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इंटरनेट के माध्यम से इस तरह के झूठे प्रचार का यह कोई पहला मामला नहीं है
कुछ समय पहले बताया गया था कि 'जन गण मन..' को यूनेस्को ने दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान चुना है
कई लोग इसके झांसे में आ गए कई सिलेब्रिटीज ने तो ट्विटर पर प्रतिक्रिया तक दे डाली
कई अखबार इस पर संपादकीय लिखने की तैयारी करने लगे लेकिन जल्दी ही पता चल गया कि यह झूठ है
कई हस्तियों की मौत के बारे में अफवाहें उड़ाई गईं
हाल में विश्व प्रसिद्ध अभिनेता टॉमक्रूज के निधन की अफवाह उड़ी
कुछ समय पहले क्यूबा के नेता फिदेलकास्त्रो के बारे में भी ऐसी ही खबर प्रसारित हुई थी
क्या इन्हें कुछ सिरफिरों या कुंठित व्यक्तियों की शरारतों के रूप में देखा जाए?
अफवाहों की अपनी एक साइकॉलजी होती है, लेकिन इंटरनेट पर अफवाहों के प्रसार के मामले को इस मनोवैज्ञानिक पहलू से आगे बढ़कर भी देखने की जरूरत है
कुछ साल पहले इंटरनेट सर्विस वर्ल्डवाइडवेब के जन्मदाता सरटिमबर्नर्सली ने इंटरनेट पर अनाप-शनाप बातों को रोकने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की थी, लेकिन उसके बाद से इसमें और बढ़ोतरी ही हुई है
कुछ देशों ने प्रतिबंध का रास्ता अपनाया, लेकिन यह भी कोई समाधान नहीं है
असल में आज सूचना क्रांति की सीमाओं को भी समझने की जरूरत है
इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इंटरनेट आज हमारी आँख कान बन गया है
एक बड़े वर्ग के लिए यह प्रामाणिकता का पर्याय बन चुका है
आज दुनिया के तमाम अखबार, न्यूज चैनल और समाचार एजेंसियों के लिए यह एक मजबूत सोर्स के रूप में उभरा है
इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं के अबाध प्रसार ने दुनिया को करीब आने का मौका दिया है
इससे सूचनाओं का विकेंद्रीकरण हुआ और जनतंत्रीकरण भी
लेकिन जब गलत तथ्यों के प्रसार से इसकी विश्वसनीयता प्रभावित होगी तो इस प्रक्रिया को गहरा झटका लग सकता है
सूचनाओं का सर्वसुलभ संसार अपनी अंदरूनी चोटों से ही क्षतिग्रस्त हो उठेगा
लेकिन सूचना संसार की तोड़फोड़ पर छाती पीटने के बजाय कुछ पुराने सबक याद किए जाएं
जीवन में इंटरनेट की घुसपैठ ने हमारे भीतर सूचना को ही अंतिम सत्य मान लेने की प्रवृत्ति पैदा की है
इसने हमारी विश्लेषण क्षमता पर आघात किया है
हम आँख मूंदकर इस पर उपलब्ध चीजों को स्वीकार कर लेना चाहते हैं, लेकिन अपनी बुद्धि और तर्कशक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहते
इंटरनेट से किसी को बेदखल करना आसान नहीं है उस पर तरह-तरह के खिलाड़ी अपनी करामात दिखाते रहेंगे
यह तो हमें तय करना है कि हम इंटरनेट पर कितना भरोसा करेंगे इंटरनेट को ईश्वर मानने के बजाय उसे दो्त का दर्जा देना ही ठीक रहेगा
पिछले दोदशकों से अक्सर कुछ सालों के अंतराल पर रुक रुक कर चल पड़ने वाली भारत पाकिस्तान वार्ता एक बार फिर शुरू होने जा रही है
इस्लामाबाद में 24जून को होने वाली विदेश सचिवों की वार्ता से लेकर 26जून को गृहमंत्रियों और फिर 15जुलाई को विदेश मंत्रियों की वार्ता के क्या नतीजे निकलेंगे
यह कहना मुश्किल नहीं लगता क्योंकि आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान ने अपना दोमुंहा रुख बदला नहीं है
भारत ने पाकिस्तान से साफ कहा है कि आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दूर किए बिना बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे नहीं बढ़ सकती है
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की पहल पर भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत का नया दौर शुरू किया है लेकिन बातचीत के पहले पाकिस्तान की ओर से रचनात्मक रुख अपनाने के संकेत नहीं दिए जा रहे हैं
इससे लगता है कि दोनों देशों के बीच 21महीने से रुकी वार्ता प्रक्रिया फिर से एक अंधेरी गली में रास्ता तलाश रही है
इस अंधेरी गली में भरोसे की कोई रोशनी नहीं दिखाई दे रही है, जबकि भारत की कोशिश है कि भरोसे के माहौल में ही बातचीत आगे बढ़ाई जाए
भरोसा तभी पैदा होगा जब पाकिस्तान आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार हो
पिछली 26फरवरी को जब पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमानबशीर भारत आए थे तब मुंबई पर हमला करवाने वालों के खिलाफ समुचित कार्रवाई पर भारत ने जोर दिया था
चारमहीने बाद भी दोनों देशों की बातचीत इसी धुरी पर टिकी हुई है
24जून को निरुपमाराव पाक विदेश सचिव से बातचीत के दौरान फिर उन्हीं मसलों को उठाएंगी जो 26फरवरी को उठाए गए थे
तब पाक विदेश सचिव भारतीय विदेश सचिव निरुपमाराव से बातचीत के बाद नईदिल्ली स्थित उच्चायोग में ही भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आए थे
दोनों की बातचीत तब ऐसे टकराव के माहौल में हुई थी कि संक्षिप्त साझा बयान में भारतीय विदेश सचिव को पाक यात्रा के निमंत्रण तक का उल्लेख तक नहीं किया जा सका
लेकिन 26अप्रैल को थिंपू में सार्क सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और प्रधानमंत्री गिलानी के बीच बातचीत में बातचीत का दौर नए सिरे से शुरू करने का फैसला लिया गया
पाकिस्तान ने इसे समग्र वार्ता कंपोजिट डायलॉग नाम देने की मांग की लेकिन अबतक हुई चार दौर की समग्र वार्ता के नतीजों से निराश भारत ने कहा कि वार्ता के नामकरण का कोई अर्थ नहीं है
भारत ने अपने विदेश मंत्री को भारत भेजने का प्रस्ताव किया
पिछली बार जब 26/11 हो रहा था तब पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत में ही थे और आनन-फानन में 28सितंबर की सुबह अंधेरे में ही इस्लामाबाद से आया एक विशेष विमान उन्हें लेकर लौट गया था
अब करीब 22महीने बाद भारतीय विदेश मंत्री कृष्णा पाक के साथ अमन की आशा में 15जुलाई को इस्लामाबाद जाएंगे
चूंकि दोनों देशों के बीच बातचीत आतंकवाद के कारण ही टूटी है इसलिए पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत के खिलाफ फिर कभी आतंकवादी हमला न होने दे, लेकिन पाकिस्तान ने कहा है कि वह इसकी गारंटी नहीं दे सकता, क्योंकि वह खुद ही आतंकवाद का शिकार हो रहा है
जाहिर है, पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बचाने के लिए आतंकवाद से लड़ने के ठोस कदम उठाने होंगे, तभी वह भारत के साथ सकारात्मक माहौल में बातचीत कर पाएगा
भारत के लिए आतंकवाद ही मुख्य मसला है और आतंकवाद पर भारत की चिंता दूर करने से ही बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकेगी
लेकिन भारत की इस राय के जवाब में पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर और पानी का मसला उछालने की कोशिश कर रहा है
तिहाड़जेल के जिस हाई सिक्युरिटी वॉर्ड में आतंकवादी अफजलगुरु बंद है, वहां ब्लेडबाज तो क्या, अपनी मनमर्जी से जेल के अधिकारी भी नहीं फटक सकते
यह इलाका पूरी तरह प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है
वॉर्ड का सुरक्षा कवच किसी वीवीआईपी को दी जाने वाली जेड श्रेणी की सिक्युरिटी से कम नहीं है
जेल सूत्रों का कहना है कि अफजल डरा हुआ नहीं है, बल्कि यह उसका पब्लिसिटी स्टंट है, क्योंकि उसे अगर छींक भी आती है तो जेल अधिकारियों के पसीने छूट जाते हैं
ऐसे में उसे कोई नुकसान पहुंचा दे, ऐसा हो ही नहीं सकता
जेल सूत्रों के मुताबिक, अफजल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर तिहाड़ की जेल नंबर-3 में बंद साबिर, शहजाद और सोनू नाम के कैदियों से डर की बात कही थी
अफजल का कहना था कि ये लोग उसके साथ ब्लेडबाजी कर सकते हैं
उसने इन तीनों कैदियों को पेशेवर अपराधी बताते हुए अन्य जेल में शिफ्ट करने की मांग की थी
तिहाड़जेल के प्रवक्ता सुनीलकुमार का कहना है कि हालांकि उन कैदियों से अफजल को कोई खतरा नहीं है, लेकिन फिर भी पॉलिसी के तहत उन तीनों को अन्य जेल में शिफ्ट कर दिया गया है
जेल सूत्रों ने बताया कि 13दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए हमले की साजिश रचने वाले अफजलगुरु को तिहाड़कीजेल नंबर-3 के हाई सिक्युरिटी वॉर्ड में बंद किया है
उसके सुरक्षा कवच पर गौर किया जाए तो यह वॉर्ड जेल में रहने वाले अन्य कैदियों से बिल्कुल अलग और एकांत स्थान पर है
इस इलाके में हर किसी को आने-जाने की छूट नहीं है
इस वॉर्ड में 8 सेल हैं
अफजल को सेल नंबर-8 में बंद किया हुआ है
उसके पास वाली सेल में 11सितंबर, 1993 को यूथकांग्रेसकार्यालय के बाहर किए गए बम ब्लास्ट का दोषी आतंकवादी देवेंद्रसिंहभुल्लर कैद है, जबकि अन्य सेलों में कश्मीरी आतंकवादी बंद हैं
अफजल की भुल्लर से दोस्ती भी है
अफजल की सेल 12फुट लंबी और 8फुट चौड़ी है
अफजल की निगरानी करने और इसकी सुरक्षा करने के लिए हर समय तमिलनाडु स्पेशल पुलिस के 7 से 10 जवान तैनात रहते हैं
इनमें से कुछ जवान अत्याधुनिक हथियारों से भी लैस रहते हैं
हाई सिक्युरिटी वॉर्ड में प्रवेश करने के लिए लोहे का एक दरवाजा लगा हुआ है
यह दरवाजा उन्हीं जेल अधिकारी, वॉर्डर हेड वॉर्डर या टीएसपी के जवानों के लिए खोला जाता है जिन्हें उसकी निगरानी करने का जिम्मा दिया होता है
जेल का अन्य अधिकारी, सुरक्षा गार्ड या टीएसपी का जवान यहां प्रवेश नहीं कर सकता
अमेरिकी सीनेट द्वारा पारित बॉर्डर सिक्युरिटी बिल वहां काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा
इससे अपने कर्मचारियों पर आने वाला उनका खर्च बढ़ेगा और उनकी कॉम्पिटिटर अमेरिकी कंपनियों को कुछ अनुचित लाभ मिलेगा, जिससे होड़ में उनकी स्थिति कमजोर पड़ेगी
विधेयक में एच-1 बी और एल-1 वीजा की फीस सीधे दोगुनी करने की बात कही गई है
भारतीय आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों को अमेरिका स्थित अपने कार्यालयों के लिए आम तौर पर इन्हीं दो वीजा व्यवस्थाओं के तहत अमेरिका भेजती हैं
विधेयक में यह प्रावधान केवल उन विदेशी कंपनियों के लिए ही है, जिनकी अमेरिकी शाखाओं में स्थानीय कर्मचारियों की संख्या आधी से कम है
यानी, माइक्रोसॉफ्ट अगर भारत से अपने किसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अमेरिका ले जाती है तो उसे वीजा फीस की बढ़ी हुई राशि नहीं अदाकरनी होगी, जबकि यही काम अगर इन्फोसिस करेगी तो उसका वीजा खर्च अभी की तुलना में दोगुना पड़ जाएगा
भारतीय आईटी कंपनियों ने इस विधेयक की आलोचना की है और कहा है कि यह नया खर्च अगर उनकी जेब पर ज्यादा भारी पड़ा तो अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजने के बजाय वे उन्हें भारत में ही रखकर काम करा लेंगी
इसका नुकसान अंततः अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ही होगा क्योंकि वहां उनका सेट-अप छोटा हो जाएगा और उनके कुछ अमेरिकी कर्मचारियों को अपने काम से हाथधोना पड़ जाएगा
भूमंडलीकरण के तर्क और मंदी से निपटने की ग्लोबल रणनीतियां भी अमेरिका की इस पहल को उचित नहीं ठहरातीं
अपने देश में मौजूद नौकरियां अपने लोगों तक ही सीमित रखने के लिए इस विधेयक में कुछ ज्यादा ही संरक्षणवादी रुख अपना लिया गया है
बाकी देश भी अगर इसी रास्ते पर आगे बढ़ने लगे तो दुनिया के लिए मंदी से उबरना मुश्किल हो जाएगा
लेकिन इस सिलसिले में सारा कुछ कह-सुन लेने के बाद हकीकत यही है कि किसी भी देश को अपनी अंदरूनी नीतियां किसी अन्य देश की जरूरत के हिसाब से तय करने को नहीं कहा जा सकता
जॉब आउटसोर्सिंग के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति बराकओबामा का नजरिया उनके राष्ट्रपति बनने के काफी पहले से जगजाहिर है
अमेरिका में फिलहाल कुल डेढ़करोड़ लोग बेरोजगार बताए जा रहे हैं
ऐसे में अपने यहां मौजूद नौकरियों पर बाहर से आए लोगों का कब्जा वहां की जॉब मार्केट में खड़े लोगों के लिए निश्चित ही आक्रोश का विषय होगा
यह विधेयक इस आक्रोश से निपटने का ही एक उपाय है लिहाजा इसे भावनात्मक नजरिये से देखने और अमेरिका के प्रति गुस्से से भर उठने के बजाय बेहतर यही होगा कि हम अपने आईटी उद्यमों की अमेरिका पर निर्भरता कमकरने के बारे में सोचें
इस दिशा में पिछले दिनों काफी काम हुआ है
यूरोप और दक्षिण-पूर्वएशिया ारत के नए आईटी मार्केट बनकर उभरे हैं
असली काम भारत को अपने आईटी उद्यमों का देसी आधार बढ़ाने को लेकर करना चाहिए, क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है
हाल में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरीक्लिंटन का पाकिस्तान दौरा मेजबान देश के लिए कुछ राहतें लेकर आया
यह दौरा उनके और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाहमहमूदकुरैशी के बीच साल के आरंभ में वॉशिंगटन में शुरू हुई रणनीतिक बातचीत की दूसरी कड़ी के रूप में हुआ
इधर अमेरिका ने पाकिस्तान को उसके कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों के लिए 50करोड़डॉलर मुहैया कराने का वादा किया है
यह पाकिस्तान को आवंटित उसी डेढ़अरबडॉलर की मदद का एक हिस्सा है जिसके बिल पर पिछले साल प्रेजिडेंट बराकओबामा ने दस्तखत किए थे
हिलेरीक्लिंटन के पाकिस्तान आगमन से एकदिन फ्रेंड्सऑफडेमोक्रैटिकपाकिस्तान ने उनसे मुलाकात की
पिछले बरस न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र असेंबली के वक्त इसी ग्रुप की एक मीटिंग की अध्यक्षता खुद ओबामा ने की थी
इस्लामाबाद में हुई बैठक में एफडीपी ने भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया कराने पर अपनी सहमति जताई
यह रकम पाकिस्तान के एनर्जी डिवेलपमेंट प्रोग्राम में और ऐसे कई अन्य सेक्टरों के विकास में लगाई जानी है जो देश की इकॉनमी के लिहाज से उपयोगी हैं
कुछ ही दिन पहले प्रेजिडेंट आसिफअलीजरदारी ने चीन का दौरा किया है
वर्ष2008 में प्रेजिडेंट बनने के बाद से उनका यह पांचवां चीन दौरा है
चीन ने उन्हें पाकिस्तान के एटमीपावर और कराकोरमपर्वतशृंखला में दोनों देशों को जोड़ने वाली रेललाइन के निर्माण के वास्ते पूरा सहयोग देने का वचन दिया है
इस रेललाइन के जरिए पश्चिमी चीन की पहुंच पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह होते हुए समुद्र तक हो सकेगी