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ये सप्ताह देश के लिए भारी साबित हुआ,जमात के कारण कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या तिगुनी हुए इस सप्ताह के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों की बात करें तो लॉकडाउन से उपजी परिस्थितियाँ और कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप से देश जूझता रहा। लॉकडाउन के इस दूसरे सप्ताह में हालांकि लोगों को यह काफी हद तक समझ आ गया कि यह व्यवस्था लोगों के हित में की गयी है इसीलिए जहाँ पहले सप्ताह में लोग सड़कों पर दिख रहे थे वैसा नजारा इस सप्ताह देखने को नहीं मिला। केंद्र और राज्य सरकारों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन कराने के लिए जो सख्ती अपनाई है वह भी काफी हद तक कारगर रही। केंद्र और राज्य जिस एकजुटता के साथ इस महामारी से निबटने के प्रयास कर रहे हैं, यकीनन वह जल्द ही सफल होंगे। इस सप्ताह तबलीगी जमात के एक धार्मिक आयोजन के चलते कोरोना वायरस देश के कोने-कोने में पहुँच गया और अब तक इस धार्मिक आयोजन के चलते 650 लोगों को कोरोना वायरस हो चुका है और जमात के कार्यक्रम में जाने वाले लगभग 9000 लोग या तो क्वारांटइन में रखे गये हैं या फिर निगरानी में हैं। इस जमात ने देश के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं क्योंकि अब तक इस महमारी से निबटने के प्रयास ठीकठाक चल रहे थे लेकिन इन लोगों की वजह से मामला बिगाड़ दिया गया है। राजनीतिक रूप से देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब रविवार 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक दीये जलाने, मोमबत्ती जलाने या टार्च से रोशनी करने का आह्वान किया तो उस पर सियासत शुरू हो गयी। कांग्रेस नेताओं ने कह दिया कि प्रधानमंत्री हालात से निबटने में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं और देशवासियों से कभी ताली और थाली बजवा रहे हैं तो कभी दीये जलवा रहे हैं। कई अन्य विपक्षी दलों के भी बयान इसी से मिलते-जुलते रहे। कांग्रेस कार्यसमिति ने तो प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया है कि लॉकडाउन का निर्णय बिना रणनीति बनाये ले लिया गया जिससे लाखों प्रवासी श्रमिकों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस के इस आरोप की भाजपा नेताओं ने निंदा करते हुए इस कठिन समय में सरकार के साथ खड़े रहने का सुझाव दिया है। इसके अलावा आरबीआई की ओर से आम जनता को दी गयी रियायतों को इस सप्ताह बैंकों ने जन सामान्य तक पहुँचाया। फिलहाल तो राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 14 अप्रैल तक के लिए है लेकिन अगर यह आगे बढ़ा तो लोगों को कई अन्य प्रकार की दिक्कतें भी शुरू हो सकती हैं।
2021/01/20 11:14:25
https://www.pressworldinformation.page/2020/04/ye-saptaah-desh-ke-lie-bhaaree-oEwpi3.html
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Our brand was the first to introduce Amla Shikakai Shampoo in the world: Manminder Narang | दुनिया में सबसे पहले आवंला शिकाकाई शैम्पू की शुरुआत हमारे ब्रांड ने की थी : मनमिंदर नारंग Our brand was the first to introduce Amla Shikakai Shampoo in the world: Manminder Narang स्पाॅन्सर्ड आर्टिकल /दुनिया में सबसे पहले आवंला शिकाकाई शैम्पू की शुरुआत हमारे ब्रांड ने की थी : मनमिंदर नारंग मनमिंदर नारंग अयूर 1976 से हर्बल सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय में है जिसकी स्थापना ग्राहकों की आवश्यकताओं को देखते हुए की गयी थी घरेलू बाजार में अयूर की सफल स्थापना के बाद कंपनी ने अन्य देशों में भी अपने प्रोडक्ट्स का प्रसार किया है Jul 21,2020 07:52:38 AM IST नई दिल्ली. महिलाएं न केवल घर गृहस्थी के काम के साथ प्रोफेशनल फील्ड में भी महिलाओं का मुकाबला करना किसी भी व्यक्ति के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। क्योंकि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील और सक्षम होती हैं। लेकिन अपनों और परिवार के बीच में अक्सर महिलाएं अपने प्रति लापरवाह भी हो जाती है और अपना ध्यान नहीं रख पाती हैं। ऐसे में भारतीय महिलाओं की स्किन और बॉडी से जुड़े बेहतर इंडियन प्रोडक्ट्स की रेंज के साथ अयूर हर्बल प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत हुई। ताकि इन प्रोडक्ट्स के ज़रिये महिलाएं अपने प्रति स्नेह जता पाएं। अयूर 1976 से हर्बल सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय में है जिसकी स्थापना ग्राहकों की आवश्यकताओं को देखते हुए की गयी थी। अयूर द्वारा कई प्रकार के सौंदर्य और त्वचा की देखभाल के लिए विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जाता है। अयूर अपने ग्राहकों को ये आश्वासन दिलाती है कि इनके द्वारा बनाये गए सभी प्रोडक्ट्स हर्बल यानी प्राकर्तिक रूप से तैयार किये जाते हैं ताकि त्वचा पर इसका बुरा प्रभाव न पड़े। अयूर द्वारा आवंला शिकाकाई शैम्पू की अपार सफलता ने इस कंपनी को बाजार में हर्बल हेयर एंड स्किन केयर उत्पाद पेश करने के लिए प्रेरित किया। आपको बता दें कि घरेलू बाजार में अयूर की सफल स्थापना के बाद कंपनी ने अन्य देशों में भी अपने प्रोडक्ट्स का प्रसार किया है जो निरंतर सफल हो रहा है। आइए ब्रांड टॉक की इस कड़ी में अयूर हर्बल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मनमिंदर नारंग से जानें ब्रांड जर्नी के बारे में। जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने भाइयों के साथ अयूर ब्रांड की बागडोर संभाली। अयूर हर्बल्स की शुरुआत का विचार कहां से आया ? देखा जाए तो हमने इसकी शुरुआत 1979 ये एक हाउस होल्ड इंडस्ट्री थी। ब्यूटी पार्लर से हमने अपने ब्रांड प्रोडक्ट्स की शुरुआत की। दुनिया में सबसे पहले आवंला शिकाकाई शैम्पू की शुरुआत हमारे ब्रांड ने की थी और उसी को बेस बना कर हमने ब्यूटी और कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का निर्माण कर के उसे बाज़ार में उतरा । कैसे अपने सोचा की 1984 में अयूर नाम का ब्रांड लॉन्च करना चाहिए ? ब्रांड नाम का हमारे पिताजी नें दिया जब हमने बताया कि हम ब्रांड का नाम रखने की सोच रहे हैं तो उन्होनें ही अयूर नाम बताया। सन 1979 से शुरुआत कर के सन 1982 तक हम प्रोपराइटरी में आए उसके बाद 1990 तक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गए। होम ग्रोन ब्रांड होने से इंटरनेशनल मार्केट में आपको कोई दिक्कत आती है? हम इंटरनेशनल ब्रांड शुरुआत में ही बन चुके थे । जैसा हम सब जानते हैं कि 1985 से 1990 के दौर में कई भारतीय लोगों ने विदेश की और पलायन किया. उस समय तक हमारा ब्रांड मार्किट में आ चुका था । इए में कई महिलाएं ऐसी थी जो हमारे ब्रांड को भलीभांति जानने लगी थी और विदेश जा कर भी ब्रांड से जुडी थी । यही कारण था कि हमारा ब्रांड एक इंटरनेशनल ब्रांड बन चुका था। इसी चर्चा में दैनिक भास्कर द्वारा मनमिंदर जी से इनके ब्रांड के बारें में और भी कई सवाल पूछे गए जिनका जवाब उन्होनें बखूबी दिया। देखें ये पूरा वीडियो और जानें अयूर की जर्नी के बारे में-
2020/08/09 14:55:49
https://money.bhaskar.com/business/msme/news/our-brand-was-the-first-to-introduce-amla-shikakai-shampoo-in-the-world-manminder-narang-127533096.html
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Samajhauta Blast Case : समझौता ब्लास्ट केस में नया मोड़, पाकिस्तानी महिला ने 'साक्ष्य' का दावा किया | India News in Hindi Samajhauta Blast Case : समझौता ब्लास्ट केस में नया मोड़, पाकिस्तानी महिला ने 'साक्ष्य' का दावा किया Updated Mar 11, 2019 | 17:44 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल NIA Court verdict on Samajhauta Blast Case : समझौता ब्लास्ट केस में सोमवार को नया मोड़ आ गया। एनआईए की विशेष अदालत फैसला सुनाने वाली थी लेकिन इसके पहले पाकिस्तानी महिला ने अर्जी लगा दी। समझौता एक्सप्रेस में 2007 में हुआ था विस्फोट। नई दिल्ली : समझौता ट्रेन ब्लॉस्ट मामले में एनआईए अदालत का फैसला आने से ठीक पहले नाटकीय मोड़ आ गया। पाकिस्तान की महिला ने दावा किया है कि इस मामले में गवाही देने के लिए पाकिस्तान में लोग मौजूद है और वह उन्हें अदालत में पेश करना चाहती है। पाकिस्तानी महिला की अर्जी के बाद कोर्ट ने अपना फैसला 14 मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया। एनआईए की अदालत आज इस मामले में अपना फैसला सुनाने वाली थी। बता दें कि समझौता केस की सुनवाई के लिए पाकिस्तानी दूतावास के जरिए छह बार सम्मन भेजे जा चुके हैं लेकिन गवाही के लिए कोई नहीं आया। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि पाकिस्तानी मुस्लिमों को निशाना बनाकर यह विस्फोट किया गया था। जांच एजेंसी ने इस केस में करीब 290 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 30 अपने बयान से पलट गए। इस ट्रेन में विस्फोट उस समय हुआ था जब वह पानीपत के दीवानी गांव के पास थी। ट्रेन उस समय भारत की तरफ के अंतिम स्टेशन अटारी की तरफ बढ़ रही थी। 18 फरवरी 2007 को समझौता ट्रेन की दो बोगियों में विस्फोट हुआ था जिसमें 68 यात्री मारे गए थे। इस केस में अब तक कई उतार-चढ़ाव आए हैं। एनआईए ने 29 जुलराई 2010 को इस मामले की जांच का जिम्मा संभाला और 20 जून 2011 को इस केस में एक हिंदू समूह के खिलाफ चार्जशीट दायर किया। #PakDerailsSamjhauta: Top sources in NIA have said that as far as we are concerned, we've no formal communication from MFA Pakistan, indicating that these people want to appear before the court. Details by @NikunjGargN in conversation with @madhavgk. pic.twitter.com/ijNEQ9nGOc एनआईए ने अपनी जांच के बाद रामचंद्र कलासांगरा उर्फ रामजी, संदीप डांगे, सुनील जोशी, लोकेश शर्मा और स्वामी असीमानंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया। इन पांच लोगों पर रेलवे अवं अन्य आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ। ब्लास्ट के बाद इस मामले की जांच एसआईटी ने की थी। इस ब्लॉस्ट में एक सूटकेस का इस्तेमाल किया गया था जिसमें ज्वलनशील पदार्थ रखे गए थे। एसआईटी ने अपनी जांच में यह पता लगाने की कोशिश की थी कि इस सूटकेस को इंदौर से किसने खरीदा। सूटकेस जिस दुकान से खरीदा गया था, उस दुकानदार ने पहले कहा था कि संदिग्ध स्थानीय भाषा में बातचीत कर रहे थे लेकिन इसके बाद वह अपने बयान से पलट गया। पुलवामा में गत 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हमला होने के बाद इस ट्रेन का परिचालन रोक दिया गया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए। हालांकि बाद में दोनों देशों ने बाद में समझौता एक्सप्रेस का परिचलान बहाल करने का फैसला किया।
2020/05/31 11:25:56
https://hindi.timesnownews.com/india/article/new-twist-in-samajhauta-blast-case-pakistani-woman-claims-to-have-evidence/380397
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ऐसे बनाएं अपनी स्कीन को बेहतर और चमकदार | Navyug Sandesh Home लाइफस्टाइल ऐसे बनाएं अपनी स्कीन को बेहतर और चमकदार ऐसे बनाएं अपनी स्कीन को बेहतर और चमकदार प्रत्येक व्यक्ति अपनी सुंदरता को प्रदर्शित करना चाहता है लेकिन कई तरह के मानसिक तनाव के कारण हम अपनी त्वचा पर अत्यधिक ध्यान नहीं दे पाते है लेकिन आज हम आपको त्वचा को बेहतर बनाने के लिए एक घरेलू नुस्खा बताने जा रहे है तो आइये जानते है इसके बारे में। तिल के बीज जो हमारी त्वचा के लिए बहुत स्वास्थ्यवर्धक है इससे हमारी त्वचा को कई लाभ होते है इन बीजों में उपस्थित मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के गुण जो एंटी-बुजुर्गों में भरपूर मदद करते हैं, ओमेगा एसिड जो सामग्री बाल विकास को ट्रिगर करती है। यह चमकती हुई त्वचा को पूर्ण्तः बढ़ावा देता है और त्वचा को ठीक करने में मदद करता है। तिल के बीज त्वचा में नमी बनाये रखने में भरपूर मदद करता हैं। यह विरोधी भड़काऊ गुणों से समृद्ध हैं जो त्वचा संक्रमण के कारण रोगजनकों और अन्य एजेंटों से छुटकारा पाने और अन्य चेहरे की त्वचा के मुद्दों को ठीक करने में महत्वपूर्ण हैं। एक चम्मच जैतून का तेल और पाउडर तिल के बीज में दो चम्मच मिलाएं और इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगायें। सप्ताह में एक या दो बार इस घरेलू नुस्खे के अभ्यास का पालन जरूर करें। तिल के लाभ न केवल त्वचा के लिए बल्कि बालों के लिए भी हैं। यह खोपड़ी को मॉइस्चराइज करने में भी भरपूर मदद करता है और यह फिर से जीवंत करने के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। तिल के बीज के घटक जैसे मैग्नीशियम, इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में भरपूर मदद करता है और मधुमेह की संभावना को कम करता है। समृद्ध मैग्नीशियम सामग्री उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए भी आदर्श है।
2021/04/21 13:55:09
https://www.navyugsandesh.com/make-your-screen-better-and-shinier/
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Asian Games 2018: सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय पुरुष स्क्वॉश टीम को मिली हार, जीता ब्रॉन्ज | India gets bronze in Squash men's team semi finals asian games 2018 - Hindi MyKhel » Asian Games 2018: सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय पुरुष स्क्वॉश टीम को मिली हार, जीता ब्रॉन्ज Asian Games 2018: सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय पुरुष स्क्वॉश टीम को मिली हार, जीता ब्रॉन्ज Updated: Friday, August 31, 2018, 17:28 [IST] नई दिल्ली। इंडोनेशिया में चल रहे एशियन गेम्स में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है। 18वें एशियन गेम्स का 13वां दिन भी भारत के लिए यादगार रहा और इस दिन भारत की झोली में एक के बाद एक पदक आते गए। सबसे पहले मुक्केबाज विकास कृष्ण को सेमीफाइनल में अनफिट घोषित करने के बाद उन्हें ब्रॉन्ज ही संतोष करना पड़ा। वहीं इसके बाद शुक्रवार को भारत के खाते में सेलिंग (नौकायन) में 3 मेडल आए। वर्षा गौतम और श्वेता शेरवेगर ने महिलाओं की 49er एफएक्स स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। वहीं हर्षिता तोमर ने ओपन लेजर 4.7 स्पर्धा में ब्रॉन्ज जीता। जबकि पुरुषों की 49er स्पर्धा में वरुण ठक्कर और केसी गणपति ने ब्रॉन्ज मेडल देश को दिलाया। वहीं इसके बाद भारत के लिए उस वक्त एक और ब्रॉन्ज मेडल आया जब पुरुष स्कवैश टीम ने भारत को पदक दिलाया। बता दें कि सौरव घोषाल, हरिंदर पाल सिंह संधू, रमित टंडन, महेश मानगांवकर की भारतीय टीम फाइनल में जाने से चूक गई। भारत ने पूल-बी में लगातार तीन मैच जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था, हालांकि वो अपना प्रदर्शन फाइनल में जारी नहीं रख सके। वहीं महिला स्कवैश टीम ने इस प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश कर लिया है। ऐसे में उनसे अब गोल्ड की उम्मीद है। दरअसल इंडियन मेंस स्कवैश टीम को हॉन्‍ग कॉन्‍ग चीन के हाथों सेमीफाइनल में 2-0 से शिकस्‍त झेलनी पड़ी जिसके कारण यह टीम आगे का सफर नहीं तय कर सकी और उसे ब्रॉन्ज से ही संतोष करना पड़ा। इस पदक के साथ ही भारत के मेडल्स की संख्या 63 हो गई है। वहीं अभी बॉक्सिंग में दो, स्क्वॉश में दो और हॉकी में एक मेडल मिलना तय है यानी जकार्ता में भारत 64 मेडल्स की संख्या को पार कर जाएगा। इससे पहले भारत ने सबसे अधिक, 2010 एशियाड में 64 मेडल्स हासिल किए थे। तब भारत के खाते में 14 गोल्ड मेडल थे। अभी तक भारत को 13 गोल्ड मेडल मिल चुके हैं। यानी भारत को अब अगर एक गोल्ड और मिलता है तो 2018 के एशियन गेम्स, भारत के लिए सबसे कामयाब एशियन गेम्स बन जाएंगे। ऐसे में देखना होगा कि यहां भी भारत क्या कोई इतिहास रच सकता है। 7 min ago MI vs KXIP: राहुल ने जीता टॉस, पहले बल्लेबाजी करेगी मुंबई, देखें कैसी है प्लेइंग 11 43 min ago IPL और कोरोना के चलते एक बार फिर टल गई लंका प्रीमियर लीग, जानें क्या है नई तारीख Read more about: asian games asian games 2018 indonesia squash india एशियन गेम्स एशियन गेम्स 2018 सिल्वर मेडल
2020/10/01 13:41:53
https://hindi.mykhel.com/more-sports/india-gets-bronze-squash-men-s-team-semi-finals-asian-games-031033.html
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रतलाम: कल 21 मई को 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को इन 17 स्‍थानों पर कोविड के टीके लगाए जाऐंगे | Khabarbaba Home रतलाम रतलाम: कल 21 मई को 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों... रतलाम: कल 21 मई को 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को इन 17 स्‍थानों पर कोविड के टीके लगाए जाऐंगे रतलाम,20मई(खबरबाबा.काम) । मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डॉ. ननावरे ने बताया कि 21 मई शुक्रवार को 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को 17 स्‍थानों पर कोविड ( कोविशील्‍ड ) का पहला और दूसरा टीका लगाया जाएगा । जिले में शासकीय कन्‍या हायर सेकंडरी स्‍कूल बस स्‍टेंड के पास आलोट , ग्राम पंचायत आक्‍याकलां , मांगलिक भवन जनपद पंचायत के पास बाजना , बालक छात्रावास क्रमांक २जिला सहकारी बैंक के पास रावटी , ग्राम पंचायत भवन कुंदनपुर , ग्राम पंचायत भवन रानीसिंग , महात्‍मा गांधी स्‍कूल जेल रोड जावरा , ग्राम पंचायत आलमपुर , ग्राम पंचायत बहादुर जागीर , जनपद पंचायत पिपलोदा , शासकीय कन्‍या स्‍कूल सुखेडा, मांगलिक भवन जूनावास मोहल्‍ला सैलाना , ग्राम पंचायत शिवगढ , ग्राम पंचायत भवन धराड , शासकीय कन्‍या प्राथमिक विद्यालय धामनोद , आफिसर्स क्‍लब डीआरएम ऑफिस के पास दो बत्‍ती रतलाम , कम्‍यनिटी हॉल अल्‍कापुरी केंद्रो पर टीके लगाए जाऐंगे । जिले के न्‍यू कलेक्‍टोरेट रतलाम एवं औद्योगिक क्षेत्र रतलाम केन्‍द्र पर केवल फ्रंटलाईन वर्कर्स को को वेक्‍सीन का दूसरा टीका लगाया जाएगा । उल्‍लेखनीय है कि कोविशील्‍ड के पहले और दूसरे टीके के मध्‍य कम से कम 84 दिन का अंतर होना अनिवार्य है । 18 से 44 वर्ष आयु समूह के अंतर्गत शुक्रवार को जिले में कहीं भी टीकाकरण नहीं किया जाएगा । 18 से 44 वर्ष आयु समूह के अंतर्गत शनिवार को आयोजत होने वाले सत्रों के लिए शुक्रवार को प्रात: 10 से 10:30 बजे के मध्‍य खुलेगा । इच्‍छुक हितग्राही अपना ऑनलाईन स्‍लॉट बुकिंग कर सकेगे । Previous articleरतलाम:ई-पास के लिए प्रशासन ने जारी किए दिशा-निर्देश, जानिए किस तरह बन सकेगा ई- पास और कितनी देर में पहुंचेगा आपके पास, ई-पास व्यवस्था से जुड़ी सारी जानकारियों के लिए पढ़ें ये खबर Next articleरतलाम–फतेहाबाद-लक्ष्मीेबाई नगर एवं उज्जैैन-चिंतामण गणेश-फतेहाबाद सेक्शन अगले आदेश तक बंद
2021/06/22 08:37:40
https://khabarbaba.com/%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B2-21-%E0%A4%AE%E0%A4%88-%E0%A4%95%E0%A5%8B-45-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BF/
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Dindi Yatra In Chhindwara - दिंडी यात्रा में इस बार भी पधारेंगे ख्याति प्राप्त संत | Patrika News Dindi Yatra in chhindwara दिंडी यात्रा में इस बार भी पधारेंगे ख्याति प्राप्त संत धर्म-कर्म : 23 जुलाई को विवेकानंद कॉलोनी में उत्सव Published: 20 Jul 2018, 08:26 AM IST छिंदवाड़ा. देवशयनी ग्यारस के अवसर पर शहर में भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी की निकलने वाली दिंडी यात्रा में इस बार भी देश के ख्यात संत पधारेंगे। 23 जुलाई सोमवार को विवेकानंद कॉलोनी में संतों के समागम और सानिध्य में ये धार्मिक उत्सव मनाया जाएगा। उत्सव प्रभारी आनंद बक्षी ने बताया कि संत श्री गजानन गुणगान मंडल प्रतिवर्ष इस आयोजन में संतों को आमंत्रित करता है। इस वर्ष मां नर्मदा के अनन्य उपासक गंगादास महाराज के शिष्य श्री हरिहर महाराज, महानत्यागी चौरागढ़ महादेव के मठाधीश गरीबदास महाराज, इंदौर से महामंडलेश्वर तथा गजसीन शनि मंदिर के दादू महाराज, नासिक से वेद मर्मज्ञ अनिल महाराज, श्री शिर्डी साईं बाबा के कृपापात्र प्रचंड महाराज, इंदौर से सुप्रसिद्ध मंत्रवेत्ता आचार्य प्रवीणनाथ महाराज तथा देवास से भगवान दत्तात्रय के उपासक अनिल बेलापुरकर यहां आएंगे। सभी संत अपनी अमृतमयी वाणी से परमात्मा के स्वरूप का वर्णन करेंगे। जिले के साधु-संत भी शामिल होंगे। उत्सव को भव्य बनाने की जा रहीं तैयारियां इस दिंडी यात्रा उत्सव को भव्य बनाने के लिए तैयारियां बड़े स्तर पर की जा रही है। शहर के सामाजिक, धार्मिक और संास्कृतिक संस्थाओं के सहयोग से कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई है। दिंडी यात्रा में पधार रहे संतों के स्वागत के लिए स्वागत वंदन द्वार बनाए जा रहे हैं तो यात्रा के दौरान आयोजन स्थल पर रंगोली की रंगबिरंगी छटा बिखरेगी। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं और संतों पर पुष्पवर्षा की जाएगी। इस दौरान आतिशबाजी भी होगी। बक्षी ने बताया कि मंडल के अध्यक्ष कृष्णा मंगरुलकर, संजय औरंगाबादकर, सुधीर साईंखेडक़र, वर्षा पाठक, वीणा चेडग़े, रश्मि मूले, किशोर तातेकर, नितिन भूतेकर, प्रदीप मूले, सुभाष स्मार्थ सहित भजन मंडल और सभी भक्त व्यवस्था बनाने में जुटे हैं। राम नाम जाप के साथ रामायण-भजन पाठ भी विश्वकल्याणार्थ के लिए नरसिंहपुर रोड स्थित संकटमोचन हनुमान मंदिर में एक महीने तक चलने वाले राम नाम जाप के साथ इस बार रामायण और भजन समेत अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी होंगे। रामनाम सेवा संस्थान यह आयोजन करा रहा है। आयोजन गुरुपूर्णिका के दिन 27जुलाई से शुरू होगा जो 25 अगस्त को खत्म होगा। 27 जुलाई से 108 मनके की माला से रामनाम जाप प्रारम्भ होगा। 30 जुलाई को दुर्गा भजन मंडल अपनी प्रस्तुति देगा। इसी दिन से हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ भी शुरू होगा।
2021/05/18 05:18:33
https://www.patrika.com/chhindwara-news/dindi-yatra-in-chhindwara-3127461/
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अमेरिका रच रहा इराक को अलग करने की साजिश... | TOS News Posted By: Somali अमेरिका रच रहा इराक को अलग करने की साजिश... इराक में अमेरिका की उपस्थिति बेवजह नहीं है. इस बारे में रूस ने आरोप लगाया है कि अमेरिका, क्षेत्रीय देशों के विरुद्ध साज़िश रचकर इराक़ का विभाजन चाहता है. इराक़ी कुर्दिस्तान में जनमत संग्रह का आयोजन इन्हीं साज़िशों का हिस्सा है. यह बात रूसी जियो पोलिटिकल स्टडीज़ सेन्टर के प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारी इवोशेफ़ ने कही. अभी-अभी: सऊदी के मौलाना ने दिया विवादित बयान… बता दें कि जनरल इवोशेफ़ ने कहा कि वाशिंगटन अपने झूठे दावे के बावजूद जनमत संग्रह के आयोजन का समर्थन करता है. इवोशेफ़ ने यह भी कहा कि कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने यह झूठे दावे किए कि इराक़ी कुर्दिस्तान में रिफ़्रेंडम के आयोजन के विरोधी हैं जबकि अमेरिका, सीरिया और इराक़ का विभाजन चाहता है, इसीलिए गुप्त रूप से वह आतंकवादी गुट दाइश का समर्थन कर रहा है. उल्लेखनीय है कि इस सैन्य अधिकारी ने कहा कि चूँकि अमेरिका खुलकर सीरिया में कुछ सशस्त्र और आतंकवादी गुटों का समर्थन कर रहा है, इसलिए सीरिया और इराक़ में अमरीकी सैनिकों की मौज़ूदगी बहुत ख़तरनाक है. उनका लक्ष्य क्षेत्रीय देशों पर क़ब्ज़ा करना है. अफ़ग़ानिस्तान, लीबिया और यमन का संकट, अमेरिका और उसके घटकों की साजिशों का नतीजा है, ऐसे में क्षेत्रीय देशों को अमेरिकी साजिशों को विफल बनाने के लिए एकजुटता बहुत जरुरी है. May 12, 2018 Somali Comments Off on PM ओली ने पुराने नोटों को बदलने की रखी मांग, नेपाल में 3.36 करोड़ भारतीय रुपए
2018/09/20 18:21:13
https://tosnews.com/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%9A-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BE-%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A4%97/75310
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बैंक नोट प्रेस देवास में शुक्रवार को पुलिस ने एक अधिकारी को अरेस्ट किया। अधिकारी प्रेस से नोटों की चोरी करता था। Jan 20, 2018, 02:10 AM IST डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को सीआईएसएफ ने शुक्रवार को 200-200 के नए नोटों की दो गडि्डयां चुराकर ले जाते हुए रंगेहाथों पकड़ा। उसके ऑफिस के डस्टबिन और लॉकर से 26 लाख 9 हजार 300 रुपए बरामद हुए। पकड़े जाने के बाद घर की तलाशी हुई तो दीवान के अंदर रखे जूतों के डिब्बों और कपड़े की थैलियों से 64.5 लाख रुपए मिले।
2018/12/15 14:37:04
https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/MP-IND-HMU-LCL-bank-note-press-dewas-officer-arrested-5795273-PHO.html
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JNUSU : ABVP का सूपड़ा साफ़, वामपंथी यूनिटी ने सभी सीटों पर किया कब्जा | Hindi News Live, Breaking News In Hindi, हिंदी न्यूज़- UPUKLive JNUSU : ABVP का सूपड़ा साफ़, वामपंथी यूनिटी ने सभी सीटों पर किया कब्जा नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जेएनयू) में हुए छात्रसंघ चुनाव के नतीजे रविवार दोपहर को घोषित कर दिए गए। इसमें लेफ्ट यूनिटी ने सभी चारों सीटों पर बाजी मारी है। एबीवीपी को इसमें एक भी सीट नहीं मिली। नतीजों के अनुसार एन साई बालाजी ने अध्‍यक्ष पद पर जीत हासिल की है। वहीं सारिका चौधरी ने उपाध्‍यक्ष पद पर जीत दर्ज की। वहीं जनरल सेक्रेटरी पद पर एजाज अहमद और ज्‍वाइंट सेक्रेटरी पद पर अमुथा जयदीप ने बाजी मारी। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव (जेएनयूएसयू) में उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट की उम्‍मीदवार सारिका चौधरी ने 2309 वोटों के साथ जीत हासिल की है। वहीं एबीवीपी की गीताश्री 871 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। लेफ्ट के ही उम्मीदवार एन साईं बालाजी को चुनाव में कुल 1871 वोट मिले। एबीवीपी के ललित पांडे 937 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। बता दें कि छात्रसंघ चुनाव के बाद शुरू हुई मतगणना को तनाव के कारण रोकना पड़ा था। इसके बाद मतगणना 15 घंटे बाद शनिवार शाम को फिर शुरू हुई थी। माना जा रहा था कि जेएनयू छात्र संघ चुनाव के नतीजे रविवार शाम तक घोषित किए जा सकते हैं लेकिन नतीजे दोपहर में ही सामने आ गए। Hindi News Live, Breaking News In Hindi, हिंदी न्यूज़- UPUKLive: JNUSU : ABVP का सूपड़ा साफ़, वामपंथी यूनिटी ने सभी सीटों पर किया कब्जा https://1.bp.blogspot.com/-0d9sMoUfBi4/W54h2czXnzI/AAAAAAADKNY/uMavlIf4-0ESJ6gmNRmI8lg0Sj_I2taBACK4BGAYYCw/s640/0000%2B%25281%2529.JPG https://1.bp.blogspot.com/-0d9sMoUfBi4/W54h2czXnzI/AAAAAAADKNY/uMavlIf4-0ESJ6gmNRmI8lg0Sj_I2taBACK4BGAYYCw/s72-c/0000%2B%25281%2529.JPG
2019/04/21 14:03:18
http://www.upuklive.com/2018/09/jnusu-abvp.html
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कैसे जांचें कि क्या कोई सेफेलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है? (hi) कैसे जांचें कि क्या कोई सेफेलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है? सेफलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज एक सामान्य घटना है जो आपको अब चिंता नहीं करनी चाहिए। अपने क्षेत्र में सेवा आउटेज के बारे में अधिक जानकारी के लिए, SafeLink पर ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों से संपर्क करें। सेफलिंक अमेरिका की प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में से एक है। कंपनी अमेरिकी सरकार के समर्थन कार्यक्रमों से लाभान्वित होने वालों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने पर गर्व करती है। इन कार्यक्रमों में फेडरल पब्लिक हाउसिंग असिस्टेंस, मेडिकिड और वेटरन्स और सर्वाइवर्स पेंशन लाभ शामिल हैं। सरकारी सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से, SafeLink आय पात्र परिवारों को मुफ्त पाठ संदेश और मुफ्त कॉलिंग सेवा प्रदान करता है। फिलहाल, कंपनी अपने वायरलेस सब्सक्राइबरों को हर महीने 200 से अधिक मुफ्त मिनट प्रदान करती है। सेफलिंक देश के कई राज्यों में ग्राहकों को अपनी मुफ्त वायरलेस सेवाएं प्रदान करता है। यदि आप सरकारी सहायता कार्यक्रमों के भाग्यशाली लाभार्थियों में से एक हैं, तो आपको सुरक्षित रूप से महत्वपूर्ण होने के लिए सेफलिंक सेवाएं मिलेंगी। तो, अगर सुरक्षित इंटरनेट या सेल सेवा आउटेज है तो मैं कैसे जांचूं? अगर मेरे क्षेत्र में सेफलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है तो मैं कैसे जांच करूं? शुरू करने के लिए, आपको यह पता लगाना होगा कि आपके क्षेत्र में सेफलिंक इंटरनेट या सेल सेवा है या नहीं। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए, आपको अपने क्षेत्र में उनके इंटरनेट या सेल सेवा कवरेज के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए SafeLink पर ग्राहक सेवा विभाग से संपर्क करना चाहिए। दूसरी ओर, आप SafeLink नेटवर्क कवरेज मैप की जाँच करके इन सेवाओं की उपलब्धता की पुष्टि कर सकते हैं। एक बार जब आपको पता चलता है कि आपके क्षेत्र में नेटवर्क कवरेज है, तो आपके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि क्या कोई सेवा आउटेज है। इस मामले में, आपको इंटरनेट या सेल सेवा आउटेज होने पर किसी भी समय अद्यतन सूचनाएं प्राप्त करने के लिए साइन अप करना होगा। हस्ताक्षर आपको उपयोगी जानकारी तक पहुंचने में भी मदद करेंगे जो आपको आउटेज समस्या को समय पर हल करने में सक्षम करेगा। इसे ध्यान में रखते हुए, आप SafeLink वेबसाइट पर जा सकते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि समस्या कहाँ से आ रही है। वेबसाइट पर रहते हुए, आपको अपने क्षेत्र में इंटरनेट और सेल सेवा आउटेज के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करने के लिए बोली में अपना क्षेत्र ज़िप कोड दर्ज करना होगा। यदि वह विकल्प आपके लिए काम नहीं करता है, तो आप उसी समस्या की नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए SafeLink खाते में साइन इन कर सकते हैं। आउटेज का कारण क्या हो सकता है? सबसे अधिक संभावना है, आपका डिवाइस समस्या पैदा कर सकता है। यदि यह मामला है, तो आपको इस समस्या को हल करने में मदद करने के लिए सुरक्षित लिंक तकनीकी सहायता शब्द को कॉल करने से परेशान नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, आप अपना समय जांचने और यह पता लगाने में लगा सकते हैं कि आपका उपकरण आपको नेटवर्क सेवाओं से क्यों नहीं जोड़ रहा है। इस नेटवर्क समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है अपने डिवाइस को रीसेट करना। यदि समस्या बनी रहती है, तो आप समस्या को हल करने के लिए SafeLink पर ग्राहक सेवा प्रतिनिधि से संपर्क कर सकते हैं। क्या मुझे जांचना चाहिए कि क्या सेफलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है? इस सवाल का चौंकाने वाला जवाब है हां। जब आपको पता चलता है कि SafeLink इंटरनेट या सेल सेवा लगातार बाधित हो रही है, तो आपके दिमाग में क्या होना चाहिए, आपके क्षेत्र में सेवा आउटेज है। अधिक सत्यापन के लिए, आप समस्या का कारण जानने के लिए अपने सेवा प्रदाता (SafeLink) आउटेज रिपोर्ट से जांच कर सकते हैं। आउटेज को हमेशा स्वतंत्र रूप से ट्रैक किया जाता है, और विभिन्न क्षेत्रों में पुष्टि के लिए वास्तविक समय में मैप किए गए निष्कर्ष। अपने दिमाग के पीछे इस जानकारी के साथ, आप हमेशा इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि डाउन डिटेक्टर और आउटेज रिपोर्ट जैसी वेबसाइटों पर जाकर आपके स्थान पर नेटवर्क सेवा आउटेज है या नहीं। यदि आपके क्षेत्र से कोई आउटेज रिपोर्ट है, तो ये साइटें आपको सूचित करेंगी। यदि आप पाते हैं कि किसी ने वास्तव में आपके क्षेत्र को कवर करने वाली आउटेज रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, तो आपको समस्या के समाधान के लिए अपने सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए। Why Did GetHuman Write "कैसे जांचें कि क्या कोई सेफेलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है?"? हजारों SafeLink ग्राहकों के बाद इस समस्या (और कई अन्य) के जवाब की तलाश में गेटहूमन आए, हमने फैसला किया कि यह निर्देश प्रकाशित करने का समय है। इसलिए हमने मदद करने के लिए कैसे जांचें कि क्या कोई सेफेलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है? एक साथ रखा। अन्य चरणों के अनुसार इन चरणों के माध्यम से प्राप्त करने के लिए समय लगता है, प्रत्येक चरण के माध्यम से काम करने में समय व्यतीत करना और यदि आवश्यक हो तो SafeLink से संपर्क करना। शुभकामनाएँ और कृपया हमें बताएं कि क्या आप इस पृष्ठ से मार्गदर्शन के साथ अपने मुद्दे को सफलतापूर्वक हल करते हैं। GetHuman 10 साल से अधिक समय से SafeLink जैसे बड़े संगठनों के बारे में सोर्सिंग पर काम कर रहा है ताकि ग्राहकों को ग्राहक सेवा के मुद्दों को तेजी से हल करने में मदद मिल सके। हमने बड़ी कंपनियों में मानव तक पहुंचने के लिए संपर्क जानकारी और सबसे तेज़ तरीकों से शुरुआत की। विशेष रूप से धीमी या जटिल आईवीआर या फोन मेनू सिस्टम वाले। या जिन कंपनियों के पास ग्राहक सेवा विभाग के बजाय स्वयं सेवी सहायता फोरम हैं। वहां से, हमने महसूस किया कि उपभोक्ताओं को अभी भी सबसे सामान्य समस्याओं को सुलझाने में अधिक विस्तृत मदद की आवश्यकता है, इसलिए हमने गाइड के इस सेट में विस्तार किया, जो हर दिन बढ़ता है। और यदि आप हमारे कैसे जांचें कि क्या कोई सेफेलिंक इंटरनेट या सेल सर्विस आउटेज है? गाइड के साथ कोई समस्या रखते हैं, तो कृपया हमें प्रतिक्रिया भेजें। हम यथासंभव मददगार बनना चाहते हैं। यदि आपने इस गाइड की सराहना की है, तो कृपया इसे अपने पसंदीदा लोगों के साथ साझा करें। हमारी निःशुल्क जानकारी और उपकरण आपके द्वारा, ग्राहक द्वारा संचालित हैं। जितने ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करेंगे, यह उतना ही बेहतर होगा।
2020/11/28 23:21:35
https://hi.answers.gethuman.com/SafeLink/How-to-Check-If-There-s-a-Safelink-Internet-or-Cell-Service-Outage/how-eoW
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कौन रूस में अचानक Panfilovites, Zoe Kosmodemyanskaya और अलेक्जेंडर Matrosov के शोषण के बारे में "ऐतिहासिक मिथकों" के साथ शिकार हो गया? नेटवर्क में, और न केवल नेटवर्क में, विवाद गति पकड़ रहा है, जिसे अनदेखा करना मुश्किल है। अगर मैं ऐसा कह सकता हूं, तो नेटवर्क क्षमता ने एक बार फिर खुद को उनके संबंध में अवरोधों के विपरीत पक्षों पर पाया ऐतिहासिक विज्ञान, ऐतिहासिक घटनाएं और इतिहास का बहुत विवरण। उन व्यक्तियों द्वारा विवाद शुरू किया गया है जो खुद को "मुक्त इतिहास" समर्थक कहते हैं। यह एक उदारवादी समूह है, जैसा कि वे कहते हैं, रचनात्मक बुद्धिजीवी वर्ग, जिसने रूसी राज्य के अस्तित्व के उन या अन्य अवधियों (इसके अलग-अलग विन्यासों और विभिन्न नामों के साथ) के बारे में अच्छी तरह से स्थापित और उचित रूप से काफी पारंपरिक जानकारी को फेंकने का फैसला किया। चुनौती का सार क्या है? इसे समझने के लिए, आप उदाहरण के लिए, पृष्ठों पर इतिहासकार सर्गेई मिट्रोफानोव के सितंबर के प्रकाशन को संदर्भित कर सकते हैं "РѕР "РѕР ± РґРЅРѕР№Рї Среы СС "С "С В""देशभक्ति मिथक की बुराई क्या है?" पाठक, ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करके, आप श्री मिट्रोफानोव के प्रकाशन से परिचित हो सकते हैं। यदि आप प्रकाशन के सार को व्यक्त करते हैं, तो इतिहासकार (निश्चित रूप से, "मुक्त" के बीच) दर्शकों को अपने विचारों से यह बताने की कोशिश करता है कि ऐतिहासिक कथा, वे कहते हैं, आधुनिक ऐतिहासिक विज्ञान में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। यह तथ्य कि इतिहास के किसी भी अप्रकाशित प्रकरण को ऐतिहासिक संस्करणों और प्रकाशनों से हटाया जाना चाहिए, ताकि आप समझ सकें, युवा पीढ़ी को गुमराह न करें। और सामान्य तौर पर, इतिहास में, यदि आप श्री मित्रोफ़ानोव के तर्क का अनुसरण करते हैं और इसी तर्क के समर्थक, एक ऐसा विज्ञान है जो अभिलेखीय डेटा के प्रबलित कंक्रीट समर्थन और "सही" इतिहासकारों द्वारा दर्ज "गवाहों" की गवाही पर खड़ा होना चाहिए। "युवा पीढ़ी को गुमराह करने वाले" के एक उदाहरण के रूप में, 28 Panfilovites की कहानी जिन्होंने अपने स्वयं के जीवन की कीमत पर जर्मन की उन्नति को रोक दिया टैंक मास्को के अंतर्गत। प्रकाशन से: इस चर्चा का एक और अप्रिय क्षण वह सहजता है जिसके साथ सेंट जॉर्ज की गली में आधुनिक आदमी अपने पिता की मृत्यु का गीत गाता है, जैसे कि यह आदेश के आदेश से मृत्यु थी जो कि सैन्य महिमा का अपभ्रंश था और एक अद्भुत व्यक्तिगत अहसास था। सबसे बुरी बात, वह इस नैतिकता को स्थानांतरित करता है, जिसमें आधुनिक व्यक्ति भी शामिल है, जो दुनिया और एजेंडे के लिए अपने सैन्य रवैये का निर्माण करता है। वैसे, यह सोचना जरूरी है कि यह इस उद्देश्य के लिए था कि सामने के संवाददाता अलेक्जेंडर क्रिवित्सकी ने डबोसकोवो जंक्शन पर जर्मन टैंकों के साथ एक्सएनयूएमएक्स पानफिलोव की लड़ाई के बारे में एक महाकाव्य की रचना की, जहां वे सभी मर गए, लेकिन दुश्मन को याद नहीं किया, इस तरह के लिए राजनीतिक रवैया था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि युद्ध का वह प्रकरण वास्तव में था या नहीं, लेकिन सिपाही जहां भी था, अब से वह पैनफिलोव, जोया कोस्मोडेमैस्काया के उदाहरण का अनुसरण करेगा, अलेक्जेंडर मैट्रोज़ोव शासन के नाम पर और अपने कमांडरों के आदेश पर मरने के लिए संकोच के साथ। न केवल डर लग रहा है, बल्कि इस तरह से खुद को अलग करने और कम्युनिस्ट संतों में शामिल होने के भाग्य के लिए भी धन्यवाद। सामान्य तौर पर, उद्धरण जारी रखने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि श्री इतिहासकार मिट्रोफानोव और प्रस्तुत टुकड़ा की स्थिति स्पष्ट है। लेकिन, जैसा कि आधुनिक युवा कहते हैं, चाल यह है कि श्री मिट्रोफानोव ने "ऐतिहासिक पौराणिक कथाओं" की अपनी आलोचना के साथ, केवल उदाहरण होने से दूर है। रूस में, कुछ समय के लिए, "सही इतिहासकारों" की एक पूरी टीम है, जो तथाकथित फ्री हिस्टोरिकल सोसाइटी का गठन करती है, जिसके लिए, तीन मील के लिए, माफ करना, यह "तीन के लिए एक राइफल" और "लाल सेना द्वारा संचालित दो मिलियन जर्मन महिलाओं" ... और इन सभी सज्जनों और महिलाओं अब वे एक स्थिति में हैं और वे यह घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं कि राष्ट्रीय इतिहास की एक पूरी परत दस्तावेजी सबूतों पर आधारित नहीं है, बल्कि मिथकों पर या तो पत्रकारों द्वारा रचित है, या "इतिहासकार-कॉमिस", या किसी और द्वारा, जो उदारवाद के लिए हाथ से तैयार नहीं है। scoops। ये वही महिलाएं और सज्जन खुद को ऐतिहासिक सत्य के ऐसे अनुयायियों के रूप में उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं, जो "निश्चित रूप से जानते हैं" कि "अलेक्जेंडर मैट्रोसोव द्वारा कोई उपलब्धि नहीं थी", कि एक्सनमएक्स पैन्फिलोव्स्की "मॉस्को से नहीं मरा", जो जोया कोस्मोडेस्काया की वीरता "किसी के द्वारा साबित नहीं हुई" थी। जैसे, यह सभी ऐतिहासिक पौराणिक कथाएँ हैं, जिन्हें "शासन" ने चूर्ण किया है और सोवियत के दिमागों को पाउडर करना जारी रखता है, और अब रूसी, समाज। वे कहते हैं कि हम और केवल हम आपको सच्चाई बताते हैं, आप हमारे राष्ट्रीय इतिहास का अध्ययन करते समय हम पर और केवल हम पर भरोसा कर सकते हैं, और बाकी सब एक झूठ, एक स्कूप और एक उत्तेजना है। खैर ... आइए हम मानते हैं कि ऐतिहासिक विज्ञान, जैसा कि इसके उदारवादी "साझेदार" इसे देखते हैं, कड़ाई से अभिलेखीय दस्तावेज और पुष्टि किए गए तथ्य हैं। खैर ... बता दें कि मॉस्को के पास 28 Panfilov का करतब एक असुरक्षित तथ्य है। खैर ... इसलिए, प्रकाशक केवल तथ्यों, तथ्यों, तथ्यों को प्रकाशित करेंगे, और अभिलेखीय सामग्रियों के आधार पर, एक ही इतिहासकार मिट्रोफानोव द्वारा हरे रंग के दीपक के प्रकाश द्वारा प्राप्त किया जाएगा। अद्भुत है ... यहाँ सिर्फ एक सवाल है: इस शब्द से "ऐतिहासिक मिथकों को खत्म करने" के सिद्धांत का पालन करने वाले केवल उन पृष्ठों को ही समझते हैं जो सोवियत काल के रूसी इतिहासकारों द्वारा लिखे गए हैं? श्री मित्रोफ़ानोव को वैकल्पिक "मिथक-निर्माण" का ख्याल क्यों नहीं रखना चाहिए, अगर वह और उनके समर्थक इस तरह से इतिहासलेखन में इस घटना को कहते हैं। ठीक है, उदाहरण के लिए, इस मिथक को फैलाने से शुरू क्यों न करें कि मित्र राष्ट्रों ने वास्तव में सोवियत संघ के भाग्य और यूरोप के लोगों के बारे में नाजियों द्वारा गुलाम बनाया था, और आप समझते हैं, यह ठीक है कि मित्र राष्ट्रों ने अचानक एक दूसरा मोर्चा खोलने के बारे में सोचने का फैसला किया ... जब एक सोवियत सैनिक की मृत्यु हो गई वह मास्को के पास और स्टालिनग्राद में खड़े थे, किसी कारण से सहयोगी दूसरे मोर्चे को खोलने के लिए उत्सुक नहीं थे, और फिर, जब नाजियों का भाग्य स्पष्ट था, तुरंत बैम - ने यूएसएसआर, यूरोप के दासों, एल्बे, भ्रातृण, मुस्कान, आदि पर बैठक के लिए चिंता व्यक्त की। Veta ... जब तक पश्चिम के उदासीन सहायता - एक ऐतिहासिक मिथक है कि सभी युद्ध के बाद के वर्षों के नागरिकों उदारवाद के खिलाया अनुयायियों हैं नहीं है। उदारवादी सत्य चाहने वाले "जनरल फ्रॉस्ट" के मिथक को दूर करने की कोशिश क्यों नहीं करते, जो आप देखते हैं, मॉस्को के नज़दीक नाजियों को रोक दिया? एक पश्चिमी पत्रकार के उन पागल प्रकाशनों को जवाब क्यों नहीं दिया गया, जिन्होंने प्रेस के माध्यम से, "शहर और दुनिया को बताया" कि यूरोप में सोवियत सैनिक एक्सएनयूएमएक्स केवल वही थे जो जर्मन महिलाओं को "लूटने, मारने और बलात्कार करने" में लगे थे? ऐतिहासिक उदार मिथक के साथ सच्चाई को क्यों नहीं मारा गया कि जनमत संग्रह के दौरान एक भीड़ में "उत्पीड़ित" सोवियत नागरिकों ने यूएसएसआर को तरल करने के पक्ष में बात की थी, और बाद में पूर्व सोवियत गणराज्यों की अर्थव्यवस्था ने विकास के चमत्कार दिखाए, और गणराज्यों ने खुद को सच्ची स्वतंत्रता और लोकतंत्र की सांस महसूस की। ... बैरिकेड्स के दूसरी तरफ जो लोग हैं, उनके पास केवल विशेष रूप से पानफिलोविट्स, अलेक्जेंडर मैट्रोसोव और जोया कोस्मोडीमकाया के "दावे" हैं - अर्थात्, कौन और कौन देशभक्ति की नींव में से एक है, आत्म-बलिदान, भ्रातृत्व और पारस्परिक सहायता की विचारधारा का मूल? क्यों, हमारे उदारवादी, मेरे ईश्वर को, "मित्रों" को क्षमा कर सकते हैं, बस पत्ते नहीं खोल सकते हैं और कह सकते हैं कि उनका कार्य ऐतिहासिक सत्य को निचोड़ना नहीं है, लेकिन एक बार फिर विजय की स्मृति को त्याग देना, बलिदान के बहुत सिद्धांत रूसी (शब्द के व्यापक अर्थ में) लोग, एक आम दुर्भाग्य से पहले एकता की उनकी इच्छा। इस संबंध में, ऐसे व्यक्ति स्वयं को कम से कम स्वतंत्र इतिहासकार कह सकते हैं, हालांकि ऐतिहासिक सत्य और नैतिकता के पैरोकार, लेकिन आप जैसा कहते हैं, उसके अंदर छिपा नहीं सकते। मुझे उदारता से क्षमा करें, लेकिन यह ऐसे "चैंपियन" से बहुत ही स्पष्ट रूप से स्पष्ट है, जो जैसे ही रसोफोबिया में अपना मुंह तोड़ते हैं ... सप्ताह के परिणाम। "अन्नुष्का ने पहले ही सूरजमुखी का तेल खरीदा है, और न केवल इसे खरीदा है, बल्कि इसे डाला भी है"क्या युवा लोगों की देशभक्ति शिक्षा की समस्या का समाधान है? निजी पहल anEkeName 11 नवंबर 2015 06: 57 बैरिकेड के दूसरी तरफ जो लोग हैं, उनके पास "दावा" विशेष रूप से पानफिलोव, अलेक्जेंडर मैट्रोसोव और जोया कोस्मोडेमेन्काया के खिलाफ है - जो, देशभक्ति की नींव, आत्म-बलिदान, बंधुत्व और पारस्परिक सहायता की विचारधारा के मूल में से एक है? छद्म उदारवादियों द्वारा देशभक्ति की ऐतिहासिक जड़ों को काटने का एक स्पष्ट प्रयास - जिस पर संप्रभुता टिकी हुई है। Oleg-जीआर 11 नवंबर 2015 07: 02 एक प्रकार का हवा 11 नवंबर 2015 07: 49 देश के भीतर से देश को बर्बाद करने का प्रयास नहीं। आप जानते हैं, मैंने ओडनोकल में इस प्रवृत्ति पर ध्यान दिया। उदारवादी प्रचार अब चल रहा है, जैसा कि रूसी संघ में सब कुछ खराब है, वेतन गिर रहे हैं, पेंशनर्स, दवा सामान्य रूप से सामाजिक कार्यक्रमों द्वारा पीटा जा रहा है, वे कहते हैं कि अधिकारी उनसे खुश नहीं हैं। इसलिए जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, वास्तविक लोगों के पृष्ठ बहुत सारी टिप्पणियां लिखते हैं, ऐसा बदलाव क्यों होगा? मैं समझता हूं कि उपरोक्त के साथ हमारे देश में सब कुछ इतना सहज नहीं है, लेकिन युद्ध की स्थिति में है, और अब हमारे खिलाफ एक युद्ध चल रहा है, कई लोग विदेश में सामान, छुट्टियों और अन्य बलिदान नहीं करना चाहते हैं। यह है कि कुछ लोगों की अहंभाव, या अदूरदर्शिता। oracul 11 नवंबर 2015 08: 10 मुझे लगता है कि साठ साल के बच्चों के बीच कंप्यूटर पर इतने सारे लोग नहीं बैठे हैं। और सामान्य तौर पर, कंप्यूटर के चुनाव कई तरह से लोगों के एक विशेष तबके की राय होते हैं, जिन्हें वास्तविक आभासी दुनिया से निकाल दिया जाता है, जिसमें यह गर्म और आरामदायक है, व्यक्तिगत राय सब से ऊपर है, अगर आपको कुछ "प्राधिकरण" की अटकलों को पढ़ने और स्वीकार करने की ज़रूरत नहीं है। शीर्षकों और उपाधियों के आधार पर और केवल तोड़ने के साथ संबंधित है, बल्कि इतिहास में डूब जाता है। crazy_fencer 11 नवंबर 2015 11: 48 मुझे लगता है कि साठ के दशक में कंप्यूटर पर इतने सारे लोग नहीं बैठे हैं। जैसा कि एक अच्छा प्रोग्रामर कहता था: "सामान्यीकरण न करें, लेकिन आप सामान्यीकरण नहीं करेंगे।" उदाहरण के लिए, मैं 61 साल का हूं, और इंटरनेट की अनिवार्य उपस्थिति वाला एक कंप्यूटर मुख्य काम करने वाला उपकरण है। मुझे पूरा यकीन है कि मैं अकेला नहीं हूं। आप बेहतर युवा पीढ़ी को देखेंगे। इनमें से आधे "उन्नत उपयोगकर्ता" वास्तव में VKontakte और Facebook के अलावा कुछ नहीं जानते हैं। रक्षक 11 नवंबर 2015 19: 20 हो सकता है कि किसी ने अनुदान-भक्षण के फ़्रीथिंकर द्वारा इन कथनों पर ध्यान न दिया हो, लेकिन मैं इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि वे क्रमबद्ध रूप से कार्य करते हैं, पहले आपके मुख्य अभिलेखागार ने कहा कि 28 पैनफिलोव का कोई कारनामा नहीं था, उनके पास कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है, और उनकी स्थिति हमें यह मानने की अनुमति देती है कि वह तो हाँ पता है! इसके अलावा, यह सब मीडिया में एक सनसनी के रूप में प्रसारित होता है !! और अब एक और आंकड़ा दिखाई देता है, बहुत कुछ कहता है, ऐसे जंगलों में जाता है जहां से नाजुक युवा मस्तिष्क बाहर नहीं निकल सकता है, और अप्रत्यक्ष रूप से, सीधे नहीं बोल रहा है, यह सब बकवास उस अभिलेखीय अधिकारी के बयानों पर निर्भर करता है। सोवियत लोगों के आम अतीत पर उदारवादी हलकों का एक व्यवस्थित काम (हमला) है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फासीवाद पर जीत, हिटलर के साथ स्टालिन की बराबरी करना, जिसका उद्देश्य इसे बदनाम करना है ताकि इस तरह के विशाल विस्तार में रहने वाले लोगों के लिए कोई कनेक्टिंग, एकीकरण कारक न हो। पूर्व संघ !!! ए.बी.ए. 11 नवंबर 2015 21: 47 सोवियत लोगों के आम अतीत पर उदारवादी हलकों का व्यवस्थित काम (हमला) केवल झटका भविष्य के लिए निर्देशित है। यदि हम इन "मिथकों" को हटाते हैं, तो निकट भविष्य में हमारे पास एक कोर के बिना एक समाज है और इसे किसी भी वैचारिक समर्थन पर रखा जा सकता है। go21zd45few 13 नवंबर 2015 10: 21 उदारवादियों के साथ, सब कुछ स्पष्ट है। स्कूली शिक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है जहां इतिहास और ऐतिहासिक तथ्यों को या तो बिल्कुल नहीं माना जाता है या उन्हें विकृत रूप में माना जाता है। स्कूल के पाठ्यक्रम को 90 के दशक में पश्चिम के संपादकीय के तहत रखा गया था। आगे, किन फिल्मों पर युवाओं को लाया जाता है। आतंकवादियों, हत्याओं, भ्रष्टाचार, किसी भी तरह से समृद्ध होने की प्यास। और पवित्र कुछ भी नहीं। Zlatik 12 नवंबर 2015 06: 54 ये "इतिहासकार" - 5 वां स्तंभ - एक आरा के साथ देखने के लिए 20-मीटर जंगल भेजने के लिए उच्च समय है! OlegLex 12 नवंबर 2015 20: 05 ओह, मुझे नहीं पता, मुझे पता नहीं है, साठ साल के बच्चे वे हैं जो या तो जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे या पहले से ही सेवानिवृत्त हैं, जिन्होंने कम से कम हाल के वर्षों में कम से कम कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ काम किया है या जिनके बच्चे कंप्यूटर के साथ पोते हैं, वे भाग नहीं लेते हैं, आप "सहपाठियों" के प्रकार को देखते हैं। 60 से अधिक उम्र की तलाश में और जीवन की सच्चाई को समझें। patr 11 नवंबर 2015 08: 30 और यह हमेशा से रहा है। उदाहरण के लिए WWII को लें। बंदूक किसके नीचे लगी? खाइयों में कौन मर रहा था? बकवास के अभाव के बारे में हर कोने पर चिल्लाते हैं और नियमित रूप से टैंक के लिए दूतावासों में नहीं जाते हैं, लेकिन साधारण आईवीएएनएस और मैरी !!! तो यह अब होगा। मुझे विश्वास है, सब कुछ खो नहीं है !!! लेकिन युद्ध पहले से ही चल रहा है। केवल कुछ नहीं कर सकते हैं, या शायद यह समझना नहीं चाहते हैं। Talgat 11 नवंबर 2015 09: 22 बेशक, यूएसएसआर में भी प्रचार था, और शायद कुछ तथ्य "कलात्मक रूप से" व्याख्या किए गए थे लेकिन उदारवादियों का लक्ष्य ऐतिहासिक सत्य को स्थापित करना नहीं है - उनका लक्ष्य यूएसएसआर को पूरी तरह से बदनाम करने के लिए कुछ विवरणों का उपयोग करना है और द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत लोगों के पराक्रम के महत्व को कम करना है। समाज में देशभक्ति की निराशा और अस्वीकृति को बोना - ये बाहरी दुश्मनों का लक्ष्य हैं वास्तव में, विवरण इतना महत्वपूर्ण नहीं हैं, मुख्य बात यह है कि हम सभी समझते हैं कि पैनफिलोव डिवीजन में एक जगह थी - यह वास्तव में कजाकिस्तान और किर्गिस्तान में भर्ती किया गया था और वास्तव में मास्को के पास की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमारा नायक असली है - बौरज़ान मोमीश उली - मॉस्को के पास सबसे उत्पादक कमांडरों में से एक। सोवियत लोगों और देश के नेतृत्व का पराक्रम वास्तविक है सांता फ़े 11 नवंबर 2015 10: 01 सबसे अच्छा स्मारक अब तक का सबसे अच्छा स्मारक! इंगवार 72 11 नवंबर 2015 10: 31 हाय ओलेग! यह एक बेहतर है! सांता फ़े 11 नवंबर 2015 10: 49 यह एक बेहतर है! नहीं, आपके पास स्मारक का एक अरण्य है मातृभूमि का अर्थ शांति की पुकार है इंगवार 72 11 नवंबर 2015 11: 44 स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी एक स्मारक नहीं है, बल्कि सत्ता के एक दास को आकर्षित करने का प्रतीक है। मच्छरों के लिए दीपक-जाल का प्रकार। शांति के लिए एक सुंदर कॉल - आप एक तलवार के साथ आएंगे - आप ल्यूली को रेक करेंगे! अनुलेख और मुझे रास्टरियाव भी पसंद है! शांत 12 नवंबर 2015 17: 44 शांति के लिए सबसे मजबूत आह्वान! जो कोई तलवार लेकर हमारे पास आएगा वह तलवार से मिट जाएगा। (सेंट अलेक्जेंडर नेव्स्की) मुक्त 12 नवंबर 2015 08: 47 अपना हाथ काट दो! ए.बी.ए. 11 नवंबर 2015 21: 50 लगता है कि सेंसर चार्ली एब्दो की तरह है OlegLex 12 नवंबर 2015 20: 08 आप गंदगी से पवित्र चीजों को नहीं मिला सकते हैं। ऋण kalibr 11 नवंबर 2015 14: 02 यहां तक ​​कि पूर्वजों को भी पता था: शैतान हमेशा छोटी चीजों में छिपा रहता है! (इस मामले में - विवरण में!) mrARK 12 नवंबर 2015 14: 02 जब आप उदार-नैतिक बकवास पढ़ते हैं, तो मैं एक बार फिर आधुनिक पैनफिलोव उदारवादियों के बारे में एक कहानी बताना चाहता हूं। पढ़ें। नायकों (कहानी) की विशेषता - 2011.11.19 ... इतिहासकार मिरेंको ने गधे में एक किक महसूस की और खाई के जमे हुए तल तक गिर गया। फिर भी विश्वास नहीं हो रहा था कि क्या हो रहा है, उसने उठकर देखा। एक अर्धवृत्त में खाई के किनारे पर लाल सेना के सैनिक थे। "और हम पीछे हैं," सेनानियों में से एक ने जवाब दिया। - दोस्तों और मैं अपनी मातृभूमि के लिए, स्टालिन के लिए मरने की सोच रहे थे, लेकिन चूंकि हम एक मिथक हैं, इसलिए हमें कुछ भी नहीं करने के लिए गोलियां लेनी चाहिए! अपने लिए लड़ो! mrARK 12 नवंबर 2015 14: 07 "नहीं, कॉमरेड," पैनफिलोव में से एक ने उसे जवाब दिया। "अब आपके पास कोई नहीं है।" केवल जी ई और हाँ तुर्क। - और वे कौन हैं? - जर्मन निर्दिष्ट। Captain45 के साथ रीपोस्ट: gorefest7777 13 नवंबर 2015 09: 21 महान कल्पना !!!! यह सच होगा कि ये डोडर्स कम से कम एक घंटा वहाँ रहते हैं, ताकि हमारी आत्माओं को गंदगी से बचाने के लिए गंदगी न करें! सील 12 नवंबर 2015 14: 56 राजनीतिक प्रशिक्षक सबसे आगे? कैसी बकवास है? सोरोकिन 13 नवंबर 2015 16: 49 वे टोह में थे, और खोज में निकल गए। तथ्य यह है कि वे तैयार नहीं थे और बेवकूफों की कमी भी सच है। दादाजी ने बताया। लेकिन वहाँ थे। और बहुत आगे की लाइन पर और धारियों को जोड़ा नहीं गया था। उन्होंने उन्हें पहले समाप्त किया और नॉकआउट कर दिया। सील 12 नवंबर 2015 14: 54 नहीं। विवरण केवल महत्वपूर्ण हैं। ताकि देशभक्ति की नीरसता के बिना अधिक युद्ध को रोका जा सके। माननीय 11 नवंबर 2015 13: 01 और यह हमेशा से रहा है। उदाहरण के लिए WWII को लें। बंदूक किसके नीचे लगी? खाइयों में कौन मर रहा था? खैर, हम अब खाइयों में कहाँ हैं? शेयर बाजारों और बैंकों पर। शांत 12 नवंबर 2015 17: 56 यहूदी से लेकर चीनी तक समान रूप से - व्यवसायी पुरुष, यहाँ यह है - दुनिया का आदान-प्रदान! यहाँ वे हैं - सभी देशों के बदमाश। (यसीन) सील 12 नवंबर 2015 14: 49 दिग्गजों की यादें पढ़ें। राजनीतिक कार्यकर्ता विशेष रूप से अपने मोटे गधे को आगे की पंक्तियों से दूर रखने के पक्षधर नहीं थे। और ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने हजारों जर्मनों को नष्ट करने के बारे में परियों की कहानियों का आविष्कार किया। फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं ने केवल इस बकवास के जवाब में कड़वाहट भरी, क्योंकि युद्ध बहुत खून के साथ हुआ और आंशिक रूप से ऐसे मूर्ख विचारकों के कारण जो अपनी सारी टोपियाँ फेंकने वाले थे। 41 वें वर्ष में 3 मिलियन कैदी कहां आए? लेकिन ये बहुत ही किसान थे जो सामूहिक खेतों पर कमबख्त कार्यदिवसों के लिए लड़ाई नहीं करना चाहते थे, जहां वे आपको इस तथ्य के लिए चार्ज करना चाहते थे कि आप बच्चों को खिलाने के लिए एक अतिरिक्त गाय चाहते थे। शायद लोगों को सच बताने का समय आ गया है? उन्हें किन कठिनाइयों को सहन करना चाहिए और उनके लिए क्या लड़ना चाहिए? नेतृत्व की महत्वाकांक्षी महत्वाकांक्षाओं के लिए? mishaia_23 11 नवंबर 2015 09: 30 आप जानते हैं, मैंने ओडनोकल में इस प्रवृत्ति पर ध्यान दिया। उदारवादी प्रचार अब चल रहा है, जैसा कि रूसी संघ में सब कुछ खराब है, वेतन गिर रहे हैं, पेंशनर्स, दवा सामान्य रूप से सामाजिक कार्यक्रमों द्वारा पीटा जा रहा है, वे कहते हैं कि अधिकारी उनसे खुश नहीं हैं। व्यवस्थापक। आपको वास्तव में इन पृष्ठों को ब्लॉक करने की आवश्यकता है ... ईमानदारी से ये पहले से ही मिल गए русофоहोगा माननीय 11 नवंबर 2015 13: 05 और विचार बाहर ब्लॉक? यदि आप अपने आप को ऐसे मूड से दूर करते हैं, तो मूड कहीं भी नहीं जाएगा, बस आपको उनके बारे में नहीं पता होगा। एलेक्सी-74 11 नवंबर 2015 09: 52 ठीक से देखा…। नीचे का घर 11 नवंबर 2015 10: 18 इसलिए जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, वास्तविक लोगों के पृष्ठ बहुत सारी टिप्पणियां लिखते हैं, ऐसा बदलाव क्यों होगा? नव्रीतली ये असली लोग हैं, बल्कि साधारण पेड बॉट्स हैं जो वास्तविक लोगों को "अनुभव के साथ" कहते हैं। varov14 11 नवंबर 2015 21: 56 कुछ मुझे बताता है कि यह साठ के दशक के बारे में बकवास है। मैं सत्तर के करीब हूं, मैं कंप्यूटर के अनुकूल हूं, लेकिन मैं घरेलू राजनीति में बहुत पसंद नहीं करता हूं, हम बहुत लंबे समय तक दोहन करते हैं, लेकिन वैसे भी, रूस के मुख्य दुश्मन हैं। उन्होंने इतिहासकारों को पाया, अब जीवनकाल में एक व्यक्ति अपने पड़ोसी की रक्षा के लिए एक हथगोले पर झूठ बोल सकता है, और सामान्य तौर पर युद्ध को परिभाषा द्वारा आत्म-बलिदान की आवश्यकता होती है। सुनो इन सूअरों ने खुद का सम्मान नहीं किया, सीरिया में, हवाई क्षेत्र ने एक साल तक गैरीसन को रखा, और हम रूसियों को हमारे सारे जीवन से घिरे रहे हैं, हमें इस उदारवादी सांचे को खत्म करना होगा, राज्य शरीर स्वस्थ होगा। शांत 12 नवंबर 2015 18: 11 गंदी साँचे के साथ लगातार और सतर्कता से लड़ना चाहिए। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यह अविनाशी है। यह दुबक सकता है, और फिर भी यह अपनी सारी महिमा में सामने आएगा। व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए, उसे नींव और दीवारों में गहराई से घुसने नहीं देना चाहिए। और फिर, यूएसएसआर की तरह, यह कचरा नष्ट हो सकता है और नष्ट हो सकता है। शांत 12 नवंबर 2015 18: 04 किसने मुझे बॉट्स में रिकॉर्ड किया? माननीय 11 नवंबर 2015 13: 00 और अब हमारे खिलाफ युद्ध चल रहा है, और देश का नेतृत्व, राज्य निगमों के प्रमुख और अन्य, युद्ध के बारे में जानते हैं? कुछ ध्यान देने योग्य नहीं है। प्रतिनियुक्तों का वेतन दोगुना हो गया "सामने वाले के लिए सब कुछ, जीत के लिए सब कुछ" एक प्रकार का हवा 11 नवंबर 2015 17: 24 और देश के नेतृत्व, राज्य निगमों के प्रमुख और अन्य, युद्ध में युद्ध के बारे में? मैं आपको अपने वाक्यांशों के साथ जवाब दूंगा। सील 12 नवंबर 2015 15: 18 सिरोको, आप शायद एक सिविल सेवक या डिप्टी हैं? mervino2007 13 नवंबर 2015 00: 22 कई लाभ का त्याग नहीं करना चाहते हैं प्रिय, इन पुराने लोगों को कैसे बलिदान करना चाहिए? की तुलना में? किस रूप में? और सबसे महत्वपूर्ण बात - क्यों? दूर मत करो, युद्ध युद्ध है, और धन दौलत है, यह बढ़ रहा है। गरीबी भी। यहाँ आप कुलीन वर्गों की ओर रुख करेंगे। उसी के साथ। लेकिन गंभीरता से कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। हर समय हमारी कुलीन अपनी जेब के बारे में सोचती है, और फिर सामान्य के बारे में। इसलिए, 1612 की परेशानी। और सम्राट पॉल की मृत्यु - उनके कार्य। और अब? बूथ जारी है ..... कच्चा लोहा 13 नवंबर 2015 22: 56 ठीक है, हाँ, नौकरशाहों के साथ कुलीन लोग कुछ भी बलिदान नहीं करेंगे, क्योंकि उनके लिए बेल्ट आबादी के गले में खींची जाएगी))) Ded_smerch 11 नवंबर 2015 08: 41 प्रयास नं। मैं मानता हूं, ये "इतिहासकार" 80 के दशक के मध्य से हमें बता रहे हैं कि हमारा इतिहास गंदगी और डरावना है। यह सब इतनी नियमितता के साथ होता है कि जब कोई नई लहर शुरू होती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं देता। मेरे लिए, यह 30 साल से कम नहीं हुआ है, और इंटरनेट की उपस्थिति अधिक ध्यान देने योग्य हो गई है। सील 12 नवंबर 2015 14: 58 अगर वहां वह खुद बड़े नुकसान के साथ नाजियों के कई हमलों से बच गया, क्योंकि बचाव के लिए कुछ भी नहीं है। और फिर जर्मन मशीन गन आपको माथे में ले जाएगी - तब मैं आपकी बात सुनूंगा। गन्या 12 नवंबर 2015 17: 21 THE_SEAL (3) आरयू और यदि आप, प्रिय, रक्षात्मक भी नहीं डालते हैं, लेकिन आपको चाकू के साथ नशे में धकेलते हैं, तो आप क्या करेंगे? सोफ़े पर बैठते समय और वश में करने के कारण यह करना अच्छा है, और यदि हां, तो वास्तव में? शांत 12 नवंबर 2015 18: 24 मैंने देखा, वास्तविक, आधुनिक जीवन में, एक व्यक्ति ने 6 शराबी लोगों को कैसे दौड़ाया, दो को अपने पैरों से मारते हुए। यह कमांडो नहीं था। उसने सेना में (दृष्टि से) सेवा भी नहीं की। और उसने उन्हें खदेड़ दिया। रूसी लोग हैं, रूसी आत्मा है, रूसी पृथ्वी पर है! सांचे को बंद करो! आपको जवाब रखना है! और, मैं एक महिला को भी जानता हूं, जब एक डाकू ने अपने पति पर बंदूक तान दी थी। मैंने बोतल को तोड़ा और खलनायक के गले में डाल दिया ... और मातृभूमि की रक्षा करें ... कई लोग और पैनफिलोव्स्की और नाविक ... बन सकते हैं। शक मत करो!!! और यह भी, मैं कहना चाहता हूं। हर कोई खुद से दूसरों का न्याय करता है! इसलिए यह देखना आसान है कि हमारे सामने कौन है! Ded_smerch 13 नवंबर 2015 08: 28 खैर, फावड़ियों और टुकड़ियों से कटिंग के बारे में हमें पूरी सच्चाई बताएं, लंबे समय से मैंने आपकी "विशेषज्ञों" की बात नहीं सुनी है। इंगवार 72 11 नवंबर 2015 10: 36 "पेरेस्त्रोइका अधीक्षकों" के लिए उम्मीदवार लाइन में खड़े हैं उम्मीदवार वही हैं। सर्गेई मिरोनोव की जीवनी की खोज करते समय, एक तथ्य दुर्घटना (लेकिन स्वाभाविक रूप से) द्वारा सामने आया। यहूदी इतिहासकार और शिक्षक सर्गेई मिट्रोफानोव साशा 19871987 11 नवंबर 2015 14: 40 मैं उदारवादियों को केवल एक ही बात बता सकता हूं - वे विजेताओं का न्याय नहीं करते ... हमारे नायकों को स्पर्श नहीं करते हैं, शताब्दी से शताब्दी तक रूस की उपलब्धियां माताओं को परेशान कर रही हैं !!! सील 12 नवंबर 2015 15: 00 नायकों को छुआ नहीं जाना चाहिए। लेकिन युद्ध के बारे में सच ही कहा जाना चाहिए। ताकि पीढ़ियों को एक और कत्लेआम शुरू करने का मोह न रहे। mrARK 13 नवंबर 2015 18: 47 लेकिन युद्ध के बारे में सच ही कहा जाना चाहिए। ताकि पीढ़ियों को एक और कत्लेआम शुरू करने का मोह न रहे। युद्ध के बारे में सच्चाई हमारी जीत है। युद्ध के बारे में सच्चाई - ये वे नायक हैं जो हमारे लिए जाने जाते हैं जिन्होंने अपने जीवन को दिया। असली प्रचार अपने आप को हरा नहीं सकता। और यहां तक ​​कि अगर महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के समय के प्रचारकों ने कुछ किया, तो यह राष्ट्रीय भावना को बढ़ाने के लिए किया गया था, न कि पुरस्कार और सितारों को प्राप्त करने के लिए। ज्यादातर लोग हमारी जीत के बारे में मिथकों के साथ रहते हैं, क्योंकि लगभग कोई जीवित स्रोत नहीं हैं। और इन मिथकों को नष्ट करते हुए आप राष्ट्रीय भावना, विजेताओं के दादाओं में विश्वास को नष्ट करते हैं। और आप बस रूसी लोगों को एक संभावित हमलावर के खिलाफ रैली करने की क्षमता खो देने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल यह है कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? यदि आप एक इतिहासकार हैं, तो अपने स्वयं के वैज्ञानिक पत्रिकाओं में ऐतिहासिक तथ्यों की सटीकता के बारे में बहस करें। और लोगों को मत छुओ। और तीन में से एक राइफल के बारे में बेवकूफ उदारवादी मूर्खतापूर्ण चीजों को नहीं छापना चाहिए, सीमा की टुकड़ी, जिन्होंने अपने खुद को गोली मारी, जुर्माना, जिन्होंने युद्ध जीता, हमारे सैनिकों की टुकड़ियों ने खाइयों को कवर किया। प्रश्न: लगभग सभी उदारवादी एक विशेष जातीय समूह के क्यों हैं? अक्कल_07 11 नवंबर 2015 17: 11 अच्छा मैं नहीं! उदारवादी रूस को तोड़ने की कोशिश करने के लिए 80 के दशक के उत्तरार्ध की चाल को एक और "पीपुल्स डेप्युटीज के अंतर्राज्यीय ब्लॉक" के निर्माण के साथ दोहराने में सक्षम नहीं होंगे! एक बदमाश 11 नवंबर 2015 20: 45 देश के भीतर से नष्ट करने का # प्रयास ...। "पेरेस्त्रोइका अधीक्षकों" के लिए उम्मीदवार लाइन में खड़े हैं बदले में कतार। बीएमपी-2 11 नवंबर 2015 21: 00 VIA "इतिहासकार" किसी और की धुन पर गाता है। और अगर वे अतिरिक्त भुगतान करते हैं, तो वे भी नृत्य करेंगे! सोफिया 12 नवंबर 2015 10: 04 वह पक्का है! और वे नृत्य करेंगे और प्रदर्शन दिखाएंगे। और इनमें से कितने "के माध्यम से" हैं, जो हर चीज में खुद के लिए एक नाम बनाते हैं। नहीं, उन्होंने खुद देशभक्ति दिखाई होगी। गन्या 12 नवंबर 2015 17: 25 और क्यों, वे पहले से ही अनुदान पर अच्छी तरह से रहते हैं: उस देश पर कीचड़ डालना जानते हैं जिसमें आप बड़े हुए और शिक्षा प्राप्त की। सील 12 नवंबर 2015 15: 16 युद्ध के बारे में सच्चाई बताना देश को बर्बाद करना है? यार, तुम एक दिन के लिए खाइयों में होने की जरूरत है। शांत 12 नवंबर 2015 18: 31 किसके पास कुछ सत्य है! Ded_smerch 13 नवंबर 2015 08: 33 आप अभी भी "आप करेंगे ..." के बारे में क्यों नहीं पूछ रहे हैं? जैसा कि आप पहले ही "सत्य बकवास" ऊब चुके हैं Starover_Z 11 नवंबर 2015 07: 05 इतिहास की धारा और राज्य के अस्तित्व के अधिकार के लिए युद्ध में मरने वालों के स्थान को मोड़ने की कोशिश करते हुए, मित्रोफानोव और सह अभियान ने केवल खुद को आधुनिक राजनीतिक यूरो-समलैंगिकों के रूप में पहचाना! अलेक्जेंडर रोमानोव 11 नवंबर 2015 07: 48 100 साल बीत जाएंगे और इतिहासकारों की भीड़ लग जाएगी जो कहेंगे कि कुर्स्क बुलगे पर कोई लड़ाई नहीं हुई थी और कोई ब्रेस्ट फोर्ट्रेस नहीं था। और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जो लोग विश्वास करेंगे और कहेंगे वे अपने आश्चर्य पर आएंगे। हां, आपने अगले गूमलेव के कार्यों को पढ़ा, उन्होंने सब कुछ अलमारियों पर रख दिया। aleks_29296 11 नवंबर 2015 10: 26 सब कुछ युवा लोगों के पालन-पोषण पर निर्भर करेगा कि वे किस मूल्यों में उसकी भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वह ऐतिहासिक स्मृति का वाहक है। और इसलिए, यदि युवा अब तथाकथित ड्राइव करते हैं वैकल्पिक इतिहास, समय के साथ, जो ऐतिहासिक घटनाओं के गवाह थे, वे मर जाएंगे, और ... नई वास्तविकता में आपका स्वागत है। यूक्रेन इसका जीता जागता उदाहरण है। शांत 12 नवंबर 2015 18: 33 यूक्रेन इसका जीता जागता उदाहरण है। एक भयानक उदाहरण। perm23 11 नवंबर 2015 10: 56 पूरी प्रवृत्ति यह है कि हम रूसी हमेशा से हैं और हर चीज के लिए दोषी हैं, हमारे साथ सब कुछ गलत है, सब कुछ गलत है। हम सभी को हर चीज के लिए माफी मांगनी होगी। हमने ईमानदारी से यह सब हासिल किया है। और सबसे बुरी बात यह है कि देश वास्तव में किसी के बारे में अफवाह फैलाना चाहता है और झूठ बोलना और उसे उजागर करना चाहता है, कोई अपने इतिहास में सिर्फ एक बार फिर से अपने लोगों में थूकता है। हां और शक्ति इस पर होने के नाते, माफी भी मांगता है। हम ISIS पर बमबारी करते हैं और यह सब सबूत क्यों है कि हमने अस्पताल में खत्म नहीं किया है, हम बहुत अच्छे हैं। पश्चिम कुछ साबित करने के लिए बेकार है, उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है, कोई भी सच्चाई के लिए नहीं लड़ रहा है। यूएसए और ईयू, जब उन्होंने यूगोस्लाविया, इराक, लीबिया पर बमबारी की, तो किसी से माफी नहीं मांगते हैं कि वे वहां नहीं पहुंचे। यह लेनिन के लिए इस अंतहीन माफी को खत्म करने का समय है, स्टालिन के लिए, कैटिन के लिए, यूएसएसआर के लिए, आदि। कोई हमसे माफी नहीं मांगता, न कि इटली, स्पेन, हंगरी, रोमानिया, जिसके लिए उन्होंने हमारे खिलाफ नाजियों की श्रेणी में लड़ाई लड़ी। 20 वर्षों में यातनाग्रस्त रूसियों के लिए पोलैंड नहीं। कोई नहीं। और इन सभी स्क्रिबब्लर और छद्म इतिहासकारों ने हमारे इतिहास को अपने गंदे हाथों से छूने के लिए पर्याप्त है। सर्जी एस। 11 नवंबर 2015 22: 37 हां, आपने अगले गूमलेव के कार्यों को पढ़ा, उसने सब कुछ अलमारियों पर रख दिया। एक एल.एन. तब गमिलेव? उन्होंने अपने व्याख्यानों को सुना, कुछ भी राजद्रोही नहीं सुना। गुमीलोव "देसा एंड स्टेप" के बीच संघर्ष के सिद्धांत के विरोधी थे, और उन्होंने भौगोलिक (नृवंशविज्ञान) कारक को ध्यान में रखने की आवश्यकता के विचार का बचाव किया। केवल कुछ जिद्दी "इतिहासकार" सहमत नहीं थे ... उन्हें ट्राइफल्स पर दोष खोजने के लिए कुछ मिला .... लेकिन उन्होंने भी एल.एन. के सार का खंडन नहीं किया। Gumilyov। GAF 12 नवंबर 2015 00: 13 "और एलएन गिमिलोव के बारे में क्या?" ठीक है, बिल्कुल। एक समय में, उन्होंने कुछ जातीय समूहों की पूंछ पर नमक डाला, उनकी तुलना एक स्वस्थ शरीर में वायरस से की। यह अभी भी जलता है। वे किसी भी तरह से शांत नहीं हो सकते। विक्टर jnnjdfy 11 नवंबर 2015 07: 09 फ्रंटलाइन अखबारों के अधिवक्ताओं ने काम किया जैसे वे कर सकते थे। उनमें कल्पना की कितनी कमी थी। मैं चाहूंगा कि हमारी "ऐतिहासिक जड़ें" सच हों। इसके अलावा, हमारे पास हमेशा नायक थे और मातृभूमि के नाम पर आत्म-बलिदान के उदाहरण थे। लेकिन कभी-कभी ऐसा हुआ कि संपादकीय कार्यालय में बैठकर किसी चीज के साथ आने के लिए प्रचार के मोर्चे के लिए यह आसान और आसान था। अब यह पता लगाने की जरूरत नहीं है कि कौन हीरो था। लोग अपने देश के लिए लड़े और मरे। और भविष्य के लिए, यह निष्कर्ष निकालने के लिए कि श्री मिट्रोफानोव्स के पास "काटने" के कम कारण थे। mirag2 11 नवंबर 2015 07: 52 क्षमा करें, लेकिन इन "इतिहासकारों" के गधे में ... यहां ऐसे "इतिहासकारों" का असली चेहरा है - वे सभी एक ही बेरी क्षेत्र (+ 18, अश्लीलता) के हैं: kalibr 11 नवंबर 2015 08: 00 हां, लेखक को इस पर भी ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक जर्मन अधिकारी से प्राप्त ज़ो की एक तस्वीर है। वे दिखाते हैं कि जवान लड़की ने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान दे दी। और क्या दे सकते हो? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसने क्या किया या नहीं किया। वह मातृभूमि के लिए लड़ते हुए मर गई! इसलिए आधार को लेकर कोई समस्या नहीं हैं। Panfilovites ... यह पता लगा कि लेख के लेखक इसके साथ आए या नहीं। तो यह निकला या नहीं? यही महत्वपूर्ण है! हमने इसे समाचार पत्र प्रवीडा में पढ़ा, उनके इस कारनामे का वर्णन इंग्लैंड में कॉमरेड झेडानोव (हमारे पास एक ऐसा पार्टी नेता) था। चूँकि उन्होंने इसका वर्णन किया, ओह, इसका वर्णन नहीं करना बेहतर होगा। जर्मन ... उनके साथ। 1995 की सालगिरह तक, हमने अपनी सेना के अधिकारियों द्वारा लिखित पुस्तक "सोवियत लोगों की महान विजय का मनोविज्ञान" प्रकाशित किया, जहां, रक्षा मंत्रालय के अभिलेखागार के लिंक के साथ, यह रेगिस्तान और स्व-बंदूकधारियों और लगभग 500 हजार आपराधिक मामलों की सूचना दी गई थी। उल्लुओं के खिलाफ उत्साहित। युद्ध के लिए सैनिक। और 80 हजार अधिकारी! लेकिन ... अपराधों के SEPARATE TYPES के लिए, वे विघटित नहीं होते हैं, अर्थात्, विघटित हो जाते हैं, लेकिन यह अभी भी गुप्त है। यह स्पष्ट है कि बलात्कार थे, और वाक्य थे ... कितना वास्तव में? गुप्त! तो हम क्यों आश्चर्यचकित हैं कि लोग "वहां" इसका उपयोग करते हैं और हमारे ऊपर ढलान डालते हैं? और इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए? यह और भी गुप्त था जहां स्तंभ के टैंक ALEXANDER NEVSKY को रूसी रूढ़िवादी चर्च के धन के साथ भेजा गया था। हमने यह केवल हाल ही में सीखा है, लेकिन सोवियत काल में यह एक SECRET था! इसलिए ऐतिहासिक सत्य का मुद्दा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। जब तक सब कुछ स्पष्ट नहीं हो जाता है, तब तक कुछ व्यक्तिगत अशुद्धियों और "अज्ञात" पर अटकलें लगाने वाले लोग होंगे। वे उन्हें घोषित करेंगे सिद्धांत के अनुसार "पेड़ों के लिए जंगल दिखाई नहीं देता है", और "कमजोर दिमाग" उन्हें आश्वासन देगा - "सभी झूठ!" और इसलिए यह जारी रहेगा अगर सब कुछ जैसा है वैसा ही बचा रहे! oracul 11 नवंबर 2015 08: 35 मुझे आशा है कि आपके विचार शुद्ध होंगे। लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि इतिहास के तराजू पर हमेशा सच्चाई और झूठ होता है। इसलिए, यदि आप घृणा की तलाश में इतिहास के इतिहास के माध्यम से परिश्रम करते हैं, तो वे वास्तव में थे। यदि वे 27 मिलियन लोग, जिनमें से अधिकांश नागरिक, देश के सबसे औद्योगिक हिस्से, शहरों और गांवों का सबसे अधिक औद्योगिक हिस्सा नष्ट हो गया, अगर बहुत से प्रियजनों को खो दिया गया, तो वे लाखों लोगों के आंदोलन में आ गए तो वे कैसे नहीं हो सकते? लेकिन सच्चाई अलग है: पार्टी और स्टालिन ने व्यक्तिगत रूप से हिंसा का आह्वान नहीं किया, इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि "हिटलर आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन जर्मन लोग रहते हैं," जो लोग इस रेखा को पार कर गए थे, उन्हें न्याय के लिए लाया गया था, निष्पादन के लिए सही। क्या हम अब भी फासीवाद को हराने के लिए माफी मांग सकते हैं? जर्मन महिलाओं के लिए, मैं यह कहूंगा: उनमें से कई परिवार के लिए भोजन के लिए अमेरिकियों या रूसियों के साथ सोने के लिए तैयार थे। फिर ऐसा करने वालों को बहाना बनाने का समय आ गया, और फिर पश्चिमी इतिहासकार पहले से ही भाग गए - रसोफोबेस और यह शुरू हुआ - हिंसा, हिंसा ... हमें खुद का, अपने देश का, अपने लोगों का और अपने पराक्रम का सम्मान करना चाहिए क्योंकि स्टालिन ने जवाब दिया टीटो जब उसने पेश किया यूगोस्लाविया की मुक्ति के दौरान व्यक्तिगत सैनिकों और अधिकारियों के व्यवहार का दावा: हाँ, तथ्य हैं, लेकिन यह विक्ट्री (मेरी प्रस्तुति में) के लिए जो किया गया है उसे नकार नहीं सकते। बहनों में बदलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वे नहीं हैं, सौभाग्य से, जो इतिहास बनाते हैं, लेकिन लोग स्वयं। kalibr 11 नवंबर 2015 08: 59 लियोनिद! आपको नहीं दोहराने के लिए, मैं खुद को सीमित करूँगा: हाँ, हाँ, हाँ! और मैंने एक बार माकारेविच (यहां!) पर एक लेख में लिखा था कि दादाजी शुकर ... की बाड़ पर शौचालय नहीं था, लेकिन हम अभी भी एक महान लोग हैं और हमारा इतिहास महान और दुखद है। और इसमें सब कुछ था, हाँ, लेकिन यह हमारी कहानी है! और जो अपनी जटिलताओं को समझने की कोशिश कर रहा है, उसे महान अनुसंधान के क्षेत्र में एक महान कार्य होना चाहिए। और ऐसा नहीं है - आह-आह, कोई डेटा नहीं है ... तो हर कोई यहाँ झूठ बोला, हर कोई ... "रूस खो गया है!" यह भी असंभव है और यह कोई विधि नहीं है! perm23 11 नवंबर 2015 08: 43 फिर एक युद्ध हुआ, एक भयानक युद्ध हुआ, बहुत कुछ हुआ, लेकिन अब आपको यह सब नहीं करना होगा, एक अलग समय था और आज आपको खाई में नहीं बल्कि मेज पर बैठना चाहिए, और मृत सैनिकों को दिए गए जीवन का आनंद लेना चाहिए, यह पता करें कि तब क्या था और कैसे था। आपको बस मृत नायकों के प्रति आभारी होना होगा। आपको बस लोगों के होने की आवश्यकता है। आप यह क्यों जानते हैं कि किसने और कितने का बलात्कार किया, किसके लिए बैठा, किसने कितना खटखटाया, वास्तव में इस जंक्शन पर कौन था या नहीं। वे सभी नायक हैं और सभी हैं। kalibr 11 नवंबर 2015 09: 03 यदि आप अपने तर्क का पालन करते हैं, तो बढ़ती संख्या में इस तरह का हमला जारी रहेगा। इसलिए, कानून के दृष्टिकोण से, लोगों ने कुछ भी आपराधिक नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि वे सिर्फ अपना मुंह बंद नहीं कर सकते हैं। चंचलता 11 नवंबर 2015 09: 25 इसलिए ऐतिहासिक सत्य का मुद्दा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। जब तक सब कुछ स्पष्ट नहीं किया जाता है, तब तक कुछ व्यक्तिगत अशुद्धियों और "अज्ञात" पर अटकलें लगाने वाले लोग होंगे। वे उन्हें घोषित करेंगे सिद्धांत के अनुसार "पेड़ों के लिए जंगल दिखाई नहीं देता है", और "कमजोर दिमाग" उन्हें आश्वासन देगा - "सभी झूठ!" और इसलिए यह जारी रहेगा अगर सब कुछ जैसा है वैसा ही बचा रहे! जब तक देश में एक स्पष्ट और सटीक विचारधारा नहीं है, तब तक ऐसे इतिहासकार युवाओं को बेवकूफ बनाने के लिए इतिहास को विकृत करेंगे। डलास योजना कैसे थी? "हमें इस तरह के प्रचार को अंजाम देना चाहिए ताकि वे फिर से यंग गार्ड और कोस्मोडेमेन्स्काई सदस्य न बना सकें।" यह सब योजना के अनुसार चल रहा है। इसके अलावा, उन लोगों के लिए यूएसएसआर को बदनाम करना बहुत आवश्यक है जिन्होंने लोगों की संपत्ति - कारखानों, कारखानों, जमीनों को जब्त कर लिया। एक तरफ, ऐसा लगता है कि आप सब कुछ के साथ गलती नहीं पा सकते हैं, लेकिन आप प्रशंसा नहीं कर सकते हैं, अन्यथा लोग सामाजिकता के बारे में स्पष्ट रूप से याद करेंगे। इसलिए, इतिहास के सबसे उज्ज्वल, वीर पृष्ठों को बदनाम करना आवश्यक है। लेकिन असली ISTROIYA अपनी जगह पर सब कुछ डाल देगा। एक शब्द दीजिए। kalibr 11 नवंबर 2015 10: 33 लेकिन असली ISTROIA अपनी जगह पर सब कुछ डाल देगा। एक समय सीमा दें। क्या आप जानते हैं कि सैन्य अभिलेखागार में हमारे कई डेटा को 2045 तक वर्गीकृत किया गया है? क्या यह वह अवधि है जो आप देते हैं? अब उन्हें क्यों नहीं खोला, हुह? रेंजर 11 नवंबर 2015 21: 51 संग्रह को पढ़ें "गोपनीयता की मुहर हटा दी गई है" (सामान्य-पत्र क्रिवोशेव (रूसी संघ की महासभा) द्वारा संपादित - यह सिर्फ पहली और मुझे आशा है, लेकिन देश को चकमा देने वाले त्रासदी के सही पैमाने को दिखाने का आखिरी प्रयास नहीं ... उन लोगों के लिए जो विशेष रूप से सतर्क हैं - एक वृत्तचित्र संग्रह - पेशेवरों द्वारा तैयार - राज्य विभाग ने तैयारी में भाग नहीं लिया ... kalibr 11 नवंबर 2015 22: 23 तो क्या? मॉस्को क्षेत्र के विशाल संग्रह पर एक छोटा संग्रह। क्या आपको पता है कि बुक ऑफ़ द वॉयलेट ऑफ़ द SOVIET PEOPLE, प्रोमेथियस, टवर, 1995 g। (मिलिट्री का सामूहिक, सभी के संग्रह पर MO) के संग्रह में PSYCHOLOGY की पुस्तक के कितने पृष्ठ हैं - 85 p में सभी PSYCHOLOGY और इतिहास में कितना संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में प्रकाशित 85 विश्व युद्ध है? असंगत !!! और ऐसा क्यों? और उन्होंने 2 वॉल्यूम के साथ शुरुआत की! PSih2097 11 नवंबर 2015 11: 57 उदाहरण के लिए, एक जर्मन अधिकारी से प्राप्त ज़ो की एक तस्वीर है। यह दर्शाता है कि जवान लड़की ने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान दे दी। तब जोसेफ विसारियोनोविच ने उस जर्मन रेजिमेंट के सैनिकों को कब्जा न करने का आदेश दिया कि ज़ोया कोस्मोडेमेनेकाया को फांसी दे दी गई। mrARK 12 नवंबर 2015 13: 50 यह स्पष्ट है कि बलात्कार थे, और वाक्य थे ... वास्तव में कितना? गुप्त! हां, कोई रहस्य नहीं है। किसी भी खोज इंजन लेखक अलेक्जेंडर कुर्लांडिक में "शापित सोवियत पावर" टाइप करें ... गद्य पर। आरयू। लिंक के साथ इस पुस्तक का एक उद्धरण: इतिहासकार जानते हैं कि नागरिकों के क्रूर व्यवहार के लिए दंडित सोवियत सैन्य कर्मियों की सही संख्या, मुख्य रूप से जर्मन (बलात्कार सहित): 4148 सैन्य कर्मी। यह, संयोगवश, उन मित्र सैनिकों की संख्या के अनुरूप है जो 1944-45 में बलात्कार के लिए सैन्य न्यायाधिकरण के तहत गिर गए। - 5280। gorefest7777 13 नवंबर 2015 09: 25 प्रोप्रॉपी में केवल अनुपात अलग-अलग हैं, मोर्चे पर कितने सहयोगी लोगों के लिए 450 टन थे, और मेरे पास 7 मिलियन हैं। मुझे लगता है कि एक अंतर है। साइमन 11 नवंबर 2015 08: 06 "विक्टर ज्ञानजेडी", मेरा एक सवाल है, फासिस्टों ने डबोसकोव में क्यों रोका? उनके पास मॉस्को जाने के लिए बहुत कम था और वे मॉस्को में रहे होंगे, क्योंकि आगे यह स्वतंत्र था, और अधिक सैनिक नहीं थे। जाहिरा तौर पर नाजियों को थका हुआ था, या गर्म रखने के लिए उनके टैंकों में आग लगा दी और आग लगा दी! आप बुलशिट चलाते हैं - एक आधुनिक प्रचारक। 28 पैनफिलोव पुरुष थे, ये नायक थे और उन्होंने फासीवादी टैंक आर्मडा को रोक दिया था। इतिहास को बदलते हुए, जल्द ही उदारवादी, अमेरिकी डॉलर से ईंधन, यह कहना शुरू कर देंगे कि अमेरिकियों ने अंग्रेजों के साथ युद्ध जीता, कि वे बर्लिन ले गए और सोवियत संघ ने युद्ध नहीं जीता। kalibr 11 नवंबर 2015 08: 36 नेमसेक, आपका स्वागत है! आपने "विक्टर" का अच्छी तरह से उत्तर दिया, लेकिन ... कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना कहते हैं कि आप 28 नायकों में विश्वास करते हैं (और नायक थे, अन्यथा युद्ध बिल्कुल अलग तरीके से समाप्त हो जाता था), वहाँ हमेशा एक व्यक्ति होगा जो 42 वर्षों तक PRAVDA समाचार पत्र में अपने पराक्रम का वर्णन पढ़ेगा (इंग्लैंड में हमारी पार्टी के नेता ज़ादानोव द्वारा दिए गए नंबर ऑफहैंड को याद नहीं है, लेकिन इसे कौन ढूंढना चाहता है)। वह शायद सबसे अच्छे इरादों के साथ बोला। मैं प्रभावित करना चाहता था। लेकिन ... वहाँ विवरण है कि कर रहे हैं, अच्छी तरह से ... "असली नहीं।" और इस व्यक्ति को आप क्या आपत्ति होगी जब वह आपको एक अखबार का पाठ दिखाता है? लेकिन ज़ादानोव को दूसरों से बेहतर जानना चाहिए था? या नहीं? यही है, हमें ईमानदार और वस्तुनिष्ठ लोगों की आवश्यकता है जो इसे एक बार और सभी के लिए समझ लें। क्योंकि नायक थे, कई, लोग मामूली, यहां तक ​​कि शर्मीले भी। अननोंस! और हाँ, कोज़मा क्रायचूकोव्स थे, जिन्होंने 11 जर्मनों को मार डाला, 11 कैदियों को ले लिया और खुद को 11 और घोड़े को 11 घाव मिले? क्या यह उन्होंने कहा, वैसे, या यह एक बेकार पत्रकार द्वारा लिखा गया था? patr 11 नवंबर 2015 08: 38 यह उनके लिए मुंह बंद करने का समय है। जीव बेच रहा है !!!! आप इसे कैसे करेंगे, विक्टर? समझें कि "सर्वहारा वर्ग की तानाशाही" और "कॉमरेड मौसर" का युग गुमनामी में डूब गया है, अब यह केवल कानून द्वारा किया जा सकता है। कानून के अनुसार, आपको उनके "वैराग्य" के बारे में भी लिखने का कोई अधिकार नहीं है - जहां सबूत है कि समान मित्रोफ़ानोव को यूएसए से पैसा मिलता है, जिसमें निर्दिष्ट सामग्री शामिल है? मेरा विश्वास करो, अगर सब कुछ उतना ही सरल था जितना आपको लगता है, तो वे लंबे समय तक ऐसा नहीं कर रहे थे ... क्या यह स्पष्ट है कि क्यों? Nonna 11 नवंबर 2015 11: 40 चिंता न करें - उदारवादी शूटिंग के लिए समय आ जाएगा। एलेक्सी-74 11 नवंबर 2015 10: 12 उन्हें लगाए जाने की आवश्यकता है ..... 10-15 वर्षों के लिए तब वे सोचेंगे कि अपना मुंह कैसे खोला जाए। gorefest7777 13 नवंबर 2015 09: 27 इससे भी बेहतर - अमेरिकियों ने डबोसकोवो के तहत अमर लाश की एक टुकड़ी को समांतर वास्तविकता से टेलीपोर्टिंग पर उतारा और उन्हें ई। बुश के साथ ई। बुश द यंगर की कमान सौंपी। बस थोड़ा सा और ऐसा होगा: (((!!!!!) कर्नल 11 नवंबर 2015 08: 13 फ्रंटलाइन अखबारों के अधिवक्ताओं ने काम किया जैसे वे कर सकते थे। उनकी कितनी कल्पना थी ये सही है। उदाहरण के लिए, सर्गेई बोरज़ेंको ने इस बिंदु पर कल्पना की कि वह लैंडिंग के लिए गया (एक संवाददाता के रूप में) और स्टार ऑफ द हीरो (एक अधिकारी के रूप में) अर्जित किया। और यह विवादित नहीं है, प्रलेखित है। और तुम अपने साथ काश हमारी "ऐतिहासिक जड़ें" सच होतीं आपको लगता है कि जब से मतसरोवर एक वकील और एक डीवीआर के पास नहीं था, तब कोई उपलब्धि नहीं थी। और इसलिए युद्ध के दौरान 300 से अधिक बार। प्रचारक बैठे और आदेश के अनुसार आविष्कार किया। मैं लेबल चिपकाना नहीं चाहता, आप इसे स्वयं चिपकाएँ। Varyag_1973 11 नवंबर 2015 09: 20 विक्टर Jnnjdfy के लिए। खैर, यहां आप मिस्टर मित्रोफानोव ..., पेरेलोजिन, देश को दृष्टि से "अपने" नायकों को जानना चाहिए! "फ्रंट-लाइन अखबारों के प्रचारकों ने जितना संभव हो सके उतना अच्छा काम किया। जहाँ तक उनकी कल्पना थी।" यूएसएसआर में प्रचारकों के साथ सब कुछ स्पष्ट था, उन्होंने संघ की भलाई के लिए काम किया, लेकिन आप किसके लिए काम कर रहे हैं? kalibr 11 नवंबर 2015 10: 43 आप, अलेक्सी, विक्टर के प्रति बहुत कठोर हैं। यह असंभव है! हम उसी सत्य की खोज करते हैं। हम फोटो को देखते हैं: T-34 सामने की तरफ जाता है। हम चेसिस को देखते हैं - पहियों पर कोई रबर नहीं है! सभी आगामी परिणामों के साथ रबर की कमी! एक फोटो नहीं, दो नहीं ... सवाल यह है कि टॉवर, बिल्डिंग क्यों नहीं दी, लेकिन क्या नहीं दिखा ... यह जरूरी नहीं होगा? फिर फोटो - पहले और आखिरी पहिए पर रबर दिखाई दिया - प्रसव शुरू हुआ ... फिर - फिर, सभी पहिए रबर में हैं। हमने लेख पढ़ा ... "एक टैंक में एक हीरो टैंकर को छर्रे से घायल कर दिया गया था ..." इसके बारे में लिखना क्या असंभव था? घायल क्या है? नहीं! क्या एक टैंक में एक किरच !!! क्या यह स्पष्ट है क्यों? और आपने "संघ की भलाई के लिए काम किया" ... आपने कैसे काम किया? यह पता चला है कि वे अच्छी तरह से काम नहीं करते थे, या नहीं? किसने पीछा किया? यही है, घनी अनप्रोफेशनलिज्म (?) की वजह से सबसे अच्छे इरादों के साथ की गई गलतियाँ इतनी हैं कि ... आप अनजाने में इस बारे में सोचेंगे कि इसके पीछे कौन है? दुश्मन? स्टालिन ने यह नहीं देखा कि वह अपने हाथों में एक नीली पेंसिल के साथ सच्चाई पढ़ रहा था? तो वह इतना गलत नहीं है ... कर्नल 11 नवंबर 2015 12: 56 टैंक में एक छर्रे क्या !!! मैं देख रहा हूँ क्यों? अस्पष्ट। कवच में मिश्र धातु की अनुपस्थिति में, यह काफी नाजुक हो गया और कवच के माध्यम से टूटे बिना भी एक शेल का हिट हुआ, जिससे चालक दल को विभाजित करने वाले चिप्स का कारण बना। kalibr 11 नवंबर 2015 13: 30 और व्यापक सोवियत जनता को यह क्यों पता था? अखबारों ने लिखा कि हमारे टैंक .... तेज, बख्तरबंद। और अचानक एक कवच के माध्यम से एक टुकड़ा टूट गया और टैंकमैन को घायल कर दिया। हां, इस युद्ध के वर्षों में 100 बार सच होने दें, इस बारे में लिखना आवश्यक नहीं था। यह प्रचार का आधार है: झूठ मत बोलो, लेकिन चुप रहो! मुझे समझ नहीं आ रहा है कि माइनस क्या है? क्या मैंने झूठ कहा? uragan114 11 नवंबर 2015 20: 36 केवल सोवियत जनता के लिए ही क्यों? अगर टी -34 के बारे में, यह पहले से ही हर किसी के द्वारा पहचाना गया था कि यह सबसे अच्छा WWII टैंक था। और यहाँ झूठ और चुप्पी? kalibr 11 नवंबर 2015 22: 27 मैं तुम्हें एक बात के बारे में बताता हूं, तुम मुझे दूसरे के बारे में बताओ, भगवान द्वारा! सत्य यह नहीं कहता है कि यह T-34 है! और इसमें 34 या 144 की बात नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि सामग्री कैसे प्रस्तुत की जाती है: पहले हमारे टैंक ... ब्ला ब्ला ब्ला। फिर - एक टुकड़ा टैंक में मारा गया था। तो टुकड़े उल्लुओं के कवच में घुस जाते हैं। टैंक! जब आप नहीं लिख सकते तो इसके बारे में क्यों लिखें? यह वीरता को कम नहीं करेगा! क्या वास्तव में चबाने की जरूरत है? गन्या 12 नवंबर 2015 18: 05 उस समय की स्थिति को न समझने के लिए। जो नहीं समझते हैं उनके लिए: आगे और पीछे को अलग नहीं किया गया था, इसके विपरीत, उन्होंने बारीकी से संवाद किया, इसलिए कुछ भी छिपाने की आवश्यकता नहीं थी। के लिए कर्नल एस.यू. यह टॉयलेट की अनुपस्थिति के बारे में नहीं है, अगर आपको टैंक के अंदर रहना था, तो आप शायद याद रखें कि टॉवर और बाद के टी को कास्टिंग करने के बाद होने वाली स्केलिंग को खत्म करने के लिए आंतरिक सतह को रबरयुक्त (T-34-85, T-10, IS-3, T-54) किया जाता है। /के बारे में। कर्नल 13 नवंबर 2015 16: 47 रबर की सतह निश्चित रूप से कालब्रिज द्वारा इंगित प्रकरण में यह टी -34-76 या केवी था। मैंने इन कारों के इनसाइड नहीं देखे, लेकिन कोई भी इन्हें रबड़ से कवर करने के बारे में बात नहीं कर सकता है (मैं "रबर" शब्द को अस्वीकार नहीं कर सकता था) ), और भले ही बीटी या टी -28 ..... गन्या 12 नवंबर 2015 17: 56 कलाब्र आरयू इसके बारे में लिखना क्या मना था? क्या चोट लगी है? नहीं! क्या एक टैंक में एक किरच !!! क्या यह स्पष्ट है क्यों? और आपने "संघ की भलाई के लिए काम किया" ... आपने कैसे काम किया? यह पता चला है कि वे अच्छी तरह से काम नहीं करते थे, या नहीं? किसने पीछा किया? और क्यों "कांटा नहीं जानता" मोड़? या यह ज्ञात नहीं है कि क्या किसी भी टैंक चालक दल के सदस्य कवच-भेदी द्वारा छेदी गई कवच से टैंक के अंदर एक टुकड़ा को घायल कर सकता है, शेल के फटने से, यहां तक ​​कि एक आवारा टुकड़े से हैच में उड़ गया। लड़ने वाले टैंकरों के अनुसार, कमांडर और ड्राइवर की हैच लगभग हमेशा अजर थीं। uragan114 14 नवंबर 2015 12: 19 "हम फोटो को देखते हैं: टी -34 सामने की तरफ जाता है। हम चेसिस को देखते हैं - एनपहियों पर उन्हें रबर! सभी आगामी परिणामों के साथ रबर की कमी! एक फोटो नहीं, दो नहीं " मैं समझता हूं कि मुझे उत्तर देने में देर हो रही है, लेकिन यह 34 का एक टी -41 मॉडल है। यह एक डिज़ाइन विशेषता है: दो पहियों पर, "रबर" पहिया के शीर्ष पर था, बाकी हब के अंदर। बारीकी से देखें और देखें कि पहिए अलग हैं। विक्टर jnnjdfy 11 नवंबर 2015 14: 51 वे संघ के भले के लिए काम करते, अगर वे कारनामों के बारे में सच्चाई लिखते, और उनका आविष्कार नहीं करते। उदाहरण के लिए, मिस्टर गैस्टेलो के करतब के साथ। फिर यह पता चला कि यह ऐसा बिल्कुल नहीं था (कई और स्थानीय निवासियों ने उन घटनाओं को याद किया), जैसा कि कुछ सैन्य कमांडर-इन-चीफ ने वर्णित किया था, और चालक दल समान नहीं थे, और कब्र गलत थी (उन्होंने 1951 में इस खोज की और इस तथ्य को चुप कर दिया। ) ... परिणामस्वरूप, 90 के दशक में उन्होंने एक डॉकफिल्म की शूटिंग की, जिसमें सभी झूठों को बाहर कर दिया गया था, और परिणामों के अनुसार, रूस के हीरो (मरणोपरांत) का शीर्षक एक अन्य कप्तान को सौंपा गया था, जिसे मसलोव के नाम से कब्र में दफनाया गया था, हालांकि उन्होंने इसके बारे में वापस जाना। 1951 ... और संघ ऐसे प्रचारकों के कुल झूठ के कारण बड़े पैमाने पर नहीं बन पाया। झूठ के पैर छोटे होते हैं। मैस्लोव और गैस्टेलो दोनों अपनी मातृभूमि के लिए लड़ते हुए मर गए। मास्लोव को अंततः एक नायक सितारा मिला, जो प्रचारकों को नहीं, बल्कि इतिहासकारों और उत्साही लोगों को धन्यवाद देता है। मैंने लिखा, यदि आप ध्यान से पढ़ते हैं, तो आपको मेसर्स को एक अवसर देने की आवश्यकता नहीं है। उनके प्रचार के लिए मित्रोफ़ानोव ने परियों की कहानियों और दंतकथाओं का आविष्कार किया, और इसलिए, जहाँ तक संभव हो, उन कारनामों और लोगों के बारे में सच्चाई से लिखें। kalibr 11 नवंबर 2015 22: 32 हाँ !!! मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ! इसके अलावा, यह लंबे समय से समाचार पत्रों और अभिलेखागार में शोध से साबित हुआ है! मेरे स्नातक छात्र को विदेश में जीवन के बारे में एक वर्ष में 1921 से 53 तक सोवियत संघ के नागरिकों के सोवियत प्रेस को सूचित करने के विषय पर खुद का बचाव करना होगा। TRUTH, अभिलेखागार, कई स्थानीय समाचार पत्र हैं ... मुझे लगता है कि यह उनके काम का अंश देने के लायक है, ताकि लोग यह देख सकें कि हमारे समाज का निर्माण एक अस्थिर सूचना नींव पर क्या हुआ। लेकिन यह असंभव है! विक्टर jnnjdfy 12 नवंबर 2015 08: 46 जैसे ही आप "अंश" देते हैं, स्थानीय भाषाविद देशभक्त, जीवाश्म राजनीतिक अधिकारी और बस अपर्याप्त साथी तुरंत आप पर हमला करेंगे और "टुकड़ों में फाड़ने" की कोशिश करेंगे ... इस साइट पर, उदाहरण के लिए, लगभग सभी लोग यह मानते हैं कि कातिन में पोलिश अधिकारियों को नाजियों द्वारा गोली मार दी गई थी। और ऐसे तथ्य जैसे कि शेलपिन का पत्र, या यह तथ्य कि मई 1940 में इन अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों के बीच सभी पत्राचार बंद हो गए, स्थानीय दिमागों को गंभीरता से प्रभावित नहीं करता है और कुछ भी साबित नहीं करता है। विक्टर jnnjdfy 12 नवंबर 2015 09: 40 अब, स्थानों में भी, सूचनात्मक आधार बहुत "मौलिक" नहीं है। उदाहरण के लिए, मीडिया और उच्च पदस्थ अधिकारी अक्सर जोर देकर कहते हैं कि खटीन को बांदेरा ने जला दिया था। यद्यपि, यदि आप चाहें, तो आप आसानी से यह पता लगा सकते हैं कि खटीन को एक बटालियन के अपराधियों द्वारा जला दिया गया था, जो कि लाल सेना के कैदियों से कीव में बना था। और मुख्य आगजनी करने वाला वासीसुर युद्ध से पहले बांदेरा सदस्य नहीं था, लेकिन कला। लाल सेना के लेफ्टिनेंट। बेशक, बटालियन में जातीय Ukrainians का भारी बहुमत शामिल था। लेकिन आज के Svidomo Ukrainians के लिए, हम "झूठे" हैं, "वीर देशभक्तों-बंदे" को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। हम खुद उन्हें एक कारण देते हैं। या 4 नवंबर को हमारा राष्ट्रीय दिवस लें। मुझे अभी भी नहीं पता कि इसे सही तरीके से कैसे कहा जाता है। लेकिन इसका अर्थ है, जैसा कि हमें हर जगह बताया गया है, कि इस दिन 1612 में पोलिश आक्रमणकारियों को क्रेमलिन से निष्कासित कर दिया गया था। कुछ कार्यक्रम में, दो पूर्व- "डेमोक्रेट" स्टैंकेविच और त्सापको (वे मार्च पर, या तो जातीय ध्रुव हैं, या पोलिश रक्त के एक मिश्रण के साथ) ने सभी के नाक में दम कर दिया कि 1610 में रूसी बॉयर्स (सेम्बोयार्शिना) ने खुद पोल को आमंत्रित किया था। मास्को के लिए, और वे व्लादिस्लाव को एक रूसी tsar बनाना चाहते थे। यदि आप गहरा खुलासा करते हैं, तो क्रेमलिन का पोलिश कमांडेंट गोनसेव्स्की वेलिज़ह हेडमैन था (वेलिज़ का शहर अब स्मोलेंस्क क्षेत्र में है), और सबसे अधिक पोलैंड के राज्य के पंजीकृत कोसैक्स हैं, जो आज के Ukrainians के पोल नहीं हैं, लेकिन आज के Ukrainians के पूर्वज हैं। और कौन से डंडे को कहां से निकाला गया? और "स्टानकेविच" के हाथों में एक अ ... एलेक्सी-74 11 नवंबर 2015 09: 50 मैं लेखक से पूरी तरह सहमत हूं - युवाओं में संदेह का बीज उत्पन्न करना उदारवादियों का सच्चा लक्ष्य है। वैकल्पिक इतिहास एक विज्ञान नहीं है, उसी सफलता के साथ हम में से प्रत्येक एक इतिहासकार बन सकता है। और "छद्म इतिहासकार" केवल विदेशी प्रभाव के भुगतान किए गए एजेंट हैं। हमें एक महान राज्य के महान इतिहास के आधार पर, देश में देशभक्ति बढ़ाने की जरूरत है। स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा की पद्धति को पूरी तरह से बदल दें, अंत में एक एकीकृत इतिहास की पाठ्यपुस्तक, आदि का परिचय दें। पैदाल 11 नवंबर 2015 10: 15 महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध ने हमारे जीन पूल को एक बड़ा झटका दिया, बहादुर सक्रिय लोगों की मोर्चों पर मृत्यु हो गई, न कि पीछे के सर्वश्रेष्ठ लोगों ने मसौदे से कवच की मांग की। और ये सभी छद्म इतिहासकार वास्तव में महत्वाकांक्षी हैं, या तो वास्तव में मूर्ख हैं, या उनमें निवेश किए गए धन को काम करते हैं। kalibr 11 नवंबर 2015 14: 08 प्रिय एलेक्सी! और इस पाठ्यपुस्तक को कौन लिखेगा? एक विशिष्ट व्यक्ति निर्दिष्ट करें? Hyppopotut 11 नवंबर 2015 10: 25 90 के दशक में, हमने ऐसे "इतिहासकारों" के बारे में काफी सुना है और बहुत कुछ पढ़ा है ... फिर भी बीमार हैं। यह बहुत ही अपमानजनक है कि इस मूर्खता पर कुठाराघात करने वाले कुछ बेवकूफ हैं! नीचे का घर 11 नवंबर 2015 10: 25 हमारे इतिहास के सभी सकारात्मक क्षणों के लिए उनके अधिक व्यापक दावे हैं! लेकिन वे हमें "उदार देशों" के लिए नहीं छोड़ना चाहते हैं, वहां वे एक अनैतिक तरीके से जो करते हैं, उसके लिए कैद हैं! Altona 11 नवंबर 2015 12: 05 लेख के स्रोत कोड को पढ़ने के लिए बेहतर है, उसने वहां सभी को खींच लिया, और अमेरिकियों को इवो जिमा पर अपने झंडे के साथ धक्का दे दिया, और अंत में उन्होंने खुद को विरोध करना शुरू कर दिया कि "जीवन के मूल्य" को गाना आवश्यक था, जनरलों को वोदका और बिस्तर से मर रहे थे। " हाँ, हमारे पास पाँच मिनट हैं जब लड़ाई में मार्शल मारे गए, सबसे आगे, वही चेर्न्याखोव्स्की, उदाहरण के लिए। और लोगों ने पृथ्वी पर जीवन के नाम पर करतब दिखाए। एक सैनिक को आदेशों पर कार्य करना चाहिए, और आदेशों पर मरना चाहिए, अन्यथा वह किस प्रकार का सैनिक है। जाहिर है, मिस्टर इतिहासकार सामान्य रूप से सेना के उद्देश्य के बारे में कम जानते हैं। और जर्मन सैनिकों की मृत्यु क्यों हुई, क्या वे भी आदेशों पर मर गए? पूर्व में वे क्या चाहते थे? और किसने उन्हें "ड्रंग नच ओस्टेन" आदेश दिया? किसी कारण से, इस पहलू ने मिस्टर इतिहासकार को परेशान नहीं किया, किसी तरह का चयनात्मक ऐतिहासिक सत्य एकतरफा निकला और मृतकों के प्रति ढोंग के साथ ... जन्म 11 नवंबर 2015 12: 22 Pseudoliberoids की फासीवादी जड़ें स्पष्ट हैं। सील 12 नवंबर 2015 15: 13 व्लादिमीर पर्शनिन ने युद्ध के दिग्गजों के संस्मरणों को एकत्र किया है, न कि कमिसार की कहानियों, जिन्हें सोवियत काल में सक्रिय रूप से भर दिया गया था, प्रचार सच बताने से मना किया। इसलिए जब उन्हें मातृसू के बारे में कहानियां सुनाई गईं, तो वे हैरान रह गए, क्योंकि सचमुच "एमजी -42 एक विभाजन सेकंड में आधे में उसके शरीर को काट देगा।" और मैं इससे सहमत हूं। कारनामों पर असली नायकों को शिक्षित करना आवश्यक है, जिनमें से कई छाया में बने हुए हैं। और फिर स्टालिन के तहत नुकसान 7 मिलियन थे। ब्रेझनेव के तहत पहले से ही 20। और गोर्बाचेव के तहत पहले से ही 26। और 26 को यह सच्चाई के सबसे करीब माना जाता है। gorefest7777 13 नवंबर 2015 09: 13 इन जानवरों (और उन्हें लोगों को कॉल करना मुश्किल है) ने 1991 में वापस इस जीवंतता को शुरू किया, मुझे याद है कि कैसे कुछ "मनोवैज्ञानिक" द्वारा एक लेख प्रकाशित किया गया था, जिसने दावा किया था कि अलेक्जेंडर मैट्रसोव पागल थे, कि उनके दिमाग में कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपने जीवन को नहीं बढ़ाएगा। ये उभयचर हमारी भाषा बोलते हैं, लेकिन हमें यह स्पष्ट रूप से महसूस करना चाहिए कि वे न केवल रूसी दुनिया के दुश्मन हैं, वे उन सभी के दुश्मन हैं जो सबसे अधिक अंतरंग हैं, जो स्वयं मनुष्य ने अपने कर्मों में प्राचीन काल से महिमा मंडित की है। यह उदारवाद नहीं है, यह दुर्बलता से गुणा श्रेष्ठ है। दुर्भाग्य से, वहाँ सिर्फ एक ही रास्ता बाहर उन्हें उज्ज्वल पश्चिम में निर्वासित करने के लिए है, उन्हें अपने पीडोफाइल, समलैंगिकों, और इतने पर के साथ पूरी भावना के चुंबन करते हैं। उदारता का रंग। Glot 11 नवंबर 2015 07: 01 हर कोई "रोटी और मक्खन" पर सबसे अच्छा कमाता है। जो कुछ ऐतिहासिक क्षणों को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं, एक को दूसरे के साथ बदलने के लिए, इस तरह से कमाएं। वे स्वयं, या हमारे कई "दोस्तों" के आदेश को पूरा करने का सार नहीं हैं। लब्बोलुआब यह है कि ये दुश्मन हैं, और उनके प्रति रवैया उचित होना चाहिए। ऐसा लगता है कि यह पहले से ही विधायी स्तर पर एक संशोधन की शुरुआत और इतिहास के विरूपण की अनजाने में एक लेख पर प्रस्तावित किया गया था। यह समय है, यह परिचय का समय है। दर्ज करें और उस पर आकर्षित करना शुरू करें, एक वास्तविक शब्द दे। उन्हें एक दूसरे को फेलिंग साइट्स पर खाना खिलाएं। डीएमबी 11 नवंबर 2015 12: 43 और इस लेख के लिए हम सभी को लॉगिंग, या चुनिंदा तरीके से भेजेंगे? अगर हर कोई, तो मुझे डर है कि देश के नेतृत्व के बिना रहेगा। वहां, जिसमें यह स्पष्ट नहीं है कि गारंटर गारंटर, ऐसा किया जाता है, जिससे उसे वस्तुनिष्ठ इतिहास की गंध न आए। फरीसीवाद के उदाहरण हैं, या खुद को बार-बार आश्वस्त? ईमानदारी से स्टालिन की गतिविधियों के उनके आकलन को पढ़ें (वैसे, मैं आंशिक रूप से उनके साथ यहां सहमत हूं)। Glot 11 नवंबर 2015 12: 51 आपकी क्या सलाह है? वैसे ही छोड़ो? डीएमबी 11 नवंबर 2015 13: 56 खैर, क्यों, केवल अगर सभी, तो सभी। खैर, कम से कम यह किसी भी तरह से संविधान के साथ मेल खाएगा। वैसे, यदि आपका "समझदार" प्रस्ताव पास हो जाता है, तो मुझे डर है कि पहले टैगा का पता मिरेंको या पिवोवारोव द्वारा नहीं लगाया जाएगा, और इको के संपादकीय कर्मचारियों द्वारा नहीं, बल्कि उन लोगों द्वारा लगाया जाएगा जो वर्तमान "उत्कृष्ट राजनेताओं और सार्वजनिक आंकड़ों" के सत्ता में आने के बारे में ऐतिहासिक सच्चाई लिखेंगे। " यह हमारे देश का इतिहास भी है। dvg79 11 नवंबर 2015 13: 21 क्या आप मानते हैं कि कत्यूर को मान्यता देने वाली मौजूदा सरकार सच्चाई का बचाव करेगी, न कि देशभक्तों पर तराशी के मामलों पर ?? dedBoroded 11 नवंबर 2015 07: 01 ऐसे "इतिहासकारों" को कलंकित करना आवश्यक है ... Turkir 11 नवंबर 2015 08: 45 हां, वे पहले से ही ब्रांडेड हैं, नए ब्रांड के लिए कोई जगह नहीं है। हमारी कहानी का यह विरूपण अच्छी तरह से भुगतान किया गया लगता है। आप खुद जानते हैं कि हम मीडिया और टीवी पर किसके साथ बैठे हैं। वे ग्रेहाउंड लिखना जानते हैं। यह वह है जो हमें इस विचार से प्रेरित करता है कि जर्मनी में फासीवाद नहीं था, लेकिन नाजीवाद था, और मूर्ख इस प्रचार को दोहरा रहे हैं। हमें स्वयं अपने इतिहास में अपने ज्ञान के स्तर को बढ़ाना होगा। अन्यथा, यह अलग होगा। एक प्रकार का बाज़ 11 नवंबर 2015 09: 59 और क्या अंतर है? ... मुझे नहीं लगता कि हमारे पिता और दादा जी के ग्रेड को जानते थे ... उन्होंने पूरी दुनिया को समझे बिना नाज़ियों और नाज़ियों को हरा दिया - रूसी, यूक्रेनियन, टैटार, उज़बेक्स, कैडैक, चेचेन ... क्यों उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद और शाश्वत ... नायकों के लिए, वह बर्नेस की तरह एक साधारण सैनिक है: "बुडापेस्ट शहर के लिए पदक के साथ" Turkir 11 नवंबर 2015 10: 32 किसे पड़ी है?। और मैंने क्या लिखा? अंतर क्या है? ईमानदारी से, मुझे आश्चर्य है। आखिर मैंने भी वही लिखा जो आपने लिखा था। एक प्रकार का बाज़ 11 नवंबर 2015 11: 24 हां मुझे माफ कर दो ... गन्या 11 नवंबर 2015 12: 59 तुर्किर (1) एस.यू. यदि आप पेचीदगियों में तल्लीन हैं, तो इटली में फासीवाद था, और जर्मनी में, राष्ट्रीय समाजवाद केवल "नाजीवाद" है। द्वारा और बड़े, चीजें एक ही प्रकार और मुश्किल से अलग हैं। Baracuda 11 नवंबर 2015 07: 06 मेरे दादा ने ऐसे "मुक्त इतिहासकारों" का गला घोंटा होगा। सेनानियों, जीवन की कीमत पर लोगों ने अपनी मातृभूमि का बचाव किया। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, तीन या यहां तक ​​कि एक पत्ती के लिए एक राइफल अटक गई .. और डर या लाभ से बाहर नहीं। इस तरह के उदारवादियों को टैंकों (एक छोटे पंख) में चलाया जाना चाहिए, ताकि बाद में उंगलियां कीबोर्ड को कांप न सकें। perm23 11 नवंबर 2015 08: 12 इन स्क्राइब्लैरों को 1941 में खाइयों में सामने की ओर भेजा जाएगा, वहाँ उन्होंने एक से अधिक खाई लिखी होगी। और हमें बस इस मैल को जानना होगा और इसे रूस और हमारी स्मृति को अपमानित नहीं करने देना चाहिए। कोई भी देश किसी को भी अपने नायकों का पीछा करने की हिम्मत नहीं करेगा। कोई भी नहीं, लेकिन हम अनुमति देते हैं। नॉर्वे, डेनमार्क, पोलैंड, फ्रांस ने जल्दी ही आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन अभी भी उनके पास अपने नायक हैं और कोई भी उनके बारे में बुरी तरह से लिखने या सच्चाई की तलाश करने या नहीं करने की हिम्मत करता है। यहां शक्ति कठिन होनी चाहिए - दंड देने के लिए। Weyland 12 नवंबर 2015 01: 43 ये स्क्रिबब्लर 1941 में खाइयों में सामने की तरफ जाते थे नहीं, 42 वें से बेहतर और सुनिश्चित करें 28 जुलाई से पहले नहीं - नहीं तो वे भाग जाते ... (यदि आप भूल गए - प्रसिद्ध आदेश संख्या 227 28 जुलाई, 1942 को जारी किया गया था) venaya 11 नवंबर 2015 07: 10 ऐतिहासिक कथा, वे कहते हैं, आधुनिक ऐतिहासिक विज्ञान में स्थान नहीं होना चाहिए हां, आधुनिक विज्ञान में पूरी तरह से ऐतिहासिक मिथक हैं, केवल साक्ष्य के साथ निषेचित किया गया है, और यह वही है जो दुश्मनों का उपयोग करता है। लोगों पर इतिहास का प्रभाव कितना महान है, ऐसा लगता है कि यह साबित करने के लिए पहले से ही अनावश्यक है, इसलिए, इस विज्ञान के साथ अति सावधानी के साथ व्यवहार करना आवश्यक है, तथ्यात्मक और सबूत दोनों के संदर्भ में गंभीर भूलों से बचना। और यहां साइट पर पहले से ही व्यक्तिगत घटनाओं की मुफ्त व्याख्या के कई उदाहरण हैं। ऐसे नाजुक मामले में हमेशा सतर्क रहना चाहिए। Koronik 11 नवंबर 2015 07: 10 "क्यों, हमारे उदारवादी, भगवान ने मुझे माफ कर दिया," दोस्त "बस अपने पत्ते नहीं खोल सकते हैं और कहते हैं कि उनका कार्य ऐतिहासिक सच्चाई को निचोड़ने के लिए बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन एक बार फिर कीचड़ के साथ विक्ट्री की स्मृति को याद करते हैं, बहुत ही सिद्धांत रूसी (शब्द के व्यापक अर्थ में) लोगों का बलिदान, एक आम दुर्भाग्य के चेहरे में एकता के लिए उनका प्रयास। " Bulat 11 नवंबर 2015 07: 13 और कितने अज्ञात नायक और कारनामे? सभी को शाश्वत स्मृति। patr 11 नवंबर 2015 08: 42 मेरे दादाजी गायब हैं! Koshak 11 नवंबर 2015 18: 21 दंश 11 नवंबर 2015 07: 13 सेब का पेड़ सेब से ज्यादा दूर नहीं पड़ता है। वे केवल अपने स्वयं के "मोमबत्ती कारखाने" खोलने के बारे में लिखेंगे। उच्चतम उदार और वैश्विक (मैं इस शब्द से डरता नहीं हूं) मूल्य के रूप में। हम्प्टी 11 नवंबर 2015 07: 18 अपने पतित परिवारों में ये मुक्तिबोध इसका पता नहीं लगा सकते हैं, लेकिन वे लोगों के कारनामों पर पानी फेर देते हैं। और उन्हें जनरल फ्रॉस्ट के बारे में मिथक पर बहस करने में क्यों लगे रहना चाहिए, अगर "यह" इस मिथक के निर्माण में लगा हुआ है कि सोवियत संघ को द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य अपराधी माना जाता है, जिसे स्टालिन और हिटलर यहूदियों को भगाने के लिए शुरू करने के लिए सहमत हुए। उदाहरण के लिए, यूरोप में, कई प्रकाशन सिर्फ यही लिखते हैं। वही लेच 11 नवंबर 2015 07: 19 जैसा कि वे कहते हैं, रचनात्मक बुद्धिजीवी वर्ग, जिसने रूसी राज्य के अस्तित्व की निश्चित अवधि के बारे में स्थापित और उचित रूप से काफी पारंपरिक जानकारी को चुनौती देने का फैसला किया है क्या यह या कुछ और है ... इस गर्भपात पीड़ित ने हाल ही में एफएसबी रिसेप्शन रूम में एक कांड किया .... पीआर सहयात्री आदमी .... बंदर में 30 दिन अब यह पीआर है। ऐसे लोगों के साथ यह एकमात्र तरीका है ... उन्होंने तुरंत उसे बंदर ... अदालत और सामुदायिक सेवा के एक महीने में मजाक उड़ाया perm23 11 नवंबर 2015 08: 35 थोड़ा यह रवैया है। और यह वास्तविक के लिए फर्श से पूर्व परीक्षण निरोध केंद्र में अंडे को हरा देना होगा। अलेक्जेंडर रोमानोव 11 नवंबर 2015 08: 37 और यह वास्तविक के लिए फर्श से पूर्व परीक्षण निरोध केंद्र में अंडे को हरा देना होगा। मैं इसे काट देता। Weyland 12 नवंबर 2015 01: 45 पुराने दिनों में पोलैंड के रूप में यह आवश्यक है - पास में एक चाकू रखना और चाकू डालना; भूख से मरना नहीं चाहेंगे - वह काट देगा! गन्या 11 नवंबर 2015 13: 04 यह "पीआर मैन" "मजबूर श्रम" का महीना नहीं है, लेकिन पैरोल के अधिकार के बिना अपने कार्यों पर सोचने के लिए ताजी हवा के लिए कम से कम 5 साल है। व्यवस्थित 11 नवंबर 2015 07: 19 किसी को सुनने के लिए पर्याप्त नहीं है, मैं उदारवादियों के विसरों में बहुत समय से बीमार हूं। मेरी दादी दो बार कब्जे (अब कलुगा क्षेत्र) में थीं, उनकी सबसे बड़ी बहन को एक कारखाने से निकाल दिया गया (ओम्स्क), उन्होंने सामने के लिए हथियार एकत्र किए, मेरी पत्नी एक पक्षपाती थी, मेरे दादा 90 साल के थे, मैं दो बार कैद में था। हालांकि वे उन समय (विशेषकर दादाजी) के बारे में बात करना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन मैंने उनसे द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में काफी कुछ सुना। हां, कुछ के लिए यह द्वितीय विश्व युद्ध है, लेकिन मेरे लिए यह महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध है, जिसे पूरे महान देश ने अपनाया, क्योंकि वे अपनी मातृभूमि के लिए लड़े थे! Kos_kalinki9 11 नवंबर 2015 07: 20 लेकिन सिपाही जहां भी था, अब से उसे एमओपीईई के नाम पर और अपने कमांडरों के आदेश पर मरने के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के साथ ज़ोफ़ कोस्मोडेम्नकाया, एलेग्जेंडर मैट्रोसोव के उदाहरण का पालन करना चाहिए। यह शब्द किसी प्रकार का शासन है। उदारवादियों के अनुसार, एक सोवियत व्यक्ति के लिए होमलैंड और फादरलैंड की अवधारणा मौजूद नहीं है। गन्या 11 नवंबर 2015 13: 07 सभी धारियों के उदारवादियों के लिए, मातृभूमि और पितृभूमि की अवधारणाएं मौजूद नहीं हैं। sva180480 11 नवंबर 2015 07: 21 ये इतिहासकार नहीं हैं। वे जो लिखते हैं उसके लिए उन्होंने गोल किया। स्वदेश को बेचने के लिए ऐसा पेशा है। Sanyok 11 नवंबर 2015 07: 23 गर्म लोहे के साथ तलछट जलाएं Parusnik 11 नवंबर 2015 07: 29 यह तथ्य कि इतिहास के किसी भी अप्रमाणित प्रकरण को ऐतिहासिक प्रकाशनों और प्रकाशनों से हटा दिया जाना चाहिए, ताकि आप जान सकें कि वह युवा पीढ़ी को गुमराह नहीं करेगा।..Hmm..interesting, यह दंड प्रक्रिया संहिता 14 अनुच्छेद 3 के दृष्टिकोण से दृष्टिकोण को बदल देता है। अभियुक्तों के अपराध के बारे में सभी संदेह (हमारे मामले में नाजी जर्मनी), जो इस कोड (ऐतिहासिक तथ्यों) को स्थापित करने के तरीके से समाप्त नहीं किया जा सकता है, की व्याख्या की जाती है। आरोपी का लाभ (नाजी जर्मनी)। SA-ZZ 11 नवंबर 2015 07: 29 - लिटिल जॉनी, और अगर आपकी माँ एक वेश्या थी, तो आपके पिताजी एक ड्रग एडिक्ट थे, और आपके दोस्त p.ed.k.a.m.i थे, तब आप कौन थे! ! सील 12 नवंबर 2015 15: 05 sa-zz आपको उदार से क्या मतलब है? 1536 11 नवंबर 2015 07: 31 अर्थ स्पष्ट है। यह सिर्फ इतना है कि इतिहास के इन मुक्त राजमिस्त्री को एक सवाल पूछने की जरूरत है: क्या आप, सज्जनों, पहचानते हैं कि लाल सेना ने जर्मन फासीवाद को हराया, जिसने सभी मानव जाति को मौत के घाट उतारा? यदि "हां", तो बातचीत जारी रखने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि विजेताओं को आंका नहीं जाता है। और अगर "नहीं", सुनो, आप फासीवाद के अनुयायी हैं, आप हमारे राज्य और समाज की नींव के खिलाफ लड़ रहे हैं। उसके बाद, उनके साथ कहीं और बातचीत होगी। rotmistr60 11 नवंबर 2015 07: 36 हाल ही में, कुछ "उदार" मोल्ड ने खुद को बहुत सक्रिय रूप से दिखाना शुरू कर दिया है। संभवतः वाशिंगटन से नए प्रशिक्षण मैनुअल आ चुके हैं और अनुदान के मुद्दे का समाधान किया जा रहा है। सीरिया में एयरोस्पेस फोर्सेस की शुरुआत के बाद, इन भ्रष्ट "फ्री-माइंडेड" आक्रामक रूप से सभी दरारें से बाहर निकल गए। यहाँ, कोई भी इस तरह की दुष्टता का मुकाबला करने के लिए एक लोक उपचार के बिना नहीं कर सकता। Svetlana 11 नवंबर 2015 08: 43 वेनल "फ्री-माइंडेड" आक्रामक रूप से सभी दरारों से बाहर निकली। यहाँ, कोई भी इस तरह की दुष्टता का मुकाबला करने के लिए एक लोक उपचार के बिना नहीं कर सकता। लोक उपाय, मुझे लगता है, "दे पाइ ... यूल" है। वही लेच 11 नवंबर 2015 07: 39 वाशिंगटन से और अनुदान के सवाल का फैसला किया जा रहा है। हां, यह सभी अमेरिकी राजदूत TEFT ने अपने एजेंटों को उदारवादियों के बीच सक्रिय कर दिया .... उन्हें अन्य प्रक्रियाओं के लिए हमारे विदेश मंत्रालय में कालीन पर एनीमा दर्ज करने की तत्काल आवश्यकता है। बुगोर 11 नवंबर 2015 07: 44 पहली लड़ाई में मेरे दादा गायब हो गए। मुझे यह नहीं मान लेना चाहिए कि वह भविष्य में मुझे बचाने के लिए मर गया? न दादा होते, न हम होते ...। और सिर्फ वे क्या थे - शैक्षणिक विज्ञान के लिए छोड़ दें। तातार 174 11 नवंबर 2015 07: 55 लेकिन ये "इतिहासकार" हमारे बीच रहते हैं, अगर मैं उनमें से कम से कम एक से मिलता हूं, तो मैं उनके लिए एक सौ एक सौ साल बर्बाद कर दूँगा ... perm23 11 नवंबर 2015 08: 33 आप से सहमत । उन्हें पदचिह्न को खराब करने और भाषा को बाहर निकालने के लिए उन्हें जानने की आवश्यकता है। वोल्गा कोसैक 11 नवंबर 2015 08: 08 मेरी मातृभूमि के इतिहास से दूर हाथ !!!! सब कुछ बर्बाद करने के लिए तैयार, एक शब्द उदारवादियों! इस तरह के इतिहासकारों के लिए - कली में इन प्रयासों को लेख के अनुसार करने के लिए - मातृभूमि के लिए देशद्रोह के लिए - टोडा के बारे में सोचने के लिए। ardor के लिए - क्षमा करें। मेरा सौभाग्य है! Shurale 11 नवंबर 2015 08: 10 यह आसान है, सोवियत संघ के साथ युद्ध जारी है। और क्यों? क्योंकि जबकि उनका अंतिम प्रतिनिधि अभी भी जीवित है, संघ भी जीवित है। जब तक उसे याद करने वाले रहेंगे, युद्ध जारी रहेगा। और अब सवाल यह है कि क्या यूएसएसआर इतना मर गया? वे एक मरे हुए दुश्मन से नहीं लड़ते ... अंधेरा 11 नवंबर 2015 08: 17 हमारी शक्तियाँ, जो स्नोत के लिए हैं, संघ के पुनरुद्धार के विचार से भी डरती हैं। क्योंकि वे समझते हैं - आपको भुगतान करना होगा और हर कोई समय में लंदन के लिए एक विमान नहीं पकड़ सकता है। पहाड़ का शूटर 11 नवंबर 2015 08: 10 हां, ऐतिहासिक मिथकों को "डिबंक" करने का प्रयास किया गया है। लेकिन लोग किंवदंतियों का निर्माण करते हैं, और उनका विश्वास करते हैं कि इसलिए नहीं कि प्रचार काम कर रहा है, बल्कि इसलिए कि दूसरे विश्व युद्ध के पहले काल की निरंतर पराजयों के दुःस्वप्न में वे एक सकारात्मक उदाहरण चाहते थे। ताकि जिन लोगों की आत्मा में एक कोर है वे इस उदाहरण पर झुकते हैं, सब कुछ के बावजूद, विरोध करते हैं - और जीतते हैं। अंधेरा 11 नवंबर 2015 08: 18 ये "इतिहासकार", युलिन, डाययुकोव और अन्य लोगों के विपरीत, बहुत शीर्ष पर समर्थन करते हैं। डी-सोवियतकरण वर्तमान सरकार का लक्ष्य है। Korsar0304 11 नवंबर 2015 08: 26 इसी महीने फिल्म "पैनफिलोव की 28" रिलीज़ होगी। मैं खुद जरूर जाऊंगा और अपने बेटे को भी ले जाऊंगा। जिन्हें अपने देश का अतीत याद नहीं है उनका कोई भविष्य नहीं है। foxstrat89 11 नवंबर 2015 09: 19 दुर्भाग्य से, फिल्म अगले साल ही रिलीज़ होगी, सेट पर काम करने वाली टीम के पास निर्धारित समय सीमा में सब कुछ खत्म करने का समय नहीं है। उन्होंने मास्को के पास प्रतिवाद की वर्षगांठ पर एक फिल्म रिलीज करने का वादा किया। नवंबर 16 पर केवल फिल्म का ट्रेलर दिखाई देता है। की प्रतीक्षा कर रहा है _मैं राय 11 नवंबर 2015 17: 41 शायद इस वजह से (इस फिल्म की रिलीज) और चीखें तेज हो गईं ... वह सब भी कल्पना नहीं कर सकता कि 28 लोग नाजियों की ऐसी ताकतों को कैसे रोक सकते थे ... और वे कर सकते थे ... वे "सत्य का पता लगाना" चाहते हैं? ... लेकिन सच्चाई यह है कि वीर प्रयासों की कीमत पर हमारे लोगों ने नाजियों को हरा दिया !!! ... यहां तक ​​कि एक आदमी एक अप्रतिरोध्य बल हो सकता है उदाहरण के लिए आपको बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं है: अगस्त 2008 में इस प्रसिद्ध फोटो को दुनिया भर के अखबारों में प्रसारित किया गया। जॉर्जियाई सेना की हार के बाद, इसकी पीछे हटने वाली इकाइयों ने फिर से इकट्ठा किया और गोरी के पास लौटने का फैसला किया, लेकिन एक रूसी चौकी पर ठोकर खाई। फोटो में दिखाया गया है कि मशीन गन के साथ तैयार आरएफ सशस्त्र बलों का एक सैनिक जॉर्जियाई सशस्त्र बलों की मोटर चालित पैदल सेना का विरोध कर रहा है, काफिले के अधिकारियों ने मशीन गनर को धमकी दी कि वे रास्ते से हट जाएं और उन्हें अंदर जाने दिया, जिसका उन्होंने जवाब दिया, "मैं जाऊंगा।" तब मीडिया, जो स्तंभ के साथ आगे बढ़ रहे थे, मशीन गनर के साथ बात करने की कोशिश की, और उन्हें एक ही जवाब मिला। नतीजतन, स्तंभ घूम गया और जहां से आया था, वहां चला गया। इस तस्वीर के नायक बातो दाशिदोरज़ीव हैं। Zomanus 11 नवंबर 2015 08: 36 क्या बुरा है कि ये सत्य-प्रेमी लोग हमारे बच्चों और छात्रों के लिए इतिहास की किताबें लिखते हैं। यही कारण है कि वे पहली जगह से वीन किए जाने की जरूरत है। तमांसकी 11 नवंबर 2015 08: 39 मुझे आश्चर्य है कि इन जीवों को आम तौर पर हमारे देश में प्रकाशित करने की अनुमति क्यों है? और फिर, "पुतिन की सेंसरशिप" के बारे में मिथक की चर्चा, कि, यह पता चला है - कोई नहीं है! अंधेरा 11 नवंबर 2015 08: 42 रूस में एक desovetization है। kalibr 11 नवंबर 2015 09: 16 और रूस-होर्डे के बारे में फोमेंको की बकवास प्रकाशित करने की अनुमति क्यों दी गई है जिसने अमेरिका की खोज की थी? और गीज़ा में पिरामिड बनाने वाले कोसैक्स? Svetlana 11 नवंबर 2015 08: 39 मेरी हमेशा इच्छा होती है कि मैं ऐसे चतुर लोगों को एक चेहरा दूं, न कि उनके साथ नीतिशास्त्र में संलग्न होने और कुछ साबित करने के लिए। पारा 11 नवंबर 2015 08: 47 सिंगल-सेल के रूप में, सब कुछ निकलता है। यूक्रेन के मैदान के बाद से, यह हमारे लिए पश्चिमी रीति-रिवाजों और विचारों के लिए उदारवादियों से नफरत करने का रिवाज है। हां, और मैं उदारवाद की इस लहर के खिलाफ हूं। लेकिन किसी तरह मैंने ड्राइव नहीं किया। पुतिन ने खुद को बाईं ओर कंघी नहीं की और रूढ़िवादी का त्याग नहीं किया, और कम्युनिस्ट, जिन्होंने हमेशा देशभक्ति की लहर और रूस के उदय पर सत्ता को शाप दिया था, ऐसे लोगों को ब्लैकबोर्ड पर टाइप करना शुरू कर दिया। वॉन ज़ुगानोव भी पुजारियों को गले लगाते हैं। और यहां मंच पर एक भावना है कि देशभक्त हैं और वे कम्युनिस्टों के प्रति वफादार हैं और बाकी सभी उदारवादी शापित हैं। कम्युनिस्टों में अन्य लोगों की उपलब्धियों का उपयोग करने के लिए एक नई रणनीति है। हम पुतिन की तरह यह करना चाहते हैं। कम्युनिस्ट रूसियों के खून में और यहां खाते हैं। सभी वास्तव में और कोई ऐतिहासिक अटकलें नहीं। dvg79 11 नवंबर 2015 13: 31 उदारवादियों पर, यह रक्त अधिक से अधिक परिमाण का आदेश है, इसके अलावा, कम्युनिस्ट लोगों के हितों में, अपने स्वयं के बहुत से बहाते हैं, और उदारवादी हमेशा अपने स्वार्थ में किसी और को डालना पसंद करते हैं। कोई भी एंटीकोमुनिस्ट, घोषणा द्वारा, डिफ़ॉल्ट रूप से एक रसोफोब है। kotvov 11 नवंबर 2015 17: 42 कम्युनिस्ट रूसियों के खून में खाते हैं और सब कुछ वास्तव में है और कोई ऐतिहासिक अटकल नहीं है। ,, और आप गिनती करते हैं कि हाल के इतिहास में गंदगी और उदारवादियों के विवेक पर कितनी मौतें हुईं। maikl50jrij 11 नवंबर 2015 08: 47 "सबसे बुरी बात, वह इस नैतिकता को, अन्य चीजों के साथ, आधुनिक आदमी को, दुनिया और एजेंडे के लिए अपने सैन्य रवैये के लिए स्थानांतरित करता है।" ये मूढ़ता से पीड़ित व्यक्ति के शब्द हैं। यहां तक ​​कि जानवर अपनी खोह का बचाव करता है। हम युद्ध शुरू नहीं करते हैं, लेकिन हम अपनी खोह में पहले से ही हमलावर को खत्म कर देते हैं! तो यह था, तो यह है और इसलिए यह होगा! हमेशा है! और यह सब बदबू (या इस बदबू का प्रसारण) उनकी नपुंसकता से है। हाँ, हम सरल लोग हैं! तो, हमारी आत्मा की सादगी से, हम भावनात्मक रूप से बहुत लंबे समय तक भूखे रह सकते हैं, बाद में "ग्रन्ट्स" होंगे ... Matroskina-53 11 नवंबर 2015 08: 56 "मुक्त इतिहास" के ये अनुयायी साधारण इवान हैं जो अपनी रिश्तेदारी को याद नहीं करते हैं। मैं सिर्फ उन सभी के थूथन में थूकना चाहता हूं और किसी भी तरह का कोई व्यवहार नहीं करना चाहता हूं! सर्जी एस। 11 नवंबर 2015 08: 57 कुछ परे। मैं यह नहीं समझता कि पृथ्वी इस गीक को कैसे पहनती है। राजनीति की एक बूंद भी उचित नहीं है। हमारे लोगों की देशभक्ति की निंदा करने की उन्मत्त इच्छा है। कारण स्पष्ट है: एक बार एक सेब ने एक कामकाजी बुद्धिजीवी के हितों को व्यक्त करने की कोशिश की। बात नहीं बनी। वर्किंग डेमोगॉग्स और वेस्टर्नर्स पसंद नहीं करते। तब सेब ने मनी बैग की उम्मीद की। फिर से असफल रहा। बैगों ने बिना किसी दिमाग के केवल पार्टी टास्क के साथ पॉकेट लॉट में भाग लिया और वहां बुरे लड़कों का स्कोर किया। और अब माइट्रोखिंस यह प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं कि वे खराब हैं। प्रतियोगिता गंभीर है। वे या तो माथे में गोली लगने के डर के बिना एफएसबी को आग लगा देंगे, या वे हमारे नागरिकों की मृत्यु के बारे में एक घृणा लिखेंगे, या वे खुले तौर पर अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में मातृभूमि के खिलाफ कार्रवाई के लिए उकसाएंगे ... मेरी राय में, इस कमीने को आंका जाना चाहिए। कम से कम एक मैत्रीपूर्ण अदालत द्वारा ... और प्रत्येक शहर के वर्ग पर फॉगिंग, जहां नागरिक उपरोक्त घृणा को पढ़ सकते हैं। इसलिए वाक्य में लिखिए: एक नमक की छड़ी के साथ दैनिक सार्वजनिक दैनिक स्पैंकिंग। सेव्रत 11 नवंबर 2015 08: 57 यह एक को दूसरे से अलग करने के लायक है, सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आप इतिहास को कैसे देखते हैं, और वास्तव में, सब कुछ। यदि हम पश्चिम (यूएसए, आदि) और पूर्व (यूएसएसआर, रूस) के बीच चल रहे संघर्ष के दृष्टिकोण से विचार करते हैं, तो कुछ घटनाएँ थीं या नहीं थीं जो मायने नहीं रखती थीं, एक तरफ या किसी अन्य के दृष्टिकोण से, वे पूरी तरह से आधारित नहीं थीं / थीं वैचारिक पूर्वापेक्षाएँ (जैसे हम बेहतर हो रहे हैं)। अगर वे वास्तव में थे और उसके लिए सबूत थे - सभी बेहतर, नहीं - अच्छी तरह से, तो क्या। विजेता कहानी लिखता है, लेकिन जहां पर, विजेता भिन्न होते हैं, वे एक संस्था में, एक देश / देशों में, या शायद अधिकांश देशों में हो सकते हैं। तो एक ही घटना के बारे में सच्चाई, जो बिल्कुल भी सच नहीं है, अलग-अलग दिमागों में बहुत भिन्न हो सकती है। परिवार के भीतर भी, या सभी से ऊपर भी। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऐसा मन अच्छी तरह से समझ सकता है कि सच्चाई वास्तव में, अलग है, लेकिन यह अभी भी अपनी स्थिति को साबित करेगा, क्योंकि यह अपना है और कम से कम अपने लिए लाभदायक है। और अगर हम विज्ञान के बारे में बात कर रहे हैं, तो: ... विज्ञान वास्तविकता के बारे में ज्ञान के विकास और व्यवस्थितकरण के उद्देश्य से मानव गतिविधि का क्षेत्र है। इस गतिविधि का आधार तथ्यों का संग्रह है ... सबसे सामान्य अर्थों में, एक वैज्ञानिक तथ्य एक उद्देश्य और सत्यापन अवलोकन है ... stas57 11 नवंबर 2015 09: 03 कुछ दिनों पहले मैंने पैनफिलोव डिवीजन पर एक बड़ा लेख प्रकाशित किया, और यह कहां है? मैंने मॉडरेशन को याद नहीं किया, और फिर ऐसी सामग्रियां यहां दिखाई देती हैं-- ए। रक्षक, उदारवादी, मदद! कृपया यहाँ अप्रकाशित एक लेख पढ़ें kalibr 11 नवंबर 2015 09: 25 इसे पढ़ें। बहुत दिलचस्प सामग्री, हालांकि मेरी राय में मार्ग पतले हैं। कामों को छोड़ा जा सकता है। क्या आपने यह लिखा? शेष उत्कृष्ट है! stas57 11 नवंबर 2015 10: 14 नहीं, यह एक बड़े और ईमानदार इतिहासकार के xnumx द्वारा लिखा गया था kalibr 11 नवंबर 2015 10: 48 खैर, यह बात नहीं है। मौलिक रूप से, अभिलेखीय दस्तावेजों पर लिखें, बड़े पैमाने पर सबूतों और जवाबी सबूतों की पूरी परत का अध्ययन किया। stas57 11 नवंबर 2015 19: 35 जो किया गया था, Topvar संपादक रुचि नहीं लग रहा था ... 31rus 11 नवंबर 2015 09: 18 प्रिय, सब कुछ बहुत गहरा है, विचारधारा का निषेध और निषेध, विचारधारा का खंडन, पूरी वैचारिकता के "पुनरीक्षण" (और यह सीधे देशभक्ति से संबंधित है) के आधार पर उलझा हुआ है, लाल सेना ने गरीब यूरोपीय लोगों को लूट लिया और बलात्कार किया, बस यहीं से आदेश आया। पहले "फिर से लिखना", फिर भूल जाओ, एक उदाहरण, यहां तक ​​कि हमारे देश में, हम पहले के नायकों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, अफगानिस्तान, चेचन्या, चेर्नोबिल पीड़ितों के नायकों के बारे में, यह "नई खोजों के लिए" ऐतिहासिक विरासत पर "हमें एक कानून की आवश्यकता है" का आधार है, स्पष्ट रूप से यह बताएं कि क्या मिथ्याकरण है। , विकृति, तथ्यों और सजा के जानबूझकर छिपाने, इस "इतिहासकार" को पीड़ितों और राज्य के सभी रिश्तेदारों के अपमान की भरपाई करने दें, चाहे रूस या किसी अन्य राज्य का नागरिक, "जिज्ञासु" कहे, लेकिन कैसे लड़ें अगर पड़ोसी राज्य में पहले से ही फासीवादी हैं "हीरो"। प्रेस अधिकारी 11 नवंबर 2015 09: 31 खैर, शायद 100 साल नहीं .. लेकिन कम .. यहाँ कॉमरेड चुबिस वरिष्ठ वीरता से हर जगह बोलते हैं कि "लेनिनग्राद की नाकाबंदी" बिल्कुल नहीं थी! यह एक मिथक है! और किसी कारण से वह भूल जाता है कि उनके डैडी (चुबैस) लेनिनग्राद की मुक्ति के लिए ही लड़े थे ... शायद गलत लेनिनग्राद से मुक्ति मिली? या क्या बच्चे सिर्फ बड़े हो गए थे? Weyland 12 नवंबर 2015 01: 56 या क्या बच्चे सिर्फ बड़े हो गए हैं? क्यों बच्चेऔर बेटा नहीं? यह सिर्फ इतना है कि परिवार के पास अपनी काली भेड़ें हैं: रेड कॉकरोच का भाई, ईएमएनआईपी, एक पूरी तरह से समझदार व्यक्ति और भाई खड़ा नहीं हो सकता है! चंचलता 11 नवंबर 2015 09: 39 किसी कारण से, इनमें से कोई भी "सत्य-साधक" उन तथ्यों को स्पष्ट नहीं करना चाहता है जिन्होंने "स्टालिनवादी दमन" के मिथक को खत्म करने के लिए लोगों के खिलाफ निंदा लिखी थी। या यह मिथक फिट बैठता है? या यहाँ ऐतिहासिक सत्य की आवश्यकता नहीं है? पारा 11 नवंबर 2015 09: 48 सत्य विचारधारा के परिवर्तन पर निर्भर नहीं करता है। मूर्खतापूर्ण, सत्य उतना ही छिपा था जितना वे कर सकते थे। मुझे अभिलेखागार में सत्य की खोज करने की आवश्यकता नहीं है। हमारे लोग पहले से ही रेड के मामलों के बारे में जानते थे। मुझे नहीं पता कि यूरोप में चालीसवें दशक में क्या हो सकता था। मुझे पता है कि उन्होंने हमारे क्षेत्र में गृहयुद्ध में क्या किया था, साथ ही साथ रोस्तोव की मुक्ति के दौरान के एपिसोड में जब एक उत्साही कम्युनिस्ट ने खुद को ज़ाहना अंधेरा किया, तो बहुत जल्दी हमारे पदों का पता चला और जर्मनों ने उन्हें मार डाला। यह सब वहां मौजूद लोगों के गवाहों से है। यह केवल सबसे साहसी और चुपचाप और केवल अपने आप से बोला गया था। यदि आप सच्चाई छिपाते हैं, तो यह बच्चों या पोते द्वारा खोजा जाएगा और यह बदतर होगा। हमें गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। साहसी 11 नवंबर 2015 09: 58 मैं पूरी तरह से उदारवादियों के प्रति लेखक के रवैये को साझा करता हूं, लेकिन ... लेकिन क्या यह आपको अजीब नहीं लगता कि हमारे वीर अतीत के लगभग सभी प्रचार उदाहरणों में मुख्य पात्रों को मार दिया जाता है? हमारे स्मारक विजयी मेहराब या जीत के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ठोस गुरुत्वाकर्षण हैं ... यह भी स्पष्ट नहीं है कि वे वास्तव में कैसे जीते? यह पता चला कि उदारवादी सही हैं, वे मांस से अभिभूत हैं? यह दिलचस्प है कि यह बलिदान हमारे साथ कब से शुरू हुआ है? क्या यह ख्रुश्चेवस्की, हुह से नहीं है? जब वे विश्व अर्थव्यवस्था में शामिल हो गए, तो उन्होंने रुपये के लिए तेल बेचना शुरू कर दिया ... फिर ये सभी विशालकाय स्मारक बनाए जाने लगे, है ना? किसी भी व्यक्ति से महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के बारे में इतिहासकार नहीं पूछें? तुरंत क्या याद आएगा? ब्रेस्ट फोर्ट, ज़ोया, पैनफिलोवत्सेव की वीर रक्षा ... हमारी जीत कहां है? और द्वितीय विश्व युद्ध क्यों है, न कि द्वितीय विश्व युद्ध? क्या, जापान पर जीत गर्व और शाश्वत स्मृति का कारण नहीं है? आपके लिए, "देशभक्तों" की तरह कोई WWII नहीं है, केवल WWII है? ठीक है, तो लगातार रहो, कुरील द्वीपों को पेंच करो।))) क्या, आपको एक बार में अफ़सोस हुआ? फिर आप अपने बच्चों को हमारी इन जीत के बारे में क्यों नहीं बताते? क्या आपको बोलने में शर्म आती है क्योंकि यह हमारे द्वारा लगाए गए पश्चिमी नैतिकता के अनुरूप नहीं है? निजी तौर पर, मुझे गर्व है कि हमने कुछ ही दिनों में जापानी सेना को कैसे नष्ट कर दिया। पहले हमला किया और नष्ट कर दिया। और ठीक सोवियत सैनिकों के इस पराक्रम के कारण, हमारे सहयोगी, या, जैसा कि अब कहने के लिए प्रथागत है, भागीदारों ने तब हमारे खिलाफ तीसरा विश्व युद्ध शुरू नहीं किया था। क्या आप वास्तव में नहीं समझ पा रहे हैं कि यह बलिदान कहाँ से आया है? क्या आपको याद है कि "चलो अमेरिका को पकड़ें और पार करें"? ऐसा नहीं है कि हम विजेता नहीं हैं, हम अंतरिक्ष में पहले नहीं हैं, हमारे पास उन्नत अर्थव्यवस्था नहीं है ... हां, हमें पकड़ने की जरूरत है ... बेशक, सब कुछ काफी बारीकी से किया गया था। जब हर परिवार में युद्ध में मरने वाले लोग होते हैं, तो इन भावनाओं पर खेलना आसान होता है ... और साथ ही, देश को नियंत्रित करने की अक्षमता को देशभक्तों द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। क्या आपको लगता है कि 90 के दशक में हमारे देश पर कब्जा कर लिया गया और नष्ट कर दिया गया? हां, नहीं, यह ख्रुश्चेव के साथ था कि यह सब शुरू हो गया ... उन्होंने निश्चित रूप से इसे उद्देश्य पर नहीं किया, क्योंकि गोर्बाचेव संभव था ... हालांकि यह थोड़ा अलग विषय है ... मैं सिर्फ इन उदाहरणों के साथ सोच रहा हूं कि आप अपने बच्चों में से किसे विकसित करना चाहते हैं? शिकार? 79057330785 11 नवंबर 2015 11: 26 मुझे स्कूल में इतिहास के पाठ याद हैं: कोस्मोडेमेन्स्काया, पैनफिलोव्त्सी, नाविकों, गैस्टेलो, मोलोडोगवर्डेसी।-सभी की मृत्यु हो गई। लेकिन पायलट देवयतायव के पराक्रम के बारे में कितने लोगों को पता है, जिन्होंने हेंकेल को चुरा लिया था और उसके पकड़े गए साथियों को निकाल लिया था। वे इस करतब के बारे में क्यों नहीं जानते? क्या इसलिए कि पुरस्कारों और सम्मानों के बदले नायक को शिविरों में फेंक दिया गया। विद्रोही नियंत्रण रेखा 11 नवंबर 2015 16: 30 सोवियत समय में, इस तरह की एक पत्रिका थी, टेक्नीक ऑफ यूथ, इसलिए इसमें नियमित रूप से सैन्य विषयों पर विभिन्न लेख होते थे, देवयतेरेव के काम का वर्णन करते थे, जो कि सेवोमास्ट के बचाव से बच गए और सेवस्तोपोल की रक्षा पर 30 बैटरियों के करतब दिखाए, और बहुत कुछ, एक से अधिक इस पत्रिका के बाहर लिखा गया था kalibr 11 नवंबर 2015 22: 39 और अब यह है, और 12 नहीं है, लेकिन 14 संख्या एक वर्ष! और वहां भी सब कुछ छपा है ... सील 12 नवंबर 2015 15: 09 मैंने लिख दिया। और मेरी राय में बहुत सारे लोगों ने लिखा। लेकिन सोवियत समय में पत्रिका दिलचस्प थी। 91 वें वर्ष के बाद, पढ़ना असंभव हो गया। Egevich 11 नवंबर 2015 19: 30 जो कुछ नहीं जानता है? कौन नहीं पढ़ सकता है? खैर, हाँ, ठीक है, 2 महीने के लिए मैं एक विशेष जांच पर था ... हाँ, हाँ, 1972 में उनकी पुस्तक "फ्लाइट टू द सन" 150 प्रतियों के संचलन के साथ प्रकाशित हुई थी ... कृपया उस जानकारी की जाँच करने में संकोच न करें जिसे आप त्रुटिपूर्ण और अज्ञानी को बताना चाहते हैं ... कम से कम विकी या कुछ पर एक नज़र ... stas57 11 नवंबर 2015 19: 38 नवंबर 1945 में, देवयतेव को बर्खास्त कर दिया गया था। 1946 में, पोत के कप्तान का डिप्लोमा होने के बाद, उन्हें कज़ान नदी के बंदरगाह में स्टेशन पर एक कर्तव्य अधिकारी के रूप में नौकरी मिली। 1949 में वे नाव [9] के कप्तान बने, और बाद में सबसे पहले जो पहले रूसी हाइड्रॉफिल जहाजों के चालक दल का नेतृत्व किया - रॉकेट और उल्का। मिखाइल देवयतायव अपने आखिरी दिनों तक कज़ान में रहे। काम किया, जबकि बलों की अनुमति दी। 2002 की गर्मियों में, उनके बारे में एक वृत्तचित्र के फिल्मांकन के दौरान, वह पीनम्यूएन्डे में हवाई अड्डे पर पहुंचे, अपने साथियों के लिए मोमबत्तियाँ जलाईं और जर्मन पायलट जी हॉबॉम से मुलाकात की। Arskoye कब्रिस्तान में Devyatayev की कब्र मिखाइल देवयतायव ने कज़ान में दफन किया Weyland 12 नवंबर 2015 02: 02 क्या इसलिए कि पुरस्कारों और सम्मानों के बदले नायक को शिविरों में फेंक दिया गया। में 2 महीने छानने का काम शिविर - यह उन लोगों के लिए एक सामान्य अभ्यास है जो कैद से बच गए: हमेशा एक जोखिम होता है कि वह भर्ती किया गया था। अप्रिय, अपमानजनक - लेकिन आवश्यक - युद्ध युद्ध है! और "शिविरों में 15 साल" के बारे में अफवाहें मिलीं कि वे श्रृंखला से सिर्फ उदार प्रचार कर रहे हैं "व्यक्तिगत रूप से स्टालिन द्वारा गोली मार दी गई।" crazy_fencer 11 नवंबर 2015 11: 43 कोई नाटक करने की जरूरत नहीं है। और फिर सवाल तुरंत उठता है: पोक्रीस्किन, कोज़ेदुब, मरिनेस्को, लुनिन और कई और क्या करना है जो युद्ध से जीवित वापस लौट आए, और यह उन्हें शेष प्रसिद्ध नायकों से नहीं रोकता था। kalibr 11 नवंबर 2015 13: 37 और मरीनस्को को चोरी के लिए जेल में बैठना पड़ा ... उसने वहां क्या चोरी की? कर्नल 11 नवंबर 2015 20: 24 उसने वहां क्या चोरी की? और यहाँ उन्होंने अपने पाँच सेंट डाले? उसने कुछ नहीं चुराया। वह बहुत स्वतंत्र और ईमानदार था। जिसके लिए उन्होंने फंसाया। kalibr 11 नवंबर 2015 22: 43 और यहाँ पाँच सेंट हैं? मैंने उनके बारे में एक किताब पढ़ी, एक हास्यास्पद वाक्य, इस तरह के एक नायक को। और किसी ने भी हस्तक्षेप नहीं किया। और क्या मतलब है यह भी ईमानदार? आप बहुत ईमानदार नहीं हो सकते! एक ईमानदार या बेईमान हो सकता है। आप थोड़ी गर्भवती नहीं हो सकतीं! कर्नल 13 नवंबर 2015 19: 38 आप बहुत ईमानदार नहीं हो सकते! वास्तव में लिखा है वह बहुत स्वतंत्र और ईमानदार था। 3axap82 12 नवंबर 2015 13: 29 यार, मेरी आपकी इज्जत। अपने विचारों के लिए। "और एक ही समय में देश को संचालित करने में असमर्थता के साथ बदलने के लिए।" इससे पहले, ख्रुश्चेव के तहत, यह लग रहा था "यदि केवल युद्ध नहीं था!" अब गृहिणियों का कहना है, "हालांकि यह बुरा है, बम गिरते नहीं हैं!" उन्हें क्यों गिरना चाहिए, और कौन उन्हें छोड़ने की हिम्मत कर सकता है यह स्पष्ट नहीं है। Landwarrior 11 नवंबर 2015 10: 15 मिथक को नष्ट करने के लिए एकत्र हुए? तो पहली बार में आदेश ऐतिहासिक विज्ञान में रखा जाएगा! जब इतिहास, प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों पर पुस्तकों को लिखना आवश्यक था, तो पुनरावृत्ति में लगे हुए थे, पैसा कमाया और फिर जब वे रेज़ुन परीक्षाओं पर थूकने लगे, तो उन्होंने महसूस किया, लेकिन यह बहुत देर हो चुकी थी। जैसा कि उन्होंने कटस्ट्रोइका अवधि के दौरान छद्म-ऐतिहासिक ढलानों के सभी प्रकार डालना शुरू कर दिया था, वे इसे "सत्य-टेलर" चूसते हैं alstr 11 नवंबर 2015 10: 30 वास्तव में, यह वही है जो आपको अपने बच्चों को शिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे यदि आवश्यक हो तो दूसरों के लिए अपना जीवन दे सकें। इस मामले में, आदेश द्वारा या नहीं - बहुत अंतर नहीं है। नायकों के नाम में कोई अंतर नहीं है। करतब की जगह और समय में कोई अंतर नहीं है। इस मामले में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस स्थान पर पैनफिलोव का पराक्रम पूरा हुआ या नहीं। एक अन्य स्थान पर, और सभी पावफिलोव ने एक समान उपलब्धि हासिल नहीं की। और कितने अज्ञात या छोटे ज्ञात समान मामले हैं? वजन। और न केवल युद्ध का प्रारंभिक चरण। युद्ध के अंत में, पर्याप्त मामले भी थे जब एक छोटे समूह ने अपनी मौत की कीमत पर जर्मनों के प्रतिवाद में देरी की। यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामलों का वर्णन (यद्यपि पूरी तरह से विश्वसनीय और बड़े पैमाने पर सामूहिक नहीं है) ने दूसरों को अपने कारनामे करने के लिए प्रोत्साहित किया या यहां तक ​​कि बस नहीं चलाने के लिए। इस अर्थ में, दो गीतों को याद करना बहुत अच्छा है: "एक अज्ञात ऊंचाई पर" और "पुराने दिनों के नायकों से।" "पुराने दिनों के नायकों से हम इसे अपने सीने में रखते हैं। " "हम में से केवल तीन ही बचे थे अनाम ऊंचाई पर। " Weyland 12 नवंबर 2015 02: 05 इस अर्थ में, दो गीतों को याद रखना बहुत अच्छा है: "एक अज्ञात ऊंचाई पर" और "पुराने दिनों के नायकों से।" मैं एक तीसरा जोड़ूंगा: "क्रायुकोवो गांव के पास।" सौभाग्य से, यह वास्तविक तथ्यों पर आधारित है। afrikanez 11 नवंबर 2015 10: 39 मुझे आश्चर्य है कि इस तरह के "इतिहासकारों" को अभी भी एक आँख क्यों बदल दी गई है? एपिफ़ैन 11 नवंबर 2015 10: 48 चिंतित "उदारवादी", और इसे कुंद करने के लिए, पांचवां स्तंभ और लोगों के दुश्मन। हमारे इतिहास की एक निश्चित अवधि में इसके बुरे परिणाम हुए। और इसलिए, एक और अवधि के अनुभव को देखते हुए, सरीसृप को कुचलने की जरूरत है। कुछ भी अच्छा नहीं कहा जाएगा। कोई भी "सभ्य" नहीं कहेगा। यूरोप, और न ही आंतरिक आंतरिक सरनेम के साथ मिलता है। crazy_fencer 11 नवंबर 2015 11: 40 लेख के लेखक ने समस्या को कुछ हद तक ज़ो कोस्मोडेमेन्स्काया और 28 पैनफिलोव के लिए सीमित कर दिया। वास्तव में, महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के दौरान सैन्य पराक्रम की जानबूझकर बदनामी का अभियान कल से शुरू नहीं हुआ, और इसमें बहुत व्यापक चरित्र है। वे उन सभी से गुजरे जो दशकों से युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल रहे हैं: मारिंसको, गैस्टेलो और अलेक्जेंडर मैट्रोसोव। 50 के दशक में लुनाइन ने वापस गंदगी के साथ हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। इंटरनेट पर चारों ओर अफवाह फैलाना - इस संबंध में बहुत सारी चीजें मिल सकती हैं। लेखक केवल "एक विशिष्ट व्यक्ति" का जिक्र करते हुए "मुक्त इतिहासकारों" का हकदार है। मुझे नहीं पता। मेरी राय में, देश को अपने नायकों को जानना चाहिए। "28 पैनफिलोविट्स के मिथक" के अभियान को राज्य अभिलेखागार के निदेशक, सर्गेई मिरानेंको द्वारा सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया गया था। यह एक पोस्ट की तरह कुछ भी नहीं है। यह कैसे हुआ, इसका गहन और विस्तृत विश्लेषण यहां पढ़ा जा सकता है: http://niramas.livejournal.com/33993.html किस लिए? या, जैसा कि प्राचीन रोमनों ने कहा, "क्यूई ठेस?" इस सवाल का कुछ विस्तार से उत्तर यहाँ दिया गया है: http://photonoid.livejournal.com/31668.html मैं उन लोगों की अत्यधिक अनुशंसा करता हूं जो इस तरह के उदारवादी "इतिहासकारों" को सिर पर पूरी तरह से हरा देना चाहते हैं ताकि वे इन सामग्रियों से खुद को परिचित कर सकें। हालांकि मैं आपको तुरंत चेतावनी देता हूं: "मन्नोगुबकफ" - इसलिए, जो लोग विज्ञापन के नारों में सोचने के आदी हैं, उन्हें वहां ध्यान नहीं देना चाहिए। पहले प्रकाशन के लिए मैंने उद्धृत किया है जिसमें तीन भाग हैं, छह का दूसरा। बिजोन 11 नवंबर 2015 11: 57 पांचवें स्तंभ को एक जुटता क्रम मिला। आयरन शूरिक (युवती का नाम - नेवज़ोरोव), एक रखी हुई महिला और बेरेज़ोव्स्की की एक चेन डॉग, ने कहा कि वह रूसी होना बंद हो गई थी। राजनीतिक वेश्या, आप कभी भी रूसी नहीं हुए हैं, अगर आपके रक्त में - 1/4 तातार! ज़ेवनेत्स्की ने खुले तौर पर घोषणा की कि वह रूस के विनाश का सपना देखता है (इससे पहले कि वह निर्दोषता का ख्याल रखता है!), पुराना "बकरी"! उनमें से कितने, जैसे, रूस और पड़ोसी देशों में झगड़े हो रहे हैं! यह ऐसी भट्टी का समय होगा! Avata-टा-R-में 11 नवंबर 2015 13: 47 खैर, मैं तातार हूँ, तो क्या? आपके और मेरे बीच क्या सीमा है? Weyland 12 नवंबर 2015 02: 12 कभी-कभी आत्मा इतनी कठोर होती है क्या उसे कुछ भी नहीं मारा जा सकता है। मौत की हवा बर्फ से भी ज्यादा ठंडी हो सकती है वह आत्मा की पंखुड़ियों को परेशान नहीं करेगा। गर्व भरी मुस्कान के साथ फिर से चमक उठती है। और संसार की व्यर्थता को भूल रहे हैं फिर मैं चाहता हूं, बाधाओं को जाने बिना, लिखना, लिखना, लिखना, थकना नहीं। मेरे मिनट गिने जाएं जल्लाद मेरे लिए इंतजार करें और कब्र खोदें, मैं किसी भी चीज के लिए तैयार हूं। लेकिन मुझे अभी भी जरूरत है कागज सफेद और काली स्याही है! इन छंदों के लेखक हैं 100% मूसा जलील नाम का एक तातार। सोवियत संघ के नायक (मरणोपरांत)। युद्ध के कैदियों के एक भूमिगत संगठन में भाग लेने के लिए फासीवादी कैद में दोषी। An64 11 नवंबर 2015 12: 38 हर समय, इतिहासकारों ने राज्य विचारधारा की सेवा की है: tsarist में - tsarist, सोवियत में - सोवियत, अब संयुक्त रूस ... इसमें कुछ भी बुरा और कुछ भी अच्छा नहीं है - यह एक तथ्य है। मौजूदा प्रणाली की "शुद्धता" दिखाने के लिए इतिहास को जानबूझकर विकृत किया गया है। यह यहां किया जाता है, यह पश्चिम और पूर्व दोनों में किया जाता है। केवल अभिलेखीय दस्तावेजों और सिद्ध तथ्यों के साथ काम करना, मेरी राय में, अच्छा है। लेकिन, दुर्भाग्य से, बहुत से लोग इसे समझने और ऐतिहासिक घटनाओं के संबंध बनाने में सक्षम नहीं होंगे। इसलिए, राजनीति में तथ्य "पोशाक" और इतिहासकारों द्वारा हमें अवगत कराया जाता है। दुनिया में जितनी विचारधाराएं हैं, उतने "ऐतिहासिक सत्य" होंगे। इसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता है। साहसी 11 नवंबर 2015 13: 05 हर समय, इतिहासकारों ने राज्य विचारधारा की सेवा की: tsarist - tsarist में, सोवियत में - सोवियत, अब संयुक्त रूस ... इसमें कुछ भी गलत नहीं है और कुछ भी अच्छा नहीं है। छोटा सा स्पष्टीकरण। सोवियत काल में, विचारधारा कई बार बदली। संयुक्त रूस की विचारधारा ख्रुश्चेव के सोवियत युग की बहुत याद दिलाती है। जब वास्तविक कार्यों को लोकलुभावनवाद, प्रचार द्वारा बदल दिया गया और अंततः पतन का कारण बना। शांत 12 नवंबर 2015 17: 12 हर कोई खुद के लिए सच्चाई को समायोजित करता है, किसी के व्यक्तिगत घृणा के तथ्यों के माध्यम से विचार करता है। Chunga-Changa 11 नवंबर 2015 13: 28 जो भी हो, हालांकि उदारवादी और देशभक्त एक-दूसरे के कानों पर कटाक्ष नहीं करेंगे और अपनी आत्मा में थूकेंगे नहीं - ये उनकी समस्याएं हैं। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने वाले सभी लोगों को अपनी भूमिका को सच्चाई से कवर करने का अधिकार है। वंशज बस समझने के लिए बाध्य हैं कि वास्तव में सब कुछ कैसे था। Avata-टा-R-में 11 नवंबर 2015 13: 45 1999 में, नए साल के लिए एक विमुद्रीकरण के बाद, मैंने एक कंप्यूटर खरीदा और, तदनुसार, विभिन्न गेम, वहाँ एक खेल था जो सम्मान का पदक था - मेरे मृतक दादा, युद्ध के एक अनुभवी (43-17 वर्षीय स्वयंसेवक बनने के लिए छोड़ दिया), खेलना सीखा और पिछले एक को छोड़कर खेलों की पूरी श्रृंखला के माध्यम से चले गए। 2011 में हुआ था। मैंने खुद के लिए देखा-उसे अब एक बार फिर जर्मनों पर फिर से गोली मारने का वास्तविक मौका दिया, वह बीमारी की उम्र के बारे में भूल जाएगा, परिवार के बारे में भूल जाएगा और फिर से लड़ने के लिए जाएगा - उसने अवचेतन स्तर पर देखा था कि उसने जर्मन को कितना देखा, और मार डाला। मेरा सवाल है लोबोट्रीस-क्या दादाजी नहीं लड़ते, उन्होंने जवाब दिया एन जैसा कि कबीले के पुरुषों ने 27 पुरुषों और 2 महिलाओं को छोड़ दिया, 2 वापस आ गए (केवल मेरे परदादा और दादा) और कि मुझे उनसे (फासिस्टों) प्रार्थना करनी चाहिए या कुछ और? मिट्रोफानसुकी का विरोध करने के लिए और आपको परिवार के इतिहास को याद रखने की ज़रूरत है - न केवल 9 मई को याद रखें कि दादा-दादी के परदादाओं के बारे में - बेटियों के पोते-पोतियों को पहले ही संग्रहालय और जिम में खींच लिया जाना चाहिए - बेटा 5 साल का था - उस साल कुर्स्क में अपने रिश्तेदारों के पास जाने के लिए मना कर रहे थे। 4 साल थे, लेकिन अभी भी मेरे सिर में कुछ स्थगित हो जाएगा - भ्रम के लिए खेद है
2021/01/19 21:59:04
https://hi.topwar.ru/85983-kto-v-rossii-vdrug-ozabotilsya-istoricheskimi-mifami-o-panfilovcah-zoe-kosmodemyanskoy-i-podvige-aleksandra-matrosova.html
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मोदी सरकार के रहते कभी भारत नहीं आ सकेंगे 'जालिम विदेशी ज़मात' - report4india Home राष्ट्रीय मोदी सरकार के रहते कभी भारत नहीं आ सकेंगे 'जालिम विदेशी ज़मात' निजामुद्दीन मरकज़ से बाहर निकलता तबलीगी जमात। पर्यटक वीजा लेकर देश भर में कट्टर इस्लाम का प्रचार व कोरोना फैलाने आए 19 विदेशी मरकज़ी जमातियों को काली सूची में डाला गया, पासपोर्ट व वीजा रद्द राजधानी के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में शामिल होने आए 19 देशों से आए 960 तबलीगी जमातियों के खिलाफ भारत सरकार कड़ा फैसला लिया है। इन सभी विदेशी जमातियों के पासपोर्ट व वीजा रद्द कर इन्हें ब्लैक लिस्ट घोषित कर दिया गया है। यानी, ये सभी तबलीगी जमाती कभी भारत नहीं आ सकेंगे। इसके अलावा, इन सभी के खिलाफ वीजा नियमों के उल्लंघन व अवैध गतिविधियों में शामिल होने के साथ ही नियमों का पालन नहीं कर देश भर में कोरोना संक्रमण फैलाने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। केंद्रीय गृमंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में पर्यटन के नाम पर वीजा प्राप्त कर तबलीगी गतविधियों में 960 विदेशी नागरिकों पाए गए हैं, जिन्हें ब्लैक लिस्ट कर सभी के वीजा भी रद्द कर दिए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तबलीगी जमात के मामले में दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को विदेशी अधिनियम, 1946 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए 960 विदेशियों के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
2022/06/29 00:19:40
https://www.report4india.com/national/modi-government-under-never-be-able-to-come-to-india-foreign-tablighi-zamat-1313/
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दैनिक ट्रिब्यून » News एसएफआई की याचिका पर विवि से जवाब तलब - दैनिक ट्रिब्यून एसएफआई की याचिका पर विवि से जवाब तलब दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से संबद्ध 3 विद्यार्थियों की एक याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से अवैध तरीके से रोका गया। डूसू चुनाव बृहस्पतिवार को होने हैं। जस्िटस संजीव सचदेवा ने डीयू, उसके मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) और मॉरिस नगर के थाना प्रभारी को बुधवार को नोटिस जारी किया। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की है। अदालत ने कहा कि चुनाव, याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा।
2020/07/03 12:45:57
https://www.dainiktribuneonline.com/2019/09/%E0%A4%8F%E0%A4%B8%E0%A4%8F%E0%A4%AB%E0%A4%86%E0%A4%88-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BF-%E0%A4%B8/
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देहरादून। उत्तराखंड में दो मरीजों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। उत्तराखंड में अब कुल 42 कोरोना पॉजिटिव के मामले सामने आ चुके हैं। जबकि अब तक कुल 9 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे कोरोना मामलों में आज दो नये मामले रुड़की से सामने आये है। जानकारी के अनुसार दोनों संक्रमित मरीज जामाती बताये जा रहे हैं। फिलहाल दोनों मरीजों को रुड़की में ही आइसोलेट किया गया है। साथ ही इन दो मामलों के बढ़ने से अब उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों का संख्या बढ़कर 42 हो गयी है। Post Views: 140 Taggedbrightpost.incorona virusDehradun news in hindilockdownuttarakhand newsकोरोना मरीजों का आंकड़ा 40 से बढ़कर हुआ 42 Related Posts गुड़ न्यूज़: गौचर व चिन्यालीसौड़ के लिए जल्द शुरू होगी हवाई सेवा November 27, 2022 प्रधानमंत्री ने रोजगार मेले के तहत 71 हजार युवाओं को सौंपे नियुक्ति-पत्र। कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल का शुभारंभ November 22, 2022 बड़ी खबर: बैठक में अधूरी तैयारी के साथ पहुंचे अधिकारी। मंत्री का चढ़ा पारा, बैठक स्थगित November 19, 2022 Post navigation Previous Article वीडियो: युवक ने की सफाई कर्मी के साथ अभद्रता। कर्मचारियों ने दी कार्य बहिष्कार की चेतावनी
2022-11-28T15:34:08Z
https://brightpost.in/2020/04/18/the-number-of-corona-patients-increased-from-40-to-42/
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कोरोना वायरस को लेकर सरकार की पूरी तैयारी: केजरीवाल - corona virus arvind kejriwal harshvardhan china Updated: 04 Mar, 2020 03:33 PM 2020-03-04T14:19:39+05:30 2020-03-04T15:33:55+05:30 कोरोना वायरस को लेकर आज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि सरकार ने आज कोरोना वायरस को लेकर समीक्षा बैठक की है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर सरकार की पूरी तैयारी है। कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। डेंगू की तरह हम कोरोना वायरस पर भी काबू पा लेंगे। नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर आज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि सरकार ने आज कोरोना वायरस को लेकर समीक्षा बैठक की है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर सरकार की पूरी तैयारी है। कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। डेंगू की तरह हम कोरोना वायरस पर भी काबू पा लेंगे। केजरीवाल ने कहा कि एयरपोर्ट पर आने वाले हर यात्री की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है। जिनमें भी थोड़े बहुत लक्षण मिल जाते हैं उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भेज दिया जा रहा है। अभी तक 1,16,589 यात्रियों को एयरपोर्ट पर स्क्रीन किया जा चुका है। केजरीवाल ने कहा कि अभी तक दिल्ली में कोरोना वायरस का एक कंफर्म केस है जो सफदरजंग अस्पताल में है। ये वियना से दिल्ली आए थे। आने के बाद वो जिनसे मिले उन 88 लोगों का पता लगा लिया गया है। उन्हें कॉन्टेक्ट कर उन्हें स्क्रीन करने की कोशिश की जा रही है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक स्टेट लेवल टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिसको मैं हेड कर रहा हूं। स्टेट लेवल टास्क फोर्स की मीटिंग हुई जिसमें हर विभाग को उसका काम बता दिया गया है। दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर केजरीवाल नहीं मनायेंगे होली केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में हुए सांप्रदायिक दंगों के आलोक में वह होली नहीं मनायेंगे । केजरीवाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह और उनकी पार्टी के विधायक दंगों के कारण होली नहीं मनायेंगे । केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं । संशोधित नागरिकता कानून के विरोध के दौरान उत्तरपूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे । वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को कहा कि देश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 28 पुष्ट मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि अब सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इससे पहले 12 देशों के यात्रियों की ही स्क्रीनिंग की जा रही थी। हर्षवर्धन ने संवाददाताओं से कहा कि यदि ईरान की सरकार सहायता करने को तैयार होती है तो वहां भी एक जांच केंद्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से स्क्रीनिंग के बाद ईरान से भारत के नागरिकों को वापस लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और नगर निकाय के अधिकारियों से मुलाकात कर उनसे भी शहर के अस्पतालों में पृथक वार्ड की सुविधाएं तैयार करने की अपील की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के 28 मामलों में से एक व्यक्ति दिल्ली से और उसके छह रिश्तेदार आगरा से, एक तेलंगना से जबकि 16 इटली के नागरिक और उनका भारतीय चालक शामिल हैं। चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान से शुरू हुये जानलेवा कोरोना वायरस की चपेट में आकर विश्व के 70 देशों में अबतक 3173 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 92533 लोग इस वायरस से संक्रमित हैं। कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है और यह वायरस यूरोप के कई देशों समेत 70 देशों में फ़ैल चुका है। पूरे विश्व में कोरोना के संक्रमण से प्रभावित लोगों में से अबतक लगभग 50 हजार लोगों को इससे मुक्ति दिलाई गई है। भारत में सोमवार को दो और कोरोना वायरस के मामलों की पुष्टि होने के सााथ ही अब तक कोविड-19 (नए कोरोना वायरस) के पांच मामलों की पुष्टि हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि दिल्ली में एक मरीज में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। वह पिछले दिनों इटली होकर आया था। एक दूसरे मामले में तेलंगाना में एक मरीज कोरोना से संक्रमित पाया गया है जो दुबई की यात्रा से लौटा था। दोनों को चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। इससे पहले तीन मामले केरल में पाये गए थे।
2020/04/07 18:02:25
https://www.punjabkesari.in/national/news/corona-virus-arvind-kejriwal-harshvardhan-china-1132726
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Dr. BR Ambedkar School of Specialized Excellence : डॉ. बीआर आंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के नाम से जाने जाएंगे दिल्‍ली सरकार के SoSE Leave a Comment / दलित न्‍यूज़, शिक्षा / By dalitawaaz नई दिल्‍ली : दिल्ली सरकार (Delhi Government) के सभी एसओएसई (SoSE) का नाम अब डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस (Dr. BR Ambedkar School of Specialized Excellence) होगा. साथ ही, स्कूल जीबीएसएसएस न.- 2 आदर्श नगर का नाम रवि दहिया बाल विद्यालय और दिल्ली सरकार के पहले सैन्य प्रशिक्षण स्कूल का नामकरण शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रीप्रेटरी स्कूल करने को मंजूरी दी गई. बैठक में स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए डीडीए के 16 पार्कों का नामकरण भी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर करने के फैसले को मंजूरी दी गई. समता सैनिक दल के सैनिकों को बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर का संदेश दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई स्टेट नेमिंग अथॉरिटी की महत्वपूर्ण बैठक में यह अहम फैसले लिए गए. इस मौके उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा कि केजरीवाल सरकार में स्वतंत्रता सेनानियों, राष्ट्र-निर्माताओं, देशभक्त शहीदों और देश का नाम रौशन करने वाले व्यक्तियों को सम्मान देने की परम्परा का पालन किया जाता है. इसी परंपरा के तहत हम अपने सैन्य प्रशिक्षण स्कूल का नाम शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रीप्रेटरी स्कूल, एसओएसई (SoSE) का नामकरण डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस (Dr. BR Ambedkar School of Specialized Excellence), जीबीएसएसएस न.2 आदर्श नगर का नाम रवि दहिया बाल विद्यालय और हमारे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने, उनके प्रति श्रद्धांजली व कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए डीडीए के 16 पार्कों का नामकरण कर रहे हैं. Dr. BR Ambedkar.. महिलाओं के हितों व अधिकारों के संवेदनशील योद्धा एवं पुरोधा ज्ञात हो कि केजरीवाल सरकार ने एसओएसई के अंतर्गत अपने सैन्य प्रशिक्षण स्कूल का नामकरण शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रीप्रेटरी स्कूल रखने का फैसला किया था, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की थी और ओलम्पिक में देश का नाम रौशन करने वाले पहलवान रवि दहिया के नाम पर जीबीएसएसएस न.2 आदर्श नगर का नाम रवि दहिया बाल विद्यालय रखने का फैसला किया था, जिसे बैठक में मंजूरी दे दी गई. नारी राष्ट्र निर्मात्री है, हर नागरिक उसकी गोद में पलता है… महिला उत्‍थान पर Dr. Ambedkar के प्रयास इसके अलावा, स्टेट नेमिंग अथॉरिटी की बैठक में डीडीए के 16 पार्कों को जिन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर नामकरण करने की मंजूरी दी गई. जिसमें आसफ़ अली, अवध बिहारी, मास्टर अमीर चंद, लाला हरदयाल, कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लों, जनरल शाह नवाज़ खान, गोविन्द बिहारी लाल, सत्यवती, कर्नल प्रेम सहगल, बसंता कुमार विश्वास, भाई बालमुकुन्द, डॉ. सुशीला नय्यर, हकीम अजमल खान, ब्रज कृष्णा चांदीवाला, स्वामी श्रद्धानंद व दीनबंधु सी.एफ. एंड्रू शामिल है. Dr. Bhimrao Ambedkar : डॉ. बीआर आंबेडकर की नजर में कृतज्ञता की सीमा क्या है? डॉ. बीआर आंबेडकर से संबंधित सभी लेख यहां पढ़ें… बाबा साहेब के जीवन पर आधारित शो Baba Saheb: The Musical today शुरू, जय भीम के नारों से गूंजा JLN स्‍टेडियम Leave a Comment / दलित न्‍यूज़ / By dalitawaaz नई दिल्‍ली : दिल्‍ली सरकार (Delhi Government) द्वारा आयोजित किया जा रहा बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर के जीवन पर आधारित संगीतमय भव्य नाट्य मंचन बाबा साहेब: द म्यूजिकल (Baba Saheb: The Musical today) शुक्रवार से दिल्‍ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (Jawaharlal Nehru Stadium) में शुरू हो गया. इस शो को जनता से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम जय भीम की गर्जना से गूंज उठा (Jawaharlal Nehru Stadium echoed with roars of Jai Bhim). इस मंचन के जरिये बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के महान एवं प्रेरणादायी जीवन (Great and Inspirational Life of Dr. Bhimrao Ambedkar) को एक संगीतमय नाटक के ज़रिए दर्शाया जा रहा है. इस शो में मुख्य कलाकार के रूप में रोहित बोस रॉय, कथाकार के रूप में टिस्का चोपड़ा और टीकम जोशी जैसे शानदार कलाकार हैं. महुआ चौहान ने नाटक का निर्देशन किया है. इस संगीत समारोह के माध्यम से दर्शकों को एक अंतरराष्ट्रीय रंगमंच का अनुभव प्रदान करने का प्रयास है, जिसमें 40 फुट चौड़े घूमने वाले मंच के साथ 100 फुट का मंच है. Dr. BR Ambedkar: राजनीतिक व्यक्ति या सत्ता के आगे लोगों के नतमस्तक होने को लेकर डॉ. आंबेडकर की चेतावनी इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने कहा कि एक आम आदमी तक बाबा साहब के जीवन को पहुंचाने के लिए नाटक सबसे अच्छा जरिया हो सकता है. बाबा साहब का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी है (Babasaheb’s life is very inspirational). मैं तो अपने आपको उनका भक्त मानता हूं. हम उनके जीवन को जितना पढ़ते हैं, उतना ही यकीन नहीं होता है कि ऐसा कोई व्यक्ति पैदा हुआ था. बाबा साहब ने अपनी जिंदगी में जो हासिल किया और दलितों- गरीबों को समाज में बराबरी (Equality in society for Dalits-Poor) के लिए जो संघर्ष किया, वह बेहद ही अद्भुत है. बाबा साहब के जीवन से एक ही संदेश मिलता है कि अगर आप पूरी लगन से लग जाओ, तो इस विश्व में कुछ भी असंभव नहीं है. Dr. Bhimrao Ambedkar : डॉ. बीआर आंबेडकर की नजर में कृतज्ञता की सीमा क्या है? दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (Delhi’s Jawaharlal Nehru Stadium) में आज से शुरू हुए बाबा साहब के जीवन पर आधारित इस तरह का संगीतमय भव्य शो (Baba Saheb: The Musical today) अपने देश में पहली बार दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित किया जा रहा है. पहले दिन इस संगीतमय भव्य शो को देखने के लिए जानी मानी हस्तियां भी उपस्थित रहीं. साथ ही, सीएम अरविंद केजरवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Delhi Deputy CM Manish Sisodia) के साथ पूरा दिल्ली कैबिनेट और सभी विधायक भी मौजूद रहे. दूर-दराज से आए बड़ी संख्या में लोगों से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम का ऑडिटोरियम (Jawaharlal Nehru Stadium Auditorium) खचाखच भर गया. डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में क्‍यों जाना जाता है? इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली के अंदर आज से बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) के जीवन पर आधारित यह शो Baba Saheb: The Musical today शुरू हो रहा है. हम लोग दो साल से योजना बना रहे थे कि बाबा साहब के जीवन को जन-जन तक कैसे पहुंचाया जाए? हम लोगों ने स्कूलों में भी बाबा साहब (Baba Saheb) के बारे में पढ़ाने के लिए अलग से व्यवस्था की. हम लोगों ने सोचा कि एक आम आदमी तक बाबा साहब को पहुंचाने के लिए नाटक एक सबसे अच्छा जरिया हो सकता है. इस मंचन के जरिये बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के महान एवं प्रेरणादायी जीवन को एक संगीतमय नाटक के ज़रिए दर्शाया जा रहा है. डॉ. आंबेडकर की राय में, संसदीय सरकार में विपक्षी पार्टी की आवश्यकता क्यों होती है? बाबा साहब का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी: अरविंद केजरीवाल सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी है. मैं तो अपने आपको उनका भक्त मानता हूँ. क्योंकि जितना हम उनके जीवन को पढ़ते हैं, उतना ही यकीन नहीं होता है कि ऐसा कोई व्यक्ति पैदा हुआ था. एक बार आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में बोला था कि आने वाली नस्लें यकीन नहीं करेंगी कि ऐसा व्यक्ति कभी इस धरती पर पैदा हुआ था. आइंस्टीन ने यह बात गांधी जी के बारे में कहा था, लेकिन मुझे लगता है कि यह बाबा साहब के बारे में बिल्कुल फिट होता है. The Buddha and His Dhamma : ‘बुद्ध एवं उसका धम्म’ तीन में से एक… डॉ. बी.आर आंबेडकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब एक बेहद ही गरीब घर में पैदा हुए थे. उनके घर में खाने को नहीं था. उस समय छुआछूत (Untouchability) इतना ज्यादा था कि जब बाबा साहब स्कूल आते थे तो उन्हें बाहर बैठा दिया जाता था. वहां से निकल कर वो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने पहुंच गए और लंदन ऑफ इकोनॉमिक्स में पीएचडी करने पहुंच गए. मैं सोच रहा था कि आज के समय में 100 साल बाद भी हमारे बच्चों को कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (Columbia University and the London School of Economics) में जाने में नानी याद आ जाती है. कहाँ किसको एडमिशन मिलता है. आज तो इंटरनेट का जमाना है. उन दिनों तो इंटरनेट भी नहीं था. आज आप सोच कर देखिए कि 1914-15 के आसपास बाबा साहब जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Columbia University) गए थे. तब पहली बात तो यह कि उनको कोलंबिया यूनिवर्सिटी का नाम किसने बताया और उन्होंने फॉर्म कहा से लिया, उन्होंने आवेदन कैसे किया? मैं तो यह सोच-सोच कर दंग रह जाता हूँ कि बाबा साहब ने अपनी जिंदगी में जो हासिल किया और उन्होंने दलितों- गरीबों को समाज में बराबरी के लिए जो संघर्ष किया, वह बेहद ही अद्भुत है और अंत में उन्होंने देश का संविधान लिखा. उनके जीवन से एक ही संदेश मिलता है कि अगर आप पूरी लगन से लग जाओ, तो इस विश्व में कुछ भी असंभव नहीं है. आपको सबकुछ मिल सकता है और सब कुछ हो सकता है. SC छात्र कालेज स्तर तक पहुंचकर क्यों पढ़ाई छोड़ देते हैं? जब डॉ. आंबेडकर ने जताई थी चिंता बाबा साहब के संदेशों को लोगों तक पहुंचाएगा यह नाटक हम सभी बाबा साहब को भारतीय संविधान के निर्माता (Baba Saheb Dr. BR Ambedkar, The architect of Indian constitution) के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन के ऐसे कई पहलू हैं, जिनसे आम तौर पर लोग अनजान हैं. जैसे कि एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी भूमिका, आरबीआई की स्थापना, महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देना आदि. सही मायने में यह नाटक बाबा साहब के संदेश को लोगों तक पहुंचाएगा. बाबा साहब के मूल्यों और संदेश को आत्मसात करने के लिए, यह शो बाद के दिनों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के प्रत्येक प्रधानाचार्य, छात्रों और शिक्षकों को भी दिखाया जाएगा. दिल्ली सरकार, दिल्ली में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रहा है. इस संगीत समारोह के माध्यम से दर्शकों को एक अंतरराष्ट्रीय रंगमंच का अनुभव प्रदान करने का प्रयास है, जिसमें 40 फुट चौड़े घूमने वाले मंच के साथ 100 फुट का मंच है. लोग अपने मूल अधिकार पहचानेंगे और जानेंगे कि संविधान उनके लिए क्या मायने रखता है: डॉ. बीआर आंबेडकर 12 मार्च तक शो का होगा आयोजन, ऐसे मिलेगी फ्री टिकट उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार द्वारा बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के महान एवं प्रेरणादायी जीवन को एक संगीतमय नाटक Baba Saheb: The Musical today के ज़रिए दर्शाया जा रहा है. दुनिया भर में बाबा साहब के करोड़ों प्रसंशक और अनुयायी हैं. जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 12 मार्च तक चलने वाले इस भव्य शो के प्रतिदिन दो शो होंगे. आम जनता के लिए यह शो बिल्कुल मुफ्त है, लेकिन सीमित सीट होने के कारण टिकट पहले बुक करना होगा. मोबाइल नंबर 8800009938 पर काल करके या www.babasahebmusical.in जाकर टिकट बुक कर सकते हैं. दिल्ली सरकार ने अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग आकर नाटक देंखे और बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लें. इस शो में मुख्य कलाकार के रूप में रोहित बोस रॉय, कथाकार के रूप में टिस्का चोपड़ा और टीकम जोशी जैसे शानदार कलाकार हैं. महुआ चौहान ने नाटक का निर्देशन किया है. सुभाष चंद्र बोस और डॉ. भीमराव आंबेडकर की मुलाकात दिल्ली सरकार ने बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके जीवन पर भव्य संगीतमय नाटक Baba Saheb: The Musical today आयोजित करने का निर्णय लिया था. पहले यह नाटक पांच जनवरी से शुरू होने वाला था, लेकिन ओमिक्रॉन कोरोना की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा था. 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2022-12-06T00:45:35Z
https://dalitawaaz.com/tag/delhi-government
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How to recover deleted whatsapp messages - यूजर आजकल whatsApp के जरिए अपने text documents और मीडिया फाइल्स आसानी से दूसरे users के साथ शेयर कर सकते हैं, कई बार इसमें important messages भी होते हैं, अगर गलती से मैसेज डिलीट हो जाए तो फिर परेशानी का सामना भी करना पड़ता है ऐसे में अगर आप चाहे तो डिलीट हुए मैसेज को फिर से रिस्टोर कर सकते हैं। Also read it - Decorate Your Navigation Bar Using "Navbar Apps" ऐसे करें Recover : सबसे पहले Google Play Store से Notification History App को डाउनलोड करें ऐप को ओपन करें और Allow button पर टाइप करके नोटिफिकेशन और administrator की परमिशन दें। इसके बाद app आपकी सारी notification history को रिकॉर्ड करने लगेगा। than नोटिफिकेशन हिस्ट्री के लिए ऐप को ओपन करें और व्हाट्सएप आइकन पर टैप करें अब उस व्यक्ति के नंबर या नाम पर टैप करें जिस के डिलीट मैसेज को आप पढ़ना चाहते हैं। How to restore deleted whatsapp messages easily Apps की है सीमाएं : but ऐप डिलीट मैसेज के केवल शुरुआती 100 शब्दों को ही रिस्टोर कर सकता है अगर आप अपने फोन को रीस्टार्ट करते हैं तो यह मैसेज डिलीट हो जाएंगे यह मैसेज को रिस्टोर कर सकता है जिनका नोटिफिकेशन आपको मोबाइल पराया हो या फिर उन मैसेज को आपने पढ़ा हो इसके अलावा आपका फोन एंड्रॉयड 4.4 या फिर उससे ऊपर के वर्जन पर काम कर रहा होना चाहिए।
2020/07/02 12:29:51
https://www.techbytbr.com/2018/10/how-to-recover-deleted-whatsapp-messages.html
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The Haste In The Removal Of The Cbi Director, The Government Started The Wrong Tradition: Shiv Sena | सीबीआई निदेशक को हटाना जल्दबाजी, सरकार ने गलत परंपरा की शुरुआत कीः शिवसेना | Lokmat News Hindi सीबीआई निदेशक को हटाना जल्दबाजी, सरकार ने गलत परंपरा की शुरुआत कीः शिवसेना By भाषा | Follow | Published: January 12, 2019 02:33 PM2019-01-12T14:33:19+5:30 | Updated: January 12, 2019 02:33 PM2019-01-12T14:33:19+5:30 मुंबई, 12 जनवरीः शिवसेना ने सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल किए गए आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के फैसले को मोदी सरकार का जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने वर्मा को अपना बचाव करने का मौका न देकर ''गलत परंपरा" शुरू की है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा सीबीआई प्रमुख के पद से स्थानांतरित कर दमकल सेवा, सिविल डिफेंस एवं होम गार्ड का महानिदेशक बनाए जाने के एक दिन बाद ही वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था। उच्चतम न्यायालय ने आठ जनवरी को सीबीआई निदेशक के तौर पर वर्मा को बहाल कर दिया था। भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप के चलते करीब तीन महीने पहले उनसे और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से सरकार ने उनकी शक्तियां वापस लेकर उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया था। शिवसेना ने संपादकीय में पूछा, "राफेल सौदे को लेकर आरोपों के बीच जब प्रधानमत्री अपने बचाव के लिए हर मंच का प्रयोग कर सकते हैं तो यही मौका अपदस्थ सीबीआई प्रमुख को क्यों नही दिया गया? पूरे प्रकरण का संदर्भ देते हए पार्टी ने सवाल किया, "क्या कुछ लोगों के मन में बसे इस डर के चलते वर्मा को पद से हटाया गया कि अगर वर्मा एक दिन भी एजेंसी की अध्यक्षता करते तो सीबीआई के पिटारे से कई राज बाहर आ जाते? पार्टी ने पूछा, "और उन आरोपों का क्या कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि राफेल सौदे में उन्होंने सरकार को आरोपी बनाया होता और एक अपराध दर्ज कर सकते थे?" शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का "समर्थन" हासिल करने वाले अस्थाना ने सीबीआई को सरकार का "गुलाम" बनाने की कोशिश की। राफेल सौदे पर मोदी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि मोदी के "वकीलों" के पास कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों का जवाब नहीं है। Web Title: The haste in the removal of the CBI director, the government started the wrong tradition: Shiv Sena CBIShiv Senaसीबीआईशिव सेना लोकसभा चुनाव 2019: नरेंद्र मोदी हटाने के लिए कांग्रेस PM पद कुर्बान करने को तैयार, इन तीन नेताओं पर खेल सकती है दांव
2019/06/26 16:02:39
https://www.lokmatnews.in/india/the-haste-in-the-removal-of-the-cbi-director-the-government-started-the-wrong-tradition-shiv-sena/
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क्रिकेट में अंपायर का महत्व काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं और अंपायर का फैसला आखिरी माना जाता हैं. क्रिकेट में अंपायर को खिलाड़ी जितना रिस्पेक्ट देते हैं उतना दूसरे खेलों में काफी कम देखने को मिलता है. अंपायर के कुछ फैसले गलत होते हैं, लेकिन ज्यादातर फैसले अंपायर सहीं देते हैं. अंपायर को पुरा दिन एक जगह पर खड़ा रहकर काफी ध्यान से अपना काम करना पड़ता हैं और फिर भी अंपायर काफी धैर्य से अंपायरिंग करते हैं. आज हम आपको क्रिकेट के 5 सबसे कमाई करने वाले अंपायर बताएंगे. 5. ब्रुस अॉक्सनफर्ड अॉस्ट्रेलिया के ब्रुस अॉक्सनफर्ड पिछले काफी समय से अंपायरिंग कर रहे हैं और वो एक अच्छे अंपायर हैं. ब्रुस अॉक्सनफर्ड अपने हाथ पर पैड बांधकर अंपायरिंग करते हैं और वो काफी प्रसिद्ध है. ब्रुस अॉक्सनफर्ड की साल की कमाई 30 लाख रुपए हैं. 4. पॉल रैफल अॉस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज पॉल रैफल अब अंपायर हैं और वो काफी अच्छे अंपायर माने जाते हैं. पॉल रैफल एक तेज गेंदबाज थे जिस वजह से उनको अंपायरिंग करना थोड़ा आसान रहता हैं और उनको गलत फैसलों का दर्द भी पता हैं. पॉल रैफल हर साल 33 लाख रुपए कमाई करते हैं. 3. नाइजल लॉन्ग इंग्लैंड के नाइजल लॉन्ग काफी अच्छे अंपायर हैं और काफी लंबे समय से अंपायरिंग कर रहे हैं. नाइजल लॉन्ग काफी अनुभवी अंपायर हैं और फिलहाल उनका एक बड़ा नाम है. नाइजल लॉन्ग काफी अच्छी कमाई करते हैं और इस सूची में तीसरे नंबर पर मौजूद हैं. 2. बिली बाउडन न्यूज़ीलैंड के बिली बाउडन क्रिकेट इतिहास के सबसे प्रसिद्ध अंपायर हैं. बिली बाउडन के अलग अलग अंदाज में अंपायरिंग करने का तरीका काफी ज्यादा प्रसिद्ध हैं और उन्होंने अंपायरिंग को एक नये मुकाम पर लेकर जाने का काम किया है. बिली बाउडन काफी अच्छे अंपायर हैं और कमाई के मामले में दूसरे नंबर पर मौजूद हैं. 1. अलीम डर पाकिस्तान के अलीम डर क्रिकेट इतिहास के एक सबसे सफल अंपायर हैं और उन्होंने काफी ज्यादा मैचों में अंपायरिंग की हैं. अलीम डर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अंपायर हैं और वो अंपायरिंग में सबसे ज्यादा कमाई करते हैं. TAGS Aleem Dar Billy Bowden Cricket Umpires Share Facebook Twitter Pinterest WhatsApp DeshKiKhabar RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR Cricket जो काम गेल-डिविलियर्स नही कर सके वो विराट ने कर दिखाया, पाकिस्तान के खिलाफ बनाया बड़ा रिकॉर्ड Cricket भारत के खिलाफ ‘काली पट्टी’ बांधकर क्यों खेली पाकिस्तानी टीम? वजह आपका दिल जीत लेगी Cricket वीडियो : हार्दिक पांड्या ने छक्का लगाकर भारत को जीताया, पाकिस्तान को झेलनी पड़ी हार Join On Facebook 22,580FansLike EDITOR PICKS वीडियो : जोस बटलर ने बाउंड्री पर पकड़ा असंभव कैच, रजत पाटीदार को नही... Admin - May 27, 2022 क्यों नहीं मिला अर्जुन तेंदुलकर को IPL 2022 में एक भी मौका, खुद मुंबई... Amar singh Kushwaha - June 3, 2022 वीडियो : मोईन अली ने 16 गेंदों में ठोका तूफानी अर्धशतक, जड़ दिए 6... Amar singh Kushwaha - July 28, 2022 हरमनप्रीत कौर ने तोड़ा धोनी का बड़ा रिकॉर्ड, ऐसा करने वाली पहली भारतीय क्रिकेट... Amar singh Kushwaha - August 3, 2022 Desh Ki Khabar is your news, entertainment, music fashion website. We provide you with the latest breaking news and videos straight from the entertainment industry.
2022-11-27T03:11:40Z
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inextlive के साथ रहिए खबरों की दुनिया से जुड़े। यहां पढ़िए से जुड़ी हिन्दी न्यूज़ Hindi News और ताजा खबरें Latest News। देखिए संबंधी ताजा वीडियो। साथ ही की ताजा तस्‍वीरें। से जुड़ी ब्रेकिंग न्‍यूज, वीडियो व फोटो एक साथ एक जगह। पाइए से जुड़ी जानकारी जिसमें है आपकी रुचि या जो आ सकती है आपके काम। से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को छूने वाली नवीनतम जानकारी, खबरें, वीडियो व तस्‍वीरें। राजनीति से लेकर टेक्‍नोलॉजी, एंटरटेनमेंट व संस्‍कृति जगत की ताजा हलचल के लिए बने रहिए inextlive के साथ. ट्रक में जा घुसी तेज रफ्तार स्कॉर्पियो, तीन की मौत 4 साल से नरक बनी कॉलोनी, सांप-बिच्छू से रोज होता सामना स्कॉíपयो चालक ने ले ली स्ट्रीट डॉग की जान, केस दर्ज स्कॉíपयो की ठोकर से बुजुर्ग महिला की मौत दिवंगत एक्टर इरफान खान की आखिरी फिल्म 2021 में होगी रिलीज Vrishchik Varshik Rashifal 2021: वृश्चिक राशि वालों के लिए अच्‍छे दिन लेकर आ रहा नया साल, जानें पूरे वर्ष का भविष्‍यफल Rashifal 2021 - Scorpio: नए साल में कुछ यूं चमकेगी वृश्चिक राशि वालों की किस्‍मत, जानें 2021 का संपूर्ण राशिफल आज का राशिफल 15 जून: तुला राशि वालों को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी, सभी का सहयोग रहेगा, जानें सभी राशियों का हाल आज का राशिफल 13 जून: वृश्चिक राशि वालों के लिए आज का दिन शुभ फल देने वाला होगा, जानिए समस्‍त राशियों का हाल आज का राशिफल 4 जून: वृश्चिक राशि वालों के लिए दिन अच्‍छा है, लाभ के विशेष योग हैं, जानिए समस्‍त राशियों का हाल Horoscope Today 31 March: मिथुन राशि वालों का दिन आनंद में बीतेगा, लेकिन पेरेंट्स की तबीयत बिगड़ सकती है, पढ़ें अपना राशिफल बिहार में एनएच-28 पर स्कॉर्पियो-ट्रैक्टर की टक्कर में 11 लाेगों की मौत, 4 घायल Horoscope Today 8 February का राशिफल: धनु- नई नौकरी का प्रयास करें सफल होंगे, मेष- निवेश के लिए दिन अच्‍छा है वार्षिक राशिफल 2020 : जानें किस राशि वाले जातक की होगी प्रगति और किसे मिलेगा सम्मान 2020 वार्षिक राशिफल : नाम के पहले अक्षर के अनुसार जानें अपना लकी नंबर व लकी कलर Home About us Work for us Advertise with us Write for us Contact us Privacy policy Disclaimer Font help Sitemap Subscribe This website follows the DNPA's code of conduct Copyright © 2021 www.inextlive.com All rights reserved. For any feedback or complaint, email to: compliant_gro@jagrannewmedia.com This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
2021-12-08T16:37:00Z
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दिन-भर की भागदौड़ और तनाव के कारण थकावट तो लगभग हर किसी को महसूस होती है। महिलाओं की परेशानियों के समाधान के लिए कई तरह के व्यायाम है। लंबी जिंदगी जीने के लिए हार्ट का सही तरीके से काम करना बहुत जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर दिल और इससे जुड़ी बीमारियों की जांच होना बहुत जरूरी है। कुछ... लड़कियां चेहरे पर होने वाले ब्लैक हैड से बहुत परेशान रहती हैं। इसके लिए वह कई प्रकार के प्रॉडक्टस का सहारा भी लेती हैं। जिससे कई बारे स्किन पर साइड... जोड़ों और घुटनों की परेशानी को दूर करेगा यह नुस्खा! बढ़ती उम्र या फिर शारीरिक कमजोरी के कारण जोड़ों में दर्द की परेशानी हो जाती है। सर्दी के मौसम में तो यह दर्द और भी बढ़ जाती है। इससे दर्द को सहन करना... इस तरह अपने घर की हवा को बनाएं स्वच्छ लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। प्रदूषण का असर सेहत पर बहुत बुरा होता है। इससे घर के अंदर के वातावरण... खूबसूरत दिखने के लिए सिर्फ चेहरा ही नहीं बल्कि बॉडी भी परफैक्ट होनी जरूरी है। फैट कम करने के लिए लोग एक्सरसाइज का सहारा लेते हैं लेकिन टांगों के... बॉडी बनाने के लिए लोग बहुत मेहनत करते हैं। लड़के तो जिम में एब्स बनाने के लिए कई-कई घंटो का समय बिताते हैं। कई बार समय की कमी के कारण बाहर जाने में... बदलते लाइफस्टाइल और खान-पान की चीजों में मिलावट की वजह से आजकल कोई भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है। हर कोई किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है। ऐसे मेें... बारिश का मौसम अपने साथ कई परेशानियां भी लाता है। इस मौसम में खतरनाक मच्छरों के काटने की वजह से चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारियां होने का खतरा.......
2019/03/21 14:02:15
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भारत-पाकिस्तान वार्ता को लेकर गुटेरेस ने दिया ये संकेत – Live Today | Hindi TV News Channel भारत-पाकिस्तान वार्ता को लेकर गुटेरेस ने दिया ये संकेत Kush TiwariJanuary 19, 2019 - 5:13 pm संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू करवाने की अपनी क्षमता पर संदेह जताया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत और पाकिस्तान अपने महत्व को समझते हुए एक अर्थपूर्ण वार्ता करेंगे।
2021/05/18 17:57:43
https://livetoday.online/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8B/357715
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Jio के phone पर बिना किसी App के WhatsApp कैसे चलायें Puri Jankari - IndiaMeTech - Internet Ki Jankari Hindi Me Home Tips/Tricks Jio के phone पर बिना किसी App के WhatsApp कैसे चलायें... दोस्तों जिओ ने अपना जिओ 4 जी फीचर फ़ोन मार्केट में लांच कर दिया हैं। इस Jio Phone की कीमत 1500 रुपया दी गई है। इस जिओ के फीचर फ़ोन में कुछ Apps भी प्री इन्सटाल्ड दिए गए है परन्तु इस फ़ोन में WhatsApp का Use करने की सुविधा नहीं दी गई है। Use WhatsApp In Jio Phone In Hindi दोस्तों में आपको इस पोस्ट में कुछ टिप्स के बारे में बताऊंगा जिसकी हेल्प से आप अपने जिओ फ़ोन में WhatsApp Use कर सकते है। Jio Ki Internet Speed Increase Kaise kare – Jio की इंटरनेट स्पीड कैसे बढ़ाये जियो फोन में WhatsApp का ऑफिशियल ऐप नहीं है, लेकिन एक ट्रिक की मदद से इस पर वॉट्सऐप ओपन किया जा सकता है। ये ट्रिक YouTube पर वायरल हो रही है। यानी अगर आपके पास भी जियो फोन है तो इस पर वॉट्सऐप ओपन किया जा सकता है। # YouTube पर बताई प्रॉसेस YouTube पर कई यूजर्स ने जियो फोन पर वॉट्सऐप को ओपन करने की ट्रिक बताई है। वीडियो में दिखाई गई ये ट्रिक काम कभी करती है। यानी जियो फोन पर वॉट्सऐप ओपन होता है। हालांकि, इसमें WhatsApp का ऐप नहीं है ऐसे में उसे ब्राउजर की मदद से ओपन करना होता है। वीडियो में किसी तरह की एडिटिंग नहीं है। यानी आप भी अपने जियो फोन पर वॉट्सऐप को ओपन कर सकते हैं . इस तरह Use करे WhatsApp सबसे पहले अपने जिओ फ़ोन के ब्राउज़र में www.browserling.com वेबसाइट ओपन करे। इस वेबसाइट पर आपको 5 ब्राउज़र दिखाई देंगे जिसमे से आप क्रोम को सेलेक्ट कर ले। इसके बाद आप web. whatsapp.com टाइप करके सर्च करें। इसके बाद एक QR Code ओपन होगा। इस कोड को आप 3 नंबर के बटन से जूम कर ले। अब आप जिस स्मार्टफोन में व्हाट्सप्प use करते है उस स्मार्टफोन से जिओ फ़ोन के QR Code को स्कैन कराये। आपका व्हाट्सप्प आपके जिओ फ़ोन में ओपन हो जायेगा। जब तक आप अपने जिओ फ़ोन में व्हाट्सप्प को लोग आउट नहीं करेंगे तब तक व्हाट्सप्प चलता रहेगा। दोस्तों में आशा करता हूँ कि यह ट्रिक आपको पसंद आई होगी, अगर आपको पसंद आई हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं।
2018/11/21 00:10:11
http://indiametech.net/jio-%E0%A4%95%E0%A5%87-phone-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%80-app-%E0%A4%95%E0%A5%87-whatsapp-%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87/
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मैक कॉस्मेटिक्स पर स्टॉक करना आपको एक बहुत पैसा खर्च कर सकता है, लेकिन जब आपके रुपये के लिए सबसे अधिक धमाके की बात आती है, तो यह चुनने के लिए एकदम सही ब्रांड है। अत्यधिक रंजित लिपस्टिक से लेकर फुल-कवरेज फ़ाउंडेशन तक, मैक उत्पादों की गुणवत्ता बोर्ड में बहुत अधिक है, जिससे मूल्य टैग को अनदेखा करना आसान हो जाता है। हालांकि, केवल थोड़े समय के लिए, मैक उत्पादों की खरीदारी के समय बैंक को तोड़ने का कोई कारण नहीं है। स्टोर और ऑनलाइन दोनों पर अभी एक प्रमुख बिक्री चल रही है, जो सभी उत्पादों से 25 प्रतिशत की पेशकश कर रही है। हां, इसका मतलब है कि रूबी वू में पंथ-पसंदीदा मैक लिपस्टिक भी जाना जाता है सब स्किन टोन, वैसे) अब $ 17 के बजाय इसकी मूल कीमत $ 17 है। लेकिन यह सब नहीं है, मेसी की अभी एक बड़ी सौंदर्य बिक्री भी हो रही है, शहरी क्षय, बहुत फेस्ड, Tarte, और अनास्तासिया बेवर्ली हिल्स जैसे ब्रांडों के साथ अपने सभी सौंदर्य प्रसाधनों के लगभग सभी पर 15 प्रतिशत की छूट (साथ ही साथ मुफ्त शिपिंग भी है) सभी सौंदर्य आदेश ऑनलाइन!)। रोमांचक, सही? दुर्भाग्य से, मैक सौदे के लिए एक पकड़ है: बिक्री केवल मैक चयन सदस्यों के लिए उपलब्ध है, इसलिए खरीदारी से पहले इस विशेष सौदे का उपयोग करने के लिए केवल-सदस्य कार्यक्रम के लिए यहां साइन अप करना सुनिश्चित करें।
2019/10/16 20:18:22
https://hi.womanfitness.info/1952-there-s-crazy-sale-happening-at-mac-right-now.html
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मारपीट के मामले में पांच गिरफ्तार - Ideal India News Home मऊ मारपीट के मामले में पांच गिरफ्तार घोसी मऊ कोतवाली अंतर्गत नदवासराय क्षेत्र के हमीदपुर में मंगलवार की सुबह दो पक्षों के बीच हुई मारपीट के मामले में कोतवाली पुलिस ने बुधवार को दोनों पक्षों के पांच को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल यहां पर मंगलवार की सुबह बेवा महिला रूदला देवी अपने खेत में घास काट रही थी। गांव के ही अतानुल्लाह खां एवं उनके पुत्र ओबेदुल्लाह एवं शारूख खान ने गाली देते हुए मारपीट प्रारंभ कर दिया। मां को पीटता देख बचाने पहुंचे राहुल यादव एवं श्रवण कुमार को भी फावड़े से मारकर घायल कर दिया। उधर दूसरे पक्ष के अतानुल्लाह खान ने भी श्रवण, राहुल एवं बाबूलाल पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया। कोतवाल एसएन यादव एवं उपनिरीक्षक रमेश कुमार ने दबिश देकर श्रवण, राहुल, बाबूलाल एवं दूसरे पक्ष के ओबेदुल्लाह खान एवं शाहरूख को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त फावड़ा भी बरामद कर लिया है।
2020/05/31 01:49:39
https://www.idealindianews.com/2020/05/blog-post_352.html
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RBI की नीतिगत समीक्षा मंगलवार को, CRR में हो सकती है कटौती | Hari Bhoomi Home > ख़बरें > देश > RBI की नीतिगत समीक्षा... RBI की नीतिगत समीक्षा मंगलवार को, CRR में हो सकती है कटौती नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक की मंगलवार आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले फिक्की के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने में मदद नहीं मिली है। सर्वेक्षण में शामिल 69 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि रेपो दर में (जिस दर पर रिजर्व बैंक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है) कमी के वाबजूद वे अपने यहां किसी बड़े निवेश की संभावना नहीं देख रही हैं। कैडबरी इंडिया ने उत्पाद शुल्क में की चोरी, 570 करोड़ रुपए का लगा जुर्माना सर्वे में शामिल कुछ लोगों ने कहा कि कैश रिजर्व रेशियो में आरबीआई कमी कर सकता है। पॉलिसी स्टेटमेंट में आरबीआई यह चेतावनी दे सकता है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दर बढ़ाने की दिशा में उठने वाला कदम और उसकी टाइमिंग अहम होगी। डाक विभाग पोस्टकार्ड पर झेल रहा है सात रुपए का नुकसान, स्पीड पोस्ट से हो रहा है नुकसान राजन यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तीन महीने से भी कम वक्त में उन्होंने दो बार जो रेट कट किए हैं, उसका फायदा बैंक आगे बढ़ाएं। राजन बेमौसम बारिश और दुनिया के कुछ हिस्सों में बढ़ते सियासी तनाव के चलते महंगाई पर पड़ने वाले असर का आकलन भी करना चाहते हैं। हालांकि ईरान से जुड़ी न्यूक्लियर डील को राहत भरी घटना माना जा रहा है। ऐसे बनें ग्लोबल इन्वेस्टर, उठाएं मौके का लाभ पोल में शामिल सभी 11 इंस्टीट्यूट्स ने रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश से इनकार किया। रेपो रेट फिलहाल 7.50% है। यह बेंचमार्क रेट है, जिस पर बैंक आरबीआई से शॉर्ट टर्म फंड उधार लेते हैं। पोल में जवाब देने वालों में से 30-40% का कहना था कि सीआरआर में कटौती हो सकती है। सीआरआर डिपॉजिट का वह हिस्सा होता है, जिसे बैंकों को आरबीआई के पास अनिवार्य रूप से रखना होता है और उस पर बैंकों को इंटरेस्ट इनकम नहीं होती है। सीआरआर अभी 4% पर है। एक्सिस बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा, 'आरबीआई को कठिन संतुलन साधना है।' नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, रिलायंस म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम हेड अमित त्रिपाठी ने क्या कहा - RBI Reserve Bank of India Governor Raghuram Rajan monetary policy inflation trajectory International Monetary Fund IMF RBI policy repo rate
2021/08/04 16:15:54
https://www.haribhoomi.com/news/rbi-policy-not-cut-repo-rate
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देहरा बस अड्डे पर यात्री मूलभूत दुविधाओं से वंचित - HillsPost Home»हिमाचल विशेष»देहरा बस अड्डे पर यात्री मूलभूत दुविधाओं से वंचित देहरा बस अड्डे पर यात्री मूलभूत दुविधाओं से वंचित ज्वालामुखी: देहरा के मुख्य बस अड्डे की बदतर स्थिति के कारण आवाजाही करने वाले यात्रियों को यहां पर मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है । बस अड्डे में गन्दगी , भारी अव्यवस्था व आवारा पशुओं के जमघट के कारण यात्रियों के साथ बस अड्डे के दुकानदारों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है । नंप देहरा के इस बस अड्डे की हालत यह है कि यात्रियों को यहां पर बैठने के लिए बैचों व कुर्सियों का कोई प्रावधान नहीं है । हांलाकि वर्षाशालिका में एक दो टूटे- फूटे सीमेंट नुमा बैंचो पर बैठकर आराम करने के इच्छुक यात्रियों को मशक्कत उपरांत जगह नसीब हो जाती है । वर्षाशालिका में ही दुकानदारों द्घारा अपनी दुकान के बाहर अवैध कब्जों से यहां आने जाने वाले लोग बड़ी मुश्किल से खड़े होने का स्थान सुनिश्चित कर पाते हैं । हांलाकि नपं कभी कभार कुंभकर्णी नीद से उठकर इन दुकारदारों को अवैध कब्जे हटाने के नोटिस तो थमा देती है । लेकिन उसके उपरांत कड़ी कार्रवाई नहीं करने के कारण अवयवस्था का आलम ज्यों का त्यों ही बना रहता है । नपं द्घारा बस अड्डे की निरन्तर अनदेखी के कारण दुर्दशा बढ़ी है । आम जन वर्ग के प्रगति मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण वर्तमान नपं की असफलता बस अड्डे में उनकी कार्यप्रणाली को दर्शा रही है
2022/05/18 06:20:54
https://hillspost.com/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%B8-%E0%A4%85%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE/11457/
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Railway Recruitment 2019 992 Posts in Integral Coach Factory Updated: | Tue, 18 Jun 2019 11:17 AM (IST) Railway Recruitment 2019: उम्मीदवार वेबसाइट icf.indianrailways.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। Sarkari Naukri की चाह रखने वालों के लिए रेलवे में नौकरी का शानदार मौका मिलने वाला है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने 992 अपरेंटिस पोस्ट के लिए भर्तियां निकाली है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने और जमा करने का अंतिम दिन 24 जून है। उम्मीदवार वेबसाइट icf.indianrailways.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री रेल कोचों के निर्माण में एक विशेषज्ञ है और चेन्नई, तमिलनाडु में प्रोडक्शन यूनिट्स हैं। ICF ने फ्रेशर और पूर्व आईटीआई के लिए रिक्तियों की संख्या का उल्लेख किया है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री इन पदों के लिए फ्रेशर्स की भर्ती करेगी। इन भर्तियाें में कारपेंटर (80), इलेक्ट्रीशियन (200), फिटर (260), मशीनिस्ट (80), पेंटर (80), और वेल्डर (290) शामिल हैं। पूर्व आईटीआई उम्मीदवारों के लिए कारपेंटर (40), इलेक्ट्रीशियन (120), फिटर (140), मशीनिस्ट (40), पेंटर (40) वेल्डर (130) के पदों पर भर्तियां होगी।
2019/10/14 15:14:35
https://www.naidunia.com/magazine/career-railway-recruitment-2019-992-posts-in-integral-coach-factory-3004696
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Anshumala | Updated: November 16, 2018 2:20 pm Tags: Cut Stroke Risk Heart attacks Iowa State University Weightlifting Weightlifting For Less Than Hour Cut Stroke Risk यदि आप भविष्य में हार्ट अटैक या स्ट्रोक के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो सप्ताह में एक घंटे से भी कम समय के लिए वेटलिफ्टिंग को अपने वर्कआउट रुटीन में शामिल करना शुरू कर दें। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि सप्ताह में एक घंटे से भी कम समय के लिए वेटलिफ्टिंग करने से दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा 40 से 70 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
2019/06/19 18:55:15
https://www.thehealthsite.com/hindi/diseases-conditions/less-than-an-hour-of-weightlifting-in-a-week-can-reduce-the-risk-of-heart-attack-and-stroke/
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आस्कर में खूब मज़े किये-सनी पवार – Jan Jagran Media Manch-Hindi News- Latest Hindi News Headlines, Breaking News Home/साक्षात्कार/आस्कर में खूब मज़े किये-सनी पवार आस्कर में खूब मज़े किये-सनी पवार Jan Jagran Media Manch 1st March 2017 साक्षात्कार Leave a comment 28 Views मुंबई के रहने वाले बाल कलाकार और 'लॉयन' के अभिनेता सनी पवार ने कहा है कि उन्होंने 89वें अकादमी पुरस्कार समारोह में अच्छा वक्त बिताया। आठ वर्षीय बाल कलाकार शहर की एक उपनगरीय झुग्गी झोपड़ी इलाके का रहने वाला है और ऑस्कर में नामांकित फिल्म 'लॉयन' में किरदार की वजह से दुनियाभर में मशहूर हो गया। इस फिल्म में देव पटेल और निकोल किडमैन अभिनेता है। उन्होंने गर्थ डेविस निर्देशित फिल्म में युवा सारू ब्रायली की भूमिका निभाई है। सुबह अमेरिका से लौटने पर हवाई अड्डे पर सनी ने कहा, "मैंने ऑस्कर में खूब मजे किए। मैं बहुत खुश हूं।'' 'लॉयन' एक बच्चे की सच्ची कहानी पर आधारित है जो अपने परिवार से बिछड़ गया था और बाद में एक ऑस्ट्रेलिया के परिवार ने उसे गोद ले लिया था। जब वह बड़ा हुआ तो उसने अपने असल माता-पिता को तलाशने के लिए गूगल अर्थ का इस्तेमाल किया। सनी का परिवार बहुत खुश है और उसपर गर्व करता है। सनी के दादा भीमा पवार ने कहा, "हम सब बेहद खुश हैं कि सनी इतनी ऊंचाई पर पहुंच गया। एक सपने की तरह लगता है। दुर्भाग्य से कुछ तकनीकी कारणों से हम ऑस्कर को देख नहीं पाए। हम जल्दी ही इसे देखेंगे।"
2021/01/26 05:41:04
https://www.janjagranmediamanch.com/news-934/
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इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक IPPB- India Post Payment Bank को वित्तीय समावेश की दिशा में एक बड़ी पहल माना जाता है| इसकी शुरुआत 1 सितम्बर 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम से किया गया| इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को विशेष महत्व इसीलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि इसके माध्यम से अपना अस्तित्व खो रहे है भारतीय डाक को पुनर्जीवन भी प्रदान किया जा रहा है| हम इस पोस्ट में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के बारे में तमाम बातें करेंगें| हम वर्तमान स्थिति का मुल्यांकन करते हुए इसके विशेषताओं और चुनातियों को भी समझने का प्रयास करेंगें| हम इस पोस्ट में चर्चा करेंगें की आईपीपीबी- इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक क्या है ? यह कैसे काम करेगा? एक आम आदमी इसका कैसे इस्तेमाल कर सकेगा ? यह अन्य व्यवसायिक बैंकों से किस तरह से अलग है ? IPPB के अंतर्गत क्या-क्या सुविधाएँ प्रदान की जाएगी? ippb का महत्व क्या है ? मौजूदा प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक माहौल में डाक विभाग के सामने चुनौतियाँ क्या है? इसके अलावे हम इसके सफल होने की गुन्जाईस पर भी बात करेंगें| आइये चर्चा की शुरुआत करते है| यह अन्य बैंक की तरह ही एक बैंक है जिसे भारत सरकार ने शुरू किया है| इस बैंक का उद्घाटन 1 सितम्बर 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम से किया गया| इस बैंक को वित्तीय समावेशन की दिशा में एक अहम् कदम माना जा रहा है| सरकार ने इससे पहले वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिए ‘जन धन योजना’ शुरू की थी। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को इस उद्देश्य की पूर्ति करने की दिशा में एक और अहम कदम माना जाता है। वर्तमान में आईपीपीबी की शाखाएं आज 650 जिलों में खोली गई हैं तथा इसके 3250 एक्सेस पॉइंट का भी शुभारम्भ किया गया| इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक गाँव में घर बैठे लोगों के लिए भरोसेमंद तथा किफायती बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराएगी| इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के बैंक बन जाने के बाद अब डाकिया चिठ्ठी के अलावे बैंकिंग सुविधा को भी घर-घर पहुचाएंगे| इस तरह डाकिया डिजिटल टीचर की भी भूमिका निभएंगें| यह विदित है की भारत में डाक व्यवस्था का विशाल नेटवर्क है| भारत में डाकघरों की संख्या लगभग 1.55 लाख है जबकि 139067 ग्रामीण डाकघर तथा 1.84 लाख विभागीय कर्मचारी है| इसके आलावा लगभग 2.49 लाख ग्रामीण डाक सेवक है तथा 1 डाकघर औसत 7753 लोगों को सेवा प्रदान करता है| माना जा रहा है की इसी वर्ष दिसम्बर तक ippb 1.55 लाख डाकघर तक पहुँच जाएगा| इस बैंक को संचार मंत्रालय के द्वारा शुरू किया गया है जिसमें मालिकाना अधिकार भारत सरकार के पास ही होगा| इस बैंक में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100% है| 17 अगस्त 2016 को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक पब्लिक लिमिटेड कम्पनी के रूप में इसे शुरू किया गया| इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर रांची और रायपुर में इसकी दो शाखाएँ 2017 में खोली गई| इस तरह कहा जा सकता है की प्रायोगिक तौर पर दो शाखाएँ खोलकर इस बैंक की शुरुआत की गई| हम देखने जा रहे है की आईपीपीबी- इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक कैसे काम करेगा? एक आम आदमी इसका कैसे इस्तेमाल कर सकेगा ? यह अन्य व्यवसायिक बैंकों से किस तरह से अलग है ? IPPB के अंतर्गत क्या-क्या सुविधाएँ प्रदान की जाएगी? इसके अंतर्गत खोले गये खाते में मनरेगा, छ्त्रवृति समेत विभिन्न योजनाओं का पैसा ट्रान्सफर किया जा सकेगा| ऑनलाइन खरीदारी, बिल भुगतान, रिचार्ज सहित ऑनलाइन मनी ट्रान्सफर की सुविधा मिलेगी| इसके लिए अत्याधुनिक प्लेटफार्म का प्रयोग किया जाएगा| काउंटर सेवाएँ, मोबाइल बैंकिंग, एप्लीकेशन, SMS, और IVR जैसी सेवाओं के साथ ही ATM और माइक्रो एटीएम जैसी सुविधा भी इस संक द्वारा प्रदान की जाएगी| आईपीपीबी के खाते के माध्यम से बीमा और निवेश भी किया जा सकता है| यह लोन भी प्रदान करेगी लेकिन लोन डाक विभाग नहीं देगी| लोन अन्य कोई वाणिज्यिक बैंक देगी और आईपीपीबी उसमें एक एजेंट की भूमिका निभाएगी| आर्थिक क्रांति की दिशा में भी इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है इससे अर्थतन्त्र के साथ ही समाज के अंतिम व्यक्ति को जोड़ने का सपना साकार होगा| जहाँ कहीं भी डाक है वहां अब बैंक भी हो गया| इससे दुर्गम इलाके सहित हर इलाके में बैंक पहुँच गया| इससे हर घर, हर किसान, हर उद्यम तक बैंक की पहुँच हो गई| यह धन हस्तांतरण, सरकारी लाभों के हस्तांतरण और बिल भुगतान के साथ-साथ निवेश एवं बीमा जैसी अन्य सेवाएं भी सुलभ कराएगा। डाकिया लोगों के घरों के दरवाजे पर ये सेवाएं सुलभ कराएंगे। आईपीपीबी डिजिटल लेन-देन की सुविधा भी प्रदान करेगा और इसके साथ ही विभिन्‍न स्‍कीमों जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभ प्रदान करने में भी मदद करेगा, जिसके तहत किसानों को सहायता मुहैया कराई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक की शाखाएँ तीन गुना बढ़ जाएगी| – ippb की शरुआत के बाद देश में बैंक शाखाओं की संख्या बढ़कर करीब तीन लाख हो जाएगी| अभी तक कुल सार्वजनिक और निजी बैंक की लगभग 1.40 लाख शाखाएँ ही थी जिसमें से 49000 शाखाएँ ही ग्रामीण क्ष्रेत्रों में थी| ippb के माध्यम से भारतीय डाक की लगभग 1.55 लाख शाखाओं के बैंक बन जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक की शाखाएँ तीन गुना बढ़ जाएगी| आइये अब बात करते है की मौजूदा प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक माहौल में डाक विभाग के सामने चुनौतियाँ क्या है? IPPB ki Chunautiyan hindi me. बिजली की समस्या- बैंकिंग क्षेत्र की सफलता के लिए लगातार बिजली का रहना अतिआवश्यक है | लेकिन बहुत सारे जगहों पर ऐसे आधारभूत संरचना का आभाव है| यह अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण है| बढ़ता डाक विभाग का व्यय- डाक विभाग का ऑपरेशनल कॉस्ट काफी बढ़ रहा है लेकिन उस हिसाब से वह कमाई नहीं कर पा रही है| कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी जगह एक ही डाक रेट है लेकिन विभिन्न जगहों पर डाक विभाग की लागत अलग-अलग है| सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों का भी वेतन बढ़ा है, परिवहन, बिजली समेत अन्य संसाधन महंगा होते जा रहे है, इससे डाक विभाग काफी घाटे में चल रहा है| इस घाटे और बढ़ते व्यय के बीच इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की भूमिका को निभाना चुनौतीपूर्ण है| इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक एक अति महत्वाकांक्षी कदम है और इसमें निचले स्तर पर विकास की क्षमता छुपी है जिससे भारत में समावेशी विकास का संचार होने के साथ डिजिटल भारत का सपना भी साकार होगा| सतत बिजली आपूर्ति आदि के तरह की कठिनाई से निपटने के लिए अन्य विकल्पों को अपनाना अच्छा कदम साबित हो सकता है| इसके लिए सोलर एनर्जी विंड एनर्जी, गोबर गैस आदि का उपयोग किया जा सकता है| इसके आलावा अलग-अलग इलाकों के लिए अलग-अलग रणनीति को अपनाया जाना चाहिए| भारतीय डाक का अपना महत्व बरकरार है इसीलिए दुनिया में जहाँ डाकघर बंद हो रहे है भारत में नये डाकघर खुल रहे है| 2017-18 में भी दुर्गम इलाके में 100 नये डाकघर तथा 81 उप डाकघर खोले गये| ऐसे में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का सफल होने की गुन्जाईस साफ़ नजर आ रही है| इस तरह आपने ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक- IPPB – India Post Payment Bank’ के बारे में जाना| अगर आपका इससे संबंधित कोई प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट जरुर करें| आशा है की हमारे अन्य आर्टिकल की तरह ही आप इस आर्टिकल से भी लाभान्वित होंगे| हम इस बात को महसूस कर रहे है की आपके और बेहतर सुविधा के लिए इस साईट में कई सुधार किया जाना अपेक्षित है| आप सरीखे विजिटर के स्नेह और सुझाव से हम इस साईट में निरंतर सुधार कर रहे है और हमें विश्वास है की आगे के समयों में हम आपको और भी बेहतर सुविधा दे पाएंगें| लेकिन इस हेतु आपसे अनुरोध है की आप हमारे कांटेक्ट अस पेज के माध्यम से अपना विचार एवं अपना बहुमूल्य सुझाव हम तक जरुर प्रेषित करें| इस आर्टिकल को पढ़ने तथा अवेयर माय इंडिया साईट पर विजिट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद|
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कंक्रीट, ईंट, पत्थर, सही चुनने के लिए, मास्टर की सलाह के लिए ड्रिल। | इसे स्वयं करो इसे स्वयं करो > उपकरण और उपकरण & gt; कंक्रीट, ईंट, पत्थर, सही तरीके से चयन करने के लिए, मास्टर की युक्तियों के लिए ड्रिल हर स्वाभिमानी आदमी, अपनी जिम्मेदारियों के अनुसार, "घर के मास्टर", वहाँ ताकि इसकी दूसरी छमाही एक शेल्फ, चित्र या लॉकर मस्ती करने के लिए अनुरोध करने के लिए एक ड्रिल है। लेकिन घरों और अपार्टमेंटों की दीवारें उनकी संरचना, घनत्व और उद्देश्य में भिन्न होती हैं। तो, एक असर दीवार में एक एपर्चर ड्रिल करने के लिए एक इंटररूम विभाजन की तुलना में, और अधिक कठिन है। तदनुसार, ड्रिल के लिए अभ्यास उनके उद्देश्य में और उस सामग्री में भिन्न होते हैं जहां से वे बने होते हैं। कंक्रीट, ईंट या पत्थर के लिए सही अभ्यास कैसे चुनें, हम इस संक्षिप्त लेख में बात करेंगे। 1 कंक्रीट, ईंट और पत्थर के लिए ड्रिल 2 एक ड्रिल के साथ काम की विशेषताएं 3 एक अनुभवी मास्टर की सलाह कंक्रीट, ईंट और पत्थर के लिए ड्रिल यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जिस व्यक्ति ने सामग्री के साथ आसान काम के लिए ड्रिल का आविष्कार किया था, वह यह भी अनुमान लगा सकता था कि ड्रिल के आधार पर कितने नए इंजीनियरिंग समाधान किए जाएंगे। एक उदाहरण है पेंच ढेर पर नींव। इस इंजीनियरिंग समाधान ने नींव का निर्माण सुरक्षित और आसान बना दिया है। कंक्रीट के लिए ड्रिल (साथ ही पत्थर, ईंट, आदि के लिए) एक पारंपरिक ड्रिल से मूल रूप से अलग है। आखिरकार, यदि आप लकड़ी या धातु पर काम करने के लिए एक साधारण ड्रिल के साथ कंक्रीट ड्रिल करते हैं, तो यह तुरंत सुस्त हो जाएगा और पूरी तरह निराशाजनक हो जाएगा। इस कारण से, कंक्रीट के लिए विशेष अभ्यास "जीत" नामक एक विशेष सामग्री का उपयोग करके निर्मित होते हैं। और उस से ड्रिल की नोक को "जीतना" कहा जाता है। बिक्री पर, निर्माण स्टोर में, आप अंत में जीतने वाले नल के साथ धातु ड्रिल देख सकते हैं। यह "जीतने" ड्रिल है। बाद में हम इस लेख में अधिक विस्तार से चर्चा करेंगे। किसी भी मामले में, यह बहुत मजबूत टिकाऊ ड्रिल है, क्योंकि जीत है, जो हीरे के करीब अपनी ताकत से अद्वितीय है (तरीके से सर्मेट cermet कंपोजिट सामग्री कोबाल्ट और टंगस्टन की एक मिश्र धातु से निर्मित)। हालांकि, गुणवत्ता, जैसा कि आप जानते हैं, सीधे निर्माता पर निर्भर करता है। जीतने के अभ्यास न केवल कंक्रीट के लिए, बल्कि पत्थर और ईंट के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये विश्वसनीय अभ्यास हैं। हालांकि, पत्थर में हीरा ड्रिल का उपयोग करना सबसे अच्छा है। यह अधिक टिकाऊ है, लेकिन महंगा भी है। लकड़ी के लिए, धातु ड्रिल का उपयोग करना सबसे अच्छा है। हम विचार करेंगे कि हमारे काम में उन्हें सही तरीके से और बुद्धिमानी से कैसे उपयोग किया जाए। एक ड्रिल के साथ काम की विशेषताएं एक बहुत ठोस (असर) दीवार में एक छेद ड्रिल करने के लिए, एक पारंपरिक ड्रिल (जिसे हम वहां ड्रिल करते हैं) स्पष्ट रूप से पर्याप्त नहीं है। इस उद्देश्य के लिए, एक विशेष ड्रिल का उपयोग करें - एक छिद्रक के साथ। और कंक्रीट एसडीएस के लिए भी विशेष अभ्यास। आमतौर पर, उन्हें निर्माता "एसडीएस-प्लस" या "एसडीएस-मैक्स" द्वारा लेबल किया जाता है। इसके अलावा, उनकी विशिष्ट विशेषता एक बेलनाकार आकार का पूंछ हिस्सा है। ठोस perforating के लिए ड्रिल प्रयोग किया जाता है, के रूप में नाम का तात्पर्य, एक हथौड़ा के साथ एक ड्रिल, यदि आवश्यक समर्थन दीवार या वृद्धि की कठोरता के अन्य सतह में एक छेद ड्रिल। यही वह स्थिति है जहां एक पारंपरिक ड्रिल (साथ ही एक ड्रिल) मदद नहीं करता है। प्रभाव ड्रिल (कंक्रीट के लिए विशेष ड्रिल बिट) कई प्रकार के हो सकता है। गहरा और व्यापक - तो, ​​कंक्रीट के लिए अभ्यास, अभ्यास कोमल कहा जाता है, छोटे छेद और पेंच ड्रिल करने का अवसर प्रदान करते हैं। एक ही सर्पिल आकार के ड्रिल बिट्स एक और कठिन कार्य से निपटने में मदद करते हैं - बड़े आकार के छेद बनाने के लिए (यहां तक ​​कि तीन सेंटीमीटर तक)। यदि आपको एक बहुत बड़ा छेद ड्रिल करने की आवश्यकता है (उदाहरण के लिए, सॉकेट या स्विच के नीचे), आकार में 12 सेमी तक, कंक्रीट पर एक ड्रिल बिट का उपयोग करें। यह विशेष रूप से मजबूत सामग्री में 12 सेमी तक ग्रूव प्राप्त करने की अनुमति देता है। बिक्री पर आप दो प्रकार के ताज ड्रिल देख सकते हैं: जीतने और हीरे। काम करने वाले हिस्से पर कंक्रीट के लिए जीतने वाले ड्रिल बिट में विजेता दांत होते हैं, और हीरा बिट हीरा-चढ़ाया होता है। कंक्रीट के लिए ड्रिल विभिन्न व्यास के होते हैं - 4 से 12 मिमी तक। बड़े व्यास कंक्रीट के लिए छिद्रक के लिए एक ड्रिल का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में शायद ही कभी किया जाता है। एक नियम के रूप में, अक्सर उन पेशेवरों के लिए जरूरी है जो परिसर की मरम्मत में लगातार व्यस्त रहते हैं। ड्रिल के व्यास बड़ा है, जिससे अब वह है, और इसके विपरीत, छोटे ड्रिल, यह बहुत पतली - हालांकि, मात्रा में ड्रिल अभी भी कुछ विशेषताओं जब उन्हें प्रयोग है कि ध्यान में रखा जाना चाहिए प्रस्तुत करते हैं। और यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि एक पतली लंबी ड्रिल बस काम के दौरान तोड़ती है, उस पर सदमे के भार का सामना करने में असमर्थ है। एक अनुभवी मास्टर की सलाह एक ड्रिल के साथ काम करने के लिए एक अच्छा मास्टर हमेशा लकड़ी के विभिन्न प्रकार के ड्रिल करता है - लकड़ी, धातु, ईंट और कंक्रीट के लिए ड्रिल बिट्स। कंक्रीट पर एक ड्रिल के साथ काम करने के लिए, जीत, और धातु ड्रिल सहित विभिन्न अभ्यासों के साथ स्टॉक करना सबसे अच्छा है। धातु के लिए एक ड्रिल द्वारा प्रतिस्थापित ठोस ड्रिल बिट - यह है कि, ताकि ड्रिल धातु पर टिकी हुई है ड्रिलिंग की प्रक्रिया में सामना करना पड़ा सुनिश्चित करने के लिए (के रूप में होता है जब एक ठोस पटिया इस्पात सुदृढीकरण) आसानी से और जल्दी पुन: व्यवस्थित ड्रिल साइटों हो सकता है के लिए आवश्यक है - और देरी और देरी के बिना काम जारी रखें। और जब धातु खत्म हो जाती है, तो आप ड्रिल बिट को ठोस एसडीएस पर वापस रख सकते हैं। उन कुशल कारीगरों, कई वर्षों के लिए है जो एक ड्रिल के साथ काम कर, वे एक ड्रिल पैनापन करने के लिए कैसे इतना है कि वे एक ठोस और धातु के रूप में काम कर सकता है, लेकिन व्यक्ति जो इस इस मुश्किल का सामना करना पड़ा कभी नहीं प्राप्त करने के लिए, और भी बेहतर करने के लिए शुरू मत करो या कोशिश करो। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि ड्रिल के साथ काम करते समय, ड्रिल अधिक गरम नहीं होता है। इसके लिए, इसे नियमित रूप से नियमित रूप से ठंडा किया जाना चाहिए (ऑपरेशन के लगभग हर 15-20 सेकंड)। ऐसा करने के लिए, रोकें, और धातु ड्रिल को ठंडे पानी के साथ एक छोटे कंटेनर में कम किया जाता है। वहां थोड़ा सा होता है, और फिर, जब इसे ठंडा किया जाता है, ड्रिलिंग प्रक्रिया जारी है। इसे सूखा मत करो। हालांकि, यह नियम केवल धातु को ड्रिल करते समय लागू होता है। एक पेड़ ड्रिलिंग, इसे ठंडा करने के लिए जरूरी नहीं है - यह अधिक गरम नहीं होता है। और जब आप एक विजेता ड्रिल के साथ काम करते हैं, तो यह पानी में ठंडा नहीं होता - केवल प्राकृतिक तरीके से। काम किया, आधा मिनट के लिए drilled, ड्रिल बंद कर दिया। हम ड्रिल ठंडा होने तक इंतजार कर रहे थे, और केवल तभी हम काम करना जारी रखते हैं। जीतने वाले ड्रिल के काम के दौरान शीतलन के लिए कोई भी तरल उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति भी है जहां ड्रिलिंग के दौरान हम एक ठोस नींव के नीचे एक पत्थर में आते हैं। एक पत्थर के लिए, कंक्रीट एसडीएस के लिए एक पारंपरिक ड्रिल बिट काम नहीं करता है - हम एक बम्पर उठाते हैं। पत्थर के साथ काम पूरा होने पर, हम फिर कंक्रीट के लिए ड्रिल पर वापस आते हैं। इस प्रक्रिया में आप एक या अधिक छेद, कोई बात नहीं क्या व्यास, नहीं हमेशा की तरह दीवार (भीतरी दीवारों) और वाहक भीतर जाने के लिए एक की जरूरत है, तो यह पंच, नहीं एक साधारण ड्रिल के लिए उपयोग करने के लिए सबसे अच्छा है। इसे घरेलू ड्रिल बनाने की कोशिश न करें, यह बेकार है। और, ज़ाहिर है, उस मामले में हमें कंक्रीट के लिए छिद्रक के लिए एक ड्रिल की आवश्यकता होगी। लेकिन सिरेमिक या टाइल्स के साथ काम करते समय, पंच की आवश्यकता नहीं होती है। वह सिर्फ टाइल्स टाइल करेगा। आपको प्रभाव ड्रिल की आवश्यकता नहीं है - यह सभी टाइल्स को भी क्रैक और बर्बाद कर देगा। कंक्रीट के लिए जीतने ड्रिल बिट भूल जाओ। यहां, छोटे व्यास के सामान्य, धातु ड्रिल के साथ केवल घरेलू ड्रिल ही मदद करेगा। आप सिरेमिक या टाइल ड्रिलिंग और एक विजेता ड्रिल (छिद्रक मोड सहित नहीं) के लिए उपयोग कर सकते हैं। उन अभ्यासों को जो काम की प्रक्रिया में खोले जाते हैं उन्हें आसानी से फिर से तेज किया जा सकता है - सामान्य एमरी की मदद से धातु, और विजेता वाले - हीरा डिस्क के साथ। हालांकि, स्टोर में जाने-माने निर्माताओं से महंगा उच्च गुणवत्ता वाले ड्रिल का चयन करना, आपको शायद उन्हें कभी भी तेज करने की आवश्यकता नहीं है - वे सिर्फ गूंगा नहीं जाते हैं। इसके अलावा, इस समीक्षा को पूरा करने के बाद ड्रिल किया गया है, हम इस विषय पर एक छोटा वीडियो देखने का प्रस्ताव करते हैं।
2019/11/14 06:10:33
http://svouimirukami.ru/hi/articles/sverla-dlya-betona-kirpicha-kamnya-kak-pravilno-vybrat-sovety-mastera.html
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भारत और विश्व इतिहास में वर्ष 1804 का अपना ही एक खास महत्व है। आईये जानते हैं वर्ष 1804 की ऐसी ही कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ जैसे : जन्मे चर्चित व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्तियों के निधन, युद्ध संधि, किसी देश के आजादी, नई तकनिकी का अविष्कार, सत्ता का बदलना, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिवस इत्यादि, जिन्हे जानकर आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा। 01 जनवरी हैती ने फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की और पहले काले गणराज्य बन गए, जिसने एकमात्र सफल दास विद्रोह किया। 11 जुलाई अलेक्जेंडर हैमिल्टन को हारून बोर के साथ एक द्वंद्वयुद्ध के दौरान गोली मार दी गई और अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई। 03 नवम्बर सेंट लुई की संधि पर क्वाशक्वैम और विलियम हेनरी हैरिसन द्वारा हस्ताक्षर किए गए, संधि के आसपास के विवाद में अंततः 1812 के युद्ध के दौरान साहब लोगों को ब्रिटिश साम्राज्य के साथ सहयोग करने का कारण बना और 1832 के ब्लैक हॉक वॉर के मुख्य कारण है।
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पांच साल दुर्गम में ही रहने की शर्त पर मायूस हुए टीचर। तबादले निरस्त - Mukhyadhara धारा 27 के तहत 181 प्रवक्ता 220 एलटी शिक्षकों स्थानांतरण में राहत देहरादून। इस सत्र में तबादला आदेश निरस्त कर वर्तमान तैनाती स्थल पर रहने के इच्छुक 181 प्रवक्ताओं और 220 सहायक अध्यापकों (एलटी) को पांच साल दुर्गम में ही रहना पड़ेगा। इस संबंध में शासन ने शिक्षा विभाग को स्पष्ट आदेश कर दिए हैं। शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को वार्षिक स्थानान्तरण अधिनयम की धारा-27 के अन्तर्गत कार्मिक विभाग के परामर्श अनुसार तबादले निरस्त करने के आदेश दे दिए हैं। विभाग द्वारा 181 प्रवक्ताओं और 220 एलटी शिक्षकों के स्थानान्तरण प्रकरण शासन को भेजे गए थे। विभाग द्वारा किए गए स्थानान्तरण निरस्त करने के मामले में दायर याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के आलोक में तबादले निरस्त करने की व्यवस्था की गई है। आदेश के अनुसार 10 फीसदी पदों को भरने के उपरांत ही दुर्गम से अनिवार्य स्थानान्तरण किये जाएं। विभाग द्वारा बताया गया था कि दुर्गम से जिन शिक्षकों का स्थानान्तरण किया गया है, उनके प्रतिस्थानी की न तो तैनाती की गई है, और ना ही प्रस्तावित है। स्थानान्तरित कई शिक्षक दुर्गम में ही रहने के इच्छुक हैं। इस संबंध में कार्मिक विभाग का कहना है कि, दुर्गम की सेवावध् िमें इनकी अध्कितम अवध् िहोने के कारण वे 10 प्रतिशत की सीमा से आच्छादित थे। यदि इस स्थानांतरण सत्रा में उनके तबादले किए गए हैं, तो अगले सत्रा मं वह पुन: 10 प्रतिशत की सीमा में आ जाएंगे, और पुन: उनके तबादले निरस्त करने के प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे। इस स्थिति में दुर्गम से सुगम में में आने के इच्छुक जो शिक्षक अधिनयम के अनुसार पात्रा भी हैं, उनके अवसर बाधित होंगे। ऐसे समिति ने निर्णय लिया कि इस स्थानान्तरण सत्रा में स्थानान्तरित जो कार्मिक अपनी पूर्व तैनाती पर ही रहने के इच्छुक हैं, उनके संबंध में आगामी पांच स्थानान्तरण सत्र में तबादले पर विचार नहीं किया जाएगा। हालांकि ऐसे कार्मिक जो 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके होंगे अथवा अधिनयम में परिभाषित किसी बीमारी से आच्छादित होंगे, के संबंध में एक्ट के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। निदेश को कार्मिक विभाग के परामर्श के अनुसार तबादले रद्द करने के निर्देश हैं। वीडियो: इस नव निर्वाचित प्रधान ने बीवी पर बरसाए लात-घूसे। मुकदमा वीडियो: इस नव निर्वाचित प्रधान ने बीवी पर बरसाए लात-घूसे। मुकदमा इसे प्रधानी की सनक कहें या बीवी को दबी-कुचली समझने वाली सोच, लेकिन अल्मोड़ा जिले में मुक्तेश्वर के लमगड़ा के नाता डोल के ग्राम प्रधान का बताया जा रहा […]
2021/06/17 22:50:18
https://mukhyadhara.in/five-year-durgam-me-hi-rahenge-teacher/
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http://www.bbc.com/hindi/entertainment/2012/10/121009_amitabh_trivia_pkp.shtml Image caption शहनाज आनंद अपने पति टीनू आनंद के साथ. उनकी आवाज जरूर शानदार थी लेकिन उन्हें देखकर मुझे उस वक्त तो कम से कम कतई नहीं लगा कि ये दुबला पतला, लंबा इंसान कभी सुपरस्टार बन पाएगा. शहनाज आनंद, फिल्म सात हिंदुस्तानी में अमिताभ की सह नायिका Image caption निर्देशक रमेश सिप्पी के साथ शोले के सेट पर अमिताभ बच्चन. रमेश सिप्पी, शोले के निर्देशक स्टेज पर लोग अमिताभ पर टमाटर और अंडे फेंकने लगे. तब अमिताभ ने बहुत ही सहजता से माइक पर कहा, "आप लोगों ने जिस तरीके से हमारा सत्कार किया उससे हम गदगद हैं." ऐसा सुनते ही लोग रुक गए और फिर तालियों की जो गड़गड़ाहट हुई उसे मैं आज तक नहीं भूला. Image caption अमिताभ का मेक-अप करते दीपक सावंत. मुझे याद है कि मेरी फिल्म गंगादेवी की शूटिंग चल रही थी. उन्हें हार्निया की समस्या थी, लेकिन वो सेट पर आए और जबरदस्त दर्द के बाद भी शूटिंग पूरी की.
2018/03/19 00:05:01
https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2012/10/121009_amitabh_trivia_pkp.shtml
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गाय, गंगा और गौरी की चर्चा इन दिनों पूरे हिन्दुस्तान में जोर शोर से हो रही है। तीनों ही स्त्रीवादी शक्तियां हैं जिनका रक्षण व संरक्षण मानवीय बचाव के लिए बहुत जरूरी है। इसी कड़ी में गौरी यानी लड़की को बचाने का बिड़ा उठाया है डॉ. गणेश राख ने। महाराष्ट्र के पुणे शहर के रहने वालने डॉ. राख ने मुलगी वाचवा यानी बेटी बचाओ अभियान के माध्यम से जो बिगुल फूंका है उसकी गुंज पूरे हिन्दुस्तान में सुनाई पड़ रही है। इस नेकदिल, हंसमुख व जनसरोकारी चिकित्सक से स्वस्थ भारत अभियान के विशेष प्रतिनिधि विनय कुमार भारती ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंशः स्वस्थ भारत अभियान : आपको बेटी बचाओ अभियान की प्रेरणा कहाँ से मिली आखिर ऐसी क्या सूझी की आप बेटी बचाने निकल पड़े ? डॉ. राख : सबसे पहले हमें देखना होगा की आखिर गर्भ में बेटियों को कौन मार रहा है! किसे पता होता है की गर्भ में बेटा है या बेटी ? जाहिर है डॉक्टर का नाम सबसे पहले आता है। जब -जब कन्या भ्रूण हत्या की मामले आते है तब-तब एक डॉक्टर ने मेडिकल एथिक्स ताक पर रखा होता है। सेवा भाव को परे रखकर चंद पैसों के लिए अपनी कसम तोड़ी होती है। आज जितनी भी बेटियां जन्म लेने से पहले गर्भ में ही मार दी गई हैं उन सबके पीछे किसी न किसी डॉक्टर का ही हाथ है। मेरा मानना है की कन्या भ्रूण हत्या की शुरुवात जब डॉक्टर ने ही की तो इसे ख़त्म भी डॉक्टर ही करेंगे! ऐसे में मैंने तय किया इस कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाऊंगा। मैंने अपने पिता को जब यह बात बताई तो उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखते हुए अपना आशीर्वाद दिया। और फिर शुरू हुआ मंजिल पाने तक न रूकने वाला एक अभियान जिसका नाम है ‘बेटी बचाओ अभियान…’ आज जितनी भी बेटियां जन्म लेने से पहले गर्भ में ही मार दी गई हैं उन सबके पीछे किसी न किसी डॉक्टर का ही हाथ है। मेरा मानना है की कन्या भ्रूण हत्या की शुरुवात जब डॉक्टर ने ही की तो इसे ख़त्म भी डॉक्टर ही करेंगे! ऐसे में मैंने तय किया इस कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाऊंगा डॉ राख : मैं अक्सर नोटिस करता था कि जब मेरे अस्पताल में कोई लड़का जन्म लेता है तो माता-पिता पेमेंट देने में तनिक भी नहीं हिचकते।कई बार तो साथ आये रिश्तेदार भी भी पैसे देने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ जब बेटी के जन्म की सूचना दी जाती थी तो उनके चेहरे पर मायूसी छा जाती। कई बार तो ऐसा हुआ की बेटी के जन्म होने पर परिजन पेमेंट में डिस्काउंट मांगते थे या फिर फीस देने में आनाकानी तक करते थे। बेटी होने की खबर मात्र से कईयों का व्यवहार इतना चिड़चिड़ा हो जाता कि अस्पताल कर्मचारियों से भी उलझ बैठते थे। कई बार अस्पताल के कर्मचारी हिंसा के भी शिकार हुए हैं। अस्पताल कर्मचारियों के लिए तो बेटी होने कि सूचना देना अपने आप में चुनौती भरा काम था। ऐसा लगता मानो कोई अप्रिय सूचना दे रहे हों। पिताजी की सहमति मिलते ही मैंने अपने अस्पताल के कर्मचारीयों को जब बेटी होने पर फ्री डिलेवरी वाला आईडिया सुझाया तो पहले तो वे नाराज़ हुए फिर सबने अपनी सहमति जता दी और तन मन से लग गए। स्वस्थ भारत अभियान : क्या आपको नुकसान की चिंता नहीं हुई ? अपने कर्मचारिओं का वेतन अस्पताल का खर्च वगैरह … डॉ. राख : सबसे पहले तो यह बताऊँ की मुझे अपने अस्पताल के कर्मचारीयों पर गर्व है। बगैर उनके सहयोग से मैं बेटी बचाओ अभियान के बारे में सोच भी नहीं सकता था। उनके बगैर एक कदम नहीं बढ़ पाता। मेरे सारे कर्मचारी इस बात से सशंकित थे की फ्री डिलेवरी वाले आईडिया से उनके वेतन में कटौती की जा सकती है। अस्पताल कर्मियों ने आपस में बातचीत कर अपना वेतन भत्ते की कटौती तक का प्रस्ताव खुद ही मेरे सामने रख दिया। हालांकि मैंने कर्मचारीयों के वेतन में कटौती से मना किया। हाँ, कई बार बजट की समस्या आई। कई बार उन्हें देर से वेतन मिला। पर आज तक किसी कर्मचारी ने इसकी शिकायत नहीं की। चूँकि मेरे लिए वे केवल अस्पताल कर्मी नहीं बल्कि एक परिवार की तरह हैं। डॉ. राख : चूँकि बेटी के जन्म पर हमने मेहनत की है तो जाहिर है सबसे पहले उत्सव मनाने का हक़ भी हमें है। बेटी के जन्म पर केक काटे जाते हैं। गीत गाए जाते हैं। यहाँ तक की परिजनों को मिठाइयाँ भी अस्पताल ही खिलाता है। ये मौका हम नहीं छोड़ते साहेब ( हँसते हुए ) स्वस्थ भारत अभियान : हाल में ही आपने दहेज़ के लिए जलाई गई लड़कियों के लिए मुफ्त बर्न सेवा भी शुरू की है। चूँकि बर्न स्पेशलिस्ट डॉक्टर का खर्च, आईसीयू में महँगी मशीनों कर्मचारियों, महँगी दवाई जैसे अन्य खर्च। पहले से ही नुकसान उठा रहे डॉ. गणेश राख ने एक और नुकसान की शुरुवात की। नुक्सान उठाने के भी अपना आनंद है, क्यों? डॉ. राख : हमें मालूम है की आर्थिक नुकसान है। क्योंकि मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल है तो तरह-तरह के केस आते हैं। मेरे अस्पताल में जब दहेज़ के कारण जली हुई लड़कियों के केस आते है तो हमलोग मुफ्त इलाज़ करते हैं। हम और आप अच्छी तरह समझ सकते हैं कि उस माता- पिता की क्या स्थिति होती होगी जिसकी अपनी बेटी दहेज़ ना देने के कारण जला दी गई। अगर उसके पास पैसे होते तो वे अस्पताल तक ऐसी हालत में पहुँचते ही नहीं। ऐसे कामों में नुकसान तो होता है पर खुशियां बहुत ज्यादा मिलती है। आपने सही कहा इस नुक्सान का अपना अलग ही आनंद है। स्वस्थ भारत अभियान : आपको क्या लगता है बेटियों को लेकर लोगों की मानसिकता में पहले की अपेक्षा कुछ बदलाव हुए हैं ? डॉ. राख : निश्चित तौर पर सामाजिक जागरूकता बढ़ी है। माहौल तेज़ी से बदल रहा हैं। परन्तु आज भी लोगों में बेटे की चाहत ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है। हालत बदले जरूर हैं पर अब भी लिंग अनुपात को बराबर करने के लिए हर स्तर पर मेहनत करने की जरुरत है। ऐसे में सबकी सहभागिता जरुरी है। स्वस्थ भारत अभियान : मुलगी वाचवा (बेटी बचाओ अभियान) को लेकर आपकी क्या आशाएं हैं, आखिर बेटियों को बचाने का आपका सपना कैसे पूर्ण होगा ? डॉ. राख : देखिये, हम डॉक्टर इस बात से कभी इंकार नहीं कर पायेगे की कन्या भ्रूण हत्या में हम डॉक्टरों का ही हाथ है। आज जब बेटियों को बचाने बात आई है तो डॉक्टर समुदाय को ही आगे आना होगा। मैं स्वस्थ भारत अभियान के माध्यम से देश के तमाम डॉक्टरों से अपील करता हूँ की अपने जीवन में कम से कम एक बेटी के जन्म पर कोई शुल्क न लें और उसके जन्म पर खुशियां बाँटे। एक डॉक्टर या अस्पताल के लिए एक डिलीवरी फ्री करना मुश्किल काम नहीं। यह बहुत छोटी-सी बात है पर इससे समाज में जागरूकता का सन्देश जाएगा। डाक्टरी पेशे की छवि भी सुधरेगी ज्यादा आर्थिक नुकसान नहीं होगा। बेटी होने पर एक फ्री डिलीवरी वाली मुहीम बेटी बचाओ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए काफी मददगार होगी । डॉ. गणेश राखः एक परिचयः डॉ गणेश राख पुणे के चिकित्सक हैं और मेडिकेयर हॉस्पिटल फाउंडेशन चलाते हैं। गरीबी में पले बढे डॉ. राख अपना आदर्श अपने पिता आदिनाथ विट्ठल राख को मानते हैं। डॉ. गणेश राख को बेटी वचाओ अभियान को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने सम्मानित किया हैं। स्वस्थ भारत अभियान डॉ. गणेश राख के अनूठे मुलगी वाचवा यानी बेटी बचाओ अभियान का समर्थन करता है और आशा करता है कि देश के और डॉक्टर भी उनके बढ़े हुए हाथ से अपना हाथ मिलायेंगे। मुझे डॉ.लोकेशजी का लेख बहुत बढिया लगा.शासन को ऐसे ही कदम उढाने चाहिये जैसे कि डॉ दवे सर ने उललेख किया है.बहुत बहुत धंनयवाद सर
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"क्वान्टास एयरवेज" के अवतरणों में अंतर - विकिपीडिया "क्वान्टास एयरवेज" के अवतरणों में अंतर क्वान्टास एयरवेज (सम्पादन) 12:37, 14 फ़रवरी 2016 का अवतरण 17:08, 12 जून 2015 का अवतरण (सम्पादन) 12:37, 14 फ़रवरी 2016 का अवतरण (सम्पादन) (पूर्ववत करें) छो (replace archive.today -> archive.is (domain archive.today blocked by onlinenic)) यह विश्व की एक प्रमुख वायुयान सेवा हैं |क़्वांटास एयरवेज लिमिटेड [[ऑस्ट्रेलिया]] की वायुसेवा हैं,<ref>{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20140612205811/http://atwonline.com/finance-data/qantas-plans-early-repayment-debt|title=क़्वांटास ने जल्दी क़र्ज़ चुकाने का प्लान बनाया|publisher=एयर ट्रांसपोर्ट वर्ल्ड }}</ref> <br /> क़्वांटास वास्तव में "क्वींसलैंड एंड नॉर्थर्न टेरिटरी एरियल सर्विसेज " का संक्षिप्त रूप हैं । "फ्लाइंग कंगारू" के उपनाम से सम्बोधित ये ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी एवं विश्व में दूसरी सबसे पुरानी वायुसेवा हैं ।<ref>{{cite web|url=http://archive.todayis/Qn0w|title=क़्वांटास के नियमित उपभोक्ताओं को मिलेगा माइक्रोचिप}}</ref>१९२० में स्थापित इस विमानसेवा की अंतरास्ट्रीय सर्विस मई १९३५ में शुरू हुई ।<br /> क़्वांटास, [[सिडनी]] के उपनगरीय क्षेत्र मैस्कॉट में स्थित हैं एवं इसका मुख्य केंद्र सिडनी एयरपोर्ट में हैं ।.ऑस्ट्रेलिया की घरेलु सेवा में इसकी भागीदारी ६५% हैं एवं १८.७% लोग ऑस्ट्रेलिया से बाहर जाने में इसका उपयोग करते हैं ।
2022/05/25 13:42:17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7:MobileDiff/3014386
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त्रिस्‍तरीय पंचायत उप निर्वाचन पूर्वार्द्ध हेतु अशोकनगर जिले के अंतर्गत जनपद पंचायत अशोकनगर के दो सरपंच पद हेतु तथा अशोकनगर, ईसागढ, मुंगावली एवं चंदेरी के 57 पंचों के रिक्‍त पदों की निर्वाचन प्रक्रिया सम्‍पन्‍न कराये जाने के लिए कलेक्‍टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. मंजू शर्मा द्वारा रिटर्निंग एवं सहायक रिटर्निंग आफीसर नियुक्‍त किए गए हैं। उल्‍लेखनीय है कि 31 मार्च 2013 की स्थिति में रिक्‍त पंच एवं सरपंच पदों का निर्वाचन होना है। त्रिस्‍तरीय पंचायत उप निर्वाचन पूर्वाद्ध के लिए जनपद पंचायत अशोकनगर के ग्राम पंचायत धौरा तथा ग्राम पंचायत हिनौतिया में सरपंच पद के लिए तथा ईसागढ में 15, मुंगावली में 41 तथा चंदेरी में 01 पंच पद हेतु निर्वाचन होना है। मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना के अंतर्गत किसान पुत्र-पुत्रियों के लिए शासन द्वारा नवीन उद्यमों की स्थापना हेतु नीति निर्धारित की गई है है। युवा इन दिनों तनाव से बचने के चक्‍कर में एक से एक बड़ी मुसीबतों में फंसते जा रहे हैं। इतना ही नहीं वे सिगरेट के नुकसान से बचने के चक्कर में ई सिगरेट का सहारा ले रहे हैं। इससे वे हृदय रोग का शिकार हो रहे हैं।
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राहुल ने कहा कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें बताया कि वह पिछले 50 सालों से कांग्रेस से लड़ते आ रहे हैं और 50 सालों के बाद उन्हें यह अहसास हुआ है कि इस देश का भविष्य कांग्रेस पार्टी के हाथों सुरक्षित है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सोमवार को एम्स में भर्ती कराया गया। भाजपा ने इसे रूटीन चेकअप बताया। इस बीच एम्स ने अपने मेडिटकल बुलेटिन में कहा है कि वाजपेयी जी को यूरिन का संक्रमण है और जब तक संक्रमण ठीक नहीं हो जाता उन्हें डिस्चार्च नहीं किया जाएगा।
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कैसे अपने नाखून whitening करने के लिए? | जीवन में शैलियों | midwestbmx.info सफेद और चमकदार नाखून अच्छे स्वास्थ्य का संकेत हैं। यह हमेशा कहा जाता है कि स्वास्थ्य नाखूनों द्वारा प्रतिबिंबित होता है। अच्छी नाखून अच्छे आंतरिक स्वास्थ्य का संकेत हैं। हालांकि कभी-कभी हमें नाखून पॉलिश या एक्रिलिक नाखून पेंट के रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण नाखूनों पर दाग मिल सकती है। अगर हमारे पास नकली नाखून पहनने की आदत है तो मूल नाखूनों पर नकली नाखूनों को ठीक करने के लिए गोंद से नाखूनों पर दाग पाने का एक उच्च मौका भी रहता है. नाखून दाग से लड़ने के लिए कुछ आसान उपाय हैं और अच्छे और सफेद नाखून प्राप्त करें। आज हम आपको दिखाएंगे कि नीचे दिए गए उपायों में से एक के बाद आप आसानी से अपने नाखूनों को कैसे सफ़ेद कर सकते हैं. अपने नाखूनों को कैसे मारने के लिए प्रक्रियाएं? प्रक्रिया 1: नींबू का उपयोग करें जैसा कि हम सभी जानते हैं नींबू प्राकृतिक ब्लीचिंग गुण है। मानव शरीर के किसी भी तामचीनी को ब्लीच करने के लिए नींबू का उपयोग किया जा सकता है जैसे कि। नाखून और दांत भी। इसलिए अपने नाखूनों को सफ़ेद करने और उन्हें नाखून के दाग से छुटकारा पाने के लिए एक साधारण घरेलू उपाय उन पर नींबू का उपयोग करके किया जा सकता है. इसके लिए यहां एक सरल प्रक्रिया है. एक प्लास्टिक कटोरा एक नाखून cleanser ब्रश या एक सामान्य टूथब्रश जो नया है और उपयोग नहीं किया जाता है एक प्लास्टिक कटोरा या एक गिलास कटोरा लें और इसे 1/3 पानी के साथ भरें और शेष 2/3 ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस लें। अब अपनी अंगुलियों को इसमें डुबोएं और अपने नाखूनों को लगभग 15-20 मिनट तक भिगो दें। सुनिश्चित करें कि आपके नाखूनों पर कोई आधार कोट या किसी भी तरह की नाखून पॉलिश नहीं है। इस प्रक्रिया से पहले आपके नाखूनों को ठीक से बफ किया जाना चाहिए और फिसल जाना चाहिए। उन्हें पानी में भिगोने के बाद नाखूनों को बाहर निकालें और 5-10 मिनट के लिए क्लींसर ब्रश के साथ सतह को ब्रश करें। फिर से पानी में डुबकी और प्रक्रिया दोहराएं। इसे एक प्रयास में दाग निकालना चाहिए या सर्वोत्तम परिणामों के लिए सप्ताह में 2 या 3 बार दोहराएं। दाग हटा दिए जाने के बाद, ऐसा करना जारी रखें। नाखूनों पर नींबू के रस का बहुत अधिक उपयोग आपके कणों को नुकसान पहुंचा सकता है. एक आसान तरीके से, आप कभी-कभी ताजा कट नींबू के साथ अपने नाखून की सतह को रगड़ सकते हैं। सतह को ब्रश करें और आवश्यकतानुसार दोहराएं. और देखें: नाखूनों के लिए घर का बना सौंदर्य युक्तियाँ प्रक्रिया 2: टूथपेस्ट का उपयोग करें यदि टूथपेस्ट आपको क्लीनर दांत दे सकता है, तो यह आपको नाखून के दाग से भी छुटकारा पा सकता है। यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है. Whitening टूथपेस्ट और एक अप्रयुक्त टूथ ब्रश या एक नाखून cleanser ब्रश लें। नाखून की सतहों पर टूथपेस्ट लागू करें और उन्हें लगभग 10 मिनट तक रखें। अब दाँत के ब्रश को गीला करें और नाखून की सतह पर रगड़ें। इस प्रक्रिया को सप्ताह में 2-3 बार दोहराएं जब तक कि आपके दाग पूरी तरह से नहीं चले जाते। दोबारा, याद रखें कि इस प्रक्रिया को करने से पहले, आपके नाखून किसी भी नाखून पेंट या बेस कोट से मुक्त होते हैं. प्रक्रिया 3: हाइड्रोजन पेरोक्साइड और बेकिंग सोडा का उपयोग करें यह एक रासायनिक उपचार है और केवल हम इसे नाखूनों के लिए अनुशंसा करेंगे जिनके पास गंभीर नाखून दाग हैं। यदि आपके पास गंभीर नाखून दाग नहीं हैं, तो कृपया इस प्रक्रिया से बचें क्योंकि किसी और चीज से पहले प्राकृतिक उपचार के लिए जाना हमेशा अच्छा होता है. हालांकि, आप इस प्रक्रिया को निम्न तरीके से आजमा सकते हैं. 2 प्लास्टिक या एक ग्लास कटोरे 1 चम्मच हाइड्रोजन पेरोक्साइड (3% एकाग्रता) नाखून सोख या शैम्पू के 2 चम्मच पहले हाइड्रोजन पेरोक्साइड और बेकिंग सोडा को एक कटोरे में मिलाएं। मिश्रण को नाखूनों पर ठीक से लागू करें जहां आपके दाग हैं। यदि दाग सुझावों पर हैं, तो नाखून के शीर्ष के साथ भी नीचे की सतह पर मिश्रण का उपयोग करें। मिश्रण को लगभग 6-10 मिनट तक बैठने दें। अब इसे सूती तलछट से साफ करें। एक और कटोरे में नाखूनों को भिगोने के लिए नाखून सोख या शैम्पू और पर्याप्त पानी का मिश्रण बनाते हैं। नाखूनों को लगभग 5 मिनट तक डुबोएं और अपने हाथ सूखें। प्रक्रियाओं को सप्ताह में 2 बार दोहराएं जब तक कि आपके दाग पूरी तरह से नहीं चले जाते.
2022/01/18 01:35:29
https://www.midwestbmx.info/page-2008/whitening-2/
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अखनूर का किला के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Akhnoor Fort in Hindi सामान्य ज्ञान » प्रसिद्ध आकर्षण » अखनूर जम्मू कश्मीर के अखनूर का किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी ✅ Published on July 8th, 2019 in प्रसिद्ध आकर्षण, प्रसिद्ध किले अखनूर किला, जम्मू कश्मीर के बारे में जानकारी: (Information about Akhnoor Fort, Jammu and Kashmir) अखनूर का किला दो मंजिला है, जो चेनाब नदी के दाहिने किनारे एक चट्टान पर बना हुआ है। इस किले का प्राचीन नाम असिक्नी है। जिसके कारण यह किला जम्मू कश्मीर के एक ऐतिहासिक काल को दर्शाता है। और यह किला 1982 ई॰ से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन है साथ ही इसे स्मारक अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था। अखनूर किले का संक्षिप्त विवरण: स्थान जिला अखनूर, जम्मू कश्मीर, भारत निर्मित 1657-1672 निर्माता (किसने बनवाया) मियां तेज सिंह वास्तुकला उस्ताद बेग कश्मीरी वास्तुकला शैली प्राचीन मुगल वास्तु शैली अखनूर किले का इतिहास: (History of Akhnoor Fort) अखनूर किला चेनाब नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। जिसका प्राचीन नाम असिक्नी है। इस किले की निर्माण की शुरुआत 1762 ई॰ में मियां तेज सिंह ने कारवाई थी परंतु इसका निर्माण कार्य 1802 में राजा के उत्तराधिकारी आलम सिंह की देख रेख में सम्पूर्ण हुआ था तब अखनूर जिले का राजा आलम सिंह था। आलम सिंह राजा मियां तेज सिंह का पुत्र था। परंतु कई पुरातत्‍वविदों के अनुसार, यह किला कई काल पहले हडप्‍पा संस्‍कृति के काल में बना हुआ है जो बाद में नष्‍ट हो गया था। जिस तरह अखनूर किला अपनी प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व के लिए इतिहास में गर्व का स्थान पाता है, ठीक उसी तरह चंद्रभागा के दाहिने किनारे पर जिया पोता घाट यानी अखनूर जिले में आज की चिनाब नदी इस प्राचीन शहर की शान है। अखनूर किले के बारे में रोचक तथ्य: (Interesting facts about Akhnoor Fort) अखनूर किले में बराबर अंतराल पर गढ़ों के साथ ऊंची एवं बड़ी किलेबंदी दीवारें हैं और जिस पर युद्धपोतों के साथ ताज पहनाया जाता है। कोनों पर दो-मंजिला वॉच-टॉवर हैं, जिन्हें युद्ध में विलय होने पर ताज पहनाया जाता है। किले के दो भाग हैं जो एक दीवार से टकराते हैं जिसके द्वार दक्षिणी ओर महल की ओर हैं। पूरा महल दो मंजिला है, और आंगन के सामने की दीवारों पर मेहराबें सजी हुई हैं, जिनमें से कुछ में भित्ति चित्र हैं। किले की दीवारों पर निर्मित भित्तिचित्र कला सबसे पुरानी चित्रकला है। प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में पहले मिट्टी के बर्तन बनाये जाते थे, लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने मिट्टी का प्रयोग दीवरों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे थे। अखनूर किले का प्रवेश नदी के किनारों और उत्तरी तरफ दोनों के माध्यम से प्राप्त होता है। पूर्व में, किले का एक बड़ा हिस्सा खंडहर में था, जिसका अब संरक्षण कार्य प्रगति पर है। अखनूर किले जैसे प्राचीन स्थल पर तीन काल के इतिहास को उजागर किया है। पहली अवधि में हड़प्पा लाल और ग्रे मिट्टी के बरतन द्वारा दर्शाया गया है जिसमें जार, बीकर और गोबल शामिल हैं। दूसरी अवधि में प्रारंभिक ऐतिहासिक मिट्टी के बर्तनों की उपस्थिति से चिह्नित किया गया है और तीसरी अवधि में कुषाण वस्तुओं द्वारा दर्शायी गई है।
2022/05/22 02:28:38
https://www.samanyagyan.com/hindi/attraction-akhnoor-fort-akhnoor-jammu-kashmir
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हर्षित व रत्नानी बने शतरंज के चैंपियन Publish Date:Sun, 09 Apr 2017 06:33 PM (IST)Author: Jagran जासं, गुरुग्राम : सेक्टर 46 स्थित केआइआइटी व‌र्ल्ड स्कूल में आयोजित की गईदो दिवसीय जिला स्तरीय अंडर जासं, गुरुग्राम : सेक्टर 46 स्थित केआइआइटी व‌र्ल्ड स्कूल में आयोजित की गईदो दिवसीय जिला स्तरीय अंडर 7 आयु वर्ग शतरंज प्रतियोगिता में रविवार को फाइनल मुकाबले खेले गए। हरियाणा शतरंज एसोसिएशन के महासचिव नरेश शर्मा ने बताया कि लड़कों के वर्ग में हर्षित रत्नानी और लड़कियों में आइशा वाधवानी चैंपियन बने हैं। इस मौके पर एक कंपनी के अधिकारी मुख्य अतिथि कुमुद भारद्वाज पुरस्कार देकर सम्मानित किया। प्रतियोगिता में लड़कों के वर्ग में दूसरे स्थान पर अथर्व श्रीवास्तव, तीसरे स्थान पर यशस रैना और लड़कियों के वर्ग में दूसरे स्थान पर अनेवशा श्योराण और तीसरे स्थान पर आन्या बोथरा रही। शर्मा ने बताया की लड़के और लड़कियों के वर्ग में प्रथम व दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले खिलाडी 28-30 जुलाई को बहादुरगढ़ में होने वाली राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गुरुग्राम प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रतियोगिता में 32 खिलाड़ी भाग ले रहे थे। इस मौके पर एसोसिएशन जिला प्रधान अनिल कुमार परनामी, उप प्रधान राकेश चावला और देश रतन गुलाटी, संगठन सचिव राजपाल चौहान, योजेमस और पुनीत कुमार, दमनीष कुमार और तेजेश्वर ¨सह,राज कुमार, केआइआइटी स्कूल के खेल विभाग के प्रमुख संदीप भारद्वाज समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
2021/07/27 09:38:50
https://www.jagran.com/haryana/gurgaon-15826584.html
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मैंने नाता तोड़ा - 4 - सुषम बेदी | साहित्य कुंज हमारे शयनकक्ष में जो कुछ भी होता रहा हो, एक ज़िंदगी उसके बाहर भी थी जो अपनेी साधारण, बल्कि काफी तेज़ गति से ही आगे बढ़ रही थी। जैसे नदी अवरोध पाने पर और भी तेज़ गति से आगे बढ़ती है वैसे ही समय, स्थान और मानसिकता के तरह-तरह के गतिरोध आने के बावजूद जीवन की कितनी ही धारायें तेज़ चाल से बहे जा रही थीं। एक दिन जब मैंने अनी से काम का ज़िक्र किया तो उसने कहा कि सबसे पहले मुझे कार चलाना सीखना चाहिये ताकि में अपनेआप से आ जा सकूँ। कार जो भारत में इतनी नायाब चीज थी और जिसे सीखने के बेहद शौक ने ही मुझे अंकल की ज्यादती सहने को कुछ हद तक मजबूर किया, वह यहाँ ज़रूरत की चीज थी और आसानी से मुहय्या थी। यहाँ पहुँचने के हफ़्ते भर बाद ही कार खरीदने की बात की जा सकती थी। जैसे तन ढकने को कपड़े, रहने को मकान वैसे ही कार भी। हर कोई खरीद सकता था गाड़ी, उसके लिये कोई बहुत अमीर होने की ज़रूरत भी नहीं। फिर भी मैं काफी अरसे तक झिझकती ही रही गाड़ी सीखने से। जबकि मुझे मालूम था कि मैं जल्दी ही सीख जाऊँगी पर पता नहीं अंदर से उठता ही नहीं था कि चलाना सीखूँ और सीखने का सोचती तो भीतर घबराहट और खलबली सी मच जाती। पता नहीं लगता जैसे कि कुछ अघट घट जायेगा... कुछ अशुभ हो जायेगा! अनी बार-बार याद दिलाता और पूछता कि ड्राइविंग स्कूल का पता किया कि नहीं। मैं टाल जाती- "आज करूँगी" और वहाँ आज आने का नाम लेता नहीं। ड्राइविंग से अंकल का अक्स जुड़ा हुआ था। सोचती थी कि कैसे जूझूँगी उससे। कहीं वह सब फिर से दिमाग में हाथापायी करने लगा तो कहीं दुर्घटना ही न कर बैठूँ। लेकिन मुझे मुक्त होना ही है। कब तक इस डर को मन में बिठा कर खुद को जीने की सहज ज़रूरतों से दूर फेंकती रहूँगी। जो काम करने हैं वे तो करने ही हैं। वह सब मेरी ज़िन्दगी से बहुत दूर हट चुका है। उसके नजदीक आने की कोई संभावना ही नहीं। फिर यह झिझक क्यों? कब तक टालती रहूँगी! ऐसे तो कुछ कर ही नहीं पाऊँगी? बस घर में ही टिके रहना होगा। बहुत अजीब लगता रहता मुझे। एक दिन अनी ने मुझे टेलीफोन डायरेक्टरी दी और कहा कि इसमें से ड्राइविंग स्कूल का नम्बर खोज कर उनसे जानकारी ले लूँ और सीखने का वक्त भी नियत कर लूँ। अनी चला गया और मैं घंटों मोटी सी डायरेक्टरी से ही उलझती रही। अपने भीतर ताकत संजोती रही। रितु यह काम करना ही है। यह सोच लिया कि सिखानेवाले ने जरा भी हाथ लगाया तो थप्पड़ जड़ दूँगी। जहाँ भी हुआ गाड़ी से बाहर निकल आक्रगी। अब तो मैं बड़ी हूँ। अक्लमंद हूँ। कोई करे तो हिम्मत। सीधा करके रख दूँगी। फिर दिन दिन में ही सीखनी है गाड़ी। खतरा किस बात का। रास्ते भी मुझे खासे आ गये है.। दो-तीन स्कूलों के इश्तहार थे उसमें सो वहीं फोन किया। पता लगा कि वे लोग आकर घर से ही ले जाते हैं और उन्हीं की गाड़ी पर सीखना होता है। यह बात मजेदार थी। अनी की गाड़ी तोड़ने की फिक्र करने की ज़रूरत नहीं थी मुझे। उत्साह भी था कि सचमुच गाड़ी चलाना सीखूँगी। अंकल के साथ मैंने स्टीयरिंग सम्भालना तो सीख ही लिया था पर वह बस नाम के वास्ते ही था। अब जबकि सचमुच सीखने की बात आयी तो पता लगा गाड़ी का क ख ग कतई नहीं आता था मुझे और कि मुझे सब कुछ शुरू से ही सीखना था। सिखानेवाला भी स्थानीय ड्राईविंग स्कूल का टीचर था। मेरी ही उम्र का। अजय का ध्यान हो आया मुझे। मेरा सहज ही विश्वास बन गया। वह बहुत ही प्रोफेशनल ढंग से सिखा रहा था। पहले उसने गाड़ी की मशीन के सारे हिस्सों से मुझे वाकिफ़ कराया। उनका कब कैसे इस्तेमाल करना है, उसके बाद प्रैक्टिकल ट्रेनिंग। रोज आधे घंटे का पाठ होता था। मैं बहुत जल्द ही सीख गयी। बस गाड़ी को पार्क करने में महारत हासिल नहीं हो रही थी। उसका कहना था कि सड़क के साथ गाड़ी को सीधा लगाने की पार्किंग सीखे बिना मैं इम्तहान में फेल हो जाऊँगी। खासकर दो गाड़ियों के बीच अपनी गाड़ी लगान मझे बेहद नर्वस करता। न तो आगेवाली गाड़ी से टक्कर हो, न ही पीछेवाली से। इतनी सफाई से भला कैसे टिका सकता है गाड़ी कोई। न बाबा न। पहले तो मैंने जवाब ही दे दिया। पर इस शहर में पैरालल पार्किंग यानि कि सड़क के समानांतर गाड़ी खड़ा करने की कला सीखे बिना लाइसेंस नहीं मिलेगा। करना था ही। वह मेरे साथ स्टीयरिंग संभाल कर बार-बार मुझे दिखाता कि ऐसे करो। दो दिन उसी की प्रैक्टिस कराता रहा। तब जाकर मुझमें अपने पर भरोसा आया। अनी से भी कहा कि मुझे कुछ अलग से अभ्यास करा दे। शुरू-शरु में हाईवे पर प्रैक्टिस करते हुए भी मुझे डर लगता रहा था। कैसे याद रहेंगे इतने सारे नियम? यूँ सीखने से पहले नियमों का लिखित इम्तहान तो पास कर चुकी थी। उसके बिना तो स्कूल वाले गाड़ी सिखलाते ही नहीं। पर वह सब तो रट कर याद कर लिये थे। अब सचमुच जब सब गाड़ी में बैठकर संभालना पड़ा तो बहुत ज्यादा नर्वस थी मैं। दो बार ऐसा हुआ था कि आगे ट्रक था और सहसा मैं बहुत पैनिक कर गयी। एक बार आँखों के आगे पल भर को अंधेरा सा आ गया। गाड़ी कुछ असंतुलित हुई तो उसने झट से स्टीयरिंग संभाल लिया। फिर मैं भी संभल गयी। पहली ही बार में इम्तहान पास कर गयी थी मैं। अनी एक वीकैंड पर मुझे गाड़ियों की दुकान पर ले गया। मैं तो तरह तरह की कारें देख चकाचौंध थी। मुझे कितनी ही कारें पसंद आ गयीं। वह मुझे अलग-अलग कारों की खूबियाँ समझाता रहा ताकि फैसला लेने में मुझे कुछ मदद मिले। हम चार पाँच दुकानों पर गये। मैंने एक ही दिन में कारों के बारे में ढेर सारी जानकारी हासिल कर ली। अनी ने बताया कि बड़ी बड़ी अमरीकी गाड़ियाँ यूँ लोकप्रिय थीं पर मेरे लिये छोटी ज्यादा अच्छी रहेगी। छोटी को संभालना, सड़क पर पार्क करना ज्यादा आसान रहेगा। मुझे उसका सुझाव भा गया। यूँ भी मुझे कुछ पता तो था नहीं। इस तरह मुझे एक दिशा मिल गयी अपने चुनाव में। फिर भी मैंने कहा - "कुछ सोच लूँ...इतनी बड़ी चीज...कुछ वक्त तो दोगे न फैसला लेने के लिये...अगले वीकैंड दुबारा नहीं आ सकते?" वह मुस्कुरा दिया। जिस दिन अपनी गाड़ी के आटोमेटिक ट्रांसमिशन को आन कर मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ गाड़ी चलाकर सड़क पर निकली, मुझे लगा जैसे आसमान और जमीन दोनों मेरे काबू में आ गये हों। यहाँ कोई क्लच नहीं दबाना था। क्लच के झटके लगने का कोई खतरा भी नहीं था। गाड़ी चलाना सच में एक खिलवाड़ जैसा लगा मुझे। ज़मीन जैसे मेरे लिये एक खेल का मैदान हो जहाँ मुझे खेलने की पूरी आजादी मिली हो। सचमुच एक आजाद पंछी सा महसूस किया मैंने। मैं कहीं भी आ जा सकती थी, कहीं भी अपने आप पहुँच सकती थी। अब मुझे किसीपर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं थी। जैसे एक नयी ज़िंदगी मिली हो मुझे। गाड़ी सड़क पर चल रही थी यूँ ही निरुद्देश्य। मैं सोचने लगी कि कहाँ जाना चाहिये मुझे। सबसे पहले कहाँ जाऊँ। अनी तो दुकान से घर तक लाते हुए मेरे चलाने से प्रभावित हो ही चुका था। यूँ भी इस वक्त यूनिवर्सटी में काम में मशगूल होगा उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिये। अनायास ही गाड़ी मैंने भाभी जी के घर की ओर मोड़ दी। गेट खोलकर उनके पैसेज में गाड़ी रोकी तो भाभी जी आवाज़ सुनकर खुद ही दरवाजा खोल बाहर निकल आयी - "अरे तू!" और इधर-उधर देखते हुए बोली -"कौन लेके आया है तुझे? क्या छुट्टी है अनी की?" "भाभी जी खुद गाड़ी चलाकर आयी हूँ।" मैंने बड़े जोश और फ़ख़्र के साथ कहा। "इतनी जल्दी गाड़ी भी सीख ली।" और फिर गाड़ीपर गौर करके बाली - "हूँ तो नयी गाड़ी ली है मैडम ने।" भाभी जी ने खूब बढ़िया लंच खिलाया मुझे। आलू के परांठे, भरवाँ करेले और कढ़ी। वे बहुत खुश थी। "ऐसे ही आ जाया कर। मुझे तो बड़ी खुशी हुई तुझे देख कर। ऐसे कौन मिलने आता है यहाँ। मैं तो दिन भर अकेली बैठी रहती हूँ। ये कभी-कभी लंच पर घर आ जाते हैं। जब दूर निकल जाते हैं तो आते भी नहीं। सच आ जाया कर।" वीरजी, भाभी जी के पति, के शहर में कई पैट्रोलपंप थी जिनसे उनको खासी आमदनी थी। पर वीरजी ज्यादातर कामवश पर घर से बाहर ही होते थे। भाभी जी को सचमुच मुझसे मिलकर बड़ा अच्छा लगा था। बच्चे भी तो दिनभर बाहर होते। भाभी जी में मैंने माँ का प्यार देखा, दीदी का प्यार देखा। मुझे लगा कि मेरा यहाँ भी अपना घर था। जहाँ मेरा स्वागत था, जहाँ मैं आ जा सकती थी। एक अंदरूनी सुख मिला था उस दिन। उस नन्हीं सी कार ने मुझे एक और घर भी दिला दिया था उस दिन। यूँ बाद में मुझे भी फुरसत कम ही मिलती थी इस तरह दिन-दहाड़े घूमने-फिरने की। रोज ही कुछ न कुछ काम पड़ जाता और वही मेरा वक्त लील लेता। मेरा कालेज भी शुरू हानेवाला था। यूँ शामों को हम साथ-साथ अनी के मित्रों से मिलते। वे भी हमारे यहाँ आते। पर ज्यादातर पहले से तय रहता कि कब कौन किसके यहाँ आ या जा रहा है। ज्यादातर वीकैंड पर ही सोशल मुलाकातें होती थीं। बाकी दिन सुबह से शाम पढ़ने-लिखने के काम, घर की सफ़ाई, कुकिंग, सौदाबाज़ी और बाकी के छोटे-मोटे कामों में लग जाते थे। भाभी जी को वीकैंड पर बारबेक्यू का बहुत शौक था। कहतीं कि इस तरह रसोई से छुटकारा मिल जाता है। वर्ना सातों दिन एक ही दिनचर्या। बारबेक्यू पर ज्यादातर आदमी लोग ही पकाने का काम करते। हम लोग घर से मुर्गे और कबाब वगैरह मसालों में डुबो कर तैयार करके ले जाते, साथ में भुट्टे, तरबूज़, आलू के चिप्स और कोकाकोला की बोतलें। भाभीजी के एक दो पसंदीदा पार्क थे जहाँ चूल्हे भी बने हुए थे। आदमी लोग ही चूल्हों में कोयले डालकर आग जलाते और फिर मुर्गे, कबाब, हैमबर्गर तथा भूट्टों को कोयलों की आँच पर पकाया जाता। ज्यादातर ऐसी पिकनिक गर्मियों में ही होती। पर सर्दियों में भाभी जी और दूसरे लोग घरों के अंदर भी इस तरह का इंतजाम रखते। पैटियो में बारबेक्यू किया जाता और तब भी घर के आदमी ही करते पकाने का काम। मैं भी वीर जी के साथ माँस भूनने के काम में लग जाती। मेरे लिये नया था यह सब। मुझे भुनने की खुशबू भी अच्छी लगती और मैं मीट के टुकड़े उलटना-पलटना सीखती। मैं बार-बार चिमटों से मुर्गे की टाँगे उलटने लगती तो वीरजी कहते - तुम तो भरता बना दोगी सारी टाँगों का। इतनी बार थोड़े न पलटते हैं। मैं रुक जाती। फिर मिनट बाद दुबार हिलाने का यत्न करती। मेरे लिये तो यह एक खिलवाड़ ही बन गया था। शायद मेरे और वीरजी के बीच खिलवाड़। उनके इलावा और कोई मुझसे कुछ कहता नहीं था। पर वीरजी घर के बड़े की तरह मुझसे बर्ताव करते। उनका हक भी था। हमारी शादी का सारा इंतज़ाम उन्होंने ही तो किया था। अनी से उनका विशेष स्नेह था और उसी नाते से मुझसे। कभी-कभी मुझे लगता कि वे मुझे अनी से भी ज्यादा स्नेह देते हैं। मुझे भी वीरजी बहुत भले लगते। उन पर सहज भरोसा हो जाता। अक्सर कोई बात पूछनी हो तो मैं उनसे बेझिझक पूछ लेती और वे भी विस्तार से सब कुछ समझा देते। कभी वे मुझे छेड़ते - रितु तो मेरे शहर की है। बतलाओ कि जब मैं आई.आई.टी. में था तो तुम मिली क्यों नहीं मुझे। मैं तो तुम्हीं को ब्याह कर लाता। पता नहीं किस संदर्भ में उनको अपने कानपुर वास का ज़िक्र किया था पर फिर जब उन्होंने अपनी बात की तो मैं उनके कानपुर से होने की बात से बहुत घबरा गयी थी। पर जब मन ही मन सालों का हिसाब लगाया तो वे मेरे कानपुर छोड़ने से कई साल पहले देश छोड़ चुके थे। वीरजी उम्र में मुझसे कम से कम बारह-पंद्रह साल बड़े थे। फिर भी घर तो उनका अभी भी कानपुर में ही था। वे शायद अंकल को भी जानते हों। मेरा डर ऐसे जकड़ता कि बदन में कंपकंपी छूट जाती। मैंने यूँ ठान लिया था कि कभी किसी से ज़िक्र नहीं करुँगी कि कभी कानपुर में भी रहे थे हम। यूँ ही आ बैल मुझे मार वाला हिसाब था। क्या ज़रूरत है उस इतिहास को कुरेदने की! मेरा काला इतिहास! ओह क्या कभी मिटा पाऊँगी उस घिनौने इतिहास को। कहीं ऐसा न हो कि वीरजी ने मुझे पहचान लिया हो? पर कैसे? हम तो बिलकुल ही दूसरे इलाके में रहते थे। इंजीनियरिंग कालेज के पास तो कभी फटकते ही न थे। अजय तो स्कूल से ही सेना में चला गया था फिर इस कालेज का ज़िक्र ही भला क्योंकर? परदेस में तो कोई भी छोटा-मोटा सूत्र मिल जाये, बहुत होता है नाता बनाने को। शायद इतना ही सहारा लिया था वीरजी ने मुझसे जुड़ने का। यूँ मैं भी बहुत सुख पा रही थी उनसे जुड़कर। बस कभी कानपुर की बात करते तो मैं चुपचाप सुन लेती। न कोई सवाल करती, न ही ज्यादा रुचि दिखाती। एक बार हिम्मत करके कह भी दिया - "हम लोग तो वहाँ थोड़ी देर ही रहे थे। पिताजी का तो तबादला होता ही रहता था। अब तो मेरा परिवार दिल्ली में है। मैं खुद को दिल्लीवाली मानती हूँ। कानपुर से कुछ नहीं मुझे।" "अच्छा जी तो खुद को हमसे ऊपर रखने की कोशिश की जा रही है। दिल्लीवाली हैं आप। सारे बड़े बड़े लोग तो भई दिल्ली में ही रहते हैं। हम तो ठहरे छोटे शहर के।" "नहीं नहीं वीरजी। वो मतलब नहीं था मेरा। पर अब तो हम कई साल से दिल्ली ही रह रहे हैं। दिल्ली मुझे अच्छा भी लगता है। कानपुर तो... दिल्ली से मुकाबला भी क्या?" मैंने उनको फिर छेड़ दिया था। जल्द से विषय भी बदल दिया - "अगल पलटा नहीं तो सारी टाँगें जल जायेंगी। पलट दूँ?" "ू भरता खिलाने के मूड में हैं क्या? तो फिर बैंगन भून ना।" जितने कबाब, चिकन टिक्के मैंने बरस भर में खा लिये थे, अपनी पूरी उम्र में भी हिंदुस्तान में न खाये होंगे। कभी-कभी आम भी मिल जाते। पर उनका वैसा स्वाद न होता था। मैक्सिको वगैरह से आते थे ये आम। मुझे कलमी और दशहरी आमों की याद आती। पर ऐसा कभी कभी ही होता। सर्दी पड़ते ही सारा का सारा माहौल कितना बदल जाता। दिन इतने छोटे हो जाते कि दफ़्तरों से सीधे घर आकर सबको खाना खा सो जाने की पड़ जाती। ज्यादा से ज्यादा बैठकर टेलीविजन देख लिया। अकसर बर्फ़ पड़ती और घंटों पड़ती ही रहती। यानि कि काम पर पहुँचना भी दुश्वार हो जाता। पर सब जाते ही। उस साल खाली एक दो बार ऐसा हुआ था कि रास्ते साफ नहीं हुए थे सो काफी देर तक अनी भी घर में ही इंतजार करता रहा। पर रास्ते खुलते ही निकल पड़ते सब। हमारे साथवाली इमारत में एक पोलिश आदमी रहता था। वह तो रात के अंधेरे में काम पर निकल पड़ता। मैं बहुत हैरान थी। उसने बतलाया कि वह शहर के सेनीटेशन डिपार्टमेंट में काम करता था और जब बर्फ़ ज्यादा पड़ती तो उसे रातोंरात सड़कें साफ करने के लिये विभाग से बुलावा आता था। बताते हुए वह बहुत चहक रहा था कि ज्यादा बर्फ़ पड़ने से उसको फायदा है क्योंकि ओवरटाईम करने का पैसा दुगना मिलता है। पर कट गयी थी सर्दियाँ भी अपार्टमेंट में ही दुबके-छिपके। मेरे लिये बर्फ़ देखने का अनुभव भी तो नया नया था। बस घंटों अपनी खिड़की से बर्फ़ का गिरना ही देखती रहती। फिर बर्फ़ गिरना रुक जाता तो बाहर जाकर मुट्ठियों में भरकर उसे महसूस भी कर लेती। मिनटों में ही हाथ जमने से लगते और अंदर आकर गर्म पानी के नीचे हाथ छोड़ देती। यूँ कोट और बूट पहनकर, सिर में टोपी लगाकर गिरती बर्फ़ में बाहर चलने का अनुभव भी ले डाला था और बहुत खुश थी कि गिरती बर्फ़ में भी चलकर देखा है मैंने। पर पहली बार सुबह सुबह जब बर्फ़ गिरी देख कर बाहर निकली थी तो बेवकूफों की तरह हीलवाले पंप जूते पहन कर चल पड़ी। दो मिनट के लिये दुकान तक जाना था सो सोचा कि ठंड क्या लगेगी। सड़क गेरेज से निकलती थी और ढलान सी थी वहाँ। पैर रखते ही वह जाके नीचे तक फिसलती ही रही। चोट खास नहीं लगी थी पर कमर और कूल्हे दूर तक फिसलते जाने से काफी दिन तक दुखते रहे थे। कुछ हैरानी सी भी हुई थी कि यह किय क्या मैंने! दर्द की दवा खाकर ठीक हो गयी थी और अनी से उपदेश भी मिला था कि बूट लेकर दिये हैं तो इस्तेमाल के लिये हैं। अजय को एक ख़त भी डाला था इसके बारे में। अतीत में रहने की मेरी आदत नहीं। न इच्छा ही। मुझे वर्तमान में ही रहना अच्छा लगता है। अपने आसपास से जुड़कर। अनी के साथ अपने वर्तमान को पूरी तरह से जी रही थी। पूरे उत्साह से। हर छोटे-छोटे सुख में सुखी होती, खुशी बटोरती हुई।
2021/05/16 21:57:19
http://sahityakunj.net/entries/view/maine-naataa-todaa-4
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विदेशी मुद्रा तथा करेंसी ब्रोकर्स - Investing.com भार ट्रेडिंग फॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) सही ब्रोकर चुनने से शुरू होती है। लेकिन डरो मत! Investing.com ने विश्वसनीयता, गति और शुल्क के लिए शीर्ष ब्रोकर्स की तुलना करते हुए आपके लिए पूरी मेहनत की है। अपनी आवश्यकताओं के लिए सर्वश्रेष्ठ फॉरेक्स ब्रोकर खोजने के लिए हमारी सावधानीपूर्वक तैयार की गई समीक्षाओं को ब्राउज़ करें। विशेषताएं हमें जो पसंद हैं व्यापार शुरू करें IC Markets समीक्षा एक फॉरेक्स ब्रोकर चुनना: आपको क्या जानना चाहिए फॉरेक्स बाजार अनुभवी व्यापारियों के बीच पसंदीदा है। यह फॉरेक्स के व्यापार के लिए एक वैश्विक, विकेन्द्रीकृत OTC बाजार है। यह बाजार प्रत्येक मुद्रा के लिए विनिमय दरों को निर्धारित करता है, और इसमें निर्धारित और वर्तमान कीमतों दोनों पर मुद्राओं के आदान-प्रदान, खरीद और बिक्री के हर एक पहलू को शामिल किया गया है। एक फॉरेक्स ब्रोकर एक मध्यस्थ है। ब्रोकर व्यापारियों को फॉरेक्स व्यापार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। लेन-देन में हमेशा दो मुद्राओं की एक जोड़ी होती है। क्या मुझे फॉरेक्स ब्रोकर की आवश्यकता है? जब आप अपने आप से पूछते हैं कि क्या आपको फॉरेक्स ब्रोकर की आवश्यकता है, तो दूसरे प्रश्न से शुरू करना सबसे अच्छा है: "क्या मेरे लिए फॉरेक्स व्यापार है?" फॉरेक्स ट्रेडिंग किसके लिए है? यदि आप एक अनुभवी व्यापारी हैं, तो आप फॉरेक्स व्यापार की तेज-तर्रार प्रकृति का आनंद लेंगे। फॉरेक्स शेयर बाजार बहुत बड़ा है। यह बहुत अधिक तरलता प्रदान करने में सक्षम है, और अधिक बार नहीं, निवेशक अधिक आसानी से बाहर निकल सकते हैं और ट्रेडों में प्रवेश कर सकते हैं। व्यापार की इस आसानी के साथ अक्सर कम लेनदेन लागत होती है। फॉरेक्स बाजार में शेयर बाजार की तुलना में अधिक लचीलापन है। हालांकि, फॉरेक्स बाजार अस्थिर है। किसी भी चीज का व्यापार करते समय नुकसान होने का खतरा रहता है। जब आप एक मुद्रा जोड़ी का व्यापार कर रहे होते हैं, तो वह जोखिम कभी-कभी बढ़ जाता है। यद्यपि आपको आरंभ करने के लिए अधिक प्रारंभिक पूंजी की आवश्यकता नहीं है (नीचे दिया गया विषय), अंतर्निहित जोखिम अधिक हैं। यह जल्दी अमीर बनने की योजना नहीं है। कुशल व्यापारी पैसा कमाते हैं, लेकिन अनुभवी, कुशल व्यापारी भी अभी भी नुकसान के दौर से गुजरते हैं। फॉरेक्स ब्रोकर की जरूरत किसे है? हर किसी को एक फॉरेक्स ब्रोकर की जरूरत होती है। फॉरेक्स व्यापार अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर प्रबंधित होते हैं, और केवल उन एक्सचेंजों के सदस्य-ब्रोकर- ट्रेडों का संचालन कर सकते हैं। फॉरेक्स व्यापार करने के लिए एक मंच रखने के लिए आपको एक फॉरेक्स ब्रोकर की आवश्यकता होती है। एक विशेष फॉरेक्स ब्रोकर वह है जो पूरी तरह से फॉरेक्स में व्यापार करता है। यदि फॉरेक्स व्यापारिक दुनिया में आपकी रुचि का एकमात्र क्षेत्र है, तो एक विशेष ब्रोकर एक अच्छा विकल्प होगा। गैर-विशिष्ट ब्रोकर ब्रोकर हैं जिनका उपयोग आप घरेलू शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने के लिए भी कर सकते हैं। एक ही ब्रोकर के पास अपना पैसा और प्लेटफॉर्म रखना अक्सर तकनीकी और आर्थिक रूप से कहीं अधिक सुविधाजनक होता है। बुद्धिमान को वचन यूएस न्यूज ने कहा कि हर दिन 6.5 ट्रिलियन डॉलर का फॉरेक्स ट्रेड होता है। फॉरेक्स व्यापार एक कानूनी प्रयास है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक ब्रोकर कानून के पत्र का पालन करता है।यूएस न्यूज ने कहा कि व्यापारियों को "घोटालों" और "बुरे अभिनेताओं" की तलाश में रहना चाहिए। जब एक फॉरेक्स ब्रोकर कुटिल होता है, तो इससे आपको पैसे का नुकसान हो सकता है और कानूनी परेशानी भी समाप्त हो सकती है। ऐसे गंभीर परिणामों से बचने के लिए, आपको यह जानना होगा कि फॉरेक्स ब्रोकर में क्या देखना है, जैसे कि ब्रोकर को विनियमित किया जाता है। ब्रोकर में मुझे क्या देखना चाहिए? जमा और निकासी का समय और परेशानी मुक्त प्रकृति ब्रोकर का एक महत्वपूर्ण पहलू है। आप अपना पैसा जल्दी चाहते हैं। फॉरेक्स एक तेज़-तर्रार व्यापारिक वातावरण है, और आप जमा राशि के समाशोधन के लिए हफ्तों तक इंतजार नहीं कर सकते। जितना अधिक सहज और त्वरित जमा, उतना ही बेहतर। आप दुनिया के सबसे कुशल व्यापारी हो सकते हैं, और लेन-देन की लागत अभी भी आपके बटुए में सेंध लगा सकती है और आपकी क्षमता को कम कर सकती है। हर बार जब आप किसी लेन-देन में संलग्न होते हैं, तो ब्रोकर एक कमीशन लेगा। सुनिश्चित करें कि आप आयोगों को पहले से जानते हैं। एक ब्रोकर की फीस और कमीशन के बारे में पारदर्शिता बहुत कुछ कहती है। प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी कई फॉरेक्स ब्रोकर्स आपको एक डाउनलोड करने योग्य प्लेटफार्म प्रदान करेंगे। आप इसे अपने मैक या पीसी पर डाउनलोड कर सकते हैं, और प्लेटफार्म आपको बाजारों, अनुसंधान और डेटा, और बहुत कुछ तक पहुंच प्रदान करता है। प्लेटफार्म जितना उच्च तकनीक वाला होगा, उतना ही अच्छा होगा। एक ब्रोकर जो बहुत सारे शोध, कमेंट्री और डेटा प्रदान करता है, चाहे वह आउटसोर्स हो या स्व-निर्मित, एक अच्छा चयन है। ब्रोकर्स इच्छुक ग्राहकों के लिए मोबाइल या वेब ट्रेडिंग की पेशकश भी कर सकते हैं। ट्रेडों का निष्पादन-तेज़, परेशानी मुक्त और पारदर्शी-उपयोगकर्ता अनुभव के लिए बोलता है, जैसा कि मंच की गुणवत्ता करता है। आप हर दिन मंच से चिढ़ नहीं होना चाहते क्योंकि यह खराब प्रदर्शन कर रहा है। ग्राहक सेवा भी गुणवत्ता का सूचक है। ग्राहक सेवा जो उत्तरदायी और अग्रिम है वह एक अच्छे ब्रोकर की निशानी है। अच्छी ग्राहक सेवा सभी अंतर ला सकती है, और ग्राहकों को वफादार बनाए रखने में यह एक बड़ा कारक है। रेग्यूलेशन महत्वपूर्ण है। कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमिशन (CFTC) और नेशनल फ्यूचर्स एसोसिएशन (NFA) जैसे नियामक निकाय, फॉरेक्स ब्रोकर्स के बीच दुर्व्यवहार पर नजर रखते हैं। ये नियामक उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं। प्रत्येक देश के अपने नियामक निकाय होते हैं; CFTC और NFA अमेरिका के हैं। मैं कैसे बता सकता हूं कि फॉरेक्स ब्रोकर विनियमित है या नहीं? फॉरेक्स ब्रोकर का अपना विनियमन अपनी वेबसाइट के नीचे सूचीबद्ध होना चाहिए। यदि यह नीचे स्थित नहीं है, तो यह कंपनी सूचना हाइपरलिंक में से एक में स्थित हो सकता है। फॉरेक्स ब्रोकर्स की समीक्षा पढ़ने से आपको यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि क्या कोई कंपनी विनियमित है, यदि आप स्वयं जानकारी नहीं ढूंढ पा रहे हैं। फॉरेक्स व्यापार करने के लिए मुझे कितना चाहिए? वैंटेज पॉइंट ट्रेडिंग ने कम से कम $2,000 के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोलने की सिफारिश की। जबकि आपको बाजार की प्रकृति के कारण फॉरेक्स व्यापार शुरू करने के लिए एक टन प्रारंभिक पूंजी की आवश्यकता नहीं है, $ 2,000 एक अच्छा विचार है। वैंटेज पॉइंट एक "सभ्य आय स्ट्रीम" के लिए इसे $ 5,000 तक बढ़ाने की सलाह देता है। उन दो बिंदुओं के बीच कहीं भी शुरू करने के लिए एक अच्छी जगह है। जब फॉरेक्स ब्रोकर्स की बात आती है, तो आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जिस ब्रोकर को आप देख रहे हैं वह पारदर्शी और भरोसेमंद है। हालांकि फॉरेक्स को शुरू करने के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है, पैसा बनाने के लिए आपके पास बैंक में कम से कम कुछ हजार होने चाहिए। बाजार पर सर्वश्रेष्ठ फॉरेक्स ब्रोकर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी समीक्षा देखें।
2022/05/18 15:57:23
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आक्षेपरोधी: लक्षण, निदान और उपचार - Symptoma वे मतली को राहत देने और जिगर समारोह को सामान्य करने में मदद करते हैं: सौकरकूट का रस; टकसाल जलसेक; अंगूर का रस; सहिजन जड़ें का जलसेक; कैलेंडुला काढ़ा; कद्दू का रस और गूदा। यकृत रोगों के उपचार में बहुत महत्व आहार है। [hi.intoxication-stop.com] इसके दुष्प्रभाव में मतली, उल्टी, कंपकंपी, वजन बढ़ना और यकृत और अग्नाशय में कम आम बदलाव शामिल हैं. [hi.thpanorama.com] दवाएं संशोधन (अपरिपक्व), जिसका उपयोग मतली और उल्टी को रोकने या इलाज करने के लिए किया जाता है, मौखिक गर्भ निरोधक प्रभावशीलता में भी हस्तक्षेप कर सकता है। [hi.diphealth.com] मतली और कुछ मामलों में उल्टी रेडियोथेरेपी के बाद 1-2 सप्ताह के बाद हो। कारण मस्तिष्क शोफ हो सकता है। डॉक्टरों विरोधी emetics लिख। कान उपचार के क्षेत्र में आता है, तो वहाँ दर्द या कठिनाई सुनवाई हो सकती है। [in.thebestmedic.com] एंटीकॉनवाल्सेन्ट्स के दुष्प्रभाव: चक्कर आना भ्रम की स्थिति तंद्रा दृष्टि की समस्याएं मतली आत्मघाती विचार सुनिश्चित करें कि आप इन दवाओं से एलर्जी नहीं हैं और अपने एलर्जी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। [doktordiyorki.com] वे अक्सर मिर्गी के दौरान के रूप में पूरे शरीर पर कब्जा है,। अवमोटन। मांसपेशी तनाव में एक परिवर्तन है, वहाँ हिल रहा है। टॉनिक। मांसपेशी फाइबर के ऐंठन। टॉनिक-अवमोटन। मिश्रित दौरे, जो अनैच्छिक मरोड़ते और ऐंठन बारी के रूप में की विशेषता है। 2. स्थानीय। [hi.birmiss.com] Opioid दर्दनाशक कब्ज बेहोश करने की क्रिया और पेट की ख़राबी हो सकती है। वहाँ भी लत या दुरुपयोग का खतरा है; यह है कि आप बिल्कुल के रूप में अपने चिकित्सक का प्रावधान इन का उपयोग आवश्यक है। वहाँ (है कि कर सकते हैं। [healthlifemedia.com] पारंपरिक रूप में जीमीकन्द का उपयोग बवासीर, पेट से संबन्धित विकारों ट्यूमर, तिल्ली (स्प्लीन) का बढ़ना, एस्थमा, गठिया, फीलपांव, भूख का न लगना, उदर शूल, कब्ज़, पेट फूलना, कृमि रोग, ब्रोंकाइटिस, वात, कफ़, थकान, एनीमिया, ऋतुरोध (ऐमेनॉरीअ), मासिकधर्म की पीड़ा [amikachitranshi.com] कब्ज, सूजन और पेट के दर्द से राहत दिलाता है। मधुमेह का इलाज करता है शक्ति, प्राकृतिक कामोत्तेजक में सुधार करता है और एंटी एजिंग दवा। श्वसन पथ की असामान्यताओं, सेमिनल और स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं का भी इलाज करता है। तीनों दोहों को संतुलित करता है। [hindi.nirogam.com] उच्च स्तरों पर, पेट संबंधी परेशानियों और कब्ज का खतरा होता है, हालांकि इसे भोजन के साथ गोली खाने और पूरे दिन पानी पीने से कम किया जा सकता है। [hindi.mamypoko.co.in] Dibenzazepine ओक्स्कार्बज़ेपिंन बारज़ेपिन, प्रलेप्सी आक्षेप 6 वर्ष की आयु के बच्चे: 4-5 मिलीग्राम / किग्रा, दिन में 2 बार। वयस्क: 300 मिलीग्राम, दिन में 2 बार। मिरगी बच्चे: 10-20 मिलीग्राम / किग्रा। [hi.onlinemedicineinfo.com] अगर आक्षेप के साथ छोटे दौरे होते हैं: ethosuximide; Trimethadione। [hi.ladyland98.com] बच्चों में आक्षेप का उपचार बच्चों में दौरे वयस्कों की तुलना में अधिक बार ज्यादा पाए जाते हैं। यह कई कारणों की वजह से हो सकता है, वायरल संक्रमण के दौरान पारंपरिक गर्मी के लिए मस्तिष्क की बीमारियों से लेकर। [hi.birmiss.com] हालांकि, कई दवाओं को उनके विशिष्ट एंटीकांवलसेंट गतिविधि और पैथोलॉजिकल गतिविधियों में प्रभावशीलता के साथ-साथ आक्षेप प्रतिक्रियाओं (नशा, संक्रामक रोगों, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की चोटों, आदि के लिए) द्वारा प्रतिष्ठित किया जाता है। [hi.medicine-cure.com] के खिलाफ आक्षेप Depakine, मदद नहीं, पर konguleks.S pomenyadi dripped यह prekratilis.No फिट बैठता है जब सप्ताह के अंत में करने की कोशिश की खुराक कम करने के लिए, यह और भी बुरा-obratno.Sestra कल वापस बिस्तर पर जाने के साथ उसके अंत में एक साथ सभी संपर्कों [hi.grow4joe.com] डायजेपाम (सिबजोन) को मिरगी की स्थिति के साथ अंतःशिरा में प्रशासित किया जाता है। एक गैर-मिरगी प्रकृति की ऐंठन प्रतिक्रियाओं के लिए विभिन्न एंटीकॉन्वेलेंट्स का भी उपयोग किया जाता है। [hi.medicine-cure.com] मिर्गी उपचार "मिर्गी" के निदान के अधिकांश रोगियों, वसूली के लिए सड़क पर खड़ा करता है, तो इलाज सही है और रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को सक्रिय रूप से इस प्रक्रिया में शामिल कर रहे हैं। [hi.birmiss.com] मिरगी बच्चे: 10-20 मिलीग्राम / किग्रा। वयस्क: प्रारंभिक खुराक 100-200 मिलीग्राम, दिन में 1-2 बार। खुराक हर हफ्ते बढ़ाया जा सकता है। [hi.onlinemedicineinfo.com] मिर्गी के लिए एंटीकनॉलसेंट्स इस मामले में दौरे का कारणमस्तिष्क में न्यूरॉनल कोशिकाओं के सामान्य कार्यों का उल्लंघन है। मिर्गी के जटिल उपचार के लिए विकसित दवाओं में से ज्यादातर फोकल क्षेत्र में उत्तेजना को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। [hi.ladyland98.com] सिर में चोट- सिर में गंभीर रूप से चोट लगने से मिर्गी की बीमारी हो सकती है। 3. इन्फेक्शन- मैनिंजाइटिस, एनसेफलाइटिस और एड्स जैसे इन्फेक्शन के कारण मिर्गी की सम्भावना बढ़ सकती है। 4. [1mg.com] डॉक्टरों अक्सर पैर की नई पीढ़ी के लिए निरोधी दवाएं लिख, क्योंकि वे केवल जल्दी से ऐंठन दूर करने के लिए मदद नहीं, लेकिन यह भी मानसिक और शारीरिक थकान को कम। [hi.birmiss.com] उनींदापन, भ्रम, थकान, ऊर्जा की कमी, एक प्रकाश सिरदर्द - तंद्रा सिंड्रोम लक्षण समूह भी शामिल है। यह मस्तिष्क ट्यूमर के रेडियोथेरेपी के पूरा होने के बाद 4-12 के बारे में सप्ताह के बाद होता है और 2-8 सप्ताह के लिए पिछले कर सकते हैं। [in.thebestmedic.com] तनाव, दवाओं, चिंता या अवसाद, शराब दुरुपयोग, स्वागत नशीले पदार्थों, काम, दैहिक और तंत्रिका संबंधी रोग, लगातार थकान बदलाव की वजह से circadian ताल की अशांति,, अतिरिक्त नींद की स्वच्छता और इसके प्रतिकूल परिस्थितियों (बासी हवा, बाहरी शोर की कमी का एक पक्ष [edwardsrailcar.com] कई रोगियों भी लंबे समय से वसूली के बाद थकान, गरीब नींद, सिर दर्द, स्मृति के नुकसान की शिकायत करते हैं, मानसिक के साथ-साथ बीमारी शारीरिक काम करने के लिए परिचित नहीं कर सकता। मस्तिष्क इन्सेफेलाइटिस एक अस्पताल के माहौल में जरूरी इलाज। [hi.atomiyme.com] निरीक्षण के बाद चिकित्सक उचित इलाज है कि आक्षेपरोधी शामिल होंगे और हमलों की आवृत्ति को कम करने के लिए निर्धारित करने के लिए आवश्यक है। [hi.birmiss.com] इस तरह की समस्याओं का इलाज करने के लिए, एंटीकॉल्लेसन्ट या एंटीकॉल्लेसेंट ड्रग्स का उपयोग किया जाता है जो न केवल जब्ती को रोक सकता है, बल्कि लगातार रिलेपेस के बिना दीर्घकालिक स्थिर छूट भी प्रदान करता है। [hi.ladyland98.com] बरामदगी से निपटने के अलावा, एंटीकॉन्वेलेंट्स का उपयोग तंत्रिका विकारों (न्यूरोपैथी) के कारण दर्द को दूर करने या द्विध्रुवी विकार का इलाज करने के लिए भी किया जाता है। [hi.onlinemedicineinfo.com] के साथ-साथ रिंगवार्म, जॉक खुजली, और एथलीट के पैर के कवक संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। [hi.diphealth.com] रोकथाम ऐंठन राज्यों बरामदगी के कारण मिर्गी है, तो यह गंभीर उपचार की आवश्यकता है। दवाओं के केवल नियमित रूप से सेवन और डॉक्टरों के सभी सिफारिशों को लागू करने आवर्तक बरामदगी से बचने के लिए। [hi.birmiss.com] स्वागत के लिए अन्य संकेत "folacin" कर रहे हैं: एक दोषपूर्ण या असंतुलित आहार, उपचार और फोलेट की कमी के साथ एनीमिया की रोकथाम में इलाज और फोलेट की कमी की रोकथाम। [hi.lovetheteam.com] टिप्स लीड्स: कारण, उपचार, रोकथाम गर्भावस्था के दौरान आक्षेप क्यों होते हैं और पैर की ऐंठन बछड़ों में क्यों होती है? गैस्ट्रोन्मेइयुस ऐंठन के कारण क्या हैं? बच्चों में Convulsive सिंड्रोम एक बच्चे के तापमान पर ऐंठन। मदद [hi.garynevillegasm.com] […] enteroviral इन्सेफेलाइटिस की रोकथाम राष्ट्रीय घटनाओं सहित किसी भी अन्य आंत्र रोग, के रूप में किया जाता है। [hi.atomiyme.com] में इस्कैमिक हृदय रोग; न्यूरोसिस-जैसे सिंड्रोम और वनस्पति अभिव्यक्तियों को खत्म करने के लिए शराब के साथ निकासी सिंड्रोम को वापस लेना; एंटीसाइकोटिक दवा लेने के बाद नशा; खगोलीय स्थितियां; अत्यधिक कारकों और भारी भार के प्रभाव में बीमारियों के विकास की रोकथाम [hi.play-azlab.com]
2021/04/22 23:53:49
https://www.symptoma.in/hi/info/%E0%A4%86%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A5%80
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शिमला कच्चीघाटी में खतरा बरकरार, कभी भी ढह सकते हैं पांच मंजिला दो भवन Home News | समाचार हिमाचल शिमला कच्चीघाटी में खतरा बरकरार, कभी भी ढह सकते हैं पांच मंजिला... शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्चीघाटी इलाके में खतरा बरकरार है। यहां हाइवे के समीप अनसेफ हुए पांच-पांच मंजिला दो बड़े भवन कभी भी ढह सकते हैं। इनके अलावा नाले के समीप बना चार मंजिला भवन को भी खतरा है। इन सभी को शुक्रवार को खाली करवा दिया गया है। इलाके में भूस्खलन होने के कारण सात मंजिला भवन समेत कुल चार भवन ध्वस्त हो चुके हैं। जो भवन खड़े हैं, लोग उन्हें तोड़ने की मांग कर रहे हैं। इनसे आसपास के दूसरे भवनों को भी खतरा है। शुक्रवार को कई फ्लैट से सामान भी बाहर निकाला गया। लोग नुकसान के लिए सरकार से मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। सात मंजिला भवन के ठीक नीचे निर्मला भट्ठ का दो मंजिला मकान था जो भवन ढहने से मलबे में बदल गया। एक सिंगल स्टोरी मकान भी टूट गया। नाले के पास बने तीन मंजिला भवन नींव खिसकने से टेढ़ा होकर साथ लगते चार मंजिला चौहान कॉटेज पर टिक गया है। बड़े भवन अनसेफ, खाली करवाए हाईवे के पास बने पांच मंजिला पूजा कॉटेज, पांच मंजिला हरि पैलेस भवन अनसेफ हो गए हैं। इन्हें खाली करवा दिया है। बारिश का पानी न रिसे, इसके लिए इनकी नींव पर तिरपाल लगा दिए गए हैं।
2022/05/18 00:08:22
https://himachalvoice.in/danger-remains-in-shimla-kacchi-ghati/
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My Articles: मई 2019 अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि हम दिल्ली में इसलिए हार गए क्योंकि हम जनता को यह नहीं बता सके कि वे हमें क्यों वोट दें। पर, जनता तो आपको वोट न देने का कारण पहले से अच्छी तरह जानती थी। एक बड़ा कारण यह भी था कि आपने 'टुकड़े -टुकड़े गिरोह' के खिलाफ राजद्रोह के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति अभियोजन पक्ष को नहीं दी। पश्चिम बंगाल के एक सी.पी.एम. विधायक आज भाजपा में शामिल हो गए। सी.पी.एम. के कार्यकर्ता और समर्थक तो भाजपा में जा ही रहे थे, अब विधायक भी ? क्या कभी के महाबली संगठन सी.पी.एम. का पश्चिम बंगाल से तम्बू पूरी तरह उखड़ जाएगा ? पुनरुद्धार की कोई उम्मीद नहीं ? इसके लिए कौन जिम्मेवार है ? सी.पी.एम. नेतृत्व ? नया जमाना ? या फिर सांप्रदायिक ताकतें ? नेहरू देश भर में शौचालय बनवा दें तो मैं उनका समर्थक हो जाऊंगा : डा. लोहिया नरेंद्र मोदी गांधी, दीनदयाल उपाध्याय और डा. लोहिया का नाम लेते हैं। उन्होंने आज भी लिया। डा. राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि कम्युनिस्टोंं में राष्ट्रवाद की भावना नहीं है तो जनसंघ में गरीबों के प्रति दर्द नहीं है। हमारी पार्टी में दोनों है। कम्युनिस्ट तो अब भी उस पर कायम हैं, पर लगता है कि भाजपा ने दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय और लोहिया की गरीबपक्षी नीतियों से प्रभावित होकर मोदी सरकार ने गत पांच साल में अंतिम व्यक्ति के लिए कई काम किए हैं। इस बार के जनादेश सर्जिकल स्ट्राइक के लिए है तो गरीबपक्षी कार्यक्रमों के लिए भी। उनमें बड़े पैमाने पर शौचालय का निर्माण शामिल है। शौचालय के अभाव में ग्रामीण महिलाओं की पीड़ा की चर्चा करते हुए डा. लोहिया ने एक बार कहा था कि यदि जवाहरलाल नेहरू देश भर में शौचालय बनवा दें तो मैं उनका समर्थक हो जाऊंगा। प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 7:59 am कोई टिप्पणी नहीं: एक और राजनीतिक पंडित ने आज लिखा है कि 'साल 1971 के बाद पहली बार कोई प्रधानमंत्री न सिर्फ अपने दम पर दूसरी बार सत्ता में लौटा है, बल्कि बहुमत में भी इजाफा किया है।' इस पूरे वाक्य पर ध्यान दें। लेखक का आशय यह है कि 1967 में 'अपने दम' पर इंदिरा गांधी ने लोकसभा में बहुमत हासिल किया था। क्या यह सच है ? कत्तई नहीं। 1969 के पूर्वाद्ध तक कांग्रेस पार्टी सिर्फ किसी एक नेता पर निर्भर भी नहीं थी। तब तक स्वतंत्रता सेनाननियों की बड़ी जमात का देश के अलग-अलग हिस्सों पर भारी असर था। बिहार में भी आजादी के बाद के कई वर्षों तक श्रीबाबू-अनुग्रह बाबू की जोड़ी की तूती बोलती थी। एक बार जवाहरलाल नेहरू ने लक्ष्मी नारायण सुधांशु को मुख्यमंत्री बनाना चाहा था। सुधांशु जी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि बिहार की जनता श्रीबाबू और अनुग्रह बाबू के साथ है। मेरे साथ जनता नहीं है। जिसके साथ जनता न हो, उसे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए। हां, 1969 में कांग्रेस में हुए महाविभाजन के बाद इंदिरा जी जरूर अपने गुट की एकछत्र नेता बन गईं। 1971 के चुनाव के बाद तो यह साफ हो गया कि इंदिरा जी की कांग्रेस ही असली कांग्रेस है। 1967 में तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी वी.के. कृष्ण मेनन को लोकसभा का टिकट तक नहीं दिलवा पाई थीं। जबकि, वे निवर्तमान सांसद थे। उनकी जगह कांग्रेस ने डा. बर्वे को दिया और वे जीते भी। इस तरह के कई अन्य उदाहरण भी हैं। प्रतिपक्ष के लिए चेतावनी और सत्तापक्ष के लिए नई जिम्मेवारी इस चुनाव नतीजे ने 1977 के लोकसभा चुनाव की याद दिला दी। इमरजेंसी की पृष्ठभूमि में हुए चुनाव में अविभाजित बिहार की सभी 54 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस हार गई थी। इस बार भी बिहार में कमोवेश वैसा ही रिजल्ट आया है। यानी आमजन में इमरजेंसी से थोड़ा ही कम गुस्सा इस बार था। गुस्सा प्रतिपक्ष पर निकला। गुस्सा बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर प्रतिपक्ष के विरोध पर था। एक ओर काम करने वाली मोदी-नीतीश सरकार तो दूसरी ओर कथित भ्रष्टाचार, वंशवाद व महत्वाकांक्षी नेताओं की अव्यवस्थित भीड़ से जूझ रहा प्रतिपक्ष था। ऐसे में जीतना उसे ही था, जिसकी जीत हुई। पर इस चुनावी संघर्ष में कई व्यक्तिवादी नेताओं की वास्तविक राजनीतिक ताकत का भी पता चल गया। जातीय व साम्प्रदायिक वोट बैंक की ताकत पर गुमान करने वाले कुछ बिहारी नेताओं को राजग ने औकात बता दी। एक खास संकेत भी मिल रहा है। डबल इंजन की सरकार अगले वर्षों में ऐेसे -ऐसे काम करने वाली है जिससे वोट के ठेकदारों की ताकत और भी कम हो सकती है। एक उदाहरण काफी होगा। कल्पना कीजिए कि किसानों को मिल रही छह हजार रुपए सालाना की राशि में केंद्र सरकार वृद्धि कर दे। जमीन की मौजूदा सीमा को हटा दे तो उसका क्या असर पड़ेगा ? इस तरह के कई अन्य काम केंद्र की पाइप लाइन में हैं। इसलिए वोट बैंक के आधार पर चलने वाले दलों के लिए यह चुनाव परिणाम एक संदेश दे रहा है। संदेश यह कि आप अपना चाल, चरित्र और चेहरा बदलिए। यदि बदलाव का तरीका समझ में नहीं आ रहा है तो किन्हीं विशेषज्ञों से पूछिए। अपने उन बचे -खुचे समर्थकों का ध्यान रखते हुए भी आपका राजनीति में प्रासंगिक बने रहने जरूरी है। अब भी अनेक लोग आपकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए भी यह जरूरी है कि प्रतिपक्ष में बेदम नहीं हो। यह चुनाव शत्रुघ्न सिन्हा, उपेंद्र कुशवाहा और शरद यादव जैसे बड़े नेताओं के लिए भी एक कड़ा संदेश है। ऐसे नेताओं को समझना होगा कि आप खुद क्या चाहते हैं और आम जनता आपसे क्या चाहती है। यह बात आप जानें और समझें, समय रहते। उसी के अनुसार अपने राजनीतिक कदम उठाएं। आपके सामने सीरियस नेता हैं जिनसे आपका मुकाबला है। इस चुनाव में भारी जीत का श्रेय तो नरेंद्र मोदी को ही जाता है। पर राजग के लिए यह अनुकूल स्थिति रही कि यहां नीतीश के रूप में एक अच्छी छवि वाले मुख्यमंत्री हैं। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की मिलीजुली ताकत का लाभ इस पिछड़े बिहार को पूर्ण विकसित करने में अब होना चाहिए। नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार का विकास तो हुआ है, पर आर्थिक सीमाओं के कारण पूर्ण विकास की राह में बाधाएं बनी हुई हैं। बिहार में उद्योगीकरण के लिए केंद्र से मदद की उम्मीद अब बढ़ी है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि विशेष राज्य का दर्जा देने से ही यहां उद्योग बढ़ेंगे। श्री कुमार ने चुनाव प्रचार में मतदाताओं से अपील की कि यदि आप हमें 15 या उससे अधिक सीटें जितवाएंगे तो हम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के लिए केंद्र के समक्ष मजबूती से अपनी मांग रख पाएंगे। पर, चौदहवें वित्त आयोग ने कह दिया है कि किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जाएगा। इस पृष्ठभूमि में केंद्र के सामने भी संभवतः दिक्कत आएगी। पर एक रास्ता बीच का भी है। केंद्र सरकार यदि एक्साइज ड्यूटी, आयकर और जी.एस.टी. में बिहार में छूट दे दे तो उद्योगपतियों को बिहार आमंत्रित किया जा सकता है। मोदी सरकार ने अन्य धनराशि के अलावा सिर्फ सड़कों के लिए बिहार को 50 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। बिजली के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम हुए हैं। (24 मई 2019 के दैनिक भास्कर,पटना में प्रकाशित) पैसावाद, जातिवाद और विचार धारा वाद, निष्पक्ष और वस्तुपरक पत्रकारिता की राह में मुख्य बाधक तत्व हैं। अखबार को 'रफ हिस्ट्री' भी कहा गया है। ऐसा इतिहास जो जल्दीबाजी में लिखा जा रहा है। मेरी समझ से निष्पक्ष और वस्तुपरक पत्रकारिता वह है जिसके जरिए जो चीज जैसी है,उसकी हू ब हू जानकारी पाठकों-दर्शकों तक पहुंचे। हां, आप अपना विश्लेषण आप कर सकते हैं। मेनचेस्टर गार्जियन के मालिक-सह संपादक सी.पी.स्काॅट ने कहा था कि 'फैक्ट्स आर सेक्रेड एंड ओपिनियन इज फ्री।' दूसरी ओर, अभियानी पत्रकारिता के लिए भी लोकतंत्र में पूरी गुंजाइश है। जो करना चाहें, वे अभियानी पत्रकारिता खूब करें। जिस सरकार ,नेता या विचार धारा को आप गलत मानते हैं,उसके खिलाफ जम कर अभियान चलाइए।पर तर्कों और तथ्यों से लैस होकर। जिसे ठीक मानते हैं,उसे अपने लेखन के जरिए मजबूत करने की कोशिश कीजिए। हां,यह बात और है कि मीडिया का कौन मालिक अभियान के लिए अखबार या चैनल चला रहा है और कौन मालिक पेशेवर ढंग से मीडिया को चलाना चाहता है। पेशेवर पत्रकारिता का मूल मंत्र यह है कि जिस पर आप आरोप लगाते हैं,उस विषय पर उस व्यक्ति का पक्ष भी साथ -साथ आना चाहिए। अभियानी पत्रकारिता में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। हालांकि साठ के दशक में एक मीडिया घराने ने अपने अखबार को तो पेशेवर बना रखा था,पर एक मैगजिन में सोशलिस्ट और दूसरी मैगजिन में कम्युनिस्ट विचारधारा का संपादक बना रखा था। मुख्य धारा की पत्रकारिता वह है जिसे आम लोग पढ़ें और उसकी सूचनाओं पर विश्वास करें। स्वाभाविक है कि आम लोगों में तो हर जाति, धर्म और विचारधारा के लोग होंगे ही। शुक्ल जी और व्यास जी सही थे ! शम्भूनाथ शुक्ल तथा कुछ अन्य जानकार लोगों से बातचीत के बाद हरिशंकर व्यास ने बहुत पहले अपने अखबार 'नया इंडिया' में लिख दिया था कि हम कुछ भी लिखें,पर सही बात यह है कि उत्तर प्रदेश में मोदी का अंडर करंट है। शुक्ल जी और व्यास जी की पत्रकारीय ईमानदारी के लिए उन्हें धन्यवाद ! @23 मई 2019@ देश की राजनीति की मुलायम गति 24 अक्तूबर 2016-मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मैं अमर सिंह के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं करूंगा।उन्होंने मुझे जेल जाने से बचा लिया था। 13 फरवरी 2019--मुलायम सिंह यादव ने लोक सभा में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मेरी कामना है कि आप फिर प्रधान मंत्री बनें। 23 अप्रैल 2019-मुलायम सिंह यादव अपने पूरे परिवार के साथ एक निजी विमान से लखनऊ से सेफई जाकर मतदान किया। 9 मई 2019-सी.बी.आई.ने सुप्रीम कोर्ट से कह दिया कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ कोई केस नहीं बनता। याचिकाकत्र्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि सी.बी.आई.अपने कत्र्तव्य के पालन में विफल रही। राजग में जिसको जन समर्थन,उसी को गद्दी देश भर में महीनों से एक खबर भीतर -भीतर अफवाह के रूप में दौड़ रही है। वह यह कि यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा,राजग को बहुमत मिलेगा तो नरेंद्र मोदी के बदले भाजपा के कोई अन्य व्यक्ति प्रधान मंत्री बनेंगे। यह भी प्रचार जारी है कि ऐसी इच्छा न सिर्फ भाजपा के भीतर -बाहर के कुछ नेताओं की है बल्कि संघ भी यही चाहता है।संघ के बारे में मैं कुछ नहीं जानता,पर भाजपा के बाहर-भीतर के नेताओं की मनःस्थिति मैं आसानी से समझ सकता हूं। उसके कारण भी मैं जानता हूं। उस पर चुनाव रिजल्ट के बाद। 23 मई से पहले 1989 का उदाहरण मोदी विरोधियों को याद कर लेना चाहिए। वी.पी.सिंह की लोकप्रियता के कारण ही 1989 में कांग्रेस अल्पमत में चली गई थी। पर, वी.पी.सिंह के दल के ही चंद्र शेखर प्रधान मंत्री पद के गंभीर उम्मीदवार बन गए थे। बन सके ? नहीं बने। क्योंकि जो सांसद जीत कर गए थे,वे वी.पी.के नाम पर ही। वे अपने मतदाताओं से दगा नहीं कर सकते थे। देवीलाल भी यह बात अच्छी तरह समझते थे। चूंकि चंद्रशेखर बडे़ नेता थे,इसलिए उन्हें पद से दूर रखने के लिए एक नाटक का सहारा लेना पड़ा। आज यदि भाजपा या राजग को बहुमत मिलेगा तो उसमें सबसे बड़ा श्रेय नरेंद्र मोदी का ही रहेगा। मोदी के नाम पर अंडर करंट है।मैं यह नहीं कह सकता कि वह अंडर करंट बहुमत दिलाने लायक है या नहीं।हालांकि अंडर करंट रहता है तो वह बहुमत दिला ही देता है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मोदी यानी राजग के खिलाफ 'कुुछ खास तरह की शक्तियां' जी जान लगाकर आखिरी लड़ाई लड़ रही है।उनके जीवन-मरण का सवाल है। ऐसी लड़ाई में क्या होगा,उसका पता पहले 19 और अंततः 23 मई को ही चल पाएगा। प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 9:23 am कोई टिप्पणी नहीं: जले तेल का बार -बार इस्तेमाल करने वाले होटल - ढाबों की निगरानी शुरू बड़े रेस्तरां में इस्तेमाल खाद्य तेल का अब ब्योरा देना होगा। आज के 'हिन्दुस्तान' में नई दिल्ली से छपी खबर के यही शीर्षक हैं। याद रहे कि बार- बार इस्तेमाल तेल के फिर से इस्तेमाल से पकाए गए भोज्य पदार्थ खाने से कैंसर होता है। पर इसकी ओर से सरकारी एजेंसियां लापारवाह रही हैं। उन्हें तो सिर्फ नजराना व शुकराना से मतलब होता है। इधर सरकार के किसी कत्र्तव्निष्ठ व्यक्ति को पता चला कि बड़े होटलों में इस्तेमाल हुए खाद्य तेल को 20 -25 रुपए लीटर ढाबों और छोटे होटलों को बेच दिया जाता है ताकि वे उसका बार- बार इस्तेमाल कर सकंे। उनको देश में फैल रहे कैंसर से क्या मतलब ? अब रोजाना 50 लीटर से अधिक तेल की खपत करने वाले होटलों को यह हिसाब देना होगा कि वे इस्तेमाल किए गए तेलों का क्या करते हैं ? बार-बार तेल इस्तेमाल करने वालों के लिए सजा का भी प्रावधान है। क्या आपने कभी सुना कि इस दफा में किसी को देश में कहीं गिरफ्तार किया गया है ? मैंने तो नहीं सुना। ऐसे ही चलती रही हंै हमारी सरकारें। पता नहीं , आगे भी यह कार्रवाई जारी रह पाएगी या नहीं ? आज के 'दैनिक भास्कर' में सेफोलाॅजिस्ट योगेंद्र यादव के लंबे लेख की कुछ पंक्तियां यहां दी जा रही हैं। वैसे पूरा लेख पठनीय है। आज के ही 'हिन्दुस्तान टाइम्स' में शेखर गुप्त, टाइम्स आॅफ इंडिया में आर.जगन्नाथन और इकोनामिक टाइम्स में प्रणब के लेख भी पढ़ने लायक हंै। योगेंद्र यादव ने लिखा है कि 'एग्जिट पोल से चुनाव परिणामों को लेकर काफी धुंध छंट गई है। बाकी कसर 23 तारीख को परिणाम से पूरी हो जाएगी। अब वक्त है सच का सामना करने का। पहला बड़ा सच यह है कि इस चुनाव के परिणाम एकतरफा होने जा रहे हैं। माना कि एग्जिट पोल 'एग्जैक्ट पोल' नहीं होते हैं,लेकिन जब सभी सर्वेक्षण एक ही दिशा में इशारा करें तो वह तस्वीर गलत नहीं होती। यूं भी यह सच पिछले दो महीनों से हर सड़क, हर ढाबे, हर गाड़ी या पनवाड़ी के यहां सुना जा सकता था। सीटों के अनुमान में कुछ ऊपर -नीचे हो सकता है, लेकिन बड़ी तस्वीर बदलने की संभावना नहीं दिखाई देती। बड़ी तस्वीर यह है कि भाजपा गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है । मोदी सरकार पांच साल के लिए दोबारा सत्ता में वापस आ रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या भारतीय जनता पार्टी को स्वयं पूर्ण बहुमत मिल जाएगा। हैरानी जरूर होगी,लेकिन आज इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।' @--योगेंद्र यादव 'स्वराज इंडिया' के अध्यक्ष हैं।@ प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 8:59 am कोई टिप्पणी नहीं: साझा सरकार भी कर सकती है कमाल बशर्ते... आपने कोई ऐसी ईमानदार राज्य सरकार देखी है जिसकी धमक से कचहरियों में पेशकार भी नजराना लेना बंद कर दंे ? मैंने तो देखी है।सन 1967 में बिहार में वैसी ही मिलीजुली सरकार बनी थी। तब मेरा अनुभव एक जिला अदालत का था।हालांकि जिला कचहरियों पर राज्य सरकार का नहीं बल्कि हाईकोर्ट का कंठ्रोल रहता है।फिर भी यह कमाल देखा गया था। गैर कांग्रेसी सरकार आते ही जब राज्य सरकार के दफ्तरों में घूसखोरी बंद हो गई तो कचहरियों के कर्मचारी भी डर गए थे।उन्हें लगा कि पता नहीं, कब किसके यहां छापा पड़ जाए। महामाया प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में बनी 1967 की उस गैर कांग्रेसी सरकार में जो भी मंत्री बने थे, वे तपे -तपाए और ईमानदार नेता थे। दशकों से उन्होंने जनता के लिए संघर्ष किया था। पर, उसी राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों ने बाद के महीनों में जब अपनी हल्की सी कमजोरियां दिखार्इं तो फिर सामान्य सरकारी दफ्तरों और कचहरियों में भी पुराना नजारा दिखाई पड़ने लगा था। फिर भी मेरा मानना है कि 1967 की महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार बिहार की अब तक की सर्वाधिक ईमानदार सरकार रही। हालांकि वह मिलीजुली सरकार ही थी।उससे पहले और बाद के कुछ मुख्य मंत्री भी ईमानदार जरूर रहे ,पर उनके सभी मंत्रियों के बारे में वैसी ही बात नहीं कही जा सकती। पूरी महामाया सरकार अपने कार्यकाल के प्रारंभिक महीनों में कुल मिलाकर ईमानदार व कर्मठ बनी रही थी। यदि आज भी कोई वैसी मिलीजुली सरकार केंद्र में बने जिसके प्रधान मंत्री से लेकर मंत्री तक अच्छी मंशा वाले हों तो वह सरकार भी कमाल कर सकती है ! वैसे तो यह एक भोली आशा ही है,पर उसकी कल्पना कर लेने में क्या दिक्कत है ? पर 1967 में अधिकतर गैरकांग्रेसी नेतागण तब तक अच्छी मंशा वाले थे और महामाया सरकार के मंत्री गण आत्म अनुशासन की भावना से भी लैस थे। हालांकि उन्हीं मंत्रियों में कुछ मंत्री बाद के वर्षों में संयम नहीं रख सके।बाद के दशकों में तो कुछ अपवादों को छोड़कर उन नेताओं में से कुछ की और भी खराब स्थिति हो गई । पर अभी बात एक खास कालावधि के दलों ,नेताओं और उनके मंत्रियों की हो रही है। 1966-67 की कालावधि में डा.राम मनोहर लोहिया ने गैर कांग्रेसवाद चलाया और कई दलों को साथ मिलकर 1967 का चुनाव लड़ने के लिए राजी किया। जो गैर कांग्रेसी दल चुनाव मिलकर नहीं लड़े,वे भी सरकार में शामिल हो गए। प्रतिपक्षी एकता के कारण सात राज्यों में 1967 में गैर कांग्रेसी सरकारें बन गईं।बाद में दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की कांग्रेसी सरकारें दल बदल के कारण कुछ सप्ताह में ही गिर गई और वहां भी गैर कांग्रेसी सरकारें बन गईं। उत्तर प्रदेश के गैर कांग्रेसी मुख्य मंत्री चरण सिंह बने और मध्य प्रदेश में गोविंद नारायण सिंह। चरण सिंह और गोविंद नारायण सिंह पहले कांग्रेस में थे। डा.लोहिया ने कहा था कि गैर कांग्रेसी सरकारों को पहले छह महीनों में ही कोई क्रांतिकारी कदम उठाना चाहिए ताकि गैर कांग्रेसी सरकार और कांग्रेसी सरकार का भेद साफ-साफ लोगों के सामने आ जाए। 1967 में बिहार में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ,जनसंघ,सी.पी.आई.,जन क्रांति दल और प्रजा समाजवादी पार्टी ने मिल कर सरकार बनाई थी। महामाया प्रसाद सिन्हा जन क्रांति दल के नेता थे।संसोपा के कर्पूरी ठाकुर उप मुख्य मंत्री और वित्त मंत्री बने।उनके पास शिक्षा विभाग भी था। 67 विधायकों के साथ सबसे बड़ा दल संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ही था। डा.लोहिया कर्पूरी ठाकुर को मुख्य मंत्री बनवाना चाहते थे ,पर घटक दल के कतिपय सामंतवादी नेताओं ने वीटो लगा दिया। यह पहला और आखिरी अवसर था जब जनसंघ और सी.पी.आई.एक ही सरकार के अंग बने थे। तब उत्तर प्रदेश में भी चरण सिंह की सरकार में दोनों दल एक साथ मंत्रिमंडल में थे। यह गैर कांग्रेसवाद की भावना का दबाव था। बिहार की वह सरकार 33 सूत्री न्यनत्तम कार्यक्रम के आधार पर चल रही थी।हालांकि एक सूत्र यानी उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने के सवाल पर जनसंघ का विरोध था। उस सरकार की मोनिटरिंग दिल्ली में बैठकर संसोपा के सुप्रीमो डा.लोहिया कर रहे थे। डा. लोहिया चाहते थे कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही मैट्रिक पास करने के लिए अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म हो और अलाभकर जोत यानी सवा छह एकड़ से कम की जोत पर से लगान समाप्त कर दिया जाए। पर,ऐसा नहीं हो सका था। इस बीच जब कर्पूरी ठाकुर दिल्ली गए तो लोहिया ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।वे सख्त नाराज थे। लोहिया अपने कमरे में थे।कर्पूरी ठाकुर उनके बैठकखाने में देर तक बैठे रहे।लोहिया जी के निजी सचिव उर्मिलेश झा कर्पूरी ठाकुर के आने की सूचना लेकर लोहिया के कमरे में गए। लोहिया ने कहा कि उससे कह दो मैं नहीं मिलूंगा। झा जी बिहार के ही थे।वे नहीं चाहते थे कि बिना मिले कर्पूरी जी वापस जाएं।वे लोहिया जी को मनाने की कोशिश करते रहे। लोहिया नहीं माने।अंत में उर्मिलेश जी ने कर्पूरी ठाकुर से कहा कि डाक्टर साहब की तबियत ठीक नहीं है। चतुर कर्पूरी जी को यह समझते देर नहीं लगी कि सिर्फ तबियत की सूचना लेने-देने मंे उर्मिलेश जी को आधा घंटा क्यों लग गया। जरूर लोहिया जी नाराज हैं। कर्पूरी जी बिना मिले पटना लौट गए।उन्होंने मंत्रिमंडल की तुरंत बैठक बुलवाई और दोनों काम कर दिए। जब महामाया सरकार बनी थी तब राज्य सूखा और बाढ़ की विभीषिका से अभूतपूर्व ढंग से तबाह था।मिलीजुली सरकार के मंत्रियों ने इन समस्याओं से मेहनत और ईमानदारी से जूझने का काम किया और सफलता भी हासिल की। उसको लेकर महामाया सरकार की हर जगह तारीफ हुई। पर महामाया सरकार कुछ सत्तालोलुप नेताओं की महत्वाकांक्षा के कारण समय से पहले गिर गई। संसोपा , जनसंघ और सी.पी.आई.सहित घटक दलों के करीब तीन दर्जन विधायकों ने सत्ता पाने के लिए दल बदल कर लिया। सरकार गिर गई। पर, उससे पहले महामाया सरकार ने एक दूरगामी परिणाम वाला काम किया था।उसने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज टी.एल.वेंकटराम अय्यर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया। 1946 से 1966 तक सत्ता में रहे जिन 6 कांग्रेसियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे,उनकी जांच इस आयोग ने शुरू की थी। उससे परेशान प्रमुख कांग्रेसियांे ने महामाया सरकार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि अय्यर आयोग द्वारा दोषी करार दिए गए नेताओं को तौल कर सजा हो गई होती तो बाद के दिनों में बिहारी नेता लोग भ्रष्टाचार करने के पहले सौ बार सोचते।पर सरकार बदलने के कारण वैसा न हो सका। उसका खामियाजा बिहार को दशकों तक भुगतना पड़ा। @हस्तक्षेप-राष्ट्रीय सहारा-19 मई, 2019@ एग्जिट पोल रिजल्ट--मेरा भरोसा टूडेज चाणक्य पर मेरा अपेक्षाकृत अधिक भरोसा 'टूडेज चाणक्य' पर रहता है। इस बार उसके एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को 300 और राजग को 350 सीटें मिलने जा रही है। 2014 के लोक सभा चुनाव के एग्जिट पोल का टूडेज चाणक्य का आंकड़ा 340 का था। राजग को मिली थी 336 सीटें। यानी वास्तविकता के सर्वाधिक करीब टूडेज चाणक्य ही रहा था। कई चुनावों से देख रहा हूं।एक या दो अपवादों को छोड़कर टूडेज चाणक्य अपेक्षाकृत अधिक सटीक रहा है। पूर्व प्रधान मंत्री देवगौड़ा के दो पोते लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इस पर जब कुछ लोगों ने उन पर वंशवाद का आरोप लगाया तो देवगौड़ा सार्वजनिक तौर पर रो पड़े ! वाह ! देवगौड़ा साहब आपके भोलपन पर कौन न फिदा हो जाए !! उधर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने भी सोचा कि अपने पोते को जिताने के लिए मतदाताओं के सामने रो देना कारगर भावनात्मक हथियार साबित होगा,तो वे हाल में रो पड़े।मैंने वह खबर एक्सप्रेस में देखी थी। पता नहीं, इन दोनों के वंशजों पर मतदातागण द्रवित हुए या नहीं। इस तरह न जाने कितने अन्य वी.आई.पी.के पोते और वंशज इस 'राजवंशीय लोकतंत्र' में अपनी तकदीर आजमा रहे हैं। इस बात के बावजूद यह सब हो रहा है कि अपात्र उत्तराधिकारियों के कारण इस देश में वंशवाद ने कुछ राजनीतिक दलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है। 'छोटी सी आशा' मई में शपथ ग्रहण करने वाले पी.एम. से एक छोटी सी आशा है।इसे मेरी भोली आशा भी मान सकते हैं। क्योंकि अनेक चतुर -सुजान लोग यह मानते रहे हैं कि इस देश में कुछ भी बदल नहीं सकता। यह भोली आशा मुझे उनसे है जो रिजल्ट के बाद इस माह के अंत में प्रधान मंत्री पद की शपथ लेंगे।मैं नहीं जानता कि वह नरेंद्र मोदी ही होंगे या कोई और ! 2018 -19 वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार को कर राजस्व के रूप में करीब 19 लाख करोड़ रुपए मिले। सरसरी नजरों से मैं जब चहंुओर कर चोरियां देखता हूं, उससे साफ लग जाता है कि यह राशि थोड़ी सी कड़ाई के बाद दुगुनी हो सकती है।अधिक कड़ाई के बाद और भी अधिक। हालांकि मेरी छोटी सी आशा है कि कड़ाई अधिक ही हो। सिंगा पुर के शासक ली कुआन यू @1923-2015@ने जिस तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही थोड़ी सी कड़ाई करके सिंगापुर का काया पलट कर दिया ,उसी तरह के काम की उम्मीद अगले प्रधान मंत्री से है।भले उम्मीद पूरी हो या नहीं। जिन जरूरी क्षेत्रों में तत्काल अधिक पैसे लगाने और ढीली -ढाली व्यवस्था को सख्ती करके ठीकठाक करने की सख्त जरूरत है ,उनमें क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र प्रमुख हंै।रक्षा क्षेत्र मंें बेहतरी की रफ्तार संतोषजनक है। इस देश में अधिकतर लोग समझते हैं कि वे कोई भी अपराध करके बच सकते हैं। देश में औसत अदालती सजाओं का प्रतिशत सिर्फ 46 है। यानी 54 प्रतिशत लोग अपराध करके साफ बच जाते हैं। इसी देश में केरल में सजा की दर 84 है,वहींं बिहार में मात्र दस।इतना अंतर क्यों ? देशव्यापी सुधार के लिए इन दोनों राज्यों के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का अध्ययन किया जा सकता है। हमारे यहां जो डाॅक्टर और इंजीनियर बन रहे हैं,उनमें से अधिकतर की गुणवत्ता संदिग्ध है।इसे नए प्रधान मंत्री किसी भी कीमत पर सुधारें । अपवादों को छोड़ कर देश की सामान्य शिक्षण-परीक्षण व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी है। अधिकतर शिक्षकों की गुणवत्ता ही रसातल में जा रही है। पर्यावरण रक्षा के प्रति न तो कोई सावधानी है और न ही जरूरी कड़ाई जबकि इसके कुपरिणाम भयानक होंगे। इन सब के परिणाम अगली पीढि़यों को भुगतने पडं़ेगे,यदि तत्काल सुधार नहीं हुआ तो। बिहार के साथ केंद्र की पुरानी नाइंसाफी 1---1942 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार का देश में ऊपर से चैथा स्थान था। 2---1969-70 में पंद्रहवें स्थान पर चला गया। तब तक रेलभाड़ा समानीकरण का नियम केंद्र ने बना 3---प्रथम पंचवर्षीय योजना अवधि में बिहार को केंद्र से प्रति व्यक्ति 14 रुपए की मदद मिली जबकि पंजाब को 88 और पश्चिम बंगाल को 43 रुपए। विशेष राज्य का दर्जा देकर उपर्युक्त क्षति की पूत्र्ति की जा सकती थी।पर वह काम भी नहीं हुआ। न मनमोहन सरकार ने दिया और न ही मोदी सरकार ने। हां, जो लोग पूर्वाग्रहग्रस्त नहीं हैं,वे मानते हैं कि मोदी सरकार ने अभूतपूर्व आर्थिक मदद बिहार को जरूर दी है,पर वह स्थायी इलाज नहीं है। बिहार की उपेक्षा पर 1974 में मशहूर समाजवादी बुद्धिजीवी सच्चिदानंद सिन्हा की पुस्तक आई थी जिसका नाम है--'द इंटरनल काॅलोनी।' उसमें यह साबित किया गया है कि बिहार किस तरह केंद्र का आंतरिक उपनिवेश रहा है। जिस पत्रकार ने कर्नाटका,गुजरात और उत्तर प्रदेश की विधान सभाओं के नतीजों का सही -सही पूर्वानुमान लगा दिया था,उसी पत्रकार ने अपने ताजा लेख में यह संकेत दिया है कि केंद्र में राजग की ही एक बार फिर सरकार बन सकती है। याद रहे कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव नोटबंदी और गुजरात चुनाव जी.एस.टी.की पृष्ठभूमि में हुए थे।तब नतीजे का अनुमान लगाना अधिकतर पंडितों के लिए कठिन काम था। युगांतरकारी चुनाव वैसे तो हर चुनाव महत्वपूर्ण होता है,पर इस देश का मौजूदा लोक सभा चुनाव युगांतरकारी साबित हो सकता है। न सिर्फ नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों के लिए ,बल्कि उनके राजनीतिक व अन्य तरह के विरोधियों के लिए भी। इसलिए बेहतर होगा कि दोनों पक्ष अपनी -अपनी जीत के लिए पूरा जोर लगा दें।लगा ही रहे हैं,पर अंतिम दौर में कुछ और जोर लगाएं। अन्यथा,बाद में पछताना पड़ सकता है। किसी को हराने-जिताने वाले अपने-अपने संकल्पों को वोट देकर जरूर पूरा करंे। मुझे लगता है कि हार-जीत की स्थिति में दोनों पक्षों की दुनिया बदलने वाली है।किसी की सकारात्मक ढंग से बदलेगी तो किसी अन्य की नकारात्मक ढंग से।साथ ही देश की भी। कैसे बदलेगी,यह मैं चुनाव रिजल्ट आने के बाद लिखूंगा। मेरा इशारा किन संभावित-आशंकित स्थितियों की ओर है,उसको लेकर लोगबाग अपनी -अपनी सुविधा के अनुसार फिलहाल अनुमान के घोड़े दौड़ा ही सकते हैं।दौड़ाइए ! हालांकि कुछ चतुर -सुजान लोग समझ ही गए होंगे। कुल मिलाकर मेरा आग्रह यह है कि मोदी को हराने या जिताने के इस ऐतिहासिक अवसर को हाथ से न जाने दें। मतदान के दिन घर में बैठे रह जाएंगे तो बाद में आपको अफसोस ही होगा। सन 1962 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ डा.राम मनोहर लोहिया उत्तर प्रदेश के फूल पुर में लोस चुनाव लड़ रहे थे। दोनों के बीच का पत्र -व्यवहार पढि़ए लोहिया - 'इस चुनाव में आपकी जीत तय है।लेकिन अगर यह जीत आपकी हार में बदल जाती है तो मैं काफी खुश होऊंगा और यह देशहित में भी होगा। इससे आपको अपने में सुधार करने का मौका मिलेगा और आप अच्छे व्यक्ति बन पाएंगे। अंत में, मैं आपके लंबे जीवन की कामना करता हूंं ताकि आपको सुधारने का मुझे मौका मिले।' नेहरू-'मुझे खुशी है कि आप जैसा सौम्य व्यक्ति चुनाव में मुझे चुनौती दे रहा है।मेरा मानना है कि इस चुनाव अभियान का केंद्र बिंदु राजनीतिक योजनाएं होंगी। इस बात का ख्याल रखें और सुनिश्चित करें कि व्यक्ति आधारित कोई चर्चा नहीं होगी। राजनीतिक विरोध के बीच सौम्य व्यवहार को नहीं भूलना चाहिए।' अब नेहरू की इस कसौटी पर आज के नेताओं को कस कर देखिए। गलत खबर से खिन्न डा.लोहिया ने किया था 'टाइम' पर मुकदमा .....सुरेंद्र किशोर--- डा.राम मनोहर लोहिया ने साठ के दशक में अमरीकी साप्ताहिक पत्रिका 'टाइम' पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने दस पैसे के हर्जाने की मांग की थी। 'टाइम' ने अन्य बातों के अलावा यह भी लिख दिया था एक बार डा.लोहिया ने अपने मित्रों से कहा था कि यदि मैं बीमार पड़ूंगा तो मेरी सबसे अच्छी सेवा- शुश्रूषा जवाहर लाल नेहरू के घर में ही होगी। एक बार डा.लोहिया जब दिल्ली जेल में थे,प्रधान मंत्री नेहरू ने उनके लिए आम भिजवाया था।इसको लेकर गृह मंत्री सरदार पटेल प्रधान मंत्री से नाराज हुए थे। 1964 में नेहरू के निधन के बाद डा.लोहिया ने कहा था,' '1947 के नेहरू को मेरा सलाम !' पर छिछली रिपोर्टिंग करने वाली पत्रिका को इन तथ्यों से क्या मतलब ! खैर 'आजीवन शत्रु' वाली बात लोहिया को अधिक बुरी लगी थी। दरअसल नेहरू के निधन के बाद फूल पुर में उप चुनाव हुआ।डा.लोहिया कांग्रेस की उम्मीदवार विजयलक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव प्रचार में गए थे। टाइम के 4 दिसंबर 1964 के अंक में लिखा गया कि 'डा.लोहिया नेहरू परिवार के आजीवन शत्रु हैं और इस कारण वे उप चुनाव में विजयलक्ष्मी पंडित के विरूद्व प्रचार करने गए थे। इस बात को नजरअंदाज करते हुए कि 1962 में खुद लोहिया,नेहरू के खिलाफ वहां चुनाव लड़ चुके थे, पत्रिका ने यह भी लिख दिया कि 'लोहिया ने मतदाताओं से कहा कि विजयलक्ष्मी पंडित की सुन्दरता के जाल में न फंसें।उनके अंदर केवल विष है।' 'टाइम' के अनुसार डा.लोहिया ने मतदाताओं से कहा कि श्रीमती पंडित की युवावस्था जैसी सुन्दरता इसलिए कायम है क्योंकि उन्होंने यूरोप में प्लास्टिक शल्य चिकित्सा करायी है। डा.लोहिया ने दिल्ली के सीनियर सब जज की अदालत में टाइम के संपादक,मुद्रक,प्रकाशक और नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं के विरूद्व मानहानि का मुकदमा किया। अदालत में प्रस्तुत अपने आवेदन पत्र में डा.लोहिया ने कहा कि टाइम में प्रकाशित उक्त सारी बातेें बिलकुल मन गढंत हैं और मुझे बदनाम करने के इरादे से इस तरह की कुरूचिपूर्ण बातें मुझ पर आरोपित की गई हंै। डा.लोहिया ने कहा कि टाइम ऐसे दकियानूसी कट्टरपंथी तत्वों का मुखपत्र है,जिन्हें हमारी समतावादी और लोकतांत्रिक नीतियां पसंद नहीं हैं। नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं ने, जो उक्त समाचार भेजने के लिए जिम्मेदार हैं,मुझसे कभी भंेट तक नहीं की। ये संवाददाता स्थानीय भाषा भी नहीं जानते। इसलिए मेरे भाषण की उन्हें सीधी जानकारी भी नहीं हो सकती थी। शत्रुता का आरोप का खंडन करते हुए डा.लोहिया ने कहा कि कांग्रेसी शासन अथवा दिवंगत प्रधान मंत्री की जब भी मैंने आलोचना की है तो नीति और सिद्धांत के प्रश्नों पर ही। किसी निजी द्वेष पर नहीं।@11 मई 2019@ मां के साथ संतान के संबंध में कोई स्वार्थ नहीं होता। यानी, निःस्वार्थ प्यार सिर्फ मां का प्यार ही होता है। पिता का तो कम से कम यह स्वार्थ रहता ही है कि मेरी संतान मुझसे आगे बढ़ जाए।अधिक तरक्की करे। पर मां को इन सबसे भी कोई मतलब नहीं। बाकी लोगों के साथ आपसी 'लेन देन' का रिश्ता होता है। जरूरी नहीं कि उससे पैसे ही जुड़े हों। लेन देन मतलब आप जितना स्नेह दीजिएगा,उतना पाइएगा। जितना सम्मान दीजिएगा,उतना पाइएगा। जितना दूसरे का ध्यान रखिएगा,उतना वह आपका ध्यान रखेगा। अपवाद की बात और है। ठीक ही कहा गया है, 'कुछ हंस कर बोल दो, कुछ हंस कर टाल दो। कुछ वक्त पर डाल दो।' मां के अलावा बाकी लोगों से संबंध निभाते रहने के लिए इस फार्मूले का इस्तेमाल किया जा सकता है। संबंध तो कच्चा धागा है जिस पर निरंतर प्रेम का मांझा लगाते रहना पड़ता है। पर मां के मामले में इसकी भी जरूरत नहीं पड़ती। एक बार मेरी पत्नी मेरे नन्हे पुत्र को पीट रही थीं।शिक्षिका हैं,वैसे भी उनका अधिकार था। तब तक सरकार ने शिक्षकों के हाथों से छडि़यां नहीं छीनी थीं। खैर ,मेरी मां भी मेरे साथ ही रहती थीं। उसे पोते पर दया आ गई। बोली, क्यों मार रही हो ? उसने कहा कि 'होम वर्क नहीं बनाया है।' मेरी मां ने कहा कि 'मैंने तो कभी एक चटकन भी नहीं मारा, फिर भी मेरे दोनों बबुआ कैसे पढ-लिख गए ?' प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 5:46 pm कोई टिप्पणी नहीं: मशहूर सी.पी.आई.नेता व पूर्व विधायक दिवंगत राज कुमार पूर्वे ने अपनी पुस्तक 'स्मृति शेष' में लिखा है, 'हमारे एक साथी जिला मंत्री, जहानाबाद ने कहा कि 'जनशक्ति' की 50 प्रति वे 8 दिनों में बेच सके और भाजपा के एक व्यक्ति ने सरकारी घोटालों पर लिखी गयी पुस्तक की 200 प्रतियां 20 मिनट में बेच दिया।'@पेज-184@ याद रहे कि यह तब की बात है जब बिहार में लालू प्रसाद की सरकार थी और सी.पी.आई.उस सरकार के समर्थन में थी। पूर्वे की बात तब जितनी सही थी,उतनी ही आज भी प्रासंगिक है। देश,प्रदेश और समाज के अधिकतर लोग भ्रष्टाचार को पसंद नहीं करते। आईएनएस विराट के इस्तेमाल पर इंडिया टूडे -31 जुलाई 1988-में अनीता प्रताप की रपट प्रधान मंत्री की छुट्टियां निर्जन टापू पर निश्चिंत पड़ाव आलोचनाओं के बावजूद राजीव परिवार और दोस्तों की पिकनिक मस्त रही लगता है कि 1987 की तनाव भरी घटनाओं ने दुनिया के बड़े -बड़े राजनेताओं के भी छक्के छुड़ा दिए। शायद यही कारण था कि साल खत्म होने पर मिखाइल गोर्बाचेव ने काला सागर तट की सैरगाह का रुख किया,रोनाल्ड रेगन ने सांता बारबरा में अपने लंाच की शरण ली और भारत में राजीव गांधी ने बंगारम की ओर कूच कर दिया। छुट्टियां मनाने के इस फैसले के पीछे उनका इरादा चमचों की भीड़, फाइलों , समस्याओं और असंतुष्टों से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसे दूर और एकांत स्थान पर जाकर बैठना था जहां किसी तरह की चीख-पुकार न पहुंच सके। 36 टापुओं और 44 हजार आबादी वाले लक्षद्वीप में बंगारम टापू मात्र आधे वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाला ऐसा ही निर्जन स्थल है। सामरिक दृष्टि से नाजुक माने जाने वाले लक्ष्यद्वीप का यह इकलौता ऐसा टापू है जहां विदेशियों को जाने की छूट है और जहां नशाबंदी नहीं है। बाकी दुनिया से पूरी तरह कटा होने के कारण यह टापू पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। लक्ष्यद्वीप के पुलिस प्रधान पी.एन.अग्रवाल कहते हैं ,' 'यह प्राकृतिक कारणों से भी एक सुरक्षित स्थान है।' हालांकि सरकार की ओर से इस टापू तक किसी बाहरी आदमी को न पहुंचने देने के सभी संभव उपाय किए गए थे, पर इसके बावजूद यहां होने वाले कार्यकलापों के बारे में समाचार माध्यमों की रूचि को कम नहीं किया जा सका। यह टापू उत्सुकता का केंद्र 26 दिसंबर के दिन बना जब स्थानीय प्रशासन के नारंगी और सफेद रंग के हेलिकाॅप्टर से राजीव के बेटे राहुल और उनके चार दोस्त उतरे। उनके बाद छुट्टी मनाने के लिए आने वालों का सिलसिला बंध गया। पत्रकारों को यहां से दूर रखने के लिए सरकारी मशीनरी ने पूरा जोर लगा दिया। टापू पर आमंत्रित मेहमानों की सूची ही अपने आप में गरमागरम खबरों का स्त्रोत रही। किस्मत वालों की इस सूची में राहुल और प्रियंका के चार दोस्त ,सोनिया गांधी की बहन ,जीजा और उनकी बेटी ,सोनिया की विधवा माता आर.मायनो तथा भाई और मामा भी थे। इनके अलावा पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन,जया बच्चन और उनके बच्चे भी थे। बच्चन परिवार से आने वाले मेहमानों में फेरा के तहत कथित हेरा फेरी के लिए विवादास्पद अजिताभ बचन की बेटी भी थी। बाकी मेहमानों में केवल दो हिन्दुस्तानी और थे-पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण सिंह और भाई बिजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी।बाकी सभी विदेशी थे। @जारी@ प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 3:30 am कोई टिप्पणी नहीं: हालांकि राजीव और सोनिया ने अपनी छुट्टियों की शुरूआत 30 दिसंबर की दोपहर के बाद की, पर अमिताभ को लेकर विशेष कोचीन -कवाराती उड़ान पर आया हेलिकाॅप्टर इससे अगले दिन वहां पहुंचा। उनकी पत्नी जया अपने बच्चों और प्रियंका को लेकर चार दिन पहले ही वहां पहुंच गई थीं। इस रणनीति का लक्ष्य बंगारम में अमिताभ की मौजूदगी पर परदा डाले रखना था। लेकिन 31 दिसंबर के दिन यह भेद छिपाए छिप न सका क्यांेकि हेलिकाॅप्टर को बंगारम पहंुचने से पहले कवाराती टापू पर ईंधन लेेेने के लिए 50 मिनट के लिए रुकना पड़ा। बाद में जब वे वापसी के समय कोचीन हवाई अड्डे पर उतरे तो इंडियन एक्सप्रेस के एक फोटो ग्रफर ने उन्हें देख लिया और उसने अमिताभ की गुस्से भरी चेतावनी के बावजूद उनके चार फोटो खींच लिए। राजीव के इतालवी ससुराली रिश्तेदारों के अलावा बच्चन परिवार की मौजूदगी ने राजीव के आलोचकों को सबसे अधिक राजनीतिक बारूद उपलब्ध कराया। विरोधियों का एक सवाल यह था कि अजिताभ के परिवार के लोगों और उनके भाई के साथ रंगरेलियां मना कर आखिर राजीव उन सरकारी अधिकारियों को क्या संकेत भेजने की कोशिश कर रहे हैं जो आजकल स्विट्जरलैंड में अजिताभ की संपत्ति की जांच कर रहे हैं। कवाराती में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महा सचिव कुंजी कोया का कहना है कि हेलिकाॅप्टर का इस्तेमाल केवल एक आदमी के लिए किया जाए और वह भी एक ऐसे शख्स के लिए जिसका नाम देश के बड़े स्कैंडल में उलझा हुआ है। प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 3:28 am कोई टिप्पणी नहीं: निर्जन टापू पर निश्ंिचत पड़ाव लेकिन छुट्टी मनाने वाले हफ्ता भर मस्त रहे। एक खूबसूरत और गैर आबाद टापू पर उनका पूरा कब्जा था। लिहाजा पूरा वक्त उन्होंने निश्चिंतता के साथ तैरने, धूप सेंकने मछली पकड़ने और नौका चलाने में बिताया। इस मौज मस्ती के दौरान यह दल पास ही के दो निर्जन टापुओं तिन्नाकारा और पराली पर पिकनिक मनाने भी गया। इसके अलावा बीच-पार्टियों ,संगीत और मछली मार अभियानों की भी भरमार रही। जहां राजीव, राहुल और प्रियंका ने अपना काफी समय पानी में बिताया,वहां सोनिया ने दमे के कारण अपनी मां और जया के साथ शीशे की तली वाली नौका में समद्र तट में फैली मूंगे की चट्टानों को निहारने का आनंद लूटा। इस दौरान राजीव कई बार टापू पर टहलने के लिए निकले मानो वे इस जगह से पूरी तरह वाकिफ हों । एक बार तो वे छिछले पानी में आ फंसी एक डाल्फिन को बचाने के लिए पानी में कूद पड़े ।इससे पहले नवंबर 1985 में भी राजीव ने बंगारम में एक दिन बिताया था। लेकिन इस बात का अनुमान लगा पाना बहुत कठिन है कि साल के अंत में हुए इस तमाशे पर कुल कितना खर्च आया।कारण यह है कि कई एजेंसियों ने अपनी -अपनी तरह से इस पर खर्च उठाया। उदाहरण के लिए खाने की व्यवस्था, मनोरंजन, पर्यटन और जल संबंधी खेलों के विकास संगठन स्पोर्टस की ओर से की गई थी। यह लक्ष्यद्वीप प्रशासन का एक विभाग है। छुट्टियों के दौरान इस संगठन के दो बावर्चियों समेत पांच कर्मचारी वहां मौजूद रहे। लेकिन भोजन के निर्धारण और पकाने का निरीक्षण दिल्ली से आए प्रधान मंत्री के निजी रसोइए ने किया। दिल्ली से ही तरह -तरह की शराब मंगाई गई थी। इस मौके के लिए अगाट्टी में खास तौर पर 100 मुर्गे-मुर्गियों का फार्म लगाया गया।चीनी और ताजा मछली के अलावा पपीते,सपोटा,केले और अमरूद की व्यवस्था की गई थी।कवाराती से मक्खन और 100 डबल रोटियों की व्यवस्था की गई और कोचीन से चाॅकलेट ,कोल्ड ड्रिंक के 40 क्रेट, 300 बोतल मिनरल वाटर,अमूल मक्खन,काजू ,खाने की दूसरी चीजें ,20 किलो आटा,105 किलो बासमती चावल और ताजा सब्जियां कोचीन से लाई गईं। पार्ट-4 और अंतिम स्पोर्टस के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन ने सभी बिल मंगवाए हैं ताकि राजीव इनका भुगतान कर सकें। लक्ष्यद्वीप के कलेक्टर के.के.शर्मा का कहना था,'हमने वीआईपी लोगों की छुट्टियों के लिए किसी तरह की विशेष व्यवस्था नहीं की है।और हबीबुल्ला की सफाई थी,'मेरा काम तो प्रधान मंत्री को बस बंगारम पहुंचाना भर था।' लेकिन इन सब दावों के बावजूद वहां की गई फिजूल खर्ची साफ दिखाई दे रही थी।देश के सबसे प्रमुख युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल राजीव गांधी के परिवार की सवारी के तौर पर किया गया। इस दौरान 10 दिनों तक @विराट@अरब सागर में ही घूमता रहा।इस युद्धपोत पर होने वाला दैनिक खर्च बेहिसाब है।क्योंकि यह जहां भी जाता है, इसके साथ सुरक्षा पोतों का पूरा काफिला चलता है। बताया जाता है कि इस काम के लिए वहां एक पनडुब्बी भी तैनात की गई थी।इसके अलावा अगाट्टी में विशेष उपग्रह संचार संपर्क की व्यवस्था भी की गई। बहरहाल ,लक्ष्यद्वीप को जमकर प्रचार मिला है।स्थानीय प्रशासन को उम्मीद है कि इस कारण अब यहां पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी। यह असर दिखने भी लगा है। उदाहरण के लिए कोचीन में लक्ष्यद्वीप के पर्यटन कार्यालय का कहना था कि 8 जनवरी के दिन सामान्य से पांच गुना लोगों ने जानकारी मांगी। 6 जनवरी के दिन जब यह पिकनिक खत्म हुई तब वहां से सबसे पहले प्रियंका और उसके साथी गोवा के लिए निकले। उनके बाद बुजुर्ग विदेशी लोग रवाना हुए।और फिर अमिताभ और उनका परिवार। उसी दिन दोपहर 1.20 बजे राजीव ने राहुल के साथ हेलिकाॅप्टर में प्रस्थान किया। आखिर में सोनिया अपने रिश्तेदारों के साथ मुस्कराते हुए रवाना हुई। लेकिन यह मुस्कराहट कोचीन पहुंचते ही गायब हो गई। लेकिन इसके ठीक विपरीत नौसैनिक हेलिकाॅप्टर से उतरते समय राजीव प्रसन्न चित्त दिखाई दे रहे थे। 6 जनवरी के दिन अमीनी द्वीप में अपनी जन सभा में उन्होंने कहा कि 'बहुत शानदार छुट्टियां थीं।' बाद में उन्होंने विकास कार्यक्रमों का मुआयना किया।इस दौरान उनके साथ छुट्टियांें का जो एक स्मृति चिन्ह था, वह एक वाटर प्रूफ घड़ी थी जिसे वे नौका चलाने और गोताखोरी के दौरान पहनते आ रहे थे। @समाप्त @ @इंडिया टूडे के 31 जनवरी, 1988 के अंक में प्रकाशित अनीता प्रताप की रपट @ प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 3:24 am कोई टिप्पणी नहीं: अनुत्तरित हैं बोफर्स सौदे के कई प्रश्न अभी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राजीव गांधी का नाम लिए बिना बोफर्स तोप सौदे की चर्चा की। इससे कांग्रेस के नेता और कुछ अन्य लोग आपे से बाहर हो गए। लेकिन यह समझने की जरूरत है कि जब तक बोफर्स तोप सौदे को लेकर उठे प्रश्न अनुत्तरित बने रहते हैं तब तक उनसे पीछा नहीं छूटने वाला है। जनहित याचिका के रूप में अब भी बोफर्स का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।सी.बी.आई.ने भी इस केस को फिर से खोलने की अपील सुप्रीम कोर्ट से की थी।अदालत ने देर हो जाने के आधार पर सी.बी.आई. की याचिका को नामंजूर करते हुए कहा कि अजय अग्रवाल की लोकहित याचिका पर जब सुनवाई होगी तब आप अपना भी पक्ष रख सकते हैं। हालांकि सी.बी.आई.ने यह तर्क भी दिया था कि बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देर को ध्यान में नहीं रखते हुए आडवाणी तथा अन्य के खिलाफ फिर से सुनवाई करने का आदेश दे दिया । खैर, यह सभी पक्षों के हक में होगा कि बोफर्स सौदे से संबंधित मुकदमे को तार्किक परिणति तक पहुंचा दिया जाए। यह बात उन लोगों के हक में अधिक होगी जो यह मानते हैं कि इस सौदे में राजीव गांधी का कोई हाथ नहीं था। लेकिन यह तभी हो सकेगा जब इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मिल जाएं। जब भी कोई व्यक्ति बोफर्स सौदे से राजीव गांधी या किसी अन्य का नाम जोड़ता है तो सवाल उठाया जाता है कि किसी अदालत ने राजीव गांधी को दोषी तो नहीं ठहराया है। यह बात सही है।नहीं ठहराया है, पर सवाल है कि क्या अदालतों को इस मामले में ंकाम करने दिया गया ? क्या जांच एजेंसियों को भी काम करने दिया गया ? सच तो यह है कि सरकार बदलते ही जांच एजेंसियों के रुख भी बदलते रहे। क्या बोफर्स से संबंधित मुकदमे की सुनवाई लोअर कोर्ट से होते हुए अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची ? क्या पहुंचने दी गई ? जब दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी और अन्य आरोपितों को दोषमुक्त घोषित किया तो क्या जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत केंद्र सरकार ने दी ? नहीं दी।पूछे जाने पर तत्कालीन प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह ने कहा कि 'सरकार गैर जरूरी अपीलों में नहीं जाती।' जिस घोटाले के पैसे दो बैंक खातांे में पाए जा चुके थे ,उस मामले को भी सरकार ने गैर जरूरी समझा। आखिर क्यों ? खुद भारत सरकार के आयकर अपीलीय न्यायाधीकरण ने भी 3 जनवरी 2011 को कहा कि बोफर्स तोप सौदे में ओट्टावियो क्वात्रोचि और विन चड्ढा को 41 करोड़ रुपए दलाली दी गई थी। ऐसी आय पर उन पर भारत में टैक्स की देनदारी बनती है। सवाल है कि उनसे टैक्स की वसूली क्यों नहीं हुई ? बोफर्स दलाली मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे.डी.कपूर ने 4 फरवरी 2004 को राजीव गांधी को क्लीन चीट दे दी।अदालत ने हिन्दुजा बंधुओं को भी आरोप मुक्त कर दिया। सन 2009 में सी.बी.आई.ने अदालत से क्वात्रोचि के खिलाफ दायर केस को वापस करने की अनुमति मांगी। दिल्ली हाईकोर्ट के क्लीन चीट वाले निर्णय के खिलाफ अपील क्यों नहीं की गई जबकि जानकारों के अनुसार हाईकोर्ट ने ठोस सबूतों को अनदेखी करते हुए वैसा जजमेंट दिया था ? इस सवाल का जवाब अनुत्तरित है । इस मामले को जरा शुरू से देखें। 24 मार्च 1986 को भारत सरकार और स्वीडन की कंपनी ए.बी.बोफर्स के बीच 1437 करोड़ रुपए का 400 हाउजर फील्ड गन खरीद के लिए अनुबंध हुआ। 16 अप्रैल 1987 को स्वीडेन रेडियो ने यह खबर प्रसारित की कि इस सौदे में प्रमुख भारतीय नेताओं और प्रमुख रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी गई। जब यह खबर भारतीय मीडिया में जोर- शोर से छपने लगी तो केंद्र सरकार ने कहा कि इस सौदे में कोई दलाली नहीं दी गई। एक तरफ इनकार और दूसरी तरफ सबूत पर सबूत आने लगे। बोफर्स तथा उस समय के कुछ अन्य घोटाले लोस चुनाव के मुख्य मुद्दा बन गए। प्रतिपक्ष हमलावर था और सरकार बचाव की मुद्रा में ।पूरा 1989 लोक सभा चुनाव बोफर्स घोटाले के मुद्दे पर लड़ा गया।गांव -गांव बोफर्स शब्द प्रचलित हो गया।लोगों ने इसे संवदेनशील मामला माना क्यांेकि देश की रक्षा से जुड़ा था। राजीव गांधी सत्ता से हटे। वी.पी.सिंह प्रधान मंत्री बने। वी.पी.सिंह सरकार के कार्यकाल में सी.बी.आई.ने जनवरी, 1990 में इस मामले में केस दर्ज किया। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सन 1999 और 2000 में आरोप पत्र दाखिल किए गए। आरोप पत्र में राजीव गांधी का नाम 20 बार आया है। जब- जब कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकार बनी बोफर्स मामले की जांच में पूरी ढिलाई हुई । मुकदमे को रफादफा करने की कोशिश हुई। स्वीडेन की नेशनल आॅडिट ब्यूरो ने 4 जून 1987 को कह दिया था कि बोफर्स में दलाली खाई गई है।उसके बाद से सत्ताधारी नेताओं ने दोषियों को बचाने की जोरदार कोशिश शुरू कर दी। वे किसे बचा रहे थे ? और क्यों ? 1988 में वी.पी.सिंह ने पटना की जन सभा में स्विस बैंक की लंदन शाखा के उस बैंक खाते का नंबर भी जाहिर कर दिया जिसमें दलाली के पैसे जमा थे। फिर भी सरकार व जांच एजेंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे बी.शंकरानंद के नेतृत्व में गठित संयुक्त संसदीय समिति ने कह दिया कि कोई दलाली नहीं ली गई है। पर सरकार बदलने पर जांच शुरू हुई तो पता चला कि वी.पी.सिंह द्वारा बताया गया खाता नंबर सही है। 1990 में ही उस खाते को जब्त करवा दिया गया था। पर 2006 में केंद्र सरकार ने एक अफसर लंदन भेज कर उस खाते को चालू करवा दिया।जबकि उसी दिन सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आया कि खाते को चालू नहीं किया जाएगा। उस खाते में क्वात्रोचि के करीब 21 करोड़ रुपए थे।उसे उसने निकाल भी लिया। बोफर्स केस में नाम आने के बाद क्वात्रोचि 1993 में भारत छोड़कर इटली भाग गया। उसे भगाने में किसने मदद की ? सरकार ने क्वात्रोचि को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा कदम क्यों उठाया ? इस मामले को लेकर विदेश मंत्री माधव सिंह सोलंकी को मंत्री पद से क्यों हटना पड़ा ? पी.वी.नरसिंंह राव के प्रधान मंत्रित्वकाल में विदेश मंत्री दावोस गए थे।वे अपने साथ एक नोट भी ले गए थे।सोलंकी ने स्विस विदेश मंत्री से आग्रह किया था कि वे जांच एजेंसी को सहयोग न करें क्योंकि बोफर्स केस राजनीति से प्रेरित है।यह जानकारी जब भारत आई तो देश में भारी हंगामा हुआ तो माधव सिंह सोलंकी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। सोलंकी आखिर किसे बचाना चाहते थे ? किसने उन्हें स्विस विदेश मंत्री से ऐसा कहने के लिए कहा था ? 18 अगस्त 2016 को मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में कहा था कि रक्षा मंत्री के रूप में मैंने बोफर्स की फाइल गायब करवा दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि बोफर्स तोप ने अच्छा काम किया ,इसलिए मैंने उस केस को आगे बढ़ाने में रूचि नहीं ली। सवाल है कि सी.बी.आई.ने मुलायम से क्यों नहीं पूछा कि आपने किसके दबाव मंंे ऐसा किया ? याद रहे कि मुलायम सिंह यादव उस सरकार के मंत्री थे जो कांग्रेस के बाहरी समर्थन से चल रही थी। क्या सचमुच बोफर्स तोप अच्छी है ? अच्छी तो है,पर फ्रंेच तोप सोफ्मा से बेहतर नहीं है। सोफ्मा को भी तब भारत में बेचने की कोशिश हुई थी। तत्कालीन सेनाध्यक्ष ने सोफ्मा खरीदने की ही सिफारिश सरकार से की थी। पर सरकार बोफर्स के पक्ष में थी क्योंकि सोफ्मा कंपनी किसी को दलाली नहीं देती थी। बोफर्स देती थी। बाद में उच्चस्तरीय निदेश पर सेनाध्यक्ष ने अपनी राय बोफर्स के पक्ष में दे दी। सरकार में कौन थे जो बोफर्स की खरीद में पूरी रूचि ले रहे थे ? पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल के.सुंदरजी ने 7 फरवरी 1997 को कहा कि इस बात में संदेह की बहुत कम गुंजाइश है कि बोफर्स तोप सौदे की दलाली को छिपाने में तत्कालीन प्रधान मंत्री कार्यालय सक्रिय था। मुझे बताया गया कि स्वर्गीय राजीव गांधी को बचाने के लिए ऐसा किया गया। सुंदरजी ने यह भी कहा कि तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अरुण सिंह सरकार से इस्तीफा देने के बाद मेरे पास आए और कहा कि केवल एक व्यक्ति की खाल बचाने के लिए इस प्रकरण को छिपाया गया। पूछे जाने पर सुंदर जी ने खोल दिया।कहा कि जाहिर है कि वे तत्कालीन प्रधान मंत्री का जिक्र कर रहे थे। @ मेरे इस लेख का संपादित अंश 8 मई 2019 के दैनिक जागरण में प्रकाशित@ क्या आप किसी नेता को दिल्ली में पढ़ रहे अपने पुत्र का लोकल गार्जियन बनाना पसंद करेंगे ? क्या आपको ऐसे नेता मिल पाएंगे ? संभव है कि ऐसे नेता आपको मिल भी जाएं। पर क्या कभी इस देश के मतदातागण सिर्फ वैसे ही नेता को चुनकर संसद में भेजेंगे जिसे वे अपने पुत्र का लोकल गार्जियन बनाने लायक समझते हैं ? यह और बात है कि वह नेता किसी का लोकल गार्जियन बनता है या नहीं। प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 4:24 am कोई टिप्पणी नहीं: पटना में गंगा नदी पर गांधी सेतु का शिलान्यास जिस दिन हुआ,उसी दिन राहुल गांधी का जन्म हुआ था। शिलान्यास समारोह में मंच पर ही प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को यह खुशखबरी दी गई थी। पर एक और संयोग देखिए। बाद के वर्षों में गांधी सेतु की ठीक से देखभाल नहीं होने के कारण दस साल में ही वह जर्जर हो गया। उसी तरह लगता है कि राहुल गांधी की भी ठीक देखभाल नहीं हुई। गांधी सेतु की तो इन दिनों भारी मरम्मत हो रही है।पूरा सुपर स्ट्रक्चर बदला जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति में कुछ कमी रह गई हो तो उसमें सुधार के लिए क्या किया जाए ? आज सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकारा है। क्या सुधार की दिशा मंे इस फटकार का कोई असर पड़ेगा ? जरूरत तो हेवी मरम्मत की रही है,पर वंशवादी राजनीति में भला किसी राजकुमार में बेहतर गुण विकसित करने की कोशिश करने का जोखिम कौन उठाए ! ? प्रस्तुतकर्ता Surendra Kishore पर 2:22 pm कोई टिप्पणी नहीं: इस भीषण गर्मी में भी अधिकतर छोटे- बड़े नेता लोग निरंतर प्रचार कार्य में लगे हुए हैं। मंच पर कभी बेहोश हो जाने के बाद भी फिर काम में लग जा रहे हैं।अस्पताल में शायद ही कोई भर्ती हो रहा रहा है।कोई थकावट नहीं,कोई बीमारी नहीं। इन्हीं नेताओं में से कुछ के खिलाफ यदाकदा मुकदमे चलते रहते हैं।ये लोग जेल भी जाते हैं। पर जेल क्या जाएंगे,गिरफ्तार होते ही अधिकतर नेता अस्पतालों में भर्ती हो जाते हैं। यदि बिहार के आरा में इस बार भी आर.के.सिंह जैसे 'अ-राजनीतिक' और ईमानदार उम्मीदवार जीत गए तो मेरी समझ से दो बातें मानी जाएंगी। पहली बात तो यह कि इस बार भी जबर्दस्त मोदी लहर चली । साथ ही, यह भी माना जाएगा कि दलाल, भ्रष्ट और इस तरह के कुछ अन्य तत्व इतने अधिक प्रभावकारी नहीं रहे जो 'मोदी लहर' को भी काट सकें।
2022/05/19 08:43:28
https://surendrakishore.blogspot.com/2019/05/
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भारत | hindi news channel | Page 2 Posted By: adminon: June 09, 2017 In: जरा हटके, भारत, मध्‍य प्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़No Comments प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्ताना में गुरुवार रात अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि एक स्वागत समारोह में दोनों नेताओं ने ए... Read more मोदी ने कहा: एससीओ सदस्यता भारत की अर्थव्यवस्था, आतंकवाद से निटपने में मददगार Posted By: adminon: June 08, 2017 In: दिल्‍ली एवं हरियाणा, भारत, स्पेशलNo Comments शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए गुरुवार (8 जून) को कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (7 जून) को कहा कि एससीओ क... Read more समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में भारत ने पाकिस्तानी गवाहों के सम्मन इस्लामाबाद को सौंपे Posted By: adminon: June 08, 2017 In: भारत, स्पेशलNo Comments भारत ने 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में गवाहों के तौर पर बयान देने के लिए 13 पाकिस्तानियों को एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा जारी सम्मनों को इस्लामाबाद को सौंप दिया है. आधिकारिक... Read more वध के लिए पशु बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध के खिलाफ अर्जी पर SC में 15 जून को सुनवाई वध के लिए पशु बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध के खिलाफ अर्जी पर SC में 15 जून को सुनवाई Posted By: adminon: June 08, 2017 In: जरा हटके, भारत, यूपीNo Comments वध के लिए मवेशियों की पशु बाजार में खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने संबंधी केन्द्र सरकार की विवादास्पद अधिसूचना को बुधवार (7 जून) को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी और इस याचिका पर न्यायालय... Read more किसान आंदोलन: हिंसा प्रभावित मंदसौर जा रहे हैं राहुल गांधी, हटाए गए एसपी और कलेक्टर Posted By: adminon: June 08, 2017 In: भारत, मध्‍य प्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़No Comments 5 किसानों की मौत के बाद पूरे प्रदेश में किसानों के बीच जबरदस्त आक्रोश है. प्रदर्शनकारियों ने मंदसौर, देवास, नीमच खरगौन, धार, इंदौर, सीहोर एवं उज्जैन सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लूटपाट... Read more
2019/03/26 14:44:25
https://www.sansani7news.com/?cat=102&paged=2
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Anand Mahindra offers job to differently-abled man who drives a rickshaw आनंद महिंद्रा ने रिक्शा चलाने वाले विकलांग व्यक्ति को नौकरी की पेशकश की आनंद महिंद्रा ने रिक्शा चलाने वाले विकलांग व्यक्ति को नौकरी की पेशकश की आनंद महिं... आनंद महिंद्रा ने रिक्शा चलाने वाले विकलांग व्यक्ति को नौकरी की पेशकश की आनंद महिंद्रा Twitter पर वायरल हो रहे वीडियो शेयर करने से बाज नहीं आ रहे हैं. उन्होंने हाल ही में दिल्ली में एक विकलांग व्यक्ति का एक छोटा वीडियो साझा किया, जो डिलीवरी करने के लिए एक विशेष रिक्शा चलाता है। कौशल से प्रभावित होकर, आनंद महिंद्रा ने उन्हें नौकरी की पेशकश भी की। — anand mahindra (@anandmahindra) 27 दिसंबर, 2021 Twitter पर वीडियो में एक व्यक्ति को एक ऐसी स्थिति में दिखाया गया है, जिसके चारों अंगों को बहुत छोटा कर दिया गया है। कुछ राहगीरों ने विकलांगों को वाहन चलाते हुए देखा और उसे कुछ सवाल पूछने के लिए रोका कि वह यह कैसे करता है। विकलांग व्यक्ति एक प्रदर्शन देता है कि वह Honda स्कूटर से इंजन के साथ लगे रिक्शा को कैसे संचालित करता है। विकलांग दिखाता है कि वह त्वरक और ब्रेक कैसे संचालित करता है। साथ ही वो ये भी दिखाते हैं कि कैसे वो गाड़ी को घुमाने के लिए अपने सीने का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि इस वाहन को संचालित किए पांच साल हो गए हैं और उन्हें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। आनंद महिंद्रा ने उन्हें नौकरी की पेशकश की Bossman आनंद महिंद्रा ने उन्हें लास्ट-मील कनेक्टिविटी ड्राइवर के रूप में नौकरी की पेशकश की। उन्होंने अपनी कंपनी Mahindra Logistics को टैग किया और उनसे पूछा कि क्या वे उस व्यक्ति को लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए हायर कर सकते हैं। यह पहली बार नहीं है जब आनंद महिंद्रा ने ऐसा कारनामा किया है। यहां तक कि अतीत में भी, उन्होंने ऐसे लोगों को नौकरी और यहां तक कि वाहनों की पेशकश की है जिन्होंने दिलचस्प वाहन और संशोधन किए हैं। हाल ही में, Mahindra ने एक ऐसे व्यक्ति के लिए Mahindra Bolero की घोषणा की, जिसने विभिन्न वाहनों से 'जुगाड़' कार बनाई। आनंद महिंद्रा ने यह भी कहा कि ड्राइवर द्वारा बनाए गए 'जुगाड़' को Mahindra Research Valley में वहां काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का 'जुगाड़' इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे न्यूनतम संसाधनों और सीमित विशेषज्ञता का उपयोग करके एक प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है। वह नियमित रूप से खिलाड़ियों और यहां तक कि क्रिकेट टीमों को कारों और उपहारों के साथ उपहार देते हैं। उन्होंने भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट श्रृंखला के सभी पदार्पण करने वालों को एक बिल्कुल नया Mahindra Thar उपहार में दिया। दरअसल, उन्होंने एथलेटिक्स में भारत के पहले ओलंपिक गोल्ड विजेता Neeraj Chopra को एक कस्टमाइज्ड Mahindra XUV700 भी दी थी। सपनों की दौड़ में Mahindra 2020 में सामने आई बिल्कुल-नई Mahindra Thar की भारी लोकप्रियता के बाद, Mahindra ने इस साल बिल्कुल-नई XUV700 लॉन्च की और यह ब्रांड के लिए भी एक बड़ी सफलता बन गई है। बिल्कुल-नई Mahindra XUV700 और Thar का वेटिंग पीरियड एक साल से ज्यादा का है. अगले साल Mahindra बिल्कुल नई Scorpio लेकर आ रही है और उम्मीद है कि यह Thar और XUV700 की तरह ही बड़ी सफलता को फिर से बनाएगी.
2022/07/02 08:22:55
https://hindi.cartoq.com/anand-mahindra-offers-job-to-differently-abled-man-who-drives-a-rickshaw-hindi/
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हेयर फॉल के लिए जिम्मेदार होते हैं ये 5 विटामिन, इस रिसर्च ने किया है दावा | Research claims that the deficiency of these 5 vitamins causes hair fall Updated: Oct 18, 2021, 14:50 IST आजकल की व्यस्तताओं से भरी जिंदगी में बालों का झड़ना बहुत ही समान्य समस्या बन गई है। हर दूसरे व्यक्ति की समस्या होती है कि उनके बाल बहुत झड़ रहे हैं। अक्सर ही कंघी में बाल फंसे हुए मिलते हैं या बाथरूम के ड्रेनेज के पास फंसे दिखते हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा टेंशन तब होती है जब सिर पर बालों की जगह आपके स्कैल्प दिखाई देने लग जाते हैं और फिर आप परेशान होकर सोचने लगते हैं कि मेरे साथ ही क्यों हो रहा है। इसके बाद आप अपने हेयर फॉल के लिए अपने शैम्पू या मौसम आदि को दोष देने लग जाते हैं। जबकि,अत्यधिक बालों के झड़ने का कारण ज्यादातर समय आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा है, इससे संबंधित होता है। हेयर फॉल होने की कॉमन वजहों (common causes of hair fall) में जेनेटिक्स, खराब डाइट, बढ़ती उम्र, तनाव, डैंड्रफ, स्कैल्प कंडीशन, चाइल्ड बर्थ, टाइट हेयरस्टाइल और पोषण संबंधी कमियां शामिल हैं। ऐसे में आपको इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है कि आप क्या खा रहे हैं या क्या पी रहे हैं। क्योंकि, ज्यादातर महिलाएं न्यूट्रिशन के लिए अपनी रेगुलर डाइट पर ही निर्भर होती हैं। जबकि, हमारे बालों को बढ़ने और स्वस्थ रहने के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। कुछ विटामिनों की कमी मानव शरीर में दूसरों की तुलना में अधिक होती है। कई बार इन विटामिनों की कमी महिलाओं में बालों के झड़ने का कारण बन जाती है। अगर आपको भी लगता है कि आपके बाल सामान्य से अधिक तेजी से गिर रहे हैं या पतले हो रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपको अपनी डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करने की जरूरत है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, हम आपको बता रहे हैं वह 5 प्रमुख विटामिन, जिनकी कमी के कारण महिलाओं को हेयर फॉल की समस्या से जूझना पड़ता है। इन विटामिन की कमी से होता है हेयर फॉल (Vitamin deficiencies that cause hair loss) 1. विटामिन बी12 (Vitamin B12) विटामिन बी12 (Vitamin B12) पानी में घुलन वाले एक तरह का घुलनशील विटामिन है जो ऑक्सीजन युक्त लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को बनाने में मदद करता है। ये कोशिकाएं आपके हेयर फॉलिकल को पोषण देती हैं। आपके हेयर स्ट्रैंड के विपरीत, आपके हेयर फॉलिकल की कोशिकाएं जीवित होती हैं। इसलिए, आपको बाल कटवाने के दौरान कुछ भी महसूस नहीं होता हैं, लेकिन जब आप अपने बालों को जड़ों से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं तो आपको दर्द होता है। फॉलिकल को बढ़ने के लिए जिन पोषक तत्वों की जरूरत होती है, वह उसे उसकी जड़ में मौजूद पैपिला (Papilla) से मिलते हैं। पैपिला में रक्त वाहिकाएं (blood vessels) होती हैं। पैपिला इसके जरिए फॉलिकल्स को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। आपको बता दें कि विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का निर्माण करता है, इसकी कमी से बाल झड़ सकते हैं। साथ ही यह आपके बालों को बढ़ने से भी रोक सकते हैं। इसके अलावा, विटामिन बी 12 की कमी (vitamin b12 deficiency) से समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, अगर आप बालों के झड़ने के साथ-साथ सफेद बालों से भी परेशान हैं, तो यहां आपके लिए एक स्पष्ट संकेत है कि आप में विटामिन बी12 की कमी है। आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी की वजह से थकावट, एनर्जी की कमी, चिंता और चक्कर आने की दिक्कत भी आ सकती है। इसके अलावा अगर आपकी त्वचा पीली हो गई हो, मूड में बदलाव हो या आपको आंखों से देखने में दिक्कत महसूस हो रही हो, तो आपको बता दें कि यह सभी लक्षण आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर के पास जाकर विटामिन बी12 लेवल की जांच जरूर करवा लें। कैसे करें विटामिन बी12 की कमी को दूर (How to treat Vitamin B12 deficiency) अगर आपमें विटामिन बी12 की कमी (vitamin b12 deficiency) है तो डॉक्टर की दी गई दवाएं जरूर लें। इसके साथ ही आपको ऐसा खाना भी खाना चाहिए जिसमें विटामिन बी12 की सही मात्रा हो। लेकिन, हमारे पास खाने के लिए ऐसी बहुत कम चीजे हैं जिनमें विटामिन बी12 होता है। इन चीजों में डेयरी प्रोडक्ट व अंडे के अलावा टूना, झींगा, सार्डिन, चिकन ब्रेस्ट, लीवर और क्लैम शामिल हैं। अगर आप शाकाहारी हैं, तो आपके लिए विटामिन बी12 का एकमात्र स्रोत डेयरी प्रोडक्ट ही हैं। इसलिए, डॉक्टरों का मानना है कि शाकाहारी लोगों को इसकी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नियमित रूप से विटामिन बी12 का इंजेक्शन लेना चाहिए। लेकिन इस इंजेक्शन को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इसके साथ ही विटामिन बी12 की कमी वाले लोगों में आयरन की कमी भी होने की आशंका बहुत अधिक होती है। ऐसे स्थिति को पर्निशियस एनीमिया (pernicious anemia) कहा जाता है। बता दें कि बालों के झड़ने का एक और कारण आयरन की कमी भी है। 2. आयरन (Iron) डर्मेटोलॉजिस्ट का मानना है कि आयरन की कमी महिलाओं में हेयर फॉल का सबसे आम कारण होता है। आयरन आरबीसी और हीमोग्लोबिन को बनाने में मदद करता है। वे आपके शरीर के अंगों और टिश्यू तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को ले जाने में मदद करते हैं। जब आपके शरीर में आयरन की कमी (Iron deficiency) होती है, तो हीमोग्लोबिन सबसे पहले आवश्यक अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाएगा। इसका मतलब यह है कि पैपिला और आपके बालों के जड़ उन्हें प्राप्त नहीं करेंगे। इससे अत्यधिक बाल झड़ने लगते हैं और बाल पतले हो जाते हैं। रिसर्च में पता चला है कि आयर की कमी होने से पुरुष में होने वाले गंजापन के सामान ही महिलाओं में हेयर फॉल होता है। इसके अलावा आयरन की कमी से त्वचा का पीला होना, सांस फूलना, हाथ और पैर ठंडे हो जाना, चक्कर आना और अत्यधिक थकान महसूस करना शामिल हैं। अगर आप में भी आयरन की कमी है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही आयरन सप्लीमेंट लें। क्योंकि, डॉक्टर आपके अंदर की अन्य कमियों को जानकर ही आपको सलाह देते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह से कभी भी आयरन सप्लीमेंट न लें। हालांकि, शरीर में आयरन के अब्जॉर्ब को बढ़ाने के लिए आप इसके साथ विटामिन सी सप्लीमेंट या विटामिन सी से भरपूर फल जैसे संतरे का रस, मौसमी जूस, शिमला मिर्च, पपीता, अमरूद और कीवी ले सकते हैं। आयर की कमी को दूर करने के लिए आप आयरन से भरपूर खाना खा सकते हैं। भारतीय खाने में हलीम के बीज (हलीम पानी), पोहा, मुरमुरे, तिल, बाजरा का आटा, मसूर दाल, मूंग दाल, लोविया (black eyed peas) और बेसन आयरन से भरपूर हैं। इसके अलावा आपको आयरन की भरपूर मात्रा रेड मीट, पोल्ट्री, सीफूड, साग, चिया सीड्स, खुबानी और किशमिश में भी मिलता है। कोविड-19 महामारी ने हमें समझा दिया है कि धूप में ना निकलने पर भी हेयर फॉल हो रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि विटामिन डी की कमी भी हेयर फॉल की समस्या पैदा कर सकती है। बता दें कि भारत में की गई एक रिसर्च में पाया गया कि बाल झड़ने की समस्या से जूझ रहीं महिलाओं में विटामिन डी का स्तर काफी कम होता है। एक दूसरी रिसर्च में भी महिलाओं में होने वाले हेयर फॉल को विटामिन डी की कमी से जोड़कर देखा गया है। इसके साथ ही गंजापन (alopecia) होने के पीछे भी विटामिन डी की कमी को ही बताया गया है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर विटामिन डी और बालों के झड़ने के बीच क्या संबंध है। विटामिन डी प्राकृतिक रूप से फॉलिकल को बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह बालों के विकास और उसके जड़ को मजबूत करता है।यह बालों के जीवन चक्र को भी बनाए रखता है। विटामिन डी बालों के समय से पहले सफेद होने में भी देरी करता है। विटामिन डी की कमी हेयर फॉलिकल के साइकिल को बाधित करती है। इससे महिलाओं में बालों के झड़ने का कारण बन सकती है। विटामिन डी की कमी को कैसे करें दूर डेली विटामिन डी की आवश्यकता को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका सूर्य की रोशनी लेना है। रोजाना कम-से-कम 15 से 30 मिनट धूप में जरूर बिताएं। लेकिन कोशिश करें कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की धूप ही लें, ना कि दोपहर के समय की लें। इस दौरान ध्यान रहे कि आप कोई भी सनस्क्रीन क्रीम न लगाएं। इसके साथ ही विटामिन डी से भरपूर चीजों को अपने डाइट में शामिल करें, जैसे - मछली, मशरूम, फोर्टिफाइड दूध, फोर्टिफाइड संतरे का रस व अंडे आदि। इसके अलावा अगर आपकी जरूरत पूरी नहीं हो रही हो तो डॉक्टर से संपर्क करने के बाद ही सप्लीमेंट लें। बालों के विकास और बालों के झड़ने को कम करने के लिए बायोटिन सबसे ज्यादा प्रचलित समाधान है। बायोटिन वास्तव में एक प्रकार का बी विटामिन है जो लगभग सभी बालों के विटामिन में मौजूद होता है। अक्सर डर्मेटोलॉजिस्ट इसका उपयोग करने की सलाह देते हैं। हालांकि, बायोटिन केवल इसके कमी के कारण होने वाले हेयर फॉल का इलाज करता है। यह पुरुष या महिला में होने वाले गंजापन या हार्मोनल असंतुलन या बच्चे के जन्म जैसे कारणों से होने वाले हेयर फॉल के लिए प्रभावी इलाज नहीं है। बायोटिन कैसे करता है मदद बायोटिन पोषक तत्वों को एनर्जी के रूप में बदल देता है। यह टिश्यू के पुनर्निर्माण और डीएनए (DNA) की मरम्मत में मुख्य भूमिका निभाता है।इससे केराटिन के ढांचे में काफी सुधार आता है। बता दें कि केराटिन बालों के विकास को बढ़ाने में और उन्हें अधिक चमकदार बनाने में मदद करता है। बालों के अलावा बायोटिन आपके नाखूनों को भी मजबूत बनाता है और उन्हें टूटने से बचाता है। कैसे बढ़ाएं बायोटिन बायोटिन की कमी दूर करने के लिए आप अपनी डाइट में अंडे, सैल्मन,बादाम, एवोकैडो, सूरजमुखी के बीज, पालक, ब्रोकोली, पनीर, शकरकंद, जई, दूध और केले को शामिल करें। इसके अलावा आप बायोटिन सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। लेकिन सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें, अपनी मर्जी से कोई भी बायोटिन सप्लीमेंट न लें। 5. फोलिक एसिड (Folic Acid) गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के बालों में आने वाली चमक फोलिक एसिड की वजह से ही होती है। फोलिक एसिड स्वस्थ कोशिकाओं को बढ़ाता है, जो आपके अंदर बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, प्रेगनेंसी के दौरान आमतौर पर इसकी मात्रा अधिक होती है। फोलिक एसिड की वजह से ही गर्भवती महिला के बाल चमकदार और स्वस्थ्य दिखते हैं। फोलिक एसिड आरबीसी (RBC) को बनाने में भी मदद करता है, जो बालों के जड़ तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है। उनके बिना बालों के जड़ केराटिन को नहीं बना सकते हैं। केराटिन बालों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। फोलिक एसिड को लेने से या उसकी मात्रा बढ़ाने से बालों के विकास को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही यह आपके बालों को समय से पहले सफेद होने से भी रोकता है। आयरन की तरह ही अपने फोलिक एसिड के स्तर को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका खाना है। इसके लिए आप चना, राजमा, मसूर दाल, मूंग दाल, फली, तिल और चुकंदर खा सकते हैं। लेकिन अगर आपको कोई सप्लीमेंट्स लेने हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें।
2021/12/04 08:11:56
https://www.idiva.com/hindi/beauty/hair/research-claims-that-the-deficiency-of-these-5-vitamins-causes-hair-fall-in-hindi/18025332
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उत्तर बस्तर कोरोना से मृत व्यक्ति, जिस गांव का निवासी उसी गांव में होगा अंतिम संस्कार समाज प्रमुखो का फैसला - IMNB उत्तर बस्तर कांकेर 01 सितम्बर 2020ः- नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका अंतिम संस्कार उसी गांव में किया जाएगा, जिस गांव का वह रहने वाला होगा। इस संबंध में आज यहां विधायक श्री षिषुपाल शोरी, अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री नितिन पोटाई, बस्तर विकास प्राधिकरण के सदस्य श्री बिरेष ठाकुर, पूर्व सांसद श्री सोहन पोटाई, नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्री जितेन्द्र ठाकुर, कलेक्टर श्री के.एल. चौहान और पुलिस अधीक्षक श्री एम.आर. अहिरे की उपस्थिति में गोंड, हल्बा, कलार, साहू, यादव, पटेल (मरार), ब्राहम्ण, सेन, महार, गांड़ा, मुस्लिम, देवांगन, राजपूत, सतनामी इत्यादि सर्व समाज प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु कोरोना से होती है, तो उसका अंतिम संस्कार उसके गांव में ही उसके रीति रिवाज एवं परंपरा के अनुसार जिला प्रषासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की देखरेख में नोवल कोरोना वायरस के लिए जारी प्रोटोकॉल के अनुसार किया जाएगा। कोविड-19 से मृत व्यक्ति के दाह संस्कार हेतु जिले के समस्त ग्रामों में ग्रामसभा के द्वारा जगह का चिन्हांकन किया जाएगा। मुस्लिम समाज के किसी व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु होने पर उसका अंतिम संस्कार अपने रीति रिवाज के अनुसार कांकेर के मुस्लिम क्रबिस्तान में करने की सहमति प्रदान की गई है। कांकेर शहर के किसी व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु होने पर मुक्तिधाम के पास दूध नदी के किनारे उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सर्व समाज प्रमुखों की बैठक में सुमेर सिंग नाग, रोमनाथ जैन, महेष जैन, गिरवर साहू, ओमप्रकाष साहू, महेन्द्र यादव, नरोत्तम पटेल, अरूण कौषिक, दिनेष सेन, प्रदीप कुमार कुलदीप, पप्पू मरकाम, मकबूल खान, गफ्फार मेमन, शादाब खान, अमजद वारसी, एस.एस. अली, आसकरण देवांगन, रूपेष्वर सिंह ठाकुर, बी.आर. नायक, अमृत लाल मौर्य, गंगाराम बघेल सहित समाज प्रमुख अन्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। समाज प्रमुखों एवं प्रषासन की अपील जिले के सर्व समाज के प्रमुखों ने नोवल कोरोना वायरस से मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार हेतु अपने-अपने समाज के लोगों से अपील किया है कि वे अपने गांव में ही नोवल कोरोना से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार अपनी रीति रिवाज एवं परंपरा के अनुसार करें तथा इस दौरान पूरी सावधानी बरतें। जिला प्रषासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की देखरेख में अंतिम संस्कार किया जावे। कलेक्टर श्री के.एल. चौहान ने भी सभी समाज के लोगों से अनुरोध किया है कि समाज प्रमुखों के द्वारा लिए गये निर्णयानुसार अपने गांव में ही कोरोना से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जावे Tagged in उत्तर बस्तर कोरोना से मृत व्यक्ति, जिस गांव का निवासी उसी गांव में होगा अंतिम संस्कार समाज प्रमुखो का फैसला Prevसंसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा बृजमोहन अग्रवाल को जीएसटी कानून असफल होने पर याद आई संघीय ढांचे की बात Nextराजधानी में होगा अब एपेडिमिक एक्ट के तहत मामला दर्ज दो ब्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज सुन्दर नगर और चंगोरा भाठा के रहवासी है प्रभावित पहचान छुपाना पड़ा महंगा
2020/10/30 13:11:02
https://imnb.org/%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4/
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Mirch ka halwa recipe in Hindi - मिर्च का हलवा,Mirch ka halwa ki vidhi - Ritu Gupta | BetterButter.in मिर्च का हलवा मिर्च का हलवा | Mirch ka halwa Recipe in Hindi द्वारा Ritu Gupta | 24th Apr 2017 | मिर्च का हलवाRitu Gupta About Mirch ka halwa Recipe in Hindi आज हम बहुत ही आसान और साधारण सा व्यंजन बनाएंगे जिसे सभी उम्र के लोगों के द्वारा पसंद किया जाता है। मिर्च का हलवा बहुत ही स्वादिष्ट और लाजवाब व्यंजन है जो पुरे भारत में काफी लोकप्रिय है। मिर्च का हलवा एक ऐसी डिश है नाम सुनते ही सबके मुँह में पानी आ जाता है । इस लज़्ज़तदार मिर्च का हलवा को आप किसी भी पार्टी या विशेष अवसर पर बना सकते हैं । झटपट से बनने वाली इस रेसिपी की तैयारी में सिर्फ 30 मिनट का समय लगता है और अच्छी तरह से पकाने में 15 मिनट का समय लगता है। बेटर बटर के मिर्च का हलवा इन हिंदी में आपको इसे बनाने की विधि हिंदी में मिलेगी जिसकी सहायता से आप बड़े ही आसानी से ढाबा स्टाइल मिर्च का हलवा बना सकते हैं। Ritu Gupta द्वारा लिखी गयी इस रेसिपी में आपको इसे बनाने की क्रमशः विधि मिलेगी जो 4 लोगो को सर्वे करने के लिए पर्याप्त है। तो इंतज़ार किस बात का है जल्दी से ये आसान सी रेसिपी देखिये और घर पर मिर्च का हलवा बना कर सबका दिल जीत लीजिये। मिर्च का हलवा recipe मिर्च का हलवा बनाने की सामग्री ( Mirch ka halwa Recipe Banane Ki Samagri Hindi Me ) मोटी हरी मिर्च 9-10(250 ग्राम) 3 चम्मच फिटकरी का चूरा 3 छोटे चम्मच सूजी 1 छोटा कप दूध 1 कप कटा हुआ ड्राई फ्रूट - जैसे बादाम , काजू , मगज (खरबूजे के बीज ) , सूरजमुखी के बीज , पिस्ता , खसखस मिर्च का हलवा बनाने की विधि ( Mirch ka halwa Recipe Banane Ki Vidhi Hindi Me ) मिर्च को काट कर बीज अलग कर दे। अब गर्म पानी में 1 चम्मच फिटकरी डालकर मिर्च को अच्छे से उबाल ले और फिर छान लें। फिर से ऐसे ही उबाले, फिटकरी के गर्म पानी से और फिर छान लें। फिर से फिटकरी वाले गर्म पानी से उबाल ले। मतलब ये हमे तीन बार करना है,ऐसा करने से मिर्ची का तीखा पन खत्म जो जायेगा। अब इसका मिक्सर में डालकर पेस्ट बना ले। अब एक कड़ाई ले उसमे आधा घी गर्म करें, और मिर्ची का पेस्ट भून लें। अब एक और पैन ले, बाकी का आधा घी डाल कर बेसन और सूजी को अच्छे से भून लें। इसमें नारियल का बुरादा और ड्राई फ्रूट्स डाल कर भून लें अब इसमें मिर्ची का भुना हुआ पेस्ट डाल कर अच्छे से मिला ले,और इसमें दूध और पानी डालें, एक तेज उबाल दिलवाये। चीनी डालकर अच्छे से भून लें, जब तक वो कड़ाई में अच्छे से घूमने न लग जाये। गर्म गर्म खाएं । इस हलवे में सिर्फ सुजी या सिर्फ बेसन का प्रयोग भी कर सकते है... ड्राई फ्रूट्स अपने स्वदानुसार बदल सकते है..
2018/06/22 07:44:21
http://www.betterbutter.in/hi/recipe/32445/mirch-ka-halwa-in-hindi
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Anupamaa Upcoming Twist: शुरु होगी Anupamaa की डांस एकेडमी, चली जाएगी काव्या और वनराज की नौकरी - Khabar Non Stop Home Entertainment Anupamaa Upcoming Twist: शुरु होगी Anupamaa की डांस एकेडमी, चली जाएगी काव्या... Anupamaa Upcoming Twist: शुरु होगी Anupamaa की डांस एकेडमी, चली जाएगी काव्या और वनराज की नौकरी रूपाली गांगुली के टीवी सीरियल 'Anupamaa' में आए दिन खूब ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं। पिछले एपिसोड में शाह परिवार ने मिलकर समर के जन्मदिन के लिए खूब तैयारियां की थी। इस पार्टी में अपनी मौजूदगी से काव्या ने हर किसी का मूड ऑफ कर दिया। काव्या ने ना सिर्फ इस पार्टी की सजावट का मजाक उड़ाया बल्कि उसने वनराज को भी खूब ताना मारा। Anupamaa का अपकमिंग एपिसोड (Anupamaa Upcoming Episode) तो और भी धमाकेदार होने वाला है। काव्या (Madalsha Sharma) ऑफिस की मीटिंग से पहले Anupamaa को खूब नीचा दिखाएगी। काव्या का मानना है कि Anupamaa बारहवीं पास है और इस वजह से वो उसके सामने कुछ भी नहीं है। जैसे ही काव्या को पता चलेगा कि Anupamaa (Rupali Ganguly) ने वनराज को उसके कैफे के लिए आइडिया दिया है तो उसके होश उड़ जाएंगे। काव्या Anupamaa की बेज्जती करने का एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देगी। इसी एपिसोड में काव्या को बड़ा झटका भी लगने वाला है। जी हां काव्या का बॉस मीटिंग के बाद उसकी खूब धज्जियां उड़ाएगा। किंजल के सामने ही बॉस काव्या से कह देगा कि वो भी अपने पति की तरह ही घर बैठे। दूसरी ओर वनराज की नई नौकरी भी दांव पर लग जाएगी। वनराज (Sudhanshu Pandey) का दोस्त उसे ये बुरी खबर सुनाएगा और उससे कहेगा कि कैफे को किसी भी हालत में बंद ही करना होगा। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में ना तो काव्या के पास नौकरी होगी और ना ही वनराज के पास….ऐसे में ये सवाल आपके मन में जरूर उठेगा कि आखिर शाह हाउस का सारा खर्चा कैसे निकलेगा। आपको बता दें कि सारा खर्चा Anupamaa उठाएगी। जी हां Anupamaa के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि Anupamaa की डांस एकेडमी आखिरकार खुल जाएगी। डांस एकेडमी को खोलने का सपना Anupamaa ने देखा था लेकिन पहले वनराज उसकी बातों को हवा में उड़ा देता था और उसके सपनों का मजाक उड़ाता था। अब Anupamaa ना सिर्फ पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी बल्कि अबसे अपना घर भी चलाएगी। फिलहाल के लिए कमेंटबॉक्स में बताइए कि आप Anupamaa का अगला एपिसोड देखने के लिए कितने एक्साइटेड हैं? Previous articleHappy Birthday Ranveer Singh अभिनेता की 5 बेहतरीन फिल्में जिन्होंने उन्हें सुपरस्टार बना दिया Next articleKangana Ranaut ने 'बॉली बिम्बो' स्टाइल में पोस्ट कीं तस्वीरें, फिर कहा- मेरे आत्म-सम्मान पर पर गहरी चोट…
2021/08/04 02:20:57
https://khabarnonstop.com/vanraj-and-kavya-will-lose-their-jobs-anupamaas-dance-academy-will-open/
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Baddi Diarrhea Death: Two children died due to diarrhea in Baddi Himachal Pradesh 40 ill Baddi Diarrhea Death: हिमाचल के बद्दी में डायरिया फैलने से दो बच्चों की मौत, 40 बीमार Updated: | Thu, 12 Sep 2019 12:23 AM (IST) दूषित पानी पीने से फैला डायरिया, ज्यादातर पीड़ित उत्तर प्रदेश के रहवासी। बद्दी। हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में डायरिया फैलने से दो बच्चियों की मौत हो गई। वहीं इसकी चपेट में आए करीब 40 लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। दूषित पानी पीने से फैली बीमारी के शिकार अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश के बदायूं और बरेली जिले के रहने वाले हैं। सभी पीड़ित हिमाचल व हरियाणा राज्य की सीमा से सटे क्षेत्र शाहपुर गांव में बनी झुग्गियों में रहते हैं। हिमाचल व हरियाणा दोनों राज्यों के स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर इलाके के जलस्रोतों की जांच शुरू कर दी है। मरीजों को उपचार के लिए बद्दी, नालागढ़, कालका व चंडीगढ़ ले जाया गया है। इस गांव में करीब 200 झोपड़ियों में बरेली व बदायूं जिले के लोग कई वर्षों से रह रहे हैं। बीमार होने वाले सभी लोग हिमाचल के जिला सोलन स्थित बद्दी औद्योगिक क्षेत्र में काम करते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि शाहपुर में एक साथ कई लोग उल्टी व दस्त की चपेट में आ गए हैं। यह दूषित पानी पीने से हुआ है। लोग जमीन से निकल रहे जल स्रोत से पानी पी रहे थे। मरने वालों में नौ साल की भावना पुत्री खिदयाल और ढाई साल की ललिता पुत्री तिलक शामिल हैं। दोनों गांव बारी खेड़ा, आंवला, जिला बरेली, उत्तर प्रदेश की रहने वाली थीं। रोग दूषित पानी से फैला है। यह क्षेत्र हरियाणा में आता है, इसलिए बद्दी व नालागढ़ से भी चिकित्सकों की टीमें मौके पर भेजी हैं। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गगन को मौके पर तैनात कर दिया गया है। जो भी वहां पर दवाई व सहायता की जरूरत पड़ती है, वह हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाया जा रहा है। हरियाणा के खंड चिकित्सा अधिकारी भी टीम के साथ मौके पर हैं। क्षेत्र में क्लोरीन की गोलियां बांट दी गई हैं। जो लोग इसकी चपेट में हैं, उन्हें चिकित्सालयों में भिजवा दिया गया है। -एनके गुप्ता, सीएमओ, सोलन। #Baddi Diarrhea Death #baddi industrial area #Two children died in baddi #Himachal Pradesh Diarrhea Raipur Crine : 5 साल की मासूम का अपरहण करते धराया प्रेमी जोड़ा, 10 साल पहले भी की थी ऐसी वारदात MS धोनी के रिटायरमेंट पर अमित शाह, नितिन गडकरी, हेमंत सोरेन, स्‍मृति ईरानी सहित कई नेताओं ने दी यह प्रतिक्रिया
2020/08/15 17:38:48
https://www.naidunia.com/national-baddi-diarrhea-death-two-children-died-due-to-diarrhea-in-baddi-himachal-pradesh-40-ill-3144107
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स्पेयर पार्ट्स और डिवाइस कार के लिए बैटरी कैसे चुनें चूंकि बैटरी को कार का दिल कहा जा सकता है, इसलिए इसे समय पर ढंग से बदलना आवश्यक है, लेकिन अब सवाल यह है कि कार के लिए बैटरी कैसे चुनें, जो किसी भी तापमान की स्थिति में इसके सामान्य संचालन को सुनिश्चित करेगा। वर्तमान बाजार में निम्न समूहों की बैटरी शामिल हैं: 1. बनाए रखने योग्य 2. अप्राप्य 3. कम रखरखाव जो लोग कई वर्षों तक कार के लिए बैटरी चुनना चाहते हैं, उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प एक रख-रखाव कहा जा सकता है, लेकिन इस प्रकार की बैटरी धीरे-धीरे बाजार से गायब हो जाती है। हालांकि, आधुनिक मोटर चालक तेजी से इसकी कमियों को इंगित करते हैं, जिनमें से निम्न हैं: शरीर की कम ताकत, कम व्यावहारिकता के साथ उच्च टिप 1: कार रेडियो कैसे कनेक्ट करें रिसीवर एकल-ब्लॉक और डबल-ब्लॉक (1 डीआईएन और 2 डीआईएन) हैं। यूरोपीय 1DIN के आकार की पेशकश करते हैं, और जापानी, कोरियाई और अमेरिकी 2DIN। यदि पहले, कार स्टीरियो को जोड़ने के लिए, आप बस प्लग से तारों को काटते हैं, उन्हें रंग और फिर से आगे करके रेडियो टेप रिकॉर्डर में डालते हैं, तो हम आपको सलाह देते हैं कि इस विधि को भूल जाएं, फिर भी यह बहुत अविश्वसनीय है और सौंदर्यवादी रूप से प्रसन्न नहीं है। मानक रूप से दो प्लग हैं: ध्वनिकी पर भूरा - ध्वनि आउटपुट, और रेडियो टेप रिकॉर्डर और अन्य विकल्पों के लिए काले रंग की बिजली की आपूर्ति। कई महत्वपूर्ण कारक: पावर को एक अलग वायरिंग (यदि प्रदान नहीं किया गया है) के 2019 में कार रेडियो कैसे निकालें हर साल, मोटर वाहन वक्ताओं और टेप रिकॉर्डर के निर्माता अपने उत्पादों में फैशनेबल "चिप्स" पेश करते हैं। और उपभोक्ता हमेशा कुछ नया चाहते हैं, कुछ डिज़ाइन में बदलाव करते हैं या विभिन्न कार्यों के साथ अपनी कार में स्टीरियो सिस्टम में सुधार करते हैं। इसलिए, हम में से कई ऑडियो सिस्टम के एक नए मॉडल के लिए स्टोर पर जाते हैं। लेकिन इससे पहले, आपको यह सोचने की ज़रूरत है कि पुरानी कार रेडियो को कैसे निकालना है और कार के आवरण या विद्युत तारों को नुकसान नहीं पहुंचाना है। और उच्च-गुणवत्ता वाले ध्वनि के प्रत्येक प्रेमी को एक विकल्प का सामना करना पड़ता है: पेशेवरों की मदद के लिए, अर्थात सेवा केंद्र मे तेल का चयन कैसे करें समय पर तेल परिवर्तन एक बिल्कुल आवश्यक ऑपरेशन है, जो कार इंजन के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कुंजी है। यह उन वाहनों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनके लिए वारंटी अवधि पहले ही समाप्त हो गई है, क्योंकि वारंटी मशीन में निर्माता की सिफारिशों के अनुसार तेल को सर्विस स्टेशन पर बदल दिया जाएगा। तीन मुख्य प्रकार हैं, जिनमें से आपको तेल चुनना होगा: खनिज तेल पेट्रोलियम उत्पादों से बनाया जाता है। ऐसे तेलों की कई किस्में हैं, जिनमें से कारों का उपयोग एक नियम के रूप में किया जाता है, पैराफिन। खनिज तेलों की एक विशिष्ट विशेषता आवश्यक गुणों का अपेक्षाकृत तेजी से नुकसान है। इसके अलावा, तेल में बहुत अधिक सल्फर ह टिप 1: अलार्म को निष्क्रिय कैसे करें प्रिय मोटरकार बहुत कुछ जानते हैं कि एक सीधा व्यक्ति क्या अनुमान लगाता है। उदाहरण के लिए, हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में अलार्म सिस्टम के बिना एक कार अब आपकी कार नहीं है, या जल्द ही आपकी कार नहीं है। हालांकि, हर कोई नहीं जानता कि यदि अलार्म एक गड़बड़ देता है, तो आप कार शुरू नहीं करेंगे। और ऐसा होता है, विशेष रूप से गंभीर ठंढों और जंगली गर्मी में। इस स्थिति से निपटने में सक्षम होने के लिए, आपको निम्न कार्य करने की आवश्यकता है। आपको अलार्म को अक्षम करने की संभावना के बारे में सीखना चाहिए। अलार्म नियंत्रण पैनल को निष्क्रिय करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है और यह मोटर चालक के लिए एक बड़ा आश्चर नेविगेटर को सही तरीके से कैसे स्थापित किया जाए कार नेविगेटर एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी उपकरण है जो एक अनुभवी ड्राइवर और युवा कार उत्साही दोनों के लिए उपयोगी है, जिन्होंने हाल ही में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया है। एक अच्छा नेविगेटर न केवल सबसे कम और सबसे सुविधाजनक पथ को निर्धारित करने में मदद करता है, बल्कि आवागमन के सबसे सुरक्षित मार्गों को चुनने के लिए ट्रैफिक जाम के आसपास भी जाता है। नेविगेटर स्थापित करें एक तस्वीर है। इसके लिए किसी विशिष्ट कौशल या ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है। इस बीच, कार नाविकों की स्थापना में एक अति सूक्ष्म अंतर है: यह इस उपकरण की जटिलता और मूल्य श्रेणी पर निर्भर करता है। नेविगेटर को सही तरीके से कैसे स्थापि अलार्म: इसे खुद कैसे स्थापित करें आजकल, हर कार को सचमुच अलार्म सिस्टम से लैस किया जाना चाहिए। यह विशेष रूप से नई कारों के मालिकों के लिए सच है, जो परंपरागत रूप से कार चोरों से बढ़ी हुई ब्याज का कारण बनते हैं। आज बाजार में विभिन्न किस्मों ने विभिन्न प्रकार का प्रतिनिधित्व किया है, और उनमें से लगभग सभी को सहायता के बिना जोड़ा जा सकता है। अलार्म को सही तरीके से कैसे सेट करें: कदम से कदम निर्देश। तकनीकी दृष्टिकोण से, अपनी कार को अलार्म से लैस करना इतना मुश्किल नहीं है। ऐसा करने के लिए, आपको सबसे आम साधनों के एक सेट की आवश्यकता होगी, जिसमें एक ड्रिल और कई ड्रिल शामिल हैं। अलार्म को स्वयं सेट करने के लिए, सबसे पहले आपको कार के दरवाजे रेडियो को सही तरीके से कैसे सेट करें अधिकांश कार स्टीरियो के डिजाइन में समान विशेषताएं हैं। इसलिए, जब वे जुड़े होते हैं, तो आप ब्रांड पर कोई ध्यान नहीं दे सकते। हालांकि, रिकॉर्डर की स्थापना में कई विशेषताएं हैं। मुख्य बात - डंडे को भ्रमित न करें किसी भी रेडियो की स्थापना में एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु - डंडे का सही कनेक्शन। यदि आप कार के सिगरेट लाइटर के प्लस के साथ प्लस रेडियो को कनेक्ट करते हैं, और इसके माइनस को - सिगरेट लाइटर बैकलाइट के प्लस के साथ, तो डायमेंशन ऑफ के साथ, रेडियो काम करेगा। हालांकि, हर बार साइड लाइट चालू होने पर, सिगरेट लाइटर बैकलाइट पर 12V करंट बनेगा। इसी समय, या तो आपकी कार स्टीरियो "बंद" होगा, या आकार कार डीवीआर का चयन कैसे करें अब सड़कों पर, मुख्य समस्या परिवहन का एक गंभीर निरीक्षण है, साथ ही प्रमुख राजमार्गों पर भारी यातायात है, इसलिए कई मोटर चालक अपनी कार पर एक वीडियो रिकॉर्डर स्थापित करने के लिए मजबूर हैं। किसी दुर्घटना को रोकने या ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के साथ संघर्ष होने पर स्थिति को जल्दी से स्पष्ट करने में मदद मिलेगी। डीवीआर न केवल कार के सामने, बल्कि इसके आसपास, साथ ही साथ केबिन में भी स्थिति को रिकॉर्ड कर सकता है। यह सब कैमरों की संख्या पर निर्भर करता है। तो कार डीवीआर कैसे चुनें? वे पूरी तरह से अलग हो सकते हैं, और अक्सर बहुत सारे मापदंडों में एक दूसरे से भिन्न होते हैं। विभिन्न प्रकार के भंडारण मीडिया, विभिन् कार पर पहियों का चयन कैसे करें उच्च-गुणवत्ता वाली सर्दियों और गर्मियों में कार के टायर - आराम, सुरक्षा और तर्कसंगत ईंधन की खपत, साथ ही ट्रांसमिशन और कार के चेसिस के अन्य हिस्सों की स्थायित्व में वृद्धि। इसलिए, कार के लिए सही डिस्क चुनने का मतलब ऑपरेशन की पूरी अवधि के लिए उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डिस्क का चयन करते समय, याद रखें कि रिम की चौड़ाई टायर प्रोफ़ाइल की चौड़ाई से एक चौथाई (25%) कम होनी चाहिए। तो, 195/65 R15 टायर के लिए, रिम की चौड़ाई 7.68 इंच माइनस 25%, यानी 6 इंच होनी चाहिए। अगला, डिस्क का व्यास निर्धारित करें। आज, डिस्क के बढ़ते व्यास को बढ़ाने की प्रवृत्ति है: कारें, जिसके लिए मानक डिस्क 13 इंच है, को 14-इं कार पर अलार्म कैसे सेट करें एक कार पर अलार्म स्थापित करने के लिए, शुरू में उपकरण, उपकरण और उपभोग्य सामग्री तैयार करना आवश्यक है जो स्थापना प्रक्रिया के दौरान हमारे लिए उपयोगी होगा। यह विद्युत सर्किट में वोल्टेज और प्रतिरोध को मापने के लिए एक उपकरण है - एक मल्टीमीटर, साथ ही एक चाकू, इलेक्ट्रिक ड्रिल, सरौता, कैंची, दो अलग-अलग स्क्रू ड्रायर्स, एक टांका लगाने वाला लोहा, लगभग 30 मीटर की वायरिंग और इन्सुलेट टेप। और, ज़ाहिर है, अलार्म ही। मशीन पर अलार्म स्थापित करने से पहले, पावर सर्किट से बैटरी को पहले डिस्कनेक्ट करें। सबसे पहले आपको केबिन के अंदर एक जगह चुनने की ज़रूरत है जिसमें नियंत्रण इकाई स्थापित की जाएगी। इस स्थान को चुनन 2019 में इंजन कैसे चुनें इंजन - कार की मुख्य इकाई। इसका प्रकार और शक्ति मुख्य रूप से वाहन के प्रदर्शन, गति, ईंधन की खपत और अन्य मापदंडों के कारण है। ईंधन के प्रकार से इंजन का चयन कैसे करें खपत किए गए ईंधन के प्रकार के लिए सही इंजन चुनने के लिए, उन परिस्थितियों को ध्यान में रखना आवश्यक है जिनमें कार का मुख्य रूप से उपयोग किया जाएगा। अधिकांश यात्री कार निर्माता गैसोलीन इंजन से लैस होते हैं। इसी समय, गैसोलीन की कीमतों में गतिशील वृद्धि वाहनों के संचालन को और अधिक महंगा बनाती है। अधिकांश गैसोलीन इंजनों को एक अलग प्रकार के ईंधन - गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। डीजल इंजन उच्च शक्ति की विशेषता है, इसलिए अधिक बार वे कार्गो रेडियो को डीकोड कैसे करें रिसीवर, बिल्ट-इन सबसे आधुनिक कारों में एक एन्कोडिंग है जो हैकिंग से बचाता है। कार नेटवर्क कम से कम 10 मिनट के लिए डी-एनर्जेट होने के बाद, या टर्मिनल गलती से बंद हो गया है, आपका रेडियो आपको चार अंकों का कोड दर्ज करने के लिए कहेगा। बेशक, नई कार खरीदते समय, आपको एक कोड कार्ड दिया जाएगा। यदि कार्ड खो गया है, या वहाँ कोई भी नहीं था तो क्या करें? अनुदेश 1 यह विकल्प सरल और महंगा है: हम डीलर के पास आते हैं, वह हमें कोड बताता है। एक और बात यह है कि वह मुफ्त में ऐसा नहीं करेगा। इसके अलावा, रेडियो को हटाने और स्थापना के लिए भी भुगतान करना होगा। औसत विदेशी कारों के लिए इस तरह के ऑपरेशन की लागत 3000 रूबल से कार में एम्पलीफायर कैसे कनेक्ट करें यदि आपकी कार स्टीरियो की आवाज़ कानों की सरसराहट को बाहर निकालती है, तो ध्वनि को बढ़ाने के बारे में सोचने का समय है। किसी भी शक्ति एम्पलीफायर का चयन करें , और इसे स्थापित करने के लिए हमारे सुझावों का उपयोग करें। आपको आवश्यकता होगी - कार ऑडियो एम्पलीफायर - तारों की स्थापना किट - ड्रिल या पेचकश - पेचकश - साइड कटर - इन्सुलेट टेप - परीक्षक या डायल अनुदेश 1 ट्रंक में एम्पलीफायर के लिए एक जगह चुनें। यदि ट्रंक छोटा है, तो आप पीछे की सीट के पीछे एम्पलीफायर संलग्न कर सकते हैं। आप पीठ में एक विशेष आला काट सकते हैं, इसे एक कपड़े से ढक सकते हैं और आत्म-टैपिंग शिकंजा के साथ पीठ पर एक एम्पलीफायर संलग्न कर सकत अलार्म को कैसे अनलॉक करें आपातकालीन स्थिति में क्या करें जब कार अलार्म रिमोट का जवाब नहीं देता है। दोष और अलार्म को अक्षम करने के लिए सभी प्रकार के दोषों का स्वयं-निदान करना। आपको आवश्यकता होगी अलार्म उपयोगकर्ता पुस्तिका दो रिमोट अलार्म अनुदेश 1 ऐसा हो सकता है कि रिमोट कंट्रोल से कार को निष्क्रिय करने के आपके प्रयासों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। सायरन "क्रोक" नहीं करता है, ब्लिंकर पलक नहीं करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दरवाजे के ताले नहीं खुलेंगे। इस प्रतिक्रिया के कारण, अधिक सटीक रूप से, इसकी अनुपस्थिति कई हो सकती है: 1. रिमोट में बैटरी फेल हो गई है या रिमोट ख़राब है। 2. संचार में व्यवधान 3. कार सर्दियों में, मोटर चालक टायर बदलते हैं। सर्दियों के टायर को स्थापित करना एक सनकी नहीं है, बल्कि एक आवश्यकता है। उचित रूप से चयनित शीतकालीन टायर - सड़क पर सुरक्षा की प्रतिज्ञा। हालांकि, शीतकालीन टायर के कई मॉडल हैं। आपकी कार के लिए कौन सा सही है, कई कारकों पर निर्भर करता है जिन्हें चुनने पर विचार किया जाना चाहिए। अनुदेश 1 सर्दियों में, आप गर्मियों के टायर पर सवारी करना जारी नहीं रख सकते क्योंकि यह सर्दियों की तुलना में थोड़ा अलग सामग्री से बना है। गर्मियों के टायर कठिन होते हैं, इसके अलावा, वे ठंड में और भी अधिक कठोर हो जाते हैं। इसलिए, देर से शरद ऋतु में, उन्हें अगली गर्मियों तक छुट्टी पर भेजा 2019 में VAZ पर अलार्म कैसे सेट करें VAZ पर अलार्म स्थापित करने की सभी बारीकियों - चरण-दर-चरण कनेक्शन अनुक्रम, तारों के रंग, अवरुद्ध करना, वैलेट बटन का अर्थ। इलेक्ट्रिक ड्राइव, सीमा स्विच, सायरन को जोड़ना। आपको आवश्यकता होगी पेंचकस चिमटा साइड कटर रिंच सेट ड्रिल और ड्रिल बिट सेट डायल या टेस्टर तार बिजली का टेप अनुदेश 1 स्वयं-स्थापना में पहला कदम एलईडी को स्थापित करना है, जो अलार्म किट के साथ आता है। एलईडी कांच के करीब दिखाई देने वाली जगह में टारपीडो पर लगाई जाती है। टारपीडो के नीचे अलार्म यूनिट के लिए एक सुविधाजनक छिपी हुई जगह का पता लगाएं: दाएं, बाएं या मध्य कार के मॉडल पर निर्भर करता है। 2 टर्न सिग्नल, इग्निशन, + 12 वी, डोर स्विच निष्क्रिय को कैसे समायोजित करें निष्क्रिय प्रणाली को कम इंजन की गति पर एक दहनशील मिश्रण तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइडलिंग की उचित स्थापना, निकास गैसों में सीओ सामग्री को कम करें और अपने इंजन का विश्वसनीय संचालन सुनिश्चित करें। अनुदेश 1 घरेलू VAZ कारों के उदाहरण पर इंजन को समायोजित करने का तरीका पढ़ें: मोटर को 70-80 डिग्री तक गर्म करें। ऐसा करने के लिए, आपको 5-7 किमी ड्राइव करने की आवश्यकता है, क्योंकि जब पिघलता है, तो तेल पर्याप्त गर्मी नहीं करेगा। 2 कार्बोरेटर क्षेत्र में एक कम गति के पेंच का पता लगाएँ, जिसे "मात्रा पेंच" कहा जाता है। इसके आगे एक "गुणवत्ता पेंच" है, अर्थात्। सुई जो ईंधन के प् कार स्टीरियो कैसे स्थापित करें वर्तमान में, एक अच्छी ऑडियो और वीडियो प्रणाली के बिना एक नई कार की कल्पना करना असंभव है। आखिरकार, प्रत्येक मोटर चालक के लिए बहुत महत्व है कि कार में किस तरह की ध्वनि होगी, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सुनने और देखने के दौरान क्या गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है। यही कारण है कि आप एक निश्चित राशि की बचत करते हुए, कार स्टीरियो को स्वयं स्थापित करना चाहते हैं। अनुदेश 1 किसी भी कार रेडियो में बिजली का मुख्य स्रोत एक आधुनिक बैटरी है। यह कार रेडियो और इसके सभी स्पीकरों की ध्वनि की गुणवत्ता के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण खतरा है, खासकर अगर ऑडियो सिस्टम का "+" टर्मिनल "-" पावर टर्मिनल, य रबर कैसे चुनें प्रत्येक शरद ऋतु और वसंत में, कई कार मालिकों को एक टायर चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। अपनी कार के टायरों को सही ढंग से चुनने के लिए, वर्ष के किस समय तक आपको टायरों की आवश्यकता है, किस तरह की कार आपके पास है, इसके लिए आपको ऑपरेटिंग परिस्थितियों का भी ध्यान रखना चाहिए। अनुदेश 1 ध्यान देने की मुख्य बात शोषण का मौसम है। सर्दियों और गर्मियों के टायर कठोरता, चलने के पैटर्न और गुणवत्ता से अलग होते हैं। ग्रीष्मकालीन टायर की तुलना में सर्दियों के टायर बहुत नरम होते हैं, और गर्मियों में इसका संचालन बहुत तेजी से होगा। सर्दियों के समय में गर्मी के टायर भी कठिन हो जाते हैं और सड़क की सतह के साथ इस
2019/06/26 08:01:15
https://hin.online-car-show.com/zapchasti-i-aksessuari/
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PM modi launched government jobs portal on July 11 registration of over 69 lakh individuals in just 40 days - नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को लॉंच किया था जॉब पोर्टल, 69 लाख रजिस्ट्रेशन, 7700 को मिला काम - Jansatta कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु सहित कई राज्यों के आंकड़ों से पता चलता है कि श्रमिकों की भारी कमी है। लिज़ मैथ्यू, Harikishan Sharma Translated By Ikram नई दिल्ली | Updated: August 24, 2020 9:17 AM प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को एक सरकारी जॉब पोर्टल लॉन्च किया था, जिस पर महज चालीस दिन के भीतर 69 लाख से अधिक व्यक्तिगत रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। हालांकि रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों में से एक छोटी संख्या में ही लोगों को नौकरी मिल सकी है। पता चला है कि 14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच सिर्फ एक सप्ताह में सात लाख से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इस सप्ताह के दौरान नौकरी पाने वाले लोगों की संख्या महज 691 रही। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक इसके ASEEM पोर्टल पर नौकरियों की तलाश कर रहे 3.7 लाख उम्मीदवारों में से सिर्फ दो फीसदी को रोजगार मिल सका है। इसके अलावा रजिस्टर्ड होने वाले 69 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 1.49 को रोजगार की पेशकश की गई थी। हालांकि सिर्फ 7,700 लोगों रोजगार पा सके। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पोर्टल समय-समय पर विभिन्न क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की सहायता करने के लिए था। जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया वो सिर्फ प्रवासी मजदूर नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'इसमें दर्जी, इलेक्ट्रीशियन, फील्ड तकनीशियन, सिलाई मशीन ऑपरेटर और मिस्त्री क्षेत्र में रोजगार पाने वाले उम्मीदवार लिस्ट में टॉप पर है। इसके अलावा कुरियर डिलीवरी, नर्स, मैनुअल क्लीनर और ब्रिकी सहयोगियों के लिए भी मांग अधिक है।' कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु सहित कई राज्यों के आंकड़ों से पता चलता है कि श्रमिकों की भारी कमी है। कोरोना और लॉकडाउन के दौरान इन राज्यों में भारी संख्या में प्रवासियों मजदूरों का पलायन हुआ, जिनमें सबसे अधिक मजदूर यूपी और बिहार के थे। आंकड़ों से पता चलता है कि रोजगार की मांग करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में एक सप्ताह के भीतर अस्सी फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यानी 14-21 अगस्त के बीच संख्या 2.97 लाख से बढ़कर 3.78 लाख के आंकड़े पर पहुंच गई। मगर इस दौरान नौकरी पाने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 9.87 फीसदी रही यानी 7,009 से 7,700 लोगों को रोगमार मिल सका। 2 कोविड-19 का असर: रेलवे ने पांच महीने में 1.78 करोड़ टिकट रद्द किए, पहली तिमाही में एक हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व घटा
2020/12/01 11:05:14
https://www.jansatta.com/national/pm-modi-launched-government-jobs-portal-on-july-11-registration-of-over-69-lakh-individuals-in-just-40-days/1503806/
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वर्तमान समय के हिसाब से समाज के अंदर व्याप्त कुरीतियों को दूर करना होगा: ताम्रध्वज साहू धमतरी । गृह, धर्मस्व.पर्यटन एवं लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बतौर मुख्य अतिथि शुक्रवार को तहसील साहू समाज भवन कुरुद में आयोजित युवक.युवती परिचय सम्मेलन एवं साहू संवाद पत्रिका विमोचन कार्यक्रम में शामिल होकर अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दी। तहसील साहू संघ कुरुद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में धमतरी के अलावा अन्य जिलो के भी सामाजिक बंधु शामिल हुए। उक्त सम्मेलन में कुल 615 विवाह योग्य युवक.युवतियों का पंजीयन किया गया था जिनमे 10 तलाकशुदा महिलाएं भी शामिल थी। जिसमे से करीब 150 की संख्या में युवक-युवतियों ने उपस्थित होकर मंच से अपना परिचय भी दिया। समारोह को संबोधित करते हुए गृह मंत्री श्री साहू ने कहा कि प्रदेश में यह समाज बहुसंख्यक है। इस समाज का संगठन काफी पुराना हैए जो भी सामाजिक नियमावली बनाते हैं उसे लागू भी होना चाहिए। वर्तमान समय के हिसाब से समाज के अंदर व्याप्त कुरीतियों को दूर करना होगा एवं रूढ़ीवादी परंपरा को तोड़ना व महिला संगठन को भी मजबूत बनाना होगा। उन्होंने समाज की एकता एवं संगठन की मजबूती के लिए लोगों को आगे आने का आव्हान किया। उन्होंने परिचय सम्मेलन में आये युवक युवतियों को अपनी शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने कहा कि जिनकी भी यहां जोड़ी बने वे खुशीपूर्वक अपना दांपत्य जीवन बिताएं। आप सभी समाज के लिये संगठित होकर कार्य करें जिससे देश भी मजबूत हो साथ ही समाज को नई दिशा देने के लिये हम सभी को सदैव प्रतिबद्ध रहना चाहिये। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश साहू संघ के अध्यक्ष अर्जुन हिरवानी ने समाज मे खान, पान, परिधान, स्वालम्बन, संस्कार एवं आपदा प्रबंधन पर अपने सारगर्भित उद्बोधन में समाज को जुड़कर रहने की बात कही। इसके अलावा उन्होंने बहुसंख्यक साहू समाज के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या प्रदेश में 52 प्रतिशत होकर आरक्षण केवल 14 प्रतिशत ही रहने से भावी पीढ़ी का भविष्य को अंधकार में होना बताया। उन्होंने मंच के माध्यम से प्रदेश सरकार से तेली बोर्ड का गठन करने ताकि साहू समाज अपने पारम्परिक व्यवसाय से जुड़कर स्वालम्बन की दिशा में आगे बढ़ सके एवं गौरक्षा एवं जैविक खेती के बढ़ावा हेतु प्रत्येक जिलों में कम से कम 5000 की संख्या में गौवंश के पालन हेतु गौ अभ्यारण बनाये जाने की मांग रखी। स्वागत उद्बोधन में तहसील साहू समाज के अध्यक्ष डॉ राधेश्याम साहू ने भविष्य में तहसील साहू समाज द्वारा आदर्श सामुहिक विवाह आयोजित किये जाने हेतु सहयोग करने एवं तहसील साहू समाज भवन कुरुद के प्रांगण को सीसीकरण के साथ स्थायी शेड निर्माण के लिए मुख्य अतिथि के समक्ष मांग पत्र रखा। कार्यक्रम को प्रदेश संरक्षक साहू समाज विपिन साहू, जिलाध्यक्ष दयाराम साहू, पूर्व विधायक द्वय डॉ चंद्रहास साहू एवं लेखराम साहू ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री एवं अन्य अतिथियों द्वारा साहू संवाद पत्रिका का विमोचन भी किया गया साथ ही मंचस्थ अतिथियों को तहसील साहू समाज द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन संरक्षक गणेशराम साहू व आभार प्रदर्शन नारायण सिंह साहू ने किया। इस अवसर पर प्रदेश संगठन साचिव मालक राम साहू, जिला उपाध्यक्ष मनीष साहू, तहसील संरक्षक नारायण सिंह साहू, गणेश राम साहू, सचिव लखन लाल साहू, कोषाध्यक्ष विश्वनाथ साहू, उपाध्यक्ष तोरण साहू, अंकेक्षक घनश्याम साहू, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मीकांता साहू, हेमंत साहू, जनपद अध्यक्ष पूर्णिमा साहू, न्याय समिति सदस्य पाल्हन राम, उमाशंकर साहू, प्रमोद साहू, पुर्णेन्द्र देव साहू, गौतम साहू, राधा साहू, शारदा देवी साहू, गायत्री साहू, लुकेश्वर साहू, ठाकुर राम, गौतम साहू, नेतराम साहू, तेजन लाल, भन्नू लाल साहू, कृष्णा साहू सहित तहसील साहू समाज कुरूद, परिक्षेत्र साहू समाज बानगर, मौरीखुर्द, चिंवरी, दबरा, भखारा, कोर्रा, बगौद एवं नगर साहू समाज कुरूद के पदाधिकारी एवं स्वजातीय बंधु बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
2020/09/27 06:48:45
https://www.mtinews.co.in/2019/11/blog-post_89.html
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शोक: धोनी के कोच ने कहा, सुशांत ने मुझसे हेलीकॉप्टर शॉट के लिए मदद मांगी थी | Sushant had asked me for help with helicopter shot: Dhoni's coach - Bhaskar Hindi Sushant had asked me for help with helicopter shot: Dhoni's coach सुशांत ने मुझसे हेलीकॉप्टर शॉट के लिए मदद मांगी थी : धोनी के कोच डिजिटल डेस्क, कोलकाता। भारत को दो बार विश्व विजेता बनाने वाले क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म में धोनी का किरदार निभाकर सुशांत सिंह राजपूत ने सभी की तारीफें बटोरी थीं। धोनी की फिल्म में धोनी जैसा बनने के लिए सुशांत ने काफी मेहनत की थी और इसके लिए वे धोनी के बचपन के कोच केशव बनर्जी के पास भी गए थे ताकि भारतीय कप्तान के बहुचर्चित हेलीकॉप्टर शॉट को लगाना सीख सकें। फिल्म में कई ऐसी चीजें थीं जो सुशांत ने धोनी की तरह ही की थीं और हेलीकॉप्टर शॉट उनमें से एक था। इस फिल्म में बनर्जी के रोल को अनुभवी अभिनेता राजेश शर्मा ने निभाया है।बनर्जी ने आईएएनएस से कहा सुशांत काफी अच्छे इंसान थे और उन्होंने फिल्म के लिए हेलीकॉप्टर शॉट तथा धोनी के तौर तरीके सीखने के लिए उनसे संपर्क किया था। बनर्जी ने कहा, वह बहुच अच्छे इंसान थे। वह बहुत अच्छे से पेश आते थे। आज मैंने समाचार चैनल पर देखा, मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं। उन्होंने कहा, मुझे याद है जब वह रांची में आए थे। हमने लंबी चर्चा की थी। मैं वहां था। माही के दोस्त वहां थे। वह हमेशा मुझसे कहते थे कि दादा, धोनी का हैलीकॉप्टर शॉट सिखा दो ना। उन्होंने कहा, वह मुझसे पूछते थे कि माही कैसे खेलता है, उसके चेहरे के हावभाव क्या होते हैं। वह काफी फोकस थे। एक तरफा समर्पण। इसलिए चीजें इतने अच्छे से हुईं। आप नहीं कह सकते कि वो धोनी नहीं है। आज मेरे पास सिर्फ यादें हैं। मैं गहरे सदमे में हूं। सुशांत (34) ने मुंबई स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनके घर में काम करने वालों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। सुशांत के निधन पर खेल जगत ने भी शोक व्यक्त किया है। कप्तान विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, रवि शास्त्री, अनिल कुंबले, महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, कुश्ती खिलाड़ी बजरंग पुनिया ने सुशांत को श्रद्धंजलि दी है।
2022/05/24 11:24:18
https://www.bhaskarhindi.com/sports/news/sushant-had-asked-me-for-help-with-helicopter-shot-dhonis-coach-136825
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सिंहावलोकन: पंडुक-पंडुक पंडुक, पंडुक से पंडुक-अंडा फिर पंडुक-बच्‍चा और फिर पंडुक-पंडुक। पिछली पोस्‍ट पंडुक का वाक्‍य है- ''अंडों में सांस ले रहे पंडुकों की करवट, का हाल परिशिष्ट बनाकर बाद में जोड़ा जा सकता है।'' उस पोस्‍ट पर उत्‍साहवर्धक टिप्‍पणियां भी मिलीं, जिनमें से एक, संजय जी की थी- ''गुडलक टु पेंडुकी परिवार।'' सुब्रह्मनि‍यन जी ने लिखा- ''अण्डों को सेने के बाद वाली स्थितियां अनुकूल रहें''। अभिषेक जी ने कहा- ''नये पंडुक आयें तो फिर तस्वीर पोस्ट कीजियेगा।'' आशा जोगलेकर जी ने भी इसी तरह की बात कही। अब अच्‍छी खबर है तो लगा, परिशिष्‍ट के बजाय पोस्‍ट क्‍यूं नहीं। 18 मई की अलस्‍सुबह जच्‍चा एकदम सजग-सक्रिय दिखी और अंडे के इस बाइसवें दिन सुबह साढ़े छः बजे पहला चूजा निकला। जच्‍चा, खोज-खबर ले कर, आश्‍वस्‍त दाना-चारा के लिए निकल गई। हमने एक कटोरी में उसके चारे का इंतजाम किया। वह बस हमारा मन रखने को ही मनुहार करती लेकिन चारा चुगने फिर निकल जाती और कटोरी के चारे का जश्‍न मनातीं गौरैया। गौरैया की इतनी चहल-पहल से पंडुक अनमनी होने लगती और कभी पंख भी फड़फड़ाती। चूजे की हलचल बढ़ गई, वह गमले के किनार तक आ जाता, एक बार तो बाहर गिरते-गिरते बचा। जच्‍चे की अनियतता देख कर लगा कि दखल जरूरी है, सो सावधानी से चूजे को अंडों व पूरे घोंसले सहित उसी जगह पर एक ऊंचे किनार वाले चौड़े गमले में रख दिया। लगभग तीन घंटे बाद जच्‍चा आई, आधे घंटे थोड़ी विचलित रही, लेकिन जल्‍दी ही एक-दो परिक्रमा कर इस नई व्‍यवस्‍था को अपना लिया। पहले से चार घंटे बाद दूसरा चूजा निकला। दोनों चूजे कभी अलग तो कभी लट-पट होते। जच्‍चा, कभी अंडों के साथ चूजों को भी ढक लेती तो कभी दोनों पर अपनी चोंच आजमाती दिखती। गमले में चींटियां दिखीं और एक बार फिर व्‍यवस्‍था बदलनी पड़ी। चूजा, यूं दुबका बैठा रहता, लेकिन जच्‍चा, जो सुबह-दोपहर-शाम दिन में तीन बार आती, के आते ही जो दृश्‍य बनता, वह कुछ इस तरह होता। मई की तारीख पूरी होते-होते चूजे के सिर पर रोएं घने होने लगे, बॉडी लैंग्‍वेज पंडुक की होने लगी और 1 जून को यानि 26 अप्रैल से छठां हफ्ता पूरा होने पर और यह चूजा, अपना तीसरा हफ्ता पूरा होते-होते गमले के बार-लांचिंग पैड पर आ बैठा। लग‍भग आधे दिन यहीं डोलता-खुद को तोलता रहा और फिर उड़ान भर ली। हम सबको कुछ और समय लगेगा, पंडुक के साथ की आदत बदलने में, अभी तो वह मन में घर किया बैठा ही है। Posted by Rahul Singh at 11:51 AM Labels: चिडि़या, पंडुक Arunesh c dave June 21, 2011 at 12:02 PM मजा आया पढ़ने मे बालसुलभ प्रसन्नता भी हुयी अभी तक चेहरे मे मुस्कुराहट है रही बात गौरैया की तो मै उनसे बड़ा परेशान हूं आफ़िस मे आकर बैठा नही कि बिस्कुट की फ़रमाईश चालू एक साथ पूरा भी नही दे सकता चीटीयो को भी मालूम पड़ गया है कि यहां एक अहमक चिड़ियो के द्वारा ब्लैक मेल किया जाता है एक मिनट के अंदर पहुंच जाती है टुकड़ो मे डालो तो जिस की चोंच समाया वह भाग निकली दिन भर यही कुछ चलता है सुज्ञ June 21, 2011 at 12:29 PM उनका जीवन तो सहज सरल होता है, इन्सान उससे सम्वेदनाएँ जोड लेता है। शानदार रही उनके जन्म से कर्म पर जाने की यह कथा!! Manpreet Kaur June 21, 2011 at 12:32 PM बहुत ही अच्छा पोस्ट है जी !मेरे ब्लॉग पर आ कर मेरा मान रखे! Gyandutt Pandey June 21, 2011 at 12:36 PM बिल्कुल सहज पोस्ट। लगता है हम ही पाल-देख रहे हों पंडुक को। आज गंगा किनारे एक बाज को टिटिहरी ने भगाया। टिटिहरी के अण्डे ले जाने की फिराक में था बाज। एक अकेली टिटिहरी ने जो कर्तब दिखाया, हम दंग रह गये! इस तरह की गतिविधियां कलम बद्ध करना और शेयर करना - ब्लॉगिंग की बड़ी उपलब्धि मानता हूं इस समय में! arvind June 21, 2011 at 12:51 PM bahut hi sahaj, sundar our maarmik post.sajeev chitran. amitesh June 21, 2011 at 1:34 PM wah...close reading kar rahe hain aap unke wikas ki aur ham bhi aap ke jariye. thanx. shikha varshney June 21, 2011 at 2:32 PM चित्र और बयानगी, अद्भुत दृश्य प्रकट कर रहे हैं. गिरधारी खंकरियाल June 21, 2011 at 2:56 PM जितना मधुर पंडुक है उतना ही मधुर लेखन . यही जिजीविषा है जीवन की . प्रतुल वशिष्ठ June 21, 2011 at 3:20 PM मन प्रसन्न हो जाता है. प्रकृति की गोद के इन मासूम जीवों को देखकर... इनके होने से ही प्रकृति सम्पूर्ण होती है.. आजकल मैं भी एक गोरैया के नवजात बच्चे को चुग्गा खिला रहा हूँ... एक्जोस फेन के घेरे में बने 'घौंसले' से टपककर हर बार एक बच्चा वाशबेसिन में आ गिरता है. फिर उसकी परवरिश शुरू हो जाती है... प्रायः मेरी माँ ही करती हैं लेकिन कुछ दिन से ये काम मुझे ही करना पड़ रहा है. एक बात पूछनी थी. .. कोई भी चिड़िया अपने बच्चे के पास क्यों नहीं आ रही... पहले भी नहीं आती थी... जब वह बच्चा उड़ने लायक हो जाता था तब माँ चिड़िया का मातृत्व जागता था. शायद इस बार भी ऐसा ही होगा. क्या बच्चे के जीवित बच जाने पर माँ द्वारा वात्सल्य इसलिये दिया जाता है कि वह भविष्य में कहीं उससे सवाल न कर दे.."माँ, तुमने मेरा त्याग क्यों कर दिया?" anshumala June 21, 2011 at 4:05 PM आप का लिखा पढ़ कर ऐसा लगा जैसे सब कुछ आँखों के सामने ही हो रहा है | पंडुक के बच्चो को बाहरी शिकारियों ओए अपने भोजन के लिए संघर्स करना होगा | संजय @ मो सम कौन ? June 21, 2011 at 5:45 PM एक बार तो लगा था कि बहुत पहले पढ़ी कहानी की तरह पक्षी-माँ कहीं अपने चूजे का त्याग ही न कर दे, लेकिन इत्मीनान हुआ कि नई व्यवस्था स्वीकृत हुई। यह पोस्ट बहुत सुखकर लगी। हर कोई सालिम अली नहीं हो सकता, लेकिन मौका मिलने पर इतना भी करना सबके वश की नहीं। Patali-The-Village June 21, 2011 at 6:40 PM हमारे कुमाऊं में इसे घुघूती कहते हैं और यह बहुत भोली होती है| swaarth June 21, 2011 at 7:52 PM खूबसूरत और मन-मोहक निशांत मिश्र - Nishant Mishra June 21, 2011 at 9:02 PM देखिये उनसे ज्यादा प्रीति मत कीजियेगा. बाद में दुःख होता है. ज्ञानदत्त जी से सौ फीसदी सहमत. Arvind Mishra June 21, 2011 at 9:02 PM एक बार ज्ञान दत्त जी की पोस्ट पर मैंने उत्तरदायित्वपूर्ण ब्लागिंग का जिक्र छेड़ा था -सो वह यहाँ दिख रही है -पूरी जिम्मेदारी से लेखक ने पंडुक संतति कथा को स्टेप्वायिज ऐसा नैरेट किया है कि यह एक खूबसूरत वैज्ञानिक पेपर सा बन गया है ... अंडे से चूजे निकलने की समयावधि ,एक अंडे के बाद दुसरे अंडे से हैचिंग का समयांतराल .....माँ पंडुक का प्रसूति/वात्सल्य व्यवहार सभी कुछ कितना ही वस्तुनिष्ठ होकर वर्णित हुआ है .... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट -क्या सभी अण्डों से बच्चे निकले ? ब्लॉ.ललित शर्मा June 21, 2011 at 9:28 PM पंडुक के अंडो से चूजे निकलने एवं उसके लांचिग पैड तक पहुचने को आपने बड़े ही अच्छे ढंग से चित्रित किया है। यह पोस्ट आपके एक माह के श्रम का परिणाम है। यह ब्लॉगिंग चरमसीमा है, जब ब्लॉगर पूरा समय देकर निष्ठा से अनदेखे एवं अनछुए पहलुओं को सामने लाता है। यह पोस्ट ब्लॉग जगत में हमेशा याद रखी जाएगी। ब्लॉ.ललित शर्मा June 21, 2011 at 9:31 PM ब्लॉगिंग चरमसीमा = ब्लॉगिंग की चरमसीमा पढा जावे । जाट देवता (संदीप पवाँर) June 21, 2011 at 9:34 PM जबरदस्त मेहनत व इंतजार Abhishek Ojha June 21, 2011 at 9:38 PM सुन्दर और सुखद. शायद उन्हें अपना घर याद आये तो कभी-कभार आ जाया करे. लेकिन परिंदे है भगवान् ने पंख दिए हैं तो उड़ना तो था ही एकदिन. डॉ॰ मोनिका शर्मा June 21, 2011 at 9:38 PM सुंदर पोस्ट.... मन प्रसन्न हो गया यह सुंदर चित्र देखकर ..... भारतीय नागरिक - Indian Citizen June 21, 2011 at 9:38 PM मेरे यहां एक गिलहरी का बच्चा गिरा मिला. उठाकर अन्दर रखा. दूध दिया रुई से. शाम तक ठीक ठाक रहा. रात में भी दो तीन बार दूध दिया. सुबह होते होते उसके प्राण पखेरू उड़ गये. अपराध बोध सा भी लगता रहा कि कहीं उसे ठंड तो नहीं लग गयी. कूलर से इतनी ठंड की उम्मीद तो नहीं होती. लेकिन उस बच्चे के लिये पता नहीं वही तो काल नहीं बनी. उसे जमीन में दफन कर दिया उसके रुई के फाहे और उसके बिस्तर के साथ. जब बेटे ने पूछा उस गिलहरी के बच्चे के बारे में, तो मेरे पास कोई जबाव नहीं था. बिछडना दुखदाई होता ही है फिर वह पंडुक हो या गिलहरी का बच्चा. (और अपवाद तो विज्ञान के नियमों के भी होते हैं). संतोष त्रिवेदी June 21, 2011 at 9:46 PM पहली बार पंडुक नाम सुना,पेडुकी तो सुना हुआ था.सचित्र जानकारी के लिए आभार ! वीना June 21, 2011 at 10:01 PM मन खुश हो गया पढ़कर और चित्र देखकर.... मनोज कुमार June 21, 2011 at 10:34 PM कमाल का पोस्ट है। बहुत सुंदर तास्वीरें भी। आप तो उनके साथ थे। हम तो आपकी पोस्ट पढ़कर ही उनसे आत्मीय हो गए थे। वे तो चले गए, पर मुझे लगता है दुबारा ज़रूर आएंगे। Smart Indian - स्मार्ट इंडियन June 22, 2011 at 5:29 AM दिल को छू गयी यह प्रविष्टि, आभार! Rahul Singh June 22, 2011 at 5:41 AM ईमेल पर- वाह भाई जी, धैर्य और समर्पण से एक रोज की घटना एक शोध बन गयी/सुंदर और प्रसंशनीय संजीव June 22, 2011 at 8:11 AM पंड़क को अंडे से फुदकते और उड़ते देखना कितना रोमांचक रहा होगा यह महसूस कर रहा हूँ. संगीता स्वरुप ( गीत ) June 22, 2011 at 10:03 AM अंडे से बच्चे तक का जन्म चित्रमय प्रस्तुत करना एक श्रम साध्य कार्य है ..इस जानकारी को पाठकों तक पहुंचाने के लिए आभार गगन शर्मा, कुछ अलग सा June 22, 2011 at 11:06 AM मेहनत साफ नज़र आ रही है। घनश्याम मौर्य June 22, 2011 at 12:43 PM बढि़या पोस्‍ट। इसे पढ़कर मशहूर पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली जी का गौरैया पक्षी का वर्णन याद आ गया। rashmi ravija June 22, 2011 at 1:08 PM बहुत ही बढ़िया पोस्ट....ऐसा लगा हामारे आँखों के सामने हो रहा है... पर पंडुक... तुरंत जन्मे चूजों को छोड़कर बाहर चली जाती थी ??...मेरी बालकनी में अक्सर कबूतर अंडे दे देते हैं...पर काफी दिन तक वो चूजों को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ती...मैं भी चावल वगैरह डालती रहती हूँ...उसके लिए. शायद बारी-बारी से दोनों देख-रेख को रहते हों...क्यूंकि दाना चुगने तो जाता ही होगा,.एक. आशुतोष की कलम June 22, 2011 at 2:17 PM पक्षियों की अद्भुत मनोविज्ञान एवं विकास चक्र का वर्णन मगर उससे भी ज्यादा प्रसंशा आप के धैर्यपूर्वक उकेरी गयी विकास चक्र की तस्वीरों और गतिविधियों को कलमबद्ध करने को .. Rajiv June 22, 2011 at 2:47 PM Sir,mujhe to laga main Discovery Channel dekh raha hun.Excellent.No words to comment. शिवम् मिश्रा June 22, 2011 at 6:37 PM अब ऐसी पोस्ट पर क्या कहें ... HATS OFF TO YOU ... SIR !! प्रवीण पाण्डेय June 22, 2011 at 6:51 PM जीवन सृजन होने की प्रक्रिया मन मोह लेती है, प्रकृति का सम्मोहन। abhi June 22, 2011 at 9:05 PM सुन्दर,मनमोहक और दिल को सुकून देने वाली पोस्ट और तस्वीरें..इस तरह की पोस्ट लिख पाना सब के बस की बात नहीं,...अद्दुत पोस्ट.. हेमन्‍त वैष्‍णव June 23, 2011 at 7:51 AM गागर में सागर.... सहपरिवार आनन्दित हुए.... ज्‍यादा आनन्दित बेटा। इंदु पुरी June 23, 2011 at 3:21 PM लीजिए जी नेशनल ज्योग्राफी चेनल सा आनंद दे दिया इस आर्टिकल ने.अंडे में से बच्चे का निकलना और उसे अपने कमरे में कैद करना...बहुत धैर्य वाला काम है.आपने कितनी महंत की एक आर्टिकल के लिए और वो व्यर्थ नही गई हम सब आपके इस काम की मुक्त कंठ से सराहना करते हैं.हर फोटो बहुत सुन्दर एक सांस में पढ़ गई पूरा.यूँ हमारे यहाँ स्थानीय बोली में इस पक्षी को 'डेकड़' कहा जाता है और यूँ हिंदी में शायद फाख्ता इसी पक्षी को कहते हैं.किसी को पता हो तो बताए. amrendra "amar" June 23, 2011 at 4:27 PM बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट***** सतीश सक्सेना June 23, 2011 at 5:42 PM अनूठी और मनोरंजक पोस्ट , जो आखिर तक बच्चों की कहानी की तरह जोड़े रही ! शुभकामनायें ! चला बिहारी ब्लॉगर बनने June 23, 2011 at 9:12 PM इतनी कोमल पोस्ट है कि बस आज सो स्वीट कहने को जी चाहता है!! Rahul Singh June 24, 2011 at 6:50 AM ईमेल पर इंदु पुरी गोस्‍वामी जी 'पंदुकी' भी पढ़ लिया.कमेन्ट पोस्ट नही हो रहा.शेल ज्यादा बड़ा हो जाने के कारन एरर बता रहा है.इसलिए यहाँ लिख रही हूँ.पोस्ट पर लगा दीजियेगा. ' ढूंढते ढूंढते इस पोस्ट तक पहुँच ही गई.यानि मेरी जानकारी सही निकली.इसे फाख्ता भी कहते हैं अंगेजी में डव.हम बचपन में इसे कबूतर की गुलाबी बहन बोलते थे क्योंकि चेहरे से ये कुछ कुछ कबूतर जैसी दिखती है.यहं जब भी आती हूँ ,न्य पाती हूँ.मन में संतुष्टि होती है कि कुछ नया सीखा.थेंक्स. पशु पक्षियों से मुझे भी बहित प्यार है और मेरे परिवार को भी.कुत्ते,बिल्ली,खरगोश सब पाले.'इन्हें' जानवरों को पालना पसंद नही.इसलिए... किन्तु जब भी कोई जानवर मुसीबत में होता है या बीमार... जाने कहाँ से घर ढूढता चला आता है.बगुला,उल्लू,गिलहरी के बच्चे कबूतर,कुत्ते,गर्भिणी गाये सब ने सेवा करवाई है हमसे.हा हा हा बिना बुलाये मेहमान चले आते हैं स्वस्थ हो कर चले जाते हैं.ईश्वर की मर्जी मान कर हम उनकी सेवा कर लेते हैं. जब हम बिरला सीमेंट की कोलोनी में रहते थे तब तो आस पास के गांवों में ये बात फेल गई थी कि ग्याब्हीं गाय खो गई है,'उस' कोलोनी में 'उस' क्वार्टर पर जाओ वहाँ बच्चा डे दिया होगा.वहाँ गाय मिल जायेगी.यकीन मानेंगे शीतला के दिनों में तीन साल तक लगातार दूज,पंचमी और सप्तमी के दिन मेरे ही घर के बाहर आ कर गाये बच्चे को जन्म देती थी......और अगले दिन उनके मालिक उन्हें ढूंढते हुए आते और ले जाते.एक साल घर के बाहर गाय ने बच्चे को जन्म दिया.मुझे 'सब' संभालना आ गया था.गोस्वामीजी की नाराजगी झेलते हुए भी मैंने बच्चे के जन्म में मदद की.गुड का पानी बना कर गाय को दिया.घास की व्यवस्था करी.खूब डपट सूनी.लेट हो गई थी स्कूल के लिए.फिर भी स्कूल गई.गाडी खड़ी की ही थी कि बच्चों ने आवाज लगाई -'मेडम! स्कूल के पीछे एक बकरी के बच्चा .....' जन्म किसी का भी हो इंसान के बच्चे का या किसी जीव का वो क्षण अद्भुत होता है. ईश्वर की एक नई रचना जन्म ...... ' hem pandey June 24, 2011 at 5:42 PM इतने धैर्य और दिलचस्पी से इस घटना का साक्षात्कार सचित्र पोस्ट करने हेतु साधुवाद | शैलेन्द्र नेगी June 25, 2011 at 10:53 AM राहुल जी सुंदर..बहुत सुंदर..वाकई आनंद आ गया. क्या प्रस्तुति है और गौरेया और आपका क्या संबंध है एक दम भाव विभोर कर दिया. उम्मीद है पंडुक को खुला आसमान पसंद आ रहा होगा. लेकिन एक बात हमें समझनी होगी कि आज हमारी युवा पीढ़ी भी कुछ ऐसा ही जीवन जी रही है हम सब भी अपने घरों को छोड़ कर दूर दो वक्त की रोटी की तलाश में रात दिन एक कर रहे हैं. लेकिन यकीन मानिए वो लौट कर आएगा... उम्मीदें हमेशा जिंदा रखनी चाहिए..
2018/02/18 21:34:39
http://akaltara.blogspot.in/2011/06/blog-post_21.html
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Resolution Day: 56 people got speedy court - Uttar Pradesh Deoria Crime News जनपद के सभी थानों में शनिवार को समाधान दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान 56 लोगों को त्वरित न्याय दिला दिया गया। अन्य मामलों के निस्तारण के लिए पीड़ितों को आश्वासन दिया गया। JagranSat, 13 Nov 2021 11:13 PM (IST) देवरिया: जनपद के सभी थानों में शनिवार को समाधान दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान 56 लोगों को त्वरित न्याय दिला दिया गया। अन्य मामलों के निस्तारण के लिए पीड़ितों को आश्वासन दिया गया। सदर कोतवाली परिसर में कोतवाल नवीन सिंह की अध्यक्षता में समाधान दिवस का आयोजन किया गया। कोतवाल ने सभी फरियादियों की समस्याओं को खुद सुना और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। पूरे जिले में कुल 119 मामले आए, जिसमें से 56 का निस्तारण किया गया। खुखुंदू संवाददाता के अनुसार थानाध्यक्ष नवीन चौधरी की अध्यक्षता में समाधान दिवस का आयोजन किया गया। यहां कुल पांच मामले आए, जिसमें से पुलिस के तीन मामलों का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया। जबकि दो मामले राजस्व से जुड़े होने के चलते निस्तारित नहीं हो सके। भाटपाररानी संवाददाता के अनुसार खामपार थाना परिसर में आयोजित समाधान दिवस में नायब तहसीलदार करन सिंह ने लोगों की फरियाद सुनी और निस्तारण किया। जो प्रार्थना पत्र बच गए, उन्हें संबंधित कर्मचारी को निस्तारित करने के लिए सौंप दिया। कार की चपेट में आने से सेवानिवृत्त की मौत खुखुंदू: थाना क्षेत्र के बरडीहा के समीप कार की ठोकर से सेवानिवृत्त अमीन की मौत हो गई। दुर्घटना के दौरान कार गड्ढे में पलट गई। बरडीहा गांव के रहने वाले सीताराम यादव सेवानिवृत्त अमीन थे। शनिवार की सुबह खेत की तरफ गए थे। इस बीच भटनी की तरफ जा रही एक कार ने ठोकर मार दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के लिए उन्हें स्वजन अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। चौराहे पर मचाया उत्पात, शांतिभंग में चालान रामपुर कारखाना क्षेत्र के सुभाष चौक पर देवरिया-कसया मार्ग पर शुक्रवार की रात दो युवकों ने जमकर उत्पात मचाया। लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों युवकों को हिरासत में ले लिया। जांच में पता चला कि दोनों युवक शराब की नशे में है। जिसके बाद पुलिस ने दोनों का शांतिभंग में चालान कर दिया।
2022/01/19 14:58:08
https://m.jagran.com/lite/uttar-pradesh/deoria-resolution-day-56-people-got-speedy-court-22203974.html?itm_source=AMP&itm_medium=recommendations&itm_campaign=sambandhit
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गोमती भी सिसक रही है | Hindi Water Portal Submitted by Hindi on Sat, 06/25/2011 - 09:16 गोमती नदी अब मैली हो गई हैजौनपुर। अब गोमती नदी में साफ-सुथरा जल प्रवाहित नहीं होता बल्कि पर्यावरण को क्षतिग्रस्त करने वाला गंदा पानी बहता है। इसमें नालियों और सीवर से निकलने वाली गंदगी ही बहती है। आदि गंगा कहलाने वाली गोमती भी गंगा की तरह सिसक रही है। गोमती का उद्भव किसी पर्वत से नहीं हुआ है जो इसमें साफ सुथरा जल दूसरी पहाड़ी नदियों की तरह पूरे वर्ष भर प्रवाहित होता रहे। इसके जल-प्राप्ति के स्रोतों में बारिश का पानी अथवा मानसूनी जल, अंडर ग्राउंड पानी अथवा भूमिगत जल, नहरों का जल और नगरों का मलीय जल है। गोमती नदी के आस-पास के क्षेत्रों में वर्ष 2005 ई. के बाद पर्याप्त मानसूनी वर्षा न होने की वजह से इसका अस्तित्व खतरे में है। गौरतलब है कि गोमती नदी की उत्पत्ति गोमत ताल से हुई है। इसे फुलहर झील के नाम से भी जाना जाता है। गोमती नदी की उत्पत्ति की जगह पीलीभीत के माधोटांडा के पास है। यह नदी पीलीभीत से निकलकर लगभग 900 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गाजीपुर जनपद के कैथी, सैदपुर में गंगा नदी में मिल जाती है। गोमती नदी कहीं भी सीधी नहीं बहती है। घूमती हुई बहने के कारण पहले इसका नाम घूमती नदी था। कालांतर में घूमती नदी, गोमती नदी के रूप में जानी जाने लगी। कैथी, सैदपुर दोनों नदियों गंगा और गोमती का संगम स्थल है। दोनों नदियों के संगम स्थल पर ही मार्कण्डेय महादेव का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है। जौनपुर में प्रवाहित होने वाली सई नदी भी गोमती में मिल जाती है। इसके बावजूद गोमती नदी में पर्याप्त जल नहीं है। दरअसल जौनपुर में गोमती नदी में बहने वाले पानी से बहुत पहले सन् 1982 ई. में भीषण बाढ़ आई थी। लेकिन पिछले 6 वर्षों, सन् 2005 ई. के बाद से इस नदी को मानसूनी जल मिल नहीं रहा है। यही कारण है कि भूमिगत जल के बहाव का कोई भरोसा नहीं है। समुचित वर्षा न होने की वजह से नहरें भी सूखी पड़ी हुई हैं। ऐसे में गोमती नदी में महज इसके किनारों पर स्थित नगरों का प्रदूषित जल ही इसका प्रमुख जलीय स्रोत है। इस नदी के किनारे पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा लखीमपुर खीरी, सीतापुर, सुल्तानपुर और जौनपुर शहर बसे हुए हैं। इन नगरों में बनने वाले घरों की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी की है। स्थानीय पंचायतों और सरकारों ने सीवर का गंदा पानी, जीवन प्रदायिनी नदियों में ही गिराने का फैसला किया है। पहले और कोई दूसरी व्यवस्था संभव भी नहीं थी। प्राचीन काल से ही नदियों के किनारे सभ्यताएं विकसित हुई हैं। पहले राजतंत्र नदियों को संरक्षण प्रदान करते थे। आज देश में संसदीय लोकतंत्र प्रणाली विकसित है लेकिन नदियों के जल के परिशोधन की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। कुछ ऐसा ही गोमती के साथ भी है। इसमें नगरों का मल-जल तो बहता ही है, इसके साथ ही औद्योगिक इकाइयों का स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जल भी खूब बहता है। गोमती के किनारे बसे नगरों में संपन्नता है संपन्नता की वजह से आभूषणों की ढेर सारी दूकानें यहाँ हैं। सोने और चाँदी की सफाई में प्रयुक्त जल की निकासी भी गोमती नदी में होती है। जौनपुर स्थित टी डी कालेज में भूगोल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं पर्यावरण मामलों के जानकार डॉ. डी पी उपाध्याय कहते हैं कि किसी भी कीमत पर सरकारी आदेश एवं नागरिक-चेतना द्वारा आभूषणों की दूकानों पर साफ-सफाई में प्रयुक्त जल को गोमती अथवा किसी भी दूसरी नदी में गिराने पर शीघ्र ही प्रतिबंध लगा देना चाहिए। आभूषणों की दूकानों पर उपयोग में लाए गए जल से नागरिकों में गंभीर बीमारी के उत्पन्न होने का खतरा हमेशा बना रहता है। डॉ. उपाध्याय कहते हैं कि चलिए आदमी तो जल को शुद्ध कर सकता है लेकिन पशुओं के लिए पीने वाले पानी का बुरा हाल है। उनका तो यहां तक कहना है कि यदि नदियों का जलीय प्रदूषण समाप्त हो जाए तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बहुत पहले गाए हुए इस फिल्मी गाने, 'पानी रे पानी तेरा रंग कैसा?' पर गौर फरमाएं। आज गंदगी के कारण गोमती नदी का पानी काला पड़ चुका है। वर्तमान में यह न तो पीने योग्य रह गया है और न ही हम इसका उपयोग नहाने के लिए ही कर सकते हैं। नदियों ने हमें जीवन दिया है और हम हैं कि हमने नदियों; खासकर गोमती की बर्बादी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
2020/02/24 06:05:58
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मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में सनसनीखेज मामला सामने आया, जहां एक युवक को प्यार में सजा-ए-मौत मिली। प्रेमिका के घरवालों ने बुलाकर युवक की पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी। इतना ही नहीं युवक का प्राइवेट पार्ट भी काट डाला। घटना कांटी थाने के सोनबरसा गांव की है। मृतक की पहचान रेपुरा रामपुर शाह गांव निवासी मनीष ठाकुर के 18 साल के बेटे सौरभ राज के रूप में हुई। सौरभ का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंचा तो कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने बवाल शुरू कर दिया। इतना ही नहीं लोगों का गुस्सा इसकदर था कि वे मृतक के शव को उसकी प्रेमिका के दरवाजे पर लेकर पहुंच गए। वहीं उसकी चिता सजा दी और पूरे रीति रिवाज से दाह संस्कार कर दिया। गांव में तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक मृतक सौरभ राज ओडिशा में एक निजी कंपनी में काम करता था। इसी महीने के एक जुलाई को अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी पर आया था। शुक्रवार की रात लड़की के परिवार वालों ने सौरभ को बुलाया और लड़की सामने ही उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इतना ही नहीं युवक का प्राइवेट पार्ट भी काट डाला। अधमरा स्थिति में परिजनों हवाले कर दिया। परिजनों ने आनन-फानन में शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने सौरभ को मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद पूरे गांव में मातमी माहौल है। सिटी एसपी राजेश कुमार ने बताया कि गांव में पुलिस कैंप कर रही है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी भी जारी है। ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ देश दुनिया की खबरों के लिए गूगल पर जाएं लॉग इन करें : - tarkeshwartimes.page सभी जिला व तहसील स्तर पर संवाददाता चाहिए मो. न. : - 9450557628 अपराध लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट बस्ती : दवा व्यवसाई की पत्नी का अपहरण - सितंबर 10, 2022 (घनश्याम मौर्य) बस्ती (उ.प्र.)। स्थानीय शहर की प्रतिष्ठित फर्म पाण्डेय मेडिकल्स के प्रोपराइटर सुरेश पाण्डेय की पत्नी करीब चालीस वर्षीय ललिता पाण्डेय का अपहरण कर लिया गया है। दो दिन बाद भी उनका कुछ पता नहीं चल सका है। परिवार में सभी का रो रोकर बुरा हाल है। शहर कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज है और पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। बता दें कि पाण्डेय मेडिकल्स के सुरेश पाण्डेय शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के जामडीह पाण्डेय के निवासी हैं। बीते आठ सितम्बर को वे किसी कार्य से लखनऊ गये थे। इसी दिन सायं उनकी पत्नी ललिता पाण्डेय गांधी नगर बाजार (पक्के बाजार) गयी थीं। रात करीब नौ बजे उनके बेटे ने फोन किया, तो ललिता ने बताया कि गांधी नगर पुलिस चौकी के पास हूं। आटो करके आ रही हूं। करीब साढ़े नौ बजे फिर बेटे ने फोन किया तो ललिता का फोन स्विच आफ बताने लगा। उसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला। वे मोबाइल न. 9336517316 अपने साथ ले गई थीं। बेटे ने मां के घर न पहुंचने और फोन स्विच आफ होने पर इसकी सूचना अपने पिता को फोन करके दी। लापता ललिता के पति सुरेश पाण्डेय ने पुलिस अधीक्षक और शहर कोतवाल क और पढ़ें अयोध्या : नहाते समय पत्नी को किस करने पर पति की पिटाई - जून 22, 2022 (बृजवासी शुक्ल) अयोध्या। अयोध्या में राम की पैड़ी पर स्नान करते समय पति ने पत्नी को चूम लिया। यह देख वहां मौजूद कई लोगों ने आपत्ति जताई और कहा कि ऐसी हरकतें यहां नहीं चलेंगी। लोग इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने पति को पहले नहर में घेरकर पकड़ा, फिर घसीटते हुए पानी से बाहर लाए और जमकर पिटाई कर दी। यह घटना मंगलवार 21 जून की है। राम की पैड़ी पर मंगलवार को योग दिवस पर योगाभ्यास हुआ। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि मंत्री के जाने के दो घंटे बाद यह घटना हुई। देर रात इससे जुड़े दो वीडियो भी सामने आ गए। इसमें नहाते समय पति अपनी पत्नी को किस करता दिख रहा है। दूसरे में उसकी पिटाई की जा रही है। राम की पैड़ी पर नहा रहे दंपत्ति ने जब किस किया तो आस-पास के लोगों ने गाली गलौज और मारपीट की। पिटाई का तमाशा देखते रहे लोग करीब 30 साल की उम्र के पति को 20 मिनट तक 2 - 3 लोगों ने पीटा। इससे उसके चेहरे, कंधे और पीठ पर चोटें आई हैं। इस दौरान पत्नी अपने पति को छुड़ाने के लिए रोती गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। वहा और पढ़ें बस्ती : पत्नी और प्रेमी ने बेटी के सामने पिता को काटकर मार डाला, बोरे में भरकर छिपाई लाश - जून 03, 2022 (शैलेन्द्र पाण्डेय) सोनहा (बस्ती)। स्थानीय क्षेत्र में परसा खुर्द बुजुर्ग दरियापुर जंगल ग्राम पंचायत के टोला तुलसीपुर में एक निर्दयी पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करके और टुकड़े करके लाश को बोरे में भरकर ठिकाने लगा दिया। निर्दयता की हदें पार कर देने वाले इस सनसनीखेज मामले का खुलासा तब हुआ, जब मृतक की पत्नी गुमराह करने के लिए पति की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने पहुंची और घरवालों को उसके दिल्ली जाने की बात कहकर गुमराह करती रही। हैवानियत की हदें पार करते हुए किये गये इस हत्याकांड को मृतक की आठ साल की बच्ची के सामने अंजाम दिया गया। प्रेमी के साथ मिलकर पत्नी ने लाश को गायब कर दिया है। मृतक नन्दलाल के भाई रामफेर गुप्ता ने दो जून गुरुवार को सोनहा पुलिस को तहरीर देकर बताया कि उसका छोटा भाई नन्दलाल गुप्ता 25 मई को पत्नी कंचन, आठ वर्षीय पुत्री नंदिनी व पांच वर्षीय पुत्र आदित्य के साथ अपने कमरे में सोया था। सुबह उसकी पत्नी कंचन ने परिवार वालों को बताया उसका पति उससे झगड़ा करके दिल्ली चला गया है। घर वालों को उसकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। उन्होंने कई दिनों
2022-12-09T02:44:21Z
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बिग बॉस: रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला फिर से करेंगे वैवाहिक जीवन की शुरुआत - Navabharat Home/मनोरंजन/बिग बॉस: रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला फिर से करेंगे वैवाहिक जीवन की शुरुआत मुंबई. टीवी अभिनेत्री और 'बिग बॉस' के 14वें सीजन की विजेता रुबीना दिलैक ने कहा कि उन्हें और उनके पति अभिनव शुक्ला को इस रियलिटी शो में शामिल होने के बाद अपने संबंधों को नए सिरे से समझने का मौका मिला और अब वे अपने वैवाहिक जीवन को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं. 'छोटी बहू', 'शक्ति अस्तित्व के एहसास की' जैसे टीवी धारावाहिकों में काम करने वाली रुबीना ने 'सिलसिला बदलते रिश्तों का' के कलाकार अभिनव शुक्ला से जून, 2018 में शादी की थी. दोनों ही बिग बॉस के घर में साथ आए थे. शो की करीब पांच महीने की यात्रा के दौरान शुक्ला घर से बाहर निकल गए. दोनों ने बिग बॉस के घर में रहते हुए अपनी शादीशुदा ंिजदगी की दिक्कतों के बारे में बताया और कहा था कि वे बिग बॉस में आने से पहले तलाक की तरफ बढ़ रहे थे. पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में रुबीना ने कहा कि उन दोनों को फिर से अपने रिश्ते में खुशियां मिलने लगी हैं. उन्होंने कहा, '' हम फिर से वचन लेंगे. घर से बाहर निकलने के बाद काफी व्यस्त होने की वजह से हम इस बारे में बात नहीं कर पाए और इसकी योजना नहीं बना पाए. लेकिन निश्चित तौर पर कुछ होगा.'' अभिनेत्री ने शो को श्रेय देते हुए कहा कि इसकी वजह से वे एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ पाएं. उन्होंने कहा कि बिग बॉस के घर में एक निश्चित दायरा होने की वजह से उन्हें अपनी शादीशुदा ंिजदगी की दिक्कतों का सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और ऐसे में वे उलझनों को सुलझाने की कोशिश करने लगे थे. रविवार को रुबीना बिग बॉस की विजेता घोषित हुईं और राहुल वैद्य रनर अप रहे.
2021/03/06 14:14:44
http://www.navabharat.news/entertainment-news/bigg-boss-rubina-dilac-and-abhinav-shukla-to-start-marital-life-again/
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28 साल की उम्र में इस महिला को है अनोखी बीमारी, अब तक बदल चुकी है 130 से ज़्यादा बॉयफ्रेंड | Haryana Wale Sign in ख़ास मानस सरकार जिला तरक़्क़ी रंग ढंग कला खानपान तंदुस्र्स्ती कुछ भी पढ़ाई लिखाई Sign in Welcome!Log into your account your username your password Forgot your password? Privacy Policy Password recovery Recover your password your email Search Search ख़ास मानस सरकार जिला तरक़्क़ी रंग ढंग कला खानपान तंदुस्र्स्ती कुछ भी पढ़ाई लिखाई More Homeकुछ भी28 साल की उम्र में इस महिला को है अनोखी बीमारी, अब... 28 साल की उम्र में इस महिला को है अनोखी बीमारी, अब तक बदल चुकी है 130 से ज़्यादा बॉयफ्रेंड कुछ भी Published on May 9, 2021 By Anila Bansal Facebook Twitter WhatsApp Telegram दुनिया में लोगों को सर्दी-जुकाम तो बीमारियां लगती है, लेकिन मेन्टल डिसऑर्डर को पागलपन का नाम दे देते हैं। मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण समय के साथ बिगड़ जाते हैं। मनोविकार की दर लोगों के बीच भिन्न-भिन्न होती है। आनुवांशिक, आयु, स्वास्थ्य साथ ही साथ मनोविकार के अंतर्निहित कारण रोग के बढ़ने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसे ही एक मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रही है ब्रिटेन में रहने वाली 28 साल की फ्रैंकी कोनसीडीन। 28 की उम्र में ही इसने 130 पार्टनर बदल लिए हैं। लेकिन ऐसा किसी शौक के कारण नहीं, बल्कि बीमारी के कारण है। जानकारी के अनुसार ब्रिटेन की रहने वालीं फ्रैंकी कोन्सिडिन का कहना है कि उनका दिमाग सामान्य तौर से तभी काम करता है जब उन्हें पता रहे कि वे आज किसके साथ सोने जा रही हैं। असल में फ्रैंकी एक हेल्थ कंडिशन की जूझ रही हैं। फ्रैंकी को सेक्स एडिक्शन से जूझ रही है। आमतौर पर इसे मर्दों से जोड़कर देखा जाता है लेकिन फ्रैंकी भी इसकी शिकार है। इस बीमारी पर चर्चा करते हुए फ्रैंकी ने बताया कि उसे अगर ये पता नहीं हो कि आज रात वो किसके साथ सोने जा रही है, तो वो परेशान हो जाती है। खबर के मुताबिक इस बीमारी के कारण मात्र 28 साल में फ्रैंकी ने 130 पार्टनर्स चेंज कर लिए हैं। इस कारण वो तनाव में भी रहती हैं। इस एडिक्शन के कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां भी, जैसे एसटीआई और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो चुकी है। डॉक्टरों के मुताबिक इस महिला सेक्स का एडिक्शन भी है जो एक तरह की बीमारी है। इस बीमारी के कारण महिला अपने घर से अलग हो गयी थी जिसके बाद उनकी मां का निधन हो गया था। आपको बता दे कि इस तरह अनोखे मामले कभी कभी सुनने को मिलते है। Anila Bansal I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence. Latest articles ख़ास हरियाणा के इस गांव मे सरपंच बनी नई नवेली दुल्हन, शादी के कुछ दिन बाद ही संभाली गांव की कमान Anila Bansal - November 27, 2022 0 अभी हाल ही में 25 नवंबर को पूरे हरियाणा में पंचायत चुनाव हुए हैं। इस बार युवाओं ने चुनावो में बढ़ चढ़ के भाग... Read more कुछ भी हरियाणा सरकार ने भव्य बिश्नोई को बनाया विधानसभा लेखा समिति का मेंबर,इसी हफ्ते ली है विधायक की शपथ Anila Bansal - November 27, 2022 0 अभी हाल ही में हरियाणा सरकार ने आदमपुर विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक भव्य बिश्नोई को एक नई जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें विधानसभा में... Read more ख़ास इस दिन बंद रहेगा पूरा हरियाणा, सरकारी छुट्टी की घोषणा, स्कूल से लेकर सरकारी ऑफिस तक रहेंगे बंद रहेंगे Anila Bansal - November 27, 2022 0 आने वाले सोमवार यानि कि 28 नवंबर को एक बार फिर से हरियाणा सरकार ने सरकारी छुट्टी घोषित कर दी है। इस दिन सभी... Read more कुछ भी पंचायत चुनाव मतगणना के अवसर पर कल बंद रहेंगे हरियाणा के सभी ठेके, उल्लंघन करनें पर हो सकती इतने महीने की सजा Anila Bansal - November 27, 2022 0 बीते शुक्रवार को हरियाणा के सभी जिलों में ग्राम पंचायत के सरपंच के चुनाव हो चूके है। जिसके परिणाम भी उसी दिन ही आ... Read more कुछ भी दिल्ली की तरह हरियाणा में भी भारी वाहनों के लिए लागू होगा लेन सिस्टम,सुरक्षा संबंधी बनाए जाएंगे 15 ट्रैफिक नियम आए दिन कहीं ना कहीं से रोड़ एक्सिडेंट की खबर आती रहतीं हैं। अब... November 27, 2022 कुछ भी हरियाणा में पंच-सरपंचों की फर्जी डिग्री को लेकर प्रशासन हुआ सख्त, अगर कोई पकड़ा गया तो तुरंत होगा पद से बर्खास्त इन दिनों हरियाणा में ग्राम पंचायत के चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में राज्य... November 23, 2022 ख़ास नैना चौटाला ने हरियाणा में जजपा और बीजेपी के गठबंधन पर दिया बड़ा बयान, यहां जानें क्या कहा उन्होंने अपनें बयान में इन दिनों हरियाणा के प्रत्येक जिले में पंचायत और जिला पार्षद के चुनाव चल... November 22, 2022 अंबाला हरियाणा के इस जिले में अब कचरे का होगा पुनः उपयोग, बेकार बोतलो और कांच के टुकड़े से बनेंगी चूड़ियां दिनों दिन बढ़ते कूड़े की समस्या को देखते हुए अंबालानगर परिषद सदर क्षेत्र ने... November 24, 2022 More like this कुछ भी हरियाणा सरकार ने भव्य बिश्नोई को बनाया विधानसभा लेखा समिति का मेंबर,इसी हफ्ते ली है विधायक की शपथ अभी हाल ही में हरियाणा सरकार ने आदमपुर विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक भव्य... November 27, 2022 कुछ भी पंचायत चुनाव मतगणना के अवसर पर कल बंद रहेंगे हरियाणा के सभी ठेके, उल्लंघन करनें पर हो सकती इतने महीने की सजा बीते शुक्रवार को हरियाणा के सभी जिलों में ग्राम पंचायत के सरपंच के चुनाव... November 27, 2022 कुछ भी दिल्ली की तरह हरियाणा में भी भारी वाहनों के लिए लागू होगा लेन सिस्टम,सुरक्षा संबंधी बनाए जाएंगे 15 ट्रैफिक नियम आए दिन कहीं ना कहीं से रोड़ एक्सिडेंट की खबर आती रहतीं हैं। अब... November 27, 2022 ABOUT US Haryana Wale is your news, entertainment, music fashion website. We provide you with the latest breaking news and videos straight from the entertainment industry.
2022-11-27T09:46:35Z
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टिप 1: पैसे कैसे बनाये - अप्रसिद्ध - 2019 Forex club team › टिप 1: पैसे कैसे बनाये टिप 1: पैसे कैसे बनाये TikTok Se Paise Kaise Kamaye || TikTok App Se Paise Kaise Kamaye (जुलाई 2019). "पैसे कैसे कमाएँ?" निश्चित रूप से हर किसी ने कम से कम एक बार खुद से यह सवाल पूछा। वेतन, लेकिन यह सब कुछ है जो आप चाहते हैं के लिए पर्याप्त नहीं है, और कभी-कभी आवश्यक के लिए पर्याप्त नहीं है ... कैसे सुनिश्चित करें कि आपके पास पैसा है - पर्याप्त मात्रा में? और जबकि, ज़ाहिर है, कानून से परे जाने के लिए नहीं? व्यापार साहित्य बेचने वाले किसी भी किताबों की दुकान पर जाएँ। अब वित्तीय साक्षरता, निवेश, अलमारियों पर व्यापार पर पर्याप्त पुस्तकें हैं। इंटरनेट भी उपयुक्त है - उदाहरण के लिए, व्यवसाय और कैरियर के बारे में विषयगत साइटें। धन प्राप्ति के चार तरीकों पर विचार करें। सबसे आसान और सबसे निष्क्रिय मौजूदा अचल संपत्ति का वितरण (बिक्री) है। बेशक, यह विधि केवल उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास एक खाली अपार्टमेंट या कॉटेज है। यह संभव है कि कुछ हद तक जटिल हो सकता है - एक अपार्टमेंट बेचने के लिए जो कि उपलब्ध है, उदाहरण के लिए, मास्को के पश्चिमी जिले में और केंद्र में एक अपार्टमेंट खरीदने के लिए अतिरिक्त लागत के साथ, और फिर इसे बहुत सारे पैसे के बाद बेच दें, क्योंकि अचल संपत्ति की कीमत केवल बढ़ रही है। अचल संपत्ति की मदद से 90 के दशक की शुरुआत में राज्य किया। हालांकि, केंद्र में एक अपार्टमेंट के लिए अतिरिक्त भुगतान करने के लिए आपके पास पैसा होना चाहिए, और कर अधिकारियों को शायद आप में दिलचस्पी होगी और मुनाफे से हिस्सा वंचित होगा। एक और तरीका है जो बहुमत को सूट करता है - एक कैरियर बनाने के लिए और, तदनुसार, अधिक पैसा पाने के लिए। यह विधि सभी के लिए अच्छी है, सिवाय इसके कि परिणाम को एक या दो साल नहीं इंतजार करना होगा। बेशक, ऐसे लोग हैं जो केवल चक्कर लगाने वाले करियर बनाते हैं, लेकिन हर सचिव को गंभीरता से विश्वास नहीं करना चाहिए कि एक साल में वह कंपनी के सामान्य निदेशक की कुर्सी पर होगा, भले ही वह अपने काम में सहयोग करे और पहल करे। यह विधि कठिन, विश्वसनीय, लेकिन लंबी है। एक राय है कि सबसे अमीर लोग उद्यमी हैं। दुर्भाग्य से, यह एक मिथक है; एक उद्यमी के लिए पैसा कमाना काफी कठिन है। यहां तक ​​कि हमारे देश की कुछ वास्तविकताओं को छोड़कर, जो व्यवसाय का संचालन करना मुश्किल बनाते हैं, यह ध्यान रखने योग्य है कि एक उद्यमी, विशेष रूप से पहले, किसी भी शीर्ष प्रबंधक से अधिक काम करता है, कभी-कभी 20 घंटे एक दिन, लेकिन बाद के विपरीत, जोखिम अधिक: एक वार्षिक बोनस नहीं वेतन से नहीं, कार्यस्थल से नहीं, बल्कि उसके सभी व्यवसाय और सभी निवेशों के साथ-साथ निवेशकों और ऋणों के निवेश से। इसी समय, शुरुआती अवधि में, एक व्यवसाय न केवल लाभदायक हो सकता है, बल्कि भुगतान भी नहीं कर सकता है। हालांकि, यदि आप अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की ताकत महसूस करते हैं, यदि आप कार्यालय में काम करके थक गए हैं, तो इसे क्यों नहीं आज़माएं? यदि व्यवसाय कुछ समस्याएँ लाता है, तो हमारे पास हर कदम पर दुकानें, कैफे और नाई नहीं होंगे। शुरुआती लोगों के साथ बात करनी चाहिए, जिनके पास पहले से ही अपना व्यवसाय है, विशेष साहित्य और ... अधिनियम पढ़ें। शब्द "शेयर", "म्यूचुअल फंड", "ब्रोकर" आमतौर पर रूसियों को सावधान करने का कारण बनते हैं - बहुत समय पहले वे पैसे की हानि के साथ जुड़े थे, न कि उनकी उपस्थिति के साथ। हालांकि, समय बदल रहा है। हमेशा और किसी भी देश में निवेश करना एक जोखिम भरा काम है, लेकिन फिर भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस पर भाग्य आजमाया है। यह निवेश है, अटकलें नहीं, अर्थात्। विभिन्न कंपनियों की प्रतिभूतियों में दीर्घकालिक निवेश। लेकिन न्यूनतम जोखिम के साथ निवेश शुरू करने के लिए, आपको अपने वित्तीय साक्षरता के स्तर को बढ़ाने के लिए ध्यान रखना चाहिए। दुर्भाग्य से, स्कूल और विश्वविद्यालय यह नहीं सिखाते हैं कि पैसे का सही प्रबंधन कैसे किया जाए, और हर विश्वविद्यालय के स्नातक (अर्थशास्त्रियों के अपवाद के साथ) सही ढंग से समझाने में सक्षम नहीं होंगे कि कार्रवाई क्या है। पहली बात यह है कि अगर आप निवेश की मदद से खुद को एक भाग्य बनाना चाहते हैं तो आपको विशेष साहित्य खरीदना होगा, उदाहरण के लिए, जी। एर्डमैन की पुस्तक "सावधानी: स्टॉक! या रूस में निवेश के बारे में सच्चाई"। जिस भी तरीके से आप पैसे कमाते हैं, आपको याद रखना चाहिए कि स्थिर बड़ी आय होने से पहले आपको समय लगेगा या एक बार में एक बड़ी राशि प्राप्त होगी, सिवाय, शायद, पहली विधि। हालांकि, इस बार भुगतान करना होगा, और न केवल आर्थिक रूप से: किसी कंपनी या शीर्ष प्रबंधक का संस्थापक बनना न केवल लाभ या बोनस के लिए है। "खबरदार: स्टॉक! या रूस में निवेश के बारे में सच्चाई।" जी। एर्डमैन। 2006। टिप 2: बड़ा पैसा कैसे बनाया जाए हमारे बीच, जो आत्मा की गहराई में भी अमीर नहीं बनना चाहता है? पैसा, निश्चित रूप से, अकेले हमें खुश नहीं करेगा, लेकिन एक तर्कसंगत व्यक्ति के हाथों में वे नए अवसरों को खोलने, अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने और यहां तक ​​कि बेहतर के लिए दुनिया को बदलने में सक्षम होंगे। हम में से प्रत्येक के पास शायद विचार, सपने, इच्छाएं हैं ... लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए, आपको बहुत पैसा बनाने की आवश्यकता है। अमीर लोग जरूरी नहीं हैं कि जो लक्जरी कार चलाते हैं। एक अमीर व्यक्ति को लक्जरी पर पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं है, लेकिन पैसे बनाने के लिए जमा होने की विशेषता है। एक अमीर, अमीर व्यक्ति सोचने का एक तरीका है। हर कोई लॉटरी में एक मिलियन डॉलर जीत सकता है, लक्जरी अचल संपत्ति और कार खरीद सकता है, लेकिन अमीर नहीं बन सकता है, या यहां तक ​​कि जल्द ही इस संपत्ति के साथ भाग लेने के लिए। एक अमीर व्यक्ति की सोच जो सोचता है वह खर्च करने के बारे में नहीं, बल्कि संचय के बारे में सोचता है, अर्थात्। कैसे पैसे से अधिक पैसा बनाने के लिए, इसे कैसे काम करना है। हमेशा की तरह, अपने सोचने के तरीके को बदलने का सबसे अच्छा तरीका है, पढ़ना। प्रत्येक किताबों की दुकान में व्यावसायिक साहित्य का एक खंड होता है, जो वित्तीय स्वतंत्रता, पैसे का प्रबंधन करने की क्षमता सिखाने वाली किताबें बेचता है। बाद में पैसा बनाने के लिए, आपको अभी निवेश करने की आवश्यकता है, इसलिए इन पुस्तकों पर कंजूसी न करें। उत्कृष्ट लेखक, पैसे के बारे में लिखना समझ में आता है, खाली वादों के बिना, प्रेरणादायक, उदाहरण के लिए, जर्मन अर्थशास्त्री बोडो शेफर या रूसी फाइनेंसर हेनरिक एर्डमैन हैं। पुस्तक पढ़ना आसान है, अभिनय शुरू करना अधिक कठिन है, इसकी सलाह का पालन करना, इसे अपने जीवन में लागू करने का प्रयास करना। इसके लिए इच्छाशक्ति और प्रेरणा चाहिए। यह आपके सपनों और इच्छाओं के बारे में याद करने का समय है। क्या आप अपने काम से थक गए हैं? मैं लंबे समय से उबाऊ आदेश प्रसंस्करण से निपटने के लिए नहीं चाहता हूं, लेकिन, उदाहरण के लिए, रचनात्मक उपहार डिजाइन करना? ठीक है, इसका मतलब है, आपके पास पहले से ही तैयार व्यवसाय का विचार है, और इसके लिए आवश्यक सभी पैसा है। एक नमूना व्यवसाय योजना लिखें, बस अपने लिए, यह गणना करें कि आपको अपनी पसंदीदा चीज़ करने के लिए कितने पैसे की आवश्यकता है। उसके बाद, यह आपके लिए स्पष्ट हो जाएगा कि आपकी आय को प्रबंधित करने के लिए सबसे अच्छा कैसे है, जो अस्थायी रूप से छोड़ने के लायक है, और इसके विपरीत ध्यान देने के लिए - आवश्यक धन प्राप्त करने के लिए। एक अच्छी तरह से प्रेरित व्यक्ति निर्बाध मामलों के साथ भी एक उत्कृष्ट काम करता है, इसलिए, यह संभव है कि आपको अपने मुख्य नौकरी में वेतन और कैरियर में वृद्धि प्राप्त होगी - अंत में। यदि आप सक्षम रूप से व्यवसाय का संचालन करते हैं, तो आप लगभग किसी भी उद्योग में बहुत पैसा कमा सकते हैं। एक उद्यमी बनना, पहली जीत हासिल करना और अपनी गलतियों का विश्लेषण करना शुरू करना, आप हमेशा अपनी सोच को बदलेंगे, क्योंकि आप सीखेंगे कि पैसा कैसे काम करना है। धन के लिए कई लोगों के पास सिर्फ यह नहीं है - सरल वित्तीय कानूनों की समझ, क्योंकि अक्सर हम यह भी नहीं सोचते हैं कि जिस कंपनी में हम काम करते हैं, उसकी आय क्या है, कारोबार क्या है। आप किसी व्यवसाय को व्यवस्थित किए बिना पैसा कमा सकते हैं। "म्यूचुअल फंड", "शेयर", "स्टॉक एक्सचेंज" और रूस में जैसे शब्द अभी भी अविश्वास के साथ माना जाता है - हर कोई 90 के दशक को याद करता है। लेकिन 90 के दशक में इन शब्दों ने लोगों के सबसे छोटे चक्र को अर्जित करने में मदद की। 1998 में, होनहार कंपनियों के शेयरों को लगभग कुछ भी नहीं खरीदा जा सका ... और मूल्य में वृद्धि की प्रतीक्षा करें। निवेश अब किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको अपनी वित्तीय शिक्षा करने की आवश्यकता है। एमएफयूए को समाप्त करना आवश्यक नहीं है, लेकिन प्रतिभूतियों, स्टॉक एक्सचेंज, बाजार संगठन पर किताबें पढ़ना सार्थक है। रूस के पास अपेक्षाकृत स्थिर निवेश कोषों की एक बड़ी संख्या है जो बड़े और छोटे निवेश दोनों के साथ काम करते हैं। कोई व्यवसाय का आयोजन करता है, कोई प्रतिभूतियों या अचल संपत्ति में निवेश करता है, कोई सिर्फ एक अच्छा करियर बनाता है। बड़ा पैसा बनाने के कई तरीके हैं, लेकिन वित्तीय कल्याण की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए, आपको ठीक से खुद को प्रेरित करना चाहिए और कार्य करना शुरू करना चाहिए। और हमारे सपने और इच्छाएं, जिन्हें हम पहले अवास्तविक मानते थे, हमारी मदद करेंगे।
2019/07/18 05:32:03
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भारत दर्शन ......Bharat Darshan with Alpana: शहीद स्मारक [ मेरठ ] मेरठ कालेज में इतिहास के सीनियर रीडर डा. के.डी. शर्मा जिन्होंने 1857 की क्रांति पर गहन शोध किया है ,बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर भारतीय स्वाधीनता के जिस झण्डे को फहराया गया था, वह कार्य 11 मई 1857 को मेरठ से दिल्ली पहुंचने वाले क्रांतिकारियों ने कर दिखाया था.उनके अनुसार यह सब अचानक नहीं हुआ ग़दर से पूर्व रेजिमेंटों के बीच चपातियाँ वितरण इस तैयारी का एक संकेत माना जाता है .मेरठ में विस्फोट के मात्र 12 घण्टों बाद ही दिल्ली में विप्लव हो गया था.जो देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में छा गया और अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना आसान नहीं है . शहीद स्मारक [ मेरठ ]चित्र-गूगल से साभार नाना साहब और तात्या टोपे [चित्र-गूगल से साभार] Posted by Alpana Verma अल्पना वर्मा at 5/06/2012 Labels: Alpana Verma, Shaheed Smarak, State-Uttar Pradesh, War memorial logo HTML COPY KAISE KRE. Simply Highlight all the content given in the scroll box and .Right click mouse..copy..and paste it where ever you want. बहुत अच्छी जानकारी .. .. @कविता जी,बहुत -बहुत धन्यवाद! आपको यह पोस्ट अच्छी लगी और सबसे अधिक ख़ुशी हुई यह जानकर कि आपने मुझे आज जन्मदिन की बधाई दी.बहुत-बहुत आभार!
2019/02/19 19:31:04
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काकरापार परमाणु ऊर्जा के परिचालन पर मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई – The Lucknow Tribune 22/07/2020 2:15 PM लखनऊ ट्रिब्यून काकरापार परमाणु ऊर्जा, नरेंद्र मोदी, पीएम मोदी नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-3 के ''सामान्य परिचालन स्थिति में आने" (क्रिटिकल होने) पर बुधवार को परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि यह स्वेदशी परमाणु संयंत्र ''मेक इन इंडिया" अभियान का गौरवपूर्ण उदाहरण है। गुजरात में स्थित 700 मेगावाट की क्षमता वाले इस ऊर्जा संयंत्र के सामान्य परिचालन स्थिति में आना इस बात का संकेत है कि यह संयंत्र ऊर्जा उत्पादन के लिए अब तैयार है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ''काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-3 के सामान्य परिचालन स्थिति में आने के लिए हमारे परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई! स्वदेश में ही डिजाइन किया गया 700 एमडब्‍ल्‍यूई का केएपीपी-3 परमाणु संयंत्र 'मेक इन इंडिया' का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है।" उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह इस तरह की अनगिनत भावी उपलब्धियों में निश्चित तौर पर अग्रणी है।
2021/09/18 07:51:37
https://thelucknowtribune.com/modi-congratulates-scientists-on-operating-kakrapar-nuclear-power/
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आखिर सुहागरात पर दुल्हन क्यों पिलाती है दूल्हे को दूध,जाने क्या है वजह?क्यां आप जानते है HomeGazabआखिर सुहागरात पर दुल्हन क्यों पिलाती है दूल्हे को दूध,जाने क्या है वजह?क्यां आप जानते है # सेक्स की इच्छा में इजाफा: इस दूध में कई तरह के मसलो से लेकर बादाम, केसर तक मिलाया जाता है। जिस वजह से दूध में ऐसे तत्व उत्पन्न होते है। जो की हमारी सेक्स इच्छा को बढ़ा देते है। साथ ही इसके नियमित सेवन से पुरुषो के स्पर्म काउंट और मेटिलिटी में भी इजाफा होता है। # इम्युनिटी और पाचन क्रिया में बढ़ोतरी: यह दूध हमारी पाचन शक्ति को सुधारने के साथ ही हमारे यमुने सिस्टम को भी मजबूती प्रदान करता है। जिसकी मदद से आप सुहागरात पर बेहतर परफॉर्म कर सकते है। # जोश और एनर्जी: भारतीत्य शादियां काफी थका देने वाली होती है। शादियों में निभाई जाने वाली रस्मो और रिवाजो से दूल्हा दुल्हन थक जाते है। ऐसे में यह दूध पुरुषो की थकान दूर कर उनमे जोश भर देता है। जिसका सीधा फायदा बेड पर मिलता है। # नजदीकी: अपनी सुहागरात पर दूल्हा दुल्हन पहली बार एक दुसरे के करीब आते है। ऐसे में जिझक होना स्वाभाविक है। ऐसे में यह दूध का गिलास आपकी झिझक को मिटाने में में मदद कर सकता है। इससे आप दोनों के बीच बातचीत शुरू की जा सकती है।
2021/09/20 15:17:08
https://www.wahpost.online/2021/01/blog-post_163.html
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क्या आपको सफर करने से पहले या सफर के दौरान घबराहट होती है? अगर हां, तो इस लेख के ज़रिए हम आपको बताएंगे कि कैसे आप सफर के नाम से होने वाली घबराहट को दूर कर सकते हैं। साइकिल से नाप ली दुनिया दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हर पल नई चुनौतियों का सामना करने में मज़ा आता है। ये लोग खुद ही अपने लिए मुश्किल रास्ते का चुनाव करते हैं, क्योंकि इन्हें आरामदायक ज़िंदगी पसंद नहीं होती। ऐसी ही एक लड़की है, पुणे की वेदांगी कुलकर्णी, जिन्होंने महज़ बीस साल की उम्र में ही साइकिल से पूरी दुनिया माप ली। बनाया नया रिकॉर्ड जुलाई में ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से वेदांगी ने अपना सफर शुरु किया था और कोलकाता पहुंचकर उन्होंने 29,000 किलोमीटर का सफर तय कर लिया। इस तरह वह साइकिल से दुनिया का चक्कर लगाने वाली सबसे तेज […] ThinkRight.Me empowers you with calming tools, techniques, and affirmations that compel you to begin your day with a mindful mindset. The right thought flows into the right action and behaviour, changing your perspective towards life. Have a question? +91 808080 9339 Contact us at support@thinkright.me About us Contact us Privacy Policy Terms of Service Download The App Connect with us +91 808080 9339 Write to us at Envelope About us Contact us Privacy Policy Terms of Service © 2010-2022 ThinkRight.me Categories Aahar Aatm Sudhaar Behtar Neend Better Sleep Compassion Dhyaan Jeevan Shaily Kaam-Jeevan Santulan Karuna Maansik Swastha Mindfulness Parvarish Prerna Pyaar Aur Rishte Sachetan Sanskruti Sharirik Swastha Tanaav Se Raahat Uncategorized Yatra Yoga
2022-12-02T14:05:26Z
https://www.thinkrightme.com/hi/tag/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-hi/
OSCAR-2301
Corona virus | एएचएसडी ने कहा, कोविड 19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार हो सोमवार, 11 मई 2020 (18:31 IST) कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों की संस्था ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से कोविड-19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने की संशोधित नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है जिसे आईसीएमआर के परामर्श से तैयार किया गया है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी) ने रेखांकित किया कि पूरे देश में कोविड-19 की अलग-अलग प्रजाति (स्ट्रेन) सक्रिय हैं और इस की घातकता रोगी को पहले से हुए रोग से भी निर्धारित होती है। इस लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों का पूरे देश में एक समान लागू नहीं किया जा सकता। ALSO READ: पश्चिम बंगाल: कोरोना के आंकड़ों पर क्यों छिड़ा है विवाद? उल्लेखनीय है कि फरवरी में वायरस का वर्गीकरण करने वाली अंतरराष्ट्रीय समिति ने नए वायरस का नाम सिवियर एक्यूट रेस्परटॉरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) रखने की घोषणा की थी। संगठन ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली में बड़े पैमाने पर नए मामले आ रहे हैं और बिस्तर एवं उपकरणों की कमी है जबकि अस्पताल में भर्ती होने की दर भी अधिक है। ऐसे में आईसीएमआर ने हाल में अस्पताल से छुट्टी देने के नियम में बदलाव किया और वहां कोई और विकल्प नहीं होने की वजह से पृथक-वास का परामर्श लागू हो सकता है। एएचएसडी ने 10 मई को लिखे पत्र में कहा कि लेकिन पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों में संक्रमण के भौगोलिक विस्तार का अबतक पता नहीं चला है, ऐसे में कोविड-19 से संक्रमण की पुष्टि होने वाले मरीज के नमूनों की जांच के बिना छुट्टी देना सही विकल्प नहीं होगा। बिना लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण फैलाने की क्षमता है। संगठन ने केंद्र सरकार ने आईसीएमआर के साथ मिलकर राज्य विशेष के आधार पर प्रावधान करने का आह्वान किया। पत्र में रेखांकित किया गया कि कोविड-19 को लेकर सामाजिक भ्रांति है और ऐसे में केवल बुखार नहीं होने के आधार पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई तो उसके पड़ोसी इलाके में उसे स्वीकार नहीं करेंगे। एएचएसडी ने कहा कि यह अनुभव है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति जिसमें हल्के लक्षण हैं या बिना लक्षण के हैं उन्हें परिवार और करीबी रिश्तेदारों द्वारा घर में ही पृथक रखने को लेकर उत्साहित नहीं हैं। संगठन के महासचिव मानस गुमता द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया कि केंद्र द्वारा प्रत्एक जिले में कोरोना योद्धाओं के लिए आरटी-पीसीआर जांच के लिए प्रयोगशाला चिह्नित की जानी चाहिए और क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को बाधित किए बिना नए उपकरणों की आपूर्ति की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गत शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी देने की संशोधित नीति की घोषणा की। इसके मुताबिक गंभीर हालत में भर्ती संक्रमितों को रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी। हल्के या बिना लक्षण वाले लोगों के लिए ऐसी जांच की जरूरत नहीं होगी। (भाषा)
2021/01/18 23:35:10
https://m-hindi.webdunia.com/coronavirus/ahsd-s-suggestion-for-kovid-19-patients-120051100097_1.html
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ईशनिंदा में युवक की हत्या से सकते में पीएम नवाज़ - BBC News हिंदी मशाल ख़ान के परिजन शव को अंत्येष्टि के लिए ले जाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस चीज़ को बर्दाश्त नहीं करेगी कि लोग अपने हाथों में क़ानून ले लें. पत्रकारिता के इस छात्र को उसके साथी छात्रों ने कैंपस में ही बेरहमी से मार दिया. अधिकारियों का कहना है कि इस हत्या में आठ लोगों पर हत्या और आतंकवाद का मामला तय किया गया है. पाकिस्तान: इस्लाम की आलोचना का आरोप, छात्र को पीट-पीट कर मार डाला एक पाकिस्तानी अधिकारी मशाल ख़ान के मारे जाने की जगह के दिखाता हुआ जिस स्टूडेंट की हत्या की गई उसकी पहचान मशाल ख़ान के रूप में हुई है. मशाल पर इस्लाम की निंदा करने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने का आरोप था. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के उत्तरी शहर मर्दान में अब्दुल वाली ख़ान यूनिवर्सिटी के होस्टल में मशाल को निर्वस्त्र कर मार दिया गया. मशाल ख़ान इसी कमरे में रहते थे. दीवार पर कार्ल मार्क्स और चे ग्वेरा की तस्वीर लगी है पीएम नवाज़ शरीफ़ ने सोशल मीडिया पर ईशनिंदा वाली टिप्पणियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया था. अब उन्होंने इस हत्या की निंदा की है. गुरुवार को हुई हत्या में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह पहला बयान आया है. उन्होंने कहा, ''इस जुर्म की निंदा करने के लिए सभी देशवासियों को एक साथ आना चाहिए. हमें सहिष्णुता और समाज में क़ानून के राज को प्रोत्साहित करना चाहिए. इस अपराध को अंजाम देने वालों को पता होना चाहिए कि सरकार इस चीज़ को बर्दाश्त नहीं करेगी कि लोग क़ानून अपने हाथ में ले लें.'' मशाल ख़ान के धर्मनिरपेक्ष और उदार विचार से उनके साथी स्टूडेंट भड़के रहते थे मशाल ख़ान के पिता इक़बाल ख़ान शुक्रवार को जब मशाल ख़ान की अंत्येष्टि हुई तो स्थानीय मस्जिद के इमाम ने इससे जुड़े अनुष्ठानों को पूरा करने से इनकार कर दिया था. मशाल के पिता इक़बाल ख़ान का कहना है कि ईशनिंदा के आरोप में सच्चाई नहीं है. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, ''पहले उन्होंने मेरे बेटे की बेरहमी से हत्या कर दी और अब वे इस आरोप के ज़रिए मेरे जख़्म पर नमक छिड़क रहे हैं.''
2021/09/23 02:01:43
https://www.bbc.com/hindi/international-39612487
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लगातार दूसरे दिन अधिकतम तापमान 46°c पर ; लू के थपेड़ों से हाल बेहाल | Rewari- Temperature 46@ for the second day in a row; suffering from heat wave - Dainik Bhaskar Rewari Temperature 46@ For The Second Day In A Row; Suffering From Heat Wave रेवाड़ी में आसमान से बरसी आग:लगातार दूसरे दिन अधिकतम तापमान 46°c पर ; लू के थपेड़ों से हाल बेहाल रेवाड़ी में शनिवार को भीषण गर्मी के बीच नाईवाली चौक पर ड्यूटी के दौरान लोगों की प्यास बुझाते ट्रैफिक पुलिसकर्मी। हरियाणा के रेवाड़ी में लगातार दूसरे दिन झुलसा देने वाली गर्मी का कहर नजर आया। भीषण गर्मी के चलते सड़कों पर चारों तरफ सन्नाटा पसरा रहा। क्षेत्र में शनिवार को अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गर्मी से बचाव के लिए शनिवार को जगह-जगह शहर में छबील लगाकर लोगों को मीठा पानी पिलाया गया। दरअसल,10 दिनों से रेवाड़ी जिले में लोग भीषण गर्मी का सामना कर रहे है। गर्मी ने पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। शुक्रवार को तो अधिकतम तापमान 46.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। हालांकि आज आधा डिग्री की गिरावट जरूर दर्ज की गई, लेकिन लोगों को गर्मी से कोई राहत नहीं मिली। मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को रेवाड़ी में न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 46.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। गर्मी का आलम यह है कि दिन ही नहीं, बल्कि रात में भी लोगों का हाल बेहाल हो चुका है। एक तरफ गर्मी और दूसरी तरह बिजली के कटों से लोगों के पसीने छूट रहे है। मौसम विशेषज्ञों की माने तो मई की शुरूआत में इस तरह की गर्मी कई साल बाद नजर आई है। अभी नौतपा शुरू नहीं हुआ है। उससे पहले ही अधिकतम तापमान 46 डिग्री के पार जा चुका है। अमूमन इस तरह की गर्मी पिछले कुछ सालों में जून में भी नजर नहीं आई। हालांकि इस बार मानसून के समय पर आने की पूरी संभावना है। गर्मी से बचाने के लिए बच्चे को कपड़े से लपेट कर ले जाता बुजुर्ग। लू के थपेड़ों से घर से बाहर निकलना मुश्किल पिछले 3 दिनों की बात करें तो दोपहर 12 बजे से ही लू का कहर दिखाई दे रहा है। शनिवार को भी 12 बजे से ही तेज गर्म हवाएं शुरू हो गई। दोपहर तक आलम यह रहा है कि शहर की जो सड़कें या तो ट्रैफिक की वजह से या फिर लोगों की भीड़ की वजह से खचाखच भरी नजर आती थी, वहां कर्फ्यू जैसा आलम दिखाई दिया। फर्ज के साथ प्यास बुझा रहे ट्रैफिक पुलिस के जवान आग उगलते सूर्य देवता से निकलती तपिश के बाद जन-जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। ऐसे में लोगों का घरों से निकलना दुश्वार हो चुका है। जरूरी कामों के लिए जिन लोगों को घरों से बाहर निकलना पड़ रहा है। वह हर संभव प्रयास गर्मी से बचने का कर रहे हैं। सेवा सुरक्षा और सहयोग का नारा देने वाली हरियाणा पुलिस के जवान तपती दोपहरी में अपना फर्ज निभाते हुए ना केवल ड्यूटी पर तैनात हैं, बल्कि आने जाने वालों की प्यास भी बुझाने का काम कर रहे हैं। शहर में राहगीरों को पानी पिलाने वाली महिला पुलिसकर्मी का कहना है कि हम अपने फर्ज के साथ गर्मी के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए पानी पिलाने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। महिला सिपाही ने कहा कि लोगों को इस प्रचंड गर्मी से अपना और अपनों का ख्याल रखने के भरसक प्रयास करने चाहिए और साथ ही पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करते हुए पेड़ों पर सकोरे रखने चाहिए ताकि इस भीषण गर्मी से जन-जीवन प्रभावित ना हो सके। DJ बजाने की जिद ने तुड़वाया रिश्ता: महेन्द्रगढ़ में बगैर दुल्हन लौटी बरात; आनन-फानन में दूसरी जगह रिश्ता करके विदा की बेटी गुरुग्राम में सोसाइटी में लगी भीषण आग: दिल्ली के मुंडका जैसा हादसा होने से बचा; 6 लोगों को किया सुरक्षित रेस्क्यू झज्जर में 45 हजार कैश-गहने चोरी: गांव बाबरा की घटना; पत्नी-बेटी की मौजूदगी में चुराए; CCTV में नजर आया संदिग्ध
2022/05/23 18:41:13
https://www.bhaskar.com/local/haryana/rewari/news/temperature-46-for-the-second-day-in-a-row-suffering-from-heat-wave-129806191.html
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मंदसौर: शिवना का पानी दूषित, दम घुटने से मर रही मछलियां, रोजाना बढ़ता जा रहा शिवना में प्रदूषण मुख्यपृष्ठमंदसौर न्यूज़मंदसौर: शिवना का पानी दूषित, दम घुटने से मर रही मछलियां, रोजाना बढ़ता जा रहा शिवना में प्रदूषण शिवना का पानी दूषित होने से मछलियों का दम घुट रहा और हो रही कई जलीय जीवों की मौत 2021 मंदसौर शहर की प्यास बुझाने वाली शिवना नदी अब खुद के तारणहार का इंतजार कर रही है। मंदसौर में शिवना नदी की हालत पशुपतिनाथ मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र में ऐसी हो गई है कि शिवना नदी का पानी पीने लायक तो छोड़ो वह अब नहाने लायक भी नहीं बचा है। शहर के गंदे नाले का पानी लगातार नदी में मिलने के कारण पानी इतना दूषित हो गया है कि पानी में ऑक्सीजन की कमी हो गई है और इस कारण मछलियों समेत सभी जलीय जीवो के दम घुटने लगे हैं और उनकी मौत होने लगी है। रोजाना पशुपतिनाथ मंदिर और आसपास के क्षेत्र में नदी के किनारे पर बड़ी मात्रा में मछलियां मरी हुई मिल रही है। इस पर प्रशासन और नगर पालिका ध्यान नहीं दे रही है और बस सीवरेज लाइन के भरोसे ही बैठी है। पिछले 20 साल से नदी प्रदूषण मुक्त होने का इंतजार कर रही है यह कोई नया मामला नहीं है बल्कि पिछले 20 सालों से शिवना नदी खुद को शुद्ध होने का इंतजार कर रही है। प्रतिवर्ष इसके लिए बजट भी मिलता है लेकिन नदी शुद्ध नहीं हो पाती है। शिवना नदी को शुद्ध करने के लिए नगरपालिका अभी तक ढाई करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन अभी तक गंदे नाले का पानी शिवना में मिलने से रोकने में सफल नहीं हो पाई है। नगर पालिका के प्रयास दावो से आगे नहीं बढ़ रहे हैं और नगर पालिका अभी तक प्लानिंग में ही उलझी हुई है। शिवना नदी का पानी बारिश के मौसम में 2 महीने तक शुद्ध रहता है और उसके बाद शहर के गंदे नाले का पानी उसमें लगातार मिलने के कारण कुछ दिनों में नदी प्रदूषित हो जाती है और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बिल्कुल कम हो जाती है। इतना प्रदूषित पानी की दम घुटने से रोजाना मछलियां मर रही है गंदे की लगातार नदी में मिलने से पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि उस में ऑक्सीजन की मात्रा बिल्कुल कम हो गई है और रोजाना मछलियों के अलावा अन्य जलीय जीव का दम घुटने से मौत हो रही है। नदी में गंदगी के साथ मरी हुई मछली अभी दिख रही है। अभी भी रोजाना नदी में गंदगी बढ़ती जा रही है और मछलियां पानी में नहीं रह पा रही है। नदी में लगातार बढ़ रही गंदगी प्रशासन और नगर पालिका की उदासीनता को बयां कर रही है। शिवना नदी को शुद्ध करने की बात तो दूर इसमें गंदगी नहीं मिले इसके लिए प्रयास भी शुरू नहीं हो चुके हैं। शिवना शुद्धिकरण को लेकर अभी तक योजना बहुत सारी बन चुके हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। शिवना शुद्धिकरण को लेकर 100 करोड रुपए की योजना बनाई जा चुकी है लेकिन इसकी मंजूरी कब होगी यह मैं नहीं किसी को नहीं पता है। पशुपतिनाथ मंदिर से लेकर मुक्तिधाम तक नदी में सबसे ज्यादा प्रदूषण है शिवना नदी पूरी तरीके से प्रदूषित हो चुकी है और इसमें सबसे अधिक गंदा पानी पशुपतिनाथ मंदिर से लेकर मुक्तिधाम तक हो रहा है। पशुपतिनाथ मंदिर से लेकर मुक्तिधाम तक नदी में लगभग 10 गंदे पानी के नाले मिल रहे हैं। नदी में विभिन्न प्रकार की सामग्रियां बहाई जा रही है। नाली में जलकुंभी को लेकर अन्य प्रदूषित पानी मिलने के कारण नदी की हालत बिगड़ती जा रही है। गंदगी एकत्रित होने के कारण नदी से दुर्गंध आ रही है यह हालत हो गई है कि पुलिया से निकलने वाले हर व्यक्ति को प्रदूषित वातावरण का सामना करना पड़ रहा है। अगर इसको सीधा कहा जाए तो शिवना नदी एक प्रकार से गंदा नाला बन चुकी है। अगर इसको अभी से नहीं रोका गया तो शहर में जल संकट पैदा हो सकता है।
2022/01/24 07:32:48
https://www.mandsaurtoday.com/2021/12/mandsaurshivnarivernews.html
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Scarlett Johansson Feels There Has Been A Change In The Industry After Her Black Widow Lawsuit: "...Really Important If I Lead That Charge" - super hindi news स्कारलेट जोहानसन अपने काले विधवा मुकदमे पर बोलती है (फोटो क्रेडिट: स्कारलेट जोहानसन / इंस्टाग्राम; ब्लैक विडो से पोस्टर) स्कारलेट जोहानसन ने डिज्नी के साथ अपने ब्लैक विडो मुकदमे के बारे में खोला है, और अभिनेत्री चाहती है कि हर कोई अपनी कीमत जान सके और खुद के लिए खड़ा हो। अभिनेत्री और स्टूडियो के बीच का झगड़ा हॉलीवुड में सबसे कुख्यात सूटों में से एक के रूप में नीचे जा सकता है। सितंबर में मुकदमे का निपटारा होने तक मार्वल के कई प्रशंसक टूट गए। अनवर्स के लिए, जोहानसन ने कंपनी के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि डिज़नी + पर फिल्म को रिलीज़ करने के कंपनी के फैसले ने उसके अनुबंध में एक शर्त का उल्लंघन किया, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि फिल्म पूरी तरह से नाटकीय रूप से रिलीज़ होगी। अब, स्कारलेट जोहानसन ने एक बार फिर डिज़नी के साथ द एसोसिएटेड प्रेस के साथ ब्लैक विडो की रिलीज़ को लेकर विवाद के बारे में बात की है, जबकि उनके सम्मान में अमेरिकन सिनेमैथिक श्रद्धांजलि के लिए रेड कार्पेट पर। एवेंजर्स एंडगेम की अभिनेत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि सामान्य तौर पर यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी खुद की कीमत जानें और अपने लिए खड़े हों।" "अपनी कीमत जानें और अपने लिए खड़े हों।" स्कारलेट जोहानसन an . पर बोलती हैं @am_cinematheque डिज्नी के खिलाफ उसके "ब्लैक विडो" वेतन पर उसके मुकदमे को निपटाने के लगभग दो महीने बाद उसे सम्मानित करने वाला कार्यक्रम। pic.twitter.com/d76WV0aesM – एपी एंटरटेनमेंट (@APEntertainment) 1 दिसंबर, 2021 "मुझे लगता है, आप जानते हैं, इस उद्योग में, मैं इतने लंबे समय से काम कर रहा हूं। लगभग 30 साल हो गए हैं और इसलिए मैंने देखा है … उन 30 वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है," स्कारलेट जोहानसन ने कहा। "मुझे लगता है कि कुछ समय पहले, शायद, आपको लगेगा, 'हे भगवान। अगर मैं अपने लिए खड़ा होता, तो शायद मैं फिर कभी काम नहीं करता। या मुझे किसी तरह से काली सूची में डाला जा सकता है," उसने कहा। जोहानसन ने जारी रखा, "शुक्र है, यह ज़ेगेटिस्ट में बदल रहा है। और ईमानदारी से, मुझे लगता है कि एक ऐसे उद्योग में हो रहा है जो मनोरंजन उद्योग के रूप में विशाल और सार्वभौमिक है और अगर मैं उस कार्य का नेतृत्व करता हूं तो वास्तव में महत्वपूर्ण है। भले ही स्कारलेट जोहानसन और डिज्नी के बीच सब कुछ तय हो गया हो, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि अभिनेत्री ब्लैक विडो के रूप में अपनी भूमिका को फिर से निभाएगी या नहीं। मार्वल के सीईओ केविन फीगे ने पहले खुलासा किया था कि एमसीयू और जोहानसन के बीच एक टॉप-सीक्रेट प्रोजेक्ट चल रहा है। ज़रूर पढ़ें: स्पाइडर-मैन: नो वे होम के टॉम हॉलैंड ने फिल्म को बढ़ावा देने के लिए एक प्रफुल्लित करने वाला टोबी मैगुइरे मेमे साझा किया और प्रशंसक इसे खो रहे हैं
2022/01/22 01:51:19
https://www.superhindinews.in/scarlett-johansson-feels-there-has-been-a-change-in-the-industry-after-her-black-widow-lawsuit-really-important-if-i-lead-that-charge/
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Lockdown: बनारस में शराब की होम डिलीवरी, 110 दुकानें सील, 519 पर भी होगी कार्रवाई | varanasi - News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी Lockdown: बनारस में शराब की होम डिलीवरी, 110 दुकानें सील, 519 पर भी होगी कार्रवाई शराब की दुकान सील करता हुआ आबकारी विभाग का अधिकारी वाराणसी में अंग्रेजी शराब, बीयर और देशी शराब को मिलाकर करीब 629 दुकानें है. लॉकडाउन (Lockdown) के बीच शराब की होम डिलीवरी की शिकायतों पर पुलिस ने इन दुकानों को सील करना शुरू कर दिया है. Last Updated: April 24, 2020, 8:50 AM IST वाराणसी. उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में नशे के काले कारोबार पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. लॉकडाउन (Lockdown) के बीच वाराणसी में शराब की होम डिलीवरी की शिकायतें मिलने के बाद पुलिस ने दुकानों को सील करना शुरू कर दिया है. पहले दिन करीब 110 दुकानें सील कर दी गई हैं. वाराणसी में अंग्रेजी शराब, बीयर और देशी शराब को मिलाकर करीब 629 दुकानें है, जिन्हें सील करने की कार्रवाई शुरू हो गई है. बता दें कि जिस तरीके से एक दिन पहले शराब के एक बड़े गोदाम और उसकी फुटकर दुकान से शराब की चोरी छिपे बिक्री की बात सामने आई, उसके बाद ये कार्रवाई अमल में लाई गई है. कैंट थाना स्थित जिला जेल के सामने शराब के गोदाम से बाकायदा होम डिलीवरी और मोबाइल पर शराब के ऑर्डर मिले हैं. यहां शराब की बोतल से स्टीकर हटाकर बिक्री की जा रही थी. मौके से करीब 38 लाख रुपए कैश बरामद हुआ था. आबकारी विभाग को मिली सूचना के बाद जिला आबकारी अधिकारी करुणेन्द्र प्रताप सिंह और सीओ कैंट मुश्ताक अहमद की अगुवाई में आबकारी और पुलिस टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी की. इसके बाद काले कारोबार की पोल खुली. इस घटना के बाद ऐसे शराब के माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए अब आबकारी विभाग की ओर से सभी शराब के गोदामों और फुटकर दुकानों को सील किया जा रहा है.
2020/08/07 19:42:40
https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/varanasi-lockdown-110-liquor-shops-sealed-in-varanasi-action-on-519-to-be-taken-upud-nodsm-3046567.html
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मोहनजो दड़ो संस्कृति की तस्वीरें दिलचस्प जानकारियां Mohenjo Daro Fact in Hindi • Hindi Facts मोहनजो दड़ो संस्कृति की 10 तस्वीरें और उससे जुड़ी ये दिलचस्प जानकारियां ! : history of Mohenjo Daro – इतिहास की प्राचीन सभ्यताओं में सिंधु घाटी की सभ्यता को सबसे पुरानी और प्राचीन माना जाता है. सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में जब भी ज़िक्र होता है तो उसके दो प्रमुख नगरों हड़प्पा और मोहनजो दड़ो की बात ज़रूर की जाती है.मोहनजो दड़ो के इतिहास को जानने की चाह लगभग हर किसी के दिल में होती है. आज मोहनजो दड़ो की इमारतें भले ही खंडहर में तब्दील हो चुकी है लेकिन शहर का प्राचीन इतिहास जानने के लिए ये खंडहर ही काफी हैं. कई इतिहासकारों का मानना है कि मोहनजो दड़ो सिंघु घाटी सभ्यता में पहली संस्कृति है जो कि कुएँ खोद कर भू-जल तक पहुंची थी. जानिए मोहनजो दड़ो से जुड़ी 10 दिलचस्प जानकारियां- 1. मुर्दों का टीला Mound of the dead 2. सबसे पुराना नियोजित शहर The oldest planned city. 3. 1922 ई. में हुई खुदाई 1922 Excavations. 4. सबसे प्राचीन सभ्यता The ancient civilization. 5. सबसे प्राचीन स्नानघर The ancient bathroom. 6. ग्रीड पद्धति से घरों का निर्माण Construction of houses from a grid pattern. 7. भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप India's oldest landscape. 8. खुदाई में मिली नर्तकी की मूर्ति Unearthed statue of dancer. 9. संग्रहालय में मौजूद हैं कई चीज़ें There are many things in the museum. 10. कृषि और पशुपालन था मुख्य व्यवसाय The main occupation was agriculture and animal husbandry. सिंधी भाषा में मोहनजो दड़ो का अर्थ है 'मुर्दों का टीला' कहा जाता है कि पहले इस प्राचीन नगर को 'मोयन जो दड़ो' के नाम से जाना जाता था. history of Mohenjo Daro मोहनजो दड़ो को दुनिया का सबसे पुराना नियोजित शहर माना जाता है. यह सिंधु घाटी की सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है जिसके अवशेष सिंधु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में मौजूद हैं जो आज पाकिस्तान के हिस्से में आता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर मोहनजो दड़ो की खोज करने के लिए राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. में खुदाई का काम शुरु किया. माना जाता है कि सिंधु घाटी की सभ्यता आज से करीब 4700 साल पुरानी है. मोहनजो दड़ो नगर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था. इस नगर में करीब 35000 के करीब लोग रहते होंगे. कहा जाता है कि यह शहर सात बार उजड़ा और उसे फिर से सात बार बसाया गया था. मोहनजो दड़ो की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम सकते हैं. यह शहर जहां था आज भी वहीं है. यहां की दीवारें आज भी मजबूत हैं. इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहा गया है. इस नगर के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप है. मोहनजो दड़ो के संग्रहालय में कई ऐसी चीज़ें देखने को मिलती हैं, जो मोहनजो दाड़ो की कला को ज़ाहिर करती है. यहां मूर्तियों के अलावा काला पड़ गया गेहूं, तांबे और कासे के बर्तन, मुहर, चौपड़ की गोटियां, दिए, माप-तौल के पत्थर, तांबे का आईना, मिटटी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिटटी के कंगन, पत्थर के औजार हैं. ये थी मोहनजो दड़ो की जानकारियाँ. इन दिलचस्प जानकारियों से इतिहास काल की इस संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है जो हमारे इतिहास को हम तक आसानी से पहुंचाने में मदद करती है. The information Mohenjo daro. मोहनजोदड़ो की खुदाई मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत मोहनजोदड़ो फिल्म हड़प्पा मोहनजोदड़ो हडप्पा सभ्यता हड़प्पा सभ्यता की खोज हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना हड़प्पा संस्कृति
2021/05/18 23:30:36
https://www.inhindi.org/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A5%8B-%E0%A4%A6%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%8B-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF-information-mohenjo-daro/
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मोटापे से मिलता है लंबी उम्र का तोहफा, motape-se-milta-hai-lambi-umar-ka-tohfa लेटेस्टWritten by: अन्‍य Published at: Jan 04, 2013 मोटापा यानी कई बीमारियों की वजह। बीपी से लेकर डायबिटीज और दिल संबंधी रोगों के लिए जिम्‍मेदार होता है ये मोटापा। सभी आपको वजन कम करने की सलाह देते हैं। लेकिन, मोटापा अपने साथ लाता है लंबी जिंदगी का तोहफा भी... जानिए कैसे ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय संबंधी आदि कई रोगों के पीछे मोटापे को बड़ी वजह माना जाता है। लेकिन, मोटे लोगों के लिए यह खबर राहत पहुंचाने वाली हो सकती है। एक अध्‍ययन के मुताबिक अधिक वजन वाले लोग छरहरी काया वाले लोगों की तुलना में अधिक लंबा जीवन जीते हैं। [इसे भी पढें- मोटे लोग होते हैं अधिक खुशमिजाज] अमेरिकी शोधकर्ताओं ने करीब 100 अध्‍ययनों का विश्‍लेषण करने के बाद यह दावा किया है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि जिन लोगों का वजन सामान्‍य से कुछ अधिक होता है, वे दुबले-पतले लोगों के मुकाबले लंबा जीवन जीते हैं। अपने विश्‍लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्रतिभागियों का वजन सामान्‍य से अधिक था उनके जल्‍द मृत्‍यु की आशंका छह फीसदी तक कम थी। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जिन लोगों का वजन काफी ज्‍यादा था, उनकी शीघ्र मृत्‍यु की आशंका सामान्‍य वजन वाले प्रतिभागियों के मुकाबले अधिक थी। विशेषज्ञों की मानें तो यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह का अध्‍ययन सामने आया है, जिसमें थोड़े अधिक वजन को सेहत के लिए अच्‍छा माना गया है। इसका कारण बताते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि मुमकिन है कि अधिक वजन वाले लोग पेट भकर खाना खाते हैं और उसे संतुलित करने के लिए व्‍यायाम भी करते हैं। इससे उनका वजन बहुत अधिक नहीं बढ़ता। [इसे भी पढें- जीन की वजह से ज्यादा खाने लगते हैं मोटे लोग] इसके विपरीत छरहरी काया वाले लोग कम मात्रा में खाते हैं और भूख को दबाने के लिए अक्‍सर अन्‍य उपायों, मसलन धूम्रपान आदि का सहारा लेते हैं। इसलिए उनके जल्‍द मृत्‍यु की संभावना बढ़ जाती है। इस शोध के नतीजे ' अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित हुए हैं।
2021/10/20 17:33:02
https://www.onlymyhealth.com/motape-se-milta-hai-lambi-umar-ka-tohfa-1357298318
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मुख्य | 2021 MusicButton आपकी उंगलियों पर मीडिया नियंत्रण बटन रखता है Cydia पर जेलब्रेक ट्विक्स का एक समूह है जो मीडिया कंट्रोल बटन को सिस्टम-वाइड एक्सेस प्रदान करता है। MusicButton एक और ट्विक है जो आपके iPhone पर वर्तमान में चल रहे गाने को नियंत्रित करने का एक अनूठा तरीका प्रदान करता है। स्टीवन के ऐपबटन ट्वीक से प्रेरित होकर, म्यूज़िक प्लेबैक नियंत्रणों को देखने के लिए म्यूज़िकबटन को स्क्रीन पर एक नया बटन लगाया जा सकता है। जब भी आप इसे छुपाना या अनसुना करना चाहते हैं, तो यह एक्टिवेटर का लाभ उठाता है। जब आह्वान किया जाता है, तो आपकी स्क्रीन पर एक गोलाकार बटन दिखाई देता है। आप खेलने के लिए बटन पर टैप कर सकते हैं या अब प्लेइंग ट्रैक को पॉज कर सकते हैं। पिछले ट्रैक HomePod पर अपने संदेशों को सुनने से किसी को कैसे रोकें पेरिस्कोप टिप कंटेंट क्रिएटर्स को 'सुपर हार्ट्स' जोड़ता है IOS 8.4 के म्यूजिक ऐप में ऑल सॉन्ग को शफल कैसे करें iOS 13: iPhone बैटरी चार्जिंग का अनुकूलन कैसे करें यहां बताया गया है कि छोटे व्यवसाय iOS 8.3 के साथ Apple मैप्स में POI का दावा कैसे कर सकते हैं ऐप्पल के iOS 8.3 अपडेट, जिसने बुधवार को अपनी सार्वजनिक शुरुआत की, में एक नई सुविधा शामिल है जो छोटे व्यवसायों को मैप्स ऐप के अंदर अपने स्वयं के POI डेटा का प्रबंधन करने की अनुमति देता है। इस तरीके से, हम आपको दिखाएंगे कि आप कैसे दावा और प्रबंधन कर सकते हैं। अपने व्यवसाय के POI डेटा का दावा करने के लिए, आपको यह पुष्टि करने की आवश्यकता होगी कि प्रश्नों की एक श्रृंखला का उत्तर देकर आप वास्तव में उसके मालिक हैं। ऐसा करने के लिए, मानचित्र में अपना व्यवसाय ढूंढें और उसकी जानकारी लाएं, फिर पृष्ठ के निचले भाग में "समस्या की रिपोर्ट करें" बटन पर टैप करें। फिर आप "इस व्यवसाय का दावा करें&q आईओएस 4.2.1, आईफोन 4.2.1 कैसे अपने iPhone 4, iPhone 3GS, iPhone 3G PwnageTool (iOS 4.2.1) का उपयोग करने के लिए iPhone देव टीम ने कुछ सप्ताह पहले PwnageTool 4.2 जारी किया था, जो उन उपयोगकर्ताओं को अनुमति देता है जो tojailbreak चाहते हैं और अपने iPhone को प्री-जेलब्रोकेन iOS 4.2.1 के साथ अपने iPhone को अपडेट करने के लिए अनलॉक करते हैं, जबकि बेसबैंड को अपग्रेड होने से बचाते हुए इसे Ultrasn0w का उपयोग करके अनलॉक किया जा सकता है । यह गाइड आईफोन 4, आईफोन 3 जीएस औ कैसे करें: गैरेज के साथ एक कस्टम iPhone रिंगटोन बनाना मैंने कभी नहीं समझा कि रिंगटोन इतने बड़े व्यवसाय क्यों हैं। सिर्फ अपना ही क्यों नहीं? यदि आपके पास iTunes में गीत है (या बस माइक के माध्यम से कुछ रिकॉर्ड करना चाहते हैं), गैराजबैंड, और पांच मिनट में आप अपने सभी iDevices के लिए अपनी व्यक्तिगत रिंगटोन बना सकते हैं। शुरू करना सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि एक रिंगटोन या अलर्ट टोन, कम से कम जहां तक ​​आपके आईफोन या आईपैड का संबंध है, एक विशेष लंबाई की सिर्फ एक एमपी 3 या एएसी फ़ाइल है (जो अनिवार्य रूप से आईट्यून्स में रिंगटोन के रूप में टैग की गई है)। रिंगटोन के लिए (जैसे फेसटाइम या कॉल के लिए) रिंगटोन 40 सेकंड तक लंबी हो सकती है, अलर्ट टोन के लिए ऐप्पल टीवी के साथ होमपॉड का उपयोग कैसे करें जबकि होमपॉड सीधे ऐप्पल टीवी के साथ एकीकृत नहीं होता है जैसे क्रोमकास्ट Google होम के साथ करता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप होमपॉड को अपने ऐप्पल टीवी के लिए एक उत्कृष्ट स्पीकर सिस्टम के रूप में उपयोग नहीं कर सकते। AirPlay का उपयोग करके, आप अपने होमपॉड को अपने Apple टीवी से वायरलेस रूप से कनेक्ट कर सकते हैं और इसे साउंडबार प्रतिस्थापन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। जबकि होमपॉड को संगीत प्लेबैक के लिए डिज़ाइन किया गया है, यह फिल्मों और टीवी शो के साथ-साथ जब यह एक समृद्ध ध्वनि प्रदान करता है। और पढ़ें : होमपॉड ऑडियो क्वालिटी है खरीद मूल्य ऐप्पल टीवी पर होमपॉड कैसे सेट करें एक बार जब आप अपने iPhone IPhone X पर रीचैबिलिटी को कैसे सक्षम और उपयोग करें सबसे पहले, ऐसा लग रहा था कि iPhone X में रीचैबिलिटी फीचर नहीं होगा। एक डिवाइस के लिए एक जिज्ञासु विकल्प जिसमें आईफोन 8 प्लस की तुलना में लंबा स्क्रीन है। निष्कासन उचित प्रतीत हुआ क्योंकि होम बटन ही चला गया है। अब जबकि iPhone X जंगली में है, हम जानते हैं कि Reachability iPhone X पर रहती है। लेकिन यह डिफ़ॉल्ट रूप से चालू नहीं होता है। और पढ़ें : टॉप 10 नए iPhone X फीचर्स यहाँ iPhone X पर रीचैबिलिटी को सक्षम करने के चरण दिए गए हैं: चरण 1 : पहुंच पर जाएं अपने iPhone पर सेटिंग्स ऐप खोलें और जनरल -> एक्सेसिबिलिटी पर जाएं । चरण 2 : पुन: सक्रियता सक्षम करें यहां, टॉगल पर टैप करके रीचैबिलिटी ऑप्शन को लोकप्रिय श्रेणियों 2021 25 सर्वश्रेष्ठ आईफोन एक्सएस और आईफोन एक्सएस मैक्स टिप्स एंड ट्रिक्स नया iPhone XS और iPhone XS Plus यहां हैं। वे नए, जेस्चर-आधारित इंटरैक्शन मॉडल के दूसरे पुनरावृत्ति को चिह्नित करते हैं जिसे Apple ने iPhone X के साथ उपयोग करना शुरू कर दिया है। यदि आप iPhone 8 से iPhone XS पर कूद रहे हैं, तो आप पाएंगे कि बहुत सारी चीजें अलग हैं। होम बटन के बजाय, एक इशारा-आधारित होम बार है। और यह सिर्फ शुरुआत है। IPhone XS और iPhone XS Max के लिए कुछ शीर्ष युक्तियों और युक्तियों के साथ अपने नए डिवाइस में महारत हासिल करना शुरू करें। बेस्ट iPhone XS और iPhone XS मैक्स टिप्स एंड ट्रिक्स 1. अनलॉक और होम जेस्चर अगर iPhone XS होम बटन के बिना आपका पहला iPhone है, तो आपको नए इशारों के ल वेब के लिए अपने डार्क मोड (या जैसे ही YouTube इसे कॉल करता है, डार्क थीम) को रोल आउट करने के बाद, YouTube अब इस फीचर को iOS के लिए ला रहा है। iPhone और iPad उपयोगकर्ता धीरे-धीरे अपने उपकरणों पर डार्क थीम को चालू करने का विकल्प देखना शुरू कर रहे हैं। और शुक्र है, यह नई सुविधा YouTube Red सदस्यता के लिए अनन्य नहीं है। तो YouTube के साथ अंधेरे पक्ष पर कैसे प्राप्त करें? पता लगाने के लिए पढ़ें। डार्क थीम फीचर 13.01.4 और इसके बाद के संस्करण के उपयोगकर्ताओं के लिए दुनिया भर में धीरे-धीरे चल रहा है। इसलिए सबसे पहले, ऐप स्टोर पर जाएं और नवीनतम रिलीज़ के लिए YouTube को अपडेट करें। यदि आप अभी भी डार्क थी IOS 8.4 के साथ GPS समस्याएँ हैं? यहाँ समस्या को ठीक करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं Apple ने iOS 8.4 जारी किया, जिसमें Apple Music के साथ एकीकृत सभी नए म्यूजिक ऐप शामिल हैं, और इसमें iBooks और अन्य बग फिक्स के लिए सुधार भी शामिल हैं। हालांकि, कई उपयोगकर्ता iOS 8.4 में अपग्रेड करने के बाद जीपीएस के साथ समस्याओं की रिपोर्ट कर रहे हैं। प्रभावित उपयोगकर्ताओं द्वारा वर्णित के रूप में, उनके iPhone या iPad पर जीपीएस या तो उनकी स्थिति को बंद करने से इनकार कर देता है या इसकी सटीकता बह IPad Pro (2018) पर मल्टीटास्किंग का उपयोग कैसे करें सुविधाओं में से एक है कि मैं वास्तव में अपने नए iPad प्रो पर आनंद ले रहा हूं और जहां यह macOS पर स्कोर करता है वह मल्टीटास्किंग फीचर है, जिसे iOS 11 में पेश किया गया था। यदि आप iPad Pro में नए हैं, तो आपको ऐप्स के बीच स्विच करने के तरीके, और स्लाइड ओवर, और स्प्लिट व्यू जैसी सुविधाओं का उपयोग कैसे करना चाहिए, जैसे विशेष रूप से अब यह पता चलता है कि इसमें होम बटन नहीं है। IPad Pro (2018) पर मल्टीटास्किंग फीचर्स का उपयोग कैसे करें IPad प्रो (2018) पर डॉक कैसे एक्सेस करें मल्टीटास्किंग सिस्टम के लिए यात्रा स्क्रीन के नीचे से एक सरल स्वाइप के साथ शुरू होती है। अब, जब आप किसी ऐप में हों, तो नीचे के कि IPhone और iPad पर iOS 12 सुविधाओं का उपयोग कैसे करें: निश्चित गाइड iOS 12 लगभग यहां है। और यह नई और भयानक सुविधा से भर गया है। कुछ नए फीचर्स, जैसे ग्रुप नोटिफिकेशन, आपके चेहरे पर सही हैं। लेकिन iOS 12 थोड़े से फीचर्स से भरा है, पूरे OS में फैला हुआ है। सबसे रोमांचक सुविधाओं में से कुछ - नए स्क्रीन टाइम और सिरी स्वचालन सुविधाओं की तरह - सेटिंग्स ऐप के अंदर छिपे हुए हैं! यदि आपने अभी-अभी iOS 12 स्थापित किया है और सोच रहे हैं कि आप सभी नई और भयानक विशेषताओं का उपयोग कैसे कर सकते हैं - Do Not Disturb से Siri Shortcuts तक - नीचे दिए गए हमारे लेख को देखें। 1. कस्टमाइज़ या ग्रुप नोटिफ़िकेशन को अक्षम करें आईओएस 12 स्वचालित रूप से संदर्भों और थ्रेड्स के आधार पर सूचनाएं Analytics 2732 × 2048 रिज़ॉल्यूशन के साथ iPad Pro मॉडल पहचानकर्ता 'iPad6,8' दिखाता है जबकि iPad प्रो पहले ही कथित बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने की तारीख के आसपास की रिपोर्ट कर चुका है, एक नई एनालिटिक्स रिपोर्ट बता सकती है कि एप्पल द्वारा घोषणा करने से पहले ही डिवाइस वास्तव में मौजूद है। मोबाइल एनालिटिक्स फर्म, AppSee की एक रिपोर्ट के आधार पर, "iPad6, 8" के मॉडल पहचानकर्ता के साथ एक नया iPad अपने एनालिटिक्स लॉग में दिखाया गया है। दिलचस्प रूप से पर्याप्त है, इस डिवाइस के स्क्रीन रिज़ॉल्यूशन को 2732 × 2048 के रूप में दिखाया जा रहा है, जो कि पिछले दिनों अपने 12.9 इंच के डिस्प्ले के साथ iPad प्रो का रिज़ॉल्यूशन होने की अफवाह थी। एनालिटिक्स फर्म पहले से ही "iPhone8, iphone क्षुधा यहाँ iPhone और iPad के लिए Fortnite के लिए आमंत्रित करने का तरीका बताया गया है एपिक गेम्स 'फोरनाइट' गेमिंग दुनिया में वर्तमान में सभी क्रोध है। हालांकि कंपनी ने iPhone और iPad उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वजनिक रूप से गेम जारी नहीं किया है, लेकिन यह कुछ उपयोगकर्ताओं को जल्दी पहुंच प्रदान करके गेम का परीक्षण कर रहा है। यदि आपको ऐसा कोई ईमेल नहीं मिला है, तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप अपने एक मित्र से फोर्टनाइट को गेम में ट्राय करने के लिए आमंत्रित करने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। यदि आप पहले से ही एक Fornite खिलाड़ी हैं, तो आप खेल में प्रवेश करने के बाद एक "मित्र को आमंत्रित करें" बटन देखेंगे। संभवत: आपको एपिक गेम्स से भी दोस्तों को आमंत्रित कर
2021/01/22 03:43:53
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कालेज डेज की मस्ती, प्यार, दोस्ती की याद दिलाती है स्टूडेंट ऑफ द ईयर" : फिल्म समीक्षा - flim review of student of the year - HindiLok.com  एस्ट्रोसेज कुंडली एंड्रॉयड ऍप मुफ़्त कुंडली सॉफ्टवेयर और बहुत कुछ! एक मिनट से भी कम में मोबाइल साइट पर आगे बढ़ें  Toggle navigation होम ज्योतिष हिन्दी कुंडली कुंडली मिलान मासिक पंचांग आरती, भजन और स्तोत्र आदि होरा राहुकाल चौघड़ियाँ सूर्योदय और सूर्यास्त आयुर्वेद रामशलाका बत्तीसा यंत्र राशिफल मनोरंजन बॉलीवुड हॉलीवुड टीवी चुटकुले होम Entertainment कालेज डेज की मस्ती, प्यार, दोस्ती की याद दिलाती है स्टूडेंट ऑफ द ईयर" : फिल्म समीक्षा Subscribe Magazine on email: कालेज डेज की मस्ती, प्यार, दोस्ती की याद दिलाती है स्टूडेंट ऑफ द ईयर" : फिल्म समीक्षा कहते है कि कालेज डेज की यादें हमेशा जेहन में ताजा रहती हैं। और कालेज डेज की मस्ती, प्यार दोस्ती जिंदगीं में काफी मायने रखता है लेकिन इस टापिक को लेकर फिल्में काफी कम बनी है। करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म "स्टूडेंट ऑफ द ईयर" इस हफ्ते रिलीज हो गयी। इस फिल्म के जरिये बॉलीवुड में तीन नये चहेरे कदम रख रहें हैं। जिनमें से महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट भी है। और डेविड धवन के बेटे वरुण धवन के साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा भी हैं। करण जो भी फिल्में बनाते है उस फिल्म की स्टार कास्ट को काफी सोच समझकर चुनते हैं। और कुछ ऐसा ही करण ने अपनी फिल्म "स्टूडेंट ऑफ द ईयर" की कास्ट को लेकर किया। अगर फिल्म स्टूडेंट को लेकर है तो उस फिल्म की स्टार कास्ट भी उसी ऐज ग्रुप की होनी चाहिये। औऱ कुछ ऐसी ही स्टार कास्ट करण ने अपनी फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर के लिये चुनी। और यह करण का विश्वास और उनका अनुभव की ही पहचान है की उन्होंनें एकदम नये चहेरों को लेनी की सोची। फिल्म की तीनों स्टार कास्ट यंग और टेंलटिड भी है। अगर फिल्म की कहानी की बात की जाये तो फिल्म की कहानी कॉलेज के स्टूडेंट्स की लाइफ और उनकी मस्ती पर आधारित है। इसमें तीनों स्टूडेंट्स की जिंदगी, उनकी मस्ती और अफेयर्स की कहानी है। फिल्म में पूरी मस्ती है। और यह फिल्म स्टूडेंटस को पूरी तरह से पंसद आयेगी। फिल्म को देहरादून के स्कूलों की खूबसूरत लोकशन पर फिल्माया गया है। फिल्म की कहानी अच्छी है और कहीं ना कहीं हमारी कालेज लाइफ के उन दिनों की याद दिलाती है। अगर फिल्म के गानों की बात की जाये तो फिल्म के गाने पहले से ही लोगों की जुबान पर चढ गये हैं। डिस्को दिवाने तो काफी हिट हो चुका है। इसके साथ ही फिल्म के सारे गाने काफी पंसद किये जा हैं अगर फिल्म की एक्टिंग की बात की जाये तो फिल्म में तीनों नये कलाकारों का अभिनय काफी शानदार रहा है। इन तीनों के अलावा फिल्म में सुषमा सेठ और ऋषि कपूर का भी खास रोल है। फिल्म के अन्य कलाकारों में राम कपूर, रोनित राय, फरीदा जलाल और बोमन इरानी की भी दमदार भूमिका है। आलिया भट्ट का अभिनय ठीक-ठाक है। अगर न्यूकमर में किसी के अच्छे अभिनय की बात की जाये तो सिद्धार्थ ने अच्छा अभिनय किया है। वैसे यह फिल्म यूथ को ज्यादा पंसद आयेगी। फिलहाल यह फिल्म लोगों को पंसद आ रही है। अगर आप अपने कालेज के दिनों को याद करने के मूड में है तों यह फिल्म आप देख सकते हैं। और हां अगर आप मारधाड टाइप की फिल्मों के शौकीन है। तो यह फिल्म आपके लिये नहीं है। More from: Entertainment 33463 ताजातरीन / What's Hot Holi Festival in 2020: Puja Muhurat Lohri 2020: Lohri Festival Dates, Muhurat Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति 2020 दिनांक और महत्व ज्योतिष सीखें - भाग 1 Makar Sankranti 2020: Pongal Muhurat, Sankranti Date Movies 2020: List of Movies in 2020 Chinese Horoscope 2020 Predictions: Year Of The Rat Lunar Calendar 2020 - Moon Phases 2020 ज्योतिष लेख Subscribe to RSS headline updates from: Powered by FeedBurner Holi Festival in 2020: Puja Muhurat Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow. Lohri 2020: Lohri Festival Dates, Muhurat Makar Sankranti 2020: Pongal Muhurat, Sankranti Date Movies 2020: List of Movies in 2020 Chinese Horoscope 2020 Predictions: Year Of The Rat Lunar Calendar 2020 - Moon Phases 2020 और भी Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति 2020 दिनांक और महत्व मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका। Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020
2022-11-27T02:30:06Z
https://hindilok.com/flim-review-of-student-of-the-year-1019201289898989.html
OSCAR-2301
सुपौल: दो बहनों से गैंगरेप के आरोपी का स्केच जारी, सुराग देने वाले को मिलेगा इनाम supaul two sister gang-rape-case accused-sketch-released-by-supaul-police brvj | bihar - News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी Updated: October 11, 2019, 9:02 AM IST सुपौल में दो बहनों के साथ गैंग रेप करने वाले अपराधी का जिला पुलिस ने स्केच जारी किया है. 8 अक्टूबर की रात को राघोपुर थाना इलाके में मेला देखने जा रही एक नाबालिग के साथ अपराधियों ने गैंग रेप की घटना को अंजाम दिया, वहीं, पीड़ित की बङी बहन के साथ भी दुष्कर्म करने के बाद उसे गोली मार दी गई थी.
2019/10/22 21:47:26
https://hindi.news18.com/news/bihar/supaul-supaul-two-sister-gang-rape-case-accused-sketch-released-by-supaul-police-brvj-2504536.html
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हेमा ने संसद में उठाया गिरिराजजी के विकास का मुद्दा Publish Date:Fri, 06 Dec 2019 06:09 AM (IST) सांसद हेमा बोलीं श्री गोवर्धन जी विकास न्यास बनाकर हो एकीकृत विकासकब्जा कर गोवर्धन पर्वत को खत्म करने की साजिश का लगाया आरोप जागरण संवाददाता, मथुरा: संसद में शून्यकाल के दौरान मथुरा की सांसद ने गोवर्धन पर्वत का मुद्दा उठाकर गोवर्धन पर्वत के संरक्षण और विकास का मुद्दा उठाया। कहा कि गिरिराजजी का सात कोसीय परिक्रमा मार्ग दो राज्यों उत्तर प्रदेश-राजस्थान की सीमा के अंतर्गत आता है। इसलिए एकीकृत विकास के लिए केंद्र सरकार से'श्री गोवर्धन जी विकास न्यास' बनाकर विकास कराने का आग्रह किया। उन्होंने संसद में कहा कि गोवर्धन जी धाम में श्री गिरिराज पर्वत हैं, जिनको ब्रज का तिलक भी संतों द्वारा कहा गया है। 21 किमी की पर्वत की परिक्रमा करने करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। उन्होंने कहा कि गोवर्धन में 60 -70 वर्ष पहले 370 वाटर बॉडीज थीं। वह सब प्राय: लुप्त हो गई हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं। उन पर भूमाफिया का कब्जा है। वहां गो-घाट होते थे, गहन वृक्षावली, मोर, तोते, कोयल आदि पक्षियों के विहार की व्यवस्था होती थी। सभी कुंडों पर लगभग गोघाट समाप्त कर दिए गए हैं, वृक्षावली को तहस-नहस कर दिया गया है। रेन वाटर रिचार्ज की भी व्यवस्था खत्म कर दी गई है। मानसी गंगा, राधाकुंड, कुसुम सरोवर का जल आचमन योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जैसे वृंदावन,मथुरा की परिक्रमा नष्ट हो गई है, उसी प्रकार गोवर्धन की परिक्रमा को कब्जा कर नष्ट करने का कुत्सित प्रयास चल रहा है। भक्तों के लिए शौचालय और कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि गोवर्धन जी के विकास के लिए अगले 100 वर्षों को ध्यान में रखकर विश्वस्तरीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए। एकीकृत विकास होना बहुत जरूरी है। उन्होंने गोवर्धन के संपूर्ण विकास के लिए न्यास, बोर्ड या परिषद का गठन कर गिरिराज जी का विकास केंद्र सरकार से उसकी निगरानी में कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गोवर्धन होने के कारण केंद्र सरकार को पहल कर श्री गोवर्धन जी विकास न्यास का गठन कर गोवर्धन जी को तिरुपति बाला जी, वैष्णो देवी, स्वर्ण मंदिर की तरह सुंदर बनवाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
2020/01/29 07:24:20
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/mathura-development-issues-19819027.html
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हैंडबिल देकर वाहन चालकों को किया जागरूक - Amja Bharat Home fatehpur हैंडबिल देकर वाहन चालकों को किया जागरूक हैंडबिल देकर वाहन चालकों को किया जागरूक Alok Kumar Saturday, November 20, 2021 fatehpur, फतेहपुर, शमशाद खान । यातायात जागरूकता अभियान को मुख्य धारा पर लाने के लिए उद्योग व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश के संस्थापक अध्यक्ष किशन मेहरोत्रा के नेतृत्व में शनिवार को ज्वालागंज चौराहे पर यातायात जागरूकता अभियान हैंडबिल बैठकर दो पहिया वाहनों को हेलमेट पहनकर वाहन चलाने व चार पहिया वाहन चालकों को सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाने हेतु प्रेरित किया। बताया गया कि कृपया बाएं से चलें, नशा करके वाहन न चलाएं, दो पहिया वाहनों पर तीन सवारी न बिठाएं, तीव्र गति से वाहन न चलाएं, अनमोल जीवन की रक्षा हेतु सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा के संदेशों का पालन करें। यातायात जागरूकता अभियान में अनिल वर्मा, मनोज साहू, कृष्ण कुमार तिवारी, मनोज कुमार मिश्रा, रजनीश अग्निहोत्री, यातायात सिपाही विद्या सागर, सुनील कुमार सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया। कल (आज) अपरान्ह एक बजे अटल चौराहा व वर्मा चौराहा में उद्योग व्यापार मंडल यातायात जागरूकता अभियान चलाएगा।
2021/12/06 18:23:31
https://www.amjabharat.live/2021/11/blog-post_258.html
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शरणार्थी संकट तय करेगा ब्रिटेन का भविष्य Home अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संकट तय करेगा ब्रिटेन का भविष्य ब्रिटन के मतदाता आज एक ऐसी रायशुमारी में हिस्सा लेने जा रहे हैं जिसका अंतरराष्ट्रीय महत्व है। ये रायशुमारी केवल ये तय नहीं करेगी कि उनका देश यूरोपीय संघ का सदस्य बना रहेगा या नहीं अथवा संघ से अलग होने की स्थिति में उसका भविष्य क्या होगा। उनके मतदान से निकलने वाले फ़ैसले का पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा। यही नहीं, यूरोप समेत पूरे विश्व में चल रही सामाजिक उथल-पुथल के लिए भी वह बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यही वजह है कि पूरी दुनिया की निगाहें इस रायशुमारी के नतीजों पर लगी हुई हैं। दुनिया भर के नेता परोक्ष रूप से इसमें शामिल हो चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तो खुलकर यूरोपीय समुदाय में बने रहने की वकालत कर चुके हैं। भारत ने भी यही इच्छा ज़ाहिर की है कि ब्रिटेन यूरोपीय समुदाय का सदस्य बना रहे। वास्तव में विश्वव्यापी मंदी और अस्थिरता के इस दौर में सभी चाहते हैं कि ब्रिटेन अपनी जगह से न हिले। लेकिन ये फ़ैसला किसी और को नहीं ब्रिटेन के नागरिकों को करना है, जो कि इस मुद्दे पर बुरी तरह बँटे हुए दिख रहे हैं। तमाम जनमत सर्वेक्षण बता रहे हैं कि मुक़ाबला काँटे का है और ऊँट किसी भी करवट बैठ सकता है। इसके बावजूद जो मुद्दा सबसे ज़्यादा उभरकर आया है वह शरणार्थियों का है। पिछले दो साल में शरणार्थियों की जो बाढ़ यूरोप में आई है, उसने ब्रिटेन के लोगों के मन में असुरक्षा की भावना को इतना मज़बूत कर दिया है कि वे घृणा तथा हिंसा की राह पर भी चल पड़े हैं। यूरोपीय संघ में ब्रिटेन के बने रहने के पक्ष में अभियान चला रहीं लेबर पार्टी की सांसद जो कॉक्स की हत्या ने बता दिया है कि ब्रिटेन का एक वर्ग कितना उग्र हो चुका है और किस हद तक जाने को तैयार है। लेकिन ये हत्या उन लोगों को एकजुट होने के लिए भी मजबूर कर सकती है जो चाहते हैं कि ब्रिटेन में नई तरह की कट्टरता पैदा न हो और जो कल को उग्रवाद का रूप धर ले। रायशुमारी के शुरूआती दौर में शरणार्थी मुद्दा इतना हावी नहीं था। यूरोपीय समुदाय में बने रहने के पक्ष और विपक्ष में कई तरह की दलीलें दी जा रही थीं। इनमें ब्रिटेन की पहचान को कायम रखना सबसे प्रमुख था। ये मुद्दा यूरोपीय समुदाय के गठन के समय से ही अँग्रेजों के लिए अहम था और एक तबका इसीलिए हमेशा विरोध में खड़ा रहा। यही वह कारण भी रहा जिसके चलते ब्रिटेन कभी पूरे मन से समुदाय का हिस्सा भी नहीं बन पाया। इसके अलावा एक मुद्दा ब्रिटेन की अपनी अंदरूनी आज़ादी और लोकतंत्र का भी चल रहा था। लोगों को लगने लगा था कि बहुत सारे मसले तो यूरोपीय संसद तय कर रही है और उनका वैसा अख़्तियार नहीं रह गया है जैसा पहले होता था। लेकिन जब से शरणार्थियों के संकट ने यूरोप में डेरा डाला है, ये तमाम मुद्दे जैसे पृष्ठभूमि में चले गए हैं और अब बात हो रही है केवल इसकी कि शरणार्थियों को ब्रिटन आने से कैसे रोका जाए, कैसे नियंत्रित किया जाए। यूरोपीय समुदाय द्वारा तय किए गए नियम-कायदे उन्हें रास नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि शरणार्थियों पर हमले भी बढ़ते जा रहे हैं। ज़ाहिर है कि ये एक भावनात्मक मुद्दा बन चुका है इसीलिए बहुत से लोग इन दलीलों तक को दरकिनार कर दे रहे हैं कि अलग होना ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। ब्रिटेन का आधे से ज़्यादा निर्यात यूरोपीय समुदायों के देशों मे ही जाता है और आयात भी वहीं से होता है। अगर वह अलग हुआ तो इस पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि तब उसे उन्हीं नियमों क तहत व्यापार कर पड़ेगा जैसा कि अन्य ग़ैर यूरोपीय देश कर रहे हैं। ये एक नुकसानदेह स्थिति है। शरणार्थी समस्या के इस कदर हावी होने जाने की वजह से ही ब्रिटेन के अर्थशास्त्रियों में घबराहट का माहौल है। प्रचार के शोर में न तो बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा जारी किए गए विवरणों पर गौर किया गया और न ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चेतावनियों को ही गंभीरता से लिया गया। आख़िरी समय के सर्वेक्षण बताते हैं कि यूरोपीय समुदाय छोड़ने के पक्ष में राय मज़बूत होती जा रही है। लेकिन दस फ़ीसदी मतदाता अभी भी तय नहीं कर पाए हैं कि उन्हें किस ओर जाना है। दरअसल, यही दस फ़ीसदी लोग तय करेंगे ब्रिटेन और यूरोपीय संघ का भविष्य। अगर ये भी शरणार्थी संकट से उपजे असुरक्षाबोध के शिकार हो गए तब तो निश्चित है कि ब्रिटेन संघ से बाहर होगा। 14 अप्रैल को देश भर के अख़बार बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने वाले, उनके पद चिन्हों का अनुसरण करने की प्रतिज्ञा करने वाले और उ...
2019/11/17 13:13:50
https://www.deshkaal.com/2016/06/Refugee-crises-will-determine-uk-future.html
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सुशांत मामला: इस मामले की जांच का हाल दाभोलकर हत्याकांड की जांच जैसा न हो- पवार मुंबई, गुरुवार, 20 अगस्त 2020। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने एक बड़ी टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले का हाल 2013 के नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की तरह नहीं होनी चाहिए, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अब तक नहीं सुलझा पाई है। दिवंगत अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता दाभोलकर को उनकी 7 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एनसीपी सुप्रीमो ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार सुशांत जांच में सीबीआई का सहयोग करेगी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसी को सुशांत की जांच स्थानांतरित करने के बाद पवार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे उम्मीद है कि यह (एसएसआर) जांच दाभोलकर हत्या मामले की तरह नहीं होगी। सीबीआई ने 2014 में इस मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन आज तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला है। जाने-माने बुद्धिवादी और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के संस्थापक दाभोलकर की उनके पुणे स्थित घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए 2014 में इस मामले की जांच सीबीआई को दी थी। एक बयान में दिवंगत दाभोलकर के बच्चों हमीद और मुक्ता ने तर्क दिया था कि सात साल बाद भी दाभोलकर की हत्या एक रहस्य है और "यह बहुत दुखद है कि सीबीआई जैसी एजेंसी जांच पूरी करने में सक्षम नहीं हो पाई।" उन्होंने सीबीआई से भी साजिश के मास्टरमाइंडों का पता लगाने का आग्रह किया था वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकतार्ओं और पत्रकारों के लिए खतरा बना रहेगा। पवार की इस टिप्पणी की निंदा करते हुए विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातलकर ने कहा कि एनसीपी नेता यह भूल गए कि उस समय राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार सत्ता में थी। उन्होंने सवाल उठाया कि तब मामले की जांच क्यों नहीं की गई? क्या पुलिस ने तब भी वही किया था जो अब (सुशांत मामले में) किया? इस मौके पर कई प्रमुख लोगों, अधिकारों और तर्कवादी कार्यकतार्ओं और सामाजिक हस्तियों ने दाभोलकर को पुणे में और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
2022/07/02 19:58:23
https://nagarprabha.org/details.php?details=111378&slug_name=Breaking
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Haryana News In Hindi : Faridabad After the Viral Video food safety department raid on a restaurant | पनीर की सब्जी में चूहे का बच्चा मिला तो वीडियो किया वायरल, रेस्टोरेंट पर पड़ी रेड - Dainik Bhaskar Faridabad After the Viral Video food safety department raid on a restaurant फरीदाबाद / पनीर की सब्जी में चूहे का बच्चा मिला तो वीडियो किया वायरल, रेस्टोरेंट पर पड़ी रेड Jan 14, 2019, 07:42 PM IST सोशल मीडिया पर वायरल किया गया वीडियो। छापेमारी के दौरान फूड सेफ्टी अॉफिसर जांच करते हुए। फूड सेफ्टी अॉफिसर पृथ्वी सिंह। इस रेस्टोरेंट का है मामला। अपनी सफाई देते हुए रेस्टोरेंट मालिक। वीडियो वायरल होने के बाद फूड सेफ्टी अॉफिसर ने मारा छापा, रेस्टोरेंट के कुकिंग एरिया को देख भड़के अधिकारी फरीदाबाद। नेहरू ग्राउंड स्थित शहनाई रेस्टोरेंट में बनी पनीर की सब्जी में चूहे का मरा हुआ बच्चा निकलने का वीडियो वायरल होने के बाद फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट हरकत में आया। फूड सेफ्टी अॉफिसर ने रेस्टारेंट में छापा मारा। इस दौरान रेस्टोरेंट के कुकिंग एरिया की हालत देखकर अधिकारी हैरान रह गए। आटे में काकरोच व कीड़े रेंग रहे थे। अधपकी सब्जी खराब बर्तनों में पड़ी थी। टीम ने पहुंचकर रेस्टोरेंट के स्टॉफ को झाड़ लगाई। सब्जी को फिंकवाया। इसके अलावा टीम ने मौके से आटे, पनीर और टमाटर सॉस के सेंपल जांच के लिए भरे। इन्हें जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो था। इसमें उपभोक्ता आरोप लगा रहा था कि उसने यह पनीर की सब्जी शहनाई रेस्टोरेंट से पैक कराई थी। जब वो घर आए तो उसमें चूहे का मरा हुआ बच्चा निकला। इसके बाद उन्होंने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग को की। इसके बाद विभाग हरकत में आया। सोमवार को यहां पर टीम ने रेड की। फूड सेफ्टी अॉफिसर पृथ्वी सिंह ने बताया कि जांच की गई तो कुकिंग एरिया की बेहद खराब हालत थी। यहां आटे में कीड़े रेंग रहे थे। सफाई न होने की वजह से जगह-जगह काकरोच घूम रहे थे। खाद्य पदार्थ पर मक्खी भिनक रही थी। खराब टमाटर सब्जी में डालने के काटे हुए थे। खराब व गंदे बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह देखकर अधिकारियों ने रेस्टोरेंट के स्टॉफ जमकर झाड़ लगाई। उन्होंने मौके पर सारी सब्जी नष्ट कराई। गंदे बर्तनों को धुलवाया। पूरे रेस्टोरेंट की सफाई कराई। इनके सैंपल भी जांच के लिए भरे गए हैं। वहीं रेस्टोरेंट मालिक का कहना है कि चूहे का बच्चा मिलने की बात गलत है। ऐसा नहीं हो सकता।
2019/06/18 05:42:23
https://www.bhaskar.com/haryana/rohtak/news/faridabad-after-the-viral-video-food-safety-department-raid-on-a-restaurant-01477566.html
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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति ने उमाकांत चौधरी की जयंती का किया उद्घाटन, कई गणमान्य लोग रहे मौजूद... - Bihar Now ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० एस०पी० सिंह ने आज यहाँ कहा कि संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों की भागीदारी शिक्षण कार्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए संकल्प लेना होगा। कुलपति प्रो० सिंह आज एम०आर०एस०एम कॉलेज में महामानव स्व० उमा बाबू के जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मिथिलांचल में मेघा की कोई कमी नहीं है लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलने के कारण मेधा का पलायन यहां से हो रहा है उन्होंने कहा कि पारंपरिक शिक्षा से अब काम नहीं चलेगा नई शिक्षा पद्धति को अपनाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि उमा बाबू एक शिक्षक एवं शिक्षा प्रेमी थे और जीवन पर्यंत शिक्षा के क्षेत्र में उसके प्रचार-प्रसार हेतु कार्य करते रहे आज उनकी जयंती समारोह में यहां के सारे शिक्षकों को तथा हम सबों को यह व्रत लेना होगा की जैसे भी हो गुणवत्तापूर्ण एवं आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार हम करें। कुलपति ने कहा कि मिथिलांचल में मेधा की कोई कमी नहीं है आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि उसे सही राह पर चलाया जाए। कुलपति ने महाविद्यालय के शिक्षा कर्मियों को आश्वस्त कराया कि उनका अनुदान शीघ्र निर्गत किया जाएगा। महाविद्यालय में चल रहे विकास कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में सबो का सहयोग लिया था उसी तरह इस महाविद्यालय में भी सबों के सहयोग से विकास कार्य और गति से होनी चाहिए। इस अवसर पर बेनीपुर के विधायक प्रो० विनय कुमार चौधरी ने उमा बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा से उनका अभूतपूर्व लगाव था एवं जीवन पर्यंत इस दिशा में वह कार्य करते रहे उन्होंने जीवन में हम सबों को इस बात की प्रेरणा दी कि शिक्षा के विकास के लिए जो भी संभव हो वह प्रयास करना चाहिए। प्रोफेसर विनय ने विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के विकास में हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। हायाघाट के विधायक श्री रामचंद्र साह महाविद्यालय के विकास में हर प्रकार के सहयोग की बात कही तथा कहा कि मैं भी यही का एक शिक्षक हूं इसलिए कॉलेज एवं संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षकों की समस्या के लिए सरकार से भी बात करेंगे। पूर्व विधान पार्षद एवं इस महाविद्यालय के सचिव प्रो० विनोद कुमार चौधरी ने कॉलेज की विभिन्न समस्याओं की ओर कुलपति जी का ध्यान आकृष्ट किया तथा कहा कि शिक्षकों एवं कर्मचारियों का अनुदान तुरंत निर्गत करवा दें एवं महाविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा का एक केंद्र खोला जाए। महाविद्यालय के संस्थापक एवं पूर्व सचिव डॉक्टर बैधनाथ चौधरी "बैजू बाबू" ने कुलपति से महाविद्यालय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू कराने की मांग की उन्होंने कॉलेज की स्थापना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी तथा कहा कि विभिन्न संघर्षों के बाद आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं। जयंती समारोह को एम०आर०एम० कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर अरविंद कुमार झा, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि प्रोफेसर अयोध्या नाथ झा सहित श्री विजय कुमार, श्री राजकुमार चौधरी स्थानीय मुखिया एवं शासी निकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर गुणानंद झा ने मुख्य रूप से संबोधित किया। कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर गुणानंद चौधरी ने शुरू में मिथिला की परंपरा के अनुसार अतिथियों का स्वागत पाग चादर से किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर श्रीमती ममता ठाकुर द्वारा प्रस्तुत स्वागत एवं अभिनंदन गान कि लोगों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की एसपी लिपि सिंह के पदभार ग्रहण करने के चंद घंटों में ही अपराधियों ने दी चुनौती, एक फाइनेंस कंपनी के कर्मी से चाकू की नोंक पर लूट कर फरार.. Breaking : भोजपुर में चंद घंटों में दूसरी बड़ी वारदात, अपराधियों ने एक युवक को मारी गोली… पुलिसिंग फेल, अपराधी खेल रहे हैं रोजाना खूनी खेल !…
2021/07/24 22:55:05
https://biharnow.newsreach.in/news/462650
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Vrat ka Khana (व्रत का खाना) - रेसिपी, नियम, पूजा विधि और तरीके व्रत ज्यादातर सभी लोग रखते है। जैसा की अभी कुछ ही दिनों में नवरात्रे शुरू हो रहे है तो सभी को जानने की जरुरत है की व्रत के समय में क्या खा सकते है और वो कौन से व्यंजन है जो आसानी से बन भी जाते है। व्रत में जरुरी होता है बिना अनाज वाला खाना खाये और इस बात का भी ध्यान रखना की आपका खाना शुद्ध हो। व्रत में प्याज़, लहसुन का भी परहेज करना होता है तो केवल फलहार का आहार ही ग्रहण करे और अपने व्रत को पूर्ण करे। व्रत में केवल शुद्ध और शाकाहारी भोजन ही खाया जाता है। कुछ लोग तो केवल शाम के समय ही भोजन करते है लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी है जो दिन में भी एक बार कुछ 'खा लेते है। व्रत में सभी लोग अलग अलग तरह के पकवान और खाना बनाते है। आज हम आपके लिए लाये है कुछ ऐसे व्यंजन जिन्हें आप नवरात्री में और अन्य व्रत के समय बना सकते है। इन्हें आप खुद भी खा सकते और अपने परिवार के बाकि सदस्यो को भी खिलाकर खुश कर सकते है। नीचे दिए गए व्यंजनों को देखे और अपने आने वाले व्रत को अच्छे से पूरा करे। व्रत में खाया जाने वाला खाना व्रत का कहना – रेसिपी, नियम, पूजा विधि और तरीके साबूदाना खिचड़ी– व्रत के समय में खाने वाला सबसे स्वादिष्ट व्यंजन है साबूदाना खिचड़ी। इससे शरीर को ताकत भी मिलती और इसे खाने के बाद कोई भी व्यक्ति पुरे दिन बिना कुछ खाये रह सकता है। जो लोग व्रत में नमक के पदार्थ का सेवन कर लेते है उनके लिए साबूदाना खिचड़ी बहुत फायदेमंद है। इसे बनाने में भी ज्यादा समय नही लगता। व्रत के समय आपके घर कोई आ जाए तो आप उसे बनाकर खिला सकते है। आलू टिक्की – आलू टिक्की आप वैसे तो कई बार खाते होंगे लेकिन इसमें व्रत वाले नमक का इस्तेमाल कर के आप इसे अपने व्रत में खा सकते है। आलू टिक्की को बनाना बहुत ही आसान है। इसमें ज्यादा सामग्री नही लगती है तो आपको ज्यादा समय भी नही लगेगा। आलू टिक्की को आप दही या व्रत के नमक से बनी चटनी के साथ खा सकते है आपको स्वाद भी अच्छा लगेगा और आप शौक से भी खाएंगे। कुट्टू की पूरी – ज्यादातर व्रत ऐसे होते है जिनमे आप अनाज नही खा सकते तो उनमे आप कुट्टू से बनी चीज़े खा सकते है। जिनमे से एक सबसे आसान और स्वादिष्ट व्यंजन है कुट्टू की पूरी। इसे आप कुट्टू के आटे की मदद से बना सकते है। इसे बनाना थोड़ा सा मुश्किल जरूर है लेकिन इसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है तो इसे सभी शौक से और पेट भरकर खाते है। पूरा दिन व्रत रखने के बाद लगता है शाम को कुछ पेट भरने जैसा मिल जाए तो उसके लिए कुट्टू की पूरी बेस्ट है इसे आप दही या सब्ज़ी के साथ खा सकते है। मखानों की खीर – मखाने, दूध और अन्य मेवा डालकर बनाई गई यह खीर बहुत ही स्वादिष्ट होती है। जो लोग नमक का सेवन नहीं करते वो इसे बनाकर खा सकते और अपने घर के बाकि सदस्यो को भी खिला सकते है। मखाने की खीर का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है। बच्चे, बड़े सभी इसे बड़े चाव से खाते है। मखाने की खीर बनाने के लिए आपको पहले मखानों को तलना पड़ता है। उसके बाद दूध को पकाकर उसमे सभी सामग्री डाले आपकी स्वादिष्ट मखाने की खीर तैयार है। मीठे में यह सबसे बेस्ट रहती है। नारियल के लड्डू – नारियल के लड्डू का आप अपने भगवान को भोग भी लगा सकते है और खुद बहु खा सकते है। ऐसा जरुरी नही होता की हर समय आप कुछ बना ही पाये इसके लिए आप व्रत शुरू होने पर नारियल के लड्डू बनाकर रख ले। जिसे आप जब चाहे खा सकते है या आपके घर कोई आए उसे भी खिला सकते है। नारियल के लड्डू का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है। इसे बनाना भी आसान है ना इसमें ज्यादा समय लगता है और ना ही सामग्री तो झट से लड्डू बनाकर तैयार करे। व्रत की नमकीन – कुछ लोग ऐसे भी होते है जो व्रत तो रखते है लेकिन उनसे ज्यादा देर तक भूका नहीं रहा जाता। उनके लिए व्रत की नमकीन बहुत बेस्ट है। इसे आप व्रत शुरू होने पर बनाकर रख ले और अपने व्रत में रोजाना इसका सेवन करे इससे आपको बार बार भूक भी नही लगेगी और आपका व्रत भी आसानी से पूरा हो जाएगा। व्रत की नमकीन को बनाना बहुत ही आसान है इसमें साबूदाना, मखाने, आलू चिप्स और भी बहुत सी चीज़े डाली जाती है जो सब व्रत में खाई जाती है। इसका स्वाद भी बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब होता है जो सभी को पसंद आता है। आलू का हलवा-आलू का हलवा बहुत स्वादिष्ट होता है। यह हलवा ज्यादातर व्रत के समय में बनाया जाता है। इसे बनाना भी बहुत ही आसान है। आप नवरात्रों में आलू का हलवा बनाकर खुद खा सकते हैं और दूसरों को भी खिला सकते हैं ऊपर दिए गए सभी व्रत में खाई जाने वाली चीज़े है। व्रत में जरुरी होता है की आप अच्छे, शुद्ध और फलहार के सामान का प्रयोग करे तो उसके लिए यह सभी व्यंजन आपके लिए फायदेमंद है। अपनी पसंद और जरुरत के अनुसार आप इन्हें बनाये और व्रत में इनका सेवन करे। आपको इनका स्वाद भी अच्छा लगेगा और आपका व्रत भी बिना किसी परेशानी के पूरा हो जाएगा। तो देर किस बात की नवरात्रे दूर नही है आज से ही शुरू हो जाए और स्वादिष्ट चीज़े बनाये।
2021/10/17 19:21:23
https://recipes.justhindi.in/vrat-ka-khana-hindi/
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Amid Corona Virus Government expands MSME loan guarantee scheme to include lawyers, doctors large firms- डॉक्टर, वकील और CA पर केंद्र मेहरबान, MSME के तहत लोन गारंटी स्कीम में शामिल, 1 लाख करोड़ बंटने के आसार - Jansatta डॉक्टर, वकील और CA पर केंद्र मेहरबान, MSME के तहत लोन गारंटी स्कीम में शामिल, 1 लाख करोड़ बंटने के आसार भाषा Edited By Naveen Rai नई दिल्ली | Updated: August 1, 2020 8:04 PM केंद्र सरकार ने कोरोना संकट से प्रभावित MSME सेक्टर के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 3 लाख करोड़ रुपये के लोन उपलब्ध कराने का ऐलान किया था। (फाइल फोटो) सरकार ने शनिवार को तीन लाख करोड़ रुपये की एमएसएमई ऋण गारंटी योजना के दायरे को बढ़ाते हुए अब 50 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाली इकाइयों को इसका पात्र बना दिया है। अब तक अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाली इकाइयों को ही नए कर्ज पर सरकारी गारंटी देने की योजना थी। साथ ही योजना के दायरे में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए चिकित्सकों, वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे पेशेवरों को दिए गए व्यक्तिगत ऋणों को शामिल किया है।लआपातकालीन ऋण गारंटी योजना में (ईसीएलजीएस) में बदलाव श्रमिक संगठनों की मांगों और जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई एमएसएमई की नई परिभाषा के आधार पर किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन बदलावों के बारे में मीडिया को बताया कि ईसीएलजीएस योजना में अब व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दिए गए व्यक्तिगत ऋण भी शामिल होंगे, जो इस योजना की पात्रता मानदंड के अधीन हैं। वित्तीय सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने कहा, ''हमने योजना के तहत व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए चिकित्सकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि को दिए गए व्यक्तिगत ऋण को भी कवर करने का फैसला किया है।''उन्होंने कहा कि कंपनियों के संबंध में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि व्यवसाय चलाने वाले इन पेशेवरों के ऋण स्वीकृत किए जा सकें। MSME के लिए बैंकों ने मंजूर किए 1.30 लाख करोड़ रुपये के लोन, 3 लाख करोड़ रुपये का जारी करने का है टारगेट उन्होंने बताया कि योजना का लाभ अधिक से अधिक कंपनियां ले सकें, इसके लिए इस योजना के तहत पात्रता के लिए 29 फरवरी को बकाया ऋण की ऊपरी सीमा को 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया है।पांडा ने बताया कि इस योजना के तहत गारंटीकृत आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) की अधिकतम राशि भी मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह योजना सरकार द्वारा कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एक हिस्सा है। यह योजना अब 250 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली कंपनियों लागू होगा, जबकि अभी तक यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये था। पांडा ने कहा कि इस योजना के तहत छोटी कंपनियों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया जा चुका है, इसलिए अब बड़ी कंपनियों को भी शामिल करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि इस योजना की कुल सीमा तीन लाख करोड़ रुपये है और योजना की वैधता अक्टूबर 2020 तक है। उन्होंने बताया कि बैंकों ने किसानों को खरीफ बुवाई और संबंधित गतिविधियों में मदद के लिए लगभग 1.1 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारकों के लगभग 90,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। 1 अमर सिंह ने तब नशे में धुत कांग्रेसी मणिशंकर अय्यर की कर दी थी पिटाई, खुद ही सुनाया था किस्सा 2 राज्यसभा MP अमर सिंह का सिंगापुर में निधन, PM मोदी- दुखी हूं; रक्षा मंत्री ने भी जताया शोक 3 VIDEO: 'कहेंगे सूर्य चंद्रमा सब नेहरू जी ने बनाया है तो मान लूंगा?', डिबेट में पैनलिस्ट पर BJP नेता का तंज, देखें फिर क्या हुआ
2020/08/09 20:25:56
https://www.jansatta.com/national/amid-corona-virus-government-expands-msme-loan-guarantee-scheme-to-include-lawyers-doctors-large-firms/1484927/
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आपको अपने विंडोज 10 पीसी में लॉग इन करने के लिए हैलो विंडोज फेशियल रिकॉग्निशन का उपयोग क्यों बंद करना चाहिए - टेक | जनवरी 2022 Apple, सोशल मीडियाऐप्स और सॉफ्टवेयर, समीक्षाएं, टेकस्टेमApple, Apps और सॉफ्टवेयरविशेषताएंसमाचारटेक, महिला टेक मेंगैजेट्स, हार्डवेयर, हाउ टू, रिव्यू, टेकविषय से परेटेकअफवाहें, टेकएप्पल, समीक्षाबिजनेस प्लान, कूल टेक जॉब्सएप्स और सॉफ्टवेयर, चुनिंदाऐप्स आपको अपने विंडोज 10 पीसी में लॉग इन करने के लिए हैलो विंडोज फेशियल रिकॉग्निशन का उपयोग क्यों बंद करना चाहिए पासवर्ड बेकार है, हम सभी इसके लिए सहमत हो सकते हैं, लेकिन बहुत कम वैकल्पिक प्रस्ताव जितनी सुरक्षा करते हैं। निश्चित रूप से नहीं चेहरे की पहचान माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 10 नए हैलो विंडोज स्वचालित लॉगिन सिस्टम के साथ पेश किया। हैलो विंडोज फेशियल रिकॉग्निशन को आपके चेहरे को स्कैन करने के लिए आपके वेबकैम का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया था और जब भी आप विंडोज 10 पर अपने विंडोज खाते में लॉग इन करना चाहते हैं, तो पहचान करें। हालांकि, शोधकर्ताओं की एक टीम ने हैलो विंडोज के सुरक्षा डिजाइन में एक घातक दोष की खोज की है। उपयोगकर्ता के चेहरे की सिर्फ एक मुद्रित तस्वीर का उपयोग करते हुए, शोधकर्ता हैलो विंडोज को यह सोचने में सक्षम कर रहे थे कि मुद्रित फोटो वास्तविक उपयोगकर्ता है और उन्हें विंडोज खाते तक पहुंच प्रदान की गई है। इन शोधकर्ताओं ने अपने काम को साइबर स्पेस की वेबसाइट पर प्रकाशित किया Seclists 8 दिसंबर कोवें। उन्होंने डेल और माइक्रोसॉफ्ट लैपटॉप दोनों पर चलने वाले विंडोज 10 के विभिन्न संस्करणों पर अपना स्पूफिंग परीक्षण किया। दोनों ही मामलों में, वे अपने चेहरे की मुद्रित तस्वीर का उपयोग करके आसानी से उपयोगकर्ताओं के विंडोज खाते में प्रवेश कर सकते थे। यह स्पूफिंग उन लोगों के लिए चिंता का कारण होना चाहिए जो अपने खातों में लॉग इन करने के लिए हैलो विंडोज द्वारा चेहरे की पहचान का उपयोग करते हैं। इसे भी देखें: हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों का उपयोग करके फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक सिक्योरिटी को बाईपास किया जा सकता है विंडोज 10 को यह सोचकर धोखा देना कि वह वास्तविक व्यक्ति के चेहरे को स्कैन कर रहा है, फिर मुद्रित चित्र को गलत करके उपयोगकर्ता खाते तक पहुंच प्रदान करने के लिए आगे बढ़ रहा है क्योंकि वास्तविक उपयोगकर्ता का वास्तविक चेहरा आसान था। यह सब भी अधिकृत उपयोगकर्ता की एक अच्छी तस्वीर थी, और चेहरे की पहचान सुरक्षा को दरकिनार कर दिया गया था। फोटो में बोनाफाइड उपयोगकर्ता के चेहरे की पूरी छवि होनी चाहिए। हैलो विंडोज एक उपयोगकर्ता के चेहरे पर अद्वितीय आकार और आकृति की पहचान करने के लिए अवरक्त कैमरा (आपके कंप्यूटर में एक अलग जोड़) का उपयोग कर सकता है। प्रणाली में दोष यह है कि यह किसी उपयोगकर्ता के चेहरे की तस्वीर को उसी तरह से पहचानता है जैसे वह असली चेहरे की पहचान करता है।
2022/01/20 13:44:42
https://hi.vemprarua.org/why-you-should-stop-using-hello-windows-facial-recognition-log-into-your-windows-10-pc
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Madhya Pradesh assembly election: Congress Must Talk To Small Parties For Alliance says, Akhilesh Yadav - Jansatta समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस एक बड़ा दल है और इसलिये उसकी जिम्मेदारी है कि वह छोटे दलों को अपने साथ ले। भाषा लखनऊ | October 10, 2018 11:20 AM अखिलेश ने स्पष्ट किया, ''कांग्रेस एक बड़ा दल है और इस नाते उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह छोटे दलों को भी साथ ले। खजुराहो में मंगलवार को पत्रकार वार्ता में गठबंधन के सवाल पर अखिलेश ने स्पष्ट किया, ''कांग्रेस एक बड़ा दल है और इस नाते उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह छोटे दलों को भी साथ ले। एक समय था जब समाजवादी पार्टी के आठ विधायक मध्यप्रदेश में थे, हमारा मत प्रतिशत भी ठीक था। हम तो चाहते थे कि कांग्रेस के साथ गठबंधन हो, पर कांग्रेस को लगता है कि हममें बल नहीं है। अब गठबंधन की बात तो सिर्फ हमसे नहीं बल्कि बसपा के साथ भी करनी होगी, तभी गठबंधन हो पायेगा।'' उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हो चुका है और बसपा से बात चल रही है। गुजरात में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हो रही घटनाओं पर उन्होंने कहा की दोषियों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए। पर उत्तर भारत के लोगों को वहां से निकाला जाना उचित नहीं है । उन्होंने कहा कि ये तो नहीं हो सकता कि एक घटना का सहारा लेकर आप सबको मार कर भगा दें। सपा अध्यक्ष ने भाजपा हटाइये सुख चैन से रहिये का नारा देते हुए कहा कि भाजपा को हटा दो, समाज में प्यार मोहब्बत होगी क्योंकि भाजपा तो प्रयोग करती है कि लोग दुखी कैसे हों, रात में नोट बंदी कर दी, देश लाइन में खड़ा हो गया, जीएसटी लागू कर दी, तो व्यापारी परेशां हो गया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले आये तो उसमें भी कुछ करने लगे।
2019/05/23 20:45:56
https://www.jansatta.com/rajya/madhya-pradesh-assembly-election-congress-must-talk-to-small-parties-for-alliance-says-akhilesh-yadav/786185/
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आम आदमी पार्टी, हरियाणा का "जय किसान अभियान"! प्रेस विज्ञप्ति : 15.03.2015 हरियाणा सरकार ने 4 दिसंबर 2014 को एक नोटिफिकेशन जारी कर भूमि अधिग्रहण के बाद ग्रामीण क्षेत्र के किसान को मिलने वाले मुआवजे को आधा करने का नियम बना दिया है | वहीँ केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को अध्यादेश जारी कर भू अधिग्रहण के लिए 2013 केकानून के उन प्रावधानों को भी लगभग ख़त्म कर दिया है (इस अध्यादेश को अब कानों में बदलने की कोशिश हो रही है) जिनके चलते अधिग्रहण से पहले किसान की सहमति लेने की शर्त थी | साथ ही अधिग्रहण से पहले सोशल इम्पेक्ट एसेसमेंट किया जाना था, जिससे जमीन पर निर्भरपरिवारों को भी पुनर्वास के समय लाभ मिलना था | 2013 के भू अधिग्रहण कानून के प्रावधान के अनुसार एक जनवरी 2015 तक नोटिफिकेशन जारी कर नेशनल हाइवे ऑथोरिटी एक्ट सहित कई अन्य कानूनों के लिए भी वही प्रावधान लागू करने थे | सरकार ने 31 दिसंबर के अध्यादेश के जरिये नेशनल हाइवे ऑथोरिटी एक्ट को 2013 के भू अधिग्रहण कानून के दायरे में ला दिया | जिसका अर्थ है कि जहाँ भी एक जनवरी 2015 के बाद नेशनल हाइवे ऑथोरिटी एक्ट के तहत जमीन अधिग्रहित का मुआवजा दिया जाना है वहां 2013 के कानून के प्रावधान लागू होने हैं | इस कानून के अनुसार बाजार मूल्य का सौ फीसदी सोलेशियम दिया जाना है | मगर सिरसा में जहाँ नेशनल हाइवे को चौड़ा किये जाने व बाई पास बनाने के लिए अधिग्रहण की जा रही जमीन का मुआवजा तय करने के लिए तैयार केलकुलेशन में 30 प्रतिशत सोलेशियम जोड़ा गया है (केलकुलेशन शीट सलंगन है) | जो कि सरासर गैर वाजिब है | आम आदमी पार्टी, हरियाणा व केंद्र सरकार के इन फैसलों का कडा विरोध करती है व पार्टी ने सकल्प लिया है कि हरियाणा में हरियाणा सरकार के इस नियम के रहते भूमि अधिग्रहण करने की छूट नहीं दी जायेगी | पार्टी हरियाणा सरकार से मांग करती है कि मुआवजा आधा करने वाले 4दिसंबर 2014 के नोटिफिकेशन को रद्द करे, जिससे कि इस नोटिफिकेशन को जारी कर बदले गए नियम को तुरंत वापिस किया जा सके | साथ ही आम आदमी पार्टी, हरियाणा केंद्र सरकार द्वारा 31 दिसंबर 2014 को जारी किये अध्यादेश को वापिस लेने व उसी के अनुरूप संसद में पेश किये गए बिलको वापिस लिए जाने की मांग करती है | आप के राज्य प्रभारी योगेन्द्र यादव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को 19 फरवरी 2015 को पत्र भी लिखा था | 13 मार्च को हरियाणा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस विधायक दल की नेता को भी पत्र लिख कर मांग की है कि हरियाणा सरकार के 4 दिसंबर 2014 के नियम को वापिस लेने की आवाज विधान सभा में उठायें | आम आदमी पार्टी, हरियाणा राज्य सरकार के इस नियम व केंद्र सरकार के अध्यादेश (जिसे अब बिल के तौर पर पेश किया गया है) के खिलाफ "जय किसान अभियान" चला रही है | इस अभियान के तहत पार्टी नेता योगेन्द्र यादव के नेत्रित्व में राज्य के सभी सांसदों को एक चिट्ठीके साथ नमक की थैली भेंट कर किसान के प्रति सांसदों के कर्तव्य की याद दिला रही है | गुडगाँव, करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद व पंचकुला के बाद आज 15 मार्च 2015 को सिरसा व हिसार के सांसदों को नमक की थैली भेंट कर, उन्हें जनता के प्रति उनके कर्तव्य की याद दिलायेगी | साथ ही जनता कि तरफ से एक पत्र भी उन्हें सौंपा जाएगा| भूमि अधिग्रहण से जुड़े 2013 के क़ानून के शेड्यूल 'एक' के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण करने के बाद मुआवजा तय करते हुए बाजार मूल्य पर फेक्टर दो तक लगाना होगा | इस तरह से जो राशी बनेगी उस पर सौ फीसदी सोलेशियम दिया जाना है | यानि एक एकड़ जमीनका बाजार मूल्य यदि 50 लाख तय होता है तो उस पर फेक्टर दो लगा कर, दो से गुना किया जाएगा| इस तरह से इन 50 लाख रूपये पर सौ फीसदी सोलेशियम दिया जाना है, तो एक एकड़ जमीन का कुल मुआवजा एक करोड़ रूपये बनेगा | मगर हरियाणा सरकार के चार दिसंबर के नोटिफिकेशनद्वारा बदले गए नियम के अनुसार बाजार मूल्य पर फेक्टर एक लगाने का प्रावधान कर दिया गया है, जिससे 25 लाख को एक से गुना किया जाएगा| जिससे 100 फीसदी सोलेशियम देने के बाद भी सिर्फ 50 लाख रूपये मिलेंगें | हरियाणा सरकार ने 27 नवम्बर 2014 को मुआवजे के लिए फेक्टर एक लगाने के प्रस्ताव के साथ नोटिफिकेशन जारी कर एक सप्ताह के अन्दर एतराज दायर करने के लिए जनता को कहा | यह नोटिफिकेशन 30 नवम्बर 2014 को अखबार में छपी | बावल के किसानों ने (जहाँ 3400 एकड़अधिग्रहित जमीन के मुआवजे का अवार्ड घोषित होना था) इस प्रस्तावित नियम पर एतराज दयार कर कहा कि यह नियम कानून के खिलाफ है, इस लिए इस प्रस्ताव को वापिस लिया जाये | मगर किसानों के हित की चिंता ना करते हुए सरकार ने उस प्रस्तावित नियम को अंतिम रूप देने के लिए 4दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी कर दी | जिससे हरियाणा के किसान को मिलाने वाला मुआवजा एक ही झटके में आधा कर दिया गया | हरियाणा कि जनता से यह धोखा करने वाले सरकार के मुख्यमंत्री ब्यान देते हैं कि हरियाणा सरकार ने मुआवजा बढ़ा दिया है | हरियाणा सरकार के मंत्री श्री अभिमन्यु ने दो- तीन दिन पहले ब्यान दिया जो 'दी हिन्दू' अखबार में छपा था | ब्यान के अनुसार हरियाणा के भाजपा सरकार नेऐसा कोई नियम नहीं बनाया, जिससे कि मुआवजा कम होता हो| यह भी कहा कि 4 दिसंबर को तो सिर्फ नोटिफिकेशन जारी किया गया था| केंद्र सरकार के मंत्री वीरेंद्र सिंह ने भी हरियाणा में अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा बाजार मूल्य से चार गुना अधिक दिए जाने का झूठ बार बार बोला है |जबकि 4 दिसंबर 2014 के नोटिफिकेशन से हरियाणा सरकार के नियम 4 में सब नियम '5' जोड़ा गया है| केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर को अध्यादेश जारी कर 1894 के पुराने भू अधिग्रहण को ही वापिस लाने की स्थिति बना दी है | इस अध्यादेश के माध्यम से प्राइवेट कम्पनियों ही नहीं "प्राईवेट एंटिटी" (जिसका अर्थ है लिमिटेड कम्पनी ही नहीं किसी भी पार्टनर या प्रोपराइटर फर्म) के लिए भीबिना किसानों की सहमति के जमीन अधिग्रहित की जा सकती है, यानि जमीन छिनी जा सकती है | जहां सालों के लम्बे संघर्ष के बाद कानून बना था कि भूमि अधिग्रहण से पहले जमीन पर निर्भर सभी लोगों (चाहे वे जमीन के मालिक ना भी हों) का उचित रूप से पुनर्वास करें के लिए "सोशलइम्पेक्ट एसेसमेंट" किया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि किन लोगों को क्या मुहैया करवाया जाना है | इस अध्यादेश से सरकार ने इस प्रावधान को भी ख़त्म करने का प्रबंध कर दिया है | खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बहु फसल वाली जमीन अधिग्रहण करने पर अंकुश लगाया गया था| जिस अंकुश को हटा दिया गया है | आम आदमी पार्टी, हरियाणा हरियाणा सरकार व केंद्र सरकार द्वारा किसान व खेती पर निर्भर समाज के हितों के खिलाफ बनाए गए नियमों व प्रावधानों के विरोध में लोकतान्त्रिक तरीके से लगातार आन्दोलन चलाएगी व हरियाणा की जनता को लामबंद कर सरकार को मजबूर करेगी किकिसान विरोधी फैसले वापिस लिए जाएँ | आम आदमी पार्टी, हरियाणा केंद्र व राज्य सरकार से मांग करती है कि फसलों की लागत पर पचास प्रतिशत लाभ के साथ भाव दिए जाने के वादे को जल्द पूरा करे | लोकसभा व विधान सभा चुनाव के समय भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा किया था | आम आदमी पार्टी,हरियाणा मानती है कि अब हरियाण के कृषि मंत्री यह कह कर अपने वादे से पीछे नहीं हट सकते कि वे सांसद नहीं बन सके | मगर इस बात पर चुप हैं कि उनकी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कह दिया है कि फसल की लागत से अधिक मूल्य नहीं दिया जा सकता | अब राज्य के कृषिमंत्री को आवाज उठानी चाहिए | आम आदमी पार्टी, हरियाणा सरकार से यह भी मांग करती है फसल खरीद के पुख्ता इंतजाम समय रहते करे | क्योंकि अब "एफ सी आई" ने हरियाणा में फसल खरीदने से हाथ पीछे खींच लिया है | फसलों के नुक्सान की भरपाई सरकार तुरंत सुनिश्चित करे|
2021/08/02 06:21:09
https://www.aapkikranti.com/aam-aadmi-party-news/514-%E0%A4%86%E0%A4%AE-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E2%80%9C%E0%A4%9C%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E2%80%9D!.aspx
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countries boycott china india china dispute chinese goods nirmala sitharaman latest news india china army | देश में बढ़ते बॉयकॉट चाइना अभियान पर वित्तमंत्री बोलीं- आयात तो करना पड़ेगा लेकिन... countries boycott china india china dispute chinese goods nirmala sitharaman latest news india china army देश में बढ़ते बॉयकॉट चाइना अभियान पर वित्तमंत्री बोलीं- आयात तो करना पड़ेगा लेकिन... Updated Date Thu, Jun 25, 2020, 7:11 PM IST चेन्नई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये आयात करने में कुछ भी गलत नहीं है पर गणेश की मूर्तियों का चीन से आयात किया जाना समझ से परे है. उन्होंने भाजपा की तमिलनाडु इकाई के कार्यकर्ताओं को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि जो कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं है और उद्योग को उसकी जरूरत है, उसके आयात में कोई समस्या नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत अभियान पहल के बारे में कहा, ''जो आयात उत्पादन को गति दे और रोजगार के अवसर बढ़ाये, उसमें कोई दिक्कत नहीं है. इस प्रकार का आयात किया जा सकता है. '' वित्त मंत्री ने कहा कि हालांकि, अगर आयात रोजगार अवसर को नहीं बढ़ाता है और आर्थिक वृद्धि की मदद नहीं करता है, उससे आत्म निर्भर होने और भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा . उन्होंने कहा कि गणेश की मूर्ति मिट्टी से बनती है और हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर स्थानीय कुम्हारों से इसे हम खरीदते हैं. सीतारमण ने कहा, ''लेकिन आज, आखिर क्यों गणेश की मूर्तियां भी चीन से आयात हो रही हैं... ऐसी स्थिति क्यों है...क्या हम मिट्टी से गणेश की मूर्ति नहीं बना सकते...?'' उन्होंने साबुन रखने का डिब्बा, प्लास्टिक के सामान, अगरबत्ती जैसे सामान के आयात पर आश्चर्य जताया. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के उत्पादों का स्थानीय स्तर पर घरेलू कंपनियों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के विनिर्माण करने पर आत्म निर्भरता को बढ़ावा मिलेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि जो चीजें स्थानीय तौर पर उपलब्ध हैं, उसके आयात की जो स्थिति है, उसमें बदलाव की जरूरत है. आत्मनिर्भर अभियान के पीछे मूल मकसद यही है कि हम आत्म निर्भर बनें. उन्होंने कहा, ''आत्म निर्भर भारत अभियान का मतलब यह नहीं है कि आयात बिल्कुल नहीं होना चाहिए.'' सीतारमण ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिये आप जो भी जरूरत है, अयात करें. तमिल भाषा में अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र 'मोदी सर' के रूप में किया. उन्होंने अपनी पार्टी के दोबारा से केंद्र में सरकार बनाने के बाद पिछले एक साल में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया. उन्होंने हवलदार के पलानी की बहादुरी की सराहना करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. तमिलनाडु के पलानी उन 20 सैनिकों में शामिल थे जो लद्दाख में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए
2020/07/14 20:01:31
https://www.prabhatkhabar.com/national/countries-boycott-china-india-china-dispute-chinese-goods-nirmala-sitharaman-latest-news-india-china-army
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एक संवाददाता।। गुड़गांव पटौदी के एक गांव में सरपंच के पति पर 5 मरला जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में कोर्ट ने सरपंच के पति... एक संवाददाता।। गुड़गांव पटौदी के एक गांव में सरपंच के पति पर 5 मरला जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में कोर्ट ने सरपंच के पति को कब्जा छोड़ने के लिए आदेश भी जारी कर दिए हैं। आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद भी पंचायती जमीन पर से वह कब्जा छोड़ने के लिए राजी नहीं है। इस मामले में गांव के कुछ पंचों ने एकमत होकर सरपंच के पति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सभी एकजुट होकर मंगलवार को डीसी ऑफिस पहुंचे और डीसी को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की मांग की। डीसी ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। पटौदी के तुर्कापुर ग्राम पंचायत में लीलावती सरपंच हैं। उनके पति महेंद्र सिंह पर गांव की करीब 5 मरला पंचायती जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। इस मामले में ग्राम पंचायत की ओर से पंचों ने महेंद्र सिंह पर 5 साल पहले मुकदमा भी किया था। इस मामले में गुड़गांव कोर्ट की ओर से 2007 में ही सरपंच को पंचायत की जमीन पर से कब्जा छोड़ने का आदेश दिया गया लेकिन इसके बावजूद वह जमीन पर से कब्जा छोड़ने का तैयार नहीं है। पंचों ने डीसी को दी शिकायत में कहा है कि उसका कब्जा अब भी बरकरार है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अवैध कब्जा होेने के बावजूद पंचायती चुनाव में आरोपी ने आवेदन कर दिया है। शिकायत लेकर डीसी कार्यालय पहुंची महिला पंच प्रकाश यादव, सुगना और अजीत सिंह, करण सिंह व लाल सिंह ने बताया कि वे पूरी कोशिश कर चुके हैं और अब डीसी के पास शिकायत लेकर आए हैं। उन्होंने इस बारे में डीसी पीसी मीणा को ज्ञापन सौंपा और अपील की कि इस मामले में जल्दी कोई कदम उठाया जाए। डीसी ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। अगला लेखपुलिस के हस्तक्षेप के बाद मिली पत्नी आसपास के शहरों की खबरें फरीदाबाद Delhi News पलवल रेवाड़ी नोएडा Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें कॉमेंट लिखें पाइए हरियाणा समाचार (Punjab News) और गुड़गांव समाचार (Gurgaon News) सबसे पहले नवभारत टाइम्स पर। नवभारत टाइम्स से हिंदी समाचार (Hindi News) अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करें Hindi News App और रहें हर खबर से अपडेट। रेकमेंडेड खबरें खबरें कैंसर से जंग लड़ रहे पेले ने फैंस को दिया खास मैसेज, एंड ऑफ लाइफ केयर पर रखने की आई थी बात Adv: देश के फेवरिट स्मार्टफोन्स पर बंपर ऑफर, 29 नवंबर तक खरीदने का मौका सेविंग/इन्वेस्टमेंट अभी से ऐसा करेंगे तो नहीं होगी रिटायरमेंट के बाद पैसे की टेंशन गाजियाबाद पापा के सीने पर बैठकर मम्‍मी ने गला दबा दिया...बच्‍चों ने नर्स की साजिश का किया खुलासा, प्रेमी संग पकड़ी गई Mahagun Medalleo: नए जमाने के लोगों के लिए लग्जरी होम भारत पॉक्सो के 10 साल: बच्चियों से रेप के मामलों में तेजी से सुनवाई की थी उम्मीद मगर हकीकत अलग, दिल्ली में सबसे ज्यादा केस पेंडिंग अन्य खबरें दिल्ली में जहरीली हवा से राहत नहीं, एक महीने बाद AQI पहुंचा 400 के पार पटना किसने दिया हक, ये कानून का मजाक है...महिला के घर बुलडोजर चलाने पर पटना हाई कोर्ट की फटकार कोलकाता 'ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक की हत्या हो सकती है', आशंका जताने वाली चंद्रिमा भट्टाचार्य कौन? 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Polio restricted P2 vaccine to Children from more than two years | UTTAMUP.COM Polio restricted P2 vaccine to children from more than two years admin October 3, 2018 No Comments ढाई साल से पिलाई जा रही थी पोलियो की प्रतिबंधित पी-2 वैक्सीन, खुलासा होने पर मचा हड़कंप पोलियो की प्रतिबंधित दवा पी टू बच्चों को पिछले ढाई साल से पिलाई जा रही थी लेकिन किसी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। मामला तब पकड़ में आया जब यूपी के मिर्जापुर जिले के चुनार व सदर तहसील के दो बच्चों को चलने में दिक्कत आई और उनकी जांच कराई गई। इसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश व केंद्र सरकार को भेजी। इसके बाद सरकार ने दवा सप्लाई पर पाबंदी लगा दी। सरकार ने अब दूसरी कंपनी से पोलियो की दवा सप्लाई करने का निर्देश दिया है। पोलियो रोग को तीन दवाओं से ठीक किया जाता है। इसमें पहला पी वन है दूसरा पी टू है और तीसरा पी थ्री। इनके पिलाने से पोलियो रोगों से आसानी से लड़ा जा सकता है। पिछले 21 साल से यह तीनों वैक्सीन की दवाएं बच्चों को पिलाई जा रही थीं। पोलियो रोग धीरे-धीरे समाप्त हो गया। पोलियो रोग समाप्त होने पर पी टू वैक्सीन की दवा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अब भी पी वन, पी थ्री के रोगी पाए जाने के चलते उसका असर यहां नहीं आ जाए, इसलिए अब भी पी वन और पी थ्री की दवाएं बच्चों को पिलाई जा रही हैं। भारत सरकार की पाबंदी के बावजूद कंपनी ने पी टू दवा को बंद नहीं किया और तीनों वैक्सीन की लगातार सप्लाई करती रही। मामला तब पकड़ में आया जब चुनार को कोलऊंद व सदर तहसील के खजुरी गांव निवासी दो-दो साल के दो बच्चों को अचानक चलने में दिक्कत पैदा होने लगी। परिजन बच्चों को अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने बीमारी का पता लगाने के लिए उनकी जांच कराई। जांच में पाया गया कि दोनों बच्चों को पोलियो नहीं है बल्कि उनके पैरों की नसों में खिंचाव आने से उनको चलने में दिक्कत हो रही है। जिसको ठीक करा दिया गया है। लेकिन इस जांच में एक बड़े मामले का खुलासा हुआ। जांच में पाया गया कि बच्चों को पी वन और पी थ्री ही नहीं प्रतिबंधित दवा पी टू भी पिलाई जा रही है। जो कभी भी खतरा पैदा कर सकती है। जानकारी होते ही अधिकारियों ने रिपोर्ट बनाकर शासन के पास भेजी तो भारत सरकार ने कंपनी की दवा सप्लाई पर ही पाबंदी लगा दी, साथ ही नई कंपनी को दवा सप्लाई करने का निर्देश दिया। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नरेंद्र कुमार ने कहा कि कंपनी की गलती से प्रतिबंधित दवा पी टू आ रही थी। जिसे शासन को अवगत कराया गया तो भारत सरकार ने कंपनी की दवा सप्लाई पर पाबंदी लगा दी है। अब दूसरी कंपनी से दवा सप्लाई करने को कहा है।
2019/06/25 11:30:53
http://www.uttamup.com/polio-restricted-p2-vaccine-to-children-from-more-than-two-years/
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विलेन का किरदार भी बखूबी निभा चुके हैं बॉलीवुड के ये रोमांटिक हीरो - Hindustan Varta : hindustanvarta.com, हिंदुस्तान वार्ता, Web Varta हिन्दुस्तान विश्व फिल्मी गपशप मार्केट रोमान्स लाइफ खेल-कूद हैल्थ एण्ड ब्युटि वायरल पेज़ उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड बिहार हिन्दुस्तान विश्व फिल्मी गपशप मार्केट रोमान्स लाइफ खेल-कूद हैल्थ एण्ड ब्युटि वायरल पेज़ उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड बिहार Home फिल्मी गपशप विलेन का किरदार भी बखूबी निभा चुके हैं बॉलीवुड के ये रोमांटिक हीरो फिल्मी गपशप विलेन का किरदार भी बखूबी निभा चुके हैं बॉलीवुड के ये रोमांटिक हीरो Oct 30, 2022 Facebook Twitter बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार उपस्थित हैं, जो अपने दमदार एक्टिंग के लिए लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. इंडस्ट्री में उपस्थित कई अदाकार अपनी रोमांटिक छवि के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. अक्सर बतौर हीरो नजर आने वाले यह कलाकार कई बार अपनी छवि के उल्टा भूमिका निभाते भी नजर आए हैं. इन कलाकारों ने बतौर रोमांटिक हीरो जितनी लोकप्रियता हासिल की. विलेन के भूमिका में भी उतनी ही वाहवाही लूटी है. तो चलिए जानते हैं बॉलीवुड के ऐसे ही कुछ हीरो के बारे में- रणवीर सिंह बैंड बाजा बारात, लेडीज वर्सेस रिक्की बहल जैसी फिल्मों में कई अभिनेत्रियों संग इश्क लड़ा चुके अदाकार रणवीर सिंह नकारात्मक भूमिका में भी खूब लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं. फिल्म पद्मावत में अदाकार ने अलाउद्दीन खिलजी के भूमिका से सभी को दंग कर दिया था. शाहरुख खान बॉलीवुड के किंग ऑफ रोमांस कहे जाने वाले शाहरुख खान ने अपने करियर में कई रोमांटिक भूमिका निभाए हैं, लेकिन फिल्म बाजीगर, डर और अंजाम जैसी फिल्मों में बतौर विलन अदाकार को देख फैंस की रूह कांप गई थी. संजय दत्त रॉकी, साजन जैसी कई फिल्मों में इश्क लड़ा चुके अदाकार संजय दत्त इन दिनों अपनी नकारात्मक छवि को लेकर इंडस्ट्री में काफी चर्चा में हैं. अग्निपथ, वास्तव, केजीएफ समेत कई फिल्मों में नकारात्मक भूमिका निभाकर संजय दत्त लोगों की वाहवाही डकैती चुके हैं. अक्षय कुमार इंडस्ट्री के खिलाड़ी कुमार कहे जाने वाले अदाकार अक्षय कुमार पर्दे पर कई अभिनेत्रियों संग रोमांस करते नजर आ चुके हैं. लेकिन फिल्म अजनबी और खाकी में उनके नकारात्मक किरदारों ने दर्शकों को काफी प्रभावित किया था
2022-12-09T03:11:08Z
https://www.hindustanvarta.com/bollywood-news-hindi/--7749
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गणेश उत्सव:तो क्या माने श्रीगणेश ऐसे भगवान है जिन्होने भारतीयो के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग में भाग लिया था - Shivpuri News मुख्यपृष्ठShivpuri Newsगणेश उत्सव:तो क्या माने श्रीगणेश ऐसे भगवान है जिन्होने भारतीयो के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग में भाग लिया था - Shivpuri News ललित मुदगल एक्सरे शिवपुरी समाचार डॉट कॉम। आज 10 सितंबर हैं और आज से देश में श्रीगणेश जी का 10 दिनो का गणेशउत्सव का श्रीगणेश हो जाऐगा। पूरे 10 दिनो तक यह उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाऐगा। आज घरो के साथ साथ पंडालो में विनायक की स्थापना की जाऐगा और 10 दिन बाद अंनत चौहदस के दिन श्रीविघ्नहर्ता का विजर्सन किया जाऐगा। एक सवाल मेरे मन में था कि जब 10 दिन तक हम विनायक का पूजा करते हैं,बडे ही धूमधाम से बैंड बाजो के साथ अपने घर लाते है ओर बैंड बाजो ढोल नगाडो के साथ नाचते गाते झूमते हुए विदा करते हुए जल में क्यो विर्सजित करने जाते है। क्या यह हमारे शास्त्रो में हैं,क्या कथा हैं और क्या रहस्य हैं श्रीगणेश की प्रतिमा की स्थापना ओर विर्सजन की। जबकि हमारे घरो में श्रीगणेश की जी की अन्य प्रतिमाए हमारे पूजा घरो में होती हैं हम उनका विसर्जन क्यो नही करते हैं,आईए इस पूरे मामले का एक्सरे करते हैं। 10 दिन चलने वाले गणेश उत्सव को लेकर जानने का प्रयास किया। तमाम वेद वक्ताओ से बातचीत की। गूगल पर भी सर्च किया लेकिन शास्त्रो में इन 10 दिन के उत्सव का कही उल्लेख नही हैं,श्रीगणेश की 10 दिनो के लिए प्रतिमा की स्थापना और विसर्जन का उल्लेख शास्त्रो में नही मिलता है। फिर भारत में इस उत्सव की परंपरा की श्रीगणेश कैसे हुआ,और इसका श्रीगणेश करने का क्या कारण था। पहले हम आपको बतो दे की गणेश चर्तुर्थी की शास्त्रो में क्या मान्यता हैं या फिर क्या महत्व हैं गणेश चर्तुथी का। गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को आती हैं और मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती हैं,सीधे शब्दो मेें लिखे तो आज के दिन श्रीगणेश का जन्म हुआ था। भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायक माना गया है। वैसे तो प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को "संकष्टी गणेश चतुर्थी" व शुक्लपक्ष की चतुर्थी को "वैनायकी गणेश चतुर्थी" मनाई जाती है, लेकिन वार्षिक गणेश चतुर्थी को गणेश जी के प्रकट होने के कारण उनके भक्त इस तिथि के आने पर उनकी विशेष पूजा करके पुण्य अर्जित करते हैं। जब शास्त्रो में 10 दिन के इस उत्सव के मनाने का कही भी उल्लेख नही हैं तो फिर भारत में इस उत्सव की परपंरा का कैसे श्रीगणेश हुआ। इस उत्सव के पीछे गुलाम भारत का रहस्य छुपा हुआ है। इस उत्सव की परपंरा भारतीयो को अंग्रेजो के खिलाफ एकजुट करने के लिए शुरू किया गया था। यह उत्सव केवल 100 साल पुराना हैं। जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था और 1920 में जब अंग्रेजो ने राजनीतिक कार्यक्रम करने पर रोक लगा दी थी। महाराष्ट्र में गणेश चर्तुर्थी बडे ही धूमधाम से मनाई जाती थी लेकिन जब गणेश उत्सव सार्वजनिक नही था। भारतीय अपने अपने ही घरो में श्रीगणेश के इस प्रकाटय दिवस को मनाते थे। यह त्यौहार 10 दिन नही चलता था। इसके बाद सार्वजनिक गणेश उत्सव शुरू करने का श्रेय तिलक को जाता हैं। बाल गंगाधर तिलक ने जनमानस में सांस्कृतिक चेतना जगाने, अंग्रेजों के खिलाफ सन्देश देने और लोगों को एकजुट करने के लिए ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरूआत की थी,चूकि अंग्रेजी सरकार ने राजनीतिक कार्यक्रम करने पर रोक लगाई थी लेकिन धार्मिक कार्यक्रम पर रोक नही लगाई थी। अग्रेंजो के खिलाफ लडाई में आम भारतीयो को जोडने के लिए श्रीगणेश को घर से बहार निकाला गया। मंदिरो में श्रीगणेश की प्रतिमा का 10 दिन की स्थापना की जाने लगी। सुबह शाम की आरती में आमजन का एकत्रित किया जाने लगा। जिससे लोगो का समूह एक साथ बैठ सके और बातचीत कर सके। इस प्रकार भारत में 10 दिन के गणेश उत्सव मनाने की परंपरा का श्रीगणेश हुआ। सीधे शब्दो में लिखे तो अंग्रेजो के खिलाफ भारतीय को एकजुट करने के लिए विनायक को घरो से निकलना पडा। अग्रेंजो ने राजनीतिक कार्यक्रम न करने और सार्वजनिक भाषणो पर रोक लगा दी थी। लेकिन जैसे ही हमारे विघ्नहर्ता घर से बाहार निकले मंदिरो के पंडालो में अपना आसन ग्रहण किया तो आजादी की जंग में आमजन एक जुट हो गए। भाषणो पर रोक थी लेकिन धर्म के प्रवचन देने पर रोक नही थी। इस कार्यक्रम नही सांस्कृतिक समारोह का नाम दिया गया। श्रीगणेश ऐसे देव है जिन्होने भारतीयो के साथ मिलकर अग्रेंजो के खिलाफ लडाई लडी है। इस समारोह की सबसे अहम बात यह भी हैं इस उत्सव में हिन्दू के अतिरिक्त मुस्लिम जन भी मनाते हैं,यह उत्सव का श्रीगणेश हिन्दुओ को जाग्रत करने नही बल्कि भारतीयो को गुलामी के खिलाफ जाग्रत के लिए शुरू किया था इसलिए महाराष्ट्र में मुस्लिम धर्म के अनुयाई भी श्रीगणेश के पंडालो की स्थापना करते हैं। ओर अंत में शिवपुरी समाचार के सभी पाठको,विज्ञापन दाताओ ओर शुभचिंतको को गणेश चर्तुर्थी की शुभकामनाए। आप सभी श्रीगणेश के 12 नाम.गणेश, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्नविनाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजानन नामो का स्मरण करते हुए हमारे समाज समाजिक बुराईयो और राष्ट्र की राष्ट्रविरोधी ताकतो से लडने का संकल्प ले। इति श्री।।
2021/09/18 03:50:40
https://www.shivpurisamachaar.com/2021/09/shivpuri-news_57.html
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जो एक लड़का है जिसने 2007 में YouTube पर वीडियो बनाना शुरू किया था।उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मज़ेदार लघु फ़िल्में बनाकर शुरुआत की, लेकिन अंततः उन्होंने कॉमेडी और पूर्ण-लंबाई वाली फ़िल्में अपलोड करने पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया।जो के अपने YouTube चैनल पर 1 बिलियन से अधिक बार देखा गया है और हर दिन नई सामग्री बनाना जारी रखता है।उन्होंने दो पुस्तकें भी जारी की हैं: "आई एम सॉरी" नामक एक आत्मकथा और "जोक्स" नामक चुटकुलों का एक संग्रह।जो ईमानदार, मजाकिया और सीधे-सादे होने के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें ऑनलाइन और बाहर एक लोकप्रिय व्यक्ति बनाता है। वो मशहूर क्यों है? जो अपने YouTube चैनल के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 2.5 बिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।जो के वीडियो में पैसे कमाने से लेकर एक बेहतर इंसान बनने तक कई तरह के विषय शामिल हैं।जो की लोकप्रियता कुछ हद तक उसके द्वारा अपनी सामग्री वितरित करने के आकर्षक और विनोदी तरीके के कारण है, साथ ही इस तथ्य के कारण भी है कि वह अक्सर उपयोगी टिप्स और सलाह साझा करता है। वह YouTube पर क्या करता है? जो एक लड़का है जो YouTube पर वीडियो बनाता और पोस्ट करता है।वह मुख्य रूप से व्लॉग पोस्ट करता है, लेकिन वह शरारत वीडियो और अन्य प्रकार के वीडियो भी बनाता है।जो के YouTube पर 2 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं और उनके वीडियो को 100 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।जो के कुछ सबसे लोकप्रिय वीडियो में "हाउ टू मेक ए एपिक प्रैंक" और "हाउ टू गेट ओवर अ ब्रेकअप" शामिल हैं। उसके कितने सब्सक्राइबर हैं? YouTube पर Joe के कितने ग्राहक हैं?इसका उत्तर देना एक कठिन प्रश्न है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्तिगत YouTube खाते के लिए ग्राहकों की संख्या हमेशा सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं की जाती है।हालाँकि, अन्य लोकप्रिय YouTubers के अनुमानों और डेटा के आधार पर, यह संभावना है कि Joe के लगभग 1 मिलियन ग्राहक हैं। वह किस तरह के वीडियो बनाता है? जो एक YouTube व्यक्तित्व है जो विभिन्न विषयों के बारे में वीडियो बनाता है।उनके कुछ लोकप्रिय वीडियो में गेमिंग, फिटनेस और DIY प्रोजेक्ट शामिल हैं।जो के वीडियो आमतौर पर अच्छी तरह से बनाए गए और मनोरंजक होते हैं, जो उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाता है। उनका सबसे लोकप्रिय वीडियो कौन सा है? जो के सबसे लोकप्रिय वीडियो को "हाउ टू मेक ए यूट्यूब वीडियो दैट विल स्टिक" कहा जाता है।इसे 1.5 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।इसमें, जो वीडियो बनाने के तरीके के बारे में सुझाव साझा करता है जिसे दूसरों द्वारा याद और साझा किया जाएगा।वह उन सफल वीडियो के उदाहरण भी प्रदान करता है जो उन्होंने स्वयं बनाए हैं।गुणवत्तापूर्ण YouTube सामग्री बनाने की चाहत रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह मार्गदर्शिका एक उत्कृष्ट संसाधन है। क्या उसके पास कोई अन्य चैनल है? हां, जो के पास अन्य चैनल हैं।उनका एक चैनल है जिसका नाम "जो सुग्स वर्ल्ड" है जहां वह चुनौतियां और व्लॉग करते हैं।उनका एक चैनल भी है जिसका नाम "आई एम जो" है जहां वह अपने जीवन और अनुभवों के बारे में बात करते हैं। वो कहाँ से है? जो संयुक्त राज्य अमेरिका से हैं।उनका जन्म 1991 में हुआ था।जो ने अपना YouTube चैनल फरवरी 2010 में शुरू किया था और तब से उसके 2 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं।अपने चैनल पर जो का मुख्य फोकस DIY वीडियो बनाना है, लेकिन वह कभी-कभार व्लॉग और चुनौतियां भी करता है।जो के कुछ सबसे लोकप्रिय वीडियो में शामिल हैं पेपर हवाई जहाज कैसे बनाएं, कैसे एक चमक वाली छड़ी फेंकने वाला चाकू, और कैसे एक विशालकाय जेंगा टॉवर बनाएं। उसकी क्या उम्र है? जो की उम्र करीब 33 साल है।उनका जन्म 1985 में हुआ था। उन्होंने वीडियो बनाना कब शुरू किया? जो का पहला वीडियो 12 जुलाई 2009 को अपलोड किया गया था। वह कितनी बार नए वीडियो अपलोड करता है? 2010 की शुरुआत में अपना चैनल शुरू करने के बाद से जो ने नियमित रूप से नए वीडियो अपलोड किए हैं।वह आमतौर पर हर हफ्ते एक या दो नए वीडियो अपलोड करता है। हम उसके बारे में और क्या जानते हैं? जो एक YouTube व्यक्तित्व है जिसके 2 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं और उसके चैनल पर 400 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। वह शरारत वीडियो, व्लॉग और चुनौतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं। 2017 में, उन्हें फोर्ब्स द्वारा "डिजिटल मीडिया में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों" में से एक नामित किया गया था। उनका जन्म 1989 में लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में हुआ था। 13 क्या जो उसका असली नाम या उपनाम है? जो उसका असली नाम नहीं है, लेकिन वह एक उपनाम से जा सकता है।कुछ लोग उन्हें जो कूल या जो-ओ कहते हैं।दूसरे लोग उसे जो कहते हैं।
2022-11-28T17:22:12Z
https://ecivacations.com/hi/who-is-joe.html
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Holi Milan Programme | Sewa Bharti Delhi आपने कई संस्थाओं के होली मिलन के कार्यक्रम देखे होंगे... परन्तु सेवा भारती की दृष्टि में होली पर्व मने समरसता का महापर्व है.... यह रंगों भरा पर्व समाज को समरस करता है... जाति पांति, ऊँच नीच की दीवारें ढह जाती है... और विभिन्नताओं भरा यह हिन्दू समाज समरस हो जाता है.. सेवा . संस्कार और समरसता.. कहने को यह मात्र शब्द लग सकते हैं.. परन्तु सेवा भारती में इन को शब्दों को पिरो कर कार्यक्रम किये जाते हैं की कार्यकर्ता और आभाव ग्रस्त समाज के सेवितजन इन संस्कारों में ढल जाते हैं.
2021/04/13 20:03:20
https://www.sewabharti.in/holi-milan-programme
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कैलाश विजयवर्गीय का MLA बेटा गिरफ्तार, बैट से की थी निगमकर्मी की पिटाई| ADM को दारू और चिकन पहुंचाने वाले पर कार्रवाई होगी : SDM शिवानी गुना। गुना की SDM शिवानी गर्ग (SDM Shivani Garg) ने जिले के अपर कलेक्टर दिलीप मंडावी (Additional Collector Dilip Mandavi) पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं। एसडीएम ने कुछ दिन पहले अपने अधीनस्थों के व्‍हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज डाल दिया। इसमें उन्होंने लिखा कि 'कोई भी एडीएम को दारू और चिकन नहीं पहुंचाएगा। अगर किसी ने ऐसा किया, तो उसके खिलाफ मैं कार्रवाई करूंगी।" हालांकि मामले ने तूल पकड़ा, तो पटवारियों को बुलाकर उनके मोबाइल से इसे डिलीट भी करा दिया था। अपर कलेक्टर मंडावी ने जानकारी न होने की बात कही। वहीं कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया। एसडीएम शिवानी गर्ग ने यह मैसेज जिले के 'रेवेन्यु ग्रुप" नामक ऑफिशियल व्‍हाट्सएप ग्रुप पर डाला। इसमें एसडीएम ने लिखा था कि 'कृपया ध्यान दें, समस्त पटवारी, आरआई, नायब तहसीलदार और तहसीलदार साहिबान ध्यान दें। अगर आप में से किसी ने भी किसी भी स्तर पर एडीएम को दारू, चिकन आदि पहुंचाया, तो मेरे द्वारा आपके विस्र्द्ध कार्रवाई की जाएगी और अनाधिकृत लाभ पहुंचाने संबंधी कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।" बताया जाता है कि जैसे ही वरिष्ठ अधिकारियों को पता चला, तो एसडीएम ने ग्रुप में शामिल पटवारी व अन्य सदस्यों को बुलाया और उनके मोबाइल से इसे डिलीट भी करा दिया।बताते हैं कि उस समय कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार अवकाश पर थे। कर्मचारीयों के बीच चर्चा का विषय एसडीएम का यह मैसेज प्रशासनिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि उन्होंने अपने से वरिष्ठ अधिकारी पर दारू और चिकन के सीधे-सीधे गंभीर आरोप लगा दिए हैं। कुछ लोग इसे अनुशासनहीनता भी मान रहे हैं, तो कुछ कह रहे हैं कि अपर कलेक्टर और एसडीएम के बीच सामंजस्य नहीं है। यह मैसेज तो पुराना हो गया है। एडीएम साहब की ऊल-जुलूल फरमाइशें रहती थीं। रोज बेचारे पटवारियों को परेशान करते थे। इसलिए हमने ग्रुप में डाला। दो-ढाई महीने हमारा अमला परेशान रहा। पटवारियों ने इसके लिए कलेक्टर साहब को ज्ञापन भी दिया था। अभी वर्तमान में तो उनके द्वारा कोई ख्वाहिश नहीं की जा रही है।
2019/06/26 11:46:48
http://justneemuch.com/News_Description/14851
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