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nirveda - weeping, sighing,indifference,dicouragement
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glani - guilty
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sanka - doubt (apprehension)
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asuya/irsya - jealousy (envy)
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mada - madness (intoxication)
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srama - fatigue
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alasya/alasata - laziness,sitting idle (unwililng to work)
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dainya - meekness (depression),(despair)
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cinta - contemplation (anxiety/reflection)
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moha - bewilderment,[a feeling of being perplexed and confused] (distraction)
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smrti - rememberance (recollection)
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dhriti - forbearance,indifference abstenance (equanimity)
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vrida - shame
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capalya/capalatha/capala - impudence [rude behavior that does not show respect for others] (unsteadiness)
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harsa - jubiliation,enjoyment (joy)
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avega - intense emotion (agitation/flurry)
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jadya/jadatha - invalidity,looking with steadfast gaze,unable to think properly
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garva - pride
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visada - moroseness, sad [quality of being unhappy, annoyed, and unwilling to speak or smile]
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autsukya - eagerness (impatience/longing)
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nidra - sleep (drowsiness)
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apasmara - forgetfulness (epilepsy/dementedness)
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supti/supta - deep sleep (dreaming)
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prabodha/vibodha - awakening
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amarsa - impatience of opposition
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avahittha - concealment (hiding of true feelings)
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augrya/ugrata - violence,battle (cruelity/sterness)
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mati - attention,instructing pupils (resolve)
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vyadhi - disease (sickness)
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unmada - craziness (insanity/madness)
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mriti/marana - death
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trasa - shock,fear (fright/alarm)
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vitarka - argument (doubt)
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utsuka - restless/anxious
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tarka -deliberation [long and careful consideration or discussion]
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rati - romantic
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lajja - shy
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marsa - patience
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tyaga - sacrifice
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vimochana - releif
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utsaha - hyped/enthused
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shraddhaadaya - confidence,trust
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krodha - anger
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karuna - pity,kind
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veera - royality,valour,greatness
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shanta - serene,peaceful,pleasant
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vismaya - exaggeration/wonder/surprise/pride/doubt
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bhakti - devotion
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no emotion
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पारसीकांस्ततोजेतुंप्रतस्थेस्थलवर्त्मना|इन्द्रियाख्यानिवरिपूंस्तत्त्वज्ञानेनसंयमी
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यवनीमुखपद्मानांसेहेमधुमदंनसः|बालातपमिवाब्जानामकालजलदोदयः
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सङ्ग्रामस्तुमुलस्तस्यपाश्चात्यैरश्वसाधनैः|शार्ङ्गकूजितविज्ञेयप्रतियोधेरजस्यभूत्
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भल्लापवर्जितैस्तेषांशिरोभिःश्मश्रुलैर्महीम्|तस्तारसरघाव्याप्तैःसक्षौद्रपटलैरिव
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अपनीतशिरस्त्राणाःशेषास्तंशरणंययुः|प्रणिपातप्रतीकारःसंरम्भोहिमहात्मनाम्
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ततःप्रतस्थेकौबेरींभास्वानिवरघुर्दिशम्|शरैरुस्रैरिवोदीच्यानुद्धरिष्यन्रसानिव
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विनीताध्वश्रमास्तस्यसिन्धुतीरविचेष्टनैः|दुधुवुर्वाजिनःस्कन्धाम्ल्लग्नकुङ्कुमकेसरान्
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तत्रहूणावरोधानांभर्तृषुव्यक्तविक्रमम्|कपोलपाटलादेशिबभूवरघुचेष्टितम्
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काम्बोजाःसमरेसोढुंतस्यवीर्यमनीश्वराः|गजालानपरिक्लिष्टैरक्षोटैःसार्धमानताः
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ततोगौरीगुरुंशैलमारुरोहाश्वसाधनः|वर्धयन्निवतत्कूटानुद्धूतैर्धातुरेणुभिः
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भूर्जेषुमर्मरीभूताःकीचकध्वनिहेतवः|गङ्गाशीकरिणोमार्गेमरुतस्तंसिषेविरे
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विशश्रमुर्नमेरूणांछायास्वध्यास्यसैनिकाः|दृषदोवासितोत्सङ्गानिषण्णमृगनाभिभिः
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सरलासक्तमातङ्गग्रैवेयस्फुरितत्विषः|आसन्नोषधयोनेतुर्नक्तमस्नेहदीपिकाः
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तस्योत्सृष्टनिवासेषुकण्ठरज्जुक्षतत्वचः|गजवर्ष्मकिरातेभ्यःशशंसुर्देवदारवः
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शरैरुत्सवसंकेतान्सकृत्वाविरतोत्सवान्|जयोदाहरणंबाह्वोर्गापयामासकिंनरान्
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नप्रसेहेसरुद्धार्कमधारावर्षदुर्दिनम्|रथवर्त्मरजोऽप्यस्यकुतएवपताकिनीम्
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तमीशःकामरूपाणामत्याखण्डलविक्रमम्|भेजेभिन्नकटैर्नागैरन्यानुपरुरोधयैः
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सत्रान्तेसचिवसखःपुरस्क्रियाभिर्गुर्वीभिःशमितपराजयव्यलीकान्|काकुत्स्थश्चिरविरहोत्सुकावरोधान्राजन्यान्स्वपुरनिवृत्तयेऽनुमेने
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तेरेखाकुलिशातपत्रचिह्नंसम्राजश्चरणयुगंप्रसादलभ्यम्|प्रस्थानप्रणतिभिरङ्गुलीषुचक्रुर्मौलिस्रक्च्युतमकरन्दरेणुगौरम्
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तमध्वरेविश्वजितिक्षितीशंनिःशेषविश्राणितकोशजातम्|उत्पातविद्योगुरुदक्षिणार्थीकौत्सःप्रपेदेवरतन्तुशिष्यः
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समृण्मयेवीतहिरण्मयत्वात्पात्रेनिधायार्घ्यमनर्घशीलः|श्रुतप्रकाशंयशसाप्रकाशःप्रत्युज्जगामातिथिमातिथेयः
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तदन्यतस्तावदनन्यकार्योगुर्वर्थमाहर्तुमहंयतिष्ये|स्वस्त्यस्तुतेनिर्गलिताम्बुगर्भंशरद्घनंनार्दतिचातकोऽपि
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एतावदुक्त्वाप्रतियातुकामंशिष्यंमहर्षेर्नृपतिर्निषिध्य|किंवस्तुविद्वन्गुरवेप्रदेयंत्वयाकियद्वेतितमन्वयुङ्क्त
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प्रातःप्रयाणाभिमुखायतस्मैसविस्मयाःकोषगृहेनियुक्ताः|हिरण्मयींकोषगृहस्यमध्येवृष्टिंशशंसुःपतितांनभस्तः
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अथोष्ट्रवामीशतवाहितार्थंप्रजेश्वरंप्रीतमनामहर्षिः|स्पृशन्करेणानतपूर्वकायंसंप्रस्थितोवाचमुवाचकौत्सः
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किमत्रचित्रंयदिकामसूर्भूर्वृत्तेस्थितस्याधिपतेःप्रजानाम्|अचिन्तनीयस्तुतवप्रभावोमनीषितंद्यौरपियेनदुग्धा
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आशास्यमन्यत्पुनरुक्तभूतंश्रेयांसिसर्वाण्यधिजग्मुषस्ते|पुत्रंलभस्वात्मगुणानुरूपंभवन्तमीड्यंभवतःपितेव
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इत्थंप्रयुज्याशिषमग्रजन्माराज्ञेप्रतीयायगुरोःसकाशम्|राजापिलेभेसुतमाशुतस्मादालोकमर्कादिवजीवलोकः
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ब्राह्मेमुहूर्तेकिलतस्यदेवीकुमारकल्पंसुषुवेकुमारम्|अतःपिताब्रह्मणएवनाम्नातमात्मजन्मानमजंचकार
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रूपंतदोजस्वितदेववीर्यंतदेवनैसर्गिकमुन्नतत्वम्|नकारणात्स्वाद्बिभिदेकुमारःप्रवर्तितोदीपइवप्रदीपात्
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उत्पातविद्यंविधिवद्गुरुभ्यस्तंयौवनोद्भेदविशेषकान्तम्|श्रीःसाभिलाषापिगुरोरनुज्ञांधीरेवकन्यापितुराचकाङ्क्ष
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तस्योपकार्यारचितोपचारावन्येतराजानपदोपदाभिः|मार्गेनिवासामनुजेन्द्रसूनोर्बभूवुरुद्यानविहारकल्पाः
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निःशेषविक्षालितधातुनापिवप्रक्रियामृक्षवतस्तटेषु|नीलोर्ध्वरेखाशबलेनशंसन्दन्तद्वयेनाश्मविकुण्ठितेन
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शैलोपमःशैवलमञ्जरीणांजालानिकर्षन्नुरसासपश्चात्|पूर्वंतदुत्पीडितवारिराशिःसरित्प्रवाहस्तटमुत्ससर्प
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तस्यैकनागस्यकपोलभित्त्योर्जलावगाहक्षणमेकशान्ता।वन्येतरानेकपदर्शनेनपुनर्दिदीपेमददुर्दिनश्रीः
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अलंह्रियामांप्रतियन्मुहूर्तंदयापरोऽभूःप्रहरन्नपित्वम्|तस्मादुपच्छन्दयतिप्रयोज्यंमयित्वयानप्रतिषेधरौक्ष्यम्
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तथेत्युपस्पृश्यपयःपवित्रंसोमोद्भवायाःसरितोनृसोमः|उदङ्मुखःसोऽस्त्रविदस्त्रमन्त्रंजग्राहतस्मान्निगृहीतशापात्
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तंतस्थिवांसंनगरोपकण्ठेतदागमारूढगुरुप्रहर्षः|प्रत्युज्जगामक्रथकैशिकेन्द्रश्चन्द्रंप्रवृद्धोर्मिरिवोर्मिमाली
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तस्याधिकारपुरुषैःप्रणतैःप्रदिष्टांप्राग्द्वारवेदिविनिवेशितपूर्णकुम्भाम्|रम्यांरघुप्रतिनिधिःसनवोपकार्यांबाल्यात्परामिवदशांमदनोऽध्युवास
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तत्रस्वयंवरसमाहृतराजलोकंकन्याललामकमनीयमजस्यलिप्सोः|भावावबोधकलुषादयितेवरात्रौनिद्राचिरेणनयनाभिमुखीबभूव
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तंकर्णभूषणनिपीडितपीवरांसंशय्योत्तरच्छदविमर्दकृशाङ्गरागम्|सूतात्मजाःसवयसःप्रथितप्रबोधंप्राबोधयन्नुषसिवाग्भिरुदारवाचः
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रात्रिर्गतामतिमतांवरमुञ्चशय्यांधात्राद्विधैवननुधूर्जगतोविभक्ता|तामेकतस्तवबिभर्तिगुरुर्विनिद्रस्तस्याभवानपरधुर्यपदावलम्बी
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निद्रावशेनभवताप्यनवेक्षमाणापर्युत्सुकत्वमबलानिशिखण्डितेव|लक्ष्मीर्विनोदयतियेनदिगन्तलम्बीसोऽपित्वदाननरुचिंविजहातिचन्द्रः
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तद्वल्गुनायुगपदुन्मिषितेनतावत्सद्यःपरस्परतुलामधिरोहतांद्वे|प्रस्पन्दमानपरुषेतरतारमन्तश्चक्षुस्तवप्रचलितभ्रमरंचपद्मम्
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वृन्ताच्छ्लथंहरतिपुष्पमनोकहानांसंसृज्यतेसरसिजैररुणांशुभिन्नैः|स्वाभाविकंपरगुणेनविभातवायुःसौरभ्यमीप्सुरिवतेमुखमारुतस्य
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ताम्रोदरेषुपतितंतरुपल्लवेषुनिर्धौतहारगुलिकाविशदंहिमाम्भःआभातिलब्धपरभागतयाधरोष्ठेलीलास्मितंसदशनार्चिरिवत्वदीयम्
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