यह सोचियेगा क्योंकि सांतिया ने जब लातूर के ज़िला प्रशासन से फोन पर बात की तो उनसे यही कहा गया कि पानी की रेल सिर्फ लातूर शहर के लिए है। तो हमने यही जानने का प्रयास किया कि लातूर शहर के हालात में ही पानी की रेल से क्या बदलाव आया। लातूर के 5 लाख शहरी के लिए कितने लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इस पर ज़िला प्रशासन कहता है कि शहर को हर दिन ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता अतुल देओलेकर का कहना है कि 5 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। सिटी कलेक्टर ने हमारी सहयोगी सांतिया को बताया कि इस वक्त अलग अलग ज़रिये से एक करोड़ 20 लाख लीटर पानी की सप्लाई है। इसमें से तीस से चालीस लाख लीटर पानी बोरवेल से आ रहा है। 25 लाख लीटर पानी रेल से आ रहा है। बांध और चेकडैम से चालीस लाख लीटर पानी आ रहा है। पांच लाख लीटर पानी बांध और नदियों की तलहटी की खुदाई कर निकाला जा रहा है। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए पानी की रेल नहीं चली है। चली है सिर्फ पांच लाख शहरी आबादी के लिए। गांव के लोगों का सबसे बड़ा कसूर है कि वे ट्वीटर पर नहीं हैं और उन्हें हैशटैग चलाना नहीं आता है। ख़ैर। ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए और इंतज़ाम है 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी का। प्रशासन के दावे के अनुसार जिनता ज़रूरी है उसका आधा पानी ही उपलब्ध है। स्थानीय लोगों ने सांतिया को बताया कि पहले भी निगम वाले पानी का टैंकर आठ से दस दिन के अंतर पर भेजते थे। आज भी आठ से दस दिनों के अंतर पर ही पानी मिल रहा है। प्रशासन का कहना है कि इस वक्त लातूर शहर के लोगों को पानी चार से पांच दिनों के अंतर पर मिल रहा है। सूखे के वक्त पानी का हिसाब सामान्य दिनों से काफी कम लगाया जाता है। इस वक्त के सरकारी पैमाने के अनुसार एक आदमी को हर दिन 20 लीटर पानी दिया जाता है। एक परिवार में चार लोग हुए तो 80 लीटर पानी रोज़ मिलेगा। यह पानी सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए होता है। दस दिन के अंतर से टैंकर आएगा तो 800 लीटर चाहिए। लेकिन निगम की तरफ से दस दिन पर 200 लीटर पानी दिया जा रहा है। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। लातूर के 5 लाख शहरी के लिए कितने लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इस पर ज़िला प्रशासन कहता है कि शहर को हर दिन ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता अतुल देओलेकर का कहना है कि 5 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। सिटी कलेक्टर ने हमारी सहयोगी सांतिया को बताया कि इस वक्त अलग अलग ज़रिये से एक करोड़ 20 लाख लीटर पानी की सप्लाई है। इसमें से तीस से चालीस लाख लीटर पानी बोरवेल से आ रहा है। 25 लाख लीटर पानी रेल से आ रहा है। बांध और चेकडैम से चालीस लाख लीटर पानी आ रहा है। पांच लाख लीटर पानी बांध और नदियों की तलहटी की खुदाई कर निकाला जा रहा है। 18 लाख की ग्रामीण आबादी के लिए पानी की रेल नहीं चली है। चली है सिर्फ पांच लाख शहरी आबादी के लिए। गांव के लोगों का सबसे बड़ा कसूर है कि वे ट्वीटर पर नहीं हैं और उन्हें हैशटैग चलाना नहीं आता है। ख़ैर। ढाई करोड़ लीटर पानी चाहिए और इंतज़ाम है 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी का। प्रशासन के दावे के अनुसार जिनता ज़रूरी है उसका आधा पानी ही उपलब्ध है। स्थानीय लोगों ने सांतिया को बताया कि पहले भी निगम वाले पानी का टैंकर आठ से दस दिन के अंतर पर भेजते थे। आज भी आठ से दस दिनों के अंतर पर ही पानी मिल रहा है। प्रशासन का कहना है कि इस वक्त लातूर शहर के लोगों को पानी चार से पांच दिनों के अंतर पर मिल रहा है। सूखे के वक्त पानी का हिसाब सामान्य दिनों से काफी कम लगाया जाता है। इस वक्त के सरकारी पैमाने के अनुसार एक आदमी को हर दिन 20 लीटर पानी दिया जाता है। एक परिवार में चार लोग हुए तो 80 लीटर पानी रोज़ मिलेगा। यह पानी सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए होता है। दस दिन के अंतर से टैंकर आएगा तो 800 लीटर चाहिए। लेकिन निगम की तरफ से दस दिन पर 200 लीटर पानी दिया जा रहा है। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। स्थानीय लोगों ने सांतिया को बताया कि पहले भी निगम वाले पानी का टैंकर आठ से दस दिन के अंतर पर भेजते थे। आज भी आठ से दस दिनों के अंतर पर ही पानी मिल रहा है। प्रशासन का कहना है कि इस वक्त लातूर शहर के लोगों को पानी चार से पांच दिनों के अंतर पर मिल रहा है। सूखे के वक्त पानी का हिसाब सामान्य दिनों से काफी कम लगाया जाता है। इस वक्त के सरकारी पैमाने के अनुसार एक आदमी को हर दिन 20 लीटर पानी दिया जाता है। एक परिवार में चार लोग हुए तो 80 लीटर पानी रोज़ मिलेगा। यह पानी सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए होता है। दस दिन के अंतर से टैंकर आएगा तो 800 लीटर चाहिए। लेकिन निगम की तरफ से दस दिन पर 200 लीटर पानी दिया जा रहा है। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। पानी चाहिए एक ग्लास। सरकार पहुंचा रही है एक कटोरी। ज़ाहिर है सरकार के पास समंदर तो है नहीं लेकिन पानी की रेल को समंदर भी न समझा जाए। यह भी समझिये कि आठ से दस दिन में जो टैंकर आते हैं वो दो से तीन दिन का ही पानी देकर जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारें प्रयास नहीं कर रही होंगी लेकिन आपको समझना यह है कि क्या यह प्रयास पर्याप्त है, कितना बुनियादी हल है, कितना नाम के लिए और कितना दिखावे के लिए। पानी की रेल तो एक ही जगह चली लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे सारे सूखाग्रस्त ज़िलों में चल रही है। सांतिया ने प्रशासन से बात कर बताया कि लातूर के करीब 940 गांवों में 17 लाख की आबादी रहती है। गांवों के लिए पानी की रेल नहीं चली है लेकिन सूखा घोषित होने पर 9 चरण यानी 9 काम तय किये गए हैं। इसके तहत नए बोरवेल की खुदाई होती है। पुराने बोरवेल की मरम्मत की जाती है। पहले से मौजूद बोरवेल को गहरा किया जाता है। कुओं की सफाई होती है। हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है। अस्थायी तौर से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लातूर प्रशासन ने सांतिया को फोन से बताया कि पहले सात चरणों के मुताबिक 500 चीजें कर चुके हैं। आठवां काम होता है प्राइवेट बोरवेल को किराये पर लेना। लातूर प्रशासन ने 1200 प्राइवेट बोरवेल किराये पर लिये हैं। 9वां काम है टैंकरों के ज़रिये पानी पहुंचाना। प्रशासन ने 250 गांवों के लिए टैंकर लगाए हैं जिनकी क्षमता 12 हज़ार लीटर से 25,000 होती है। आपको अभी-अभी तो बताया कि 940 गांव हैं लातूर में। 250 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाने की बात हो रही है। इतने दिनों में प्रशासन को कहना चाहिए था कि हमने सारे गांवों के लिए इंतज़ाम किया है। सांतिया जब कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों को कवर करने गईं थी तब कई गांवों में लोगों ने बताया कि सात सात दिन पर टैंकर आता है। तभी तो टैंकरों के पानी के लिए मारामारी हो रही है। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। अब आप खुद से याद कीजिए। बाढ़ के समय आपने देखा होगा कि हेलिकाप्टर से राहत सामग्री का पैकेट गिराया जाता है। नीचे कई लोग खड़े हाथ फैलाते हैं। सामान गिराया जाता है और कुछ लोगों के हाथ लगता है और कुछ लोगों के नहीं। हेलिकाप्टर आगे बढ़ जाता है। पानी की रेल की हालत भी यही है। यह टीवी पर तो कमाल का दृश्य पैदा करती है मगर सबकी प्यास नहीं बुझाती है। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के जंतर मंतर पर गए। वहां पर तेरह राज्यों से आए किसानों ने आज से प्रदर्शन शुरू किया है। ये सभी सूखाग्रस्त इलाकों से चलकर दिल्ली आए हैं। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष किसान यहां आए हैं। आप सभी को जंतर मंतर जाकर इन किसानों से खुद भी बात करनी चाहिए कि सूखे से उनके जीवन पर क्या असर पड़ता है। सुशील महापात्रा को मध्यप्रदेश से आई एक बुज़ुर्ग महिला ने अपनी हथेली दिखाई। महिला ने कहा कि दूर दूर से पानी का बर्तन भर कर लाने से हाथ में छाले जैसे पड़ गए हैं। महिला ने बताया कि उसे पानी लाने के लिए चार घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। साठ साल की उम्र में किसी को चार घंटे पैदल चल कर पानी लाना हो तो उसकी तकलीफ के आगे पानी की रेल का वीडियो दिखाना एक मज़ाक से कम नहीं है। कम से कम यह पानी की रेल यह बताये कि इसके आने से लोगों का पानी के लिए चार चार घंटे पैदल चलना बंद हो गया है। गुजरात से आई एक महिला भी यही शिकायत कर रही थी। इन्होंने बताया कि पंद्रह किमी तक पानी के लिए चलना पड़ता है। आपको वाकई हैरानी होनी चाहिए और बिल्कुल यकीन नहीं करना चाहिए कि पानी के लिए किसी को पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। तभी तो ये महिलाएं आईं हैं आपको दिखाने और बताने के लिए। कई लोग बात करते हुए भावुक हो गए और क्रोधित भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। खैर पानी की रेल एक और जगह गई है। आप जानते हैं मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भयंकर सूखा है। बुंदेलखंड के लिए आज केंद्र सरकार ने पानी की एक ट्रेन झांसी भेज दी। किसी ने यह तक नहीं देखा कि जो टैंकर झांसी स्टेशन पर खड़े हैं वो खड़े हैं या नहीं लेकिन राजनीति शुरू हो गई। यूपी के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने पानी की रेल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पानी की रेल भेजने से पहले किसी ने ज़िला प्रशासन से पूछा तक नहीं कि पानी चाहिए या नहीं। अगर यह तथ्यात्मक रूप से सही है तो कायदे से राज्य को बताना तो चाहिए था। यूपी सरकार का कहना है कि ट्रेन पहुंचने के बाद रेलवे ने सूचना दी। यही नहीं अखिलेश सरकार ने 10000 टैंकर मांगे थे। पानी नहीं। पानी राज्य के पास है। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। बीजेपी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार को पानी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जब पानी की ट्रेन गई है तो पानी को वापस करना ग़लत है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी कहा कि बुंदेलखंड के बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की किल्लत की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया। उमा भारती ने अखिलेश सरकार को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी, लेकिन शाम होते होते पता चला कि जो ट्रेन झांसी गई है वो तो खाली है। उसमें पानी नहीं है। ख़ाली टैंकर को लेकर इतना बवाल हो गया है। टीवी चैनलों पर सबके इंटरव्यू चलने लगे और जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो गए जैसे सूखे को लेकर मतदान होने वाला है। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। झांसी के ज़िलाधिकारी अजय शुक्ला कई लोगों के सामने टैंकरों को ठोक ठोक कर बताने लगे कि ट्रेन तो खाली आई है। इसमें पानी नहीं है। जबकि बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पानी की रेल आई है तो पानी लेना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि बीजेपी सांसदों ने अपने इलाकों में पानी की कमी की बात कही थी जिसके बाद पानी भेजा गया है। दोनों ही बातों की जांच होनी चाहिए। क्या पानी सांसदों की मांग पर भेजा गया। क्या रेल मंत्रालय ने ज़िला प्रशासन को पहले सूचना दी थी या नहीं। क्योंकि लातूर के अनुभव से आपने देखा कि पानी की रेल अब एक विजुअल सिंबल बन गई है। इसका एक शानदार सीन बनता है कि रेल से पानी पहुंचा दी गई है। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। दिल्ली ने भी महाराष्ट्र को पानी भेजना का प्रस्ताव दिया था। काफी मज़ाक उड़ा और महाराष्ट्र सरकार ने मना भी कर दिया। सूखा तो मध्य प्रदेश में भी है। मध्य प्रदेश के रतलाम से टैंकर झांसी चले गए। क्या मध्यप्रदेश के इलाकों में गए। यूपी में चुनाव भी तो होने वाला है। दोनों पक्षों ने तथ्यों का सही पता लगाए बहस को जन जन तक पहुंचा दिया ताकि मैसेज जाए कि सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ा भारी काम किया जा रहा है। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। सूखे का मतलब सिर्फ पानी का संकट नहीं है। रोज़गार का भी संकट है। खेती नहीं हुई है। किसान का कर्ज़ा बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि 30 मई को चुकाए जाने वाले कर्ज को अब अगले पांच साल तक चुकाया जा सकेगा। सरकार पहले साल का 12 फीसदी ब्याज भी भरेगी। इस पर पांच हज़ार करोड़ खर्च होंगे। लातूर के अतुल देवलेकर ने एक गांव में सर्वे किया है। उन्होंने पाया कि एक गांव में 55 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो आत्महत्या के कगार पर हैं। उनके पास न तो आमदनी है न आमदनी की आस। बारिश हो भी जाए तो वे क्या करेंगे। सरकार ने कुछ जगहों पर सूखाग्रस्त इलाकों में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवज़ा बांटे हैं लेकिन यह मुआवज़ा सिर्फ ज़मीन के मालिकों को मिलता है। ज़मीन पर काम करने वाले भूमिहीन मज़दूरों या गांव के अन्य लोगों को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। महाराष्ट्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इसमें 2019 तक कई गांवों को सूखामुक्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है। आमिर ख़ान महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। आमिर खान मिट्टी से भरे तसले को एक दूसरे को पकड़ा रहे हैं। यहां तालाब की खुदाई का काम चल रहा है। आमिर ख़ान और किरण राव का एक पानी फाउंडेशन है। महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ भी मिलकर एक योजना बनाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की योजना है जिसका नाम है जलयुक्त शिविर। आमिर खान महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में घूमकर पानी संरक्षण और सूखा राहत का जायज़ा ले रहे हैं। आमिर ने सत्यमेव जयते के दौरान सत्यमेव जयते वाटर कप प्रतियोगिता का एलान किया था। इसमें जो भी कार्यकर्ता सबसे अधिक पानी बचाने में कामयाब रहेगा उसे सम्मानित किया जाएगा। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। नाना पाटेकर और अक्षय कुमार ने किसानों की मदद की बात तभी शुरू कर दी थी जब सरकारें कागज़ पर ड्राईंग बना रही थीं। मसान फिल्म के निर्देशक नीरज घहवान और गीतकार वरुण ग्रोवर ने अपनी पुरस्कार राशि से सूखाग्रस्ता इलाकों में राहत पहुंचाने का एलान किया है। नीरज को सवा लाख की पुरस्कार राशि मिली है जिसमें से वो पचास हज़ार रकम दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर को पचास हज़ार की राशि इनाम में मिली है और वो अपनी पूरी राशि दे रहे हैं। वरुण ग्रोवर देश के सबसे बड़े उद्योगपति हैं। इनका कोराबार पचास हज़ार करोड़ से लेकर सवा लाख करोड़ तक का है। यह बात मैंने तंज में कही है कि क्या आपने किसी उद्योगपति की ऐसी कोई घोषणा सुनी है। इसलिए वरुण और नीरज के एक लाख रुपये का महत्व काफी है। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। इन सब प्रयासों से यह होगा कि सरकार के अलावा समाज के लोग भी आगे आएंगे। ठीक है कि हम सरकार की जवाबदेही को लेकर सख्त रहते हैं और रहना भी चाहिए लेकिन सूखा इतना व्यापक है कि सबको कुछ न कुछ करना होगा। कई लोग काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें पता नहीं किसके ज़रिये क्या कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई विश्वसनीय व्यवस्था बनाए ताकि दूर बैठे लोग भी इस प्रयास से जुड़ सकें। कई राज्यों में सूखा पड़ा है। लेकिन चर्चा कुछ ही जगहों की हो पा रही है। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। अब आपको बताते हैं कि देश में जलाशयों का क्या हाल है। देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं, जिन्हें सेंट्रल वॉटर कमीशन मॉनीटर करता है। आज की हालत ये है कि इनमें से 7 बड़े जलाशयों में इस्तेमाल के लायक पानी नहीं बचा है, जबकि 22 ऐसे जलाशय हैं जिनमें क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी है। इसका मतलब ये है कि एक तिहाई जलाशयों में ये तो पानी नहीं है या दस फीसदी से कम है। भारत के कृषि मंत्रालय ने देश भर में भूमिगत जल की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है। फरवरी 2016 की रिपोर्ट है जिस पर रूपल सुहाग का नाम लिखा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कुछ बातों को बिन्दुवार रखा है ताकि हम सब जो जल्दी जल्दी में हैं समझ सकें कि समस्या क्या है और करना क्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमरीका की तुलना में भारत के किसान दोगुना पानी का इस्तोमाल करते हैं अनाज उगाने के लिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बड़ी ही तेज़ी से जल संकट की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि हम लगातार भूमिगत जल का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन करते जा रहे हैं। पानी की गुणवत्ता भी ख़राब हो रही है। भारत में सरफेस वॉटर यानी नदी-नहरों के पानी की उपलब्धता ज़्यादा है लेकिन ये सभी जगहों पर एक समान तरीके से मौजूद नहीं है। नतीजा ये है कि भूमिगत जल का 89% सिंचाई में इस्तेमाल होता है। किसी भी दूसरे देश के मुक़ाबले ये कहीं ज़्यादा है जो काफ़ी ख़तरनाक साबित होने जा रहा है। शहरी इलाकों की 50% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 85% पानी की ज़रूरत भूमिगत जल से पूरी होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1950 में भूमिगत जल से 30% सिंचाई होती थी लेकिन 2009 तक 61.6% इलाके में सिंचाई भूमिगत जल से हो रही है जबकि नदी, नहरों से होने वाली सिंचाई क़रीब 25% रह गई है। आप सभी को इंडियन एक्सप्रेस में छपे हर्ष मंदर का लेख पढ़ना चाहिए। अंग्रेज़ी में है लेकिन यह लेख हमें कई चीज़ों को समझने में मदद कर सकता है। हमने अकाल और भूखमरी की समस्या पर जीत हासिल की है। किसी वजह से हम सूखे से होने वाली बर्बादी को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। हर्ष मंदर लिखते हैं कि आखिर क्या बात है कि हम सूखे के इन दृश्यों को देखकर बेचैन नहीं होते। लोगों में गुस्सा नहीं आता है। इस एक बात पर आपके एंकर की दूसरी राय है। समस्याओं से भरे इस देश में हर बात के लिए लोगों की तरफ लौटना भी ठीक नहीं है। किसी मसले की सार्थकता तभी पूरी नहीं होती जब बड़े पैमाने पर लोग उत्तेजित ही हों। ज़रूर लोगों को दिलचस्पी लेनी चाहिए और भारत में चल रही तीस प्रकार की सरकारों से पूछना चाहिए। मगर इन सवालों से हम यह न समझें कि सरकारों की भूमिका कम हो गई है। अगर सरकार के पास लोग कम हैं तो सरकारों को नौकरियां बढ़ाकर अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। यह ठीक नहीं है कि स्वच्छता के लिए हम लोगों के लिए ताकें। नैतिकता के लिए हम लोगों की तरफ ताकें और सूखे से निपटने के लिए भी। यह दलील लंबी चली तो एक दिन सरकारें मिलकर लोगों का चुनाव करेंगी कि आप ही दूर कर लीजिए समस्याओं को। लोग सरकार चुनते हैं और सरकार को ही नेतृत्व करना होगा।टिप्पणियां बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। बड़ा सवाल है कि क्या हम सूखे के असर को समझते हैं। हर्ष मंदर ने लिखा है कि लगातार तीसरे साल सूखा पड़ा है। इसलिए इस बार इसका प्रभाव ज़्यादा गहरा दिख रहा है। खेती खत्म हो गई है। खेती की स्थिति सुधरने में लंबा वक्त लगेगा। हम यह न समझें कि इन इलाकों में बारिश होते ही अगले दिन से सब ठीक हो जाएगा। 55 फीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है और वो पूरी तरह शारीरिक श्रम करके अपने परिवारों का पेट पालते हैं। शहरों में भी काम कम है। लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। हर्ष कहते हैं कि सरकारी गोदामों में 5 करोड़ से 8 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है। यहां तक कि औपनिवेशिक सरकारें भी ऐसी स्थिति में फेमीन कोड्स से गाइड होती थीं। गाइडलाइन होती थी कि उन सभी लोगों को कम पैसे पर नौकरी दी जाए, उनसे सार्वजनिक काम कराये जाएं ताकि गुज़र बसर चल सके। बच्चों, बूढ़ों को खाना देने, मवेशियों के लिए चारे का इंतज़ाम करने और पानी को लाने ले जाने के काम उनसे जोड़े जाते थे। सरकार को मनरेगा पर और ज़ोर देना चाहिए और गांव गांव में रोज़गार पैदा करने का अभियान चलाना चाहिए। ऐसा होता दिखता नहीं है। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी। सबको इस साल बेहतर मॉनसून की उम्मीद है। लेकिन आप सोचिये और अपने आसपास के इलाके की ओर नज़र दौड़ाइये कि क्या हम अच्छे मॉनसून का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। बारिश का पानी रोकने के लिए क्या उपाय किये गए हैं। इस पर सरकार को भी सोचना है और समाज को भी।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: सूरत : अमित शाह के कार्यक्रम में पाटीदारों का हंगामा, 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगे
लेख: पाटीदार समुदाय के नेताओं के साथ अमित शाह की मीटिंग में गुरुवार को उस वक्‍त अव्‍यवस्‍था उत्‍पन्‍न हो गई जब हार्दिक पटेल के समर्थकों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. हार्दिक, हार्दिक के नारे लगाए जाने लगे और कुर्सियों के साथ तोड़-फोड़ की गई. मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी के नेतृत्‍व में नवगठित मंत्रिमंडल में पटेल मंत्रियों को सम्‍मानित करने के लिए बीजेपी ने इस बड़ी रैली का आयोजन किया था, जिसमें अमित शाह हिस्‍सा लेने पहुंचे थे. अगले साल राज्‍य में चुनावों के मद्देनजर बीजेपी इस रैली के जरिये अपनी ताकत दिखाने के साथ-साथ पाटीदार समुदाय को फिर से जोड़ने की मुहिम भी कर रही थी. दरअसल पाटीदार समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है लेकिन हालिया दौर में नौकरियों और आरक्षण की मांग के कारण राज्‍य सरकार के साथ टकराव की स्थिति में है. हंगामा खड़ा होने के बाद पुलिस को बुलाया गया और उन्‍होंने अव्‍यवस्‍था फैलाने वालों को वहां से हटाया. उसके बाद अमित शाह केवल छह मिनट ही बोले. उस दौरान करीब 20 प्रतिशत लोग ही वहां बचे थे. करीब 40 पाटीदार नेताओं को पकड़ा गया है. घटना से शर्मसार पार्टी ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार ठहराया है. राज्‍य के वरिष्‍ठ बीजेपी नेता केसी पटेल ने कहा, ''कार्यक्रम आराम से चल रहा था तभी कांग्रेस के उकसावे पर मुठ्ठी भर असामाजिक तत्‍वों ने रैली में बाधा डालने की कोशिश की.'' टिप्पणियां जब भीड़ 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगा रही थी, लगभग उसी दौरान हार्दिक पटेल (23) बीजेपी को चुनौती देते हुए कह रहे थे, ''यदि आप इस समुदाय को पीड़ा पहुंचाएंगे तो यह सरकार गिर जाएगी.''   एक फेसबुक पोस्‍ट में उन्‍होंने अमित शाह को चुनौती पेश करते हुए कहा, ''मैं आरक्षण के मसले पर पटेल समुदाय के आंदोलन से अमित शाह को दूर रहने का आग्रह कर रहा हूं. चूंकि आप इसे रोकना चाहते हैं तो इस वजह से हम आंदोलन को खत्‍म नहीं करेंगे. जब तक मैं जिन्‍दा हूं तब तक यह आंदोलन बंद नहीं होगा. और अगर आप इसे जबरन बंद करना चाहेंगे तो आपको उससे पहले मुझे मारना होगा.'' उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी के नेतृत्‍व में नवगठित मंत्रिमंडल में पटेल मंत्रियों को सम्‍मानित करने के लिए बीजेपी ने इस बड़ी रैली का आयोजन किया था, जिसमें अमित शाह हिस्‍सा लेने पहुंचे थे. अगले साल राज्‍य में चुनावों के मद्देनजर बीजेपी इस रैली के जरिये अपनी ताकत दिखाने के साथ-साथ पाटीदार समुदाय को फिर से जोड़ने की मुहिम भी कर रही थी. दरअसल पाटीदार समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है लेकिन हालिया दौर में नौकरियों और आरक्षण की मांग के कारण राज्‍य सरकार के साथ टकराव की स्थिति में है. हंगामा खड़ा होने के बाद पुलिस को बुलाया गया और उन्‍होंने अव्‍यवस्‍था फैलाने वालों को वहां से हटाया. उसके बाद अमित शाह केवल छह मिनट ही बोले. उस दौरान करीब 20 प्रतिशत लोग ही वहां बचे थे. करीब 40 पाटीदार नेताओं को पकड़ा गया है. घटना से शर्मसार पार्टी ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार ठहराया है. राज्‍य के वरिष्‍ठ बीजेपी नेता केसी पटेल ने कहा, ''कार्यक्रम आराम से चल रहा था तभी कांग्रेस के उकसावे पर मुठ्ठी भर असामाजिक तत्‍वों ने रैली में बाधा डालने की कोशिश की.'' टिप्पणियां जब भीड़ 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगा रही थी, लगभग उसी दौरान हार्दिक पटेल (23) बीजेपी को चुनौती देते हुए कह रहे थे, ''यदि आप इस समुदाय को पीड़ा पहुंचाएंगे तो यह सरकार गिर जाएगी.''   एक फेसबुक पोस्‍ट में उन्‍होंने अमित शाह को चुनौती पेश करते हुए कहा, ''मैं आरक्षण के मसले पर पटेल समुदाय के आंदोलन से अमित शाह को दूर रहने का आग्रह कर रहा हूं. चूंकि आप इसे रोकना चाहते हैं तो इस वजह से हम आंदोलन को खत्‍म नहीं करेंगे. जब तक मैं जिन्‍दा हूं तब तक यह आंदोलन बंद नहीं होगा. और अगर आप इसे जबरन बंद करना चाहेंगे तो आपको उससे पहले मुझे मारना होगा.'' उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. दरअसल पाटीदार समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है लेकिन हालिया दौर में नौकरियों और आरक्षण की मांग के कारण राज्‍य सरकार के साथ टकराव की स्थिति में है. हंगामा खड़ा होने के बाद पुलिस को बुलाया गया और उन्‍होंने अव्‍यवस्‍था फैलाने वालों को वहां से हटाया. उसके बाद अमित शाह केवल छह मिनट ही बोले. उस दौरान करीब 20 प्रतिशत लोग ही वहां बचे थे. करीब 40 पाटीदार नेताओं को पकड़ा गया है. घटना से शर्मसार पार्टी ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार ठहराया है. राज्‍य के वरिष्‍ठ बीजेपी नेता केसी पटेल ने कहा, ''कार्यक्रम आराम से चल रहा था तभी कांग्रेस के उकसावे पर मुठ्ठी भर असामाजिक तत्‍वों ने रैली में बाधा डालने की कोशिश की.'' टिप्पणियां जब भीड़ 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगा रही थी, लगभग उसी दौरान हार्दिक पटेल (23) बीजेपी को चुनौती देते हुए कह रहे थे, ''यदि आप इस समुदाय को पीड़ा पहुंचाएंगे तो यह सरकार गिर जाएगी.''   एक फेसबुक पोस्‍ट में उन्‍होंने अमित शाह को चुनौती पेश करते हुए कहा, ''मैं आरक्षण के मसले पर पटेल समुदाय के आंदोलन से अमित शाह को दूर रहने का आग्रह कर रहा हूं. चूंकि आप इसे रोकना चाहते हैं तो इस वजह से हम आंदोलन को खत्‍म नहीं करेंगे. जब तक मैं जिन्‍दा हूं तब तक यह आंदोलन बंद नहीं होगा. और अगर आप इसे जबरन बंद करना चाहेंगे तो आपको उससे पहले मुझे मारना होगा.'' उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. हंगामा खड़ा होने के बाद पुलिस को बुलाया गया और उन्‍होंने अव्‍यवस्‍था फैलाने वालों को वहां से हटाया. उसके बाद अमित शाह केवल छह मिनट ही बोले. उस दौरान करीब 20 प्रतिशत लोग ही वहां बचे थे. करीब 40 पाटीदार नेताओं को पकड़ा गया है. घटना से शर्मसार पार्टी ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार ठहराया है. राज्‍य के वरिष्‍ठ बीजेपी नेता केसी पटेल ने कहा, ''कार्यक्रम आराम से चल रहा था तभी कांग्रेस के उकसावे पर मुठ्ठी भर असामाजिक तत्‍वों ने रैली में बाधा डालने की कोशिश की.'' टिप्पणियां जब भीड़ 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगा रही थी, लगभग उसी दौरान हार्दिक पटेल (23) बीजेपी को चुनौती देते हुए कह रहे थे, ''यदि आप इस समुदाय को पीड़ा पहुंचाएंगे तो यह सरकार गिर जाएगी.''   एक फेसबुक पोस्‍ट में उन्‍होंने अमित शाह को चुनौती पेश करते हुए कहा, ''मैं आरक्षण के मसले पर पटेल समुदाय के आंदोलन से अमित शाह को दूर रहने का आग्रह कर रहा हूं. चूंकि आप इसे रोकना चाहते हैं तो इस वजह से हम आंदोलन को खत्‍म नहीं करेंगे. जब तक मैं जिन्‍दा हूं तब तक यह आंदोलन बंद नहीं होगा. और अगर आप इसे जबरन बंद करना चाहेंगे तो आपको उससे पहले मुझे मारना होगा.'' उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. जब भीड़ 'हार्दिक', 'हार्दिक' के नारे लगा रही थी, लगभग उसी दौरान हार्दिक पटेल (23) बीजेपी को चुनौती देते हुए कह रहे थे, ''यदि आप इस समुदाय को पीड़ा पहुंचाएंगे तो यह सरकार गिर जाएगी.''   एक फेसबुक पोस्‍ट में उन्‍होंने अमित शाह को चुनौती पेश करते हुए कहा, ''मैं आरक्षण के मसले पर पटेल समुदाय के आंदोलन से अमित शाह को दूर रहने का आग्रह कर रहा हूं. चूंकि आप इसे रोकना चाहते हैं तो इस वजह से हम आंदोलन को खत्‍म नहीं करेंगे. जब तक मैं जिन्‍दा हूं तब तक यह आंदोलन बंद नहीं होगा. और अगर आप इसे जबरन बंद करना चाहेंगे तो आपको उससे पहले मुझे मारना होगा.'' उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. उल्‍लेखनीय है कि कई नेताओं का मानना है कि इस मुद्दे से ठीक ढंग से नहीं निपटने के कारण ही आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया है.
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['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: बेंगलुरु : मैनहोल की मरम्मत के दौरान तीन मज़दूरों की दम घुटने से मौत
बेंगलुरु के सीवी रमन रोड पर मैनहोल की मरम्मत करने गए तीन मजदूरों की सोमवार रात मौत हो गई. अब तक की जानकारी के मुताबिक़ रात तक़रीबन 11 बजे निजी कॉन्ट्रैक्टर्स इन मज़दूरों को लेकर वहां गए थे ताकि मैनहोल के अंदर हो रहे रिसाव को रोका जा सके. इन मज़दूरों को अंदर एक दीवार बनानी थी, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम घुटने से इनकी मौत हो गई. साफ़ है कि सुरक्षा के जो इंतज़ाम किए जाने चाहिए थे, उसमें लापरवाही बरती गई. बेंगलुरु शहर के नगर विकास मंत्री के जे जॉर्ज और मेयर पद्मावती ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद जानकारी दी की इस हादसे में मारे गए तीनों मज़दूरों के परिवार को पांच पांच लाख रुपये दिए जाएंगे साथ ही लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 यानी ग़ैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है बेंगलुरु शहर के नगर विकास मंत्री के जे जॉर्ज और मेयर पद्मावती ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद जानकारी दी की इस हादसे में मारे गए तीनों मज़दूरों के परिवार को पांच पांच लाख रुपये दिए जाएंगे साथ ही लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 यानी ग़ैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है
2
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: गोरखपुर ब्लास्ट के आरोपी पर लगे केस वापस लेगी यूपी सरकार
यह एक लेख है: उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में जुटी है। कुछ महीने पहले सरकार ने छात्रों को मुफ्ट लैपटॉप बांटे। अब बारी है घोषणा पत्र में किए गए सबसे विवादास्पद वादे की, जिसमें समाजवादी पार्टी ने वादा किया था कि अगर यूपी में उनकी सरकार बनी तो जिन लोगों पर आतंकवाद के झूठे मामले चल रहे हैं। उन्हें हटा लिया जाएगा।टिप्पणियां इसी के तहत यूपी की अखिलेश सरकार ने गोरखपुर सीरियल बम धमाकों के आरोपी तारिक कासिम पर लगे मामले को वापस लेने का फैसला लिया है। 2007 के गोरखपुर सीरियल बम धमाकों में छह लोग घायल हुए थे तारिक कासिम पर हूजी का सदस्य होने का आरोप है। दिसंबर 2007 में कासिम को एसटीएफ ने बाराबंकी से विस्फोटक और हथियारों समेत गिरफ्तार करने का दावा किया था। यूपी सरकार ने गोरखपुर और बाराबंकी के जिलाधिकारी से कासिम के खिलाफ केस वापस लेने और इसके लिए जिला कोर्ट में जाने को कहा है। दोनों मामलों में तारिक कासिम के खिलाफ आरोप तय होने बाकी हैं। इसी के तहत यूपी की अखिलेश सरकार ने गोरखपुर सीरियल बम धमाकों के आरोपी तारिक कासिम पर लगे मामले को वापस लेने का फैसला लिया है। 2007 के गोरखपुर सीरियल बम धमाकों में छह लोग घायल हुए थे तारिक कासिम पर हूजी का सदस्य होने का आरोप है। दिसंबर 2007 में कासिम को एसटीएफ ने बाराबंकी से विस्फोटक और हथियारों समेत गिरफ्तार करने का दावा किया था। यूपी सरकार ने गोरखपुर और बाराबंकी के जिलाधिकारी से कासिम के खिलाफ केस वापस लेने और इसके लिए जिला कोर्ट में जाने को कहा है। दोनों मामलों में तारिक कासिम के खिलाफ आरोप तय होने बाकी हैं। दिसंबर 2007 में कासिम को एसटीएफ ने बाराबंकी से विस्फोटक और हथियारों समेत गिरफ्तार करने का दावा किया था। यूपी सरकार ने गोरखपुर और बाराबंकी के जिलाधिकारी से कासिम के खिलाफ केस वापस लेने और इसके लिए जिला कोर्ट में जाने को कहा है। दोनों मामलों में तारिक कासिम के खिलाफ आरोप तय होने बाकी हैं।
9
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: धोनी ने एरॉन के तारीफों के पुल बांधे
यह एक लेख है: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने युवा तेज गेंदबाज वरुण एरॉन के तारीफों के पुल बांधे हैं। धोनी ने कहा कि एरॉन के रूप में भारतीय टीम की एक अदद तेज गेंदबाज की तलाश खत्म होती दिख रही है। एरॉन ने मुम्बई में रविवार को खेले गए चौथे एकदिवसीय मुकाबले में इंग्लैंड के तीन बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। इस दौरान सबसे प्रभावित करने करने वाली बात उनकी गेंदों की रफ्तार रही। धोनी ने मैच के बाद कहा, "मेरे लिहाज से एरॉन ने वाकई काफी तेज गति से गेंदबाजी की। यही एक चीज है, जिसकी हमें तलाश है। अगर मैं यह कहूं कि एक अदद तेज गेंदबाज की हमारी तलाश अब खत्म होती दिख रही है तो गलत नहीं होगा।" एरॉन को इंग्लैंड दौरे के लिए स्थानापन्न खिलाड़ी के तौर पर चुना गया था लेकिन वह एक भी मैच में मौका नहीं पा सके थे। ऐसे में जबकि घरेलू श्रृंखला में भारत ने 3-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली थी, एरॉन को आखिरकार मुम्बई में अंतिम एकादश में जगह मिली। धोनी ने कहा कि वक्त बीतने के साथ झारखण्ड निवासी एरॉन ज्यादा अच्छी गेंदबाजी कर सकें लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी गेंदों की रफ्तार बरकार रखनी होगी। धोनी खुद झारखण्ड से सम्बंध रखते हैं। धोनी ने कहा, "एरॉन अभी युवा हैं। वक्त बीतने के साथ जैसे-जैसे वह अनुभव से मुखातिब होंगे, उनकी गेंदों की सटीकता बढ़ती जाएगी लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी गेंदों की रफ्तार को बरकार रखना होगा।"
9
['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या यह जरूरी है कि दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करके महिला भी पति का धर्म अपनाए?
लेख: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्या यह जरूरी है कि दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने पर महिला को भी पति का धर्म ही अपनाना पड़े. इतिहास में कई किस्से हैं कि दो अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद महिला-पुरुष ने एक-दूसरे से विवाह किया लेकिन दोनों अपने-अपने धर्म को मानते रहे. यहां सवाल महिला की अपनी पहचान का है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक पारसी महिला की याचिका पर अगस्त के पहले हफ्ते में सुनवाई करने को कहा है. दरअसल महिला ने याचिका में कहा है कि वह पारसी है लेकिन उन्होंने हिंदू से शादी की है. उनके पिता 80 साल के हैं और उन्हें पता चला कि अगर पारसी महिला दूसरे धर्म में शादी कर ले तो उसे पति के धर्म का ही मान लिया जाता है. पारसी मंदिर में पूजा के अलावा अंतिम संस्कार के लिए पारसियों के टावर आफ साइलेंस में भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता.टिप्पणियां इसके बाद उन्होंने पारसी ट्रस्टियों से बात की तो कहा गया कि वह अब पारसी नहीं रही. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पति के धर्म में परिवर्तित हो गई हैं. महिला इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट गईं लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सवाल उठाया कि इस मामले को देखा जाए तो यहां महिला की अपनी पहचान के दो मामले  हैं. पहला जन्म की पहचान और दूसरी शादी के बाद उसकी व्यक्तिगत पहचान.   हालांकि पारसी पंचायत की दलील थी कि यह स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं बल्कि पारसी पर्सनल लॉ का है और यह करीब 35 सौ साल पुरानी प्रथा है. इस संबंध में सारे दस्तावेज और सबूत मौजूद हैं.  बेंच ने कहा कि ये सबूत और दस्तावेज कहां से आए हैं. इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इससे जुड़े तमाम अदालती आदेशों को भी देखना चाहिए. दरअसल महिला ने याचिका में कहा है कि वह पारसी है लेकिन उन्होंने हिंदू से शादी की है. उनके पिता 80 साल के हैं और उन्हें पता चला कि अगर पारसी महिला दूसरे धर्म में शादी कर ले तो उसे पति के धर्म का ही मान लिया जाता है. पारसी मंदिर में पूजा के अलावा अंतिम संस्कार के लिए पारसियों के टावर आफ साइलेंस में भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता.टिप्पणियां इसके बाद उन्होंने पारसी ट्रस्टियों से बात की तो कहा गया कि वह अब पारसी नहीं रही. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पति के धर्म में परिवर्तित हो गई हैं. महिला इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट गईं लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सवाल उठाया कि इस मामले को देखा जाए तो यहां महिला की अपनी पहचान के दो मामले  हैं. पहला जन्म की पहचान और दूसरी शादी के बाद उसकी व्यक्तिगत पहचान.   हालांकि पारसी पंचायत की दलील थी कि यह स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं बल्कि पारसी पर्सनल लॉ का है और यह करीब 35 सौ साल पुरानी प्रथा है. इस संबंध में सारे दस्तावेज और सबूत मौजूद हैं.  बेंच ने कहा कि ये सबूत और दस्तावेज कहां से आए हैं. इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इससे जुड़े तमाम अदालती आदेशों को भी देखना चाहिए. इसके बाद उन्होंने पारसी ट्रस्टियों से बात की तो कहा गया कि वह अब पारसी नहीं रही. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पति के धर्म में परिवर्तित हो गई हैं. महिला इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट गईं लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सवाल उठाया कि इस मामले को देखा जाए तो यहां महिला की अपनी पहचान के दो मामले  हैं. पहला जन्म की पहचान और दूसरी शादी के बाद उसकी व्यक्तिगत पहचान.   हालांकि पारसी पंचायत की दलील थी कि यह स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं बल्कि पारसी पर्सनल लॉ का है और यह करीब 35 सौ साल पुरानी प्रथा है. इस संबंध में सारे दस्तावेज और सबूत मौजूद हैं.  बेंच ने कहा कि ये सबूत और दस्तावेज कहां से आए हैं. इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इससे जुड़े तमाम अदालती आदेशों को भी देखना चाहिए. हालांकि पारसी पंचायत की दलील थी कि यह स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं बल्कि पारसी पर्सनल लॉ का है और यह करीब 35 सौ साल पुरानी प्रथा है. इस संबंध में सारे दस्तावेज और सबूत मौजूद हैं.  बेंच ने कहा कि ये सबूत और दस्तावेज कहां से आए हैं. इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इससे जुड़े तमाम अदालती आदेशों को भी देखना चाहिए.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: बिहार के पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने नई सरकारी सुविधाएं ठुकराई
यह लेख है: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रहीं नई सुविधाएं ठुकरा दी है। नई सुविधाओं के तहत उन्हें दो निजी सचिव, दो निजी सहायक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और चार आदेशपाल मिलने वाले थे। उन्होंने सरकार से यह निर्णय वापस लेने का भी आग्रह किया है। नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने फेसबुक वॉल पर लिखा, आज समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ कि बिहार सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री को पद छोड़ने के प्रथम पांच वर्षों के दौरान स्टाफ की सुविधा देने का निर्णय लिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि आज के संदर्भ में इस निर्णय का लाभ केवल मुझे ही प्राप्त होगा। अत: मैं इस सुविधा को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करता हूं और साथ ही मैं सरकार से इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह करता हूं। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री को कार्यमुक्त होने से पांच वर्ष तक दो निजी सचिव, दो निजी सहायक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और चार आदेशपाल की सुविधा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। कुल मिलाकर यह सुविधा केवल नीतीश कुमार को मिलनी है, क्योंकि नीतीश पिछले आठ वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री थे। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन नि:शुल्क आवास और सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान था।
8
['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: 'जल्द लौटेगा अर्थव्यवस्था में उच्च वृद्धि का दौर'
नरमी की आशंका के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्दी ही उच्च वृद्धि की ओर लौटेगी। मुखर्जी ने वित्त मंत्रालय से जुड़ी सलाहकार समिति की बैठक में कहा कि मौजूदा नरमी अस्थायी है। समिति की चालू वित्त वर्ष के दौरान यह चौथी बैठक थी। इससे पहले इस महीने सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर का अनुमान 7.5 फीसदी कर दिया, जो पहले नौ फीसदी था। वित्त मंत्री ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है। यूरो क्षेत्र के संकट के कारण विदेशी मांग में कमी आई है, जिससे निर्यात वृद्धि धीमी पड़ी है, मुद्रा के मूल्यांकन में उतार-चढ़ाव और चालू खाता घाटा उन कुछ कारणों में से हैं, जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों को व्यय सीमित रखने का निर्देश जारी किया गया है। मूल्य वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.8 फीसदी पर आ गई है और आम तौर पर मंहगाई में कमी आई है। बचत दर भी बढ़ी है।
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में NOTA के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बैलेट बॉक्स में डालने से पहले कोई विधायक बैलेट पेपर को क्यों दिखाए? मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार की याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि नोटा का इस्तेमाल राज्यसभा चुनाव के दौरान नही किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने कहा कि नोटा का इस्तेमाल वहीं होगा जहां प्रतिनिधि जनता के द्वारा सीधे चुने जाते हैं, लेकिन राज्यसभा में इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता क्योंकि यहां प्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर नही चुने जाते. इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि राज्यसभा चुनाव में NOTA, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक है और ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही चुनावों पर लागू होता है. चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में ये भी कहा कि NOTA के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका अदालती कार्रवाई का दुरुपयोग है. NOTA राज्यसभा चुनाव में 2014 से जारी है, जबकि कांग्रेस ने 2017 में चुनौती दी. 2014 से अब तक गुजरात समेत 25 राज्यसभा चुनाव NOTA से हो चुके हैं.  इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि राज्यसभा चुनाव में NOTA, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक है और ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही चुनावों पर लागू होता है. चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में ये भी कहा कि NOTA के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका अदालती कार्रवाई का दुरुपयोग है. NOTA राज्यसभा चुनाव में 2014 से जारी है, जबकि कांग्रेस ने 2017 में चुनौती दी. 2014 से अब तक गुजरात समेत 25 राज्यसभा चुनाव NOTA से हो चुके हैं.
8
['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: AJL प्लॉट आवंटन मामले में पूर्व सीएम हुड्डा और कांग्रेस नेता वोरा को मिली अंतरिम जमानत
लेख: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड' (AJL) भूमि आवंटन मामले में एक अदालत ने बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी. हालांकि इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं को जमानत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने मामले में दोनों नेताओं की नियमित जमानत याचिका पर केंद्रीय एजेंसी का रुख जानने के लिए उसे नोटिस जारी किया. वहीं हुड्डा की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने दोनों कांग्रेस नेताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए छह नवंबर की तारीख तय की है. हुड्डा और वोरा को पांच-पांच लाख रुपए के मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई है. बता दें, ईडी ने अगस्त 2019 में अपना पहला आरोप पत्र दायर करके वोरा और हुड्डा पर पंचकूला में AJL को भूमि आवंटन में अनियमितता का इल्ज़ाम लगाया था. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI)ने पहले बताया था कि अभियोजन की शिकायत चंडीगढ़ के नज़दीक पंचकूला में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के मामले देखने वाली विशेष अदालत में दायर की गई थी. एजेंसी ने अपने पहले आरोप पत्र में वोरा, हुड्डा और AJL को नामजद किया था और आरोप लगाया था कि वे अपराध से प्राप्त धन को हासिल करने और उसे रखने की प्रक्रिया और गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल थे. बता दें, वोरा राज्यसभा के सदस्य हैं और कांग्रेस के महासचिव हैं. वहीं  हुड्डा 2005 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला पंचकूला स्थित एक प्लॉट के फिर से आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. आरोप है कि तत्कालीन हुड्डा सरकार ने इस प्लॉट को AJL को फिर से आवंटित करने में कथित रूप से अनियमितता की. ईडी इस भूखंड को पहले ही कुर्क कर चुका है जिसकी अनुमानित कीमत 64.93 करोड़ रुपए है. इस मामले में हरियाणा में भाजपा सरकार के अनुरोध पर CBI ने प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके आधार पर 2016 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की आपराधिक शिकायत दर्ज की. वहीं CBI इस मामले में पहले ही हुड्डा और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर चुकी है. यह प्लॉट 1982 में AJL को आवंटित हुआ था.
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['hin']
यह शीर्षक है, इसके लिए एक लेख लिखें: गुजरात के कई जिलों में बैन है PUBG, पुलिस ने गेम खेलने वालों को किया गिरफ्तार
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: गुजरात में पबजी गेम खेलने वाले लोगों पर जारी कार्रवाई के बीच स्थानीय पुलिस ने तीन और लोगों को उनके फोन पर कथित तौर पर यह गेम खेलने के लिए गिरफ्तार किया है. अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह गिरफ्तारी प्रतिबंध के बावजूद गेम खेलने की वजह से की गई. विभिन्न जिलों की पुलिस ने कई खिलाड़ियों को शामिल करके खेले जाने वाले इस ऑनलाइन गेम को इस आधार पर प्रतिबंधित कर दिया था कि यह युवाओं एवं बच्चों के हिंसक व्यवहार का कारण बन रहा है.  सैटेलाइट पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि तीन लोगों को शुक्रवार रात सैटेलाइट इलाके के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया. अहमदाबाद पुलिस आयुक्त ने एक अधिसूचना जारी कर प्लेयर अननोन्स बैटलग्राउंड गेम (पबजी) को जिले में प्रतिबंधित किया था जो 14 मार्च से प्रभावी है. अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही बताया कि तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. बता दें, इससे पहले पुलिस के प्रतिबंध के बावजूद कथित रूप से अपने मोबाइल फोन पर पबजी गेम खेलने के लिए पिछले दो दिनों में गुजरात के राजकोट शहर में कॉलेज के छह छात्रों समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस आयुक्त मनोज अग्रवाल ने छह मार्च को एक अधिसूचना जारी कर शहर में ऑनलाइन गेम प्लेयर बैटलग्राउंड (पबजी) और ‘मोमो चैलेंज' पर प्रतिबंध लगा दिया था.  राजकोट तालुक के पुलिस निरीक्षक वी एस वंजारा ने कहा कि पुलिस थानों को प्रतिबंध को लागू करने और इन गेमों को खेलने वालों को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा, ‘मंगलवार को हमारी टीमों ने कलावाड रोड और जगन्नाथ चौक क्षेत्र में अपने मोबाइल फोनों पर पबजी गेम खेल रहे कॉलेज के छह छात्रों को गिरफ्तार किया था.' पुलिस नियंत्रण कक्ष से जारी एक बयान के अनुसार उसी दिन गांधीग्राम पुलिस ने अपने मोबाइल फोन पर गेम खेलने के लिए एक निजी फर्म के 25 वर्षीय कर्मचारी को गिरफ्तार किया था. एक अन्य आधिकारिक बयान के अनुसार राजकोट पुलिस के विशेष अभियान समूह ने शहर के विभिन्न इलाकों में अपने फोन पर यह गेम खेल रहे तीन लोगों को गिरफ्तार किया.  पुलिस ने बताया कि भारतीय दंड़ संहिता की धारा 188 के तहत इन सभी 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और बाद में उन्हें संबंधित पुलिस थानों में जमानत दे दी गई. पुलिस आयुक्त की अधिसूचना के अनुसार यह प्रतिबंध आवश्यक है क्योंकि इन गेमों से बच्चों और युवाओं का व्यवहार उग्र हो रहा है. अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त ए के सिंह ने भी बुधवार को एक अधिसूचना जारी कर इन्हीं कारणों का हवाला देते हुए इन दोनों गेम पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: इन परिस्थितियों में मीडिया छोड़ लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरीं सुप्रिया श्रीनेत
लेख: 28 मार्च की सुबह अचानक मोबाइल की घंटी बजी और दूसरी तरफ से कहा गया कि महाराजगंज से आप चुनाव लड़ने की तैयारी करें. दस मिनट की इस फोन कॉल ने जानी मानी बिजनेस एडीटर सुप्रिया श्रीनेत को नेता बना दिया. आज वो महाराजगंज से कांग्रेसी प्रत्याशी के तौर पर परतापुर कस्बे में घर घर वोट मांग रही है. सुप्रिया के साथ चंद कांग्रेसी नेता और उनके पिता के भरोसेमंद लोगों के अलावा कुर्ता पैजामा पहने पानी की बोतल साथ लेकर खामोशी से चल रहे धीरेंद्र हैं.जो एक फाइनेंस कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट हैं लेकिन दिल्ली छोड़कर अपनी पत्नी सुप्रिया के साथ गांव, खेत, खलिहान की खाक छान रहे हैं. पहले इस सीट पर कांग्रेस ने बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री को टिकट दिया थी लेकिन रातो रात उनका टिकट काट कर सुप्रिया को लड़ाने का फैसला किया.  सुप्रिया श्रीनेत के राजनीति में आने के इस रोमांच के पीछे उनके परिवार का एक दुखद पहलू भी छिपा है. सुप्रिया श्रीनेत महाराजगंज के दिग्गज नेता और दो बार के सांसद हर्षवर्द्धन सिंह की बेटी हैं. 2014 में पहले सुप्रिया की मां की मौत हुई 2015 में सुप्रिया के भाई और सियासी वारिस राज्य वर्द्धन सिंह की मौत हो गई. परिवार इस बड़े संकट से उबर पाता कि 2016 में खुद हर्षवर्धन सिंह की मौत हो गई. तीन साल में परिवार के तीन लोगों की मौत के बाद हर्षवर्द्धन सिंह की सियासी विरासत को अब सुप्रिया ने आगे बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि उनके सामने बड़ी दिक्कत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करना और लोगों के भीतर यह उम्मीद पैदा करना है कि वो लोकसभा चुनाव की मजबूत प्रत्याशी हैं.
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: लुधियाना में तीन सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे गडकरी
यह एक लेख है: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी 14 सितंबर को लुधियाना आएंगे और 3,212 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. इन परियोजनाओं में शहर के लिए एलिवेटेड रोड, चार लेने का लाधेवाल बाईपास तथा लुधियाना-खरार सड़क को चार लेन का बनाया जाना शामिल हैं.टिप्पणियां उपायुक्त रवि भगत ने सोमवार को कहा कि सभी तीन परियोजनाएं जिले के विकास के लिए एक नई दिशा उपलब्ध कराएंगी. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इन परियोजनाओं में शहर के लिए एलिवेटेड रोड, चार लेने का लाधेवाल बाईपास तथा लुधियाना-खरार सड़क को चार लेन का बनाया जाना शामिल हैं.टिप्पणियां उपायुक्त रवि भगत ने सोमवार को कहा कि सभी तीन परियोजनाएं जिले के विकास के लिए एक नई दिशा उपलब्ध कराएंगी. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उपायुक्त रवि भगत ने सोमवार को कहा कि सभी तीन परियोजनाएं जिले के विकास के लिए एक नई दिशा उपलब्ध कराएंगी. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
13
['hin']
इस शीर्षक के साथ एक लेख लिखें: बिहार चुनाव परिणाम : अमित शाह ने हार स्वीकार की, नीतीश, लालू को दी बधाई
लेख: बिहार विधानसभा चुनाव में हार को स्वीकार करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को उनकी प्रभावशाली विजय के लिए बधाई दी और कहा कि उनका दल जनादेश का सम्मान करता है।टिप्पणियां अमित शाह ने कहा, बिहार को विकास के पथ पर ले जाने के लिए हमारी शुभकामनाएं नई सरकार के साथ हैं। बीजेपी प्रमुख ने ट्वीट किया, हम बिहार के लोगों के जनादेश का सम्मान करते हैं... मैं नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को बिहार विधानसभा चुनाव में विजय के लिए बधाई देता हूं।' इस बीच, चुनाव में एनडीए के भारी पराजय की ओर बढ़ने के बीच पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अमित शाह के आवास पर उनसे मुलाकात की। अमित शाह ने कहा, बिहार को विकास के पथ पर ले जाने के लिए हमारी शुभकामनाएं नई सरकार के साथ हैं। बीजेपी प्रमुख ने ट्वीट किया, हम बिहार के लोगों के जनादेश का सम्मान करते हैं... मैं नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को बिहार विधानसभा चुनाव में विजय के लिए बधाई देता हूं।' इस बीच, चुनाव में एनडीए के भारी पराजय की ओर बढ़ने के बीच पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अमित शाह के आवास पर उनसे मुलाकात की। इस बीच, चुनाव में एनडीए के भारी पराजय की ओर बढ़ने के बीच पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अमित शाह के आवास पर उनसे मुलाकात की।
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['hin']
एक लेख लिखें जिसका शीर्षक इस प्रकार है: पश्चिम बंगाल चुनाव : बुद्धदेव ने भरा नामांकन
यह एक लेख है: पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मंगलवार को जादवपुर विधानसभा क्षेत्र से मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया। वह इस क्षेत्र से 1987 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। भट्टाचार्य ने दक्षिण 24 परगना जिले के कोषागार भवन जाकर नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके सैकड़ों समर्थक नारे लगाते रहे। भट्टाचार्य नवम्बर 2000 से वाम मोर्चा सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। भट्टाचार्य के साथ कोलकाता के पूर्व महापौर बिकास रंजन भट्टाचार्य और माकपा के दक्षिण 24 परगना जिले के सचिव सुजॉन चक्रवर्ती (जादवपुर से पूर्व सांसद) भी थे। भट्टाचार्य के खिलाफ इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता उम्मीदवार हैं। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हैं और भट्टाचार्य के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। भट्टाचार्य छह बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1977 में उत्तरी कोलकाता के कोसीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। वर्ष 1972 में इस विधानसभा सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने जादवपुर को अपना क्षेत्र बना लिया। भट्टाचार्च पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु द्वारा पद छोड़ने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
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['hin']
इसके लिए एक लेख लिखें: शेयर बाजार : 9,200 अंकों को पार करता हुआ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा निफ्टी
यह एक लेख है: कारोबारी सप्ताह के पहले दिन बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 158 अंक उछल गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरआती कारोबार में 9,200 अंक को पार करता हुआ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. एशियाई बाजारों में मजबूती का रख रहने से निवेशकों और कोषों की लिवाली का जोर रहा. नये वित्त वर्ष की शुरआत के पहले कारोबारी दिन आज बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 157.97 अंक यानी 0.53 प्रतिशत उंचा रहकर 29,778.47 अंक पर पहुंच गया. वाहन, बैंक, तेल एवं गैस कंपनियों के समूह सूचकांक में तेजी का रख रहा। टिकाउ उपभोक्ता सामान और पूंजीगत सामानों के सूचकांक में 0.71 प्रतिशत तक तेजी रही. कारोबार के शुरुआती दौर में रिलायंस इंडस्ट्रीज 4.23 प्रतिशत, गेल 1.63 प्रतिशत, लार्सन एंड टुब्रो 1.10 प्रतिशत, टाटा मोटर्स 0.70 प्रतिशत, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा 0.57 प्रतिशत ऊंचे रहे. हालांकि, इनफोसिस का शेयर इसके संस्थापकों और निदेशक मंडल के बीच नये मतभेद उभरने के बाद 0.53 प्रतिशत खिसक गया. इससे पहले गत सप्ताहांत संवेदी सूचकांक 26.92 अंक घटकर बंद हुआ था.टिप्पणियां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 46.90 अंक बढ़कर एक बार फिर 9,200 अंक को पार करता हुआ 9,220.65 अंक की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया. ब्रोकरों के मुताबिक निवेशकों और कोषों की ओर से लिवाली का जोर रहा. अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों पर कारोबारियों की नजर है. इसके अलावा इस सप्ताहांत चीन और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच बैठक पर भी बाजार की नजर है. एशियाई बाजारों में शुरुआत तेजी के साथ होने से यहां भी शुरआत अच्छी रही.   नये वित्त वर्ष की शुरआत के पहले कारोबारी दिन आज बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 157.97 अंक यानी 0.53 प्रतिशत उंचा रहकर 29,778.47 अंक पर पहुंच गया. वाहन, बैंक, तेल एवं गैस कंपनियों के समूह सूचकांक में तेजी का रख रहा। टिकाउ उपभोक्ता सामान और पूंजीगत सामानों के सूचकांक में 0.71 प्रतिशत तक तेजी रही. कारोबार के शुरुआती दौर में रिलायंस इंडस्ट्रीज 4.23 प्रतिशत, गेल 1.63 प्रतिशत, लार्सन एंड टुब्रो 1.10 प्रतिशत, टाटा मोटर्स 0.70 प्रतिशत, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा 0.57 प्रतिशत ऊंचे रहे. हालांकि, इनफोसिस का शेयर इसके संस्थापकों और निदेशक मंडल के बीच नये मतभेद उभरने के बाद 0.53 प्रतिशत खिसक गया. इससे पहले गत सप्ताहांत संवेदी सूचकांक 26.92 अंक घटकर बंद हुआ था.टिप्पणियां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 46.90 अंक बढ़कर एक बार फिर 9,200 अंक को पार करता हुआ 9,220.65 अंक की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया. ब्रोकरों के मुताबिक निवेशकों और कोषों की ओर से लिवाली का जोर रहा. अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों पर कारोबारियों की नजर है. इसके अलावा इस सप्ताहांत चीन और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच बैठक पर भी बाजार की नजर है. एशियाई बाजारों में शुरुआत तेजी के साथ होने से यहां भी शुरआत अच्छी रही.   कारोबार के शुरुआती दौर में रिलायंस इंडस्ट्रीज 4.23 प्रतिशत, गेल 1.63 प्रतिशत, लार्सन एंड टुब्रो 1.10 प्रतिशत, टाटा मोटर्स 0.70 प्रतिशत, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा 0.57 प्रतिशत ऊंचे रहे. हालांकि, इनफोसिस का शेयर इसके संस्थापकों और निदेशक मंडल के बीच नये मतभेद उभरने के बाद 0.53 प्रतिशत खिसक गया. इससे पहले गत सप्ताहांत संवेदी सूचकांक 26.92 अंक घटकर बंद हुआ था.टिप्पणियां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 46.90 अंक बढ़कर एक बार फिर 9,200 अंक को पार करता हुआ 9,220.65 अंक की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया. ब्रोकरों के मुताबिक निवेशकों और कोषों की ओर से लिवाली का जोर रहा. अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों पर कारोबारियों की नजर है. इसके अलावा इस सप्ताहांत चीन और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच बैठक पर भी बाजार की नजर है. एशियाई बाजारों में शुरुआत तेजी के साथ होने से यहां भी शुरआत अच्छी रही.   नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 46.90 अंक बढ़कर एक बार फिर 9,200 अंक को पार करता हुआ 9,220.65 अंक की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया. ब्रोकरों के मुताबिक निवेशकों और कोषों की ओर से लिवाली का जोर रहा. अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों पर कारोबारियों की नजर है. इसके अलावा इस सप्ताहांत चीन और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच बैठक पर भी बाजार की नजर है. एशियाई बाजारों में शुरुआत तेजी के साथ होने से यहां भी शुरआत अच्छी रही.
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['hin']