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पुरोहितवाद या पादरीवाद (क्लेरिकलिम) से आशय चर्च या व्यापक रूप से अन्य राजनैतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं में चर्च-आधारित नेतृत्व लागू करने से है।
[M][M]रोहित[M]ा[M] या [M]ादरीवाद (क्लेरि[M][M]िम[M][M]से आशय चर्च या व[M]यापक रूप स[M] अन्य राजनैतिक-सामाजिक[M]सांस्कृतिक संस्थ[M]ओं में चर्च-[M]धारि[M] नेतृत्व ल[M][M][M] [M]रने से[M][M]ै।
एक गणराज्य या गणतंत्र (गणतन्त्र) ( ) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अन्तर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता। गणराज्य की परिभाषा का विशेष रूप से सन्दर्भ सरकार के एक ऐसे रूप से है जिसमें व्यक्ति नागरिक निकाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी संविधान के तहत विधि के नियम के अनुसार शक्ति का प्रयोग करते हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के प्रमुख के साथ शक्तियों का पृथक्करण शामिल होता हैं, व जिस राज्य का सन्दर्भ संवैधानिक गणराज्य या प्रतिनिधि लोकतंत्र से हैं। २०१७ तक, दुनिया के २०६ सम्प्रभु राज्यों में से १५९ अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में "रिपब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं - निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में "गणराज्य" शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे "शासितों की सहमति" से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव "शो" के उद्देश्य से अधिक पाया गया है। गणराज्य (संस्कृत से; "गण": जनता, "राज्य": रियासत/देश) एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है। "लोकतंत्र" या "प्रजातंत्र" इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। गणराज्य शब्द की उत्पत्ति फ्रांस देश से आई है । राज्य के प्रमुख देश की आम जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि जनता का शासन गणराज्य जो लोकतन्त्र नहीं हैं हर गणराज्य का लोकतान्त्रिक होना अवश्यक नहीं है। तानाशाही, जैसे हिट्लर का नाज़ीवाद, मुसोलीनी का फ़ासीवाद, पाकिस्तान और कई अन्य देशों में फ़ौजी तानाशाही, चीन, सोवियत संघ में साम्यवादी तानाशाही, इत्यादि गणतन्त्र हैं, क्योंकि उनका राष्ट्राध्यक्ष एक सामान्य व्यक्ति है या थे। लेकिन इन राज्यों में लोकतान्त्रिक चुनाव नहीं होते, जनता और विपक्ष को दबाया जाता है और जनता की इच्छा से शासन नहीं चलता। ऐसे कुछ देश हैं : अफ़्रीका के अधिक्तम् देश दक्षिणी अमरीका के कई देश लोकतन्त्र जो गणराज्य नहीं हैं हर लोकतन्त्र का गणराज्य होना आवश्यक नहीं है। संवैधानिक राजतन्त्र, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष एक वंशानुगत राजा होता है, लेकिन असली शासन जन्ता द्वारा निर्वाचित संसद चलाती है, इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे कुछ देश हैं : ब्रिटेन और उसके डोमिनियन : प्राचीन काल में दो प्रकार के राज्य कहे गए हैं। एक राजाधीन और दूसरे गणधीन। राजाधीन को एकाधीन भी कहते थे। जहाँ गण या अनेक व्यक्तियों का शासन होता था, वे ही गणाधीन राज्य कहलाते थे। इस विशेष अर्थ में पाणिनि की व्याख्या स्पष्ट और सुनिश्चित है। उन्होंने गण को संघ का पर्याय कहा है (संघोद्धौ गणप्रशंसयो :, अष्टाध्यायी ३,३,८६)। साहित्य से ज्ञात होता है कि पाणिनि और बुद्ध के काल में अनेक गणराज्य थे। तिरहुत से लेकर कपिलवस्तु तक गणराज्यों का एक छोटा सा गुच्छा गंगा से तराई तक फैला हुआ था। बुद्ध शाक्यगण में उत्पन्न हुए थे। लिच्छवियों का गणराज्य इनमें सबसे शक्तिशाली था, उसकी राजधानी वैशाली थी। किंतु भारतवर्ष में गणराज्यों का सबसे अधिक विस्तार वाहीक (आधुनिक पंजाब) प्रदेश में हुआ था। उत्तर पश्चिम के इन गणराज्यों को पाणिनि ने आयुधजीवी संघ कहा है। वे ही अर्थशास्त्र के वार्ताशस्त्रोपजीवी संघ ज्ञात होते हैं। ये लोग शांतिकल में वार्ता या कृषि आदि पर निर्भर रहते थे किंतु युद्धकाल में अपने संविधान के अनुसार योद्धा बनकर संग्राम करते थे। इनका राजनीतिक संघटन बहुत दृढ़ था और ये अपेक्षाकृत विकसित थे। इनमें क्षुद्रक और मालव दो गणराज्यों का विशेष उल्लेख आता है। उन्होंने यवन आक्रांता सिकंदर से घोर युद्ध किया था। वह मालवों के बाण से तो घायल भी हो गया था। इन दोनों की संयुक्त सेना के लिये पाणिनि ने गणपाठ में क्षौद्रकमालवी संज्ञा का उल्लेख किया है। पंजाब के उत्तरपश्चिम और उत्तरपूर्व में भी अनेक छोटे मोटे गणराज्य थे, उनका एक श्रुंखला त्रिगर्त (वर्तमान काँगड़ा) के पहाड़ी प्रदेश में विस्तारित हुआ था जिन्हें पर्वतीय संघ कहते थे। दूसरा श्रुंखला सिंधु नदी के दोनों तटों पर गिरिगहवरों में बसने वाले महाबलशाली जातियों का था जिन्हें प्राचीनकाल में ग्रामणीय संघ कहते थे। वे ही वर्तमान के कबायली हैं। इनके संविधान का उतना अधिक विकास नहीं हुआ जितना अन्य गणराज्यों का। वे प्राय: उत्सेधजीवी या लूटमार कर जीविका चलानेवाले थे। इनमें भी जो कुछ विकसित थे उन्हें पूग और जो पिछड़े हुए थे उन्हें ब्रात कहा जाता था। संघ या गणों का एक तीसरा गुच्छा सौराष्ट्र में विस्तारित हुआ था। उनमें अंधकवृष्णियों का संघ या गणराज्य बहुत प्रसिद्ध था। कृष्ण इसी संघ के सदस्य थे अतएव शांतिपूर्व में उन्हें अर्धभोक्ता राजन्य कहा गया है। ज्ञात होता है कि सिंधु नदी के दोनों तटों पर गणराज्यों की यह श्रृंखला ऊपर से नीचे को उतरती सौराष्ट्र तक फैल गई थी क्योंकि सिंध नामक प्रदेश में भी इस प्रकर के कई गणों का वर्णन मिलता है। इनमें मुचकर्ण, ब्राह्मणक और शूद्रक मुख्य थे। भारतीय गणशासन के संबंध में भी पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। गण के निर्माण की इकाई कुल थी। प्रत्येक कुल का एक एक व्यक्ति गणसभा का सदस्य होता था। उसे कुलवृद्ध या पाणिनि के अनुसार गोत्र कहते थे। उसी की संज्ञा वंश्य भी थी। प्राय: ये राजन्य या क्षत्रिय जाति के ही व्यक्ति होते थे। ऐसे कुलों की संख्या प्रत्येक गण में परंपरा से नियत थी, जैसे लिच्छविगण के संगठन में ७७०७ कुटुंब या कुल सम्मिलित थे। उनके प्रत्येक कुलवृद्ध की संघीय उपाधि राजा होती थी। सभापर्व में गणाधीन और राजाधीन शासन का विवेचन करते हुए स्पष्ट कहा है कि साम्राज्य शासन में सत्ता एक व्यक्ति के हाथ में रहती है। (साम्राज्यशब्दों हि कृत्स्नभाक्) किंतु गण शासन में प्रत्येक परिवार में एक एक राजा होता है। (गृहे गृहेहि राजान: स्वस्य स्वस्य प्रियंकरा:, सभापर्व, १४,२)। इसके अतिरिक्त दो बातें और कही गई हैं। एक यह कि गणशासन में प्रजा का कल्याण दूर दूर तक व्याप्त होता है। दूसरे यह कि युद्ध से गण की स्थिति सकुशल नहीं रहती। गणों के लिए शम या शांति की नीति ही थी। यह भी कहा है कि गण में परानुभाव या दूसरे की व्यक्तित्व गरिमा की भी प्रशंसा होती है और गण में सबको साथ लेकर चलनेवाला ही प्रशंसनीय होता है। गण शासन के लिए ही परामेष्ठ्य यह पारिभाषिक संज्ञा भी प्रयुक्त होती थी। संभवत: यह आवश्यक माना जाता था कि गण के भीतर दलों का संगठन हो। दल के सदस्यों को वग्र्य, पक्ष्य, गृह्य भी कहते थे। दल का नेता परमवग्र्य कहा जाता था। गणसभा में गण के समस्त प्रतिनिधियों को सम्मिलित होने का अधिकार था किंतु सदस्यों की संख्या कई सहस्र तक होती थी अतएव विशेष अवसरों को छोड़कर प्राय: उपस्थिति परिमित ही रहती थी। शासन के लिये अंतरंग अधिकारी नियुक्त किए जाते थे। किंतु नियमनिर्माण का पूरा दायित्व गणसभा पर ही था। गणसभा में नियमानुसार प्रस्ताव (ज्ञप्ति) रखा जाता था। उसकी तीन वाचना होती थी और शलाकाओं द्वारा मतदान किया जाता था। इस सभा में राजनीतिक प्रश्नों के अतिरिक्त और भी अनेक प्रकार के सामाजिक, व्यावहारिक और धार्मिक प्रश्न भी विचारार्थ आते रहते थे। उस समय की राज्य सभाओं की प्राय: ऐसे ही लचीली पद्धति थी। भारतवर्ष में लगभग एक सहस्र वर्षों (६०० सदी ई. पू. से ४ थी सदी ई.) तक गणराज्यों के उतार चढ़ाव का इतिहास मिलता है। उनकी अंतिम झलक गुप्त साम्राज्य के उदय काल तक दिखाई पड़ती है। समुद्रगुप्त द्वारा धरणिबंध के उद्देश्य से किए हुए सैनिक अभियान से गणराज्यों का विलय हो गया। अर्वाचीन पुरातत्व के उत्खनन में गणराज्यों के कुछ लेख, सिक्के और मिट्टी की मुहरें प्राप्त हुई हैं। विशेषत: विजयशाली यौधेय गणराज्य के संबंध की कुछ प्रमाणिक सामग्री मिली है। (वा. श्. अ.) भारतीय इतिहास के वैदिक युग में जनों अथवा गणों की प्रतिनिधि संस्थाएँ थीं विदथ, सभा और समिति। आगे उन्हीं का स्वरूपवर्ग, श्रेणी पूग और जानपद आदि में बदल गया। गणतंत्रात्मक और राजतंत्रात्मक परंपराओं का संघर्ष जारी रहा। गणराज्य नृपराज्य और नृपराज्य गणराज्य में बदलते रहे। ऐतरेय ब्राह्मण के उत्तरकुल और उत्तरमद्र नामक वे राज्य----जो हिमालय के पार चले गए थे-----पंजाब में कुरु और मद्र नामक राजतंत्रवादियों के रूप में रहते थे। बाद में ये ही मद्र और कुरु तथा उन्हीं की तरह शिवि, पांचाल, मल्ल और विदेह गणतंत्रात्मक हो गए। महाभारत युग में अंधकवृष्णियों का संघ गणतंत्रात्मक था। साम्राज्यों की प्रतिद्वंद्विता में भाग लेने में समर्थ उसके प्रधान कृष्ण महाभारत की राजनीति को मोड़ देने लगे। पाणिनि (ईसा पूर्व पाँचवीं-सातवीं सदी) के समय सारा वाहीक देश (पंजाब और सिंध) गणराज्यों से भरा था। महावीर और बुद्ध ने न केवल ज्ञात्रिकों और शाक्यों को अमर कर दिया वरन् भारतीय इतिहास की काया पलट दी। उनके समय में उत्तर पूर्वी भारत गणराज्यों का प्रधान क्षेत्र था और लिच्छवि, विदेह, शाक्य, मल्ल, कोलिय, मोरिय, बुली और भग्ग उनके मुख्य प्रतिनिधि थे। लिच्छवि अपनी शक्ति और प्रतिष्ठा से मगध के उदीयमान राज्य के शूल बने। पर वे अपनी रक्षा में पीछे न रहे और कभी तो मल्लों के साथ तथा कभी आस पास के अन्यान्य गणों के साथ उन्होंने संघ बनाया जो बज्जिसंघ के नाम से विख्यात हुआ। अजातशत्रु ने अपने मंत्री वर्षकार को भेजकर उन्हें जीतने का उपाय बुद्ध से जानना चाहा। मंत्री को, बुद्ध ने आनंद को संबोधित कर अप्रत्यक्ष उत्तर दिया-----आनंद! जब तक वज्जियों के अधिवेशन एक पर एक और सदस्यों की प्रचुर उपस्थिति में होते हैं; जब तक वे अधिवेशनों में एक मन से बैठते, एक मन से उठते और एक मन से संघकार्य संपन्न करते हैं; जब तक वे पूर्वप्रतिष्ठित व्यवस्था के विरोध में नियमनिर्माण नहीं करते, पूर्वनियमित नियमों के विरोध में नवनियमों की अभिसृष्टि नहीं करते और जब तक वे अतीत काल में प्रस्थापित वज्जियों की संस्थाओं और उनके सिद्धांतों के अनुसार कार्य करते हैं; जब तक वे वज्जि अर्हतों और गुरु जनों का संमान करते हैं, उनकी मंत्रणा को भक्तिपूर्वक सुनते हैं; जब तक उनकी नारियाँ और कन्याएँ शक्ति और अपचार से व्यवस्था विरुद्ध व्यसन का साधन नहीं बनाई जातीं, जब तक वे वज्जिचैत्यों के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखते हैं, जब तक वे अपने अर्हतों की रक्षा करते हैं, उस समय तक हे आनंद, वज्जियों का उत्कर्ष निश्चित है, अपकर्ष संभव नहीं। गणों अथवा संघों के ही आदर्श पर स्थापित अपने बौद्ध संघ के लिए भी बुद्ध ने इसी प्रकार के नियम बनाए। जब तक गणराज्यों ने उन नियमों का पालन किया, वे बने रहे, पर धीरे धीरे उन्होंने भी राज की उपाधि अपनानी शरू कर दी और उनकी आपसी फूट, किसी की ज्येष्ठता, मध्यता तथा शिष्यत्व न स्वीकार करना, उनके दोष हो गए। संघ आपस में ही लड़ने लगे और राजतंत्रवादयों की बन आई। तथापि गणतंत्रों की परंपरा का अभी नाश नहीं हुआ। पंजाब और सिंध से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक के सारे प्रदेश में उनकी स्थिति बनी रही। चौथी सदी ईसवी पूर्व में मक्दूनियाँ के साम्राज्यवादी आक्रमणकार सिकंदर को, अपने विजय में एक एक इंच जमीन के लिए केवल लड़ना ही नहीं पड़ा, कभी कभी छद्म और विश्वासघात का भी आश्रय लेना पड़ा। पंजाबी गणों की वीरता, सैन्यकुशलता, राज्यभक्ति, देशप्रेम तथा आत्माहुति के उत्साह का वर्णन करने में यूनानी इतिहासकार भी न चूके। अपने देश के गणराज्यों से उनकी तुलना और उनके शासनतंत्रों के भेदोपभेद उन्होंने समझ बुझकर किए। कठ, अस्सक, यौधेय, मालव, क्षुद्रक, अग्रश्रेणी क्षत्रिय, सौभूति, मुचुकर्ण और अंबष्ठ आदि अनेक गणों के नरनारियों ने सिकंदर के दाँत खट्टे कर दिए और मातृभूमि की रक्षा में अपने लहू से पृथ्वी लाल कर दी। कठों और सौभूतियों का सौंदयप्रेम अतिवादी था और स्वस्थ तथा सुदंर बच्चे ही जीने दिए जाते थे। बालक राज्य का होता, माता पिता का नहीं। सभी नागरिक सिपाही होते और अनेकानेक गणराज्य आयुधजीवी। पर सब व्यर्थ था, उनकी अकेलेपन की नीति के कारण। उनमें मतैक्य का अभाव और उनके छोटे छोटे प्रदेश उनके विनाश के कारण बने। सिकंदर ने तो उन्हें जीता ही, उन्हीं गणराज्यों में से एक के (मोरियों के) प्रतिनिधि चंद्रगुप्त तथा उसके मंत्री चाणक्य ने उनके उन्मूलन की नीति अपनाई। परंतु साम्राज्यवाद की धारा में समाहित हो जाने की बारी केवल उन्हीं गणराज्यों की थी जो छोटे और कमजोर थे। कुलसंघ तो चंद्रगुप्त और चाणक्य को भी दुर्जय जान पड़े। यह गणराज्यों के संघात्मक स्वरूप की विजय थी। परंतु ये संघ अपवाद मात्र थे। अजातशत्रु और वर्षकार ने जो नीति अपनाई थी, वहीं चंद्रगुप्त और चाणक्य का आदर्श बनी। साम्राज्यवादी शक्तियों का सर्वात्मसाती स्वरूप सामने आया और अधिकांश गणतंत्र मौर्यों के विशाल एकात्मक शासन में विलीन हो गए। परंतु गणराज्यों की आत्मा नहीं दबी। सिकंदर की तलवार, मौर्यों की मार अथवा बाख़्त्री यवनों और शक कुषाणों की आक्रमणकारी बाढ़ उनमें से कमजोरों ही बहा सकी। अपनी स्वतंत्रता का हर मूल्य चुकाने को तैयार मल्लोई (मालवा), यौधेय, मद्र और शिवि पंजाब से नीचे उतरकर राजपूताना में प्रवेश कर गए और शताब्दियों तक आगे भी उनके गणराज्य बने रहे। उन्होंने शाकल आदि अपने प्राचीन नगरों का मोह छोड़ माध्यमिका तथा उज्जयिनी जैसे नए नगर बसाए, अपने सिक्के चलाए और अपने गणों की विजयकामना की। मालव गणतंत्र के प्रमुख विक्रमादित्य ने शकों से मोर्चा लिया, उनपर विजय प्राप्त की, शकारि उपाधि धारण की और स्मृतिस्वरूप ५७-५६ ई० पू० में एक नया संवत् चलाया जो क्रमश:कृतमालव और विक्रम संवत् के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो आज भी भारतीय गणनापद्धति में मुख्य स्थान रखता है। तथापि स्वातंत्र्यभावना की यह अंतिम लौ मात्र थी। गुप्तों के साम्राज्यवाद ने उन सबको समाप्त कर डाला। भारतीय गणों के सिरमौरों में से एक-लिच्छवियों-के ही दौहित्र समुद्रगुप्त ने उनका नामोनिशान मिटा दिया और मालव, आर्जुनायन, यौधेय, काक, खरपरिक, आभीर, प्रार्जुन एवं सनकानीक आदि को प्रणाम, आगमन और आज्ञाकरण के लिये बाध्य किया। उन्होंने स्वयं अपने को महाराज कहना शुरू कर दिया और विक्रमादित्य उपाधिधारी चंद्रगुप्त ने उन सबको अपने विशाल साम्राज्य का शासित प्रदेश बना लिया। भारतीय गणराज्यों के भाग्यचक्र की यह विडंबना ही थीं कि उन्हीं के संबंधियों ने उनपर सबसे बड़े प्रहार किए----वे थे वैदेहीपुत्र अजातशुत्र मौरिय राजकुमार चंद्रगुप्त मौर्य, लिच्छविदौहित्र समुद्रगुप्त। पर पंचायती भावनाएँ नहीं मरीं और अहीर तथा गूजर जैसी अनेक जातियों में वे कई शताब्दियों आगे तक पलती रहीं। पश्चिम में गणराज्यों की परंपरा प्राचीन भारत की भाँति ग्रीस की भी गणपरंपरा अत्यंत प्राचीन थीं। दोरियाई कबीलों ने ईजियन सागर के तट पर १२ वीं सदी ई. पू. में ही अपनी स्थिति बना ली। धीरे धीरे सारे ग्रीस में गणराज्यवादीं नगर खड़े हो गए। एथेंस, स्पार्ता, कोरिंथ आदि अनेक नगरराज्य दोरिया ग्रीक आवासों की कतार में खड़े हो गए। उन्होंने अपनी परंपराओं, संविधानों और आदर्शों का निर्माण किया, जनसत्तात्मक शासन के अनेक स्वरूप सामने आए। प्राप्तियों के उपलक्ष्यस्वरूप कीर्तिस्तंभ खड़े किए गए और ऐश्वर्यपूर्ण सभ्यताओं का निर्माण शुरू हो गया। परंतु उनकी गणव्यवस्थाओं में ही उनकी अवनति के बीज भी छिपे रहे। उनके ऐश्वर्य ने उनकी सभ्यता को भोगवादी बना दिया, स्पार्ता और एथेंस की लाग डाट और पारस्परिक संघर्ष प्रारंभ हो गए और वे आदर्श राज्य--रिपब्लिक--स्वयं साम्राज्यवादी होने लगे। उनमें तथाकथित स्वतंत्रता ही बच रही, राजनीतिक अधिकार अत्यंत सीमित लोगों के हाथों रहा, बहुल जनता को राजनीतिक अधिकार तो दूर, नागरिक अधिकार भी प्राप्त नहीं थे तथा सेवकों और गुलामों की व्यवस्था उन स्वतंत्र नगरराज्यों पर व्यंग्य सिद्ध होने लगी। स्वार्थ और आपसी फूट बढ़ने लगी। वे आपस में तो लड़े ही, ईरान और मकदूनियाँ के साम्राज्य भी उन पर टूट पड़े। सिकंदर के भारतीय गणराज्यों की कमर तोड़ने के पूर्व उसे पिता फिलिप ने ग्रीक गणराज्यों को समाप्त कर दिया था। साम्राज्यलिप्सा ने दोनों ही देशों के नगरराज्यों को डकार दिया। परंतु पश्चिम में गणराज्यों की परंपरा समाप्त नहीं हुई। इटली का रोम नगर उनका केंद्र और आगे चलकर अत्यंत प्रसिद्ध होने वाली रोमन जाति का मूलस्थान बना। हानिबाल ने उसपर धावे किए और लगा कि रोम का गणराज्य चूर चूर हो जायगा पर उस असाधारण विजेता को भी जामा की लड़ाई हारकर अपनी रक्षा के लिये हटना पड़ा। रोम की विजयनी सेना ग्रीस से लेकर इंग्लैंड तक धावे मारने लगी। पर जैसा ग्रीस में हुआ, वैसा ही रोम में भी। सैनिक युद्धों में ग्रीस को जीतनेवाले रोमन लोग सभ्यता और संस्कृति की लड़ाई में हार गए और रोम में ग्रीस का भोगविलास पनपा। अभिजात कुलों के लाड़ले भ्रष्टाचार में डूबे, जनवादी पाहरू बने और उसे समूचा निगल गए---पांपेई, सीजर, अंतोनी सभी। भारतीय मलमल, मोती और मसालों की बारीकी, चमक और सुगंध में वे डूबने लगे और प्लिनी जैसे इतिहासकार की चीख के बावजूद रोम का सोना भारत के पश्चिमी बंदरगाहों से यहाँ आने लगा। रोम की गणराज्यवादी परंपरा सुख, सौंदर्य और वैभव की खोज में लुप्त हो गई और उनके श्मशान पर साम्राज्य ने महल खड़ा किया। अगस्तस उसका पहला सम्राट् बना और उसके वंशजों ने अपनी साम्राज्यवादी सभ्यता में सारे यूरोप को डुबो देने का उपक्रम किया। पर उसकी भी रीढ़ उन हूणों ने तोड़ दी, जिनकी एक शाखा ने भारत के शक्तिशाली गुप्त साम्राज्य को झकझोरकर धराशायी कर देने में अन्य पतनोन्मुख प्रवृत्तियों का साथ दिया। तथापि नए उठते साम्राज्यों और सामंती शासन के बावजूद यूरोप में नगर गणतंत्रों का आभास चार्टरों और गिल्डों (श्रेणियों) आदि के जरिए फिर होने लगा। नगरों और सामंतों में, नगरों और सम्राटों में गजब की कशमकश हुई और सदियों बनी रही; पर अंतत: नगर विजयी हुए। उनके चार्टरों के सामंतों और सम्राटों को स्वीकार करना पड़ा। मध्यकाल में इटली में गणराज्य उठ खड़े हुए, जिनमें प्रसिद्ध थे जेनोआ, फ्लोरेंस, पादुआ एवं वेनिस और उनके संरक्षक तथा नेता थे उनके ड्यूक। पर राष्ट्रीय नृपराज्यों के उदय के साथ वे भी समाप्त हो गए। नीदरलैंड्स के सात राज्यों ने स्पैनी साम्राज्य के विरु द्ध विद्रोह कर संयुक्त नीदरलैंड्स के गणराज्य की स्थापना की। आगे भी गणतंत्रात्मक भावनाओं का उच्छेद नहीं हुआ। इंग्लैंड आनुवंशिक नृपराज्य था, तथापि मध्ययुग में वह कभी कभी अपने को कामनबील अथवा कामनवेल्थ नाम से पुकारता रहा। १८वीं सदी में वहाँ के नागरिकों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिये अपने राजा (चाल्र्स प्रथम) का वध कर डाला और कामनवेल्थ अथवा रिपब्लिक (गणतंत्र) की स्थापना हुई। पुन: राजतंत्र आया पर गणतंत्रात्मक भावनाएँ जारी रहीं, राजा जनता का कृपापात्र, खिलौना बन गया और कभी भी उसकी असीमित शक्ति स्थापित न हो सकी। मानव अधिकारी (राइट्स ऑव मैन) की लड़ाई जारी रही और अमरीका के अंग्रेजी उपनिवेशों ने इंग्लैंड के विरु द्ध युद्ध ठानकर विजय प्राप्त की और अपनी स्वतंत्रता की घोषणा में उन अधिकारों को समाविष्ट किया। फ्रांस की प्रजा भी आगे बढ़ी; एकता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के नारे लगे, राजतंत्र ढह गया और क्रांति के फलस्वरूप प्रजातंत्र की स्थापना हुई। नेपोलियन उन भावनाओं की बाढ़ पर तैरा, फ्रांस स्वयं तो पुन: कुछ दिनों के लिए निरंकुश राजतंत्र की चपेट में आ गया, किंतु यूरोप के अन्यान्य देशों और उसके बाहर भी स्वातंत्र्य भावनाओं का समुद्र उमड़ पड़ा। १९वीं सदी के मध्य से क्रांतियों का युग पुन: प्रारंभ हुआ और कोई भी देश उनसे अछूता न बचा। राजतंत्रों को समाप्त कर गणतंत्रों की स्थापना की जाने लगी। परंतु १९वीं तथा २०वीं सदियों में यूरोप के वे ही देश, जो अपनी सीमाओं के भीतर जनवादी होने का दम भरते रहे, बाहरी दुनियाँ में----एशिया और अफ्रीका में----साम्राज्यवाद का नग्न तांडव करने से न चूके। १९17 ई. में माक्र्सवाद से प्रभावित होकर रूस में राज्यक्रांति हुई और जारशाही मिटा दी गई। १९48 ई. में उसी परंपरा में चीन में भी कम्युनिस्ट सरकार का शासन शुरू हुआ। ये दोनों ही देश अपने को गणतंत्र की संज्ञा देते हैं और वहाँ के शासन जनता के नाम पर ही किए जाते हैं। परंतु उनमें जनवाद की डोरी खींचनेवाले हाथ अधिनायकवादी ही हैं। सदियों की गुलामी को तोड़कर भारत भी आज गणराज्य की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिय कटिबद्ध है और अपने लिए एक लोकतंत्रीय सांवैधानिक व्यवस्था का सृजन कर चुका है। साम्राज्यों और सम्राटों के नामोनिशान मिट चुके हैं तथा निरकुंश और असीमित राज्यव्यवस्थाएँ समाप्त हो चुकी हैं, किंतु स्वतंत्रता की वह मूल भावना मानवहृदय से नहीं दूर की जा सकती जो गणराज्य परंपरा की कुंजी है। विश्व इतिहास के प्राचीन युग के गणों की तरह आज के गणराज्य अब न तो क्षेत्र में अत्यंत छोटे हैं और न आपस में फूट और द्वेषभावना से ग्रस्त। उनमें न तो प्राचीन ग्रीस का दासवाद है और न प्राचीन और मध्यकालीन भारत और यूरोप के गणराज्यों का सीमित मतदान। उनमें अब समस्त जनता का प्राधान्य हो गया है और उसके भाग्य की वही विधायिका है। सैनिक अधिनायकवादी भी विवश होकर जनवाद का दम भरते और कभी कभी उसके लिये कार्य भी करते हैं। गणराज्य की भावना अमर है और उसका जनवाद भी सर्वदा अमर रहेगा। इन्हें भी देखें गणराज्यों की सूची रूस के गणराज्य गणतन्त्र दिवस (भारत) सरकार के रूप
एक गणराज्य या गणतंत्[M] (गणतन्त्र) ( ) सरकार का ए[M][M]रूप ह[M] जि[M]में देश क[M] एक "सार्[M][M]निक मा[M]ला" माना जाता है, न कि शास[M]ों की[M]निजी संस्था [M]ा स[M]्पत्[M]ि। एक [M]णराज्य के भीतर सत्त[M] के [M][M]राथ[M]िक [M]द विरासत मे[M] नहीं मि[M]ते[M]ह[M]ं।[M]यह सरकार[M][M]ा एक रूप ह[M] जिसके अन[M][M]र्गत राज्[M] का प्[M]मुख राजा न[M][M]ं होता।[M]गणराज्य[M]की परिभाषा[M]का विशेष रूप से सन्[M]र्भ सरकार [M]े एक ऐसे रूप[M]से ह[M] जिसमे[M] व[M]यक्त[M][M]न[M]गरि[M] निकाय [M]ा प्र[M]िनिधित्व करते हैं और किसी[M][M]ंविधान के तहत विधि [M]े नियम के अनुसा[M][M]शक्[M]ि का प[M]रयोग करते[M]हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के[M]प्[M]मुख[M]क[M] स[M]थ [M]क्तिय[M]ं का प[M][M]क्क[M]ण शामिल होता हैं, व[M]जिस राज्य का सन्दर्भ संव[M]धानिक [M]णर[M][M]्य या [M]्रतिन[M]धि लोकतंत[M]र[M]से हैं। २०१७ तक, दुनिया के २०६ सम्[M]्रभ[M] राज्यों [M]ें से १[M]९ अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में [M]रिपब्लिक[M] [M]ब[M]द क[M] उपयो[M][M]कर[M]े[M][M][M]ं - निर्वाचित[M]सरक[M]र[M]ं के अर्थ से ये[M]सभी गणराज्य नहीं हैं,[M]ना ही निर्वाचि[M] [M]रक[M][M] व[M]ले सभी राष्ट्[M]ो[M] [M][M] नामों म[M]ं "गणराज्य" शब्द का [M]प[M]ो[M] किय[M][M]गया हैं। भले राज[M]यप्रमुख अक्सर [M]ह दा[M]ा क[M]ते हैं कि वे "शासि[M]ों[M]की सहमति[M][M]से ही[M]शासन करते हैं, [M]ागरिकों को अपन[M] स्वयं [M]े[M]नेताओ[M][M][M]ो [M]ुनने की वास्[M]विक [M]्षमत[M] को उप[M]ब्ध कराने [M][M] असली[M]उद[M]देश्[M][M]क[M] बदले क[M]छ देशों में चुन[M]व "शो" के उद्देश्य से अधिक पाय[M][M]गया है।[M]गणराज्य (स[M]स्कृत से[M] "ग[M][M]: जनता, "[M]ा[M]्य"[M] र[M][M]ासत/देश) [M]क ऐसा देश होता[M][M]ै जहां [M]े [M]ा[M]नतन्त्[M] म[M]ं सैद्ध[M][M][M]त[M]क र[M]प[M]से देश [M]ा सर्वोच्च [M][M] पर आम जनत[M] [M]ें से कोई भी व[M]यक्ति[M][M]दासीन हो सकता है। इस तर[M] के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्क[M]त; गण:पूरी जनता, तंत[M]र:प्रणाली[M] जनता [M]्[M]ारा नियंत्रित प्रणाली) क[M]ा जात[M] है। "ल[M]कतंत्र" [M]ा "[M]्[M][M]ातं[M]्[M][M] इसस[M] अ[M]ग होत[M] है। ल[M]क[M]न्त[M]र[M]वो श[M]सनतन्[M][M]र हो[M]ा[M]है जहा[M] व[M]स्तव में सामान्य ज[M]ता[M]या [M]स[M]े[M][M]हुमत [M]ी इच[M]छा [M]े [M]ास[M] [M]लता है। आज विश्[M] [M]े[M]अधि[M][M]न्श देश गण[M]ाज[M]य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक [M]ो[M][M]ान्त[M]र[M]क[M]गण[M]ाज[M]य है[M][M]गणर[M]ज्य [M]ब्द[M]की [M]त्पत्ति फ्[M]ांस देश स[M] आई है[M]। राज्य क[M] [M]्रमुख[M]देश [M]ी आम जनता द्वार[M] [M]ुने [M]ए [M][M]रतिनिधि [M]नत[M] का श[M]सन गणर[M]ज[M]य जो [M]ोकत[M]्त्र नहीं हैं हर [M]णराज्य का ल[M]क[M]ान्त्रिक ह[M][M]ा[M]अवश[M][M]क नहीं है[M] तानाश[M][M]ी, जैसे हिट्लर[M]का नाज[M]ीव[M][M][M] मुसोली[M]ी का फ़ासीवाद, पाकिस्तान और[M]कई अ[M]्[M] देशों में फ़ौज[M] तानाशाही, चीन,[M]सो[M]ियत सं[M] में साम्यवाद[M] तानाशाही, इत[M]यादि गणत[M]्त्र ह[M][M], क्यों[M]ि [M]नका[M]राष्ट्रा[M]्यक्ष एक सा[M]ा[M]्य व्यक्ति है [M]ा थ[M]।[M]लेकिन इन राज्यों [M]ें लोकत[M]न[M][M]्र[M][M][M]चुन[M]व[M]नही[M] होते, जन[M]ा और[M]व[M]पक्ष[M]को दबाय[M] जा[M][M] है और जनता की इच्छा से शासन नहीं [M]लता। ऐसे कु[M] [M]ेश[M]हैं : [M]फ़्[M]ी[M]ा के अधिक्तम[M] दे[M] [M]क्षिणी[M]अ[M][M][M]का के [M]ई[M]द[M]श लोकत[M]्त्र जो[M]गणराज्य[M]नही[M][M][M]ैं हर लोक[M]न्त्र का गणराज्य हो[M]ा आवश्यक[M]नहीं[M]है। संवैधानिक राजतन[M]त्र, जहाँ राष्ट्[M]ाध्यक्ष एक वंशानुगत र[M][M]ा होता है, लेकिन असली शासन[M][M]न्[M]ा द्वारा निर[M]वाचित [M]ंसद चल[M]ती [M]ै, इस श[M][M]ेणी में आत[M][M]ह[M]ं[M] ऐसे[M][M][M]छ देश हैं : ब[M]रिटेन [M]र उसक[M] [M]ोमिनियन : प्राची[M] काल[M]म[M]ं दो प्र[M]ार [M]े [M][M][M]्य क[M][M] गए ह[M][M]। एक रा[M][M]ध[M]न औ[M] दूसरे [M][M]धीन। राजाधीन को एका[M][M]न भी क[M]ते[M]थ[M][M] जहा[M] गण या अ[M]े[M] व्[M]क्तियों का[M]शासन होत[M] [M][M], वे ही गणाधीन राज्य[M]क[M]लाते थे। [M]स वि[M]ेष अ[M]्थ में पाणिनि[M]की व्याख[M]या स्पष्ट[M]और सुनिश्चित [M]ै। उन्होंन[M] गण [M]ो संघ का[M]पर्या[M] कहा है (संघोद्ध[M] गणप्रशंसयो :, [M]ष्टाध्यायी ३[M]३[M]८६)। सा[M][M][M][M]य स[M] [M]्ञात[M]होत[M] है कि प[M]णिनि और ब[M][M]्ध [M]े का[M] म[M]ं अ[M][M]क गणराज्य थ[M]। ति[M]हुत से लेकर कपिल[M]स्तु तक[M]गणराज्यों [M]ा एक छ[M]टा[M]सा[M]गुच[M]छा गंगा से तर[M]ई तक फैल[M][M]ह[M]आ था[M] [M]ुद्ध[M]शाक्यगण में उत्पन्[M][M]हुए थ[M]। लिच्छवियों का गण[M]ाज्य [M]नमें सबस[M] [M]क्तिशाली था, [M][M][M]ी राज[M]ानी[M]वै[M]ाली थी। किंतु भा[M]तवर्ष में गणराज्[M]ों का [M]बसे अधिक विस्तार [M]ाहीक (आधुन[M]क पंजाब)[M]प्[M]देश में हुआ थ[M]।[M]उ[M]्तर [M]श्च[M]म[M]के इन गण[M]ाज्यों [M]ो पाणिनि[M]ने आयुधजीव[M] सं[M] कहा है। वे[M]ही अर्थशास्त्र के वार्ताशस्त्र[M]प[M]ीवी संघ[M][M]्ञात होते [M]ैं।[M]ये लोग [M]ांतिकल मे[M] वार्त[M] या [M]ृषि आदि पर न[M]र[M]भ[M] रह[M]े थे किंतु युद्धकाल म[M]ं [M]पने संविधा[M] के[M]अ[M]ुसार योद्[M]ा बनकर संग[M]राम करत[M] थे। इ[M]का[M]राज[M]ी[M]िक स[M]घ[M][M] बहुत दृढ[M] थ[M] और ये अ[M]े[M]्षाकृत विकसित थे। इन[M]े[M] क[M][M]ुद्रक और मालव[M]दो ग[M]राज्यों[M]का विशेष [M]ल्लेख [M]ता है। उन्होंने यवन आक[M][M]ांता सिकंदर से घोर युद्ध किया [M]ा। वह माल[M][M]ं [M]े बा[M] स[M] तो[M]घायल [M]ी हो[M]गय[M] था। इन द[M][M]ों की संयुक्त से[M]ा के लिये पाणिनि ने[M]गणपाठ मे[M] क्[M]ौद्रकमालवी संज्[M]ा क[M] उल्लेख किया है। पं[M]ाब के उत्तरप[M]्चिम और उत्तरपूर्[M] में भी अनेक छोटे मोटे गण[M]ाज्य थे, उनका [M]क श्रुंखला [M]्रिगर्[M] (वर्तमान[M]काँ[M]ड़ा) के [M][M]ाड़ी प्[M]देश[M]में[M]विस[M][M]ा[M][M]त हुआ[M][M]ा [M]िन[M]हे[M] पर[M]वतीय संघ क[M]ते[M][M]े[M] दूसरा श्रुंख[M]ा सिंध[M] नदी के दोनों तटों पर गिरिगहवरों [M]ें बसने[M]वाले महाबलशाल[M][M]ज[M]तियों[M]का था जिन्[M]ें प्राचीनका[M][M]म[M][M][M]ग्रामणीय संघ कहते थ[M]। [M]े [M]ी[M][M]र[M]तमान के[M][M]बा[M]ली[M][M]ैं। इनक[M] संव[M]धान क[M] उतना अधि[M] [M][M]कास [M]हीं हुआ ज[M]त[M]ा अन्य ग[M]रा[M]्यों का। वे [M]्र[M]य:[M]उत्सेधजी[M]ी या[M]लूटमार कर जी[M]िका[M]चल[M]नेवाले थे। इनमें भी जो [M]ुछ वि[M][M]ित थे उन्[M][M]ं [M]ूग [M]र ज[M] पिछड़[M] हुए[M]थे [M]न[M]हें ब्रा[M] कहा जाता था। संघ य[M] गण[M]ं का एक तीसरा गुच्छा स[M]राष्ट्र में विस्तार[M][M] हुआ था। उनमें अं[M]कवृष्[M]ियों का संघ या गण[M]ाज्य बहु[M] प्[M]स[M]द[M]ध था। [M]ृष्ण इसी सं[M] के सदस्य[M][M]े अतएव[M]शांतिपू[M]्व म[M]ं उन्हें अर्ध[M]ोक्[M]ा राजन्य कहा ग[M][M][M]है।[M]ज्[M]ात ह[M]ता [M]ै कि सिंधु नदी के दोनों त[M]ों[M][M]र गणर[M]ज्[M]ो[M] [M]ी [M]ह श्रृंखला ऊपर[M]से [M]ीचे को[M]उत[M]ती स[M][M]ाष्ट्र तक[M]फ[M]ल ग[M] थी क्योंकि[M]सिंध नामक [M]्रदेश [M]ें भी इस प्रक[M] के [M][M] गण[M]ं [M]ा वर्णन मिलता है। इनम[M]ं मुच[M]र्ण, ब्राह्म[M]क और शू[M]्रक [M]ुख्य थ[M][M] भारतीय [M]णशासन के [M][M]बंध में भी[M]पर्याप्त सामग्री [M][M]लब[M]ध है। ग[M][M]के[M]न[M]र[M][M][M]ण क[M] इक[M]ई कुल थी।[M]प्रत्येक कुल [M]ा एक एक व[M]यक्ति गणसभा का सदस्[M][M]हो[M]ा था। उसे क[M]लवृद[M]ध य[M] [M]ाण[M]नि क[M] [M]नुसार गोत[M]र [M]हते थे। उस[M] की संज्ञा वंश्य [M]ी [M]ी। [M]्राय: ये[M]राजन्य या[M]क[M]षत्रिय जाति के ह[M][M]व्यक्ति [M][M]ते थे। ऐ[M]े[M]कुलों की संख्या [M]्रत[M]य[M]क[M]गण में परंपर[M] से नियत थी[M] जैसे लिच्छविगण के [M]ंगठन में ७७०[M] कुटुंब या कुल सम्मिल[M]त थे। उनके प्रत्य[M]क [M]ु[M]वृद्ध [M]ी[M]संघीय[M]उपाधि राजा होती थी। [M]भाप[M]्[M] में गणाधीन और र[M]जाध[M]न[M]शासन का विवे[M]न करते हुए स्पष्ट कहा है [M]ि स[M]म्राज्य श[M]सन मे[M] सत्ता एक व्यक्ति क[M] हाथ [M]ें रहती[M]है। (साम्[M]ाज्यश[M]्द[M]ं[M]हि क[M]त्स्न[M][M][M][M])[M]किंतु गण शासन में[M]प्रत[M]येक[M]परिवार[M][M]ें एक एक राजा होता है[M] (गृहे गृ[M]ेहि राज[M]न: स[M][M]स्य स्वस्य प्[M]िय[M][M]रा:[M] सभ[M]पर्व[M] १४,२)। इसके[M]अतिर[M]क्त[M]दो[M]बातें[M][M]र [M][M]ी[M]गई ह[M]ं।[M]एक यह कि गणशास[M] में प[M]रजा का कल्य[M][M] [M]ूर दूर तक व्याप्त होता है। दूसरे [M]ह कि युद[M][M][M]से गण[M]क[M] [M][M]थित[M] सकुशल नह[M]ं [M][M]ती। गणों[M]के लिए शम य[M][M][M]ांति की नीति ही थी।[M]यह[M]भी क[M]ा ह[M] [M]ि गण मे[M] प[M]ानुभ[M]व या[M]दूसर[M] की[M]व्य[M]्[M]ित्व गरिमा की भी प्[M]शंसा होती[M][M]ै[M]और [M][M] मे[M][M]सबक[M] साथ लेकर[M]चलने[M]ा[M]ा[M]ही [M]्[M]श[M]सनीय होता है। गण शासन के ल[M]ए ही प[M][M]मेष्ठ्य[M]यह पारिभाषिक[M]सं[M]्ञ[M] भी[M][M]्[M][M]ुक[M]त हो[M]ी [M]ी। संभवत: यह आवश्यक माना जाता था कि [M]ण के भ[M][M]र द[M]ों[M]का संगठन हो। दल के [M][M]स्य[M]ं को वग्र्य, पक्ष्य, गृह्य भ[M] कहते[M]थे। दल [M]ा[M]नेत[M] परम[M]ग्[M]्य कहा जाता था। [M]णस[M]ा में[M]ग[M] के[M]समस्त प्[M]तिनिधि[M]ों [M]ो [M][M]्मिलित होन[M] का[M]अधिका[M][M]था[M]कि[M]तु [M]दस्यों की सं[M]्या कई सहस्[M] तक होती थी अतएव विशेष अव[M]रों को छो[M]़क[M] प्राय: उपस[M]थिति[M]परिम[M]त [M]ी रहती थी। शासन क[M] [M]ि[M][M] अं[M][M]ंग[M]अधिकारी नि[M]ुक्त किए जाते थे। किंतु[M]न[M]यमनि[M]्माण [M]ा[M]पूरा दायित्व गणसभ[M] [M]र ही था। ग[M]सभा[M][M]ें[M]नियमा[M]ुसार प्[M]स्ताव ([M]्ञप्ति) रखा ज[M]ता था। उसकी तीन व[M]चना होती थ[M] और शलाकाओं[M]द्[M]ारा मतदान किया[M]जाता[M]था। इ[M] स[M]ा में र[M][M]नीतिक[M]प्रश[M]नों के अत[M][M]िक्त और भी अनेक प[M]रका[M] [M][M] सा[M][M]जिक, व्यावहारि[M] और धार्म[M][M] प्र[M]्न भी विचारार्थ आते रहते थे। [M]स स[M]य क[M][M]राज्य सभाओं की प्रा[M]: ऐसे ही ल[M]ीली पद्ध[M]ि [M]ी। भारतव[M][M]ष में [M]गभ[M] एक सहस[M][M] वर्षों [M]६०० सदी ई[M] पू. स[M] ४ थी[M]सदी ई[M]) तक[M]गणरा[M]्यों के उता[M] चढ़ाव का [M]तिहास मिलता ह[M][M] उनकी अंत[M]म झलक[M]गुप्[M] साम्राज्य के उदय काल तक दि[M]ाई [M]ड़ती है। समुद्रगुप्त द्वारा धरणिबंध के उद्देश्य से[M]किए हुए सैनिक अभि[M]ा[M] [M]े[M][M]णराज्य[M]ं का[M]विलय हो गया। अ[M]्वाचीन पुर[M]तत्व के उत्खनन में गणराज्यों[M]के कुछ [M]ेख[M] सिक्के और मिट्[M]ी की मु[M][M]े[M] प[M]राप्[M][M]हुई हैं। व[M]शेषत: वि[M]य[M]ाली [M]ौधे[M] ग[M]राज्य के संबंध[M]की कुछ [M][M]रमाण[M]क सा[M]ग्र[M] मि[M]ी है। [M]वा. [M][M].[M]अ.) [M]ारतीय इतिह[M]स के वैदिक युग मे[M] जन[M][M] अथवा[M]गणों की प्र[M]िनिधि सं[M]्[M]ाएँ थीं विदथ, सभ[M][M]औ[M][M]स[M]िति। आगे उन्ह[M]ं का स्[M]रूपवर्ग, श्रेणी[M][M]ूग और जानपद [M]दि मे[M] [M]दल गया[M] गणतंत्[M]ात्मक और[M][M]ाजतंत[M]र[M]त्मक परंपराओं[M]क[M] स[M]घर[M][M] जारी रहा। ग[M]राज्य [M]ृपर[M][M]्य औ[M] नृ[M]र[M][M][M]य [M]णराज[M]य में बदलते रहे। ऐतरे[M] ब्राह[M]म[M] के उ[M]्[M]रकुल और उत्तरमद्र नामक [M]े राज[M][M]----जो ह[M]मालय के पार चले [M]ए [M]े[M]----पंज[M]ब में कुरु [M][M] मद्[M][M]न[M]मक राजत[M]त्र[M]ादियों के रूप म[M]ं र[M]ते थे[M] बाद [M]ें ये [M]ी म[M]्र और कुरु त[M]ा [M]न्हीं की [M][M]ह[M]शि[M]ि, पांचाल, मल्[M] और [M]िदेह गणतंत्[M]ात्मक[M]हो गए। म[M]ाभारत युग में[M]अंधकवृष[M]णियों का [M]ंघ गणतंत्र[M]त्मक था। साम्राज्[M]ों की प्र[M]िद्व[M]द्वि[M][M] [M]ें[M]भाग लेने में समर्थ उसके प[M]रधान [M]ृष[M][M] म[M]ा[M]ारत[M]की[M]राज[M]ीति को म[M]ड़ देने लगे।[M]पा[M]िनि (ईसा पू[M]्व पाँचवीं-सातवीं सदी) के[M]समय सारा वा[M]ी[M] दे[M] (पंजाब[M]औ[M] सिंध) गण[M][M][M]्य[M]ं से भरा था[M] महावीर और बुद्ध [M]े न क[M]वल [M][M]ञात्[M]िकों और[M]शाक्य[M]ं[M]को[M]अमर कर [M]िया वर[M]्[M]भारतीय इतिहास की[M]काय[M] [M]लट[M][M]ी। [M]नके[M]समय म[M]ं उत्तर प[M]र्व[M] भारत[M]गणर[M]ज्यों[M]का प्रधान क्षे[M]्[M] था औ[M] लिच्छ[M]ि, व[M]देह, शाक्य,[M]म[M][M]ल, को[M]िय[M] मोरि[M][M][M]बु[M][M] और भग्ग[M]उनके मु[M]्य [M]्रतिनिधि थे। [M][M]च्छवि अपनी शक[M]त[M] और[M]प्रतिष्ठा [M]े म[M]ध[M]क[M] [M]द[M]यमान राज[M][M] के शू[M] [M]ने। पर वे अपनी रक्षा म[M]ं पीछे न रहे और कभी तो मल्लों[M][M]े[M][M]ाथ तथा[M]कभी आस[M]पास के अन्यान्य गण[M]ं [M]े स[M]थ [M]न्[M]ोंन[M] [M]ंघ बन[M][M]ा जो[M][M]ज्जिसं[M] के नाम [M]े [M]िख्यात हुआ। अजातशत्[M]ु ने अपने मंत्र[M] [M]र्षका[M] [M]ो[M]भेजकर उन्ह[M]ं जीतने [M][M][M]उप[M]य बु[M]्[M] स[M] जानना चाहा। [M]ंत्री को, बुद्ध न[M][M]आ[M]ंद को स[M][M]ो[M]ित कर [M]प्रत्यक्ष [M][M]्तर[M]दिय[M]-[M]---आनंद! जब त[M] वज्जियों के[M]अधिवेश[M] एक प[M] एक और [M]द[M]्यों[M]क[M] प्रचुर उपस्थिति[M]में होते ह[M]ं; जब [M]क व[M] अधि[M]ेशनों[M]में एक मन से बैठते, एक म[M] [M]े उठते और एक मन[M]से सं[M]कार्य स[M]पन्न करते हैं; जब तक [M][M] पूर्[M]प्रतिष्ठि[M] व्[M][M]स्थ[M] के व[M]रोध मे[M] [M]ियमनिर[M]माण नहीं कर[M]े[M] पू[M][M]व[M]ियमित नियमों के विर[M]ध [M]ें न[M]नियमों की अभि[M]ृष[M][M]ि[M]न[M]ीं करते[M]और जब तक वे अतीत क[M]ल में प्रस्[M]ापित वज्जियों [M]ी संस[M]थाओ[M] और उनक[M] सिद्ध[M]ंतों के[M]अनुसार कार्य[M][M]रते हैं; [M]ब तक वे[M]वज्जि अर[M]हतों औ[M] गुरु जनों का[M][M][M][M][M][M] [M]रते हैं,[M]उ[M]की मंत्र[M]ा को भक्तिपूर्[M][M] सुन[M]े हैं; जब [M]क उन[M]ी[M]ना[M]ियाँ और कन्[M]ा[M]ँ शक्ति और अ[M]चार से व्यवस्था विरु[M]्ध व्य[M][M] का सा[M]न नहीं बनाई ज[M]ती[M],[M][M]ब[M]त[M] वे वज्जि[M]ैत्यों के प्रति श[M]रद्धा और भक्ति[M]रखते है[M], जब तक वे अपने अ[M]्ह[M]ों[M]क[M] र[M]्षा क[M][M]े हैं, उस स[M]य त[M] [M]े आ[M]ंद, वज[M]ज[M]य[M]ं का उत्[M]र्[M] निश्चित [M][M], अपकर्ष संभव नह[M]ं। गण[M][M] अथवा संघ[M]ं [M]े ह[M] आदर[M]श[M][M]र[M]स्थापित [M]पने[M][M]ौद्ध संघ [M]े[M]ल[M][M] [M]ी बुद्ध ने इसी प्र[M]ार के नियम[M]बनाए। जब[M]तक [M]ण[M][M]ज्यों [M][M][M]उन नियमों का पालन कि[M]ा,[M]वे बन[M][M]रहे, पर धीरे धीरे उन्होंने भी[M]राज की[M]उप[M]धि[M]अपनानी शरू[M]कर [M]ी और उनकी[M]आपसी [M]ूट,[M]क[M]सी क[M] ज्येष[M]ठत[M], [M]ध्[M]ता [M]था शिष्[M]त्व न स्वीकार क[M]ना, उन[M][M][M]दो[M] [M]ो [M]ए। सं[M] आपस [M][M]ं ही लड़ने ल[M][M] और राजतंत्रवा[M]यो[M] की[M]बन आई। तथापि गणतंत्रों की परंपरा का अभी नाश[M]न[M]ीं हुआ। पंजाब औ[M] सिंध से लेकर पूर[M]वी उ[M]्त[M] प्रद[M]श और बिहा[M] तक[M][M]े सार[M] [M]्रदेश में[M]उन[M]ी स्थिति बनी रही। चौथी सदी[M]ईस[M][M] पूर्[M] में मक्[M]ूनि[M]ाँ के सा[M][M]राज[M]यवादी आक्र[M]णकार सिकंदर को, अपने विजय में एक ए[M] [M]ं[M] ज[M]ीन के लिए केवल लड[M][M]ा[M]ही[M]न[M]ीं प[M]़ा, कभी क[M]ी छद्म[M]और विश्व[M]सघात का भ[M] आश्र[M] लेना पड़ा। पंजाब[M] गणों की वीर[M]ा, सैन्यकुशलता,[M][M]ाज्[M]भक्त[M],[M]देशप[M]रेम[M]तथा[M][M]त्माहुति के[M]उत्साह क[M] वर्[M]न[M]कर[M]े [M]ें य[M]ना[M]ी इतिहासकार भी [M] चूके[M] [M]पने देश के गणर[M]ज्यों [M]े उन[M]ी तुलना [M]र उनक[M] शासनतंत्रों के[M]भेदो[M]भे[M] उन्ह[M]ंने समझ[M]बु[M]कर किए। कठ, अस[M]सक, [M]ौध[M]य,[M]मालव, क्[M]ुद्[M]क, अग्रश्र[M]णी[M]क्षत्र[M]य, सौभू[M]ि, मुचुकर्ण[M]और अं[M]ष्ठ आद[M] अनेक[M]गणों के नर[M]ारियों ने सि[M]ंदर के दाँत खट[M][M]े[M]कर [M]ि[M][M][M]र मातृभ[M]मि की रक्[M]ा में [M]पने लहू[M]स[M] पृथ्व[M][M]लाल कर [M]ी[M] [M]ठो[M] औ[M] सौभूतियों का सौं[M]य[M]्रेम अतिव[M][M]ी था और स्वस्थ[M][M]था सुद[M]र बच[M]च[M] [M][M] जीने[M]दिए जाते थे। बाल[M] [M]ाज्य का [M]ोता,[M]म[M]ता पि[M][M] का नहीं[M] सभ[M] न[M]गरिक सिपाही होत[M] [M]र अनेकानेक गणराज्य आयुधज[M][M][M]।[M]पर सब व्यर्थ [M]ा,[M]उनकी अकेलेपन की नी[M]ि के का[M]ण। उनमें मत[M]क[M]य का अभाव औ[M] उनके छो[M]े छो[M]े[M]प्रद[M][M] [M]नके विनाश क[M] कारण बने। सिकंदर[M]ने तो उन्[M]ें जी[M]ा ही, उन्हीं गणराज्य[M]ं [M]ें [M]े एक के ([M]ोरियों[M]के[M] प[M]रतिनिधि[M]चंद्रगुप्त तथा उसके म[M]त्री चाणक्य ने[M]उ[M]के[M]उन्मूलन की नीति अप[M]ाई[M] पर[M]तु साम्रा[M]्यवाद[M]की[M]धारा[M][M]ें समा[M]ित[M]हो जाने की बारी केवल[M]उन्हीं[M]ग[M]र[M]ज्यों की थी[M]जो[M]छोटे और [M]मजो[M] थे। [M]ुल[M]ंघ[M]तो चंद्रगुप्त और चा[M][M]्य [M]ो भी [M]ुर्जय[M]ज[M]न पड़े। यह गणराज्यों[M][M]े संघात्मक स्वर[M][M] की विजय थी। परंतु ये सं[M][M]अपवा[M] मात[M]र[M]थे[M] अज[M]तशत[M]रु[M]और [M]र[M]ष[M]ार [M]े जो नीति [M]पना[M] [M]ी,[M][M][M]ीं[M]चंद[M]रगुप्त और चाणक्य का आदर्श[M]बनी। साम्रा[M]्यवादी [M]क्[M][M]यों[M]का[M]स[M]्वात्मसाती[M][M]्वरू[M] सामने आया और [M]धिकांश ग[M]तंत्र मौर्य[M]ं क[M] वि[M]ाल [M]कात्[M]क[M]शासन [M]े[M] विली[M] हो गए। परंत[M] गणराज्[M]ों की आत्मा नहीं दबी। [M]िकंदर की[M]तलवार, मौर्य[M]ं[M]की म[M][M][M]अथ[M]ा बाख़्त[M]री यवन[M]ं [M]र[M]शक कुषा[M]ों की आक[M]रमणक[M][M][M] बाढ[M] उ[M][M]ें से कमजोरों[M]ही [M]हा सकी। अपनी स्वतंत्रता का हर म[M]ल्[M] चुका[M]े क[M] त[M]यार[M][M]ल्ल[M]ई (मालवा),[M]यौधेय, मद्र और[M][M]िवि पंजा[M] से नीचे [M]तरकर राजप[M][M]ाना मे[M] प्रवेश कर गए और शताब्दियो[M] तक[M]आगे भी उनके गणराज्य [M]ने रहे। उन[M]ह[M]ंने शाकल आदि[M][M]पने प्रा[M]ीन नगर[M]ं का मोह छोड़ मा[M][M]यम[M]का त[M]ा उज्जय[M]नी [M]ैसे नए नगर[M]बसाए, [M]पने सिक्के चल[M][M][M]और अपने [M]णों की विजयकामना की।[M]मा[M]व गणतंत्र के [M]्रम[M]ख विक[M]र[M]ा[M]ि[M]्य ने श[M]ो[M] से[M][M]ोर[M][M]ा लिया, उ[M]पर विजय प्राप[M]त की, [M]कारि उपाधि [M]ा[M]ण[M]की और स्मृ[M]िस्वरूप ५७[M]५६[M][M]० [M]ू० [M][M]ं ए[M] नया संवत् चलाया जो [M]्[M]मश:कृत[M]ालव औ[M] विक्रम [M]ंवत् के[M]नाम स[M] प्रसिद्ध हुआ [M]र जो[M]आज भी[M]भा[M]तीय ग[M]नापद्धति में मुख्य स्[M]ान [M]खता [M]ै। तथापि स[M]वात[M]त्र्यभा[M]ना की[M]यह अंतिम लौ मात्र [M]ी। ग[M]प्[M]ों क[M] स[M][M]्[M][M]ज्यवाद ने उन सबको समाप्[M] कर [M]ाला। भार[M]ीय गणों के[M][M][M]रमौरों [M]ें[M]से एक-ल[M]च्[M]व[M]यों[M]के ही [M][M]हित्र समुद्रगु[M]्त ने उन[M]ा नामोनिश[M]न मिटा[M]द[M]य[M] और म[M][M]व,[M]आर्जुनायन[M] यौधेय, [M]ाक, खरपरिक, आभी[M], प्रार[M]जुन[M][M]व[M] सनकान[M][M][M]आदि को[M][M]्[M]णाम, आग[M]न[M]और आज्[M]ाकरण के लिये बाध्य किया। उन्ह[M]ं[M][M] स[M][M][M]ं अपने को मह[M]रा[M] कहना[M]शुरू [M]र दिया और [M]िक्रमादित्[M] उपाधिधारी[M]चंद्रग[M]प[M]त[M]ने[M]उन [M]ब[M]ो अपने [M][M]श[M]ल साम्राज्य का शासित प्[M]द[M]श [M]न[M] लिया। भ[M]रत[M]य [M]णराज्यों के [M]ाग्यच[M]्र[M]की यह विडं[M]ना [M]ी थीं [M]ि उन्ही[M][M]के[M]संबंधियों ने उनपर[M]सबस[M] ब[M]़े प्रहार [M][M]ए---[M]वे थे [M]ै[M]ेहीप[M]त्र अ[M]ातशुत्र मौरिय[M]राजकुमार[M]चंद्रग[M]प्त मौर्य, [M]िच्[M]विदौहित्र स[M]ुद्रग[M]प्त। पर पंचायत[M] भावनाएँ नहीं म[M]ीं औ[M] अह[M]र तथा [M]ूजर ज[M]सी [M][M]ेक[M]जा[M]ियों में वे कई [M]ताब्द[M]यों [M][M]े तक पल[M]ी रहीं। पश्च[M]म में गणराज्य[M]ं की पर[M][M]रा[M]प्[M]ाची[M] भारत की भाँत[M] ग्रीस की भ[M] गणपरंपरा अत[M]यं[M] प्राचीन थीं। दोरियाई कबीलों ने ईजियन[M]सागर[M]के[M]तट [M]र १[M] वीं[M][M]द[M] ई. पू. में ही अपनी स्थिति बना ली।[M]धी[M]े धीर[M] सा[M]े[M]ग्रीस म[M]ं [M]णराज[M]यवादीं [M]गर[M]खड[M]े हो गए। ए[M]ें[M], स्पार्[M]ा, कोरिंथ आदि अ[M]े[M] न[M]र[M]ाज्[M][M]दोरि[M]ा ग[M]रीक आ[M]ा[M]ों की क[M]ार में खड़े[M]ह[M] गए। उन्होंने [M]पनी[M]परंप[M]ाओं[M] संविधान[M]ं और आदर्शो[M] का निर्[M]ाण किय[M],[M]ज[M]स[M]्तात्म[M][M]शा[M][M] [M]े अनेक [M]्वर[M]प स[M]म[M][M] आए[M] [M]्र[M]प्तियों के [M]पलक्ष्यस्व[M]ूप की[M]्तिस्[M]ंभ खड़े किए गए[M]औ[M] ऐश्[M]र[M]यपूर्ण[M]सभ्यताओं का निर्माण श[M]रू[M]हो ग[M][M]। [M][M][M]तु उनकी ग[M]व्[M]व[M]्थ[M]ओं में ही उनकी अ[M]न[M][M] के ब[M]ज भी[M][M]िपे[M]रहे[M][M]उ[M]के ऐश्वर[M]य न[M][M]उ[M][M][M] सभ[M]यता को भोगवाद[M] बना दिया, स्पार[M]ता और[M]ए[M]ेंस क[M][M][M]ाग डाट और [M]ारस्परिक संघर्ष प्र[M]रंभ हो[M]गए और[M]वे आदर्[M] राज्य[M]-रिप[M]्लि[M]--स्[M]य[M] [M]ा[M]्राज्यवादी होन[M] ल[M]े। उनमें तथाकथित स्वतंत[M]रत[M] [M][M] बच रही,[M]राजनीत[M]क अ[M]िकार अत्य[M]त सीमित लोगों के हाथों रहा, बहुल जनता[M]को राजनीतिक अधिकार तो दूर, ना[M]रिक अधि[M]ार[M]भ[M] प्राप[M]त नहीं [M]े [M]था स[M]व[M]ों और गुलामों[M]की व[M][M]वस्थ[M] [M][M] स[M]वत[M]त्र नगरर[M]ज[M][M]ों पर[M]व[M]यंग्य स[M]द्ध होने लगी[M] [M]्[M]ार्[M] और [M]पसी फूट ब[M]़ने[M]ल[M]ी। व[M] आपस में तो लड़े ही, ईरान और मकदून[M][M]ाँ के साम्राज्य[M]भी उन पर टूट पड़े। सिकंद[M] [M]े [M]ारतीय ग[M]रा[M][M]यों की कमर तोड़ने के[M]पूर[M]व उसे[M]पिता फि[M][M]प ने ग[M]री[M] [M]णरा[M][M]यों को [M]माप[M]त कर दिय[M] था[M][M]साम्राज[M]य[M]ि[M][M]सा [M]े दोनों ह[M] द[M]शों के नगरराज्यों क[M] ड[M]ार [M]िया।[M]परं[M]ु पश्चिम[M]में गणराज्य[M][M] [M]ी पर[M]प[M]ा [M]म[M]प्त नहीं हुई। इटली का[M][M]ोम नग[M] [M]नका क[M]ंद[M][M] और[M]आगे चलक[M] [M]त्[M][M]त प्र[M]िद्ध हो[M]े वाली र[M][M]न जात[M] [M]ा[M]मूलस्थान [M]ना। हा[M]िबाल ने [M][M]पर धावे किए और लगा क[M] रोम [M]ा गणराज[M]य चूर [M][M]र[M][M][M] जायगा पर उस असाधार[M] विजेता को[M][M][M] [M][M]मा की लड़ाई [M]ारकर[M]अपनी रक्षा क[M] लिये ह[M][M]ा पड़ा[M] रो[M][M]की [M]िज[M]नी सेना ग्रीस[M]से ल[M]कर [M]ंग्लै[M]ड तक ध[M]वे मारने लगी। पर जै[M]ा ग[M][M]ीस में[M]हुआ,[M]वैसा ह[M] रोम [M]ें भी। सैनि[M] यु[M]्धों में ग्री[M] [M]ो जीतनेवाल[M][M]र[M][M][M] [M]ोग[M]सभ्[M]त[M] और संस्क[M]ति की लड़ाई में हार गए और रोम[M]में[M]ग्रीस का भोगविलास [M]नपा। अभ[M]जात कुलों क[M] लाड़[M]े भ्र[M]्[M]ाच[M]र में डूब[M], जनव[M]दी पाहरू बन[M] औ[M] उ[M]े समूचा निग[M] गए-[M]-पांपेई, सीजर, अंतो[M]ी [M][M]ी। [M]ारतीय मलमल, मोत[M] और[M]मसालों की[M]बारीकी, चमक और सुगं[M] में वे डूबने लग[M] और[M]प्[M][M]नी जै[M]े इ[M]िहासकार की च[M]ख के [M]ावजूद र[M][M] का सोना भारत के प[M]्चिमी बंदर[M]ाहों से यह[M][M] आ[M]े[M]लगा। रोम क[M] गणर[M]ज्यवादी[M][M]रंपरा सुख, [M]ौंदर्य और वैभ[M] की खोज में ल[M]प्त[M]हो[M]गई और उनके श्मश[M]न [M]र साम्राज्य न[M] [M][M]ल खड़ा [M]ि[M][M]। अ[M]स्तस उसका [M][M]ला सम्राट्[M]बना और उस[M]े वंश[M]ो[M][M]न[M] अप[M]ी साम्र[M]ज्यव[M]दी[M]सभ[M][M]ता में सार[M][M]यूरोप [M][M] डुबो देने का उपक्रम [M][M]या। पर उसकी भी रीढ़ उन हूणों न[M] तोड़ दी, जिनकी एक श[M]खा ने भारत के[M]शक्तिशाली[M]गुप्त स[M]म्राज्य को[M]झकझोरकर [M]राशा[M]ी कर देन[M] में[M]अन्य [M]तनोन्[M]ुख प्रवृ[M][M]त[M]यों क[M] साथ द[M]य[M]।[M]तथ[M]पि [M]ए[M]उ[M]ते साम[M]राज्यों और स[M]मंत[M] शासन के[M]बावज[M][M] य[M][M]ो[M] में [M]गर गणतं[M]्रों[M]का आभास चार्टरों और गि[M]्डो[M] (श्रेणिय[M]ं)[M][M]दि के ज[M][M]ए[M]फ[M]र होने[M]लगा। नगरो[M] औ[M] सा[M]ंतों[M]म[M]ं, न[M]रों औ[M] सम्राटों[M]म[M]ं गज[M] की कशमकश हुई[M]और सदियों बनी रही[M] पर अंत[M]: [M]गर विजयी हुए। उ[M]के च[M][M]्टरों के सा[M][M]तों औ[M] स[M]्र[M][M]ों क[M] स[M]वीकार [M]रना पड[M][M]। मध्यकाल में इटली[M]में ग[M]र[M]ज्य[M]उ[M][M]खड़े हुए, जिनमें प्रसिद्ध थे [M][M]नोआ, फ्लोरेंस, पादुआ एवं वेनिस और उनके सं[M]क्[M]क [M]था [M]ेता [M]े उनके ड्यूक[M][M]पर राष्[M]्री[M] नृपराज्यों के [M]दय [M]े स[M]थ वे भी स[M]ाप्त हो गए। नी[M]रलैंड[M]स के [M][M][M] राज्[M]ों ने[M]स्[M]ैनी सा[M]्र[M]ज्य [M]े विरु द्ध विद्रोह कर संयुक्त नीदरलै[M][M]्स[M]के गणरा[M]्य[M]की स्थापना [M]ी। [M]गे भी गणतंत[M]रा[M]्मक भ[M]वनाओं का उच्छेद[M]नह[M]ं [M]ुआ। इं[M]्ल[M]ंड आनुवंशि[M] नृपराज्[M] था, तथापि मध्यय[M]ग में वह कभी कभी अपने को क[M]म[M]बील[M]अथवा कामनवेल्[M] नाम से पुक[M]रता[M]रहा। १८वी[M] सदी में वहाँ के नागरिकों ने अपने अ[M]िकारो[M] क[M] रक्ष[M] [M]े लिये अपने [M]ाजा (चाल्र्स प्र[M]म) [M]ा वध कर डाला और कामनवेल्थ अथवा [M]िपब[M]लि[M][M](गणतंत्र) की स[M][M]ापना हुई। पुन: राजतंत्र आया [M]र गणतं[M][M]रात्मक [M]ावनाएँ जा[M]ी रहीं, रा[M]ा जनता का क[M]पापा[M]्र, खिलौ[M]ा बन[M]गया और कभी भी उसक[M][M]असीमित शक्ति[M]स्थापित न [M]ो स[M]ी। मानव अधि[M]ारी (राइट्स ऑ[M][M]मैन) की[M]लड़ाई जार[M] रही और अमर[M]क[M] के अंग्[M][M]जी उप[M][M]वेशों [M]े[M]इ[M]ग्लैंड के विर[M][M]द्ध युद[M]ध ठा[M]कर व[M]ज[M] प्राप्त क[M] और [M]पनी [M]्वत[M]त्र[M]ा[M]की घोषणा में[M][M]न अधि[M][M]र[M]ं को समाव[M]ष्[M][M]किय[M]। [M][M]रांस की प्रजा भी आगे बढ[M]ी;[M]एकत[M], स्व[M]ं[M][M]र[M]ा[M]और बंधुत्व के[M]नारे लग[M], राजतंत्[M] ढह[M]गया और[M]क्रांति[M]के फलस्वरूप प्[M]जातंत्र क[M] स्[M]ापना[M]हुई। नेपोलि[M]न उन भावनाओं की बाढ़ पर तैरा, फ्रां[M] स्वयं तो पुन[M] कुछ दिनों[M]के लिए [M]िरंकुश राजतंत्र क[M] चपेट मे[M] आ [M]य[M], क[M]ंत[M] यू[M]ो[M][M]के अन्यान[M]य देशों[M]औ[M] उ[M]के[M]बाह[M] भी[M]स्वातं[M]्र्य[M]भाव[M]ाओं [M][M] स[M]ु[M]्र[M]उमड़[M][M]ड़ा। [M]९वीं सदी के मध्य [M]े क्र[M]ं[M][M]यों का[M]युग पुन: प्रारंभ ह[M]आ और [M]ोई भी देश उनसे [M][M]ूत[M] न बचा।[M]राजतंत्रों को स[M][M]प्त कर गणत[M]त्रों की[M]स्थ[M]पना की [M]ाने लगी। परंतु [M]९वीं त[M]ा २०व[M]ं सद[M][M]ों [M]ें[M]यूरो[M] [M]े [M]े ह[M] देश, जो[M][M][M]नी सीमाओं के[M]भीतर जनवादी होने [M]ा दम[M]भरते रहे, बा[M]री दुनियाँ में----एशिय[M] और अफ्रीक[M] म[M]ं[M]-[M][M]साम[M]राज[M]यवाद का नग्[M][M]तांडव करन[M] से न[M]चूके[M] [M]९1[M] ई. में माक्र्सवा[M] से प्रभावित[M]ह[M]कर[M]रूस में राज[M]यक्रांति ह[M]ई और जारश[M][M]ी[M]मिटा दी गई। १९[M]8[M]ई.[M]में उस[M] [M]रंपरा में [M][M]न में [M][M] क[M]्[M]ुनिस[M]ट सर[M][M]र[M]का शा[M]न शुरू [M]ुआ। ये दोनों ही दे[M] अपने को गणतंत[M]र की सं[M]्ञा [M]ेते है[M][M]और वह[M]ँ के [M]ा[M][M] जनता क[M][M]नाम[M]पर [M]ी किए[M]जाते[M]ह[M][M]। [M]रंतु उनम[M]ं ज[M][M]ाद की डोरी खीं[M]नेवाले ह[M]थ अधिनायकवादी ही[M]हैं।[M]सद[M]य[M]ं[M]की [M]ुलामी को तोड़कर भा[M]त भी [M]ज[M]गण[M]ाज्य क[M][M]परंपरा[M]को[M][M]गे बढ़ाने [M]े लिय क[M]िबद्ध ह[M] और अपने लिए एक लोकतंत्रीय सा[M]वैधानिक [M]्य[M][M]्था[M]का सृजन कर चुक[M] [M]ै। साम्राज्यों और सम[M][M]ाटों [M]े नाम[M]न[M]शान मिट चुके[M]हैं तथा [M][M]रकुंश और असीमित राज्यव्यवस्थाए[M] समाप्त हो चुकी हैं, क[M]ंतु स्[M]तंत्रता की वह मू[M] भाव[M]ा मानवहृ[M]य[M]से [M]ही[M] दूर की [M]ा सकती जो गणराज्य परंपरा की कुंजी [M]ै[M] विश्व[M]इत[M][M]ास के प्रा[M]ीन[M]युग[M]के गणों [M]ी त[M]ह आज के [M]णराज[M]य अब न तो [M]्षेत्र [M][M]ं अ[M][M]यं[M] [M]ो[M]े ह[M]ं और न आपस में फूट और द्वेष[M]ावना से ग[M][M]स्त[M] उनमें न [M]ो[M]प्र[M]चीन [M]्रीस का[M]द[M]सवा[M] है और न प्राच[M][M] और मध्यकाल[M][M] भारत और य[M]रोप[M]के गणर[M]ज्य[M]ं[M]का [M][M]म[M][M] मतदान। उनमें[M]अब सम[M]्त जनत[M] का प्[M]ाधान्य हो[M]गया[M]है[M]और उसके भ[M]ग्य की वही [M]िधायिका है। सै[M]िक अधिन[M]यकवादी[M]भी विवश होकर जनवाद क[M] द[M] भरते और कभी [M]भी उसके लिये कार[M]य[M]भी क[M]ते हैं। गणराज्य की भावना अमर है [M]र उसका[M]जनवाद [M]ी सर[M]वदा अमर रहेगा। इन्हे[M] भी [M]ेखें गणराज्यों की सूची रू[M][M]के गणराज्[M] ग[M]तन्[M]्र दिवस (भ[M]रत) सरक[M]र के र[M]प
नास्तिक १९८३ में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। अमिताभ बच्चन - शंकर हेमामालिनी - गौरी प्राण - बलबीर अमज़द ख़ान - टाइगर रीटा भादुड़ी - शांति जय श्री टी नामांकन और पुरस्कार १९८३ में बनी हिन्दी फ़िल्म
नास्तिक १९८३ में बनी[M]हिन्दी भाष[M] की फ़िल्म [M]ै। अम[M]ताभ बच्चन -[M]शंकर हेम[M]माल[M]नी - गौ[M]ी प्राण[M]- बलबीर [M]मज़द [M]़ान - ट[M]इगर रीटा भादु[M][M]ी - शांति [M]य [M]्री [M][M] नामांकन और पुर[M]्का[M][M]१९८३[M][M]ें ब[M]ी हि[M]्दी [M]़िल्म
२६ जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १७७वाँ (लीप वर्ष में १७८ वाँ) दिन है। साल में अभी और १८८ दिन बाकी हैं। १९२२- राजकुमार लुई चार्ल्स अंटोइन ग्रीमल्डी, लुई द्वितीय के नाम से मोनाको का राजा बना। १९४५ - सेन फ़्राँसिस्कों में संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया गया। १९९२ - भारत ने बांग्लादेश को 'तीन बीघा गलियारा' ९९९ वर्षों के लिए पट्टे पर दिया। बुडापेस्ट (हंगरी) में विश्व विज्ञान सम्मेलन की शुरुआत हुई। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष जे.ए. समारांच को ' सदी का सर्वश्रेष्ठ खेल नायक अवार्ड' प्रदान किया गया। अमेरिकी ऊर्जा विभाग के हथियार कार्यक्रम के प्रमुख विक्टर रीस ने इस्तीफ़ा दिया। २००० - अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल द्वारा बांग्लादेश को टेस्ट क्रिकेट देश का दर्जा दिया गया। २००४ - पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जमाली का इस्तीफ़ा, शुजात हुसैन नये कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। बहुर्राष्ट्रीय कम्पनी रियोरिटो ने मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में छतरपुर ज़िले के तहत हीरा खनन के लिए खनिज पट्टा माइनिंग लीज हासिल कर बंदर डायमंड प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की। बिजली परियोजनाओं के लिए कास्टिंग फोर्जिंग एवं बेलेंस ऑफ प्लाट उपकरणों को बनाने के लिए एनटीपीसी व भारत फोर्ज ने बीएफ-एनटीपीसी एनर्जी सिस्टम लिमिटेड नामक संयुक्त उद्यम बनाया। २०१८ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में एशियाई ढांचागत निवेश बैंक-ए.आई.आई.बी. के तीसरे वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। २०२२ - मध्य प्रदेश बना रणजी ट्रॉफी का विजेता (यह प्रथम किताब है|) मध्य प्रदेश ने पहले रणजी ट्रॉफी में होल्कर क्रिकेट टीम के रूप में भाग लिया, १९४५-४६ और १९५२-५३ के बीच चार बार टूर्नामेंट जीता। मध्य प्रदेश के रूप में यह उनकी पहली जीत थी। १५६४ - शेख अहमद सरहिंदी, नक्सबंदी पंथ के उलेमा १८३८ - बंकिमचंद्र चटर्जी, बंगाली उपन्यासकार (मृ. १८९४) १९४७ - रिचर्ड बेनेट, कनाडा की ग्यारहवें प्रधानमंत्री (ज. १८७०) २००४ - यश जौहर, भारतीय फिल्म निर्माता (ज. १९२९) अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस यातना पीड़ितों के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस वर्ष का दिन
२६ जून ग्रेगोरी क[M]लंडर[M]के[M]अनुसार वर्ष का [M]७७वाँ (लीप वर्ष में १७८ वाँ) दिन है। [M]ाल [M]ें अभी और १८८[M]दिन ब[M]की हैं। १९२२[M] र[M][M]कु[M]ार लुई चा[M]्ल्स अंटोइ[M] ग्री[M]ल्डी, लुई द[M][M]ित[M]य के नाम से मोनाको का [M]ा[M]ा[M][M]ना।[M]१९४५ -[M]सेन [M]़[M]राँसिस्कों[M][M][M][M] सं[M]ुक्त राष्ट्र घो[M]णा पत्र पर ह[M]्ताक्षर कि[M][M][M][M][M][M]। १९९२ - भार[M][M]ने बां[M]्ल[M][M]ेश को [M]त[M]न बीघा गलिया[M]ा' [M]९[M][M]व[M]्षों [M]े लिए पट्टे पर दिया। ब[M]डापेस्ट (हंगर[M][M][M]में विश्व विज्ञान [M]म्म[M]लन की शुरुआत[M]ह[M]ई। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक[M]समिति के अध्यक्[M] जे.ए. सम[M]रांच को[M]' [M]दी का सर्वश्[M]ेष्ठ खेल नायक अव[M]र्[M]' प[M]रद[M]न किया गया। अम[M]रिकी [M]र्जा विभाग के [M]थिया[M] [M]ार[M]यक्रम के प्रमुख व[M]क[M]ट[M][M]रीस ने[M]इस्तीफ़ा दिया। २[M]०[M] - अ[M]तर्राष[M]ट्रीय क्र[M]के[M][M]क[M]उंसिल द्व[M]रा[M]ब[M][M]ग्लादेश क[M] टेस्ट [M]्[M]िकेट दे[M] का [M]र्जा द[M]या गया। २००४ - पाकिस्ता[M][M]क[M][M]प्रध[M]नमंत्[M]ी जम[M]ली का इस्त[M][M]़ा, शुजात हुसैन [M]ये[M]कार्यवाहक प्रधानम[M][M]्री बने। बह[M]र्[M][M][M]्ट्रीय क[M]्पनी रियोरिटो[M]ने मध्य[M]प्[M][M]ेश[M]के [M]ुन्देलखण्ड क्[M][M]त्र [M]ें[M]छ[M]रपुर ज़िल[M][M]के तहत हीरा खनन के लिए ख[M]िज पट्[M]ा माइनिंग[M]लीज[M][M]ासिल कर बंदर डायमंड प्[M]ोजे[M]्ट शुरू क[M]ने की घोषणा[M]की। बिज[M]ी[M]परियोज[M]ाओं के लि[M] कास्[M]िंग फ[M]र[M]ज[M]ंग एव[M][M]ब[M][M]ेंस ऑफ [M]्लाट [M]पकरण[M]ं को[M]बनाने क[M] लिए एनटीप[M]स[M] व भारत फोर[M]ज न[M] बी[M][M]-[M]नटीपीसी एनर्जी सिस्टम लिमिटेड नामक संयुक्[M] उद्यम बनाया। [M]०१८ प्[M]धानमंत[M]री [M]रेंद्र मोदी ने मु[M]बई में एशिय[M][M] ढांचागत नि[M]ेश बैंक-ए.आई[M]आई[M]बी. [M]े त[M]सरे वार्षिक सम्मेलन का उद्घा[M]न[M]किया। २०२[M] [M] [M]ध[M]य प्र[M]ेश बना[M]रणजी ट्रॉफी का विजेता (यह प[M]रथम किताब है|[M] म[M]्य प्रदेश ने [M]हले [M][M]जी ट्र[M]फ[M] में हो[M]्कर क्रि[M][M]ट टीम क[M] रूप में भाग[M]लिया[M] [M]९४५-४[M] [M]र १९५२-५३ के बीच चार ब[M]र[M]टूर्नामें[M] जीता।[M]मध[M]य प्रद[M]श के रूप में[M]यह उनकी पहली[M]जीत थी। १५[M]४ - शे[M] अ[M]मद स[M]हि[M]दी, नक्[M]बं[M]ी पंथ के उ[M]ेमा[M]१८[M][M][M]- बंकिमचंद्र चटर्जी, [M]ंगा[M]ी उपन्य[M]सका[M] ([M]ृ. १८९४) १९[M]७ - र[M][M]र्ड [M][M]ने[M], कनाडा क[M] ग्यारहवें प्रधानमंत्र[M] (ज.[M]१८७०) २००४ - यश जौहर, भारत[M]य [M][M]ल[M]म न[M]र्माता [M]ज. १९[M][M][M] अंतर्[M]ाष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस यातना पी[M]़ित[M]ं के समर्थ[M] [M]ें संयुक्त र[M]ष्ट[M]र [M]ंत[M]्राष्ट्री[M] दिवस वर्[M] का दि[M]
गोवा विश्वविद्यालय (गोआ यूनिवर्सिटी) भारत के गोवा राज्य के पणजी नगर में स्थित एक उच्च-शिक्षा संस्थान है। इन्हें भी देखें गोवा में विश्वविद्यालय और कॉलेज
गोवा विश्वविद्यालय (गोआ[M]यूनिव[M][M]सिटी) भा[M]त के ग[M][M]ा[M]राज्य के प[M]जी नगर में स्थ[M]त [M]क उच्च-शिक्षा संस[M]थान है। इन्हें[M]भी देखे[M] [M]ो[M]ा[M]में विश्वविद्यालय [M]र कॉलेज
हाई फोंग या हैफोंग, वियतनाम के उत्तरी भाग में दूसरा सबसे बड़ा और एक प्रमुख औद्योगिक शहर है। हाई फोंग, वियतनाम के उत्तरी तट में प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, चिकित्सा, शिक्षा, विज्ञान और व्यापार का केंद्र भी है। इसके अलावा, यह शहरी आबादी के मामले में वियतनाम का तीसरा सबसे बड़ा शहर है(२०१६ में २,१९०,७८८ जनसंख्या के साथ)। हाई फोंग शहर एक बंदरगाह प्रांत के रूप में फ्रांसीसी औपनिवेशिक साम्राज्य के दौरान १८८७ में स्थापित हुआ था। १८८८ में, फ्रेंच तीसरे गणराज्य के अध्यक्ष सादी कार्नेट ने हाई फोंग शहर के स्थापना की घोषणा की थी। १९५४ से १९७५ तक हाई फोंग उत्तर वियतनाम के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री शहर के रूप में था और यह १९७६ से हनोई और हो ची मिन्ह शहर की तरह प्रत्यक्ष-नियंत्रित नगर पालिकाओं में से एक बन गया। हैफ़ोंग एक तटीय शहर है, जो किम नदी (निषिद्ध नदी) के मुहाने पर स्थित है। यह वियतनाम के उत्तर-पूर्वी तटीय इलाके में, हनोई से १२० किमी पूर्व में स्थित है। केम नदी पर बना बिन्ह ब्रिज, शहर को थु गुयेन जिले के साथ जोड़ता है। हैफ़ोंग में एक आर्द्र उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु है, जिसमें गर्म, आर्द्र ग्रीष्मकाल और गर्म, शुष्क सर्दियाँ होती है। शहर में बारिश अप्रैल से अक्टूबर तक होती है; शहर की वार्षिक वर्षा का लगभग ९०% (जो लगभग १६०० मिमी वर्षा है) आम तौर पर इन महीनों में ही गिरता है। शहर के सर्दियों और गर्मियों के बीच के तापमान में काफी अंतर होता है। हाई फोंग, विशेष रूप से उत्तर और पुरे वियतनाम का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र है। फ्रांसीसी शासन के दौरान, हाई फोंग, साइगॉन और हनोई के बराबर पहले-स्तर का शहर था। आज, हैफ़ोंग वियतनाम के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्रों में से एक है। २००९ में, हाई फोंग का राज्य बजट राजस्व ३४,००० अरब रहा था। २०११ में, शहर में बजट राजस्व ४७,७२५ अरब तक पहुंच गया, २०१० की तुलना में १९% की वृद्धि हुई। २०१५ में, शहर की कुल राजस्व ५६८८ अरब तक पहुंच गया। सरकार की योजना है कि २०२० तक, हैफोंग का राजस्व ८०,००० अरब से अधिक हो जाएगी और घरेलू राजस्व २०,००० अरब तक पहुंच जाएगा। हैफोंग का दुनिया भर के ४० से अधिक देशों और क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंध है। फूड प्रोसेसिंग, हल्के उद्योगों और भारी उद्योगों सहित हैफ़ोंग में कई महत्वपूर्ण उद्योग क्षेत्र है। प्रमुख उत्पादों में मछली सॉस, बीयर, सिगरेट, टेक्सटाइल, पेपर, प्लास्टिक पाइप, सीमेंट, लोहा, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रिक प्रशंसकों, मोटरबाइक्स, स्टील पाइप और जहाजों और आउटसोर्सिंग सॉफ्टवेयर क्रियान्वयन शामिल हैं। इन उद्योगों में से अधिकांश में २००० और २००७ के बीच काफी वृध्दि रही हैं। सिगरेट और दवा उद्योग को छोड कर, जहज़ निर्माण, स्टील पाइप, प्लास्टिक पाइप और वस्त्र उद्योगों में सबसे तेज वृद्धि हुई हैं। एक उद्योगिक शहर के रूप में इसकी स्थिति के बावजूद, हैफोंग क्षेत्र का लगभग एक तिहाई या ५२,३०० हेक्टेयर (२००७ तक) क्षेत्र कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। चावल सबसे महत्वपूर्ण फसल है, जिसका लगभग ८०% कृषि भूमि में उत्पादन होता है, २००७ में इसका ४६३,१०० टन का उत्पादन हुआ था। अन्य कृषि उत्पादों में मक्का, चीनी और मूंगफली शामिल हैं। हैफोंग वियतनाम का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, जिसमें नगरपालिका क्षेत्र में २.१०३.५०० (२0१5) की आबादी है, इसमें १,५०७.५७ किमी क्षेत्रफल शामिल है,इसकी ४६,१% आबादी, शहरी जिलों में है। कुल जनसंख्या के लिंग वितरण में महिला आधे से कुछ ज्यादा (५०.४%) है। वियतनाम के आबाद स्थान वियतनाम के नगर
हाई फोंग [M]ा [M]ैफ[M]ंग,[M]वि[M]तनाम[M]के[M]उत्तरी भाग में दूसरा सबसे बड़ा औ[M] एक प्रम[M]ख औद्योगिक शह[M][M]है। हाई [M]ोंग, वियतनाम क[M] उत्तरी तट [M]ें[M][M]्र[M]द्यो[M]ि[M][M][M] अर्[M]व्य[M]स्था, संस[M]कृत[M][M] [M]िक[M]त[M][M]ा, [M]िक्षा, विज्ञा[M] और व्यापार का के[M]द[M]र [M]ी है। इसके अल[M]वा[M] [M]ह [M]हरी आबादी[M]के मामले में[M]वियतना[M][M]का तीसरा सबसे ब[M]़ा शहर है([M][M]१[M] में २,१९०,७८८ जनसंख्या के[M]साथ)। हाई फोंग[M]शहर [M]क बं[M]रगाह [M]्रां[M] [M]े [M]ू[M] म[M][M] फ[M][M]ांसीस[M] औपनि[M]ेशिक[M]साम्[M]ाज्य के दौरान १८८७ में स्थापित[M]हुआ था[M] १[M][M]८ में, फ[M]रेंच[M]तीसर[M] गणरा[M]्य [M][M][M]अध्यक्[M] [M]ादी[M]कार्नेट[M]ने हाई फोंग [M]ह[M] [M][M] स्थापना[M]क[M] [M]ोषण[M] की थी। १९५४ से [M]९[M]५[M][M]क हाई फ[M][M][M] उ[M]्[M][M] वियतना[M] के सबसे महत्वपूर्ण[M]समुद्री शहर के रूप में था और[M]यह १९७६ [M]े[M][M]न[M]ई और हो ची मिन्[M] [M]हर [M]ी त[M]ह प्रत्[M]क्ष[M]नियंत्रित न[M][M] [M]ालिकाओं[M]में से ए[M] बन गया। है[M]़ोंग एक तटी[M] शह[M] है, [M]ो किम [M]दी (निष[M]द्ध नदी) के[M]म[M]हाने प[M] स्थ[M][M] है। य[M][M]वियतनाम [M]े उ[M]्तर[M][M]ूर्वी [M]ट[M]य इलाके में, ह[M]ोई स[M] १[M]०[M]किमी पूर्व मे[M] स्थित है। केम नद[M] [M]र बना बिन्ह [M]्रिज[M] शहर को थु[M]गुयेन[M]जिले के साथ[M]जोड़ता है। [M]ैफ़ो[M]ग [M][M]ं एक [M]र्द्र उप-उष्ण[M]टिबं[M]ीय[M][M]लवा[M]ु ह[M],[M]जिसमें गर्[M], [M][M]्द्र ग्र[M]ष्[M][M]ाल और [M]र्म, शुष[M]क[M][M]र्द[M]य[M]ँ[M]ह[M]ती है। शहर में बारिश अ[M][M]रै[M] से अक[M][M]ूबर[M][M]क होत[M] [M]ै[M] शह[M] की वार[M]षिक [M]र्षा का लग[M]ग ९०% (जो [M]गभ[M] १६०० मिमी वर्[M]ा ह[M]) आम तौर पर इन महीन[M]ं में ही गिर[M]ा है। शहर के सर्दिय[M]ं और ग[M]्मियों क[M][M]ब[M]च के[M]तापमान में क[M]फी अ[M]तर ह[M]ता [M]ै। [M]ाई फों[M], विशेष[M]रूप से [M]त्तर औ[M] प[M]र[M][M]वियतनाम [M][M] [M][M] प्रमुख आ[M][M]थिक केंद[M][M] ह[M]।[M]फ्रां[M]ीसी शासन के[M]दौरा[M], हाई[M][M]ोंग, [M]ाइगॉन और हन[M][M] के बराबर पहले-स्तर का [M]हर [M]ा। आ[M], हैफ़ों[M] वियत[M]ा[M] के [M]बसे [M]हत्वपूर्ण आर्थिक केंद्रों[M]मे[M][M][M]े एक है। २००९ में, हाई [M]ो[M]ग का राज्य ब[M]ट[M]राजस्व ३४,००० अरब [M]हा [M]ा[M] २०११ [M]ें,[M]शहर मे[M] बजट राजस[M]व ४७,७२५ अरब तक पहुंच गय[M],[M]२०१[M] [M]ी तुलन[M] में १९%[M]क[M][M]वृद[M]धि हुई[M] २०१५ में,[M][M]हर[M]की कुल[M]राजस[M]व ५६८[M][M]अरब तक पहुंच गया। सरकार क[M] य[M]जना[M]है [M]ि [M][M]२० तक, हैफ[M]ंग का राजस्व[M]८[M],००[M] अरब स[M] अ[M]िक हो [M]ाए[M]ी और घरेल[M] राजस्[M] २०,००० [M][M]ब तक पह[M]ंच[M]जा[M]गा[M][M]हैफोंग[M]का दुनिया भर के ४०[M]से अधिक देशो[M] औ[M][M]क्ष[M]त्रों के साथ व्यापा[M]िक[M]संबंध [M][M]। फूड प्रोस[M]सिंग, हल[M]के उद्योगों और भारी उद्योग[M]ं सहित[M]हैफ़ों[M] म[M][M] [M]ई[M][M][M]त्[M]पू[M]्ण उद्य[M]ग क्ष[M]त्[M] है। प[M]रमुख[M]उत्पा[M]ों में मछ[M]ी सॉस, बी[M]र,[M]सिगरेट, [M]े[M][M]सटाइल, पेपर, प्लास्टिक पा[M]प[M] सीमे[M]ट, ल[M]हा, फार्म[M]स्यूटिकल्स, इल[M]क्ट्र[M]क प्रशंसकों, मोटरबाइक्स, स्[M]ील पाइप और[M]जहाजों[M]और आउटसो[M]्सिंग सॉफ्टवेयर [M]्रियान्वयन[M]शा[M]ि[M] हैं। इन[M]उ[M]्योगों[M][M]ें स[M] अध[M]कांश [M][M]ं २[M]०० [M][M] [M]००७ क[M] बी[M] काफी वृध्दि रही[M]ह[M][M]। सिगरेट और दवा[M]उ[M]्योग को छोड कर, ज[M]ज़ निर[M]माण,[M]स्टील[M]प[M][M]प, प[M]लास्टिक [M]ाइ[M] [M]र वस्त्[M] उद्योगों म[M]ं सबसे[M][M]ेज वृद[M]धि हुई हैं[M][M]एक उद्योग[M]क [M]हर [M]े रूप में इस[M]ी[M]स्थिति के बा[M][M][M]द, ह[M]फोंग क्षेत्र क[M] ल[M]भग एक[M]तिहा[M] या ५२,३०[M] ह[M][M]्टेयर (२००७[M]तक) क्ष[M]त्र कृष[M] के[M]लिए उपयोग किया जा[M][M] है। चावल[M]सबसे महत[M]वपूर्ण [M]सल [M]ै, [M][M]सका लगभग [M]०%[M]क[M]षि भूमि [M]े[M] उ[M][M]पाद[M] होता है, २००७ में इसका ४६३,१[M][M] टन का उ[M]्पादन[M]हुआ था। अन्य[M]कृषि उत्[M]ादों में मक्का, चीनी और मूं[M]फली शामिल[M]हैं। हैफोंग[M]वियतनाम क[M] त[M]सरा [M]बसे[M]अ[M][M]क आबाद[M] वाला शहर ह[M], जिसम[M]ं [M]गरपालिका क[M]षेत्र में २.१[M][M].५००[M](२0१5) [M]ी [M]बादी है, इसमें[M]१,५०[M][M]५७ किमी क्षे[M]्र[M]ल श[M]मिल है,इसकी[M]४६,१%[M]आ[M]ादी[M] शहरी जिलों म[M][M] है। कुल जनसंख्य[M] के लिंग वि[M]रण [M]ें महिला[M]आधे स[M] कुछ[M]ज्या[M][M] (५[M].[M][M]) है।[M]व[M]य[M][M]ाम के आब[M]द स्थ[M]न व[M]यतनाम[M]के नग[M]
गणित के सन्दर्भ में एक से अधिक चरों (वरिएबल्स और उनक्नाउन) से युक्त एक से अधिक समीकरणों के समूह को युगपत समीकरण (सीमल्तानेस इक्वेशन्स) कहते हैं। 'युगपत' का अर्थ है - 'एक साथ'। दिये गये समीकरणों पर गणितीय संक्रियायें करके उनमें आने वाले सभी चरों का ऐसा मान निकालते हैं जो सभी समीकरणों को संतुष्ट करें; इन चरों का मान प्राप्त करना ही युगपत समीकरण का हल कहलाता है। निम्नलिखित दो समीकरण एक युगपत समीकरण को निरूपित करते हैं। इसमे क्स और य दो चर हैं। इस उदाहरण में दिये हुए दोनो समीकरण रेखीय बीजीय समीकरण हैं। किन्तु युगपत समीकरणों के समूह में कुछ या सभी समीकरण अरेखिइय या अबीजीय (जैसे त्रिकोणमित्तिय) हो सकते हैं। इसी प्रकार, निम्नलिखित समीकरण निकाय का हल है - क्स = १००, य = ० युगपत समीकरणों का महत्व विज्ञान, तकनीकी एवं अन्य क्षेत्रों में किसी समस्या का विश्लेषण करते समय या किसी डिजाइन के कार्यान्वयन में अक्सर युगपत समीकरणों का निकाय हल करना पडता है। इसके अलावा विभिन्न गणितीय समस्याओं का हल निकालते समय भी अन्त में युगपत समीकरण प्राप्त हो सकता है। युगपत समीकरणों का हल युगपत समीकरणों के हल के लिये प्राय: निम्नलिखित विधियाँ उपयोग में लायी जाती हैं: ग्राफीय विधि (समीकरणों का ग्राफ खींचकर) आंकिक विधि (न्युमेरिकल मेथड) इस विधि में दिये गये समीकरणों के निकाय में से कोई एक समीकरण लेते हैं और उसको इस रूप में लिखते हैं कि कोई अज्ञात राशि अन्य अज्ञात राशियों के फलन के रूप में अभिव्यक्त हो जाय। जैसे, यदि मूल समीकरण है तो इसे ) के रूप में लिखेंगे। य का यह मान शेष सभी समीकरणों में रख देंगे। इस प्रकार हमारे पास पहले की अपेक्षा एक कम समीकरण बचा और अज्ञात राशि भी पहले की अपेक्षा एक कम हो गयी। यही क्रम तब तक चलाते हैं जब तक हमें केवल एक समीकरण न मिल जाय। इससे उसमें निहित अज्ञात राशि का मान निकालते हैं और उल्टे क्रम में (बऐक साबस्टितुशन) प्रतिस्थापन करते हुए अन्य अज्ञात राशियों का मान ज्ञात कर लिया जाता है। नीचे के उदाहरण से यह स्पष्ट हो जायेगा- इनमें सबसे पहले को हटाने की कोशिश करते हैं- अब दूसरे समीकरण से क्स का मान य के फलन के रूप में व्यक्त करते हुए: थोड़ा सरल करने पर य का मान निकल जाता है: अब उल्टे क्रम में पहले क्स और फिर ज़ का मान निकालते हैं-
गण[M][M] [M]े[M]सन्दर्भ में एक स[M] अधि[M] [M]रो[M] (वरिएबल्स और उन[M]्नाउ[M][M] से युक्त एक से अधि[M] स[M]ीकरणों के सम[M]ह को युगपत[M]समीकरण (सीमल्तानेस इक्वेशन्स) कहत[M] ह[M]ं।[M]'युगपत' क[M] अर्थ है - 'एक साथ'। [M][M]ये [M]ये सम[M][M][M]णों[M]पर गणितीय संक्र[M]य[M]यें[M]क[M]के [M]नमें[M]आ[M]े वा[M][M][M]सभी चरो[M] [M]ा[M]ऐसा[M]मा[M] [M]िका[M]ते[M]हैं जो [M]भी स[M]ीक[M]णों क[M] [M]ं[M][M]ष्ट करें; इ[M][M]चरों का[M][M]ान प्राप्त करना ही युग[M]त समीकरण का हल कहलाता[M]है[M] [M]िम्नलिखित[M]दो समी[M]रण एक युग[M][M] स[M]ीकरण[M]क[M] [M]िरू[M]ि[M] करते ह[M]ं। इस[M]े [M]्स और[M]य दो चर हैं[M] इस उ[M]ाह[M]ण में [M]िये हुए दोनो समीकरण [M]ेखीय बीजीय समीकरण ह[M][M]। किन्तु[M]युग[M]त समीकरणो[M] के समूह में कुछ या[M]सभी समीक[M]ण[M]अरेखिइ[M] या अ[M]ीज[M][M] (ज[M]से त्[M]िको[M]म[M]त्तिय) [M]ो स[M]ते हैं[M] इसी प्रकार, निम्नल[M]खित समीकरण निकाय[M][M]ा [M]ल ह[M] - [M]्स =[M]१००, [M][M]= ० [M]ुगपत समीक[M]णों का महत्व विज्ञा[M], [M]कनीकी [M][M]ं अन्[M] क्षेत्[M]ों [M]ें[M]क[M]सी समस्या क[M][M]विश्लेषण [M]रते [M][M]य[M]या[M]किसी[M]डिजाइ[M] के का[M]्यान्व[M]न म[M]ं[M]अक्सर[M]युगपत समीकरणों [M]ा नि[M]ाय हल करना[M]पड[M]ा ह[M]। इसक[M] अला[M][M] वि[M]िन्न ग[M]ितीय समस्याओं का हल निकालते[M]समय भ[M] [M]न[M]त में[M][M]ुगपत समीक[M][M] प्राप्त[M]हो[M]सकता[M]है। युगपत स[M]ीकरणों का हल[M]युगपत समीकरणों के [M][M] के ल[M]ये प्राय: निम्नलिख[M]त विधि[M]ाँ[M]उपयोग में लायी जाती हैं: ग्[M]ाफीय व[M]धि (समीकरणों का ग्राफ खींचक[M][M] आ[M][M][M]क [M]िधि[M](न्युमेरिकल मेथड) इस विधि[M]में[M]दि[M]े[M]गये[M]समीकरणो[M] [M]े निका[M] में[M]स[M] को[M] एक स[M]ीकरण लेते ह[M]ं और उसक[M][M]इस [M][M]प मे[M] लिखते ह[M][M] कि क[M]ई अज्ञात राशि[M]अ[M][M]य अज्ञात राशियों क[M][M]फलन [M]े रूप में अभिव्यक्त ह[M] जाय[M] जैसे, यदि मूल स[M][M]क[M]ण है त[M][M][M]से[M]) के रूप में [M]ि[M][M][M]गे। य का यह[M]मान शे[M] सभी समीकरण[M][M][M]में रख [M]ेंगे। इस प्रका[M] हमारे पास पहले की अपेक[M]षा [M]क [M]म सम[M]कर[M] ब[M]ा और अज्ञ[M]त र[M]शि भी प[M]ले की अप[M][M][M]षा एक क[M] हो गयी। [M]ही क्[M]म तब [M]क चलाते हैं[M]जब तक[M]ह[M]े[M][M]के[M][M] एक समीकर[M] न[M]मिल जाय। इ[M]से उसमें[M][M]िहित अ[M]्ञ[M]त [M][M]शि[M]क[M] मान निकालत[M] हैं और उल्टे क्रम में (बऐक साबस्टि[M]ुशन) प्[M]त[M]स्थापन करते हुए [M]न[M][M][M]अज्ञात राशियो[M] [M]ा[M]म[M]न ज्ञात क[M] लिया जात[M] है। नी[M]े के[M]उदाहरण [M]े यह स्पष[M]ट हो [M]ाय[M]गा[M][M]इनमें [M]बसे[M]पहले को हटा[M]े क[M][M]क[M][M]िश [M]रते ह[M]ं- अ[M] दू[M]रे सम[M]कर[M] से [M]्स का मान य के फलन के रूप [M]ें[M]व[M]यक्त करते हु[M]: थोड[M]ा[M]सरल करने[M]पर य का मान नि[M]ल जाता है: अब उल्टे[M]क्रम में[M]प[M]ल[M] [M]्स [M]र[M]फ[M]र ज़ का मान निकालत[M][M]हैं-
भगवतपुर तिआय ३ भगवानपुर, बेगूसराय, बिहार स्थित एक गाँव है। बेगूसराय जिला के गाँव
[M]गव[M]पु[M] तिआय ३ भगवान[M][M]र, बेगू[M][M]ाय, बिहार [M]्[M]ित एक ग[M]ँव है। बे[M]ूसराय [M]िल[M] क[M] गाँ[M]
१९१६ ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। १५ जुलाई - हवाईजहाज कंपनी बोइंग की स्थापना हुई। १९ जुलाई- प्रथम विश्व युद्ध फ्रोमेल्स के युद्ध में ब्रिटिश और आस्ट्रेलियाई सेना ने जर्मन सेना पर हमला किया। १ अगस्त - महिला अधिकारों की समर्थक तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की शुरुआत की। २८ अगस्त- प्रथम विश्वेयुद्ध में इटली ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की १६ नवंबर- सोवियत संघ के ला सेतेन्नाया में बारूद के एक कारखाने में हुए भयंकर विस्फोट में १,००० लोगों की मौत। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ अर्मेनियाई नरसंहार (१९१५ - १९२३) असिरियाई नरसंहार (१९१४ -१९२२) ग्रीक नरसंहार (१९१४ - १९२३) ४ जुलाई - नसीम बानो, हिन्दी चलचित्र अभिनेत्री २३ जुलाई- हेल सलासी-१, इथोपियाई सम्राट। १६ सितंबर- एम.एस.सुब्बालक्ष्मी, प्रसिद्ध भारतीय गायिका और अभिनेत्री २२ नवंबर- शांति घोष, वरिष्ठ भारतीय स्वतंत्रता सेनानी == जुलाई-सितंबर । के का शास्त्री २९ जुलाई
१९[M]६ ग[M]रेगो[M]ी कैलंडर [M]ा [M]क अधिवर्ष [M]ै। १५ जुलाई - हवाईजहा[M] क[M]पनी बो[M][M][M] की स्थापना हुई। १९ जु[M][M]ई- प्रथम विश्व युद्ध फ्रो[M][M]ल्स[M]के युद्ध में ब[M]रिटि[M] और [M]स्ट[M]रेलियाई[M]सेना न[M] जर्मन [M]ेना [M]र[M]हमला [M]िया। १[M]अग[M]्[M] [M] [M]हिला अधिका[M]ों क[M] समर्थक तथा भारतीय [M][M]ष्ट्रीय[M]कांग्[M]ेस क[M] पू[M]्व अध्[M][M]्[M] एनी बेसेंट न[M][M]होम रूल [M]ीग की शुर[M]आत क[M]। २८ अग[M]्त- प्रथम विश्वेयुद्ध [M]ें इटली ने ज[M]्मनी के खिलाफ युद्[M] की घोषणा की १६ नवंबर- सोवियत[M]स[M]घ के ल[M][M]सेतेन्नाया में[M]बारूद के एक कारख[M]ने [M]ें ह[M]ए भयं[M]र व[M]स्फ[M]ट[M]में १,००० लोग[M][M] की मौत[M][M]अज्ञात ता[M][M]ख़ की घ[M]ना[M]ँ अ[M][M]मेनियाई नरसंहार (१[M]१५ - १९२३)[M][M]सिरियाई [M]रसं[M]ार (१९१४ -१९२२) ग्रीक नरसंहार ([M]९१४[M]- [M][M]२३) ४ जुला[M] - नसीम[M][M]ानो, हिन[M]दी [M]लचि[M]्र अभि[M]ेत्री[M]२३ जुलाई-[M]हेल [M]लासी-१[M] इथोपियाई सम्राट। [M]६ सि[M]ंब[M][M][M]एम.[M]स.सुब्बाल[M]्[M]्[M]ी, प्रसिद्ध भ[M]रतीय गायिका और अभि[M]ेत्री २२ नवंबर- शांति[M]घोष, वरि[M]्ठ भारत[M]य[M]स्वतंत[M]रता सेनान[M] == ज[M]ल[M]ई-सितंबर । क[M] का शास्त्[M]ी[M]२९[M]ज[M][M]ाई
थेवा १७वीं शताब्दी में मुग़ल काल में राजस्थान के राजघरानों के संरक्षण में पनपी एक बेजो़ड हस्तकला है। थेवा की हस्तकला कला स्त्रियों के लिए सोने मीनाकारी और पारदर्शी कांच के मेल से निर्मित आभूषण के निर्माण से सम्बद्ध है। इसके इने गिने शिल्पी-परिवार राजस्थान के केवल प्रतापगढ़ जिले में ही रहते हैं। थेवा-आभूषणों के निर्माण में विभिन्न रंगों के शीशों (कांच) को चांदी के महीन तारों से बने फ्रेम में डाल कर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरी जाती है, जिन्हें कुशल और दक्ष हाथ छोटे-छोटे औजारों की मदद से बनाते हैं। यह आभूषण-निर्माण कला अपनी मौलिकता और कलात्मकता के कारण विश्व की उन इनी गिनी हस्तकलाओं में से एक है - जो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार और विपणन के अभाव में जल्दी विलुप्त हो सकती हैं| नाम का अभिप्राय "थेवा" नाम की उत्पत्ति इस कला के निर्माण की दो मुख्य प्रक्रियाओं 'थारना' और 'वाड़ा' से मिल कर हुई है। इस कला में पहले कांच पर सोने की बहुत पतली वर्क या शीट लगाकर उस पर बारीक जाली बनाई जाती है, जिसे थारणा कहा जाता है। दूसरे चरण में कांच को कसने के लिए चांदी के बारीक तार से फ्रेम बनाया जाता है, जिसे "वाडा" कहा जाता है। तत्पश्चात इसे तेज आग में तपाया जाता है। फलस्वरूप शीशे पर सोने की कलाकृति और खूबसूरत डिजाइन उभर कर एक नायाब और लाजवाब कृति का आभूषण बन जाती है। काँच पर कंचन का करिश्मा कहे जाने वाली यह शिल्प काँच पर सुनहरी पेंटिंग की तरह है, जो चित्रकारी की नींव पर जन्म लेती है। इस शिल्प की रचना जटिल, कठिन तथा श्रमसाध्य तो है ही, परन्तु सोने पर चित्रांकित शिल्प को काँच में समाहित कर देने का कमाल इन मुट्ठी भर कारीगरों के ही बस की बात है। शिल्प चित्रण को २३ केरेट सोने के पत्तर पर टांकल नामक एक विशेष कलम से उकेरा जाता है और कुशलतापूर्वक बहुरंगी कांच पर मढ़़ दिया जाता है। जब दोनों पदार्थ सोना और काँच परस्पर जुड़ कर एकमेक एक जीव हो जाते हैं तो सोने में काँच और काँच में सोना दिखलाई पड़ता है। इसी को थेवा कला कहते हैं। काँच की झगमग को और अधिक प्रभावशाली तथा उम्दा बनाये रखने के लिए इसे एक खास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिससे कि काँच में समाहित सोने का कार्य उभार देने लगे और देखने वाले के मन को छू ले। इस प्रकार शिल्प का प्रत्येक नमूना पारदर्शी काँच का हो जाता है और उस पर माणिक, पन्ना तथा नीलम जैसी प्रभा दिखलाई पड़ती है। इस कला को उकेरने में बेल्जियम से विशेष प्रकार के काँच इस्तेमाल होते थे, पर ऐसे काँचों की अनुपलब्धता से अब अलग उम्दा काँच का इस्तेमाल होता हैं। प्रारम्भ में थेवा का काम लाल, नीले और हरे रंगों के मूल्यवान पत्थरों हीरा, पन्ना आदि पर ही होता था, लेकिन अब यह काम पीले, गुलाबी और काले रंग के कांच के रत्नों पर भी होने लगा है। पहले इस कला से बनाए जाने वाले बाक्स, प्लेट्स, डिश आदि पर धार्मिक अनुकृतियाँ और लोकप्रिय लोककथाएं उकेरी जाती थीं, लेकिन अब यह कला आभूषण के साथ-साथ पेंडेंट्स, इयर-रिंग, टाई और साडियों की पिन, कफलिंक्स, फोटोफ्रेम आदि में भी प्रचलित हो चली है। इस कला को कई निजी उपक्रमों द्वारा आधुनिक फैशन की विविध डिजाइनों में ढालकर लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस कला को जानने वाले देश में अब गिने चुने परिवार ही बचे हैं। ये परिवार राजस्थान के नवगठित प्रतापगढ़ जिले में रहने वाले राजसोनी घराने के हैं, जिन्हें इस अनूठी कला के लिए कई अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं। एन्साइकलोपीडिया ब्रिटेनिका के "पी" उपखंड में प्रतापगढ़ की इस विशिष्ट आभूषण परंपरा का उल्लेख किया गया है। राजस्थान की इस बेजोड़ आभूषण परंपरा के सरकारी संरक्षण के प्रयास आज भी अपर्याप्त हैं | हालांकि भारत सरकार द्वारा, थेवा कला की प्रतिनिधि-संस्था राजस्थान थेवा कला संस्थान प्रतापगढ़ को इस अनूठी कला के संरक्षण में विशेषीेकरण के लिए वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण तथा संरक्षण) अधिनियम, १९९९ के तहत् ज्योग्राफिकल इंडिकेशन संख्या का प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है। उल्लेखनीय है कि ज्योग्राफिकल इंडीकेशन किसी उत्पाद को उसकी स्थान विशेष में उत्पत्ति एवं प्रचलन के साथ विशेष भौगोलिक गुणवत्ता एवं पहचान के लिए दिया जाता है। थेवा कला के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और थेवा कला संस्थान के एक हस्तशिल्पी सदस्य महेश राज सोनी को विश्वास है कि अब भौगोलिक उपदर्शन संख्या मिलने के बाद यह कला अपनी भौगोलिक पहचान को अच्छी तरह से कायम रखने में कामयाब हो पायेगी। इस शिल्प कला पर नवम्बर २००२ में पांच रुपये का डाक टिकिट भी जारी हुआ है। राज सोनी परिवार नाथू जी सोनी के परिवार को सुमंत/सामंत सिंह (प्रतापगढ़) ने "राज सोनी" परिवार की उपाधि प्रदान की। एन्साइकलोपीडिया ब्रिटेनिका का "पी" खंड राजस्थान की कलाएँ
थे[M][M][M]१७वीं [M]ताब्दी[M]में[M]मुग़ल काल म[M]ं र[M]जस्थ[M][M] के राजघरानों के स[M][M]क्षण[M]में [M]नपी एक बे[M][M][M]ड [M]स्तकला है। थेवा [M]ी हस्[M]क[M]ा[M]कला स्[M][M]रियों[M]के लिए[M]सोन[M] मीन[M]क[M]री और पारदर्शी कां[M][M]के मेल से निर्म[M][M] आभूषण के निर[M]माण से सम्ब[M]्ध है[M][M]इसके [M]ने गिन[M] शिल्[M]ी-परिवा[M] [M]ाजस्थान के केवल प्रतापग[M]़ जि[M]े [M][M]ं[M][M]ी रहते है[M]। थ[M]वा-आभूषण[M]ं के न[M][M]्माण में व[M][M]िन्न रंग[M]ं के शीशों (कांच[M] [M]ो चा[M]दी के म[M]ीन तार[M]ं से[M]बने फ्रेम मे[M] डाल कर [M]स पर[M]सोने की बारीक[M]कला[M]ृतिय[M][M] उकेरी जा[M]ी ह[M],[M]ज[M]न्[M][M]ं कुशल और [M]क्ष हा[M] छोटे-छोटे औ[M]ारों की मदद से ब[M][M]ते [M]ैं। यह आ[M]ूष[M][M]नि[M]्माण कला[M]अपनी [M][M]लिकता और क[M]ात्[M]कता के[M][M][M]रण विश्व[M]क[M] उन इनी[M]गिनी हस्त[M]लाओ[M] में[M]से एक [M]ै - जो अंतर्राष्ट्रीय ब[M]ज़ा[M] और विपणन [M]े अभाव में जल्दी विलुप[M][M][M][M]ो सकती [M]ैं| नाम का अ[M]िप्राय "थेवा" नाम की उत्पत्ति इस[M]कला के नि[M][M]म[M]ण की द[M] म[M]ख्[M] प[M]रक[M]र[M]याओं 'थारना[M] और 'वा[M]़ा' स[M] म[M][M][M]कर हुई [M]ै।[M]इस कला[M]मे[M] पहले का[M]च पर सोने क[M] बहुत पतली वर्क[M]या शी[M] लग[M]कर उस पर ब[M]रीक जा[M]ी बनाई जाती है, ज[M]स[M][M][M]ा[M]णा कहा जाता है। दूसरे चरण[M]में क[M]ंच [M]ो [M]सने[M]के लि[M] चांदी के बारीक ता[M] से फ्रेम [M][M]ाया[M]जात[M][M]है, जिसे [M]वाडा[M][M][M]हा ज[M]ता है। तत[M][M]श[M]चात इस[M] तेज [M]ग[M]में त[M]ाया जात[M] है[M] फ[M]स्वरूप [M]ीश[M] पर सोन[M] की कलाकृति [M]र [M]ूबस[M]रत डिजाइन उ[M]र कर एक न[M]या[M] और लाजवा[M] कृति [M]ा [M]भूषण बन जाती है।[M]काँच पर कं[M]न का करिश्[M]ा क[M]े जाने वाली यह [M]िल[M][M] काँच[M]प[M] सु[M][M]री पेंटि[M]ग[M]की तर[M] [M][M], जो चित्रकारी की[M]नी[M]व पर[M]जन[M]म लेती है।[M]इस शिल्प की रचना[M]जटिल, कठिन त[M]ा श्रमसाध्य त[M] है ह[M], परन[M]तु [M]ोने[M]पर[M]चित्रां[M]ित [M]ि[M]्प क[M] काँच [M]ें[M]समाहित कर देने का कमा[M] इन मुट्ठी भर कार[M][M]रों के ह[M] ब[M] की बात [M]ै। श[M]ल्प चित्र[M] [M]ो २३[M][M]ेरेट सोने [M]े[M]पत्त[M] [M]र टा[M]कल नामक एक वि[M]ेष कलम से उक[M]रा जाता[M]है और कुशलत[M]पूर्[M]क ब[M]ुरंगी कां[M] पर मढ़़ दिया[M][M][M]त[M] है। जब दो[M]ों[M]पदार्[M][M]सोना और काँच [M]र[M]्[M][M] [M]ुड़[M]कर एकमेक एक[M]जीव[M][M]ो जा[M]े ह[M]ं तो सोने मे[M] काँच[M]औ[M] काँच में सोना[M][M]िखलाई प[M]़[M]ा[M]ह[M]। [M][M][M][M]को थेव[M] [M]ल[M] क[M]ते हैं। काँच [M]ी झग[M]ग को [M]र अधिक प्[M]भा[M]शाली तथ[M] उम्[M]ा बनाये रखने के[M]लि[M][M]इसे एक खास प्र[M]्रिया[M]से ग[M]जर[M]ा प[M]़ता है जिससे[M]कि क[M]ँच में समाहित सोने [M]ा क[M][M]्य उ[M]ार दे[M]े लगे और देख[M]े वाले क[M] [M]न को [M]ू ले। इस प्रकार शिल्प का प्रत्येक न[M]ू[M]ा पारद[M]्शी काँच [M]ा [M]ो जाता है और उस[M]पर माणि[M], पन[M]ना[M]तथा[M]नील[M][M]जैसी [M]्रभा दिख[M]ाई प[M]़ती है।[M]इस [M]ला[M]क[M] उकेर[M]े मे[M] बेल्[M]ियम से विशेष प्रका[M] के[M]काँच इस्तेमाल होते थे, पर ऐसे क[M]ँचों [M]ी अनुपलब्ध[M]ा से[M]अब अलग उम्दा [M]ाँ[M] का[M]इस्तेमाल होता हैं। प्र[M]र[M]्भ मे[M] थेवा का क[M]म ल[M][M], नीले और हर[M] रं[M]ों क[M] मूल्यवा[M][M]पत्[M]रों [M]ी[M]ा, पन्न[M][M]आदि पर ही हो[M]ा[M]था[M] लेक[M][M] अब[M]यह क[M]म[M]पीले, [M][M]लाबी औ[M] काल[M] रंग के क[M]ंच क[M] रत्नों [M][M] भी होने लगा[M]है। पह[M]े [M]स कला से[M]बनाए जा[M]े वाले[M]बाक्स, प्ल[M]ट्स,[M][M]िश आदि [M]र धार्मि[M] अनुकृतियाँ और लोक[M]्र[M]य लोककथाएं उकेर[M] जाती [M]ी[M][M] लेकि[M][M]अ[M] [M]ह कला [M][M]ू[M]ण के[M]साथ-स[M]थ पेंडें[M]्स, इयर[M]रि[M]ग, टाई [M]र सा[M]िय[M][M] [M]ी [M]िन, क[M]लि[M]क्स,[M]फोटोफ[M]रेम आदि में भी[M]प्रच[M]ि[M][M]हो च[M]ी है। इस कला को कई[M]निजी[M]उ[M]क्रमों द्वारा [M]धुनि[M] फैशन की विविध डि[M]ाइनों में ढालकर लोकप्रिय[M]बनाने के प[M]र[M]ास कि[M] [M]ा रहे[M]हैं। इ[M] [M][M]ा को जानने [M]ाले देश में [M][M] गिने चुने पर[M]वार ही[M]बचे [M]ैं। [M]े परिवार राजस्था[M] के नव[M]ठ[M]त[M]प[M][M]ता[M]गढ[M] जिले में रहने वाले[M]र[M]ज[M][M]नी घ[M]ान[M][M]के हैं, [M]िन्हें इस अनूठी कला के [M]िए कई अंतरराष[M]ट्र[M]य,[M][M]ाष्ट्[M]ीय[M]और[M]रा[M]्[M]स्[M]रीय पुरस्[M]ार [M]िल चुके हैं। एन[M]साइकलोपी[M]िया ब्[M]िटेनिका के "पी" [M]पखं[M][M]में प्र[M][M]पग[M]़ की[M]इस[M]विशिष[M]ट आभू[M]ण परंपरा[M]क[M] उल[M]लेख किया [M]या है।[M]राजस्थ[M]न[M]की [M]स बेजोड़[M]आभूषण परंपरा के[M][M]रकारी [M]ं[M]क्[M]ण के प्रय[M]स आज भी[M]अपर्[M]ाप्त हैं[M]| ह[M]लांकि[M]भा[M]त सरका[M] द्वा[M]ा, थे[M][M] कला की प्रत[M]निधि-[M]ं[M]्था [M]ा[M]स्था[M] थेवा कला संस्थ[M]न प्रतापगढ़[M]को इस[M]अनूठी क[M]ा[M]के संर[M]्षण में विशेष[M]ेकर[M] के लिए [M]स्[M]ुओं का भौगोलि[M] उपद[M]्शन (र[M]ि[M][M]ट्री[M]रण तथा सं[M]क्[M]ण[M][M]अधिनियम, १९[M][M][M]के तहत् ज्[M]ोग्राफिकल[M]इंडि[M]ेशन सं[M]्या का प्रमा[M]-[M]त्र प्रदान किया गया [M]ै। उल्[M]ेखनीय है कि ज्योग[M]रा[M]िकल[M]इंडीकेशन[M]किसी उ[M]्प[M]द को उसकी स्[M]ान विश[M]ष म[M]ं उत्पत्[M]ि एवं[M][M]्रचलन क[M] साथ व[M]शेष भौगोलिक[M][M]ुणवत्त[M] ए[M]ं प[M]चान के लिए[M]दिया ज[M]ता है। थे[M]ा [M]ला के ल[M]ए राष[M]ट्रपति पुरस[M][M]ार से स[M][M]मान[M]त[M][M]र थेवा[M][M]ला सं[M][M][M]ान[M]क[M][M]एक हस्त[M][M]ल्पी सद[M]्य महेश राज सोनी[M]को विश्वास है [M]ि अब भौगो[M]िक उपदर्[M]न संख्य[M] मिल[M]े क[M] [M][M]द य[M] कला[M]अपनी भ[M]गोलिक पहचान क[M] अच्[M]ी तरह स[M] कायम र[M][M]े[M]में[M]कामया[M] हो पाये[M]ी। इस [M][M][M]्[M] क[M]ा पर नवम्बर २००२[M]में पांच [M][M]पये[M]का [M]ाक टिकिट भी जारी[M]हुआ है।[M]रा[M] सोनी [M]रिवार नाथू जी सोनी के परि[M][M]र[M]को स[M]म[M]त/सामंत सिंह (प[M]रतापग[M][M])[M]ने[M]"राज सो[M]ी" परिवार की उपाधि प्रदान क[M][M] [M]न्साइकलोपीडि[M][M] ब्रिट[M]निका क[M] "[M]ी" खंड र[M]जस्[M][M]न की [M]ल[M]एँ
रुआन डी स्वार्ड्ट (जन्म २१ जनवरी १९९८) एक दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर है। उन्होंने ४ मार्च २०१८ को २०१७-१८ सीएसए प्रांतीय वन-डे चैलेंज में उत्तरी के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। सितंबर २०१८ में, उन्हें २०१८ अफ्रीका टी २० कप के लिए उत्तरी 'दस्ते' में नामित किया गया था। उन्होंने १ नवंबर २०१८ को २०१८-१9 सीएसए ३-दिवसीय प्रांतीय कप में उत्तरी के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। उन्होंने १३ सितंबर २०१9 को २०१9-२० सीएसए प्रांतीय टी २० कप में उत्तरी के लिए अपना ट्वेंटी २० डेब्यू किया। वह २०१९२० सीएसए प्रांतीय वन-डे चैलेंज में अग्रणी रन-स्कोरर थे, जिसमें सात मैचों में ४२६ रन थे। जुलाई २०२० में, डी स्वार्ड को सीएसए स्टूडेंट क्रिकेटर ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया गया था।
रुआन डी स[M]वार्ड्[M] [M]जन[M][M] २१ [M]न[M]री[M]१९९८[M] ए[M] [M]क्षिण अफ्रीकी[M]क्रिके[M]र है। उन्हों[M]े ४ [M]ार्[M][M][M]०१८ को[M]२०[M][M][M][M]८ स[M]एसए प[M]र[M]ंतीय वन-ड[M] चैलें[M] [M]ें उत[M]तरी क[M] लिए[M][M]पनी [M][M]स्ट ए क[M] शुरुआत की। सितंबर २०१[M] में, [M]न्हें २०१८ अफ्रीका टी[M][M]० कप के लिए उत्तरी 'द[M]्त[M]' में [M]ामित किया गया था।[M]उन्[M]ोंने १[M]नवं[M]र २०१८ को २०१८[M]१9 सीएसए[M]३-[M]िवसी[M] प्रां[M]ी[M] क[M] म[M]ं[M]उत[M][M]री [M][M] लिए[M]प[M]रथम[M]श्रेणी में पदा[M]्पण कि[M]ा[M] [M]न्होंने १३ सि[M]ं[M]र[M]२[M]१[M][M]को २०१[M]-२०[M]सी[M]सए प्[M]ांती[M] ट[M] २० कप [M]े[M] उत्तर[M] [M]े लिए अपना ट्व[M]ंट[M] २० डेब्यू[M]किया।[M]वह २०१९२० सीएसए प्रां[M]ीय वन-डे च[M]लेंज[M]म[M]ं अग्र[M]ी रन-स्कोर[M] थे, जिस[M]ें सात मैचों में[M][M]२६ रन[M]थ[M]। जुल[M]ई २०२० में, डी [M][M]वार[M]ड को सी[M]सए स्टू[M][M]ंट [M][M]रिक[M]टर ऑ[M] द ईयर[M]के[M][M]ूप मे[M][M]नामित किया [M]य[M] थ[M]।
मधेपुरा जिला, बिहार में स्थित एक प्रशासनिक ईकाई। आलमनगर से कई प्रसिद्ध समाज सेवक, जैसे श्री काली सिंह। बिहार के प्रखण्ड
मध[M]पुरा[M]जिला, [M][M]हार में [M]्थित [M]क[M][M][M]रश[M]सनिक ईकाई। आल[M]न[M]र से [M][M] [M]्रस[M]द्ध समाज [M]ेवक, जै[M]े श्री काली[M]सिं[M]। बिहार के प्रख[M]्ड
पटना गरीब रथ एक्स्प्रेस २३५३ (ट्रेन सं.: २३५३) भारतीय रेल द्वारा संचालित एक गरीब रथ रेल है। यह राजेंद्र नगर बिहार रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड: र्जप्ब) से ०६:४५प्म बजे छूटती है व ह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड: न्ज़्म) पर ०८:४०आम बजे पहुंचती है। यह गाड़ी सप्ताह में सोमवार, गुरुवार, शनिवार को चलती है। इसकी यात्रा की अवधि है १३ घंटे ५५ मिनट।
पट[M][M] गरीब रथ ए[M][M]स्[M]्रे[M] २३[M]३ (ट्रेन[M][M]ं.: २३५३) भारतीय र[M]ल द्वारा संचालित एक गरीब रथ [M]ेल ह[M]।[M][M]ह[M]राज[M]ंद्र न[M]र बिहार रेलवे स्टेशन (स्टेश[M] [M]ोड: र्[M]प्[M]) से ०६:४५प्म[M][M]जे छूटती है व[M]ह निजा[M][M]द्द[M]न र[M]ल[M]े स्टेशन[M]([M]्[M]ेशन कोड: न्ज़्म) पर [M]८[M]४०आम बजे पहुं[M]ती है[M] यह गाड़ी सप्ताह[M]में सोमवा[M][M][M]गुरु[M]ार, शनिवार को[M]चलती है। इ[M]क[M][M]यात्[M]ा[M]की अवधि है १३ घंटे ५५ [M][M]नट।
सिमतोली-खात०३, पौडी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा सिमतोली-खात०३, पौडी तहसील सिमतोली-खात०३, पौडी तहसील
सिमतोली-[M]ात०३,[M]पौडी त[M]स[M]ल[M]में भा[M]त के[M]उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ[M]वाल[M]मण्ड[M] के प[M]ड़ी[M]जि[M]े का[M][M][M] [M]ाँव ह[M]। इन्हे[M] भी देखें [M][M][M]तराखण्ड के जिले[M]उत्तराखण्[M] [M]े न[M]र उत्तराखण्ड - भ[M][M]त सरकार के आधिक[M]रिक पोर[M][M]ल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिक[M]रिक जा[M]पृष्[M] उत्तरा[M]ण[M]ड (उत[M]त[M]ाखण्ड [M]े बार[M] में विस्तृ[M] एवं [M]्रा[M]ाण[M]क जा[M]कारी) उ[M][M]तरा कृषि [M]्रभा स[M]मतोली-खात०३, [M]ौडी [M][M]सील[M]सिमतोली[M]खात०३[M] पौडी तहसील
अरबी भाषा में नबी पैग़म्बर का नाम है हज़रत ज़करिया के पुत्र थे । इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तकक़िसासुल अंबियाऔर ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार "हज़रत यहया का ज़िक्र उन्हीं आयतों में आया है जिन में पिता हज़रत ज़करिया का आया है। क़ुरआन में वर्णन ऐ यहया किताब (तौरेत) मज़बूती के साथ लो और हमने उन्हें बचपन ही में अपनी बारगाह से नुबूवत और रहमदिली और पाक़ीज़गी अता फरमाई और वह (ख़ुद भी) परहेज़गार और अपने माँ बाप के हक़ में सआदतमन्द थे और सरकश नाफरमान न थे और (हमारी तरफ से) उन पर (बराबर) सलाम है जिस दिन पैदा हुए और जिस दिन मरेंगे और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा खड़े किए जाएँगे । (क़ुरआन १९:१२-१५) इन्हें भी देखें इस्लाम के पैग़म्बर इस्लाम के पैग़म्बर
अरबी [M]ाषा[M]में नबी पैग़[M]्ब[M] का नाम[M]है हज़[M]त ज़[M]रिया[M]क[M] पुत्र थे । इ[M][M]लाम धर्म की[M][M]ह[M][M]वप[M]र्ण प[M]स्त[M]क[M]िसा[M]ु[M] अंबियाऔ[M] [M]तिहासिक पु[M]्तकों के अनुसार "हज़रत यहया का ज़िक्र उन्हीं[M][M]यतों मे[M] आ[M]ा है जिन [M]ें[M][M]िता हज़र[M] ज़[M]रिया का आया[M]है। क़ुरआन [M]ें वर्णन ऐ [M]ह[M]ा क[M][M]ाब (तौरेत[M] [M][M]़बूती के साथ लो और[M]हमने उन्हें [M]चपन ही [M]ें अप[M]ी [M]ारगा[M][M]स[M] न[M]बूवत और रहमदिली[M]और पाक[M]ीज़गी [M][M]ा फरमाई और वह (ख़ुद [M]ी) [M]रह[M][M]़गा[M] और अपने [M][M][M][M]बाप क[M] हक[M] में सआदत[M]न्द थे और सरकश नाफरमान न थ[M] और (हमा[M]ी तरफ [M]े)[M]उन पर (बर[M][M]र) [M]लाम है जि[M] द[M]न पैदा हुए और जिस[M]दिन मरेंग[M] [M]र[M]जिस दिन (दोबारा) ज़िन्द[M] [M]ठा [M][M]़े किए जाएँगे । (क़ु[M]आन १९:१२-१५[M] इन्ह[M]ं [M]ी[M][M][M]खें इस्ल[M]म के पैग़म्बर इ[M][M]ल[M]म के पै[M]़म्बर
गौर एक्स्प्रेस एक्स्प्रेस ३१५३ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन सियाल्दा रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:स्दाह) से १०:१५प्म बजे छूटती है और मालदा टाउन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:म्ल्डट) पर ०६:१५आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है ८ घंटे ० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
गौर[M]एक्स्प्र[M]स ए[M]्[M]्प्रे[M] ३१[M]३ भारतीय रे[M] द[M]व[M]रा संचालित [M]क मेल एक्स्प्र[M][M] ट्र[M]न [M]ै। यह ट्रेन[M][M]ियाल्दा रे[M]वे[M]स्टेशन (स्टेशन [M][M]ड:स्द[M]ह) [M]े[M]१०:१५[M]्म बजे छू[M]ती है और[M]माल[M]ा टाउन र[M]लवे स्ट[M]शन[M][M]स्टेशन क[M]ड:म्ल्डट) पर ०[M][M]१५[M]म[M]बजे [M]हुंचत[M] है। इस[M]ी यात्र[M][M]अवधि है[M]८ घंटे[M]० मिनट।[M]म[M][M][M]एक्स्प्रे[M] ट[M]रेन
तल्ली पाली न.ज़.आ., कालाढूगी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा न.ज़.आ., तल्ली पाली, कालाढूगी तहसील न.ज़.आ., तल्ली पाली, कालाढूगी तहसील
तल्ली पाली न.[M]़.आ[M], कालाढूगी त[M]सील में भारत क[M] उत्तर[M][M][M]्ड र[M]ज्य [M]े[M]अन[M]तर्गत कुमाऊँ मण[M]डल के न[M]नीताल जिले क[M] [M]क[M]गाँव है। इन्हें भी देखे[M] [M]त्त[M]ाखण्ड के जिल[M] उत्तराखण[M]ड के नगर उत्तराखण्[M] - भारत सरकार [M]े आधिकारिक प[M]र्ट[M] [M]र [M]त्तरा[M]ण्ड [M]रक[M]र[M]का आधिक[M]र[M]क [M]ालपृष[M]ठ उ[M]्[M]र[M][M]ण[M][M] [M]उत्त[M]ाखण्ड[M]के बारे में वि[M]्तृत एवं प्[M]ामाणिक जानकारी) [M]त्तरा कृषि प्र[M]ा न.ज़.आ[M], तल्ली पाली, कालाढू[M]ी तहसील न.ज़.आ., [M]ल्ली पाल[M], कालाढूगी तह[M]ील
रामा बीघा गुरुआ, गया, बिहार स्थित एक गाँव है। गया जिला के गाँव भारत के गाँव आधार
राम[M] [M]ीघा गुरुआ, गय[M], ब[M]हार स्थित एक गाँव है[M] गया [M]िल[M] के गाँव भार[M] के गाँव आधार
मुहीउद्दीननगर अमृतपुर, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। फर्रुखाबाद जिला के गाँव
मुहीउद्दी[M]नगर अम[M]तपुर, फर्रुखाबाद, उत्तर[M]प्रदे[M] स्थित एक गाँव है। फर्रुखाबाद जिला के गाँव
पहाड़ गढ़ी अतरौली, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। अलीगढ़ जिला के गाँव
पहाड़[M]गढ़ी[M]अतरौली[M] अलीगढ़[M][M]उत्तर प्रदेश स्थित ए[M] गाँव है।[M]अल[M]गढ़ जिला के ग[M][M]व
लक्कारम (लक्करम) भारत के तेलंगाना राज्य के यदाद्री भुवनगरी ज़िले में स्थित एक गाँव है। इन्हें भी देखें यदाद्री भुवनगरी ज़िला तेलंगाना के गाँव यदाद्री भुवनगरी ज़िला यदाद्री भुवनगरी ज़िले के गाँव
लक[M]कारम (ल[M]्करम) भारत[M]के ते[M][M]ग[M]ना र[M]ज्[M] [M]े[M][M]दाद्री भु[M]नगरी [M]़िले [M][M]ं स्थित एक गाँव है। इ[M]्हे[M] भी देखें यद[M][M]्र[M] भ[M]वनगरी ज़िला [M]ेलंगाना के ग[M]ँव[M]यदाद्री भुवनगरी ज़िल[M] यदा[M]्री भुवन[M]री ज़िले [M]े गाँव
चाकिसैंण तहसील भारत के उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक तहसील (प्रशासनिक प्रभाग) है। चाकिसैंण तहसील को २०१३ में थलीसैंण से अलग कर बनाया गया था और इसमें ११५ गांव हैं। तहसील मुख्य रूप से ग्रामीण है और इस क्षेत्र में मुख्य आर्थिक गतिविधियों में कृषि, वानिकी और पर्यटन शामिल हैं। इसमें कई स्कूल और एक अटल उत्कृष्ट विद्यालय है। पौड़ी के राठ क्षेत्र में स्थित, यह श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है और आर्थिक अवसरों की कमी के कारण लोगों के प्रवासन से नकारात्मक रूप से प्रभावित है। पौड़ी गढ़वाल ज़िला पौड़ी गढ़वाल ज़िले के नगर
चाकिसैं[M] तहसील भ[M]रत[M]के [M]त्तराखंड [M]े प[M]ड़[M][M]गढ़[M]ा[M] जिल[M] में [M]क तहसील ([M][M]र[M]ासन[M]क प्रभाग) है। च[M]किसैंण त[M]सील को २०१३ में थलीसैंण[M]स[M] अल[M] [M]र बना[M]ा[M]गया[M]था और इस[M][M]ं[M]११५ गांव [M]ैं। तहसील मु[M]्य रूप[M][M]े ग्रामीण[M]है[M]और इस क्षेत्[M] मे[M] मुख्य[M]आर्थिक [M]ति[M]ि[M]ि[M]ों[M]में[M]कृषि, वान[M]की और पर्य[M]न शामिल[M]हैं। इस[M][M]ं कई [M]्कू[M] [M]र एक[M][M]टल [M]त्कृष्ट विद[M]य[M]लय है। प[M]ड[M]ी[M]के राठ[M]क[M]षेत्र[M]में स्थित, य[M][M]श्रीनग[M] [M]िधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है औ[M] आर्[M]िक अवसरों की[M]कमी के [M]ारण लोगों के [M]्रवासन[M]से न[M]ारात्[M][M] रूप से प्रभावित है। पौड़ी गढ़वाल[M]ज़[M]ला[M]पौड़ी [M]ढ़[M]ाल ज़[M]ले के नगर
उपचारात्मक देखभाल या उपचारात्मक दवा चिकित्सा स्थितियों के लिए दी जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल है जिसमें एक इलाज को प्राप्त करने योग्य या संभव माना जाता है, और उसे खत्म करने के उद्देश्य से निर्देशित किया जाता है। उपचारात्मक देखभाल रोगनिरोधन से अलग होती है, क्योंकि उद्देश्य औषधि और टीकाकरण, व्यायाम, उचित खाने की आदतें और अन्य जीवन शैली के मुद्दों के माध्यम से बीमारियों की उपस्थिति को रोकना होता है, और उपशामक देखभाल, जो दर्द जैसे लक्षणों की गंभीरता को कम करने पर केंद्रित है, से किया जाता है।
उपचारात[M][M]क द[M][M]भाल या[M]उपचा[M]ात[M]मक दवा चिकित्सा स्थितियो[M] के [M]िए दी ज[M]ने वा[M]ी स्वास[M]थ्य देख[M]ाल है ज[M]समें एक इलाज [M]ो [M]्रा[M]्[M] क[M]ने [M]ोग्य[M]या संभव म[M]ना जाता है, और उसे ख[M]्म[M]कर[M]े क[M] उ[M][M]द[M]श्य[M]से[M]निर्देश[M][M] किया [M]ाता[M]है। उप[M]ा[M]ात्[M]क देखभाल[M]रोगनिर[M]धन से[M]अलग होती है, क्य[M][M]कि उ[M]्[M]ेश्[M] औषधि और टीक[M]करण, व्यायाम, [M]चित खा[M]े की आदतें और अन्य जीव[M][M]शै[M]ी के मुद्दों के [M]ाध्यम स[M][M]बीमारियो[M] की उ[M]स्थिति को रो[M]ना होता है, और [M]पशामक देख[M][M]ल, जो द[M]्द जैसे लक्ष[M]ों की गंभीरता[M][M]ो[M]कम करने पर [M]ेंद्[M]ित[M]है, [M][M] किया जाता है।
अलेक्सान्द्र कबकोव (रूसी: , ) - रूसी लेखक और पत्रकार हैं। उनका जन्म द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान १९४३ में नोवोसिबीर्स्क में हुआ, जहाँ सरकार ने उनकी माँ को युद्ध से बचाकर प्रसूति के लिए भेज दिया था। कबाकोव ने उक्राइना के द्नेप्रोपेत्रोव्स्क विश्वविद्यालय की मैकेनिकल-मैथमैटिक्स फ़ैकल्टी से एम.एससी. किया। उसके बाद वे इंजीनियर रहे और फिर पत्रकारिता करने लगे। उन्होंने समाचार पत्र 'गुदोक' (भोंपू), साप्ताहिक पत्र 'मास्को न्यूज़' और पत्रिका 'नए गवाह' में काम किया। आजकल वे 'कोमेरसान्त' (व्यवसायी) नामक प्रकाशन गृह में काम करते हैं। अब तक वे समीक्षक, विशेष संवाददाता और सहायक संवाददाता के पद पर रह चुके हैं। अलेक्सान्द्र कबकोव १९७५ से लिख रहे हैं लेकिन १९८९ में वे अपने एंटीयूटोपियाई उपन्यास 'अनागत' (नेवोज़्व्रशेनेत्स) से चर्चा में आए। इनकी प्रमुख रचनाओं में 'अनागत', 'किस्सागो', 'असली आदमी की मास्को और अन्य अकल्पनीय जगहों की यात्रा', 'अंतिम नायक', 'बहुरूपिया', 'एक्स्ट्रापोलेटर की यात्रा' (वैज्ञानिक पैगंबर की यात्रा), 'पलायन', 'सब ठीक कर दिया जाएगा' तथा 'मास्को की कथाएँ' आदि शामिल हैं। 'अनागत' उपन्यास का सभी यूरोपीय भाषाओं और जापानी व चीनी भाषाओं में अनुवाद और प्रकाशन हो चुका है। यह उपन्यास अमरीका में भी प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा 'चोट पर चोट' उपन्यास जर्मनी में तथा 'किस्सागो' उपन्यास जापान में प्रकाशित हुए हैं। अलेक्सान्द्र कबकोव के उपन्यासों के आधार पर 'अनागत' और 'दस वर्ष की सज़ा' के नाम से फ़िल्मों का निर्माण हो चुका है। इन्हें २००६ में रूस का राष्ट्रीय स्तर का 'बोलशाया क्नीगा' (बड़ी किताब) नामक प्रतिष्ठित पुरस्कार और अन्य कई साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं। कबकोव, अलेक्सान्द्र अब्रामोविच
[M]ले[M]्[M]ान्[M]्र कबक[M]व[M](रूसी:[M], ) - रूसी [M]ेखक और पत्रकार है[M]। उनका जन्म द्[M][M]ती[M][M]विश्वय[M][M]्ध[M][M]े दौरा[M][M][M]९४३ म[M]ं नोव[M]सिब[M]र्स्क में हुआ, जहाँ सरका[M] न[M] [M]नकी मा[M] को युद्ध स[M][M]ब[M]ाकर प्रसूति[M]के लिए भेज दिया[M]था। कब[M][M]ो[M] ने उक्राइना के द्नेप[M]रोप[M]त्रोव्स्क विश्व[M][M][M]्याल[M] [M]ी मैक[M]न[M]कल-मैथमै[M]ि[M]्स[M]फ़ैकल्टी से एम.एसस[M]. कि[M]ा। उसके बाद [M]े[M]इंजीन[M]यर रहे और फिर पत्र[M]ार[M]ता करने लगे। उन्होंने सम[M][M][M]र पत्र 'गुद[M][M]' (भोंपू), साप्ता[M][M][M] पत्[M] 'म[M][M][M][M]ो न्य[M][M]़' और प[M]्रि[M]ा '[M]ए[M]गवाह' में काम कि[M]ा[M] आजकल [M]े 'कोमेरसान्त' (व्यवसायी) [M]ाम[M] प्[M][M]ाश[M] गृ[M] में [M]ाम कर[M]े हैं। अब[M]तक वे समीक्ष[M], व[M]शेष स[M]वाददाता और सहायक स[M]वाददाता क[M] पद प[M] रह चुके हैं। अलेक्स[M]न्द्र कबकोव १९[M]५[M][M]े [M]िख रहे [M]ै[M] लेकि[M] १९८९ मे[M] व[M][M]अपने [M][M]टीय[M]टोपिय[M]ई उपन्या[M] 'अनागत' (न[M]वोज़्व्रश[M]न[M]त्स[M] से [M]र्चा[M]में आए। इनकी[M]प्रमुख र[M]नाओं म[M]ं[M][M]अ[M][M][M]त[M], 'किस्सा[M]ो[M], 'असल[M] आदमी [M]ी [M]ा[M]्[M][M] और अ[M]्य अकल्पनीय जग[M]ों[M]क[M] य[M]त्रा[M], 'अंतिम[M][M]ा[M]क[M], '[M]हु[M]ूपिय[M]', 'ए[M]्स्ट्रापोल[M]टर की यात्रा' (वैज[M]ञानिक पैगंबर क[M] यात्रा), 'पल[M]यन', 'सब [M]ीक [M]र द[M][M]ा ज[M]एगा'[M][M]थ[M][M]'म[M]स्को की कथ[M]एँ' आदि शा[M]िल[M]है[M][M] 'अन[M]गत' उपन्यास क[M] सभी[M][M][M]रोपीय [M]ाष[M]ओं औ[M] जापा[M]ी व च[M]नी भाषाओं म[M][M] अनुवाद[M]और प[M]रकाश[M][M][M]ो[M]चुका है[M] य[M] उ[M]न्य[M]स अमरीका म[M]ं [M]ी प्रका[M]ि[M] हुआ ह[M]। इ[M]के अलावा 'च[M]ट पर[M][M][M]ट' उपन्यास जर्म[M]ी मे[M] तथा 'किस्सागो' उपन्यास[M][M]ा[M][M]न [M]ें प्[M]काश[M]त हुए ह[M]ं। अलेक[M]सान्[M]्र [M]बकोव [M][M] उ[M]न्यासों के आधार[M]पर 'अनागत' और 'दस वर्ष की सज़ा[M] के ना[M] स[M] फ़ि[M]्मों का न[M]र्माण हो च[M][M]ा [M][M]। इन्[M]ें २००६[M][M]ें रूस का रा[M]्ट्रीय स्तर क[M][M]'बोलशाया क्न[M]गा' ([M]ड़[M] किताब) ना[M]क प्रतिष्ठित पुर[M]्क[M]र औ[M] अन[M]य कई साहि[M]्यिक [M]ुरस्क[M]र मि[M] [M]ुके हैं। क[M]कोव, [M][M]ेक्सा[M]्द्र अब[M]रामोविच
सेबुआनो विकिपीडिया विकिपीडिया का सेबुआनो भाषा का संकरण है। इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक ३७,०००+ है। यह विकिपीडिया का सैंतालीसवां सबसे बड़ा संकरण है।
सेब[M]आनो विकिपीडिया[M]विक[M]पीडि[M]ा का सेब[M]आनो भाषा का संकरण[M][M][M]। इस प[M] ल[M][M]ों[M]की[M]कुल संख्या[M]२५[M]मई, २०[M]९ [M]क [M]७,०००+ है। यह [M]िकिपीड[M]य[M] का सैंत[M]ल[M]सव[M]ं सबसे बड़ा संकरण [M]ै[M]
टिकर टेप सबसे शुरुआती विद्युत आधारित वित्तीय संचार माध्यम था, जिसे लगभग १८७० से १९७० के दौरान टेलीग्राफ लाइनों पर स्टॉक मूल्य की जानकारी प्रेषित करने के काम लाया गया था। इसमें एक पेपर की पट्टी(स्ट्रिप या तपे) होती थी जो एक मशीन के अन्दर से होकर गुजरती थी। इस मशीन को स्टॉक टिकर कहा जाता था, जो कंपनी के संक्षिप्त नाम को अल्फ़ाबेटिक रूप में मुद्रित करता था और उसके आगे सांख्यिक स्टॉक लेनदेन मूल्य और मात्रा की जानकारी मुद्रित करता था। "टिकर" शब्द मशीन द्वारा मुद्रण के दौरान निकलने वाली "टिक-टिक" की ध्वनि से लिया गया था। १९६० के दशक में पेपर टिकर टेप अप्रचलित हो गया क्योंकि वित्तीय जानकारी प्रसारित करने के लिए टेलीविजन और कंप्यूटर का तेजी से उपयोग किया जाने लगा था। फिर भी स्टॉक टिकर की अवधारणा ब्रोकरेज दीवारों पर और समाचार तथा वित्तीय टेलीविजन चैनलों पर दिखने वाली स्क्रॉलिंग इलेक्ट्रॉनिक टिकर के माध्यम से अभी भी जीवित है। टिकर टेप स्टॉक मूल्य के टेलीग्राफ का आविष्कार १८६७ में एडवर्ड ए. कैलहन द्वारा किया गया था, जो कि अमेरिकन टेलीग्राफ कंपनी के एक कर्मचारी थे। दूरसंचार का इतिहास
टि[M]र[M]टेप सबसे शुरु[M]ती विद्य[M]त [M]धा[M]ित वित्[M][M]य संचार[M][M]ाध्[M][M] था,[M]जिसे लगभग [M]८७०[M]से १[M]७० के दौरान टेलीग्राफ लाइनों [M]र स्टॉक मूल्य की जान[M]ारी प्[M]ेषित करने[M][M]े काम लाया गया[M]था[M] इसमें[M]एक पे[M]र की पट्टी[M][M]्[M]्रिप या तपे) ह[M][M]ी थी[M]जो[M]एक मशीन के अ[M][M]दर स[M] होकर गुजर[M]ी थी। इस मशीन को [M]्टॉक[M]टि[M]र कहा[M]जाता था, [M]ो क[M]पनी क[M] सं[M]्ष[M]प[M]त[M][M]ाम क[M] अल्फ़[M]बेटिक रूप में मुद्रित क[M]ता था और उस[M]े आगे सांख्यिक [M]्[M][M]क[M][M]े[M]देन मूल्य और मात्रा की जानकारी मुद्र[M]त क[M]ता था। "टि[M]र" शब्द [M]शीन द्वारा म[M]द्रण के [M]ौरान नि[M][M]ने वाली "ट[M][M]-टिक" [M][M] ध्वनि से लिया ग[M]ा था।[M]१९६[M] [M]े [M]शक[M][M]ें पे[M]र[M]टिक[M] टे[M] अप्रचलि[M] हो गया क्यों[M]ि वि[M]्त[M]य [M]ानका[M]ी प्रसारित [M]र[M]े [M]े[M]लिए टेलीविजन और कंप्यूटर का तेजी से[M]उपयो[M] [M][M]या जाने लगा था[M] [M]िर [M]ी[M]स्टॉक टिकर की [M]वधारणा[M]ब्रोकर[M]ज दीवारों पर औ[M] [M]माचा[M] [M]था वित्[M]ीय टेलीविजन चैनलों [M]र दिखने वाली स्क्रॉलिंग इलेक्ट्रॉनि[M] टिक[M] के[M]माध्यम से अभी[M]भी[M]जीवित है। टिकर[M][M]े[M] स्[M][M]क[M]मूल्[M] के टेलीग्राफ का आविष्क[M]र १८६७ म[M]ं एडवर्ड ए. कैलह[M] द्वारा किय[M] गया[M]था, जो कि अ[M]ेरिकन[M]ट[M]लीग्[M]ाफ [M]ंपन[M][M][M]े ए[M] कर्मचा[M]ी [M]े। दूरसंचार का[M]इतिह[M]स
दॊरसानिपल्लॆ (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
[M][M]रसानिप[M][M][M][M] (कड[M]) मे[M] भारत[M]के[M]आन्ध्रप्र[M]ेश राज्य के [M][M]्तर[M]गत के [M]डप [M][M][M]े का[M]एक गाँव है। आं[M]्र प्रद[M][M] सरक[M]र का आधिकारि[M] वेबसा[M]ट आ[M]ध्र प्रदेश [M]रकार का पर्यटन वि[M]ा[M] निक की[M]वे[M]स[M]इट[M]पर [M]ंध्र [M][M]र[M]ेश पोर्[M]ल[M][M][M]ध्र [M]्रदेश [M]ाज्य पुलिस की सरका[M]ी वेबसाइ[M]
इस्लामिक फ़िक़्ह अकादमी, भारत (ईफा) १९८८ में स्थापित नई दिल्ली में एक फ़िक़ह (इस्लामिक कानून) संस्थान है। इसे १९९० में एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया था। मुजाहिदुल इस्लाम कासमी अपनी मृत्यु तक इसके संस्थापक और महासचिव रहे। भारत में स्थित शिक्षा संगठन
इस्[M]ा[M]ि[M] फ़[M][M]़्ह अकाद[M][M], भार[M] (ईफा[M] १९८८[M]मे[M] [M][M]थाप[M]त नई [M][M][M]्[M]ी मे[M] एक[M]फ़[M]क़ह (इ[M]्[M][M]मिक कानून) संस्थान है। इसे १९[M]० में एक चैरि[M]ेबल ट[M]रस्[M] के रूप में [M]ंज[M]कृत किया गया था। म[M]जा[M]िदुल इस्लाम [M]ास[M]ी अपनी म[M]त[M]यु[M]त[M] इसके[M]संस्थापक[M]और महासचिव[M][M]हे। भा[M][M] में स्थ[M][M] श[M]क्षा संगठन
नगल्या जहर अतरौली, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। अलीगढ़ जिला के गाँव
नगल्या [M]हर अत[M][M]ली, अल[M][M]ढ़, [M]त्तर प्[M]देश स्थित एक गाँव है[M][M]अल[M]गढ़ जिला[M][M]े गाँव
पालवंचा (पलवांचा) भारत के तेलंगाना राज्य के भद्राद्री कोठागुडम ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें भद्राद्री कोठागुडम ज़िला भद्राद्री कोठागुडम ज़िला तेलंगाना के नगर भद्राद्री कोठागुडम ज़िले के नगर
पालव[M]च[M] (पलवांचा) भारत क[M] तेलंगाना[M]राज्य क[M] भ[M]्रा[M]्री कोठागुडम ज़िले म[M]ं [M]्थित एक नगर [M]ै।[M]इ[M]्हें भ[M] देखें भद्राद्री [M]ोठागु[M]म ज़िला भद्राद्री [M]ोठा[M][M]डम ज़िला [M]ेलंगाना के नगर भद्राद्री[M]कोठा[M]ुडम ज़िल[M] [M]े[M]नगर
१९९६ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सीज़न अप्रैल १९९६ से सितंबर १९९६ तक था। इंग्लैंड में भारत इंग्लैंड में पाकिस्तान सिंगर वर्ल्ड सीरीज कप १९९६ श्रीलंका में जिम्बाब्वे सहारा कप १९९६
[M]९९६ अंतर[M]राष्ट्[M]ीय क्र[M]क[M]ट[M]सीज़न अप्[M][M]ल १९९६ से सितंब[M][M]१९९६ तक था। इंग्ल[M]ंड में भार[M] [M]ं[M]्[M]ैं[M] में प[M]किस्तान सिंगर वर्ल्[M] सीरीज कप १९९६ श्री[M]ंका में [M]िम्ब[M]ब्व[M] सह[M]रा कप १९[M][M]
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील कांठ, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७१८ कांठ तहसील के गाँव
भार[M] की जनगणन[M] अनु[M]ार यह गाँव, तहसील कां[M], जि[M]ा मुरादाबाद[M] उ[M]्तर[M]प्रदेश में स्थित है[M] सम्बंध[M]त जनगणन[M] कोड: राज्य को[M] :०[M] ज[M]ल[M] कोड :१[M]५[M]तहसील [M]ोड[M]:[M]००७१[M] कांठ [M]हसील क[M] [M]ाँव
सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट () जापान की सोनी कंपनी का हिस्सा है जो फ़िल्म व टेलिविज़न धारावाहिक निर्माण करती है।
[M]ोनी पि[M]्चर्स ए[M][M]र[M]ेनमेंट [M]) जापान[M]की सोनी कंपनी का हिस्सा है जो फ़िल्म व[M]टेलिव[M]ज़न [M]ा[M]ावाहिक निर्म[M]ण कर[M]ी[M][M][M]।
गडकाचक सनहौला, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। भागलपुर जिला के गाँव
गडक[M]चक[M]सनहौ[M][M][M] भाग[M]पुर[M] बि[M]ार स्थ[M][M] एक[M]ग[M]ँव है। [M]ागलपुर जिला के[M]गाँव
प्रकाश झा (जन्म : २७ फ़रवरी १९५२, चंपारण बिहार, भारत) एक हिन्दी फ़िल्मकार है। फ़िल्में : बन्दिश, मृत्युदंड, राजनीति, अपहरण, दामूल, गंगाजल, टर्निंग ३० आदि (सभी हिन्दी) एक भारतीय हिंदी फिल्म के निर्माता निर्देशक, चलचित्र के कथा लिखनेवाला, प्रकाश झा ऐसे फिल्मकार हैं, जो फिल्मों के माध्यम से सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की उम्मीदें लेकर हर बार बॉक्स ऑफिस पर हाजिर होते हैं। उनके साहस और प्रयासों की इस मायने में प्रशंसा की जाना चाहिए कि सिनेमा की ताकत का वे सही इस्तेमाल करते हैं अपनी पहली फिल्म दामुल के जरिये गाँव की पंचायत, जमींदारी, स्वर्ण तथा दलित संघर्ष की नब्ज को उन्होंने छुआ है। इसके बाद सामाजिक सरोकार की फिल्में बनाईं। बाद में मृत्युदण्ड, गंगाजल, अपहरण और अब राजनीति (२०१० फ़िल्म) लेकर मैदान में उतरे हैं। अपने बलबूते पर उन्होंने आम चुनाव में उम्मीदवार बनकर हिस्सा लिया है। ये बात और है कि वे हर बार हार गए। भ्रष्ट व्यवस्था तथा राजनीति की सड़ांध का वे अपने स्तर पर विरोध करते हैं। यही विरोध उनकी फिल्मों में जीता-जागता सामने आता है। मृत्युदंड से लेकर अपहरण तक उनकी फिल्मों को दर्शकों ने दिलचस्पी के साथ देखा और सराहा है। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा प्रकाश झा का पालन-पोषण बड़हरवा, बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार में उनके परिवार के पुश्तैनी गांव (बड़हरवा) में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री तेजनाथ झा है जो एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया, कोडरमा जिले और केंद्रीय विद्यालय नंबर १, बोकारो स्टील सिटी, झारखंड से की। बाद में, उन्होंने भौतिकी में बीएससी (ऑनर्स) करने के लिए रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, हालांकि उन्होंने एक साल बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी और बंबई (वर्तमान मुंबई) जाने और एक चित्रकार बनने का फैसला किया। जबकि वह जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, वह फिल्म धर्म की शूटिंग का गवाह बने और फिल्म निर्माण पर अड़ गए। उन्होंने एडिटिंग का कोर्स करने के लिए १९७३ में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (फ्ती), पूना (अब पुणे) ज्वाइन किया। इसके माध्यम से, छात्र आंदोलन के कारण संस्थान को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था, इसलिए वह बॉम्बे आ गया, काम करना शुरू कर दिया, और पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए कभी वापस नहीं जा सकें। ! वर्ष !! फ़िल्म !! टिप्पणी |२०१६ || जय गंगाजल || |२०२२ || मटो की साइकिल || नामांकन और पुरस्कार हिंदी फिल्म पटकथा लेखक १९५२ में जन्मे लोग फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार विजेता
प्र[M]ा[M][M]झ[M] [M]जन्म : २[M] फ[M][M]वरी १[M]५[M],[M][M]ंपार[M] ब[M]हार, भारत) एक हिन्दी फ़िल्मकार है। [M]़िल्म[M]ं [M][M]बन्द[M]श, मृत्य[M]दंड, राजनीति, अपहरण, दामूल, गंगाजल, [M][M]्निंग ३० आदि (सभी[M]हिन्[M]ी) एक[M]भा[M][M]ीय [M]ि[M]दी फ[M]ल्[M] के निर्माता [M]िर्[M]ेश[M], चलचित्[M] के कथा [M]िख[M][M]व[M]ला,[M][M]्रकाश झ[M] ऐसे फिल्मका[M] है[M], ज[M] [M][M]ल्मों [M]े माध[M]यम[M]से सामाजिक-र[M]जनीतिक [M][M]लाव [M]ी उम्मी[M][M]ं ल[M]कर [M]र[M]बार बॉक्स ऑफिस पर[M]हाजिर होते हैं[M] [M]नके साहस [M]र प[M]रयासों की इस मायने में[M][M]्रश[M][M]ा की जाना चा[M]िए कि[M][M]िनेमा की ताक[M][M]का वे सही इस्त[M]माल [M]रते हैं अप[M]ी पहली फिल्म दामुल[M]के [M]रिये ग[M]ँव[M]की पंचायत, जम[M][M]दार[M],[M]स्[M]र्ण [M]था दलित संघर्ष की नब्ज क[M] उन्[M]ोंने[M]छुआ है[M][M]इ[M]के [M]ाद सामाज[M]क स[M]ोकार की[M]फ[M]ल्[M]ें बनाईं।[M][M]ा[M] म[M]ं मृत्युदण[M]ड, [M][M]गाजल[M] अपहर[M] और अब राजनीति[M]([M]०१० फ़िल्[M])[M]लेकर [M]ैद[M]न[M][M]ें उतरे [M]ैं। अपने बलबूते [M]र उन्होंन[M] आम चुनाव में उ[M]्म[M]दवार बनकर ह[M][M]्सा[M]ल[M]य[M] है। ये बात और है कि वे ह[M] बार हार गए[M][M]भ्रष्ट व्यवस्था[M]तथा[M]राजनी[M]ि की सड़ांध का वे अपने [M]्तर प[M] व[M]र[M][M] करते ह[M]ं[M] यही [M]िरोध [M]नकी फिल्मों [M][M]ं[M]जीता-[M]ागता सामने आत[M] ह[M]। मृत्य[M]दंड से[M]ले[M]र अपहरण तक[M]उनक[M] फ[M]ल्मों को दर[M]शकों ने दिलच[M]्पी[M][M]े साथ [M]ेखा और सराहा है। [M]्रारंभिक ज[M][M][M] और शिक्षा [M]्रका[M] झा का पालन-पोषण बड़हर[M]ा[M] बेतिया, पश्[M]िम च[M]पा[M]ण,[M]बि[M]ार में[M][M]नक[M] परिवार क[M] पु[M]्[M]ैनी [M]ा[M]व (बड[M]हर[M]ा[M] में[M]हुआ [M]ा। [M]नक[M][M]पिता का नाम[M]श्री तेजन[M]थ झा [M]ै जो [M]क उच्च प्[M]शासनिक अधिकारी थे[M] उन[M]होंने अपनी[M]स्कू[M]ी [M]ि[M]्ष[M] सैन[M]क स्कूल[M][M]िलैया[M][M]को[M]रमा जिले और[M]केंद्रीय विद्[M]ालय नंबर १, बोकारो स्टील सिटी, झारखंड स[M][M]की। बाद म[M]ं, उन्[M]ोंने[M][M]ौतिक[M] में [M]ीएससी (ऑनर्स[M][M][M]रने के लिए[M]र[M]मजस [M]ॉले[M], द[M]ल्ली विश्वविद[M][M]ालय मे[M] द[M]ख[M]ला[M]लि[M]ा, हालां[M][M] [M]न्ह[M]ंने[M]ए[M] साल बाद अपनी पढ़ाई छ[M]ड़[M][M]ी और ब[M]बई[M](वर्त[M]ान [M]ुंबई) जाने और एक चित्रकार बनने क[M] फैसल[M] किया।[M]जबक[M] वह [M]े.जे. स[M]कूल [M]फ[M]आर्ट्स,[M][M]ह फिल्म[M]धर्म क[M] शूटिं[M] का[M]गवाह[M]बने औ[M] फिल्म निर्माण पर अड़ गए[M] उन्ह[M]ंने एडिटिं[M] का कोर्स [M]रने क[M] ल[M]ए १९७३ [M]ें फिल्म[M]एं[M] टेलीव[M]जन [M]ं[M]्टी[M]्यूट [M][M] इंडिया[M](फ[M]त[M]), पूना (अब पु[M]े)[M]ज्वाइन किया। इसके माध्यम[M]से, छात्र आंदोलन[M][M]े कारण संस्थान को कुछ[M]समय क[M] ल[M]ए[M]बंद कर दि[M]ा गया था, इ[M]लिए वह[M]बॉम्बे[M]आ [M]या, का[M] [M][M]न[M][M]शुरू कर [M]िया, और पाठ्यक[M]रम [M]ूरा करने[M]के ल[M][M] कभी [M]ापस [M]हीं[M][M]ा सकें। ! वर[M]ष !! फ़[M]ल्म[M]!! टिप्पणी |२०१६ || जय गंग[M]जल [M]|[M][M]२०२२ || म[M]ो[M]की[M]साइ[M]िल |[M][M][M][M]मांकन और प[M][M]स्कार हिं[M]ी फि[M]्म प[M]कथ[M] लेखक १९[M][M] में जन्मे लोग फ[M]िल्म[M]़ेयर पुरस्[M]ा[M] व[M]जेता
येवगेनी केफेलनिकोव ने ब्रायन ब्लैक को ७६(२), ६४ से हराया। १९९९ क्रैमलिन कप
[M]ेवगेन[M] केफेलनिको[M][M][M]े ब्रायन ब्लै[M] को ७[M][M]२)[M] ६४ स[M] हरा[M]ा। १९९९ क्र[M]मलि[M] कप
सिंह इज़ किंग (प्रचलित उच्चारण:सिंघ इज़ किंग) एक हिंदी चलचित्र है, जिसमें अक्षय कुमार तथा कटरीना कैफ ने प्रमुख भुमिकायें निभाईं हैं। २००८ में बनी हिन्दी फ़िल्म
स[M]ंह इज़ कि[M]ग (प्[M]चलि[M][M]उच्चारण[M]सिंघ इ[M][M] [M]िंग) [M]क हि[M]दी चलचित्र [M]ै[M] जिस[M]ें अ[M]्षय कु[M]ार तथा क[M]रीन[M] [M]ैफ ने प[M]रमु[M] [M]ुमिकाय[M]ं[M]नि[M][M]ईं हैं।[M]२[M]०[M] में बनी हि[M]्दी फ[M]िल[M][M]
अल्बानिया २०१४ में शीतकालीन ओलंपिक २०१४ में सोची, रूस में ७ से २३ फरवरी २०१४ तक भाग लिया। टीम में अल्पाइन स्कीइंग में दो एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा हुई और पहली बार एक महिला एथलीट शामिल था। २० जनवरी, २०14 को जारी अंतिम कोटा आवंटन के मुताबिक, अल्बानिया की योग्यता स्थिति में दो एथलीट थे। एर्जोन तोला अपने लगातार तीसरे गेम में मुकाबला करने के लिए निर्धारित था, लेकिन उन्हें वापस लेना पड़ा क्योंकि उन्होंने प्रशिक्षण में अपना हाथ तोड़ दिया। १८ फरवरी को, सुला मीलीली ने ६० वें स्थान पर विशाल स्लैलम रेस समाप्त कर दिया (समाप्त हुए ७४ प्रतियोगियों में से)। उसने पहली बार रन शुरू करने के बाद स्लैलम दौड़ खत्म नहीं की। देश अनुसार शीतकालीन ओलंपिक २०१४
[M]ल्ब[M]निया २[M]१[M] मे[M] शीतकालीन ओलं[M]ि[M] २०१४ में[M]सोची[M] [M]ूस[M]मे[M][M]७ से २[M] फरवर[M] २०१४ [M]क भा[M] लिय[M]। [M]ीम म[M]ं अल्पाइन स्कीइंग म[M]ं दो ए[M]लीटों [M]े [M]ा[M] प्[M]तिस्पर्ध[M] हु[M] और पहली बार एक महि[M]ा एथलीट श[M]मिल था। २[M] जनवरी, [M]०14 को ज[M]री अं[M]ि[M] कोटा [M]वंटन के मुताबिक, अल[M]बानिया की योग्यत[M] [M]्थित[M] में द[M] एथलीट थे। एर्जोन तो[M]ा अपने लगातार ती[M]रे गेम में मुकाबला [M]र[M]े क[M] लि[M] निर[M]धा[M]ित था, लेकिन उन्ह[M]ं[M]वापस [M][M]ना पड़ा क्योंक[M][M]उन्ह[M]ंने प्रश[M]क्षण में अ[M]ना हाथ [M]ोड़[M][M]िया। १८ फरवरी को, [M]ुला मीलीली ने ६० वें स्[M]ान पर विशा[M] स[M]लैलम रे[M] समाप्[M] कर[M][M]िय[M] (समाप्त [M]ु[M] ७४ [M]्रतियोगियों [M]ें से)। उसने पहली बार र[M] शु[M]ू करन[M] के बाद[M]स्लैलम दौड़ खत्म नहीं की। देश अनु[M]ार श[M]त[M]ालीन[M]ओलंपि[M] [M]०१४
तुमकूर (तुमकूर), जिसका आधिकारिक नाम तुमकूरु (तुमकुरु) है, भारत के कर्नाटक राज्य के तुमकूर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। राष्ट्रीय राजमार्ग ४८ और राष्ट्रीय राजमार्ग ७३ यहाँ से गुज़रते हैं और इसे कई अन्य स्थानों से सड़क द्वारा जोड़ते हैं। इन्हें भी देखें कर्नाटक के शहर तुमकूर ज़िले के नगर
तुमकू[M] ([M]ुमकू[M]), [M]िसका आधि[M]ा[M]िक नाम तुमक[M]रु (त[M]म[M]ुरु) है, भारत के कर्ना[M]क राज्[M] के[M]तुमकूर[M]ज़[M]ल[M] में [M]्थित एक[M]न[M]र है। यह उस ज़[M]ले का मुख्या[M]य भी है। राष[M]ट्[M]ीय राजमार्[M] ४८[M]और रा[M]्ट्रीय राजमार्ग ७३ यहाँ से गुज़रत[M][M]हैं और इ[M]े क[M] अन[M]य स्था[M]ों स[M] सड़क द्वारा जोड़ते है[M]। इन[M][M]ें भ[M] [M]ेखें कर्ना[M]क क[M] शहर[M]तु[M][M]ूर ज़िल[M] क[M] नगर
गग्गल, कांगड़ा विमानपत्तन हिमाचल प्रदेश स्थित हवाईअड्डा है। हिमाचल प्रदेश के विमानक्षेत्र
गग्गल, कांगड़ा व[M]मानपत[M]तन हिम[M]च[M] प्रदेश स[M]थित हव[M]ईअड्ड[M] है। हिमाचल प[M]रद[M]श [M][M][M][M][M]मानक्[M]ेत्र
बौद्ध सन्न्यासियों या गुरुओं को भिक्षु (संस्कृत) या भिक्खु (पालि) कहते हैं। इन्हें भी देखें उपासक और उपासिका
बौ[M]्ध सन्न्या[M]ि[M]ो[M] या[M]गुरुओं को भिक्[M]ु (संस्कृत) या भिक्खु [M]पालि) कहते हैं।[M]इन्हें भी देखें[M]उपास[M][M]और उपासिक[M]
शीला मेहरा एक भारतीय स्त्री रोगऔरप्रसूतिविशेषज्ञ हैं। वह मूलचन्द अस्पताल, नई दिल्ली के स्त्री रोग और प्रसूति विभाग की निर्देशिका हैं। १९५९ में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजसे ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंनेड्रकोग और मैकोग की डिग्री रॉयलकॉलेज ऑफ ओब्सटेटरीशीअन्स एंड गाइनीकोलोजिस्टस, ब्रिटेन से की। वह इंडियन कॉलेज ऑफ ओब्सटेटरीशीअन्स एंड गाइनीकोलोजिस्टस (इकोग)में शोधकर्ता हैं और बहुत से पुरुस्कार जैसे कि- राधा रमन पुरस्कार (१९९८) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशनसे लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (२००६) पा चुकी हैं। भारत सरकारने उन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्रीसे १९९१ में सम्मानित किया। इन्हें भी देखें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज मूलचन्द आईवीऍफ़ एंड फर्टिलिटी सेंटर विज्ञान में महिलाएं भारतीय महिला चिकित्सक
शीला मेहरा[M]एक भारतीय स्त्[M]ी रोग[M][M]प्रस[M]ति[M]िश[M]षज्ञ ह[M]ं।[M]वह मूलचन्द अस्पताल, नई दिल्ली के स्त्र[M] [M][M]ग और प्रसूति [M]िभाग की निर्देशिक[M] ह[M][M]। [M]९[M]९ में लेडी ह[M]र्डिं[M] म[M]डिकल कॉल[M]जसे ग्[M]ैजुएशन कर[M]े[M][M]े बाद उन[M]होंनेड्रको[M] और मै[M]ोग की डिग्[M]ी रॉयल[M][M]लेज[M]ऑफ ओब्सटेटरीशी[M]न्स [M]ंड गा[M]नीक[M]लोज[M]स्टस, ब्रिटेन स[M] की। वह इंडि[M]न[M]क[M]लेज [M]फ[M]ओ[M][M]सटेटरीशीअन्स एंड गाइनी[M]ोलोजिस्टस [M][M]कोग)में[M][M]ोधकर्ता हैं और बहुत[M]से पुरुस्कार जैसे[M]कि- [M]ाध[M] रमन प[M]रस्कार[M]([M]९९८) और इंडियन मे[M][M][M]ल एसोसिएशनस[M][M]लाइफ टाइम [M]चीव[M]ेंट पुरस्कार ([M]००६) प[M] चुकी हैं। भा[M]त सरकार[M]े उन[M]हें चौथे सर्वोच[M]च नागरिक प[M]रस्क[M]र [M]द्म श्रीस[M] १९९[M] मे[M] सम्मानित[M]किया[M] इन्हें भी देखें [M]ेड[M] हार[M]डिंग मे[M]िकल[M]क[M]ल[M]ज[M][M]ूल[M]न्द आईवीऍफ[M] एंड फर्टिलिटी सेंटर [M][M]ज्ञान में महि[M]ाए[M] भारतीय महिला चिकित्[M][M]
यासुनारी कावाबाता ( . यसुनारी कावाबाटा, १४ जून १८९९ - १६ अप्रैल १९७२) एक जापानी भाषा के लघुकथा लेखक और उपन्यासकार थे। अपनी सादी, काव्यात्मक और नाज़ुक लिखाईयों के लिए उन्हें १९६८ में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया। साहित्यिक नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे पहले जापानी लेखक थे। इन्हें भी देखें नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार १८९९ में जन्मे लोग १९७२ में निधन
य[M]सुना[M]ी कावाबाता ( .[M]यसुनारी कावाबा[M]ा, [M][M] ज[M]न १८९९[M]- १६ अप्र[M]ल १९७२) एक[M]जापा[M]ी [M]ाषा [M]े ल[M]ुकथ[M] [M]े[M]क और [M]पन[M]य[M]सकार [M]े। अपन[M] सादी, क[M]व[M]यात्मक और नाज़ुक[M]लिखाईय[M]ं क[M] लिए उन्हें [M]९६८[M]मे[M] साहि[M][M][M] के लिए न[M]बेल[M][M]ुरस्कार के साथ सम्मान[M]त किय[M] ग[M]ा[M] साहित्य[M]क न[M]बेल पुरस्[M]ार पाने वाले व[M] पहले [M]ापा[M]ी लेखक थे। [M]न्हें भी देखें नोबेल प[M]रस्कार वि[M]ेत[M] साहि[M]्यकार [M]८९[M] में[M]जन्म[M] [M]ो[M] [M]९७२[M]में[M]निध[M]
जो लोग भारत छोड़कर विश्व के दूसरे देशों में जा बसे हैं उन्हे प्रवासी भारतीय कहते हैं । ये विश्व के अनेक देशों में फैले हुए हैं। ४८ देशों में रह रहे प्रवासियों की जनसंख्या करीब २ करोड़ है। इनमें से ११ देशों में ५ लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय वहां की औसत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहां की आर्थिक व राजनीतिक दशा व दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां उनकी आर्थिक, शैक्षणिक व व्यावसायिक दक्षता का आधार काफी मजबूत है। वे विभिन्न देशों में रहते हैं, अलग भाषा बोलते हैं परन्तु वहां के विभिन्न क्रियाकलापों में अपनी महती भूमिका निभाते हैं। प्रवासी भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के कारण ही साझा पहचान मिली है और यही कारण है जो उन्हें भारत से गहरे जोड़ता है। जहां-जहां प्रवासी भारतीय बसे वहां उन्होंने आर्थिक तंत्र को मजबूती प्रदान की और बहुत कम समय में अपना स्थान बना लिया। वे मजदूर, व्यापारी, शिक्षक अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता, डाक्टर, वकील, इंजीनियर, प्रबंधक, प्रशासक आदि के रूप में दुनियाभर में स्वीकार किए गए। प्रवासियों की सफलता का श्रेय उनकी परंपरागत सोच, सांस्कृतिक मूल्यों और शैक्षणिक योग्यता को दिया जा सकता है। कई देशों में वहां के मूल निवासियों की अपेक्षा भारतवंशियों की प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसके कारण भारत की विदेशों में छवि निखरी है। प्रवासी भारतीयों की सफलता के कारण भी आज भारत आर्थिक विश्व में आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। डॉ॰ एल. एम. सिंघवी की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी ने प्रवासी भारतीयों पर १८ अगस्त २००० को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। रिपोर्ट में प्रवासी भारतीयों पर बनाई गई उच्चस्तरीय कमेटी को पहला ऐतिहासिक कदम बताते हुए इस बात की आशा व्यक्त की गई है कि कमेटी द्वारा जो सुझाव दिए पर सरकार पहल करेगी। भारत में दोहरी नागरिकता नहीं है। हमारे देश में भारतीयों के बहुत अधिक जनसंख्या होने के कारण इस विषय पर अब तक कोई भी पदक्षेप भारत सरकार ने नहीं लिया है। इन्हें भी देखें प्रवासी भारतीय दिवस प्रवासी भारतीय सम्मान अमेरिका-ब्रिटेन समेत १५ देशों में नेतृत्व के पद पर हैं २०० से ज्यादा भारतीय मूल के लोग, ६० ने कैबिनेट में बनाई जगह एनआरआई प्रवासी भारतीय पर विशेष प्रवासी दुनिया (हिन्दी-अंग्रेजी पत्रिका) भारतीय दिवस २००७ का आधिकारिक जाल -स्थान भारतवंशियों का कभी नहीं डूबता है सूरज प्रवासी लेखन : नयी ज़मीन, नया असमान (अनिल जोशी)
[M]ो [M]ो[M] भार[M] छोड़कर[M][M]िश्व [M]े दूसर[M] [M]ेशों में जा [M]से हैं उ[M]्ह[M] प्र[M]ासी भा[M][M]ीय[M]क[M][M]े हैं । [M]े व[M]श्व[M]के अनेक दे[M]ों में फैले हुए हैं। ४८ देशों में रह[M]र[M]े[M]प्[M][M]ास[M][M]ों की[M][M]नसंख्या करीब २ करोड़ है। इ[M]म[M]ं स[M][M]१[M] देशों में[M]५ लाख से[M][M]्या[M]ा प्रवासी भा[M]ती[M] वहां की औ[M]त[M]जनसंख्या[M][M][M] प[M]रतिनिधि[M]्व करते[M][M]ैं और [M][M]ा[M] की आ[M]्थिक [M] राज[M]ीत[M]क दशा व दिशा [M]ो[M]त[M] [M][M]न[M] में महत[M]वपूर[M]ण भूमिका निभाते है[M]। यहां उ[M]की आर्थिक, शैक्ष[M]ि[M] [M] व्य[M]वस[M]यिक दक्[M]ता क[M] आध[M]र[M]क[M][M]ी मज[M]ूत है। वे[M]विभिन्[M] द[M]शों में[M]रहते हैं, अलग भाषा [M]ोलते है[M] परन्त[M] वहां[M]के विभिन्न क्[M]ियाक[M][M]पों में[M][M]पनी महती[M]भूमिका[M]निभाते हैं[M] [M][M]रवा[M]ी भारती[M]ों को अपन[M] सां[M]्कृतिक विरासत क[M] अक्षुण्ण बनाए र[M][M]े[M]के कार[M][M]ही [M]ा[M][M][M]पहचा[M] [M]िली[M]है और यही कारण है जो[M]उन्हें भारत[M]से गहरे ज[M]ड़[M]ा है। जह[M]ं-जहां प्[M]वासी[M]भारतीय बसे [M]हा[M] [M]न्[M]ोंने आर[M]थ[M]क [M]ंत्र [M]ो मज[M]ू[M]ी प[M]रदान की और बहुत[M]कम समय[M]में[M]अ[M]ना स्थान बना [M]िया। वे मजदूर, व्यापारी, श[M][M]्षक [M]नुसंधानकर्ता, खोज[M]र्त[M], [M][M]क्टर, वकील, [M]ं[M]ीनिय[M], प्रबंधक, प्र[M]ासक आदि के रूप [M][M]ं दु[M]ियाभर म[M]ं स्[M][M]कार क[M]ए गए। प[M][M]वासियों[M]की सफलता का श्रेय उनकी परंपर[M]गत[M]सोच[M] सांस्कृ[M]िक मू[M]्यों और[M]शैक्षणि[M] योग्यत[M] क[M] दिया जा सकत[M] है। कई [M]े[M]ों में वहां के मूल निवा[M][M]यों की अपेक्षा भार[M]वंशियों की प्रति व्यक्ति आय [M]्यादा है। वैश्विक [M]्तर[M]पर सूचना[M]तकन[M]क के क्षेत्र में क्रांति में[M][M]नकी[M]मह[M]्व[M]ू[M]्ण भूमिका रही है, [M]िसक[M] कारण भारत[M][M]ी विदे[M]ों[M]में छवि[M]निखरी[M]है। [M][M]रवासी भारती[M]ों की सफलता [M]े[M][M]ारण भी आज भारत आर्थ[M]क वि[M][M][M] [M]ें[M][M]र्थ[M]क महाशक्ति के [M]ूप में उभर रह[M] है। ड[M]॰ एल.[M][M]म. सि[M]घवी की [M]ध्यक्षता [M][M]ं गठित [M]क[M][M][M]ेटी ने प्रवासी भारत[M]यों[M]पर १८ अग[M]्त [M]००[M] को अपनी रिपोर्ट[M]सर[M]ा[M][M]को [M][M][M]पी। रिपो[M]्ट में प्रवासी भारतीयों पर [M]नाई [M]ई उच्चस्तर[M]य कमेटी को प[M]ला[M]ऐतिहासिक कद[M] [M]त[M]ते [M]ु[M] इस बात [M]ी आशा व[M]यक्त[M]की गई है कि कमे[M]ी [M]्व[M]रा जो सुझाव दिए पर सर[M][M]र[M]पहल करेगी। भारत में [M]ो[M]र[M] न[M]गरिकता नहीं[M]है। हमारे[M]द[M][M] में[M]भार[M]ी[M]ों क[M] बह[M]त अध[M]क जन[M]ंख्या होने क[M] कारण इस [M][M]षय[M]पर [M]ब तक क[M]ई भी प[M]क्[M]ेप भारत सर[M]ार [M]े नहीं [M]िय[M] है। इ[M]्[M]ें भी द[M]खें प्रवासी [M]ारती[M] द[M]वस प्रवासी भार[M]ीय सम्मान अ[M]ेरिका-ब[M]रिट[M]न समेत १[M] द[M][M]ों मे[M] नेतृत्व के पद पर हैं[M]२०० से[M]ज[M]य[M]दा भारतीय मूल क[M] ल[M][M][M] ६[M] ने कैबिनेट में बनाई जगह[M]एनआरआई प्[M]वासी भारतीय[M][M]र विशेष[M]प्[M]वा[M][M] द[M]निया ([M]िन[M]दी-अंग्[M]ेजी[M]प[M]्रिका) भारती[M][M]दिवस २[M]०७ का आधिका[M]िक जा[M] -स्[M]ान[M]भारतवंशि[M]ों क[M] क[M][M] [M]ह[M]ं[M]डूबता [M]ै [M]ूर[M] [M]्रवास[M] लेख[M][M]: नयी ज़म[M]न,[M][M]य[M] अस[M]ान[M](अनिल जोश[M])
शाहजादा मुही-उड़-दीं एक राजनीतिज्ञ है पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा में | वह ना-३२ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है पाकिस्तान का उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त के लिएपाकिस्तान का उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त के प्रतिनिधियों - पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा | पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्य
शाह[M]ादा [M]ुह[M]-उ[M]़[M]द[M]ं एक राजनीतिज्ञ है पाक[M]स्तान के राष्[M][M]रीय व[M]धा[M]सभा [M]े[M][M]| [M][M] ना-३[M] निर्वाचन क्षेत्र का[M]प्र[M]िनिधित्[M] [M]र[M]ा है [M]ा[M][M]स[M]तान का उत्तर पश्च[M]म सीमां[M] प्रान्त के लि[M]पाक[M]स्त[M]न का उत्तर [M]श्चिम[M]सी[M][M]ं[M] [M][M]रान्त के प्रतिनिधियों - पाकिस्त[M]न के राष्ट[M]रीय[M]विधानस[M]ा [M] [M]ा[M]िस्तान के र[M]ष्ट्[M]ीय विधा[M][M]भा [M]े स[M]स्य
यह तहसील सीतापुर जिला, उत्तर प्रदेश में स्थित है। २०११ में हुई भारत की जनगणना के अनुसार इस तहसील में ५९३ गांव हैं। सीतापुर की तहसीलें
यह तहसी[M] सीतापुर जि[M]ा,[M]उत्त[M] प[M]रदेश में स्थित है। २०१[M] [M]े[M] हुई भारत[M]की[M]जनग[M][M]ा के अ[M]ु[M][M]र[M]इस[M]तहस[M]ल मे[M] ५९३ [M][M]ंव हैं[M] स[M][M][M]पुर की त[M]सीलें
यह स्ट्रेटफोर्ड इंग्लैंड में स्थित एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। विश्व के प्रमुख खेल मैदान
य[M][M]स्ट्रे[M]फोर्ड[M][M]ंग्लै[M]ड [M]ें स्थित एक प्रमुख खेल का मैदान [M]ैं। विश्व के [M]्रमुख खेल मै[M]ान
इन्दरबीर सिंह बोलारिया भारत के पंजाब राज्य की अमृतसर दक्षिण सीट से शिअद के विधायक हैं। २०१२ के चुनावों में वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को १५०५६ वोटों के अंतर से हराकर निर्वाचित हुए। पंजाब (भारत) के विधायक
[M]न्दरबीर [M][M]ंह बोलारिया भा[M]त के पं[M][M]ब राज[M]य की अमृत[M]र दक्षिण सी[M] से शिअद [M]े[M]व[M]धायक हैं। २०१२ के[M]चुनावों म[M]ं वे अपने न[M]कटतम प्रतिद्वंद्वी को १५०५[M][M][M]ो[M]ों क[M] अं[M]र[M]से हर[M]कर निर्वाचित[M]हुए। पंजाब (भा[M]त) के विधायक
पुनौली, गंगोलीहाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा पुनौली, गंगोलीहाट तहसील पुनौली, गंगोलीहाट तहसील
पुनौली, गंगोलीहा[M] तहसील में [M]ा[M]त[M]के उत[M]तर[M]खण्ड रा[M]्य के अन्तर्गत क[M]माऊँ मण्ड[M][M]क[M] पि[M]ोर[M]गढ जिले का ए[M] गाँव है। इन[M]हें[M]भी देखें उत[M][M][M]ाखण्ड के जिल[M] उत[M][M]रा[M]ण्ड [M]े न[M][M] उत्त[M]ाखण्[M] - भार[M] सरक[M]र के आधि[M]ारिक पोर्टल[M]पर[M]उत्तराखण[M]ड[M][M]रक[M]र[M]का आधिकारिक जालप[M]ष[M]ठ उ[M]्तर[M]खण[M]ड[M]([M]त्तराख[M][M]ड [M]े [M]ारे में विस्तृत एवं प्र[M]माणिक जान[M]ारी[M] [M]त्[M]रा कृ[M]ि प्र[M]ा[M]पुनौ[M]ी, [M]ंगोलीह[M]ट तह[M]ील [M]ुनौ[M]ी[M] गंगोलीहाट तहसील
विद्या शाह एक भारतीय गायक, संगीतकार, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हैं । शाह के परिवार की महत्वपूर्ण संगीत पृष्ठभूमि थी। शास्त्रीय संगीत के उत्तर भारतीय शैली के लिए उसके शौक और प्रदर्शन के साथ, उसने मुखर संगीत की इस शैली में एक रास्ता बनाने का फैसला किया। उन्होंने संगीत गायिका शुभा मुद्गल के साथ ख्याल गायकी में और ठुमरी, दादरा और ग़ज़ल में शांति हीरानंद के साथ प्रशिक्षण लिया है। शाह को शास्त्रीय गायन में प्रशिक्षित किया जाता था। उन्होंने वाशिंगटन डी.सी. में कैनेडी सेंटर, न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी, मोरोको में असीला आर्ट्स फेस्टिवल, सिंगापुर में कला उत्सव, हम्बोल्ट फोरम, बर्लिन, जर्मनी और शेफहॉजेर जैज़ फेस्टिवल, स्विटजरलैंड में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन किया है। विद्या भारतीय संगीत में संगीत प्रशंसा आध्यात्मिक परंपराओं पर कार्यशाला आयोजित करती है। वह कई प्रकाशनों और वेबसाइटों के लिए संगीत पर लिखती हैं, और एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में योगदान दिया है। वह भारत में सांस्कृतिक अकादमियों की संसदीय समीक्षा समिति के साथ-साथ दक्षिण एशिया फाउंडेशन की सलाहकार समिति, साथ ही जोनल कल्चरल सेंटर्स, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की समीक्षा समिति में काम करती है। वह भारत में एक टेलीविजन चैनल के लिए कलाकारों, लेखकों और आयोजकों के साथ संगीत पर एक वार्तालाप श्रृंखला का आयोजन करती है। वह फोर्ड फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक रिकॉर्ड पर एक महिला निदेशक हैं, जो उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से भारतीय ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग कलाकारों के संगीत का जश्न मना रहा है। वह एक संगीतकार है जो , टीवी और वृत्तचित्र फिल्मों के लिए गाती है। उनकी डिस्कोग्राफी में मेरे पास रहो (टाइम्स म्यूज़िक) में पाकिस्तानी कवि फैज़ अहमद फ़ैज़ को उनकी शताब्दी पर श्रद्धांजलि शामिल है। विद्या की अंतर्राष्ट्रीय डिस्कोग्राफी में कलर मी इन सॉन्ग, अंजा (कर्स काले के साथ), घर से दूर (मध्यकालीन पंडित्ज़ के साथ) और अहसाना ओम शांति (बिल लासवेल, सिक्स डिग्रीज़ एंड टाइम्स म्यूज़िक के साथ), इन द फ़ॉरेस्ट (टोनस म्यूज़िक, स्विट्जरलैंड) शामिल हैं। विद्या अपने संगीत को अपने सामाजिक इतिहास की गहरी समझ के साथ जोड़ती है, जो विशेष रूप से उनके विषयगत प्रदर्शनों के माध्यम से आता है जैसे कि लेखक विलियम डेलरिम्पल के साथ लास्ट मुगल या फकीर में स्त्रीलिंग की खोज में उनकी सूफी प्रस्तुतियां।
विद[M]या शाह [M]क भ[M]रतीय गायक, स[M]गीत[M][M]र[M] [M]ाम[M]जिक का[M]्यकर्ता[M]और लेखक हैं । शाह [M]े परिवार [M]ी महत्वप[M]र्[M] [M]ंगीत पृष[M]ठभूमि थी। शास्त्री[M] संगी[M] के उ[M][M]त[M] भारतीय शैली के लिए उसके [M]ौक [M]र प्[M]दर[M]शन के [M]ाथ, उसने म[M][M]र संगीत [M][M][M]इ[M] शैली म[M]ं एक रास्ता बनान[M] का फैसल[M] कि[M]ा। उन्ह[M]ंने [M][M]ग[M][M] गायिका शुभा मुद्गल [M]े [M]ा[M] ख्[M]ा[M] गायक[M][M]में [M]र ठु[M]री,[M]दादरा[M]औ[M] ग़ज़[M] में शांति [M]ीरानंद के साथ प[M]रशि[M]्ष[M] ल[M]या है। शा[M] को [M]ास्त्रीय[M]गायन में प्रशिक्षित किया जाता था। उ[M]्होंने वा[M][M]ंगटन[M]डी.[M]ी. में कै[M]ेडी सेंटर[M] न्यूयॉर्[M] में एशि[M][M] सोसाइट[M], मो[M]ोको में[M]असीला [M]र्ट्स फेस्टिवल[M][M]सिंगापुर में कला उत्सव, हम्ब[M]ल्[M] फोर[M], बर्लिन, [M]र्मनी और शेफहॉजेर जैज[M][M]फ[M]स्टिवल[M] स्विट[M]रल[M]ंड म[M]ं राष्[M]्र[M]य और[M]अंतर्रा[M]्[M]्रीय [M]ंचों पर प[M][M]दर्शन किय[M] है। [M][M]द्[M][M][M]भारतीय[M][M]ंग[M]त मे[M] स[M]ग[M]त प्रशंसा आध्यात्मिक[M][M]रंपर[M]ओ[M] पर [M]ा[M]्[M]शाला [M][M][M]जित[M]करती [M]ै। [M]ह क[M] प्रकाशनों और[M]वेबसा[M]टों [M]े[M]ल[M]ए [M]ंगीत पर ल[M]खती [M]ैं, और एनसाइक[M]लोपीडिया[M][M]्र[M]टानिका में [M]ोगदान[M]दिया ह[M]। वह भारत मे[M] सांस्कृ[M]िक अ[M]ादम[M]यों क[M] संस[M]ी[M] समीक्[M]ा सम[M]ति के साथ-साथ दक्[M]िण एशिया फाउंडेशन की सलाहकार समिति, साथ ही जोनल कल्चर[M] सेंटर्स, सं[M]्कृति मंत्रालय, भारत [M]रकार की समीक्षा समिति में काम [M]र[M]ी है। [M]ह[M]भारत म[M]ं एक[M][M]ेली[M]िजन चैन[M] के लि[M] क[M]ाकारों, [M]ेखक[M]ं [M]र आय[M]ज[M]ो[M] [M]े साथ स[M]गीत पर [M]क व[M]र्तालाप[M]श्रृंखला का [M]य[M]जन करती है। वह फोर्ड [M][M]उ[M]डेशन द्वारा [M]मर्[M][M]त[M]एक[M]रिकॉर्ड[M][M]र एक महि[M]ा नि[M][M]शक हैं,[M]जो उन्नीसवीं [M]र [M]ीस[M]ीं शताब्दी के उत्तरार्ध से [M]ार[M]ीय ग्[M]ामो[M]ोन रिकॉर्डिंग कलाक[M]रों के संग[M]त का जश[M]न[M]मना रहा है। [M]ह एक संगी[M]कार है जो , टीवी और वृत[M]तचित्[M] फिल्मो[M] के[M]लि[M] गाती[M]ह[M]। उनकी डिस[M]कोग्राफी [M]ें[M]मेरे पा[M] रहो (ट[M]इम्स म[M]यूज़िक) [M]ें पाकिस्तान[M] क[M]ि फैज़ अहमद फ़ैज़ को उनकी शत[M]ब्दी [M]र श्रद्धांजल[M] शामिल है। विद्या की अंतर्र[M]ष्[M]्रीय डिस[M]कोग्[M]ाफी मे[M][M]कलर [M]ी इन[M]सॉ[M]्ग[M] अंजा [M]कर्स [M]ाले के स[M]थ)[M] घ[M] से दूर (म[M]्[M]का[M]ीन पंडित्ज़ के सा[M]) औ[M] अह[M]ा[M]ा ओ[M] [M]ा[M][M]ि (बिल[M]ल[M][M]वे[M][M] सिक्स [M][M]ग[M]रीज़ एंड ट[M]इम्स म्यूज़िक[M]के साथ), इन द फ़ॉरेस्ट (टो[M]स म्यूज[M]िक, [M]्विट्जर[M]ैंड) शाम[M]ल हैं। विद्[M][M] अ[M]ने[M]स[M]गीत को अपने सामा[M]िक [M]तिहा[M] की[M][M]हरी सम[M][M]के साथ जोड[M]ती है, जो वि[M]ेष रूप[M]से उनके[M]विषयगत प्रद[M]्शनों के माध्यम से [M]ता है[M]जैसे [M]ि लेखक वि[M]ि[M]म [M]ेलरिम्पल क[M] स[M]थ ल[M][M]्ट [M]ुगल या फकीर में स्त्रीलिंग[M]क[M] खोज में उनकी सूफी प्रस्तुति[M]ां।
रंजन रॉय डेनियल भारत सरकार ने १९९२ में के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये तमिलनाडु से हैं। १९९२ पद्म भूषण
[M]ंजन रॉय डेनियल[M]भार[M] सरकार ने १९९२ [M]ें के क्षेत्र [M]े[M] [M]द्म [M]ूष[M] से सम्[M]ानित किय[M] [M]ा। ये तमिलन[M]डु से ह[M][M]।[M][M]९९[M][M]पद्[M] [M]ू[M][M]
साशिमी (जापानी: , साशीमी), एक जापानी व्यंजन है, जिसमें ताजी कच्ची मछली या मांस को पतले कतलों या टुकड़ों में काटा जाता है और अक्सर सोया सॉस के साथ खाया जाता है। जापानी भाषा में सशिमी शब्द का अर्थ है "बिंधा हुआ शरीर", अर्थात "" = सशिमी, जहां = साशि (बिंधा या छेदा, अटका हुआ) और = मी (शरीर, मांस)। यह शब्द मुरोमाची काल से है और संभवत: तब गढ़ा गया था जब शब्द "" = किरू (काटना), का प्रयोग समुराई के अलावा किसी अन्य द्वारा उपयोग किए जाने को बहुत अशुभ माना जाता था। साशिमी शब्द का उद्गम उस पाक प्रथा से भी जोड़ा जा सकता है जिसके अंतर्गत खाई जाने वाली मछली की पहचान के लिए उसके मीन पंख और पूँछ को कटे हुए टुकड़ों के साथ जोड़ा जाता है। परोसने का ढंग औपचारिक जापानी भोजन में साशिमी को अक्सर सबसे पहले परोसा जाता है, लेकिन कई बार यह मुख्य भोजन भी हो सकता है, जहाँ इसे अलग-अलग कटोरे में चावल और मिसो सूप के साथ प्रस्तुत किया जाता है। जापानी रसोइये जापानी औपचारिक भोजन में साशिमी को बेहतरीन व्यंजन मानते हैं और अनुशंसा करते हैं कि इसे सबसे पहले खाया जाना चाहिए अन्यथा अन्य तीव्र स्वाद आपके तालू को प्रभावित कर सकते हैं। साशिमी की तैयारी में कटे हुए समुद्री भोजन जो कि व्यंजन का मुख्य हिस्सा होता है को सजावट के ऊपर लपेटा जाता है। सजावट में मुख्य रूप से लम्बे लच्छों में कटी एशियाई सफेद मूली और डाइकॉन, होती हैं या फिर शिसो (पेरिला) नामक बूटी की सिर्फ एक पत्ती में लपेटा जाता है। लोकप्रिय रूप से मछली से बनी सशिमी को सोया सॉस और मसालों जैसे कि वसाबी, कसे हुए ताजा अदरक और कसे हुए ताजा लहसुन के साथ और मांस से बनी साशिमी को पोंज़ू के साथ परोसा जाता है।
साशिम[M] (जापानी: , स[M]शीमी)[M] एक जापा[M]ी व्[M]ंजन है, जिसमें ताजी कच्ची म[M]ली[M]य[M] मांस को प[M]ले [M]तलों [M]ा टुकड़ों में [M]ाटा जाता ह[M] [M]र अक्सर सोया सॉस[M]के[M]स[M]थ [M]ाय[M] ज[M][M]ा है। जापानी भा[M]ा में सशिमी [M]ब्द [M]ा अर[M]थ[M]ह[M][M]"बिंधा हुआ शरीर", अर्थात[M]"" = सशिमी[M][M]जहां =[M]स[M]श[M] (बिंधा या छेदा, अ[M][M][M] हुआ) और =[M]मी (शरी[M], मांस)। [M][M] शब[M]द म[M]रोमाच[M] काल से ह[M] और स[M]भवत: तब गढ़ा [M]या[M]थ[M] [M]ब शब्द[M]"[M] = किरू (काटना), का प्रयोग[M]समुराई के[M]अलावा किसी अन्य द्वारा उपयोग किए जाने [M][M] बहु[M] अशुभ माना जाता था। साशिमी शब्[M] का[M]उ[M]्ग[M][M]उस पाक प्रथा से भी [M]ोड़ा जा सकता है [M][M]सके अंत[M]्गत खाई[M]ज[M]ने व[M]ली[M]मछल[M] की पहच[M]न के ल[M][M] उसके मीन प[M]ख और पू[M]छ[M]को कटे ह[M]ए ट[M][M]ड़ों के [M]ाथ जोड़ा जा[M][M] है। परोसने का ढ[M]ग औपचारिक[M]जापानी [M]ोजन म[M]ं साश[M]मी को अक्सर स[M][M]े पह[M]े प[M][M][M]ा जाता[M][M]ै, ल[M]किन[M]कई बार[M]यह मुख्य भोज[M] [M]ी हो सकता है, जहाँ [M][M]े अल[M]-अलग क[M]ोरे म[M]ं चावल [M][M] [M]िसो सूप [M]े साथ प[M]रस[M]त[M][M] किया जाता[M]है। जापानी[M]रसोइये [M]ापानी औपचा[M]िक भ[M]जन में[M]साशिमी को[M]बेहतरीन व्यंज[M] म[M]नते[M]हैं[M]औ[M][M]अनुशं[M][M] क[M]त[M] हैं कि [M][M][M][M]सब[M]े पहले [M][M]य[M] [M]ा[M]ा चाहिए अ[M]्[M]था अ[M]्य[M]तीव्र [M]्व[M]द आपक[M] तालू [M]ो[M]प[M]रभावित[M][M]र [M]कते हैं। स[M]शिमी की त[M]यारी में कटे[M][M]ुए स[M][M]द्र[M] भोजन जो[M]कि[M]व्य[M]जन का म[M]ख्य हिस्सा होता है को सजावट के[M]ऊपर ल[M]े[M]ा जा[M]ा [M]ै। सज[M]वट में म[M]ख[M]य[M]रूप से[M]लम्बे[M]ल[M]्छों [M]ें कटी ए[M]ियाई सफे[M][M]मू[M]ी और [M]ाइकॉन, होती हैं या[M][M]ि[M] श[M]स[M] (पेरिला) नाम[M] बूटी की [M]िर्फ[M]एक[M]प[M]्[M][M] में लपेटा जाता है। [M]ोक[M]्रिय रूप [M]े मछली [M]े[M]बनी सशिमी[M]को सोया सॉस और मसालों जैसे क[M] वसाबी, कसे हु[M] ताजा [M]दरक और कस[M] ह[M]ए त[M]जा लहसुन क[M] [M]ाथ औ[M] [M]ांस[M]से[M]बनी सा[M]िमी[M]को पोंज़ू क[M][M][M]ाथ परोसा[M]जाता है।
लामकानी (लमकनी) भारत के महाराष्ट्र राज्य के धुले ज़िले में स्थित एक गाँव है। इन्हें भी देखें महाराष्ट्र के गाँव धुले ज़िले के गाँव
लामकानी [M]लमकनी) भारत क[M] महाराष्ट्र[M]राज्य के धुल[M] ज़िले [M]ें स्थित एक[M][M]ाँव ह[M]। [M]न्ह[M]ं भी देखें महाराष्ट्र के[M]ग[M]ँव धु[M]े ज़िले के[M]गा[M][M]
नीला गुम्बद (उर्दु: ) नई दिल्ली के दीनापनाह यानि पुराना किला के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा रोड के निकट स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। एक मुगलकालीन इमारत है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में स्थित थी, जो कि नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। विकिमैपिया पर देखें दिल्ली के दर्शनीय स्थल
नीला ग[M]म्बद ([M]र्दु: ) नई[M]दिल्ली क[M] दीनापनाह यानि पुरा[M][M] [M][M]ला के[M][M]ि[M]ट[M]न[M]ज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र[M]में म[M]ुरा र[M]ड क[M] निकट स्थ[M][M] एक ऐत[M]ह[M]स[M]क स्मा[M][M] है। एक[M]मुगल[M]ाल[M][M][M]इमा[M]त है। गु[M][M]म वं[M] के सम[M] में[M]यह भूम[M] किलोकरी किले में स्थित[M]थी, जो कि नसीरुद्[M]ीन (१२६८-१[M]८७) के पुत्र [M]त्कालीन सुल्त[M][M] केक[M]बाद की राजधानी[M]हुआ करती थी। विक[M]मैपिया पर देख[M]ं[M]दिल्ली [M]े दर्शनीय स्[M]ल
सदरपुर द्वारिकापुर छिबरामऊ, कन्नौज, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। कन्नौज जिला के गाँव
सदरपुर द्वारिकापुर छि[M]रामऊ,[M]कन्नौ[M], उत्तर प[M]र[M]ेश स्थि[M] एक गा[M]व[M]है।[M]क[M]्नौज ज[M]ला के गा[M]व
स्ट्राइक -वो लाइन जो बेडिंग और हॉरिज़ाँटल प्लेन के कटाव को रेखांकित करती हो| डीप-बेडिंग और हॉरिज़ाँटल प्लेन के बीच का कौंड|
स[M]ट्राइक[M]-वो लाइ[M][M]जो[M]बेडिंग और हॉरिज़ा[M]टल [M]्लेन क[M] क[M]ाव क[M] रेखांकि[M] कर[M]ी हो| डीप-ब[M][M]िं[M] औ[M] हॉरिज़ाँटल प[M]लेन के बीच का कौ[M]ड|
चार्ली विल्सन्स वॉर २००७ की एक जीवनी आधारित कॉमेडी ड्रामा फिल्म है जो अमेरिकी कांग्रेसी चार्ली विल्सन (डीटीएक्स) की सच्ची कहानी को पेश करती है जिन्होंने "मनमाने रवैये" वाले सीआईए (सिया) ऑपरेटिव गस्ट अव्राकोटोस के साथ सहभागिता में ऑपरेशन साइक्लोन शुरू किया, एक ऐसा कार्यक्रम जिसे सोवियत द्वारा अफगानिस्तान के कब्जे के प्रतिरोध में अफगानी मुजाहिदीन को व्यवस्थित और समर्थन देने के लिए चलाया गया था। इस फिल्म को जॉर्ज क्रिल की २००३ की किताब चार्ली विल्सन्स वॉर: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरी ऑफ़ द लार्जेस्ट कवर्ट ओपरेशन इन हिस्टरी से रूपांतरित किया गया है। यह माइक निकोल्स द्वारा निर्देशित और हारून सोरकिन द्वारा लिखित है और इसमें टॉम हैंक्स, जूलिया रॉबर्ट्स, ओम पुरी, फिलिप्स सेमुर होफमैन, एमी एडम्स, नेड बेटी और एमिली ब्लंट ने अभिनय किया है। यह पांच गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामित किया गया जिसमें "सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर", भी शामिल था लेकिन यह किसी भी वर्ग में कोई भी पुरस्कार नहीं जीत सका। फिलिप्स सेमुर होफमैन को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया। १९८० में, कांग्रेसी चार्ली, विधान कार्यों से अधिक पार्टी करने में रुचि लेते थे, जिसके तहत वे अक्सर बड़ी पार्टियों का आयोजन करते थे और अपने कंग्रसी कार्यालय को युवा, आकर्षक महिला कर्मचारियों से भरते थे। उनके सामाजिक जीवन के कारण अंततः उन पर लगे कोकीन का उपयोग करने के आरोपों के चलते उस समय संघीय अभियोजक रहे रुडी गिलानी द्वारा संघीय जांच बैठा दी गयी, यह जांच कांग्रेसी दुराचरण की एक बड़ी जांच के हिस्से के रूप में कराया गया। इस जांच के परिणाम में चार्ली को निर्दोष पाया गया। एक दोस्त और प्रेमिका, जोआन हेरिंग चार्ली को अफगानी लोगों की और अधिक सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें पाकिस्तानी नेतृत्व से मिलने के लिए राज़ी करती है। पाकिस्तानी यह शिकायत करते हैं कि सोवियत संघ का विरोध करने के लिए अमेरिकी समर्थन अपर्याप्त है और वे जोर देते हैं कि चार्ली एक प्रमुख पाकिस्तान-स्थित अफगान शरणार्थी शिविर की यात्रा करें। (यह और अन्य अफगान दृश्यों को मोरक्को में फिल्माया गया।) चार्ली उनके दुख और लड़ने के दृढ़ संकल्प को देख क्र प्रभावित होता है, लेकिन अफगानिस्तान पर सोवियत कब्जे के खिलाफ एक कम महत्वपूर्ण दृष्टिकोण पर क्षेत्रीय सीआईए के कर्मियों के आग्रह से निराश होते है। चार्ली घर वापस आते हैं ताकि वे मुजाहिदीन के लिए धन सहायता में बड़ी वृद्धि के लिए प्रयास कर सकेँ. इस प्रयास के हिस्से के रूप में, चार्ली ने आवारा सीआईए कार्यकारी गस्ट अव्राकोटोस और उनके अमला अफगानिस्तानी समूह से मित्रता की ताकि एक बेहतर रणनीती बनाई जा सके, जिसमें विशेष रूप से सोवियत के दुर्जेय एम आई २४ हेलीकॉप्टर गनशिप के प्रत्युत्तर के साधन शामिल थे। इस समूह का अर्ध भाग सीआईए के विशेष कार्य प्रभाग के कुलीन सदस्यों से बना था, जिसमें माइकल विकर्स नामक एक युवा अर्द्धसैनिक अधिकारी शामिल था। परिणाम स्वरूप, आवश्यक वित्तपोषण के लिए चार्ली की दक्ष राजनीतिक सौदेबाजी और उन संसाधनों का प्रयोग करते हुए अव्राकोटोस के दल की निपुण योजना, जैसे कि छापामारों को फिम-९२ स्टिंगर मिसाइल लांचर की आपूर्ति ने सोवियत के कब्जे को एक घातक दलदल में बदल दिया जिसके तहत भारी लड़ाकू वाहनों को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया गया। सीआईए (सिया) का साम्यवाद विरोधी बजट ५ मीलियन डॉलर से बढ़ कर ५00 मिलियन डॉलर हो गया (इस समान राशि की बराबरी सऊदी अरब द्वारा की गई) जिससे कई कांग्रेसियों को आश्चर्य हुआ। चार्ली द्वारा यह प्रयास अंततः अमेरिकी विदेश नीति के प्रमुख हिस्से के रूप में उभरा जिसे रीगन सिद्धांत के रूप में जाना गया, जिसके तहत अमेरिका ने अपनी सहायता को मुजाहिदीन से परे विस्तारित किया और कम्युनिस्ट विरोधी आंदोलनों को दुनिया भर में समर्थन देना शुरू किया। चार्ली कहते है कि पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारी माइकल पिल्सबरी ने राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को अफगानियों को स्टिंगर प्रदान करने के लिए राज़ी किया: "व्यंग्यपूर्वक, ना तो गस्ट और ना ही चार्ली इस फैसले में शामिल थे और ना ही वे किसी शाबाशी की मांग करते हैं।" बाद के सोवियत-अधिकृत अफगानिस्तान का समर्थन पाने के लिए चार्ली, गस्ट के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं, लेकिन उन्हें अमेरिकी सरकार में अपने द्वारा सुझाए गए सबसे मामूली उपायों के लिए भी लगभग कोई उत्साह नहीं दीखता है। फिल्म के अंत में चार्ली को अमेरिकी गुप्त सेवा के समर्थन के लिए प्रमुख प्रशंसा प्राप्त होती है, लेकिन उनका क्रोध उनके इस डर से भड़क उठता कि उनके रहस्यात्मक प्रयासों का भविष्य में और अफगानिस्तान से अमेरिकी छुटकारे की मंशा का क्या अनपेक्षित परिणाम निकल सकता है। रीप्रेजेंटेटिव चार्ली विल्सन के किरदार में टॉम हैंक्स जोआन हेरिंग के रूप में जूलिया रॉबर्ट्स गस्ट एवराकोटॉस के रूप में फिलिप सेमौर हॉफमैन बोनी बाख के रूप में एमी एडम्स रीप्रेजेंटेटिव डॉक लांग के रूप में नेड बेटी जेन लिडले के रूप में एमिली ब्लंट पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक के रूप में ओम पुरी इजरायल के हथियार व्यापारी ज्वी अफ़िआह के रूप में केन स्टोट यूरोपीय संचालन के सीआईए निदेशक (एवराकोटॉस के वरिष्ठ) हेनरी क्रावेली के रूप में जॉन स्लेटेरी सीआईए स्टेशन प्रमुख हेरोल्ड होल्ट के रूप में डेनिस ओ'हारे महत्वाकांक्षी अभिनेत्री क्रिस्टल ली के रूप में जुडी टेलर लैरी लिडले के रूप में पीटर गेरेटी क्रिस्टल ली के एजेंट, पॉल ब्राउन के रूप में ब्रायन मारकिनसन माइकल जी. विकेर्स के रूप में क्रिस्टोफर डेनहैम जेलबैट के रूप में शिरी ऐप्प्लबी सुजेन के रूप में रचेल निकोल्स रिसेप्शनिस्ट के रूप में विन एवेरेट मारला के रूप में मैरी बोनर बेकर कांग्रेशन्ल कमिटी के रूप में स्पेन्सर गारेट कांग्रेशन्ल कमिटी के रूप में केविन रूनी रूसी हेलीकाप्टर पायलट के रूप में पाशा लीच्नीकोफ़ के समग्र चरित्र रिलीज़ और अभिग्रहण इस फिल्म को मूलतः २५ दिसम्बर २००७ को प्रदर्शित किये जाने की बात थी, लेकिन ३० नवम्बर २००७ को समय सारिणी को हटाकर २१ दिसम्बर २००७ तक कर दिया गया। अपने प्रारंभिक सप्ताह के अंत में, फिल्म ने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के २,५७५ थिएटरों में ९.६ मिलियन डॉलर की कमाई की, यह बॉक्स ऑफिस पर #४ पर रही। , विश्व भर में इसने कुल ११३.५ मिलियन डॉलर - संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में कुल ६६.६ मिलियन डॉलर और अन्य हिस्सों में कुल ४६.८ मिलियन डॉलर की कमाई की। चार्ली विल्सन्स वॉर ने आलोचकों से आम तौर पर अनुकूल समीक्षा प्राप्त की। , रिव्यू अग्रीगेटर रोटेन टोमेटोज़ की आख्या के अनुसार ८२% आलोचकों ने फिल्म के लिए सकारात्मक समीक्षा दी, जो १६३ समीक्षाओं पर आधारित थी। मेटाक्रिटिक ने आख्या दी कि फिल्म को १०० में से एक औसत ६९ अंक मिले, जो ३९ समीक्षाओं के आधारित था।[१२] सरकारी आलोचना और प्रशंसा रीगन के युग के अधिकारी, जिसमें पूर्व अवर रक्षा सचिव फ्रेड इकले शामिल थे ने फिल्म के कुछ तत्वों की आलोचना की। दी वाशिंगटन टाइम्स ने आख्या दी कि कुछ लोगों ने यह दावा किया है कि यह फिल्म इस धारणा को गलत तरीके से बढ़ावा दे रही है कि सीआईए द्वारा अगुवाई की जाने वाली परिचालन ने ओसामा बिन लादेन को वित्त पोषित किया और अंततः ११ सितम्बर हमले को परिणामित किया। हालांकि रीगन के युग के अन्य अधिकारियों ने, इस फिल्म का समर्थन किया। हेरिटेज फाउंडेशन के पूर्व विदेश नीति विश्लेषक और राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू बुश के लिए व्हाइट हाउस के भाषण लेखक माइकल जॉन्स ने, इस फिल्म की प्रशंसा यह कह कर की कि "यह अमेरिका के शीत युद्ध के विजय के सबसे महत्वपूर्ण सबक को प्रतिबिंबित करने का पहला इतना बड़ा प्रयास है: और यह कि रीगन की अगुवाई में किया गया प्रयास जो कि उन स्वतंत्रता सेनानियों के समर्थन में था जो सोवियत संघ उत्पीड़न का विरोध कर रहे थे, ने सोवियत यूनियन के पहले प्रमुख सैन्य हार का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।..को को अफगानिस्तान से रेड आर्मी पैकिंग को भेजा जाना सबसे महत्वपूर्ण एकल घटनाओं में से एक थी जो इतिहास के एक सबसे गहरा सकारात्मक और महत्वपूर्ण विकास में योगदान देने वाला कारक था।" ११ सितम्बर के साथ संबंध जबकि चार्ली विल्सन्स वॉर में ११ सितंबर के हमलों का कोई विशेष संदर्भ नहीं मिलता, इस फिल्म में चार्ली और गस्ट द्वारा जताई गयी चिंताओं को दर्शाया जाता है जिसमें वे सोवियत सेना की वापसी के बाद १९९० के दशक में अफगानिस्तान के उपेक्षित रहने की चर्चा करते हैं। फिल्म के अंतिम दृश्यों में से एक में, गस्ट, अफगानिस्तान से सोवियत की वापसी के उत्साह पर चार्ली के उत्साह पर यह कह कर पानी फ़ेर देता है कि, "मैं तुम्हेँ एक निए देने वाला हूं जो यह दिखाता है कि पागल कंधार में घुस रहे हैं।" जॉर्ज क्राइल जो चार्ली विल्सन्स वॉर किताब के लेखक हैं, जिस पर फिल्म आधारित है, ने लिखा कि अफगानिस्तान में मुजाहिदीनों की जीत के बाद अंततः बिन लादेन के लिए पावर निर्वात खुल गया: "१९९३ के अंत तक, अफगानिस्तान में ही ना तो सड़कें थी, ना ही स्कूल, वह केवल एक बर्बाद देश था - और संयुक्त राज्य अमेरिका किसी भी जिम्मेदारी के अपने हाथ धो रहा था। इसी शून्य में से तालिबान और ओसामा बिन लादेन प्रमुख खिलाड़ियों के रूप में उभरते हैं। यह हास्यास्पद है कि ओसामा बिन लादेन जैसा एक आदमी जिसे रेड आर्मी पर विजय प्राप्त करने से कोई सरोकार नहीं है, जिहाद की ताकत का मानवीकरण करने के लिए आ जाता है।" जबकि फिल्म में विल्सन को मुजाहिदीनों को स्टिंगर मिज़ाइल की आपूर्ति करने वाले अधिवक्ता के रूप में दर्शाया गया है, रीगन प्रशासन के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि वे और विल्सन मुजाहिदीनों के अधिवक्ता होने के बावजूद भी, वास्तव में शुरूआत में उन्हें इन मिसाइलों की आपूर्ति किए जाने के विचार पर "तटस्थ" थे। उनकी राय उस वक्त बदल गई जब उन्हें पता चला कि विद्रोही सोवियत गनशिप्स को उनके इस्तेमाल से गिराने में कामयाब थे। फिर भी १९८७ में रीगन प्रशासन की दूसरी अवधि तक इनकी आपूर्ति नहीं की गयी थी और उनके आपूर्ति की वकालत ज्यादातर रीगन के रक्षा अधिकारियों और प्रभावशाली रुढ़िवादी द्वारा की गयी। इस फिल्म में दी गयी तारीखें इन मिसाइलों की आपूर्ति करने के लिए इन का प्रावधान का एक सटीक प्रतिबिंबित करने लगते हैं। फिल्म का सुखद अंत हुआ क्योंकि टॉम हैंक्स "बस ९/११ वाली चीज़ से नहीं निबट सकते थे". मेलिस्सा रोडी के अनुसार जो लॉस एंजिल्स की फिल्म निर्माता है। रूस में स्वीकार्यता आरंभिक फ़रवरी में, यह पता चला था कि रूसी फिल्म थिएटर में खेलने नहीं होगा। फिल्म के लिए अधिकार यूनिवर्सल पिक्चर्स इंटरनेशनल (उपी) रूस द्वारा खरीदा गया था। यह माना गया था कि फिल्म के कुछ बिंदु सोवियत संघ के कारण अप्रिय हैं। उपी रूस के मुखिया येवगेनी बेगिनिन ने इनकार किया है कि, "हम केवल निर्णय लिया है कि फिल्म एक लाभ नहीं होगा." पायरेटेड डीवीडी पर फिल्म देखने वाले रूसी ब्लॉगर का रुख नकारात्मक था। एक ने लिखा है: "नहीं बल्कि पूरी फिल्म शो रूस, या सोवियत संघ, क्रूर हत्यारों के रूप में". इस फिल्म को २२ अप्रैल २००८ को डीवीडी पर जारी किया गया; एक डीवीडी संस्करण और एक हद डीवीडी / डीवीडी कॉम्बो संस्करण उपलब्ध हैं। अतिरिक्त फीचारेट के एक बनाने के लिए और एक "हु इज चार्ली विल्सन?" फीचरेट, जो असली चार्ली विल्सन को वर्णित करती है और माइक निकोलस और इसमें टॉम हैंक्स जोन हेरिंग, हारून सोर्किन के साथ साक्षात्कार शामिल हैं। एचडी डीवीडी / डीवीडी कॉम्बो संस्करण में अतिरिक्त अनन्य सामग्री शामिल है। विल्सन ने उसके बाद याद किया कि, "मैं हमेशा, हमेशा, जब भी एक विमान नीचे जाता है, मुझे लगता है कि यह हमारे प्रक्षेपास्त्रों में से एक है। सब से ज्यादा मैं लाल सेना का खून चाहता था। मुझे लगता है कि खून-खराबे के कारण सोवियत संघ का पतन हुआ" अब उनका अनुमान है कि ये हथियार शायद तालिबान के हाथों में चले गए, जिसने अफगानिस्तान में सत्ता प्राप्त कर ली है और सऊदी भगोड़ा ओसामा बिन लादेन को आश्रय दिया, जो ११ सितंबर के हमलों का निर्माता था। उन्होंने कहा, "मैं इस बारे में दोषी महसूस करता हूं". "मैं वास्तव में करता हूं." "ये चीजें होती हैं," विल्सन ने उन युद्ध हथियारों के बारे में कहा जो गलत हाथों में चले जाते हैं। "आप लाल सेना को बिना एक बंदूक के कैसे हरा सकते हैं? आप सेना को दोष नहीं दे सकते कि उसने ली हार्वे ओसवाल्ड को गोली चलना सिखाया" विल्सन, जो २४ साल की सेवा के बाद कांग्रेस के लिए १९९६ में फिर से चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, अब मानना है कि वे अफगानिस्तान को इस रास्ते पर आने से रोकने के लिये कठिन म्हणत कर सकते थे। "जो हिस्सा मैं अपराध बोध के साथ अपनी कब्र तक ले जाऊंगा ... मैंने वह रास्ता नहीं बनाया और वहां पर कौंग्रेस के अन्य पागल सदस्यों को लघु मार्शल योजना के लिए प्रेरित नहीं किया। "और मैं अपने आप को निराश और इस बात से हताश पता हूं कि (अफगान) नेतृत्व इतना खंडित था कि हम ऐसा कुछ नहीं कर पाए जो हम करना चाहते थे, जैसे बारूदी सुरंग हटाना, या उन्हें फसलों को फिर से उगाने में सक्षम बनाने के लिए लाखों टन खाद मुहैय्या कराना." इस नीति का समर्थन बाद में रीगन प्रशासन द्वारा किया गया और रक्षा अधिकारियों द्वारा किया गया जो सोविअत समर्थित सरकारों से संघर्ष में थे। जिमी कार्टर जो रीगन से पहले कार्यकाल के लिए सेवा में थे - उन्होंने इस नीति के व्यापक प्रयोग से खुद को अलग कर लिया और वे ऐसे "देश निर्माण" आंदोलनों के लिए अमेरिकी सहायता के एक मुखर विरोधी बन गए। कांग्रेसी डेमोक्रेट भी बड़े पैमाने पर रीगन सिद्धांत के आवेदन का विरोध करते थे। कार्टर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जीबिगन्यू बरज़ेज़िन्सकी ने कथित तौर पर एक साक्षात्कार में कहा कि यह दावा अवैध और मनगढ़ंत है कि अमेरिका ने मुजाहिदीन को सहायता करने का इसलिए प्रयास किया क्योंकि वह सोवियत संघ को वियतनाम युद्ध की तरह एक महंगे और संभवतः भटकाऊ संघर्ष में खींचना चाहता था। फ्रांसीसी समाचार पत्रिका ले नॉवेल ऑबजर्वत्यूर के साथ १९९८ के साक्षात्कार में बरज़ेज़िन्सकी चर्चा करते हुए कहते हैं: "हमने हस्तक्षेप करने के लिए रूसियों को धकेला नहीं था, लेकिन हमने जानबूझकर संभावना बढ़ा दी ताकि ऐसा हो... यह गुप्त आपरेशन एक उत्कृष्ट विचार था। इसमें सोवियत संघ को अफगान जाल में खींचने का दम था। .. वह दिन जब सोवियत संघ ने आधिकारिक तौर पर सीमा को पार किया, मैंने राष्ट्रपति कार्टर को लिखा, "अब हमारे पास वह मौक़ा है कि हम सोवियत संघ को उसका वियतनाम युद्ध दें" उनका कहना है कि यह साक्षात्कार बस झूठ है और सोवियत आक्रमण के बाद एक सप्ताह तक अफगान विद्रोहियों के लिए कोई हथियारों को नहीं भेजा गया था। उन्होंने सुझाव दिया कि बाद के दावे का आसानी से निरीक्षण किया जा सकता है, "सारे दस्तावेज खुले हैं!" आक्रमण से शीघ्र पहले कार्टर द्वारा हस्ताक्षर किए गए दो गैर-गुप्त दस्तावेजों का प्रावधान था "एकतरफा या तीसरे देशों के माध्यम से नकद या गैर सैन्य आपूर्ति के रूप में अफगान विद्रोहियों के लिए उचित समर्थन जुटाना" और वामपंथी अफगान सरकार को बेनकाब करने के लिए "दुनिया भर में" "गैर स्वीकृत प्रचार" के रूप में जो निरंकुश और अधीन सोवियत संघ के है और "अफगान विद्रोहियों के प्रयासों को उनके देश की संप्रभुता हासिल करने के लिए प्रचारित करना" लेकिन रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि विद्रोहियों के हथियारों का प्रावधान १९८० तक शुरू नहीं हुआ था। संयुक्त राष्ट्र के सहयोगी मार्शल एरिक अल्टरमन के अनुसार साइरस वंस का कहना है कि विदेश विभाग ने काफी मेहनत की ताकि सोवियत संघ हमला करने से विरत हो जाए और वे निश्चित रूप से ऐसा कोई कार्यक्रम शुरू करने को प्रोत्साहित नहीं करते" और राष्ट्रपति कार्टर ने कहा है कि यह निश्चित है कि सोवियत आक्रमण को उकसाने का "मेरा कोई इरादा नहीं था" बल्कि मैं तो इसे रोकना चाहता था। जिमी कार्टर ने "भौचक होते हुए" रूसी आक्रमण के लिए प्रतिक्रिया दी और अफगान विद्रोहियों को तुरंत हथियार देना शुरू कर दिया। उपराष्ट्रपति वाल्टर मोंडेल ने प्रसिद्ध रूप से घोषित किया "मैं नहीं समझ सकता - यह सिर्फ मुझे चकरा देता है - सोवियत संघ ने क्यों इन पिछले कुछ वर्षों में ऐसा व्यवहार किया है। शायद हमने उनके साथ कुछ गलतियां की है। उन्होंने इन सभी हथियारों का निर्माण क्यों किया? उन्हें अफगानिस्तान में जाने की क्या ज़रूरत थी? वे सिर्फ पूर्वी यूरोप के बारे में थोड़ा आराम से क्यों नहीं सोचते? वह हर दरवाज़े पर यह देखने के लिए क्यों जाते हैं कि देखें वह खुला है या नहीं"? आक्रमण से पहले, सोवियत ने अफगान नेतृत्व के साथ कई बार बातचीत की और सुझाव दिया कि हस्तक्षेप करने की उनकी कोई इच्छा नहीं है, तब भी जब पोलितब्यूरो थोड़ा झिझक के साथ ऐसे हस्तक्षेप पर विचार कर रहा है। उन्होंने जाहिरा तौर पर इन बैठकों को गुप्त रूप से ऐसे आयोजित किया ताकि अमेरिकियों को दखल देने का मौक़ा मिले। हालांकि कुछ लोगों का तर्क है कि आक्रमण से पहले, अफगान असंतुष्टों को अमेरिकी वित्तीय सहायता, जिसमें इस्लामवादी और अन्य आतंकवादी शामिल थे; और साथ ही वामपंथी अफगान सरकार को बचाने की सोवियत की इच्छा ने, रूसियों के हस्तक्षेप की जरुरत को समझाने में मदद की, रूसीयों ने क्रूरता से अफगान राष्ट्रपति और उनके बेटे की ह्त्या कर दी और उसकी जगह एक कठपुतली शासन को बैठा दिया, क्योंकि आक्रमण के बाद उन्हें भय लगा कि अमेरिका गुप्त रूप से उस राष्ट्रपति के साथ हाथ मिला रहा है। आर्थर केंट मुकदमा २००८ में, कनाडा के पत्रकार और राजनेता आर्थर केंट ने फिल्म के निर्माताओं पर यह कहते हुए मुकदमा चलाया कि, उन्होंने उनकी १९८० के दशक में उत्पादित सामग्रियों को बिना किसी उचित प्राधिकार के उपयोग किया। १९ सितम्बर २००८ को, केंट ने यह घोषणा की कि उन्होंने फिल्म के वितरकों और निर्माताओं के साथ मुकदमे का निपटान कर लिया है और कहा कि वे मुकदमे के निपटान से "बहुत प्रसन्न" थे, जो गोपनीय रहा। पुरस्कार और नामांकन ६५ वें गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स[३६] सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर - हास्य या संगीत मोशन पिक्चर में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए - हास्य या संगीत (टॉम हैंक्स) मोशन पिक्चर में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता की भूमिका के लिए फिलिप सेमुर होफमन मोशन पिक्चर में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री की भूमिका के लिए (जूलिया रॉबर्ट्स) सर्वश्रेष्ठ पटकथा - मोशन पिक्चर (आरोन सॉरकिन) ८० वें ऐकडमी अवार्ड्स सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता (फिलिप समुर होफमन) यह भी देंखे अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध अफगानिस्तान में युद्ध (२००१-वर्तमान) चार्ली विल्सन्स वॉर का इमड्ब में ट्रेलर "चार्ली विल्सन्स वॉर में टॉम हैंक्स हॉलीवुड हूपर को बताता है, ऑल्टरनेट, २१ दिसम्बर २००७. पूर्व कांग्रेसी लेस औकोएन की फिल्म समीक्षा और असली चार्ली विल्सन पर निबंध. २००७ की फ़िल्में २००३ की किताबें अमेरिकी जीवनी पर आधारित फिल्में अरबी भाषा की फ़िल्में फारसी भाषा की फिल्में रूसी भाषा की फिल्म उर्दू भाषा की फिल्में अमेरिकी राजनीतिक ड्रामा फिल्में २००० के दशक की नाट्य फ़िल्में वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्में लास वेगास में सेट फिल्में वाशिंगटन, डीसी में सेट फिल्में अफगानिस्तान के बारे में फिल्में पाकिस्तान में सेट फिल्में गैर-काल्पनिक पुस्तकों पर आधारित फिल्में १९८० के दशक में सेट फ़िल्में रिलेटिविटी मीडिया फिल्में अमेरिकी जासूसी फिल्में माइक निकोल्स द्वारा निर्देशित फिल्में अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध पर बनी फिल्में यूनिवर्सल पिक्चर्स की फ़िल्में
चार्ली [M]िल[M][M]न्स वॉर [M]००७ की ए[M] जीव[M][M] [M]धार[M]त कॉमे[M]ी ड्रामा फि[M]्[M] है जो अमेर[M]की कांग्रे[M]ी [M]ार्ली विल्सन (डीटी[M]क्[M]) क[M] सच्ची कहानी [M]ो पेश कर[M]ी है जिन[M]हो[M]ने "मनमान[M] रव[M]ये" वाले [M]ीआईए (सिया) ऑपरेटिव गस्ट [M]व्राकोटोस के साथ[M]सहभागिता में[M]ऑपरेश[M] [M]ाइक्लोन [M]ुरू [M]ि[M]ा, एक ऐसा क[M]र्[M]क्रम[M][M]िसे[M][M]ोवियत द्वा[M]ा अफगानि[M]्ता[M] के क[M]्जे क[M] प्रति[M]ो[M] मे[M][M]अफगानी मुजाहिदीन क[M] [M]्यवस्थ[M][M] औ[M] समर्थन देने के लिए [M]ला[M]ा गया था। इ[M] फिल्म[M]को जॉर[M]ज[M]क्रि[M] क[M] २[M]०३ की [M]िताब च[M]र्ली वि[M]्सन्स वॉर:[M]द [M]क[M]स्ट्राऑ[M]्डिनर[M] स्[M]ोरी [M]फ़ द ल[M][M][M]ज[M]स्ट क[M]र्ट ओपरेशन इन हिस[M]टरी से र[M][M][M]ंतरित किया गया ह[M]। [M]ह माइक[M]नि[M]ोल[M]स द्व[M][M]ा न[M]र्दे[M]ि[M] और हार[M]न सोरकिन[M]द[M]वार[M][M]लिखित ह[M] और [M]समें ट[M]म[M]ह[M]ं[M]्स, जूलिया[M]रॉबर्ट्स,[M]ओम पुरी, फिलिप्स सेमुर[M]होफ[M]ै[M][M] ए[M]ी ए[M]म्स, नेड[M]बेटी औ[M] एम[M]ल[M] ब्ल[M]ट न[M] अभिनय किय[M] है। यह पांच गोल[M]डन ग[M]लोब पुरस्क[M]र के ल[M]ए न[M]म[M]त [M]िया गय[M] जिसम[M][M] [M]स[M]्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर", भी [M]ाम[M]ल[M]था [M]ेकिन य[M] किसी [M]ी वर[M]ग [M]ें[M]कोई भी [M]ुरस[M]कार नह[M]ं जीत सका। फिलिप[M]स से[M]ुर[M]होफमैन को[M]सर[M]वश[M]रेष्ठ सहायक अभि[M]ेता के [M]कादमी[M][M][M]रस्का[M] के[M]ल[M]ए [M]ामित किया [M]या[M] १९८० में, क[M]ंग्[M]ेसी च[M]र्ली,[M]विधान [M]ार्यों से[M]अधिक प[M]र्टी [M]रने मे[M] [M]ुचि[M]लेते थे, ज[M]सके [M]हत [M][M] अक[M]सर बड़ी पार्[M]िय[M]ं[M]का आयोजन[M]करते [M]े और[M]अपने कंग्रसी कार्यालय को युव[M], आ[M]र्षक महिला कर्मच[M]रियों से भरते थे। उनके सामाजिक जीवन[M]के कारण अंततः उन[M]प[M] लगे[M]कोकीन का उ[M]यो[M] [M]रने के आरोपो[M] क[M] चलते उस समय संघीय अभियोजक रहे रुडी ग[M]ला[M]ी द्वारा संघीय जा[M]च ब[M]ठा [M][M] गयी, [M]ह जां[M] का[M][M]्[M]ेस[M] द[M][M]ाचरण की एक बड़ी जांच [M]े हिस[M]से के र[M]प में[M]कराया [M]या। [M]स जांच के परिणाम[M]मे[M] [M][M]र्ली[M]को न[M][M]्दो[M] पाया[M]गया[M] [M]क दो[M]्त [M]र प्[M]ेमि[M]ा, जोआन हेरिंग[M]च[M]र्ली को अफग[M]नी लोगों[M]क[M] औ[M][M]अधिक सहायता करने के लिए प्रोत[M]सा[M]ित करती है और उ[M]्हें पाकिस्तानी नेतृत्व से[M][M][M]लने के लिए राज़ी करत[M] ह[M]। पाकिस्तानी यह शिकायत करते [M]ैं कि सो[M][M]यत [M]ं[M] का विर[M][M] करन[M] के लिए अमेरिकी समर्थन अपर्याप[M]त[M]है [M]र[M]वे[M]ज[M]र द[M]ते हैं[M]कि चार्ल[M][M]एक प्रम[M]ख पाकि[M]्तान-स्थित अफगान शरणार्थी शिविर की [M][M]त्रा करें। (यह औ[M] अन्य अफ[M]ान दृ[M]्यों[M]को [M]ोरक[M]क[M] मे[M][M]फि[M]्माया गया[M]) चार्ली[M]उनके दु[M] और लड़ने के दृढ़ [M]ंक[M]्प [M]ो देख क्र [M]्रभावित होता ह[M], लेकिन अ[M]ग[M]निस्ता[M] प[M][M]सोव[M]यत कब्जे के[M]खि[M]ाफ एक कम [M]ह[M]्वपूर्ण दृष्[M]िकोण[M][M]र क्ष[M]त्[M]ीय स[M]आईए के [M]र्मियो[M] के आग्रह से [M]िराश होत[M] है। चा[M]्ल[M] घ[M] [M][M]पस आते [M]ै[M] ताकि वे[M]मु[M]ाहिदी[M] के लिए[M]धन[M]सहायता में बड़ी [M]ृद्धि के लिए प्रयास [M]र[M]सकेँ. इस[M]प्रयास के ह[M]स्से के[M]रूप में, [M]ार्ली[M]ने आ[M]ारा सीआई[M] कार्य[M]ारी गस्[M] अव्[M][M]को[M][M][M] और उन[M]े अमला [M]फ[M]ानिस[M][M][M]नी स[M]ूह[M]से मित्र[M]ा की त[M]कि ए[M] बेहतर [M][M]नीती बनाई जा सके[M] जिसमें विशेष रूप[M]से सोवियत के दु[M]्जे[M] एम आई [M]४ हेली[M][M][M]्टर गनशिप के प्र[M]्यु[M]्तर के[M]साधन शामिल [M][M][M] इ[M] [M]मू[M] का अर्ध भाग सीआईए के [M]िशेष कार[M]य प्र[M]ाग के कुलीन [M][M]स्यों से बना[M]था, जिस[M]ें माइकल विकर्स ना[M]क [M]क युवा [M][M]्द्ध[M]ै[M][M]क अधिकारी शामि[M] था। प[M]िण[M]म[M]स[M]वरूप,[M]आवश्यक वित्तपो[M]ण के लिए चार्ली क[M][M]दक्ष र[M]जनीतिक[M][M]ौदे[M]ाजी और[M][M]न[M]संसाध[M]ों का प्[M]य[M]ग करते हुए अव्रा[M]ोट[M]स के दल की निपुण योजना, [M]ैस[M][M][M]ि[M]छा[M]ामार[M]ं को फिम-९२[M][M]्ट[M]ंग[M] म[M]सा[M]ल लांचर [M]ी आ[M]ू[M]्ति ने सो[M]ि[M]त के[M][M]ब्जे क[M][M]एक घातक[M]दलदल में बदल दिया जि[M][M]े तहत भारी लड़ाक[M] वाहन[M]ं को बड़े पैमाने पर [M][M]्ट [M]र द[M]या गय[M]। सीआईए[M](सिय[M])[M]का[M][M]ाम[M]यवाद विरोध[M] बजट ५ मीलियन[M]डॉलर से बढ[M] कर ५0[M] म[M]लियन [M][M]ल[M] हो[M]गया (इस[M]समान राश[M] [M]ी बराबरी सऊदी अर[M] द्व[M]रा की गई)[M]जिससे कई कांग्रेसिय[M]ं [M]ो आश्चर्य हुआ। च[M]र्ली द[M]वारा यह प्रयास अंततः अ[M]ेर[M]की वि[M]ेश नी[M]ि के [M][M]रमु[M] हिस्से क[M] रूप में [M][M]रा जिसे [M]ीगन सिद्धांत [M]े रूप [M]ें ज[M]ना गया[M] ज[M]सके [M]हत अमेरिका ने अपनी [M][M][M]यता को मुज[M]ह[M]दीन[M]स[M] पर[M] विस्[M]ारित कि[M]ा औ[M] कम[M]युनिस[M]ट[M]विरोधी[M]आंदोलनो[M] क[M] दु[M]िया भर[M]में[M][M]म[M]्थन देना शुर[M] [M]िया। [M]ा[M]्ली कहते है[M]कि पेंटा[M][M] के [M]रिष्ठ अधिकारी माइकल[M]पि[M]्सबरी न[M] रा[M]्ट्रपति रोनाल्ड [M]ीगन को अफगान[M]य[M][M] को [M]्टिंगर प्रदान करने के ल[M][M] राज़[M] किया:[M][M]व्यंग्यपूर्वक, [M]ा तो गस्ट[M]और ना ही चार्ली इ[M][M]फैसले में श[M][M]िल [M]े औ[M] [M]ा ही[M][M]े किसी [M]ाबाश[M][M]की मां[M] [M]रते ह[M]ं।" बाद [M]े सोवियत-अधिकृ[M][M][M]फगानिस्ता[M] का समर्थन [M]ाने के लिए चार्[M]ी, गस्ट[M]के म[M]र्गदर्श[M][M]क[M] अनुसरण कर[M]े हैं, लेक[M]न उन्हें अमेरि[M]ी सरकार [M]ें अपने द्वारा[M]स[M]झाए गए सबसे मामू[M][M][M]उपायों[M]के लिए भी लगभग[M]कोई उत[M]साह नह[M]ं दीखता है। फि[M]्म के अंत में[M]चा[M]्ली को अमेरिकी गुप्[M] से[M][M] के समर्थन के लिए प्[M]मु[M] प्[M]शंसा प्रा[M]्त होती[M]है, लेक[M]न उनका[M]क्रोध उनके इस डर[M]से भ[M]़[M] उठत[M] क[M] उनके[M]रह[M]्[M][M]त्मक प्रयासों का भ[M]िष्य में औ[M][M]अफगानिस[M]तान से अ[M]ेरिकी छुटक[M]रे की म[M]श[M] का क्या अनपेक्षि[M][M]प[M]िणाम निकल स[M]त[M] [M]ै। री[M][M]रेजेंटेट[M]व चार्ल[M] विल्सन क[M] किरद[M][M] म[M]ं टॉम[M]ह[M]ंक्स जो[M]न हेरि[M]ग के रूप में जू[M]ि[M]ा रॉबर्ट[M]स[M]गस्ट [M]वर[M]को[M]ॉस क[M] रूप में[M][M]िलिप[M][M]ेमौर [M]ॉफमैन [M]ोन[M] बाख[M]क[M] र[M]प में एमी एडम[M][M] री[M][M]रेजे[M]टेट[M]व डॉक ला[M]ग के [M]ूप में नेड बेटी[M]जे[M] लिडल[M] के[M]रूप मे[M] ए[M]िली [M][M]लंट [M][M]किस्तान क[M] [M]ाष्ट[M]रपति[M][M]िया उल हक [M]े [M]ू[M][M]मे[M] ओम पुरी इ[M]रायल के हथि[M]ार व्यापारी ज्वी [M]फ़[M]आह क[M] रूप [M]ें[M][M][M]न स्ट[M][M] य[M]रो[M][M]य स[M]चालन के सीआईए निद[M]शक ([M]वराकोटॉस[M]के[M]वर[M]ष्ठ) हेनरी[M]क्रावेली के रूप म[M][M] [M]ॉन स्लेटेरी [M]ीआईए स्ट[M]श[M] प्रमु[M] हेरो[M]्ड होल्ट के [M]ूप मे[M][M]डे[M]िस [M]'[M]ारे महत्[M][M]कांक्षी अभिनेत्री क्रिस्टल ली के र[M][M] में जुडी [M]ेलर ल[M]री लि[M]ले के रूप में[M]प[M]टर[M]ग[M]रेटी क्रि[M]्टल[M]ली के[M]एजे[M]ट, पॉल[M][M]्राउ[M] के[M]रू[M] [M]ें ब्रायन मारकिनस[M] [M]ाइकल जी. व[M]केर्स[M]के रूप में क्रिस्टोफर [M]े[M]हैम जेल[M]ैट के रूप में[M]शि[M]ी ऐप्[M][M][M]ब[M] [M][M]जेन के रूप में रचे[M] निकोल्[M] र[M]सेप्शनिस्ट क[M] रूप[M]में[M][M]िन एवेरेट मारल[M] क[M] रूप में मैरी[M]बोनर बेकर [M]ांग्रेशन्ल कम[M]टी[M]के [M]ूप [M]ें [M]्पेन[M][M][M] गारेट कांग[M]रेशन्ल क[M]िटी [M]े [M]ूप [M]ें केवि[M] रूनी[M]रूसी [M]े[M]ीकाप्ट[M] [M]ायलट के रूप में पाशा ल[M]च्नीकोफ़ क[M][M]समग्[M][M]चरित्[M] [M]ि[M]ीज़ और अभि[M]्[M]हण[M][M]स [M]िल्म [M]ो मू[M]तः २५ [M]िसम्ब[M] २००७ को प[M]र[M]र्शित क[M]ये ज[M]ने की बात थी, ले[M]िन ३० [M]वम्बर २००७[M]को [M]मय सारिणी [M][M] हटा[M]र २१ दिसम्बर २००७ [M]क कर[M]दिया गया। अपने प्रारं[M]िक सप्त[M]ह के [M]ंत [M]ें, फिल[M]म ने संयु[M]्त राज्य अम[M]रिका [M][M][M]क[M]ा[M]ा के २[M]५७५ थिएटरों[M]म[M]ं ९[M]६ मिलियन[M][M]ॉलर की कम[M][M] की, यह बॉ[M][M]स ऑ[M]िस पर #[M][M]पर र[M]ी। [M] विश्व भर[M]में इसने कुल[M]११३.५ मि[M][M]यन डॉलर -[M]संयु[M]्त रा[M]्य[M]अमेरिका और कनाडा मे[M] कु[M] ६६.६ मिलियन ड[M]लर [M]र [M]न्य हिस्सों[M][M]ें[M]कुल ४६.८ [M]िल[M][M][M] [M]ॉ[M]र की कमाई की। च[M]र्ली वि[M]्[M]न्स वॉर[M]ने आलोचक[M]ं से आ[M] तौर प[M] अनुकूल[M]स[M]ी[M][M]षा प्राप्त क[M]। , रिव्यू अग्[M]ीगेटर रोटे[M] [M]ोमेटोज़ की आख्[M]ा के[M]अनुसार ८[M][M] [M]लोच[M]ों ने फिल्[M][M]के [M]िए [M]कारात्मक स[M]ीक्षा दी, जो १[M][M] स[M]ीक्ष[M]ओं[M][M]र आ[M]ारित थी। [M][M]टाक्रिटिक ने आख्या [M]ी कि [M]िल्म [M]ो[M][M]०० में से[M]ए[M] औ[M]त [M]९ अं[M] मिले, [M]ो ३९ स[M]ीक्षाओ[M] के [M]धारि[M] था।[[M]२] सरकार[M] आलोचना [M]र प्रश[M]सा रीगन के युग के अधिकारी, जिसमें पू[M]्व अवर[M]रक[M]षा सचिव फ्रेड इकले शामि[M] थे ने[M]फिल्[M] के कुछ तत्[M]ो[M] की आलोचन[M] क[M][M] दी वाशिं[M]ट[M] टाइम्[M] ने [M]ख्या दी कि[M]कु[M][M][M]ोगों ने यह दा[M]ा किया ह[M] [M]ि यह फिल्[M] इस[M]धारणा [M]ो[M]गलत तरीके से बढ़ाव[M] दे रही [M]ै कि [M]ीआईए द्वारा अगुव[M]ई की [M]ान[M][M]वाली प[M]िचालन ने ओसाम[M] बिन[M]ला[M]ेन को व[M]त्त प[M]षित कि[M]ा[M]और अंततः ११ सितम्बर हमले को परिणा[M]ित किय[M]। हालांकि रीगन क[M] युग के अन[M]य [M]ध[M]कारियों ने, [M]स फिल[M]म का [M]मर्थन[M]क[M]या। हे[M]िटेज फाउं[M][M]शन के [M]ूर्व वि[M]ेश नीति वि[M]्लेषक और र[M]ष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्[M]्यू ब[M]श [M][M] लिए [M]्हा[M][M] ह[M]उस[M]के भ[M]षण लेखक म[M]इकल जॉन्स ने,[M]इस [M]िल्म की प्रशंसा य[M] कह कर की कि [M]य[M] अम[M]रिका क[M] शी[M] युद[M][M] के [M]ि[M][M] के[M]सबसे [M]हत्[M][M]ू[M]्ण सबक को प्रतिबिंबित [M]रने का[M]प[M]ला इतना बड़ा प्रयास है: और यह [M]ि रीगन [M]ी [M]गुवाई म[M]ं [M]िया गया प्रयास जो क[M] उन[M]स्वतंत्रता सेनानिय[M]ं के समर्थन मे[M] था [M]ो स[M][M]ियत संघ उ[M]्प[M]ड़न क[M] व[M]रोध क[M] रहे थ[M], ने सोवियत यूनियन के पहले प्रमुख स[M]न[M]य हार का सफ[M]तापूर्व[M] [M]ेतृत्व किया।[M].को को अफगानिस्तान स[M][M]रेड आर्[M]ी [M]ैक[M]ंग[M]को भेजा [M]ा[M]ा सबसे [M]हत्वपूर्ण ए[M][M][M]घटनाओ[M] [M]ें से[M]एक थी ज[M] इतिहास के एक सबसे गहरा [M]कारात्म[M] और मह[M]्वपूर्ण विकास[M]में योग[M]ा[M][M][M]ेने वाला[M][M]ारक था[M][M] १[M] सितम्बर के [M][M][M] सं[M]ंध [M][M]कि चार्ली [M][M]ल्सन[M]स वॉर[M]में [M]१ सितंबर के हमलों का को[M] विशेष सं[M]र्भ नही[M] [M]िलता[M] इस फिल्[M] म[M]ं चा[M]्ली और ग[M]्ट[M]द्वारा जताई [M]यी चिंताओं क[M] दर्शाय[M] जाता[M]है जिसम[M]ं [M]े सोवियत सेना की[M]वापसी के[M]बाद १९९[M][M]के दशक में[M]अफगानिस्त[M]न[M]के उपेक[M]षित रहन[M] [M]ी चर[M]चा [M]रत[M] ह[M]ं[M] फिल्म [M]े अ[M]त[M][M][M]दृश्यो[M] में[M]से एक[M]में, गस्ट, अफगानिस्त[M]न से सोवियत[M]की [M]ापसी के उत्स[M]ह पर[M][M]ा[M][M]ली के [M]त[M][M][M]ह पर यह कह[M]कर पानी फ़[M]र देत[M] है[M][M]ि,[M]"मैं तुम्हेँ एक नि[M] देने[M]व[M]ला हू[M] जो यह [M]ि[M]ाता ह[M] क[M] पागल कंधार[M]में घुस रह[M] [M]ैं।" जॉर्ज क्[M][M]इल जो चार्ली विल्सन्स वॉ[M][M][M]ित[M]ब के ल[M]खक ह[M][M],[M]जिस प[M] फिल्[M] आ[M]ारित है, ने[M]लिखा कि अफगानिस[M]तान में मुजाहिदीनो[M][M]की[M]जीत के बाद अ[M][M]त[M][M]बिन लादेन [M]े[M]लिए[M][M][M]वर नि[M][M]वात खुल[M]गया: "१९९३ के अंत तक, अफगा[M]ि[M]्तान में ही ना तो सड़कें थी, ना ही स्कूल,[M]वह केवल एक[M]ब[M]्बाद देश[M]थ[M] - और संय[M]क्त रा[M]्य अमेरिका क[M]सी भी जिम्म[M]दारी के अपने हाथ धो रहा[M]था। इसी[M][M]ू[M]्य[M]म[M]ं से ता[M]िब[M]न [M]र[M]ओसामा बिन लादेन[M]प[M]रमुख खिलाड़[M]यों [M]े रूप [M]ें उभरते ह[M]ं। य[M] [M]ा[M]्य[M]स्प[M][M]है कि [M]सामा बिन ला[M]ेन [M]ैस[M] एक आदमी जिसे रेड आर्मी [M][M] व[M]जय प्राप्त[M]करने[M]स[M][M]कोई [M]रोकार नहीं है, ज[M][M]ाद[M][M]ी ताकत का मानवीक[M]ण कर[M]े के[M]लिए[M]आ[M]जा[M]ा है[M]" जबकि फिल्म में विल्[M]न को मुजाहिदीनों क[M] स्टिंगर[M]मिज़ा[M]ल[M]की आ[M]ूर्त[M][M]करने वाले [M]धि[M]क्ता[M]के [M]ूप में दर्शाया गया ह[M],[M][M]ीगन[M][M]्रशा[M][M] के [M]क पूर्व अध[M]कारी न[M] बताया कि[M]वे[M][M]र विल[M]सन मुजाहिदीनों क[M] [M][M]िवक्त[M] [M][M]न[M] के बावजूद भी,[M]वास[M]तव में शुर[M]आ[M] [M]ें उ[M]्हें इन[M]मिसाइलों [M]ी आपूर्ति किए जाने के विच[M]र पर "त[M]स्थ" थे। उनकी राय उ[M] वक[M]त बदल गई जब [M]न्हें पता चला कि व[M]द्[M]ोह[M] सोवियत ग[M]शिप्स को उन[M]े इस्तेमाल से [M]िराने में कामयाब थे। फिर[M][M]ी[M][M]९[M]७ में[M]रीगन[M]प्र[M]ासन की दूस[M]ी अवध[M] त[M] इनकी आपूर[M]ति नहीं की गयी [M][M][M]और[M]उनके [M]पूर्ति[M]की वकालत ज्या[M]ातर[M]री[M]न [M]े र[M]्षा[M]अधिकारियों औ[M] प्रभावशाल[M] रुढ़िवादी[M][M]्वारा की गयी। इस फ[M]ल्म मे[M] दी गय[M] तारीखें इन म[M]सा[M]लों की आपूर[M][M]ि करने के लिए इन का प्रावधा[M] का एक[M]सटी[M] प्रत[M]बिंबित[M]करन[M] लग[M]े हैं। फिल्म[M]का [M]ुखद[M]अंत हुआ क्य[M]ंकि टॉम हैंक्स "बस ९/११ वाल[M][M]च[M]ज[M] से न[M]ीं निबट स[M]ते [M]े". [M][M]लिस्सा[M][M]ोड[M] के[M]अनुसार[M]जो लॉस एंजिल्स की फिल्म नि[M][M]माता[M]है। रूस [M]ें [M]्वी[M][M]र्य[M]ा आरंभिक फ़रवरी[M][M]ें, यह पत[M][M]चला था कि [M]ूसी फि[M]्म [M]िएटर में [M]ेलने [M]हीं होगा[M] फिल्म[M]के लिए अधिकार यूनिवर्सल पि[M]्चर[M]स इंटरनेशनल [M]उपी) रूस[M]द्वारा खरीद[M] [M]या [M]ा। य[M] मा[M]ा[M][M]य[M] था कि फिल्म के [M]ु[M] ब[M][M]दु सोवि[M]त संघ [M]े क[M]रण [M]प्र[M]य [M]ै[M]। उपी रूस[M]के मु[M]िया येवग[M]न[M] बे[M][M]न[M]न ने [M]नकार किया[M]है[M]कि,[M]"हम[M]क[M][M]ल[M]न[M]र्[M]य लि[M][M][M]ह[M] कि[M]फिल्म [M]क लाभ नही[M] होग[M].[M][M]पा[M]रेट[M]ड डीवी[M]ी पर फिल्म देखने वाले रूसी ब[M]लॉगर का रुख [M]का[M][M]त्मक[M][M]ा। एक ने लिखा है: "नहीं ब[M]्कि पूरी [M]िल्म शो[M]रूस, या सोविय[M] स[M]घ,[M]क[M]रूर हत्या[M]ों [M]े रूप मे[M]". इस फिल्म को २२ अ[M]्र[M]ल २०[M]८ को डीवीडी पर जारी किया गया; [M]क ड[M]वीडी सं[M]्करण[M]और [M]क हद डीवीडी / डीवीडी कॉम[M]बो संस्करण[M]उपलब[M]ध है[M]। [M]तिरि[M]्त फीचारेट के एक बनाने के ल[M]ए [M]र एक "ह[M] इज चा[M][M]ली विल्[M]न?"[M][M]ीचरेट, [M]ो असली चार्ली [M]िल्सन को वर्[M]ित करती है और[M]म[M]इ[M] न[M]कोलस और इसमें टॉ[M] ह[M]ंक्स ज[M]न हेरिंग, ह[M]र[M]न सोर[M]किन के सा[M] साक्षात्कार [M]ामि[M] ह[M]ं। एच[M]ी[M]डीवीडी / [M]ीव[M]डी कॉम्बो संस्करण म[M][M] अ[M]िर[M]क[M]त अनन्य सामग्री शामिल है। विल्सन ने उसक[M] बाद याद किया कि, "मैं हमे[M]ा, हमेश[M], जब [M]ी एक विमान [M]ी[M]े[M]ज[M]ता ह[M][M] मुझे[M][M]ग[M]ा[M]है कि यह ह[M]ारे प्र[M]्ष[M]पा[M]्त्[M][M]ं[M]में से एक है। सब से[M][M][M]यादा मैं ल[M]ल[M]सेना का खून च[M]हत[M] था। मुझे लगता है कि खू[M]-खर[M]बे के कार[M] सोव[M]यत सं[M] का [M][M]न[M]हु[M]" अ[M] [M]नका अनुमान है क[M] ये हथियार शायद तालिबान के हा[M]ों में चले गए[M] जिसने अफगानि[M][M][M]ान में स[M]्ता प्[M]ाप्त[M]कर ली है औ[M] [M][M]द[M] [M]गोड[M]ा ओसामा बिन लाद[M]न को आश्[M]य दि[M]ा, जो ११ सितंब[M][M]के[M]हमलों का निर्माता थ[M]। उन्होंने[M][M]ह[M],[M]"मैं इस बारे में दोष[M] महसू[M] करता हूं". "[M]ैं वास्त[M] में कर[M]ा हू[M]." "ये च[M]ज[M][M] होती[M]हैं," व[M]ल्सन[M][M]े उन[M]य[M]द्[M] हथियारों क[M][M]बारे म[M]ं कहा [M]ो[M][M]लत हाथों[M]म[M]ं चले जाते हैं। "आप लाल से[M]ा क[M] बिना [M][M] बंदूक के कैसे हरा सकते[M]हैं? आ[M] सेना को[M]दोष नह[M][M] [M]े सकते कि[M]उसने ली [M]ार[M][M]े [M]सवाल्[M] को गोली[M]चलना[M][M]िखाया" विल्[M]न, ज[M] २४ [M]ाल की स[M]वा[M]के[M]बा[M] कांग[M]रेस के [M]िए[M]१९[M]६ मे[M] फिर स[M] चुनाव लड़ना[M]नहीं[M]चाह[M]े थे, अब मानना[M]है कि[M]वे अफग[M]निस्तान[M]क[M][M]इस रास्[M]े पर आने से र[M]कने के लिये[M]कठिन म्ह[M][M] [M]र [M]कते थे। "जो हि[M]्[M][M] मैं [M][M]र[M]ध ब[M]ध[M]क[M] [M]ाथ अ[M][M]ी कब्र तक[M]ले जाऊं[M]ा .[M][M] मैंन[M][M]वह र[M][M]्[M]ा नही[M] बनाया और वहा[M] पर कौं[M][M]रेस के अ[M]्य पागल[M]सदस[M]यों को लघु म[M]र्श[M] य[M]जन[M] के[M][M]िए प्रेरित नहीं किय[M]। "और मैं [M]पन[M] आप को नि[M]ाश और[M]इस [M][M]त [M][M] हताश पता हूं क[M][M]([M]फगान) नेतृत्व[M][M]तना खंडित था [M]ि[M]हम ऐस[M] कुछ नहीं [M]र पाए जो हम करना चाहते थ[M], जैस[M] [M]ारू[M]ी स[M]र[M]ग हटाना[M] या उन्हें[M]फसलों को[M]फि[M] से उगा[M]े [M]ें स[M]्षम [M]ना[M]े के लिए [M]ाखों टन खाद म[M]है[M]्य[M] कराना." इस नीति का[M]समर्थ[M] बाद [M]ें रीगन[M]प्रश[M]सन द्वार[M] किया ग[M]ा और रक्ष[M] अधिकारियों द[M]वारा किया गया जो सोवि[M][M] सम[M]्[M]ित सरकार[M]ं स[M][M]संघर्ष में[M]थे। जिमी कार्टर जो[M]री[M]न से प[M]ल[M] [M]ार[M]यका[M][M]के [M]िए सेवा[M]म[M]ं थे -[M]उन्हो[M]ने [M][M] नीति के व्यापक प्रयोग से खुद को [M]लग कर लिय[M] और वे ऐस[M] "देश निर्माण" [M]ंद[M]लन[M]ं के[M]लिए अमेरिक[M] सह[M]यता के एक [M]ुख[M] व[M]रोधी[M]बन [M]ए। कांग्र[M]सी डे[M]ो[M]्रेट भ[M] बड़े पैमाने पर री[M]न स[M]द्ध[M]ंत के[M]आवेदन का वि[M]ोध करते थे। [M]ार्टर के राष्[M]्रीय सुर[M]्षा सलाहक[M]र,[M]जी[M]िगन्य[M] बरज़ेज[M]िन्[M]की [M][M] कथित तौ[M] पर एक[M]सा[M]्षा[M]्कार में कह[M] कि [M]ह दावा अवैध और म[M]गढ[M]ंत है कि [M]मेरिका ने [M][M]जाहिद[M]न को सहायता कर[M][M] का[M]इसलि[M][M]प्[M][M]ास किया क्योंकि व[M] सो[M]ि[M]त संघ को वि[M]तन[M]म युद्ध की तर[M] एक महंगे और संभ[M][M]ः भ[M]काऊ संघर्ष में खींचना चाह[M]ा था। फ्[M]ांसीसी सम[M]च[M]र[M]पत्[M]िका [M]े [M]ॉव[M]ल ऑब[M]र्वत्य[M][M] के स[M]थ [M]९[M]८[M]के स[M][M]्षा[M]्कार[M][M]ें बर[M][M]ेज़िन[M]सकी च[M]्चा [M]रते [M]ुए कहत[M] हैं[M] [M]हमने हस्तक्षेप करने[M]के लिए[M]रूसियों[M]को धकेला नह[M]ं था[M] लेकिन[M]हमन[M] ज[M]नबूझकर[M]संभावना [M][M][M][M] दी ताकि[M]ऐसा हो.[M]. [M]ह गुप्त आपरेशन[M]एक उ[M]्कृ[M]्ट विचार था। इसमे[M] सोविय[M] [M]ंघ को [M][M]ग[M]न [M]ाल में खींचने का दम थ[M]। .. वह दिन जब सोवि[M]त संघ न[M][M]आधिकारिक तौर प[M][M]सीमा को पार किया, मैंने[M]राष्ट्र[M]ति कार्टर क[M] [M]िख[M], "अब[M][M]मार[M] [M][M]स व[M] [M][M]क़ा है कि हम स[M]विय[M] सं[M] को उसका व[M]यत[M]ाम[M]युद्[M] दें"[M]उनका कहना है कि[M]यह [M][M]क्ष[M]त्कार ब[M] झूठ है [M]र सोव[M]यत[M]आक्र[M]ण के बाद ए[M] सप्ताह[M]तक[M]अफग[M]न[M]वि[M]्रोह[M]य[M]ं के लिए कोई हथिय[M]रों को नही[M] भे[M]ा गया था। उन्ह[M]ं[M]े सुझाव [M]िया कि बाद के दावे का आ[M]ानी स[M][M]निरीक्षण किया[M][M]ा सकता [M][M][M] "[M]ा[M]े दस्तावेज ख[M]ले है[M][M][M] आक्रमण से[M]शीघ्[M][M]पहले कार्ट[M] द्वारा ह[M]्ताक्षर किए गए द[M] गैर-गुप्[M] द[M][M]तावेजों का[M]प्रावधान था "एकतरफा या [M]ी[M]रे [M]ेशों[M][M]े माध्यम से नकद[M]या गैर[M]सैन्य [M]पूर्ति के [M]ू[M][M]मे[M] [M]फगान विद[M]र[M]हियों क[M] लि[M] उचित सम[M]्थन जुटाना[M] और वामपंथी [M][M]गान सरकार[M]को बेन[M][M]ब क[M]ने के लिए[M]"दुनि[M]ा भर में" [M]गै[M] स्वीकृत [M]्रच[M][M]" के रूप में जो न[M]रंकुश औ[M] अ[M]ीन सो[M]ियत स[M]घ [M]े है और "अफगान व[M]द्रोहियों[M]के प्रय[M]सों क[M][M]उनके देश की संप्रभुता हासिल करन[M] के[M][M]िए प्[M]च[M][M]ित[M]करना" लेक[M]न रि[M]ॉर्ड से यह [M]ी पता[M]चल[M]ा है कि [M]िद्[M]ोहियों के हथिय[M]रों का [M][M]रावधान[M]१९८० तक[M]श[M]रू नहीं ह[M][M][M][M][M]। [M]ंयुक्त[M]र[M]ष[M]ट्र [M]े स[M]योगी मार्[M]ल एरिक अल्टरमन क[M] अनुस[M][M] साइरस व[M]स का [M][M]ना है कि[M]विदेश व[M]भ[M]ग[M]ने [M]ाफी मेहनत की[M]त[M]कि सोवियत संघ[M]हमला[M]करने स[M] विर[M] हो [M]ाए [M]र वे[M]निश्[M]ित रूप से ऐसा कोई [M]ा[M]्य[M]्रम शुरू करने को प[M]रो[M]्साहित नहीं करते" और राष्ट्रपत[M] क[M]र्टर ने[M]कहा है कि [M]ह नि[M]्चित है कि[M][M]ोवियत[M]आक्रमण को उकसाने क[M][M]"मेर[M][M]क[M]ई[M]इ[M][M]दा नहीं[M]था" बल[M]क[M] मैं[M]तो इसे रोकन[M] च[M]हता[M][M]ा। [M]िमी[M]कार[M]टर ने "[M]ौचक ह[M]ते[M]हु[M]" रूसी[M]आक्रमण [M]े[M]लिए प्र[M]िक्रिया [M]ी और अफगान विद्र[M]हियों क[M] तुरंत हथियार दे[M]ा [M][M][M]ू[M]कर [M]िय[M]। उपराष्[M]्रपति [M][M]ल्टर [M]ोंडेल ने[M]प्रसिद्ध रूप स[M] घ[M]ष[M]त किया "मैं नहीं[M]स[M]झ सक[M]ा - य[M] सिर्फ म[M]झे चकर[M] देता है - सोविय[M] [M]ंघ ने क्यों इन प[M]छले[M]कुछ वर्षों में ऐ[M][M] व्यवहार[M]किया [M]ै। [M]ायद[M]हमने उनके साथ कु[M] गलतियां [M]ी [M]ै। उन्[M]ोंने इन[M]स[M]ी हथियारों का[M]निर्मा[M] [M][M]यों किया? उन्ह[M]ं अफग[M]न[M]स्तान में जाने [M]ी क्या [M]़र[M]रत थी? वे स[M]र्[M] पूर्व[M] यूरोप के ब[M]रे में थोड़ा आर[M][M] से क्य[M]ं नहीं सोचते? वह हर द[M]वा[M]़[M] [M][M] यह[M]देखने के[M]लिए क[M]यो[M] जाते है[M] कि देखें वह खुला[M][M]ै या[M]नहीं"? आक्रमण[M]से पहले, सो[M][M]यत ने[M]अफगान नेतृत्व के साथ [M]ई [M]ार बातचीत[M]की और सुझाव दिया कि हस्तक्षेप कर[M]े की उन[M]ी कोई इच[M]छा नह[M][M] ह[M], [M]ब भी जब प[M]लितब्यूरो थोड़ा झ[M]झ[M][M]क[M] साथ ऐसे हस[M][M]क्ष[M]प पर [M]िचार[M]कर रहा है[M] [M]न्होंने[M]जाहिरा तौर [M]र इन बै[M]कों को ग[M]प्त रूप से ऐसे[M]आयोजित [M]िया ताकि अमेरि[M]ियों को दख[M] देने का[M]मौक़ा मिले। हाला[M]कि[M][M]ुछ ल[M]गों क[M] तर्क है क[M] आक्रमण से[M]पहले, अ[M][M]ान असंत[M]ष्[M]ों को अ[M]ेरिकी वित्तीय सहाय[M]ा, जिसम[M]ं इस्लामवादी और[M]अ[M]्[M] आ[M]ंकवादी [M]ामि[M] थे; और साथ[M]ही वामपंथ[M] अफ[M]ान [M]रकार को[M]बचा[M]े की [M]ोवियत [M]ी[M]इ[M]्छा ने,[M]रू[M]ियों के[M]हस्तक्षेप[M]की जरुरत को सम[M]ाने में मदद [M]ी, [M][M]सीयो[M] ने क्रूरता से अ[M]गान राष्ट्[M]पति और उनके[M]बे[M]े की ह्त्[M]ा [M]र दी और उसक[M] जग[M] एक कठपुत[M]ी [M]ासन क[M] बैठा दि[M][M], क्[M]ोंकि [M]क्रम[M] के बाद उन्हें भय लग[M] [M][M] अम[M]रि[M]ा गुप्त रूप से [M]स [M]ाष्ट्रपति क[M] साथ हाथ म[M]ला रहा है। आर्थर केंट[M][M]ुकदमा [M]००८ में, कन[M][M]ा के पत्रकार औ[M] रा[M]नेता आर्थर केंट न[M] फि[M][M]म क[M] निर्मात[M]ओं पर यह कहते [M][M]ए [M]ुकदमा [M]लाय[M] कि, उन्होंने उ[M][M]ी १[M]८० के दशक [M][M]ं उ[M]्पाद[M]त सामग्रियो[M] को [M]िना किसी उचित प्[M][M][M][M][M]ार के उपयोग क[M]या। १९ स[M]तम[M]बर २००८ [M][M], [M]ेंट ने[M]यह घोषणा [M]ी कि[M]उ[M]्होंने फिल्म के वितरकों और निर्[M]ाता[M]ं के[M]साथ[M]मुकदमे[M]क[M] [M]िपटा[M] कर लिया[M]है औ[M] कहा[M]क[M] व[M][M]मुकद[M]े क[M] निप[M]ा[M] स[M][M]"बहुत प्रसन्न" थे[M] ज[M] [M]ोपनीय रहा। [M]ुरस्कार और [M]ामांकन ६[M] [M]ें[M]गो[M][M]ड[M] ग्लो[M] अवार्ड्स[३६] सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर [M] हास्य [M]ा [M]ंगी[M] मोशन पिक्चर [M]ें सर्वश्रेष्ठ अभिनय के[M][M]िए - [M]ा[M]्य[M]या संगी[M] ([M]ॉम हैंक्स) मो[M]न पिक्[M]र में स[M]्वश्र[M]ष्ठ [M]हाय[M] अभिनेता की भूमिक[M] के लिए फिल[M]प [M][M][M]ुर होफमन मो[M]न [M]िक्चर [M]ें [M]र्व[M]्रे[M]्ठ सहायक अभिनेत्[M]ी की [M]ूमि[M][M] क[M] लिए (जूलिय[M] रॉबर्ट्[M][M] सर्व[M]्रेष्ठ [M]टकथ[M] - मोशन[M]पिक्[M]र (आरोन[M]स[M]रकिन) ८० वे[M] ऐकडम[M] अवार्ड्स सर्व[M]्रेष्[M] सहा[M]क अभिनेता (फि[M]ि[M] [M][M]ुर[M]ह[M]फमन) य[M] भी देंखे अफगानि[M]्तान[M]मे[M] सोव[M]यत [M]ुद्ध अफगान[M]स्तान [M]े[M] युद[M]ध ([M]००[M][M]वर्तमा[M]) चा[M]्ली [M]ि[M]्सन्स वॉ[M] क[M] इ[M]ड्ब म[M]ं [M]्र[M]ल[M] "चार्ल[M] विल्सन्स वॉर[M]मे[M] टॉ[M] ह[M][M]क्[M][M][M][M]लीवुड हूप[M] को[M]ब[M]ाता है, ऑल्टरन[M]ट[M] २१ दिसम्बर २[M]०७. पूर्व कांग्रे[M]ी ले[M] औकोएन [M]ी फिल्[M] सम[M][M]्षा और [M]सली [M]ार्ली विल्[M]न पर निब[M]ध[M][M]२००७ की फ़िल्[M]ें २००३ की [M]िताबें अमेरि[M]ी जीवनी[M][M]र आध[M][M][M]त फिल्में अरबी भाष[M] की फ[M]िल्में[M]फार[M][M] भाषा [M]ी फिल्में रूसी[M]भाषा क[M][M]फिल्म उर्दू भाष[M] की फिल्में[M]अम[M]रिकी राजनीति[M] ड्[M]ामा फिल्[M]ें २०[M][M] के दशक [M]ी नाट्य [M]़[M]ल्म[M][M][M]वास्त[M]िक घटनाओं[M]पर आधार[M]त फिल्में ला[M][M]वेगा[M] मे[M] स[M]ट फिल्में वाशिंगटन[M] डीसी [M]ें [M]ेट फिल्में अफगानि[M]्तान के[M]ब[M]रे में फिल्में प[M]किस्तान में [M]े[M][M]फिल्में गैर-काल्प[M]िक[M]पुस्तक[M]ं पर[M]आधारित फिल्में १९८० के दशक म[M]ं सेट [M][M][M]ल्म[M]ं रिल[M]टिव[M][M]ी मी[M]िया फ[M]ल्में अमेरिकी[M]जासूसी फिल्में [M]ाइक [M]िकोल्स द[M]वारा [M]िर[M]देशित [M]िल[M]मे[M] अ[M]गानिस्तान[M][M]ें सोव[M][M]त युद्ध पर[M]ब[M]ी फिल[M]में यूनि[M]र्सल प[M]क[M]चर्स की फ़ि[M]्म[M]ं
घोघी सूर्यगढा, लखीसराय, बिहार स्थित एक गाँव है। लखीसराय जिला के गाँव
[M][M]घी सूर[M]य[M]ढा[M] लखीसराय,[M]बिहार स[M]थि[M] एक गाँव है। लखी[M][M]ाय जिला[M]के [M][M]ँव
एलिसा मोंक्स (जन्म १९७७) एक अमेरिकी चित्रकार वर्तमान में ब्रुकलिन में रहती है.वह बड़े तेल चित्रों में विशेष है और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप दोनों में अपनी कृतियों के लिए जिनमें पानी, भाप और विनाइल द्वारा धूमिल किये पीस भी शामिल हैं। उनकी सबसे उल्लेखनीय श्रंखलाएं, बाथरूम, टब और बारिश में आकृतियों के आसपास केंद्रित होती है। न्यू जर्सी की मूल निवासी, मोंक्स का जन्म १९७७ में आठ बच्चों (छह बड़े भाइयों और एक बहन) में सबसे छोटी के रूप में हुआ था। उनकी मां, आप एक पॉटर और कलाकार होने के नाते, उसने मोंक्स के कलाओं के लिए प्यार को विकसित करने में मदद करने के तरीकों का पता लगाया। आठ साल की उम्र में, मोंक्स सामान्य कला और चित्रकला कक्षाएं ले रही थी।वह विलियम्सबर्ग, ब्रुकलिन में आधारित है। १९७७ में जन्मे लोग संयुक्त राज्य अमेरिका के चित्रकार
एल[M]सा मोंक्स [M][M][M][M]म १९७७) एक अम[M]रिक[M] चित्रकार[M]वर्तम[M]न में ब्[M]ुकल[M]न में रहती है.वह बड़े[M]तेल चित्रों में विशेष है और[M]संय[M]क्त राज्य अ[M]े[M]िक[M][M][M]र [M]ूरोप दोनों में [M]प[M]ी कृ[M]ियो[M] के लिए जिनमें पा[M][M],[M]भाप और विना[M]ल द्वा[M]ा ध[M]मिल[M]किये पीस भी[M]श[M]मिल[M]ह[M]ं। [M]नकी सब[M]े उल्लेखनीय श[M][M]ं[M]लाएं, बाथरूम[M] टब और [M]ारिश में [M]कृत[M][M]ों[M]के [M]सपास केंद्रित[M]होती[M]है। [M]्य[M] जर्सी की मूल निवासी, मोंक्स का [M]न्म १[M]७७ मे[M] आठ बच्चों (छह बड़े[M]भाइय[M]ं औ[M][M]ए[M] बहन) मे[M] सबसे छोटी के रूप में[M]हुआ[M]था।[M]उनकी [M][M]ं, [M]प एक पॉ[M][M] और कल[M][M]ार[M]होन[M] क[M] ना[M]े, उसने म[M]ंक्स क[M] [M][M]ाओं [M]े ल[M]ए प्यार को[M]वि[M]सि[M] करने[M]में[M]मदद करन[M][M]के तरीकों का पता लगाय[M]। आठ साल की[M]उम्र [M]ें, मोंक्स[M]स[M]मा[M][M]य कला और चि[M][M]र[M]ला कक्[M]ाएं ले रही[M]थी।वह विलियम्सबर्ग, [M]्रु[M]लिन में आधारित है। १[M]७७ में जन्मे ल[M]ग संयु[M]्[M] र[M]ज्य अमेरि[M]ा[M]के चित[M]रक[M]र
सुनीति चौधुरी ( २२ मई १९१७) भारत की एक क्रान्तिकारी नारी थीं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में १४ वर्ष की अल्पायु में उन्होने अपनी सखी शान्ति घोष के साथ मिलकर एक अत्याचारी ब्रिटिश मजिस्ट्रेट की हत्या की थी। सुनीति उस समय के प्रसिद्ध दीपाली संघ की सदस्या थीं। बात २४ दिसम्बर १९३१ की है। त्रिपुरा के फैजुन्निसा बालिका विद्यालय की दो छात्राओं कुमारी शांति घोष और कुमारी सुनीति चौधरी ने मजिस्ट्रेट बी जी स्टीवेंसन से मिलने की अनुमति मांगी। कारण पूछने पर उन्होंने उत्तर दिया की वो लड़कियों की तैराकी प्रतियोगिता के सन्दर्भ में उनसे कुछ बात करना चाहती हैं। मजिस्ट्रेट के कमरे में पंहुचते ही उन्होंने गोली चला दी। उन वीरांगनाओं का निशाना अचूक था, स्टीवेंसन वहीं मर गया। दोनों वीर बालाएं गिरफ्तार कर ली गयीं। २७ फ़रवरी १९३२ को उन्हें आमरण काला पानी का दंड हुआ। सत्तावनी क्रांति के बाद यह पहली घटना थी जिसमे किसी महिला ने राजनीतिक हत्या की। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
सुनीत[M] [M]ौधुर[M] ( २२ मई १९१७) भारत की एक[M]क्रान्[M]ि[M]ारी नारी थी[M]।[M]भारत[M]के स्[M]तंत्र[M]ा संग्राम में १४ वर्ष[M]की[M]अल्[M]ायु में [M]न्होने [M]पनी सखी[M]शान्ति घोष के साथ मिलक[M] एक अत्याचारी ब्रि[M]िश [M]जिस्ट्रेट की हत्या की थी। सुन[M]ति उस समय के प[M]रसिद्ध [M][M]पाली संघ की[M]स[M]स[M]या थीं। बात २[M] दिस[M]्बर १९३१ की है। [M]्रिपुरा[M]के फ[M]जुन्निसा बालिका [M]िद्यालय [M][M] [M]ो छा[M][M]राओं कुमारी [M]ा[M]ति [M]ोष और क[M][M]ार[M] सुनीति[M]चौध[M]ी न[M][M]म[M]ि[M]्ट[M]रेट बी [M]ी स्टीवेंसन से[M]मिल[M][M] की अनुमति मांगी[M] कारण[M]पूछ[M]े पर उ[M]्होंन[M] उत्तर [M]िया क[M] वो[M]लड़कियों की तैर[M][M]ी [M]्रत[M]योगि[M]ा के [M]न्दर्भ में उनस[M] कुछ [M]ात कर[M]ा चाहती हैं। मजिस्[M]्रेट के[M]कमरे म[M]ं पंहुचत[M] ही उन[M]होंन[M] ग[M]ल[M] चला दी। [M]न वीर[M]ंगनाओं का निशा[M]ा अच[M][M][M]था, स[M]टी[M]े[M]स[M] व[M]ीं मर[M]गया। दोनों वीर बालाए[M][M][M]ि[M]फ्ता[M] कर [M]ी गयीं। २७ [M][M]रव[M]ी १९[M]२ को उन्हें[M]आमरण[M]क[M][M]ा प[M][M]ी का[M]दंड हुआ। सत्तावनी [M]्रांति के बाद यह[M][M][M][M]ी घ[M]ना[M]थी ज[M]समे [M]िसी महिल[M] ने रा[M][M][M]तिक हत्[M]ा [M]ी। भारत[M]य[M]स्[M]तंत्रता[M]सेन[M]नी
विल्लुकुरी (विलुकुरी) भारत के तमिल नाडु राज्य के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें तमिल नाडु के शहर कन्याकुमारी ज़िले के नगर
विल्[M]ुकुरी ([M]िलुकुरी) भारत [M]े त[M][M]ल [M][M]डु राज्य के [M]न्य[M]कुमारी ज़िले [M]े[M] स्थ[M]त एक नगर है। इन्हें भी देखें तमिल ना[M]ु के [M]हर कन[M]याकु[M]ा[M]ी ज़िले के नगर
नूरां बहनें - ज्योति नूरन और सुल्ताना नूरां - जालंधर, भारत की एक सूफी गायन जोड़ी हैं। वे शाम चौरसिया घराना शास्त्रीय संगीत का प्रदर्शन करते हैं। बहनों को शुरुआती बचपन से ही उनके पिता, उस्ताद गुलशन मीर, बीबी नूरां के पोते और १९७० के दशक के सूफी गायक स्वर्ण नूरन के बेटे से प्रशिक्षित किया गया था। मीर के अनुसार, परिवार के पास कठिन समय था और मीर ने उन्हें समर्थन देने के लिए संगीत की शिक्षा दी। जब सुल्ताना नूरान सात साल की थी और ज्योति नूरां पाँच साल की थी, तब मीर ने अपनी प्रतिभा का पता लगाया जब वे घर पर खेल रहे थे और एक बुल्ले शाह कलम गा रहे थे, जो उन्होंने दादी की कुली विचो नी यार ला ला लैब से सुना था, मीर ने पूछा कि क्या वे इसे गा सकते हैं उपकरणों। उन्होंने तबला और हारमोनियम के साथ पेशेवर रूप से एक ताल और गीत नहीं गाया। कनाडाई संगीत प्रचारक इकबाल महल ने २०१० में बहनों की खोज की और उनकी सफलता में एक बड़ी भूमिका निभाई। २०१३ में उन्होंने पहली बार नकोदर में बाबा मुराद शाह दरगाह पर प्रदर्शन किया और वे लोगों के बीच उस रात से बहुत लोकप्रिय हो गए। उनका गाना "अल्लाह हू" एक यूट्यूब हिट था। उसके बाद "मै यार दा दीवाना" और "पटाखा गुड्डी" जैसे गीतों ने दोनों की लोकप्रियता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बॉलीवुड फिल्मों में उनके कई गाने हैं। वे अपने लाइव प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हैं क्योंकि वे स्टेज पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं, ऊर्जावान रूप से, हर शो में एक से अधिक प्रतिशत देते हैं। उन्होंने हरपाल तिवाना सेंटर ऑफ़ परफॉर्मिंग आर्ट्स (हत्स्पा) में स्वर्गीय ग़ज़ल उस्ताद जगजीत सिंह की ७२ वीं जन्मदिन पार्टी में, और अपनी प्रतिभा से पटियाला, पंजाब, भारत को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने भारत में एमटीवी टैलेंट हंट सीरीज़ के साथ एमटीवी साउंड ट्रिप्पिन में अपने गीत "तुंग तुंग" के साथ, और बाद में एमटीवी अनप्लग्ड और कोक स्टूडियो के साथ प्रसिद्धि के लिए शूटिंग की। उन्होंने २०१६ और २०१७ में ढाका अंतर्राष्ट्रीय लोक उत्सव में प्रदर्शन किया। उन्हें बॉलीवुड में पहला ब्रेक संगीत निर्देशक २०१४ में फिल्म पथक गुड्डी के संगीत निर्देशक ए आर रहमान के साथ मिला। उन्होंने सुल्तान, मिर्ज़्या, दंगल, जब हैरी सेजल और भरत से मुलाकात की। नूरां सिस्टर्स (लाइव) से सूफी जादू दुर्गा माता जागरण की भेट और भजनों के वीरेंद्र सिंह की सर्वश्रेष्ठ मां सिंह इज़ ब्लिंग (२०१५) दम लगा के हईशा (२०१५) तनु वेड्स मनु: रिटर्न्स (२०१५) पायुम पुली (२०१५ फ़िल्म) (२०१५) चार साहिबज़ादे: राइज़ ऑफ़ बंदा सिंह बहादुर (२०१६) जब हैरी मेट सेजल (२०१७) क़रीब क़रीब सिंगल (२०१७) टाइगर ज़िंदा है (२०१७) साहेब, बीवी और गैंगस्टर ३ (२०१८) पुरस्कार और नामांकन गीमा अवार्ड्स २०१५ भारतीय महिला गायक
नूरां बहनें -[M]ज्योति नूरन और सु[M]्ताना न[M]रां - ज[M]लं[M]र, भार[M][M]की एक[M][M]ूफी[M]गायन [M]ोड[M]ी ह[M]ं। वे[M]शाम चौ[M]सिय[M] घरान[M] शास्त[M]र[M]य[M]संग[M][M][M]का[M]प्रद[M]्शन करते हैं। बह[M]ों को शुर[M]आती बचपन से [M]ी उनके पिता, उस्[M]ाद गुलशन मीर, बीबी नूरां क[M] प[M]ते[M][M]र १९७० के [M]शक के सूफी ग[M]यक[M][M]्वर्[M] नू[M]न के ब[M]टे से प्[M]शिक्षित किया [M][M]ा[M]था। मीर [M]े अ[M][M]सार, पर[M]वार [M][M] पास[M][M]ठिन समय [M]ा और मीर न[M] उन्हें स[M]र्थन देने के ल[M]ए स[M]गी[M] की शि[M]्षा दी। जब स[M]ल्ताना न[M][M]ा[M] स[M]त स[M]ल [M]ी थी और[M]ज्योति नूरां पाँच[M]साल की थी, त[M] म[M]र ने [M]पनी प्रत[M]भ[M][M]का पता [M]गाया जब वे घर पर [M]ेल[M][M]हे [M]े और [M]क बुल्ले [M]ाह कलम[M]गा रहे[M]थे, जो [M]न्होंने दा[M]ी की कुली विचो [M][M] यार [M]ा ला[M]लै[M] स[M] सु[M]ा था, मीर ने पूछा कि[M]क[M]या [M]े इसे गा सकत[M] है[M] उपक[M][M]ों।[M]उन्होंने तबला और हारम[M]नियम के स[M]थ[M]पेश[M]वर[M]रूप से[M]एक[M]ता[M] और गीत[M]नहीं गाया।[M]कनाडाई संगीत प्[M]चारक इकबाल महल ने २०१० म[M]ं[M]बहनों की [M]ोज[M]क[M] [M]र उनकी[M]सफल[M]ा म[M][M] एक बड़ी भ[M]मिका निभाई।[M]२०१३[M]में उन्होंने[M]पह[M]ी बार नकोदर में बाबा मुर[M]द शा[M] दर[M]ाह पर प्रदर्[M]न किया[M]और वे लो[M]ों क[M] [M]ीच उ[M] रात[M]से बहु[M][M]लोकप्रिय[M]हो गए। उनका गा[M][M] "अल्[M]ाह हू" ए[M] यू[M]्यूब[M]हिट था। उसके बाद[M]"मै यार दा दी[M]ाना" और [M][M]टाखा[M][M][M]ड्ड[M]" जैसे ग[M]त[M]ं ने दोनों की लोकप्रियत[M][M]को [M]ढ़ावा देने में महत्वपूर्ण [M]ूम[M]का निभा[M]। बॉलीवुड फि[M]्मो[M][M]म[M][M][M][M]नके कई [M][M]ने हैं। वे अपने लाइव[M][M]्रद[M]्शन के ल[M]ए प[M]र[M]िद्ध हैं क्योंकि वे स्टेज पर अच्छा प्रदर्[M][M] [M]रते हैं, ऊ[M]्जावान रूप [M]े, ह[M] शो में एक[M]से अधिक [M]्रतिशत द[M][M]े है[M]। [M]न्होंने हरपाल [M]ि[M]ाना [M][M]ंटर ऑ[M]़ प[M][M]ॉर्मिंग आर[M]ट[M]स (हत्स्पा) में[M]स्वर्गीय [M]़[M][M]ल[M]उस्[M]ाद ज[M]जीत[M]सिंह[M]की ७२ वीं जन्म[M]िन पार[M]टी [M]ें, और अ[M]नी प[M]र[M]िभ[M] से पटिय[M][M]ा, पंजाब, [M][M]रत को म[M]त्[M]मुग्ध कर दि[M]ा। [M]न्हो[M]ने भारत में[M][M][M]ट[M]वी टै[M]े[M]ट हंट सीर[M]ज़ के साथ एमटी[M]ी साउंड[M][M]्रिप्प[M]न में अ[M]ने गीत "तुंग[M][M]ुंग" के साथ,[M][M][M][M]बाद में ए[M]ट[M]वी अ[M]प्लग[M]ड और[M]कोक स्टूडियो के साथ [M]्रसिद्धि के [M][M]ए[M]श[M]टिंग की[M] [M][M]्[M]ों[M]े २०१६ और २०१७ में[M][M]ा[M][M] अ[M][M]र्राष[M]ट्र[M]य [M]ोक[M]उत्सव म[M]ं प[M][M]दर्शन [M]िया। उन्हें बॉलीवुड में पहला ब्रे[M] संगीत[M][M]ि[M]्[M]ेशक २०१४[M]म[M]ं फिल[M]म[M]प[M][M][M]गुड्डी के[M]संगी[M] निर्दे[M]क[M]ए[M]आर रहमान क[M] सा[M] [M]िला। उन[M][M]ोंने सुल्[M]ान, मिर[M]ज़्या, दं[M]ल, जब[M]हैर[M] सेजल और भरत से म[M]लाकात [M]ी[M][M]नूर[M]ं स[M]स्टर्[M] (ल[M]इव[M] स[M][M]सूफी जादू दुर्[M]ा माता जा[M]रण की भेट और भजनों के वीरेंद्र सि[M]ह[M]की सर्वश[M]रेष्ठ म[M]ं [M]िंह इ[M]़ ब्[M]िंग ([M]०१५) दम ल[M]ा के हईशा (२०[M][M]) तनु वेड्स मनु[M] रिटर्न्[M] (२०१५) पायुम पुली ([M]०[M]५[M][M][M]िल्म)[M](२०१[M]) चार साहिबज़ादे: र[M]इज़ [M]फ[M][M]बंदा सि[M][M][M]बहादुर (२०१[M])[M]जब हैर[M] मेट[M][M]े[M]ल [M]२[M]१७)[M][M]़रीब क़[M]ीब सिंगल ([M]०१७)[M]टाइगर ज़ि[M]दा है[M][M]२०१७) साहेब, बीवी और गैंगस्टर ३ [M]२०[M]८) पुर[M]्कार[M]और न[M]मांकन गीमा अवार्ड[M]स २०१५ भारतीय[M]महिला गायक
चीनी पैंगोलिन (चीन पैंगोलीन), जिसका वैज्ञानिक नाम मैनिस पेन्टाडैक्टाएला (मेनिस पेंटडैक्तीला) है, पैंगोलिन की एक जीववैज्ञानिक जाति है जो उत्तरी भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, उत्तरी हिन्दचीन, ताइवान और दक्षिणी चिन (जिसमें हाइनान द्वीप भी शामिल है) में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है और अति-संकटग्रस्त माना जाता है। चीन व पूर्वी एशिया में इसके मांस को खाने से सम्बन्धित कई अन्धविश्वास हैं कि उस से कई रोग ठीक होते हैं हालाकि चिकित्सकों ने इस मान्यता को सरासर झूठ पाया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार पिछ्ले १५ सालों में इसकी संख्या में ज़बरदस्त गिरावट हुई है। इन्हें भी देखें भारत के स्तनधारी भूटान के स्तनधारी नेपाल के स्तनधारी बर्मा के स्तनधारी लाओस के स्तनधारी वियतनाम के स्तनधारी चीन के स्तनधारी थाईलैण्ड के स्तनधारी ताइवान के स्तनधारी
चीनी पैंगोलिन (चीन प[M]ंगोली[M]),[M]जिसका वै[M]्ञानि[M] [M][M]म मैनिस पेन्टाडैक्टाएला (मेनिस पें[M]ड[M]क्तीला) [M]ै[M] [M]ैं[M]ोलि[M] की एक जीववै[M]्ञ[M]न[M]क जाति है जो उत्तरी [M][M]रत, न[M]प[M][M], भूटा[M], बांग्[M]ा[M]ेश, ब[M]्मा[M] उत्त[M]ी हिन्दचीन, ताइवान और दक्षिणी चिन (जिसमें हा[M]नान[M]द्वीप [M]ी शामि[M] है) में पाया [M]ाता[M]है। यह [M]ैंग[M]लि[M] की आठ जात[M]यों[M]में से एक है औ[M] अत[M]-संकटग्रस्त माना जाता [M]ै। चीन व पूर्वी[M]एशिया में [M]सक[M] [M]ा[M]स को खाने से[M]सम्ब[M][M]धित कई अन[M]धविश्[M]ा[M] [M][M]ं क[M][M]उस [M]े क[M] रोग ठीक ह[M]ते है[M] हाल[M][M]ि चिकित्सकों ने [M]स मान्यत[M] को सरा[M]र झूठ[M]पाया है। अंत[M]्र[M]ष्ट्रीय प्रकृ[M]ि[M]संरक्[M]ण [M]ं[M] क[M] अनु[M]ार पिछ्ले १[M] [M][M]लों [M]े[M] इस[M]ी संख्या में ज़बरदस्त[M]गि[M]ावट हुई [M]ै। [M]न[M]हें [M]ी देख[M]ं [M]ारत के स्तनधारी[M]भूटान के स्तनधारी [M]ेपा[M][M]के[M]स्त[M]धा[M]ी बर्म[M] क[M] स्तनधारी[M]लाओस के[M]स्तनधारी वियतनाम के स्तनधारी चीन के[M]स्तनधारी[M]थाईलैण्ड [M][M] स्तनध[M]री ताइवान के स[M]तनधार[M]
पिंदौना भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद जिले के हंडिया प्रखण्ड में स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
[M]िं[M]ौ[M]ा [M][M]र[M] के उत्तर प्रदेश राज्य के इल[M]हाबाद जि[M]े के [M]ंडिया प्रख[M][M]ड म[M]ं स्थि[M] एक ग[M][M]व है।[M]इलाहाबा[M] जिल[M] के गाँ[M]
ओजोन थेरेपी में ओजोन और ऑक्सीजन के मिश्रण को मनुष्य के शरीर के लाभ हेतु प्रयोग किया जाता है। ओजोन एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम है, इसलिए यह ऑक्सीडेटिव मानसिक तनाव को कम कर सकता है। ओजोन का यह एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक तंत्र विकिरण और कीमोथेरेपी के दौरान पैदा होने वाले रेडिकल्स को संतुलित करता है। चाहे शरीर में शीघ्र थकान होने की शिकायत हो, सुस्ती अनुभव होती हो, छाती में दर्द की समस्या हो या उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राल वृद्धि, मधुमेह आदि की चिंता हो, या कैंसर से लेकर एचआईवी जैसे घातक रोगों में, ओजोन थेरेपी इन सभी में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में समान रूप से सहायक हो सकती है। यह अल्पजीवी गैस शरीर के अंदर जाकर ऑक्सीकरण प्रक्रिया को तेज करने के साथ-साथ ऑक्सीजन को फेफड़ों से लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक ले जाने की क्षमता बढ़ा देती है। इससे शरीर द्वारा बनाये गए अफल विषैले तत्वों को बाहर निकालने एवं क्षय हो रही ऊर्जा के पुनर्संचय में मदद मिलती है। चिकित्सा विज्ञान में ओजोन का प्रयोग १९वीं शताब्दी के आरंभ में किया गया था। अमेरिका में वैधानिक रूप में इसका प्रयोग १९२० और १९३० के दशक में प्रयोग शुरू हुआ था। जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस और लैटिन अमेरिकी देशों ब्राजील, मैक्सिको, क्यूबा और एशियाई देश मलेशिया, आदि कई देशों में ओजोन का प्रयोग होता है। ओज़ोन का प्रयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी सुरक्षित होता है। १९८० में लगभग चार लाख लोगों पर हुए परीक्षण में मात्र ४० लोगों पर इसके दुष्प्रभाव दिखाई दिये थे, जिससे सिद्ध होता है कि यह लगभग पूरी तरह से सुरक्षित है। कैंसर के रोगियों के लिए ओजोन थेरेपी एक दर्द रहित उपचार होता है। ओजोन थेरेपी इंजेक्शन के रूप में घुटने के आसपास की जाती है और इस प्रक्रिया को १०-१५ बार तक आवश्यकतानुसा दोहराया जाता है। दूसरी तरह से इंजेक्शन घुटने के अंदर दिया जाता है, इसे ३-५ बार दोहराना होता है। ओजोन तेल और इसके विभिन्न उत्पादों का प्रयोग त्वचा के विभिन्न रोगों को दूर करने में भी किया जाता है और ओज़ोनयुक्त जैतून तेल (ओजोनेटेड ऑलिव ऑयल) को मल्हम के रूप में भी प्रयोग करते हैं। ओजोन शरीर के अंदर एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव उत्पन्न कर इसकी सक्रियता में वृद्धि कर देता है। शक्तिशाली ऑक्सीडेंट होने के कारण यह शरीर में पेरॉक्सीडेज, ग्लूटाथियोन और केटालेज जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स को उत्तेजित करता है। ओजोन के प्रयोग के साथ एक समस्या रहती है। इसे ऑक्सीजन आदि गैसों की भांति संचित करके नहीं रखा सकते हैं। अतएव इसे उपयोग से कुछ समय पूर्व ही ताजा तैयार करके जल, वाष्प आदि माध्यमों से शरीर में प्रवेश करवाया जाता है। वायु प्रदूषण द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं में आक्सीजन के अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे अवांछित तत्व भी भारी मात्रा में मिलते जाते हैं। इससे लाल रक्त कोशिकाओं की ऑक्सीजन धारक क्षमता का ह्रास होने लगती है। ओजोन रक्त कोशिकाओं में जाकर इन विषैले तत्वों को निकालती है और साथ ही श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी वृद्धि करती है। इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती और एचआईवी, कैंसर, मधुमेह जैसे घातक रोगों की आशंका कम होती है। शरीर पर अभी तक ओजोन का किसी दुष्प्रभाव सीधे ज्ञात नहीं हो पाया है किन्तु इस औषधि को श्वास तंत्र के रास्ते गैस के रूप में रोगी को देना उसे असहज कर सकता है, इसलिए इसके अन्य विधियों से प्रयोग के लिए नए तरीके अभी शोध के अधीन हैं। ऐसा करने से खांसी, उल्टी या उबकाई की समस्या हो सकती है। यह थेरेपी अत्यंत सस्ती भी है। चिकित्सक वर्ग और जैवरासायनज्ञों सहित कई लोगों का ये विचार है कि ओज़ोन में उल्लेखनीय स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं। कई अन्य लोगों ने इसके विरोध में बहस भी की है कि ये तथ्य अवैज्ञानिक है और इसके कोई प्रमाणित लाभ नहीं है। कई वर्षों तक ओज़ोन के चिकित्सकीय गुण या अवगुणों की चर्चा विवाद का विषय रहे हैं। चिकित्सकीय ओज़ोन उत्पादक जनित्रों के आगमन से हाल ही में ओज़ोन की विषाक्तता के आकलन, तरीकों और संबंधित क्रियाओं आदि का अध्ययन क्लीनिकल प्रयोगों द्वारा संभव हो पाया है। ओज़ोन में कार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीकृत करने की क्षमता, और स्मॉग में उपस्थित रहने पर श्वसन तंत्र पर ज्ञात विषाक्त प्रभाव होते हैं। चिकित्सकीय प्रयोगों में चिकित्सा स्तरीय ऑक्सीजन से उत्पादित गैस का प्रभाव औषध मात्रा में किया जाता है, किन्तु श्वास द्वारा कदापि नहीं किया जाता है। आयुर्विज्ञान में ओज़ोन के प्रयोग को स्वास्थ्य विशेषज्ञों या आयुर्विज्ञान संघों द्वारा किसी अंग्रेज़ी देश में समर्थन नहीं मिल पाया है, बल्कि अधिकांश अमरीकी राज्यों ने ओज़ोन जनित्रों के विक्रय पार निषेध, उनके चिकित्सकीय प्रयोग और यहां तक की उन पर शोधों या ओज़ोन थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षणों पर प्रतिबंध तक लगाया हुआ है। इस कारण डॉक्टरों को ओज़ोन थेरेपी के प्रयोग, निर्धारण, सुझाव, आदि करने पर अपने अनुमति पत्र (लाइसेंस) जब्त होने का भी भय बना रहता है। ओज़ोन थेरेपी के प्रयोग से कई प्रकार के रोगों में राहत मिलने के किस्से कहानियां ही सुनने में आते हैं, किंतु इनमें से मात्र कुछ ही प्रमाणित हो पाये हैं। इसके अलावा ओजोन थेरेपी नाइट्रिक ऑक्साइड सिन्थेस को इन्ड्यूस करके अंतर्जात स्टेम कोशिका को जुटाने मे सहायक हो सकता है, जिससे संभवत: इस्कीमिक ऊतकों के उत्थान को बढ़ावा मिलने की संभावना मिल सकती है। इस बारे में विस्तृत ब्यौरे, ओजोन की कार्य विधि और एक औषधि के रूप में चिकित्सकीय सीमा के भीतर उसको विकिसित करने, विलोई बोकोई की पुस्तक में दिया है। यह शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और ओज़ोनथेरेपिस्ट्स के लिये ओज़ोन के औषध प्रयोग के समर्थन में सहायक है। वैसे भारत में ओज़ोन थेरेपी पर निषेध नहीं है। मुंबई के बॉम्बे हॉस्पिटल सहित कई अस्पतालों में इसके नियमित पाठ्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। भारत मे ओजोन अभि तक होम्योपैथी की किसी भी पोटेन्सी मे उपलब्ध नही है। इस दिशा में संभव है होम्योपैथिक दवा उद्योग से जुड़ी दो प्रमुख कंपनियां बोएरॉन इंडिया और शवाबे इंडिया ओज़ोन औषधि निकालें। हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
ओ[M]ो[M] थे[M]ेपी में ओजोन और [M]क्सीजन क[M] मिश्रण[M]को मनुष्य[M]के शरी[M] क[M][M]ला[M] हेतु प्रयोग किया [M]ात[M] है। ओजोन एंटी[M]क्सीडे[M]ट प[M]रति[M]ोधक क्षमत[M] विकसित करने [M]े[M] सक्[M]म[M]है, इसल[M]ए यह ऑक[M]सीड[M]टिव मानसिक तनाव को[M]कम कर सकता[M]है। ओज[M]न का यह ए[M][M]ीऑ[M]्सीडे[M]ट [M]्[M]तिरोधक तंत[M]र [M]ि[M]िरण और कीमोथेरेपी के दौरान पै[M]ा होने वाल[M] र[M]डिकल[M][M][M]को[M]संतु[M]ित कर[M]ा[M][M][M]। चाहे शरीर [M][M][M] शी[M]्र थकान होन[M] की श[M]कायत[M]हो, [M]ुस्[M]ी अनुभव होत[M] हो, छाती में दर्[M] की सम[M][M][M]ा हो य[M] उच[M]च रक[M]तचाप, कोल[M][M]्ट्राल वृ[M]्धि, मधुमेह आद[M] की[M][M]िंता हो, [M]ा [M]ैंसर से ले[M]र एचआईवी जैस[M] [M]ातक रोगों में, ओजोन थेर[M]पी[M]इन सभी[M]म[M][M] वैकल्पिक [M]िकित[M]सा पद्धति के[M]रूप में[M]समान [M]ूप से[M]स[M]ायक[M]ह[M] सकती ह[M]। यह[M]अल[M]पजीव[M] गैस श[M]ीर के अंदर जा[M][M] [M][M]्स[M]क[M]ण प्रक्रिया क[M] त[M][M] करन[M] के साथ[M][M]ा[M] ऑक्सीजन [M]ो फेफड़ों से[M][M]ेक[M][M]शर[M]र की सभी को[M][M]काओं तक ले जा[M][M] की क्ष[M][M][M] बढ़ा देत[M] है। इससे[M]श[M]ीर द्वारा[M]बनाये[M]ग[M] अ[M]ल वि[M]ैले तत[M][M]ो[M] को बाहर निकालने ए[M]ं क्षय हो[M]रही[M]ऊर्[M]ा [M]े[M][M]ुनर्संचय [M][M][M] म[M]द [M]िलती है। चिकित्सा विज्ञान में ओजोन का प[M]रयोग [M]९वीं शताब[M]दी के आर[M]भ में किया [M]य[M] [M]ा। अमेरिका [M]े[M][M][M]ैधान[M][M] रूप में इस[M]ा प्रयो[M] १९२० औ[M][M]१९३[M][M]क[M][M]द[M]क में प्र[M]ोग शुर[M] ह[M]आ[M][M]ा। [M][M]्[M]नी,[M]इटली, फ[M]र[M]ंस,[M][M]ू[M] [M]र लै[M]िन अमेरिकी द[M]शों ब[M]राज[M]ल, मैक्सिक[M],[M]क्यूबा और एशियाई [M]ेश मलेशिया, आदि कई देश[M]ं में[M]ओजोन [M]ा प्रयोग [M][M][M]ा है। ओज़ोन का प्र[M]ोग [M]्[M]ास्थ्य [M]ी [M]ृष्टि से भी सुरक्[M]ित होता है। १९८० में लगभग चार[M][M]ाख लोगों प[M] हुए पर[M]क्षण [M]ें [M]ात्र[M]४० लोगों[M][M][M][M]इसके [M][M][M]्[M]्रभाव दिखाई दिये [M]े, [M]िससे सिद्ध [M]ोता है[M]क[M] य[M] [M]गभग पूरी तरह से[M][M]ुरक्षित [M][M]। कैंसर क[M] रोगिय[M]ं[M][M][M] लि[M] ओज[M]न थेरे[M]ी [M]क[M]द[M][M]द रहित उपच[M][M] होत[M] [M]ै।[M]ओजोन थेर[M][M]ी इं[M]ेक्शन क[M] रूप[M][M]ें घुटने के आसपास [M]ी[M]जात[M] है और[M][M]स प्रक्रिया को १०-१५ बार तक आवश्[M][M]तानुसा दोहराया जात[M] [M]ै। [M][M]सरी तरह से[M]इंजे[M]्[M][M][M]घुटने के अंदर [M][M]या [M]ा[M][M] है[M] इसे ३-५ बार द[M]हराना[M]होता है। ओजो[M] तेल और इसके विभिन्न उत्पादों का प्रयोग त्वचा के विभिन्न [M]ोगों को दू[M] करने[M]में[M][M]ी किया जात[M] है और ओज[M]ो[M]यु[M]्त ज[M]तून [M][M][M] ([M]ज[M]नेटेड ऑलिव [M][M]ल) को म[M]्[M]म[M]के रूप में भी प्रय[M]ग करते [M]ैं।[M]ओ[M]ो[M] श[M]ीर क[M] अ[M]दर एंटीऑ[M]्सीडेंट प्रभाव उत्[M]न्न क[M] इसकी सक[M]रियता में वृ[M]्ध[M] कर द[M]ता [M]ै। शक्त[M]शा[M]ी[M][M]क्[M]ीडे[M]ट होने के कारण यह श[M][M]र में पेरॉक[M]सीडेज, [M][M]ल[M]टाथ[M]यो[M] और केट[M]लेज जैसे[M][M]ंटीऑक्सीडे[M]ट्स को उत्तेजि[M][M]कर[M]ा ह[M]।[M]ओजोन के प्[M][M]ोग के साथ एक [M]मस्य[M] [M]हती है[M] इसे[M]ऑक[M]सीजन आदि गैस[M]ं की भांत[M] स[M]चित [M]रके नह[M]ं र[M]ा सकते हैं। अतएव[M]इसे उपयो[M] से कु[M][M]समय पूर्[M] ह[M][M]ताजा तै[M]ार[M]करके जल, वाष्प आ[M]ि माध[M]यमों[M][M]े शरीर में [M]्रवेश क[M]वा[M][M] [M]ाता ह[M]। वायु प्रदूषण द्वारा लाल[M]रक्त को[M]िकाओं मे[M] आक्सी[M]न [M]े [M][M][M]वा[M]का[M]्बन मोनोऑक्साइड[M]एवं नाइट्रोजन[M]के ऑक[M][M]ाइड जैसे अवांछित तत[M]व भी [M]ा[M]ी मात्[M][M] म[M]ं मिलत[M] जाते हैं। इससे लाल र[M]्त कोशिकाओं[M]की[M]ऑक्सी[M]न ध[M]रक क्षमता क[M] [M][M]रास होन[M][M]लगत[M] [M][M]। ओजो[M] रक्त कोशिक[M]ओं मे[M] जाकर[M]इन विषैले [M]त्वों को [M]ि[M]ालती है और साथ ही श्वेत रक्त [M]ोशिकाओं के [M]त्पादन[M]में भी वृद्धि करती ह[M]। इस[M]े [M][M]ीर में [M]ोग प[M]रतिरोध[M] क्षमता बढ़ती और[M][M]च[M]ईवी, कै[M][M]र, मधुम[M]ह जैसे घात[M] रोगों की[M]आ[M]ंका कम ह[M]ती है। शरीर पर अभी तक ओजोन [M]ा किसी[M]दुष्प[M][M]भाव सीधे[M]ज्[M][M]त[M]नहीं हो पाया है [M]िन्तु[M][M]स औ[M]धि को श[M]व[M]स[M][M]ंत्र[M]के रास्ते गैस[M]के रू[M] म[M][M] रोगी को[M]देन[M][M]उसे [M]स[M]ज [M]र सकता है, इसल[M]ए इस[M]े अन्[M] विधियों[M]स[M] प्रयोग [M]े लिए नए[M]तरी[M]े अभी शो[M] [M]े अध[M]न[M]ह[M][M]। [M][M][M] करने से खांसी, उल्टी य[M] उब[M]ाई[M]क[M] समस्[M]ा हो सकत[M] [M][M]। यह थेरेपी [M]त्य[M][M] सस्ती भ[M] है। चिकि[M]्सक व[M]्ग और जैव[M]ा[M]ायनज्ञ[M][M][M]सहित कई[M][M][M]गों का ये विचार है कि ओ[M]़[M]न में[M]उल्लेखनीय स्वास्थ्यवर्धक [M]ुण होते हैं। क[M] अन्य[M]लोगो[M] ने इ[M]क[M] [M]िरोध में [M]हस भी की[M]है[M]कि ये तथ्य[M]अवैज्ञानिक है और इसके [M]ोई[M]प्[M]माणित लाभ नह[M]ं है। कई वर्षों तक ओज़ोन के चिकि[M]्सक[M]य गुण या अवगुणों की चर्चा विवाद का विष[M] रहे हैं। चिकित्सकीय ओज़ो[M] उत[M]प[M]दक ज[M][M]त्र[M]ं[M]के आगमन से हा[M] ही में[M]ओज[M]ोन [M]ी विषाक्तता के आकलन, तरीकों और सं[M]ंध[M]त [M]्रियाओं आदि का अध्ययन[M]क्लीनिक[M][M]प्रय[M]गों [M]्वारा [M][M]भव हो पाया है। ओज़[M]न में कार्बनिक य[M]गिकों को ऑक्[M]ीकृत करने की[M][M]्[M]मता,[M]और[M]स्मॉ[M] में [M]पस्थ[M]त रहने[M]प[M] श[M]वसन तंत[M]र पर ज्ञात व[M]ष[M]क्त [M]्रभाव होते ह[M]ं। चिकित्स[M]ीय प्[M]योगों में चिकि[M]्स[M][M]स्तरीय ऑ[M]्सीज[M] स[M][M]उत[M]पादित गैस का प्रभ[M]व औषध मात्रा मे[M] क[M]या[M]जाता ह[M],[M]किन्[M][M] श्वास द्वारा कदापि [M]हीं किया जाता है।[M]आ[M]ुर्विज्ञान में ओ[M]़[M]न के [M]्रयोग को [M]्वास्थ्य विशेष[M]्ञ[M]ं या[M]आ[M]ुर्विज्ञान संघों द्[M]ारा किसी अंग्र[M]ज़ी द[M]श[M]में स[M][M]्थन नहीं मिल [M]ाय[M] ह[M], बल्[M]ि अधिकां[M] [M]म[M]ीकी राज[M]यों न[M] ओ[M]़ोन जनित[M]रों क[M] व[M]क्रय [M]ार न[M]ष[M]ध, उन[M]े च[M]कित्सकीय प्[M]योग [M]र[M]यहां [M]क [M]ी उन [M]र शोध[M]ं या ओज़ोन[M]थ[M][M]ेपी के क्लीनिकल परीक्षणों पर प्रतिबंध तक[M][M]गाय[M] [M]ुआ [M]ै। इस कार[M][M]डॉक्[M]रो[M][M]को[M]ओज़[M][M] [M]ेरे[M]ी[M]के प्रयोग[M] निर्धारण, स[M]झ[M]व, आदि क[M][M]े प[M] अपने अनुमति [M]त[M]र (लाइसे[M][M])[M]जब्त हो[M]े का भी भय बना रहता है। ओज़ोन थेरेपी के प्र[M]ोग स[M] क[M] प्रकार क[M] र[M]गों मे[M] रा[M]त [M]िलने के किस्से कहानियां [M]ी [M]ु[M]ने मे[M] आ[M]े[M]ह[M]ं, किंतु इनमें से मात्र [M]ुछ ही प्रमाणित[M]हो पाये [M]ैं। इसके अल[M][M]ा ओज[M][M] थेरेपी नाइट्[M]िक ऑक्[M][M]इ[M] सिन्थेस[M]को इन[M]ड्यू[M][M]करके अंतर्जात स्ट[M][M] कोशि[M]ा को जु[M]ा[M]े [M]े स[M][M]यक हो [M]कता है, [M]िससे संभवत: इस्[M]ीमिक ऊतकों के [M]त[M]थान को बढ़ावा मिलने की[M]संभ[M]वना मिल सकत[M] है।[M][M]स बा[M][M] में विस्तृत [M]्[M]ौ[M]े[M] ओजोन[M][M]ी क[M]र्[M][M]विधि और ए[M] औषधि क[M] रूप में चिकित्सकीय सीमा के[M][M]ीतर[M]उसको व[M]किसित करने[M] विलोई[M]बो[M]ो[M] की[M]प[M]स्तक में [M]िया [M]ै[M] यह शोध[M]र्[M]ाओं, चिक[M]त[M]सक[M]ं और ओज़ोन[M]े[M]ेपिस्ट्स[M]क[M] लिय[M] ओज़ो[M] के[M]औषध प्रयोग के समर्थन म[M]ं [M]हायक है। व[M][M]े भारत म[M]ं ओज़ोन थे[M]ेपी पर निष[M]ध [M]हीं है।[M]म[M]ं[M]ई के बॉम्[M]े ह[M][M]्पिट[M] सह[M]त [M]ई अस्पतालों में इसक[M] नियमि[M] [M]ाठ्यक्रम [M][M] चला[M]े जा रह[M][M]हैं। भा[M]त मे ओजोन अभ[M] तक[M]होम्यो[M]ैथी की किस[M] भी पोटेन्सी मे[M]उपलब[M]ध नही[M]है। [M]स दि[M]ा में संभव है [M]ोम्योप[M]थिक दवा उद्योग से जुड़ी दो [M]्रमुख [M]ंपन[M]यां ब[M]एरॉन इंडिया[M]और शवाबे इ[M]डिया[M]ओज़ोन औषधि निकाले[M]।[M]हिन्दी विकि ड[M]वीडी परियोजन[M]
जीन ब्रॉडीमुरियल स्पार्क के बिह्त्रीन उपन्यासद प्राईम ऑफ मिस जीन ब्रॉडी (१९६१) में; और इस उपन्यास पर आधारित लेकिन मौलिक थिएटर और काव्यात्मक लाइसेंस के हित में बहुत भिन्न, प्रेसन एलन के इसी नाम के नाटक और १९६९ की फिल्म में एक काल्पनिक चरित्र है। मिस ब्रॉडी एक अतिरंजित रोमांटिक दुनिया को देखने के साथ एक उच्च आदर्शवादी चरित्र है, जिस के बहुत सेसूत्रवाक्यअंग्रेजी भाषा मेंक्लीशेबन गए हैं। चरित्र का नाम ऐतिहासिक जीन ब्रॉडी (उर्फ जीन वाट), जो विली ब्रॉडी कीलोक-विधि पत्नी या रखैल थी, जिसकी एक प्रत्यक्ष वंशज होने का दावा काल्पनिक ब्रॉडी करती है; इस प्रकार, वह वास्तविक जीन ब्रॉडी की काल्पनिक हमनाम है। असली डिकॉन विली ब्रॉडी वास्तव में एक कैबिनेटमेकर और जिबट (फ़ांसी लगाने की मशीन) का निर्माता था जिसे वास्तव में उसने खुद डिज़ाइन किया हो सकता है।डिकॉनब्रॉडीकर्क ओ' स्कॉटलैंड का एक डिकॉन था; उसने आबकारी कार्यालय को लूट लिया था; और उसे जिस जिबट से फ़ांसी लगाया गया वह उसने खुद डिज़ाइन किया हो सकता है। इसी तरह, डिकॉन ब्रॉडी की काल्पनिक वंशज हालांकि बहुत अधिक मानव और दिलकश हैउसे स्वयं को ही आहत करने द्वारावर्णित किया जा सकता है।विलियम और जीन वाट ब्रॉडी की कहानी कोडब्ल्यू ई हेन्ले और रॉबर्ट लुइस स्टीवेन्सन द्वारा डैकॉन ब्रोडी याद डबल लाइफ-ए मेलोड्रामा इन पांच एक्ट्स औरआठ टॉबॉ में भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित कर दिया है।यह नाटक २ जुलाई १८८४ को लंदन में प्रिंस'ज़ थिएटर में खेला गया, जिसमें श्री ई जे हेन्ली ने डीकन विलियम ब्रोडी का और मिस मिन्नी बेल ने जीन का रोल किया। श्री हेन्ले ने २6 सितंबर १८८७ को मॉन्ट्रियल में इस बार जीन वाट/ब्रोडी की भूमिका में मिस कैरी कॉट के साथ अपने प्रदर्शन का दोहराव किया। उपन्यास में, मिस जीन ब्रोडी १९३० के एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड में लड़कियों के रूढ़िवादी स्कूल, मार्सिया ब्लेन में एक स्कूल शिक्षक है। वह एक करिश्माई कुँवारी है जो अपने परिवेश में अजनबी हो रही है। १९३० में, उस ने घोषणा की कि उस का प्राईम शुरू हो गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए चल पडती है कि उसकी क्लास के लिए यह सुनिश्चित करने से कि उन्हें नाटक, कला और फासीवादी विश्वासों से अवगत कराया गया है, उसके प्राईम का पूर्ण लाभ मिले। अपनी कक्षा से बाहर वह अपनी पसंदीदा लड़कियों का चयन करती हैं और उन्हें क्रेम डे ला क्रेम (क्रीम की क्रीम) में ढालने का प्रयास करती हैं। उपन्यास में, ये सैंडी, मोनिका, जेनी, यूनिस, रोज़ और मैरी मैकग्रेगर हैं। एक टोम्बुआए, जॉइस एमिली भी है, जो ब्रोडी सेट में जबरदस्ती घुसने का प्रयास करती है, लेकिन उसे मिस ब्रॉडी द्वारा मूल रूप से खारिज कर दिया जाता है। सैंडी आखिरकार एक मठ में नन, सिस्टर हेलेना बन जाती है; मरियम मैकग्रेगर एक होटल में आग लगने से मर जाती है; और जॉइस एमिली स्पेनिश गृहयुद्ध में चली जाती है, जहां उसे मार दिया जाता है। अन्य शिक्षकों और मुख्यअध्यापिका, मिस मैके, इस तथ्य से दु:खी होते हैं कि मिस ब्रॉडी की "विशेष लड़कियों" बाकी से अलग हैं, स्कूल की कोई भी टीम भावना को प्रदर्शित नहीं करती जिन को प्रोत्साहित करने की कोशिश स्कूल करता है। वर्षों के बाद सैंडी और अन्य सीनियर स्कूल (जहां मिस ब्रोडी पढ़ाती नहीं हैं) और दुनिया में चले गए हैं, मिस मैके की सैंडी के साथ एक नियुक्ति है जिसमें वह इस तथ्य को कुरेदती है कि "यह अभी भी चल रहा है", यानि कि मिस ब्रोडी युवा लड़कियों के एक और सैट को प्रशिक्षण दे रही है, जो सोचने लग जाएँगे कि वे अन्य लड़कियों की तुलना में बेहतर हैं। सैंडी फिर मिस ब्रॉडी की फासीवादी राजनीति के लिए शिक्षित करने में रुचिके बारे में मिस मैके को बताकर मिस ब्रॉडी को धोखा देती है (पहले, मिस मैके ने मिस ब्रॉडी को किसी तरह के सेक्स स्कैंडल में पकड़ने की और और उस से छुटकारा पाने की कोशिश की थी लेकिन विफल रही थी), जो इस तरह के एक स्कूल में माता-पिता द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आसानी से उस से छुटकारा मिल गया, और उसे संदेह है कि मैरी ने धोखा दिया था, हालांकि यह सैंडी थी। उपन्यास में, मिस ब्रॉडी का १९४६ में कैंसर से निधन हो जाता है। नाटक और फिल्म उपन्यास से उल्लेखनीय प्रस्थान दिखाते हैं। जे प्रेसोन एलन द्वारा मंच और स्क्रीन के लिए अनुकूलित रूप में, कहानी को काफी हद तक रैखिक फैशन में बताया गया है। यह १९३२ में शुरू होती है, जब मिस ब्रॉडी इटली में अपनी गर्मी की छुट्टियों से लौट आई है, यह महसूस करने के बाद कि उसका प्राईम आ चूका है। चरित्र और कहानी के अनिवार्य तत्त्व समान होते हैं, हालांकि कुछ चरित्र अलग होते हैं और/या अलग-अलग अंत को प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, मैरी मैकग्रेगर, होटल की आग में नहीं मरती जो स्नातक होने के वर्षों बाद की बात है, लेकिन वह मारिया ब्लेन में अपने अंतिम वर्ष में मार दी जाती है, जब वह अपने भाई से जुड़ने जाती है जो स्पेनिश गृहयुद्ध में लड़ रहा है। वह मर जाती है जब गाड़ी जिस में वह यात्रा कर रही है उसे उड़ा दिया जाता है। नाटक में हम बाद के जीवन में सैंडी को एक नन के रूप में दिखा रहे कुछ दृश्यों को देखते हैं। फिल्म में हमें पता नहीं है कि स्नातक होने के बाद सैंडी या अन्य किसी भी लड़की का क्या होता है, क्योंकि यह वहां समाप्त होती है। किताब में मिस ब्रॉडी को सैंडी द्वारा उस समय धोखा दिया जाता है, जब वह और लड़कियां स्कूल छोड़ गईं हैं और दुनिया में चली गईं हैं, नाटक और फिल्म में १९३६ के स्कूल वर्ष के अंत से कुछ हफ्ते पहले स्नातक होने से पहले विश्वासघात किया जाता है। सैंडी यह विश्वासघात मैरी मैकग्रेगर की मृत्यु की प्रतिक्रिया में करती है। उपन्यासों के चरित्र कल्पित स्कूल शिक्षक
जीन [M]्रॉडीमुरिय[M] स्पार्क के ब[M][M]्[M]्रीन [M][M]न्[M][M]सद प्राईम[M]ऑफ [M]िस[M][M]ीन ब्रॉडी[M](१९६१) में[M] [M]र इस उपन्य[M]स पर आधारित ले[M]िन[M]म[M]लिक थिएट[M] और क[M]व्यात्मक लाइ[M]ेंस के [M]ित में ब[M]ुत भि[M]्न, प्रेसन [M]लन के इसी नाम के [M]ाटक[M]और १९६९ [M][M][M]फिल्म[M]में एक [M]ाल्[M]न[M]क चरित्र है। मिस ब्रॉडी एक अतिरंज[M]त [M]ोमांटिक दुन[M]या को [M]ेखने क[M] साथ एक उ[M]्[M] आदर्श[M]ादी चरित्र है, ज[M]स के बहुत से[M]ूत्रवाक्य[M]ंग्रेजी[M]भ[M]षा मेंक्लीशेब[M] गए हैं। चर[M]त[M][M] क[M][M]नाम [M]तिहासि[M] जीन ब[M]र[M]डी[M](उर[M]फ जीन वाट), जो विली ब्[M]ॉ[M]ी कीलो[M]-विधि प[M]्नी या रखैल थी, जिसकी एक [M]्रत्यक्ष व[M]शज होने का [M]ावा काल्पनिक ब्[M][M]डी करती है; इस प्रकार,[M]व[M] [M]ास्तवि[M] जीन ब्रॉडी की का[M]्पनिक ह[M][M]ाम है[M] [M]सल[M] डिक[M]न विल[M] ब्[M]ॉड[M] वास्[M]व में[M]एक[M]कैबिनेटम[M]कर[M]और [M]िबट[M](फ़ांसी [M]गाने [M]ी [M]शी[M])[M]का निर्[M]ाता था[M]जिसे वास्तव में[M]उसने ख[M]द डिज़ाइ[M] कि[M]ा[M]हो [M]कता[M]ह[M]।ड[M]क[M]न[M]्[M]ॉडी[M][M]्क ओ'[M]स्कॉट[M][M]ंड का[M]एक डिकॉन[M]था[M] उसने आबक[M]र[M] क[M]र्याल[M][M]क[M] लूट ल[M]या था; और उस[M] ज[M][M][M]जिबट स[M] [M]़ांसी[M]लग[M]या गया[M]वह उसने खुद डिज़ाइ[M] किया ह[M] सक[M]ा है। इसी तरह[M] डि[M]ॉन[M]ब्रॉडी की का[M]्पनिक वं[M][M][M]हाल[M]ं[M]ि ब[M]ुत अधिक मानव और दिलकश हैउसे स्व[M]ं को ही आहत[M]कर[M][M][M][M]्वारावर्णित कि[M]ा [M]ा[M]सकता है।विलियम और जी[M][M]वाट ब्[M]ॉडी [M][M] कहानी कोड[M]्ल्यू ई [M][M]न्ले औ[M] रॉबर्ट लुइ[M] [M]्ट[M]वेन्[M]न द्व[M][M]ा[M]डैकॉन ब्रोडी [M]ाद ड[M]ल लाइफ-[M] मेलोड्रामा[M]इन पांच एक्ट्स[M][M]रआठ टॉबॉ में भ[M]वी पीढ़ी के लिए [M]ंरक्षित कर दिया है।यह न[M][M]क २ जुलाई १८८४ को [M]ंदन में[M]प्रिंस[M]ज़ थि[M]टर में खेल[M] गया,[M]जिसम[M][M] श्री ई जे हेन्ली ने ड[M]कन विलियम[M]ब[M][M]ोडी का[M]और म[M]स म[M]न्नी बेल ने[M]जीन का रोल किया। श्री [M]ेन्ले ने २6 सितंबर १८८[M][M][M]ो मॉन्ट्रियल [M]ें [M]स बार ज[M]न व[M][M]/ब्रोडी [M]ी भ[M][M]िका [M]ें मिस कैरी क[M]ट के साथ अपने प्रदर्शन[M]क[M] दोहराव[M]किया। उपन्य[M]स [M]ें, मिस[M][M]ीन ब्रो[M]ी १९३० के एडिन[M]र्ग, स्कॉट[M][M]ंड में लड[M]कियों क[M] रूढ़िव[M]दी स्क[M]ल, मार्सिय[M] ब्ल[M]न में एक [M]्कूल शिक्ष[M][M]ह[M]। वह[M]एक करिश्म[M]ई [M]ुँवारी ह[M] ज[M][M]अपन[M][M]परिवेश म[M]ं अज[M]बी हो रही है। १९३० में, उस ने घो[M]णा [M][M] कि उस का प्राई[M] शुरू हो गया है [M]र य[M][M]सुनिश्चित[M]करने के [M]िए [M]ल प[M][M]ी है कि उसकी क्[M]ास क[M][M]लिए [M]ह स[M]नि[M]्चित करने[M]स[M] क[M] उन्ह[M][M] नाटक, कला और [M][M]सी[M]ाद[M] विश्वासो[M] स[M] अवगत कराया[M]ग[M]ा है, उसके प्राईम[M]का पूर्ण [M][M][M] मिले।[M]अपनी [M]क्षा[M]से ब[M]ह[M] [M]ह[M]अपनी [M]संद[M][M]ा लड़कियों क[M] चयन[M][M]रती हैं और [M]न्हें क्रेम [M][M] [M]ा[M][M]्रेम [M]क्रीम की क्रीम) म[M]ं ढालने का प्रयास[M]करत[M] हैं। उपन्[M]ास में,[M][M]े सै[M]डी[M] मोनिका, [M]ेनी, यूनिस[M] [M]ोज[M][M]औ[M] [M][M]री [M]ैकग्रे[M]र हैं। एक टोम[M][M][M]आए, जॉइस एमिली भी है, जो ब्रोडी सेट मे[M] जबरद[M]्ती घुसन[M] [M]ा प्रयास[M]करती[M]है,[M][M]ेकिन[M]उसे मिस ब्रॉडी [M]्वारा मूल रू[M] से ख[M]रिज कर [M]िया जाता है।[M]सैं[M]ी[M]आख[M]रक[M]र एक म[M][M]मे[M] नन[M] सिस्टर[M]हेलेना बन जा[M]ी[M]है; मर[M]य[M] मैकग्र[M]गर एक होटल म[M]ं[M]आग लगने से मर[M]जाती है; औ[M] [M]ॉइस ए[M]िली स्प[M]निश गृहयुद्ध[M][M][M]ं [M]ली जाती है, जहा[M] उस[M][M]मार दिया जाता ह[M]। अन्य शिक्[M]कों[M]और मु[M]्यअध्या[M]िका, म[M][M] मैके[M] इ[M] तथ्य से[M]दु:खी[M]ह[M]ते हैं कि मिस[M]ब्रॉडी की "विशेष[M]लड[M]कियों" बाकी[M][M]े अ[M][M] [M]ैं, स[M]कूल की[M]कोई[M]भी टीम भा[M]ना को [M]्रदर्[M]ित नहीं कर[M]ी ज[M]न को[M]प[M]र[M]त्सा[M]ित[M]करने की [M]ोशिश स्क[M]ल[M]करता है। वर्षों के बा[M] सैं[M]ी और अन्य सी[M]ियर स्कूल[M](ज[M]ां मिस ब्रो[M]ी पढ़ाती[M]नही[M] हैं) और[M][M][M]निया में चले गए हैं, मिस मै[M]े की सैंड[M] के साथ एक नियुक[M]ति है जिसमे[M] वह इ[M] तथ्य[M]को कुरे[M]ती है कि "य[M] अभी[M]भी चल रहा है"[M] य[M]नि [M]ि म[M]स ब[M]र[M]डी[M]युवा लड़क[M]यो[M][M]के एक[M]और स[M]ट [M]ो प्रशिक्ष[M] [M]े रही [M]ै, [M]ो सोचने ल[M] जाएँगे कि वे अन्य लड़[M]ि[M]ों की [M][M]लना मे[M] ब[M]ह[M]र हैं।[M]सैंडी फिर मिस[M]ब्[M]ॉडी की फा[M]ीवादी[M]राजनीति के ल[M]ए शिक्षित[M]करने में रुचिके बारे में मिस [M]ैके[M]क[M] बताकर मिस ब्रॉडी[M]क[M][M]धोखा [M]ेती [M]ै (पहले,[M]मिस मैके ने मिस ब्रॉडी को किसी तरह[M][M]े स[M]क्स स[M]कै[M]ड[M] [M][M]ं पकड़ने की और औ[M] उस से छुटकारा [M]ाने की को[M][M]श [M]ी थी लेकिन विफल रह[M] [M]ी[M], जो इस[M]तर[M] के एक स्कू[M] मे[M][M]मा[M]ा[M]प[M]ता द्वा[M][M][M]बर्दाश्त [M][M]ीं क[M]या जाएगा। आसान[M] स[M][M]उस [M]े छुटकारा मि[M] ग[M]ा, औ[M][M]उ[M]े संदेह ह[M] [M]ि मैरी ने ध[M]खा [M]िया था, हालांकि यह[M][M]ैं[M]ी[M]थी।[M]उपन्यास में,[M]मिस[M]ब्र[M]डी [M]ा १९४६ [M]ें कैं[M][M] स[M] निधन ह[M] [M]ाता है। नाट[M] और फ[M][M]्म उपन[M]य[M]स से[M][M]ल्लेखनी[M][M]प्र[M]्थान दिखाते ह[M]ं। जे प्रेसो[M][M]एलन[M][M]्वारा म[M]च और [M]्क्रीन क[M] लिए अनुकूलित [M]ू[M] में[M] क[M]ानी को काफ[M] हद तक रैखिक [M]ैशन में बताया[M]ग[M]ा[M]है[M] यह [M]९[M]२ में शुरू ह[M]ती है[M] जब मि[M] ब्रॉडी[M]इट[M]ी[M]में अप[M]ी[M]गर्मी[M]की छुट्[M]ियो[M] [M]े [M]ौट [M]ई है, यह महसूस करने के बाद क[M][M][M]सक[M] [M]्राईम आ चूका[M]है। [M]रित्[M] [M][M] कह[M]नी के अ[M]िवार्य तत्त[M]व समान [M][M]ते हैं, ह[M]लांकि [M]ुछ चर[M]त्[M][M]अलग हो[M]े हैं और/या[M]अलग-[M]लग [M][M]त [M]ो प्रा[M]्त होते ह[M]ं। उदाहरण[M]क[M] लिए, [M][M]र[M] मैकग्रेगर,[M]होटल [M]ी आग [M]ें[M]नहीं मरती जो स्नात[M][M]होने के [M][M]्षों बाद की बात है, लेकिन वह[M]मारिया ब्[M]ेन[M]में[M]अपने[M]अं[M][M]म व[M][M]ष में मार दी ज[M][M][M] ह[M], जब वह अपने भा[M] से जुड़ने ज[M]ती है जो[M][M]्[M]ेनिश गृहयुद[M]ध में लड़ रहा है। वह मर जाती है ज[M] गाड़ी जिस में वह यात्रा कर [M]ही है [M]से उड़ा द[M]या जाता है। नाटक में[M]हम बाद क[M] जीवन म[M]ं सैंडी [M]ो एक नन [M]े [M]ूप में दिखा रहे कुछ[M]दृश[M]यों को देखते हैं। [M]िल्म में हमें[M]प[M]ा [M]ह[M]ं है कि स्नात[M] ह[M][M]े के बाद स[M]ंडी या अन[M]य [M]िस[M] [M]ी लड़की का [M][M]या होता [M]ै, क्योंक[M][M]यह वहां सम[M]प्त होती[M]ह[M]। किताब में[M][M]िस ब्रॉडी [M]ो [M]ैंडी द्वारा[M]उस समय[M]धोखा दि[M][M] जात[M] ह[M], जब वह[M]और लड़क[M]यां स्कूल[M][M]ो[M]़[M]गईं ह[M]ं और दुनिया में चली गईं हैं, नाट[M] औ[M] फिल[M]म में १९३६ के स्कूल वर्[M] के[M]अ[M][M] से कुछ[M]हफ्[M]े पह[M]े स्नातक हो[M]े से पहल[M][M]वि[M]्वासघात क[M][M][M] [M]ाता है।[M]सैंडी यह विश्वास[M][M]त[M][M][M][M]ी मैकग[M]रेगर की मृत्य[M] की प्रतिक्रिया [M]ें क[M][M]ी है। उपन्[M]ासों [M][M] [M]रित्र कल्प[M]त स[M]कूल शिक[M]ष[M]
बेनी या ऍल बेनी बोलिविया का एक प्रशासनिक विभाग (देपार्तामेन्त) है जो उस देश के पूर्वोत्तरी भाग में स्थित है। यह बोलिविया के पर्वतीय क्षेत्र से बाहर का एक मैदानी इलाक़ा है। विभाग के कुछ दृश्य इन्हें भी देखें बोलिविया के विभाग बोलिविया के विभाग
बेनी या ऍल[M]बेनी ब[M]लिविया का एक प्रशासनि[M] विभाग (देप[M]र्तामेन[M]त)[M]है ज[M] उस देश[M]के पूर्व[M]त[M]त[M]ी भा[M] [M]ें स्थि[M] [M]ै। यह बोलिविया के पर्वतीय क्षे[M]्र से बाहर [M]ा ए[M] मैदानी इ[M]ाक़ा [M][M][M] व[M]भाग के[M]कुछ दृश्य इन्हें भी [M]ेखें [M]ोलिविया के विभाग बोल[M]विया क[M] विभाग
मोहब्बत नाम से विकिपीडिया पर निम्न लेख हैं: मोहब्बत (१९९७ फ़िल्म)मोहब्बत (१९८५ फ़िल्म) मोहब्बत का पैगाम (१९८९ फ़िल्म)मोहब्बत के दुश्मन (१९८८ फ़िल्म) मोहब्बत ज़िंदग़ी हैमोहब्बत की आरज़ू मोहब्बत और ज़ंग (१९९८ फ़िल्म)
मोहब[M]ब[M] नाम से [M]िकि[M][M]डिया[M]पर [M]िम्[M][M]ले[M] हैं[M][M]मो[M]ब्[M]त [M]१[M]९[M] [M]़ि[M]्म)मोहब्बत (१९८५ फ़िल्म) मोहब्बत [M]ा पैगाम (१९८९ [M]़िल्म)मोहब्बत [M]े[M]दुश्मन (१९८८ [M]़िल्म) मोहब्बत ज[M][M]ंदग़ी [M]ैमोहब्बत की आरज़ू मोह[M]्बत और [M]़ं[M] (१९९८ [M]़ि[M][M]म)
निशान खूंटी, सल्ट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा खूंटी, निशान, सल्ट तहसील खूंटी, निशान, सल्ट तहसील
निशान खूंटी[M][M]सल्ट तहसील म[M]ं [M]ारत के उत्तराखण[M]ड रा[M]्य के अन[M]तर्ग[M] क[M]माऊँ [M]ण्[M]ल के[M]अल्मोड़ा जिले [M][M] एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्[M]राखण्ड के जिले उत्तरा[M]ण्ड के नगर उत्तरा[M][M][M]ड - भ[M]रत सरकार के आधि[M][M]रिक पो[M]्टल पर उ[M]्तराखण्ड [M]रकार क[M] आध[M]कारिक जा[M]प[M][M]्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के[M]बार[M] में विस्त[M]त एवं प्रामाण[M]क [M]ा[M]कारी) [M]त्त[M]ा [M]ृषि प्रभ[M][M]खूं[M]ी, निशा[M], सल्[M][M]तहसील खूंटी[M] निशा[M], स[M]्ट तहस[M]ल
बाबुल कुमार (जन्म १२ जनवरी १९९३) एक भारतीय क्रिकेटर हैं। उन्होंने १९ सितंबर २०१८ को विजय हजारे ट्रॉफी २०१८-१९ में बिहार के लिए लिस्ट ए में पदार्पण किया, नाबाद १२1 रन बनाए। वह टूर्नामेंट में बिहार के लिए अग्रणी रन स्कोरर थे, आठ मैचों में 4१९ रन बनाए। उन्होंने २२ फरवरी २०१९ को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी २०१८ में बिहार के लिए ट्वेंटी २० की शुरुआत की। १९९३ में जन्मे लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
बा[M]ुल कुमार (जन्[M] १२ जन[M]री १९९३) एक भार[M]ी[M] [M]्र[M][M][M]टर हैं। [M][M]्होंने १९[M]सितंबर २०[M]८ [M]ो विजय हजार[M] ट्र[M][M][M] २[M][M][M]-१[M] मे[M][M]बिहार के [M][M]ए[M]ल[M]स्ट ए मे[M][M]पदार[M]पण किय[M], ना[M]ाद १२1[M]रन बनाए। वह [M][M]र्न[M]में[M] में बि[M]ार[M][M]े लिए अग्रणी र[M] स्[M]ोरर थ[M],[M]आठ मैच[M]ं[M]म[M]ं 4१९ [M]न[M]बनाए। [M]न[M][M]ोंन[M] २२ फरवर[M] २०१९ को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी [M]०१८[M]में बिहार के लिए[M]ट्वेंटी २०[M]क[M][M]श[M]रुआ[M] की। [M]९९३ में जन्मे लोग भारती[M] क्रिकेट ख[M]लाड[M]ी
सिमलखाँ चक पनाल न.ज़.आ., कोश्याँकुटोली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा न.ज़.आ., सिमलखाँ चक पनाल, कोश्याँकुटोली तहसील न.ज़.आ., सिमलखाँ चक पनाल, कोश्याँकुटोली तहसील
स[M]मलखाँ[M]चक पन[M]ल [M].ज़.आ., [M]ोश[M]य[M]ँकु[M]ोली त[M]सी[M] मे[M] [M]ारत के उत्तराखण्ड रा[M][M]य के अन्तर्गत [M][M]माऊँ [M][M]्डल [M][M] नैनीत[M]ल [M]िले [M]ा एक गाँव[M]है। [M]न्हे[M] [M][M] देखें उ[M]्तराखण्ड क[M][M]जिले उत्तराखण्ड [M]े नगर उ[M]्तराखण्[M] - भारत[M]सर[M]ार [M][M] आ[M]िकारिक प[M]र[M]टल पर उ[M]्तराखण्ड स[M]कार[M]का [M]धिक[M]रिक[M]ज[M]लपृष्ठ उत्[M]राखण्ड (उ[M]्तर[M]खण्ड[M][M]े बारे में विस्तृत[M]एवं प्[M]ा[M]ाणिक जानकारी) उ[M][M]तरा [M]ृषि प[M][M]भा न.ज[M].[M]., स[M][M]लखाँ चक पन[M]ल,[M]को[M][M]य[M]ँकु[M]ोली तहसी[M] [M].ज़.आ., सि[M]लखाँ चक [M][M]ाल, कोश्[M][M]ँकुटोली [M]हसील
रुमेश जोसेफ रत्नायके (जन्म २ जनवरी १९६४), श्रीलंका के एक पूर्व क्रिकेटर हैं, जिन्होंने 198२ से १९९३ तक २3 टेस्ट मैच और ७० एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। वह श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के वर्तमान अंतरिम मुख्य कोच हैं। रत्नायके का जन्म कोलंबो में हुआ था। करियर के दौरान अक्सर चोट से जूझते हुए, वह दाहिने हाथ के तेज-मध्यम गेंदबाज थे जो नई गेंद को स्विंग करने और काफी गति और उछाल पैदा करने में सक्षम थे। उन्होंने अपने सुनहरे दिनों में श्रीलंकाई तेज गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व किया, हालांकि चोट लगने के कारण उनका अंतरराष्ट्रीय करियर अपेक्षाकृत छोटा था। वह एक उपयोगी हार्ड-हिटिंग निचले क्रम के बल्लेबाज से भी अधिक थे, जैसा कि पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में अर्द्धशतक है। उन्हें आमतौर पर स्थायी नियुक्तियों के बीच श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के अंतरिम कोच के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए जाना जाता है। वह पूर्णकालिक आधार पर श्रीलंका क्रिकेट के उच्च प्रदर्शन केंद्र से जुड़े होने के कारण तेज गेंदबाजी कोच के रूप में भी काम करता है।
रुमे[M] [M]ो[M]ेफ रत्[M]ायके ([M]न्[M] २ [M]नव[M]ी १९६४), श्रीलंक[M] [M]े एक पूर्व[M]क्रिक[M]ट[M] हैं, जिन्ह[M]ंने 198२ स[M] १९९३[M]तक[M]२3 टेस्ट मैच और ७० एक[M]दिवस[M]य अंतरराष्[M]्[M]ीय [M]ैच[M]ख[M]ले। व[M][M]श्रीलंका की राष्ट्र[M]य क्रिक[M]ट टीम क[M][M][M]र्तम[M]न [M][M]तरि[M] मुख्य कोच हैं। रत्न[M]य[M]े का जन[M][M] कोलं[M]ो में [M]ुआ था। क[M][M]यर [M]े दौरान अक्[M]र[M]चोट[M]से जूझते [M][M]ए, वह [M][M]हिने हाथ क[M] [M]े[M]-म[M]्यम[M]गें[M]बाज थे [M]ो नई गे[M]द क[M] स्वि[M]ग[M]क[M]ने और[M]काफी गति और उछाल पैद[M] [M][M]ने में सक्ष[M] थे। उन्होंने अपने सुनह[M][M][M]दिनों में श्[M]ीलंक[M]ई ते[M] गेंदब[M]जी आक[M]रमण का नेतृत्व किय[M], [M]ालां[M]ि चोट लगन[M] के[M]कार[M][M]उनका अं[M]रराष्[M]्रीय करिय[M][M]अपेक्[M]ाकृत [M]ोट[M] था। वह एक उपयोगी हार्ड-हिटिंग न[M]चले क्रम के बल्लेबा[M] से भी अधिक थे, जैसा क[M] पाकिस्त[M]न औ[M] इंग्लैंड[M]के[M][M]िलाफ टेस्ट मैच में अर्द्ध[M]तक ह[M]। उन्हें आमतौर पर [M]्थायी[M]नियुक्तियों [M]े बीच श्रीलंका की राष्ट[M]र[M][M] क्रिकेट टीम [M]े अं[M]रि[M] कोच के रूप में [M]नक[M] निय[M][M]्[M]ि के लिए जाना जाता है। [M]ह पूर[M]णकालिक आ[M]ार [M]र[M]श[M][M]ीलंका [M]्[M]िकेट के [M]च्च प्रदर्शन केंद[M]र से जुड़े होने के कारण [M]े[M] [M]ेंद[M]ाजी [M]ोच[M]के रूप मे[M] भ[M] काम करता है।
नलबाड़ी (असमिया : ) भारत के असम राज्य के नलबाड़ी ज़िले में स्थित एक शहर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। इन्हें भी देखें असम के नगर नलबाड़ी ज़िले के नगर
[M]लबाड़[M][M](असमिया : ) भारत [M]े असम राज्य के नलब[M]ड़ी [M]़[M]ले में स्थित [M]क शहर[M]है[M] यह उस [M]़िले क[M] म[M]ख्य[M][M]य भी है।[M]इन्हे[M] [M]ी देखे[M] असम क[M] [M]गर नलबाड़ी ज़ि[M]े[M]के नगर
२६ नवंबर २००८ को बैंकाक' अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे' पर बम विस्फोट तथा शहर के विभिन्न स्थानों पर ग्रेनेड हमले में कम से कम सात लोग घायल हो गए। दूसरी ओर, दो स्थानीय टेलीविजन चैनलों के अनुसार विरोध प्रदर्शन करने वालों पर ग्रेनड से हमले किए गए, जिसमें तीन लोग घायल हो गए. सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों से झड़प के दौरान विधि-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है| सुवर्णाभूमि हवाई अड्डे पर हुए विस्फोट से एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने यहाँ पर उत्पात मचाया था तथा जबरन इसे बंद करने की कोशिश की थी। आपातकालीन चिकित्सा सेवा के अधिकारी पेत्पोंग कंचोर्नकित्करन ने बताया कि सुवर्णाभूमि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बुधवार सुबह हुए एक विस्फोट में कम से कम दो लोग घायल हो गए। दो स्थानीय टीवी चैनलों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर ग्रेनेड से हमला किया गया, जिसमें तीन लोग घायल हो गए। पेत्पोंग ने बताया कि लगभग इसी समय में बैंकाक की पुरानी डान मुएंग हवाई अड्डे पर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर ग्रेनेड से हमला किया गया। इस हमले में दो और लोग घायल हो गए। गौरतलब है कि इस स्थान पर प्रधानमंत्री का अस्थाई कार्यालय है। पुलिस ने बताया कि डान मुएंग की ओर जाने वाली सड़क पर सरकार समर्थकों के जुलूस पर दो ग्रेनेड फेंके गए। इसमें तीन अन्य लोग घायल हो गए। कल यहाँ पर दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच झड़प होने से ११ लोग घायल हो गए थे। अगस्त में मध्य बैंकाक में सरकार के मुख्य कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे के बाद से प्रधानमंत्री सोमचाई वोंगस्वात ने डार मुएंग में अपना अस्थाई कार्यालय स्थापित किया था। थाईलैंड में निर्वाचित सराकर के खिलाफ पीपुल्स एलायंस फॉर डेमोक्रेसी पिछले छह महीने से सड़कों पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। थाईलैंड में आतंकवाद
२६ नव[M]ब[M] २००८ को बैंकाक' अंतरराष[M]ट्र[M][M] [M]वाई [M]ड्डे' पर बम विस्[M]ोट त[M]ा शहर[M]के[M]व[M]भ[M]न्न [M]्था[M]ों [M]र[M][M][M]रेनेड हमले में कम से कम सा[M] लोग घ[M]यल ह[M] [M]ए। दूसरी ओ[M], दो[M]स[M]थानी[M] टेल[M]विजन [M]ैनलों के अनुसार [M]िरोध प्रदर्शन करने[M]वालों प[M][M]ग्रेनड[M]से [M]मल[M] [M][M][M] गए, जिसमें त[M][M][M]लोग[M]घायल हो ग[M]. सरकार विरोधी प्रदर्शनक[M]रियों से झड़प के दौरान विधि-व[M]यवस[M]था पू[M]ी [M]रह चर[M]रा गई है| सु[M]र्णाभ[M]मि हवाई[M]अड्ड[M] प[M] ह[M][M] व[M]स्फ[M]ट[M]से एक[M]दिन पहल[M] प्रदर्[M]नक[M]रियो[M] ने यहाँ पर उत्पात मचाया[M]थ[M] तथा जबरन इसे बंद करने की कोश[M]श[M]की थी। [M]पातकालीन चि[M]ित्[M]ा [M]ेव[M] के अधिक[M]री पेत्पोंग कंच[M]र्नकित्[M]रन [M]े बताय[M] कि सुवर्णाभूमि अंतररा[M]्[M]्र[M][M] [M][M][M]ई अड्ड[M] [M]र बुधवार सुबह हुए ए[M] व[M]स्फोट में कम[M]से कम[M]द[M] लोग घायल हो गए। दो स्थानीय टीवी [M]ैनल[M]ं न[M] बताया कि प्[M][M]र्शनकारियो[M] पर ग्र[M]नेड[M]से[M]ह[M]ला किया [M]या, जिसमें [M]ीन [M]ोग[M][M]ायल हो ग[M]। पेत्पोंग[M]ने बता[M]ा [M]ि लग[M][M] इसी [M]मय में बैंकाक[M]की[M]पुरानी डा[M] म[M]एंग[M]हवाई[M]अड्डे [M]र सरकार विरोधी प्रदर्श[M]क[M]रियों पर [M][M]रे[M]ेड[M]से हमला किया गया। इस [M]मले[M][M]ें दो और[M]लोग घा[M][M] हो ग[M]। ग[M]रतलब है क[M] इस स्[M][M]न[M][M][M] प्रध[M]नमंत्री का अस्थाई कार्यालय है। पुलिस [M]े [M]त[M]या कि डा[M] मु[M]ंग की ओर जाने [M]ा[M]ी सड़क [M]र सरकार सम[M]्[M]कों के जुलूस प[M] द[M] ग्रेनेड फेंके [M][M]। इसमें तीन अन्य लोग घ[M]य[M][M]हो गए। कल यहाँ पर दो प्रति[M]्[M]ंद्वी समूहों [M]े बीच[M]झ[M]़प होने से १[M] ल[M]ग घायल हो गए[M]थ[M]। अग[M]्[M] में मध[M][M] बैंकाक में सरकार के मुख्य[M]कार्यालय पर[M]प्र[M]र्शनक[M]र[M][M]ों के कब्ज[M] के[M][M][M]द स[M] [M]्रधानमंत[M]री सो[M][M]ाई व[M][M]गस्वात ने डा[M][M]मुएंग में अपना [M][M]्[M]ाई कार्यालय स्थापित किया थ[M]।[M][M]ाई[M][M]ंड म[M]ं निर्वाचित सराकर क[M] खिलाफ [M]ीपुल्स एलायंस फॉर[M]डेमोक्रे[M]ी पिछ[M]े छह महीने से सड़[M]ों पर आंदोलन[M][M]ा ने[M]ृत्व कर रहा है[M][M]थाईलैंड मे[M] आतं[M]वाद
अगर आप भारत के उत्तराखंड राज्य की बाराकोट तहसील में स्थित इसी नाम के गाँव पर जानकारी ढूंढ रहें हैं, तो पुनियाल, बाराकोट तहसील वाला लेख देखें पुनियाल या पूनयाल (, पुनील या पुण्यल) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की एक घाटी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह ग़िज़र ज़िले की एक तहसील है। इसका प्रशासनिक मुख्यालय गाहकूच है, जो ग़िज़र ज़िले की राजधानी भी है। पुनियाल वादी की ऊँचाई ५,००० से ९,००० फ़ुट के बीच में है और यह कई पर्यटकों को आकर्षित करती है। पहले ज़माने में यह एक रियासत हुआ करती थी इसलिए इसे कभी-कभी आज भी 'पुनियाल रियासत' या 'पुनियाल जागीर' बुला दिया जाता है। पुनियाल के अधिकतर लोग शीना भाषा बोलने वाले शिया मुस्लिम हैं जो इस्माइली शाखा से सम्बन्ध रखते हैं। इस क्षेत्र पर कभी चित्राल के राजा का क़ब्ज़ा हो गया था और तब यहाँ कुछ सुन्नी परिवार भी आ गए थे जो राजपूत समुदाय के हैं। शिया और सुन्नी अलग-अलग क़ब्रिस्तानों का प्रयोग करते हैं। इन्हें भी देखें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर
अगर आप भा[M]त के उत्[M][M]ाखंड [M]ाज्य की ब[M]र[M]कोट तहसील म[M]ं स्थित इसी नाम के गाँव [M]र जानकारी ढूं[M] रहे[M][M]हैं, [M]ो पुनियाल, ब[M]र[M]कोट त[M]सी[M] व[M]ला लेख देखे[M] पुन[M]याल या[M]पूनयाल (,[M]पुनील या पुण्यल[M] [M][M]क-अधिक[M]त कश्मीर[M]के [M]ि[M]गित[M]बलतिस्तान क्[M]ेत्र के ग़िज़र ज़िले [M][M] एक घाटी है। प्रशासनिक[M]दृष्टि स[M] यह ग[M]िज़[M] ज़िले क[M] एक तहसील[M]ह[M][M] इसका प्रश[M]सनि[M][M][M]ुख्यालय गाहकूच [M]ै, जो ग़[M]ज़[M] ज़[M]ले की राजधानी भी है। पुन[M]या[M] वादी [M]ी[M]ऊ[M]चाई ५[M]००० से ९,००० फ़ुट[M]के[M]बीच[M]म[M]ं है और यह क[M][M]पर[M][M][M]कों[M]क[M] आकर्[M]ित [M][M][M]ी है। पहले ज[M]माने में यह [M]क र[M]यासत [M]ुआ करती थी[M][M]सलिए[M]इसे [M]भी-कभी आज[M][M]ी[M]'पुनिया[M] रिय[M][M]त' या [M][M]ुनियाल [M]ागीर[M][M]बुला दिया जाता है। [M]ुन[M]याल[M]क[M] अ[M]िकतर लोग शी[M][M][M]भाषा बोलने व[M]ले[M]शि[M]ा मुस[M]ल[M]म[M][M][M]ं [M]ो इस्माइली शाखा[M]से सम्[M]न्ध [M]खते [M]ैं। इस [M]्षेत्र पर [M]भी चित[M][M]ाल क[M] राजा [M]ा[M]क़ब्ज[M]ा हो गया[M]था और तब यहाँ[M]कुछ सु[M]्नी परि[M]ार [M][M][M][M] गए [M]े[M]जो [M]ाजपूत समु[M]ाय [M][M] हैं। [M]िया[M][M]र स[M]न्नी अलग-अलग क़ब्रि[M]्[M]ानों का [M]्रय[M]ग[M]करते[M]हैं[M] इन्[M]ें भी देखें पाक[M]स्तान प्रश[M]सित[M]कश[M]मी[M]
१५६० ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
[M]५६[M] ग्रेग[M]री कै[M]ंडर क[M] [M][M] अधिवर्ष [M]ै[M] अ[M]्ञात त[M]रीख़ की घटनाएँ
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील चंदौसी, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७२२ चंदौसी तहसील के गाँव
भारत की [M]नगणना अ[M]ुसार[M]यह [M]ाँव, [M]हसील [M][M]दौस[M], जिला मुरादा[M]ाद, उत[M]त[M] [M]्रदेश [M]ें स[M]थित है। सम[M]बंधित[M]जनग[M]न[M] [M][M]ड[M] र[M]ज्य कोड :०९[M]जिला कोड[M]:१३५ तहसील [M]ोड : ००७२२ चंदौसी तहसील के [M]ाँ[M]
जिउद्दीनचक धनरूआ, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। पटना जिला के गाँव
जिउद्दीनचक धनरूआ, पटना, बि[M][M]र स्थित[M]एक गाँव[M]है। प[M]ना जिला के गाँव
बोरगांव लगा अमगांव, यमकेश्वर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा अमगांव, बोरगांव लगा, यमकेश्वर तहसील अमगांव, बोरगांव लगा, यमकेश्वर तहसील
बोरगा[M]व[M]लगा अमगांव, यमकेश[M]वर तहसील[M]म[M]ं भारत के उ[M]्तर[M][M]ण्ड रा[M]्य[M]के [M][M]्तर्[M]त गढ़वाल मण[M]डल के पौड़ी जिले का एक[M]गाँव [M][M]। [M]न्हें भी द[M]खें उत्तराखण्ड क[M] जिले उ[M]्तरा[M]ण्[M] के [M][M]र उत्[M]राख[M][M]ड - [M]ारत सरक[M]र के[M]आधिकारिक पोर्टल प[M] उ[M]्[M]राखण्ड सर[M]ार का [M]धिक[M][M]िक जालपृष[M]ठ [M]त[M]तराखण्[M][M](उत्तराखण्ड के [M]ा[M]े मे[M] विस[M]तृत एवं प्रा[M]ाणिक [M]ानकार[M]) उत्[M]रा कृ[M][M] प्रभ[M] [M]मगांव, बोरगांव[M]ल[M]ा[M] यमकेश[M][M]र तहसील[M]अमगांव, बोरगांव लगा, यमकेश[M]वर तहसील
वायुगतिकी (ऐरोडिनामिक्स) गतिविज्ञान की वह शाखा है जिसमें वायु तथा अन्य गैसीय तरलों (गैसिस फ्लाइड) की गति का और इन तरलों के सापेक्ष गतिवान ठोसों पर लगे बलों का विवेचन होता है। इस विज्ञान के सार्वाधिक महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में से एक अनुप्रयोग वायुयान की अभिकल्पना है। सभी गैसों में श्यानता (विस्कोसिटी) और संपीड्यता (कम्प्रेसिबिलिटी), दो गुण न्यूनाधिक मात्रा में होते हैं। तीसरा गुणा समांगता (होमोजेनेती) का है। यद्यपि वायु विविक्त अणुओं (डिस्क्रेट मोलेकुल्) से बनी होती है, इसे संतत माध्यम अथवा सांतत्यक (कॉन्टिनूम) मान लेने में त्रुटि तब तक उपेक्षीयणीय रहती है, जब तक वह अत्यधिक विरल न हो। सांतत्य माने बिना सैद्वांतिक उपचार प्राय: असंभव सा ही है। श्यानताहीन, अर्थात् घर्षणहीन, असंपीड्य तथा समांग तरल को परिपूर्ण तरल (पर्फेक्ट फ्लुइड) कहते हैं। जल और वाय दोनो को परिपूर्ण तरल माना जा सकता है (ध्वनि वेग से कम वेगवती वायु, केवल पिंडपृष्ठ के निकटवर्ती प्रांत को छोड़कर, जहाँ श्यानताप्रभाव अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं)। कम वेगवाले वायुप्रवाह के वायुगतिविज्ञान के गणितीय सिद्धांत प्राय: द्रवगति विज्ञान जैसे हैं। वायुगति विज्ञान की क्लिष्टतर समस्याओं का हल परिपूर्ण तरल की मान्यता पर प्राप्त हल में श्यानताजन्य अतिरिक्त प्रभाव जोड़ देने पर मिल जाता है। श्यान तरलों के वायुगतिविज्ञान में सर्वाधिक महत्तावाला सिद्धांत परिसीमा स्तर (बोर्डरी लेयर) सिद्धांत है, जिसके आधार पर वायु में गतिमान पिंड में त्वक्-घर्षण-कर्ष (स्किन फ्रिक्शन ड्राग) की व्याख्या दी जाती है। संपीड्य तरल का गतिविज्ञान जब वायु में गतिवान पिंड का वेग ध्वनि वेग के समीप आ जाता है, या उससे भी अधिक हो जाता हैं तब धनत्व और ताप में परिवर्तनों का प्रभाव पिंड पर क्रियान्वित दाबबलों की व्याख्या में महत्वपूर्ण हो जाता है। तब तरल को असंपीड्य नहीं माना जा सकता और दाब, घनत्व तथा ताप के पारस्परिक संबंध का ज्ञात होना आवश्यक है। संपीड्य प्रवाह के वायुगति विज्ञान का व्यावहारिक अनुप्रयोग प्रक्षेप्यों के बाह्य क्षेपण विज्ञान (बैलिस्टिक्स) में और तीव्रगामी वायुयानों अथवा उनके नोदकों (प्रॉपलर्स) की उड़ान-तकनीकी में है। इसका उपयोग शक्ति-संयंत्र (पॉवर प्लांट) की डिज़ाइन में, वाष्प टरबाइन तथा गैस टरबाइन और जेट-नोदन (जेट प्रोपल्सन) एककोंवाले प्रवाह के अध्ययन में किया गया है। पिंडवेग और तरलीय ध्वनिवेग के अनुपात को मेक संख्या (मच नंबर) कहते हैं। चूँकि किसी तरल में ध्वनिवेग तरलघनत्व के सापेक्ष दाब परिवर्तन दर की माप है, मेक संख्या म तरल की संपीड्यता का सूचक है। सिद्ध किया जा सकता है कि यदि म > १, अर्थात् पराध्वानिक प्रवाह में तुंड (नॉजल), वाहिनी (दुक्ट), अथवा धारा रेखाओं के बीच क्षेत्रफल वेगवर्धन के साथ बढ़ना चाहिए। इसके विपरीत स्थिति अवध्वानिक प्रवाह के लिए है। विविध प्रकार के प्रवाह तरल की ऐसी गति को, जिसमें समय के साथ वेग और दिशा कोई नहीं बदलती, अपरिवर्ती प्रवाह (स्टेडी फ्लो) कहते हैं, अन्यथा उसे परिवर्ती प्रवाह कहते हैं। दोलायमान पक्षक (ऐरोफ़ॉइल) अथवा स्थिर कुंद पिंड के पीछेवाला प्रवाह परिवर्ती होता है। वायुगतिविज्ञान में व्यवहृत अधिकांश समस्याएँ अपरिवर्ती प्रवाहवाली होती हैं। प्रवाह को एकविम, द्विविम या त्रिविम इस बात के अनुसार कहते हैं कि उसमें वेग, घनत्व और दाब केवल एक, दो या तीन आकाशचरों (स्पेस वरिएबल्स, अर्थात् निर्देशांकों) के फलन हैं। वात सुरंग (विंड टनेल) की डिज़ाइन एक विम प्रवाह सिद्धांत का अनुप्रयोग है। द्विविम अर्थात् समतल प्रवाह में गति रेखाएँ, अर्थात् धारा रेखाएँ (स्ट्रीम लाइन्स), या तो एक ही समतल में होंगी या समांतर समतलों में होंगी और तब इन समतलों में गति तत्सम होगी। अनंत विस्तारवाले पक्षक पर से प्रवाह द्विविम होता है, क्योंकि पक्षक के अनुप्रस्थ परिच्छेदों पर तत्सम प्रवाह मिलेगा। यदि पक्षक सीमित विस्तार का हो, तो त्रिविम प्रवाह प्राप्त होता है। जब वेग इतना कम हो (लगभग २०० मील प्रति घंटा तक) कि वायु को द्रव के समान संपीड्य माना जा सके, तो प्रवाह को असंपीड्य प्रवाह कहते हैं। वेग की दृष्टि से प्रवाह को अवध्वानिक (सबसोनिक), ट्रांसध्वानिक (ट्रांसनिक), पराध्वनिक (सुपरसॉनिक), या अतिध्वनिक (हाइपर्सनिक), इस तथ्य के अनुसार कहते हैं कि प्रवाहवेग ध्वनिवेग से कम, उसके निकट, उससे अधिक, या उससे कहीं अधिक है। पिंडजन्य दाबसंकेतों का वेग ध्वनिवेग से, आगेवाले पिंड के सापेक्ष उसके वेग को घटाने पर, या पीछेवाले पिंड के सापेक्ष उसके वेग को जोड़ देने पर, प्राप्त होता है। कालांतर पिंड के सापेक्ष उसके वेग को जोड़ देने पर, प्राप्त होता है। कालांतर में संकेत आकाश के सभी बिंदुओं पर पहुँच जाते हैं। अत्यंत न्यून अवध्वानिक वेगों पर दाबसंकेतों का संचरण (प्रोपगशन) सभी दिशाओं में सममित होता है और यदि दाबसंकेतों का वेग अनंत माना जा सके, तो अवध्वानिक प्रवाह असंपीड्य प्रवाह जैसा हो जाता है। पराध्वानिक प्रवाह में दाबसंकेत आगे नहीं जा पाते और किसी बिंदु विशेष पर का विक्षोभ अनुप्रवाह दिशा में "मेक" शंकु (मच कोन) के भीतर ही सीमित रहता है। जैसा कि कार्मां ने सिद्ध किया है, अतिध्वानिक प्रवाह का वायुगति-विज्ञान कई बातों में न्यूटन के कणिकावाद (कोरप्स्कुलर थ्योरी) से मेल खाता है। रॉकेट उड़ान के विकास ने अतिध्वानिक प्रवाह के अध्ययन को प्रेरित किया। इस अध्ययन में शांकवीय प्रवाह के, जिसमें एक मूल बिंदुगामी त्रिज्यों के अनुदिश तरल गुण अपरिवर्तित रहते हैं, अनेकों अनुप्रयोग हैं। अत्यंत ही विरल गैसों के वायुगतिविज्ञान को परमाणुगतिविज्ञान की संज्ञा दी गई है, क्योंकि अब पिंड के विस्तार की तुलना में गैस का माध्य मुक्तपथ उपेक्षणीय नहीं रहता। वायुगतिविज्ञान संबंधी घटनाओं को गणितीय प्रतिरूप (मैथेमेटिकल मॉडल) द्वारा निरूपित करने का पहला ध्येय यह जानना होता है कि पिंड पर दाब किस प्रकार वितरित है और उसके कारण वायुयान के बाह्य और आंतरिक पृष्ठों पर क्या परिणामी बल और घूर्ण क्रियावंत हैं, जिससे उन्हें समुचित दृढ़ता का बनाया जा सके। दूसरे, वायुयान के एक अंग पर वायुप्रवाह का प्रकार ज्ञात करना, जिससे उसके प्रभाव का पुच्छपृष्ठ जैसे अन्य अंगों पर अध्ययन किया जा सके। वायु जैसे अल्प-श्यान तरल के गतिसमीकरण बन तो जाते हैं, किंतु सामान्यतया वे हल नहीं हो पाते। अतएव वैमानिकी (एअरोनॉटिक्स) में प्रयोग करके परिणाम प्राप्त किए जाते हैं; किंतु पूरे पैमानेवाले पिंडों (फुल स्केल ऑब्जेक्ट्स) पर प्रयोग करना अत्यंत व्यय और श्रमसाध्य है। पिडों के छोटे प्रतिरूपों (प्रोतोटिपिस) को बात सुरंग (विंड टुन्नल) में लटकाकर, समुचित वायुप्रवाह में उनकी प्रतिक्रिया देखी जाती है। वैमानिक समस्याओं में वायु को परिपूर्ण माना जा सकता है। उस स्थिति में यह गणितसिद्ध तथ्य है कि पिंड का परिमाण, अथवा उसका वेग, या तरल का घनत्व कुछ भी हो, समरूपत: गतिवान समरूप पिंडों से समरूप वायुप्रवाहों का जनन होगा। द्रव तरल के लिए भी यह सत्य है। यदि ४०० मील प्रति घंटे से बड़े वेगों का सामना हो, तो समरूपता के लिए यह ध्यान रखना होगा कि जलवाले प्रयोगों में वेगों का जलीय ध्वनिवेग से वही अनुपात रहे जो वायुवाले प्रयोगों में वायु का ध्वनिवेग से है, अर्थात् जलवाले वेग वायु वालों के लगभग चौगुने हों। श्यानता से प्रभावित तरल प्रवाहों में समरूपता के लिए आवश्यक है कि दोनों की रेनोल्ड संख्या, पल म, वही रहे। यहाँ म तरल की श्यानता, र उसका घनत्व, व उस में होकर पिंड का वेग और १ उस पिंड का परिमाण परिभाषित करनेवाली कोई समुचित लंबाई है, जैसे वायुयान के लिए उसकी लंबाई और गोले के लिए उसका व्यास। यदि किसी प्रवाह की रेनोल्ड संख्या लघु है, जो उस गति में श्यानता का महत्वपूर्ण प्रभाव होगा और वह सीरे, या भारी तेल, के जैसा प्रवाह देगा। सुप्रवाही पिंड के परित: प्रवाह परिकल्पित अश्यान (इन्विस्सीड) तरल के सिद्धांत का एक निष्कर्ष यह है कि यदि कोई पिंड ऐसे तरल में चलता है जो केवल पिंड के कारण ही विरामावस्था को छोड़े हुए है, तो पिंड के परित: प्रवाहप्रकार अद्वितीय रूप से पिंड के आकार और उसकी गति से निर्धारित हो जाता है और पिंडपृष्ठ के विभिन्न बिंदुओं पर तरल जो दबाव लगाता है, उनका परिणामी शून्य होता हैं, भले ही उनका आघूर्ण शून्य न हो। यह स्थिति वायुयान पक्षक जैसे चपटे सुप्रवाही पिंड पर उपलब्ध होती है। जो भी थोड़ा-बहुत कर्ष (ड्राग) रहता है, वह केवल त्वक्घर्षण (स्किन फ्रिक्शन), अर्थात् पृष्ठ पर वायुघर्षणजनित स्पर्शरेखीय बलों, के कारण होता है। बड़ी रेनोल्ड संख्यावाले प्रवाहों में त्वक्घर्षण पिंडपृष्ठ से लगी अत्यंत पतली परत में, जिसे परिसीमा स्तर (बोर्डरी लेयर) कहते हैं, सीमित रहता है। इस स्तर के भीतर का प्रवाह अत्यंत जटिल है। स्तर के बाहर का प्रवाह धारारेखी अश्यान तरल जैसा होता है। जब तक पक्षक का वेग से आपात कोण (इन्सिडेन्स एंगल) अत्यधिक न हो, पक्षक के परित: प्रवाह धारारेखी होगा, कर्ष कम होगा और पक्षक पर उत्थापक बल (लिफ्ट) लगाएगा, जो आपात कोण के साथ बढ़ेगा। यदि आपात कोण एक सीमा से बढ़ जाता है, तो प्रवाह धारारेखी न रहकर विक्षुब्ध (तुर्बूलेंट) हो जाता है और पक्ष अव्यवस्थित होने लगता है (अर्थात् स्टाल); कर्ष एकदम बए जाता है और उत्थापक बल आपात कोण के बढ़ने पर कुछ कम होने लगता है। कम आपात कोण की अवस्था में भी बलों का सैद्धांतिक विवेचन जटिल है; विशेषकर परिमित परिमाण के पक्षक में प्रेरित कर्ष (इन्दुड ड्राग), पार्श्व कर्ष (प्रोफाइले ड्राग) आदि, पर विचार करना होता है। मुक्त उड़ान (फ़्री फ्लाइट) में स्थायित्व (स्तबिलिटी) की समस्या भी उपस्थित हो जाती है। उड़ानविज्ञान में इनका विवेचन अत्यंत महत्व का है। इन्हें भी देखें
व[M]युगतिकी[M](ऐरोडिन[M]मि[M]्स) गतिविज्ञ[M]न की [M]ह [M]ाखा है जिसमें व[M]यु तथा अन्य ग[M]स[M]य[M]तरलों[M]([M]ैसिस फ्ल[M]इड) की गति का [M]र इन त[M]लों[M]के सापेक्ष गतिवान ठो[M]ों प[M] लग[M] बलों क[M] वि[M]ेचन [M]ोत[M] [M]ै। इस विज[M]ञा[M] क[M] सार्वाधिक महत्वपूर्ण अनुप्[M]योगों मे[M] से एक अनु[M]्[M]योग वायुयान की [M][M]िकल्[M]ना है। सभी [M]ैसों [M]ें[M]श्यानत[M] [M]वि[M]्क[M]स[M]टी[M] और संपी[M]्यता (कम्प्रेसि[M]िलिटी), दो गुण [M]्यूनाधिक [M]ात्रा में होत[M] हैं। तीसरा गुणा[M]स[M]ांगता[M](होमोज[M]नेती) का[M]है। [M]द्यपि वायु विव[M]क्त अणुओं[M](डिस्क्रे[M] मो[M]ेकु[M]्) से ब[M]ी होती[M][M][M], इसे संतत म[M]ध्यम अथवा [M]ांतत्यक[M](कॉन्टिनूम) मान लेने मे[M] त्रु[M]ि तब त[M] उपे[M]्षीयणीय रहती है,[M]जब तक व[M][M]अ[M]्यधिक विर[M] न हो। सांतत्य माने बिना सैद्वा[M]ति[M] उ[M]चार प्राय[M] असंभ[M][M]स[M][M][M]ी है। श्यानत[M][M]ीन, अर्थात् [M]र्[M]णहीन[M][M][M]संपीड्[M][M]तथा समा[M][M] तर[M] को परि[M]ूर्ण त[M][M] (पर्[M]ेक्ट[M]फ्[M]ु[M][M][M] कह[M][M] [M]ैं[M] जल और वा[M] दोनो को परिपूर्ण[M]त[M]ल म[M]ना जा सकता है (ध्व[M]ि वेग से[M]क[M] वेगवती [M]ायु, केवल पिंडपृ[M]्[M][M]के निक[M][M]र्[M]ी[M]प्[M]ां[M] को छोड़कर[M] ज[M]ाँ [M]्यानताप्रभाव अत[M]यंत ही महत्त्व[M]ूर्ण होते ह[M]ं[M]। कम[M]वेगव[M]ले वायुप्र[M]ाह[M]के वायुगतिविज्ञान के गणि[M]ीय[M][M]िद्धांत[M]प्राय:[M]द[M]रवगति विज्[M]ान[M]जैसे हैं। व[M]य[M]गति व[M]ज्ञा[M][M]की क्लिष[M]टतर समस्या[M]ं का हल [M]र[M]पूर[M]ण [M]रल की[M]मान्यता प[M] [M]्र[M]प[M]त हल म[M][M] श्यानताजन्य अ[M]िरिक्त प्र[M]ाव जोड़ [M]ेने [M][M] [M]िल जाता[M]है। [M]्यान तरलों के वायुगति[M]िज्ञान [M]ें सर्वाध[M]क महत्[M]ावा[M]ा सि[M]्धां[M] परिसीमा स्तर (ब[M]र्डरी लेयर)[M]सिद्धांत है, जिसके आधा[M] पर वायु[M]मे[M] गतिमान प[M]ंड मे[M] त्वक्[M]घर्[M]ण-[M]र[M]ष (स्किन फ्रिक्श[M] ड[M]राग) की व्या[M][M][M]ा[M]दी जाती है। स[M]पीड्य [M]रल का गतिव[M]ज्ञान जब वायु में गतिवान[M]पिं[M] [M]ा वेग ध[M]वन[M] वेग[M][M]े समीप आ[M]जाता है, या[M]उस[M]े भी अधिक हो जाता हैं तब धनत्व और ताप में [M]र[M]वर्तनों का [M][M][M]भाव पिंड [M]र क्रियान्व[M]त द[M]बबलों [M]ी व्या[M]्या में महत्वपूर्ण हो जाता [M]ै। तब [M]रल क[M] असं[M]ीड्य नह[M]ं माना[M]जा स[M]त[M] और दाब, घनत[M]व[M]तथ[M] त[M]प के[M]पारस[M]परिक [M]ंबंध का ज्ञात हो[M]ा आव[M][M]यक है[M] स[M]पीड्य प्र[M]ाह के वा[M]ुग[M][M] विज्[M]ान का व्यावहारिक अनुप्रयो[M] [M]्[M]क्षेप्यों क[M] ब[M]ह[M]य क्षेपण विज्ञान (बै[M]िस्टिक[M][M])[M]में[M]और ती[M]्रगाम[M] वा[M]ुयान[M]ं[M]अथवा [M][M]क[M] नोद[M]ो[M][M](प्र[M]पलर्स)[M][M]ी[M]उड़ान[M]तकनीकी में [M]ै[M] इसका[M][M][M]योग शक्ति-[M]ंयंत्र (प[M]वर प[M]ल[M]ंट) की डिज़ाइन म[M][M][M] [M]ा[M][M]प टर[M]ाइन[M]तथा गैस टरब[M]इन और[M]जेट-नोदन ([M]ेट[M]प[M]र[M][M]ल्स[M]) एक[M]ोंवाले प्रवाह के[M]अध्ययन में किया गया है। [M]िं[M]वेग और तरलीय ध्वनि[M]ेग के अनुपा[M] को मेक संख्[M]ा ([M]च[M][M]ंबर) क[M]त[M][M]हैं। चूँक[M] किसी तरल म[M]ं ध्वनिवेग तरलघनत[M]व के सापे[M]्[M] दाब पर[M]वर[M]तन दर [M]ी [M]ाप है, मेक स[M]ख्य[M] म [M]रल की[M]संपीड्यता[M]का [M]ूचक है। सिद्ध[M]किय[M] जा सक[M]ा है[M]कि यदि म > १, अर्थ[M]त् [M]राध्वानिक [M]्रवाह म[M]ं तुंड (नॉज[M]), वाहिनी [M]द[M]क्[M]), अथवा धारा र[M][M]ाओं[M]क[M] बीच क्[M]ेत[M]रफल व[M]गवर्[M]न [M]े साथ [M]ढ़ना[M]च[M]हिए[M] इसक[M] विपर[M]त स्थिति अवध्व[M]निक प्रवाह के [M]िए[M]है। व[M]विध प[M]रका[M] के प[M][M]वाह तर[M] की [M]सी ग[M][M] को[M] [M]िसमें समय के साथ वे[M] और दिशा[M]कोई [M][M][M]ं बद[M]ती, अ[M]रिवर्ती[M]प्रवाह[M](स्ट[M]डी फ्लो[M][M]कहते हैं, अन्[M]थ[M][M]उसे [M]र[M][M][M]्त[M] प्र[M]ाह कहते हैं। दोल[M]य[M]ान[M]प[M]्षक (ऐ[M]ोफ़ॉइल) अथवा स्थ[M]र [M]ु[M]द [M][M]ंड के [M]ीछेवाला प्रव[M]ह प[M]िवर्ती होत[M] ह[M]। वायुगतिविज[M]ञ[M]न में[M]व्यवहृत अधिकांश सम[M]्याएँ[M]अपरिवर्त[M] प्[M]वाहवाली होती ह[M][M]। प्[M][M]ाह[M]को एकव[M]म, [M]्वि[M]ि[M] य[M] त्रिविम[M]इस बात के अनुसार कहते[M]हैं कि उस[M]ें वेग, घनत्व और दाब केव[M] ए[M], दो या त[M][M] आकाश[M]रों (स्पे[M] व[M]िएबल्[M], [M]र्थात् निर[M]देशांकों) के फलन हैं। वात स[M]रंग (विं[M][M]टन[M]ल) [M]ी डिज़ाइन एक विम[M]प[M]रवा[M] सिद[M]धा[M]त क[M] [M]नुप्रयोग है[M] द्विविम अर्थ[M]त[M] समतल प्रवा[M][M]म[M]ं गति[M]रेखाएँ, अर्[M]ात् धार[M] रेखा[M]ँ (स्[M]्रीम लाइ[M]्स[M][M] या[M]तो एक[M]ही [M]मतल में होंगी या समांतर समतलों[M]में होंगी और[M]तब इन समतल[M][M] म[M]ं गति[M][M]त्सम [M]ो[M]ी। अनं[M][M]विस्तारवाले प[M]्षक पर[M][M]े[M][M]्रव[M]ह द[M]विविम होता है,[M][M]्[M]ोंकि[M]पक[M]षक[M][M][M] अ[M]ुप्[M]स्थ परिच्[M]ेदो[M][M]पर तत्सम प्रव[M]ह मि[M]ेगा। [M]दि पक्ष[M] सीमित वि[M]्तार क[M][M]ह[M], तो [M]्रिविम प्रव[M]ह प्[M]ाप्त [M]ोत[M] [M]ै। जब वेग इतना कम[M]ह[M] ([M]गभग [M]०० मील प्र[M]ि[M]घंटा[M][M]क)[M][M]ि [M]ायु[M]को द्रव के[M]सम[M]न संपीड्य [M]ाना जा सके, तो प्रवाह[M]को [M][M]ं[M]ीड्य[M]प्रवाह कहत[M][M]हैं। वे[M] की [M]ृष्टि से [M]्[M]वाह को अ[M][M]्व[M]न[M]क[M](सबसो[M]ि[M]), ट्रांस[M]्[M]ानिक [M][M]्रांसनिक), परा[M]्वनिक[M](सुपरस[M]निक),[M]या अ[M]ि[M]्[M]नि[M] (हाइप[M]्[M][M][M][M])[M] इस तथ्य के[M]अन[M]सा[M] कहत[M] हैं क[M] प्रवाहवेग[M]ध्[M]निवे[M] से क[M],[M]उसके निकट, उससे अध[M]क,[M]या[M]उससे कहीं[M]अधिक है[M] पिं[M]जन्य [M]ाबसंकेतों का वेग ध्वनिवेग से, आगेवाले पि[M]ड[M]के [M]ापेक्ष उसके वेग को [M][M][M]ने प[M][M] या [M]ी[M]ेवाले पिंड[M]के सापेक्ष उस[M]े व[M]ग [M]ो [M]ोड़ देने पर,[M]प्[M]ाप्त होता है।[M]कालांतर पिंड के साप[M]क्[M] उ[M]के वेग[M]को ज[M]ड़[M]देने[M]पर, प्राप्त होता ह[M]। कालांतर [M]ें संक[M]त [M]काश क[M] सभ[M] बिंदु[M]ं[M]पर पह[M]ँच ज[M]ते है[M]। अ[M]्यंत न्यून अवध[M]वानिक[M]वेगों पर द[M]बस[M]के[M]ों का संचरण[M](प्रोपगशन) सभी दिशाओं म[M][M][M]सममित होत[M] है और यद[M] द[M][M]संकेत[M]ं [M]ा [M]ेग अनंत मान[M] [M]ा सक[M], त[M][M]अवध्व[M]निक प्रव[M][M] असंपीड्य प्रवाह जैसा हो ज[M]ता है।[M]पराध्वानिक प्र[M]ाह म[M]ं[M]द[M]बसंकेत आगे [M]हीं जा[M][M]ाते और किसी बिंद[M][M]विशेष पर[M]का विक्ष[M]भ[M]अनुप्रवाह दिशा[M]में "मे[M][M] शंकु (मच कोन) के भीतर ही स[M]म[M]त रहता है। जै[M][M][M]कि क[M]र्[M]ां ने सिद्ध कि[M]ा है, [M]तिध्व[M]निक[M]प[M]र[M]ाह क[M][M]वा[M]ुगति-[M][M]ज्[M][M]न कई बातों में न्यूटन के कणिकावाद (कोरप[M]स्कुल[M] थ[M][M]ोरी) [M]े म[M]ल खा[M]ा[M]है।[M]रॉकेट उड़ान के विका[M] ने अतिध्वान[M]क [M]्रव[M]ह[M][M]े अध्[M]यन क[M] प्रेरित क[M]या[M] इस[M]अध्ययन म[M]ं शांकवीय प्रवाह क[M][M] [M]िसमें एक [M]ूल बिं[M]ुगाम[M] त्रिज्यों के अ[M]ुद[M]श तरल ग[M][M] अपरिवर्तित[M]रहते हैं, अनेको[M] अनुप्रयोग हैं। अत्यंत[M]ही विरल गैसो[M] [M]े वाय[M]गत[M][M]ि[M][M]ञान क[M] परमाणुगतिव[M][M][M]ञा[M] की संज्ञा दी गई है[M] क्यो[M]कि अब पिंड [M][M] वि[M]्तार की तुलन[M] [M]ें गैस [M]ा[M]माध्य मुक्त[M]थ उपेक्षणीय[M]नहीं रहता। वायुगतिविज्ञ[M]न संबं[M]ी घटना[M]ं को गण[M]तीय प्र[M][M]र[M]प[M](मैथेमेटिकल मॉडल) [M]्व[M]रा न[M]रूपित[M]करने का[M]पह[M]ा ध्येय [M]ह[M]जानना होत[M] है कि पिंड पर दाब किस प्[M]का[M] वितर[M]त है[M]और उ[M]के कारण वायुयान क[M] बाह[M]य और आंतरिक[M][M]ृष्[M]ों पर क्[M]ा परिणा[M]ी ब[M][M]और घूर्ण क्रि[M]ावंत[M]हैं, जिससे [M]न[M]हें स[M]ुचित द[M]ढ[M]ता का बन[M]या जा सके। दूसरे, वाय[M]य[M]न के एक अंग पर[M]व[M]यु[M][M]रवाह[M]का प्रकार[M]ज्ञात करना, जिससे उसके[M][M]्रभाव क[M][M]पुच्छपृष्ठ[M]जैस[M] अ[M]्य अंगों पर अध्ययन किया जा सके। वायु [M][M]से[M]अल्प-श्यान तरल [M]े [M]त[M]समीकरण बन तो ज[M]ते[M]हैं, [M]िंतु सामा[M]्यतया वे हल नहीं हो पा[M]े। अतएव वै[M]ा[M]ि[M][M] (ए[M]रोनॉटिक्स) में प्रय[M]ग करके परिणाम प[M]र[M]प[M]त किए जात[M] है[M]; किंतु पू[M]े प[M]मा[M]ेवाले [M]िं[M]ों (फुल[M]स्केल ऑब्[M]ेक्[M]्स) पर [M]्रयोग कर[M]ा अत्यंत व्यय और श्रमसाध[M]य है। पिडों के[M][M][M]टे[M]प[M]रतिरूपो[M] (प्रोतोटिपि[M]) को बात सुरंग ([M]िं[M] टु[M]्न[M])[M]में लटकाकर, समुचित वायुप[M]रवाह में उ[M]की प्रतिक्र[M]या[M]देखी जाती है। वै[M]ानिक स[M]स्य[M]ओं में व[M]यु को परिपूर्ण माना [M]ा[M][M]कता है। उस स्थ[M]ति में[M]यह गणि[M][M]ि[M]्ध[M]त[M][M]य है कि पिंड का परिमाण, [M]थवा उसका वेग,[M]या तरल [M]ा घनत्व कुछ भी ह[M], [M]मरूपत: गतिवान समरूप [M][M]ं[M]ों से [M]मरूप वायुप्रवाहों का जनन होग[M]।[M]द्[M][M] तरल[M]के ल[M]ए भी यह [M]त्य है। यदि ४००[M][M]ील प्र[M]ि घं[M][M] से बड़े[M]वेग[M]ं[M][M]ा सामना हो, तो समरूपता[M]के लिए य[M] ध्यान रख[M]ा[M]होगा कि ज[M]वा[M]े प्रयोगों में[M]वेगों क[M] जलीय[M]ध[M]वन[M]वेग से [M]ही अन[M]पात रह[M][M][M][M][M]वाय[M][M]ाल[M] प्रयोगो[M] में वाय[M] क[M] ध्वनिव[M]ग से है, अर्था[M]् जलवाले वेग वायु [M]ालों क[M] लगभग [M]ौगुने ह[M]ं। श[M]यानता से प[M][M]भावित[M]तर[M] [M][M]रव[M]ह[M][M][M]में समरू[M][M]ा के लिए आवश्[M]क[M]है कि दोन[M]ं की रेनोल्ड संख्या, प[M] म, [M]ही[M]रहे। यहाँ म[M]तरल की [M]्यानता, र उ[M]का [M][M]त्[M], [M] उस में ह[M]क[M] पिंड का वेग और १[M]उस[M]पि[M]ड [M]ा परिमा[M] परिभाषित करन[M]वाली कोई[M]समु[M]ि[M] लंबाई है, [M]ैस[M] वायुयान के लिए उसकी ल[M]ब[M]ई और गोले क[M][M]ल[M]ए उसका [M]्[M]ा[M]। यदि किसी प्र[M]ाह क[M][M]रे[M]ोल्ड स[M]ख्या ल[M]ु है,[M]जो[M]उस[M]गति मे[M] श्य[M]न[M]ा का महत्व[M][M]र्ण प्रभाव ह[M]गा और[M][M]ह सीरे,[M][M]ा भारी तेल,[M]के जै[M]ा प्रवाह दे[M]ा। सुप्[M][M]ा[M]ी[M]प[M]ं[M] क[M] परित: प्रवाह परिकल्पित अश्य[M]न (इन्विस्सी[M]) तर[M] के सिद[M]धां[M] [M]ा एक निष्क[M]्ष[M]यह [M]ै क[M] यदि कोई प[M]ंड ऐसे तरल में चलता[M]है[M]ज[M] केवल [M]िंड के[M]कारण ही विरा[M]ावस्था[M][M]ो छोड़े हुए है, तो पिंड [M]े[M]परित[M] [M]्रवाहप्रक[M]र [M]द्व[M]तीय रूप स[M] पिंड के आ[M]ार और[M]उसकी [M]ति से[M][M]िर्धा[M][M]त हो[M]ज[M]ता है और [M][M]ंडपृष्ठ क[M] विभि[M]्[M] बिंदुओं पर तरल[M][M]ो दबाव लगाता है, उनका प[M]िणामी शून्य होता ह[M][M], भले[M]ही उनका आघूर्ण[M][M]ून्य न हो। यह [M][M]थिति [M]ायुया[M] पक[M]ष[M] [M][M]से च[M]टे सुप्[M]वाही[M][M]िं[M] पर [M]पलब्ध होती है। जो[M]भ[M] थोड़ा-बहुत कर[M][M] (ड्[M]ाग) रहता है, वह के[M]ल त्[M]क्घर्षण ([M]्किन फ्रिक्शन), अर्थात्[M]पृष्ठ पर वा[M]ुघर्षणज[M][M]त[M]स्पर्शर[M]खीय [M]ल[M]ं, के[M]क[M]रण [M]ोता ह[M]। बड़ी रे[M]ोल्ड [M]ं[M]्यावाले प्रवाह[M]ं मे[M] त्वक[M]घर्षण पि[M]ड[M]ृष्ठ [M]े लगी अत्यंत [M]तली परत में, ज[M][M]े परि[M]ीमा स[M]तर ([M]ोर्डरी ले[M]र) कहते हैं, सीमित रहता[M]है।[M]इस स्तर[M][M]े[M]भी[M]र का प्रवाह अत्[M]ंत जटि[M] ह[M]। स्[M]र के [M]ाहर का प्रवाह [M]ारार[M]खी [M]श्यान तरल जैसा होता है। ज[M][M]तक प[M][M]षक [M]ा वेग से [M]पात कोण (इन्सिड[M]न्स एंगल) अत्यधिक न [M]ो, पक्[M]क क[M] पर[M][M]: प्र[M]ाह[M]धारारेखी होग[M],[M]कर्ष [M]म होगा और प[M]्षक[M][M]र उ[M]्थापक बल ([M]िफ्ट[M] ल[M]ाएगा, [M]ो आ[M]ात कोण[M]के साथ [M]ढ़ेगा। यदि[M]आप[M]त [M]ोण एक स[M]मा से ब[M]़ जात[M] है, तो प्रवाह[M]धारारे[M]ी न [M]ह[M]र विक्षुब्[M] (त[M]र्बूलें[M]) ह[M] ज[M]ता ह[M] और पक्ष अव[M]यवस्थित होने लगता[M]है[M](अर्थ[M]त[M] [M]्टाल); कर्ष एकदम बए जाता है और उ[M]्थ[M]पक बल [M]पात[M]कोण के बढ[M]ने पर कुछ[M]कम[M]होने लगता है। [M]म[M][M][M]ा[M] कोण क[M] अव[M]्था में भ[M] बलों का सैद्धा[M][M]िक[M]व[M]वे[M]न जटिल है; [M]ि[M]े[M]क[M] परिमित[M]परिमाण के पक्ष[M] में प्[M]ेरित कर्ष (इन[M]दुड[M]ड्र[M]ग), पार्श्व कर[M]ष (प्रोफाइले ड्रा[M][M][M]आ[M]ि, पर विचार करना होता [M]ै। मुक्त उ[M]़ान[M](फ़[M][M]ी फ्लाइट) में [M]्थ[M]यित्व[M](स्तबिलिटी) [M]ी समस[M]या[M]भी उ[M]स्थित हो जाती ह[M]। उड़ानविज[M]ञान[M]मे[M][M]इनका वि[M]ेचन अ[M]्यं[M] महत[M]व का है[M] [M]न्हें[M]भी दे[M][M]ं
मध्वाचार्य द्वारा प्रतिपादित तथा उनके अनुयायियों द्वारा उपबृंहित द्वैतवाद रामानुज के विशिष्ट द्वैतवाद से काफी मिलता-जुलता है। मध्व बिना संकोच द्वैत का प्रतिपादन करते हैं। अद्वैत वेदांत को मध्व "मायावादी दानव' कहते हैं। इनके अनुसार जगत्प्रवाह पाँच भेदों से समन्वित है- (१) जीव और ईश्वर में, (२) जीव और जीव में, (३) जीव और जड़ में, (४) ईश्वर और जड़ में तथा (५) जड़ और जड़ में भेद स्वाभाविक है। संसार सत्य है और इसमें होनेवाले भेद भी सत्य हैं। वस्तु का स्वरूप ही भेदमय है। ज्ञान में हम वस्तु को अन्य वस्तुओें से अलग करके एक विलक्षण रूप में जानते हैं। चूँकि ज्ञेय विषय भिन्न हैं अत: हमारा ज्ञान भी ज्ञेय के अनुसार भिन्न भिन्न होता है। रामानुज की तरह द्वैतवाद में भी ईश्वर, चित् और अचित् इन तीन नित्य, परस्पर भिन्न तत्वों को सत्य माना गया है। इनमें से चित् और अचित् ईश्वराश्रित हैं। केवल ईश्वर अनाश्रित तत्व है। वह अनंत सद्गुणों से युक्त है। वही विश्व का स्रष्टा, पालक और संहारक है। वह दिव्य शरीरधारी विश्वातीत और विश्वांतर्यामी दोनों माना गया है। ईश्वर पूर्ण है- कर्मों का अधिष्ठाता ईश्वर केवल भक्ति से प्रसन्न होता है। वह अवतारों और व्यूहों में प्रकट होता है तथा मूर्तियों में निवास करता है। उसकी सहचरी लक्ष्मी उसी की तरह सर्वव्यापिनी है पर उसके गुण लक्ष्मीपति से कुछ न्यून हैं। उसी को ईश्वर की शक्ति कहते हैं। वेदों के अध्ययन से ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान होता है, अत: वह अनिर्वचनीय नहीं है। पर उसको पूर्ण रूप से जानना भी सहज नहीं है। ईश्वर के गुण अनंत हैं, अत: उसकी सत्ता सीमित नहीं है- असीमता के कारण उसका प्रत्यक्ष नहीं हो सकता। वही ईश्वर विष्णु है। अपनी इच्छा से वह विश्व का नियमन करता है- वह जीव और जड़ को नए सिरे से बना नहीं सकता और न ही उनका विनाश कर सकता है। वह केवल निमित्त कारण है - उपादान कारण नहीं। जीवों की संख्या अनंत है और वे अणुरूप हैं। मूलत: वे चेतन और आनंदमय नित्य तत्व हैं पर भौतिक शरीर के संसर्ग से एवं कर्मबंधन से वे दुख भोगते हैं। ईश्वर जीवों का अंतर्यामी रूप से नियंता है, फिर भी वास्तविक कर्ता, भोक्ता तथा कर्म का उत्तरदायी जीव ही है। ज्ञानपूर्वक ईश्वर से नित्य स्नेह करना भक्ति है जिससे ही जीव मुक्त हो सकता है। इस विश्व में सब कुछ सजीव है - अणु अणु जीव से व्याप्त है। निष्काम धर्म से जीव को तत्वज्ञान में सहायता मिलती है - ध्यान से ईश्वरानुग्रह का लाभ होता है और अंत में उसे ईश्वर के स्वरूप का अपरोक्ष ज्ञान हो जाता है। जब ज्ञान की प्रतिष्ठा हो जाती है, जीव बंधमुक्त हो जाता है। ईश्वर के पास वायु के ही माध्यम से पहुँचा जा सकता है। ईश्वर का अनुग्रह सबको नहीं मिलता - वह कुछ लोगों को मुक्ति के लिए चुनता है, बाकी लोगों को छोड़ देता है। जिनको वह उनकी भक्ति के अनुसार मोक्ष देता है वे ईश्वर में लीन नहीं होते। उनको केवल ईश्वर की सन्निधि मिलती है। मुक्त जीव ईश्वर की समानता भी नहीं प्राप्त कर सकते। भक्ति की तीव्रता के अनुसार मुक्ति चार प्रकार की मानी गई है - सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य और सायुज्य। ईश्वर को जब सृष्टि करने की इच्छा होती है, मूल प्रकृति नाना भौतिक पदार्थों के रूप में अपना विकास करती है। सृष्टि का अर्थ है सूक्ष्म का स्थूल रूप में परिणाम तथा जीवों को कर्मानुसार फल देने के लिए शरीरप्रदान। द्वैत वेदांत अद्वैत-मत-परक वैदिक वाक्यों का खींच तानकर अर्थ निकालता है - जैसे "एकमेवाद्वितीयम्' का अर्थ होगा - ब्रह्म के समान कोई दूसरा नहीं है। इसीलिए द्वैतवाद वेदों की अपेक्षा आगमों और पुराणों को अधिक महत्व देता है।
मध्वाचार्य [M]्वारा [M]्[M]तिप[M]दित तथा उनके [M][M]ुयायियों द्[M]ार[M] उपबृंह[M][M][M][M][M]वै[M]वाद रामानुज के विशि[M][M]ट द्व[M]तवाद[M]से काफी मि[M]ता-जुलता ह[M]। मध्[M] बिना सं[M][M]च द्व[M]त क[M] [M]्रतिप[M]दन [M]रते हैं। अ[M][M][M][M]त वेदांत को मध्व [M][M][M][M][M]वादी दानव' कहत[M] हैं। इ[M]के अनुसार[M]जगत्प[M]रव[M]ह पाँच भेदों स[M] समन्वित है- (१[M] जीव और[M]ईश्व[M] मे[M], (२) जी[M][M]औ[M][M]ज[M]व में, (३)[M]जीव और जड़ में, (४) [M]श[M]वर[M]औ[M][M]जड़ में[M]त[M]ा[M](५) जड[M] और जड़ में भेद स[M]वाभावि[M] ह[M]। संसार[M]सत्य[M]है और इसमें होने[M]ाले भेद भी सत्य [M]ै[M]। वस्तु [M]ा स्वर[M]प ही भेदमय है। ज्ञ[M]न[M]में[M]हम [M]स्त[M] को अ[M]्य वस्तुओें से अलग[M]करके [M]क[M]विलक्षण रूप [M]ें जानते हैं। चूँकि ज्ञेय विषय भ[M]न्न[M]ह[M]ं अ[M]: हमारा ज[M]ञान[M]भी[M]ज्ञेय[M]के अन[M]सार[M]भि[M]्न[M]भिन्न[M]हो[M]ा [M]ै। रामानुज की तरह द[M]वैतव[M]द म[M]ं भ[M][M]ईश्वर, चित् और अचित् इन तीन न[M]त्य[M] प[M]स्प[M] भिन्न [M]त[M]वों को सत्य माना [M]या है। [M]नमें से चित् [M]र[M]अ[M][M]त[M] [M][M][M]वरा[M]्रि[M] हैं।[M]के[M]ल ई[M]्वर अन[M]श्र[M]त[M]तत्[M] है[M] वह अनंत[M]सद्गुणों [M]े युक[M][M] है। व[M]ी विश[M]व[M]का स[M]रष्ट[M], पालक औ[M] संहारक[M]है। वह[M]दिव्य शरीरधारी विश्वातीत और व[M]श[M]वांतर्यामी[M][M]ोनों मा[M]ा गया[M]है। ईश्व[M] पूर्ण है- कर्[M]ो[M] का [M]धिष्ठात[M] ईश्[M][M][M]केवल भक्ति से प[M]रसन्[M] हो[M]ा है[M] वह अवतारों और व्यूहों में प्[M]कट होता है[M]त[M][M] मूर्तियों मे[M] निव[M]स करता है। उसकी सहच[M]ी लक्ष्म[M] उसी की तरह[M]सर[M][M]व्यापि[M][M] है पर उसके[M]गुण [M][M]्[M]्[M]ीपत[M][M]से[M]कुछ न्यून[M][M][M]ं। उसी क[M] ई[M]्वर की[M]श[M]्ति कहते है[M]। वेदों[M]के[M][M]ध्य[M]न [M]े ईश[M]वर के स्वरूप का ज्ञान होत[M] है, [M]त: वह अनिर्[M]चनीय नह[M]ं है। पर उसको पूर्ण र[M]प से जा[M]न[M] भी [M]हज [M]हीं है। ईश्वर[M]के गुण[M][M]नं[M] है[M], अत: उसकी सत्ता सी[M]ित[M]नहीं है[M] असीमता के कारण उसका [M]्रत्यक्ष नह[M]ं [M]ो सकता।[M]वही ईश्वर[M]वि[M]्णु है। अप[M]ी [M]च[M]छ[M] [M]े वह विश्व का नियमन [M]रता है[M] वह [M]ी[M] और ज[M][M] को[M]नए सिरे स[M] बना [M]हीं स[M]ता [M]र न ह[M] उनका [M][M]नाश कर स[M]ता [M]ै। [M]ह क[M]वल निमित्त का[M]ण ह[M] - उप[M]दान कार[M] नही[M]। जी[M]ो[M][M]की संख्या अनं[M] है[M]और व[M] अण[M]रूप हैं[M] मूलत: वे चेत[M][M]और [M]नंदमय[M]न[M]त्य तत्व हैं पर भौ[M][M]क [M]र[M]र के स[M]सर[M]ग से[M]एव[M] कर्[M]ब[M]धन से वे द[M]ख भोग[M]े हैं।[M]ईश्वर[M]जीव[M]ं का [M]ंतर[M]यामी रूप से नियंता है, फिर[M]भी व[M]स्तविक [M]र्ता, भोक्ता[M]तथा [M]र[M]म क[M] उत्[M]रदायी जीव ही है। ज्ञ[M]नपूर[M][M]क ईश्वर [M][M][M]नित्य स्नेह कर[M]ा भक्ति है [M]ि[M]से ही जीव [M]ु[M]्त हो स[M]ता है। इस[M]विश्व [M]ें [M]ब क[M]छ सज[M][M] [M]ै - [M]णु[M]अणु [M]ीव स[M] व्या[M]्त [M]ै। नि[M]्काम धर्[M] से [M]ीव को[M][M]त[M]वज्ञ[M]न में[M][M]हाय[M]ा मिलती है - ध्यान से ईश्वरानुग्रह क[M][M]ल[M]भ होता ह[M] औ[M] अ[M]त[M]में उसे ईश्वर के स्वरूप का अपरोक्ष ज्[M]ान हो जाता है।[M]जब ज्[M]ान [M]ी प्र[M]िष्ठा[M]हो जाती है, [M]ीव [M]ंधमुक्त हो जाता[M]ह[M]। ईश[M]व[M][M]के [M]ास वायु [M]े [M]ी माध्यम[M]से प[M]ुँचा जा[M]सकता[M]ह[M]। ईश्वर का अनुग[M]र[M] सबक[M][M]न[M][M]ं मिल[M]ा -[M]वह कुछ लो[M][M]ं [M]ो मुक्ति[M][M]े लि[M] चुनता है,[M]बाकी लोगों क[M] छोड़ दे[M][M] ह[M]। जिनको वह उनकी भक्ति के अनुसार[M]म[M]क्[M] द[M]ता[M]है वे ईश्वर म[M]ं[M]ली[M] नहीं हो[M]े। उनको केवल ईश्वर की सन्निध[M] मिलती है।[M]म[M]क्त[M]जीव[M][M][M]्वर की समानता भी[M]नह[M]ं [M]्राप्[M] कर सक[M]े[M] भक्ति की तीव्रत[M] के[M]अन[M]सार मुक्ति [M]ार [M]्रकार की [M]ानी ग[M] ह[M][M]- [M]ालोक[M]य[M] साम[M]प[M]य, सारूप्य [M]र सायुज्य। ईश्वर को[M]ज[M] सृष्टि करने की इच्छ[M] होत[M] है, मूल प्रकृत[M][M]नाना भौतिक पद[M]र्थों के रूप में अपना[M][M]िकास करती है।[M]सृष्[M]ि का अ[M][M]थ है सूक[M]ष[M]म का स्थ[M][M] रू[M] म[M]ं परिणाम त[M][M] जीव[M]ं को कर्म[M]नुसार फल देन[M] के लिए शर[M][M]प्रदान। द[M]वैत[M]वेदांत अद्[M]ैत-मत[M]परक [M]ैदिक वाक्यों का खींच ता[M][M]र अर्[M][M]नि[M]ालत[M] है - जैसे [M]एकमेवाद्वित[M]यम्' का अ[M]्थ [M][M]गा[M]- ब्र[M]्म [M][M] समान कोई द[M]सरा[M]नहीं [M]ै। इसी[M]िए द्वैत[M]ा[M] वे[M]ों की अप[M]क्षा आगमों और पुर[M]णों को [M]धिक म[M]त्[M] देता[M]है।
२०२३ क्रिकेट विश्व कप आईसीसी क्रिकेट विश्व कप का १३वां संस्करण होगा, जिसे अक्टूबर और नवंबर २०२३ के दौरान भारत द्वारा आयोजित किया जाना है।यह पहली बार होगा जब प्रतियोगिता पूरी तरह से भारत में आयोजित की जानी है। पिछले तीन संस्करणों में भारत आंशिक रूप से मेजबान था - १९८७, १९९६ और २०११। मूल रूप से, टूर्नामेंट ९ फरवरी से २६ मार्च २०२३ तक खेला जाना था।लेकिन कोविड-१९ महामारी के कारण जुलाई २०२० में, तिथियों को अक्टूबर और नवंबर में स्थानांतरित कर दिया गया। फाइनल १९ नवंबर २०२३ को नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। मुंबई और कोलकाता दो सेमीफाइनल की मेजबानी करेंगे। २०२३ आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के टिकट का रजिस्ट्रेशन १५ अगस्त से शरू होगा। और रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप टिकट खरीद सकते हैं। आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप २०२३ में सभी मैच डिज़्नी + हॉटस्टार पर फ्री में देख सकते हैं। पिछले संस्करण की तरह, टूर्नामेंट में दस टीमें] होंगी। योग्यता का मुख्य मार्ग २०२०-२२ आईसीसी क्रिकेट विश्व कप सुपर लीग टूर्नामेंट होगा। विश्व कप के लिए, सुपर लीग के तेरह प्रतियोगियों में से शीर्ष सात देश और मेजबान (भारत) अर्हता होंगे। शेष पांच टीमें, पांच एसोसिएट देशों के साथ, २०२२ क्रिकेट विश्व कप क्वालीफायर में खेलेंगी, जिसमें से दो टीमें फाइनल टूर्नामेंट के लिए अर्हता होंगी। यह टूर्नामेंट भारत भर के दस अलग-अलग शहरों में स्थित दस अलग-अलग स्टेडियमों में हो रहा है। पहला और दूसरा सेमीफाइनल क्रमशः मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम और कोलकाता के ईडन गार्डन्स में होगा, जबकि फाइनल अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होगा। बीसीसीआई ने स्टेडियमों के नवीनीकरण और नवीकरण के लिए धन मुहैया कराया है। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम को एक नई घास की सतह, जल निकासी प्रणाली, बैठने की जगह और आतिथ्य बक्से प्राप्त हुए। वानखेड़े स्टेडियम में आउटफील्ड, फ्लडलाइट, कॉर्पोरेट बॉक्स और शौचालयों का उन्नयन किया गया था। एम. ए. चिदम्बरम स्टेडियम में नई फ्लड लाइटें लगाई गईं और दो विकेट फिर से गिराए गए। इस विश्व कप के शरद ऋतु कार्यक्रम के साथ, इक ने पिच की स्थिति पर ओस और बारिश सहित नमी के प्रभाव को कम करने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित किए, ताकि वे दूसरे स्थान पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को लाभ न दें (जैसा कि २०२१ पुरुषों में अक्सर हुआ था) टी२० वर्ल्ड कप). इनमें एक विशिष्ट गीला करने वाले एजेंट का उपयोग करना और स्पिन गेंदबाजी की तुलना में सीम गेंदबाजी को प्रोत्साहित करने के लिए पिच पर अधिक घास के साथ न्यूनतम ७० मीटर (७७ गज) की सीमा निर्धारित करना शामिल है। इक ने २७ जून २०२३ को फिक्सचर विवरण जारी किया था। आईसीसी ने कहा है कि यदि पाकिस्तान सेमीफाइनल के लिए अर्हता प्राप्त करता है, तो वे कोलकाता के ईडन गार्डन में खेलेंगे, और यदि भारत सेमीफाइनल के लिए अर्हता प्राप्त करता है, तो वे मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेलेंगे, जब तक कि भारत का प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान न हो, इस मामले में मैच कोलकाता के ईडन गार्डन में आयोजित किया जाएगा। सभी नॉकआउट खेलों में एक आरक्षित दिन होगा। स्टार स्पोर्ट्स, २०२३ क्रिकेट विश्व कप का आधिकारिक प्रसारणकर्ता है। वे पूरे कार्यक्रम को भारत में प्रसारित करने वाले हैं। टेरेस्ट्रियल नेटवर्क पर, डीडी स्पोर्ट्स केवल भारत से जुड़े खेल, सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल प्रसारित करेगा। आईसीसी वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप को भारत में टीवी व ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाने के अधिकार स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क के पास हैं, जिसके हिसाब से वर्ल्ड कप के मैच टीवी पर स्टार स्पोर्ट्स के अलग अलग चैनल पर बहुत सी भाषाओं में दिखाए जायेंगे, वही इसके अलावा यदि आप अपने मोबाइल या फिर किसी अन्य डिवाइस के माध्यम से वेबसाइट पर देखना चाहते है तो आप ये सभी मैच डिस्नी हॉटस्टार की वेबसाइट पर व डिस्नी हॉटस्टार के ऐप को डाउनलोड करके भी देख सकते हैं। क्रिकेट विश्व कप एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिताएं २०२३ क्रिकेट विश्व कप क्रिकेट विश्व कप प्रतियोगितायें २०२३ में क्रिकेट कोविड-१९ महामारी के कारण स्थगित क्रिकेट प्रतियोगिताएँ
२०२३ क्रि[M]ेट विश्व कप आईसीस[M] क्रि[M]ेट[M]विश्[M] कप का[M][M]३वां [M]ंस्क[M]ण होगा, [M]िस[M][M]अक्टूबर और नवंबर [M][M]२[M] के दौ[M]ान[M]भ[M]रत द[M]वारा आयोजित किय[M] जाना है।य[M] पहली बार [M]ो[M]ा जब प्रतियोग[M]ता पूरी[M]त[M]ह से[M]भारत में आयोजित की जानी है। पिछ[M]े[M]ती[M] संस्कर[M]ों [M][M]ं भारत[M]आं[M]िक रूप [M]े मे[M][M]ान था [M] १[M]८७,[M]१९९६ और २०११। मूल रूप से[M] टूर्नामेंट ९[M][M]रवरी[M]से २६ [M][M]र्[M] २०२३[M]त[M] [M]ेला [M][M]ना था[M]ले[M]िन क[M][M]िड-१९[M]महाम[M]री के कारण जुलाई [M]०२० [M]ें, [M]ि[M][M]यो[M] को अक्टूबर और नवंब[M] म[M][M] स्था[M]ां[M]रित[M]कर दि[M]ा गया। फाइन[M] [M]९ न[M][M]बर २०२[M] क[M] नरें[M]्[M] मोदी स्[M]े[M]ि[M][M][M]में खेल[M] जा[M][M]ा। मुंबई[M]औ[M] कोल[M]ा[M][M] द[M] सेमीफा[M]नल की म[M]जबान[M] [M]रेंग[M]। [M]०२३[M]आईसीसी [M][M]रुष क्रिकेट[M]विश्व कप के टिकट का रजि[M]्ट्रेशन [M][M][M]अगस्त से शर[M] होगा[M] और रजिस्ट्रेश[M] करने [M]े बाद आप टिकट खरीद सक[M]े हैं[M][M]आईस[M]स[M] पुरुष क्रिकेट वि[M]्व [M]प [M]०२३ में [M]भ[M] मैच[M]डिज़्नी + हॉटस्टार प[M] फ्र[M] म[M]ं[M][M][M]ख सक[M]े[M]ह[M]ं। पिछले संस्करण की तरह,[M]टूर्नामेंट म[M]ं दस टीमें][M]होंगी। यो[M]्यता[M]क[M] मुख्[M] मार[M]ग २०२०-२२ आईसीसी[M][M]्रिकेट विश्व कप[M]सु[M]र लीग टूर्नामेंट[M]होगा। विश्व क[M] क[M] लिए, सुपर ली[M] [M]े तेरह प्रति[M][M]गियों म[M]ं[M]से शीर्ष[M]सा[M] द[M]श औ[M] मेज[M][M]न (भारत) अर्हता होंगे। शेष पां[M] ट[M]में, [M]ां[M] [M]सोसिएट द[M]शों[M]क[M] [M]ाथ, २०२२[M][M]्रिकेट[M]विश[M][M] कप क्वाली[M][M]यर में खेलेंग[M], ज[M][M]में से दो टीमें फाइनल टू[M]्नाम[M]ंट क[M] ल[M][M] अर्हता हो[M]ग[M]।[M]यह टूर्ना[M]ें[M] भारत भर के [M]स अल[M]-अलग श[M]रों में स्थित दस अल[M]-अलग स्टेडियमो[M] मे[M] हो[M]रहा [M][M]। पहला और दूसरा [M]ेमी[M]ाइनल क्रमशः मु[M]बई [M]े व[M]नखेड़े[M]स्टेडियम और कोलकाता[M]क[M] [M]डन गार्ड[M][M]स में हो[M]ा, जबकि फा[M]नल अहमदाबाद[M]के नरेंद[M]र मो[M]ी [M]्टेडिय[M] [M]ें होगा। बीसीस[M]आई[M]ने[M]स्ट[M]डिय[M]ों[M]के नवीनीक[M]ण और [M]वीकरण क[M] लिए धन मुहैया कराया है। ह[M]माचल प्र[M]ेश क्रिकेट [M]सोसिएशन[M][M]्टेडियम को ए[M] न[M][M]घास[M][M]ी सतह[M] जल निका[M]ी [M]्[M]णा[M]ी, [M]ै[M]न[M][M]की जगह और आतिथ्[M] ब[M]्से प्राप्त [M]ुए। वानखेड़े स्ट[M]डियम में[M]आउटफी[M]्ड, फ्लडल[M]इ[M],[M]कॉर्पोरेट[M]बॉक्स और शौच[M]ल[M]ों [M]ा उन्नय[M] किया गया था। ए[M]. [M]. चिदम्ब[M]म स्टेड[M]यम मे[M] नई फ्लड लाइटें ल[M]ाई[M][M]ईं[M]और द[M] व[M]केट[M]फिर से ग[M]राए ग[M]। इस विश्व कप क[M] शरद ऋतु कार्यक्[M]म के साथ, इक ने [M]ि[M] की [M]्थिति पर[M]ओस और बारिश सह[M]त नम[M] के[M]प्र[M]ाव को [M]म कर[M][M] के लिए प्र[M]टोकॉल स[M]थापित [M][M]ए,[M]ताकि[M]वे दू[M]र[M] [M]्था[M] पर बल्[M]े[M][M][M]ी करने वाल[M] टीम को[M][M]ाभ न द[M][M] (जै[M]ा कि २०२१ प[M]रुषों[M]में[M]अक्[M]र हुआ [M]ा) टी२० वर्ल्ड [M]प[M]. इनमें एक विशिष्ट गी[M]ा [M]रने वाले ए[M]ेंट का[M]उपयो[M][M][M]रना[M][M]र स्[M][M]न गेंदब[M]जी[M]की[M]तुलना[M]मे[M] सीम गें[M]बा[M]ी को प्[M]ोत्साहित[M]करने के[M]लिए[M]प[M]च पर अधिक घ[M]स के साथ न[M]यून[M]म ७० [M]ीट[M] (७७[M]गज) क[M] सीमा नि[M]्धारि[M] [M]रना शा[M]िल है[M] इक ने २७ जून २०[M]३ [M]ो फिक्सचर व[M]वरण [M]ा[M]ी[M]किया था। आईसी[M]ी ने[M]कह[M] है कि यदि [M]ाकि[M][M]तान सेमीफाइन[M] के[M]लिए अ[M]्ह[M]ा प्राप्त [M]रता है, त[M][M]वे कोलका[M]ा के ईडन गार्ड[M] [M]ें खेल[M][M]गे,[M][M]र [M]दि भ[M][M]त सेमीफाइनल के[M]लिए अर्हता प्राप[M]त करता है,[M]त[M] वे मुं[M]ई के वानखेड़े स्टेडियम में खेलेंगे, जब त[M] कि भा[M]त का प्रतिद्वंद्[M]ी प[M]किस्तान [M] हो[M] इस मामले[M]में[M]मैच कोलक[M]ता के ईडन गार्[M]न[M]में [M]योजित किया जा[M][M]ा। सभी नॉकआ[M]ट खेलों मे[M] एक आ[M]क्षित[M]दि[M] ह[M]गा। स्टार स्पोर्ट्स, २०[M][M][M]क्र[M]केट वि[M]्व कप[M]का आधिकारिक प्रसा[M]ण[M]र्ता है। वे पूर[M] कार्यक्रम को भारत म[M]ं प[M]रस[M]रित क[M]न[M] वाले[M]हैं। [M]ेरेस्ट्रिय[M][M]नेटवर्क[M]पर, डीडी [M]्[M]ोर[M]ट्स केवल भा[M]त से जुड़े [M]ेल, सेमीफ़ा[M]नल और फ़ा[M]नल प्रसारि[M] क[M]ेगा। आईसीसी वन[M]े[M]क[M]रिकेट [M]र्ल्ड[M]कप को[M]भारत में टीवी[M][M][M][M]टीट[M] प्लेटफार्म [M]र दिखान[M] के अधिकार[M]स्टार स्पो[M]्[M][M]स न[M]ट[M]र्क के [M]ास है[M], जि[M][M][M] [M]िसाब स[M] वर्ल्[M] कप[M]के [M]ैच टीव[M] पर[M]स्टार स्पोर[M]ट[M]स के [M]लग अ[M]ग चैनल [M]र बहुत [M]ी भ[M]षा[M]ं[M]में दिखा[M][M]जायेंगे, वही[M][M][M]के[M]अलावा यद[M] आ[M] अपने मोबाइल [M]ा[M][M]िर[M][M]ि[M]ी अन्य[M][M]िवा[M]स के मा[M][M]यम से वेबसाइट पर देखना चाह[M]े [M][M] तो आप ये सभी[M]मैच डिस्नी हॉट[M]्टार की[M]वेबसाइट पर व डिस्नी हॉटस्टार के [M]प क[M] ड[M]उ[M]लोड करके भी [M]ेख सकते हैं। क्रिके[M] वि[M]्व[M][M]प[M]एक[M]द[M]वसीय [M]ंतर्र[M]ष्ट्रीय क[M]र[M]केट प्रतिय[M]गिताएं[M]२०२[M] क[M]र[M]केट वि[M][M]व कप क्रिकेट विश्व कप प्रतियोगि[M]ायें २०२३ में क्[M]िकेट कोविड-१९ मह[M]म[M]री के[M][M]ारण स्थग[M]त क्र[M]केट प्[M][M]िय[M]गि[M]ाएँ
जोस मारिया वास्कोनसेलोस ग्कोलीह (१० अक्टूबर १९५६ जन्म), लोकप्रिय उसके द्वारा जाना जाता नोम दे गुएर्रे टौर माटान रुएक ( तेतुम "दो तीव्र आंखें" के लिए) एक है पूर्व तिमोरस् राजनीतिज्ञ जो के रूप में सेवा की है पूर्वी तिमोर के प्रधानमंत्री २२ जून २०१८ के बाद से। वह २० मई २०12 से २० मई २०17 तक पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति भी रहे । राजनीति में प्रवेश करने से पहले, वह फाल्टिल- फोर्कास डे डेफेसा डी तिमोर-लेस्ते (एफ-एफडीटीएल) के कमांडर थे , जो २०02 से पूर्व तिमोर की सेना थी। ६ अक्टूबर २०11. एफ-एफडीटीएल में सेवा देने से पहले, वह पूर्वी तिमोर या फाल्टिल के राष्ट्रीय स्वतंत्रता के सशस्त्र बलों के अंतिम कमांडर थे (फोरकास आर्मादास पैरा ए लिबरैको नैशनल डी तिमोर लेस्ते ), जो विद्रोही सेना थी जिसने १९७५ से १९९९ तक क्षेत्र पर इंडोनेशियाई कब्जे का विरोध किया था। १९५६ में जन्मे लोग
जोस मारिया वास्क[M]नस[M]लोस [M]्को[M][M]ह [M][M]०[M]अक्ट[M]बर १९५६ जन्म), लो[M]प[M]र[M]य उसके द्वारा जाना ज[M]ता नोम दे गु[M]र्[M]े टौ[M][M]माटान र[M][M][M][M]( ते[M][M]म "द[M][M]तीव्र आंखें" के [M][M][M][M] एक है पूर्व[M]तिमोरस् राजनीतिज्ञ जो [M][M] [M]ू[M] में स[M][M]ा की[M]ह[M] प[M]र्व[M] तिमोर के प्रधानमंत्री[M]२२ जून २०१८ [M]े ब[M]द से।[M]वह २० [M]ई २[M][M]2 से २०[M]मई[M]२०17 तक पूर्व[M] तिम[M]र क[M] राष[M]ट्[M]पति भी रह[M] [M] राजनीति म[M]ं प्रवेश करन[M][M]से प[M]ले, वह फ[M]ल्टि[M]- फो[M]्कास डे डेफेस[M] डी तिमोर-ल[M]स्ते (ए[M]-एफडीटीएल) के कमांडर थे , जो[M][M]०0[M] से पूर्व[M]तिमोर की[M]सेना थ[M][M][M]६ अक्टूबर २०[M]1. एफ[M][M]फडी[M]ीएल[M]मे[M] सेवा देने से पहले, वह पूर[M]वी तिमोर या फ[M]ल्टिल[M]के[M]राष्ट्रीय स्वतंत[M]रता क[M] सशस्त्र[M][M]लों के अंतिम क[M]ा[M][M]र[M][M]े (फ[M]रकास आ[M]्मादास[M]पैरा ए लि[M]रै[M][M] नैशनल डी त[M]म[M]र ल[M][M]्ते ), [M][M] विद्[M]ोही स[M][M]ा [M]ी [M]िसने १[M]७[M] से १९९९ तक[M]क्षेत्र[M]पर [M][M]डोनेशियाई क[M]्ज[M][M]का वि[M][M]ध कि[M]ा [M]ा। १९५६ [M]ें जन्मे लोग
ध्येय का सामान्य अर्थ उद्देश्य होता है,ध्येय शब्द इस्तेमाल लक्ष्य अर्थात दृढ़ संकल्प से किसी काम को करने के लिए किया जाता है
ध्येय[M]क[M] सामान्य अ[M]्[M] उद[M][M]ेश्य होता है,[M]्येय शब्द[M][M]स्तेमाल लक्ष्य अर्थात [M]ृढ़ संकल[M]प [M][M] किस[M] का[M] [M]ो करने के लिए किया जाता है
लेवडा रायगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
लेवड[M] र[M]यगढ [M]ण्[M]ल में भा[M]त के[M]छत्तीस[M]ढ़ राज्[M] के[M]अन्त[M]्गत र[M]यगढ़[M]ज[M]ले का एक गा[M]व है। छत्तीस[M]ढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ ज[M]ला, छ[M]्तीसगढ़
भारत के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं। पर्यटन और धार्मिक महत्त्व इस स्थान का धार्मिक महत्व जगन्नाथ का मंदिर है जिसे कबीर परमात्मा ने डूबने से बचाया था, समुद्र श्री कृष्ण जी से त्रेता युग का बदला (श्री राम जी ने समुद्र का अपने अग्निबाण से अपमान किया था) लेना चाहता था, परंतु परमात्मा कबीर जी ने काल को वचन दिया था कि पुरी में मंदिर को टूटने से बचाऊँगा, तभी से यह मंदिर आज तक विद्यमान है। यहाँ की मूर्ति, स्थापत्य कला और समुद्र का मनोरम किनारा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है। कोणार्क का अद्भुत सूर्य मन्दिर, भगवान बुद्ध की अनुपम मूर्तियों से सजा धौल-गिरि और उदय-गिरि की गुफाएँ, जैन मुनियों की तपस्थली खंड-गिरि की गुफाएँ, लिंग-राज, साक्षी गोपाल और भगवान जगन्नाथ के मन्दिर दर्शनीय है। पुरी और चन्द्रभागा का मनोरम समुद्री किनारा, चन्दन तालाब, जनकपुर और नन्दनकानन अभ्यारण् बड़ा ही मनोरम और दर्शनीय है। शास्त्रों और पुराणों में भी रथ-यात्रा की महत्ता को स्वीकार किया गया है। स्कन्द पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ-यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते हैं वे सीधे भगवान श्री विष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं। जो व्यक्ति गुंडिचा मंडप में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा देवी के दर्शन दक्षिण दिशा को आते हुए करते हैं वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं। रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर जनता के बीच आते हैं और उनके सुख दुख में सहभागी होते हैं। सब मनिसा मोर परजा (सब मनुष्य मेरी प्रजा है), ये उनके उद्गार है। भगवान जगन्नाथ तो पुरुषोत्तम हैं। उनमें श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महायान का शून्य और अद्वैत का ब्रह्म समाहित है। उनके अनेक नाम है, वे पतित पावन हैं। महाप्रसाद का गौरव रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अन्त में गरुण ध्वज पर या नन्दीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं। तालध्वज रथ ६५ फीट लंबा, ६५ फीट चौड़ा और ४५ फीट ऊँचा है। इसमें ७ फीट व्यास के १७ पहिये लगे हैं। बलभद्र जी का रथ तालध्वज और सुभद्रा जी का रथ को देवलन जगन्नाथ जी के रथ से कुछ छोटे हैं। सन्ध्या तक ये तीनों ही रथ मन्दिर में जा पहुँचते हैं। अगले दिन भगवान रथ से उतर कर मन्दिर में प्रवेश करते हैं और सात दिन वहीं रहते हैं। गुंडीचा मन्दिर में इन नौ दिनों में श्री जगन्नाथ जी के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है। श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है जबकि अन्य तीर्थों के प्रसाद को सामान्यतः प्रसाद ही कहा जाता है। श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद का स्वरूप महाप्रभु बल्लभाचार्य जी के द्वारा मिला। कहते हैं कि महाप्रभु बल्लभाचार्य की निष्ठा की परीक्षा लेने के लिए उनके एकादशी व्रत के दिन पुरी पहुँचने पर मन्दिर में ही किसी ने प्रसाद दे दिया। महाप्रभु ने प्रसाद हाथ में लेकर स्तवन करते हुए दिन के बाद रात्रि भी बिता दी। अगले दिन द्वादशी को स्तवन की समाप्ति पर उस प्रसाद को ग्रहण किया और उस प्रसाद को महाप्रसाद का गौरव प्राप्त हुआ। नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का प्रसाद विशेष रूप से इस दिन मिलता है। जनकपुर मौसी का घर जनकपुर में भगवान जगन्नाथ दसों अवतार का रूप धारण करते हैं। विभिन्न धर्मो और मतों के भक्तों को समान रूप से दर्शन देकर तृप्त करते हैं। इस समय उनका व्यवहार सामान्य मनुष्यों जैसा होता है। यह स्थान जगन्नाथ जी की मौसी का है। मौसी के घर अच्छे-अच्छे पकवान खाकर भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। तब यहाँ पथ्य का भोग लगाया जाता है जिससे भगवान शीघ्र ठीक हो जाते हैं। रथयात्रा के तीसरे दिन पंचमी को लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ को ढूँढ़ते यहाँ आती हैं। तब द्वैतापति दरवाज़ा बंद कर देते हैं जिससे लक्ष्मी जी नाराज़ होकर रथ का पहिया तोड़ देती है और हेरा गोहिरी साही पुरी का एक मुहल्ला जहाँ लक्ष्मी जी का मन्दिर है, वहाँ लौट जाती हैं। बाद में भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को मनाने जाते हैं। उनसे क्षमा माँगकर और अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इस आयोजन में एक ओर द्वैताधिपति भगवान जगन्नाथ की भूमिका में संवाद बोलते हैं तो दूसरी ओर देवदासी लक्ष्मी जी की भूमिका में संवाद करती है। लोगों की अपार भीड़ इस मान-मनौव्वल के संवाद को सुनकर खुशी से झूम उठती हैं। सारा आकाश जै श्री जगन्नाथ के नारों से गूँज उठता है। लक्ष्मी जी को भगवान जगन्नाथ के द्वारा मना लिए जाने को विजय का प्रतीक मानकर इस दिन को विजयादशमी और वापसी को बोहतड़ी गोंचा कहा जाता है। रथयात्रा में पारम्परिक सद्भाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। देवर्षि नारद को वरदान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा या रुक्मिणी नहीं होतीं बल्कि बलराम और सुभद्रा होते हैं। उसकी कथा कुछ इस प्रकार प्रचलित है - द्वारिका में श्री कृष्ण रुक्मिणी आदि राज महिषियों के साथ शयन करते हुए एक रात निद्रा में अचानक राधे-राधे बोल पड़े। महारानियों को आश्चर्य हुआ। जागने पर श्रीकृष्ण ने अपना मनोभाव प्रकट नहीं होने दिया, लेकिन रुक्मिणी ने अन्य रानियों से वार्ता की कि, सुनते हैं वृन्दावन में राधा नाम की गोपकुमारी है जिसको प्रभु ने हम सबकी इतनी सेवा निष्ठा भक्ति के बाद भी नहीं भुलाया है। राधा की श्रीकृष्ण के साथ रहस्यात्मक रास लीलाओं के बारे में माता रोहिणी भली प्रकार जानती थीं। उनसे जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी महारानियों ने अनुनय-विनय की। पहले तो माता रोहिणी ने टालना चाहा लेकिन महारानियों के हठ करने पर कहा, ठीक है। सुनो, सुभद्रा को पहले पहरे पर बिठा दो, कोई अंदर न आने पाए, भले ही बलराम या श्रीकृष्ण ही क्यों न हों। माता रोहिणी के कथा शुरू करते ही श्री कृष्ण और बलरम अचानक अन्त:पुर की ओर आते दिखाई दिए। सुभद्रा ने उचित कारण बता कर द्वार पर ही रोक लिया। अन्त:पुर से श्रीकृष्ण और राधा की रासलीला की वार्ता श्रीकृष्ण और बलराम दोनो को ही सुनाई दी। उसको सुनने से श्रीकृष्ण और बलराम के अंग अंग में अद्भुत प्रेम रस का उद्भव होने लगा। साथ ही सुभद्रा भी भाव विह्वल होने लगीं। तीनों की ही ऐसी अवस्था हो गई कि पूरे ध्यान से देखने पर भी किसी के भी हाथ-पैर आदि स्पष्ट नहीं दिखते थे। सुदर्शन चक्र विगलित हो गया। उसने लंबा-सा आकार ग्रहण कर लिया। यह माता राधिका के महाभाव का गौरवपूर्ण दृश्य था। अचानक नारद के आगमन से वे तीनों पूर्व वत हो गए। नारद ने ही श्री भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान आप चारों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप के मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्य जनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहे। महाप्रभु ने तथास्तु कह दिया। रथ यात्रा का प्रारंभ कहते हैं कि राजा इन्द्रद्युम्न, जो सपरिवार नीलांचल सागर (उड़ीसा) के पास रहते थे, को समुद्र में एक विशालकाय काष्ठ दिखा। राजा के उससे विष्णु मूर्ति का निर्माण कराने का निश्चय करते ही वृद्ध बढ़ई के रूप में विश्वकर्मा जी स्वयं प्रस्तुत हो गए। उन्होंने मूर्ति बनाने के लिए एक शर्त रखी कि मैं जिस घर में मूर्ति बनाऊँगा उसमें मूर्ति के पूर्णरूपेण बन जाने तक कोई न आए। राजा ने इसे मान लिया। आज जिस जगह पर श्रीजगन्नाथ जी का मन्दिर है उसी के पास एक घर के अंदर वे मूर्ति निर्माण में लग गए। राजा के परिवारजनों को यह ज्ञात न था कि वह वृद्ध बढ़ई कौन है। कई दिन तक घर का द्वार बंद रहने पर महारानी ने सोचा कि बिना खाए-पिये वह बढ़ई कैसे काम कर सकेगा। अब तक वह जीवित भी होगा या मर गया होगा। महारानी ने महाराजा को अपनी सहज शंका से अवगत करवाया। महाराजा के द्वार खुलवाने पर वह वृद्ध बढ़ई कहीं नहीं मिला लेकिन उसके द्वारा अर्द्धनिर्मित श्री जगन्नाथ, सुभद्रा तथा बलराम की काष्ठ मूर्तियाँ वहाँ पर मिली। महाराजा और महारानी दुखी हो उठे। लेकिन उसी क्षण दोनों ने आकाशवाणी सुनी, 'व्यर्थ दु:खी मत हो, हम इसी रूप में रहना चाहते हैं मूर्तियों को द्रव्य आदि से पवित्र कर स्थापित करवा दो।' आज भी वे अपूर्ण और अस्पष्ट मूर्तियाँ पुरुषोत्तम पुरी की रथयात्रा और मन्दिर में सुशोभित व प्रतिष्ठित हैं। रथयात्रा माता सुभद्रा के द्वारिका भ्रमण की इच्छा पूर्ण करने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण व बलराम ने अलग रथों में बैठकर करवाई थी। माता सुभद्रा की नगर भ्रमण की स्मृति में यह रथयात्रा पुरी में हर वर्ष होती है। पृष्ठभूमि में स्थित दर्शन और इतिहास कल्पना और किंवदंतियों में जगन्नाथ पुरी का इतिहास अनूठा है। आज भी रथयात्रा में जगन्नाथ जी को दशावतारों के रूप में पूजा जाता है, उनमें विष्णु, कृष्ण और वामन भी हैं और बुद्ध भी। अनेक कथाओं और विश्वासों और अनुमानों से यह सिद्ध होता है कि भगवान जगन्नाथ विभिन्न धर्मो, मतों और विश्वासों का अद्भुत समन्वय है। जगन्नाथ मन्दिर में पूजा पाठ, दैनिक आचार-व्यवहार, रीति-नीति और व्यवस्थाओं को शैव, वैष्णव, बौद्ध, जैन यहाँ तक तांत्रिकों ने भी प्रभावित किया है। भुवनेश्वर के भास्करेश्वर मन्दिर में अशोक स्तम्भ को शिव लिंग का रूप देने की कोशिश की गई है। इसी प्रकार भुवनेश्वर के ही मुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर मन्दिर की दीवारों में शिव मूर्तियों के साथ राम, कृष्ण और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ हैं। यहाँ जैन और बुद्ध की भी मूर्तियाँ हैं पुरी का जगन्नाथ मन्दिर तो धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का अद्भुत उदाहरण है। मन्दिर कि पीछे विमला देवी की मूर्ति है जहाँ पशुओं की बलि दी जाती है, वहीं मन्दिर की दीवारों में मिथुन मूर्तियाँ चौंकाने वाली है। यहाँ तांत्रिकों के प्रभाव के जीवंत साक्ष्य भी हैं। सांख्य दर्शन के अनुसार शरीर के २४ तत्वों के ऊपर आत्मा होती है। ये तत्व हैं- पंच महातत्व, पाँच तंत्र माताएँ, दस इन्द्रियां और मन के प्रतीक हैं। रथ का रूप श्रद्धा के रस से परिपूर्ण होता है। वह चलते समय शब्द करता है। उसमें धूप और अगरबत्ती की सुगंध होती है। इसे भक्तजनों का पवित्र स्पर्श प्राप्त होता है। रथ का निर्माण बुद्धि, चित्त और अहंकार से होती है। ऐसे रथ रूपी शरीर में आत्मा रूपी भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं। इस प्रकार रथयात्रा शरीर और आत्मा के मेल की ओर संकेत करता है और आत्मदृष्टि बनाए रखने की प्रेरणा देती है। रथयात्रा के समय रथ का संचालन आत्मा युक्त शरीर करती है जो जीवन यात्रा का प्रतीक है। यद्यपि शरीर में आत्मा होती है तो भी वह स्वयं संचालित नहीं होती, बल्कि उस माया संचालित करती है। इसी प्रकार भगवान जगन्नाथ के विराजमान होने पर भी रथ स्वयं नहीं चलता बल्कि उसे खींचने के लिए लोक-शक्ति की आवश्यकता होती है। सम्पूर्ण भारत में वर्षभर होने वाले प्रमुख पर्वों होली, दीपावली, दशहरा, रक्षा बंधन, ईद, क्रिसमस, वैशाखी की ही तरह पुरी का रथयात्रा का पर्व भी महत्त्वपूर्ण है। पुरी का प्रधान पर्व होते हुए भी यह रथयात्रा पर्व पूरे भारतवर्ष में लगभग सभी नगरों में श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाया जाता है। जो लोग पुरी की रथयात्रा में नहीं सम्मिलित हो पाते वे अपने नगर की रथयात्रा में अवश्य शामिल होते हैं। रथयात्रा के इस महोत्सव में जो सांस्कृतिक और पौराणिक दृश्य उपस्थित होता है उसे प्राय: सभी देशवासी सौहार्द्र, भाई-चारे और एकता के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं। जिस श्रद्धा और भक्ति से पुरी के मन्दिर में सभी लोग बैठकर एक साथ श्री जगन्नाथ जी का महाप्रसाद प्राप्त करते हैं उससे वसुधैव कुटुंबकम का महत्व स्वत: परिलक्षित होता है। उत्साहपूर्वक श्री जगन्नाथ जी का रथ खींचकर लोग अपने आपको धन्य समझते हैं। श्री जगन्नाथपुरी की यह रथयात्रा सांस्कृतिक एकता तथा सहज सौहार्द्र की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखी जाती
भारत[M]के उड़ी[M]ा राज्[M] का पु[M]ी[M]क[M][M]ेत्र[M]जि[M][M] पुरुषोत्तम [M]ुरी, शं[M][M][M]्षेत्र, [M]्[M]ीक[M]षेत्र क[M] न[M]म से [M]ी[M]जाना जाता[M]है,[M]भगव[M][M] श्री जगन्ना[M] जी की मुख्य [M][M]ला-भूमि [M]ै[M][M]उत्कल [M]्रदेश के प[M]रधान[M]द[M]वता श्री जगन[M]न[M]थ जी ही माने जाते हैं[M] यहाँ के वैष्ण[M] धर्[M] की मान[M]यता[M][M]ै कि र[M]धा और श्रीकृष्[M] क[M] युगल [M]ू[M]्ति के प्र[M]ी[M] स्वयं [M][M]री ज[M]न्न[M]थ जी हैं। इस[M] प्रतीक के[M][M]ूप श्री जगन्नाथ से[M]सम्प[M]र्ण जगत [M]ा उद्भ[M] हुआ है। [M]्री जगन्ना[M] ज[M] पूर्[M] परात्[M]र भगवान[M]ह[M] और [M]्रीकृष्ण उनकी[M]कला क[M] एक रूप है। ऐ[M]ी म[M]न्यत[M] श्री चैतन्य महाप्रभ[M] के[M]शिष्य[M][M]ं[M] स[M]ाओं की [M]ै। [M][M]र्ण परात[M]पर भगवा[M] श्री[M]ज[M]न[M]नाथ जी की [M]थयात्र[M][M]आषाढ़ शुक्ल द्[M][M]ती[M]ा क[M] जग[M]्नाथप[M]री म[M]ं आरम्भ ह[M]त[M] है। यह रथय[M]त्र[M] पुरी[M]का प[M]रधान पर्[M][M]भी है।[M]इ[M]में भ[M][M] लेने के लिए, इस[M][M] [M]र्श[M] [M]ाभ के लिए हज़ारों,[M][M]ाखों की संख्या मे[M] बाल, वृद्ध, यु[M]ा, नारी देश के सुदूर प[M]रांतो[M] से आते [M]ैं।[M][M][M]्यटन [M]र[M]धार्मिक महत्[M]्व इस स्थान का धार्मिक [M]ह[M]्व ज[M]न्[M]ाथ क[M] मं[M][M]र है जिसे कबीर परमात्मा[M]ने डूबने से[M]बचाया[M]था, [M]मुद्र[M]श्र[M][M]कृष्ण जी से त्[M]ेता [M]ुग का[M]बदला [M]श्री र[M]म जी ने [M]मुद्र का अपने अग्निबाण से अपमान क[M]या था[M] ल[M][M]ा चाह[M]ा था,[M]परंतु परमात्मा[M]कबी[M] जी न[M] काल [M]ो वचन[M]दिय[M] था [M]ि पुरी [M]ें मंदिर को ट[M]टने से ब[M]ाऊँगा[M] तभी से यह मंदिर आज तक विद[M][M]म[M]न है। यहा[M] की मूर्ति, स्[M]ापत्य क[M]ा और समुद्[M] का [M]नोरम कि[M]ार[M] पर्[M]टकों को आक[M]्षित [M]रने के [M]िए पर्य[M]प्[M] है। कोण[M]र्क क[M] अद्भुत सूर्य मन्दिर[M] [M]गवान बुद्ध की अनुपम[M]मूर्तियों[M]से स[M]ा धौल-गिरि और उ[M]य[M]गिरि की ग[M]फाएँ, जै[M] [M][M]नियों की त[M][M][M][M]ली [M]ंड-[M]िरि की[M]गुफाए[M],[M][M]िंग-राज,[M]साक[M]षी गोपाल और भ[M]वान ज[M]न्नाथ के[M][M]न्[M]िर दर्[M]नीय [M]ै। पुरी और [M]न्द्रभागा का मनोरम[M]सम[M]द्र[M] कि[M]ारा[M] च[M]्दन तालाब, [M]न[M]प[M]र और न[M]्दन[M]ानन अभ[M]या[M][M]् बड़ा ही मनोरम[M][M]र द[M][M]शनीय है[M] [M]ास्त्[M]ों औ[M] [M]ुरा[M]ों [M]ें भ[M] [M]थ-यात[M]रा की [M]हत्[M]ा [M]ो स्व[M]कार किया ग[M]ा है[M] स्कन[M]द पुर[M][M][M][M]ें[M]स्[M]ष्ट कहा[M]ग[M]ा[M]है कि रथ-यात्र[M] में [M]ो व[M]यक्त[M] श्[M]ी जगन्ना[M] [M][M] के नाम का[M]कीर्तन करता हुआ[M][M]ुंडीचा नगर तक[M]ज[M]ता[M]है वह [M][M]नर्जन्म से मुक्[M] [M]ो[M]जाता ह[M]। जो व्यक्[M][M] श्री जगन[M]नाथ जी का[M]दर्शन क[M]ते हुए, प्रणाम क[M]ते हुए [M]ार्ग के धूल-क[M]च[M]़ आदि [M]ें ल[M]ट-लोट कर [M]ात[M][M]हैं वे[M]स[M]धे भगवान श्री व[M]ष्णु [M]े[M][M]त्तम धाम को जाते हैं। जो व[M]यक[M]ति गुंडि[M]ा [M]ं[M]प में रथ पर विर[M][M]मान श्री क[M]ष्ण, [M]लराम और सुभद्रा[M]देवी के दर[M][M]न दक्षिण दिश[M] को आते [M]ुए करते हैं वे मोक्ष को[M]प्राप्त हो[M]े हैं।[M]रथयात्[M]ा एक ऐसा पर्व है जिसमें [M]गवान जगन्[M]ाथ[M]च[M]कर जनता के बी[M] आते है[M] और उ[M]क[M] सुख द[M]ख म[M]ं सह[M]ागी होते [M]ैं।[M][M]ब मनिसा मोर परजा[M](सब मन[M]ष्[M] मे[M]ी प्र[M]ा है), ये उनके उद्गार है। भगवान जगन[M]नाथ तो पुरुषोत[M]तम हैं। उ[M]में श्रीराम[M] श्रीकृष[M][M], बुद्[M], म[M][M]या[M] का शून[M]य[M]औ[M] अ[M]्वैत का ब्र[M]्म समाहित है। उ[M]के अनेक न[M]म है[M] व[M] पतित [M][M]वन हैं। [M]हा[M]्रसाद का गौ[M]व र[M][M]ात[M]रा [M]ें सब[M][M][M]आगे ताल ध्[M]ज पर श्री बलराम[M] उ[M]के पीछे प[M][M]म ध[M]वज र[M] पर म[M]ता सुभ[M]्रा व सुद[M]्शन चक[M]र [M]र[M]अन्त मे[M] गरुण ध्[M]ज प[M] य[M] न[M]्[M][M]घोष नाम क[M] रथ [M]र[M]श्र[M] ज[M]न्नाथ[M]ज[M] सबसे[M]पीछे चलते[M]हैं। तालध्वज[M]रथ ६५ फीट लं[M]ा, [M]५ फीट चौड़ा [M][M] ४५ फीट[M]ऊँचा[M]है[M] इ[M]म[M][M] ७ [M]ीट व्यास क[M] १[M] [M]हिये ल[M]े हैं।[M]बलभद[M]र ज[M] क[M] रथ[M]तालध्[M][M][M]और[M]स[M]भ[M]्रा जी का [M]थ को दे[M]लन जगन्नाथ जी [M]े[M]र[M] [M]े कुछ छोटे हैं। सन[M][M]्य[M] तक ये[M]तीनों ह[M] र[M] [M]न्दिर में[M]जा [M]हु[M]चते हैं। अग[M]े दि[M] भ[M]वान[M][M][M] [M]े उतर[M]कर मन्दिर में[M]प्रव[M]श क[M]ते[M]हैं और सात [M]िन वहीं रहते [M]ैं[M] गुंडीचा मन्[M]ि[M] में [M]न नौ [M]िनों में श्री[M]ज[M]न्नाथ [M]ी के दर्[M]न[M]को आड[M]प-दर्शन[M]कहा जाता[M]है। श्री जग[M]्न[M]थ जी के [M]्रस[M]द को म[M]ाप[M]रसाद मा[M]ा जात[M] ह[M] ज[M]कि अन्य[M]त[M][M]्थों के प्रसाद[M]को सामान्यतः प्रस[M]द ह[M] कहा जात[M][M]है।[M]श्री जगन्नाथ[M]जी के प्रस[M]द [M]ो मह[M]प्रसाद[M]का स्वरूप महा[M][M]रभु[M]बल्लभाचार[M]य जी के द[M]वारा मिला। कहते[M][M]ैं कि[M]महाप्रभु बल[M]लभाचार्य की निष्ठा की परीक्षा [M]ेने के लिए उन[M]े[M]एकादशी व्रत के दिन पुरी पहुँचन[M] [M]र मन्दिर में ही किसी ने प[M]रसाद द[M] दिया। [M]हाप्[M]भु ने प्र[M]ाद ह[M]थ म[M]ं [M]ेक[M] स्तव[M][M]करते हुए दिन के बाद र[M][M]्[M]ि भी बि[M][M][M]दी। अगले दिन द्वादशी को स्तवन क[M] समाप[M]ति पर उस प्रसा[M][M]को ग[M]रहण किय[M] और उस प्रसाद [M]ो महाप्र[M]ाद का [M][M]रव [M]्राप्त हुआ। नार[M]यल, लाई, ग[M]ामू[M]ग [M]र मालप[M]आ [M]ा प्रस[M]द व[M]शेष रूप से इ[M] दिन म[M]लता है। जनकप[M][M] [M]ौसी [M]ा[M]घर [M][M]कपुर मे[M][M]भगवान ज[M]न्ना[M] दस[M]ं अवतार का [M]ूप[M]धा[M]ण [M]र[M]े हैं[M] [M]िभिन्न धर्मो और मतो[M] [M]े[M][M]क[M]तों को [M]मा[M] रूप से दर्शन द[M]कर[M]त[M]प्[M] करते ह[M]ं। इस समय [M][M]का व्य[M]हार सामान्य म[M][M]ष[M]यों जैसा [M]ोता [M]ै। यह स्थान[M]जगन्नाथ जी [M][M][M]मौसी[M]का है। म[M]सी [M][M] घर अच्छे-अ[M]्छे[M]पकवा[M] खाक[M] भगवान जगन्नाथ [M]ीमार हो जाते है[M]। तब [M][M]ाँ पथ्य का भोग लग[M][M]ा जाता है जिससे भगव[M]न श[M]घ्र ठीक हो ज[M]ते हैं। रथयात्रा [M]े त[M]सरे दि[M] प[M]चमी को[M][M]क्ष्मी जी[M]भगवान जगन्[M]ाथ को[M]ढूँढ़ते यहाँ आत[M] [M]ैं। तब द्वैतापति दरवाज़ा [M]ंद कर [M]ेते ह[M]ं जिस[M]े लक्ष्मी जी नार[M]ज़ होकर रथ क[M] प[M]िया तोड़ देती है[M]और[M]हेरा गोहि[M]ी सा[M]ी[M]पुरी का एक[M]मु[M][M]्ला जह[M]ँ लक्ष[M][M]ी जी क[M] म[M]्दिर है, वहाँ ल[M]ट जाती[M]हैं।[M]बाद में भगवान जगन[M]नाथ लक्[M]्मी जी को म[M][M]ने जाते है[M]। उनसे क्षमा[M]माँगकर [M]र[M]अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें[M]प्रसन्न करने की[M]को[M]िश करते हैं। इस [M]योजन में ए[M] ओ[M] द्वैताधिपति[M]भगवान जगन्[M]ा[M] [M]ी[M][M]ूमिका म[M]ं संवाद बोलते [M]ैं तो दू[M][M]ी[M]ओर द[M]वदासी लक्ष्मी जी [M]ी भूमिका में संवाद करती [M]ै। लोगों[M]की अ[M][M][M] भ[M][M]़ इस मान-मनौव्वल के संवाद को सुनकर खुशी से झूम उठती[M]हैं। सारा [M]काश जै श्र[M] जगन[M]न[M]थ के ना[M][M]ं स[M] ग[M]ँ[M] [M]ठ[M]ा [M]ै[M] लक्ष्मी जी को [M][M]वान ज[M]न्नाथ के द्[M]ारा मना लि[M] ज[M]ने[M]को विज[M][M]का प्रती[M] मानकर इस दिन को [M]िजय[M]द[M]म[M] और वा[M]सी[M]को बोहतड़[M] गों[M]ा क[M]ा जाता है[M] रथयात्रा में [M][M]रम्परिक[M]सद्भाव, [M][M]ंस्कृतिक [M]कता [M]र धार[M]मि[M][M]सहिष्णुता[M]का [M]द[M][M]ुत समन्वय द[M][M]ने को मिलता[M]ह[M][M] देवर्षि न[M]र[M] को वर[M]ान श्री जगन्नाथ जी की[M]रथयात्रा में[M]भग[M]ा[M] श[M][M]ी क[M][M]्ण[M]के साथ राधा या[M]र[M]क्मिण[M] न[M]ीं होतीं बल[M]क[M][M]बल[M]ाम और[M]सुभद्रा[M][M]ोते [M]ैं। उसकी [M]थ[M][M]क[M]छ इस प[M]रकार प्रचलित[M]है - द्वारिक[M] में [M][M]री कृष्ण रु[M]्[M][M]णी आदि राज म[M][M]ष[M]यों के साथ शयन करते हुए[M]एक रात निद्[M]ा [M]ें अचा[M]क राधे[M][M]ाधे ब[M]ल पड[M]े। महारानि[M]ों को आश्[M]र्य [M]ुआ। जागन[M] पर श्रीकृष्ण[M]ने अ[M]ना मनोभाव प्रकट न[M]ीं[M]होने दिया, लेकि[M] [M]ुक्मिणी ने अन्य रानियो[M] [M]े वार्ता की कि, स[M]न[M]े हैं[M]व[M]न्दावन में राधा[M]नाम क[M][M]गोपकुमारी ह[M] [M]िसको [M]्रभु ने हम सबक[M] [M]तनी सेव[M] नि[M]्ठा भक्[M]ि क[M] बाद भ[M] नहीं भ[M]ला[M]ा है[M] राधा की श्रीक[M][M]्ण के साथ र[M]स्यात्मक[M][M]ास[M]लीलाओं [M][M] बारे मे[M] माता रोहिणी [M][M]ी [M]्रकार ज[M]नती थीं। उ[M]स[M] जानकारी[M]प्राप्त क[M]ने [M]े लि[M] सभी मह[M]र[M]न[M]यों ने अनु[M]य-विनय की। पहल[M] तो म[M]ता रोहिणी ने [M]ाल[M]ा चाहा ल[M]किन महार[M]न[M]यों [M]े हठ क[M][M]े [M]र[M]कहा, ठीक ह[M]। सुनो, सुभद[M]रा को[M]प[M]ल[M] पह[M]े पर बिठा दो, क[M]ई अंदर न आने [M]ाए, भले[M]ही ब[M]रा[M] या श्रीकृष्ण ही[M]क्यों न [M][M]ं।[M][M]ा[M]ा रोहि[M]ी के[M]कथ[M] शुरू कर[M]े ही[M]श्री [M]ृष्[M] और ब[M]रम[M][M]चानक अन्[M][M]पुर की ओर आते दिख[M]ई दिए। [M][M]भद्रा ने उचित क[M]रण बत[M] [M]र [M]्वार पर ही [M]ोक ल[M]या। अन्त:पुर से श्रीकृष्ण और रा[M]ा की रा[M]लीला क[M] वार्[M][M] श्रीकृष्ण [M]र बलराम[M][M][M]नो को ही [M]ुन[M][M] दी। उ[M]क[M] सुनन[M] से श्र[M]कृष्[M] औ[M] [M]लराम क[M] अंग अंग में[M]अद[M]भु[M] प्रेम रस [M]ा उद्भव होने लगा[M] साथ [M][M][M]सुभद्रा [M]ी भाव[M][M]िह्वल हो[M]े लगीं। तीनों की ही ऐसी अवस[M][M]ा हो गई[M]कि[M]पूरे [M]्यान स[M] द[M][M]ने प[M] भी किसी के भ[M] [M]ाथ-पैर [M][M]ि स्पष[M]ट नह[M]ं दिखते थे।[M][M]ुदर[M]शन चक्र व[M][M]लित [M][M] [M]या। उसने लंबा-सा आकार[M]ग्र[M]ण कर[M]लि[M]ा। यह माता[M][M]ा[M]िका के महा[M]ाव का गौरवपूर्ण दृश्य था। अचानक नारद के आगमन स[M] वे [M]ीनों पूर[M][M] [M]त ह[M] गए। नारद[M]ने[M]ही श्री[M][M]गवान[M]से[M][M]्रा[M]्थन[M] की कि[M]हे भगवान [M]प चार[M]ं के जिस [M][M]ाभाव[M]में [M]ीन [M][M]र[M]तिस[M]थ रूप के[M]मैंने दर्शन किए है[M][M] वह सामान्[M] जनों के [M]र[M]शन हेतु पृथ्वी प[M] सदै[M] [M]ुशोभित रहे। महाप[M][M][M][M] ने तथास्त[M] कह दि[M]ा। रथ य[M][M]्रा का[M]प्र[M]रंभ कहते हैं [M]ि [M]ाजा इ[M][M]द्रद्[M][M]म्[M][M] जो सपर[M]वार नीलांचल सागर (उड़ीसा) क[M] पास [M]हते थे[M] को [M]मुद्र में एक [M]ि[M][M]ल[M][M]य काष्ठ द[M]खा। राजा के उससे विष्णु मूर्ति क[M] [M]िर्म[M][M] कराने[M]का निश्चय कर[M]े ही वृद्[M] बढ़ई के रूप में विश्व[M]र्मा जी स[M][M]यं[M]प्रस्तुत हो गए।[M]उन्होंने[M]मूर्ति बनाने के लिए [M]क श[M]्त रखी कि मैं ज[M][M] घर में मूर्ति बनाऊँगा उसमे[M] म[M]र्ति[M]के पूर्ण[M]ू[M]े[M] बन[M]ज[M]न[M] तक कोई[M][M] [M][M]। राजा ने इस[M] मान लिया। आज[M]जिस जगह पर श्[M]ीजगन[M]न[M][M] जी का [M]न्दिर है[M]उसी के पास एक[M]घर के अंदर व[M] मू[M][M][M]ि [M][M]र[M]माण में लग गए। राजा के पर[M]वा[M][M]नो[M] को यह[M]ज्ञा[M] न थ[M] कि व[M] वृ[M]्ध बढ़ई[M]कौ[M] है। कई दिन तक[M]घर का द्वार[M]ब[M]द र[M]ने पर महारानी ने [M]ोचा कि [M][M]ना[M]ख[M]ए-पिये वह बढ़ई [M]ैसे का[M] कर सकेगा। अब तक[M][M]ह जीवि[M] भ[M] होगा या[M]मर ग[M]ा होगा। म[M]ा[M]ान[M] ने[M]महाराजा [M]ो अपनी सहज शंका से अवगत [M]रवा[M]ा। म[M]ार[M]जा[M]क[M] [M]्वार [M]ु[M]वाने प[M] वह[M]वृद्ध[M]बढ़ई कहीं नहीं मिला [M]ेक[M]न उस[M][M] द्वारा अर्द्[M]निर्मित श[M]री जग[M]्नाथ, स[M]भ[M]्रा तथा बलर[M][M] की काष्ठ मू[M][M]तियाँ वहाँ [M]र मिली। महारा[M]ा [M]र मह[M]रानी दुखी हो उठे[M] लेकिन उसी क्षण दोनों[M]ने आकाशवाण[M] सु[M]ी, 'व्[M]र्थ दु:ख[M] मत हो, हम [M]सी रू[M] में [M]हना चाहत[M] हैं[M]मूर[M]तियों क[M] द्र[M]्य आदि से पवित्र कर स्थापित करव[M] दो।' आज भी वे अपूर्ण और अस[M]पष्ट मू[M]्[M]ियाँ पुरुषोत[M]तम पुरी की [M]थयात्[M]ा और मन्दि[M][M]में सुशो[M]ित[M][M][M]प्रतिष्ठित हैं। [M]थय[M]त्रा म[M]त[M][M]सुभ[M]्रा के [M]्वार[M]का भ्रमण की [M]च[M]छा पू[M]्[M] कर[M]े के [M]द्देश्य स[M] श्री[M]ृष्ण व ब[M]राम ने [M]लग रथों में[M]बै[M]क[M] कर[M]ाई थी[M] मात[M] स[M]भद्रा क[M][M]नगर भ्र[M]ण की स्[M]ृति[M]में यह र[M]यात्रा पुरी[M]मे[M] हर वर्ष ह[M]त[M] है। पृष[M]ठभूम[M] में स्थित दर्शन और इति[M][M]स क[M]्पना औ[M] क[M][M]व[M][M]त[M]य[M]ं में जगन्नाथ[M]प[M]री[M]का[M]इ[M]िहास अनूठा है। आ[M] भी रथ[M]ात्रा [M]ें ज[M]न्नाथ [M]ी को दश[M]वता[M]ों [M]े र[M]प मे[M] पूजा जात[M] है,[M]उनमें [M]िष्णु, कृ[M]्ण [M]र[M]वाम[M] भी[M]ह[M]ं और [M]ुद्ध भी। अनेक कथ[M]ओं और विश्वासों और अनुम[M]न[M]ं [M]े यह सिद्ध[M]हो[M]ा[M]है क[M] भगवान जगन्नाथ विभिन्न धर्मो, मतों और विश्व[M]सों का अद्भुत सम[M][M][M]य ह[M]। जगन्नाथ [M]न्द[M]र में प[M]जा पाठ, दैनिक आच[M]र[M]व्यवहार[M] रीति-नी[M][M] और व्यवस्थाओं[M]को शै[M], [M]ैष्ण[M], बौद्ध, जैन यहा[M] [M]क तांत्रिक[M]ं ने भी प्र[M]ावित किया है। भुव[M][M]श्वर के [M]ास्करेश्[M]र[M]मन[M]दिर [M]ें अशोक[M]स्तम्भ को शिव ल[M]ंग का रूप देने[M]की कोशिश[M]क[M] गई है। इसी प्रकार भुवनेश्वर के[M]ही[M]मुक्त[M][M]्व[M] और सिद्धेश्वर मन्दिर की [M]ीवा[M]ों में शिव[M]मूर्तियों के साथ र[M]म, कृष्[M][M]और अन्य[M]देवता[M]ं [M]ी[M]मूर[M]तियाँ हैं[M] यहाँ जैन और [M]ुद्ध की भी मूर[M]तियाँ ह[M]ं पुरी[M]का [M]गन्[M]ा[M] मन[M]दिर [M]ो धार्मिक स[M]ि[M]्ण[M]ता और समन्[M]य[M]का [M]द्भुत उदाहरण है। मन्द[M]र कि पीछे [M]िमला देवी [M]ी मू[M][M]ति [M]ै जह[M]ँ पश[M]ओं [M]ी बलि दी जाती है, [M]ह[M]ं मन्दिर की दीवारों[M]मे[M] मिथुन मूर्त[M]याँ चौंका[M]े वाली है। [M]हा[M] ता[M]त्रिकों [M][M] प[M]रभाव के जीवंत [M][M]क्ष्य भी[M]हैं। सां[M][M]य दर्शन के अनुसार [M]र[M]र के[M]२४ तत्व[M][M] के ऊपर [M][M][M]मा ह[M]ती है। ये तत्व है[M]-[M][M]ंच[M][M]हातत्व, पा[M]च तंत्र[M]माताएँ, दस इन्द[M]रियां और मन के प्रतीक हैं। रथ का[M]रूप श[M]रद्ध[M] के रस स[M] परिपू[M]्ण हो[M]ा है[M] [M][M] चलते समय शब्द[M]करता है।[M]उसमें धूप और [M]गर[M][M]्ती की सुग[M]ध होती है। इसे भ[M]्तजनों का[M]पवित्र स्पर्[M] प्राप्त होता [M]ै। रथ का न[M]र्माण बुद[M]धि, चित्त और [M]हंकार से होती है। ऐसे रथ र[M]पी श[M]ीर[M]में आत्मा रूप[M] [M]गवान [M]गन्नाथ विरा[M]म[M]न होते है[M]। इस प्रकार [M]थया[M][M][M]ा शरी[M] और आत्मा के[M]मेल की ओर [M]ंकेत कर[M]ा [M][M] और आत्मदृष्टि बना[M] रखने [M]ी प्रे[M][M]ा देती है। र[M][M][M]त्रा क[M][M]स[M]य [M]थ का[M]संचालन[M]आत्मा य[M]क्त शरीर[M]करती है जो[M]ज[M]वन [M]ात्[M]ा[M]क[M] प्[M]त[M]क है[M] य[M]्यपि शर[M]र में [M][M]्मा [M]ोती[M]है तो भी [M]ह स्वयं संचाल[M][M] नहीं ह[M]ती, ब[M]्कि उस माया संचा[M]ित [M]रती है। इसी प्रकार[M]भग[M]ान जगन[M]नाथ [M]े विरा[M][M]ान होने [M]र भी [M]थ [M]्वयं नहीं चलता [M]ल्[M]ि[M]उ[M][M] [M][M][M]चने क[M] लिए[M]लोक-[M]क्[M]ि क[M] आ[M]श्यकता[M]होती है। सम्पूर्ण[M]भार[M][M]में वर्षभर होने वाले प्[M]म[M][M] प[M]्वों हो[M][M], द[M]पावली, दशहरा, रक्षा बंध[M], ईद, क्र[M]समस, वै[M][M][M]ी की ही तरह प[M]र[M] का रथयात्रा का [M]र्व भी [M]हत्त्वप[M]र्ण है। पुरी का प्रधान [M]र्[M][M][M]ोते हु[M][M]भी यह [M]थय[M]त्रा [M]र्व [M]ू[M][M] भार[M]वर[M]ष मे[M] लगभग सभी नगरों मे[M] [M]्र[M][M]धा और प्रेम [M]े साथ मनाया जात[M] ह[M][M] जो लोग पुरी की रथयात्रा में नही[M] सम्मिलित हो[M]प[M]ते वे अ[M]न[M] नगर की रथयात्रा में अवश्य[M]श[M]मिल होते हैं। र[M][M][M]त्रा[M]के इस महोत्सव मे[M] जो सांस्कृतिक और पौराणिक द[M]श्य उपस्थित [M]ोता है उसे[M]प्रा[M]: सभी [M]ेशव[M][M]ी सौ[M][M]र्द[M][M], भाई-चारे और [M]कत[M] [M]े परिप्[M][M]क्ष[M][M] में देखते [M]ैं। जिस श[M]रद्[M]ा और भक[M]ति से पुरी के[M]म[M]्दिर में[M]स[M]ी लोग बैठक[M] एक साथ श्री जग[M]्[M]ा[M] जी का महाप्रसाद प्राप्त करते[M]हैं उससे[M]वसुधैव [M]ुटुंबकम[M]का महत्व स्[M]त: [M]रि[M][M]्षित होता[M]है।[M][M][M]्[M]ाहपूर्वक[M]श्री जगन्नाथ जी क[M] रथ खींचकर लोग अपने आपको धन्य[M]समझ[M]े है[M]। श्री [M]गन्नाथ[M]ुरी [M]ी यह रथयात्[M]ा सांस्कृतिक[M]एक[M]ा त[M][M] सहज [M]ौहार्द्र [M][M] [M]क[M]महत[M]वप[M]र[M][M] कड़ी के र[M]प में द[M]खी जाती
भावार्थ अनुवाद, अनुवाद करने का सबसे पुराना मानदंड है। इसका मूल रूप से मतलब है कि अगले वाक्य पर जाने से पहले प्रत्येक पूरे वाक्य के अर्थ का अनुवाद करना, और शब्द-से-शब्द अनुवाद (जिसे शाब्दिक अनुवाद भी कहा जाता है)
[M]ावार[M]थ[M]अनुवा[M], [M]नु[M][M]द करने का सब[M]े पुरान[M] मानदंड [M]ै। इसका मूल [M]ू[M] से मतलब है कि अगले वाक्य पर जान[M][M][M]े पह[M]े [M]्रत्य[M]क[M]प[M]रे वाक[M]य[M]क[M] अर्थ का अ[M]ुवाद[M]क[M]ना,[M][M]र शब्द-से-शब्द अनुवाद[M](जिसे[M]शा[M][M][M]ि[M] अनुव[M]द भी [M][M][M] [M][M]ता है)
ब्रुकलीन संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क नगर का एक नगर है। संयुक्त राज्य अमेरिका
ब्[M]ुकलीन संयुक्त [M]ाज्य अमे[M]िका के [M]्यूयॉर[M]क नगर का ए[M] नग[M] है।[M]संय[M]क्[M] राज्य[M]अमेरिका
लातूर (लतूर) भारत के महाराष्ट्र राज्य के लातूर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह एक पर्यटक स्थल है जिसके पास कई ऐतिहासिक स्थापत्य मिलते हैं, जैसे कि उदगीर दुर्ग। लातूर महाराष्ट्र के दक्षिणी सिरे में स्थित लातूर एक ऐतिहासिक स्थल है। । मांजरा नदी के तट पर है। मूल नगर को राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष ने विकसित किया था। यह जिला महाराष्ट्र के नांदेड, परभणी, बीड, उस्मानाबाद और कर्नाटक के बीदर जिले से चहुं ओर से घिरा हुआ है। यह जिला पूर्व में हैदराबाद राज्य के अंतर्गत था, जो विभाजन के पश्चात् महाराष्ट्र में आकर मिल गया। यह भी १८ सितंबर १९४८ में स्वतन्त्र हुआ। तेजी से विकसित होता यह जिला महाराष्ट्र के प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्रों में एक है। प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संजोए इन जिले में अनेक खूबसूरत मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों को देखा जा सकता है। लेकिन वर्तमान में लोग इस जिले को ३० सितंबर १९९३ में हुए भूकंप के आधार पर पहचानते हैं। इस जिले के किलारी नामक गांव में भूकंप का केन्द्र स्थान है। उदयगिरि या उदगीर लातूर जिले का एक बेहद महत्वपूर्ण नगर है। ऐतिहासिक दृष्टि से लोकप्रिय इस नगर में ही १७६१ में मराठा और हैदराबाद प्रांत के निज़ाम का युद्ध हुआ था। सदाशिवराव भाऊ के नेतृत्व में लड़े गए इस युद्ध में निजाम की पराजय हुई और उन्हें उदगीर की संधि पर दस्तखत करने पड़े थे। उदगीर का किला यहां के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भूतल पर बने इस किले के चारों ओर ४० फीट गहरी खाई है। किले के भीतर कुछ महल, दरबार हॉल, उदयगीर के महाराज की समाधि बनी हुई है। किले के भीतर अरबी और फारसी में खुदे अभिलेख भी देखे जा सकते हैं। लातूर से २० किलोमीटर दूर स्थित औसा एक तालुक मुख्यालय है। यहां एक प्राचीन किला बना हुआ है जो वर्तमान में जर्जरावस्था में है।इस का नाम भुईकोट किला है। बीरनाथ महाराज का मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। इसे उनके पुत्र मल्लीनाथ महाराज ने ३०० साल पहले बनवाया था। अहमदपुर लातूर जिले एक ताल्लुक मुख्यालय है। इस स्थान पर अक्कलकोट के गुरू स्वामी समर्थ की समाधि स्थित है। नगर में माहुर की रेणुकादेवी, महादेव, दत्ता और बालाजी के मंदिर भी देखे जा सकते हैं। उस्मानाबाद जिले की सीमा के निकट स्थित यह एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है। यहां होने वाली खुदाई से अनेक धर्मग्रंथ प्राप्त हुए हैं जिनका संबंध लगभग ६९६-६९७ ई. के आसपास से है। इस तहसील में एक प्रसिद्ध मंदिर है जो लातूर से ५० किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है। हेमदशली में बने इस मंदिर का निर्माण १२वीं से १३वीं शताब्दी के बीच हुआ था। मंदिर में एक आकर्षक शिवलिंग स्थापित है। तारे के आकार में बने इस मंदिर के कई किनारे हैं। मंदिर का मुख्य द्वार मानवीय आकृतियों और ज्यामिति डिजाइन से सुसज्जित है। इसी तहसील से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटील हुए हैं। वर्तमान राजनीति में यहीं का उभरता चेहरा संभाजीराव पाटील हैं। इस तहसील की खिचडी पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है।इस तहसील खिचड़ी का नाम "निलंगा राइस" है। नामानंद महाराजा का आश्रम यह आश्रम लातूर से ८ किलोमीटर दूर महापुर में स्थित है। महाराज की समाधि देखने के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। आश्रम के निकट से ही मंजरा नदी बहती है जिसके एक द्वीप पर दत्ता मंदिर स्थित है। नदी और यहां का हरा भरा वातावरण आश्रम को और अधिक आकर्षक बना देता है। यह गांव लातूर शहर से ४५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो अपनी गुफाओं के लिए चर्चित है। यहां नरसिंह, शिव पार्वती, कार्तिकेय तथा रावण की सुंदर मूर्तियां देखी जा सकती हैं। इतिहासकारों के अनुसार सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक इस गांव की गुफाओं को छठी शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बनवाया गया था। यह नवनिर्मित ताल्लुक ११वीं शताब्दी में बने भगवान शिव के मंदिर के कारण जाना जाता है। भगवान शिव का लिंग और देवी महिषासुरमर्दिनी की मूर्ति को बेहद खूबसूरती के साथ काले पत्थर से बनाया गया है। मंदिर के किनारों और आसपास विभिन्न देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। माना जाता है कि हर वर्ष यहां ढाई लाख श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। चैत एकादश और द्वादशी के मौके पर यहां बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाए जाते हैं। लातूर-नांदेड मार्ग पर स्थित चाकुर ताल्लुक लातूर शहर से ३५ किलोमीटर की दूरी पर है। चाकुर के निकट ही भगवान शिव का एक मंदिर और मनोरंजन पार्क है, जहां सदैव लोगों का आना जाना लगा रहता है। चाकुर से लगभग १६ किमी दूर वडवाल नागनाथ बेट पहाड़ी है, जो अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक पौधों और जड़ी-बूटियों के लिए खासी चर्चित है। यह पहाड़ी भूमि से ६००-७०० फीट की ऊंचाई पर है। नांदेड़ विमानक्षेत्र यहां का निकटतम एयरपोर्ट जो लगभग १४६ किलोमीटर की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट मुंबई और अन्य बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है। लातूर रोड स्थित रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है, रेललाइन के द्वारा महाराष्ट्र और अन्य पड़ोसी राज्यों से जुड़ा हुआ है।यहां का मुख्य रेल्वे स्टेशन लातूर रेल्वे स्टेशन है। इस जी लातूर सड़क मार्ग द्वारा महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की अनेक बसें नियमित रूप से लातूर के लिए चलती रहती हैं। १९९३ का लातूर भूकंप ३० सितंबर १९९३ को लातूर में एक विनाशकारी भूकंप आया जिससे बड़ी संख्या में लोग मारे गए। यद्यपि रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता ६.३ थी लेकिन फिर भी ३०,००० से अधिक लोग काल के गाल में समा गए, जिसका मुख्य कारण गाँव के मकानों और झोपड़ियों का ठीक से निर्माण ना किया जाना था। घरों की छ्तें पत्थरों की बनीं हुईं थी जो तड़के सो रहे लोगों पर गिर पड़ी। यह भूकंप महाराष्ट्र के दक्षिणी मराथवाड़ा क्षेत्र में आया था और इसका प्रभाव लातूर, बीड, ओस्मानाबाद और निकटवर्ती क्षेत्रों में पड़ा जो मुम्बई से ४०० किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह एक अंतर-प्लेट भूकंप था। लातूर लगभग पूरा बरबाद हो गया था और जीवन ठहर सा गया था। भूकंप का केन्द्र धरती से १२ किमी नीचे था - जो अपेक्षाकृत कम गहराई का भूकम्प था जिससे भूकंपीय तरंगूं ने और क्षति पहुँचाई। मरने वालों की संख्या इसलिए अधिक थी क्योंकि भुकंप स्थानीय समयानुसार सुबह ३:५३ पर आया था जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। इस भूकंप के कारण बची हुई अवशेष सामग्री अभी भी देखी जा सकती है, इसका उदाहरण इसी जिले में स्थित गाँव गिरकचाल है, जो निलंगा तहसील में स्थित है। इस भूकंप के बाद, भूकंप संभावित क्षेत्रों का पुनः वर्गीकरण किया गया और भवन निर्माण के मानक और कोड पूरे देशभर में फिर से संशोधित किए गए। इन्हें भी देखें महाराष्ट्र के शहर लातूर ज़िले के नगर
ल[M]त[M]र (लत[M]र) [M]ारत के महाराष्[M]्र राज[M]य के[M]लातूर ज़िले मे[M] स्थ[M]त[M][M]क नग[M] है। यह ज[M]िले क[M] मुख्य[M]लय भी है। [M]ह एक पर्यटक स्[M][M][M][M]ै जिसके पास[M]कई ऐतिहासिक स्थाप[M]्य मिलते हैं,[M]जैसे कि उदगीर [M]ुर्ग।[M]लातूर महाराष्ट्र के दक[M]ष[M]णी सिरे में[M]स्थित लातूर एक ऐ[M]िह[M]स[M]क स्थल है। । [M]ांजरा नदी के [M]ट प[M] ह[M]। मूल नगर [M]ो रा[M]्ट्रकूट[M]र[M][M][M] अमोघवर्ष [M]े [M]ि[M]सित कि[M]ा थ[M]।[M][M]ह[M]जिला महाराष्[M]्र के नांदेड, पर[M]ण[M],[M]बीड,[M][M]स्म[M]नाबा[M] और [M]र्नाटक के बीद[M] जि[M][M] स[M] [M]ह[M]ं ओर से घिरा हु[M] [M]ै। यह जिल[M][M]पूर्व[M]में हैदराब[M][M] राज्य के अंतर्गत [M]ा, जो [M]िभा[M]न क[M][M]पश्[M]ात[M][M]महाराष्ट्र में आकर मिल गया। यह भी १८ सितंब[M] [M]९४८ में[M][M]्वतन्त्र हुआ। ते[M]ी स[M] विकसि[M] होता यह जिला [M]हाराष्ट्र [M]े [M]्रमुख वाणिज्यि[M] केन्द्रों में [M]क [M]ै। प्राचीन[M]सांस्कृतिक [M]िरासत को सं[M]ोए[M]इन जिल[M][M]म[M]ं [M]न[M]क [M][M]बसूरत म[M][M]िरों [M]र[M]ऐतिह[M][M]िक[M]इमारतों को[M][M]ेखा [M]ा[M]सकता ह[M]। लेकिन वर्तमान में लोग[M]इस ज[M]ले क[M] ३०[M][M][M]तंबर १९[M]३ में हुए भ[M]कंप के[M]आ[M][M]र[M]पर पहचानते हैं[M] इस [M]िल[M] क[M] किला[M][M] न[M]मक गांव[M]मे[M] भू[M]ं[M] का क[M]न्द[M][M] स्थ[M]न है। उदयग[M]रि[M]य[M] उद[M]ीर लातूर[M]जि[M][M] का[M]एक बेहद महत[M][M]पूर्ण नगर [M]ै।[M]ऐ[M]ि[M]ासिक[M][M]ृष[M]ट[M] से [M]ोकप्रिय इस [M]गर में ही[M]१७[M][M] में मरा[M]ा और ह[M]दराबाद प्[M]ांत [M][M] निज़ाम का युद्ध हु[M] थ[M]। सदाश[M]व[M]ाव भाऊ क[M][M]न[M]तृत्व मे[M] लड़[M] [M]ए इस[M]युद्ध में [M]ि[M]ाम क[M] पराजय[M][M]ुई और उन्[M]ें उदगी[M] की स[M]धि पर दस्तखत[M]करने पड[M]े [M]े। [M]दगी[M][M]का किल[M] यहां के इतिह[M][M] और[M]सां[M]्कृतिक धरोहर का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भ[M]तल पर बने[M]इ[M] [M]िले के चारो[M][M][M]र ४० फ[M]ट[M]गहर[M][M]खाई है। कि[M]े क[M] भीतर[M]कुछ महल[M] दरब[M]र हॉल, उ[M]य[M][M][M][M]क[M] महाराज की [M]म[M]धि [M]नी हु[M] है।[M]कि[M]े के भ[M]त[M] अ[M]बी[M]और[M]फारस[M] में खुद[M] अभिले[M] भ[M] [M]ेखे [M]ा [M]कते हैं। [M]ातूर से २० किलोमीटर [M]ूर [M]्थित औसा एक ता[M]ुक मुख्य[M]लय है। यहां एक प्राचीन किला ब[M]ा हुआ है जो[M][M]र[M][M][M]ान में जर्जरा[M]स्थ[M] में ह[M]।इस क[M] नाम भुईकोट [M]ि[M]ा है। ब[M]र[M][M]थ महाराज का म[M]दिर यह[M]ं का मुख्य आ[M]र्[M]ण है। इसे उनके पुत्र म[M]्लीनाथ [M]हार[M]ज ने [M]०[M] [M]ाल[M]प[M]ले बनव[M]या[M]था। [M][M]मदपुर लातूर ज[M]ले एक ता[M]्लुक मुख[M]य[M]लय है। इस स्थान[M]पर अक्[M]ल[M]ो[M] क[M] गुरू स्वामी [M]मर्थ की स[M]ाधि स[M]थित है।[M]नगर में[M]मा[M]ुर[M][M]ी र[M]णुकादेवी, महादेव, दत्ता औ[M][M]ब[M]लाज[M] के मंदिर भ[M] द[M]खे[M]जा सकते[M][M][M]ं[M][M]उस्मा[M]ाबाद जिल[M] क[M] सीमा [M]े न[M]कट स[M]थित यह एक[M]छोटा लेकिन [M]तिहा[M]िक दृष्टि[M]से महत[M]वप[M]र्ण[M]नगर है। यहां [M]ोने [M]ाली खुदाई से[M]अने[M] धर्मग्र[M][M] प[M][M]ाप्त हुए हैं जिनक[M] सं[M]ंध ल[M]भ[M] ६९६-[M]९७[M]ई. के आसपास स[M] है। इ[M] तहसील में[M]ए[M] प्रसिद[M]ध मंदिर है जो लातूर[M]से ५० क[M]ल[M]मीट[M][M]द[M]र दक्षिण पूर्[M] द[M]श[M] मे[M] स्थित है। ह[M]मदशली म[M]ं बने [M]स मंदिर का [M]िर्माण [M]२वीं से १३वीं शताब्[M][M] के बीच [M]ुआ था। [M]ंद[M]र में एक [M]कर्षक [M]ि[M]ल[M]ंग स्थापित है। तारे [M]े [M]का[M] में बने इस म[M]दिर के[M][M]ई [M]िनारे[M]हैं। मंदिर [M]ा मुख्य द्वार मानवीय आक[M][M]ि[M]ों और[M]ज्यामिति डिजा[M]न से [M]ुसज्जित है। इसी त[M]सील से [M][M]ार[M]ष्ट्[M] के पूर्व म[M][M]्यमंत्री [M]िव[M]जीरा[M] पाट[M]ल ह[M]ए [M]ैं।[M]वर्त[M]ान[M]राजनीति[M]में [M]हीं का उभर[M]ा चेहरा [M]ंभाजीर[M]व[M]पाट[M]ल [M][M]ं। इ[M] [M]हसी[M] [M]ी खि[M]डी पू[M]े मह[M][M][M]ष[M]ट[M]र में प्र[M]िद्ध है[M]इस तहसील खिचड़ी[M]का नाम "न[M][M]ं[M]ा[M][M]ा[M]स" [M]ै[M] ना[M]ानंद महाराजा का [M]श्रम यह आश्[M]म ला[M]ू[M] से [M] [M]िलोम[M]टर दूर महापुर म[M]ं स[M]थि[M] [M][M]। महाराज क[M][M]सम[M]धि देख[M]े के लिए हर[M]वर्[M] बड़ी संख्या में श्रद्[M]ालु आते हैं। आश्रम के निकट स[M] ही मं[M]रा नदी बहती[M]है जि[M]के[M]एक द्[M]ीप [M]र[M]दत्ता म[M]दिर स्थित है[M][M][M]दी और यह[M]ं का हरा भरा [M]ात[M]वरण आ[M][M]रम क[M] और[M][M]धिक आ[M]र[M]षक[M]बना देता [M]ै। यह ग[M]ंव लातूर शहर स[M] ४५ किलोम[M]टर की [M]ूरी पर स्थित ह[M] [M]ो अपन[M] गु[M]ा[M]ं के लिए चर्चित [M]ै। यहां नरसिंह, श[M]व पार्वती, [M]ा[M][M]तिकेय [M]था रावण की सुंदर मूर[M]ति[M]ां[M]देखी जा [M]क[M]ी हैं। इति[M]ासकारो[M] के अन[M][M]ार सांस[M]कृत[M]क व[M]रासत के प्[M]त[M]क इस गांव क[M] गुफाओं को छठी[M]शताब[M][M]ी में गुप्त काल के [M]ौरान[M]बनवाया गय[M] था। यह [M]वनि[M]्मित ताल्लुक ११वी[M] शत[M]ब्दी में बने भगवान शिव के[M]म[M][M]िर के क[M]रण[M]जान[M] जा[M]ा है। भगवान शिव का [M]िं[M] और द[M]वी [M]हिषासुरमर्दिनी[M]की म[M][M]्[M]ि[M]को[M]बेहद खूब[M][M]रती[M]क[M] साथ[M]काले पत[M]थर[M]से[M]बनाया[M]गया है। मंदिर[M]के किनारों [M]र आसपास विभिन्न दे[M]ी-देव[M][M]ओं की आकृतिया[M] उक[M]री[M]गई [M]ै[M][M] म[M]न[M] जाता है कि [M]र वर्ष यहां ढाई ल[M]ख श्[M]द्[M]ालु [M]र्शन हेतु आते [M]ैं। च[M]त एक[M][M][M] और द्वादश[M] क[M] म[M][M]े[M]पर यहां [M]ड़ी धूमध[M]म से उत्सव मनाए जात[M] हैं। ल[M]तूर-नांदेड मार्ग प[M][M]स[M][M]ित चा[M]ुर ताल्लुक लातूर शहर[M]से ३५[M]क[M]लोमी[M][M] की दूरी [M]र[M]है। चाकुर[M]के निकट[M]ही भगव[M]न शि[M] का [M][M] [M]ंद[M]र और[M]मनोरंज[M] पार्क [M]ै, जह[M]ं सदै[M] लो[M]ों का आ[M]ा ज[M]ना लगा[M]रहता ह[M]। चाकुर स[M] लगभ[M] १[M] किम[M] [M]ूर वडवाल ना[M]ना[M][M]बेट[M]पह[M]ड[M]ी है[M] जो [M]नेक प्रक[M]र के आयुर्वेद[M]क पौध[M][M] औ[M] ज[M]़ी[M]बूटियों के लि[M] खासी चर्चित[M]है। [M]ह पहाड़[M][M]भूमि[M]से ६[M]०-७०[M] फी[M] [M]ी ऊंचाई[M]पर है। नांद[M]ड़ वि[M]ानक्षेत्र यहां[M][M][M] [M][M][M]टतम एयरपोर्ट [M]ो[M]ल[M]भग १४६ किलोमीट[M][M]की दूरी प[M] है।[M]य[M] एयरपोर्ट म[M]ं[M]ई और [M]न्[M] ब[M]ुत से श[M]रों [M]े जुड़ा हुआ [M]ै। लातूर रोड [M]्थित रेलवे स्टेशन[M]यह[M]ं का निकटतम रे[M]वे स्टेशन [M]ै, रेललाइन के [M]्वारा मह[M]राष्ट्र और अन्य [M]ड़ोसी[M]राज्यों से जु[M]़[M] हुआ है।यहा[M] का मुख्य [M]ेल्वे स्टेशन ला[M]ूर रेल्वे स्[M]ेशन है। इस जी[M][M]ातू[M] स[M]़क[M]मार[M]ग द्वारा मह[M][M]ा[M]्ट्र[M]और पड़ोस[M] [M][M]ज्यो[M] क[M] अनेक[M]शहरों [M]े जुड़ा है। [M]ाज्य परि[M]हन नि[M][M][M]की अन[M]क बसें[M]नियमित[M][M]ूप[M]से ला[M]ूर[M][M]े लिए चलती रहती है[M]। १९९३ [M]ा लात[M][M][M]भूकंप ३० सितंबर १९[M][M] को लातूर म[M]ं एक [M]िनाशकारी भूक[M]प आया [M]िससे बड़ी[M][M]ंख्या [M]ें लोग[M]मार[M] गए। य[M]्य[M]ि रिक्टर [M]ैमाने पर भूकंप की तीव्रत[M] ६.३ थी लेकि[M][M]फ[M]र भी[M]३०,००० से अधिक ल[M]ग[M]काल के ग[M]ल [M]े[M][M]समा गए[M] [M]िसका मुख्य कारण[M]गाँव के मक[M]नों और झोपड़[M]य[M][M] का ठीक [M]े नि[M]्मा[M] न[M] किय[M] जाना[M]थ[M]। घरों [M]ी छ[M]तें[M]प[M]्थरों क[M][M][M][M]ीं [M][M]ईं थी [M]ो तड[M]के[M]सो[M]रहे[M]लोग[M]ं पर गिर पड़ी। यह भूकंप [M]हा[M]ा[M]्ट्र के दक्षिणी[M]मराथवाड़ा क[M]षेत्र [M]ें आया था और इस[M]ा प्रभाव लातूर, बीड[M] ओ[M][M]म[M]ना[M]ाद और [M]िकटवर्ती[M]क[M]षेत्रों मे[M] पड़ा जो मुम[M]बई से ४०० [M]िमी[M]दक्[M]िण[M][M]ूर्व में स्थित है।[M]यह ए[M] अ[M]त[M][M]प्लेट[M]भ[M]कंप था। लातूर[M]लगभग[M]पूरा बरबाद हो [M]या [M]ा और जी[M]न ठहर सा गया[M]था। भूकंप[M]का के[M]्द्र धर[M]ी से [M][M] किमी नीचे था -[M]ज[M] अ[M]ेक[M]ष[M][M]ृत कम[M]गहराई का भूक[M]्[M] था जिससे[M]भूक[M]पीय[M]तरंगूं ने[M]और क्षति प[M]ुँचाई[M][M]मरने वालों की[M]संख्या इ[M]लिए [M]धिक थी क्[M]ो[M]कि भुकंप स्थानीय स[M][M]ा[M]ुसा[M] सुबह ३:[M]३ [M]र आय[M] था जब लोग अप[M]े घरों में सो रहे थे। इस भूकंप के कारण बची हु[M] [M]वशेष सामग्री अभ[M] भ[M] [M]ेखी जा सकती है, इ[M]क[M] उदाहर[M][M]इसी ज[M]ले [M]ें स्थित गा[M]व गिरकचाल है,[M]ज[M] नि[M]ं[M]ा त[M]सील[M]में स्[M]ित है। [M][M] भूकंप के बा[M], भूक[M]प [M][M]भावित [M]्षेत्र[M]ं का पुन[M] वर्गीकरण[M]किया [M]या और भवन[M]निर्माण के [M]ानक [M]र को[M] पूरे देशभर में फि[M] से संशोधित [M][M]ए[M]गए। इन्हें भी देखें[M]महाराष[M]ट्र[M]के शह[M] लातूर ज़िले के[M]नगर
चम्बल (चंबल) नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। यह नदी "जानापाव पर्वत " बांगचु पॉइंट महू से निकलती है। इसका प्राचीन नाम "चर्मण्वती " है। इसकी सहायक नदियाँ शिप्रा, सिन्ध (सिंध), काली सिन्ध, ओर कुनू नदी है। यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान के चित्तौड़ गढ़ के चौरासी गढ सेकोटा तथा धौलपुर सवाईमाधोपुर, मध्य प्रदेश के धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलों से होकर बहती है। यह नदी दक्षिण की ओर मुड़ कर उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है। इस नदी पर चार जल विधुत परियोजना -गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज (कोटा)- चल रही है। प्रसिद्ध चूलीय जल प्रपातचम्बल (चंबल) नदी रावतभाटा जिले मे है चोलिया जलप्रपात की ऊंचाई १८ मीटर है और यह राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। कुल लम्बाई १३५। राजस्थान की औधोगिक नगरी कोटा इस नदी के किनारे स्थित है। यह एक बारहमासी नदी है। इसका उद्गम स्थल जानापाव की पहाड़ी (मध्य प्रदेश) है। यह दक्षिण में महू शहर के, इन्दौर (इंदौर) के पास, विन्ध्य (विंध्य) रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। चम्बल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है। सवाईाधोपुर में चंबल बनास सीप नदी त्रिवेणी संगम बनाती हैं । चम्बल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में जालौन (उरई ) और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पाँच नदियों के सङ्गम (संगम) समाप्त होता है।चंबल नदी राजस्थान कि सबसे बड़ी नदी है । चम्बल नदी में सवाई माधोपुर तथा धौलपुर में बीहड़ (गहरे उबड़ खाबड़ खड्डे )पाए जाते हैं । चम्बल नदी कि सहायक नदियां ,बनास ,आहू,परवन, कालीसिंध, आदि है विस्तार से जानकारी के लिए यहां पढ़ें रेड मोर चम्बल के अपवाह क्षेत्र में चित्तौड़, कोटा, बूँदी, सवाई माधौपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि इलाके शामिल हैं। तथा सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर से गुजरती हुई राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाते हुए चलती है जो कि २५२ किलोमीटर की है। बनास नदी, क्षिप्रा नदी,मेज , बामनी, सीप काली सिंध, पार्वती, छोटी कालीसिंध, कुनो, ब्राह्मणी, परवन नदी,आलनिया,गुजाॅली इत्यादि चम्बल की सहायक नदियाँ हैं। उत्तर प्रदेश में बहते हुए ९६५ किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है। चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र १९,५०० वर्ग किलोमीटर हैं। चम्बल यमुना नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक है। उतरप्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज के पास यमुना में मिल जाती है। ग्रन्थों के अनुसार महाभारत के अनुसार राजा रंतिदेव के यज्ञों में जो आर्द्र चर्म राशि इकट्ठा हो गई थी उसी से यह नदी उदभुत हुई थी- महानदी चर्मराशेरूत्क्लेदात् ससृजेयतःततश्चर्मण्वतीत्येवं विख्याता स महानदी। कालिदास ने भी मेघदूत-पूर्वमेघ ४७ में चर्मण्वती नदी को रंतिदेव की कीर्ति का मूर्त स्वरूप कहा गया है- आराध्यैनं शदवनभवं देवमुल्लघिताध्वा, सिद्धद्वन्द्वैर्जलकण भयाद्वीणिभिदैत्त मार्गः। स्रोतो मूत्यभुवि परिणतां रंतिदेवस्य कीर्तिः। इन उल्लेखों से यह जान पड़ता है कि रंतिदेव ने चर्मवती के तट पर अनेक यज्ञ किए थे। महाभारत में भी चर्मवती का उल्लेख है - ततश्चर्मणवती कूले जंभकस्यात्मजं नृपं ददर्श वासुदेवेन शेषितं पूर्ववैरिणा अर्थात इसके पश्चात सहदेव ने (दक्षिण दिशा की विजय यात्रा के प्रसंग में) चर्मण्वती के तट पर जंभक के पुत्र को देखा जिसे उसके पूर्व शत्रु वासुदेव ने जीवित छोड़ दिया था। सहदेव इसे युद्ध में हराकर दक्षिण की ओर अग्रसर हुए थे। चर्मण्वती नदी को वन पर्व के तीर्थ यात्रा अनु पर्व में पुण्य नदी माना गया है - चर्मण्वती समासाद्य नियतों नियताशनः रंतिदेवाभ्यनुज्ञातमग्निष्टोमफलं लभेत्। श्रीमदभागवत में चर्मवती का नर्मदा के साथ उल्लेख है- सुरसानर्मदा चर्मण्वती सिंधुरंधः इस नदी का उदगम जनपव की पहाड़ियों से हुआ है। यहीं से गम्भीरा (गंभीरा) नदी भी निकलती है। यह यमुना की सहायक नदी है। महाभारत में अश्वनदी का चर्मण्वती में, चर्मण्वती का यमुना में और यमुना का गङ्गा (गंगा) नदी में मिलने का उल्लेख है मंजूषात्वश्वनद्याः सा ययौ चर्मण्वती नदीम्, चर्मण्वत्याश्व यमुना ततो गङ्गा जगामह। गङ्गायाः सूतविषये चंपामनुययौपुरीम्। इन्हें भी देखें भारत की नदियाँ मध्य प्रदेश की नदियाँ राजस्थान की नदियाँ यमुना नदी की उपनदियाँ
चम्बल [M]चंबल) नदी मध्य भ[M]रत में य[M]ु[M][M] न[M]ी की स[M][M]यक नदी ह[M]। यह [M]द[M] "जा[M]ापाव पर्वत "[M]बांगच[M] पॉइंट [M]हू से निकलती है। इ[M]का प[M][M]ा[M]ीन नाम "चर्म[M]्[M]ती " है। इसकी सहायक नदिया[M] शिप्र[M],[M]सिन[M]ध (सिंध), क[M][M]ी सिन्ध,[M]ओर कु[M]ू न[M]ी [M]ै। यह[M]नदी भ[M]रत[M]में उत्[M]र तथा उत्तर-[M]ध्[M] भाग [M]े[M] राजस्थान [M]े च[M]त्तौड़ गढ[M] क[M] च[M]रा[M]ी गढ [M]ेकोटा तथा धौलपुर सवा[M]मा[M]ोपुर, मध्य प्रदेश के धार, उज्जै[M], रतलाम, मन्दसौर, [M][M]ंड,[M]मुरैना आदि [M]िलों से होकर ब[M]ती ह[M]। [M][M] नदी [M][M]्षिण की [M][M] मु[M]़ क[M] उत्तर प्रदेश राज्य[M]में यमु[M]ा म[M]ं [M]ामिल ह[M]ने[M]क[M] प[M]ले[M]राजस्[M]ान और मध्य [M]्[M]देश के बीच सीमा[M][M]नाती [M]ै[M] इस [M]दी पर चार ज[M] विधुत परियोज[M][M] [M]गां[M]ी सागर, राणा प्[M]ताप [M]ागर, जवाहर सागर और [M]ोटा ब[M][M]ाज (क[M][M]ा)- चल रही ह[M]। प्रस[M]द्ध चूल[M]य जल प्रपातचम्बल (चंब[M]) [M]दी र[M]वतभा[M]ा [M]िले[M]मे है च[M][M]िया[M]जलप्र[M]ात की ऊंचाई १८ मीटर[M]है और यह [M][M]जस्था[M] [M]ा सबस[M] [M]ं[M]ा जलप्रप[M][M] है। कुल लम्बाई १३५। राजस[M]थान [M]ी[M]औधोगिक न[M][M]ी [M][M]टा इस[M]नदी के [M]िनारे स्थित [M]ै।[M]यह एक बारहमा[M]ी [M]दी है। इसका उद्[M]म स्थल जाना[M][M]व की[M]पह[M][M]़ी (म[M][M]य प्रद[M]श[M] है। यह[M]दक्ष[M]ण [M]े[M] महू शहर के, इ[M]्[M]ौर (इं[M]ौ[M][M] के पास, विन्ध्य[M](विंध्[M]) रेंज में मध्[M] प्रदेश मे[M] दक[M]षिण[M]ढला[M][M]स[M] होक[M] गुजरती [M]ै। चम्ब[M] और उसकी सहायक नदि[M]ाँ [M]त्तर [M]श्चिमी मध्य प्रदेश के म[M][M]वा[M]क्[M]े[M]्र के[M]ना[M]े, ज[M]कि इसकी [M]हायक [M]दी, बनास, जो अ[M]ावली पर्वतों[M][M]े शुरू होती[M]है[M][M][M]में [M]िल जा[M]ी ह[M]। स[M]ाईा[M]ोपु[M] म[M]ं चंबल बनास सीप[M]नदी त्रि[M]ेणी संगम [M]नात[M] ह[M]ं । चम्बल, कावेरी, य[M]ु[M]ा, सिन्धु[M] [M]हुज [M]रेह[M]के पास पचनदा [M]े[M], उत्तर [M]्रदेश [M]ाज्य में जालौन (उर[M] ) और इटा[M]ा[M]जिले[M][M]ी सीमा पर शामि[M] [M]ाँच नदियों क[M] सङ[M]गम (संगम) समा[M]्त होता है।[M][M]बल नद[M] राज[M][M]थान कि[M]सब[M]े बड़ी नदी है[M]।[M]च[M]्[M]ल नदी में [M]वाई म[M]धोपुर तथ[M][M][M]ौलपु[M] मे[M] ब[M][M][M]़ (गहरे उबड़ खाबड़ [M][M]्डे )पाए जाते हैं ।[M]चम्बल नदी कि सहायक नद[M]यां ,बनास ,आहू,परवन, [M]ाली[M]िंध, आदि[M]है विस्ता[M] [M]े ज[M]नका[M]ी के लि[M] यहां[M]पढ[M]ें र[M]ड मोर चम्बल के अपवाह क्षेत्र में चित्तौड़, कोट[M], बूँद[M], सवाई[M]माधौपुर,[M]करौली,[M]धौलपुर [M][M]्य[M]दि इलाके शा[M]िल [M]ै[M][M][M]त[M]ा[M]सवाई माधोप[M]र, करौली व [M]ौलपुर[M]से गुजरती हुई र[M]जस्थ[M]न व[M][M]ध्य[M]्रदेश[M]की सीमा [M]नाते [M]ुए चलती [M]ै जो कि २५२ क[M][M]ोमीटर की है। ब[M]ास[M]नदी, क्[M]ि[M]्रा नद[M][M]मेज , बामनी, [M]ीप काली सिंध,[M][M]ार्वती, छोटी क[M]लीसिंध, क[M]नो,[M]ब्रा[M]्मणी, परवन [M]दी,आलनिया,ग[M]जाॅली इत्य[M]दि चम्ब[M] की स[M]ायक [M]दिय[M]ँ हैं। उत[M]तर[M]प्रदेश[M][M]ें बह[M]े हुए ९६५ किल[M]मीटर की दूरी तय करके[M]यमुन[M] नदी मे[M] मिल [M]ात[M] है। चम[M]बल नदी का क[M]ल[M]अपवाह क्षेत्र[M][M]९,[M]००[M]वर्ग किलोमीटर हैं। चम्बल[M]यमुना नद[M] क[M] मुख्[M] सहायक नदिय[M]ं में[M]से एक ह[M]। उत[M][M]्रदेश के [M]टावा [M]िले के[M]मुराद[M]ंज[M]के [M]ास[M]यम[M]ना में मिल जाती है। [M]्[M]न्थों [M]े अनुस[M]र महा[M]ारत क[M] अन[M]सार राजा रंति[M]ेव के[M]य[M]्ञों में जो आर्द्र चर[M][M] राशि इक[M]्[M][M] हो[M][M]ई थी उ[M]ी से यह नदी उदभुत[M]हुई थी- महानदी चर्मराशेरू[M][M]क्[M]ेदात् [M]सृज[M]यतःतत[M]्[M]र्मण[M]वत[M]त्येवं विख[M][M]ाता स महानदी। क[M]लिदा[M] ने भ[M] म[M]घद[M]त-पूर्वमेघ ४७ में चर्मण्वती[M]नदी क[M] र[M]ति[M]ेव की कीर[M]ति का मूर्त स्व[M]ूप कहा [M]या है-[M]आर[M]ध्यै[M]ं शदवन[M]वं दे[M]मुल्ल[M][M][M]ा[M]्वा[M] सिद्ध[M]्वन्द[M][M]ैर्जलकण भयाद्वी[M]िभिदैत्त मार्गः। [M]्रोत[M][M]मू[M]्यभुवि परिणतां[M]रंतिदे[M]स[M]य[M]कीर्तिः। इन उल्लेखों से य[M] जान प[M]़ता है [M]ि र[M][M]िदेव ने चर्मवती के[M]तट [M][M][M][M][M]ेक य[M]्ञ किए थ[M]।[M]महा[M]ारत[M][M]ें [M]ी[M]चर्मवती का उल्लेख है -[M]तत[M]्चर्मणव[M]ी कू[M][M] जं[M]कस्या[M][M]म[M]ं नृपं[M]ददर्श[M]व[M]सुदेव[M]न शेषितं पूर्वव[M]रिण[M] [M][M][M]थात इसक[M] पश[M]चात सहदेव ने [M]द[M]्षिण [M][M]शा की [M]ि[M]य यात्रा [M]े प्रसं[M] में)[M]चर्[M]ण्वती के [M]ट [M][M] जंभक के प[M]त[M]र को द[M][M]ा जि[M]े उसके प[M]र्व [M]त[M]रु वा[M]ुदेव ने [M][M]वित[M]छोड़[M]द[M][M]ा था।[M]सहदे[M] इसे य[M][M]्ध[M]म[M]ं हराकर दक्षिण की ओर अग्[M]सर हुए थे। चर्मण्व[M]ी [M][M]ी को वन पर्व क[M][M][M]ीर[M][M] यात[M]रा अनु पर्व [M]े[M] पुण[M]य नदी माना गया है - चर्मण्वती [M]मासाद्य न[M]यतों न[M]य[M]ाशनः रंत[M]देवाभ्यनु[M]्ञातमग्निष्टोमफल[M] लभेत्[M] [M]्[M][M]मद[M][M]गव[M] में चर्मवती का नर्मदा क[M] सा[M] उ[M]्लेख[M]है- सुरसानर्मद[M] चर्मण्व[M]ी[M][M]िंधुरंधः [M]स नद[M] का[M][M][M]गम[M]जनपव की पह[M]ड़[M][M]ों स[M][M][M]ुआ है। यहीं[M][M][M] गम्भी[M]ा[M][M]गंभीरा) नदी भी नि[M]लती है। [M]ह यमुना[M]की सहायक नदी है।[M]महाभार[M] मे[M][M]अश्वनदी[M]का चर्[M]ण्वत[M] में, चर्मण्वती क[M] यमुना में और यमु[M]ा [M]ा[M]गङ्गा (गंग[M]) नदी [M]ें म[M][M]ने का उल्लेख ह[M] मंजूष[M]त्[M]श्वनद्[M][M][M] सा[M]ययौ च[M]्मण्वत[M][M][M]दीम्, चर[M]म[M]्वत्या[M]्व यमुना ततो गङ्ग[M] ज[M][M]मह।[M]गङ्गायाः सूतविषय[M] चंपामनुययौपुरीम्। इन्हे[M] भी दे[M][M]ं [M]ारत की[M]न[M]िय[M]ँ मध्य[M]प्रद[M]श की नदियाँ राजस्थान [M]ी न[M]िय[M]ँ यमुना न[M]ी की [M]पनदियाँ
लबरनम फ़ॉर माइ हेड अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार तेमसुला आओ द्वारा रचित एक कहानी-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् २०१३ में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत अंग्रेज़ी भाषा की पुस्तकें
[M]बरनम फ़[M][M] माइ हेड अंग्रेज[M]ी भा[M]ा के विख्यात स[M]हित्यकार तेमस[M]ला आओ द्वा[M]ा रचित एक कहानी-संग्रह है जिसके लिये उ[M]्हे[M] सन[M] २०१[M][M]में अंग्रेज़ी [M][M]षा[M][M]े [M]िए साह[M]त्य [M]कादम[M] पुरस्क[M]र [M][M] सम्मा[M]ित[M]किया[M]गया।[M]साहित्य [M]कादमी द[M]वारा प[M]रस्कृ[M] अं[M]्रेज़[M] भाषा[M]की प[M]स्तक[M]ं
जाबालोपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक गौण उपनिषद है। यह उपनिषद बीस संन्यास उपनिषदों में से एक है। इसकी रचना ईसापूर्व ३०० ई के पहले हुई थी और यह सबसे प्राचीन उपनिषदों में से एक है। इसमें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए सांसारिक जीवन से संन्यास लेने की बात कही गयी है। जाबालोपनिषद में सर्वप्रथम चारों आश्रमों का उल्लेख मिलता है। इस उपनिषद में काशी को 'अविमुक्त' नगर कहा गया है। यह भी वर्णित है कि यह नगर कैसे 'पवित्र' बना। इसके बाद कहा गया है कि 'आत्मन' (स्वयं /आत्मा) ही सबसे पवित्र स्थान है जहाँ विचरण करना चाहिए। इस उपनिषद में यह भी कहा गया है कि किसी भी आश्रम में स्थित व्यक्ति संन्यास ले सकता है, यह केवल व्यक्ति पर ही निर्भर करता है। जाबाल उपनिषद कुछ परिस्थितियों में आत्महत्या का समर्थन करता हुआ प्रतीत होता है जबकि इसके पूर्व के वैदिक ग्रन्थों और मुख्य उपनिषदों में आत्महत्या का विरोध है। जो लोग बहुत रोगग्रस्त हैं वे अपने मन में ही सांसारिक जीवन से संन्यास ले सकते हैं। सच्चा संन्यासी वह है जो सच्चे धर्म का पालन करता है जिसमें मन, कर्म और वाणी से किसी को भी आहत न करना भी शामिल है। ऐसा संन्यासी सभी कर्मकाण्डों का परित्याग कर देता है, किसी भी वस्तु या व्यक्ति से कोई मोह नहीं रहता और वह आत्मा और ब्रह्म की एकता में विश्वास करता है। इन्हें भी देखें जाबालोपनिषद (संस्कृत विकिस्रोत) उपनिषदों ने आत्मनिरीक्षण का मार्ग बताया
जा[M]ालोप[M]िषद शुक्ल यजुर[M]वेदी[M] शाख[M] के अन[M][M]र्गत एक ग[M][M] उपनिषद है। यह उपन[M]ष[M] ब[M]स स[M]न्यास [M]पनिषदों[M]में स[M] एक ह[M]।[M]इसकी रचना [M]सापूर्व ३०० ई क[M] पह[M]े [M]ुई थी [M]र [M]ह सबस[M] प्राच[M]न[M]उ[M]नि[M]दो[M] में[M]से[M]एक [M]ै। इसमे[M] आध्या[M]्मि[M] ज्ञान [M]ी प्राप्ति[M]के ल[M]ए[M]स[M]ं[M][M]रिक जीवन से [M]ंन्यास ले[M][M] की[M][M]ात कही गयी है। जाबालोपन[M]षद मे[M] [M]र[M]वप्रथम [M]ारों आश्[M][M][M]ं का[M]उल्लेख मिलता है। इस उपन[M][M][M] में काशी[M]को 'अविमु[M]्त' न[M]र कहा गया है।[M][M]ह [M][M] वर्ण[M]त है कि यह नगर कैसे 'पव[M]त्[M]' बना[M] इसके[M]बाद[M]क[M]ा गय[M] है[M]क[M][M]'[M][M]्मन' (स्वयं[M][M]आत[M]मा) ही सबसे पवित्र स्था[M] ह[M] ज[M]ाँ [M]ि[M]रण करना चाहिए। इ[M] उपनिषद म[M]ं यह भी क[M]ा[M]गया ह[M] [M]ि क[M]सी भी आश्रम मे[M] स्थित व्यक्त[M] संन[M]यास ले स[M]ता है, यह [M]ेवल[M]व्यक्ति[M]पर ही[M]न[M]र्भर [M]रता है। जाबा[M] उपनिषद कु[M] परिस्थ[M][M]िय[M]ं में आत[M][M]हत्य[M] का [M]म[M]्थन [M]रता ह[M]आ[M]प्रतीत होता है[M]जबकि इसके[M]पूर[M]व [M][M][M][M][M]दि[M] ग्रन्थों और मुख्य उप[M]िषद[M][M][M]में आत्महत्या का वि[M]ोध है। जो लो[M] बहुत र[M]गग्रस्त हैं वे अपन[M] [M][M] म[M]ं ही सांसार[M]क [M]ीवन से संन्यास ले[M]सकते हैं।[M]सच्[M]ा सं[M]्यासी [M]ह है जो स[M]्चे धर्म का[M]पालन कर[M][M] ह[M] जिस[M]ें मन, कर्म और वाणी [M]े किसी क[M] भी आह[M] न करन[M] भी शा[M]िल है। ऐ[M]ा संन[M]यासी सभी कर्[M]क[M]ण्[M]ों का प[M]ित्य[M]ग[M]कर[M]देता[M]है, किसी [M]ी[M]वस्[M]ु[M]या व्यक्त[M][M]से [M]ोई[M]मो[M] नहीं रहता और वह आत्मा [M][M] ब्रह्म क[M] एकता में विश्व[M]स [M]रत[M] है। इन[M][M]े[M] भी देख[M]ं[M]जाबालोपनिष[M] (संस्कृत व[M]किस[M]रोत) उपनिषदों ने आ[M]्मनिरीक्षण [M]ा [M]ा[M]्ग बताया
निरंजनपुर में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
निरंजन[M]ुर में [M]ारत के बिह[M]र रा[M]्य के अन्त[M]्गत म[M]ध मण्डल के औरंगाब[M]द[M]जिले[M]का एक गाँव[M][M]ै। बिहार - भा[M]त स[M]कार[M]के आधिकारिक पोर्ट[M] पर [M]ि[M]ा[M] सरका[M] [M]ा आधिकारिक जालपृष[M]ठ बिह[M]र के गाँ[M]
रसूलपुर देवसैनी कोइल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। अलीगढ़ जिला के गाँव भारत के गाँव आधार
रसूलप[M]र[M]द[M]वसैनी कोइल,[M]अली[M]ढ़, उत्तर प[M]रदेश स[M]थित [M]क गाँव है। [M]लीगढ़ जिला के गा[M]व भारत[M]के गाँ[M] [M]धार
जोमेल एंडरेल वारिकान (जन्म २० मई १९९२) एक वेस्ट इंडियन क्रिकेटर हैं। वह धीमे बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज हैं और दाएं हाथ के पूंछ के अंत में बल्लेबाज हैं। सितंबर २०१५ में उन्हें वेस्ट इंडीज दौरे के लिए श्रीलंका के टेस्ट टीम में रखा गया था। उन्होंने २२ अक्टूबर २०१५ को श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया, जिसमें पहले दिन ६७ रन देकर ४ विकेट लिए। वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेट खिलाड़ी १९९२ में जन्मे लोग बाएं हाथ के गेंदबाज
जोमेल एंड[M]ेल[M]वारिकान[M](ज[M]्म २[M] मई १[M]९२) [M]क वेस्ट[M]इं[M]ियन क्रि[M]े[M]र हैं। वह[M]धीमे बाएं हा[M] के ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज ह[M]ं और [M]ाए[M] हाथ के पू[M][M][M][M]े अं[M] में बल्ल[M]बाज हैं। [M]ित[M]बर २०१५ में [M]न्[M]ें वेस्ट[M]इंडीज दौरे के लिए श्रीलंका क[M] टेस्ट[M]टीम में [M]खा[M]गया था।[M]उन्होंने[M]२२ अक्टूबर [M]०१५ को[M]श्रीलंका के ख[M]ल[M]फ ट[M][M]्[M] क्रिक[M]ट [M]ें[M]पदार्पण किया, [M]िस[M]ें[M]प[M]ल[M] दिन [M][M] रन [M]ेकर ४ विकेट लिए[M][M]वेस्ट इंडीज़[M]के[M]क्रिकेट खिल[M][M]़ी १९९२ [M]ें[M]जन्मे लो[M][M][M]ाएं ह[M]थ के गेंदबाज
दाबलंधिका वा साइफन (सिफोन या सिफन) न्यून कोण पर मुड़ी हुई नली के रूप का एक यंत्र होता है, जिससे तरल पदार्थ एक पात्र से दूसरे में तथा नीचे स्तर में पहुँचाया जाता है। साइफन की क्रिया पूर्वोक्त नली के दोनों सिरों पर दाब के अंतर के कारण होती है और जब पात्र खाली हो जाता है, या दोनों पात्रों में तरल पदार्थ का स्तर समान हो जाता है, तब बहाव रुक जाता है। इस यंत्र के द्वारा बीच में आनेवाली ऊँची रुकावटों के पार भी तरल पदार्थ, शक्ति का व्यय किए बिना, भेजा जा सकता है। साधारण साइफन की नली को स्थानांतरित किए जानेवाले तरल पदार्थ से भर दिया जाता है और उसके लंबे अंग के सिरे को अंगुली से बंद कर, छोटी बाँह के सिरे को तरल पदार्थ में डुबा और लंबी बाँह के सिरे को दूसरे पात्र में कर, अंगुली हटा लेते हैं। तरल पदार्थ का दूसरे पात्र में बहना अपने आप आरंभ हो जाता है। ऐसे साइफन को प्रयोग से पहले प्रत्येक बार भरना आवश्यक होता है। विविध उपयोगों के लिए इस यंत्र के अनेक रूप प्रचलित हैं। कुछ में नली को भरने के, या उसे भरे (और इस प्रकार आवश्यकता होने पर स्वयं चालू होने योग्य बनाए) रखने के, उपकरण हाते हैं। साइफन के सिद्धांत पर काम करनेवाले नलों से बहुधा जल को पहाड़ियों या टीलों पर, ऊँची नीची भूमि से होते हुए, किसी घाटी के पार पहुँचाने का काम लिया जाता है। ऐसे साइफनों में टीले या ऊँचाई पर स्थित नल में फँसी हुई वायु के निकास के लिए एक वाल्व का होना आवश्यक है। सोडावटर से भरे हुए बर्तनों में स उसे निकालने के लिए जो साइफन लगाए जाते हैं उनकी नली में एक स्प्रिंग वाल्व लगा रहता है, जो एक लीवन दबाने पर खुल जाता है और सोडावाटर की गैस के दबाव से जल बाहर निकल आता है। साइफन के अन्य अनेक उपयोग हैं।
द[M]बलंधि[M]ा वा साइफ[M] (सिफ[M]न या सिफन) न्यू[M][M]कोण [M]र मुड़ी हुई न[M]ी क[M][M]रूप क[M] एक यंत[M]र होता है, जिससे[M][M]र[M][M]पदार्थ[M]एक पात्र स[M] दू[M]रे में [M]था[M]नीचे स्तर म[M]ं पह[M]ँचाया जा[M][M][M]है। साइफन की क्रिया पूर्वोक्[M] नल[M] के[M]दो[M]ों सिर[M]ं पर[M]द[M]ब के अं[M]र के का[M]ण होती [M]ै और[M][M][M] पा[M]्र [M]ाली हो जाता[M][M][M],[M]या [M]ोनो[M] [M]ात्रों [M]ें[M]तर[M] प[M][M]र्थ का[M]स्तर समा[M] हो जाता[M]है, [M]ब बहाव र[M]क ज[M]ता है। इस[M]य[M]त्र के [M]्वारा[M]बीच में आनेवाली [M][M]च[M] र[M]कावटो[M] के पार भी [M]रल पदार्थ, शक्ति का व[M]यय किए[M]बिना, भेज[M] जा सकता[M]है।[M]साध[M]रण साइ[M]न क[M] नली को स्[M]ानांत[M]ित क[M][M] जानेव[M]ले[M]तरल पदार[M]थ से[M]भर द[M]या जाता है [M]र[M]उसके [M]ंबे अंग क[M] स[M][M][M][M]को अंग[M]ली[M]से [M]ंद कर, छोटी बाँह[M]के[M]सिर[M] [M]ो त[M][M] [M]दार्थ[M]में[M]ड[M]बा और[M]ल[M]बी बा[M]ह क[M] सिर[M] [M]ो दूस[M]े पात्र में कर,[M]अंगुली हटा[M]लेते[M]ह[M]ं।[M]तरल[M]पदा[M]्थ का[M][M]ूस[M]े[M]पात्र[M][M]ें [M]हना अपने आप आरंभ[M]हो[M]जाता है। ऐसे स[M]इफन को प्[M][M]ोग से पहले प[M]रत[M]येक बार[M]भरना [M]व[M]्यक होता[M]है। वि[M][M]ध उपयो[M]ो[M] के [M]िए इस यंत्र के[M][M]ने[M] र[M]प प्रचलित ह[M]ं। क[M]छ[M]में नली को भरन[M][M][M]े, या उस[M] भरे (और[M]इस[M]प्[M][M]ार आव[M]्यकता होने पर स[M]वयं चा[M]ू होने योग्य बनाए[M] रखने के, उपकरण ह[M]ते [M]ैं[M] साइफन के स[M]द्धांत प[M] [M][M]म करनेवाले [M]ल[M]ं [M]े बहुधा ज[M][M]को [M]हाड़ियों या [M]ील[M]ं[M]प[M], ऊ[M]ची नीची [M]ूमि[M][M]े [M]ोते ह[M]ए, किसी घ[M]टी क[M] पार पहुँचा[M]े का काम[M]लिया[M]जात[M] ह[M]। [M]से साइफनों में टी[M]े या ऊँचाई पर स्[M]ित [M]ल में फँसी [M]ु[M] व[M]यु के निकास के ल[M]ए एक [M]ाल्व का होना आ[M]श[M]यक[M]है। सोडावटर से [M]रे हुए ब[M]्तनों में स उस[M] [M]िक[M]लने के लिए जो[M]साइफ[M] लगाए जाते हैं [M]नकी नली म[M]ं एक स्[M]्रिं[M] वाल्व ल[M][M] रह[M]ा है, जो एक ली[M]न दबाने प[M][M]ख[M][M] ज[M]त[M] है और स[M][M][M]वाटर की गैस के दबाव स[M] जल[M][M]ाहर[M]न[M][M]ल आता है। साइफन के[M]अ[M][M]य[M]अनेक उ[M]योग ह[M]ं।
बरबो-बरवाहन बिहार का परिद्ध लोक नृत्य है। बिहार के लोक नृत्य
ब[M][M][M]-बरव[M]हन बिहार[M]का[M]प[M]िद्ध लोक नृत्य है।[M]बिहा[M] के लोक नृत्य
सुभाष भोजवानी एक सेवानिवृत्त भारतीय वायु सेना एयर मार्शल हैं। उन्होंने २००४२००६ प्रशिक्षण कमांडबेटन के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्य किया। उनकी पूर्व कमान में वायु सेना अकादमी, डिंडीगुल के कमांडेंट और २८ स्क्वाड्रन के कमांडिंग अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने १९९९ के कारगिल युद्ध के दौरान वायु संचालन के निदेशक के रूप में कार्य किया। उन्होंने १९७१ का भारत-पाक युद्ध के दौरान युद्ध संचालन के लिए मेन्शंड इन डिस्पैचैस अर्जित किया। भारतीय वायुसेना के अधिकारी १९७१ के भारत-पाकिस्तान युद्ध के भारतीय सैन्यकर्मी कारगिल युद्ध के नायक
सुभाष भ[M]जवानी एक स[M]वानि[M]ृत्त भारत[M]य वायु [M]ेना ए[M]र मार[M]शल हैं। उन्होंने[M]२००४२०[M]६ प[M][M]श[M]क्षण कमांडब[M]टन के एयर ऑफ[M]सर[M]कमांडिंग-इन-चीफ [M]े रू[M] [M]ें कार्य कि[M]ा। [M][M][M]ी[M]पूर्व कमान म[M]ं[M]वायु स[M]न[M] अ[M]ा[M]मी, डिंडीगुल [M]े कमां[M]ेंट और २८ स्[M][M]वाड्रन[M]के क[M]ा[M][M]िं[M] अधिकारी के रू[M] [M]ें शामिल हुए थे। उन्हों[M][M] [M]९९९[M]के [M][M]रग[M]ल [M]ु[M]्ध क[M] [M]ौ[M]ान [M][M]यु संचालन के निदेशक क[M][M]र[M]प में[M]कार[M]य किया। [M]न्हो[M]ने १९७[M] का [M]ारत[M]पाक युद[M]ध के दौ[M]ान य[M]द[M]ध [M]ं[M]ालन [M]े लिए मेन्[M]ंड[M]इन डिस्पैचैस अर्जित किय[M]। भारतीय वाय[M][M][M]ना के अधिका[M]ी १९७१ के भारत[M]पाकिस्तान यु[M]्ध के [M]ारतीय [M][M]न्[M]कर्मी कारगिल युद्[M] के न[M]यक
लोहरसिंह रायगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
लोहरसिं[M] रायगढ म[M]्ड[M] में भारत के छत्तीस[M]ढ़[M][M]ाज्य के अन्तर्गत रायगढ़ [M]िले का एक[M]गाँव है। छत्तीसगढ़ की व[M]भूति[M]ाँ[M]रायगढ़ जिला, छत्त[M]सगढ़
गली बॉय एक आगामी भारतीय हिन्दी संगीतमय ड्रामा फिल्म है, जो जोया अख्तर द्वारा लिखित और निर्देशित है। रणवीर सिंह तथा आलिया भट्ट अभिनीत यह फ़िल्म मुम्बई के अंडरग्राउंड रैपर डिवाइन और नाइज़ी के जीवन पर आधारित है। टाइगर बेबी और एक्सेल एंटरटेनमेंट ने मिलकर इसका निर्माण किया है। रणवीर सिंह मुराद आलिया भट्ट जोया अली गली बॉय बॉलीवुड हंगामा पर २०१९ की फ़िल्में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार विजेता
ग[M]ी [M]ॉय [M]क आगा[M]ी [M]ारत[M]य हिन[M]दी संगीतमय ड्र[M]मा[M]फिल[M]म है, [M]ो ज[M]या अख्तर द[M]वारा लिखित और[M]न[M]र्देशित ह[M]। [M]णवीर[M]सिंह तथा आलिया भट्ट[M]अभिनीत [M]ह फ़िल[M]म[M]मुम[M]बई के अं[M]र[M][M]राउंड रैपर डिव[M]इन और नाइज़ी[M]के जीवन [M]र आधा[M]ित है। टा[M]गर[M]ब[M]बी[M]औ[M][M]एक्सेल [M]ंटर[M]ेनमें[M] ने मिलकर [M]सका निर्माण किया है। [M]णवीर सि[M]ह[M]मुराद[M]आ[M]िया[M]भट्ट जोया अली गली बॉय बॉ[M]ीवुड हंगा[M]ा[M][M]र २०१९[M]की फ़िल्में फ़िल्मफ़ेयर[M]सर्वश्रे[M]्ठ फ़िल्म प[M][M]स्कार विजेता