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मुझे बताया गया है कि आज जापान के निवेशकों ने भारत में 2.5 बिलियन यू एस डॉलर के नए निवेश की घोषणा की है: PM इसी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय करेन्सी स्वाप व्यवस्था पर हुई सहमति में हमारा आपसी विश्वास और हमारी आर्थिक साझेदारी की निरन्तर बढ़ती हुई नज़दीकी साफ़ तौर पर झलकते हैं: PM इसी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय करेन्सी स्वाप व्यवस्था पर हुई सहमति में हमारा आपसी विश्वास और हमारी आर्थिक साझेदारी की निरन्तर बढ़ती हुई नज़दीकी साफ़ तौर पर झलकते हैं: PM भारत और जापान के सहयोग के बिना 21वीं सदी एशिया की सदी नहीं हो सकती।
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आबे सान और मैं हमारे विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच 2+2 Dialogue के लिए सहमत हुए हैं।
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इसका उद्देश्य विश्व में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है: PM
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आज मिर्जापुर में हमरे बदे बहुत गर्व का बात बा।
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जगत जननी माई विंध्यवासिनी की गोद में तोई सबके देखी हमके बहुत खुशी होतबा।
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तू सबे बहुत देर से हमी जोहत रा।
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एकरे खातिर हम पांव छुई के प्रणाम करत है।
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आज इतना भीड़ देखी के हमके विश्वास होई गवा कि माई विंध्यवासिनी की कृपा हमरे ऊपर बनावा और आप लोगन की कृपा से आगे भी ऐसे ही बना रहे।
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उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान राम नाईक जी, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, उपमुख्यमंत्री श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद की मेरी साथी बहन अनुप्रिया जी, राज्य सरकार में मंत्री श्रीमान सिद्धार्थ नाथ जी , श्रीमान गर्बबाल सिंह जी, श्रीमान आशुतोष टंडन जी, श्रीमान राजेश अग्रवाल जी और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मेरे पुराने साथी, संसद के मेरे साथी डॉक्टर महेन्द्र नाथ पांडे जी, सांसद श्री वीरेंद्र सिंह, सांसद भाई छोटे लाल और यहां मौजूद विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।
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मैं कब से मंच पर से देख रहा था, दोनों तरफ से लोग आ ही रहे हैं, अभी लोग आ रहे हैं।
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भाईयों-बहनों, यह पूरा क्षेत्र दिव्य और अलौकिक है।
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विंध्य पर्वत और भागीरथी के बीच बसा एक क्षेत्र सदियों से आपार संभावनाओं का केंद्र रहा है।
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इन्हीं संभावनाओं को तलाशने और यहां हो रहे विकास कार्यों के बीच आज मुझे आपका आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।
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पिछली बार मार्च में जब मैं यहां सोलर प्लांट का उद्घाटन करने आया था और मेरे साथ फ्रांस के राष्ट्रपति भी आए थे, ओर उस समय हम दोनों का स्वागत माता की तस्वीर और चुनरी के साथ किया गया था।
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इस सत्कार से फ्रांस के राष्ट्रपति श्री मेक्रो बहुत अभिभुत हो गए और वो जानना चाहते थे मां की महिमा को और मैंने उनको जब मां की महिमा के विषय में बताया तो इतने वो अचंभित थे, इतने प्रभावित हुए थे आस्था और परंपरा की इस धरती का चौतरफा विकास यह हमारी प्रतिबद्धता है।
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जब से योगी जी अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी है, तब से पूर्वांचल की पूरे उत्तर प्रदेश के विकास की जो गति बढ़ी है, उसके परिणाम आज नजर आने लगे हैं।
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इस क्षेत्र के लिए यहां के गरीब हो, वंचित हो, शोषित हो, पीडि़त हो, यहां के लोगों के लिए जो सपना सोनेलाल पटेल जी जैसी कर्मशील लोगों ने देखे थे, उनको पूरा करने की तरफ हम सब मिल करके निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
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पिछले दो दिनों में विकास की अनेक परियोजनाओं को पूर्वांचल की जनता को समर्पित करने का या फिर नये काम प्रारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।
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देश का सबसे लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे हो, वाराणसी में किसानों के लिए आरंभ हुआ perishable cargo centre हो, रेलवे से जुड़ी योजनाएं हो, यह पूर्वांचल में हो रहे विकास को अभूतपूर्वक गति देने का काम करेंगे।
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विकास के इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिए आज मैं यहां फिर से एक बार आप सभी के बीच आया हूं।
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थोड़ी देर पहले ऐतिहासिक बाण सागर बांध समेत लगभग चार हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया।
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सिंचाई, स्वास्थ्य और सुगम आवागमन से जुड़ी यह योजनाएं इस क्षेत्र के सामान्य मानव के जीवन में सुखद परिवर्तन लाने वाली है।
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आपका यह क्षेत्र मिर्जापुर हो, सोनभद्र हो, भदोही हो, चंदौली हो या फिर इलाहबाद हमेशा खेती किसानी यहां के जीवन का अहम हिस्सा रहा है।
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किसानों के नाम पर पहले की सरकारें किस तरह आधी-अधूरी योजनाएं बनाती रही, उन्हें लटकाती रही।
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इसके भोगी आप सब लोग हैं, आप सब उसके साक्षी हैं।
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साथियों लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ की बाण सागर परियोजना से सिर्फ मिर्जापुर ही नहीं, बल्कि इलाहबाद समेत इस पूरे क्षेत्र की डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलने जा रही है।
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अगर यह प्रोजेक्ट पहले पूरा हो जाता तो जो लाभ अब आपको मिलने वाला है वो आज से दो दशक पहले मिलना शुरू हो गया होता यानि दो दशक बर्बाद हो गए आपके।
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लेकिन भाईयों-बहनों पहले की सरकारों ने आपकी, यहां के किसानों की चिंता नहीं की।
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इस प्रोजेक्ट का खाका 40 साल पहले खींचा गया था, 1978 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ था, लेकिन वास्तव में काम शुरू होते-हाते 20 साल निकल गए।
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इसके बाद के वर्षों में कई सरकारें आई-गई, लेकिन इस परियोजना पर सिर्फ बातें, वादे इसके सिवा यहां की जनता को कुछ नहीं मिला।
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2014 में आप सबने हमें सेवा करने का मौका दिया और उसके बाद हमारी सरकार ने जब अटकी हुई, लटकी हुई, भटकी हुई योजनाओं को खंगालना शुरू किया तो उसमें इस प्रोजेक्ट का नाम भी सामने आया।
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फाइलों में खो चुका था सब और इसके बाद बाण सागर परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जोड़ा गया और इसे पूरा करने के लिए सारी ऊर्जा लगा दी गई थी, विशेषकर बीते सवा साल में योगी जी और उनकी टीम ने जिस गति से इस कार्य को आगे बढ़ाया उसका परिणाम है कि आज बाण सागर का यह अमृत आप सभी के जीवन में खुशहाली लाने के लिए तैयार हो पाया है।
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बाण सागर के अलावा बरसों से अधूरी पड़ी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना और मध्य गंगा सागर परियोजना पर भी तेजी से काम चल रहा है।
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साथियों, बाण सागर परियोजना उस अपूर्ण सोच, सीमित इच्छा शक्ति का भी उदाहरण है, जिसकी एक बहुत बड़ी कीमत आप सभी को मेरे किसान भाईयों-बहनों को, मेरे गरीब भाईयों-बहनों, मेरे इस क्षेत्र के लोगों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।
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बरसों पहले जो सुविधा आप सभी को मिलनी चाहिए थी, वो तो नहीं मिली देश को भी आर्थिक रूप से नुकसान सहना पड़ा।
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लगभग तीन सौ करोड़ के बजट से शुरू हुई यह परियोजना अगर उस समय हो जाती, तीन सौ करोड़ में हो जाती, लेकिन न होने के कारण यह समय बीतता गया, दाम बढ़ते गए, तीन सौ करोड़ की परियोजना साढ़े तीन हजार करोड़ लगाने के बाद पूरी हो पाई है।
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आप मुझे बताइये, यह पुरानी सरकारों का गुनाह है कि नहीं है? या आपके पैसे बर्बाद किए या नहीं किए, या आपके हक को उन्होंने वंचित रखा कि नहीं रखा? और इसलिए भाईयों-बहनों, जो लोग आजकल किसानों के लिए घड़याली आंसू बहाते हैं, उनसे आपको पूछना चाहिए कि आखिर क्यों उन्हें अपने शासनकाल में देशभर में फैली इस तरह की अधूरी सिंचाई परियोजनाएं उनको नजर क्यों नहीं आई? और सिर्फ यह बाण गंगा का मामला नहीं है, यह बाण सागर का मामला नहीं है, पूरे देश में हर राज्य में ऐसे लटके, अटके, भटके किसानों की भलाई के प्रोजेक्ट अटक पड़े हैं,कोई परवाह नहीं थी उन लोगों को, क्यों ऐसे कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया गया? भाईयों-बहनों, मैं आज जब यहां के किसानों को पहुंच रहा है, तब मैं आपसे कुछ मांगना चाहता हूं देंगे? यह मां विंध्यवासिनी की धरती है, यह आपने वादा किया है, निभाना पड़ेगा।
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निभाओगे? देखिए साढ़े तीन हजार करोड़ रुपया लगा, 40 साल बर्बाद हो गए, जो हुआ सो हुआ।
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अब पानी पहुंचा है।
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जिन किसानों के खेत में यह पानी पहुंच रहा है, जिनके निकट में यह नहर लगी है।
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क्या मेरे किसान भाई-बहन टपक सिंचाई या स्प्रिंकलर फव्वारें वाली सिंचाई और बूंद-बूंद पानी बचाने की दिशा में काम कर सकते हैं क्या? मैं आपसे यही मांग रहा हूं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप मुझसे वादा कीजिए कि यह जो पानी है यह हमारे लिए मां विंध्यवासिनी का प्रसाद है।
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जैसे प्रसाद का एक कण भी हम बर्बाद होने नहीं देते, मां विंध्यवासिनी के प्रसाद के रूप में यह जो पानी हमें मिला है उसका भी एक बूंद पानी बर्बाद नहीं होने देंगे।
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हम बूंद-बूंद पानी से खेती करेंगे।
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टपक सिंचाई से हर प्रकार की खेती हो सकती है।
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पैसे बचते है, पानी बचता है, मजदूरी बचती है और फसल अच्छी होती है और इसलिए मैं आपसे मांगता हूं कि आप तय करे अगर यह आपने पानी बचा लिया तो आज लाख-सवा लाख हेक्टेयर में पानी पहुंच रहा है, इसी पानी का उपयोग दो लाख हेक्टेयर तक हो सकता है।
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अगर आज कुछ लाख किसानों को फायदा होता है तो उससे डबल किसानों को फायदा हो सकता है।
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अगर यह पानी आज कम पड़ता है, अगर आप बूंद-बूंद पानी बचाकर खेती करके तो यह पानी बरसों तक चलेगा, आपकी संतानों के काम आएगा।
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और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों, मैं आज आपसे इस योजना लाने के बाद आपके सेवक के रूप में, मां विंध्यवासिनी के भक्त के रूप में आज आपसे कुछ मांग रहा हूं, देंगे? पक्का पूरा करेंगे? सरकार की योजना है micro irrigation के लिए सरकार सब्सिडी देती है, पैसे देती है, आप इसका फायदा उठाइये और मैं आपकी सेवा करने के लिए आया हूं।
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मेरे प्यारे किसान भाईयों-बहनों, यह ऐसे लोग थे, जो आप किसानों के लिए घडि़याली आंसू बहा रहे थे एमएसपी योजनाएं होती थी, खरीदारी नहीं होती थी, समर्थन मूल्य के अखबार में इश्तिहार दिये जाते थे, फोटो छपवाये जाते थे, वाह-वाहा-ही लूटी जाती थी, लेकिन किसान के घर में कुछ जाता नहीं था।
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उनके पास एमएसपी का दाम बढ़ाने के लिए फाइलें आती थी, पड़ी रहती थी।
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सालों पहले लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की सिफारिश फाइलों में हो चुकी थी, लेकिन किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों को एमएसपी की डेढ़ गुना लागत के लिए सोचने की फुरसत नहीं, क्योंकि वो राजनीति में इतने डूबे हुए थे कि उनको इस देश के गांव, गरीब किसान की परवाह नहीं थी।
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फाइलें दबी रही, सालों से जिस काम को करने से पुरानी सरकारें पीछे हट रही थी भाईयों-बहनों, आपके सेवक के नाते, देश के गांव, गरीब किसान का भले करने के इरादा होने के नाते मैं आज सर झुका करके कह रहा हूं, मेरे भाईयों-बहनों हमने एमएसपी डेढ़ गुना करने का वादा किया था, आज उसको हमने धरती पर उतार दिया।
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धान हो, मक्का हो, तूर हो, उड़द हो, मूंग समेत खरीफ की 14 फसलों के समर्थन मूल्य में दो सौ रुपये से ले करके एक हजार आठ सौ रुपये तक की वृद्धि की है।
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यह तय किया गया है कि किसानों को इन फसलों में जो लागत आती है, उसके ऊपर 50 प्रतिशत सीधा लाभ मिलना चाहिए।
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भाईयों-बहनों, इस फैसले से यूपी और पूर्वांचल के किसानों को बहुत लाभ होने वाला है।
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इस बार से एक क्विंटल धान पर दो सौ रुपये अधिक मिलने वाले हैं।
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साथियों, एक क्विंटल धान की जो लागत आंकी है, वो है लगभग 11 सौ, 12 सौ रुपये, अब धान का समर्थन मूल्य तय हुआ है 17 सौ 50 रुपये, यानि सीधे-सीधे 50 प्रतिशत का लाभ तय है।
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मुझे बताया गया है कि यूपी में पिछले वर्ष पहले की अपेक्षा चार गुना धान की खरीदी सुनिश्चित की गई।
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इसके लिए योगी जी और उनकी पूरी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
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भाईयों-बहनों, धान के साथ ही सरकार द्वारा दाल का भी एमएसपी बढ़ाया गया है।
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अरहर के सरकारी मूल्य में सवा दो सौ रुपये की सीधी बढ़ोतरी की गई है।
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यानि अब तय किया गया है कि अरहर उगाने में जितनी लागत आती है, उसका लगभग 65% सीधा लाभ अतिरिक्त लाभ किसान को मिलेगा।
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साथियों, हमारी सरकार देश के किसानों की छोटी-छोटी दिक्कतों को समझते हुए उन्हें दूर करने के लिए दिन-रात काम कर रही है।
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बीज से ले करके बाजार तक एक प्रमाणिक व्यवस्था बनाई जा रही है, ताकि किसान की आय बढ़े और खेती पर होने वाला उसका खर्च कम हो।
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यूरिया के लिए लाठी चार्ज होता था, रात-रात कतार में खड़ा रहना पड़ता था, काले बाजारी में यूरिया खरीदना पड़ता था।
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पिछले चार साल में यह संकट खत्म हो गया है।
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यह सभी कार्य आपके आशीर्वाद से और सहयोग से संभव हो पा रहा है।
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भाईयों-बहनों, मैं यहां के किसानों से एक प्रार्थना करना चाहता हूं, हम 2022 तक देश के किसानों के आय डबल करना चाहता हैं और यह मुश्किल काम नहीं है।
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जैसे एक छोटा सा उदाहरण मैं बताऊं, आज हमारा जो खेत है उसकी मेड पर हम लोग बाढ़ लगा देते हैं।
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हमें पता ही नहीं होता है कि बाढ़ के अंदर यह जो कंटीले तार लगा देते हैं या ऐसे पौधे लगा देते हैं, कितनी जमीन बर्बाद करते हैं।
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अब सरकार ने बांस को घास माना है ग्रास माना है।
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और इसलिए आप अपने मेड पर बांस की खेती कर सकते हैं, बांस काट सकते हैं, बांस बेच सकते हैं सरकार आपको रोक नहीं सकती।
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आज हजारों-करोड़ों रुपये का बांस देश-विदेश से आयात करता है, जबकि मेरे किसान की मेड पर बांस उगाया जा सकता है।
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हमने नियम बदल दिया, कानून बदल दिया।
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पहले मानते थे कि बांस एक वृक्ष है, Tree है हमने कहा बांस एक Tree नहीं है, वृक्ष नहीं है, वो तो घास है घास ।
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और हमारे यहां अगरबत्ती बनाना, पतंग बनाना इसके लिए भी बांस विदेश से लाना पड़े।
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इतने मेरे देश में किसान हैं, एक साल के भीतर-भीतर वो परिस्थिति पलट सकते हैं और वो आय किसान को काम आने वाली है।
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ऐसे कई अनेक प्रयोग है।
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मैं मेरे किसान भाईयों से आग्रह करूंगा कि आप खेती के सिवाय सरकार की अनेक योजनाओं का फायदा उठाइये और अपनी आय बढ़ाने की दिशा में आगे आइये।
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हमारी सरकार देश के जन-जन, कण-कण, कौने-कौने तक विकास की रोशनी पहुंचाने और गांव, गरीब को सशक्त करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है।
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आपके जीवन को सुगम बनाने के लिए, connectivity को सुलभ करने के लिए आज यहां कुछ फूलों का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है।
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चुनार सेतु से अब चुनार और वाराणसी की दूरी कम हो गई है।
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मुझे यह भी बताया गया कि बरसात के मौसम में यहां के हजारों लोग देश के बाकी हिस्से से कट जाते हैं।
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अब यह नया पूल इन मुश्किलों को दूर करने वाला है।
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भाईयों-बहनों, सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सेवा गरीब से गरीब को सुलभ कराना भी इस सरकार का एक बड़ा संकल्प है।
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यहां बनने वाले नये मेडिकल कॉलेज न सिर्फ मिर्जापुर और सोनभद्र, भदोही, चंदौली और इलाहबाद के लोगों को भी बड़ा लाभ मिलने वाला है।
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अब यहां का जिला अस्पताल पांच सौ बेड का हो जाएगा, इससे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अब आपको दूर तक भटकना नहीं पड़ेगा।
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इसके अलावा, आज यहां सौ जन औषधि केंद्रों का भी एक साथ पूरे उत्तर प्रदेश में सौ से ज्यादा जन औषधि केंद्रों का भी लोकार्पण किया गया।
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यह जन औषधि केंद्र गरीब, मध्यम वर्ग और निम्म मध्यम वर्ग के लिए बहुत बड़ा सहारा बन गए हैं।
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इन केंद्रों में सात सौ से अधिक दवाईयां और डेढ़ सौ से अधिक patient को सर्जरी के बाद जो सामान की जरूरत पड़ती है, वो सस्ते दाम पर उपलब्ध है।
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देशभर में इस तरह के करीब-करीब साढ़े तीन हजार से भी अधिक जन औषधिक केंद्र खोले जा चुके हैं।
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आठ सौ से अधिक दवाओं को मूल्य नियंत्रक व्यवस्था के दायरे में लाना, हृदय की बीमारी के दौरान लगने वाले स्टेंट की कीमत को कम करना, घुटनों में लगने वाले इम्प्लांट को सस्ता करना ऐसे अनेक कार्य इस सरकार ने किए हैं, जो गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत देगा।
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एक मध्यम वर्गीय परिवार जिसके घर में बड़े बुजुर्ग रहते हो, तो एक एक-आध बीमारी तो घर के अंदर परिवार का हिस्सा बन जाती है।
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डायबिटिज हो, ब्लड प्रेशर हो और ऐसे परिवार को हर दिन दवाई लेनी पड़ती है।
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परिवार के एक सदस्य के लिए हर दिन दवाई लानी पड़ती है और महीनेभर का बिल हजार, दो हजार, ढाई हजार, तीन हजार, पांच हजार तक जाता है।
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और अब जन औषधि के कारण जिसकी दवाई का बिल हजार रुपया आता है।
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वो अब ढ़ाई सौ, तीन सौ रुपये में महीने भर की दवाई उसको प्राप्त हो जाती है।
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आप कल्पना कर सकते हैं, कितनी बड़ी सेवा है।
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यह काम पहले की सरकारें कर सकती थी, लेकिन उनके लिए उनको अपनी पार्टी, अपना परिवार, अपनी कुर्सी इससे आगे वो सोचने को तैयार नहीं थे और इसी के कारण देश के सामान्य मानव की भलाई के काम उनकी प्राथमिकता नहीं थी।
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साथियों, इन दिनों डायलिसिस एक बहुत बड़ी अनिवार्यता बन गई है।
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