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2MAG
भइवन देखलन तो एहनी के जीभे न हेऽ ।
3BHO
लगभग 23 किलोमीटर गईला के बाद एगो माँ शान माई के बहुत बड मंदिर मिली , उंहा रुक के माता के दर्शन करी , इहवो लगभग पूरा महिना भगत लोग भीड़ भारी रहेला , सबसे ज्यादा त नवरात्रि मे भीड होला ।
3BHO
बस एह लोगन के क्रियेटिविटी आ लिखला पढ़ला के प्रचार प्रसार आ पहुँच नइखे ।
3BHO
गाँव-घर की लइकन के पढ़वले पर जोर दें, कबो-कबो कापियो-किताब दे दें, त एइसन फेवर ठीक बा।
2MAG
पड़िआइन केतनो मना कयलका पर ऊ न मानलन आउ पानी खउला के कोठी मे डाल देलन ।
1BRA
देश काल परिस्थिति के कारण कोऊ भाषा शुद्धतो ना रही या कारण ब्रज भाषा में अन्य।
3BHO
जब हम राजनीति के ओही झरोखा से झाँकेनी तऽ लागेला कि एह उत्सव में साथे खइला के माने ई हो सकेला कि नून खिअवला के ईयाद दिआवल ।
2MAG
कुछ दिना के बाद ओहिनी के सादी ला फिनो अगुअवन अयलन ।
1BRA
मेरौ विश्वास है कै भाषा-सम्बन्धी इन प्रावधानन सौं ब्रजभाषा-गद्य कूँ नयी व्याप्ति मिलैगी च्यौं कै आंचलिकता की मिठास कूँ अपने आँचल में भरकैं आंचलिकता की सीमान कूँ लाँघबेते ही भाषा की लद्धड़पन दूर होय है ।
4HIN
मौन हुए सब देख रहे हैं,चढ़ते हुए समन्दर को ।
0AWA
कुंता,चन्दावती औ मीरा तीनिव पर यू हमला सोची समझी चाल के हिसाब ते कीन गवा रहै ।
2MAG
पपिहरा कविता संग्रह में अड़सठ कविता हे त दान वीर आठ सर्ग के खंड काव्य हे ।
1BRA
नीचे लिखे या उदाहरन ते स्वत: स्पष्ट है : - ब्रज भाषा सुकुमारि अलि, है ई रस की खान ।
3BHO
आदर्श में कवनो घोटाला ना भइल.
4HIN
अच्‍छा लगा ये जानकर कि लोग अब इस योग्‍य समझने लगे हैं कि मुख्‍य अतिथि या मुख्‍य वक्‍ता के रूप में बुलाएं ।
4HIN
लेकिन जब थोडा बड़ा होने पर घर से ब .
1BRA
उमेदी ढोरन कूँ क्यार डारि कें बाल बच्चान कूँ औंधे सूदे दबोरती सुबाती रही ।
2MAG
हमरा एकरा से की मतलब ?
1BRA
मैं उनके सानिध्य में जाबे कूँ स्टेशन पहुंचौ तौ बजाजवाड़ी में तांगे बारे नैं कही कै बू स्थान तौ दूर है ।
1BRA
आजकालि सादी की कीमत कौ पतौ नाँय का ?
4HIN
आज का समाज वाकई बहुत तेजी से बदल रहा है .
4HIN
सहज बोध से प्राप्त ज्ञान का विरोध करती प्रतीत हो सकती है .
3BHO
तबे काने में गूँजल- ताऊजी, चाय लाऊँ क्या?
0AWA
यू आर लेट अगेन ?
3BHO
जब तक एह शून्य से सम्मान यात्रा के शुरुआत ना कइल जाई आ जब तक हर जुबान सेभोजपुरी स्वाभिमान के रस ना बरिसे लागी, तब तक एह विषय पर कवनो गंभीर टिप्पणी महत्त्व नइखे राखत |
1BRA
आपकूँ कविता लिखबे में ओर का प्रगति रही ?
1BRA
खेलत में दैत्यन को हसिक उद्धार कियौ, गोबद्ध न कन्दरा में फल उपहारी है ।
3BHO
समयसमय पर सरकार से आश्वासन न पा के खुश होखे वाला भोजपुरिया समाज एह बात से अनजान बा कि भोजुपरी के मान्यता खातिर सरकारी दरवाजा खटखटावे के पीछे के लोग के भूमिका बा आ कवनाकवना आन्दोलन के योगदान बा ।
3BHO
सगरी त ना बाकिर काम भर के जानकारी बाँटल जरुरी बा।
1BRA
ब्रजभाषा के संत कविन्नै या भाषा कूं अपने हृदय के तपोनिस्ट भक्ति के माखन सों या तरियां बनाय दियौ है के आराध्य के प्रति मन के पावन भाव जितेक सचाई ते या भाषा में निकसे है , वैसे दूसरी में नाय ।
1BRA
बाई समै हमने एक समस्यापूर्ति करके सुनाई - जामै माफी मांग कैं आयबे बारे कासगंजवासीन की भर्त्सना करी गई है ।
0AWA
औ अब राम जी उनका कहाँ कहाँ भ्रमण करइ हैं ?
1BRA
समूह रुप में रहतौ भयौ विस्मित नेत्रन सौं जो कछू देखतौ और बाते जो प्रतिक्रिया हौंती , मन में जो कछू उपजतौ वही सब सृजन कौ आधार बनौ ।
1BRA
सतरंग सौरभ भयौ, न बरनी जाय निकाई ।
0AWA
उनका एक दिन पहिले अपनी माई केरि जलति चिता यादि आय गै ।
1BRA
अँगरेजी के शब्दन कौ हू ब्रजभाषीकरण करकैं काम में लियौ जा रह्यौ है ।
0AWA
अबहीं तौ जानि लियौ सांझी के पहिले कहां अटि पइहौ अयोध्या जी ?
2MAG
ई तोरा चिंता करे के जरूरत नयँ हको, बूढ़े बाबा, हमर अवारा मार्गदर्शक कहलकइ, हम पीके उड़ा देबइ कि नयँ ।
0AWA
तुलसीदास संगी साथिनि के साथे टोडर क्यार अंतिम संस्कार कै आये जीमा काशी करि प्रबुद्ध मनइन के साथे बड़ी संख्या मैंहा उनकी रयायौ शामिल भै रहै ।
4HIN
कह सकतें हैं परिवारों में चलने वाली प्रवृत्ति है बालों का गिरना .
2MAG
गुरु जी ओकरा एक दिन पीटइत हलथिन आउ बोल रहलथिन हल कि ‘अरे गदहा, तोरा तो हम पढ़ाते-पढ़ाते अदमी बना देलिअउ तो भी तूं कुछ खेयाल नऽ करे हे ?
4HIN
सब कुछ नीयत पर है ।
2MAG
जब माय गते केबाड़ी खोललक तो सब तमासा देख के कहलक कि नतिया छउड़ा-चोर नया तमासा करके चल गेलउ ।
0AWA
'हम तौ उनका नीक मनई समझिति रहै' 'का भवा ?
3BHO
जइसे हमनी अस भोजपुरियन का भीतर हिन्दी से प्रेम हइये नइखे .मय ठीका उहे लोग लेले बा हिन्दी के।
3BHO
जातिगत आ वर्गगत आधार पर साहित्य के बढ़िया खराब कहत चर्चा कइल जाए लागल.
3BHO
जैन धर्मग्रन्थ में भी गोष्ठी के उल्लेख बा जवना में संगीतकार, साहित्यकार, कवि, गणिका आ कलापारखी जुटत रहे लोग ।
4HIN
रिक्शे पर बैठकर रातू रोड से गुज़र रही हूं कि मोटरसाइकिल पर बैठा हुआ एक लड़का (जिसकी उम्र कम-से-कम मुझसे आधी होगी) बगल से गुज़रता है, घूमकर फिकरे कसते हुए, और पीठ पर धौल जमाते हुए ।
4HIN
यूँ तो हम कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं .
2MAG
ऊ पतझड़ ऋतु के साँस से पत्ता से हीन होल सेब के पेड़ सब के ध्यान से देख रहलथिन हल, आउ एगो बूढ़ा माली के मदत से सावधानीपूर्वक ऊ सब के गरम भूसा से लपेट रहलथिन हल ।
1BRA
बे बैदगिरी करते बातै हमारे घर कौ खरचा चलतौ ।
4HIN
बारहवीं के इम्तिहान खत्म हुए और मां ने सोचा, लड़की को खाना-वाना बनाना सीखा दिया जाए ।
2MAG
भागते - भागते ऊ बघवा एगो पहाड़ पर पृहुंचलै ।
1BRA
जो देखो है बाको बेलाग सीधे सब्दन में कहनो डा० शर्मा के नैसर्गिक ग्रामीण जीवन के संग पानी में नौन की तंरिया घुरे व्यक्तित्व कौ परिनाम है ।
3BHO
पूरा के पूरा जंगल, ओकरा मे भयंकर जगली जानबर आ कच्चा रास्ता, डरके साथे रोमांच ।
1BRA
लकड़िया वारौ बोल्यौ , " महाराज मोपे तो किरपा करौ मैं तौ रोज खौदू और रोज पीऊं । "
1BRA
जाकौ बिरमा के कमण्डल मांह बास, विस्तू क नख सौं निकास और शिव जटान मांहि आवास होइ ऐसी पतित पावनी अधम उधानी, पुण्य सलिला गंगा कू ब्रजवासी कैसे बिसार स के है ।
2MAG
ओकरो एक हजार रुपेया दे देलन आउ कहलन कि जब हम माँगव तब दिहेंऽ ।
3BHO
बनरसो में त ओभरब्रिज बनते न ह।
2MAG
राजा नउवा से ओकरा के बोला के कहलक ।
3BHO
वइसे भी आजु तोहार दिल एतना पसीजल बा, बिहने तूँ कुछ अउर कह, त हम का-का करबि।
3BHO
हम बिहार के विकास खातिर विशेष आर्थिक पैकेज लेके आइब ।
1BRA
वनै सकल वे काज, नाथ जो हृदय विचारै ।
3BHO
बाबा के दरसन क के श्री महाबीर परसाद जी वापस लौटत रहनी की रास्ता में उहांकी सारे के सांप काटि लेहलसि।
0AWA
द्याखौ अब हमरी किस्मति मा का लिखा है ।
0AWA
काल्हि भजन संध्या होइ जाय ।
0AWA
थोरे दिन बाद नामांकन होइगा ।
1BRA
2. क्रियापदन के अंत में ओकारांत को उकारान्त करबे में वचन कौ कोऊ क्रम अड़चन नाँय डारे ।
2MAG
ई पक्का हमरा खातिर नयँ लिक्खल हइ !
3BHO
खिसिया मत त हम तनी कोशिश करीं तहरा के समझावे के ।
3BHO
पनवा एक हालि तरेर के देखे फेरु बनावटी खीसि में बोले, 'तहरा रोज पियासे लागल रहेला?
1BRA
प्यासौ मति रहियो रे सजना , रस बरसे छकि पी लै ।
4HIN
कतरन दे जाती है गहरी सोच और सच के करीब का एहसास .
2MAG
इवान कुज़मिच परकोटा पर हथिन आउ हमरा अपने के बोलावे लगी भेजलथिन ।
1BRA
किन्तु बाई प्रकार शब्द कोश और व्याकरण कौ निर्माण हू तो आवश्यक है ।
4HIN
अब बात करते हैं उनके लिखे हुए श्रृंगार रस पर लिखे प्रेम पर लिखी रचनाओं की .
1BRA
भूषण की अपनी गढ़ी भई शब्द संपदा देखौ- ।
4HIN
ये दोनों ही दवाएं एक्सपेरीमेंटल थीं .
1BRA
यहां ' कनुआ - कनुआ ' पुनरूक्ति में मैया की ममता अरू आसन्न संकट ते उत्पन्न मैया के करुनामय हृदय की झाँकी मेई काव्य चमत्कार है ।
3BHO
दीपचंदी ताल में गवाए वाला ई गवनई लय के तीनों रुप से गुजरेला आ जब द्रुत में लय अा जाला त संसार के मय आनंद एक ओर आ एह गवनई के आनन्द् एक ओर।
3BHO
कोना में पड़ के सिसकत बाउ चबूतरा कउनो सधारण चबूतरा ना ह ।
2MAG
भइया बोलइत-बोलइत अलोप जा हथ ।
4HIN
क्या आदमी को ऊर्जा हीन ,उत्साह च्युत सोचने समझने में असमर्थ बनाके छोड़ेगी .
1BRA
इनकी हिन्दी कविता अग्यात के प्रति सहज वियोग की अभिव्यक्ति की दृष्टि सों महादेवी सों काऊ तरियाँ कम नांय प्रसंगवश एक उदाहरन देबै के लोभ कूं मैं नांय रोक पाय रह्यौ है ।
2MAG
राजा देखके अचरज में पड़ गेल ।
2MAG
तोरा आद हउ न कि एकरा हम जमींदार खातिर बनइलिए हल ।
2MAG
एकरो ले बढ़के बेगरतहपन होवे हे ।
2MAG
सरीर तो घुसबे नऽ करत ।
2MAG
ओहनी दुनो सिकार खेलते-खेलते दूसर राजा के जंगल में चल गेलन ।
1BRA
तरगन के नाम सों छे प्रमुख ग्र ध्यायन में अरु पाँच सौं छह तर छपे पन्नान में फैले 'श्री नाथ-सेवा रसोदधि’ ग्रय में श्री बाग रोदी जीन्नै पुष्टि मार्गीय उत्सव नित्य सेवा तिलकायत स्वरूप, सेवक ह वरुप, कीर्तनिया को स्वरुप, सुत्रोधिनी के अाधार पै वस्त्राभूषण, उभयलीलात्मक अष्टयाम सेवा, नैमति क उत्सव .
2MAG
हम मारिया इवानोव्ना के नजर से पिछुअइते रहलिअइ; ऊ पीछू मुड़के देखलकइ आउ हमरा दने सिर हिलइलकइ ।
4HIN
पूरे देश की टकटकी लगी थी ।
1BRA
समझदार कूँ तौ इसारौई भौतै ।
4HIN
वक्त और इत्तेफ़ाक, ये दो चीजें आदमी की सारी समझ और दानिशमंदी को पीछे छोड़ती हुई कभी उसकी नियति का कारण हो जाती हैं और कभी बहाना ।
4HIN
असरदार हो गये किनारे, फिरते दर-दर, मारे-मारे,खुद्दारी की माला जपते, माली अब गद्दार हो गये ।
2MAG
जइसहीं ऊ देखे कि हम गोस्सा करे लगलूँ, कि ऊ अपन कोट ले आउ खिसक जाय - पतो नयँ चले कि काहाँ उड़क देलक ।
3BHO
उनकर नगीना आ औरत खिलौना नहीं आ खून भरी मांग में रिंकू के शानदार जलवा देखे के मिलल ।
1BRA
अरु मानव को विकल है होनो वर्णन यह अद्भुत बन जानो ।
1BRA
हिन्दी साहित्य के इतिहासन के लिखवैया ज्यादातर उत्तर प्रदेस के रहे हैं ।
4HIN
बंगले में ही 14 शयनकक्षों से युक्त दो मंजिला आलीशान अतिथि गृह भी बनवाया गया है, जिसमें गुलाबी इतालवी संगमरमर का फर्श है ।