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भूमि पेडनेकर ने बॉलीवुड में एक खास पहचान बनाई है। वह खास तौर पर अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं। भूमि पेडनेकर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं और अक्सर अपनी तस्वीरें शेयर करती रहती हैं। अब भूमि पेडनेकर ने अपनी कुछ नई तस्वीरें शेयर की हैं, जिसमें उनका ग्लैमरस और स्टाइलिश अंदाज नजर आ रहा है। भूमि पेडनेकर लगातार इन तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। इस फोटोशूट में उन्होंने जालीदार गाउन पहना हुआ है। भूमि पेडणकर का सिजलिंग अवतार भी फैंस को खूब पसंद आ रहा है। भूमि पेडनेकर ने साथ ही अपने बालों को खुला रखा है। इन तस्वीरों में उनका ग्लैमरस अंदाज नजर आ रहा है। कैमरे को देखकर भूमि पेडनेकर तरह-तरह के किलर पोज देती नजर आ रही हैं। उनका ये आकर्षक लुक अब सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। भूमि पेडनेकर ने पहले भी कई बार अपनी ग्लैमरस तस्वीरें शेयर की हैं। इसके पहले जब उन्होंने सफेद हाई स्लिट गाउन में अपनी तस्वीरें शेयर की थीं तो लोगों ने उनकी खूब तारीफ की थी। यह फोटोशूट उनके 'बधाई दो' फिल्म के प्रमोशन के दौरान की है। 'बधाई दो' में उनके साथ राजकुमार राव थे। भूमि पेडनेकर की आने वाली फिल्मों की बात करें तो वो 'गोविंदा नाम मेरा', 'रक्षा बंधन', 'भीड़', 'भक्षक' और 'द लेडी किलर' जैसी फिल्मों में नजर आएंगी।
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इराक़ के प्रभावी राजनैतिक गठबंधन के नेता ने कहा है कि देश की ज़मीन से अमरीकी सेना को निकाल कर दम लेंगे। इराक़ के फ़त्ह गठबंधन के प्रमुख हादी अलआमेरी का यह बयान हश्दुश शाबी के डिप्टी कमान्डर अबू महदी अलमोहन्दिस और आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमान्डर जनरल क़ासिम सुलैमानी की अमरीकी आतंकियों के हवाई हमले में हुयी हत्या की प्रतिक्रिया में सामने आया है। हादी आमेरी ने शनिवार को बग़दाद में इन हस्तियों की शवयात्रा में पत्रकारों से बात करते हुए कहाः "हम हश्दुश शाबी के समर्थकों सहित सभी इराक़ियों कत अबू महदी अलमोहन्दिस, जनरल सुलैमानी और उनके वीर साथियों की शहादत पर सांत्वना देते हैं। यह शहादत का मार्ग है जिस पर चलने का हम एलान करते हैं और इस संबंध में तनिक भी शक नहीं है। " उन्होंने कहाः "हम अमरीकियों को पराजित कर उन्हें निकाल बाहर करेंगे जैसा इससे पहले हम दाइश के साथ कर चुके हैं। हम इराक़ियों की नज़रों के सामने अमरीकियों को निकालेंगे। " हादी आमेरी ने जो बद्र संगठन के महासचिव भी हैं, कहाः "हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। हमारे पास इराक़ की पूरी तरह संप्रभुता क़ायम करने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है। " (MAQ/N)
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॥ श्रीः ॥ * अचम्भे का बच्चा * अजीब उपन्यास प्रातःकाल के समय राजाने उठते ही घोड़े पर सवार हो प्रतिदिन के नियमानुसार शहर का रास्ता पकड़ा, वह मन्द मन्द वायु अनेक प्रकार के पुष्पों की सुगन्धि भांति भांति के पक्षियों की चुहचुहाअट चित्तको विचलित कर रही थी राजा प्रसन्नचित्त धीरे धीरे जारहा था, ज्योंही शहरके भीतर पहुंचा अचानक दृष्टि ऊपरको जा पड़ी । सत्यवती रातभर की आलस्य से भरी दोनों नेत्रों को मींजती हुई कोठे पर खड़ी जमुहाई ले रही थी ज्योंडी हाथों को नेत्रों से हटाया उसके चन्द्रमुख की चमक राजाके चकोर नेत्रोंपर पड़ते भौत्रक सा रह गया । अहा ! अचम्भेका बच्चा । यह क्या है इसवक्त चन्द्रमा कैसा है ? घोड़े की लगाम छोड़कर नीचे उतर पड़ा इच्छा हुई कि इस मोहनीमूर्ति को भलीभांति देख कर ही भागे को चलने का विचार करूंगा। वह नवयौवना राजा को देखते ही संकुचितसी होकर भीतर का चली गई ।। राजा ऊपरको देखकर व्याकुलसा हो मन में कहने लगा कि वास्तव में यह स्त्री क्या है इस तरफु निकलनेवालों को घायल करनेवाली है इसके दोनों क्षेत्र कामकी कटारी के समान मेर हृदयके पार गये हैं नहीं मालूम घायल कर किधर खो गई ऐसा ही विचार करते करते बहुत देर हो गई परन्तु फिर वह स्त्री नजर न आई । राजा निराश हो गया आगे बढ़ने को दिलने गवाही न दी, इधर रास्ते में खड़ा रहना ठीक न समझकर सीधा अपने महल का रास्ता लिया महल रही दरवार का समय समीप आगया मंत्रीने आकर द्वारपाल से पूछा कि श्राजं क्या सबब है कि सरकार अभीतक बाहर नही आये । यह कद्द कर एक बांदीको अन्दर भेजा बांदीने आकर जवाब दिया कि सरकार की तबियत इस समय छोक नहीं है यह सुन मंत्री सरकारी काम करने पर तत्पर हुआ ।। जैसे तैसे दिन बीत गया सायंकाल के समय राजा ने फिर उसी मोहनीमूर्ति के देखने का विचार कर अकेला ही चल दिया दिन छिप ही रहा था, सूर्य अस्त होते देखकर सत्यवती जल का लोटा हाथ में लिये कोठे पर आकर खड़ी हो गई आज रविवार सूर्य का व्रत है प्रायः बहुतसी स्त्रियां व्रत धारण किये हैं वैसेही सत्यवती भो व्रत धारण किये दो समय का जलदान तो दे चुकी है अब सायङ्काल का जलदान देने भाई है ॥ अचम्भे का बच्चा । राजा स्त्री को कोठेपर देखकर बड़ाही प्रसन्न हुआ और टकटकी लगाकर देखने लगा बाल वि खरे हुये रेशमी साड़ी पहिरे हाथ में जल का लोटा लिये जलदान देरही है स्त्री राजा को देखते ही साड़ी से मुख को छिपाकर तिरछी हो चली गई राजा फिर निराश हो मकान को चला आया थोड़ी देर के बाद मंत्रीने आकर द्वारपाल से पूछा सरकार आज ।।हर नहीं निकले सो दरियाफ्त करो इस समय कैसी तबियत है द्वारपाल ने बांदी को बुलाकर पुवाया कि महाराज दीवान साहब आये हैं और आपकी तबियंत का हाल पूछते हैं बांदी ने आकर के राजा से कहा राजा ने दीवान को अन्दर आने का हुक्म दिया बांदी ने आकर दीवान से कहा उसकी बात सुन दीवान राजा के पास गया और तबीयत का हाल पूछा राजा ने सब उस स्त्री का हाल सुनकर कहा अगर वह मुझे न मिली तो मैं किसी कामका न रहूंगा जब से उस मोहनीमूर्ति को देखा है तब से दिल काबू में नहीं रहा है राजा की बात को सुनकर मंत्री ने हाथ जोड़कर कहा महाराज आपके मुख से यह बात शोभा नहीं पाती क्योंकि नीति में यह कहा है कि राजा को उचित है कि प्रजा को कभी बुरी निगाह से न देखें उसके राज्य में जितनी प्रजा है सबको अपने सन्तान की समान समझे कभी बुरी निगाह से न देखें सो महाराज आप यह क्या कहते हो पराई स्त्री से प्रीति करना महापाप है सुनिये कहा है किदोहा । परनारी पैनी छुरी, तातें दूरहि भाज । रावण से राजा मरे, परनारी के काज । सो हे महाराज । आप ऐसे ज्ञानी होकर भी ऐसा विचारते हो थोडीसी जिन्दगी के लिये मनुष्य है। अनेक पापकर परलोक का भी सत्यानाश करता है
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बॉलीवुड एक्ट्रेस राधिका आप्टे की कुछ तस्वीरें लीक हुई हैं जो सोशल मीडिया पर हलचल मचा रही है. राधिका ने अपने फ़िल्मी करियर में काफी अच्छी फ़िल्मी की है जिसमें उन्होंने कुछ बोल्ड सीन भी दिए हैं. इन दिनों वो अपनी आगामी फिल्म 'द वेडिंग गेस्ट' (The Wedding Guset) में व्यस्त हैं. इसी बीच उनका और उनके को-स्टार देव का एक इंटीमेट सीन लीक हो गया है जो खूब वायरल हो रहा है. लोगों ने इस पर काफी कमेंट भी किये हैं लेकिन उन्हकै ही जवाब देने के लिए राधिका ने अपना बयान दिया है. आइये जानते हैं क्या कहा राधिका ने. बता दें, अपने बयान में राधिका ने कहा है कि 'फिल्म में कई सारे अच्छे सीन्स है लेकिन हमारे इंटीमेट सीन को ही क्यों लीक किया गया. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि है कि हम एक साइको समाज में रहते हैं. ' आखिर क्यों इस सीन को मेरा नाम लेकर ही फैलाया जा रहा है. देव पटेल के नाम के साथ फैलाया क्यों नहीं जा रहा है? ऐसा पहली बार नहीं है, ऐसे ही कई बार उनके सीन लीक हुए हैं. ये कोई पहली बार नहीं होगा जब राधिका ने किसी फिल्म में इस तरह के इंटीमेट सीन किए हैं. इससे पहले भी कई फिल्मों में वो ये सीन कर चुकी हैं. बता दें राधिका की फिल्म 'पार्च्ड' (Parched) का इंटीमेट सीन भी ऑनलाइन लीक हो गया था.
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ক এব NEW सेना को बच निकलने का ठिकाना ही न था । परन्तु इस समय कर्नल वर्र ने असाधारण धैर्य का परिचय दिया और उसकी देशी रेजीमेंट ने भी सम वीरत्व और नमकहलाली का हक़ अदा किया - मराठों के दुर्भाग्य से भूमि भी वहां सम न थी। इसके अतिरिक्त वाम पार्श्व में एक बड़ा दलदली मैदान था । जिसका पता न मराठों को था - अंग्रेजों को । आक्रमणकारी मराठे इस दलदल में फंस गए । वे आते गए और फंसते गए । इस बीच अंग्रेजी सेना को सुरक्षा और जवाबी आक्रमरण का सुअवसर मिल गया। पीछे आने वाली मराठी सैन्य को इस दैवी दुर्भाग्य का कुछ भी पता न था । वे बराबर तेज़ी से आगे बढ़े आ रहे थे, बस ज्यों ही वे अंग्रेज़ी तोपों की मार में पहुँचे - अंग्रेज़ी तोपों ने उन पर आग उगलनी आरम्भ कर दी। उधर कर्नल वर्र को अपनी अंग्रेज़ बटालियन को आगे बुला लेने का अवसर मिल गया ; उसने बड़ी तत्परता और धैर्य से काम लिया । उसकी बटालियन उ-पिण्टो की सेना से जमकर लोहा ले रही थी । इसमें सुशिक्षित र उत्कृष्ट सैनिक थे। इसके अतिरिक्त अंग्रेज़ रिज़र्व सैन्य के सुशिक्षित माने हुए घुड़सवार उनकी पृष्ठ-रक्षा के लिए दबादब आगे बढ़ते श्रा रहे थे। इस परिस्थिति में वह कठिन क्षरण टल गया। और मराठों का घसारा अवरुद्ध हो गया । एक दो प्रभावशाली चार्ज होने के बाद, जिन में अंग्रेजी तोपों ने उन्हें बहुत हानि पहुँचा दी थी, उन्होंने हिम्मत हार दी, और वे पीछे मुड़े । जाते हुओं को सब से पिछली पंक्ति में तरुण गोविन्दराव गोखले था। जो शीघ्र ही इस भागती हुई सैन्य से पृथक् हो गया । और खिन्न भाव से अपने पिता के पाश्र्व में जा खड़ा हुआ । जो इस क्षणिक युद्ध में पासा पलट जाने से दुःखित और क्रुद्ध खड़ा था । मराठा सैनिक अब अव्यवस्थित हो कर भाग रहे थे। और अंग्रेजी सेनाएँ व्यवस्थित रूप से युद्ध-स्थनी में महत्वपूर्ण स्थलों को दखल करती जा रही थीं। आश्चर्य की बात तो यह थी कि यह महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संग्राम एक घण्टे से भी कम समय में समाप्त हो गया। कठिनाई से इस युद्ध में पाँच सौ मराठा वीर खेत रहे । अंग्रेजों की हानि तो इससे भी बहुत कम
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Sardhana : बुबुकपुर गांव के निकट शनिवार रात दो युवकों को तीन बदमाशों ने बंधक बनाकर एक्टिवा और भ् हजार की नगदी लूट ली। विरोध करने पर उन्हें नग्न करके पीटा। जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने एक युवक को शक के आधार पर हिरासत में ले लिया। एक बाइक भी कब्जे में ले ली। इसके बाद पुलिस ने पीडि़तों से रिपोर्ट चोरी में दर्ज कराने की बात कही, तो थाने पर हंगामा भी हुआ। पुलिस ने किसी तरह हंगामा कर रहे लोगों को शांत किया। नगर के मोहल्ला जोगियान निवासी अरूण पुत्र लक्खीराम टीबी से पीडि़त है। शनिवार को मोहल्ले के ही बोबी पुत्र देवेंद्र कुमार के साथ वह एक्टिवा पर कंकरखेड़ा क्षेत्र के जिटौली गांव में दवाई लेने गया था। रात में दोनों वापस घर लौट रहे थे। बाइक सवार तीन बदमाशों ने बुबुकपुर गांव के निकट धक्का देकर चलते एक्टिवा से नीचे गिरा दिया। इससे पहले दोनों संभल पाते बदमाशों ने उन पर तमंचे तान दिए। बदमाशों ने भ् हजार की नगदी और एक्टिवा लूट लिया। विरोध करने पर दोनों को नग्न कर बुरी तरह पीटा। बेल्ट अरूण का गला भी घोटने का प्रयास किया। इसके बाद बदमाश फरार हो गए। पीडि़तों ने किसी तरह घटना की जानकारी पुलिस को दी। जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची और शक के आधार पर दबथुवा इंटर कॉलेज के पास से एक युवक को हिरासत में ले लिया। एक बाइक भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली और थाने ले आई। पीडि़तों ने उसे पहचानने का दावा करते हुए घटना की तहरीर थाने में दी। जिस पर पुलिस ने सोमवार शाम तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पुलिस पीडि़तों पर चोरी की तहरीर देने का दबाव बनाने लगी। इस पर पीडि़तों के मोहल्ले के लोग एकत्र होकर थाने पहुंचे और हंगामा खड़ा कर दिया। पुलिस ने किसी तरह उन्हें समझा-बुझाकर मामला शांत किया। समाचार लिखे जाने तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी थी। - थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे पीडि़त। - थाने में हंगामा करते मोहल्ला जोगियान के लोगों को हड़काती पुलिस।
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ज्योतिष के जानकारों का मानना हैं कि जब आप घड़ी को गिफ्ट में किसी को देते हैं तो आप अपना किमती समय भी उसी शख्स को दे बैठते हैं. कभी भी अपने साथी को रूमाल गिफ्ट नहीं करना चाहिए। इससे कपल के बीच में रोमांस कम होने लगता है। वास्तु के अनुसार, रूमाल गिफ्ट में देने से दो लोगों के बीच झगड़ा बढ़ता है। यदि आप अपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के लिए जूते खरीदते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि यह ब्रेक अप की वजह हो सकती है, क्योंकि जूते गिफ्ट करने से कपल के बीच दरार आने लगती है। कभी भी आप अपने साथी को काले कपड़े न दें, क्योंकि काला रंग बेरंग होता है और इसको शोक के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगर आप किसी को काला कपड़ा देते हैं और आप उस व्यक्ति से खुद-ब-खुद दूर हो सकते हैं। आप भूलकर भी अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को परफ्यूम न दें. गिफ्ट में परफ्यूम देने से आपका प्यार उस परफ्यूम की खुशबू की तरह कम हो सकता है जो एक समय के साथ फीका पड़ जाता है, इसलिए कभी भी अपने चाहने वालों को परफ्यूम या डियो या खुशबू वाली चीज गिफ्ट नहीं करनी चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है. )
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कॅामेडियन कपिल शर्मा के दोस्त राजीव ढ़िगरा ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कपिल शर्मा का बचाव करते हुए कहा कि कपिल की इस हालत के पीछे उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड प्रीति सिमोस और उनकी बहन नीति का हाथ है। कॅामेडियन कपिल शर्मा इन दिनों अपनी कॅामेडी के लिए कम पर अपने विवादों को लेकर ज्यादा चर्चा में है। ऐसे नाजुक मौके पर कपिल को इंडस्ट्री में उनके दोस्त और उनकी मूवी फिरंगी के निर्देशक राजीव ढींगरा का साथ मिला है। दरअसल राजीव ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कपिल शर्मा का बचाव करते हुए कहा कि कपिल की इस हालत के पीछे उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड प्रीति सिमोस और उनकी बहन नीति का हाथ है। राजीव ढींगरा ने अखबार को दिए इस इंटरव्यू में कपिल के तनाव का कारण उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड प्रीति है। राजीव ने कहा कि मुझे भी कपिल के खिलाफ भड़काने की कोशिश की गई थी। राजीव ने कहा कि मैं और कपिल पंजाब के एक छोटे से शहर से आते हैं। राजीव ने प्रीति को लेकर कहा कि हम ऐसी लड़कियों की तरह जोड़-तोड़ नहीं करते हैं। राजीव ने अपने बयान में दावा किया कि जब प्रीति को पता चला कि कपिल अपनी गर्लफ्रेंड गिन्नी से शादी करने जा रहे तो प्रीति को यह बात हजम नहीं हुई। और तभी उन्होंने कपिल को बर्बाद करने की कसम भी खाई। राजीव ने बताया कि ये ही नहीं प्रीति ने साजिशन कपिल को उसके दोस्तों से अलग कर दिया। राजीव ने दावा किया कि कपिल की जिंदगी में जो कुछ भी बुरा हो रहा है वो पिछले एक साल से शुरु हुआ है। राजीव ने कहा कि कपिल और गिन्नी का रिश्ता तब से है जब कपिल पंजाब के एक छोटे से शहर में रहते थे। और उस समय वह कोई स्टार भी नहीं थे। लेकिन जब प्रीति को गिन्नी और कपिल के रिश्तों के बारे में पता चला तो प्रीति ने कहा था कि आज कपिल एक स्टार है और गिन्नी गांव में रहने वाली एक लड़की हैं। प्रीति ने कहा था कि कपिल गिन्नी से अच्छी लड़की डिजर्व करते है। राजीव ने दावा किया कि प्रीति जबरन कपिल की जिंदगी में आई थी। यहीं नहीं राजीव ने कहा कि प्रीति ने एक बार धमकी भरे लहजे में कहा था कि तुम दोनों इस इंडस्ट्री से नहीं हो इसलिए वह दोनों को यहां से बाहर निकलवा देंगी। जिसके बाद से कपिल को लगता है कि इतने सालों में कपिल ने जो कुछ भी अपनी मेहनत से कमाया हैं वो सब अब एक ही झटके में उनके छिन्ने वाला है। आपको बता दें कि कपिल ने सोशल मीडिया पर पूर्व गर्लफ्रेंड प्रीति को लेकर एक पोस्ट किया था। जिसमें कपिल ने उनके ऊपर कपिल को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। जिसके जवाब में प्रीति ने लिखा था कि कपिल की मानसिक हालत ठीक नहीं है। यहीं नहीं प्रीति ने आगे लिखा था कि कपिल काफी बदल गए है और उनके मन में आत्म हत्या के विचार भी आते हैं।
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एक आधुनिक सपने की किताब में, एक सपने में शपथ ग्रहण करने का मतलब हैऔर जीवन में आप एक ही बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं इसलिए अपने आप को सशस्त्र रखें और स्थिति को ठीक करने के लिए तैयार हों या झगड़ा भड़काने की कोशिश न करें। यदि आप इस सपने को गिरने में देखा तो - परिवार में एक घोटाले होगा। अगर वसंत में - आपका दिन मुश्किल और रोमांचक होगा, अगर गर्मियों में - भौतिक ताकत के उपयोग के साथ संघर्ष करना संभव है, और सर्दियों में - आपके प्यारे व्यक्ति के साथ रिश्ते का पता चल जाएगा। सपने में शपथ लेने का अर्थ क्या हो सकता है? दृष्टि में अपने प्रतिद्वंदी पर ध्यान देंः यदि यह एक अजनबी है, तो आप नई चीजों और शौक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदि आप अपने दोस्त के साथ एक सपने में कसम खाता हूँ - कुछ के एक महत्वपूर्ण नुकसान के लिए तैयार हो जाओ यदि आप सपना करते हैं कि कैसे दूसरों से झगड़ा होता है - काम की समस्याओं को इंतजार करने में लंबा समय नहीं लगेगा। यदि आपको विश्वास है कि मिलर की सपना किताब, फिर सपने में शपथ लेना परेशानी का अग्रदूत है, खासकर युवा लड़कियों के लिए। एक विवाहित महिला के लिए - यह उनकी भागीदारी के साथ एक बड़ा परिवार का घोटाला है। यदि एक सपने में झगड़े के दौरान आप अपमानजनक शब्दों या अनचाहे शब्दों का उच्चारण करते हैं - आपको एक बीमारी होगी याद रखें कि आप वास्तव में क्या डांटते हैं यदि यह एक औरत है, तो यह एक अच्छा सपना है, जिसका अर्थ है कि आप सकारात्मक घटनाओं के लिए इंतजार कर रहे हैं। तो, आप सपने पर विश्वास कर सकते हैं, और उन्हें कर सकते हैंउपेक्षा करेंः आपका मामला लेकिन याद रखेंः कोई भी वैज्ञानिक इस तथ्य के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा है कि यह घटना वास्तव में एक सपना है। कुछ लोग कहते हैं कि सपने हमारे विचारों का सिर्फ एक प्रतिबिंब है, जो सभी परेशान या चिंता करते हैं। दूसरों का मानना है कि उनके पास कोई अर्थपूर्ण जानकारी नहीं है। और फिर भी दूसरों को लगता है कि सपने संकेत और पूर्वानुमान हैं। तो क्यों नहीं इस हिट को सही ढंग से इस्तेमाल करने की कोशिश करें? कम से कम आपको पता चल जाएगा कि आपने परेशानी को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया है। अगर आपको अब भी शंका है कि सपने भविष्यवक्ता हैं, तो सच्चे सपने देखने वाले लोगों की कहानियों को पढ़ें। और, संयोगवश, यह संभावना है कि आपके परिचितों में ऐसे लोग हैं जो कुछ समान साझा कर सकते हैं।
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जनपदों की साहित्य-सभाओं का कर्त्तव्य मित्रो, अपने इस वार्षिक अधिवेशन का सभापति चुनकर आपने मेरे प्रति जो प्रेम और सम्मान का भाव प्रकट किया है, उसके लिए में अत्यन्त कृतज्ञ हूँ । जानता हूँ कि मुझे इस अधिवेशन का सभापति चुनकर आपने बहुत अच्छा चुनाव नहीं किया है। परन्तु मेरा विश्वास है कि यह गलतो जितनी बड़ी भी क्यों न हो, इससे आपका कोई विशेष नुकसान नहीं होगा। आपको सभा दीर्घकाल से साहित्य और भाषा को सेवा करती आ रही है। उसने निश्चय हो अपने में स्वस्थ और सचल प्राणशक्ति विकसित कर ली है। मनुष्य में यदि भीतर और बाहर यह सबल और स्वस्थ प्राणधारा हो तो छोटी-मोटी गलतियाँ स्वयं सुधरती रहती हैं। आपकी सभा अपनी भीतरी महिमा के द्वारा निस्सन्देह इस गलती का परिमार्जन कर लेगी । आपकी सभा ने जिन दिनों हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा का संकल्प लेकर जन्म ग्रहण किया था, उन दिनो देश में राजनीतिक पराधीनता दृढमूल होकर विराज रही थी । हिन्दी उन दिनों घर-वाहर सर्वन उपेक्षित थी, देवनागरी जैसी सुन्दर और उपयोगी लिपि भी न्यायालयों तक से बहिष्कृत थो, हमारी प्यारी मातृभापा को उच्चतर शिक्षा का माध्यम होने का सौभाग्य तो मिला हो नही था -- इस पद को प्राप्त करने की दृढ़ आकाक्षा भी उसमें नहीं थी। अब अवस्था बहुत सुधर गयी है। हिन्दी अब उतनी उपेक्षित नहीं है। थोड़ी उपेक्षित तो अब भी है, लेकिन अब हम निश्चित रूप से मान ले सकते हैं कि देर-सबेर हमारे देश के इतिहास का सबसे बड़ा लांछन घुल अवश्य जायगा। हिन्दी अपनो सम्पूर्ण महिमा के साथ अपने न्याय्य आसन पर अवश्य सुशोभित होगी। यद्यपि समय लगेगा, किन्तु अब इस तथ्य की उपेक्षा दीर्घकाल तक नहीं की जा सकती कि जनभाषा हमारे छोटे-बड़े सभी क्षेत्रों के विचार का वाह्न अवश्य बनेगी। इस अवस्थापरिवर्तन के लिए असंख्य वीरों ने अपना सर्वस्व होम दिया है। देश भर में मुस्तैदी से काम करनेवालो जिन छोटी-बड़ी संख्याओं ने इस शुभ दिन को ले आने के लिए साधना की है, उनमें आपको यह सभा भी है। मैं आपको सभा के पुराने और नये सभी कार्यकर्ताओं को अपनी विनम्र ति निवे
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केला (Banana) खाने से जहां पौष्टिकता मिलती है वहीं इसका छिलका (Rind) भी काफी उपयोगी होता है। इसमें एसिड और एंटीऑक्सीडेंट (Acids and Antioxidants) तत्व होते हैं। यह चेहरे पर कील-मुहांसों को दूर करने में मदद करते हैं। इससे स्किन में ग्लो भी आती है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज होती है। यदि आपके चेहरे पर कील-मुंहासे हैं तो केले के छिलके से मसाज करें। ऐसा आप पांच या दस मिनट तक करें। जब आपको छिलके का सफेद वाला भाग गंदा दिखने लगे तो दूसरा छिलका ले लें। फिर दस मिनट तक इसे ऐसे ही रहने दें। इसके बाद पानी से धो लें। ऐसा आपको रोज करना होगा। इससे आपके चेहरे (Face) से कील-मुंहासे गायब होने लगेंगे और चेहरे पर ग्लो भी दिखने लगेगी। अगर आप भी मुंहासे से परेशान रहते हैं तो आपके लिए केले का छिलका काफी फायदेमंद साबित होगा। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने फेस को क्लिंजर से साफ करना होगा फिर स्किन को तौलिये से अच्छी तरह पोछ लें। तो देखा आपने केला जहां खाने में स्वादिष्ट और मीठा होता है वहीं इसके छिलके त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। मगर केला कभी-कभी खाने के लिए फिट(Fit) भी नहीं बैठता है। इसलिए आप केला खाते समय अपनी सेहत का भी ध्यान रखें और डॉक्टर से भी सलाह लें।
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अगर आरक्षण के प्रावधानों से पिछड़ों-दलितों-वंचितों का सशक्तीकरण होता है, तो उन लाभार्थियों की भावी पीढ़ियों को क्रीमी लेयर में शामिल करके भविष्य में आरक्षण लाभ से वंचित क्यों नहीं किया जाना चाहिए? ऐसा करने से ही आरक्षण जैसे संवैधानिक प्रावधान का लाभ त्वरित गति से नीचे तक पहुँचेगा और आरक्षण के क्षेत्र में भी 'ट्रिकल डाउन' की सैद्धान्तिकी सचमुच फलीभूत होगी। अभी आलू की खुदाई और भराई का समय है, कुछ दिन में सरसों और फिर गेहूँ की कटाई-मढ़ाई का समय आ जाएगा, लेकिन कोरोना के कहर के चलते ये काम कैसा और कितना हो सकेगा, कहना मुश्किल है। फसलों के नुकसान से किसान तो तबाह होगा ही, दाल-रोटी के दाम भी बढ़ जाएँगे और उससे भी सबसे ज्यादा मुश्किलें अगर किसी की बढ़ेंगी तो वह गरीब-वंचित तबका ही होगा। अगर भारतवासी इन मुश्किल दिनों और कठिन परीक्षाओं के लिए एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होते हैं, तो कोरोना को निश्चित रूप से पराजित होना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति के आधारभूत विचार 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के निर्णायक आत्मसातीकरण का क्षण निकट है। NPR बनने और उसके प्रभावी हो जाने पर बाहर जाने वाले 'घुसपैठियों' की संख्या के अनुपात में CAA के उपरोक्त 'लाभार्थी' बहुत ही कम हैं। साथ ही, धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अपने पूर्व-नागरिकों को शरण और नागरिकता देना भारत का संवैधानिक और मानवीय दायित्व भी है। उत्तर-पूर्व के रहवासियों की समृद्धि भारत के विकास की धुरी है। यह भारत की एकता, अखण्डता, शांति और सुरक्षा की आधारशिला है। विगत कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर में बुनियादी अवसंरचना, समावेशी विकास और शान्ति-वार्ता के स्तर पर तीव्र परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
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I वास्तविकता यदि तुम पूछो, 'कैसे जानते हो कि यह एक वास्तविक छडी है " 'कैसे जानते हो कि यह वस्तुत टेढ़ी है ?" ( तुम्हे बिलकुल सदेह नहीं कि वह सचमुच क्रोधित है ?"), तो तुम मेरी प्रामाणिकता या तथ्यों के बारे में ( यद्यपि यह प्राय अनिश्चित होता है कि इन दोनों में से किस एक के बारे में) एक विशेष ढंग से अपनी शक। प्रकट कर रहे हो । ऐसी कई विशेष जानीमानो स्थितियाँ हैं जिनमें या तो मेरा वतमान प्रनुभव या मेरे द्वारा अनुभूत पदाथ मसाघारण, वास्तविकता का भ्रम पैदा करने वाला हो सकता है । या तो में स्वयं स्वप्न, बेहोशी, या उन्माद भादि की अवस्था में हो सकता हूँ या फिर अनुभूत पदाथ ही नकली, मुलम्मावाला, खिलौना, मसाला लगा, आदि सकता है या पुन, यह अनिश्चित हो सकता है कि दोपी में है या पदार्थ - जलजला, भाइनें में प्रतिबिंब, प्रकाश किरणों के विशिष्ट कोणो से केंद्रीभूत मनोसे दृश्य प्रादि । ये सभी सदेह स्थितियों के अनुकूल ( कम या अधिक ) मान्य विधियो द्वारा दूर किये जा सकते हैं । स्वप्न और जागृत के बीच अंतर करने की मान्य विधियाँ है ( भन्यथा कैसे हम उन शब्दों के बीच प्रतर करते और उनका उपयोग करते ? ) लगा, आादि के बीच भी अंतर करने की मान्य विधियाँ है क्या यह वास्तविक है ?" अवश्य एक विशिष्ट, भाधार होता है, वास्तविक न होने के सुझाव का कोई कारण ' मवश्य होना चाहिये - चाहिये - इस अथ में कि प्रस्तुत अनुभव या पदार्थ किसी विशेष हग या किन्ही विशेष (सोमित) ढगो से वास्तविकता का भ्रम उत्पन्न करने वाला हो सकता है। कभी-कभी सदभ से ही स्पष्ट हो जाता है कि सुझाव क्या है कोयल का मसाला लगा होना सभव है किंतु उसके जलजला होने का सुझाव नहीं होता, मरुद्यान एक जलजला हो सकता है किंतु उसके मसाला लगा होने का कोई सुझाव नहीं होता । तत्त्ववादी की चालाको यह है कि वह पूछता है 'क्या यह वास्तविक मेज है ?' (ऐसी वस्तु जो प्रकटत सदेहास्पद नही है) परतु बताता नहीं कि क्या कुछ तत्सवध मे गलत है, जिससे कि आदमी चक्कर में पड़ जाता है कि वह कैसे सिद्ध करे कि यह मेज यथाथ हो है । 'वास्तविक' शब्द के इसी तरह के प्रयोग से हम मान बैठते हैं कि 'वास्तविक' का केवल एक ही अर्थ है ('वास्तविक जगत्' या 'भौतिक पदाथ') जो बहुत ही गूढ भौर विस्मयजनक है। इसके विपरीत, हमें सदैव उसे विशेपित करने पर जोर देना चाहिये जिसको 'वास्तविक' से भिन्न बताया जा रहा है - प्रर्थात् जोर इस पर नही होना चाहिये कि यह दिखाने के लिये कि यह 'वास्तविक' है मुझे क्या करना होगा तव हमे प्राय हो, विशेष वस्तु स्थिति के उपयुक्त, कोई ऐसा विशेष, सीधा-साधा शब्द मिल सकेगा जसका उपयोग 'वास्तविक' के बदले हो सके । मेरा कहना कि मैं जानता हूँ कि यह कोयल (मैना ) है साधारणत सदेहास्पद नहीं होता केवल उचित सावधानी बरतनी पड़ती है। किंतु जब विशेष स्थितियों मे उस पर सदेह किया जाता है, मैं उन विधियो से उपके कोयल होने की वास्तविकता पर उठने वाले सदेह को दूर करता हूँ जो मूलत उन्ही विधियों की तरह होती है जिनसे मैं निश्चय करता कि
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शादी में शामिल होने वाली हर लड़की की यही इच्छा होती है कि वह इस खास मौके में सबसे खास दिखें। हो सकता है कि आप भी अपने लुक को सबसे अलग और आकर्षक बनाने के लिए कुछ एक्सपेरिमेंट भी करें। लेकिन हर बार आपका एक्सपेरिमेंट सफल ही हो, यह जरूरी नहीं है। चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताते हैं, जिन्हें शादी में बिल्कुल भी नहीं पहननी चाहिए क्योंकि इनसे आपका लुक बिगड़ सकता है। शादी जैसे अवसरों में सफेद या काले रंग के आउटफिट को पहनना एक अच्छा विचार हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं हैं कि आप सिर से लेकर पैर तक एक ही रंग को कैरी करें। बेहतर होगा कि आप एक ही रंग को कैरी करने की बजाए अन्य ब्राइट या सोबर रंग के साथ खेलें। अगर आप आउटफिट में एक ही रंग पहनना चाहती हैं तो अपनी ज्वैलरी या फुटवियर आदि में विभिन्न रंग को शामिल करें। जब कभी भी किसी की शादी में जाने के लिए आप तैयार हो रही हों तो भूल से भी डेनिम को अपने फैशन का हिस्सा न बनाएं। यूं तो डेनिम जींस और जैकेट आदि लड़कियों को एक कूल लुक देती है, लेकिन जब आप शादी के लिए तैयार हों तो ऐसे में एथनिक लुक लड़कियों और महिलाओं पर ज्यादा अच्छा लगता है। इसलिए जहां तक हो सके, आपको डेनिम जैकेट या जींस आदि पहनने से बचना चाहिए। बेशक इस तरह के हेयर एसेसरीज देखने में बेहद खूबसूरत लगती हैं और किसी भी लड़की के लुक को एंहॉन्स करता है। लेकिन अगर आप इन एसेसरीज को शादी में पहनने का मन बना रही हैं तो जरा ठहरिए। दरअसल, अगर आप किसी शादी में केवल एक मेहमान है तो इसकी बजाए क्लिप या अन्य हेयर एसेसरीज आपके लुक पर चार चांद लगा सकती हैं, इसलिए आप इन विकल्प को बेझिझक कैरी कर सकती हैं।
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चाहिये कि इस आवश्यकता की पूर्ति से मेरे इन्द्रिय संयम और तप मे कोई तोही ? इस पदार्थ का सेवन न करूं तो क्या हानि हो सकती है ? इस आवश्यकता की पूर्ति से सप्त कुव्यसनो मे किसी कुव्यसन की पूर्ति तो नहीं होती ? अगर होती है तो यह आवश्यकता त्याज्य है । अथवा यह भी सोचा जाए कि इस आवश्यकता की पूर्ति से कोई त्रस जीवो की हिसा या स्थावर जीवो का प्रतिवध तो नही होगा अगर त्रसजीवो की हिंसा से वह आवश्यक चीज निष्पन्न होती हो, और आपकी आवश्यकता उसी चीज की है तो आपके हिसाणुव्रत के भंग होने की सम्भावना है, उस आवश्यकता की पूर्ति से । उदाहरणार्थ - मान लो, आप समाज मे अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिये विवाह जैसे प्रसंगो पर बहुत बडा भोज देते है, इतनी अधिक बिजली का उपयोग करते है, बहुत बड़ा शो करते है, इतनी अधिक भट्टियाँ जलाते है, जिनकी कोई के आवश्यकता नही है, साथ ही शराब का दौर भी चलाते है अथवा शहतूत कीड़ो को मार कर बने हुए रेशमी कपडों का उपयोग करते है, तो इन सब मे त्रस जीवो की अत्यधिक हिसा होने की सम्भावना है । अतः दो करण तीन यांग से सकल्पी हिसा का त्याग करने वाले श्रावक के लिये इस प्रकार हिसाजन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के समय अपना हाथ पीछे खीच लेना चाहिये । प्रतिष्ठा अनावश्यक खर्च करने से नही बढती । प्रतिष्ठा वढती है, परोपकार एव स्वपरकल्याण के कार्य करने से । इसलिये अपरिग्रह वृत्ति को सुदृढ बनाने के लिये विवेकी सद्गृहस्थ को के परिग्रह परिमाण व्रत ग्रहण करने पर भी इस फिजूलखर्ची से बचना चाहिये । अगर आपके पास पैसा ज्यादा है तो उसका प्रदर्शन मत कीजिए । व्यर्थ के कार्यो मे, हिसाजनक प्रारम्भ समारम्भो मे, व्यर्थ के दिखावो में खर्चे मत कीजिए । खर्च करना ही हो तो जन कल्याण के कार्यो मे अपने धन का सदुपयोग कीजिए, सघ की सेवा में, दीन-दुःखियो और मूक पशुओ की दया के कार्यो धन को लगाइए । अपने धन पर से ममत्व हटाकर उसे सार्वजनिक सेवा कार्यो मे खर्च कीजिए । बदले मे किसी प्रकार की प्रसिद्धि या नामवरी की कामना मत रखिए । आज समाज मे कई कुरूढियो और कुरीतियो का बोलवाला है । ए दिन समाज की वलिवेदी पर हजारो मासूम लडकियो की होती है - दहेज के नाम पर, प्रदर्शन के नाम पर, तिलक, वीटी आदि के नाम पर । दहेज कम देने पर वेचारी लड़की को ससुराल वालो की ग्रोर से नाना प्रकार की यातनाएं दी जाती है, उसे आत्म हत्या के लिये विवश कर दिया जाता है। कई लडकियो पर उनके समुराल के अहिंसकनामधारी क्रूर लोग मिट्टी का तेल छिड़क कर जला देते हैं । यह मानव हत्या को प्रेरित करने वाली दहेज-पिशाची क्या
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है वह उस के जैसा ही है सोचने-समझने और निर्णय करने की क्षमता इस दिमाग में भी उतनी ही है जितनी खुद उसके दिमाग में है, और इसीलिए पुरुषों के एकक्षत्र अस्तित्व के लिए यह जरूरी हो जाता है कि औरत को दबाबों में रखकर उसके दिमाग को लगभग नकारा सिद्ध कर दिया जाये । दिमाग को निष्क्रिय करना आसान काम नहीं इसलिए जरूरी था उसका रुख दूसरी ओर मोड़ देना तथा औरत को उसकी शारीरिक सीमाएँ समझा कर अपनी सरपरस्ती में लेना और फिर उसे एक सजीधजी, आज्ञाकारी, अच्छी भली सी छवि में कैद रहने को विवस कर देना । भारतीय समाज में जिसे बार-बार देवी कहा गया है। यह देवी है जिसने तमाम अधिकार पुरुष के हाथों में सौंप कर अपने लिए परिवार में एक सुविधाजनक जगह बनायी है। यह देवी अपने लिए बनायी हुई सीमाओं को नहीं लांघ सकती है क्योंकि ऐसा करते ही वह अपने 'देवी' पद से नीचे आ जायेगी। वह वहीं तक देवी रह सकती है, जहाँ तक पुरुष चाहे । औरत को बहुत तरह से बहलाया गया है, उसे अहसास दिलाया गया कि घर पूरी तरह से उसके हाथ में है, गृहस्थी संचालन कितना महत्वपूर्ण काम है। बच्चों की देखभाल करना यानी उनका भविष्य संवारना परन्तु उनके भविष्य संवारने में उसका खुद का वर्तमान कहाँ होता है? उसकी खुशियाँ, उसकी इच्छा, आकांक्षाएँ सब त्याग के बहलावे में खत्म कर दी जाती है। जिसे बेटी को पढ़ाने लिखाने में औरत अपना वर्तमान हाम कर देती है, इतने त्याग और मेहनत से बड़ी हुयी बेटी को फिर समझा दिया जाता है कि
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अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंका के बीच भारत ने अपने विमानों को ईरान के एयरस्पेस से नहीं गुजारने का फैसला लिया है। नागर विमानन महानिदेशालय (जीडीसीए) ने फैसला किया है कि भारतीय विमान ईरान के एयरस्पेस से गुजरने से परहेज करेंगे। नई दिल्लीः अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंका के बीच भारत ने अपने विमानों को ईरान के एयरस्पेस से नहीं गुजारने का फैसला लिया है। नागर विमानन महानिदेशालय (जीडीसीए) ने फैसला किया है कि भारतीय विमान ईरान के एयरस्पेस से गुजरने से परहेज करेंगे। जीडीसीए ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने ऑल इंडिया ऑपरेटर्स साथ सलाह के बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए ईरानी हवाई क्षेत्र के तनातनी के कारण प्रभावित हिस्से का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया है। निदेशालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक एयरलाइन्स फ्लाइट्स के मार्ग का फिर से निर्धारण करेंगी। एयर इंडिया के अश्वनी लोहानी ने कहा है कि निदेशालय की सलाह पर अमल करते हुए फ्लाइट्स के मार्ग का पुनर्निर्धारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की फ्लाइट्स पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की क्वांटस, ब्रिटिश एयरवेज, नीदरलैंड्स की केएलएम और जर्मनी की लुफ्तांसा भी उस क्षेत्र में उड़ान से पहरेज करेंगी। वैश्विक एयरलाइंस को दिशानिर्देश मुहैया कराने वाली कंपनी ओपीएस ग्रुप ने चेतावनी देते हुए कहा, 'किसी नागरिक विमान को दक्षिणी ईरान में मार गिराने का खतरा वास्तविक है। ' वहीं FAA (द फेडरल एविएशन ऐडमिनिस्ट्रेशन) ने कहा कि उसकी चेतावनी तेहरान फ्लाइट इंफर्मेशन रीजन के क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है। एफएए ने कहा, 'क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां और राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है जो कि अमेरिकी नागरिक उड़ानों के लिए अनजाना जोखिम उत्पन्न करता है और यह गलत पहचान का खतरा उत्पन्न करता है। '
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मुंबई। एशिया की तीसरी मोस्ट सेक्सी वुमन का खिताब पाने वाली निया शर्मा टीवी की बोल्ड एक्ट्रेससे में से एक मानी जाती हैं। जीटीवी के टीवी शो 'जमाई राजा' में सीधी-साधी दिखने वाली निया शर्मा असल जिंदगी में बेहद बोल्ड और बिंदास हैं। लेकिन इस बार निया का जो वीडियो सामने आया है उसमें वो अपनी को-एक्ट्रेस को किस करती नज़र आ रही हैं। निया के इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर धमाल मचा दिया है। ये वीडियो विक्रम भट्ट की नई वेब सीरिज 'ट्विस्टेड' का है, जो एक मर्डर मिस्ट्री है। इसमें निया ने जमकर बोल्ड सीन्स दिए हैं। निया इसमें अपनी फीमेल को-स्टार के साथ लिप-लॉक करती हुई भी नज़र आ रही हैं। इस बेब सीरिज में वे आलिया नाम की लड़की का किरदार निभा रही हैं। इस वेब सीरिज का एक ट्रेलर सोशल मीडिया मे तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने अपनी फीमेल को-स्टार के साथ बेड सीन्स भी किए हैं। फीमेल को-स्टार के साथ ऐसे सीन्स करने को लेकर निया का कहना है कि वो कुछ अलग करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ऐसे रोल के लिए हांमी भरी। बोल्ड सीन्स करने पर उनका कहना है कि ये स्क्रिप्ट की डिमांड थी। वेब सीरिज के इस एपिसोड का नाम है 'आईज ऑन देम' है। निया शर्मा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और अक्सर अपनी बोल्ड और सेक्सी फोटोज़ और वीडियोज़ पोस्ट करती रहती हैं।
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ओल्गा ग्लैत्स्की के बाद, जो कि सेवरडलोव्स्क क्षेत्र के युवा नीति विभाग के प्रमुख थे, ने घोषणा की कि हमारे राज्य में युवा पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं है, और सत्तारूढ़ संयुक्त रूस पार्टी के प्रतिनिधियों सहित अन्य अधिकारियों ने उनकी राय का समर्थन किया। गंभीर चर्चा। इस चर्चा में भाग लेने वाले इस सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैंः "रूस में कौन किसी पर अधिक बकाया है? लोगों को शक्ति या इसके विपरीत? " इस तथ्य के बावजूद कि अधिकारियों और लोगों के बीच संबंधों को वर्तमान कानून द्वारा विनियमित किया जाता है, इस समस्या का समाधान केवल तभी संभव है जब अधिकारियों को अपने नागरिकों के लिए सम्मान है (क्या यह यथार्थवादी है? ), और लोग उनमें केवल नकारात्मक विशेषताओं को देखना बंद कर देंगे और सब कुछ अनदेखा नहीं करेंगे? सकारात्मक हमारे देश में क्या हो रहा है (एक सवाल भी)। आपसी सम्मान प्राप्त करने के लिए, आपसी विश्वास लौटना आवश्यक है। इन आवश्यक घटकों के बिना, हमारा देश बहुत आसानी से एक और अशांति के रास्ते पर धकेल दिया जाता है, जो हाल के दशकों की सभी उपलब्धियों को एक झपट्टा मार देगा। और हमने उनमें से बहुत कुछ संचित किया है, जो काफी स्पष्ट है, यदि आप अपना ध्यान केवल नकारात्मक पर केंद्रित नहीं करते हैं। वीडियो के लेखक इस मुद्दे को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
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मनोरमा चौधरी, तेरे पाँव पड़ती हूँ । शीघ्र नाव खोल दे । मेरे प्राण खिंचे चले जाते हैं । माँझी क्या इनाम मिलेगा? जो त माँगे। माँझी आप ही कह दें, गँवार क्या जानूँ, कि रानियों से क्या चीज माँगनी चाहिए। कहीं कोई ऐसी चीज न माँग बैठूं, जो आपकी प्रतिष्ठा के विरुद्ध हो? मनोरमा मेरा यह हार अत्यन्त मूल्यवान है। मैं इसे खेवे में देती हूँ। मनोरमा ने गले से हार निकाला, उसकी चमक से माँझी का मुख-मंडल प्रकाशित हो गया वह कठोर, और काला मुख, जिस पर झुर्रियाँ पड़ी थी । अचानक मनोरमा को ऐसा प्रतीत हुआ, मानों संगीत की ध्वनि और निकट हो गयी हो। कदाचित कोई पूर्ण ज्ञानी पुरुष आत्मानंद के आवेश में उस सरिता-तट पर बैठा हुआ उस निस्तब्ध निशा को संगीत- पूर्ण कर रहा है। रानी का हृदय उछलने लगा। आह! कितना मनोमुग्धकर राग था ! उसने अधीर होकर कहा अब देर न कर, नाव खोल, मैं एक क्षण भी धीरज नहीं रख इस हार हो लेकर मैं क्या करूँगा? मनोरमा सच्चे मोती हैं । माँझी यह और भी विपत्ति हैं माँझिन गले में पहन कर पड़ोसियों को दिखायेगी, वह सब डाह से जलेंगी, उसे गालियाँ देंगी। कोई चोर देखेगा, तो उसकी छाती पर साँप लोटने लगेगा । मेरी सुनसान झोपड़ी पर दिन-दहाड़े डाका पड़ जायगा। लोग चोरी का अपराध लगायेंगे। नहीं, मुझे यह हार न चाहिए । मनोरमा तो जो कुछ तू माँग, वही दूँगी । लेकिन देर न कर । मुझे अब धैर्य नहीं है। प्रतीक्षा करने की तनिक भी शक्ति नहीं हैं। इन राग की एक-एक तान मेरी आत्मा को तड़पा देती है। इससे भी अच्छी कोई चीज दीजिए । अरे निर्दयी! तू मुझे बातों में लगाये रखना चाहता हैं मैं जो देती है, वह लेता नहीं, स्वयं कुछ माँगता नही । तुझे क्या मालूम मेरे हृदय की इस समय क्या दशा हो रही है। मैं इस आत्मिक पदार्थ पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर सकती हूँ। और क्या दीजिएगा? मनोरमा मेरे पास इससे बहुमूल्य और कोई वस्तु नहीं है, लेकिन तू अभी नाव खोल दे, तो प्रतिज्ञा करती हूँ कि तुझे अपना
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(www. arya-tv. com)उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर जबरदस्त राजनीति हो रही है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार की घेराबंदी में जुट गए हैं। लखनऊ एयरपोर्ट से राहुल गांधी सीतापुर के लिए रवाना हो गए हैं। वहां से वह प्रियंका गांधी के साथ लखीमपुर खीरी जाएंगे। लखीमपुर खीरी जाने कोशिश कर रही प्रियंका गांधी को सीतापुर में हिरासत में रखा गया है। इससे पहले राहुल लखनऊ एयरपोर्ट पर ही धरने पर ही बैठ गए थे। उनका आरोप था कि पुलिस उन्हें अपनी गांड़ी में ले जाना चाहती है। कांग्रेस नेता के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी मौजूद हैं। यूपी सरकार ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा तीन अन्य लोगों को लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दी है। इससे पहले वहीं, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की है। टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर ही किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। लखीमपुर खीरी की घटना पर एडीजी (क़ानून-व्यवस्था), उत्तर प्रदेश प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्य सरकार का स्पष्ट निर्देश था कि किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्शा न जाए और पूरे पारदर्शी तरीक से कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार ने अब पांच-पांच के समूह में लोगों को लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दे दी है। दरअसल, राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए पाबंदी लगाई थी, किसी आंदोलन को रोकने के लिए नहीं। लेकिन अब जो शख्स वहां जाना चाहता है, वो जा सकता है। विपक्षी दलों द्वारा लखीमपुर खीरी जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि लखीमपुर आपको जाना है तो कुछ दिन बाद चले जाइएगा। आप दुखद परिवारों से मिलें इसमें कोई आपत्ती नहीं है, लेकिन माहौल बिगाड़ने के लिए ईजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण हो जाए तो उनको जाने दिया जाएगा। लखीमपुर खीरी घटना पर एडीजी एसएन सबत का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई चल रही है। हमारे पास बहुत सारी तस्वीरें हैं और हमने मीडिया से भी कहा है कि अगर किसी के पास वास्तविक तस्वीर है तो वो हमें उपलब्ध कराएं ताकि वो तस्वीरें हमें जांच में काम आए।
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वाज्वल्यमाना फाक्षी मन्यो परा । यन्नामित त्रिपु येकेषु सौन्दर्यमपि इत्रचित् ॥ दघौ तद्रूपमतुलौं सर्वेषामयिक ं परं । यत्रास्ते मगवान् देगे देवदेवो महेश्वरः ॥ समागता क्षणेनव नतः सा परमेश्वरी । ददर्श हृदये धम्मोः खाणं परमेश्वरी ॥ उवाच या महादेव क्रोघेन महताहता । कृतमत्त्व महादेव मया व समयः कृतः ॥ सत्त्व सचिद्रवान् देव किस परमेश्वर का विवाह हृदये स्थान दस मया शिव ।। वचतम्याः हम्य परमेश्वरः । गिरा ।। नाद तो कत्याणि नाई समग्रल पदः । हृदयेने या हटा वच्छाया नात्र संशयः ॥ ध्यान महामागे ज्ञान । स्वच्छाया सेव देवेशि ततः सुम्यामजत परा ।। उवाच परमेधान देवदेव महेश्वरं । परेण समान जगदीश जगन्मय । का छाया हृदि दृण ना तन्महि गम्पते ॥ प्रमोशन । महादेवः प वान समावेन देवदेव' मनातनः ।। यान्त्रिमुरूप श्रेष्ठ । लात् स्वर्गे च मयं च पाता पार्वति । सुन्दरी पनी श्रोध पाता त्रिपुरसुन्दरी । सदा या विख्याता पोढशी व्रतः ॥ कार्या हद मेऽया भीता मुरेश्वरि । तस्मात् सा त्रिषु लोकेषु यता त्रिपुरभैरवी यावस्या भगवस्याथ मुखचिता कृणमयी । ततस्तां भुवनेशान राजगनेश्वरी विदुः ॥ या चोप्रतारिणी प्रोक्का याच दिकरवासिनी । घाटलिनकान्तारा म्याता मंगलचण्डिका कौषिकी देवदूती व याथान्यामूर्त्तयः स्मृता । याख्याता भुवनेशानी तस्या मेदानेरुघा ।। दश माहविद्या त्रिपुटा अचदुर्गा व वनदुर्गा त्रिी । कात्यायनी महिमो दुर्गा पनदेवता ।। श्रींगमदेवता प्रस्तारिणी च लेनी । देवी गृहास्दा मेघा राया म कृरित ।। कमिनाथ समान तामा वैशय नाग्द । विस्तार के दिन मुने ॥ जिस समय गएर रसपोय के नाम-शिव पर वाम करते थे, सम समय इन्टने उनका स्तव करनेके लिए प्राओको मेजा था। अप्राधेने पा कर जहाँ तक हो मका खूब म्नव किया। इस पर महादेवजो सन्तुष्ट हो कर बोले थे, पुरुषका प्रतिथि पुरुष है, प्रोका अतिथि श्री है। इस कारण तुम लोग कामीके निकट डायो । इतना कह कर महा देव तो रमणीयपुर चले गये और अभो परमदुलभ प्रोति मात कर वापस आई । महादेवने यह वृत्तान्त कामोम का। इस पर काली बहुत चिन्ता करने लगों और कालाहयका परित्याग कर गुह गौरा हो गई। महादेव भी काली काला कह कर चिहाने लगे महादेवने मन्तःपुरकर अब तालोको नहीं देखा, तम वे वहीं रहने लगे। किसी समय नारदजा वहा जा प महादेवने नारटक गरिबी थाप हायसे अथ कर उनका खूब सरकार किया और तरह तरहका बातप्रोत का । नारदने महादेवमे पूछा, 'कालविनामिनो काला पापको छोड़ कर कड़ां चनो गई है ? महादेवने कहा, 'कालो पर अन्तर्हिस हो गई है । यह सुन कर नारदजी बहुत खुध हुए। उन्होंने अपने ध्यानचक्षुमे देखा कि सुमेरुकं उत्तरपाल में मशदेवो भवस्थान करता है। इस पर नारद महामायाक पास गये और उन्हें प्रयास कर वहीं रहने लगे। मा देवीनं नारदमे पूछा, 'महादेव मेरे बिना किस प्रकार रहते हैं, उनका कुशल मम्वाद हमें कहो ।' इस घर नारदजोन कहा, 'हे गिरिसुते । देवटॅव महादेव परम विहार के लिए उद्योग कर रहे हैं, आप उन्हें रोकिये ? यह सुन कर देवा वहुत पिगड़ों और उनका भाँखे लाल लाल हो गई। तब देवीने दूसरा रूप धारण किया । उन्होंने जेमा मोन्दर्य धारण किया, जैसा तोनों लोकोंमें
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संदर्भ (स.) प्रेम जॉन डिलिंगर के जीवन में समय से पूर्व आएगा और जब यह आएगा, तो जॉन डिलिंगर के ऊपर काफी जोशीला प्रभाव डालेगा। लेकिन बड़ी ज्वालाएं शीघ्र बुझती हैं, अर्थात् अन्तिम प्रेम प्राप्त करने पूर्व कई बार विफल होंगे। सम्भवतः जॉन डिलिंगर का विवाह शीघ्र नहीं होगा, तथापि यह सुखद होगा। सबसे ऊपर जॉन डिलिंगर अत्यधिक कार्य और अत्यधिक चिन्ता से दूर रहें। जॉन डिलिंगर इन दोनों से ग्रसित हो सकते हैं, जॉन डिलिंगर की प्रकृति इस प्रकार है कि जॉन डिलिंगर के लिये ये खासे खतरनाक हैं। पर्याप्त नींद लें व ध्यान रखें कि सोते समय अधिक न सोचें। अपने मस्तिष्क को विचार-शून्य रखने का यत्न करें। यदि सम्भव हो तो सप्ताहान्त को आराम के लिये प्रयोग करें, न कि सप्ताह के शेष कार्यों को निपटाने में। अत्यधिक उत्तेजना निश्चित तौर पर जॉन डिलिंगर के लिये खराब है व जल्दबाजी जॉन डिलिंगर के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा खराब है। अतः जॉन डिलिंगर शान्तिपूर्ण जीवन जीने का प्रयास करें। जॉन डिलिंगर को फालतू चिन्ता नहीं करनी चाहिए। जॉन डिलिंगर को तीस की आयु के बाद अनिद्रा,न्यूरेल्जिया, सरदर्द, नेत्र-तनाव आदि रोग हो सकते हैं। पठन, चित्रकारी, नाटक और इसी तरह के समय बिताने के वेतरीके, जिसमें कलात्मक व साहित्यिक सोच की आवश्यकता हो; जॉन डिलिंगर के दिमाग में घरकरेंगे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा, यदि जॉन डिलिंगर के अन्दर आध्यात्मिकता या पराविद्याके प्रति रुचि जागृत हो। यात्रा से जुड़ी सभी वस्तुएं जॉन डिलिंगर को आकर्षित करतीहैं, चाहे वह ज़मीन हो, समुद्र या हवा हो। क्रिकेट एवं फुटबाॅल जैसे खेलों के लिये जॉन डिलिंगर के पास बहुत कम समय होगा। यद्यपि, जॉन डिलिंगर के पास टेबिल-टेनिस, कैरम,बैडमिण्टन जैसे 'इन्डोर' खेलों में जॉन डिलिंगर की अभिरुचि होगी।
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देश के विकास के लिए अधिकाधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। बिजली पर हमारी बढ़ती निर्भरता के कारण भविष्य में ऊर्जा व्यय और भी बढ़ेगा। तो इतनी ऊर्जा आएगी कहां से? सब जानते हैं कि धरती पर कोयले और पेट्रोलियम के भंडार सीमित हैं, ये ज्यादा दिनों तक हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। इनसे प्रदूषण भी होता है। लिहाजा, वैज्ञानिक लंबे समय से एक ऐसे ईंधन की खोज में हैं जो पर्यावरण और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाए बगैर हमारी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करने में सक्षम हो। वैज्ञानिकों की यह तलाश नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूजन) पर समाप्त होती दिखाई दे रही है। नाभिकीय संलयन प्रक्रिया ही सूर्य और अन्य तारों की ऊर्जा का स्रोत है। जब दो हल्के परमाणु नाभिक जुड़ कर एक भारी तत्त्व के नाभिक का निर्माण करते हैं तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। वैज्ञानिक कई वर्षों से सूर्य में संपन्न होने वाली संलयन क्रिया को पृथ्वी पर कराने के लिए प्रयासरत हैं, जिससे बिजली पैदा की जा सके। अगर इसमें सफलता मिल जाती है तो यह सूरज को धरती पर उतारने जैसा होगा। हालांकि लक्ष्य अभी दूर है, मगर चीनी वैज्ञानिकों की इस दिशा में हालिया बड़ी सफलता ने उम्मीदें जगा दी हैं। चीन के हेफई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंसेज के मुताबिक चीन अपने नाभिकीय विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के जरिए सूर्य की तरह का एक ऊर्जा स्रोत बनाने का प्रयास कर रहा है।
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भोरंज -राष्ट्रीय किसान संगठन के दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय किसान अवासीय सम्मेलन में किसानों की समस्याओं और उनकी मांगों पर गहन विचार-विर्मश करके कई प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से किसान के हितों के लिए ठोस व तर्कशील नीति बनाने की मांग की तथा किसानों के हितों की अनदेखी पर देशभर में आंदोलन करने की चेतावनी दी। सम्मेलन के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए रविवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय किसान संगठन के अध्यक्ष शिव देव सिंह ठाकुर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों की हितों की रक्षा के लिए सरकारों से आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान कृषि बीमा योजना किसानों के हितों के अन्याय है। कृषि बीमा योजना में बदलाव करके प्रत्येक किसान का व्यक्तिगत बीमा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रति माह आठ हजार रुपए पेंशन देने की व्यवस्था की जाए। इसके आलाव किसानों का ब्लॉक स्तर पर फ्री मेडिकल जांच कैंपों का अयोजन किया जाए। सम्मेलन के अंतिम दिन देशभर में बढ़ती बेसहारा पशुओं की संख्या पर चिंता प्रकट की गई। इस दौरान राष्ट्रीय महामंत्री देशराज मोदगिल, सचिव कुबेर सिंह ने पंचायत स्तर पर गोशालाएं खोलने की मांग को उठाया। हिमाचल के प्रदेशाध्यक्ष हंसपाल ने हिमाचल प्रदेश में दो दिवसीय सम्मेलन करने पर आभार प्रकट किया। किया। इस दौरान प्रदेष उपाध्यक्ष डा. रमेश डोगरा, महासचिव बाल कृष्ण शास्त्री, सरला शर्मा, राजीव कुमार, मनोज कुमार, रमेश चंद, कै. किशोरी लाल, भगत राम, जगदीश चंद, प्रेम कुमार, मस्त राम, मलकीयत सिंह, चमन राही, आरआर शर्मा, उमेश दत्त, संजीव कुमार, कर्म सिंह, रतन लाल स्वामी राव, बीडी शर्मा, विजय सिंह, नंद लाल, हंस ठाकुर, संतोश कुमारी, सरीता देवी, शारदा देवी, नंद लाल शर्मा, प्रकाश चंद, रूप लाल ठाकुर, सोहन लाल व राम लोक, ज्ञान चंद व अन्य रहे।
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Makeup Tips for Working Women : आज के समय में ज्यादातर महिलाएं वर्किंग होती हैं। वो घर और अपने काम को बेहद अच्छे से संभालती हैं। अगर ऑफिस की बात करें तो महिलाएं अपने दफ्तर में हमेशा फॉर्मल आउटफिट पहन कर आती हैं। दिक्कत तब सामने आती है जब ऑफिस वाले शिफ्ट खत्म होने के तुंरत बाद ही पार्टी रख देते हैं। ऐसे में महिलाओं को तैयार होने का समय ही मिल नहीं पाता। कोई भी लड़की कभी अपनी पूरी मेकअप किट को लेकर ऑफिस नहीं आती, पर कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आप अपने बैग में रख सकती हैं। आज के लेख में हम आपको कुछ ऐसे मेकअप प्रोडक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप लगाकर झटपट पार्टी के लिए तैयार हो सकती हैं। इसके लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। ऑफिस के बाद इन चीजों के इस्तेमाल से आप पार्टी में जलवा बिखेरने को तैयार हो सकती हैं। ऑफिस के बाद पार्टी में जाने के लिए सबसे पहले फाउंडेशन लगाएं। ये आपके मेकअप का बेस बनाने का काम करता है। इसके लिए सबसे पहले चेहरा साफ करें और फिर उसके बाद फाउंडेशन अप्लाई करें। फाउंडेशन का इस्तेमाल अपनी स्किन के अनुसार ही करें। फाउंडेशन लगाने के बाद कंसीलर के इस्तेमाल से अपने चेहरे के दाग-धब्बे छुपाएं। इसके बाद चाहें तो चेहरे पर ट्रांसलूसेंट पाउडर लगा लें। आंखों पर मेकअप अप्लाई करने के लिए सबसे पहले आईलाइनर लगाएं। अगर हमारी राय मानें तो व्हाइट कलर का लाइनर पार्टी के लिए सबसे होता है। आंखों में लाइनर लगाने के बाद आप काजल लगा सकती हैं। इससे आपकी आंखों की सुंदरता और ज्यादा बढ़ जाएगी।
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विकास गुप्ता और अर्शी खान के फैंस के लिए बुरी खबर है. बिग बॉस में शुरू हुई इन दोनों की फ्रेंडशिप टूटने की खबरें आ रही हैं. ट्विटर पर विकास गुप्ता के एक ट्वीट से तो यही नजर आता है कि दोनों की दोस्ती में खटास आ गई है. इसकी वजह शिल्पा शिंदे बताई जा रही हैं. चलिए बताते हैं क्या है माजरा. . दरअसल, हाल ही में विकास का बर्थडे था. उन्होंने टीवी इंडस्ट्री के कई फ्रेंड्स के लिए शानदार पार्टी रखी. जिसमें अर्जुन बिजलानी, प्रियांक, बेनाफ्शा, दीपिका कक्कड़, शोएब इब्राहिम जैसे कई सितारे शामिल हुए. पार्टी में विकास की करीबी दोस्त अर्शी नजर नहीं आईं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर फैंस ने हैरानी जताई. अब इस मामले में विकास ने एक ट्वीट कर अपनी बात सामने रखी है. उन्होंने लिखा- सभी अर्शी और विकास के फैंस के लिए जिनकी ट्रोलिंग जारी है. मैंने अर्शी को अपनी पार्टी में इंवाइट किया था लेकिन उन्होंने नहीं आने का फैसला किया. वे मुझसे इस बात पर नाराज थी कि मैंने कुछ बर्थडे मैसेज का जवाब दिया. इसलिए अर्शी ने मुझे ब्लॉक कर दिया और मेरी मम्मी को भी. जिसके बाद मैंने भी ऐसा ही किया. बता दें, जिस शख्स के मैसेज करने पर अर्शी इतना नाराज हो रही हैं, वे शिल्पा शिंदे ही नजर आती हैं. सभी जानते हैं कि अर्शी-शिल्पा के रिलेशन अच्छे नहीं हैं. बिग बॉस के घर से बाहर आने के बाद दोनों ने एक-दूसरे पर खूब टिप्पणी की. शिल्पा ने ट्विटर पर विकास को फनी अंदाज में बर्थडे विश किया था. वीडियो में शिल्पा ने कहा, गुप्ता जी जूस पिएंगे क्या. आज तो पूछना ही पड़ेगा कि केक खिलाएंगे क्या. Happy birthday Guptaji ! ! ! शिल्पा के वीडियो का विकास ने भी जवाब दिया. उन्होंने लिखा- थैंक्यू शिल्पा जी. जूस, केक, सब खा जाऊंगा और खिलाऊंगा भी. आपने अब तक हमें बिग बॉस जीतने की पार्टी नहीं दी. ये बहुत गलत बात है.
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तोरपा (खूंटी), जासं : रांची से सटे खूंटी जिले के तोरपा थाना क्षेत्र के चुरगी मोड़ के पास बुधवार को सड़क दुर्घटना में दो बच्चे सहित चार लोगों की मृत्यु हो गई है। सभी लोग एक सफेद रंग की इनोवा कार से पश्चिम बंगाल के रानीगंज से ओडिशा के राउरकेला जा रहे थे। मृतकों में पति, पत्नी और दो बच्चे शामिल हैं। इनोवा कार चला रहे वशिष्ठ जैन और कार पर सवार एक लड़की वंशिका गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। दोनों की नाजुक स्थिति को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स रांची रेफर कर दिया गया है। मृतकों की पहचान कन्हैया जैन व उसकी पत्नी रमा जैन के रूप में की गई है। उनके साथ उनके दो बच्चे सात वर्षीय ऋषभ जैन व तीन वर्षीय बेटी नित्या जैन की भी दुर्घटना में मृत्यु हो गई। सभी राउरकेला के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि सभी रानीगंज से वापस अपने घर राउरकेला लौट रहे थे। इसी दौरान चुरगी मोड़ के पास उनका वाहन अनियंत्रित होकर गहरे गड्ढे में गिर गया। इस दुर्घटना में घटनास्थल पर ही चारों की मृत्यु हो गई। दुर्घटना के बाद सभी लोग वाहन के अंदर ही फंसे रह गए थे। हादसे के बाद आसपास के लाेग मौके पर पहुंचे और शवों को बड़ी मशक्कत के बाद गाड़ी से बाहर निकाला।
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चंबा-उपायुक्त विवेक भाटिया ने कहा कि जिला चंबा में कोरोना सैंपलों की जांच जल्द शुरू होगी। उपायुक्त ने बुधवार को सरोल स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कालेज चंबा के माइक्त्रोबायोलोजी विभाग के तहत पीसीआर लैब में कोरोना के सैंपल की जांच को लेकर स्थापित किए गए विभिन्न उपकरणों और व्यवस्थाओं का निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि इस लैब के क्रियाशील होने से जिले में कोरोना सैंपलों की एग्रेसिव टेस्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, जिस कारण आगामी एक्शन प्लान के निर्धारण में सुविधा रहेगी। उन्होंने बताया कि इस पीसीआरलैब में दो थर्मोसाइकिलर मशीनों के माध्यम से टेस्ट किए जाएंगे। प्रतिदिन लगभग सौ से अधिक सैंपल टेस्ट किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि जिला से जांच सैंपल आईएचबीटी पालमपुर और मेडिकल कालेज टांडा भेजे जाते थे, जिसमें जांच प्रक्रिया के दौरान अधिक समय लगता था। जिला में प्रक्रिया आरंभ हो जाने से जांच की रफ्तार बढ़ेगी। इस दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल डा. पुरुषोत्तम पुरी ने लैब में स्थापित किए गए आधुनिक यंत्रों की कार्यप्रणाली से उपायुक्त को अवगत करवाया। एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी डा. शशिधर ने आने वाले सैंपलों की संपूर्ण जांच प्रक्रिया की जानकारी भी प्रदान की। इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कालेज चंबा दीप्ति मंढोत्रा और सहायक आयुक्त राम प्रसाद भी मौजूद रहे।
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Shivling Abhishek In Sawan: शिव भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत ही खास होता है, क्योंकि ये पूरा महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस माह में शिव भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं। पूजा-पाठ और व्रत से लेकर इस माह में अभिषेक करने तक का विधान है। क्योंकि शंकर जी को उनका अभिषेक करना बहुत पसंद है और जो भी व्यक्ति ये करता है उस पर शिवजी प्रसन्न होते हैं और उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं किन-किन चीजों को अभिषेक में शामिल करने से भोले खुश होते हैं। - अगर आप भी सावन के महीने में शिवजी की पूजा के दौरान इनका अभिषेक करने जा रहे हैं तो उनको प्रिय कुछ चीजों को जरूर शामिल करें। - सावन के महीने में अगर आप दूध और दही से अभिषेक करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है। - अगर आप शिवजी के अभिषेक में शहद को शामिल करते हैं तो जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती है। साथ ही शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं। - अगर आप किसी तनाव से घिरे हुए हैं तो आपको सावन में इत्र से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। इससे आपके जीवन में शांति आती है। - ऐसी मान्यता है कि घी से अभिषेक करने से आपको अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। - शिवजी को गंगाजल बहुत ही प्रिय है। ऐसे में अगर आप सावन में गंगाजल से शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। इससे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। - सावन में पंचामृत से शिवजी का अभिषेक करना बहुत ही शुभ फल देता है। - कहा जाता है कि सावन महीने में गन्ने के रस से किया गया अभिषेक बहुत ही शुभ फल देता है। Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
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विशुद्ध ज्ञानस्वरूपको लिए हुए हूँ । यह श्रद्धा करना आवश्यक है । तो ऐसा ही उपयोग निरन्तर बनाये, क्योकि वह उपयोन अगर यहा नही रमता है और उपयोग बाहरी पदार्थोमे रमता है तो वहा सिवाय क्लेशके और कुछ नहीं है । जहा क्लेश है वहा कर्मबन्धन है, जहाँ प्रानन्द है वहा कर्मबन्धन नही है श्रानन्दकी सुखदुःखातीतता - भैया ऐसा भी कहे तो कोई हर्ज नही ससारके सुखमे भी क्लेश ससारके दु खमे भो क्लेश, इसलिए सासारिक सुख को भी क्लेश और दुखको भी क्लेशके खातेमे जमा करै । सासरिक सुखको आनन्द खातेमे जमा मत करे । वह आनन्द नही मानन्द तो आत्मदर्शन, स्वभाव र रमण मे यहा जो एक परम आत्मानुभव ॠ सहज आल्हाद उत्पन्न होता है उत्कृष्ट विलक्षण, किसीके पूर्ण है किसी के कम है, वह कहलाता है आनन्द । उस आनन्द से कर्म भड़ते है । कष्टसे कर्म नही झडते । जैसे लोगोकी मह दृष्टि बन गई कितप करनेमे कष्ट है और बेकार चीज है, उससे लाभ नहीं है, अरे जो व्रत तप करते हुए कष्टका अनुभव करता हो बात सही है, उससे लाभ नहीं है किन्तु व्रत तप करते हुएमे जो अपने भीतर आनन्द मानता हो, ज्ञानदृष्टिकी तृप्ति मानता हो वह मानन्द तो कर्मनिर्जराका कारण होता है । उपवासका क्या महत्त्व है, इस बातको वह ही तो समझ सकेगा जो ज्ञानपूर्वक उपवास रखता है उसका ऐसा चित्त होता है, ऐसा मन होता है कि जिसे उससमय एक बहुत अच्छा वातावरण मिलता है बल, तय आदि सम्यक्त्व बिना भी करे कोई तो भी पाप बन्ध बराबर हो न होगा । पापसे जो हानि है उससे तो बच जायगा, औौर, सम्यक्त्वसहित व्रत, तय, सयम बने तो वह मोक्षमार्ग पर चलेगा, उसमे मुक्तिका मार्ग बनेगा । तो देखिये बात है अपने आपको ज्ञानमात्र अनुभव करनेकी मैं ज्ञानस्वरूप हूँ, मेरेमे इ छा नही, इच्छा मेरा स्वरूप नही, उच्छा ही, परिग्रह है इच्छा ही बन्धका कारण है । मेरे किसी भी बाह्य पदार्थमे इच्छा नही है । यह बात तब बनती है ना जब यह ज्ञान आाजाय कि मेरा परसे सम्बन्ध नही, पर परमे है, मैं मुझमे हूँ, परका मैं कर्ता नही, परका मैं भोक्ता नही । मैं तो अपने आपकी वस्तुमे परिणमन करता रहता हूँ । इसके सिवाय दूसरी बात है ही नही यहा पर, ऐसी जिसकी श्रद्धा हो वह ही इच्छापर विजय प्राप्त कर सकता है । तो जिसको ऐसा अपने भीतरका परिचय है कितना ही उसपर कर्मका उदय आये मगर वह कर्मसे लिप्त नही होता । भला सुकुमाल मुनिका शरीर स्यालिनियोने चौथा, खून निकल आया, मासकी लोयडे प्रकट हो गई, इतना होनेपर भी उपयोग निर्मल रहे, इस ज्ञानस्वभावमे ही उपयोग मग्न रहे, यह बात दूसरोको कठिन दिखती है, लेकिन जिसने इस ज्ञानस्वभावको ही प्रानीय प्रानन्द रूपमे अनुभव किया, शरीर तो यो है जैसे कि और शरीर ऐसे ही परद्रव्य जिसने
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जाह्नवी कपूर को कुछ ही समय में काफी शौहरत मिल गई है. जाह्नवी कपूर इंडस्ट्री की बेहद स्टाइलिश और फैशनेबल एक्ट्रेस हैं. जाह्नवी कपूर के फैंस उनकी स्टाइलिंग और फैशनसेंस को काफी पसंद करते हैं. जान्हवी कपूर अभी मालदीव में वेकेशन पर हैं और वहां से अपने फोटोज शेयर कर रही हैं. जान्हवी ने मालदीव से कुछ बिकिनी फोटोज भी शेयर की हैं जिस पर उनके फैंस कॉमेंट करके उनकी तारीफ कर रहे हैं. इस फोटो में जान्हवी ने स्काई ब्लू लाइनिंग वाली बिकिनी के साथ डेनिम का शॉर्ट्स कैरी किया है. गले में एक पतला सा नेकलेस और खुले बाल ने उनकी सुंदरता को बढ़ाया है. जान्हवी कपूर ने बीच लुक को पूरा करने के लिए लाइट मेकअप भी किया है. जान्हवी कपूर इस फोटो में नियॉन रंग की बिकिनी पहने हुई हैं. समुद्र पर लगे हुए झूले पर वह पोज दे रही हैं. जान्हवी कपूर ने पीले और सफेद रंग वाली प्रिंटेड बिकिनी में भी कुछ फोटोज शेयर की हैं. बिकिनी के मैचिंग का स्टॉल कमर पर बांधा हुआ है. जान्हवी कपूर ने कलर फुल स्विमिंग ड्रेस में भी फोटो शेयर की थीं. हालांकि इसकी हॉफ फोटो देखने पर वह बिकिनी स्टाइल की थी लेकिन जब पूरा फोटो देखा तो वह स्विम सूट है.
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महोबा, संवाददाता। शहर के मदन सागर में डेयरी प्लंट के केमिकल युक्त कचरा से जल प्रदूषण होने का मामला तूल पकड़ने लगा है। स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर विरोध जताया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच करा कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों का गुस्सा शांत कराया। मदन सागर के पास डेयरी प्लांट लगाया गया है। जिसका केमिकल युक्त कचरा मदन सागर में फेंका जा रहा है इसके साथ ही डेयरी प्लांट के लिए हाई टेंशन लाइन सुरक्षा नियमों को ताक में रखकर डाली गई है जिससे लोगों में खतरा मंडरा रहा है पिछले दिनों सपाईयों ने विरोध जताते हुए समस्या के निस्तारण की मांग उठाई थी। रविवार को सपा नेता योगेश यादव उर्फ योगी के नेतृत्व में छोटी चंद्रिका देवी मार्ग में दर्जनों की संख्या में नागरिकों ने सड़क जाम कर विरोध जताया। लोगों का कहना है कि बस्ती से निकाली गई हाईटेंशन लाइन लोगों को टेंशन दे रही है। डेयरी प्लांट संचालक को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग ने सुरक्षा नियमों को ताक में रखकर लाइन डाली है इसके साथ ही डेयरी का केमिकल युक्त कचरा मदन सागर के पानी को दूषित कर रहा है। आग बबूला लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया बाद में मौके पर पहुंचे मनियादेव चौकी प्रभारी शेरे आलम खान ने अधिकारियों से बात कर जांच करने का आश्वासन देकर गुस्सा शांत कराया। विद्युत विभाग के अवर अभियंता विनय सिंह ने मौके पर पहुंचकर हाईटेंशन लाइन को बस्ती से हटाकर दूसरे स्थान पर शिफ्ट कराने का आश्वासन दिया है। इस मौके पर कल्लू अनुरागी, किशारी, तुलसीदास सिंह, रामसिंह, शोभित रैकवार, पुष्पेन्द्र, खेमचंद्र रैकवार, भूपेन्द्र सहित अन्य नागरिक मौजूद रहे।
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डोनाल्ड ट्रम्प ने कॉमरेड किम जोंग उन के साथ कुछ पर हस्ताक्षर किए, व्लादिमीर पुतिन के साथ कुछ के बारे में बात की, जीन-क्लाउड जुनैकर के व्यक्ति में यूरोपीय संघ को अपने दिल में दबाया, और केवल ईरान बेचैन है। ऑस्ट्रेलियाई अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि अगस्त में, अमेरिका ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, अधिकारियों ने सर्वसम्मति से इस सनसनी का विरोध किया है। सभी संघर्ष जमे हुए हैं और कुछ के लिए इंतजार कर रहे हैं। दुनिया को गाजर की ट्रम्प नीति की आदत है, फिर गाजर, और अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त है। जर्मनी और रूस ने "नॉर्ड स्ट्रीम - एक्सएनयूएमएक्स" का निर्माण शुरू कियाः पाइपलेयर चले गए हैं। क्या संयुक्त राज्य अमेरिका यूरोपीय अभियानों पर प्रतिबंध लगाएगा? Единственное оружие США - финансовые инструменты или санкции. Но США ограничены в их применении необходимостью поддерживать функционирование долларовой финансовой системы. Она может ведь разрушиться, если финансовыми инструментами сильно размахивать. रूस यूक्रेन पर अपनी नीति बदल रहा हैः यह बड़े पैमाने पर प्रतिशोधात्मक प्रतिबंधों का परिचय देता है। शायद यह एक निश्चित रुबिकॉन है, किसी कारण से यह मेल खाता हैः रूस में, एक पूरे के रूप में आयात प्रतिस्थापन का कार्यक्रम पूरा हो गया है। रूस में फुटबॉल चैम्पियनशिप के संबंध में यूक्रेन में युद्ध नहीं हुआ, अब एक नई कहानीः क्या डोनबास में जनमत संग्रह होगा? क्या क्रीमिया संस्करण के अनुसार, रूस अपने आप जनमत संग्रह पर जाएगा? या वह पूरी यूक्रेनी पार्टी से पश्चिम जीतने के लिए खेलना जारी रखेगा? रोमनेंको जैसे यूक्रेनी सामान्य राजनेता घोषणा करते हैं कि रूस यूक्रेन में हड़ताल करने की तैयारी कर रहा है। क्या उनका मतलब आर्थिक मंजूरी की हड़ताल से है? या बालोहा की भविष्यवाणी? या रक्षा के पूर्व मंत्री और सिविक स्थिति के नेता अनातोली ग्रिट्सेंकोः "मैं गारंटी देता हूं कि राष्ट्रपति पोरोशेंको आपराधिक कार्यों के लिए परीक्षण पर जाएंगे जिन्होंने देश के लिए गंभीर परिणाम बनाए हैं। " संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष अभियोजक रॉबर्ट मुलर द्वारा अमेरिकी चुनावों में मलेशियाई "बोइंग" में आम बात है, "नोविस" एजेंट के इंग्लैंड में जहर, "पुतिन के साथ ट्रम्प की साजिश", संयुक्त राज्य अमेरिका में माशा बुटीना की गिरफ्तारी और रूस के जीआरयू के एक्सएनयूएमएक्स अधिकारियों के आरोपों का आरोप? खली इसी तरह, रूस के आरोपों की प्रकृति का प्रचार करते हैं। आज पश्चिम में, वे स्टालिन के समय में रूस की तरह मामले गढ़ते हैं। अमेरिकी विशेषज्ञ संयुक्त राज्य अमेरिका में एक नए मैकार्थीवाद के बारे में बात कर रहे हैं, अमेरिकी एक्सएनयूएमएक्स वर्ष के बारे में। पश्चिम ने सूचनाओं में अटक गए हैं और एक को भी बर्बाद नहीं किया है। वे पहले से ही पश्चिमी मीडिया में अलग हो रहे हैंः एक झूठ के पास छोटे पैर होते हैं, लंबी दूरी पर यह खुद को दूर कर देता है। कोई सबूत नहीं है। ट्रम्प सत्ता में बने हुए हैं। सनकी चुप हो गया। मलेशियाई बोइंग अभी भी जांच के दायरे में है। पश्चिमी अभियोजक पहले ही गैरबराबरी की स्थिति में पहुंच चुके हैंः वे रूस से "सबूतों को प्रकट करने" के लिए कह रहे हैं। उनके फेक के पतन में यूरोपीय विरोधी गतिविधि आरटी पर आरोप लगाते हैं। फिर कोई सबूत नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, राजनीतिक हिस्टीरिया, और हमारी स्थितिः "उकसाने के लिए नहीं, उकसाने के लिए नहीं" - केवल हिस्टीरिया को तेज करता है, मांगों के उच्चीकरण की ओर जाता है। एक शांत व्यक्ति को शांत करने के लिए, मन को अपील करने के लिए राजी करना बेकार है, अगर उसे बेतुके आरोपों को दबाने में पागल बनाने का कोई काम नहीं है। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका पूरी तरह से पागल है - यह रूस और दुनिया के हितों में संभावना नहीं है, चेहरे में एक चिकित्सीय थप्पड़ रहता है, अर्थात्, रूसी-अमेरिकी संबंधों की कमी "शून्य। " रूसी प्रतिबंधों को प्रभावी होने की आवश्यकता नहीं है, यह शानदार होने के लिए पर्याप्त है, जिसका हिस्टीरिया पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। बेशक, यह उपचार मदद नहीं कर सकता है, लेकिन कोई अन्य तरीके नहीं हैंः यह "गैर-सैन्य युद्ध" जारी रखने के लिए बना हुआ है, जो "सैन्य युद्ध" में टूट सकता है। ट्रम्प "अमेरिका में यूरोप में क्या हो रहा है इसकी अनुमति नहीं देने के लिए" निर्धारित है। किस तरह से? जर्मन डाई वेल्ट निष्कर्ष निकाला गयाः "ट्रम्प ने जर्मनी को एक सचेत नाशपाती में बदल दिया, यह सिर्फ प्रवासी नहीं है। यह एक लंबा समय है। " पश्चिमी लोकतंत्र का कार्ड हाउस ध्वस्त होता रहेगा। ट्रम्प द्वारा पैक्स अमेरीका यूरोप के बिना प्राप्त किया जाता है। यूरोप में, ट्रम्प पुतिन के बिना उबाऊ हैः साम्राज्य साम्राज्य के साथ एक संवाद चाहता है, हेलसिंकी में एक तटस्थ मंच पर बात करने में कामयाब रहा, लेकिन इससे लोकतांत्रिक उन्माद का एक नया मुकाबला भी हुआ। सिंगापुर के एक राजनयिक और दार्शनिक महबूबानी ने कहावत के साथ एक पुस्तक लिखीः "क्या वेस्टेन टेकन है? " वह पश्चिम, अर्थात् संयुक्त राज्य अमेरिका को गरिमा के साथ छोड़ने और "एक रणनीतिक चाल के लिए जाने की सलाह देता है - रूस के साथ बातचीत करने के लिए। " एक अजीब समय में, हम रहते हैं। हर कोई लोकतंत्र की कसम खाता है, ठीक वैसे ही जैसे कल हमने साम्यवाद की कसम खाई थी, पहले से ही विश्व लोकतंत्र तक पहुंच चुके हैं, लेकिन वे साम्यवाद के साथ और रूस में भी समानता को नोटिस नहीं करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतांत्रिक विशिष्टता दिखाई दी हैः वे लोकतंत्र द्वारा मापा जाता है, जिनके पास अधिक है। डेमोगोगुरी ऑर्डर की मां है, और आप यह नहीं बता सकते हैं कि लोकतंत्र कहां है, और जहां यह जनसांख्यिकी है, जुड़वां बहनें। इसलिए यह लोकतांत्रिक रूप से नए फासीवाद से दूर नहीं है। लोकतांत्रिक पश्चिम में रूस और रूस के बारे में क्या कहा जा रहा है? तो तीसरे रीच में यहूदियों के बारे में बात की।
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उज्जैन। मंगलवार को शहर में हनुमान जयंती का उल्लास बिखरा। इस अवसर पर जहां सुबह से ही मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान हुए तो वहीं शाम को बाबा बाल हनुमान मंदिर से भव्य चल समारोह भी निकाला गया। चलसमारोह का स्थान-स्थान पर स्वागत हुआ। मंगलवार की सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भव्य श्रृंगार करने का सिलसिला शुरू हो गया था तो वहीं भक्तों की भी भीड़ मंदिरों में सुबह से लेकर रात तक देखी गई। हनुमान मंदिरों में कहीं सुंदरकांड तो कहीं रामायण के स्वर सुनाई दिए तो कहीं भक्तों को नुक्ती का प्रसाद तो बांटा ही गया वहीं कई स्थानों पर भंडारे के भी आयोजन किए गए। मंगलवार के दिन हनुमान जयंती का संयोग बनने से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया, लिहाजा श्रद्धालुओं का तांता हनुमान मंदिरों में सुबह से ही दिखाई दिया। गौरतलब है कि उज्जैन धार्मिक नगरी के साथ ही मंदिरों की भी नगरी मानी जाती है। यहां बाबा महाकाल के मंदिर के साथ ही कई चमत्कारी हनुमान मंदिर भी विद्यमान है, जहां मंगलवार और शनिवार के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मंगलवार हनुमान जयंती के अवसर पर भी हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा पाठ कर हनुमान जी की मूर्ति को चोला अर्पण किया।
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मेरी दरिद्रता की दुख कथा यहा तक पहुंच गई हो, और महाराज ने मुझे कुछ देने को बुला भेजा हो, यह भी तो हो सकता है। इसी विचार से हृदय कमल खिल जाता, परन्तु फिर दूसरे विचार में मुरझा जाता। इतने मे प्रतीहार ने कहा -- महाराज आ रहे है । शिशुपाल का कलेजा धड़कने लगा । उनको ऐसा प्रतीत हुआ, मानों प्राण होठों तक आ गए हैं। राजा का कितना प्रताप होता है, इसका पहली बार अनुभव हुआ। दृष्टि द्वार की ओर जम गई । महाराज अशोक राजकीय ठाठ से कमरे में दाखिल हुए और मुस्कराते हुए बोले - ब्राह्मण देवता ! आपने मुझे पहचाना ? शिशुपाल घबरा कर खड़े हो गए। इस समय उनका रोम रोम कांप रहा था - ये वही परदेशी थे । हां, ये वही परदेशी थे। शिशुपाल कांप कर रह गये । कौन जानता था कि शीतकाल की रात को एक ब्राह्मण के यहा आश्रय लेने वाला परदेशी भारत का सम्राद हो सकता है। शिशुपाल ने तुरन्त ही अपने हृदय को स्थिर कर लिया और कहामुझे पता नथा कि श्राप ही महाराज हैं, अन्यथा इतनी स्वतन्त्रता से बात चीत न करता । महाराज अशोक बोले- हूं ! परन्तु मैंने कोई बात गलत नही कही थी।" हूं। मैं प्रमाण दे सकता हूँ।" महाराज ने कहा " मैं नहीं चाहता ।" " तो मेरे लिए क्या आशा है ?" मैं आप की परीक्षा करना चाहता हूं।" शिशुपाल के हृदय में सहसा एक विचार उठा - क्या वह सच हो जाएगा ? महाराज ने कहा- आप ने कहा था कि यदि मुझे अवसर दिया जाए तो मैं न्याय का डंका बजा दूंगा। मै आपके इस कथन की परीक्षा करना चाहता हूं । आप तैयार है ? शिशुपाल ने हंस की तरह गर्दन ऊंची की और कहा - हां, यदि महाराज की यही इच्छा है तो मैं तैयार हूं। कल प्रातःकाल से तुम न्याय मन्त्री नियत किए जाते हो । सारे नगर पर तुम्हारा अधिकार होगा ।" बहुत अच्छा !" पाटलिपुत्र की पुलीस का प्रत्येक अधिकारी तुम्हारे धीन होगा, और शान्ति रखने का उत्तरदायित्व केवल तुम्हीं पर होगा।" बहुत अच्छा ?" " यदि कोई दुर्घटना होगई अथवा कोई हत्या हो गई तो इसका उत्तरदायित्व भी तुम पर होगा।" "बहुत अच्छा ! महाराज थोड़ी देर चुप रहे और फिर हाथ से अंगूठी उतार कर बोले- यह राजमुद्रा है, तुम कल प्रातःकाल सूर्य की पहिली किरण के साथ न्याय मंत्री समझे जाओगे। मैं देखूंगा, तुम अपने आपको किस प्रकार सफल शासक सिद्ध कर सकते हो ? एक मास व्यतीत हो गया । न्याय मन्त्री के न्याय और सुप्रबन्ध की चारो ओर धूम मच गई। ऐसा प्रतीत होता था, जैसे शिशुपाल ने नगर पर जादू डाल दिया है। उन्होंने चोर डाकुओ को इस प्रकार वश में कर लिया था, जैसे सर्प को बीन बजा कर संपेरा वश में कर लेता है। उन दिनो यह अवस्था थी कि लोग दरवाज़े तक खुले छोड़ जाते थे, परन्तु किसी को अंदर झाकने का साहस न होता था । शिशु पाल का न्याय अन्धा और बहरा था, जो न सूरत देखता था, न सिफारिश सुनता था । वह केवल दण्ड देना जानता था, और दण्ड भी शिक्षा प्रद । नगर की दशा में का अन्तर पड़ गया । रात्रि का समय था । आकाश से तारे खेल रहे थे। एक पुरुष ने एक विशाल भवन के द्वार पर आवाज़ दी । झरोखे से किसी स्त्री ने सिर निकाल कर पूछा- कौन है ?
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दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ गले मिलने से मानव शरीर को पर्याप्त मात्रा में हार्मोंस मिल जाते हैं जिससे हड्डियों का दर्द कम हो जाता है और हम खुद को पहले की तुलना में जवां महसूस करने लगते हैं। जादू की झप्पी लेना-देना यानी गले मिलते रहना ढलती आयु के लोगों के लिए फिट रहने का सबसे अच्छा उपचार है। केलीफोर्निया के एक विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, लोगों से गले मिलना मानव शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों के लिए लाभदायक है जिससे लोग खुद को जवान महसूस करते हैं। इस रिसर्च के अनुसार ढलती आयु के कारण शरीर में ऐसे रसायनों की कमी हो जाती है जो हड्डियों व जोड़ों में दर्द से राहत दिलाते हैं। साथ ही गले मिलने से मानव शरीर को पर्याप्त मात्रा में हार्मोंस मिल जाते हैं जिससे हड्डियों का दर्द कम हो जाता है और हम खुद को पहले की तुलना में जवां महसूस करने लगते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि जब आप किसी को गले लगाते हैं, तो उसे सीधे-सीधे यह महसूस कराते हैं कि आप उसकी केयर करते हैं। इससे दोनों को ही फील गुड महसूस होता है। यही नहीं, हग थैरेपी से जुड़े लोगों का मानना है कि जब इंसान परेशानी या निराशा से घिरा होता है, तब उस पर बातों का कोई असर नहीं होता। वहीं, उसे गर्माहट से गले लगाने से उसका मन हल्का हो जाता है। असल में पूरे इमोशंस के साथ गले लगाने का सीधा असर दिल व दिमाग पर पड़ता है।
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पुरुष या महिलाः जिसे घर के लिए चयन करने के लिए? जब आप घर में एक छोटे से प्यारे प्राणी लाने के लिए, खुशी कोई सीमा नहीं है। लिटिल बिल्ली के बच्चे बहुत मार्मिक और मीठा कर रहे हैं। - एक बिल्ली या एक बिल्ली है जो बेहतर चयन करने के लिएः जो एक पालतू जानवर करना चाहते हैं जिनमें से एक यह कई सवाल, को जन्म देती है के लिए? यह फर्क पड़ता है? वहाँ एक अंतर है, और कुछ के लिए यह काफी पर्याप्त है। पशु पुरुषों और महिलाओं के रूप में ज्यादा के रूप में एक दूसरे के साथ सेक्स में भिन्न होते हैं। गलतियों से बचने और सही विकल्प बनाने के लिए, आप ध्यान से प्रासंगिक विशेषताओं का अध्ययन करने की जरूरत है। उसके बाद ही आप तय कर सकते हैं कि आप किसके साथ निश्चितता हो जाएगाः नर या मादा। किसे चुनने के लिए - दिल बता देंगे। इस लेख में हम बुनियादी मानकों जिसके द्वारा एक पालतू जानवर का चयन करने पर विचार - एक लड़का है या लड़की है, साथ ही बिल्ली की नस्ल के बीच संबंध का विश्लेषण, और यह एक या अन्य सेक्स के अंतर्गत आता है। किन पहलुओं पर विचार करने के लिए? ऐसा नहीं है कि samochki अधिक स्नेही और पुरुषों की तुलना में अनुकूल माना जाता है। कहा जाता है कि बिल्ली के मालिक को अधिक हलके पीले रंग का हो जाएगा, जबकि बिल्ली को सबसे अधिक बार अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करना चाहता है है। आप एक ऐसे देश के घर, जहां पशु स्वतंत्र रूप से ले जाने में सक्षम है में रहते हैं, यह पुरुष सेक्स के एक प्रतिनिधि लेने के लिए उचित है। बिल्ली एक अनियोजित वंश दिल प्रतिपादन रोता है, जो मद के दौरान महिला में पाए जाते हैं के साथ बोझ नहीं होगा लाना नहीं होंगे। इसके अलावा, पशु, neutered किया जा सकता है तो यह फर्नीचर खराब नहीं करता है और फ्लैट metilo नहीं। आज, यह करने के लिए कोई समस्या नहीं है। वहाँ कई पशु चिकित्सा क्लीनिक हैं। एक बिल्ली neutering दुगनी हो जाती खर्च होंगे, और ऑपरेशन ही और अधिक कठिन है। और यह काफी महत्व की है। पुरुष या महिलाः जो चुनने के लिए? सवाल बेकार नहीं है। एक शहर अपार्टमेंट में रहने के लिए अधिक उपयुक्त बिल्ली है। तथ्य यह है कि पुरुषों के इलाके और samochki ऐसा कभी नहीं चिह्नित करने के लिए करते हैं है। प्रकृति बिल्ली साफ और स्वच्छ, मेजबान के साथ नरम संचार। कुछ मामलों में, यह और भी ज्यादा होशियार दिखता हैः और अधिक तेजी से ट्रे के आदी, अपार्टमेंट खराब नहीं है। पकड़ो घर में बच्चे को एक खुशी है। एक बिल्ली या एक बिल्लीः कौन घर में आराम की सराहना करेंगे? किससे चयन करने के लिए और नहीं पहचाना जाना चाहिए? बिल्ली प्रकृति ऐसी है कि वे अब घर से जुड़े होते हैं, बल्कि एक व्यक्ति की तुलना में है। समाज में कम से कम वहाँ इस तरह एक राय है। वास्तव में, यह केवल आंशिक रूप से सही है। बिल्ली एक विशेष जगह पर अधिक से अधिक लगाव कहते हैं। वह एक औरत के रूप में, भट्ठी का रक्षक है। बिल्ली, कोई विस्तार अपने सभी देख आँख पारित नहीं होगा सभी घटनाओं को नियंत्रित करने के प्रयास करेंगे। बिल्ली फ्लैट से भागने या गलती से, लैंडिंग करने के लिए पर बाहर आते हैं, यदि आवश्यक कर सकते हैं। बिल्ली, सबसे अधिक संभावना है संभव के रूप में सावधानी से और विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करेगा। वह घंटे खर्च करने के लिए अपने विषयों के हितों को देखकर की क्षमता है। किट्टी अपने घर के सभी छुपे हुए छोटे कोनों का पता लगाने की तलाश करेंगे, कहीं और देखने। प्यार के मालिक, ज़ाहिर है, उसे प्रतिदान पालतू करना चाहता है। बेशक, सब बिल्ली बहुत पतली सच रवैया महसूस कर रहा है। भक्ति का प्रेम का भुगतान किया है। किसी एक परिवार के सदस्य है, तो बुरा एक पालतू जानवर को संदर्भित करता है - हमलावर या जानवर बस ध्यान नहीं अपराध प्रतिक्रिया की संभावना है। इससे पहले कि उन्हें काम नहीं slukavit: वे देखते हैं और नोटिस। कभी कभी पालतू जानवर एक विशेष व्यक्ति का ध्यान लायक करने के लिए कुछ कोशिश कर रहे हैं। पशु मूडी और यहां तक कि आक्रामक हो सकते हैं। एक आदमी के लिए अधिक संलग्न बिल्लियों। वे आसानी से स्वाद और एक प्यार करता था मालिक की जरूरतों को उनके जीवन को समायोजित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, pitomitsy unceremoniously आप सुबह में, भले ही कटोरी में भोजन पर जगा नहीं होगा, भोजन की मांग की। वह चुपचाप अपने जागृति के लिए इंतजार और पहले से ही है कि भूख दिखा। नर अधिक स्वायत्तता हैं, इसलिए लगातार मालिक के हाथ में सोख लिए जाते हैं नहीं है। बल्कि, उसने, पर्दे पर चढ़ने एक काल्पनिक शिकार की तलाश में घर के आसपास पहना जा करने के लिए खुद को अनुमति देता है। आप जहां भी जाएं किट्टी भी आप के साथ होगा। इसी समय, इस कोमल प्राणी अक्सर उनकी उपस्थिति धोखा नहीं सब कुछ करता है, विनीत आदमी अपनी कंपनी प्रदान करता है। नस्ल दोनों रूस में और विदेशों में बेहद लोकप्रिय है। एक शुद्ध नस्ल बिल्ली का बच्चा खरीद कर, यह सब के लिए आवश्यक पहले अपने स्वयं के इरादों का विश्लेषण करने के लिए है। आप एक जानवर से क्या उम्मीद करते हैं? आप संयुक्त संचार कैसे देखते हैं? आप खड़े करने के लिए, प्रजनन के लिए जा रहे हैं? तुम सिर्फ भविष्य बिल्ली के बच्चे में इस नस्ल के बारे में सपना देखा और नहीं करना चाहते हैं, तो आप एक लड़के का चयन करना चाहिए। बिल्लियों - ब्रिटिश नज़र बहुत प्रभावशाली, कुलीन। वे प्रभावशाली अपने शाही मूल दिखा रहा है, कुशन और सोफे पर झूठ बोल हर किसी के लिए। बिल्ली - शांत, संतुलित, लचीला। महिला लेने के लिए अपने लक्ष्य को जानवरों के प्रजनन के लिए, ज़ाहिर है, आवश्यक है। प्यार एक ब्रिटिश पुरुष या महिला हो सकता है। किसी ने आपको बताता है कि दिल का चयन करें। इन सुंदर जानवरों कान की असामान्य संरचना का ध्यान आकर्षित। कुछ लोगों को इन रहस्यमय गुनगुनाने की नजर में उदासीन रह सकते हैं। किससे चयन करने के लिएः एक बिल्ली या स्कॉटिश नस्ल के एक बिल्ली? यहाँ ज्यादा अपने चरित्र पर निर्भर करता है। यह ज्ञात है कि पुरुषों स्वच्छंद चरित्र भिन्न होते हैं। वे कुछ करने की कल्पना की है, तो निश्चिंत रहें - बाहर उसकी योजना हर तरह से ले जाएगा। महिलाओं, इसके विपरीत, बहुत ही शांत और सुस्त पर। अगर कोई होगा पूरी तरह अनूठा कोमलता, इस स्कॉटिश बिल्ली की मेजबानी के लिए हो सकता है। बिल्ली, जो आप एक विशेष नर्सरी में चुन सकते हैं, आप इस तरह मिनट नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सब कुछ, कुछ भी करने में रुचि होने की संभावना है, लेकिन लगातार मालिक के हाथ में बैठे की संभावना नहीं। यह वापस तोड़ने कार्य प्रदान करने के लिए ले जाने के लिए और पशुओं की आवश्यकता नहीं है लायक प्रदर्शन करते हैं। तथ्य यह है कि बिल्ली भी बहुत आप के साथ संलग्न किया जा सकता है के बावजूद। बस वह, किसी भी आदमी की तरह, अपने प्यार प्रति घंटा नहीं दिखाए जाएंगे। कई का यह पालतू सपना। सुंदर बंगाल, उनके साथी जंगली तेंदुए के लिए उपस्थिति में समान आधुनिक बिल्ली का एक उत्कृष्ट कृति है। इस तरह के खजाने तक उदासीनता के साथ पारित करने के लिए असंभव है। किससे चयन करने के लिएः एक बिल्ली या एक बिल्ली? बंगाल नस्ल किसी उलझन के साथ मुश्किल। पशु पूरी तरह हड़ताली की तेज धब्बेदार कोट। यह सब अपनी प्राथमिकताएँ पर निर्भर करता है। आप एक आलीशान घर में muscled पशु करना चाहते हैं, बिल्लियों चुनें। बंगाल काफी बड़ी, अच्छी तरह से बनाया गया है। यह पालतू मित्रों और परिचितों की ईर्ष्या के लिए एक अच्छा अवसर होगा। महिलाओं के आकार में थोड़ा छोटा है, उनके कोट के रूप में उज्ज्वल नहीं है। हालांकि, पसंदीदा अपने वंश को लाने के लिए समय के साथ कर सकेंगे। बिल्ली के बच्चे आराध्य अपनी योजनाओं में शामिल हैं, यह बिल्ली के लिए चुनते करने के लिए आवश्यक है। किसी भी मामले में, प्यार मालिक निराश कभी नहीं होगा। किसे इस मामले में चुनने के लिए? इस नस्ल "क्रिस्टल मूर्तियों," कहा जाता है उसे विशेष विशेषताओं का श्रेय दिया। इस जानवर अनिश्चित जो आप के सामने है की परवाह किए बिना व्यवहार करेंगे, - एक बिल्ली या एक बिल्ली। नस्ल के प्रमुख विशेषता मेजबान पर पूरा निर्भरता है। के बारे में पशु नहीं कह सकता कि यह अपने आप में रहता है। पूरी तरह से अपने खुद के स्वाद पर निर्भर हैं। एक खुले दिमाग के साथ भविष्य पालतू चुनें, अपने निर्णय अफसोस कभी नहीं तो बाद। किसी भी मामले में Sphynx दृढ़ता से आदमी से बंधा। पालतू आप "पूंछ" का पालन करें और सभी पारिवारिक मामलों में भाग लेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि पशु की सेक्स की पसंद मनोवैज्ञानिक कारणों पर निर्भर करता है। एक औरत के लिए पर्याप्त पुरुष ध्यान नहीं है, तो, वह एक बिल्ली का चयन करेंगे। अविवाहित या बहुत युवा लड़की, सबसे अधिक संभावना है, एक बिल्ली-प्रेमिका है को प्राथमिकता देगी। पुरुषों pitomitsy-लड़कियों, और पुरुष के प्रति अधिक उदार होते हैं, इसके विपरीत, पसंद नहीं है। मनुष्य के स्वभाव भी महत्वपूर्ण है। बिल्लियों - सक्रिय लोगों बिल्लियों, शांत पसंद करते हैं। यह कोई संयोग नहीं है। इस प्रकार, यह बहुत अच्छा है, तो अपने परिवार के एक बिल्ली है, या एक बिल्ली है है। किससे चयन करने के लिए - यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है। मुख्य बात सही ढंग से एक जानवर प्यार करने के लिए और पूरी तरह से इसे की देखभाल। किसी भी मामले में, मालिक पालतू के आगमन के साथ रहता है एक उज्ज्वल और संतृप्त किया जाएगा। लिटिल बिल्ली का बच्चा - यह एक ही बच्चा हैः उसके लिए देखभाल करने के लिए के लिए, नियमित रूप से फ़ीड, स्वास्थ्य की निगरानी।
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भारत में इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है. अपनी शादी में दूल्हा और दुल्हन कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं, जिससे उन्हें जीवनभर यह घटना याद रहे. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली. यहां एक दुल्हन ने ट्रैक्टर चलाकर धांसू एंट्री ली. दुल्हन की ऐसी एंट्री देखकर बाराती और घराती दोनों हैरान रह गए. बैतूल जिले के मुलताई ब्लाक मुख्यालय स्थित साईंखेड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम जावरा निवासी वासु कवड़कार की शादी मुलताई निवासी किसान की बेटी भारती तागड़े से तय हुई थी. जब वासु अपनी बारात लेकर मंडप में अपनी दुल्हन का इंतजार कर रहा था तो दुल्हन भारती ट्रैक्टर चलाते हुए मंडप में पहुंची. यह देखकर दूल्हा समेत सारे बाराती हैरान रह गए. फूलों से सजा ट्रैक्टर चलाते हुए जब दुल्हन शादी के मंडप में पहुंची तो सभी की नजर उधर ही थी. दुल्हन ड्राइवर की कुर्सी पर बैठी थी और उसके अगल-बगल की सीट पर उसके भाई बैठे थे. जैसे ही दुल्हन ने लाल जोड़े में ट्रैक्टर चलाकर एंट्री ली तो मंडप में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजाईं. दुल्हन ने इस बाबत बताया कि वह किसान की बेटी है, इसके बाद किसान की बहू बनने जा रही है. इसलिए ट्रैक्टर चलाकर एंट्री ली. बता दें कि शादी में आया हर मेहमान दुल्हन भारती की एंट्री की तारीफ कर रहा था. जब भारती ने दुल्हन के तौर पर एंट्री ली तो सबने जोर-जोर से तालियां बजाकर किसी दबंग दुल्हन की तरह भारती का स्वागत किया. भारती ने कहा कि शादी में कार और डोली से एंट्री लेने का ट्रेंड काफी पुराना हो चुका है, इसलिए उसने कुछ नया करने के बारे में सोचा. अपनी इस सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए उसने ट्रैक्टर को चुना.
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देहरादून (ब्यूरो)। बंजारावाला और देहराखास के जिन इलाकों में सीवरेज लाइन डाली जा रही है, उनमें ड्रेनेज की पहले से ही कोई व्यवस्था नहीं है। पहले घरों का पानी आरसीसी सड़कों से होता हुआ किसी खाली प्लॉट में जमा हो जाता था, लेकिन इन दिनों सीवरेज लाइन के लिए सड़कें खोदे जाने के कारण पानी सड़कों पर ही जमा हो रहा है। इससे पहले से खोदी हुई सड़कों पर कीचड़ बनी हुई है और लोगों का आना-जाना मुश्किल हो रहा है। सीवरेज लाइन के लिए सर्वे के समय सबसे बड़ी लापरवाही की गई। उस समय इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि सड़कें खोदने के दौरान घरों से निकलने वाला पानी कहां जाएगा। इसका खामियाजा अब आम लोगों को ही नहीं, सीवर लाइन डालने वाली कार्यदायी संस्थाओं को उठाना पड़ रहा है। सड़कें दुरुस्त करने को लेकर हर रोज आम लोगों और एडीबी के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच कहा-सुनी हो रही है। आम लोग सड़कें ठीक न किये जाने के कारण हो रही परेशानी के कारण नाराजगी जता रहे हैं तो कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को कहना है कि कीचड़ के कारण रोड ठीक करना संभव नहीं है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में खबर छपने के बाद एडीबी में कुछ जगहों सड़कें दुरुस्त करने का प्रयास किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। बंजारावाला की शिवपुरी क्षेत्र में एक जगह करीब दो महीने पहले सीवर लाइन डाली गई थी। तब से यहां कीचड़ बनी हुई है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद कीचड़ और ज्यादा हो गई। वाहनों के साथ ही पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। कई लोग फिसल गये। एडीबी के अधिकरियों ने रोड़ी और मिट्टी डालकर रोड दुरुस्त करने का प्रयास किया, लेकिन इससे समस्या पूरी तरह से हल नहीं हो पाई। हालांकि लोगों को इससे कुछ राहत जरूर मिली है। सड़कें खोदे जाने के कारण प्रभावित लोगों को कहना है कि बिना ड्रेनेज की व्यवस्था किये सड़कें खोद दी गई। कहा जा रहा है कि घरों से आने वाला पानी बंद करो, तभी रोड बन पाएंगी। लेकिन, घरों को पानी जाएगा कहां। पहले भी घरों से पानी आता रहा है। ड्रेनेज की व्यवस्था करना नगर निगम का काम है। घरों का पानी बंद करना संभव नहीं हो सकता। सड़कें खोदने से पहले नालियां बनानी चाहिए थी। घरों से लगातार आ रहे पानी के कारण कई जगह समस्या हो रही है। जब तक पानी सूख नहीं जाता, तब तक सड़कें बनाना संभव नहीं है। लोगों को इस मामले में सहयोग करना चाहिए। कुछ दिन लोग घरों को पानी सड़क पर आने से रोक दें तो समस्या हल हो जाएगी। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि लोगों को परेशानी न हो। यदि कोई रोड बंद करनी पड़ती है तो ज्यादा से ज्यादा एक दिन ही बंद रहे। जहां तक सड़कों पर कीचड़ वाली बात है तो लोगों को भी यह बात समझनी चाहिए और सहयोग करना चाहिए।
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भुलानेवाली, रोगियोको रोग भुलानेवाली, दरिद्वियोंको दरिद्वता भुलानेवाली, पराधीनोंको पराधीनता भुलानेवाली, कैदियोको कैदखाना भुलानेवाली, बड़ोको झूठी बड़ाई भुलाने वालो, अपराधियोंका अपराध भुलानेवाली और ताजगी देनेवाली ईश्वरी बखशिश । यो नोंदके लिये दो प्रकारके मत हैं। अधिक विचारने योग्य है। हमें इस पर चाहिये । ध्यान देनेसे विदित होता है कि दोष हो तो भी यह जिन्दगीस बिलकुल दूर नहीं की जा सकती और नींदसे चाहे जितना लाभ हो तो भी बहुत अधिक सोनेके नियमको संसार खीकार नहीं कर सकता। इसलिये इन दोनों के बीचका कोई रास्ता ढूँढ़ना चाहिये। उस पर विचार करनेसे यह मालूम देता है कि नीदका खुराक और आदतसे सम्बन्ध है। हम अगर अपना आहार सत्वगुणी रखें और मिताहारी रहे तो धीरे धीरे आपसे आप नींद कम होती जाती है । इसके बदले अगर रजोगुणी, तमोगुणी पदार्थोंका सेवन करें और हदसे अधिक खायें तो बहुत अधिक नींद आती है। दूसरे नीदका बढ़ाना या घटाना अपनी आदत तथा इर्द गिर्द के संयोगों पर निर्भर है। हम चाहें तो नींदको घटा सकते हैं और चाहे तो बढ़ा सकते हैं । यद्यपि नींद कुदरती है तो भी उसे घटाना या बढ़ाना अपने हाथमें है। इसलिये जहाँ तक हो नींदको घटाना चाहिये क्योंकि अधिक सोनेसे जितना लाभ है उसके हिसाबसे कम सोने से बहुत अधिक लाभ है। इसलिये नींदको नियममें रखना
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व्यापारियों की सावधानी से रक्षा-व्यवस्था करते थे। प्रतिवर्ष श्रावण की पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन तथा सूर्य और चन्द्रग्रहण के दिन महालय में भारी मेला लगता था, जिसमें हिमालय के उस पार से लेकर लंका तक के यात्री वहाँ आते थे। इन मेलों में पांच से सात लाख तक यात्री एकत्र हो जाते थे। इन महोत्सवों में पट्टन के सात सौ हज्जाम एक क्षण को भी विश्राम नहीं पाते थे। दूर-दूर के राजा-महाराजा अपने-अपने लाव-लश्कर लेकर लम्बी-लम्बी मंजिलें काटते हुए, तथा मार्ग के कठिन परिश्रम को सहन करते हुए, प्रभास पट्टन में आकर जब महालय की छाया में पहुँचते, तो अपने जीवन को धन्य मानते थे। भरतखण्ड भर में यह विश्वास था कि भगवान सोमनाथ के दर्शन बिना किए मनुष्य-जन्म ही निरर्थक है। अनेक मुकुटधारी राजा और श्रीमन्त अपनी-अपनी मानता पूरी करने को सैकड़ों मील पांव-प्यादे चलकर आते थे। इन सब कारणों से उन दिनों पट्टन नगर भारत भर में व्यापार का प्रमुख केन्द्र बन गया था। मालव, हिमाचल, अर्बुद, अंग, बंग, कलिंग के अतिरिक्त अरब, ईरान और अफगानिस्तान तक के व्यापारी तथा बंजारे कीमती माल लेकर इन मेलों के अवसरों पर आकर अच्छी कमाई कर के जाते थे। पट्टन के बाजार उन-उन देशों की हल्की-भारी कीमत वाली जिन्सों और सामग्रियों से पटे रहते थे।
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Anushka-Virat: अनुष्का और विराट कोहली ने बीती रात आरसीबी टीम के लिए पार्टी होस्ट की थी जिसमें टीम के लोग पहुंचे थे। उनके साथ अनुष्का शर्मा भी यहां पहुंची जहां पैपराजी ने उन्हें फोटो के लिए आग्रह किया और कपल ने तस्वीरों के लिए पोज भी दिया। अब इसी बीच एक फोटोग्राफर ने गलती से अनुष्का को सर कह दिया। Saif Ali Khan: पूरे मामले पर अब सैफ अली खान ने सफाई जारी की है। चुप्पी तोड़ते हुए एक्टर ने कहा- ये खबर झूठी हैं कि बिल्डिंग के सिक्योरिटी गार्ड को निकाल दिया गया है। Saif Ali Khan: सैफ ने इससे पहले भी पेपराजी को कई बार चेतावनी दी है। लेकिन इस बार सैफ पहले गुस्से से लाल हुए और अब पेपराजी के खिलाफ पूरी तरह से सख्त भी जो गए हैं। क्या है पूरा मामला चलिए जानते हैं। Taapsee Pannu: फिल्म 'दोबारा' इस वक्त काफी ट्रेंड में हैं। फिल्म को डायरेक्टर अनुराग कश्यप बना रहे हैं और लीड रोल में हैं तापसी पन्नू। दोनों स्टार्स फिल्म का जबरदस्त तरीके से प्रमोशन कर रहे हैं। Truth of paparazzi unearthed: पैपराजी की फीड्स आपको आमतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी आसानी से देखने को मिल जाती है। हालांकि कुछ सेलेब्स ऐसे दिखाते हैं कि उन्हें पैपराजी से कितनी दिक्कत है। कुछ स्टार्स पैपराजी पर गुस्सा करते हैं कि क्योंकि वो उनके बच्चों की फोटो क्लिक करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि पैपराजी को स्टार्स ही फोटो क्लिक करने के लिए पेमेंट करते हैं।
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लड़कियां जो शहरी शैली में पोशाक करना पसंद करती हैं , बैकपैक की तरह ऐसी फैशनेबल और व्यावहारिक सहायक के बिना नहीं कर सकती हैं। यह न केवल छवि का उज्ज्वल उच्चारण और परिष्कृत स्पर्श है, बल्कि एक उपयोगी सहायक है, जिसमें आप आसानी से आवश्यक स्त्री विशेषताओं (कॉस्मेटिक बैग, कंघी, शौचालय की पानी की बोतल, धन और फोन) के रूप में आसानी से स्थान ले सकते हैं, और भी बहुत कुछ। मादा युवा बैकपैक को एथलेटिक होना जरूरी नहीं है। डिजाइनरों की प्रतिभा और प्रयासों के लिए धन्यवाद, वहां बड़ी संख्या में मॉडल हैं जो शहरी और ग्लैमरस छवियों दोनों को सफलतापूर्वक पूरक कर सकते हैं। बेशक, यदि आप जिम या टेनिस कोर्ट में जाते हैं, तो यह सहायक कमरेदार होना चाहिए। लेकिन छोटे युवा बैकपैक्स शाम के चलने के लिए उपयुक्त हैं, दोस्तों के साथ बैठकें या बाइक की सवारी शहर से बाहर हैं। सबसे लोकप्रिय और व्यावहारिक सामग्री, जिसमें से एक बैकपैक बनाया जा सकता है, एक सिंथेटिक्स है, जो उच्च पहनने वाले प्रतिरोध की विशेषता है। इस तरह के मॉडल एथलीटों की मांग में सबसे ज्यादा मांग करते हैं, जिन्हें प्रतिदिन बैकपैक्स संचालित करने के लिए मजबूर किया जाता है। लेकिन यदि एक लड़की के लिए एक युवा बैकपैक एक सहायक है जिसे अक्सर बहुत जरूरी नहीं है, तो कोई कपड़ा के बने मॉडलों का चयन कर सकता है। उनका मुख्य और निर्विवाद लाभ यह है कि आप एक रंग योजना चुन सकते हैं जो आपके अलमारी से चीजों के लिए आदर्श है। और डेनिम युवा बैकपैक्स व्यावहारिक रूप से क्लासिक हैं, क्योंकि वे निश्चित रूप से, व्यवसाय को छोड़कर, किसी भी शैली में फिट होते हैं। वही विशेषताओं और चमड़े के युवा बैकपैक्स हैं, जो एक स्टाइलिश बैग की तरह हैं। उनमें से आकार किसी भी, साथ ही रंग भी हो सकता है। छोटे आकार के चमड़े के हैंडबैग-बैकपैक भी काम के लिए पहने जा सकते हैं, अगर कार्यालय कर्मचारियों के लिए सख्त ड्रेस कोड प्रदान नहीं करता है।
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हर व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार रहस्यवाद के साथ सामना किया, और छाप वह गठन किस तरह पर निर्भर करता है, सब कुछ अपने जीवन के बाकी के लिए अज्ञात के प्रति उनके व्यवहार को आकार दिया। दुर्भाग्य से, सभी हम में से बड़ा रहस्य को छू भाग्यशाली थे। किसी ने चाल नीमहकीम किसी में विफल रहा है भविष्यवाणी में निराश पकड़ने का मौका मिला है, और कुछ साल बाद पता चला कि एक चमत्कार फोकस बदल गया। इस तरह के धोखे कसकर, बस असामान्य द्वारा व्यक्ति बंद कर देता है अचेतन संस्कार में निराशा से हमारे जीवन में कोई और अधिक भयानक निराशा है क्योंकि वहाँ। ऐसा लगता है कि बार-बार के भाग्य लोग गुप्त संकेत फेंकता है, जिनमें से व्याख्या की सतह पर सचमुच है, लेकिन लोग उन्हें नहीं देखते हैं, और रोमा, ज्योतिषियों और स्वयंभू shamans में उनकी समस्याओं के सुराग के लिए खोज करने के लिए जारी है। असली रहस्य लोकप्रिय शिक्षाओं से दूर है, और प्रत्येक अपने प्रकाश में है। इसलिए, गुप्त संकेत हल करने के लिए, आप केवल अपने अंतर्ज्ञान और अपने अवचेतन सुन सकते हैं। जीवन में हम में से प्रत्येक क्या आप इसके विपरीत किसी भी कार्रवाई से बचना या,, निश्चित रूप से कुछ करना होगा की जरूरत है की भारी भावना है। और यह है कि कुछ फसल काम आइटम निर्देशित सही दिशा में सोच नहीं हुआ। क्योंकि वे अंतरंग होते हैं और गुप्त समाज की संपत्ति नहीं किया जा सकता ऐसी है कि चीजों को वर्तमान और रहस्यवाद हैं। उदाहरण के लिए, ऐसे मामले थे जब आदमी जमीन लाइटर पर पड़ा देखा था, याद आया कि वह केतली बंद करना भूल, और इस तरह आग पर अपने घर को बचा लिया। और एक महिला, गीत शब्द "नमक" सुना याद आया कि वह रात के खाने के लिए इस उत्पाद prigotvoleniya खरीदने के लिए किया था, और दुकान के रास्ते पर पुरुषों के लिए उसके भविष्य से मुलाकात की। कभी कभी, कि गुप्त संकेत भी आदमी के जीवन को बचा लिया। रात एक आदमी था एक सिक्का के लिए ले जाया में प्रकाश चमक, ओर करने के लिए एक कदम उठाया उसे लेने के लिए, और सुरक्षित रूप से एक मैनहोल में गिरने से बचने के लिए। वैसे, कोई सिक्के, वास्तव में, नहीं था। हालांकि, सभी रहस्यमय चीजें इतनी उपयोगी। उदाहरण के लिए, लोकप्रिय आज कुंडली के लिए ले लो,। लोगों के विशाल बहुमत, अगर आप उन्हें एक सौ प्रतिशत विश्वास नहीं है, लेकिन कम से कम समय में, उन में रुचि। एक ही समय में सब लोग कैसे वे बना रहे हैं समझता है, और तथ्य यह है कि यह असंभव है लाखों लोग हैं, जो एक ही हस्ताक्षर के तहत पैदा हुए थे के लिए एक सटीक भविष्यवाणी देने के लिए। हालांकि, तर्क के तर्कों के बावजूद, लोगों को गुप्त संकेत जहां कोई भी देखते हैं देखने के लिए, तथ्य यह है कि सचमुच उनकी आँखों के सामने करघे बंद shrugging जारी है। यही कारण है कि पहले से ही मानव मानस की एक विशेषता है - सबसे साधारण बातों में रहस्य देख सकते हैं और अपने असली उपस्थिति ध्यान न दें। ओफ़िउचुस - राशि चक्र के लक्षण में लौटने के बाद यह तथाकथित तेरहवीं संकेत याद करने के लिए नहीं असंभव है। उनकी "खोज" एक सनसनी बुलाया गया था, लोगों को सभी ज्योतिषीय शिक्षाओं, और आज भी एक बहुत विस्तृत है की समीक्षा करना चाहता था लोगों का वर्णन इस "रहस्यमय" संकेत के तहत पैदा हुए। लेकिन अगर आप बहुत कम विश्लेषण खर्च करते हैं, यह तुरंत स्पष्ट हो जाता है कि राशि चक्र की गुप्त संकेत सिद्धांत रूप में मौजूद नहीं हैं। ओफ़िउचुस और कुछ नहीं लेकिन ऊपरी, जो ग्यारह अन्य इसी तरह के संकेत भी शामिल की राशि चक्र के लक्षणों में से एक है, और उनके बारे में जानकारी हर समय खुला और हमारे पास उपलब्ध था। ऊपरी राशि चक्र - बारह मुख्य पात्रों के चौराहे पर एक संकेत है। ज्योतिषीय शिक्षाओं के अनुसार, लोगों को इन संकेतों के तहत पैदा हुए, एक विशेष भाग्य के लिए इंतज़ार कर। इस तरह गुप्त स्पष्ट हो जाता है की सिर्फ एक उदाहरण है, तो समस्या की बेहतर जानकारी के है। एक ही एक सर्वनाश की भविष्यवाणी, गुप्त संकेतों के बारे में कहा जा सकता है। लोग सब विश्वास, यहां तक कि सबसे विरोधाभासी, जानकारी है कि दो बिलों खंडन, अगर यह उन्हें अपने रहस्य के साथ आकर्षित करती है पर लेने के लिए तैयार कर रहे हैं। इस प्रकार, जमीन में रहस्यमय hollows की खबरें लोगों को उत्तेजित है, जबकि काफी उल्लेखनीय मौसम विसंगतियों उनके पास। प्रकृति आदमी पर हंसना, गलत दिशा में पूरी तरह से अपने मन लेने लग रहा था। और शायद यह है - परीक्षण का एक प्रकार है, जो केवल उन लोगों को जो वास्तविक रहस्य समझ करने को तैयार हैं का चयन करने के लिए बनाया गया है? वैसे भी, अगर तुम अधूरी भविष्यवाणियों से निराश थे कहना है कि रहस्य हमारी दुनिया में कोई जगह नहीं है जल्दी नहीं है। हो सकता है कि तुम सिर्फ वहाँ नहीं देख रहे हैं और गलत बात की तलाश में। एक ही आसपास देखने के लिए गया है, और गुप्त संकेत खुद को आप मिल जाएगा।
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इंडिया न्यूज। If you are fond of eating paratha then make it like this : सर्दियों में जब सुबह-सुबह हर घर महिलाओं के सामने नाश्ता बनाने की बात आती है तो उनको पराठों से अच्छा विकल्प कुछ नहीं दिखता। क्योंकि सर्दियों में इतनी वैरायटी की सब्जी मिलती है कि उसे किसी भी तरह से आटे में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। पराठों को हेल्दी बनाने के लिए पराठों के लिए आटा गूंधते समय अगर आप उसमें पालक, राजमा की प्यूरी, चना की दाल की प्यूरी मिलाते हैं तो पराठों का स्वाद बढ़ जाता है। इसके साथ ही उसमें पोषक तत्व भी बढ़ जातें है। आपने शाम को सब्जी बनाई और वो बच गई है तो आप पराठा बनाते समय उसको उपयोग में ला सकते हैं। * पराठे की स्टफिंग करने के लिए आलू और पनीर के अलावा सोया, एवोकैडो, ब्रोकोली और सत्तू, राजमा, चना की दाल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये पराठे स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सुपर हेल्दी भी होते हैं। * पनीर बनाते समय उससे निकला पानी पराठें का आटा गूंधने के लिए इस्तेमाल करें। इसमें तरल पदार्थ प्रोटीन, प्रोबायोटिक और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसलिए जब भी पनीर की सब्जी बनाएं तो उसको कुछ देर के एक बाउल में पानी में रख दें। * गोभी सिर्फ सब्जी में ही नहीं पराठे बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। अगर आप गोभी के पराठे खाने के शौकीन हैं तो सबसे पहले आप गोभी को छोटे-छोटे पीस में काट लें। फिर उन्हें थोड़ा उबाल लें। जब गोभी ठंडी हो जाए तो उसमें नमक, हरी धनिया, मिर्च आदि मिलाएं। बाद में आटे में भर कर पराठे बनाएं। * पराठे बनाते समय आप उनके ऊपर से धनिया पत्ती, पुदीना पत्ती, तुलसी के पत्ते या अजवायन डालकर उनका स्वाद बढ़ा सकते हैं। पराठा खाते समय कदद् के बीज, सूरसमुखी के बीज मिला सकते हैं ये सभी बीज एनर्जी देने के साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं।
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भारत में अभी भी पब्लिक प्लेस पर कपल्स का क्लोज होना कई लोगों की आंखों को खटकता हैं। ये लोग कपल्स के पब्लिक प्लेस पर इंटिमेट होने को सभ्यता और संकृति के नाम पर गलत ठहराते हैं। इनका मानना है कि बंद कमरे में ही कपल्स को एक दूसरे से क्लोज होना चाहिए। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं, जो पब्लिक प्लेस पर कपल्स के चुंबन करने को उनकी पर्सनल आजादी का हिस्सा मानते हैं। इनके विचार से खुले में प्यार करने में कोई बुराई नहीं है और यह एक्ट किसी भी तरह सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ नहीं है। उल्लेखनीय है कि कई बार कई सेलिब्रिटीज को भी पब्लिक प्लेस पर एक-दूसरे के क्लोज देखा जा चुका है। पब्लिक प्लेस पर एक-दूसरे को चुंबन करते सेलिब्रिटीज की ये तस्वीरें कई बार विवाद का विषय भी बनी हैं। आज हम आपको ऐसे ही सेलिब्रिटीज की कुछ खास तस्वीरें दिखा रहे हैं, जब उन्हें पब्लिक प्लेस पर एक-दूसरे के क्लोज देखा गया था। एक अवॉर्ड फंक्शन में अमिताभ बच्चन और जया बच्चन ने ऐसे जताया था प्यार। रियल लाइफ स्पाउस ऋषि कपूर और नीतू सिंह भी पब्लिक प्लेस पर दिखे हैं ऐसे। ऋतिक रोशन और सुजैन खान को पब्लिक प्लेस पर देखा जा चुका है इस हाल में। टीवी एक्ट्रेस निया शर्मा और रेहाना मल्होत्रा की इस तस्वीर पर मचा था बवाल। 'बिग बॉस' की कंटेस्टेंट रहीं सपना भवनानी और बानी जे पब्लिक प्लेस पर हुई थीं क्लोज। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' एक्ट्रेस फ्रीडा पिंटो ने पब्लिक प्लेस पर पोलो खिलाड़ी रोनी बरकर्डी का किया था चुंबन।
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संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देश में विरोध प्रदर्शन जारी है। विपक्षी पार्टियां इस कानून का विरोध कर रही हैं और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही हैं। इसी कड़ी में एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान बीजेपी नेता और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) विधायक वारिस पठान के बीच तीखी बहस हुई। वारिस पठान ने इस कानून को लेकर कहा कि देश भर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस पर बीजेपी नेता केके शर्मा झल्ला गए और बोले की कुछ लोगों के सड़क पर उतरने से सब लोगों को इसका विरोध करना नहीं कह सकते। ओवैसी ने पूरे देश की ठेकेदारी ले रखी है क्या। पीएम मोदी के दावे में कितना दम? देखिये @warispathan और के के शर्मा के बीच छिड़ी बहस #हल्ला_बोल (@chitraaum) दरअसल बहस इस मुद्दे पर हो रही थी कि पीएम मोदी ने कहा कि एनआरसी की चर्चा हो नहीं रही है। वहीं अमित शाह ने कहा कि जब एनआरसी लाएंगे तो बता देंगे पूरे देश में एनआरसी ले आ रहे हैं। इस पर बीजेपी नेता का कहना था कि दोनों को जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है। बता दें कि पीएम मोदी ने आभार रैली के दौरान कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधित कानून पर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने किसी से नहीं पूछा कि आपका क्या धर्म है? फिर क्यों कुछ लोग झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं, देश को गुमराह कर रहे हैं। आज जो ये लोग कागज-कागज, सर्टिफिकेट-सर्टिफिकेट के नाम पर मुस्लिमों को भ्रमित कर रहे हैं।
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"पिछले कई दिनों से राज्य सरकार इस मॉडल का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन मुझे तब दुख ज्यादा हुआ कि जब इसका श्रेय राहुल गाँधी को भी दिया जाने लगा। जबकि सच यह है कि भीलवाड़ा की जनता ने इसे एक मॉडल के रूप में स्थापित करने और कोरोना से लड़ने के लिए छोटी-छोटी बातों का कड़ाई से पालन किया और आत्मसंयम का परिचय दिया। हम लोग प्राधनमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई अपील से बहुत प्रभावित हैं। " ये सब शुरू हुआ अलका द्वारा भाजपा नेताओं को संघ की नाजायज पैदाइश बताने से। पीएम मोदी की तस्वीर ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का भले राजनीति से कोई लेना-देना नहीं हो लेकिन सारे भाजपा नेता संघ की ही नाजायज औलाद हैं। गर्भवती के साथ मौजूद औरत ने साफ़-साफ़ कहा कि डॉक्टर ने उन्हें तुरंत वहाँ से चले जाने को कहा क्योंकि मरीज की स्थिति गंभीर थी और देरी होने पर मरीज व पेट में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता था। कॉन्ग्रेस ने वीपी सिंह के खिलाफ अरुण गोविल से चुनाव प्रचार करवाकर इलाहाबाद के मतदाता की भावना भड़काने की कोशिश की थी। इलाहाबाद उपचुनाव उस समय हॉट टॉपिक था और राजीव गाँधी अपनी छवि को हिंदुओं के बीच बेहतर जताने का भी प्रयास कर रहे थे। विजयवर्गीय ने माकपा के भट्टाचार्य के बहाने कॉन्ग्रेस पर हमला करते हुए उसे ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा पहुँचाने का दोषी कहा जिसने बीफ पार्टी का आयोजन कर हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने का काम किया था। राज्यपाल से दोबारा चिट्ठी मिलने के बाद, कॉन्ग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री सीधे राजभवन पहुँचे। राज्यपाल के मुख्यमंत्री को फ्लोर टेस्ट के लिए दोबारा पत्र लिखने के बाद कमलनाथ की यह पहली मुलाकात होगी। इस मुलाकात में कमलनाथ के राज्यपाल से और समय माँगे जाने की बात कही जा रही है। कमलनाथ ने भी राज्यपाल टंडन को पत्र लिखा था, जिस पर राज्यपाल ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र की भाषा अशोभनीय है और संसदीय मर्यादा के अनुरूप नहीं है। NSUI नेता अहर्निश मिश्रा बार-बार प्रोफ़ेसर पर यह बोलने का भी दबाव बना रहा था कि "बोल, मैं अतुल, मेरी माँ का भो#[email protected]। " NSUI नेताओं ने माँ सरस्वती के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग किया और संस्कृत भाषा का मजाक बनाया। जान से मार डालने की धमकी दी। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने देवी की शरण में जाकर उन्हें अनुष्ठान करके मनाने की कोशिश की। उन्होंने आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में विशेष किस्म का 'शत्रु विनाशक हवन' किया।
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केरल के सबरीमाला मंदिर विवाद को लेकर शुरू आंदोलन की आंच अब पूरे देश में पहुंचती दिखाई दे रही है। कुंभ मेला क्षेत्र में विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद में पहले दिन इसे हिंदुओं की आस्था पर चोट करार देते हुए अयोध्या जैसे आंदोलन की घोषणा की गई। स्वामी वासुदेवानंद की अध्यक्षता तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत, योग गुुरु रामदेव समेत अनेक साधु संतों की मौजूदगी में 'हिंदू समाज के विघटन का षड्यंत्र रोकने' का प्रस्ताव भी पारित किया गया। कुंभ क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमाया हुआ है। ऐसे में बृहस्पतिवार को शुरू दो दिनी सम्मेलन में भी इस पर बडे़ फैसले की उम्मीद की जा रही थी लेकिन पहले दिन इस पर चर्चा नहीं हुई। यह मुद्दा शुक्रवार के एजेंडे में शामिल है। पहले दिन धर्म संसद में विहिप नेताओं और साधु संतों ने हिंदू धर्म पर चौतरफा हमला होने की बात करते हुए चिंता जताई। इसके लिए जनजागरण की आवश्यकता बताई। उनका कहना था कि इस षड्यंत्र में ईसाई और मुस्लिम देशों के अलावा यहां के कई राजनीतिक दल और सरकारें भी शामिल हैं। उन्होंने न्यायालय के फैसले की समीक्षा की भी आवश्यकता बताई। परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने धर्म संसद के उद्देश्य तथा दोनों प्रस्तावों को संतों के समक्ष रखा। इसी क्रम में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य एवं आचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद ने 'सबरीमाला में परंपरा और आस्था की रक्षा करने का आंदोलन - अयोध्या आंदोलन के समकक्ष' का प्रस्ताव रखा, जिसका केरल के अयप्पा दास ने अनुमोदन किया। वहीं स्वामी गोविंद देव गिरि ने 'हिंदू समाज के विघटन के षड्यंत्र' का प्रस्ताव रखा तथा अनुमोदन स्वामी जितेंद्रानंद ने किया। दोनों ही प्रस्तावों का मंच पर विराजमान नेताओं और संतों के साथ पंडाल में पहुंचे साधु-संतों ने भी हाथ उठाकर समर्थन किया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला मंदिर सिर्फ केरल के भक्तों का मुद्दा नहीं है। यह पूरे हिंदू समाज के आस्था का विषय है। स्वामी वासुदेवानंद ने भी कहा कि किसी धर्म की पूजा पद्धति में हस्तक्षेप संविधान विरूद्ध है। भावनाओं का निरादर नहीं होना चाहिए। स्वामी वासुदेवानंद तथा अन्य संतों ने भी प्रस्तावों पर मुहर लगाई। धर्म संसद में जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य महाराज, रामानुजाचार्य हंसदेवार्चा महाराज, निर्मल पीठाधीश्वर महंत ज्ञानदेव, सतपाल महाराज, स्वामी वियोगानंद, स्वामी विवेकानंद सरस्वती, आनंद अखाड़ा के आचार्य बालकानंद, निरंजनी अखाड़ा के स्वामी पुण्यानंद गिरि, स्वामी चिदानंद सरस्वती, महंत नृत्यगोपालदास, जयरामदास महाराज, विहिप के अध्यक्ष वीएस कोकजे, डॉ. कृष्ण गोपाल, श्वांत रंजन आदि शामिल रहे।
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अधिवेशन के दूसरे दूसरे सत्र में पर्यवेक्षक एल पी रतूड़ी की देखरेख में चुनाव संपन्न हुआ। चुनाव अधिकारी डी डी तिवारी व सीके तिवारी थे । चुनाव में वी के धस्माना को निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। इसके बाद प्रांतीय अध्यक्ष ने वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर धीरेन्द्र कुमार पाठक, महासचिव के पद पर जेपी कुकरेती, कोषाध्यक्ष के पद पर केएस रावत, उपाध्यक्ष गढ़वाल मंडल के पद पर इ राजेंद्र सिंह चौहान, उपाध्यक्ष कुमाऊं के पद पर पी सी तिवारी, संगठन सचिव के पद पर नरेश सिंह को मनोनीत किया। नव निर्वाचित प्रांतीय अध्यक्ष धस्माना ने कहा कि मंच की ओर से सवर्ण आयोग का गठन, बिना जांच के गिरफ्तारी न करने, पुरानी पेंशन बहाली, चिकित्सा प्रतिपूर्ति बहाल करने सहित अन्य मांगों को लेकर निरंतर संघर्ष किया जायेगा। नवनिर्वाचित सचिव जगदीश कुकरेती ने कहा कि पहला पद अनारक्षित किया जाय और आरक्षण का आधार आर्थिक किया जाय। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने की अपील की। नवनियुक्त वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा गया है उत्पीड़न किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रत्येक सदस्य की हक की लड़ाई हेतु संघर्ष किया जायेगा। संयोजक धीरेन्द्र कुमार पाठक व मनोज लोहनी ने सभी का हार्दिक स्वागत अभिनन्दन किया। इस अधिवेशन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीएन साहू, राष्ट्रीय महासचिव वी पी नौटियाल, केन्द्रीय सचिव उत्तराखंड एल पी रतूड़ी, सरदार नरेश सिंह, कैलाश पुनेठा, इं. नवीन कांडपाल, चन्द्र सिंह नेगी, आंदोलन कारी मंच उत्तराखंड के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, अतुल चन्द्र रमोला, अजय बिष्ट, के एस रावत, टिहरी गढ़वाल भिलंगना से स्वरूप जोशी, केसर सिंह रावत, पूनम जोशी, हल्द्वानी से मनोज तिवारी, देहरादून से कमला देवी, मधु कुकरेती, शमशेर सिंह महर, मनोज तिवारी, पुष्कर सिंह भैसोड़ा, के सी मिश्रा, अनिल चन्द, ई. पी सी जोशी, राजकुमार चौहान, एन एस रावत, महिपाल सिंह डोभाल, मोहन चन्द्र तिवारी, पूरन चन्द्र पांडेय, चन्द्र सिंह रौतेला, केशर सिंह रावत, स्वरूप जोशी, राजेंद्र सिंह चौहान, सरदार नरेश सिंह, दिगम्बर, तारा बिष्ट, मुकेश जोशी, डा ललित पाठक, दीपशिखा, शशि पांडेय, दीपक तिवारी, मनोज कांडपाल उपस्थित थे। लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं। भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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पर क्या बीती होगी ? उसने कौन आदर्श रक्खा औरों के सामने ? कौन फल पाया ? यह भला कौन बुद्धिमानी की उसने...! शकुन्तला ने फिर पेज पलट दिया। इस पर तसवीरें थीं। कुछ युद्ध के दृश्य थे, कुछ व्यक्तिगत, अफसरों के और नेताओं के पोज़ । शकुन्तला सब के 'परिचय' पढ़ती गई और देखती गईं। नीचे कोने में जो एक तसवीर थी उसके नीचे यह छुपा था : - मिस्टर श्यामबिहारी मिश्र यूनिवर्सिटी-नाट्य समिति के 'पराजय' में नायक का अभिनय करने पर आपको स्वर्ण पदक दिया गया है स्वर्ण पदक दिया गया है। आप साइन्स विभाग के अन्तिम वर्ष में पढ़ रहे हैं...। शकुन्तला घड़ी भर उस 'चित्र' पर नजर जमाये रही । 'पराजय' नाटक उसने पढ़ा है। प्रेम कहानी है। सब कुछ स्वाहा करके, अन्त में प्रेमिका से घोर तिरस्कार पाकर 'हीरो' ने किसी नाटक में करते-करते ही दर्शकों के आगे फाँसी खा ली थी । वह मन ही मन बोली - अभिनय में झूठी असफलता, झूठा तिरस्कार और झूठ कष्ट झूठी त्महत्या करके दिखला देने पर 'स्वर्ण पदक' मिलता है और वास्तविक जीवन की वास्तविक आत्महत्या करके क्या मिलता है ? बेचारा रामाश्रय ! - जब गाड़ी का पहिया गरदन के ऊपर से निकला होगा ! क्यों उसने ऐसी निठुर हृदय वाली के आगे प्रेम की भीख माँगी ? जो मैं उसे कभी सामने देख पाऊँ तो मुँह पर थूक दूँ उसके, हत्यारिन...! शकुन्तला ने पेपर बन्द करके रख दिया । जाने कैसे दुख से चित्त भर उठा। दोनों हाथ ऊपर उठा कर एक अँगड़ाई ले कर पलंग पर लेट गई । सिरहाने से कोर्स की किताब उठा ली और खोल कर उस में मन लगाया । पर मन किसी भी तरह उन अक्षरों पर नहीं रुका। जाने क्या
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संत कबीरनगर। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा (dr. dinesh sharma) ने खलीलाबाद विधानसभा में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार (bjp government) का कार्यकाल भारत की सनातन संस्कृति के स्वर्णकाल (golden age of sanatan culture) की तरह है। इसमें देश की सनातन संस्कृति (sanatan culture) का गौरव अपने शिखर पर पहुंचा है। विपक्षी दलों के विचार इसी संस्कृति को नष्ट करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के लोगों से देवी देवताओं के सम्मान और भारत की संस्कृति के उत्थान की आशा नहीं की जा सकती। कहा कि काशी में नरेन्द्र मोदी ने बाबा के भव्य काॅरीडोर का उद्घाटन किया। उस कार्यक्रम में सूर्य को प्रणाम कर मां गंगा का आचमन कर प्रधानमंत्री माथे पर चन्दन लगाकर जब काॅरीडेार का उद्घाटन करते हैं तो देश की संस्कृति का भव्य स्वरूप लोगों के सामने होता है। इस प्रकार के कार्य की उम्मीद विपक्षी दलों से नही की जा सकती। काशी में विकास की धारा बही है जिसका लाभ बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग को मिलेगा। भाजपा सरकार ने पिछले पांच सालों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है तथा सभी योजनाओं का लाभ हर वर्ग को समान मिला है। अगर राशन का वितरण हो रहा है तो समाज के हर वर्ग को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा का रिजेक्टेड माल आज समाजवादी पार्टी का सेलेक्टेड माल बन गया है। भाजपा काम न करनेवालों को टिकट नहीं देती और सपा के सेलेक्टेड माल में आज ऐसे ही लोग पहुंच गए हैं। भाजपा जातिवाद या अगड़े पिछड़े में विश्वास नहीं करती तथा सबका साथ लेकर सबका विकास करती है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले केे चुनाव में कुछ दलों के लिए फतवे जारी होते थे पर इस बार ऐसा न करके वह हो एमआईएम के माध्यम से ध्रुवीकरण करना चाह रहे हैं। आज भाजपा का किसी से मुकाबला नही है तथा सारे विपक्षी दल दूसरे, तीसरे, और चौथे स्थान के लिए लड़ रहे हैं। भाजपा जातिवाद की जगह राष्ट्रवाद पर चुनाव लड़ रही है। सभा में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला, प्रभारी समीर सिंह, प्रत्याशी अंकुर राज तिवारी सहित हजारों की संख्या में जनता मौजूद थी।
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टीवी की बहुत ही खूबसूरत अभिनेत्री अनिता हसनंदानी इन दिनों लगातार अपने पति रोहित रेड्डी के साथ तस्वीरें शेयर कर रहीं हैं. ऐसे में आने वाली खबरों के अनुसार जल्द ही वह अपने पति के साथ एक म्यूजिक वीडियो में नजर आने वाली हैं. जी हाँ, खबरों के अनुसार यह गीत पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान ने गाया है और इस गाने में वह शानदार अंदाज में नजर आने वाली है. खबरों के अनुसार इस वीडियो गीत का नाम 'तेरी याद' बताया जा रहा है जो राज कुंद्रा और रॉबिन बहल द्वारा निर्देशित है और इस गाने को खूब पसंद किया जाने वाला है. मिली जानकारी के अनुसार पहली बार पति के साथ काम को लेकर हाल ही में अनीता ने बात की. वहीं इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "'तेरी याद' एक प्यारा रोमांटिक गीत है और जब राज ने हमसे इस वीडियो में काम करने के लिए कहा तो हमें हां कहने में ज्यादा लंबा समय नहीं लगा. " अनीता और उनके पति की केमेस्ट्री दोनों की तस्वीरों में साफ़ नजर आती है जो आप सभी ने देखी ही होगी. डी वो आए दिन अपने नए-नए फोटोशूट से सभी को हैरान कर देते हैं जो आप सभी ने देखा ही होगा. फिलहाल दोनों जो नए गाने में नजर आने वाले हैं उसी की तैयारियों में लगे हुए हैं और उसकी तस्वीर को हाल ही में अनीता ने शेयर कर लिखा है Sorry for the post i posted a couple of days back. Rohit will never break my heart . . . and if he does ill break his bones. On a serious note with that silly promotional post i realised that real concern stems from genuine love and I saw a whole lot of that overflowing last few days from you all. मांग में सिंदूर लगाकर कुंभ में पाप धोने पहुंची राखी सावंत, कहा- "पायलेट बाबा. . . '
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सर्दी के मौसम में त्वचा काफी रूखी हो जाती है और अगर आप इस दौरान हेयर रिमूवल कराते हैं तो आपकी त्वचा को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, सर्दियों में त्वचा नमी खो देती है और इसके कारण त्वचा अतिरिक्त संवेदनशील हो जाती है और हेयर रिमूवल पर अधिक दर्द होता है। अगर आप इस दर्द से बचना चाहते हैं तो आपको सर्दियों में हेयर रिमूवल कराते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। शेविंग न सिर्फ अनचाहे बालों को साफ करने बल्कि त्वचा पर मौजूद मृत कोशिकाओं को हटाने का भी एक शानदार तरीका है। सर्दियों में शेविंग के दौरान रेजर को त्वचा पर धीरे से ग्लाइड करें और इस पर अतिरिक्त दबाव न डालें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सर्दियों में त्वचा रूखी होती है और ज्यादा दबाव पड़ने की वजह से त्वचा में खून भी आ सकता है। सर्दियों के दौरान सिर्फ शेविंग ही नहीं, बल्कि वैक्सिंग कराना भी एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। वैसे भी इसमें बालों को जड़ से उखाड़ा जाता है जिससे दर्द होता है। इसलिए सर्दियों में वैक्सिंग कराने से पहले अपनी त्वचा की संवेदनशीलता पर ध्यान दें क्योंकि संवेदनशील त्वचा पर वैक्सिंग से अधिक दर्द होता है। अगर आपकी त्वचा बेहद संवेदनशील है तो वैक्सिंग करने से बचें। अगर आप चाहते हैं कि सर्दियों में हेयर रिमूवल कराते समय आपको किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े तो इससे पहले त्वचा को एक्सफोलिएट करना फायदेमंद हो सकता है। इस दौरान सौम्य एक्सफोलिएट का ही इस्तेमाल करें क्योंकि यह त्वचा से मृत त्वचा हटाने से लेकर उसे मुलायम बनाने तक में मदद कर सकता है। इससे आपके लिए हेयर रिमूवल कराना आसान हो जाता है।
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बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय इंडस्ट्री में न सिर्फ अपनी एक्टिंग बल्कि अपनी खूबसूरती के लिए भी जानी जाती हैं। ऐश्वर्या राय आज भले ही सिल्वर स्क्रीन पर ज्यादा एक्टिव नहीं हैं। लेकिन वह सोशल मीडिया पर भी किसी न किसी वजह से चर्चा में बनीं रहती हैं। ऐश्वर्या सोशल मीडिया पर रेगुलर तो नहीं लेकिन हां कभी न कभी किसी खास मौकों पर तस्वीरें पोस्ट कर फैंस से जुड़ी रहती हैं। वहीं इन दिनों ऐश्वर्या अपने बड़े प्रोजेक्ट्स को लेकर बिजी हैं। इसी बीच ऐश्वर्या राय, पति अभिषेक बच्चन और बेटी आराध्या बच्चन के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुई हैं। ऐश्वर्या राय के वर्कफ्रंट की बात करें तो वो जल्द ही तमिल फिल्म Ponniyin Selvan में नजर आने वाली हैं। खबरों की मानें तो वह अनुराग कश्यप की गुलाब जामुन में भी नजर आ सकती हैं। आखिरी बार ऐश्वर्या राय फिल्म फन्ने खान में नजर आई थीं। ऐश्वर्या राय बुधवार की रात अभिषेक बच्चन और बेटी आराध्या के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुईं। इस वीडियो को देखकर ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीनों अपने घर दिवाली सेलिब्रेट करने के लिए लौट रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मल्टी कलर टैक्चर का श्रग पहना हुआ था। वहीं बेटी आराध्या पिंक कलकर स्वैट शर्ट में नजर आई तो अभिषेक भी पिंक आउटफिट में दिखे। इस दौरान हमेशा की तरह ही ऐश्वर्या ओपर प्रोटेक्टिव मां नजर आईं। वह एयरपोर्ट पर बेटी को संभालती नजर आईं। वहीं अगर आप इस वीडियो को ध्यान को ध्यान से देखें तो अभिषेक के हाथ में चोट नजर आ रही है। इसी चोट को लेकर वह ट्रोल हो रहे हैं। एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, 'इन्हें कैसे चोट लग गई, ये तो अमीर लोग हैं। ' वहीं बेटी आराध्या को भी ट्रोल किया जा रहा है। ऐश्वर्या राय के वर्कफ्रंट की बात करें तो वो जल्द ही तमिल फिल्म 'Ponniyin Selvan' में नजर आने वाली हैं। खबरों की मानें तो वह अनुराग कश्यप की 'गुलाब जामुन' में भी नजर आ सकती हैं। आखिरी बार ऐश्वर्या राय फिल्म 'फन्ने खान' में नजर आई थीं। इस फिल्म में उनके साथ राजकुमार राव और अनिल कपूर लीड में थे।
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PATNA: केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जा रहे हैं। वे मंगलवार को पटना से दिल्ली जायेंगे। नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे की खबर सामने आने के बाद एक बार फिर से मोदी कैबिनेट में जेडीयू के शामिल होने की चर्चा चेज हो गई है। बताया जाता है कि दिल्ली दौरे के क्रम में सीएम नीतीश की बीजेपी नेतृत्व से बातचीत हो सकती है। लेकिन इस चर्चा को पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने खारिज कर दिया है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता व सांसदन ललन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे पर स्थिति साफ किया है। पटना में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि जो अटकलें लगाई जा रही हैं वो गलत है। अटकलबाजी पर राजनीति नही होती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निजी यात्रा पर दिल्ली जा रहे हैं. वे अपनी आंख का इलाज कराने को लेकर लिए दिल्ली जा रहे हैं. ललन सिंह ने कहा कि सीएम के दिल्ली दौरे का मंत्रिमंडल विस्तार से कोई लेना देना नहीं है। वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू के शामिल होने के सवाल पर जेडीयू सांसद ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार करना या न करना पीएम का विशेषाधिकार है। जेडीयू सांसद ने साफ कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में किसी का हस्तक्षेप नहीं हो सकता। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगेगा तभी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। मंत्रिमंडल विस्तार और जदयू का कैबिनेट में शामिल होना यह सिर्फ अटकलबाजी है। अटकलबाजियों पर राजनीति संभव नहीं। मंत्रिमंडल में किसे शामिल करना है या नहीं करना है यह पीएम का विशेषाधिकार होता है. इस तरह से जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है।
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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई में फूट पडती दिखाई दे रही है। पार्टी के तीन सांसद संगठन में हाल में हुए फेरबदल के निर्णयों में अनेदखी से बेहद खफा हैं। सांसदों का आरोप है कि पंजाब संगठन में हो रही नियुक्तियों में उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया जा रहा है, जबकि हम पार्टी के चुने हुए प्रतिनिध हैं। जानकारों की मानें पंजाब से चार में से पार्टी के तीन सांसद सुच्चा सिंह छोटेपुर को संयोजक बनाए रखने से आहत हैं। तीन सांसद खुलकर इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। संसदीय क्षेत्र में उपलब्ध नहीं रहने की शिकायतें मिलने से पार्टी भी इन सांसदों से नाराज बताई जा रही है। पार्टी ने बागी सांसदों को लगाम लगाने के लिए उनके क्षेत्रों में एक साल का लेखा जोखा मांगा है। फतेहगढ़ साहिब से सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने अपनी नाराजगी से पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को अवगत कराने के लिए एक ईमेल भी उन्हें भेजा था। उन्होंने मेल के माध्यम से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को साफ कह दिया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह द्वारा पंजाब में एक धड़े को प्रोत्साहन देने से पार्टी को नुकसान हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि इस तरह की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संगरूर से सांसद भगवंत सिंह मान ने फिलहाल खुलकर अपनी नाराजगी जो चाहिर नहीं की है लेकिन भीतरखाने वे भी इस फैसले से नाराज हैं। आप के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राज्य पर्यवेक्षक संजय सिंह ने बागवत की खबरों को सिरे से नकारते हुए कहा कि पार्टी के भीतर ऐसे ही कोई बात नहीं है। यदि इस प्रकार की कोई शिकायत मिलेगी तो उस पर विचार किया जाएगा। फिलहाल हमारा ध्यान जनता के लिए काम करने पर है।
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अट्ठाईसवाँ परिच्छेद और बुड्डी चाची कह रही थीं, बस जाने की देर है, और छूटी रक्खी है।" ऐसा भी कभी-कभी हो जाता है। कुछ को तो ढेर का ढेर रुपया मिल जाता है; भाग्य की बात है। उसने अपने शब्दों को गाते हुए कहा -- "और देखो, क्या से क्या हो गया । हमारा सारा अनुमान झूठा निकला । बच्ची, भगवान की यही इच्छा थी ।" उसने मीठे स्वर में कहा । थियोडेसिया ने मसलोवा की ओर अपने नील वर्ण, शिशु सुलभ नेत्रों से देखते हुए द्रवित हृदय से कहा- "क्या सचमुच तुम्हें दण्ड दे दिया ?" और उसका उज्ज्वल, नवीन मुख-मण्डल इस प्रकार परिवर्तित हो उठा मानो वह अभी रो देगी । मसलोवा ने कोई उत्तर न दिया; वह अपने स्थान पर गई श्रौर कोराबलेवा के पास जाकर बैठ गई। थियोडेसिया उठ कर मसलोवा के पास थाई थौर बोली- कुछ खाया- पिया भी ? मसलोवा ने कोई उत्तर न दिया, बल्कि वह रोटियों को चारपाई पर रख कर अपने घुँघराले बालों से रुमाल खोलने और धूल से भरा घोगा उतारने में लग गई। वृद्धा स्त्री-चही जो लड़के के साथ खेल रही थी - आई और मसलोवा के सामने खड़ी हो गई । उसने अपना सिर करुण भाव से हिलाते हुए अपनी जीभ से 'टचटच' किया। लडका भी उसके साथ ही या गया और अपना ऊपर का श्रोठ बाहर निकाल कर आँखे फाड-फाड़ कर रोटियों की प्रोर देखने लगा । उस दिन जो कुछ गुजरी थी उसके बाद यहाँ आकर मसलोवा ने जब थपने चारों ओोर इन समवेदना पूर्ण श्राकृतियों को देखा तो वह रुँसी हो गई, पर इस स्त्री और बालक के आने तक किसी प्रकारको पिए रही। जब उसने वृद्धा स्त्री की जीभ की करुणा-व्यञ्जक 'टच टच' सुनी और रोटियों से हट कर अपने चेहरे पर लगे हुए बालक के गम्भीर नेत्रों को देखा तो वह और अधिक सहन न कर सकी; उसका चेहरा काँप उठा, और वह फूटफूट कर रो पड़ी । कोराबलेवा ने कहा और देख, मैंने तुझसे पहले ही कह दिया था कि कोई नामी वकील करना । तो क्या मिला ? देश-निकाला ? मसलोवा कोई उत्तर न दे सकी । उसने चुपचाप रोटी में से सिगरेट का बक्स निकाजा, जिस पर एक गुलाबी चेहरे वाली स्त्री की सूरत बनी हुई थी, जिसके बाल चोटीदार कढ़े हुए थे और जिसकी पोशाक का अग्र भाग बहुत नीचा कटा हुआ था । मसलोवा ने वक्स कोरावaar को पकड़ा दिया। कोराबलेवा ने यह देख कर ने असन्तोषपूर्वक सिर हिलाया, जिसका प्रधान कारण यह था कि उसे मसलोवा का अपना रुपया-पैसा इन बुरे कामों में लगाना पसन्द न था। पर तो भी उसने बक्स ने लिया, एक सिगरेट निकाला, लैम्प से जलाया और मसलोवा के हाथ में बलात् स दिया। मसलोवा ने उसी प्रकार रोते-रोते क्षुब्ध भाव से सिगरेट का बुध पीना शुरू कर दिया। उसने धुम्रॉ निकालते और सिसकियाँ लेते हुए कहा - सपरिश्रम साइबेरिया वास । कोरावलेवा ने वड़वड़ा कर कहा- "इन हत्यारों को भगवान का डर नहीं है ? बच्ची को बिना अपराध दण्ड दे दिया।" इसी हरण खिड़की के सामने खड़ी हुई स्त्री की उच्च अश्लील हास्यग
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महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर जारी खींचतान के बीच भाजपा नेता राज्य के राज्यपाल से मिले. इसके बाद शिवसेना, भाजपा पर हमलावर हो गई है. शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास बहुमत है तो सरकार का गठन करें. संजय राउत ने कहा कि हमारे पास अपना CM बनाने के लिए पूर्ण संख्याबल है. हमें यह दिखाने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा है कि हम विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे. हमारे पास ऑप्शन हैं. हम विकल्पों के बगैर नहीं बोलते हैं. आपको बता दें कि आज ही महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल कई नेताओं के साथ मिले. इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा है कि आवाम ने भाजपा-शिवसेना को बहुमत दिया. इसके बाद हमने गवर्नर से मिलकर उनको सरकार बनने की देरी के बारे में जानकारी दी. अब यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है. इसके बाद ही शिवसेना भड़क उठी. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमारा स्टैंड बदला नहीं है. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे शिवसेना के हित में निर्णय लेंगे. CM शिवसेना का ही होगा. भाजपा पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि गवर्नर के सामने सरकार बनाने का दावा किए बिना खाली हाथ क्यों लौट आए? बहुमत केवल भाजपा-शिवसेना गठबंधन को नहीं, बल्कि गठबंधन की शर्तों को भी मिला है.
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कलकत्ता में अभी कुछ कार्य शेष है । अबकी बार जाकर सारे कार्य शेष करके फिर वापस आकर आपके चरणों में बैठ्गा।" मृदु स्वर में मुखुज्ये महाशय ने धीरे-धीरे निवेदन किया । "नहीं-नहीं बेटा ! मानव जीवन का एक भी क्षण तुम व्यर्थ मत करो। तुम यह रूपड़ा और कुर्ता पहने ही गंगा में स्नान कर आओ और उसके बाद दृढ़ता से जप और ध्यान लग ओो । जो तुम्हें पीछे खींच रहा है, उसका सर्वदा के लिए त्याग कर दी। जिसके ज्ञान से जीवन सफन होता है, उसी परमात्मा के ध्यान में गोता लगा डालो !" घर-संसार का दायित्व और व्यावह रिक जीवन के नानाविध यारों का स्मरण बार-बार मुखज्ये महाशय को हो रहा है। इसके साथ ही महात्मा भी लगातार छेड़ रहे हैं ! अतः में काफी परेशानी के बाद सुन्दर नाथजी के उस प्रोमपूर्ण आह्वान से पिण्ड छुड़ाकर, बाहर आकर उन्होंने सांस लो । इतने आदर सत्कार के बाद खीर खिलाकर महात्मा उन्हें घेर कर अपने पास हो रखना चाहते हैं, यह मुखुज्ये महाशय उस समय पूरी तरह समझ नहीं पाये। जीवन की संध्या में योगिवर सुन्दर नाथजी के इस आंतरिक ग्रामंत्रण की चर्चा करते हो, मैं देखता, मुखुज्ये महाशय के दोनों नेत्र आनंद से ग्रश्र सजल हो उठते । मुखज्ये महाशय के पूर्व परिचित, मनीष मजूमदार नामक कलकत्त के ही एक शिक्षित व्यक्ति उसबार सुन्दर नाथजी का माहात्म्य सुन कर उनकी कुटिपा के सामने उपस्थित हुए। साष्टांग प्रणाम निवेदन करने के बाद उन्होंने कहा, बाबा, मेरे ऊपर कृपा कीजिए । आपके चरणों के नीचे आश्रय की भिक्षा मांगता हूँ।" योगिवर अबतक अपनी ही बात में कुछ तन्मय थे। फिर आगंतुक की ओर दृष्टिपात करते हो तीक्ष्ण स्वर में बोल उठे, "तुम इधर काहे आाया ? हिमालय में तुम्हारा क्या काम है ?"
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परमात्मा के साथ मिलना दुष्कर है। दूसरी बात यह बताई गई है कि कर्म और आत्मा का यह सब सम्बन्ध ऐसा नहीं है कि आत्मा कर्मों के साथ तद्रूप बन गई हो, ऐसा होने पर तो कर्मों का आत्मा से अलग होना ही असम्भव हो जायगा। इसलिए श्रीआनन्दघनजी ने इन दोनो के सम्बन्ध को कनक और उपल यानी सोना और मिट्टी के सम्बन्ध की उपमा दी है। सोना मिट्टी में मिला है, परन्तु वह कब से उसके साथ मिला हुआ है? इसे ठीक से कहा नही जा सकता। परन्तु यह निश्चित है कि मिट्टी मिला हुआ सोना मिट्टी से एक दिन अलग किया जा सकता है, भले ही वह अनादिकाल से हो - उसका काल निश्चित न हो। मिट्टी और सोना अलग होने पर ही वह अपने पूर्णशुद्ध रूप आता है इसलिए मिट्टी और सोने का सम्बन्ध सयोगसम्बन्ध है। किन्तु मिट्टी का सोने के साथ सयोग किसने किया? कब किया ? मिट्टी पहले मिली थी या सोना पहले मिला था ? इन प्रश्नों का जैसे कोई निश्चित उत्तर नही दिया जा सकता, वैसे ही जीवात्मा का कर्मों के साथ सयोग के सम्बन्ध मे जान लेना चाहिए। व्यवहारनय की दृष्टि से कर्मों के साथ आत्मा का सम्बन्ध स्वय आत्मा के द्वारा कृत होता है, दूसरा कोई जीव या ईश्वर आत्मा के साथ कर्मों का सयोग मिलाता है, यह बात असगत प्रतीत होती है, क्योकि यदि ईश्वर ही कर्म का सयोग कराता है, तो ईश्वर ही कर्म से वियोग (मुक्ति) करा सकता है। यदि ईश्वर के हाथ मे ही जीवो के कर्मों की मुक्ति हो तो किसी भी जीव को कर्मक्षय करने और कर्मों से मुक्त होने के लिए कोई पुरुषार्थ करन की जरूरत नही रहेगी, न व्रत या महाव्रतादि धारण करने की आवश्यकता रहेगी। परन्तु यह बात मानने पर ईश्वर प्रपची, रागी, द्वेषी, अन्यायी आदि ठहरेगा, जैसे कि उसका स्वरूप कतई नहीं है। अतः आत्मा का कर्मों के साथ सयोग सम्बन्ध स्वयकृत है। परन्तु यह संयोग कब से है ? एक आत्मा की दृष्टि से प्रवाहरूप से आत्मा और कर्मों का सयोग सम्बन्ध अनादि है। आत्मा पहले कर्मों से मिली थी या कर्म आत्मा से मिले थे ? यह अतिप्रश्न है, जिसका समाधान बीजवृक्षन्याय से दिया जाता है कि बीज पहले था या वृक्ष पहले था ? मुर्गी पहले थी या अंडा पहले था ? दोनों की प्राथमिकता सापेक्ष है। इसलिए इस पर ज्यादा गौर न करके यही सोचा जाय कि आत्मा और कर्मों का सम्बन्ध प्रवाहरूप से भले ही अनादिकालीन हो, मगर एक न एक दिन उसका अन्त आ सकता है, जिन
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नारीवाद से जुड़े आंदोलनों के तीसरे चरण के बाद भी ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की महिलाएं आज भी शोषण के उसी पुराने ढर्रे को झेलने को मजबूर हैं। इस आधार पर हम ये कह सकते हैं कि भारत में नारीवाद अभी ग्राउंड ज़ीरो तक नहीं पहुंच पाया है। ग्रामीण महिलाओं के पास अधिकार नहीं कर्तव्य अधिक हैं और इन कर्तव्यों का पालन ही उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। सामाजिक, आर्थिक और राजीतिक तीनों ही स्तरों पर उन्हें अलग-थलग रखा जाता है। खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा एक विशेषाधिकार है, जो सबको नहीं मिलती। शिक्षा के अभाव में ज़्यादातर महिलाएं अपने जीवन का उद्देश्य नहीं तय कर पाती। नतीजतन पुरुष महिलाओं के लिए कर्तव्य तय करते हैं जिसके पालन के लिए महिलाएं बाध्य हो जाती हैं। सभी तरह के शोषण का केंद्र परिवार होता है। परिवारिक संरचनाओं में पिता सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। उनकी इच्छा सर्वोपरि होती है। पारिवारिक ढांचे में सभी पुरुष महिलाओं से दर्जे में ऊपर होते हैं। पत्नी पति से, बहन भाई से कमतर आंकी जाती है। उनके रहन- सहन, विचार-व्यवहार में ये भेदभाव जन्म से डाले जाते हैं। लड़कियों को जन्म से बताया जाता है कि वे 'पराया धन' हैं यानी परिवार के किसी भी संसाधन पर उनका कोई अधिकार नहीं है। उन्हें घर की इज़्ज़त कहकर चारदीवारी के भीतर रखा जाता है, जिसके कारण उनके पास न सामाजिक पूंजी होती है न ही बाहरी समाज में हस्तक्षेप कर सकने का कोई और माध्यम। उन्हें हमेशा यह कहा जाता है कि यह सब उनके भले के लिए है। इस तरह, लड़कियों को अपने भले के लिए सोचने का 'अवसर' और उनके 'चयन' को महत्व नहीं दिया जाता। पिछले दो सौ सालों से महिलाओं के संघर्ष से सरकारी नीतियों में कुछ बुनियादी बदलाव आए तो हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र अभी भी अपनी पारंपरिक रूढ़ियों के साथ आगे बढ़ रहा है। पितृसत्ता समाज के सभी ढांचे का एक अभिन्न अंग बन चुकी है, जहां नारीवाद अब तक पहुंच नहीं पाया। उदाहरण के तौर पर हम महिलाओं के लिए स्कूलों में शिक्षा का स्तर और शिक्षकों के व्यवहार को देख सकते हैं। अधिकतर शिक्षक पितृसत्तात्मक व्यवस्था से ही निकल रहे होते हैं इसलिए वे इस पितृसत्तात्मक ढांचे के ख़िलाफ़ किसी भी कदम को स्वीकार नहीं करते। कई स्कूलों में आज भी लड़के और लड़की में असमानता को जायज़ ठहराया जाता है। और पढ़ेंः उफ्फ! क्या है ये 'नारीवादी सिद्धांत? ' आओ जाने! ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में महिलाएं घरेलू काम काज में जुटी होती हैं। उनका अपना कोई जीवन और अपने लिए कोई समय नहीं होता। विवाह के बाद बच्चे पैदा करने की इच्छा भी उनपर थोप दी जाती है। राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें एक वोट डालने का अधिकार तो है लेकिन वह वोट किसको डालना है,यह वे तय नहीं कर सकती। पढ़ी- लिखी महिलाओं के लिए कुछ ख़ास तरह के 'महिला लायक' पेशे शिक्षिका और नर्स इत्यादि जैसे पारंपरिक पेशे से इतर जाने पर उन्हें अधिक मर्दों के साथ उठने-बैठने जैसी आशंकाओं के कारण रोक दिया जाता है। भारत हमेशा से स्त्री को या तो देवी मानता है या उसे वेश्या कहकर नकार देना चाहता है। यहां स्त्री को सहजता से स्त्री मानकर जीने देने की प्रक्रिया विकसित नहीं हुई है। आज भी ग्राउंड जीरो नारीवाद के उन तमाम लक्ष्यों और उद्देश्यों से बहुत दूर है ,जिनके लिए महिलाएं और बुद्धजीवी लगातार प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लड़की के पैदा होने के बाद से ही उसके ब्याह की तैयारी होने लगती है। उसके साथ होने वाला हर व्यवहार उसे शादी के बाद के जीवन के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया जाता है। आज भी समाज में पिता के बाद पति को देवता मानने की प्रथा प्रचलित है। विवाह संस्थान की तमाम प्रथाएं अपने स्वरूप में महिला विरोधी और उसके अवसरों को सीमित करने वाली होती हैं। शादी के बाद पुरुष को अपनी पत्नी से किसी भी तरह व्यवहार करने का अधिकार मिल जाता है। वह पत्नी की इच्छा के बगैर यौन संबंध बना सकता है। जब चाहे तब मार सकता है। समाज में यह सब सामान्य माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा और नारीवाद की पहुंच न होने से व हरेक जगह सीमित की गयी स्त्री इतनी स्वतंत्र व मुक्त व वैचारिकी के स्तर पर इतनी सशक्त नहीं होती कि वह खुलकर विरोध करे या अगर करती भी है तो वह वल्नरेबल हो जाती है और उसे मायके से भी सहायता नहीं मिलती और आर्थिक स्वतंन्त्रता न होने से वह इस शोषण से जूझने को बाध्य होती है। फेमिनिज़्म और उसकी बहसें एकेडमिक जगत व विश्वविद्यालयों में तो आकार ले रही हैं लेकिन असल जीवन में ये विचार महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। आज के आधुनिक युग में भी महिलाएं मैरिटल रेप और घरेलू हिंसा से अब भी जूझ रही हैं। पुरुष के लिए वे फ्रस्टेशन निकालने का माध्यम है, जिसे वह बेड पर लिटा कर निकाल सकता है या मार-पीट कर। पुरुष शादी के बाद जितने चाहे संबंध रख सकता है, लेकिन स्त्री अगर पुरुष का विरोध भी कर दे तो उसे वेश्या का तमगा दे दिया जाता है। भारत हमेशा से स्त्री को या तो देवी मानता है या उसे वेश्या कहकर नकार देना चाहता है। यहां स्त्री को सहजता से स्त्री मानकर जीने देने की प्रक्रिया विकसित नहीं हुई है। यहां महिलाओं के लिए पुरूषों ने दायरे बना दिए हैं, जबकि वे खुद स्वतंत्र हैं। समाज में स्त्री का अस्तित्व उसकी हर प्रतिक्रिया से हाशिए पर चला जाता है। यह आज की बड़ी विडंबना है कि जब महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। उनमें से कुछ सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर पिछड़ी हैं और वो सब कुछ सहने के लिए बाध्य हैं जिसके ख़िलाफ़ उनकी सहयात्रियों ने लंबे संघर्ष किए हैं। नारीवाद की चेतना को ग्राउंड ज़ीरो तक ले जाने की जिम्मेदारी सभी पढ़ी-लिखी महिलाओं की है। इसके लिए अधिक से अधिक महिलाओं के संगठन बनाए जाने चाहिए और ऐसे अवसर दिए जाने चाहिए जहां आकर वे सशक्त हो सकें और शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकें।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री के द्वारा देश की मुद्रा पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर छापने की मांग पर काशी में अखिल भारतीय संत समिति ने नाराजगी नाराजगी जताई है. समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा और कहा कि पूरे दिल्ली को शराबी बनाने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अगर आपको ऐसा लगता है कि शराब की बिक्री के बाद मिले पैसों पर बनी गणेश लक्ष्मी के तस्वीर वाले नोट को गल्लों में रखा जाए तो यह हमें स्वीकार नहीं है. हिंदुओं के प्रति मन में प्रेम कैसे आ गया? उन्होंने आगे कहा कि हम सनातनियों को बड़ा आश्चर्य हुआ कि अचानक हिंदुओं के प्रति आपके मन में प्रेम कैसे आ गया? आप चाहते हैं कि गौरी गणेश की तस्वीर को नोट पर छाप दी जाए, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते. क्योंकि इस देश का संविधान सेक्युलर है. सभी के आराध्य और पूजा हमारे लिए भी पूज्य है. स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि अगर आपको लगता है कि हिंदुत्व के लिए आपके मन में प्रेम है तो दिल्ली सरकार के खर्चे पर मौलाना को दिए जा रहे वेतन को रोक दीजिये. हम भी देखना चाहते हैं, आपके हिंदुत्व वाले चेहरों को. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मौलानाओं के वेतन के समान ही दिल्ली के मंदिरों में पुजारियों को भी वेतन दीजिए, तभी आपके प्रेम का परीक्षण हो पाएगा. उन्होंने कहा कि हमें यह भी गवारा नहीं होगा कि मांस-मछली की दुकानों और शराब की दुकानों के गल्लों में लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर वाले नोट को पहुंचा दिया जाए. अगर आपके अंदर हिंदुत्व के प्रति प्रेम उमड़ा है तो दिल्ली दंगे के आरोपियों को पुलिस के हवाले सौंप दीजिए. बता दें कि गुजरात चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को हिंदुत्व कार्ड खेला है. केजरीवाल ने भारतीय करेंसी पर गांधीजी के साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की फोटो भी लगाने की मांग की है. उन्होंने आगे कहा कि अगर एक तरफ गांधी जी की तस्वीर होगी और दूसरी तरफ लक्ष्मी गणेश जी की फोटो होगी तो इससे पूरे देश को उनका आशीर्वाद मिलेगा और देश की आर्थिक व्यवस्था में भी सुधार आएगा.
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हो अपनी स्थिति देखी । उसने अपने अतीत की तुलना अपनी तत्कालीन अवस्था से की, और दोनों के बीच एक दुर्लभ्य खाई की कल्पना से वह कॉर उठा । जो देश कभी अपनी स्वतंत्रता का रयोग दोन-दुर्बल राष्ट्र को रक्षा में करता था, जिसने अपने अस्तित्व की मार्थकता ज्ञान-विज्ञान तथा कला-कौशल के निरंतर विकास में समझ रखी थी, श्रावही पराधीन होकर अपनो मुक्ति का मार्ग भी नहीं पा सकता । जिस देश में सर्वप्रथम विश्व मैत्र-जैसे उधादर्शो की गई भो. श्राज वही शत-सहस्र खदो में विभक्त होकर पारारिक वैमनत्य का केंद्र बन रहा है। जहाँ स्त्रियों की पूजा होतो थी. जिस देश में नवागना 'वधू को 'गृहस्वामिनों को आदरणीय नगनि मिलती थी, वह देश अपनी स्त्रियों का डंडों से सरकार करना नीग्व गया है। जिस शस्यश्यामल भूमि में किसी ने कमी प्रकाश का नाम नहीं सुना था, वहीं आज किसी को भरपेट भोजन भी नहीं मिलता । जहाँ सुग्न था, शांति थी, स्नेह और श्रानंद था, श्रग्ज वह हाहाकार के मित्रा' और कुछ भी नहीं ! जो कभी ऋषियों को तपोभूमि थी. जहाँ ऋषि-कन्याएँ मृगशावकों के साथ खेलती कूड़ती रहती थीं प्राज्ञ वहीं बड़े-बड़े नगर बम गए है, जिनमें विलासिता की पुनलियाँ रहनी है, और रहते हैं ऐसे मनुष्य जो मनुष्यता के लिए कलंक है। जिन ग्राम में दिन भर के काम में थके हुए मनुष्य सध्या-समय दापक जलाकर परिवार के साथ किसी धार्मिक पुस्तक के पाठ का आनंद उठाते थे, वे सबके-सब श्राज उजड़ गए। कोई किसी को मांत्वना देनेवाला नहीं कोई किम की बात पूछनेव ला नहीं । यह भी कोई देश है, यह भी कोई रहने की जगह है, यह भी कोई जीवन है ! इस युग की कविताओं में करुगा। को एक तो श्रामा सर्वत्र व्याप्त मिलती है, कहीं-कहीं इसो करुणा की शक्ति से मृदुल, रहस्यमयी उक्तियाँ भी कवि हृदयों से निकल पड़ी हैं। देखिए -
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भारत में लोगों का खान पान ऐसा है कि कई बार कम उम्र के लोगों को भी हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम बात हो चुकी है, इसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं। भारत में लोगों का खान पान ऐसा है कि कई बार कम उम्र के लोगों को भी हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम बात हो चुकी है, इसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं। अगर इसे सही समय पर कंट्रोल नहीं किया गया तो हार्ट अटैक कोरोनरी आर्टरी डिजीज या ट्रिपल वेसल डिजीज जैसे बीमारियों का हमला हो जाता है। कंट्रोल कई बार आपने देखा होगा कि बाजार में मिलने वाले कुछ ब्रेड में बीज जैसा कुछ चिपका रहता है, ये असल में तिल ही है जो नॉर्मल ब्रेड क मुकाबले ज्यादा हेल्दी होता है और इससे हाइपरटेंशन की परेशानी दूर हो जाती है। जैसा कि हम जानते है कि सलाद हमारी सेहत के लिए कितना फायंदेमंद है। इससे डाइजेशन दुरुस्त रहता है और वजन भी नहीं बढ़ता, लेकिन आप इसी हेल्दी फूड के साथ तिल के बीज को मिला लेंगे तो हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर हो जाएगी। अगर आप हाइपरटेंशन की समस्या से परेशान है तो तिल के तेल से बने भोजन का सेवन करें। इस ऑयल को सेहत के लिए काफी फायदेमंद समझा जाता है, इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
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जिला किन्नौर की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कल्पा में तीन अप्रैल को जनमंच का आयोजन किया जाएगा। संवाद सहयोगी, रिकांगपिओ : जिला किन्नौर की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कल्पा में तीन अप्रैल को जनमंच कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शनिवार को उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने जनमंच की तैयारियों को लेकर बैठक की। उन्होंने बताया कि जनमंच की अध्यक्षता मुख्य सचेतक बिक्रम सिंह जरयाल करेंगे। उपायुक्त ने बताया कि कल्पा में होने वाले जनमंच में नौ पंचायतों रोघी, कल्पा, दूनी, कोठी, पांगी, युवारंगी, शुदारंग, खवांगी व तेलंगी से संबंधित लोगों की समस्याओं का निवारण किया जाएगा। उन्होंने इन पंचायतों के लोगों से आग्रह किया कि यदि उनकी कोई शिकायत है तो वे ई-समाधान पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा संबंधित पंचायत सचिव को भी अपनी शिकायत दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि जनमंच का मुख्य उद्देश्य लोगों की शिकायतों का मौके पर समाधान सुनिश्चित करना है। ताकि लोगों को अपनी समस्या के समाधान के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें। आबिद हुसैन सादिक ने सभी विभागों को भी निर्देश दिए कि वे जनमंच की तैयारियों के दौरान शिकायतकर्ताओं की समस्याओं को चिह्नित कर उनका निवारण करें। उन्होंने बताया कि जनमंच के दौरान जिन समस्याओं का समाधान किया जाएगा उन्हें ई-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाना आवश्यक है। जनमंच में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों की निश्शुल्क स्वास्थ्य जांच के साथ विभिन्न प्रकार के टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी। विभाग की ओर से विभिन्न बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए भी प्रचार सामग्री भी वितरित की जाएगी।
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लाभ नही हुआ । किसी ने कभी विश्वास हो नहीं किया कि सुवर्ण ने डूब जाने को जी-जान से कोशिश की । इसी से सफल नहीं होती थी । जो साथ जाती थीं, वही उसका हाथ पकड़ कर खीच लेती, "जा कहाँ रही हो । घाट के पास ही रहो न, उतनी दूर जाने की क्या जरूरत ?" किन्तु आखिर सुवर्णलता इतनी ऊब ही क्यो गयी है ? उमाशशि, गिरिवाला, बिन्दु-ये भो तो उसी परिवेश में रहीं ? कहाँ, वे तो रात-दिन मरने को नहीं बौखलायीं ? हो सकता है, मूल कारण बोरा बोरा नाटकउपन्यास पढना हो हो। और कोई कारण नही दीखता । परन्तु, बोरों पुस्तकें लानेवाला कौन था? उस युग से पचास साल पड़े उस घर के अधेरे अन्तःपुर में वे आती किस रास्ते से थीं ? नयी-नयी किताब और पत्रपत्रिकाएँ आती भी तो थीं अन्दर ! चलते साहित्य को खबर क्या वह रखता था ? वह, ला देनेवाला ? या कि सुवर्णलता के कहे मुताबिक ला दिया करता था ? सुवर्णलता का निर्देश ? वह भला किसे निर्देश दे ? था एक आदमी । जो कि सुवर्णलता का हुक्म बजा पाने से अपने को कृतार्थं मानता था । • पगला पगला-सा लड़का । उसके अच्छे नाम का किसी को खाक पता नही । "दुलो' नाम से ही मशहूर था। स्कूल में पास करने के सिवाय और किसी काम मे "उसे हारते नही देखा जाता था। उसमें असाध्य साधन की क्षमता थी । सुशीला के दूर के रिश्ते का भानजा था । उसी नाते इनके घर को ननिहाल कहता था । सुवर्ण को कहता था 'मामो ।' सुवर्ण को किताब पहुँचाने का भार उसी ने लिया था । क्यो लिया था, क्या जानें । सम्भवतः उसकी बावली बुद्धि मे औरों को खुश करने की प्रेरणा हो कारण हो । उसे सबको खुश करने की इच्छा होती थी। और, मँझली मामो पर एक अहेतुक आकर्षण था उसे लगता है, हृदय के क्षेत्र में कहीं, किसी जगह दोनों समगोत्र थे। इस घर की मँझलो बहू भी पगलो-सी है, यह तो सर्वजन विदित है। दुलो कहाँ से जो सब प्रकार की पुस्तक पत्रिका जुटाकर लाता था यह वही सुवर्णलता
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तो वही भी स्खलना हो सकती है । कहने का श्राशय यह है कि वीतराग के वचनों में प्रन्यथापन के लिए कोई अवकाश नहीं । अतएव उन के वचनों में किसी भी प्रकार की शंका न लाना ही निःशकिताचार है । ज्ञानी जनो का कथन है कि जिस के मन में शंका बनी रहती है, जिसका भ्रम दूर नहीं होता, उसका परिणाम अन्ततः प्रशुभ और अवांछनीय ही होता है। जैसे तेल कम होने पर दोपक की ज्योति धीरेधोरे मद पड़ती जाती है, और फिर वह समाप्त हो जाती है, इसी प्रकार अश्रद्धा रूपो शंका भी समकित रूपी तेल को जलाती जाती है, जिससे समति और आत्मज्योति में मंदता आती रहती है और अन्ततः समकित का प्रकाश समाप्त हो जाता है और मिथ्यात्व का गहन अंधकार छा जाता है । अतएव वीतराग के वचनो मे शंका नहीं लानी चाहिए । कहा भी है - संशयात्मा विनश्यति । शास्त्रकारों के अतिरिक्त नीतिकारो का भी यही कथन है कि संशयशोल आत्मा विनाश को प्राप्त होता है । यहाँ यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शास्त्रकार जहाँ संशय से होने वालो हानि को बतला रहे है, वही संशय के लाभ भी बतलाते हैं। कहा गया हैन संशयमनारुहय नरो भद्राणि पश्यति । अर्थात् - शंका पर प्रारूढ़ हुए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती और कल्यारण नहीं हो सकता। जिस के मन में संशय उत्पन्न होता है, उसमें जिज्ञासा होती है और जिज्ञासा होती है तो विशेषज्ञ से प्रश्न किया जाता है। प्रश्न करने पर मिले हुए उत्तर से ज्ञान की वृद्धि होती है । इस प्रकार शंका को पतन का कारण बतलाया है तो उन्नति का मार्ग भी बतलाया है। वही दवा विनाश का - मृत्यु का भी कारण है और उसी दवा को ठोक रूप से रोग पर सेवन किया जायविधिपूर्वक प्रयोग किया जाय तो रोगनाशक भी हो जाती है । मगर उस के सेवन का तरीका सही होना चाहिए । ज़हर मारने की बुद्धि से खिलाया जाता है तो उससे मृत्यु हो जाती है और वही जहर जब औौषध के रूप मे सेवन कराया जाता है तो मरते हुए को बचा भी लेता है - श्रारोग्य प्रदान करता है। इस प्रकार विष तो वही है किन्तु वह विनाश और विकास - दोनों का कारण बन सकता है। नाश तो यह हुआ कि उस से रोगी मर गया और विकास यह हुआ कि जहाँ रोगो दुःख के कारण प्रातध्यान में था, प्राकुल व्याकुल हो रहा था, उसे नींद नहीं भा रही थी, ऐसी स्थिति मे जहर ने उसे विकास वे विया, प्रकाश दे दिया गौर जीवन मे नीरोगता की रोशनी दे दी। इसी प्रकार सशय भी आत्मा में विष और अमृत काम करता है । एक संशय दो परस्पर विरुद्ध परिणाम कैसे उत्पन्न कर सकता है? यह बात ध्यान देने योग्य है । शंका दो प्रकार की होती है - श्रद्धापूर्वक शंका और प्रश्रद्धापूर्ण शंका श्रद्धापूर्वक शका किसी चीज को समझने के लिए होती है, परिमार्जन करने को इच्छा से होती है, किन्तु श्रद्धापूर्ण शंका में अनास्था छिपो रहती है, उसमें प्रशुद्ध भाव होता है । जिज्ञासा दृष्टि से उत्पन्न होने वाली शका अशुद्ध नहीं किन्तु विकाररहित होती है । उस शंका में श्रद्धा अटल बनी रहती है । ऐसी शंका करने वाला मानता है कि वस्तु तो सच्ची है, ज्ञानो पुरुषो का कथन अन्यया हो हो नहीं सकत; मगर उस का स्वरूप किस प्रकार है, यह मुझे समझना है । तत्त्व यथार्थ है मगर किस अपेक्षा से ऐसा कथन किया गया है ? महापुरुषो ने, सर्वज्ञो ने जो फर्माया है, वह अक्षरशः सत्य है, यह विश्वास रखता हुआ भी जिज्ञासु पुरुष वस्तुतत्त्व को समोचीन रूप से समझना चाहता है । अतएव उसे शका होती है कि यह किस प्रकार है? उसे यह शंका नहीं कि बीतराग प्रतिपादित वस्तु सत्य है प्रथवा नहीं ? उसे तो 'कैसे' को शंका है । अर्थात् सत्य तो है ही परन्तु किस प्रकार सत्य है, यही उसे समझना होता है । वह मूल को स्वीकार करके शंका करता है, किन्तु मूल को नष्ट करके नहीं करता । तो इस प्रकार की शंका ज्ञान का विकास करने वाली है, प्रकाश करने वाली है। वह मनुष्य को प्रकाश की ओर आगे से श्रागे ले जाती है । ज्ञानवृद्धि में सहायक बनती है और पूर्व ज्ञान का खजाना बढ़ाती है । दूसरे प्रकार की शंका श्रद्धापूर्वक होती है । जिस के मन में मूल वस्तु पर आस्था नहीं, विश्वास नहीं, उसे उत्पन्न होने वाली शंका मूल का विनाश करने वाली है । ऐसी शका रखने वाला अपने विनाश को आमंत्रित करता है, विकास को अवरुद्ध कर देता है । वह निरन्तर कार की ओर अग्रसर होता चला जाता है और अन्त में कहीं का नहीं रहता । दूसरे प्रकार से भी शंका के दो भेद हैं - देशशंका औौर सर्वशंका । देशशंका क्या है और सर्वशंका क्या है, यह वात समकितधारियों को भलीभांति समझ लेनी चाहिए । यदि इन्हे समझने का प्रयत्न न किया गया तो जब वे प्राक्रमरण करेंगी तो ठीक तरह से हम प्रपना बचाव न कर सकेंगे। हम इनकी गतिविधि से परिचित होगे, जानकार होगे तो उट कर मुकाबिला कर सकेंगे। अगर हम अनजान और प्रसावधान बने रहे तो लुटेरे हमें लूट लेंगे, हमारे समकित रूपी रत्न को छीन लेंगें । यद्यपि मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि यह विषय शुष्क है, रूखा है और तात्त्विक विषय मे प्रत्येक को रस नहीं आता है, किन्तु तुम्हें रस श्रावे या न श्रावे, मुझे तो रस आता है। याद रखना कि जिस चीज में मुझे रस श्राएगा वह मैं तुम्हे भी दे सकूँगा । अगर दोचार भी रस लेने वाले समझदार श्रोता निकल प्राए तो मेरा कहना सार्थक हो गया और समझिए कि मामला बन गया । व्यापारी के पास दो-चार अच्छे ग्राहक श्रा जाते हैं तो उस का वह दिन व्यापारिक दृष्टि से सफल गिना जाता है और यदि नंगे भूखे पचासों ग्राहक श्रा गये तो उसे कोई लाभ नहीं होता । दो-चार ग्राहक श्रगर जोरदार माल खरीद ले जाएँ तो मामला ठीक बन जाता है । और यदि पचासों ग्राहक आये और माल बिखेर कर चले गये और खरीद न कर गये तो व्यापारी का प्रयोजन सिद्ध नहीं होता । एक समय की बात है। पंजाब में खरड़ नामक नगर गुरु महाराज व्याख्यान देने की इन्तजारी में थे किन्तु श्रावक-श्रोता- नहीं श्राये ये । श्रतएव वे आवकों को प्रतीक्षा करते हुए पाट पर विराजमान थे। वहीं एक मामचंद जी जैन मास्टर प्रकेले सामायिक किये हुए बैठे थे । वे अच्छे ज्ञाता और धुरंधर श्रावक थे । उन के पास अच्छा ग्रन्थालय या और पच्चीस बोल तथा नवतत्त्व आदि के वे झाता थे । तो उन्होंने गुरु महाराज से कहा- महाराज ! व्याख्यान का समय हो चुका है । गुरु महाराज बोले- श्रावक जी ! श्रोता तो अभी आये नहीं हैं। तब मामचंद जी ने कहा- मैं जो श्रापके सामने बैठा हूँ । मुझे हो श्राप ज्ञान दोजिए । और यदि आप पराल हो कूटना चाहते हैं तो बात दूसरी । सज्जनों ! पराल का चाहे बोस मन का हो ढेर क्यों न हो, उसमें से कूटने पर कुछ भी निकलने वाला नहीं, क्योंकि उस में धान नहीं है। यदि थोड़ी सी भी धान कूटी जाय तो चावल निकल सकेंगे । तो मामचन्द जो कहने लगे- में अकेला बैठा हूँ तो क्या हुआ ! आप मुझको हो जिनवारणो सुनाइए । जो जीमने को श्रा गया है, उसे तो परोस दीजिए । महाराज ! मुझे जोर को भूख लगी है, प्रतः ज्ञान रूपी भोजन परोसने में विलम्ब न कीजिए। बस श्रावक जी का इतना कहना था कि गुरु महाराज ने व्यास्थान प्रारंभ कर दिया। उसके बाद दूसरे-दूसरे लोग आने लगे । मैं समझता हूँ- चौपाई मे प्रौर राजा-रानी की कहानी में रस लेने वाले बहुत निकल प्राएँगे, किन्तु जिनवारगी के भलौकिक रस का पान करने में इचि रखने वाले बहुत कम निकलेंगे। किन्तु उन ठोस
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उत्पादों का निर्माणपाउडर धातु विज्ञान केवल विशेष उपकरणों पर संभव है। उनके नामकरण संरचनात्मक, antifriction और विशेष उद्देश्य के उत्पादों में विभाजित किया जा सकता है। उत्तरार्द्ध विशेष गुणों के साथ सामग्री से बना है। विशेष प्रयोजन उत्पादों को वैकल्पिक तरीकों से निर्मित नहीं किया जा सकता है। पाउडर धातु विज्ञान में धातु पाउडर से उत्पादों का उत्पादन शामिल है। इस तरह के विवरण आश्चर्यजनक रूप से सटीक हैं और आगे की प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। उसी समय, उत्पादन की तकनीक स्वयं नहीं हैजटिल को संदर्भित करता है। यह सिरेमिक बनाने की प्राचीन विधि पर आधारित है, अंतर केवल कच्ची सामग्री में उपयोग किया जाता है। इस तथ्य के कारण कि यह विधि आर्थिक और सरल है, यह तेजी से फोर्जिंग, कास्टिंग, मुद्रांकन और धातु भागों के निर्माण के अन्य तरीकों के साथ प्रतिस्पर्धा में एक कदम बढ़ा। इस तथ्य के साथ कि उत्पादन लगातार हैबेहतर और विकसित, नई प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों को महारत हासिल किया जा रहा है, और उत्पादों की श्रृंखला बढ़ रही है, जिसमें पाउडर धातु विज्ञान के उत्पाद शामिल हैं। यदि कारखाना एक नए निर्माण के लिए एक आदेश स्वीकार करता हैआइटम, यह भविष्य ग्राहक चित्र, टूलींग ड्राइंग और प्रेस उपकरण, साथ प्रलेखन के आधार पर उत्पादों की एक ड्राइंग का विकास करना चाहिए। यदि आवश्यक हो, एक ही पौधे अनुसंधान और प्रायोगिक सुविधाओं के प्रारंभिक विकास और एक नए उत्पाद के परीक्षण प्रदान करता है। इसके अलावा सामान और एक प्रेस उपकरण बनाया है। पाउडर अलग हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि पाउडर स्टील की तरह, इस तरह की विविधता सबसे कठिन नहीं है। पाउडर को उनके आगे के उपयोग के आधार पर कुछ गुण दिए जाते हैं। प्रक्रिया स्वयं एक विशेष उपकरण या बॉल मिल में होती है, जिसमें धातु, चिप्स, कटिंग के टुकड़े कुचल जाते हैं, और निर्मित वायु धाराएं इन टुकड़ों को रगड़ने का कारण बनती हैं। धातु, जो धुंधला होते हैं, तरल रूप में छिड़के जाते हैं, जो संपीड़ित हवा के माध्यम से किया जाता है, जो धातु के स्प्रे को एक सर्कल में घूमने वाली डिस्क पर निर्देशित करता है। जमे हुए धातु बूंदों को भी छोटे कणों में तोड़ दिया जाता है। नतीजतन, पाउडर इलेक्ट्रोलिसिस स्नान या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से प्राप्त होते हैं। फिर पाउडर को स्टील के सांचे में डाला जाता है,और यह बड़े दबाव से प्रभावित होता है। इसके कण आपस में जुड़े होते हैं, और यह तैयार भाग को बाहर निकाल देता है। इसके बाद, सिंटरिंग की जाती है। उच्च तापमान वाले भट्टियों में, परिणामस्वरूप तत्व गरम होते हैं। कण विलीन होने लगते हैं, और एक पर्याप्त घना और सजातीय द्रव्यमान बनता है। तो, उत्पाद पूरी तरह से समाप्त माना जाता है। कभी-कभी दो प्रक्रियाएं एक साथ जुड़ी होती हैं, इससे समय की बचत होती है। इस मामले में, पाउडर को वर्तमान द्वारा वांछित तापमान पर गरम किया जाता है और उपयुक्त रूप में दबाया जाता है। पाउडर धातु विज्ञान विभिन्न ब्रांडों की कारों के लिए भागों के उत्पादन के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। इस विधि का उत्पादनः - पारेषण और स्टीयरिंग भागों; - लॉकिंग हार्डवेयर के घटक; - स्पूल, रोटार, पंप हाउसिंग; - इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए रोटार; - झाड़ियों, झाड़ियों, बीयरिंग; - sprockets, गियर, flanges और अधिक। इसके अलावा, पाउडर भागों की कठोरताआपको उन्हें काटने के उपकरण बनाने की अनुमति देता है, गर्मी प्रतिरोध आपको उन्हें विमान, कृषि मशीनरी और ऑटोमोबाइल के ब्रेकिंग सिस्टम में उपयोग करने की अनुमति देता है। विभिन्न विशेषताओं को पूरा करने वाले भागों को प्राप्त करने के लिए, यह कई धातुओं के पाउडर को मिलाने के लिए पर्याप्त है। ऐसे भागों का उपयोग रॉकेट इंजन, गैस टर्बाइन, परमाणु रिएक्टर में किया जाता है।
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बीते साल ही हिंदी टेलीविजन ने स्पिन ऑफ के नाम पर कई टीवी सीरियल्स की कहानी के साथ एक्सपेरिमेंट किया था। इनमें से कई फ्लॉप साबित हुए तो कई सीरियल्स की कहानी ने आसानी से दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम जी टीवी के मशहूर सीरियल 'कुमकुम भाग्य' के सीरियल 'कुंडली भाग्य' का आता है। बता दें कि जल्द ही शिवांगी जोशी और मोहसीन खान स्टारर सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' का स्पिन ऑफ 'ये रिश्ते हैं प्यार के' भी शुरु होने वाला है। बीती रात ही इस सीरियल का पहला प्रोमो सामने आया है, जिसमें टीवी की नायरा ने इस सीरियल के प्लॉट से फैंस को रुबरु करवाया है। अपनी इस खास रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर दर्शकों को इस सीरियल में कौन-कौन सी खास बातें देखने को मिलने वाली है? इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि ये रिश्ते हैं प्यार के में मिष्टी की जिंदगी से जुड़े कई राज दर्शकों के सामने आएंगे। सामने आए प्रोमो से साफ है कि मिष्टी किसी रिश्ते को लेकर काफी कन्फ्यूज है। जिस तरह से निर्माता ये रिश्ता क्या कहलाता है में नायरा और कार्तिक की जबरदस्त केमेस्ट्री के जरिए टीआरपी लिस्ट में धमाल मचाते है। उसे देखकर कहा जा सकता है कि इस सीरियल के स्पिन ऑफ में भी लीड कलाकारों की जबरदस्त केमेस्ट्री जरुर देखने को मिलने वाली है। हर सीरियल के स्पिन ऑफ में ओरिजनल कहानी के किरदारों की झलक जरुर देखने को मिलती है। ऐसे में लाजमी है कि नायरा और कार्तिक के फैंस उनकी झलक इस सीरियल में भी देख सकते है। ये हुई ना सोने पर सुहागा वाली बात। ये रिश्ता क्या कहलाता है में गोयनका और सिंघानिया परिवार हर एक जश्न को काफी धूमधाम से मनाते है और इस दौरान सीरियल की टीआरपी में भी कुछ ईजाफा देखने को भी मिलता है। उम्मीद जताई जा रही है कि निर्माता इस मामले में ये रिश्ते हैं प्यार के में के जरिए भी दर्शकों को खूब एंटरटेन जरुर करेंगे। ये रिश्ता... में गोयनका और सिंघानिया परिवार के बीच काफी मनमुटाव देखने को मिलता है लेकिन बुरे समय पर जिस तरह से दोनों परिवार एकजुट हो जाते है, उससे कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। उम्मीद है कि ये रिश्ते हैं प्यार के में भी हमें कुछ ऐसा ही देखने को मिलने वाला है। बॉलीवुड, हॉलीवुड, साउथ, भोजपुरी और टीवी जगत की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें...बॉलीवुड लाइफ हिन्दी के फेसबुक पेज, ट्विटर पेज, ताजा गॉसिप के लिए हमें Facebook Messenger पर फॉलो करें।
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वह अपने हाथ फैला देगा, और हम रोते-रोते उसके चरणों में गिर पड़ेगे । तब सारा संसार समझ जायगा, कैथराइन भी समझ जायगी कि परमात्मा की महिमा अपरंपार है । यह कहकर वह थककर बेंच पर गिर पड़ा, और थोड़ी देर के लिये ध्यान में मग्न हो गया। उसकी वक्तृता का कुछ प्रभाव हुआ । थोड़ी देर के लिये शोर बंद हो गया । परन्तु फिर हँसी होने लगी । एक- "खूब स्पीच दी । " दूसरा ~ "पुराना पापी है । " तीसरा - "बड़ा ज़ालिम है । " मारमैलेडाफ़ उठ खड़ा हुआ और रोडियन से बोला -- " चलिए अब चलें । मुझको घर पहुँचा दीजिए। मैं कैथराइन के पास जाना चाहता हूँ ।" युवक भी जाना चाहता था। वह मारमैलेडाफ़ की कुछ सेवा करना चाहता था । उसकी टाँगे उसकी आवाज़ से ज्यादा काँप रही थीं, और वह रोडियन पर सारा बोझ डाले हुए था । उन्हें तीन-चार सौ क़दम जाना था ! शराबी ज्यों-ज्यों अपने घर के पास आता था, बेचैन होता जाता था । अंत में वह रुक-रुक कर कहने लगा - "मैं कैथराइन से नहीं डरता। मैं जानता हूँ, वह मेर बाल नोचेगी । परंतु मेरे बालों का क्या मूल्य ? मुझे इसकी कुछ चिंता नहीं । मेरे लिये तो यह अच्छा ही है। परंतु मैं उसके नेत्रों से, उसके कपोलों के लाल धब्बों से और उसकी साँस से डरत हूँ। क्या आपने कभी ऐसे रोगियों की, घबराहट की दशा में, साँस सुनी है ? मैं बच्चों के रोने से डरता हूँ । यदि सुनिया ने उनके लिये कुछ प्रबंध नहीं किया, तो मैं नहीं जानता कि उन्होंने कुछ खाया होगा या नहीं। मुझे घूँसों की चिंता नहीं । मुझे घूंसों से चोट नहीं लगती, बल्कि सुख प्राप्त होता हैं। उनके बिना मैं नहीं रह सकता, और उनसे मुझे आराम मिलता है । मुझे मारकर अपना हृदय शांत करने दो । लो, हम घर पहुँच गए। यह एक धनवान् जर्मन का मकान है। मेरे ।"
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आक्रमण करने का इसका विचार न हो । वह चेदिराज की सेना के साथ तो नहीं गए हैं ।' 'नहीं, वह वहाँ नहीं गए हैं। अपने पुराने स्वामी के विरुद्ध शस्त्र ग्रहण करना उन्होंने अस्वीकार कर दिया और यह उचित भी था । चेदिराज भी अप्रसन्न नहीं हुए प्रत्युत् उनके विचार पर उनकी स्वामिभक्ति की प्रशंसा ही की । उन पर वन में जाकमरण हुआ था उसका तथा राजेंद्र की कैद का समाचार सुन कर वह अत्यंत क्रुद्ध हुए और समवेदना प्रकट करते हुए कह गए हैं कि लौटते ही वह स्वयं इसका पता लगा कर दोषियों को उचित दंड देंगे और यह उनका पहिला कार्य होगा। तब तक के लिये मंत्रियों पर भी यह कार्य सौंप गए हैं ।' 'देखिए, स्वामी का आप पर पूर्ण विश्वास है और इस घटना सम्मिलित भी हो गए हैं । अतः आपसे मैं अपने विचार प्रकट कर रहा हूँ । यहाँ कोई और ऐसा नहीं है, जिससे सम्मति भी ले सकूँ । इधर कैदियों के छुड़ाने का सब प्रबंध हो चुका है और ही यह सुविधापूर्ण अवसर भी हाथ आ गया है। पर उधर यह चढ़ाई है । मेरी समझ में यह आ रहा है कि इस हूरण ने वन में स्वामी तथा कुमारी इरा को पकड़ने के लिए ही आक्रमण किया था पर वे निकल गए और अब यह चढ़ाई उसी उद्यान पर उसी कार्य के लिये हो रही है । यह कार्य केवल इसी हूर का नहीं है और न वह इतना साहस कर सकता है। अभी यह सूचना मिली है इस षड्यंत्र में गोलकी मठ के आचार्य रुद्रशिव का भी हाथ है और इससे मेरा विचार पुष्ट हो रहा है कि यह कार्य चेदिराजवंश के किसी महापुरुष के संकेत पर चल रहा है। खैर, इस सबका पता तो यहाँ से छुट्टी मिलते ही लूँगा पर स्वामी की रक्षा का इस समय क्या प्रबंध हो सकता है ।'
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उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के खड्डा क्षेत्र के शाहपुर गांव मे टैग व जीपीएस लगे विलुप्त प्रजाति के गिद्ध पक्षी मिला। इसे देखकर ग्रामीण सहम गए। ग्रामीणों ने रास्ते के किनारे बैठे इस गिद्ध पर जाल फेंककर अपने कब्जे में कर लिया। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने इसे अपनी अभिरक्षा में ले लिया। बताया जा रहा है कि यह गिद्ध नेपाल के चितवन पार्क से उड़कर यहां आया है। इसकी सूचना मिलते ही मौके पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी और तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। ग्रामीणों ने जाल डालकर गिद्ध को पहले उड़ने से रोका और फिर वन विभाग को सूचित किया गया। इस विलुप्त हो रहे पक्षी के पंखों में टैग लगा हुआ था और बेल्ट से जीपीएस लगा था। मौके पर वन कर्मियों की टीम पहुंची और गिद्ध को अपने कब्जे में ले लिया। पक्षी को रेंज कार्यालय लाया गया। इसके पंख पर पीले रंग का टैग लगा था। रेंजर वीके यादव ने बताया कि इसी तरह का गिद्ध पिछले महीने बरवापट्टी थाना क्षेत्र में मिला था। इसकी जानकारी वरिष्ठ अफसरों को दी गई है। यह संरक्षित पक्षी है जिसका जीपीएस से लोकेशन ट्रेस होता है। उन्होंने बताया कि गिद्ध प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र से संबंधित है। इस गिद्ध को प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र द्वारा संरक्षित करते हुए टैग व जीपीएस लगाकर छोड़ा गया है। जीपीएस ट्रैकर के माध्यम सें उसकी लोकेशन व गतिविधियों की जानकारी कर डाटा तैयार किया जाता है।
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Energy drink : गर्मी के मौसम में खुद को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है. इसलिए लोग बाहर निकलते हैं तो अपने साथ एक बॉटल पानी जरूर कैरी करते हैं, ताकि डिहाइड्रेशन की समस्या ना हो. ऐसे में हम आपको यहां पर एक ऐसे पाउडर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप अपने साथ लेकर चलें ताकि आपको कमजोरी महसूस हो तो इसे पानी में घोलकर पी लीजिए. इससे आपको इंस्टैंट एनर्जी मिलेगी. असल में हम सत्तू की बात कर रहे हैं, तो चलिए जानते हैं इससे क्या-क्या फायदे मिलेंगे. - सत्तू को पानी में मिलाकर पीने से शरीर एनर्जेटिक होता है. वहीं, जिन लोगों के शरीर में खून की कमी हो गई है उनके लिए ये पाउडर बहुत लाभकारी होता है. इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है. - इसे पीने से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है. इससे लूज मोशन, गैस, अपच और ब्लोटिंग की परेशानी नहीं होती है. सत्तू को पानी में मिलाकर रोज घर से बाहर निकलने से पहले अगर पीते हैं, तो शरीर में ठंडक बनी रहेगी. - यह शरीर का तापमान नियंत्रण करने का काम करता है. इस मौसम में तो इसका इस्तेमाल सभी को करना चाहिए. गर्मी में चलने वाली गर्म हवाओं से हीट स्ट्रोक (heat stroke) की समस्या सबसे ज्यादा होती है. ऐसे में आप इसका सेवन करते हैं, तो आपको लू नहीं लगेगी. यह शरीर को हाइड्रेट करने का भी काम करता है, इसलिए गर्मी में इसको खाने या पीने की सलाह दी जाती है. अस्वीकरणः सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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Alaya Apartment Collapse: उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। लेकिन बदले में केवल आश्वासन मिला। रंजना रोते हुए कमिश्नर कार्यालय से निकल गई। Alaya Apartment Collapse: रंजना अवस्थी के बेटी की शादी इसी महीने थी। शादी के जेवर, कपड़े और बेटी को देने के लिए लाखों रुपए के गृहस्थी के सामान, सबकुछ मलवे में दब गया। मंगलवार को रंजना को जांच समिति के सामने बुलाया गया। उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। लेकिन बदले में केवल आश्वासन मिला। रंजना रोते हुए कमिश्नर कार्यालय से निकल गई। रंजना की तरह आलाया अपार्टमेंट के उन सभी आवंटियों को कमिश्नर कार्यालय बुलाया गया था। घटना के लिए जिम्मेदारों पर करवाई और पीड़ितों को मदद देने के लिए इनके बयान लिए जाने थे। जांच समिति में कमिश्नर रोशन जैकब, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पीयूष मोर्डिया और एलडीए के चीफ इंजीनियर थे। तीनों अधिकारियों ने आवंटियों से एक एक करके सवाल किए। लेकिन जब आवंटियों ने पूछा की सरकार हमे क्या मदद दे रही, तो अधिकारी चुप्पी साध गए। आवंटियों ने बताया की उनके किचन से लेकर बेडरूम तक का लाखों का सामान मलवे में दब गया। घर में जो थोड़े बहुत गहने और कैश था उसे मलवा हटा रहे कर्मचारियों ने चुरा लिया। अब उनके पास न तो रहने को घर रह गया न ही पेट भरने का रुपया। बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड सब चला गया। इसपर कमिश्नर ने आश्वासन दिया की हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। चोरी करने वालों को चिन्हित करके करवाई की जाएगी। बैठक में पीड़ित परिजनों ने अपने आशियाने और संपत्ति को लेकर उठाई मांग। जिसे लेकर जांच समिति में शामिल अधिकारियो ने झाड़ा पल्ला। पीड़ित परिजनों का कहना इस बैठक में निराशा मिली है। सिर्फ आश्वाशन दिया गया है। न रहने के लिए घर है और न कोई सामान बचा है, आखिर जाए कहा। तो वही मंडलायुक्त रोशन जैकब का कहना कि जो जांच कमेटी बनाई गई है वो इस बात की जांच कर रही कि कैसे हादसा हुआ और इसके लिए जिम्मेदार कौन कौन लोग है। किन विभागो की लापरवाही रही। मलबे में जो सामान मिल रहा उसे पीड़ित परिजनों को दिया जा रहा है। कोई सामान चोरी नही हुआ ये सूचना गलत है। मजिस्ट्रेट और पुलिस की निगरानी में सामान खोजा जा रहा है। अभी भी मौके पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। मलबे से सामान खोजने का काम जारी है। आज पीड़ित परिजनों की बात को सुनने के लिए उन्हें भी इस मीटिंग में बुलाया गया था।
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लगता है दबंग सोनाक्षी अब अपनी गांव की गोरी वाली इमेज से बाहर निकलने का इरादा बना लिया है. तभी तो वह IIFa awards में Munni badnam आइटम नंबर पर पफॉर्मेंस देने वाली हैं. गौरतलब है कि यह आइटम नंबर सोनाक्षी की ही पहली फिल्म दबंग का है और फिल्म में यह गाना मलाइका अरोड़ा पर फिल्माया गया है. वैसे सोनाक्षी की दूसरी फिल्म रोडी राठौर भी रिलीज हो चुकी है और बॉक्स आफिस में इसे काफी बिजनेस भी मिला है. लेकिन फिल्म में जहां एक तरफ अक्षय कुमार की एक्टिंग की तारीफ की जा रही है वहीं दूसरी तरफ सोनाक्षी पर दबंग वाली इमेज रिपीट करने की तोहमते लगाई जा रही हैं. वैसे यह बात सही भी है सोनाक्षी ने फिल्म दबंग में भी छोटे शहर की सीधी साधी लड़की का रोल प्ले किया था और फिल्म रोडी राठौर में भी वह पटना शहर की एक लड़की के रोल में हैं. अपनी आने वाली फिल्म जोकर में भी सोनाक्षी के ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है. शायद यही वजह है कि सोनाक्षी अपने गांव की छोरी वाले अवतार से बाहर निकल कर IIFa awards में अपने दूसरे हुनर पर लोगों का ध्यान खींचना चाहती हैं. अब देखना यह है कि लोग सोनाक्षी के इस नए अवतार को पसंद करते हैं या नहीं.
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कुंडली का छठा स्थान शत्रु भाव होकर, रोग की अवधि, शत्रु, दैनिक कार्य, नौकरी, नौकर-चाकर, कर्मचारी वर्ग, पशु, बीमारी, कर्ज, उधार लेन देन, जाति, बैंकिग सेक्टर, शेयर बाजार, ब्याज की आवक, नौकरी में परेशानी, जाॅब वर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। कुंडली के छठे भाव के कारक मंगल और शनि हैं, और इस भाव को पीड़ा का पर्याय भी माना गया है। इस भाव में किसी भी ग्रह की मौजूदगी इस भाव से संबंध रखने वाले क्षेत्रों में लाभ या हानि देने का काम कर सकती है।कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा भावना, उमंग, पेशेवर जीवन, लोगों से संबंध और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं। चंद्रमा वैश्य वर्ण का सत्वगुणी ग्रह है, और सभी ग्रहों को अपना मित्र मानता है। ज्योतिष व खगोलीय दोनों ही दृष्टिकोण से चंद्रमा सूर्य के बाद आकाश में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। चंद्रमा रचनात्मकता, मन, भावनाओं और शांति के भी पर्याय हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करती है। चंद्रमा चंचल लेकिन वैश्य वर्णी है, इसलिए किसी अन्य ग्रह को अपना विरोधी या शत्रु नहीं मानता है। हालांकि बुध, शुक्र और शनि चंद्रमा को अपना विरोधी मानते हैं। जिस कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा होता है, उसके लिए भावनात्मक तौर पर अपनी उपयोगिता साबित करना एक बेहद महत्वपूर्ण बात है। वह मेहनतकश और उपयोगी होगा और अपने लिए चीजों का बेहतर प्रबंधन कर रहा होगा। लेकिन यदि उपरोक्त कथन किसी कुंडली पर सटीक नहीं बैठता तो आप भावनात्मक उधेड़बुन से गुज़र रहे होंगे। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा छठे भाव में बैठे हैं, उन्हें अपने काम में निरंतरता बनाए रखने के लिए विविधता और नयेपन की जरूरत होती है। ऐसे जातक एक जगह पर अधिक समय तक कार्य नहीं कर सकते, और लगातार अपनी नौकरी या करियर बदलते रहते हैं। ऐसे जातकों के लिए छठे भाव में चंद्रमा करियर और दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। ऐसे जातक लगातार अपने लिए एक अनुकूल नौकरी की तलाश करते रहते हैं। यदि आप भी करियर या नौकरी संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो समाधान हमारे ज्योतिषी विशेषज्ञों के पास है। नौकरी व करियर संबंधी किसी भी प्रकार की सलाह या मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें अभी! ऐसे जातक एक नियमित दिनचर्या का पालन नहीं कर सकते, वे बुद्धिमान और ज्ञानी होते हैं और सामने आने वाली हर समस्या और अनिश्चितता को आत्मविश्वास के साथ आसानी से हल कर लेते हैं। छठे भाव में चंद्रमा के शुभ प्रभावों से जातक शत्रुओं पर विजय पाने में भी सक्षम होता है। ऐसे जातक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हें पराजित कर सकते हैं। वे स्वभाव से दूसरों की सहायता करने वाले और मदद के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा, जातक को बहुत संवेदनशील बनाता है, इस भाव में बैठे चंद्रमा भावनात्मक रूप से मजबूत रहने और स्वास्थ्य के मुद्दे पर सजग रहने की मांग करते हैं। इस स्थिति में यदि चंद्रमा किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में है, तो जातक झुंझलाहट, शरीर दर्द या गुर्दे से संबंधित किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर सकता है। यदि उचित समय पर उचित देखरेख ना की जाये तो कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा पीड़ादायक भी हो सकते हैं। कुंडली में चंद्रमा की इस स्थिति से जातक अत्यंत भावुक होकर दुःख और संताप जैसे मनोरोग का शिकार हो सकता है। कुंडली के छठे भाव में बैठे चंद्रमा जातक को रोगों का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए प्रेरित करते है। यदि आप भी किसी रोग या व्यसन से पीड़ित हैं, तो हमारे ज्योतिषी विशेषज्ञों से इसका समाधान पा सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी किसी समस्या के सटीक समाधान हेतु बात करें एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से अभी! हालांकि छठे भाव में चंद्रमा से प्रभावित जातक सदैव दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं, और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए सटीक सुझाव भी देते हैं। ऐसे जातक चीजों को जल्द ही सीख जाते हैं, और बेहद मंथन करने वाले होते हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में आकर निश्चित रूप से स्वास्थ्य समस्या या कमजोर शारीरिक तंत्र की ओर इशारा करते हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा करियर को भी प्रभावित करता है, ऐसे जातक कार्यस्थल पर अपने काम के बलबूते ख्याति पाना पसंद करते हैं। कार्य से प्रसिद्धि पाने की लालसा और असुरक्षा का भाव उन्हें कार्य के प्रति समर्पित बना देता है। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी आपको भावनात्मक रूप से तनाव और चिंता में धकेल सकती है। ऐसे जातकों को तनाव से बचने के लिए योग और ध्यान साधना का सहारा लेना चाहिए। कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी हमारे भावनात्मक पक्ष को प्रदर्शित करने का काम करती है। यह बताती है कि हम भावनात्मक संतुष्टि कब और कैसे प्राप्त करते हैं। यदि भावनाएं एक समस्या के रूप में हमे परेशान कर रही है तो हमे ग्रह स्थिति का अध्ययन कर भावनात्मक अशांति का सुराग़ ढूंढने में सफलता मिल सकती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है, कि कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक के सामने भावनात्मक जटिलताएँ पैदा कर सकती है। हालांकि भावनाओं को धैर्य और अनुशासन के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, और उनके उचित प्रबंधन से एक खुशहाल और सफल जीवन जिया जा सकता है।अपने व्यक्तिगत समाधान प्राप्त करने के लिए, एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से बात करें अभी! गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
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संभव के विरुद्ध असंभव नहीं, हिन्दी के प्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि अशोक शाह के नये कविता संग्रह 'वसंत का आना तय है' कि ये पंक्तियाँ हर उस मनुष्य के लिए हैं, जो इतना व्यस्त, इतना बेचैन है और भौतिकता की चकाचैंध में आकंठ डूबा हुआ, अधिक से अधिक पा लेने की लालसा में सिर्फ भाग रहा है। उसके पास इतना अवकाश नहीं कि वह एक क्षण ठहरे और होश में यानी चेतना सम्पन्न बनकर जीना सीखे। इस संग्रह की कविताएँ हमें बताती हैं कि हम बिना भ्रम के जीना कैसे और क्यों सीखें। वस्तुतः अशोक शाह की कविता सत्य की खोज की कविता है उनकी कविता में न तो कल्पना के ताने-बाने हैं और न शब्दों की बाजीगिरी है। काव्य विषयों और अनुभवों की विपुलता और वैविध्य उनकी कविता की खासियत है। उनकी कविता में एक साथ कई ध्वनियाँ हैं। कविता के प्रचलित ढाँचे से निकलकर वे अपनी राह स्वयं बनाने वाले कवि हैं। बिम्ब, प्रतीक, रस, ध्वनि और अलंकारों के साथ ही वे संवेदनाओं के नये क्षितिज खोलकर कविता को आत्म साक्षात्कार का माध्यम बनाते हैं। प्रकाश होता है क्या? पर आदमी धरती का मुनीम भर तो नहीं। कवि का मूल स्वर यही है कि मैं की जगह समष्टि को रख लिया जाये, कुछ नया किया जाए और अपने अंतर को शून्य से तदाकार कर लिया जाए। थकने लगा है आदमी। या कुल्हाड़ी नहीं होती तो आदमी एक वृक्ष की तरह सभ्य हुआ होता। इस धरती पर आदमी शायद चूक गया है। यहाँ कवि सुन्दर इमारतों में सौन्दर्य नहीं देखता अपितु उन श्रमशील मनुष्यों को सुन्दर कहता है जिन्होंने इन इमारतों को गढ़ा है। 'वसंत का आना तय है' संग्रह की कविताओं की भाषा कृत्रिमता से दूर सहज सरल भाषा है। इसी भाषा से वे दृश्य, श्रव्य, गंध, रूप, रस और स्पर्श को मूर्त करते हैं। उनकी कविता में जो लय है वह केवल ध्वन्यात्मक व्यवस्था भर नहीं है वरन भावना और अर्थ का नियोजन भी इसमें है। अशोक शाह का यह संग्रह उनके जीवनानुभव जो उन्हें सामाजिक परिवेश से मिले हैं उनको अभिव्यक्त करता है। उन्होंने अपनी कविताओं में जिन मुद्दों और सवालों को उठाया है कहीं उनके हल भी सुझाए हैं। जहाँ एक ओर वे सामाजिक यथार्थ का चित्रण करते हैं तो दूसरी ओर प्रकृति से लगाव और कोमल राग का भी चित्रण करते हैं। स्वयं की खोज करते हुए उनके मन की बेचैनी ने उन्हें दर्शन की तरफ उन्मुख किया है तभी वे कह पाते हैं कि-"जीत के लिए हमें सीखना होगा हारना; क्योंकि जो हारते नहीं कभी जीतते नहीं।" इस संग्रह की शीर्षक कविता आशा और उत्साह का संचार करने वाली कलात्मक उत्कर्ष की कविता है जो पतझड़ के बाद आने वाले वसंत की न केवल सूचना दे रही है बल्कि उसके आगमन को सुनिश्चित कर रही है। संभव था दुख को सुख कहना, एक और जन्म की कल्पना करना, जीने के लिये मरना कितना जरूरी, कभी मरकर जाना ही नहीं। निःसंदेह अशोक शाह हिन्दी के महत्त्वपूर्ण वरिष्ठ कवि हैं जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन बखूबी किया है। आदिवासी स्त्री 'लेकी' से लेकर मजदूर किसान और आदिवासी सभी उनकी कविता के केन्द्र में है। प्रकृति को बचाने की गहरी चिंता से जन्मी इन कविताओं में मानवीय और सामाजिक सरोकार गुँथे हुए हैं। कोरी भावुकता, कल्पना और झूठ से दूर इन कविताओं में यथार्थ की अभिव्यक्ति है।
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Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : सीएसआईआर-एनएमएल में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह मनाया गया. इस समारोह का मुख्य विषय हिस्सेदारी को अंगीकार करना था. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र आर्थिक विकास परिषद की सीईओ डॉ. सुगीता उपाध्याय उपस्थित थीं. इस अवसर पर डॉ. उपाध्याय ने जमशेदजी टाटा की दीर्घकालिक दृष्टि के बारे में बात की. कहा कि वे अपने समय से आगे थे और युवाओं और विशेष रूप से महिलाओं के महत्व को समझते थे. महिला शिक्षा पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे शिक्षा गुणवत्ता में सुधार करके श्रम बल के उत्पादन में वृद्धि करती है और जो आत्मनिर्भर आर्थिक विकास प्रक्रिया का स्रोत है. इससे पूर्व कार्यक्रम में स्वागत करते हुए सीएसआईआर-एनएमएल के वरिष्ठतम वैज्ञानिक डॉ एम तरफदार ने महिला कर्मचारियों की सराहना की और जेंडर गैप इंडेक्स और थीम "एम्ब्रेसइक्विटी" पर जोर दिया और उन्होंने उल्लेख किया कि सीएसआईआर-एनएमएल में महिला कर्मचारी हमारी ताकत हैं. वहीं मुख्य वैज्ञानिक और समारोह की अध्यक्ष डॉ संचिता चक्रवर्ती ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और पूरे कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी. मुख्य अतिथि डॉ. सुगीता उपाध्याय ने कार्यक्रम के दौरान सभी चार आमंत्रित गणमान्य लोगों डॉ जया मोइत्रा, डॉ मीनाक्षी मिश्रा, सुतापा रॉय और रीना को सम्मानित किया. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन महिला कर्मचारियों द्वारा किया गया. महिला कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा फूड स्टॉल, रंगोली, मेहंदी, कला प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं. इस दौरान दो सफाई महिला कर्मचारियों को एक वर्ष के दौरान उनके समर्पित कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. धन्यवाद ज्ञापन सीएसआईआर-एनएमएल के प्रशासनिक अधिकारी आदित्य मैनक ने किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके अथक प्रयास के लिए आयोजन समिति के सभी सदस्यों की सराहना की.
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अमेय मेजा के बनी बाचार्य हरिभद्र हुई अतः प्रत्येक ग्रन्थ के साथ उन्होने विरह शब्द को जोडा है ।" बाज भी भाचार्य हरिभद्र कृत ग्रन्थों की पहचान, अन्त में प्रयुक्त यह विरह शब्द है । बाचार्य हरिभद्र के साधनाशील जीवन की उच्च भूमिका पर यह प्रसङ्ग स्वाभाविक और सत्यता के निकट प्रतीत होता है । बाचार्य हरिभद्र ने उच्चकोटि का विपुल परिणाम मे साहित्य लिखा। उनके ग्रन्थ जैन शासन का अनुपम वंभव है। आचार्य हरिभद्र की लेखनी विविध विषयो पर चली । आगमिक क्षेत्र मे वे सर्वप्रथम टीकाकार थे। योग विषयो की भी उन्होंने नई दृष्टियां प्रदान की। ज्ञानवर्धक प्रकोर्णक ग्रन्थो की रचना भी उन्होंने की । अनेक प्रमुख ग्रंथों का परिचय संक्षेप में इस प्रकार हैटीका-ग्रन्थ आचार्य हरिभद्र ने आवश्यक, दशवंकालिक, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, नन्दी और अनुयोगद्वार-इन बागमो पर टीका रचना का कार्य किया । पिण्ड निर्मुक्ति की उनकी अपूर्ण रचना को वीराचार्य ने पूर्ण किया था। विविध विषयो का विवेचन करती हुई उनकी टीकाए विशेष ज्ञानवर्धक सिद्ध हुई । भावी टीकाकारों के लिए ये टीकाएं आधारभूत बनी । आवश्यक टीका आवश्यक नियुक्ति गाथाबो पर इस टीका की रचना हुई। नियुक्ति गाथाबों की व्याख्या में आवश्यक चूर्ण का पदानुसरण नहीं है। इसमे सामायिक आदि सभी पदों पर बहुत विस्तार से विवेचन है तथा विस्तृत रुचि रखने वाले पाठको के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस टीका की परिसमाप्ति में जिनभट्ट, जिनदत, याकिनी महत्तराजी बादि का उल्लेख करते हुए अपने को अल्पमति कहकर परिचय दिया है। यह टीका बाईस हजार श्लोक परिमाण है । बसर्वकालिक टीका इस टीका की रचना दशर्वकालिक नियुक्ति गायाबों के आधार पर हुई। इसका नाम शिष्यबोधिनी वृत्ति है। इसे बृहदवृत्ति भी कहते हैं। इस की वृत्ति रचना का उद्देश्य स्पष्ट करने के बाद हरिभद्र ने दशर्वकालिक के कर्ता शय्यंभव आचार्य का पूर्ण परिचय भी प्रस्तुत किया है।
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नौकरीपेशा लोगों की अक्सर यह शिकायत होती है कि सैलरी आते ही खत्म हो जाती है। अचानक ऐसे खर्चे आ जाते हैं कि सैलरी में से पैसे बच ही नहीं पाते। ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे आसान से उपाय बताए गए हैं, जिनको आजमाने से आपके घर में बरकत होगी आप धन संचय करने के प्रयास में सफल होंगे। उपाय बेहद आसान हैं, आप चाहें तो आज से ही अमल कर सकते हैं। सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार पर एक लोटा जल डालें। इससे घर में दरिद्रता का प्रवेश नहीं होता है और लक्ष्मी का वास बना रहता है। शु्क्रवार को दुकान से किसी भी साइज का बंद ताला खरीदें। आप स्वयं और दुकानदार भी इसे खोल-बंद करके चेक न करें। इस ताले को रात में अपने शयन कक्ष में रखें। शनिवार को शाम के समय किसी मंदिर में ले जाकर इस ताले को भगवान के दर्शन के पश्चात चाभी समेत छोड़ आएं। जब भी कोई ताले को चाबी से खोलेगा तो आपकी किस्मत का ताला खुल जाएगा। वैसे आपको बता दें इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है ये मान्यताओं की बात है। बुधवार को कोई किन्नर आपसे कुछ मांगे तो उसे दान अवश्य दें। मगर इसके साथ ही उससे एक सिक्का अवश्य मांग लें, ध्यान रहे कि यह आपका दिया हुआ न हो। उस सिक्के को हमेशा के लिए अपने पर्स या तिजोरी में रख लें। मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी।
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हाल ही में कृति ने सुशांत सिंह पर अपनी चुप्पी तोड़ी है.कृति ने कहा, 'एक समय पर इतना शोर था कि मैं उसका हिस्सा नहीं बनना चाहती. कृति सेनन (Kriti Sanon)के इस वायरल बयान के बीच एक्ट्रेस की फोटोज सुर्खियों में हैं. कृति सेनन(Kriti Sanon) ने हीरोपंती फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म के बाद से फिर कृति ने पीछे पलटकर नहीं देखा है. एक्ट्रेस ने अपने अब तक के करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है. कृति जल्द ही प्रभास के साथ पर्दे पर धमाल करने वाली हैं. ऐसे में इसी बीच एक्ट्रेस की ग्लैमर से भरी फोटोज सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. हाल ही में कृति ने सुशांत सिंह पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. अब कृति ने इस मामले पर अपना रिएक्शन दिया है. कृति ने कहा, 'एक समय पर इतना शोर था कि मैं उसका हिस्सा नहीं बनना चाहती. कृति के इस वायरल बयान के बीच एक्ट्रेस की फोटोज सुर्खियों में हैं. हाल ही कृति सेनन ने अपने इंस्टाग्राम पर अपनी दो फोटोज शेयर की हैं, जिसमें से एक फोटो ब्लैक एंड व्हाइट और एक कलरफुल है. फोटो में कृति हॉट अंदाज में आग लगाती नजर आ रही हैं. कृति इस लुक में भीगी भीगी सी दिख रही हैं. इस दौरान एक्ट्रेस ने ब्लैक कलर की स्टाइलिश ड्रेस को पहना हुआ है. इसके साथ ही वह अपनी अदाओं का जादू भी बिखेरती दिख रही हैं. कृति दोनों फोटोज में अलग अलग अंदाज में दिख रही हैं. फोटो शेयर करते हुए कृति ने लिखा है कि गर्मी आ गयी है! बिंदु पर समुद्र तट बाल, अब सिर्फ एक समुद्र तट और एक कॉकटेल की जरूरत है !!! कृति की ये फोटोज तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं. फैंस इस पर जमकर लाइक और कमेंट की बरसात कर रहे हैं. कृति की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो उनके पास कई सारी फिल्में लाइन में लगी हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने बच्चन पांडे की शूटिंग खत्म की है जिसमें उनके साथ अक्षय कुमार लीड रोल में हैं. फिलहाल वह फिल्म भेड़िया की शूटिंग कर रही हैं. इस फिल्म में कृति के साथ वरुण धवन लीड रोल में हैं. कृति के पास इनके अलावा एक बड़ी फिल्म भी है. दरअसल, कृति जल्द ही सुपरस्टार प्रभास और सैफ अली खान की फिल्म आदिपुरुष में नजर आने वाली हैं. कुछ दिनों पहले कृति ने फिल्म का हिस्सा बनने पर स्पेशल पोस्ट किया था. कृति के साथ सनी सिंह भी इस फिल्म का हिस्सा बने हैं. बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि दीपिका पादुकोण इस फिल्म का हिस्सा होंगी. फिल्म के डायरेक्टर की पहली पसंद दीपिका पादुकोण ही थीं, लेकिन फिर कहा गया कि दीपिका और प्रभास पहले ही नाग अश्विन की फिल्म साइन कर चुके हैं. ऐसे में दोनों बैक-टू-बैक एक साथ किसी फिल्म में नजर नहीं आना चाहते. दीपिका के फिल्म छोड़ने का कृति को बड़ा फायदा हुआ. अब कृति इस बड़ी फिल्म का हिस्सा हैं. प्रभास और सैफ के साथ ये कृति की पहली फिल्म है.
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नमस्कार दोस्तों हम आपको समय समय पर आपके भाग्य से संबंधित जानकारियां लेख के माध्यम से लाते रहते हैं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि फरवरी महीने की शुरुआत में ऐसे पांच नाम वाले लोग हैं जिनका भाग्य उनका साथ देगा, आइये जानते है ये पांच नाम वाले लोग कौन-कौन से है। M नाम वाले लोगों के लिए यह फरवरी का महीना बहुत ही शुभ रहेगा इस नाम वाले लोगों के सभी मुश्किल कार्य पूर्ण होंगे जैसा आप सोच रहे हैं सब उसी प्रकार होगा, आपकी शादी किसी अच्छे परिवार में तय होने की संभावना है। B नाम वाले लोगों के लिए फरवरी के महीने में किसी अच्छी जगह परमानेंट नौकरी प्राप्त हो सकती है आपके जो भी कार्य रुके हुए हैं वह पूरे होंगे आपको कहीं से अचानक धन लाभ की प्राप्ति हो सकती है आपको सच्चा प्यार मिलने की संभावना बन रही है। A नाम वाले लोगों के लिए फरवरी का महीना बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा फरवरी के महीने में इन लोगों को इनका पहला प्यार मिलेगा, आपको किसी अच्छी जगह पक्की नौकरी मिलने की संभावना बन रही है यदि आप कोई कार्य करते है तो पहले अपने साथी से विचार-विमर्श और सलाह जरूर लें। इस नाम वाले लोगों के लिए फरवरी का महीना बहुत ही खुशियां लेकर आया है आप प्यार में धोखा खा सकते हैं आप जिस किसी कार्य को करेंगे उस कार्य में आपको बहुत लाभ प्राप्त होने वाला है फरवरी महीने में आप किसी भी काम को अगर आरंभ करेंगे उसमें आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी। इस नाम वाले लोग फरवरी के महीने में इनका भाग्य इनका साथ देगा आपको अचानक से कहीं से धन की प्राप्ति हो सकती है आपको आपका पहला प्यार मिलने की संभावना है विद्यार्थियों को फरवरी के महीने में बहुत ही तरक्की मिलने वाली है आप अपने आपको सबकी नजरों में साबित कर सकेंगे आपको व्यापार में भी लाभ प्राप्त होगा।
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हैदराबाद। देश के विभिन्न राज्यों में चुनाव बेहद नजदीक आ गए है और इन चुनावों को मद्देनजर रखते हुए देश भर की तमाम राजनैतिक पार्टियों ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। ऐसे में जो पार्टियां अकेले चुनाव लड़ के जीत हासिल करने का भरोषा नहीं जुटा पा रही है वो दूसरी पार्टियों के साथ मिल कर महागठबंधन का कांसेप्ट अपनाने का विचार कर रही है। बिहार के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के कामयाब होने के बाद अब तेलंगाना भी इस फॉर्मूले को आजमाने के लिए तैयार हो गया है। फर्क बस इतना है कि यहाँ इस गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी नहीं बल्कि नहीं तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) है। इस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने से रोकने के लिए राज्य में कांग्रेस, तेदेपा, भाकपा और टीजेएस (तेलंगाना जन समिति) ने महागठबंधन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। यह जानकारी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी ने अपनी हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की है। उत्तम कुमार रेड्डी के मुताबिक आने वाले दो-तीन दिनों में महागठबंधन अपने साझा एजेंडे को अंतिम रूप दे देगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलहाल महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है लेकिन यह काम भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
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थोलुगाइ मेथु एर्देनि गेले विजु गेबे । दोर्बेगुले यि बागान् उ देगेंडे दागुदाजु इरेगेद् । खान् खेउखेन् जालिंग् बोलुरुन् । येरु बि इल्लाबामु । इलेगेग्छि खुमुन् । आबाछाराग्छि खुम्न् खोयार् निगे एर्देनि यि उजेग्सेन् उ थुला । खेन् इ निगेन् आदालि खिजुखुइ । था खोयार् थुशिमेल् । उजेग्सेन् उगेइ यिन् थुला । मोरिन् उ थोलुगाइ । खोनिन् उ थोलुग़ाइ मेथु एर्देनि बुइ गेले गेजु खिज खुइ । थुशिमेद् उन् योसु । खाग़ान् उ थोरु दुर् उनेन् इयेर् थुशिखु एछे ओबेरे । खुदाल् खागुर्माग् इयार् याबुखु थुशिमेल् उगेइ खेमेन् जान्दाजु बारिगुल्बा । बासा योग नेरे थु खुमुन् इ मोन् खु बारिगुल्बा । बारिसान् उ खोयिना । खोयार् थुशिमेल् उगुलेख्न् । योग नेरे थुखुमुन् आमिन् ग़ारुया खेमेन् गुयुरसान उ थुला । खुदाल् इयार् गरेछि बोलुग़्सान् बिले खेमेबे । योग नेरे थु खुमुन् । एदॅनि यि एमे खेड्खद् थुर् आग्गुग्सेन् उगेइ । बि ओबेर् इथेन् खुदाल्दुजु इदेग्मेन् उ॒नेन् खेमेमुइ । थेरे उलुस् इ छम् थोदोर्खाइ बिग्लेिगेद् । खुदाल् इयार् गेरेछिलेग्छि खोयार् थुशिमेल् । एर्देनि आबुछि गुर्बान् खुमुन् इ बारिग्राद् आराजि बोजि खाग़ान् दुर् आयिलाखाना खेमेन् एयिन् खु जासिजु दागुदाजु- बुला कर इरेगेद्-आ गये जालिंग् बोलुरुन्- आदेश दिया अर्थात् कहा बि इत्यानासु-यदि में विवेचन करूं खेब् इ-प्रतिरूप को निगेन् आदालि - एकसमान खिजुखुइ बनाया है एर्देनि बुइ - रत्न है गेले - (ऐसे) कहे (को) गेजु-कह कर थुशिमेद् उन् योसु-मन्त्रियों का नियम ( है ) रु दुर्-शासन में उनेन् इयेर् - सत्य से थुशिख एछे-सहारे से ओबेरे - भिन्न खुदाल - असत्य खाग़ुर्माग् इयार्धोखे से याबखु काम करने वाला जान्दाजु-डाँट कर बारिगल्बा-पकड़वा दिया बासा- फिर मो॒न् खु-उसी प्रकार बारिसान् उ खोयिना-पकड़े जाने के आमिन् गारुया - मेरे प्राण निकल जाएंगे गुयुग्सान् उ थलाप्रार्थना करने के कारण गेरेछि साक्षी बोलुसान् बिले खेमेबे बन गए यह कहा ओबेर् इयेन् - स्वयं से अर्थात् स्वयं खेमेमुइ-कहता हूँ छोम् - सब, पूर्णरूप से थोदोर्खाइ-स्पष्ट बिछिग्लेगेद्-लिखवा कर गेरेछिलेग्छि- साक्ष्य देने आबुरिछ- लेने वाले गुर्बान्-तीनों बारिग़ाद्-पकड़ लिया आराजि बोजि खाग़ान् दुर्-राजा भोज के पास आयिलाखाना-में प्रतिवेदन करूंगा एथिन् खु यही ( निम्नलिखित) जाखिजु - उपदेश देकर, कह कर सिर के समान रत्न कहा गया था सो मे ने वैसा बना दिया है। चारों को राजा के सामने बुलाया गया और वे आ गये । बाल-राजा ने कहा- यदि में सामान्य रूप से विवेचन करूं तो भेजने वाले और लाने वाले दोनों पुरुषों ने एक ही रत्न को देखा है और इसलिये प्रतिरूप भी एकसमान बनाया है । आप दोनों मंत्रियों ने रत्न को नहीं देखा और इसलिये घोड़े के सिर के समान तथा भेड़ के सिर के समान जैसा भी सुना था वैसा रत्न बनाया है। मंत्रियों का नियम है कि राजा के शासन में सत्य के सहारे से भिन्न असत्य और धोग्वे से काम करने वाला मंत्री नहीं ( होता ) - इस प्रकार डांट कर ( उनको ) पकड़वा दिया। फिर उसी प्रकार योग नामक व्यक्ति को पकड़वा दिया। पकड़े जाने के दोनों पश्चात् मन्त्री बोले- योग नामक व्यक्ति ने प्रार्थना की थी - मेरे प्राण निकल जाएंगे इति । इस कारण असत्य साक्षी बन गये इति । योग नामक पुरुष ने कहा- मैं ने रत्न स्त्री बच्चों को नहीं दिया। मं ने स्वयं बेच कर खा लिया-पव कहता हूं । (बाल-राजा ने ) इन लोगों से ( यह ) सत्र स्पष्ट लिखवा लिया । (और) असत्य साक्ष्य देने वाले दोनों मन्त्रियों और रत्न लेने वाले इन तीनों पुरुषों को पकड़ लिया। राजा भोज के पास प्रतिवेदन करूंगा यह कह कर ( राजा भोज के लिये) निम्नलिखित उपदेश दे कर
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नई दिल्ली. Rahul Gandhi on PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आधे से ज्यादा खत्म हो चुका है और ये स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी चुनाव हार रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में किसान, रोजगार व पीएम का भ्रष्टाचार मुख्य मुद्दा हैं और बीजेपी यह चुनाव हार रही है. राहुल गांधी ने कहा कि सेना मोदी जी की निजी संपत्ति नहीं है, सेना भारत की है. अगर मोदी जी कहते हैं कि सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक है, तो ये देश की सेना का अपमान है. कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि आर्मी हिंदुस्तान की सेना है, किसी एक व्यक्ति की नहीं. हम उसका राजनीतिकरण नहीं करते. प्रधानमंत्री में इतना सम्मान होना चाहिए कि वो सेना के लोगों का अपमान न करे. राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास कोई विशेषज्ञता नहीं है. जो लोग हैं, उनका वो उपयोग नहीं करते. इसलिए वो राफेल मामले में मुझसे डिबेट नहीं करना चाह रहे. उन्होंने कहा कि मसूद अज़हर आतंकी है और उस पर जर सम्भव कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, उसे पाकिस्तान किस सरकार ने भेजा था- भाजपा ने. भाजपा आतंकवाद से समझौता करती है. कांग्रेस नहीं करती, न हम कभी करेंगे. राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए आगे कहा कि सेना मोदी जी की निजी संपत्ति नहीं है, सेना भारत की है. अगर मोदी जी कहते हैं कि सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक वीडियो गेम है, तो ये देश की सेना का अपमान है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस घोषणा पत्र में देश की आवाज़ है और उधर सिर्फ एक व्यक्ति की आवाज़ है. वो जीत नहीं सकता, क्योंकि इस देश के सामने कोई खड़ा ही नहीं हो सकता.
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career@inext. co. inKANPUR : देश भर में सरकारी और प्रतिष्ठित संस्थानों में नौकरियों के लिए रोजाना हमारी न्यूज वेबसाइट inextlive Job Junction पर आते रहें। Educational qualification : कंडीडेट्स के पास रेलिवेंट टे्रड में इंजीनियरिंग /आईटीआई का डिप्लोमा हïोना चाहिïए। कंप्लीट डिटेल्स के लिए ओरिजनल नोटिफिकेशन जरूर चेक करें। Selection process : कंडीडेट्स का सिलेक्शन रिटेन एग्जाम व टे्रड टेस्ट के बेसिस पर होगा। Educational qualification : कंडीडेट्स के पास रेलिवेंट ट्रेड में आईटीआई का डिप्लोमा होना चाहिïए। कंप्लीट डिटेल्स के लिए ओरिजनल नोटिफिकेशन जरूर चेक करें। Selection process : कंडीडेट्स का सिलेक्शन मेरिट के बेसिस पर होगा। Educational qualification : कंडीडेट्स के पास रेलिवेंट सब्जेक्ट्स से बीएससी/एमएससी/बीटेक/पीएचडी की डिग्री हïोनी चाहिïए। डिटेल्स के लिए ओरिजनल नोटिफिकेशन जरूर चेक करें। Selection process : कंडीडेट्स का सिलेक्शन इंटरव्यू के बेसिस पर होगा। Educational qualification : कंडीडेट्स ग्रेजुएट हों। साथ ही उनके पास कंप्यूटर की बेसिक और टेली की नॉलेज हïोनी चाहिïए। कंप्लीट डिटेल्स के लिए ओरिजनल नोटिफिकेशन जरूर चेक करें। Selection process : कंडीडेट्स का सिलेक्शन रिटेन टेस्ट, स्किल टेस्ट व इंटरव्यू के बेसिस पर होगा।
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चांद पर दुनिया भर की कई सारी एजेंसी खोज में लगी हुई हैं। और आये दिन चौंकाने वाले खुलासे भी करती रहती हैं। ऐसा ही एक खुलासा चांद को लेकर हुआ है। जिसे जानकर आपको अपनी आंखों और कानों पर भरोसा नहीं होगा। वैज्ञानिकों को चांद पर लोहा मिला है। वो भी पृथ्वी से ज्यादा। चांद के गड्ढों में बर्फ ढूंढ रहे वैज्ञानिक उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें वहां बर्फ से ज्यादा कुछ और मिला, जिससे न सिर्फ रहस्य का खुलासा होगा कि चांद कैसे बना बल्कि चांद और पृथ्वी के बीच कनेक्शन के तार भी सुलझेंगे। चांद की सतह पर मेटल्स यानी धातुओं की मौजूदगी है, यह तो वैज्ञानिकों को पता था लेकिन नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटेर स्पेसक्राफ्ट के मिनियेचर रेडियो फ्रीक्वेंसी इंस्ट्रूमेंट ने पाया है कि इनकी मात्रा हमारे अंदाजे से कहीं ज्यादा है। और वहां लोहे और टाइटेनियम का भंडार है। लॉस ऐंजिलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से एक्सपेरिमेंट के को-इन्वेस्टिगेटर एसम हेगी का कहना है कि इस बारे में पहले कभी अंदाजा ही नहीं लगाया गया कि यह प्रॉपर्टी कभी मिल भी सकती है। चांद के बनने को लेकर एक नई संभावना की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान गया है। चांद पर विशाल गड्ढे छोड़ने वाले उल्कापिंड उसकी गहराई में जाते हैं। इसलिए टीम का अंदाजा है कि बड़े आकार के गड्डों में इस खास प्रॉपर्टी की वजह यह है कि जब उल्कापिंड इन गड्डों की गहराई में जाते हैं तो चांद की अंदरूनी सतह से लोहे और टाइटेनियम ऑक्साइड जैसे मेटल बाहर निकल आते हैं। जो आमतौर पर सतह के काफी नीचे रहते हैं और उनकी मौजूदगी के बारे में पता नहीं चलता है। जितनी ज्यादा इन मेटल्स की मात्रा होती है, डाइइलेक्ट्रिक प्रॉपर्टी भी उतनी ही ज्यादा होती है। अगर यह थिअरी सही है तो इसका मतलब होगा कि चांद की सतह के कुछ सौ मीटर तक लोहे और टाइटेनियम ऑक्साइड की कमी है लेकिन उसके नीचे इनका भंडार। जब से चांद पर लोहे के मिलने का खुलासा हुआ है। तब से वैज्ञानिक इसकी खोज में जुट गये हैं। इसके पीछे के सही कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
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पूर्वक अन्वेषण होता रहा । परन्तु, भौतिक तत्त्वों का यथार्थ विवेचन क्रमिक पद्धति एवं निश्चित नियमों के अभाव में सम्यक् रूप से नहीं हो रहा था। इसी कमी की पूर्ति के लिए भौतिक तत्त्वों के शास्त्रीय पद्धति से अध्ययन के निमित्त ही न्याय दर्शन की उत्पत्ति हुई । न्याय दर्शन की क्रमिक तार्किक पद्धति एवं उसके निश्चित नियमों के द्वारा भौतिक द्रव्यों का विवेचन सर्वव्यापक हुआ । भारतीय तत्त्व-ज्ञान की आधारशिला न्याय-दर्शन उद्घोषित कर यह कहता है कि कोई भी वैज्ञानिक एवं दार्शनिक निष्कर्ष न्याय-निर्णीत अपरिवर्तनीय निश्चित नियमों के अभाव में चिरस्थायी हो नहीं सकता । वैशेषिक दर्शन द्रव्य के केवल रूप एवं गुणों की हो व्याख्या de vos p apy cool that att ver करता है, तो न्याय-दर्शन वैशेषिक के द्रव्य एवं उसके गुणों को स्वीकार करते हुए उससे आगे भौतिक द्रव्यों के सोद्दश्य नियामक को खोज निकालता है। न्याय-दर्शन द्रव्यों के नियमों में उसके नियामक का दर्शन करता है । वैशेषिक एवं न्याय दोनों ही आत्मा को सगुण तथा सक्रिय मानते हैं । Adsen og Nike A इन दोनों दर्शनों को आरम्भवादया कार्यवाद के नामों से पुकारा जाता है। इस मत से असत् से सत् की उत्पत्ति हुई है । वैशेषिक दर्शन निरीश्वरवादी है, तो न्याय-दर्शन सेश्वरवादी । वैशेषिक एवं न्याय-दर्शन के पश्चात् कपिल का सांख्यदर्शन आता है। सांख्य दर्शन के अनुसार सत्य से सत्य की उत्पत्ति होती है। इसके अनुसार कोई भी नई वस्तु की
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विस, नई दिल्ली : डूसू चुनाव के लिए एनएसयूआई ने मांग की है कि इस बार चुनाव वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के जरिए किए जाएं। पारदर्शिता की बात करते हुए एनएसयूआई ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में देखा गया कि डूसू चुनाव अपनी पारदर्शिता खोता जा रहा है। राजनीतिक र्टियों और बाकी कारणों से कैंडिडेट को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शिकायतों के बाद भी चुनावों में दिक्कत आईं, इन्हीं को देखते हुए हम वीवीपैट मशीनों से डूसू चुनाव करने की मांग कर रहे हैं। एनएसयूआई के नैशनल मीडिया कन्वेनर जिया उल हक ने कहा, चुनाव के एक हफ्ते पहले ही स्टूडेंट्स को उनके आईडी कार्ड मिल जाएं और अगर कॉलेज प्रशाशन ऐसा नहीं कर पाया तो आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस वगैरह के साथ उनकी एडमिशन रसीद के साथ उन्हें वोट देने दिया जाए। चुनाव में स्टूडेंट्स की सेफ्टी के लिए महिला पुलिस कॉन्स्टेबल में इज़ाफ़ा किया जाए, ताकि ज्यादा स्टूडेंट्स वोट दे सकें। कैंडिडेट्स के सामने ईवीएम काउंटिंग की जाए और उनके पोलिंग एजेंट भी वहां मौजूद रहें, ताकि पारदर्शिता और बेहतर हो सके। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में पोलिंग की भी मांग यूनियन ने की है और कहा है कि अगर कहीं गलत तरीके से चुनाव हुए हैं तो वहां दोबारा चुनाव करवाया जाए।
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Former PM Shahid Khaqan Abbasi: पाकिस्तान के पूर्व पीएम शाहिद खाकान अब्बासी ने एक बार फिर देश के हालात पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इतने बुरे राजनीतिक और आर्थिक हालात से पहले कभी नहीं गुजरा था. Pakistan News: पाकिस्तान इस समय अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. देश में बढ़ती महंगाी ने अवाम का जीना मुश्किल कर दिया है. लोगों के पास खाने- पीने का सामान खत्म होता जा रहा है. मुफ्त खाना लेने के लिए लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ रही है. वहीं पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति भी दिन व दिन बेहद कमजोर होती जा रही है. पाकिस्तान के पूर्व पीएम शाहिद खाकान अब्बासी ने देश में एक बार फिर राजनीतिक अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने की तरफ बड़ा इशारा किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तख्तापलट हो सकता है. क्या पाकिस्तान में होगा तख्तापलट ? पूर्व पीएम ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, देश के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि फौज की नजर अब हुकूमत की कुर्सी हथियाने पर टिकी है. शाहिद खाकान अब्बासी के इस दावे ने देश के सियासी हालात में मजीद हलचल पैदा कर दी है. पूर्व पीएम अब्बासी ने कहा कि अब देश की व्यवस्थाएं नाकाम साबित हो रही हैं और जब ऐसा होता है तो राजनीतिक अगुवाई आगे बढ़ने में असमर्थ हो जाती है. डॉन न्यूज को दिए इंटरव्यू में पूर्व पीएम अब्बासी ने कहा कि जब भी पाकिस्तान की सियासी हालत खराब हुईं, तब तख्तापलट हुआ. इस बार भी ऐसा ही खदशा जाहिर किया जा रहा है. पाकिस्तान के पूर्व पीएम शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा कि, देश में मौजूदा दौर जैसी गंभीर फाइनेंशियल और सियासी हालत कभी नहीं देखी. अब्बासी ने देश में अराजकता की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समाज और इदारों के बीच संघर्ष गहरा गया तो फौज की ओर से कोई कड़ा कदम उठाया जा सकता है. पूर्व पीएम ने कहा कि सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई मुल्कों से ऐसी तस्वीरें नजर आई हैं कि जब वहां सियासी और संवैधानिक प्रणाली नाकाम हो जाती हैं और काम ठीक तरीके से नहीं हो पाता है तो अतिरिक्त-संवैधानिक तरीके अपनाए जाते हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि फौज अभी इस ओर नहीं देख रही है, लेकिन अब कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा है.
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पति पटवारी था तब तुम पिल्ले के समान ये न, गौड़ ? अब अन्याय से दंड डालकर, कोर्ट जाने की धमकी देते हो ! कोर्ट हो क्यों, दीवानजी तक जाओ। मैं भी वकील करूंगी । हमसे तुम एक पैसा भी नहीं ले सकोगे। औरत होकर भी डरूंगी नहीं।" शिवेगौड़ ने बाहर आकर पूछा- "यह क्या गंगम्मा, अब दो घंटे पहले तो आपने न्यायपूर्वक वात की थी और अब ऐसे बोलतो हो ।" "क्यों न कहूंगी ? बुरे दिनों में मेरी मदद करने वाले भी हैं। मैं कोई परदेशी नहीं हूं।" कहकर गंगम्मा सोधे घर आयो । उसके लौटने के पहले ही रेवण्णशेट्टी आकर बैठा हुआ था। उसके चेहरे को देखकर ही शेट्टी ने अंदाज लगा लिया कि शिवेगौड़ के साथ वह क्या करके आयो होगी। वह बोला - "गंगम्माजी, आप और दोनों बेटों को बैलगाड़ो से चार बार तिपटूर के चक्कर लगाने पड़ेंगे । जज के सामने यह अन्याय कहकर मुंह खोलकर कह दें तो केस आपके पक्ष में हो जायगा । बस, कुल मिलाकर पांच सौ खर्च करना पड़ेगा।" "तिपटूर जाने पर खाने-पीने का क्या होगा ?" अप्पण्णय्या का प्रश्न था । "होटल नहीं है क्या !" होटल सुनते ही अप्पण्णय्या के मुंह में लार आ गयी । आलू कांदे का सांभर कढ़ी, तला चना मिश्रित महकती हरी चटनी, छाछ । नाश्ते के लिए मसाला दोसा । "हां कह दो मां, तिपटूर में केस करें।" निर्णायात्मक स्वर में वह बोला । "पटवारी क्या कहता है ?" मां ने पूछा तो चेन्निगराय ने कहा - "किसी बुद्धिमान से पूछना चाहिए।" खैर, शिवेगौड़ ने केस किया। ये तीनों रेवण्णशेट्टी के साथ साथ तिपटूर गये और शेट्टी ने जिस महांतय्याजी के पास ले गया था उन्हें वकील नियुक्त किया। इनके केस को रेवणशेट्टी ने समझाया- "गांव के कुछ लोगों ने मिलकर खेत में आग लगा दी। इस अनुभवहीनों पर दंड कर पैसे निकलवाये । उसपर हस्ताक्षर करवाये नाबालिग बेटों के गिरवी रखवायी पैतृक जायदाद । कागज पत्र लिपकर, हस्ताक्षर लेकर पैसे देकर गिरवी लिखवा लेने वाला स्वयं उसी का साला है। इतना सब रहते हुए केरा जीता नहीं जायगा, हुजूर ?" "जीते बिना रहेंगे ? " वकील साहब बोले ।
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वृषः आज का दिन आनंद से भरा रहेगा, क्योंकि आप जीवन को पूरी तरह से जिएंगे। इस राशि के बड़े व्यापारियों को आज के दिन बहुत ही सोच समझकर धन का निवेश करने की जरूरत है। पार्टनर की लापरवाही रिश्ते में दूरियां बढ़ा सकती है। मनोरंजन के लिए दिन अच्छा है। मिथुनः आज आपके पास ख़ुद के लिए पर्याप्त समय होगा, इसलिए मौके का फ़ायदा उठाएँ और अच्छी सेहत के लिए सैर-सपाटे पर जाएँ। घर में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले अपने बड़ों की राय लें अन्यथा वे आपसे नाराज और परेशान हो सकते हैं। प्यार मोहब्बत के मामले में जल्दबाजी करने से बचें। कर्कः मित्रों का रवैया सहयोगात्मक रहेगा और वे आपको ख़ुश रखेंगे। आपके मन में शीघ्र धन कमाने की प्रबल इच्छा होगी। परिवार के सदस्यों के साथ अपनी समस्याओं को साझा करके आप सुकून महसूस करते हैं, लेकिन कई बार आप अपने अहंकार को सामने रखते हैं और महत्वपूर्ण बातों को परिवार के सदस्यों को नहीं बताते हैं। आज आपको एक बार फिर अपने पार्टनर से प्यार हो जाएगा। सिंहः दूसरों के साथ ख़ुशियाँ बाँटने से सेहत निखरेगी। आपके माता-पिता में से कोई आज आपको पैसे बचाने पर लेक्चर दे सकता है। आज दूसरों के मामलों में दखलअंदाजी करने से बचें। आपका आत्मविश्वास बढ़ रहा है और प्रगति स्पष्ट है। जीवन वास्तव में एक महान साथी के साथ बहुत अच्छा लगता है। कन्याः शारीरिक और मानसिक लाभ के लिए ध्यान और योग उपयोगी रहेगा। जिन लोगों ने किसी अजनबी की सलाह पर कहीं निवेश किया था, आज उस निवेश से लाभ मिलने की संभावना है। कार्य में परिवर्तन लाभ लाएगा। तुलाः अगर आप बहुत तनाव महसूस कर रहे हैं तो बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं। उनके प्यार भरे आलिंगन और मासूम मुस्कान आपकी सारी परेशानियों को दूर कर देगी। आप अपने छिपे हुए व्यक्तित्व का उपयोग करके दिन को बेहतरीन बनाएंगे। आपका पार्टनर आपसे नाराज हो सकता है। वृश्चिकः आज आपके व्यक्तित्व में इत्र की महक आएगी. हालांकि आज आर्थिक पक्ष अच्छा रहेगा लेकिन इसके साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं आप अपना पैसा व्यर्थ में खर्च न कर दें। अपने परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों का ख़याल रखना आज आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपने जो नया ज्ञान प्राप्त किया है, वह आपको अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिलाएगा। धनुः बेकार के विचारों पर अपनी ऊर्जा बर्बाद न करें, बल्कि इसे सही दिशा में लगाएं। माता-पिता की सेहत में सुधार आएगा और वे आप पर प्यार बरसाएंगे। आपमें बहुत कुछ हासिल करने की क्षमता है। इसलिए अपने रास्ते में आने वाले सभी अवसरों का लाभ उठाएं। मकर राशिः भीड़भाड़ वाले इलाकों में यात्रा करते समय रक्तचाप के रोगियों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। आप खुद को नई रोमांचक स्थितियों में पाएंगे, जिससे आपको आर्थिक लाभ होगा। विदेश में रह रहे किसी रिश्तेदार से मिला उपहार आपके लिए खुशियां ला सकता है। आप जो भी कहें, समझ के साथ बोलें। कुंभः कामकाज के मोर्चे पर आपको झटका लग सकता है, क्योंकि आपकी सेहत आपके साथ नहीं है और इस वजह से आपको कोई महत्वपूर्ण काम बीच में ही छोड़ना पड़ सकता है। आज का दिन ख़ुशियों से भरा रहेगा, क्योंकि आपका पार्टनर आपको ख़ुश करने की पूरी कोशिश करेगा।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि सरकार को कृषि से जुड़े बिलों पर पुनर्विचार कर संसद में एक नया बिल लाना चाहिए जिसमें पूंजीपति, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP)से नीचे फसल नहीं खरीद पाएं और फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI)जैसी सरकारी एजेंसी किसानों से फसल एमएसपी से नीचे ही खरीदने को बाध्य हों। नई दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो वे संसद सत्र का बहिष्कार करेंगे। आजाद ने कहा कि सरकार को कृषि से जुड़े बिलों पर पुनर्विचार कर संसद में एक नया बिल लाना चाहिए जिसमें पूंजीपति, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP)से नीचे फसल नहीं खरीद पाएं और फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI)जैसी सरकारी एजेंसी किसानों से फसल एमएसपी से नीचे ही खरीदने को बाध्य हों। इसपर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं से कहा कि वे सत्र को बहिष्कार करने के विषय पर एक बार फिर विचार करलें। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा संसद से पारित किए गए कृषि से जुड़े दो बिलों पर विपक्षी दलों के साथ पंजाब, हरियाणा समेत देशभर के कई किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि इन बिलों से देश की मंडियां खत्म हो जाएंगी और इससे सिर्फ प्राइवेट पूंजीपतियों को ही फायदा होगा। वहीं इसपर विपक्ष की मांग है कि सरकार इन बिलों पर पुनर्विचार कर संसद में एक नया बिल लाए जिसमें स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित फार्मूला के तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए और एफसीआई जैसी सरकारी एजेंसियों को एमएसपी से नीचे फसल खरीदने पर बाध्य किया जाए। हालांकि सरकार इन बिलों के संबंध में यह कह चुकी है कि इनमें एमएसपी पहले की तरह बरकरार रहेगी।
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बेटी नीरू कल रात विदा हो अपनी ससुराल चली गई, घर से सब मेहमानों को विदा कर रागिनी थक कर बालकनी में आकर बैठ गई।यह उसकी सबसे प्रिय जगह है, रंगबिरंगे फूलों से सजी बालकनी में चाय पीकर उसकी थकान भी उतर गई। बेटा आयुष पास आकर बैठ गया - माँ तुमने दीदी से बात कर ली थी क्या, उस बारे में। "हाँ बेटा मैंने दामाद राज से भी बात कर ली थी और मैंने निर्णय भी ले लिया है, क्या करना है अब मुझे।" बेटे ने कहा "माँ मैं तुम्हारे हर निर्णय में साथ ही खड़ा हूँ।" बेटे के जाने के बाद रागिनी अपनी जिंदगी के बारे में सोचने लगी ---क्या हो गया है आयुष के पापा को पिछले पाँच वर्षों से वह सब कुछ जान कर भी अनजान बनी रही, रोहित (उसका पति) का अपने ऑफिस की सहकर्मी किसी रीना नाम की लड़की से अफेयर चल रहा था, ऑफिस के काम के बहाने से वह उसके साथ गुलछर्रे उड़ा रहा था, अक्सर शहर से बाहर रहने लगा, घर भी कई कई दिन नहीं आता, कई बार रागिनी ने समझाने की कोशिश की, जवान बच्चों का वास्ता दिया, पर सब बेकार रागिनी ने अपने बच्चों को भी बता दिया कि अब इस रिश्ते से मुक्त हो जाने में ही सबकी भलाई है। रागिनी मैं काम से बाहर जा रहा हूँ - रोहित की आवाज से रागिनी उठ खड़ी हुई। "रोहित आज मेरा एक फैसला सुन कर जाओ "उसके इतना कहते ही रोहित --तुम घर छोड़ कर जाना चाहती हो तो जा सकती हो, मुझे अब समझाने की कोशिश भी ना करना।" रागिनी -"घर मैं नहीं, तुम छोड़ कर जाओगे, तुम्हारे साथ खोखले रिश्तों को निभाना अब मेरे लिए मुमकिन नहीं, रही बात घर की तो ये घर मेरे पिता ने मुझे दिया था इसीलिए अब तुम अपना सामान लेकर यहाँ से जा सकते हो, मैं अपने बच्चों के साथ खुश रह लूंगी,और ये हमारा फैसला है कि तुम अब हमारे साथ नहीं रह सकते"। रोहित किंकर्तव्यविमूढ़ रह गया और रागिनी खोखले रिश्तों के भार से मुक्त हो खुद को हल्का महसूस कर रही थी।
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मुंबईः बॉलीवुड एक्टर अभय देओल ने उन बॉलीवुड सेलेब्रिटीज की आलोचना की है, जो अपने देश की समस्याओं के बारे में आवाज न उठाकर अमेरिका के ब्लैक लाइव्स मूवमेंट को अपना समर्थन देने के लिए आगे आ रहे हैं। अभय ने कहा है कि यह अपने देश के लिए प्रासंगिक आंदोलन और क्रियाकलापों को करने का समय है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। अभय लिखते हैं, "क्या यह वक्त इन सारी चीजों के लिए है? अब जब जागरूक इंडियन सेलेब्रिटीज और मिडिल क्लास अमेरिका में प्रणालीगत नस्लवाद के साथ लड़ने के लिए एकजुट हो रहे हैं, शायद वे अपने यहां की समस्याओं के प्रति ही अनजान हैं। अमेरिका ने पूरी दुनिया को हिंसा का निर्यात किया है। उन्होंने इसे पहले की अपेक्षा और भी ज्यादा खतरनाक जगह बना दिया है। ऐसा तो होना ही था। " अभय ने आगे लिखा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वे इसके हकदार हैं, बल्कि मैं कह रहा हूं कि इस तस्वीर को इसकी पूरी समग्रता के साथ देखें। मैं कह रहा हूं कि अपने देश में प्रणालीगत समस्याओं के लिए आवाज उठाकर उनका समर्थन करें, क्योंकि ये भी आगे चलकर कुछ ऐसा ही बनकर उभर सकते हैं। मैं कह रहा हूं कि उनके नेतृत्व का पालन करें, लेकिन उनके कार्यो का अनुसरण न करें। अपने देश के लिए प्रासंगिक कार्यों को करें, उनके लिए मुखर बनें। ब्लैक लाइव्स मूवमेंट इसी के बारे में ही तो है। समग्र रूप में हम या वे नहीं, बल्कि बात एक पूरे देश की है। हैशटैगमाइग्रेंटलाइव्समैटर, हैशटैगपूअरलाइव्समैटर हैशटैगमाइनरिटीलाइव्समैटर। " पिछले कुछ दिनों में करण जौहर, प्रियंका चोपड़ा जोनस, करीना कपूर खान, दिशा पटानी और ईशान खट्टर सहित कई हस्तियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है, जो पुलिस हिरासत में एक अश्वेत अमेरिकी की मौत से संबंधित है, जिसका नाम जॉर्ज फ्लॉयड है।
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कचहरी का नाम सुनकर ऐली डर गई । उसको रोना आ गया। "क्या कहा ? तुमको कचहरी ले जाएगा? तुमको सज़ा हो गई तो मेरा क्या होगा? कचहरी मत जाना, हाथ जोड़ती हूँ।" "इसी कारण तो मैं इस समय इतना दुखी "लेकिन चिंता करने से कर्ज़ तो नहीं चुका पाओगे। अच्छा होगा कि जाकर रुपयों का कुछ इंतज़ाम करो।" ऐली ने कहा । "लेकिन कहाँ मिलेगा रुपया? मुझे सोचने दो। परेशान मत करो। मैं कर्ज चुकाने की कोई तरकीब सोच रहा हूँ। तुम रसोई में जाओ। तुम यहाँ खड़ी रहोगी, तो मेरे सोचने में बाधा होगी।" ऐली रसोई में वापस चली गई, और काबायान फिर सोचने लगा । थोड़ी देर बाद वह ज़ोर से चिल्लाया और अपनी पत्नी को ढूँढने रसोई में पहुँचा। वह बिल्कुल पागलों जैसा व्यवहार कर रहा था । "सुनो! मैंने बहुत बढ़िया तरकीब सोची है। खुशी मनाओ ! हम आज ही अपना कर्ज़ चुका in depuis des a सकते हैं।" काबायान ने कहा। "क्या करोगे!" ऐली ने पूछा । "सवाल मत पूछो। शकरकंद के आटे से ढेर सारी लेई बनाओ।" "क्या? लेई बनाओ?" "हाँ, हाँ लेई! जल्दी । वान आबू के आने से पहले ।" ऐली उबलते पानी में शकरकंद का आटा मिलाकर लेई बनाने लगी। इस बीच काबायान ने अपना एक तकिया खोल डाला और उसमें भरे चिड़िया के पंखों को ज़मीन पर बिखेर दिया। "लो, लेई तैयार है। अब इसका क्या करूँ ?" ऐली ने आवाज़ दी ।
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विशालकाय तारों में महा-विस्फोट (सुपरनोवा) को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों के एक ताजा अध्ययन में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आयी हैं। खगोल-विज्ञानियों की एक आम धारणा है कि तारों के जीवनकाल के अंत में होने वाले सुपरनोवा विस्फोट में न्यूट्रिनो के सिर्फ दो रूपों की भूमिका होती है। लेकिन, एक नये अध्ययन में पता चला है कि सुपरनोवा में न्यूट्रिनो के तीनों रूप या फ्लेवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये तथ्य सुपरनोवा में न्यूट्रिनों के सिर्फ दो रूपों की भूमिका पर केंद्रित आम धारणा के विपरीत हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये तथ्य विशालकाय तारों के अंत को बेहतर ढंग से समझने में उपयोगी हो सकते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, जर्मनी और नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय, अमेरिका के संयुक्त अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीएफआईआर) के एक सैद्धांतिक अध्ययन से पता चला था कि तारों के जीवनकाल के अंत में होने वाले सुपरनोवा विस्फोट का कारण न्यूट्रिनो हो सकते हैं। न्यूट्रिनो के बारे में जानने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन, म्यूऑन और टाऊ के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर मौजूद जीवों की तरह आकाश में चमकने वाले तारों का भी एक दिन अंत होना तय रहता है। तारों के भीतर संचित ऊर्जा जब समाप्त हो जाती है, तो उनकी चमक खोने लगती है। इस तरह तारों का अंत या मृत्यु हो जाती है। तारों की मृत्यु के समय प्रचंड महा-विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा विस्फोट के रूप में जाना जाता है, जिससे कई नये तारों का जन्म होता है। अपने जीवन के अंत में भीमकाय तारों का विखंडन एक बड़े झटके के रूप में होता है, जो अपनी आकाशगंगा में भी उथल-पुथल का कारण बनता है। ऐसे में, सुपरनोवा के दौरान विमुक्त होने वाले कणों के अध्ययन से ब्रह्मांड की कई गुत्थियां सुलझायी जा सकती हैं। यह माना जाता है कि जिन तत्वों से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है, ऐसे लगभग सभी तत्व इसी तरह के विस्फोटों का परिणाम होते हैं। इसे भी पढ़ेंः कोरोना से लड़ने के लिए आप तक ऐसे पहुँचेगी वैक्सीन! शोध पत्रिका फिजिकल रिव्यू लेटर (पीआरएल) में प्रकाशित इस अध्ययन ने पूरे विश्व के खगोल-विज्ञानियों का ध्यान आकर्षित किया है। यह अध्ययन आईआईटी, गुवाहाटी के भौतिकी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोवन चक्रवर्ती एवं उनकी शोध छात्रा मधुरिमा चक्रवर्ती, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, जर्मनी के पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो डॉ. फ्रांसेस्को केपोजी और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो डॉ. मनिब्रता सेन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। डॉ. सोवन चक्रवर्ती ने बताया कि "सुपरनोवा से जुड़ी गुत्थियों को अभी तक पूरी तरह नहीं सुलझाया जा सका है, और यह प्रकृति का एक गूढ़ रहस्य बना हुआ है। " उन्होंने बताया कि सुपरनोवा विखंडन की प्रक्रिया में आण्विक प्रक्रियाओं के माध्यम से न्यूट्रिनो का सृजन होता है। विखंडन से जुड़ी मूल चुनौती उन न्यूट्रिनो कणों से संबंधित है, जो आकार में बेहद सूक्ष्म होते हैं। न्यूट्रिनो कणों की अपनी जटिलताएं हैं। इन कणों की खोज के कई दशक के बाद भी भौतिक-विज्ञानी न्यूट्रनो से संबंधित रहस्यों को पूरी तरह समझ नहीं सके हैं। इन कणों की संरचना और द्रव्यमान जैसे बिंदुओं से संबंधित बहुत-सी बातें पहेली बनी हुई हैं। मौजूदा सुपरनोवा मॉडल यही बताता है कि म्यूऑन और टाऊ न्यूट्रिनो और एंटी-न्यूट्रिनो की काफी कुछ विशेषताएं एक जैसी हैं, और उन्हें एक ही प्रजाति का माना जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि न्यूट्रिनो के तीनों फ्लेवर में अंतर महत्वपूर्ण हैं। उनमें से किसी एक की अनदेखी से तीव्र गति से होने वाले फ्लेवर परिवर्तन की सही और स्पष्ट तस्वीर मिल पाना संभव नहीं है। यह अध्ययन ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझाने और भविष्य के कई शोध-अनुसंधानों को एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान कर सकता है। (इंडिया साइंस वायर)
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अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने बेबुनियाद बहानों के तहत ईरान पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने प्रतिबंध लगाने के संबंध में आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जिसके अनुसार ईरान पर भयावह प्रतबंध लगेंगे तथा ईरान के सुप्रीम लीडर का विभाग पर प्रतिबंधों के दायरे में आएगा। ट्रम्प ने कहा कि हम ईरान पर दबाव बढ़ाते रहेंगे ताकि ईरान परमाणु हथियार हासिल न कर सके। ट्रम्प ने इस बारे में कोई ब्योरा दिए बिना कहा कि इन प्रतिबंधों से वित्तीय स्रोतों तक ईरानी अधिकारियों को पहुंच सीमित होगी। ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने ईरान द्वारा अमरीका का ड्रोन गिराए जाने के जवाब में यह प्रतिबंध लगाया है। अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के ख़िलाफ़ अपने निराधार दावों को दोहराते हुए कहा कि हम इस बात की अनुमति नहीं दे सकते कि ईरान परमाणु हथियार बनाए। ट्रम्प ने इसके साथ ही यह भी कहा कि हम ईरान से युद्ध नहीं चाहते बल्कि ईरानियों से एक व्यापक समझौता करने के इच्छुक हैं। ट्रम्प ने प्रतिबंधों के आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि यह ईरान पर लगने वाले कठोरतम प्रतिबंध हैं। उन्होंने अमरीका के पूर्व अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि ईरान से किया जाने वाला परमाणु समझौता जेसीपीओए नहीं होना चाहिए था। ट्रम्प ने कहा कि यह प्रतिबंध अनेक कारणों से लगाए गए हैं जिनमें एक कारण ईरान द्वारा अमरीका का ड्रोन विमान गिराया जाना भी है। कहा जाता है कि ट्रम्प ने नए प्रतिबंधों में ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ को भी निशाना बनाया है जिस पर अमरीका के भीतर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
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