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कालांतर में भी बीजेपी के अध्यक्ष बदलते रहे लेकिन प्रधानमंत्री अटलबिहारीवाजपेयी ने संगठन पर काबिज होने की कोशिश नहीं की
लेकिन नेहरू की ही तरह अटलबिहारीवाजपेयी का कद भी इतना बड़ा हो गया था कि वे पार्टी से ऊपर हो गए थे उनकी सरकार के कामकाज की आलोचना भी अटलबिहारी की व्यक्तिगत आलोचना मान ली जाती थी
जिस-जिसने भी उनकी नीतियों की आलोचना की, वे संगठन में दरकिनार कर दिए गए चाहे वह गोविंदाचार्य हों या फिर कल्याणसिंह
अगर कुछ देर के लिए बीजेपी को छोड़ दिया जाए और राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघ और उससे जुड़े संगठनों की बात की जाए तो वहां भी सरकार की नीतियों की आलोचना होती थी, या फिर ये संगठन सरकार से अलग राय जाहिरकरते थे
एनडीए शासन काल में सरकार खुले बाजार और वैश्वीकरण के पक्ष में थी और सरकारी कंपनियों में विनिवेश का सिलसिला चल पड़ा था
उस समय संघ से जुड़े संगठन इसकी खुलेआम आलोचना कर रहे थे आरएसएस के आनुषंगिक संगठन स्वदेशीजागरणमंच ने सरकार की खुले बाजार की नीति का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया था
राम्मभूमि के मसले पर वीएचपी ने सरकार की नीतियों की खुलेआम आलोचना की थी लेकिन बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र अपेक्षाकृत कम है
जसवंतसिंह को किताब लिखकर अपनी राय जाहिरकरने पर पार्टी से निकाल दिया गया था आडवाणी को जिन्ना पर अपनी राय जाहिरकरना भारी पड़ा था और उन्हें भी पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया था
जिस तरह से कांग्रेस में इन दिनों डेमॉक्रेसी दिख रही है, उसका श्रेय सोनियागांधी की कार्यशैली को जाता है
2004 में जब यूपीए की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद ठुकराने के बाद सोनिया ने पार्टी को सरकार से अलग पहचान देने की कोशिशें शुरूकर दीं
कई मंत्रियों को शपथ लेने के बाद पार्टी का पद छोड़ना पड़ा यूपीए के वक्त यह काम थोड़ा धीमा अवश्य रहा लेकिन अब पार्टी में इंटर्नल डेमॉक्रेसी साफ तौर पर रेखांकित की जा सकती है
प्रणवमुखर्जी, दिग्विजयसिंह और मणिशंकरअय्यर कई मसलों पर खुलकर अपनी राय रख चुके हैं राहुलगांधी पार्टी में एक अलग सत्ता केंद्र हैं
वह भी अपनी राय खुलकर सामने रख रहे हैं और कई बार यह अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ दिखाई देती है कश्मीर में जारी संकट के बीच उमरअब्दुल्ला को उन्होंने खुलेआम सपोर्ट किया लेकिन सोनियागांधी की राय उस मसले पर अलग है
ऊपर से देखने पर तो यही लगता है कि देश में सबसे बड़ी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र आ चुका है, जहां सबको अपनी राय खुलकर रखने की आजादी है
यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मैच्योर होने की निशानी है
कल इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद शाम को जब बीजेपी के नेता अपनी मीटिंग करके बाहर आए तो सबके चेहरे उतरे हुए थे
मैं हैरान था कि अब जब इतना अच्छा फैसला आया है, जिससे सारा देश खुश है तो ये खुश क्यों नहीं दिखाई दे रहे
मैं समझ नहीं पा रहा था कि जब हाईकोर्ट ने रामलला के जन्मस्थान पर मंदिर बनाने का मार्ग साफ कर दिया है तो उनके चेहरे पर हवाइयां क्यों उड़ रही हैं
राम रथयात्रा निकालने वाले आडवाणी भी थके-थके दिख रहे थे
उन्होंने पहले ही कह दिया कि वह पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं देंगे उन्होंने बस एक बयान पढ़ा और सारे नेता उठकर चल दिए
मुझे लगा, कहीं वे इसलिए तो दुखी नहीं हैं कि जब कोर्ट ने मंदिर का मामला सेटल कर दिया तो अब वे किस मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे… क्योंकि अब वे यह नारा नहीं लगा पाएंगे कि कसम राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे क्योंकि अब तो मंदिर के वहीं’ बनने पर कोई रोक नहीं है
अगर हम यह मानकर चलें कि सुप्रीम कोर्ट कोई उल्टा फैसला नहीं देगा लेकिन यह कारण नहीं हो सकता क्योंकि मंदिर का मुद्दा तो कभी का फुस्स हो चुका काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती
वैसे भी जिस साल संघ परिवार ने बाबरीमस्जिदढहाई थी, उसके अगले साल ही यूपी में बीजेपी का डिब्बा गोल हो गया था
और अब तो उसका नामलेवा भी मुश्किल से मिलता है उस राज्य में
उदासी और चुप्पी का राज़ जल्दी ही पता चल गया जब फैसले के डीटेल देखे और पत्रकारों के सीधे सवाल पर बीजेपी के नेताओं की चुप्पी देखी
पत्रकार पूछ रहे थे कि जब आप शांति और एकता और भाईचारे की बात करते हो और यह कहते हो कि अब पूरे देश को रामजन्मस्थान पर राम का भव्य मंदिर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए, तो क्या आप विवादित जगह पर मुसलमानों को दिए गए एक तिहाई हिस्से पर मस्जिद बनाने में सहयोग करने को तैयार हो? आडवाणी एंड कंपनी को पता था कि ऐसा सवाल पूछा जाएगा इसलिए उन्होंने तो छूटते ही कह दिया – नो क्वेश्चंस विल भी टेकन
लेकिन उमाभारती और रविशंकरप्रसाद या धर्मेंद्रमहाराज जैसों ने इस सवाल का जवाब ही नहीं दिया बार-बार पूछने पर भी नहीं दिया
यानी वे मंदिर बनाने में तो देश का सहयोग चाहते हैं लेकिन मस्जिद बनाने में सहयोग नहीं करना चाहते ऐसा
ऐसा लग रहा है कि इन नेताओं को रामलला की जमीन पर हक मिलने की जितनी खुशी है, उससे ज्यादा दुख इस बात का है कि पड़ोस की ज़मीन मुसलमानों को क्यों दे दी गई क्योंकि वे चाहें तो वहां मस्जिद भी बना सकते हैं
मुझे इस मामले में अपने चाचा याद आते हैं मेरे दादाजी ने दो प्लॉट खरीदे थे और उनमें से एक मेरे पिताजी के और दूसरा मेरे चाचाजी के नाम कर दिया
लेकिन चांस की बात कि चाचाजी वाले प्लॉट के पास की जमीन सरकार ने हरिजनों को आवंटित कर दी अब चाचाजी को यह बात खटक गई कि वह हरिजनों की बस्ती के पास रहेंगे
उन्होंने उस प्लॉट पर मकान तो बनवाया लेकिन किराये पर चढ़ा दिया, खुद वहां कभी रहे नहीं अंत में कुछसाल पहले उसे बेच दिया और दूसरे शहर में मकान ले लिया और वहीं बस गए
तो संघ परिवार के नेताओं को यह बात खटक रही है कि मंदिर की बगल में मस्जिद कैसे जैसे मस्जिद में कोई छूत हो रविशंकरप्रसाद तो कह रहे थे कि कोर्ट ने वह जगह वक्फ बोर्ड को दी है लेकिन यह नहीं कहा है कि यह ज़मीन मस्जिद बनाने के लिए दी गई है
तो भाई रविशंकरजी, क्या कोर्ट ने रामलला और निर्मोहीअखाड़े को ज़मीन देते हुए यह कहा है कि जाओ और वहां मंदिर बनाओ
उसने तो सिर्फ ज़मीन बांटी है क्योंकि ज़मीन का मालिक कौन है, इसका फैसला करने लायक सबूत कोई भी पक्ष नहीं जुटा सका इसीलिए 2-1 के बहुमत से ज़मीन तीनों को बांट दी गई
अब वे वहां जो चाहें बनाएं
लेकिन संघ परिवार लाख मुस्लिम प्रेम की दुहाई दे, लाख भाईचारे की बात करे, मंदिर की बगल में मस्जिद कैसे स्वीकारकर ले आखिर छुआछूत की भावना तो उसके खून में है इतनी आसानी से थोड़े ही जाएगी
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेजमुशर्रफ ने कबूल किया है कि पाक ने कश्मीर में लड़ने के लिए अंडरग्राउंड आंतकवादी गुटों को ट्रेंड किया था
भारत में आंतकवाद फैलाने के बारे में पाकिस्तान के किसी टॉप नेता ने पहली बार इसतरह सीना ठोककर कबूल किया है
मुशर्रफ का बयान लंदन से सक्रिय राजनीति में लौटने की उनकी घोषणा के कुछ दिन बाद आया है
मुशर्रफ ने लंदन में अपनी नई पार्टी पाकिस्तानमुस्लिमलीग की शुरुआत की और सन्2013 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया
मुशर्रफ ने जर्मन मैगजीन 'डेर स्पीजेल' को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए अंडरग्राउंड उग्रवादी गुटों को तैयार किया गया
यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान ने कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए उग्रवादियों को ट्रेनिंग क्यों दी, पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि नवाजशरीफ की कश्मीर मुद्दे को लेकर असंवेदनशीलता एक कारण था और दुनिया ने भी इस विवाद से आंखें फेर ली थीं
उन्होंने दलील दी कि अपने हितों को आगे बढ़ाने का अधिकार हर देश को है
जब भारत संयुक्तराष्ट्र में कश्मीर पर चर्चा करने के लिए और इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए तैयार नहीं है
उन्होंने कहा शरीफ सरकार ने इसलिए आंखें मूंद रखी थीं क्योंकि वह चाहते थे कि भारत कश्मीर पर चर्चा करे मुशर्रफ ने संकेत दिया कि उन्हें कारगिल घुसपैठ पर कोई अफसोस नहीं है
इस घुसपैठ के बाद 1999 में भारत पाक युद्ध हुआ था
मुशर्रफ ने कश्मीर मुद्दे की लगातार उपेक्षा करने और कई आरोपों के चलते पाकिस्तान को अकेला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर पश्चिमी देशों को लेकर नाराजगी जताई
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक ने कहा, 'कश्मीर मुद्दे के समाधान की लगातार उपेक्षा की जा रही है, जबकि यह पाकिस्तान में प्रमुख मुद्दा है
हमें कश्मीर मुद्दे के हल के लिए पश्चिम से, खासकर अमेरिका और जर्मनी जैसे महत्वपूर्ण देशों से उम्मीद थी '
उन्होंने कहा, 'पश्चिमी देश हर बात का दोष पाकिस्तान पर मढ़ता है भारतीय प्रधानमंत्री से कोई नहीं पूछता कि आपने अपने देश में परमाणु हथियार क्यों बनाए
क्यों आप कश्मीर में बेकसूर लोगों को मार रहे हैंसन्1971 में बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन के कारण पाकिस्तान का विभाजन हुआ और कोई व्यथित नहीं हुआ
अमेरिका और जर्मनी ने बयान दे दिया कि उनका कोई सरोकार नहीं है '
सन् 1999 में शरीफ सरकार को बेदखल करने वाले मुशर्रफ कारगिल युद्ध के दौरान भी सेना प्रमुख थे और भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध तेज करने की धमकी दी थी
मुशर्रफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भारत के साथ रणनीतिक समझौता करने और पाकिस्तान के साथ एक चालाक देश जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के साथ रणनीतिक समझौते में हर किसी की दिलचस्पी है लेकिन पाकिस्तान को हमेशा एक चालाक देश के तौर पर देखा जाता है
मुशर्रफ ने यह भी कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी भूल अफगानिस्तान में जीत के बिना ही वहां से सेना वापस बुलाना है
अमरीका से जुड़ी लाखों विवादित जानकारियाँ इंटरनेट पर सार्वजनिक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स के सस्थापक जूलियनअसांज के वकील ने बीबीसी को बताया है कि असांज ने कुछ ऐसी सामग्री को बचाकर रखा है जो उन्हें या उनकी वेबसाइट को कुछ होने पर सार्वजनिक की जाएगी।
विकीलीक्स ने हाल में अमरीकी कूटनीतिक दफ़्तरों से भेजे गए अनेक केबल सार्वजनिक किए हैं।
इनसे अमरीकी सरकार के प्रतिनिधियों की सऊदीअरब, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, चीन, दक्षिणकोरिया के साथ हुई बातचीत और उनके अनेक देशों के बारे में समय-समय पर बनी सोच और विचारों की झलक मिलती है।
अमरीकी सरकार इससे काफ़ी विचलित है और उसने ज़ोर देकर कहा है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में नहीं है।
वेबसाइट विकीलीक्स के सांस्थापक जूलियन असांज के वकील मार्कस्टीफ़ंस ने बीबीसी को बताया कि जो जानकारियों असांज ने बचाकर रखी हैं वो इंटरनेट के युग के लिए 'परमाणु हथियार' के समान हैं।
जो जानकारियों असांज ने बचाकर रखी हैं वो इंटरनेट के युग के लिए 'परमाणु हथियार' के समान है।
असांज के वकील हाल में जूलियन असांज के ख़िलाफ़ स्वीडन में एक कथित बलात्कार और छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया है और उनके ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीयपुलिसइंटरपोल ने एक नोटिस भी जारी किया है।
असांज स्वीडन में ख़ुद पर लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करते-हैं।
उनके वकील मार्कस्टीफंस ने बीबीसी के साथ बातचीत में आरोप लगाया कि असांज के ख़िलाफ़ तैयार किया जा रहा बलात्कार का मामला राजनीति से प्रेरित है और यदि उन्हें स्वीडन प्रत्यर्पित किया गया तो उन्हें अंतमें अमरीका भेज दिया जाएगा।
विकीलीक्स की ओर से जारी की गई ताज़ा जानकारियों में ऐसे संकेत दिए गए हैं कि एकसाल पहले सर्च इंडन गूगल पर हुए साइबर हमलों के पीछे वरिष्ठ चीनी अधिकारियों का हाथ हो सकता है।
कुछ ही दिन पहले विकीलीक्स की वेबसाइट कुछ घंटे तक बंद रहने के बाद फिर शुरु हुई।
जो कंपनी विकीलीक्स को डोमेन सेवाएं दे रही थीं उसने अपने ढाँचे को ख़तरे का हवाला देते हुए विकीलीक्स की साइट को बंद कर दिया था।
इसके बाद विकीलीक्स ने स्विट्ज़रलैंड में एक नई डोमेन कंपनी के साथ अपनी वेबसाइट शुरु कर दी।
इससे पहले विकीलीक्स की सेवाएँ ख़त्म करने वाली कंपनी एवरीडीएनएसडॉटनेट (everyDNS। net) ने कहा था कि वेबसाइट को इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि उस पर व्यापक रुप से साइबर हमले हो रहे थे।
कंपनी का तर्क था कि इन हमलों की वजह से उनके पूरे इंफ़्रास्ट्रक्चर या ढाँचे को ख़तरा पैदाहो गया और इसकी वजह से उन हज़ारों वेबसाइटों को ख़तरा पैदाहो गया था जिनका डोमेन इस कंपनी के पास था।
पाकिस्तान में आतंकवाद निरोधक एक अदालत ने दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की गिरफ़्तारी के आदेश दिए हैं।
इन दोनों पर आरोप है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीरभुट्टो को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहे।
वर्ष 2007 में रावलपिंडी में बेनज़ीरभुट्टो की हत्याकर दी गई थी। विशेष वकील चौधरीज़ुल्फ़िकारअली ने कहा कि ये दोनों अधिकारी बेनज़ीर की सुरक्षा के प्रभारी थे।
लेकिन ये दोनों अधिकारी पर्याप्त व्यवस्था करने में विफल रहे।
और तो और इन अधिकारियों ने घटनास्थल को पानी से धुलवा दिया हालाँकि अन्य अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई थी।
इन अधिकारियों में एक रावलपिंडीपुलिस के पूर्व प्रमुख सऊदअज़ीज़ और दूसरे उनके जूनियर अधिकारी ख़ुर्रमशहज़ाद हैं।
वर्ष 2007 में वतन वापसी के कुछ दिनों के अंदर ही एक चुनाव रैली में बेनज़ीर भुट्टो की हत्याकर दी गई थी।
संयुक्तराष्ट्र के एक जाँचआयोग ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तानी अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि कई अधिकारियों ने जाँच में रूकावट डाली।
ये भी कहा गया कि अगर विश्वसनीय जाँच हो तो देश के सैनिक और सुरक्षा अधिकारियों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
दिल्ली के हैदरपुरवॉटरप्लांट में क्लोरीन गैस लीक हो गई है। सवाघंटे तक लीक होते रहने के बाद हालात पर काबू पाया जा सका।
क्लोरीन गैस बहुत जहरीली गैस होती है।
मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा रविवार दिन में साढ़ेचारबजे हुआ जब क्लोरीन गैस सिलिंडर से भरा ट्रक सिलिंडर उतार रहा था।
ट्रक में 16 सिलिंडर थे।
उसवक्त वॉटर प्लांट में 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे। डेढ़घंटे तक गैस लीक होती रही।
वॉटर प्लांट प्रबंधन का दावा है कि क्लोरीन ऑपरेटर्स ने हालात पर काबू पा लिया है। फायरसर्विस और पुलिस के लोग मौके पर पहुंच गए हैं।
यह प्लांट नॉर्थदिल्ली में है। इसके आसपास करनालबाईपास, पीतमपुरा और रोहिणी के कुछ सेक्टर हैं। इन इलाकों में क्लोरीन गैस का असर पड़ सकता है। हालांकि कहा जा रहा है कि प्लांट में सेफ्टी अरेंजमेंट होने की वजह से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।
अगर गैस रास्ते पर लीक हो जाती तो इसका व्यापक असर पड़ सकता था।
अगर 65करोड़रु। की लॉटरी लग जाए तो आप क्या सोचेंगे।
इससे तो सात पुश्तें तर जाएंगी।
लेकिन अगर आप रंगीन मिजाज नशेबाज हैं, वाइल्ड पार्टियों का बेइंतहा शौक है तो करोड़ों क्या अरबोंरुपये भी आप-के इस जनम के लिए काफी ऐसां। ऐसा ही हुआ एक ब्रिटिश के साथ।
उसने लॉटरी में 63। 90करोड़रु। का इनाम जीता। लेकिन इस26 साल के युवक ने सबसेपहले 8 बेडरूम का आलीशान घर लिया।
रकम कोकेन के नशे, हर रात औरतों के साथ रंगीन करने, पार्टीबाजी और कारों पर खर्चकर दी। कोकेन रखने के कारण उसे 5महीने की जेल भी हुई।
आठसाल में उसकी सारी रकम स्वाहा हो गई। इतनाही नहीं, उसने अब हर महीने 200पाउंड सैलरी वाली मजदूर की नौकरी के लिए अर्जी दी है।
हालांकि अपने किए पर यह ब्रिटिश शर्मिंदा नहीं है। सनअखबार के मुताबिक, ब्रिटिश ने कहा है कि मैं अपने किए पर दुखी नहीं हूं। एक बार फिरसे आगे बढ़ना शुरू करूंगा।
वह कहता है कि भले ही अब मैं ड्रग्स, ड्रिंक और कारों के साथ हाई लाइफ न जी सकूं, लेकिन कोई बात नहीं। मैं अब खुश हूं।
पंजाब की एक महिला पर कनाडा जाकर बसने की ऐसी धुन सवार हुई कि उसने एक करोड़पति एनआरआई और उसके बेटे दोनों से शादीकर ली।
हालांकि बाद में उसकी पोल खुली, लेकिन तबतक वह महिला दोनों बाप बेटों को बेवकूफ बनाकर फरारहो चुकी थी।
अब इन दोनों करोड़पति बाप बटों के अलावा चंडीगढ़ पुलिस भी उस महिला को ढूंढ रही है।