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20231101.hi_5595_4
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टेनिस
पूरे रैकेट को एक निश्चित आकृती, आकार, वजन, और वजन वितरण का होना चाहिए। रैकेट में कोई भी ऊर्जा स्रोत निर्मित नहीं हो सकता है।
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5,614.169542
20231101.hi_9024_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B6%E0%A5%8B
ओशो
वर्ष 1957 में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक के तौर पर रजनीश रायपुर विश्वविद्यालय से जुड़े। लेकिन उनके गैर परंपरागत धारणाओं और जीवनयापन करने के तरीके को छात्रों के नैतिक आचरण के लिए घातक समझते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति ने उनका स्थानांतरण कर दिया। अगले ही वर्ष वे दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में जबलपुर विश्वविद्यालय में शामिल हुए। इस दौरान भारत के कोने-कोने में जाकर उन्होंने गांधीवाद और समाजवाद पर भाषण दिया; अब तक वह आचार्य रजनीश के नाम से अपनी पहचान स्थापित कर चुके थे।
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5,608.858391
20231101.hi_2605_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A4%B2%E0%A5%80
इटली
इटली वासियों का सबसे बड़ा व्यवसाय खेती है। संपूर्ण जनसंख्या का भाग खेती से ही अपनी जीविका प्राप्त करता है। जलवायु तथा प्राकृतिक दशा की विभिन्नता के कारण इस छोटे से देश में यूरोप में पैदा होनेवाली सारी चीजें पर्याप्त मात्रा में पैदा होती हैं, अर्थात् राई से लेकर चावल तक, सेब से लेकर नारंगी तक तथा अलसी से लेकर कपास तक। संपूर्ण देश में लगभग 7,05,00,000 एकड़ भूमि उपजाऊ है, जिसमें 1,83,74,000 एकड़ में अन्न, 28,62,000 एकड़ में दाल आदि फसलें, 7,72,000 एकड़ में औद्योगिक फसलें, 14,90,000 एकड़ में तरकारियाँ, 23,86,000 एकड़ में अंगूर, 20,33,000 एकड़ में जैतून, 2,19,000 एकड़ में चरागाह और चारे की फसलें तथा 1,44,58,000 एकड़ में जंगल पाए जाते हैं। यहाँ की खेती प्राचीन ढंग से ही होती है। पहाड़ी भूमि होने के कारण आधुनिक यंत्रों का प्रयोग नहीं हो सका है।
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5,594.905148
20231101.hi_51007_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B2
पंचशील
चीन ने अक्सर पांच सिद्धांतों के साथ अपने घनिष्ठ संबंध पर जोर दिया है। इसने उन्हें शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों के रूप में, दिल्ली में दिसंबर 1953 से अप्रैल 1954 तक पीआरसी सरकार के प्रतिनिधिमंडल और भारत सरकार के प्रतिनिधिमंडल के बीच संबंधों पर हुई बातचीत की शुरुआत में सामने रखा था। अक्साई चिन के विवादित क्षेत्रों के संबंध में और जिसे चीन दक्षिण तिब्बत और भारत अरुणाचल प्रदेश कहता है। ऊपर वर्णित 28 अप्रैल 1954 का समझौता आठ वर्षों तक चलने के लिए निर्धारित किया गया था। जब यह समाप्त हो गया, तो संबंधों में पहले से ही खटास आ रही थी, समझौते के नवीनीकरण का प्रावधान नहीं किया गया था और दोनों पक्षों के बीच चीन-भारतीय युद्ध छिड़ गया था।
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5,562.640405
20231101.hi_52110_30
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE
बीमा
बीमा के अनुबंध दो प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं। वे अनुबंध जिनमें क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व होता है और वे जिनमें क्षतिपूर्ति का प्रश्न नहीं होता वरन् एक निश्चित धनराशि अदा करने का अनुबंध होता है। क्षतिपूर्ति विषयक बीमा सामुद्रीय (मैरीन इंश्योरेंस) भी हो सकता है और गैरसामुद्रीय भी। पहले का उदाहरण समुद्र द्वारा विदेशों को भेजे जानेवाले समान की सुरक्षा का बीमा है और दूसरे का उदाहरण अग्निभय अथवा मोटर का बीमा है। क्षतिपूर्ति के अनुबंध में केवल क्षति की पूर्ति की जाती है। यदि एक ही वस्तु का बीमा एक से अधिक स्थानों (बीमा संस्थानों) में है तो भी बीमा करानेवाले को क्षतिपूर्ति की ही धनराशि उपलब्ध होती है। हाँ, वे बीमा कंपनियाँ आपस में अदायगी की धनराशि का भाग निश्चित कर लेती हैं। अतः क्षतिपूर्ति अनुबंध का यह सिद्धांत जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा पर लागू नहीं होता। अत: जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा कितनी भी धनराशि के लिए किया गया है, बीमा करानेवाले को (यदि वह जीवित है) अथवा उसके मनोनीत व्यक्ति को वह पूरी रकम उपलब्ध होती है।
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5,556.798392
20231101.hi_93268_53
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9F
रोबोट
हेप्तिक अंतरफलक रोबोट :रोबोटिक्स का आभासी वास्तविकता (virtual reality) के अंतरफलक के डिजाइन में भी कंप्यूटर प्रोग्राम है विशेष रोबोटों का हेप्तिक (haptic) अनुसंधान समुदाय में व्यापक इस्तेमाल है ये रोबोट "हेप्तिक इंटरफेस" कहे जाते हैं जो की स्पर्श-समर्थ उपयोगकर्ता को वास्तविक और आभासी वातावरण के संपर्क में आने के लिए अनुमति देता है रोबोटिक बल "आभासी वस्तुओं" के बनावटी यांत्रिक गुणों को स्वीकार करता है, जिसे उपयोगकर्ता स्पर्श (touch) के माध्यम से महसूस कर सकता है हेप्तिक इंटरफेसरोबोट-पुनर्वास सहायता (robot-aided rehabilitation) में भी इस्तेमाल की जाती हैं
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5,546.367052
20231101.hi_2561_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र अम्बाला से 25 मील पूर्व में है। यह एक अति पुनीत स्थल है। इसका इतिहास पुरातन गाथाओं में समा-सा गया है। ऋग्वेद में त्रसदस्यु के पुत्र कुरुश्रवण का उल्लेख हुआ है। 'कुरुश्रवण' का शाब्दिक अर्थ है 'कुरु की भूमि में सुना गया या प्रसिद्ध।' अथर्ववेद में एक कौरव्य पति (सम्भवत: राजा) की चर्चा हुई है, जिसने अपनी पत्नी से बातचीत की है। ब्राह्मण-ग्रन्थों के काल में कुरुक्षेत्र अति प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल कहा गया है। शतपथ ब्राह्मण में उल्लिखित एक गाथा से पता चलता है कि देवों ने कुरुक्षेत्र में एक यज्ञ किया था जिसमें उन्होंने दोनों अश्विनों को पहले यज्ञ-भाग से वंचित कर दिया था। मैत्रायणी संहिता एवं तैत्तिरीय ब्राह्मण का कथन है कि देवों ने कुरुक्षेत्र में सत्र का सम्पादन किया था। इन उक्तियों में अन्तर्हित भावना यह है कि ब्राह्मण-काल में वैदिक लोग यज्ञ-सम्पादन को अति महत्त्व देते थे, जैसा कि ऋग्वेद में आया है- 'यज्ञेय यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यसन्।'
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5,528.324007
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
साम्राज्यवाद
2. कच्चे माल की आवश्यकता : यूरोपीय देशों की अपने औद्योगिक उत्पादन के लिए कच्चे माल और अनाज की जरूरत थी जैसे कपास, रबर, टिन, जूट, लोहा आदि। अतः ये औद्योगिक देश औपनिवेशिक प्रसार में लग गये जहां से उन्हें सुगमतापूर्व सस्ते दामों में यह कच्चा माल मिल सके।
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5,514.312979
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE
तारा
पूर्णतया निर्मल आकाश में हमें दृष्टि सहायक यंत्रों के 3,200 से अधिक तारे नहीं दिखलाई पड़ते। चूँकि हम आकाश के केवल आधे हिस्से को ही देख पाते हैं अत: चक्षुदृश्य तारों की संख्या 6,500 (2x3,200+100) के लगभग है। इनमें
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5,502.188363
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8
साबुन
साबुन बनाने के लिए तेल या वसा को दाहक सोडा (कास्टिक सोडा) के विलयन के साथ मिलाकर बड़े-बड़े कड़ाहों या केतली में उबालते हैं। कड़ाहे भिन्न-भिन्न आकार के हो सकते हैं। साधारणतया १० से १५० टन जलधारिता के ऊर्ध्वाधार सिलिंडर मृदु इस्पात के बने होते हैं। ये भापकुंडली से गरम किए जाते हैं। धारिता के केवल १/३ ही तेल या वसा से भरा जाता है।
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5,482.272021
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE
मातृभाषा
गांधीजी देश की एकता के लिए यह आवश्यक मानते थे कि अंग्रेजी का प्रभुत्व शीघ्र समाप्त होना चाहिए। वे अंग्रेजी के प्रयोग से देश की एकता के तर्क को बेहूदा मानते थे। सच्ची बात तो यही है कि भारत विभाजन का कार्य अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों की ही देन है। गांधी जी ने कहा था- "यह समस्या 1938 ई. में हल हो जानी चाहिए थी, अथवा 1947 ई. में तो अवश्य ही हो जानी चाहिए थी।" गांधी जी ने न केवल माध्यम के रूप में अंग्रेजी भाषा का मुखर विरोध किया बल्कि राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर भी राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता को प्रकट करने वाले विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा था,
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5,471.957937
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%B8
बाँस
छोटी छोटी टहनियों तथा पत्तियों को डालकर उबाला गया पानी, बच्चा होने के बाद पेट की सफाई के लिए जानवरों को दिया जाता है। जहाँ पर चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध नहीं होते, बाँस के तनों एवं पत्तियों को काट छाँटकर सफाई करके खपच्चियों का उपयोग किया जाता है। बाँस का खोखला तना अपंग लोगों का सहारा है। इसके खुले भाग में पैर टिका दिया जाता है। बाँस की खपच्चियों को तरह तरह की चटाइयाँ, कुर्सी, टेबुल, चारपाई एवं अन्य वस्तुएँ बिनन के काम में लाया जाता है। मछली पकड़ने का काँटा, डलिया आदि बाँस से ही बनाए जाते हैं। मकान बनाने तथा पुल बाँधने के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। इससे तरह तरह की वस्तुएँ बनाई जाती हैं, जैसे चम्मच, चाकू, चावल पकाने का बरतन। नागा लोगों में पूजा के अवसर पर इसी का बरतन काम में लाया जाता है। इससे खेती के औजार, ऊन तथा सूत कातने की तकली बनाई जाती है। छोटी छोटी तख्तियाँ पानी में बहाकर, उनसे मछली पकड़ने का काम लिया जाता है। बाँस से तीर, धनुष, भाले आदि लड़ाई के सामान तैयार किए जाते थे। पुराने समय में बाँस की काँटेदार झाड़ियों से किलों की रक्षा की जाती थी। पैनगिस नामक एक तेज धारवाली छोटी वस्तु से दुश्मनों के प्राण लिए जा सकते हैं। इससे तरह तरह के बाजे, जैसे बाँसुरी, वॉयलिन, नागा लोगों का ज्यूर्स हार्प एवं मलाया का ऑकलांग बनाया जाता है। एशिया में इसकी लकड़ी बहुत उपयोगी मानी जाती है और छोटी छोटी घरेलू वस्तुओं से लेकर मकान बनाने तक के काम आती है। बाँस का प्ररोह (young shoot) खाया जाता और इसका अचार तथा मुरब्बा भी बनता है।
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5,462.079067
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF
द्रोणाचार्य
जब महाभारत का युद्ध तय हुआ तो द्रोण ने अपने पुत्र अश्वत्थामा समेत कौरव सेना का साथ दिया। युद्ध की शुरुआत में वे एक मुख्य भूमिका में थे । युद्ध के ग्यारहवें दिन के बाद भीष्म पितामह को अर्जुन के बाणों की शारश्या पर लेटने के बाद दुर्योधन ने कर्ण के कहने पर द्रोण को कौरव सेना का प्रधान सेनापति चुना ।
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5,441.114387
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
व्याकरण
व्याकरण तथा भाषाविज्ञान दो शब्दशास्त्र हैं; दोनों का कार्यक्षेत्र भिन्न-भिन्न है; पर एक दूसरे के दोनों सहयोगी हैं। व्याकरण पदप्रयोग मात्र पर विचार करता है; जब कि भाषाविज्ञान "पद" के मूल रूप (धातु तथा प्रातिपदिक) की उत्पत्ति व्युत्पत्ति या विकास की पद्धति बतलाता है। व्याकरण यह बतलाएगा कि (निषेध के पर्य्युदास रूप में) "न" (नं) का रूप (संस्कृत में) "अ" या "अन्" हो जाता है। व्यंजनादि शब्दों में "अ" और स्वरादि में "अन्" होता है - "अद्वितीय", "अनुपम"। जब निषेध में प्रधानता हो, तब ("प्रसज्य प्रतिषेध" में) समास नहीं होता - अयं ब्राह्मणो नाऽस्ति", "अस्य उपमा नास्ति"। अन्यत्र "अब्राह्मणा: वेदाध्ययने मंदादरा: संति" और "अनुपमं काश्मीरसौंदर्य दृष्टम्" आदि में समास होगा; क्योंकि निषेध विधेयात्मक नहीं है। व्याकरण समास बता देगा और कहाँ समास ठीक रहेगा, कहाँ नहीं; यह सब बतलाना "साहित्य शास्त्र" का काम है। "न" से व्यंजन (न्) उढ़कर "अ" रह जाता है और ("न" के ही) वर्णत्य से "अन्" हो जाता है। इसी "अन्" को सस्वर करके "अन" रूप में "समास" के लिए हिंदी ने ले लिया है - "अनहोनी", "अनजान" आदि। "न" के ये विविध रूप व्याकरण बना नहीं देता; बने बनाए रूपों का वह "अन्वाख्यान" भर करता है। यह काम भाषाविज्ञान का है कि वह "न" के इन रूपों पर प्रकाश डाले।
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5,440.755085
20231101.hi_2211_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE
मिज़ोरम
मिज़ो फ्रंट ने भारत सरकार की ओर से भेजे गए हेलीकॉप्टरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद आख़िरकार मज़बूरन भारत सरकार को स्थिति को काबू में लाने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी और तब जाकर इस आतंकवाद कुछ हद तक नियंत्रण मिल सका । मिज़ो फ्रंट पर सेना द्वारा काबू पा लेने के बाद 1967 में भारत सरकार ने ग्रुपिंग पॉलिसी लागू की जिसके बाद आतंकवादियों का पूरे तरीके से सफाया किया जा सका। 1968 तक आते आते हालात और बेहतर हो गए जिसके बाद विद्रोहियों ने सरेंडर कर आम लोगों के साथ रहने की इच्छा जताई। 21 जनवरी 1972 को पहले मिजोरम केंद्र शासित राज्य बना और फिर 1976 में मिज़ो नेशनल फ्रंट के साथ हुई संधि के मुताबिक 20 फरवरी 1987 को मिजोरम को भारत के 23 वें राज्य का दर्ज़ा प्राप्त हो गया। मिजोरम में अब तक कुल तीन बार मौतम अकाल आ गया चूका है। पहला मौतम - ब्रिटिश शासन काल 1911-1912 के बीच, दूसरा - 1958-1960 के बीच जिसका अभी हम ज़िक्र कर रहे थे। और तीसरा - 2007 - 2008 के बीच।
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5,437.086398
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%80
लक्ष्मी
लक्ष्मी का जल-अभिषेक करने वाले दो गजराजों को परिश्रम और मनोयोग कहते हैं। उनका लक्ष्मी के साथ अविच्छिन्न संबंध है। यह युग्म जहाँ भी रहेगा, वहाँ वैभव की, श्रेय-सहयोग की कमी रहेगी ही नहीं। प्रतिभा के धनी पर सम्पन्नता और सफलता की वर्षा होती है और उन्हें उत्कर्ष के अवसर पग-पग पर उपलब्ध होते हैं।
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5,427.344839
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%88-%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE
ई-शिक्षा
तुल्यकालिक गतिविधियों में एक ही समयावधि के दौरान एक या एक से अधिक प्रतिभागियों के साथ विचारों एवं सूचना का आदान-प्रदान शामिल होता है। आमने-सामने की जाने वाली चर्चा तुल्यकालिक संचार का एक उदाहरण है।तुल्यकालिक गतिविधियां तुरंत शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों के साथ, जैसे - एक ऑनलाइन चैट सत्र या एक आभासी कक्षा या बैठक के साथ, होता है।
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5,417.921594
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A4%BE
सम्प्रभुता
सम्प्रभुता के आंतरिक स्वरूप के प्रश्न पर राजनीतिक सिद्धांत के दायरों में काफ़ी बहस हुई है। आख़िर सर्वोच्च और असीमित सत्ता का मुकाम क्या होना चाहिए? क्या उसे किसी एक शासक के हाथ में रखा जाना श्रेयस्कर होगा या उसका केंद्र किसी प्रतिनिधित्वमूलक संस्था में निहित होना बेहतर होगा? सत्रहवीं सदी में फ़्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने दर्प से कहा था कि मैं ही राज्य हूँ। एक व्यक्ति के हाथ में सम्प्रभुता देने के पीछे तर्क यह है कि उस सूरत में सम्प्रभुता के अविभाज्य होने का गारंटी रहेगी। उसकी अभिव्यक्ति एक ही आवाज़ में होगी और उसमें कोई दूसरा प्राधिकार हस्तक्षेप नहीं कर पायेगा। सम्प्रभुता की इस सर्वसत्तावादी धारणा में प्रभावशाली हस्तक्षेप अट्ठारहवीं सदी में किया गया जब ज्याँ-ज़ाक रूसो ने लोकप्रिय सम्प्रभुता की अवधारणा पेश की। रूसो ने राजशाही की हुकूमत को ख़ारिज करते हुए अपनी रचना सोशल कांट्रेक्ट में लिखा : ‘मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है, पर हर जगह वह ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ है।’ दरअसल, सोशल कांट्रेक्ट आधुनिक राजनीतिक दर्शन को एकदम नया रूप दे देती है। उनका सामाजिक समझौता हॉब्स और लॉक के सामाजिक समझौते से अलग है। रूसो से पहले के दार्शनिकों का यकीन था कि मनुष्य अपनी बुद्धिगत क्षमताओं के कारण दूसरे प्राणियों से भिन्न है, जबकि रूसो मानते हैं कि इनसान नैतिक चुनाव की क्षमता के कारण अलग है। अगर उसे यह चुनाव करने की आज़ादी न दी जाए तो वह दास से अधिक कुछ नहीं रह जाएगा। चूँकि समाज तरह-तरह की अ-स्वतंत्रताओं से भरा हुआ है और मनुष्य अपनी प्राकृतिक स्वतंत्रता के शुरुआती संसार में नहीं लौट सकता, इसलिए रूसो तजवीज़ करते हैं कि उसे अपनी उस आज़ादी का विनिमय नागरिक स्वतंत्रता से करना चाहिए। इसके लिए मनुष्य को एक-दूसरे से मिल कर संगठन बनाना होगा, सामाजिक अस्तित्व रचना होगा जिसके तहत सभी लोग अपने अधिकार त्याग देंगे और बदले में नागरिक के रूप में अधिकार प्राप्त करेंगे, एक सम्प्रभु के सदस्य के रूप में रहेंगे। अर्थात् एक संविधान बनाना पड़ेगा जिसके तहत हर व्यक्ति अधीन भी होगा और सहभागी नागरिक भी। केवल इसी तरह स्वतंत्रता की गारंटी की जा सकेगी। यह लोकतंत्र की अवधारणा थी, पर रूसो जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चलाये जाने वाले लोकतंत्र या विधि-निर्माण से सहमत नहीं थे। प्राचीन यूनान के प्रत्यक्ष  लोकतंत्र की तरह रूसो चाहते थे कि सभी नागरिक एक सार्वजनिक स्थान पर जमा हो कर विधि निर्माण करें। अल्पमत को बहुमत द्वारा लिए गये निर्णय के अधीन होने से बचाने के लिए रूसो ने सर्वसम्मति का पक्ष लिया जिसे कारगर बनाने के लिए उन्होंने अपने सबसे विख्यात सिद्धांत ‘जन-इच्छा’ (जर्नल विल) का सूत्रीकरण किया। ‘जन-इच्छा’ के आधार पर रचे गये कानून के पालन का मतलब था स्वयं अपनी इच्छा का पालन करना।
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5,417.347501
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A5%8D
भरतनाट्यम्
जातीस्वरम - यह अंश कला ज्ञान का परिचय देने का होता है इसमें नर्तक अपने कला ज्ञान का परिचय देते हैं। इस अंश में स्वर मालिका के साथ राग रूप प्रदर्शित होता होता है जो कि उच्च कला कि मांग करता है।
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5,403.029052
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%98%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%AE%E0%A5%8D
रघुवंशम्
जिनके चरित्र जन्म से आरंभ करके अन्त तक शुद्ध और पवित्र रहे हैं, जो किसी काम का जब बीड़ा उठाते थे उसको पूर्ण करके ही विराम लेते थे, जो समुद्र के ओर-छोर तक फैली हुई यह धरती है, उसके स्वामी थे और जिनके रथ पृथ्वी से स्वर्ग तक सीधे जाया करते थे। जो नित्य नियम पूर्वक शास्त्रों की विधि से यज्ञ किया करते थे, जो याचकों को उनकी इच्छा के अनुसार मुंह-मांगा और मनचाहा दान दिया करते थे, जो अपराधियों को उनके अपराध के अनुसार ही दण्ड देते थे और जो अवसर देखकर ही तदनुरूप कार्य किया करते थे। जो रघुवंशी केवल त्याग के लिए, दान करने के लिए ही धन का संग्रह किया करते थे, और जो सत्य के पालन के लिए बहुत कम बोला करते थे। अभिप्राय यह है कि जितना कहा जाए उसका अक्षरशः पालन किया जाए, जो केवल यश प्राप्ति के लिए ही अन्य देशों को जीतते थे, उन राज्यों को अपने वश में करने अथवा वहां लूटपाट करने के लिए नहीं और जो केवल प्रजा के लिए अर्थात अपनी संतान प्राप्ति के लिए ही गृहस्थ में प्रविष्ट होते थे, भोग विलास के लिए नहीं। जो बाल्यकाल में सभी को अध्ययन कर उनमें पारंगत होते थे और तरुणाई में संसार के भोगों का आनन्द लेते थे। इसके उपरांत तृतीयावस्था में वनों में जाकर मुनिवृत्ति धारण करते हुए तपस्या करते थे और अन्त में ब्रह्म अथवा परमात्मा का ध्यान करते हुए योग द्वारा पार्थिव शरीर को शांत करते थे- इस प्रकार के जो रघुवंशी थे, इन गुणों से संपन्न जो वंश था, उससे ही प्रभावित होकर मैं यह काव्य लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूं।
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5,401.476457
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
केसर
केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। प्याज तुल्य केसर के कंद / गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में बोए जाते हैं, जो दो-तीन महीने बाद अर्थात नवंबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है।
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5,360.544436
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बाणभट्ट
हर्ष के वंश का वर्णन उदाहरणतः प्रभाकरवर्धन एवं राज्यवर्धन के नाम यह निःसन्देह सिद्ध करते हैं कि बाण कन्नौज के सम्राट हर्षवर्धन (606-646) के राजकवि थे। बाण का यह काल बाह्य साक्ष्यों से भी साम्य रखता है। बाण का उल्लेख 9वीं शताब्दी में अलंकार शास्त्र के ज्ञाता आनन्दवर्धन ने किया। सम्भवतः बाण आनन्दवर्धन से बहुत पहले हो चुके थे। वामन (750 ईस्वी) ने भी बाण का उल्लेख किया। गौड़वाहो के लेखक वाक्पति राज (734 ईस्वी) भी बाण की प्रशंसा करते हैं।
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5,346.128614
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3
घर्षण
हमारे दैनिक जीवन में घर्षण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी की सतह पर चलनेवाले प्रत्येक वाहन की गति सतह तथा वाहन के आधार के बीच घर्षणबल द्वारा ही सम्भव है। अतः घर्षण गति बाधक तथा साधक दोनों ही है। धारुक और स्नेहकों के व्यवहार में भी घर्षण का प्रमुख स्थान है।
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5,324.370378
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मधुमक्खी
यह भी भंवर की तरह ही खुले में केवल एक छत्ता बनाती है। लेकिन इसका छत्ता छोटा होता है और डालियों पर लटकता हुआ देखा जा सकता है। इसका छत्ता अधिक ऊंचाई पर नहीं होता। छत्ता करीब 20 सेंटीमीटर लंबा और करीब इतना ही चौड़ा होता है। इससे एक बार में 250 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक शहद प्राप्त हो सकता है।
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5,319.980323
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हृदयाघात
सुबह के समय में दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से लगभग 9 बजे. कुछ जांचकर्ताओं ने ध्यान दिया है कि सर्काइडियन माप के अनुसार प्लेटलेट्स को और अधिक बढ़ाने की क्षमता है, हालांकि उन्हें करणीय साबित नहीं किया गया है.
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5,293.130416
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मलेशिया
मलेशिया एक बहु धार्मिक समाज है और मलेशिया में प्रमुख धर्म इस्लाम है। २०१० में सरकार की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, यहां के प्रमुख धर्मावलंबियों में मुसलमान (६१.३%), बौद्ध (१९.८%), ईसाई (९.२%), हिंदू (६.३%) और कन्फ्यूशीवाद, ताओ धर्म और अन्य पारंपरिक चीनी धर्मों (१.३%), शामिल हैं।
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5,291.003598
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शाकाहार
नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन।
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5,287.827366
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE
मालवा
अनेक ऐतिहासिक साक्ष्यों एवं भौगोलिक स्थिति के आधार पर प्राचीन मालवा के भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। व्यापक अर्थ में यह उत्तर में ग्वालियर की दक्षिणी सीमा से लेकर दक्षिण में नर्मदा घाटी के उत्तरी तट से संलग्न महान विंध्य क्षेत्रों तक तथा पूर्व में विदिशा से लेकर राजपूताना की सीमा के मध्य फैले हुए भू-भाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार स्थूल रूप से यह पश्चिम में मेही नदी से लेकर पूर्व में धसान नदी तक तथा दक्षिण में निर्माड़ तथा सतपुड़ा तक फैली हुई है। दिनेश चंद्र सरकार के अनुसार 'मालवा', जो आकर-दशार्ण तथा अवन्ति प्रदेश का द्योतक है -- पश्चिम में अरावली पर्वतमाला, दक्षिण में विंध्य श्रेणी, पूर्व में बुंदेलखण्ड और उत्तर- पूर्व में गंगा- घाट से घिरा हुआ प्रदेश था, जिसमें मध्य भारत के आधुनिक इंदौर, धार, ग्वालियर, भोपाल, रतलाम, गुना तथा सागर जिले के कुछ भाग सम्मिलित थे। डी. सी. गांगुली का मत है कि मालवा प्रदेश पूर्व में भिलसा (विदिशा) से लेकर पश्चिम में माही नदी तक तथा उत्तर में कोटा राज्य से लेकर दक्षिण में ताप्ती नदी तक फैला हुआ था।
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5,283.141228
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
व्यवहारवाद
वाटसन के बाद भी व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास जारी रहा और इस सिलसिले में हल स्कीनर, टालमैन और गथरी द्वारा किया गया प्रयास काफी सराहनीय रहा। स्कीनर द्वारा क्रिया प्रसूत अनुबन्धन पर किये गये शोधों में अधिगम तथा व्यवहार को एक खास दिशा में मोड़ने एवं बनाये रखे में पुनर्बलन के महत्व पर बल डाला गया है। कोई भी व्यवहार जिसके करने के बाद प्राणी को पुनर्बलन मिलता है या उसके सुखद परिणाम व्यक्ति में उत्पन्न होते है, तो प्राणी उस व्यवहार को फिर दोबारा करने की इच्छा व्यक्त करता है। गथरी ने अन्य बातों के अलावा यह बताया कि सीखने के लिये प्रयास की जरूरत नहीं होती और व्यक्ति एक ही प्रयास में सीख लेता है। इसे उन्होने इकहरा प्रयास सीखना की संज्ञान दी। गथरी ने इसकी व्याख्या करते हुये बताया कि व्यक्ति किसी सरल अनुक्रिया जैसे पेंसिल पकड़ना, माचिस जलाना आदि एक ही प्रयास में सीख लेता है। इसके लिये उसे किसी अभ्यास की जरूरत नही होती। परन्तु जटिल कार्यो को सीखने के लिये अभ्यास की जरूरत होती है। गथरी ने एक और विशेष तथ्य पर प्रकाश डाला जो शिक्षा के लिये काफी लाभप्रद साबित हुआ और वह था बुरी आदतों से कैसे छुटकारा पाया जाए। इसके लिए गथरी ने निम्नांकित तीन विधियों का प्रतिपादन किया -
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5,282.528998
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%88
सिलाई
यह भी दो कपड़ों को जोड़ने के काम में लाया जाता है। पर यह तुरपन धागा भरने से अधिक मजबूत होती है। इसका उधेड़ना अत्यंत कठिन होता है। इस तुरपन में पहले सूई को पिछले छेद में डालकर दो स्थान आगे निकाला जाता है और इस प्रकार बखिया आगे बढ़ता जाता है।
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5,278.99192
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF
ज्यामिति
इनके अतिरिक्त वे कोई और तथ्‌य बिना सिद्ध किए हुए स्वीकार नहीं करते। उपर्युक्त पाँच स्वयं तथ्यों में से चार तो इतने सरल तथा सप्ष्ट हैं कि इन्हें सिद्ध करना अपने हाथ को अपना सिद्ध करने के बराबर है, परन्तु पाँचवाँ स्वयंतथ्‌य स्वयंसिद्ध सा प्रतीत नहीं होता। गणितज्ञों ने इस तथ्य को स्वयंसिद्ध मानने में आपत्ति की और इसे सिद्ध करने के बहुत यत्न किए। इन्हीं यत्नों के फलस्वरूप बड़े बड़े आविष्कार हुए। इसी प्रकार ज्यामिति में नए नए पारिभाषिक शब्दों का उल्लेख होता है। एक शब्द की परिभाषा दूसरे शब्दों की परिभाषा पर निर्भर करती है। अंत में देखते हैं कि ये परिभाषाएँ बिंदु, रेखा और तल की परिभाषाओं पर आधारित हैं। यूक्लिड के अनुसार समतल वह है जिसमें लंबाई चौड़ाई हो, परंतु मोटाई न हो। बहुत से लोग इस परिभाषा पर भी संदेह करने लगे हैं, परंतु थोड़ा मनन करने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि परिभाषा ठीक है। उदाहरणार्थ, यदि काँच के एक बरतन में दो ऐसे तरल पदार्थ भर दिए जायँ जो आपस में न मिलते हो तो जब वे स्थिर हो जायँ तब हम देखगें कि एक तल दोनों पदार्थों को अलग करता है। उसमें मोटाई नहीं है। यदि होती तो दोनों तरलों के बीच ऐसा स्थान होता जिसमें न नीचे का पदार्थ होता न ऊपर का, परंतु ऐसा असंभव है। इस उदाहरण से स्पष्ट हो गया होगा कि तल में मोटाई नहीं होती। इसमें केवल लंबाई और चौड़ाई ही होती है। इसी प्रकार धूप में किसी समतल दीवार की छाया देखकर हम कह सकते हैं कि रेखा में चौड़ाई नहीं होती। रेखा तल में स्थित है, अत: तल की मोटाई रेखा की मोटाई हुई। इसलिये रेखा में न मोटाई होती है न चौड़ाई, केवल लंबाई ही होती है। रेखाएँ एक बिंदु पर मिलती हैं तो रेखा की चौड़ाई बिंदु की लंबाई हुई, अर्थात्‌ बिंदु में न लम्बाई होती है, न चौड़ाई, मोटाई। केवल स्थान ही होता है।
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5,268.321819
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF
महाशिवरात्रि
शिकारी हँसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरन्त लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ।
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5,267.54675
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A4
गर्भपात
प्रेरित गर्भपात लंबे समय तक काफी बहस का स्रोत रहा है। नैतिक, दार्शनिक, जैविक, गर्भपात के आसपास के धार्मिक और कानूनी मुद्दों मूल्य सिस्टम से संबंधित हैं। गर्भपात की राय भ्रूण के अधिकार, सरकारी अधिकार और महिलाओं के अधिकारों के बारे में हो सकती है
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5,258.82287
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8
लंदन
लंदन के भीतर, लंदन शहर और वेस्टमिंस्टर शहर दोनों को नगर का दर्जा हसिल है। ग्रेटर लंदन में उन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है जो मिडलसेक्स, केंट, सरे, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर काउंटियों का हिस्सा हैं। इंग्लैंड और बाद में यूनाइटेड किंगडम की राजधानी के रूप में लंदन का दर्जा, क़ानून या लिखित रूप में आधिकारिक तौर पर कभी भी स्वीकृति या पुष्टि नहीं हुई है।
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5,257.938188
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B2
नारियल
सभी प्रकार की चोट-मोच की पीड़ा तथा सूजन दूर करने के लिए नारियल का बुरादा बनाकर उसमें हल्दी मिलाकर प्रभावित स्थान पर पट्टी बाँधें और सेंकें। विभिन्न त्वचा रोगों जैसे खाज-खुजली में नारियल के तेल में नीबू का रस और कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
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5,249.027159
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%A8
मिलियन
क्षेत्रफल: एक तरफ के एक वर्ग हजार क्षेत्रफल वाले वस्तुओं या इकाइयों में ऐसी एक मिलियन वस्तुएं या वर्ग इकाइयां होती हैं, इसलिए तीन वर्ग गज से भी कम क्षेत्रफल वाली खिड़की के पर्दे में, या इसी तरह के, लगभग डेढ़ वर्ग फुट (400–500 cm2) क्षेत्रफल वाले बिस्तर की चादर के कपड़े में एक मिलियन छेद पाए जा सकते हैं। किसी शहर का 70 फुट लम्बा और 100 फुट चौड़ा भूभाग लगभग एक मिलियन वर्ग इंच होता है।
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5,238.862867
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE
बोधगया
यह स्‍थान राजगीर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में यहां विश्‍व प्रसिद्ध नालन्‍दा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित था। अब इस विश्‍वविद्यालय के अवशेष ही दिखाई देते हैं। लेकिन हाल में ही बिहार सरकार द्वारा यहां अंतरराष्‍ट्रीय विश्‍व विद्यालय स्‍थापित करने की घोषणा की गई है जिसका काम प्रगति पर है। यहां एक संग्रहालय भी है। इसी संग्रहालय में यहां से खुदाई में प्राप्‍त वस्‍तुओं को रखा गया है।
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5,235.054105
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
आधुनिकता
रोसें, स्टेनली. 1987. "स्पिनोज़ा बेनेडिक्ट". इतिहास का राजनीतिक दर्शन, तीसरा संस्करण, स्ट्रास और जोसेफ क्रोपसी द्वारा संपादित. शिकागो: यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो प्रेस.
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5,223.783268
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%A3%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF
गणराज्य
गणसभा में गण के समस्त प्रतिनिधियों को सम्मिलित होने का अधिकार था किंतु सदस्यों की संख्या कई सहस्र तक होती थी अतएव विशेष अवसरों को छोड़कर प्राय: उपस्थिति परिमित ही रहती थी। शासन के लिये अंतरंग अधिकारी नियुक्त किए जाते थे। किंतु नियमनिर्माण का पूरा दायित्व गणसभा पर ही था। गणसभा में नियमानुसार प्रस्ताव (ज्ञप्ति) रखा जाता था। उसकी तीन वाचना होती थी और शलाकाओं द्वारा मतदान किया जाता था। इस सभा में राजनीतिक प्रश्नों के अतिरिक्त और भी अनेक प्रकार के सामाजिक, व्यावहारिक और धार्मिक प्रश्न भी विचारार्थ आते रहते थे। उस समय की राज्य सभाओं की प्राय: ऐसे ही लचीली पद्धति थी।
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5,209.331626
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A7%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%BE
धोलावीरा
सिंधु घाटी सभ्यता(2500-1750 ई.पू.) यह हड़प्पा संस्कृति विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। इसका विकास सिंधु नदी के किनारे की घाटियों में मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, चन्हुदडो, रन्गपुर्, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी, दैमाबाद, सुत्कन्गेदोर, सुरकोतदा और हड़प्पा में हुआ था। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।
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5,208.604611
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE
अहिंसा
आत्मा की अशुद्ध परिणति मात्र हिंसा है; इसका समर्थन करते हुए आचार्य अमृतचंद्र ने लिखा है : असत्य आदि सभी विकार आत्मपरिणति को बिगाड़नेवाले हैं, इसलिए वे सब भी हिंसा हैं। असत्य आदि जो दोष बतलाए गए हैं वे केवल "शिष्याबोधाय" हैं। संक्षेप में रागद्वेष का अप्रादुर्भाव अहिंसा और उनका प्रादुर्भाव हिंसा है। रागद्वेषरहित प्रवृत्ति से अशक्य कोटि का प्राणवध हो जाए तो भी नैश्चयिक हिंसा नहीं होती, रागद्वेषरहित प्रवृत्ति से, प्राणवध न होने पर भी, वह होती है। जो रागद्वेष की प्रवृत्ति करता है वह अपनी आत्मा का ही घात करता है, फिर चाहे दूसरे जीवों का घात करे या न करे। हिंसा से विरत न होना भी हिंसा है और हिंसा में परिणत होना भी हिंसा है। इसलिए जहाँ रागद्वेष की प्रवृत्ति है वहाँ निरंतर प्राणवध होता है।
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5,206.894338
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8
पुरूवास
जासूसों और धूर्तताके बल पर अलेक्जेंडर द ग्रेट के सरदार युद्ध जीतने के प्रति पूर्णतः विश्वस्त थे। राजा पुरु के शत्रु लालची आम्भी की सेना लेकर अलेक्जेंडर द ग्रेट ने झेलम पार की। राजा पुरु जिसको स्वयं यवनी 7 फुट से ऊपर का बताते हैं, अपनी शक्तिशाली गजसेना के साथ यवनी सेना पर टूट पड़े। पोरस की हस्ती सेना ने यूनानियों का जिस भयंकर रूप से संहार किया था उससे सिकंदर और उसके सैनिक आतंकित हो उठे थे।
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5,203.483533
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97
महाभियोग
यह भारत का अकेला ऐसा महाभियोग का मामला है जो राज्य सभा में पास होकर लोकसभा तक पहुंचा. हालांकि लोकसभा में इस पर वोटिंग होने से पहले ही जस्टिस सेन ने इस्तीफ़ा दे दिया.
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5,198.884102
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%AF
वाच्य
उक्त वाक्यों में कर्म प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए 'लिखी गई', 'दी गई' तथा 'पढ़ी गई' क्रियाओं का विधान हुआ है, अतः यहाँ कर्मवाच्य है।
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5,198.607227
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE
एल्युमिनियम
ऐल्यूमिनियम ऑक्सिजन के प्रति अधिक क्रियाशील है। इस गुण के कारण अनेक आक्साइडों के अपचयन में इस धातु का प्रयोग किया जाता है। गोल्डश्मिट की थर्माइट या तापन विधि में ऐल्यूमिनियम चूर्ण का प्रयोग करके लौह, मैंगनीज़, क्रोमियम, मालिबडीनम, टंग्सटन आदि धातुएँ अपने आक्साइडों में से पृथक की जाती हैं।
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5,198.509853
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
मन्त्र
मंत्र का प्रयोग सारे संसार में किया जाता था और मूलत: इसकी क्रियाएँ सर्वत्र एक जैसी ही थीं। विज्ञान युग के आरंभ से पहले विविध रोग विविध प्रकार के राक्षस या पिशाच माने जाते थे। अत: पिशाचों का शमन, निवारण और उच्चाटन किया जाता था। मंत्र में प्रधानता तो शब्दों की ही थी परंतु शब्दों के साथ क्रियाएँ भी लगी हुई थीं। मंत्रोच्चारण करते समय ओझा या वैद्य हाथ से, अंगुलियों से, नेत्र से और मुख से विधि क्रियाएँ करता था। इन क्रियाओं में त्रिशूल, झाड़ू, कटार, वृक्षविशेष की टहनियों और सूप तथा कलश आदि का भी प्रयोग किया जाता था। रोग की एक छोटी सी प्रतिमा बनाई जाती थी और उसपर प्रयोग होता था। इसी प्रकार शत्रु की प्रतिमा बनाई जाती थी और उसपर मारण, उच्चाटन आदि प्रयोग किए जाते थे। ऐसा विश्वास था कि ज्यों-ज्यों ऐसी प्रतिमा पर मंत्रप्रयोग होता है त्यों-त्यों शत्रु के शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता जाता है। पीपल या वट वृक्ष के पत्तों पर कुछ मंत्र लिखकर उनके मणि या ताबीज बनाए जाते थै जिन्हें कलाई या कंठ में बाँधने से रोगनिवारण होता, भूत प्रेत से रक्षा होती और शत्रु वश में होता था। ये विधियाँ कुछ हद तक इस समय भी प्रचलित हैं। संग्राम के समय दुंदुभी और ध्वजा को भी अभिमंत्रित किया जाता था और ऐसा विश्वास था कि ऐसा करने से विजय प्राप्त होती है।
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5,173.489395
20231101.hi_26671_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%80
फिटकरी
ऐलम शब्द जब बहुवचन में प्रयुक्त होता है, तब उससे उन सभी यौगिकों का बोध होता है, जो पोटैश ऐलम से संगठन में समानता रखते हैं। ऐसे यौगिकों में पोटैश का स्थान, लिथियम, सोडियम, अमोनियम, रूबीडीयम, सीज़ियम, टेल्यूरियम धातुएँ तथा हाइड्रॉक्सीलैमिन (NH4O) एवं चतुर्थक नाइट्रोजन क्षारक (N(C H3)4) मूलक ले सकते हैं। ऐलुमिनियम का स्थान क्रोमियम (क्रोम ऐलम), लोहा (लौह ऐलम), मैंगनीज, इरीडियम, गैलियम, वैनेडियम, कोबल्ट इत्यादि ले सकते हैं। विरल मृद धातुएँ ऐलम नहीं बनती। कुछ यौगिकों में (SO4) मूलक में सल्फर का स्थान सिलीनियम ले सकता है।
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5,158.11797
20231101.hi_26638_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%95
चुम्बक
चुम्बकों की सहायता से ऐसी चीजों को खोजने, पकड़ने एवं इकट्ठा करने में मदद मिलती है जो बहुत छोटी हैं, जिन तक हाथ नही जा सकता, या जिन्हें हाथ से पकड़ना कठिन है। (लोहे की कीलें, स्टैपुल पिनें, कागज की क्लिपें आदि)
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5,153.083668
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थैलासीमिया
सूखता चेहरा, लगातार बीमार रहना, वजन ना ब़ढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थेलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं।
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5,140.742543
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%B8%E0%A4%B0
अमृतसर
प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित हैं। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर है। इस मंदिर को हरमंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर के जलाशय के मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बना हुआ है। दुर्गीयाना मंदिर के बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर है। दंत कथाओं के अनुसार यही वह स्थान है जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ के घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।
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5,116.504016
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0
जबलपुर
यह नगर सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है, यहाँ तोपगाड़ी बनाने का केंद्रीय कारख़ाना शस्त्र निर्माण कारख़ाना और एक शस्त्रागार स्थित है। यहाँ के प्रमुख उद्योगों में खाद्य प्रसंस्करण, आरा मिल और विभिन्न निर्माण शामिल हैं।
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5,088.273379
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0
मैसूर
समय: सोमवार से शुक्रवार सुबह 10.30-6 बजे तक, रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन शाम 7.30 बजे तक, गर्मियों में शनिवार के दिन भी 7.30 बजे तक खुलता है।
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5,053.208572
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संधारित्र
आवेश भण्डारण तथा उर्जा भण्डारण के लिये (पल्स पॉवर सप्लाई में, स्थायी चुम्बकों को चुम्बकित या विचुम्बकित करने के लिए)
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5,036.980682
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%AE
मौसम
सौर दूरी का सीधा संबंध तापमान से है, इसलिए सौर दूरी मौसम को नियंत्रित करने वाले कारकों में से एक है। सौर दूरी अपनी भ्रमण कक्षा के दौरान पृथ्वी से अपनी दूरी बदलती रहती है, जिसके परिणामस्वरूप निकटतम और सबसे दूर दोनों स्थानों के बीच तापमान में 4℉ तक का अंतर होता है। ग्रह के दोलनशील झुकाव का मौसम पर कहीं अधिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि सूर्य की ओर झुकाव या उससे दूरी और एक वर्ष से अधिक यह निर्धारित करता है कि ग्रह के उस हिस्से को कितनी गर्मी प्राप्त होगी। जब एक गोलार्ध सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है, तो गर्मी का अनुभव होता है; जब यह सूर्य से दूर तिरछा हो जाता है, तो सर्दी का अनुभव होता है।
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5,034.578233
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
काव्यशास्त्र
वक्रोक्ति लोकातिक्रांत गोचर वचन के विन्यास की साहित्यिक संज्ञा है। वक्रोक्ति के माहात्म्य से ही कोई भी उक्ति काव्य की रसपेशल सूक्ति के रूप में परिणत होती है। यूरोप में क्रोचे द्वारा निर्दिष्ट "अभिव्यंजनावाद" (एक्सप्रेशनिज्म) वक्रोक्ति को बहुत कुछ स्पर्श करनेवाला काव्यतत्व है।
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5,027.908734
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%81
मिश्रातु
(12) गन मेटल (Gun metal) - इसमें ताँबा 95-71, टिन 0-11, सीसा 0.-13, जस्ता 0-5 तथा लोहा 0-1.4 प्रतिशत तक होता है। इससे बटन, बिल्ले, थालियाँ तथा दाँतीदार चक्र (gear) बनाए जाते हैं।
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5,011.497835
20231101.hi_4867_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%88%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0
ईश्वर
जैन धर्म में तीर्थंकर एक धार्मिक मार्ग का आध्यात्मिक शिक्षक होता है जिसे जन्म और पुनर्जन्म के दुष्चक्र पर विजय प्राप्त किया हुआ माना जाता है; जिनकी धार्मिक विचारधारा को जैन धर्म के सभी भक्त निर्वाण-मोक्ष प्राप्त करने के लिए पालन करते हैं। जैन धर्म के अनुसार ब्रह्मांड के समय का चक्र दो हिस्सों में बांटा गया है। आरोही समय चक्र को उत्सर्पिनी कहा जाता है और अवरोही समय चक्र को अवसरपिनी कहा जाता है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हैं जिन्हें उनके आध्यात्मिक शिक्षक और सफल उद्धारक माना जाता है।  ऋषभ देव जैन धर्म के संस्थापक और पहले तीर्थंकर हैं। महावीर जैन धर्म के अंतिम यानी चौबीसवें तीर्थंकर थे। भगवान महावीर के अन्य नाम वीर, अतिवीर, सनमती, महावीर और वर्धमान हैं।
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5,003.114597
20231101.hi_2923_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80
रंगोली
रंगोली दो प्रकार से बनाई जाती है। सूखी और गीली। दोनों में एक मुक्तहस्त से और दूसरी बिंदुओं को जोड़कर बनाई जाती है। बिंदुओं को जोड़कर बनाई जाने वाली रंगोली के लिए पहले सफेद रंग से जमीन पर किसी विशेष आकार में निश्चित बिंदु बनाए जाते हैं फिर उन बिंदुओं को मिलाते हुए एक सुंदर आकृति आकार ले लेती है। आकृति बनाने के बाद उसमें मनचाहे रंग भरे जाते हैं। मुक्तहस्त रंगोली में सीधे जमीन पर ही आकृति बनाई जाती है। पारंपरिक मांडना बनाने में गेरू और सफ़ेद खड़ी का प्रयोग किया जाता है। बाज़ार में मिलने वाले रंगोली के रंगों से रंगोली को रंग बिरंगा बनाया जा सकता है। रंगोली बनाने के झंझट से मुक्ति चाहने वालों के लिए अपनी घर की देहरी को सजाने के लिए 'रेडिमेड रंगोली' स्टिकर भी बाज़ार में मिलते हैं, जिन्हें मनचाहे स्थान पर चिपकाकर रंगोली के नमूने बनाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त बाजार में प्लास्टिक पर बिंदुओं के रूप में उभरी हुई आकृतियाँ भी मिलती हैं, जिसे जमीन पर रखकर उसके ऊपर रंग डालने से जमीन पर सुंदर आकृति उभरकर सामने आती है। अगर रंगोली बनाने का अभ्यास नहीं है तो इन वस्तुओं का प्रयोग किया जा सकता है। कुछ साँचे ऐसे भी मिलते हैं जिनमें आटा या रंग का पाउडर भरा जा सकता है। इसमें नमूने के अनुसार छोटे छेद होते हैं। इन्हें ज़मीन से हल्का सा टकराते ही निश्चित स्थानों पर रंग झरता है और सुंदर नमूना प्रकट हो जाता है। रंगोली बनाने के लिए प्लास्टिक के स्टेंसिल्स का प्रयोग भी किया जाता है। गीली रंगोली चावल को पीसकर उसमें पानी मिलाकर तैयार की जाती है। इस घोल को ऐपण, ऐपन या पिठार कहा जाता है। इसे रंगीन बनाने के लिए हल्दी का प्रयोग भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त रंगीन रंगोली बाज़ार में मिलने वाले पोस्टर, क्रेयॉन, फ़ेब्रिक और एक्रिलिक रंगों से भी बनाई जाती हैं।
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4,966.030361
20231101.hi_25731_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C
स्वराज
गाँधी के अनुसार राजनीतिक शक्ति साध्य नहीं बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में लोगों के विकास में सहयोग देने का साधन है। यह राष्ट्रीय प्रतिनिधियों द्वारा राष्ट्रीय जीवन का नियमन करती है। यदि राष्ट्रीय जीवन इतना परिपूर्ण हो जाए कि आत्मनियमित हो जाऐं तो किसी भी प्रतिनिधि की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक अपना शासक स्वयं है। वह स्वयं पर इस प्रकार शासन करता है, कि वह अपने पड़ोसी के लिए बाधा नहीं बनता। ऐसी आदर्श स्थिति में राजनीतिक शक्ति नहीं होती, क्योंकि उसमें कोई राज्य नहीं होता। गाँधी ने उसे ‘‘प्रबुद्ध अराजकता की स्थिति’’ कहा है। यही ‘राम राज्य’ है। टॉलस्टॉय ने इसे ‘‘पृथ्वी पर परमेश्वर का राज्य’’ कहा है।
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4,960.803463
20231101.hi_10310_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE
सोडियम
सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) अनार्द्र तथा जलयोजित दोनों दशाओं में मिलता है। इसे घरेलू उपयोग में कपड़े तथा अन्य वस्तुओं के साफ करने के काम में लाते हैं। चिकित्साकार्य में भी यह उपयुक्त हुआ है। इसके अतिरिक्त सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) भी रसायनिक क्रियाओं तथा दवाइयों में काम आता है।
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4,959.984292
20231101.hi_98107_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%87
मुंहासे
मुल्तानी मिट्टी में नींबू व टमाटर का रस मिलाकर लगाएं, सुखने पर धो डालें। मुल्तानी मिट्टी में चंदन पाउडर व गुलाब जल मिलाकर भी लगाया जा सकता है। यह पैक त्वचा में कसाव उत्पन्न करता है व रोमछिद्रों को सिकोड़ देता है।
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4,949.221378
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BF
आशुलिपि
भारत में त्वरालेखन के विकास की एक कथा है कि जब वेदव्यास महाभारत लिखने के लिये बैठे तब उनके संमुख यह समस्या उपस्थित हुई कि इस विशाल महाभारत को कौन लिपिबद्ध करेगा। निदान गणेश जी इस दुष्कर कार्य के लिये कटिबद्ध हुए। भगवान वेदव्यास धाराप्रवाह बोलते जाते और गणेश जी उसे लिपिबद्ध करते जाते थे। किंतु यह हुई पौराणिक बात त्वरालेखन की।
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4,943.627328
20231101.hi_8244_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2
पोंगल
इस पर्व के महत्व का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह चार दिनों तक चलता है। हर दिन के पोंगल का अलग अलग नाम होता है। यह जनवरी से शुरू होता है।
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4,939.410389
20231101.hi_28616_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3
सर्वेक्षण
यदि ऐसे समतलीय सर्वेक्षणों से भारत जैसे विस्तृत देश या महाद्वीप के मानचित्र संकलित (compile) किए जा सकें, तो पट्ट सर्वेक्षणों का महत्व आशातीत बढ़ जाता है। यह तभी संभव होगा, जब पट्ट सर्वेक्षणों की आधारशिला भूगणितीय सर्वेक्षण पर हो। आधारशिला का उल्लेख तभी ग्राह्य हो सकेगा, जब उसकी कुछ संक्षिप्त व्याख्या कर दी जाए।
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4,926.47626
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
परामर्श
निश्चित है कि परामर्शक अनुभवयुक्त तथा परामर्श की प्रक्रिया से अवगत रहता है। उसकी श्रेष्ठता परामर्शेच्छु अथवा सेवार्थी पर स्वतः सिद्ध होती है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए सन् 1954 ई॰ में वेलबर्ग ने परामर्श एवं साक्षात्कार में समानता सिद्ध करने का प्रयास किया और कहा कि परामर्श एक प्रकार का साक्षात्कार ही है जिसमें सेवार्थी को ऐसी सहायता दी जाती है कि वह अपने को अधिक से अधिक ढंग से समझ सके और अपनी कठिनाइयों से समायोजन स्थापित कर सके। मायर्स ने परामर्श के प्रत्यय को व्यापक बनाने का प्रयास किया है जिसका निहितार्थ यह है कि मात्र व्यवसाय के लिए नहीं वरन् जीवन की किसी भी समस्या के समाधान हेतु जो वैचारिक सहायता दी जाती है वह परामर्श होती है।
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4,919.21969
20231101.hi_30295_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A5%8747
एके47
कटशॉ, चार्ली; शीलिन, वैलेरी. Legends and Reality of the AK: A Behind-the-Scenes Look at the History, Design, and Impact of the Kalashnikov Family of Weapons. बॉल्डर, कम्पनी: पैलाडिन प्रेस, 2000 (पेपरबैक, ISBN 1-58160-069-0).
1
4,917.1458
20231101.hi_8418_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BF
मुद्रास्फीति
उत्पादन-आपूर्ति में उतार चढ़ाव: जब कभी उत्पादन में अत्याधिक उतार चढ़ाव आता हैं या प्राप्त उत्पादन को मुनाफा कमाने वाले लोग जमा कर लेते हैं।
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4,916.577667
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%B5%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80
जैवप्रौद्योगिकी
जीन थेरेपी इलाज, या यहाँ तक कि इलाज, सामान्य जीन का उपयोग करने के लिए पूरक या दोषपूर्ण जीन की जगह या करने के लिए प्रतिरक्षा के रूप में एक सामान्य समारोह सिलेंडर से कैंसर और एड्स जैसी बीमारियों के आनुवांशिक और अधिग्रहण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह करने के लिए (यानी, शरीर) दैहिक या (यानी, अंडे और शुक्राणु) gametes की कोशिकाओं को लक्षित किया जा सकता. दैहिक जीन थेरेपी में, प्राप्तकर्ता का जीनोम बदल रहा है, लेकिन इस बदलाव के साथ अगली पीढ़ी को पारित नहीं है। इसके विपरीत, germline जीन थेरेपी में, माता पिता के अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं अपनी संतानों के लिए परिवर्तन पर पारित करने के प्रयोजन के लिए बदल रहे हैं।
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4,915.009028
20231101.hi_2810_26
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B0
बीकानेर
साहित्य की दृष्टि से बीकानेर का प्राचीन राजस्थानी साहित्य ज्यादातर चारण, संत और जैनों द्वारा लिखा गया था।
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4,902.41268
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%AF
कार्तिकेय
भूमि, अग्नि, गंगादेवी सब क्रमश: अमोघ तेज को धारण करने में असमर्थ रहीं। अन्त में शरवण (कास-वन) में वह निक्षिप्त होकर तेजोमय बालक बना। कृत्तिकाओं ने उसे अपना पुत्र बनाना चाहा। बालक ने छ: मुख धारण कर छहों कृत्तिकाओं का स्तनपान किया। उसी से षण्मुख कार्तिकेय हुआ वह शम्भुपुत्र। देवताओं ने अपना सेनापतित्व उन्हें प्रदान किया। तारकासुर उनके हाथों मारा गया।
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4,900.074259
20231101.hi_4900_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%B0%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
स्विट्ज़रलैण्ड
जंगफ्रोज- समुद्र तल से 4158 मीटर ऊँचाई पर बना यह यूरोप की सबसे ऊँची पर्वत श्रंखला है। इसी के साथ-साथ यहाँ यूरोप का सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन भी है। इंटरलेकन स्टेशन से यहाँ के लिए ट्रेन मिलती है। इस ट्रेन से अपना सफर शुरू कर खूबसूरत स्विट्जरलैंड को अपनी आँखों में कैद करते हुए आप जंगफ्रोज पहुँच जाएंगें। बर्फ के पहाड़ों को काटती हुई ऊपर जाती इस ट्रेन से आप नयनाभिराम दृश्य देख और अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में यहाँ आईस स्कींग का लुफ्त उठाया जा सकता है। यहाँ की बर्फ पर पड़ती सूरज की तिरछी किरणों की आभा देखने का आनंद ही कुछ और है।
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4,891.355624
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विश्वकर्मा
भगवान विश्वकर्मा जी की जन्म तिथि माघ मास त्रयोदशी शुक्ल पक्ष दिन रविवार का ही साक्षत रूप से सुर्य की ज्योति है। ब्राहाण हेली को यजो से प्रसन हो कर माघ मास मे साक्षात रूप मे भगवान विश्वकर्मा ने दर्शन दिये। श्री विश्वकर्मा जी का वर्णन मदरहने वृध्द वशीष्ट पुराण मे भी है।
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4,890.008124
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A7
अपराध
जिन मामलों में दोषपूर्ण मन आवश्यक है, वहाँ दुर्घटना बचाव में ली जा सकती है। अभियुक्त अपने प्रति लाए हुए अभियोग को स्वीकार करते हुए कह सकता है कि वह कानूनी ढंग से काम कर रहा था, पर अन्यमनस्कता के कारण, सबोध (culpable) उपेक्षा के बिना, दुर्घटना हो गई।
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4,847.615309
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A4%A8
वनोन्मूलन
वनोन्मूलन और इसके परिणाम स्वरुप मरुस्थलीकरण (desertification),जल संसाधन में कमी (water resource degradation) और मृदा की हानि (soil loss) ने मेडागास्कर की पहले से जैव उत्पादक भूमि के ९४ प्रतिशत भाग को प्रभावित किया है। २००० साल पहले मनुष्य के आने के बाद से मेडागास्कर अपने ९० प्रतिशत से अधिक मूल वनों को खो चुका है। इसमें से अधिकांश नुकसान फ्रांस से स्वतन्त्रता के बाद हुआ। इसका कारण है कि स्थानीय लोग जीवन निर्वाह हेतू स्लेश एंड बर्न (slash-and-burn) प्रकार की खेती करते रहे हैं। बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की वजह से, इस समय देश अपनी तेजी से बढती हुई आबादी को उपयुक्त भोजन, तजा पानी और सफाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने में असमर्थ है।
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4,836.60661
20231101.hi_165149_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%A0%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97
हठयोग
ह से पिंगला नाड़ी दहिनी नासिका (सूर्य स्वर) तथा ठ से इड़ा नाडी बॉंयी नासिका (चन्द्रस्वर)। इड़ा ऋणात्मक (-) उर्जा शक्ति एवं पिगंला धनात्मक (+) उर्जा शक्ति का
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4,835.32512
20231101.hi_46854_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
अग्रसेन
अपने नये राज्य की स्थापना के लिए महाराज अग्रसेन ने अपनी रानी माधवी के साथ सारे भारतवर्ष का भ्रमण किया। इसी दौरान उन्हें एक जगह एक शेरनी एक शावक को जन्म देते दिखी, कहते है जन्म लेते ही शावक ने महाराजा अग्रसेन के हाथी को अपनी माँ के लिए संकट समझकर तत्काल हाथी पर छलांग लगा दी। उन्हें लगा कि यह दैवीय संदेश है जो इस वीरभूमि पर उन्हें राज्य स्थापित करने का संकेत दे रहा है। ॠषि मुनियों और ज्योतिषियों की सलाह पर नये राज्य का नाम अग्रेयगण या अग्रोदय रखा गया और जिस जगह शावक का जन्म हुआ था उस जगह अग्रोदय की राजधानी अग्रोहा की स्थापना की गई। यह जगह आज के हरियाणा के हिसार के पास हैं। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज के लिए पांचवे धाम के रूप में पूजा जाता है, वर्तमान में अग्रोहा विकास ट्रस्ट ने बहुत सुंदर मन्दिर, धर्मशालाएं आदि बनाकर यहां आने वाले अग्रवाल समाज के लोगो के लिए सुविधायें जुटा दी है।
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4,829.36197
20231101.hi_38712_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE
कांसा
आयुर्वेद के रस शास्त्र के ग्रंथों में लगभग आठ भाग ताम्र तथा दो भाग रांगा को मिलाकर कांस्य बनाया जाता था। आज भी सामान्यतया: 79 फीसदी ताम्र एवं 21 फीसदी रांगा मिलाकर कांस्य बनाया जाता है।
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4,820.675859
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0
इन्द्र
लोकमान्य तिलक के अनुसार इन्द्र सूर्य का प्रतीक है तथा वृत्र हिम का। यह उत्तरी ध्रुव में शीतकाल में हिम जमने और वसंतकालीन सूर्य द्वारा पिघलाने पर नदियों के प्रवाहित होने का प्रतीक है।
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4,817.433111
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE
मदीना
बनू औस (या बानू 'अवस) और बनू खजराज नामक दो नई अरब जनजातियों के यमन से आने के बाद स्थिति बदल गई। सबसे पहले, इन जनजातियों को यहूदी शासकों के साथ संबद्ध किया गया था, लेकिन बाद में वे विद्रोह कर गए और स्वतंत्र हो गए। 5 वीं शताब्दी के अंत में, यहूदी शासकों ने शहर के नियंत्रण को बनू औस और बानू खजराज में खो दिया। यहूदी विश्वकोष में कहा गया है कि "बाहरी सहायता में बुलाकर और भरोसेमंद यहूदी भोज में मुख्य यहूदी", बानू औस और बानू खजराज ने अंततः मदीना में ऊपरी हाथ प्राप्त किया।
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4,817.347989
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%80
रुद्राष्टाध्यायी
छठें अध्याय के पंचम श्लोक के रूप में महान महामृत्युंजय श्लोक है। सप्तम अध्याय में 7 श्लोकों की अरण्यक श्रुति है प्रायश्चित्त हवन आदि में इसका उपयोग होता है। अष्टम अध्याय को नमक-चमक भी कहते हैं जिसमें 24 श्लोक हैं।
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4,802.970161
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कालभैरवाष्टक
तथा त्रिशूल और रुद्राक्ष को जिन्होंने धारण किया है, ऐसे काशीपुरी के स्वामी का मैं भजन (आराधना) करता हूँ.
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4,797.968366
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%9C
बीज
निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड से बीज बन जाते हैं। बीज में प्रायः एक बीजावरण तथा भ्रूण होता है। भ्रूण में एक मूलांकुर एक भ्रूणीय अक्ष तथा एक अथवा दो बीजपत्र होते हैं।
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4,794.15231
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%AF%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6
जयचन्द
1193 ईस्वी में मुस्लिम मोहम्मद ग़ोरी ने जयचंद्र के राज्य पर आक्रमण किया। समकालीन मुस्लिम सूत्रों के अनुसार, जयचंद्र "जयचंद्र भारत के सबसे महान राजा और उनके पास भारत में सबसे बडे क्षेत्र पर राज किया था"। इन स्रोतो ने उन्हें बनारस का राय बताया अली इब्न अल-अथिर के अनुसार, उसकी सेना में दस लाख सैनिक थे और 700 हाथी थे। जब जयचंद्र की सेना चलती थी, तो ऐसा प्रतीत होता था है कि एक पूरा शहर चल रहा है ना कि कोई सेना
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4,786.834554
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80
हिजरी
ओर सबसे अफ्ज्ल रबी अल-अव्वल क महीना माना जाता है। इस्मे प्यारे नबी सल्ल्ल््लाहु अल््य्ही व्स्ल्ल्म की पैदाइष हुई।
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4,779.570503
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
कलौंजी
थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है। तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है। कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं। कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैं और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं। शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं।
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4,759.978884
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महाबलिपुरम
महाबलिपुरम से 19 किलोमीटर दूर कोवलोंग का खूबसूरत बीच रिजॉर्ट स्थित है। इस शांत फिशिंग विलेज में एक किले के अवशेष देखे जा सकते हैं। यहां तैराकी, विंडसफिइर्ग और वाटर स्पोट्र्स की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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4,740.27426
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80
जन्मपत्री
अथर्व ज्योतिष में दसवाँ कर्म नक्षत्र है। आधुनिक पद्धति में भी दशम स्थान कर्म है। इससे सिद्ध है कि अथर्व ज्योतिष में नौ स्थान वर्तमान कुंडली के बारह स्थानों के किसी न किसी स्थान में अंतर्भुक्त हो जाते हैं जो मेष आदि संज्ञाओं के प्रचार में अने के पहले ही से हमारी फलादेश पद्धति में विद्यमान थे। पूर्व क्षितिज में लगनेवाले नक्षत्रों को लग्न नक्षत्र मानने का वर्णन ३३०० वर्ष प्राचीन वेदांग ज्योतिष में भी है। जैसे,- श्रविष्ठाभ्यो गुणाभ्यस्तान् प्राग्विलग्नान् विनिर्दिशेनद। अर्थात् गुण (तीन) तीन की गणना कर घनिष्ठा से पूर्व क्षितिज में लगे नक्षत्रों को बताना चाहिए। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि उस समय २७ नक्षत्रों में तीन तीन भाग करके नक्षत्र चक्र के नव भाग किए गए थे। अथर्व ज्योतिष के नव विभागों का सामंजस्य इससे हो जाता है।
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4,738.998336
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86
महुआ
फल के बीच में एक बीज होता है जिससे तेल निकलता है। वैद्यक में महुए के फूल को मधुर, शीतल, धातु-वर्धक तथा दाह, पित्त और बात का नाशक, हृदय को हितकर औऱ भारी लिखा है। इसके फल को शीतल, शुक्रजनक, धातु और बलबंधक, वात, पित्त, तृपा, दाह, श्वास, क्षयी आदि को दूर करनेवाला माना है। छाल रक्तपितनाशक और व्रणशोधक मानी जाती है। इसके तेल को कफ, पित्त और दाहनाशक और सार को भूत-बाधा-निवारक लिखा है।
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4,736.728781
20231101.hi_25444_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE
चना
बुआई की विधिः चने की बुआई कतारों में करें। गहराईः 7 से 10 सें.मी. गहराई पर बीज डालें। कतार से कतार की दूरीः 30 सें.मी. (देसी चने के लिए) ; 45 सें.मी. (काबुली चने के लिए)
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4,729.512535
20231101.hi_221059_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A5%80
सैनी
ब्रिटिश द्वारा सेना में भर्ती के लिए सिखों को हिंदुओं और मुसलमानों की तुलना में अधिक पसंद किया जाता था। ये सभी ग्रामीण समुदाय जीवन यापन के लिए कृषि के अलावा सेना की नौकरियों पर निर्भर करते थे। नतीजतन, इन समुदायों से पंजाबी हिंदुओं की बड़ी संख्या खुद को सिख के रूप में बदलने लगी ताकि सेना की भर्ती में अधिमान्य उपचार प्राप्त हो। क्योंकि सिख और पंजाबी हिन्दुओं के रिवाज, विश्वास और ऐतिहासिक दृष्टिकोण ज्यादातर समान थे या निकट रूप से संबंधित थे, इस परिवर्तन ने किसी भी सामाजिक चुनौती को उत्पन्न नहीं किया;
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4,727.698907
20231101.hi_32366_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%B6
अपभ्रंश
अपभ्रंश साहित्य की प्राप्त रचनाओं का अधिकांश जैन काव्य है अर्थात् रचनाकार जैन थे और प्रबंध तथा मुक्तक सभी काव्यों की वस्तु जैन दर्शन तथा पुराणों से प्रेरित है। सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ कवि स्वयंभू (नवीं शती) हैं जिन्होंने राम की कथा को लेकर 'पउम-चरिउ' तथा 'महाभारत' की रचना की है। दूसरे महाकवि पुष्पदंत (दसवीं शती) हैं जिन्होंने जैन परंपरा के त्रिषष्ठि शलाकापुरुषों का चरित 'महापुराण' नामक विशाल काव्य में चित्रित किया है। इसमें राम और कृष्ण की भी कथा सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त पुष्पदंत ने 'णायकुमारचरिउ' और 'जसहरचरिउ' जैसे छोटे-छोटे दो चरितकाव्यों की भी रचना की है। तीसरे लोकप्रिय कवि धनपाल (दसवीं शती) हैं जिनकी 'भविस्सयत्त कहा' श्रुतपंचमी के अवसर पर कही जानेवाली लोकप्रचलित प्राचीन कथा है। कनकामर मुनि (११वीं शती) का 'करकंडुचरिउ' भी उल्लेखनीय चरितकाव्य है।
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4,706.199815
20231101.hi_400845_27
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A
कांच
काच निर्माण के लिए मुख्य पदार्थ सिलिका (Si O2) है और यह प्रकृति में मुक्त अवस्था एवं सिलिकेट यौगिकों के रूप में पाया जाता है। प्रकृति में सिलिका अधिकतर क्वार्ट्‌ज़ के रूप में पाया जाता है। इसका विशुद्ध रूप बिल्लौर पत्थर है। काच निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त सामग्री बालू, बालुका प्रस्तर और क्वार्ट्‌ज़ाइट (Quratzite) चट्टानें हैं। यदि पाने की सुविधा, प्राप्य मात्रा और ढुलाई बराबर हो तो बालू ही सबसे उपयुक्त पदार्थ है। काच निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त वही बालू है जिसमें सिलिका की मात्रा कम से कम 99 प्रतिशत हो और फ़ेरिक आक्साइड (Fe2O3) के रूप में लोहा 0.1 प्रतिशत से कम हो। बालू के कण भी 0.5-0.25 मिलीमीटर के व्यास के हों। अच्छे काच निर्माण के लिए बालू को जल द्वारा धो भी लिया जाता है। इलाहाबाद में शंकरगढ़ और वरगढ़ के बालू के निक्षेप काच निर्माण के लिए अति उत्तम हैं और उत्तर प्रदेश सरकार ने वहाँ पर बालू धोने के कुछ यंत्र भी लगा दिए हैं।
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4,702.542902
20231101.hi_33381_19
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%B0
राजगीर
राजगीर की पहचान मेलों के नगर के रूप में भी है। इनमें सबसे प्रसिद्ध मकर और मलमास मेले के हैं। शास्त्रों में मलमास तेरहवें मास के रूप में वर्णित है। सनातन मत की ज्योतिषीय गणना के अनुसार तीन वर्ष में एक वर्ष 366 दिन का होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अतिरिक्त मास कहा जाता है।
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4,683.772025
20231101.hi_799268_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AC
जरीब
66 फ़ीट लम्बाई वाली आम जरीब, जिसे गुण्टर्स जरीब भी कहते हैं, के आलावा अन्य कई प्रकार की जरीबें भी विविध कार्यों अनुसार प्रयोग में लाई जाती हैं। इस तरह जरीब के निम्नलिखित प्रकार हैं:
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4,681.969314
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE
कांशीराम
सन 1982 में उन्होंने अपनी पुस्तक 'द चमचा युग' लिखी, जिसमें उन्होंने जगजीवन राम और रामविलास पासवान और रामदास अठावले जैसे दलित नेताओं का वर्णन करने के लिए "चमचा" शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने तर्क दिया कि दलितों को अन्य दलों के साथ काम करके अपनी विचारधारा से समझौता करने के बजाय अपने स्वयं समाज के विकास को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक रूप से काम करना चाहिए....
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4,675.519802
20231101.hi_80204_23
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
नीतिशास्त्र
(2) अन्य विचारकों के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य एवं परम श्रेय पूर्णत्व है, अर्थात् मनुष्य की विभिन्न क्षमताओं का पूर्ण विकास।
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4,637.925752
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%80
दालचीनी
हिब्रू बाइबिल मसाले का विशेष उल्लेख कई बार करता है: पहली बार जब मूसा दोनों मिठाई (हिब्रू: קִנָּמוֹן qinnāmôn) दालचीनी का उपयोग करने की आज्ञा है और पवित्र अभिषेक तेल में कैसिया, नीतिवचन जहां प्रेमी बिस्तर लोहबान के साथ सुगंधित किया जाता है में, एक दस्तावर औषधि और दालचीनी और सुलैमान के गीत, एक गीत अपनी प्रेयसी, दालचीनी scents के सौंदर्य का वर्णन में लेबनान की गंध की तरह उसके कपड़ों दालचीनी Ketoret जो जब जिक्र करने के लिए प्रयोग किया जाता है के एक घटक था। पवित्रा धूप हिब्रू बाइबल और तल्मूड में वर्णित है। यह समय जब निवास प्रथम और द्वितीय यरूशलेम मंदिर में स्थित था में विशेष धूप की वेदी पर भेंट की थी। Ketoret यरूशलेम में मंदिर सेवा के एक महत्वपूर्ण घटक किया गया था।
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4,631.640087
20231101.hi_57188_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%AF%E0%A4%A8
विलयन
(2) यदि दोनों गैसों के बीच कोई रासायनिक क्रिया नहीं होती है, तो दोनों परस्पर मिल जाते हैं, जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन गैसों को मिलाने से होता है। ऐसी दशा में दोनों गैसे मिलकर एक समांग मिश्रण बन जाती है। यहाँ दोनों गैसें किसी भी अनुपात में मिलाई जा सकती हैं। यहाँ संतृप्ति का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
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4,631.589786
20231101.hi_222360_90
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
निजीकरण
क्लार्क, थॉमस (एड.) (1994) "अंतर्राष्ट्रीय निजीकरण: रणनीतियां और आचरण" बर्लिन और न्यूयॉर्क: वॉल्टर डे ग्रुय्टर, ISBN 3-11-013569-8
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4,629.080996
20231101.hi_12737_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AC
शराब
शराब शरीर के लगभग सभी अंगो पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता है अैर शरीर का शायद ही कोई अंग इसके दुष्प्रभाव से वंचित रहता है। शराब से पेट संबंधी बिमारियाँ जैसे- अपच, पेट के धाव (अल्सर), यकृत की बीमारी जैसे-सिरोसिस, लिवर का पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होना, स्नायु तंत्र की कमजोरियाँ, हृदय संबंधी रोग विशेषतः रक्तचाप, यादास्त की बीमारी, कैंसर आदि। इस तरह से हम देखते है कि शरीर तो खराब होता ही है, मस्तिस्क की कोशिकाएँ भी मरने लगती है। मानसिक रोग उत्पन्न होते है तथा व्यक्ति में परिवर्तन आ जाता है।
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4,624.682037