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अंक ज्योतिष में हमारी जन्म तिथि 1 से 9 अंक के साथ आती है, उदाहरण के लिए आपकी तिथि 10 है लेकिन आपका अंक 1+0=1 है। आपकी अंक ज्योतिष तिथि के अनुसार देखें जून भविष्यफलः मूलांक 1 (जन्मतिथि 1, 10, 19, 28) इस माह आपके लिए बहुत भाग्यशाली रहेगा। भाग्य के सहयोग से आपके सभी काम सुचारू रूप से पूरे होंगे। नौकरी हो या व्यापार आपको अपनी मेहनत का अच्छा फल मिलेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए परिवर्तन का समय चल रहा है। अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं तो किसी अच्छी कंपनी से ऑफर मिल सकता है। पैसों के मामले में यह समय आपके लिए बहुत ही भाग्यशाली है। आमदनी अच्छी रहेगी। काफी समय से आपका रुका हुआ पैसा भी आपके पास पहुंचेगा। मूलांक 2 (जन्मांक 2, 11, 20, 29) इस माह आप व्यर्थ की चिंताओं के कारण काफी मानसिक तनाव में रहेंगे। इससे आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होगी। पैसों के मामले में यह समय आपके लिए बहुत ही खर्चीला रहेगा। अनावश्यक खर्चा हो सकता है। लेकिन आपकी आमदनी बेहतर होगी। काम को लेकर आप काफी व्यस्त रहेंगे। अपने लंबित कार्यों को इस दौरान पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत करें। महीने के अंतिम सप्ताह में आप सुकून महसूस कर सकते हैं। मूलांक 3 (जन्म तिथि 3, 12, 21, 30) माह की शुरुआत आपके लिए बहुत अच्छी है। इस अवधि में आपकी कुछ बड़ी समस्याओं का समाधान होगा। आपका मूड काफी अच्छा रहेगा। विपरीत परिस्थितियों में अपनों का पूरा सहयोग आपको मिलेगा। यदि कुछ समय से आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या चल रही है तो इस दौरान आपको उन सभी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। स्वास्थ्य में बड़ा सुधार होगा। आपके पास काफ़ी समय होगा। काम से जुड़े प्रयासों में सफलता मिलेगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। माह के अंत में परिवार के साथ किसी मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिल सकता है। मूलांक 4 (जन्मांक 4,13,22,31) काम के मामले में जून आपके लिए भाग्यशाली महीना रहेगा। यदि आप एक काम करते हैं तो आपके प्रयास सफल होंगे। इस दौरान आपको अच्छा प्रमोशन मिल सकता है, आपकी इनकम में भी बढ़ोतरी होगी। माह के मध्य में आपको कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। व्यापार से जुड़े जातकों को अच्छा आर्थिक फायदा हो सकता है। इससे कर्ज चुकाने में मदद मिलेगी। अगर आप अपने व्यापार को आगे ले जाने की योजना बना रहे हैं तो आपकी योजना सफल होगी। अंक 5 (जन्मांक 5,14,23) आप काम पर पूरा ध्यान दे पाएंगे, इस माह आपको तरक्की का नया रास्ता मिलेगा। कर्मचारियों को उनकी मेहनत का फल मिलेगा। सरकारी कर्मचारियों की आय में वृद्धि होने की संभावना है। पारिवारिक जीवन की बात करें तो आप संतुलित रहेंगे और इस माह सोच समझकर ही धन खर्च करेंगे। अंक 6 (जन्मांक 6, 15, 24) इस माह आपके लिए मिलाजुला है, इस माह की शुरुआत आपके लिए थोड़ी धीमी रहेगी, लेकिन इसके बाद का समय अच्छा रहेगा। नौकरी हो या व्यापार काम का बोझ अधिक रहेगा। रुके हुए कार्यों को पूरा करने में आपको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऑफिस की राजनीति का शिकार न बनें, सावधान रहें। व्यापार से जुड़े जातकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। इस अवधि में आपको कर्ज भी लेना पड़ सकता है। माह के अंत में आपको कोई शुभ समाचार मिल सकता है, जिससे आप परिवार के साथ अधिक समय बिता पाएंगे। यदि आप पहले से ही किसी रोग से पीड़ित हैं तो इस माह आपको अधिक सावधान रहना चाहिए। मूलांक 7 (जन्मांक 7, 16, 25) पैसों के मामले में यह माह आपके लिए उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है। रुकुस के अचानक बढ़ने से आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि आप अपने खर्चों पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो आप पर बड़ा आर्थिक संकट आ सकता है। काम को लेकर इस समय आप काफी चिंतित रहेंगे। अगर आप नौकरी करते हैं तो दफ्तर में सहकर्मियों के साथ अनबन से आपको बचने की सलाह दी जाती है। इस समय आपको बहुत ही संतुलित व्यवहार करना होगा अन्यथा इसका असर आपके काम पर पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर व्यापारियों को लाभ कमाने में कठिनाई हो सकती है। लेकिन आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। जीवनसाथी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। बीमारी में काफी पैसा खर्च हो सकता है। राशिफल आज 25 मई 2023: गुरुवारः आज 12 राशियों का क्या हाल है? मूलांक 8 (जन्मांक 8,17,26) पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। परिवार के साथ समय बिता पाएंगे। आपको अपने काम के लिए परिवार का सहयोग मिलेगा। नौकरीपेशा जातकों को इस माह नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। छोटी सी गलती भी वरिष्ठ अधिकारियों के कोप का पात्र बन सकती है। अगर आप व्यापार करते हैं तो पैसों से जुड़े किसी भी काम में जल्दबाजी न करें। साथ ही कुछ स्मार्ट फाइनेंशियल प्लानिंग में फंस जाएं। साथ ही दूसरों की सलाह पर अपने महत्वपूर्ण फैसले लेने से बचें। सेहत की बात करें तो सेहत में भारी गिरावट आ सकती है। मूलांक 9 (जन्मांक 9, 18, 27) माह की शुरुआत आपके लिए अच्छी रहेगी। कुछ अच्छी खबरें हैं। इस अवधि में आप काफी सकारात्मक और ऊर्जावान रहेंगे। दफ्तर में आपकी सकारात्मकता बॉस को कुछ ज्यादा ही प्रभावित करेगी। इस दौरान आप जोश के साथ अपने सभी काम पूरे करेंगे। यदि आप सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं या आप विदेश जाकर नौकरी पाना चाहते हैं तो आपकी मेहनत सफल होगी। व्यवसायी के कार्य में वृद्धि संभव है। आपको कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है। इस अवधि में आप निवेश कर सकते हैं। यह माह आपके जीवन साथी के साथ काफी रोमांटिक रहेगा। आप एक-दूसरे के साथ काफी समय बिता पाएंगे। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। यदि आप कोई नया वाहन, मकान, जमीन आदि खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इस महीने आपकी यह इच्छा पूरी होगी। यह समय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
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बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान और अक्षय कुमार ने बुधवार को अपने प्रशंसकों और आम जनता को नए साल की पूर्व संध्या पर नशे में गाड़ी न चलाने का आग्रह किया। शाहरूख की आने वाली फिल्म रईस में शराब तस्कर की भूमिका निभा रहे शाहरुख ने अपना संदेश एक वीडियो के जरिए दिया है। जबकि अक्षय ने ट्विटर पर 17 सेकेंड के मोशन पोस्टर को पोस्ट किया है। शाहरुख ने 20 सेकेंड के वीडियो में कहा है, पार्टी का माहौल है, खूब पार्टी करो। मजनू बनके लैला के साथ नाचो, लेकिन शराब पीके गाड़ी मत चलाओ। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, इस नए साल की शाम बेवकूफ नहीं समझदार बनो। शराब पीकर गाड़ी न चलाएं। सभी को प्यार। रईस की सुनो। अक्षय कुमार ने भी संदेश देने के साथ अपनी आने वाली फिल्म जॉली एलएलबी 2 का प्रचार किया। अक्षय ने अपने संदेश में कहा, कानून के हाथ लंबे होते हैं। जॉली एलएलबी 2 दे रहा है चेतावनी। उन्होंने अपनी फिल्म जॉली एलएलबी 2 का मोशन पोस्टर भी साझा किया। पीछे दिख रहे पोस्टर के सामने उन्होंने कहा, सब जानते हैं कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। फिर भी पंगे लेते हैं। लेकिन, इस साल मत लेना। जश्न जम के करना लेकिन भूल के भी शराब पीकर गाड़ी मत चलाना। नहीं तो सुना है ना, कानून के हाथ लंबे होते हैं। (आईएएनएस)
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अब आरक्षण के लिए कुछ भी करेगा हरियाणा का जाट. दिल्ली का घेराव होगा. जाट युवा सेना का होगा गठन. जरूरत पड़ी तो लाठी-जेली लेकर सड़क पर उतरेंगे जाट. हर तरह की कुर्बानी को कसी कमर. सितम्बर माह में छिड़ेगी जंग. जाट कल्याण सभा के प्रधान अत्तर सिंह संधू ने कहा कि गुर्जरों की तरह आन्दोलन करना होगा. एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाओ तो सरकार खुद तुम्हारे पास चलकर आएगी. अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान ने कहा कि आरक्षण आन्दोलन में यदि जेली-लाठी का भी प्रयोग करना पड़ा तो भी जाट नहीं हिचकेंगे. अब प्रश्न उठता है कि क्या जाटों को लाठी के बल पर आरक्षण मिल पाएगा? इस पर जाट विचारक कहते हैं -"जिसकी लाठी उसकी भैंस" अब भी सत्य है, यदि दारोगा(सरकार) पक्ष में हो. राजस्थान के गुर्जरों को लाठी के बल पर ही आरक्षण मिला है. जाटों को भी हरियाणा में 'फेवरेबल' कांग्रेसी सरकार होने के कारण ही ठीक लोक सभा चुनावों से पहले आरक्षण की लालीपॉप दी गयी थी, जो २०१५ में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. इस पर जाट विचारक मानते हैं कि दोनों ही प्रमुख राजनैतिक पार्टियों ने जाटों को ठगा है. कांग्रेस को अगर जाट आरक्षण देना ही था तो क्यों नहीं सभी कानूनी पेचीदगियों पर ठोस विचार विमर्श करके आरक्षण दिया गया? क्या कांग्रेस सरकार के पास कानूनविद वकीलों व अधिकारियों की कमी थी जो आरक्षण का फैसला सुप्रीम कोर्ट में धराशाही हो गया? क्यों नहीं कांग्रेस ने सभी आवश्यक प्रक्रियाओं व कदमों की अनुपालना की? विचारक इस खामी के पीछे कांग्रेस का दोमुहा आचरण मानते हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस जाटों के वोट लेने के लिए लालीपॉप दे गयी थी और ऐसे कानूनी छेद छोड़ गयी जो बाद में कोर्ट में आरक्षण को गलत सिद्ध करने में बालू रेत के बाँध की तरह बहा ले गए. क्या भाजपा का एक सांसद बिना पार्टी लाइन के ही जाट आरक्षण का विरोध कर रहा है? जाट विचारकों के गले यह बात नहीं उतर रही है. जाट विचारक तो यहाँ तक मान रहे हैं कि भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की पालिसी का अनुसरण कर जाटों कि उपेक्षा कर रही है और जाट-गैर जाट का विभाजन किया जा रहा है. क्योंकि भाजपा को लग रहा है कि जाट तो हमेशा त्रिकोणीय गुटों में बंटा रहता है इसलिए भाजपा को मजबूती देने व आगामी चुनावों में गैर-जाट मतदाताओं को लुभाना ज्यादा लाभकारी है. वर्तमान सरकार में न तो केंद्र में और न ही प्रदेश में ऐसा कोई प्रभावशाली व दबंग जाट नेता है जो जाटों की आवाज उठा सके. बल्कि वे तो अपनी मंत्री पद की कुर्सी को बचाने में ही मशगूल हैं. अब समय आ गया है कि जाटों को बाहुबल के साथ-साथ बुद्धिबल का भी प्रयोग करना पड़ेगा. जाट विचारक एवं भूमि विकास बैंक के पूर्व वाईस चेयरमैन वेदपाल हरियावासिया का मानना है कि जाटों को खापों की विभाजन रेखा छोड़कर पहले 'जाट' होना होगा और फिर अन्य जातियों से अलग थलग पड़ चुके जाटों को अपनी संवर्गीय जातियों का समर्थन लेना व देना होगा. हिसार की विचार सभा में भी इस बात पर चर्चा हुई है और सहमती भी बनी है कि हरियाणा में स्पैशल बैकवर्ड जातियों(एस. बी. सी. ) के आरक्षण में जाटों के साथ रोड़, बिश्नोई, सिख व त्यागी जातियों को भी आरक्षण दिया गया था, जो कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अतः सभा में जाट विचारकों ने फैसला लिया है कि उन चारों जातियों को भी इस आरक्षण की लड़ाई में शामिल किया जाएगा. जाटों ने गुजरात के पटेल समुदाय को भी आन्दोलन में अपने साथ जोड़ने का निर्णय लिया है. तो ऐसी स्थिति में जबकि सुप्रीम कोर्ट जाट आरक्षण को रद्द कर चुका है तब क्या सरकार पर जेली-लाठी का दवाब डालकर जाट बिना कोई वैधानिक हल खोजे आरक्षण ले पाएंगे?
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" हड़प्पा सभ्यता से संबंधित सामग्री रखने वाले किसी संग्रहालय को देखिए । * हड़प्पा के विभिन्न स्थलों को मानचित्र पर अंकित कीजिए । हड़प्पा की मोहर जैसा चित्र अपनी चित्रकला की कापी में बनाइए। * पुरानी इतिहास की पुस्तक से कुछ चित्र काट कर एक कोलाज बनाइए । एक मृदभाण्ड पर पीपल वृक्ष का चित्रण भारतीय सभ्यताएँ / 87 योगी 'शिव पशुपति' योग मुद्रा में मानव आकृति वैदिक सभ्यता आपने शायद वेद, ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषदों के विषय में सुन रखा होगा। इन सबको सम्मिलित रूप से वैदिक साहित्य कहा जाता है। इन्हें हिंदुओं का धार्मिक साहित्य भी कहा जाता है। इन्हें आदर से देखा जाता है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि वैदिक साहित्य कुरान और बाईबल की तरह किसी वैयक्तिक धार्मिक ग्रंथ को परिलक्षित नहीं करता। वेद का अर्थ है ज्ञान अथवा पवित्र अध्यात्मिक ज्ञान । विद्वान लोग वैदिक काल और वैदिक साहित्य को दो भागों में बाँटते हैं प्रारंभिक दौर का प्रतिनिधित्व ऋग्वेद करता है और बाद के दौर में बाकी तीनों वेद, ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषद् आते हैं। वैदिक साहित्य को समृद्ध होने में लंबा समय लगा। इनमें से कुछ तो अभी भी उपलब्ध हैं जबकि कई सदा के लिए विलुप्त हो चुके हैं। वैदिक साहित्य से हम वैदिक काल के लोगों तथा उनके निवास के क्षेत्र के विषय में जान पाते हैं। वैदिक क्षेत्र वैदिक साहित्य में उल्लिखित नदियों, पर्वतों और क्षेत्रों के नाम से हमें उस काल के भौगोलिक विस्तार का ज्ञान होता है। ऋग्वेद में गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु और सतलुज जैसी नदियों के नाम हैं। सरस्वती को सबसे पवित्र नदी माना जाता था। ऋग्वेद के काल में लोग उन्हीं क्षेत्रों में बसे हुए थे जो हड़प्पा सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते थे जैसे अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश उत्तर वैदिक काल में । लोग उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल और मध्य प्रदेश में फैल गए थे। ऋग्वेद में सरस्वती नदी को सबसे पावन और माँ के समान माना गया है। आप पहले ही यह जान चुके हैं कि हड़प्पा काल की अधिकांश बस्तियाँ सरस्वती नदी पर पाई गई थीं। राजनैतिक स्थिति ऐसा प्रतीत होता है कि प्रारंभ में बहुत छोटे-छोटे राज्यों पर राजा राज्य करते थे। ऐसे राज्यों, लोगों और राजाओं के नाम का ऋग्वेद में उल्लेख है। उनमें से कुछ थे - भरत, यदु, पुरु, पक्त इत्यादि जिनका नाम हम अन्य पुस्तकों में भी पाते हैं। ऐसा विश्वास है कि ऋग्वेद के काल में भरत राज्य के नाम से ही इस देश का नाम भारत पड़ा। बाद में जब लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल तक फैल गए तब कुरु, पंचाल और विदेह जैसे राज्यों की स्थापना हुई। पैतृक राजतंत्र अर्थात पिता के बाद पुत्र का राजा बनना सामान्य शासन पद्धति थी, परंतु कभी-कभी जनता द्वारा चुने गए राजाओं की भी चर्चा आई है। प्रशासन में राजा के सहायतार्थ सभा और समिति के अतिरिक्त पुरोहित, मंत्री और अन्य अधिकारी भी होते थे। किसी भी स्थिति में राजा को राज्य की एकमात्र परम शक्ति अथवा स्वामी नहीं माना जाता था। राजा को मात्र राज्य रूपी न्यास (ट्रस्ट) का न्यासी (ट्रस्टी) माना जाता था। लोगों के हितों एवं कल्याण के लिए कार्य करना ही राजा का कर्तव्य था। प्रारंभ में राज्य छोटे थे और राजाओं को राजन कहा जाता था परंतु बाद के काल में हमें बड़े राज्यों के विषय में जानकारी मिलती है और उनमें से कुछ राजाओं को महाराजा अथवा सम्राट कहा जाता था। राज्य को राष्ट्र कहा जाता था । प्रशासन में सभा और समिति की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती थी। समिति एक बड़ी संस्था प्रतीत होती है जो नीतिगत निर्णय लेती थी जबकि सभा एक छोटी और अनुभवी, योग्य तथा बुजुर्गों की चयनित संस्था थी। हमारी आज की संसद की भाँति उस समय भी सभा और समिति में सदस्यों के व्यवहार एवं वाद-विवाद को संचालित करने के लिए नियम बने हुए थे। आर्थिक जीवन वैदिक काल के लोगों का आर्थिक जीवन कृषि, कला, हस्तशिल्प और व्यापार पर केंद्रित था । बैलों और साँडों का खेती करने एवं गाड़ियाँ खींचने के लिए उपयोग किया जाता था। रथ खींचने के लिए घोड़ों का उपयोग किया जाता था । पशुओं में गाय को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं पवित्र स्थान दिया जाता था। वैदिक काल में गाय को चोट पहुँचाना वैदिक सभ्यता / 89 अथवा उसकी हत्या करना वर्जित था। गाय को अघ्न्य (जिसे न तो मारा जा सकता है और न ही चोट पहुँचाई जा सकती है) कहा जाता था। वेदों में गोहत्या अथवा गाय को चोट पहुँचाने पर परिस्थिति अनुसार देश निकाला अथवा मृत्यु- दंड देने का प्रावधान है। प्रारंभिक काल में बर्तन बनाना, कपड़ा बुनना, धातु कर्म, बढ़ई का काम इत्यादि अन्य व्यवसाय थे। प्रारंभिक काल में धातुओं में केवल ताँबा धातु की ही जानकारी थी । दूरदूर तक व्यापार होता था। वेदों में समुद्री मार्ग से व्यापार की चर्चा आती है। बाद के काल में हमें अन्य कई व्यवसायों, जैसे गहने बनाना, रंगरेज़ी, रथ बनाना, तीर-कमान बनाना तथा धातु पिघलाने आदि की जानकारी मिलती हैं। हस्तशिल्पियों की श्रेणियाँ (संघ) भी बनीं और उनके मुखिया को श्रेष्ठी कहा जाता था। बाद के काल में लोहे की जानकारी होने के बाद ताँबा लोहित अयस और लोहा श्याम अयस के नामों से जाने जाते थे। प्रारंभिक काल में लोग स्वेच्छा से राजा को उसकी सेवाओं के फलस्वरूप उपहार के रूप में बलि (ऐच्छिक उपहार) दिया करते थे जो बाद में एक नियमित कर बन गया जिसे शुल्क कहा जाता था। उस समय उपयोग किए जाने वाले सिक्कों को निष्क कहा जाता था। सामाजिक जीवन ऋग्वेदिक काल में समाज में मुख्यतः चार वर्ण थे- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । यह वर्गीकरण लोगों के कर्म (कार्यो) पर आधारित था न कि जन्म पर। गुरुओं अर्थात शिक्षकों को ब्राह्मण; शासक और प्रशासकों को क्षत्रिय; किसानों,
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नेशनल डेस्कः गोवा में 22 जुलाई को G20 स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन लॉन्च होने की संभावना है। भारत की G20 प्रेसीडेंसी के तहत शुरू की जाने वाली इस पहल को कथित तौर पर ब्राजील और अमेरिका से मजबूत समर्थन मिला है। भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस पहल का विवरण साझा करते हुए कहा कि गठबंधन जैव ईंधन को अपनाने की दिशा में वैश्विक सहयोग और सहयोग को मजबूत करने और बड़े पैमाने पर उनके विकास और अपनाने को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं की तलाश करने के लिए काम करेगा। इससे पहले फरवरी 2023 में भारत ऊर्जा सप्ताह के दौरान, भारतीय मंत्री ने कहा था कि वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन भारत की G20 प्रेसीडेंसी की प्राथमिकताओं में से एक होगा। पुरी ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के विकास की दिशा में अन्य इच्छुक देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादकों और उपभोक्ताओं के रूप में ब्राजील, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की योजनाओं का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि गठबंधन का उद्देश्य सहयोग को सुविधाजनक बनाना और विशेष रूप से परिवहन के लिए टिकाऊ जैव ईंधन के उपयोग को तेज करना होगा। बाजारों को मजबूत करना, वैश्विक जैव ईंधन व्यापार को सुविधाजनक बनाना, ठोस नीति पाठ-साझाकरण का विकास और दुनिया भर में राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता का प्रावधान गठबंधन के कुछ प्रमुख कार्य होंगे। इसका उद्देश्य पहले से लागू सर्वोत्तम प्रथाओं और सफलता की कहानियों को उजागर करना और बढ़ावा देना भी है। उन्होंने ये भी कहा कि ग्लोबल बायोएनर्जी पार्टनरशिप (GBEP ) गठबंधन से अपेक्षा की जाती है कि वह जैव-ऊर्जा, जैव-अर्थव्यवस्था और ऊर्जा संक्रमण क्षेत्रों जैसे स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बायोफ्यूचर प्लेटफॉर्म, मिशन इनोवेशन बायोएनर्जी पहल जैसे मौजूदा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और पहलों के सहयोग से अपने जनादेश को पूरा करेगा। 22 जुलाई कोG20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर और ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस का शुभारंभ होगा। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह पहले का शुभारंभ करेंगे जबकि केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी दूसरे को हरी झंडी दिखाएंगे। बैठक में G20 सदस्य देशों के ऊर्जा मंत्री, 9 आमंत्रित देशों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के उच्च पदस्थ अधिकारी भाग लेंगे। संयोग से, एनर्जी ट्रांज़िशन वर्किंग ग्रुप की चौथी बैठक भी 19-20 जुलाई के दौरान गोवा में होगी। इन चार दिनों में नीति निर्माताओं, प्रतिनिधियों, आमंत्रितों, व्यापारिक नेताओं और शोधकर्ताओं सहित 1,000 से अधिक प्रतिभागियों के विभिन्न बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेने की संभावना है।
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उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ। बेटी के प्रेम प्रसंग से नाराज परिजनों ने उसकी बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी। युवती ने अपने प्रेमी को फोन पर अंदेशा भी जताया था कि घरवाले उसकी हत्या की साजिश रच रहे हैं, लेकिन वो इसके बावजूद हालात की गंभीरता समझ नहीं पाया। हालांकि पुलिस ने अब इसी प्रेमी की शिकायत पर मृतका के पिता, चाचा और चचेरे भाई को अरेस्ट कर लिया है, जबकि अन्य की गिरफ्तारी होना बाकी है। पूछताछ में आरोपियों ने हत्या के पीछे की जो वजह बताई है, वो बेहद चौंकाने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मैनाठेर थाना क्षेत्र के सुंदरपुर कल्याण गांव के रहने वाले इस परिवार को शक था कि उनकी बेटी मनु गांव के ही रहने वाले अपने प्रेमी शोभित के साथ घर से फरार हो सकती है। इससे उनकी इज्जत खराब हो जाती, इसलिए उन्होंने अपनी ही बेटी को जान से मारने की साजिश रच ली। साजिश के तहत युवती का फुफेरा भाई पुनीत अपने दोस्त की कार मांगकर लाया। इसके बाद घरवालों ने मनु की हत्या कर दी और शव को इसी कार में लादकर दूसरे जिले की सीमा में ले जाकर फेंक दिया। इसके बाद सब अपनी जिंदगी में ऐसे व्यस्त हो गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो। इधर, युवती का प्रेमी शोभित परेशान था कि मनु का फोन क्यों नहीं आ रहा। जब किसी भी तरह मनु का कुछ पता नहीं चला तो शोभित को 26 जून से पहले की वो आखिरी बार हुई बातचीत ध्यान आ गई, जिसमें मनु ने खुद की हत्या होने का अंदेशा जताया था। शोभित ने तुरंत पुलिस के पास जाकर पूरे मामले से अवगत कराया। ऑनर किलिंग से जुड़ा मामला होने के चलते पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और हत्यारोपी पिता, चाचा और चचेरे भाई को प्राथमिक जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार का कहना है कि तीनों हत्यारोपियों से पूछताछ चल रही है। जल्द ही पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया जाएगा।
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IGNOU Online MBA course : IGNOU) ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से अप्रूव्ड ऑनलाइन एमबीए कोर्स की शुरुआत की है. इस कोर्स में एडमिशन के लिए कुछ योग्यता मांगी गई है. IGNOU Online MBA Programme 2022: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा अप्रूव्ड (approved) एक वर्चुअल मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) प्रोग्राम शुरू किया है. विश्वविद्यालय के ऑनलाइन एमबीए प्रोग्राम को वंचितों तक पहुंचने एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से इस कोर्स को डिजाइन किया गया है. इग्नू (IGNOU) ने ये कोर्स ऑनलाइन शुरू किया है. इस ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत जनवरी से हो रही है. सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत अंक और आरक्षित वर्ग के लिए 45 प्रतिशत अंकों से पास होना अनिवार्य है वे इस कोर्स में बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम के डायरेक्ट एडमिशन ले सकते हैं. उम्मीदवार इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को इग्नू के वेबसाइट ignuiop.samarth.edu.in पर जाना होगा. कार्यक्रम पांच अलग-अलग स्पेशलाइजेशन प्रदान करता है. मानव संसाधन प्रबंधन (Human Resource Management), वित्तीय प्रबंधन (Financial Management), मार्केटिंग मैनेजमेंट (Marketing Management), संचालन प्रबंधन (Operations Management) सेवा प्रबंधन (Services Management). चार सेमेस्टर में 28 पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा. जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, एमबीए ऑनलाइन कार्यक्रम के लिए कई प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा. डिजिटली एसिंक्रोनस और सिंक्रोनस काउंसलिंग, मोबाइल ऐप, ई - मेल जैसे प्लैटफॉर्म के जरिए इस कोर्स की पूरी जानकारी दी जाएगी और एडमिशन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. सस्ती फीस के साथ, कार्यक्रम ऑनलाइन मोड के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश किया गया है." इस कोर्स की अवधि दो वर्ष है, और अधिकतम अवधि चार वर्ष है. कोर्स से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करने की सलाह दी जाती है. इस कोर्स से काफी स्टूडेंट्स को लाभ होगा. महंगी फीस के कारण कोर्स नहीं कर पाने वाले स्टूडेंट्स इस कोर्स का फायदा उठा सकते हैं.
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हित सम्पादक एक अध्ययन [] शीतल चन्द जैन, प्राचार्य आचार्य प्रवर ज्ञानसागर जी द्वारा लिखित यह अप्रकाशित कृति है । इस ग्रन्थ में 138 पद्य संस्कृत में निबद्ध है। लेखक ने पद्यों के अनुसार विस्तार से हिन्दी अर्थ भी दिया है। यह जैन साहित्य अनूठी कृति है। आचार्य ज्ञानसागर जी द्वारा लिखित प्रकाशित कृतियों में इस कृति का नाम कहीं भी उपलब्ध नहीं है । ग्रन्थ के मंगलाचरण में जैन दर्शन को नमस्कार किया है। इसके बाद ग्रन्थकार ने कृति के नाम के अनुरूप दूसरे पद्य में कृति के साथ नाम की सार्थकता बतलाते हुए कहा है कि जिस दर्शन से अहित का नाश होकर हित सम्पादन हो किसी का भी बुरा न होकर सबका भला हो, जिससे प्रत्येक आत्मा अपना उद्धार कर सके, उसका नाम वास्तविक धर्म हो सकता है और वही हित सम्पादक है। इस कृति का प्रतिपाद्य विषय संक्षेप में इस प्रकार हैग्रन्थकार ने आत्मा के स्वरूप का प्रतिपादन करते हुए साधक के प्रकार बतलाकर योगी और गृहस्थ में अन्तर प्रतिपादित किया है। लोकधर्म परमार्थधर्म का विवेचन करने के बाद पुरुषार्थ का स्वरूप उसके भेद और त्रिवर्ग का स्वरूप विस्तार से बताया है। इसके बात लेखक ने सज्जाति मुक्ति का कारण नहीं है, इसके सम्बन्ध में विस्तार से विचार किया है। इसके सम्बन्ध में विस्तार से विचार किया है। इसके अन्तर्गत यज्ञोपवीत पर भी सुन्दर विवेचन है। ग्रन्थकार ने सद्गृहस्थ के रहन सहन, भोजन आदि की शुद्धि पर भी तर्क पूर्वक विचार किया है। भोजन में कौनसी वस्तु ग्राहय है। कौन सी वस्तु त्याज्य है। भोजन किसके हाथ का बना हुआ लेना चाहिए, इत्यादि बिन्दुओ पर सद्गृहस्थ की दृष्टि से विचार किया है। साथ में पात्रों के भेदों की चर्चा की है। इसके बाद नवधा भक्ति की विवेचना नवीन ढंग से की है। जो पाठक के हृदय को छू लेती है। साधु की चर्या बतलाते हुए मुक्ति कब मिलती है ? इसकी सुन्दर व्याख्या की है। ग्रन्थकार ने प्रस्तुत कृति मे मुख्य रूप से सज्जातित्व पर विचार करते हुए लगभग 35 पद्यों में लिखा है कि व्यक्ति जन्म से महान नही होता है अपितु कर्म से महान होता है और अनेक उद्धरणों को देते हुए विस्तार से संस्कारों की चर्चा की है संस्कारों में प्रमुख रूप से यज्ञोपवीत की चर्चा करते हुए लिखा है कि यज्ञोपवीत आंशिक व्रतो का प्रतीक नहीं है अपितु अलंकार (आभूषण) का प्रतीक है जिस प्रकार कटिसूत्रादि अलंकार पहने जाते हैं उसी प्रकार यज्ञोपवीत भी एक आभूषण है। यदि इसे व्रतों का चिन्ह माना जाये तो तिर्यञ्चों एवं महिलाओं के भी व्रत होते हैं, उन्हें भी यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए परन्तु ऐसा नहीं देखा जाता है। यदि इसे पूर्ण व्रतों का चिह्न माना जाए तो मुनिराजों को भी धारण करना चाहिए क्योंकि वे पूर्णवती हैं। यज्ञोपवीत को पूजन एवं आहार देने के लिए अनिवार्य नहीं माना है। उक्त क्रियाओं के लिए यदि यह अनिवार्य है तो महिलाओं को भी यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए क्योंकि वह आहार देती हैं और प्रतिदिन पूजन भी करती हैं । इसी प्रकार शूद्रों की चर्चा करते हुए स्पष्ट लिखा है कि सत्शूद्र मुनियों को आहार दे सकता है। क्योंकि सत्शूद्र सम्यग्दर्शन प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है, अतः ग्रन्थकार ने प्रत्येक जीव को समान मानते हुए पिण्डशुद्धि को मुक्ति का कारण नही माना है। प्रथमानुयोग के कई ग्रन्थों का उदाहरण देते हुए सुदृष्टि सुनार जैसे जीवों की मुक्ति को दिखाते हुए कहा है कि पिणडशुद्धि को मुक्ति में कारण मानना मात्र कट्टरवादिता ही है । आदिपुराण में जो संस्कारों की चर्चा की गई है उसके संबंध में ग्रन्थकार ने स्पष्ट किया है कि वह चर्चा ऋषभदेव ने भरतादि के लिए इसलिए की है कि आगे आने वाली प्रजा सस्कार विहीन न हो और आदर्श समाज की संरचना हो अतः यज्ञोपवीत आदि संस्कारों का विधान यदि व्रतो मे किया जाता है तो आपत्ति नहीं है परन्तु मुक्ति में इनको अविनाभावी नही माना जा सकता है । वस्तुतः जैसा कि आदिनाथ पुराण में लिखा है"कण्ठेहार लता बिधेत कटिसूत्र कटीतटे" । इत्यादि पद्य में स्पष्ट लिखा है कि भगवान ऋषभदेव के कंठ में दिव्य हार शोभा दे रहा है कमर में करधनी और वक्षः स्थल पर यज्ञोपवीत नाम का आभूषण था जिससे वे महापुरुष ऐसे प्रतीत हो रहे थे। जैसे कि गंगा की धारा से युक्त पर्वतराज ही हों। इसी प्रकार अभिषेक पाठ में भी "इन्द्रोऽहं निजभूषणार्थकमिदं यज्ञोपवीतंदधे । "मुद्रा कंकण शेखराण्यऽपि तथा जैनाभिषेकोत्सवे" ॥ इस पद्य में भी कहा गया है --- हे भगवन ! मैं आपके अभिषेक के लिए इन्द्र का स्वरूप धारण कर अपने शरीर को अंगूठी कंगन, कुण्डल तथा यज्ञोपवीत आभूषण धारण कर रहा हूँ। अतः यज्ञोपवीत को आभूषण के रूप में ही स्वीकार किया गया है। पद्मपुराण में भी यज्ञोपवीत को स्वर्णमय रत्नजटित कहा है अतः जनेऊ को तत्कालीन समय में व्रतियो का आभूषण माना जाता था । इसी प्रकार ग्रन्थकार ने ऐसे लोगों का भी तर्कपूर्ण खण्डन किया है जो यज्ञोपवीत आदि से आयु का अल्प या ज्यादा होना मानने हैं जो इस प्रकार की धारणा रखने वाले लोग हैं, उनका कहना है कि अधिक जीवित रहने के लिए तीन जनेऊ धारण करना चाहिए एवं पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच जनेऊ धारण करना चाहिए । कर्मवाद से इनका कोई मेल नहीं बैठता है; क्योंकि मनुष्य की भुज्यमान आयु किसी भी उपाय से बढ़ नहीं सकती। इस प्रकार प्रन्थकार यज्ञोपवीत जैसे संस्कारों को पूजन अभिषेक आहार आदि क्रियाओं के लिए अनिवार्य नही माना है सद्शुद्रों को भी संस्कारविहीन कहकर दान पूजा से वंचित रखना उचित नहीं है। हित सम्पादक में सद्गृहस्थ का रहन-सहन कैसा होना चाहिए? इसकी विस्तार से चर्चा की है। ग्रन्थकार ने बाह्याडम्बरवादियों को भी तर्कपूर्ण समझाया है कि सखरा नखरा के विचार ने हमारे समाज में इतना अधिक जोर पकड़ लिया जिसका कोई ठिकाना नहीं। इस सन्दर्भ में भोजन का स्वरूप, भोजनशुद्धि, भोजन का स्थान, आदि की विस्तार से चर्चा कर कई भ्रान्तियों का निराकरण किया है। ग्रन्थ के अंत में नवधा शक्ति के स्वरूप में मनशुद्धि वचनशुद्धि एवं कायशुद्धि के स्वरूप को बतलाते हुए मनशुद्धि के विषय में लिखा है कि समझदार गृहस्थ का मन सूर्य के समान मार्ग-प्रदर्शक श्री मुनि महाराज को देखकर कमल की भांति प्रसन्न हो जाता है। वचनशुद्धि के स्वरूप को बतलाते हुए कहा है कि श्रावक मुनिराज के सम्मुख आवश्यक बात को छलरहित होकर विनम्रतापूर्वक निवेदन करता है। काय शुद्धि के विषय में भी ग्रन्थकार का नया दृष्टिकोण है परन्तु आगम सम्मत है। पापपूर्ण चेष्टाओं को छोड़कर सरलता को अपना लेना ही कायशुद्ध है। जिस प्रकार गरुड़ के पास सर्प अपने विषैलेपन को त्यागकर निर्विष बन जाता है उसी प्रकार गृहस्थ भी निष्पाप होकर काय की चेष्टा करता इस प्रकार प्रस्तुत कृति में आचार्य प्रवर ज्ञानसागर जी महाराज ने आगम के आधार पर निर्भीकतापूर्वक समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता एवं कट्टरवादिया का तर्कपूर्वक समाधान कर गृहस्थों को प्रशस्त मार्ग दिखाया है, इस कार्य के लिए समाज इनका चिर ऋणी रहेगी। → प्राचार्य श्री दि. जैन आचार्य संस्कृत महा. मनिहारों का रास्ता, जयपुर गुण सुन्दर वृतान्त का दार्शनिक पक्ष एवं उसमें निहित सन्देश कु. नीता जैन आचार्य श्री ज्ञानसागर प्रणीत हिन्दी संस्कृत भाषा में लिखित सम्पूर्ण साहित्य उनकी दार्शनिकता को व्यक्त करता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि प्रारम्भ से ही गृहस्थ पद में रहते हुए पंडित भूरामल शास्त्री के नाम से प्रतिष्ठित थे। बचपन से ही पारिवारिक समस्याओं से जूझते हुए जैन दर्शन में निष्णात विद्वानों से परिचय होने के कारण छात्रावस्था में ही आपके अन्दर दार्शनिकता का बीजारोपण हो गया। आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करते हुए आपने विरक्ति भाव धारण करके सम्वत् 2012 मे क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की। लगभग दो ढाई साल के बाद ही आपने मुनि दीक्षा ग्रहण की। कालान्तर में आचार्य पद प्राप्त किया और इस तरह गृहस्थ पद के प. भूरामल शास्त्री से क्षुल्लक ज्ञानभूषण एवं मुनि ज्ञानसागर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इससे स्पष्ट होता है कि आपने अपना जीवन दार्शनिक ग्रन्थो के अध्ययन एवं ग्रन्थ प्रणयन में ही लगाया जिससे आपकी दार्शनिक दृष्टि गहन से गहनतम होती चली गयी । प्रस्तुत आलोच्य कृति आचार्य सागर प्रणीत आधुनिक हिन्दी पद्य मे रचित एक सुन्दर रचना है। इसने मगधराज बिम्बसार अथवा श्रेणिकराजा के समय की एक घटना का वृतान्त है। जिसमे गुणसुन्दर नाम के एक व्यक्ति की आत्मगाथा का वर्णन किया गया है। इसमें कौटिम्बिक जीवन का यथार्थ चित्रण है। यह गृहस्थ जीवन के प्रत्येक अग को संस्कारित करने वाली है। बिम्बसार उपवन में बैठे हुए एक देहधारी साधु की सजीव झांकी का दर्शन करते है और विचार करते हैं कि यह विधाता की कैसी अनुपम सुकृति है ? मानो समस्त सृष्टि की सुन्दरता को इन्ही में समाहित कर दिया गया हो। असमञ्जस मे पड़े हुए राजा के माध्यम से स्वयं ही प्रश्नो को उठाकर समाधानकर्ता के रूप में उपस्थित हुए है। राजा नतमस्तक हो योगिराज से विनम्र निवेदन करता है-"हूँ जिज्ञासु यहाँ पर हे श्री योगि महाशय मैं, क्यों घर छोड़ा आपने अहो इस नूतन वय में । मुनिराज समाधान करते है। मैंने अपने जीवन की सार्थकता को समझ कर मुनिपद धारण किया "भोग और उपभोग योग्य साधन बहुतेरे हैं। मेरे यहाँ भाग्य ने स्वयं लगाये डेरे हैं। मुनिराज तत्व का चिन्तन करते हुए अपनी ही आत्मगाथा सुनाते हैं-120 कौशाम्बी नगरी हमारी जन्मभूमि है। धनसंचय मेरे जनक है समश्री माता है। उनका, पुत्र 'गुण' सुन्दर सुभग इस नाम से प्रख्यात हुआ। युवावस्था में एक युवक से उसकी निष्प्रयोजन मित्रता हो गयी । वार्तालाप के दौरान उन्हें संसार की नश्वरता के सम्बन्ध में बहुत कुछ संकेत देना प्रारम्भ करता है। प्रस्तुत विषय में पूज्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने दार्शनिक शब्दावली का बड़े ही सरल, मर्मस्पर्शी और रोचक ढंग से प्रस्तुतीकरण किया है। कुछ निम्नस्थल दृष्टव्य है। "यह संसार एक सराय है" समस्त संसार स्वार्थ पर प्रतिष्ठित है। इस संसार मे कोई किसी का साथी नहीं, किन्तु मोहवश प्राणी यह कहता है कि मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे हो । यथार्थ में यह दुनिया सहज दुःखो से भरी हुई है और तो इस जीव के अन्त में शरीर भी साथ नहीं जाता। माँ, बहिन, जननी, पिता, पत्नी, भाई यह सब स्वार्थ के धनी है। जीव धन प्राप्त करने के लिए नाना प्रकार के पापाचरण में लगा रहता है। परिजन उसके कमाये हुए धन का उपभोग करते हैं किन्तु उसके कष्ट में कोई भी हाथ नही बंटाता । "माता पिता के लिये भी सुत तुम तभी तक समझ लो । जब तक कि इस भू भाग पर हे मित्र कहने में चलो । कवि पुनः इसी कथा के मध्य मे प्रद्युम्न कुमार की कथा का आश्रय लेकर संसार की नश्वरता को दार्शनिक शब्दावली के माध्यम से व्यक्त करते है। विद्याधरों का समधिनायक कालसम्बर नामक राजा थी उनकी सुभगा नाम की प्रिया थी किन्तु निःसन्तान थी । बेटे के बिना अपना कुछ भी महत्त्व नहीं समझती थी। एक बार आकाश मार्ग से जाते समय स्वविमान को बीच में ही अटका हुआ जानकर चिन्ता निमन्न हुए पुनः हिलती हुई महती शिला को देखकर उठाने पर बालक के दर्शन किये। क्योकि "जाके राखों साइयाँ, मार सके न कोय, बाल न बांक कर सके, जो जग बैरी होय" । इसके माध्यम से कवि ने इस तथ्य को उद्घाटित किया है कि आयु कर्म के शेष रहने पर कोई भी शक्ति ऐसी नही जो मानव के प्राणो का घात कर सके। इस प्रकार उस जीवित बालराशि को निरख कर दम्पत्ति का मोद वारिधि वृद्धिगत हुआ। सचमुच ही वह कोई सामान्य नही, महाबड़ भागी जीव था। उसकी यौवनावस्था तो सकल वैभव युक्त सहज ही अनुरागित करने वाली थी । किन्तु उसके लिये अभिशाप सिद्ध हुई, क्योंकि माँ के समीप जाने पर उसने कुछ विचित्रता का ही अनुभव किया। वह कहने लगी"मेरे लिए तो आज से तुम बने रति के दूत हो । बोली न छूवो चरण मेरे तुम न मेरे पूत हो ।
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नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस जिया खान की मौत मामले में 10 साल बाद फैसला आया है। मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने एक्टर सूरज पंचोली को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि, कोर्ट के इस फैसले से जिया की मां राबिया को बड़ा झटका लगा है। यह भी जान लें कि, साल 2013 में जिया खान ने अपने घर में सुसाइड कर लिया था। जिया खान की मां ने उनके बॉयफ्रेंड सूरज पंचोली पर हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए सूरज पंचोली को बरी कर दिया है। जिया खान की मौत मामले में सीबीआई अदालत के जज एएस सैय्यद ने कहा, सबूतों की कमी के कारण यह अदालत सूरज पंचोली को दोषी नहीं ठहरा सकती है, इसलिए बरी किया जाता है। एक्टर ने कोर्ट का फैसला सुनने के बाद शुक्रिया अदा किया। सूरज की मां जरीना वहाब ने भी राहत की सांस ली। जिया खान ने महज 25 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। इस घटना ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया था। उनके इस कदम ने हर किसी को हौरान कर दिया था। जिया एक उभरता हुआ सितारा थीं उन्होंने महज 3 फिल्म के जरिए ही अपनी अच्छी-खासी पहचान हासिल कर ली थीं। जिया खान न्यूयॉर्क में जन्मी थीं। उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का काफी शौक था। कहा जाता है कि, जिया और सूरज की मुलाकात 2012 में फेसबुक के जरिए हुई थी। उस समय दोनों ही इंडस्ट्री में नए थे। जिया ने साल 2007 में अमिताभ बच्चन के साथ 'निशब्द' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद जिया खान आमिर खान के साथ साल 2008 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'गजनी' में नजर आई थीं। एक्ट्रेस ने महज 18 साल की उम्र में बॉलीवुड की दुनिया में अपने पैर रख दिए थे। 2010 में जिया ने अपनी तीसरी और आखिरी फिल्म 'हाउसफुल' की थी। जिया और सूरज के घरवालों को उनके रिलेशनशिप के बारे में पता था। दोनों के साथ में फोटोज भी वायरल हुए थे। जिया ने अपने मुंबई वाले फ्लैट पर 3 जून 2023 को आत्महत्या कर ली थी। उनके इस कदम ने उनकी मां को तोड़कर रख दिया था।
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७४ ] काव्यशास्त्र के परिदृश्य आनन्दवर्धन के पश्चात् पूरे दो सो वर्ष तक विभिन्न वाव्यशास्त्री ध्वनिसिद्धान्त का विरोध करते रहे । दशरूपक्कार धनजय (दसवी शती) ने इसे 'तापर्य' मे अन्तर्भूत किया, चोक्तिजीवितवार कुन्तव ( दमवी-ग्यारहवी शनी) ने 'वक्ति' में, और व्यक्निविवेकार महिमभट्ट (ग्यारहवी शनी) ने 'अनुमान' मे। इसके अतिरिक्त इमे 'अभिधा' और 'लक्षणा' में भी अन्तभूत करने का प्रयास किया गया। परन्तु काव्यप्रकाश के प्रणेता मम्मट (ग्यारहती शती) ने अपने गम्भीर विवेचन द्वारा ध्वनिविरोधियों का समर्थ शैली में खण्डन प्रस्तुत कर ध्वनि-सिद्धान्त को अकाट्य रूप से स्थापना की और इसके प्रति आस्था उत्पन्न कर दी। ध्वनि के प्रति मम्मट द्वारा स्थापित यह आस्था अगली छह शताब्दियो त निरन्तर बनी रही। यहाँ तक कि अलवार को वाव्य का अनिवार्य अग स्वीकृत करने वाले चन्द्रालोक्कार जयदेव (नेरहवी शती) ने भी अपने ग्रन्थ में ध्वनि प्रकरण को स्थान दिया, ध्वनि के स्थान पर रमको काव्य की आत्मा घोषित करने वाले साहित्यदर्पणकार विश्वनाथ ने न केवल ध्वनि प्रारणका निरूपण दिया, अपितु म को ध्वनि का हो एक भेद माना । संस्कृत के अन्तिम जाचार्य जगन्नाथ ने भी ध्वनि-सिद्धान्त का पूर्ण समर्थन किया। सम्मट में पूर्व और इनके पश्चात् अन्य अनेक आचार्यों ने संग्रह-ग्रंथों का भी निर्माण किया। इस दिशा में सम्मट में पूर्ववर्ती आचार्यों में स्ट, राजशेखर, भोजराज और अग्निपुराणकार का नाम उल्लेखनीय है, और इसके परवर्ती आचार्यों मे रम्यन, जयदेव तथा विश्वनाथ के अतिरिक्त हेमचन्द्र वाग्भट प्रथम, वाग्भट द्वितीय, विद्याधर, विद्यानाय, केशवमिश्र और कविवर्णपूर वा। मम्मटपरवर्ती प्राय. सभी आचार्यों पर मम्मट का विशिष्ट प्रभाव है। इन सभी आचार्यों ने काव्य वे प्राय सभी अगो को अपने ग्रंथों में समाविष्ट किया है । उक्त संग्रहक्त आचार्यों के अतिरिक्त इस दिशा में दो अन्य आचार्य उल्लेखनीय हैं - भानुमिश्र और अप्पय्यदीक्षित । भानुमिश्र ने दो ग्रंथों का निर्माण किया । इन में से रमतरगिणी का प्रमुख सम्वन्ध रस के साथ है, और रममंजरी का नायकनायिका-भेद के साथ । अप्पय्यदीक्षित के तीन ग्रंथों में से 'वृत्तिवात्तिक शब्दशक्तिविषयक ग्रंथ है, और 'कुवलयानन्द' तथा 'चितमीमामा' अनुकार से सम्बन्ध ग्रथ है । १. रुद्रट का ग्रन्थ काव्यालकार है, राजशेलर वा काव्यमीमामा और भोजराज के ग्रथ सरस्वतीकण्ठाभरण तथा शृगारप्रकाश है। हेमचन्द्र वा ग्रथ काव्यानुशासन है, वाग्भट प्रथम का वाग्भटासकार, रुय्यक का अलवार सर्वस्व, वाग्भट द्वितीय का काव्यानुशासन, विद्यावर का एकावली, विद्यानाथ का प्रताप रुद्रयशोभूषण, केशवमिश्र का अलवारशेखर और कविवर्णपूर का अलकारकौस्तुभ
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Dev Deepawali 2022 Wishes in Hindi: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली (Deepawali) का त्योहार मनाए जाने के करीब 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देवताओं की दीपावली होती है, जिसे देव दिवाली (Dev Diwali) या देव दीपावली (Dev Deepawali) कहा जाता है. इस साल देव दीपावली का पर्व 7 नवंबर 2022 को मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पावन नगरी काशी (Kashi) में गंगा घाटों को सजाया जाता है और दीयों से रोशन कर देव दीपावली मनाई जाती है. इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि देव दीपावली मनाने के लिए स्वर्ग लोक से सभी देवी-देवता काशी नगरी में आते हैं, इसलिए इस रात बनारस के 84 घाटों को लाखों दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दिवाली की शाम पतित पावनी मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है. इस दिन दीपदान किया जाता है और देव दिवाली मनाई जाती है. इस अवसर पर शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं. 1- हर दम खुशियां हो साथ, कभी दामन न हो खाली, हम सबकी तरफ से, विश यू हैप्पी देव दिवाली. 2- दीयों की रोशनी से झिलमिलाता आंगन हो, पटाखों की गूंज से आसमान रोशन हो, ऐसी आए झूम के ये देव दिवाली, कि हर तरफ खुशियों का मौसम हो. 3- गंगा आरती, घाटों पर शंखनाद, शिव के मंत्रों का उद्घोष, कितना अद्भुत और प्रफुल्लित, करने वाला है ये धार्मिक वातावरण. आइए मिलकर आराधना करें, 4- प्यार की बंसी बजे, प्यार की बजे शहनाई, खुशियों के दीप जले, दुख कभी न ले अंगड़ाई. 5- मुस्कुराते-हंसते दीप तुम जलाना, जीवन में नई खुशियों को लाना, दुःख दर्द अपने भूलकर, सबको गले लगाना, सबको गले लगाना. देव दीपावली से जुड़ी प्रचलित कथा के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर नामक तीन भाइयों की तिकड़ी के आतंक से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी. त्रिपुरासुर का संहार करने के चलते ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. त्रिपुरासुर का संहार होने की खुशी में सभी देवी-देवताओं ने दीप प्रज्जवलित करके देव दीपावली मनाई थी, इसलिए हर साल काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
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यादवेन्द्र सिंह, खरगोन। गुजरात के छोटा उदयपुर जिले में मंगलवार देर रात एक भीषण सड़क हादसा हो गया. इस हादसे में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 4 लोगों की मौत हो गई. ये हादसा कार और एसटी बस की आमने-सामने की भिड़ंत के चलते हुआ. जिसमें कार के परखच्चे उड़ गए और कार में सवार चारों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. बस में तकरीबन 30 यात्री सवार थे. हालांकि बस में बैठे यात्री सुरक्षित हैं. दरअसल, घटना छोटा उदयपुर जिले के छुछापुरा गांव के पास की है. जहां हादसा मंगलावर देर रात लगभग 2. 45 बजे हुआ. स्थानीय लोगों ने बताया कि बस से कार (एमपी 10 सीए 6938) की सीधी भिंडत होने के चलते टकराने की आवाज गांव में दूर-दूर तक सुनाई दी. जिसे सुनकर गांववाले चौंक उठे और तुरंत बचाव के लिए घटनास्थल की ओर भागे. गांव वालों ने इस घटना की जानकारी नजदीकी पुलिस और 108 एंबुलेंस को दी. जानकारी के मुताबिक ये चारों लोग टाइल्स एवं ग्रेनाइट खरीदने गुजरात के बड़ौदा जा रहे थे. हालांकि मृतकों के कागजों के आधार पर उनकी पहचान हुई. जिसमें दिनेशभाई पटेल, ईश्वरभाई करशनभाई गुर्जर, राजेशभाई देवरमभाई गुर्जर, ग्यारशीलाल शामिह है. जो खरगोन के सनावद इलाके के रहने वाले थे.
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नई दिल्ली/टीम डिजीटल। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री के दौरे से एक दिन पहले ही एमएमजी अस्पताल में अव्यवस्था का माहौल है। शुक्रवार को एक्स-रे मशीन खराब होने से मरीजो के एक्स-रे नहीं हो सकें। वहीं, जिस सीटी स्कैन मशीन का उद्घाटन करने पहुंचे रहे डिप्टी सीएम उस सेंटर की बिजली भी दिन भर गुल रही। जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के हाथ पांव फूले हुए है, यदि कल तक व्यवस्थाएं नहीं सुधरी तब क्या होगा। हालंाकि, टेक्नीशियन ठीक करने में जुटे हुए है। बता दें कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक शनिवार को लोनी स्थित 50 बेड का संयुक्त अस्पताल का लोकपर्ण करेंगे। इसके अलावा एमएमजी अस्पताल में स्थापित की गई सीटी स्कैन मशीन का भी उद्घाटन करेंगे। लेकिन दौरे से पूर्व शुक्रवार को एमएमजी अस्पताल में अव्यवस्थाएं देखने को मिली। एमएमजी अस्पताल की एक्स-रे मशीन तकनीकी खामी होने पर वह खराब हो गई। एक्स-रे नहीं होने पर मरीजों ने हंगामा किया। एमएमजी अस्पताल में रोजाना 100 से ज्यादा मरीजों के एक्स-रे होते हैं। डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब होने के कारण अधिकांश मरीजों के एक्स-रे नहीं हो सके। दूसरी मशीन के जरिए केवल 18 ही मरीजों के एक्स-रे किए जा सके, जबकि अन्य मरीजों को एक्स-रे के लिए सोमवार का समय दिया गया। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री के दौरे से पहले सीटी स्कैन सेंटर की बिजली भी गुल होने और डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब होने से अस्पताल प्रबंधन के होश उड़ गए। अस्पताल प्रबंधन की ओर से तुरंत ही टेक्नीशियन को बुला लिया गया। देर शाम सीटी स्कैन सेंटर में बिजली आपूर्ति तो सुचारू हो गई, लेकिन एक्स-रे मशीन सही नहीं हो सकी। बताया गया कि एक्स-रे मशीन का सॉफ्टवेयर खराब हो गया है। अस्पताल के सीएमएस डॉ. मनोज चतुर्वेदी का कहना है कि एक्स-रे मशीन में आई कमी को दुरूस्त कराने का कार्य जारी है। जल्द ही ठीक हो जाएगी।
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प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) और निक (Nick Jonas) कुछ समय पहले माता-पिता बने हैं। इस बात की जानकारी प्रियंका ने सोशल मीडिया के जरिए दी थी। दोनों ने जनवरी 2022 में अपनी बच्ची का सरोगेसी के जरिए स्वागत किया। आपको बता दें कि जब से प्रियंका मां बनी है तब फैंस उनकी बेबी की एक झलक पाने के लिए फैंस बेताब है। हालांकि, इस जोड़े ने अभी तक अपने बच्चे का नाम नहीं रखा है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से नाम के आगे से जोनस (Jonas) हटाने के बाद हलचल मचा दी थी। फिर अफवाहें शुरू हुईं कि प्रियंका और उनके पति निक जोनस (Nick Jonas) जल्द ही तलाक लेने जा रहे हैं। हालांकि, निक ने इस्टाग्राम में अपनी पत्नी प्रियंका के साथ एक खूबसूरत फोटो शेयर की थी। जिसने सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया था। निक ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा था,'सभी को हैप्पी थैंक्सगिविंग! आपका आभारी हूं। ' बताते चले कि प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस ने दिसंबर 2018 को राजस्थान के जोधपुर में शादी की थी। दोनों ने उम्मैद भवन पैलेस में हिंदू और क्रिश्चियन रीति- रिवाज से शादी की थी। यह भी पढ़ेंः
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यूपी के पॉलिटेक्निक संस्थानों में दाखिले की राह देख रहे ढाई लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स से जुड़ी बड़ी खबर है। एग्जाम कराने वाली एजेंसी के सेलेक्शन में देरी के बादसंयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद ने एंट्रेंस एग्जाम का नयाशेड्यूल जारी किया है। अब 27 से 30 जून के बीच प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। वही 20 जून से स्टूडेंट्स परीक्षा के एडमिट कार्ड डाऊनलोड कर सकेंगे। पहले यह परीक्षाएं 6 से 10 जून के बीच होनी थी। हालांकि मंगलवार को एग्जाम का नया शेड्यूल जारी करते समय विभाग ने असल कारण न बताते हुए गोलमोल जवाब दिया। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के प्रभारी सचिव रामरतन ने बताया कि 20 जून से प्रवेश परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड डाऊनलोड किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि एडमिट कार्ड और ऑनलाइन एग्जाम से जुड़ी जानकारी वेबसाइट jeecup. admissions. nic. in पर उपलब्ध है। प्रभारी सचिव रामरतन ने बताया कि परीक्षा के दिन यदि अभ्यर्थी को किसी अन्य परीक्षा में शामिल होना है तो उनको तारीख बदलने का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे अभ्यर्थी परीक्षा की तारीख बदलने के लिए upjee2022exam@gmail. com पर उक्त परीक्षा का एडमिट अटैच कर ईमेल भेज सकते है। परिषद ऐसे अभ्यर्थियों के आवेदन पर भी एक्शन लेगा। संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए सभी ग्रुप में मिलाकर 2 लाख 21 हजार 806 पुरुष अभ्यर्थियों ने अप्लाई किया है। 45 हजार 167 महिला अभ्यर्थियों ने भी आवेदन भरा है। कुल 2 लाख 66 हजार 973 स्टूडेंटस ने लास्ट डेट से पहले एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई किया था। राजकीय पॉलीटेक्निक - 147, अनुदानित - 18, This website follows the DNPA Code of Ethics.
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उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस मामले में कथित तौर पर हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने पाँच दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीक कप्पन को केरल में अपनी बीमार माँ से मिलने के लिए जमानत दी है। सिद्दीक कप्पन ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि उनकी माँ की हालत ठीक नहीं है और वो मौत के कगार पर है। अदालत ने कप्पन को कुछ शर्तों के साथ ही सिद्दीक कप्पन की जमानत मंजूर की है। 5 अक्टूबर को मथुरा में गिरफ्तार हुए सिद्दीक कप्पन की जमानत का उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा कि अपनी माँ की मृत्यु को लेकर कोई झूठ नहीं बोलता। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस सिद्दीक कप्पन को उसके घर केरल लेकर जाएगी और घर की रखवाली करेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब सिद्दीक कप्पन अपनी बीमार माँ से मुलाकात करेगा, उस समय पुलिस वहाँ पर मौजूद नहीं रहेगी। साथ ही, अदालत ने उन्हें मीडिया से बात ना करने और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी कुछ ना कहने/लिखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि सिद्दीक कप्पन अपनी माँ, रिश्तेदार, डॉक्टर और करीबी दोस्तों के अलावा किसी और से नहीं मिलेगा। हाथरस कांड में उत्तर प्रदेश पुलिस ने मथुरा से पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन सीएफआई के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। सिद्दीक कप्पन जो कि कथित तौर पर पत्रकार भी है, इन्हीं में शामिल था। इन लोगों पर पीएफआई के इशारे पर हाथरस में दंगा फैलाने की साजिश रचने का आरोप था। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में सितंबर 14, 2020 को एक मामला सामने आया था, जिसमें दावा किया गया कि आरोपितों ने कथित तौर पर युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ काट दी, जिसके बाद पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली में इलाज के बाद मौत हो गई। इस घटना को लेकर जमकर बवाल हुआ और विपक्षी राजनीतिक दलों ने इस पर जमकर राजनीति की थी।
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नई दिल्ली (भाषा)। भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग को लगता है कि क्रिकेट तभी ओलंपिक खेल बन सकता है जब यह खेल और ज्यादा देशों में खेला जाये। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संघ (आईसीसी) के मौजूदा सदस्यों की संख्या 105 हैं लेकिन सिर्फ 12 देश इसके पूर्ण सदस्य हैं। आईसीसी की कोशिश है कि 2024 तक क्रिकेट को ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाये। क्रिकेट सिर्फ एक बार 1990 में ओलंपिक खेल का हिस्सा रहा है। सहवाग ने सेंट मौरिट्ज आईस क्रिकेट के लॉन्च पर कहा, "मुझे लगता है इस पर आईसीसी को फैसला करना है। उन्हें ज्यादा देशों को क्रिकेट से जोड़ना चाहिये ताकि यह ओलंपिक का हिस्सा हो सके। 12 देश (पूर्ण सदस्य) काफी नहीं है।" इसका एक तरीका यह है कि इस खेल को वैसे जगहों पर ले जाया जाये जहां इसे नहीं खेला जाता है। फरवरी में ऐसे ही मुकाबले में स्विट्जरलैंड में सहवाग पूर्व क्रिकेटर महेला जयवर्धने, शोएब अख्तर, डेनियल विटोरी, मोहम्मद कैफ और ग्रीम स्मिथ के साथ क्रिकेट खेलेंगे। सहवाग ने कहा, "यह वाकई में शानदार होगा अगर हम वहां किसी को क्रिकेट खेलने के लिये प्रेरित कर सके।" स्विट्जरलैंड हालांकि आईसीसी का सदस्य नहीं है लेकिन विंटर ओलंपिक की दो बार मेजबानी करने वाले सेंट मौरिट्ज में आठ और नौ फरवरी को आईस क्रिकेट खेला जायेगा। आयोजको ने दावा किया कि इस प्रतियोगिता को आईसीसी से मान्यता मिली है।
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फेतुल्लाह गुलेन को 15 जुलाई को हुए सैन्य तख्तापलट का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। अंकारा. तुर्की के उपप्रधानमंत्री नुमान कुर्तुलमस ने सोमवार को कहा कि देश में आपातकाल की समयावधि को अतिरिक्त तीन महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। कुर्तुलमस ने संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सलाह के बाद मंत्रिमंडल ने देश में आपातकाल बढ़ा दिया है। तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने अंकारा में लगभग छह घंटे तक चली बैठक में देश में आपातकाल को अतिरिक्त तीन महीने तक बढ़ाने का सुझाव दिया था। रॉयटर्स के अनुसार, तुर्की प्रशासन ने जुलाई में असफल तख्तापलट के मास्टरमाइंड आरोपी मुस्लिम मौलवी फेतुल्लाह गुलेन के साथ कथित संपर्कों को लेकर 12,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह जानकारी आज पुलिस मुख्यालय में दी गयी। पुलिस प्रशासन ने एक बयान में बताया कि ड्यूटी से निलंबित किए गए 12,801 में से 2,523 पुलिस प्रमुख थे। इनके खिलाफ तख्तापलट के प्रयास को लेकर जांच की जा रही थी। देश में 15 जुलाई को सैन्य तख्तापलट की कोशिश के बाद लगाई गई तीन महीने की आपातकाल की स्थिति पर्याप्त नहीं है। इससे पहले राष्ट्रपति एर्दोगन ने भी कहा था कि तुर्की को गुलेन समर्थकों और कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के आतंकवादी संगठनों को समाप्त करने के लिए अधिक समय की जरूरत है। गौरतलब है कि फेतुल्लाह गुलेन को 15 जुलाई को हुए सैन्य तख्तापलट का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आपातकाल की स्थिति से देश में दैनिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होगी। तुर्की संविधान के मुताबिक, देश में आपातकाल अधिकतम छह महीने तक प्रभावी रह सकता है।
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जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) की मुख्य सचिव उषा शर्मा (Chief Secretary Usha Sharma) ने किसानों के लम्बित बीमा क्लेम के शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए हैं। श्रीमती शर्मा सोमवार को शासन सचिवालय स्थित अपने कक्ष में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। उन्होंने कहा कि बीमा कम्पनियों से सम्पर्क कर किसानों को मुआवजा दिलवाकर उन्हें राहत प्रदान की जाए। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने निर्देश दिए है कि खरीफ-2022 में फसल कटाई का ऑनलाइन रिकार्ड शतप्रतिशत होना चाहिए। इसके लिए कृषि अधिकारी अपने जिला कलक्टरों से समन्वय स्थापित करें। बैठक में कृषि विभाग के आयुक्त कानाराम ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत गत तीन वर्षो में अब तक 16 हजार करोड़ के बीमा क्लेम वितरित किये जा चुके हैं। इस वर्ष खरीफ -2022 में लगभग 2. 20 करोड़ की फसल बीमा पॉलिसियां सृजित की जा चुकी हैं, इसके तहत 66 लाख हैक्टेयर क्षेत्र का बीमा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मानसून के दौरान अतिवृष्टि से जल भराव के कारण जिन किसानों की फसल खराब हुई है ओर नुकसान हुआ है। उनका सर्वे का कार्य भी जारी है। सर्वे के उपरान्त किसानों को फसल खराबी का उचित मुआवजा शीघ्र ही दिलवाया जायेगा। बैठक में सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा भी उपस्थित थीं। ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस यूट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। यूट्यूब पर @RajExpressHindi के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।
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- 22 min ago Year Ender 2023- इस साल दुनिया को अलविदा कह गए ये दिग्गज सितारे.. एक एक नाम कर देगा दुखी! - 2 hrs ago अरबाज खान के दुल्हा बनते ही मलाइका अरोड़ा ने किया शादी का ऐलान? बोलीं- मैं जरूर शादी करूंगी.. Don't Miss! पत्नी को लेटा देख खुद को रोक नहीं पाए फेमस कोरियोग्राफर और फिर किया ये काम, लोगों ने बोला-'पूरा MMS ही डाल दो' Punit Pathak Photos: मशहूर कोरियोग्राफर और कई शोज में जज रह चुके पुनीत पाठक यूं तो लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं लेकिन इन दिनों उनकी रोमांटिक फोटोज सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रही हैं। जी हाां, पुनीत पाठक की रोमांस करते हुए फोटोज सामने आई हैं। पुनीत पाठक की पत्नी निधिमुनि सिंह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और आए दिन अपने पति के साथ फोटोज शेयर करती रहती हैं। हाल ही में निधि ने कुछ ऐसी फोटोज शेयर कर दी हैं, जिसे देखने के बाद पुनीत के फैंस काफी हैरान हो गए हैं और कई लोग तो पुनीत और उनकी पत्नी को ट्रोल भी करने लगे। इन फोटोज में दिख रहा है कि निधि सोफे पर लेटी हैं और पुनीत अपनी पत्नी को किस करते नजर आ रहे हैं। अब इनका ये अंदाज देखकर लोगों की भौंहें चढ़ गईं। पुनीत पाठक की ये फोटोज देखकर लोग उन पर तरह-तरह के कमेंट करने लगे। एक यूजर ने लिखा-'ये दिखावा है, चिपक कर हमेशा फोटो डालते हैं', दूसरे यूजर ने लिखा- 'कुछ शर्म हया बची है?', तीसरे यूजर ने लिखा- 'इनका सारा प्यार इंस्टा के लिए ही है।' चौथे यूजर ने लिखा- 'पूरा MMS ही अपलोड कर दो'। ऐसे ही कई कमेंट्स के द्वारा पुनीत और निधि को ट्रोल किया जा रहा है। आपको बता दें, पुनीत पाठक ने 2020 में निधि मूनी सिंह से शादी की थी। 11 दिसंबर को ही दोनों शादी के बंधन में बंधे थे। उनकी शादी में शक्ति मोहन, मुक्ति मोहन, मौनी रॉय सहित इंडस्ट्री के उनके कई दोस्त और सेलिब्रिटी शामिल हुए थे। पुनीत के वर्क फ्रंट की बात करें तो वे 'खतरों के खिलाड़ी' सीजन नौ के विजेता रह चुके है। उन्होंने एबीसीडी, नवाबजादे सहित कई फिल्मों में भी काम किया है। इसके अलावा वे डांस रिएलिटी शो को जज भी करते हुए भी नजर आते हैं।
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पंजाब में अमृतपाल के समर्थकों की गिरफ्तारी के विरोध में सिरसा में मोरीवाला के पास उसके समर्थकों ने रोड जाम करने का प्रयास किया। लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। पुलिस की सख्ती के चलते वे सफल नहीं हुए। इससे पहले सुबह से ही मोरीवाला गांव के गुरुद्वारे में उसके समर्थक इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। पंजाब के साथ सीमावर्ती जिला होने के कारण सिरसा पुलिस अलर्ट मोड़ पर है। अमृतपाल ने करीब 3 दिन पहले सरदूलगढ़ एरिया में एक धार्मिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था। अमृतपाल के समर्थक मनिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब में केंद्र सरकार के इशारे पर पंजाब सरकार ने गुंडागर्दी मचा रखी है। अमृतपाल लोगों को गुरु ग्रंथ साहिब से जोड़ रहा था। नशे के खिलाफ प्रचार कर रहा था। परंतु सरकार उस पर एक्शन ले रही है। हम शांतिमय तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। दोनों सर्विस रोड चल रहे थे। हम रोड पर सतनाम वाहेगुरु का जाप कर रहे थे। सिख समाज के लोग गुरुद्वारा में इक्ट्ठा हुए थे, पुलिस वहां से निकालने का प्रयास कर रही है। पंजाब पुलिस ने पूरे राज्य में अमृतपाल को गिरफ्तार करने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है। पुलिस ने उसके करीब 78 समर्थकों को पकड़ा है। अमृतपाल को पंजाब पुलिस ने भगोड़ा करार दे दिया है। पंजाब के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। पंजाब पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की कंपनियां कई जिलों में तैनात है। अमृतपाल के गांव में भारी पुलिस बल तैनात है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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कमल हमीरपुरी हृदय रोगोपचार के संघर्ष में अंततः हार गए। उन्होंने गत मंगलवार रात टीएमसी में अंतिम सांस ली। कांगड़ा लोक साहित्य परिषद के निदेशक डा. गौतम शर्मा व्यथित ने उनके आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त करते कहा कि परिषद ने समर्पित सदस्य व पदाधिकारी खो दिया। वह 1974 से अब तक हमारी योजनाओं, कार्यक्रमों को सफल बनाने मे सहायक रहे। कमल एक अनुभवी नाटक लेखक, अभिनेता, कहानीकार, लोकनर्तक व बहुत कुछ थे। परिषद द्वारा बनाई 13 डाक्यूमेंटरी फिल्मों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। वह हिमाचल भाषा, एकल, संस्कृति अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के मनोनीत सदस्य रहे। उनकी कहानियों का संग्रह आंबली दा बूटा भी प्रकाशित हुआ है। उनकी हिंदी कहानी पितल़ू दा हुक्का लेखकों-पाठकों मे काफी चर्चित रही। कमल हमीरपुरी के देहाती नाटकों को गांव के लोग आज भी याद करते है। इस अवसर पर परिषद के संरक्षक पंडित वेद प्रकाश ने कहा कि कमल हमीरपुरी बहुत ही सादे स्वभाव के थे और साहित्य संस्कृति के प्रति पूरी निष्ठा से जुड़े थे। परिषद के पदाधिकारियों व सदस्यों ने कमल हमीरपुरी के साथ बिताए समय की यादों को साझा करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं कमल हमीरपुरी के आकस्मिक निधन से हिमाचल प्रदेश के एक कुशल संगठक, निपुण कलाकार व साहित्यकार की अपूर्ण क्षति हुई है। लोक संपर्क विभाग में रहते हुए उनकी सेवाएं कांगड़ा में सदैव याद की जाएंगी। ये विचार हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार डा प्रत्यूष गुलेरी ने एक संवेदना संदेश में अभिव्यक्त किए हैं। वहीं कमल हमीरपुरी का बुधवार को उनके निवास देहरिया में भाजपा के झंडे तले पूरे रस्मों-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने गहरा शोक प्रकट किया है।
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संयुक्त राज्य अमेरिका में, भूमि (साइलो और मोबाइल अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल), समुद्र (रणनीतिक पनडुब्बी मिसाइल वाहक) के रूप में परमाणु निरोध के रूसी सामरिक बलों में शामिल हैं विमानन घटक (क्रूज मिसाइलों और परमाणु बमों के साथ लंबी दूरी के बमवर्षक)। 22 जून 2013 के अनुसार, START-3 समझौते के तहत डेटा एक्सचेंज की रूपरेखा में जानकारी के अनुसार, रूस के सामरिक परमाणु बलों (SNF) में 448 मुकाबला-सक्षम (लेकिन जरूरी नहीं कि तैनात किए गए सामरिक वाहक) शामिल हों, जो 2 323 परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम हों। तैनात वाहकों पर 1480 परमाणु वारहेड थे, क्योंकि परमाणु पनडुब्बियों पर सभी एसएलबीएम को एनजीटी की "नियमित" संख्या के साथ नहीं रखा गया है, और एक्स-एक्सएनयूएमएक्स क्रूज़ मिसाइलों को रणनीतिक बॉम्बर-रॉकेट-वाहक बमवर्षकों पर तैनात नहीं किया गया है, लेकिन विमान से अलग "भंडारण बिंदुओं" में हैं। दो साल पहले, हमारे देश में रणनीतिक वाहक 492 तैनात थे, अर्थात 2 में, 10% की कमी वाहक की संख्या। परमाणु की संख्या में कमी हथियारों रूस काफी तीव्रता से जारी है। 2005 से 2008 वर्षों तक, 337 MBR / SLBM का उपयोग किया गया था। 2020 से पहले, यह 399 ICBM और SLBM और 260 साइलो / SPU को निपटाने की योजना है। रूसी परमाणु शुल्क और वितरण के साधनों में कमी संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ समझौते द्वारा परिकल्पित की तुलना में बहुत अधिक दर पर जाती है। इसके अलावा, अमेरिकी पक्ष के विपरीत, हमारे देश के पास परमाणु युद्ध की एक महत्वपूर्ण वापसी क्षमता नहीं है। सामरिक मिसाइल बल रूसी परमाणु परीक्षण का सबसे दुर्जेय और कुशल हिस्सा हैं। RVSN जमीन पर आधारित अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों की मोबाइल और खान-आधारित परमाणु वारहेड्स से लैस है। स्ट्रेटेजिक मिसाइल फोर्सेज में 311 मिसाइल सिस्टम शामिल है जो 1078 परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है। वर्तमान में, सशस्त्र SMF 52 भारी आर 36M2 (एसएस 18), 40 यू. आर. -100NUTTH मिसाइल (एसएस 19), 108 चलती भूजल परिसरों टोपोल (एसएस 25), 60 परिसरों Topol एम साइलो आधारित (एसएस हैं -27), 18 मोबाइल कॉम्प्लेक्स Topol-M (SS-27) और 33 नए मोबाइल कॉम्प्लेक्स के साथ PC-24 यर्स रॉकेट। रणनीतिक मिसाइल फोर्स आरएफ सशस्त्र बलों में सशस्त्र बलों की एकमात्र शाखा है, जिसमें सेना-डिवीजन संरचना, अन्य प्रकार की और सैनिकों की शाखाओं में संशोधित या समाप्त की जाती है, पूरी तरह से संरक्षित है। स्ट्रैटेजिक मिसाइल फोर्सेज के हिस्से के रूप में जमीन आधारित रणनीतिक आईसीबीएम को 11 और तीन रॉकेट सेनाओं के मिसाइल डिवीजनों के प्रमुख क्षेत्रों में तैनात किया गया है। स्ट्रेटेजिक मिसाइल फोर्सेज का मुख्यालय मॉस्को क्षेत्र के वलसिचा गांव में स्थित है। जैसे ही R-36М UTTH / P-36М2 और УР-100Н УТТs ICBMs को कॉम्बैट ड्यूटी से हटा दिया जाता है, उन्हें PC-24X यार्स से बदलने की योजना बनाई जाती है। यह ध्यान देने योग्य है कि यह प्रतिस्थापन समकक्ष नहीं है। MBR RS-24 "Yars 3 वॉरहेड ले जाता है, जबकि P-36М2 में 10 वॉरहेड लगे हैं। इस संबंध में, यह एक नया भारी रॉकेट विकसित करने की योजना है। रूसी नौसेना के पास 7BDR की 667 SSBN और 667-1979 द्वारा निर्मित 1990BDRM परियोजनाएं हैं। RPKSN TK-208 "दिमित्री डोंस्कॉय" को 941 मिमी पर आधुनिक बनाया गया है। नाव का उपयोग डी -30 बुलवा-एम कॉम्प्लेक्स का परीक्षण करने के लिए किया जाता है, जिसके लिए दो पु को आर -30 बैलिस्टिक मिसाइलों में परिवर्तित किया गया है। बाकी SSBN pr। 941 रचना से बेड़ा वापस ले लिया। जनवरी 10 2013 ने नई पीढ़ी के 955 Ave. "यूरी डोलगोरुकी" के परमाणु पनडुब्बी पर ध्वज को उठाने का एकमात्र समारोह आयोजित किया, जिसने बेड़े को नाव के हस्तांतरण को चिह्नित किया। जहाज को उत्तरी बेड़े की पनडुब्बियों के एक्सएनयूएमएक्स डिवीजन में गदज़ेवियो पर आधारित किया गया था। इस प्रकार की दूसरी नाव "अलेक्जेंडर नेव्स्की" को दिसंबर 23 के 2013 बेड़े में स्थानांतरित कर दिया गया था। जहाज को विलेनुचिन्स्क में स्थित प्रशांत बेड़े की पनडुब्बियों के एक्सएनयूएमएक्स डिवीजन में सूचीबद्ध किया गया था। इन जहाजों का मुख्य हथियार D-16 परिसर का 30 लांचर है, जिसमें Bulava R-30 SLBM की मिसाइलें हैं। लावा से 9300 किमी की लॉन्च रेंज। यह व्यक्तिगत मार्गदर्शन के साथ 10 वारहेड तक ले जा सकता है। रूसी रणनीतिक पनडुब्बी मिसाइल वाहक के दो स्थायी आधार हैंः उत्तरी बेड़े में गाडज़ियोवो और प्रशांत बेड़े में रयबाकी। कोला पेनिनसुला पर स्थित गडझीवो में, एक्सएनयूएमएक्सबीडीआरएम डॉलफिन एवेन्यू के पांच मौजूदा एसएसबीएन हैं, जो कि एक्सएनयूएमएक्स आर-एक्सएनयूएमएक्सएक्सपीएल मिसाइल लॉन्चरों से लैस हैं। रोसलीकोवो के पास एक मरम्मत का अड्डा है जहां उत्तरी बेड़े के एसएसबीएन की मरम्मत और रखरखाव चल रहा है। पैसिफिक फ्लीट की परमाणु पनडुब्बियां रयबाकी में स्थित हैं, पेट्रोपावलोव्स्क-कामचैत्स्की से दूर नहीं। वहाँ, बढ़ोतरी के बीच के अंतराल में, 667BDR Kalmar Ave की दो नावें हैं। वर्तमान में, 667BDR में X-NUMX P-32P मिसाइल शामिल हैं। वहां, रेबेकी में, खाड़ी के दूसरी तरफ, पनडुब्बियों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एक जटिल है। रणनीतिक विमानन 66 भारी बमवर्षकों से लैस है, 200 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों से लैस है। इसमें 11 Tu-160 बमवर्षक और 55 Tu-95MS बमवर्षक शामिल हैं। रणनीतिक बमवर्षक Tu-95MS टर्बोप्रॉप इंजन से लैस है। बमवर्षक स्ट्राइक आयुध में छह X-55 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें होती हैं जो बम की खाड़ी में तैनात होती हैं। बमवर्षक संस्करण, जिसे Tu-95MX16 नामित किया गया है, अतिरिक्त रूप से पंखों के नीचे तोरणों पर रखे गए 10 क्रूज मिसाइलों तक ले जा सकता है, लेकिन बमवर्षक की सीमा काफी कम हो जाती है। Tu-160 रणनीतिक बमवर्षक दुनिया का सबसे शक्तिशाली हमला करने वाला विमान है। सुपरसोनिक बमवर्षक के स्ट्राइक आयुध में X-12 X-55 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें होती हैं जो एक बम बे में तैनात होती हैं। वर्तमान में चल रहे आधुनिकीकरण कार्यक्रम के बाद, बमवर्षक फ्री-फॉल बम और गैर-परमाणु क्रूज मिसाइल ले जाने में सक्षम होंगे। रूसी लंबी दूरी के विमानन का मुख्य स्थान एंगेल्स (सारातोव क्षेत्र) शहर में 6950-I गार्ड्स एयर बेस है। इसमें दो भारी बॉम्बर रेजिमेंट शामिल हैंः Tu-121 बॉम्बर्स के साथ 160 गार्ड और Tu-184MS बॉम्बर्स के साथ 95 गार्ड्स रेजिमेंट। Tu-95MS के बाकी हिस्से, सुदूर पूर्व में, अमूर क्षेत्र में, उक्रिंका हवाई क्षेत्र में स्थित 6952-th विमानन बेस पर आधारित हैं। परंपरागत रूप से, रणनीतिक सुरक्षा में मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली, मिसाइल हमले की चेतावनी और अंतरिक्ष नियंत्रण शामिल हैं। मिसाइल हमले की चेतावनी प्रणाली के उपग्रहों की जानकारी पश्चिमी नियंत्रण बिंदु सर्पखोव-एक्सएनयूएमएक्स (कुरीलोवो गांव, कलुगा क्षेत्र) और कोम्सोमोलस्क-ऑन-अमूर क्षेत्र में स्थित पूर्वी नियंत्रण बिंदु पर वास्तविक समय में प्राप्त और संसाधित की जाती है। मिसाइल अटैक वॉर्निंग सिस्टम (EWS) के ग्राउंड कंपोनेंट बाहरी अंतरिक्ष को नियंत्रित करने वाले रडार हैं। इस उद्देश्य के लिए, निम्न प्रकार के रडार का उपयोग किया जाता हैः "दरियाल", "वोल्गा" और "वोरोनिश"। पुराने प्रकार के भारी और ऊर्जा-खपत वाले स्टेशनों को वोरोनिश रडार स्टेशनों की एक नई पीढ़ी द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जो एक साल और डेढ़ साल पहले (एक्सएनयूएमएक्स से एक्सएनयूएमएक्स वर्षों में लिया गया था) बनाया जा रहा है। वोरोनिश परिवार का नवीनतम रूसी रडार बैलिस्टिक, अंतरिक्ष और वायुगतिकीय वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम है। ऐसे विकल्प हैं जो मीटर और डेसीमीटर तरंगों की सीमा में काम करते हैं। रडार का आधार एक चरणबद्ध सरणी एंटीना है, कर्मियों और रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ कई कंटेनरों के लिए एक फास्ट-असेंबल मॉड्यूल है, जो ऑपरेशन के दौरान स्टेशन को जल्दी और कम लागत पर आधुनिक बनाना संभव बनाता है। रडार वोरोनज़-एम, पी। लखतुसी, लेनिनग्राद क्षेत्र (ऑब्जेक्ट एक्सएनयूएमएक्स, सैन्य इकाई एक्सएनयूएमएक्स) "वोरोनज़" को अपनाने से न केवल रॉकेट और अंतरिक्ष रक्षा की क्षमताओं का विस्तार करने की अनुमति मिलती है, बल्कि रूसी संघ के क्षेत्र पर मिसाइल हमले की चेतावनी प्रणाली के ग्राउंड ग्रुपिंग पर भी ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है। रॉकेट हमले के संदर्भ में संभावित रूप से खतरनाक क्षेत्रों को कवर करने के लिए, इस प्रकार के पूरे एक्सएनयूएमएक्स रडार को लड़ाकू ड्यूटी पर रखने की योजना है। नए रडार स्टेशन मीटर और डेसीमीटर रेंज में संचालित होंगे, जो रूसी मिसाइल हमले की चेतावनी प्रणाली की क्षमताओं का विस्तार करेगा। रूसी रक्षा मंत्रालय ने 12 से पहले राज्य आयुध कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में लॉन्च किए गए मिसाइल के शुरुआती पता लगाने के लिए सभी सोवियत राडार को पूरी तरह से बदलने का इरादा किया है। मॉस्को के चारों ओर तैनात मिसाइल रक्षा प्रणाली ए-एक्सएनयूएमएक्स, एबीएम डिवीजन द्वारा प्रदान की जाती है। मिसाइल रक्षा प्रणाली का कमांड-माप बिंदु, डॉन-एक्सएनयूएमएक्सएक्सपीएक्स रडार के साथ मिलकर, मॉस्को क्षेत्र के शहर सोफ्रीनो में स्थित है। मॉस्को मिसाइल डिफेंस सिस्टम में वायुमंडल में अवरोधन के लिए डिज़ाइन की गई डॉन-एक्सएनयूएमएक्सपीएक्स राडार, कमांड एंड मेजरमेंट स्टेशन और एक्सएनयूएमएक्स एंटी मिसाइल एक्सएनयूएमएक्सएक्सएक्सएक्सयूएनएमएक्स (गजल) मिसाइलें शामिल हैं। 2 68T53 (Gorgon) मिसाइलें, सिस्टम से हटाए गए वायुमंडल के बाहर अवरोधन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। रूसी विरोधी मिसाइलों, एक गतिज युद्ध के साथ अमेरिकी लोगों के विपरीत, परमाणु आरोपों से लैस हैं। मिसाइल बचाव मॉस्को के आसपास स्थित स्थितीय क्षेत्रों में स्थित खदान प्रमोटरों में स्थित हैं। इंटरसेप्ट मिसाइलों के पास पांच स्थितीय क्षेत्र हैं - असेरचिनो (एक्सएनयूएमएक्स लांचर), ओबोल्डिनो (एक्सएनयूएमएक्स), कोरोलेव (एक्सएनयूएमएक्स), विन्नुको (एक्सएनयूएमएक्स) और सोफ्रीनो (एक्सएनयूएमएक्स)। मेगाटन थर्मोन्यूक्लियर वॉरहेड के साथ लंबी दूरी की इंटरसेप्ट मिसाइलों को दो भागों में तैनात किया गया था, जो कि नारो-फोमिंस्क-एक्सएनयूएमएक्स और सर्गिव पोसाद-एक्सएनयूएमएक्स में स्थित थे, अब उन्हें मुकाबला शुल्क से हटा दिया गया और खदानों से उतार दिया गया। बाह्य अंतरिक्ष के नियंत्रण की प्रणाली में न्यूर्क (ताजिकिस्तान) में ऑप्टिकल-इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स "विंडो" शामिल है, जो 40 000 किमी तक ऊंचाई पर वस्तुओं का पता लगाने की अनुमति देता है। कॉम्प्लेक्स 1999 के अंत में काम करना शुरू कर दिया है। कॉम्प्लेक्स की सुविधाओं से डेटा प्रोसेसिंग, वस्तुओं की गति मापदंडों का निर्धारण और उचित कमांड पोस्टों में उनके स्थानांतरण की अनुमति मिलती है। ताजिकिस्तान में जटिल "विंडो" इस उद्देश्य के लिए, "क्रोना" रेडियो-तकनीकी इकाई का उपयोग करचाय-चर्केसिया में स्टैनोरोज़ेवा स्टैनित्सा के पास भी किया जाता है। साइट के हिस्से के रूप में विशेष रडार डेसीमीटर और सेंटीमीटर रेंज हैं। क्रोना प्रणाली में एक प्रारंभिक चेतावनी रडार और एक ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली शामिल है। यह उपग्रहों की पहचान करने और उन्हें ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। क्रोना प्रणाली प्रकार से उपग्रहों को वर्गीकृत करने में सक्षम है। प्रणाली में तीन मुख्य घटक होते हैंः क्रोना प्रणाली में 3200 किलोमीटर की सीमा होती है और यह 40000 किलोमीटर तक की कक्षा में लक्ष्य का पता लगा सकता है। फ़ोकिनो क्षेत्र में सुदूर पूर्व में एक समान परिसर बनाया जा रहा है। प्राइमरी में स्थित प्रणाली को कभी-कभी "क्रोना-एन" कहा जाता है, यह केवल चरणबद्ध एंटीना सरणी के साथ यूएचएफ रडार द्वारा दर्शाया जाता है। प्रिमोर्स्की क्राय में जटिल प्रणाली "क्रोना" वर्तमान में, रूसी परमाणु बल, बाहरी अंतरिक्ष को नियंत्रित करने और रॉकेट हमले के बारे में चेतावनी देश की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की गारंटी है। वे सशस्त्र बलों के सुधार की चल रही प्रक्रियाओं के बावजूद, सबसे आक्रामक और दुर्जेय हिस्सा बने हुए हैं, जो किसी भी हमलावर को कुचलने में सक्षम हैं। इसी समय, यह शालीनता का कारण नहीं होना चाहिए, उपकरण और हथियारों की गिरावट, शारीरिक और नैतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं ने रूसी सेना के इस महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित किया है। अमेरिकी राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा प्रणाली के विकास की पृष्ठभूमि और चीनी परमाणु हथियारों की संख्या में एक साथ वृद्धि के साथ तकनीकी सुधार के खिलाफ, तत्काल उपायों की आवश्यकता है जो नए खतरों का मुकाबला कर सकते हैं और रूसी रणनीतिक बलों के विकास को नई गति दे सकते हैं। सामग्री के अनुसारः सभी उपग्रह चित्र Google धरती के सौजन्य से। - लेखकः
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हाल ही में रक्षा मंत्री ने 'प्रोजेक्ट सीबर्ड' (Project Seabird) के दूसरे चरण के अंतर्गत चल रहे बुनियादी ढाँचे के विकास की समीक्षा के लिये कर्नाटक में कारवार नौसेना बेस का दौरा किया। प्रोजेक्ट सीबर्ड फेज II: - प्रोजेक्ट सीबर्ड में 11,169 एकड़ के क्षेत्र में एक नौसैनिक अड्डे का निर्माण शामिल है। - प्रथम चरण में गहरे समुद्र में बंदरगाह, ब्रेकवाटर ड्रेजिंग, टाउनशिप, नौसैनिक अस्पताल और एक डॉकयार्ड अपलिफ्ट सेंटर का निर्माण शामिल था। इसे वर्ष 2005 में पूरा किया गया था। - प्रोजेक्ट सीबर्ड के द्वितीय चरण को वर्ष 2012 में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी द्वारा मंज़ूरी दी गई थी। इसमें अतिरिक्त युद्धपोतों को रखने और अन्य योजनाओं के साथ एक नया नेवल एयर स्टेशन स्थापित करने के लिये सुविधाओं का विस्तार करने की परिकल्पना की गई है। - आईएनएस कदंब (INS Kadamba) वर्तमान में तीसरा सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक अड्डा है और द्वितीय विस्तार चरण के पूरा होने के बाद पूर्वी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा बनने की उम्मीद है। - नौसेना का अकेला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य कारवार में स्थित है। इस बेस में जहाज़ों एवं पनडुब्बियों के लिये देश की पहली सीलिफ्ट सुविधा, एक अद्वितीय "शिपलिफ्ट" और डॉकिंग तथा अनडॉकिंग स्थानांतरण प्रणाली भी है। - इस परियोजना में कई तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ शामिल हैं। भारतीय नौसेना में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के प्रयासः - पिछले पाँच वित्तीय वर्षों में नौसेना के बजट का दो-तिहाई से अधिक स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। - 48 जहाज़ों और पनडुब्बियों में से 46 को स्वदेशी निर्माण के माध्यम से शामिल किया जा रहा है। - प्रोजेक्ट 75 (I) में 43,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (Air Independent Propulsion System) से लैस पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है। - विमान वाहक विक्रांत, जिसके वर्ष 2022 में नौसेना में शामिल होने की संभावना है, नौसेना के आत्मनिर्भरता प्रयासों का एक प्रमुख उदाहरण है। - नौसेना 'सागर' (SAGAR- Security & Growth for All in Region) पर ध्यान देने के साथ अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ भारत के संबंधों को लगातार मज़बूत कर रही है। - कोविड-19 महामारी से प्रभावित देशों से फँसे भारतीय नागरिकों को निकालने से लेकर विदेशों में ऑक्सीजन सिलेंडर सहित महत्त्वपूर्ण उपकरणों को लाने-ले जाने में भारतीय नौसेना ने (ऑपरेशन समुद्र सेतु - I और II) अथक प्रयास किया है। - सागर को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था। यह हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) रणनीति पर आधारित है।
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त्रिवेणी तट पर अद्भुत प्रदर्शिनी देखो, देखने योग्य हैगरीबों [ पशु पक्षियों ] को देखना नहीं मिलता है, केवल राजा महाराजा [ गनुप ] ही देख सक्के हैं कारण कि बादशाही प्रदार्शनी है, वहां बड़े बड़े विचित्र दृश्य दीखते हैं आओ आओ चले आओ हैं .... हैं .... क्या करते हो । ऊपर को चढ़े चले आओ नीचे खड़े होनेवाले पकड़े जाते हैं और उन से मज़दूरों की तरह काम भी लिया जाता है यहां आऔ धुर ऊपर. सातवें माल ( मंज़िल ) पर, यह प्रद शिनी गरीबों और कंगाल मजदूरों की प्रदर्शिनी वत् चन्द रोज़ा ( २, ३ मासकी) नहीं है, यह बारहों मासी है और इस प्रदर्शिनी में रोज़ रोज़, नहींनहीं, क्षणक्षण नये नये,. तमाशे होते रहते हैं- हां अब देखो! ओहो हो हो यहांतो बड़े अश्चर्यम तमाशे दीख रहे हैं, हवाई जहाज ही नहीं यहां तो मकान और शहर भी उड़ते हैं, वह देखो हिमालय उड़रहा है और आकाश में गंगा बहरही है, अहाहा क्याही अचंभा है, देखो बिना एंजिन के आकाश में गाड़ी दौड़ होंदै और यह देखो इधर बिना स्त्री पुरुष के संयोग के बच्चा पैदा होगया, यह दूसरा वचा एक ही दिन गर्भ में रहकर पैदा हुआ है और पूरे, नो मास का सा है, अहा! घिना बादल के पानी की वर्षा ह रही है देखे ! विना सर का आदमी लेक्चर डिलीवर कर ता है, यह देखो चार पैर किस जानवर के हैं वाकी क शरीर नहीं है इस में से कुत्ते कीसी आवाज़ निकल रही हूँ देखो यह हवा में मनुष्यों के सिर हंसते हुवे उड़ते जा रहे हैं
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बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। वह अकसर अपनी तस्वीरें अपने फैंस के साथ शेयर करते रहते है। जिन तस्वीरों को उनके फैंस काफी पसंद भी करती है।हाल ही में फिर एक बार धर्मेंद्र ने अपने इंस्टा अकाउंट पर एक तस्वीर अपने फैंस के साथ शेयर कि है। वह अपनी इस तस्वीर में अपनी कार के साथ शेयर कि है। दरअसल, यह 55 साल पुरानी ग्रीन कलर की फिएट कार है। धर्मेंद्र ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि यह उनकी जिंदगी की पहली कार है। जो पिछले 55 साल में कई किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। उन्होंने आगे लिखा है कि कुछ खास लोग इसे उनके फार्म हाउस से पूना लेकर चले गए। वह यह कहकर गए थे कि उन्हें सरप्राइज देंगे। लेकिन अभी तक कार वापस नहीं आई है। 'मैं अपनी कार को बहुत मिस कर रहा हूं'। कार के नहीं आने पर लिखते हैं कि जिस पे जी जान से एतबार किया, भरोसा उस ने भी तोड़ दिया।इसके पहले भी धर्मेंद्र ने कार की फोटो शेयर कर लिखा था कि जट को लग्जरी कार में नहीं खाट पर ही नींद आती है।बता दें कि धर्मेंद्र ने फिल्म इंडस्ट्री में काफी लंबा समय बिताया है। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक बड़ी हिट फिल्में दी हैं। लेकिन पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'यमला पगला दीवाना फिर से' बॉक्स अॉफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई।फिलहाल इन दिनों धर्मेंद्र अपना ज्यादातर समय अपने घर और फार्म हाउस में बिता रहे हैं और खेती बाड़ी आदि का आनंद ले रहे हैं। इस समय बेहद सीधा साधा जीवन जी रहे है। वह अपने फार्म हाउस के नौकरों को अपने परिवार जैसा प्यार करते हैं। धर्मेंद्र को अपने फार्म हाउस में खेती और बागबानी का शौक है।
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Pawan Singh Song: भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह (Pawan Singh) के म्यूजिक एलबम रिलीज के साथ ही हिट हो जाते हैं। बड़ी फैन फॉलोइंग के चलते पवन सिंह के गानों की काफी डिमांड रहती हैं। पवन सिंह के नए गानों के साथ-साथ पुराने गानों की भी धूम देखने को मिलती हैं। अब पवन सिंह और मोनालिसा की जोड़ी का एक पुराना गाना ट्रेंड कर रहा है। पवन सिंह की हिट फिल्म भोजपुरी फिल्म 'दरार' (bhojpuri film darar) का गाना Wave Music के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया। इस गाने के बोल आटा साने गईल त (Aata Sane Gaila Ta) हैं। इस गाने को पवन सिंह और इंदू सोनाली ने साथ मिलकर गाया है। गाने को काफी पसंद किया जा रहा है। पवन सिंह का गाना 'आटा साने गईल त' (Aata Sane Gaila Ta): पवन सिंह का ये हिट सॉन्ग साल 2015 में रिलीज हुआ। इस गाने को आज भी दर्शक बेहद पसंद करते हैं। अब तक इस गाने को 59,991,345 व्यूज मिल चुके हैं। इस गाने की वीडियो को मोनालिसा (monalisa), पवन सिंह (pawan singh) और अनिल सम्राट (anil samrat) पर फिल्माया गया है। पवन सिंह की बात की जाए तो किसी बॉलीवुड स्टार से ज्यादा सुने जानेवाले सिंगर हैं और दुनिया में पवन सिंह दूसरे सबसे ज्यादा सुने जानेवाले सिंगरों में शुमार किए जाते हैं। सोशल मीडिया पर पवन सिंह की काफी अच्छी फैन फॉलोविंग हैं। पवन सिंह के गाने रिलीज के साथ ही वायरल हो जाते हैं। बॉलीवुड और टीवी की अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करेंः
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पर्वत भिन्न हैंः पुराने और युवा, चट्टानी और सपाट, गुंबद जैसा और पिकोफॉर्म इनमें से कुछ घने जंगलों से ढके हुए हैं, अन्य - निर्जीव पत्थर प्लास्टर। लेकिन इस लेख में हम उनकी ऊंचाई के बारे में बात करेंगे कौन सा पहाड़ औसत हैं, और जो उच्च माना जाता है? सबसे पहले यह सवाल का जवाब देना आवश्यक है किएक पर्वत है यह राहत का एक सकारात्मक रूप है, जिसे भू-भाग के तेज और अलग-अलग ऊंचाई से पता चलता है। किसी भी दुःख में, तीन बुनियादी तत्वों का स्पष्ट रूप से पता लगाया जा सकता हैः - सुप्रीम; - चरणों की चौकी; - ढलान। पर्वत हमारे ग्रह की सतह पर बना हैसुंदर और अद्वितीय परिदृश्य वे एक विशिष्ट मिट्टी के कवर, अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों द्वारा प्रतिष्ठित हैं। लेकिन लोग बहुत अनिच्छा से पहाड़ों में रहते हैं आंकड़ों के मुताबिक, पृथ्वी की आबादी का करीब 50% हिस्सा समुद्र तल से 200 मीटर से अधिक नहीं है। भू-आकृति विज्ञान में, पहाड़ों को कई सुविधाओं के अनुसार वर्गीकृत किया जाता हैः उम्र, ऊंचाई, भौगोलिक स्थिति, उत्पत्ति, चोटियों के आकार और इतने पर। अपने चरम के आकार के अनुसार, पहाड़ों हैंः - बताया कि, - गुंबद; - पठार ("टेबल")। भौगोलिक दृष्टि से, भूगर्भिक ऊंचाई से पहाड़ों को भेदते हैंः - मध्यम; - उच्च। 8848 मीटर - ऐसे निशान दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचते हैं - जोमोलुंगमा, या एवरेस्ट मध्य पहाड़ों की पूर्ण ऊंचाई अधिक सामान्य हैः महासागर के स्तर से 1 से 3 किमी ऊपर। ऐसे पहाड़ प्रणालियों के सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हैंकार्पेथियन, एपलाचियन, टाट्रास, ऐपनेनीस, पायरिन्स, स्कैंडिनेवियन और ड्रेकेंसबर्ग पहाड़, ऑस्ट्रेलियाई आल्प्स, स्टाारा प्लैनाना मध्यम के पहाड़ों और रूस के भीतर हैं ये उरल पर्वत, पूर्वी सायन, कुजनेत्स्क अलटाऊ, सिखोट-अलिन (नीचे दी गई तस्वीर में) और अन्य हैं। कार्पेथियन आकार के मामले में सबसे बड़ी पर्वत प्रणाली हैयूरोप, आठ देशों को कवर। भाषाविद, अपने नाम की उत्पत्ति समझा, निष्कर्ष यह है कि इस जगह का नाम भारत और यूरोपीय जड़ है और "पत्थर", "रॉक" के रूप में तब्दील हो के लिए आया था। कार्पेथियन ने पंद्रह सौ का चाप लगायाचेक गणराज्य से सर्बिया के किलोमीटर और इस पर्वत प्रणाली का उच्चतम बिंदु स्लोवाकिया के क्षेत्र में है (गेरेलकोवस्की-शेट्टी, 2654 मीटर) एक जिज्ञासु तथ्यः अल्पा के बीच और कार्पेथियन के पूर्वी भाग में - केवल 15 किलोमीटर। कार्पेथियन - युवा पहाड़ों वे सेनोोजोइक में बनते थे हालांकि, उनकी रूपरेखा चिकनी, धीरे ढलते हैं, जो बुढ़ापे के भौगोलिक संरचनाओं की अधिक विशेषता है। इस तथ्य से समझाया जा सकता है कि कार्पेथियन मुख्य रूप से नरम चट्टानों (चाक, चूना पत्थर और मिट्टी) से बना है। पर्वत प्रणाली को तीन पारंपरिक भागों में विभाजित किया गया हैः पश्चिमी, पूर्वी (या यूक्रेनी) और दक्षिणी कार्पेथियन इसमें ट्रांसिल्वेनियाई पठार भी शामिल है। कार्पेथियन पर्वत काफी भूकंपीय उच्च हैं। यहां तथाकथित तथाकथित वृंदा क्षेत्र है, जो 7-8 अंकों के "भूकंप" का उत्पादन करता है। भू-विद्वानों ने अक्सर ऐपलाचियों को समान रूप से बुलाते हैंकार्पेथियन का एक डुप्लिकेट उपस्थिति में, वे एक-दूसरे से बहुत कम हैं एपलाचियन पर्वत उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में स्थित है, दो राज्यों (संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा) के भीतर। वे दक्षिण में लॉरेन्स बे से मैक्सिको की खाड़ी तक फैले हुए हैं। पर्वत प्रणाली की कुल लंबाई लगभग 2500 किलोमीटर है। अगर यूरोपीय कार्पेथियन युवा पहाड़ हैं, तो अमेरिकी एपलाचियां पहले हर्सीनियन और कैलेडियन सिलवटों का एक उत्पाद हैं। उन्होंने लगभग 200-400 मिलियन वर्ष पहले का गठन किया। एपलाचियां विभिन्न खनिज संसाधनों में समृद्ध होती हैं यहां कोयला, अभ्रक, तेल और लौह अयस्क खनन किया जाता है। इस संबंध में, इस पहाड़ी क्षेत्र को अक्सर संयुक्त राज्य की ऐतिहासिक "औद्योगिक बेल्ट" कहा जाता है। यह पता चला है कि आल्प्स न केवल यूरोप में हैं छोटे और सबसे शुष्क महाद्वीप के निवासियों को भी असली आल्प्स में लंबी पैदल यात्रा कर सकते हैं। लेकिन केवल ऑस्ट्रेलियाई में! ऑस्ट्रेलियाई आल्प्स आश्चर्यजनक रूप से विविध हैंपरिदृश्य योजना इन पहाड़ों में आप मिल सकते हैं और बर्फ से ढकी चोटियों, और गहरे हरे घाटियों, और शुद्ध पानी के साथ झीलों। पहाड़ों की ढलान उपस्थिति में विलक्षण चट्टानों से सजाए गए हैं। ऑस्ट्रेलियाई आल्प्स में, कई सुरम्य राष्ट्रीय पार्क और उत्कृष्ट स्की रिसॉर्ट हैं।
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मुंबईः बॉलीवुड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर इन दिनों अपनी आगामी फिल्म 'हसीना पारकर' को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। फिल्म में उनके अलावा उनके भाई सिद्धांत कपूर और अभिनेता राजेश तैलंग भी मुख्य किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं। हाल ही में श्रद्धा को लेकर राजेश ने कहा है कि उन्होंने कभी भी फिल्म के सेट पर स्टार जैसा व्यवहार नहीं किया। राजेश ने कहा, "श्रद्धा के साथ काम का अनुभव शानदार रहा क्योंकि वह जमीन से जुड़ी हैं। वह कभी भी स्टार जैसा व्यवहार नहीं करतीं और 'हसीना पारकर' में उन्होंने उल्लेखनीय काम किया है। " बता दें कि 'हसीना पारकर' अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना की जिंदगी पर आधारित है, जिसका किरदार श्रद्धा निभाती हुई नजर आ रही हैं। अपनी भूमिका के बारे में राजेश ने कहा, "मैं श्याम केसवानी की भूमिका में हूं। वह मुंबई के एक नामी वकील हैं। मेरे लिए मुश्किल चीज उनकी तरह दिखना था। इसके लिए मैंने अपने लुक पर काफी ध्यान दिया है। " उन्होंने कहा, "शूटिंग करते समय मुझे विग पहननी पड़ती थी और उसी से मिलता-जुलता मेकअप होता था। रोजाना इस प्रक्रिया में दो घंटे लगते थे। शूट के बाद इसे हटाने में भी दो घंटे लगते थे। यह बहुत ही रोमांचक भूमिका थी क्योंकि अधिकांश दृश्यों की शूटिंग अदालत में हुई। " (माधुरी दीक्षित करने जा रही हैं अंतर्राष्ट्रीय सिंगिंग क्षेत्र की शुरुआत)
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ट्रीसा जॉली और गायत्री गोपीचंद की भारतीय जोड़ी ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए शुक्रवार को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में लगातार दूसरे सेमीफाइनल में जगह बनाई। दुनिया की 17वें नंबर की भारतीय जोड़ी अपने बचाव में मजबूत दिख रही थी और लगातार आक्रमण कर रही थी, उन्होंने 64 मिनट के क्वार्टर फाइनल में ली वेन मेई और लियू जुआन जुआन की नवगठित चीनी जोड़ी पर 21-14 18-21 21-12 से जीत दर्ज की। मुकाबले में एकमात्र भारतीय गायत्री और ट्रीसा या तो अप्रियानी रहायु और सिती फादिया सिल्वा रामाधंती की इंडोनेशियाई जोड़ी या फिर कोरिया की बाएक हा ना और ली सो ही की जोड़ी से भिड़ेंगी। गायत्री और तृसा पिछले संस्करण में भी सेमीफाइनल में पहुंची थीं, जब उन्हें आखिरी समय में मुख्य ड्रॉ में स्थान दिया गया था। लेकिन इस बार उन्होंने काफी अनुभव के साथ ड्रॉ में प्रवेश किया, पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था और बैडमिंटन एशिया मिक्स्ड टीम चैंपियनशिप में विश्व नंबर 7 टैन पियरली और थिन्नाह मुरलीधरन जैसी उच्च रैंकिंग वाली जोड़ियों पर जीत हासिल की थी। फ़रवरी। भारतीय जोड़ी ने पिछले दौर में थाईलैंड की सातवीं वरीयता प्राप्त जोंगकोल्फान किटीथाराकुल और रवींद्र प्राजोंगजई तथा जापान की पूर्व नंबर एक जोड़ी युकी फुकुशिमा और सयाका हिरोटा को हराया था। क्वार्टर फाइनल में गायत्री (20) और ट्रीसा (19) का मुकाबला ली से था, जो पहले वर्ल्ड नंबर 9 रह चुके हैं और लियू, पूर्व वर्ल्ड नंबर 16। दुनिया की 52वें नंबर की जोड़ी का सामना करते हुए गायत्री नेट पर मजबूती से खड़ी रहीं, जबकि ट्रीसा ने पीछे से शानदार स्मैश और ड्रॉप्स से रैलियों में दबदबा बनाया। कोच मथियास बोए और अरुण विष्णु लगातार किनारे से चहकते रहे, भारतीय जोड़ी ने शुरुआत से ही अपने आक्रामक इरादे का प्रदर्शन किया और शुरुआत में ही 6-2 से बराबरी पर आ गई। चीनी जोड़ी ने वापसी करते हुए 6-6 से बराबरी कर ली, लेकिन भारतीय जोड़ी ने जल्द ही मध्य-खेल के अंतराल में 11-8 की अच्छी बढ़त के साथ प्रवेश किया। गायत्री और तृषा ने जल्दी से अपने प्रतिद्वंदी का आकलन कर लिया और पहले गेम को आराम से लेने से पहले 18-12 पर जाने के लिए अच्छी तरह से अंक बनाए। भारतीय जोड़ी ने पक्ष बदलने के बाद एक चरण में 5-1 और 10-6 की बढ़त के लिए रैलियों पर एक मजबूत पकड़ बनाए रखी लेकिन ली और लियू ने जल्द ही अपना असर दिखाया और बढ़त बना ली। अंत में, लियू की कुछ कड़ी सर्विस ने उन्हें सीधे पांच अंक हासिल करने और 11-10 की बढ़त लेने में मदद की। यह गायत्री की डाउन-द-लाइन स्मैश थी जिसने अंकों की दौड़ को तोड़ दिया। कोर्ट के पास गायत्री ज्यादा सतर्क दिखीं, डिफेंस को हमले में बदल रही थीं। त्रेसा के जंगली फोरहैंड लैंडिंग के साथ कुछ सपाट आदान-प्रदान हुआ और गायत्री ने एक शॉट पर दौड़ते हुए चीनी जोड़ी को फिर से बढ़त दिला दी। ली और लियू ने तीव्र कोण बनाने की कोशिश की क्योंकि ट्रीसा ने नेट पाया। भारतीयों की कुछ गलतियों ने चीनी जोड़ी को स्कोर बराबर करने से तीन अंक दिला दिए। ली ने जल्द ही सटीक ऑन-द-लाइन रिटर्न के साथ चार गेम पॉइंट स्थापित किए। मैच को निर्णायक तक ले जाने के लिए ली के स्मैश से पहले भारत ने दो गेम पॉइंट बचाए। तीसरे गेम में, यह एक तरफा ट्रैफिक था क्योंकि भारतीय जोड़ी लगातार छह अंकों से पीछे हटते हुए 8-1 से आगे हो गई। भारतीय जोड़ी पर उनके शॉट चयन के रूप में आरोप लगाया गया था और अदालत के फैसले पर हाजिर थे। चीनियों ने गति को धीमा करने की कोशिश की लेकिन त्रेसा के पीछे से लगातार हमले ने भारतीय जोड़ी को मिडगेम अंतराल में 11-4 पर ले लिया। ट्रीसा हमेशा लाइनों के लिए लक्ष्य बना रही थी और उसकी सटीकता को फिर से पुरस्कृत किया गया क्योंकि वे 13-5 पर चले गए। गायत्री ने भी अपने पार्टनर का साथ दिया और एक और पॉइंट हासिल करने के लिए नेट की तरफ दौड़ पड़ी। एक और मजेदार नेट प्ले में भारत 15-8 पर पहुंच गया। चीनियों ने सब कुछ करने की कोशिश की लेकिन दबाव को बनाए नहीं रख सके क्योंकि ट्रीसा ने 18-10 तक पहुंचने के लिए एक और तेजी से तोड़ दिया। गायत्री के एक और फोरहैंड स्मैश ने बड़े पैमाने पर आठ मैच प्वाइंट का फायदा उठाया और चीनी जोड़ी के लंबे समय तक चले जाने पर भारतीय जोड़ी ने इसे सील कर दिया।
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थोक बैग - जिसे एफआईबीसी (लचीला इंटरमीडिएट थोक कंटेनर) या बिल्डर्स बैग भी कहते हैं - वे औद्योगिक कंटेनर हैं जो बड़ी मात्रा में माल भंडारण और परिवहन के लिए उपयोग किए जाते हैं। उन्हें कई बोरे का उपयोग करने के लिए एक अधिक लागत प्रभावी और पर्यावरणीय रूप से कुशल विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया था, क्योंकि एफआईबीसी टिकाऊ हैं और अक्सर कई उपयोगों के लिए बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक एकल बैग बैग बोरे के एक फूस को प्रतिस्थापित कर सकता है, जिसके लिए कम लागत और कम सामग्री की आवश्यकता होती है। परंपरागत रूप से, थोक बैग पीवीसी रबर के साथ बनाए जाते थे, लेकिन आधुनिक दिन के एफआईबीसी बुने हुए पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) कपड़े से बने होते हैं, और इसलिए उन्हें कभी-कभी पीपी बैग के रूप में जाना जाता है। पॉलीप्रोपाइलीन हल्के थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर का एक प्रकार है जो जल्दी सूखता है, पानी को अवशोषित नहीं करता है, और फफूंदी के लिए प्रतिरोधी है। यह गर्मी, सिकुड़ने और खींचने के लिए भी मध्यम प्रतिरोध है। बुने हुए पदार्थ मजबूत और गैर-बुने हुए कपड़ों की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं क्योंकि परतों को एक-दूसरे के ऊपर और नीचे बुना जाता है। इसके अतिरिक्त, एक पीवीसी संस्करण है, जो महंगा हाइग्रोस्कोपिक उत्पादों के लिए डिज़ाइन किया गया है जिसके लिए बाहरी वातावरण की कठोरता से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। पीवीसी थोक बैग पीवीसी-लेपित पॉलिएस्टर कपड़े से वेल्डेड सीम के साथ निर्मित होते हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक टिकाऊ और पूरी तरह से जलरोधक बना दिया जाता है। हालांकि वे पीपी बैग की तुलना में अधिक महंगे हैं, पीवीसी संस्करण में तीन साल से अधिक की जीवन प्रत्याशा है। नुकसान होना चाहिए, पीवीसी बड़े बैग की गुणवत्ता या सुरक्षा प्रदर्शन से समझौता किए बिना मरम्मत की जा सकती है। थोक बैग की ताकत, स्थायित्व और विश्वसनीयता उन्हें रेत और पाउडर से छर्रों, समेकन, और प्लास्टिक के ग्रेन्युल तक सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला ले जाने के लिए पर्यावरण अनुकूल विकल्प बनाती है। यदि उनके साथ सही तरीके से इलाज किया गया है, तो एफआईबीसी का पुनः उपयोग किया जा सकता है, लेकिन वे 6: 1 सुरक्षा फैक्टर रेटिंग के साथ बहु-यात्रा थोक बैग होना चाहिए। कुछ कंपनियां एफआईबीसी सफाई सेवाएं प्रदान करती हैं, जिनमें संग्रह, निरीक्षण और सफाई शामिल है, ताकि उन्हें आगे के पुनः उपयोग के लिए वापस किया जा सके। एफआईबीसी का पुनः उपयोग स्थिरता और एक परिपत्र अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि नवीनीकृत बैग का पुनः उपयोग कच्चे माल पर अपशिष्ट और निर्भरता को कम करता है। थोक बैग पुनर्नवीनीकरण योग्य हैं। अधिकांश एफआईबीसी कुंवारी पीपी से बने होते हैं, एक आम प्लास्टिक जिसे बैटरी केबल्स, ब्रूम, ब्रश, ट्रे, डिब्बे और ऑटो पार्ट्स जैसे अन्य प्लास्टिक उत्पादों में दोबारा लगाया जा सकता है। रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त बड़े बैग के प्रकार में रसायन, उर्वरक, अनाज, निर्माण सामग्री, रंगद्रव्य, और प्लास्टिक को स्टोर करने के लिए उपयोग किया जाता है। रीसाइक्लिंग के लिए बैग विभिन्न ग्रेडों द्वारा वर्गीकृत होते हैंः ग्रेड ए (साफ, चमकदार सफेद; रंगीन सिलाई और हैंडल की अनुमति है); ग्रेड बी (स्वच्छ के रूप में नहीं, मुख्य रूप से न्यूनतम रंग के साथ सफेद); और ग्रेड सी (गंदे या रंगीन बैग)। अन्य औद्योगिक प्लास्टिक की तरह, रीसाइक्लिंग प्रक्रिया उचित संग्रह के साथ शुरू होती है। पुनर्चक्रणकों की आवश्यकता है कि सामग्री को आसान संग्रह और इष्टतम बाजार मूल्य के लिए गांठों में संकलित किया जाए। एफआईबीसी बड़ी मात्रा में एकत्र किए जाते हैं, इसलिए रीसाइक्लिंग आमतौर पर केवल बड़े आउटपुट वाले व्यवसायों के लिए व्यवहार्य होता है, या जो समय के साथ बैग को स्टोर कर सकते हैं। एक बार एकत्र होने के बाद, मिल आकार के गांठों को एक पुनः प्रसंस्करण केंद्र में ले जाया जाता है, जहां उन्हें क्रमबद्ध और साफ किया जाता है। चूंकि उन्हें आम तौर पर उर्वरकों और रसायनों समेत विभिन्न प्रकार की सामग्री के परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है, इसलिए यह आवश्यक है कि पुनर्नवीनीकरण से पहले थोक बैग पूरी तरह से निर्जलित हो जाएं। सभी ज़िप और बटन भी हटा दिए जाते हैं। इसके बाद, बैग को छोटे फ्लेक्स में बदल दिया जाता है, जिससे उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए संभालना आसान हो जाता है। प्लास्टिक को औद्योगिक ब्लेड के साथ श्रेडर और granulators के माध्यम से खिलाया जाता है जो इसे काटने के लिए घूर्णनपूर्वक कटौती। काटने के बाद, प्लास्टिक regrinds प्लास्टिक बहुलक से आगे प्रदूषक को अलग करने के लिए एक पृथक्करण प्रक्रिया के माध्यम से जाना जाता है। आज की उन्नत तकनीक के साथ, प्लास्टिक आकार, आकार, रंग, पिघलने बिंदु, और यहां तक कि प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता से अलग किया जा सकता है। अंतिम चरण कंपाउंडिंग है, जिसमें एक एक्सट्रूडर के माध्यम से regrinds डालने शामिल है, जहां वे 240 डिग्री सेल्सियस पर वर्दीदार मोती में पिघल गए हैं, जिसे छर्रों या granules के रूप में भी जाना जाता है। मिश्रण कुंवारी polypropylene के अतिरिक्त के माध्यम से मजबूत किया जाता है। विभिन्न प्रकार के नए उत्पादों को छर्रों से निर्मित किया जा सकता है क्योंकि थोक बैग रीसाइक्लिंग प्रक्रिया पूर्ण सर्कल आता है। इस पाश को बार-बार दोहराया जा सकता है, क्योंकि पॉलीप्रोपाइलीन को कई बार सुरक्षित रूप से पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। डेविड डॉबर क्लिफ पैकेजिंग के एमडी हैं, जो एफआईबीसी के एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।
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पुड़ जिले के धौलाना थाना क्षेत्र में एक महिला के साथ रिश्तेदार युवक ने कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया। पीड़िता ने आरोपित के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की है। पुलिस के अनुसार, थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी युवती की पिछले दिनों ही शादी हुई थी। शादी के बाद पहली होली होने के चलते महिला अपने घर आई हुई थी। इस दौरान उसकी रिश्तेदारी का युवक भी आया हुआ था। शनिवार देर शाम को युवक ने पीड़िता को उसके ही घर मे कोल्डड्रिंक पीने को दी। जिसमें पीड़िता के अनुसार नशीला पदार्थ मिला हुआ था। आरोप है कि महिला के बेसुध हो जाने के बाद आरोपित युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया। होश में आने पर पीड़िता ने अपने साथ हुई घटना पूरा विवरण परिजनों को बताया। जानकारी होने पर परिजनों ने आरोपित युवक को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। पीड़िता की तहरीर पर आरोपित युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया है। थाना प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार पांडेय ने बताया कि पीड़िता की तहरीर पर आरोपी युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया है एवं आरोपित को गिरफ्तार करते हुए अग्रिम कार्यवाही के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
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हम सभी जानते हैं कि माइग्रेन एक असहनीय सिरदर्द हो सकता है। लेकिन माइग्रेन बिना सिर दर्द के होता है, यह बहुत खतरनाक होता है, क्या आप जानते हैं कि यह एक साइलेंट किलर है? बहुत से लोग माइग्रेन और सिरदर्द के बीच के अंतर को नहीं जानते हैं और सोचते हैं कि वे एक ही हैं। सभी सिरदर्द माइग्रेन नहीं होते हैं और न ही माइग्रेन में सिरदर्द होता ही है, बिना सिरदर्द के भी माइग्रेन हो सकता है। आम तौर पर एक परेशान करने वाला सिरदर्द नहीं होता है, लेकिन अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो माइग्रेन बहुत खतरनाक हो सकता है। माइग्रेन नसों से जुड़ी ऐसी समस्या है जो महिलाओं में ज्यादा होती है। जब यह माइग्रेन हो जाता है तो किसी भी काम में मन नहीं लग पाता है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा महिलाओं में होती है। इस माइग्रेन में साइलेंट माइग्रेन या एसेफाल्जिक माइग्रेन में सिरदर्द नहीं होता है, जो कि बहुत ही खतरनाक माइग्रेन होता है। ये साइलेंट माइग्रेन के लक्षण क्या हैं? आइए देखें कि यह खतरनाक क्यों हैः * आंखों को प्रकाश के लिए खोलने में असमर्थता, आंख में अंधा स्थान। माइग्रेन के कारण क्या हैं? माइग्रेन कई कारणों से शुरू हो सकता हैः साइलेंट माइग्रेन को नज़रअंदाज़ क्यों नहीं करना चाहिए? इस प्रकार के साइलेंट माइग्रेन के लक्षण उन लोगों में देखे जाते हैं जिन्हें पहले से माइग्रेन की समस्या होती है। अगर आपको यह साइलेंट माइग्रेन दिखे तो इसे नजरअंदाज न करें, नहीं तो यह स्ट्रोक और मिर्गी जैसी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। इसलिए साइलेंट माइग्रेन के लक्षण दिखते ही अस्पताल में भर्ती हों और इलाज कराएं।
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Godda/Ranchi : आजादी की 75वीं वर्षगांठ मानने को लेकर प्रदेश कांग्रेस 9 अगस्त से राज्य में गौरव यात्रा निकाल रही है. झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे शुक्रवार को चार दिवसीय दौरे पर देवघर पहुंचे. देवघर से प्रभारी गोड्डा चले गए, जहां उन्होंने गोड्डा जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित गौरव पदयात्रा को संबोधित किया. अविनाश पांडे ने कहा, गौरव यात्रा हिंदुस्तान की आजादी की गाथा है. गौरव यात्रा के माध्यम से पार्टी युवाओं को देश का इतिहास भी बताने का काम कर रही है. उन्होंने कहा, आज सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग हिंदुस्तान का इतिहास बदलने का काम कर रहे हैं. आजादी कैसे और किस रूप में मिली, इसका गलत प्रचार किया जा रहा है. भाजपा का नाम लिए बिना प्रभारी ने कहा, अंग्रेजों से माफी मांगने वाले कुछ लोग राष्ट्र भक्त बन रहे हैं, दुकान खोल कर तिरंगा बेच रहे हैं. इससे पहले प्रभारी जब देवघर पहुंचे, तो वहां हवाई अड्डे पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष केशव महत्व कमलेश, संगठन प्रभारी रविंद्र सिंह, मणि शंकर, संजय मुन्नम सहित हजारों की संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. गोड्डा गौरव पदयात्रा में प्रभारी के साथ उपस्थित रहे प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि आज राष्ट्र के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं. पर प्रधानमंत्री को काला जादू दिख रहा है. देश की जनता 2024 में प्रधानमंत्री को एक जादू दिखाये और वह सत्ता से गायब हो जाएंगे.
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अमेरिका के एक विश्वविद्यालय ने अपने एक प्रोफेसर का इसलिए निकाल बाहर किया क्योंकि उसने कद्वाा में पैगंमर मोहम्मद का चित्र दिखाते हुए उनके बारे में बताया था। इससे मुस्लिम छात्र भड़क गए और उस प्रोफेसर की शिकायत कर दी उसने 'मजहब का अपमान' किया है। इस्लामवादियों का ऐसा दबाव पड़ा कि आखिरकार विश्वविद्यालय को उस प्रोफेसर की ही छुट्टी करनी पड़ गई। यह घटना तथाकथित सबसे 'विकसित' और 'खुले दिमाग वाले अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकार' अमेरिका की है। यहां मिनीसोटा में हैमलाइन विश्वविद्यालय के अधिकारी डेविड एवरेट ने अक्तूबर की उक्त घटना के बारे में नवम्बर में छात्रों को लिखे ईमेल में इस घटना को 'असंगत, अपमान करने वाली और इस्लामोफोबिक' करार दिया था। इसके बाद विश्वविद्यालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'द ऑरेकल' में बताया गया कि उस प्रोफेसर का निकाल दिया गया है। हुआ यूं था कि उक्त कला इतिहास के प्रोफेसर ने मुसलमानों के पैगंबर और इस्लाम को शुरू करने वाले मुहम्मद का मध्यकाल का चित्र दिखाया था। इससे नाराज मुस्लिम छात्रों ने प्रशासन से इसकी शिकायत करते हुए 'भावनाएं आहत' होने का तर्क दिया था। अमेरिका के मिनीसोटा के सेंट पॉल में स्थित हैमलाइन यूनिवर्सिटी (Hamline University, US) ने इस अनाम प्रोफेसर को हटाने के पीछे तर्क भी दिया है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर को देखना मुस्लिमों के लिए मनाही है। प्रोफेसर के दिखाए उस चित्र में पैगंबर मुहम्मद को फरिश्ते गेब्रियल से निर्देश लेते दिखाया गया था। दरअसल यह मूल चित्र स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में सहेजा हुआ है। बताया जाता है कि यह चित्र करीब 14वीं-16वीं ईस्वीं में बनाया गया था। लेखक एंड्रयू डॉइल ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को निकाले जाने संबंधी बयान अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। इसमें लिखा है कि 'विश्वविद्यालय अकादमिक आजादी का तो हामी है, लेकिन प्रोफेसर ने पैगंबर की तस्वीर प्रोजेक्टर पर दिखाकर मुस्लिम छात्रों को उसे कुछ देर देखने के लिए मजबूर कर दिया, यह आजादी की हद लांघने वाली बात थी'। मिनीसोटा के हैमलाइन विश्वविद्यालय के वे प्रोफेसर कला इतिहास पढ़ा रहे थे। कक्षा में इस्लामी कला विषय पर चर्चा चल रही थी। इसी चर्चा के बीच उन्होंने इस्लाम की शुरुआत करने वाले पैगंबर मुहम्मद का एक मध्ययुगीन चित्र दर्शाया और उससे जुड़ी जानकारी देने लगे। ऐसा करीब दस मिनट तक चला। प्रोफेसर के दिखाए उस चित्र में पैगंबर मुहम्मद को फरिश्ते गेब्रियल से निर्देश लेते दिखाया गया था। दरअसल यह मूल चित्र स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में सहेजा हुआ है। बताया जाता है कि यह चित्र करीब 14वीं - 16वीं ईस्वीं में बनाया गया था। पैगम्बर मुहम्मद के चित्र को देखकर मुस्लिम छात्र-छात्राएं भड़क गए। वे बोलने लगे कि पैगंबर का चित्र दिखाना 'इस्लाम में हराम' है। इतना ही नहीं, उन मुसलमान छात्रों ने अपने विश्वविद्यालय की इस्लामी छात्र यूनियन को पूरी बात बताकर उसे इस बारे में कदम उठाने को कहा। इस्लामी यूनियन ने अगले ही दिन विश्वविद्यालय के प्रशासन के सामने घटना का उल्लेख करते हुए शिकायत दर्ज कर दी। इस्लामी यूनियन ने प्रोफेसर के विरुद्ध कोई कदम उठाने का दबाव बनाया। इसके बाद घटनाक्रम तेजी से चला और अंततः हैमलाइन विश्वविद्यालय ने इस्लामवादियों के सामने एक तरह से घुटने टेकते हुए कड़ा कदम उठाया और प्रोफेसर को निकाल दिया। हालांकि विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर इस कदम से हैरान हैं। यह घटना अमेरिका और यूरोप में तेजी से बढ़ते जा रहे मजहबी कट्टरपंथ और इस्लामवादियों के असहिष्णु बर्ताव की एक और बानगी देती है।
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दिल्लीः भारत की कंपनी Fire-Boltt ने धमाकेदार फ़ीचर से लैस अपनी नई कॉलिंग वाली स्मार्टवॉच Fire-Boltt Talk Ultra को लॉन्च कर दिया है। Fire-Boltt Talk Ultra के साथ 1. 39 इंच की एलसीडी डिस्प्से दी गई है जिसका रिजॉल्यूशन 240×240 पिक्सल है। Fire-Boltt Talk Ultra के साथ ब्लूटूथ कॉलिंग का भी सपोर्ट दिया गया है। इसके अलावा इसमें 120 स्पोर्ट्स मोड हैं। फायरबोल्ट की इस वॉच में ब्लड ऑक्सीजन सेंसर भी है। Fire-Boltt Talk Ultra की कीमत 1,999 रुपये रखी गई है और इसकी बिक्री फ्लिपकार्ट (Flipcart) के अलावा कंपनी की साइट से भी हो रही है। Fire-Boltt Talk Ultra को ब्लैक, ब्लू, रेड, ग्रे, पिंक और टील कलर में खरीदा जा सकेगा। Fire-Boltt Talk Ultra के साथ 123 स्पोर्ट्स मोड हैं जिनमें रनिंग, साइकलिंग, स्विमिंग आदि शामिल हैं। फायरबोल्ट की इस वॉच में SpO2 मॉनिटरिंग के अलावा डायनेमिक हार्ट रेट ट्रैकिंग, स्लीप मॉनिटरिंग जैसे हेल्थ फीचर्स हैं। वॉटर रेसिस्टेंट के लिए Fire-Boltt Talk Ultra को IP68 की रेटिंग मिली है। Fire-Boltt Talk Ultra में इनबिल्ट गेम भी दिया गया है और बैटरी को लेकर सात दिनों के बैकअप का दावा है। इसे 120 मिनट में फुल चार्ज किया जा सकता है। एप के साथ 100 से अधिक वॉच फेसेज मिलेंगे। वॉच का कुल वजन 80 ग्राम है।
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टोहाना (निस) : जिले में 27 व्यक्तियों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है जबकि 11 नये पॉजिटिव केस पाए गए हैं। इस समय जिला में 109 एक्टिव केस है। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में दी गई है। जिले का रिकवरी रेट बढ़कर 96.76 प्रतिशत हो गया है। शनिवार को फतेहाबाद में 2, टोहाना में 2, रतिया में 3, भट्टू में 3 केस पॉजिटिव पाए गए हैं। कैथल (हप्र) : जिले में शनिवार को 10 नये केस दर्ज किये गये वहीं आज कोई मौत नहीं हुई। डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि शनिवार को 9 कोरोना मरीज ठीक होने उपरांत डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। जिला में 11 हजार 113 कोरोना के मरीजों में से 10 हजार 696 मरीज ठीक हो चुके हैं। अब कोरोना के एक्टिव केस 79 रह गए हैं। जिले का रिकवरी रेट 96.24 प्रतिशत हो गया है। पॉजिटिव रेट 4%है तथा डेथ रेट 3% है। यमुनानगर (हप्र) : यमुनानगर में आज कोरोना से 2 और लोगों की मौत हो गई। वहीं 13 नये मामले सामने आए हैं। यमुनानगर के गांव मंडोली में रहने वाले 58 वर्षीय पुलिस एवं छोटा बांस गांव में रहने वाले 50 वर्षीय पुरुष की मौत हो गई। जिला सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने बताया कि जिला में 123 एक्टिव केस हैं। सिरसा (निस) : जिले में शनिवार को कोरोना संक्रमित दो लोगों की मौत हो गई। अब कोरोना से मरने वालों की संख्या 493 हो गई है। वहीं कोरोना संक्रमण के 13 नए मामले आए। जिला में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढकऱ 29081 हो चुकी है। सिविल सर्जन डॉ. मनीष बंसल ने बताया कि कालांवाली निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति व सिरसा की अग्रवाल कॉलोनी निवासी 74 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गयी है। आज मिले संक्रमितों में सिरसा शहर में 4, डबवाली में 1, ऐलनाबाद में 1, कालांवाली 1, ओढां में 1, नाथूसरी चोपटा में एक, रानियां में 3, चौटाला में एक केस शामिल हैं। कुरुक्षेत्र (हप्र) : कुरुक्षेत्र में शनिवार को कोरोना से संक्रमित 10 नए केस सामने आए हैं तथा 40 मरीज ठीक हो गए हैं। कुरुक्षेत्र में पाॅजिटिव केसों के मरीजों का ठीक होने का आंकड़ा 97.78 फीसदी पर पहुंच गया है। जिला सिविल सर्जन डा. संत लाल वर्मा ने कहा कि कुरुक्षेत्र में अब तक 21953 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 21477 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं और 349 कोरोना पाजिटिव मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। अब 127 एक्टिव केस रह गए हैं।
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रमन कुमार पीवीविशाखापत्तनम. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) पुलिस ने विशाखापत्तनम में कोथा वेंकोजिपलेम में ज्ञानानंद आश्रम के पूर्णानंद स्वामी पर POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्जकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. उन पर एक नाबालिग लड़की ने आश्रम में काम करने के दौरान पिछले दो वर्षों तक उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था. लड़की की शिकायत पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस के मुताबिक, लड़की (15) राज महेंद्रवरम की रहने वाली है और जब वह बच्ची थी तभी उसके माता-पिता की मौत हो गई थी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि अनाथ होने के बाद लड़की कुछ समय तक अपने रिश्तेदारों के साथ रही, लेकिन फिर उसे ज्ञानानंद आश्रम में भेज दिया गया था. यहांं लड़की को गायों की देखभाल का काम दिया गया था. पीड़ित नाबालिग का आरोप है कि पूर्णानंद स्वामी एक रात उसे अपने कमरे में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद स्वामी ने उसे जंजीरों से बांधा और उसकी इच्छा पूरी करने को कहा. इस पर जब लड़की ने इनकार किया तो स्वामी ने उसके साथ जबरदस्ती की. खाने और नहाने पर लगा दी पाबंदीपीड़ित नाबालिग लड़की ने बताया कि स्वामी ने उसके साथ मारपीट की और इस दौरान उसे केवल 2 चम्मच चावल में पानी मिलाकर खाने के लिए दे दिया जाता था. 15 दिनों में केवल एक बार नहाने दिया जाता था. उसने यह भी आरोप लगाया कि उसे वॉशरूम में नहीं जाने दिया गया और बाल्टी में पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया. आश्रम से किसी तरह भागने में सफल रहीनाबालिग ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसे 2 साल तक इसी तरह प्रताड़ित किया गया. इस बीच पीड़ित नाबालिग, आश्रम से किसी तरह भागने में सफल रही और वह तिरुमाला एक्सप्रेस में जा बैठी. यहां उसने एक महिला यात्री को अपनी आपबीती सुनाई. इस महिला ने दो दिन पहले कृष्णा जिले के कांकीपाडू में एक छात्रावास में लड़की को भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन छात्रावास ने पुलिस थाने के पत्र के बिना लड़की को लेने से इनकार कर दिया. गलत काम नहीं करने का दावा, स्वामी बोले- मेरे खिलाफ साजिश रची गईइसके बाद नाबालिग लड़की और महिला ने कांकीपाडु पुलिस थाने का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने उसे विजयवाड़ा के दिशा पुलिस स्टेशन भेजा, जहां पुलिस ने स्वामी जी के खिलाफ POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. बाद में लड़की को मेडिकल परीक्षण के लिए विजयवाड़ा के पुराने सरकारी अस्पताल में भेज दिया गया. दूसरी ओर, विशाखापत्तनम में पुलिस कर्मियों ने सोमवार को स्वामी को गिरफ्तार कर लिया. स्वामी ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और दावा किया है कि कुछ लोग आश्रम की जमीनों को हड़पने के लिए उनके खिलाफ साजिश रचने की कोशिश कर रहे थे. .
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झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनावों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन यहां के वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इतिहास रच दिया हैं। चुनाव की घोषणा के साथ ही रघुवर दास सूबे के ऐसे मुख्यमंत्री है, जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। इस बार फिर से वह मैदान में आजसू पार्टी के साथ है और उन्हें उम्मीद है कि जनता उन्हें चुनाव में जितवाएंगी। उन्होंने कहा कि हम झारखंड में एक बार फिर से सरकार बनाएंगे। झारखंड में इस बार 81 सीटों पर पांच फेज में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहं पर चुनाव 30 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा। यहां पर परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। बता दें इससे पहले भी 2014 में भी पांच फेज में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे। इसके बाद 28 दिसंबर, 2014 को रघुवर दास ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वे सूबे के ऐसे पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री भी बने हैं। जनजातीय बाहुल्य वाले राज्य झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें है, इसमें से 28 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं। संसद से आदेश पारित होने के बाद बिहार से अलग होकर साल 2000 में झारखंड अलग राज्य बना। राज्य में बीजेपी की पहली बार सरकार बनी है और बाबूलाल मरांडी यहां के पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन मार्च 2003 यानी दो सालों में ही उन्होंने कुर्सी छोड़नी पड़ी। बाबूलाल के बाद अर्जुन मुंडा सीएम बने। वे 2005 में पहले विधानसभा चुनाव तक लगभग दो साल सीएम रहे। 2005 के चुनाव में बीजेपी 30 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और जेएमएम को 17, कांग्रेस को 9, राजद को 7 और जेडीयू को 6 सीटें मिली थीं। इस बार जेएमएम के सुप्रीमो शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने। लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के चलते उन्होंने मात्र 10 दिनों में ही कुर्सी छोड़नी पड़ी। भाजपा ने एक बार फिर से अर्जुन मुंडा को सीएम बनाया और वह दूसरी बार इस पद 6 सितंबर 2006 तक रहे। बीजेपी के अर्जुन मुंडा के बाद निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। उन्हें भी दो साल बाद इस्तीफा देना पड़ा और वह 2008 में इस्तीफा दे दिया। 2008 से 2010 के बीच शिबू सोरेन दो बार सीएम बने और दो बार यहां राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेएमएम को 18-18 सीटें हासिल हुईं, जबकि कांग्रेस को 14 सीटें और जेवीएम को 11 सीटों पर जीत मिलीं। यहां पर तीसरी बार अर्जुन मुंडा सीएम बने और 2 साल और 4 महीने के लिए जनवरी 2013 तक इस पद पर बने रहे। जुलाई 2013 में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन हटने के बाद हेमंत सोरेन सीएम बनाये गये और विधानसभा चुनाव के समय 2014 तक राज्य के सीएम रहे।
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तमिलनाडु के तूतीकोरिन में 23 मई को पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत हो गई। इस पुलिसिया जुल्म की देश भर में निंदा की गई। यहां पर स्टरलाइट फैक्ट्री के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे थे। इस घटना का सोशल मीडिया में आया एक वीडियो काफी सुर्खियों में है। इस वीडियो में एक पत्रकार ने प्रदर्शन के दौरान नाबालिग बच्चों को पीटने का की रिकॉर्डिंग की है। इस दौरान इस पत्रकार को वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए पुलिस वाले देख लेते हैं। इसके बाद सभी पुलिस वाले रिपोर्टर से वीडियो मिटाने की मांग कर करते हैं। रिपोर्टर का कहना है कि आप अपना गुस्सा बच्चों पर क्यों निकाल रहे हैं। दरअसल ये रिपोर्टर फेसबुक लाइव कर रहा होता है, तभी ये घटना होती है। सीपीआईएमल नेता कवित कृष्णन ने इस वीडियो को शेयर कर पुलिस वालों पर अपना गुस्सा निकाला है। उन्होंने लिखा, "ये शख्स बच्चों को पीट रही पुलिस के वीडियो रिकॉर्ड कर रहा था, तभी पुलिसवालों ने उसे घेर लिया। इस शख्स ने कहा कि आप अपना गुस्सा बच्चों पर मत निकालिए। जब पुलिस वालों ने कहा कि हम तुम्हारा वीडियो डिलीट कर देंगे तो इस शख्स ने कहा कि ये तो फेसबुक लाइव था सर। " इस घटना के बाद और भी लोगों ने इस पत्रकार की तारीफ की है। इधर इस घटना के बाद तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड ने स्टरलाइट की बिजली आपूर्ति काटने और तुरंत प्रभाव से संयंत्र को बंद करने का आदेश जारी किया है। बता दें कि तूतीकोरिन में स्टरलाइट तांबा संयंत्र को बंद करने की मांग करते हुए पड़ोसी गांवों के लोगों पर पुलिस ने मंगलवार को गोलियां चलाई थीं, जिसमें उस दिन 11 लोगों की मौत हो गई थी। ग्रामीणों का कहना था कि यह कृषि भूमि को नष्ट कर रहा है और इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं को खराब कर रहा है। घटना में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे।
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प्योंगयांग : उत्तर कोरिया में भुखमरी की वजह से जान देने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखकर उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन ने स्थानीय अधिकारियों को आत्महत्या पर रोक लगाने का फरमान जारी किया. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रेडिया फ्री एशिया से बात करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि भुखमरी से मरने वालों का सही आंकड़ा तो अभी सामने नहीं आया है, क्योंकि सरकार ने इन आंकड़ों को गोपनीय रखा है. उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग के एक अनुमान के मुताबिक, उत्तर कोरिया में आत्महत्या के आंकड़ों में पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने अपने आदेश में आदेश में आत्महत्या को 'समाजवाद के खिलाफ देशद्रोह' करार दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे लेकर आयोजित एक आपात बैठक के दौरान किम जोंग उन की तरफ से आदेश जारी किया गया है कि अपने क्षेत्र में आत्महत्या को रोकने में विफल रहने वाले स्थानीय अधिकारी संयुक्त रूप से जवाबदेह होंगे. इस आपात बैठक में उत्तरी हामग्योंग की चर्चा हुई, जहां एक पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली थी. इसके अलावा बैठक में आत्महत्याओं की संख्या पर डेटा प्रदान किया गया था. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रेडियो फ्री एशिया से बात करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि किम जोंग उन की ओर से बुलाई गई आपात बैठक में शामिल होने वाले लोग देश और सामाजिक व्यवस्था की आलोचना करने वाले सुसाइड नोट के खुलासे से हैरान थे. रयांगगैंग के एक अन्य अधिकारी ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि समुदाय पर भुखमरी से ज्यादा आत्महत्या का प्रभाव पड़ रहा है. अधिकारी ने रेडिया फ्री को बताया कि आत्महत्या को रोकने वाले कई रोकथाम नीति के बावजूद अधिकारी एक उचित समाधान लाने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. अधिकांश आत्महत्याएं अत्यधिक गरीबी और भुखमरी के कारण हुई थीं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2019 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर कोरिया में प्रति 100,000 लोगों पर 8. 2 आत्महत्याएं थीं.
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नई दिल्ली। भारतीय महिला वनडे क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने मंगलवार 3 दिसंबर को अपना 37वां जन्मदिन मनाया। दाएं हाथ की हैदराबाद की इस दिग्गज खिलाड़ी ने देशभर में युवा लड़कियों को क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया है। मिताली की गिनती दुनिया के उन चुनींदा क्रिकेटरों में की जाती है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल का सफर तय किया है। उन्होंने 15 साल की उम्र में साल 1999 में आयरलैंड के खिलाफ डेब्यू किया था। इतना ही नहीं वह दो बार भारतीय टीम को आईसीसी महिला वर्ल्ड कप के फाइनल तक ले जा चुकीं हैं। मिताली राज ने हाल ही में टी-20 क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था ताकि अपने वनडे करियर को विस्तार दे सकें। मंगलवार को बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू भी मिताली राज के जन्मदिन पर उनके साथ नजर आईं और उन्होंने इस बात की पुष्टि भी की कि वह मिताली की बायोपिक में काम कर रहीं हैं। तापसी पन्नू ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, हैप्पी बर्थडे कैप्टन मिताली राज। आपने हमें कई तरह से गर्व की अनुभूति दी है। आपके जीवन के सफर को स्क्रीन पर उतारना बड़ा सम्मान है। इतना ही नहीं, अभिनेत्री तापसी पन्नू ने लिखा, मुझे नहीं पता कि आपके जन्मदिन पर मैं आपको क्या दूं, लेकिन मैं आपसे ये वादा कर सकती हूं कि जब आप खुद को स्क्रीन पर देखेंगी तो आपको गर्व का अहसास होगा। मैं कवर ड्राइव सीखने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। यह पहला मौका है जब तापसी पन्नू ने स्वीकार किया है कि वो मिताली राज की बायोपिक में काम कर रही हैं। इससे पहले जब उनसे ये सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि अभी मैं कुछ नहीं कह सकती, लेकिन मिताली के ऊपर बनी फिल्म में काम करके मुझे खुशी होगी। हालिया समय में स्पोर्ट्स से जुड़ी हस्तियों पर कई फिल्में देखने को मिली हैं। चाहे पुरुष खिलाड़ी हो या महिला खिलाड़ी, सभी पर फिल्म बनाने का काम जारी है। छह बार की वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर मैरीकॉम के जीवन पर आधारित फिल्म में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने उनका किरदार निभाया था तो भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म में सुशांत राजपूत लीड भूमिका में थे। ऐसे में अब जल्द ही मिताली राज के रूप में एक और महिला खिलाड़ी पर फिल्म दर्शकों के सामने आने वाली है। नई दिल्ली। भारतीय महिला वनडे क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने मंगलवार 3 दिसंबर को अपना 37वां जन्मदिन मनाया। दाएं हाथ की हैदराबाद की इस दिग्गज खिलाड़ी ने देशभर में युवा लड़कियों को क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया है। मिताली की गिनती दुनिया के उन चुनींदा क्रिकेटरों में की जाती है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल का सफर तय किया है। उन्होंने 15 साल की उम्र में साल 1999 में आयरलैंड के खिलाफ डेब्यू किया था। इतना ही नहीं वह दो बार भारतीय टीम को आईसीसी महिला वर्ल्ड कप के फाइनल तक ले जा चुकीं हैं।
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कई ऐसे नवजात हैं जो मां के दूध के अभाव में दम तोड़ देते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्वास्थ्य महकमे ने मदर मिल्क बैंक खोलने की प्लानिंग की है। इसे बीएचयू के मॉडर्न मैटरनल ऐंड चाइल्ड हेल्थ विंग में तैयार किया जाएगा। यह यूपी का पहला ऐसा मदर मिल्क बैंक है जिसे बनारस में बनाने कवायद की जा रही है। चिकित्सकों की मानें तो जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए मदर मिल्क बैंक किसी वरदान से कम नहीं होगा। इससे दूध से वंचित शिशुओं को मां का दूध मुहैया हो सकेगा। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा पिछले साल जारी रिपोर्ट 'कैप्चर द मोमेंट' में बताया गया हैं कि जन्म के बाद नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग या स्तनपान से वंचित रखना जानलेवा हो सकता है। इन्हीं संगठनों द्वारा 2016 में जारी एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत, इंडोनेशिया, चीन, मैक्सिको और नाइजीरिया में अपर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क या मां का दूध न मिलने के चलते हर साल 2,36,000 नवजात की मौत हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिशुओं को मां का दूध न मिलना एक बड़ी समस्या है। ऐसे बच्चों की तादाद देश में करीब 40 से 41 फीसदी है, जिन बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में इस तरह के मदर मिल्क बैंक काफी सहायता मिलेगी। बीएचयू में मदर मिल्क बैंक के बनने से शिशु मृत्युदर को निश्चित तौर पर कम किया जा सकेगा। इस नए प्लान के लिए नेशनल हेल्थ मिशन और उस संस्था से बातचीत की जा चुकी है, जो मदर मिल्क बैंक बनाने में हेल्प करने वाली है। इसके लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा है। मिल्क बैंक को सफल बनाने के लिए यहां प्रसूताओं की काउंसलिंग भी की जाएगी। जिससे उन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके। यही नहीं आशा और एएनएम की मदद से गांव-गांव तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि मां का दूध शिशु के लिए कितना जरूरी है। चिकित्सकों की माने तो मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व नवजातों को बीमारियों और किसी भी संक्त्रमण से बचाने में सहायक होते हैं। -मिल्क बैंक में दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते, या फिर जिन्हें जरूरत से ज्यादा दूध आता है। -महिलाओं को अवेयर किया जाएगा कि उनके दूध से किसी को जीवन दान मिल सकता है। -मदर मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक पंप लगाया जाएगा। जिससे मिल्क डोनर से दूध इकट्ठा किया जाएगा। -डोनेट किए गए इस दूध का माइक्रोबायॉलॉजिकल टेस्ट होगा। -दूध की गुणवत्ता ठीक होने पर उसे सीसे की बॉटल्स में लगभग 30 मिलीलीटर की यूनिट बनाकर 0. 20 डिग्री सेंटिग्रेट तापमान पर रखा जाएगा। -बैंक में रखा दूध छह माह तक सुरक्षित रह सकता है। यह शिशु स्वास्थ्य की दिशा में बहुत ही बड़ा और सकारात्मक कदम है। इससे उन तमाम नवजात शिशुओं को जान मिलेगी जो मां का दूध न मिलने से मौत के मूंह में चले जाते हैं।
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भावना देकर सुखा लेवे और पीपरमेन्ट तथा कपूर मिलाकर शीशी मे भरले । इस नेत्रअन्जन के प्रयोग इस नेत्रऽन्जन के प्रयोग से नेत्र सम्बन्धि समस्त रोग दूर हो जाते है । ४४. नेत्राऽन्जन नं० ३ : - काले सिरस के वीज १ तोला, शीतल मिरच १ तोला, डली का सुरमा ५ तोला, समुद्र फेन १ तोला, छोटी इलायची १ तोला, हाथी दांत का बुरादा १ तोला पीपरमेन्ट १ मासा पीपरमेन्ट को छोड़ कर ऊपर की सव दवाओं को कूट पीस कपड़ छन करलो और खरल में डाल कर नीबू के रस मे खूब घोटो और फिर सुखा कर पीपरमेन्ट मिला शीशीओं में भरलो । इसके प्रयोग से भी क्षेत्रों के समस्त रोग दूर हो जाते है । ४ कर्ण रोग चिकित्सा सुश्रुत श्रादि आयुर्वेद शास्त्र में कर्ण शूल, कर्णनाद, वाधिर्य कर्णश्राव, कर्णकर्ण कृमि आदि २८ रोग वर्णन किये है जिनके सबभेद इस छोटी सी पुस्तक में लिख कर नहीं बताये जा सकते। इस कर्ण रोग की शांति पर हमारे प्रसिद्ध २ वैद्य तथा डाक्टरों ने अनेक औषधियां शास्त्रों के आधार पर निर्माण कर न्वानुभव को है अत उनमे से कुछ मुख्य २ उपयोगी पाठकों के हितार्थ वर्णन की जाती है पाठक अनुसार बनाकर बिना किसी वैद्य तथा डाक्टर की सहायता के परिवार के कर्ण रोगों की चिकित्सा बड़ी सुगमता से स्वयं कर सकते है और साथ ही गरीबों को देकर अगर भी कर सकते है ।
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घर में कुतिया और कंप्यूटर एक साथ आए थे इसलिए सबने लकदक, भूरे रोएँदार, बिलौटे सी चमकती आँखों वाली कुतिया का नाम एकमत से फ्लॉपी रख दिया था। आज करवाचौथ का व्रत था और फ्लॉपी सो रही थी। अक्सर वह सुबह पाँच बजे ही सविता को उठा देती है पर आज उसने छह बजे उठाया, जब सूरज की रोशनी आसमान पर फैल चुकी थी। सरगी* का वक्त निकल चुका था। हर साल की तरह इस बार भी सुबह सरगी खाने के लिए सविता की नींद नहीं टूटी थी। वैसे अक्सर वह उठ भी जाती थी तो सिर्फ एक प्याला चाय पी लेती थी। करवाचौथ का व्रत रखने वाली दूसरी सुहागिनों की तरह पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए सारे दिन के निर्जला उपवास की तैयारी में सुबह सूरज उगने से पहले कमर कसकर पूरी-सब्जी या भरवाँ पराँठे का भर पेट नाश्ता उसके लिए असंभव था। इधर फ्लॉपी ने अपने अलसाए हुए भूरे रोओं को स्पैनिश नृत्य की लय में झटकार कर सुबह होने को एलान किया, उधर सविता ने खीझ में अपना सिर झटक दिया। अब सारा दिन चाय की तलब सताएगी। 'चल फ्लॉपी, आजा', वह होंठो में बुदबुदाई तो फ्लॉपी चौकन्नी होकर उचकी। दोनों सड़क पर थे। फ्लॉपी गले में पट्टा पहनने की आदी नहीं थी। दूसरे पालतू कुत्तों की तरह वह लीश में बंधी-बंधी मालिक के पीछे-पीछे दुम हिलाती नहीं चलती थी। उसके कदम आजाद थे और वह सविता के आगे-आगे, मनचाही राह पर इतराती हुई चलती थी। बीच-बीच में सिर घुमाकर देख लेती कि सविता पीछे आ रही है या नहीं। यह गली, यह इलाका उसकी बपौती था। अपने क्षेत्र में किसी दूसरे कुत्ते का आना उसे बर्दाश्त नहीं था। यहाँ तक कि सड़क पर एक कौआ देखकर भी वह शेरनी की तरह दहाड़ती, हिरनी की तरह कुलांचे भरकर दौड़ती और कौए को खदेड़कर ही दम लेती। उसके बाद वह शान से सविता की ओर विजेता की मुस्कान फेंकती। फ्लॉपी ने सुबह का अपना क्रिया कलाप समाप्त किया तो सविता ने लौट चलने का सिग्नल दिया। फ्लॉपी ने आनाकानी की, फिर एहसान जताती सविता के ढीले कदमों से बेपरवाह फलाँगती घर पहुँच गई। निर्जला व्रत शाम तक निढाल कर देता है इसलिए सविता ने दोपहर बारह बजे ही रात का खाना भी तैयार कर ढाँप-ढूँपकर रख दिया। फ्लॉपी को भी आज शाकाहारी भोजन मिलेगा। सविता ने चावल में सब्जियाँ उबालकर उसका खाना तैयार कर लिया। फ्लॉपी इठलाती हुई आई और दही-पुलाव के सात्विक भोजन को शूँ-शूँ कर सूँघती हुई अकड़ी हुई पूँछ के साथ कोप भवन में जाकर बैठ गई। सविता की दो बेटियों की पंक्ति में यह तीसरी नकचढ़ी बेटी थी। 'नखरे मत कर, आज तुझे यही खाना मिलेगा', सविता ने उससे कहा, 'नहीं खाना... ठीक है, बैठी रह, जब भूख लगेगी न, अपने-आप आएगी खाने।' फ्लॉपी ने तिरछी नजर से सविता की ओर देखा और कैटरपिलर की तरह हाथ-पैर समेटकर जमीन पर मुँह टिकाकर पसर गई। शाम को दोनों बेटियाँ स्कूल से लौट आईं। दोनों ने उसे पुचकारा - 'हाय स्वीटी पाय, व्हाय डिडंट यू ईट'... छोटी ने खाना देखा तो नाक-भौं सिकोड़ - 'ममा, आप इसे घास-फूस खाने को क्यों देते हो हाऊ कैन शी ईट दिस रॉटन फूड' फिर फ्लॉपी को गोद में लेकर पुचकारा - 'ओह माय डार्लिंग, यू आर सो हंग्री। व्हॉट अ पिटी।' अपने पापा के लौटते ही बेटियाँ शिकायत का पुलिंदा लेकर हाजिर हो गईं - 'पापा, देखो ना, मॉम इज टॉर्चरिंग पुअर लिट्ल सोल।' सविता ने हँसकर कहा - 'आज फ्लॉपी ने भी मेरे साथ करवा चौथ का व्रत रखा है।' 'व्हॉट रबिश, यू कांट बी सो क्रुएल', बौखलाते हुए साहब मजबूत कदमों के साथ रसोई में दाखिल हुए, डीप फीजर से फ्लॉपी का मनपसंद पोर्क मिन्स्ड निकाला, डिफ्रॉस्ट किया और गैस पर चढ़ा दिया। फ्लॉपी ने सविता को चिढ़ा-चिढ़ाकर, चटखारे ले-लेकर खाना साफ किया और हमेशा की तरह सविता की साड़ी से मुँह रगड़कर पोछ लिया। छोटी बेटी ने फ्लॉपी को शाबाशी दी - 'गुड गर्ल, दैट्स द पनिशमेंट। ममी की करवाचौथ-स्पेशल लाल साड़ी खराब कर दी।' बड़ी बेटी ने पापा की ओर से फरमाइश की - 'फ्लॉपी को तो पापा ने खिला दिया, अब आप पापा के लिए थोड़े से चिप्स फ्राय कर दो। प्लीज ममा, हमें भी भूख लगी है।' सविता उठी और सूखते गले को थूक निगलकर तर करते हुए आलू के चिप्स तल दिए और सिर पकड़कर लेट गई। यह सरगी में चाय न पीने की सजा थी। सूरज जब शाम को ऊब-डूब हो रहा था, सविता ने सब लाल-गुलाबी साड़ीवालियों के साथ वृत्ताकार बैठकर पूजा की। जब सब हाथ जोड़कर बैठी थीं, फ्लॉपी ने धीरे से दायाँ पंजा बढ़ाकर पूजा की थाली का लाल कपड़ा सरकाया और कागजी बादाम के दो दाने मुँह में सटक लिए। सविता सूखे गले से कुँकुआई तो छोटी बेटी फ्लॉपी को नवजात बच्चे की तरह दोनों बाँहों में समेटकर भीतर ले गई। फ्लॉपी पर हैंडल विथ केअर का लेबल लगा था। कुछ भी कहना बेकार था। घर में फ्लॉपी के सात खून माफ थे। इस बार पक्की चौथ थी। चाँद देर से निकलने वाला था। मेज पर ढका हुआ खाना सबने गर्म किया, स्वाद ले-लेकर खाया और खाते खाते चाँद के न निकलने को लेकर परेशान होते रहे। आखिर चाँद निकला। सविता ने जाली की ओट से चाँद देखा, अर्ध्य दिया और हाथ जोड़कर मन ही मन कहा - 'हे गौरजा माता, अगले जनम में अगर मुझे मनुष्य योनि में जन्म न मिले तो पशुयोनि में मुझे किसी घर की पालतू कुतिया बना देना ताकि मैं करवाचौथ के दिन अपना जूठा मुँह किसी सुहागन की लाल साड़ी से पोंछ सकूँ।' दरवाजे पर बैठी फ्लॉपी ने अघाई नजरों से सविता की ओर देखा और जीभ बाहर निकालकर लार टपकाती हुई अधमुँदी आँखों से ऊँघने लगी।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ। अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्रायः स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अतः अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। . संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजीः United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारणः यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णतः ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुनः विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। . अवध और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रतापगढ़ जिला, लखनऊ, लखनऊ मंडल, सुल्तानपुर जिला, सीतापुर जिला, इलाहाबाद मंडल, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत प्रतापगढ़ जिला प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। इसे को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। यह प्रतापगढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है। इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नदी के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्म स्थली के नाम से भी जाना जाता है। . लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। . लखनऊ भारत में उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें हरदोई, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर और उन्नाव जिले आते हैं।. उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा गोमती नदी के तट पर बसा सुल्तानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। यहाँ के लोग सामान्यतः वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ जिलों में पढ़ाई करने जाते हैं। सुल्तानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और खड़ी बोली है। . सीतापुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सीतापुर है। यह जिला नैमिषारण्य तीर्थ के कारण प्रसिद्ध है। प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिंदू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण शेरशाह द्वारा निर्मित कुओं और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट हुमायूँ और शेरशाह के बीच और दूसरी श्रावस्ती नरेस सुहेलदेव राजभर और सैयद सालार के बीच बिसवाँ और तंबौर के युद्ध हैं।जिले के ब्लॉक गोंदलामऊ में चित्रांशों का प्राकृतिक छठा बिखेरता खूबसूरत व ऐतिहासिक गांव असुवामऊ है।इस धार्मिक गांव में शारदीय नवरात्रि के मौके पर सप्तमी की रात भद्रकाली की पूजा पूरी आस्था से मनाई जाती है। . इलाहाबाद भारत में उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें इलाहाबाद, फतेहपुर, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ जिले आते हैं।. आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। . अवध 36 संबंध है और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध 75 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 6.31% है = 7 / (36 + 75)। यह लेख अवध और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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आज समाज डिजिटल, पानीपत : पानीपत। महर्षि दयानन्द संस्थान वेद मन्दिर में रविवार को महाशिवरात्रि व ऋर्षिबोध उत्सव का कार्यक्रम रहा। वेद मन्दिर के मार्गदर्शक आदरणीय आचार्य संजीव वेदालंकार जी ने बड़े अध्यामिक ढ़ग से वेद मन्त्रोच्चारण द्वारा यज्ञ की आहुतियाँ डलवाते हुए यज्ञमहिमा को बड़ी सुक्ष्मता से समझाया। यज्ञ में जलसेचन का अर्थ मात्र यह कि पहले यज्ञकुण्ड जमीन पर विस्थापित होते थे और लोगों में नित्य प्रति यज्ञ करने का प्रचलन था इसलिए यज्ञ में अग्नि प्रवज्जलित करने से पहले यज्ञ के चारों एक नाली में जलसेचन किया जाता था, ताकि यज्ञ में किसी प्रकार के कीट आदि जीवों का प्रवेश न हो और शुद्ध रुप से ईश्वर की तरफ ध्यान लगे। शिव का अर्थ कल्याण और लिंग का अर्थ चिन्ह होता है। यह लिंग अर्थात चिन्ह जिस पर स्थापित होता है उसके चारों भी जलसेचन के लिए एक नाली बनाई जाती है, लेकिन दुर्भाग्यवश कामनायुक्त पंडित पुरोहितो ने इसे किसी ओर से ही जोड़ दिया। जब किसी असाध्य रोग हो जाने हम किसी स्पैलिस्ट डाक्टर को ढूंढते है परन्तु धर्म के ज्ञान के लिए बिना किसी की विद्या जाने हम किसी भी पंडित पुरोहित को पकड़ लेते है इसी से धर्म की हानि होती है। धर्म अब धर्म नहीं महज एक दिखावा बनकर रह गया है। बड़े बड़े डेरे, बड़ी गाडियाँ बड़ी भीड़, बड़ा प्रचार सब धर्म का व्यापारीकरण है। धर्म जब आचार्य से निकलकर व्यापारियों के हाथ चला जायेगा। समझना, वहाँ धर्म नहीं व्यापार होता है। मिलता कुछ नहीं सिवाय दिखावे के। धर्म तो दया, ममता, करुणा सिखाता है जो गुरुकुलों में मिलती है। राम, कॄष्ण सब गुरुकुलों में पढ़े वो भगवान बने हम सबके मार्गदर्शक बने। मुख्यातिथि नवीन मुंजाल, अध्यक्ष आदर्श एक विश्वास संस्था से रहे, जोकि चिकित्सा क्षेत्र में लोगों को निःशुल्क इलाज मुहैया करवाते है। प्रधाना सरिता आहूजा जी ने अपनी मीठी वाणी से ऋषि दयानंद के जीवन चरित्र भजन सुनाकर सबको भक्ति विभौर कर दिया तथा ईश्वरीय गीतों से सबको मन्त्रमुग्ध किया। हर बार की तरह मंच संचालन धीरज कपूर ने बड़ी कुशलता से आए अतिथियों का स्वागत किया। प्रधान सुरेश आहूजा व स्वागताध्यक्ष विजय शर्मा ने सभी अतिथियों शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। शान्तिपाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यतौर पर प्रो. हरिसिंह, सुशीला भाटिया, किरणपाल आर्या, सुनील अरोड़ा, ज्योति शक्ति ठकराल, जगदीश, मोनू गांधी आदि उपस्थित रहे।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चार मई को पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पहुंचेंगी। वहां से हेलीकॉप्टर से बादामपहाड़ हेलीपैड जाएंगी और उसी दिन पहाड़पुर जाएंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार ओडिशा के मयूरभंज जिले में अपने पैतृक गांव जाएंगी। साथ ही वह सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान का भी दौरा करेंगी। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि राष्ट्रपति मुर्मू सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान जाने वालीं पहली राष्ट्रपति होंगी, जो 2750 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू चार मई से अपने गृह जिले का तीन दिवसीय दौरा करेंगी और रायरंगपुर उपमंडल में अपनी ससुराल पहाड़पुर जाएंगी। अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चार मई को पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पहुंचेंगी, वहां से वह पहाड़पुर जाएंगी। मुर्मू जुलाई 2022 में पद संभालने के बाद से दो बार राज्य का दौरा कर चुकी हैं और इस बार उनका दौरा मयूरभंज जिले तक ही सीमित रहेगा। रायरंगपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगी। अधिकारियों ने कहा कि वह पहाड़पुर में दो परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगी। अधिकारी ने कहा कि वह पांच मई को सिमिलिपाल नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व का दौरा करेंगी और पूरा दिन अभयारण्य में बिताएंगी। अगले दिन यानी छह मई को राष्ट्रपति मुर्मू मयूरभंज जिले के मुख्यालय बारीपदा का दौरा करेंगी और यहां महाराजा श्रीराम चंद्र भांजा देव विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेंगी। उनके दौरे को देखते हुए प्रशासन ने पहाड़पुर गांव की कच्ची सड़कों को पक्का करने का काम शुरू कर दिया है। उनके दौरे को देखते हुए स्थानीय निवासी भव्य स्वागत का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बारीपदा में अपनी यात्रा समाप्त कर मुर्मू उसी दिन दिल्ली लौट आएंगी। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 5 दिसंबर को नई दिल्ली में जी 20 की तैयारियों को लेकर एक सर्वदलीय बैठक हुई। राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में हुई इस सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता पूरे राष्ट्र की है और यह दुनिया के सामने भारत की क्षमता को प्रदर्शित करने का अनोखा अवसर है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत के प्रति दुनिया में जिज्ञासा और आकर्षण है, जिससे भारत की जी-20 अध्यक्षता की संभावनाएं और प्रबल हो जाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने टीम-वर्क की महत्ता पर जोर दिया और जी-20 के विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन में सभी नेताओं के सहयोग की आकांक्षा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जी-20 अध्यक्षता एक ऐसा अवसर होगा, जब भारत की छवि पारंपरिक महानगरों से बाहर निकलकर देश के अन्य भागों में परिलक्षित होगी। इस तरह हमारे देश के हर भाग का अनोखापन उजागर होगा। भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान बड़ी संख्या में भारत आने वाले आगंतुकों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने उन स्थानों पर पर्यटन को प्रोत्साहित करने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने की क्षमता का उल्लेख किया, जहां जी-20 की बैठकें आयोजित की जाएंगी। सर्वदलीय बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के साथ गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और तमाम केंद्रीय मंत्री मौजूद थे। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक,आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, तेलुगू देशम पार्टी के एन चंद्रबाबू नायडू और द्रमुक के एमके स्टालिन सहित के पलानीस्वामी, पशुपतिनाथ पारस, एकनाथ शिंदे और तमाम दलों के नेता बैठक शामिल हुए। बैठक में मौजूद कई नेताओं ने अपने विचार रखे और आयोजन की बेहतरी को लेकर सुझाव भी दिए।
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UP elections: आगामी विधानसभा चुनाव मायावती के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है और सर्वसमाज की दिली इच्छा है कि वह पांचवीं बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनें। लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने और पांचवीं बार राज्य की मुख्यमंत्री बनने का दावा करते हुये राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच सांठगांठ का मंगलवार को आरोप लगाया। मायावती ने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और सपा, दोनों दलों की राजनीति हमेशा एक दूसरे की पूरक रही है। योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के आगामी विधानसभा चुनाव चुनाव लड़ने की बात पर जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वह चुनाव लडेंगी? इस पर मायावती ने यह कहकर सवाल टाल दिया, "योगी जी क्या कर रहे हैं? और अखिलेश क्या कर रहे हैं? मेरी तुलना आप उनसे कर रहे हैं? " उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जा रहा है और सर्वसमाज की दिली इच्छा है कि वह पांचवीं बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनें। इस सवाल पर कि आगामी चुनाव में सपा या भाजपा में से वह किससे अपना मुकाबला मान रही हैं, उन्होंने कहा, "सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार बहुजन समाज पार्टी को 2007 की तरह पूर्ण बहुमत से सत्ता मिलेंगी। " मायावती ने इशारा किया कि इस बार बसपा युवाओं को ज्यादा टिकट देगी। गौरतलब हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि पार्टी संसदीय दल जहां से कहेगा वह चुनाव लड़ने को तैयार हैं। इसी तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि पार्टी अगर चुनाव लड़ने को कहती है तो वह विचार करेंगे। मायावती ने मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, "भाजपा खासकर उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार की जन विरोधी नीतियों घोर विफलताओं पर पर्दा डालने और ध्यान बंटाने के लिए सपा से अंदरूनी मिलीभगत और सांठगांठ करके जिन्ना एवं अयोध्या पुलिस गोलीबारी जैसे अनेक नए-नए गढ़े हुए सांप्रदायिक और धार्मिक मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि बसपा को पूरी उम्मीद है कि अब प्रदेश की जनता इनके इस प्रकार के किसी भी षड्यंत्र का शिकार होने वाली नहीं है। उन्होंने कहा, "यह बात भी सर्वविदित है कि सपा व भाजपा की राजनीति हमेशा एक दूसरे की पोषक व पूरक रही है। इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी एवं सांप्रदायिक होने के कारण इनका अस्तित्व एक दूसरे पर ही आधारित रहा है। इसी कारण जब सपा सत्ता में होती है तो भाजपा मजबूत होती है और जब बसपा सत्ता में रहती है तो भाजपा कमजोर होती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा और अन्य बसपा विरोधी पार्टियों का प्रदेश की जनता को हर प्रकार से लुभाने और बरगलाने का जबरदस्त नाटक शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने पिछले डेढ़-दो महीनों में अनगिनत घोषणाएं और शिलान्यास तथा आधे-अधूरे कार्यो का उद्घाटन और लोकार्पण किया है। उन्होंने कहा कि यह इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को दर्शाता है। मायावती ने कहा कि बसपा को छोड़कर सभी विपक्षी पार्टियों ने चुनाव की घोषणा होने से बहुत पहले प्रदेश की जनता को लुभाने के लिए घोषणाएं और वादे कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि ये भी उनके लिए अनेक सवाल खड़े करता है। मायावती ने कहा कि सपा की तरह कांग्रेस ने भी प्रदेश की जनता को तरह-तरह के प्रलोभन और चुनावी वादे किए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपने लंबे शासनकाल में अपने 50 प्रतिशत भी चुनावी वादे पूरे कर दिए होते तो आज यह पार्टी केंद्र और उत्तर प्रदेश समेत देश के अधिकांश राज्यों की सत्ता से बाहर नहीं होती। बसपा अध्यक्ष ने कहा, "सपा आगामी विधानसभा चुनाव में 400 और भाजपा 300 सीटें जीतने का दावा कर रही है। यह बचकाना और हवा हवाई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को चालीस प्रतिशत टिकट दिये जाने के बयान को लेकर सवाल पर मायावती ने कहा, "कांग्रेस पार्टी को जिन राज्यों में उनकी सरकारे हैं या जब कांग्रेस पार्टी केंद्र की सत्ता में थी तो सबसे पहले इसको लेकर कानून बनाना चाहिये था। अब यह चालीस प्रतिशत की बात कर रही है, जब यह सरकार में थी तो 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने का कानून नहीं बना पाई। " उन्होंने कहा, "कांग्रेस ही नहीं इस प्रकार का कानून भारतीय जनता पार्टी भी नहीं बना पायी।
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सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के नाम करने के बाद अब भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कट्टरपंथी हिंदू गुट आरएसएस की शरण में पहुंच गए हैं। मनोहर पर्रिकर ने कहा कि आरएसएस की ट्रेनिंग के चलते मैं और प्रधानमंत्री मोदी सर्जिकल ऑपरेशन का कड़ा फैसला ले सके हैं। भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में अपनी 'सेना को जानिए' नाम के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय कट्टरपंथी हिन्दू गुट राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की ट्रेनिंग को दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के राज्य से हैं और रक्षा मंत्री मार्शल रेस के राज्य गोवा से, ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक के इस इक्वेशन के पीछे आरएसएस की ट्रेनिंग ही थी। इतना ही नहीं मनोहर पर्रिकर ने कहा कि कश्मीर के उड़ी क्षेत्र में हुए हमले के बाद सोशल मीडिया पर देश के प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री पर लोगों ने कई सवाल खड़े किये थे, फिर सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने लगे, उन्होंने कहा कि 'कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें कितने भी सबूत मिले वो मानते नहीं हैं। दूसरी ओर भारतीय टीकाकारों ने मोहन पर्रिकर के इस बयान को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और अधिकतर लोगों का मानना है कि इस तरह का बयान देश की एकता व अखंडता के लिए ख़तरनाक है। वहीं विपक्ष ने रक्षा मंत्री के इस बयान की कड़ी निंदा की है। भारत के पूर्व गृह मंत्री और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि इस तरह का बयान देश की सेना का अपमान और इस तरह के बयान से सेना का मनोबल भी टूटता है। (RZ)
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द्वितीयं पर्व तमादिदेवं देवानामधिदेवं स्वयंभुवम् । प्रणम्य तत्पुराणस्य वच्म्युपोद्वातविस्तरम् ॥ १ ॥ अथातो धर्मजिज्ञासासमाहितमतिः' कृती । श्रेणिकः परिपप्रच्छ गौतमं गणभृत्प्रभुम् ॥ २ ॥ भगवन्नर्थतः कृत्स्नं श्रुतं स्वायम्भुवान्मुखात् । प्रस्थतः श्रोतुमिच्छामि पुराणं त्वदनुमहात् ॥ ३ ॥ श्वमकारणबन्धुर्नस्त्वमकारणवत्सलः । त्वमकारणवैद्योऽसि दुःखातङ्कार्तितात्मनाम् ॥ ४ ॥ पुण्याभिषेकमभितः कुर्वन्तीव शिरस्सु नः । व्योमगङ्गाम्बुसच्छाया' युष्मस्पादनखांशवः ॥ ५ ॥ तव दीप्ततपोलब्धे रङ्गलक्ष्मीः 'प्रतायिनी । अकालेऽप्यनुसंधत्ते सान्द्रबालातपश्रियम् ॥ ६ ॥ त्वया जगदिदं कृत्स्नम विद्या मीलितेक्षणम् । सद्यः प्रबोधमानीतं भास्वतेवाब्जिनीवनम् ॥ ७ ॥ यन्नेन्दुकिरणैः स्पृष्टमनालीढं रवेः करैः । तस्वया हेलयोद स्तमन्तवन्तं वचऽशुभिः ॥ ८ ॥ तवोच्छिखाः स्फुरन्येता योगिन् सप्त महर्द्धयः । 'कर्मेन्धनदहोद्दीप्ताः "सप्तार्चिष इवार्चिषः ॥ ९ ॥ अब मैं देवाधिदेव स्वयम्भू भगवान् वृषभदेवको नमस्कार कर उनके इस महापुराणसम्बन्धी उपोद्वात - प्रारम्भ का विस्तार के साथ कथन करता हूँ ॥१॥ अथानन्तर धर्मका स्वरूप जानने में जिसकी बुद्धि लग रही है, ऐसे बुद्धिमान् श्रेणिक महाराजने गणनायक गौतम स्वामीसे पूछा ।।२।। हे भगवन्, श्रीवर्द्धमान स्वामी के मुखसे यह सम्पूर्ण पुराण अर्थ रूपसे मैंने है अब आपके अनुग्रह से उसे ग्रन्थ रूपसे सुनना चाहता हूँ ।। ३ ।। हे स्वामिन्, आप हमारे अकारण बन्धु हैं, हमपर बिना कारण के ही प्रेम करनेवाले हैं तथा जन्म मरण आदि दुखदायी रोगोंसे पीड़ित संसारी प्राणियोंके लिए अकारण - स्वार्थरहित वैद्य हैं ।।४।। हे देव, आकाशगङ्गा के जलके समान स्वच्छ, आपके चरणोंके नखोंकी किरणें जो हमारे शिरपर पड़ रही हैं वे ऐसी मालूम होती हैं मानो मेरा सब थोरसे अभिषेक ही कर रही हों ॥५॥ हे स्वामिन्, उप्र तपस्या की लब्धिसे सब ओर फैलनेवाली आपके शरीर की आभा असमय में ही प्रातःकालीन सूर्यकी सान्द्र-सघन शोभाको धारण कर रही है ।।६।। हे भगवन्, जिस प्रकार सूर्य रातमें निमीलित हुए कमलोंको शीघ्र ही प्रबोधित - विकसित कर देता है उसी प्रकार आपने अज्ञान रूपी निद्रामें निमीलित - सोये हुए इस समस्त जगत्को प्रबोधित-जामत कर दिया है ।७।। हे देव, हृदयके, जिस अज्ञानरूपी अन्धकारको चन्द्रमा अपनी किरणोंसे छू नहीं सकता तथा सूर्य भी अपनी रश्मियोंसे जिसका स्पर्श नहीं कर सकता उसे आप अपने वचन, रूपी किरणोंसे अनायास ही नष्ट कर देते हैं ॥ ८॥ हे योगिन्, उत्तरोत्तर बढ़ती हुई आपकी यह बुद्धि आदि सात ऋद्धियाँ ऐसी मालूम होती हैं मानो कर्मरूपी ईंधन के जलानेसे अहुई १ उपक्रमः । 'उपोद्धात उदाहरः' इत्यभिधानात् । २ समाहिता संलीना । ३ दुःखातकार्द्धिनात्मनाम् द०, सं० अ०, प०, ल० । ४ समेग्नाः । ५ ऋद्धेः । ६ विस्तारिणी । ७ अविद्या अनित्याशुचिदुःखाज्ञानात्मसु विपरीता व्यापृतिरविद्या ८ निरस्तम् । ९ कर्मेन्धनदहोदीप्ताः ट० । कर्मेन्धनानि दहन्तीति कर्मेन्धनदहः । । १० अग्नेः । इदं पुण्याश्रमस्थानं पवित्रं त्वत्प्रतिश्रयात् । रक्षारण्यमिवाभाति तपोलक्ष्म्या निराकुलम् ॥१०॥ अन्र्ते पशवो वन्या पुष्टा मृष्टैस्तृणाङ्कुरैः । न क्रूरमृगसं बाधां जानन्त्यपि कदाचन ॥ ११॥ पादमधावनोत्सृष्टः कमरिमे। अमृतैरिव पन्ते मृगशावाः पविश्रिताः ॥१२॥ सिंहस्तनन्धयानत्र करिण्यः पाययन्त्यभूः । सिंहधेनुस्तनं स्वैरं स्पृशन्ति कलभा इमे ॥ १३ ॥ अहो परममाश्चर्य यदवाचोऽप्यमी मृगाः । भजन्ति भगवत्पादच्छायां मुनिगणा इव ॥ १४ ॥ अकुत्तवदकलावामी प्रसूनफलशालिनः । धर्मारामतरूयन्ते परितो वनपादपाः ॥ १५॥ इमा वनलता रम्याः 'प्रफुल्ला भ्रमरैर्वृताः । न विदुः 'करसंबाधां राजन्वस्य इव प्रजाः ॥१६॥ तपोधनमिदं रम्यं परितो विपुलाचलम् । दयावनमिवोद्ध तं प्रसादयति में मनः ॥१७॥ इमे तपोधना दीसतपसो 'वातवल्कलाः । भवत्पादप्रसादेन मोक्षमार्गमुपासते ॥१८॥ इति प्रस्पष्टमाहात्म्य : 'कृती जगदनुग्रहे । भगवन् 'भव्यसार्थस्य "सार्थवाहायते भवान् ॥ १९॥ सतो बहि महायोगिन् न ते कश्चिदगोचरः । तव ज्ञानांशवो दिव्याः " प्रसरन्ति जगत्त्रये ॥२०॥ अग्निकी सात शिखाएँ ही हो ॥६॥ हे भगवन्, आपके आश्रय से ही यह समवसरण पुण्यका आश्रमस्थान तथा पवित्र हो रहा है अथवा ऐसा मालूम होता है मानो तपरूपी लक्ष्मीका उपद्रव रहित रक्षावन ही हो ॥१०॥ हे नाथ, इस समवसरण में जो पशु बैठे हुए है वे धन्य हैं, इनका शरीर मीठी घासके खानेसे अत्यन्त पुष्ट हो रहा है, ये दुष्ट पशुओं ( जानवरों ) द्वारा होने वाली पीड़ाको कभी जानते ही नहीं हैं ।।११।। पादप्रक्षालन करनेसे इधर उधर फैले हुए कमण्डलुके जलसे पवित्र हुए ये हरिणोंके बच्चे इस तरह बढ़ रहे हैं मानो अमृत पीकर ही बढ़ रहे हों ।।१२।। इस ओर ये हथिनियाँ सिंहके बच्चेको अपना दूध पिला रही हैं और ये हाथी के बच्चे स्त्रेच्छासे सिंहनीके स्तनोंका स्पर्श कर रहे हैं दूध पी रहे हैं ।।१३।। अहो ! बड़े आश्चर्य की बात है कि जिन हरिणोंको बोलना भी नहीं जाता वे भी सुनियोंके समान भगवान्के चरणकमलोंकी छायाका आश्रय ले रहे हैं ।।१४।। जिनकी छालोंको कोई छील नहीं सका है तथा जो पुष्प और फलोंसे शोभायमान हैं ऐसे सब ओर लगे ये वनके वृक्ष ऐसे मालूम होते हैं मानो धर्मरूपी बगीचेके ही वृक्ष हैं ।।१५।। ये फूली हुई और भ्रमरोंसे घिरी हुई वनलताएँ कितनी सुन्दर हैं ? ये सब न्यायवान् राजाकी प्रजाकी तरह कर बाधा ( हाथसे फल फूल आदि तोड़नेका दुःख, पक्ष में टैक्सका दुःख ) को तो जानती ही नहीं हैं ॥ १६ । आपका यह मनोहर तपोवन जो कि विपुलाचल पर्वतके चारों ओर विद्यमान है, प्रकट हुए दयावनके समान मेरे मनको आनन्दित कर रहा है ।।१७।। हे भगवन् उग्र तपश्चरण करनेवाले ये दिगम्बर तपस्वीजन केवल आपके चरणोंके प्रसादसे ही मोक्षमार्गकी उपासना कर रहे हैं ॥१८॥ हे भगवन, आपका माहात्म्य अत्यन्त प्रकट है, आप जगत्के उपकार करने में सातिशय कुशल हैं, मत एव आप भव्य समुदाय के सार्थवाह-नायक गिने जाते हैं ।।१९।। हे महायोगिन्, संसार में ऐसा कोई भी पदार्थ नहीं है जो आपके ज्ञानका विषय न हो, आपकी मनोहर ज्ञानकिरणों तीनों लोकों में फैल रही हैं इसलिए हे देव, आपही १ धन्याः अ०, प० द०, स० म० ल० । २ पादप्रधावनोत्सृष्टविशिष्टसलिलैरिमे प०, ५० ३ भकृतः अलः । ४ विकसिताः । [५ करः हस्तः वलिश्च । ६ विपुलगिरेर भितः । "हाधिक्समयानिकषापर्युपर्यधो ऽस्यम्तरांन्तरणतस्पर्यभिसरोऽभयैश्थाप्रधानेऽमौट्शस् । ७ वायुर्वकलं येशं ते दिगम्बराः- ८ कुशलः । ९ भव्यसार्थस्य सार्थस्य म० स० । १० सङ्घस्य । ११ सार्थवाहः वणिश्रेष्ठः । १२ दीप्ताः अ० स० ।
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योगी सरकार के तमाम प्रयासो और कवायदों के बावजूद कोरोना यूपी में बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के लगातार मिलने का सिलसिला जारी है। लखनऊः योगी सरकार के तमाम प्रयासो और कवायदों के बावजूद कोरोना यूपी में बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के लगातार मिलने का सिलसिला जारी है। हालांकि सरकार का दावा है कि यूपी सरकार कोरोना महामारी से पूरी मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रही है और इसी का परिणाम है कि राज्य में कोरोना पजिटिविटी दर तथा मृत्यु दर कम है तथा रिकवरी दर बेहतर है। लेकिन रोजाना आ रहे आंकड़ों को देखे तो साफ है कि संक्रमण रोज बढ़ता ही जा रहा है और अब धीरे-धीरे यह भयावह रूप लेता जा रहा है और अब 20 दिन के अंतराल में ये संख्या दोगुनी हो रही है। खास बात ये है कि अब यूपी का कोई भी जिला ऐसा नही है जो कोरोना से अछूता हो और छोटे जिलों में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यूपी में कोरोना संक्रमण का पहला मामला बीती 06 मार्च को आया था। इसके बाद 25 मार्च से लाकडाउन लागू हो गया था। लाकडाउन के बाद 07 जून को यूपी में 10 हजार 536 कोरोना संक्रमण के मामलें सामने आए थे। अनलाक की प्रक्रिया शुरू होने पर जैसे-जैसे लाकडाउन के नियमों में ढ़ील दी गई वैसे-वैसे कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आती गई। 25 जून को महज 18 दिन में ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो कर 20 हजार 193 हो गई। इसके 20 दिन बाद 15 जुलाई को राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 41 हजार 383 पर पहुंच गई। इसी तरह 15 दिन बाद 30 जुलाई को 81 हजार 039, 19 दिन बाद 18 अगस्त को 01 लाख 62 हजार 434 तथा 20 दिन बाद 07 सितंबर को 02 लाख 71 हजार 851 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके है। इसमे भी 0-20 आयु वर्ग के 14. 12 प्रतिशत, 21-40 आयु वर्ग के 48. 70 प्रतिशत, 41-60 आयु वर्ग के 28. 50 प्रतिशत तथा 60 वर्ष के अधिक आयु वर्ग के 8. 68 प्रतिशत लोग संक्रमित पाये गये है। corona (social media) यूपी में बीते मंगलवार तक 67 लाख से ज्यादा सैम्पलों की जांच की जा चुकी है। प्रदेश में पहली सितंबर से 06 सितंबर के बीच की गई जांचों की कुल पाजिटिविटी दर 4. 5 प्रतिशत पायी गई, जो राष्ट्रीय औसत 5. 00 प्रतिशत से कम है। लेकिन इसमे बड़ी संख्या रैपिड टेस्ट की है, जिसकी जांच रिपोर्ट को बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है। यहीं कारण है कि जिसमे रैपिड टेस्ट की पाजिटिविटी दर 3. 7 प्रतिशत, ट्रूनेट मशीन टेस्ट की पाजिटिविटी दर 15. 4 तथा आरटीपीसीआर टेस्ट की पाजिटिविटी दर 5. 4 प्रतिशत आई है। बढ़ते कोरोना संक्रमितों के कारण अस्पतालों में बेड खाली नहीं रह गए है। लिहाजा राज्य सरकार ने हल्के संक्रमण वाले मरीजों को होम आइसोलेट करने की व्यवस्था शुरू कर दी है। यूपी में बीते मंगलवार तक कुल 01 लाख 23 हजार 802 लोग होम आइसोलेशन में जा चुके है, जिसमे से 91 हजार 708 की आइसोलेशन अवधि समाप्त हो चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है और मुख्यमंत्री लगातार कोविड अस्पतालों में बेडों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दे रहे है। इसके साथ ही नए राज्य में नए कोविड अस्पताल भी खोले जा रहे है। सरकारी आकंड़ों के मुताबिक प्रदेश में रिकवरी का प्रतिशत 75. 76 है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यूपी में अधिकतर संक्रमण हल्के और मध्यम स्तर के है। इसलिए लोग जल्दी ही इस बीमारी से ठीक हो रहे है। इसके अलावा यूपी में कोरोना से 3976 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां कोरोना संक्रमित से होने वाली मौत की दर 1. 46 प्रतिशत है। राज्य में कोरोना संक्रमितों के मिलने तथा मौतों की बड़ी संख्या बडे़ जिलों या शहरों में है। वायरस के संक्रमण के इस पैटर्न को देखते हुए सरकार ने 11 जिलों मे सीरो सर्वे भी कराया है, जिसके नतीजे अभी नहीं आये है। दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।
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१२१ भी वाउव मुहम्मनकी बेशसेवा श्री पाठव मुहम्मर कपभग पकी उम्मकी मनोची सेवा कर रहे है। मे भयको जीत चुके है। उन्हें निर्वासित किया जाता है तो उसका भी भय नहीं मानते। बहुत-से सोमोसे उन्होंने यह कहा है 'सरकार मुझे सीमान्तपर हाँ चाहे यहाँ छोड़े। " बसिन जातिका भारतीयोंकि लिए जब बार-बार बेळ जाना और पैसे-टकेकी परबाहम करना कोई बनोबी बात नहीं है। श्री साराबजीकी जिनसे सत्याग्रहका दूसरा दौर शुरू हुमा मूल्यवान सेवाजकि सम्बन्ध में हम पहले ही चुके है। बेमें और क्या बाहर से चुपचाप अपना काम करते ही जाते हैं। परन्तु इस बार हमें श्री बाउद मुहम्मदकी सेवामक सम्बन्ध विममुष्पके कामका मूल्य दो प्रकारसे माँका जा सकता है। एक तो उस कामके मूड महत्वकी पुष्टिसे और दूसरे उसके परिणामकी दृष्टि - वर्षात् दूसरे मनुष्यपर उस कामका क्या असर होगा उसकी • करके। इस परिणामी मुस्पकी दृष्टि से भी बाउर मुहम्मदकी सेवाओं को कोई नहीं पाता। बात इतनी ही नहीं है कि श्री मुहम्मद मैठाक भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष है। वे दक्षिण माफ्रिकाके बहुत ही पुराने निवासी मी है। उनकी समझदारीका मुकाबला कर सकें ऐसे बहुत कम मारतीय दक्षिण आफ्रिका होंगे। वे ऐसे होसियार है कि यदि वे अंग्रेजी होठो बाब किसी बड़े परका उपभोग करते होते। उनकी व्यक्ति इवनी बच्ची है कि उससे बहुत से कोम सहज ही प्रभावित हो जाते है। उन्होंने बहुत अनुभव प्राप्त किया है। उन्होंने सैकड़ों रुपये कमाये है। अपनी माची अगवा बनसे उन्होंने अनेक कार्यों का प्रकार किया है। वे पुर पक्के मुसलमान है और दूवी को उनकी प्रतिष्ठा बहुत अधिक है। इन कारणोसे समके कामका परिणामी मूक्ष्म बहुत बड़ा हो गया है। हम नहीं मानते कि दक्षिण बालिकाका कोई भी भारतीय भी राज्य मुहम्मरको में पहने बेकर अपने आपको सुखी माता है। उनके बेसमें रहने काईको कमातार बारी रखता भारतीय समाजका हो गया है। इससे पाठक समझ सकते है कि श्री बाबद मुहम्मरका काम बहुत बड़ा है, और हम मासा करते है कि प्रत्येक भारतीय ऐसा ही समझकर मजासक्ति प्रयत्न करेगा और लड़ाई मदद देगा । यदि ऐसा किया जाये तो हम समझते हैं कि भी बाउर मुहम्मद और उनके साथियोंको में कदाचित मास भी नही बताने और यदि विवाने भी पढ़ें और उसके बाद फिरसे जेल जाना पड़े तो उससे भी होता है ? उससे उनकीकत और अधिक स्वामी होमी और हम कोगोंकी दो के बाहर है, अपकीति होगी। कौन भारतीय बेसके बाहर रहकर अपकीतिका पात्र होना चाहता है ? [ दुजरातीसे ] इंडियन ओपिनियन रोडेशियाकी जीत हम इस जंकमें यह खबर दे रहे हैं कि रोटेसियामें ट्रान्सबालके ढंगका जो कानून बनाया गया था उसे स्वीकृति नहीं दी गई है। इस कानूनका अस्वीकृत होना कोई छोटी बात नहीं है। हमें पाठकोंको स्मरण करा देना चाहिए कि इसके विरुद्धको अर्जी दी गई थी चसमें कानून पास कर दिये जानेपर भारतीय उसे स्वीकार न करेंगे इस जायका प्रस्तान मा सभी समझ सकते हैं कि इस कानूनके स्ीकृत होनेका मुख्य कारण ट्राम्सकी कहा है। भारतीय नई तसे ब्रिटिश सरकारको बहुत सचेत होकर काम करना पड़ता है। हम भाधा करत है कि भारतीय इस प्रकार प्राप्त की हुई ती एकदम को नहीं देंगे। इंडियन ओपिनियम १२-२-१९९ १२३ वान्तवाससे वाहरके भारतीयोंका कर्तव्य मेगी। उसी प्रकार यह भी जाता है कि जब उसमें भागनेवाले भारतीय बहुत कम रहेंगे। उनकी मदद करना ट्रान्सबामसे बाहरके भारतीमा दोहरा कर्तव्य हो गया है। ये सार्वजनिक समाएँ करके उनमें प्रस्ताव पास करके मदद कर सकते हैं। इससे उद्देश्य सिद्ध हगि - एक तो यह कि जो मिरे नहीं है उनको प्रोत्साहन मिलेगा और वो गिर गये है वे सामद फिर दूसरे कि उनकी समाओं और उनके प्रस्तावोस शासक-धर्म यह समझेमा किनमें सब भारतीयोंकी सहमति । प्रस्ताव पास करने बाबा अपनाइट करनेकीरत है। यह नहीं कहा जा सकता इसमेकी कितनी बहोमी भी रिचको पैसा भेजना जरूरी है। समिति भविष्य की है या नहीं इसपर हम महाँ विचार नहीं करते किन समितिका काम समेटने में कुछ नहीं दो महीने तक समितिको ठाने बकाना कोई चारा नहीं है। इसमें ट्रान्साकीबोरसे भी रिचको रूपमा वा चुका है, इसलिए 1 फिमहास] ट्रान्हवा बीर मा बचाना है। यह बोला अब दूसरे उपनिबेसकि भारतीयको उठाना चाहिए। हमारी दृष्टि मुस्मत नेटा ऊपर बाती है। नेठाल बनक इस समितिको बचा भामसेता गाया है। इसलिए हम बाधा कई कि वह इसणार भी अपना कर्तव्य पूरा करेगा । इंडियन ओपिनियन १३-२-१९०९ १२४ सघर्ष इस पत्र पाठक हमारे इस सप्ताह के स्वम्मसि बेलने कि सरकारने जब उन सत्या को एक-एक करके शुरू कर दिया है जो क्लिी विश्वस्त वीर सच्चे सिद्ध हो चुके हैं। इस सम्बन्ध में हमारा मा है कि सरकार सभी बसोंकी मोरसे बाईकी पा है। जिस पतिसे सरकार बढ़ रही है उससे हम जल्दी ही यदि सबको नहीं तो अधिकत समायोजेसमें पायेंगे। इस से सबको जप करने और सरकार स्वयं देख बेगी और उपनिषेसको भी दिखा देगी कि सच्चे सत्याग्रहियोंका उपनिषेसमें एसियाको बाइसे कोई सम्बन्ध नहीं है। मे भोखामट्टीको बढ़ावा देनेसे कोई सरोकार नहीं रखते। जिस बातकी ने परवाह करते है और जिसके लिए रहे हैं, वह है उस समाजकी नेकनामी जिसके सदस्य है और यदि सरकारको ऐसे कॉपको उनके जीवन पर कमें रखना पड़ता है तो यह सामोजी बहुत अनुकूस पड़ेगा। में रहनेपर मी चमके हार्मो समाजका सम्मान सुरक्षित रहेगा। उनकी पवित्र सपथका पारून हो जायेगा । ये जिस धर्मको मानते हैं उसका पासन कर सकेंगे। इससे अधिक मनुष्यसे बाधा मही की जा सकती। फिर सरकार चाहे तो इस बात के लिए अपने आपको सामाग्री से है कि उसने सत्याग्रहको ऐसी स्थिति का रखा है कि कोई हानि पहुंचा ही नहीं सकते। डेकिन तब ससार मान्दोमकी मिटाको दे सकेगा सो भी उस रूपमें जिस रूपमें बम्जमा नहीं देखा जा सकता। सत्याम्नहिबकि सम्पकोयर्मे पराजम-जैसा बन्द है ही नहीं। इसका सीधा-साधा कारण यह है कि सत्याग्रह पाठविक बक्की परीक्षा नहीं होती। पासविक की परीक्षा एकको तो बस्स हार माननी पड़ती है। इंडियन ओपिनियन २०-२-१९९ १२५ संविधान है यह हमे उतना ही कम बचता है। वह दस्तावेज प्रजातीय पूर्वग्रह प्रतिक्रियावाद और कमजोर जोड़-तोड़की गंबसे मरा हुवा मालूम होता है। हम उसे जितना पड़ते है उतना ही पता है कि उसमें सिद्धान्त नहीं है। उससे प्रकट होता है कि केपमें रंगदार मतदातामकि मताधिकार छीनकी बहुत बड़ी की गई थी और आज प्रधानका कोप है वास्तव में उसमें भी उनके मताधिकारसे वंचित किये जानेकी - बोड़ी ही हो - सम्भावना है। हमें मासूम हुआ है कि साम्राज्य सरकारने ३५ को पहले ही मंजूर कर किया है। हमने जो सबक सीखा है उसे बेलते हुए इसपर हमें कोई बचम्मा नहीं होता। नेटासके पानी रंगबार मतदाताबका मताधिकार सचमुच छीन किया गया है। संव-अधिनियमके मतभिषेसे उनके मामी विशेषाधिकार साकिन ये हैं और ये बिस्कुलपमेहूँ। फिर, १ जन
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बस्ती। गवर्नमेंट खेल और खिलाडियों को लेकर काफी संजीदा है इसलिए यूपी की योगी आदित्यनाथ की गवर्नमेंट द्वारा हर गांव में खेल मैदान बनवाने के साथ-साथ जिम भी बनाया जा रहा है। ताकि गांव से शहर तक कोई भी खिलाड़ी चाहे वो लड़की हो या लड़का उसकी प्रतिभा छुपी न रह सके। वहीं राष्ट्र के पीएम नरेन्द्र मोदी के पहल पर प्रतिभावान खिलाडियों को बेहतर मंच प्रदान करने के लिए राष्ट्र के हर संसदीय क्षेत्र में सांसद खेल महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। उसी क्रम में सालों से रिक्त बस्ती सत्यवान सिंह स्टेडियम में फिर से चहल-पहल शुरु हो गई है, मीडिया ने जब "बिना प्रशिक्षक कैसे होगी खिलाडियों की तैयारी" समाचार को उठाया तो जिला प्रशासन के पहल से शासन ने यहां पर बैडमिंटन के प्रशिक्षक की नियुक्ति कर दी है। अप्रैल 2020 से ही यहां पर बैडमिंटन न्यायालय में कोई भी प्रशिक्षक तैनात नहीं था, क्योंकि उसके पहले वाले प्रशिक्षक का अनुबंध खत्म हो गया था। लिहाजा बैडमिंटन के खिलाडियों में काफी निराशा थी और उनको प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा था। जिसकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी वो तो प्राइवेट कोच से बैडमिंटन की बारीकियां सिख लेते थे। लेकिन अब बस्ती स्टेडियम को बैडमिंटन का प्रशिक्षक मिल चुका है। खेल निदेशालय ने यहां पर अनुपम शुक्ला को बैडमिंटन को प्रशिक्षक बनाया है और अब खिलाडियों को प्रशिक्षण देने के लिए रजिस्ट्रेशन भी प्रारम्भ कर दिया गया है। आशा है की जल्द ही बैडमिंटन न्यायालय फिर से गुलजार हो सकेगा। बैडमिंटन खिलाड़ी प्रभात कुमार ने बताया कि हम लोग विगत तीन वर्षों से प्रशिक्षक न होने के कारण स्टेडियम में प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं। लेकिन अब यहां प्रशिक्षक आ चुके हैं जिससे हम खिलाडियों में बहुत खुशी और उल्लास है। क्षेत्रीय खेल अधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि स्टेडियम को बैडमिंटन के प्रशिक्षक मिल चुके हैं। खेल निदेशालय द्वारा आश्वासन मिला है की यहां पर जल्द ही क्रिकेट के प्रशिक्षक की भी तैनाती की जाएगी।
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विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने गुरुवार को दावा किया कि Delhi Police दिल्ली पुलिस ने उनका जेनरेटर सेट और सुखाने के लिए रखे गद्दे ले लिए हैं। प्रदर्शन स्थल के पास भारी पुलिस बल तैनात है। जेनरेटर सेट नहीं होने के कारण प्रदर्शनकारियों को अपना भाषण बिना माइक्रोफोन के देना पड़ा। एक पहलवान ने कहा, दिल्ली पुलिस हमारे उन गद्दों को ले गई है जिन्हें हमने सुखाने के लिए रखा था. उन्होंने हमारा जनरेटर सेट भी ले लिया है। धरना स्थल की ओर जाने वाली सड़कों पर भारी पुलिस बंदोबस्त था। बजरंग पूनिया ने बुधवार रात को किसानों और आम जनता के समर्थन की मांग करते हुए जंतर मंतर पहुंचने का आह्वान किया था। बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना को देखते हुए अधिक पुलिस बल को तैनात किया गया है। बुधवार की रात करीब 11 बजे जंतर-मंतर पर प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ उस समय हाथापाई हो गई, जब वे अपने रात्रि विश्राम के लिए फोल्डिंग चारपाई ला रहे थे। उनके पुराने गद्दे बारिश के कारण गीले हो गये थे। ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर इस बारे में पूछताछ शुरू कर दी थी। इसके बाद पुलिस और पहलवानों में झड़प शुरू हो गयी। दिल्ली पुलिस के कथित उजड्ड बर्ताव से निराश प्रदर्शनकारी पहलवानों ने गुरुवार को पद्मश्री सहित अपने सभी पदक सरकार को लौटाने की चेतावनी देते हुए कहा कि जब उन्हें इस तरह का अपमान सहना है तो राज्य के ये सम्मान अर्थहीन हैं। उल्लेखनीय है कि बुधवार रात करीब 11 बजे जंतर-मंतर पर पुलिस ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ कथित तौर पर मारपीट की। विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने कहा कि उनके साथ पुरुष पुलिस अफसरों ने गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की। उन्होंने कहा कि संगीता फोगाट के भाई दुष्यंत को इस दौरान चोटें भी आयीं। बजरंग पूनिया ने बुधवार रात पत्रकारों से कहा कि कुछ लोग बारिश के बाद सोने के लिये चारपाइयां लेकर आये थे, तभी पुलिस ने उन पर हमला कर दिया। नयी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त प्रणव तयाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती प्रदर्शन स्थल पर बिना अनुमति चारपाइयां लेकर आये थे। पुलिस के राेकने पर श्री भारती के समर्थक आक्रामक हो गये जिसके बाद झड़प शुरू हो गयी। उल्लेखनीय है कि पूनिया, फोगाट और मलिक सहित कई पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। बृजभूषण पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप हैं और प्रदर्शनकारी पहलवान उनकी गिरफ्तारी एवं जांच की मांग कर रहे हैं।
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खुदरा एक उच्च जोखिम और उच्च इनाम जीवनशैली है। जब मैं अपने परामर्श व्यवसाय में खुदरा विक्रेताओं से बात करता हूं और उन्हें व्यवसाय में अपने पहले कुछ वर्षों के बारे में पूछता हूं, तो वे हमेशा मुझे बताते हैं कि उन्होंने खुदरा स्टोर के स्वामित्व और संचालन की कठिनाई को कितना कम करके आंका। जबकि खुदरा सबसे छोटे व्यवसायों की तुलना में प्रवेश के लिए कम बाधाओं के साथ प्रवेश करना आसान है, वहीं सच है कि लोगों के एहसास के मुकाबले इसमें बहुत कुछ है। यदि आप खुदरा स्टोर खोलने पर विचार कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप जानते हैं कि आप स्वयं को क्या प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि यह लंबी अवधि में बहुत ही आकर्षक और पुरस्कृत हो सकता है, शुरुआत में, यह एक असली नारा हो सकता है। कोई भ्रम नहीं है कि पहले कुछ वर्षों में आसान होगा क्योंकि खुदरा बिक्री दिल की कमज़ोर नहीं है। आप बेचने के लिए एक व्यवसाय या उत्पाद चुनना चाहते हैं जिसे आप दृढ़ता से विश्वास करते हैं क्योंकि आपको कठिन समय के साथ उलझन में पड़ना होगा। और ग्राहकों के लिए तैयार रहें, जितना आप करते हैं या मूल्य देखते हैं, उतना ही आपके उत्पादों या सेवाओं से प्यार न करें। खुदरा बिक्री के कई हाइलाइट्स (और कमलाइट्स) हैं। आपका लाभ भिन्न हो सकता है, लेकिन ये अधिकांश खुदरा संगठनों, चाहे ईंट-मोर्टार या ऑनलाइन की बहुत सार्वभौमिक विशेषताएं हैं। इससे पहले कि आप कोई प्रतिबद्धता करें, इससे पहले कि आप अपने खुदरा व्यवसाय में हों, ज्यादातर चीजों के साथ, बाहर निकलना इतना आसान नहीं है। मेरे छोटे बेटे में पांच स्टोर थे जब मेरे बेटे ने मुझे बताया कि वह व्यवसाय नहीं लेना चाहता था। इसे बेचना बेहद मुश्किल था। और सालों बाद, मेरा नाम अभी भी कुछ बिल और ऋण से जुड़ा हुआ था, भले ही मैंने व्यवसाय बेचा। खुदरा स्वामित्व के कुछ पेशेवर और विपक्ष यहां दिए गए हैं। - आप बॉस बन जाते हैं । बेहतर या बदतर के लिए, हिरण आपके साथ, खुदरा मालिक बंद हो जाता है। आप नियम निर्धारित करते हैं, कर्मचारियों को किराए पर लेते हैं और अंततः मुनाफा कमाते हैं। - किसी कंपनी या अवधारणा से आप जीवित रहने में सक्षम होने के लिए यह बहुत अच्छी भावना है। - आप वायुमंडल और एक ऐसी कंपनी संस्कृति बना सकते हैं जिसे आप काम करना और खरीदारी करना चाहते हैं। - आप नए लोगों से मिलेंगे, भले ही ग्राहक, सहकर्मियों या प्रतिद्वंद्वियों और लगभग निश्चित रूप से कहीं अधिक सीख सकें। - आप लोगों को वास्तविक, मूर्त तरीके से मदद करने के लिए मिलता है। चाहे आपके सामान या सेवाएं उपलब्ध हों, आप अपने ग्राहकों के जीवन में एक अंतर डाल सकते हैं। - आप नौकरियां मुहैया करा सकते हैं और दूसरों को जीवन में अपने सपनों को भी समझने में मदद कर सकते हैं। - आप नागरिक क्षेत्र के भीतर व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले अपने स्थानीय समुदाय के कपड़े का हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन खुदरा कारोबार के मालिक होने के अच्छे के साथ-साथ बहुत अच्छा नहीं आता है। - मालिक होने के नाते कुछ तरीकों से एक प्लस और एक ऋण है क्योंकि स्वतंत्रता महान है, यह लगभग पूरी ज़िम्मेदारी के साथ आता है। हिरन आपके साथ रुक जाती है, इसलिए आपको अच्छे के साथ बुरा लेने के लिए तैयार रहना होगा। - फ्रेंचाइजी मार्ग पर जाने के बावजूद आपको लगभग निश्चित रूप से एक बड़ा नकद निवेश करना होगा। इसके अलावा, अपने सभी खुदरा व्यापार ऋण पर गारंटर बनने के लिए तैयार रहें - जिसका अर्थ है कि यदि आप व्यवसाय बंद करते हैं तो भी आप सभी बिलों के लिए जिम्मेदार होंगे। - यदि आप लंबे समय तक एलर्जी हैं और कम या कोई वेतन नहीं है, तो खुदरा व्यवसाय के साथ शुरू करने के लायक भी नहीं है, क्योंकि यह कम से कम पहले वर्ष के लिए ऐसा लगता है। - अवकाश? हो सकता है कि यदि आप एक व्यापार शो या सम्मेलन में जाते हैं, लेकिन अन्यथा, आपका व्यवसाय चलने के दौरान समय समाप्त हो गया है। रेस्टरूम की सफाई के लिए आपको नकद रजिस्टर बजाने से शायद बहुत सारे टोपी पहननी पड़ेगी। - और नए ग्राहकों से मिलते समय आमतौर पर एक सुखद अनुभव होता है, न कि सभी ग्राहक आपको प्यार करने जा रहे हैं। इसमें कुछ उपयोग किया जाएगा। इसी प्रकार कर्मचारियों को भर्ती करने के साथ, कभी-कभी आप एक कुत्ता पाने जा रहे हैं, और किसी को भी किसी को आग लगाना पसंद नहीं है। लेकिन यह शायद किसी बिंदु पर आप के लिए गिर जाएगी। - लाभ अर्जित करना शुरू करने के बाद भी, यदि यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसे आप पसंद करते हैं, तो आप शायद ऐसा महसूस न करें कि आप हमेशा अपनी हिरन के लिए सबसे ज्यादा धमाकेदार हो रहे हैं। यही कारण है कि एक व्यापार या व्यापार की एक रेखा चुनना बहुत महत्वपूर्ण है जिसके बारे में आप भावुक हैं, ताकि आप कठिन समय का मौसम कर सकें।
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अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर श्रीलाल नथमलजी जोशी पुस्तकालयो व ग्रन्थागारो को उपादेयता प्राज इतनो सुविदित है कि इस विषय मे कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं । इन सस्थाम्रो की स्थापना तो सरल है किन्तु सचालन कठिन । देश मे जितने प्रथागार हैं उनमें से अधिकाश राजकीय सरक्षरण प्राप्त हैं, कुछ का सचालन विविध संस्थान द्वारा होता है और इने - गिने भण्डार ऐसे हैं जो व्यक्तिगत प्रयासो के परिणाम हैं। श्री अभय जैन ग्रंथालय व्यक्तिगत प्रयास का एक सुन्दर प्रतिफल है जिसमे देश-विदेश के दिग्गजों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है । अनुकूल घरती मिलने पर बीज के प्रस्फुटित एव फलित होने मे देर नही लगती । बात स 1984 वि की है जब श्री जिनकृपाचन्द्र सूरिजी चातुर्मास के लिए बीकानेर पधारे और अपने प्रवचन मे उन्होंने प्राचीन ग्रथों एव पाण्डुलिपियो के सरक्षरण पर बल दिया ताकि मनीषियो द्वारा समाज को समर्पित ज्ञान-राशि का लोप न हो जाय । श्राचार्यश्री के श्रोता तो सहस्रों थे पर उनके वचनो को सहेज कर हृदयगम करने वाले केवल दो ही व्यक्ति थे - एक चाचा, दूसरा भतीजा । ये चाचा-भतीजा कांधलजी-वीकाजी के समान किसी भूखण्ड पर आधिपत्य जमा कर वहाँ अपना राज्य स्थापित करने के अभिलाषी नही, प्रत्युत तीव्र गति से निरन्तर काल-कवलित हो रही ग्रथ- राशि को संरक्षण देकर उनके दिवगत स्रष्टामो को अमरत्व प्रदान करने को आतुर थे- चाचा, अगरचन्द नाहटा, भतीजा, भवरलाल नाहटा । उस समय उस नाहटा युगल की आयु सत्रह साढे सोलह वर्ष थी -- एक श्रायु जिसमें समस्त उमगो के साथ उन दिनों गार्हस्थ्य जीवन में प्रवेश की तैयारी करते हुए स्वरिणम स्वप्नों का ससार बसाया जाता था, पर इसके सर्वथा विपरीत पूर्ण मक्रिय योगदान रहा है। ये स्थान-स्थान पर भ्रमण करते थे और वहाँ से ग्रन्थो को ला लावर इनको अपने अपने स्थानों पर सगृहीत किया करते थे । ये ग्रथ भण्डार प्राचीन युग मे पुस्तकालयो का काम भी देते थे। यहां बैठकर स्वाध्याय प्रेमीजन शास्त्रो का अध्ययन, लेखन का कार्य भी करते थे । इसीलिए इन भण्डारो मे धार्मिक जैन साहित्य के प्रतिरिक्त काव्य, पुराण, ज्योतिष, श्रायुर्वेद, कथा, मन्त्र-तन्त्र, गणित, अर्थशास्त्र प्रादि विषयों के भी ग्रंथ संग्रह किए जाते थे । राजस्थान में इस प्रकार के ग्रन्थ-भण्डारो की संख्या 200 से भी अधिक होगी। जिसका विस्तृत सर्वे करके उनकी सूचियाँ प्रकाशित की जा सके तो शोधजगत के अध्येताम्रो के लिए उपयोगी होगी । जयपुर प्रारम्भ से ही संस्कृति और साहित्य का केन्द्र रहा है । यहाँ लगभग 150 से अधिक ही जिन मन्दिर एव चैत्यालय हैं। इस नगर की स्थापना स 1784 मे महाराजा सवाई मानसिंह जी द्वारा की गई थी । महाराजा ने इसे साहित्य एव कला का केन्द्र भी बनाया तथा एक राजकीय पोथीखाने की स्थापना की जिसमे भारत के विभिन्न स्थानो से लाये गये सैकड़ो महत्वपूर्ण ग्रन्थ सगृहीत किए हुए हैं। जयपुर मे अनको बडे बडे विद्वान् हुए हैं जिन्होंने अपनी साहित्य-सर्जना द्वारा हिन्दी राजस्थानी भाषा के विकास के लिए सैकडो संस्कृत प्राकृत ग्रन्थो के अनुवाद तथा टीकाएँ लिखकर तथा ग्रन्थ भण्डारो को स्थापना कर उनमे पाण्डुलिपियो को सगृहीत कर प्राचीन साहित्य को सुरक्षित कर श्रमूल्य सेवा को है। जयपुर तथा नागौर के कुछेक जैन ग्रथ भण्डारो का सामान्य विवरण यहाँ देना समीचीन होगा । (1) प लूणकरण जी पाडया जयपुर का ग्रन्थ भण्डार - प लूणकरण जी जैन यति थे जो पाड्या के नाम से प्रसिद्ध थे । इनका जन्म स्थान या जीवन परिचय का विशेष विवरण उपलब्ध नहीं है । प लूणकरणजी भट्टारक जगत्कीत्ति एव प खीवसी के शिष्य थे । यह सग्रह प लूणकरण जी के मंदिर मे सगृहीत है जो प्राचीन एव प्रसिद्ध मन्दिर है। पण्डितजी स्वयं एक अच्छे साहित्यकार थे जिसके कारण इन्होने अच्छे अच्छे ग्रन्थो का संग्रह किया। इस ग्रन्थ भण्डार मे जैन साहित्य, दर्शन आदि के अतिरिक्त ज्योतिष, आयुर्वेद, काव्य साहित्य, मत्र-तत्र, धर्मशास्त्र आदि अनेको विषयो के ग्रंथ उपलब्ध हैं । इस ग्रथ भण्डार में 800 के लगभग । हस्तलिखित ग्रन्थ एव 225 गुटके हैं । संवत् 1407 मे लिखित 'परमात्म प्रकाश' नामक ग्रंथ इस संग्रह का प्राचीनतम ग्रथ है। इस संग्रह मे अनेको दुर्लभ सचित्र प्रतियाँ हैं जिनमें भट्टारक सकलकोत्ति का यशोधर चरित्र महत्वपूर्ण है । इसमे लगभग 35 चित्र हैं जो प्रसंगानुकूल कथा के आधार पर निर्मित है । ये चित्र मुगलकालीन शैली से प्रभावित, सुन्दर और कलापूर्ण हैं । इस ग्रथ के प्रतिरिक्त पद्मावती, महामृत्युञ्जय, ज्वालामालिनो, भैरव श्रादि के चित्र भी बड़े महत्त्वपूर्ण हैं जो मन्त्र शास्त्र एव विधि-विधानों के प्रथो में मिलते है । देवी-देवताप्रो के कुछ चित्र जैसे- गणेश, पद्मावती देवी, घरगेन्द्र पद्मावती, कालिका देवी, पद्मप्रभ तथा सोलह स्वप्न आदि बहुत ही आकर्षक हैं। इनके अतिरिक्त 50-60 के लगभग मन्त्री एव इतने ही व्रतो और मण्डलो के भी चित्र इस सग्रह में उपलब्ध हैं । कलिकुण्ड पार्श्वनाथ, सूर्यप्रताप यन्त्र, वच्चपंजर यत्र, तीजापौहूत यन्त्र व चतुष्पष्टियोगिनी आदि के चित्र भी इस संग्रह के उल्लेखनीय चित्र हैं । इस सग्रह मे कुछ प्रतियाँ रचनाकालीन समय को प्रतिलिपि होने के कारण भी अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। जैसे- वेष्ठन स. 131 पर सगृहीत बखतराम कृत बुद्धिविलास (रचनाकाल स. 1827) है जिसकी प्रतिलिपि का समय स. 1828 है। इसी प्रकार वेष्ठन स. 44 पर सगृहीत कवि भूधरदास रचित चर्चासमाधान जिसका लिपिकाल स. 1830 है, भी रचनाकालीन प्रति है । संस्कृत नाट्य का एक प्रकार 'व्यायोग' है जो कि बहुत ही अल्प मात्रा में प्राप्य है, इस दृष्टि से युवराज प्रह्लाद कृत पार्थपराक्रम व्यायोग संस्कृत भाषानिबद्ध वेष्ठन स. 122 पर सगृहीत है । इतिहास की दृष्टि से सवत् 1023 से लेकर सवत् 1891 तक के हुए जयपुर के शासकों का विस्तृत परिचय वेष्ठन स. 284 मे सगृहीत 'जयपुर शासको की वंशावली' तथा वेष्ठन सख्या 55 पर सगृहीत 'जैन बद्रो देश को पत्रिका' जिसमे हैदराबाद से मजलसराय ने पानीपत को पत्र लिखा था, कोई कम महत्त्वपूर्ण नही है । (2) बड़ा तेरहपथियों का जैन मन्दिर ग्रन्थ-मण्डारयह ग्रथ भण्डार बड़ा मन्दिर नाम से प्रसिद्ध है जो घी वालो का रास्ता, जयपुर में अवस्थित है। जयपुर नगर बसने के कुछ समय बाद ही इस मन्दिर
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महती गोधन न्याय योजना के तहत गोठानों में गोबर के साथ अब गोमूत्र की खरीदी भी की जाएगी। प्रदेश सहित जिले में हरेली त्योहार 28 जुलाई से इसकी शुरुआत की गयी है। chhattisgarhFri, 29 Jul 2022 12:10 AM (IST) दो सूत्री मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हड़ताली अधिकारी-कर्मचारियों ने गुरुवार को अपने हड़ताल के चौथे दिन की शुरुआत पारंपरिक तिहार हरेली के साथ की। धरना स्थल, गांधी मैदान में ही हरेली तिहार मनाया गया। chhattisgarhFri, 29 Jul 2022 12:06 AM (IST) जिला मुख्यालय का गरियाबंद नगर वर्षों से अव्यवस्थित है। नगर के बस स्टैंड और सप्ताहिक बाजार में यातायात की समस्या व्याप्त है। जिला बनने के बाद से ही लगातार बस स्टैंड और साप्ताहिक बाजार स्वच्छ सुव्यवस्थित करने की मांग की जा. . . chhattisgarhThu, 28 Jul 2022 12:12 AM (IST) शिक्षकों द्वारा छत्तीसगढ़ कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर पांच दिवसीय हड़ताल में चले जाने से स्कूलों में अध्यापन कार्य पूरी तरह से ठप न हो जाएchhattisgarhThu, 28 Jul 2022 12:10 AM (IST) गरियाबंद जिले के पाण्डुका वन परिक्षेत्र के ग्राम मुरमुरा में भालू का उत्पात जारी है। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ हैं। chhattisgarhThu, 28 Jul 2022 12:04 AM (IST) प्रदेश भाजयुमो के विशेष आमंत्रित सदस्य किशोर देवांगन ने भाठीगढ़ से वापस लौटे शिव भक्त के जत्थे का जोरदार स्वागत किया। घटोरिया माता घाट पर शिवभक्तों से मुलाक़ात कर उन्हें इस सफल यात्रा के लिय शुभकामनाएं दी। उन्होंने सभी कां. . . chhattisgarhWed, 27 Jul 2022 12:49 AM (IST) दो सूत्री मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे अधिकारी कर्मचारी के पांच दिवसीय हड़ताल में चले जाने का असर सीधे आम जनता पर पड़ रहा है। ग्राम पंचायत से लेकर जिला मुख्यालय तक, विभिन्ना विभागो में जनता से जुड़े काम पूरी रूक गए हैं। इसस. . . chhattisgarhWed, 27 Jul 2022 12:37 AM (IST) छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले विकासखंड मैनपुर में सभी विभागों के हजारों अधिकारी कर्मचारी अपने दो सूत्री मांग केंद्र के समान 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता को लेकर दूसरे दिन मंगलवार को भी काम ब. . . chhattisgarhWed, 27 Jul 2022 12:29 AM (IST) कुलेश्वर महादेव मंदिर के रास्ते पर पानी भर गया है। पहुंच मार्ग पर पानी भरने से मार्ग का गड्ढा अस्थाई तालाब बन गया है। इसके चलते भोलेनाथ के दर्शन व पूजन करने के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है। यह परेश. . . chhattisgarhWed, 27 Jul 2022 12:22 AM (IST) छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार स्कूलों में प्रत्येक शनिवार को बस्तामुक्त किया गया है। इस पर लोहरसी संकुल में विविध आयोजन हो रहे हैं। chhattisgarhTue, 26 Jul 2022 12:49 AM (IST)
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साथ का मेल हो जाना ही अधिक सम्भव है । मध्य युग में केवल भक्ति की धारा ही प्रधान नहीं थी । इस समय दो अन्य धारायें ये भी बल प्राप्त कर चुकी थीं। इनका संबंध धर्म से नहीं, साहित्य से था । थीं शृङ्गार रस और रीति की धारायें जिन्होंने भक्ति काल के बाद प्राधान्य प्राप्त कर लिया और रीति-काल का प्रादुर्भाव किया । सूर के काव्य-विषय ( कृष्ण-भक्ति ) को इन साहित्य-धाराओं और उनके अतिरिक्त युग की सामान्य प्रवृत्ति ( विलासप्रियता अथवा शृङ्गारप्रियता ) ने भी प्रभावित किया । यही कारण है कि सूर-साहित्य के भाव पक्ष में हमें भक्ति और शृङ्गार के दर्शन होते हैं और कला- पक्ष में रीति ( रस और अलंकार निरूपण ) के । इस सत्य को भुला कर सूर साहित्य पर अनैतिकता का दोष लगाया जाता है और उसमें हमें ऐसे पदों को स्थान प्राप्त करते हुये देखकर आश्चर्य होता है जो कूट, रस- निरूपण और अलंकारों के प्रदर्शन के लिये लिखे गये । परन्तु इसमें कोई आश्चर्य नहीं है । सूर-साहित्य पर अनेक प्रभाव पड़े हैं। इन प्रभावों की दृष्टि से सूर - साहित्य का विश्लेषण इस प्रकार हो सकता है( १ ) विनय के पद ( भक्ति की साधारण भावना - दास्य और म समर्पण - का प्रभाव ) । ( २ ) सामान्य रूप से सारे ग्रंथ को प्रभावित करने वाला भाव (कृष्ण की मधुर रूप की भक्ति ) । ) कृष्ण की बाल लीला का प्रसंग ( वल्लभ-सम्प्रदाय की धर्म भावना का प्रभाव ) । ( ४ ) राधा-कृष्ण प्रसंग ( मधुर भक्ति और युग की सामान्य प्रवृत्ति का प्रभाव अतः शृङ्गार रस की प्रधानता ) । ( ५ ) कूट-रस-निरूपण, नायिका-भेद, और अलंकारों को स्पष्ट करने वाले पद ( पूर्ववर्ती साहित्य और तत्कालीन रीति धारा का प्रभाव ) ।
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जायगा कहाँ ? पति पत्नीके प्यारको ठुकरा ही कैसे सकता है ? इसी प्रकार प्रभु भी अपने भक्तके प्यारका तिरस्कार कैसे कर सकते हैं ? ऐसा हो जानेपर उनसे हमारे बिना रहा ही कैसे जायगा १ वे तो सदा प्रेमके अधीन रहते हैं एक बार प्रभुको अपने प्रेम-पाशमे बॉध ले, फिर तो वे सदाके लिये बॅध जाते हैं। प्रभुको वशीभूत करनेका ढंग स्त्रीसे सीखना चाहिये । इसी प्रकारका सम्बन्ध उनसे जोड़ना चाहिये । यही माधुर्य - भाव है। बाहरका चेष न बदले, भीतर प्रेमकी प्रगाढता में उसीका बन जाय । यही उन्हें प्राप्त करनेका सर्वोत्तम उपाय है । प्रभु बड़े दयालु और उदारचित्त हैं। इसलिये थोडे प्रेमसे भी वे प्राप्त हो सकते हैं, किन्तु हमलोगोंको उपर्युक्त प्रेमको लक्ष्य बनाकर ही चलना चाहिये। क्योंकि उच्च लक्ष्य बनाकर चलनेसे ही प्रेमकी प्राप्ति होती है । यदि लक्ष्यके अनुसार पूर्ण प्रेम हो जाय तब तो अत्यन्त सौभाग्यकी बात है, ऐसे पुरुष तो आदर्श एव दर्शनीय समझे जाते हैं, उनके कृपाकटाक्षसे दूसरे भी कृतकृत्य हो जाते हैं, फिर उनकी तो बात ही क्या ? @+पमम झ परम शान्ति परमात्मा समस्त भूतोंकी आत्मा हैं, सर्वव्यापी और सर्वान्तर्यामी हैं, इसलिये सबकी सेवा भगवान्की ही सेवा है, इस बातके समझ लेनेपर मनुष्य परमात्माको यथार्थरूपसे जानकर परमात्माको प्राप्त हो सकता है परन्तु ध्यान रखना चाहिये कि जो इस प्रकार परमात्माको जानता है वह पुरुष किसी भी सेवा करनेयोग्य पुरुषकी सेवा करता हुआ, पूजनेयोग्यकी पूजा करता हुआ उस सेवा पूजाको भगवान्की ही सेवा-पूजा समझता है और उसे उसी आनन्द और शान्तिका अनुभव होता रहता है जो भगवान्की सेवा पूजासे हुआ करता है। राजा रन्तिदेवकी भाँति वह इस बातको अच्छी तरह समझता है कि एक भगवान् ही अनेक रूपोंमें प्रकट होकर अपने प्यारे प्रेमी के प्रेमपूर्वक किये हुए दान, यश, सेवा और पूजन आदिको ग्रहण करते हैं । महाराज रन्तिदेव राजा नरके पौत्र और राजा सकृतिके पुत्र थे। इनकी महिमा स्वर्ग और पृथ्वी दोनों लोकोंमें, प्रसिद्ध है। एक बार सारी सम्पत्तिका सम्पूर्णतया दान करके राजा रन्तिदेव निर्धन होकर सपरिवार भूखके मारे कृश हो गये। उन्हें लगातार अड़तालीस दिनतक अन्नकी तो बात ही क्या, जलतक पीनेको न मिला । सारा परिवार आहारके अभावमे कष्ट पाने लगा। धर्मात्मा राजाका कृश शरीर भूख-प्यासके मारे कॉपने लगा। उन्चासवें दिन उन्हें घीसहित खीर, हलुआ और जल प्राप्त हुआ। राजा परिवारसमेत भोजन करना ही चाहते थे कि उसी समय एक अतिथि ब्राह्मण आ गये । सबमें हरिके दर्शन करनेवाले राजाने श्रद्धा और सत्कारपूर्वक ब्राह्मणदेवताको भोजन दे दिया । ब्राह्मण भोजन करके चले गये । राजा बन्चे हुए अन्नको अपने परिवारमे बॉटकर भोजन करनेका विचार कर रहे थे कि इतनेमें एक शूद्र अतिथि आ परमात्माके ज्ञानले परम शान्ति ५३५ पहुॅचा। रन्तिदेवने भगवान् हरिका स्मरण करके बचे हुए अन्नमें से उस अतिथिको भी भोजन करा दिया। भोजन करके शूद्र अतिथि गया ही था कि एक और अतिथि अपने कुत्तोसहित आया और बोला- 'राजन् । मै और मेरे ये कुत्ते भूखे है । हमलोगोको भोजन दीजिये ।" राजाने उसका भी सम्मान किया और आदरपूर्वक बचा हुआ अन्न उसको और उसके कुत्तोंको खिला दिया। अब केवल एक मनुष्यकी प्यास बुझ सके इतना जल ही बच रहा था। राजा उसे पीना ही चाहते थे कि अकस्मात् एक चाण्डाल आया और दीनस्वरसे पुकारने लगा-महाराज । मैं बहुत ही थका हुआ हूँ, मुझ नीचको पीने के लिये थोड़ा जल दीजिये । उसके करुणाभरे शब्द सुनकर और उसे थका हुआ देखकर राजाको बड़ी दया आयी और स्वय प्यासके मारे मृतप्राय रहते हुए भी उन्होंने यह जल उसको दे दिया। ब्रह्मा, विष्णु और महादेव ही राजा रन्तिदेवके धर्मकी परीक्षा लेनेके लिये मायाके द्वारा ब्राह्मणादिका वेष बनाकर आये थे। राजाका धैर्य और उदारता देखकर तीनों बहुत ही सन्तुष्ट हुए और उन्होंने अपने निज स्वरूपसे राजाको दर्शन दिये। महाराज रन्तिदेवने साक्षात् परमात्मस्वरूप उन तीनोको प्रणाम किया । और उनके इतने अधिक सन्तुष्ट होनेपर भी उनसे तत्त्व - चिन्तामणि भाग ४ राजाने कोई वरदान नही माँगा । राजाने आसक्ति और स्पृहाका त्याग करके मनको केवल भगवान् वासुदेवमें लगा दिया । इस प्रकार भगवान्मे तन्मय हो जाने के कारण त्रिगुण ( सत्व, रज, तम ) मयी माया उनके निकट स्वप्नके समान अन्तर्हित हो गयी। रन्तिदेवके सड़के प्रभावसे उनके परिवारके सब लोग नारायणपरायण होकर योगियोंकी परम गतिको प्राप्त हो गये । भगवान् सर्वशक्तिमान् है, सर्वज्ञ एव क्षर और अक्षर दोनोंसे अत्यन्त श्रेष्ठ हैं। ईश्वरोके भी महान् ईश्वर हैं और अनन्तकोटि ब्रह्माण्डोंके स्वामी हैं। उनसे बढकर ससारमें कोई भी नही है । जब इस प्रकारसे मनुष्य समझ जाता है तो फिर वह भगवान्को ही भजता है, क्योंकि भगवान् स्वयं कहते हैं-यो मामेवमसमूढो जानाति पुरुषोत्तमम् । स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत ॥ ( गीता १५ । १९ ) 'हे भारत । इस प्रकार तत्त्वसे जो ज्ञानी पुरुष मुझको पुरुषोत्तम जानता है, वह सर्वज्ञ पुरुष सब प्रकारसे निरन्तर मुझ वासुदेव परमेश्वरको ही भजता है।" परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति यह बात लोकमें भी प्रसिद्ध है कि मनुष्य अपनी बुद्धिमे जिस वस्तुको सबसे बढकर समझता है उसीको ग्रहण करता है। मान लीजिये कोई एक राजाधिराज अपने मनके अनुकूल चलनेवाले एक अत्यन्त प्रेमी गरीब सेवकको उसके कार्य से प्रसन्न होकर कुछ देना चाहता है। उसके यहाँ एक ओर कोयले, ककड, पत्थर आदिके ढेर लगे हैं, दूसरी ओर तॉबा, लोहा, पीतल आदि धातुओके ढेर हैं; कहीं चॉदी और रुपयोंकी राशि है, कहीं सोना और सोनेकी मोहरें जमा हैं और कहीं बहुत-से हीरे, पन्ने, नीलम, माणिक आदि बहुमूल्य रत्न रक्खे हैं । वह राजा कहता है कि इनमेंसे जो भी चीज तुम्हे पसद हो, अभी सबेरेसे लेकर शामतक जितनी ले जा सको ढोकर ले जा सकते हो । आप विचारकर बताइये कि जरा भी समझदार आदमी क्या हीरे-माणिक आदि रत्नोंको छोड़कर कंकड़, पत्थर ढोनेमें अपने समयका एक क्षण भी बितावेगा ? कभी नहीं । फिर भला, भगवान्के तत्व, रहस्य, प्रभाव और गुणोंको जाननेवाला भगवान्का भक्त, भजन-ध्यानादि बहुमूल्य रत्नोंको छोड़कर ससारके विषय रूप ककड़-पत्थरोंमे अपना एक क्षण भी क्यों नष्ट करेगा ? यदि वह आनन्दमय परमात्माको छोडकर ससारके नाशवान् विषयमोगोंके सेवनमें अपने जीवनका अमूल्य समय लगाता है तो समझना तत्त्व - चिन्तामणि भाग ४ चाहिये कि उसने सर्वशक्तिमान् सर्वेश्वर परमात्मा के महान् प्रभाव और रहस्यको समझा ही नहीं । दीनबन्धु, पतितपावन, सर्वज्ञ परमात्मा समस्त गुणोंके सागर हैं । कृपा और प्रेमकी तो वे साक्षात् मूर्ति ही हैं। इस प्रकार परमात्माके गुणोंके तत्त्वको जाननेवाला पुरुष निर्भय हो जाता है। उसके आनन्द और शान्तिका पार नही रहता। इसपर यदि कोई कहे कि जब ऐसी बात है कि भगवान् प्रेम और कृपाकी मूर्ति हैं तो उनकी अपार और अपरिमित कृपा सभीके ऊपर होनी चाहिये और यदि है तो फिर हमको सुख और शान्ति क्यो नही मिलती ? इसका उत्तर यह है कि प्रभु निश्चय ही अपार और असीम कृपाके सागर हैं और उनकी वह कृपा सभीपर है, परन्तु सच्ची बात तो यह है कि हमलोग ऐसा विश्वास ही नहीं करते । प्रभुकी समस्त जीवोंपर इतनी दया है कि जिसका हम अनुमान भी नहीं कर सकते । हमलोग जितनी दयाका अनुमान करते हैं, उससे अत्यन्त ही अधिक और अपार दया सभी जीवोंपर है किन्तु उस अनन्त दयाके तत्त्व और प्रभावको न जाननेके कारण हम इस बातपर विश्वास नहीं करते और इसी कारण उस नित्य और अपार दयाके फलस्वरूप सुख और शान्तिसे वञ्चित रह जाते हैं । यद्यपि भगवान्की दया सामान्यभावसे सभी जीवोंपर है परन्तु परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५३९ मुक्तिका खास अधिकारी होनेके कारण मनुष्य उस दयाका विशेष पात्र है । मनुष्योमे भी वही विशेष अधिकारी है जो उस दयाके रहस्य और प्रभावको जाननेवाला है । जैसे सूर्यका प्रकाश समभावसे सर्वत्र होनेपर भी उज्ज्वल होनेके कारण कॉच उसका विशेष पात्र है, क्योंकि वह सूर्यका प्रतिबिम्ब भी ग्रहण कर लेता है और काँचोमें भी सूर्यमुखी कॉच तो सूर्यकी शक्तिको लेकर वस्त्रादि पदार्थोको जला भी डालता है। इसी प्रकार सब जीवोपर प्रभुकी दया समानभावसे रहते हुए भी जो मनुष्य उस दयाके तत्त्व और प्रभावको विशेषरूपसे जानते हैं वे तो उस दयाके द्वारा समस्त पाप-तापोको सहज ही भस्म कर डालते हैं । ज्यों-ही-ज्यों प्रभुकी दयाके तत्त्व और प्रभावको मनुष्य अधिक-से-अधिक जानता चला जाता है, त्यों-ही-त्यों उसके दुःख, दुर्गुण और पापोंका नाश होता चला जाता है और फलतः वह निर्भय और निश्चिन्त होकर परम शान्ति और परमानन्दको प्राप्त हो जाता है । मान लीजिये एक धर्मात्मा और जानी राजा थे । अपनी प्रजापर उनकी स्वाभाविक ही बडी भारी दया थी; किन्तु सब लोग इस बातको नहीं जानते थे । वे अपने मन्त्रिमण्डल और गुप्तचरोंद्वारा अपनी असहाय और दीन-दुखी प्रजाकी हर समय खबर रक्खा करते थे और तत्त्व- चिन्तामणि भाग ४ सबको यथायोग्य सहायता पहुॅचाया करते थे। उनकी राजधानीमे एक क्षत्रिय बालक रहता था, जो बहुत ही सुशील, सदाचारी, बुद्धिमान् और चतुर था तथा राजामे उसकी भक्ति थी । उसके माता-पिता उसे छोटी अवस्थामे ही छोड़कर चल बसे थे । उस बालकने अपने माता-पितासे सुनकर पहलेसे ही यह समझ रक्खा था कि हमारे राजा बड़े ही दयालु और अनाथरक्षक हैं इसलिये जब माता-पिता मरे तब उसे जितनी चिन्ता होनी चाहिये थी, उतनी नहीं हुई । वह समझता था कि दयालु राजा आप ही मेरी व्यवस्था कर देंगे । वह बालक स्कूलमे पढता था। उसके सहपाठियोने उसे अनाथ होनेपर भी निश्चिन्त देखकर पूछा कि 'तुम्हारे माता-पिता तो मर गये अब तुम्हारा निर्वाह कैसे होगा ?" लड़केने उत्तर दिया कि हमारे राजा बड़े दयालु है, वे स्वय ही सारी व्यवस्था कर देंगे ।" यह बात गुप्तचरोके द्वारा राजाके कानतक पहुँची। राजाने मन्त्रियोके द्वारा उसका पता लगाया । मन्त्रियोंने कहा कि 'वह बालक बडा ही सुन्दर, सुशील, सदाचारी, धर्मात्मा, बुद्धिमान् और राजभक्त है। उसके माता-पिता मर गये हैं, इसलिये इस समय वह सर्वथा अनाथ हो गया है । अब उसे केवल आपका ही एकमात्र भरोसा है ।" राजाने पूछा कि 'उसके लिये क्या प्रबन्ध किया जाय ?" परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५४१ मन्त्रियोने कहा 'जो सरकारकी इच्छा ।" राजाने उसके खान-पान और विद्याध्ययनके लिये प्रबन्ध करनेकी और रहनेके लिये मकान बनवा देनेकी आज्ञा दे दी। राजाकी इस उदारतासे मन्त्रीलोग बहुत प्रसन्न हुए । यह बात जब उस बालकके कानोतक पहुॅची तो उसके आनन्दका पार ही नहीं रहा । उसकी भक्ति राजामे और भी बढ़ गयी, साथ ही विश्वास भी दूना - चौगुना हो गया । एक दिन जब वह लड़का स्कूलमे पढता था तो उसके किसी प्रेमी सहपाठीने आकर दुखी मनसे कहा कि 'भैया । तुमसे ऐसा क्या अपराध हो गया है जो राजाके सिपाही तुम्हारी झोंपड़ी तुडवा रहे हैं १५ बालकने बहुत प्रसन्नतासे उत्तर दिया कि 'भाई । राजाकी मुझपर बड़ी भारी दया है । सम्भव है वे झोपडीको तुड़वाकर मेरे लिये अच्छा मकान बनवा दें !" यह बात भी गुप्तचरोद्वारा राजातक पहुॅची। राजाका प्रेम लड़केके प्रति और भी बढ गया । एक दिन राजाने अपने मन्त्रियोसे पूछा कि 'आपलोग जानते हैं, मै अब वृद्ध हो चला हूँ । मेरे कोई पुत्र नहीं है, इसलिये अब युवराजपद किसे दिया जाय ११ मन्त्रियोने कहा 'जिसे सरकार योग्य समझें ।' राजाने कहा कि 'मैने तो उस अनाथ क्षत्रिय-बालकको, तत्त्व- चिन्तामणि भाग ४ जिसकी आपलोग सदा प्रशसा करते रहे हैं, इस पदके योग्य समझा है । आपलोगोंकी क्या सम्मति है ११ बस इतना कहनेकी देर थी, तमाम मन्त्रियोंने एक स्वरसे कहा'हॉ, सरकार, बड़ी अच्छी बात है । वह कुमार बहुत ही सुन्दर, सुशील, सच्चरित्र, बुद्धिमान् राजभक्त और धर्मात्मा है । वह सब प्रकारसे युवराजपदके योग्य है । हमलोगोने भी उसीको इस पदके योग्य समझा सबकी बात सुनकर राजाने उसे युवराज बनाना निश्चित कर लिया । यह बात राज्यके उच्च पदाधिकारियों को भी विदित हो गयी। एक दिन कुछ बड़े-बड़े अफसर उस बालकके घर गये । बालकने उनका बडा आदर सत्कार किया। अफसर बोले, 'आपपर महाराजा साहबकी बहुत भारी कृपा है ।' क्षत्रियकुमारने कहा- मै इस बातको भलीभाँति जानता हूँ कि सरकारकी मुझपर बड़ी भारी कृपा है, तभी तो उन्होने मेरे भोजन, वस्त्र, पठन-पाठन और जमीन मकानका सब प्रबन्ध कर दिया है। अफसर बोले - 'इतना ही नहीं, आपपर महाराजा साहबकी बहुत भारी कृपा है, इतनी कृपा है कि जिसे आप कल्पनामें भी नहीं ला सकते ।" लड़का कहने लगा- 'क्या महाराजा साहबने मेरे विवाहका खर्च देना भी मजूर कर लिया " बात है, महाराजा परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति साहबकी तो आपपर बहुत भारी दया है।' बालकने कहा- 'क्या महाराजा साहब मुझे दो-चार गॉव देना चाहते ११ अफसर बोल उठे-'यह भी कुछ नहीं ।" बालकने पूछा- 'बतलाइये न, क्या महाराजा साहबने दस-बीस गॉवोंकी जागीर देनेका निश्चय किया है ?" अफसर बोले'सरकारकी आपपर इससे भी बहुत अधिक दया है।' बालकने कहा- 'मै तो इसके आगे कुछ नहीं जानता, आप ही बताइये कि क्या बात है १" अफसरोंने कहा -"क्या - कहें, हम सभी लोग सदा अपने ऊपर आपकी कृपा चाहते हैं।' बालकने कहा- 'ऐसा न कहिये, मै तो आप सबका सेवक हूँ, आपलोगोंकी कृपासे ही महाराजकी मुझपर कृपा हुई है, महाराजा साहबकी विशेष दयाकी बात बतलाइये।" अफसरोंने कहा कि हमने तो आपको बता दिया कि हमलोग सदा आपकी कृपा चाहते हैं। क्या आप हमारे कथनका अर्थ नहीं समझे १" कुमारने कहा-'कृपा करके स्पष्ट बतलाइये ।" वह बेचारा अनाथ बालक यह कल्पना भी कैसे करता कि महाराजा साहब मुझे अपने राज्यका उत्तराधिकारी बनाकर युवराजपदतक दे सकते हैं । अफसर बोल उठे -'श्रीमान्ने आपको युवराज तत्त्व-चिन्तामणि भाग ४ बनाया है ।" सुनते ही बालक आश्चर्यमें भरकर बोल उठा - 'युवराज बनाया है ?" अफसरोंने कहा - 'जी हॉ युवराज बनाया है ।" अब बालकके आनन्दका पार नहीं रहा । वह आनन्दमुग्ध हो गया । यह तो दृष्टान्त है। इसे दान्तमें इस प्रकार घटाना चाहिये । यहाँ भगवान् राजा हैं, साधक क्षत्रियबालक है, भगवद्भक्ति ही राजभक्ति है, साधकका 'योगक्षेम ही खान पान मकान आदि व्यवस्था है। भगवत्प्राप्त पुरुष ही मन्त्री हैं । दैवीसम्पदाप्राप्त मुमुक्षु पुरुष ऊँचे अफसर हैं और भक्तशिरोमणि कारक- पुरुषोका सर्वोच्च पद ही युवराजपद है । इस प्रकार जो साधक परमपिता परमात्माकी असीम दयाका अनुभव कर उसके प्रत्येक विधानमें पद पदपर आह्लादित होता रहता है, वह इस अविनाशी युवराजपद का अधिकारी बन जाता है । इसलिये हमलोगोंको उचित है कि परम गान्ति और परमानन्दकी प्राप्तिके लिये उन सर्वव्यापी, सर्वान्तर्यामी सर्वशक्तिमान्, परम दयालु और सबके सुहृद् परमेश्वरको उनके स्वरूप, प्रभाव और गुणोंके सहित जाननेकी चेष्टा करें । भगवान् श्रीकृष्णने गीतामें कहा हैपरमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५४५ भोक्तारं यशतपसां सर्वलोकमहेश्वरम् । सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति ॥ 'मेरा भक्त मुझको सब यज्ञ और तपोका भोगनेवाला, सम्पूर्ण लोकोके ईश्वरोका भी ईश्वर तथा सम्पूर्ण भूतप्राणियोका सुहृद् अर्थात् स्वार्थरहित दयालु और प्रेमी, ऐसा तत्त्वसे जानकर शान्तिको प्राप्त होता है।" प्रश्न - 'यज्ञ' और 'तप' से क्या समझना चाहिये, भगवान् उनके भोक्ता कैसे हैं और उनको भोक्ता जाननेसे मनुष्यको शान्ति कैसे मिलती है ? उत्तर - अहिंसा, सत्य आदि धर्मों ( यम-नियमों ) का पालन, देवता, ब्राह्मण, माता-पिता आदि गुरुजनोंका सेवन-पूजन, दीन-दुखी, गरीब और पीड़ित जीवोंकी स्नेह और आदरयुक्त सेवा और उनके दु.खनाशके लिये किये जानेवाले उपयुक्त साधन एव यज्ञ, दान आदि जितने भी शुभ कर्म हैं, सभीका समावेश 'यज्ञ' और 'तप' शब्दोमे समझना चाहिये । भगवान् सबके आत्मा हैं ( १० । २० ); अतएव देवता, ब्राह्मण, दीन-दुखी आदिके रूपमें स्थित होकर भगवान् ही समस्त सेवा-पूजादि ग्रहण कर रहे हैं । इसलिये वस्तुत. वे ही समस्त यज्ञ और तपोंके त० भा० ४-१८तत्त्व- चिन्तामणि भाग ४ भोक्ता हैं ( ९ । २४ ) । भगवान्के तत्त्व और प्रभावको न जाननेके कारण ही मनुष्य जिनकी सेवा पूजा करते हैं, उन देव-मनुष्यादिको ही यज्ञ और सेवा आदिके भोक्ता समझते हैं, इसीसे वे अल्प और अविनाशी फलके भागी होते हैं ( ७ । २३ ) और उनको यथार्थ शान्ति नहीं मिलती। परन्तु जो पुरुष भगवान्के तत्त्व और प्रभावको जानता है, वह सबके अदर आत्मरूपसे विराजित भगवान्को ही देखता है । इस प्रकार प्राणिमात्रमें भगवद्बुद्धि हो जानेके कारण जब वह उनकी सेवा करता है, तब उसे यही अनुभव होता है कि मैं देव-ब्राह्मण या दीन-दुखी आदिके रूपमें अपने परम पूजनीय, परम प्रेमास्पद सर्वव्यापी श्रीभगवान्की ही सेवा कर रहा हूँ । मनुष्य जिसको कुछ भी श्रेष्ठ या सम्मान्य समझता है, जिसमें थोड़ी भी श्रद्धा-भक्ति होती है, जिसके प्रति कुछ भी आन्तरिक सच्चा प्रेम होता है, उसकी सेवामें उसको बड़ा भारी आनन्द और विलक्षण शान्ति मिलती है। क्या पितृभक्त पुत्र, स्नेहमयी माता और प्रेमप्रतिमा पत्नी अपने पिता, पुत्र और पतिकी सेवा करनेमे कभी थकते हैं ? क्या सच्चे शिष्य या अनुयायी मनुष्य अपने श्रद्धेय गुरु या पथदर्शक महात्माकी सेवासे किसी भी कारणसे हटना चाहते हैं ? जो पुरुष या स्त्री जिनके लिये गौरव, प्रभाव या प्रेमके पात्र होते हैं, उनकी सेवाके लिये परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति उनके अंदर क्षण-क्षण में नयी-नयी उत्साह-लहरी उत्पन्न होती है, ऐसा मन होता है कि इनकी जितनी सेवा की जाय उतनी ही थोड़ी है। वे इस सेवासे यह नहीं समझते कि हम इनका उपकार कर रहे हैं। उनके मनमें इस सेवासे अभिमान नही उत्पन्न होता, वर ऐसी सेवाका अवसर पाकर वे अपना सौभाग्य समझते है और जितनी ही सेवा बनती है, उनमे उतनी ही विनयशीलता और सच्ची नम्रता बढ़ती । वे अहसान तो क्या करें, उन्हे पद-पदपर यह डर रहता है कि कहीं हम इस सौभाग्यसे वञ्चित न हो जाये । वे ऐसा इसीलिये करते हैं कि इससे उन्हें अपने चित्तमें अपूर्व शान्तिका अनुभव होता है, परन्तु यह शान्ति उन्हें सेवासे हटा नहीं देती, क्योंकि उनका चित्त निरन्तर आनन्दातिरेकसे छलकता रहता है और वे इस आनन्दसे न अधाकर उत्तरोत्तर अधिक-से-अधिक सेवा ही करना चाहते हैं। जब सासारिक गौरव, प्रभाव और प्रेममें सेवा इतनी सञ्ची, इतनी लगनभरी और इतनी शान्तिप्रद होती है, तब भगवान्का जो भक्त सबके रूपमें अखिल जगत्के परमपूज्य, देवाधिदेव, सर्वशक्तिमान् परम गौरव तथा अचिन्त्य प्रभावके नित्य धाम अपने परम प्रियतम भगवान्को पहचानकर अपनी विशुद्ध सेवावृत्तिको हृदयके सच्चे विश्वास और अविरल प्रेमको निरन्तर उन्हींकी ओर बहनेवाली पवित्र और सुधामयी मधुर धारा में पूर्णतया डुबा-डुबाकर उनकी पूजा करता है, तब उसे कितना और कैसा अलौकिक आनन्द तथा कितनी और कैसी अपूर्व दिव्य शान्ति मिलती होगी- इस बातको कोई नहीं बतला सकता । जिनको भगवत्कृपासे ऐसा सौभाग्य प्राप्त होता है, वे ही वस्तुतः इसका अनुभव कर सकते हैं। प्रश्न-भगवान्को 'सर्वलोकमहेश्वर' समझना क्या है और ऐसा समझनेवालेको कैसे शान्ति मिलती है ? उत्तर - इन्द्र, वरुण, कुबेर, यमराज आदि जितने भी लोकपाल हैं तथा विभिन्न ब्रह्माण्डोंमें अपने-अपने ब्रह्माण्डका नियन्त्रण करनेवाले जितने भी ईश्वर हैं, भगवान् उन सभीके स्वामी और महान् ईश्वर हैं। इसीसे श्रुतिमें कहा है- 'तमीश्वराणा परम महेश्वरम्' 'उन ईश्वरोंके भी परम महेश्वरको' ( श्वे० उ० ६ । ७ ) । अपनी अनिर्वचनीय मायाशक्तिद्वारा भगवान् अपनी लीलासे ही सम्पूर्ण अनन्त कोटि ब्रह्माण्डोंकी उत्पत्ति, स्थिति और सहार करते हुए सबको यथायोग्य नियन्त्रणमें रखते हैं और ऐसा करते हुए भी वे सबसे ऊपर ही रहते हैं। इस प्रकार भगवान्को सर्वशक्तिमान्, सर्वनियन्ता, सर्वाध्यक्ष और सर्वेश्वरेश्वर समझना ही उन्हें 'सर्वलोकमहेश्वर' समझना है । इस परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५४९ प्रकार समझनेवाला भक्त भगवान्के महान् प्रभाव और रहस्यसे अभिज्ञ होनेके कारण क्षणभर भी उन्हें नहीं भूल सकता। वह सर्वथा निर्भय और निश्चिन्त होकर उनका अनन्य चिन्तन करता है । शान्ति में विघ्न डालनेवाले काम-क्रोधादि शत्रु उसके पास भी नहीं फटकते। उसकी दृष्टि में भगवान्से बढ़कर कोई भी नहीं होता। इसलिये वह उनके चिन्तनमें सलग्न होकर नित्य-निरन्तर परम शान्ति और आनन्दके महान् समुद्र भगवान्के ध्यानमें ही डूबा रहता है । प्रश्न - भगवान् सब प्राणियोंके सुहृद् किस प्रकार हैं और उनको सुहृद् जाननेसे शान्ति कैसे मिलती है ? उत्तर- सम्पूर्ण जगत् में कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जो भगवान्को न प्राप्त हो और जिसके लिये भगवान्का कही किसीसे कुछ भी स्वार्थका सम्बन्ध हो । भगवान् तो सदा सर्वदा सभी प्रकारसे पूर्णकाम हैं ( ३ । २२ ), तथापि दयामयस्वरूप होनेके कारण वे स्वाभाविक ही सबपर अनुग्रह करके सबके हितकी व्यवस्था करते हैं और बारबार अवतीर्ण होकर नाना प्रकारके ऐसे विचित्र चरित्र करते हैं, जिन्हें गा-गाकर ही लोग तर जाते हैं। उनकी प्रत्येक क्रियामें जगत्का हित भरा रहता है । तत्त्व- चिन्तामणि भाग ४ जिनको मारते या दण्ड देते हैं उनपर भी दया ही करते हैं, उनका कोई भी विधान दया और प्रेमसे रहित नहीं होता । इसीलिये भगवान् सब भूतोंके सुहृद् हैं। लोग इस रहस्यको नहीं समझते, इसीसे वे लौकिक दृष्टिसे इष्टअनिष्टकी प्राप्तिमे सुखी-दुखी होते रहते हैं और इसीसे उन्हे शान्ति नहीं मिलती। जो पुरुष इस बातको जान लेता है और विश्वास कर लेता है कि 'भगवान् मेरे अहैतुक प्रेमी हैं, वे जो कुछ भी करते हैं, मेरे मङ्गलके लिये ही करते हैं। वह प्रत्येक अवस्थामे जो कुछ भी होता है, उसको दयामय परमेश्वरका प्रेम और दयासे ओतप्रोत मजलविधान समझकर सदा ही प्रसन्न रहता है। इसलिये उसे अटल शान्ति मिल जाती है। उसकी शान्तिमें किसी प्रकारकी भी बाघा उपस्थित होनेका कोई कारण ही नहीं रह जाता । ससारमे यदि किसी साधारण मनुष्यके प्रति, किसी शक्तिशाली उच्चपदस्थ अधिकारी या राजामहाराजाका सुहृद्भाव हो जाता है और वह मनुष्य यदि इस बातको जान लेता है कि अमुक श्रेष्ठ शक्तिसम्पन्न पुरुष मेरा यथार्थ हित चाहते है और मेरी रक्षा करनेको प्रस्तुत हैं तो यद्यपि उच्चपदस्थ अधिकारी या राजामहाराजा सर्वथा स्वार्थरहित भी नहीं होते, सर्वशक्तिमान् भी नहीं होते और सबके स्वामी भी नहीं होते तथापिपरमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५५१ वह अपनेको बहुत भाग्यवान् समझकर एक प्रकारसे निर्मय और निश्चिन्त होकर आनन्दमे मग्न हो जाता है, फिर यदि सर्वशक्तिमान् सर्वलोकमहेश्वर, सर्वनियन्ता, सर्वान्तर्यामी, सर्वदर्शी, अनन्त अचिन्त्य गुणोंके समुद्र, परमप्रेमी परमेश्वर अपनेको हमारा सुहृद् बतलावें और हम इस बातपर विश्वास करके उन्हें सुहृद् मान लें तो हमें कितना अलौकिक आनन्द और कैसी अपूर्व शान्ति मिलेगी ? इसका अनुमान लगाना भी कठिन है । प्रश्न - इस प्रकार जो भगवान्को यज्ञ-तपोंके भोक्ता, समस्त लोकोंके महेश्वर और समस्त प्राणियोंके सुहृद् इन तीनों लक्षणोंसे युक्त जानता है, वही शान्तिको प्राप्त होता है या इनमेसे किसी एकसे युक्त समझनेवालेको भी शान्ति मिल जाती है ? उत्तर - भगवान्को इनमेसे किसी एक लक्षणसे युक्त समझनेवालेको भी शान्ति मिल जाती है, फिर तीनों लक्षणोंसे युक्त समझनेवालेकी तो बात ही क्या है ? क्योंकि जो किसी एक लक्षणको भी भलीभाँति समझ लेता है, वह अनन्यभावसे भजन किये बिना रह ही नहीं सकता । भजनके प्रभावसे उसपर भगवत्कृपा बरसने लगती है और भगवत्कृपासे वह अत्यन्त ही शीघ्र भगवान्के स्वरूप, प्रभाव, तत्त्व तथा गुणोंको समझकर पूर्ण शान्तिको प्राप्त हो जाता है । अहा । उस समय कितना आनन्द और कैसी शान्ति प्राप्त होती होगी, जब मनुष्य यह जानता होगा कि 'सम्पूर्ण देवताओ और महर्षियोंसे पूजित भगवान्, जो समस्त यज्ञ-तपोंके एकमात्र भोक्ता हैं और सम्पूर्ण ईश्वरोंके तथा अखिल ब्रह्माण्डोंके परम महेश्वर हैं, मेरे परमप्रेमी मित्र हैं । कहाँ क्षुद्रतम और नगण्य मैं और कहाँ अपनी अनन्त अचिन्त्य महिमामे नित्यस्थित महान् महेश्वर भगवान् । अहा। मुझसे अधिक सौभाग्यवान् और कौन होगा ११ और उस समय वह हृदयकी किस अपूर्व कृतज्ञताको लेकर, किस पवित्र भाव-धारासे सिक्त होकर, किस आनन्दार्णवमें डूबकर भगवान्के पावन चरणोंमें सदाके लिये लोट पड़ता होगा । प्रश्न - भगवान् सब यज्ञ और तपोंके भोक्ता, सब लोकोंके महेश्वर और सब प्राणियोंके परम सुहृद् हैं - इस - बातको समझनेका क्या उपाय है ? किस साधनसे मनुष्य इस प्रकार भगवान्के स्वरूप, प्रभाव, तत्त्व और गुणोंको भलीभाँति समझकर उनका अनन्य भक्त हो सकता है ? उत्तर - श्रद्धा और प्रेमके साथ महापुरुषोंका सग, सत्-शास्त्रोंका श्रवण-मनन और भगवान्की शरण होकर परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५५३ अत्यन्त उत्सुकताके साथ उनसे प्रार्थना करनेपर उनकी दयासे मनुष्य भगवान्के इन प्रभाव और गुणोको समझकर उनका अनन्य भक्त हो सकता है । भगवान्ने अपने किस प्रश्न - यहाँ 'माम्' पदसे स्वरूपका लक्ष्य कराया है ? उत्तर - जो परमेश्वर अज, अविनाशी और सम्पूर्ण प्राणियोंके महान् ईश्वर होते हुए भी समय-समयपर अपनी प्रकृतिको स्वीकार करके लीला करनेके लिये योगमायासे ससारमें अवतीर्ण होते हैं और जो श्रीकृष्णरूपमे अवतीर्ण होकर अर्जुनको उपदेश दे रहे हैं, उन्हीं निर्गुण, सगुण, निराकार, साकार और अव्यक्त-व्यक्तस्वरूप, सर्वरूप, परब्रह्म परमात्मा, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, सर्वाधार और सर्वलोकमहेश्वर समग्र परमेश्वरको लक्ष्य करके 'माम्' पदका प्रयोग किया गया है । उपर्युक्त श्लोकमें 'भोक्तारं यज्ञतपसाम्' यह विशेषण परमात्मा ही सबके आत्मा हैं इस भावका वाचक होनेसे उनके सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, सर्वान्तर्यामीस्वरूपका निर्देश करता है। 'सर्वलोकमहेश्वरम्' यह विशेषण परमात्मा ही सबके स्वामी हैं इस भावका द्योतक होनेसे उनकी सर्वशक्तिमत्ता, सर्वैश्वर्य और अपरिमित प्रभावको बतलाता है और 'सुहृद सर्वभूतानाम्' यह विशेषण परमात्मा बिना ही कारण सब भूतोंके परम हितैषी हैं, इस भावका बोधक होनेके कारण उनकी अपार और अपरिमित दया, प्रेम आदि श्रेष्ठ गुणोका प्रकाशक है । ऐसे दयासिन्धु भगवान्की शरण होकर उनके गुण, प्रभाव और रहस्यको तत्त्वसे जानने एवं उन्हें प्राप्त करनेके लिये उनसे इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिये । 'हे नाथ । आप दयासागर, सर्वान्तर्यामी, सर्वेश्वर, सर्वशक्तिमान् और सर्वज्ञ हैं, आपकी किञ्चित् दयासे ही सम्पूर्ण ससारका एक क्षण में उद्धार हो सकता है, फिर हम-जैसे तुच्छ जीवोंकी तो बात ही क्या है ? इसलिये हम आपको साष्टाङ्ग प्रणाम करके सविनय प्रार्थना करते हैं कि हे दयासिन्धो ! इमपर दयाकी दृष्टि कीजिये जिससे हमलोग आपको यथार्थरूपसे जान सकें । यद्यपि आपकी सबपर अपार दया है किन्तु उसका रहस्य न जाननेके कारण हम सब उस दयासे वञ्चित हो रहे हैं, अतएव ऐसी कृपा कीजिये जिससे हमलोग आपकी दयाके रहस्यको समझ सकें । यदि आप केवल दयासागर ही होते और अन्तर्यामी न होते तो हमारी आन्तरिक पीड़ाको नहीं पहचानते किन्तु आप तो सबके हृदय में विराजमान सर्वान्तर्यामी भी हैं, परमात्माके ज्ञानसे परम शान्ति ५५५ इसलिये आपके वियोगमें हमारी जो दुर्दशा हो रही है उसे भी आप जानते हैं। आप दयासागर और सर्वान्तर्यामी होकर भी यदि सर्वेश्वर और सर्वसामर्थ्यवान् नहीं होते तो हम आपसे अपने कल्याणके लिये प्रार्थना नहीं करते परन्तु आप तो सर्वलोकमहेश्वर और सर्वशक्तिमान हैं इसलिये हमारे-जैसे तुच्छ जीवोंका इस मृत्युरूप ससार-सागरसे उद्धार करना आपके लिये अत्यन्त साधारण बात है। हम तो आपसे यही चाहते हैं कि आपमें ही हमारा अनन्य प्रेम हो, हमारे हृदयमें निरन्तर आपका ही चिन्तन बना रहे और आपसे कभी वियोग न हो। आप ऐसे सुहृद् हैं कि केवल भक्तोंका ही नहीं परन्तु पतित और मूर्खोका भी उद्धार करते हैं। आपके पतितपावन, पातकीतारण आदि नाम प्रसिद्ध ही हैं इसलिये ज्ञान, वैराग्य, भक्ति और सदाचारसे हीन हम-जैसे मूढ और पतितोंका उद्धार करना आपका परम कर्तव्य है ।" एकान्समें बैठकर इस प्रकार सच्चे हृदयसे करुणाभावसे गद्गद होकर उपर्युक्त भार्बोके अनुसार किसी भी भाषामें प्रभुसे प्रार्थना करनेपर भगवत्कृपासे गुण, प्रभाव और तत्त्वसहित भगवान्को जानकर मनुष्य परम शान्तिको प्राप्त हो जाता है । ( पद-पदपर दर्शन करनेका प्रकार ) किसी भाईका प्रश्न है कि भगवत्कृपा सहैतुक होती है या निर्हेतुक १ मनुष्यको सभी अवस्थाओंमे भगवान्की दयाका दर्शन किस प्रकार करना चाहिये ? इसके उत्तरमें मेरा निवेदन है कि भगवत्कृपाके महत्त्वको वाणीद्वारा पूर्णरूपसे वर्णन करना असम्भव है। क्योंकि भगवान्की दयाका महत्त्व अपार है और वाणीद्वारा जो कुछ कहा जाता है वह स्वल्प ही है, भगवान्की कृपाके रहस्यको जो कोई महापुरुष यत्किञ्चित् भी समझते हैं, वे भी जितना समझते हैं उतना वाणीद्वारा बता नहीं सकते। भगवान्की कृपा सब जीवोपर सदा सर्वदा अपार है। लोगोंका इस विषय में जितना अनुमान है उससे भी भगवान्की कृपा बहुत अधिक है, इस विषयमें 'भगवान्की
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भररहा है। मस्तित्व में माने के बाद से भारत ने उसे सदा मान्यता दो है, चाहा है कि दोनों सहयोग और शांति के वातावरण में रहते हुए अपना अपना आर्थिक विकास करें, अपने देशवासियों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठायें। दूसरी मोर पाकिस्तान काश्मीर के प्रश्न को लेकर भारत को पत्र मानना रहा है और 'हंस में लिया है पाकिस्तान, लड कर लेंगे हिन्दुस्तान' के नारे लगाते हुए राष्ट्रीय और अतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भारत को नीचा दिखाने का प्रयास करता रहा है । पाकिस्तान के नेताओं में होनता की मानसिकता काम करती रही है। यह एक मनोवैज्ञानिक रोग है। पाकिस्तान की तुलना में भारत भू क्षेत्र को इष्टि से कहीं विशाल और साधन-सम्पन्नता की दृष्टि से कही अधिक समय देश है। पिछले चालीस वर्षो मे उसने जितना प्रौद्योगिक विकास किया है विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में जितनी प्रगति की है, उससे बह विश्व के कुछ ही देशो से पिछडा रह गया है। उधर पाकिस्तान अनेक कारणों से भारत जैसी प्रगति नहीं कर सका । उसके नगरों में भले ही समद्धि सम्प नता का जीवन दिखाई दे, ग्रामीण जनता का जीवनस्तर गरीबी और अमान के पक में डूबा हुआ है। फिर भी वह भारत को बराबरी करना चाहता है अपनी जनता को बताना चाहता है कि वह भारत से किसी भी प्रकार (कम से कम सैनिक शक्ति की दृष्टि से ) कम नहीं है । इसी महत्त्वाषक्षा को मरु मरीचिका मे फसा पाकिस्तान चैन से न स्वयं रह पाता है और न भारत को रहने देता है । दोनों के बीच सबसे जटिल प्रश्न है काश्मीर का । यह दोनो जानते हैं कि जितने भू भाग पर पाकिस्तान ने अधिकार कर लिया है, वह उसे मारत को कदापि न देगा और काश्मीर जो सवैधानिक दृष्टि से भारत का भविभाज्य अग है, भारत का ही रहेगा। दोनो यह भी जानते हैं कि सनिक कार्यवाही द्वारा या भाक्रमण कर माज किसी भी सीमा विवाद को सुलझाया नहीं जा सकता। फिर इस प्रश्न को लेकर तनाव क्यों जिससे दोनों देशों का आर्थिक विकास रुका हुआ है। एक कारण तो पाकिस्तान के शासको का सत्ता में बने रहने का प्रयास है। भय देशो के समान पाकिस्तान में भी समय समय पर आर्थिक और राजनीतिक समस्याएँ उठती रहती हैं, जातीय, प्राप्तीय
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- 6 hrs ago राम चरण की सुपरहिट फिल्म 'आरआरआर' का जल्द आएगा सीक्वल, परंतु राजामौली नहीं होगे डायरेक्टर! - 6 hrs ago Shahrukh Khan की 'जवान' प्रीव्यू पर सलमान खान का शानदार रिएक्शन, बोले, "पठान जवान बन गया, वाह. . " Don't Miss! - Travel आखिर क्यों कोई नहीं कर पाया कैलाश पर्वत की चढ़ाई? क्या है इसका वैज्ञानिक कारण? कॉफी विद करण सीज़न 7 के नए एपिसोड में शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी अपनी दोस्ती को पहली बार दर्शकों के सामने रखते नज़र आए। कबीर सिंह की ये ब्लॉकबस्टर जोड़ी, असल में इतनी अच्छी दोस्त है, ये दर्शकों को भी नहीं पसंद था। लेकिन शो के दौरान इस बात का खुलासा, खुद कियारा आडवाणी ने किया। हैं। लगाएंगी। दिया। की। आए। शाहिद कपूर ने बातों बातों में ये भी हिंट दिया कि इस साल के अंत में कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा शादी के बंधन में बंध सकते हैं और इस साल का आखिरी बड़ा अनाउंसमेंट यही हो सकता है। दौरान, कीं। नज़र, पर। शाहिद कपूर, शो के दौरान अपनी एक्स गर्लफ्रेंड्स पर बात करते दिखे। शाहिद ने बताया कि अपने कई रिलेशनशिप के दौरान उन्हें लड़कियों के पिता ने रिजेक्ट किया। शाहिद का कहना था कि ऐसे ही आपके सफल बनने की शुरूआत होती है। किसी के पिता आपको रिजेक्ट करते हैं और फिर आप खुद को और काबिल बनाने में लग जाते हैं। इस पर करण जौहर ने उन्हें शाबाशी देते हुए कहा कि हां लेकिन अंत में आप सबके मम्मी पापा को पसंद आ गए और मीरा आपकी ज़िंदगी में आ गईं। करण जौहर ने कियारा को शाहिद का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने रिलेशनशिप के बारे में बात करने से कभी कतराना नहीं चाहिए। शाहिद अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड्स के साथ इस शो पर आ चुके हैं और पत्नी के साथ भी। धीरे धीरे कियारा ने भी सिद्धार्थ का नाम लिए बिना अपने रिलेशनशिप और होने वाली शादी के बारे में मज़ाक में बात की। कियारा ने करण जौहर और शाहिद कपूर को अपनी शादी में डांस करने के लिए बुक किया। शाहिद का कहना था कि वो लड़की वालों की तरफ से होंगे वहीं करण जौहर का कहना था कि वो लड़के वालों की तरफ से होंगे तो दोनों डोला रे डोला पर डांस करेंगे। शाहिद कपूर ने हाल फिलहाल की फ्लॉप फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर बात भी और उन्हें ट्रोल भी किया। दरअसल, शाहिद, बड़ी फिल्म के फ्लॉप होने के बाद कैसा लगता है, इस बारे में बात कर रहे थे। शाहिद ने इस दौरान ये भी कहा कि आने वाले 7 - 8 महीनों में हर फिल्म का यही हाल होने वाला है और सबके इमोशन भी एक ही जैसे होंगे। कियारा आडवाणी ने इस दौरान बताया कि कॉफी विद करण पर आना उनके लिए कितना अहम है। उनका कहना है कि अब तक उनकी साउथ बॉम्बे वाली दोस्तों के लिए वो बस एक हीरोइन थीं लेकिन अब जब वो कॉफी विद करण पर आ रही हैं तब जाकर उनकी दोस्तों को लग रहा है कि कियारा ने ज़िंदगी में कुछ हासिल किया है। कियारा का कहना था कि जब उनकी दोस्तों को पता चला कि वो कॉफी विद करण का हिस्सा हैं तो सब चौंक गए। कियारा ने ये भी बताया कि बचपन से ही वो और उनकी सहेलियां कॉफी विद करण देखकर ही बड़ी हुई हैं। शाहिद कपूर अपनी आखिरी फिल्म जर्सी के भी फ्लॉप होने पर बात करते दिखे। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्म से कितनी उम्मीदें थीं और वो इस फिल्म से भावनात्मक तौर पर जुड़ गए थे। लेकिन चूंकि फिल्म की रिलीज़ डेट कई बार बदली गई, फिल्म को बार बार गरम करना पड़ा और ऐसा हो नहीं पाया क्योंकि ट्रेलर से लेकर गाने तक सब कुछ बाहर आ चुके थे। वहीं जब अप्रैल में फिल्म रिलीज़ हुई तो उस वक्त दूसरी ही फिल्मों की दीवानगी छा चुकी थी और ऐसे में उनकी फिल्म पीछे छूट गई क्योंकि दर्शकों की पसंद बिल्कुल बदल चुकी थी। शाहिद कपूर ने रैपिड फायर के दौरान सवालों के फटाफट जवाब दिए। उनसे इस समय के नंबर 1 एक्टर और एक्ट्रेस का नाम पूछा गया। जहां शाहिद ने हीरोइन में कियारा का नाम लिया वहीं उन्होंने एक्टर में रॉकी भाई यानि कि केजीएफ स्टार यश का नाम लिया। बिंगो खेलते वक्त कियारा ने कई खुलासे किए जिनमें सबसे मज़ेदार था सुजॉय घोष से उनकी मुलाकात। कियारा ने बताया, जुही चावला उनके परिवार की दोस्त हैं और जुही को पता था कि कियारा को हीरोइन बनना है तो वो एक पार्टी में कियारा को अपने साथ ले गईं और वहां उन्होंने कियारा को सुजॉय घोष से मिलवाया। कुछ जेर बाद कियारा को लगा कि सुजॉय ने गले लगाने के लिए अपना हाथ उठाया है और वो सुजॉय के गले लग गईं। जबकि सुजॉय ने अपना हाथ किसी को बुलाने के लिए उठाया था। वहीं कियारा ने ये भी माना कि कबीर सिंह के दौरान एक सीन के लिए शाहिद ने उन्हें 8 घंटे इंतज़ार करवाया और इस बात के लिए कियारा को उन्हें मारने का मन किया। शाहिद कपूर शो के दौरान अपनी पत्नी मीरा के बारे में बात करते दिखे। शाहिद का कहना था कि जब उनकी और मीरा की शादी हुई तो मीरा काफी छोटी थीं और शाहिद उन्हें सुरक्षित रखना चाहते थे। और उनके इस कदम को कभी कभी मीरा गलत समझ लेती थीं। लेकिन अब उन दोनों में परफेक्ट ट्यूनिंग है। शाहिद ने अपनी सबसे कमज़ोर फिल्म के बारे में बात करते हुए बताया कि मीरा ने जब शानदार देखी तो उन्होंने पहले ही शाहिद को सलाह दे दी थी कि इसके ग़म से जल्दी बाहर आ जाना। शाहिद कपूर ने बताया कि उनकी फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू देखकर उन्हें खुद भी शर्मिंदगी हुई थी। कियारा आडवाणी ने इस दौरान, बाकी एक्टर्स के बारे में बात करते हुए बताया कि वरूण धवन को किसी पार्टी में वो स्ट्रिप करते पकड़ सकती हैं तो विकी कौशल रैप करते नज़र आएंगे। उन्होंने ये भी बताया कि सिद्धार्थ मल्होत्रा काफी अच्छा गाना गाते हैं। कियारा आडवाणी ने कॉफी डेब्यू किया था और शाहिद ने वोट के दौरान सबको कियारा को वोट देने को कहा। शाहिद कपूर इससे पहले सात बार कॉफी विद करण का हिस्सा रह चुके हैं। शो के आखिरी में जब दोस्तों को कॉल करने का सिलसिला शुरू हुआ तो शाहिद कपूर के कॉल लोग उठा ही नहीं रहे थे। तब तक कियारा ने फटाफट कॉल लगाने शुरू किए। उन्होंने सिद्धार्थ मल्होत्रा से शुरूआत की और इसके बाद अनिल कपूर से लेकर वरूण धवन तक को कॉल करती दिखीं। वहीं दूसरी तरफ शाहिद कपूर ने इशान खट्टर और मीरा राजपूत को कॉल किया। कॉफी विद करण का नया एपिसोड डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रहा है।
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लगता है। वे जो कुछ भी जूते सीं कर कमाते थे उसमें से अधिकांश साधु-सन्तों की सेवा में लगा देते थे। सन्त रैदास को यह विश्वास हो गया था कि हरि को छोड़कर जो दूसरे की आशा करता है वह निस्सन्देह यम के राज्य में जाता है। रात-दिन ईश्वर की कृपा की अनुभूति करना ही उसका जीवन बन गया था। वे अपने चंचल मन को भगवान् के अचल चरण में बाँधकर अभय हो गये थे। यौवन के प्रथम कक्ष में प्रवेश करते ही रैदास का विवाह कर दिया गया। उनकी स्त्री परम सती और साध्वी थी, पति की प्रत्येक रुचि की पूर्ति में ही उसे अपने दाम्पत्य की पूरी तृप्तिका अनुभव होता था। भगवान् के भजन में लगे पति की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखना ही उसका पवित्र नित्य कर्म बन गया था इसका परिणाम यह हुआ कि भगवद्भक्ति के मार्ग में विवाह सहायक सिद्ध हुआ, गृहस्थाश्रम रैदास दम्पत्ति के लिये बन्धन न बना सका। दोनों अपने कर्तव्य-पालन में सावधान थे। रैदास के माता-पिता बहुत प्रसन्न थे । घर में सुखसम्पत्ति की कमी नहीं थी पर सन्तों की सेवा में अधिक धन रैदास द्वारा व्यय होते देखकर उनके माता-पिता चिढ़ गये। यद्यपि रैदास गृहस्थी में अनासक्त थे, जल में कमल की तरह रहते थे तो भी उनके माता-पिता को यह बात अच्छी नहीं लगी कि वे मेहनत से पैसा पैदा करें और रैदास उसे घर बैठे साधु-सन्त की सेवा में उड़ा दिया करें। उन्होंने रैदास दम्पती को घर से बाहर निकाल दिया, अलग कर दिया। रैदास अपने घर के पीछे ही एक वृक्ष के नीचे झोंपड़ी डालकर अपनी पत्नी के साथ रहने लगे। उन्होंने पिता और माता का तनिक भी विरोध नहीं किया। हरि भजन में लग गये। धीरे-धीरे उनकी ख्याति दूर-दूर तक संतमण्डली में बढ़ने लगी। वे पतित पावन हरि की भक्ति करने लगे। वे एकान्त में बैठकर अपनी रसना को सम्बोधित कर कहा करते थे कि हे रसना, तुम रामनाम का जप करो, इससे यम के बन्धन से निस्सन्देह मुक्ति मिलेगी। वे रुपये-पैसे के अभाव की तनिक भी चिन्ता नहीं करते थे। सन्त रैदास परमात्मा के पूर्ण शरणागत हो गये। उन्होंने प्रभु के पादपद्मों से चिरसम्बन्ध जोड़ लिया। उनके निवासस्थान पर संतों का समागम होने लगा । कबीर आदि उनके बड़े प्रशंसक थे। स्वामी रामानन्द जी के शिष्यों में उनके लिये विशेष आदर का भाव था, श्रद्धा और भक्ति थी। सन्त रैदास की साधना पर सन्त गनी मासूर की वाणी का भी प्रभाव था । वे ऐसे नगर के अधिवासी हो गये जिसमें चिन्ता का नाम ही नहीं था। उनकी उक्ति हैबेगमपुर शहर का नाम, फिकर अंदेस नाहिं तेहिं ग्राम । कह 'रैदास' खलास चमारा, जो उस शहर सो मीत हमारा ।। वे निश्चित होकर संतो के संग में रहने को धन्य जीवन समझते थे । यथाशक्ति अपने आराध्य निर्गुण राम की पूजा में व्यस्त रहते थे, कहा करते थे कि प्रभु, आपकी पूजा किस प्रकार करूँ, अनूप फलफूल नहीं मिलते हैं, गाय के बछड़े ने दूध जूठा कर दिया है, ऐसी स्थिति में मन ही आपकी पूजा के लिये धूप-दीप है। वे सदा रामरस की मादकता में मत्त रहते थे। उनका विश्वास था कि उनके राम उन्हें भवसागर से अवश्य पार उतार देंगे । रैदास को माता पिता से एक कौड़ी भी नहीं मिलती थी । जो कुछ दिन भर में कमा लेते थे उसी से संतोष करते थे। वैष्णवों और सन्तों को बिना मूल्य लिये ही जूते पहना दिया करते थे। कभी-कभी रात में फाका करना पड़ता था। एक छोटी-सी झोपड़ी में ही उनकी सम्पत्ति थी, उसमें भगवान् की प्रतिमा प्रतिष्ठित थी, अपने आप तो वे पेड़ के नीचे पत्नी के साथ रहते थे। एक दिन वे पेड़ के नीचे बैठकर जूते सिल रहे थे । सत्संग हो रहा था । बहुत से सन्त एकत्र थे । सन्त रैदास ने साधुवेष में अपरिचित व्यक्ति को आते देखा उन्होंने अतिथि की चरणधूलि मस्तकपर चढ़ा ली। भोजन कराया, यथाशक्ति सेवा की। अतिथि ने चलते समय उन्हें पारसमणि देना चाहा पर सन्त रैदास ने उसके प्रति तनिक भी उत्सुकता न दिखायी, लोहे को सोना बनाकर प्रभावित करना चाहा पर रैदास का परम धन तो राम-नाम था । वे पारस रखना नहीं चाहते थे, अतिथि ने पारस झोपड़ी में खोंस दिया, कहा कि यदि आवश्यकता हो तो इसका उपयोग कर लीजियेगा। जन्म-मरण के बन्धन से मुक्ति चाहने वाले रैदास का मन पारस में नहीं उलझ सका। उनके नयन तो सदा प्रभु को ही निहारा करते थे, भयानक दुख आने पर वे हरिनाम का स्मरण करते थे, पारस का उन्हें सपने में भी ध्यान न रहा। कुछ दिनों के बाद साधुवेष वाले अतिथि ने आकर उनसे पारस के सम्बन्ध में बात की। रैदास ने कहा कि मुझे तो इतना भी ध्यान न था कि झोपड़ी में पारस है, अच्छा हुआ, आप आ गये। उसे ले जाइये। अतिथि ने पारस लेकर बात की बात में अपनी राह पकड़ी, रैदास को विस्मय हुआ कि वह कहीं चला गया। उन्हें क्या पता था कि स्वयं मायापति भगवान् ही उनकी परख करने चल पड़े थे पर लाभ की बात यह थी कि उनकी माया पराजित हो गयी और सन्त रैदास ने अपने उपास्य देव का दर्शन कर लिया। परमात्मा की लीला विचित्र है, वे अपने भक्तों और सेवकों की रक्षा में विशेष तत्पर रहते हैं, उन्हें इस तत्परता में आनन्द मिलता है। नित्य प्रातःकाल पूजा की पिटारी में उन्हें पाँच स्वर्ण मुद्रायें मिलने लगीं। रैदास ने आत्मनिवेदन की भाषा में कहा कि प्रभु अपनी माया से मेरी रक्षा कीजिये; मैं तो केवल आपके नाम का बंजारा हूँ, मुझे कुछ नहीं चाहिए। भगवान् ने स्वप्न में आदेश दिया कि मैं तुम्हारे निर्मल हृदय की बात जानता हूँ, मुझे ज्ञात है कि तुम्हें कुछ नहीं चाहिए पर मेरी रीझ और प्रसन्नता इसी में है। सन्त रैदास ने प्रभु से प्राप्त धन का सदुपयोग मन्दिर - निर्माण में किया, मन्दिर में भगवान् की पूजा के लिए एक पुजारी नियुक्त किया गया। सन्त रैदास मन्दिर के शिखर और ध्वजा का दर्शन पाकर नित्य प्रति अपने आपको धन्य मानने लगे। एक बार एक धनी व्यक्ति उनके सत्संग में आये। सत्संग समाप्त होने पर सन्तों ने भगवान् का चरणामृतपान किया । धनी व्यक्ति ने चरणामृत की उपेक्षा कर दी । चरणामृत उन्होंने हाथ में लिया अवश्य पर चमार के घर का जल न पीना पड़े - इस दृष्टि से लोगों की आँख बचाकर चरणामृत फेंक दिया, उसकी कुछ बूँदें कपड़ों पर पड़ी । घर आकर धनी व्यक्ति ने स्नान किया, नये कपड़े पहने और जिन कपड़ों पर चरणामृत पड़ा था उनको भंगी को सौंप दिया। भंगी ने कपड़े पहने, उसका शरीर नित्यप्रति दिव्य होने लगा और धनी व्यक्ति कोढ़ का शिकार हुआ। वे रैदास के निवासस्थान पर कोढ़ ठीक करने की चिन्ता में चरणामृत लेने आये, मन में श्रद्धा और आदर की कमी थी । सन्त रैदास ने कहा कि अब जो चरणामृत मिलेगा वह तो निरा-पानी होगा । धनी व्यक्ति को अपनी करनी पर बड़ा पश्चात्ताप हुआ और क्षमा माँगी। सन्त रैदास की कृपा से तथा सत्संग की महिमा से कोढ़ ठीक हो गया। रैदास की वाणी का प्रभाव राजरानी मीराबाई पर विशेष रूप से पड़ा था। मीरा ने उनको अपना गुरु स्वीकार किया है, उनके पदों में सन्त रैदास की महिमा का वर्णन मिलता है। राणा सांगा के राजमहल को अपनी उपस्थिति से रैदास ने ही पवित्र किया था। रैदास की आयु बड़ी थी, उनके सामने कबीर की इहलीला समाप्त हुई थी। यह निश्चित बात है कि राणा सांगा की पुत्रवधू मीरा को इन्होंने शिष्य के रूप में स्वीकार किया था । चित्तौड़ की झाली रानी भी उनसे प्रभावित थी। काशी यात्रा के समय झाली रानी ने उनको चित्तौड़ आने का निमन्त्रण दिया था। वे चित्तौड़ आये थे । चित्तौड़ में रैदास ने अनेक चमत्कार दिखाये थे। मीरा ने अपने एक पद में 'गुरु रैदास मिले मोहि पूरे' कहकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया है। रैदास ने कठवत के जल में गंगा का दर्शन किया। एक ब्राह्मण किसी की ओर से गंगा जी की पूजा करने नित्य जाया करता था। एक दिन रैदास ने उसे बिना मूल्य लिये जूते पहना दिये और निवेदन किया कि भगवती भागीरथी को मेरी ओर से एक सुपारी अर्पित कीजियेगा। उन्होंने सुपारी दी। ब्राह्मण ने गंगा की यथाविधि पूजा की और चलते समय उपेक्षापूर्वक उसने रैदास की सुपारी दूर ही से गंगा जल में फेंक दी पर वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि गंगा जी ने हाथ बढ़ाकर सुपारी ली। वह संत रैदास की सराहना करने लगा कि उनकी कृपा से गंगाजी के दर्शन हुए। इस बात की प्रसिद्धि समस्त काशी में हो गयी पर गंगाजी ने रैदास पर साक्षात् कृपा की। सत्संग हो रहा था, रैदास को घेरकर सन्त मण्डली बैठी हुई थी, सामने कठवत में जल रखा हुआ था। रैदास और अन्य सन्तों ने देखा कि स्वयं गंगा जी कठवत के जल में प्रकट होकर कंकण दे रही हैं। रैदास ने गंगाजी को प्रणाम किया और उनकी कृपा से प्रतीकरूप में दिव्य कंकण स्वीकार कर लिया। रैदास केवल उच्च कोटि के सन्त ही नहीं महान् 17 दिसम्बर 2009 से 25 दिसम्बर 2009 तक 27 दिसम्बर 2009 से 4 जनवरी 2010 तक 6 जनवरी 2010 से 14 जनवरी 2010 तक 17 जनवरी 2010 से 25 जनवरी 2010 तक पूज्यपाद जगद्गुरु जी कवि भी थे। उन्होंने भगवान् के निरञ्जन, अलख और निर्गुण तत्व का वर्णन किया। उनकी सन्तवाणी ने आध्यात्मिक और बौद्धिक क्रान्ति के साथही-साथ सामाजिक क्रान्ति भी की। उन्होंने अन्तःस्थ राम को ही परम ज्योति के रूप में स्वीकार किया । उन्होंने कहा है कि मैं तो सर्वथा अपूज्य था, हरि की कृपा से मेरे जैसे अधम भी पूज्य हो गये। उन्होंने निर्गुण वस्तु तत्व का अमित लौकिक निरूपण किया है । उनका सिद्धान्त था कि अच्छी करनी से भगवान् की भक्ति मिलती है और भक्ति से मुनष्य भवसागर से पार उतर जाता है । सन्त रैदास रसिक कवि और राजयोगी थे। उनकी उक्ति हैनरपति एक सेज सुख सूता सपने भयो भिखारी । आछत राज बहुत दुख पायो सो गति भयी हमारी ।। वे संस्कारी सन्त थे। लगभग सवा सौ साल की आयु में वे ब्रह्म लीन हुए। प्रस्तुति - श्रीमती सरिता त्रिपाठी ( मुरादनगर ) के आगामी कार्यक्रम श्रीमद्वाल्मीकि रामायण कथा एवं जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज की षष्टिपूर्ति-जन्म महोत्सव श्रीरामकथा । आट्रम लाईन किंग्सवे कैम्प दिल्ली - ९ पुरुषार्थी हरि मंदिर निर्माण समिति दिल्ली । महान्तश्री 1008 श्रीनारायण देवाचार्य जी । महाराज ब्रह्मर्षि श्री डाकोरधाम (गुजरात) श्रीराघव परिवार स्थान श्रीरामचरित मानस मन्दिर आमोदवन, चित्रकूट श्री सर्वेश्वर ब्रह्मचारी माघमेला क्षेत्र दण्डी बाबा श्रीरामलोचनस्वरूप ब्रह्मचारी जी का बाड़ा प्रयाग ( उ०प्र० ) कृपया किसी भी कार्यक्रम में जाने से पूर्व परमपूज्या बुआ जी से सम्पर्क अवश्य करके जायें। कार्यक्रम में परिवर्तन भी हो सकता है।
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उभरती नई व्यवस्था हमेशा पुरानी के भीतर खौफ़ पैदा करती है और उसे प्रेरित भी करती है। इतिहास विपरीतताओं की एकता है। जो नया है, उसकी तीव्र अस्वीकृति खुद ही इसके उत्साहपूर्ण उत्सवों के साथ टकराती है। उभरती हक़ीक़त के मद्देनज़र पुरानी व्यवस्था को दूर धकेल दिया जाता है। उभरती नई विश्व अर्थव्यवस्था ऐसे ही विरोधाभासों से भरी हुई है। चार प्रमुख घटनाक्रम ऐसे हैं जो उनकी परस्पर क्रिया को रेखांकित करते हैं। पहला, नवउदारवादी वैश्वीकरण का रास्ता अब पुराना हो चला है। आर्थिक राष्ट्रवाद नया सगुफा है। यह पिछली व्यवस्था का ही एक नया उलटफेर है। पूंजीवाद ने ऊंचे लाभ कमाने के मक़सद से अपने पुराने केंद्रों (पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और जापान) के मुक़ाबले, तेजी उन जगहों पर निवेश कियाः जहां श्रमबल बहुत सस्ता था; बाजार तेजी विकसित हो रहे थे; पारिस्थितिक बाधाएँ कमजोर या अनुपस्थित थीं; और सरकारों ने पूंजी के तेजी से संचयन को बेहतर सुविधा प्रदान की थी। इन निवेशों के ज़रिए पूंजीवाद अपने पुराने केंद्रों में बड़ा मुनाफा वापस ला रहा था, जिससे इनके शेयर बाजारों में उछाल आया और इस तरह उनकी आय और संपत्ति की असमानताएं चौड़ी हो गईं (चूंकि सबसे अमीर अमेरिकियों के पास बड़ी मात्रा में प्रतिभूतियां इकट्ठी हो गई थी)। 1960 के दशक के बाद आर्थिक विकास और भी तेजी से हुआ, और पूंजीवाद के नए बड़े केंद्र (चीन, भारत और ब्राजील) बन गए। पुराने केंद्रों से आई पूंजी इन बाज़ारों में तेजी आई और काफी अधिक वृद्धि हुई। पूंजीवाद की गतिशीलता ने पहले अपने उत्पादन को इंग्लैंड से यूरोपीय महाद्वीप में स्थानांतरित किया था और फिर उत्तरी अमेरिका और जापान में स्थानांतरित कर दिया था। पूंजीवाद की लाभ की भूखी गतिशीलता 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत के दौरान इसे एशिया और उसके पार ले गई। सिद्धांत और व्यवहार दोनों में, नवउदारवादी वैश्वीकरण ने पूंजीवाद द्वारा नए बाज़ार में प्रवेश करने को उचित ठहराया। इसने, दुनिया भर में निजी और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों दोनों के लिए मुनाफ़ा कमाया और इनका बड़ा विकास किया। लेकिन इस प्रक्रिया ने वैश्वीकरण के अन्य पहलुओं को कम करके आंका या अनदेखा कियाः जिसमें इस कारण (1) अधिकांश देशों के भीतर आय बढ़ी लेकिन धन की असमानता भी बढ़ी; (2) उत्पादन, पूंजीवाद के पुराने केंद्रों से नए केंद्रों में आ गया; और (3) पुराने केंद्रों की तुलना में नए केंद्रों में उत्पादन और बाजारों में तेज वृद्धि हुई। इन बदलावों ने पुराने केंद्रों के समाजों को हिलाकर रख दिया। वहाँ मध्य वर्ग कम होता गया और सिकुड़ता गया, क्योंकि अच्छी नौकरियाँ तेजी से पूँजीवाद के नए केंद्रों में चली गईं। पुराने केंद्रों के नियोक्ता वर्ग ने अपनी सामाजिक स्थिति को बनाए रखने के लिए अपनी शक्ति और धन का इस्तेमाल किया। वास्तव में, वे नए केंद्रों से मिलने वाले अधिक मुनाफे से अमीर हो रहे थे। हालाँकि, पूंजीवाद के पुराने केंद्रों में अधिकतर कर्मचारियों के लिए नवउदारवादी वैश्वीकरण विनाशकारी साबित हुआ। क्योंकि इन पुराने केन्द्रों के मालिकों/नियोक्ता न केवल बढ़ते मुनाफे को हड़प लिया, बल्कि कर्मचारियों की कीमत पट पूंजीवाद के पुराने केंद्रों के पतन की लागत को भी वसूल कर लिया था। व्यापार और अमीरों के कर में कटौती की गई, वास्तविक मजदूरी या तो घटी या ठहर गई(जो इमिग्रेशन के कारण भी हुआ), सार्वजनिक सेवाओं में "ख़र्च" में कटौती की जाने लगी, और बुनियादी ढांचे की उपेक्षा ने व्यापक असमानता पैदा की। पूंजीवादी पश्चिम का मजदूर वर्ग इस भ्रम में था कि नवउदारवादी वैश्वीकरण उनके लिए भी लाभदायक होगा। पूरे यू.एस. में बढ़ते मजदूर आंदोलन, जैसे फ्रांस और ग्रीस में बड़े पैमाने पर विद्रोह प्रदर्शन हो रहे हैं और वैश्विक दक्षिण में वाम राजनीति की तरफ झुकाव ने नवउदारवादी वैश्वीकरण और इसके राजनीतिक और वैचारिक नेताओं के प्रति एक अस्वीकृति का माहौल तैयार किया। इसके अलावा, पूंजीवाद को ही हिलाया जा रहा है, उस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और उसे चुनौती दी जा रही है। नए-नए तरीकों के माध्यम से पूंजीवाद से परे जाने की परियोजनाएँ फिर से ऐतिहासिक एजेंडे पर हैं, जबकि यथास्थिति के अन्यथा ढोंग करने के प्रयासों के बावजूद यह प्रक्रिया जारी है। दूसरा, हाल के दशकों में, नवउदारवादी वैश्वीकरण की तीव्र होती समस्याओं ने पूंजीवाद को सम्झौता/समायोजन करने पर मजबूर किया है। जैसा कि नवउदारवादी वैश्वीकरण ने पूंजीवाद के पुराने केंद्रों में जन समर्थन खो दिया, सरकारों ने अपनी ताक़तों को मजबूत किया और पूंजीवादी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और अधिक आर्थिक हस्तक्षेप किए। संक्षेप में, नवउदारवाद का स्थान अब आर्थिक राष्ट्रवाद ने ले लिया है। नए केंद्रों का नुस्खा एक ऐसी प्रणाली बनाना था जिसमें निजी उद्यमों का एक बड़ा क्षेत्र (निजी व्यक्तियों द्वारा स्वामित्व और संचालित) राज्य के स्वामित्व वाले और उसके अधिकारियों द्वारा संचालित राज्य उद्यमों के एक बड़े क्षेत्र के साथ सह-अस्तित्व में आ जाए। ज्यादातर निजी पूंजीवादी व्यवस्था (जैसे कि यू.एस. या यूके) या ज्यादातर राज्य पूंजीवादी व्यवस्था (यूएसएसआर की तरह) के बजाय, चीन और भारत जैसी जगहों ने हाइब्रिड व्यवस्था का निर्माण किया। मजबूत राष्ट्रीय सरकारों ने आर्थिक विकास को बढ़ाने लिए सह-अस्तित्व वाले बड़े निजी और राज्य उद्यमों को बढ़ाव दिया। निजी और राज्य उद्यम दोनों का अपसी सह-अस्तित्व "पूंजीवादी" लेबल के लायक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों ही नियोक्ताओं और कर्मचारियों के संबंधों के इर्द-गिर्द व्यवस्थित होते हैं। निजी और राज्य उद्यमों/प्रणालियों दोनों में, नियोक्ता का छोटा सा वर्ग कर्मचारियोन के बड़े हिस्से पर हावी होता है और उन्हे नियंत्रित करता है। आखिरकार, गुलामी भी अक्सर सह-अस्तित्व वाले निजी और राज्य उद्यमों को प्रदर्शित करती है जो परिभाषित मास्टर-गुलाम संबंध को साझा करते हैं। इसी तरह, सामंतवाद में निजी और राजकीय उद्यम स्वामी-दास संबंध वाले थे। पूंजीवाद नदारद नहीं होता है सिर्फ रूप बदलता है। अब यह नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के आसपास संगठित निजी और राज्य उद्यमों में प्रदर्शित हो रहा है। इस प्रकार, हम राज्य पूंजीवाद को समाजवाद से नहीं जोड़ सकते हैं। उत्तरार्द्ध में, एक अलग, गैर-पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली कार्यस्थलों के नियोक्ता-कर्मचारी संगठन, एक लोकतांत्रिक कार्यस्थल सामुदायिक संगठन के पक्ष में कर्मचारी सहकारी समितियों के रूप में विस्थापित करती है। उस अर्थ में समाजवाद के प्रति बदलाव भी आज एक नई विश्व अर्थव्यवस्था के गठन के आस-पास उथल-पुथल का एक संभावित परिणाम है। चीन में राज्य-निजी हाइब्रिड का संगम उल्लेखनीय रूप से उच्च और स्थायी जीडीपी और वास्तविक-मजदूरी विकास दर हासिल कर रहा है जो पिछले 30 वर्षों से जारी है। यह सफलता हर जगह आर्थिक राष्ट्रवाद को एक मॉडल के रूप में पेश करती है। अमेरिका में भी, चीन के साथ प्रतिस्पर्धा बड़े पैमाने पर सरकारी हस्तक्षेप का बहाना बन जाती है। टैरिफ युद्ध- जिसने घरेलू करों को बढ़ाया - राजनेताओं ने इसका बड़े जोश के साथ समर्थन किया गया जो अन्यथा अहस्तक्षेप विचारधारा वाले नेता थे। यही बात सरकार द्वारा संचालित व्यापार युद्धों पर लागू होती है, सजा देने या उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार विशिष्ट निगमों को लक्षित करती है, पूरे उद्योगों को सरकारी सब्सिडी देने के साथ, चीन विरोधी आर्थिक चालें भी इसमें शामिल हैं। तीसरा, हाल के दशकों में, यू.एस. साम्राज्य चरम पर था लेकिन अब उसका पतन शुरू हो गया है। इस प्रकार यह हर दूसरे साम्राज्य (ग्रीक, रोमन, फ़ारसी और ब्रिटिश) के जन्म, विकास, पतन और मृत्यु के क्लासिक पैटर्न पर जा रहा है। पिछली शताब्दी में और विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिकी साम्राज्य ब्रिटिश साम्राज्य से उभरा था और उसकी जगह ले ली थी। इससे पहले, 1776 में और फिर 1812 में, ब्रिटिश साम्राज्य ने एक स्वतंत्र अमेरिका पूंजीवाद को विकसित होने से रोकने के लिए सेना का सहारा लिया था और असफल रहा था। उन विफलताओं के बाद, ब्रिटेन ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों में एक अलग रास्ता अपनाया था। अपने उपनिवेशों में कई और युद्धों के बाद और 19वीं और 20वीं शताब्दियों में प्रतिस्पर्धी उपनिवेशवाद के कारण, ब्रिटेन साम्राज्य अब खत्म की तरफ था। सवाल यह है कि क्या अमेरिका ने ब्रिटेन के साम्राज्यवादी पतन से कोई सबक सीखा है या सीख भी सकता है। या क्या यह अपनी वैश्विक दादागिरी को बनाए रखने के लिए सैन्य साधनों की आजमाइश करता रहेगा, जो साधन लगातार और खतरनाक रूप से घटते जा रहे है? आखिरकार, कोरिया, वियतनाम, अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी युद्ध हार गए थे। अब चीन ने मध्य पूर्व में प्रमुख शांतिदूत की जगह अमेरिका से छीन ली है। सर्वोच्च वैश्विक मुद्रा के मामले में अमेरिकी डॉलर के दिन ढलने लगे हैं। हाई-टेक उद्योगों में अमेरिकी वर्चस्व को पहले ही चीन के हाई-टेक उद्योगों ने साझा कर लिया है। यहां तक कि प्रमुख अमेरिकी कॉर्पोरेट सीईओ जैसे कि एप्पल के टिम कुक और यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स अमेरिका और चीन के बीच अधिक व्यापार और निवेश प्रवाह का लाभ चाहते हैं। वे बाइडेन प्रशासन द्वारा चीन पर निर्देशित राजनीतिक रूप से बढ़ती शत्रुता को निराशा की दृष्टि से देखते हैं। चौथा, अमेरिकी साम्राज्य ऊपर उठाने के बाद अब पतन की तरफ है। क्या चीन उभरता हुआ नया दादा है? क्या यह अमेरिकी साम्राज्य की विरासत को हासिल करेगा जैसे अमेरिका ने इसे ब्रिटेन से हासिल किया था? या कोई बहुराष्ट्रीय नई विश्व व्यवस्था उभर कर आएगी और एक नई विश्व अर्थव्यवस्था को आकार देगी? सबसे दिलचस्प संभावना शायद इस बता की है कि चीन और सारे ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों का समूह एक नई विश्व अर्थव्यवस्था के निर्माण और रखरखाव का काम करेगा। यूक्रेन युद्ध ने ब्रिक्स गठबंधन को मजबूत किया है और संभावनाओं को पहले ही बढ़ा दिया है। कई अन्य देशों ने ब्रिक्स ढांचे में प्रवेश के लिए आवेदन किया है या जल्द ही आवेदन करेंगे। साथ में, उनके पास विश्व आर्थिक विकास के लिए एक नई धुरी बनने के लिए जनसंख्या, संसाधन, उत्पादक क्षमता, कनेक्शन और संचित एकजुटता है। क्या उन्हें वह भूमिका निभानी थी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से लेकर अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका तक दुनिया के शेष हिस्सों को अपनी विदेशी आर्थिक और राजनीतिक नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। उनका आर्थिक भविष्य आंशिक रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि वे पुराने और नए विश्व आर्थिक संगठनों के बीच प्रतिस्पर्धा को कैसे नेविगेट करते हैं। इनका भविष्य इसी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि सभी राष्ट्र जो नवउदारवादी/वैश्वीकरण पूंजीवाद और राष्ट्रवादी पूंजीवाद दोनों के आलोचक और पीड़ित हैं, कैसे इसके साथ सामजस्य बिठाते हैं। रिचर्ड डी. वोल्फ़ मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट में अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं, और न्यू यॉर्क में न्यू स्कूल यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय मामलों में स्नातक कार्यक्रम में अतिथि प्रोफेसर हैं। यह लेख स्वतंत्र मीडिया संस्थान की एक परियोजना, इकोनॉमी फॉर ऑल द्वारा तैयार किया गया है। मूल रुप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।
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जिसमें खूब धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है और मिट्टी का भराव चालू है, जबकि भूमि खरीदकर कॉलोनी काटने के लिए पहले भूमि को उप जिलाधिकारी से आबादी में घोषित करानी पड़ती है। इस संबंध में एसडीएम जानसठ से कई बार फोन पर संपर्क करना चाहा, लेकिन कोई संतोषजनक बात नहीं हो पाई। हरी-भरी फसलों से महकते थे खेत खलियानः- जानसठ के चारों ओर जिन खेतों में कालोनिया काटी जा रही है और खेतों में कभी हरी भरी फसलों से खेत महकते थे और अच्छी खांसी फसलें होती थी, जिनमें साग सब्जी या गन्ने की फसल व अनाज की अच्छी पैदावार होती थी, जिन से लोगों को अच्छी आमदनी होती रहती थी। कस्बे के चारों ओर काटी जा रही कालोनियों में प्लाटिंग की जा रही है और प्लाट की खरीददारी जोरों पर चल रही हैं। खरीदे गए प्लॉट आम लोगों के लिए कमाई का भी जरिया है। कुछ ही दिनों में प्लाट की कीमत बढ़ जाती है और महंगी रेट में प्लाट खरीदे और बेचे जा रहे हैं। यह एक कारोबार का भी अच्छा साधन माना जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि जब केवल उपरोक्त 3 कारणों से ही बाग काटा जा सकता है, तो फिर हरे-भरे आम के बाग को क्यों काट दिया गया, तो उन्होंने बताया कि आवेदक उद्यान विभाग मे पेड़ों के काटने की परमिशन लेता है। जिसमें काफी संख्या में आम के हरे भरे फलदार पेड़ खड़ेे हुए हैं, जबकि आम फलों का राजा कहलाता है।
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* प्रभु-पद-रत भव-विरत नित बंदौं भक्त उदार समय बिता दे, विषय-भोगमे ही उनकी आयु बीत जाय ।" नाथमुनिके देहावसानके बाद राममिश्र यामुनको उनकी सम्पत्ति का अधिकार सौंपनेके लिये ले जा रहे थे। रास्तेमे श्रीरंगके मन्दिरमे दर्शन के निमित्त आनेपर यामुनके हृदयमे सहसा भक्तिका स्रोत उमड़ आया। उनके हृदय में पूर्ण और अखण्ड वैराग्यका उदय हुआ, माया और राज्यभोगकी प्रवृत्तिका नाश हो गया। उन्होंने शुद्ध हृदयसे भगवान् श्रीरंगकी स्तुति की - 'परमपुरुष ! मुझ अपवित्र उद्दण्ड, निष्ठुर और निर्लनको धिक्कार है, जो स्वेच्छाचारी होकर भी आपका पार्षद होनेकी इच्छा करता है। आपके पार्षदभावको, बड़े-बड़े योगीश्वरोंके अग्रगण्य तथा ब्रह्मा, शिव और सनकादि भी, पाना तो दूर रहा, मनमे सोच भी नहीं सकते ।' उन्होने अत्यन्त सादगी और विनम्रतासे कहा कि आपके दास्यभावमें ही सुखका अनुभव करनेवाले सजनोके घरमें मुझे कीड़ेकी भी योनि मिले, पर दूसरोके घरमे मुझे ब्रह्माजीकी भी योनि न मिले ।' वे भगवान् श्रीरंगके पूर्ण भक्त हो गये, उनके अधरोंपर भक्ति की रसमयी वाणी विहार करने लगी। श्रीयामुनाचार्यने भगवान्को पूर्ण पुरुषोत्तम माना, जीवको अंश और ईश्वरको अंशीके रूपमें निरूपित किया । जीव और ईश्वर नित्य पृथक हैं। उन्होंने कहा कि जगत् ब्रह्मका परिणाम है। ब्रह्म ही जगत् रूप परिणत है । जगत् ब्रह्मका शरीर है। ब्रह्म जगत्के आत्मा है। आत्मा और शरीर अभिन्न हैं। इसलिये जगत् ब्रह्मात्मक है । ब्रह्म सविशेष - सगुण, अशेष कल्याणगुणगणसागर सर्वनियन्ता हैं । जीव स्वभावसे ही उनका दास है, भक्त है; भक्ति जीवका स्वधर्म है, आत्मधर्म है। भक्ति शरणागतिका पर्याय है। भगवान् अशरणशरण हे । श्रीरामानुजाचार्य बड़े ही विद्वान्, सदाचारी, धैर्यवान्, सरल एवं उदार थे। ये आचार्य आळवन्दार ( यामुनाचार्य ) की परम्परामे थे । इनके पिताका नाम केशवभट्ट था । ये दक्षिणके तिरुकुदूर नामक क्षेत्रमे रहते थे । जब इनकी अवस्था बहुत छोटी थी, तभी इनके पिताका देहान्त हो गया और इन्होंने काञ्चीमे जाकर यादवप्रकाश नामक गुरुसे वेदाध्ययन किया । इनकी बुद्धि इतनी कुशाग्र थी कि ये अपने गुरुकी व्याख्यामे भी दोप निकाल दिया करते थे। इसीलिये गुरुजी इनसे बडी ईर्ष्या करने लगे, यहाँतक कि वे इनके प्राण लेनेतकको उतारू हो गये। उन्होने रामानुजके सहाध्यायी एवं चचेरे भाई गोविन्द से मिलकर यह षड्यन्त्र रचा कि गोविन्दभट्ट रामानुजको काशीयात्राके बहाने किसी घने जंगलमे ले जाकर वहीं उनका काम तमाम कर दें । गोविन्दभने ऐसा ही किया, परंतु भगवान्की कृनामे एक व्याध और उसकी स्त्रीने इनके प्राणोकी रक्षा की। विद्या, चरित्रबल और भक्ति में रामानुज अद्वितीय थे । यामुनाचार्य श्रीरामानुजके परमगुरु थे । स्तोत्ररत्न, सिद्धित्रय, आगमप्रामाण्य और गीतार्थसंग्रह उनके ग्रन्थरत्न हैं । उनका आळवंदारस्तोत्र बड़ा ही मधुर है । यामुनाचार्यने आजीवन भगवान् से अनन्य भक्ति का ही वरदान माँगा । उनके लिये भगवान् ही परमाश्रय थे। उन्हींके चरणोंकी शरण लेनमे उन्हें बन्धनमुक्ति दीख पड़ी । वे अपने समयके महान् दार्शनिक, अनन्य भक्त और विचारक थे । यामुनाचार्यने महाप्रयाणकालमें श्रीरामानुजाचार्यको याद किया, परतु उनके पहुॅचनेसे पहले ही वे दिव्यधामको पथार गये । उनकी तीन अंगुलियाँ उठी रह गयीं। वे ही उनके मनमें रही तीन कामनाएँ थीं, जिनको श्रीरामानुजाचार्यने पूर्ण किया। इन्हे कुछ योगसिदियाँ भी प्राप्त थीं, जिनके बलसे इन्होंने काञ्चीनगरीकी राजकुमारीको प्रेतबाधासे मुक्त कर दिया । जय महात्मा आळवन्दार मृत्युकी घडियॉ गिन रहे थे, उन्होंने अपने शिष्य के द्वारा रामानुजाचार्यको अपने पास बुलवा भेजा। परंतु रामानुजके श्रीरङ्गम् पहुॅचनेके पहले ही आळवन्दार (यामुनाचार्य) भगवान् नारायणके धाम में पहुॅच चुके थे । रामानुजने देखा कि श्रीयामुनाचार्य के हाथकी तीन उँगलियाँ मुड़ी हुई है। इसका कारण कोई नहीं समझ सका । रामानुज तुरत ताड़ गये कि यह सकेत मेरे लिये है । उन्होने यह जान लिया कि श्रीयामुनाचार्य मेरेद्वारा ब्रह्मसूत्र, विष्णुसहस्रनाम और आळवन्दारोंके 'दिव्यप्रवन्धम्' की टीका करवाना चाहते हैं। उन्होने आळबन्दारके मृत शरीरको प्रणाम किया और कहा - 'भगक्न् ! मुझे आपकी आज्ञा गिरोधार्य है, मै इन तीनों ग्रन्थोकी टीका अवश्य लिखूँगा अथवा लिखवाऊँगा । रामानुजके यह कहते ही आळवन्दारकी तीनों उँगलियाँ सोधी हो गयीं । इसके बाद श्रीरामानुजने * श्रीरामानुजाचार्य आळवन्दारके प्रधान शिष्य पेरियनाम्बिसे विधिपूर्वक वैष्णव-दीक्षा ली और वे भक्तिमार्गमे प्रवृत्त हो गये । रामानुज गृहस्थ थे; परंतु जब उन्होंने देखा कि गृहस्थीमे रहकर अपने उद्देश्यको पूरा करना कठिन है, तब उन्होंने गृहस्यका परित्याग कर दिया और श्रीरङ्गम् जाकर यतिराज नाम सन्यासीसे संन्यासकी दीक्षा ले ली । इधर इनके गुरु यादवप्रकाशको अपनी करनीपर बडा पश्चात्ताप हुआ और वे भी संन्यास लेकर श्रीरामानुजकी सेवा करनेके लिये श्रीरङ्गम् चले आये । उन्होने अपना संन्यास आश्रमका नाम गोविन्दयोगी रक्खा । आचार्य रामानुज दयामे भगवान् बुद्धके समान, प्रेम और सहिष्णुतामे ईसामसीहके प्रतियोगी, गरणागतिमे आळचारोके अनुयायी और प्रचारकार्यमे सेन्ट जॉनके समान उत्साही थे । इन्होने तिरुकोट्टियूरके महात्मा नाम्बिसे अष्टाक्षर मन्त्र ( ॐ नमो नारायणाय ) की दीक्षा ली थी । नाम्बिने मन्त्र देते समय इनसे कहा था कि 'तुम इस मन्त्रको गुप्त रखना ।' परंतु रामानुजने सभी वर्णके लोगोको एकत्रकर मन्दिरके शिखरपर खड़े होकर सब लोगोको वह मन्त्र सुना दिया । गुरुने जब रामानुजकी इस धृष्टताका हाल सुना, तब वे इनपर बड़े रुष्ट हुए और कहने लगे-'तुम्हे इस अपराधके बदले नरक भोगना पड़ेगा ।" श्रीरामानुजने इसपर बड़े विनयपूर्वक कहा कि 'भगवन् ! यदि इस महामन्त्रका उच्चारण करके हजारो आदमी नरककी यन्त्रणासे बच सकते है तो मुझे नरक भोगनेमे आनन्द ही मिलेगा । रामानुजके इस उत्तरसे गुरुका क्रोध जाता रहा, उन्होने बड़े प्रेमसे इन्हे गले लगाया और आशीर्वाद दिया । इस प्रकार रामानुजने अपनी समदर्शिता और उदारताका परिचय दिया। रामानुजने आळवन्दारकी आज्ञाके अनुसार आळवारोके 'दिव्यप्रबन्धम्' का कई बार अनुशीलन किया और उसे कण्ठ कर डाला । उनके कई शिष्य हो गये और उन्होने इन्हें आळवन्दारकी गद्दी पर बिठाया; परंतु इनके कई शत्रु भी हो गये, जिन्होंने कई बार इन्हे मरवा डालनेकी चेष्टा की । एक दिन इनके किसी शत्रुने इन्हे भिक्षाने विप मिला हुआ भोजन दे दिया; परंतु एक स्त्रीने इन्हे सावधान कर दिया और इस प्रकार रामानुजके प्राण बच गये । रामानुजने आळवारोके भक्तिमार्गका प्रचार करनेके लिये सारे भारतकी यात्रा की और गीता तथा ब्रह्मसूत्रपर भाष्य लिखे। वेदान्तसूत्रोपर इनका भाष्य 'श्रीभाष्य के नामसे प्रसिद्ध है और इनका सम्प्रदाय भी 'श्रीसम्प्रदाय' कहलाता है; क्योंकि इस सम्प्रदायकी आद्यप्रवर्तिका श्रीश्रीमहालक्ष्मीजी मानी जाती है । यह ग्रन्थ पहले-पहल काश्मीरके विद्वानोको सुनाया गया था । इनके प्रधान शिष्यका नाम क्रूरताळवार ( कुरेश ) था । कूरत्ताळवारके परागर और पिल्लन् नामके दो पुत्र थे । रामानुजने पराशरके द्वारा विष्णुसहस्रनामकी टीका लिखवायी और पिल्लन्से 'दिव्यप्रबन्धम्' की टीका लिखवायी । इस प्रकार उन्होने आळवन्दारकी तीनों इच्छाओको पूर्ण किया । उन दिनो श्रीरङ्गम्पर चोळदेश के राजा कुळोत्तुगका अधिकार था । ये बड़े कट्टर शैव थे । इन्होने श्रीरङ्गजी के मन्दिरपर एक ध्वजा टॅगवा दी थी, जिसपर लिखा था'शिवात्परं नास्ति' ( शिवसे बढ़कर कोई नहीं है ) । जो कोई इसका विरोध करता, उसके प्राणोपर आ बनती थी । कुळोत्तुङ्गने रामानुजके शिष्य कूरेताळवारको बहुत पीड़ा दी । इस समय आचार्य रामानुज मैसूरराज्यके शालग्राम नामक स्थानमे रहने लगे थे । वहाँके राजा भट्टदेव वैष्णवधर्मके सबसे बड़े पक्षपाती थे । आचार्य रामानुजने वहाँ बारह वर्षतक रहकर वैष्णवधर्मकी बड़ी सेवा की । सन् १०९९ मे उन्हें नम्मले नामक स्थान में एक प्राचीन मन्दिर मिला और राजाने उसका जीर्णोद्धार करवाकर पुनः नये ढंगसे निर्माण करवाया । वह मन्दिर आज भी तिरुनारायणपुरके नाम से प्रसिद्ध है। वहॉपर भगवान् श्रीरामका जो प्राचीन विग्रह है, वह पहले दिल्ली के बादशाहके अधिकारमे था । बादशाहकी लड़की उसे प्राणोसे भी बढ़कर मानती थी । रामानुज अपनी योगशक्ति के द्वारा बादशाहकी स्वीकृति प्राप्तकर उस विग्रहको वहाँसे ले आये और उसकी पुनः तिरुनारायणपुरमे स्थापना की । राजा कुळोत्तुङ्गका देहान्त हो जानेपर आचार्य रामानुज श्रीरङ्गम् चले आये । वहाँ उन्होने एक मन्दिर बनवाया, जिसमे नम्माळवार और दूसरे आळवार सतोकी प्रतिमाएँ स्थापित की गयीं और उनके नामसे कई उत्सव भी जारी किये। उन्होने तिरुपति मन्दिरमे भगवान् गोविन्दराजपेरुमलकी पुनः स्थापना करवायी और मन्दिरका पुनः निर्माण करवाया । उन्होने देशमरमे भ्रमण करके हजारों नर-नारियोको भक्तिमार्गमे लगाया । आचार्य रामानुजके चौहत्तर शिष्य थे, जो सब के सब संत हुए । इन्होने करताळवारके पुत्र महात्मा पिल्ललोकाचार्यको अपना उत्तराधिकारी बनाकर एक सौ बीस वर्षकी अवस्थामे इस असार संसारको त्याग दिया । रामानुजके सिद्धान्तके अनुसार भगवान् ही पुरुषोत्तम हैं। वे ही प्रत्येक शरीरमे साक्षी रूप में विद्यमान हैं। वे जगत्के नियन्ता, शेपी ( अवयवी ) एवं स्वामी हैं और जीव उनका नियम्य, शेष तथा सेवक है। अपने व्यष्टि अहङ्कारको सर्वथा मिटाकर भगवान्की सर्वतोभावेन शरण ग्रहण करना ही जीवका परम पुरुषार्थ है । भगवान् नारायण ही सत् है, उनकी शक्ति महालक्ष्मी चित् हैं और यह जगत् उनके आनन्दका विलास है, रज्जुमे सर्पकी भाँति असत् नही है । भगवान् लक्ष्मीनारायण जगत्के माता-पिता और जीव उनकी सन्तान हैं । माता-पिताका प्रेम और उनकी कृपा प्राप्त करना ही सन्तानका धर्म है। वाणीसे भगवान् नारायणके नामका ही उच्चारण करना चाहिये और मन, वाणी, शरीरसे उनकी सेवा करनी चाहिये । श्रीरामानुजाचार्यने 'प्रपत्ति पर बहुत जोर दिया है । न्यासविद्या ष्टी वह प्रपत्ति है । आनुकूल्यका सङ्कल्प और प्रातिकूल्यका वर्जन प्रपत्ति है । भगवान्मे आत्मसमर्पण करना प्रपत्ति है । सब प्रकारसे भगवान्के शरण हो जाना प्रपत्तिका लक्षण है। नारायण विभु हैं, भूमा हैं, उनके चरणोमे आत्मसमर्पण करनेसे जीवको शान्ति मिलती है । उनके प्रसन्न होनेपर मुक्ति मिल सकती है । उन्हें सर्वस्व निवेदन करना होगा । सब विपयोको त्यागकर उनकी शरण लेनी होगी । सत्यकाम सत्यसंकल्प परब्रह्मभूत पुरुषोत्तम महाविभूते श्रीमन्नारायण वैकुण्ठनाथ अपारकारुण्यसोशील्यवात्सल्यौदायैश्वर्यसौन्दर्यमहोदधे, अनालोचितविशेषाविशेषलोकशरण्य प्रणतार्तिहर आश्रितवात्सल्यजलधे, अनवरत विदितनिखिल अशेपचराचरभूतनिखिलनियमाशेपचिदचिद्वस्तुशेषिभूत निखिलजगदाधाराखिलजगत्स्वामिन्, अस्मत्स्वामिन्, सत्यकाम सत्यसंकल्प सकलेतरविलक्षण अथिंकल्पक आपत्सख, श्रीमन्नारायण अशरणशरण्य, अनन्यशरणं त्वत्पदारविन्दयुगलं शरणमहं प्रपद्ये । 'हे पूर्णकाम, सत्यसङ्कल्प, परब्रह्मस्वरूप पुरुषोत्तम ! हे महान् ऐश्वर्यसे युक्त श्रीमन्नारायण । हे वैकुण्ठनाथ ! आप अपार करुणा, सुशीलता, वत्सलता, उदारता, ऐश्वर्य और सौन्दर्य आदि गुणोके महासागर है; छोटे-बड़े का विचार न करके सामान्यतः सभी लोगोको आप शरण देते हैं, प्रणतजनोंकी पीडा हर लेते हैं । शरणागतोके लिये तो । आप वत्सलताके समुद्र ही हैं। आप सदा ही समस्त भूतोंकी यथार्थताका ज्ञान रखते है । सम्पूर्ण चराचर भूर्ती, सारे नियमों और समस्त जड चेतन वस्तुओंके आप अवयवी हैं ( ये सभी आपके अवयव है ) । आप समस्त संसारके आधार है, अखिल जगत् तथा हम सभी लोगोंके स्वामी हैं। आपकी कामनाएँ पूर्ण और आपका सकल्प सच्चा है । आप समस्त प्रपञ्च से इतर और विलक्षण है । याचकोंके लिये तो आप कल्पवृक्ष है, विपत्तिमे पढ़े हुए लोगोंके सहायक हैं। ऐसी महिमावाले तथा आश्रयहीनोको आश्रय देनेवाले हे श्रीमन्नारायण ! मै आपके चरणारविन्दयुगलकी शरणमें आता हूँ; क्योंकि उनके सिवा मेरे लिये कहीं भी शरण नहीं है ।" पितरं मातरं दारान् पुत्रान् बन्धून् सखीन् गुरून् । रत्नानि धनधान्यानि क्षेत्राणि च गृहाणि च ॥ सर्वधमांश्च सन्त्यज्य सर्वकामांश्च साक्षरान् । लोकचिक्रान्तचरणौ शरणं तेऽव्रजं विभो ॥ 'हे प्रभो ! मै पिता, माता, स्त्री, पुत्र, बन्धु, मित्र, गुरु, सब रत्न, धन-धान्य, खेत, घर, सारे धर्म और अक्षरसहित सम्पूर्ण कामनाओका त्यागकर समस्त ब्रह्माण्डको आक्रान्त करनेवाले आपके दोनों चरणोंकी गरणमे आया हूँ ।' मनोवाक्कायैरनादिकालप्रवृत्तानन्ताकृत्यकरणकृत्याकरणभगवदपचारभागवतापचारासह्यापचाररूपनानाविधानन्तापचारा नारब्धकार्यानना रब्धकार्यान् कृतान् क्रियमाणान् करिष्यमाणांश्च सर्वान् अशेषतः क्षमस्व । अनादिकालप्रवृत्तविपरीतज्ञानमात्मविषयं कृत्स्नजगद्विपयं च विपरीतवृत्तं चाशेपविषयमद्यापि वर्तमानं वर्तिप्यमाणं च सर्व क्षमस्व । मदीयानादिकर्म प्रवाहप्रवृत्तां भगवत्स्वरूपतिरोधानकरीं विपरीतज्ञानजननी स्वविपयायाश्च भोग्यबुद्धेर्जननी देहेन्द्रियत्वेन भोग्यत्वेन सूक्ष्मरूपेण चावस्थितां दैवो गुणमयीं मायां दासभूतः शरणागतोऽस्मि तवास्मि दास इति वक्तारं मां तारय । 'हे भगवन् ! मन, वाणी और शरीरके द्वारा अनादि फालसे अनेकों न करने योग्य कर्मों का करना, करने योग्य कर्मोंको न करना, भगवान्का अपराध, भगवद्भक्तोका अपराध तथा और भी जो अक्षम्य अनाचाररूप नाना प्रकार
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- पुराण युक्त खाद्य पदार्थ (एमजी / 100 ग्राम में समकक्ष यूरिक एसिड के रूप में व्यक्त) पुरीन कई खाद्य पदार्थों के प्राकृतिक तत्व हैं। शरीर में, वे यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाते हैं। जिन लोगों ने यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाया है, उदाहरण के लिए हाइपर्यूरिसिया और गठिया में, केवल संयम में शुद्ध भोजन युक्त खाद्य पदार्थों का आनंद लेना चाहिए। कौन सा आहार विशेष रूप से purinarm और समृद्ध है, आप तालिका में पाएंगे। - यकृत जैसे ऑफल में बहुत सारी शुद्धियां होती हैं। पुराण समृद्ध खाद्य पदार्थ शरीर में यूरिक एसिड स्तर को बढ़ाते हैं और यहां तक कि गठिया के हमलों को भी ट्रिगर कर सकते हैं। हालांकि गठिया और हाइपरयूरिसीमिया कर सकते हैं, यूरिक एसिड चयापचय की एक आनुवंशिक विकार, आहार का इलाज नहीं का उपयोग कर, लेकिन एक महत्वपूर्ण प्रभाव। एक इसलिए गरीब आहार हमेशा चिकित्सा का हिस्सा होना चाहिए हो। अकेले हाइपर्यूरिसिया के साथ, यह अतिरिक्त दवा का सहारा लेने के बिना यूरिक एसिड स्तर को कम करने के लिए पर्याप्त हो सकता है। , अधिक से अधिक प्रभाव के साथ राशि की परवाह किए बिना दोनों पौधे और पशु खाद्य पदार्थों में स्थित प्यूरीन पशु स्रोतों से प्यूरीन निहित, गाउट के जोखिम पर अध्ययन के अनुसार। हाइपरुरिसेमिया के मामले में और गठिया के हमलों को रोकने के लिए, चाहिए यूरिक एसिड के अधिकतम 500 मिलीग्राम (मिलीग्राम) भोजन में purines के प्रति दिन (शुद्ध भोजन)। कड़ाई से शुद्ध भोजन तीव्र गठिया के दौरे और अनुरूपता के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है अधिकतम 300 मिलीग्राम यूरिक एसिड दैनिक। अन्य आहार या उपवास, एक महत्वपूर्ण हाइपरयूरिसीमिया या गठिया फ्लेयर्स पर किया जाता नहीं किया जाना चाहिए के बाद से इस तरह यूरिक एसिड उत्सर्जन कम हो जाता है। इसके बजाय, अपने आप को एक पूर्ण आहार के लिए उन्मुख और purine युक्त खाद्य पदार्थों के लिए छड़ी। भोजन प्यूरीन में 125 से 150 मिलीग्राम (2.4 मिलीग्राम यूरिक एसिड समकक्ष 1 मिलीग्राम प्यूरीन समकक्ष) प्रति दिन 300 मिलीग्राम यूरिक एसिड को अपमानित कर रहे हैं। आम तौर पर, गठित यूरिक एसिड प्रति 100 ग्राम (जिसे यूरिक एसिड समकक्ष भी कहा जाता है) में खाद्य पदार्थों की शुद्ध सामग्री दी जाती है। शुद्ध फ़ाइल यहां विस्तृत संस्करण में डाउनलोड के लिए पीडीएफ के रूप में उपलब्ध है। पुराण युक्त खाद्य पदार्थ (एमजी / 100 ग्राम में समकक्ष यूरिक एसिड के रूप में व्यक्त) ।मछली (जैसे ट्राउट, लॉबस्टर, मुसलमान, हेरिंग) ।फल (सफेद सेम, मटर, सोया) स्वाद बढ़ाने के लिए purines के गठन को बढ़ावा दे सकते हैं। E626 से E635 Additives इसलिए आपको टालना चाहिए। - अंडे (प्रति सप्ताह अधिकतम तीन में कोलेस्ट्रॉल सामग्री के कारण) - दूध और दूध उत्पाद (वसा में अधिमानतः कम) - फल (तिथियों को छोड़कर) - सब्जियां (फलियां, पालक, ब्रसेल्स अंकुरित को छोड़कर) - मकई semolina (polenta) खाना पकाने के दौरान, purines की सामग्री कम हो जाती हैक्योंकि उन्हें आंशिक रूप से खाना पकाने के पानी में छोड़ दिया जाता है। इसलिए इसका पुनः उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, रोजाना कम से कम दो लीटर गैर-कैलोरीफिश या कम तरलता (पानी या अनचाहे चाय) पीना सुनिश्चित करें। यह यूरिक एसिड विसर्जन को बढ़ावा देता है। शराब को आम तौर पर गठिया और हाइपरुरिसिमीया से बचा जाना चाहिए क्योंकि यह यूरिक एसिड के गठन को बढ़ावा देता है, लेकिन उनके विसर्जन को रोकता है। हालांकि बियर (शराब रहित भी) में 10 से 15 मिलीग्राम यूरिक एसिड प्रति 100 ग्राम थोड़ा purine समकक्ष होता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि उपभोग की गई मात्रा अक्सर अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में काफी अधिक होती है। उदाहरण के लिए, 100 से 150 मिलीग्राम यूरिक एसिड समकक्ष पहले से ही एक लीटर बियर में निहित है। फल और फलों के रस में केवल मध्यम मात्रा में शुद्धियां होती हैं। फिर, आपको इसे अधिक नहीं करना चाहिए।ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने खपत और गठिया के विकास के जोखिम के बीच एक कनेक्शन दिखाया।
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Khap Panchayat Kurukshetra: बीजेपी सांसद और कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पहलवानों के समर्थन में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में खाप पंचायत का आयोजन किया गया है, लेकिन इसी दौरान किसी बात पर वहां मौजूद चौधरी आपस में ही भिड़ गए और देखते ही देखते हंगामा शुरू हो गया। जिसका एक वीडियो भी सामने आया है। हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि इस पंचायत में आए चौधरी आपस में किस बात को लेकर भिड़े गए। इससे पहले गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पहलवानों के समर्थन में खाफ पंचायत हुई थी। वहीं गुरुवार को मुजफ्फरनगर में हुई खाप पंचायत और आज यानी शुक्रवार की महापंचायत के फैसले की शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी जाएगी। पहलवान यौन शोषण का आरोप लगाकर बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। आज हो रही खाप महापंचायत में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के खाप चौधरी शामिल हुए हैं। वहीं इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य भी मौजूद हैं। सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत में पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि तोप तलवारों से नहीं, बल्कि जनता के बीच ये वैचारिक लड़ाई है। इसमें हमारी जीत होगी। उन्होंने कहा कि पहलवानों का यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है, क्योंकि कार्रवाई नहीं होने से देश की छवि खराब हो रही है। इससे पहले मुजफ्फरनगर के भारतीय किसान यूनियन (BKU) के बुलाए गए 'खाप महापंचायत' में पहलवानों की ओर से जारी विरोध के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसके बाद बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि खाप प्रतिनिधि राष्ट्रपति से भी मिलेंगे। पहलवान किसी जाति के नहीं हैं, इनकी जाति तिरंगा है। हम भी विदेश में अपनी पार्टी का नहीं, देश का झंडा लेकर जाते हैं। टिकैत ने कहा कि अगर न्याय नहीं मिलता है तो यह लड़ाई पूरे देश में लड़ेंगे। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे पहलवान पिछले सोमवार को अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार गए थे, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने ऐसा करने से मना किया। जिसके बाद पहलवानों ने अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए थे। बृजभूषण शरण सिंह की 5 जून 2023 को अयोध्या में होने वाली रैली रद्द हो गयी है। बताया जा रहा है कि बीजेपी सांसद को प्रशासन की तरफ से मंजूरी नहीं मिली है। वहीं, बृजभूषण सिंह ने कहा कि पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या और निराधार हैं।
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Please note that all translations are automatically generated. यहां, फोटोरिसेप्टर झिल्ली प्रोटीन के स्थानीयकरण और ईजीएफपी प्रतिदीप्ति का उपयोग करके ड्रोसोफिला यौगिक आंख में रेटिना अधः पतन के मूल्यांकन के लिए गैर-आक्रामक तरीकों का वर्णन किया गया है। जीएफपी-टैग किए गए फोटोरिसेप्टर प्रोटीन, आयन चैनल टीआरपीएल जीएफपी की तरह, हमें noninvasive तकनीकों का उपयोग करके न्यूरॉन्स में प्रोटीन परिवहन का अध्ययन करने की अनुमति देते हैं। इस विधि का उपयोग फोटोरिसेप्टर अधः पतन की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। इस प्रकार, मनुष्यों में अंधापन के परिणामस्वरूप वंशानुगत रोगों के आणविक आधार का अध्ययन ड्रोसोफिला आंख में किया जा सकता है। जीएफपी-टैग किए गए प्रोटीन के सेलुलर स्थानीयकरण का आकलन गहरे स्यूडोपिपल में प्रतिदीप्ति को देखकर या पानी-विसर्जन माइक्रोस्कोपी द्वारा किया जा सकता है। दोनों विधियां दृश्य प्रोटीन के स्थानीयकरण के तेजी से निर्धारण की अनुमति देती हैं और फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं के अधः पतन के कारण रैबडोमेरेस के संरचनात्मक दोषों को देखती हैं। उच्च गुणवत्ता वाली छवियों को प्राप्त करने के लिए, सबसे महत्वपूर्ण पहलू मक्खी आंख का अभिविन्यास है। इस तकनीक का प्रदर्शन करते समय, किसी को आंख की परिधि की ओर थोड़ा स्थित ओमटिडिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मैं डीपीपी इमेजिंग की प्रक्रिया का प्रदर्शन करूंगा, जबकि जल-विसर्जन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करने वाली दो तकनीकों को मेरे सहयोगी, डॉ क्रिस्टिना वैगनर और हमारे समूह में पीएचडी छात्र मैथियास ज़ेगर द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा। गहरी छद्मपुल, या डीपीपी, इमेजिंग शुरू करने के लिए, एक से तीन दिन पुरानी मक्खियों को एनेस्थेटिक करें, और उनमें से एक को माइक्रोस्कोप उद्देश्य के केंद्र में अपनी तरफ रखें ताकि या तो बाईं या दाईं आंख उद्देश्य का सामना कर रही हो। पूरी आंख को फिट करने के लिए आवर्धन बढ़ाएं, और आंख के केंद्रीय ओमटिडिया को केंद्र में रखें। यदि संभव हो, तो डबल-आईरिस डायाफ्राम को उथले सेटिंग में समायोजित करके माइक्रोस्कोप के क्षेत्र की गहराई को कम करें। इसके बाद, अधिकतम तीव्रता पर माइक्रोस्कोप यूवी लैंप पर स्विच करें। फिर, आंखों में व्यक्त प्रतिदीप्ति प्रोटीन के अनुसार माइक्रोस्कोप के प्रतिदीप्ति फ़िल्टर सेट का चयन करें, और माइक्रोस्कोप-माउंटेड कैमरे की ओर प्रकाश पथ सेट करें। सॉफ़्टवेयर के भीतर लाइव इमेजिंग सुविधा का उपयोग करते हुए, छवि की चमक को एक सेटिंग में समायोजित करें जो एक्सपोज़र समय और लाभ मूल्य को बढ़ाकर आंख से केवल विशिष्ट संकेतों का पता लगाता है। DPP की superimposed छवि उत्पन्न करने के लिए आंख में माइक्रोस्कोप फोकस को समायोजित करें। उसके बाद, फ्लोरोसेंट डीपीपी का एक स्नैपशॉट लें। एक घातक भिन्नता में एक मक्खी तैयार करने के लिए, एक वस्तु स्लाइड पर प्लास्टिसिन के एक टुकड़े का पालन करें और पेट्री डिश के केंद्र में एक और टुकड़ा। पेट्री डिश को बर्फ-ठंडा आसुत पानी और कुछ बर्फ के गुच्छे से भरें। फिर, Plasticine-लेपित ऑब्जेक्ट स्लाइड के शीर्ष पर एक स्टीरियो माइक्रोस्कोप के तहत एक बर्फ-एनेस्थेटिक मक्खी डालें। मक्खी को अपनी पीठ पर घुमाएं, और वक्ष के केंद्र के माध्यम से एक कीट पिन को छेदें। Plasticine-लेपित ऑब्जेक्ट स्लाइड पर क्षैतिज रूप से पिन को ठीक करें, और ऊपर की ओर मक्खी की बाईं या दाईं आंख को उन्मुख करें। फिर, ध्यान से अपने Plasticine मुक्त पक्ष पेट्री पकवान में नीचे का सामना करना पड़ के साथ वस्तु स्लाइड तय, मक्खी सिर के रोटेशन को रोकने. सुनिश्चित करें कि मक्खी आंख पानी से ढकी हुई है। वैकल्पिक रूप से, एक गैर-घातक भिन्नता में एक मक्खी तैयार करने के लिए, बर्फ-एनेस्थेटिक फ्लाई हेड को पहले 200-माइक्रोलीटर पिपेट टिप में स्थानांतरित करें, और संपीड़ित हवा के साथ टिप की ओर मक्खी को सावधानीपूर्वक धक्का दें। फिर, एक स्केलपेल का उपयोग करके, सिर के ठीक सामने पिपेट टिप को काट दें, और चिमटी का उपयोग करके चिमटी का उपयोग करके सावधानीपूर्वक फ्लाई को पिपेट टिप में कुछ मिलीमीटर धक्का दें। पिपेट टिप को फिर से काट लें, और संपीड़ित हवा के साथ मक्खी को टिप की ओर वापस धकेलें ताकि केवल मक्खी का सिर पिपेट टिप से बाहर निकल जाए। एक वस्तु स्लाइड पर Plasticine के एक टुकड़े का पालन करने के बाद, इसमें पिपेट टिप दबाएं ताकि बाईं या दाईं आंख ऊपर की ओर हो। सुनिश्चित करें कि आंख माइक्रोस्कोप के नीचे सही ढंग से उन्मुख है। छवि अधिग्रहण के लिए, एक जल-विसर्जन उद्देश्य का चयन करें। एक गैर-घातक भिन्नता के मामले में, पानी-विसर्जन उद्देश्य के नीचे ठंडे पानी की एक बड़ी बूंद का पालन करने के लिए एक प्रयोगशाला पिपेट का उपयोग करें। माइक्रोस्कोप चरण पर तैयार मक्खी के साथ वस्तु स्लाइड को ध्यान से रखें। फिर, पानी-विसर्जन उद्देश्य को मैन्युअल रूप से कम करें जब तक कि यह पानी की सतह से संपर्क न करे या मक्खी की आंख बूंद को छू न जाए। फिर, माइक्रोस्कोप कैमरे की ओर प्रकाश पथ को स्विच करें, और एक लाइव छवि उत्पन्न करें। कैमरे के लिए फोकस को समायोजित करें, और आंख के अभिविन्यास का मूल्यांकन करें, यह देखते हुए कि आंख को माइक्रोस्कोप उद्देश्य का सामना करना चाहिए। oversaturation का पता लगाने के लिए लुकअप तालिका सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें। गैर-पिगमेंटेड मक्खियों के मामले में, एक्सपोज़र समय को समायोजित करें जैसे कि सबसे चमकीले पिक्सेल हर छवि के लिए संतृप्ति सीमा से नीचे हों। एक छवि रिकॉर्ड करें, और रिकॉर्डिंग के सभी संबंधित मेटाडेटा को संग्रहीत करने के लिए इसे एक कच्ची फ़ाइल के रूप में सहेजें। उसके बाद, छवि को किसी tif स्वरूप में निर्यात करें। जल-विसर्जन माइक्रोग्राफ के rhabdomeres में सापेक्ष eGFP प्रतिदीप्ति को मापने के लिए, विश्लेषण पर क्लिक करके ImageJ सेटिंग्स को समायोजित करें, फिर माप सेट करें, और केवल मीन ग्रे मान के लिए बॉक्स की जाँच करें। फ़ाइल पर क्लिक करके tif छवि आयात करें, फिर खोलें। फ़ोकस में छवि का एक प्रतिनिधि क्षेत्र चुनें, और बार-बार नियंत्रण और एक साथ दबाकर इसे 200 से 300% तक बढ़ाएं। अगला, ओवल टूल का चयन करें, और शिफ्ट कुंजी को दबाते समय छवि में एक परिपत्र चयन उत्पन्न करें जो एक फ्लोरोसेंट रैबडोमेर से काफी छोटा है। उसके बाद, ImageJ मुख्य विंडो में उपकरण पट्टी के नीचे प्रदर्शित सटीक आकार के लिए देखें। परिपत्र चयन के भीतर प्रतिदीप्ति तीव्रता को मापने के लिए, सर्कल को कुंजीपटल पर तीर कुंजियों के साथ पहले rhabdomere पर ले जाएँ, और विश्लेषण करें क्लिक करें, फिर मापें. मापा ग्रे मान लिस्टिंग एक परिणाम विंडो पॉप अप होगा. दो से छह तक rhabdomeres के माप के साथ जारी रखें, और पृष्ठभूमि संकेत को भी मापें। गैर-पिगमेंटेड मक्खियों के मामले में, संबंधित सेल बॉडी क्षेत्रों के अतिरिक्त माप करें। दो और ommatidia के प्रतिदीप्ति को मापने, तीन तकनीकी प्रतिकृति में जिसके परिणामस्वरूप. पेंसिल उपकरण का उपयोग करके विश्लेषित ommatidia चिह्नित करें, और प्रलेखन के लिए इस छवि को सहेजें। परिणाम विंडो से मापा ग्रे मानों का चयन करें और उनकी प्रतिलिपि बनाएँ, और उन्हें आगे की गणना के लिए स्प्रेडशीट सॉफ़्टवेयर में चिपकाएँ. प्रतिदीप्ति तीव्रता मानों को उनके मूल के अनुसार rhabdomere, सेल बॉडी और पृष्ठभूमि श्रेणियों में सॉर्ट करें, और प्रत्येक श्रेणी से माध्य तीव्रता की गणना करें। फिर, गैर-पिगमेंटेड आंखों के लिए पहले सूत्र का उपयोग करके रैबडोमेर में मौजूद ईजीएफपी की सापेक्ष मात्रा की गणना करें और पिगमेंटेड आंखों के लिए दूसरा। वैकल्पिक रूप से, जल-विसर्जन माइक्रोग्राफ में ईजीएफपी प्रतिदीप्ति द्वारा आंख आकृति विज्ञान को मापने के लिए, छवि के एक प्रतिनिधि क्षेत्र में तीन आसन्न ओमटिडिया चुनें जो फोकस में है। चयन के 18 rhabdomeres व्यक्तिगत रूप से उनके eGFP तीव्रता, किनारे तीक्ष्णता, और आसपास की पृष्ठभूमि संकेत के संबंध में इसके विपरीत के अनुसार मूल्यांकन करें। अंत में, दो के मूल्य के साथ स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले rhabdomeres स्कोर, एक के मूल्य के साथ साप्ताहिक दृश्यमान rhabdomeres, और एक अधः पतन सूचकांक उत्पन्न करने के लिए शून्य के मूल्य के साथ अनुपस्थित rhabdomeres। ट्रांसजेनिक ड्रोसोफिला मक्खियों में एक ईजीएफपी टीआरपीएल संलयन प्रोटीन को व्यक्त करते हुए, ईजीएफपी टीआरपीएल के स्थानांतरण के कारण प्रकाश में रैबडोमेरल प्रतिदीप्ति गायब हो जाती है। यह ईजीएफपी टीआरपीएल के आंतरिककरण में दोषपूर्ण उत्परिवर्ती की पहचान करने के लिए एक आनुवंशिक स्क्रीन करने की अनुमति देता है। नियंत्रण मक्खियों में, eGFP TRPL रोशनी के 16 घंटे के बाद सेल शरीर में rhabdomeres से बाहर translocates, अंधेरे अनुकूलित राज्य की तुलना में rhabdomeral प्रतिदीप्ति की एक महत्वपूर्ण कमी में जिसके परिणामस्वरूप. दूसरा अंधेरा इनक्यूबेशन प्रारंभिक मूल्य की ओर फिर से रैबडोमेरल प्रतिदीप्ति को बढ़ाता है। हालांकि, TRPL ट्रांसलोकेशन दोषपूर्ण उत्परिवर्ती vps35MH20 में, प्रतिदीप्ति पैटर्न रोशनी के 16 घंटे और 24 घंटे के लिए बाद के अंधेरे अनुकूलन के बाद काफी नहीं बदलता है। यह परिमाणीकरण विधि सांख्यिकीय रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण रीसाइक्लिंग दोष का पता लगा सकती है। सफेद आंखों वाली मक्खियां rhabdomere और सेल शरीर दोनों से प्रतिदीप्ति संकेतों का पता लगाने की अनुमति देती हैं। इसके विपरीत, लाल आंखों वाली मक्खियों में, प्रतिदीप्ति संकेत केवल रैबडोमेरेस में पता लगाने योग्य होते हैं लेकिन सेल शरीर में नहीं। रेटिना अधः पतन के परिमाणीकरण के बारे में, ईजीएफपी टीआरपी प्रतिदीप्ति का मूल्यांकन कई हफ्तों के दौरान किया जा सकता है। जब दो सप्ताह के लिए 12-घंटे के प्रकाश, 12-घंटे के अंधेरे चक्र में रखा जाता है, तो उत्परिवर्ती मक्खियों में अधः पतन सूचकांक में गिरावट आई लेकिन नियंत्रण मक्खियों में नहीं। इस प्रोटोकॉल में, किसी को पिगमेंटेड और गैर-पिगमेंटेड आंखों के बीच अंतर करने की आवश्यकता होती है। चूंकि रंजकता फ्लोरोसेंट सिग्नल को प्रभावित करती है, इसलिए मात्रात्मक जल-विसर्जन माइक्रोस्कोपी को दोनों मामलों के लिए व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित किया गया है। डीपीपी इमेजिंग और जल-विसर्जन माइक्रोस्कोपी सीमित रिज़ॉल्यूशन के साथ उच्च-थ्रूपुट विधियां हैं। उपकोशिकीय स्थानीयकरण की जांच करने के लिए, हम ऊतक वर्गों पर इम्यूनोफ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी की सिफारिश करते हैं। अपक्षयी फेनोटाइप के विस्तृत विश्लेषण के लिए, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का प्रदर्शन किया जा सकता है।
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कोरोना से इलाज के एक सप्ताह के बाद, COVID से ठीक हुए व्यक्तियों को यहां अपना टेस्ट करवाना होगा. फंगस संक्रमण के किसी भी लक्षण की जांच के लिए कोविड से ठीक हुए प्रत्येक व्यक्ति से संपर्क किया जाएगा. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने बुधवार को कहा कि ब्लैक फंगस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक अब राज्य में नई COVID-19 डिस्चार्ज पॉलिसी होगी जिसके तहत पोस्ट-Covid लक्षणों पर सावधानी बरती जाएगी. ब्लैक फंगस इंफेक्शन को फैलने से रोकने पर विशेषज्ञों के साथ बैठक करने के बाद मीडिया से बात करते हुए, डॉ सुधाकर ने कहा, "Covid -19 संक्रमण से ठीक होने वाले रोगियों के लिए एक नई नीति और पोस्ट-Covid सावधानियां तैयार करने का निर्णय लिया गया है." उन्होंने कहा विशेषज्ञों के साथ बैठक करने के बाद अब हम राज्य को फंगल इंफेक्शन के संक्रमण से बचाने पर काम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई मामलों में इलाज के दौरान यह पाया गया है कि COVID-19 के इलाज के पहले सप्ताह में स्टेरॉयड देना ब्लैक फंगस संक्रमण के मुख्य कारणों में से एक है. हमें इससे बचने की जरूरत है और स्टेरॉयड का इस्तेमाल रोकने की जरूरत. उन्होंने बताया कि अबतक राज्य ब्लैक फंगस के करीब 95 मामले हैं जिनका इलाज बैंगलोर मेडिकल कॉलेज में चल रहा है. उनमें से 75 मामलों में या तो डायबटीज है या उन्हें COVID के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया है. उन्होंने कहा नए निर्देश के तहत डिस्चार्ज करते समय अब लोगों के शरीर में फंगस संक्रमण मौजूद है या नहीं इसका टेस्ट किया जाएगा यदि जरूरी हो तो उनका एमआरआई स्कैन भी किया जाएगा. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने सभी जिला अस्पतालों को एक समर्पित पोस्ट-कोविड वार्ड बनाने का निर्देश दिया गया है. वहीं कोरोना से इलाज के एक सप्ताह के बाद, COVID से ठीक हुए व्यक्तियों को यहां अपना टेस्ट करवाना होगा. फंगस संक्रमण के किसी भी लक्षण की जांच के लिए कोविड से ठीक हुए प्रत्येक व्यक्ति से संपर्क किया जाएगा. यदि लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें आगे के इलाज के लिए तुरंत अस्पतालों में उनका इलाज किया जाएगा. ठीक होने के बाद, रोगियों की स्थिति के आधार पर लगभग 7-15 दिनों तक उनसे संपर्क किया जाएगा. प्रारंभिक रिपोर्ट में यह पाया गया है कि छोटे अस्पतालों, तालुक अस्पतालों और कुछ मामलों में होम आइसोलेशन में रहने वालों में इस संक्रमण का असर देखा गया है.
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चूडासमा एक ही वंश के थे । सिन्ध में वे मुसलमान हो गये । उनके मुखिया 'जाम' कहलाते थे । १३६२ ई० में फीरोज़ ने सिन्ध पर चढ़ाई की । उसकी सेना के साथ सिन्ध नदी में बेड़ा भी था । जाम माली और उसका भतीजा बाबनिया वीरता से लड़े। उन्होंने फीरोज़ का बेड़ा छीन उसे हरा कर ठट्ठा से रन के रास्ते गुजरात भगा दिया । एक बरस बाद फीरोज़ ने गुजरात से फिर ठट्ठा पर चढ़ाई की । इस बार उसकी जीत हुई । जाम माली और बाबनिया को वह दिल्ली ले गया, और अधीनता मानने पर छोड़ा । किन्तु १३७२ ई० में सम्भों ने सिन्ध से फीरोज़ की सब सेना को भगा दिया और वहाँ जामों का स्वतन्त्र वंश राज्य करने लगा । ९११. शहाबुद्दीन कश्मीरी की हिन्दकोह-चढ़ाई - शाहमेर के पोते शहाबुद्दीन ने १८ बरस (१३५५ - १३७३ ई०) के प्रशासन में ललितादित्य की तरह कश्मीर को बड़ी शक्ति बना दिया । । १२७३ से १३३५ ई० तक तीन मंगोल चढ़ाइयाँ कश्मीर पर हुई थीं, जिनमें से पहली दो में कश्मीरियों ने अपने को "सिंह के सामने मृगों की तरह" अथवा "बिलाव के सामने चूहों की तरह" माना था । तीसरी में शहाबुद्दीन के दादा के प्रोत्साहन से वे मनुष्य के सामने मनुष्य बन कर खड़े हुए थे । अब शहाबुद्दीन ने राज्य पाने के शीघ्र बाद उन्हीं कश्मीरियों की सेना से मंगोलों के घर पर चढ़ाई की। उरशा पार कर वह पहले हिन्द पहुँचा, जहाँ के राजा गोविन्दखान ने अधीनता मानी । गन्धार और सिन्धु (डेरा - इस्माइल खाँ प्रदेश ) शायद गोविन्दखान के ही शासन में थे । सिन्धु के रास्ते शहाबुद्दीन ने गज़नी पर चढ़ाई कर उसे जौता । वहाँ से वापिस ग्रा कर पुष्करावती पेशावर और नगरहार को लेते हुए वह हिन्दकोह तक गया । पूरब तरफ शहाबुद्दीन ने सिन्ध नदी के तट के भोटदेश अर्थात् लदाख + पुष्करावती के सँडहर अब भी हश्तनगर कहलाते हैं क्योंकि उनमें पड़ांग चारसद्दा आदि आठ बस्तियाँ और ढेरियाँ (टिबरियाँ, भीटे ) हैं। ५६ १२ ] दिल्ली साम्राज्य का ह्रास और प्रादेशिक राज्यों का उदय को भी अधीन किया । दक्खिनपूरव तरफ उसने कांगड़ा होशियारपुर ले कर सतलज तक फैलाया । कोई मंगोल सरदार इसी काल दिल्ली पर धावा मार वहाँ से बहुत से दास पकड़ कर लोटता था । शहाबुद्दीन ने उसे सतलज पर रोका और तब तक रास्ता न दिया जब तक उसने सत्र दास छोड़ न दिये । उन सत्र को स्वतन्त्र कर उन्हें घोड़े और कपड़े देकर शहाबुद्दीन ने देशवापिस भेजा। जैसा कि हम देखेंगे, इसके शीघ्र बाद १३७० ई० में मध्य एशिया से भी मंगोल प्रभुता उठ गई । राजकाज में शहाबुद्दीन के मुख्य सलाहकार उदयश्री और चन्द्र डामर नामक दो मन्त्री थे। ९१२. पहला बहमनी- विजयनगर संघर्ष - १३५८ ई० में हसन बहमनशाह की मृत्यु हुई और उसका बेटा मुहम्मद १म उत्तराधिकारी हुआ। उसने अपनी रियासत का सोने का सिक्का चलाना चाहा, पर दक्खिन के सुनार उस सिक्के को पाते ही गला देते और विजयनगर और रंगल राज्यों के सिक्कों को ही चलाते । मुहम्मद ने राज्य भर के सुनारों को मरवा दिया और उत्तर भारत के खत्रियों को उनकी जगह स्थापित किया । कृष्णय्या नायक और बुक्कराय को भी उसने धमकी दी । फलस्वरूप कृष्णय्या से उसका दो बरस तक युद्ध हुआ, जिसके अन्त में गोलकुंडा का प्रदेश उसके हाथ ाया । १३६५६७ ई० में उसने कृष्णा पार कर विजयनगर पर चढ़ाई की । बुक्कराय की हार हुई और लाखों की संख्या में जनता मारी गई । में सन्धि हुई और यह तय हुआ कि आगे से युद्धों में सैनिक जनता को न मारा जाय । १३७७ ई० में मुहम्मद १म की मृत्यु हुई । उसके उत्तराधिकारी मुजाहिद ने घटप्रभा-तुंगभद्रा दोयाच बुक्कराय से तलब किया और विजयनगर पर चढ़ाई की। उसे निष्फल लौटना पड़ा और लौटते हुए उसकी बुरी दशा हुई । मदुरा की सल्तनत ने १३५६ ई० के बाद फिर सिर उठाना चाहा, किन्तु १३७७ तक बुक्कराय ने उसे बिलकुल मिटा दिया। अगले वर्ष बुक्क की मृत्यु हुई और हरिहर २य उसका उत्तराधिकारी हुआ । मुजाहिद भी तभी मारा गया । १३७८ से १३६७ ई० तक मुहम्मद २य ने शान्तिपूर्वक राज किया । उस बीच खानदेश बहमनी सल्तनत से निकल गया और वहाँ स्वतन्त्र रियासत स्थापित हुई ( १३८२ ई० ) । ९१३. तैमूर की चढ़ाई-फीरोज़ के वंशज बिलकुल ही निकम्मे निकले । उनके काल में राज्य की यह दशा हो गई कि पुरानी दिल्ली और फीरोज़ की बसाई नई दिल्ली में दो अलग अलग सुल्तान थे । वे शतरंज के बादशाह जब दिल्ली के तख्त के लिए झगड़ते थे, तभी मध्य एशिया में एक महान् विजेता प्रकट हो चुका था । वह था तैमूर, चगतइ प्रदेश का तुर्क । मध्य एशिया में चंगेज़खाँ के वंशजों के दो राज्य चले आते थे जिनकी उसने सफाई कर दी ( १३७० ई० ) । पच्छिम तरफ उसने रूस की वोल्गा नदी तक के तथा ईरान पार करते हुए कौंकासुस ( काकेशस) पर्वत और पच्छिमी एशिया तक के देश जीत लिये । उसके विशाल साम्राज्य की राजधानी समरकन्द थी । इधर दिल्ली राज्य की दुर्दशा सुन कर उसने भारत पर चढ़ाई की (१३६८ ई०) । उसका पोता पीर मुहम्मद एक बरस पहले कर उच्च मुल चुका था । अफगानिस्तान पहुँच कर तैमूर ने लक्सान्दर की तरह पहले काबुल नदी के उत्तर का काफिरिस्तान प्रदेश जीता । फिर सिन्ध और मुलतान के निकट तुलम्बा बस्ती पर टूटा। उसे लूट कर पाकप और भटनेर के रास्ते वह दिल्ली की तरफ बढ़ा । जहाँ जहाँ से उसकी फोज गुज़री, लूटना मारना फूंकना उजाड़ना उसके साथ साथ चलता गया । अन्त में दिल्लो से मेरठ होते हुए वह हरद्वार के पास ग्रा निकला, और शिवालक के साथ साथ काँगड़ा होते हुए जम्मू पहुँचा । वहीं कश्मीर के सुल्तान सिकन्दर का दूत मैत्री का सन्देश लाया । यह सिकन्दर शहाबुद्दीन का पोता था । लाहौर पर इस काल शिखी या शेखा खोकर का अधिकार था । तैमूर ने उसे पकड़ मँगवाया और + कापिशी नगरी के प्रदेश को अरबों ने काफिसिस्तान कहा । लिखने की गलती से वह काफिरिस्तान बन गया ।
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चेन्नई : चेन्नई में कोरोना वायरस के संक्रमण से आंध्र प्रदेश के एक डॉक्टर की मृत्यु हो गई जिसके बाद डॉक्टर के अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय लोगों ने डॉक्टर के शव का अंतिम संस्कार करने पर जमकर विरोध किया जिसके कारण अधिकारियों को डॉक्टर का शव अन्य स्थान पर ले जा कर अंतिम संस्कार करना पड़ा। पुलिस के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक कॉर्पोरेट अस्पताल में सोमवार को 56 वर्षीय एक डॉक्टर की मौत हो गई थी। डॉक्टर का अंतिम संस्कार करने के लिए डॉक्टर के शव को अम्बत्तूर क्षेत्र में श्मशान घाट ले जाया गया जहां स्थानीय लोगों ने जहां स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि इससे उनके क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका है। उन्होंने बताया कि इसके बाद नेल्लोर के रहने वाले व्यक्ति के शव को वापस अस्पताल के मुर्दाघर में ले जाया गया। सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि व्यक्ति का अंतिम संस्कार सोमवार की रात शहर के किसी अन्य क्षेत्र में किया गया। चेन्नई निगम के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस पीड़ितों के लिए तय दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया है। राजेश ने बताया कि सरकार ने पहले ही जिला कलेक्टरों को प्रक्रियाओं का पालन करने के बारे में सूचित कर दिया है। डॉक्टर तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में आ गये थे। डॉक्टर को पहले यहां से लगभग 175 किलोमीटर दूर नेल्लोर में एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसके बाद उन्हें छह अप्रैल को कॉर्पोरेट अस्पताल स्थानांतरित किया गया। वह मधुमेह के रोगी थे और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे। तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सोमवार तक संक्रमित लोगों की कुल संख्या 1,173 थी। इस बीच लगभग 100 लोगों के खून के नमूनों को जांच के लिए ले जाया गया है। ये लोग शहर के उस आरएस पुरम क्षेत्र के निवासी हैं जहां कुछ दिन पहले चार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे।
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देहरादून। उत्तराखंड सरकार की महिला कर्मचारी व महिला-पुरुष एकल कर्मचारी संतान की बीमारी अथवा परीक्षा आदि में देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल में दो वर्ष यानी 730 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश ले सकेंगे। उत्तराखंड सरकार के एकल महिला एवं पुरुष अभिभावक कर्मचारी भी अब बाल्य देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) के हकदार हो गए हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लगी। बृहस्पतिवार को सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इसका आदेश जारी कर दिया। एकल पुरुष अभिभावक में वे सभी कर्मचारी आएंगे जो अविवाहित या विधुर या तलाकशुदा हैं और जिनके एक बच्चे की जिम्मेदारी अकेले उनके कंधों पर है। जारी आदेश के मुताबिक, राज्य सरकार की महिला कर्मचारी व महिला-पुरुष एकल कर्मचारी संतान की बीमारी अथवा परीक्षा आदि में देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल में दो वर्ष यानी 730 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश ले सकेंगे। यह अवकाश 18 वर्ष की आयु तक केवल दो बड़े जीवित बच्चों के लिए मान्य होगा। 40 प्रतशित या उससे अधिक विकलांग बच्चों के मामले में आयु सीमा का कोई प्रतिबंध नहीं होगा। यह अवकाश उपार्जित अवकाश की तरह स्वीकृत किया जाएगा और इसकी तर्ज पर इसका खाता रखा जाएगा। जनहित और प्रशासकीय कार्यों के लिए नियुक्ति प्राधिकारी किसी कर्मचारी को एक बार में पांच दिनों से कम व 120 दिनों से अधिक अवधि का अवकाश मंजूर नहीं करेगा। एकल महिला सरकारी कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम छह बार व अन्य पात्र महिला-पुरुष कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार अवकाश मिलेगा। 365 दिन के अवकाश का उन्हें पूरा वेतन मिलेगा। अगले 365 दिनों में उन्हें मंजूर अवकाश का 80 प्रतिशत ही वेतन दिया जाएगा। परिवीक्षाकाल (प्रोबेशन) में रहने के दौरान कर्मचारी बाल्य देखभाल अवकाश के हकदार नहीं होंगे, लेकिन जिन विभागों की सेवा नियमावली में प्रोबेशन पीरियड के दौरान बाल्य देखभाल अवकाश की व्यवस्था है, वहां यह तीन महीने से अधिक नहीं दिया जा सकेगा। गुण-दोष के आधार पर कम भी हो सकता है।
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मुम्बईः शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बागी विधायकों को पार्टी के भीतर बनाए रखने की अपनी आख़िरी कोशिश में, वो एनसीपी तथा कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को छोड़ने, और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने तक को तैयार हो गए थे. पार्टी मुखपत्र सामना के लिए सेना सांसद संजय राउत को दिए इंटरव्यू के दूसरे हिस्से में- जिसे बुधवार सुबह ऑनलाइन प्रसारित किया गया- पूर्व महाराष्ट्र मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन बिंदुओं पर स्पष्टता मिलने के बाद ही वो बीजेपी के साथ जा सकते थे, जिनमें शिवसैनिकों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का 'दुरुपयोग' शामिल था. उद्धव ठाकरे ने सामना के कार्यकारी संपादक राउत से कहा, 'आख़िरी लमहों में मैंने अविश्वसनीय विद्रोही से कहा, कि 'अगर तुम मुख्यमंत्री बनना चाहते हो, तो हम इस बारे में बात कर सकते हैं. मैं कांग्रेस-एनसीपी से इसके लिए बात करूंगा. अगर तुम बीजेपी से हाथ मिलाना चाहते हो, तो मुझे 2-3 बिंदुओं पर स्पष्टता चाहिए'. ऐसा लगता है कि वो बागी विधायक और अब महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे की ओर इशारा कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा, 'वो सफाई मिलने के बाद, मैं हाथ जोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के पास जाता, कि मेरे लोग आपके साथ नहीं बने रहना चाहते. लेकिन उनके (बाग़ियों) के पास कारण बताने की हिम्मत नहीं थी. बल्कि उनके पास कोई कारण ही नहीं थे. हर दिन नए कारण सामने आ रहे थे'. सेना प्रमुख अपने 62वें जन्मदिवस के मौके पर सामना से बातचीत कर रहे थे. ये पहली बार है जब अपनी ही पार्टी में हुई एक बग़ावत के चलते कुर्सी गंवाने के बाद, जिसके नतीजे में पिछले महीने एमवीए सरकार गिर गई, वो विस्तार से इस मुद्दे पर बात कर रहे थे. हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. ये स्वीकार करते हुए कि यदि पार्टी के बाग़ियों ने उनसे बात की होती, तो वो बीजेपी से हाथ मिलाने को तैयार थे, उद्धव ने कहा कि उन्होंने तीन अहम मुद्दों पर सफाई मांगी थी. 'मुझसे लगातार ये कहा गया कि कुछ विधायकों की ओर से दबाव है, कि वो बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं. मैंने कहा कि ठीक है उन विधायकों को मेरे सामने लाओ, और मुझे दो तीन मुद्दों पर सफाई दो'. पहला मुद्दा था प्रवर्त्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के हाथों शिवसैनिकों का 'उत्पीड़न', जिनमें अनिल परब और राउत जैसे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने 'दंगों के दौरान हिंदुत्व को बचाने' का काम किया था. उद्धव ने कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि ये उत्पीड़न आख़िर कब तक चलेगा? ये एक अनावश्यक प्रताड़ना है, जिसका कोई मतलब नहीं है'. उद्धव ने ज़ोर देकर कहा कि अगर सीएम पद के बंटवारे के फॉर्मूले का सम्मान कर लिया जाता, जो कथित रूप से 2019 में तय किया गया था, तो अब तक बीजेपी का अपना सीएम हो जाताः 'अगर पहले आधे हिस्से में शिवसेना का सीएम हो जाता, तो मैंने सेना सीएम के साथ मिलकर इस्तीफे का दिन और तारीख़ लिखकर दे दी होती. सब कुछ सम्मानपूर्वक हो जाता'. सेना प्रमुख ने ये भी कहा कि उनसे लगातार कहा जा रहा था कि कैसे कांग्रेस सबसे पहले (एमवीए) छोड़ने वाली पार्टी होगी, और कैसे एनसीपी चीफ शरद पवार पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता, जबकि दरअसल उन्हें उनके अपने लोगों ने ही धोखा दिया. और उन्होंने दावा किया कि ऐसा इसलिए है कि बीजेपी शिवसैनिकों का इस्तेमाल सेना को ख़त्म करने के लिए करना चाहती है. उद्धव ने कहा, 'मेरे अपने लोगों ने मुझे धोखा दिया. इसलिए अगर मैं फ्लोर टेस्ट कराता, तो मेरे खिलाफ एक वोट भी मेरे लिए शर्मनाक होता'. मुम्बई शिवसेना की राजनीति के केंद्र में है. इंटरव्यू के दौरान उद्धव ने एक बार फिर शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस से अपील कीः 'अपने अहंकार के लिए मुम्बई को तबाह मत कीजिए. वरना हमें कहना पड़ेगा कि चूंकि वो मुम्बई से नहीं हैं, इसलिए उन्हें शहर से कोई प्यार नहीं है'. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी मुम्बई पर शिवसेना की पकड़ ख़त्म करना चाहती है. 'ये उनका सपना है. जिस तरह रावण की जान उसकी नाभि में थी, उसी तरह उनकी जान मुम्बई में अटक गई है. कुछ अजीब सी बात है कि दिल्ली पर कब्ज़ा हो जाने के बाद, वो अभी भी मुम्बई पर राज करना चाहते हैं'. उन्होंने याद किया कि किस तरह सेना संस्थापक बाल ठाकरे ने, बीजेपी के साथ गठबंधन करते हुए कहा था कि बीजेपी को देशपर राज करना चाहिए, और महाराष्ट्र का ख़याल वो रख लेंगे. उद्धव ने पूछा, 'आप हमें दिल्ली में विस्तार नहीं करने दे रहे हैं, हम करना भी नहीं चाहते, लेकिन आप हमें महाराष्ट्र में भी बढ़ने और फैलने नहीं दे रहे हैं. तो फिर ऐसे गठबंधन का मतलब क्या है'. पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मराठी और ग़ैर-मराठी वोट बैंक्स को बांटने की बीजेपी की कोशिशों के बावजूद, आगामी नगर निकाय चुनावों में उन्हें जीत हासिल होगी, चूंकि उन्हें यक़ीन है कि तमाम मुम्बई वासी एकजुट हैं. उद्धव ने ये भी कहा कि अगस्त के बाद वो पूरे प्रदेश का दौरा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे कहा कि एक सदस्यता अभियान चल रहा है, और उसके पूरा हो जाने के बाद, वो क्षेत्रीय तथा जोनल नेताओं के साथ मिलकर महाराष्ट्र का दौरा करेंगे. (इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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रविवार सुबह कोहरा। चित्रकूट के मानिकपुर के रानीपुर वन्यजीव विहार क्षेत्र व इससे सटे मझगवां चितहरा मप्र इलाके में इन दिनों जिले के जंगलों में बाघ बाघिन की चहल कदमी कर रहे हैं। इस कारण इस क्षेत्र से सटी रेलवे लाइन से गुजरने वाली ट्रेन धीमी गति से गुजर रहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों के पत्र जारी करने के बाद रेलवे के अधिकारियों ने भी इस रूट के ट्रेन चालकों को यह आदेश जारी किया है। बताया गया है कि रेलवे ट्रैक के पास बाघ बाघिन के टहलने के कारण उनकी सुरक्षा के लिए यह सब किया जा रहा है। मानिकपुर के चितहरा-मझगवां वन क्षेत्र में कुछ दिन पहले एक बाघ- बाघिन दिखाई दिये थे। मंगलवार को बाघिन के पंजों के निशान मिलने पर अलर्ट जारी किया गया था। ये दोनों रानीपुर वन्य जीव विहार की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से आ गए हैं। रेलवे के पीडब्ल्यूआइ आशीष कुमार ने बताया कि ट्रेन चालकों को ड्यूटी के दौरान सीटी बजाते रहने को कहा है ताकि जानवर उधर नहीं आएं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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RANCHI: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली से बीजेपी झारखंड में अपने चुनाव प्रचार का दमदार आगाज करेगी। शाह गुरुवार को लोहरदगा और मनिका में चुनावी जनसभा करेंगे। उनकी जनसभा के साथ ही बीजेपी के स्टार प्रचारकों की टीम चुनाव प्रचार की कमान को अपने हाथ में ले लेगी। इस कड़ी में पीएम नरेंद्र मोदी, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के तमाम टॉप लीडर्स का झारखंड की ओर रुख होगा। पीएम मोदी 25 को पलामू आ रहे हैं। अमित शाह 11 बजे मनिका और 12 बजे लोहरदगा में जनसभा को संबोधित करेंगे। इस मौके पर सीएम रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, बीजेपी के चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर समेत लोहरदगा व गुमला जिले के सभी प्रत्याशी मंच पर उपस्थिति रहेंगे। शाह सिर्फ चुनावी जनसभा को ही संबोधित नहीं करेंगे। बल्कि लोहरदगा, गुमला, लातेहार, मनिका की विधानसभा कोर कमेटी, तीनों जिलों के जिलाध्यक्षों और प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर चुनाव का फीडबैक लेंगे और मंत्र भी देंगे। बैठक जनसभा के तत्काल बाद बुलाई गई है। सभी पदाधिकारियों को पार्टी की जमीनी रिपोर्ट के साथ तलब किया गया है। बीजेपी अध्यक्ष केंद्रीय टीम के स्तर से हाल ही में कराए गए सर्वे रिपोर्ट पर भी कोर टीम से जवाब-तलब कर सकते हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोहरदगा की चुनावी रैली में कांग्रेस व झामुमो को तो निशाने पर लेंगे, लेकिन सहयोगी रही आजसू पर तल्ख टिप्पणी से परहेज कर सकते हैं। एनडीए गठबंधन टूटने के बाद भी बीजेपी नेताओं ने अब तक आजसू पर कोई तीखी टिप्पणी नहीं की है। वजह साफ है बीजेपी चुनाव बाद की रणनीति को भी ध्यान में रखकर चल रही है। पार्टी को पूरी उम्मीद है कि चुनाव के बाद आजसू एनडीए फोल्डर में शामिल होगा ही, भले ही अभी सीटों को लेकर मतभेद पैदा हो गए हों।
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बिहार लोकतांत्रिक राजनीति की किताबी समझ को चुनौती देता है. यह बात आम तौर पर मानी जाती है कि लोग अपनी चुनी हुई सरकार के कामकाज के आधार पर अपना फैसला देते हैं. लेकिन लोकतंत्र नेताओं की सदिच्छा और निस्वार्थपने से नहीं चलता. चुनाव हारने का डर ही उन्हें सही रास्ते पर रखता है. मगर बिहार सारे कायदे-कानूनों से अलग है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी, पहले जनता दल और फिर उसी में से निकले राष्ट्रीय जनता दल ने एक दशक से ज्यादा समय से बिहार पर राज किया है. ऐसे में ये सवाल पूछा जा सकता है कि क्यों लालू का बड़ा से बड़ा समर्थक भी नहीं सोचता कि ठीक पाँच वर्षों में उन्होंने बिहार की स्थिति सुधार दी है और सही कहें तो ये दावा वो खुद कभी नहीं करते, चुनावी सभाओं में भी नहीं. आर्थिक आंकड़े भी यही गवाही देते हैं. हर जनमत संग्रह में बिहार के मतदाता अपने प्रदेश के हाल से दुखी ही नज़र आते हैं. इसका एक जबाव तो बिहार का बँटवारा है. राज्य की कुल 54 में से 14 सीटों वाला इलाका झारखंड में चला गया है. इन सीटों पर राजद की शक्ति कम थी. अब बाकी बिहार से 40 सीटों पर उसकी औसत ताकत बढ़ गई है. ऐसा बिहार की सामाजिक बनावट में ही बंटवारे से फर्क आने से हुआ है. नए बिहार की आबादी में यादव और मुसलमान वोटरों का अनुपात पहले से बढ़ गया है. आदिवासी आबादी के दूसरी तरफ कट जाने से राजद को लाभ हुआ है क्योंकि आदिवासियों में पार्टी का आधार न था. बँटवारे से बिहार के राजस्व के संसाधनों में भारी कमी आई है. उसे खनिजों पर रॉयल्टी मिलना बंद हो गई और लगभग सारे कारखाने झारखंड में चले गए हैं. विडंबनापूर्ण लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि ये चीजें लालू यादव की राजनीति में अनुकूल पड़ती है क्योंकि विकास की बात आज किसी पक्ष में नहीं आ रही है और असली मसला यही है. बिहार का दुर्भाग्य यह है कि सिर्फ शासक-दल के एजेंडे से ही विकास गायब नहीं है, पूरी राजनीति से, राजनीतिक चर्चा-कार्यक्रम से यह मुद्दा गायब है. लालू प्रसाद यादव का विकल्प पेश करने का दावा करने वालों की तरफ से भी विकास का कोई विश्वसनीय एजेंडा सामने नहीं आया है. सामाजिक न्याय और समता की तो बात ही अलग है और जब ऐसा एजेंडा हो ही नहीं तो राजनीतिक लड़ाई जातिगत निष्ठाओं की ओर मुड़ जाती है जिसने बहुत ही ठोस रूप ले रखा है और वहाँ बने समीकरण जड़ जैसे हो गए हैं. लालू की सफलता का कारण यही है. विश्वसनीय राजनीतिक विकल्प सामने न आने पर वही जातिगत समीकरण राजनीति पर भारी पड़ रहे हैं जो अभी लालू के अनुकूल हैं. संख्या की दृष्टि से दो सबसे बड़े समूहों-यादव और मुसलमान के इर्द-गिर्द ही लालू ने अपना सामाजिक ताना-बाना बुना है. इन दोनों का राज्य की आबादी में अब करीब 30 फीसदी हिस्सा है. मुस्लिम-यादव मतों में से दो तिहाई से लेकर तीन चौथाई तक वोट पा जाने का मतलब है कि राजद का उम्मीदवार किसी भी चुनाव में मुकाबले में आ जाता है. लेकिन इतने भर से सत्ता निश्चित नहीं होती. इस फासले को भरने के लिए लालू प्रसाद यादव ने अति पिछड़ों, दलितों और आम गरीबों में भी अपना आधार बनाया है. बिहार के सामंती समाज में जब यह सामाजिक ताना-बाना बुना गया तब यह अपने-आप में कुछ हद तक क्रांतिकारी था. लालू का पहली बार सत्ता में आना पिछड़ों में स्वाभिमान और मुसलमानों में सुरक्षा का ठोस भाव जगाने के लिए जाना गया. लेकिन धीरे-धीरे निचले स्तर से उठा यह उभार भी राज्य को निरंतर पिछड़ा रखने जैसे बहुत ही प्रतिगामी व्यस्त स्वार्थ की चपेट में आ गया. आज बिहार करीब-करीब दो पक्के खेमों में बंट चुका है- अगड़ी जातियां किसी भी कीमत पर लालू यादव को पछाड़ना चाहती है जबकि मुस्लिम-यादव वोट बैंक आँख मूँदकर उनका समर्थन करता है. पहला समूह आज भाजपा के साथ है. लालू का समर्थन जैसे-जैसे अन्य पिछड़ों और गरीबों में कम होता गया या कोई पिछड़ी जाति लालू विरोधी खेमे में जा मिली, तब कमजोरियां भी दिखीं. राज्य की राजनीति में नीतीश कुमार के उभरने और जनता दल में टूट से कुर्मी वोट अलग होने से भी फर्क पड़ा. नीतीश के इस कुर्मी आधार और रामविलास पासवान के साथ दुसाध वोटों के भाजपा के संग जुड़ने से फर्क पड़ा और इसी के चलते 1999 के लोकसभा चुनाव में लालू को धूल चाटनी पड़ी. लेकिन इस लालू विरोधी खेमे में ऊंची जाति के वर्चस्व वाली स्थिति बनी रही और गरीबों-पिछड़ों का इसके प्रति कभी बहुत भरोसा नहीं बना. चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से भी इस चुनाव में कोई बहुत ठोस नए जातिगत समीकरण नहीं दिखते. बड़ी जातियां अभी भी भाजपा के साथ हैं तो मुस्लिम-यादव राजद के साथ. कुर्मियों का समर्थन राजग के लिए है पर उनमें पहले वाला उत्साह नहीं दिखता. दुसाध वोटों में राजद की तरफ स्पष्ट झुकाब दिखता है. अन्य दलित जातियों में लालू के प्रति पहले से कम उत्साह है. अति पिछड़ों में राजग के प्रति रूझान है, पर यह निर्णायक नहीं है. सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि लोग निवर्तमान सांसदों से बहुत नाराज हैं. ऐसी स्थिति में राजनीतिक जोड़-तोड़ और चुनावी रणनीति की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. लालू यादव गैर-एनडीए मतों का बंटवारा न होने देने का महत्व समझते हैं और उन्होंने बहुत सफलतापूर्वक एक बड़ा गठबंधन बना भी लिया है. कांग्रेस, रामविलास पासवान, राष्ट्रवादी कांग्रेस और माकपा को साथ लेकर उन्होंने मजबूत चुनौती पेश की है. पासवान के आने से दुसाध मतों का ठोस लाभ हुआ है क्योंकि दलितों में यही मजबूत और संगठित जाति है-उत्तर प्रदेश के जाटवों की तरह. उनके साथ आने से हर इलाके में उसे 5 फीसदी वोटों का फर्क पड़ेगा. अगर राजग को दिलाए वोटों में से आधा भी पासवान अपने साथ ले आने में सफल होते हैं तो राज्य में राजनीतिक समीकरणों में भारी बदलाव आ जाएगा. इतने भर से राज्य की 22 सीटें राजद की अगुवाई वाले गठबंधन के पास आ जाएंगी. अगर केंद्र सरकार के खिलाफ़ हल्की नाराजगी भी उभरी तो भाजपा-जनता दल यूनाईटेड गठबंधन धुल जाएगा. मौजूदा राजनैतिक समीकरण के मद्देनजर 1999 की तुलना में एनडीए का नुकसान तय है. इस ऊपरी और राज्य स्तरीय चर्चा से बिहार की राजनीति ठीक से नहीं समझी जा सकती, क्योंकि जहां हर क्षेत्र का अपना समीकरण और उम्मीदवारों का अस्तित्व भी बहुत निर्णायक भूमिका निभाता है.
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श्रीनगर - दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा में आज अपने साथी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईयूएसटी) के छात्रों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े। विभिन्न विभागों के कई छात्रों ने जुनैद अखूण को हिरासत में लिए जाने के विरोध में विश्वविद्यालय परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली, जो आईयूएसटी के पोलिटेक्निक कालेज से डिप्लोमा कर रहा था। छात्रों ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्र और छात्राओं पर आंसू गैस के गोले छोड़े। छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में छात्रों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया। छात्रों ने कहा कि हम जुनैद को हिरासत में लिए जाने के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने विश्वविद्यालय के परिसर में घुसकर हम पर आंसू गैस के गोले छोड़े। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जुनैद को उसके भाई, सलीआ मोहम्मद अखूण के बारे में पूछताछ के लिए अवंतीपोरा के आरांपोरा गांव में उसके निवास से हिरासत में लिया गया था, उसका भाई एक सक्रिय आतंकवादी है।
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बहुत बार ऐसा होता है कि मकान मालकिन, घूरती हुईटीवी में या फोन पर बात करते हुए, कपड़े जलने पर छोड़ देता है ये स्पॉट कपड़े की उपस्थिति को खराब कर देते हैं। टैन के निशान कपड़ों पर लोहे की सतह से चमकीले धब्बे हैं वे कहाँ से आते हैं और उन्हें कैसे निकालना है? नीचे दिए गए लेख में पढ़ें। काले कपड़े से काले निशान कैसे निकालें? कैसे सफेद चीजों से जला निशान हटाने के लिए? सफेद कपड़ों पर लोहे के बचे हुए दाग बहुत हैंध्यान देने योग्य हैं एक बहुत छोटी जगह तुरंत आंख पकड़ता है और छवि के समग्र प्रभाव को लूटता है। सफेद सामग्री पर जलन निशान हटाने के लिए, पारंपरिक हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उपयोग करें। 100 मिलीलीटर शुद्ध पानी ले लो, इसके लिए चम्मच जोड़ें।हाइड्रोजन पेरोक्साइड और अमोनिया की कुछ बूंदें हलचल। मिश्रण के साथ, दाग का इलाज करें, सीधे धूप में कपड़े लगाएं और इसे पूरी तरह से सूखने दें। फिर पानी में अच्छी तरह से कुल्ला, डिटर्जेंट की एक छोटी सी राशि जोड़ने कर्कश से कोई निशान नहीं है! हाइड्रोजन पेरोक्साइड और सिरका के अलावा, आपके शस्त्रागार में अन्य साधन होना चाहिए। मैं अन्य तरीकों से कैसे लड़ सकता हूं? - नींबू का रस अच्छा है क्योंकि इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैकिसी भी प्रकार के कपड़े (सफेद, काले और रंग) पर। नींबू का रस चीज़ के रंग को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन यह केवल ताजा धब्बे को खत्म करने के लिए प्रभावी है। बस स्कोच के रस को छिड़कें और ठंडा पानी में पूरी तरह से कुल्ला सूखने के बाद। - पाक कला नमक पूरी तरह से दाग के साथ copesलोहा। इसे पूर्व-गीले खराब कपड़े पर डालो और उन्हें भिगो दें। कुछ मिनटों के बाद, ब्रश के साथ तीव्रता से दाग रगड़ें। जब चीज पूरी तरह से सूखी होती है, तो शेष नमक को हटा दें और इसे कुल्लाएं। - प्याज - यह सहायक न केवल अंदर अच्छा हैसर्दी के खिलाफ लड़ाई। वह तन के साथ copes। इसके लिए, प्याज काट लें और दाग पर लागू करें। प्याज के रस को ऊतक में गहरी घुसना चाहिए, इसे साफ करना चाहिए। यदि आपको प्याज रगड़ना पसंद नहीं है, तो आप इसे आधे में चाकू से काट सकते हैं और इसे टुकड़ा के साथ रगड़ सकते हैं। प्रक्रिया के बाद, अप्रिय प्याज की गंध से छुटकारा पाने के लिए चीज धोएं। - दूध।लोहे से जल्दी से दाग प्रदर्शित करता है, लेकिन आपको केवल वसा मुक्त उत्पाद का उपयोग करने की आवश्यकता है, अन्यथा आपको अपने कपड़ों से वसा के दाग को हटाने की आवश्यकता होगी। बस एक बेसिन में दूध का एक पैकेट डालें और इसमें कई घंटों तक एक दागदार वस्तु को भिगो दें। आवंटित समय के बाद सामान्य तरीके से कपड़े धोएं। दूध के बजाय, आप दही का उपयोग कर सकते हैं। - साधारण पाउडर या साबुन - यह ताजा होता हैजला ऊतक से और विशेष उपकरणों के उपयोग के बिना हटाया जा सकता है। पाउडर का उपयोग करने की कोशिश करो। कपड़े को गीला करें और दाग के क्षेत्र को डिटर्जेंट पाउडर से भरें, कपड़े को कपड़े या ब्रश के साथ रगड़ें। पाउडर में एंजाइम होते हैं तो यह सबसे अच्छा होता है। यदि आपके पास यह उत्पाद आपके घर में नहीं है, तो सामान्य घरेलू साबुन का उपयोग करें। हर कोई जानता है कि उभरने से रोकने के लिएस्क्रैप उनसे छुटकारा पाने से आसान हैं। इसलिए, जब इस्त्री, हमेशा बेहद सावधान और चौकस रहें। टैन अंक ऐसे धब्बे होते हैं जो चीजों को खराब करते हैं, इसलिए इस्त्री करते समय गलत चीजों से सभी चीज़ों को गज या लोहे का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है। हमेशा अपने लोहे के एकमात्र की स्थिति पर ध्यान दें। यदि आप देखते हैं कि यह गंदा है, तो उपकरण का उपयोग न करें। तलवों को साफ करने के लिए दुकान में एक विशेष पेंसिल खरीदें और केवल इसे लागू करने के बाद, इस्त्री करने के लिए आगे बढ़ें।
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रहेंगे ? मेरी समझसे बुरी नीयतसे किसीने उनका यह नाम रख दिया है । इस सम्बन्धमें आपका मत जानना चाहता हूँ ? इसके उत्तरमें अल्पमतिके अनुसार कुछ लिखनेका प्रयत्न किया जाता है। प्रश्नकर्त्ता महोदयको इससे कुछ संतोष हुआ तो अच्छी बात है । नहीं तो, इसी बहाने कुछ समय भगवञ्चर्चा में बीतेगा और इस सुअवसरकी प्राप्तिके कारण प्रश्नकर्त्ता महोदय हैं, इसलिये मै तो उनका कृतश हूँ ही । यह बात सर्वथा सत्य है कि 'चोरी' और 'जारी' बहुत ही नीच वृत्तियाँ है और ऐसी वृत्तियाँ जिन लोगोंमें है, वे कदापि विवेकवान् और सदाचारी नहीं है । भक्तमें ऐसे दुर्गुण रह ही नहीं सकते; और भगवान्में तो इनकी कल्पना करना भी मूर्खताकी सीमा है । इतना होनेपर भी 'गोपालसहस्रनाम' में आया हुआ श्रीभगवान्का यह 'चोर-जार- शिखामणि' नाम न तो भगवान्को गाली देनेके लिये है और न किसीने बुरी नीयतसे ही इस नामको गढ़ लिया है । दृष्टिविशेषके अनुसार भगवान्में इस नामकी पूर्ण सार्थकता है और इसका रहस्य समझ लेनेपर फिर कोई शङ्का भी नहीं रहती। सबसे पहले भगवान्का स्वरूप समझना चाहिये । स्वरूपभूत दिव्यगुणविशिष्ट भगवान्में लौकिक गुणोंका - जो प्रकृतिसे उत्पन्न त्रिगुणके विकार हैं - सर्वथा अभाव है, इसलिये वे निर्गुण हैं । भक्तोंके परम आदर्श, लोकसंग्रहके आचार्य और विश्व के भरण-पोषण-कर्त्ता होनेसे वे समस्त सात्त्विक गुणोंको अपनेमें धारण करते हैं, इसलिये वे अशेषसद्गुणालंकृत हैं और प्रकृतिके द्वारा अखिल जगत्-रूपमें उन्हींका प्रकाश होनेके कारण वे समस्त सदसद्गुणसम्पन्न हैं । भगवान् ही समस्त विश्व के निमित्त और उपादान कारण है । इस दृष्टिसे संसारके सभी भाव उन्हींसे उत्पन्न होते हैं, * सभी भावोंका सम्बन्ध उनसे जुड़ा हुआ है । इतना होनेपर भी * ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये । मत्त एवेति तान्विद्वि ( गीता ७ । १२ ) अर्थात् सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुणसे उत्पन्न होनेवाले जितने भाव हैं, सबको तू मुझसे ही ( उत्पन्न ) जान ।
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पटना। शराबबंदी वाले बिहार के सारण में जहरीली शराब (Poisonous Liqour) से अब तक 38 लोगों की मौत हो गई है। विपक्षी बीजेपी इस मुद्दे पर लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को घेर रही है। इसी बीच नीतीश कुमार ने विधानसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, "जो नकली शराब पिएगा वह तो मरेगा ही, लोगों को खुद ही सचेत रहना होगा। " नीतीश ने कहा कि कुछ लोगों का क्या कर सकते हैं। कुछ लोग गलती करते ही हैं। जो शराब पिएगा वो तो मरेगा ही। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "मैंने अधिकारियों को कहा है कि गरीबों को न पकड़ें जो लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं उन्हें पकड़ें। शराब बंदी कानून से कई लोगों को फायदा हुआ है कई लोगों ने शराब छोड़ दी है। नीतीश ने अपील की कि कोई भी शराब से जुड़ा व्यवसाय न करे, और कोई बिजनेस करें, जरूरत पड़ी तो सरकार दूसरे बिजनेस के लिए 1 लाख रुपए तक देने के लिए तैयार है। नीतीश कुमार ने कहा कि जब पिछली बार लोग नकली शराब पीने से मरे थे, तब किसी ने कहा कि इन लोगों को सरकार मुआवजा दे। लेकिन अगर कोई शराब पीता है, तो वह मर जाएगा। इसका उदाहरण हमारे सामने है। इस पर शोक व्यक्त किया जा सकता है। ऐसे जगहों पर जहां ये घटनाएं होती हैं, उनका दौरा किया जाना चाहिए और लोगों को समझाना चाहिए। दरअसल, बिहार के सारण में इसुआपुर और मशरक थाना क्षेत्र में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो गई। मृतको के परिजनों के अनुसार, मौत शराब पीने से हुई। हालांकि, इस मुद्दे पर प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। बताया जा रहा है कि अभी कई लोग अस्पताल में भी भर्ती हैं। 1. विजेन्द्र राय पिता नरसिंग राय ( डोइला,इसुआपुर थाना) 3. रामजी साह पिता गोपाल साह ( मशरख ) 5. संजय सिंह पिता वकील सिंह ( डोइला,इसुआपुर थाना ) 6. कुणाल सिंह, पिता यदु सिंह ( मशरख ) 24. सुरेन साह,पिता जतन साह,घोघिया,मशरक,
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वर्ल्ड कप चौराहा के पास नई शराब दुकान खुलने को लेकर विरोध जारी है। मामले में रविवार को रहवासियों द्वारा प्रदर्शन व पास ही के वार्ड 43 के पूर्व भाजपा पार्षद दिलीप शर्मा द्वारा इसके समर्थन के बाद अब क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया भी मैदान में आ गए हैं। हार्डिया ने रहवासियों को भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ हैं। यह दुकान वार्ड 50 में है जिसकी पूर्व पार्षद सुनीता राजेश सोलंकी है। पार्षद पति राजेश सोलंकी जो अब तक इस मामले से दूर थे, वे भी अब रहवासियों के साथ हैं। सोमवार शाम विधायक हार्डिया, पूर्व पार्षद शर्मा, रहवासी आशीष चौधरी व अन्य ने कलेक्टर मनीष सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। विधायक व पूर्व पार्षद ने कहा कि उक्त दुकान संचालित होने से रहवासियों में काफी आक्रोश है। इसके साथ ही वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इस कलेक्टर ने तत्काल सहायक आबकारी आयुक्त को निर्देश दिए कि उक्त दुकान एक हफ्ते में हटाएं। जहां रहवासियों का इतना विरोध है तो यह ठीक नहीं है। इधर, सोनी ने बताया कि एक हफ्ते में दुकान हटा दी जाएगी। यह मुद्दा पहले रहवासियों ने उठाया था। लेकिन जिस प्रकार से कड़ा विरोध हुआ और भाजपाईयों की इसमें एंट्री हुई है, उससे खुद रहवासी भी हैरान हैं। दरअसल, उक्त दुकान पहले शांति नगर मूसाखेड़ी में थी। जो 1 अप्रैल को वित्तीय वर्ष के पहले दिन वर्ल्ड कप चौराहा पर स्थानांतरित हुई है। हालांकि इसकी सुगबुगाहट पहले से ही थी, जिसके चलते रहवासी शुरू से ही लामबंद हो गए थे। इसमें महिलाएं व बच्चे भी काफी संख्या में हैं। रहवासियों का मानना था कि चूंकि भाजपा की सरकार है और क्षेत्रीय विधायक व पूर्व पार्षद भी भाजपा के ही हैं इसलिए उन्हें शिकायत करने से कुछ नहीं होने वाला, इसके चलते उन्होंने खुद ही मैदान संभाला। विरोध का नेतृत्व कर रहे आशीष चौधरी के साथ फिर कई रहवासी जुड़ गए और रविवार को विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। - उक्त क्षेत्र में स्कीम 140, मंगल नगर, ब्रजेश्वरी नगर, ब्रजेश्वरी नगर एक्सटेंशन सहित कई ऐसी कॉलोनियां हैं जहां संभ्रांत परिवार के लोग रहते हैं। हाल ही में पिपल्याहाना ब्रिज भी बना है। जिससे लोकेशन और पॉश हो गई है। उक्त दुकान के पास तीन स्कूल, मंदिर आदि हैं। आबकारी विभाग की गाइड लाइन के अनुसार 200 मीटर दूर दुकान होनी चाहिए। - रहवासियों का मानना है कि पूर्व में यह दुकान पास के क्षेत्र शांति नगर में थी। जहां सुबह से लेकर रात तक नशेड़ी और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग सक्रिय रहते थे। दुकान यहां आने पर फिर ऐसा मजमा लगेगा जो ठीक नहीं है। - महिलाओं का यह भी मानना है कि इससे छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ेगी। रहवासियों को आश्चर्य तब हुआ जब सुबह इनके जन आंदोलन में पास ही के वार्ड 43 के पूर्व पार्षद दिलीप चौधरी वहां पहुंच गए और दुकान हटाने को लेकर रहवासियों से वादा किया कि वे इसे हर हाल में हटाएंगे। खुद का वार्ड नहीं होने के मामले में शर्मा का कहना है कि यह मेरा गृह क्षेत्र है, इसलिए मैं रहवासियों के साथ हूं। वैसे भी यह जनता की सरकार है, अधिकारियों की नहीं। यह सब कुछ अधिकारियों की मेहरबानी से हो रहा है और मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। शर्मा ने कहा कि मैं पहले भी तीन शराब की दुकान हटवा चुका हूं। इस मामले में जब जोरदार प्रदर्शन हुआ तो क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया भी मौके पर पहुंचे। रहवासियों ने जब उन्हें सारा मामला बताया तो उन्होंने कहा कि वे यहां शराब की दुकान नहीं लगने देंगे। दूसरी ओर क्षेत्र की पूर्व पार्षद सुनीता राजेश सोलंकी ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। उनके पति राजेश सोलंकी से जब इस बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त दुकान के ठेकेदार मुकेश नामदेव के भाई का निधन हो गया है। मैं नहीं चाहता कि ऐसे समय विरोध हो। मैं रहवासियों के साथ हूं। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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शुक्रवार को सेंसेक्स व निफ्टी में बहुत ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. वहीं 50 दिनों का ट्रैक देखें तो सेंसेक्स में 29 मई से 19 जुलाई तक 1165 अंकों की गिरावट आ चुकी है. यही हाल कुछ निफ्टी का भी देखने को मिला है. निफ्टी 50 समान अवधि में 442 अंक नीचे आ चुके है. निवेशकों के नुकसान की बात करें तो बीएसई बाजार कैप के लिहाज से बड़ा नुकसान है. 29 मई को बीएसई का बाजार कैप 1,54,58,305. 78 करोड़ रुपए था. जबकि 19 जुलाई को सेंसेक्स गिरा तो बाजार कैप 1,45,38,709. 12 पर था. यानि दोनों दिनों के अंतर को देखा जाए तो 9. 19 लाख करोड़ रुपए का है. जो इंवेस्टर्स का नुकसान है. खास बात ये है 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान सिर्फ 19 जुलाई का ही है. अगर सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो 50 दिनों के लिहाज से सभी सेक्टर धराशायी हैं. बैंक निफ्टी 29 मई से 19 जुलाई तक 1525 अंक नीचे जा चुका है. वहीं बैंक एक्सचेंज 1722. 32 अंक लुढ़का है. सबसे ज्यादा नुकसान ऑटो सेक्टर को हुआ है. ऑटो सेक्टर को समान अवधि में 2428 अंकों की पटखनी खानी पड़ी है. कैपिटल गुड्स सेक्टर में 1881. 65 अंकों की बिकवाली हुई व कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 1685 अंकों की गिरावट पर रहा. इसके अतिरिक्त फार्मा व मेटल क्रमशः 540. 16 व 675 अंकों की गिरावट पर आ चुके हैं. आईटी सेक्टर इन 50 दिनों में सपाट ही दिखाई दिया है. मार्केट एक्सपर्ट व तमाम जानकारों ने प्रिडिक्ट किया था कि अगर देश में नरेन्द्र मोदी सरकार एक बार फिर से मैजोरिटी के साथ आती है तो जुलाई 2019 तक सेंसेक्स 44 हजार को पार कर सकता है. यहां तक निफ्टी 50 के 15 हजार के पार होने का अनुमान लगाया गया था. मौजूदा स्थिति किसी से छिपी नहीं है. शुक्रवार को सेंसेक्स व निफ्टी 60 दिनों के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. जानकारों की मानें तो सेंसेक्स व निफ्टी दोनों उबरने में थोड़ा वक्त लग सकता है. क्योंकि कई सेक्टर्स गिरावट पर हैं. मिडकैप व स्मॉलकैप कंपनियों में भी बहुत ज्यादा निराशा छाई हुई है. ऐसे में सेंसेक्स व अपने पीक पर पहुंचने वक्त लग सकता है. केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का बोलना है कि यह बात पूरी तरह से ठीक है कि सेंसेक्स व निफ्टी को जिस उंचाई पर होना चाहिए था वो वहां नहीं है. सभी को उम्मीद थी कि मजबूत सरकार के आने के बाद मार्केट उठेगा, लेकिन पिछले 50 दिनों में जिस तरह से बाजार रहा उसके कई डॉमेस्टिक व ग्लोबल कारण हैं. बजट में जिस तरह से लोगों को घोषणाओं की उम्मीद थी वो नहीं हुई. जिससे निवेशक बहुत ज्यादा निराश दिखाई दे रहे हैं. साथ एफपीआई पर कर भी बड़ा कारण है. पिछले दिनों में एफपीआई में बड़ी बिकवाली देखने को मिली है. वहीं तमाम इंटरनेशनल इकोनॉमिक एजेंसीज ने ग्लोबल स्लोडाउन के इशारा दिए थे. जिसका प्रभाव देखने को मिल रहा है. वहीं एंजेल ब्रोकिंग रिसर्च एंड कमोडिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बोला कि मौजूदा समय में करंट अकाउंट डेफिसिट व पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्घि हुई है. जिसकी वजह से बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है. एफआईएस में जिस तरह की बिकवाली देखने को मिली है वो भी बड़ा रीजन माना जा रहा है. इसके अतिरिक्त यूएस ने फेवर्ड नेशन दर्जा समाप्त करने का भी प्रभाव मार्केट में देखने को मिल रहा है. अजुज ने आगे बताया कि इकोनॉमिक ग्रोथ के नंबर्स भी पिछले महीनों खास नहीं रहे हैं. ऐसे में मार्केट का गिरना लगातार जारी है.
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अगर आपने केंद्र सरकार द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम का विकल्प चुना था, तो आपको ब्याज पर ब्याज देना है या नहीं, इसका फैसला अभी नहीं हो पाया है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और केंद्र सरकार तरह-तरह के बहाने बना रही है। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि केंद्र सरकार या आरबीआई ने अभी तक कोई भी ऐसा ठोस आदेश या सर्कुलर जारी नहीं किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के स्पष्ट आदेश पास करना चाहिए ताकि लोगों को पता चल सके कि उन्हें कोई फायदा हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने अब इस मामले में सभी पक्षों को केंद्र सरकार के हलफनामे पर एक सप्ताह में जवाब देने का आदेश जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट काफी सख्त नजर आयै। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार या आरबीआई की तरफ से अभी तक कामथ समिति की रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है। गौरतलब है कि लोन मोरेटोरियम की अवधि समाप्त होने के बाद जब बैंकों ने ब्याज पर ब्याज लेने की बात की तो कई लोगों ने इसके खिलाफ याचिका दायर की। जिस पर केंद्र सरकार ने कामथ समिति का गठन कर मामलेका कोई हल निकालने का ऐलान किया। लेकिन इस समिति की रिपोर्ट को अभी तक रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि केंद्र के हलफनामे में कई मुद्दों पर कार्रवाई नहीं की गई है। इसी दौरान रियल एस्टेट की संस्था क्रेडाई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने अपने हलफनामे में जो ढेर सारे आंकड़े दिए हैं, उनका कोई आधार नहीं है। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार और आरबीआई को इस पर निश्चित रूप से ऑर्डर पास करने चाहिए ताकि लोगों को यह पता लगे कि उन्हें क्या लाभ मिल रहा है। कोर्ट ने कहा कि मामला यह नहीं है कि कामथ कमेटी की रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखी जाए, बल्कि इसे लागू करने का मामला है। इस बीच इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में देरी से बैंकों को नुकसान हो रहा है। यदि सुनवाई टाली भी जाती है तो यह केवल जवाब देने के लिए टाली जाए और वह भी 2-3 दिनों से ज्यादा का समय नहीं दिया जाए। वहीं आरबीआई के वकील वी गिरि ने कहा कि ज्यादातर लोग यह महसूस कर रहे हैं कि ब्याज पर ब्याज उन्हें बुरी तरह प्रभावित करेगा। इसमें आगे और सिफारिशें आनी चाहिए और उन पर विचार करना चाहिए।
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निर्माण, नवीकरण या बड़ी मरम्मत उनके मूल्य का निर्धारण करने के बिना शुरू नहीं की जा सकती है। और काम की कीमत परियोजना या बिना गणना नहीं की जा सकती है, दोषपूर्ण चादर। दूसरे पर - श्रम आकलनकर्ता परियोजना निर्माण कार्य और एक हाथ पर शुरुआत है, और व्यक्ति प्रदर्शन किया कार्य के मूल्य की पुष्टि के बीच की कड़ी है। रूस कैलेंडर दिनांक में दिन आकलनकर्ता सौंपा अप्रैल के बीस छठे। अनधिकृत छुट्टी स्थिति निर्माण कंपनियों और समुदायों में जहाँ लोग पेशे से काम में अपनी छाप नहीं रोकता है। हर दिन जिम्मेदारी आकलनकर्ता से भर जाता है, क्योंकि करार संगठन की ओर से मूल्य की गलत परिभाषा का सामना कर रहा या overstatement या नुकसान के मामले में अनुबंध की गैर निष्कर्ष यदि कार्य के मूल्य अनजाने महत्व था। निवेश परियोजना के प्रत्येक चरण, निविदाओं से पहले से कम, अनुबंध के समापन और काम किया काम आवश्यक मात्रा सर्वेक्षक का भुगतान। कार्यदिवस आकलनकर्ता श्रम संचालन, जो बीच में मुख्य जिम्मेदारी हैं की एक बहुत कुछ हैः - अनुमान की गणना परियोजनाओं या दोषपूर्ण बयानों पर आधारित है। - प्रतिपक्षों अनुमान जाँच हो रही है। - मूल्य निर्धारण के अनुपालन के लिए स्वीकृति प्रमाण पत्र की जाँच करें और अनुमान अनुमोदित बजट। - अलग-अलग मानकों का विकास। - के ड्राइंग में कार्य करता है सीबी-2c। - सामग्री, उपकरण के लिए गणना का गठन। - निविदाओं के लिए प्रलेखन तैयार करना। - निर्माण के सभी चरणों में निगरानी और मूल्यांकन लागत। - उच्चतर आर्थिक या तकनीकी शिक्षा। - प्रस्तुति और इस प्रक्रिया की समझ, निर्माण कार्य के संगठन। - विशेष कार्यक्रमों में पीसी के साथ अनुभव। - चित्र और उन्हें पढ़ने के कौशल की समझ। - नियामक ढांचे की प्रस्तुति। पंद्रह साल पहले, 2000 में, रूस के Gosstroy के निर्णय GESN शुरू किए गए थे। गली में आदमी के लिए संक्षिप्त नाम कुछ भी कहना तरह नहीं है, लेकिन के लिए मूल्य गणना है आधार मानकों, जो निर्माण कार्य माना जाता है। राज्य का अनुमान नियमों सामूहिक रूप से काम के विभिन्न प्रकार के लिए पचास से अधिक संग्रह के लिए खाते। उदाहरण के लिए, जब लागत मूल्य गणना भूमि का टुकड़ा निर्धारित "फर्श" जिसमें एक नियम है कि सही काम के लिए संसाधन आवश्यकताओं को परिभाषित करता है वहाँ के संग्रह का चयन किया गया। अनुसार दर स्पष्ट रूप से, देखा जाता है कि कितने आवश्यक मानव घंटे और की भूमि का टुकड़ा क्षेत्र के लिए एक मुक्ति डिवाइस 100 मीटर 2 के रूप में क्यूब्स समाधान चिनाई खरीद या तैयार करने के लिए आवश्यक है, जबकि वाइब्रेटर सतह और लिफ्टों। चूंकि आकलनकर्ता विभिन्न व्यवसायों के लोगों की एक किस्म के साथ मिलकर काम करता है - डिजाइनरों, फोरमैन, एकाउंटेंट, अर्थशास्त्रियों, यह पता करने के लिए एक सहकर्मी या दोस्त को बधाई देना भूल जाते हैं नहीं मूल्य गणना के किस दिन, महत्वपूर्ण है। अप्रैल 26 बहुत मानदंडों, तो तिथि मूल्य गणना के दिन के उत्सव के लिए तय किया गया था के अनुमोदन के निर्णय द्वारा चिह्नित किया गया। शुभकामनाएँ कविताओं से जाप करें जब वे बधाई, खाते में प्रकृति बधाई के सभी बारीकियों लेने के द्वारा व्यक्तिगत रूप से लिखा गया था। प्राकृतिक और आध्यात्मिक गद्य में अच्छा शब्द हैं। मुबारक बधाई आकलनकर्ता निम्नलिखित की तरह लग सकता हैः - "प्रिय सहयोगी, आप के माध्यम से, हमारी कंपनी बहुत सारा पैसा बचाता है। आप हमारे ढाल कि लालची ठेकेदारों के निर्माण स्थल पास नहीं कर रहे हैं। हम लाभदायक परियोजनाओं, कृपालु लेखा परीक्षकों, सटीक गणना और आसान समापन कृत्यों के सम्मान में हमारे काम कर रहे लोगों कामना करते हैं। और अपार खुशी प्यार करेंगे और स्वास्थ्य! "। इस तरह की एक इच्छा उचित मात्रा सर्वेक्षक उद्यम ग्राहकों का प्रतिनिधित्व। - "जब रूस में मूल्य गणना के दिन, हमारी कंपनी, हर कोई जानता है, क्योंकि यह पेशेवरों की एक असली टीम संचालित होता है, धन्यवाद जो हम करोड़ों डॉलर के ठेके समाप्त करने के लिए। सही ढंग से परियोजनाओं गिनती करने की क्षमता के लिए धन्यवाद, सहकर्मियों, ताकि कोई ग्राहक की लागत को कम करने में सक्षम नहीं है निर्माण। हम सटीक, आशावाद, अच्छी खबर यह है और इनाम के योग्य कामना करता हूं। " - "यूनिवर्सल अधिकारी और एक अच्छा आदमी है, हम अपने पेशेवर छुट्टी समझा जा सकता चित्र, दोषपूर्ण अलग बयान इच्छा, ग्राहक / ठेकेदार को समझते हैं। स्वास्थ्य अच्छा है, मुस्कुराता है, अच्छी तरह से लायक प्रमाण पत्र और उदार मालिक। " शब्दों पर ग्रीटिंग परिचित समकक्ष फिट हैं, करीबी दोस्त या संरक्षक एक उपहार के बिना मूल्य गणना के दिन पर नहीं कर सकते। ये पेशे से संबंधित तरह बातें हो सकता है, और नहीं। दूसरी ओर, चीजों के रूप में अपने शौक के लिए जाना जाता है, आसान है। ये वांछित संगीत कार्यक्रम के लिए किसी भी खेल या टिकट के लिए प्रमाण पत्र हो सकता है। आप एक शिक्षक उपस्थित खरीदा है (और यह एक नियम, आयु वर्ग के लोगों के लिए, व्यापक अनुभव के साथ के रूप में, है), एक अच्छा विकल्प ऐसे बटुए के रूप में चमड़े की वस्तुओं का उपहार होगा। एक व्यक्ति जो कई वर्षों आकलनकर्ता काम किया है, जाहिर है वहाँ कई अपने ज्ञान की पुष्टि प्रमाण पत्र हैं। एक उत्कृष्ट अवतार इन रत्नों के लिए एक रूपरेखा पेश करेंगे। यह जानते हुए कि 26 अप्रैल को है कि - मात्रा सर्वेक्षक के दिन, इस पेशे यादगार उपहार के एक व्यक्ति को चकित करने की योजना बना रहा है, तो आप एक सुखद आश्चर्य पहले से तैयार करने के लिए की जरूरत है। यहाँ इस तरह के उपहार के लिए कुछ विचार कर रहे हैंः - केक। आटा के कुशल हैंडलिंग और साथ मिलता है असली गोंद कन्फेक्शनरी कृतियों। यह सब कौशल स्तर पर निर्भर करता है। अब बल के तहत इस मामले के पेशेवरों एक छोटे से घर के रूप में, जो 26 अप्रैल के लिए आश्चर्य की बात उपहार होगा में एक केक बेक। केक या कार्यक्रम है, जो आकलनकर्ता चलाता है की छवि के साथ की निगरानी। - कढ़ाई। इस मामले में यह कुछ महीनों के लिए एक उपहार की तैयारी शुरू करने के लिए आवश्यक है। आप आवश्यक रूप से एक प्रमाण पत्र या किसी भी छवि, और नहीं छाप सकते हैं कि यह एक छुट्टी विषय के साथ resonated। सब के बाद, इस उपहार क्योंकि अद्वितीय और हाथ से बनाया पहले से ही असामान्य है,। - नाममात्र दैनिक। इसकी तैयारी के लिए मुद्रण व्यवसायों की मदद की जरूरत है। एक्वायर्ड साधारण डायरी, कवर फर्क नहीं पड़ता। कंपनी उचित बाध्यकारी चयनित और नाम और व्यक्ति है, जो उपहार का इरादा है के नाम के पहले अक्षर मुद्रित करने के लिए आवेदन किया। गर्म के साथ कोई भी उपहार बधाई भाषण मूल्य गणना के रूप में इस तरह के एक महत्वपूर्ण पेशे के लोगों के लिए एक छोटा सा उत्सव, हो जाएगा।
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इराक फंस सकता है एक बड़ी साज़िश में अलकाज़ेमी अमरीकी दूतावास बंद होने की धमकी से क्यों परेशान हैं? अरबी-21 समाचार पत्र ने इराक़ में अमरीकी गतिविधियों पर एक लेख में अपने विचार प्रकट किये हैं जो ध्यान योग्य हैं। वैसे यह बात भी ध्यान में रहे कि इराक़ को जाल में फंसाने के लिए भी बहुत कुछ किया जा रहा है। कुछ सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि अमरीका, इराक़ी सरकार पर दबाव डालने के लिए खुद ही हमले करवा रहा है। इराक़ी सरकार, अमरीका और युरोपीय संघ की सरकारों को बगदाद में अपने दूतावासों को बंद करने के फैसले को बदलने पर तैयार करने की कोशिश कर रही है। अमरीका ने यह फैसला, बगदाद में अपने दूतावास राकेटों से किये गये हमलों के बाद लिया है। टीकाकारों का कहना है कि अगर अलकाज़मी की सरकार, अपने देश में विदेशी कूटनैतिक कार्यालयों और संस्थापों को राकेट हमलों से नहीं बचा पायी तो एक त्रासदी पूर्ण भविष्य, इराक़ का इंतेज़ार कर रहा है। इस सिलसिले में इराक़ी सांसद, मुस्ना अमीन ने एक बातचीत में कहा है कि अगर इराक़, कूटनयिक संस्थानों की सुरक्षा के अपने वादे का पालन नहीं कर पाएगा तो विश्व समुदाय इराक़ को एक हिंसक देश के रूप मे देखेगी और उसके खिलाफ कार्यवाही करेगी। उनका मानना है कि इराक़ आर्थिक क्षेत्र में बेहद खतरनाक मोड़ पर है और इसी तरह इस देश की राजनीतिक व सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ रही हैं और अब डर इस बात का है कि इराक़ में हंगामा न हो जाए जो अन्त में गृहयुद्ध में बदल जाए। इस इराक़ी सांसद ने कहा कि इराक़ सातवें अनुच्छेद के अंतर्गत और विश्व समुदाय की निगरानी में भी जा सकता है इस लिए सरकार को चाहिए कि जितनी जल्दी सभंव हो, राकेट हमले बंद करवाए। यह ऐसी दशा में है कि जब इराक़ के विधि विशेषर, अली अत्तमीमी ने भी अरबी-21 के साथ एक वार्ता में कहा कि सन 1961 में वियना समझौते के अनुसार , दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा इराक़ का कर्तव्य है और इराक़ ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। अत्तमीमी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, जब अतंरराष्ट्रीय समझौते को नुकसान पहुंचता है तो ज़िम्मेदार देश पर प्रतिबंध का खतरा मंडलाने लगता है इसके अलावा समझौते के अनुसार, दूतावास, उस देश का एक हिस्सा समझा जाता है जहां का वह दूतावास होता है और दूतावास पर हमले का मतलब, उस देश पर हमला होता है। इस बारे में अत्तफकीर राजनीतिक अध्ययन केन्द्र के प्रमुख एहसान अश्शेमरी ने ट्वीट किया कि कूटनयिकों के इराक़ से निकलने के बाद, सरकार को हटाने के लिए अंतररष्ट्रीय हस्तक्षेप, सब से मज़बूत विकल्प होगा। इराक़ को दोबारा सातवें अनुच्छेद के तहत दर्ज किये जाने के बारे में अत्तमीमी ने अरबी-21 को बताया कि इसका अर्थ यह होगा कि इराक़ का संचालन अंतरराष्ट्रीय देख - रेख में होगा और उसकी सप्रंभुता अधूरी होगी मतलब वैसा ही होगा जैसा इराक़ पर पॉल ब्रेमर के शासन के काल में था। उस वक्त भी हालात यही थे। वह आगे कहते हैं कि सुरक्षा परिषद भी अंतरराष्ट्रीय सेना को इराक़ भेज सकती है जो वहां जाकर सैन्य कार्यवाही करेंगे क्योंकि इन हालात में इराक़ एक ऐसा देश बन जाएगा जो अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा समझा जाएगा। वे कहते हैं कि अगर इराक़ अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण में चला गया तो इससे वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पूरी तरह से बिखर जाएगी क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी तरफ से एक शासक का निर्धारण करेगा जो इराक़ का प्रशासन संभालेगा और चुनाव का आयोजन कराएगा। अत्तमीमी कहते हैं कि इराक़ में कूटनियकों पर हमले का मकसद इस देश की अर्थ व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाना है जो संवेदनशील स्थिति में है। अस्ल में इराक में आने वाला हर डालर अमरीकी चैनल से गुज़रता है इस लिए इराक की करैन्सी बुरी तरह से गिर जाएगी जैसा कि लेबनान और ईरान की गिरी है। अत्तमीमी कहते हैं कि इराक़ की सरकार और वहां के राजनेताओं को अच्छी तरह से मालूम है कि राकेट हमलों की वजह से इस देश से कूटनयिकों की वापसी का इराक़ के लिए भयानक परिणाम निकलेगा यही वजह है कि सरकार हमला करने वालों को गिरफ्तार करना ज़रूरी समझती है क्योंकि इराक़ से कूटनियकों की वापसी के साथ ही इराक़ में आर्थिक व सुरक्षा संकट और अराजकता की उल्टी गिनती शुरु हो जाएगी। यह ऐसी दशा में है कि जब अभी बुधवार को 25 देशों के राजदूतों के साथ एक बैठक में इराक़ी प्रधानमंत्री अलकाज़मी ने विदेशी कूटनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया और इसे सरकार का कर्तव्य बताया। उन्होंने बल दिया है कि इराक़ के लंबे समय से चल रही कठिन परिस्थितियों से निकालने के लिए ही वह सत्ता में आए हैं। उन्होंने कहा कि कूटनयिकों पर हमलों का मक़सद, सरकार को कमज़ोर करना, देश की मुख्य चुनौतियों से ध्यान हटाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इराक़ को अलग थलग करना है। Q. A. ताज़ातरीन ख़बरों, समीक्षाओं और आर्टिकल्ज़ के लिए हमारा फ़ेसबुक पेज लाइक कीजिए! हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!
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Bihar News: बताया गया है कि बौसी थाना क्षेत्र में करीब 20 एकड़ जमीन को विधायक नरेंद्र कुमार खुद की जमीन बता रहे थे। विधायक का कहना है कि जमीन उन्होंने खरीदी है। इसी जमीनो को खाली कराने के लिए विधायक अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। बांका बिहार में गोपालपुर से जदयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। जेडीयू विधायक रविवार को एक बार फिर चर्चा में आ गए। इस बार विधायक नरेंद्र कुमार अपनी दबंगई के चलते चर्चा में आए हैं। मामला बांका जिले के बौसी थाना क्षेत्र का है। जहां श्याम बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पास जमीन को अपने कब्जे में करने के लिए हथियार से लैस होकर जदयू के गोपालपुर विधायक नरेंद्र कुमार नीरज ने जमकर हंगामा किया। जानकारी के अनुसार, चार वाहनों से करीब एक दर्जन हथियार और दर्जनों लाठी लेकर पहुंचे विधायक और उनके गुर्गों ने वहां के स्थानीय नंदकिशोर साह का कॉलर पकड़कर हंगामा शुरू किया और अपनी गाड़ी में उन्हें बिठाने की कोशिश करने लगे। जिस पर नंदकिशोर साह के साथ आए कुमोद यादव और जितेंद्र यादव ने विरोध करना शुरू किया। जबरन गाड़ी में डालने की कोशिश करने लगे विधायक और उनके गुर्गे इधर नंद किशोर साह को जबरन गाड़ी में डालने की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों की भारी भीड़ इकट्ठी हो गई और लोगों ने करीब 1 घंटे तक विधायक और उनके गुर्गें को बंधक बनाए रखा। घटना की जानकारी मिलते ही थानाध्यक्ष राजकिशोर सिंह के निर्देश पर एसआई केदार पासवान पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और आक्रोशित ग्रामीणों को शांत कराया। विधायक ने मांगी माफी, तब शांत हुए ग्रामीण पुलिस के मौके पर पहुंचे के बाद जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार ने स्थानीय लोगों से माफी भी मांगी तब जाकर लोगों का गुस्सा शांत हुआ। इस दौरान करीब 1 घंटे तक चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद विधायक अपने गुर्गों के साथ वहां से रवाना हुए। वहीं मामले में नंदकिशोर साह ने भी बताया कि विधायक और उनके गुर्गों ने उनके साथ बदतमीजी की। ये है मामला घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय अनिरुद्ध यादव और बरमसिया गांव निवासी जदयू के उमेश यादव घटनास्थल पर पहुंचे। काफी मशक्कत के बाद मामले को शांत कराया गया। बताया गया कि वहां की करीब 20 एकड़ जमीन को विधायक नरेंद्र कुमार खुद की जमीन बता रहे थे। विधायक का कहना था कि उक्त जमीन उसने शंभू राय सहित अन्य भाइयों से खरीदी है। वहीं दूसरे पक्ष के लोगों ने कहा कि करीब 50 सालों से इस जमीन पर स्थानीय लोगों का कब्जा है। जिस पर वह लोग मकान बनाकर रह रहे हैं। सवाल यह उठता है कि एक जमीन 2 -2 लोगों को किस आधार पर बेची गई और कैसे इसका कागजात तैयार हो पाया। मामले की जांच अंचल कार्यालय तक भी पहुंच सकती है। हालांकि घटना के बाद विधायक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि 24 मार्च को इस मामले में बैठकर हम लोग आपस में फैसला करेंगे। साथ ही बताया कि जमीन के कागजात लेकर पहुंचेंगे। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि जमीन किसकी है। अगर जमीन आप लोगों की हुई तो हम इसे छोड़ देंगे।
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- #BhopalMP मानसून सत्र के पहले दिन अमित शाह का तय हुआ अचानक दौरा, भोपाल की शाम को क्या होगा 'मंगल'? मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित मंत्रालय में मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई जिसमें एक दर्जन बड़े फैसले किए गए हैं। बैठक में मुख्यमंत्री कौशल कमाई योजना के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इसमें युवाओं के लिए बनाई जा रही योजनाओं पर भी विचार विमर्श किया गया। कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि सीएम ने मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के दूसरे चरण की समीक्षा करने का आदेश दिया है। गृह और संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट की बैठक में हुए अहम फैसलों की जानकारियां दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए 6 लाख की आय सीमा को बढ़ाकर 8 लाख किया गया है। इस निर्णय से अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के और व्यापक अवसर मिल सकेंगे। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि एमपी कैबिनेट ने प्रदेश के शासन संधारित मंदिरों के पुजारियों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ऐसे मंदिरों की कृषि भूमि यदि 10 एकड़ है, तो इससे होने वाली आय का उपयोग पुजारी स्वयं के लिए कर सकेंगे। इसी प्रकार 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले शासन संधारित मंदिरों में 10 एकड़ के अतिरिक्त शेष कृषि भूमि का जिला कलेक्टर को सूचित करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर व्यावसायिक उपयोग किया जा सकेगा और इससे प्राप्त होने वाली आय मंदिर के खाते में जमा करवाई जाएगी। कैबिनेट की बैठक में सहकारी विपणन संघ को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि राज्य में अग्रिम भंडारण की व्यवस्था कर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को राज्य के नोडल एजेंसी घोषित किया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत एमपी सरकार ने राज्य की महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है। तय समय पर योजना के अमल की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कैबिनेट ने आज मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना-2023 के बजट और वित्तीय प्रावधानों को मंजूरी दी है।
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जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर में हिमस्खलन में शहीद होनेवाले 14 सैनिकों में से एक सैनिक मध्य प्रदेश के शहडोल के रहने वाले थे। शहडोल निवासी देवेंद्र सोनी की लाश आज (27 जनवरी को) मिली है। 25 जनवरी को हुए हिमस्खलन के बाद से वो लापता बताए जा रहे थे। देवेंद्र सोनी शहडोल के वार्ड नंबर 7 के अर्बन बेसिक स्कूल के बगल के निवासी थे। 24 वर्षीय सोनी 51वीं राष्ट्रीय राइफल के जवान थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आज चार लापता सैनिकों के भी शव बरामद हुए हैं। बुधवार की शाम बांदीपुरा जिले में नियंत्रण रेखा से सटे गुरेज सेक्टर में हुए हिमस्खलन ने कई सैनिकों को अपनी चपेट में ले लिया था। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि बांदीपुरा जिले में नियंत्रण रेखा के समीप गुरेज सेक्टर बुधवार शाम बर्फ का एक विशाल चट्टान सेना के शिविर पर आ गिरा जिससे कई सैनिक उसमें फंस गए। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान शुरू किया गया और एक जूनियर कमीशनप्राप्त अधिकारी समेत सात सैनिक बचा लिए गए। गुरुवार सुबह तीन सैनिकों के शव निकाले गए। अधिकारी के मुताबिक दूसरा हिमस्खलन भी गुरेज सेक्टर में बुधवार ही शाम हुआ। उसकी चपेट में एक गश्ती दल आ गया जो अपनी चौकी पर जा रहा था। अधिकारी ने कहा, "बचाव दल घटनास्थल से तीन शव निकाल पाया । कुछ सैनिक अब भी लापता हैं। ' उन्होंने बताया कि कितने सैनिक लापता है- वह अबतक पता नहीं चल पाया है कयोंकि भारी हिमपात से बचाव अभियान में बाधा आ रही है। बुधवार को मध्य कश्मीर में गंदेरबल जिले के सोनमर्ग में हिमस्खलन की चपेट में आने से एक अधिकारी की जान चली गयी थी । उधर, गुरेज सेक्टर में एक ही परिवार के चार सदस्य भी एक अन्य हिमस्खलन की भेंट चढ़ गये थे। प्रशासन ने नये हिमपात के चलते कश्मीरघाटी में बर्फ वाले क्षेत्रों में ऊंचाई पर हिमस्खलन आने की चेतावनी जारी की है। इन क्षेत्रों में तीन दिनों से रूक रूक कर हिमपात हो रहा है। बीते कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में हिमस्खलन से कई नागरिकों और कई सैनिकों की मौत हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि हिमस्खलन का खतरा तब और बढ़ जाता है जब ऐसी जगहों पर मकान या शिविर बनाए जाते हैं। कश्मीर घाटी में बीते चार दिनों से लगातार बर्फबारी हो रही है। मौसम विभाग ने एक-दो दिन और बर्फबारी जारी रहने की आशंका जताई है। प्रशासन ने कश्मीर के कई इलाकों के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। पुलिस और प्रशासन ने पिछले तीन दिनों तक सैकड़ों लोगों को ऐसे इलाकों से सुरक्षित निकाला है, जहां भारी बर्फबारी हो रही है।
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वकील साहब बताए हुए समय पर पहुँच गए थे। औपचारिक परिचय के बाद वे हमें जिम के कॉटेज ले आए. कॉटेज इतना शानदार और इतना सुंदर सजा हुआ था जैसे अभी-अभी कोई यहाँ से उठकर गया हो। पूरी सजावट में सुरुचि का आभास था। चॉकलेटी कालीन पर बेंत के सोफे, दरवाजों पर पड़े परदों में चाँदी की घंटियाँ लगी हुईं जो हवा के स्पर्श से टुनटुनाने लगती थीं। परदे के पीछे से ही एक पहाड़ी नौकर प्रगट हुआ। आते ही हमें सैल्यूट मारा। वकील साहब ने बताया कि यह बरसों से मिस्टर जिम की तीमारदारी करता रहा। मिसेज जिम इसे अपने बच्चे जैसा प्यार देती थीं। कैसा लगता है दादी के लिए यह संबोधन और यह तस्वीर जो ड्राइंगरूम की दीवार पर टँगी है जिसमें जिम के साथ दादी अंग्रेज दुल्हन की सफेद पोशाक में बिल्कुल परी-सी नजर आ रही थीं। "ये मेम साब हैं हमारी... बहुत अच्छी बहुत दयालु - ईश्वर के जैसी - हम आज भी उनके लिए रोते हैं।" कहता हुआ नौकर जल्दी-जल्दी अपने टपकते आँसुओं को पोंछने लगा। संध्या बुआ ने उसकी पीठ पर हाथ फेरकर उसे पुचकारा। "आप लोग आराम करिए, मैं अभी चाय बनाकर लाता हूँ आपके लिए फिर खाना पकाऊँगा - बढ़िया आलू-मटर की तरकारी।" कहता हुआ वह किचन में चला गया। संध्या बुआ तो पलंग पर लेट गई थीं। वीरेंद्र वकील साहब को छोड़ने गेट तक आया था और मैं पूरा कॉटेज घूम-घूमकर देखने लगी। ड्राइंगरूम, लिविंगरूम, स्लीपिंगरूम, रीडिंगरूम, डाइनिंगरूम, मेहमानों का कमरा-किचन, स्टोररूम-बड़ी-बड़ी बाल्कनियाँ जिनके नीचे घाटी की ओर उतरा जा सकता था। घाटी में पहाड़ी चश्मा छलछल बहा जा रहा था। रेत के मैदानों से हरी-भरी घाटियों तक का दादी का सफर - एक पूरा जीवन जिसमें समर्पण था, स्वप्न थे, पीड़ा थी, आकांक्षा थी, आस्था थी, पराजय थी और प्रेम के उन्माद में गहरे डूब जाने का अपार सुख था। बाल्कनी से लगा छोटा-सा पूजाघर जहाँ कृष्ण की मूर्ति थी। पूजाघर देखकर मैं अभिभूत थी। लगा दादी आकर कानों में कह रही हैं - "देख लिया पायल मेरा दूसरा जन्म? यह दूसरा जन्म मेरा ईश्वर का दिया वरदान था।" मुझे न जाने क्या सूझा कि अपने दुपट्टे से कृष्ण की मूर्ति पोंछने लगी। फिर वहीं रखे डिब्बे में से घी में डूबी और ठंड के कारण जमे हुए घी में कठोरता से जुड़ी बत्तियों में से बड़ी मुश्किल से एक बत्ती निकालकर कलश पर रखे दीये में जला दी। बत्ती आँच पाकर धीरे-धीरे पिघलने लगी। मन मेरा भी पिघल रहा था। संध्या बुआ ने आवाज दी - "आओ पायल, खाना लगा दिया है।" सुबह हम ब्रेकफास्ट से निपटे ही थे कि वकील साहब कुछ ज़रूरी कागजात लेकर आ गए. कई जगह मुझे हस्ताक्षर करने थे। उसके बाद वे हमें सेब के बाग दिखाने ले गए. वकील साहब जिम के खास दोस्त थे और बाकायदा पच्चीस वर्षों की दोस्ती थी उनकी। एक-दो बार तो वे जिम और दादी के साथ लंदन भी जा चुके थे। रोज उठना-बैठना था। हँसते हुए बताया - "हमारी तो अंग्रेजी की शिष्या थीं मिसेज जिम।" हम एक साथ चौंके. "भाषा पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी। महीने भर में सीख गईं अंग्रेजी बोलना।" ओह, गर्व से मेरा सिर ऊँचा हो गया। दादी ने दिखा दिया कि औरत किसी भी काम में मर्दों से पीछे नहीं है। संध्या बुआ ने मेरी ओर देखा और हम दोनों ने आँखों ही आँखों में एक-दूसरे से कह दिया और मान भी लिया कि दादी के लिए यह कोई कठिन बात न थी। वे बेहद विदुषी थीं। कई एकड़ भूमि पर सेब के बगीचे थे। मौसम के समय इन्हें ठेके पर उठा दिया जाता था - "आप बिल्कुल परेशान न हों, पूरी देखभाल करूँगा मैं इन बगीचों की। आप और वीरेंद्र जी समय-समय पर आते ही रहेंगे।" वकील साहब ने तसल्ली दी थी। सुनकर मुझे अच्छा ही लगा था। मैंने वीरेंद्र को बगीचा घूमने के बहाने अलग ले-जाकर कहा कि इधर की देखभाल का पूरा चार्ज वकील साहब को वेतन सहित दे दिया जाए तो कैसा रहे? वे मन लगाकर देखभाल करें इसके लिए ये ज़रूरी है। संध्या बुआ को भी मेरा प्रस्ताव पसंद आया। लिहाजा उन्हें इस काम के लिए नियुक्त कर दिया गया। कॉटेज पहाड़ी नौकर सम्हालेगा और साथ में एक-दो बार खासकर गर्मियों में कलकत्ता या बनारस से ट्रिप लगती रहेंगी हम लोगों की। सारी व्यवस्था के बाद वकील साहब ने रात्रि भोज के लिए हमें अपने घर आमंत्रित किया। दूसरे दिन हमें लौट जाना था। रात्रि भोज के बाद वकील साहब हमें कालीबाड़ी रोड पर चहलकदमी कराने ले गए. पूरा शिमला रात की बाँहों में खामोशी से दुबका था। टिमटिमाती बत्तियाँ नीचे घाटियों में बसे घरों में रोशन थीं। "ये काली मंदिर है... जागृत देवी हैं... जो माँगो वही मिल जाता है।" "अच्छा!" संध्या बुआ मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर चली गईं। उनका बजाया पीतल का घंटा देर तक प्रतिध्वनि में गूँजता रहा। दर्शन करके बुआ बाहर आईं - "तुम दोनों दर्शन नहीं करोगे... माँग लो भई आज तो।" मैं हँस दी - "क्या माँगूँ बुआ... सब कुछ तो है।" और वीरेंद्र के साथ मैं दर्शन कर आई पर माँगा कुछ नहीं। मंदिर की छत पर हम बहुत देर तक खड़े रहे, यहाँ से शिमला की रौनक देखते ही बनती है मानो पूरा आसमान घाटी पर उतर आया हो। जब हम ढलवाँ सड़क से अपने कॉटेज की ओर लौट रहे थे तो मैं और बुआ पीछे रह गए. बुआ आहिस्ता-आहिस्ता चल रही थीं। "पायल, मन की शांति सबसे बड़ा धन है जो तुम्हारे पास नहीं है। यही माँग लेतीं काली माँ से?" मैं चुप रही। दुख भी हुआ, बुआ की बात मुझे बुरी लगी, लेकिन उनका कहना भी सही है। शांति तो वास्तव में नहीं मिली मुझे। प्रताप भवन में घटी सभी घटनाओं को लेकर मन बहुत अशांत रहा हमेशा। अभी तक कई सवाल मथे डालते हैं... इन्हीं सवालों ने मेरी नींद उड़ा रखी है। बहुत घना बुना हुआ अंधकार का जाल है और उस जाल में कैद प्रताप भवन। मैंने अंधकार से बगावत कर आलोक को तलाशा लेकिन वह आलोक इतना नन्हा था कि उस बुने जाल को काट नहीं पाया और मैं स्वयं को आलोकित समझ मन-ही-मन संतुष्ट होती रही जबकि वह संतुष्टि थी नहीं... महज भ्रम था। संध्या बुआ और वीरेंद्र गहरी नींद में थे। पहाड़ी नौकर ने फायर प्लेस में लकड़ियाँ सुलगाकर कमरा खासा गरम कर दिया था... मेरी आँखों में नींद का दूर-दूर तक पता न था। मैं दादो के कमरे में आकर उनकी चीजों को देख रही थी। हर चीज में उनकी मौजूदगी समाई थी। बस वे ही नहीं थीं। सामने रैक पर किताबों का भंडार जमा था। अंग्रेजी-हिंदी की किताबें! अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे बहुत अधिक अध्ययन में डूब गई थीं। अध्ययन तो वे प्रताप भवन में रहते हुए भी करती थीं और प्रतिदिन डायरी लिखने की आदत भी बाबा ने डाली थी उनमें। वे डायरी लिखती थीं और रात को बाबा को सुनाती थीं। बाबा हँसते - "डायरी मन का दर्पण है जो तुम्हें तुम्हारी सही तस्वीर दिखाता है, यह आत्मयोग है, आत्मा के दर्शन कराने वाला योग-इसलिए इसे लिखो और गुनो।" अचानक मेरी खोजी दृष्टि ने उनकी डायरी खोज ही ली। शायद इसी की तलाश में मेरी नींद उड़ी थी। हाँ, मैं जानना चाहती थी कि प्रताप भवन छोड़ने के बाद दादी की मनःस्थिति क्या थी। शायद उनके प्रति प्रगाढ़ लगाव वजह हो लेकिन डायरी पाकर अपार खुशी ने मेरे मन को चैन दे दिया। बादामी रंग की डायरी का प्रत्येक पन्ना दादी की लिखावट से भरा था। पन्ने पलटती हुई एक-दो लाइनें पढ़ती हुई मैं कमरे में आकर पलंग पर लेट गई और बहुत देर तक डायरी को सीने से लगाए रही। मानो दादी के पास ही लेटी हूँ मैं। मैंने आँखें मूँद लीं। सुबह घाटी में उतरते हलके-हलके आलोक में जब नींद खुली तो सबसे पहला काम मैंने ये किया कि डायरी को अपने सूटकेस में कपड़ों की तह के नीचे दबा दिया। फिर खिड़की पर पड़ा परदा हटाया... खिड़की की बंद काँच पर रात को गिरे कोहरे ने अपनी चादर चढ़ा रखी थी जो सूरज की किरणों के गुनगुने स्पर्श से लकीरों में बह रहा था। मैंने खिड़की खोल दी। ठंडी हवा की छुअन बदन सिहरा गई. दूसरे दिन हम दिल्ली लौटे। हमसे मिलने राधो बुआ आ गई थीं सो उनके साथ दो दिन बिताकर वीरेंद्र बनारस चला गया और हम कलकत्ता लौट गए. मार्च के वासंती दिन। ठूँठ पेड़ों पर फूल, रस और गंध की मस्ती छाई है। पतझड़ ने पेड़ों की नंगाझोली ले ली थी। वसंत ने उन्हें फिर बसा दिया। लेकिन मेरा मन बसता नहीं, हालाँकि यूनिवर्सिटी में बेहद व्यस्तता है। इम्तहान, पेपर सैटिंग, पेपर करेक्शन, पी-एच.डी. के विद्यार्थियों का वायवा लेना। थककर घर लौटती और मिनटों में नींद घेर लेती। बीच में नींद टूटती तो डायरी पढ़ने का लालच सिर उठा लेता। पर कड़ुआई आँखें इजाजत नहीं देतीं। आजकल मेरी बंगालिन नौकरानी हफ्ते भर की छुट्टी लेकर गाँव गई है और संध्या बुआ रंगरूट की तरह एकदम डिनर के टाइम पर खाना लेकर आ जाती हैं। आज वे जिद कर रही थीं कि मुझे खिलाकर और सुलाकर ही जाएँगी और आज ही मेरा मन उतारू था डायरी के पृष्ठ खोलने को। उनके जाते ही मैंने टेबिल लैंप जलाया और टेबिल की दराज से डायरी निकाल उसे सहलाया मानो दादी का कोमल स्पर्श हो। डायरी का हर पन्ना उनकी जिंदगी का खुला दस्तावेज था।
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अगर आप गर्मियों में अपने परिवार के लिए कुछ हटकर बनाना चाहते हैं तो जिलेटो ट्राई करें। जिलेटो इटैलियन आइसक्रीम होती है, जिसमें सामान्य आइसक्रीम की तुलना में कम क्रीम और दूध का अनुपात अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इसे घर पर विभिन्न फ्लेवर में बनाया जा सकता है। आइए आज आपको 5 तरह के जिलेटो की रेसिपी बताते हैं, जिनका सेवन स्वाद और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से बेहतरीन है। सबसे पहले स्ट्रॉबेरी, नींबू के रस और चीनी को फूड प्रोसेसर में डालकर अच्छे से फेंटे। अब इसमें थोड़ा दूध डालें और दोबारा से इसे फेंटे। इस मिश्रण को तब तक फेंटें जब तक इसकी स्थिरता छाछ की तरह पतली न हो जाए और फिर इसे एक कटोरे में क्रीम के साथ मिला लें। इसके बाद मिश्रण को जिलेटो मेकर में डालें। अब इसे गाढ़ा होने और जमने के लिए 2-3 घंटे के लिए फ्रीज में रख दें। सबसे पहले एक बर्तन में क्रीम, नींबू का रस, नींबू के छिलके का पाउडर, दूध, चीनी और नमक को मिलाएं। इसे तब तक फेंटें जब तक चीनी घुल न जाए। अब इस मिश्रण को जिलेटो मेकर में डालें और उसके निर्देशानुसार इसे जमाने के लिए फ्रिज में रखें। एक बार जब यह जम जाए तो इसे फ्रीजर में रखें और इसे कुछ घंटों के बाद खाने के लिए परोसें। गर्मियों में आइसक्रीम के अलावा इन पेय को भी ट्राई करें। इसके लिए सबसे पहले थोड़ा-सा दूध उबालें और उसमें चीनी, नमक मिलाएं। जब यह मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो इसमें कोको पाउडर और कॉर्नस्टार्च डालें। अब इसमें पिघली हुई चॉकलेट डालकर इसे चिकना होने तक फेंटें। इसके बाद मिश्रण में वनिला एसेंस मिलाकर इसे वैक्स पेपर से ढक दें और रातभर के लिए फ्रिज में रखें। अगली सुबह मिश्रण को फेंटे और फिर जिलेटो मेकर में डालकर 2-3 घंटे के लिए फ्रीजर में रखने के बाद परोसें। सबसे पहले एक सॉस पैन में दूध, क्रीम और चीनी मिलाएं, फिर जैसे ही चीनी घुल जाए तो मिश्रण को एक कटोरे में डालें। अब इस मिश्रण में दूध और न्यूटेला डालें। जब तक न्यूटेला घुल न जाए तब तक इसे फेंटे। इसके बाद मिश्रण को जिलेटो मेकर में डालकर जमा दें। आप चाहें तो गर्मियों के दौरान जिलेटो की जगह इन 5 कुल्फी रेसिपी को भी ट्राई कर सकते हैं।
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अजमेर। रक्षाबंधन त्योहार के मद्देनजर शहर में दिन भर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। शहर के सीमावर्ती थानों की पुलिस दिन भर मुस्तैदी के साथ डटी रही। इसी तरह रेलवे स्टेशन पर भी जीआरपी ने कडी नजर बनाए रखी। रक्षाबंधन पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले में पुलिस अलर्ट पर रही। आगामी तथा 15 अगस्त को स्वत्रंत्रता दिवस तक पुलिस चप्पे चप्पे पर तैनात रहेगी। शहर के सीमावर्ती सिविल लाइन थानाक्षेत्र में सुबह से ही पुलिस एक्शन में आ गई। जगह जगह बैरिकेड्स लगाकर संदिग्ध वाहनों को रोक कर तलाशी ली गई। बस स्टेंड चौराहे पर हथियारबंद जवानों के साथ नवनियुक्त थानाधिकारी अरविंद चारण डटे नजर आए। चारण ने बताया कि पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सिंह के आदेश के बाद बस स्टैंड के सामने नाकाबंदी की गई। इस मार्ग वाहनों की तलाशी के साथ ही एमवी एक्ट का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी की गई। उन्होंने कहा कि राखी का त्योहार आमजन आराम से मनाए, बहनों के प्रमुख दिन कोई अप्रिय घटना ना हो तथा तथा कानून व्यवस्था बनी रहे इसलिए विशेष चौकसी बरती जा रही है। त्योहार के दिन आमजन की सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की सूनी कलाई पर भी राखी सज गई। विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहनी से जुडी बहनों ने सामाजिक समरसता के पर्व रक्षाबंधन पर पुलिसकर्मियों, चिकित्साकर्मियों और स्वछता सैनिकों को रक्षा सूत्र बांध कर अभिनन्दन किया। विहिप के विभाग मंत्री शशिप्रकाश इन्दोरिया ने बताया की हर साल की भांति इस रक्षाबंधन पर भी दुर्गावाहिनी से जुडी बहनों ने कलेक्ट्रेट, सिविल लाइन थाना, अलवर गेट, महिला थाना पहुंच कर पुलिसकर्मियों की कलाईयों पर रक्ष सूत्र बांधे। सिविल लाइन थानाधिकारी अरविन्द चारण सहित सभी स्टाफ़ को राखी बांधकर राष्ट्र रक्षा के लिए अभिनन्दन किया। इस अवसर पर विहिप के प्रान्त अधिकारी लेखराज सिंह राठौड़, सहमंत्री कैलाश सिंह भाटी, प्रान्त मातृशक्ति संयोजिका अलका गौड, महानगर संयोजिका नीना शर्मा, दुर्गा वाहनी महानगर संयोजिका पिंकी महावर सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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हाल के वर्षों में, रूस में इस कानून की रक्षा करने वाले लोगों द्वारा कानून का प्रभावशाली उल्लंघन किया गया है। हजारों कानून प्रवर्तन अधिकारियों के अलावा, जो वास्तव में कानून के शासन की रक्षा करते हैं, दुर्भाग्य से, ऐसे लोग हैं जिनके लिए वर्दी का सम्मान सिर्फ खाली शब्द है। पुलिस अधिकारी, जांचकर्ता, न्यायाधीश, अभियोजक और विभिन्न स्तरों के अधिकारी प्रतिवर्ष एक आपराधिक प्रकृति के प्रशासनिक अपराध और अपराध करते हैं। हालाँकि, सुनहरे क्रस्ट वाले कानून के अधिकांश मंत्री उतरते हैं, जैसा कि वे कहते हैं, "थोड़ा डर"। ये लोग स्वयं को हिंसात्मक मानते हैं, उनकी बचत की परतें उन्हें जिम्मेदारी से बचने और अधर्म पैदा करने का अवसर देती हैं। यह विश्वास दिलाते हुए कि वे हर चीज से दूर हो जाएंगे, वे अपनी त्वचा को बचाते हुए, अच्छे और निर्दोष रूसी नागरिकों के अपराधियों को आसानी से अपराधी बना सकते हैं। वृत्तचित्र में "गोल्डन xiwa। रक्षा की पंक्ति "इसके लेखक कानून के सेवकों की निष्पक्षता का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हैं। हमारे देश में बड़ी समस्याएं हैं ताकि न्यायाधीश, अभियोजक, सड़कों पर अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर सकते हैं या यदि वे नशे में हैं तो एक चिकित्सा परीक्षा कर सकते हैं। आज, यह असंभव है। रूस के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की अशुद्धता के चमकदार उदाहरणों के बारे में विस्तार से फिल्म देखेंः
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इस्तांबुल की स्मारकीय इमारतों में से एक हैदरप्पा रेलवे स्टेशन अपने 109 साल के इतिहास में सबसे बड़ी मरम्मत के दौर से गुजर रहा है। संरचना की छत पर 50 टन स्टील का उपयोग किया गया था, जो तीन बार जलने के बावजूद बच गया। मिलियेट ने ऐतिहासिक इमारत में कार्यों को देखा। जब परिवहन, समुद्री मामलों और संचार मंत्री अहमत असलान ने घोषणा की कि 2018 के अंत में हैदरपापा-गेब्ज़ की उपनगरीय लाइन को सेवा में डाल दिया जाएगा, तो आँखें मुख्य स्टेशन हेदारपासा स्टेशन की ओर मुड़ गईं। इमारत की छत पर लगी आग, जो एक शताब्दी से इस्तांबुल से इस्तांबुल आए लोगों की प्रतीक इमारत थी, ने बहुत विनाश किया। जबकि आग के बाद अस्थायी छत बनाई गई थी, आखिरी ट्रेन 28 में हटा दी गई थी। Haydarpaşa ट्रेन स्टेशन वर्तमान में अपने इतिहास में सबसे बड़ी मरम्मत के दौर से गुजर रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस्तांबुल के शहर परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कम्यूटर ट्रेनों को वापस करना है। मिलियेट, बिल्डिंग में 2011 साल पुरानी पढ़ाई देखी। यह कहते हुए कि स्टेशन के समुद्र के सामने वाले हिस्से से लवणीकरण हटा दिया गया है, अनल्डि ने कहा, "हमने जून 2015 में काम शुरू किया था और हमारा लक्ष्य इसे जून 2018 में पूरा करना है। जीर्णोद्धार का दूसरा भाग उस नमक को हटाना है जो वर्षों से ऐतिहासिक इमारत के पत्थरों में घुस गया है। सभी क्षतिग्रस्त ऐतिहासिक पत्थरों और संगमरमर की मरम्मत की जाएगी। हम बाहरी मरम्मत में खुरासान पत्थर, शुद्ध चूना, प्राकृतिक पत्थर और ईंट का उपयोग करते हैं। छत कुल 3 हजार 500 वर्ग मीटर है। हमें दो टावरों के क्षेत्रों सहित 3 हजार वर्ग मीटर का क्षेत्र प्राप्त हुआ। परियोजना के अंत में इसका मूल्यांकन दूसरे तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "विशेषज्ञ, जो सभी राहतों, दीवार की नक्काशी और नक्काशी कला के उदाहरणों की मरम्मत करते हैं, वही नवीनीकरण और मरम्मत करते हैं जो मूल के लिए सबसे उपयुक्त होता है।" यह पता चला कि ऐतिहासिक इमारत, जो 109 वर्षों से खड़ी है, की भी जियोराडार से छवि ली गई थी। यह कहा गया था कि पुनर्स्थापना के दौरान, जहां नींव, लोड-बेयरिंग कॉलम और बेसमेंट फ़्लोर कैरियर्स की ओवरहालिंग की गई थी, वे इकाइयाँ जहाँ सिविल सेवक काम करेंगे, जहाँ टिकट जारी किए जाएंगे, और सामाजिक क्षेत्र भी मूल के अनुसार बनाए जाएंगे। हैदरपासा ट्रेन स्टेशन पर बहाली 65 मीटर की ऊंचाई के साथ दो टावरों में की जाती है। मीनारों पर मीनारें बुलेट से ढकी हुई हैं। लेप के लिए तीन टन सीसे का उपयोग किया जाता है। कुल छह टन सीसा, साथ ही टावरों पर पवन गुलाब पहले की तरह लगाए जाएंगे। स्टेनलेस स्टील से बने पवन गुलाब टावरों पर विषाद के प्रतीक के रूप में खड़े होंगे। तीन आर्किटेक्ट, एक फोरमैन और 45 कार्यकर्ता नेसिह याल्किन और एरेन कॉर्कमाज़ की देखरेख में हैं। येशिल्कम के सैकड़ों लोगों को हेदरपस स्टेशन पर एक उदासीन नज़र आएगा, जो कि एनाटोलियन लोगों ने इस्तांबुल में अपना पहला कदम रखा है। हैदरपसा ट्रेन स्टेशन इस्तांबुल की प्रतीक इमारतों में से एक है। गार्डे पहला 22 सितंबर 1872 में, रेलवे का पहला स्टेशन था जिसने पेंडिक को खोला। फिर रेलवे 2 पर पहुंच गया। अब्दुलहमित, स्टेशन को फिर से बनाने की आवश्यकता के अनुसार। दो जर्मन आर्किटेक्ट, ओटो रिटर और हेल्मथ क्यूनो, और स्टेशन भवन का निर्माण, पीएच। Holzmann निर्माण कंपनी शुरू की। स्टेशन बिल्डिंग की वास्तुकला, प्रत्येक 21-मीटर लंबी हजार 100 लकड़ी के ढेर पर निर्मित है, प्रशिया के लिए नया है। Rönesans यह शैली में किया गया था। भवन का आंतरिक प्रांगण, जिसे अलग-अलग लंबाई की दो भुजाओं वाली "यू" योजना के साथ बनाया गया था, उत्तर की ओर और समुद्र का अग्रभाग दक्षिण की ओर स्थित था। असल में, हियरके से लाया गया गुलाबी ग्रेनाइट, और लेफके से लाए गए कठिन मौसम प्रतिरोधी पत्थरों का बाहरी हिस्से पर उपयोग किया गया था। लकड़ी की छत को जर्मन वास्तुकला में एक खड़ी छत के रूप में डिजाइन किया गया था। जर्मन रेलवे के प्रतीक ईगल विंग के साथ छत के स्तर पर घड़ी सजी हुई थी। इस आकृति को तुर्की रेलवे के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया था। गेराज का इंटीरियर भी जर्मन कलाकार लिनमैन द्वारा बनाया गया था। 30 मई 1906'da भवन में निर्माण शुरू हो गया, 19 अगस्त 1908'te खोला गया। पहले दिन की आग। भवन की मरम्मत की गई और 4 नवंबर 1909 पर फिर से खोला गया।
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उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या की जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी रियाज अटारी की बाइक का रजिस्ट्रेशन नंबर मुंबई आतंकी हमले से जुड़ा था। ऐसा मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है। मुंबई हमले की तारीख़ से जुड़े बाइक नंबर के पीछे आरोपियों की मंशा की और जाँच की जाएगी। एक रिपोर्ट के अनुसार हत्या के आरोपी रियाज ने अपनी बाइक का नंबर आरजे27एएस 2611 को पाने के लिए 5000 रुपये अधिक चुकाया था। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आरोपी ने 2611 नंबर 26 नवंबर, 2011 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को याद करने के लिए खरीदा था। पुलिस टीम बाइक की खरीद और आरोपी ने विशेष नंबर कैसे लिया, इसके बारे में और जानकारी जुटा रही है। पुलिस के अनुसार 29 जून को कन्हैया लाल की उसकी दुकान में हत्या के बाद आरोपी इसी बाइक पर भागे थे लेकिन बाद में उदयपुर के पड़ेसी जिले राजसमंद के भीमा कस्बे में गिरफ्तार कर लिए गए। दर्जी की हत्या में रियाज अख्तरी के अलावा गोस मोहम्मद आरोपी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि रियाज ने जानबूझकर 2611 नंबर मांगा और इस नंबर प्लेट के लिए 5,000 रुपये ज़्यादा चुकाए। यह इस भयावह अपराध और इसकी योजना में महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर सकता है। पुलिस का मानना है कि नंबर प्लेट से यह पता चलता है कि रियाज के दिमाग में 2014 की शुरुआत से क्या चल रहा था, इसका एक सुराग भी हो सकता है। एनडीटीवी ने पुलिस सूत्रों के हवाले बताया है कि रियाज के पासपोर्ट से पता चलता है कि वह 2014 में नेपाल गया था। उसके मोबाइल डेटा से यह भी पता चलता है कि उसके फोन का इस्तेमाल पाकिस्तान में कॉल करने के लिए किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के रिकॉर्ड बताते हैं कि रियाज अख्तरी ने 2013 में एचडीएफ़सी से कर्ज लेकर बाइक खरीदी थी। वाहन का बीमा मार्च 2014 में समाप्त हो गया था। बता दें कि कन्हैया लाल की हत्या के मामले में उदयपुर के महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक सहित भारतीय पुलिस सेवा आईपीएस के 32 अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। दोनों आरोपियों को कल कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
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Chhattisgarh : बिलासपुर के सिरगिट्टी में एक ही परिवार के 8 लोगों की मौत हो गयी है. वहीं 5 की हालत गंभीर बतायी जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार सभी लोगों ने महुआ शराब में होम्पोपैथिक कफ सिरप मिलाकर पीया था. जिसके बाद सभी की तबीयत बिगड़ी है. और 8 लोगों की मौत हो गयी. जबकि 5 की हालत गंभीर बतायी जा रही है. 5 लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. बिलासपुर के सीएमओ ने कहा कि सभी की मौत की वजह होमियोपैथिक दवा हो सकती है क्यों कि दवा में एल्कोहलिक है. सीएमओ के अनुसार युवकों ने महुआ के साथ ड्रोसेरा 30 नामक होमियोपैथिक कफ सिरप दवा मिला कर पी थी. इस दवा में 91 प्रतिशत अल्कोहल होता है. फिलहाल मौत के अन्य कारणों का पता लगाने के लिए टीम जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार मंगलवार शाम को युवकों ने नशे के लिए होम्योपैथिक कफ सीरप में महुआ शराब मिलाकर पिया था. जिसके बाद सभी युवक अपने-अपने घर चले गए. रात में सभी की तबीयत बिगड़ने लगी. सभी उल्टियां करने लगे थे. वहीं शराब पीने वाले 4 युवकों ने बुधवार की सुबह 4 बजे ही दम तोड़ दिया था. गांव के लोगों ने बताया कि यहां के युवक पिछले कुछ दिनों से होम्योपैथिक सिरप को कोरोना की दवा समझ कर कर पी रहे थे. ग्रामीणों को लग रहा इस दवा के महुआ शराब के साथ मिला के पीने से कोरोना से बचा जा सकता है. इस गलतफहमी के पिछले कुछ दिनों से गांव के युवक इसका सेवन कर रहे थे.
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मथीसा पथिराना. ( Image Source : PTI ) Matheesha Pathirana Viral Video: चेपॉक में चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस का मैच जारी है. पहले बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई इंडियंस ने 20 ओवर में 8 विकेट पर 139 रन बनाए. इससे पहले चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया था. बहरहाल, चेन्नई सुपर किंग्स को अपने होम ग्राउंड पर मैच जीतने के लिए 140 रनों का लक्ष्य मिला है. वहीं, सोशल मीडिया पर चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस मैच का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. चेन्नई सुपर किंग्स के तेज गेंदबाज मथीसा पथिराना ने शानदार गेंदबाजी की. इस खिलाड़ी ने 4 ओवर में 15 रन देकर 3 खिलाड़ियों को आउट किया. वहीं, मथीसा पथिराना ने मुंबई इंडियंस के बल्लेबाज नेहाल वधेरा को बेहतरीन यॉर्कर पर बोल्ड आउट किया. अब मथीसा पथिराना का नेहाल वधेरा को यॉर्कर पर आउट करने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. साथ ही सोशल मीडिया पर फैंस मथीसा पथिराना की तुलना लसिथ मलिंगा से कर रहे हैं. वहीं, इस मैच की बात करें तो मुंबई इंडियंस के लिए नेहाल वधेरा ने आउट होने से पहले 51 गेंदों पर 64 रनों की शानदार पारी खेली. उन्होंने अपनी पारी में 8 चौके और 1 छक्का लगाया. चेन्नई सुपर किंग्स के लिए तेज गेंदबाज मथीसा पथिराना ने सबसे ज्यादा 3 विकेट झटके. जबकि दीपक चाहर और तुषार देशपांडो को 2-2 कामयाबी मिली. इसके अलावा रवीन्द्र जडेजा ने 1 विकेट अपने नाम किया. बहरहाल, इस सीजन की छठी जीत दर्ज करने के लिए चेन्नई सुपर किंग्स के सामने 140 रनों का लक्ष्य है.
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तेलंगाना सरकार ने बुधवार को पत्रकारों को COVID फ्रंट-लाइन वर्कर के रूप में मान्यता दी और 28 मई से उच्च जोखिम वाले समूहों के साथ उनका टीकाकरण करने का निर्णय लिया। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से करीब 20 हजार पत्रकारों के टीकाकरण की व्यवस्था की जाएगी। तीन दिवसीय विशेष अभियान के दौरान उच्च जोखिम वाले समूहों के सभी 7. 87 लाख व्यक्तियों का टीकाकरण किया जाएगा। इनमें तीन लाख कैब ड्राइवर और ऑटोरिक्शा चालक, सब्जी, मांस, फूल बाजार, किराना और सैलून की दुकानों में तीन लाख कर्मचारी, नागरिक आपूर्ति से 80,000 लोग और उर्वरक और कीटनाशक की दुकानों से 30,000 लोग शामिल हैं। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के निर्देश पर अधिकारियों ने सोमवार को सुपर स्प्रेडर्स की पहचान उनके पेशे को देखते हुए की थी. इनमें एलपीजी डिलीवरी स्टाफ, उचित मूल्य की दुकान के डीलर, पेट्रोल पंप कर्मचारी, ऑटो और कैब ड्राइवर, रायथू बाजारों में विक्रेता, फल, सब्जी और फूल बाजार, किराना दुकानें, शराब की दुकानें और मांसाहारी बाजार शामिल हैं। जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ. जी. श्रीनिवास राव ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य में वर्तमान में कोविशील्ड की 6. 18 लाख खुराक और राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए कोवाक्सिन की 2. 5 लाख खुराक का भंडार है। जून के पहले सप्ताह में राज्य को कोविशील्ड की 3. 35 लाख और कोवैक्सिन की 2. 5 लाख खुराक मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि राज्य ने अब तक 56 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया है। मई के अंत तक तीन लाख लाभार्थियों को दूसरी खुराक पिलाई जाएगी।
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