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400 | उपर्युक्त दीर्घकालिक प्रभुत्वहीनता के पश्चात् नवीं सदी के मध्य से चोलों का पुनरुत्थन हुआ। इस चोल वंश का संस्थापक विजयालय (850-870-71 ई.) पल्लव अधीनता में उरैयुर प्रदेश का शासक था। विजयालय की वंशपरंपरा में लगभग 20 राजा हुए, जिन्होंने कुल मिलाकर चार सौ से अधिक वर्षों तक शासन किया। विजयालय के पश्चात् आदित्य प्रथम (871-907), परातंक प्रथम (907-955) ने क्रमश: शासन किया। परांतक प्रथम ने पांड्य-सिंहल नरेशों की सम्मिलित शक्ति को, पल्लवों, बाणों, बैडुंबों के अतिरिक्त राष्ट्रकूट कृष्ण द्वितीय को भी पराजित किया। चोल शक्ति एवं साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक परांतक ही था। उसने लंकापति उदय (945-53) के समय सिंहल पर भी एक असफल आक्रमण किया। परांतक अपने अंतिम दिनों में राष्ट्रकूट सम्राट् कृष्ण तृतीय द्वारा 949 ई. में बड़ी बुरी तरह पराजित हुआ। इस पराजय के फलस्वरूप चोल साम्राज्य की नींव हिल गई। परांतक प्रथम के बाद के 32 वर्षों में अनेक चोल राजाओं ने शासन किया। इनमें गंडरादित्य, अरिंजय और सुंदर चोल या परातक दि्वतीय प्रमुख थे। इसके पश्चात् राजराज प्रथम (985-1014) ने चोल वंश की प्रसारनीति को आगे बढ़ाते हुए अपनी अनेक विजयों द्वारा अपने वंश की मर्यादा को पुन: प्रतिष्ठित किया। उसने सर्वप्रथम पश्चिमी गंगों को पराजित कर उनका प्रदेश छीन लिया। तदनंतर पश्चिमी चालुक्यों से उनका दीर्घकालिक परिणामहीन युद्ध आरंभ हुआ। इसके विपरीत राजराज को सुदूर दक्षिण में आशातीत सफलता मिली। उन्होंने केरल नरेश को पराजित किया। पांड्यों को पराजित कर मदुरा और कुर्ग में स्थित उद्गै अधिकृत कर लिया। यही नहीं, राजराज ने सिंहल पर आक्रमण करके उसके उत्तरी प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया। राजराज ने पूर्वी चालुक्यों पर आक्रमण कर वेंगी को जीत लिया। किंतु इसके बाद पूर्वी चालुक्य सिंहासन पर उन्होंने शक्तिवर्मन् को प्रतिष्ठित किया और अपनी पुत्री कुंदवा का विवाह शक्तविर्मन् के लघु भ्राता विमलादित्य से किया। इस समय कलिंग के गंग राजा भी वेंगी पर दृष्टि गड़ाए थे, राजराज ने उन्हें भी पराजित किया। राजराज के पश्चात् उनके पुत्र राजेंद्र प्रथम (1012-1044) सिंहासनारूढ़ हुए। राजेंद्र प्रथम भी अत्यंत शक्तिशाली सम्राट् थे। राजेंद्र ने चेर, पांड्य एवं सिंहल जीता तथा उन्हें अपने राज्य में मिला लिया। उन्होंने पश्चिमी चालुक्यों को कई युद्धों में पराजित किया, उनकी राजधानी को ध्वस्त किया किंतु उनपर पूर्ण विजय न प्राप्त कर सके। राजेंद्र के दो अन्य सैनिक अभियान अत्यंत उल्लेखनीय हैं। उनका प्रथम सैनिक अभियान पूर्वी समुद्रतट से कलिंग, उड़ीसा, दक्षिण कोशल आदि के राजाओं को पराजित करता हुआ बंगाल के विरुद्ध हुआ। उन्होंने पश्चिम एवं दक्षिण बंगाल के तीन छोटे राजाओं को पराजित करने के साथ साथ शक्तिशाली पाल राजा महीपाल को भी पराजित किया। इस अभियान का कारण अभिलेखों के अनुसार गंगाजल प्राप्त करना था। यह भी ज्ञात होता है कि पराजित राजाओं को यह जल अपने सिरों पर ढोना पड़ा था। किंतु यह मात्र आक्रमण था, इससे चोल साम्राज्य की सीमाओं पर कोई असर नहीं पड़ा। | परंतक 949 ई. में राष्ट्रकूट के किस सम्राट से पराजित हुए थे ? | {
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"सम्राट् कृष्ण तृतीय"
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} | Parantaka was defeated by which of the Rashtrakuta emperors in 949 CE? | After the above mentioned long -term dominance, the cholas were resurrected from the middle of the ninth century.The founder of this Chola dynasty Vijayalaya (850-870-71 AD) was the ruler of the Urai region in Pallava subordination.There were about 20 kings in the dynasty of Vijayalaya, who ruled for more than four hundred years in total.After Vijayalaya, Aditya I (871-907), Paratank first (907–955) ruled respectively.Parantak I also defeated the involvement power of Pandya-Singhla King, Pallavas, arrows, badumbs and Rashtrakuta Krishna II.The real founder of Chola Shakti and Empire was Parantak.He also attacked Sinhala at the time of Lankapati Uday (945-53).Parantak was defeated badly in 949 AD by Rashtrakuta Emperor Krishna III in his last days.As a result of this defeat, the foundation of the Chola Empire was shaken.Many Chola kings ruled in 32 years after Parantak I.Among these, Gandaraditya, Arinjaya and Sundar Chola or Salakan were the main heads.After this, Rajaraj I (985–1014) re-established the dignity of his dynasty by many of his victories, carrying forward the spread of the Chola dynasty.He first defeated the western Ganges and snatched away their state.Subsequently, his long -term results began with Western Chalukyas.In contrast, Rajaraj got the expected success in the far south.He defeated the King of Kerala.The Pandyas were defeated and authorized in Madura and Coorg.Not only this, Rajaraja attacked Sinhala and merged his northern regions in his kingdom.Rajaraja attacked the eastern Chalukyas and conquered Vengi.But after this, he distinguished Shaktivarman on the eastern Chalukya throne and married his daughter Kundwa to Vimaladitya, a short brother of Shaktavirm after.At this time, the Ganga Raja of Kalinga was also seen on Vengi, Rajraj also defeated him.After Rajraj, his son Rajendra I (1012–1044) became throne.Rajendra I was also a very powerful emperor.Rajendra won Cher, Pandya and Sinhala and mixed them in his kingdom.He defeated Western Chalukyas in many wars, demolish his capital but could not achieve complete victory over him.Two other military campaigns of Rajendra are extremely notable.His first military campaign was against Bengal defeating the kings of Kalinga, Orissa, South Kosala etc. from the eastern beach.He defeated the three small kings of West and South Bengal as well as defeated the powerful Pal King Mahipal.The reason for this campaign was to get Ganga water according to the records.It is also known that the defeated kings had to carry this water on their ends.But this was just an attack, it did not affect the boundaries of the Chola Empire. | {
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663
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"Emperor Krishna III."
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401 | उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा था। ऐसे साम्राज्य के सुल्तान की सेवा करने के बदले उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित करने लगे। मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है और कोई 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है। वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते हैं। इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं। शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे। मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया था। मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ। उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों या सामन्तों के हाथ सौंप दिया था। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। सबसे पहला दुर्ग था रोहिदेश्वर का दुर्ग। रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जोपुणे के दक्षिण पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। शिवाजी ने सुल्तान आदिलशाह के पास अपना दूत भेजकर खबर भिजवाई की वे पहले किलेदार की तुलना में बेहतर रकम देने को तैयार हैं और यह क्षेत्र उन्हें सौंप दिया जाये। उन्होंने आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था और अपने दरबारियों की सलाह के मुताबिक आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को उस दुर्ग का अधिपति बना दिया। उस दुर्ग में मिली सम्पत्ति से शिवाजी महाराज ने दुर्ग की सुरक्षात्मक कमियों की मरम्मत का काम करवाया। इससे कोई 10 किलोमीटर दूर राजगढ़ का दुर्ग था और शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर भी अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की इस साम्राज्य विस्तार की नीति की भनक जब आदिलशाह को मिली तो वह क्षुब्ध हुआ। | बीजापुर के खिलाफ मावलों को किसने संगठित करना शुरू किया था? | {
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"शिवाजी महाराज"
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} | Who started organizing the Mavals against Bijapur? | At that time, the state of Bijapur was going through a mutual conflict and foreign invasion.Instead of serving the Sultan of such an empire, he started organizing the maval against Bijapur.The Mawal region is connected to the West Ghats and is 150 km long and 30 km wide.He is considered a skilled warrior for living a struggling life.Marathas and all castes live in this region.Shivaji Maharaj organized all these caste people and organized everyone by giving them the name Maval (Mava) and became familiar with their state by contacting them.By bringing the Maval youths, he started the construction work of the fort.The cooperation of the Mawls later proved to be as important for Shivaji Maharaj as with the Afghans for Sher Shah Suri.At that time, Bijapur was troubled by mutual conflict and the invasion of the Mughals.Sultan Adilshah of Bijapur removed his army from many fortifications and handed them over to local rulers or feudals.When Adilshah fell ill, anarchy spread in Bijapur and Shivaji Maharaj decided to enter Bijapur taking advantage of the opportunity.Shivaji Maharaj adopted the policy of taking over the fortifications of Bijapur in the following days.The first fort was Rohideshwar's fort.Rohideshwar's fort was the first fort, which was first occupied by Shivaji Maharaj.After that the fort of torana was 30 kilometers in the southwest of Jopune.Shivaji sent his messenger to Sultan Adilshah and sent the news that he is ready to give better amount than the fortress first and this area should be handed over to him.He had already bribed the courtiers of Adilshah in his favor and according to the advice of his courtiers, Adilshah made Shivaji Maharaj the suzerain of that fort.With the property found in that fort, Shivaji Maharaj got the work of repairing the protective shortcomings of the fort.Some 10 km from this was the fort of Rajgarh and Shivaji Maharaj also took control of this fort.When Adilshah got the idea of Shivaji Maharaj's policy of expansion, he was angry. | {
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377
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"Shivaji Maharaj."
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402 | उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा था। ऐसे साम्राज्य के सुल्तान की सेवा करने के बदले उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित करने लगे। मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है और कोई 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है। वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते हैं। इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं। शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे। मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया था। मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ। उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों या सामन्तों के हाथ सौंप दिया था। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। सबसे पहला दुर्ग था रोहिदेश्वर का दुर्ग। रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जोपुणे के दक्षिण पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। शिवाजी ने सुल्तान आदिलशाह के पास अपना दूत भेजकर खबर भिजवाई की वे पहले किलेदार की तुलना में बेहतर रकम देने को तैयार हैं और यह क्षेत्र उन्हें सौंप दिया जाये। उन्होंने आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था और अपने दरबारियों की सलाह के मुताबिक आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को उस दुर्ग का अधिपति बना दिया। उस दुर्ग में मिली सम्पत्ति से शिवाजी महाराज ने दुर्ग की सुरक्षात्मक कमियों की मरम्मत का काम करवाया। इससे कोई 10 किलोमीटर दूर राजगढ़ का दुर्ग था और शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर भी अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की इस साम्राज्य विस्तार की नीति की भनक जब आदिलशाह को मिली तो वह क्षुब्ध हुआ। | शिवाजी ने चाकन और कोंडाना के किले से पहले किस किले पर अपना कब्जा किया था ? | {
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""
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null
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} | Which fort was captured by Shivaji before the fort of Chakan and Kondana? | At that time, the state of Bijapur was going through a mutual conflict and foreign invasion.Instead of serving the Sultan of such an empire, he started organizing the maval against Bijapur.The Mawal region is connected to the West Ghats and is 150 km long and 30 km wide.He is considered a skilled warrior for living a struggling life.Marathas and all castes live in this region.Shivaji Maharaj organized all these caste people and organized everyone by giving them the name Maval (Mava) and became familiar with their state by contacting them.By bringing the Maval youths, he started the construction work of the fort.The cooperation of the Mawls later proved to be as important for Shivaji Maharaj as with the Afghans for Sher Shah Suri.At that time, Bijapur was troubled by mutual conflict and the invasion of the Mughals.Sultan Adilshah of Bijapur removed his army from many fortifications and handed them over to local rulers or feudals.When Adilshah fell ill, anarchy spread in Bijapur and Shivaji Maharaj decided to enter Bijapur taking advantage of the opportunity.Shivaji Maharaj adopted the policy of taking over the fortifications of Bijapur in the following days.The first fort was Rohideshwar's fort.Rohideshwar's fort was the first fort, which was first occupied by Shivaji Maharaj.After that the fort of torana was 30 kilometers in the southwest of Jopune.Shivaji sent his messenger to Sultan Adilshah and sent the news that he is ready to give better amount than the fortress first and this area should be handed over to him.He had already bribed the courtiers of Adilshah in his favor and according to the advice of his courtiers, Adilshah made Shivaji Maharaj the suzerain of that fort.With the property found in that fort, Shivaji Maharaj got the work of repairing the protective shortcomings of the fort.Some 10 km from this was the fort of Rajgarh and Shivaji Maharaj also took control of this fort.When Adilshah got the idea of Shivaji Maharaj's policy of expansion, he was angry. | {
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null
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""
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403 | उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा था। ऐसे साम्राज्य के सुल्तान की सेवा करने के बदले उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित करने लगे। मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है और कोई 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है। वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते हैं। इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं। शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे। मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया था। मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ। उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों या सामन्तों के हाथ सौंप दिया था। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। सबसे पहला दुर्ग था रोहिदेश्वर का दुर्ग। रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जोपुणे के दक्षिण पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। शिवाजी ने सुल्तान आदिलशाह के पास अपना दूत भेजकर खबर भिजवाई की वे पहले किलेदार की तुलना में बेहतर रकम देने को तैयार हैं और यह क्षेत्र उन्हें सौंप दिया जाये। उन्होंने आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था और अपने दरबारियों की सलाह के मुताबिक आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को उस दुर्ग का अधिपति बना दिया। उस दुर्ग में मिली सम्पत्ति से शिवाजी महाराज ने दुर्ग की सुरक्षात्मक कमियों की मरम्मत का काम करवाया। इससे कोई 10 किलोमीटर दूर राजगढ़ का दुर्ग था और शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर भी अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की इस साम्राज्य विस्तार की नीति की भनक जब आदिलशाह को मिली तो वह क्षुब्ध हुआ। | बीजापुर के सुल्तान कौन थे? | {
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"आदिलशाह"
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} | Who was the Sultan of Bijapur? | At that time, the state of Bijapur was going through a mutual conflict and foreign invasion.Instead of serving the Sultan of such an empire, he started organizing the maval against Bijapur.The Mawal region is connected to the West Ghats and is 150 km long and 30 km wide.He is considered a skilled warrior for living a struggling life.Marathas and all castes live in this region.Shivaji Maharaj organized all these caste people and organized everyone by giving them the name Maval (Mava) and became familiar with their state by contacting them.By bringing the Maval youths, he started the construction work of the fort.The cooperation of the Mawls later proved to be as important for Shivaji Maharaj as with the Afghans for Sher Shah Suri.At that time, Bijapur was troubled by mutual conflict and the invasion of the Mughals.Sultan Adilshah of Bijapur removed his army from many fortifications and handed them over to local rulers or feudals.When Adilshah fell ill, anarchy spread in Bijapur and Shivaji Maharaj decided to enter Bijapur taking advantage of the opportunity.Shivaji Maharaj adopted the policy of taking over the fortifications of Bijapur in the following days.The first fort was Rohideshwar's fort.Rohideshwar's fort was the first fort, which was first occupied by Shivaji Maharaj.After that the fort of torana was 30 kilometers in the southwest of Jopune.Shivaji sent his messenger to Sultan Adilshah and sent the news that he is ready to give better amount than the fortress first and this area should be handed over to him.He had already bribed the courtiers of Adilshah in his favor and according to the advice of his courtiers, Adilshah made Shivaji Maharaj the suzerain of that fort.With the property found in that fort, Shivaji Maharaj got the work of repairing the protective shortcomings of the fort.Some 10 km from this was the fort of Rajgarh and Shivaji Maharaj also took control of this fort.When Adilshah got the idea of Shivaji Maharaj's policy of expansion, he was angry. | {
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778
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"Adilshah"
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404 | उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा था। ऐसे साम्राज्य के सुल्तान की सेवा करने के बदले उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित करने लगे। मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है और कोई 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है। वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते हैं। इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं। शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे। मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया था। मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ। उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों या सामन्तों के हाथ सौंप दिया था। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। सबसे पहला दुर्ग था रोहिदेश्वर का दुर्ग। रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जोपुणे के दक्षिण पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। शिवाजी ने सुल्तान आदिलशाह के पास अपना दूत भेजकर खबर भिजवाई की वे पहले किलेदार की तुलना में बेहतर रकम देने को तैयार हैं और यह क्षेत्र उन्हें सौंप दिया जाये। उन्होंने आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था और अपने दरबारियों की सलाह के मुताबिक आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को उस दुर्ग का अधिपति बना दिया। उस दुर्ग में मिली सम्पत्ति से शिवाजी महाराज ने दुर्ग की सुरक्षात्मक कमियों की मरम्मत का काम करवाया। इससे कोई 10 किलोमीटर दूर राजगढ़ का दुर्ग था और शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर भी अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की इस साम्राज्य विस्तार की नीति की भनक जब आदिलशाह को मिली तो वह क्षुब्ध हुआ। | शिवाजी महाराज ने सबसे पहले बीजापुर के किस किले पर कब्जा किया था? | {
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"रोहिदेश्वर का दुर्ग"
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1108
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} | Which fort of Bijapur was first captured by Shivaji Maharaj? | At that time, the state of Bijapur was going through a mutual conflict and foreign invasion.Instead of serving the Sultan of such an empire, he started organizing the maval against Bijapur.The Mawal region is connected to the West Ghats and is 150 km long and 30 km wide.He is considered a skilled warrior for living a struggling life.Marathas and all castes live in this region.Shivaji Maharaj organized all these caste people and organized everyone by giving them the name Maval (Mava) and became familiar with their state by contacting them.By bringing the Maval youths, he started the construction work of the fort.The cooperation of the Mawls later proved to be as important for Shivaji Maharaj as with the Afghans for Sher Shah Suri.At that time, Bijapur was troubled by mutual conflict and the invasion of the Mughals.Sultan Adilshah of Bijapur removed his army from many fortifications and handed them over to local rulers or feudals.When Adilshah fell ill, anarchy spread in Bijapur and Shivaji Maharaj decided to enter Bijapur taking advantage of the opportunity.Shivaji Maharaj adopted the policy of taking over the fortifications of Bijapur in the following days.The first fort was Rohideshwar's fort.Rohideshwar's fort was the first fort, which was first occupied by Shivaji Maharaj.After that the fort of torana was 30 kilometers in the southwest of Jopune.Shivaji sent his messenger to Sultan Adilshah and sent the news that he is ready to give better amount than the fortress first and this area should be handed over to him.He had already bribed the courtiers of Adilshah in his favor and according to the advice of his courtiers, Adilshah made Shivaji Maharaj the suzerain of that fort.With the property found in that fort, Shivaji Maharaj got the work of repairing the protective shortcomings of the fort.Some 10 km from this was the fort of Rajgarh and Shivaji Maharaj also took control of this fort.When Adilshah got the idea of Shivaji Maharaj's policy of expansion, he was angry. | {
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1108
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"text": [
"Fort of Rohideswar"
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405 | उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा था। ऐसे साम्राज्य के सुल्तान की सेवा करने के बदले उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित करने लगे। मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है और कोई 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है। वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते हैं। इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं। शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे। मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया था। मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ। उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों या सामन्तों के हाथ सौंप दिया था। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। सबसे पहला दुर्ग था रोहिदेश्वर का दुर्ग। रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जोपुणे के दक्षिण पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। शिवाजी ने सुल्तान आदिलशाह के पास अपना दूत भेजकर खबर भिजवाई की वे पहले किलेदार की तुलना में बेहतर रकम देने को तैयार हैं और यह क्षेत्र उन्हें सौंप दिया जाये। उन्होंने आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था और अपने दरबारियों की सलाह के मुताबिक आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को उस दुर्ग का अधिपति बना दिया। उस दुर्ग में मिली सम्पत्ति से शिवाजी महाराज ने दुर्ग की सुरक्षात्मक कमियों की मरम्मत का काम करवाया। इससे कोई 10 किलोमीटर दूर राजगढ़ का दुर्ग था और शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर भी अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की इस साम्राज्य विस्तार की नीति की भनक जब आदिलशाह को मिली तो वह क्षुब्ध हुआ। | शिवाजी ने अपने पिता के क्षेत्र का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बाद किस चीज़ पर रोक लगाई थी ? | {
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} | What did Shivaji forbid after taking over the management of his father's territory? | At that time, the state of Bijapur was going through a mutual conflict and foreign invasion.Instead of serving the Sultan of such an empire, he started organizing the maval against Bijapur.The Mawal region is connected to the West Ghats and is 150 km long and 30 km wide.He is considered a skilled warrior for living a struggling life.Marathas and all castes live in this region.Shivaji Maharaj organized all these caste people and organized everyone by giving them the name Maval (Mava) and became familiar with their state by contacting them.By bringing the Maval youths, he started the construction work of the fort.The cooperation of the Mawls later proved to be as important for Shivaji Maharaj as with the Afghans for Sher Shah Suri.At that time, Bijapur was troubled by mutual conflict and the invasion of the Mughals.Sultan Adilshah of Bijapur removed his army from many fortifications and handed them over to local rulers or feudals.When Adilshah fell ill, anarchy spread in Bijapur and Shivaji Maharaj decided to enter Bijapur taking advantage of the opportunity.Shivaji Maharaj adopted the policy of taking over the fortifications of Bijapur in the following days.The first fort was Rohideshwar's fort.Rohideshwar's fort was the first fort, which was first occupied by Shivaji Maharaj.After that the fort of torana was 30 kilometers in the southwest of Jopune.Shivaji sent his messenger to Sultan Adilshah and sent the news that he is ready to give better amount than the fortress first and this area should be handed over to him.He had already bribed the courtiers of Adilshah in his favor and according to the advice of his courtiers, Adilshah made Shivaji Maharaj the suzerain of that fort.With the property found in that fort, Shivaji Maharaj got the work of repairing the protective shortcomings of the fort.Some 10 km from this was the fort of Rajgarh and Shivaji Maharaj also took control of this fort.When Adilshah got the idea of Shivaji Maharaj's policy of expansion, he was angry. | {
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406 | उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गान्धी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ, पर पूरे राष्ट्र की तरह वो भी महात्मा गाँधी का सम्मान करते थे। पर उन्होंने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना अनुचित नहीं समझा। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने १९२८ में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। १९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। अब इनसे रहा न गया। एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गई योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे कि वो ख़राब हो गई हो। गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० lवी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे। | एएसपी सौंडर्स की हत्या किसने की थी ? | {
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]
} | Who killed ASP Saunders? | Bhagat Singh was about twelve years old when the Jallianwala Bagh massacre took place.On receiving this information, Bhagat Singh walked 12 miles from his school and reached Jallianwala Bagh.At this age, Bhagat Singh used to read the revolutionary books of his uncles and wondered whether his path is correct or not?After Gandhiji's non -cooperation movement, he started choosing the way for himself from Gandhi ji's non -violent methods and violent movement of revolutionaries.Due to the cancellation of Gandhiji's non -cooperation movement, there was some anger in him, but like the whole nation, he also respected Mahatma Gandhi.But he did not consider it unfair to adopt the path of violent revolution for the freedom of the country instead of Gandhiji's non -violent movement.He started participating in the processions and became members of many revolutionary parties.The major revolutionaries of his party were Chandrashekhar Azad, Sukhdev, Rajguru etc.Bhagat Singh was so high in the Kakori incident by hanging 6 revolutionaries and 14 others from imprisonment that he merged his party in 1926 into Hindustan Republican Association of his party Naujwan Bharat Sabha and gave him a new name Hindustan Socialist Republican Association.In 1926, there were terrible performances for the boycott of the Simon Commission.The British rule also charged sticks on those participating in these demonstrations.Lala Lajpat Rai died after being hurt by this lathi charge.Now they are not left with them.Under a secret scheme, he thought of a plan to kill the police superintendent scot.According to the planned plan, Bhagat Singh and Rajguru started walking in a busy posture in front of Lahore Kotwali.On the other hand, Jaigopal sat down with his bicycle as if it had become bad.Both became conscious at the behest of Gopal.On the other hand, Chandrashekhar Azad was hiding near the boundary wall of DA LV School near the nearby Pass to carry out the incident in carrying out the incident. | {
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407 | उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गान्धी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ, पर पूरे राष्ट्र की तरह वो भी महात्मा गाँधी का सम्मान करते थे। पर उन्होंने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना अनुचित नहीं समझा। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने १९२८ में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। १९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। अब इनसे रहा न गया। एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गई योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे कि वो ख़राब हो गई हो। गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० lवी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे। | नौजवान भारत सभा का विलय किसके साथ कर दिया गया था ? | {
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"हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन"
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997
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} | The Naujawan Bharat Sabha was merged with? | Bhagat Singh was about twelve years old when the Jallianwala Bagh massacre took place.On receiving this information, Bhagat Singh walked 12 miles from his school and reached Jallianwala Bagh.At this age, Bhagat Singh used to read the revolutionary books of his uncles and wondered whether his path is correct or not?After Gandhiji's non -cooperation movement, he started choosing the way for himself from Gandhi ji's non -violent methods and violent movement of revolutionaries.Due to the cancellation of Gandhiji's non -cooperation movement, there was some anger in him, but like the whole nation, he also respected Mahatma Gandhi.But he did not consider it unfair to adopt the path of violent revolution for the freedom of the country instead of Gandhiji's non -violent movement.He started participating in the processions and became members of many revolutionary parties.The major revolutionaries of his party were Chandrashekhar Azad, Sukhdev, Rajguru etc.Bhagat Singh was so high in the Kakori incident by hanging 6 revolutionaries and 14 others from imprisonment that he merged his party in 1926 into Hindustan Republican Association of his party Naujwan Bharat Sabha and gave him a new name Hindustan Socialist Republican Association.In 1926, there were terrible performances for the boycott of the Simon Commission.The British rule also charged sticks on those participating in these demonstrations.Lala Lajpat Rai died after being hurt by this lathi charge.Now they are not left with them.Under a secret scheme, he thought of a plan to kill the police superintendent scot.According to the planned plan, Bhagat Singh and Rajguru started walking in a busy posture in front of Lahore Kotwali.On the other hand, Jaigopal sat down with his bicycle as if it had become bad.Both became conscious at the behest of Gopal.On the other hand, Chandrashekhar Azad was hiding near the boundary wall of DA LV School near the nearby Pass to carry out the incident in carrying out the incident. | {
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997
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"Hindustan Republican Association"
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408 | उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गान्धी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ, पर पूरे राष्ट्र की तरह वो भी महात्मा गाँधी का सम्मान करते थे। पर उन्होंने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना अनुचित नहीं समझा। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने १९२८ में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। १९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। अब इनसे रहा न गया। एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गई योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे कि वो ख़राब हो गई हो। गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० lवी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे। | एएसपी सौंडर्स की हत्या कब हुई थी ? | {
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} | When was ASP Saunders murdered? | Bhagat Singh was about twelve years old when the Jallianwala Bagh massacre took place.On receiving this information, Bhagat Singh walked 12 miles from his school and reached Jallianwala Bagh.At this age, Bhagat Singh used to read the revolutionary books of his uncles and wondered whether his path is correct or not?After Gandhiji's non -cooperation movement, he started choosing the way for himself from Gandhi ji's non -violent methods and violent movement of revolutionaries.Due to the cancellation of Gandhiji's non -cooperation movement, there was some anger in him, but like the whole nation, he also respected Mahatma Gandhi.But he did not consider it unfair to adopt the path of violent revolution for the freedom of the country instead of Gandhiji's non -violent movement.He started participating in the processions and became members of many revolutionary parties.The major revolutionaries of his party were Chandrashekhar Azad, Sukhdev, Rajguru etc.Bhagat Singh was so high in the Kakori incident by hanging 6 revolutionaries and 14 others from imprisonment that he merged his party in 1926 into Hindustan Republican Association of his party Naujwan Bharat Sabha and gave him a new name Hindustan Socialist Republican Association.In 1926, there were terrible performances for the boycott of the Simon Commission.The British rule also charged sticks on those participating in these demonstrations.Lala Lajpat Rai died after being hurt by this lathi charge.Now they are not left with them.Under a secret scheme, he thought of a plan to kill the police superintendent scot.According to the planned plan, Bhagat Singh and Rajguru started walking in a busy posture in front of Lahore Kotwali.On the other hand, Jaigopal sat down with his bicycle as if it had become bad.Both became conscious at the behest of Gopal.On the other hand, Chandrashekhar Azad was hiding near the boundary wall of DA LV School near the nearby Pass to carry out the incident in carrying out the incident. | {
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409 | उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गान्धी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ, पर पूरे राष्ट्र की तरह वो भी महात्मा गाँधी का सम्मान करते थे। पर उन्होंने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना अनुचित नहीं समझा। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने १९२८ में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। १९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। अब इनसे रहा न गया। एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गई योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे कि वो ख़राब हो गई हो। गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० lवी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे। | भगत सिंह के स्कूल से जलियांवाला बाग की दूरी कितनी थी ? | {
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"१२ मील"
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116
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} | What was the distance from Bhagat Singh's school to Jallianwala Bagh? | Bhagat Singh was about twelve years old when the Jallianwala Bagh massacre took place.On receiving this information, Bhagat Singh walked 12 miles from his school and reached Jallianwala Bagh.At this age, Bhagat Singh used to read the revolutionary books of his uncles and wondered whether his path is correct or not?After Gandhiji's non -cooperation movement, he started choosing the way for himself from Gandhi ji's non -violent methods and violent movement of revolutionaries.Due to the cancellation of Gandhiji's non -cooperation movement, there was some anger in him, but like the whole nation, he also respected Mahatma Gandhi.But he did not consider it unfair to adopt the path of violent revolution for the freedom of the country instead of Gandhiji's non -violent movement.He started participating in the processions and became members of many revolutionary parties.The major revolutionaries of his party were Chandrashekhar Azad, Sukhdev, Rajguru etc.Bhagat Singh was so high in the Kakori incident by hanging 6 revolutionaries and 14 others from imprisonment that he merged his party in 1926 into Hindustan Republican Association of his party Naujwan Bharat Sabha and gave him a new name Hindustan Socialist Republican Association.In 1926, there were terrible performances for the boycott of the Simon Commission.The British rule also charged sticks on those participating in these demonstrations.Lala Lajpat Rai died after being hurt by this lathi charge.Now they are not left with them.Under a secret scheme, he thought of a plan to kill the police superintendent scot.According to the planned plan, Bhagat Singh and Rajguru started walking in a busy posture in front of Lahore Kotwali.On the other hand, Jaigopal sat down with his bicycle as if it had become bad.Both became conscious at the behest of Gopal.On the other hand, Chandrashekhar Azad was hiding near the boundary wall of DA LV School near the nearby Pass to carry out the incident in carrying out the incident. | {
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116
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"12 miles"
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410 | उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गान्धी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ, पर पूरे राष्ट्र की तरह वो भी महात्मा गाँधी का सम्मान करते थे। पर उन्होंने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना अनुचित नहीं समझा। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने १९२८ में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। १९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया। इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। अब इनसे रहा न गया। एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची। सोची गई योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे। उधर जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे कि वो ख़राब हो गई हो। गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए। उधर चन्द्रशेखर आज़ाद पास के डी० ए० lवी० स्कूल की चहारदीवारी के पास छिपकर घटना को अंजाम देने में रक्षक का काम कर रहे थे। | भगत सिंह अपने चाचाओं की कौन सी किताबें पढ़ते थे ? | {
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"क्रान्तिकारी किताबें"
],
"answer_start": [
193
]
} | Which books of his uncles did Bhagat Singh read? | Bhagat Singh was about twelve years old when the Jallianwala Bagh massacre took place.On receiving this information, Bhagat Singh walked 12 miles from his school and reached Jallianwala Bagh.At this age, Bhagat Singh used to read the revolutionary books of his uncles and wondered whether his path is correct or not?After Gandhiji's non -cooperation movement, he started choosing the way for himself from Gandhi ji's non -violent methods and violent movement of revolutionaries.Due to the cancellation of Gandhiji's non -cooperation movement, there was some anger in him, but like the whole nation, he also respected Mahatma Gandhi.But he did not consider it unfair to adopt the path of violent revolution for the freedom of the country instead of Gandhiji's non -violent movement.He started participating in the processions and became members of many revolutionary parties.The major revolutionaries of his party were Chandrashekhar Azad, Sukhdev, Rajguru etc.Bhagat Singh was so high in the Kakori incident by hanging 6 revolutionaries and 14 others from imprisonment that he merged his party in 1926 into Hindustan Republican Association of his party Naujwan Bharat Sabha and gave him a new name Hindustan Socialist Republican Association.In 1926, there were terrible performances for the boycott of the Simon Commission.The British rule also charged sticks on those participating in these demonstrations.Lala Lajpat Rai died after being hurt by this lathi charge.Now they are not left with them.Under a secret scheme, he thought of a plan to kill the police superintendent scot.According to the planned plan, Bhagat Singh and Rajguru started walking in a busy posture in front of Lahore Kotwali.On the other hand, Jaigopal sat down with his bicycle as if it had become bad.Both became conscious at the behest of Gopal.On the other hand, Chandrashekhar Azad was hiding near the boundary wall of DA LV School near the nearby Pass to carry out the incident in carrying out the incident. | {
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193
],
"text": [
"Revolutionary books"
]
} |
411 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | चंद्रगुप्त ने 500 हाथी उपहार में किसे दिए थे? | {
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"सेल्यूकस"
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543
]
} | To whom did Chandragupta gift 500 elephants? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
"answer_start": [
543
],
"text": [
"Seleucus"
]
} |
412 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | सेल्यूकस की बेटी का क्या नाम था? | {
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"कर्नालिया"
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937
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} | What was the name of Seleucus' daughter? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
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937
],
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"Karnalia"
]
} |
413 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | सम्राट अशोक के पिता का क्या नाम था? | {
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""
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null
]
} | What was the name of Emperor Ashoka's father? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
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null
],
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""
]
} |
414 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | चंद्रगुप्त ने भारत के किन दो दिशाओं पर अपनी विजय अभियान की शुरुआत की थी ? | {
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"पश्चिमी तथा दक्षिणी"
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132
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} | On which two directions of India did Chandragupta begin his campaign of conquest? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
"answer_start": [
132
],
"text": [
"Western and Southern"
]
} |
415 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य कौन सा था? | {
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"मगध"
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7
]
} | Which was the most powerful state in India? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
"answer_start": [
7
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"Magadha"
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} |
416 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | चंद्रगुप्त के पुत्र का क्या नाम था? | {
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""
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]
} | What was the name of Chandragupta's son? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
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],
"text": [
""
]
} |
417 | उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था। चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था। पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया। [कृपया उद्धरण जोड़ें]चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था। ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से ) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंधार , काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे। इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे। इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी कर्नालिया (हेलना) से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था। सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था। प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेना से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया"। यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था। अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं। उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है। | सुदर्शन झील पर बांध किसने बनवाया था? | {
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"पुष्यगुप्त"
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310
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} | Who built the dam on Sudarshan Lake? | At that time Magadha was the most powerful state in India.Chandragupta had occupied the center of power after Magadha was captured.Chandragupta launched the victory campaign on western and southern India.Its information is received from indirect evidence.The Junagadh inscription of Rudradaman states that a dam was built by Pushyagupta on the Sudarshan lake for irrigation.Pushyagupta was then the provincial governor of Ashoka.After getting rid of northwest India from Greek rule, his attention went south.[Please add quotation] Chandragupta defeated Seleucus, the commander of Sikandar (Alexander) around 305 BC.Greek details do not look at this victory, but it is said that there was a treaty between Chandragupta (under the name Sandrocotus in Greek sources) and Seleucus, according to which Seleucus gave Kandahar, Kabul, Harat and the regions of Balochistan to Chandragupta.Along with this, Chandragupta presented him 500 elephants.It is also said that Chandragupta established a matrimonial relationship with Cellucus' daughter Karnalia (Helna).Seleucus sent Megasthenes as ambassador to Chandragupta's court.According to Plutarch, "Sandrokotus had become throne by that time, he trampled India with an army of 6,00,000 soldiers and subjected to him".This comment can be called a little exaggeration because it is so known that the Kaveri River and its south areas were ruled by Cholas, Pandyas, Satyaputras and Keralaputras at that time.Ashoka's inscriptions have been found in Chittaldurg, Yiragudi and Maskey in Karnataka.Its inscriptions are found to be the description of his neighboring Chola, Pandya and other states in Trayodash. | {
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310
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"Pushyagupta"
]
} |
418 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | कुमार गुप्त ने किस क्षेत्र में जाकर अपने जीवन का बलिदान दिया था ? | {
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} | In which area did Kumar Gupta sacrifice his life? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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419 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | मगध के जागीरदार के रूप में किसने शासन किया था? | {
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} | Who ruled as a vassal of Magadha? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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""
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} |
420 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | गुप्त साम्राज्य का पतन कब हुआ था? | {
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"५५० ई"
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} | When did the Gupta Empire fall? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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"550 AD"
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421 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | कृष्णगुप्त किस वंश के संस्थापक थे ? | {
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"परवर्ती गुप्त वंश"
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1269
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} | Krishnagupta was the founder of which dynasty? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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1269
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"Later Gupta dynasty"
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422 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र का क्या नाम है ? | {
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"राज्यवर्धन"
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} | What is the name of Prabhakar Vardhan's elder son? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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180
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"Rajyavardhan"
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423 | उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे। देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी। प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श। हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था। वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वासपात्र था। हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था। उसने ६५० ई. तक शासन किया। हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया। गुप्त साम्राज्य का ५५० ई. में पतन हो गया। बुद्धगुप्त के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके। हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया। इसके बाद सन् 606 में हर्ष का शासन आने के पहले तक आराजकता छाई रही। हूण ज्यादा समय तक शासन न कर सके। उत्तर गुप्त राजवंश भी देखेंगुप्त वंश के पतन के बाद भारतीय राजनीति में विकेन्द्रीकरण एवं अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया। अनेक स्थानीय सामन्तों एवं शासकों ने साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्रों में अलग-अलग छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना कर ली। इसमें एक था- उत्तर गुप्त राजवंश। इस राजवंश ने करीब दो शताब्दियों तक शासन किया। इस वंश के लेखों में चक्रवर्ती गुप्त राजाओं का उल्लेख नहीं है। परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की। अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है। उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है। उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया। तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रहा। कुमारगुप्त उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। | हर्ष का घनिष्ठ मित्र कौन था? | {
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"हर्षवर्धन"
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241
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} | Who was Harsha's close friend? | His two step brothers were Kumaragupta and Madhavagupta.Devagupta invaded the Maukri kingdom of Kannauj with the help of Gaur ruler Shashank and killed the house Verma.Prabhakar Vardhan's elder son Rajyavardhana soon attacked Devgupta and killed him.During the time of Harshavardhana, Madhavagupta ruled as the feudal of Magadha.He was a close friend and belief of Harsha.When Harsh went to punish Shashank, Madhavgupta went with him.He ruled till 750 AD.After Harsha's death, chaos spread in North India, while Madhavagupta also declared himself an independent ruler.The Gupta Empire collapsed in 550 AD.Buddhagupta's successors turned out to be disqualified and could not face the attack of the Huns.In 512, the Huns again attacked under the leadership of Toraman and established a large area of Gwalior and Malwa.After this, in 606, the rule of Harsha was unleashed.Huns could not rule for long.The North Gupta dynasty also saw that after the fall of the mun dynasty, the atmosphere of decentralization and uncertainty in Indian politics was created.Many local feudatories and rulers established different small dynasties in the wide areas of the empire.There was one in it- the north secret dynasty.This dynasty ruled for about two centuries.The writings of this dynasty do not mention the Chakravarti Gupta kings.Krishnagupta, the founder of the later Gupta dynasty (510 AD 521 AD) established.According to the Afsad article, Magadha was his original place, while scholars have called his original place Malwa.His successor has been Harshgupta.Three rulers of the North Gupta dynasty ruled.The three rulers maintained a friendly relationship with the Maukari dynasty.Kumaragupta was the fourth king of the North Gupta dynasty who was the son of the living Gupta.This ruler was very powerful and ambitious.It assumed the title of Maharajadhiraj. | {
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241
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"text": [
"Harsh Vardhan"
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} |
424 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | स्वच्छ भारत अभियान लोगों को साल में कितने घंटे के श्रमदान के लिए प्रेरित करता है ? | {
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"100 घंटे"
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} | How many hours of Shramdaan does the Swachh Bharat Abhiyan motivate people to do in a year? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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854
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"100 hours"
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425 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक कब हुई थी ? | {
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} | When was the surgical strike across the Line of Control? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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426 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | वर्ष 2015 में भारत के रक्षा बजट में कितनी प्रतिशत की वृद्धि की गई थी ? | {
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} | By what percentage was India's defence budget increased in 2015? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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"11 per cent"
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427 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता ही सेवा आंदोलन की शुरुआत कब की थी ? | {
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"15 सितम्बर 2018"
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} | When did Narendra Modi start the Swachhata Hi Seva movement? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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"15th September 2018"
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428 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | नागा समस्या को हल करने के लिए पूर्वोत्तर के नागा विद्रोहियों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किस सरकार ने किए थे ? | {
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} | Which government signed a peace accord with the Naga rebels of the northeast to solve the Naga problem? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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429 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत किस सरकार ने की है ? | {
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"मोदी सरकार"
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} | Which government has launched the Swachh Bharat Abhiyan? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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36
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"Modi government."
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430 | उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही। स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की। स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया। एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया। | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान में बालाकोट आतंकी शिविर पर हवाई हमले को कब अधिकृत किया था ? | {
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} | When did Prime Minister Narendra Modi authorise the air strike on the Balakot terror camp in Pakistan? | After that, in the last four and a half years, the Modi government took many such initiatives which had a lot of discussion among the public.Swachhta Bharat Abhiyan is also one of similar initiatives.The government took steps towards motivating people to cleanliness under the awareness campaign.Campaigned under the campaign to make the country open defecation free.Along with this, toilets were also constructed across the country.The government also started Swachh Bharat Chungi (Cess) to increase the expenses of cleanliness in the country.Gandhiji's spectacle of Swachh Bharat Mission was kept and a 'one step cleanliness' tag line was also placed.For the successful implementation of Swachh Bharat Abhiyan, he appealed to all citizens of India to join this campaign.The purpose of this campaign is to achieve the goal of Swachh Bharat in five years so that Bapu's 150th birth anniversary can be celebrated as the achievement of this goal.Swachh Bharat Abhiyan motivates people for 100 -hour shramdaan every year in the direction of cleaning.The Prime Minister invited nine well -known personalities like Mridula Sinha, Sachin Tendulkar, Baba Ramdev, Shashi Tharoor, Anil Ambani, Kamal Hasan, Salman Khan, Priyanka Chopra and Tarak Mehta's Overseas Chashma's team to provide their support in Swachh Bharat Abhiyan too.DoPeople were asked to share pictures of cleaning campaigns on social media and also add other nine people to become a series.The general public was also asked to share their cooperation by writing the hash tag #mycleanindia on social media.One step towards cleanliness: The Modi government has provided a creative and collaborative platform that ensures the success of the nationwide movement.This platform provides information about the efforts related to the campaign of citizens and organizations through technology.Any person, government institution or private organization can participate in the campaign.The purpose of this campaign is to encourage people to do some hours out of their daily tasks and do cleanliness related work in India.Cleanliness Hi Service: Prime Minister Narendra Modi started the 'Swachhata Hi Seva' campaign on 15 September 2018 and urged the Jan-Manas to join it.Before the formal beginning of 150 Jayanti years of Father of the Nation Mahatma Gandhi, the cleanliness service program is being organized on 15 September to 2 October.Earlier, Modi wrote letters to about 2,000 people from different sections of the society and invited to be a part of this cleanliness campaign, so that this campaign could be made successful.In order to modernize and expand the Indian armed forces, the new government led by Modi has increased the expenditure on defense.The defense budget was increased by 11% in 2015.In September 2015, his government accepted the demand for a very long time for the same rank similar pension (One Rank One Pension). | {
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431 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | काकोरी स्तम्भ का अनावरण कब किया गया था? | {
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"१९७७"
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1913
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} | When was the Kakori Stambha unveiled? | He first apologized to Bismil and then took Gandhiji separately and filled his ears that Ramprasad is a very criminal type.They neither believe anything about it nor let anyone else do it.Later, this Banarasi Lal befriended Bismil and earned his faith before sweet talks and then became a partner in the business of clothes with him.When Bismil formed his separate party criticizing Gandhi ji, Banarasi Lal was very happy and kept quiet in search of an opportunity.The police made Banarasi Lal an apprehension (government witness) and used as an infallible tool in the entire prosecution against Bismil, knowing the distinction of the previous quarrel between Bismil and Banarasi.Being a partner in Banarasi Lal trade, the party knew such confidential things related to the party, which no one else could know except Bismil.It has been mentioned by Ram Prasad Bismil in his autobiography.Lucknow District Jail, which was called Central Jail of the United Provinces (U.P.) in those days, all the revolutionaries were together in the 11 number barrack and construction of a temporary court in a luxurious building named Ring Theater near Hazratganj intersectionto be done.This building named Ring Theater used to be between Kothi Hayat Bakhsh and Mallika Ahad Mahal in which the British officers used to come and entertain the film and drama etc.In the same ring theater, in the historic case run in the historic case run by King Imperor Versus Ram Prasad 'Bismil' and Adars for 14 consecutive months, the British government had spent Rs 10 lakh when the price of gold was 20 rupees tola (12 grams).Was.By the order of the British rulers, this building was also demolished later and in 1929-1932, in the year 1929-1932, a second grand building was made in the name of GPO (main post office) Lucknow.When India became independent in 1949, the Nehru government was fulfilled by installing a grand statue of Gandhiji here.When the non -Congress Janata SKeep the memory ofIn this historic case, Harkaran Nath Mishra was appointed as a lawyer of revolutionaries from the government expenses, while the well -known lawyer Jagatnarayan 'Mulla', who was in the relationship of Jawaharlal Nehru, was made a government lawyer under a well -planned strategy. | {
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1913
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"1977."
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432 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | बनारसी लाल ने किससे मित्रता की थी? | {
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"बिस्मिल"
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} | Who was befriended by Banarsi Lal? | He first apologized to Bismil and then took Gandhiji separately and filled his ears that Ramprasad is a very criminal type.They neither believe anything about it nor let anyone else do it.Later, this Banarasi Lal befriended Bismil and earned his faith before sweet talks and then became a partner in the business of clothes with him.When Bismil formed his separate party criticizing Gandhi ji, Banarasi Lal was very happy and kept quiet in search of an opportunity.The police made Banarasi Lal an apprehension (government witness) and used as an infallible tool in the entire prosecution against Bismil, knowing the distinction of the previous quarrel between Bismil and Banarasi.Being a partner in Banarasi Lal trade, the party knew such confidential things related to the party, which no one else could know except Bismil.It has been mentioned by Ram Prasad Bismil in his autobiography.Lucknow District Jail, which was called Central Jail of the United Provinces (U.P.) in those days, all the revolutionaries were together in the 11 number barrack and construction of a temporary court in a luxurious building named Ring Theater near Hazratganj intersectionto be done.This building named Ring Theater used to be between Kothi Hayat Bakhsh and Mallika Ahad Mahal in which the British officers used to come and entertain the film and drama etc.In the same ring theater, in the historic case run in the historic case run by King Imperor Versus Ram Prasad 'Bismil' and Adars for 14 consecutive months, the British government had spent Rs 10 lakh when the price of gold was 20 rupees tola (12 grams).Was.By the order of the British rulers, this building was also demolished later and in 1929-1932, in the year 1929-1932, a second grand building was made in the name of GPO (main post office) Lucknow.When India became independent in 1949, the Nehru government was fulfilled by installing a grand statue of Gandhiji here.When the non -Congress Janata SKeep the memory ofIn this historic case, Harkaran Nath Mishra was appointed as a lawyer of revolutionaries from the government expenses, while the well -known lawyer Jagatnarayan 'Mulla', who was in the relationship of Jawaharlal Nehru, was made a government lawyer under a well -planned strategy. | {
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433 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | हज़रतगंज चौराहे के पास किस अदालत का निर्माण किया गया था? | {
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"अस्थाई अदालत"
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"the Temporary Court"
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434 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | 1916 में बाल गंगाधर तिलक का भव्य जुलूस किसने निकाला था? | {
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} | Who led the grand procession of Bal Gangadhar Tilak in 1916? | He first apologized to Bismil and then took Gandhiji separately and filled his ears that Ramprasad is a very criminal type.They neither believe anything about it nor let anyone else do it.Later, this Banarasi Lal befriended Bismil and earned his faith before sweet talks and then became a partner in the business of clothes with him.When Bismil formed his separate party criticizing Gandhi ji, Banarasi Lal was very happy and kept quiet in search of an opportunity.The police made Banarasi Lal an apprehension (government witness) and used as an infallible tool in the entire prosecution against Bismil, knowing the distinction of the previous quarrel between Bismil and Banarasi.Being a partner in Banarasi Lal trade, the party knew such confidential things related to the party, which no one else could know except Bismil.It has been mentioned by Ram Prasad Bismil in his autobiography.Lucknow District Jail, which was called Central Jail of the United Provinces (U.P.) in those days, all the revolutionaries were together in the 11 number barrack and construction of a temporary court in a luxurious building named Ring Theater near Hazratganj intersectionto be done.This building named Ring Theater used to be between Kothi Hayat Bakhsh and Mallika Ahad Mahal in which the British officers used to come and entertain the film and drama etc.In the same ring theater, in the historic case run in the historic case run by King Imperor Versus Ram Prasad 'Bismil' and Adars for 14 consecutive months, the British government had spent Rs 10 lakh when the price of gold was 20 rupees tola (12 grams).Was.By the order of the British rulers, this building was also demolished later and in 1929-1932, in the year 1929-1932, a second grand building was made in the name of GPO (main post office) Lucknow.When India became independent in 1949, the Nehru government was fulfilled by installing a grand statue of Gandhiji here.When the non -Congress Janata SKeep the memory ofIn this historic case, Harkaran Nath Mishra was appointed as a lawyer of revolutionaries from the government expenses, while the well -known lawyer Jagatnarayan 'Mulla', who was in the relationship of Jawaharlal Nehru, was made a government lawyer under a well -planned strategy. | {
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435 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | वर्ष 1916 में बिस्मिल ने बाल गंगाधर तिलक का जुलूस किस शहर में निकाला था? | {
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} | In which city did Bismil take out a procession of Bal Gangadhar Tilak in the year 1916? | He first apologized to Bismil and then took Gandhiji separately and filled his ears that Ramprasad is a very criminal type.They neither believe anything about it nor let anyone else do it.Later, this Banarasi Lal befriended Bismil and earned his faith before sweet talks and then became a partner in the business of clothes with him.When Bismil formed his separate party criticizing Gandhi ji, Banarasi Lal was very happy and kept quiet in search of an opportunity.The police made Banarasi Lal an apprehension (government witness) and used as an infallible tool in the entire prosecution against Bismil, knowing the distinction of the previous quarrel between Bismil and Banarasi.Being a partner in Banarasi Lal trade, the party knew such confidential things related to the party, which no one else could know except Bismil.It has been mentioned by Ram Prasad Bismil in his autobiography.Lucknow District Jail, which was called Central Jail of the United Provinces (U.P.) in those days, all the revolutionaries were together in the 11 number barrack and construction of a temporary court in a luxurious building named Ring Theater near Hazratganj intersectionto be done.This building named Ring Theater used to be between Kothi Hayat Bakhsh and Mallika Ahad Mahal in which the British officers used to come and entertain the film and drama etc.In the same ring theater, in the historic case run in the historic case run by King Imperor Versus Ram Prasad 'Bismil' and Adars for 14 consecutive months, the British government had spent Rs 10 lakh when the price of gold was 20 rupees tola (12 grams).Was.By the order of the British rulers, this building was also demolished later and in 1929-1932, in the year 1929-1932, a second grand building was made in the name of GPO (main post office) Lucknow.When India became independent in 1949, the Nehru government was fulfilled by installing a grand statue of Gandhiji here.When the non -Congress Janata SKeep the memory ofIn this historic case, Harkaran Nath Mishra was appointed as a lawyer of revolutionaries from the government expenses, while the well -known lawyer Jagatnarayan 'Mulla', who was in the relationship of Jawaharlal Nehru, was made a government lawyer under a well -planned strategy. | {
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436 | उसने पहले तो बिस्मिल से माफी माँग ली फिर गांधी जी को अलग ले जाकर उनके कान भर दिये कि रामप्रसाद बड़ा ही अपराधी किस्म का व्यक्ति है। वे इसकी किसी बात का न तो स्वयं विश्वास करें न ही किसी और को करने दें। आगे चलकर इसी बनारसी लाल ने बिस्मिल से मित्रता कर ली और मीठी-मीठी बातों से पहले उनका विश्वास अर्जित किया और उसके बाद उनके साथ कपड़े के व्यापार में साझीदार बन गया। जब बिस्मिल ने गान्धी जी की आलोचना करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली तो बनारसी लाल अत्यधिक प्रसन्न हुआ और मौके की तलाश में चुप साधे बैठा रहा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से बिस्मिल व बनारसी के पिछले झगड़े का भेद जानकर ही बनारसी लाल को अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनाया और बिस्मिल के विरुद्ध पूरे अभियोग में एक अचूक औजार की तरह इस्तेमाल किया। बनारसी लाल व्यापार में साझीदार होने के कारण पार्टी सम्बन्धी ऐसी-ऐसी गोपनीय बातें जानता था, जिन्हें बिस्मिल के अतिरिक्त और कोई भी न जान सकता था। इसका उल्लेख राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है। लखनऊ जिला जेल, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त (यू॰पी॰) की सेण्ट्रल जेल कहलाती थी, की ११ नम्बर बैरक में सभी क्रान्तिकारियों को एक साथ रक्खा गया और हजरतगंज चौराहे के पास रिंग थियेटर नाम की एक आलीशान बिल्डिंग में अस्थाई अदालत का निर्माण किया गया। रिंग थियेटर नाम की यह बिल्डिंग कोठी हयात बख्श और मल्लिका अहद महल के बीच हुआ करती थी जिसमें ब्रिटिश अफसर आकर फिल्म व नाटक आदि देखकर मनोरंजन किया करते थे। इसी रिंग थियेटर में लगातार १८ महीने तक किंग इम्परर वर्सेस राम प्रसाद 'बिस्मिल' एण्ड अदर्स के नाम से चलाये गये ऐतिहासिक मुकदमे में ब्रिटिश सरकार ने १० लाख रुपये उस समय खर्च किये थे जब सोने का मूल्य २० रुपये तोला (१२ ग्राम) हुआ करता था। ब्रिटिश हुक्मरानों के आदेश से यह बिल्डिंग भी बाद में ढहा दी गयी और उसकी जगह सन १९२९-१९३२ में जी॰ पी॰ ओ॰ (मुख्य डाकघर) लखनऊ के नाम से एक दूसरा भव्य भवन बना दिया गया। १९४७ में जब भारत आजाद हो गया तो यहाँ गांधी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित करके रही सही कसर नेहरू सरकार ने पूरी कर दी। जब केन्द्र में गैर काँग्रेसी जनता सरकार का पहली बार गठन हुआ तो उस समय के जीवित क्रान्तिकारियों के सामूहिक प्रयासों से सन् १९७७ में आयोजित काकोरी शहीद अर्द्धशताब्दी समारोह के समय यहाँ पर काकोरी स्तम्भ का अनावरण उत्तर प्रदेश के राज्यपाल गणपतिराव देवराव तपासे ने किया ताकि उस स्थल की स्मृति बनी रहे। इस ऐतिहासिक मुकदमे में सरकारी खर्चे से हरकरननाथ मिश्र को क्रान्तिकारियों का वकील नियुक्त किया गया जबकि जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते में साले लगने वाले सुप्रसिद्ध वकील जगतनारायण 'मुल्ला' को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत सरकारी वकील बनाया गया। | हरकरन नाथ मिश्रा को किसका वकील नियुक्त किया गया था? | {
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"क्रान्तिकारियों का वकील"
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} | Whose lawyer was Harkaran Nath Mishra appointed? | He first apologized to Bismil and then took Gandhiji separately and filled his ears that Ramprasad is a very criminal type.They neither believe anything about it nor let anyone else do it.Later, this Banarasi Lal befriended Bismil and earned his faith before sweet talks and then became a partner in the business of clothes with him.When Bismil formed his separate party criticizing Gandhi ji, Banarasi Lal was very happy and kept quiet in search of an opportunity.The police made Banarasi Lal an apprehension (government witness) and used as an infallible tool in the entire prosecution against Bismil, knowing the distinction of the previous quarrel between Bismil and Banarasi.Being a partner in Banarasi Lal trade, the party knew such confidential things related to the party, which no one else could know except Bismil.It has been mentioned by Ram Prasad Bismil in his autobiography.Lucknow District Jail, which was called Central Jail of the United Provinces (U.P.) in those days, all the revolutionaries were together in the 11 number barrack and construction of a temporary court in a luxurious building named Ring Theater near Hazratganj intersectionto be done.This building named Ring Theater used to be between Kothi Hayat Bakhsh and Mallika Ahad Mahal in which the British officers used to come and entertain the film and drama etc.In the same ring theater, in the historic case run in the historic case run by King Imperor Versus Ram Prasad 'Bismil' and Adars for 14 consecutive months, the British government had spent Rs 10 lakh when the price of gold was 20 rupees tola (12 grams).Was.By the order of the British rulers, this building was also demolished later and in 1929-1932, in the year 1929-1932, a second grand building was made in the name of GPO (main post office) Lucknow.When India became independent in 1949, the Nehru government was fulfilled by installing a grand statue of Gandhiji here.When the non -Congress Janata SKeep the memory ofIn this historic case, Harkaran Nath Mishra was appointed as a lawyer of revolutionaries from the government expenses, while the well -known lawyer Jagatnarayan 'Mulla', who was in the relationship of Jawaharlal Nehru, was made a government lawyer under a well -planned strategy. | {
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"The Lawyer of the Revolutionaries"
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437 | उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है। चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था। उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया। शक विजय- पश्चिम में शक क्षत्रप शक्तिशाली साम्राज्य था। ये गुप्त राजाओं को हमेशा परेशान करते थे। शक गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्चिमी मालवा पर राज्य करते थे। ३८९ ई. ४१२ ई. के मध्य चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों पर आक्रमण कर विजित किया। वाहीक विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार चन्द्र गुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी। वाहिकों का समीकरण कुषाणों से किया गया है, पंजाब का वह भाग जो व्यास का निकटवर्ती भाग है। बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था। गणराज्यों पर विजय- पश्चिमोत्तर भारत के अनेक गणराज्यों द्वारा समुद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात्अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी गई थी। परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया। अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी। चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। | चंद्रगुप्त द्वितीय ने किस शासक को युद्ध में हराया था? | {
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} | Chandragupta II defeated which ruler in battle? | He described India as a happy and prosperous country.The reign of Chandragupta II has also been called the Golden Age.Chandragupta was a great appreciated emperor.He further expanded his empire.Saka Vijay- Shaka Kshatrap was a powerful empire in the west.They always disturbed the secret kings.Shaka used to rule Kathiawar and West Malwa in Gujarat.Between 379 AD 712 AD, Chandragupta II attacked and conquered the Shakas.Wahik Vijay- According to the article, Chandra Gupta II crossed the five faces of Indus and conquered the vessels.The equation of the vessels is done by the Kushans, the part of Punjab which is the near part of the diameter.Bengal Victory- According to the article, it is known that Chandra Gupta II defeated the union of the rulers of Bengal.Victory over the republics- After the death of Samudragupta by many republics of West India, its independence was declared.As a result, these Ganarajyas were re -conquered by Chandragupta II and merged into the Gupta Empire.As a result of his victory, Chandragupta II established a huge empire.His empire wide in west from Gujarat to Bengal in the east and from the Tap Ghati of the Himalayas in the north to the Narmada River in the south.During the reign of Chandragupta II, its first capital was Pataliputra and the second capital was Ujjayini.Chandragupta II's period is called the golden age of art literature. | {
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438 | उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है। चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था। उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया। शक विजय- पश्चिम में शक क्षत्रप शक्तिशाली साम्राज्य था। ये गुप्त राजाओं को हमेशा परेशान करते थे। शक गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्चिमी मालवा पर राज्य करते थे। ३८९ ई. ४१२ ई. के मध्य चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों पर आक्रमण कर विजित किया। वाहीक विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार चन्द्र गुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी। वाहिकों का समीकरण कुषाणों से किया गया है, पंजाब का वह भाग जो व्यास का निकटवर्ती भाग है। बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था। गणराज्यों पर विजय- पश्चिमोत्तर भारत के अनेक गणराज्यों द्वारा समुद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात्अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी गई थी। परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया। अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी। चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। | चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को क्या कहा गया है? | {
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"स्वर्ण युग"
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} | What is the reign of Chandragupta II called? | He described India as a happy and prosperous country.The reign of Chandragupta II has also been called the Golden Age.Chandragupta was a great appreciated emperor.He further expanded his empire.Saka Vijay- Shaka Kshatrap was a powerful empire in the west.They always disturbed the secret kings.Shaka used to rule Kathiawar and West Malwa in Gujarat.Between 379 AD 712 AD, Chandragupta II attacked and conquered the Shakas.Wahik Vijay- According to the article, Chandra Gupta II crossed the five faces of Indus and conquered the vessels.The equation of the vessels is done by the Kushans, the part of Punjab which is the near part of the diameter.Bengal Victory- According to the article, it is known that Chandra Gupta II defeated the union of the rulers of Bengal.Victory over the republics- After the death of Samudragupta by many republics of West India, its independence was declared.As a result, these Ganarajyas were re -conquered by Chandragupta II and merged into the Gupta Empire.As a result of his victory, Chandragupta II established a huge empire.His empire wide in west from Gujarat to Bengal in the east and from the Tap Ghati of the Himalayas in the north to the Narmada River in the south.During the reign of Chandragupta II, its first capital was Pataliputra and the second capital was Ujjayini.Chandragupta II's period is called the golden age of art literature. | {
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"The golden age"
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439 | उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है। चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था। उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया। शक विजय- पश्चिम में शक क्षत्रप शक्तिशाली साम्राज्य था। ये गुप्त राजाओं को हमेशा परेशान करते थे। शक गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्चिमी मालवा पर राज्य करते थे। ३८९ ई. ४१२ ई. के मध्य चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों पर आक्रमण कर विजित किया। वाहीक विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार चन्द्र गुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी। वाहिकों का समीकरण कुषाणों से किया गया है, पंजाब का वह भाग जो व्यास का निकटवर्ती भाग है। बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था। गणराज्यों पर विजय- पश्चिमोत्तर भारत के अनेक गणराज्यों द्वारा समुद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात्अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी गई थी। परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया। अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी। चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। | ब्रह्मगुप्त के सिद्धांत को न्यूटन ने किस रूप में प्रस्तावित किया था? | {
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} | In what form was Brahmagupta's theory proposed by Newton? | He described India as a happy and prosperous country.The reign of Chandragupta II has also been called the Golden Age.Chandragupta was a great appreciated emperor.He further expanded his empire.Saka Vijay- Shaka Kshatrap was a powerful empire in the west.They always disturbed the secret kings.Shaka used to rule Kathiawar and West Malwa in Gujarat.Between 379 AD 712 AD, Chandragupta II attacked and conquered the Shakas.Wahik Vijay- According to the article, Chandra Gupta II crossed the five faces of Indus and conquered the vessels.The equation of the vessels is done by the Kushans, the part of Punjab which is the near part of the diameter.Bengal Victory- According to the article, it is known that Chandra Gupta II defeated the union of the rulers of Bengal.Victory over the republics- After the death of Samudragupta by many republics of West India, its independence was declared.As a result, these Ganarajyas were re -conquered by Chandragupta II and merged into the Gupta Empire.As a result of his victory, Chandragupta II established a huge empire.His empire wide in west from Gujarat to Bengal in the east and from the Tap Ghati of the Himalayas in the north to the Narmada River in the south.During the reign of Chandragupta II, its first capital was Pataliputra and the second capital was Ujjayini.Chandragupta II's period is called the golden age of art literature. | {
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440 | उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है। चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था। उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया। शक विजय- पश्चिम में शक क्षत्रप शक्तिशाली साम्राज्य था। ये गुप्त राजाओं को हमेशा परेशान करते थे। शक गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्चिमी मालवा पर राज्य करते थे। ३८९ ई. ४१२ ई. के मध्य चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों पर आक्रमण कर विजित किया। वाहीक विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार चन्द्र गुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी। वाहिकों का समीकरण कुषाणों से किया गया है, पंजाब का वह भाग जो व्यास का निकटवर्ती भाग है। बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था। गणराज्यों पर विजय- पश्चिमोत्तर भारत के अनेक गणराज्यों द्वारा समुद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात्अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी गई थी। परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया। अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी। चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। | चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित सम्राज्य की पहली राजधानी का क्या नाम था? | {
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"पाटलिपुत्र"
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1267
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} | What was the name of the first capital of the empire founded by Chandragupta II? | He described India as a happy and prosperous country.The reign of Chandragupta II has also been called the Golden Age.Chandragupta was a great appreciated emperor.He further expanded his empire.Saka Vijay- Shaka Kshatrap was a powerful empire in the west.They always disturbed the secret kings.Shaka used to rule Kathiawar and West Malwa in Gujarat.Between 379 AD 712 AD, Chandragupta II attacked and conquered the Shakas.Wahik Vijay- According to the article, Chandra Gupta II crossed the five faces of Indus and conquered the vessels.The equation of the vessels is done by the Kushans, the part of Punjab which is the near part of the diameter.Bengal Victory- According to the article, it is known that Chandra Gupta II defeated the union of the rulers of Bengal.Victory over the republics- After the death of Samudragupta by many republics of West India, its independence was declared.As a result, these Ganarajyas were re -conquered by Chandragupta II and merged into the Gupta Empire.As a result of his victory, Chandragupta II established a huge empire.His empire wide in west from Gujarat to Bengal in the east and from the Tap Ghati of the Himalayas in the north to the Narmada River in the south.During the reign of Chandragupta II, its first capital was Pataliputra and the second capital was Ujjayini.Chandragupta II's period is called the golden age of art literature. | {
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1267
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"Pataliputra"
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441 | उसे सोचना चाहिए कि कहीं मेरे या मेरे पड़ोसियों के व्यवहार से दुखी होकर तो ऐसा नहीं किया जा रहा है। ...यह तो एक मानी हुई बात है कि अपने को सनातनी कहने वाले हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या का व्यवहार ऐसा है जिससे देशभर के हरिजनों को अत्यधिक असुविधा और खीज होती है। आश्चर्य यही है कि इतने ही हिन्दुओं ने हिन्दू धर्म क्यों छोड़ा, और दूसरों ने भी क्यों नहीं छोड़ दिया? यह तो उनकी प्रशंसनीय वफादारी या हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ही है जो उसी धर्म के नाम पर इतनी निर्दयता होते हुए भी लाखों हरिजन उसमें बने हुए हैं। 'आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 वर्ष तक के समय के बीच उन्होंने ने विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया। उनके द्वारा इतना लंबा समय लेने का मुख्य कारण यह भी था कि वो चाहते थे कि जिस समय वो धर्म परिवर्तन करें उनके साथ ज्यादा से ज्यादा उनके अनुयायी धर्मान्तरण करें। आम्बेडकर बौद्ध धर्म को पसन्द करते थे क्योंकि उसमें तीन सिद्धांतों का समन्वित रूप मिलता है जो किसी अन्य धर्म में नहीं मिलता। बौद्ध धर्म प्रज्ञा (अंधविश्वास तथा अतिप्रकृतिवाद के स्थान पर बुद्धि का प्रयोग), करुणा (प्रेम) और समता (समानता) की शिक्षा देता है। उनका कहना था कि मनुष्य इन्हीं बातों को शुभ तथा आनंदित जीवन के लिए चाहता है। देवता और आत्मा समाज को नहीं बचा सकते। आम्बेडकर के अनुसार सच्चा धर्म वो ही है जिसका केन्द्र मनुष्य तथा नैतिकता हो, विज्ञान अथवा बौद्धिक तत्व पर आधारित हो, न कि धर्म का केन्द्र ईश्वर, आत्मा की मुक्ति और मोक्ष। | अम्बेडकर किस तरह की व्यवस्था के पक्ष में थे ? | {
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} | What kind of system was Ambedkar in favour of? | He should think that this is not being done by being saddened by the behavior of me or my neighbors.... It is believed that the behavior of a large number of Hindus who call themselves Sanatani is such that Harijans across the country have extreme inconvenience and anger.Surprisingly, why did so many Hindus leave Hinduism, and why did others not leave?This is his admirable loyalty or superiority of Hinduism, which despite being so cruel in the name of that religion, millions of Harijan remains in it.'Ambedkar studied all the major religions of the world in an intense study between the time of up to 21 years after announcing conversion.The main reason for him to take so long was also that he wanted him to convert more and more with him when he converts.Ambedkar liked Buddhism because it found a coordinated form of three principles which are not found in any other religion.Buddhism teachs Pragya (using wisdom in place of superstition and extremism), compassion (love) and equality (equality).He said that man wants these things for auspicious and happy life.Gods and souls cannot save society.According to Ambedkar, the true religion is the one whose center is human and morality, is based on science or intellectual element, not the center of religion God, liberation of soul and salvation. | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
442 | उसे सोचना चाहिए कि कहीं मेरे या मेरे पड़ोसियों के व्यवहार से दुखी होकर तो ऐसा नहीं किया जा रहा है। ...यह तो एक मानी हुई बात है कि अपने को सनातनी कहने वाले हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या का व्यवहार ऐसा है जिससे देशभर के हरिजनों को अत्यधिक असुविधा और खीज होती है। आश्चर्य यही है कि इतने ही हिन्दुओं ने हिन्दू धर्म क्यों छोड़ा, और दूसरों ने भी क्यों नहीं छोड़ दिया? यह तो उनकी प्रशंसनीय वफादारी या हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ही है जो उसी धर्म के नाम पर इतनी निर्दयता होते हुए भी लाखों हरिजन उसमें बने हुए हैं। 'आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 वर्ष तक के समय के बीच उन्होंने ने विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया। उनके द्वारा इतना लंबा समय लेने का मुख्य कारण यह भी था कि वो चाहते थे कि जिस समय वो धर्म परिवर्तन करें उनके साथ ज्यादा से ज्यादा उनके अनुयायी धर्मान्तरण करें। आम्बेडकर बौद्ध धर्म को पसन्द करते थे क्योंकि उसमें तीन सिद्धांतों का समन्वित रूप मिलता है जो किसी अन्य धर्म में नहीं मिलता। बौद्ध धर्म प्रज्ञा (अंधविश्वास तथा अतिप्रकृतिवाद के स्थान पर बुद्धि का प्रयोग), करुणा (प्रेम) और समता (समानता) की शिक्षा देता है। उनका कहना था कि मनुष्य इन्हीं बातों को शुभ तथा आनंदित जीवन के लिए चाहता है। देवता और आत्मा समाज को नहीं बचा सकते। आम्बेडकर के अनुसार सच्चा धर्म वो ही है जिसका केन्द्र मनुष्य तथा नैतिकता हो, विज्ञान अथवा बौद्धिक तत्व पर आधारित हो, न कि धर्म का केन्द्र ईश्वर, आत्मा की मुक्ति और मोक्ष। | बौद्ध धर्म कितने सिद्धांतों को जोड़ता है? | {
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"तीन सिद्धांतों"
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836
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} | How many doctrines does Buddhism connect? | He should think that this is not being done by being saddened by the behavior of me or my neighbors.... It is believed that the behavior of a large number of Hindus who call themselves Sanatani is such that Harijans across the country have extreme inconvenience and anger.Surprisingly, why did so many Hindus leave Hinduism, and why did others not leave?This is his admirable loyalty or superiority of Hinduism, which despite being so cruel in the name of that religion, millions of Harijan remains in it.'Ambedkar studied all the major religions of the world in an intense study between the time of up to 21 years after announcing conversion.The main reason for him to take so long was also that he wanted him to convert more and more with him when he converts.Ambedkar liked Buddhism because it found a coordinated form of three principles which are not found in any other religion.Buddhism teachs Pragya (using wisdom in place of superstition and extremism), compassion (love) and equality (equality).He said that man wants these things for auspicious and happy life.Gods and souls cannot save society.According to Ambedkar, the true religion is the one whose center is human and morality, is based on science or intellectual element, not the center of religion God, liberation of soul and salvation. | {
"answer_start": [
836
],
"text": [
"The Three Principles"
]
} |
443 | उसे सोचना चाहिए कि कहीं मेरे या मेरे पड़ोसियों के व्यवहार से दुखी होकर तो ऐसा नहीं किया जा रहा है। ...यह तो एक मानी हुई बात है कि अपने को सनातनी कहने वाले हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या का व्यवहार ऐसा है जिससे देशभर के हरिजनों को अत्यधिक असुविधा और खीज होती है। आश्चर्य यही है कि इतने ही हिन्दुओं ने हिन्दू धर्म क्यों छोड़ा, और दूसरों ने भी क्यों नहीं छोड़ दिया? यह तो उनकी प्रशंसनीय वफादारी या हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ही है जो उसी धर्म के नाम पर इतनी निर्दयता होते हुए भी लाखों हरिजन उसमें बने हुए हैं। 'आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 वर्ष तक के समय के बीच उन्होंने ने विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया। उनके द्वारा इतना लंबा समय लेने का मुख्य कारण यह भी था कि वो चाहते थे कि जिस समय वो धर्म परिवर्तन करें उनके साथ ज्यादा से ज्यादा उनके अनुयायी धर्मान्तरण करें। आम्बेडकर बौद्ध धर्म को पसन्द करते थे क्योंकि उसमें तीन सिद्धांतों का समन्वित रूप मिलता है जो किसी अन्य धर्म में नहीं मिलता। बौद्ध धर्म प्रज्ञा (अंधविश्वास तथा अतिप्रकृतिवाद के स्थान पर बुद्धि का प्रयोग), करुणा (प्रेम) और समता (समानता) की शिक्षा देता है। उनका कहना था कि मनुष्य इन्हीं बातों को शुभ तथा आनंदित जीवन के लिए चाहता है। देवता और आत्मा समाज को नहीं बचा सकते। आम्बेडकर के अनुसार सच्चा धर्म वो ही है जिसका केन्द्र मनुष्य तथा नैतिकता हो, विज्ञान अथवा बौद्धिक तत्व पर आधारित हो, न कि धर्म का केन्द्र ईश्वर, आत्मा की मुक्ति और मोक्ष। | अम्बेडकर किस धर्म को पसंद करते थे? | {
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"बौद्ध धर्म"
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794
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} | Which religion did Ambedkar prefer? | He should think that this is not being done by being saddened by the behavior of me or my neighbors.... It is believed that the behavior of a large number of Hindus who call themselves Sanatani is such that Harijans across the country have extreme inconvenience and anger.Surprisingly, why did so many Hindus leave Hinduism, and why did others not leave?This is his admirable loyalty or superiority of Hinduism, which despite being so cruel in the name of that religion, millions of Harijan remains in it.'Ambedkar studied all the major religions of the world in an intense study between the time of up to 21 years after announcing conversion.The main reason for him to take so long was also that he wanted him to convert more and more with him when he converts.Ambedkar liked Buddhism because it found a coordinated form of three principles which are not found in any other religion.Buddhism teachs Pragya (using wisdom in place of superstition and extremism), compassion (love) and equality (equality).He said that man wants these things for auspicious and happy life.Gods and souls cannot save society.According to Ambedkar, the true religion is the one whose center is human and morality, is based on science or intellectual element, not the center of religion God, liberation of soul and salvation. | {
"answer_start": [
794
],
"text": [
"Buddhism"
]
} |
444 | उसे सोचना चाहिए कि कहीं मेरे या मेरे पड़ोसियों के व्यवहार से दुखी होकर तो ऐसा नहीं किया जा रहा है। ...यह तो एक मानी हुई बात है कि अपने को सनातनी कहने वाले हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या का व्यवहार ऐसा है जिससे देशभर के हरिजनों को अत्यधिक असुविधा और खीज होती है। आश्चर्य यही है कि इतने ही हिन्दुओं ने हिन्दू धर्म क्यों छोड़ा, और दूसरों ने भी क्यों नहीं छोड़ दिया? यह तो उनकी प्रशंसनीय वफादारी या हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ही है जो उसी धर्म के नाम पर इतनी निर्दयता होते हुए भी लाखों हरिजन उसमें बने हुए हैं। 'आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 वर्ष तक के समय के बीच उन्होंने ने विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया। उनके द्वारा इतना लंबा समय लेने का मुख्य कारण यह भी था कि वो चाहते थे कि जिस समय वो धर्म परिवर्तन करें उनके साथ ज्यादा से ज्यादा उनके अनुयायी धर्मान्तरण करें। आम्बेडकर बौद्ध धर्म को पसन्द करते थे क्योंकि उसमें तीन सिद्धांतों का समन्वित रूप मिलता है जो किसी अन्य धर्म में नहीं मिलता। बौद्ध धर्म प्रज्ञा (अंधविश्वास तथा अतिप्रकृतिवाद के स्थान पर बुद्धि का प्रयोग), करुणा (प्रेम) और समता (समानता) की शिक्षा देता है। उनका कहना था कि मनुष्य इन्हीं बातों को शुभ तथा आनंदित जीवन के लिए चाहता है। देवता और आत्मा समाज को नहीं बचा सकते। आम्बेडकर के अनुसार सच्चा धर्म वो ही है जिसका केन्द्र मनुष्य तथा नैतिकता हो, विज्ञान अथवा बौद्धिक तत्व पर आधारित हो, न कि धर्म का केन्द्र ईश्वर, आत्मा की मुक्ति और मोक्ष। | अम्बेडकर ने विश्व के सभी धर्मों का अध्ययन कितने वर्षों तक किया था? | {
"text": [
"21 वर्ष"
],
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545
]
} | For how many years did Ambedkar study all the religions of the world? | He should think that this is not being done by being saddened by the behavior of me or my neighbors.... It is believed that the behavior of a large number of Hindus who call themselves Sanatani is such that Harijans across the country have extreme inconvenience and anger.Surprisingly, why did so many Hindus leave Hinduism, and why did others not leave?This is his admirable loyalty or superiority of Hinduism, which despite being so cruel in the name of that religion, millions of Harijan remains in it.'Ambedkar studied all the major religions of the world in an intense study between the time of up to 21 years after announcing conversion.The main reason for him to take so long was also that he wanted him to convert more and more with him when he converts.Ambedkar liked Buddhism because it found a coordinated form of three principles which are not found in any other religion.Buddhism teachs Pragya (using wisdom in place of superstition and extremism), compassion (love) and equality (equality).He said that man wants these things for auspicious and happy life.Gods and souls cannot save society.According to Ambedkar, the true religion is the one whose center is human and morality, is based on science or intellectual element, not the center of religion God, liberation of soul and salvation. | {
"answer_start": [
545
],
"text": [
"21 years"
]
} |
445 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | वर्तमान में अलीगढ़ में स्थित प्राचीन झील का क्या नाम है ? | {
"text": [
"धरणीधर"
],
"answer_start": [
1625
]
} | What is the name of the ancient lake currently located in Aligarh? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
"answer_start": [
1625
],
"text": [
"Dharanidhar"
]
} |
446 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | पाँच हजार वर्ष पूर्व किस राजा ने अलीगढ़ पर शासन किया था ? | {
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"कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी"
],
"answer_start": [
140
]
} | Which king ruled over Aligarh five thousand years ago? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
"answer_start": [
140
],
"text": [
"Kaushiriwa - Chandravanshi named Kaushal"
]
} |
447 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | कोल का वध किसने किया था ? | {
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"बलराम जी"
],
"answer_start": [
591
]
} | Who killed Cole? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
"answer_start": [
591
],
"text": [
"Balram Ji"
]
} |
448 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | कौशिरिवा-कौशल के शासनकाल में अलीगढ़ की राजधानी का क्या नाम था ? | {
"text": [
"कौशाम्बी"
],
"answer_start": [
222
]
} | What was the name of the capital of Aligarh during the reign of Kaushiriwa-Kausala? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
"answer_start": [
222
],
"text": [
"Kaushambi"
]
} |
449 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | कौशिरीव को युद्ध में किसने हराया था ? | {
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"कोल"
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} | Who defeated Kaushiriwa in the war? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
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"Kol"
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450 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जमाल मोहम्मद सिद्दीकी किस विभाग के प्रोफेसर थे ? | {
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} | Jamal Mohammad Siddiqui of Aligarh Muslim University was a professor of which department? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
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451 | एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। [कृपया उद्धरण जोड़ें] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। [कृपया उद्धरण जोड़ें] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का राजा बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया। भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे। [कृपया उद्धरण जोड़ें]पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। | कलंतारा भाषा में कोर शब्द को किस रूप में जाना जाता था ? | {
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} | In the Kalantara language, the word core was known as? | Historically, Aligarh (Cole) is a highly ancient place.According to a reviewer of Mahabharata, an estimated Chandravanshi king named Kaushirav-Kushal, estimated five thousand years ago, ruled here and then the name of this capital was Kaushambi.[Please add quote] It is also mentioned in Balmiki Ramayana.[Please add quotation] After that, after defeating Kaushariv, a demon named Kole became the king of here and he named the site Koly suited to his name.This was the time when the Pandavas brought their capital from Hastinapur to (Bulandshahr).Kol was ruled here for a long time.In the same period, Lord Shri Krishna's elder brother Balaram ji, who is called by the name of Dauji Maharaj, passed here for Ramghat Ganga bath at the end of Dwapur era, then he passed through the ancient historical site situated about 5 km from Aligarh Nagar on the local Khair Road.Khereshvaradham had put his stop at Khereshvaradham and the name of the place where he was washed by the demon Emperor Cole, the name of that place was Haldua.His commander Hardev, on the basis of his name near the same village, became the name of the place on which he had inroads on his name.Lord Balarama then gave the kingdom of Kol to the Pandavas, but it did not change its name as it became quite popular.The coins which are safe of 200 BCC in Mathura Sangralah were also received in the excavation near Harduaganj, Sasni and Lakhnu.[Please add quotation] Mythology also said that there were some sages named Kohi in this region, whose name of the ashram was Kohila Ashram.This kohila coal was done in the past.The story is also that there was also an ashram of Maharishi Vishwamitra between Kohilashram and Mathura.The residue of the same Vishwamitra Ashram is the souvenirs of the same Vishwamitra Ashram, where the ancient historical lake is located in the present Aligarh district. | {
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452 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | एनसीआर क्षेत्र की जनसंख्या कितनी है? | {
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"4 करोड़ 70"
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} | What is the population of the NCR region? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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"4 crore 70"
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453 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | समुद्र तल से दिल्ली की ऊंचाई कितनी है ? | {
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} | What is the height of Delhi from sea level? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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454 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | राष्ट्रीय राजधानी का क्या नाम है? | {
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"दिल्ली"
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} | What is the name of the national capital? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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"Delhi"
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455 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | दिल्ली का कुल क्षेत्रफल कितना है ? | {
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} | What is the total area of Delhi? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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456 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | अरावली पर्वतमाला से कितनी बारहमासी नदियां प्रवाहित होती है ? | {
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} | How many perennial rivers flow from the Aravalli Range? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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457 | एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं। एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर,शामली, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि॰मी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि॰मी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण और 700 कि॰मी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि॰मी॰ (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि॰मी॰ (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-दिल्ली नगर निगम:विश्व का सबसे बड़ा स्थानीय निकाय है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि॰मी2 या 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है। ". नगर निगम १३९७ वर्ग कि॰मी॰ का क्षेत्र देखती है। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाट दिया गया है उत्तरी दिल्ली नगर निगम,पूर्वी दिल्ली नगर निगम व दक्षिण दिल्ली नगर निगम। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि॰मी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद् का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है। दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि॰मी2 या 17 वर्ग मील) जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है। दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक (तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपर्युक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरम्भ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है। दिल्ली 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊँचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरम्भ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है। भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था। व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। | दिल्ली की शहरी बस्तियाँ किस पर्वतमाला से घिरी हुई है ? | {
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"अरावली पर्वतमाला"
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} | The urban settlements of Delhi are surrounded by which mountain range? | NCR includes many cities in Uttar Pradesh, Haryana and Rajasthan adjacent to Delhi.NCR has more than 4 crore 70 population.The area of Delhi in the entire NCR is 1,484 square kilometers.The country's capital covers 2.9 percent of NCR.Meerut, Ghaziabad, Gautam Buddha Nagar (Noida), Bulandshahr, Shamli, Baghpat, Hapur and Muzaffarnagar in Uttar Pradesh;And districts like Faridabad, Gurgaon, Mewat, Rohtak, Sonipat, Rewari, Jhajjar, Panipat, Palwal, Mahendragarh, Bhiwadi, Jind and Karnal in Haryana.Two districts from Rajasthan - Bharatpur and Alwar NCR have been included.The National Capital Region Delhi is detailed in 1,484 km 2 (573 sq mi), out of which 783 km 2 (302 sq mile) is declared rural and 700 km 2 (270 sq mi) part is declared urban.Delhi is a maximum of 51.9 km (32 mi) in North-South and the maximum width in the east is 48.48 km (30 mi).Three institutions are employed for maintenance of Delhi:-Delhi Municipal Corporation: The world's largest local body, which provides civil services to an estimated 138.40 lakh citizens (area 1,397.3 km 2 or 540 sq mi).It is also behind Tokyo according to the area.". Municipal Corporation sees an area of 1397 square km. Currently Delhi Municipal Corporation has been divided into three parts North Delhi Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation and South Delhi Municipal Corporation. New Delhi Municipal Council: (NDMC) (area 42.7 km 2 or 16 square mi) is the name of the municipal council of New Delhi. The area under it is called NDMC area. Delhi Cantonment Board: (43 km 2 or 17Class mile) Which sees the cantonment areas of Delhi. Delhi is a very well-known area. It extends from Sarup Nagar to Rajokari in the north at its peak..Changing. It varies from flat agricultural plains to the north to the beginning of the dry Aravalli mountain in the south. There used to be major natural lakes in the south of Delhi, which have now dried up due to excessive mining.One of them is Barkhal Lake.The Yamuna river separates the eastern regions of the city.These areas are called Yamuna Par, although they are well connected to New Delhi by many bridges.The Delhi Metro also crosses the river by two bridges.Delhi 28.61 ° N 77.23 ° E / 28.61;It is located in northern India at 77.23.It is situated on the banks of the Yamuna River, 180 km south of the Himalayas at an altitude of 400 to 100 feet above sea level.It is surrounded by the state of Haryana from North, West and South on three sides and the state of Uttar Pradesh in the east.Delhi is almost completely located in the Gangeya region.The two main parts of Delhi's geography are Yamuna irrigated flat and Delhi ridge (hill).The relatively lower level of plains provide excellent land for sub -nature, although these floods have been possible areas.These are on the eastern side of Delhi.And the western side is the ridge area.Its maximum height goes up to 317 m (1083 f).It starts from the Aravalli ranges in the south to the western, northwest and north-eastern regions of the city.The lifeline of Delhi Yamuna is one of the most sacred rivers in Hinduism.Another small river Hindon river separates East Delhi from Ghaziabad.The Delhi CISMIC region-IV makes it a possibility of major earthquakes.Undergraduated millions of years have been getting new life from naturally rivers and rainy streams.The Ganges-Yamuna ground in India is an area with the best water resources.There is good rainfall and the Sadanira rivers originating from the glaciers of the Himalayas.There is something similar in some areas like Delhi.The slopes of its southern plateau region are towards the flat part, in which the hill ranges have made natural lakes.The natural foothills on the hills used to be the origin of many perennial streams.Delhi is in the situation as a business center today;The reason for this is the existence of Yamuna, a wide party, a wide party;In which freight could also be done.Even in 500 AD, it was certainly a genuine city whose need to make city ramparts to protect the properties.The facts obtained in the excavations of Salimgarh and Purana Fort and evidence of its being such ancient city from the old fort. | {
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"Aravalli Range"
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458 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | चालुक्य शासक राजराजा नरेंद्र ने राजमुंदरी पर कब शासन किया था ? | {
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} | When did the Chalukya ruler Rajaraja Narendra rule Rajahmundry? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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459 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | आंध्र शातवाहन कब स्वतंत्र हुए थे ? | {
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"तीसरी शताब्दी"
],
"answer_start": [
1194
]
} | When did Andhra Satavahanas become independent? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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1194
],
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"3rd century"
]
} |
460 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | विष्णुकुंडिन राजाओं ने किस भाषा को आधिकारिक भाषा बना दिया था ? | {
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"तेलुगू"
],
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216
]
} | Which language was made the official language by the Vishnukundina kings? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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216
],
"text": [
"Telugu"
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} |
461 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | बौद्ध ग्रंथों के अनुसार आंध्र के लोगों ने किस क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी ? | {
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"गोदावरी क्षेत्र"
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499
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} | According to Buddhist texts, the people of Andhra established their kingdoms in which region? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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499
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"Godavari region"
]
} |
462 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | मौर्यों ने आंध्र में अपना शासन कब बढ़ाया था ? | {
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""
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null
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} | When did the Mauryas extend their rule in Andhra? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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null
],
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""
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463 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | पूर्वी चालुक्यों ने किस क्षेत्र को अपनी राजधानी बनाई थी ? | {
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} | Which region was made the capital by the Eastern Chalukyas? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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464 | ऐतरेय ब्राह्मण (ई.पू.800) और महाभारत जैसे संस्कृत महाकाव्यों में आन्ध्र शासन का उल्लेख किया गया था। भरत के नाट्यशास्त्र (ई.पू. पहली सदी) में भी "आन्ध्र" जाति का उल्लेख किया गया है। भट्टीप्रोलु में पाए गए शिलालेखों में तेलुगू भाषा की जड़ें खोजी गई हैं। चंद्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 322-297) के न्यायालय का दौरा करने वाले मेगस्थनीस ने उल्लेख किया है कि आन्ध्र देश में 3 गढ़ वाले नगर और 100,000 पैदल सेना, 200 घुड़सवार फ़ौज और 1000 हाथियों की सेना थी। बौद्ध पुस्तकों से प्रकट होता है कि उस समय आन्ध्रवासियों ने गोदावरी क्षेत्र में अपने राज्यों की स्थापना की थी। अपने 13वें शिलालेख में अशोक ने हवाला दिया है कि आन्ध्रवासी उसके अधीनस्थ थे। शिलालेखीय प्रमाण दर्शाते हैं कि तटवर्ती आन्ध्र में कुबेरका द्वारा शासित एक प्रारंभिक राज्य था, जिसकी राजधानी प्रतिपालपुरा (भट्टीप्रोलु) थी। यह शायद भारत का सबसे पुराना राज्य है। लगता है इसी समय धान्यकटकम/धरणीकोटा (वर्तमान अमरावती) महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं, जिसका गौतम बुद्ध ने भी दौरा किया था। प्राचीन तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार: "अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध ने धान्यकटक के महान स्तूप के पास 'महान नक्षत्र' (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया। "मौर्यों ने ई.पू. चौथी शताब्दी में अपने शासन को आन्ध्र तक फैलाया। मौर्य वंश के पतन के बाद ई.पू. तीसरी शताब्दी में आन्ध्र शातवाहन स्वतंत्र हुए. 220 ई.सदी में शातवाहन के ह्रास के बाद, ईक्ष्वाकु राजवंश, पल्लव, आनंद गोत्रिका, विष्णुकुंडीना, पूर्वी चालुक्य और चोला ने तेलुगू भूमि पर शासन किया। तेलुगू भाषा का शिलालेख प्रमाण, 5वीं ईस्वी सदी में रेनाटी चोला (कडपा क्षेत्र) के शासन काल के दौरान मिला। इस अवधि में तेलुगू, प्राकृत और संस्कृत के आधिपत्य को कम करते हुए एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभरी. अपनी राजधानी विनुकोंडा से शासन करने वाले विष्णुकुंडीन राजाओं ने तेलुगू को राजभाषा बनाया। | 13वें शिलालेख में अशोक ने किस क्षेत्र के लोगों को अपने अधीन कहा था ? | {
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"आन्ध्रवासी"
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597
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} | In the 13th inscription, Ashoka referred to the people of which region as his subordinates? | Andhra rule was mentioned in Sanskrit epics like Aitareya Brahmin (BC. 800) and Mahabharata.The "Andhra" caste is also mentioned in the Natyashastra of Bharata (BC first century).Telugu language roots have been discovered in the inscriptions found in Bhattiprorolu.Megasthenes, who visited the court of Chandragupta Maurya (BC 322-297), has mentioned that there were 3 stronghold cities and 100,000 pedestrians, 200 horsemen and 1000 elephants in Andhra country.Buddhist books reveal that at that time the people established their states in the Godavari region.In his 13th inscription, Ashok has cited that the Andhraites were subordinate to him.The inscription evidence shows that there was an early state ruled by Kuberaka in the coastal Andhra, the capital of which was Pratipura (Bhattiprolu).It is probably the oldest state in India.At the same time, it seems that Dhanyakatakam/Dharnikota (present Amravati) has been an important place, which was also visited by Gautam Buddha.According to the ancient Tibetan scholar Taranath: "On the full moon day of Chaitra month of his knowledge, Buddha initiated the 'Mahan Nakshatra' (Kalachakra) mandals near the great stupa of Dhanyakataka." The Mauryas.In the fourth century, he spread his rule to Andhra.After the fall of the Maurya dynasty, BCIn the third century, Andhra became independent.After the decline of Vastwahana in 220 AD, the Ekshvaku dynasty, Pallava, Anand Gotrika, Vishnukundina, Eastern Chalukya and Chola ruled the Telugu land.The inscription of the Telugu language was found in the 5th century during the reign of Renati Chola (Kadpa region) in the 5th century.During this period, Telugu emerged as a popular medium, reducing the suzerainty of Prakrit and Sanskrit.Vishnukundin kings who ruled from their capital Vinukonda made Telugu the official language. | {
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597
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"text": [
"Andhras"
]
} |
465 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे ? | {
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"रामकृष्ण परमहंस"
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430
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} | Who was the Guru of Swami Vivekananda? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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430
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"Ramakrishna Paramahamsa"
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466 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | स्वराज के पहले अधिवक्ता श्री सुरेंद्रनाथ बनर्जी किस क्षेत्र के रहने वाले थे ? | {
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"कोलकाता"
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} | Shri Surendranath Banerjee, the first advocate of Swaraj, hailed from which region? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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16
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"Kolkata"
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467 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | बंकिम चंद्र चटर्जी किस भाषा के साहित्यकार थे ? | {
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"बांग्ला"
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690
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} | In which language did Bankim Chandra Chatterjee write? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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690
],
"text": [
"Bengali"
]
} |
468 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | वामपंथी आंदोलन की शुरुआत कोलकाता में कब हुई ? | {
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""
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null
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} | When did the Left movement begin in Kolkata? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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null
],
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""
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} |
469 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | वंदे मातरम गीत किसने लिखी थी ? | {
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"बंकिमचंद्र चटर्जी"
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} | Who wrote the song Vande Mataram? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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"Bankim Chandra Chatterjee"
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470 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष कौन थे ? | {
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"श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी"
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} | Who was the first president of Indian National Congress? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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"Shri Vyomesh Chandra Banerjee"
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471 | ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर", "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। १९ वी सदी के उत्तरार्द्ध और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया। | नक्सलवाद का आंदोलन कोलकाता में कब हुआ ? | {
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} | When did the Naxalite movement take place in Kolkata? | Historically, Kolkata has been in the central role in every stage of the Indian freedom movement.The city has the distinction of the establishment of the Bharatiya National Congress as well as the establishment of many political and cultural institutions like "Hindu Mela" and revolutionary organization "Yugantar", "Anushilan" etc.The names of Arvind Ghosh, Indira Devi Chaudharani, Vipinchandra Pal are prominent among the nationalist personalities.Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramahamsa, became the focal point of inspiration of early nationalists.Mr. Vyomesh Chandra Banerjee, who became the first president of the Indian National Congress, was also from Kolkata, the first person to advocate Swaraj.Bangla litterateur Bankim Chandra Chatterjee impressed Bengali nationalists in the latter and early 20th century of the 19th century.Vande Mataram, written in Anandamath, written by them is the nation song of India today.Subhash Chandra Bose formed the Azad Hind Fauj and kept the British in a lot of breath.Apart from this, soldiers of hundreds of independence from Rabindranath Tagore have been present in this city in various forms.When Kolkata was the capital of integrated India during British rule, Kolkata was considered the second largest city in the British Empire after London.The city was identified as the city of palaces, east pearls etc.Meanwhile, Babu culture developed in Bengal and especially Kolkata, which was the result of British liberalism and internal turmoil of Bengali society, in which Bengali zamindari system was moving in the social, political and moral values of Hinduism.It was the result of these duality that some people studying in modern educational institutions of the British gave rise to reformist debate in the society of Bengal.Originally "Babu" was said to be those who saw western types of education and looked at Indian values from the point of view and tried to mold themselves into more and more western color.But despite the millions of efforts, when their rejection continued among the British, later its positive results also came, some people of this class started new debates which are known as the Renaissance of Bengal.Under this, there were many innovative efforts of social, political and religious reforms in Bengal and Bangla literature touched new heights, which was adopted by other Indian communities very fast. | {
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472 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | गावीपुरम में किस मंदिर की स्थापना की गयी थी? | {
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} | Which temple was established in Gavipuram? | It is believed that when Kempe Gowda founded Bangalore in 1537. At that time he built a small fort made of mud masonry. Also he established the Gavi Gangadhareshwara temple at Gavipuram and the Basavangudi temple at Basava. The remains of this fort still exist, which was rebuilt by Hyder Ali two centuries later and further improvements were made by Tipu Sultan. This place is still worth seeing today. The Cubbon Park and Museum, built in 1864, in the center of the city is worth a visit. The Secretariat built in 1958, Gandhi Bhavan related to the life of Gandhiji, Tipu Sultan's Sumer Palace, Bansaguri and Hare Krishna Temple, Lal Bagh, Bangalore Palace, Sai Baba's Ashram, Nrityagram, Banerghat Sanctuary are some of the places where visitors to Bangalore can visit. Would definitely like to go. This temple is dedicated to Nandi bull, the vehicle of Lord Shiva. Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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473 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | भगवान शिव के वाहन का क्या नाम है? | {
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} | What is the name of Lord Shiva's vehicle? | It is believed that when Kempe Gowda founded Bangalore in 1537. At that time he built a small fort made of mud masonry. Also he established the Gavi Gangadhareshwara temple at Gavipuram and the Basavangudi temple at Basava. The remains of this fort still exist, which was rebuilt by Hyder Ali two centuries later and further improvements were made by Tipu Sultan. This place is still worth seeing today. The Cubbon Park and Museum, built in 1864, in the center of the city is worth a visit. The Secretariat built in 1958, Gandhi Bhavan related to the life of Gandhiji, Tipu Sultan's Sumer Palace, Bansaguri and Hare Krishna Temple, Lal Bagh, Bangalore Palace, Sai Baba's Ashram, Nrityagram, Banerghat Sanctuary are some of the places where visitors to Bangalore can visit. Would definitely like to go. This temple is dedicated to Nandi bull, the vehicle of Lord Shiva. Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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474 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | कर्नाटक राज्य के दुसरे विधान सभा की इमारत को किस नाम से जाना जाता है? | {
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Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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475 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | बैंगलोर की स्थापना किसने की थी? | {
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"कैंपे गौड़ा"
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} | Who was the founder of Bangalore? | It is believed that when Kempe Gowda founded Bangalore in 1537. At that time he built a small fort made of mud masonry. Also he established the Gavi Gangadhareshwara temple at Gavipuram and the Basavangudi temple at Basava. The remains of this fort still exist, which was rebuilt by Hyder Ali two centuries later and further improvements were made by Tipu Sultan. This place is still worth seeing today. The Cubbon Park and Museum, built in 1864, in the center of the city is worth a visit. The Secretariat built in 1958, Gandhi Bhavan related to the life of Gandhiji, Tipu Sultan's Sumer Palace, Bansaguri and Hare Krishna Temple, Lal Bagh, Bangalore Palace, Sai Baba's Ashram, Nrityagram, Banerghat Sanctuary are some of the places where visitors to Bangalore can visit. Would definitely like to go. This temple is dedicated to Nandi bull, the vehicle of Lord Shiva. Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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"Kempe Gowda"
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476 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | बैंगलोर की स्थापना किस वर्ष हुई थी? | {
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"१५३७"
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} | In which year was Bangalore founded? | It is believed that when Kempe Gowda founded Bangalore in 1537. At that time he built a small fort made of mud masonry. Also he established the Gavi Gangadhareshwara temple at Gavipuram and the Basavangudi temple at Basava. The remains of this fort still exist, which was rebuilt by Hyder Ali two centuries later and further improvements were made by Tipu Sultan. This place is still worth seeing today. The Cubbon Park and Museum, built in 1864, in the center of the city is worth a visit. The Secretariat built in 1958, Gandhi Bhavan related to the life of Gandhiji, Tipu Sultan's Sumer Palace, Bansaguri and Hare Krishna Temple, Lal Bagh, Bangalore Palace, Sai Baba's Ashram, Nrityagram, Banerghat Sanctuary are some of the places where visitors to Bangalore can visit. Would definitely like to go. This temple is dedicated to Nandi bull, the vehicle of Lord Shiva. Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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477 | ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलौर की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलौर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलौर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे। यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एन.आर.कालोनी, दक्षिण बैंगलोर में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिंदू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गयाथा। नंदी की मूर्ति लंबाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊंचाई और 20 फीट लंबाई. पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केम्पे गौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है। बुल टेंपल को दोड़ बसवन गुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है। बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवन गुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं। यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है। इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बैगंलोर में बहुत प्रसिद्ध है और इसिलिए बैगंलोर का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाऍ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाऍ भी उपलब्ध है। टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बैंगलोर, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह आर्ट गैलरी पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इस गैलरी में कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बैंगलोर पैलेस (राजमहल) बैंगलोर का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। ४५०० वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस ११० साल पुराना है। सन् १८८० में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल १ करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुन्दर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है। बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था। 45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। | कब्बन पार्क कब बनवाया गया था? | {
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"१८६४"
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} | When was Cubbon Park built? | It is believed that when Kempe Gowda founded Bangalore in 1537. At that time he built a small fort made of mud masonry. Also he established the Gavi Gangadhareshwara temple at Gavipuram and the Basavangudi temple at Basava. The remains of this fort still exist, which was rebuilt by Hyder Ali two centuries later and further improvements were made by Tipu Sultan. This place is still worth seeing today. The Cubbon Park and Museum, built in 1864, in the center of the city is worth a visit. The Secretariat built in 1958, Gandhi Bhavan related to the life of Gandhiji, Tipu Sultan's Sumer Palace, Bansaguri and Hare Krishna Temple, Lal Bagh, Bangalore Palace, Sai Baba's Ashram, Nrityagram, Banerghat Sanctuary are some of the places where visitors to Bangalore can visit. Would definitely like to go. This temple is dedicated to Nandi bull, the vehicle of Lord Shiva. Every day a large crowd of devotees can be seen in this temple. The statue of a sitting bull is installed in this temple. This statue is 4.5 meters high and 6 meters long. Bull Temple is in N.R.Colony, South Bangalore. The temple is inside a park called Rock. The bull is a sacred Hindu deity, known as Nandi. Nandi is a close devotee and attendant of Shiva. Nandi temple is exclusively for the worship of the sacred bull. The word "Nandi" means "joyful" in Sanskrit. The temple was built in 1537 by the ruler of the Vijayanagara Empire. The idol of Nandi is very large in length, approximately 15 feet in height and 20 feet in length. But it is. It is said that this temple was constructed about 500 years ago. Nandi appeared in the dream of the ruler of Kempe Gowda and requested to build a temple on the hill. Nandi is facing north. A temple for Lord Shiva has been built over a small Ganesh temple. Farmers believe that if they pray to Nandi they can enjoy a good harvest. Bull Temple is also known as Dod Basavan Gudi Temple. It is located in NR Colony, South Bengaluru. The main deity of this temple is Nandi. According to Hindu mythology, Nandi was not only a great devotee of Shiva but was also his rider. This temple was built in 1537 by Kempegowda, the ruler of the Vijayanagara Empire. The statue of Nandi is 15 feet high and 20 feet long and is made from a single block of granite. The Bull Temple is built in Dravidian style and the Visvabharati River is believed to originate at the foot of the statue. According to legend, this temple was built to pacify a bull, which had gone to graze in the groundnut field where the temple stands today. Even today, a peanut fair is organized near the temple to commemorate this story. This fair is organized in November-December at the time when groundnut is produced. This is the best time to visit Bull Temple. Dodda Ganesh Temple is located near Bull Temple. There is no difficulty in reaching Basavan Gudi temple. There are many buses available for Bangalore Temple. This statue is 65 meters high. In this idol, Lord Shiva is seated in the position of Padmasana. In the background of this idol is Mount Kailash, the abode of Lord Shiva and the flowing river Ganga. ISKCON Temple (Dr. International Society for Krishna Kansi) is one of the beautiful buildings of Bangalore. The building has many modern facilities like multi-vision cinema theatre, computer aided presentation theater and Vedic library and didactic library. Very good accommodation facilities are available here for the members and non-members of this temple. Due to its huge structure, ISKCON temple is very famous in Bangalore and hence is also the main tourist place of Bangalore. South Indian blend of modern and traditional architecture is found in this temple. Other structures in the temple – Multi Drishti Cinema Theater and Vedic Library. Accommodation facilities for Brahmins and devotees are also available in the temple. Tipu Palace and Fort are among the famous tourist places of Bangalore. The architecture and design of this palace reflects the Mughal lifestyle. Apart from this, this fort also reflects the history of its time. The construction of Tipu Mahal was started by Hyder Ali. Whereas this palace was completed by Tipu Sultan himself. Tipu Sultan's Palace was the summer residence of the Mysore ruler Tipu Sultan. It is located in Bangalore, India. After Tipu's death, the British administration dismantled the throne and decided to auction its parts piece by piece. It was too expensive for one person to buy the entire piece. The space in front of the palace has a garden and lawn maintained by the Department of Horticulture, Government of Karnataka. Tipu Sultan's palace attracts tourists. It is one of the many beautiful palaces built throughout the state. This place is perfect for art lovers. About 600 paintings have been displayed in this art gallery. This art gallery remains open throughout the year. Apart from this, one can see the collection of many other theatrical exhibitions in this gallery. This palace is one of the major tourist destinations in Bangalore. The architecture of this palace is based on Tudor style. This palace is located in the center of Bangalore city. This palace is spread over approximately 800 acres. This palace looks like Windsor Castle of England. The famous Bangalore Palace (Rajmahal) is the most attractive tourist place in Bangalore. This huge palace built on 4500 square feet is 110 years old. This palace was built in the year 1880 and today it is a monument to the glory of the former rulers. Is caught. A total of Rs 1 crore was spent in its construction at that time. There is a beautiful garden in front of it which gives it such a beautiful look that it looks like a palace of dreams and stories. Bengaluru Palace is located in the Palace Gardens in the heart of the city. It is situated between Sadashivnagar and Jayamahal. The construction work of this palace was started in 1862 by Mr. Garrett. In its construction, every effort was made to make it look like Winsor Castle of England. In 1884, it was purchased by Chamaraja Wodeyar, ruler of the Wodeyar dynasty. This palace, built in 45000 square feet, took about 82 years to build. The beauty of the palace is worth seeing. When you enter the palace through the front gate, you will not be able to live without being mesmerized. Recently this palace has also been renovated. Tudar style architecture can be seen in the interior design of the palace. There is an open courtyard in the lower level of the palace. It has granite seats with blue ceramic tiles on them. Its beauty at night is worth seeing. | {
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"1864."
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478 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | उस पहले मुस्लिम शासक का नाम बताएं जिसने दक्षिण में मदुरै तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया था ? | {
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"अलाउद्दीन खिलजी"
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} | Name the first Muslim ruler who extended his empire as far south as Madurai? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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"Alauddin Khalji"
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479 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | यादवों का उदय कब हुआ था ? | {
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} | When did the Yadavas rise? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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""
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} |
480 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | महाराष्ट्र में कितने समय पहले से कृषि की जाती थी ? | {
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"१००० ईसा पूर्व"
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23
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} | How long ago was agriculture practiced in Maharashtra? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
"answer_start": [
23
],
"text": [
"1000 BCE"
]
} |
481 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | अजंता की गुफाओं का निर्माण किस समय किया गया था ? | {
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"वकटकों"
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494
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} | At what time were the Ajanta Caves constructed? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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494
],
"text": [
"Vakatakas"
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} |
482 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | बहमनी सल्तनत कब विभाजित हुआ था ? | {
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} | When was the Bahmani Sultanate divided? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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483 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | वर्ष 1518 में महाराष्ट्र को विभाजित करने के बाद कितने दक्कन सल्तनतों द्वारा महाराष्ट्र में शासन किया गया था ? | {
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} | After dividing Maharashtra in the year 1518, Maharashtra was ruled by how many Deccan Sultanates? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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484 | ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसा पूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था। यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन १६ महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं। मौर्यों के पतन के बाद यहाँ यादवों का उदय वर्ष 230 में हुआ। वकटकों के समय अजन्ता गुफाओं का निर्माण हुआ। चालुक्यों का शासन पहले सन् 550-760 तथा पुनः 973-1180 रहा। इसके बीच राष्ट्रकूटों का शासन आया था। अलाउद्दीन खिलजी वो पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और औरंगाबाद के निकट स्थित है। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के आशसन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वुद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठे लगभग पूरे महाराष्ट्र पर तो फैल ही चुके थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक पहुँच गया था। १८२० तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को पूर्णतः हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन चुका था। देश को आजादी के उपरान्त मध्य भारत के सभी मराठी इलाकों का संमीलीकरण करके एक राज्य बनाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चला। आखिर १ मई १९६० से कोकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, संभागों को एकजुट करके महाराष्ट्र की स्थापना की गई। राज्य के दक्षिण सरहद से लगे कर्नाटक के बेलगांव शहर और आसपास के गावों को महाराष्ट्र में शामील करने के लिए एक आंदोलन चल रहा है। नासिक गजट २४६ ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में मौर्य सम्राट अशोक एक दूतावास भेजा जो करने के लिए स्थानों में से एक के रूप में उल्लेख किया है जो बताता है और यह तीन प्रांतों और ९९,००० गांवों सहित के रूप में ५८० आम था की एक चालुक्यों शिलालेख में दर्ज की गई है। नाम राजवंश, पश्चिमी क्षत्रपों, गुप्त साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार, वकातका, कदाम्बस्, चालुक्य साम्राज्य, राष्ट्रकूट राजवंश और यादव के शासन से पहले पश्चिमी चालुक्य का शासन था। चालुक्य वंश ८ वीं सदी के लिए ६ वीं शताब्दी से महाराष्ट्र पर राज किया और दो प्रमुख शासकों ८ वीं सदी में अरब आक्रमणकारियों को हराया जो उत्तर भारतीय सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य द्वितीय, पराजित जो फुलकेशि द्वितीय, थे। राष्ट्रकूट राजवंश १० वीं सदी के लिए ८ से महाराष्ट्र शासन किया। सुलेमान "दुनिया की ४ महान राजाओं में से एक के रूप में" राष्ट्रकूट राजवंश (अमोघावर्ह) के शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और राजा राजा चोल, राजेंद्र चोल, जयसिम्ह द्वितीय, सोमेश्वरा मैं और विक्रमादित्य षष्ठम के राजा के दौरान दक्कन के पठार में चोल राजवंश के बीच लड़ा गया था। जल्दी १४ वीं सदी में आज महाराष्ट्र के सबसे खारिज कर दिया जो यादव वंश, दिल्ली सल्तनत के शासक आला उद दीन खलजी द्वारा परास्त किया गया था। बाद में, मुहम्मद बिन तुगलक डेक्कन के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की और अस्थायी रूप से महाराष्ट्र में यादव रियासत देवगीरी किसी (दौलताबाद ) के लिए दिल्ली से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दिया। १३४७ में तुगलक के पतन के बाद, गुलबर्ग के स्थानीय बहमनी सल्तनत अगले १५० वर्षों के लिए इस क्षेत्र गवर्निंग, पदभार संभाल लिया है। | मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी को दिल्ली से कहाँ स्थानांतरित कर दिया था ? | {
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"दौलताबाद"
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791
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} | Where did Muhammad bin Tughlaq shift his capital from Delhi? | It is believed that there was cultivation in Maharashtra before 1000 BC, but at that time there was a sudden change in the weather and agriculture stopped.Bombay (ancient name starting, sopper) had emerged as an important port around 500 Is Purva.There is a dispute between scholars on whether this was the Offer of Sopper Old Testament.In the ancient 14 Mahajanapada, Mahajanapadas, the place of Ashmak or Asak is around modern Ahmednagar.The inscriptions of Emperor Ashoka have also been found near Mumbai.After the collapse of the Mauryas, the Yadavas emerged here in the year 230.Ajanta caves were constructed during the time.The rule of Chalukyas was the first 550-760 and again 973–1180.In the midst of this, the rule of Rashtrakutas came.Alauddin Khilji was the first Muslim ruler to spread his empire to Madurai in the south.After that Muhammad bin Tughlaq (1325) removed his capital from Delhi to Daulatabad.The place was previously known as Devagiri and is located near Aurangabad.On the breakdown of the Bahmani Sultanate, this region came under the Assan of Golconda and then a brief rule of Aurangzeb.After this, the power of the Marathas was progressively vowed and by the end of the eighteenth century, the Marathas had almost spread over the whole of Maharashtra and their empire had reached the southern end of Karnataka in the south.By 1720, the British had completely defeated the Peshwas and this region had also become part of the English Empire.After independence, the country started a big movement demanding to create a state by collecting all the Marathi areas of Central India.After all, Maharashtra was united by 1 May 1960 to unite Konkan, Marathwada, Western Maharashtra, South Maharashtra, North Maharashtra (Khandesh) and Vidarbha, divisions.There is a movement going on in Maharashtra, the city of Belgaum, Karnataka, adjoining the south border of the state.Nashik Gazette Sent an Embassy in Maharashtra in Maharashtra in 24 BC as mentioned as one of the places to do and it was 580 mangoes as one of the three provinces and 9,000 villages.The inscription has been recorded.The name was ruled by Western Chalukya before the rule of dynasties, Western Kshatrapas, Gupta Empire, Gurjar, Pratihara, Vakataka, Kadambas, Chalukya Empire, Rashtrakuta dynasty and Yadav.The Chalukya dynasty ruled Maharashtra from the 8th century for the 8th century and defeated the Arab invaders in the two major rulers who were North Indian Emperor Harsh and Vikramaditya II, defeated Joe Phulkeshi II, in the 7th century.The Rashtrakuta dynasty ruled Maharashtra for the 10th century.Suleman "is called the ruler of the Rashtrakuta dynasty (Amoghavan) as one of the 4 great kings of the world.The western Chalukya Empire and Dhan Dynasty of Arabian passenger in the 12th century from the 11th century, the Western Chalukya Empire and the dominance.The plateau was fought among the Chola dynasty.The early 14th century today rejected Maharashtra's most rejected by the Yadav dynasty, the ruler of the Delhi Sultanate Ala Ud Deen Khalji.Later, Muhammad bin Tughlaq conquered parts of Deccan and temporarily transferred his capital from Delhi to the princely state of Devgiri in Maharashtra (Daulatabad).After the fall of Tughlaq in 136, the local Bahmani Sultanate of Gulberg has taken over the region for the next 150 years. | {
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"Daulatabad"
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485 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | ओडिशा मे कुल कितने खेत हैं? | {
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"40 लाख"
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212
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} | How many total farms are there in Odisha? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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212
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"40 lakh"
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486 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | लिफ्ट इरीगेशन कॉरपोरेशन ने किस योजना के तहत 500 लिफ्ट इरीगेशन पॉइंट बनाए थे? | {
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"बीजू कृषक विकास योजना"
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2251
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} | The Lift Irrigation Corporation had constructed 500 lift irrigation points under which scheme? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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2251
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"Biju Krushak Vikas Yojana"
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} |
487 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | ओडिशा की मुख्य फसल का क्या नाम है? | {
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"चावल"
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399
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} | What is the name of the main crop of Odisha? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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399
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"rice"
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488 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | वर्ष 2004-2005 में ओडिशा में कितने लघु इकाइयों की स्थापना की गई थी? | {
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""
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null
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} | How many mini units were set up in Odisha in the year 2004-2005? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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489 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | ओडिशा की कितनी प्रतिशत आबादी कृषि कार्यो पर निर्भर करती है ? | {
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"80प्रतिशत"
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"answer_start": [
71
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} | What percentage of the population of Odisha depends on agricultural activities? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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71
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"text": [
"80 per cent"
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} |
490 | ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती हैचूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है। बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है। 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं। 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है। 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी। मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है। उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। | वर्ष 2004-2005 के दौरान ओडिशा में बिजली की उत्पादन क्षमता कितनी थी? | {
"text": [
"4,845.34 मेगावाट"
],
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2421
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} | What was the generation capacity of electricity in Odisha during the year 2004-2005? | Agriculture has important role in Odisha's economy.About 80 percent of the population of Odisha is engaged in agricultural work, although most of the land here is unsuitable or unsuitable for more than one annual crop.There are about 40 lakh fields in Odisha, which has an average size of 1.5 hectares, but the agricultural sector per capita is less than 0.2 hectares.About 45 percent of the total area of the state is farm.Rice is grown in 80 percent of it.Other important crops are oilseeds, pulses, jute, sugarcane and coconut.Due to decrease in availability of sunlight, moderate quality soil, minimum ureki's minimum high and genus and diversity during monsoon rainfall, the yield is reduced here, since many villagers are not able to get employment throughout the year, so agricultural workMany families engaged in non -agricultural works are also engaged in.The availability of per capita agricultural land is decreasing due to population growth.Efforts to put a border on the land acquisition were mostly not successful.However, some land acquired by the state has been voluntarily given to former tenants.Rice is the main crop of Odisha.2004 - 65.37 lakh m in 2005.Ton rice was produced.Farmers also cultivate sugarcane.Agriculture is being expanded by adopting high crop production technology, coordinated nutritious management and pest management.12.5 lakhs of different fruits and 10 lakhs of cashew and 2.5 lakhs of vegetables have been distributed among the farmers.300 quintals of onion seeds have been distributed in the state to increase the crop of onion, from which 7,500 acres of land will be grown.Under the National Horticulture Mission, 2,625 exhibitions of rose, chrysanthemum and marigold flowers were carried out.Odisha State Civil Supplies Corporation Ltd. to provide minimum support price of paddy to farmers.(PAC) 20 lakh m from agencies like agencies like Markfed, Nafed etc.Aims to buy tons of rice.The target is to develop 2,413 small reservoirs in an area of 13 lakh hectare for small reservoirs in areas prone to drought.Efforts have been made to increase the irrigation capacity from large, manjholi and small projects and water exploitation projects - the system of irrigation of 2,696 lakh hectares of land has been completed from 2004 - 2005.In the 2005-06 session, six irrigation projects of 12,685 hectares of irrigation have been identified, out of which four schemes have achieved the target.In 2005 - 2006, the Odisha Lift Irrigation Corporation has created 500 lift irrigation points under the 'Biju Krishak Vikas Yojana' and has gained 1,200 hectares of irrigation capacity.In 2004 - 2005, the total power generation capacity in the state was 4,845.34 MW and the power capacity from total sources was 1,995.82 MW.As of March 2005, out of a total of 46,989 villages in the state, electricity has been delivered to 37,744 villages.These three major agencies provide financial assistance to the industries of the state. | {
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"4, 845.34 MW"
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491 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | चंडीगढ़ शहर से नई दिल्ली की दुरी कितनी है ? | {
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} | How far is New Delhi from the city of Chandigarh? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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492 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | भारत का विभाजन किस वर्ष हुआ था? | {
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} | In which year the partition of India took place? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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493 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | चंडीगढ़ का मास्टर प्लान किसके द्वारा तैयार किया गया था? | {
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"अल्बर्ट मेयर"
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} | The Master Plan of Chandigarh was prepared by whom? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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"text": [
"Albert Mayer"
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494 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | भारत के पहले प्रधान मंत्री कौन थे? | {
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} | Who was the first prime minister of India? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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495 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | हरियाणा और पंजाब की राजधानी का क्या नाम है? | {
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"चंडीगढ़"
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265
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} | What is the name of the capital of Haryana and Punjab? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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265
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"Chandigarh"
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496 | कंपनी पहले चरण के लिए 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है; दूसरे चरण के लिए अधिग्रहण शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। यूनिटेक समूह और Altus अंतरिक्ष बिल्डर्स भी आवासीय टाउनशिप विकसित कर रहे हैं। अन्य डेवलपर्स रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG), Ansals और Rahejas शामिल हैं। चंडीगढ़ (स्थानीय उच्चारण: [tʃə̃ˈɖiːɡəɽʱ] (यह ध्वनि सुनने के बाद में) एक शहर और एक संघ भारत के राज्यक्षेत्र कि हरियाणा और पंजाब के भारतीय राज्यों की राजधानी के रूप में कार्य करता है। एक केंद्र शासित प्रदेश, के रूप में शहर सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है और या तो राज्य का हिस्सा नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के लिए, और हरियाणा राज्य के पूर्व करने के लिए राज्य द्वारा bordered है। चंडीगढ़ चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र या ग्रेटर चंडीगढ़, चंडीगढ़, और शहर के पंचकुला (हरियाणा) में भी शामिल है जो का एक हिस्सा और Kharar, Kurali, मोहाली, (पंजाब) में ज़िरकपुर का शहर माना जाता है। यह शिमला के दक्षिण पश्चिम के अमृतसर और सिर्फ 116 मी (72 मील) दक्षिण-पूर्व स्थित 260 किमी (162 मील) उत्तर न्यू दिल्ली, 229 मी (143 मील) है। चंडीगढ़ आजादी के बाद भारत में प्रारंभिक नियोजित शहरों में से एक था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। Le Corbusier, जो बदल से पहले की योजना बनाई गई स्विस-फ़्रांसीसी आर्किटेक्ट पोलिश वास्तुकार Maciej Nowicki और अमेरिकी नियोजक अल्बर्ट मेयर द्वारा द्वारा शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अधिकांश सरकारी इमारतों और शहर में आवास चंडीगढ़ राजधानी परियोजना Le Corbusier, जेन आकर्षित और मैक्सवेल तलना द्वारा नेतृत्व टीम द्वारा डिजाइन किए गए थे। 2015 में बीबीसी द्वारा प्रकाशित लेख चंडीगढ़ वास्तुकला, सांस्कृतिक विकास और आधुनिकीकरण के मामले में दुनिया के आदर्श शहरों में से एक के रूप में नाम। नाम चंडीगढ़ चण्डी और गढ़ का एक सूटकेस है। चण्डी हिंदू देवी चण्डी, योद्धा देवी पार्वती का अवतार और गढ़ का मतलब है घर के लिए संदर्भित करता है। [18] नाम चंडी मंदिर, एक प्राचीन मंदिर हिंदू देवी चण्डी, पंचकुला जिले में शहर के पास करने के लिए समर्पित से ली गई है। [19]"सिटी सुंदर" के लोगो कि उत्तरी अमेरिकी शहरी 1890 और 1900s के दौरान योजना में एक लोकप्रिय दर्शन था शहर सुंदर आंदोलन से निकला है। वास्तुकार अल्बर्ट मेयर, चंडीगढ़, के प्रारंभिक योजनाकार शहर सुंदर अवधारणाओं की अमेरिकी अस्वीकृति का कहना था और घोषणा की "हम एक सुंदर शहर बनाने के लिए चाहते हैं" [20] वाक्यांश पर आधिकारिक प्रकाशनों में एक लोगो के रूप में 1970 के दशक में इस्तेमाल किया गया था, और अब है कैसे शहर ही का वर्णन करता है। [21] [22]इतिहास [संपादित करें]प्रारंभिक इतिहास [संपादित करें]शहर के एक पूर्व ऐतिहासिक अतीत है। झील की उपस्थिति के कारण, क्षेत्र जीवाश्म अवशेष निशान जलीय पौधों और पशुओं, और उभयचर जीवन, जो कि पर्यावरण द्वारा समर्थित थे की एक विशाल विविधता के साथ है। यह पंजाब क्षेत्र का एक हिस्सा था के रूप में, यह कई नदियाँ कहाँ शुरू हुआ प्राचीन और आदिम मनुष्य के बसने के पास था। तो, लगभग 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था। [23]आधुनिक इतिहास1909 में ब्रिटिश पंजाब प्रांत का एक नक्शा। विभाजन के दौरान भारत रेडक्लिफ रेखा पर, पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान में लाहौर, पंजाब प्रांत की राजधानी गिर गया। आवश्यकता है तो, भारत में पूर्वी पंजाब के लिए एक नई राजधानी चंडीगढ़ के विकास के लिए नेतृत्व किया। | चंडीगढ़ के उत्तर दिशा में कौन सा राज्य है ? | {
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"पंजाब"
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386
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} | Which state is to the north of Chandigarh? | The company has acquired 400 acres of land for the first phase;The acquisition for the second phase will start soon.Unitech Group and Altus Space Builders are also developing residential townships.Other developers include Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG), Ansals and Rahejas.Chandigarh (local pronunciation: [tʃə̃ˈɖiːɳəɽʱ] (after hearing this sound) A city and a union serves as the capital of Indian states of India and Punjab.The central government is controlled by the central government and is not a part of the state. Chandigarh Punjab is bordered by the state to north, west and south, and to the east of Haryana.K Panchkula (Haryana) is also considered a part of Zirakpur in Kharar, Kurali, Mohali, (Punjab).260 km (162 mile) is North New Delhi, 229 m (143 mi). After Chandigarh independence, India was one of the early planned cities in India which is known for its architecture and urban design. Le Corbusier, whoThe city's master plan was prepared by Swiss-French architect Polish architect Maciej Nowicki and American employer Albert Mayor.Most government buildings and houses in the city were designed by the team led by Chandigarh Rajdhani Project Le Corbusier, Jane Draw and Maxwell Tryna.Name as one of the ideal cities of the world in terms of Chandigarh architecture, cultural development and modernization published by BBC in 2015.The name is a suitcase of Chandigarh Chandi and Garh.Chandi Hindu Goddess Chandi, the incarnation of the warrior Devi Parvati and the stronghold refers to the house.[18] The name Chandi Temple, an ancient temple Hindu Goddess Chandi, is taken from dedicated to the city in Panchkula district.[19] The city of "City Sundar" that was a popular philosophy in the plan during the North American Urban 1890 and 1900s, the city emerged from the beautiful movement.American rejection of beautiful concepts of the initial planner city of architect Albert Mayor, Chandigarh, and announced "We want to create a beautiful city" [20] Used as a logo in official publications on the phrase.Was done, and now how the city itself describes.[21] [22] History [Edit] Early history [edit] is a former historical past of the city.Due to the presence of the lake, the field is accompanied by a vast variety of fossil residue scars aquatic plants and animals, and amphibians, which were supported by the environment.As it was a part of the Punjab region, where many rivers began, the ancient and primitive man had to settle.So, about 8000 years ago, the area was also known to be a house for the Harappals.[23] A map of the British Punjab province in modern history 1909.During the partition, India collapsed on the Radcliffe line, the capital of Lahore, Punjab province in western Punjab, Pakistan.If needed, a new capital for Eastern Punjab in India led to the development of Chandigarh. | {
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386
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"Punjab"
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} |
497 | कई वर्षों से लगातार प्रयासों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश कभी दोहरे अंकों में आर्थिक विकास हासिल नहीं कर पाया है। २०१७-१८ में जीएसडीपी ७ प्रतिशत और २०१८-१९ में ६.५ प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग १० प्रतिशत है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमएआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार २०१०-२० के दशक में उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर ११.४ प्रतिशत अंक से बढ़ी, जो अप्रैल २०२० में २१.५ प्रतिशत आंकी गयी। उत्तर प्रदेश में राज्य से बाहर प्रवास करने वाले अप्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। प्रवास पर २०११ की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग १.४४ करोड़ (१४.७ %) लोग उत्तर प्रदेश से बाहर चले गए थे। पुरुषों में प्रवास का सबसे महत्वपूर्ण कारण कार्य/रोजगार जबकि महिलाओं के बीच प्रवास का प्रमुख कारण अप्रवासी पुरुषों से विवाह उद्धृत किया गया। २००९-१० में, अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी और पर्यटन) के राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में ४४% के योगदान और द्वितीयक क्षेत्र (औद्योगिक और विनिर्माण) के ११.२% के योगदान की तुलना में तृतीयक क्षेत्र (सेवा उद्योग) ४४.८% के योगदान के साथ राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता था। एमएसएमई क्षेत्र उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है, पहला कृषि है जो राज्य भर में ९२ लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। ११वीं पंचवर्षीय योजना (२००७-२०१२) के दौरान, औसत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की वृद्धि दर ७.३% थी, जो देश के अन्य सभी राज्यों के औसत १५.५% से कम थी। ₹२९,४१७ की राज्य की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी भी राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति जीएसडीपी ₹६०.९७२ से कम थी। हालाँकि, राज्य की श्रम दक्षता २६ थी, जो २५ के राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। कपड़ा और चीनी शोधन, दोनों उत्तर प्रदेश में लंबे समय से चले आ रहे उद्योग हैं, जो राज्य के कुल कारखाना श्रम के एक महत्वपूर्ण अनुपात को रोजगार देते हैं। राज्य के पर्यटन उद्योग से भी अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। राज्य के निर्यात में जूते, चमड़े के सामान और खेल के सामान शामिल हैं। राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी सफल रहा है, जो ज्यादातर सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में आया है; नोएडा, कानपुर और लखनऊ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के लिए प्रमुख केंद्र बन रहे हैं और अधिकांश प्रमुख कॉर्पोरेट, मीडिया और वित्तीय संस्थानों के मुख्यालय इन्हीं नगरों में हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित सोनभद्र जिले में बड़े पैमाने पर उद्योग हैं, और इसके दक्षिणी क्षेत्र को भारत की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है। | उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा विकास कार्यक्रम के लिए कितने शहरों का चयन किया गया था? | {
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} | How many cities were selected for the development program by the Ministry of Urban Development of Uttar Pradesh? | Despite continuous efforts for many years, Uttar Pradesh has never been able to achieve economic growth in double digits.GSDP is estimated at 4 percent in 2014-14 and 6.5 percent in 2014-19, which is about 10 percent of India's GDP.According to a survey conducted by the Center for Monitoring Indian Economy (CMAI), the unemployment rate of Uttar Pradesh grew by 11.4 percent in the 2010-20s, which was estimated at 21.5 percent in April 2020.Uttar Pradesh has the largest number of immigrants migrating outside the state.The 2011 census data on the stay shows that about 1.4 crore (14.7 %) people had gone out of Uttar Pradesh.The most important cause of migration in men, work/employment, while the main reason for migration among women was quoted to marriage of immigrant men.In 2009–10, the Essential Area (Service Industry (Service Industry) contribution of 7% to the state's primary sector (agriculture, forestry and tourism) and contribution of 11.2% of the secondary sector (industrial and manufacturing) to the state's GDP.) The largest contributor to the state's GDP was the largest contribution with a contribution of 6.7%.The MSME region is the second largest employment creator in Uttar Pradesh, the first is agriculture that employs more than 92 lakh people across the state.During the 11th Five Year Plan (2007-2012), the growth rate of the average GDP (GSDP) was 4.3%, which was less than 15.5% of the average of all other states of the country.The state per capita GSDP of ₹ 29, 614 was also less than the National per capita GSDP ₹ 60.722.However, the state's labor efficiency was 24, which was higher than the national average of 25.Both textiles and Chinese refinements are long -run industries in Uttar Pradesh, which provide employment to a significant proportion of the total factory labor of the state.The economy also benefits from the tourism industry of the state.State exports include shoes, leather goods and sports items.The state has also been successful in attracting foreign direct investment, which has come mostly in software and electronics sectors;Noida, Kanpur and Lucknow are becoming major centers for the Information Technology (IT) industry and most of the major corporate, media and financial institutions are in these cities.Sonbhadra district located in eastern Uttar Pradesh has large -scale industries, and its southern region is known as India's energy capital. | {
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498 | कई वर्षों से लगातार प्रयासों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश कभी दोहरे अंकों में आर्थिक विकास हासिल नहीं कर पाया है। २०१७-१८ में जीएसडीपी ७ प्रतिशत और २०१८-१९ में ६.५ प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग १० प्रतिशत है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमएआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार २०१०-२० के दशक में उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर ११.४ प्रतिशत अंक से बढ़ी, जो अप्रैल २०२० में २१.५ प्रतिशत आंकी गयी। उत्तर प्रदेश में राज्य से बाहर प्रवास करने वाले अप्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। प्रवास पर २०११ की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग १.४४ करोड़ (१४.७ %) लोग उत्तर प्रदेश से बाहर चले गए थे। पुरुषों में प्रवास का सबसे महत्वपूर्ण कारण कार्य/रोजगार जबकि महिलाओं के बीच प्रवास का प्रमुख कारण अप्रवासी पुरुषों से विवाह उद्धृत किया गया। २००९-१० में, अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी और पर्यटन) के राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में ४४% के योगदान और द्वितीयक क्षेत्र (औद्योगिक और विनिर्माण) के ११.२% के योगदान की तुलना में तृतीयक क्षेत्र (सेवा उद्योग) ४४.८% के योगदान के साथ राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता था। एमएसएमई क्षेत्र उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है, पहला कृषि है जो राज्य भर में ९२ लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। ११वीं पंचवर्षीय योजना (२००७-२०१२) के दौरान, औसत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की वृद्धि दर ७.३% थी, जो देश के अन्य सभी राज्यों के औसत १५.५% से कम थी। ₹२९,४१७ की राज्य की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी भी राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति जीएसडीपी ₹६०.९७२ से कम थी। हालाँकि, राज्य की श्रम दक्षता २६ थी, जो २५ के राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। कपड़ा और चीनी शोधन, दोनों उत्तर प्रदेश में लंबे समय से चले आ रहे उद्योग हैं, जो राज्य के कुल कारखाना श्रम के एक महत्वपूर्ण अनुपात को रोजगार देते हैं। राज्य के पर्यटन उद्योग से भी अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। राज्य के निर्यात में जूते, चमड़े के सामान और खेल के सामान शामिल हैं। राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी सफल रहा है, जो ज्यादातर सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में आया है; नोएडा, कानपुर और लखनऊ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के लिए प्रमुख केंद्र बन रहे हैं और अधिकांश प्रमुख कॉर्पोरेट, मीडिया और वित्तीय संस्थानों के मुख्यालय इन्हीं नगरों में हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित सोनभद्र जिले में बड़े पैमाने पर उद्योग हैं, और इसके दक्षिणी क्षेत्र को भारत की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है। | उत्तर प्रदेश का पहला सबसे बड़ा रोजगार देने वाला कौन सा क्षेत्र है ? | {
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"कृषि"
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} | Which is the first largest employer in Uttar Pradesh? | Despite continuous efforts for many years, Uttar Pradesh has never been able to achieve economic growth in double digits.GSDP is estimated at 4 percent in 2014-14 and 6.5 percent in 2014-19, which is about 10 percent of India's GDP.According to a survey conducted by the Center for Monitoring Indian Economy (CMAI), the unemployment rate of Uttar Pradesh grew by 11.4 percent in the 2010-20s, which was estimated at 21.5 percent in April 2020.Uttar Pradesh has the largest number of immigrants migrating outside the state.The 2011 census data on the stay shows that about 1.4 crore (14.7 %) people had gone out of Uttar Pradesh.The most important cause of migration in men, work/employment, while the main reason for migration among women was quoted to marriage of immigrant men.In 2009–10, the Essential Area (Service Industry (Service Industry) contribution of 7% to the state's primary sector (agriculture, forestry and tourism) and contribution of 11.2% of the secondary sector (industrial and manufacturing) to the state's GDP.) The largest contributor to the state's GDP was the largest contribution with a contribution of 6.7%.The MSME region is the second largest employment creator in Uttar Pradesh, the first is agriculture that employs more than 92 lakh people across the state.During the 11th Five Year Plan (2007-2012), the growth rate of the average GDP (GSDP) was 4.3%, which was less than 15.5% of the average of all other states of the country.The state per capita GSDP of ₹ 29, 614 was also less than the National per capita GSDP ₹ 60.722.However, the state's labor efficiency was 24, which was higher than the national average of 25.Both textiles and Chinese refinements are long -run industries in Uttar Pradesh, which provide employment to a significant proportion of the total factory labor of the state.The economy also benefits from the tourism industry of the state.State exports include shoes, leather goods and sports items.The state has also been successful in attracting foreign direct investment, which has come mostly in software and electronics sectors;Noida, Kanpur and Lucknow are becoming major centers for the Information Technology (IT) industry and most of the major corporate, media and financial institutions are in these cities.Sonbhadra district located in eastern Uttar Pradesh has large -scale industries, and its southern region is known as India's energy capital. | {
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"agriculture"
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499 | कई वर्षों से लगातार प्रयासों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश कभी दोहरे अंकों में आर्थिक विकास हासिल नहीं कर पाया है। २०१७-१८ में जीएसडीपी ७ प्रतिशत और २०१८-१९ में ६.५ प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग १० प्रतिशत है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमएआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार २०१०-२० के दशक में उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर ११.४ प्रतिशत अंक से बढ़ी, जो अप्रैल २०२० में २१.५ प्रतिशत आंकी गयी। उत्तर प्रदेश में राज्य से बाहर प्रवास करने वाले अप्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। प्रवास पर २०११ की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग १.४४ करोड़ (१४.७ %) लोग उत्तर प्रदेश से बाहर चले गए थे। पुरुषों में प्रवास का सबसे महत्वपूर्ण कारण कार्य/रोजगार जबकि महिलाओं के बीच प्रवास का प्रमुख कारण अप्रवासी पुरुषों से विवाह उद्धृत किया गया। २००९-१० में, अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी और पर्यटन) के राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में ४४% के योगदान और द्वितीयक क्षेत्र (औद्योगिक और विनिर्माण) के ११.२% के योगदान की तुलना में तृतीयक क्षेत्र (सेवा उद्योग) ४४.८% के योगदान के साथ राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता था। एमएसएमई क्षेत्र उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है, पहला कृषि है जो राज्य भर में ९२ लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। ११वीं पंचवर्षीय योजना (२००७-२०१२) के दौरान, औसत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की वृद्धि दर ७.३% थी, जो देश के अन्य सभी राज्यों के औसत १५.५% से कम थी। ₹२९,४१७ की राज्य की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी भी राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति जीएसडीपी ₹६०.९७२ से कम थी। हालाँकि, राज्य की श्रम दक्षता २६ थी, जो २५ के राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। कपड़ा और चीनी शोधन, दोनों उत्तर प्रदेश में लंबे समय से चले आ रहे उद्योग हैं, जो राज्य के कुल कारखाना श्रम के एक महत्वपूर्ण अनुपात को रोजगार देते हैं। राज्य के पर्यटन उद्योग से भी अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। राज्य के निर्यात में जूते, चमड़े के सामान और खेल के सामान शामिल हैं। राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी सफल रहा है, जो ज्यादातर सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में आया है; नोएडा, कानपुर और लखनऊ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के लिए प्रमुख केंद्र बन रहे हैं और अधिकांश प्रमुख कॉर्पोरेट, मीडिया और वित्तीय संस्थानों के मुख्यालय इन्हीं नगरों में हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित सोनभद्र जिले में बड़े पैमाने पर उद्योग हैं, और इसके दक्षिणी क्षेत्र को भारत की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है। | उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार उत्पादक क्षेत्र कौन सा है ? | {
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"एमएसएमई क्षेत्र"
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} | Which is the second largest employment generating sector in Uttar Pradesh? | Despite continuous efforts for many years, Uttar Pradesh has never been able to achieve economic growth in double digits.GSDP is estimated at 4 percent in 2014-14 and 6.5 percent in 2014-19, which is about 10 percent of India's GDP.According to a survey conducted by the Center for Monitoring Indian Economy (CMAI), the unemployment rate of Uttar Pradesh grew by 11.4 percent in the 2010-20s, which was estimated at 21.5 percent in April 2020.Uttar Pradesh has the largest number of immigrants migrating outside the state.The 2011 census data on the stay shows that about 1.4 crore (14.7 %) people had gone out of Uttar Pradesh.The most important cause of migration in men, work/employment, while the main reason for migration among women was quoted to marriage of immigrant men.In 2009–10, the Essential Area (Service Industry (Service Industry) contribution of 7% to the state's primary sector (agriculture, forestry and tourism) and contribution of 11.2% of the secondary sector (industrial and manufacturing) to the state's GDP.) The largest contributor to the state's GDP was the largest contribution with a contribution of 6.7%.The MSME region is the second largest employment creator in Uttar Pradesh, the first is agriculture that employs more than 92 lakh people across the state.During the 11th Five Year Plan (2007-2012), the growth rate of the average GDP (GSDP) was 4.3%, which was less than 15.5% of the average of all other states of the country.The state per capita GSDP of ₹ 29, 614 was also less than the National per capita GSDP ₹ 60.722.However, the state's labor efficiency was 24, which was higher than the national average of 25.Both textiles and Chinese refinements are long -run industries in Uttar Pradesh, which provide employment to a significant proportion of the total factory labor of the state.The economy also benefits from the tourism industry of the state.State exports include shoes, leather goods and sports items.The state has also been successful in attracting foreign direct investment, which has come mostly in software and electronics sectors;Noida, Kanpur and Lucknow are becoming major centers for the Information Technology (IT) industry and most of the major corporate, media and financial institutions are in these cities.Sonbhadra district located in eastern Uttar Pradesh has large -scale industries, and its southern region is known as India's energy capital. | {
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"MSME sector"
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