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20231101.hi_700079_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AE | विपवारम | The cat whipworm is a rare parasite. In Europe, it is represented mostly by Trichuris campanula, and in North America it is Trichuris serrata more often. Whipworm eggs found in cats in North America must be differentiated from lungworms, and from mouse whipworm eggs just passing through. | 0.5 | 119.160162 |
20231101.hi_738525_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा बनाया गया है। यह भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली द्वारा संचालित होगा। यह भारत को मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा। उपग्रह को 8 सितंबर 2016 को दोपहर 4:10 (आईएसटी) पर लॉन्च किया गया। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | विभिन्न सेवाएं देने के साथ साथ इनसैट-3डीआर तटरक्षक, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण, जहाजरानी एवं रक्षा सेवाओं सहित विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए इनसैट -3डी द्वारा मुहैया कराई जाने वाली संचालनगत सेवाओं से संबद्ध हो जाएगा। इनसैट-3डीआर की मिशन अवधि 10 साल है। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | भारत के पास अपने तीन मौसमविज्ञान-संबंधी सैटेलाइट पहले से ही हैं। ये हैं : कल्पना 1, इनसैट 3ए और इनसैट 3डी। ये सभी पिछले एक दशक से काम कर रहे हैं। इनसैट 3डी को 2013 में लॉन्च किया गया था। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | इसमें मध्यम इंफ्रारेड बैंड के जरिए इमेजिंग से रात के समय और बादल व कोहरा होने के समय भी तस्वीरें ली जा सकेंगी। दो थर्मल इंफ्रारेड बैंड इमेजिंग के ज़रिये इससे समुद्र की सतह (सी सरफेस टेम्परेचर) पर तापमान का सटीकता से अध्ययन किया जा सकेगा। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | इनसैट 3डी की तरह ही इनसैट 3डीआर में डेटा रिले ट्रांस्पोंडर व सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांस्पोंडर है। इसी के साथ इनसैट 3डीआर इसरो द्वारा पहले भेजे गए मौसमविज्ञान से संबंधी मिशन की सेवाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगा। इसके अलावा कुछ खोजने और किसी प्रकार के आपदा में बचाव अभियान में भी इस सैटेलाइट का प्रयोग किया जा सकता है। | 1 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | इनसैट 3डीआर में इसरो में टू टन क्लास प्लेटफॉर्म (आई-2के बस) तकनीक का प्रयोग किया गया है। यह कार्बन फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक से बना है।सैटेलाइट के सोलर पैनल्स से 1700 वॉट पावर का उत्पादन होता है। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | गुरुवार, 8 सितम्बर 2016 को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से स्वदेश निर्मित जीएसएलवी-एफ05 रॉकेट की मदद से दो टन से अधिक वजनी अत्याधुनिक मौसम उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया। अपराह्न (पी एम) करीब 4.50 बजे (आईएसटी)जीएसएलवी श्रेणी के नवीनतम रॉकेट जीएसएलवी-एफ05 के जरिए मौसम उपग्रह को सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | पहले तय हुआ था कि इस उपग्रह का प्रक्षेपण 4.10 बजे (आईएसटी) किया जाएगा लेकिन क्रायोस्टेज फिलिंग के काम में विलंब के कारण प्रक्षेपण का समय 4.50 बजे (आईएसटी) कर दिया गया। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_738525_9 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F-3%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%B0 | इनसैट-3डीआर | इसमें स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज(सीयूएस) का प्रयोग किया गया है और यह जीएसएलवी की चौथी उड़ान है। जीएसएलवी-एफ05 इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्रायोजेनिक अपर स्टेज को ले जाते हुए जीएसएलवी की पहली संचालन उड़ान है। | 0.5 | 118.644882 |
20231101.hi_657136_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | (३) p-इन्पुट तथा q-आउटपुट वाले किसी अपरिवर्ती रैखिक तंत्र को s-डोमेन में निरूपित करने के लिये pq ट्रांसफर फलनों की आवश्यकता होगी जबकि अवस्था-क्षेत्र में उसे ही निरूपित करने के लिये केवल दो मैट्रिक्स लगते हैं। | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | (४) आवृत्ति-डोमेन में केवल उन्हीं तंत्रों को निरूपित किया जा सकता है जो रैखिक हों तथा उनकी आरम्भिक अवस्थायें शून्य (initial conditions) हों। अवस्था-क्षेत्र में निरूपण के लिये यह बिलकुल आवश्यक नहीं है। | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | 'अवस्था क्षेत्र' या स्टेट-स्पेस एक काल्पनिक क्षेत्र है जिसके अक्ष अवस्था-चर हैं। इस स्पेस में तंत्र के अवस्था चरों को एक वेक्टर के रूप में देखा जा सकता है। | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | किसी p इनपुट, q आउटपुट तथा n अवस्था-चरों से युक्त तंत्र को इस पद्धति में निम्नलिखित प्रकार से निरूपित किया जाता है: | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | called state vector, and (\ cdot) is called output vector, u (\ cdot) is called input vector (or control), A (\ cdot) is the parent of states, B (\ cdot) is the input matrix, C (\ cdot) is the output matrix and D (\ cdot) | 1 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | उपर्युक्त निरूपण में सभी मैट्रिक्स समय के साथ परिवर्ती हो सकते हैं (इसका अर्थ है कि तंत्र के अवयवों का मान समय के साथ परिवर्ती है।) किन्तु यदि तंत्र रैखिक तथा समय के साथ अपरिवर्ती हो (LTI system) तो ये मैट्रिक्स अपरिवर्ती होंगे। चर समय सतत हो सकता है (उदाहरणार्थ ) या विविक्त (discrete) (e.g. )। इस स्थिति में समय के बजाय प्रायः चर का प्रयोग किया जाता है। जिन तंत्रों में सतत परिवर्ती तथा विविक्त रूप से परिवर्तित होने वाले अवयव होते हैं उनको संकर (Hybrid) तंत्र कहते हैं। अतः विभिन्न स्थितियों में स्टेट-स्पेस मॉडल का रूप निम्नलिखित प्रकार का होगा: | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | किसी तंत्र के अवस्था चर उसके पुराने (भूत) अवस्थाओं एवं इनपुटों से निर्धारित होते हैं। वस्तुतः यदि समयान्तराल [t_i, t_f ~] में पुराना स्टेट x (t_i) तथा इनपुट u (t) ज्ञात हों तो x (t_f) के मान की गणना की जा सकती है: | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | उस तंत्र को नियन्त्रणीय (कन्ट्रोलेबल) कहते हैं जिसको, स्वीकार्य इनपुटों के माध्यम से, किसी एक अवस्था से दूसरी अवस्था में सीमित समय में ले जाया जा सकता है। कोई सतत, काल-अपरिवर्ती, रैखिक अवस्था-मॉडल नियंत्रणीय (controllable) होगा यदि और केवल यदि- | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_657136_9 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF | अवस्था-समष्टि | वह तंत्र 'प्रेक्षणीय' (Observabe) कहलाता है जिसके आउटपुटों का ज्ञान होने पर उसके आन्तरिक अवस्थाओं की गणना की जा सके। | 0.5 | 117.955061 |
20231101.hi_220289_24 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | इनसीड महिलाओं के लिए कुछ छात्रवृत्तियां भी उपलब्ध कराता है, जो उन विद्यार्थियों के लिए होती हैं जो सार्वजानिक सेवाओंऔर सामाजिक उद्यमों में सक्रिय होते हैं और जिन्होंने बहुसांस्कृतिक प्रबंधकीय क्षमताओं का विकास कर लिया है। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_25 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | ईएमबीए को कैरियर में मदद करने के लिए कई जरूरतें होती हैं। क्योंकि उन्हें कैरियर सेवाओं के लिए अधिक अनुकूलित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, इनसीड का लक्ष्य है "आंतरिक-कैरियर" (आपके अधिकांश कैरियर को आपके वर्तमान संगठन में बनाना) और "बाह्य-कैरियर" (आपके संगठन के बाहर कुछ परिवर्तन लाना) दोनों प्रकार की आवश्यकताओं को महत्त्व देना. | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_26 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | इनसीड के एमबीए प्रोग्राम में जरुरी प्रमुख और वैकल्पिक पाठ्यक्रमों की एक रेंज शामिल है। मुख्य पाठ्यक्रम प्रबंधन के पारंपरिक विषयों को कवर करता है, जिसमें वित्त, अर्थशास्त्र, संगठनात्मक व्यवहार, लेखा, नीतिशास्त्र, विपणन, सांख्यिकी, संचालन प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक विश्लेषण, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, नेतृत्व और कोरपोरेट रणनीति शामिल हैं। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_27 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | इसके अलावा लेखांकन और नियंत्रण, निर्णय विज्ञान, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान, उद्यमिता और परिवार उद्यम, वित्त, विपणन, संगठनात्मक, रणनीति और प्रौद्योगिकी और संचालन प्रबंधन क्षेत्रों में लगभग 80 ऐच्छिक विषय हैं। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_28 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | पढ़ाने के तरीकों में केस अध्ययन, व्याख्यान, सहकर्मियों का आपस में अध्ययन, ट्यूटोरियल्स, सामूहिक कार्य, सिमुलेशन और रोल-प्ले शामिल हैं। एमबीए प्रतिभागियों एक वक्र पर श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। अध्यापन का सभी काम अंग्रेजी में होता है। | 1 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_29 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | इनसीड के एमबीए विद्यार्थियों में 80 से ज्यादा देशों से आये हुए छात्र हैं, जिनमें किसी भी राष्ट्र के विद्यार्थियों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। जनवरी से जून 2009 की कक्षाओं में एमबीए प्रोग्राम के प्रतिभागियों की राष्ट्रभाषाएं थीं अंग्रेजी, 20%; फ़्रांसिसी, 12%; हिंदी, 7%; जर्मन, 6%; स्पेनिश, 5%; मंदेरिन, 5%; अरबी, 5%; अन्य, 42%. इनसीड के अध्यापक 36 देशों से आये हैं और लगभग 38000 इनसीड के छात्र 160 से ज्यादा देशों में रहते हैं। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_30 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | एमबीए प्रतिभागियों के लिए किसी भी परिसर में प्रवेश लेने के तरीके में कोई भिन्नता नहीं है। सभी एमबीए प्रतिभागी एमबीए प्रोग्राम शुरू करने के लिए अपना पसंदीदा परिसर चुन सकते हैं (यूरोप और एशिया परिसर), उनके पास जरूरत पड़ने पर दूसरे परिसर में चले जाने का विकल्प भी है। इनसीड के प्रोफ़ेसर भी एक ही वर्ष के बीच में परिसर बदल सकते हैं। दिसंबर 2008 की कक्षा के 70 प्रतिशत से ज्यादा एमबीए प्रतिभागियों ने अपना परिसर बदला. एशिया और यूरोप में अध्ययन के अलावा, प्रतिभागी अपने प्रोग्राम के बचे हुए हिस्से को संयुक्त राज्य अमेरिका में भी पूरा कर सकते हैं (इनसीड और व्हार्टन स्कूल के बीच एक संधि है जिसके अनुसार प्रत्येक स्कूल के एमबीए प्रतिभागी किसी दूसरे स्कूल में अध्ययन कर सकते हैं). 2007 की शुरुआत में, आबू धाबी में एक इनसीड केंद्र बनाया गया, जिसमें खुला पंजीकरण शिक्षा प्रस्तुत की जाती है। जनवरी 2010 में इनसीड आबू धाबी में अपना एक नया परिसर खोलेगा. | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_31 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | इनसीड के एमबीए प्रोग्राम में प्रवेश बहुत प्रतिस्पर्धात्मक है। आवेदक को आमतौर पर 5 साल का काम का अनुभव होना चाहिए, उसे व्यक्तिगत और काम के अनुभवों के माध्यम से बहुसांस्कृतिक ज्ञान होना चाहिए और कई भाषायें बोलना आना चाहिए। प्रवेश समिति उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन, कैरियर प्रगति, पारस्परिक कौशल और नेत्रित्व की क्षमता के आधार पर प्रवेश का निर्णय लेती है। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_220289_32 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A1 | इनसीड | सभी आवेदकों के पास स्नातक की डिग्री या इसके समकक्ष डिग्री होनी चाहिए, प्रवाही अंग्रेजी बोलना आना चाहिए। उन्हें अपने मामले के पक्ष में विस्तृत निबंध से युक्त लम्बे आवेदन को जमा करना होता है, इसके अलावा एक प्रोफाइल, संस्तुति के दो शब्द, अधिकारिक अकादमिक ट्रांसक्रिप्ट, अपना स्नातक प्रबंधन प्रवेश परीक्षा का स्कोर, उनका पीटीई अकादमिक और एकीकरण का स्टेटमेंट, टीओईआइसी, टीओईएफएल, आईईएलटीएस या अंग्रेजी में प्रवीणता का (सीपीई) स्कोर (गैर-अंग्रेजी भाषियों के लिए) या प्रवेश भाषा प्रमाण (अंग्रेजी भाषियों के लिए) प्रस्तुत करना होता है। एमबीए तिभागियों का औसत जीएमएटी स्कोर पिछले 5 सालों के दौरान निरंतर 700 से अधिक (90 प्रतिशत) रहना चाहिए। | 0.5 | 116.908564 |
20231101.hi_222125_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | मैक्रोमीडिया ग्राफिक्स और वेब विकास करने वाला एक अमेरिकी सॉफ्टवेयर हाउस था जिसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, में स्थित था और जिसने फ्लैशऔर ड्रीमवीवर जैसे उत्पादों का निर्माण किया। उसके प्रतिद्वंद्वी, एडोब सिस्टम्स, ने 3 दिसम्बर 2005 को मैक्रोमीडिया का अधिग्रहण कर लिया और मैक्रोमीडिया के उत्पादों की श्रृंखला को नियंत्रित करता है। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | 1992 में हुए ऑथरवेयर इंक॰ (ऑथरवेयर के निर्माता) और मैक्रोमाइंड-पाराकोम्प (मैक्रोमाइंड डायरेक्टर के निर्माता) के विलय से मैक्रोमीडीया की उत्पत्ति हुई। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | डायरेक्टर, एक इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया-संलेखन उपकरण था जिसे सीडी रोम (CD-ROM) और सूचना भंडार के निर्माण में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता था और जिसने 1990 के दशक के मध्य तक मैक्रोमीडिया के प्रमुख उत्पाद के रूप में कार्य किया। जैसे-जैसे CD-ROM के बाजार में गिरावट आने लगी और वर्ल्ड वाइड वेब की लोकप्रियता बढ़ने लगी, मैक्रोमीडिया ने शॉकवेव बनाया, जो वेब ब्राउज़र के लिए एक डायरेक्टर-व्यूअर प्लगइन था, लेकिन उसने यह फैसला किया कि उसे अपनी शाखाओं को वेब नेटिव मीडिया उपकरण में फैला कर अपने बाज़ार का विस्तारण करने की जरूरत है। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | जनवरी 1995 में, मैक्रोमीडिया ने अपनी बौद्धिक संपत्ति के लिए एल्टसिस (Altsys) का अधिग्रहण किया; विशेष रूप से, फ्रीहैंड का, एक ऐसा पेज-लेआउट और वेक्टर-आरेखण कार्यक्रम जो अडोबी इलस्ट्रेटर के बहुत समान था। फ्रीहैंड का वेक्टर-ग्राफिक्स प्रदान करने वाला इंजन और प्रोग्राम के अंदर के अन्य सॉफ्टवेयर घटक, मैक्रोमीडिया के लिए उसके वेब रणनीति का समर्थन करने वाले प्रौद्योगिकियों के विकास में उपयोगी साबित होते। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | अपनी वेब रणनीति को आगे तुरंत प्रारम्भ करने के लिए , मैक्रोमीडिया ने 1996 में दो अधिग्रहण किए। सर्वप्रथम, मैक्रोमीडिया ने फ्यूचरवेव सॉफ्टवेयर का अधिग्रहण किया, जो फ्यूचरस्प्लैश ऐनिमेटर के निर्माता थे, यह एक ऐसा एनीमेशन उपकरण था जिसे फ्यूचरवेव सॉफ्टवेयर ने मूल रूप से कलम-आधारित कम्प्यूटिंग साधन के लिए विकसित किया। फ्यूचरस्प्लैश दर्शक अनुप्रयोग के छोटे आकार की वजह से, यह विशेष रूप से वेब के द्वारा डाउनलोड किए जाने के लिए उपयुक्त था, जहां अधिकांश उपयोगकर्ताओं के पास उस समय, कम बैंडविड्थ कनेक्शन हुआ करता था। मैक्रोमीडिया ने स्प्लैश (Splash) का नाम बदल कर मैक्रोमीडिया फ्लैश (Macromedia Flash) रख दिया और नेटस्केप (Netscape) का अनुकरण करते हुए, तेज़ी से बाज़ार पर अपनी पैठ बनाने के लिए, फ़्लैश प्लेयर को एक नि:शुल्क ब्राउज़र प्लगइन के रूप में वितरित किया। 2005 तक, दुनिया भर के कंप्यूटरों में किसी भी अन्य वेब मीडिया फॉरमैट के मुकाबले जिसमें शामिल था जावा (Java), क्विक टाइम (QuickTime), रीयल नेटवर्क्स (RealNetworks) और विंडोज़ मीडिया प्लेयर (Windows Media Player), फ़्लैश प्लेयर ज्यादा इंस्टॉल था। जैसे-जैसे फ़्लैश परिपक्व हुआ, मैक्रोमीडिया का ध्यान उसे एक ग्राफिक्स और मीडिया उपकरण के रूप में विपणित करने से हट कर उसे एक वेब अनुप्रयोग प्लेटफॉर्म के रूप में बढ़ावा देने पर केंद्रित हो गया, इस प्लेयर के छोटे पदचिह्न को बनाए रखने का प्रयास करते हुए उन्होंने इसमें स्क्रिप्टिंग और डेटा अभिगम क्षमताओं को जोड़ा। | 1 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | 1996 में भी, मैक्रोमीडिया ने आईबैंड (iBand) सॉफ्टवेयर को अधिग्रहीत किया, जो नवीन बैकस्टेज HTML संलेखन-उपकरण और अनुप्रयोग-सर्वर के निर्माता थे। मैक्रोमीडिया ने बैकस्टेज कोडबेस के भागों के इर्द-गिर्द, मैक्रोमीडिया ड्रीमवीवर नामक एक नए HTML संलेखन उपकरण का विकास किया और 1997 में उसके पहले संस्करण को जारी किया। उस समय, अधिकांश पेशेवर वेब ऑथर, HTML को टेक्स्ट एडिटर का इस्तेमाल करते हुए हाथ से ही कूट करना पसंद करते थे क्योंकि वे स्रोत पर पूरा नियंत्रण चाहते थे। ड्रीमवीवर ने अपने "राउंडट्रिप HTML" सुविधा द्वारा इसका समाधान पेश किया, जो दृश्य संपादन के दौरान हस्त-संपादित स्रोत कूट की निष्ठा को बनाए रखने का प्रयास करता था, जिससे प्रयोक्ता दृश्य और कूट संपादन के बीच आगे और पीछे जाने में सक्षम होते हैं। अगले कुछ वर्षों में ड्रीमवीवर को पेशेवर वेब ऑथरों के बीच व्यापक रूप से अपनाया जाने लगा, हालांकि अभी भी कई हस्त-कूट ही पसंद करते थे और माईक्रोसॉफ्ट फ्रंटपेज (Microsoft FrontPage) शौकिया और व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के बीच में एक मजबूत प्रतियोगी बना रहा। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | मैक्रोमीडिया ने विलय और अधिग्रहण का सफर जारी रखा: दिसंबर 1999 में, उसने ट्रैफिक विश्लेषण सॉफ्टवेयर कंपनी एंड्रोमीडिया कोर्पोरेशन (Andromedia Corporation) का अधिग्रहण किया। वेब विकास कंपनी अलैर (Allaire) 2001 में अधिग्रहित की गयी और मैक्रोमीडिया ने उसके पोर्टफोलियो में कई लोकप्रिय सर्वर और वेब विकास के उत्पादों को जोड़ा, जिसमें कोल्डफ्यूजन, जो जो CMFL लैंगग्वेज पर आधारित एक वेब अनुपयोग सर्वर था, जेरन (JRun), जो एक जावा ईई (Java EE) अनुप्रयोग सर्वर था और होमसाईट (HomeSite), जो एक HTML कूट संपादक था इन सबको भी ड्रीमवीवर के साथ एकजुट कर दिया गया। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | 2003 में, मैक्रोमीडिया ने वेब कॉन्फ्रेंसिंग कंपनी प्रेसेडिया का अधिग्रहण किया और उनके ब्रैंड ब्रीज के तहत उनके फ्लैश आधारित ऑनलाइन सहयोग और प्रस्तुति उत्पाद की पेशकश को विकसित करना और बढ़ावा देना जारी रखा। बाद में उसी वर्ष, मैक्रोमीडिया ने सहायक संलेखन सॉफ्टवेयर कंपनी का अधिग्रहण किया eHelp Corporation, इन उत्पादों में रोबोहेल्प (RoboHelp) और रोबोडेमो (अब कैप्टिवेट) शामिल थे। रोबोहेल्प के कई विकासकर्ता मैडकैप सॉफ्टवेयर को बनाने में जुट गए जो हेल्प-ऑथरिंग स्पेस में एक प्रतियोगी था। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_222125_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | मैक्रोमीडिया | 18 अप्रैल 2005 को, एडोब सिस्टम्स ने मैक्रोमीडिया को एक 3.4 डॉलर मूल्य के शेयर स्वैप में अधिग्रहित करने की घोषणा की, जिसे घोषणा से पहले ट्रेडिंग के अंतिम दिन किया गया था। 3 दिसम्बर 2005 को, अधिग्रहण सम्पन्न हुआ और उसके तुरंत बाद अडोबी ने कंपनियों के परिचालन, नेटवर्क और ग्राहक सेवा संगठनों को एकीकृत कर दिया। | 0.5 | 116.306158 |
20231101.hi_787974_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | समयमातृका क्षेमेंद्र द्वारा रचित हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है। क्षेमेन्द्र ने अपने ग्रंथों के रचना काल का उल्लेख किया है, जिससे इनके आविर्भाव के समय का परिचय मिलता है। कश्मीर के नरेश अनन्त (1028-1063 ई.) तथा उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजा कलश (1063-1089 ई.) के राज्य काल में क्षेमेन्द्र का जीवन व्यतीत हुआ। ‘समयमातृका’ का रचना काल 1050 ई. है। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | समयमातृका में क्षेमेन्द्र ने वेश्याओं और वेश का बड़ा ही जीवित खाका खींचकर उनके फेर में फँसनेवालों की खिल्ली उड़ाई है। विषय की दृष्टि से समयमातृका, अभिनवगुप्त द्वारा रचित कुट्टनीमतम् के सदृश है। कुट्टनीमतम् की तरह समयमातृका की रचना का उद्देश्य भी कुट्टनियों के जाल से धनी युवकों को दूर रखना है ताकि उनको वेश्याओं द्वारा लुटे जाने से बचाया जा सके। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | क्षेमेन्द्र ने 'समयमातृका' की रचना १०५० ई० में की थी। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि उन्होंने इस प्रवन्ध का निर्माण उस समय किया था जब कि उनकी कवित्वशक्ति एवं अनुभव पूर्ण परिपक्व हो चुका था। इस ग्रन्थ के बाद उन्होंने केवल 'सेव्यसेवकोपदेश', 'दशावतारचरित', और 'चारुचर्या' की रचना कर अपनी जीवन-लीला समाप्त की थी। इस प्रकार यह प्रबन्ध कवि की समग्र प्रौढ़ि को एकसाथ समेटे हुए पाठकों के समक्ष अपनी चारुता को प्रदर्शित करता है। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | 'समयमातृका' आठ "समयों" (अध्यायों) में विभक्त ६३५ श्लोकों का एक प्रबन्धकाव्य है। इस ग्रन्थ की केवल एक ही पाण्डुलिपि प्राप्त हुई है जिसमें अनेक स्थानों पर पाठ भ्रष्ट हो गया है जिसे पढ़ा नहीं जा सकता। क्षेमेन्द्र ने इसके निर्माण का एकमात्र उद्देश्य वेश्याओं, कुट्टिनियों तथा विटों से श्रीमानों-धनिकों की सम्पत्ति-रक्षा ही बतलाया है : "श्रीमतां भूतिरक्षायै रचितोऽयं स्मितोत्सवः" । जैसा ऊपर निर्देश किया गया है, क्षेमेन्द्र की लेखनी का एकमात्र उद्देश्य सहृदय व्यक्तियों का मनोरञ्जन ही न होकर समाज में प्रसृत कुप्रवृत्तियों, अनाचारों, व्यभिचारों तथा वञ्चकता का उन्मूलन कर | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | स्वस्थ वातावरण का निर्माण भी था। उन्होंने ग्राम के पटवारी से लेकर न्यायधीश के कार्यों तक की एकसमान आलोचना की है- | 1 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | ( अपने इस मुकदमे के प्रसंग में मृगवती ने न्यायाधीशों को पर्याप्त घूस दिया। उत्कोच (घूस) लेने के कारण परस्पर संघटित हुये, छल-कपट में आकर उन भट्टों (न्यायाधीशों) ने, सम्पत्ति की लोभी उस स्त्री को गृहरूपी सम्पत्ति पर उसके अधिकार का आदेश दे दिया । इस प्रकार उसने विजयपत्र को ग्रहण किया।) | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | इस ग्रन्थ में यह स्थापित किया गया है कि वेश्या को यदि अपने पेशे से पैसा कमाना है तो उसके लिए कुट्टनी के रूप में एक अत्यन्त योग्य एवं अनुभवी प्रबन्धक रखना चाहिए, अन्यथा कुछ भी नहीं मिलेगा और अव्यवस्था फैली रहेगी। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | वेश्या गृहों के वर्णन से ऐसा लगता है कि वे पक्के होते थे, कई मंजिला होते थे। वेश्याएँ ऊपरी मंजिलों पर रहतीं थी। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_787974_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A4%BE | समयमातृका | वेश्यावृत्ति के सभी पहलुओं और वेश्यालय में होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों का विस्तार से वर्णन है। प्रदोष (सायं), रात में, सुबह क्या-क्या होता है, सबका वर्णन है। | 0.5 | 113.148825 |
20231101.hi_1352474_9 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | Kia Sportage SUV में दूसरा ड्राइवर-साइड और अलग नी एयरबैग का इस्तेमाल किया गया था और तब से यह मानक उपकरण है। एयरबैग स्टीयरिंग व्हील के नीचे स्थित है। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_10 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | 2009 में, टोयोटा ने पहला प्रोडक्शन रियर-सीट सेंटर एयरबैग विकसित किया, जिसे साइड टक्कर में पीछे के यात्रियों को होने वाली माध्यमिक चोटों की गंभीरता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह प्रणाली पहली बार क्राउन मेजेस्टा पर दिखाई देने वाली पिछली केंद्र सीट से तैनात होती है। 2012 के अंत में, जनरल मोटर्स ने आपूर्तिकर्ता टकाटा के साथ एक फ्रंट सेंटर एयरबैग पेश किया; यह चालक की सीट से तैनात है। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_11 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | पुराने एयरबैग सिस्टम में सोडियम एज़ाइड (NaN3 ), KNO3, और SiO2 का मिश्रण था। एक विशिष्ट ड्राइवर-साइड एयरबैग में लगभग 50-80 ग्राम NaN3 होता है, जिसमें बड़ा यात्री-पक्ष एयरबैग होता है जिसमें लगभग 250 ग्राम होता है। संघात के लगभग 40 मिलीसेकंड के अंतराल पे, ये सभी घटक तीन अलग-अलग अभिक्रियाओं में नाइट्रोजन गैस का उत्पादन करते हैं। अभिक्रियाएं इस प्रकार हैं: | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_12 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | पहली दो प्रतिक्रियाएं नाइट्रोजन गैस के 4 मोलर समकक्ष बनाती हैं, और तीसरी शेष अभिकारकों को अपेक्षाकृत निष्क्रिय पोटेशियम सिलिकेट और सोडियम सिलिकेट में परिवर्तित करती है। NaNO3 के बजाय KNO3 का उपयोग करने का कारण इसका अपेक्षाकृत काम आर्द्रताग्राही होना है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस प्रतिक्रिया में प्रयुक्त सामग्री आर्द्रताग्राही नहीं है क्योंकि अवशोषित नमी सिस्टम को असंवेदनशील बना कर एयरबैग की कार्य-प्रणाली को विफल कर सकती है। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_13 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | 11 जुलाई 1984 को, संयुक्त राज्य सरकार ने संघीय मोटर वाहन सुरक्षा मानक 208 (एफएमवीएसएस 208) में संशोधन किया ताकि 1 अप्रैल 1989 के बाद उत्पादित कारों को चालक के लिए निष्क्रिय संयम से लैस किया जा सके। एक एयरबैग या सीट बेल्ट मानक की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। एयरबैग परिचय राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन द्वारा प्रेरित किया गया था। हालांकि, 1997 तक हल्के ट्रकों पर एयरबैग अनिवार्य नहीं थे। | 1 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_14 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | 5 मार्च 2021 को, भारतीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अनिवार्य किया कि 1 अप्रैल 2021 के बाद भारत में पेश किए गए सभी नए वाहन मॉडल में दोहरे फ्रंट एयरबैग हों; विनियमन के लिए यह भी आवश्यक है कि सभी मौजूदा मॉडल 31 अगस्त 2021 तक दोहरे फ्रंट एयरबैग से लैस हों। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_15 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | यद्यपि उपयोग में लाए गए लाखों एयरबैग्स का सुरक्षा रिकॉर्ड उत्कृष्ट है, कार सवारों की सुरक्षा करने की उनकी क्षमता पर कुछ सीमाएं मौजूद हैं। सामने वाले एयरबैग के मूल कार्यान्वयन ने साइड टकरावों से बचाने के लिए बहुत कम किया, जो ललाट टकराव से अधिक खतरनाक हो सकता है क्योंकि यात्री डिब्बे के सामने सुरक्षात्मक क्रम्पल ज़ोन पूरी तरह से बायपास हो गया है। टक्करों की इस सामान्य श्रेणी से बचाव के लिए आधुनिक वाहनों में साइड एयरबैग और सुरक्षात्मक एयरबैग पर्दे की आवश्यकता बढ़ रही है। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_16 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में, एयरबैग घायल हो सकते हैं और कुछ बहुत ही दुर्लभ मामलों में वाहन में सवार लोगों की मौत हो जाती है। सीट बेल्ट नहीं पहनने वालों के लिए दुर्घटना सुरक्षा प्रदान करने के लिए, संयुक्त राज्य के एयरबैग डिज़ाइन अधिकांश अन्य देशों में उपयोग किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय ईसीई मानकों के लिए डिज़ाइन किए गए एयरबैग की तुलना में अधिक बलपूर्वक ट्रिगर करते हैं। हाल ही में "स्मार्ट" एयरबैग नियंत्रक यह पहचान सकते हैं कि क्या सीटबेल्ट का उपयोग किया गया है, और तदनुसार एयरबैग कुशन परिनियोजन मापदंडों को बदल दें। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_1352474_17 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%97 | एयरबैग | एयरोस्पेस उद्योग और संयुक्त राज्य सरकार ने कई वर्षों से एयरबैग प्रौद्योगिकियों को लागू किया है। नासा और संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने 1960 के दशक की शुरुआत में विभिन्न विमानों और अंतरिक्ष यान अनुप्रयोगों में एयरबैग सिस्टम को शामिल किया है। | 0.5 | 110.724613 |
20231101.hi_554446_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | राजस्थान में करीब पाँच सौ वर्षों से अधिक प्राचीन एवं दीर्घ कालावधि तक परकोटे में सिमटे रहे ऐतिहासिक एवं पारम्परिक शहर बीकानेर की अपनी विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान है। जातीय आधार पर विभिन्न चौकों/गुवाडों (मौहल्लों) में आबाद इस परकोटायुक्त शहर में आकर्षण का केन्द्र है विभिन्न चौकों/गुवाडों में अथवा घरों के बाहर पाय जाने वाले ’’पाटे‘‘ (तख्त)। ’’पाटियों‘‘ (लकडी की पट्टियों) से निर्मित ’’पाटे‘‘ सामान्यतः घरों के भीतर १ बाई १ या २ बाई २ वर्गफुट से लेकर मौहल्लों में १० बाई ८ वर्गफुट के होते हैं। घरों के भीतर पाटों की बनावट एवं सुन्दरता की भिन्नता उनमें व्यक्त प्रतिष्ठा एवं सम्मान की भिन्नता के अर्थ लिये हुए होती है। अतिथियों के भोजन या आनुष्ठानिक सामग्री की थाली रखने, विवाह में दूल्हा-दुल्हन को बिठाने आदि के लिए इन पाटों का प्रयोग होता है। लकड़ी के साधारण पाटों की अपेक्षा चाँदी के कलात्मक पाटे उच्च स्तर, प्रतिष्ठा एवं सम्मान के द्योतक होते हैं। मोहल्लों में स्थित विशाल पाटे तीन प्रकार के हैं- पहला: अतीत में बीकानेर नरेश के कृपा-पात्र व्यक्तियों द्वारा निर्मित एवं स्थापित पाटे, जो उनके राजनीतिक व प्रशासनिक प्रभुत्व, सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक सम्पन्नता एवं सांस्कृतिक योगदानों के द्योतक रहे हैं। दूसरा: कतिपय जातियों द्वारा स्थापित पाटे, जो जाति विशेष की उच्च स्थिति को इंगित करने के साथ-साथ अन्तरजातीय संबंधों, जातीय सदस्यों के अन्तर्सम्बन्धों, सार्वजनिक क्रियाकलापों, अथवा गतिविधियां, दान-पुण्य की क्रियाओं आदि के केन्द्र रहे हैं। तीसरा: किसी जाति अथवा मौहल्ले में किसी प्रकार-विशेष द्वारा स्थापित पाटे जो जाति-विशेष के परिवार की प्रतिष्ठा/सम्पन्नता को दर्शाते हैं। ये पाटे पारिवारिक, वैवाहिक, जातीय, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, आनुष्ठानिक, साहित्यिक, जनसंचार आदि विभिन्न क्रियाकलापों के जटिल संकुल हैं जो आज भी अस्तित्व में हैं। परकोटायुक्त शहर बीकानेर में पाटा संस्कृति का भाग है। सामान्य जन द्वारा इस शहर के जीवन को पाटा संस्कृति कहा जाता है। पाटा संस्कृति एवं पाटों के सांस्कृतिक सन्दर्भ की व्याख्या करने से पहले संस्कृति के अर्थ एवं संस्कृति की संरचना की विवेचना करनी होगी। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | पाटा ऐतिहासिक एवं परम्परावादी शहर बीकानेर की मौलिक विशेषता है जिसे दृश्य रूप में परकोटायुक्त शहर में जातीय आधार पर बसे विभिन्न चौकों, गुवाडों, मौहल्लों में सार्वजनिक रूप से देखा जा सकता है। सामान्य तौर पर पाटा लकड़ी या लोहे से निर्मित बैठक या चौपाल है जिस पर मौहल्ले के निवासी बैठकर अपना सुख-दुःख बाँटते हैं। लेकिन सामाजिक एवं सास्कृतिक दृष्टि से पाटा परकोटायुक्त शहर की नियामक इकाई है, जिस पर अनेक परम्पराएँ एवं रीति-रिवाज सम्पन्न होते हैं। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | पाटा संस्कृत भाषा के शब्द से बना है जिसका अर्थ दो किनारों के बीच की दूरी अर्थात् नदियों के दो तटों के बीच में जो दूरीयाँ होती है वह पाट कहलाती है। उसी तरह दो व्यक्तियों या दो जातीयों के बीच सामाजिक समागम की सीमा निर्धारित करने वाली इकाई पाटा कहलाता है अर्थात सामान्य व विशिष्ट व्यक्तियों या उच्च व निम्न जातीयों के बीच दूरियाँ मर्यादित करने वाला स्थान पाटा कहलाता है। जो प्रारम्भ में वैचारिक था, कालान्तर में स्थानिक हो गया और भौतिक प्रतिमान के रूप में उभर कर सामने आया। लेकिन वर्तमान में यह अर्थ कमजोर होता जा रहा है। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | पाटा संस्कृति का एक भाग है लेकिन परकोटायुक्त शहर में यह अपने-आप में संस्कृति है। साधारण बोलचाल में इस शहर की संस्कृति को पाटा संस्कृति कहा जाता है। वास्तव में पाटा भौतिक दृश्यमान वस्तु है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है तथा मूक दर्शक के रूप में गतिहीन मगर चेतन है। लेकिन पाटों का एक सांस्कृतिक क्षेत्र है। इनसे सम्बन्धित अनेक प्रतिमान है। यह अनेक सांस्कृतिक तत्त्वों का संकुल है। इस पर जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक के संस्कार सम्पन्न होते हैं। धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में पाटों की उपस्थिति आवश्यक है। पाटा पूर्वजों की कर्मस्थली है। तभी तो इस परकोटायुक्त शहर में ८० वर्ष की स्त्री पाटों के आगे से निकलते समय घूंघट अवश्य करती है। जबकि पाटों पर उनकी सन्तान के बराबर के व्यक्ति बैठे होते हैं। जब उस स्त्री से पूछा गया कि आपने घूंघट क्यों किया ? पाटों पर बैठे सभी व्यक्ति आपकी सन्तान तुल्य हैं तो उस औरत का उत्तर था कि पाटा हमारे दादा-ससुर व ससुर की पहचान व बैठने की जगह है। उनकी आत्मा तो पाटों पर ही रहती हैं क्योंकि उन्होंने पूरा जीवन इन्हीं पाटों पर बिताया है। इस दृष्टि से मानवशास्त्रीय अर्थ में पाटा ’’टोटम‘‘ है जो एक पवित्र वस्तु होने के साथ-साथ सामाजिक नियन्त्रण का कार्य करता है। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | परम्परा अमूर्त एवं अलिखित होती है। कालान्तर में लिखित साहित्य के साक्ष्य पर आधारित हो जाती है। अतः परम्परा तो शाश्वत है, जो स्वतः विकसित होती हैं और धीरे-धीरे सामाजिक विरासत व सामाजिक प्रतिमान बन जाती है। | 1 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | पाटा और पाटों की परम्परा की उत्पत्ति का पता लगाना एक कठिन कार्य है। ५०० वर्षों के परकोटायुक्त शहर बीकानेर के इतिहास में पाटों की उत्पत्ति के बारे में ऐतिहासिक प्रमाण खोजने के दोरान कुछ ऐतिहासिक प्रमाण मिले जिनके आधार पर पाटों की उत्पत्ति के बारे में निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं- | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | १. कवि श्री उदयचन्द खरतरगच्छ मथेन की ’’बीकानेर गजल‘‘ १७०९ नामक रचना में नगर व बाजार वर्णन काव्य में चौक का सन्दर्भ शामिल है, जिसमें लिखा गया है कि - | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | अर्थात् बाजार के बीचोंबीच चौक (पाटे) लगे हुए हैं जिन पर सेठ-साहुकार आकर बैठते हैं और व्यापार, परिवार तथा पूरे संसार की बातें करते हैं। उसी प्रकार गोदा चौकी का भी उल्लेख इस रचना में होता है। गोदा वास्तुशास्त्री था जिसने भांडासर जैन मन्दिर का निर्माण किया और उसी की याद में परकोटायुक्त शहर के रांगडी चौक में पत्थर की सुन्दर चौकी बनाई गई है। यह चौकी सुन्दर नक्काशी के लिए उस समय प्रसिद्ध थी। यह चौकी पाटे के आकार की बनी हुई थी, शोधवेत्ता कृष्णकुमार शर्मा के अनुसार इसी चौकी पर पगौडी शैली में सात पाटे रखे जाते थे। प्रसिद्ध भांडासर जैन मन्दिर का निर्माण पगौडी शैली में ही बनाया गया है। कुद लोगों का कहना है मन्दिर का निर्माण पाटों की इस शैली को देखने के बाद किया गया तो अन्य लोगों का मत है कि वास्तुकार गोदा की याद में यह पगौडा शैली के पाटों की परम्परा प्रारम्भ की गई। पिछले १० वर्षों से एक पाटे पर सात पाटे रखने की पगौडा शैली परम्परा समाप्त हो गई है। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_554446_9 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | पाटा | २. बीकानेर जैन संघ का विज्ञप्ति पत्र सन् १८३८ में अजीमगंज में विराजित खतरगच्छ नामक श्री सौभाग्य सूरिजी को आमन्त्रणार्थ भेजा गया जिसमें चित्रमय बीकानेर नगर का वर्णन किया गया है। राजा के सिंहासन की जगह पाटा दर्शाया गया है। इसी प्रकार उसमें गोदैरी चौकी, बोथरा चौकी, मालुवां री चौकी का चित्रण किया गया है। रास्ते में लोगों की भीड में पाटों का चित्रण दर्शाया गया है। | 0.5 | 109.989515 |
20231101.hi_1451035_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | वनस्पति विज्ञान में, पुष्पाकारिकी पुष्प द्वारा प्रस्तुत रूपों और संरचनाओं की वैविध्य का अध्ययन है, जो परिभाषानुसार, सीमित विकसित प्ररोह है जो लैंगिक जनन और युग्मक के संरक्षण हेतु जिम्मेदार रूपान्तरित पत्रों को धारण करती है, जिन्हें पुष्पांश कहा जाता है। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | एक पुष्प त्रितयी, चतुष्टयी, पंचतयी हो सकता है यदि उसमें उनके उपांगों की संख्या तीन,चार अथवा पाँच के गुणक में हो सकती है। जिस पुष्प में सहपत्र होते हैं (पुष्पवृन्त के आधार पर छोटी-छोटी पत्तियाँ होती हैं) उन्हें सहपत्री कहते हैं और जिसमें सहपत्र नहीं होते, उन्हें असहपत्री कहते हैं। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | सममिति में पुष्प अरीय सममित अथवा द्विपार्श्विक सममित हो सकते हैं। जब किसी पुष्प को दो समान भागों में विभक्त किया जा सके तब उसे अरीय सममित कहते हैं। इसके उदाहरण हैं: सर्सों, धतूरा, मिर्च। किन्तु जब पुष्प को केवल एक विशेष ऊर्ध्वाधर समतल से दो समान भागों में विभक्त किया जाए तो उसे द्विपार्श्विक सममित कहते हैं। इसके उदाहरण हैं- मटर, गुलमोहर, सेम आदि । जब कोई पुष्प मध्य से किसी भी ऊर्ध्वाधर समतल से दो समान भागों में विभक्त न हो सके तो उसे असममित कहते हैं। जैसे कि केना। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | पुष्पवृन्त पर बाह्य दलपुंज, दलपुंज, पुमंग तथा अण्डाशय की सापेक्ष स्थिति के आधार पर पुष्प को अधोजायांग, परिजायांग, तथा अधिजायांग वर्णित किया जाता है । अधोजायांग पुष्प में जायांग सर्वोच्च स्थान पर स्थित होता हैं और अन्यांग नीचे होते हैं। ऐसे पुष्पों में अण्डाशय ऊर्ध्ववर्ती होते हैं। इसके सामान्य उदाहरण सर्सों, गुढ़ल तथा बैंगन हैं। परिजायांग पुष्प में अण्डाशय मध्यवर्ती होता हैं और अन्यांग पुष्पासन के किनारे पर स्थित होते हैं तथा ये लगभग समान औच्च्य तक होते हैं। इसमें अण्डाशय आधा अधोवर्ती होता है। इसके सामान्य उदाहरण हैं- अलूचा, आड़ू, और गुलाब हैं। अधिजायांग पुष्प में पुष्पासन के किनारे की ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं तथा वे अण्डाशय को पूरी तरह घेर लेते हैं और इससे संलग्न हो जाते हैं। पुष्प के अन्य भाग अण्डाशय के ऊपर उगते हैं। इसलिए अण्डाशय अधोवर्ती होता हैं। इसके उदाहरण हैं सूर्यमुखी के अरपुष्पक, अमरूद तथा ककड़ी। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | बाह्य दलपुंज पुष्प का सबसे बाहरी चक्र है और इसकी इकाई को बाह्य दल कहते हैं। प्रायः बाह्य दल हरी पत्रों की तरह होते और कली की अवस्था में पुष्प की रक्षा करते हैं। बाह्य दलपुंज संयुक्त बाह्यदलीय अथवा पृथग्बाह्यदलीय होती हैं। | 1 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | दलचक्र दल (पंखुड़ी) का बना होता है। दल परागण हेतु कीटों को अपनी ओर आकर्षित करने हेतु प्रायः उज्ज्वल रंजित होते हैं। दलचक्र भी संयुक्तदलीय अथवा पृथग्दलीय हो सकता है। पौधों में दलचक्र की आकृति तथा रंग विभिन्न होता है। जहाँ तक आकृति का सम्बन्ध है, वह नलिकाकार घटाकार, कीपाकार का तथा चक्राकार हो सकती है। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | पुमंग पुंकेशरों से मिलकर बनता है। यह पुष्प के नर जननांग है। प्रत्येक पुंकेशर में एक तन्तु तथा एक परागकोष होता है। प्रत्येक परागकोष प्रायः द्विपालक होता है और प्रत्येक पालि में दो प्रकोष्ठ, परागकोष होते हैं। पराग कोष में पराग होते हैं। बन्ध्य पुकेशर जनन में असमर्थ होते हैं। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | पुंकेशर पुष्प के अन्य भागों जैसे दल अथवा परस्पर में ही जुड़े हो सकते हैं। जब पुंकेशर दल से जुड़े होते हैं, तो उसे दललग्न कहते हैं जैसे बैंगन में। यदि ये परिदलपुंज से जुड़े हों तो उसे परिदललग्न कहते हैं जैसे लिलि के फूल में। पुंकेसर मुक्त (बहुपुंकेशरी) अथवा जुड़े हो सकते हैं। पुंकेशर एक गुच्छे (एकसंघी) जैसे गुढ़ल में हैं; अथवा दो गुच्छ (द्विसंघी) जैसे मटर में; अथवा द्व्यधिक गुच्छ (बहुसंघी) जैसे निम्बू-वंश में हो सकते हैं। उसी पुष्प के तन्तु की दैर्घ्य में भिन्नता हो सकती है जैसे सर्सों में। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1451035_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80 | पुष्पाकारिकी | जायांग पुष्प के मादा जननांग होते हैं। ये एक अथवा अधिक स्त्रीकेशरों से मिलकर बनते हैं। स्त्रीकेशर के तीन भाग होते हैं- वर्त्तिका, वर्तिकाग्र तथा अण्डाशय। अण्डाशय का आधारी भाग फूला हुआ होता है जिस पर एक लम्बी नली होती हैं जिसे वर्त्तिका कहते हैं। वर्त्तिका अण्डाशय को वर्त्तिकाग्र से जोड़ती है। वर्त्तिकाग्र प्रायः वर्त्तिका की शिखर पर होती है और पराग को ग्रहण करती है। प्रत्येक अण्डाशय में एक अथवा अधिक बीजाण्ड होते हैं जो चपटे, गद्देदार बीजाण्डासन से जुड़े रहते हैं। जब एकाधिक स्त्रीकेशर होते हैं तब वे पृथक् (मुक्त) हो सकते हैं, (जैसे गुलाब और कमल में) इन्हें वियुक्ताण्डपी कहते हैं। जब स्त्रीकेशर जुड़े होते हैं, जैसे मटर तथा टमाटर, तब उन्हें युक्ताण्डपी कहते हैं। निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड से बीज तथा अण्डाशय से फल बन जाते हैं। | 0.5 | 107.908105 |
20231101.hi_1235120_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | कनकागिरी गावात मच्छिंद्राने गोरक्षनाथास उपदेश करून सर्व वेदशास्त्रांत प्रवीण केले, चौदा विद्याहि त्यास पक्क्या पढविल्या; सकल अस्त्रात वाकब केले, साबरी विद्या शिकविली व सर्व देवाच्या पायांवर त्यास घातले. नरशी, कालिका, म्हंदा, म्हैशासुर, झोटिंग वेताळ, मारुती, श्रीराम इत्यादिकांची दर्शने करविली. जेव्हा रामाची भेट झाली, तेव्हा रामाने गोरक्षनाथास मांडीवर बसवून आशीर्वाद दिले. असो बावन वीरांसहवर्तमान श्रीराम, सूर्य, आदिकरून सर्वांनी गोरक्षास वरदाने दिली व त्यास तपास बसविण्यासाठी मच्छिंद्रनाथास सांगून ते आपापल्या ठिकाणी गेले. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | एके दिवशी गोरक्षनाथ संजीवनीमंत्र पाठ करीत बसला होता. जवळ मच्छिंद्रनाथ नव्हता. तो एकटाच त्या ठिकाणी बसला आहे अशा संधीस गावची मुले खेळत खेळत त्याच्या जवळ गेली. ती मुले चिखलाचा गोळा घेऊन आपसात खेळत होती. त्यांनी गोरक्षास चिखलाची गाडी करावयास सांगितले, पण त्याने आपणास गाडी करता येत नाही म्हणून सांगितल्यावर ती मुले आपणच करू लागली. त्यांनी चिखलाची गाडी तयार केली. त्या गाडीवर बसावयासाठी एक गाडीवान असावा असे त्या मुलांच्या मनात येऊन ती चिखलाचा पुतळा करू लागली, परंतु त्यांना साधेना, म्हणून ती एक मातीचा पुतळा करून देण्याविषयी गोरक्षनाथाची प्रार्थना करू लागली. त्याने त्यांची ती विनवणी कबूल केली व चिखल घेऊन पुतळा करावयास आरंभ केला. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | गोरक्षनाथ जो चिखलाचा पुतळा करील त्यापासून गहिनीनाथाचा अवतार व्हावयाचा, वगैरे संकेत पूर्वी ठरलेला होता. त्या अन्वये त्यास पुतळा करून देण्याची बुद्धि उत्पन्न झाली. नवनारायणांपैकी करभंजन हा अवतार ह्या मातीच्या पुतळ्यापासून व्हावयाचा, म्हणून गोरक्षास तशी बुद्धि होऊन त्याने पुतळा करावयास घेतला. त्या वेळी मुखाने संजीवनी मंत्राचा पाठ चालला होता. संपूर्ण पुतळा तयार झाला अशी संधि पाहून करभंजनाने त्यात प्रवेश केला. तेव्हा अस्थी, त्वचा, मांस, रक्त इत्यादि सर्व होऊन मनुष्याचा तेजःपुंज पुतळा बनला. मग तो रडू लागला. हा आवाज जवळ असलेल्या मुलांनी ऐकिला. तेव्हा गोरक्षनाथाने भूत आणिले. असा त्या मुलांनी बोभाटा केला व लागलेच सर्वजण भिऊन पळून गेले. पुढे मार्गात मच्छिंद्रनाथाशी भेट होताच, त्याने त्या मुलास भिण्याचे व ओरड करून लगबगीने धावण्याचे कारण विचारिले व तुम्ही भिऊ नका म्हणून सांगितले. तेव्हा पुतळ्याचा मजकूर मुलांनी सांगितला. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | मुलांचे भाषण ऐकून मच्छिंद्रनाथ विस्मयात पडला व काय चमत्कार आहे तो आपण स्वतः डोळ्यांनी पहावा असे त्याने मनात आणिले आणि मुलांस जवळ बसवून सर्व खाणाखुणा विचारून घेतल्या. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | मच्छिंद्रनाथास मुलांनी दुरून ठिकाण दाखविले होतेच. तेथून एक मुलाचा शब्द त्यास ऐकू येऊ लागला. तेव्हा हा करभंजन नारायणाचा अवतार झाला, असे मच्छिंद्रनाथाने समजून मुलास उचलून घेतले व तो मार्गाने चालू लागला. गोरक्षनाथाने पुतळा केला असूनहि तो जवळ दिसेना, म्हणून मच्छिंद्रनाथ मुलास घेऊन जात असता, गोरक्षनाथास हाका मारीत चालला. ती गुरूची हाक ऐकून गोरक्ष एका घरात लपला होता तेथून बाहेर आला. पण मच्छिंद्राच्या हातातील मुलास पाहताच त्यालाहि भीति वाटली. त्याची गुरूजवळ येण्यास हिंमत होईना. हे पाहून गोरक्षास भय वाटते असे मच्छिंद्रनाथ समजला. मग त्याने मुलास चिरगुटात गुंडाळून ठेविले व गोरक्षापाशी जाऊन सांगितले की. हा मनुष्य आहे व तो नवनारायणापैकी एक नारायणाचा अवतार आहे. मग गोरक्षानेही कसा काय प्रकार झाला होता तो सांगितला तेव्हा ते वर्तमान ऐकून मच्छिंद्रनाथास आनंद झाला जसा तू गोवरामध्ये झालास तसाच तू संजीवनी मंत्र म्हणून हा पुतळा केलास. त्यात करभंजन नारायणाने संचार केला आहे; तो भूत नसून मनुष्य झाला आहे, अशी साद्यंत हकीगत सांगून मच्छिंद्रनाथाने गोरक्षाची भीति उडविली मग त्यासहवर्तमान मुलास घेऊन मच्छिंद्रनाथ आपल्या आश्रमास गेला तेथे त्याने गाईचे दूध आणून मुलास पाजिले व त्यास झोळीत घालून हालवून निजविले. | 1 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | याप्रमाणे प्रकार घडल्याची बातमी गावभर झाली. तेव्हा गावचे लोक भेटीस जाऊन मुलाची चौकशी करीत तेव्हा नाथहि सर्व वृत्तांत सांगत; तो ऐकून त्यांना नवल वाटे. मच्छिंद्रनाथाने आपल्या शिष्याकडून मातीचा पुतळा जिवंत करविला, ह्यास्तव ब्रह्मदेवापेक्षा मच्छिंद्रनाथाची योग्यता विशेष होय, असे जो तो बोलू लागला | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | तेथून पुढे तीर्थयात्रा करीत फिरताना मुलासहि बरोबर नेणार असा मच्छिंद्राचा मानस पाहून, त्यामुळे मुलाची अनास्था होईल मुलाचे आईवाचून संरक्षण व्हावयाचे नाही, म्हणून मुलास कोणाच्या तरी हवाली करा, असे पुष्कळांनी मच्छिंद्रनाथास सुचविले. ते ऐकून, तसे होईल तर फारच चांगले होईल असे नाथाने उत्तर दिले. अशा तऱ्हेने मच्छिंद्रनाथाचा रुकार मिळाल्यानंतर मुलास कोणाच्या तरी माथी मारावा असा गावकऱ्यांनी घाट घातला. मग मधुनाभा या नावाचा एक ब्राह्मण तेथे राहात होता. त्याची गंगा ह्या नावाची स्त्री महापतिव्रता होती. उभयता संतती नसल्याने नेहमी रंजीस असत व त्यांस कोणत्याच गोष्टीची हौस वाटत नसे. ते दोघे ह्या मुलाचा प्रतिपाळ आस्थेने करतील असे जाणून त्यांच्याबद्दल सर्वांनी मनापासून मच्छिंद्राकडे शिफारस केली. मग अशा लोकप्रिय स्त्रीपुरुषांच्या हातात गहिनीनाथासारखे रत्न देणे नाथासहि प्रशस्त वाटले. त्याने मुलास गंगाबाईच्या ओटीत घातले आणि सांगितले की, मातोश्री ! हा पुत्र वरदायक आहे. करभंजन म्हणून जो नवनारायणांपैकी एक त्याचाच हा अवतार आहे. ह्याचे उत्तम रितीने संगोपन कर, तेणेकरून तुझे कल्याण होईल व जगाने नावाजण्यासारखा हा निपजेल; हा पुढे कसा होईल हे मातोश्री, मी तुला आता काय सांगू? पण याचे सेवेसाठी मूर्तिमंत कैलासपति उतरेल. ज्याचे नाव निवृत्ति असेल त्यास हा अनुग्रह करील. याचे नाव गहिनीनाथ असे ठेव. आम्ही तीर्थयात्रेस जातो. पुन्हा बारा वर्षांनी हा आमचा बाळ गोरक्षनाथ येथे येईल, तेव्हा तो ह्यास अनुग्रह करील. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | मग मोहनास्त्र मंत्र म्हणून विभूति तिचे अंगावर टाकताच, तिच्या स्तनात दूध उत्पन्न झाले. मग मुलास स्तनपान करविल्यानंतर तिने गावातील सुवासिनी बोलावून मुलास पाळण्यात घालून गहिनीनाथ असे त्याचे नाव ठेविले. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_1235120_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5 | गहनीनाथ | पुढे मच्छिंद्रनाथ काही दिवस तेथे राहिला व गावकऱ्यांची रजा घेऊन गोरक्षासहवर्तमान तो तीर्थयात्रेस गेला. जाताना गोरक्ष अजून कच्चा आहे असे मच्छिंद्रनाथास दिसून आले. मग त्यास बदरिकेद्वार स्वामींच्या हवाली करून तपास लावावे असे मनात जाणून अनेक तीर्थयात्रा करीत करीत ते बदरिकाश्रमास गेले. | 0.5 | 105.307384 |
20231101.hi_685790_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | ये एक पूर्ण रूप से हिन्दू समाज वाला गाँव है। इस गाँव में कुल मिलाकर १५०० से ज़्यादा घर होने का अनुमान है। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | इसे 5 वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित किया गया है, जो सीखने की प्राचीन सीट के रूप में प्रसिद्ध है। दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय के खंडहर दक्षिण पटना के बोधगया से 62 किलोमीटर और 90 किलोमीटर है, जो यहाँ निहित है। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | हालांकि, बौद्ध शिक्षा के इस प्रसिद्ध केंद्र को 5 वीं से 12 वीं शताब्दी के दौरान, बहुत बाद में प्रसिद्धि मिली, पर बाद | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | में यह स्थान नहीं रहा। ह्वेनसांग 7 वीं शताब्दी में यहां रुके थे और शिक्षा प्रणाली और यहाँ अभ्यास मठवासी जीवन की पवित्रता की उत्कृष्टता का विस्तृत वर्णन छोड़ दिया है। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | उन्होंने यह भी माहौल और प्राचीन काल के इस अनूठे विश्वविद्यालय की वास्तुकला दोनों का एक ज्वलंत ब्यौरा दिया। | 1 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | दुनिया के इस पहले आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में 2,000 शिक्षकों और सब से अधिक बौद्ध दुनिया से 10,000 भिक्षुओं छात्रों रहते थे और यहां अध्ययन किया। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | गुप्ता ने किंग्स एक आंगन के चारों ओर की कोशिकाओं की एक पंक्ति में, पुरानी कुषाण स्थापत्य शैली में निर्मित इन मठों, संरक्षण। सम्राट अशोक और हर्षवर्धन यहां मंदिरों, मठों और विहार निर्माण किया है | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | हाल ही खुदाई से यहां व्यापक संरचनाओं का पता लगाया है। बौद्ध अध्ययन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र 1951 में यहां स्थापित किया गया था आस-पास के एक वार्षिक उर्स दरगाह या मलिक इब्राहिम बाया की कब्र पर मनाया जाता है, जहां Biharsharif है। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_685790_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | साठोपुर | बारागॉंव, 2 किमी दूर छठ पूजा के लिए प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। दौरा किया महान खंडहर के अलावा नालंदा संग्रहालय और नव नालंदा Mahavihar हैं। | 0.5 | 104.914341 |
20231101.hi_632038_0 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | चबुआ अथवा चबुवा, भारत के असम राज्य के डिब्रूगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाला एक नगर और नगर समिति है. यह नगर डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया के बीच में राष्ट्रीय राजमार्ग ३७ पर स्थित है. दोनों जिलों से इसकी दूरी क्रमशः ३० किमी और २० किमी है. | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_1 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | १८२० के दशक के मध्य में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने यंडाबू संधि के माध्यम से अहोम राजाओं से इस वृहत क्षेत्र (वर्तमान तिनसुकिया तथा डिब्रूगढ़) का अधिग्रहण किया. इस अधिग्रहण करने का उनका मुख्य मकसद था इलाके में मौजूद प्राकृतिक संपदा का दोहन करना. कच्चे तेल, कोयले और वन्य उत्पाद के अलावा उन्हें यहाँ चाय खेती की भी बड़ी संभावनाएँ नज़र आईं थीं. १८३० के दशक से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने असम में चाय के बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। असम में सिंग्फो जनजाति द्वारा पारंपरिक रूप से विकसित चाय के एक किस्म की खेती की जाने लगी। | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_2 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | इसी कड़ी में चबुआ का नाम १८२३ में पहली बार आया जब अंग्रेजों ने यहाँ चाय का बागान लगाने की सोची. १८२३ में बहुत से गरीब भारतीय मजदूरों को एक अज्ञात जगह में काम करने के लिए बलपूर्वक ले जाया गया. इन गरीब मजदूरों को पता नहीं था की किस पौधे की बुआई या रोपण के लिए उन्हें लाया गया है. जो पौधे उन्हें रोपण के लिए दिए गए उनकी उन्हें पहचान नहीं थी. वे चाय के पौधे को जंगली पौधा समझ रहे थे और अंग्रेजों द्वारा इस पौधे को महत्व देने को उनका पागलपन समझ रहे थे. इन मजदूरों ने इस पौधे का नाम "चा" दिया. "बुआ" मतलब बोना. इन्ही दो शब्दों यानी चा और बुआ को मिला कर इस स्थान का नाम चबुआ पड़ा, ऐसा माना जाता है. १८४० तक चबुआ के बड़े भूभाग में चाय की खेती की जाने लगी. १८४० में ही असम टी कंपनी की स्थापना हुई और इस क्षेत्र में चाय का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ। सदी के अंत तक, असम दुनिया में अग्रणी चाय उत्पादक क्षेत्र बन गया। असम में चाय उत्पादन के इतिहास में चबुआ का नाम हमेशा रहेगा. | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_3 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | ऊपरी असम में चबुआ में एयर फोर्स बेस है जिसे “ईस्टर्न बेस्टीयन” यानी ‘पूर्वी गढ़' कहा जाता है। चबुआ के समीपवर्ती ४ किमी की दूरी पर स्थित यह हवाई क्षेत्र वास्तव में दूसरे विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना के एयरबेस के रूप में तैयार किया गया था। १९३९ में निर्मित, हवाई क्षेत्र को बड़े पैमाने पर जापान के खिलाफ कार्रवाई करने और सामान और युद्ध सामग्री आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया था और युद्ध के बाद इसे छोड़ दिया गया था। | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_4 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | १९६२ में, तिब्बत में चीनी आक्रमण और उत्तर-पूर्व को हड़पने की चीनी रणनीति के मद्देनज़र भारतीय वायु सेना ने इस एयरफील्ड को फिर से शुरू किया। प्रारंभ में डकोटा और वैम्पयार, बाद में हंटर, औटर्स और एमआई-चार हेलीकाप्टरों से चबुआ एयर बेस का एयर आपरेशन शुरू किया गया। मध्य सत्तर के दशक में, रनवे उन्नयन और नवीकरण के बाद सुपरसोनिक मिग-21 मुख्य लड़ाकू विमान के रूप यहाँ से संचालित हो रहा है. अक्टूबर, १९६६ में पूर्ण रूप से स्थापित इस इकाई का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। सात वीर चक्र, एक वायु सेना मेडल और पांच “मेंशन-इन-डिस्पैचिज” मिलना इस इकाई की वीरता का प्रमाण है। हाल ही में इस इकाई को चालू वर्ष के लिए पूर्वी वायु कमान के `सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू स्क्वाड्रन 'के रूप में घोषित किया गया है। | 1 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_5 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | चबुआ से ५ किमी उत्तर की दूरी पर प्रसिद्ध दिनजॉय सत्र स्थित है। गोपाल आठदेऊ के बारह मुख्य भक्तों के बीच, उनके अनन्य भक्त अनिरुद्ध देव ने उत्तर लखीमपुर के बिष्णुबलिकाकुंशी गांव में एक सत्र की स्थापना की। बाद में इस सत्र को खुटीपुटिया में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस अवधि के दौरान मोमरिया विद्रोह हुआ और यह सत्र गहरी मुसीबत में घिर गई। फिर अनेकों दिक्कतों और अस्थिरता के बाद यह सत्र मटक सम्राट और अहोम सम्राट के सहमति से तिनसुकिया के रंगागडा में स्थापित हुआ फिर १८३७ में आखिरी बार इससे स्थानांतरित किया गया और इससे वर्तमान के दिनजॉय नामक जगह पर स्थापित किया गया. | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_6 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | २०११ की जनगणना अनुसार, असम के डिब्रूगढ़ जिले में स्थित चबुआ में १,५९,५८५ लोगों की आबादी है। चार अंचलों (चबुआ टी.ई., चबुआ टाउन, निज चबुआ और चबुआ ग्रांट टी.ई.) में विभाजित इस जगह में ३२,४४२ परिवार रहते हैं. यहाँ पुरुषों की जनसंख्या ८२,१६८ (५१.४८%) और महिलाओं की जनसंख्या ७७,४१७ (४८.५२%) है। चबुआ में, महिला लिंग अनुपात ९४२ प्रति १००० है जो की राज्य के औसत ९५८ से कम है. ०-६ साल के उम्र के बच्चों की संख्या २१,३३४ हैं जिसमे १०,८६४ बाल हैं और १०,४७० बालिकायें हैं. बाल लिंग अनुपात की स्थिति ९६४ प्रति १००० के साथ कुछ बेहतर है. यहाँ की साक्षरता दर ५९.१७% जो की राष्ट्रीय और राज्यिक औसत से भी कम है. महिला साक्षरता दर ५१.०१% है, जबकि पुरुष साक्षरता दर ६६.८५% है। | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_7 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | दूसरी तरफ सिर्फ चबुआ नगर की बात की जाए तो, यहाँ की आबादी ८९६६ है जिनमें, पुरुष ४५९३(५१.४१%) और महिलायें ४३७३(४८.५९%) हैं. यहाँ महिला लिंग अनुपात ९५२ प्रति १००० है और साक्षरता दर ७९.६१% जो की राष्ट्रीय और राज्यिक औसत से ज्यादा है. महिला साक्षरता दर ८४.२१% है, जबकि पुरुष साक्षरता दर ६६.८५% है। | 0.5 | 104.663027 |
20231101.hi_632038_8 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%86 | चबुआ | चबुआ में मुख्य अस्पताल टाटा कंपनी द्वारा संचालित टाटा रेफरल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर है. यह पूर्वी असम में टाटा के सभी चाय बागानों में सबसे बड़ा अस्पताल है. यह अस्पताल सभी आधुनिक उपकरणों के साथ सुसज्जित है। यह मुख्य रूप से टाटा टी.ई. के कर्मचारियों के लिए है किन्तु यह अस्पताल बाहरी लोगों के लिए भी सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा चबुआ में सेंट लुक्स अस्पताल भी है. असम सरकार के द्वारा भी यहाँ एक मॉडल हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रहा है जो की अपने निर्माण के अंतिम चरण में है. | 0.5 | 104.663027 |