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नरगिस. . एक ऐसी अदाकारा जिन्होंने अपने अभिनय के दम पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे मिटाया नहीं जा सकता. आज नरगिस की 93वीं जयंती है और इस खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास तथ्य बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते. नरगिस दत्त का असली नाम फातिमा राशिद था. उन्होंने 1935 में फिल्म 'तलाश-ए-हक' से एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की. इसे उनकी मां जद्दनबाई ने प्रोड्यूस किया था. यह तब था जब फिल्म क्रेडिट में उनका नाम बेबी नरगिस रखा गया था और फिर ये हमेशा के लिए रह गया. नरगिस केवल 28 वर्ष की थीं जब उन्होंने अकादमी-पुरस्कार नामांकित फिल्म 'मदर इंडिया' में राधा के रूप में शानदार प्रदर्शन किया. यह प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी. 1958 में, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. कथित तौर पर, सुनील दत्त के साथ उनका रिश्ता तब शुरू हुआ जब उनकी 'मदर इंडिया' के सह-कलाकार ने उन्हें फिल्म के सेट पर एक आग दुर्घटना से बचाया. नरगिस स्पास्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की पहली संरक्षक थीं. उन्हें स्पास्टिक्स के बच्चों के लिए उनके काम और संगठन के लिए उनके सामाजिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए पहचान मिली. नरगिस दत्त को राज कपूर फिल्म्स के प्रतीक चिन्ह में अमर कर दिया गया है. प्रतीक में राज कपूर और नरगिस दत्त की फिल्म 'बरसात' का प्रतिष्ठित दृश्य है, जहां अभिनेता एक हाथ में नरगिस और दूसरे में वायलिन पकड़े हुए दिखाई देते हैं. नरगिस दत्त ने अपने पति सुनील दत्त के साथ अजंता कला सांस्कृतिक मंडली का गठन किया, जिसमें उस समय के कई प्रमुख अभिनेता और गायक शामिल थे, जिन्होंने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्टेज शो किए. नरगिस दत्त ने अपने पति सुनील दत्त के साथ अजंता कला सांस्कृतिक मंडली का गठन किया, जिसमें उस समय के कई प्रमुख अभिनेता और गायक शामिल थे, जिन्होंने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्टेज शो किए. नरगिस को चैटिंग बहुत पसंद थी और वह एक इंसान थीं. एक रिपोर्ट में, उनकी बेटी नम्रता ने कहा कि जब नरगिस मालिश के लिए लेट जाएगी, तो फोन उनके पास लाया जाएगा. उन्होंने आगे खुलासा किया कि उनके पिता सुनील दत्त उनके निधन के बाद भी मजाक करेंगे कि अगर उनके पास मोबाइल फोन होता, तो वे टूट जाते. सुनील दत्त से शादी के बाद, नरगिस ने अपने करियर के चरम पर अभिनय छोड़ दिया और एक गृहिणी और अपने तीन बच्चों के लिए एक प्यारी मां के रूप में अपनी नई भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया. सफेद साड़ियों को पसंद करने के कारण नरगिस को लेडी इन व्हाइट कहा जाता था. अभिनेत्री को अग्नाशय के कैंसर का पता चला था और उन्होंने न्यूयॉर्क में इसका इलाज कराया था. जब वह भारत लौटीं, तो उनकी तबीयत और बिगड़ गई और वह कोमा में चली गईं. एक दिन बाद 3 मई 1981 को नरगिस का निधन हो गया. संजय दत्त की डेब्यू फिल्म 'रॉकी' की रिलीज से कुछ दिन पहले नरगिस का निधन हो गया. फिल्म के प्रीमियर पर नरगिस की एक सीट कथित तौर पर खाली रखी गई थी.
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प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? हाल ही में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE) ने अपने स्थापना दिवस पर डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर (Deep Freezer and Light Commercial Air Conditioners- LCAC) हेतु स्टार रेटिंग कार्यक्रम शुरू किया है। मुख्य बिंदुः - केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) के अंतर्गत स्थापित BEE ने अपने 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर ऊर्जा कुशल भारत के निर्माण के लिये एक दृष्टिकोण विकसित करने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया। - इस अवसर पर ऊर्जा दक्षता इनफॉर्मेशन टूल (Urja Dakshata Information Tool- UDIT) की भी शुरुआत की गई। - BEE द्वारा 'वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट' (World Resources Institute-WRI) के सहयोग से बनाए गए इस पोर्टल के ज़रिये विभिन्न क्षेत्रों में चलाए जा रहे ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के बारे में जानकारी और आँकड़े हासिल किये जा सकेंगे। - उदित एक उपयोगकर्त्ता अनुकूलित मंच है जो उद्योग, उपकरण, भवन, परिवहन, नगरपालिका और कृषि क्षेत्रों में भारत के ऊर्जा दक्षता परिदृश्य की व्याख्या करता है। - उदित, ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में वृद्धि के लिये सरकार द्वारा उठाए गए क्षमता निर्माण संबंधी नई पहलों की भी प्रदर्शित करेगा। क्या है डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर हेतु स्टार रेटिंग कार्यक्रम? - स्टार लेबलिंग कार्यक्रम ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत एक अधिदेश के रूप में BEE द्वारा प्रारंभ किया गया है। - इस कार्यक्रम के माध्यम से डीप फ्रीज़र और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर को स्टार लेबलिंग अर्थात् स्टार रेटिंग कार्यक्रम के दायरे में लाया गया है। स्टार लेबलिंगः - स्टार लेबलिंग के माध्यम से उपकरण विनिर्माता यह बताता है कि उसका कोई उपकरण बिजली खर्च के हिसाब से कितना किफायती है। - डीप फ्रीज़र के लिये स्टार लेबलिंग कार्यक्रम स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है और ऊर्जा खपत मानदंड 31 दिसंबर, 2021 तक प्रभावी होगा। वहीं हल्के वाणिज्यिक एयर कंडीशनर के लिये यह 2 मार्च, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 तक स्वैच्छिक होगा। डीप फ्रीज़र तथा लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनरः - डीप फ्रीज़र का उपयोग खाने-पीने का सामान, फल, सब्जी जैसे पदार्थों को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिये होता है। वहीं हल्के वाणिज्यिक एयर कंडीशनर के तहत 3 टन से 5 टन तक की क्षमता के एसी आते हैं। - इस कार्यक्रम के तहत BEE ने अब तक 24 उपकरणों को कवर किया है, जिसमें 10 उपकरण अनिवार्य स्टार लेबलिंग के अधीन हैं। - स्वैच्छिक स्टार लेबलिंग के तहत इन दो नए उपकरणों के लॉन्च होने से अब इस कार्यक्रम में 26 उपकरण शामिल हो गए हैं। - डीप फ्रीज़र्स की वार्षिक ऊर्जा खपत का ऊर्जा खपत मानक (किलोवाट.घंटा/वर्ष) पर आधारित है। - डीप फ्रीज़र्स का उपयोग मुख्य रूप से वाणिज्यिक प्रशीतन क्षेत्र में किया जाता है और अगले दशक तक इनके 2 गुना हो जाने की संभावना है जिससे बिजली की खपत के बढ़ने की भी संभावना है। - वित्तीय वर्ष 2017-18 में चेस्ट और अपराइट डीप फ्रीज़र सेगमेंट (Chest and Upright type Deep Freezer Segment) के कुल संगठित बाज़ार का आकार लगभग 5-6 लाख यूनिट था। इसका बाज़ार पिछले 3 वर्षों में 28% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ दोगुना से अधिक हो गया है तथा इसके और बढ़ने की भी उम्मीद है। चेस्ट प्रकार के फ्रीजर का हिस्सा बाज़ार में लगभग 99% है, जबकि अपराइट प्रकार के फ्रीज़र्स का बाज़ार में हिस्सा लगभग 1% है। - लगभग 3.72 लाख डीप फ्रीज़र यूनिटस का विदेश से आयात किया गया है जबकि शेष स्वदेशी तौर पर निर्मित हैं। - डीप फ्रीज़र को स्टार रेटिंग कार्यक्रम में लाने से वर्ष 2030 तक 6.2 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी जो कार्बन डाइऑक्साइड के 5.3 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस की कमी के बराबर है। वहीं लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर के मामले में 2.8 अरब यूनिट बिजली बचत का अनुमान है अर्थात् कुल मिलाकर इससे 9 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी जो कार्बन डाइऑक्साइड के 2.4 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस की कमी के बराबर है। ऊर्जा कुशल भारत के विकास के लिये हितधारकों के साथ परामर्शः - भारत के ऊर्जा क्षेत्र का निर्धारण सरकार की विभिन्न विकास संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं से निर्धारित होगा, जैसे- वर्ष 2022 तक अक्षय ऊर्जा की 175 गीगावाट क्षमता स्थापित करना, सभी के लिये 24X7 पॉवर, सभी के लिये वर्ष 2022 तक आवास, 100 स्मार्ट सिटी मिशन, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना, रेलवे सेक्टर का विद्युतीकरण, घरों का 100% विद्युतीकरण, कृषि पंप सेटों का सोलराइजेशन, और खाना पकाने की स्वच्छ विधियों को बढ़ावा देना। - भारत महत्त्वाकांक्षी ऊर्जा दक्षता नीतियों के कार्यान्वयन से वर्ष 2040 तक 300 GW बिजली की बचत होगी। - वर्ष 2017-18के दौरान ऊर्जा दक्षता उपायों के सफल कार्यान्वयन से देश की कुल बिजली खपत में 7.14% की बचत और 108.28 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन में कमी आई है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरोः - भारत सरकार ने इसकी स्थापना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को की थी। - ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढाँचे के अंदर स्व-विनियम और बाज़ार सिद्धांतों पर महत्त्व देते हुए ऐसी नीतियों और रणनीतियों का विकास करने में सहायता प्रदान करना है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने 2 मार्च, 2020 को राज्यसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पेश किया। मुख्य बिंदुः - इस विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था तथा अगले दिन इसे पारित किया गया। - इस विधेयक का उद्देश्य भारत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में बदलना है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में परिवर्तित किये जाने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयः - राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (नई दिल्ली) - लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (नई दिल्ली) - राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (तिरुपति) - प्रस्तावित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के कार्यः - संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रसार करना और संस्कृत भाषा को और उन्नत बनाना। - मानविकी, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान के एकीकृत पाठ्यक्रम के लिये विशेष प्रावधान करना। - संस्कृत भाषा और उससे संबद्ध विषयों के समग्र विकास और संरक्षण के लिये लोगों को प्रशिक्षित करना। - शक्तियाँः - अध्ययन के पाठ्यक्रम का वर्णन करना और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। - डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान करना। - दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सुविधाएँ प्रदान करना। - एक कॉलेज या संस्थान को स्वायत्त स्थिति प्रदान करना। - संस्कृत और संबद्ध विषयों में शिक्षा हेतु निर्देश प्रदान करना। - विश्वविद्यालय के प्राधिकारः - एक न्यायालय के रूप मेंः - यह विश्वविद्यालय की नीतियों की समीक्षा करेगा और इसके विकास के लिये उपाय सुझाएगा। - कार्यकारी परिषदः - यह विश्वद्यालय का एक मुख्य कार्यकारी निकाय होगा। - केंद्र द्वारा नियुक्त इस 15-सदस्यीय परिषद में कुलपति को भी शामिल किया जाएगा, जो इस बोर्ड का अध्यक्ष होगा। - इस समिति में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव, और संस्कृत या संबद्ध विषयों के क्षेत्र से दो प्रतिष्ठित शिक्षाविद् शामिल होंगे। - यह परिषद शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति का प्रावधान करेगी और विश्वविद्यालय के राजस्व और संपत्ति का प्रबंधन करेगी। - एक अकादमिक और गतिविधि परिषद (Academic and Activity Council) होगी जो अकादमिक नीतियों की निगरानी करेगी। - एक 'बोर्ड ऑफ स्टडीज़' होगा जो शोध के लिये विषयों को मंज़ूरी देगा और शिक्षण के मानकों में सुधार के उपायों की सिफारिश करेगा। - एक न्यायालय के रूप मेंः (Visitor of the universities): - भारत का राष्ट्रपति सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों का विज़िटर होगा। - वह विश्वविद्यालय के कामकाज की समीक्षा और निरीक्षण करने के लिये व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है। - निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कार्यकारी परिषद कार्रवाई कर सकती है। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (Land Ports Authority of India-LPAI) के 8वें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। - केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीमा पार व्यापार की सुविधा हेतु सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण और भारत की भूमि सीमाओं पर यात्रा हेतु किये गए उत्कृष्ट कार्य के लिये LPAI की सराहना की। - ज्ञात हो कि भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर में यात्री टर्मिनल भवन के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है और पाकिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 3-4 किमी. दूर है। यह भारत के गुरदासपुर ज़िले में डेरा बाबा नानक से लगभग 4 किमी. दूर है और पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 120 किमी. उत्तर-पूर्व में है। कहा जाता है कि सिख समुदाय के पहले गुरु ने अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण वर्ष यहाँ गुज़ारे जिसके कारण यह स्थान सिख धर्म के अनुयायियों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिये करतारपुर साहिब की ओर जाने वाले गलियारे को खोलने की मांग भारत द्वारा कई अवसरों पर उठाई जाती रही है। इसके पश्चात् नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2019 में गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती मनाने का प्रस्ताव पारित किया और साथ ही गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे के निर्माण और विकास को मंज़ूरी दी गई। - इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भूमि पत्तन से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे- यात्रा और क्षेत्रीय संपर्क, एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) पर कार्गो संचालन में चुनौतियाँ और एकीकृत चेक पोस्ट के बुनियादी ढाँचे संबंधी आवश्यकताएँ आदि पर चर्चा की गई। (Land Ports Authority of India) - भारत की अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्याँमार, नेपाल और पाकिस्तान के साथ लगभग 15000 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। सीमा क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर व्यक्तियों, माल और वाहनों के आवागमन के लिये कई निर्दिष्ट प्रवेश और निकास स्थान हैं। - इस संबंध में विभिन्न सरकारी कार्यों जैसे- सुरक्षा, आव्रजन और सीमा शुल्क आदि के समन्वय तथा नियंत्रण हेतु 1 मार्च, 2012 को भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) की स्थापना की गई थी। - भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) सीमा प्रबंधन विभाग, गृह मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है। - भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 11 के तहत LPAI को भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में निर्दिष्ट बिंदुओं पर यात्रियों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिये सुविधाओं को विकसित एवं प्रबंधित करने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। वर्ष 2003 में व्यक्तियों, वाहनों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिये अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे पर चिंता व्यक्त करते हुए सचिव स्तर की एक समिति ने भारत की भूमि सीमाओं के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) स्थापित करने की सिफारिश की। इसके पश्चात् इस कार्य को करने के लिये एक स्वायत्त एजेंसी की संरचना की सिफारिश करने हेतु एक अंतर-मंत्रालयी कार्यदल का गठन किया गया। अंतर-मंत्रालयी कार्यदल ने विभिन्न विकल्पों पर विचार कर ICPs के निर्माण, प्रबंधन और रखरखाव के लिये एजेंसी हेतु सबसे उपयुक्त मॉडल के रूप में एक सांविधिक निकाय की सिफारिश की। इस प्रकार भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) का गठन किया गया। भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 11 की उप-धारा (2) में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण के विभिन्न कार्यों का उल्लेख किया गया हैः - एकीकृत चेक पोस्ट पर राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और रेलवे के अतिरिक्त सड़कों, टर्मिनलों एवं सहायक भवनों की योजना, निर्माण तथा रखरखाव करना; - एकीकृत चेक पोस्ट पर संचार, सुरक्षा, माल की हैंडलिंग और स्कैनिंग उपकरणों को खरीदना, स्थापित करना और उनका रखरखाव करना; - एकीकृत चेक पोस्ट पर नियुक्त कर्मचारियों के लिये आवास की व्यवस्था करना; - प्राधिकरण को सौंपे गए किसी भी कार्य के निर्वहन के लिये संयुक्त उपक्रम स्थापित करना। प्रीलिम्स के लियेः मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? केंद्र सरकार ने 11-12 अप्रैल को नई दिल्ली में 'सामाजिक सशक्तीकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-2020' (Responsible AI for Social Empowerment-2020) यानी रेज़-2020 (RAISE 2020) नामक एक वृहद् आयोजन की घोषणा की है। - रेज़-2020 सरकार द्वारा उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाने वाला भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिखर सम्मेलन है। - इस शिखर सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन एवं परिवर्तन के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करने के साथ-साथ एक पाठ्यक्रम की तैयारी हेतु विश्व भर के विशेषज्ञों द्वारा विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। - इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। - केंद्र द्वारा घोषित इस शिखर सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य एक बेहतर भविष्य के लिये सामाजिक परिदृश्य को बदलने हेतु उत्तरदायी AI की क्षमता का उपयोग करने हेतु भारत के विज़न को रेखांकित करना है। - यह शिखर सम्मेलन डिजिटल युग में AI को नैतिक रूप से विकसित करने की आवश्यकता को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिये विचारों के सुचारु आदान-प्रदान को सक्षम करेगा। - रेज़-2020 कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर भारत के विज़न और उत्तरदायी AI के माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन और परिवर्तन के लिये रोडमैप बनाने के उद्देश्य से अपनी तरह की पहली वैश्विक बैठक है। - यह आयोजन एक स्टार्टअप चैलेंज - पिचफेस्ट के साथ शुरू होगा। - भारत सरकार द्वारा आयोजित इस दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ विश्व भर की औद्योगिक हस्तियाँ, प्रमुख चिंतक, सरकार के प्रतिनिधि और शिक्षाविद् भाग लेंगे। - नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपनाने एवं बढ़ावा देने से वर्ष 2035 तक भारत की GDP में 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ ही भारत की वार्षिक वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। - कृषि में अनुप्रयोग से यह किसानों की आय तथा कृषि उत्पादकता बढ़ाने और अपव्यय को कम करने में योगदान कर सकता है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में AI महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। - कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच को बढ़ा सकता है। इसकी मदद से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है एवं शिक्षा तक लोगों की पहुँच को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही प्रशासन में दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त व्यापार एवं वाणिज्य में इसका लाभ सिद्ध है। (Artificial Intelligence) - कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। - सरलतम शब्दों में कहें तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है। - कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को पहली बार 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। - इसके पश्चात् अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम से एक परियोजना की शुरुआत की। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। प्रीलिम्स के लियेः ब्लैक कार्बन, समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC) मेन्स के लियेः चर्चा में क्यों? वैज्ञानिक पत्रिका 'ऐटमोस्पियरिक एनवायरनमेंट' (Atmospheric Environment) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कृषि अपशिष्ट दहन और वनाग्नि से उत्पन्न 'ब्लैक कार्बन' (Black carbon) के कारण 'गंगोत्री हिमनद' के पिघलने की दर में वृद्धि हो सकती है। मुख्य बिंदुः - यह अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था। WIHG संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। - यह अध्ययन वर्ष 2016 में गंगोत्री हिमनद के पास चिरबासा स्टेशन पर किया गया था। - पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं। भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में ऐसे हिमनद पाए जाते हैं। गंगोत्री हिमनदः - भागीरथी नदी का उद्गम गंगोत्री हिमनद से है, जबकि अलकनंदा का उद्गम अलकनंदा हिमनद से है, देवप्रयाग के निकट दोनों के मिलने के बाद इन्हें गंगा के रूप में जाना जाता है। शोध के मुख्य निष्कर्षः - ग्रीष्मकाल में गंगोत्री हिमनद क्षेत्र में ब्लैक कार्बन की सांद्रता में 400 गुना तक वृद्धि हो जाती है। 'समतुल्य ब्लैक कार्बन' (Equivalent Black Carbon- EBC) की मासिक औसत सांद्रता अगस्त माह में न्यूनतम और मई माह में अधिकतम पाई गई। - EBC की मौसमी माध्य सांद्रता में मैसमी बदलाव आता है, जिससे यहाँ प्राचीन हिमनद स्रोत (Pristine Glacial Source) की उपस्थिति तथा क्षेत्र में EBC स्रोतों की अनुपस्थिति का पता चलता है। - शोध के अनुसार, ब्लैक कार्बन की मौसमी चक्रीय परिवर्तनीयता के उत्तरदायी कारकों में कृषि अपशिष्ट दहन (देश के पश्चिमी भाग में) तथा ग्रीष्मकालीन वनाग्नि (हिमालय के कगारों पर) प्रमुख थे। ब्लैक कार्बन (Black Carbon): - ब्लैक कार्बन जीवाश्म एवं अन्य जैव ईंधनों के अपूर्ण दहन, ऑटोमोबाइल तथा कोयला आधारित ऊर्जा सयंत्रों से निकलने वाला एक पार्टिकुलेट मैटर है। - यह एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है जो उत्सर्जन के बाद कुछ दिनों से लेकर कई सप्ताह तक वायुमंडल में बना रहता है। समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC): - ब्लैक कार्बन अपने उत्पति स्रोत के आधार पर अलग-अलग प्रकार के होते हैं तथा वे प्रकाश के विशिष्ट तरंगदैर्ध्य का अवशोषण या परावर्तन करते हैं। इसका मापन ऐथेलोमीटर (Aethalometers) उपकरण द्वारा किया जाता है। - ब्लैक कार्बन के इन मौलिक कणों को द्रव्यमान (Mass) इकाई में बदलने के लिये, इन उपकरणों का उपयोग किया जाता है तथा परिणाम को समतुल्य ब्लैक कार्बन (EBC) नाम दिया जाता है। यथा- यातायात के ब्लैक कार्बन द्रव्यमान को EBC-TR लिखा जाएगा। ब्लैक कार्बन के स्रोतः ब्लैक कार्बन के प्रभावः - वायुमंडल में इसके अल्प स्थायित्व के बावजूद यह जलवायु, हिमनदों, कृषि, मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव डालता है। - वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा समतापमंडल (stratosphere) में 18 किमी. की ऊँचाई तक इन कणों के उपस्थित होने के साक्ष्य मौजूद हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि ये ब्लैक कार्बन कण लंबे समय तक वातावरण में उपस्थित रहते हैं तथा 'ओज़ोन परत को नुकसान' पहुँचाने वाली अन्य रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिये एक बेहतर स्थिति प्रदान करते हैं। - ब्लैक कार्बन जैसे वायु प्रदूषक में गर्भवती माँ के फेफड़ों के माध्यम से प्लेसेंटा में स्थापित होने की क्षमता होती है जिसके 'शिशु पर गंभीर स्वास्थ्य परिणाम' प्रदर्शित होते हैं। हिमनद व परमाफ्रास्ट (Permafrost) पर प्रभावः - वर्ष 2005 में प्रकाशित लारेंस रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में समस्त मृदा का लगभग 30% ब्लैक कार्बन भंडार है। वैश्विक तापन के कारण हिमनद तथा परमाफ्रास्ट लगातार पिघल रहा है तथा इसमें दबा हुआ ब्लैक कार्बन और मीथेन बाहर आ रही है जिससे जलवायु तापन में और तेज़ी आएगी। - ब्लैक कार्बन के कारण 'हिमालयी ग्लेशियरों' पिघलने की गति भी बढ़ गई है। आगे की राहः - वनाग्नि को जलवायु परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण आयाम मानते हुए इससे निपटने के लिये हमें वैश्विक स्तर पर नीति निर्माण की आवश्यकता है, जो 'वनाग्नि और उससे संबंधित पहलुओं' को संबोधित करती हो। - कृषि अपशिष्टों यथा- 'पराली' आदि का व्यावसायीकरण किया जाना चाहिये ताकि इनके दहन में कमी आ सके। प्रीलिम्स के लियेः इरावदी डॉल्फिन, चिल्का झील, भीतरकनिका व गहिरमाथा अभयारण्य (इनके अध्ययन के लिये मैप का उपयोग कीजिये) मेन्स के लियेः जलवायु परिवर्तन का जीवों पर प्रभाव, जीव संरक्षण व पर्यावरण प्रभाव आकलन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर-लेखन में इस प्रकार के बिंदुओं को संदर्भ अथवा उदाहरण (आवश्यकता) के तौर पर उपयोग किया जा सकता है। चर्चा में क्यों? 19 जनवरी, 2020 को ओडिशा राज्य के वन विभाग द्वारा राज्य में भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तथा उसमें स्थित गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में एक दिवसीय डॉल्फिन जनगणना का आयोजन किया गया जिसमें पिछली जनगणना के मुकाबले इस वर्ष डॉल्फिन की संख्या में कमी देखने को मिली। मुख्य बिंदुः - 24 फरवरी, 2020 को प्रकाशित डॉल्फिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में डॉल्फिन की कुल संख्या वर्ष 2020 में 233 दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2019 यह संख्या 259 तथा वर्ष 2015 में 270 थी। - वर्ष 2020 में हुई डॉल्फिन जनगणना में केवल 62 डॉल्फिन्स को ही गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में देखा गया। - वर्ष 2019 में गहिरमाथा में संपन्न डॉल्फिन जनगणना में जहाँ इनकी संख्या 126 आँकी गई थी, वहीं वर्ष 2015 की जनगणना में यह संख्या 307 थी। - गहिरमाथा में हुई डॉल्फिन जनगणना में 60 इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphins) तथा 2 बोटल नोज़ डॉल्फिन (Bottle-nose Dolphins) ही गहिरमाथा में देखी गई हैं। जबकि वर्ष 2019 में हुई डॉल्फिन जनगणना में 14 इरावदी डॉल्फिन, 14 बोटल नोज़ डॉल्फिन तथा 98 हंपबैक डॉल्फिन (Humpback Dolphins) देखी गई। - गहिरमाथा में प्रथम डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न हुई जिसमें 58 इरावदी डाॅल्फिन, 23 बोटल नोज़ डॉल्फिन्स,123 सूसा चिनेंसिस डॉल्फिन (Sousa Chinensis Dolphins), 50 सोसा प्ल्म्बेरा डॉल्फिन (Sousa plumbera dolphins),15 पेनट्रोपिक स्पॉटेड डॉल्फिन (Pantropical Spotted Dolphins), 1 फिनलेस प्रपोईस डॉल्फिन (Finless Porpoise Dolphin) यानी वर्ष 2015 में डॉल्फिन की कुल संख्या 270 पाई गई थी। - हालाँकि प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के बावजूद चिल्का झील में डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि देखी गई है जो वर्ष 2019 के 130 की तुलना में वर्ष 2020 में बढ़कर 146 हो गई हैं। - वर्ष 2020 की गहिरमाथा डॉल्फिन जनगणना इस क्रम की चौथी डॉल्फिन जनगणना है। - सर्वप्रथम गहिरमाथा में डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न कराई गई उसके बाद वर्ष 2018 और वर्ष 2019 की जनगणना संपन्न की गई। डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के कारणः - जलवायु परिवर्तन, प्रतिकूल मौसम, अवैध शिकार आदि कुछ मुख्य कारण हैं जिनके चलते राज्य में डॉल्फिन की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। - इसके अलावा शिकार के दौरान जाल में फँसकर या फिर मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर से टकराकर भी इनकी मृत्यु हो जाती है जिसके चलते इनकी संख्या में कमी दर्ज की गई है। - जलवायु परिवर्तन एवं अत्यधिक वर्षा के कारण जल की लवणता कम होने की वजह से इस वर्ष कई इरावदी डॉल्फिन ने गहिरमाथा से चिल्का झील की तरफ तथा हंपबैक डॉल्फिन ने समुद्र की तरफ प्रवास किया है जिस कारण गहिरमाथा में इस वर्ष जनगणना के दौरान एक भी हमबैक डॉल्फिन को नहीं देखा गया। - गहिरमाथा में डॉल्फिन की संख्या में हुई कमी स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक नहीं है, यह गहिरमाथा में हुए पारिस्थितिकी बदलाव की तरफ इशारा करता है। गहिरमाथा समुद्री अभयारण्यः - गहिरमाथा ओडिशा के केंद्रपाड़ा ज़िले में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है। - यह ओडिशा का एकमात्र समुद्री अभयारण्य है। - गहिरमाथा का समुद्री तट ओलिव रिडले कछुओं (Olive Ridleys Turtuls) का विश्व में सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है। चिल्का झील : - यह ओडिशा राज्य के पूर्वी तट पर स्थित है जो पुरी (Puri), खुर्दा (Khurda), गंजम (Ganjam) ज़िलों में विस्तारित है। - यह एशिया की सबसे बड़ी आंतरिक खारे पानी की लैगून झील है। - वर्ष 1971 में इसे रामसर अभिसमय के तहत आर्द्रभूमि स्थल के रूप में शामिल किया गया है। - यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिये सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है। - चिल्का झील के दक्षिण में स्थित सतपद (Satapada) इरावदी डॉल्फिन के लिये प्रसिद्ध है। - विश्व में इरावदी डॉल्फिन की सर्वाधिक आबादी चिल्का झील में ही देखी जाती है। - डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनयम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है। - यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species) के अनुबंध 1 तथा प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species) के अनुबंध II में शामिल है। - प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for the Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में डाॅल्फिन को संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में शामिल किया गया है। 3 मार्च, 2020 को दुनिया भर में विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस वन्यजीवों के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता के प्रसार हेतु प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। 20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस के रूप में मानने का निर्णय लिया था। ज्ञात हो कि 3 मार्च, 1973 में वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अंगीकृत किया गया था। वर्ष 2020 के लिये विश्व वन्यजीव दिवस की थीम "धरती पर सभी जीवों का संरक्षण (Sustaining all life on Earth) है। वर्ष 2020 को जैव विविधता का वर्ष माना गया है। भारत के लिये यह वर्ष मुख्य रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी वर्ष भारत ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध कार्रवाई के लिये संगठन CoP-13 की अध्यक्षता प्राप्त की है। इस अवसर पर देश में जागरूकता शिविर, फोटो प्रदर्शनी तथा छात्रों और आम जनता को वन्यजीवों के संरक्षण का महत्त्व बताने के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं। श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल की डोरस्टेप डिलीवरी के लिये 'हमसफर' मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप की सहायता से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होटल, अस्पताल और हाउसिंग सोसाइटी अपने घर पर डीज़ल की डिलीवरी की जाएगी। अभी यह सुविधा गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, हापुड, कुंडली, माणेसर और बहादुरगढ़ में उपलब्ध होगी। हमसफर के पास अभी 12 टैंकर हैं। इनकी क्षमता 4000 से 6000 लीटर की है। इन टैंकरों के अलावा हमसफर के पास 35 लोगों की एक अनुभवी टीम भी है। देश भर में 1 मार्च से 7 मार्च, 2020 तक जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य जाँच शिविर, जन औषधि परिचर्चा और "जन औषधि का साथ" जैसी विभिन्न गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं। सप्ताह के दौरान जन औषधि केंद्रों के माध्यम से देश भर में रक्तचाप, मधुमेह की जाँच, डाॅक्टरों द्वारा निशुल्क चिकित्सा जाँच और दवाओं का मुफ्त वितरण किया जा रहा है। स्वास्थ्य शिविरों में आने वाले लोगों को जन औषधि केंद्रों में बेची जा रही रही दवाओं की गुणवत्ता और उनकी कम कीमतों के बारे में जानकारी दी जा रही है। पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह कुलार का 28 फरवरी, 2020 को निधन हो गया। हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह का जन्म वर्ष 1942 में पंजाब के संसारपुर गाँव में हुआ था। बलबीर सिंह कुलार ने हॉकी की शुरुआत स्कूल में पढ़ाई के दौरान की थी। पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा खेलने के कारण उन्हें पंजाब की हॉकी टीम में स्थान मिला। वर्ष 1962 में बलबीर सिंह कुलार को पंजाब सरकार ने पंजाब पुलिस में ASI के तौर पर नियुक्त किया। बलवीर सिंह कुलार ने वर्ष 1963 में भारतीय टीम की तरफ से अपना पहला इंटरनेशनल हॉकी मैच फ्रांँस में खेला था। ध्यातव्य है कि कुलार वर्ष 1966 में बैंकॉक एशियाई गेम्स में स्वर्ण पदक, वर्ष 1968 में मैक्सिको ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे। बलबीर सिंह कुलार को वर्ष 1999 में अर्जुन अवार्ड और 2009 में पद्मश्री पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
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थायस ने स्वाधीन, लेकिन निर्धन और मूर्तिपूजक मातापिता के घर जन्म लिया था। जब वह बहुत छोटीसी लड़की थी तो उसका बाप एक सराय का भटियारा था। उस सराय में परायः मल्लाह बहुत आते थे। बाल्यकाल की अशृंखल, किन्तु सजीव स्मृतियां उसके मन में अब भी संचित थीं। उसे अपने बाप की याद आती थी जो पैर पर पैर रखे अंगीठी के सामने बैठा रहता था। लम्बा, भारीभरकम, शान्त परकृति का मनुष्य था, उन फिर ऊनों की भांति जिनकी कीर्ति सड़क के नुक्कड़ों पर भाटों के मुख से नित्य अमर होती रहती थी। उसे अपनी दुर्बल माता की भी याद आती थी जो भूखी बिल्ली की भांति घर में चारों ओर चक्कर लगाती रहती थी। सारा घर उसके तीक्ष्ण कंठ स्वर में गूंजता और उसके उद्दीप्त नेत्रों की ज्योति से चमकता रहता था। पड़ोस वाले कहते थे, यह डायन है, रात को उल्लू बन जाती है और अपने परेमियों के पास उड़ जाती है। यह अफीमचियों की गप थी। थामस अपनी मां से भलीभांति परिचित थी और जानती थी कि वह जादूटोना नहीं करती। हां, उसे लोभ का रोग था और दिन की कमाई को रातभर गिनती रहती थी। असली पिता और लोभिनी माता थायस के लालनपालन की ओर विशेष ध्यान न देते थे। वह किसी जंगली पौधे के समान अपनी बा़ से ब़ती जाती थी। वह मतवाले मल्लाहों के कमरबन्द से एकएक करके पैसे निकालने में निपुण हो गयी। वह अपने अश्लील वाक्यों और बाजारी गीतों से उनका मनोरंजन करती थी, यद्यपि वह स्वयं इनका आशय न जानती थी। घर शराब की महक से भरा रहता था। जहांतहां शराब के चमड़े के पीपे रखे रहते थे और वह मल्लाहों की गोद में बैठती फिरती थी। तब मुंह में शराब का लसका लगाये वह पैसे लेकर घर से निकलती और एक बुयि से गुलगुले लेकर खाती। नित्यपरति एक ही अभिनय होता रहता था। मल्लाह अपनी जानजोखिम यात्राओं की कथा कहते, तब चौसर खेलते, देवताओं को गालियां देते और उन्मत्त होकर 'शराब, शराब, सबसे उत्तम शराब !' की रट लगाते। नित्यपरति रात को मल्लाहों के हुल्लड़ से बालिका की नींद उचट जाती थी। एकदूसरे को वे घोंघे फेंककर मारते जिससे मांस कट जाता था और भयंकर कोलाहल मचता था। कभी तलवारें भी निकल पड़ती थीं और रक्तपात हो जाता था। थायस को यह याद करके बहुत दुःख होता था कि बाल्यावस्था में यदि किसी को मुझसे स्नेह था तो वह सरल, सहृदय अहमद था। अहमद इस घर का हब्शी गुलाम था, तवे से भी ज्यादा काला, लेकिन बड़ा सज्जन, बहुत नेक जैसे रात की मीठी नींद। वह बहुधा थामस को घुटनों पर बैठा लेता और पुराने जमाने के तहखानों की अद्भुत कहानियां सुनाता जो धनलोलुप राजेमहाराजे बनवाते थे और बनवाकर शिल्पियों और कारीगरों का वध कर डालते थे कि किसी को बता न दें। कभीकभी ऐसे चतुर चोरों की कहानियां सुनाता जिन्होंने राजाओं की कन्या से विवाह किया और मीनार बनवाये। बालिका थायस के लिए अहमद बाप भी था, मां भी था, दाई था और कुत्ता भी था। वह अहमद के पीछेपीछे फिरा करती; जहां वह जाता, परछाईं की तरह साथ लगी रहती। अहमद भी उस पर जान देता था। बहुत रात को अपने पुआल के गद्दे पर सोने के बदले बैठा हुआ वह उसके लिए कागज के गुब्बारे और नौकाएं बनाया करता। अहमद के साथ उसके स्वामियों ने घोर निर्दयता का बर्ताव किया था। एक कान कटा हुआ था और देह पर कोड़ों के दागही-दाग थे। किन्तु उसके मुख पर नित्य सुखमय शान्ति खेला करती थी और कोई उससे न पूछता था कि इस आत्मा की शान्ति और हृदय के सन्टोष का स्त्रोत कहां था। वह बालक की तरह भोला था। काम करतेकरते थक जाता तो अपने भद्दे स्वर में धार्मिक भजन गाने लगता जिन्हें सुनकर बालिका कांप उठती और वही बातें स्वप्न में भी देखती। 'हमसे बात मेरी बेटी, तू कहां गयी थी और क्या देखा था ?' 'मैंने कफन और सफेद कपड़े देखे। स्वर्गदूत कबर पर बैठे हुए थे और मैंने परभु मसीह की ज्योति देखी। थायस उससे पूछती-'दादा, तुम कबर में बैठै हुए दूतों का भजन क्यों गाते हो।' अहमद जवाब देता-'मेरी आंखों की नन्ही पुतली, मैं स्वर्गदूतों के भजन इसलिए गाता हूं कि हमारे परभु मसीह स्वर्गलोक को उड़ गये हैं।' अहमद ईसाई था। उसकी यथोचित रीति से दीक्षा हो चुकी थी और ईसाइयों के समाज में उसका नाम भी थियोडोर परसिद्ध था। वह रातों को छिपकर अपने सोने के समय में उनकी संगीतों में शामिल हुआ करता था। उस समय ईसाई धर्म पर विपत्ति की घटाएं छाई हुई थीं। रूस के बादशाह की आज्ञा से ईसाइयों के गिरजे खोदकर फेंक दिये गये थे, पवित्र पुस्तकें जला डाली गयी थीं और पूजा की सामगिरयां लूट ली गयी थीं। ईसाइयों के सम्मानपद छीन लिये गये थे और चारों ओर उन्हें मौतही-मौत दिखाई देती थी। इस्कन्द्रिया में रहने वाले समस्त ईसाई समाज के लोग संकट में थे। जिसके विषय में ईसावलम्बी होने का जरा भी सन्देह होता, उसे तुरन्त कैद में डाल दिया जाता था। सारे देश में इन खबरों से हाहाकार मचा हुआ था कि स्याम, अरब, ईरान आदि स्थानों में ईसाई बिशपों और वरतधारिणी कुमारियों को कोड़े मारे गये हैं, सूली दी गयी हैं और जंगल के जानवरों के समान डाल दिया गया है। इस दारुण विपत्ति के समय जब ऐसा निश्चय हो रहा था कि ईसाइयों का नाम निशान भी न रहेगा; एन्थोनी ने अपने एकान्तवास से निकलकर मानो मुरझाये हुए धान में पानी डाल दिया। एन्थोनी मिस्त्रनिवासी ईसाइयों का नेता, विद्वान्, सिद्धपुरुष था, जिसके अलौकिक कृत्यों की खबरें दूरदूर तक फैली हुई थीं। वहआत्मज्ञानी और तपस्वी था। उसने समस्त देश में भरमण करके ईसाई सम्परदाय मात्र को श्रद्घा और धमोर्त्साह से प्लावित कर दिया। विधर्मियों से गुप्त रहकर वह एक समय में ईसाइयों की समस्त सभाओं में पहुंच जाता था, और सभी में उस शक्ति और विचारशीलता का संचार कर देता था जो उसके रोमरोम में व्याप्त थी। गुलामों के साथ असाधारण कठोरता का व्यवहार किया गया था। इससे भयभीत होकर कितने ही धर्मविमुख हो गये, और अधिकांश जंगल को भाग गये। वहां या तो वे साधु हो जायेंगे या डाके मारकर निवार्ह करेंगे। लेकिन अहमद पूर्ववत इन सभाओं में सम्मिलित होता, कैदियों से भेंट करता, आहत पुरुषों का क्रियाकर्म करता और निर्भय होकर ईसाई धर्म की घोषणा करता था। परतिभाशाली एन्थोनी अहमद की यह दृ़ता और निश्चलता देखकर इतना परसन्न हुआ कि चलते समय उसे छाती से लगा लिया और बड़े परेम से आशीवार्द दिया। जब थायस सात वर्ष की हुई तो अहमद ने उसे ईश्वरचचार करनी शुरू की। उसकी कथा सत्य और असत्य का विचित्र मिश्रण लेकिन बाल्यहृदय के अनुकूल थी। ईश्वर फिरऊन की भांति स्वर्ग में, अपने हरम के खेमों और अपने बाग के वृक्षों की छांह में रहता है। वह बहुत पराचीन काल से वहां रहता है, और दुनिया से भी पुराना है। उसके केवल एक ही बेटा है, जिसका नाम परभु ईसू है। वह स्वर्ग के दूतों से और रमणी युवतियों से भी सुन्दर है। ईश्वर उसे हृदय से प्यार करता है। उसने एक दिन परभु मसीह से कहा-'मेरे भवन और हरम, मेरे छुहारे के वृक्षों और मीठे पानी की नदियों को छोड़कर पृथ्वी पर जाओ और दीनदुःखी पराणियों का कल्याण करो ! वहां तुझे छोटे बालक की भांति रहना होगा। वहां दुःख हो तेरा भोजन होगा और तुझे इतना रोना होगा कि तुझे आंसुओं से नदियां बह निकलें, जिनमें दीनदुःखी जन नहाकर अपनी थकन को भूल जाएं। जाओ प्यारे पुत्र !' परभु मसीह ने अपने पूज्य पिता की आज्ञा मान ली और आकर बेथलेहम नगर में अवतार लिया। वह खेतों और जंगलों में फिरते थे और अपने साथियों से कहते थे-मुबारक हैं वे लोग जो भूखे रहते हैं, क्योंकि मैं उन्हें अपने पिता की मेज पर खाना खिलाऊंगा। मुबारक हैं वे लोग जो प्यासे रहते हैं, क्योंकि वह स्वर्ग की निर्मल नदियों का जल पियेंगे और मुबारक हैं वे जो रोते हैं, क्योंकि मैं अपने दामन से उनके आंसू पोंछूंगा। यही कारण है कि दीनहीन पराणी उन्हें प्यार करते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। लेकिन धनी लोग उनसे डरते हैं कि कहीं यह गरीबों को उनसे ज्यादा धनी न बना दें। उस समय क्लियोपेट्रा और सीजर पृथ्वी पर सबसे बलवान थे। वे दोनों ही मसीह से जलते थे, इसीलिए पुजारियों और न्यायाधीशों को हुक्म दिया कि परभु मसीह को मार डालो। उनकी आज्ञा से लोगों ने एक सलीब खड़ी की और परभु को सूली पर च़ा दिया। किन्तु परभु मसीह ने कबर के द्वार को तोड़ डाला और फिर अपने पिता ईश्वर के पास चले गये। उसी समय से परभु मसीह के भक्त स्वर्ग को जाते हैं। ईश्वर परेम से उनका स्वागत करता है और उनसे कहता है-'आओ, मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं क्योंकि तुम मेरे बेटे को प्यार करते हो। हाथ धोकर मेज पर बैठ जाओ।' तब स्वर्ग अप्सराएं गाती हैं और जब तक मेहमान लोग भोजन करते हैं, नाच होता रहता है। उन्हें ईश्वर अपनी आंखों की ज्योति से अधिक प्यार करता है, क्योंकि वे उसके मेहमान होते हैं और उनके विश्राम के लिए अपने भवन के गलीचे और उनके स्वादन के लिए अपने बाग का अनार परदान करता है। अहमद इस परकार थायस से ईश्वर चचार करता था। वह विस्मित होकर कहती थी-'मुझे ईश्वर के बाग के अनार मिलें तो खूब खाऊं।' अहमद कहता था-'स्वर्ग के फल वही पराणी खा सकते हैं जो बपतिस्मा ले लेते हैं।' तब थायस ने बपतिस्मा लेने की आकांक्षा परकट की। परभु मसीह में उसकी भक्ति देखकर अहमद ने उसे और भी धर्मकथाएं सुनानी शुरू कीं। इस परकार एक वर्ष तक बीत गया। ईस्टर का शुभ सप्ताह आया और ईसाइयों ने धमोर्त्सव मनाने की तैयारी की। इसी सप्ताह में एक रात को थायस नींद से चौंकी तो देखा कि अहमद उसे गोद में उठा रहा है। उसकी आंखों में इस समय अद्भुत चमक थी। वह और दिनों की भांति फटे हुए पाजामे नहीं, बल्कि एक श्वेत लम्बा ीला चोगा पहने हुए था। उसके थायस को उसी चोगे में छिपा लिया और उसके कान में बोला-'आ, मेरी आंखों की पुतली, आ। और बपतिस्मा के पवित्र वस्त्र धारण कर।' वह लड़की को छाती से लगाये हुए चला। थायस कुछ डरी, किन्तु उत्सुक भी थी। उसने सिर चोगे से बाहर निकाल लिया और अपने दोनों हाथ अहमद की मर्दन में डाल दिये। अहमद उसे लिये वेग से दौड़ा चला जाता था। वह एक तंग अंधेरी गली से होकर गुजरा; तब यहूदियों के मुहल्ले को पार किया, फिर एक कबिरस्तान के गिर्द में घूमते हुए एक खुले मैदान में पहुंचा जहां, ईसाई, धमार्हतों की लाशें सलीबों पर लटकी हुई थीं। थायस ने अपना सिर चोगे में छिपा लिया और फिर रास्ते भर उसे मुंह बाहर निकालने का साहस न हुआ। उसे शीघर ज्ञात हो गया कि हम लोग किसी तहखाने में चले जा रहे हैं। जब उसने फिर आंखें खोलीं तो अपने को एक तंग खोह में पाया। राल की मशालें जल रही थीं। खोह की दीवारों पर ईसाई सिद्ध महात्माओं के चित्र बने हुए थे जो मशालों के अस्थिर परकाश में चलतेफिरते, सजीव मालूम होते थे। उनके हाथों में खजूर की डालें थीं और उनके इर्दगिर्द मेमने, कबूतर, फाखते और अंगूर की बेलें चित्रित थीं। इन्हीं चित्रों में थायस ने ईसू को पहचाना, जिसके पैरों के पास फूलों का ेर लगा हुआ था। खोह के मध्य में, एक पत्थर के जलकुण्ड के पास, एक वृद्ध पुरुष लाल रंग का ीला कुरता पहने खड़ा था। यद्यपि उसके वस्त्र बहुमूल्य थे, पर वह अत्यन्त दीन और सरल जान पड़ता था। उसका नाम बिशप जीवन था, जिसे बादशाह ने देश से निकाल दिया था। अब वह भेड़ का ऊन कातकर अपना निवार्ह करता था। उसके समीप दो लड़के खड़े थे। निकट ही एक बुयि हब्शिन एक छोटासा सफेद कपड़ा लिये खड़ी थी। अहमद ने थायस को जमीन पर बैठा दिया और बिशप के सामने घुटनों के बल बैठकर बोला-'पूज्य पिता, यही वह छोटी लड़की है जिसे मैं पराणों से भी अधिक चाहता हूं। मैं उसे आपकी सेवा में लाया हूं कि आप अपने वचनानुसार, यदि इच्छा हो तो, उसे बपतिस्मा परदान कीजिए।' यह सुनकर बिशप ने हाथ फैलाया। उनकी उंगलियों के नाखून उखाड़ लिये गये थे क्योंकि आपत्ति के दिनों में वह राजाज्ञा की परवाह न करके अपने धर्म पर आऱु रहे थे। थायस डर गयी और अहमद की गोद में छिप गयी, किन्तु बिशप के इन स्नेहमय शब्दों ने उस आश्वस्त कर दिया-'पिरय पुत्री, डरो मत। अहमद तेरा धर्मपिता है जिसे हम लोग थियोडोरा कहते हैं, और यह वृद्घा स्त्री तेरी माता है जिसने अपने हाथों से तेरे लिए एक सफेद वस्त्र तैयार किया। इसका नाम नीतिदा है। यह इस जन्म में गुलाम है; पर स्वर्ग में यह परभु मसीह की परेयसी बनेगी।' तब उसने थायस से पूछा-'थायस, क्या तू ईश्वर पर, जो हम सबों का परम पिता है, उसके इकलौते पुत्र परभु मसीह पर जिसने हमारी मुक्ति के लिए पराण अर्पण किये, और मसीह के शिष्यों पर विश्वास करती हैं ?' हब्शी और हब्शिन ने एक स्वर से कहा-'हां।' तब बिशप के आदेश से नीतिदा ने थायस के कपड़े उतारे। वह नग्न हो गयी। उसके गले में केवल एक यन्त्र था। विशप ने उसे तीन बार जलकुण्ड में गोता दिया, और तब नीतिदा ने देह का पानी पोंछकर अपना सफेद वस्त्र पहना दिया। इस परकार वह बालिका ईसा शरण में आयी जो कितनी परीक्षाओं और परलोभनों के बाद अमर जीवन पराप्त करने वाली थी। जब यह संस्कार समाप्त हो गया और सब लोग खोह के बाहर निकले तो अहमद ने बिशप से कहा-'पूज्य पिता, हमें आज आनन्द मनाना चाहिए; क्योंकि हमने एक आत्मा को परभु मसीह के चरणों पर समर्पित किया। आज्ञा हो तो हम आपके शुभस्थान पर चलें और शेष रात्रि उत्सव मनाने में काटें।' बिशप ने परसन्नता से इस परस्ताव को स्वीकार किया। लोग बिशप के घर आये। इसमें केवल एक कमरा था। दो चरखे रखे हुए थे और एक फटी हुई दरी बिछी थी। जब यह लोग अन्दर पहुंचे तो बिशप ने नीतिदा से कहा-'चूल्हा और तेल की बोतल लाओ। भोजन बनायें।' यह कहकर उसने कुछ मछलियां निकालीं, उन्हें तेल में भूना, तब सबके-सब फर्श पर बैठकर भोजन करने लगे। बिशप ने अपनी यन्त्रणाओं का वृत्तान्त कहा और ईसाइयों की विजय पर विश्वास परकट किया। उसकी भाषा बहुत ही पेचदार, अलंकृत, उलझी हुई थी। तत्त्व कम, शब्दाडम्बर बहुत था। थायस मंत्रमुग्ध-सी बैठी सुनती रही। भोजन समाप्त हो जाने का बिशप ने मेहमानों को थोड़ीसी शराब पिलाई। नशा च़ा तो वे बहकबहककर बातें करने लगे। एक क्षण के बाद अहमद और नीतिदा ने नाचना शुरू किया। यह परेतनृत्य था। दोनों हाथ हिलाहिलाकर कभी एकदूसरे की तरफ लपकते, कभी दूर हट जाते। जब सेवा होने में थोड़ी देर रह गयी तो अहमद ने थायस को फिर गोद में उठाया और घर चला आया। अन्य बालकों की भांति थायस भी आमोदपिरय थी। दिनभर वह गलियों में बालकों के साथ नाचतीगाती रहती थी। रात को घर आती तब भी वह गीत गाया करती, जिनका सिरपैर कुछ न होता। अब उसे अहमद जैसे शान्त, सीधेसीधे आदमी की अपेक्षा लड़केलड़कियों की संगति अधिक रुचिकर मालूम होती ! अहमद भी उसके साथ कम दिखाई देता। ईसाइयों पर अब बादशाह की क्रुर दृष्टि न थी, इसलिए वह अबाधरूप से धर्म संभाएं करने लगे थे। धर्मनिष्ठ अहमद इन सभाओं में सम्मिलित होने से कभी न चूकता। उसका धमोर्त्साह दिनोंदिन ब़ने लगा। कभीकभी वह बाजार में ईसाइयों को जमा करके उन्हें आने वाले सुखों की शुभ सूचना देता। उसकी सूरत देखते ही शहर के भिखारी, मजदूर, गुलाम, जिनका कोई आश्रय न था, जो रातों में सड़क पर सोते थे, एकत्र हो जाते और वह उनसे कहता-'गुलामों के मुक्त होने के बदन निकट हैं, न्याय जल्द आने वाला है, धन के मतवाले चैन की नींद न सो सकेंगे। ईश्वर के राज्य में गुलामों को ताजा शराब और स्वादिष्ट फल खाने को मिलेंगे, और धनी लोग कुत्ते की भांति दुबके हुए मेज के नीचे बैठे रहेंगे और उनका जूठन खायेंगे।' यह शुभसन्देश शहर के कोनेकोने में गूंजने लगता और धनी स्वामियों को शंका होती कि कहीं उनके गुलाम उत्तेजित होकर बगावत न कर बैठें। थायस का पिता भी उससे जला करता था। वह कुत्सित भावों को गुप्त रखता। एक दिन चांदी का एक नमकदान जो देवताओं के यज्ञ के लिए अलग रखा हुआ था, चोरी हो गया। अहमद ही अपराधी ठहराया गया। अवश्य अपने स्वामी को हानि पहुंचाने और देवताओं का अपमान करने के लिए उसने यह अधर्म किया है ! चोरी को साबित करने के लिए कोई परमाण न था और अहमद पुकारपुकारकर कहता था-मुझ पर व्यर्थ ही यह दोषारोपण किया जाता है। तिस पर भी वह अदालत में खड़ा किया गया। थायस के पिता ने कहा-'यह कभी मन लगाकर काम नहीं करता।' न्यायाधीश ने उसे पराणदण्ड का हुक्म दे दिया। जब अहमद अदालत से चलने लगा तो न्यायधीश ने कहा-'तुमने अपने हाथों से अच्छी तरह काम नहीं लिया इसलिए अब यह सलीब में ठोंक दिये जायेंगे !' अहमद ने शान्तिपूर्वक फैसला सुना, दीनता से न्यायाधीश को परणाम किया और तब कारागार में बन्द कर दिया गया। उसके जीवन के केवल तीन दिन और थे और तीनों दिनों दिन यह कैदियों को उपदेश देता रहा। कहते हैं उसके उपदेशों का ऐसा असर पड़ा कि सारे कैदी और जेल के कर्मचारी मसीह की शरण में आ गये। यह उसके अविचल धमार्नुराग का फल था। चौथे दिन वह उसी स्थान पर पहुंचाया गया जहां से दो साल पहले, थायस को गोद में लिये वह बड़े आनन्द से निकला था। जब उसके हाथ सलीब पर ठोंक दिये गये, तो उसने 'उफ' तक न किया, और एक भी अपशब्द उसके मुंह से न निकला ! अन्त में बोला-'मैं प्यासा हूं ! 'वह स्वर्ग के दूत तुझे लेने को आ रहे हैं। उनका मुख कितना तेजस्वी है। वह अपने साथ फल और शराब लिये आते हैं। उनके परों से कैसी निर्मल, सुखद वायु चल रही है।' और यह कहतेकहते उसका पराणान्त हो गया। मरने पर भी उसका मुखमंडल आत्मोल्लास से उद्दीप्त हो रहा था। यहां तक कि वे सिपाही भी जो सलीब की रक्षा कर रहे थे, विस्मत हो गये। बिशप जीवन ने आकर शव का मृतकसंस्कार किया और ईसाई समुदाय ने महात्मा थियोडोर की कीर्ति को परमाज्ज्वल अक्षरों में अंकित किया। वह छोटी ही उमर में बादशाह के युवकों के साथ क्रीड़ा करने लगी। संध्या समय वह बू़े आदमियों के पीछे लग जाती और उनसे कुछन-कुछ ले मरती थी। इस भांति जो कुछ मिलता उससे मिठाइयां और खिलौने मोल लेती। पर उसकी लोभिनी माता चाहती थी कि वह जो कुछ पाये वह मुझे दे। थायस इसे न मानती थी। इसलिए उसकी माता उसे मारापीटा करती थी। माता की मार से बचने के लिए वह बहुधा घर से भाग जाती और शहरपनाह की दीवार की दरारों में वन्य जन्तुओं के साथ छिपी रहती। एक दिन उसकी माता ने इतनी निर्दयता से उसे पीटा कि वह घर से भागी और शहर के फाटक के पास चुपचाप पड़ी सिसक रही थी कि एक बुयि उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी। वह थोड़ी देर तक मुग्धभाव से उसकी ओर ताकती रही और तब बोली-'ओ मेरी गुलाब, मेरी गुलाब, मेरी फूलसी बच्ची ! धन्य है तेरा पिता जिसने तुझे पैदा किया और धन्य है तेरी माता जिसने तुझे पाला।' थायस चुपचाप बैठी जमीन की ओर देखती रही। उसकी आंखें लाल थीं, वह रो रही थी। बुयि ने फिर कहा-'मेरी आंखों की पुतली, मुन्नी, क्या तेरी माता तुझजैसी देवकन्या को पालपोसकर आनन्द से फूल नहीं जाती, और तेरा पिता तुझे देखकर गौरव से उन्मत्त नहीं हो जाता ?' थायस ने इस तरह भुनभुनाकर उत्तर दिया, मानो मन ही में कह रही है-मेरा बाप शराब से फूला हुआ पीपा है और माता रक्त चूसने वाली जोंक है। बुयि ने दायेंबायें देखा कि कोई सुन तो नहीं रहा है, तब निस्संक होकर अत्यन्त मृदु कंठ से बोली-'अरे मेरी प्यारी आंखों की ज्योति, ओ मेरी खिली हुई गुलाब की कली, मेरे साथ चलो। क्यों इतना कष्ट सहती हो ? ऐसे मांबाप की झाड़ मारो। मेरे यहां तुम्हें नाचने और हंसने के सिवाय और कुछ न करना पड़ेगा। मैं तुम्हें शहद के रसगुल्ले खिलाऊंगी, और मेरा बेटा तुम्हें आंखों की पुतली बनाकर रखेगा। वह बड़ा सुन्दर सजीला जबान है, उसकी दा़ी पर अभी बाल भी नहीं निकले, गोरे रंग का कोमल स्वभाव का प्यारा लड़का है।' थायस ने कहा-'मैं शौक से तुम्हें साथ चलूंगी।' और उठकर बुयि के पीछे शहर के बाहर चली गयी। बुयि का नाम मीरा था। उसके पास कई लड़केलड़कियों की एक मंडली थी। उन्हें उसने नाचना, गाना, नकलें करना सिखाया था। इस मंडली को लेकर वह नगरनगर घूमती थी, और अमीरों के जलसों में उनका नाचगाना कराके अच्छा पुरस्कार लिया करती थी। उसकी चतुर आंखों ने देख लिया कि यह कोई साधारण लड़की नहीं है। उसका उठान कहे देता था कि आगे चलकर वह अत्यन्त रूपवती रमणी होगी। उसने उसे कोड़े मारकर संगीत और पिंगल की शिक्षा दी। जब सितार के तालों के साथ उसके पैर न उठते तो वह उसकी कोमल पिंडलियों में चमड़े के तस्में से मारती। उसका पुत्र जो हिजड़ा था, थायस से द्वेष रखता था, जो उसे स्त्री मात्र से था। पर वह नाचने में, नकल करने में, मनोगत भावों को संकेत, सैन, आकृति द्वारा व्यक्त करने में, परेम की घातों के दर्शाने में, अत्यन्त कुशल था। हिजड़ों में यह गुण परायः ईश्वरदत्त होते हैं। उसने थायस को यह विद्या सिखाई, खुशी से नहीं, बल्कि इसलिए कि इस तरकीब से वह जी भरकर थायस को गालियां दे सकता था। जब उसने देखा कि थायस नाचनेगाने में निपुण होती जाती है और रसिक लोग उसके नृत्यगान से जितने मुग्ध होते हैं उतना मेरे नृत्यकौशल से नहीं होते तो उसकी छाती पर सांप काटने लगा। वह उसके गालों को नोच लेता, उसके हाथपैर में चुटकियां काटता। पर उसकी जलन से थायस को लेशमात्र भी दुःख न होता था। निर्दय व्यवहार का उसे अभ्यास हो गया था। अन्तियोकस उस समय बहुत आबाद शहर था। मीरा जब इस शहर में आयी तो उसने रईसों से थायस की खूब परशंसा की। थायस का रूपलावण्य देखकर लोगों ने बड़े चाव से उसे अपनी रागरंग की मजलिसों में निमन्त्रित किया, और उसके नृत्यगान पर मोहित हो गये। शनैःशनैः यही उसका नित्य का काम हो गया! नृत्यगान समाप्त होने पर वह परायः सेठसाहूकारों के साथ नदी के किनारे, घने कुञ्जों में विहार करती। उस समय तक उसे परेम के मूल्य का ज्ञान न था, जो कोई बुलाता उसके पास जाती, मानो कोई जौहरी का लड़का धनराशि को कौड़ियों की भांति लुटा रहा हो। उसका एकएक कटाक्ष हृदय को कितना उद्विग्न कर देता है, उसका एकएक कर स्पर्श कितना रोमांचकारी होता है, यह उसके अज्ञात यौवन को विदित न था। थायस, यह मेरा परम सौभाग्य होता यदि तेरे अलकों में गुंथी हुई पुष्पमाला या तेरे कोमल शरीर का आभूषण, अथवा तेरे चरणों की पादुका मैं होता। यह मेरी परम लालसा है कि पादुका की भांति तेरे सुन्दर चरणों से कुचला जाता, मेरा परेमालिंगन तेरे सुकोमल शरीर का आभूषण और तेरी अलकराशि का पुष्प होता। सुन्दरी रमणी, मैं पराणों को हाथ में लिये तेरी भेंट करने को उत्सुक हो रहा हूं। मेरे साथ चल और हम दोनों परेम में मग्न होकर संसार को भूल जायें।' जब तक वह बोलता रहा, थायस उसकी ओर विस्मित होकर ताकती रही। उसे ज्ञात हुआ कि उसका रूप मनोहर है। अकस्मात उसे अपने माथे पर ठंडा पसीना बहता हुआ जान पड़ा। वह हरी घास की भांति आर्द्र हो गयी। उसके सिर में चक्कर आने लगे, आंखों के सामने मेघघटासी उठती हुई जान पड़ी। युवक ने फिर वही परेमाकांक्षा परकट की, लेकिन थायस ने फिर इनकार किया। उसके आतुर नेत्र, उसकी परेमयाचना बस निष्फल हुई, और जब उसने अधीर होकर उसे अपनी गोद में ले लिया और बलात खींच ले जाना चाहा तो उसने निष्ठुरता से उसे हटा दिया। तब वह उसके सामने बैठकर रोने लगा। पर उसके हृदय में एक नवीन, अज्ञात और अलक्षित चैतन्यता उदित हो गयी थी। वह अब भी दुरागरह करती रही। मेहमानों ने सुना तो बोले-'यह कैसी पगली है ? लोलस कुलीन, रूपवान, धनी है, और यह नाचने वाली युवती उसका अपमान करती हैं !' लोलस का रात घर लौटा तो परेममद तो मतवाला हो रहा था। परातःकाल वह फिर थायस के घर आया, तो उसका मुख विवर्ण और आंखें लाल थीं। उसने थायस के द्वार पर फूलों की माला च़ाई। लेकिन थायस भयभीत और अशान्त थी, और लोलस से मुंह छिपाती रहती थी। फिर भी लोलस की स्मृति एक क्षण के लिए भी उसकी आंखों से न उतरती। उसे वेदना होती थी पर वह इसका कारण न जानती थी। उसे आश्चर्य होता था कि मैं इतनी खिन्न और अन्यमनस्क क्यों हो गयी हूं। यह अन्य सब परेमियों से दूर भागती थी। उनसे उसे घृणा होती थी। उसे दिन का परकाश अच्छा न लगता, सारे दिन अकेले बिछावन पर पड़ी, तकिये में मुंह छिपाये रोया करती। लोलस कई बार किसीन-किसी युक्ति से उसके पास पहुंचा, पर उसका परेमागरह, रोनाधोना, एक भी उसे न पिघला सका। उसके सामने वह ताक न सकती, केवल यही कहती-'नहीं, नहीं।' लेकिन एक पक्ष के बाद उसकी जिद्द जाती रही। उसे ज्ञात हुआ कि मैं लोलस के परेमपाश में फंस गयी हूं। वह उसके घर गयी और उसके साथ रहने लगी। अब उनके आनन्द की सीमा न थी। दिन भर एकदूसरे से आंखें मिलाये बैठे परेमलाप किया करते। संध्या को नदी के नीरव निर्जन तट पर हाथमें-हाथ डाले टहलते। कभीकभी अरुणोदय के समय उठकर पहाड़ियों पर सम्बुल के फूल बटोरने चले जाते। उनकी थाली एक थी। प्याला एक था, मेज एक थी। लोलस उसके मुंह के अंगूर निकालकर अपने मुंह में खा जाता। तब मीरा लोलस के पास आकर रोनेपीटने लगी कि मेरी थायस को छोड़ दो। वह मेरी बेटी है, मेरी आंखों की पुतली ! मैंने इसी उदर से उसे निकाल, इस गोद में उसका लालनपालन किया और अब तू उसे मेरी गोद से छीन लेना चाहता है। लोलस ने उसे परचुर धन देकर विदा किया, लेकिन जब वह धनतृष्णा से लोलुप होकर फिर आयी तो लोलस ने उसे कैद करा दिया। न्यायाधिकारियों को ज्ञात हुआ कि वह कुटनी है, भोली लड़कियों को बहका ले जाना ही उसका उद्यम है तो उसे पराणदण्ड दे दिया और वह जंगली जानवरों के सामने फेंक दी गई। लोलस अपनी अखंड, सम्पूर्ण कामना से थायस को प्यार करता था। उसकी परेम कल्पना ने विराट रूप धारण कर लिया था, जिससे उसकी किशोर चेतना सशंक हो जाती थी। थायस अन्तःकरण से कहती-'मैंने तुम्हारे सिवाय और किसी से परेम नहीं किया।' लोलस जवाब देता-'तुम संसार में अद्वितीय हो।' दोनों पर छः महीने तक यह नशा सवार रहा। अन्त में टूट गया। थायस को ऐसा जान पड़ता कि मेरा हृदय शून्य और निर्जन है। वहां से कोई चीज गायब हो गयी है। लोलस उसकी दृष्टि में कुछ और मालूम होता था। वह सोचती-मुझमें सहसा यह अन्तर क्यों हो गया ? यह क्या बात है कि लोलस अब और मनुष्यों कासा हो गया है, अपनासा नहीं रहा ? मुझे क्या हो गया है ? यह दशा उसे असह्य परतीत होने लगी। अखण्ड परेम के आस्वादन के बाद अब यह नीरस, शुष्क व्यापार उसकी तृष्णा को तृप्त न कर सका। वह अपने खोये हुए लोलस को किसी अन्य पराणी में खोजने की गुप्त इच्छा को हृदय में छिपाये हुए, लोलस के पास से चली गयी। उसने सोचा परेम रहने पर भी किसी पुरुष के साथ रहना। उस आदमी के साथ रहने से कहीं सुखकर है जिससे अब परेम नहीं रहा। वह फिर नगर के विषयभोगियों के साथ उन धमोर्त्सवों में जाने लगी जहां वस्त्रहीन युवतियां मन्दिरों में नृत्य किया करती थीं, या जहां वेश्याओं के गोलके-गोल नदी में तैरा करते थे। वह उस विलासपिरय और रंगीले नगर के रागरंग में दिल खोलकर भाग लेने लगी। वह नित्य रंगशालाओं में आती जहां चतुर गवैये और नर्तक देशदेशान्तरों से आकर अपने करतब दिखाते थे और उत्तेजना के भूखे दर्शकवृन्द वाहवाह की ध्वनि से आसमान सिर पर उठा लेते थे। थायस गायकों, अभिनेताओं, विशेषतः उन स्त्रियों के चालाल को बड़े ध्यान से देखा करती थी जो दुःखान्त नाटकों में मनुष्य से परेम करने वाली देवियों या देवताओं से परेम करने वाली स्त्रियों का अभिनय करती थीं। शीघर ही उसे वह लटके मालूम हो गये, जिनके द्वारा वह पात्राएं दर्शकों का मन हर लेती थीं, और उसने सोचा, क्या मैं जो उन सबों से रूपवती हूं, ऐसा ही अभिनय करके दर्शकों को परसन्न नहीं कर सकती? वह रंगशाला व्यवस्थापक के पास गयी और उससे कहा कि मुझे भी इस नाट्यमंडली में सम्मिलित कर लीजिए। उसके सौन्दर्य ने उसकी पूर्वशिक्षा के साथ मिलकर उसकी सिफारिश की। व्यवस्थापक ने उसकी परार्थना स्वीकार कर ली। और वह पहली बार रंगमंच पर आयी। पहले दर्शकों ने उसका बहुत आशाजनक स्वागत न किया। एक तो वह इस काम में अभ्यस्त न थी, दूसरे उसकी परशंसा के पुल बांधकर जनता को पहले ही से उत्सुक न बनाया गया था। लेकिन कुछ दिनों तक गौण चरित्रों का पार्ट खेलने के बाद उसके यौवन ने वह हाथपांव निकाले कि सारा नगर लोटपोट हो गया। रंगशाला में कहीं तिल रखने भर की जगह न बचती। नगर के बड़ेबड़े हाकिम, रईस, अमीर, लोकमत के परभाव से रंगशाला में आने पर मजबूर हुए। शहर के चौकीदार, पल्लेदार, मेहतर, घाट के मजदूर, दिनदिन भर उपवास करते थे कि अपनी जगह सुरक्षित करा लें। कविजन उसकी परशंसा में कवित्त कहते। लम्बी दायिों वाले विज्ञानशास्त्री व्यायामशालाओं में उसकी निन्दा और उपेक्षा करते। जब उसका तामझाम सड़क पर से निकलता तो ईसाई पादरी मुंह फेर लेते थे। उसके द्वार की चौखट पुष्पमालाओं से की रहती थी। अपने परेमियों से उसे इतना अतुल धन मिलता कि उसे गिनना मुश्किल था। तराजू पर तौल लिया जाता था। कृपण बू़ों की संगरह की हुई समस्त सम्पत्ति उसके ऊपर कौड़ियों की भांति लुटाई जाती थी। पर उसे गर्व न था। ऐंठ न थी। देवताओं की कृपादृष्टि और जनता की परशंसाध्वनि से उसके हृदय को गौरवयुक्त आनन्द होता था। सबकी प्यारी बनकर वह अपने को प्यार करने लगी थी। कई वर्ष तक ऐन्टिओकवासियों के परेम और परशंसा का सुख उठाने के बाद उसके मन में परबल उत्कंठा हुई कि इस्कन्द्रिया चलूं और उस नगर में अपना ठाटबाट दिखाऊं, जहां बचपन में मैं नंगी और भूखी, दरिद्र और दुर्बल, सड़कों पर मारीमारी फिरती थी और गलियों की खाक छानती थी। इस्कन्द्रियां आंखें बिछाये उसकी राह देखता था। उसने बड़े हर्ष से उसका स्वागत किया और उस पर मोती बरसाये। वह क्रीड़ाभूमि में आती तो धूम मच जाती। परेमियों और विलासियों के मारे उसे सांस न मिलती, पर वह किसी को मुंह न लगाती। दूसरा, लोलस उसे जब न मिला तो उसने उसकी चिन्ता ही छोड़ दी। उस स्वर्गसुख की अब उसे आशा न थी। उसके अन्य परेमियों में तत्त्वज्ञानी निसियास भी था जो विरक्त होने का दावा करने पर भी उसके परेम का इच्छुक था। वह धनवान था पर अन्य धनपतियों की भांति अभिमानी और मन्दबुद्धि न था। उसके स्वभाव में विनय और सौहार्द की आभा झलकती थी, किन्तु उसका मधुरहास्य और मृदुकल्पनाएं उसे रिझाने में सफल न होतीं। उसे निसियास से परेम न था, कभीकभी उसके सुभाषितों से उसे चि होती थी। उसके शंकावाद से उसका चित्त व्यगर हो जाता था, क्योंकि निसियास की श्रद्घा किसी पर न थी और थायस की श्रद्घा सभी पर थी। वह ईश्वर पर, भूतपरेतों पर जादूटोने पर, जन्त्रमन्त्र पर पूरा विश्वास करती थी। उसकी भक्ति परभु मसीह पर भी थी, स्याम वालों की पुनीता देवी पर भी उसे विश्वास था कि रात को जब अमुक परेत गलियों में निकलता है तो कुतियां भूंकती हैं। मारण, उच्चाटन, वशीकरण के विधानों पर और शक्ति पर उसे अटल विश्वास था। उसका चित्त अज्ञात न लिए उत्सुक रहता था। वह देवताओं की मनौतियां करती थी और सदैव शुभाशाओं में मग्न रहती थी भविष्य से यह शंका रहती थी, फिर भी उसे जानना चाहती थी। उसके यहां, ओझे, सयाने, तांत्रिक, मन्त्र जगाने वाले, हाथ देखने वाले जमा रहते थे। वह उनके हाथों नित्य धोखा खाती पर सतर्क न होती थी। वह मौत से डरती थी और उससे सतर्क रहती थी। सुखभोग के समय भी उसे भय होता था कि कोई निर्दय कठोर हाथ उसका गला दबाने के लिए ब़ा आता है और वह चिल्ला उठती थी। निसियास कहता था-'पिरये, एक ही बात है, चाहे हम रुग्ण और जर्जर होकर महारात्रि की गोद में समा जायें, अथवा यहीं बैठे, आनन्दभोग करते, हंसतेखेलते, संसार से परस्थान कर जायें। जीवन का उद्देश्य सुखभोग है। आओ जीवन की बाहार लूटें। परेम से हमारा जीवन सफल हो जायेगा। इन्द्रियों द्वारा पराप्त ज्ञान ही यथार्थ ज्ञान है। इसके सिवाय सब मिथ्या के लिए अपने जीवन सुख में क्यों बाधा डालें ?' थायस सरोष होकर उत्तर देती-'तुम जैसे मनुष्यों से भगवान बचाये, जिन्हें कोई आशा नहीं, कोई भय नहीं। मैं परकाश चाहती हूं, जिससे मेरा अन्तःकरण चमक उठे।' जीवन के रहस्य को समझने के लिए उसे दर्शनगरन्थों को पॄना शुरू किया, पर वह उसकी समझ में न आये। ज्योंज्यों बाल्यावस्था उससे दूर होती जाती थी, त्योंत्यों उसकी याद उसे विकल करती थी। उसे रातों को भेष बदलकर उन सड़कों, गलियों, चौराहों पर घूमना बहुत पिरय मालूम होता जहां उसका बचपन इतने दुःख से कटा था। उसे अपने मातापिता के मरने का दुःख होता था, इस कारण और भी कि वह उन्हें प्यार न कर सकी थी। जब किसी ईसाई पूजक से उसकी भेंट हो जाती तो उसे अपना बपतिस्मा याद आता और चित्त अशान्त हो जाता। एक रात को वह एक लम्बा लबादा ओ़े, सुन्दर केशों को एक काले टोप से छिपाये, शहर के बाहर विचर रही थी कि सहसा वह एक गिरजाघर के सामने पहुंच गयी। उसे याद आया, मैंने इसे पहले भी देखा है। कुछ लोग अन्दर गा रहे थे और दीवार की दरारों से उज्ज्वल परकाशरेखाएं बाहर झांक रही थीं। इसमें कोई नवीन बात न थी, क्योंकि इधर लगभग बीस वर्षों से ईसाईधर्म में को विघ्नबाधा न थी, ईसाई लोग निरापद रूप से अपने धमोर्त्सव करते थे। लेकिन इन भजनों में इतनी अनुरक्ति, करुण स्वर्गध्वनि थी, जो मर्मस्थल में चुटकियां लेती हुई जान पड़ती थीं। थायस अन्तःकरण के वशीभूत होकर इस तरह द्वार, खोलकर भीतर घुस गयी मानो किसी ने उसे बुलाया है। वहां उसे बाल, वृद्ध, नरनारियों का एक बड़ा समूह एक समाधि के सामने सिजदा करता हुआ दिखाई दिया। यह कबर केवल पत्थर की एक ताबूत थी, जिस पर अंगूर के गुच्छों और बेलों के आकार बने हुए थे। पर उस पर लोगों की असीम श्रद्घा थी। वह खजूर की टहनियों और गुलाब की पुष्पमालाओं से की हुई थी। चारों तरफ दीपक जल रहे थे और उसके मलिन परकाश में लोबान, ऊद आदि का धुआं स्वर्गदूतों के वस्त्रों की तहोंसा दीखता था, और दीवार के चित्र स्वर्ग के दृश्यों केसे। कई श्वेत वस्त्रधारी पादरी कबर के पैरों पर पेट के बल पड़े हुए थे। उनके भजन दुःख के आनन्द को परकट करते थे और अपने शोकोल्लास में दुःख और सुख, हर्ष और शोक का ऐसा समावेश कर रहे थे कि थायस को उनके सुनने से जीवन के सुख और मृत्यु के भय, एक साथ ही किसी जलस्त्रोत की भांति अपनी सचिन्तस्नायुओं में बहते हुए जान पड़े। जब गाना बन्द हुआ तो भक्तजन उठे और एक कतार मंें कबर के पास जाकर उसे चूमा। यह सामान्य पराणी थे; जो मजूरी करके निवार्ह करते थे। क्या ही धीरेधीरे पग उठाते, आंखों में आंसू भरे, सिर झुकाये, वे आगे ब़ते और बारीबारी से कबर की परिक्रमा करते थे। स्त्रियों ने अपने बालकों को गोद में उठाकर कबर पर उनके होंठ रख दिये। थायस ने विस्मित और चिन्तित होकर एक पादरी से पूछा-'पूज्य पिता, यह कैसा समारोह है ?' पादरी ने उत्तर दिया-'क्या तुम्हें नहीं मालूम कि हम आज सन्त थियोडोर की जयन्ती मना रहे हैं ? उनका जीवन पवित्र था। उन्होंने अपने को धर्म की बलिवेदी पर च़ा दिया, और इसीलिए हम श्वेत वस्त्र पहनकर उनकी समाधि पर लाल गुलाब के फूल च़ाने आये हैं।' यह सुनते ही थायस घुटनों के बल बैठ गयी और जोर से रो पड़ी। अहमद की अर्धविस्मृत स्मृतियां जागरत हो गयीं। उस दीन, दुखी, अभागे पराणी की कीर्ति कितनी उज्ज्वल है ! उसके नाम पर दीपक जलते हैं, गुलाब की लपटें आती हैं, हवन के सुगन्धित धुएं उठते हैं, मीठे स्वरों का नाद होता है और पवित्र आत्माएं मस्तक झुकाती हैं। थायस ने सोचा-अपने जीवन में वह पुष्यात्मा था, पर अब वह पूज्य और उपास्य हो गया हैं ! वह अन्य पराणियों की अपेक्षा क्यों इतना श्रद्घास्पद है ? वह कौनसी अज्ञात वस्तु है जो धन और भोग से भी बहुमूल्य है ? वह आहिस्ता से उठी और उस सन्त की समाधि की ओर चली जिसने उसे गोद में खेलाया था। उसकी अपूर्व आंखों में भरे हुए अश्रुबिन्दु दीपक के आलोक में चमक रहे थे। तब वह सिर झुकाकर, दीनभाव से कबर के पास गयी और उस पर अपने अधरों से अपनी हार्दिक श्रद्घा अंकित कर दी-उन्हीं अधरों से जो अगणित तृष्णाओं का क्रीड़ाक्षेत्र थे ! जब वह घर आयी तो निसियास को बाल संवारे, वस्त्रों मंें सुगन्ध मले, कबा के बन्द खोले बैठे देखा। वह उसके इन्तजार में समय काटने के लिए एक नीतिगरंथ पॄ रहा था। उसे देखते ही वह बांहें खोले उसकी ब़ा और मृदुहास्य से बोला-'कहां गयी थीं, चंचला देवी ? तुम जानती हो तुम्हारे इन्तजार में बैठा हुआ, मैं इस नीतिगरंथ में क्या पॄ रहा था?' नीति के वाक्य और शुद्घाचरण के उपदेश ?' 'कदापि नहीं। गरंथ के पन्नों पर अक्षरों की जगह अगणित छोटीछोटी थायसें नृत्य कर रही थीं। उनमें से एक भी मेरी उंगली से बड़ी न थी, पर उनकी छवि अपार थी और सब एक ही थायस का परतिबिम्ब थीं। कोई तो रत्नजड़ित वस्त्र पहने अकड़ती हुई चलती थी, कोई श्वेत मेघसमूह के सदृश्य स्वच्छ आवरण धारण किये हुए थी; कोई ऐसी भी थीं जिनकी नग्नता हृदय में वासना का संचार करती थी। सबके पीछे दो, एक ही रंगरूप की थीं। इतनी अनुरूप कि उनमें भेद करना कठिन था। दोनों हाथमें-हाथ मिलाये हुए थीं, दोनों ही हंसती थीं। पहली कहती थी-मैं परेम हूं। दूसरी कहती थी-मैं नृत्य हूं।' यह कहकर निसियास ने थायस को अपने करपाश में खींच लिया। थायस की आंखें झुकी हुई थीं। निसियास को यह ज्ञान न हो सका कि उनमें कितना रोष भरा हुआ है। वह इसी भांति सूक्तियों की वर्षा करता रहा, इस बात से बेखबर कि थायस का ध्यान ही इधर नहीं है। वह कह रहा था-'जब मेरी आंखों के सामने यह शब्द आये-अपनी आत्मशुद्धि के मार्ग में कोई बाधा मत आने दो, तो मैंने पॄा 'थायस के अधरस्पर्श अग्नि से दाहक और मधु से मधुर हैं।' इसी भांति एक पण्डित दूसरे पण्डितों के विचारों को उलटपलट देता है; और यह तुम्हारा ही दोष है। यह सर्वथा सत्य है कि जब तक हम वही हैं जो हैं, तब तक हम दूसरों के विचारों में अपने ही विचारों की झलक देखते रहेंगे।' वह अब भी इधर मुखातिब न हुई। उसकी आत्मा अभी तक हब्शी की कबर के सामने झुकी हुई थी। सहसा उसे आह भरते देखकर उसने उसकी गर्दन का चुम्बन कर लिया और बोला-'पिरये, संसार में सुख नहीं है जब तक हम संसार को भूल न जायें। आओ, हम संसार से छल करें, छल करके उससे सुख लें-परेम में सबकुछ भूल जायें।' लेकिन उसने उसे पीछे हटा दिया और व्यथित होकर बोली-'तुम परेम का मर्म नहीं जानते ! तुमने कभी किसी से परेम नहीं किया। मैं तुम्हें नहीं चाहती, जरा भी नहीं चाहती। यहां से चले जाओ, मुझे तुमसे घृणा होती है। अभी चले जाओ, मुझे तुम्हारी सूरत से नफरत है। मुझे उन सब पराणियों से घृणा है, धनी है, आनन्दभोगी हैं। जाओ, जाओ। दया और परेम उन्हीं में है जो अभागे हैं। जब मैं छोटी थी तो मेरे यहां एक हब्शी था जिसने सलीब पर जान दी। वह सज्जन था, वह जीवन के रहस्यों को जानता था। तुम उसके चरण धोने योग्य भी नहीं हो। चले जाओ। तुम्हारा स्त्रियों कासा शृंगार मुझे एक आंख नहीं भाता। फिर मुझे अपनी सूरत मत दिखाना।' यह कहतेकहते वह फर्श पर मुंह के बल गिर पड़ी और सारी रात रोकर काटी। उसने संकल्प किया कि मैं सन्त थियोडोर की भांति और दरिद्र दशा में जीवन व्यतीत करुंगी। दूसरे दिन वह फिर उन्हीं वासनाओं में लिप्त हो गयी जिनकी उसे चाट पड़ गयी थी। वह जानती थी कि उसकी रूपशोभा अभी पूरे तेज पर है, पर स्थायी नहीं इसीलिए इसके द्वारा जितना सुख और जितनी ख्याति पराप्त हो सकती थी उसे पराप्त करने के लिए वह अधीर हो उठी। थियेटर में वह पहले की अपेक्षा और देर तक बैठकर पुस्तकावलोकन किया करती। वह कवियों, मूर्तिकारों और चित्रकारों की कल्पनाओं को सजीव बना देती थी, विद्वानों और तत्त्वज्ञानियों को उसकी गति, अगंविन्यास और उस पराकृतिक माधुर्य की झलक नजर आती थी जो समस्त संसार में व्यापक है और उनके विचार में ऐसी अर्पूव शोभा स्वयं एक पवित्र वस्तु थी। दीन, दरिद्र, मूर्ख लोग उसे एक स्वगीर्य पदार्थ समझते थे। कोई किसी रूप में उसकी उपासना करता था, कोई किसी रूप में। कोई उसे भोग्य समझता था, कोई स्तुत्य और कोई पूज्य। किन्तु इस परेम, भक्ति और श्रद्घा की पात्रा होकर भी वह दुःखी थी, मृत्यु की शंका उसे अब और भी अधिक होने लगी। किसी वस्तु से उसे इस शंका से निवृत्ति न होती। उसका विशाल भवन और उपवन भी, जिनकी शोभा अकथनीय थी और जो समस्त नगर में जनश्रुति बने हुए थे, उसे आश्वस्त करने में असफल थे। इस उपवन में ईरान और हिन्दुस्तान के वृक्ष थे, जिनके लाने और पालने में अपरिमित धन व्यय हुआ था। उनकी सिंचाई के लिए एक निर्मल जल धारा बहायी गयी थी। समीप ही एक झील बनी हुई थी। जिसमें एक कुशल कलाकार के हाथों सजाये हुए स्तम्भचिह्नों और कृत्रिम पहाड़ियों तक तट पर की सुन्दर मूर्तियों का परतिबिम्ब दिखाई देता था। उपवन के मध्य में 'परियों का कुंज' था। यह नाम इसलिए पड़ा था कि उस भवन के द्वार पर तीन पूरे कद की स्त्रियों की मूर्तियां खड़ी थीं। वह सशंक होकर पीछे ताक रही थीं कि कोई देखता न हो। मूर्तिकार ने उनकी चितवनों द्वारा मूर्तियों में जान डाल दी थी। भवन में जो परकाश आता था वह पानी की पतली चादरों से छनकर मद्धिम और रंगीन हो जाता था। दीवारों पर भांतिभांति की झालरें, मालाएं और चित्र लटके हुए थे। बीच में एक हाथीदांत की परम मनोहर मूर्ति थी जो निसियास ने भेंट की थी। एक तिपाई पर एक काले ष्पााण की बकरी की मूर्ति थी, जिसकी आंखें नीलम की बनी हुई थीं। उसके थनों को घेरे हुए छः चीनी के बच्चे खड़े थे, लेकिन बकरी अपने फटे हुए खुर उठाकर ऊपर की पहाड़ी पर उचक जाना चाहती थी। फर्श पर ईरानी कालीनें बिछी हुई थीं, मसनदों पर कैथे के बने हुए सुनहरे बेलबूटे थे। सोने के धूपदान से सुगन्धित धुएं उठ रहे थे, और बड़ेबड़े चीनी गमलों में फूलों से लदे हुए पौधे सजाये हुए थे। सिरे पर, ऊदी छाया में, एक बड़े हिन्दुस्तानी कछुए के सुनहरे नख चमक रहे थे जो पेट के बल उलट दिया गया था। यही थायस का शयनागार था। इसी कछुए के पेट पर लेटी हुई वह इस सुगन्ध और सजावट और सुषमा का आनन्द उठाती थी, मित्रों से बातचीत करती थी और या तो अभिनयकला का मनन करती थी, या बीते हुए दिनों का। तीसरा पहर था। थायस परियों के कुंज में शयन कर रही थी। उसने आईने में अपने सौन्दर्य की अवनति के परथम चिह्न देखे थे, और उसे इस विचार से पीड़ा हो रही थी कि झुर्रियों और श्वेत बालों का आक्रमण होने वाला है उसने इस विचार से अपने को आश्वासन देने की विफल चेष्टा की कि मैं जड़ीबूटियों के हवन करके मंत्रों द्वारा अपने वर्ण की कोमलता को फिर से पराप्त कर लूंगी। उसके कानों में इन शब्दों की निर्दय ध्वनि आयी-'थायस, तू बुयि हो जायेगी !' भय से उसके माथे पर ठण्डाठण्डा पसीना आ गया। तब उसने पुनः अपने को संभालकर आईने में देखा और उसे ज्ञात हुआ कि मैं अब भी परम सुन्दरी और परेयसी बनने के योग्य हूं। उसने पुलकित मन से मुस्कराकर मन में कहा-आज भी इस्कन्द्रिया में काई ऐसी रमणी नहीं है जो अंगों की चपलता और लचक में मुझसे टक्कर ले सके। मेरी बांहों की शोभा अब भी हृदय को खींच सकती है, यथार्थ में यही परेम का पाश है ! वह इसी विचार में मग्न थी कि उसने एक अपरिचित मनुष्य को अपने सामने आते देखा। उसकी आंखों में ज्वाला थी, दा़ी ब़ी हुई थी और वस्त्र बहुमूल्य थे। उसके हाथ में आईना छूटकर गिर पड़ा और वह भय से चीख उठी। पापनाशी स्तम्भित हो गया। उसका अपूर्व सौन्दर्य देखकर उसने शुद्ध अन्तःकरण से परार्थना की-भगवान मुझे ऐसी शक्ति दीजिए कि इस स्त्री का मुख मुझे लुब्ध न करे, वरन तेरे इस दास की परतिज्ञा को और भी दृ़ करे। तब अपने को संभालकर वह बोला-'थायस, मैं एक दूर देश में रहता हूं, तेरे सौन्दर्य की परशंसा सुनकर तेरे पास आया हूं। मैंने सुना था तुमसे चतुर अभिनेत्री और तुमसे मुग्धकर स्त्री संसार में नहीं है। तुम्हारे परेमरहस्यों और तुम्हारे धन के विषय में जो कुछ कहा जाता है वह आश्चर्यजनक है, और उससे 'रोडोप' की कथा याद आती है, जिसकी कीर्ति को नील के मांझी नित्य गाया करते हैं। इसलिए मुझे भी तुम्हारे दर्शनों की अभिलाषा हुई और अब मैं देखता हूं कि परत्यक्ष सुनीसुनाई बातों से कहीं ब़कर है। जितना मशहूर है उससे तुम हजार गुना चतुर और मोहिनी हो। वास्तव में तुम्हारे सामने बिना मतवालों की भांति डगमगाये आना असम्भव है।' यह शब्द कृत्रिम थे, किन्तु योगी ने पवित्र भक्ति से परभावित होकर सच्चे जोश से उनका उच्चारण किया। थायस ने परसन्न होकर इस विचित्र पराणी की ओर ताका जिससे वह पहले भयभीत हो गयी थी। उसके अभद्र और उद्दण्ड वेश ने उसे विस्मित कर दिया। उसे अब तक जितने मनुष्य मिले थे, यह उन सबों से निराला था। उसके मन में ऐसे अद्भुत पराणी के जीवनवृत्तान्त जानने की परबल उत्कंठा हुई। उसने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा-'महाशय, आप परेमपरदर्शन में बड़े कुशल मालूम होते हैं। होशियार रहियेगा कि मेरी चितबनें आपके हृदय के पार न हो जायें। मेरे परेम के मैदान में जरा संभलकर कदम रखियेगा।' पापनाशी बोला-'थामस, मुझे तुमसे अगाध परेम है। तुम मुझे जीवन और आत्मा से भी पिरय हो। तुम्हारे लिए मैंने अपना वन्यजीवन छोड़ा है, तुम्हारे लिए मेरे होंठों से, जिन्होंने मौनवरत धारण किया था, अपवित्र शब्द निकले हैं। तुम्हारे लिए मैंने वह देखा जो न देखना चाहिए था, वह सुना है जो मेरे लिए वर्जित था। तुम्हारे लिए मेरी आत्मा तड़प रही है, मेरा हृदय अधीर हो रहा है और जलस्त्रोत की भांति विचार की धाराएं परवाहित हो रही हैं। तुम्हारे लिए मैं अपने नंगे पैर सर्पों और बिच्छुओं पर रखते हुए भी नहीं हिचका हूं। अब तुम्हें मालूम हो गया होगा कि मुझे तुमसे कितना परेम है। लेकिन मेरा परेम उन मनुष्यों कासा नहीं है जो वासना की अग्नि से जलते हुए तुम्हारे पास जीवभक्षी व्याघरों की, और उन्मत्त सांड़ों की भांति दौड़े आते हैं। उनका वही परेम होता है जो सिंह को मृगशावक से। उनकी पाशविक कामलिप्सा तुम्हारी आत्मा को भी भस्मीभूत कर डालेगी। मेरा परेम पवित्र है, अनन्त है, स्थायी है। मैं तुमसे ईश्वर के नाम पर, सत्य के नाम पर परेम करता हूं। मेरा हृदय पतितोद्घार और ईश्वरीय दया के भाव से परिपूर्ण है। मैं तुम्हें फलों से की हुई शराब की मस्ती से और एक अल्परात्रि के सुखस्वप्न से कहीं उत्तम पदार्थों का वचन देने आया हूं। मैं तुम्हें महापरसाद और सुधारसपान का निमन्त्रण देने आया हूं। मैं तुम्हें उस आनन्द का सुखसंवाद सुनाने आया हूं जो नित्य, अमर, अखण्ड है। मृत्युलोक के पराणी यदि उसको देख लें तो आश्चर्य से भर जायें।' थायस ने कुटिल हास्य करके उत्तर दिया-'मित्र, यदि वह ऐसा अद्भुत परेम है तो तुरन्त दिखा दो। एक क्षण भी विलम्ब न करो। लम्बीलम्बी वक्तृताओं से मेरे सौन्दर्य का अपमान होगा। मैं आनन्द का स्वाद उठाने के लिए रो रही हूं। किन्तु जो मेरे दिल की बात पूछो, तो मुझे इस कोरी परशंसा के सिवा और कुछ हाथ न आयेगा। वादे करना आसान है; उन्हें पूरा करना मुश्किल है। सभी मनष्यों में कोईन-कोई गुण विशेष होता है। ऐसा मालूम होता है कि तुम वाणी में निपुण हो। तुम एक अज्ञात परेम का वचन देते हो। मुझे यह व्यापार करते इतने दिन हो गये और उसका इतना अनुभव हो गया है कि अब उसमें किसी नवीनता की किसी रहस्य की आशा नहीं रही। इस विषय का ज्ञान परेमियों को दार्शनिकों से अधिक होता है।' 'थायस, दिल्लगी की बात नहीं है, मैं तुम्हारे लिए अछूता परेम लाया हूं।' 'मित्र, तुम बहुत देर में आये। मैं सभी परकार के परेमों का स्वाद ले चुकी हूं।' 'मैं जो परेम लाया हूं, वह उज्ज्वल है, श्रेय है! तुम्हें जिस परेम का अनुभव हुआ है वह निंद्य और त्याज्य है।' थायस ने गर्व से गर्दन उठाकर कहा-'मित्र, तुम मुंहफट जान पड़ते हो। तुम्हें गृहस्वामिनी के परति मुख से ऐसे शब्द निकालने में जरा भी संकोच नहीं होता ? मेरी ओर आंख उठाकर देखो और तब बताओ कि मेरा स्वरूप निन्दित और पतित पराणियों ही कासा है। नहीं, मैं अपने कृत्यों पर लज्जित नहीं हूं। अन्य स्त्रियां भी, जिनका जीवन मेरे ही जैसा है, अपने को नीच और पतित नहीं समझतीं, यद्यपि, उनके पास न इतना धन है और न इतना रूप। सुख मेरे पैरों के नीचे आंखें बिछाये रहता है, इसे सारा जगत जानता है। मैं संसार के मुकुटधारियों को पैर की धूलि समझती हूं। उन सबों ने इन्हीं पैरों पर शीश नवाये हैं। आंखें उठाओ। मेरे पैरों की ओर देखो। लाखों पराणी उनका चुम्बन करने के लिए अपने पराण भेंट कर देंगे। मेरा डीलडौल बहुत बड़ा नहीं है, मेरे लिए पृथ्वी पर बहुत स्थान की जरूरत नहीं। जो लोग मुझे देवमन्दिर के शिखर पर से देखते हैं, उन्हें मैं बालू के कण के समान दीखती हूं, पर इस कण ने मनुष्यों में जितनी ईष्यार्, जितना द्वेष, जितनी निराशा, जितनी अभिलाषा और जितने पापों का संचार किया है उनके बोझ से अटल पर्वत भी दब जायेगा। जब मेरी कीर्ति समस्त संसार में परसारित हो रही है तो तुम्हारी लज्जा और निद्रा की बात करना पागलपन नहीं तो और क्या है ?' पापनाशी ने अविचलित भाव से उत्तर दिया-'सुन्दरी, यह तुम्हारी भूल है। मनुष्य जिस बात की सराहना करते हैं वह ईश्वर की दृष्टि में पाप है। हमने इतने भिन्नभिन्न देशों में जन्म लिया है कि यदि हमारी भाषा और विचार अनुरूप न हों तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन मैं ईश्वर को साक्षी देकर कहता हूं कि मैं तुम्हारे पास से जाना नहीं चाहता। कौन मेरे मुख में ऐसे आग्नेय शब्दों को परेरित करेगा जो तुम्हें मोम की भांति पिघला दें कि मेरी उंगलियां तुम्हें अपनी इच्छा के अनुसार रूप दे सकें ? ओ नारीरत्न ! यह कौनसी शक्ति है जो तुम्हें मेरे हाथों में सौंप देगी कि मेरे अन्तःकरण में निहित सद्परेरणा तुम्हारा पुनसरंस्कार करके तुम्हें ऐसा नया और परिष्कृत सौन्दर्य परदान करे कि तुम आनन्द से विह्वल हो पुकार उठो, मेरा फिर से नया संस्कार हुआ ? कौन मेरे हृदय में उस सुधास्त्रोत को परवाहित करेगा कि तुम उसमें नहाकर फिर अपनी मौलिक पवित्रता लाभ कर सको ? कौन मुझे मर्दन की निर्मल धारा में परिवर्तित कर देगा जिसकी लहरों का स्पर्श तुम्हें अनन्त सौन्दर्य से विभूषित कर दे ?' थायस का क्रोध शान्त हो गया। उसने सोचा-यह पुरुष अनन्त जीवन के रहस्यों में परिचित है, और जो कुछ वह कह सकता है उसमें ऋषिवाक्यों कीसी परतिभा है। यह अवश्य कोई कीमियागर है और ऐसे गुप्तमन्त्र जानता है जो जीर्णावस्था का निवारण कर सकते हैं। उसने अपनी देह को उसकी इच्छाओं को समर्पित करने का निश्चय कर लिया। वह एक सशंक पक्षी की भांति कई कदम पीछे हट गयी और अपने पलंग पट्टी पर बैठकर उसकी परतीक्षा करने लगी। उसकी आंखें झुकी हुई थीं और लम्बी पलकों की मलिन छाया कपालों पर पड़ रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि कोई बालक नदी के किनारे बैठा हुआ किसी विचार में मग्न है। किन्तु पापनाशी केवल उसकी ओर टकटकी लगाये ताकता रहा, अपनी जगह से जौ भर भी न हिला। उसके घुटने थरथरा रहे थे और मालूम होता था कि वे उसे संभाल न सकेंगे। उसका तालू सूख गया था, कानों में तीवर भनभनाहट की आवाज आने लगी। अकस्मात उसकी आंखों के सामने अन्धकार छा गया, मानो समस्त भवन मेघाच्छादित हो गया है। उसे ऐसा भाषित हुआ कि परभु मसीह ने इस स्त्री को छिपाने के निमित्त उसकी आंखों पर परदा डाल दिया है। इस गुप्त करावलम्ब से आश्वस्त और सशक्त होकर उसने ऐसे गम्भीर भाव से कहा जो किसी वृद्ध तपस्वी के यथायोग्य था-क्या तुम समझती हो कि तुम्हारा यह आत्महनन ईश्वर की निगाहों से छिपा हुआ है ?' उसने सिर हिलाकर कहा-'ईश्वर ? ईश्वर से कौन कहता है कि सदैव परियों के कुंज पर आंखें जमाये रखे ? यदि हमारे काम उसे नहीं भाते तो वह यहां से चला क्यों नहीं जाता ? लेकिन हमारे कर्म उसे बुरे लगते ही क्यों हैं ? उसी ने हमारी सृष्टि की है। जैसा उसने बनाया है वैसे ही हम हैं। जैसी वृत्तियां उसने हमें दी हैं उसी के अनुसार हम आचरण करते हैं ! फिर उसे हमसे रुष्ट होने का, अथवा विस्मित होने का क्या अधिकार है ? उसकी तरफ से लोग बहुतसी मनग़न्त बातें किया करते हैं और उसको ऐसेऐसे विचारों का श्रेय देते हैं जो उसके मन में कभी न थे। तुमको उसके मन की बातें जानने का दावा है। तुमको उसके चरित्र का यथार्थ ज्ञान है। तुम कौन हो कि उसके वकील बनकर मुझे ऐसीऐसी आशाएं दिलाते हो ?' पापनाशी ने मंगनी के बहुमूल्य वस्त्र उतारकर नीचे का मोटा कुरता दिखाते हुए कहा-'मैं धमार्श्रम का योगी हूं। मेरा नाम पापनाशी है। मैं उसी पवित्र तपोभूमि से आ रहा हूं। ईश्वर की आज्ञा से मैं एकान्तसेवन करता हूं। मैंने संसार से और संसार के पराणियों से मुंह मोड़ लिया था। इस पापमय संसार में निर्लिप्त रहना ही मेरा उद्दिष्ट मार्ग है। लेकिन तेरी मूर्ति मेरी शान्तिकुटीर में आकर मेरे सम्मुख खड़ी हुई और मैंने देखा कि तू पाप और वासना में लिप्त है, मृत्यु तुझे अपना गरास बनाने को खड़ी है। मेरी दया जागृत हो गयी और तेरा उद्घार करने के लिए आ उपस्थित हुआ हूं। मैं तुझे पुकारकर कहता हूं-थायस, उठ, अब समय नहीं है।' योगी के यह शब्द सुनकर थायस भय से थरथर कांपने लगी। उसका मुख श्रीहीन हो गया, वह केश छिटकाये, दोनों हाथ जोड़े रोती और विलाप करती हुई उसके पैरों पर गिर पड़ी और बोली-'महात्मा जी, ईश्वर के लिए मुझ पर दया कीजिए। आप यहां क्यों आये हैं ? आपकी क्या इच्छा है ? मेरा सर्वनाश न कीजिए। मैं जानता हूं कि तपोभूमि के ऋषिगण हम जैसी स्त्रियों से घृणा करते हैं, जिनका जन्म ही दूसरों को परसन्न रखने के लिए होता है। मुझे भय हो रहा है कि आप मुझसे घृणा करते हैं और मेरा सर्वनाश करने पर उद्यत हैं। कृपया यहां से सिधारिए। मैं आपकी शक्ति और सिद्धि के सामने सिर झुकाती हूं। लेकिन आपका मुझ पर कोप करना उचित नहीं है, क्योंकि मैं अन्य मनुष्यों की भांति आप लोगों की भिक्षावृत्ति और संयम की निन्दा नहीं करती। आप भी मेरे भोगविलास को पाप न समझिए। मैं रूपवती हूं और अभिनय करने में चतुर हूं। मेरा काबू न अपनी दशा पर है, और न अपनी परकृति पर। मैं जिस काम के योग्य बनायी गयी हूं वही करती हूं। मनुष्यों की मुग्ध करने ही के निमित्त मेरी सृष्टि हुई है। आप भी तो अभी कह रहे थे कि मैं तुम्हें प्यार करता हूं। अपनी सिद्धियों से मेरा अनुपकार न कीजिए। ऐसा मन्त्र न चलाइए कि मेरा सौन्दर्य नष्ट हो जाय, या मैं पत्थर तथा नमक की मूर्ति बन जाऊं। मुझे भयभीत न कीजिए। मेरे तो पहले ही से पराण सूखे हुए हैं। मुझे मौत का मुंह न दिखाइए, मुझे मौत से बहुत डर लगता है।' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' पापनाशी ने उसे उठने का इशारा किया और बोला-'बच्चा, डर मत। तेरे परति अपमान या घृणा का शब्द भी मेरे मुंह से न निकलेगा। मैं उस महान पुरुष की ओर से आया हूं, जो पापियों को गले लगाता था, वेश्याओं के घर भोजन करता था, हत्यारों से परेम करता था, पतितों को सान्त्वना देता था। मैं स्वयं पापमुक्त नहीं हूं कि दूसरों पर पत्थर फेंकूं। मैंने कितनी ही बार उस विभूति का दुरुपयोग किया है जो ईश्वर ने मुझे परदान की है। क्रोध ने मुझे यहां आने पर उत्साहित नहीं किया। मैं दया के वशीभूत होकर आया हूं। मैं निष्कपट भाव से परेम के शब्दों में तुझे आश्वासन दे सकता हूं, क्योंकि मेरा पवित्र धर्मस्नेह ही मुझे यहां लाया है। मेरे हृदय में वात्सल्य की अग्नि परज्वलित हो रही है और यदि तेरी आंखें जो विषय के स्थूल, अपवित्र दृश्यों के वशीभूत हो रही हैं, वस्तुओं को उनके आध्यात्मिक रूप में देखतीं तो तुझे विदित होता कि मैं उस जलती हुई झाड़ी का एक पल्लव हूं जो ईश्वर ने अपने परेम का परिचय देने के लिए मूसा को पर्वत पर दिखाई थी-जो समस्त संसार में व्याप्त है, और जो वस्तुओं को भस्म कर देने के बदले, जिस वस्तु में परवेश करती है उसे सदा के लिए निर्मल और सुगन्धमय बना देती है।' थायस ने आश्वस्त होकर कहा-'महात्मा जी, अब मुझे आप पर विश्वास हो गया है। मुझे आपसे किसी अनिष्ट या अमंगल की आशंका नहीं है। मैंने धमार्श्रम के तपस्वियों की बहुत चचार सुनी है। ऐण्तोनी और पॉल के विषय में बड़ी अद्भुत कथाएं सुनने में आयी हैं। आपके नाम से भी मैं अपरिचित नहीं हूं और मैंने लोगों को कहते सुना है कि यद्यपि आपकी उमर अभी कम है, आप धर्मनिष्ठा में उन तपस्वियों से भी श्रेष्ठ हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन ईश्वर आराधना में व्यतीत किया। यद्यपि मेरा अपसे परिचय न था, किन्तु आपको देखते ही मैं समझ गयी कि आप कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। बताइये, आप मुझे वह वस्तु परदान कर सकते हैं जो सारे संसार के सिद्ध और साधु, ओझे और सयाने, कापालिक और वैतालिक नहीं कर सके ? आपके पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।' पापनाशी ने उत्तर दिया-'कामिनी, अमर जीवन लाभ करना परत्येक पराणी की इच्छा के अधीन है। विषयवासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पंजे से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुंह के पानी से साना और अपने श्वास से जिलाया, अन्यथा परेत और पिशाच उसे बड़ी क्रुरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्त्रोत क्षीण हो गया है। आ, और एकान्त के पवित्र सागर में उसे फिर परवाहित कर दे। आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग तक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा ! आ, अपनी इच्छित वस्तु को पराप्त कर ! जो आनन्द की भूखी स्त्री ! आ, और सच्चे आनन्द का आस्वादन कर। दरिद्रता का, विराग का, त्याग कर, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण कर ! आ, ओ स्त्री, जो आज परभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसको परेयसी होगी। आ, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी-मुझे परेमधन मिल गया !' थामस भविष्यचिन्तन में खोयी हुई थी। बोली-'महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करुं तो क्या यह सत्य है कि मैं फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी ?' पापनाशी ने कहा-'थायस, मैं तेरे लिए अनन्तजीवन का सन्देश लाया हूं। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूं, सर्वथा सत्य है।' थायस-'मुझे उसकी सत्यता पर विश्वास क्योंकर आये ?' पापनाशी-'दाऊद और अन्य नबी उसकी साक्षी देंगे, तुझे अलौकिक दृश्य दिखाई देंगे, वह इसका समर्थन करेंगे।' थायस-'योगी जी, आपकी बातों से मुझे बहुत संष्तोा हो रहा है, क्योंकि वास्तव में मुझे इस संसार में सुख नहीं मिला। मैं किसी रानी से कम नहीं हूं, किन्तु फिर भी मेरी दुराशाओं और चिन्ताओं का अन्त नहीं है। मैं जीने से उकता गयी हूं। अन्य स्त्रियां मुझ पर ईष्यार करती हैं, पर मैं कभीकभी उस दुःख की मारी, पोपली बुयि पर ईष्यार करती हूं जो शहर के फाटक की छांह में बैठी तलाशे बेचा करती है। कितनी ही बार मेरे मन में आया है कि गरीब ही सुखी, सज्जन और सच्चे होते हैं, और दीन, हीन, निष्परभ रहने में चित्त को बड़ी शान्ति मिलती है। आपने मेरी आत्मा में एक तूफानसा पैदा कर दिया है और जो नीचे दबी पड़ी थी उसे ऊपर कर दिया है। हां ! मैं किसका विश्वास करुं ? मेरे जीवन का क्या अन्त होगा-जीवन ही क्या है ?' वह यह बातें कर रही थी कि पापनाशी के मुख पर तेज छा गया, सारा मुखमंडल आदि ज्योति से चमक उठा, उसके मुंह से यह परतिभाशाली वाक्य निकले-'कामिनी, सुन, मैंने जब इस घर में कदम रखा तो मैं अकेला न था। मेरे साथ कोई और भी था और वह अब भी मेरे बगल में खड़ा है। तू अभी उसे नहीं देख सकती, क्योंकि तेरी आंखों में इतनी शक्ति नहीं है। लेकिन शीघर ही स्वगीर्य परतिभा से तू उसे आलोकित देखेगी और तेरे मुंह से आपही-आप निकल पड़ेगा-यही मेरा आराध्य देव है। तूने अभी उसकी आलौकिक शक्ति देखी ! अगर उसने मेरी आंखों के सामने अपने दयालु हाथ न फैला दिये होते तो अब तक मैं तेरे साथ पापाचरण कर चुका होता; क्योंकि स्वतः मैं अत्यन्त दुर्बल और पापी हूं। लेकिन उसने हम दोनों की रक्षा की। वह जितना ही शक्तिशाली है उतना ही दयालु है और उसका नाम है मुक्तिदाता। दाऊद और अन्य नबियों ने उसके आने की खबर दी थी, चरवाहों और ज्योतिषियों ने हिंडोले में उसके सामने शीश झुकाया था। फरीसियों ने उसे सलीब पर च़ाया, फिर वह उठकर स्वर्ग को चला गया। तुझे मृत्यु से इतना सशंक देखकर वह स्वयं तेरे घर आया है कि तुझे मृत्यु से बचा ले। परभु मसीह ! क्या इस समय तुम यहां उपस्थित नहीं हो, उसी रूप में जो तुमने गैलिली के निवासियों को दिखाया था। कितना विचित्र समय था बैतुलहम के बालक तारागण को हाथ में लेकर खेलते थे जो उस समय धरती के निकट ही स्थित थे। परभु मसीह, क्या यह सत्य नहीं है कि तुम इस समय यहां उपस्थित हो और मैं तुम्हारी पवित्र देह को परत्यक्ष देख रहा हूं ? क्या तेरी दयालु कोमल मुखारबिन्द यहां नहीं है ? और क्या वह आंसू जो तेरे गालों पर बह रहे हैं, परत्यक्ष आंसू नहीं हैं ? हां, ईश्वरीय न्याय का कर्त्ता उन मोतियों के लिए हाथ रोपे खड़ा है और उन्हीं मोतियों से थायस की आत्मा की मुक्ति होगी। परभु मसीह, क्या तू बोलने के लिए होंठ नहीं खोले हुए है ? बोल, मैं सुन रहा हूं ! और थायस, सुलक्षण थायस सुन, परभु मसीह तुझसे क्या कह रहे हैं-ऐ मेरी भटकी हुई मेषसुन्दरी, मैं बहुत दिनों से तेरी खोज में हूं। अन्त में मैं तुझे पा गया। अब फिर मेरे पास से न भागना। आ, मैं तेरा हाथ पकड़ लूं और अपने कन्धों पर बिठाकर स्वर्ग के बाड़े में ले चलूं। आ मेरी थायस, मेरी पिरयतमा, आ ! और मेरे साथ रो।' यह कहतेकहते पापनाशी भक्ति से विह्वल होकर जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया। उसकी आंखों से आत्मोल्लास की ज्योतिरेखाएं निकलने लगीं। और थायस को उसके चेहरे पर जीतेजागते मसीह का स्वरूप दिखाई दिया। वह करुण क्रंदन करती हुई बोली-'ओ मेरी बीती हुई बाल्यावस्था, ओ मेरे दयालु पिता अहमद ! ओ सन्त थियोडोर, मैं क्यों न तेरी गोद में उसी समय मर गयी जब तू अरुणोदय के समय मुझे अपनी चादर में लपेटे लिये आता था और मेरे शरीर से वपतिस्मा के पवित्र जल की बूंदें टपक रही थीं।' पापनाशी यह सुनकर चौंक पड़ा मानो कोई अलौकिक घटना हो गयी है और दोनों हाथ फैलाये हुए थायस की ओर यह कहते हुए ब़ा-'भगवान्, तेरी महिमा अपार है। क्या तू बपतिस्मा के जल से प्लावित हो चुकी है ? हे परमपिता, भक्तवत्सल परभु, ओ बुद्धि के अगाध सागर ! अब मुझे मालूम हुआ कि वह कौनसी शक्ति थी जो मुझे तेरे पास खींचकर लायी। अब मुझे ज्ञात हुआ कि वह कौनसा रहस्य था जिसने तुझे मेरी दृष्टि में इतना सुन्दर, इतना चित्ताकर्षक बना दिया था। अब मुझे मालूम हुआ कि मैं तेरे परेमपाश में क्यों इस भांति जकड़ गया था कि अपना शान्तिवास छोड़ने पर विवश हुआ। इसी बपतिस्माजल की महिमा थी जिसने मुझे ईश्वर के द्वार को छुड़ाकर मुझे खोजने के लिए इस विषाक्त वायु से भरे हुए संसार में आने पर बाध्य किया जहां मायामोह में फंसे हुए लोग अपना कलुषित जीवन व्यतीत करते हैं। उस पवित्र जल की एक बूंद-केवल एक ही बूंद मेरे मुख पर छिड़क दी गयी है जिसमें तूने स्नान किया था। आ, मेरी प्यारी बहिन, आ, और अपने भाई के गले लग जा जिसका हृदय तेरा अभिवादन करने के लिए तड़प रहा है।' यह कहकर पापनाशी ने बारांगना के सुन्दर ललाट को अपने होंठों से स्पर्श किया। इसके बाद वह चुप हो गया कि ईश्वर स्वयं मधुर, सांत्वनापरद शब्दों में थायस को अपनी दयालुता का विश्वास दिलाये। और 'परियों के रमणीक कुंज' में थायस की सिसकियों के सिवा, जो जलधारा की कलकल ध्वनि से मिल गयी थीं, और कुछ न सुनाई दिया। वह इसी भांति देर तक रोती रही। अश्रुपरवाह को रोकने का परयत्न उसने न किया। यहां तक कि उसके हब्शी गुलाम सुन्दर वस्त्र; फूलों के हार और भांतिभांति के इत्र लिये आ पहुंचे। उसने मुस्कराने की चेष्टा करके कहा-'अरे रोने का समय बिल्कुल नहीं रहा। आंसुओं से आंखें लाल हो जाती हैं, और उनमें चित्त को विकल करने वाला पुष्प विकास नहीं रहता, चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है, वर्ण की कोमलता नष्ट हो जाती है। मुझे आज कई रसिक मित्रों के साथ भोजन करना है। मैं चाहती हूं कि मेरी मुखचन्द्र सोलहों कला से चमके, क्योंकि वहां कई ऐसी स्त्रियां आयेंगी जो मेरे मुख पर चिन्ता या ग्लानि के चिह्न को तुरन्त भांप जायेंगी और मन में परसन्न होंगी कि अब इनका सौन्दर्य थोड़े ही दिनों का और मेहमान है, नायिका अब परौ़ा हुआ चाहती है। ये गुलाम मेरा शृंगार करने आये हैं। पूज्य पिता आप कृपया दूसरे कमरे में जा बैठिए और इन दोनों को अपना काम करने दीजिए। यह अपने काम में बड़े परवीण और कुशल हैं। मैं उन्हें यथेष्ट पुरस्कार देती हूं। वह जो सोने की अंगूठियां पहने हैं और जिनके मोती केसे दांत चमक रहे हैं, उसे मैंने परधानमन्त्री की पत्नी से लिया है।' पापनाशी की पहले तो यह इच्छा हुई कि थायस को इस भोज में सम्मिलित होने से यथाशक्ति रोके। पर पुनः विचार किया तो विदित हुआ कि यह उतावली का समय नहीं है। वर्षों का जमा हुआ मनोमालिन्य एक रगड़ से नहीं दूर हो सकता। रोग का मूलनाश शनैःशनैः, क्रमक्रम से ही होगा। इसलिए उसने धमोर्त्साह के बदले बुद्धिमत्ता से काम लेने का निश्चय किया और पूछा-वाह किनकिन मनुष्यों से भेंट होगी ? उसने उत्तर दिया-'पहले तो वयोवृद्ध कोटा से भेंट होगी जो यहां के जलसेना के सेनापति हैं। उन्हीं ने यह दावत दी है। निसियास और अन्य दार्शनिक भी आयेंगे जिन्हें किसी विषय की मीमांसा करने ही में सबसे अधिक आनन्द पराप्त होता है। इनके अतिरिक्त कविसमाजभूषण कलिक्रान्त, और देवमन्दिर के अध्यक्ष भी आयेंगे। कई युवक होंगे जिनको घोड़े निकालने ही में परम आनन्द आता है और कई स्त्रियां मिलेंगी जिनके विषय में इसके सिवाय और कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे युवतियां हैं।' पापनाशी ने ऐसी उत्सुकता से जाने की सम्मति दी मानो उसे आकाशवाणी हुई है। बोला-'तो अवश्य जाओ थायस, अवश्य जाओ। मैं तुम्हें सहर्ष आज्ञा देता हूं। लेकिन मैं तेरा साथ न छोडूंगा। मैं भी इस दावत में तुम्हारे साथ चलूंगा। इतना जानता हूं कि कहां बोलना और कहां चुप रहना चाहिए। मेरे साथ रहने से तुम्हें कोई असुविधा अथवा झेंप न होगी।' दोनों गुलाम अभी उसको आभूषण पहना ही रहे थे कि थायस खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली-'वह धमार्श्रम के एक तपस्वी को मेरे परेमियों में देखकर कहेंगे ?'
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।ग्राम क्रमांक : ।ग्राम का नाम : ।तहसील : ।जनपद : ।फसली वर्ष : ।भाग : ।प्रत्येक गाटे का क्षेत्रफल (हे.) ।1 - ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो , खेती करता हो । ( नदारद ) ।1क(क) - रिक्त ( नदारद ) ।1-ख - ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट केअन्तर्गत व्यक्तियों के पास हो । ( नदारद ) ।2 - भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरो केअधिकार में हो। ( नदारद ) ।3 - भूमि जो असामियों के अध्यासन या अधिकारमें हो। ( नदारद ) ।4 - भूमि जो उस दशा में बिना आगम केअध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरेके स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो। ( नदारद ) ।4-क - उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि -(क)जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो केअधीन किसी अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो । ( नदारद ) ।4-क(ख) - अन्य भूमि । ( नदारद ) ।5-1 - कृषि योग्य भूमि - नई परती (परतीजदीद) ।5-2 - कृषि योग्य भूमि - पुरानी परती (परतीकदीम) ( नदारद ) ।5-3-क - कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी केवन। ।5-3-ख - कृषि योग्य बंजर - ऐसे वन जिसमें अन्यप्रकर के वृक्ष,झाडि़यों के झुन्ड,झाडि़याँ इत्यादि हों। ( नदारद ) ।5-3-ग - कृषि योग्य बंजर - स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ । ।5-3-घ - कृषि योग्य बंजर - छप्पर छाने की घास तथा बाँस की कोठियाँ । ( नदारद ) ।5-3-ङ - अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि। ( नदारद ) ।5-क (क) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - कृषि हेतु ( नदारद ) ।5-क (ख) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - आबादी हेतु ( नदारद ) ।5-क (ग) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - सामुदायिक वनाधिकार हेतु ( नदारद ) ।6-1 - अकृषिक भूमि - जलमग्न भूमि । ।6-2 - अकृषिक भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जोअकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो। ।6-3 - कब्रिस्तान और श्मशान (मरघट) , ऐसेकब्रस्तानों और श्मशानों को छोड़ करजो खातेदारों की भूमि या आबादी क्षेत्र में स्थित हो। ।6-4 - जो अन्य कारणों से अकृषित हो । ।यह खतौनी इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी सिस्टम द्वारा तैयार की गयी है तथा डाटा डिजीटल हस्ताक्षर द्वारा हस्ताक्षरित है।
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पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभ का स्टिल रोलिन इंडिया दौरे पर रिएक्शनः भारत का विकृत नक्शा शेयर कर निशाने पर आए खालिस्तान के कथित समर्थक पंजाबी-कैनेडियन रैपर शुभनीत सिंह के सुर अब भारी विरोध के बाद बदलते दिख रहे हैं . भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच अपने विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भारी आलोचना का सामना कर रहे पंजाबी-कनाडाई रैपर शुभनीत सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह अपना भारत दौरा रद्द होने से बहुत निराश हैं। खालिस्तान मुद्दे पर समर्थन के कारण रैपर का स्टिल रोलिन इंडिया दौरा पहले ही रद्द कर दिया गया है। व्यक्त करते हुए इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक पोस्ट में शुभनीत सिंह ने कहा कि पिछले दो महीनों से मैं भारत दौरे के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था और सार्वजनिक रूप से अपने प्रदर्शन को लेकर बहुत उत्साहित था। इंस्टाग्राम पर अपने पेज पर रैपर ने पोस्ट किया कि पंजाब के एक युवा रैपर गायक के रूप में, अपने संगीत को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना मेरे जीवन का सपना था। लेकिन हाल की घटनाओं ने मेरी मेहनत और प्रगति को प्रभावित किया है. मैं अपनी निराशा और दुःख व्यक्त करने के लिए कुछ शब्द कहना चाहता था। शुभनीत ने अपने विवादित पोस्ट पर सफाई देते हुए लिखा कि उनका इरादा पंजाब के लिए प्रार्थना करने का था क्योंकि राज्य में बिजली कटौती की खबर थी। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. अपना शो रद्द होने से निराश रैपर ने कहा कि उन पर लगे आरोपों ने उन्हें काफी प्रभावित किया है. खालिस्तान समर्थक शुभनीत सिंह को होस्ट करने के लिए टिकट बुकिंग ऐप को सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा। इससे पहले बुधवार को एक्स पर #UninstallBookMyShow ट्रेंड करने लगा था और कुछ यूजर्स ने इसे शुभ खालिस्तानी कहा था। रैपर्ट ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भारत का एक विकृत नक्शा साझा किया। जिसका कैप्शन उन्होंने 'पंजाब के लिए प्रार्थना' लिखा है। इस घटना के बाद, भारत के शीर्ष क्रिकेटर विराट कोहली ने कथित तौर पर शुभनीत को इंस्टाग्राम पर अनफॉलो कर दिया।
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सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स ने एक ऐसे फिशिंग स्कैम का पता लगाया है, जिसकी मदद से हैकर्स ने बहुत से Gmail यूजर्स के यूजरनेम और पासवर्ड पता कर लिए हैं। जिस तरीके को हैकर इस्तेमाल कर रहे हैं, वह इतना इफेक्टिव है कि अनुभवी टेक्निकल यूजर्स भी गलती कर रहे हैं। फिशिंग वह तरीका है, जिसमें हैकर्स किसी असली वेबसाइट की हू-ब-हू नकल तैयार कर देते हैं। यूजर्स असली और नकली का फर्क नहीं कर पाते और अपना यूजरनेम और पासवर्ड नकली वेबपेज में एंटर कर देते हैं। ऐसा करते ही यूजरनेम और पासवर्ड का ऐक्सेस हैकर्स को मिल जाता है और वे असली अकाउंट को हैक कर लेते हैं। ब्लॉग वेबसाइट WordPress के लिए सिक्यॉरिटी टूल बनाने वाली टीम WordFence के रिसर्चर्स ने एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए चेताया है कि इस फिशिंग स्कैम के जरिए बहुत सारे यूजर्स का जीमेल पासवर्ड हासिल करके उनका डेटा चुराया जा रहा है। ब्लॉग में लिखा गया है कि इस स्कैम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अनुभवी टेक्निकल यूजर्स भी फंस जा हे हैं। क्या है हैकिंग का तरीका? हैकर्स ट्रस्टेड कॉन्टैक्स के तौर पर टारगेट यूजर को ईमेल भेजते हैं। इस ईमेल के साथ एक अटैचमेंट लगा होता है, जो आमतौर पर पीडीएफ फाइल के तौर पर दिखता है। देखने में यह ईमेल एक सामान्य ईमेल की तरह दिखता है । मगर इसके साथ आया अटैचमेंट दरअसल एक एम्बेडेड इमेज है, जिसे ऐसे तैयार किया गया है कि पीडीएफ फाइल की तरह नजर आए। इस इमेज पर क्लिक करने पर वैसे तो इमेज प्रिव्यू खुलना चाहिए, मगर गूगल का लॉगइन पेज खुल जाता है। दरअसल हैकर्स ने इस इमेज को फेक गूगल लॉगइन पेज से लिंक किया हुआ है। ऐसे में यूजर को लगता है कि उसका अकाउंट साइन आउट हो गया। यहीं से असली खेल शुरू हो जाता है। इस साइन-इन पेज पर सब कुछ सामान्य लगता है। गूगल का लोगो, यूजरनेम और पासवर्ड की फील्ड्स, टैग लाइन और अन्य इंडिकेशन भी ऐसे नजर आते हैं, मानो यह गूगल का असली लॉगइन पेज है। ब्राउजर की अड्रेस बार पर जो अड्रेस आता है, बस वही संदिग्ध होता है। मगर सभी यूजर्स कुछ भी लॉगइन करने से पहले अड्रेस बार पर यह नहीं देखते कि क्या URL वहां आ रहा है। कोई एक नजर में देखे तो उसे बीच में "https://accounts. google. com," भी लिखा नजर आता है, जो एकदम गूगल का असली यूआरएल नजर आता है। मगर इससे ठीक पहले "data:text/html" लिखा रहता है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। दरअसल टेक्स्ट बार पर दिखने वाला यह अड्रेस किसी वेबसाइट का यूआरएल नहीं, बल्कि Data URL है। URL दिखाता है कि वेबपेज इंटरनेट पर किस लोकेशन पर मौजूद है, मगर Data URL में एक फाइल एंबेड की गई होती है। अगर अड्रेस बार को जूमआउट करें तो यहां पर एक स्क्रिप्ट नजर आती है, जो फाइल को जीमेल के लॉगइन पेज की तरह दिखने के लिए तैयार की गई है। जैसे ही यूजर इस पेज पर दिख रही फील्ड्स में अपना यूजरनेम और पासवर्ड डालता है, वह सीधे हैकर्स के पास पहुंच जाता है। इसके बाद हैकर्स तुरंत यूजर के अकाउंट से लॉगइन करते हैं और गूगल अकाउंट से जुड़ी बहुत सी सर्विसेज का भी ऐक्सेस हासिल कर लेते हैं। यही नहीं, अगले चरण में वे उस यूजर की ईमेल आईडी से उसके अन्य कॉन्टैक्ट्स को मेल भेजकर जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। कैसे बचें? अगर आप गूगल क्रोम इस्तेमाल करते हैं तो अड्रेस बार को चेक कर सकते हैं। इसमें ग्रीन कलर का लॉक नजर आता है तो इसका मतलब है कि साइट सिक्यॉर है। इसलिए पर्सनल डीटेल्स एंटर करने से पहले इस ग्रीन लॉक को चेक कर लिया करें। मगर ध्यान रहे कि स्कैमर अब HTTPS-प्रॉटेक्टेड फिशिंग साइट्स बनाने लगे हैं और उनमें भी ऐसा ग्रीन लॉक नजर आता है। इसलिए यूआरएल को चेक करना भी न भूलें। मामला सिक्यॉरिटी का है, इसलिए कुछ सेकंड एक्स्ट्रा टाइम आप लगा सकते हैं। इसके अलावा आपको हमेशा टू-स्टेप वेरिफिकेशन अपनानी चाहिए। इससे आप अपने अकाउंट को और सिक्यॉर बना सकते हैं और कोई हैक नहीं कर सकता। 2-स्टेप वेरिफिकेशन में आप यह सेटिंग कर सकते हैं कि पासवर्ड डालने के साथ-साथ आपके स्मार्टफोन पर एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) आए और उसे एंटर करने के बाद ही लॉगइन हो।
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शिमला - हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले दिव्यांग छात्रों के लिए तय नियमों को दरकिनार कर दिया है। विश्वविद्यालय के नियमों को पूरा न करने से दिव्यांग छात्रों को उनके लिए निर्धारित आरक्षण का लाभ प्रदेश विश्वविद्यालय में नहीं मिल पा रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से नियमों की अनदेखी करने और दिव्यांग छात्रों के तय आरक्षण न देने को लेकर हिमाचल डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन के संयोजक एवं पीएचडी शोधार्थी सतीश ठाकुर ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत को सौंपे गए ज्ञापन में यह बात उठाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय दिव्यांग छात्रों को पांच फीसदी आरक्षण नियमों के तहत नहीं दे रहा है। उन्होंने मांग उठाई है कि विकलांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत विकलांग विद्यार्थियों को एमए, एमफिल व पीचडी समेत सभी कोर्सेज और होस्टलों में पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। डीएसए के संयोजक एवं पीएचडी शोधार्थी सतीश ठाकुर ने राज्यपाल को भेजे पत्र में कहा कि विकलांगजन अधिकार अधिनियम की धारा 32 में स्पष्ट कहा गया है कि सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों में विकलांग विद्यार्थियों को पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इसे लागू न करके विकलांग विद्यार्थियों के साथ अन्याय कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि चंबा के दूरदराज क्षेत्र की दृष्टिहीन छात्रा इंदु कुमारी को एमए राजनीति विज्ञान में और सिरमौर की शिलाई तहसील के शारीरिक विकलांग छात्र रविंद्र ठाकुर को एमए अर्थशास्त्र में आरक्षण के अंतर्गत प्रवेश देने से विश्वविद्यालय ने इनकार किया है। विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई। महिलाओं को शनि प्रतिमा की पूजा करने से रोकने वाली सदियों पुरानी प्रथा टूटने से मंदिर समिति हैरत में है। समिति आज हरकत में आई और उसने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया। ग्रामीणों ने मूर्ति का दूध से अभिषेक किया और घटना के विरोध में सुबह बंद का आह्वान किया। इस महिला के कदम की कई महिला एवं सामाजिक संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने प्रशंसा की है। सोलापुर से कांग्रेस विधायक प्रणीति शिंदे ने कहा, 'महिला ने जो यह किया है उसके लिए उसका सम्मान किया जाएगा। ' पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की पुत्री प्रणीति ने कहा, 'मैं इस मुद्दे को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में उठाऊंगी। ' महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निरमूलन समिति की अहमदनगर जिला इकाई अध्यक्ष रंजनन गवांदे ने कहा, 'हम पूजा करने में महिला की ओर से दिखाए गए साहस का स्वागत करते हैं। यह घटना क्रांतिकारी है। चौठारे को महिलाओं के लिए खोला जाना चाहिए। ' सामाजिक कार्यकर्ता मंगल खिनवासरा ने कहा, 'हाल में संविधान दिवस मनाया गया और पूजा अर्पित करने के लिए सुरक्षा दीवार तोड़ने वाली महिला ने केवल संविधान की भावना पेश की है जो लैंगिक समानता सुनिश्चित करता है। ' है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव स्थित प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक दिया। इसे लेकर मंदिर समिति ने सात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि ग्रामीणों ने रविवार को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। महिला कल सुरक्षा बेरिकेड तोड़ कर चौठारा (मंच) पर चढ़ गई जहां मूर्ति स्थापित है। वहां उसने पूजा की और बाद में वह भीड़ में गुम हो गई।
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मधुरिमा का दिल मानो बल्लियों उछलने लगा। उसने कभी नहीं सोचा था कि ज़िन्दगी में कभी ऐसे दिन भी आयेंगे। रंग भरे उमंग भरे! किसने सोचा था कि जापान के तमाम बड़े शहरों से दूर निहायत ही अलग- थलग पड़ा ये छोटा सा कस्बा, और उसके किनारे पर बिल्कुल ग्रामीण इलाकों की तरह फ़ैला- बिखरा उसका ये फार्महाउस कभी इस तरह गुलज़ार भी होगा। लेकिन तेन की मिलनसारिता और मेहनत के बदौलत ऐसे दिनों ने भी उसकी ज़िन्दगी के द्वार पर दस्तक दी जिनकी संभावित ख़ुशबू से ही उसके आने वाले दिन महक गए। अपनी मां और पापा को ख़ुश देख कर नन्ही परी तनिष्मा भी इतराई सी फिरने लगी। उसे उसकी मम्मी ने बताया कि तेरी नानी, मामा, मामी, चाचा सब यहां आयेंगे। अब वो बेचारी क्या जाने कि नानी किसे कहते हैं? उससे मिलने तो उसकी दादियां ही कभी- कभी आया करती थीं। हां, नानी से वो भारत में मिली ज़रूर थी मगर तब की पुरानी बात उसे भला कब तक याद रहती? बच्चे तो वैसे भी तोता- चश्म होते हैं, जो कुछ सामने रहे बस उसी को अपनी दुनिया समझते हैं। और मामा- मामी - चाचा की परिभाषा तो वो इतनी ही समझी कि बहुत सारे लोग... ऐसे अंकल और आंटी का जमावड़ा जिन्हें मम्मा बहुत लाइक करती हैं और पापा बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। साथ ही वो ये भी समझ गई कि ये ग्रुप ऑफ़ पर्सन्स आते समय भी बहुत से गिफ्ट्स लाता है और जाते समय भी जिसके लोग बहुत सारी मनी देकर जाते हैं। मधुरिमा ने दुगने उत्साह से घर को सजाना - संवारना शुरू किया। तरह - तरह के फूल, पौधे नर्सरी की मदद से लाती और उन्हें खुद रोपती, सींचती। अपने बतख़, मुर्गाबियों, बटेरों के झुंड को ध्यान से देखती और सोचती कि इन उम्दा नस्ल के बेहतरीन पंछियों को देख कर उसके मेहमान कितने हर्षाएंगे! उसने समय निकाल कर बाज़ार से शॉपिंग भी कर छोड़ी थी कि किसे क्या तोहफ़ा देना है, ताकि सबके आने से पहले ही वो सब तैयारी कर के रख सके। ये मौक़ा बार - बार थोड़े ही आता है। जापान के सुदूर दक्षिण के इस इलाक़े में तो भारत के इन सैलानियों का आना "वन्स इन अ लाइफ टाइम" जैसा ही था। ये संयोग ही तो था कि मनन और मान्या की शादी अभी- अभी हुई थी और हनीमून ट्रिप के नाम पर वे लोग भी यहां आ रहे थे। वैसे उनके आने की असली वजह तो आगोश की मम्मी को कंपनी देने की ही रही। और आगोश की मम्मी भी वैसे कहां आ पातीं। ये तो तेन ने ही ज़ोर देकर उन्हें बताया कि आगोश की जिस तरह की मूर्ति वो बनवाना चाहती हैं वो चाइना में ही नहीं, बल्कि जापान और कोरिया में भी ख़ूब बनने लगी है। बस, चटपट उन लोगों का कार्यक्रम बन गया। एक बात सोच- सोच कर मधुरिमा बहुत शर्माती थी। उसका यह प्यारा सा घर उसके दोस्तों का हनीमून डेस्टिनेशन बनता जा रहा था किंतु वो ख़ुद? वो तो हनीमून के लिए यहां अब तक तरसती ही रही थी। नहीं - नहीं, उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। तेन उसके साथ है और उसे भरपूर प्यार करता है। उसकी हर इच्छा पूरी करता है, उसके आगे- पीछे फिरता है। दौलत का अंबार लगा है यहां। उसके पति तेन ने उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। अब अपने शरीर का कोई क्या करे? इस तकनीक संपन्न देश को वैसे भी वर्कॉलिक युवाओं का देश कहा जाता है। अपने काम के तनाव में डूबे यहां के लोग शरीर सुख के लिए तरह- तरह की दवाओं, तेलों और एक्सरसाइज पर ही निर्भर रहते हैं। ये लोग स्लिमफिट रहने और परिवार की जनसंख्या को लेकर भी बेहद सख़्त अनुशासन में रहना पसंद करते हैं। तेन ही उसका सब कुछ है। अब और कुछ उसे सोचना भी नहीं चाहिए। मधुरिमा के भीतर कोई लहर सी उठती और उसे सराबोर कर के निकल जाती। मधुरिमा के तन- मन का जैसे स्नान हो जाता। हां! इस बार एक बात और थी। वह बिना कहे नहीं रहेगी मधुरिमा! आर्यन ने उसे बताया था कि इस बार वह लंबे समय तक यहां रहने वाला है। उसकी एक फ़िल्म का क्लाइमैक्स शूट यहां जापान में ही होना था जिसके लिए ख़ुद तेन ने ही आगे बढ़ कर सारी व्यवस्था करवाई थी। इतना ही नहीं, बल्कि तेन ने शूटिंग के लिए नज़दीक के उस टापू पर अपनी खरीदी हुई जगह भी उपलब्ध कराई थी। तेन ने दौड़ - भाग करके सब ज़रूरी परमीशन लेने का कष्ट भी उठाया था और आर्यन के प्रोड्यूसर को हर तरह का सहयोग देने का वादा भी किया था। इसी भरोसे पर आर्यन यहां आ रहा था। शुरू के कुछ दिन आर्यन जयपुर से आने वाले दल, अर्थात आंटी, मान्या और मनन के साथ भी वहां रहने वाला था। मधुरिमा ने बेटी को उसका परिचय चाचा कह कर ही करवाया था। मधुरिमा ये तय नहीं कर पा रही थी कि आर्यन के इतने लंबे स्टे से वो वास्तव में खुश थी या नहीं। आर्यन इस फ़िल्म को अपने दिवंगत दोस्त आगोश को समर्पित करने की तैयारी कर चुका था। आगोश की मम्मी का यहां शूटिंग देखने और आर्यन के साथ कुछ समय बिताने का कार्यक्रम इसी आधार पर बना था। काश, मधुरिमा अपनी मम्मी से भी कह पाती कि इस समय आंटी के साथ कुछ समय के लिए यहां आने का कार्यक्रम वो भी बना लें। लेकिन वो जानती थी कि मम्मी वहां घर अकेला छोड़ कर नहीं आएंगी। कितना अंतर था भारत में और दूसरे उन्नत देशों में। भारत में लोग अपने घरों को सुख- सुविधा का गोदाम बना लेते हैं, फ़िर उसे अकेले छोड़ कर बाहर निकलने में डरते हैं। जबकि दूसरे देशों में लोग घर में केवल ज़रूरत का न्यूनतम सामान रखते हैं। कीमती चीज़ें बैंक आदि में रखते हैं। मधुरिमा को शुरू- शुरू में यहां ये देख कर बड़ा अजीब सा लगता था कि लोग कुछ भी नया लाते ही पुराने को तुरंत दूसरे ज़रूरतमंद आदमी को दे देते हैं। वहां संग्रह वृत्ति नहीं होती। भारत में यदि किसी घर में आठ- दस पैन रखे हों तो हो सकता है कि उनमें से दो- तीन ही चलते हों। लोग बल्ब या बैटरी बदलते हैं तो पुरानी बैटरी या फ्यूज्ड बल्ब को भी घर में ही रख लेते हैं। प्रायः घरों में ऐसा सामान पाया जाता है जो दो- दो साल तक कोई काम नहीं आता, पर फेंका नहीं जाता। ढीली ढेबरियां या बचा हुआ पेंट तक घर में सालों- साल रखा हुआ देखा जा सकता है। घरों की गहरी सफ़ाई साल में एक बार उन भगवान के नाम पर होती है जो चौदह साल के लिए जंगल में जाते समय भी अपनी खड़ाऊं तक घर में ही छोड़ गए थे। घर की साज- सज्जा ने मधुरिमा के दिन किसी उड़ते पंछी की भांति तेज़ी से निकाल दिए। वह एक - एक दिन गिन रही थी। उस दिन मधुरिमा हैरान रह गई जब उसने देखा कि तेन फ़ोन पर किसी से एक घंटे से भी ज्यादा समय से बातों में उलझा हुआ है। नपा तुला बोलने वाला तेन किससे बात कर रहा था? ओह! मुंबई से आर्यन का फ़ोन आया हुआ था। आर्यन ने उसे बताया कि मुंबई पुलिस ने आगोश की मूर्ति चोरी का प्रकरण सुलझा लिया है। मूर्ति बनाने वाले वहीद मियां का ही बड़ा बेटा ख़ुद चोर निकला जिसने तैयार मूर्ति कुछ तस्करों के हाथ बेच डाली और बाद में मूर्ति चोरी जाने का नाटक रच कर अपने बाप तक को मूर्ख बना दिया। सारी बात सुन कर तेन ने भी दांतों तले अंगुली दबा ली। संगमरमर के पत्थर से बनी इस मूर्ति का सौदा तस्करों ने पहले से ही कर लिया था। विचित्र बात ये थी कि इस मूर्ति में कुछ ख़ुफ़िया परिवर्तन इसे बनाने वाले कारीगर ने ख़ुद ही कर लिए। मूर्ति के मुंह से लेकर पेट के दूसरे छोर तक आर- पार एक बेहद पतली खोखली नली बनाई गई थी। होठों और कमर के पिछले नीचे के भाग के बीच में खोखले भाग की बनावट ऐसी बनाई गई थी जिसमें भीतर अवैध सामान आसानी से छिपाया जा सके। ये कीमती ड्रग्स अथवा हीरों आदि के लिए निरापद कैरियर बन गई थी। इस मूर्ति के मिलते ही तस्करों के खुफिया इरादे जाहिर हो गए थे। वो इसका इस्तेमाल स्मगलिंग में करने की तैयारी में थे। वहीद मियां का बेटा सलाखों के पीछे था। किंतु इसे खरीदने की कोशिश करने वाले तस्कर अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए थे।
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भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत और बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के बीच विवाद सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें उर्वशी एक इंटरव्यू में दिख रही हैं। इतना ही नहीं इंटरव्यू में उर्वशी ने किसी 'मिस्टर RP (आरपी)' के नाम का जिक्र किया है और रिश्ते टूटने को लेकर पूरी कहानी बताई है। इसके बाद सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पंत ने सोशल मीडिया पर स्टोरी लगाकर रौतेला को जवाब भी दिया है। दरअसल, साल 2018 में ऐसे कयास लगाए गए थे कि पंत और उर्वशी रौतेला रिलेशनशिप में हैं। दोनों कई बार लंच-डेट पर दिख जाते थे। इनकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। हालांकि, कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर यह खबर उड़ी कि पंत ने उर्वशी को व्हाट्सएप पर ब्लॉक कर दिया है। हालांकि, बाद में यह बताया गया कि दोनों ने आपसी सहमति से एक-दूसरे को ब्लॉक किया है। अब एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उर्वशी ने कुछ ऐसा कहा है, जिसे लोग पंत से जोड़कर देख रहे हैं। इसके बाद पंत ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर किए गए पोस्ट ने फैन्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या जिस 'मिस्टर आरपी' का जिक्र कर रही हैं, वह उर्वशी ही हैं। उर्वशी ने इंटरव्यू में एक कहानी बताई। उन्होंने कहा- मैं एक बार वाराणसी से दिल्ली शूटिंग के लिए आई थी, तब 'मिस्टर RP' मिलने के लिए आए थे। वह लॉबी में इंतजार कर रहे थे, लेकिन मैं सो गई थी। वाराणसी में दिन भर शूट करने के बाद दिल्ली में रात में मुझे शूट करना था। मैं मेकअप वगैरह में लगी हुई थी। इसके बाद शूट के बाद मैं सो गई। इसमें 10 घंटे बीत गए। मिस्टर RP मुझे कॉल करते रहे। इसका पता मुझे बाद में चला। मेरे फोन में 17 मिस्ड कॉल थीं। मैंने उनसे कहा भी कि जब आप मुंबई आओगे, तो मिल लेंगे। फिर हम मुंबई में मिले भी, लेकिन तब तक मीडिया में चीजें आ चुकी थीं। हालांकि, इसके बाद सबकुछ बिगड़ चुका था। इस दौरान एंकर उर्वशी से यह भी पूछता है कि मिस्टर RP कौन हैं? इस पर उर्वशी ने नाम बताने से इंकार कर दिया। इंटरव्यू के वायरल होने के बाद पंत और उर्वशी को लेकर विवाद एकबार फिर बढ़ गया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया गया है। इसमें पंत की इंस्टाग्राम स्टोरी दिखाई गई है। सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि पंत ने इस स्टोरी के जरिये उर्वशी को जवाब दिया है। इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा है- कैसे कुछ लोग इंटरव्यू में सिर्फ नाम, फेम, पॉपुलैरिटी और हेडलाइन में आने के लिए झूठ बोल देते हैं। यह देखकर दुख होता है कि लोग कैसे नाम और फेम के इतने भूखे हैं। भगवान उनका भला करे। पंत ने साथ ही में स्टोरी में यह भी लिखा है कि मेरा पीछा छोड़ो बहन, झूठ की भी कोई सीमा होती है। हालांकि, सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि पंत ने कुछ देर बाद यह स्टोरी डिलीट कर ली। अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फिर मन की बात में मधुमक्खी पालन करके शहद का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती के साथ ही नये विकल्पों को अपनाना जरूरी है। मधुमक्खी पालन भी ऐसा ही एक विकल्प बन कर उभर रहा है। बहुत संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं। ऐसे ही हरियाणा के यमुनानगर में एक किसान सुभाष कंबोज शहद से हर साल अच्छी कमाई कर रहा है। देश में ऐसे कई किसान मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, जिससे देश में हर साल सवा लाख टन से अधिsक शहद का उत्पादन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल 28 मार्च को भी मन की बात कार्यक्रम में यमुनानगर के सुभाष कंबोज का मधु पालन के लिए जिक्र किया था। जिला के गांव हाफिजपुर में पेशे से किसान और लम्बे समय से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कर रहे सुभाष कंबोज अन्य युवाओं को मधुमक्खी पालन की जानकारी व प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलम्बी बना रहे हैं। सुभाष कंबोज ने बताया कि उन्होंने 6 बॉक्स से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया था और आज उनके पास हजार से अधिक बॉक्स हैं। उन्होंने बताया कि वे युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर स्वावलम्बी बनाने का काम कर रहे हैं। हरियाणा सरकार मधुमक्खी पालन पर 40+45 प्रतिशत उद्यान विभाग के माध्यम से सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। सुभाष काम्बोज ने बताया कि वैसे तो मधुमक्खी पालन के लिए कई प्रजातियों की मक्खी होती है, लेकिन बॉक्स में एपिसमिलाफैरा मधुमक्खी पाली जाती है, जो कि ज्यादा मात्रा में शहद का उत्पादन करती है। जबकि पेड़ पर लगने वाला मधुमक्खी का छत्ता एपिस डोरसेट लगाती है। इस के अतिरिक्त एपिस सैरेना इण्डिका, एपिस फलोरिया इण्डिका तथा डंक न मारने वाली डम्भर (एपिस मेलिपोना) मधुमक्खी शहद एकत्रित करने का काम करती है। पीएस ने बताया पहले तो एक ही प्रकार का शहद एकत्रित होता था लेकिन अब हम लोग मक्खियों के बॉक्सों को हरियाणा से राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हरियाणा से लेह लद्दाख तक लेकर जाते है, जिस कारण सरसों के खेत में मधुमक्खी का बॉक्स रखने से सरसों का शहद, जामुन का शहद, तुलसी का शहद, नीम का शहद, सफेदा शहद, सौंफ का शहद, अजवाइन का शहद, लीची का शहद, कीकर का शहद जैसे अन्य कई प्रकार के शहद बॉक्स में पनप रही मधुमक्खी के माध्यम से मिलता है। प्रधानमंत्री द्वारा सुभाष कंबोज के जिक्र किए जाने के बाद गांव हाफिजपुर ही नहीं आसपास के गांव के इलाके के लोग भी आकर सुभाष कंबोज को बधाइयां दे रहे हैं।
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बहेड़ी में चल रहे 164 साल पुराने मेला श्री रामलीला में बुधवार को दशहरा मनाने की तैयारियां चल रही थी। इसी बीच उस वक्त दहशत फैल गई, जब लोगों की नजर मेले में बुर्का पहनकर घूम रहे एक संदिग्ध पर पड़ी। लोगों का आरोप है कि संदिग्ध मेले में रेकी करने के अंदाज में घूम रहा था, इसके अलावा मेले में चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर भी बनाये हुए था। शक होने पर कुछ युवाओं ने उससे पूछने की कोशिश की तो वह भागने लगी। जिस पर लोगों ने दौड़ाकर उसे पकड़ लिया। उसका बुर्का उतारा तो वह महिला ना होकर एक डाड़ी वाला मुस्लिम युवक निकला। गुस्साए लोगो ने उसकी पिटाई शुरू कर दी पर इससे पहले ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे भीड़ से बचाकर रामलीला मेले की धर्मशाला में बंद कर लिया। पुलिस द्वारा काफी पूछने के बाद भी उसने अपना नाम-पता नही बताया। बार-बार कहता रहा कि अल्लाह की मर्जी से वह यहां आया है और अल्लाह अगर चाहेंगे तो उसे सजा मिलेगी और मेरे रब की मर्जी नही होगी तो दुनिया में किसी की हिम्मत नही कि मुझे सजा दे सके। बुर्का पहनकर पूरे मेले में रेकी कर रहे संदिग्ध युवक पर पुलिस के पकड़े जाने पर तनिक भी खौफ नही दिखा। जब थाने के लिए उसे ई-रिक्शा पर बैठने को कहा गया तो बोला कि मै पैदल ही जाऊंगा।और तो और, चीता सिपाही की बाइक को चलाने के लिए सिपाही से ऐंठ दिखाने लगा। संदिग्ध के पकड़े जाने पर मेला देखने आए दूर-दराज के लोगो में दहशत व्याप्त हो गई। लोगों का कहना था कि इतनी पुलिस व्यवस्था के बाद भी अगर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो मेले में श्रद्वालुओं की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उन्होने युवक से कड़ी पूछताछ कर उसके इरादे जानने की मांग की।
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यहाँ तक कि असतकी दुर्गम उत्तुंगता तक भी चले जांय, किन्तु तो भी यह अभियान व्यर्थ हो जायगा यदि हम अपने आधारको भूल जांब । निम्नतरको अपने आपके भरोसे छोड देना नहीं, परन् हम जिस उच्चतर लोक तक पहुंच गये हैं, उसकी ज्योति के द्वारा उसे रूपान्तरित करना, यही है दिव्य प्रकृतिका स्वधर्म । ब्रह्म है अखंड समग्रता से पूर्णस्वरूप उनमें है बहु विचित्र चेतनाका युगपत् समन्वय, अतएव ब्राह्मी प्रकृतिको अभिव्यक्त करने में हमें भी अखड सम्यक, सर्वाधार एवं सर्वावगाही होना होगा । " वैदिक धर्मः अप्रैल १९५२ इन प्रेरणा देनेवाले शब्दों में श्री भरविन्द अपना संदेश देते हैं, जीवनमें पूर्ण ब्रह्मकी पूर्ण सिद्धिका और रूपान्तरित मानव प्रकृति में उनकी विशुद्ध अभिव्यक्तिका । यह संदेश हमें तुरन्त ही वेदों तथा उपनिषदोंको गौरवमयी संस्कृति की व्यापक दृष्टि तथा शक्तिशालिनी प्राणशक्तिकी ओर के जाता है और भारतके ही नहीं वरन् सारे संसारके भविष्य के किये असीम आशा से प्रज्वलित कर देता है, क्योंकि भारतका अतीत मिश्र, यूनान या रोमके अतीतकी भांति मृत नहीं हुआ है। धडकते हुए वर्त्तमान में वह अत्यन्त सजीवन तथा क्रियाशील है और महत्तर भविष्य के निर्माण के लिये अपना योगदान दे रहा । इस पाश्चात्य विचारका खंडन करते हुए कि भारतको आध्यात्मिकता दुर्बल, रक्तद्दीन, अव्यावहारिक और पारलौ किक रही है, और विचार तथा जीवनके क्षेत्र में भारतकी संस्कृति कोई बडा कार्य नहीं कर सकी है, श्री अरविन्द लिखते हैं; " जब हम भारतके अतीतकी मोर दृष्टि देते हैं तब जो चीज हमारा ध्यान आकर्षित करती है... वह है उसकी विपुल प्राणशक्ति, जीवनकी और जीवन के आनन्दकी उसकी अशेष शक्ति, उसकी प्रायः अकल्पनीय जैसी बहुप्रसूत्रती सृजनकारिता । तीन हजार वर्षों से - वास्तव में इससे बहुत अधिक समय से भारत प्रचुर और अनवरत रूपसे, बहुलतासे एक अशेष बहुमुखीनता के साथ रचना करता रहा है प्रजातंत्रों, राज्यों और साम्राज्योंकी, दर्शन शाख, जगतकी उत्पत्ति के सिद्धांत, विज्ञानों, मत कलाओं और काव्योंकी, सब प्रकारके स्मृतियों, महलों, मंदिरों और सार्वजनीन उपयोगी इमारतोंकी, सम्प्रदाय, समाजों और धार्मिक आश्रमकी, नियमों, विधानों और अनुष्ठानों की भौतिक विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञानकी, योगकी और राजनीति और शासनकी प्रणालियोंकी बाध्यात्मिक फलामांकी और सांसारिक कलाओंकी, व्यापारों व्यवसायें और सूक्ष्म कारीगिरीकी, सूचीका अन्त नहीं, और प्रत्येक क्षेत्र में क्रियाशीलता की अतिरिक्तता जैसी चीज है। भारत रचना करता है और करता जाता है और थकता नहीं, उसके लिये इसका अन्त नहीं माता... वह अपनी भौगोलिक सीमाओं को पार करता हुआ अपना विस्तार करता है, उसके जद्दाज सागरको पार करते हैं और उसके वैभवकीधारा जूडिया मिश्र और शेमतक फैल जाती है। उसके उप निवेश उसकी कलाओंका, उसके काव्यों सिद्धांतों का प्रसार आर्चिपेलागो ( यूनान और एशिया माइनरके बीचका प्रदेश ) में करते हैं, उसके चिन्ह मेसोपोटामियाको बालुओं में पाये जाते हैं, उसके धर्म चीन और जापानको जीतते हैं और पश्चिममें फिलिस्तीन और अलेक्जेंड्रियाकी जितनी दूरी तक प्रसारित होते हैं, और उपनिषदोंके शब्द और बौद्धों वाक्य ईसामसीह की जिह्वा पर प्रतिध्वनित हो उठते हैं। हर जगह, जैसे उसकी भूमिमें, वैसे ही उसके कार्यों में, जीवनकी असिबहुल शक्तिकी अतिप्रचुरता है।" (भारतका नवजन्म) तो, ऐसा था अतीतका भारत, आत्माके वैभवमें महान् और विचार तथा कर्मके क्षेत्रों में भी उतना ही महान्, समृद्ध तथा शक्तिमान् तथा सृजनकारी। फिर जिस अव नतिका आरंभ हुआ, उसका कारण यदि एकमात्र नहीं, क्योंकि अन्य कारण भी थे, तो भी प्रधानत बौद्ध शून्यवाद और शकरके मायावादका विनाशकारी प्रभाव था । मायाने राष्ट्रको जीवन के उत्साह से विहीन कर दिया, रचनाका सत्साह और मानन्द बुझा दिया, और स्वयं उस प्राणशक्तिको सुखा डाला जिसने कि अतीत में उसे इतना महान् बनाया था। इसके अंतिम पतनका मार्ग इसने प्रशस्त कर दिया । भारतकी फिरसे उठती हुई श्राध्यात्मिकता समस्त सप्ताकी एकता और सृष्टिके अन्दर भगवानकी इच्छा देखनेवाली पुरातन दृष्टिको फिरसे पानेकी राहपुर अच्छी प्रगति कर चुकी है। मनुष्यको दिव्य बनाने और भौतिक जगत के अन्दर भगवानकी अभिव्यक्ति होनेके श्रीबरविन्दके संदेशने सदाके लिये माया के कुइरेको छितरा दिया है । जीवनको उसके सारे मूल्यों और क्रियाओं के साथ फिरसे अपनाया जा रहा है और सर्वागीण रूपसे अववरित होती हुई ज्योतिकी और उसका मोढा जा रहा है। आज जातिकी सुप्त, विधीत प्राणशक्तिको जगानेके लिये और पृथ्वी पर " देव जाति " के पुरातन वैदिक द्रष्टाओंका स्वप्न पूरा करने के लिये एक तेजस्विनी सर्व आलिंगनकारिणी, सर्व-रूपान्तरकारिणी आध्यात्मिकता उठ रही है।
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' इसीलिए समझता हूँ कि तुम्हारा इतना आकर्षण है ! सब धर्मावलम्बियों को तुम परम आत्मीय समझकर आलिंगन करते हो ! तुम्हारी भक्ति है । तुम सिर्फ देखते हो - अन्दर ईश्वर की भक्ति और प्रेम है या नहीं ? यदि ऐसा हो तो वह व्यक्ति तुम्हारा परम आत्मीय है - भक्तिमान यदि दिखाई पड़े तो वह जैसे तुम्हारा आत्मीय है । मुसलमान को भी यदि अल्लाह के ऊपर प्रेम हो, तो वह भी तुम्हारा अपना आदमी होगा; ईसाई को यदि ईसू के ऊपर भक्ति हो, तो वह तुम्हारा परम आत्मीय होगा । तुम कहते हो कि सब नदियाँ भिन्न-भिन्न दिशाओं से बहकर समुद्र में गिरती हैं। सब का गन्तव्य स्थान एक समुद्र ही है । सुना है, यह जगत् ब्रह्माण्ड महा चिदाकाश में आविर्भूत होता है, फिर कुछ समय के बाद उसी में लय हो जाता है - महा समुद्र में लहर उठती है फिर समय पाकर लय हो जाती है। आनन्द सिन्धु के जल में अनन्त-लीला तरंगें हैं। इन लीलाओं का आरम्भ कहाँ है ? अन्त कहाँ है ? उसे मुँह से कहने का अवसर नहीं है -- मन में सोचने का अवसर नहीं है। मनुष्य की क्या हकीकत - उसकी बुद्धि की ही क्या हकीकत ? सुनते हैं, महापुरुष समाधिस्थ होकर उसी नित्य परम पुरुष का दर्शन करते हैं - नित्य लीलामय हरि का साक्षात्कार करते हैं। अवश्य ही करते हैं, कारण, श्रीरामकृष्ण देव ऐसा कहते हैं । किन्तु चर्मचक्षुओं से नहीं - मालूम पड़ता है, दिव्य चक्षु जिसे कहते हैं उसके द्वारा, जिन नेत्रों को पाकर अर्जुन ने विश्व रूप का दर्शन किया था, जिन नेत्रों से ऋषियों ने आत्मा का साक्षात्कार किया था, जिस दिव्य चक्षु से ईस् अपने स्वर्गीय पिता का बराबर दर्शन करते थे ! वे नेत्र किसे होते हैं? श्रीरामकृष्ण देव के मुँह से सुना था, वह व्याकुलता के द्वारा होता है ! इस समय वह व्याकुलता किस प्रकार हो सकती है ? क्या संसार का त्याग करना होगा ? ऐसा भी तो उन्होंने आज नहीं कहा ! " परिच्छेद ३० श्रीरामकृष्ण तथा ज्ञानयोग (१) सन्यासी तथा संचय । पूर्ण ज्ञान तथा प्रेम के लक्षण । श्रीरामकृष्ण दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में विराजमान हैं। अपने कमरे में छोटी खाट पर पूर्व की ओर मुँह किए हुए बैठे हैं। भक्तगण फरी पर बैठे हैं। आज कार्तिक की कृष्णा सप्तमी है, ९ नवम्बर, १८८४ । दोपहर का समय है। श्रीयुत मास्टर आए, दूसरे भक्त भी धीरेधीरे आ रहे हैं। श्रीयुत विजयकृष्ण गोस्वामी के साथ कई ब्रह्म भक्त आए हुए हैं। पुजारी रामचक्रवर्ती भी आए हैं । क्रमशः महिमाचरण, नारायण और किशोरी भी आये । कुछ देर बाद और भी कई भक्त आए । जाड़ा पड़ने लगा है। श्रीरामकृष्ण को कुर्ते की ज़रूरत है । मास्टर से ले आने के लिए कहा था । वे नैनगिलाट के कुर्तों के सिवा एक और जीन का कुर्ता भी ले आए हैं; परन्तु इसके लिए श्रीरामकृष्ण ने नहीं कहा था । श्रीरामकृष्ण ( मास्टर से ) - तुम बल्कि इसे लेते जाओ । तुम्हीं पहनना । इसमें दोष नहीं है। अच्छा, तुमसे मैंने किस तरह के कुर्ती के लिए कहा था ? भा. २ श्री. व. ३७ मास्टर - जी, आपने सादे सधे कुर्ती की बात कही थी । ज़ीन का कुर्ता ले आने के लिए नहीं कहा था । श्रीरामकृष्ण - तो जीन वाले को ही लौटा ले जाओ। ( विजय आदि से ) " देखो, द्वारका बाबू ने बनात दी थी, और पश्चिमी ढंङ्ग का कपड़ा भी ले आए थे। मैंने नहीं लिया । ( श्रीरामकृष्ण और भी कड़ना चाहते थे, उसी समय विजय बोल उठे । ) विजय - जी हाँ, ठीक तो है । जो कुछ चाहिए और जितना चाहिए, उतना ही ले लिया जाता है। किसी एक को तो देना ही होगा। आदमी को छोड़ और देगा भी कौन ? श्रीरामकृष्ण - देने वाले वही ईश्वर हैं । सास ने कहा, बहू, सब की सेवा करने के लिए आदमी हैं, परन्तु तुम्हारे पैर दबाने वाला कोई नहीं है। कोई होता तो अच्छा होता । बहू ने कहा, अम्मा, मेरे पैर भगवान दबाएँगे, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है। उसने भक्तिपूर्वक यह बात कही थी । एक फकीर अकबरशाह के पास कुछ भेंट लेने गया था । बादशाह उस समय नमाज पढ़ रहा था और कह रहा था, ऐ खुदा, मुझे दौलतमन्द कर दे। फकीर ने जब बादशाह की याचनाएँ सुनीं तो उठकर वापस जाना चाहा। परन्तु अकबर शाह ने उससे बैठने के लिए इशारा किया । नमाज खतम होने पर उन्होंने पूछा, तुम क्यों वापस जा रहे थे ? उसने कहा, आप खुद ही याचना कर रहे हैं, ऐ खुदा, मुझे दौलतमन्द कर दे । इसीलिए मैंने सोचा, अगर माँगना ही है तो भिक्षुक से क्यों माँगू, खुदा से ही क्यों न माँगू ? " विजय - गया में मैंने एक साधु देखा था। वह स्वयं कुछ प्रयत्न नहीं करते थे । एक दिन इच्छा हुई, भक्तों को खिलाऊँ । देखा न जान कहाँ से मैदा और घी आ गया । फलं भी आए । श्रीरामकृष्ण ( विजय आदि से ) - - - साधुओं के तीन दर्जे हैं, उत्तम, मध्यम और अधम । जो उत्तम हैं, वे भोजन की खोज में नहीं फिरते । मध्यम और अधम इण्डियों की तरह के होते हैं । मध्यम जो हैं, वे नमोनारायण करके खड़े हो जाते हैं । जो अधम हैं वे न देने पर तकरार करते हैं । ( सच हँसे । ) उत्तम श्रेणी के साधु अजगर वृत्ति के होते हैं। उन्हें बैठे हुए ही आहार मिलता है । अजगर हिलता डुलता नहीं । एक छोकरा साधु था - बाल ब्रह्मचारी । वह कहीं भिक्षा लेने के लिए गया । एक लड़की ने आकर भिक्षा दी । उसके स्तन देखकर उसने सोचा, इसकी छाती पर फोड़ा हुआ है । जब उसने पूछा तो घर की पुरखिन ने आकर उसे समझाया । इसके पेट में बच्चा होगा, उसके पीने के लिए ईश्वर इनमें दूध भर दिया करेंगे, इसीलिए पहले से इसका बन्दोबस्त कर रखा से है । यह बात सुनकर उस साधु को बड़ा आश्चर्य हुआ । तब उसने. कहा, तो अब मुझे भिक्षा माँगने की क्या ज़रूरत है ? ईश्वर मेरे लिए भी भोजन तैयार कर दिया करेंगे । कुछ भक्त मन में सोचते हैं कि तब तो हम लोग भी यदि चेष्टा न करें, तो चल सकता है । " जिसके मन में यह है कि चेष्टा करनी चाहिए, उसे चेष्टाः करनी होगी ।" विजय - भक्तमाल में एक बड़ी अच्छी कहानी है । श्रीरामकृष्ण - कहो, ज़रा सुनें तो । विजय -- आप कहिए । श्रीरामकृष्ण - नहीं, तुम्हीं कहो, मुझे पूरी याद नहीं है। पहले पहल सुनना चाहिए, इसीलिए मैं सुना करता था । "मेरी अब वह अवस्था नहीं है। हनुमान ने कहा था, बार, तिथि, नक्षत्र, इतना सब मैं नहीं जानता, मैं तो बस श्रीरामचन्द्र जी की चिन्ता किया करता हूँ । चातक को बस स्वाति के जल की चाह रहती है। मारे प्यास के जी निकल रहा है, परन्तु गला उठाए वह आकाश की बूँदों की ही प्रतीक्षा करता है । गङ्गा यमुना और सातों समुद्र इधर भरे हुए हैं, परन्तु वह पृथ्वी का पानी नहीं पीत। । राम और लक्ष्मण जब पंपा सरोवर पर गए तत्र लक्ष्मण ने देखा, एक कौआ व्याकुल होकर बार बार पानी पीने के लिए जा रहा था, परन्तु पीता न था । राम से पूछने पर उन्होंने कहा, भाई, यह कौआ, परम भक्त है। दिन रात यह रामनाम जब रहा है। इधर मारेः स के छाती फटी जा रही है, परन्तु पानी पी नहीं सकता । सोचता है, पानी पीने लगूंगा तो जप छुट जायगा । मैंने पूर्णिमा के दिन हलधर से पूछा, दादा, आज क्या अमावस है ? ( सहास्य ) " हाँ यह सत्य है । ज्ञानी पुरुष की पहचान यह है कि पूर्णिमा और अमावस में भेद नहीं पाता । परन्तु हलधारी को इस विषय में कौन विश्वास दिला सकता है। उसने कहा, यह निश्चय ही कलिकाल है । वे ( श्री रामकृष्ण ) पूर्णिमा और अमावस में भेद नहीं जानते और फिर भी लोग उनका आइर करते हैं ! " ( इसी समय -महिमाचरण आगए । ) श्रीरामकृष्ण ( संभ्रम पूर्वक ) - आइए, आइए, बैठिए । (विजय आदि से ) इस अवस्था में दिन और तिथि का ख्याल नहीं रहता । उस दिन वेणीपाल के बगीचे में उत्सव था, - मुझे दिन भूल गया । ' अमुक दिन संक्रान्ति है, अच्छी तरह ईश्वर का नाम लूँगा,' यह अब याद नहीं रहता । ( कुछ देर विचार करने के बाद ) परन्तु अगर कोई आने को होता है तो उसकी याद रहती है । ईश्वर पर सोलहों आने मन जाने पर यह अवस्था होती है । राम ने पूछा, हनुमान, तुम सीता की खबर तो ले आए, अच्छा, तो उन्हें कैसा देखा; कहो, मेरी सुनने की इच्छा है। हनुमान ने कहा, राम, मैंने देखा, सीता का शरीर मात्र पड़ा हुआ है। उसमें मन, प्राण नहीं हैं । आपके ही पादपद्मों में उन्होंने वे समर्पण कर दिए हैं। इसलिए केवल शरीर ही पड़ा हुआ है । और काल ( यमराज ) आ. रहा है; परन्तु वह करे क्या ? वहाँ तो शरीर ही है, मन और प्राण तो हैं ही नहीं । 'जिसकी चिन्ता की जाती है, उसकी सत्ता आ जाती है। दिन रात ईश्वर की चिन्ता करते रहने पर ईश्वर की सत्ता आ जाती है क नमक का पुतला समुद्र की थाह लेने गया तो गलकर खुद वही हो गया । पुस्तकों या शास्त्रों का उद्देश क्या है ? ईश्वर लाभ । साधु की पोथी को एक को एक ने खोलकर देखा, उसमें सिर्फ राम नाम लिखा हुआ था, और कुछ भी नहीं । "ईश्वर पर प्रीति होने पर थोड़े ही में उद्दीपन हुआ करता है । तब एक बार रामनाम करने पर कोटि सन्ध्योपासन का फल होता है। " मेघ देखकर मयूर को उद्दपिन होता है । आनन्द से पंख फैला - कर नृत्य करता है । श्रीमती राधा को भी ऐसा ही हुआ करता था । मेघ देखकर उन्हें कृष्ण की याद आती थी । " चैतन्यदेव मेड़गांव के पास ही से जा रहे थे। उन्होंने सुन इस गांव की मिट्टी से ढोल बनती है । बस भावावेश में विह्वल हो गए, - क्योंकि संकीर्तन के समय ढोल का ही वाय होता है। उद्दपिन किसे होता है ? जिसकी विषय बुद्धि दूर हो गई हैं, जिसका विषयरस सूख जाता है, उसे ही थोड़े में उद्दीपन होता है । • दियासलाई भीगी हुई हो तो चाहे कितना ही क्यों न घिसो, वह जल
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Kuwait Indian Job Update: कुवैत में विदेशियों को नौकरी से हटाने की नीति का 48 हजार भारतीय शिकार हो गए हैं। साल 2021 में इन भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ा है। कुवैत से जाने वाले विदेशी कामगारों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है। दोहा कोरोना की मार के बीच खाड़ी देश कतर से भारतीय कामगारों के लिए बुरी खबर है। साल 2021 के पहले 9 महीने में 1,68,000 प्रवासी कामगारों को कुवैत छोड़ना पड़ा है। दुखद बात यह है कि इसमें सबसे ज्यादा भारतीय हैं। जिन लोगों को कुवैत छोड़ना पड़ा है, उनमें प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र में 60,400 घरेलू वर्कर और 107,900 प्रवासी कामगार शामिल हैं। इससे कुवैत में कुल घरेलू कामगारों की संख्या में 9 फीसदी की गिरावट आई है। अल अन्बा अखबार के मुताबिक कुवैत के कुल घरेलू वर्कर्स की संख्या में 9 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 60,400 कामगार लेबर मार्केट से चले गए हैं। इससे सितंबर 2021 में कुल कामगारों की संख्या गिरकर 6,08,230 पहुंच गई। साल 2021 की शुरुआत में कुल कामगारों की संख्या कुवैत में 668,615 थी। जिन कामगारों को कुवैत छोड़ना पड़ा है, उनमें सबसे ज्यादा 48 हजार भारतीय हैं। Golden Visa: यूएई के बाद अब बहरीन देगा गोल्डन वीजा, जानें क्या है योग्यता और कैसे पा सकतें हैं आप? कुवैत की कुल आबादी में 75 फीसदी प्रवासी इसके साथ ही अब कुवैत में काम करने वाले कुल भारतीयों की संख्या अब 499,400 से घटकर 451,380 पहुंच गई है। अगर इसे प्रतिशत में देखें तो कुवैत में काम करने वाले भारतीयों की संख्या में 10 फीसदी की कमी आई है। वहीं कुवैत में काम करने वाले मिस्र के मजदूरों की संख्या में करीब 5 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बाद तीसरे नंबर पर बांग्लादेश के कामगारों का नंबर है। साल 2021 में नेपाल के कामगारों को भी झटका लगा और उनकी संख्या भी 7 हजार घटी है। इसके अलावा फिलीपीन्स और पाकिस्तान के मजदूरों की संख्या में कमी आई है। एक तरफ विदेशी कामगार जहां कुवैत से जा रहे हैं, वहीं देश के नागरिकों की नौकरी में बढ़ोत्तरी हुई है। कुवैत के 17,511 लोगों को नौकरी मिली है। दरअसल, कुवैत नौकरियों में विदेशी नागरिकों की जगह पर अपने नागरिकों को तरजीह दे रहा है और उसकी यह योजना इस साल अगस्त तक पूरी हो जाएगी। कुवैत की कुल आबादी में 75 फीसदी प्रवासी हैं जिसमें सबसे ज्यादा भारतीय हैं। इससे भारत को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा मिलती है। कुवैत के इस कदम से भारतीयों को बड़ा झटका लगा है।
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नई दिल्ली /सुनील पाण्डेय : भारतीय रेलवे में पहियों की कमी के चलते वंदेभारत जैसी वीआईपी ट्रेनें पटरी पर समय से नहीं उतर पा रही है। लेकिन बहुत जल्द समस्या खत्म हो जाएगी और अपने देश में ही यात्री डिब्बों और मालगाडिय़ों के लिए पहियों बनने लगेंगे। इसके लिए निजी क्षेत्र की कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर को चुना गया है। रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर उत्पादन क्षेत्र में पहले से काम कर रही है। कंपनी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ स्थित अपने स्टील प्लांट में देश की पहली रेल पहिया उत्पादन कारखाना लगाएगी। राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक इस महत्वाकांक्षी योजना को अंजाम देने के लिए कंपनी ने जीआईएफएलओ-हंगरी के साथ एक समझौता किया है। जीआईएफएलओ-हंगरी और जिन्दल स्टील के बीच यह तकनीकी करार नई दिल्ली में शुक्रवार को हंगरी दूतावास एवं फिक्की के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारत-हंगरी बिजनेस फोरम में हुआ। इसके अनुसार प्लांट की शुरुआती उत्पादन क्षमता 25 हजार सेट पहिया प्रतिवर्ष होगी। बता दें कि वर्तमान में वंदेभारत के लिए विदेशों से पहिए मंगाए जा रहे हैं। इसके चलते विलंब भी हो चुका है। गौरतलब है कि जिन्दल स्टील भारतीय रेल के लिए विभिन्न श्रेणियों की पटरियां तैयार कर आपूर्ति कर रही है। कंपनी देश की विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं के लिए हेड हार्डेंड रेल भी तैयार कर रही है। रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए जिन्दल स्टील एसिमेट्रिक रेलों के लिए रेल फोर्जिंग यूनिट भी स्थापित कर रही है, जिसका इस्तेमाल रेल ट्रैक्स स्वीचेज, खासकर तेज रफ्तार ट्रेनों के संचालन में किया जाएगा। इस संबंध में जिन्दल स्टील एंड पावर के प्रबंध निदेशक वी. आर. शर्मा ने कहा कि उनकी कंपनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गए आत्मनिर्भर भारत अभियान में बढ़-चढ़कर सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। रेल पहिया प्लांट से भारतीय रेल के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी और विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाले पहियों की उपलब्धता से हम भारत सरकार के दूरदर्शी गतिशक्ति अभियान को साकार करने में एक महत्वपूर्ण साझेदार साबित होंगे। शर्मा ने कहा कि अपनी क्षमताओं पर विश्वास और रेल परिवहन की आवश्यकताओं को समझते हुए जेएसपी अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानकों के अनुरूप रेल पटरियों की विभिन्न श्रेणियों की मांग पूरी करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। रायगढ़ की रेल मिल से भारतीय रेलवे और विभिन्न मेट्रो रेल परियोजनाओं को विशेष ग्रेड के रेल की आपूर्ति की जा रही है। बता दें कि जिन्दल स्टील एंड पावर 1080 एचएच एवं 1175 एचटी हेड हार्डेंड रेल ग्रेड की एकमात्र भारतीय निर्माता है। ये पटरियां 25 टन से अधिक भार वहन की क्षमता रखती हैं और तेज रफ्तार दौडऩे वाली गाडिय़ों के लिए उपयुक्त हैं। जेएसपी 60ई1, जेडयू1-60 और 60ई1ए1 मानदंडों के अनुरूपआर260 और 880 ग्रेड की पटरियों का भी निर्माण करता है और आर350 एचटी ग्रेड पटरियों का निर्यातक है।
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केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण 16 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया दौर 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके। देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निशुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निशुल्क प्रदान करेगी। (तीन दिसंबर, 2021 तक) केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के स्रोतों से अब तक वैक्सीन की 138 करोड़ से अधिक (1,38,50,13,650) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी स्रोत (निशुल्क) और राज्यों द्वारा सीधी खरीद प्रक्रिया के जरिये प्रदान की गई हैं। राज्यों के पास वैक्सीन की 22.05 करोड़ से अधिक (22,05,87,426) अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल की हुई खुराकें मौजूद हैं, जिन्हें लगाया जाना है।
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अलग हो गये हैं और अब इस विषय में उनके फिरोजपुरी मित्र ही से पूछ-ताछ की जाय । भाई साहब ने जिस निष्ठा से लांडरी खोली थी, उससे कहीं अधिक निष्ठा से वे राष्ट्र सेवा में निमग्न हो गये । दिन रात वे कांग्रेस के काम में व्यस्त रहते। कहीं चन्दा इकट्ठा कर रहे हैं; कहीं झण्डे को सलामी दे रहे हैं; कहीं जलूम निकाल रहे हैं और कहीं सभा की व्यवस्था कर रहे हैं। घर वालों को उनके दर्शन भी दुर्लभ हो गये। अपने लम्बे छरहरे शरीर पर खादी की शेरवानी और खादी ही का चूड़ीदार पायजामा पहने, सिर पर तिरछी गांधी टोपी रखे वे शुतर-बे-मुद्दार की भाँति घूमते और घर वालों को इस प्रकार देखते मानो वे किसी नाली में कुलबुझाने वाले अत्यन्त उपेक्षणीय और हेय, अन्धे, बुच्चे, कीड़े हों। चेतन के मन में अपने भाई का सम्मान, घर में नित्य नयी दी जाने वाली गालियों के बावजूद, बढ़ने लगा कि उसे कांग्रेस की एक सभा देखने का सुयोग मिला और उसे ज्ञात हो गया कि भाई साहब के लिए कांग्रेस की डिक्टेटरी भी लांडरी से अधिक महत्व नहीं रखती। उस दिन भाई साहब ने उससे अनुरोध किया था कि वह आज की सभा देखने अवश्य आये और उन्होंने बताया था कि प्रेस के विषय में सरकार ने जिस कठोरता की नीति से काम लिया है, उसके विरुद्ध प्रोटेस्ट के तौर पर अखबार बन्द हो गये हैं। देश में चारों ओर टेस्ट हो रही है। इसी सम्बन्ध में उन्होंने भी सभा की व्यवस्था की है, जिसमें वे स्वयं एक बहुत जोरदार भाषण देने
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ग्वालियर सिंधिया रियासत के युवराज व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सुपुत्र महाआर्यमन सिंधिया ने राजनीति में आने के सवाल को बड़े ही समझदारी भरे अंदाज में टाल दिया। महाआर्यमन ने कहा है कि राजनीति में आए बिना भी सेवा की जा रही है। जनता मेरे और मेरे पिता के दिल और दिमाग में है। सिर्फ राजनीति जॉइन करने से जनता की सेवा नहीं बनती है। यह दिल से बनती है। यह जनता मेरे दिल में बसती है। महाआर्यमन सिंधिया बतौर GDCA (ग्वालियर डिविजन क्रिकेट एसोसिएशन) उपाध्यक्ष के तौर पर मंत्री क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ करने पहुंचे थे। उनके साथ ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद रहे हैं। ग्वालियर में शुक्रवार से ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर का मंत्री क्रिकेट कप टूर्नामेंट शुरू हो गया है। ग्वालियर विधानसभा में मंत्री कप-2023 क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरुआत हुई है। ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिशन के उपाध्यक्ष महाआर्यमन सिंधिया ने इसका शुभारंभ किया है। इसके साथ ही महाआर्यमन सिंधिया ने क्रिकेट मैदान की पिच पर बैटिंग कर चौके छक्के भी लगाए हैं। महाआर्यमन सिंधिया ने इस मौके पर कहा कि क्रिकेट टूर्नामेंट युवाओं को जोड़ने का काम करता है। युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा तो ही ग्रामीण प्रतिभाएं भी आगे आकर रणजी जैसे मैचों में शामिल होंगी। इस दौरान उन्होंने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की काफी प्रशंसा की। उनको जनता का सेवक बताया। क्रिकेट की सियासत से राजनीति में आने के सवाल पर महाआर्यमन सिंधिया ने साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि हमारा लक्ष्य जनसेवा है, राजनीति में आए बगैर भी जन सेवा की जा सकती है, जनसेवा दिल से होती है, जैसे मेरे पिताजी और प्रधुम्न सिंह जी दिल से जनसेवा करते हैं। इसलिए एक बार फिर कहता हूं जनता मेरे दिल और दिमाग में बसती है। हम कोई राजनीति करने यहां नहीं आए हैं। महाआर्यमन सिंधिया ने बतौर GDCA उपाध्यक्ष बात करते हुए कहा कि यह टूर्नामेंट बहुत खास है। ऊर्जा मंत्री का आयोजन उनका सेवा का उद्देश्य दिखाता है। हमारा उद्देश्य ऐसे आयोजन कर ग्रामीण क्षेत्र से खिलाड़ियों को निकालकर प्रदेश और देश के स्तर पर मौका देना है। वो इस तरह के सफल आयोजन से ही पूरा हो सकता है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि इस तरह के आयोजन के जरिए युवाओं के अंदर उर्जा आती है। क्षेत्र से कई प्रतिभाएं भी बाहर निकल कर आती हैं। क्षेत्र के युवा इस आयोजन को सफल बना रहे हैं। यही हमारा उद्देश्य है कि खेल और खिलाड़ी आगे बढ़ें। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार में शूटर अंशु की गोली से मारे गए गैंगेस्टर मुकीम काला के परिजनों ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। शनिवार को बेटे का शव लेने पहुची मुकीम की माँ ने कहा कि जेल में बाहर से एक चम्मच नही जा सकता तो पिस्टल कैसे पहुंचा। जेल में हुए गैंगवार में मारे गए मुकीम और वारदात के बाद पुलिस की गोली से ढेर हुए अंशु दीक्षित के शवों का शनिवार को चित्रकूट में पोस्टमार्टम करवाया गया। दोपहर करीब 1 बजे मुकीम के मामा शुकका और माँ मीना उसका शव लेने शामली से चित्रकूट पहुँचे। मीना ने कहा कि पुलिस ने पूरी योजना बनाकर मुकीम की हत्या करवाई। वह करीब छह साल से जेल में था। उसे मारने के लिए ही चित्रकूट जेल लाया गया। मामा शुकका ने कहा कि वह इसकी जांच करवाने के लिए कोर्ट जाएंगे। मुकीम की माँ मीना ने बताया कि उनका परिवार इस घटना से बेखबर था। परिवार के लोग ईद की खुशियां मना रहे थे। वह ईद की नमाज अदा कर रही थी तभी एक पुलिस वाले का फोन आया। उसने जेल में मुकीम के मौत की खबर दी। थोड़ी देर बाद पता चला कि उसकी हत्या कर दी गयी है। क्या था मामला? चित्रकूट जेल में शुक्रवार (14 मई) को कैदियों के बीच गोली चल गई। इसमें वेस्ट UP के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। मेराज बनारस जेल से भेजा गया था, जबकि मुकीम काला सहारनपुर जेल से लाया गया था। पुलिस ने अंशु दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन वह फायरिंग करता रहा। बाद में पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अंशु भी मारा गया। CM योगी आदित्यनाथ ने शूटआउट के मामले में DG जेल से 6 घंटे में रिपोर्ट तलब की। कमिश्नर डीके सिंह, DIG के सत्यनारायण और ADG जेल संजीव त्रिपाठी मामले की जांच की है। वहीं, देर शाम चित्रकूट के जेल अधीक्षक एसपी त्रिपाठी, जेलर महेंद्र पाल समेत पांच कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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84 वर्षीय कार्यकर्ता, स्टेन स्वामी की अस्पताल में मौत.. उन्हें अंतरिम जमानत नहीं दी गई, तो उनकी "जल्द ही मृत्यु हो जाएगी" (नई दिल्ली) एल्गर परिषद मामलाः स्टेन स्वामी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उच्च न्यायालय को बताया था कि नवी मुंबई के तलोजा जेल में उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई थी और अगर उन्हें अंतरिम जमानत नहीं दी गई, तो उनकी "जल्द ही मृत्यु हो जाएगी"। पिछले साल एल्गार परिषद मामले में आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए 84 वर्षीय पुजारी-कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का स्वास्थ्य आधार पर जमानत की लड़ाई के बीच आज निधन हो गया। जेसुइट पुजारी कल से वेंटिलेटर पर थे, तब उनकी तबीयत खराब हो गई। 28 मई को अदालत के आदेश के बाद स्टेन स्वामी का मुंबई के निजी होली फैमिली अस्पताल में इलाज चल रहा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक सरकारी अस्पताल का सुझाव दिया था, जिस पर उन्होंने कहा थाः "मैं यहां जेल में मरना पसंद करूंगा। ।" अक्टूबर से मुंबई के पास जेल में बंद स्टेन स्वामी ने अपने जीवन के आखिरी कुछ महीने छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी कानूनी लड़ाई लड़ने में बिताए। दिसंबर में, उन्हें जेल में एक पुआल और एक सिपर की अनुमति दी गई थी, जिसे उन्होंने पार्किंसंस रोग के कारण अदालत में अनुरोध किया था। उन्होंने कई बार चिकित्सा उपचार और अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था। एनआईए, जिसने उसे अक्टूबर में उसके घर से गिरफ्तार किया था, ने देर रात व्यापक रूप से आलोचना की, अदालत में उसके जमानत रिक्वेस्ट का विरोध किया और कहा कि उसकी चिकित्सा बीमारियों का कोई "निर्णायक सबूत" नहीं था। एजेंसी अपने इस तर्क पर कायम रही कि स्टेन स्वामी एक माओवादी था जिसने देश में अशांति फैलाने की साजिश रची थी। स्टेन स्वामी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उच्च न्यायालय को बताया था कि नवी मुंबई के तलोजा जेल में उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई थी और अगर उन्हें अंतरिम जमानत नहीं दी गई, तो उनकी "जल्द ही मृत्यु हो जाएगी"।
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का"मांडो, (भाषा)। नेपाली राजनैतिक दलों ने राष्ट्रपति रामबरन यादव से राष्ट्रीय एकता सरकार के ग"न के लिए और समय की मांग करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ने सरकार के ग"न के लिए जो समयसीमा निर्धारित की थी वह आज समाप्त हो रही है। कार्यवाहक सरकार में गृह मंत्री नारायण काजी श्रेष्" ने कहा कि पार्टियों ने राष्ट्रपति से समय सीमा को तीन दिन बढाने का अनुरोध करने का फैसला किया ताकि आम सहमति वाली सरकार के ग"न के लिए आगे की बातचीत की जा सके। तीन मुख्य राजनैतिक दलों यूसीपीएन-माओवादी, नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल और संयुक्त मधेसी लोकतांत्रिक मोर्चा के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताओं का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद उन्होंने ये फैसला किया। माओवादी नेता ने ये बातें राष्ट्रपति यादव द्वारा दी गई 21 अगस्त की समय सीमा के समाप्त होने के कुछ घंटे पहले कहीं। कार्यवाहक प्रधानमंत्री झालानाथ खनल के साथ मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति यादव ने संविधान का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में विलंब समेत अन्य घटनाक्रमों को लेकर चिंता जाहिर की। यादव के मीडिया सलाहकार राजेंद दहल ने कल कहा, ``राष्ट्रपति ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री से शांति प्रक्रिया, संविधान का मसौदा तैयार करने और सरकार ग"न के बारे में पूछा। " नेपाल के दो सबसे बड़े दलों यूसीपीएन माओवादी और मुख्य विपक्षााsंr नेपाली कांग्रेस ने देश में संवैधानिक संकट को खत्म करने के लिए कई दौर का विचार-विमर्श किया है। माओवादियों की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार बाबूराम भट्टराई और नेपाली कांग्रेस की ओर से इस पद के लिए उम्मीदवार शेर बहादुर देउबा ने भी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी यूसीपीएन-यूएमएल और तराई आधारित संयुक्त मधेसी लोकतांत्रिक मोर्चा के साथ बातचीत की है। माओवादियों ने पहले सरकार का नेतृत्व करने के अधिकार का दावा किया है क्योंकि उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। नेपाली कांग्रेस ने अपने नेतृत्व में सरकार के ग"न की आवश्यकता पर बल दिया है क्योंकि माओवादी पार्टी और सीपीएन-यूएमएल साल 2008 में हुए संविधान सभा के चुनावों के बाद पहले ही ग"बंधन सरकार का नेतृत्व कर चुकी है।
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हर चार साल में होने वाला FIH हॉकी वर्ल्ड कप इस साल भारत में होगा। टूर्नामेंट 13 से 29 जनवरी तक ओडिशा के भुवनेश्वर और राउरकेला में आयोजित होना है। इसी बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि अगर इस साल भारत हॉकी वर्ल्ड कप जीतता है तो वे टीम के हर खिलाड़ी को 1-1 करोड़ रुपए देंगे। पटनायक राउरकेला में वर्ल्ड कप गांव का उद्घाटन करने गए थे, उसी समय उन्होंने इनाम की घोषणा की। वर्ल्ड कप के खेल गांव में 225 रूम है। इसे बनाने में 9 महीने लगे है। इसमें वर्ल्ड कप के ऑफिशियल्स और टीम रहेंगी। ओडिशा के CM नवीन पटनायक भारतीय टीम के खिलाडियों से भी मिले। उन्होंने टीम को वर्ल्ड कप के लिए 'बेस्ट ऑफ लक' कहा। दुनिया में नंबर छह की रैंकिंग वाले भारत के पूल डी में इंग्लैंड, स्पेन और वेल्स के साथ रखा गया है। मेजबान टीम अपने अभियान की शुरुआत 13 जनवरी को राउरकेला में बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम में स्पेन के खिलाफ करेगी। टीम ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में उतरेगी। वहीं अभिषेक और सुखजीत सिंह पहली बार वर्ल्ड खेलेंगे। 26 साल के हरमनप्रीत ओलिंपिक में ब्रॉन्ज जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे थे। उन्हें 2020-21 और 2021-22 में एफआईएच प्लेयर ऑफ द ईयर चुना गया। भारत का पहला मैच 13 जनवरी को स्पेन, दूसरा 15 जनवरी को इंग्लैंड और तीसरा 19 जनवरी को वेल्स से होगा। श्रीजेश और कृष्ण बहादुर चौथा वर्ल्ड कप खेलने उतरेंगे। हरमनप्रीत (कप्तान), अमित (उपकप्तान), कृष्ण बहादुर, श्रीजेश (गोलकीपर), जरमनप्रीत, सुरेंद्र, वरुण, नीलम संजीप, मनप्रीत, हार्दिक, नीलकांत शर्मा, शमशेर, विवेक प्रसाद, आकाशदीप, मनदीप, ललित, अभिषेक, सुखजीत। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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मंदिर समिति ने इसकी जानकारी मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के भोपाल स्थित कार्यालय को दी। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भूगर्भ से निकले एक हजार साल पुराने शिव मंदिर को फिर से आकार दिया जाएगा। मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग ने पुरा अवशेषों की नंबरिंग का काम पूरा कर लिया है। मंदिर की ड्राइंग डिजाइन का काम भी पूरा हो गया है। जल्द ही महाकाल दर्शन करने आने वाले भक्त यह देख सकेंगे कि एक हजार साल पहले शिव मंदिर कैसा था। महाकाल मंदिर में निर्माण कार्य के लिए की जा रही खोदाई के दौरान सन 2021 में एक हजार साल पुराने शिव मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए थे। मंदिर समिति ने इसकी जानकारी मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के भोपाल स्थित कार्यालय को दी। इसके बाद शोध अधिकारी डा. ध्रुवेंद्र जोधा के निर्देशन में आगे की खोदाई हुई। विभाग को महाकाल मंदिर का गौरवशाली इतिहास जानने में शीघ्र सफलता मिली और भूगर्भ से शिव मंदिर का आधार भाग, प्राचीन शिवलिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा आदि मूर्तियां प्राप्त हुईं। इसके साथ ही दो हजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल के मिट्टी के बर्तन भी मिले थे। विभाग ने इन अवशेषों को एक स्थान पर एकत्रित किया। प्रबुद्धजन की मांग पर मंदिर समिति ने पुरातत्व विभाग के सहयोग से शैव दर्शन के शोध केंद्र के रूप में मंदिर का पुर्ननिर्माण कराने का निर्णय लिया है। जल्द ही इसकी शुरुआत होगी। बताया जाता है पुरातत्व विभाग पुरा अवशेषों की नंबरिंग कर मंदिर की ड्राइंग डिजाइन तैयार करने में व्यस्त हो गया। इधर निर्माण कार्य के चलते भारी वाहनों की आवाजाही से जमीन से निकले पुराअवशेष फिर से टूटने लगे हैं। मंदिर परिसर में जल स्तंभ के समीप जहां पुरा अवशेषों को संरक्षित किया गया है, उसी के पास शिवलिंग की जलाधारी खंडित अवस्था में पड़ी है। जानकारी मिलने के बाद विभाग के शोध अधिकारी रविवार को स्थल का निरीक्षण करेंगे। प्राचीन द्वार की गुफा में संरक्षित की पुरासंपदा। स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा महाराजवाड़ा के समीप स्थित प्राचीन महाकाल द्वारा का संरक्षण कर जीर्णोद्धार किया है। इस दौरान प्राप्त हुई पुरा संपदा को कंपनी ने एहतियात से सहेजा है। द्वारा के भीतर दो छोटी प्राचीन गुफा है, इन्हीं में पुरा अवशेषों को सुरक्षित करते हुए आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा गया है।
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Chitragupta Jayanti 2022 पाप और पुण्य का लेखाजोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त जयंती गुरुवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाई गई। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा आयोजित केपी इंटर कालेज में चित्रगुप्त पूजा की गई। इसमें Kayastha Samaj के लोगों ने भाग लिया। अलीगढ़, संदीप सक्सेना । पाप और पुण्य का लेखाजोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त जयंती Chitragupta Jayanti गुरुवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाई गई। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा आयोजित केपी इंटर कालेज में चित्रगुप्त पूजा Chitragupta Puja की गई। इसमें कायस्थ समाज Kayastha Samaj के बुद्धजीवि, समाजसेवी, पत्रकार एवं युवाओं ने शिरकत की। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा Kayastha Samaj कायस्थ समाज के लोगों का हर क्षेत्र में वर्चस्व कायम हैं। सभी क्षेत्रों में कायस्थ आगे बढ़ रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कोरोना ने बहुत कुछ सिखा दिया है। उस दौर का भुलाया नहींं जा सकती। इसलिए जरूरत है कि कायस्थ उदयोग क्षेत्र में आगे आएं। नौकरी देने वाले बने। राजनीति में भी बढ़चढ़ कर भाग लें। मेहनत के बलबूते पर एकजुटता के साथ आगे बढ़ें और समाज के लोगों की सहायता करें। Deep Expo दीप एक्सपो के निदेशक निदेशक तरुण सक्सेना एव ललेश सक्सेना का कायस्थ महासभा की ओर से सम्मान किया गया। इस मौके पर दीप एक्सपो के निदेशक तरुण सक्सेना ने आश्वासन दिया कि वह केपी इंटर कालेज की तरक्की के लिए हर संभव सहायता देने काेे तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने प्रस्ताव मांगा। बताते चलें कि सेना के लिए प्रोडक्ट तैयार करने वाली दीप एक्सपो की एक यूनिट डिफेंस कारीडोर में लग रही है। इसके अलावा जिम्मबावे में भी यूनिट कार्यरत है। कार्यक्रम के शुरू में आगरा रोड स्थित केपी इंटर कालेज में श्री चित्रगुप्त महाराज जी का पूजन किया गया, जिसमें सर्वप्रथम श्री चित्रगुप्त महाराज Chitragupta Maharaj की प्रतिमा को दूध दही शहद गंगाजल से स्नान कराया गया। उसके बाद चित्रगुप्त महाराज जी का श्रृंगार किया गया। कायस्थ परिवार के लोगों ने हवन पूजन कार्यक्रम एवं Chitragupta Maharaj चित्रगुप्त महाराज की आरती कर उनका आशीर्वाद लिया। पंडित सुशील शर्मा ने कलम दवात का पूजन कराया। सभी सदस्यों को कलम का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष अशोक सक्सेना, राष्ट्रीय सचिव तरुण सक्सेना ,जिला महामंत्री डॉ रजत सक्सेना, देवेंद्र सक्सेना, सुभाष सक्सेना,हरेंद्र जौहरी,अभिषेक सक्सेना, विकास सक्सेना,राजा सक्सेना,मोंटू पिल्लई,प्रदीप रायजादा,सी ए अतुल प्रकाश, पंकज सक्सेना,आनंद सक्सेना,कार्तिक सक्सेना,चिराग सक्सेना, प्रमोद कुलश्रेष्ठ,सुधाकर कुलश्रेष्ठ, अजय सक्सेना,शरद सक्सेना, अमित सक्सेना,अविनाश सक्सेना,संदीप सक्सेना,मुकेश सक्सेना, आदित्य सक्सेना,अर्जुन सक्सेना, अनुज सक्सेना,उमेश श्रीवास्तव, भांति जी,योगेश सक्सेना,आयुष सक्सेना, गौरव सक्सेना,अरविंद सरकार,मनोज सक्सेना,सनोज सक्सेना आदि मौजूद रहे।
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साल 2019 से पहले, जम्मू और कश्मीर में राज्य विषयों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी की प्रतियां प्राप्त करने के लिए हफ्तों तक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और आय प्रमाण पत्र या भूमि के कागजात भी देने पड़ते थे। श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) : साल 2019 से पहले, जम्मू और कश्मीर में राज्य विषयों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी की प्रतियां प्राप्त करने के लिए हफ्तों तक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और आय प्रमाण पत्र या भूमि के कागजात भी देने पड़ते थे। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य में कई प्रशासनिक सुधार लाए गए हैं, जिससे आम आदमी को काफी फायदा हुआ है। केंद्र शासित प्रदेश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी लाई गई है, जिसकी बदौलत 675 सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं। आय प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, आरबीए प्रमाण पत्र, अन्य श्रेणियों के प्रमाण पत्र, विकलांगता प्रमाण पत्र अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं। जन्मतिथि एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, अधिवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, राशन कार्ड बनाने की सुविधा भी ऑनलाइन उपलब्ध है। इसका मतलब यह है कि इन सेवाओं के लिए न तो सरकारी दफ्तरों में जाने की जरूरत है और न ही किसी के चक्कर लगाने की। उन्हें जरूरी दस्तावेज ऑनलाइन भरने होंगे और घर से ही आवेदन करना होगा। पहले नौकरियों के लिए फॉर्म दफ्तरों में कतार में लगकर जमा करना पड़ता था, अब इन्हें घर बैठे ऑनलाइन भरा जा सकता है और बैंक खाते से पैसे भी काटे जा सकते हैं। विभिन्न योजनाओं का लाभ भी अब BEAMS प्रणाली के माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में स्थानांतरित किया जाता है, जिसके लिए पहले लोगों को बैंक के बाहर कतार में खड़ा होना पड़ता था। आप जमीन आप निसारी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी जमीन के बारे में पूरी जानकारी जैसे खसरा नंबर, खाता नंबर, ख्योत नंबर घर बैठे ही जान सकते हैं। निविदा प्रणाली को ऑनलाइन कर दिया गया है जिससे काफी पारदर्शिता आई है। सभी वित्तीय लेनदेन और मामले BEAMS के माध्यम से निपटाए जाते हैं। 2019 से पहले शायद ही कोई G2C सेवाएं ऑनलाइन थीं और अब दो साल से भी कम समय में यह संख्या बढ़कर 675 हो गई है। केंद्र शासित प्रदेश ने पूरी की गई परियोजनाओं की संख्या के मामले में अभूतपूर्व प्रगति की है। 2019 में 35 ऑनलाइन सेवाओं से, यह संख्या अब 675 तक पहुंच गई है। रैपिड असेसमेंट सिस्टम (आरएएस) पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक है क्योंकि इसमें से 86 प्रतिशत सकारात्मक है। जनता को उनकी प्रतिक्रिया के लिए लगभग चार मिलियन संदेश भेजे गए हैं और पोर्टल पर अब तक एक करोड़ से अधिक विजिट किए जा चुके हैं जो लोगों के भूमि रिकॉर्ड के बारे में जानकारी प्रदान करता है। पुंछ जिले के दूरदराज के सीमावर्ती गांव गुंटरियां शाहपुर के नजीर अहमद नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने मलाप न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए कहा, "मनरेगा योजना के तहत काम करने के बाद कई महीनों तक कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, वेतन मिलता है राशि सीधे बैंक खाते में आती है। " उन्होंने कहा, "मुझे इंदिरा आवास योजना ग्रामीण के तहत एक घर भी मिला और इसकी किस्त भी सीधे खाते में आई और जब पैसा आता है तो उसके साथ एक मैसेज भी आता है, जिससे वे जब चाहें निकाल सकते हैं। " उन्होंने बताया कि इसके अलावा हर दो महीने बाद किसान योजना के तहत खाते में 2000 रुपए आते हैं।
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शिमलाः शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल में एक चुनाव सभा के चलते बेहद भावुक हो गए। ना केवल उनका गला भर आया, बल्कि कई बार आंसू भी पोछते दिखाई दिए। किसी प्रकार उन्होंने अपनी बात पूरी की। अनुराग ठाकुर अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सुजानपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस के चलते उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत तथा पिता प्रेम कुमार धूमल की हार के पश्चात् पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के रुख का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे वह बिना नाराज हुए एक आम कार्यकर्ता की भांति काम करते रहे। अनुराग ठाकुर सुजानपुर के ऐतिहासिक मैदान में पार्टी उम्मीदवारों के नामांकन से पहले आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस के चलते वह यहां के कार्यकर्ताओं से अपने और पिता के रिश्तों को याद करते हुए बहुत भावुक हो गए। अनुराग ठाकुर ने कहा, "चुनाव मेरा था आप लोग दिन रात नहीं सोते थे। रात के एक बजे मैं निकलूं तो पता चलता था कार्यकर्ता इस गांव में उस गांव में हैं। किसी ने यह नहीं सोचा कि अनुराग का चुनाव है। आपने अपना चुनाव समझा था। जो सीट हम हारे थे उस पर आपने मुझे सबसे बड़ी लीड दी, मैं सारी उम्र आपका अहसान नहीं भूलूंगा। आपने किया तब जाकर मेरी देश में पहचान बनी, नहीं तो क्या पहचान है मेरी देश में। " अनुराग ठाकुर ने कहा कि 140 करोड़ की आबादी में 5 लाख का जिला है हमीरपुर। मगर कार्यकर्ताओं और पार्टी के कारण उनकी पहचान बनी। वह युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तथा चार-चार बार सांसद बने। आज वह विभाग मिला जो कभी सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, लाल कृष्ण आडवाणी के पास था। केंद्रीय मंत्री ने पिता को मिली हार का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "जब आप पांचों सीटे जिताकर झोली में डालते हो, अपनी ताकत दिखाते हो। अपनी ताकत बनाकर रखनी होगी। हमने क्या खोया, हमने दिखा 5 वर्षों में। वह भरपाई हम नहीं कर सकते। " वह 2017 में इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा था। अनुराग ठाकुर ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि एक बार फिर हमीरपुर की पांचों सीटें बीजेपी की झोली में डालें। कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के बीच भावुक अनुराग ठाकुर ने कहा, "मैं आप लोगों की भावना को बहुत अच्छी प्रकार समझता हूं। जिस नेता के साथ आप लोगों ने युवा मोर्चा से लेकर राज्य की टीम तक काम किया है, वह भावना बहुत अलग है। वह एक परिवार की भावना है। यह बहुत कम जगह पर आपको देखने को मिलेगा। हम तो अपने आपको सौभाग्यशाली समझते हैं कि ऐसे जिले में हमारा जन्म हुआ, ऐसी लोकसभा सीट से लड़ने का अवसर प्राप्त हुआ, जहां आप जैसे कार्यकर्ता हैं, एक बार नहीं चार बार आपने मुझे सांसद बनाया। धूमल जी को सीएम आपने बनाया। 2017 के पश्चात् जब परिणाम आया तो क्या धूमल जी रूठकर अपने घर बैठे थे? "
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नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरनेम मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने के बाद अपना आधिकारिक बंगला खाली करने का आदेश दिए जाने के बाद शुक्रवार को अपने 12, तुगलक लेन स्थित आवास से अपना सामान स्थानांतरित करना शुरू कर दिया। समाचार एजेंसी एएनआई ने दो ट्रकों के राहुल गांधी के आवास में घुसने और फिर उनके सामान को उनकी मां के 10, जनपथ स्थित आवास पर ले जाने का एक वीडियो फुटेज साझा किया। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी बहुत जल्द उन्हें दिए गए आधिकारिक बंगले को पूरी तरह से खाली कर सकते हैं। राहुल गांधी ने कई घरों को देखा है और आखिरकार कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रहने का विकल्प चुन सकते हैं। पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 22 अप्रैल मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दो साल की सजा और सजा के बाद सांसद लोकसभा मंत्रालय ने राहुल गांधी को परिसर खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। गुजरात के सूरत की एक स्थानीय अदालत ने राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कथित रूप से अपमानजनक भाषण देने के लिए दो साल की सजा सुनाई है, जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि 'सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे होता है'। कुछ साल पहले, प्रियंका गांधी वाड्रा को उनकी सुरक्षा द्वारा एसपीजी कवर हटा दिए जाने के बाद लोधी एस्टेट बंगला खाली करने के लिए कहा गया था।
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- सोनभद्र में जमीन के विवाद में मारे गए आदिवासियों की घटना पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इस घटना से यह साबित हो चुका है कि कानून व्यवस्था के मोर्चे पर यूपी सरकार पूरी तरह फेल साबित हो चुकी है। उन्होंने नरसंहार के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार जनता की सुरक्षा में अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र नहीं जाने दे रही है फिर भी उचित समय पर वहां जाकर पीड़ितों की यथासंभव मदद कराने का बीएसपी विधानमण्डल दल को निर्देश दिया गया है। वहीं, प्रियंका गांधी के सोनभद्र जाने पर मायावती ने कहा कि देश में आये दिन आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचार के लिए केन्द्र में रही कांग्रेस व अब भाजपा सरकार बराबर की जिम्मेदार हैं। जो भी पार्टी सत्ता से बाहर रहती है वह इनका शोषण होने पर घड़ियाली आंसू बहाती है। यूपी के सोनभद्र में आदिवासी समाज का उत्पीड़न व शोषण, उनकी जमीन से बेदखली व अब नरसंहार स्टेट बीजेपी सरकार की कानून-व्यवस्था के मामले में फेल होने का पक्का प्रमाण। यूपी ही नहीं देश की जनता भी इन सबसे अति-चिन्तित जबकि बीएसपी की सरकार में एसटी तबके के हितों का भी खास ख्याल रखा गया।
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भाजपा में शामिल वरिष्ठ राजनेता लगातार इस तथ्य का जिक्र करते हैं कि एनआरसी के नवीनीकरण के कार्य की निगरानी शीर्ष न्यायालय द्वारा की जा रही है। जहाँ राजनीतिक दल असम के एनआरसी अद्यतन के मुद्दे से लाभ उठाने की अपनी रणनीतियों पर सावधानीपूर्वक काम कर रहे हैं, वहीं एक संस्था जिसे लाखों नागरिकों-निवासियों को असुरक्षित बनाने का बहुत बड़ा दोष झेलना होगा, वह है सर्वोच्च न्यायालय। यह सुनिश्चित करने के लिए कि, "संपूर्ण अद्यतन एनआरसी दिसंबर 2016 के अंत तक प्रकाशित हो जाए" सुप्रीम कोर्ट ने ही एक रोडमैप बनाया था। इसमें ढाई सालों की देरी की राजनीतिक दलो द्वारा स्वागत किया जा रहा है और वह मन ही मन ख़ुश हो रहे हैं। नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के दिसम्बर 2014 के फैसले की प्रथम पंक्ति इस मामले को लेकर कोर्ट को रुख को दर्शा रही थी। हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. धारा 6ए, जो कि 1985 के असम समझौते के परिणामस्वरूप बनाई गई थी, "असम समझौते के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों की नागरिकता" के संबंध में कानून में विशेष प्रावधान से संबंधित है। अदालत ने आदेश दिया कि नागरिकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री (एनआरसी) को समय-समय पर अपडेट किया जाना चाहिए। ऐसा करने में, इसने मामले को सरकार के हाथों से छीन लिया, और इस प्रकार शासनात्मक क्षेत्र में खुद घुस पड़ने के आरोप में खुद को शामिल कर लिया, शायद यह ना महसूस करते हुए की यह उनके लिए कितना नुक़सानदेह होगा। यदि कुछ भी गलत होता है, तो उंगलियां सर्वोच्च न्यायालय के उपर उठेंगी, और इसके लिए पहले से ही भूमिका तैयार की जा चुकी है। भाजपा सहित कई वरिष्ठ नेताओं द्वारा की गई विभिन्न सार्वजनिक घोषणाओं को देखें, जो वह इस तथ्य का जिक्र करते हैं कि एनआरसी अपडेट की पूरी प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीयों के बनाम बाहरी लोगों की विवादित बहस में भी छेड़छाड़ की, जो इस बात पर दशकों से चिंता ग्रस्त होकर उग्र हो रहे हैं कि "आजादी के 67 साल बाद भी पूर्वी सीमा (इंडो-बांग्लादेश) छिद्रपूर्ण क्यों छोड़ी गई है"। जस्टिस रोहिंटन नरीमन की बेंच द्वारा लिखित उनके फैसले में, जिसमें न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी शामिल हैं, जो आकस्मिक रूप से असम से हैं, ने कहा कि इस मामले को कानून के महत्वपूर्ण प्रश्नों को सुलझाने के लिए उपयुक्त बेंच के समक्ष रखा जाना चाहिए। इस मुद्दे से निपटने के लिए केंद्र और असम सरकारें दोनों "उठाए जाने हेतु आवश्यक कदमों के संबंध में व्यापक समझौते में" थीं। अन्य चीजों के अलावा, "अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मौजूदा कार्यप्रणाली पर विचार करते हुए" खंडपीठ ने भारत को "निर्वासन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ आवश्यक चर्चाओं में शामिल होने" का निर्देश दिया। इसने सरकार से सुनवाई की अगली तारीख़ पर अदालत को "कथित काम के परिणाम" के बारे में सूचित करने के लिए कहा। इसके इरादे को स्पष्ट करते हुए, खंडपीठ ने आगे कहा कि इसके द्वारा "उपरोक्त आदेशों के क्रियान्वयन की जाँच" तीन महीने बाद की जाएगी। इतना ही नहीं इसने आगे यह भी आदेश दिया, "इस समय यह बहुत आवश्यक है, और यदि ज़रूरत पड़ी तो अदालत द्वारा एक कमेटी का भी गठन किया जा सकता है।
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उत्तराखंड में छात्रा को जिंदा जलाने की घटना से हर कोई हैरान है। कफोलस्यूं पट्टी के एक गांव की छात्रा को जिंदा जलाने के प्रयास की घटना को लेकर छात्र संगठनों व छात्राओं में उबाल है। आइसा व डीएसओ छात्र संगठन ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। युवती को जिंदा जलाने के प्रयास करने के आरोपी मनोज सिंह उर्फ बंटी ने अब खुद के लिए मौत मांगी है। आरोपी ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि उसका युवती से कक्षा नौ से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती के संपर्क तोड़ने से वह आक्रोशित हो गया। आग लगाए जाने की घटना को स्वीकार करते हुए आरोपी ने कहा कि वह भी खुदकुशी की तैयारी कर रहा था, लेकिन इससे पहले पुलिस ने उसे पकड़ लिया। राजस्व और रेगुलर पुलिस की टीम के आरोपी को जिला चिकित्सालय पौड़ी लाने पर छात्र-छात्राओं ने जिला चिकित्सालय के आकस्मिक विभाग को घेर लिया। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने आरोपी को पीछे के दरवाजे से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। ऋषिकेश एम्स में भर्ती पीड़ित युवती के इलाज का पूरा खर्च जिला प्रशासन उठाएगा। एडीएम रामजी शरण शर्मा ने यह जानकारी दी। वही इस घटना को लेकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कहना है कि युवती को जिंदा जलाने के प्रयास की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। दुःख की इस घड़ी में सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। पीड़ित युवती और उसके परिवार की मदद के लिए प्रवासी ग्रामीण एकजुट हो गए हैं। पट्टी के प्रवासी ग्रामीण रविंद्र नेगी व प्रदीप नौडियाल ने बताया कि युवती व परिवार की हरसंभव मदद के लिए एकजुट हो गए हैं।
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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर ने भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल को खरी-खोटी सुनाई है और कहा है कि भारतीय क्रिकेट टीम का कबाड़ा करने के लिए चैपल ही ज़िम्मेदार हैं. सुनील गावस्कर ने इस पर भी सवाल उठाया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) क्यों चैपल को नेशनल क्रिकेट एकेडमी के सलाहकार पद की पेशकश कर रहा है. अपने साप्ताहिक कॉलम में सुनील गावस्कर ने लिखा है, "किसी को हटाना आसान नहीं होता भले ही वो कितना भी निकम्मा और अयोग्य हो लेकिन उसे कोई दूसरा पद देना और वो भी ऐसा पद जो भारतीय क्रिकेट के भविष्य से जुड़ा हो. इससे मैं यह सोचने लगा हूँ कि क्या हम कभी अपने को छोटा मानने की प्रवृत्ति से बाहर निकल पाएँगे या नहीं. " वेस्टइंडीज़ में चल रहे विश्व कप में भारत पहले ही दौर में बाहर हो गया था. उसे बांग्लादेश और श्रीलंका ने हरा दिया था और इस कारण ख़िताब की दावेदार मानी जा रही टीम सुपर-8 में भी नहीं पहुँच पाई. इसके बाद कोच ग्रेग चैपल ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. गावस्कर ने टीम की ख़राब हालत के लिए चैपल पर अपना ग़ुस्सा निकाला. गावस्कर ने कहा कि जब ग्रेग चैपल ने भारतीय टीम के कोच का पद संभाला था, उस समय भारतीय क्रिकेट टीम बड़ा क़दम आगे बढ़ाने को तैयार थी. उन्होंने कहा, "उस समय भारतीय टीम को लेकर हर ओर उम्मीद की किरण थी. लोगों को यह भरोसा था कि भारतीय टीम विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार होगी. " गावस्कर अपने कॉलम में लिखते हैं कि आज जो स्थिति है उसमें क्या हुआ- सब जानते हैं. उन्होंने कहा, "आज भारतीय क्रिकेट निचले स्तर पर पहुँच गया है. विश्व कप के पहले ही दौर से टीम बाहर हो गई और टीम ऐसी विभाजित है जैसा पहले कभी नहीं रही. " अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की रैंकिंग में भारतीय टीम वनडे में छठे और टेस्ट रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं. गावसकर ने चैपल के कार्यकाल के दौरान युवा खिलाड़ियों की दुर्गति की भी बात कही. उन्होंने कहा कि कुछ युवा खिलाड़ी, जिन्हें आईसीसी ने भी सम्मानित किया था. आज वो अपनी राह भूल गए हैं. गावस्कर ने चैपल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस खिलाड़ी को क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में एक माना जाता है, उसके अधीन भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाज़ी ने अपनी चमक खो दी. गावस्कर ने चैपल को नेशनल क्रिकेट एकेडमी के सलाहकार पद की पेशकश के बारे में कहा, "जिसने प्रेस इंटरव्यू में यहाँ तक कह दिया कि बीसीसीआई ज़िम्बाब्वे की तरह काम करती है, माना जा रहा है कि वही बीसीसीआई उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी के सलाहकार का पद सौंपने की पेशकश कर रही है. " गावस्कर ने ऐसी ख़बरों पर चुटकी ली कि ग्रेग चैपल को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट एकेडमी का प्रमुख कोच बनाने की तैयारी चल रही है. गावस्कर ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह विश्व क्रिकेट के लिए बहुत अच्छी बात होगी और देर-सबेर आयरलैंड जैसी टीम को भी ऑस्ट्रेलिया को हराने का मौक़ा मिल सकता है.
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पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने 29 अक्टूबर की रात अफगानिस्तान को हराकर न सिर्फ जीत की हैट्रिक लगाई, बल्कि टीम इंडिया को भी पीछे छोड़ दिया। वहीं, उसके कप्तान बाबर आजम ने केन विलियमसन और एरोन फिंच को पीछे छोड़ते हुए विराट कोहली की बराबरी की है। पाकिस्तान ने इस जीत के साथ अफगानिस्तान का संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में टी20 इंटरनेशनल में पिछले 17 मैचों से चला आ रहा विजय अभियान भी रोक दिया। अफगानिस्तान को यूएई में लगातार 17 जीत हासिल करने के बाद यह हार झेलनी पड़ी है। वहीं, पाकिस्तान ने यूएई में लगातार 14वीं जीत हासिल की। अफगानिस्तान के राशिद खान टी20 इंटरनेशनल में सबसे जल्दी 100 विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। उन्होंने अपने 53वें मुकाबले में यह उपलब्धि हासिल की। खास यह है कि वनडे में भी सबसे मैच में 100 विकेट लेने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। राशिद ने 44वें वनडे में अपने 100 विकेट पूरे किए थे। टी20 इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में वह टिम साउदी के साथ संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर हैं। उनसे पहले शाकिब अल-हसन (117) और लसिथ मलिंगा (107) हैं। राशिद और साउदी के 100-100 विकेट हैं। अफगानिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान की जीत टी20 वर्ल्ड कप में उसकी 22वीं विजय है। इस जीत के साथ उसने भारतीय टीम को पीछे छोड़ दिया। भारत ने टी20 वर्ल्ड कप में अब तक 21 मैच जीते हैं। इस मामले में श्रीलंकाई टीम शीर्ष पर है। उसके नाम 27 जीत दर्ज हैं। बाबर आजम ने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में अर्धशतकीय पारी खेली। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली की बराबरी की। वह टी20 इंटरनेशनल में बतौर कप्तान विराट कोहली के साथ संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा 50+ पारियां खेलने वाले बल्लेबाज बने। विराट कोहली और बाबर ने टी20 इंटरनेशनल में अब तक बतौर कप्तान 13-13 बार 50+ पारियां खेली हैं। हालांकि, बाबर एक मामले में विराट से आगे निकल गए। उन्होंने 26 पारियों में यह मुकाम हासिल किया, जबकि विराट को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए 44 पारियां खेलनी पड़ी थीं। हालांकि, टी20 इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा 50+ पारियां खेलने का रिकॉर्ड अब भी विराट कोहली के नाम है। कोहली ने अब तक 29 बार 50+ पारियां खेली हैं। रोहित शर्मा ने 26, बाबर आजम ने 23, डेविड वार्नर और पॉल स्टर्लिंग ने 20-20 50+ पारियां खेली हैं। बाबर आजम पुरुषों के टी20 इंटरनेशनल मुकाबलों में कप्तान के रूप में 1000 रन बनाने वाले नौवें क्रिकेटर बन गए हैं। वह सिर्फ 26 पारियों में इस मुकाम तक पहुंचने वाले सबसे तेज खिलाड़ी हैं। पहले विराट कोहली सबसे तेज थे। उन्होंने 30 पारियों में यह मुकाम हासिल किया था। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई कैप्टन एरोन फिंच (51 पारियां) और न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन (50 पारियां) संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर हैं। दोनों ने बतौर कप्तान 11-11 बार 50+ पारियां पारियां खेली हैं। इंग्लैंड के कप्तान इयोन मॉर्गन ने बतौर कप्तान अब तक 9 बार 50+ पारियां पारियां खेली हैं। वह 60 पारियों में यहां तक पहुंचे हैं।
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Himachal Pradesh 17 August 2023 School Holiday । 17 August 2023 School Holiday, Mandi Dm Order: हिमांचल प्रदेश के कई जिलों में बारिश और भूस्खलन के कारण लोगो का जीवन अस्त- व्यस्त हो गया है. जहां देश में 15 अगस्त धूमधाम से मनाया गया वही हिमांचल प्रदेश के मंडी जिले के सभी शिक्षण संस्थान 16 और 17 अगस्त को बंद करने का ऐलान जिला दंडाधिकारी एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने आदेश जारी कर दिया है. जिला दंडाधिकारी एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने जारी आदेश में कहा की जिले के कई मार्ग बारिश और भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो गए है. सड़कों को देखते हुए यह निर्णय DM द्वारा लिया गया है. जारी आदेश का तुरंत पालन करने को लेकर DM ने आदेश में लिखा की 16 और 17 अगस्त को सभी निजी और सरकारी शिक्षण संस्थानों, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों और आंगनवाड़ी केंद्रों में छुट्टी रहेगी. जारी आदेश में जिला दंडाधिकारी एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने कहा की जिले की 403 से ज्यादा सड़के ब्लॉक् कर दी गई है. ये फैसला DM द्वारा तब लिया जा रहा है जब 14 अगस्त को भी भारी बारिश के कारण कई मार्ग की सड़के टूट गई. आदेश में DM ने बताया की जिले की 2 नेशनल हाइवे समेत 403 रोड अवरुद्ध हो गए हैं. सड़क में बीच बीच में भूस्खलन हो रहा है. ऐसे में विद्यार्थियों और स्टाफ का शिक्षण संस्थानों में जाना दर्दनाक है. ऐसे में DM द्वारा 16 और 17 अगस्त को जिले के सभी स्कूलों में अवकाश रखा गया है. जारी आदेश में कहा गया है की किसी भी तरह की कोई मुसीबत में आपदा प्रबंधन केंद्र मंडी के मोबाइल नम्बर 8544771889 और 9459455714 पर संपर्क करें.
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कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। भारत, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस समेत कई देशों में वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज में चल रही है। इस बीच रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा किया है। रूस के सेचेनोव यूनिवर्सिटी का दावा है कि दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन के सभी चरणों के ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं और इंसानों पर भी इसका ट्रायल सफल रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो इस वैक्सीन को बाजार में सितंबर तक उपलब्ध करा दिया जाएगा। आइए जानते हैं रूस के इन दावों के बारे मेंः - रूस का दावा है कि कोरोना की वैक्सीन तैयार करने वह सबसे आगे निकल रही है। इस वैक्सीन का नाम Gam-COVID-Vac Lyo रखा गया है। रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा है। वैक्सीन के बारे में दावा किया जा रहा है कि इसे इंसानों को एक बार लगाने पर लंबे समय तक इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगी। - सेचनोव यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिसीज के निदेशक एलेक्जेंडर लुकाशेव का कहना है, हमारा लक्ष्य इंसानों को कोरोना वायरस से सुरक्षा देने के लिए सफलतापूर्वक कोरोना की वैक्सीन तैयार करना था। उनके मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से वैक्सीन की सारी जांच की जा चुकी है। यदि सारी जरूरी अनुमतियां मिल जाती है तो यह वैक्सीन सितंबर तक बाजार में उपलब्ध होगी। - वैक्सीन तैयार करने वालों में शामिल एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने रूस के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक अखबार क्रासन्या जवेजदा से कहा है कि पहले और दूसरे चरण का वैक्सीन ट्रायल पूरा हो गया है। यह कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाएगी और उसे लंबे समय तक बरकरार रखेगी। गिंट्सबर्ग का दावा है कि वैक्सीन अगले दो साल तक इंसानों को कोरोना से बचाएगी। - सेचनोव यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वदिम तरासोव के मुताबिक, इस वैक्सीन को गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने तैयार किया है। अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, पहले चरण में 18 स्वयंसेवक शामिल हुए थे। वहीं, दूसरे चरण में 20 स्वयंसेवकों को वैक्सीन दी गई थी।
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शादी के बाद हर लड़की का जीवन बदल जाता है। अधिकतर लड़कियां शादी को लेकर कई तरह के सपने सजाती हैं। लड़कियां खुशहाल शादीशुदा जीवन की चाह रखती हैं। वह चाहती हैं कि जब उनकी शादी हो तो पति का प्रेम और सम्मान मिले। ससुराल में बेटी जितना प्यार मिले। लेकिन उनकी ही कुछ जाने अंजाने में की गई गलतियां गृहस्थ जीवन में अड़चन ला सकती हैं। अक्सर देखा जाता है कि शादी के बाद पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो जाते हैं। ससुराल वालों के साथ नवविवाहिता सामंजस्य नहीं पाती। कभी कभी तो दिक्कतें इतनी बढ़ जाती हैं कि पति- पत्नी को अलग तक हो जाना पड़ता है। तलाक की नौबत आ जाती है। ऐसे में हर लड़की को शादी होने के बाद कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। हो सकता है कि शुरुआत में आपको आभास भी न हो कि ये शादीशुदा जीवन के लिए गलती है लेकिन बाद में पछताना पड़े। इसलिए शादीशुदा महिलाओं के लिए सलाह है कि ये पांच गलतियां भूल से भी न करें। एक आदर्श पत्नी वो होती है, जिसमें मितव्ययिता का गुण होता है। पति कितना भी अमीर क्यों न हो, पत्नी को उसकी कमाई को खर्च करते समय बजट और परिवार की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। पैसों को बिना सोचे समझें इस्तेमाल करना, या नादानी में खर्च करना आपके खुशहाल जीवन में ग्रहण लगा सकती है। पति से बार बार कीमती चीजों की मांग करना भी गलत बात है। अक्सर महिलाएं अपनी नौकरी, दोस्तों या मायके वालों पर अधिक ध्यान देती हैं। ऐसे में वह पति और ससुराल वालों को भूल जाती हैं। कभी कभी ऐसा करना बुरा नहीं पर हमेशा अपने पति व परिवार को छोड़कर दूसरी बातों व लोगों को अपनी प्राथमिकता बनाना, आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। हर पति अपनी पत्नी से प्यार चाहता है। ये केवल पति के लिए ही नहीं, बल्कि सास ससुर आदि के लिए भी लागू होता है। लेकिन अगर आप प्यार जताना या सम्मान करना नहीं जानती तो आपका पार्टनर भी इस रिश्ते में दूरी बनाने लगेगा। हर समय नकारात्मक बाते करना, ससुरालीजनों की बुराई या शिकायत करना, हताश रहना भी शादीशुदा जीवन की गलती है। पति के सामने अगर हमेशा आप इस तरह से बर्ताव करती हैं तो वह आपसे चिढ़ने लग सकते हैं।
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बिहारः चुनावी दंगल में दलबदलू 'पहलवान' भारतीय राजनीति में नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आना-जाना कोई नई बात नहीं है. कई बार ऐसा हुआ जब कोई नेता अपनी धुर विरोधी पार्टी में चला गया और फिर वहीं रम गया. बिहार में भी ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है. पार्टियां बदलने वाले नेता तो कई हैं लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, पूर्व सांसद लवली आनंद, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और मंत्री रमई राम ऐसे नेता हैं जो कई बार पार्टियां बदल चुके हैं. वर्ष 1977 में पहली बार विधायक बने पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि 11 बार दल बदल चुके हैं. शोषित समाज दल, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस कोई भी दल नागमणि से अछूता नहीं रहा. लालू, नीतीश या रामविलास पासवान, किसी के साथ नागमणि ज़्यादा दिन साथ नहीं चल सके. समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद के पुत्र नागमणि अपने पिता की हत्या के लिए कांग्रेस को ही ज़िम्मेदार बताते हैं. इसके बावजूद वर्ष 2010 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा. नागमणि 10 प्रतिशत कुशवाहा वोट का दावा करते हैं. वर्ष 2014 में उन्होंने अपनी समरस समाज पार्टी बनाई और उसके अध्यक्ष हैं. बार-बार दल बदलने के सवाल पर नागमणि कहते हैं, "आज के नेता तानाशाह हो गए हैं इसलिए मैंने अपनी पार्टी बना ली है. " पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद की राजनीति पति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. माना जाता है कि किसी नई पार्टी में जाना या उसे छोड़ देने का कारण भी उनके पति ही रहे हैं. लवली वर्ष 1994 में अपने पति की बिहार पीपुल्स पार्टी की टिकट पर पहली बार वैशाली से सांसद बनीं. इसके बाद वे लोक जनशक्ति पार्टी, समता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में आईं. फिलहाल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में हैं. लवली कहती हैं कि, "हम पार्टी नहीं छोड़ते, पार्टी हमें छोड़ती हैं. " जीतन राम मांझी वर्ष 1980 में डाक-तार विभाग की नौकरी छोड़ सक्रिय राजनीति में आए और पहली बार कांग्रेस से विधायक बने. वर्ष 1995 में वो राष्ट्रीय जनता दल और वर्ष 2005 में जनता दल यूनाइटेड में चले गए. मांझी हमेशा सत्तारूढ़ दल के साथ रहे और नौ महीने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे. अपमान को कारण बताते हुए उन्होंने पद से इस्तीफा दिया और बाद में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा बनाया. मांझी कहते हैं, "आज लोग राजनीति का इस्तेमाल शासन में बने रहने के लिए कर रहे हैं. सेवाभाव नहीं है और साल 2010 के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का व्यवहार भी लालू प्रसाद जैसा हो गया है. " बिहार सरकार में मंत्री रमई राम, हेल्थ इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़कर वर्ष 1969 में सक्रिय राजनीति में आए. लगातार 10वीं बार बोचहा विधान सभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. रमई राम का चुनावी क्षेत्र तो एक रहा, लेकिन उन्होंने पार्टियां कई बदली हैं. जनता पार्टी, लोक दल, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड उनके राजनीतिक पड़ाव रहे हैं. रमई राम कहते हैं, "मैंने दल नहीं बदला है. समाजवादी था और आज भी उसी ग्रुप में हूँ. " (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. )
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PATNA : पटना नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज से शुरू हो गई है. निगम के साडे 6000 चतुर्थवर्गीय कर्मी आज से हड़ताल पर चले गए हैं. फिर से हड़ताल से राजधानी पटना में सफाई व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका है. पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ ने दैनिक कर्मियों की सेवा नियमित करने समान काम के लिए समान वेतन और 18000 रुपये मासिक मजदूरी का आदेश जारी करने जैसी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मी इसके पहले भी या मांग करते रहे हैं. जब पिछली बार इन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला किया था. तो निगम के पदाधिकारियों ने मान मनौवल कर उन्हें मना लिया था. यह भरोसा दिया गया था कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद एक बार फिर निगम कर्मियों ने अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है. पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पीके आजाद भारतीय और महासचिव नंद किशोर दास के मुताबिक के एजेंसी कर्मियों के साथ मनमाना बर्ताव किया जा रहा है. सेवा की कोई गारंटी नहीं है. एजेंसी मनमाने तरीके से कर्मियों को रखती और हटाती है. साथ ही साथ बोनस देने की घोषणा के बावजूद अब तक राशि नहीं दी गई. संघ ने दावा किया है कि सभी अंचल और जलापूर्ति शाखा के कर्मचारी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे.
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अज आपका दिन कैसे गुजरेगा इसकी जानकारी के लिए आप जानिए पूरी राशियों के बारे में. अज आपका दिन कैसे गुजरेगा इसकी जानकारी के लिए आप जानिए पूरी राशियों के बारे में. मेष राशिः आज बुरी आदतों के कारण परेशानी होगी। व्यर्थ क्रोध से कामकाज में नुकसान। मान-सम्मान को ठेस लग सकती है। खर्च की अधिकता रह सकती है। वृष राशिः आज व्यापार-व्यवसाय में साझेदारी से लाभ। सम्पत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं। व्यापारिक स्थिति आपके पक्ष में रहेगी। आय के साधन बढ़ेंगे। स्वयं को मजबूत बनाएंगे। मिथुन राशिः आज आलस्य दूर होगा। लाभ की स्थितियां बनेगी। समाज में पद प्रतिष्ठा बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में लोग आपका लोहा मानेंगे। व्यापारिक यात्रा सफल होगी। मन प्रसन्न रहेगा। कर्क राशिः आज घनिष्ठ मित्रों से सहयोग मिलेगा। कामकाज में आसानी रहेगी। मान-सम्मान बढ़ने से हर्ष। सुखपूर्वक समय बीतेगा। सामाजिक कार्यों में व्यस्तता रहेगी। सिंह राशिः आज रिश्तेदारों की आवाजाही से घर में रौनक रहेगी। किसी नए रिश्तों से जुड़ सकते हैं। मित्रता आपको लाभ के अवसर देगी। कार्य कुशलता बढ़ने से लाभ मिलेगा। कन्या राशिः आज रिश्तेदारों की आवाजाही से घर में रौनक रहेगी। किसी नए रिश्तों से जुड़ सकते हैं। मित्रता आपको लाभ के अवसर देगी। कार्य कुशलता बढ़ने से लाभ मिलेगा। तुला राशिः आज वरिष्ठजनों को पूर्ण सहयोग मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपका दबदबा बना रहेगा। विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम रहेगा। धैर्य पूर्वक कार्य करने से लाभ। मन प्रसन्न रहेगा। वृश्चिक राशिः आज सकारात्मक दृष्टिकोण लाभकारी रहेगा। कार्यों में आए व्यवधान दूर होंगे। योजनाएं गुप्त रखने में सफल होंगे। मन में प्रसन्नता के साथ आलस्य दूर होगा। धनु राशिः आज मनमुटाव बढ़ने से तनाव में रह सकते हैं। स्वास्थ्य को लेकर परेशान होंगे। अनुचित कार्यों में लिप्त ना रहें। व्यापार में घाटे का सौदा। वाणी में मधुरता रखें। मकर राशिः आज अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल। आर्थिक मामलों की पहल लाभकारी। जीवन में सुकून व सार्थकता आएगी। सुख-शांति रहने से परिवार में हर्ष। शौक पूरे करेंगे। कुंभ राशिः आज बड़े बुजुर्गों से सलाह लेकर निवेश लाभदायक। पिकनिक पर जा सकते हैं। प्रेम संबंधों में सकारात्मक परिणाम। घर परिवार में शुभ प्रसंग की चर्चा। यात्रा शुभ। मीन राशि : आजआप किसी बड़े समारोह की शान बनेंगे। रुका पैसा प्राप्त होगा। आर्थिक पक्ष में सुधार होगा। व्यापार-व्यवसाय में आए व्यवधान दूर होंगे। अतिरिक्त आय से प्रसन्नाता।
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भारतवर्ष भेजा । उसे बहुत कष्ट उठाना पड़ा । खाने-पीने की भी बड़ी असुविधा रही । जो सरकार के दिल में आता वही खाने को मिलता । सब को डेक में हो भेजा जाता। फिर इस तरह देशपार होने वाले की ज़मीन-जायदाद होती उसका अपना एक पेशा भी होता; उसके प्रति भी होते थे। कितने ही लोगों के सिर पर तो कर्ज़ था । इतने सब का त्याग करने की क्षमता और शक्ति होने पर भी अनेक लोग यह सब गवाकर बरबाद होने के लिए तैयार नहीं होते थे । तथापि बहुत से भारतीय तो पूरी तरह मज़बूत रहे । कई फिसल गये । ऐसे लोगों ने अब जान बूझ कर कैद होना छोड़ दिया। उनमें से अधिकांश ने इतनी कमजोरी तो नहीं दिखाई कि जले जलाये परवानों के बदले फिर से नये परवाने ले लें । पर कुछेक ने डर कर यह भी कर डाला । पर फिर भी जो दृढ़ थे उनकी संख्या ऐसी तुच्छ भी नहीं थी। उनकी बहादुरी असीम थी। मेरा खयाल है, कि उनमें कितने ही तो ऐसे थे, जो हँसते हँसते फाँसी पर भी लटक सकते थे । मालजायदाद की तो उन्हें परवाह क्या थी ? पर जिन्हें भारतवर्ष भेजा गया था, उनमें से अधिकांश तो ग़रीब और भी भी थे । केवल दूसरों के विश्वास पर ही वे लड़ाई में सम्मिलित हुए थे । उन पर इस तरह जुल्म होता देख कर बरदाश्त करते रहना कठिन था । पर उस समय यही समझ में नहीं आता था, कि उनकी सहायता किस तरह करें । पैसा तो उतना ही-थोड़ा सा था । और इस तरह की लड़ाई में रुपये-पैसे की सहायता देने लगे तो निश्चय ही हार होती है। क्योंकि उसमें लालची लोग फौरन शामिल हो जाते हैं । इसलिए धन का लालच दे कर तो एक भी आदमी नही रक्खा
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एक तरफ एम पी कैडर के आई ए एस नियाज़ खान जैसे कुछ प्रबुद्ध अधिकारी ब्राह्मण के आई क्यू की प्रशंसा कर रहे है । ब्रह्मण की सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की सराहना कर रहे हैं,वही देश में बहुत बड़ा वर्ग ब्राह्मण के गुणों को नजरंदाज करते हुए नकारतमक प्रचार प्रसार कर रहा है। समाज में हमेशा अच्छी बातें ही प्रसारित होनी चाहिए। भारत में जाति संबंधी हिंसा विभिन्न रूपों में होती है । ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार , "भेदभाव पूर्ण और क्रूर, अमानवीय और भारत में 165 मिलियन से अधिक लोगों के अपमानजनक व्यवहार को जाति के आधार पर उचित ठहराया गया है। जाति प्रकृति पर आधारित है और वंशानुगत है। यह एक विशेषता निर्धारित है। किसी विशेष जाति में जन्म के बावजूद, व्यक्ति द्वारा विश्वास किए जाने के बावजूद। जाति, वंश और व्यवसाय द्वारा परिभाषित रैंक वाले समूहों में कठोर सामाजिक स्तरीकरण की एक पारंपरिक प्रणाली को दर्शाती है। भारत में जाति विभाजन आवास, विवाह, रोजगार और सामान्य सामाजिक क्षेत्रों में हावी है। बातचीत-विभाजन, जो सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक बहिष्कार और शारीरिक हिंसा के अभ्यास और खतरे के माध्यम से प्रबलित होते हैं। आरक्षण की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था से योग्य होने के बावजूद ब्राह्मण युवा सरकारी नौकरियों में पिछड़ रहे हैं। उनके आगे बढ़ने के अवसर कम हो रहे हैं क्योंकि उनकी बात उठाने वाला कोई नहीं है। किसी एक के बूते नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को समाज के सम्मान और उत्थान के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा तभी ब्राह्मण समाज का गौरव भविष्य में बरकरार रहेगा। मंसूबे पूरे किए। इन चारों में चुनी हुई दिखावटी सरकारें बनी पर चलती थी इन सब के सत्तासीनों के मन के मुताबिक जनमत दिखाया जाता। चुनाव भी होते पर सब काम आकाओं के मन मर्जी के मुताबिक चलता था। संविधान कानून और संधि समझौते में देश का व्यापक हित ना देखकर मालिकों के हित साधे गए। विदेशी संविधान का नकल कर अपने अपने देश में कानून बने । उसे अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार बदलते जाते रहे। चूंकि नई नई आजादी मिली थी इसलिए विरोध के स्वर भी दबा दिए जाते रहे। संविधान सभा द्वारा बनाया गया नकल वाले संविधान को एक खास व्यक्तिके नाम पट्टा कर दिया गया। बदलती रही। धर्म के आधार पर देश को तोड़ने और अपने हिस्से में लेने वालो ने मुस्लिम बहुल तीन भाग मुस्लिमों को मुकम्मल दे दिया और हिन्दू बहुल भारत को खिचड़ी बना कर सबको लूटने के लिए छोड़ दिया। सनातन धर्म और परम्परा पर प्रहार किया जाता रहा। वैदिक आर्य धर्म पर हर तरह से प्रहार होता रहा। वेद उपनिषद पुराण और धर्म की खिल्ली उड़ाई जाती रही। कांग्रेस कम्नयुस्त और विदेशी दबाव ने यहां के बहुसंख्यक के हितों से खिलवाड़ करते रहे। पक्षपात होता रहा। ब्रह्मण धर्म और जाति पर सर्वाधिक प्रहार होता रहा। उन्हें अगड़ा कह कर सारी सरकारी सुविधाओं से महरूम कर दिया गया। समय समय पर उन्हें जहर और जलालत के आंच में सेंका जाता रहा। महात्मा गांधी की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे जो एक ब्राह्मण था, उस पर ब्राह्मणों द्वारा निशाना बनाया गया । कुनबी - मराठा समुदाय द्वारा बलात्कार, लिंचिंग और यौन उत्पीड़न की कई घटनाएं दर्ज की गईं। 12-13 फरवरी 1992 की मध्यरात्रि में, भारत के माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)) ने बिहार, बिहार के गया जिले के पास बारा गाँव में भूमिहार जाति के 35 सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी । MCC का सशस्त्र समूह बारा गाँव के 35 लोगों को पास की एक नहर के किनारे ले आया, उनके हाथ बाँध दिए और उनका गला काट दिया। 36 के रूप में कई लोगों पर अपराध का आरोप लगाया गया था, लेकिन केवल 13. के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। दूसरों को गिरफ्तार करें, जिन्होंने अपने सम्मन को खारिज कर दिया था। छोटन शुक्ला भूमिहार समुदाय के एक गिरोह के सरगना थे। उन्हें ओबीसी बनिया जाति से होने वाले एक सरकारी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के साथ उनके विवाद के लिए जाना जाता था । एक चुनाव अभियान से लौटने के दौरान प्रसाद की ओर से काम कर रहे पुरुषों द्वारा कथित तौर पर उनकी हत्या कर दी गई थी। प्रतिशोध में, प्रसाद को भी गोली मार दी गई थी। आनंद मोहन सिंह, जो उच्च जाति के राजपूतों के नेता थे , और उनके करीबी साथी मुन्ना शुक्ला, जो भूमिहार नेता थे और छोटन शुक्ला के भाई थे, पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें जेल में उम्रकैद की सजा दी गई। 1999 में, यादव और दुसाध के प्रभुत्व वाले माओवादी चरमपंथी केंद्र ने जहानाबाद के पास सेनारी गाँव में 34 भूमिहारों का हत्या किया था। साल 2015 में यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव की सरकार के दौरान गंगा में मूर्ति विसर्जन को लेकर संतों ने सड़क पर बड़ा आंदोलन किया था. इस आंदोलन में पुलिस ने संतों और बटुकों पर बर्बर लाठीचार्ज किया था. यूपी के वाराणसी में सात साल पुराने संतों के प्रतिकार यात्रा में हुए बवाल मामले में हाईकोर्ट से बड़ी खबर सामने आई है. जिस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती समेत सतुआ बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर संतोष दास और पातालपुरी मठ के प्रमुख बालक दास समेत कई संतों को निचली अदालत से जमानत लेनी पड़ी। 2017 में पांच ब्राह्मणों की नृशंस हत्या : 2017 में रायबरेली के अप्टा गांव में रोहित शुक्ला सहित पांच ब्राह्मणों की नृशंस हत्या से ब्राह्मण समाज के लोगों में आक्रोश है। ब्राह्मण समाज के लोगों ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन डीएम को दिया। इसमें पीड़ित परिवार के लोगों को सरकारी नौकरी देने की मांग की। ग्वालियर एमपी में, ब्राह्मण समुदाय के एक युवा छात्र को बंदूक की नोक पर लूट लिया गया और क्षेत्र में दलितों का दबदबा मानने के लिए मजबूर किया गया था। इस घटना के बाद थाने में तहरीर भी दी गई थी। आवेदक का परिवार, जो कि हिन्दू धर्म का एक ब्राह्मण परिवार है, विगत 23 वर्षों से ग्वालियर की पूजा विहार कॉलोनी, आपा गंज, लश्कर में रहता है। उनके आस पास दलित समाज के लोग रहते हैं जिनमे उमरैया परिवार बाहुबली है, जो आस पास के सवर्ण परिवारों से ज़बरन हफ्ता वसूली करता है। न देने पर SC/ST के झूठे मुकदमे में जेल भिजवाने की धमकी देता है। राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक मुस्लिम युवक द्वारा हिंदू लड़की के अपहरण का मामला सामने आया है। घटना के विरोध में सांसद किरोड़ी लाल मीणा पीड़िता के परिजनों के साथ थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। मीणा सहित परिजनों की मांग है कि अपहृत लड़की को जल्द से जल्द मुस्लिम युवक के चंगुल से जारी किया जाए। परवेज ने बंदूक की नोंक पर किया ब्राह्मण समाज की बेटी का अपहरण': पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बीजेपी सांसद ने कहा - गहलोत राज में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं (18 अक्टूबर, 2022) को मुस्लिम समाज परवेज ने बंदूक की नोक पर ब्राह्मण समाज का अपहरण कर लिया। परिजनों ने जब विरोध किया तो युवक ने लड़की की मां को झटका देकर गिरा दिया। साथ ही जान मारने की धमकी देकर लड़की की कनपटी पर बंदूक दी और उसे बाइक पर बिठाकर ले गए। बागपत में अधिवक्ता के परिवार पर मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा हमला करने और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज ब्राह्मण समाज के लोगों ने तहसील में प्रदर्शन किया है। इसके अलावा गुस्साए ब्रह्मण समाज के लोगों ने थाना पुलिस पर मिलीभगत से कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। फिलहाल ब्राह्मण समाज के लोग धरने पर बैठ गए हैं। कानपुर देहात में '13 फरवरी 2023 को मौत का बुलडोजर' चला. यहां अतिक्रमण हटाने के दौरान मां और बेटी की जलकर मौत हो गई. एसडीएम (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद मैथा तहसील क्षेत्र के मडौली गांव में सोमवार 13 फरवरी की सुबह बढ़ते अतिक्रमण हटाने के लिए गए थे. प्रमिला दीक्षित (45) और उनकी बेटी नेहा (20) ने कथित तौर पर पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में यह कदम उठाया, जो जिले के रूरा क्षेत्र के मडौली गांव में "ग्राम समाज" की भूमि से अतिक्रमण हटाने गए थे. एक पुलिस अधिकारी ने इसकी जानकारी दी. भारतीय संविधान न्यायपालिका राजनेता और प्रबुद्ध वर्ग ने इस कौम को शोषण कर्ता बताया है । उन पर आरोप लगाए जाते हैं कि इस कौम ने करोड़ो वर्षों से लोगों का खून चूसा है । अब ये जाति संवैधानिक अछूत है । ये भले कितने भी गरीब हो , पीने के लिए पानी तक न हो , लेकिन ये ब्रह्मांड के सबसे अमीर और खून चूसने वाले प्राणी माने जा रहे हैं। ये राजनैतिक अछूत हो गए हैं और ब्रह्मांड के कण कण का इन्होंने शोषण किया है । आज अगर ब्रह्मण से इतर किसी दूसरी जाति की बात होती तो अब तक पूरा देश उबल पड़ता और दलित दलित करके सूर्य को ठंडा कर चुका होता । ब्रह्मण को धिक्कार है जो लोकशाही भारतवर्ष में जन्में जहाँ इनकी औकात सबसे बदतर है । धिक्कार है इस देश के व्यवस्थकारों को जो धीरे धीरे सारी व्यवस्था को खोखला करते हुए 21वीं सदी तक पहुंच गए हैं। अब कलियुग में आना दलित बन कर आना ज्यादा मुफीद है। जो पाप ब्रह्मण के पूर्वजों ने भी नहीं किया उसका खामियाजा उनकी औलादों को भुगतना ही पड़ रहा है। क्योंकि पूरा कलियुग अब ब्रह्म जनों का नही है गैर ब्रह्म जनों का है । अब तो ब्रह्म जन जल्दी जल्दी इसी जन्म में भज गोविंदं करके अपना उद्धार कर लो तो बेहतर होगा ताकि इस निकृष्ट दुनियाँ में उन्हें फिर न आना पड़े । लेकिन जाने- अनजाने ही समाज को जातीय संघर्ष में धकेलने का नतीजा सभी के लिए विघटनकारी होगा और भारत कभी भी विश्व गुरु नहीं बन पाएगा।
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रिचर्ड वेड फर्ले कैलिफ़ोर्निया के सनीवेल में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम्स लैब्स (ईएसएल) में सात सहकर्मियों की 1 9 88 की हत्याओं के लिए जिम्मेदार एक बड़े हत्यारे हैं। हत्याओं के कारण क्या एक सह-कार्यकर्ता की निरंतर चल रही थी। रिचर्ड वेड फेर्ले का जन्म 25 जुलाई, 1 9 48 को टेक्सास में लेकलैंड वायुसेना बेस में हुआ था। उनके पिता वायुसेना में एक विमान मैकेनिक थे, और उनकी मां एक गृहस्थ थीं। उनके छह बच्चे थे, जिनमें से रिचर्ड सबसे बड़ा था। परिवार अक्सर पेटलुमा, कैलिफोर्निया में बसने से पहले चले गए, जब फर्ली आठ साल की थीं। फर्ले की मां के मुताबिक, घर में बहुत प्यार था, लेकिन परिवार ने थोड़ा सा स्नेह दिखाया। अपने बचपन और किशोरों के वर्षों के दौरान, फर्ली एक शांत, अच्छी तरह से व्यवहार करने वाला लड़का था जिसने अपने माता-पिता से थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता थी। हाईस्कूल में, उन्होंने गणित और रसायन शास्त्र में रूचि दिखाई और अपनी पढ़ाई गंभीरता से ली। उन्होंने धूम्रपान नहीं किया, पीया, या नशीली दवाओं का उपयोग नहीं किया, और टेबल टेनिस और शतरंज खेलने, फोटोग्राफी में डबिंग और बेकिंग के साथ खुद का मनोरंजन किया। उन्होंने 520 हाई स्कूल के छात्रों में से 61 वें स्नातक की उपाधि प्राप्त की। मित्रों और पड़ोसियों के मुताबिक, कभी-कभी अपने भाइयों के साथ घबराहट के अलावा, वह एक अहिंसक, अच्छी तरह से मज़ेदार और सहायक युवा व्यक्ति थे। फर्ले ने 1 9 66 में हाईस्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और सांता रोजा कम्युनिटी कॉलेज में भाग लिया, लेकिन एक साल बाद बाहर निकल गया और अमेरिकी नौसेना में शामिल हो गया जहां वह दस साल तक रहा। फर्ले ने नौसेना सबमरीन स्कूल में छः कक्षा में अपनी कक्षा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की लेकिन स्वेच्छा से वापस ले लिया। बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्हें एक क्रिप्टोलॉजिक तकनीशियन बनने के लिए प्रशिक्षित किया गया - एक व्यक्ति जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाए रखता है। वह जानकारी जिसे वह उजागर किया गया था उसे अत्यधिक वर्गीकृत किया गया था। वह शीर्ष गुप्त सुरक्षा मंजूरी के लिए योग्यता प्राप्त की। सुरक्षा मंजूरी के इस स्तर के लिए योग्यता व्यक्तियों की जांच हर पांच साल में दोहराई गई थी। 1 9 77 में अपने निर्वहन के बाद, फर्ले ने सैन जोस में एक घर खरीदा और कैलिफ़ोर्निया के सनीवेल में एक रक्षा ठेकेदार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम्स लेबोरेटरी (ईएसएल) में एक सॉफ्टवेयर तकनीशियन के रूप में काम करना शुरू किया। ईएसएल रणनीतिक सिग्नल प्रोसेसिंग सिस्टम के विकास में शामिल था और अमेरिकी सेना को रणनीतिक पुनर्जागरण प्रणाली का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता था। ईएसएल में फर्ले में शामिल अधिकांश काम को "राष्ट्रीय रक्षा के लिए महत्वपूर्ण" और अत्यधिक संवेदनशील बताया गया था। उन उपकरणों पर उनके काम को शामिल करने में सेना ने दुश्मन बलों के स्थान और ताकत को निर्धारित करने में सक्षम बनाया। 1 9 84 तक, फर्ले को इस काम के लिए चार ईएसएल प्रदर्शन मूल्यांकन प्राप्त हुए। वह स्कोर 99 प्रतिशत, 96 प्रतिशत, 96. 5 प्रतिशत, और 98 प्रतिशत थे। फर्ले अपने कुछ सहकर्मियों के साथ मित्र थे, लेकिन कुछ ने उन्हें अहंकारी, अहंकारी और उबाऊ पाया। उन्हें अपने बंदूक संग्रह और उनकी अच्छी निशानेबाज़ी के बारे में उत्साहित होना पसंद आया। लेकिन फ़र्ले के साथ मिलकर काम करने वाले अन्य लोगों ने उन्हें अपने काम और आम तौर पर एक अच्छा लड़का के बारे में ईमानदार होने के लिए पाया। हालांकि, यह सब बदल गया, 1 9 84 से शुरू हुआ। 1 9 84 के वसंत में, फर्ले को ईएसएल कर्मचारी लौरा ब्लैक से पेश किया गया था। वह 22 साल की थी, एथलेटिक, सुंदर, स्मार्ट और एक साल से कम समय के लिए एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में काम कर रही थी। फर्ले के लिए, यह पहली नजर में प्यार था। ब्लैक के लिए, यह चार साल के लंबे दुःस्वप्न की शुरुआत थी। अगले चार सालों तक, लौरा ब्लैक के लिए फर्ले का आकर्षण एक निरंतर जुनून में बदल गया। पहले ब्लैक विनम्रतापूर्वक अपने निमंत्रण को अस्वीकार कर देगा, लेकिन जब वह उसे समझने में असमर्थ था या उसे स्वीकार नहीं कर पाया, तो उसने उससे बेहतर तरीके से संवाद करना बंद कर दिया। फर्ले ने उसे एक सप्ताह में औसतन पत्र लिखना शुरू किया। उसने अपनी मेज पर पेस्ट्री छोड़ी। उसने उसे दबाने और बार-बार अपने घर से घुमाया। वह उसी दिन एक एरोबिक्स कक्षा में शामिल हो गया जिसमें वह शामिल हो गई। उनकी कॉल इतनी परेशान हो गई कि लौरा एक असूचीबद्ध संख्या में बदल गया। अपने डंठल की वजह से, लॉरा जुलाई 1 9 85 और फरवरी 1 9 88 के बीच तीन बार चले गए, लेकिन फर्ले ने हर बार अपना नया पता पाया और काम पर अपने डेस्क से इसे चुरा लेने के बाद अपने घरों में से एक को चाबी प्राप्त की। 1 9 84 और फरवरी 1 9 88 के पतन के बीच, उन्हें उनसे लगभग 150 से 200 पत्र प्राप्त हुए, जिनमें उन्होंने दो पत्रों को वर्जीनिया में अपने माता-पिता के घर भेज दिया, जहां वह दिसंबर 1 9 84 में जा रही थीं। उन्होंने उन्हें अपने माता-पिता के पते के साथ प्रदान नहीं किया था। ब्लैक के कुछ सहकर्मियों ने ब्लैक के उत्पीड़न के बारे में फर्ले से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने या तो अपमानजनक रूप से या हिंसक कृत्यों को करने की धमकी देकर प्रतिक्रिया व्यक्त की। अक्टूबर 1 9 85 में, ब्लैक मानव संसाधन विभाग की सहायता के लिए बदल गया। मानव संसाधनों के साथ पहली बैठक के दौरान, फर्ले अपने घर के बाद और उसके काम कंप्यूटर का उपयोग करके ब्लैक को पत्र और उपहार भेजना बंद कर दिया, लेकिन दिसंबर 1 9 85 में, वह अपनी पुरानी आदतों पर वापस आ गया। मानव संसाधन दिसंबर 1 9 85 में और फिर जनवरी 1 9 86 में फिर से कदम उठाए, हर बार फर्ले को एक लिखित चेतावनी जारी करते हुए। जनवरी 1 9 86 की बैठक के बाद, फर्ले ने अपने अपार्टमेंट के बाहर पार्किंग स्थल पर ब्लैक का सामना किया। वार्तालाप के दौरान, ब्लैक ने कहा कि फर्ले ने बंदूकें का उल्लेख किया, उसे बताया कि वह अब उससे पूछने जा रहा था कि क्या करना है, बल्कि उसे बताएं कि क्या करना है। उस सप्ताह के अंत में उन्हें उससे एक पत्र मिला, जिसमें कहा गया कि वह उसे मार नहीं पाएंगे, लेकिन उनके पास "विकल्पों की पूरी श्रृंखला थी, प्रत्येक खराब और बदतर हो रहा था। " उसने उसे चेतावनी दी कि, "मैं अपनी बंदूकें करता हूं और मैं उनके साथ अच्छा हूं," और उससे पूछा कि उसे "धक्का" न दें। उन्होंने आगे कहा कि यदि उनमें से कोई भी उपज नहीं करता है, "बहुत जल्द मैं दबाव में फंस जाता हूं और अमोक को अपने रास्ते में सबकुछ नष्ट कर देता हूं जब तक कि पुलिस मुझे पकड़ न दे और मुझे मार डाले। " फरवरी 1 9 86 के मध्य में, फर्ले ने मानव संसाधन प्रबंधकों में से एक का सामना किया और उन्हें बताया कि ईएसएल को अन्य व्यक्तियों के साथ अपने रिश्तों को नियंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं था। मैनेजर ने फर्ले को चेतावनी दी कि यौन उत्पीड़न अवैध था और अगर वह अकेले काले नहीं छोड़ा, तो उसका आचरण उसकी समाप्ति का कारण बन जाएगा। फर्ले ने उसे बताया कि अगर उसे ईएसएल से समाप्त कर दिया गया था, तो उसके पास रहने के लिए और कुछ नहीं होगा, कि उसके पास बंदूकें थीं और उन्हें इस्तेमाल करने से डर नहीं था, और वह "लोगों को उनके साथ ले जाएगा। " मैनेजर ने उससे सीधे पूछा कि क्या वह कह रहा था कि वह उसे मार देगा , जिस पर फर्ले ने हाँ का जवाब दिया था, लेकिन वह दूसरों को भी ले जाएगा। फर्ले ने ब्लैक डंठल जारी रखा, और मई 1 9 86 में, ईएसएल के साथ नौ साल बाद, उसे निकाल दिया गया। निकाल दिया जा रहा है Farley के जुनून को ईंधन भरने लग रहा था। अगले 18 महीनों के लिए, उन्होंने ब्लैक डंठल जारी रखा, और उनके साथ उनके संचार अधिक आक्रामक और धमकी बन गए। उन्होंने ईएसएल पार्किंग स्थल के आसपास छिपकर समय बिताया। 1 9 86 की गर्मियों में, फर्ले ने मेई चांग नाम की एक महिला से डेटिंग शुरू की, लेकिन उन्होंने ब्लैक को परेशान करना जारी रखा। उन्हें वित्तीय समस्याएं भी थीं। उसने अपना घर, उसकी कार और उसके कंप्यूटर को खो दिया और उसने पिछले करों में $ 20,000 से अधिक का भुगतान किया। इनमें से कोई भी ब्लैक के उत्पीड़न को रोक नहीं पाया, और जुलाई 1 9 87 में, उसने उसे लिखा, उसे चेतावनी देने के लिए चेतावनी दी। उन्होंने लिखा, "यह वास्तव में आपके लिए नहीं हो सकता है कि अगर मैं फैसला करता हूं कि मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया है तो मैं आपको परेशान करने के लिए कितना दूर हूं। " अगले कई महीनों में इसी लाइन के साथ पत्र जारी रहे। नवंबर 1 9 87 में फर्ले ने लिखा, "आपने मुझे नौकरी की लागत, इक्विटी करों में चालीस हजार डॉलर का भुगतान नहीं किया है, और एक फौजदारी है। फिर भी मैं तुम्हें अभी भी पसंद करता हूं। आप यह जानना क्यों चाहते हैं कि मैं कितना दूर जाऊंगा? " उन्होंने पत्र को समाप्त कर दिया, "मुझे बिल्कुल चारों ओर धक्का नहीं दिया जाएगा, और मैं अच्छा होने से थक गया हूं। " एक और पत्र में, उसने उसे बताया कि वह उसे मारना नहीं चाहता था क्योंकि वह चाहता था कि उसे अपने रोमांटिक संकेतों का जवाब न देने के परिणामों पर खेद पड़े। जनवरी में, लौरा को अपनी कार पर एक नोट मिला, जिसमें उसकी अपार्टमेंट कुंजी संलग्न की एक प्रति थी। डरते हुए और उसकी भेद्यता से पूरी तरह से अवगत होने पर उसने एक वकील की मदद लेने का फैसला किया। 8 फरवरी, 1 9 88 को, उन्हें रिचर्ड फर्ले के खिलाफ एक अस्थायी संयम आदेश दिया गया था, जिसमें शामिल था कि वह उससे 300 गज दूर रहें और किसी भी तरह से उससे संपर्क न करें। फर्ले को संयम के आदेश के एक दिन बाद उन्होंने अपने बदला लेने की योजना शुरू कर दी। उन्होंने बंदूकें और गोला बारूद में $ 2,000 से अधिक खरीदे। उन्होंने अपने वकील से संपर्क किया ताकि लौरा अपनी इच्छानुसार हटा दिया जा सके। उन्होंने लॉरा के वकील को यह भी एक पैकेज भेजा कि उनका प्रमाण था कि वह और लौरा का गुप्त संबंध था। रोकथाम के आदेश की अदालत की तारीख 17 फरवरी, 1 9 88 थी। 16 फरवरी को, फर्ले एक किराए पर मोटर घर में ईएसएल चली गई। वह अपने कंधे, काले चमड़े के दस्ताने, और उसके सिर और कान के आस-पास के चारों ओर एक स्कार्फ पर फंसे हुए एक भारित बैंडोलर के साथ सैन्य थकावट में पहना था। मोटर घर छोड़ने से पहले, उसने 12-गेज बेनेली दंगा अर्द्ध स्वचालित शॉटगन, एक रग्जर एम -77। 22-250 राइफल के साथ एक स्कोप के साथ खुद को सशस्त्र बनाया, एक मॉसबर्ग 12-गेज पंप एक्शन शॉटगन, एक सेंटीनेल। 22 डब्लूएमआर रिवाल्वर , एक स्मिथ एंड वेसन . 357 मैग्नम रिवाल्वर, ब्राउनिंग . 380 एसीपी पिस्तौल और स्मिथ एंड वेसन 9 मिमी पिस्तौल। उन्होंने अपने बेल्ट में एक चाकू भी लगाया, एक धूम्रपान बम और एक गैसोलीन कंटेनर पकड़ा, और फिर ईएसएल के प्रवेश द्वार के लिए नेतृत्व किया। जैसे ही फर्ले ने ईएसएल पार्किंग स्थल में अपना रास्ता बनाया, उन्होंने गोली मार दी और अपने पहले शिकार लैरी केन को गोली मार दी और कवर के लिए डक गए अन्य लोगों की शूटिंग जारी रखी। उन्होंने सुरक्षा ग्लास के माध्यम से विस्फोट करके इमारत में प्रवेश किया और श्रमिकों और उपकरणों पर शूटिंग पर रखा। उन्होंने लौरा ब्लैक के कार्यालय में अपना रास्ता बना दिया। उसने अपने कार्यालय में दरवाजा बंद करके खुद को बचाने का प्रयास किया, लेकिन उसने इसके माध्यम से गोली मार दी। फिर उसने सीधे ब्लैक पर गोली मार दी। एक गोली मिस गई और दूसरे ने उसके कंधे को तोड़ दिया, और वह बेहोश हो गई। उसने उसे छोड़ दिया और इमारत के माध्यम से चले गए, कमरे में कमरे में जा रहे थे, उन लोगों पर शूटिंग कर दी जिन्हें उन्होंने डेस्क के नीचे छुपाया या ऑफिस दरवाजे के पीछे बाधित किया। जब SWAT टीम पहुंची, तो फर्ली इमारत के अंदर कदम पर रहने से अपने स्निपर्स से बचने में कामयाब रहे। एक बंधक वार्ताकार फर्ले के साथ संपर्क करने में सक्षम था, और दोनों ने पांच घंटे की घेराबंदी के दौरान बातचीत की और बंद कर दिया। फर्ले ने वार्ताकार से कहा कि वह उपकरण शूट करने के लिए ईएसएल गए थे और उनके मन में विशिष्ट लोग थे। इसने बाद में फर्ले के वकील का खंडन किया जिसने रक्षा का उपयोग किया कि फर्ले वहां लौरा ब्लैक के सामने खुद को मारने के लिए वहां गया था, लोगों पर गोली मार नहीं। वार्ताकार के साथ अपनी बातचीत के दौरान, फर्ले ने सात लोगों की हत्या के लिए कभी भी कोई पछतावा व्यक्त नहीं किया और स्वीकार किया कि उन्हें लौरा ब्लैक को छोड़कर पीड़ितों में से कोई भी नहीं जानता था। भूख अंततः तबाही खत्म हो गया है। फर्ली भूख लगी थी और एक सैंडविच के लिए कहा था। उन्होंने सैंडविच के बदले में आत्मसमर्पण किया। लौरा ब्लैक समेत सात लोग मारे गए और चार घायल हो गए। पीड़ित पीड़ितोंः घायल लौरा ब्लैक, ग्रेगरी स्कॉट, रिचर्ड टाउन्सले और पैटी मार्कोट थे। फर्ले पर सात मौतों की पूंजी हत्या, एक घातक हथियार, दूसरी डिग्री चोरी, और बर्बरता के साथ हमला किया गया था। परीक्षण के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि फर्ले अभी भी ब्लैक के साथ अपने गैर-रिश्ते के बारे में इनकार कर रहा था। उन्हें अपने अपराध की गहराई की समझ में कमी महसूस हुई। उन्होंने एक और कैदी को बताया, "मुझे लगता है कि यह मेरा पहला अपराध है क्योंकि वे उदार होना चाहिए। " उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने इसे फिर से किया, तो उन्हें उस पर "पुस्तक फेंकना" चाहिए। एक जूरी ने उसे सभी आरोपों के दोषी पाया, और 17 जनवरी 1 99 2 को, फर्ले को मौत की सजा सुनाई गई । 2 जुलाई, 200 9 को, कैलिफ़ोर्निया सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मृत्युदंड अपील से इनकार कर दिया। 2013 तक, सैन क्वींटिन जेल में फर्ले की मौत की पंक्ति पर है।
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नई दिल्लीः बॉलीवुड में जितनी तेजी से रिश्ते बनते है, उससे कही ज्यादा जल्दी टूटते भी है. फिल्मी दुनिया में बनते-बिगड़ते रिश्तों का सिलसिला तो अब आम हो चुका है लेकिन जब फैंस ये खबरें सुनते हैं. तो वो दंग रह जाते हैं. शनिवार को बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट यानी आमिर खान (Aamir Khan) ने अपनी दूसरी पत्नी किरण राव को तलाक देने (Aamir Khan-Kiran Rao Divorce) का ऐलान किया तो लोग हैरान हो गए. लोगों को इस अलगाव की वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है. वहीं अब साउथ एक्ट्रेस मेहरीन पीरजादा (Mehreen Peerzada) ने कांग्रेस नेता भव्य बिश्नोई (Bhavya Bishnoi) से अपनी सगाई तोड़ दी है. भव्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप विश्नोई के बेटे और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भजनलाल के पौत्र हैं. तो वहीं मेहरीन पीरजादा साउथ फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा चेहरा हैं. भव्य बिश्नोई (Bhavya Bishnoi) और अभिनेत्री मेहरीन पीरजादा (Mehreen Peerzada) की सगाई मार्च में हुई थी. दोनों की रिंग सेरेमनी खूब धूमधाम से जयपुर में हुई थी. मेहरीन और भव्य 2020 में लॉकडाउन के दौरान मिले थे. कुछ दिन की बातचीत के बाद दोनों जल्द ही रिलेशनशिप में आ गए. इसके बाद दोनों ने सगाई करने का फैसला लिया. मेहरीन ने खुद सोशल मीडिया पर अपने और भव्य के रिलेशन के बारे में बताया था. और अब कपल ने सगाई तोड़ने का फैसला किया है. मेहरीन ने सगाई तोड़ने वाली बात अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए शेयर की है. मेहरीन ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसमें उन्होंने लिखा कि 'भव्य और मैंने सगाई तोड़ ली है. हमने यह फैसला मिलकर लिया है.' अब इस हैरान करने वाली खबर से उनके फैंस सोशल मीडिया पर सगाई तोड़ने की वजह पूछ रहे हैं. वहीं भव्य बिश्नोई ने बयान जारी कर लिखा कि 'दो दिन पहले मैंने और मेहरीन ने साथ मिलकर अपनी सगाई को तोड़ने का फैसला किया था. इसका कारण हमारे विचारों और वैल्यू का अलग-अलग होना है. मैं इस रिश्ते को छोड़कर सिर उठाकर जा रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि मैंने मेहरीन और उनके परिवार को प्यार देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.'
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साहिबाबाद,। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की ओर से रात आठ बजे से बसों का संचालन नहीं किया जाएगा। जो बसें जहां पर रहेंगी वहां सुरक्षित स्थान पर खड़ी कर दी जाएंगी। हालांकि इससे यात्रियों को परेशानी होगी लेकिन यूपीएसआरटीसी अधिकारियों का कहना है कि कोहरे के चलते होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है। कोहरे से सड़क हादसे हो रहे हैं जिनमें लोगों की जानें जा रही हैं। ऐसे में यूपीएसआरटीसी ने यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रात आठ बजे के बाद बसों का संचालन बंद करने का फैसला लिया है। पूरे प्रदेश में किसी भी डिपों से रात आठ बजे के बाद बसों का संचालन नहीं किया जाएगा। अगले दिन सुबह आठ बजे के बाद ही बसों का संचालन होगा। यूपीएसआरटीसी के गाजियाबाद के क्षेत्रीय प्रबंधक एके सिंह ने बताया कि मंगलवार की दोपहर मुख्यालय की ओर से कोहरे के चलते रात आठ बजे के बाद बसों का संचालन बंद करने का आदेश दिया गया। रात आठ बजे के बाद बसें रास्ते में नजदीक के डिपो या अनुबंधित होटल/ढ़ाबे पर बसों को रोक दिया जाएगा। अगली सुबह आठ बजे दोबारा बसें चलाई जाएंगी। बस में बैठने के दौरान ही यात्रियों को इसकी जानकारी दे दी जाएगी। इससे यात्रियों को असुविधा होगी। यात्री समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। दिल्ली - एनसीआर के नौकरीपेशा लोग दिन में नौकरी के बाद देर शाम या रात तक बस से गंतव्य तक जाना पसंद करते हैं। शाम पांच बजे से रात 10 बजे तक सबसे ज्यादा बसों का संचालन होता है। बसों का संचालन बन्द होने से यात्रियों को परेशानी होगी। इससे डग्गामार बसों में यात्रियों की भीड़ बढ़ जाएगी। साथ ही मनमाना किराया भी वसूलेंगे।
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साल 2021 मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता भारत के लिए कई मायनों में खास रही। जहां पंजाब की हरनाज कौर संधू ने कमाल 21 साल बाद मिस यूनिवर्स का खिताब जीतकर देश का नाम रोशन किया। वहीं, बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला को इस ब्यूटी पेजेंट में बतौर जज बैठने का मौका मिला। उन्होंने इस मुकाम पर पहुंचकर दुनिया भर में भारत का नाम गर्व से ऊंचा किया था। मगर, क्या आप जानते हैं कि मिस यूनिवर्स में जज बनने के लिए एक्ट्रेस को मोटी रकम मिली है। बता दें कि उर्वशी मिस यूनिवर्स-2015 पेजेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं वहीं, मिस यूनिवर्स 2021 में उन्हें जज बनने का मौका मिला, जो वाकई गर्व की बात हैं। हालांकि उर्वशी का नाम साल 2021 के मिस यूनिवर्स पेजेंट में जजों की लिस्ट में शामिल गया था, जिसके लिए उन्हें 1. 2 मिलियन डॉलर फीस दी गई थी जो भारतीय करेंसी के मुताबिक, करीब 8 करोड़ रुपए हैं। बता दें कि उर्वशी को साल 2021 में 'स्त्री शक्ति नेशनल अवाॅर्ड 2021' से भी सम्मानित किया जा चुका है। फिल्मी दुनिया से इस सम्मान को पाने वाली वह पहली सबसे कम उम्र की महिला हैं। यही नहीं, वह देश की एकलौती महिला हैं, जिन्होंने 2 बार मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम किया। 17 साल की उम्र में उन्होंने 'मिस यूनिवर्स इंडिया' जीता। उसके बाद साल 2011 में मिस टूरिस्ज्म क्वीन ऑफ द ईयर' और फिर 'मिस एशियन सुपर मॉडल' का ताज अपने नाम किया। गोल्डन गर्ल उर्वशी एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही हैं। उर्वशी शायद ही किसी फिल्म के लिए इतनी रकम चार्ज करती लेकिन यह वाकई काफी बड़ी रकम है। उर्वशी न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हैं। एक्ट्रेस जल्द ही इंस्टाग्राम पर अपने 44 मिलियन फॉलोअर्स पूरे कर लेंगी। उर्वशी सिर्फ अपनी खूबसूरती ही नहीं बल्कि ड्रेसिंग स्टाइल को लेकर भी सोशल मीडिया पर छाईं रहती हैं। वर्कफ्रंट की बात करें तो उर्वशी जल्द ही अपकमिंग तेलुगु फिल्म ब्लैक रोज में नजर आएंगी। इसके अलावा वह एक तमिल फिल्म में भी नजर आएंगी। उर्वशी की दोनों भाषाओं में यह पहली फिल्म होने जा रही है।
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ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वारिस महाआर्यमन सिंधिया ने अपनी विरासत से इतर जाकर उद्यमशीलता के क्षेत्र में कदम रखा है। वह अपने स्टार्टअप 'माईमंडी' को डेढ़ साल के भीतर लाभदायक उद्यम के रूप में तब्दील करने की मुहिम में जुट गए हैं। नयी दिल्लीः ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वारिस महाआर्यमन सिंधिया ने अपनी विरासत से इतर जाकर उद्यमशीलता के क्षेत्र में कदम रखा है। वह अपने स्टार्टअप 'माईमंडी' को डेढ़ साल के भीतर लाभदायक उद्यम के रूप में तब्दील करने की मुहिम में जुट गए हैं। समाज सेवा एवं राजनीति के क्षेत्र में परिवार से मिली विरासत के अलावा 27 साल के महाआर्यमन के पास बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और सॉफ्टबैंक जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम करने का भी अनुभव है। उन्होंने सूर्यांश राणा के साथ मिलकर कृषि स्टार्टअप माईमंडी की वर्ष 2022 में बुनियाद रखी। इसके जरिये कृषि उपज के अवशिष्ट और लॉजिस्टिक लागत में कटौती करने का लक्ष्य है। इस स्टार्टअप ने ग्वालियर से काम करना शुरू किया। यहां पर खुद सिंधिया अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरा ढंककर स्थानीय मंडियों में जाते हैं और ताजा फसलों को खरीदते हैं। फिर उस कृषि उत्पाद को फर्म के आपूर्ति साझेदारों- गली मोहल्ले के दुकानदारों और ठेले वालों तक पहुंचा दिया जाता है। सिंधिया ने बातचीत में कहा कि परिचालन शुरू होने के छह महीनों में ही माईमंडी के कारोबार में चार गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। इसका राजस्व जुलाई, 2022 में 11 लाख रुपये था जो जनवरी, 2023 में बढ़कर करीब 60 लाख रुपये हो गया। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ने कहा कि इस साल की पहली छमाही में कंपनी की निवेशकों से आठ करोड़ रुपये जुटाने की भी योजना है। इसके लिए माईमंडी का उद्यमिता मूल्य करीब 150 करोड़ रुपये आंका जा रहा है। माईमंडी के सह-संस्थापक 25 वर्षीय राणा ने कहा कि फर्म का नकद प्रवाह अच्छा है और नए शहरों में कारोबार विस्तार के लिए ही कंपनी को नई पूंजी की जरूरत है। कंपनी ने अभी तक निवेशकों से 4. 2 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
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अभिनेता मोहित मलिक फिलहाल स्टारप्लस के मशहूर धारावाहिक 'कुल्फी कुमार बाजेवाला' में सिकंदर की भूमिका निभा रहे हैं। उनकी योजना जल्द ही मुंबई में अपना तीसरा रेस्टोरेंट खोलने की है और वह चाहते हैं कि उसका उद्घाटन आकृति (कुल्फी) करे। मोहित और उनकी पत्नी अदिति मलिक के मुंबई में पहले से ही 2 रेस्टोरेंट हैं और उनका इरादा चाइनीज कुजिन के साथ एक और रेस्टोरेंट खोलने का है। इस रेस्टोरेंट का उद्घाटन करने के लिये उनकी ऑन-स्क्रीन बेटी और लकी चार्म आकृति से बेहतर और कौन हो सकता है। ये दोनों हमेशा ही नन्हीं कुल्फी को त्योहारों में अपने घर बुलाते रहे हैं और कुल्फी उनके जश्न में शामिल होती है। मोहित की योजना "कुल्फी कुमार बाजेवाला" की टीम को अपने रेस्टोरेंट में पहला गेस्ट बनाकर आमंत्रित करने की है, जोकि उनका परिवार रहे हैं। उनकी योजना वर्ष 2019 की शुरूआत में इस रेस्टोरेंट को खोलने की है। आकृति शर्मा के साथ अपने लगाव के बारे में बात करते हुये, उन्होंने हमेशा कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी बेटी कुल्फी जैसी हो। शो में मौजूदा ट्रैक के अनुसार, कुल्फी को आखिरकार पता चल जाता है कि सिकंदर उसके असली पिता हैं। लगता है कि मोहित मलिक को पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों लाइफ में खुशखबरी मिलने वाली है!
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बुकर पुरस्कार जीतने वाली उपन्यासकार किरण देसाई 1971 में भारत में पैदा हुईं और उनकी पढ़ाई भारत, इंग्लैंड और अमरीका में हुई. किरण जानी-मानी लेखिका अनिता देसाई की सुपुत्री हैं. अनिता देसाई को भी तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन एक भी बार पुरस्कार उनकी झोली में नहीं आ सका. किरण ने अपना पहला उपन्यास 'हलाबालू इन द ग्वावा ऑरचर्ड' लिखा और इसके लिए बेट्टी ट्रस्ट पुरस्कार जीता. 'द इनहैरिटेंस ऑफ़ लॉस' उनका दूसरा उपन्यास है जिसके लिए उन्हें बुकर पुरस्कार दिया जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि किरण फ़िलहाल न्यूयॉर्क में रचनात्मक लेखन की पढ़ाई कर रही हैं और उन्हें यह उपन्यास लिखने में आठ साल का लंबा समय लगा. पैंतीस वर्षीय किरण देसाई का उपन्यास कैंब्रिज में पढ़े हुए एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीश के जीवन पर आधारित है, जो हिमालय क्षेत्र में कंचनजंघा पर्वत की तलहटी में एक टूटे-फूटे मकान में रहता है. यहाँ शांति की खोज में आए न्यायाधीश का मन उस वक़्त अशांत हो जाता है जब उनकी अनाथ पोती वहाँ आ धमकती है. किरण बुकर पुरस्कार जीतने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की महिला हैं. इससे पूर्व भारत की ही अरुंधती राय ने 1997 में 36 साल की उम्र में यह सम्मान हासिल किया था. बेन ओकेरी बुकर सम्मान पाने वाले सबसे युवा लेखक हैं. उन्होंने 1991 में यह पुरस्कार हासिल किया था और उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 32 साल थी.
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PATNA : राजधानी पटना में लुटेरों को पकड़ने के लिए गाड़ी का पीछा कर रही पुलिस की वैन का एक्सीडेंट हो गया है. इस हादसे में पुलिस की दो गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं. एक्सीडेंट में थानेदार और चार पुलिसवालों को गंभीर चोटे आई हैं. सभी जख्मी पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए नजदीकी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. यह हादसा पटना के बिहटा में हुआ है. बिहटा में अपराधी का पीछा करने के दौरान पुलिस गाड़ी रोड एक्सीडेंट का शिकयर हो गई है. जिसमें थाना प्रभारी और 4 सिपाही घायल हो गए हैं. जख्मी हालत में पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि बिहटा थाना की पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ अपराधी भाग रहे हैं. सूचना के आधार पर बिहटा थानाध्यक्ष ऋतुराज अपने दल बल के साथ अपराधी का पीछा करने निकल गये. पीछा करने के दौरान जिनपुरा मोड़ के पास बिहटा थाना की जिप्सी सहित दो वाहनों का एक्सीडेंट हो गया. बताया जा रहा है कि पीछा करने के दौरान अचानक जिप्सी का बैलेंस गड़बड़ा गया. जिससे जिप्सी और बोलेरो दुर्घटना का शिकार हुआ. दुर्घटना में थानाध्यक्ष के हाथ में गंभीर चोट आई हैं. साथ ही गाड़ी चालक के सीने में चोट लगी है. सिपाही को भी गंभीर चोटें आई है. सभी घायलों को निजी नर्सिंग होम में एडमिट किय गया है. घायलों में बिहटा थानाध्यक्ष ऋतुराज सिंह, ड्राईवर संजीत कुमार, गार्ड रमाकांत कुमार और बिंदु व राहुल शामिल हैं. दुर्घटना के बाद हल्के रुप से जख्मी जवानों ने गंभीर चोट से जूझ रहे सहकर्मियों को अस्पताल लेकर गये. हालांकि इस मामले में कोई अधिकारी अभी कुछ बताने से परहेज कर रहे हैं.
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DELHI: शराब घोटाले की आंच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक पहुंचने के बाद दिल्ली के साथ साथ पूरे देश में सियासत गर्म हो गई है। दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को समन जारी कर 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। इसी बीच दिल्ली सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया है। 17 अप्रैल को केजरीवाल सरकार ने विशेष सत्र बुलाया है। दरअसल, दिल्ली में हुए शराब घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने पूछताछ के लिए शुक्रवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल को समन जारी किया था। 16 अप्रैल को दिल्ली स्थित दफ्तर में सीबीआई की टीम केजरीवाल से पूछताछ करेगी। सीबीआई का समन मिलने के बाद आप सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोमवार यानी 17 अप्रैल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इस मामले में सीबीआई दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है और अब मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी पूछताछ के लिए समन जारी किया है। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह साफ कर दिया है कि वो सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की तैयारी कर चुके हैं। केजरीवाल ने ऐलान किया है कि वे जल्द ही सीबीआई और ईडी के खिलाफ केस दर्ज करवाएंगे। केजरीवाल ने अपने ट्वीटर एकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि, हम झूठी गवाही देने और अदालतों में झूठे सबूत पेश करने के लिए सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ उचित मामले दर्ज कराएंगे। इसके आलावा उन्होंने यह भी कहा है कि, अगर केजरीवाल चोर है तो इस दुनिया में कोई ईमानदार नहीं' । अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि ED-CBI ने कोर्ट को गुमराह किया और कोर्ट में उनके खिलाफ गलत साक्ष्य पेश किए गए।
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रायपुर (एजेंसी). अब छत्तीसगढ़ में बिना राज्य सरकार की अनुमति लिए सीबीआई राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य में जांच के लिए अब कोई नया प्रकरण नहीं लेने के निर्देश जारी करे। गौरतलब है कि सीबीआई केंद्र सरकार की जांच एजेंसी है। इसकी स्थापना दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट,1946 के तहत की गई है। राज्यों ने एक विशेष अनुबंध के तहत सीबीआई को अपने अधिकार क्षेत्र में कार्रवाई करने की अनुमति दी हुई है। डीएसपीई एक्ट,1946 के सेक्शन-6 के तहत सीबीआई को दूसरे राज्य में कार्रवाई करने के लिए राज्य की लिखित अनुमति होती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने यह सहमति वापस ले ली है। छत्तीसगढ़ गृह विभाग के लिखे पत्र में केंद्र सरकार को सूचित किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2001 में इस बारे में केंद्र को दी गई सहमति वापस ले ली है, जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीबीआई को छत्तीसगढ़ में प्रकरणों की जांच के लिए अधिकृत करने की अधिसूचना जारी की गई थी। बता दें कि ऐसा ही निर्णय आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार पहले ही ले चुके हैं। अब बिना राज्य सरकार की अनुमति के सीबीआई राज्य में जांच नहीं कर पाएगी।
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यह बात आमतौर पर हम सभजी जानते है कि शौचालय का उपयोग हर एक व्यक्ति करता है वही दुनिया में शौचालयों की कमी के प्रति जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार हर साल हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत की गई. पूरी दुनिया में तकरीबन एक अरब वैश्विक आबादी आज भी खुले में शौच करती है. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अफगानिस्तान में 90 फीसदी अबादी के पास टेलीविजन है जबकि मात्र सात फीसदी लोगों के पास ही शौचालय है. विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर हम आपको कुछ ऐसे रोचक और मजेदार बताएंगे, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. मिली जानकारी के मुताबिक कम्प्यूटर की-बोर्ड पर बैक्टीरिया की मात्रा एक टॉयलेट सीट से दो सौ गुना ज्यादा होती है. वही सिंगापुर में टॉयलेट में फ्लश नहीं करना कानूनी जुर्म है. इसके लिए बाकायदा जुर्माना भी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार टॉयलेट में फ्लश करने पर करीब 26 लीटर पानी बहता है. चीन में कुत्तों के लिए अलग से सार्वजनिक शौचालय होता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जी हाँ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लगभग 20 फीसदी लोग टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते हैं. और मात्र 30 फीसदी लोग हाथ धोने के लिए साबुन का उपयोग करते हैं. वही 'द स्कॉट पेपर कंपनी' दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जिसने सन 1890 में टॉयलेट पेपर एक रोल पर बनाया. जंहा अगर आप दुनिया का सबसे महंगा शौचालय देखना चाहते हैं तो आपको अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन जाना होगा. इस स्टेशन में बने टॉयलेट की लागत करीब 19 मिलियन डॉलर है. एक छोटा बच्चा बाथरूम का प्रयोग सीखने से पहले करीब 10,000 बार नैपी बदलता है. 1992 में हुए एक सर्वे में ब्रिटिश टॉयलेट को दुनिया में सबसे ज्यादा खराब बताया जाता है.
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किशनगंज में उत्पादित चाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए बिहार सरकार ने विशेष लोगो तैयार किया है। आज शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह इसका अनावरण करेंगे। मंत्री श्री सिंह आज अपने एक दिवसीय दौरे के क्रम में किशनगंज आ रहे हैं। वे सुबह रेल मार्ग से किशनगंज पहुंचेंगे। पोठिया प्रखंड के अर्राबाड़ी स्थित डॉ. कलाम कृषि कॉलेज में बिहार की चाय पर आयोजित परिचर्चा में वे शामिल होंगे। इससे पहले वे यहां के चाय उत्पादन और प्रोसेसिंग को भी देखेंगे। वहीं शाम पांच बजे से बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत कृषि निवेशकों से मुलाकात करेंगे। कार्यक्रम में सीमांचल के 50 कृषि निवेशकों और उद्यमियों को आमंत्रित किया गया है। उनके साथ कार्यक्रम में कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार और उद्यान निदेशक नंद किशोर सहित टी बोर्ड ऑफ इंडिया के अधिकारी भी होंगे। चाय उत्पादक किसानों को भी आमंत्रित किया गया है। कृषि एवं उद्यान विभाग सभी कार्यक्रमों की सफलता के लिए तैयारियों में जुटा है। बिहार सरकार द्वारा स्थानीय चाय के उत्पादन, प्रोसेसिंग, घरेलू व्यापार और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए गंभीर प्रयास से यहां के चाय उत्पादकों में खुशी है। इन्हें उम्मीद है कि अब बंगाल और असम की तर्ज पर यहां के चाय उत्पादकों को सहूलियत मिलेगी। आज के कार्यक्रम को इसी कड़ी और बिहार के चाय के लिए अपना लोगो तैयार किए जाने को पहली सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। किशनगंज चाय उत्पादक स्वावलंबी सहकारी समिति लि. के अध्यक्ष सह अशोक बिहार टी प्लांटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकरण दफ्तरी के अनुसार कार्यक्रम के तीन प्रमुख बिंदू हैं। बिहार की चाय का अपना लोगो जिसका आज अनावरण होगा। देश के हर चाय उत्पादक राज्य का अपना लाेगो है। फिर टी बोर्ड ऑफ इंडिया में बिहार का प्रतिनिधित्व और इसके अलावा राज्य और जिलास्तर पर चाय उत्पादक कमेटी जो अपनी बातें, समस्याएं सरकार तक पहुंचा सके। साथ ही चाय के विकास पर सतत प्रयास करे। जिला उद्यान पदाधिकारी रजनी सिन्हा ने बताया कि बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत आयोजित परिचर्चा और इंवेस्टर्स मीट बिहार में चाय की खेती के विकास और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित होगा। किसान से लेकर निवेशक तक कार्यक्रम को लेकर उत्साहित हैं। किशनगंज बिहार का इकलौता चाय उत्पादक जिला है। इसके अलावा यहां अनानास और ड्रैगन फ्रूट की भी खेती होती है। इसके उत्पादन में भी किशनगंज सूबे में नजीर है। बड़े पैमाने पर यहां मक्का और मखाना का उत्पादन भी होता है। इन फसलों पर आधारित उद्योगों की जिले में भरपूर संभावना है। जिले में 20 हजार से अधिक एकड़ में चाय की खेती होती है एवं कुल उत्पादित हरी पत्तियों का 20 फीसदी (75 लाख किलोग्राम) ही प्रोसेसिंग किशनगंज में होता है। शेष हरी पत्तियां बंगाल के प्रोसेसिंग प्लांट में चली जाती है। इसी तरह यहां अनानास का उत्पादन तो बड़े पैमाने पर होता है लेकिन किसानों को बाजार के लिए बंगाल पर निर्भर रहना पड़ता है। मक्का और मखाना की भी ऐसी ही स्थिति है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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स्वभावदशा मे रमण कठिन है । केवल शरीर / इन्द्रिय और मन ही आत्मा को स्वभावावस्था मे लाने मे सक्षम नहीं हैं । श्रीमद् आगे के पद मे कहते हैं - "आवे ज्या एवी दशा, सद्गुरु बोध सुहाय । ते बोधे सुविचारणा, त्यां प्रगटे सुखदाय ॥४०॥" " अर्थात् जीवन मे जहाँ ऐसी यानि अठतीस वे पद मे आयी हुई बाते / ज्ञान / उपदेश / मार्गदर्शन अच्छा नहीं लगता / सुहाता नहीं । उपशान्त दशा मे ही बोध परिणाम वाला होता है वह शोभित होता है, सुहाता है तथा उस सद्बोध से सुखदायी सुविचारणा प्रकट होती है ।" होती है ।" इस पर तनिक विस्तार से विचार चर्चा कर लेवे इस पद मे कहा गया है " आवे ज्यां ऐवी दशा सद्गुरु बोध सुहाय" सद्गुरु की शिक्षा, सद्गुरु के द्वारा बताया गया मार्ग, उनकी सीख किसको सुहाती है, किसको अच्छी लगती है, उसके लिए उन्होंने एक पृष्ठ भूमि बताई है । क्योकि आपने अक्सर देखा होगा किसी को क्रोध आया हो और उस समय उसके आगे हाथ जोडे, विनय करे / समझने की कोशिश करें, तो क्या होता है और अधिक बढ़ता है । क्यों, आप तो शान्तिलाल हो, तो क्या कहा "चढ़ते पानी पैठते, तामस में अरदास 1 कच्चे ताप में औषधि, तीनों होत विनाश ॥" पानी का बहाव चढ रहा हो किसी नदी/नाले मे और आदमी उसमे प्रवेश करें, तो क्या होगा, बह जायेगा और तमस/ क्रोध चढ गया हो और उसमे आप अरदास करते हो "नहीं, भाई नहीं, मत करो तो और ज्यादा चढता है । लेकिन यह भी सामने वाला व्यक्ति कमजोर होता है, एक बात मैं और कह जाऊँ यह भी ध्यान देने वाली बात है, गुस्सा बहुत सयाना होता है, बडा समझदार होता है । वह कमजोर को देखकर ज्यादा बढता है, यदि सेर को सवा सेर मिल जाये तो शान्त हो जाता है । एक बाणिये का बेटा बहुत तेजतर्रार था । बाप को डराने के लिए "मै मरता हूँ, त्या आत्मार्थ निवास मैतीम मैं मरता हूँ" कहकर कोठे पर चला जाता जिसको मारवाडी में "डागला" कहते हैं, वहाँ जाकर मुडेर पर खड़ा होकर कहता है, मैं छलाग लगाता हूँ, मै गिर के मरता हूँ, कभी दौड कर कुँए की माड पर चला जाए, मै तो कुँए में गिर कर मरूँगा," कहता । विचारा पिता बहुत तग आ गया, रोज धकडी-हाथा जोडी करता है, पकड़ कर लाता है उसको । वस, जो चाहता था उसे मिल जाता है । अब ये तो रोज का ही काम था, बहुत दुखी हो गया । दुकान के ऊपर एक जमींदार / जाट आता था, लाला को उदास बैठे हुए देखकर पूछा- लालाजी ! क्या बात है आज उदास क्यों हैं, कहता है "क्या बताये रोज का ही घर मे क्लेश रहता है और लडका कहता है मैं मर जाऊँगा ।" उपाय तो मैं बता देता हूँ किन्तु तुम्हारे से नहीं होगा, मेरे से होगा । अगर किसी वक्त वह जिह करे ऐसी, मुझे बुला लेना । - उसका तो रोज का ही काम था । हर दूसरे-चौथे दिन करता ही रहता था, जमींदार की कही बात याद आ गई और सन्देश भेजा उसको कि जल्दी आ जा भाई आ जा भाई । वह दौडकर आया । इतने मे घर से निकल कर लडका कहाँ पहुँच गया, कुँए की माड पर, "मै तो गिरकर मरूँगा, तो अव पीछे वाप, माँ, भाई दौड़ते हैं, सब पकड़ते है उसको, किन्तु जमींदार आवाज लगाता है ठहरो-ठहरो! तगडा आदमी था, दिल से तगडा शरीर से भी तगडा पहुँच गया वहाँ पर और लड़के को पकड़ कर कहता है -"ले मरना है न तूने इसमें, ले मैं धक्का देता हूँ, शायद तू न गिर सके पूरी तरह, मैं धक्का देता हूँ तेरे को, वह कहता है नहीं, नहीं, तू गिरना चाहता है न, मरना चाहता है न, इसलिए मैं धक्का देता हूँ, पकड़कर उसको कुएँ में लटकाने लगा, नहीं नहीं! कहता है - "मैं तो अपने बाप को डराता था मरता थोड़ा ही था ।" "हाँ तो क्रोध भी वडा सयाना होता है । शरावी/मदिरापायी देखा देखा है आपने कभी, शरावी रोड पर इधर-उधर रोज गली-कूचों में वडके/चागरे मारते फिरते हैं, लेकिन अगर दो-चार सेवा करने वाले उसको मिल जाएँ तो पता नहीं लगता शराव गयी कहाँ, चली जाती है पता ही
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कोई भी आपसे तभी इमोशनल होगा या खुलकर अपनी निजी जिंदगी की सारी बातें साझा करेगा जब वो आपको अपने बहुत करीब समझता हो। फ्लर्ट करना सिर्फ लड़को को नहीं आता लड़कियां भी इसमें माहिर होती हैं। आज कल की लड़कियां इतनी खुले दिल की होती हैं कि अपने दिल की बातें साफ-साफ कह देती हैं। कुछ ऐसी भी होती हैं जो लड़कों से फ्लर्ट करने और उन्हें प्रपोज करने में पीछे नहीं हटती। वहीं ज्यादातर पुरुषों को समझ नहीं आता कि लड़कियां उनसे फ्लर्ट कर रही हैं या नहीं? लड़कियों का लड़कों से फ्लर्ट करना कोई आश्चर्य की बात नहीं। हजारों पुरुष इस बात पर संशय में रहते हैं कि उनकी महिला मित्र उनसे इशारों-इशारों में दिल की बातें कह रही हैं या सिर्फ अच्छी दोस्त हैं। हलांकि कुछ टिप्स को समझकर आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि वो आपसे फ्लर्ट कर रही हैं या नहीं। कोई भी आपसे तभी इमोशनल होगा या खुलकर अपनी निजी जिंदगी की सारी बातें साझा करेगा जब वो आपको अपने बहुत करीब समझता हो। जब वो जानता हो कि आप उसकी हर संभव मदद करेंगे या उनका साथ देंगे। लड़कियां कुछ ज्यादा ही इमोशनल होती हैं मगर अपनी निजी जिंदगी की सबसे निजी बात अगर वो आपको बताने लगें तो समझिए वो आपके बहुत करीब हैं। आपको अपने दिल के बहुत पास मानती हैं। ये चीजें तभी होती है जब आप बहुत ज्यादा अच्छे दोस्त हों या आपके बीच कमाल की केमेस्ट्री हो। जब किसी तीसरे आदमी के सामने आप दोनों के बीच इशारों-इशारों में बातें होने लगे। या आपकी कही हुई कुछ अटपटी बातों का मतलब सिर्फ वहीं निकाल पाएं तो समझिए वो आपको अपने दिल के पास समझती हैं। महिलाओं को उपनाम से बुलाना पसंद होता है। अगर वो आपको निक नेम से बुलाती हैं या उपनाम से बुलाती हैं तो समझिए कहीं ना कहीं वो आपको पसंद करती हैं। कहीं ना कहीं वो आपकी पर्सनैलिटी से प्रभावित हैं। मगर इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि वो आपसे फ्लर्ट कर रही हैं इसलिए जब तक वो अपनी बात साफ-साफ ना कहें तब तक कुछ अपने से अज्यूम ना करें। अगर कोई लड़की आपसे फ्लर्ट करती है या आपको बहुत अच्छी दोस्त समझती है तो भी अपनी सीमाओं को समझना आपके लिए जरूरी है। गलती से भी इस हंसी-मजाक के चक्कर में लड़की से टची होने की कोशिश ना करें। हो सकता है आपकी ये हरकत उन्हें पसंद ना आएं। ये भी संभव हैं कि वो आपसे इस हरकत के लिए नाराज हो जाएं और कभी बात ना करें। इसलिए टची होना आपके लिए सही नहीं।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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दाती महाराज दुष्कर्म मामले में अब आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। जहां एक ओर दाती महाराज ने नवीन गुप्ता व सचिन जैन पर जमकर आरोप लगाए। वहीं, पहली बार नवीन और सचिन जैन भी खुलकर सामने आए। दोनों ने महाराज पर हवाला कारोबार, हथियारों की बिक्री के साथ साथ बच्चियों को गायब करने जैसे गंभीर आरोप लगा डाले। इतना ही दोनों ने जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि दाती ने हमारी भावनाओं के साथ बलात्कार किया है पूरे मामले की जांच जरूरी है। नवीन और सचिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनका दाती महाराज से कोई व्यवसायिक विवाद नहीं है। वह अपने ऊपर लगे दुष्कर्म के आरोप से ध्यान भटकाने के मकसद से उन पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं। दाती महाराज ने उन्हें बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वह उन्हें भगवान की तरह पूजते थे। लेकिन आश्रम में असामाजिक गतिविधियों पर विरोध जताने पर विवाद पैदा हो गया। दोनों ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ित युवती ने जो शपथपत्र दिया है वह फर्जी है। दरअसल, दाती आश्रम में उनसे जुड़े हर व्यक्ति से सादे शपथपत्र पर अंगूठा लगवाने के अलावा हस्ताक्षर करवाता है। उनके द्वारा लिख गए कई शपथ पत्र दाती के पास हैं। वह उनका गलत इस्तेमाल कर सकता है। अपना पक्ष रखते समय दोनों भावुक हो उठे। अपने आंसू पोंछते हुए दाती को बाउंसरों से धमकाने के आरोप को दोनों ने गलत बताया। उन्होंने कहा कि हमने दाती को दिया ही है उससे कुछ लिया नहीं। नवीन ने बताया कि वह वर्ष 2001 से दाती के साथ जुड़े हैं। वह उनकी व्यवसायिक गतिविधियों को देखते हैं। हमने अभिषेक के जरिये पैसे लगाए। बाद में पता चला कि पूरे पैसे दाती ने रख लिये। नवीन ने बताया कि 22 जनवरी को राजस्थान में दाती ने धमकी दी कि 'जिस प्रकार यहां का प्रशासन उनके आगे झुकता है। ठीक ऐसा ही दिल्ली में भी है। ऐसे में कुछ बोले तो बर्बाद कर दूंगा'। उन्होंने कहा शनि पर चढ़ाया हुआ तेल दाती लारेंस रोड़ की एक कंपनी को बेचता है। फिर वहीं तेल वापस शनिधाम पहुंच जाता है। उन्होंने कहा दाती से एक करोड़ रुपये से ज्यादा लेने है। वहीं, सचिन ने आरोप लगाया कि महा निर्माणी अखाडे़ की महा मंडलेश्वर प्रज्ञा से मिलकर दाती ने बच्चियों को पीले कपड़े पहनवाएं। लेकिन आज उन बच्चियों का कहीं पता नहीं। बाल कल्याण विभाग को इसकी जांच करनी चाहिए। सचिन ने बताया कि दाती उन्हें हमेशा जगत पहलवान नामक एक नेता की धमकियां देकर डराता रहा है। हालांकि उनकी जानकारी में जगत पहलवान शरीफ आदमी है और उनकी ओर से कभी धमकी नहीं मिली। उन्होंने कहा दाती तंत्र-मंत्र के नाम पर लोगों को ठग रहा है। कई श्रद्धालुओं के तलाक, उनकी पत्नी के गर्भपात करवा चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई संत ऐसा कर सकता है। संवाददाता सम्मेलन में नवीन ने कहा दाती की बहन का उनके चैनल में 60 प्रतिशत शेयर है। बहन के पास पैसे कहां से आएं। यह सब पैसे श्रद्धालुओं से ठगे गए है। मुझे भी दाती से 75 लाख रुपये लेने है। उन्होंने कहा हम पहली बार खुलकर सामने आ रहे हैं। दाती से उनको व परिवार को जान का खतरा है यदि हमें कुछ होता है तो दाती जिम्मेदार होगा।
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मुंबई । बोल्ड और हॉट फोटोशूट कराने में बॉलीवुड एक्ट्रेस सबसे आगे रहती हैं। आज हम आपको हिंदी फिल्म जगत कि उन एक्ट्रेस के बारें में बताएंगे। जिन्होंने हॉट फोटो क्लिक कराने के लिए कैमरे के सामने सारे कपड़े उतार दिए। इन एक्ट्रेस कि लाज साबुन के झाग ने बचाई। इस सूची में सबसे पहना कि हीरोइन ईशा कोप्पिकर का हैं। अभिनेत्री भले ही आजकल फिल्मों में बेहद कम दिखाई देती हैं लेकिन उनकी हॉट तस्वीरें आज भी सोशल मीडिया में आग लगा रही हैं। वायरल तस्वीर में आप ईशा कोप्पिकर को बाथटब में बैठे बोल्ड पोज देते देख सकते हैं। मशहूर एक्ट्रेस शमा सिंकदर कि बोल्ड तस्वीरें सोशल मीडिया में खूब वायरल होती हैं। बॉथटब में सारे कपड़े उतारकर एक्ट्रेस ने जब फोटो क्लिक कराई तो बवाल मच गया। यूजर्स एक्ट्रेस कि फोटो में खूब कमेंट कर रहे हैं। वायरल तस्वीर में अभिनेत्री ने टॉपलेस होकर अपने बदन को झागों से कवर किया । बोल्ड फोटोशूट कराने के मामलें में बॉलीवुड कि लेडी सुपरस्टार विद्या बालन भी पीछे नहीं हैं। एक्ट्रेस ने टॉपलेस होकर सभी को चौंका दिया। वायरल तस्वीर में आप विद्या बालन को बाथटब में फोटोशूट कराते देख सकते हैं। अभिनेत्री ने सबसे ज्यादा 'द डर्टी पिक्चर' में बोल्ड और इंटीमेट सीन्स दिए जिसने सभी के होश उड़ा दिए। . .
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President's Rauta 3n U.P. (Res) [Shri Dinesh Singh) their constituencies and start working for that. Therefore, while supporting the Government in its imposition of the President's rule, I would request the Home Minister to clarify the position as much as he can SHRI RANABAHADUR SINGH (Sindhi) There have been no rains in Rihand Dam Catchment area, so it is not full even today श्री शिव कुमार शास्त्री (अलीगढ़) उपाध्यक्ष जी, उत्तर प्रदेश मे राष्ट्रपति शासन की स्थापना के लिये जो युक्तिया बी गयी है उन मे परस्पर बडी प्रसगतिया है । केवल एक बात को छोड़ कर कि प्रदेश मे सूखे का प्रकोप था इसलिये शासन चलाने मे कठिभाई थी, यह बात तो कुछ समझ मे प्राती है । इस के अतिरिक्त जो तीन युक्तिया दी गयी है वह शासक दल की अयोग्यता के अतिरिक्त और किसी चीज को प्रमाणित नही करती । यदि पी०ए०सी में प्रसतोष हुआ तो क्यो ? और उस का पता न प्रदेश को चल पाया और न केन्द्र को । जब इतना बडा विस्फोट हो गया तब यह बात कही गयी । मैं यह समझता हू कि जब काग्रेस के पास सब से बड़ा प्रमाण-पत्र यह था कि बार बार वह कहते थे कि यही एव दल है जो स्थायी सरकार दे सकता है, गवर्नमेट दे सकता है, हम से यह देखा कि उन का बहुमत होते भी जिस तरह से पतझड मे पत्ते झर झर कर गिरते हैं उसी तरह से यह बहुमत मे होते हुए भी सारी की सारी सरकारी का पतन हुआ, और उस मे उत्तर प्रदेश का भी हुआ । इसलिये अपनी भयोग्यता स्वीकार कर लेनी चाहिये कि हम शासन नही चला सकते थे इसलिये बहुमत होते हुए भी हम ने उस को समाप्त किया और राष्ट्रपति शासन की स्थापना की । President's Rule 356 in U.P, (Res.) इस के साथ साथ जो अगली चीजें है वह भी एक विशेष विचारणीय हैं। राष्ट्रपति शासन से पहले ही कुछ इस प्रकार की घोषणाये वहां की लोकप्रिय सरकार ने की थी, जैसा कि श्री माननीय वाजपेयी जी ने कहा कि किसी भाषा को सरक्षण दिया जाय, उस को पढाने की व्यवस्था की जाय, इस मे किसी को कोई मतभेद नही हो सकता। लेकिन पिछले 25 वर्ष से जो आप की नीति चली ग्रा रही थी उस मे एक साथ आप ने इस प्रकार का सशोधन किया जिस से दूसरे की दृष्टि उस भोर जाती है और वह प्रापत्तिजनक प्रतीत होता है कि वहा के स्कूलो मे चार हजार उर्दू के अध्यापक एक साथ नियुक्त कर दिये जाये । इस साथ साथ वहा पढने वा या नही है इस बात का कोई ध्यान न रखा जाय । और युक्ति यह दी गयी कि जब तक और छात न हो तब तक यह उर्दू के अध्यापक और विषयो ने पढ़ाये । तो क्या और विपयो के अध्यापक तब तक नहीं थ जिन के लिये यह प्रतीक्षा की जा रही थी कि यह प्रायेगे और तभी पढाना प्रारम्भ होगा । ये इस प्रकार की चीजे हैं जो इस ओर ध्यान करानी है कि वास्तव मे यह लक्ष्य किसी भाषा मरक्षण का नही है अपितु राजनीतिक दृष्टि स लाभ प्राप्त करने का है। इस के साथ उत्तर प्रदेश मे जहा श्रावश्यक गणना की दृष्टि से इस प्रकार के लोग बसते थे कि जिस में उर्दू में प्रार्थना पत्र देने की कचहरियो मे छूट होनी चाहिये उसलिये 9 जिनो म पहले से ये सुविधाये प्राप्त थी । नेकिन यह सारे के सारे प्रार्थना पत्र फारसी लिपि में उत्तर प्रदेश मे दिये जाये, इस प्रकार की जो बात कही जा रही है वह इस बात को सोचने के लिये विवश करती है कि यह सब राजनीतिक दृष्टिकाण से किया जा रहा है, किसी भाषा के संरक्षण की दृष्टि से नहीं किया जा रहा है । इसके साथ साथ एक तरफ यह कहा जात है कि इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं कि President's Rule SRAVANA 17, in U.P. (Res.) जहां बिल्डिंग्ज मौजूद है वहां पर पाठशालाओं में प्रइमरी अध्यापक पढ़ाने के लिए नहीं हैं और जब यह मांग की जाती है शासन से कि वहा पर अध्यापक होने चाहिये तो पैसे के प्रभाव की बात कह कर इसको टाल दिया जाता है और दूसरी तरफ चार हजार अध्यापक रख दिए जाएं और भारीभरकम बोझ इस प्रकार का प्रदेश के ऊपर लाद दिया जाए यह बीज समझ में नहीं आती है । इस वास्ते राष्ट्रपति शासन के लागू होने के साथ साथ जो इस प्रकार की चीजे चल रही हैं वे बहुत ही प्रापत्तिजनक हैं और इन की और केन्द्रीय सरकार का ध्यान जाना चाहिये और इसके कारण जो असतोष उभर रहा है, उसको ध्यान में रखना चाहिये । या तो वहा पर लोकप्रिय शासन की स्थापना की जाए और यदि ऐसा नही होता है तो मैं चाहूंगा कि विधान सभा भग करके नए चुनाव कराए जाए । श्री रुद्र प्रताप सिंह (बाराबकी) उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की उदघोषणा के सम्बन्ध में हमारे गृह मंत्री श्री उमा शकर - दीक्षित जी ने जो अनुमोदन का सकल्प प्रस्तत किया है उसका समर्थन करन के लिए मै खडा हुआ हूँ। मुझ से पूर्व विरोधी दलो के वक्ताओ ने यहा पर जो विचार व्यक्त किए है वे न केवल अतिशयोक्तिपूर्ण है बल्कि तथ्यो मे परे है, निराधार है और उनका कोई औचित्य नहीं है । वास्तविकता यह है कि लोक सभा के जब मध्यावधि चुनाव हुए थे और उन मे जनता ने हमे जो आदेश दिये थे देश के अन्दर सामाजिक और आर्थिक विषमताथो को समाप्त करने के, देश से गरीबी, बेकारी, भुखमरी, बेरोजगारी भौर महगाई को दूर करने के, देश में फैले हुए असन्तुलन को दूर करने के उत्तर प्रदेश मे हमारे दल की सरकार उन तमाम वादों तथा जनता द्वारा दिए गए मादेशों का पालन करने के लिए कृतसंकल्प थी और बढ़तापूर्वक उन President's Rule in U.P. (Res.) कार्यों में रत थी । इस बात के कुछ उदाहरण मैं इस सदन के समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूं । विधान सभा में हमारी सरकार ने वहा पर भूमि सुधारो को कार्यान्वित करने की दिशा में सीलिग का विधेयक प्रस्तुत किया था और उसको स्वीकृत कराया था। उसके द्वारा इस बात की व्यवस्था की गई थी कि अधिक से अधिक भूमि प्राप्त करके भूमिहीनों को, हरिजनों को और पिछड़े वर्गों को बी जाए । इसके साथ साथ इस बात की भी व्यवस्था की गई कि अखिल भारतीय काग्रेस कमेटी के निर्णय के अनुसार गल्ले के व्यापार का अधिग्रहण किया जाए और उत्तर प्रदेश की सरकार मे इस कार्यक्रम को तेजी के साथ कार्यान्वित किया और इस बात की व्यवस्था की कि जिस तरह से हो सके जनता के सहयोग के द्वारा सुचारू रूप से गल्ले की वसूली की जाए ताकि जो हमारे भूखे लोग हैं उनको हम भोजन दे सके । हमारी सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक बहुत बडी व्यवस्था यह की कि उन्होंने एक कैबिनेट डिसिशन लिया जिस के अनुसार इस बात की व्यवस्था की गई थी कि उच्चतर माध्यमिक शिक्षा तक की शिक्षा का प्रान्तीयकरण किया जाएगा जिससे शिक्षा दलगत राजनीति से ऊपर उठ सके और विद्यार्थियों का सतुलित विकास हो सके, उनके व्यक्तित्त का विकास हो और शिक्षा का वातावरण शुद्ध हो सके तथा स्तर उन्नत हो सके । इन सब कामों को वह कर रही थी कि एक पी०ए०सी० की घटना घटी और न चाहते हुए भी सशस्त्र सेना का उम में सहयोग लेना पड़ा। वह गम्भीर स्थिति थी । उस पर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता भी थी। यह सोचने की प्रावश्यकता थी कि यह जो कार्य हुआ है इसके पीछे तोड़फोड मे विश्वास करने वाले राजनीतिक दलों का हाथ है 359 President's Rule in U.P. (Res) [श्री या प्रताप सिंह] या इसके पीछे अनुशासनहीनता फैलाने वाले दलो का हाथ है या इसके पीछे साम्प्रदायिकता फैलाने वाले दलो का हाथ है या इसके पीछे लोकतन के विरोधी वडे अफसरो का, नौकर शाही का हाथ है या पूजिपतियो का हाथ है या इसके पीछे कोई विदेशी षडयन है। उत्तर प्रदेश जो कि एक सीमा प्रदेश है, जोकि सुरक्षा की बष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेश है वहा हमें इस बात के लिए विवश होना पडा कि पी० ए० सी० की जो अभूतपूर्व घटना उत्तर प्रदेश ने घटी है देश की स्वतंत्रता के पश्चात यह एक अपने प्रकार की ऐसी घटना थी जिसकी ईश्वर न करे दुवारा भारत की भूमि पर कभी बोहराया जाए । इस प्रकार की घटना घटने के बाद भी हमारे विरोधी दलों के नेता पूछते हैं कि कौन सी बात थी कि माप विवश हो गए राष्ट्रपति शामन लागू करने के लिए। में अपने विरोधी दलो के नेताओ से यह पूछना चाहता हूँ कि भौर कौन इससे बडी घटना वे चाहते थे कि घंटे औौर राष्ट्रपति शासन लागू हो और कौन सी बड़ी घटना घटते हुए वे सुनना चाहते थे, पी० ए० सी० जो हमारा एक धग है, जिस के द्वारा हम प्रशासन को चलना चाहते हैं वह अग अगर हमारा साथ नहीं देता है और मनुशासनहीनता करता है तो इससे बड़ा कारण राष्ट्रपति शासन लागू करने के अलावा और कौन सा हो सकता था ? हर कोई जानता है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा में हमारा 421 मे से 271 का बहुतमत था। इतना भारी बहुमत होते हुए भी परिस्थितियों के कारणवश हमे मजबूर होना पड़ा और हमारे दल की सरकार को त्यागपत्र देना पड़ा। हम समझते थे और हम चाहते थे और माता भी करते थे कि हमारे विरोधी दलों के नेता इस के लिए हमारी प्रशसा कर गे, हमारे दल की सराहना करेंगे कि हमारे दल ने इस रजत जयन्ती वर्ष में इस बात को चौहरा दिया है, सिद्ध कर दिया President's Rule H.P. (Res) है कि इस कुर्सियों से चिपके रहना नहीं चाहते, हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, हम जनता की मदालत में जाना पसन्द करेगे बजाय इसके कि कुर्सियों से चिपके रहे । हमारे बनर्जी साहब ने औौर वाजपेयी जी ने विधान सभा के चुनाबो की मांग की है । मैं उसका स्वागत करता हूं । यथासमय फरवरी मे जब चुनाव होने चाहिये, हम भाशा करते हैं कि चुनाव अवश्य होगे। हम विरोधी दलो के मिथ्या प्रचार से भयभीत होने वाले नहीं है। हम भगले चुनाव में यह सिद्ध कर देगे कि लोक सभा के 1971 के मध्यावधि चुनाव में जनता ने जो फैसला किया था और 1972 के विधान सभाओ के चुनाव मे देश भर मे जो परिणाम हमने दिखाए थे, फरवरी 1974 में उत्तर प्रदेश की विधान सभा के लिए जो चुनाव होगे उन मे उसमे भी अधिक बहुमत ले कर हम विधान सभा मे भाएगे और सरकार बनाएगे । आप भय क्यो दिखाते है । हम चुनाव का स्वागत करते हैं, हमारे कनकर्ता स्वागत करते हैं सारे विधायक स्वागत हैं, जो प्रत्याशी होगे वे भी स्वागत करते हैं । यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन मे विधान सभा को निलम्बित क्यो किया गया है, उसको भग क्यो नही कर दिया गया ? बडी अजीब बात है। अगर हमने भग कर दिया होता तो हमारे अटल जी कहते कि लोकतन की हत्या हो गई और जब हम निलम्बित करते हैं तो उन्हें सन्देह होता है और कहते हैं कि भंग क्यो नहीं कर दिया गया । हमारे विरोधी दलो की तो यह स्थिति है मैं यह साफ कह दू जो है फर्क मुझ से तुझ मे तेरा वर्ष वर्षे सनहा मेरा गम गमे बनाना । इन शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं और जो संकल्प रखा गया है इसका समर्पत करता हू 4 President's Rule SRAVANA 17, 1895 ( SAKA) President's Rule in .P. (Res.) in U.P. (Res.) श्री चन्द्रिका प्रसाद (बलिया) : उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। इसलिए हमारे विरोधी भाइयों को कोई प्राधार चाहिये । इस वास्ते उनको हमारी पार्टी में और हमारी सरकार में खराबियां ही खराबिया दिखाई पड़ती है। वे हमारे प्रधान मंत्री और हमारे नेताओं की जो कीमत है उसको गिराना चाहते हैं। प्रधान मनी का यह प्रदेश है। प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की वेव में हमारे सब विरोधी बह गए थे। वे डरते है कि कही फिर ऐसा न हो जाए। इस वास्ते वे अभी से तैयारी कर रहे है। वे समझते है कि अगर उनके इमेज को नहीं गिरायेंगे तो उनका फिर वही हाल होगा जो पहले हुआ था मापने देख ही लिया है कि किस तरह से हाउस में चार चार घंटे काम का हरजा किया जा रहा है। यह एक प्रकार से डैमोक्रेस के साथ बलात्कार करना है । ऐसा करके मदन की जो मर्यादा है उसको गिराया जा रहा है। मैं कहूंगा कि जनता इनकी फिर वही हालत करेगी जा पहले 1971 में की थी । 1971 के चुनाव में जनता ने हमें मैंडेट दिया। जिन सूबों में इनकी मरकारे थी वहां भी ये हार गए । बंगाल मे श्री ज्योति बसु की सरकार बनी । बंगाल में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलो के लोग तीन पुश्तो से रहते आ रहे हैं। हम जानते हैं कि वहां सिनेमा का एक एक लाइसेम देने के लिए पचास पचास हजार रुपये लिये गये थे और मामूली मामूली कामों को करने के लिए दम दस हजार रुपये खुले श्राम लिये जाते थे । श्री ज्योतिर्मय बसु हमारे ऊपर चार्जिज लगाते हैं। मैं चाहता हूं कि पहले वे अपने दामन को देखें, उसको पाक साफ करें। भोजपुरी में एक कहावत है, सूप हंसे तो हंसं छलनी भी हंसे जिस में 72 छेद होते हैं। अपर मुझे मौका मिले, तो मैं हर बात का सबूत दे सकता हूं। यह कहना संतसर गलत है कि हमारे नेता पार्टी के लिए चंदा भांगते हैं । हमारी पार्टी के 32 करोड़ सदस्य हैं। अगर वे एक एक रुपया भी दें, तो हम 32 करोड़ रुपये इकट्टा कर सकते हैं। मेरे जंसा व्यक्ति भी 1967 में केवल पांच छः हजार रुपये खर्च कर के जीता, जब कि उस समय कांग्रेस मेरे निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत करीब करीब सभी सीटें हार गई थी। 1971 में मैं केवल 16 से 20 हजार रुपये खर्च कर के जीत कर आया हूं। हम को रुपये की क्या जरूरत है। देश की जनता ने हमारा साथ दिया है और हम को अपनी पार्टी के वर्कर्ज पर पूरा भरोसा है। इस लिए हम पर इस प्रकार का चार्ज लगाना अन्यायपूर्ण है और पब्लिक लाइफ़ में इस तरह कीचड़ उछालना ग़लत बात है । श्री वाजपेयी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागूक रना ग़लत है लेकिन खुद श्री बनर्जी ने कहा है कि सोशालिस्ट पार्टी और अन्य विरोधी पार्टियों के लोगों ने पी० ए०सी० वालों और विद्यार्थियों को भड़काया हमारे प्रदेश मे सूखा पड़ा हुआ था। पच्चीस बरस के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कि पी० एस० सी० और पुलिस का आपस मे संघर्ष हुआ, जिन के द्वारा ला एड भार्डर मेनटेन किया जाता है, और प्रशासन ठप्प हो गया था। उस समय हमारे मुख्य मन्त्री और उनके साथियों ने जनता के कष्ट देखकर खुशी से त्याग किया और यह साबित किया कि हम कुर्सी से चिपके नहीं रहना चाहते हैं। इस प्रकार उन्होंने वह आदर्श उपस्थित किया, जो हमारे अन्य नेता बराबर उपस्थित करते रहे हैं। . श्री बाजपेयी ने कहा है कि एसेम्बली को डिजाल्ब न करके केवल ससपेंड किया गया है मूछित किया गया है। गवर्नर ने साफ कहा है कि यह एक टेम्पोरेरी व्यवस्था है और जब प्रदेश की स्थिति में सुधार हो जायगा, 363 President's Rule in U.P. (Res ) [श्री चन्द्रिका प्रसाद] तो ऐसम्बली जिन्दा हो जायेगी और लोकप्रिय सरकार बन जायेगी। मै भी चाहता हू कि हमारे प्रदेश मे जरूर चुनाव होने चाहिए, लेकिन उससे पहले वहा लोकप्रिय सरकार बननी चाहिए। 1967 के चुनाव के बाद हमारे प्रदेश मे चार पाच साल तक सविद सरकारे रह । उन्होने सारी सरकारी मशीनरी को करप्ट कर दिया था, चारो तरफ अनुशासनहीनता फैल गई थी और भूखमरी व्याप्त थी । श्री कमलापति त्रिपाठी ने बो वर्ष मे वह काम कर दिखाया जो बीस वर्ष मे भी नही हो सकता था। श्री त्रिपाठी उन नेताओ मे से है, जो जीवन भर समाजसेवा और राजनैतिक कार्यों में लगे रहे है । उन्होने जनतन और देश की जो सेवा की हे और तीस बरस तक जो कुर्बानिया की है, वे देश के महान् नेताओ की तुलना मे किसी से कम नही हैं । यह बात नहीं है कि उन के घर मे कोई आर्थिक सकट था। वह पहले भी अच्छे घर से थे और आज भी अच्छी स्थिति मे है । इस लिए हम उन पर और उन वे परिवार पर इस प्रकार के लाछन लगाना समझते हैं । श्री वाजपेयी और श्री ज्योतिर्मय वसु दोनो ने कहा है कि भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्रति हमेशा उपेक्षा की नीति अपनाई है । आज न केवल देश मे, लिल विश्व भर मे, उस की प्रति व्यक्ति प्राय सब से कम है। उत्तर प्रदेश पहले सूखे और बाढ से तगह होता रहा है और आज भी तबाह हो रहा है । हमारे यहा जितनी इडस्ट्रीज होनी चाहिए वे नही हैं । हम चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश मे राष्ट्रपति शामन तब तक रहे, जब तक कि हम अन्य प्रदेशो के समकक्ष न प्रा जाये, हमारी आर्थिक समस्याये हल न हो जाये और हमारी मार्थिक प्रगति न हो जाये । उत्तर प्रदेश में बच्चो से तीन चार महीने की फ़ीस मामी जा President's Rule in U.P. (Rea.) है और किसानों से लगान की वसूली की जा रही है हम चाहते हैं कि बच्चो की फ्रीस माफ़ की जाये और लगान की वसुली बन्द. की जाये । बनारस कमिशनरी मे खरीफ अभियान के बारे में जो मंडलोय स्तर पर सम्मलन हुभा था, मैं ने वहा भा कहा था, और प्रधान मंत्री से उत्तर प्रदेश के समद सदस्यों की जो बैठव बुलाई थी उस मे भी कहा था कि बलिया पास्टाट्युएन्सी मे नानपेमेट भ्राफ ड्यूज के कारण तान साँ ट्यूबवैल्ज के कनेक्शन कटे हुए हैं। इस वक्त लागा के पास पैसा नहीं है । अगर बिजली के बनेक्शन वटे रहेगे तो बिजली न मिलने से फल का उत्पादन नहीं हो पायेगा और मुखमरा जारी रहेगी । पब्लिम वर्कस और सरकारी अधिकारियों के काम करने का तरीका अलग अलग होता है। सरकारी अधिगरियो में यह बानही प्रती निवेद। गहान के लिए बिजली का वनेक्शन दे दे, ता षि उत्पादन में वृद्धि होग प्र वीस्थति खत्म हो जायेगी तब लागा के पास पैसे हागे आर वे पेमेट वर देगे । इन शब्द, वे ग्ाथ में उत्तर प्रदेश मे राष्ट्रपन शामर्थन रंगहू । मरत सरकार का यह नाति है वि गरोबा योर वीवर मैगन्ज की मदद की जाये । उत्तर प्रदेश में राष्ट्र शाग्न उग नीति का कार्यान्वित करे हमारे यहा एक शूगर फैक्टरी बनी है । उस म जिन डायरेक्टर्ज का नाम(नेशन हुआ है, उन में हरिजन मुसलमान भार प्रन्य अनख्यकों के प्रतिनिधि नही है । इन वर्गों को भी उस से प्रतिनिधित्व दिया जान चाहिए, ताकि उन वर्गों के हितों की रक्षा President's Rule SRAVANA 17, 1895 (SAKA) President's Rule in U.P. (Res.) ग़रीबी को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में सिंचाई की प्राजेक्टस की तरफ़ पूरा ध्यान दिया जाये । हमारे यहां गंगा और घाघरा में बाढ़ माई हुई है। घाघरा से चकीचाददेरा के चौदह घर कट गये हैं। अगर यह पूरा गाव कट गया, तो नदी अपना रास्ता बदल लेगी और इससे जिले का दो तिहाई भाग कट जायेगा । श्रम सम्बन्ध में समय पर उचित कार्यबाड़ी न की गई, तो वह क्षेत्र बर्बाद हो जायेगा। दोहरी महायक परियोजना स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन ग्राज तक उसका काम शुरु नहीं गया है और उग का रुपया लैप्स हो रहा है। उस परियोजना के कार्य को तुरन्त हाथ में लेना चाहिए । फ़ैक्टरी चुकी है और उसका मैनेजिंग बोर्ड बन गया है । रभ काम का तेजी से किया जाये, ताकि लोगों की क्रय शक्ति बढ़े । इसी तरह मिनी स्टील पलाट भी स्त्री हो चुका है । उस को भी शाघ्र लगाया जाये । इम प्रकार हमारे क्षेत्र का प्रौद्योगिकरण करने से हमारे यहा का ग़रीबी मिट गयेगी । वहा के लागो का गहा देने के लिए टेस्ट वर्म भी शुरु किये जाये । श्री कृष्ण चन्द्र पांडे (खनालाबाद ) उपाध्यक्ष महादय, आज हम उत्तर प्रदेश के और देश के ऐसे मसले पर विचार कर रहे है, जो बहुत हो गम्भीर मसला है। उत्तर प्रदेश मे श्राज राष्ट्रपति का शासन है । यह विधि की बिडमना ही कही जा सकती है कि जिस प्रदेश में बहुमत की सरकार रही हो, उसमे राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। परन्तु भगर गम्भारता से विचार किया जाये, तो ज्ञात होगा कि जिन परिस्थितियों में राष्ट्र3, पति शासन लागू किया गया, वे बड़ी दुर्भाग्य पूर्ण थीं। आप जानते है कि उत्तर प्रदेश में सात बरस तक ऐसी स्थिति रही कि सरकार भाई औौर गई। इस बीच मे प्रशासन इतना कमजोर और भ्रष्ट हो गया कि उस को सुधारने के लिए एक सुदृढ़ शासन की आवश्यकता थी । पंडित कमलापनि विपाटी के नेतृत्व मे छब्बीस महीनों में जो कार्य हुआ, उस का अपना एक इतिहास है। इसी बीच विरोधी दलों का जा षड़यत्र चल रहा था, वह सामने भाया । वह षडयंत था लखनऊ विश्वविद्यालय वा । विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार महोदय ने, जिन पर चालीस लाख रुपये के ग़बन के आरोप थे वहा के विद्याथियों को गुमराह कर के एक षडयत्र किया । मैं गुह मत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि क्या कारण है कि लखनऊ विश्वविद्यालय की अन्य फ़ॉल्टउज मे आग नही लगाई गई, वाइस-चाम्लर का चेम्बर नही पूरा गया, लेकिन केवल रजिस्ट्रार का आफ़िस फूना गया और उनकी उन फ़ाइलों को फूका गया, जिनमे गबन सम्बन्धी वागजात थे । में जानना चाहता हूनि क्याने आज तक उस तरफ ध्यान दिया है श्री दि मही दिया है, तो उस का क्या कारण है । जहा तक मेरी जानकारी हे, उत्तर प्रदेश में पी० ए० सी० का जो भयकर विद्राह हुआ, उस को राजनैतिक सफलता नही बल्कि प्रशासनिक असफलता हा जी 1 । मुख्य मन्त्री गये, उन की कंबिनेट गई और विधायक भी अपने अपने घर गये । लोकन पी० एस० सी० की बागडोर जिन उच्चाधिकारियों के हाथ में थी, वे जिन पदो पर बैठे थे, आज भी वे उन्ही पदो पर बड़े हुए है । भाज भी उन पदो का दुरुपयोग किया जा रहा है। है । यह ठीक है कि पी० ए० सी० को नया रूप दिया जा रहा है, लेकिन पी० ए० सी० के विद्रोह के समय जिन अधिकारियों के हाथों
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बाघमारा प्रखंड की मोहलीडीह पंचायत में पंचायत सदस्य समिति के रूप में शहनवाज बेगम निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। शाहनवाज कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव इसराफिल उर्फ लाला की पत्नी हैं। इससे पहले दो बार लाला ने मोहलीडीह पंचायत का बतौर पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधित्व किया। जागरण संवाददाता, धनबादः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बाघमारा प्रखंड की मोहलीडीह पंचायत में पंचायत सदस्य समिति के रूप में शहनवाज बेगम निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। शाहनवाज कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव इसराफिल उर्फ लाला की पत्नी हैं। इससे पहले दो बार लाला ने मोहलीडीह पंचायत का बतौर पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधित्व किया। 2010 में पहली बार वह इस सीट से पंचायत चुनाव जीते। जीत की हैट्रिक से परिवार में जश्न का माहौल है। बहू से ही था काॅम्पीटिशन, बहू ने ही दिलाई जीतः मालूम हो कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में बाघमारा प्रखंड में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। प्रखंड की मोहलीडीह सीट के महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद लाला ने इससे अपनी पत्नी शहनवाज बेगम का नामांकन दाखिल कराया था। वहीं दूसरी ओर बहू नाजिया बेगम ने भी नामांकन करा लिया था, लेकिन आज नाम वापसी के दिन बहू नाजिया बेगम ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके बाद सास शहनवाज बेगम निर्विरोध रूप से पंचायत समिति सदस्य के रूप में चुन ली गईं। जीत के बाद लाला ने कहा कि पिछले दो बार के कार्यकाल में उन्होंने जो बेहतर कार्य किए, अब उनकी पत्नी उसे आगे बढ़ाएंगे। वहीं जो काम अबतक अधूरे रह गए, उनको भी प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। लाला ने अपनी जीत का श्रेय मोहलीडीह पंचायत के सभी लोगों को दिया। पानी भरने को लेकर हुआ था विवाद, तैश में आकर बहू ने भर दिया था पर्चाः बताया जाता है कि सास और बहू में बीते दिनों पानी भरने को लेकर विवाद हुआ था। इसी वजह से बहू ने गुस्से में आकर पंचायत चुनाव में अपनी सास के विरुद्ध नामांकन दाखिल कर दिया। हालांकि बाद में दोनों के बीच सुलह होने पर बहू ने नाम वापस ले लिया, जिसके बाद सास निर्विरोध जीत गई। गोडविन के सरेंडर पर लाला ने कहा, यह तो पहले से तय थाः गौरतलब है कि आज ही के दिन सुबह गैंग्स ऑफ वासेपुर के गोडविन खान और हीरा ड्राइवर ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। लाला को गोडविन के छोटे भाई प्रिंस खान के नाम पर लगातार रंगदारी के लिए धमकी मिलती रही है। इस संबंध में लाला ने कहा कि बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा होता है। उन्होंने कहा कि पुलिस के दबाव में आकर ही गोडविन ने बचने के लिए सरेंडर कर दिया है। कहा कि इन सब पर पुलिस का शिकंजा कसना पहले से तय था।
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तत्त्वाधिगम के उपाय यह कि मात्र शास्त्र होने के कारण ही हर एक पुस्तक प्रमाण और ग्राह्य नही कही जा सकती। अनेक टीकाकारोनेभी मूलग्रन्थका अभिप्राय समझनेमे भूले की है । अस्तु 17 - हमे यह तो मानना ही होगा कि शास्त्र पुरुषकृत हे । यद्यपि वे महापुरुष विशिष्ट जानी ओर लोक कल्याणकी सदुद्भावनावाले थे पर क्षायोपत्रमिकज्ञानवश या परम्परावा मतभेदकी गुजायग तो हो ही सकती है । ऐसे अनेक मतभेद गोम्मटसार आदिमे स्वय उल्लिखित हे । अत शास्त्र विषयक सम्यग्दर्शन भी प्राप्त करना होगा कि शात्रमे किस युगमे किस पात्रके लिए किस विवक्षासे क्या बात लिखी गई है उनका ऐतिहासिक पर्यवेक्षण भी करना होगा । दर्शनशास्त्र के ग्रन्थोमे खण्डन मण्डन के प्रसगमे तत्कालीन या पूर्वकालीन ग्रन्थोका परस्परम आदान-प्रदान पर्याप्त रूपसे हुआ है । अत आत्म-सशोधकको जैन सस्कृतिकी शास्त्र विषयक दृष्टि भी प्राप्त करनी होगी । हमारे यहा गुणकृत प्रमाणता है । गुणवान् वक्ताके द्वारा कहा गया वह शास्त्र जिसमे हमारी मूलधारासे विरोध न आता हो, प्रमाण है । আ জgood son somewone mom rephind इसीतरह् हमे मन्दिर, सस्था, समाज, शरीर, जीवन, विवाह आदिका सम्यग्दर्शन करके सभी प्रवृ त्तियोकी पुनारचना आत्मसमत्वके आधारसे करनी चाहिए तभी मानव जातिका कल्याण और व्यक्तिकी मुक्ति हो सकेगी । तत्त्वाधिगम के उपाय"ज्ञान प्रमाणमात्मादेरुपायो न्यास इध्यते । नयो ज्ञातुरभिप्रायो युक्तितोऽर्थपरिग्रहः ॥" -लघीय० । अकलकदेवने लघीयस्त्रय स्ववृत्तिमे बताया है कि जीवादि तत्त्वोका सर्वप्रथम निक्षेपोके द्वारा न्यास करना चाहिए, तभी प्रमाण और नयसे उनका यथावत् सम्यग्ज्ञान होता है । ज्ञान प्रमाण होता है । आत्मादिको रखनेका उपाय न्यास है। ज्ञाताके अभिप्रायको नय कहते है। प्रमाण और नय जानात्मक उपाय है और निक्षेप वस्तुरूप है । इसीलिए निक्षेपोमे नययोजना कपायपाहुडचूर्ण आदिमे की गई है कि अमुक नय अमुक निक्षेपको विषय करता है । निक्षेप - निक्षेपका अर्थ है रखना अर्थात् वस्तुका विश्लेषण कर उसकी स्थितिकी जितने प्रकारकी सुभावनाएँ हो सकती है उनको सामने रखना । जैसे 'राजाको बुलाओ' यहाँ राजा और बुलाना इन दो पदोका अर्थबोध करना है । राजा अनेक प्रकारके होते हैं यथा 'राजा' इस शब्दको भी राजा कहते है, पट्टीपर लिखे हुए 'राजा' इन अक्षरोको भी राजा कहते है, जिस व्यक्तिका नाम राजा है उसे भी राजा कहते है, राजाके चित्रको या मूर्तिको भी राजा कहते हैं, शतरजके मुहरो मे भी एक राजा होना ह जो आगे राजा होनेवाला है उसे भी लोग आजसे ही राजा कहन लगते है, गजाके ज्ञानको भी राजा कहते है, जो वर्तमानमे शासनाधिकारी है उसे भी राजा कहते है । अत हमें कौन राजा विवक्षित है वच्चा यदि राजा माँगता है तो उस समय किस राजाकी आवश्यकता होगी, गतरजके समय कोन राजा अपेक्षित होता है । अनेक प्रकारके राजाओसे अप्रस्तुतका निराकरण करके विवक्षित राजाका ज्ञान करा देना निक्षेपका प्रयोजन है। राजाविषयक मायका निराकरण कर विवक्षित राजाविषयक यथार्थबोध करा देना ही निक्षेपका कार्य है । इसी तरह बुलाना भी अनेक प्रकारका होता है । तो 'राजाको बुलाओ' इस वाक्यमे जो वर्तमान शामनाधिकारी हे वह भावराजा विवक्षित है, न गव्दराजा, न जानराजा न लिपिराजा न भूर्तिराजा न भावीराजा आदि । पुरानी परम्पराम अपने विवक्षित अर्थका सटीन ज्ञान करानेकेलिए प्रत्येक शब्दके सभावित वाच्यार्थीको सामने रखकर उनका विश्लेषण करनेकी परिपाटी थी । आगमोमे प्रत्येक शब्दका निक्षेप किया गया है । यहा तक क 'शेष' व्द और 'च' शब्द भी निक्षेप विधिमं भुलाये नही गये है । शब्द ज्ञान और अर्थ तीन प्रकारसे व्यवहार चलते है । कही शब्दव्यवहार कार्य चलना है तो कही ज्ञानसे तो कही अर्थसे । बच्चेको दराने के लिए शेर शब्द पर्याप्त है । शेरका ध्यान करनेके लिए शेरका ज्ञान भी पर्याप्त है। पर सरकसमे तो शेर पदार्थ ही चिघाट सकता है। विवेचनीय पदार्थ जितने प्रकारका हो सकता है उतने राव संभावित प्रकार सामने रखकर अप्रस्तुतना निराकरण करके विवक्षित पदार्थको पकडना निक्षेप हे । तत्त्वार्थसूत्रकारने उस निक्षेपको चार भागोमे वाँटा है - शब्दात्मक व्यवहारका प्रयोजक नामनिक्षेप है, 5 समे वस्तुमे उम प्रकारके गुण जाति क्रिया आदिका होना आवश्यक नहीं है जैसा उसे नाम दिया जा रहा है। किसी अन्बेका नाम भी नयनमुख हो सकता है ओर किसी सूखकर कॉटा हुए दुर्बल व्यक्तिको भी महावीर कहा जा सकता है। ज्ञानात्मक व्यवहारका प्रयोजक स्थापना निक्षेप है । इस निक्षेपमे ज्ञानके द्वारा तदाकार या अतदाकार में विवक्षित वस्तुकी स्थापना कर ली जाती है और सकेत ज्ञानके द्वारा उसका बोध करा दिया जाता है । अर्थात्मक निक्षेप द्रव्य और भावरूप होता है। जो पर्याय आगे होनेवाली है उसमें योग्यताके वलपर आज भी वह व्यवहार करना अथवा जो पर्याय हो चुकी है उसका व्यवहार वर्तमानमें भी करना द्रव्यनिक्षेप है जैसे युवराजको राजा कहना और राजपदका जिसने त्याग कर दिया है उसको भी राजा कहना । वर्तमानमे उस पर्यायवाले व्यक्तिमे ही वह व्यवहार करना भावनिक्षेप है, जैसे सिहासनस्थित शासनाधिकारीको राजा कहना । आगमोमे द्रव्य, क्षेत्र, काल आदिको मिलाकर यथासंभव पाच, छह और सात निक्षेप भी उपलब्ध होते हं परन्तु इन निक्षेपका प्रयोजन इतना ही है कि शिष्यको अपने विवक्षित पदार्थका ठीक ठीक ज्ञान हो जाय । धवला टीका ( पृ० ३१ ) निक्षेपके प्रयोजनोका मग्रह करनेवाली यह प्राचीन गाथा उद्धत है --- "अवगयनिवारणट्ट् पयदस्स परवणाणिमित्त च । ससयविणासणट्ट तच्चत्थवधारणट्ठ च ॥" अर्थात् अप्रकृतका निराकरण करने के लिए, प्रकृतका निरूपण करने के लिए, समयका विनाश करने के लिए और तत्त्वार्थका निर्णय करने के लिए निक्षेपकी उपयोगिता हे । प्रमाण, नय और स्याद्वाद -- निक्षेप विविसे वस्तुको फैलाकर अर्थात् उसका विश्लेषण कर प्रमाण और नयके द्वारा उसका अधिगम करनेका क्रम शास्त्रसम्मत और व्यवहारोपयोगी है। जानकी गति दो प्रकः रमे वस्तुको जाननेकी होती है । एक तो अमुक अशके द्वारा पूरी वस्तुको जाननेकी ओर दूसरी उसी अमुक अशको जाननेकी । जब ज्ञान पूरी वस्तुको ग्रहण करता है तव् वह प्रमाण कहा जाता है तथा जब वह एक अशको जानता है तब नय । पर्वतके एक भागके द्वारा पूरे पर्वतका अखण्ड भावने ज्ञान प्रमाण है और है उनी जग का ज्ञान नय हे । सिद्धान्त प्रमाणको मकलादेशी तथा नयको विकलादेशी कहा है उसका यही तात्पर्य है कि प्रमाण जात वस्तुभागके द्वारा सकल वस्तुको ही ग्रहण करता है जब कि नय उमी विकल अर्थात् एक अशको ही ग्रहण करता है । जैसे आखसे घटके रूपको देखकर र पमुखेन पूर्ण घटका ग्रहण करना सकलादेश है ओर घट रूप है इस रूपागको जानना विकलादेश अर्थात् नय है। अनन्तवर्मात्मक वस्तुका प्रवत् विशेषोके साथ पूर्ण रूपसे ग्रहण करना तो अल्पज्ञानियोके वशकी बात नहीं है वह तो पूर्ण ज्ञानका कार्य हो सकता है । पर प्रमाणजान तो अल्पज्ञानियोका भी कहा जाता है अत प्रमाण और नय की भेदक रेखा यही है कि जब ज्ञान अखड वस्तु पर दृष्टि रखे तत्र प्रमाण तथा जब अशपर दृष्टि रखे तव नय । वस्तुमे सामान्य और विशेष दोनो प्रकारके धर्म पाए जाते है । प्रमाण ज्ञान सामान्यविशेषात्मक पूर्ण वस्तुको ग्रहण करता है जब कि नय केवल सामान्य अशको या विशेष अशको । यद्यपि केवल सामान्य और केवल विशेषरूप वस्तु नही है पर नय वस्तुको अगभेद करके ग्रहण करता है । वृक्ताके अभिप्रायविशेषको ही नय कहते हैं । नयू जब विवक्षित अशको ग्रहण करके भी इतर अशोका निराकरण नहीं करता उनके प्रति तटस्थ रहता है तब मुनय कहलाता है और जब वही एक अगका आगह करके दूसरे अशोका निराकरण करने लगता हैं तव दुर्नय कहलाता है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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श्रीनगरः पाकिस्तान की तरफ से एलओसी पर सीजफायर तोड़ने का सिलसिला सुबह से जारी है. पाकिस्तान की ओर से पहले पुंछ सेक्टर में फायरिंग की, अब उरी सेक्टर के बारमूला गई. 15 अगस्त से पहले पाकिस्तान की ओर से हो रही फायरिंग की वजह से इलाके में लोग दहशत में हैं. हांलाकि सेना की ओर से पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. भारतीय सेना ने भी पाकिस्तान की इस कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना ने छोटे और ऑटोमैटिक हथियारों के अलावा भारी मोर्टार से भी हमला किया. पाकिस्तान ने पुंछ के कृष्णा घाटी सेक्टर के अलावा उरी सेक्टर के बारमूला जिले में भी सीजफायर का उल्लंघन किया और वहां भी मोर्टार दागे. जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों से मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए और तीन घायल हो गए. वहीं बहादुर जवानों ने तीन आतंकवादियों को मार भी गिराया. मारे गए तीन आतंकवादियों में हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर यासीन इट्टू उर्फ गजनवी भी है हालांकि मौके से दो आतंकी भागने में कामयाब भी हो गए. शोपियां में शहीद हुए जवान इल्लैयाराजा और गवई सुमेध वमन को श्रीनगर में श्रद्धांजलि दी गई और उनके पार्थिव शरीर उनके घरों को भेज दिया गया. जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों की घेराबंदी की लेकिन पत्थरबाजों ने जवानों पर पत्थराव कर आतंकवादियों को सुरक्षित भगा दिया. बांदीपुरा के वहाबपुरा में सुरक्षाकर्मियों को आतंकियों के साथ-साथ पत्थरबाजों का भी सामना करना पड़ा. एनकाउंटर के दौरान दो पुलिसकर्मी घायल भी हो गए.
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बेन स्टोक्स (Ben Stokes) की टीम इंग्लैंड ने अपने पाकिस्तान के दौरे में 3 मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच में पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर सीरीज में पाकिस्तान का सूपड़ा साफ़ कर दिया। लगातार तीसरे टेस्ट मैच में जीत दर्ज़ कर इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भारत के पूर्व धांसू कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। मंगलवार, 20 दिसंबर को टेस्ट सीरीज के अंतिम मैच में कराची के मैदान में इंग्लैंड ने पाकिस्तान को हरा कर एक कैलेंडर ईयर में 9 टेस्ट मैच जीतने वाले दुनिया के सातवें कप्तान बन गए। इस साल उन्होंने बतौर कप्तान इंग्लैंड के लिए उन्होंने 9 टेस्ट मैच जीते और एक में हार का सामना किया है। अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट का इतिहास बताता है कि भारतीय टीम के पूर्व धांसू कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने साल 2016 में बतौर टेस्ट कप्तान एक कैलेंडर ईयर में 9 मैच जीते थे और किसी भी मैच में हार का सामना नहीं किया था। विराट कोहली और बेन स्टोक्स के अलावा यह कीर्तिमान पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ (Graeme Smith), रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting), माइकल वॉन (Michael Vaughan), स्टीव वॉ (Steve Waugh) और क्लाइव लॉयड (Clive Lloyd) के नाम भी दर्ज़ है। उन्होंने भी एक कैलेंडर ईयर में 9 टेस्ट मैच जीते हैं। गौरतलब है कि बेन स्टोक्स की कप्तानी में इंग्लैंड ने साल 2010 के बाद पहली बार एक कैलेंडर ईयर में 9 या इससे ज्यादा टेस्ट मैच जीते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की ज़मीन पर पाकिस्तान का टेस्ट सीरीज में पहली बार इंग्लैंड ने सूपड़ा साफ किया है। इस सीरीज के कराची में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड के युवा बल्लेबाज हैरी ब्रूक (Harry Brook) ने 111 रनों की शतकीय पारी खेली। डेब्यू टेस्ट मैच खेल रहे 18 साल के युवा स्पिनर रेहान अहमद (Rehan Ahmed) ने 5 विकेट चटकाए और एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया। हैरी ब्रूक 'Player of The Series' रहे।
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा टेस्ट मैच इंदौर में खेला जा सकता है. कप्तान रोहित शर्मा ने पहले टॉस जीतकर बल्लेबाज़ का फैसला किया पर भारतीय बल्लेबाजी मैच के पहले दिन एक दम बेदम नजार आई. पहले दिन ऑस्ट्रेलिया के नाम करने के बाद दूसरे दिन गेंदबाजों के दम पर भारत ने मैच में वापसी की कोशिश की लेकिन बल्लेबाजों ने एक बार फिर टीम की नैया को मझधार में छोड़ दिया. रोहित, कोहली, गिल, जडेजा कोई भी खिलाड़ी आज क्रीज़ पर टिक कर बल्लेबाज़ी करने में सफल नहीं रहा. ऐसे में ख़राब बल्लेबाज़ी से सोशल मीडिया पर फैंस बहुत नाराज नज़र आ रहे है. तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन आज भारतीय टीम के सामने ऑस्ट्रेलिया की टीम को जल्द से जल्द आउट करने की जिमीदारी थी जिसके अश्विन और उमेश यादव ने बखूबी निभाया. दोनों गेंदबाजों ने लगातार विकेट चटका कर टीम को 194 पर ही समेट दिया. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी की दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाज़ संभला कर पारी को आगे बढ़ाएंगे और पूरे दिन का अच्छे से इस्तेमाल करेंगे पर हाथ में लगी निराशा. कप्तान रोहित और शुभमन गिल ने पारी की शुरुआत में ही अपना विकेट सस्ते में गँवा दिया. नंबर तीन पर चेतेश्वर पुजारा टिके रहे लेकिन दूसरे छोर से लगातार विकेट गिरते हुए. नंबर तीन पर कोहली फ्लॉप, जडेजा फ्लॉप और विकेटकीपर केएस भारत भी नाकाम साबित हुआ. अय्यर ने 26 रन की छोटी लेकिन तेज़ पारी खेल कर रन गति को तेज़ किए तो वही पुजारा ने शानदार अर्धशतक लगाकर कर दिखा दिया की क्यूँ उन्हें भारत का संकट मोचन कहते है. रोहित कोहली के फ्लॉप प्रदर्शन पर सोशल मीडिया में फैंस काफी नाराज है और गुस्से वाला रिएक्शन दे रहे है. Virat Kohli in Test : Virat Kohli vs Todd Murphy in Test cricket:
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ALLAHABAD: करेली स्थित जीटीबी नगर के लोग पिछले करीब एक महीने से अधाधुंध बिजली कटौती से त्रस्त हैं। आए दिन बिजली गायब हो जाती है और 48 घंटे बाद आती है। फ्लक्चुएशन की स्थिति ये है कि दर्जनों घरों के बल्ब फ्यूज हो चुके हैं, वहीं इलेक्ट्रानिक उपकरण भी खराब हो रहे हैं। बार-बार शिकायत के बाद भी खामी को दूर नहीं किया जा रहा है। दो दिन से तो पूरी तरह से बिजली ठप है, जिससे परेशान लोगों ने अब जिलाधिकारी व पूर्वाचल विद्युत वितरण खंड के एमडी से मदद की गुहार लगाई है। करेलाबाग सब स्टेशन से पहलवान तिराहा पर लगे ट्रांसफार्मर से गुरुतेग बहादुर पार्क व बी ब्लॉक के इलाके में सप्लाई दी जाती है, लेकिन आए दिन खराबी के चलते इस इलाके के एक हजार से अधिक घरों को बिजली नहीं मिल पा रही है। बिजली आपूर्ति ठप होने से लोगों को पानी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। शनिवार की रात साढ़े ग्यारह बजे के बाद बिजली गुल हो गई। इसके बाद लगातार फ्लक्चुएट होती रही, लोगों ने सब स्टेशन फोन लगाया तो नम्बर स्विच आफ मिला। इस बीच बिजली फ्लक्चुएशन के चलते कई घरों के बल्ब फ्यूज हो गए। वहीं इलेक्ट्रानिक उपकरण खराब हो गए। रविवार सुबह आक्रोशित लोग सब स्टेशन पहुंचे इसके बाद फाल्ट बनाया गया। इलाके के रहने वाले शोएब, ताहिर ने आरोप लगाया की हर दूसरे दिन यहां की बिजली रात 12 बजे उड़ जाती है और अगले दिन सुबह या दोपहर बहाल होती है। कर्मचारियों की लापरवाही से आये दिन पहलवान तिराहे के ट्रांसफार्मर में खराबी बनी रहती है। इलाके के काशिम, जावेद, राकेश, गुड्डू, सर्फराज ने बताया कि कई बार अधिकारियों से शिकायत हुई लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। लोगों ने आपूर्ति में सुधार की गुहार जिलाधिकारी संजय कुमार, पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के एमडी एके सिंह व मुख्य अभियंता इलाहाबाद, अधिशासी अभियंता कल्याणी देवी से लगाई है।
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पटना 23 जून (वार्ता) अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकता बनाने के उद्देश्य से अट्ठारह दलों के शीर्ष विपक्षी नेताओं की पहली बड़ी बैठक आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर होने जा रही है । आगे देखे. . पटना 23 जून (वार्ता) अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकता बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित शीर्ष विपक्षी नेता आज पटना पहुंचे वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कल पहुंचने की संभावना है। आगे देखे. . मुंगेर 22 जून (वार्ता) बिहार में मुंगेर जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी गांव स्थित स्टेट बैंक (एसबीबाई) के एटीएम से आज चोरों ने 29 लाख 71 हजार रुपए की चोरी कर ली। आगे देखे. . पटना, 22 जून (वार्ता) पटना में जी 20 के सदस्य देशों की दो दिवसीय एल 20 बैठक के पहले दिन सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर साझा दृष्टिकोण अपनाने के लिए व्यापक चर्चा हुई। आगे देखे. . रांची, 22 जून (वार्ता) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हाथों आज 2550 युवाओं को जब नियुक्ति पत्र मिला तो उनकी खुशियां देखते ही बन रही थी। आगे देखे. . पटना 22 जून (वार्ता) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि देश को विनाशकारी स्थिति से बचाने के लिए वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना होगा। आगे देखे. . जमुई, 22 जून (वार्ता) बिहार में जमुई जिले के नगर थाना क्षेत्र से पुलिस ने गुरूवार को कुख्यात अपराधी वीरप्पन और उसके एक सहयोगी को हथियार के साथ गिरफ्तार कर लिया। आगे देखे. . दरभंगा, 22 जून (वार्ता) बिहार में दरभंगा जिला के बहेड़ी थाना क्षेत्र में गुरुवार को वर्चस्व को लेकर हुयी लड़ाई में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी तथा एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया। आगे देखे. . पटना, 22 जून (वार्ता) बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज जी20 के सदस्य देशों के एल20 (श्रम भागीदारी समूह) के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। आगे देखे. . रांची, 22 जून (वार्ता)भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पूरी दुनिया मोदी की प्रशंसा कर रही है, विश्व में प्रधानमंत्री और भारत का डंका बज रहा है परंतु कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है। आगे देखे. . जमुई, 22 जून (वार्ता) बिहार मे जमुई जिले के बरहट थाना क्षेत्र मे एक युवती ने गुरूवार को गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आगे देखे. . जमुई, 22 जून (वार्ता) बिहार में जमुई जिले के मलयपुर थाना क्षेत्र में गुरूवार की सुबह सांप के डसने से एक बच्चे की मौत हो गयी। आगे देखे. .
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आपने कई बार सुना होगा कि जमीन के छोटे से टुकड़े के लिए दो देश या भाई-भाई में खून खराबा हो जाता हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जमीन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पर कोई भी देश अपना दावा नहीं चाहता हैं. सुनने में ये थोडा अजीब लगे लेकिन ये बिलकुल सच हैं. इस जमीन पर कोई देश पैर भी रखने को राजी नहीं हैं. जिस जगह की हम बात कर रहे हैं उस जगह का नाम 'बीर तविल' है. ये मिस्र और सूडान के बॉर्डर पर मौजूद 2060 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ लावारिस हिस्सा है. इस जमीन पर अभी तक किसी भी देश में अपने होने का दावा नहीं किया हैं. वर्ष 1899 में यूनाइेड किंगडम ने सूडान और मिस्र के बीच बॉर्डर का निर्धारण किया. लेकिन मिस्र और सूडान दोनों ने इस जमीन पर अपने अधिकार लेने से मना कर दिया था. क्यों नहीं चाहता कोई इस जमीन पर अधिकार? तविल लाल सागर के करीब एक रेगिस्तानी क्षेत्र हैं. वहां बेहद गरम और सुखी हवाए चलती हैं. इस क्षेत्र में दूर-दूर तक पानी या वनस्पति का नामो-निशान नहीं दिखाई देता हैं. यही कारण हैं इस स्थान पर जिंदा रहना असंभव हैं. लोगों का कहना हैं कि इस जमीन में तेल और सोने का भंडार हैं लेकिन फिर भी यहाँ कोई नहीं जाना जाता हैं. कहा जाता हैं कि जहाँ कोई नहीं पहुँच सकता हैं वहां भारतीय पहुँच सकते हैं. तविल पर भी इंदौर के रहने वाले एक शख्स ने अपना कब्जा किया था. सुयश दीक्षित नाम के इस युवक ने जगह को 'किंगडम ऑफ दीक्षित' का नाम दिया था. यहाँ तक कि अपने देश का झंडा भी लगा दिया था. इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. सुयश दीक्षित ने एक वेबसाइट भी बनवाई और लोगों नागरिकता लेने के लिए भी कहा था. हालाँकि वह खुद ज्यादा दिनों तक वहां नहीं टिक पाए और वापसी अपने देश लौट आए और फिर दोबारा कभी वहां वापसी नहीं लौटे. दरअसल सुयश से पहले एक अमेरिकी और रुसी व्यक्ति भी इस जगह पर अपना दावा ठोक चुके हैं लेकिन कभी भी कोई इस वजह पर ज्यादा दिनों तक नहीं रुक पाया.
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FATEHPUR: जिले में आई खाद से भले ही यूरिया का संकट दूर होने की बात कही जा रही है। यहां कस्बे में प्राइवेट वितरक अब भी ब्लैक मार्केटिंग कर कर रहे हैं। कभी दो दर्जन से अधिक गांवों के लिए खाद की पूर्ति करने वाली किसान सेवा सहकारी समिति पिछले दो दशक से तालाबंदी का शिकार है। किसान सेवा सहकारी समिति जहानाबाद में न्याय पंचायत क्षेत्र अकबरपुर-नसीरपुर व ब्रम्हनगर के गांवों को खाद मिलती थी। जिसमें द्वारिकापुर जट्ट, कुल्लीहार, घनश्यामपुर, बाराबीघा मिर्जापुर, दुर्गापुर, कलाना, जाफरपुर-सिठर्रा, पतारी, भुलभुलियापुर सहित भ्0 गांव के किसानों को इस समिति से खाद उपलब्ध होती रही है। समिति के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार उत्तम ने बताया कि दो दशक से समिति घाटे के चलते बंद हो गई। जिससे किसानों को खाद के लिए निजी दुकानदारों पर निर्भर होना पड़ा। इस समिति के अंतर्गत जो भी गांव आते हैं वहां किसानों को मंहगी खाद ही मिल पाती है। जिले भर में खाद के संकट से मचे हाहाकार के बीच दो दिन पहले आई खाद की रैक से काफी राहत मिली है। हालांकि इसके उलट जहानाबाद में खाद की ब्लैक मार्केटिंग बंद नहीं हो रही है। किसानों को अब भी निजी दुकानदार भ्00 रुपए बोरी के हिसाब से यूरिया खाद दे रहे हैं। इस पर प्रशासन भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। एसडीएम शिव प्रसाद ने कहा खाद की ओवर रेटिंग न हो इसके लिए निजी दुकानों में छापेमारी की गई थी। अगर जहानाबाद में अब भी ओवर रेटिंग हो रही है तो फिर छापे मारे जाएंगें। किसान सेवा सहकारी समिति का भवन भी अब जर्जर हो गया है। किसान अब यह उम्मीद तोड़ चुका है कि कभी उसे सहकारी समिति से खाद मिल पाएगी।
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चंडीगढ़ःस्टीफलॉन डॉन के स्टेज नाम से मशहूर प्रशंसित ब्रिटिश रैप आर्टिस्ट स्टेफनी एलेन ने रविवार को प्रसिद्ध पंजाबी गायक दिवंगत सिद्धू मूसेवाला को उनकी जयंती पर पंजाब के मानसा के एक गांव में उनके परिवार के घर जाकर श्रद्धांजलि दी। शुभदीप सिंह सिद्धू के सैकड़ों प्रशंसक और अनुयायी उन्हें व्यापक रूप से उनके स्टेज नाम सिद्धू मूसेवाला के रूप में जानते थे। उनकी 29 मई 2022 को मानसा जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी जयंती पर रविवार सुबह से ही मूसा गांव में उनके घर पर दिवंगत गायक के प्रशंसक जुटने शुरू हो गए थे। दिवंगत रैपर के पिता बलकौर सिंह सिद्धू और मां चरण कौर सिंह के साथ, स्टेफलॉन डॉन मूसेवाला के अनुयायियों की भीड़ के साथ घुलमिल गईं। ऑनलाइन सामने आने वाले वीडियो के एक सेट में, स्टेफलॉन डॉन को पंजाबी निमार्ता सैंडी जोया के साथ मूसा गांव की सड़कों से गुजरते हुए देखा गया। स्टेफलॉन डॉन ने मूसेवाला के साथ इनविजिबल के अलावा 47 में काम किया है। मूसेवाला की मां चरण कौर ने उनकी जयंती पर एक भावुक नोट लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके बेटे का जन्म दुनिया को सच्चाई के मार्ग पर चलाने के लिए हुआ था। नोट में लिखा हैः जन्मदिन मुबारक हो बेटा। इस दिन मेरी इच्छाएं और प्रार्थनाएं पूरी हुईं जब मैंने तुम्हें पहली बार अपने सीने से लगाकर महसूस किया। और मुझे पता चला कि अकाल पुरख ने मुझे एक बेटा दिया है। आशीर्वाद, मुझे आशा है कि तुम जानते हो कि छोटे पैरों पर हल्की लाली थी, जो नहीं जानते थे कि ये छोटे कदम गांव में बैठे-बैठे पूरी दुनिया घूम चुके थे, और मोटी आंखें जिससे तुम सच्चाई को देख और पहचान सकोगे। उन्हें नहीं पता था कि तुम पंजाब की पीढ़ी को दुनिया का एक अलग नजरिया दे रहे थे। इस साल 29 मई को दुनिया ने मूसेवाला की पहली पुण्यतिथि पर शोक जताया। उस दिन से पहले, टियन वेन और मिस्ट ने उन्हें क्रमशः यूके रैप रिकॉर्ड हीलिंग और डबल डप्पी के हार्ड-हिटिंग पर याद किया। मूसेवाला का गाना द लास्ट राइड कथित तौर पर रैपर टुपैक शकूर को श्रद्धांजलि था, जिनकी 1996 में 25 साल की उम्र में उनकी कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अफसोस की बात है कि 28 वर्षीय मूसेवाला को भी उसे दी गई सुरक्षा वापस लेने के एक दिन बाद अपना वाहन चलाते समय गोली मार दी गई थी। मूसेवाला को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
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चार दिन पहले शंकराचार्य जयंती पर देशभर से जुटे 108 पंडितों ने सूर्यमंदिर पहुंचकर हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा भी आठ मई को मंदिर में नवग्रह अष्टमंगलम पूजा में शामिल हुए। कश्मीर में बदली फिजा के बीच अब फिर से मंत्रोच्चार गूंजने लगे हैं। हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ से भी वादियां गूंज रही हैं। आतंकवाद ग्रस्त रहे अनंतनाग के मट्टन स्थित मार्तंड सूर्यमंदिर में एक अनुमान के अनुसार लगभग सात सौ साल बाद इस साल से पूजन की पहल शुरू हुई है। अब तक तीन बार सामूहिक पूजा-अर्चना हो चुकी है। चार दिन पहले शंकराचार्य जयंती पर देशभर से जुटे 108 पंडितों ने सूर्यमंदिर पहुंचकर हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा भी आठ मई को मंदिर में नवग्रह अष्टमंगलम पूजा में शामिल हुए। हालांकि, मंदिर अभी आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है। पुरातत्व विभाग मंदिर की देखरेख कर रहा है। मट्टन में मार्तंड तीर्थ से करीब एक किलोमीटर दूर मार्तंड सूर्य मंदिर है। इसे काराकोट राजवंश के महाराजा ललितादित्य ने आठवीं शताब्दी में बनवाया था। बताते हैं कि इस मंदिर को मुगल शासनकाल में सिकंदर शाह मीरी ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। तब से पूजा पाठ बंद हो गया। अब भी यह मंदिर क्षतिग्रस्त स्थिति में है। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने अधीन ले रखा है और वो ही इसके सारे इंतजाम करता है। मार्तंड तीर्थ के पुजारी पंडित अजय शास्त्री बताते हैं कि इस साल मंदिर में पूजा-पाठ की पहल शुरू की गई है। अब तक तीन बार यहां पूजा अर्चना हो चुकी है। पहली बार आठ फरवरी को कर्नाटक के मैसूर स्थित अवधूता दत्ता पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी गणपति सच्चिदानंद ने पूजा अर्चना की। लघु रुद्राभिषेक, सत्यनारायण व भगवान भास्कर की पूजा के साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इसके बाद शंकराचार्य जयंती पर छह मई को राजस्थान के करोली के स्वामी रुद्रनाथ महाराज के नेतृत्व में 108 ब्राह्मण पहुंचे। इनमें वृंदावन, मथुरा, काशी व ऋषिकेश समेत अन्य स्थानों के ब्राह्मण शामिल थे। सभी ने रुद्राभिषेक के साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ किया। सामूहिक रूप से 324 बार हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। प्रत्येक ब्राह्मण ने तीन बार यह पाठ किया। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने आठ मई को नवग्रह अष्टमंगलम पूजा की तो उस समय देशभर के संतों के साथ ही कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों के साथ स्थानीय निवासी भी मौजूद रहे। हर-हर महादेव के नारे लगाने के साथ ही शंखों की ध्वनि वातावरण में गूंजी। मंदिर में स्थित कुंड में भी जल भरा गया। कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े पूर्व एमएलसी सुरिंदर अंबरदार उम्मीद जताते हैं कि उप-राज्यपाल के दौरे के बाद अब इस मंदिर की दशा सुधरेगी। साथ ही इस मंदिर में पूजा-पाठ नियमित रूप से हो सकेगी। मंदिर में 365 मूर्तियां परिक्रमा मार्ग में हैं। द्वारपाल जय-विजय के साथ गंगा व यमुना जी की मूर्ति भी है। इसके साथ ही गणपति, कृष्ण, हनुमान, शंकर समेत अन्य भगवानों की भी मूर्तियां हैं। हालांकि, ये मूर्तियां अब जर्जर स्थिति में हैं। किसी के हाथ गायब हैं तो किसी के मुंह। जर्जर हाल में इन मूर्तियों को भी अपने दिन बहुरने का इंतजार है। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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दुबई, (भाषा)। भारतीय स्टार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को आज अगले साल उपमहाद्वीप में होने वाले विश्व कप का आधिकारिक दूत नियुक्त किया गया। तेंदुलकर इस टूर्नामेंट में उतरने के साथ ही दूसरे ऐसे खिलाड़ी बन जाएंगे जिन्होंने छह विश्व कप में भाग लिया। आईसीसी के बयान के अनुसार तेंदुलकर को 19 फरवरी से दो अप्रैल के बीच भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में होने वाले टूर्नामेंट के लिये आईसीसी के विभिन्न कार्यक्रमों को समर्थन और बढ़ावा देने के लिये कहा जाएगा। पाकिस्तान के जावेद मियादाद के बाद छह विश्व कप में भाग लेने वाले दूसरे क्रिकेटर बनने की कगार पर खड़े तेंदुलकर ने कहा, विश्व कप में केवल 100 दिन शेष हैं और मैं अगला क्रिकेट विश्व कप खेलने को लेकर उत्साहित हूं। उन्होंने कहा, जहां तक सीमित ओवरों के क्रिकेट की बात है तो आईसीसी क्रिकेट विश्व कप सर्वोच्च स्तर का टूर्नामेंट होता है जिसमें आप खेल सकते हो इसलिए इस तरह के महत्वपूर्ण टूर्नामेंट का हिस्सा बनना हमेशा रोमांचक होता है। तेंदुलकर ने कहा, अगले साल विश्व कप उपमहाद्वीप में आयोजित किया जाएगा और इसलिए यह मेरे लिये अधिक विशेष बन गया है और मैं चाहता हूं कि हम इसमें अच्छा प्रदर्शन करें। एक टीम के तौर पर हम अपनी घरेलू सरजमीं पर विश्व कप जीतने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आईसीसी मुख्य कार्यकारी हारून लोर्गट ने कहा कि खेलों की सर्वोच्च संस्था भाग्यशाली है जो उसे तेंदुलकर जैसे दिग्गज खिलाड़ी का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा, हम भाग्यशाली हैं जो हमें सचिन जैसे खिलाड़ी का समर्थन मिल रहा है। मुझे नहीं लगता कि उनके जितना कोई अन्य खिलाड़ी किसी देश को प्रेरित कर सकता है। उन्हें जितना सम्मान और दुलार मिल रहा है, भारत में उसकी कोई सीमाएं नहीं हैं। उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं और क्रिकेट के लिये जो कुछ किया है उससे दुनिया भर के कई अन्य खिलाड़ी और खेल प्रशंसक भी प्रेरणा लेते हैं। तेंदुलकर 1989 में 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने के बाद लगातार खेल रहे हैं। उन्होंने अब तक 172 टेस्ट मैच में 14,292 रन और 442 एकदिवसीय मैच में 17,598 रन बनाये हैं।
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करने मे बडी कारगर सिद्ध हुई। यही नही, निमोनिया के वाइरस पर आक्रमण करने मे भी यह दवा सफल रही । वस्तुत टेरामाइसीन लगभग 100 रोगो के इलाज मे लाभदायक पायी गयी । किन्तु ऐसे अनेक वायरस येथे जिन पर इन चमत्कारी औषधियो का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था । कई वैक्सीन विकसित किये गये जैसे पोलियोमारक वैक्सीन पोलियो सक्रामक रोग से बचने के लिए सन् 1955 मे पहली वार इसके टीके लगाये गये । किन्तु जुकाम के इलाज के लिए या इससे बचने के लिए आज तक कोई वैक्सीन तैयार नहीं की जा सकी ह । यद्यपि उपर्युक्त चमत्कारी औपधियो से लोगो को वडा लाभ पहुँचा है और अनेक प्रकार के वैक्ट्रियों को नष्ट करने मे सफलता प्राप्त हुई है तथापि यह देखा गया है कि इनमे से कई औषधियों का प्रभाव मानव शरीर के लिए हितकर नहीं होता। अतएव रसायनज्ञो ने ऐण्टीवायटिक को विटामिन के साथ देने की संस्तुति की । इसमे सन्देह नहीं कि इन ऐण्टीवायटिको के प्रयोग मृत्युदर मे काफी कमी हो गयी है । हमारे शरीर मे अनेक ग्रन्थिया है जो महत्त्वपूर्ण कार्य करती है। ये ग्रन्थियाँ है - एडरेनल, थायरायड, 98 दतिक जीवन मे रसायन विज्ञान पैकियाज, पिट्यूटरी, ओवरी । इन सबका एक संयुक्त नाम है--- इण्डोकीन (अत स्त्रावी ) ग्रन्थियाँ । ये ग्रन्थियाँ ऐसे रसायन बनाती है जो रक्त के साथ प्रवाहित होते है । इन रासायनिक पदार्थों को हारमोन कहते हैं । ये हारमोन शरीर के अन्दर बहुत जटिल कार्य करते है । इनमे मूलरूप से स्टेरायड यौगिक होते ह । इन्ही के कारण हारमोन चमत्कारी कार्य करते ह । वैज्ञानिको ने स्टेरायड के अध्ययन के दौरान एक चमत्कारी हारमोन कारटीमोन की खोज की। सन् 1948 मे इसको इस्तेमाल किया गया और रोगी को बडा लाभ हुआ । मेटिक ज्वर और अर्थराइटिस मे इसका इस्तेमाल वडा लाभदायक सिद्ध हुआ । खून का थक्का जमने से रोकने के लिए रसायनज्ञो डाइक्यूमराल की खोज की । इससे हृदय के रोगियो को बडा लाभ पहुँचा है । मानसिक रोग के इलाज के लिए प्रयोगोपरान्त रसायनज्ञा ने क्लोरोप्रोमाजीन और रेमरपाइन जैसी चमत्कारी औषधियों निर्मित की जिनके प्रयोग से रोगियों को मानसिक शाति मिलती है और उनकी हिमात्मक प्रवृत्ति का दमन होता है । उच्च सतचाप मे रेसरपाइन बहुत उपयोगी पायी गयी है । रमायनज्ञो ने अथक परिश्रम और परीक्षण के बाद दो रसायन विज्ञान - चिकित्सा में 99
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DU to Reopen from February 17: दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑफलाइन कक्षाएं बहाल करने की मांग को लेकर विद्यार्थियों का नार्थ कैम्पस में चल रहा विरोध प्रदर्शन बुधवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। विद्यार्थी अपनी मांगों को अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं। स्टुडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने 'सड़क पर कक्षा' अभियान की शुरुआत की जहां पर मिरांडा हाउस की प्रोफेसर आभा देव हबीब ने विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की कार्यप्रणाली और शिक्षा प्रणाली में होने वाले बदलावों पर बात की। हबीब ने इस दौरान अकादमिक परिषद की कथित "अलोकतांत्रिक प्रवृत्ति"को रेखांकित किया और चार साल के पूर्वस्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) और केंद्रीय विश्वविद्यालय समान प्रवेश परीक्षा (सीयूसीईटी) को "विद्यार्थी विरोधी"नीति करार दिया। एसएफआई ने घोषणा की है कि विश्वविद्यालय से सबद्ध 10 महाविद्यालयों में बृहस्पतिवार को भी 'सड़क पर कक्षा" अभियान जारी रहेगा। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से सबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की इसी मुद्दे पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन जारी रही। वाम दलों से सबद्ध ऑल इंडिया स्टुडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) ने ऑफलाइन कक्षाएं बहाल करने की मांग को लेकर कला संकाय के बाहर " चक्का जाम"का आयोजन किया। क्रांतिकारी युवा संगठन ने बुधवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के कार्यालय शास्त्री भवन का घेराव कर अपना विरोध जताया। प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों ने विरोध में मुंडन भी कराया। आपको बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों की मांग को देखते हुए 17 फरवरी 2022 से ऑफलाइन क्लासेस शुरू करने का ऐलान किया है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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की धारासभा और कांग्रेस की प्रारंभिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दें । १५ जुलाई को उन्होंने ऐसा ही किया भी । कार्य समिति का प्रस्ताब जुलाई, १९४२ में कार्यसमिति का एक लम्बा अधिवेशन हुआ जो ६ जुलाई से लेकर १४ जुलाई तक जारी रहा। उस समय संसार की सुरक्षा और नाजीवाद, फासिस्टवाद, सैनिकवाद तथा साम्राज्यवाद के अन्त के लिए भारत में तत्काल ब्रिटिश शासन का अन्त नितान्त आवश्यक समझा जा रहा था । सितम्बर १९३९ से लेकर अक्टूबर, १९४० तक कांग्रेस ने ब्रिटेन को परेशानी में न डालने की नीति अख्त्यार की थी और फिर अक्टूबर, १९४० से लेकर अक्टूबर, १९४१ तक उसने व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के जरिये अपना विरोध प्रकट करते हुए जान-बूझ कर संयम से काम लिया था। लेकिन ब्रिटेन पर इसका रत्ती भर भी असर नहीं हुआ । ब्रिटिश सरकार से भारत से हट जाने की जो मांग की जा रही थी उसके पीछे भी सद्भावना थी और उसके फलस्वरूप देश में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना में मदद मिलती । ब्रिटिश सरकार से इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का जोरदार आग्रह किया गयाः"जो घटनाएं प्रतिदिन घट रही है और भारतवासियों को जो-जो अनुभव हो रहे हैं उनसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की यह धारणा पुष्ट होती जा रही है कि भारत में ब्रिटिश शासन का अन्त अति शीघ्र होना चाहिये । यह केवल इसलिए नहीं कि विदेशी सत्ता अच्छी-से-अच्छी होते हुए भी स्वयं एक दूषण और परतंत्र जनता के लिए अनिष्ट का अबाध स्रोत है, बल्कि इसलिए कि दासत्व-शृङ्खला में जकड़ा हुआ भारत अपनी ही रक्षा के काम में, और मानवता का विध्वंस करने वाले युद्ध के भाग्य-चक्र को प्रभावित करने में, पूरा पूरा भाग नहीं ले सकता । इस प्रकार भारत की स्वतंत्रता न केवल भारत के हित में आवश्यक है, बल्कि संसार की सुरक्षा के लिए और नाजीवाद, फासिस्टवाद, सैनिकवाद और अन्य प्रकार के साम्राज्यवादों एवं एक राष्ट्र पर दूसरे राष्ट्र के आक्रमण का अन्त करने के लिए भी । संसारव्यापी युद्ध के छिड़ने के बाद से कांग्रेस ने यत्नपूर्वक परेशान न करने वाली नीति को ग्रहण किया है । सत्याग्रह के प्रभावहीन हो जाने का खतरा उठाते हुए भी कांग्रेस ने इसे जान बूझ कर सांकेतिक स्वरूप दिया और यह इस आशा से कि परेशान न करनेवाली इस नीति के यौक्तिक पराकाष्ठा तक पहुँचने पर इसका यथोचित समादर किया जायगा और वास्तविक सत्ता लोकप्रिय प्रतिनिधियों को सौंप दी जायगी जिससे कि राष्ट्र विश्व भर में मानव स्वतंत्रता, जिसके कुचल दिये जाने का खतरा उपस्थित है, प्राप्त करने के कार्य में अपना पूरा सहयोग देने में समर्थ हो सके । इसने यह आशा भी कर रखी थी कि ऐसा कोई भी
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कोरोना वायरस ने पूरे देश में कोहराम मचाया हुआ है। ये वायरस अभी तक लाखों लोगों की जान ले चुका है। वहीं वैज्ञानिक ये जानने में जुटे है कि कोरोना वायरस आखिर कहां से आया है? , जब भी ये सवाल उठता है, तो दुनियाभर की निगाहें चीन पर आकर टिक जाती है। लेकिन इस बीच एक और सवाल है कि अगर चीन से कोरोना वायरस निकला तो उसने इतनी जल्दी इस पर काबू कैसे पा लिया, क्या उसने इसकी वैक्सीन पहले ही बना ली थी ? इसको लेकर टॉप वायरोलॉजिस्ट ने अपनी-अपनी राय पेश की। टॉप वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि चीन दुनिया से सच छिपा रहा था और उसने महामारी से पहले ही वैक्सीन तैयार कर ली थी। एक प्रसिद्ध भारतीय वायरोलॉजिस्ट ने दावा किया है कि चीन ने कोरोना वायरस के फैलने की या लीक होने की संभावना को देखते हुए पहले ही वैक्सीन विकसित कर ली थी। आपको बता दें कि कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस वायरस एक लैब में तैयार किया गया था। उन्होंने आशंका जताई कि वैक्सीन के शुरुआती दिनों में ही मौजूद होने से चीन को कोरोना वायरस को समय रहते कंट्रोल करने में मदद मिली। कोरोना वायरस के दर्ज मामलों में चीन दुनियाभर में 98वें नंबर पर मौजूद है। जॉन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में क्लिनिकल वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से संदिग्ध रिसाव को लेकर कुछ रहस्य है। चीन कुछ छिपा रहा हैं... चीन ने इसके लिए पहले से तैयारी की थी। सब कुछ वो नहीं है जो आंख से दिख रहा है। उन्होंने एक युवा चीनी वैज्ञानिक द्वारा कोरोना वैक्सीन के लाइसेंस के लिए 24 फरवरी 2020 को दिए गए आवेदन के उदाहरण का जिक्र किया। वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब ने आशंका जताई कि कोरोना विस्फोट के महज 2 महीने के भीतर वैक्सीन पर काम करना शुरु कर दिया था। उन्होंने कहा कि वो युवा चीनी वैज्ञानिक मर चुका है। इसमें अभी बहुत सारे राज है। ऐसा लगता है कि चीन कुछ छुपा रहा है, जैसे कोई अपराधी छिपाता है। उन्होंने कहा कि यहां कुछ ऐसे सबूत है जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि ये लैब से ही बना वायरस है। आपको बता दें कि कोरोना की उत्पत्ति की जांच को लेकर अब चीन चौतरफा घिरता जा रहा है। अब न सिर्फ जर्नल और स्टडी उसकी पोल खोलते नजर आ रहे हैं, बल्कि अमेरिका, भारत और ब्रिटेन जैसे देश भी उस पर निष्पक्ष जांच का दवाब बना रहे हैं।
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इलाहाबाद : महिला सहकर्मियों के शोषण और उत्पीड़न को लेकर हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद शासन ने इलाहाबाद के पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक राजकुमार यादव को निलंबित करने के बाद जांच टीम में भी बदलाव कर दिया है। अब अपर शिक्षा निदेशक सुक्ता सिंह की अगुवाई में चार सदस्यीय टीम मामले की पड़ताल करेगी। पूर्व डीआइओएस को शासन ने लखनऊ से हटाकर कुशीनगर जिले से संबद्ध किया गया है। राजकुमार यादव इलाहाबाद के बीएसए थे। अपने रसूख के चलते बाद में उन्होंने इलाहाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक पद पर तैनाती हासिल कर ली। इलाहाबाद में बीएसए रहते यादव पर महिला सहकर्मियों के शोषण व उत्पीड़न के आरोप लगे थे। यह मामला पिछले दिनों हाईकोर्ट पहुंचा था। मामला तूल पकड़ने पर यादव को इलाहाबाद के डीआइओएस पद से हटाकर लखनऊ स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। हाईकोर्ट इस कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि यादव को लखनऊ में संबद्ध करने से जांच सही नहीं हो सकेगी और महिला सहकर्मियों के शोषण को लेकर बने कानून का उद्देश्य विफल हो जाएगा। कोर्ट ने पूछा कि डीआइओएस को निलंबित क्यों नहीं किया गया और एफआइआर क्यों दर्ज नहीं की गई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार को सात नवंबर को इस मामले में तलब किया है। शासन ने यादव को इलाहाबाद से हटाए जाने के समय इस मामले की जांच बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा को सौंपी थी। अब प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने अपर शिक्षा निदेशक सुक्ता सिंह को जांच अधिकारी बनाया है। वह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का कार्य देख रही हैं और लखनऊ शिविर कार्यालय में तैनात हैं। जांच टीम में अपर शिक्षा निदेशक नीना श्रीवास्तव, शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक अनिल कुमार चतुर्वेदी एवं उप शिक्षा निदेशक गायत्री को भी शामिल किया है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक रमेश ने बताया कि प्रमुख सचिव ने निष्पक्ष जांच करके जल्द रिपोर्ट सौंपे जाने का आदेश दिया है। साथ ही यादव का लखनऊ शिविर कार्यालय से संबद्धीकरण भी खत्म करके अब उन्हें कुशीनगर जिले में संबद्ध किया गया है।
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किसी भी मसले का ताव जब मीडिया की जुबान पर आता है, तब मालूम होता है कि हिमाचल किधर जा रहा है। ऊना के रायपुर सहोड़ा में ट्रक यूनियन यूं तो आईओसीएल के एलपीजी बाटलिंग प्लांट के गेट पर आधिपत्य जमाए बैठी रहती, लेकिन जब मीडिया से उलझी तो उसका चारित्रिक पतन दर्ज हो गया। यह दो घटनाओं का विवरण है। एक पहलू उनके विरोध और बाटलिंग प्लांट के अस्तित्व का है, तो दूसरा वह आक्रोश है जिसे बगल में छुपा कर ट्रकों का आंदोलन पत्रकारों के दल पर हमलावर हो गया। जाहिर है इस घटना ने प्रदेश के माहौल में घर कर रही विभिन्न संगठनों की अराजक मानसिकता का उल्लेख किया है, जिसे हम पत्रकारिता के आईने से देख सकते हैं। दूसरी ओर प्रदेश में हो रहे निवेश या औद्योगिक उत्पादन के दरपेश परिवहन संबंधी दिक्कतें भयावह होती जा रही हैं। इससे पहले सीमेंट उद्योग के दरवाजे पर भी इस तरह के माहौल ने चेतावनी दी थी और अब ऊना के परिदृश्य में ट्रकों की जमात के सामने सारा माहौल शर्मिंदा है। हम घटना के पहले भाग में हिमाचल की पूरी परिवहन व्यवस्था का अवलोकन करें तो सारे औद्योगिक क्षेत्रों को माल ढुलाई के रोग से ग्रस्त पाएंगे। यही तानाशाही रवैया औद्योगिक वातावरण में खंजरनुमा बनकर घूम रहा है। परिवहन का एक दूसरा रूप पर्यटन उद्योग के गले में अंगूठा देकर निरंकुश होने का अधिकार प्राप्त कर रहा है। हिमाचल में टैक्सियों का संचालन जिस तरह और जिस जिरह पर हो रहा है, उससे पर्यटन संभावनाएं अपमानित हैं। दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट से आप जिस दर पर टैक्सी लेकर महानगर के किसी भी छोर तक पहुंच सकते हैं, उससे कहीं विपरीत हिमाचल में चंद मिनटों की दूरी हजारों रुपयों में तय होती है। परिवहन नीति से मंजिलें तय करने के दावे कहीं तो सरकारी परिवहन की मजदूरी कर रहे हैं, तो कहीं खुली छूट में बिगड़ते माहौल की सडक़ पर बेबसी गुजर रही है। हिमाचल के तमाम औद्योगिक केंद्र अगर माल ढुलाई के फेरों में ट्रक यूनियनों से आजिज हैं, तो पर्यटक हिमाचल में टैक्सी की मुंहमांगी दरों से परेशान हैं। ढुलाई सेब की हो या सब्जी की, हिमाचल के हर कदम पर महंगाई का यही अवांछित पहलू है। परिवहन की सदाबहार फसल के आगे सेब-सब्जी उगाने वाले भी हर साल दुष्चक्र में फंस जाते हैं, तो इस बार बाटलिंग प्लांट के बाहर परिवहन के अवरोध में, मीडिया की उपस्थिति पर भी अराजक होती ट्रक यूनियन ने बता दिया कि माफिया पैदा कैसे होता है। परिवहन के ये जख्म अब मीडिया के चेहरे पर आए, तो मालूम यह करना होगा कि ट्रकों के पंजे में कौनसी बिसात बिछी है। यह विडंबना दोनों तरफ से है। मीडिया के सरोकार अब गांव-देहात से आर्थिक हालात तक नई पहल चाहते हैं, ताकि निजी क्षेत्र की उम्मीदों से ज्यादती न हो। हम यह नहीं कह सकते कि हर ट्रक हड़ताल गलत ही होगी, लेकिन हर बार हिमाचल से भागते निवेशक को पूछेंगे तो परिवहन की निरंकुश दरें ही शैतान बन कर डरा रही हैं। ऊना प्रकरण में अब तक सरकार को सारे विषाद की जड़ खोज लेनी चाहिए थी, ताकि सडक़ों पर बढ़ता उत्पात नियंत्रित किया जा सके। बेशक निवेश तो किसी ट्रक और टैक्सी की मिलकीयत में भी है, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि परिवहन क्षेत्र को माफिया होने से बचाया जा सके। इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि ट्रकों की मनमर्जी का शिकार मीडिया भी हो गया। यह महज कानूनी मर•ा नहीं, बल्कि उस छूट की गुस्ताखी है जो परिवहन क्षेत्र को मिल रही है यानी अब तक जो दौर डरा-धमका कर माल ढुलाई को महंगा कर रहा था, वह मीडिया की स्वतंत्रता को भी आंखें दिखाने लगा है। यह विभिन्न यूनियनों की छत्रछाया में फैल रही अराजकता है, जो अपने सामने किसी भी लोकतांत्रिक सवाल को बर्दाश्त नहीं करती। हिमाचल में हिमाचली धौंस का सरकारीकरण उस भावना से प्रेरित है, जो दिल खोलकर सरकारी नौकरियां बांटता है और प्राइवेट धंधे को भी अनावश्यक दखल के नाखूनों से छीलता है। यही वजह है कि हमारी आर्थिकी ठहर-सी गई है या निजी क्षेत्र के रोजगार को भी प्रताडि़त कर रही है। परिवहन क्षेत्र को ही सुधार लें, तो इसके साथ पर्यटन, उद्योग व व्यापार के साथ-साथ उपभोक्ताओं की भी सरलता व सहजता से प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी बढ़ाने की भूमिका बढ़ेगी।
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बगहा में दिन में पागल की तरह घूमने वाला युवक रात के अंधेरे में चोरी को अंजाम दिया करता था। मामला बगहा पुलिस जिला के वाल्मीकि नगर स्थित गोलचौक का है। यहां रविवार की देर रात एक युवक को बाइक चला कर लाते हुए स्थानीय लोगों ने देखा। पास आने के बाद लोगों ने देखा किया युवक दिन में पागल की तरह घूमता है। बाइक के साथ उसे देख लोगों ने पकड़ लिया। दिन में स्थानीय लोग पागल समझ उसे भोजन भी करा देते थे। उसके पास न तो तो रहने का ठिकाना है न ही कोई परिवार। लेकिन, रात होते ही बाइक चोरी करने में लग जाता था। स्थानीय लोगों ने पागल जैसे दिखने वाले युवक को बाइक के साथ रविवार की रात को पकड़ लिया। इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही वाल्मीकि नगर थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, जिसके बाद युवक को बाइक के साथ पकड़ कर थाने ले गई। हालांकि बाइक कहां से चुराया है इसका पता अभी नहीं चला है। युवक कहां का रहने वाला है। क्या नाम है इसके साथ और कौन-कौन लोग संलिप्त हैं। यह सारी जानकारी जुटाने में पुलिस लगी हुई है। चोरी की बाइक लेकर आते हुए युवक को सबसे पहले अमित ने देखा था। अमित ने बताया कि गोल चौक पर उसका रेडीमेड का दुकान है। जिसमें 20 रोज पहले लगभग चोरी हुई थी। उसके बाद से प्रतिदिन देर रात को दुकान देखने के लिए जाया करता था। रविवार की देर रात जब मैं दुकान देखने गया था उसी दौरान युवक बाइक लेकर आ रहा था। जिसके बाद मुझे उस पर शक हुआ और लोगों के सहयोग से पकड़कर वाल्मीकि नगर थाना को सुपुर्द कर दिया गया। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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रूसी रक्षा मंत्रालय 4 के लाखों लोगों को नष्ट कर देगा "चड्डी" रूसी संघ के रक्षा मंत्रालय ने एक अप्रचलित राइफल की चार मिलियन इकाइयों को नष्ट करने का निर्णय लिया हथियारों। इन हथियारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कलाश्निकोव हैं। लाखों मशीन गन, पिस्तौल और राइफल के लगभग 16 वर्तमान में सैन्य शस्त्रागार में संग्रहीत हैं, और उनमें से लाखों 6,5 एक विकसित संसाधन के साथ हैं। यह सैन्य-औद्योगिक परिसर के एक स्रोत से ज्ञात हुआ। इस सब के साथ, इस तरह के हथियारों (tsarist सेना के बंदूकों के विपरीत) को बेचना असंभव है। सेंटर फॉर इंटरनेशनल आर्म्स ट्रेड के निदेशक इगोर कोरोटचेंको के अनुसार, खरीदार नए हथियारों में रुचि रखते हैं, न कि शेयरों में। इसके अलावा, परिवहन, सुरक्षा और अन्य प्रक्रियाओं की लागत के कारण पुराने छोटे हथियारों की बिक्री लाभहीन है। विशेषज्ञों के अनुसार, रिजर्व को केवल तीन या चार मिलियन "ट्रंक" रक्षा मंत्रालय की आवश्यकता होती है। कॉन्स्टेंटिन माकिंको, जो सेंटर फॉर द एनालिटिक्स ऑफ़ स्ट्रेटेजीज़ एंड टेक्नोलॉजीज़ के उप निदेशक हैं, ने कहा कि रूस में शारीरिक रूप से ऐसे लोग नहीं होंगे, जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में तीन मिलियन से अधिक मशीन गन ले सकें। हां, और सैन्य कार्रवाइयों के विकास के आधुनिक परिदृश्यों के लिए अब बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मुख्य जोर उच्च-सटीक हथियारों और पेशेवर सेना पर है। इन गणनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, 2020 के बाद, लगभग छह मिलियन आग्नेयास्त्रों के निपटान के लिए प्रक्रिया का खुलासा करने की योजना बनाई गई है। उद्योग और व्यापार मंत्रालय ने निर्दिष्ट किया कि हथियारों के विनाश की प्रक्रिया को उन कारखानों पर किए जाने की योजना है जहां उनका उत्पादन हुआ। इससे न केवल उद्यमों को खुद को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें आधुनिक बनाने में भी मदद मिलेगी। इज़माश प्लांट, जो कलाश्निकोव असाल्ट राइफल का उत्पादन करता है, ने अप्रचलित हथियारों को 2011 में काटना शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया की मंदी नौकरशाही देरी के कारण है। उदाहरण के लिए, निपटान शुरू होने के कुछ महीने बाद ही, उत्पाद संख्याओं का वीडियो निर्धारण दिखाई दिया। इस दौरान कितनी मशीनें बंद हुईं, कोई नहीं जानता। यह यूडीमर्ट पेंशनर से जुड़े हालिया घोटाले की व्याख्या कर सकता है, जिन्होंने किंडल के लिए बक्से खरीदे और उनमें एक्सएनयूएमएक्स मशीनों की खोज की, जिससे अनजाने में "गन बैरन" बन गया। इस आपातकाल के परिणामस्वरूप, एक आपराधिक मामला खोला गया था, और निपटान प्रक्रिया को निलंबित कर दिया गया था और आज तक शुरू नहीं किया गया है। सितंबर 2011 में, ऐसी खबरें थीं कि रक्षा मंत्रालय अब कलाश्निकोव हमला राइफलें नहीं खरीदेगा। सैन्य विभाग ने इस तरह के निर्णय को इस तथ्य से समझाया कि सैन्य इकाइयों में इस प्रकार के हथियारों के विशाल भंडार हैं। इसके जवाब में, इस साल के फरवरी में इज़ेव्स्क आर्म्स प्लांट के डिज़ाइन ब्यूरो ने एक नई कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल, एके-एक्सएनयूएमएक्स, जिसका नाम "एक-हाथ के लिए हथियार" है, पेश किया। आलोचकों ने इसे मशीन कहा है, क्योंकि इसके साथ सभी ऑपरेशन एक हाथ से किए जाते हैं, जो कि इसका निस्संदेह लाभ है। हालांकि, सेना ने इस मशीन को खारिज कर दिया। इसलिए, जनरल स्टाफ के अनुसार, नई AK मशीन गन में AK-47 संशोधन से कोई बुनियादी अंतर नहीं है, जिसका अर्थ है कि नए हथियार में वही दोष होंगे जो इसके प्रोटोटाइप में हैं। इसके तुरंत बाद, रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस साल सैन्य विभाग इज़माश से कुछ भी नहीं खरीदेगा, यह कहते हुए कि नई मशीन गन एक झपकी थी। रूसी सरकार के उप-प्रमुख दिमित्री रोगोज़िन नए कलाश्निकोव की रक्षा करने के लिए खड़े हुए थे। इज़माश की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने कहा कि रूसी मशीनगन के गुणों को अमेरिकी सेना द्वारा भी मान्यता दी गई थी। हां, और रूसी संघ के आंतरिक मामलों के मंत्रालय काफी AK-12 बने रहे और परीक्षण संचालन के लिए इस हथियार का अनुरोध किया। यूक्रेन में बड़े पैमाने पर छोटे हथियारों का विनाश अपेक्षित है। इस प्रकार, यूक्रेनी सरकार सशस्त्र बलों के भंडार में 366 हजारों हथियारों को नष्ट करने का इरादा रखती है। इस प्रकार, सरकार ने रीसाइक्लिंग प्रक्रिया का संचालन करने के लिए रक्षा मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके अलावा, रीसाइक्लिंग यूक्रेन और नाटो के मंत्रियों के मंत्रिमंडल के बीच समझौते के कार्यान्वयन के ढांचे के भीतर होगा। विशेष रूप से, AKM, AKS-74, AK-74 असॉल्ट राइफलें, TT और PM पिस्तौल, रिवाल्वर, PKK मशीन गन, ग्रेनेड लॉन्चर, राइफल, कार्बाइन को नष्ट करने का निर्णय लिया गया।
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इत्थि० - अरदि-सोग -भय- दु० णिय० । तं तु० । एवमेदाओ एकमेकस्स 1 तं तु० । । पुरिस०-हस्स-रदि ओघं । तिरिक्खग० उ० वं० वामण० खीलि०- अप्पसत्थ०४ - तिरिक्खाणु० - उप०- अप्पसत्य-अथिरादि० णि० । तं तु० । पंचिदियादि० णिय० अनंतगु० । उज्जोवं सिया० अणंतगु० । सेसं ओघं । असण्णी० तिरिक्खोघं । णवरि मोह.. मणुसअपज्जत्तभंगो । अणाहार० कम्मइगभंगो । .एवं डक्कस्सओ सण्णियासो समत्तो । ६३. जहण्णए पगदं । दुवै० ओघे० आदे० । ओघे० आभिणिवोधियणाणावरणस्स जहण्णयं अणुभागं बंधंतो चदुणाणाव० णिय० वं० । णिय० जह० । एव-. मण्णमण्णस्स जहण्णा । एवं पंचणं अंतराइयाणं । णिद्दाणिद्दा० जह० अणु० वं० पचलापचला थीणगि० णिय० वं० । तं तु० छहाणप० । अतभागव्यहि०५ । छदसणा० क्रोधके उत्कृष्ट अनुभागका वन्ध करनेवाला जीव पन्द्रह कपाय, स्त्रीवेद, अरति, शोक, भय और जुगुप्साका नियमसे बन्ध करता है। किन्तु वह उत्कृष्ट अनुभागका भी वन्ध करता है और अनुत्कृष्ट अनुभागका भी बन्ध करता है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करता है तो वह छह स्थान पतित हानिको लिये हुए होता है। इसी प्रकार इन सब प्रकृतियोंका परस्पर सन्निकर्ष जानना चाहिए । किन्तु इनमें से किसी एक प्रकृतिके उत्कृष्ट अनुभागका वन्ध करनेवाला जीव शेष प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभागवन्ध भी करता है और अनुत्कृष्ट अनुभागवन्ध भी करता है । यदि अनुत्कृष्ट अनु. भागबन्ध करता है तो वह छह स्थान पतित हानिको लिये हुए होता हैं । पुरुषवेद, हास्य और रतिका भङ्ग ओघके समान है । तिर्यञ्चगतिके उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करनेवाला जीव वामन संस्थान, कीलक संहनन, प्रशस्त वर्णचतुष्क, तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी, उपघात, अप्रशस्त विहायोगति और अस्थिर आदि छहका नियमसे बन्ध करता है। किन्तु वह उत्कृष्ट अनुभागका भी बन्ध करता है और अनुत्कृष्ट अनुभागका भी वन्ध करता है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करता है तो वह छह स्थान पतित हानिको लिये हुए होता है । पेन्द्रिय जाति आदिका नियमसे बन्ध करता है जो अनन्तगुणे हीन अनुभागको लिये हुए होता है। उद्योतका कदाचित् बन्ध करता है जो अनन्तगुणे हीन अनुभागको लिये हुए होता है। शेष भङ्ग ओघ के समान है। असंज्ञी जीवोंमें "सामान्य तिर्यञ्चों के समान भङ्ग है । इतनी विशेषता है कि मोहनीय कर्मका भङ्ग मनुष्य अपर्याप्तकों के समान है। अनाहारक जीवोंमें कार्मरणकाययोगी जीवोंके समान भङ्ग है । इस प्रकार उत्कृष्ट सन्निकर्ष समाप्त हुआ । ६३. जघन्यका प्रकरण है। उसकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है - ओघऔर देश । की अपेक्षा अभिनिवोधिक ज्ञानावर के जघन्य अनुभागका बन्ध करनेवाला जीव चार ज्ञानावरणका नियमसे वन्ध करता है जो नियमसे जघन्य अनुभागको लिये हुए होता है। इसी प्रकार इन सब प्रकृतियोंका जवन्य अनुभागवन्धके साथ सन्निकर्ष जानना चाहिए। इसी प्रकार पाँच अन्तरायका सन्निकर्प जानना चाहिए। निद्रानिद्राके जघन्य अनुभागका बन्ध करनेवाला जीव प्रचलाप्रचला और स्त्यानमृद्धिका नियमसे बन्ध करता है जो जघन्य भी होता है और अजघन्य भी होता है। यदि अजघन्य होता है तो छह स्थान पतित वृद्धिको लिये हुए होता है । या तो अनन्तभागवृद्धिरूप होता है या असंख्यातभागवृद्धि आदि पाँच वृद्धिरूप होता है। छह दर्शनावरणका नियमसे बन्ध १. ता• प्रतौ जह० दुवि० इति पाठः ।
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Shinzo Abe Murder Case: शिंजो आबे के हत्यारे ने पूछताछ में बताया- पहले एक धार्मिक संगठन के नेता को मारने की बनाई थी योजना! जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कल शुक्रवार को नारा के पश्चिमी प्रांत में एक रेलवे स्टेशन के पास चुनावी सभा के दौरान भाषण देते वक्त पीछे से गोली मार दी गई जिससे उनकी मौत हो गई. हमलावर यामागामी को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया था. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) की कल शुक्रवार को एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. फायरिंग के तुरंत बाद ही आबे पर फायरिंग करने वाले हत्यारे को हिरासत में ले लिया गया और अब उसके साथ इस वारदात को लेकर पूछताछ की जा रही है. इस बीच जापानी मीडिया ने आज शनिवार को पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि जिस संदिग्ध ने पूर्व प्रधानमंत्री आबे पर फायरिंग की, उसने पुलिस को बताया कि उसने शुरू में एक धार्मिक संगठन के एक नेता पर हमला करने की योजना बनाई थी. स्थानीय क्योडो न्यूज ने जापान पुलिस के हवाले से बताया कि 41 साल के तेत्सुया यामागामी ने पूछताछ में यह भी बताया है कि उसे एक "विशिष्ट संगठन"- संभवतः धार्मिक समूह- के खिलाफ शिकायत थी, जिसके बारे में उनका मानना था कि उनका संबंध शिंजो आबे से था. हालांकि रिपोर्ट में धार्मिक नेता की पहचान जाहिर नहीं की गई है. 67 साल के शिंजो आबे की कल शुक्रवार की सुबह नारा के पश्चिमी प्रांत में एक रेलवे स्टेशन के पास चुनावी सभा के दौरान भाषण देते वक्त पीछे से गोली मार दी गई जिससे उनकी मौत हो गई. हमलावर यामागामी को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया. जिस समय उसे पकड़ा गया वह होममेड गन लिए हुए था. पुलिस के अनुसार, यामागामी ने इस बात से इनकार किया है कि उसने कोई अपराध किया है क्योंकि वह आबे की राजनीतिक मान्यताओं का विरोध करता है. द जापान टाइम्स अखबार ने बताया कि हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद हमलावर जीवन में क्या करना चाहता है, इसके बारे में भी उसे कोई आइडिया नहीं था. हालांकि दो महीने पहले खुद को 'थका हुआ' महसूस करने के बाद उसने नौकरी छोड़ दी थी. इस बीच, रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कल शुक्रवार को नारा में उसके अपार्टमेंट पर छापेमारी की और वहां से विस्फोटक और होममेड गन बरामद कीं. देश के सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यामागामी ने 2005 में हिरोशिमा प्रीफेक्चर के क्योर बेस में मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस ऑफिसर के रूप में काम किया. हालांकि 2 साल पहले 2020 में, वह कंसाई क्षेत्र में एक निर्माण कंपनी में काम कर रहा था, लेकिन इस साल अप्रैल में, उसने कंपनी से कहा कि वह "थका हुआ" होने के कारण नौकरी छोड़ना चाहता है और फिर अगले महीने नौकरी छोड़ दी. दूसरी ओर, पूर्व प्रधानमंत्री आबे का पार्थिव शरीर आज शनिवार को टोक्यो लाया गया. आबे पर कल नारा शहर में हमला किया गया. घायल अवस्था में उन्हें हवाई मार्ग के जरिए एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया लेकिन काफी खून बहने की वजह से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने घटनास्थल पर ही हमलावर को पकड़ लिया. वह जापान की नौसेना का पूर्व सदस्य रहा है. पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल होम मेड गन बरामद कर ली और बाद में उसके अपार्टमेंट में कई और बंदूकें बरामद की गई.
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60 के दशक में औद्योगिकीकरण के दौरान मजदूरी करने आए लोगों ने उपक्रमों को नवरत्न बना दिया। पर उनका अपना भविष्य खराब हो गया। अधिकांश लोग यूपी बिहार छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के हैं। बोकारो, बीके पाण्डेय। बोकारो में सेल व रेल विभाग की जमीन पर बसी करीब तीन लाख से अधिक ऐसी आबादी है जो जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं है। इस आबादी के दर्द पर किसी ने मरहम नहीं लगाया। चुनाव के वक्त नेता अलग-अलग बस्ती में जाकर वोट ले लेते हैं। फिर उनके दर्शन पांच वर्ष बाद होते हैं। 60 साल का यह दर्द अब नासूर बन गया है। मूलवासी व प्रवासी दोनों ही इससे प्रभावित हैं। बोकारो का एक बड़ा इलाका आजादनगर ऐसे ही लोगों की बस्ती है। यहां सभी समुदाय और कहें तो कई राज्यों के लोग रह रहे हैं। पर यह बस्ती न तो शहर में है और न पंचायत में। बस्ती के घरों को यहां रह रहे लोगों के नाम से पट्टा देकर स्थायी नहीं किया गया। बस्ती को अवैध कहा जाता है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार ये स्लम में भी नहीं है। मंगलवार को यहां का मिजाज जानने को हम पहुंचे। हर शहर में पंचायत और नगर निगम का। इस शहर की आजाद नगर की जनता कहां की है किसी को मालूम नहीं। तब तक संजय फिर बोल पड़े भइया हम झोपड़ी वालों की खोज केवल रैली में शामिल होने व वोट लेने के लिए होती है। देश में शौचालय बना यहां के लोगों को नहीं मिला। यह सुन सुधीर कुमार बोले विधायक क्या करे। जमीन केंद्रीय लोक उपक्रम की है। सांसद ही कुछ कर सकते हैं। हर पार्टी के सांसद को देखा पर सिर्फ आश्वासन मिला। 60 साल से यहां रह रहे हैं फिर भी बाहरी कहा जाता है। एमपी और एमएलए के चुनाव में वोट डालने का मौका मिलता है। नगर निगम और पंचायत में नहीं। - 19 विस्थापित गांव जो कि पुनर्वासित नहीं हुए। कुल आबादी लगभग 80 हजार से अधिक है। - 50 अवैध बस्तियां जो बोकारो शहर एवं उसके आसपास बसी हैं। - पांच अवैध बस्ती जो रेलवे की जमीन पर हैं और यहां की आबादी 55 हजार के करीब है। - बेरमो, गोमिया, चंद्रपुरा के विभिन्न कोयला खदानों के आसपास बसी पचास बस्तियां जिनकी आबादी लगभग 1 लाख है। - कहीं-कहीं झारखंड सरकार की बिजली तो कहीं चोरी की बिजली। - आधा-अधूरा राशन कार्ड। - अपनी जमीन व पहचान के अभाव में प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना के लाभ से वंचित। - यहां के बेरोजगारों को आवासीय व जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं होता है। - स्वच्छ भारत मिशन का कोई लाभ नहीं मिलता। - सीएसआर या स्वयं के पैसे से लगाए गए चापाकल से पानी मिलता है। - कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। - क्षेत्र में अभियान विद्यालय, उच्च शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं।
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नगर पालिका के वार्ड संख्या 16 व 17 में नाला चोक होने के कारण सीवर का गंदा पानी घर में घुस रहा है। समस्या समाधान को लेकर पालिका अधिकारियों द्वारा संज्ञान न लेने से मोहल्ले के लोगों में रोष है। शुक्रवार को घर के सामने ही विरोध प्रदर्शन कर नारेबाजी की। चेताया कि मामले से आला अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। नगर पालिका परिषद अस्पताल गली के नागरिक ने पालिका प्रशासन पर आरोप लगाया कि सीवर के पानी की निकासी के मुख्य नाला को गिट्टी बालू बोरी में भरकर नाला को बन्द कर दिया गया है। जिसके कारण गली व स्थानीय नागरिकों के घर में सीवर का पानी प्रवेश कर रहा है। जिससे आमजनों में काफी आक्रोश है। मांग किया कि पालिका तत्काल उक्त समस्या का निवारण करे। मोहल्ला निवासी मोहम्मद मुस्तफा, नाजिया बेगम, नगमा बेगम, मुन्नी बानो, अनवर अली, नसीर अहमद, परवेज हाशमी, शमी मोहम्मद, मुस्तफा, नफीस, भोला, सत्तार, अख्तरी बेगम, हसीना बेगम, रुबीना बेगम, रईसा बेगम ने कहा कि गंदे पानी के कारण घर में रहना मुश्किल हो गया है। इसके कारण बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। नगर विकास को लेकर सरकार की ओर से अकूत धन दिया जा रहा है, लेकिन विकास कहां हो रहा है, यह पता नहीं। कहा कि समस्या का समाधान समय पर नहीं किया गया तो मामले से डीएम को अवगत कराया जाएगा। लोगों ने अधिकारियों व चेयरमैन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
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मुंबई। कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद नागपुर में १९ दिसंबर से शीतकालीन सत्र (winter session) शुरू होने जा रहा है. इस अधिवेशन में शामिल होने वाले लोकप्रतिनिधी, सरकारी अधिकारी और मीडिया से जुड़े प्रतिनिधियों के ठहरने को लेकर आवास की कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। इसलिए प्रतिनिधियों को रहने के लिए आवास की उचित व्यवस्था की जाएं। मंगलवार को नागपुर में शीतकालीन सत्र को लेकर लोक निर्माण सहित अन्य विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई थी. जिसमे उपस्थित राज्य के लोक निर्माण मंत्री रविंद्र चव्हाण (Ravindra Chavan) ने अधिकारियों को ऐसा निर्देश दिया है. चव्हाण ने कहा कि एक मोबाइल ऐप बनाया जाए ताकि शीतकालीन सत्र के दौरान की गई सभी व्यवस्थाओं की जानकारी एक क्लिक पर मिल सके. चव्हाण ने कहा कि सत्र दो साल के अंतराल के बाद हो रहा है. इसलिए आवास व्यवस्था के साथ-साथ अन्य सभी व्यवस्थाओं को अद्यतन किया जाना चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे अच्छी स्थिति में हैं। जहां आवश्यक हो वहां मरम्मत करें। बिजली, पानी, साफ-सफाई आदि सुविधाएं तत्काल उपलब्ध हों, इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए। इसके लिए पर्याप्त स्टाफ नियुक्त किया जाए। त्वरित प्रतिक्रिया बल भी सक्रिय किया जाए। आवास व्यवस्था की योजना बनाते समय नवीनतम तकनीक की सहायता लें। मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों आदि के वाहनों व चालकों की व्यवस्था तथा जहां आवश्यक हो वहां सीसीटीवी सिस्टम लागू किया जाए। फ्रंट बोर्ड पर सफाई के लिए तैनात कर्मियों की जानकारी चस्पा की जाए। मंत्री चव्हाण ने अधिकारियों से कहा कि ऐसा मोबाइल ऐप बनाया जाए जिसमें शीतकालीन सत्र में दी जाने वाली सभी सुविधाओं और सुविधाओं की संयुक्त जानकारी हो। उस ऐप पर सारी जानकारी उपलब्ध हो सके. इस अवसर पर सामान्य प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव सुजाता सैनिक, सामान्य प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव सो. बागुल, मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के संयुक्त सचिव सुभाष गावडे, लोक निर्माण विभाग के अभियंता दिनेश बंदनवार, कार्यपालन यंत्री अभिजीत कुचेसर उपस्थित थे.
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"द ग्रेट खली" को कौन नहीं जानता, भारत का बच्चा-बच्चा खली के नाम से वाकिफ है. हिमाचल प्रदेश के रहने वाले खली का असली नाम वैसे तो दिलीप सिंग राणा है. पंजाब पुलिस में काम कर चुके खली की पहली हिंदी फ़िल्म "कुश्ती" 14 मई को रिलीज़ होने वाली है. वीनस फिल्मस के बैनर में निर्मित इस फ़िल्म के निर्देशक हैं राजीव कुमार, इस फ़िल्म में काम करने वाले अन्य कलाकार हैं ओम पुरी, शरत सक्सेना, असरानी, मनोज जोशी, राजपाल यादव व नर्गिस. फ़िल्म "कुश्ती" में उत्तर भारत का एक गाँव दिखाया है जहाँ हर साल कुश्ती होती है जहाँ के सभी लोग कुश्ती के दीवाने हैं. ऐसे ही हैं अवतार सिंह(शरत सक्सेना), जिनकी बेटी लाडली (नर्गिस) से चंदर यानि (राजपाल यादव) को प्यार हो जाता है और उसे अपने प्यार को पाने के लिए साढ़े सात फुट लम्बे पहलवान खली से कुश्ती लड़नी पड़ती है, वो लाडली से तभी शादी कर सकता है अगर वो खली को इस कुश्ती में हरा दे. क्या चंदर अपने प्यार को हासिल कर लेता है क्या वो खली को चारों खाने चित्त कर देता है. या फिर बेचारा चंदर को निराशा ही हासिल होती है. 14 मई को रिलीज़ होने वाली इस फ़िल्म "कुश्ती" में खली ने एक पहलवान की ही भूमिका अभिनीत की है.
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मण्डपके मध्यमें परम दिव्य कनकमय चौकमें दिव्यरत्नसिंहासन पर बिराजे हुए युगलसरकार परात्परतर प्रभु श्रीसीतारामजी महाराजके सन्मुख उपस्थित करते हैं । वहां पर श्री भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमदादिक नित्य दिव्य सेवकोंसे सेव्यमान प्रभुका दर्शनकर तुक्तात्मा कृत्य कृत्य होजाता है और प्रभुके चरणोंमे प्रेमसहित जैसे जडसे कटा हुआ झाड गिर पडता है उस प्रकार गिरकर साष्टाङ्ग दण्डवत् करता है । दीनबन्धु, भक्तवत्सल, परमोदार, परमदिव्य, परमप्रतापी, दयानिधि, पतितपावन, देवाधिदेव, विधिहरिहरवन्दित, अनन्त कोटि ब्रह्माण्डाघिनायक, श्रीरामजी दया स्वरूपिणी श्रीजानकीजी की कृपादृष्टिसे आलोचित प्रेमी भक्तको दौडकर हृदयमें लगाते हैं। और परम मधुर स्वरसें उसे सान्त्वना देते हैं। अपना अभयकरकमल उसके मस्तकपर रखकर उसके समस्त पाप, ताप, क्लेश और चिन्ताओंका हरणकर शाश्वत शान्तिप्रदान करते हैं । तबसे वह जीव जीवन्मुक्त होजाता है। प्रभुके नित्य धामके निवासी नित्य जीवोंके सदृश होजाता है और परम अविचल, चिन्मय आनन्दमय, प्रेममय प्रभु धामका नित्य निवासी बन जाता है। प्रभु अपने धामका वर्णन करते हुए कहते हैं । यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम । " जहां जाकर जीव वापिस नही लौटता है वह मेरा परमधाम है " श्रुति कहती है । मुक्त स्वरूप "पादोस्य विश्वाभूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि " मुमुक्षुजीव वात्सल्यादि दिव्यगुणसागर, उपनिषद् वेद प्रतिपाद्य, सर्व शरणागतोंके रक्षक य तो वा इमानि भूतानि जायन्ते येन जातानि जीवन्ति यत्प्रयन्त्यभि संविशन्ति " इत्यादि श्रुतियों और "जन्माद्यस्ययतः इत्यादि सूत्रोंसे प्रतिपाद्य उत्पत्ति पालन, प्रलय कर्ता, सर्वसमर्थ, इन्द्रादि समस्त देवताओंके स्वामी, अनादि और अनन्त, "यौ वै ब्रह्माणं विदधाति पूर्व यो वै वेदांश्च प्रहिणोति तस्मै । तं ह देवात्मबुद्धिप्रकाशं मुमुक्षुर्वै शरण महम् प्रपद्ये " इत्यादि श्रुतिकरके प्रतिपादित ब्रह्मादि देवपूजित, समस्त शत्रुओंका नाश करनेवाले सुन्दर वेदोंका उपदेश देनेवाले, सर्वज्ञ, सर्वसमर्थ, परमपावन, योगियोंको भी अत्यन्त दुर्लभ, समस्त चेतनों को चेतनता प्रदायक ध्यान, पूजन, उपासना करनेलायक प्रभु श्री सीतारामजीकी आराधना करता है और समस्त संशयरूपी गर्विष्ठ हाथियोंका नाश करनेवाले सिंहवत् श्रीगुरुशरण होकर प्रभु भजन करता है। वह मुमुक्षु सत्सङ्ग और गुरुकृपा कटाक्षके प्रभावसें सांसारिक स्पृहाओंका नाश करदेता है, और प्रभुकी साङ्गोपाङ्ग प्रपत्ति स्वीकारकर, समस्त प्रारब्ध कर्मोंका उपभोगकर पञ्चत्वको प्राप्त होता है और प्रभुके दिव्य धाममें जाकर बसता है वह मुक्तात्मा सुषुम्ना नाडीसे बहिर्गत होकर जिसरास्तेसें प्रभुधाममें जाता है उस अर्चिरादि मार्गका श्रुति वर्णन करती है । " तेऽचिष मेवाभि संभवन्ति, अर्चिषोऽहः, अहः आपुर्यमाण पक्षमापूर्यमाणपक्षायान् पडदङङेति मासास्तॉन् मासेभ्यः संवत्सरं संवत्सरादादित्यमादित्याच्चन्द्रमसं चन्द्रमसो विद्युतं तत्पुरूषोऽमानवः । स एनान् ब्रह्म गमयत्वेष देव यथो ब्रह्म पथ एतेन प्रतिपद्यमाना इमं मानव मानत नावर्तन्ते । वह मुक्तात्मा अर्चिरादिमार्गसें होता हुआ प्रभुको प्राप्त करता है. प्रथम अग्निलोक, फिर दिनके अभिमानी देवलोकमें, फिर पक्षाभिमानी देवलोकमें, फिर उत्तरायणको प्राप्त होता है, फिर संवत्सर, फिर सूर्यलोक, चन्द्रलोक, विद्युल्लोक, इत्यादिकोंको अतिक्रमण करके प्रभुके दिव्य धामको प्राप्त करता है । यही देवपथ है यही ब्रह्मपथ है । जो इस रास्तेसें प्रभुसानिध्यको प्राप्त करता है वह इस आवागमनरूपी मर्त्यलोकमे फिर नही आता है। यह आत्मा उस प्रभुधाममें प्रभुसें पृथक् होकर रहता है । ज्ञान पुरस्पर अपनेको प्रभुका विशेषण, प्रकार, पोष्य, शेष आदिकमानकर प्रभुसेवापरायण रहता है, यदि उसकी इच्छा होती है तो प्रभुकी चरण पादुकाका रूप उसे प्राप्त होता है, यदि उसकी इच्छा होती है तो प्रभुके दिव्य शरीरका कुण्डल, कङ्कण नूपुर आदिक बनकर प्रभुका परम संश्लेष-परम संयोग प्राप्त करता है। तात्पर्य वह है कि वहांपर मुक्तजीव जिस प्रकारकी भक्ति करना चाहता है उसके लिये प्रभु कृपार्से सब सुलभ होजाता है। यही वात शास्त्रों कही गई है - यथायदा कामयते मुक्तो जगदीशस्य पादयोः । आत्मनः पादुकारूपं तस्मै तत्माप्यते तदा ।। यदा कङ्कणभावं वा कुण्डलं वा परात्मनः । वाञ्छति च तदा स्वामी तदप्यस्मै प्रयच्छति ॥
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नई दिल्लीः मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिवाली से पहले बड़ा गिफ्ट दिया है। सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5 फीसदी बढ़ाने का एलान किया है। इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी। अब सरकारी कर्मचारियों को 12 फीसदी के बदले 17 फीसदी डीए मिलेगा। बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता 1 जुलाई 2019 से लागू होगा। सरकार के इस फैसले से 50 लाख कर्मचारियों और 62 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूरी दी है। आमतौर पर महंगाई भत्ते में 2 से 3 फीसदी की बढ़ोतरी होती थी। इस बार सरकार ने 5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इससे सरकार के खजाने पर 16 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। महंगाई भत्ता बढ़ने से सरकारी कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा रकम आएगी। इससे मांग बढ़ने की उम्मीद भी है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं की सैलरी 1 हजार रुपए से बढ़ाकर 2 हजार रुपए की गई है। इसके साथ ही कैबिनेट ने पीएम किसान योजना के लिए आधार से लिंक करने की तारीख को 31 नवंबर 2019 तक बढ़ा दिया है। 1 अगस्त 2019 के बाद जो रकम जारी होगी उसके लिए 30 नवंबर तक आधार को लिंक किया जा सकता है।
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फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने फिल्म 'लगभग प्यार विथ डीजे मोहब्बत' में मुख्य कलाकार अलाया एफ और करण मेहता के साथ काम करने के बारे में खुलकर बात की। फिल्म को पूरा होने में लगभग पांच साल लगे और निर्देशक ने कहा कि दोनों कलाकार मेहनती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है। अलाया और करण दोनों ही जबर्दस्त ऊर्जा के साथ युवा अभिनेता हैं। वे वह पीढ़ी हैं, जो हमारा भविष्य हैं। विभिन्न विषयों पर उनके ²ष्टिकोण और राय जानना एक आकर्षक अनुभव रहा है। उनसे बात करने से मुझे उनके बारे में एक अंतर्²ष्टि मिली और वे कैसे सोचते है। उनका जीवन जीने का तरीका हमसे बहुत अलग है। जबकि 'फ्रेडी' अभिनेत्री अलाया एफ ने कहा, करण और मैंने अनुराग सर के साथ बहुत सारी दिलचस्प बातचीत की है। हम हमेशा उन्हें काम करते हुए देखने के लिए उत्सुक थे। लेकिन उनकी बातें सुनना और भी आकर्षक था। करण ने निर्देशक और उनके सह-अभिनेता के साथ शूटिंग के अनुभव को भी साझा किया और कहा कि उनके साथ काम करना और फिल्म के लिए बाहरी स्थानों की यात्रा करना मजेदार था। उन्होंने आगे कहा, "एके (अनुराग कश्यप) सर, अलाया और मेरी फिल्म के सेट पर काफी मजेदार बॉन्डिंग रही। चूंकि यह एक आउटडोर शूट था, हमने डलहौजी और लंदन में अपने दोनों शेड्यूल में धमाका किया। बातचीत के विषय कभी-कभी बहुत बेतरतीब और कभी-कभी बहुत गहन होते थे और मुझे ईमानदारी से उन दोनों से बहुत कुछ नया सीखने को मिला। "'ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत' में अलाया एफ और करण मेहता हैं। गुड बैड फिल्म्स प्रोडक्शन के तहत जी स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत यह फिल्म 3 फरवरी को रिलीज हो रही है।
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Ind vs SL सबा करीम ने कहा कि रोहित शर्मा के लिए बल्ले से प्रदर्शन करना बेहद अहम होगा। उन्होंने टीम का काफी अच्छा नेतृत्व किया है और टीम के प्रदर्शन और समर्थन से ही आप एक अच्छा कप्तान भी बनते हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत प्रदर्शन भी मायने रखता है। नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। रोहित शर्मा जब से टीम इंडिया के तीनों फार्मेट में फुलटाइम कप्तान बने हैं तब से भारतीय टीम का प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा है, लेकिन एक सबसे बड़ी बात कि रोहित शर्मा लगातार बड़ी पारी खेलने से चूक रहे हैं। कप्तान बनने के बाद भारतीय टीम अच्छा जरूर कर रही है, लेकिन हिटमैन रन नहीं जुटा पा रहे हैं। रोहित शर्मा का बल्ले के साथ प्रदर्शन साधारण ही रहा है और इसी बात को लेकर टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज सबा करीम ने उनके एक आग्रह किया है। सबा करीम के मुताबिक बतौर कप्तान रोहित शर्मा हिट हो रहे हैं, लेकिन उन्हें बल्ले के साथ भी अच्छा करने की जरूरत है। रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया अब तक हर फार्मेट में अजेय रही है, लेकिन बल्लेबाज के तौर पर पिछली दो टी20 सीरीज में वो रन बनाने में कामयाब नहीं रहे हैं। वेस्टइंडीज की खिलाफ तीन मैचों की टी20 सीरीज में उन्होंने 66 रन बनाए थे तो वहीं श्रीलंका के खिलाफ इतने ही मैचों में उनके बल्ले से 50 रन निकले थे। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ ही मोहाली टेस्ट मैच में उन्होंने 29 रन की पारी खेली थी। सबा करीम ने यूट्यूब खेलनीति पाडकास्ट पर बात करते हुए कहा कि रोहित शर्मा के लिए बल्ले से प्रदर्शन करना बेहद अहम होगा। उन्होंने टीम का काफी अच्छा नेतृत्व किया है और टीम के प्रदर्शन और समर्थन से ही आप एक अच्छा कप्तान भी बनते हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत रूप से भी उन्हें टीम के लिए योगदान करने की जरूरत है और बेंगलुरु टेस्ट मैच उनके लिए चुनौतीभरा होगा। सबा के मुताबिक दूसरे टेस्ट मैच में बेहद कम बदलाव की संभावना है, लेकिन ओपनर बल्लेबाज मयंक अग्रवाल के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय परिस्थिति में मयंक ने काफी रन बनाए हैं और मोहाली टेस्ट मैच में वो संघर्ष नहीं कर रहे थे। उन्हें अपनी अच्छी शुरुआत को एक बड़े स्कोर में बदलने की सख्त जरूरत है। आपको बता दें कि भारत और श्रीलंका के बीच दूसरा टेस्ट मैच 12 मार्च से शुरू होगा।
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एकादशी को हिंदू धर्म में बेहत ही महत्वपूर्ण मानते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा एकादशी के दिन करने और व्रत रखने से सुख और शांति घर में आती है। हर एकादशी का अपना एक महत्व हिंदू धर्म में होता है। लेकिन सफला एकादशी जो पौष माह में आती है उस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और व्रत करने से धन लाभ और स्वास्थ्य अच्छा होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीहरि की कृपा की संपन्नता सफला एकादशी के दिन भक्तों को प्राप्त होती है। अगर मनुष्य इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखते हैं तो ऐसा करने से खुशहाली और सफलता जीवन में आती है। 22 दिसंबर को इस साल सफला एकादशी है। श्री हरि की पूजा और मंत्र का जाप एकादशी के दिन सुबह उठकर विधि पूर्वक करें। श्रीहरि की पूजा करने के समय सफेद चंदन का टीका सबसे पहले माथे पर लगाएं। फूल, मौसमी फल और पंचामृत श्रीहरि को अर्पित करें और साथ में हाथ जोड़ कर उनका आशीर्वाद लें। ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप 108 बार करें। श्रीहरि की सुबह इस दिन पूजा करने के बाद शाम को भी उनके सामने दीपक जलाएं। एकादशी के दिन कुछ चीजें श्रीहरि को अपनी सुरक्षा और संपन्नता के लिए अर्पित करनी चाहिए। श्रीहरि को इस दिन रेशम का पीला धागा या वस्त्र अपने कैरियर में सफलता पाने के लिए जरूर करें। पीला धागा आपने श्रीहरि को अर्पित किया है तो पूजा के बाद अपने दाहिने हाथ में इसे बांध लें। अगर श्रीहरि को धागा महिलाएं अर्पित करती हैं तो वह पूजा के बाद उसे अपने बाएं हाथ में बांधे। पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि राजा महिष्मान के चार पुत्र थे। राजा के बड़े पुत्र का नाम लुम्पक महापापी था। जब राजा को अपने इस पुत्र के कुकर्मों का पता चला तो अपने राज्य से लुम्पक को राजा ने निकाल दिया। लेकिन अपने पिता की इस बात को लुम्पक समझ नहीं पाया और उसने चोरी करने की अपने पिता की नगरी में ठान ली। राज्य से वह बाहर दिन में रहता था और रात में आकर राज्य में चारियां करता था। बता दें कि धीरे-धीरे लुम्पक के पाप बढ़ते गए साथ ही लोगों को भी उसने नुकसान पहुंचाना शुरु कर दिया। वन में वह एक पीपल के पेड़ के नीचे लुम्पक रहता था। ठंड से वह पौष माह की दशम तिथि को बेहोश हो गया। जब लुम्पक को अगले दिन होश आया तो उसके अंदर इतनी कमजोरी थी कि वह कुछ खा नहीं पाया था और जो फल उसे मिले थे उसने पीपल की जड़ में रख दिए थे। इस तरह से एकादशी का व्रत उससे अनजान में ही पूरा हो गया। भगवान एकादशी के व्रत से प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सारे पाप को माफ कर देते हैं। जब लुम्पक को अपनी गलती का एहसास हो जाता है तो उसके पिता उसे दोबारा से अपना लेते हैं।
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श्रीनगर । एक तरफ देश कोरोना संकट से लड़ रहा तो दूसरी तरफ भारतीय सेना आतंकवादियों से दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षा बलों और आतंकियों में बुधवार आधी रात के बाद मुठभेड़ आरंभ हो गई है। इस दौरान मौके पर दो से तीन आतंकियों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों ने बताया कि सूचना के आधार पर सेना की 34 आरआर, सीआरपीएफ और पुलिस ने कुलगाम के यमराक में तलाशी अभियान चलाया। आधी रात के करीब गांव में एक घर में छिपे आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाल लिया। देर रात तक दोनों ओर से फायरिंग जारी थी। आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच बुधवार रात दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम के यमराक इलाके में एक मुठभेड़ शुरू हुई है। 34 आरआर बटालियन और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की टीम ने यमराक के पूरे इलाके को घेर कर कार्रवाई शुरू कर दी है। जॉइंट टीम ने तलाशी अभियान में संदिग्ध जगह की ओर से जैसे ही बढ़ना शुरू किया, आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। यह पुलिस और सेना का संयुक्त अभियान है। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों के छिपे होने की खबर है। पुलिस की एक जॉइंट टीम ने आतंकियों की तलाशी में पूरे इलाके में बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया है। 34 आरआर बटालियन और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की टीम ने यमराक के पूरे इलाके को घेर कर कार्रवाई शुरू कर दी है। जॉइंट टीम ने संदिग्ध जगह की ओर से जैसे ही बढ़ना शुरू किया, आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी। यह पुलिस और सेना का संयुक्त अभियान है। इससे पहले बुधवार को अवंतीपोरा की स्थानीय पुलिस ने आंतकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में सुरक्षा बलों और पुलिस की आतंकियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई चल रही है। इसी बीच पुलिस की ओर से चलाए जा रहे तलाशी अभियान में मंगलवार को जैश के ये आतंकी गिरफ्तार किए गए- जो आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं उनके नाम हैं- शबीर अहमद पारे, शिराज अहमद डार, शफत अहमद मीर और इशफाक अहमद शाह. चारों बाथे इलाके के रहने वाले हैं। चारों पर आरोप है कि इन्होंने जैश के सक्रिय आतंकियों को रहने, खाने-पीने में मदद पहुंचाई। त्राल के जंगलों में टिके आतंकियों को इन लोगों ने मदद पहुंचाई। इनके पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया।
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Congress President Election: अगर इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 19 अध्यक्ष हुए हैं। जिसमें 5 अध्यक्ष गांधी परिवार से रहे है। और उनका बीते 75 साल में 37 साल अध्यक्ष पद पर कब्जा रहा है। और उससे भी बड़ी बात है कि पिछले 24 साल में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा कोई अध्यक्ष नहीं बन सका। इस दौरान केवल 2000 के चुनाव में नई-नई राजनीति में एंट्री करने वाली सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद में उतरे थे। लेकिन उन चुनावों में हारे उम्मीदवार जितेंद्र प्रसाद ने कई गंभीर आरोप लगा दिए। जिसकी आंच आज भी कांग्रेस के कई नेताओं को परेशान कर रही है। पहले आनंद शर्मा फिर मनीष तिवारी और अब शशि थरूर और असम के सांसद प्रद्युत बारदोली ने भी इलेक्टोरल रोल की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। असल में साल 2000 में इन्ही इलेक्टोरल रोल की वोटिंग पर जितेंद्र प्रसाद गुट ने सवाल उठाया था। उनका कहना था कि लिस्ट में फर्जी वोटरों को शामिल किया गया था। और उनकी लिस्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई थी। इन चुनावों में सोनिया गांधी को 7774 वोट मिले थे, जबकि जितेंद्र प्रसाद को केवल 94 वोट मिले थे। अब यही डर इस बार भी कांग्रेस के इन नेताओं को सता रहा है। हालांकि कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया से जुड़े नेताओं ने साफ कर दिया है कि चुनाव निष्पक्ष होंगे। जहां पर इलेक्टोरल की लिस्ट सार्वजनिक करने की बात है तो ऐसा कभी नहीं हुआ है। चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को लिस्ट दी जाती है और इस बार भी दी जाएगी। कांग्रेस के इतिहास में सोनिया गांधी का अध्यक्ष के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 1998 से 2017 तक पूरे 19 साल तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। इस साल 10 साल कांग्रेस की केन्द्र में सरकार रही। इसके बाद 2 साल राहुल गांधी 2019 तक प्रधानमंत्री रहे। सोनिया गांधी के राजीव गांधी 1985-91 तक अध्यक्ष रहे थे। वहीं इंदिरा गांधी 1969 से 1978 और फिर 1984 में अध्यक्ष बनीं थी। वहीं उनके पिता जवाहर लाल नेहरू 1951-1954 तक अध्यक्ष रहे थे। इंदिरा गांधी के समय 1977-78 में कांग्रेस का विभाजन हुआ था। उस समय ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। विभाजन के बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस(आई) की स्थापना की थी। कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC)और कांग्रेस कार्य समिति (CWC)होती है। और उसके बाद प्रदेश स्तर पर प्रदेश कांग्रेस समिति होती है। और फिर जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस कमेटी होती है। ब्लॉक समिति के स्तर से गोपनीय आधार पर प्रदेश कांग्रेस समिति में डेलीगेट या इलेक्टोरल रोल भेजे जाते हैं। कांग्रेस पार्टी के अनुसार इस बार की चुनावी प्रक्रिया में 9000 डेलीगेट भाग लेंगे। Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
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प्रयागराजः उमेश पाल हत्याकांड मामले में एसटीएफ और पुलिस ने शनिवार देर रात तीन युवकों को मुस्लिम बोर्डिंग से उठा लिया. तीनों युवक हत्याकांड में शामिल शूटर गुलाम के करीबी बताये जा रहे हैं. तीनों ही गुलाम के संपर्क में थे. एसटीएफ की कार्रवाई से मुस्लिम बोर्डिंग में हड़कंप मच गया. तीनों से अज्ञात स्थान पर पूछताछ की जा रही है. उमेश पाल हत्याकांड के खुलासे के लिये एसटीएफ और पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. इसी कड़ी में एसटीएफ पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में मुस्लिम बोर्डिंग में छापेमारी की गयी. यहां से तीन युवकों को उठाया गया. पहले तो बोर्डिंग में रहने वालों ने विरोध की कोशिश की लेकिन भारी पुलिस बल को देखकर वहां शांति बनी रही. इसके अलावा जिस गुड्डू मुस्लिम को पुलिस ने एफआईआर में नामजद किया है, उसका आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है. पता चला है कि गुड्डू मुस्लिम यूपी और बिहार के कई माफियाओं का करीबी है. इसके अलावा गुड्डू के करीबी संबंध पूर्वांचल के एक बाहुबली पूर्व सांसद और फैजाबाद के बाहुबली विधायक से भी रहे हैं. गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है. उसने ही उमेश पाल हत्याकांड के दौरान बमबाजी भी की थी. करीब 15 वर्ष पहले गुड्डू को गोरखपुर पुलिस ने पटना जेल के बाहर गिरफ्तार किया था. बाद में माफिया अतीक अहमद ने उसकी जमानत कराई थी. गुड्डू रियल एस्टेट के धंधे में शामिल था. उसके लखनऊ के ओसीआर विधायक निवास में भी लंबे समय तक रहने की जानकारी मिली है. गुड्डू मुस्लिम हत्याकांड के दौरान सफेद शर्ट पहने था. पहले तो उसने दहशत फैलाने के लिये बम के धमाके किये. इसके बाद उमेश पाल को बम से निशाना बनाने की कोशिश की. गुड्डू मुस्लिम जिस तरह से बम धमाके कर रहा था, उससे पूरे धूमनगंज क्षेत्र में दहशत फैल गयी थी. पुलिस गुड्डू की तलाश के तेजी से छापेमारी कर रही है.
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दक्षिण कोरिया के एक एक्सचेंज की हैकिंग के बाद भयभीत निवेशकों के रुझान से क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट से बाजार अभी संभल भी नहीं पाया था कि बिटक्वाइन में बुधवार को एशियाई बाजार में लगभग 15 फीसदी की तगड़ी गिरावट दर्ज की गई। ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के एक्सचेंज यूबिट के हैक होने की खबर सामने आने के बाद बिटक्वाइन में तगड़ी गिरावट हुई। हैंकिंग के बाद एक्सचेंज ने खुद को बंद करने और दिवाला कार्यवाही शुरू करने की बात कही। बिटक्वाइन सप्ताह के शुरुआत में रिकॉर्ड 19,500 डॉलर को छू चुकी है। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों ने बाजार में हेराफेरी की चिंताओं का हवाला देते हुए बिटक्वाइन से संबंधित एक मशहूर स्टॉक में कारोबार को मंगलवार को निलंबित कर दिया। क्रिप्टो कंपनी के शेयर की कीमतों में सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमिशन द्वारा कारोबार पर चार जनवरी तक रोक लगाने से पहले सितंबर के अंत तथा सोमवार शाम के बीच 1,700 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टैंट राइता यामागुची ने बताया कि दक्षिण कोरियाई एक्सचेंज के हैक होने तथा बाजार में शेयर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद कारोबार बंद करने की खबरों ने बुधवार को बाजार पर असर डाला।
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उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में पुलिस द्वारा ग्रामीणों के साथ मारपीट व जबरदस्ती चकबंदी करवाने के विरोध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पर धरना पर बैठ गए। उन्होंने पुलिस की बर्बरता व भू- माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि बीते 19 जून को हसनपुर थाना क्षेत्र के मंगलपुर गांव में चकबंदी के विरोध में उतरे किसानों व ग्रामीणों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया था। इस मामले को लेकर अजय लल्लू ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन किया। साथ ही हरचंदपुर के कमंगलपुर गांव में हुए लाठीचार्ज व जबरन चकबंदी करने पर जिला प्रशासन सहित भाजपा नेता एमएलसी दिनेश सिंह पर भी निशाना साधा। अजय लल्लू ने कहा, सरकार में गरीबों, दलितों मजलूमों पर अत्याचार हो रहा है. जिस तरह भाजपा के भू माफियाओं द्वारा जमीनों पर जबरन कब्जा किया जा रहा है उसका कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी. साथ ही पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया गया है। उन दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर कार्रवाई नहीं होती है तो हम अपने धरने को तेज करेंगे। किसी भी तरह गरीबों पर अन्याय व जुल्मों सितम नहीं होने देंगे। गौरतलब है कि बीते 19 जून को हरचंदपुर थाना क्षेत्र के कमंगलपुर गांव में जबरदस्ती चकबंदी कराने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया था। ग्रामीणों के अनुसार भाजपा एमएलसी दिनेश सिंह के भाई गणेश सिंह जबरदस्ती चकबंदी करवा कर गरीबों की भूमि हड़पना चाहते हैं। इसका विरोध ग्रामीणों ने किया था जिसके चलते ही पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। जिसमें कई ग्रामीण घायल हुए थे। इसमें इसमें थानाध्यक्ष राकेश सिंह सहित अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। जिसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों पर मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई करने में जुट गई है।
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उत्तर प्रदेश में पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले सबसे अधिक लंबित हैं. (ग्राफिक इमेज) नई दिल्ली. देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के 67,200 मामले लंबित हैं, जो सभी राज्यों से सबसे अधिक है. प्रदेश में लंबित मामले यौन अपराधों से बच्चों के कड़े संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज सभी मामलों का लगभग 28 फीसदी हैं. हालांकि पीड़ित बच्चों को अदालती कार्रवाई की उत्पीड़न से बचने के लिए विशेष रूप से फास्ट ट्रैक कोर्ट में जल्द से जल्द मुकदमों को पूरा करने का प्रावधान है. पॉक्सो अधिनियम में बदवाल करके सरकार द्वारा फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हर जिले में कम से कम एक फास्ट ट्रैक कोर्ट है. लेकिन साल 2016 से लेकर अब तक लंबित मामलों में 170 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. साल 2016 में 90,205 लंबित मामले थे. जबकि 2023, जनवरी में ये बढ़कर 2 लाख 43 हजार 237 हो गया. वहीं महाराष्ट्र में 33,000 लंबित मामले हैं. इसके बाद 22,100 लंबित मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर है. जबकि बिहार में 16,000, ओडिशा में 12,000 और तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 10,000 लंबित मामले हैं. वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पॉक्सो के 9,108 लंबित मामलों हैं. राजस्थान में 8,921, असम में 6,875, हरियाणा में 4,688 और झारखंड में 4,408 लंबित मामले हैं. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में संपन्न बजट सत्र में एक सवाल के जवाब में संसद को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए जांच और परीक्षण के लिए प्रत्येक दो महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है. पॉक्सो और बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त पोषण के साथ 764 विशेष एफटीसी (फास्ट ट्रैक कोर्ट) स्थापित किए गए हैं, जिसमें पॉक्सो अधिनियम के मामलों के लिए विशेष रूप से समर्पित 411 विशेष एफटीसी शामिल हैं. ये अदालतें साल में 1. 4 लाख मामलों का निपटारा कर रही हैं. .
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जुलाई के लिए अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक उम्मीद से कम आने से निवेशकों को राहत मिलने के बावजूद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी बिकवाली हुई। जिसमें एशियाई बाजारों में 2 फीसदी की गिरावट देखी गई. भारतीय बेंचमार्क भी आधा फीसदी नीचे बंद होते दिखे. बीएसई सेंसेक्स 365.53 अंक गिरकर 65,322.65 पर और निफ्टी 114.80 अंक गिरकर 19,428.30 पर बंद हुआ। लार्ज-कैप के अलावा, मिड-कैप और स्मॉल-कैप में बिकवाली के कारण भी बाजार में व्यापक नरमी देखी गई। बीएसई पर कुल 3,724 काउंटरों पर कारोबार देखा गया। जिनमें से 2,049 नकारात्मक समापन दिखा रहे थे। जबकि 1,524 काउंटर सकारात्मक रूप से बंद देखे गए। 204 काउंटरों ने अपना वार्षिक शिखर बनाया। जबकि 27 काउंटरों ने 52-सप्ताह का न्यूनतम स्तर दिखाया। 7 काउंटर अपर सर्किट में बंद हुए जबकि 3 काउंटर लोअर सर्किट में बंद हुए। अमेरिका में जुलाई के लिए सीपीआई डेटा गुरुवार को जारी किया गया। जिसे उम्मीद से ज्यादा माना गया. हालांकि, बीच में इसमें नरमी देखी गई और इसके बाद डॉलर में शुरुआती कमजोरी देखने को मिली। हालाँकि, बाद में वह और मजबूत हो गये। जिसके पीछे शेयर बाजारों में आई व्यापक गिरावट थी. एशियाई बाज़ार 2 प्रतिशत तक की गिरावट का संकेत दे रहे थे। जिनमें से शुक्रवार को भारतीय बाजार की शुरुआत मामूली सकारात्मक रही। हालाँकि, बाज़ार हरे क्षेत्र में टिक नहीं सका और तुरंत लाल हो गया। बेंचमार्क निफ्टी 19,543.10 के पिछले बंद स्तर के मुकाबले गिरकर 19,412.75 पर कारोबार कर रहा है। इस प्रकार यह हाल ही में दूसरी बार 19,500 से नीचे बंद हुआ। निफ्टी फ्यूचर निफ्टी कैश के मुकाबले 73 अंक के प्रीमियम के साथ 19,503 पर बंद हुआ। जिसने पिछले सत्र में देखे गए 56 अंक के प्रीमियम के मुकाबले सुधार का संकेत दिया। इस प्रकार, यह माना जा सकता है कि लंबी स्थिति को निचले शीर्षक में जोड़ा गया है। जिससे बाजार में गिरावट थमने का संकेत मिलता है। तकनीकी विश्लेषकों के मुताबिक, 19,300 का स्तर टूटने पर ही बाजार में और गिरावट संभव है। अन्यथा इसके 19,400-19,700 के दायरे में कारोबार करते नजर आने की अधिक संभावना है। शुक्रवार को निफ्टी को समर्थन प्रदान करने वाले घटकों में एचसीएल टेक्नोलॉजी, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन, टाइटन कंपनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा स्टील, टीसीएस और एसबीआई शामिल थे। दूसरी ओर, इंडसइंड बैंक, एनटीपीसी, डिविस लैब्स, एसबीआई लाइफ, यूपीएल, एशियन पेंट्स, टाटा कंज्यूमर्स, सन फार्मा, बीपीसीएल, एचयूएल, हिंडाल्को, विप्रो, जेएसडब्ल्यू स्टील, टेक महिंद्रा, इनफेसेस, हीरो मोटोकॉर्प, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज वित्त में उल्लेखनीय कमी आयी। सेक्टोरल प्रदर्शन की बात करें तो पीएसयू बैंकों को छोड़कर सभी सेक्टर में कमजोरी देखने को मिली। निफ्टी पीएसयू बैंक 1.25 फीसदी बढ़कर बंद हुआ। इसके घटकों में, IOB में 13.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा सेंट्रल बैंक, जेके बैंक, यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पीएनबी, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक में भी खासी मजबूती देखी गई। निजी बैंक, धातु, आईटी, फार्मा, एफएमसीजी में नरमी देखी गई. निफ्टी फार्मा 1.5 फीसदी गिरा। बाजार हलकों का कहना है कि पिछले कुछ सत्रों से लगातार नई ऊंचाई बनाने के बाद फार्मा शेयरों में मुनाफावसूली देखी गई है। फार्मा शेयरों में अल्केम लैब 8 फीसदी गिर गया। इसके अलावा बायोकॉन, डिविस लैब्स, टोरेंट फार्मा, सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा, जायडस लाइफ, ल्यूपिन, सिप्ला में भी बड़ी गिरावट देखी गई। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स ने भी चौथाई फीसदी गिरावट का संकेत दिया है. जिसमें यूनाइटेड स्पिरिट्स, पीएंडजी, टाटा कंज्यूमर्स, डाबर इंडिया, एचयूएल, नेस्ले, आईटीसी, ब्रिटानिया, गोदरेज कंज्यूमर जैसे काउंटर कमजोरी दिखा रहे थे। इसके अलावा बायोकॉन, डिविस लैब्स, टोरेंट फार्मा, सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा, जायडस लाइफ, ल्यूपिन, सिप्ला में भी बड़ी गिरावट देखी गई। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स ने भी चौथाई फीसदी गिरावट का संकेत दिया है. जिसमें यूनाइटेड स्पिरिट्स, पीएंडजी, टाटा कंज्यूमर्स, डाबर इंडिया, एचयूएल, नेस्ले, आईटीसी, ब्रिटानिया, गोदरेज कंज्यूमर जैसे काउंटर कमजोरी दिखा रहे थे। इसके अलावा बायोकॉन, डिविस लैब्स, टोरेंट फार्मा, सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा, जायडस लाइफ, ल्यूपिन, सिप्ला में भी बड़ी गिरावट देखी गई। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स ने भी चौथाई फीसदी गिरावट का संकेत दिया है. जिसमें यूनाइटेड स्पिरिट्स, पीएंडजी, टाटा कंज्यूमर्स, डाबर इंडिया, एचयूएल, नेस्ले, आईटीसी, ब्रिटानिया, गोदरेज कंज्यूमर जैसे काउंटर कमजोरी दिखा रहे थे। निफ्टी आईटी में एचसीएल टेक्नोलॉजी ने 2 अरब डॉलर के ऑर्डर पर 3.5 फीसदी की छलांग लगाई. इसके अलावा कोफोर्ज, पर्सिस्टेंट, टीसीएस भी मजबूती के संकेत दे रहे थे। वहीं विप्रो, टेक महिंद्रा, इनफैसिस और एम्फेसिस में नरमी देखी गई। एनएसई डेरिवेटिव सेगमेंट पर नजर डालें तो इंडिया सीमेंट्स 5 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर रही। आरईसी के अलावा, एचसीएल टेक्नोलॉजी, जिंदल स्टील, बीएचईएल, आईआरसीटीसी, कोफोर्ज, एक्साइड इंडस्ट्रीज, पीएबी, पेज इंडस्ट्रीज, भारत इलेक्ट्रिक, जीएमआर एयरपोर्ट्स, इंडस टावर्स, जुबिलेंट फूड, इंडियन होटल्स, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, बर्गर पेंट्स, पावर ग्रिड में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। बैठक थी दूसरी ओर, अपोलो टायर्स, अल्केम लैब, इंफोएज, ज़ी एंटरटेनमेंट, कैन फिन होम्स, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, सीजी कंज्यूमर, कंटेनर कॉर्पोरेशन, सिंजेन इंटरनेशनल, लौरस लैब्स, जेके सीमेंट, मैक्स फाइनेंशियल, वेदांता, श्रीराम फाइनेंस प्रमुख रहे। अस्वीकार करने वाले वार्षिक या उच्चतम शिखर दर्शाने वाले कुछ काउंटरों में कल्याण ज्वैलर्स, हिंद कॉपर, सीई इंफे सिस्टम्स, सुप्रीम इंडस्ट्रीज 3एम इंडिया, मोतीलाल ओसवाल, श्याम मेटालिक्स, आरईसी और जिंदल स्टील शामिल हैं।
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