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सन्दर्भ Hum Honge Kamyab Lyrics नागरिक अधिकार आंदोलन देशभक्ति के गीत आधार
223
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पहले कोई भी देवता चुनें, जिसकी पूजा करनी है। फ़िर विधिवत निम्नलिखित मन्त्रों (सभी संस्कृत में हैं) के साथ उसकी पूजा करें। पौराणिक देवताओं के मन्त्र इस प्रकार हैं : विनायक : ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . सरस्वती : ॐ सरस्वत्यै नमः . लक्ष्मी : ॐ महा लक्ष्म्यै नमः . दुर्गा : ॐ दुर्गायै नमः . महाविष्णु : ॐ श्री विष्णवे नमः . or ॐ नमो नारायणाय . कृष्ण : ॐ श्री कृष्णाय नमः . or ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .
145
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दैनिक विनायक पूजा ध्यान श्लोक शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये .. षोडशोपचार पूजन ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ध्यायामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आवाहयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आचमनीयं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . उप हारं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि .
81
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एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।
335
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हिन्दी भारत में सम्पर्क भाषा का कार्य करती है और कुछ हद तक पूरे भारत में सामान्यतः एक सरल रूप में समझी जानेवाली भाषा है। कभी-कभी 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नौ भारतीय राज्यों के सन्दर्भ में भी उपयोग किया जाता है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिन्दी है और हिन्दी भाषी बहुमत है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर (२०२० से) उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का।
378
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भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है। फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली।
51
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नामोत्पत्ति
372
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यूनानी शब्द ‘इण्डिका’ या लैटिन 'इण्डेया' या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही दूसरे रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफ़ुद्दीन यज्दी’ के ‘जफ़रनामा’(1424) में मिलता है। प्रमुख उर्दू लेखकों ने 19वीं सदी की सूचना तक अपनी भाषा को हिंदी या हिंदवी के रूप में संदर्भित करते रहे।
279
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भारत आने के बाद अरबी-फ़ारसी बोलने वालों ने 'ज़बान-ए-हिन्दी', 'हिन्दी ज़बान' अथवा 'हिन्दी' का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया।
514
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चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।
127
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१००० ई॰ के आसपास इसकी स्वतन्त्र सत्ता का परिचय मिलने लगा था, जब अपभ्रंश भाषाएँ साहित्यिक सन्दर्भों में प्रयोग में आ रही थीं। यही भाषाएँ बाद में विकसित होकर आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में अभिहित हुईं। अपभ्रंश का जो भी कथ्य रूप था - वही आधुनिक बोलियों में विकसित हुआ।
113
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ये ‘देशी’ शब्द जनभाषा के प्रचलित शब्द थे, जो स्वभावतः अप्रभंश में भी चले आए थे। जनभाषा व्याकरण के नियमों का अनुसरण नहीं करती, परन्तु व्याकरण को जनभाषा की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना पड़ता है। प्राकृत-व्याकरणों ने संस्कृत के ढाँचे पर व्याकरण लिखे और संस्कृत को ही प्राकृत आदि की प्रकृति माना। अतः जो शब्द उनके नियमों की पकड़ में न आ सके, उनको देशी संज्ञा दी गयी।
150
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काशी नागरी प्रचारिणी सभा और हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के प्रयासों से हिन्दी को एक नयी ऊँचाई मिली। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात संविधान निर्माताओं ने हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकार किया। शैलियाँ भाषाशास्त्र के अनुसार हिन्दी के चार प्रमुख रूप या शैलियाँ हैं :
135
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यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी। दक्षिणी - उर्दू-हिन्दी का वह रूप जो हैदराबाद और उसके आसपास की जगहों में बोला जाता है। इसमें फ़ारसी-अरबी के शब्द उर्दू की अपेक्षा कम होते हैं। रेख्ता - उर्दू का वह रूप जो शायरी में प्रयुक्त होता था।
120
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इसमें संस्कृत के शब्द कम होते हैं, और फ़ारसी-अरबी के शब्द अधिक। यह भी खड़ीबोली पर ही आधारित है।
55
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उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली। इन राज्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब और हिन्दी भाषी राज्यों से लगते अन्य राज्यों में भी हिन्दी बोलने वालों की अच्छी संख्या है। उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है, इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और दिल्ली में द्वितीय राजभाषा है। यह लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है; जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है।
224
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कुछ विशेष ध्वनियाँ उर्दू में अरबी और फ़ारसी से ली गयी हैं और इसी प्रकार फ़ारसी और अरबी की कुछ विशेष व्याकरणिक संरचनाएँ भी प्रयोग की जाती हैं। उर्दू और हिन्दी खड़ीबोली की दो आधिकारिक शैलियाँ हैं। मानकीकरण
273
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हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परम्परा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतन्त्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के विरुद्ध भी उसका रचना संसार सचेत है।
177
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इसे नागरी के नाम से भी जाना जाता है। देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं। इसे बाईं से दाईं ओर लिखा जाता है। शब्दावली हिन्दी शब्दावली में मुख्यतः चार वर्ग हैं।
193
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जैसे अग्नि, दुग्ध, दन्त, मुख। (परन्तु हिन्दी में आने पर ऐसे शब्दों से विसर्ग का लोप हो जाता है जैसे संस्कृत 'नामः' हिन्दी में केवल 'नाम' हो जाता है।) तद्भव शब्द – ये वे शब्द हैं जिनका जन्म संस्कृत या प्राकृत में हुआ था, लेकिन उनमें बहुत ऐतिहासिक बदलाव आया है। जैसे आग, दूध, दाँत, मुँह।
51
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इसके अतिरिक्त हिन्दी में कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेजी आदि से भी आये हैं। इन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। जिस हिन्दी में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी के शब्द लगभग पूर्ण रूप से हटा कर तत्सम शब्दों को ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे "शुद्ध हिन्दी" या "मानकीकृत हिन्दी" कहते हैं।
214
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इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं : ऋ — इसका उच्चारण संस्कृत में /r̩/ था मगर आधुनिक हिन्दी में इसे /ɻɪ/ उच्चारित किया जाता है । अं — पंचम वर्ण - ङ्, ञ्, ण्, न्, म् का नासिकीकरण करने के लिए (अनुस्वार) अँ — स्वर का अनुनासिकीकरण करने के लिए (चंद्र बिंदु) अः — अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिए (विसर्ग) व्यंजन
82
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आधुनिक हिन्दी में ष का उच्चारण पूरी तरह श की तरह होता है।
347
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विदेशी ध्वनियाँ ये ध्वनियाँ मुख्यत: अरबी और फ़ारसी भाषाओं से लिये गये शब्दों के मूल उच्चारण में होती हैं। इनका स्रोत संस्कृत नहीं है। देवनागरी लिपि में ये सबसे करीबी देवनागरी वर्ण के नीचे बिन्दु (नुक़्ता) लगाकर लिखे जाते हैं। व्याकरण
149
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हिन्दी में दो वचन होते हैं — एकवचन और बहुवचन। क्रिया वचन-से भी प्रभावित होती है। विशेषण विशेष्य-के पहले लगता है। जनसांख्यिकी
164
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भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 8,63,077; मॉरीशस में 6,85,170; दक्षिण अफ़्रीका में 8,90,292; यमन में 2,32,760; युगांडा में 1,47,000; सिंगापुर में 5000; नेपाल में 8 लाख; जर्मनी में 30,000 हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत में उपयोग सम्पर्क भाषा
98
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14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। राष्ट्रभाषा
317
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उन्होने यह भी कहा था कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है। उन्होने तो यहाँ तक कहा था कि हिन्दी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है। आजाद हिन्द फौज का राष्ट्रगान 'शुभ सुख चैन' भी "हिन्दुस्तानी" में था। उनका अभियान गीत 'कदम कदम बढ़ाए जा' भी इसी भाषा में था, परन्तु सुभाष चन्द्र बोस हिन्दुस्तानी भाषा के संस्कृतकरण के पक्षधर नहीं थे, अतः शुभ सुख चैन को जनगणमन के ही धुन पर, बिना कठिन संस्कृत शब्दावली के बनाया गया था।
180
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इनमें बोड़ो, कछारी, जयन्तिया, कोच, त्रिपुरी, गारो, राभा, देउरी, दिमासा, रियांग, लालुंग, नागा, मिजो, त्रिपुरी, जामातिया, खासी, कार्बी, मिसिंग, निशी, आदी, आपातानी, इत्यादि प्रमुख हैं। पूर्वोत्तर की भाषाओं में से केवल असमिया, बोड़ो और मणिपुरी को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिला है। सभी राज्यों में हिन्दी भाषा का प्रयोग अधिकांश प्रवासी हिन्दी भाषियों द्वारा आपस में किया जाता है।
74
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यह समिति आगे चलकर असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति बनी। आम लोगों में हिन्दी भाषा तथा साहित्य के प्रचार-प्रसार करने हेतु- प्रबोध, विशारद, प्रवीण, आदि परीक्षाओं का आयोजन इस समिति के द्वारा होता आ रहा है।
241
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हिन्दी का प्रचार-प्रसार तथा उसकी लोकप्रियता एवं व्यावहारिकता टी.वी. (धारावाहिक, विज्ञापन), सिनेमा, आकाशवाणी, पत्रकारिता, विद्यालय, महाविद्यालय तथा उच्च शिक्षा में हिन्दी भाषा के प्रयोग द्वारा बढ़ रही है। भारत के बाहर
104
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अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा अधिक है किन्तु मातृभाषियों की संख्या अंग्रेजी भाषियों से अधिक है।
505
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यूएई के 'हम एफ़-एम' सहित अनेक देश हिन्दी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
407
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इसी प्रकार 'कोर लैंग्वेजेज' नामक साइट ने 'दस सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषाओं' में हिन्दी को स्थान दिया था। के-इण्टरनेशनल ने वर्ष 2017 के लिये सीखने योग्य सर्वाधिक उपयुक्त नौ भाषाओं में हिन्दी को स्थान दिया है।
73
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संयुक्त राष्ट्र रेडियो अपना प्रसारण हिन्दी में भी करना आरम्भ किया है। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाये जाने के लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। अगस्त 2018 से संयुक्त राष्ट्र ने साप्ताहिक हिन्दी समाचार बुलेटिन आरम्भ किया है। डिजिटिकरण और कम्प्यूटर क्रान्ति
135
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19 अगस्त 2009 में गूगल ने कहा की हर 5 वर्षों में हिन्दी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है।
328
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गूगल जैसे सर्च इंजन हिन्दी को प्राथमिक भारतीय भाषा के रूप में पहचानते हैं। इसके साथ ही अब अन्य भाषा के चित्र में लिखे शब्दों का भी अनुवाद हिन्दी में किया जा सकता है। फरवरी 2018 में एक सर्वेक्षण के हवाले से खबर आयी कि इण्टरनेट की दुनिया में हिन्दी ने भारतीय उपभोक्ताओं के बीच अंग्रेजी को पछाड़ दिया है। यूथ4वर्क की इस सर्वेक्षण रिपोर्ट ने इस आशा को सही साबित किया है कि जैसे-जैसे इण्टरनेट का प्रसार छोटे शहरों की ओर बढ़ेगा, हिन्दी और भारतीय भाषाओं की दुनिया का विस्तार होता जाएगा।
27
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इस समय अन्तरजाल पर हिन्दी में संगणन (कम्प्यूटिंग) के संसाधनों की भी भरमार है और नित नये कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं। लोगों में इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें। शब्दनगरी जैसी नई सेवाओं का प्रयोग करके लोग अच्छे हिन्दी साहित्य का लाभ अब इण्टरनेट पर भी उठा सकते हैं। जनसंचार
91
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प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। अधिकतर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।
174
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हिन्दी, विज्ञापन उद्योग की पसन्दीदा भाषा बनती जा रही है। गूगल, ट्रांसलेशन, ट्रांस्लिटरेशन, फोनेटिक टूल्स, गूगल असिस्टेण्ट आदि के क्षेत्र में नई नई रिसर्च कर अपनी सेवाओं को बेहतर कर रहा है। हिन्दी और भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का डिजिटलीकरण जारी है।
172
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इन्हें भी देखें
396
null
हिन्दी विक्षनरी हिन्दी विकिकोट हिन्दी विकिपुस्तक हिन्दी विकिस्रोत - हिन्दी के कापीराइट-मुक्त पुस्तकों का संग्रह </div> सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ हिन्दी पर महापुरुषों के विचार हिन्दी फ़्रेजबुक दक्षिण भारत में तेजी से बढ़ रहे हिंदी बोलने वाले, देश के 44 फीसदी लोगों की बनी भाषा (२०११ जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार) हिन्दी
205
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ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दरी कहा जाता है।
297
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हालाँकि भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी को ग़लती से अरबी भाषा के समीप समझा जाता है, भाषावैज्ञानिक दृष्टि से यह अरबी से बहुत भिन्न और संस्कृत के बहुत समीप है। संस्कृत और फ़ारसी में कई हज़ारों मिलते-जुलते सजातीय शब्द मिलते हैं जो दोनों भाषाओँ की सांझी धरोहर हैं, जैसे की सप्ताह/हफ़्ता, नर/नर (पुरुष), दूर/दूर, हस्त/दस्त (हाथ), शत/सद (सौ), आप/आब (पानी), हर/ज़र (फ़ारसी में पीला-सुनहरा, संस्कृत में पीला-हरा), मय/मद/मधु (शराब/शहद), अस्ति/अस्त (है), रोचन/रोशन (चमकीला), एक/येक, कपि/कपि (वानर), दन्त/दन्द (दाँत), मातृ/मादर, पितृ/पिदर, भ्रातृ/बिरादर (भाई), दुहितृ/दुख़्तर (बेटी), वंश/बच/बच्चा, शुकर/ख़ूक (सूअर), अश्व/अस्ब (घोड़ा), गौ/गऊ (गाय), जन/जान (संस्कृत में व्यक्ति/जीव, फ़ारसी में जीवन), भूत/बूद (था, अतीत), ददामि/दादन (देना), युवन/जवान, नव/नव (नया) और सम/हम (बराबर)।
82
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इतिहास
274
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सामान्यत: ईरानी भाषा तीन अवधियों से जानी जाती है। आमतौर पर इस रूप में इसे ऐसे संदर्भित किया जाता हैं: पुरानी, मध्य और नई (आधुनिक) अवधि। ये ईरानी इतिहास में तीन युगों के अनुरूप हैं; पुराना युग हख़ामनी साम्राज्य से कुछ पहले का समय हैं, हख़ामनी युग और हख़ामनी के कुछ बाद वाला समय (400-300 ईसा पूर्व) है, मध्य युग सासानी युग और सासानी के कुछ बाद वाला समय और नया युग वर्तमान दिन तक की अवधि है।
55
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दक्षिण एशिया में प्रयोग
188
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हालाँकि 1843 के शुरू से, अंग्रेजी और हिंदुस्तानी ने धीरे धीरे उपमहाद्वीप पर महत्व में फ़ारसी को बदल दिया। फ़ारसी के ऐतिहासिक प्रभाव के साक्ष्य भारतीय उपमहाद्वीप की कुछ भाषाओं पर इसके प्रभाव की सीमा में देखा जा सकता है। फारसी से उधार लिए शब्द अभी भी आमतौर पर कुछ हिंद आर्य भाषाओं में उपयोग किए जाते है। कुछ मुख्य दक्षिण एशियाई साम्राज्य जिनकी राजभाषा फ़ारसी थी:-
302
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ताजिकी (ताजिक फारसी) ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में बोली जाती है। यह सिरिलिक लिपि में लिखी जाती है। निम्नलिखित फारसी से संबंधित कुछ भाषाएं हैं:
244
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व्याकरण फारसी एक अभिश्लेषणी भाषा हैं। फ़ारसी के पदविज्ञान में प्रत्यय प्रबल हैं, हालाँकि उपसर्गों की एक छोटी संख्या है। क्रिया काल और पहलू व्यक्त कर सकते हैं और वे व्यक्ति और संख्या में विषय के साथ सहमत हैं। फारसी में कोई व्याकरणिक लिंग नहीं है और न ही सर्वनाम प्राकृतिक लिंग के लिए चिह्नित हैं।
218
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अरबी मूल के फारसी शब्दों में विशेष रूप से इस्लामी शब्द शामिल हैं। अन्य ईरानी, तुर्की और भारतीय भाषाओं में अरबी शब्दावली आम तौर पर नई फ़ारसी से नकल की गई है। वर्तनी
138
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इन्हें भी देखें फारसी का साहित्य अवस्ताई भाषा पहलवी भाषा पहलवी लिपि बाहरी कड़ियाँ फ़ारसी सीखें सन्दर्भ फ़ारसी ईरानी भाषाएँ ईरान की भाषाएँ विश्व की प्रमुख भाषाएं
173
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यह प्राचीन भारत में पहली से चौथी शताब्दी ईस्वी तक विकसित किया गया था और ७वीं शताब्दी ईस्वी तक नियमित उपयोग में था। देवनागरी लिपि, जिसमें १४ स्वर और ३३ व्यञ्जन सहित ४७ प्राथमिक वर्ण हैं, दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है, जिसका उपयोग १२० से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है।
60
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एक सरसरी दृष्टि में, देवनागरी लिपि अन्य भारतीय लिपियों जैसे पूर्वी नागरी लिपि या गुरमुखी लिपि से अलग दिखाई देती है, लेकिन एक निकटतम अवलोकन से पता चलता है कि वे कोण और संरचनात्मक जोर को छोड़कर बहुत समान हैं। परिचय
227
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भारत की कई लिपियाँ देवनागरी से बहुत अधिक मिलती-जुलती हैं, जैसे- बांग्ला, गुजराती, गुरुमुखी आदि। कम्प्यूटर प्रोग्रामों की सहायता से भारतीय लिपियों को परस्पर परिवर्तन बहुत आसान हो गया है।
238
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एक मत के अनुसार देवनगर (काशी) में प्रचलन के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा।
320
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देवनागरी' शब्द की व्युत्पत्ति देवनागरी या नागरी नाम का प्रयोग "क्यों" प्रारम्भ हुआ और इसका व्युत्पत्तिपरक प्रवृत्तिनिमित्त क्या था- यह अब तक पूर्णतः निश्चित नहीं है। (क) 'नागर' अपभ्रंश या गुजराती "नागर" ब्राह्मणों से उसका सम्बन्ध बताया गया है। पर दृढ़ प्रमाण के अभाव में यह मत सन्दिग्ध है।
215
null
देवनागरी लिपि का उपयोग करने वाली भाषाएँ
377
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इतिहास
42
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नागरी, सिद्धम और शारदा तीनों ही ब्राह्मी की वंशज हैं। रुद्रदमन के शिलालेखों का समय प्रथम शताब्दी का समय है और इसकी लिपि की देवनागरी से निकटता पहचानी जा सकती हैं। जबकि देवनागरी का जो वर्तमान मानक स्वरूप है, वैसी देवनागरी का उपयोग १००० ई के पहले आरम्भ हो चुका था।
272
null
कहीं-कहीं स्थानीय लिपि और नागरी लिपि दोनों में सूचनाएँ अंकित मिलतीं हैं। उदाहरण के लिए, ७वीं-८वीं शताब्दी के पट्टदकल्लु (मन्दिर परिसर) (कर्नाटक) के स्तम्भ पर सिद्धमात्रिका और तेलुगु-कन्नड लिपि के आरम्भिक रूप - दोनों में ही सूचना लिखी हुई है। कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के ज्वालामुखी अभिलेख में शारदा और देवनागरी दोनों में लिखा हुआ है। ७वीं शताब्दी तक देवनागरी का नियमित रूप से उपयोग होना आरम्भ हो गया था और लगभग १००० ई तक देवनागरी का पूर्ण विकास हो गया था।
76
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आठवीं शताब्दी में चित्रकूट, नवीं में बड़ौदा के ध्रुवराज भी अपने राज्यादेशों में इस लिपि का उपयोग किया हैं।
83
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राष्ट्रकूट राजा इंद्रराज (दसवीं शताब्दी) के लेख में भी देवनागरी का व्यवहार किया है। प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (८९१-९०७) का दानपत्र भी देवनागरी लिपि में है।
179
null
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (१२१०-१२३५) के सिक्कों पर भी देवनागरी अंकित है। सानुद्दीन फिरोजशाह प्रथम, जलालुद्दीन रज़िया, बहराम शाह, अलाऊद्दीन मसूदशाह, नासिरुद्दीन महमूद, मुईजुद्दीन, गयासुद्दीन बलवन, मुईजुद्दीन कैकूबाद, जलालुद्दीन हीरो सानी, अलाउद्दीन महमद शाह आदि ने अपने सिक्कों पर देवनागरी अक्षर अंकित किये हैं। अकबर के सिक्कों पर देवनागरी में ‘राम‘ सिया का नाम अंकित है। गयासुद्दीन तुग़लक़, शेरशाह सूरी, इस्लाम शाह, मुहम्मद आदिलशाह, गयासुद्दीन इब्ज, ग्यासुद्दीन सानी आदि ने भी इसी परम्परा का पालन किया।
169
null
वह तत्वतः वर्ण का अंग नहीं है। इस दृष्टि से विचार करते हुए कहा जा सकता है कि इस लिपि की वर्णमाला तत्वतः ध्वन्यात्मक है, अक्षरात्मक नहीं।
528
null
इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है। इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ऋ — आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह ॠ — केवल संस्कृत में ऌ — केवल संस्कृत में ॡ — केवल संस्कृत में अं — ङ् , ञ् , ण्, न्, म् के लिये या स्वर का नासिकीकरण करने के लिये
225
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जैसे कि क्‌ ख्‌ ग्‌ घ्‌। जिन वर्णो को बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पड़ती है उन्हें व्यञ्जन कहते है। दूसरे शब्दो में- व्यञ्जन उन वर्णों को कहते हैं, जिनके उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती है। नोट करें -
217
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शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिनि शाखा में कुछ वाक़्यात में ष का उच्चारण ख की तरह करना मान्य था। यदि यह 'ट्, ठ्, ड्, ढ्' ध्वनियों से पहले न आए तो इसका उच्चारण आजकल हिंदी में तालव्य (श) होता है।
214
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इसके अलावा संस्कृत, मराठी, नेपाली एवं अन्य भाषाओं को देवनागरी में लिखने में भी नुक्तों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
318
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डिजिटन उपकरणों पर छन्दस फॉण्ट देवनागरी में बहुत संयुक्ताक्षर समर्थन हैं। पुरानी देवनागरी
357
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एक ध्वनि के लिये एक सांकेतिक चिह्न -- जैसा बोलें वैसा लिखें। लेखन और उच्चारण और में एकरुपता -- जैसा लिखें, वैसे पढ़े (वाचें)। एक सांकेतिक चिह्न द्वारा केवल एक ध्वनि का निरूपण -- जैसा लिखें वैसा पढ़ें। उपरोक्त दोनों गुणों के कारण ब्राह्मी लिपि का उपयोग करने वाली सभी भारतीय भाषाएँ 'स्पेलिंग की समस्या' से मुक्त हैं।
121
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यह क्रम इतना तर्कपूर्ण है कि अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ (IPA) ने अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला के निर्माण के लिये मामूली परिवर्तनों के साथ इसी क्रम को अंगीकार कर लिया।
271
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प्रत्याहार का प्रयोग करते हुए सन्धि आदि के नियम अत्यन्त सरल और संक्षिप्त ढंग से दिए गये हैं (जैसे, आद् गुणः) देवनागरी लिपि के वर्णों का उपयोग संख्याओं को निरूपित करने के लिये किया जाता रहा है। (देखिये कटपयादि, भूतसंख्या तथा आर्यभट्ट की संख्यापद्धति)
155
null
मात्राओं का प्रयोग
312
null
भारतवर्ष के साहित्य में कुछ ऐसे रूप विकसित हुए हैं जो दायें-से-बायें अथवा बाये-से-दायें पढ़ने पर समान रहते हैं। उदाहरणस्वरूप केशवदास का एक सवैया लीजिये : मां सस मोह सजै बन बीन, नवीन बजै सह मोस समा। मार लतानि बनावति सारि, रिसाति वनाबनि ताल रमा ॥
237
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(३) अनावश्यक वर्ण (ऋ, ॠ, लृ, ॡ, ष)— बहुत से लोग इनका शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाते। (४) द्विरूप वर्ण (अ, ज्ञ, क्ष, त्र, छ, झ, ण, श) आदि को दो-दो प्रकार से लिखा जाता है।
267
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(११) इ की मात्रा (ि) का लेखन वर्ण के पहले, किन्तु उच्चारण वर्ण के बाद। देवनागरी पर महापुरुषों के विचार
213
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आचार्य विनोबा भावे
391
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— खुशवन्त सिंह (५) The Devanagri alphabet is a splendid monument of phonological accuracy, in the sciences of language. — मोहन लाल विद्यार्थी - Indian Culture Through the Ages, p. 61
177
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एम.सी.छागला (७) प्राचीन भारत के महत्तम उपलब्धियों में से एक उसकी विलक्षण वर्णमाला है जिसमें प्रथम स्वर आते हैं और फिर व्यंजन जो सभी उत्पत्ति क्रम के अनुसार अत्यंत वैज्ञानिक ढंग से वर्गीकृत किये गए हैं। इस वर्णमाला का अविचारित रूप से वर्गीकृत तथा अपर्याप्त रोमन वर्णमाला से, जो तीन हजार वर्षों से क्रमशः विकसित हो रही थी, पर्याप्त अंतर है। — ए एल बाशम, "द वंडर दैट वाज इंडिया" के लेखक और इतिहासविद्
147
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न्यायमूर्ति शारदा चरण मित्र (१८४८ - १९१७) ने भारत जैसे विशाल बहुभाषा-भाषी और बहुजातीय राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य से ‘एक लिपि विस्तार परिषद‘ की स्थापना की थी और परिषद की ओर से १९०७ में ‘देवनागर‘ नामक मासिक पत्र निकाला था जो बीच में कुछ व्यवधान के बावजूद उनके जीवन पर्यन्त अर्थात्‌ सन्‌ १९१७ तक निकलता रहा।
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इसी आजमाइश के लिए हमने यह देवनागरी संस्करण निकाला है। अगर लोग यह (देवनागरी में गुजराती) पसंद करेंगे तो ‘नवजीवन पुस्तक’ और भाषाओं को भी देवनागरी में प्रकाशित करने का प्रयत्न करेगा।
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इसी प्रकार विनोबा भावे का विचार था कि-
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सभी लिपियां चलें लेकिन साथ-साथ देवनागरी का भी प्रयोग किया जाये। विनोबा जी "नागरी ही" नहीं "नागरी भी" चाहते थे। उन्हीं की सद्प्रेरणा से 1975 में नागरी लिपि परिषद की स्थापना हुई। विश्वलिपि के रूप में देवनागरी
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यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे ‘शिरोरेखा’ कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोङ्कणी, सिन्धी, कश्मीरी, हरियाणवी डोगरी, खस, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली भाषाएँ), तमाङ्ग भाषा, गढ़वाली, बोडो, अङ्गिका, मगही, भोजपुरी, नागपुरी, मैथिली, सन्थाली, राजस्थानी बघेली आदि भाषाएँ और स्थानीय बोलियाँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं।
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देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। यह दक्षिण एशिया की १७० से अधिक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त हो रही है। लिपि-विहीन भाषाओं के लिये देवनागरी
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देवनागरी लिपि में सुधार
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किन्तु लेखन प्रौद्योगिकी ने बहुत अधिक विकास किया और प्रिन्टिंग प्रेस, टाइपराइटर आदि से होते हुए वह कम्प्यूटर युग में पहुँच गयी है जहाँ बोलकर भी लिखना सम्भव हो गया है।
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उदाहरण के लिए रोमन टाइपराइटर में अपेक्षाकृत कम कुंजियों की आवश्यकता पड़ती थी। देवनागरी में संयुक्ताक्षर की अवधारणा होने से भी बहुत अधिक कुंजियों की आवश्यकता पड़ रही थी। ध्यातव्य है कि ये समस्याएँ केवल देवनागरी में नहीं थी बल्कि रोमन और सिरिलिक को छोड़कर लगभग सभी लिपियों में थी। चीनी और उस परिवार की अन्य लिपियों में तो यह समस्या अपने गम्भीरतम रूप में थी।
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इनमें से अनेक सुझावों को क्रियान्वित नहीं किया जा सका या उन्हें अस्वीकार कर दिया गया। कहने की आवश्यकता नहीं है कि कम्प्यूटर युग आने से (या प्रिंटिंग की नई तकनीकी आने से) देवनागरी से सम्बन्धित सारी समस्याएँ स्वयं समाप्त हों गयीं।
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सन १९०४ में बाल गंगाधर तिलक ने अपने केसरी पत्र में देवनागरी लिपि के सुधार की चर्चा की। प्रिणामस्वरूप देवनागरी के टाइपों की संख्या १९० निर्धारित की गयी और इन्हें 'केसरी टाइप' कहा गया।
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डॉ गोरख प्रसाद ने सुझाव दिया कि मात्राओं को व्यंजन के बाद दाहिने तरफ अलग से रखा जाय। डॉ. श्यामसुन्दर दास ने अनुस्वार के प्रयोग को व्यापक बनाकर देवनागरी के सरलीकरण के प्रयास किये (पंचमाक्षर के बदले अनुस्वार के प्रयोग )। इसी प्रकार श्रीनिवास का सुझाव था कि महाप्राण वर्ण के लिए अल्पप्राण के नीचे ऽ चिह्न लगाया जाय। १९४५ में काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा अ की बारहखड़ी और श्रीनिवास के सुझाव को अस्वीकार करने का निर्णय लिया गया।
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इसी प्रकार, १९४७ में आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने बारहखड़ी, मात्रा व्यवस्था, अनुस्वार व अनुनासिक से संबंधित महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये। देवनागरी लिपि के विकास हेतु भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने कई स्तरों पर प्रयास किये हैं। सन् १९६६ में मानक देवनागरी वर्णमाला प्रकाशित की गई और १९६७ में ‘हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’ प्रकाशित किया गया। १९८३ में ‘देवनागरी लिपि तथा हिन्दी की वर्तनी का मानकीकरण’ प्रकाशित किया गया।
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कुछ ऐसे भी कम्प्यूटर प्रोग्राम हैं जिनकी सहायता से देवनागरी में लिखे पाठ को लैटिन, अरबी, चीनी, क्रिलिक, आईपीए (IPA) आदि में बदला जा सकता है। (ICU Transform Demo)
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संगणक कुंजीपटल पर देवनागरी देवनागरी यूनिकोड सन्दर्भ इन्हें भी देखें देवनागरी वर्णमाला देवनागरी का इतिहास देवनागरी यूनिकोड खण्ड नागरी प्रचारिणी सभा नागरी संगम पत्रिका नागरी एवं भारतीय भाषाएँ गौरीदत्त - देवनागरी के महान प्रचारक देवनागरी टंकण हिन्दी के साधन इंटरनेट पर हन्टेरियन लिप्यन्तरण इंस्क्रिप्ट इस्की (ISCII) ब्राह्मी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ भारतीय लिपियाँ नन्दिनागरी पूर्वी नागरी लिपि भारतीय सङ्ख्या प्रणाली श्वा (Schwa)
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पहलवी-ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न दक्षिण-पूर्व एशिया की लिपियों की समय-रेखा हर ढांचे में आसानी से ढल जाती है नागरी (डॉ॰ जुबैदा हाशिम मुल्ला ; 02 मई 2012) Unicode Entity Codes for the Devanāgarī Script https://web.archive.org/web/20030801223449/http://www.ancientscripts.com/devanagari.html https://web.archive.org/web/20140901145421/http://www.unicode.org/charts/PDF/U0900.pdf Language Independent Speech Compression using Devanagari Phonetics राजभाषा हिन्दी (गूगल पुस्तक ; लेखक - भोलानाथ तिवारी) अंग्रेजी भी देवनागरी में लिखें Devanagari character picker v11
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| symbol_type = राज्य प्रतीक | other_symbol_type = राष्ट्रीय गीत:
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}}}} | national_motto = "सत्यमेव जयते" (संस्कृत | national_anthem = | national_languages =कोई नहीं | image_map = India (orthographic projection).svg | map_width = 250px | alt_map = भारत पर केन्द्रित ग्लोब की छवि, जिसमें भारत पर प्रकाश डाला गया है।
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