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Pawan Singh and Kajal Raghwani: पवन सिंह एक बेहद लोकप्रिय भोजपुरी स्टार हैं। उनकी फैन फॉलोइंग सिर्फ एक राज्य में नहीं है, बल्कि वह पूरे भारत में समान रूप से प्रसिद्ध हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। उनके नए और पुराने दोनों गाने देश भर में उनके प्रशंसकों द्वारा पसंद किए जाते हैं। सुपरस्टार पवन सिंह ने पिछले कई सालों में कई अभिनेत्रियों के साथ काम किया है और उनमें से एक हैं काजल राघवानी। जो वीडियो हम आपके लिए यहां लेकर आए हैं वह एक रोमांटिक गाना है जिसका टाइटल 'मेहरी के सुख' है। इस वीडियो में पवन सिंह बेड पर काजल राघवानी के साथ रोमांस करते नजर आ रहे हैं. पवन सिंह और काजल राघवानी ने कई हिट नंबर दिए हैं लेकिन यह एक खास है। यहां देखिए पूरी तरह से बटरली स्वादिष्ट रोमांटिक गानाः इस सुपरहिट गाने का टाइटल है मेहरी के सुख नहीं देबू। ये भोजपुरी गाना पवन सिंह और काजल राघवानी का सबसे हिट गाना है. गाने में पवन सिंह और कदल राघवानी बंद कमरे में रोमांस कर रहे हैं. इस रोमांटिक गाने के बोल और म्यूजिक बहुत ही शानदार है. कपल की रोमांटिक केमिस्ट्री फैन्स को खूब पसंद आ रही है. गाने में पवन सिंह काफी स्टाइलिश दिख रहे हैं और उनका लुक भी काफी अट्रैक्टिव है. काजल राघवानी ने नाइट सूट पहना हुआ है और एक्ट्रेस भी बेहद खूबसूरत लग रही हैं. इस गाने को पवन सिंह और भोजपुरी सिंगर इंदु सोनाली ने गाया है. इस गाने को DRJ Records भोजपुरी नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है. इस गाने पर अब तक लाखों व्यूज आ चुके हैं और कई कमेंट भी आ रहे हैं. यह भी पढ़ेंः
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मौनी रॉय (Mouni Roy) विदेश में नए साल का जश्न मना रही हैं. उन्होंने यूएई में छुट्टियां मनाते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिनमें से एक फोटो में मौनी राय समुद्र किनारे टहलती दिखाई दे रही हैं. लोग उन्हें छरहरी काया की वजह से ट्रोल कर रहे हैं. नई दिल्लीः मौनी रॉय (Mouni Roy) ने कई टीवी शोज और फिल्मों में काम किया है. उन्हें आखिरी बार फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए देखा गया था. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) मौनी रॉय डांस रियलिटी शो में जज के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. वे फिलहाल अपनी शादीशुदा जिंदगी का लुत्फ उठा रही हैं और यूएई में पति के साथ छुट्टियों को शानदार तरीके से बिता रही हैं. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) मौनी रॉय ने इंस्टाग्राम पर काले रंग की बिकिनी पहने हुए अपनी दिलकश फोटो शेयर की है, जिसमें उन्हें हाथ में वाइन ग्लास पकड़े हुए बड़ी अदा के साथ समुद्र किनारे टहलते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने काले चश्मे से अपने लुक को कंप्लीट किया है. एक्ट्रेस की फोटो को काफी लोगों ने पसंद किया, पर कुछ लोगों ने उन्हें पतले बदन की वजह से ट्रोल भी किया. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) मौनी की फोटो पर एक यूजर कमेंट करता है, 'कोई इन्हें खाना दे दो. ' दूसरे यूजर ने लिखा, 'एलिमिनेट हो चुकी पबजी गर्ल. ' तीसरा यूजर बोला, 'हड्डियों का ढांचा लग रही हो. ' (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) 'ब्रह्मास्त्र पार्ट वनः शिवा' में मौनी रॉय के काम को काफी सराहा गया था. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) मौनी ने टीवी पर भी सुपरनैचुरल किरदार निभाया है. वे संजय दत्त के साथ 'द वर्जिन ट्री' में नजर आएंगी. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) मौनी को हनी सिंह के एक म्यूजिक वीडियो 'गतिविधि' में भी देखा गया था. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy) नई दिल्लीः मौनी रॉय (Mouni Roy) ने कई टीवी शोज और फिल्मों में काम किया है. उन्हें आखिरी बार फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए देखा गया था. (फोटो साभारः Instagram@imouniroy)
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आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा पंजाब में ट्रक यूनियन तोड़े जाने के विरोध में बड़ी संख्या में पंजाब के ट्रक संचालक और चालक शंभू बॉर्डर पहुंचे हैं। पटियाला : आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा पंजाब में ट्रक यूनियन तोड़े जाने के विरोध में बड़ी संख्या में पंजाब के ट्रक संचालक और चालक शंभू बॉर्डर पहुंचे हैं। यह विरोध दूसरे दिन भी जारी है। बीती रात एस. डी. एम. और एस. पी. के साथ हुई उनकी बैठक बेनतीजा रही। ट्रक यूनियनों के संचालकों का धरना आज दूसरे दिन सुबह से ही जारी है जिससे दूसरे दिन भी अंबाला से अमृतसर जाने वाले रूट को डायवर्ट कर दिया गया है। डी. सी. व अन्य अधिकारियों के आज शंभू बॉर्डर आने की संभावना है, जो हड़ताल खत्म कराने के लिए बैठक करेंगे। ट्रक संचालकों का कहना कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक उनका धरना जारी रहेगा। आपको बता दें कि ट्रक चालकों में काफी रोष है और उन्होंने शंभू में हरियाणा और पंजाब की सीमा को जाम कर दिया है। इससे हरियाणा और पंजाब से आने-जाने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल के चलते हरियाणा-पंजाब के दिल्ली-अमृतसर और अमृतसर-दिल्ली हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। लोग इस जाम में फंसे हुए हैं। इस संबंध में सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जाम को शांत कराया।
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Worship Rules: भगवान की कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ करना तो जरूरी है ही साथ ही कई ऐसे नियम भी हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए। अगर पूजा पाठ के दौरान आप इन नियमों का पालन नहीं करते तो इससे आपको पूजा (Puja-Path Niyam) का फल भी नहीं मिलता है और वास्तु दोष का भी सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं पूजा करने के दौरान आपको किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। Astro Tips: काजल से आंखें बड़ी और सुंदर दिखती हैं। यही कारण है कि उन्हें आंखों में काजल लगाना बेहद प्रिय होता है। इसके अलावा बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए भी काजल का इस्तेमाल किया जाता है। Astro Tips: घर से निकलने से पहले शकुन और अपशकुन का अच्छे से सोच विचार किया जाए तो उस काम में सफलता अवश्य मिलती है। ऐसा माना जाता है कि घर से निकलने से पहले या किसी यात्रा पर जाने से पहले अगर कुछ खास चीजें दिखाई दे जाएं तो उस काम को थोड़े समय के लिए टाल देना चाहिए। Astro Tips: सभी लोगों की चाह होती है कि आज वो जिन कामों को हाथ में लेकर निकले हैं वो सभी पूरे हों। पूरा दिन टेंशन फ्री और खुशनुमा बीते। हिन्दू शास्त्रों में भी दिन की शुरुआत अच्छी करने के कुछ खास उपाय बताए गए हैं। Astro Tips: हर मसाले का ज्योतिष उपयोग करने के अलग-अलग नियम ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं। आज हम आपको इन्हीं मसालों में से एक मसाला लौंग के ज्योतिष गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे अपनाकर आप घर की बहुत सी समस्याएं दूर कर सकते हैं।
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वेवी बाल किसे पसंद नहीं ह है। ये देखने में बेहद कूल लगते हैं और जिसके भी बाल कर्ली वेवी होते हैं, वह उस इंसान का यूएसपी होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने कर्ल्स आप कुछ शैंपूज के जरिए बेहद खूबसूरत बना सकते हैं। हां, बाजार में ऐसे शैंपू उपलब्ध हैं जो बालों को नरिश और मॉइस्चराइजिंग के कर्ल की खूबसूरती को बनाए रखने में मदद करते हैं। अगरर आप इन शैंपू का इस्तेमसल करेंगे तो आपके लिए घुघराले बाल कोई समस्या नहीं रह जाएगी। यह बात सच है कि घुंघराले बाल धोना एक समस्या है, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए हमने अमेजन से कुछ फॉर्मूलेशन लिए हैं। यह वेवी और कर्ली बालों के लिए सबसे बेहतरीन हैं। इन शैंपू के बारे में जानने के लिए आप नीचे स्क्रॉल करें। यह कोकोनट बेस्ड शैम्पू बालों को बहुत अच्छी तरह से साफ करता है। यह बालों की जड़ों को पोषित करता है। आप इसका इस्तेमाल करें, आपके बाल चमक उठेंग। यह फ्रिज और फ्लाईवेज को कम करता है। यह पैराबेन, सल्फेट और अन्य बुराइयों से भी मुक्त है। यह शैम्पू बालों में रूखेपन की समस्या से निपटने के लिए तैयार किया गया है। जिन लोगों के बाल घुंघराले और सूखे हैं, यह उन लोगों के लिए परफैक्ट है। इसमें चुकंदर और कॉर्न स्टार्च के एब्सट्रेक्ट, क्विनोआ प्रोटीन, चिया बीज की खूबियां शामिल हैं। यह बालों को हाइड्रेट करता है। यह शैम्पू आपके बालों को गहराई से साफ कर उन्हें पोषण देता है। य आपके बालों के लिए एक परफैक्ट फॉर्मूलेशन है। इसमे ऑलिव और सोया के एब्सट्रेक्ट शामिल हैं। घंघराले बालों के लिए परफैक्ट है। यह बालों को सुपर मैनेजेबल और मॉइस्चराइज करता है। इसके अलावा यह किसी भी तरह के अल्कोहल या पेट्रोलियम से फ्री है। इसका इस्तेमाल महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं। यह शैम्पू ऑर्गेनिक और नेचुरल इंग्रीडिएट्स से बना है। यह सिलिकॉन, सल्फेट और मिनरल ऑयल से फ्री है। यह आपके बालों की गहराई से सफाई करेगा। इसके अलावा उन्हें हाइड्रेटेड और मॉइस्चराइज़ भी रखेगा। यह फ्रिज को कम करने में भी कारागर है। इसमें ग्रेपसीड ऑयल, हिबिस्कस एक्सट्रैक्ट, व्हीट प्रोटीन और आर्गन ऑयल शामिल हैं। यह शैम्पू फॉर्मूलेशन बालों और स्कैल्प को अच्छी तरह से साफ करने में मदद करता है। यह बालों को पोषण कर उन्हें मुलायम और स्मूथ बनाता है। सबसे अच्छी बात है कि इसमें पैराबेन, सल्फेट, एसएलएस नहीं है। इतना ही नहीं यह शैम्पू बालों को टूटने से भी रोकता है। अगर आपको कॉफी की स्मैल पसंद है तो इस शैंपू को ले लें। इसमें कॉफी की बहुत ही प्यारी सी खुशबू आती है। इसके अलावा यह शैंपू फर्मेंटेड राइस एक्सट्रेक्ट, प्लांट प्रोटीन, शिया बटर, जमैका ब्लैक कैस्टर ऑयल और हायल्यूरोनिक एसिड से बना है। यह उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके बाल कर्ली हैं। लाइव हिन्दुस्तान में हम आपको नए ट्रेंड्स और प्रॉडक्ट्स के साथ अप-टू-डेट रहने में मदद करते हैं। जब आप हमारे शॉप नाउ के जरिए खरीदारी करते हैं तो अफिलीएट पार्टनरशिप की वजह से हमें राजस्व का एक हिस्सा मिल सकता है।
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लिविंग रूम के डिजाइन को हमेशा विशेष ध्यान दिया जाता है। यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि इस कमरे में वे मेहमानों को प्राप्त करते हैं, पारिवारिक शाम बिताते हैं, कठिन दिन के काम के बाद आराम करते हैं। इसलिए, लिविंग रूम में वातावरण, इसके सभी सामान छोटे विवरण तक, एक सुखद शगल होना चाहिए। दुर्भाग्यवश, अपने सभी डिज़ाइन विचारों को एक विशिष्ट रहने वाले कमरे में अनुवाद करना हमेशा संभव नहीं होता है - उदाहरण के लिए, यह बहुत विशाल नहीं हो सकता है या उतना प्रकाश नहीं जितना हम चाहते हैं। लेकिन हताश परिस्थितियां नहीं होती हैं। ऐसे मामलों में, पेशेवर प्रकाश रंगों में लिविंग रूम को सजाने की सलाह देते हैं। प्रकाश टोन की दृष्टि दृष्टि से अंतरिक्ष का विस्तार करती है, सभी को ज्ञात है और लंबे समय से अंदरूनी डिजाइन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि एक छोटे से रहने वाले कमरे के इंटीरियर डिजाइन के लिए हल्के टन की पसंद आदर्श विकल्प माना जा सकता है। लेकिन उत्साही मत बनो। यदि, उदाहरण के लिए, ड्राइंग रूम चमकदार सफेद रंगों में सजाया गया है, तो यह एक अस्पताल वार्ड जैसा दिखता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि घर के इस मुख्य कमरे का वातावरण आराम से सांस लेता है, नरम, गर्म रंग और रंगों को चुनना बेहतर होता है। हल्के, छोटे-छोटे इंटीरियर लहजे वाले हल्के-सफेद स्वरों में छोटे रहने वाले कमरे बहुत अच्छे लगते हैं, कुछ सहायक उपकरण (vases, कुशन, पेंटिंग्स) एक भूमिका निभा सकते हैं। अगर आपके लिविंग रूम में फायरप्लेस है, तो आप इसे एक निश्चित अर्थात् उच्चारण के रूप में भी हरा सकते हैं। एक रोशनी वाले रहने वाले कमरे के लिए, हल्के रंगों में सजाए गए, आप इसके लिए एक दिलचस्प डिजाइन की सिफारिश कर सकते हैं, इसमें कोई शक नहीं, कमरे का केंद्रीय तत्व - प्राकृतिक पत्थर के नीचे टाइल के परिधि के चारों ओर एक फायरप्लेस डालने के लिए। विशेष रूप से यह विकल्प देश के घरों के लिए अच्छा है। एक छोटे से रहने वाले कमरे की जगह को दृष्टि से विस्तारित करने के लिए, आप प्रकाश टोन के फर्श को कवर करने का भी सुझाव दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, विकर्ण के साथ रखे कीमती जंगल के लिए एक हल्का टुकड़े टुकड़े, हल्के भूरे रंग के स्वर में रहने वाले कमरे में शानदार रूप से दिखाई देंगे। वसंत की सुबह की ताजगी लिविंग रूम के वायुमंडल से भरी जाएगी, अगर उसके डिजाइन में हल्के हरे रंग के टन इस्तेमाल किए जाएंगे। और प्राकृतिक प्रकाश की कमी के साथ अंधेरे रहने वाले कमरे के लिए, हल्के पीले रंग के टन सबसे अच्छे हैं। इस मामले में, रहने का कमरा सूरज की रोशनी में दृष्टि से खेलता है। हल्के रंगों में रहने वाले कमरे को सजाने के लिए एक और दिलचस्प समाधान ग्रे रंग का उपयोग है। हाँ, हाँ, यह भूरा है। लेकिन यह मत सोचो कि कमरा भूरे और दुखी दिखेंगे। इससे दूर, ग्रे के धुंधले रंगों का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है, उदारता से इसे बेज, दूधिया-सफेद या थोड़ा कम बैंगनी, बरगंडी, यहां तक कि नारंगी रंगों के साथ पूरक भी किया जाता है। रंगों के इस तरह के एक विरोधाभासी संयोजन में रहने वाले कमरे, हल्के भूरे रंग के स्वर, कुलीनता और विशेष ठाठ में सजाए जाएंगे। वैसे, हल्के भूरे रंग के रंग और बेज रंग डिजाइनरों के सभी रंगों की बारीकियों पर प्रकाश रंगों में शास्त्रीय रहने वाले कमरे के अंदरूनी निर्माण करते समय शैली के क्लासिक कहा जाता है। प्रकाश में, लेकिन क्रम में अलग, टोन, डिजाइनर संयुक्त कमरे के सजाने और अंदरूनी हिस्सों की सिफारिश करते हैं, उदाहरण के लिए रसोई-स्थान वाले कमरे, यानी, रंग स्थान जोनिंग के सिद्धांत का उपयोग करने के लिए। इस या उस कमरे (इस मामले में एक ड्राइंग रूम) के दृश्य विस्तार के लिए रंग पंजीकरण से कम नहीं, फर्नीचर प्रभावों का सही चयन भी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक छोटे से रहने वाले कमरे के लिए सबसे अच्छा विकल्प हल्का फर्नीचर है। वर्तमान में, लोकप्रिय रंगों की ऊंचाई पर प्रकाश रंगों में मॉड्यूलर रहने वाले कमरे (असबाबवाला फर्नीचर और हेडसेट)। वे न केवल किसी भी शैली के इंटीरियर में सामंजस्यपूर्ण रूप से फिट होते हैं, बल्कि यह फर्नीचर भी अंधेरे फर्नीचर की तुलना में कम भारी दिखता है, जो छोटे आकार के कमरों के लिए महत्वपूर्ण है।
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बहराइच एक तरफ गवर्नमेंट वायु प्रदूषण से आवाम को राहत दिलाने के लिए जहरीले धुंए पर लगाम कसने के लिए पराली जलाने वालों पर शख़्त कारवाही करने का काम कर रही है। वहीं, एन। जी। टी द्वारा लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरे को लेकर सभी राज्यों को नोटिसें जारी कर जहरीले हो रहे वातावरण पर रोक लगाने के लिए शख़्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसके बावजूद अनेक उत्तरदायी की गवर्नमेंट की मंसा पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे। मामला बहराइच के जिला हॉस्पिटल परिसर में देखने को मिला। जहां स्त्री हॉस्पिटल के सामने बनें कूड़ा घर में प्रबंध से जुड़े जिम्मेदारों की नाक के नीचे आग लगा दी। उन्होंने मेडिकल वेस्ट मटेरियल को नष्ट करने के लिए उसमें आग लगा दी। आपको बता दें कि हॉस्पिटल प्रबंधन की ढिलाई के चलते हॉस्पिटल परिसर में धू-धू कर जल रहे कूड़े की जहरीली दुर्गंध और धुंए का गुबार न केवल स्त्री हॉस्पिटल वार्ड बल्कि हॉस्पिटल परिसर सहित इर्द-गिर्द के क्षेत्र में फैल गया। सारा क्षेत्र धुंए से सराबोर नजर आया। प्रश्न ये है कि सरकारी मुलाजिम ही गवर्नमेंट के आदेशों को धुंए में उड़ाने पर तुले गए हैं, तो आम जनता पर आदेशों का कितना असर होगा ये आप स्वयं सोच सकते हैं। एक तरफ गवर्नमेंट पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमे दर्ज कर रही है। ऐसे में उत्तरदायी ही जब ऐसे कार्य होते हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। ऐसा ही एक मामला बहराइच के जिला हॉस्पिटल का सामने आया है। जहां पर हॉस्पिटल परिसर में बने कूड़ा और वेस्ट मटेरियल डालने वाले जगह पर आग लगा दी जाती है। कूड़े में लगी आग से निकलने वाले जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियां हो रही है। वहीं, स्त्री हॉस्पिटल मैं पैदा हुए नवजात शिशु की भी जान को खतरा मंडरा रहा है। वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि किस ढंग से आग लगी हुई है। मगर जिम्मेदारों का इसपर और कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
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DEHRADUN: विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस व पीडीएफ की साढ़े चार साल से अधिक समय की पुरानी दोस्ती में दरार बढ़ती जा रही है। पीडीएफ व कांग्रेस की तरफ से तल्ख तेवरों के साथ बयानों की बौछारें जारी है। अब तो पीडीएफ ने भी साफ कर दिया है कांग्रेस व सीएम तय करे कि वे सरकार चाहते हैं या नहीं। वहीं कांग्रेस ने भी सरकार में शामिल पीडीएफ के मंत्रियों को सलाह दी है कि कांग्रेस संगठन पर बयानबाजियों के बजाए वे अपने मंत्रालयों की समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान दें। सरकार में शामिल पीडीएफ के सदस्यों व कांग्रेस संगठन की लड़ाई आमने-सामने आ गई है। इसकी वजह भी साफ है। पीडीएफ के सदस्यों को हाल में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान खासी तरजीह दी। संगठन को शक है कि टिहरी से पीडीएफ कोटे से मंत्री दिनेश धनै व धनौल्टी से प्रीतम को टिकट न मिल जाए। जबकि कांग्रेस टिहरी से पीसीसी चीफ किशोर व धनौल्टी से उपाध्यक्ष जोत सिंह उम्मीदवार बनाना चाह रही है। चरम पर पहुंची लड़ाई का कारण यही बताया जा रहा है। हाल में धनै ने तो विकास कार्यो में कांग्रेस संगठन की दखलंदाजी तक का आरोप लगाया। जबकि वे कुछ दिनों पहले तीन दिनों तक सीएम आवास पर मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देते रहे। सूत्र बताते हैं कि वे सीएम से चाहते हैं कि टिहरी सीट पर उनके नाम की घोषण्ा हो। अब जब पीपीसी चीफ किशोर का पीडीएफ के चक्कर में कांग्रेस को बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा, बयान आया तो पीडीएफ सदस्यों का गुस्सा बेकाबू हो गया। बताया जा रहा है कि धनै ने सारी सरकारी सुविधाएं वापस करने का ऐलान कर दिया है। वहीं, प्रीतम सिंह पंवार ने भी दो टूक कांग्रेस व सीएम से सरकार चलाने के लिए रुख स्पष्ट करने को कहा है। इधर, गुरुवार को संगठन ने भी जारी बयान में स्पष्ट कह दिया कि पीडीएफ को कंाग्रेस ने सरकार बनाने के लिए दिये गये समर्थन के बदले पूरा सम्मान दिया। वे राजनैतिक लाभ भी ले रहे हैं। मुख्य प्रवक्ता एमडी जोशी ने तो यहां तक कह दिया कि पीडीएफ के मंत्री जिस डाल पर बैठे हैं, उसको काटने की बजाय उन्हें दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करते तो इसका लाभ सूबे को मिलता। पीडीएफ अध्यक्ष मंत्री प्रसाद नैथानी के पास जो विभाग हैं, उनकी सबसे ज्यादा हालत खराब है। शिक्षक सड़कों पर हैं। कांग्रेस संगठन व सीएम स्पष्ट करे दें कि वे सरकार चलाना चाहते हैं या नहीं। पीडीएफ ने तो पहले से ही स्पष्ट किया हुआ है। कांग्रेस को अब अपना रुख साफ कर देना चाहिए। कोई नाराज नहीं है, जो हमारे साथ आ जाते हैं, वे खुश हो जाते हैं। इसके बाद भी कहीं कोई नाराजगी होगी तो उसको मिलकर बैठकर दूर करने की कोशिश की जाएगी। हरीश रावत, सीएम। सिस्टम को सुधारने की जरुरत है। हम तो शुरू से ही कह रहे हैं कि समय पर राज्य में विकास कार्य होने चाहिए। जिसकी कमी साफ दिख रही है। दिनेश धनै, पीडीएफ सदस्य व काबिना मंत्री। पीडीएफ के मंत्रियों को सलाह है कि वे कंागे्रस संगठन पर बयानबाजी के बजाए अपने मंत्रालय की समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान दें। कंाग्रेस ने सरकार बनाने को समर्थन के बदले पूरा सम्मान दिया है। जिसका वे पूरा लाभ भी ले रहे हैं। एमडी जोशी, मुख्य प्रवक्ता पीसीसी।
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गनाथ के माँ-बाप उसके बचपन में ही मर गये थे। उसके रामनाथ नामक एक छोटा भाई था। रंगनाथ ने उसे बड़े ही लाड़-प्यार में पाला-पोसा और बड़ी मेहनत करके उसे पढ़ाया-लिखाया। रंगनाथ को जल्द ही कचहरी में अच्छी नौकरी लग गई। उस वक्त तक रामनाथ की पढ़ाई पूरी नहीं हुई। कचहरी के एक-दूसरे कर्मचारी ने अपनी कन्या के साथ रंगनाथ की शादी की । इसके एक-दो साल बाद रामनाथ की पढ़ाई पूरी हो गई। इस पर रंगनाथ ने अपने परिचितों की सिफ़ारिश से छोटे भाई रामनाथ को भी नौकरी दिलाई, मगर तीसरे ही दिन रामनाथ उस नौकरी को तिलांजलि देकर घर लौट आया । रंगनाथ ने आश्चर्य में आकर पूछारामनाथ, तुमने वह नौकरी क्यों छोड़ नौकरी की कीमत दी? क्या तुम्हारे मालिक ने तुम्हें कुछ बुरा-भला कह दिया है ?" रामनाथ खीझकर बोला-"मेरे मालिक थोड़ा भी शिष्टाचार नहीं जानते ! मुझे नौकरी एक चीज़ की दी और मुझसे दूसरे प्रकार के काम लेते हैं। इसलिए मैं वह नौकरी बिलकुल नहीं करना चाहता । रंगनाथ चुप रह गया। कुछ दिन बाद अपने छोटे भाई के लिए एक जगह दूसरी नौकरी दिलाई। रामनाथ ने तीसरे ही दिन उस नौकरी को भी छोड़ दिया । रंगनाथ अपने छोटे भाई पर बिंगड़ पड़ा, इस पर रामनाथ बोला-"मेरे अधिकारी हर छोटी सी बात पर मुझे धमकी दे रहे थे कि तुमको नौकरी से हटा दूंगा। मैंने उनसे कहा कि आप को मुझे नौकरी से हटाने का मौक़ा क्यों दूं? मैं ही खुद इस्तीफ़ा देता हूँ, यों कहकर मैंने ही इस्तीफ़ा दे दिया है । प्रमीला ठाकुर "हर नौकरी के पीछे तुम यों अंट-संट कारण बताकर नौकरी को इस्तीफ़ा देते जाओगे तो में तुम्हारे वास्ते नौकरियाँ कहाँ ढूंढ सकता हूँ ? इस बार तुम्हें तक़लीफ़ भी हुई तो नौकरी को छोड़कर मत आना । मुझे बताओ, मैं तुम्हारी समस्या को हल कर दूंगा।" यों रंगनाथ ने उसे चेतावनी दी । रामनाथ ने सारी बातें चुपचाप सुन लीं एक सप्ताह बीत गया। एक दिन रंगनाथ अपने छोटे भाई को साथ ले कचहरी पहुँचा। रंगनाथ ने रामनाथ को एक नौकरी दिलाई, उसे सारी बातें सिखाई, समझा-बुझाकर घर लौट आया । चार दिन बीत गये। पांचवें दिन रामनाथ ने अपने भाई से कहा-"भैया, में यह नौकरी बिलकुल नहीं कर सकता । मेरे अधिकारी तो मेरे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे किसी बच्चे के साथ किया जाता है ! मेरे ऊपर के अधिकारियों को मेरा काम बिलकुल संतोषजनक नहीं है।" इस पर रंगनाथ ने अपने क्रोध को निगलते हुए पूछा- "तब तो क्या तुम नौकरी छोड़कर चले आये हो ?" 'अभी तक नहीं छोड़ी। आप ने नौकरी छोड़ने के पहले सारी तक़लीफ़े आपको बताने को कहा था न ? " रामनाथ ने जवाब दिया। "यह तो बताओ कि आखिर तुम करना क्या चाहते हो ?" रंगनाथ ने पूछा । "मैं अफ़सरों के दुत्कार सुनते अपने स्वाभिमान को बेचना नहीं चाहता । रामनाथ ने साफ़ कह दिया। ने तब तो तुम्हारे मन में जो आये, सो करो।" यों कहकर रंगनाथ वहाँ से चले गये। इस घटना के चौथे दिन रंगनाथ उदास भरे चेह्रा लिये घर पहुँचा । क्या बात है? आप दुखी क्यों हैं !" रंगनाथ के छोटे भाई और पत्नी ने पूछा । "मेरी नौकरी छूट गई है । रंगनाथ ने जवाब दिया। ऐसा क्यों ? आप कई सालों से यह नौकरी कर रहे हैं न ?" रामनाथ ने अचरज में आकर पूछा। 'इसीलिए तो मुझे सबसे ज्यादा दुख हो गहा है। कोई दूसरी नौकरी भी करना चाहूँ तो मिलने की गुंजाइश नहीं रंगनाथ ने जवाब दिया । धीरे-धीरे उस परिवार में आर्थिक कठिनाइयाँ शुरू हुई। दिन गुजारना मुश्किल मालूम होने लगा । खाने-पीने की चिंता उन पर सवार हो गई। रामनाथ आज तक कभी फाका न रहा । ये बातें सोचकर रामनाथ दुखी होने लगा कि उसने बहुत सारी नौकरियाँ जानबूझ कर छोड़ दी हैं। अगर कम से कम उसकी भी नौकरी होती तो परिवार का यह बुरा हाल न होता । अब यह नौकरी करना भी चाहे तो देनेवाला महानुभाव कोई नहीं है ! आज तक अपने भाई का सहारा पाकर ही उसने नौकरियों के प्रति लापरवाही दिखाई है । अब मजदूरी करके ही सही परिवार का पेट पालना होगा । यों विचार कर रामनाथ ने अपना निर्णय अपने बड़े भाई को सुनाया। अपने छोटे भाई में यह परिवर्तन देख बड़ा भाई खुश हुआ और बोला-"भैया, कचहरी में जाकर पहले तुम इस बात का पता तो लगाओ कि तुम जिस नौकरी को छोड़ आये हो, वह अभी तक खाली है या नहीं ?" रामनाथ ने आँखों में आँसू भरकर कहा
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ज्योतिष शास्त्र अनुसार कुत्ता का संबंध केतु ग्रह से होता है। इसलिए अगर आपकी कुंडली में केतु ग्रह सकारात्मक स्थित हैं। मतलब वह जन्मकुंडली में अपने मित्र ग्रह के साथ स्थित हैं। तो आप कुत्ते को पाल सकते हैं। ऐसा करने से आपको केतु ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होगा। साथ ही सभी कामों में सफलता मिलेगी। आरोग्य की प्राप्ति होगी। वहीं कुत्ते को भैरव देवता का सेवक माना जाता है। इसलिए कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और संकटों से भक्तों की रक्षा करते हैं। साथ ही मान्यता है कि काले कुत्ते को रोटी खिलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही काले रंग के कुत्ते की सेवा करने से शनि ग्रह के मजबूत होने की भी मान्यता है। कहा जाता है कि घर पर कुत्ता पालने से राहु-केतु से बनने वाले अशुभ योग भी दूर होते हैं। कहते हैं कि घर की बनी हुई पहली रोटी गाय को और आखिरी रोटी कुत्ते को खिलानी चाहिए। कहते हैं कि इससे ग्रहदोष दूर होते हैं और परिवार में खुशहाली आती है। अगर आपकी जन्मकुंडली में केतु ग्रह लग्न में स्थित हैं या केतु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थित में विराजमान हैं तो आपको कुत्ता नहीं पालना चाहिए। वहीं अगर आप फिर भी कुत्ता पालते हैं तो ज्योतिष के मुताबिक आपको कई अनचाही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। घर में सुख- समृद्धि का अभाव रहेगा। आर्थिक तंगी रह सकती है। साथ ही घर में छोटी- छोटी बात पर क्लेश हो सकती है। सदस्यों में मनमुटाव रह सकता है।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर एली मिडलेटन (Ellie Middleton) नाम के अकाउंट से लड़की ने खुद अपना कहानी शेयर की है और पूरी सच्चाई बयां की है. पिछले दो साल से अधिक समय से कोरोना (Coronavirus) महामारी ने पूरी दुनिया को बर्बाद करके रख दिया है. अब तक लाखों लोग इस महामारी में अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में लोग इसे काफी गंभीरता से ले रहे हैं और बचाव के सारे उपायों का सावधानीपूर्वक पालन भी कर रहे हैं, लेकिन दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसकी गंभीरता को अब तक नहीं समझ पाए हैं और इसे मजाक के तौर पर ले रहे हैं. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो ऑफिस में झूठ बोलकर यानी ये कहकर छुट्टी ले ले रहे हैं कि वो कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और उसके बाद वे क्या कर रहे हैं, कहां हैं, इसका ऑफिस को भी पता नहीं चल पाता. हाल ही में एक लड़की ने भी कुछ ऐसा ही किया. उसने कोरोना संक्रमित होने का बहाना बनाकर ऑफिस से छुट्टी ले ली, लेकिन उसका ये झूठ टिक नहीं पाया और वो पकड़ी गई, जिसके बाद उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर एली मिडलेटन (Ellie Middleton) नाम के अकाउंट से लड़की ने खुद अपना कहानी शेयर की है और पूरी सच्चाई बयां की है. उसने बताया कि उसने अपने बॉस से झूठ बोला कि वह कोरोना संक्रमित हो गई है और छुट्टी ले ली. इसके बाद वह नाइटक्लब में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने चली गई. पर पता नहीं कैसे उसके बॉस को ये बात पता चल गई और उसने उसे मैसेज किया और साथ ही एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया, जिससे उसके झूठ का खुलासा हो गया. दरअसल, एली ने सोचा था कि उसका झूठ पकड़ा नहीं जाएगा और वह आराम से रातभर पार्टी करेगी, पर बॉस तो आखिर बॉस होता है, किसी तरह उसे इसकी भनक लग गई. एली ने बताया कि उसके बॉस ने जो स्क्रीनशॉट भेजा था, उसके साथ टेक्स्ट भी लिखा था और पूछा था कि 'आप कहां हैं?'. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एली ने दोबारा से झूठ बोलते हुए अपने बॉस को कहा कि वह घर पर ही अलग-थलग रह रही है, क्योंकि वह कोरोना संक्रमित है. हालांकि स्क्रीनशॉट ने उसके झूठ का पर्दाफाश कर दिया था, इसलिए उसकी एक न चली. एली ने बाद में अपने झूठ पर सफाई देने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी है. उसे उसका बॉस नौकरी से निकाल चुका था.
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पड़ोसी होने के नाते जितेंद्र और रिंकी की फैमिलीज में काफी मेल-जोल हो गया था। इसी दौरान जितेंद्र रिंकी को पसंद करने लगा। रिंकी की बहन बबिता ने बताया कि जितेंद्र एकतरफा प्यार करता था। रिंकी अपनी सभी बहनों से सुंदर थी। वहीं जितेंद्र विकलांग है। जितेंद्र ने रिंकी से अपने प्यार का इजहार किया और शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन उसने इससे इंकार कर दिया। रिंकी की तीन बड़ी बहनों की शादी होनी बाकी है। रिंकी ने इस बारे में अपनी फैमिली को बताया तो उन्होंने भी जितेंद्र की बुरी आदतों की वजह से शादी से इंकार कर दिया। हालांकि जितेंद्र की फैमिली रिंकी से उसकी शादी करवाना चाहती थी। रिंकी अपने परिवार के साथ सनराइज इंक्लेव में रहती थी। परिवार में पिता मोहनलाल, मां विद्यावती, भाई आदर्श और सात बहनें हैं। उसके पिता बीसलपुर में जूनियर हाई स्कूल में प्रिंसिपल हैं। रिंकी इज्जत नगर स्थित विशाल कन्या डिग्री कॉलेज में बीए फाइनल ईयर की स्टूडेंट थी। पड़ोस में जगतपाल उर्फ जीतू उर्फ जितेंद्र रहता है। उसके पिता का नाम प्यारेलाल है। प्यारेलाल बदायूं जिले के मूसाझाग थाना में सिपाही है। जितेंद्र का परिवार करीब पांच साल पहले कॉलोनी में आया था। जितेंद्र लखनऊ से बीटेक कर रहा था लेकिन फेल होने से पढ़ाई छूट चुकी है। जीतू के परिवार में मां शांति देवी और बहनें मीनाक्षी व सपना हैं। हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। हॉस्पिटल में रिंकी के परिजनों को धमकाने के लिए जितेंद्र के मामा व अन्य दो लोग पहुंचे। कोतवाली में तहरीर भी दी गई। रिंकी के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने सिर्फ जितेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और उसके पिता को बचा लिया। बबिता ने बताया कि शादी से इंकार करने पर जितेंद्र नाराज हो गया था। डेढ़ महीने पहले वह उनके घर आया और जबरन शादी करने का दबाव बनाया। विरोध करने पर उसने रिंकी का गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की। किसी तरह परिजनों ने रिंकी को बचाया। तब से जितेंद्र और फैमिली का आना बंद हो गया। बात न फैले, इसलिए रिंकी की फैमिली ने पुलिस से शिकायत नहीं की थी।
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अब अवनी के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था,क्योंकि पवन दिन-रात वंशिका को याद करता रहता था और वो नहीं चाहती थी पवन की और हालत बिगड़े इसलिए उसने एक फैसला लिया और ये फैसला था वंशिका को चिट्ठी लिखना, अवनी (वंशिका को चिट्ठी लिखती है)- हाय !!मेरा नाम अवनी है, और मैं दिल्ली शहर की रहने वाली हूं, मैं जानती हूं कि तुम्हारा नाम वंशिका हैं, अब तुम्हें इस बात की हैरानी हो रही होगी कि मुझे तुम्हारा नाम कैसे पता, दरअसल मैं और पवन एक दूसरे से प्यार करते हैं,और हमारी जल्द शादी भी होने वाली थी, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, हमारी शादी के कुछ दिन पहले ही पवन का एक्सीडेंट हो गया और उसकी याददाश्त चली गई वो अपना present भूल चुका है, उससे सिर्फ अपना past याद है, जिस मैं नही तुम हो और अब वो तुम्हें पागलों की तरह याद करता है क्योंकि कभी वो तुमसे प्यार करता था, वो बात अलग हैं कि तुमने उसके प्यार को समझा नही, पर अब शायद भगवान ने तुम्हे एक chance दिया है,अब उसके लिए कुछ करने का बस मैं यह चाहती हूं, तुम पवन की याददाश्त वापस लाने में मेरी मदद करो तुम्हें जल्दी ही सिकर आना होगा पवन के घर, तुम्हारे आने से पवन ठीक हो सकता हैं, बस एक ही ज़िद पकड़ के बैठा हैं कि वो तुमसे मिलना चाहता है, किसी की नही सुन रहा बस दिन रात तुम्हें याद करता रहता हैं, मैं आशा करती हूं कि तुम मेरी बात को समझ को समझो और इंडिया आ जाओ मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूंगी. अवनी वह चिट्ठी post office जाकर पोस्ट कर देती है और रोज हर एक नई उम्मीद में होती है उसकी चिट्ठी का जवाब आएगा वह रोज गेट की तरफ देखती है कि कोई पोस्टमैन उसकी छुट्टी उसे देकर जाए पर ऐसा नहीं होता, काफी दिन बीत जाते हैं पर उस चिट्ठी का कोई जवाब नहीं आता फिर वह खुद post office जाकर वहां पूछती है कि क्या उसकी लंदन से कोई चिट्ठी आई है?? पर वहां पर भी कुछ पता नहीं चल पाता वह बहुत निराश हो जाती है उसे समझ नहीं आता कि अब वह क्या करेगी?? फिर एक दिन योगेंद्र जी का अवनी को फ़ोन आता हैं, योगेंद्र जी (परेशान हो कर)-अवनी तुम कहाँ हों?? तुम जल्दी से घर आ जाओ पवन की हालत खरब होती जा रही हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूँ?? अवनी (घबरा कर)- आप चिंता मत कीजिए मैं बस वहाँ आती हूँ और पवन से बात करती हूँ. अवनी पवन के घर के लिए निकल जाती हैं। जब अपनी पवन के घर पहुंचती हैं तो वह देखती है कि योगेंद्र जी और माया जी एक कोने में बैठे होते हैं, अवनी को वह दोनों बहुत परेशान लग रहे होते हैं अवनी उनके पास जाती है। अवनी- अंकल,आंटी क्या हुआ सब ठीक तो है ना? माया जी (परेशान हों कर )- कुछ ठीक नहीं है अवनी बेटा उसने तो ज़िद पकड़ ली कि जब तक वंशिका से नहीं मिलेगा, और अब सो उसने दवाइयां भी छोड़ दी, तुम ही बताओ बेटा अगर वह दवाईया नहीं लेगा तो ठीक कैसे होगा, अब हम वंशिका को कहां से ढूंढ कर लाए वह इस बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है, मेरा तो दिल बैठा जा रहा है इन सब चक्कर में कहीं मैं अपने बेटे को ही ना खो दूं, हमें समझ नहीं आ रहा कि हम उसे कैसे समझाएं ना कुछ खा रहा है ना ढंग से हम से बात कर रहा हैं बस एक ही नाम है जुबान पर वंशिका! वंशिका!. योगेंद्र जी- हां बेटा माया बिल्कुल ठीक कह रही है अब हम हिम्मत हार रहे हैं बेटा हम उसे से घर से बाहर नहीं जाने दे सकते उसकी हालत ठीक नहीं है पर वो यह बात सुनने को तैयार नहीं है, कहता हैं कि हमने उसे घर में कैद करके रखा है अब हम उसे कैसे बताएं कि हमें उसकी कितनी चिंता है, उसे हम नहीं बस वो लड़की दिख रही है जिसके लिए वह अपनी जिंदगी दाऊ पर लगाने के लिए तैयार हैं, अवनी बताओ बेटा हम क्या करें? अवनी( गुस्से से)- आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए मैं भी जाकर बात करती हूं कि वह यह सब जो कर रहा है ना ना यह उसके लिए ठीक है और ना ही हम सबके लिए ठीक है उसे समझाना बहुत जरूरी है मैं बस अभी आती हूं। अवनी पवन के कमरे में जाती है जब कमरे में पवन को देखती है तो वह सोफे पर बैठी आंखें मीचे एक गहरी सोच में खोया हुआ होता हैं अवनी जब उसे देखती है तो उसका गुस्सा शांत हो जाता है। अवनी- पवन? अवनी उसे धीरे से पुकारती है, पवन अपनी आंखें खोलता है और अवनी की तरफ देखता है, पवन - अब तुम यहां क्या कर रही हो तुम भी मुझे समझाने आई हो क्या? मैं किसी की नहीं सुनने वाला और तुम्हारी तो बिल्कुल भी नहीं मुझे वंशिका से मिलना है जब तक मैं वंशिका से नहीं मिल लेता, मैं कोई दवाई नहीं खाऊंगा चाहे कुछ भी हो जाए इसलिए तुम अपना time मत खराब करो और यहां से चली जाओ मुझे कुछ नहीं सुनना, अवनी- देखो मैं जानती हूं कि तुम वंशिका से बहुत प्यार करते हो उससे मिलना चाहते हो उससे बात करना चाहते हो पर अभी वह यहां नहीं है,और तुम उसके लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हो कम से कम अपने मां बाप के बारे में तो सोचो तो तुमसे कितना प्यार करते हैं,पहले जैसे कि उन्होंने तुम्हें खो ही दिया था,पर वो दुबारा तुम्हें खोना नहीं चाहते इसलिए तुम्हें वह कहीं जाने नहीं दे रहे हैं, पर एक बार उनकी तरफ देखो और उनकी तरह सोचो तब तुम्हें पता चलेगा कि वह अपनी जगह सही है, इसलिए कह रही हो please यह दवाइयां खा लो, और रही वंशिका की बात तो मैं तुम्हें बता दूं वो तुमसे अब प्यार नहीं करती हैं मैंने उसे चिट्ठी लिखी थी तुम्हारी हालत के बारे में बताया फिर भी उसने मेरी चिट्ठी को कोई जवाब नहीं दिया, वह अपनी लाइफ में आगे बढ़ चुकी है फिर तुम क्यों पीछे पड़े हो ? एक बार अपने मां बाप के बारे में सोच कर देखो वो तुमसे बहुत प्यार करते हैं उनसे ज्यादा प्यार तुम्हें कोई और नहीं कर सकता वो लड़की भी नहीं, अगर उसे तुम्हारी फिक्र होती तो तुमसे मिलने जरूर आती पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, मेरी बात मान जाओ यह दवाई ले लो और अपना ध्यान रखो पवन. पवन को अवनी की बातें सुनकर उस पर गुस्सा आता है अवनी का हाथ पकड़ के बाहर की और लाता है। पवन (गुस्से से)- यह मनगढ़ंत कहानियां बनाना बंद करो और मुझे वंशिका के खिलाफ भड़काना भी,तुम्हें क्या पाता कि वो मुझसे कितना प्यार करती थी, अच्छा अब समझ में आया कि तुम यह सब मुझसे क्यों कह रही हो मैं बर्दाश्त नहीं हो रहा ना तुम्हें जलन हो रही है कि कि मैं तुमसे नहीं उससे प्यार करता हूं मुझे नहीं पता कि तुम कौन हो क्या हमारे बीच क्या था वह मुझे कुछ भी याद नहीं और ना ही मैं याद करना चाहता हूं मुझे सिर्फ वंशिका से प्यार है और मैं उसी के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहता हूं, इसलिए अपनी बकवास बंद करो और यहां से चली जाओ और अब दुबारा वंशिका के खिलाफ एक word भी बोला ना तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा, अवनी (रोते हुए)- मेरा यकीन करो मैं सच कह रही हूं मैंने उससे मदद मांगी थी पर उसने कोई जवाब नहीं दिया मैं सच बोल रही हूं, अच्छा तुम यह चाहते हों ना कि मैं यहां से चली जाऊं तो ठीक है मैं चली जाऊंगी पर तुम दवाइयां खा लो प्लीज मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं. पवन (चिढ़ते हुए)- यह सब नाटक मेरे सामने मत करो मुझे कोई दवाई नहीं खानी जब तक मैं वंशिका से नहीं मिलूंगा, और मैं इतना कमजोर नहीं हूं कि कुछ दिन दवाइयां नहीं खाऊंगा तो मर जाऊं मैं अपने आप को संभाल लूंगा तुम्हें मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, पवन अवनी की हाथ से दवाइयां फेंक देता है, ये सब कुछ पवन के मां-बाप देख रहे होते हैं, और वह दवाइयां जाकर बाहर खड़ी दरवाजे पर एक लड़की के पैरों पर जाकर गिरती है, क्या वंशिका सच में अवनी की मदद करने के लिए आई है या उसके पीछे कोई उसका मकसद है???
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जब भी हमें कोई सामान लेना होता है, तो हम ऐसे बाजारों की खोज में होते हैं जहां हमारी जरूरत की हर एक चीज मिल जाए और वो भी कम दामों में। लेकिन कई बार हमें अपनी जरूरत की चीजें नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में हमें कई बार उन चीजों को लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है, और महंगे दामों पर उस चीज को लेना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहां आपको हर तरह की चीजें मिल जाएंगी। यहां कई ऐसे बाजार है, जहां आपको अपनी जरूरत का सामान बड़ी ही आसानी से मिल जाएगा। तो चलिए जानते हैं इन बजारों के बारे में। - अगर आपको अपने नाप की जींस नहीं मिल रही है या आपकी पसंद की जींस कहीं नहीं है, तो फिर आप दिल्ली में स्थित टैंक रोड जा सकते हैं। यहां आपको सभी ब्रांड, नाप और सभी आकार की जींस आसानी से मिल जाएंगी और वो भी अच्छे दामों पर। यहां लोग दूर-दूर से शॉपिंग करने आते हैं, और अपनी पसंद की जींस लेकर जाते हैं। - आप किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं, आपको अपने लिए या अपने बच्चों के लिए कोई किताबें नहीं मिल रही हैं। तो फिर आप नई सड़क का रूख कर सकते हैं। यहां आपको सभी किताबें बड़ी ही आसानी से मिल जाएगी और वो भी अच्छे दाम पर। यहां पुरानी से पुरानी और नई से नई किताबें मिलती हैं। - बात जब महिलाओं की शॉपिंग की आती है, तो उनको कई ऐसी चीजें चाहिए होती हैं, जो कई बार आम मार्किट में नहीं मिल पाती। कई बार उनकी पसंद इतनी अलग होती है कि उन्हें अपनी चीज के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है, लेकिन यहां हम आपको बता दें कि महिलाओं के लिए सरोजिनी नगर की स्ट्रीट शॉपिंग काफी मशहूर है। यहां महिलाओं के कपड़े सस्ते में और न्यू डिजाइन के आसानी से मिल जाते हैं। - खाने-पीने का शौकीन कौन नहीं होता? हर कोई चाहता है कि वो घर पर जो भी खाना बनाए उसमें स्वाद आए, जिसके लिए आपको अच्छे मसालों की जरूरत होती है। लेकिन कई बार हमें बाजारों में अच्छे मसाले नहीं मिल पाते। ऐसे में आप दिल्ली में स्थित खारी बावली जा सकते हैं। यहां आपको तमाम तरह के अलग-अलग मसाले मिल जाएंगे, जो आपके खाने का स्वाद बढ़ा सकते हैं।
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एकता कपूर को विश्वास है की, रजत टोकस और श्वेता बासु की जोड़ी छोटे परदे पर बिजलियाँ गिराएगी! 'चंद्रनंदिनी' में सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और राजकुमारी नंदनी की कहानी हैं जो की नफरत से लिखी गई मोहब्बत की दास्तां है। आज से टेलीकास्ट होने वाला शो 'चंद्र नंदिनी' का इंतजार दर्शक बेसब्री से कर रहे हैं। जिस तरह सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और राजकुमारी नंदनी की प्रेम कहानी को प्रमोट किया जा रहा हैं उससे शो को देखने की जिज्ञासा बढ़ गयी हैं। प्रोमो देखने से यह जरूर लगता है कि यह एक प्रेम कहानी नहीं बल्कि बदले की भावना पर रची गई कहानी हो। शो 'चंद्र नंदिनी' के जरिए चंद्रगुप्त और उनकी योद्धा पत्नी राजकुमारी नंदिनी की प्रेम कहानी के बारे में बताया गया हैं। शो शाही जोड़े की कहानी और चंद्रगुप्त मौर्य की जिंदगी के अनछुए पन्नों को पलटेगी, जहां एक-दूसरे से नफरत करने वाले दो लोग एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं। शो मेकर्स एकता कपूर चंद्रगुप्त मौर्य और राजकुमारी नंदनी की कहानी नया अंदाज में दर्शको के सामने पेश करेगी, साथ ही दर्शको को लुभाने के लिए कहानी में अलग अलग ट्रैक डाले जायेंगे। जिससे शो में बहुत सारे धमाकेदार ट्विस एंड टन आएगे। 'चंद्र नंदिनी' शो में एक बार फिर रजत टोकस नजर आएंगे। इस बारे में एकता का कहना था कि वह अपने काम को लेकर बहुत सेंसटिव हैं इसीलिए उन्हें इस शो में लिया गया। रजत का कहना था, 'मैं ताकतवर सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का किरदार निभाने को लेकर बहुत उत्सुक हूं। उसकी और नंदिनी की कहानी टीवी पर अब तक दिखे शो से कतई अलग है। यह नफरत से लिखी गई मोहब्बत की दास्तां है। 'मकड़ी' और 'इकबाल' फिल्म में नजर आईं श्वेता बसु प्रसाद राजकुमारी नंदिनी के किरदार में नजर आएंगी। शो में अर्पित रंका राजा पद्मानंद, पापिया सेनगुप्ता मूरा, मानसी शर्मा रानी अवंतिका और मराठी कलाकार मनोज कोल्हाटकर चाणक्य के किरदार में है। बॉलीवुड, हॉलीवुड, साउथ, भोजपुरी और टीवी जगत की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें...बॉलीवुड लाइफ हिन्दी के फेसबुक पेज, ट्विटर पेज, ताजा गॉसिप के लिए हमें Facebook Messenger पर फॉलो करें।
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बिना कुछ कहे तीनों भाई उसके पीछे पीछे चल दिये। वे सब पानी की एक ऐसी जगह आ गये जहाँ वह कई धाराओं में वह रहा था और बहुत आवाज कर रहा था । देवदूत ने सबसे बड़े भाई से पूछा - "तुम क्या लेना पसन्द करोगे?" बड़ा भाई वोला " मैं चाहता हूँ कि यह सारा पानी शराब बन जाये और फिर यह सारी शराब मेरी ही हो । यह सुन कर देवदूत ने अपनी डंडी से हवा में कास का निशान बनाया और पल भर में ही सारा पानी शराब में बदल गया । नदी के किनारों पर बहुत सारे बैरल आ गये और बहुत सारे लोग बड़ी मेहनत से काम करने लगे । यों समझो कि वहाँ तो पूरा का पूरा एक गाँव ही बस गया । इस तरह देवदूत ने उसकी इच्छा पूरी की और उसको वहाँ छोड़ कर चल दिया "जिस चीज़ की तुमने इच्छा की थी वह सब यहाँ मौजूद है और यह सब तुम्हारी है। इसके बाद वह दूसरे दोनों भाइयों को साथ ले कर चला । आगे चल कर वह एक फाख्ताओं से भरे मैदान में आया तो उसने दूसरे भाई से पूछा - "तुम्हें क्या चाहिये?" "मैं चाहता हूँ कि ये सारी फाख्ताऐं भेड़ें बन जायें और वे सब मेरी हों ।" पहले की तरह से देवदूत ने हवा में अपनी छड़ी से एक कास बनाया और सारी फाख्ताऐं भेड़ बन गयीं । वहाँ पर और भी डेरी थीं जिनमे स्त्रियॉ दूध निकाल रही थी दूध पलट रही थीं मक्खन बना रही थीं चीज़ बना रही थीं । वहाँ एक कसाईखाना भी था जिसमे भेड़ों को काटा जा रहा था । कुछ उनको तौल रहे थे कुछ लोग मॉस को बेच कर उससे जो पैसे मिले थे उन्हें गिन रहे थे । देवदूत ने दूसरे भाई से कहा "लो यह लो तुम्हारी इच्छा पूरी हुई । अब यह सब तुम्हारा है ।" कह कर वह तीसरे भाई के साथ आगे चल दिया । वे एक मैदान पार कर रहे थे तो देवदूत ने उससे पूछा - "तुम्हें क्या चाहिये?" उसने कहा "मुझे कुछ नहीं चाहिये केवल असली ईसाई खून की एक पत्नी चाहिये । "ओह यह तो मिलना बड़ा मुश्किल है । सारी दुनिया में केवल तीन स्त्रियाँ ही ऐसी हैं जो असली ईसाई खून की हैं जिनमें से दो की तो शादी हो चुकी है। तीसरी को दो लोग माँग रहे हैं । सो वह नौजवान और देवदूत उधर ही चल दिये जहाँ वह तीसरी लड़की रहती थी । बहुत दूर चलने के बाद वे दोनों एक शहर में पहुॅचे जहाँ के राजा की बेटी असल ईसाई खून की लड़की थी । जैसे ही वे लोग वहाँ पहुॅचे तो राजा से उसकी बेटी का हाथ मॉगने के लिये महल पहुॅचे । जब वे महल में घुसे तो दो राजा वहाँ पहले से ही बैठे हुए थे। शादी की भेंटें मेज पर लगी थीं। उन्होंने भी अपनी भेंट मेज पर लगा दी जो वे अपने साथ ले कर आये थे । जब राजा ने उन्हें देखा तो उनके सामने खड़े हो कर बोला "अब मैं क्या करूँ ? ये भेंटें हैं तो राजाओं की पर इस भिखारी की लायी हुई भेंट की तुलना में तो ये एक भिखारी की भेंटें लग रही में हैं। देवदूत बोला "मैं बताता हूँ कि आप क्या करें । इस मामले का फैसला हम इस तरह से करते हैं । लड़की अंगूर की तीन बेलें लेगी और उन्हें अपने बागीचे में लगा देगी - हर एक बेल एक उम्मीदवार के नाम की । अगले दिन जिस किसी की बेल पर अंगूर लगे होंगे लड़की उसी से शादी कर लेगी । " सब लोग इस बात पर राजी हो गये । लड़की ने अपने बागीचे में तीन बेलें लगा दीं हर उम्मीदवार के नाम की । अगली सुबह जब सब लोग उठे तो उन्होंने देखा कि केवल गरीब आदमी के नाम वाली बेल पर अंगूर आये हुए थे । सो राजा के पास अब और कोई चारा नहीं था कि वह उस गरीब लड़के से अपनी बेटी की शादी कर दे । तुरन्त ही चर्च में उनकी शादी हो गयी । शादी के बाद देवदूत उन दोनों को जंगल ले जा कर छोड़ आया जहाँ वे पूरे एक साल तक शान्ति से रहे । एक साल के बाद भगवान ने देवदूत को फिर से धरती पर भेजा । उसने कहा "जाओ देवदूत । धरती पर फिर से जाओ और देखो कि वे गरीब लोग कैसे रह रहे हैं। अगर वे अभी भी गरीबी में रह रहे हो तो जा कर उनको अच्छा खाना खिलाओ । सो देवदूत एक बार फिर से धरती पर आया और एक भिखारी का रूप रख कर पहले वाले भाई के पास पहुॅचा जिसके पास वाइन वाइन की नदी के किनारों से बाहर छलकी पड़ रही थी और उससे पीने के लिये एक गिलास वाइन मॉगी । पर उस आदमी ने उसे यह कहते हुए वाइन देने से मना कर दिया कि अगर वह सबको ऐसे ही वाइन देता रहा तो उसके अपने पास तो कुछ बचेगा ही नहीं।' देवदूत ने जब यह सुना तो उसने अपनी डंडी से हवा में कास का निशान बनाया तो पहले तो नदी में पड़ी शराब का पानी बन गया फिर वह वहाँ से चलते समय बोला "यह तुम्हारे लिये नहीं था । जाओ तुम अपने नाशपाती के पेड़ के पास वापस जाओ और उसकी देखभाल करो । उसके बाद वहाँ से देवदूत दूसरे भाई के पास चल दिया जिसके पास बहुत बड़े मैदान में चीज़ मक्खन दूध दही आदि बिखरे पड़े थे । वहाँ पहुँच कर उसने उससे एक कौर भेड़ के मॉस का माँगा तो उसने उसे यह कहते हुए मना कर दिया कि "अगर मैं ऐसे ही सबको खिलाता रहा तो मेरे पास तो कुछ रह ही नहीं जायेगा ।"
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मारण प्रयोग तन्त्र ग्रन्थों में मारण, मोहन, उच्चाटन आदि के कितने ही प्रयोग मिलते हैं। शत्रु नाश के लिये मारण प्रयोगों को काम में लाया जाता है। मारण कितने ही प्रकार का होता है। एक तो ऐसा है जिससे किसी मनुष्य की तुरन्त मृत्यु हो जाए। ऐसे प्रयोगों में "घात" या "कृत्या" प्रसिद्ध है। यह शक्तिशाली तान्त्रिक अग्नि अस्त्र है, जो प्रत्यक्षतः दिखाई नहीं पड़ता, तो भी बन्दूक की गोली की तरह निशाने पर पहुँचता है और शत्रु को गिरा देता है। दूसरे प्रकार के मारण, मन्द-मारण कहे जाते हैं। इनके प्रयोग से किसी व्यक्ति को रोगी बनाया जा सकता है। ज्वर, दस्त, दर्द, लकवा, उन्माद, मतिभ्रम आदि रोगों का आक्रमण किसी व्यक्ति पर उसी प्रकार हो सकता है, जिस प्रकार कीटाणु बमों से प्लेग, हैजा आदि महामारियों को फैलाया जा सकता है। इस प्रकार के प्रयोग नैतिक दृष्टि से उचित हैं या अनुचित यह प्रश्न दूसरा है, पर इतना निश्चित है कि यह असम्भव नहीं, सम्भव है। जिस प्रकार विष खिलाकर या शस्त्र चलाकर किसी मनुष्य को मार डाला जा सकता है, वैसे ही ऐसे अदृश्य उपकरण भी हो सकते हैं, जिनको प्रेरित करने से प्रकृति के घातक परमाणु एकत्रित होकर अभीष्ट लक्ष्य की ओर दौड़ पड़ते हैं और उस पर भयंकर आक्रमण करके ऊपर चढ़ बैठते हैं और परास्त करके प्राण संकट में डाल देते हैं। इसी प्रकार प्रकृति के गर्भ में विचरण करते हुए रोग विशेष के कीटाणुओं को किसी व्यक्ति विशेष की ओर विशेष रूप से प्रेरित किया जा सकता है। 'मृत्यु किरण' आज का ऐसा ही वैज्ञानिक आविष्कार है। किसी प्राणी पर इन किरणों को डाला जाए, तो उसकी मृत्यु हो जाती है। प्रत्यक्ष देखने में उस व्यक्ति को किसी प्रकार का घाव आदि नहीं होता, पर अदृश्य मार्ग से उसके भीतर अवयवों पर ऐसा सूक्ष्म प्रभाव होता है कि उस प्रहार से उसका प्राणान्त हो जाता है। यदि वह आघात हलके दर्जे का हुआ, तो उससे मृत्यु तो नहीं होती, पर मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाले या घुला-घुलाकर मार डालने वाले रोग पैदा हो जाते हैं। शाप देने की विद्या प्राचीनकाल में अनेक लोगों को ज्ञात थी। जिसे शाप दिया जाता था, उसका बड़ा अनिष्ट होता था । शाप देने वाला अपनी आत्मिक शक्तियों को एकत्रित करके एक विशेष विधि व्यवस्था के साथ जिसके ऊपर उनका प्रहार करता था, उसका वैसा ही अनिष्ट हो जाता था, जैसा कि शाप देने वाला चाहता था । तान्त्रिक अभिचारों द्वारा भी इस प्रकार से दूसरों का अनिष्ट हो सकता है। परन्तु ध्यान रखने की बात यह है कि इस प्रकार के प्रयोगों के प्रयोगकर्ता की शक्ति भी कम नष्ट नहीं होती। बालक के प्रसव करने के उपरांत माता बिल्कुल निर्बल, निःसत्त्व हो जाती है, किसी को काटने के बाद साँप निस्तेज, हतवीर्य और शक्ति रहित हो जाता है। मारण, उच्चाटन के अभिचार करने वाले लोगों की शक्तियाँ भी काफी परिमाण में व्यय हो जाती हैं और उसकी क्षतिपूर्ति के लिये उन्हें असाधारण प्रयोग करने होते हैं। जिस प्रकार मन्त्र द्वारा दूसरों का मारण, मोहन, उच्चाटन आदि अनिष्ट हो सकता है, उसी प्रकार कोई कुशल तांत्रिक इस प्रकार के अभिचारों को रोक भी सकता है। यहाँ तक कि उस आक्रमण को इस प्रकार उलट सकता है कि वह प्रयोगकर्ता पर उलटा पड़े और उसी का अनिष्ट कर दे। घात कृत्या, चोरी आदि को कोई अन्य तांत्रिक पलट दे, तो उसके प्रेरक प्रयोक्ता पर विपत्ति का पहाड़ टूटा हुआ ही समझिये । उपर्युक्त अनिष्टकर प्रयोग अक्सर होते हैं- तन्त्र - विद्या द्वारा हो सकते हैं। पर नीति, धर्म, मनुष्यता और ईश्वरीय विधान की सुस्थिरता की दृष्टि से ऐसे प्रयोगों का किया जाना नितान्त अनुचित, अवांछनीय है। यदि इस प्रकार की गुप्त हत्याओं का ताँता चल पड़े, तो उससे लोक व्यवस्था में भारी गड़बड़ी उपस्थित हो जाए और परस्पर के सद्भाव एवं विश्वास का नाश हो जाए। हर व्यक्ति दूसरों को आशंका, सन्देह एवं अविश्वास की दृष्टि से देखने लगे। इसलिये तन्त्र विद्या के भारतीय ज्ञाताओं ने इन क्रियाओं को निषिद्ध घोषित करके उन विधियों
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अक्सर देखने को मिलता है जब कई सेलिब्रिटीज ट्रोल हो जाते हैं लेकिन कई ऐसे सेलिब्रिटीज भी होते हैं जो ट्रोल करने वालो को मुंह तोड़ जवाब देते हैं और यही बात WWE के रेस्लरो पर भी लागू होती है. अब खबर आ रही है कि मौजूदा समय के रेस्लर ने एक फैन को उसी की भाषा में जमकर क्लास लगाई है. हर जगह की तरह WWE को भी ट्रोल किया जाता है और खासकर रेस्लरो को. कई ऐसे रेस्लर्स हैं जो आये दिन ट्रोल करने वालो के निशाने पर आ जाते हैं, फैन्स तरह तरह की शिकायते लेकर ट्रोल करना शुरू कर देते हैं. कभी किसी रेस्लर का वजन, तो कभी किसी रेस्लर की पर्सनालिटी को लेकर बातें शुरू हो जाती हैं. अधिकतर रेस्लर इन सब बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते लेकिन कुछ ऐसे रेस्लर्स भी है जो सोशल मीडिया साइट्स पर फैन्स को चुप करा देते हैं. रैंडी ऑर्टन और केविन ओवन्स इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं. One of the many podcasts that talk about your lack of wrestling ability, weird stomach and hair line? बैरन कोर्बिन ही वो रेस्लर हैं जिन्हें एक फैन ने यह कहकर ट्रोल किया कि उनके पास रेस्लिंग टैलेंट नहीं है, उनकी बॉडी अजीब तरीके की है और उनके बाल भी बेहद खराब हैं. आपको बता दे कि इससे पहले भी बैरन कोर्बिन फैन्स के निशाने पर आते रहे हैं और हर बार की तरह उन्होंने इस बात भी इस ट्वीट कर करारा जवाब दिया है. Even with all of that i still just bought a million dollar house. What's your excuse for being a nobody hiding in the crowd. बैरन ने यह कहकर मुंह बंद कराया कि इतना सब बुरा होने के वाबजूद उनके पास मिलियन डॉलर का घर है और वे भीड़ में छुपकर किसी पर वार नहीं करते.
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अमेरिका के कोलोराडो शहर स्थित एक परिवार नियोजन केंद्र पर एक बंदूकधारी ने गोलीबारी की, जिसमें एक पुलिस अधिकारी सहित कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई। पूरा घटनाक्रम पांच घंटे से भी अधिक समय तक चला। इसके बाद, बंदूकधारी ने सरेंडर कर दिया। घटना में पांच पुलिस अधिकारी सहित नौ लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक बंदूकधारी के मकसद का पता नहीं चल पाया है। अधिकारियों के मुताबिक, शुक्रवार शाम बंदूकधारी कोलोराडो के कोलोराडोस्प्रिंग्स स्थित 'प्लैन्ड पैरेंटहुड' क्लिनिक में घुसा और उसने कई घंटों तक वहां कर्मचारियों और मरीजों को बंधक बना कर रखा। इस दौरान पुलिस और बंदूकधारी के बीच गोलीबारी हुई। लाखों अमेरिकी लोगों के 'थैंक्सगिविंग' की छुट्टी का जश्न मनाने के महज एक दिन बाद यह घटना हुई। अमेरिका की गृह सुरक्षा सलाहकार लीजा मोनाको ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को हालात की जानकारी दी। कोलोराडो स्प्रिंग्स के मेयर जॉन सूदर्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। " पुलिस ने बताया कि हमलावर के पास एक लंबी बंदूक थी और वह अपने साथ इमारत में कई "चीजें" लेकर गया था जो विस्फोटक हो सकते हैं। एफबीआई भी मामले की जांच में जुट गई है। नेशनल एबॉर्शन फेडरेशन की अध्यक्ष एवं सीईओ विकी सापोर्टा ने कहा, "घटना में मारे गए लोगों के परिवारों और घायलों के प्रति हमारे दिल में संवेदना है। हम इस घटना से निपटने वाले अधिकारियों और हमले का सामना करते हुए मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले क्लिनिक के कर्मचारियों के बेहद शुक्रगुजार रहेंगे। " उन्होंने कहा, "गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं की ओर से एक भ्रामक वीडियो जारी करने के बाद गर्भपात करने वालों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयानों और धमकियों में इजाफा हुआ है। ऐसी आशंका थी कि इस तरह की धमकियों के कारण हिंसक हमले होंगे और आज यह हुआ भी। " वीडियो जारी होने के बाद 'प्लैन्ड पैरेंटहुड' के कम से कम चार क्लिनिक पर आगजनी की गई है।
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आयिन संस्थान कि बाजार जितना हो कम पूर्ण होता है उतना ही उद्यमक्र्ता को विशेषज्ञों की कियाग्रो मे समन्वय वरने का अवसर मिलता है। यह सोचना गलत है कि विशेषज्ञता के सिद्धान्त बड़े पैमाने के संगठन के अनुकूल होते है। मच्छी तरह सगठित बाजारो मे छोटो फम सरलतापूर्वक चल सकती है, क्योकि उन्हे विशेषज्ञो वी रालाह, इजीनियरी सेवा पुर्ज़े, कच्चा माल मौर ऐसौ ही चीजे सस्ती दर पर उपलब्ध होती हैं और वे अपना माल भन्तिम या मध्यवर्ती खरीदार को श्रासानी से बेच सकती है। बाजार जितना अच्छी तरह सगठित होगा, उतना ही हर फर्म को खुद कम काम करना होगा, और बड़े पैमाने पर सगठन के लाभ भी कम होगे । इसी का उपसिद्धान्त यह है वि भगर हम छोटे पैमाने के उद्यम को बढ़ावा देना चाहते हैं तो इसवा सर्वोत्तम उपाय यह है कि छोटी फर्म के मासपास विशेषज्ञ सेवामी और विपणन एजेंसियों की व्यवस्था कर दी जाए, जो इतनी कार्यकुशल और सस्ती हो कि फर्म को छोटा होने के कारण ही हानियों न उठानी पडें । बडा सगठन अनुसन्धान कर सकता है, बडो राशियों में सरीदबेच सकता है, रुपया इकट्ठा कर सकता है, मानव-वस्तु तैयार कर सकता है, विज्ञापन का सर्च उठा सकता है बढ़िया-से-चढ़िया विशेषज्ञ की सलाह प्राप्त वर सकता है, प्रादि-प्रादि । छोटा सगठन भी यह सब काम सफलतापूर्वक कर रास्ता है मगर उसके चारो भोर-निजी, सहवारी या साविधिव-एजेंसियाँ हो जो वे सारा काम सँभाल सके, जिसका निष्पादन बड़े पैमाने पर हो सम्भव है। इस स्थिति म छोटो फर्म उन कार्यों पर ध्यान केन्द्रित र सकती है जो छोटे पैमाने पर मच्छी तरह किये जा सकते हैं। उदाहरण वे लिए, छोटी फर्म का विशेषज्ञ की सलाह दृषि-विस्तार सेवा से, मानक बोजगोदामो से और ट्रैक्टर विराय पर देने वाली एजेंसी से लेने की सुविधा हो, और वह अपना माल ऐसी एजेंसी को बेच सवे जो अनेक ऐसी पा माल इकट्ठा करके उसकी दर्जेबन्दी, प्रक्रियाकरण, विज्ञापन और बडी राशियो में बेचने को व्यवस्था कर गर्ने । यह सही नहीं है कि वायंबुशलना या माथित्र विषास के हित में बड़े पैमाने पर उत्पादन करना हो हर कर्म के लिए भावश्यक है, लेकिन यह ठीक है कि विशेषता के लाभ प्राप्त करने में लिए पर्म के सन्दरही या मुमठिन बाजारो को रचना वे पन्तर्गत बड़े पैमान के लाभ उपलब्ध हो । सुगगठित बाजार बडो पर्म वा स्थान मि सीमा तन ग्रहण कर सकता है यह उद्योग की प्रकृति पर निर्भर है। रेल यातायात, इस्पात का निर्माण और मोटरवार जोडो वा बाम छोटे पैमाने पर बुरालतापूर्वक वरना बहुत मुश्विल होगा, जबति छाटे पैमाने ने उद्यमग यातायात, दुशानदारी, बुछ विशिष्ट इपिनार्य और बुछ विनिर्माण कार्य बडो
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तो उपलक्षरण है । अर्थ उसका यह है कि किसी प्रकारकी हिंसा न हो ऐसा लो । बाजारकी चीजें न लिया करें क्योंकि वे मर्यादित चीजें है, हिंसाके, दोपसे युक्त हैं । कितनेही दिनोंका रखा हुआ सामान होता है, सड़ा गला कर बनाया जाता है । जलेवी इत्यादि ऐसे ही बनती है। ऐसे भोजन सव अभक्ष्य है । जो मर्यादा के भीतर है ऐसा ही ग्राहार लिया जा सकता है। दूधको श्रमक्ष्य माननेकी शकाका उत्तर - प्रश्न - दूध दही, दोनोंको लोग कहते है कि ये अभक्ष्य हैं । क्या ये अभक्ष्य हैं ? उत्तर - मर्यादाके भीतरमें दूध व दही अभक्ष्य नहीं । अण्डेसे रुचि करनेवाले युवक जन यह कहते है कि जैसा दूध है वैसा अण्डा है पर दूध और अण्डेमें महान अन्तर है । अण्डा जीवका योनिभूत होता है । अण्डेसे बच्चे निकलते हैं । कोई ऐसा भी अण्डा है जिसमें बच्चे न उत्पन्न होते हों ? लेकिन जीव उत्पन्न करनेका अण्डा साधन है । किसी अण्डेमें बच्चा न हो सका तो क्या जाति तो एक है। जैसे अनाज होता है । किसी जके दानेसे पौधे हो जाते हैं कितनेमें नहीं, पर जाति तो एक है। दूसरी बात जैसे गाय भेंस दूध दिया करती हैं, मूत्र भी करती है । मूत्र तो हिंसा रहित है। गाय से निकलने के कारण दूध मांसका अंश मानो तो मूत्र भो गायसे निकलता है वह तो मांसका नहीं । मांस खून निकालने में पशुको बाधा होती है किन्तु दूधके निकालनेसे तो बाधा नहीं होता है । दूधके उद्गमकी निर्वाधता - भले ही लोग मूत्र नहीं चाहते हैं, यह बात अलग है पर वह हिंसाकी चीज नहीं, इसमें मांस खून आदि नहीं है । जैसे भोजनसे या पाचनसे शुद्ध होकर मूत्र बनता है इसी तरहसे भोजन पाचन से शुद्ध होकर एक दूध बनता है । दूध पानीका वहाँ हिसाब अलग है । यदि दूध न निकाला जाय तो गाय भेंसके पीड़ा हो जाय । दूध निकलनेसे पीड़ा नहीं होती है। और फिर ऋपियोंने यह भी बारीक वात बता दी है कि अन्तर्मुहूर्त में यदि उस दूधको गरम न कर लिया जाय तो उससे जीवोंकी उत्पत्ति होती है । अगर दूधको कुछ ही घंटे रख दो तो उसमें जीव पैदा हो जाते हैं । जिस प्रकार कि अन्तर्मुहूर्त में पानीको गरम न कर लिया जाय तो पानी में कीड़े पड़ जाते हैं । दहीके भक्ष्य व अभक्ष्यपनेका निर्णय - अब रही दहीकी बात । दूधको जमाया तो दही हो गया । एकही रात बीती हो तव तो दही भक्ष्य है, दो रात बीत जांय तो भक्ष्य नहीं । ऐसा निमित्त - नैमित्तिक सम्वन्ध है कि खटाई का योग हो तो दूध दहीरूप हो जाता है । कोई कहे कि दुर्वीनसे देखते हैं तो उसमें कुछ चलता हुआ नजर आता है। तो आप दुर्वीनसे कुछ भी चीजें
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PATNA : बिहार में पुलिस प्रसाशन की टीम उस वक्त से अधिक एक्टिव मोड पर काम कर रही है, जब डीजीपी ने बैठक कर अपराधियों और बदमाशों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने की बात कही है। यही वजह है कि, पुलिस की टीम आए दिन अवैध और गलत काम करने वालों के खिलाफ रेड कर रही है और उन्हें अरेस्ट भी कर रही है। हालांकि, इस दौरान पुलिस टीम को काफी विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। इस बीच अब एक ताजा मामला मसौढ़ी से निकल कर सामने आया है। जहां एक आरोपी को अरेस्ट करने पहुंची पुलिस टीम पूरी रात भटकती रही और बाबजूद इसके आरोपी को अरेस्ट नहीं कर पाई। दरअसल, पटना के मसौढ़ी स्थानीय पटेल नगर स्थित जीर्ण-शीर्ण पार्क के पास आपसी वर्चस्व को लेकर दो गुटों में पत्थरबाजी और फायरिंग करने का मामला प्रकाश में आया है। हालांकि, इसमें किसी के जख्मी होने की सूचना नहीं है। बताया जा रहा है कि, घटना की सूचना पाकर पुलिस की चार गाड़ियां मौके पर पहुंची, लेकिन कोई हत्थे नहीं चढ़ सका। अंधेरे का फायदा उठाकर आरोपितों ने पुलिस को ही खूब दौड़ाया। जिसके बाद भड़की पुलिस ने अपनी भड़ास पटेलनगर की ओर से मनीचक जाने वाली एक पगडंडी पर बैठे मनीचक के कुछ युवकों की पिटाई कर निकाली। हालांकि, फायरिंग की घटना से उन्होंने इनकार किया है। उन्होंने बताया कि पुलिस काफी देर तक वहां रही, लेकिन पुलिस के सामने कोई नहीं आया। फिलहाल घटना किन लोगों के बीच और किस कारण को लेकर घटी, यह पता नहीं चल सका है। आपको बताते चलें कि, फायरिंग और पत्थरबाजी की सूचना पर पुलिस के पहुंचते ही करीब दो दर्जन युवक भागकर मनीचक तालाब के पास जाकर छिप गए। पुलिस पूरे मुहल्ले में दो घंटे तक घूमती रही। थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि पटेल नगर में मारपीट की सूचना मिली थी।
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इसका थोड़ा सा इज़हार भी करो ताकि पता चल जाए कि कौन भाई इज्तिमा से अपनी अपनी मस्जिदों से डिफ़ैन्स से, इस मस्जिद से चार महीने, चिल्ले की जमाते कौन कौन भाई नकद पेश करेगा, जल्दी बता दो । وآخر دعوانا عن الحمد لله رب العلمين काएबात के अजाएबात जो नज़र आता वह हक़ीक़त नहीं मेरे भाईयों और दोस्तों ! दुनिया में जो हाल आते हैं उनका पैदा करने वाला तो अल्लाह ही है। ख़ैर आए या शर इरादा इसमें अल्लाह ही का होता है, असबाब बनते हैं इन्सानों के जरिये से चीज़ों के ज़रिये से लेकिन इस दुनिया में फैली हुई चीज़ों की कमी ज्यादती के ज़रिए से का बनना बिगड़ना नज़र आता है । नज़र आता है वह दरख़्त नहीं होता सिर्फ साया होता है। हालात अल्लाह तआला पैदा फरमाते हैं और चीजें भी अल्लाह तआला पैदा फ़रमाते हैं। हालात के ख़ज़ाने अल्लाह के पास अलग हैं और चीज़ों के ख़ज़ाने अल्लाह के पास अलग हैं । दुनिया में ज़ाहिरी तौर से एक दूसरे के साथ मिले हुए नज़र आते हैं, हक़ीक़त में ये दोनों अलग अलग हैं । जिस्म और जगह बनता है और रूह और जगह बनती है। रूह के बनने का निज़ाम और है और जिस्म के बनने का निज़ाम अलैहिदा है और अल्लाह तआला इन दोनों को माँ के पेट में जमा कर देता है। नज़र में दोनों एक लगते हैं हक़ीक़त में ऐसा नहीं है । जिस्म एक जगह से आया और रूह दूसरी जगह से आई है। ऐसे ही मेरे भाईयों चीजें आयीं,
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हमारे संवाददाता नई दिल्ली। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने कहा कि नैतिक मूल्यों मे आ रही गिरावट के कारण हिन्दू सनातन संस्कृति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। माधवाश्रम जी महाराज ने कहा कि तीर्थों की परंपराओं व आध्यात्मिक विरासत को ताक पर रखकर तीर्थांटन को पाश्चात्य शैली के पर्यटन के रूप में बढ़ावा दिए जाने से सनातन संस्कृति के यह ऊर्जा के क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। इनमें विक्षोभ पैदा हो रहा है और प्रकृति पराशक्ति दैवीय आपदा के रूप में कहर ढा रही है। उत्तराखंड देवभूमि के श्री केदारनाथ तीर्थ के साथ ही अन्य तीनों धामों में आए जल प्रलय के कारणों पर प्रकाश डालते हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में स्थित चारों धामों के साथ ही इस क्षेत्र का प्रत्येक स्थान सनातन संस्कृति के आध्यात्मिक विरासत को अपने में संजोए हुए हैं। जिस कारण यह पुण्य तीर्थ अनंतकाल से हिन्दू सनातन संस्कृति के लिए अनंत ऊर्जा के स्रोत रहे हैं। उन्होंने तीर्थों को परंपराओं में मर्यादाओं में हुए क्षरण को जल प्रलय का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि श्री केदार नाथ तीर्थ के साथ ही अन्य तीनों धामों की अपनी अलग-अलग आलौकिक रीति-रिवाज एवं आध्यात्मिक परंपराएं हैं जिनके अनादकाल से परंपरागत रूप से निर्वहन ने हिन्दू सनातन संस्कृति को जहां वैभवशाली बनाया वहीं समाज को धार्मिक एवं आध्यात्मिक रूप से परिपुष्ट करते हुए सुख समृद्धि विकास और आंतरिक चेतना को नई उंचाइयां प्रदान कीं। उन्होंने कहा कि तीर्थों की प्राचीन परंपराओं का निर्वहन स्थापित परंपराओं के अनुरूप ही किया जाना चाहिए। जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि पुण्य तीर्थों में जल प्रलय के कारण हुए असंख्य श्रद्धालुओं, हक हक्कूकधारियों एवं स्थानीय जनों की असामाजिक, देहवसान ने आध्यात्मिक विरासत से जुड़े विद्वत समाज के साथ ही पूरे राष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। इसलिए यह नितांत चिंतन का विषय बन गया है और इस पुण्य तीर्थों को परंपराओं और आध्यात्मिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने अपरिहार्थ हो गए हैं। उन्होंने चारों धामों में अनादिकाल से चली आ रही हक हक्कूकधारियों के हितों की सुरक्षा को प्रभावी बनाए जाने की पहल पर जोर देते हुए कहा कि हकों की आड़ में परंपरागत मर्यादाओं का उल्लंघन न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। तीर्थ धामों में पाश्चात्य संस्कृति की तर्ज पर विकसित होटलों की जगह धर्मशालाओं को निर्माण को अधिक प्रभावी बनाए जाने की मांग करते हुए कहा कि तीर्थों में त्याग समर्पण और परंपराओं के अनुरूप आचरण ही फलदायक होता है। उन्होंने कहा कि तीर्थों में त्याग, सेवा, समर्पण, दान, जप एवं तप का ही महत्व है और इन्हीं के अवलम्बन से मनुष्य अपना जीवन समृद्ध कर सकता है। जगद्गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ में जल प्रलय में असमय काल का ग्रॉस बने श्रद्धालुओं की दाह-संस्कार वैदिक सनातन संस्कृति के अनुरूप ही किया जाना चाहिए तथा नारायणवलि, इशगात्र, पिण्डदान एवं तर्पण आदि वैदिक कर्मकांड विधिपूर्वक सम्पन्न किए जाने पर ही दिवंगत आत्माओं को मुक्ति एवं शांति मिलेगी। अन्यथा आत्माएं भटकेंगी तो तीर्थ में विक्षोभ पैदा होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हिन्दू सनातन संस्कृति के अनुरूप केदार तीर्थ में प्रकृति मार में असमय शरीर छोड़ने वाले श्रद्धालुओं के वैदिक कर्मकांड संस्कार केदारनाथ में ही किए जाने चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि हिन्दू सनातन संस्कृति में शरीर छोड़ने वाले प्रत्येक मतावलंबी की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए वैदिक परंपराओं के अनुसार यज्ञ नहीं बल्कि अंतिम क्रियाकर्म एवं कर्मकांड संस्कार महत्वपूर्ण है। शंकराचार्य ने श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के साथ ही चारों धामों की मंदिर समितियों में राजनैतिक हस्तक्षेप व प्रभावी होती दलीय राजनीति का कड़ा विरोध करते हुए समिति में धार्मिक एवं आध्यात्मिक विद्वानों को जोड़ने की पहल को अधिक प्रभावी बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति पीठों पर प्रभावी होती राजनीति तीर्थों को मर्यादाओं पर भारी पड़ रही है। चारों धामों के विकास को व्यापक रूप दिए जाने की मांग करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार की तर्ज पर सेंचुरी क्षेत्रों में स्थिति चारों धामों का सीमांकन किया जाना आवश्यक है।
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जौनपुर। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा द्वारा हीट वेव के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर मुख्यमंत्री के निर्देश के क्रम में जिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया गया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त किया तथा आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने व साफ-सफाई की व्यवस्था दुरु स्त रखने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने अस्पताल में हीटवेव को लेकर जरूरी सभी बुनियादी व्यवस्थाओं का हाल देखा और उपस्थित डॉक्टरों को निर्देश दिया कि जब तक डॉक्टर को दिखाने के लिए मरीज का नंबर नहीं आ जाता तब तक मरीज को लाइन में खड़ा करने के बजाए पंखे के नीचे बैठने की व्यवस्था करें। इस दौरान जिलाधिकारी ने पर्ची काउंटर, हेल्थ डेस्क, सर्जन कक्ष, नेत्र परीक्षण कक्ष, दवा वितरण कक्ष, पैथोलोजी कक्ष, ओपीडी कक्ष, जनरल वार्ड का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने सीएमएस डॉ. कृष्ण कुमार राय को निर्देशित किया कि अस्पताल के दोनों गेट पर ओआरएस का घोल रखा जाए और मरीजों के आने पर उन्हें दिया जाए। उन्होंने दवा वितरण कक्ष के निरीक्षण के दौरान श्रीमती आरती पाल निवासी शहाबुद्दीनपुर से पूछा कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई सभी दवाएं उपलब्ध हुई है की नहीं जिस पर आरती पाल द्वारा बताया गया कि सभी दवाएं दवा वितरण कक्ष से प्राप्त हुई है। इस दौरान जिलाधिकारी ने अस्पताल के हाल में लगे वाटर कूलर की जांच की कि पानी आ रहा है कि नही, कूलर चालू अवस्था में मिला। डीएम ने ओपीडी हाल में एक मरीज के परिजन मोनू से उपचार पर लग रहे दवा के संबंध में जानकारी प्राप्त की जिस पर परिजन द्वारा बताया गया कि सभी प्रकार की दवा दी जा रही है बाहर से दवा नहीं लेनी पड़ी है और डाक्टर द्वारा समय समय पर मरीजों का हाल लिया जा रहा है। श्री झा ने कहा कि इस समय अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है सभी का अच्छे से उपचार किये जाने की व्यवस्था हेतु सीएमएस को निर्देशित किया गया है।
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रसूलाबाद विकासखंड के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का खेल चरम सीमा पर खेला जा रहा है। शिकायतकर्ता शिकायत तो करता है, लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा शिकायत में जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जहां समाजसेवी लगातार आवाज बुलंद करके हो रहे निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किए जाने का आरोप लगाकर जांच कराने के लिए लगातार उच्च अधिकारियों से शिकायत करता है, लेकिन शिकायत के बावजूद भी जांच पड़ताल में खानापूर्ति करके जिले के उच्च अधिकारियों को गुमराह किया जाता है। रसूलाबाद विकासखंड क्षेत्र के अटिया रायपुर ग्राम पंचायत में इंटरलॉकिंग निर्माण से लेकर नाली निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग ग्राम प्रधान के द्वारा लगातार किया जा रहा है। जहां पर समाजसेवी अजीत शर्मा ने शिकायत करके जिम्मेदारों से जांच कराने की मांग की थी, लेकिन तहसील दिवस में शिकायत करने के बावजूद भी सुनवाई ना होते देख समाजसेवी ने जिले के उच्च अधिकारियों से शिकायत पत्र देकर नाली निर्माण इंटरलॉकिंग निर्माण सहित पंचायत भवन में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने का आरोप लगाकर जांच कराने की मांग की। जहां पर जिलाधिकारी नेहा जैन ने समाजसेवी की शिकायत के आधार पर संबंधित अधिकारी को जांच पड़ताल करने के लिए दिशा निर्देश दिए, लेकिन स्थानीय अधिकारियों के द्वारा जांच पड़ताल में खानापूर्ति की गई और हुए भ्रष्टाचार के मामले को लेकर चुप्पी साध ली गई। समाजसेवी का आरोप है जिम्मेदारों की सांठगांठ से भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, लेकिन जांच के नाम पर भी अब जिम्मेदार अधिकारी खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा करने में लगे हुए हैं। पूरे मामले पर रसूलाबाद विकासखंड के जिम्मेदार अधिकारी कैमरे के सामने बोलने से बचते हुए नजर आए। जहां पर जांच कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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Bihar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में एक महिला ने एक जदयू विधायक पर उनके पति की हत्या का आरोप लगाकर हड़कंप मचा दिया. पश्चिमी चंपारण जिले से आई महिला ने सीएम नीतीश कुमार के सामने उनकी ही पार्टी के विधायक पर अपने पति की हत्या का सनसनीखेज आरोप लगाया. सोमवार को पटना में सीएम नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंची एक महिला कुमुद वर्मा ने उनके पति दयानंद वर्मा की हत्या का आरोप जदयू के बाल्मीकि नगर के विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह पर लगाकर हड़कंप मचा दिया. उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से जनता दरबार में न्याय की फरियाद लगाई. कुमुद वर्मा ने आरोप लगाया कि जदयू विधायक द्वारा उनके पति की हत्या करवाने के बाद मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. उन्होंने बताया कि विधायक के खिलाफ FIR भी दर्ज है, लेकिन पुलिस ने अभी तक विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला की फरियाद सुनने के बाद मामले में डीजीपी को आदेश देकर पूरे मामले को देखने का निर्देश दिया. हालांकि कुमुद वर्मा डीजीपी के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुईं और उनका कहना है कि उनकी आंखों के सामने ही उनके पति की हत्या कर दी गई. विधायक ने उनके पति को गोली मारने की धमकी दी थी. बता दें कि पश्चिम चंपारण के पूर्व जिला परिषद दयानंद वर्मा की हत्या इसी साल फरवरी महीने में कर दी गई थी. नौरंगिया पुलिस थाने के सिरसिया चौक के पास उनकी गोली मार कर हत्या की गई थी. उनकी पत्नी कुमुद वर्मा ने इस मामले पर वाल्मीकि नगर से जेडीयू विधायक रिंकू सिंह तथा उनके अन्य साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें तीन लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है.
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चाहिए । हौप का उद्देश्य तेजी लाने में हैं यदि यह प्राप्त न हो तो उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है । अनुभवी ऐथलिटों ने यह पाया है कि वे फौर्म का आरम्भ मांस पेशियों में काफी ढिलाई से करते हैं और सेट पोजिशन में शरीर के पूरे मांस पेशियों में तनाव उत्पन्न कर देते हैं । रिवर्स उस शक्ति का भड़काव है जो पैरों, कमर, हाथों, कंधों तथा कलाई में हौप के तेजी के साथ शौट में दिया जाता है । साधारण गलतियाँ : संतुलन न होना - संतुलन आँखों से होता है, संतुलन में पीठ सीधी और चपटे पैर पर खड़े होना । शौट पुट फेंकने के पहिले या फेंकने के समय प्रारम्भिक क्रिया करना जो उसके जाने की दिशा में न हो । वृत्त के पिछले हिस्से में काफी नीचे न होना और ग्लाईड करने के समय नीची न रखना । सिर तथा कंधों की सम्बन्धित अवस्था को ग्लाईड के बीचया उसके बाद बदल देना । वृत्त में चलने के समय पुट्ठों के साथ शाट तथा कंधों को बहुत पीछे न रखना । ग्लाईड के समाप्त होते ही शरीर को ऊपर और बाहर के गति प्रवाह को चलने न देना । ग्लाईड के समय होने पर दाहिने पुट्ठे को सामने घूमने देना । पुट्ठों को पहिले ऊपर तब सामने ड्राइव न करना । फेंकने की क्रिया में अधिक शक्ति के लिये बायां पैर तथा हाथ के झुकाव पर अधिक
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ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। चाय पर चर्चा अब किसी बंद कमरे में नहीं हो रही है। इसके लिए शहरवासी ऐसे अड्डों पर पहुंच रहे हैं, जहां अलग-अलग फ्लेवर में महंगी से महंगी चाय के प्याले मिलते हैं। खासतौर पर युवा वर्ग के लिए तो अड्डे आइडिया दिमाग में लाने के नए ठिकाने बन चुके हैं। करियर संवारने पर चर्चा करते हुए वे अपनी जुबां पर लाते हैं-इस चाय वाले को ही देखो, थाड़ा सा दिमाग लगाया तो एक अच्छा स्टार्टअप ले लिया है। इस चर्चा से स्पष्ट होता है, ये चाय की चुस्कियां अब करियर ओरिएंटेंड बन चुकी हैं। युवा करियर को मजबूती देने के लिए कई आइडिया इन अड्डों से उठाकर अपने घर ले जा रहे हैं और उन पर काम भी कर रहे हैं। गौर किया जाए तो कई स्थानों पर तो ऐसे स्टाल खुल चुके हैं, जिनकी फ्रेंचाइजी किसी और दूसरी शहर से पैसा देकर यहां लाई गई हैं। इन स्टाल को कोई आैर नहीं शहर के पढ़े-लिखे युवा ही चला रहे हैं। - शहर में एमबीए चाय वाले से लेकर मुंबई की राजवाड़ी की फ्रंचाइजी है। चाय सुट्टा, बीएड चाय वाला जैसे नामों से चाय की दुकानें संचालित हो रहीं हैं। फूलबाग क्षेत्र की चाय की गुमटियों पर सुबह से लेकर रात तक युवाओं की भीड़ नजर आती है। इन चाय के ठिकानों पर युवतियां भी भीड़ जुटाए खड़ी रहती हैं। कैलाश नगर स्थित एमबीए चाय वाला की फ्रेंचाइजी कुछ दिन ही शुरू हुई थी। यहां पर चाय रेग्यूलर चाय, मसाला चाय, इलायची चाय, चाकलेट चाय, तुलसी चाय के साथ अन्य फ्लेवर में चाय उपलब्ध है। इनका स्वाद लेने के लिए सुबह से देर शाम तक यहां युवाओं की खासी भीड़ रहती है। अन्य जगहों पर भी युवाओं के चाय की कई वैरायटी देकर समय बिताने का मौका दिया दिया जाता है। सुबह से शाम तक जितनी भीड़ चाय के अलग-अलग स्टाल पर रहती है, उतनी भीड़ पिज्जा-बर्गर वाले के यहां भी नहीं होती है। लगता है मानो पिज्जा-बर्गर से युवाओं का मन भर चुका है। सिटी सेंटर क्षेत्र में ही आधा दर्जन के लगभग चाय के स्टाल खुले हैं। इनमें अधिकतर फ्रेंचाइजी ही हैं, क्योंकि पब्लिक सक्सेस नाम को ही फालो करना चाहती है। पहले चाय का मतलब दूध और चाय की पत्ती का मिश्रित रूप ही था। टेस्ट के लिए अदरक व इलायची का उपयोग होता था। अब फ्लेवर वाली चाय की जमाना है। गोविंदपुरी चौराहे के पास राजवाड़ी चाय का स्टाल चलाने वाले साफ्टवेयर इंजीनियार जितेंद्र परमार ने बताया कि उन्होंने मुंबई की रजवाड़ी चाय की फ्रेंचाइजी ली है। अब पढ़ा- लिखा नौजवान चाय के होटलों के बदले स्वरूप में चलाने में कोई गुरेज नहीं कर रहा है। सोच में पूरी तरह से परिवर्तन आ चुका है। उनके यहां रजवाड़ी चाय के अलावा, मसाला चाय, अदरक चाय, स्पेशल इलायची चाय, लांग वाली चाय. स्पायसी चाय, गुड़ वाली चाय, उकाला ( दूध में ड्राइ फ्रूट मसाला) ब्लैक टी, लेमन- जिंजर टी, ग्रीन टी, केशर उकाला मिलती है।
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वॉट्सऐप कॉल का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोग करते हैं। कई यूजर्स इस पर की गई कॉल्स को रिकॉर्ड भी करना चाहते है। वैसे तो वॉट्सऐप ऐसा कोई फीचर नहीं देता है। वॉट्सऐप पर आपको वीडियो और ऑडियो कॉलिंग दोनों का मौका मिलता है। लेकिन आप दूसरे तरीकों से कॉल को रिकॉर्ड कर सकते हैं। बात रिकॉर्डिंग की करें तो आपको डिफॉल्ट रूप से कोई सुविधा नहीं मिलती है। एंड्रॉयड पर वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करना आसान है। इसके लिए आपको Call Recorder: Cube ACR ऐप डाउनलोड करना होगा। हालांकि, यह ऐप सभी फोन्स पर काम नहीं करता है। इसके लिए आपको ऐप के सपोर्ट पेज पर जाना चाहिए, जिससे पता चल सके कि आपका फोन इस ऐप को सपोर्ट करेगा या नहीं। अगर आपका फोन इस ऐप को सपोर्ट करता है, तो आप वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड कर सकते हैं। पहले गूगल प्ले स्टोर पर Cube Call ऐप्लिकेशन सर्च करना होगा। ऐप के मिलते ही आपको इसे डाउनलोड और इंस्टॉल करना होगा। ऐप इंस्टॉल होने के बाद यूजर्स को इसे ओपन करना होगा और इसे वॉट्सऐप पर स्विच करना होगा। अब आपको वॉट्सऐप कॉल करते हुए Cube Call विजिट नजर आएगा । अगर विजिट नहीं दिख रहा है, तो आपको Cube Call की सेटिंग में वापस जाना होगा और यहां Force वॉइप call को चुनना होगा। इसके बाद आपको दोबारा कॉल करनी होगी और आपको विजिट नजर आने लगेगा। अगर इसके बाद भी आपको एरर नजर आता है, तो इसका मतलब है कि ये ऐप आप आप केफोने को सपोर्ट नहीं कर रहा।
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हजारों सालों से, लोगों ने धूप के रूप में सुगंधित फूल, पौधे और जड़ी बूटियों का उपयोग किया है। देवताओं को प्रार्थना भेजने के लिए धूम्रपान का उपयोग समारोह के सबसे पुराने ज्ञात रूपों में से एक है। कैथोलिक चर्च के सेंसर से पैगन बोनफायर अनुष्ठानों तक , धूप आपके इरादे को जाने का एक शक्तिशाली तरीका है। जड़ी बूटियों, फूलों, लकड़ी की छाल, रेजिन और जामुन के मिश्रण का उपयोग करके आप अपना खुद का आसानी से बना सकते हैं। इनमें से अधिकतर आइटम हैं जो आप स्वयं को बढ़ा सकते हैं, जंगल में पा सकते हैं, या खरीददारी से खरीद सकते हैं। धूप क्यों? धूप - और तेल और इत्र जैसे अन्य सुगंधित सामान - कुछ अलग-अलग स्तरों पर काम करते हैं। पहला आपके मनोदशा पर प्रभाव है - एक निश्चित सुगंध एक विशेष भावना को ट्रिगर करेगी। अरोमाथेरेपिस्ट वर्षों से जानते हैं कि गंध इंद्रियों के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करती है। दूसरा, एक सुगंध में विभिन्न संगठन हो सकते हैं। आप एक दुकान से घूम सकते हैं, चान्तिली की चपेट में आ सकते हैं, और अचानक अपनी दादी की याद दिलाई जा सकती है, जब आप कॉलेज में दूर थे। किसी विशेष भोजन की गंध कैंप में बिताए गए गर्मियों की यादें पैदा कर सकती है। अंत में, हम एक कंपन स्तर पर सुगंध का अनुभव करते हैं। प्रत्येक जीवित ऊर्जा में ऊर्जा होती है, और अपनी कंपन उत्सर्जित करती है - पौधे अलग नहीं होते हैं। जब आप उन्हें धूप में मिलाते हैं, तो ये कंपन आपके इरादे के अनुसार बदल जाती हैं। यही कारण है कि, जादू में, धूप बहुत लोकप्रिय है - आपके अनुष्ठान की जगह को गंध करने के अलावा, आप वायुमंडल में कंपन को बदलने में सक्षम हैं, ब्रह्मांड में परिवर्तन को प्रभावित करते हैं। अपना खुद का क्यों बनाओ? आप वाणिज्यिक रूप से उत्पादित धूप की छड़ें और शंकु लगभग कहीं भी खरीद सकते हैं, और वे महंगे नहीं हैं। हालांकि, वे आम तौर पर कृत्रिम अवयवों से बने होते हैं, और इसलिए कोई जादुई मूल्य नहीं होता है। जबकि वे जलने के लिए अच्छे हैं, और निश्चित रूप से सुंदर गंध करते हैं, वे एक अनुष्ठान सेटिंग में थोड़ा उद्देश्य प्रदान करते हैं। लूज धूप, जो इन पृष्ठों पर व्यंजनों के लिए है, को चारकोल डिस्क पर जला दिया जाता है या आग में फेंक दिया जाता है। चारकोल डिस्क अधिकांश आध्यात्मिक आपूर्ति दुकानों के साथ-साथ चर्च सप्लाई स्टोर्स द्वारा संकुल में बेचे जाते हैं (यदि आपके पास एक हिस्पैनिक मार्केट है , तो यह भी देखने के लिए एक अच्छी जगह है)। डिस्क पर एक मैच लागू करें, और आपको पता चलेगा कि जब यह चमकती है और लाल चमकती है तो यह जलाया जाता है। चमकने के बाद, शीर्ष पर अपनी ढीली धूप का एक चुटकी रखें - और सुनिश्चित करें कि आपको इसे फायरप्रूफ सतह पर मिला है। यदि आप अपने समारोह को बड़ी आग से बाहर रखते हैं, तो बस आग में मुट्ठी भरें। कोई भी अच्छा पकवान जानता है कि पहला कदम हमेशा अपनी गुड्स को इकट्ठा करना है। अपने अवयवों, अपने मिश्रण और मापने वाले चम्मच, जार और ढक्कन, लेबल (साथ लिखने के लिए एक पेन को मत भूलना), और अपने मोर्टार और मुर्गी को इकट्ठा करें। प्रत्येक धूप नुस्खा "भागों" में प्रस्तुत किया जाता है। इसका मतलब है कि आप जिस माप का उपयोग कर रहे हैं वह एक इकाई - एक कप, एक चम्मच, एक मुट्ठी भर - एक हिस्सा है। यदि एक नुस्खा दो भागों के लिए कॉल करता है, तो जो भी आपने चुना है उसका दो उपयोग करें। यदि आप एक चम्मच का उपयोग कर रहे हैं तो एक आधे भाग आधा कप है, यदि आप मापने के लिए एक कप का उपयोग कर रहे हैं, या आधे चम्मच का उपयोग कर रहे हैं। अपनी खुद की धूप बनाते समय, यदि आप रेजिन या आवश्यक तेलों का उपयोग कर रहे हैं, तो इन्हें पहले संयोजित करें। किसी भी छाल या जामुन जोड़ने से पहले, जब तक उन्हें थोड़ी गमी नहीं मिल जाती, तब तक इन्हें मैश करने के लिए अपने मोर्टार और मुर्गी का प्रयोग करें। सूखे जड़ी बूटियों, फूलों, या पाउडर वस्तुओं को आखिरी बार जाना चाहिए। बहुत से लोग धूप धुएं के लिए एलर्जी प्रतिक्रियाओं से पीड़ित हैं। कई मामलों में, यह वाणिज्यिक रूप से उत्पादित धूप में सिंथेटिक सामग्री की प्रतिक्रिया के कारण होता है। कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे प्राकृतिक सामग्री से बने धूप का उपयोग करते हैं तो उनके पास कम प्रतिक्रिया होती है। हालांकि, अगर आपके पास एलर्जी या कुछ अन्य हालत है जो धूप धुआं या सुगंध से ट्रिगर की जा सकती है, तो आपको किसी भी धूप का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, चाहे वह व्यावसायिक रूप से खरीदा गया हो या घर से बना और कार्बनिक हो। आप पाते हैं कि आपके लिए सबसे अच्छा समाधान सिर्फ धूप के उपयोग से बचने के लिए है। शुरू करने के लिए तैयार हैं?
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अगर विदेश यात्रा के दौरान आपका पासपोर्ट या अन्य जरूरी ट्रैवल डॉक्युमेंट्स गुम जाएं तो, सबसे पहले नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत जल्द से जल्द जाकर दर्ज कराएं। इसके बाद उस देश में स्थित अपने भारतीय दूतावास से मदद के लिए संपर्क करें। हाालांकि ऐसी स्थिति में दूतावास जाकर आपको भारत लौटने के लिए ट्रैवल सर्टिफिकेट मिल जाता है और कुछेक परिस्थितियों में तो दूतावास यात्री के टिकट का इंतजाम भी कर देती है। मगर ऐसी परेशानी न पेश आए इसके लिए जहां भी जाएंस, हमेशा अपना पासपोर्ट और डॉक्युमेंट्स को इस तरह ध्यान से रखें जैसे वह आपके शरीर का अभिन्न हिस्सा हो। इन्हें एक तरह से आप अपनी 'सेकंड स्किन' ही मानें, जो कि बेवजह की परेशानियों से आपको बचाने के साथ ही आपके ट्रिप का मजा भी किरकिरा नहीं होने देगी। हमेशा ट्रैवल इंश्योरेंस कराना फायदेमंद रहता है। ऐसे में आप मेडिकल इमर्जेंसी आने पर मंहगे मेडिकल खर्च से बच जाते हैं। और अगर कहीं आप किसी अडवेंचर ट्रिप पर जा रहे हैं तो, फिर यह इंश्योरेंस कराना आपके लिए और भी जरूरी हो जाता है। इसके लिए यात्रियों को इंश्योरेंस कार्ड मिलने पर उसकी कवरेज को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। इसके अलावा आपका क्रेडिट कार्ड, शॉपिंग एक्स्पीरियंस को काफी सुकून भरा बना देते हैं। हालांकि विदेशी मुद्रा के उतार-चढ़ाव और सरचार्ज के कारण यह थोड़ा मंहगा पड़ता है, मगर विदेशी करंसी खत्म होने जाने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हमेशा विदेश जाने से पहले अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के पास अपने पूरे ट्रिप प्रोग्राम, जहां ठहरेंगे उस होटेल की डिटेल्स, पासपोर्ट व डॉक्युमेंट्स की कॉपी, एयर टिकट से जुड़ी जानकारी देकर जाएं। इसके साथ ही सभी जरूरी दस्तोवेज की फोटोकॉपी अपने पास रखना भी न भूलें। ताकि जरूरत पड़ने पर अगर कहीं इंटरनेट की सुविधा न होने से मेल से कोई दस्तावेज की कॉपी निकालना संभव न हो तो, आपके पास उसकी एक कॉपी पहले से रहे। पैसे, पासपोर्ट और जरूरत भर के कपड़े हमेशा अपने एक हैंडबैग में साथ लेकर चलें। ताकि लगेज गुम हो जाने की स्थिति में आपको जब तक सामान न मिले तो, गंदे कपड़ों में भूखे-प्यासे वक्त न गुजारना पड़ जाए। इसके अलावा हमेशा आते-जाते समय सुरक्षा चैकिंग के लिए समय से पहले पहुंचे ताकि आप अपनी फ्लाइट आदि के लिए लेट न हों। इसके अलावा अगर कोई जरूरी दवा रोजाना लेते हैं तो उसे भी अपने उस हैंडबैग में रखना न भूलें।
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यूपी के लखीमपुर जिले की घटना को लेकर प्रशासन द्वारा कांग्रेस की महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी व EX CM अखिलेश यादव को रोके जाने व गिरफ्तारी के विरोध में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में सपा के विधायकों व पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन कर केन्द्रीय मंत्री का इस्तीफा मांगा है। प्रदर्शन कर रहे दोनों दलों के नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। समाजवादी पार्टी के धरने में पूर्व मंत्री व सदर विधायक दुर्गा प्रसाद यादव गोपालपुर से विधायक नफीस अहमद अतरौलिया विधायक डॉक्टर संग्राम यादव विधायक आलम बदी जिला अध्यक्ष हवलदार यादव सहित कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लखीमपुर घटना के लिए भाजपा सरकार को घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा सरकार लगातार किसानों के साथ अन्याय का काम कर रही है। वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह ने घटना के लिए केन्द्रीय मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफे की मांग की है। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद जिला प्रशासन देर रात में ही एलर्ट हो गया। यही कारण है कि जिले में सपा व कांग्रेस के नेताओं ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। SDM सदर वागीश शुक्ला के नेतृत्व में बड़ी संख्या पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था, जिससे किसी तरह की अराजकता न होने पाए। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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श्वेत रेखाएँ बनी हुई थी और जहाँ दूर किनारे पर, एक-दो गाडियाँ इधरउधर खडी इस बातका स्मरण दिला रही थीं कि आज वॉलिंग अपने ढलाईके यंत्र का परीक्षण कर रहा है । उस झुटपुटे मे आँखे गड़ाते हुए उसने वॉलिंग की बालुका रंगवाली ब्यूक गाड़ी देख ली और उसे पहचानते ही उसने देखा कि गाडी चल दी है । उसके पीछे-पीछे दो और गाड़ियाँ भी चली आ रही है । एक और गाडी पाइक स्ट्रीट पर घूम रही है । यह स्पष्ट था कि परीक्षण असफल हो गया । यदि यह बात न होती तो वॉलिंग इतने शीघ्र न जाता । जेसी ग्रिम ने धीरे-धीरे साँस ली। उसने अपनी स्मृति के कोने में सब से अधिक छिपाकर जो वस्तु रक्खी थी, वह थी डॉन वॉलिंग के विरुद्ध बहुत दिनोंसे संचित विरोध । वह जानता था कि मैं जिस प्रकारका विरोध ठाने हुए हूँ उसका कोई अर्थ नहीं । डॉन वॉलिंग से विरोधकी पहली स्मृति उसे उस समय की थी, जब पिट्सबर्ग में प्रारंभिक महीनों में वॉलिग ने आकर बुलार्ड का प्रतिरूप बननेका प्रयत्न किया था । उसने उसे उस ढंग से चलने नही दिया. उसने उसे ऐसा मरोड़ा जैसा उसने कभी और किसी को मरोड़ा नहीं था. और वॉलिंग ने भी समझ लिया था. . . यहाँ तक कि धन्यवाद भी दिया था । वॉलिंग ऐसा पहला ही कच्चा बकरा नहीं था, जिसने उसे उस प्रकारके व्यवहारके लिए धन्यवाद दिया हो । पर वॉलिंग ने उसे बहुत शीघ्र ही धन्यवाद दे दिया। यही तो था वॉलिंग.. सदा अत्यन्त वेगशील, अत्यन्त शीघ्रतायुक्त,' अत्यन्त निश्चयपूर्ण, अत्यन्त चतुर । जंब-जब बॉलिंग पास रहता, तब-तब वह शक्तिको ऐंठनेवाला तनाव उठ खड़ा होता. और जब बुलार्ड जान जाता था कि आप किसी बातका वह उत्तर नहीं दे रहे हैं, जो वह चाहता है तो वह झट वॉलिंगसे कहता- "अच्छा डॉन ? जो काम जेसीने छोड़ दिया है वह यदि तुम्हे सौंप दिया जाता तो ।' और तब दुष्ट वॉलिंग का भाग्य काम करने लगता था । हाँ, उसे "भाग्य ही कहना चाहिए । बुलार्ड जितना उसे मानता था उसका यदि आधा भी वॉलिंग था तो उसका कुछ अश निश्चित ही भाग्य था । यदि कोई अच्छा यंत्र - शिल्पी भी न हो, उसे उत्पादनका अभ्यास भी न हो और फिर भी उससे काम चले तो उसका भाग्य ही समझना चाहिए; और हो ही क्या संकता है ? किन्तु कारखाना चलानेके लिए भाग्य से अधिक की आवश्यकता होती
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भोपाल/नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। शिवराज ने पूछा है कि नेशनल हेरल्ड मामले में राहुल ने कोई गड़बड़ नहीं की तो वे डर क्यों रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने का आरोप भी लगाया। शिवराज ने दिल्ली में कहा कि सच यह है कि राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार किया है। अब जब भ्रष्टाचार की जांच हो रही है तो जांच एजेंसी पर दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने कुछ गड़बड़ नहीं किया तो राहुल गांधी और कांग्रेस को किस बात का डर। वे ईडी को जाकर सच बता सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जनता कांग्रेस के इस ढोंग को समझ चुकी है। नेशनल हेरल्ड प्रकरण में राहुल और सोनिया गांधी को ईडी ने समन भेजा था। सोमवार को राहुल गांधी ईडी के सामने पेश हुए। उनसे तीन घंटे तक पूछताछ हुई। इधर, कांग्रेस नेतृत्व को जारी समन के खिलाफ पार्टी ने सत्याग्रह मार्च का आयोजन किया। इसमें कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलते हुए ईडी की कार्रवाई को द्वेषपूर्ण बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से कांग्रेस की राष्ट्रीय नेतृत्व को परेशान कर रही है।
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Punjab Congress Fight: पंजाब में जारी राजनीतिक घमासान के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया दी. मुख्यमंत्री का कहना है कि सिद्धू से उन्होंने फोन पर बात की है और उनसे चर्चा लगातार जारी है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी ही सुप्रीम होती है, सरकार पार्टी की विचारधारा पर ही आगे बढ़ रही है. "पार्टी का जो हेड है, उसे परिवार में अपनी बात रखनी चाहिए. मैंने सिद्धू साहब से फोन पर बात की है, पार्टी ही सुप्रीम होती है. उन्हें आकर बात करने के लिए कहा है, सरकार पार्टी की विचारधारा पर ही काम कर रही है. आज या कल में बात हो जाएगी, समय दिया गया है". गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से मंगलवार को इस्तीफा दिया है. बुधवार को सिद्धू ने एक वीडियो जारी किया और पंजाब सरकार के फैसलों, नियुक्तियों पर सवाल खड़े कर दिए. नवजोत सिंह सिद्धू ने आरोप लगाया कि जिन लोगों पर दाग लगा था, उन्हें सरकार में जगह दी गई. ऐसे में ये ठीक नहीं है, वह अपने एजेंडे से पीछे नहीं हट सकते हैं. इसलिए उन्होंने अपना पद छोड़ दिया है. किस बात पर खफा हुए थे सिद्धू? आपको बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब सरकार के नए एडवोकेट जनरल और कुछ मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए गए थे. साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू कुछ अधिकारियों की सीएमओ में नियुक्ति चाहते थे, जो नहीं हो सका था. कांग्रेस आलाकमान द्वारा अभी नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने की कोशिश नहीं हो रही हैं. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने नया प्रदेश अध्यक्ष ढूंढने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
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सर्विसेस की आवश्यकताओं को पूरा करने और विकसित तकनीक को नामित उत्पादन एजेंसियों (पीए) और गुणवत्ता आश्वासन एजेंसियों (क्यूएए) को स्थानांतरित करने के लिए, पारंपरिक आयुध के क्षेत्र में डीआरडीओ के नोडल सिस्टम लैब के रूप में एआरडीई को अपने मुख्य मिशन के डिजाइन और हथियारों के विकास, दरुगोला और संबंधित आयुध भंडार और उपकरणों के संचालन के दौरान कई बाहरी एजेंसियों के साथ इंटरफेस करना है। शामिल एजेंसियों की संख्या में से, निम्नलिखित तीन परियोजनाएं/कार्यक्रम, प्रभावी निष्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैंः - सेवाएं - हमारे ग्राहक, जो गुणात्मक आवश्यकताएं (क्यूआर) उत्पन्न करते हैं और प्रमुख परियोजनाओं और कार्यक्रमों को प्रायोजित करते हैं और अंततः उत्पादन ऑर्डर देते हैं। - एआरडीई के लिए उत्पादन एजेंसियां, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ आयुध फैक्टरी (ओएफबी) बनी रहेंगी और घटकों, उप-प्रणालियों और कुछ मामलों में, जहां कोई उच्च ऊर्जावान सामग्री (एईएम) शामिल नहीं उस सिस्टम स्तर पर भी वर्धित भूमिकाएं निभा रही हैं। - रक्षा मंत्रालय की क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसियां - अर्थात डीजीक्यूए (DGQA), डीएनएआई (DNAI), एक्यूएए (AQAA) और एमएसक्यूएए (MSQAA)।
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आखिर अब मैडोना ने ऐसा क्या कर डाला, जिसकी वजह से ट्रोल हुईं पॉप सिंगर? हाल ही में पॉप सिंगर मैडोना ने इंस्टाग्राम पर ऐसा वीडियो शेयर किया है, जिसकी वजह से वो मुसीबत में भी आ सकती हैं. कुछ लोगों ने उनके वीडियो को आपत्तिजनक बताया है. इंटरनेशनल पॉप सिंगर मैडोना हमेशा ही किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती हैं. उनकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होगा. इन दिनों मैडोना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो क्लिप को देख कर हर कोई हैरान है. ये क्लिप खुद सिंगर ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. चलिए आपको भी दिखाते हैं मैडोना का ये अनोखा कारनामा, जिसकी वजह से अब वो जमकर ट्रोल भी हो रही हैं. हाल ही में पॉप सिंगर मैडोना ने इंस्टाग्राम पर ऐसा वीडियो शेयर किया है जिसकी वजह से वो मुसीबत में भी आ सकती हैं. कुछ लोगों के लिए जहां ये वीडियो आपत्तिजनक है. वहीं, कुछ इसे देखकर हैरान भी हैं. मैडोना वीडियो में कई ऐसी हरकतें करती नजर आ रही हैं जो बेहद आपत्तिजनक और अश्लील हैं. इतना ही नहीं, वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि मैडोना कैसे बुल डॉग के बरतन को चाटती नजर आ रही हैं. इसके साथ ही, उन्होंने क्लिप में कई जगह यौन संबंध बनाने जैसी हरकतें की हैं. वीडियो में उन्होंने नियॉन ग्रीन स्वेटर को स्पार्कली बूटी शॉर्ट्स के साथ कैरी किया है. साथ ही, टाइट्स और हाई बूट्स के साथ अपने कई सिजलिंग पोज भी फ्लॉन्ट किए हैं. इस पर लगातार लोगों के और कई सेलेब्स के भी रिएक्शन्स आ रहे हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जब सिंगर अपनी किसी वीडियो की वजह से चर्चा में आई हैं. इसके पहले भी उन्होंने कई ऐसी वीडियो बनाई है जिसकी वजह से वो बुरी तरह ट्रोल हुई हैं. पिछले हफ्ते भी उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसपर लोगों ने सवाल किया था कि क्या मैडोना सिर्फ फन और एंटरटेनमेंट के लिए ऐसा कर रही हैं या वो समलैंगिक होने को लेकर गंभीर हैं.
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मंदसौर नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार नई आबादी इलाके में पूर्व पार्षद विजय शर्मा की दुकान पर खड़े थे। इसी दौरान बाइक सवार हमलावर मौके पर पहुंचा था और उसने प्रह्लाद बंधावर की सिर में गोली मार दी थी। मध्य प्रदेश के मंदसौर में बीजेपी नेता और नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार की हत्या का आरोपी बीजेपी कार्यकर्ता ही निकला है। पुलिस ने प्रह्लाद बंधवार की हत्या के आरोपी बीजेपी कार्यकर्ता मनीष बैरागी को राजस्थान से गिरफ्तार किया है। गुरुवार को मंदसौर नगर पालिका के अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद इलाके में सननसी फैल गई थी। नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार नई आबादी इलाके में पूर्व पार्षद विजय शर्मा की दुकान पर खड़े थे। इसी दौरान बाइक सवार हमलावर मौके पर पहुंचा था और उसने प्रह्लाद बंधवार की सिर में गोली मार दी थी। गोली लगते ही बंधावर मौके पर ही गिर पड़े थे। गोली लगने के बाद प्रह्लाद बंधवार को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। प्रह्लाद बंधवार की मौत के बाद उनके समर्थकों और स्थानीय लोगों ने जमकर बवाल काटा था। गुस्साए लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की थी। नगर पालिका अध्यक्ष को गोली मारने की सूचना के बाद एसपी पुलिस दल के साथ जिला अस्पताल पहुंचे थे और गुस्साए लोगों को शांत कराया था। पुलिस केस दर्ज कर पूरे मामले की जांच कर रही थी, और हमलावर की तलाश में जुटी हुई थी। पुलिस ने अब प्रह्लाद बंधवार की हत्या के आरोप बीजेपी कार्यकर्ता को ही गिरफ्तार किया है। आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस आज आरोपी को लेकर राजस्था से मध्य प्रदेश पहुंचेगी। जहां उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस की पूछताछ में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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तब उसे सहसा भान हुआ कि वह उसे नहीं चाहता, वह विस्मित रह गई । उसे अतीत में कही हुई उसकी सारी बातें याद और दाकि कितनी निराशा पूर्वक वह उसे प्यार करता था, उसने स्वयं को अपमानित और क्रोधित समझा परन्तु उसमें एक तरह की जन्मजात वृष्टता थी, जो उसे पार ले जाती थी । फिलिप को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह उससे प्यार करती थी, क्योंकि वह नहीं करती थी । वह कभी-कभी उसे घृणा करती थी और वह उसका अपमान करना चाहती थी; पर उसने अपने को बिल्कुल शक्तिहीन पाया; वह समझ न सकी उसके साथ कैसे पेश आया जाय, वह उसके साथ थोड़ी घबराने लगी। एक दो बार वह रोई भी । एक दो बार उसने फिलपि के साथ बहुत ही अच्छा व्यवहार किया; पर जब रात में सोते समय उसने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया तो थोड़ी देर में उसने कुछ बहाना बताकर अपना हाथ मुक्त कर लिया, जैसे उसके द्वारा हुआ जाना ही उसे नापसन्द हो । उसकी समझ में न आता । उसके ऊपर उसका केवल एक वश बच्ची का था, जिसको वह रोज-रोज अधिक से अधिक चाहने लगा था; बच्ची को एक तमाचा मार कर या धक्का देकर वह उसे बहुत क्रोधित कर सकती थी; और केवल उस समय पुरानी कोमल मुस्कान उसकी आँखों में वापस आती जब वह बच्ची को लेकर उसके पास खड़ी होती । वह यह सब सोचती और क्रोध पूर्वक स्वयं से कहती कि कभी वह उससे इस सबका बदला चुका लेगी । वह इस सत्य से स्वयं को मना न पाती कि अब वह उसकी परवाह नहीं करता था। वह उसे परवाह करना सिखा देगी । दर्पचूर्ण का उसे बड़ा मान था और कभी-कभी एक अजीब ढंग से वह फिलिप की लालसा करती। अब वह इतना उदासीन होगया था कि उसे चिढ़ लगी। वह उस प्रकार से हमेशा उसके बारे में सोचा करती। वह सोचती कि फिलिप उसके साथ बड़ा बुरा व्यवहार कर रहा है और समझ न पाती कि ऐसा पाने के लिये उसने क्या किया
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जानकारी के मुताबिक, एलओसी पर कितने जवानों की तैनाती की गई है, इसका कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं मिल पाया लेकिन यह संख्या हजारो में है। जम्मूः भीषण गर्मी के कारण इस बार एलओसी पर बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण, घुसपैठ का खतरा भयानक रूप से मंडराने लगा है। अधिकारियों ने इसे माना है कि कश्मीर के कई सेक्टरों से कई दर्जन आतंकी पिछले दिनों घुसने में कामयाब रहे थे और उनके खात्मे के लिए सेना बहुत बडे़ अभियान को भी छेड़ चुकी है। हालांकि कश्मीर की घुसपैठ के बाद आरंभ हुई सैनिक कार्रवाई की सच्चाई यह है कि सेना अभी तक इन आतंकियों को खोज नहीं पाई है। रक्षाधिकारियों के बकौल, ऐसी की घटना पुनः न हो इसके लिए पूरी बर्फ के पिघलने से पहले ही पारंपारिक घुसपैठ के रास्तों पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात कर देना जरूरी है। कितने अतिरिक्त सैनिकों को एलओसी और बार्डर पर भेजा गया है कोई आंकड़ा सरकारी तौर पर मुहैया नहीं करवाया गया है पर सूत्र कहते हैं कि ये संख्या हजारों में है। इतना जरूर है कि सेना को एलओसी पर घुसपैठ तथा कश्मीर के भीतर आंतरिक आतंकवाद विरोधी अभियानों के दोहरे मोर्चे पर जूझने के लिए अब सेना सैनिकों की कमी इसलिए महसूस कर रही है क्योंकि उसकी सूचनाएं कहती हैं कि आतंकवादी एकसाथ दोहरा मोर्चा खोल सेना के लिए मुसीबतें पैदा कर सकते हैं। इसकी खातिर सेना को आतंकवाद विरोधी अभियानों में जुटे हुए सैनिकों को भी हटा कर एलओसी पर भेजने की मजूबरी के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
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देवियों curvaceous कभी कभी पतलून सूट से बचने, लेकिन वे व्यर्थ में पूरी तरह से करते हैं। ठीक तरह से पैंट फिट और एक जैकेट या शीर्ष मूल नेत्रहीन आंकड़ा स्लिमर और स्लिमर बना सकते हैं। मुख्य बात - सही ढंग से प्लस आकार महिलाओं के लिए pantsuits चयन करने के लिए सक्षम होने के लिए। एक सुडौल आकार के साथ एक औरत के लिए पोशाक के ऊपरी भाग शीर्ष, जैकेट, ब्लाउज या अंगरखा हो सकता है। मुख्य बात - जो चयनित आइटम की गरिमा पर जोर देती है आंकड़ा (एक सुंदर छिपाने - लाइन गर्दन, लंबी गर्दन), और पूर्ण कंधे या पेट। छुट्टियों, खेल, व्यापार, हर रोजः महिलाओं और कुछ अवसरों के लिए मोटा आंकड़ा के साथ लड़कियों के लिए वहाँ pantsuits। पैंट दोनों क्लासिक कटौती और भड़का हो सकता है, और लंबाई दोनों अधिक से अधिक और छोटा हो सकता है। प्लस आकार महिलाओं के लिए pantsuits खरीदें, यह कभी कभी मुश्किल है। समस्या यह है कि एक अच्छा सूट बड़े आकार उत्कृष्ट फिट और कठोर शैली होना आवश्यक है, इसलिए जब एक पोशाक चुनने जैकेट की कटौती पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है, वास्तव में, वह नाजुक खामियों को छिपाने और उसके गरिमा का पूरा आंकड़ा उजागर करने के लिए सक्षम है। यह एक रूप-फिटिंग मॉडल लम्बी शैली, मुलायम सामग्री के बने चयन करने के लिए सबसे अच्छा है। जैकेट के उत्तम पूरक एक स्टाइलिश जैकेट हो सकता है। हालांकि, प्लस आकार महिलाओं के लिए pantsuits - न केवल एक आदर्श बैठे है "ऊपर" क्योंकि बड़ी भूमिका द्वारा निभाई गई और कैसे इन पैंट सेटों में देखो। यह एक रंग के कपड़े की पतलून की क्लासिक कटौती पर बंद करने के लिए बेहतर है। सबसे अच्छा विकल्प - प्रत्यक्ष मॉडल के लिए मध्य जांघ से झुंड। क्लासिक कटौती पतलून हमेशा सबसे ऊपर और जैकेट के साथ पूरी तरह से फिट है, और यह आंकड़ा बढ़ नहीं करता है। पतलून सूट के लिए कपड़े की पसंद के बारे में, सर्दियों के लिए इस तरह के ऊन या ट्वीड के रूप में सही सामग्री है, लेकिन गर्मियों पतलून सूट फेफड़े के ऊतकों से या एक पतली डेनिम से सिले जा सकता है। इन पोशाकों की रंग योजना बहुत ही विविध किया जा सकता है, और एक सुडौल आकार के साथ महिलाओं सुस्त ग्रे रंगों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक नहीं है। हालांकि, अत्यधिक विपरीत भी पतलून के रंग और जैकेट भारी आकार के बीच अंतर के रूप में तेजी से, बचा जाना चाहिए और कूल्हों की ओर ध्यान खींचता है। यह पूर्ण महिलाओं के लिए pantsuits पर बहुत सामंजस्यपूर्ण लंबवत बार लग रहा है। यह नेत्रहीन सिल्हूट फैला है और यह आंकड़ा और अधिक सुरुचिपूर्ण बनाता है। एक सूट में खड़ी पट्टियों एक एकरंगा कपड़े ब्लाउज या शीर्ष के साथ जोड़ा जा सकता है। जब प्लस आकार महिलाओं के लिए pantsuits के लिए जूते का चयन करके, ज्यादा से बचना चाहिए हाइ हील्स, स्टड भारी तलवों पर कुंद नाक के साथ और जूते। यह मध्यम ऊँची एड़ी के जूते के साथ आरामदायक जूते पर चुनाव रोकने के लिए बेहतर है। Pantsuit दिखावटी सामान के साथ पूरक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुरुचिपूर्ण और स्टाइलिश ब्रोच गहने, आप सख्त व्यापार शैली में सूट करने के लिए चुन सकते हैं। अधिक उत्सव पोशाक मुक्त शैली उज्ज्वल गहने और मूल बैग के पूरक कर सकते हैं। आप सच है कि अधिकांश बहुत सनकी suiting की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक बड़े आकार वेशभूषा का चयन करें और एक नाजुक कपड़े धोने की आवश्यकता है। अगर कोई निश्चित है कि इस पोशाक हाथ धोने के बाद उपस्थिति खो देंगे है, यह ड्राई क्लीनिंग सेवाओं का उपयोग करने के लिए बेहतर है।
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GORAKHPUR : गोरखपुर के रास्ते पूरे देश में फैले नकली नोटों के जाल का अब पर्दाफाश होने वाला है। आई नेक्स्ट के कैंपेन 'नकली नोट पर चोट' का असर है कि एसएसपी ने सभी थानों को निर्देश जारी कर दिए हैं। अब अगर नोट लेते हुए कोई भी शख्स पकड़ा गया तो उस पर तत्काल कार्रवाई होगी। इसके अलावा फेक करेंसी पर लगाम लगाने के लिए बैंक ने भी कमर कस ली है। इसकी पहल करते हुए यूनयिन बैंक ऑफ इंडिया ने अवेयरनेस कैंप लगाने का निर्णय लिया है। आई नेक्स्ट में लगातार फेक करेंसी पर न्यूज पब्लिश होने के बाद पुलिस महकमा भी हरकत में आ गया है। नकली नोटों के पूरे जाल को पर्दाफाश करने की प्लानिंग तैयार की जा रही है। इसकी पहल करते हुए गोरखपुर के एसएसपी ने सभी थानों को निर्देश जारी किए है कि अगर कोई भी व्यक्ति नकली नोट में पकड़ा जाता है तो उससे सघन पूछताछ की जाए। इसके अलावा अगर कोई संदिग्ध भी पाया जाता है तो सख्ती से पूछताछ कर पूरे मामले को स्कैन किया जाना चाहिए। नकली नोट का नेक्सस नेपाल से होते हुए पूरे देश में फैला हुआ है। इंटेलीजेंस एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि नकली नोट नेपाल के रास्ते ही इंडिया में आते हैं। इस बात को गौरतलब रखते हुए एसएसपी ने थानों को जारी किए हैं कि नेपाल बॉर्डर की ओर से आने वाली बसों और निजी वाहनों की सघन चेकिंग की जाए। उन्होंने बार्डर एरिया से आने वाली ट्रेनों पर भी नजर रखने के निर्देश दिए है। फेक करेंसी के मामले आए दिन उजागर होते हैं। पुलिस इसे बहुत ही लाइट मोड में लेती है। फेक करेंसी देने वाले को यह नोट कहां से मिला, इस पूरी चेन को स्कैन करने के बजाय, केवल उसे डांट-डपट कर भगा दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आई नेक्स्ट की खबर के बाद पुलिस महकमे ने इस चेन को पूरी तरह से स्कैन करने की ठानी है। वह कड़ी दर कड़ी नोट किस तरह बाजार में आता है, उस पर नजर रखकर पूरे स्कैम को उजागर करने की तैयारी में है। गोरखपुर एसएसपी प्रदीप कुमार ने जहां थानों को सख्ती करने के आदेश किए हैं, वहीं जनता से भी अपील की है कि ऐसे मामलों को लाइट मोड में न लें। अगर कोई नकली नोट मिलता है तो उसकी कंप्लेंट तत्काल पुलिस को करें, जिससे हर दिन फैल रहे इस जाल को बेनकाब किया जा सके। देश की इकॉनमी को भारी नुकसान पहुंचाने वाली फेक करेंसी को रोकने के लिए डिस्ट्रिक्ट के सभी थानों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। पब्लिक से अपील है कि फेक करेंसी के मामले में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही पुलिस को सूचना दें। आई नेक्स्ट की ओर से फेक करेंसी के खिलाफ चलाया गया अभियान सराहनीय है। यूनियन बैंक फेक करेंसी प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बाजारों में अवेयरनेस कैंप लगाएगा। इसमें लोगों को फेक करेंसी और ओरिजनल करेंसी के बीच फर्क बताया जाएगा।
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अर्जुन, भीम और द्रौपदी- तीनो दुर्योधन से बहुत खिलाफ थे, फिर भी उन्हें युधिष्ठिर के वचनो पर ऐसा दृढ़ विश्वास था तो तुम्हे भगवान् के वचनो पर कितना अधिक विश्वास होना चाहिए । भगवान् कहते है - सिर काटने वाला वैरी भी मिच ही है । वास्तव मे तो कोई किसी का सिर काट ही नहीं सकता, किन्तु आत्मा ही अपना शिरच्छेद कर सकती है। ही अपना असली वैरी है । अर्जुन ने गन्धर्व से कहा - 'भले ही तुम हमारे हित की बात कहते होओ, मगर अपने भाई की बात के सामने में तुम्हारी बात नहीं मान सकता । मुझे अपने ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर की बात शिरोधार्य करके दुर्योधन को तुम्हारे वन्धन से छुडाना है। अतः तुम उसे वन्धन - मुक्त कर दो। अगर यो नहीं मुक्त करना चाहते तो युद्ध करो । अगर तुमने हमारे हित के लिए कर रखा हो तो मेरा यही कहना है कि उसे छोड दो। मुझे उसकी करतूतें नहीं देखनी है, मुझे की आज्ञा का पालन करना है। उसे छोड़ दो। न दुर्योधन को छुड़ा लाया । युधिष्ठिर अर्जुन पर बहुत प्रसन्न हुए और कहने लगे - 'तू मेरा सच्चा भाई है ।" उन्होंने द्रौपदी से कहा- देखो, इस जगल मे कैसा मंगल हैं। इस प्रकार युधिष्ठिर ने जंगल मे और संकट के समय में वर्म का पालन किया था। मगर इस पर से आप अपने विषय में विचार करो कि आप उपाश्रय में धर्म का पालन करने या अपने अभिमान का पोषण करने ? वर्मस्थान करते ही 'निम्मी - निन्मही' कहकर अभिमान, क्रोध निषे करना चाहिए। अगर इनका निषेध किये बिना उदाहरणाला ] हैं - अपने ऊपर भले ही लाखो जुल्म करता हो, मगर यदि वह भाई किसी तीसरे द्वारा दबाया जाता हो या पीड़ित किया जाता हो तो उसे पीडा मुक्त करना भाई का धर्म है । अर्जुन पहले कहता था- दुर्योधन, गधर्व द्वारा कैद कर लिया गया, यह बहुत अच्छा हुआ। परन्तु युधिष्ठिर की आज्ञा होते ही वह गंधर्व के पास गया । उसने दुर्योधन को बंधनमुक्त करने के लिए कहा । यह सुनकर गधर्व ने अर्जुन से कहा- 'मित्र' तुम यह क्या कह रहे हो ? तुम इतना भी विचार नहीं करते कि दुर्योधन बड़ा ही दुष्ट है और तुम सबको मारने के लिए जा रहा था । ऐसी स्थिति मे मैने उसे पकड़ कर कैद कर लिया है तो बुरा क्या किया है ? इसलिए तुम अपने घर जाओ और इसे छुडाने के प्रयत्न मे मत पडो । अर्जुन ने उत्तर दिया- दुर्योधन चाहे जैसा हो आखिर तो हमारा भाई ही है, अतएव उसे बधनमुक्त करना ही पड़ेगा ।' अर्जुन तो भाई की रक्षा के लिए इस प्रकार कहता है, मगर आप लोग भाई भाई कोर्ट में मुकद्दमेबाजी तो नहीं करते ? कदाचित् कोई कहे कि हमारा भाई बहुत खराब है तो उससे यही कहा जा सकता है कि वह कितना ही खराब क्यों न हो, मगर दुर्योधन के समान खराब तो नहीं है । जब युधिष्ठिर ने दुर्योधन के समान भाई के प्रति इतनी क्षमा और सहनशीलता का परिचय दिया तो तुम अपने भाई के प्रति इतनी क्षमा और सहनशीलता का परिचय नहीं दे सकते ? मगर तुम मे भाई के प्रति इतनी क्षमा और सहनशीलता नहीं है और इसी कारण तुम भाई के खिलाफ न्यायालय मे मुकद्दमा दायर करते हो । अमर मरंता मैंने देखे ! एक सेठ का नाम उनठनपाल था । नाम ठनठनपाल होने पर भी वह बहुत धनवान था और उसकी बहुत अच्छी प्रतिष्ठा भो यो । प्राचीन काल के श्रीमन्त, श्रीमन्त होने पर भी अपना कोई काम छोड नहीं बैठते थे । आज जरा-सी लक्ष्मी प्राप्त होते ही लोग सय काम छोडछाड़ कर बैठे रहते है और ऐसा करने में ही अपनी श्रीमताई समझते है । टनटनपाल सेठ की पत्नी सेठानी होने पर भी पानी भरना, टापोमना, कूटना आदि सब घरू काम-काज अपने हाथों करती थी। अपने हाथ में किया हुआ काम जितना अच्छा होता है, उतना अच्छा दूसरे के हाथ से करवाया काम नहीं होता । परन्तु आजकल बहुत से लोग धर्मध्यान करने के बहाने से घर का काम करना छोड़ देते हैं। उन्हें यह विचार नहीं कि वर्मयान करने वाला व्यक्ति क्या कभी आलसी बन ही धर्मस्थान में आते हो तो कहना चाहिए कि धर्मतत्व से दूर हैं । भीम ने युधिष्ठिर से कहा - 'गन्धर्व द्वारा दुर्योधन के कैद होने से तो हमे प्रसन्नता हुई थी । आप न होते तो हम इसी पाप में पड़ते रहते ।। भीम का यह कथन सुनकर युधिष्ठिर ने उत्तर दिया- 'यह तो ठीक है, मगर अर्जुन जैसा भाई न होता तो मेरी आज्ञा कौन मानता ? तुम भी झस्थ हो । तुम्हारे अन्तःकरण में इस प्रकार का पापा सभव है। फिर भी आज्ञा शिरोधार्य करने का व्यान तो तुम्हे भी रखना चाहिए । भगवान् की आज्ञा है कि सब को अपना मित्र को अपराध के लिए क्षमा माँगो और दूसरो के अपराध क्षमा कर दो । इस आज्ञा का पालन करने मे ऐसी पॉलिसी का उपयोग नही करना चाहिए कि जिनके साथ लड़ाई-झगडा किया हो उनसे तो क्षमा माँगो नहीं और दूसरो से केवल व्यवहार के लिए क्षमा याचना करो । सच्ची क्षमा माँगने का और क्षमा देने का यह सच्चा मार्ग नहीं है । शत्रु हो या मित्र, सब पर क्षमाभाव रखना ही महावीर भगवान् का महामार्ग है । भगवान् के इस महामार्ग पर चलोगे तो आपका कल्याण होगा । आज युधिष्ठिर तो रहे नही मगर उनकी कही बात रह गई है, इस बात को तुम ध्यान मे रक्खो और जीवनव्यवहार मे उतारो । [ अमर मरंता मैंने देखे सारांश यह है कि लोग अपने हाथ से काम न करके दूसरो से काम कराने मे अपनी महत्ता मानते है । उन्हें इस बात का विचार ही नहीं है कि अपने हाथ से और दूसरे के हाथ से काम करने कराने मे कितना ज्यादा अन्तर है । ठनठनपाल श्रीमान् था, फिर भी उसकी पत्नी पीसना, कूटना आदि काम अपने हाथ ही से करती थी । किन्तु जब वह अपनी पड़ोसिनो से मिलती तो पडोसिने उसकी हँसी करने के लिए कहती - 'पधारो श्रीमती ठनठनपालजी " ठनठनपालजी की पत्नी को यह मजाक रुचिकर नहीं होता था । एक दिन इस मजाक से उसे बहुत बुरा लगा। वह उदास हो कर बैठी थी कि उसी समय सेठ ठनठनपाल आ गये। अपनी पत्नी को उदास देखकर उन्होने पूछा- 'श्राज उदास क्यो दिखाई देती हो ? सेठानी बोली- तुम्हारा यह नाम कैसा विचित्र है । तुम्हारे नाम के कारण पड़ौसिने मेरी हँसी करती है। तुम अपना नाम बदल क्यों नहीं डालते ? ठनठनपाल ने कहा- - मेरे नाम से सभी लेनदेन चल रहा है। अव नाम बदल लेना सरल बात नहीं हैं। कैसे बदल सकता हूँ ? उसकी पत्नी बोली- 'जैसे बने तैसे तुम्हे यह नाम तो बदलना ही पड़ेगा । नाम न वदला तो में अपने मायके चली जाऊँगी । ठनटनपाल ने कहा- मायके जाना है तो अभी चली जा, मगर मै नाम नहीं बदल सफ्ता । तेरी जैसी हटीली श्री मायके चली जाय तो हर्ज भी क्या है ? टनटनपाल की श्री रूठ कर मायके चली । वह नगर के पर पहुंची कि कुछ लोग एक सुर्दे को उठाये वहाँ से निकले। ने उनसे पूछा- 'यह कौन मर गया है ?" लोगों ने उत्तर सकता है ? जो कार्य अपने ही हाथ से भलीभाँति हो सकता है, शास्त्रकार उसके त्याग करने का आदेश नहीं देते । तुम स्वयं जो काम करोगे, विवेकपूर्वक करोगे, दूसरे से ऐसे विवेक की आशा कैसे रक्खी जा सकती है ? इस प्रकार अपने हाथ से विवेकपूर्वक किये गये काम मे एकान्त लाभ ही है। स्वयं आलसी बनकर दूसरे से काम कराने मे विवेक नहीं रहता और परिणामस्वरूप हानि होती है। आजकल बिजली द्वारा चलने वाली चक्कियॉ बहुत प्रच लित हो गई है और हाथ की चक्कियाँ बन्द होती जा रही है । क्या घर की चक्कियाँ बन्द होने के कारण यह कहा जा सकता है कि थोड़ा हो गया है ? वर की चक्कियाँ बन्द करने से तुम निरास्रवी नहीं हुए हो परन्तु उलटे महापाप में पड़ गये हो । घर की चक्की और बिजली की चक्की का अन्तर देखोगे तो अवश्य मालूम हो जायगा कि तुम किस प्रकार महापाप मे पड़ गये हो । विचार करोगे तो हाथ चक्की और बिजली की चक्की मे राई और पहाड जितना अन्तर प्रतीत होगा। बिजली से चलने वाली चक्की से व्यवहार और निश्चय - दोनो की हानि हुई है और साथ ही साथ स्वास्थ्य की भी हानि हुई है और हो रही है। पुराने लोग मानते है कि डाकिनी लग जाती है और जिस पर उसकी नजर पड जाती है उसका वह सत्त्व चूस लेती है । डाकिनी की यह बात तो गलत भी हो सकती है परन्तु विजली से चलने वाली चक्की तो डाकिनी से भी बढकर है । वह अनाज का सत्त्व चूस लेती है यह तो सभी जानते हैं। बिजली की चक्की मे पिसाया हुआ आटा कितना ज्यादा गरम होता है, यह देखने पर विदित होगा कि आटेका सत्त्व भस्म हो गया है ।
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देश के रक्षा मंत्री ने टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए एक अहम फैसला लिया है। राजनाथ ने सियाचिन सहित दूसरे हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में, जहां अब तक आम लोगों का जाना मना था अब टूरिस्टों के लिए खोलने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात की जानकारी ट्वीट कर दी है। उन्होंने बताया है कि सियाचिन अब टूरिस्टों के लिए खोल दिया गया है। सूत्रों के मुताबकि रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद जब राजनाथ सिंह कुमार पोस्ट गए थे उसी वक्त उन्होंने आर्मी के सीनियर अधिकारियों से कहा था कि यहां हमारी फौज कितनी कठिन परिस्थितियों में रह रही है ये आम लोगों को पता होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि हमारे फौजी किस परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तैनात हैं। यही नहीं, आर्मी ने दूसरे हाई ऑल्टिट्यूट एरिया को भी आम लोगों के लिए खोलना शुरू कर दिया है। आर्मी के एक अधिकारी ने बताया कि अब अरुणाचल प्रदेश में किबितू और टूटिंग एरिया में भी आम लोग जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आर्मी को भी लिखा था कि वह आम लोगों को इन जगहों पर जाने की इजाजत दें। जिस पर आर्मी ने मना नहीं किया। हालांकि उन्होंने संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ नियम व शर्ते रखी हैं। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि जो एरिया हमारा हैं और जहां तक हम आम लोगों को जाने दे सकते हैं उन फॉरवर्ड एरिया में हम उन्हें जाने की इजाजत देंगे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर सिक्किम के भी कई इलाकों को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। The Siachen area is now open for tourists and Tourism. From Siachen Base Camp to Kumar Post, the entire area has been opened for Tourism purposes.
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गोली की आवाज सुनकर व्यक्ति को बचाने जब उसकी पत्नी आई तो बदमाशों ने महिला को भी पीटा और उसका सिर फोड़ दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश फरार हो गए। बदमाशों के जाने के बाद परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। विशेष संवाददाता, डाबड़ी डाबड़ी थाना क्षेत्र में दो हथियारबंद बदमाशों ने एक व्यक्ति को उसके घर में घुसकर गोली मार दी। गोली की आवाज सुनकर व्यक्ति को बचाने जब उसकी पत्नी आई तो बदमाशों ने महिला को भी पीटा और उसका सिर फोड़ दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश फरार हो गए। बदमाशों के जाने के बाद परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। दोनों घायलों को पास के अस्पताल पहुंचाया गया। पुलिस ने डाबड़ी थाने में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी की हत्या में तीसरा आरोपी भी अरेस्ट पुलिस अधिकारी के अनुसार घायल नरेश के बयान पर मामला दर्ज किया गया है। अभी तक की जांच में पता चला है कि घायल पर भी विभिन्न धाराओं के तहत आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस आशंका जता रही है कि आपसी रंजिश के चलते वारदात को अंजाम दिया गया है। पुलिस के अनुसार सोमवार देर रात डाबड़ी थाने को यह जानकारी मिली थी। इसके बाद पुलिस को पता चला कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। पुलिस टीम अस्पताल पहुंची तो पता चला कि नरेश को पैर में गोली लगी है। नरेश ने पुलिस को बताया कि देर रात दो लोगों ने उसका दरवाजा खटखटाया। जब उसने गेट खोला तो वह दोनों जबरन अंदर आ गए। उनमें से एक के हाथ में पिस्टल थी। उसी ने नरेश पर गोली चला दी। गोली लगने के बाद नरेश गिर गए। Delhi News: लॉकडाउन खुलते ही लूट और झपटमारी की वारदात में इजाफा इसी दौरान गोली की आवाज पर नरेश की पत्नी बाहर आई। आरोपियों और नरेश की पत्नी के बीच झड़प हो गई। इस दौरान आरोपियों ने उसे जमकर पीटा और उसका सिर फोड़ कर फरार हो गए। बदमाशों के जाने के बाद पुलिस को मामले की सूचना दी गई। फिलहाल पुलिस ने मामले में केस दर्ज कर लिया है और आरोपियों की पहचान का प्रयास कर रही है।
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यशोधरा में गुरुजी की नारी- भावना पारिवारिक स्नेहही विश्व-प्रेम का जन्मदाता है। जननी 'तुच्छ न समझो मुझको नाथ । यशोधरा यह अच्छी तरह समझती है कि नारी के मातृत्व रूप का गौरव बुद्ध की तपस्या से किसी भी अंश में, कम नहींइसीलिए अपने प्राणेश्वर को स्पष्ट शब्दों में कहा है अमृत तुम्हारी अंजलि में तो भाजन मेरे हाथ । तुल्य दृष्टि यदि तुम्ने पाई तो हममे ही सृष्टि समाई । स्वयं स्वजनता में वह 'बेटा रे, प्रसव की-सी पीडा मुझे होती है।' देकर हम स्वजनों का साथ ।' - यही कारण है कि यशोधरा के जीवन का संबल, उसका आधार, उसका पुत्र राहुल है । वह अपने आप के लिए जी नहीं रही है बल्कि अपनी गूदड़ी के लाल के लिए आँखो का खारा पानी पी रही है। राहुल किशोर हो गया है, वह दुनियाँ को समझने लगा है और दुनियाँदारी को भी । राहुल अपने माँ की अन्तर्व्यथा से परिचित हो चला है और इसीलिए अ यशोधरा भी अपनी करुण कहानी अपने पुत्र से नहीं क्योंकि राहुल बड़ा हो गया है और वह जीवन के सुच-दुखः का भागी है। इसी हेतु वद राहुल से अपने को पीडा को स्पष्ट शब्दों में कहती है मातृत्व रूप का सुन्दर, निदर्शन प्रस्तुत करती है। राहुल माता की दयनीय दशा की भागी बन गया है और वह समझता है कि मेरी माना
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नहीं रहते । लक्ष्मीजी गन्दे, पेटू, कटुवादो, आलसी और अधिक सोनेवाले को त्याग देती हैं । नारीके लिये भी लक्ष्मीजीने कुछ गुणोंकी चर्चा की है। जो स्त्रियाँ लक्ष्मीजीको प्रिय हैं, उनके लक्षण इस प्रकार हैंप्रकीर्णभाण्डान्यनपेक्ष्यकारिणीं सदा च भर्तुः प्रतिकूलवादिनीम् । वेश्माभिरतामलज्जामेवंविधानां परिवर्जयामि ॥ - लक्ष्मीजी उन स्त्रियोंके निकट नहीं रहना चाहतीं जो अपनी गृहस्थी के सामान -- वस्त्र- पात्रादिको जहाँ-तहाँ बेढंगे तरीकेसे छितराये रहती हैं, चीजें ठिकाने नहीं रखतीं । उन्हें वे भी स्त्रियाँ बहुत अप्रिय हैं, जो सदा पतिके प्रतिकूल बातें कहकर दुःख देती हैं। जिस स्त्रीका मन सदा दूसरेके घरमें लगता है, जो निर्लज्ज रहती है, उसके पास भी उन्हें जाने में संकोच रहता है । साथ ही उन्हें उन स्त्रियोंसे भी बड़ी चिढ़ है, जो पापपरायणा, अपवित्र, गन्दी, चोर, अधीर, झगड़ालू, सदा सोनेवाली तथा उनींदी रहनेवाली हैं । अतः लक्ष्मीजीकी प्रिय पात्र बननेके लिये स्त्रियोंका आचरण पवित्र और वृत्तियाँ सात्त्विक होनी चाहिये । लक्ष्मीके दुरुपयोगमें दोष 'कादम्बरी' में लक्ष्मीके दोषोंका भी वर्णन आता है । दुरुपयोग करने से लक्ष्मी ( अर्थ ) शत्रु बन जाती है । जो नाना भोगविलासकी वस्तुएँ एकत्रित करता है, वह हर प्रकारसे अपना
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नसोहत की और कई साधु सन्तों द्वारा उपदेश दिलाया, लेकिन उसने अपनी वह आदत नहीं छोड़ी। दुष्ट आदमी अपनी कुटेव इस तरह थोड़े हो छोड़ता है । लुब्धक जवान का मीठा था, इसलिए उसका दर्जा धीरे धीरे बढ़ता गया । एक दिन सारे राज्य में उसकी तूती बोलने लगी । उसकी वक्र दृष्टि से बचने के लिए और उसकी मदरबानी प्राप्त करने के लिए गरजमन्द लोग उसे सलाम भरने लगे और नजराने देने लगे। लुब्धक के गाँव के नजदीक तुगभद्र-नामक एक कुनबी रहता था । वह पैसे-टके से सुखी था । जाति-बिरादरी में भी उसकी अच्छी इज्जत थी । वह एक सक्षम व्यक्ति माना जाता था। वह बड़ा दान पुण्य करता, साधु-सर्वो को जिमाता और गरीब, निराधार या या अपग लोगों को भी यथाशक्ति सहायता देकर सन्तुष्ट करता । उसकी इस उदारता और सेवा परायण वृत्ति के कारण उसे लोग 'भगत' कहने लगे । सन लोग उसका चड़ा सम्मान करते थे । यह देखकर लुब्धक का ईष्यालु हृदय जल्ने लगा। उसे विचार हुआ - "बैल का दुम पकड़नेवाला यह पटेल पाँच भिखमर्गो को रोटी का टुकड़ा फेंक कर बड़ा धर्मात्मा बन बैठा है और मुझे कभी सलाम करने भी नहीं आता । अत उसे अवश्य देख लेना चाहिए ।" तुगभद्र सलाम करने नहीं आता था, यह उसका भयकर गुनाई था और इसलिए उसे दण्ड देने की तैयारी ! इस जगत में दुष्ट व्यक्ति की दुष्टता भी किस हद तक जाती है ? लुब्धक ने तुगभद्र को फँसाने के लिए जाल फैलाया, पर वह व्यर्थ गया ' तुगभद्र उसमें नहीं फँसा ! दूसरी चार भी
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महादिया पर औला है। करते। कोतको मेर बट्रास होडरविया, जवना दिरा दो, मैं दरवाजे से घर के नहीं माना और उन्हें जाने का एक हिस्सा निराना पड एकदिन भी माना कि उम्रकानमा ठडा हुआ और लोग म के लिए मे गए। उसे जाकर सह पर लोगों को मोड़ जन गई। हमें भर्ती कराने से जा रहे हैं।" और यह कि बिदा होता रहा। तभी से निकली। किसे विलकर गाड़ी रोकने को कहा और बाड़ी से पड़ा। यह अनुरूप के पास जाना और जमीन तक मुक्कर बोला 'मेरी जान, मेरी प्यारी, मैंने तुमसे दो साल तक प्यार किया और अज ये मुझे फ़ौज मे भर्ती करने से जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि तुझ बंडी निर्दोष सड़की मेरे गुनाहो को माफ कर देगी। और यह कहकर वह फिर झुक गया। अकुल्का पहले तो ऐसी निष्कम्प-सी सड़ी रही जैसे वह भयभीत हो । लेकिन कुछ देर बाद वह भी झुको और बोलो, 'अलविदा, मेरे जवान, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं। इसके बाद वह घर क ओर मुड़ गई। मैं भी उसके पीछे चल पड़ा। घर में पहुंचकर मैंने कहा 'चुड़ैल, तूने उससे ऐसा क्यों कहा ?' यकीन करो या न करो, मगर उसने जवाब दिया, 'मैंने उससे ऐसा इसलिए कहा कि मुझे उससे प्यार है। "वया बकते हो !" "उसके बाद सारा दिन मैंने उससे कुछ नहीं कहा। शाम हुई और तब मैं बोला, 'अतुल्का, इसके लिए मैं तुम्हारी जान लेकर रहूंगा। मैं उस रात सो नहीं सका और गलियारे में जाकर स्वासपी आया
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अगरतला (आईएएनएस)। रियो ओलम्पिक में देश के नाम रोशन करने वाली महिला जिम्नास्ट दीपा कर्माकर हैदराबाद जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष द्वारा पुरस्कार स्वरूप दी जाने वाली बीएमडब्ल्यू कार को लेकर पशोपेश में फंस गई हैं। रियो ओलम्पिक में मामूली अंकों के अंतर से कांस्य पदक से चूक गईं दीपा को रजत पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु और कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक के साथ हैदराबाद जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष वी. चामुण्डेश्वरनाथ ने अगस्त में बीएमडब्ल्यू कार भेंट की थी। दीपा ने हालांकि मीडिया में आई उन खबरों का खंडन किया था कि वह भेंट में मिली कार चामुण्डेश्वरनाथ को लौटाना चाहती हैं। बल्कि उन्होंने कहा कि वह त्रिपुरा में इस महंगी कार के रखरखाव और मरम्मत की सुविधा न होने के कारण वापस कर रही हैं। दीपा ने कहा, "मेरे कोच बिशेश्वर नंदी ने चामुण्डेश्वनाथ से इन सब बातों पर चर्चा की। उन्होंने मुझे भेंट की गई कार की कीमत के बराबर धनराशि मेरे बैंक खाते में जमा करवाने पर सहमति व्यक्त की है। वह हमें इस बीएमडब्ल्यू कार के बदले जो भी राशि भेंट करेंगे हमें खुशी होगी।" अगरतला की रहने वाली दीपा ने कहा कि उन्होंने यह फैसला खुद नहीं लिया है बल्कि कोच और परिवार के सभी सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया। दीपा ने अपनी आगे की तैयारियों के बारे में बताया, "अब मैं एक महीने बाद जर्मनी में होने वाली चैलेंजर्स कप की तैयारियों में जुट गई हूं। कोच सर ने मुझे भेंट में मिली महंगी चीजों के बारे में चिंता करने की बजाय अपना पूरा ध्यान आगामी चुनौतियों पर केंद्रित करने की सलाह दी है।"
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नई दिल्लीः शनाया कपूर के एक्टिंग डेब्यू को लेकर काफी समय से खबरें आ रही हैं. हालांकि, करियर शुरू करने से पहले ही उन्होंने देशभर के लोगों के बीच अपने लिए खास जगह बना ली है। शनाया सोशल मीडिया के जरिए भी अपने फैंस से जुड़ी रहती हैं. अक्सर उनके नए लुक्स की झलक उनके इंस्टाग्राम पेज पर देखी जा सकती है. ऐसे में उनके फॉलोअर्स की लिस्ट भी लंबी होती जा रही है. शनाया की एक झलक के लिए फैंस बेताब रहते हैं. अब एक बार फिर उन्होंने अपना हॉट अंदाज दिखाकर फैंस के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. तस्वीरों में शनाया अपने फुर्सत के पलों को एन्जॉय करती नजर आ रही हैं। इस दौरान उन्होंने पिंक ब्रा के साथ व्हाइट लोअर पेयर किया है। इस दौरान एक्ट्रेस ने नो-मेकअप लुक रखा है और बालों को खुला छोड़ सिंपल हेयरस्टाइल बनाया है. साथ ही उन्होंने बड़ी सी टोपी भी पहनी हुई है. इस लुक में शनाया बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हैं। शनाया का बेबाक अंदाज उनके फैंस को भी खूब पसंद आ रहा है. फैंस ने एक्ट्रेस की तारीफ करते हुए खूब कमेंट्स किए हैं. कुछ ही देर में शनाया की फोटोज पर करीब एक लाख लाइक्स आ चुके हैं. फैंस उन पर खूब प्यार बरसाने लगे हैं. वहीं अगर शनाया के अपकमिंग प्रोजेक्ट की बात करें तो वह जल्द ही साउथ सुपरस्टार मोहनलाल की पैन इंडिया फिल्म 'वृषभ' से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने जा रही हैं. इससे पहले करण जौहर ने शनाया की फिल्म 'बेधड़क' की घोषणा की थी। हालांकि, माना जा रहा है कि यह फिल्म बंद हो चुकी है।
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शान्तिदायी पिवार । का कष्ट नहीं दे सकते । कष्ट का कारण अपना वह मन है जिसमें यह झूठी भावना झूठी कल्पना और झूठा विश्वास समाया हुआ है कि भूत भी इस लोक की कोई वस्तु हैं। तुमारा सारा ज्ञान और सारी विद्या व्यर्थ है यदि तुम्हारे मन में भूतों पर अब तक विश्वास है। जिसके हृदय में भूत है उसे सच्ची शान्ति नहीं मिल सकती । जो किसी अदृश्य लोक में भूतों का होना स्वीकार करते हूँ उनसे भी हम निश्चित रूप में कहते हैं कि अब तक किसी ने भूतों को नहीं देखा । झाड़ी रही, ठूठा वृक्ष रहा, कोई जानवर रहा, पर यह निश्चय है कि जिसे तुमने देखा भूत नहीं था। भूतों से डरनेवाले यदि साहस करके अपने भूतों के निकट चले जायें तो सारा भेद खुल जाय । सच्चे और निर्भर मनुष्य कभी भूत नहीं देखते। जिसके हृदय में भूत है उसमें आत्मवल नहीं श्री सकता । यदि हृदय में शान्ति और आनन्द का अनुभव करते हुए जीवनमुक्त होना चाहते हो तो हर प्रकार के भूतों को हृदय से निकाल दो। भूतों के निकल जाने से हृदय में अपने सच्चे स्वरूप का प्रकाश होगा । भय, ज्ञान और अन्धविश्वास अनेक प्रकार के भूतों की रचना करते हैं। बहुत से अज्ञानी इन भूतों को देवता भी कहते हैं इन्हीं की पूजा भी करते हैं । अज्ञानियों के देवता वही हैं जो उन्हें डरा सकते हैं या जिनसे वह डरते हैं । दुःख पड़ने पर या दुःखों से बचने के लिये पूजा होती है । इन अज्ञानियों के देवता' सताते हैं, बदला लेते हैं भय दिखालाते हैं, दोजख में डालते हैं. और यदि इनकी पूजा न दो तो क्रोध भी कर बैठते हैं ज्ञानियों और मुक्त जोगों के हृदय से ऐसे भूत देवता, और ईश्वर का भाव निकल जाता है। और जब अन्धविश्वास का परदा हृदय से हट जाता है तो अपनी आत्मा का सच्चा स्वरूप चमक उठता है । इस यात्मदेव के प्रकाश में शान्ति की हवा चलती और आनन्द की वृद्धि होती है। जो पूजा न पानेपर क्रोध करता और भय दिखलाता है, वह ईश्वर और देवता कैसा है ?/ अज्ञान हृदय में भय की मात्रा अधिक रहती है । यही भय, अन्धविश्वास और झूठी कल्पना के भीतर ऐसे देवताओं, ऐसे ईश्वर और भूतों की सृष्टि करता है। जिसके हृदय में इस प्रकार के भय लगे हुए हैं वह मुक्त नहीं वद्ध है। हृदय में जब तक भय है तबतक स्वतन्त्रता और मुक्ति कहाँ ? सच्ची स्वतन्त्रता और सच्ची मुक्ति के साथ ही सच्ची शान्ति और सच्चा आनन्द है। भूतों के माननेवाले जिस तरह से भूतों को देखते हैं, जिस अन्ध विश्वास से भूतों द्वारा उनको अनेक विपत्तियों का सामना करना पड़ता है, उसी अन्धविश्वास और झूठी कल्पना से कभी कभी उनके ऋष्ट छूट भी जाते हैं और बिपत्तियाँ टल जाती हैं। पर यह सत्य है कि भूत कोई वस्तु नहीं, उनका अस्तित्व कहीं नहीं है उनके तमाम किस्से गलत हैं। अपनी आत्मा ही अपने विश्वास के अनुसार अनेक रूप धारण करती है । श्रज्ञान पूर्ण, विपरीत, झूठे और अन्धविश्वास से यही भूक कष्ट पहुँचाती और मनुष्य के स्वभाव को डरपोक बना देती है ।
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प्रगतिवाद की प्रवृत्तियों भारतेंदु को इस बात की भारी चिंता थी कि 'धन बिदेस चि ज्ञात' । पर इन कवियों की यह भावना किसी सुनिश्चित विचारपद्धति पर नहीं खड़ी थी । मशीन युग ने आर्थिक वैषम्य को तीव्रतर बना दिया है और मार्क्स जैसे विचारक ने समाज के विकासक्रम में आर्थिक आधार को प्रमुखता दी है। बिना आर्थिक वैषम्य को दूर किए समाज का कल्याण नहीं । प्रगतिवादी कवि भी इस आर्थिक स्वतन्त्रता को प्राप्त करने में ही पूर्ण सचेष्ट है । उसकी धारणा है कि 'इस दुनिया में दो दुनिया है - एक गरीब की और दूसरी अमीर की, एक शोषित की और दूसरी शोषक की । इस वैषम्य को मिटाए बिना और वर्गहीन समाज स्थापित कर आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त किये बिना समाज का कल्याण नहीं हो सकता । इन्हीं भावनाओं से परिचालित होकर प्रगतिवादी कवि आर्थिक स्वतन्त्रता की भावना की तीव्र व्यंजना अपनी रचनाओं द्वारा करते हैं । उनकी स्वातन्त्र्य भावना मुख्यतः आर्थिक स्वतन्त्रता की भावना है । बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि इन कवियों की सभी सामाजिक रचनाओ की मूल प्रेरणा आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त करने की कामना ही है । संपूर्ण विश्व को शोषक और शोषित वर्ग में बॉट देने से प्रगतिवादी कवि अंतर्राष्ट्रीयता की ओर अधिक उन्मुख है । यहाँ अंतर्राष्ट्रीयता का तात्पर्य विश्व के संपूर्ण दलित वर्ग के प्रति समानुभूति ही है । निम्नवर्ग के जीवन में जो हाहाकार है, व्यथा है, वह सभी देशो में एक सी है । सभी देशो के श्रमिक प्रायः एक ही प्रकार के आर्थिक वैषम्य की ज्वाला में झुलस रहे हैं, और इतनी व्यापक पीड़ा का सृजन करनेवाली व्यवस्था भी सभी स्थानों में प्रायः एक प्रकार की ही है । इस प्रकार प्रगतिवादी कवि के अनुसार सारे विश्व में पूँजीवादी अर्थनीति से प्रताड़ित निम्न वर्ग का एक विशाल समुदाय निर्मित हो गया है। इन सबमें एकता स्थापित करके वर्तमान आर्थिक प्रणाली के विरुद्ध संघटन करने में सहायता देना और
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महोबाः जिले में संचालित देश के पहले रोटी बैंक ने आज गरीबों के लिए निशुल्क कैम्प का आयोजन किया। ये कैंप बाकियों से ज़रा हटके रहा। अक्सर हर कार्यक्रम का उद्घाटन नीली बत्ती की गाडी वाले मंत्री करते हैं लेकिन यहां एक विकलांग रिक्शाचालक ने कैम्प का फीता काटकर उद्घाटन किया। -इन अतिथियों का काफिला इनके कार्यक्रमों की शोभा बढ़ता है तो वहीँ मीडिया भी ऐसे कार्यक्रमों को खूब कवरेज देती है। -मगर बुंदेलखंड के महोबा में रोटी बैंक ने अपने निशुल्क आँखों के कैम्प के शुभारम्भ के लिए एक मेहनतकश विकलांग रिक्शे वाले को मुख्यातिथि बनाकर लोगों को अपनी धारणा बदलने के लिए ही मजबूर कर दिया। -देश का पहला रोटी बैंक खोलकर पहले से ही चर्चा बटोर चुके महोबा में इस तरह की नजीरें सोच बदलने के लिए मजबूर कर देती है। -पालीवाल मार्केट के पास रोटी बैंक के निशुल्क आँखों के कैम्प का मौका था। -सैकड़ों गरीब,असहाय और बुजुर्ग अपनी आँखों को इलाज कराने के लिए कैम्प में इकठ्ठा हुए थे। -तभी अचानक इदरीस नामक एक विलकलांग रिक्शा चालक कैम्प के पास रुकता है और कार्यकर्त्ता उस ओर दौड़ पड़ते है। -रिक्शे वाले का स्वागत माला पहनाकर किया जाता है। तब जाकर सबको पता चलता है की चीफ गेस्ट कोई और नहीं बल्कि ये रिक्शा चालाक ही है।
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कतिपय ग्रन्थ अवश्य उपलब्ध हैं जिनमें भाचार्य का जीवनवृत्त गद्य में, वा पद्य में निबद्ध किया गया है, परन्तु ये सब शङ्कर के माविर्भाव के बहुत पीछे लिखे गये थे . कहा जाता है कि उनके साक्षात् शिष्य पद्मपादाचार्य ने अपने गुरु के दिग्विजय, का वृत्तान्त लिपिवद्ध किया था । यदि यह ग्रन्थ कही उपलब्ध होता तो यह हमारे बड़े काम का होता । पद्मपाद आचार्य के केवल प्रथम शिष्य ही न थे, प्रत्युत उनके दिग्विजयो में सदा उनके सहचर भी थे। आदि से लेकर अन्त तक वे प्राचार्य साथ में ही थे, वे उनके नितान्त अन्तरङ्ग थे । वे उनके उद्देश तथा प्रचार कार्य से भलो-भांति परिचित थे। ऐसे व्यक्ति के द्वारा लिखा गया चरित अवश्य हो प्रामाणिक तथा उपादेय होता परन्तु हम उस कराल काल को क्या कहें जिसने इस मूल्यवान् ग्रन्थ को कवलित कर श्राचार्य के चरित को अन्धकारमय बनाने में विशेष योग दिया। प्रपरोक्ष सामग्री का प्रभाव चरित लिखने में बड़ा भारी बाधक होता है। इस बाधा को दूर करने के साधन-ग्रन्थ अवश्य विद्यमान हैं जिन्हें हम शङ्करदिग्विजय के नाम से अभिहित करते हैं, परंतु इनमें से कोई भी ग्रन्थ प्राचार्य का समसामयिक नहीं है । ये अनेक शताब्दियो के मनन्तर निबद्ध हुए थे। इनके स्वरूप की समीक्षा हम आगे चल कर करेंगे । यहाँ इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि आजकल श्राचार्य के विषय में हमारी जो कुछ भी जानकारी है, वह इन्हो ग्रन्थों पर भवलम्बित है । श्राचार्य शङ्कर ने अपने धर्मोद्धारक कार्य को मधुरा बनाये रखने के लिए भारतवर्ष के चारो सुप्रसिद्ध धामो में अपने चार प्रधान पोठो को स्थापना की है । दक्षिण में मैसूर रियासत में गेम है जिसे प्राचार्य के द्वारा स्थापित पीठो में प्रथम पीठ होने का गौरव प्राप्त है। प्रत्य धामो में स्थापित मठों के नाम ये हैं - गोवर्धनमठ (जगायपुरी), शारदामठ ( ढारिवा), ज्योतिमंठ (बदरिकाश्रम, जो भाजाल 'जोशीमठ' नाम से प्रसिद्ध है ) मठों की स्थापना कर शङ्कराचार्य ने अपने पट्टशिष्यो को इनका प्रध्यक्ष बना दिया । ज्योतिमंठ की माचार्य परम्परा तो बीच में उच्छिन्न हो गयी थो पर भन्य तीनों मठो के भध्यक्षो को परम्परा भाज भो मधुराण रूप से विद्यमान है । कोका कामकोटिपोड अपने वो भाचार्य के द्वारा प्रतिष्ठापित होने की घोषणा करता है । इन मों में शङ्कराचार्य का जोवन-चरित परम्परागत उपलब्ध होता है । जिसअनुसरण विभिन्न दिग्विजयो में किया गया है, परन्तु यह कुछ कम माश्चर्य को बात नहीं है कि इन सब मटों में एक हो परम्परा मधुराण रूप से प्रचलित नहीं मिलती यदि मिलती तो किसो प्रकार का सङ्कट हो नही होता पार्थषय यहाँ तक है कि याचार्य के भावा-पिता, जन्मस्थान, विशेषान
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अपनी बद्सूरती को कोसे। मासूमियत बिखेरते हुये बोला। "चाय...? " - वेटर चौंका। भी अपना जवाबी प्लीज़, ज़रुरत से ज्यादा लंबा खींच दिया। दोनों इंसान ही, बेचारी कहाँ तक लड़तीं। रैस्टोरेंट में होने का एहसास हुआ। ऑर्डर याद दिलाते हुये वेटर बोला। चाय बोलने से काजल चिढ़ गई। वेटर ने चाय टेबल पर रखी और टेढ़ी मुस्कान देता हुआ जाने लगा। की जली-कटी सुन कर बड़ी हुई थी। होती तो ताई बात किस विषय पर करतीं। "भाभी जी, हमने तो सब करके देख लिया। जैतून के तेल से मालिश, कि माँ उसकी तरफ है या ताई की। झेलनी पड़ैगी। हमारी तो दो लौंडिया हैं और किसी की नजर ना लगै, अपराध से कम नहीं। सबको अपने बेटे के लिये गोरी बहू जो चाहिये। को और धीरे-धीरे पीना शुरू कर दिया। थी, इसीलिये तो तू चाय की तरह काली हो गई। "कहाँ सपनों में...?"- माँ ने मजाक उड़ा दिया। अपनी गरदन दिखाते हुये माँ से बोली। "भगवान ने मेरी सुन ली है। रहे थे। से आ गये थे। संभावना से ही बड़ी खुश थी। कान पाये थे ताई ने। "हैं ..... भला ऐसे भी कोई गोरा होता है कहीं। बुलईयो तो जरा। बेटियाँ जल-जल कर बिल्कुल ही राख हो जायेंगे। बाकि थे मतलब मुश्किल से चार-पाँच मिनट और खींचा जा सकता था। मिलने के लिये कहा था। पर ग्यारह तो कब के बज चुके थे। इसका फैसला काजल ने चाय पर ही छोड़ दिया। करता हुआ डॉक्टर बोला। हँसाने की कोशिश की। तारीफ को काटते हुये काजल की माँ बीच में बोली। में कलम घसीटता हुआ डॉक्टर बोला। ये तो लोग खुद भी सोच सकते हैं। वहीं बैठ गया। खतरनाक होते हैं कि आधा तो मरीज नाम सुनकर ही मर जाये। सविता ऐसे सुन रही थी जैसे डॉक्टर का एक-एक शब्द समझ रही हो। बात पर आ गई। "कोई इलाज नहीं। क्यों हो जाता है इसकी भी कोई जानकारी नहीं। दें कि उसके साथ क्या हो रहा है। बाकि सब कुछ नॉरमल रहेगा। वेटरों को छोड़कर सब कुछ बदल गया था। खाली टेबलें भर गई थीं, नज़दीक आ रहा था रैस्टोरैंट में भीड़ बढ़ती जा रही थी। विशेष को एस एम एस भेज दिया - "आशा है कि तुन आ रहे हो- काजल". चाय और मँगा ही ली। डॉक्टर की दी हुई दवाईयों का कुछ खास असर काजल पर नहीं पड़ा। हुआ। काजल की बीमारी ने न तो काजल को काला ही छोड़ा और न गोरा। छिड़क दिया हो या सफेद कैनवास पर काला। काजल चितकबरी हो गई थी। से बात की थी, जब उस दिन उस लड़के ने उससे चाय के लिये पूछा। था कि ये हाँ है या ना। मुस्कुरा कर लड़का काजल के साथ चल पड़ा। घर से बाहर निकलना छोड़ दिया। कर दिया और लोगों ने पढ़ना। विशेष जिसे आज काजल मिलने आई थी, पर धीरे-धीरे काजल को भी उसे चैटिंग करना अच्छा लगने लगा था। है। पर सुनना और बात है देखना और। टेबल पर पड़े कागजों के बंडल को उठाकर वेटर चिल्लाया। देख मैनेजर खुद ही बोला। वेटर ने मजाक बनाया। चुपचाप काऊंटर की तरफ बढ़ गई। चुपचाप रैस्टोरैंट से चली गई। खयाली नहीं हूँ/मैं काली परी हूँ।
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ALLAHABAD: बढ़ते अपराध और लंबित मामलों को देखते हुए आज न्याय को गति देने की जरूरत है। इसके लिए न्याय प्रक्रिया में सभी अधिवक्ता अपना सहयोग दें। जिससे की सभी को न्याय जल्द मिले। मेरा प्रयास यही होगा कि अधिवक्ताओं की समस्याओं को दूर किया जाए। उक्त बातें ट्यूजडे को सिटी पहुंचे नवनियुक्त महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने अपने आवास पर अधिवक्ताओं से कहीं। इस दौरान हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुरेश बहादुर सिंह व संजय मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ताओं ने महाधिवक्ता का जोरदार वेलकम किया। इस मौके पर संजय पाठक, निदेश प्रताप श्रवण पाण्डेय, लाल विजय सिंह, केपी सिंह, उदय प्रताप सिंह, रवि प्रकाश श्रीवास्तव योगेन्द्र परिहार सहित सैकड़ों की संख्या अधिवक्तागण मौजूद थे। अपने आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने बताया कि स्टेट गवर्नमेंट ने हाईकोर्ट के आसपास खाली पड़ी करोड़ों की जमीन कोर्ट को देने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के आस-पास वाहनों से जाम की समस्या को लेकर आम पब्लिक परेशान है। वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था कर इस समस्या को जल्द ही दूर किया जाएगा। अधिवक्ताओं की पेंशन, मकान की व्यवस्था, चैंबर आदि प्रमुख समस्याओं का निदान जल्द ही किया जाएगा।
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पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में हर एक शख्स इस बीमारी को हराने में अपना योगदान दे रहा है। ना केवल बड़े बल्कि बच्चे भी कोरोना को हराने के लिए अपनी तरफ से दान करने की कोशिश कर रहे हैं। कानपुरः पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में हर एक शख्स इस बीमारी को हराने में अपना योगदान दे रहा है। ना केवल बड़े बल्कि बच्चे भी अपनी तरफ से दान करने की कोशिश कर रहे हैं। एक ऐसा ही किस्सा उत्तर प्रदेश के कानपुर से आया है। जहां पर बच्चों ने पुलिसकर्मियों को अपनी गुल्लक दी और कहा कि इसे मोदी और योगी अंकल के पास पहुंचा दो। यूपी के कानपुर में लॉकडाउन के मद्देनजर गश्त कर रहे सिपाहियों को रोककर कुछ मासूम बच्चों ने अपनी-अपनी गुल्लक भेंट कर दी और मासूमों ने अपील की कि इन गुल्लकों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दो, जिससे कोरोना से लड़ा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि हम अपना सारा पैसा देने को तैयार हैं और देश व प्रदेशवासियों को पीएम और सीएम बचा लें। मिली जानकारी के अनुसार कानपुर के थाना कल्याणपुर के अंतर्गत रावतपुर गांव में जब पुलिस लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए गश्त पर पहुंची, तो लोगों ने फूल माला और नाश्ते का सामान देकर उनका स्वागत किया। लेकिन इसी बीच कुछ मासूम बच्चे वहां पहुंचे और अपनी गुल्लक में इकट्ठा किये हुए पैसे पुलिस कर्मियों को थमा कर उसे मुख्यमंत्री राहतकोष में देने की अपील की,बच्चों के इस समपर्ण को देख वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने भी तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ाया। इस दौरान नन्हे मुन्हे बच्चों से जब बात की गई तो उन्होंने जो बाते कहीं वो हर किसी के दिल को छू गई। आठ साल की बच्ची गीत ने बताया कि कोरोना से पूरा देश लड़ रहा है,ऐसे में सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। गीत ने कहा कि वो अपनी सेविंग के पैसे राहतकोष में इसलिये दे रही है ताकि कोरोना से लड़ा जा सके। तो वहीं मासूम वैभव को लॉकडाउन के चलते गांव में फंसे अपने पापा की चिंता सता रही है, राहत कोष में दान देने के लिए अपनी गुल्लक लेकर पहुंची वैभव ने कहा कि मोदी और योगी अंकल मेरी सेविंग के पैसे ले लीजिए और जल्दी से कोरोना को खत्म कर के सबको ठीक कर दीजिए, मेरे पापा की दवा खत्म हो गई है और वो लॉकडाउन की वजह से दवा लेने नहीं आ पा रहे हैं। पांच वर्षीय मासूम आलोक ने कहा कि वो अपनी सेविंग के पैसे इसलिए दे रहा है क्योंकि बहुत से लोग भूखे सोते हैं, तो उसके पैसों से कुछ लोगों को खाना मिल जाएगा। यह सब देख मौके पर मौजूद इलाकाई लोग भावुक हो गए तो वहीं पुलिस भी अपनी भावनाओं छिपा न पाए। देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।
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हमारे सामने आती है, वहीं मधुर सुसज्जित या सुन्दर रूप में, कहीं रूखे बेडौल या कर्कश रूप में, कहीं मत्त, विशाल या विचित्र रूप में, कहीं उग्र, कराल या भयंकर रूप में । अतएव काव्य में प्रकृति चित्रण की विविध प्रणालियाँ प्रचलित हैं और समीक्षक प्रकृति चित्रण की विविध प्रणालियों का उल्लेख करते समय उनकी चार से लेकर ग्यारह बारह तक संख्या मानते हैं पर हम प्रकृति चित्रण की केवल निम्नलिखित प्रणालियाँ मानने के पक्ष में हैं. आलम्बन, उद्दीपन, अलंकार या अलंकृत रूप, रहस्य भावना की अभिव्यक्ति, मानवीकरण, नीति और उपदेश का माध्यम तथा प्रतीक । हम यहां यह स्पष्ट कर देना उचित समझते हैं कि उक्त प्रणालियाँ एक दूसरे से सर्वथा पृथक नहीं हैं और उनमें से किसी एक रूप में किए जाने वाले प्रकृति चित्रण में दूसरे रूप या रूपों से भी सहायता ली जा सकती है। उदाहरणार्थ, आलम्बन रूप में देखा जाने वाला कोई पदार्थ रहस्य भावना के लिए भी पथ प्रशस्त कर सकता है । साथ ही यहाँ यह भी स्मरणीय है कि प्रयोगवादी कवियों ने नूतन सौंदर्य- बोध के कारण प्रकृति चित्रण की उक्त प्रणालियों को मान्यता नहीं दी है पर श्री गिरिजाकुमार माथुर की कृतियों में अवश्य इनमें से कुछ प्रणालियों का प्रयोग हुआ है जिनका परिचय यहाँ दिया जा रहा है । सामान्यतया कवि माथुर की कृतियों में प्रकृति चित्रण की आलम्बन प्रणाली को सर्वाधिक अपनाया गया है और आलम्बन रूप में प्रकृति-चित्रण करते समय प्रकृति बहुधा साधन न बनकर साध्य बन जाती है और कवि अर्थग्रहण की अपेक्षा बिम्ब ग्रहण पर अधिक जोर देता है तथा अपनी सूक्ष्म प्रकृति पर्यवेक्षणी शक्ति द्वारा प्रकृति के सूक्ष्म तिसूक्ष्म तत्वों के प्रति आकृष्ट हो प्राकृतिक वस्तुओं के अंग प्रत्यंग, वर्ण आकृति तथा अस पास की परिस्थितियों का परस्पर संश्लिष्ट वर्णन करता है । इस प्रकार आलम्बन रूप में प्रकृति चित्रण करते समय प्रकृति का यथातथ्य चित्रण ही किया जाता है और कवि माथुर की काव्य कृतियों में अनेक स्थलों पर प्रकृति का आलम्बन रूप में अत्यंत हृदयग्राही चित्रण किया भी गया है। यहाँ 'धूप के धान' काव्य संग्रह की प्रसिद्ध रचना 'ढाकवनी' का कुछ अंश उदाहरणार्थ प्रस्तुत किया जा रहा है - सनसनाती साँझ सूनी, वायु का कठला खनकता झींगुरों की खंजड़ी पर झाँझ सा बोहड़ झनकत कंटकित बेरी करोंदे महकते हैं सागौन वन के सुत्र हैं सागौन वन के कान जैसे पात चौड़े ढूह, टोले, टौरियों पर धूप सूखी घास भूरी हाड़ टूटे देह कुबड़ी चुप पड़ी है गेल बूढ़ी ताड़ तेंदू नीम रेंजर चित्र लिखीं खजूर पातें छाँह मंदी डाल जिन पर ऊगती है शुक्ल सातें बीच सूने में बनैले ताल का फैला अतल जल इस प्रकार कवि ने प्रकृति-चित्रण में पूर्ण तन्मयता दिखाई है और उसकी उक्तियों में प्रकृति अत्यन्त ही चेतन हो उठी है तथा उसका एक-एक उपकरण सजीव प्रतीत होता है । यहाँ यह स्मरणीय है कि उक्त पंक्तियों में कवि ने सांध्यकालीन वातावरण का मनोरम वर्णन किया है और वह रमणीय प्रकृति के साथ-साथ भयावते चित्र भी अंकित करता है. पूर्व से उठ चाँद आधा स्याह जल में चमचमाता बन चमेली की जड़ों से नाग कसकर लिपट जाता इसी प्रकार कवि ने कहीं-कहीं प्रकृति वर्णन को अधिकाधिक वायवीयता भी प्रदान की है; जैसेचांदनी की रैन चिड़िया, गंध फलियों पर उतरतो मूंद लेती नंन गोरे, पाँख धीरे बंद करती गंघ घोड़े पर चढ़ी दुलकी चली आती हवाएँ टाप हल्के पड़े जल में गोल लहरें उछल आएँ कवि ने प्रकृति की नैसर्गिक शोभा का चित्रण मात्र ही नहीं किया बल्कि उसने वहाँ के निवासियों के घर, बर्तन आदि का भी उल्लेख किया हैं क्योंकि उनके बिना उक्त चित्रण अधूरा ही जान पड़ता । इस प्रकार कवि कहता हैबीच पेड़ों की कटन में हैं पड़े दो-चार छप्पर हाँडियाँ, मचिया कठौते, लट्ठ, गूदड़ बैल बक्खर राख, गोबर, घरी औंगन, तेल, रस्सी, हल कुल्हाड़ी सूत की मोटी फतोई, चका, हँसिया और गाड़ी वस्तुतः कवि माथुर का दृष्टिकोण हमेशा व्यापक रहा है और वह डाकबनी की प्राकृतिक सुषमा पर जितना अधिक विभोर हुए थे उतनी हो तीव्र प्रतिक्रिया उन्होंने उस वन प्रदेश की जनता के जन-जीवन की गर्हित दशा पर व्यक्त की हैयहाँ की जिन्दगी पर शाप नल का स्याह भारी भूख की मनहुस छाया जबकि भोजन सामने हो आदमी हो ठीकरे सा जबकि साधन सामने हो धन बनस्पति भरे जंगल और यह जीवन भिखारी अन्त में कवि ने यह आशा भी प्रकट की है कि 'ढाकबनी' की वर्तमान दशा में पुनः चमक आयेगी और निष्क्रियता समाप्त होगी तथा फिर लाल पत्थर, लाल मिट्टी, लाल कंकड़, लाल बजरी फिर खिलेंगे ढाक के बन, फिर उठेगी फाग कजरी माथुर जी की कृतियों में प्रकृति चित्रण की उद्दीपन नामक प्रणाली का भी कई स्थलों पर सफल प्रयोग हुआ है और यहाँ यह स्मरणीय कि 'आलम्बन रूप में प्रकृति चित्रण करते समय कवि अपनी भावस्थिति में प्रकृति के समक्ष रहता है पर पर काव्य का विस्तार तो भावाभिव्यक्ति में ही है और प्रकृति द्वारा ही कवियों को भावोद्दीपन की प्रेरणा होती है । इस प्रकार स्वाभाविक ही कवियों ने अपनी कृतियों में प्रकृति के उद्दीपन रूप का ही अधिक चित्रण किया है और हिन्दी साहित्य में उद्दीपन रूप में प्रकृति का वर्णन प्राचीनकाल से ही बहुतायत से होता रहा है तथा रीतिकाल में तो यह परिपाटी सबसे अधिक प्रचलित रही है। इस प्रकार उमड़ते हुए मेघों को देखकर वियोगिनी को उनकी गरज में प्रिय की आकुल पुकार सुनाई देने लगती है और पपीहे की पुकार आधी रात में उसके विरह व्यथित हृदय पर एक टीस सी उत्पन्न करने लगी तथा बैशाख में पलाश के फूले हुए पुष्प उसके हृदय को कचोटने लगे। अतएव नायिकाओं के विरह और मिलन
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ज्योतिषशास्त्र में मांगलिक योग, कालसर्प योग, केमद्रुम, जैसे अशुभ योगों में विषकन्या योग भी शामिल है। विषकन्या योग को सभी अशुभ योगों में प्रमुख में कह सकते हैं। इस योग के होने से सबसे ज्यादा परेशानी वैवाहिक जीवन में देखा जाता है। इसलिए विवाह के समय इस योग की जांच जरूर करनी चाहिए। - अश्लेषा या शतभिषा नक्षत्र में जन्म हो और उस दिन रविवार के साथ द्वितीया तिथि भी हो तो विषकन्या योग बनता है। - कृतिका, विशाख़ा या शतभिषा शतभिषा नक्षत्र हो और उस दिन रविवार के साथ द्वादशी तिथि भी मौजूद हो तब यह योग बनता है। - अश्लेषा, विशाखा या शतभिषा नक्षत्र हो औऱ साथ में मंगलवार और सप्तमी तिथि भी हो तब विषकन्या योग निर्मित होता है। - अश्लेषा नक्षत्र शनिवार के दिन कन्या का जन्म हो और साथ में द्वितीया तिथि भी हो तो यह अशुभ योग कुंडली में होता है। - शतभिषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन द्वादशी तिथि में किसी कन्या के जन्म होने पर उस कन्या की कुंडली में यह अशुभ विषकन्या योग बनता है। - शनिवार के दिन कृतिका नक्षत्र हो साथ में सप्तमी या द्वादशी तिथि हो तब विषकन्या योग प्रभावी होता है। - कुंडली में शनि लग्न में, सूर्य पंचम भाव में और मंगल नवम भाव में होने पर भी 'विषकन्या योग का निर्माण होता है। - कुंडली के लग्न में कोई पाप ग्रह बैठा है और अन्य शुभ ग्रह जैसे चंद्रमा, शुक्र, गुरु, बुध कुंडली छठे, आठवें या बारहवें घर में हों तब विषकन्या योग बनता है। - किसी कन्या की कुंडली में छठे स्थान पर कोई पाप ग्रह जैसे शनि,राहु, केतु किसी अन्य दो शुभ ग्रहों के साथ युति बनाए तो यह 'विषकन्या योग बनाता है। - इसके अलावा यदि किसी कन्या की जन्मकुंडली के सप्तम स्थान में कोई भी पाप ग्रह राहु,केतु,शनि,मंगल बैठा हो और उसे इनमें से कोई दूसरा ग्रह आमने-सामने बैठकर देख रहा हो ता विषकन्या योग प्रभावी होता है। जिस भी स्त्री की कुंडली में विषकन्या योग का निर्माण होता है उसे वटसावित्री व्रत जरूर करना चाहिए। विषकन्या योग से पीड़ित कन्या के विवाह से पूर्व कुंभ, श्रीविष्णु, पीपल अथवा शमी या बेर के वृक्ष के साथ उसका विवाह कराना चाहिए। इससे प्रतिकूल प्रभाव दूर होता है। विषकन्या योग से निजात पाने के लिए सर्वकल्याणकारी "विष्णुसहस्त्रनाम" का पाठ आजीवन करना चाहिए। गुरु बृहस्पति की आराधना से भी विषकन्या योग के अशुभ फलों में कमी आती है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति हमारी ताकत है। भारत के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले लोगों का खानपान, वेशभूषा और भाषा भले ही भिन्न हो पर इस अनेकता में एकता ही संगमम का भाव है। मुख्यमंत्री योगी अमर उजाला और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के तत्वाधान में लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम 'संगमम' के दूसरे दिन आयोजन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन सराहनीय हैं क्योंकि इससे हमेशा ही संस्कृतियों के बीच फैले दुष्प्रचार को खत्म करने में मदद मिलती है जिससे देश मजबूत होता है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मैं तो चाहूंगा कि प्रदेश के हर बड़े महानगर में एक गली ऐसी जरूर हो जहां पर लोग अलग-अलग समाजों से जुड़े खानपान का आनंद ले सकें। इससे उन्हें यह भी पता चलेगा कि अलग-अलग राज्यों में जाने पर उन्हें खाने के लिए क्या मिलेगा। संगमम में मुख्यमंत्री योगी ने अलग-अलग राज्यों के खानपान के पांडाल का निरीक्षण किया और उनके बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि इस तरह के आयोजन हमारे देश की संस्कृति को समझने में मदद करते हैं। मुख्यमंत्री योगी ने अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों से बात की और उनका उत्साह बढ़ाया। अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों ने मुख्यमंत्री योगी के सामने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी।
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जर्मन ऑनलाइन प्रकाशन स्पीगल ने अपनी वेबसाइट पर सामग्री को साफ किया और यूक्रेनी नागरिक नताल्या उस्मानोवा की कहानी वाला एक वीडियो हटा दिया, जिसे रूसी सैन्य कर्मियों ने एक दिन पहले अज़ोवस्टल संयंत्र के क्षेत्र से निकाला था। प्रकाशन ने अस्पष्ट रूप से समझाया कि वीडियो को हटाने का कारण "बाद में सामग्री में विसंगतियों की पहचान की गई थी। " एक वीडियो के बजाय जो अचानक "गलत" हो गया, उस्मानोवा की एक तस्वीर बस में साइट पेज पर पोस्ट की गई थी, जिस पर हमारी सेना संयंत्र के क्षेत्र से बंधकों को डीपीआर के नोवोअज़ोव्स्की जिले के बेज़मेनोय गांव में ले गई थी। हटाया गया वीडियो तीन मिनट की रिकॉर्डिंग थी जिसमें उस्मानोवा स्पष्ट रूप से इस बारे में बात करती है कि वास्तव में संयंत्र के अवरुद्ध क्षेत्र में क्या हो रहा है। एक मिनट के साक्षात्कार का एक हल्का संस्करण रॉयटर्स की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। इसमें गोलाबारी की तीव्रता और बंकर में रहने की कठिन परिस्थितियों के बारे में केवल एक महिला के शब्द हैं। हालाँकि, सच्चाई, पश्चिमी मीडिया के लिए असुविधाजनक है कि उक्रोनाज़ियों द्वारा नियंत्रित अज़ोवस्टल के क्षेत्र में क्या हो रहा है, अभी भी छुपाया नहीं जा सका है। तथ्य यह है कि उस्मानोवा न केवल विदेशी पत्रकारों के साथ संवाद करने में कामयाब रहे। इसलिए, RIA "समाचार" उसने कहा कि आज़ोव उग्रवादियों ने मानवीय गलियारों के बारे में घिरे नागरिकों से एक शब्द भी नहीं कहा। जिन लोगों ने रेडियो संदेशों से इसके बारे में सीखा, उन्हें राष्ट्रीय बटालियनों द्वारा संयंत्र के क्षेत्र को छोड़ने से मना किया गया था। साक्षात्कार के अंत में, पूर्व बंधक ने कहा कि आखिरकार, यूक्रेन एक राज्य के रूप में उसके लिए अस्तित्व में नहीं रहा। जर्मन स्पीगल ने साइट से असुविधाजनक वीडियो को हटाने का कारण काफी समझ में आता है। आखिरकार, उनके द्वारा नियंत्रित पश्चिमी राजनेताओं और पत्रकारों का दावा है कि यह रूस है जो अज़ोवस्टल के क्षेत्र से नागरिकों की निकासी को रोकता है। आधिकारिक कीव अपने स्वयं के नागरिकों को बचाने में मदद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिन्हें आतंकवादियों द्वारा मानव ढाल के रूप में संयंत्र के प्रलय में रखा जा रहा है। राष्ट्रीय बटालियनें स्वयं इस जानकारी को छुपाती हैं कि रूसी सेना प्रतिदिन मानवीय गलियारे खोलती है जिसके माध्यम से वे संयंत्र में मौजूद सभी लोगों को निर्बाध पहुंच प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय बटालियन सहित - निरस्त्रीकरण और स्वैच्छिक आत्मसमर्पण की शर्त पर। * सैन्य गठन को चरमपंथी के रूप में मान्यता प्राप्त है और रूसी संघ के क्षेत्र में प्रतिबंधित है।
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Itarsi News: इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि। शहर के एफसीआइ सूरजगंज रोड वाले मैदान पर कुछ शिकारियों द्वाराखुले मैदान में हथगोले ( विस्फोटक पदार्थ) बनाकर रखे जा रहे हैं। बुधवार को मैदान में चरने गई एक गाय ने यह बम निगल लिया, जिससे गोला उसके जबड़े में जाते ही फट गया, इससे गाय का पूरा जबड़ा फट गया है। लहुलुहान हालत में बेदम हो चुकी गाय को गोशाला में लाया गया है। गौ सेवक दीपू पठोदिया, लखन कश्यप उसका उपचार कर रहे हैं। दीपू पठोदिया ने बताया कि कुछ माह पहले भी इसी तरह एक हथगोला खाने से एक बछड़े का जबड़ा फट गया था, काफी इलाज के बावजूद उसकी जान नहीं बच सकी। हिन्दू संगठन पहुंचे थानेः सूरजगंज एफसीआइ क्षेत्र के रिहायशी इलाके में विस्फोटक सामग्री और हथगोले रखने से लगातार गौवंशी मवेशी हादसे का शिकार हो रहे हैं। दूसरी बार इस तरह की घटना सामने आई है, इसके बाद हिन्दू संगठन के पदाधिकारियों ने थाने जाकर पुलिस को ज्ञापन देकर इस मामले की जांच करने एवं हथगोले बनाकर रखने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। युवाअों ने कहा कि इस तरह हथगोले खुले मैदान में रखने से बच्चे भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। बताया जाता है कि सूरजगंज एफसीआइ के पीछे रहने वाले कुछ परिवार कच्ची शराब उतारने का कारोबार करते हैं, साथ ही जंगल में जाकर ये लोग जंगली सुअर का शिकार भी करते हैं, सुअरों को मारने के लिए कम मारक क्षमता वाले हथगोले बनाए जाते हैं, फटने के डर से हथगोलों को आसपास मैदान में फेंक दिया जाता है, जिसे खाकर गौवंशी मवेशी हादसे का शिकार हो रहे हैं। बुधवार को हुई घटना के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची, पिछली घटना से पुलिस अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया, जिससे दूसरी दफा यह हादसा हो गया। विस्फोटक अधिनियम का उल्लंघनः किसी भी तरह की विस्फोटक सामग्री, हथगोले या बारूद से बने खतरनाक बम इस तरह मैदान में नहीं रखे जा सकते हैं, इस मामले में विस्फोटक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन पुलिस इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है, जिससे आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, पुलिस की चूक कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
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जयपुरः राजधानी से इस वक्त लूट की बड़ी खबर सामने आ रही है। जयपुर के वैशाली नगर थाना इलाके के हनुमान नगर एक्सटेंशन में सोमवार को बदमाशों ने दिनदहाड़े एक डॉक्टर दंपती को घर में बंधक बनाकर लूटपाट की। बदमाशों ने डॉक्टर दंपति के साथ मारपीट करके अलमारी में रखे लाखों रुपये के जेवर व नकदी लूट कर फरार हो गए। सूचना मिलने के बाद पुलिस और FSL की टीम मौके पर पहुंची। एफएसएल की टीम ने मौके से सबूत भी जुटाए हैं। इसके बाद मिली सुचना के आधार पर वैशाली नगर थाने की घेराबंदी की गई, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं लगा। वहीं लूट की वारदात को अंजाम देने में उनके ही यहां काम करने वाले नेपाली नौकर का हाथ बताया जा रहा है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस दौरान लुटेरों ने डॉक्टर इकबाल और उनकी पत्नी नसरीन भारती को बंधक बनाकर मारपीट की। बाद में घर से लाखों रुपए की नकदी और जेवरात लेकर चले गए। डॉक्टर इकबाल की पत्नी नसरीन भारती भी डॉक्टर है। लुटेरों ने डॉक्टर मोहम्मद इकबाल से मारपीट की। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। जहां पर उनका इलाज जारी है। पुलिस की जांच पड़ताल में सामने आया है कि डॉक्टर के यहां पर पहले एक नौकरानी नेपाली मूल की अनु काम करती थी। लेकिन कुछ समय पहले डॉक्टर मोहम्मद इकबाल भारती ने उसे हटा दिया था। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि नेपाली मूल की नौकरानी अनु ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस लूट की वारदात को अंजाम दिया। फिलहाल पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इस पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल में जुट गई है।
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शराब के नशे में धुत्त बारातियों ने डी. जे. पर डांस करने को लेकर शादी के जश्न को भंग कर दिया। दोनों पक्षों में डीजे पर डांस करने को लेकर विवाद हो गया। बात इतनी आगे बढ़ गई कि लड़के पक्ष के लोगों ने लड़की वालों से जमकर मारपीट की। जिसमे रपीट में दुल्हन पक्ष के कई लोग घायल हो गए। शामलीः शराब के नशे में धुत्त बारातियों ने डी. जे. पर डांस करने को लेकर शादी के जश्न को भंग कर दिया। दोनों पक्षों में डीजे पर डांस करने को लेकर विवाद हो गया। बात इतनी आगे बढ़ गई कि लड़के पक्ष के लोगों ने लड़की वालों से जमकर मारपीट की। जिसमे रपीट में दुल्हन पक्ष के कई लोग घायल हो गए। इस पर गुस्से लड़की ने शादी से इनकार कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने सुलह की लाख कोशश की, मगर लड़की नहीं मानी। क्या है पूरा मामला? - जनपद शामली के सदर कोतवाल क्षेत्र के शुगर मिल निवासी राजकुमार जावला की पुत्री शिवानी की हरियाणा के सिम्भालखा कस्बे से बारात आई हुई थी। - शादी की तैयारी बड़ी धूमधाम से चल रही थी। तभी डी. जे. पर डांस कर रहे शराब के नशे में धुत्त बाराती की दुल्हन के बड़े भाई से किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गई। - इस पर शराब के नशे में धुत्त आठ दस बरातियों के साथ दूल्हे ने दुल्हन के भाई को मारना शुरू कर दिया। - बीच बचाव करने आए दुल्हन के चाचा व अन्य घरातियों से भी दूल्हे पक्ष के लोगों ने जमकर मारपीट की। - इन सब से गुस्से में आई दुल्हन ने शादी करने से इनकार कर दिया। - लड़की ने कहा कि जब लड़का मेरे घरवालों की इज्जत नहीं कर सकता वो मुझे क्या खुश रखेगा। दुल्हन के भाई सचिन ने बताया कि मेरे और मेरे चाचा के साथ दुल्हे और उसके दोस्तों ने मारपीट की है। मेरी बहन ने शादी से साफ मना कर दिया।
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राष्ट्रपति श्री प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने पंजाब और राजस्थान के राज्यपाल श्री शिवराज पाटील की अध्यक्षता में देश के कृषि क्षेत्र विशेषकर वर्षा पर आधारित खेती की उत्पादकता, मुनाफा, स्थायित्व और प्रतिस्पर्द्धा बढा़ने के उपायों का अध्ययन करने और सुझाव देने के लिए राज्यपालों की एक समिति गठित की है। यह समिति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने और कृषि एवं इसके सहयोगी क्षेत्रकों में निवेश लाने के लिए स्थानीय स्तर पर अपेक्षित नीतिगत पहलों और विधायी उपायों, योजनाओं के पुनर्गठन और सम्मिलन जैसे संस्थागत सुधार तैयार करने की जरूरत पर चर्चा करेगी। यह समिति कृषि और सहयोगी क्षेत्रकों में नवाचारों और अत्याधुनिक तकनीकों के हस्तांतरण करने, कृषि श्रमिकों और खेती के मशीनीकरण के उभरते माहौल को साधने के लिए जरूरी कदमों पर भी चर्चा करेगी। यह राज्य और केंद्र स्तर पर धारणीय कृषि और ज्ञान प्रबंधन को प्रोत्साहित करने और किसान-उद्योगों के बीच भागीदारी बढ़ाने के लिए कृषि संबंधी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की भूमिका और सहभागिता पर भी चर्चा कर जरूरी सिफारिशें करेगी। पंजाब और राजस्थान के राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल के अलावा इस समिति में महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल श्री के. शंकरनारायणन, जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल एन. एन. वोहरा, मेघालय के राज्यपाल आर. एस. मूसाहारी, कर्नाटक के राज्यपाल श्री एच. आर. भारद्वाज, बिहार के राज्यपाल श्री देवानंद कुंवर, उत्तराखंड के राज्यपाल श्रीमती माग्ररेट अल्वा, नगालैंड के राज्यपाल श्री निखिल कुमार, असम के राज्यपाल श्री जे. बी. पटनायक, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त, तमिलनाडु के राज्यपाल श्री के. रोसैया, मिजोरम के राज्यपाल श्री वी. पुरुषोत्तमन और अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल ले. जनरल (रिटायर्ड) श्री भूपिंदर सिंह शामिल हैं।
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Don't Miss! भोजपुरी एक्ट्रेस त्रिशाकर मधु के बाद सिंगर शिल्पी राज का इंटीमेट वीडियो लीक हुआ है। शिल्पी राज का यह वीडियो सनसनी फैला रहा है। जहां पर शिल्पी राज एक पुरुष के साथ निजी समय बिता रही हैं। आपको बता दें कि भोजपुरी इंडस्ट्री में कलाकारों के साथ सिंगर भी काफी लोकप्रिय होते हैं। ऐसे में शिल्पी राज का नाम भी चर्चित गायिकाओं में से एक है। शिल्पी ने खेसारी लाल यादव से लेकर पवन सिंह जैसे बड़े स्टार्स के साथ गाना गाया है। शिल्पी राज का यह वीडियो सामने आने से भोजपुरी इंडस्ट्री हैरान है। सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक शिल्पी राज का यह प्राइवेट वीडियो लगातार भोजपुरी दर्शकों के बीच सर्च किया जा रहा है। शिल्पी राज अश्लील वीडियो नाम से इसे खोजा जा रहा है। बता दें कि इस वीडियो में शिल्पी राज अपने एक मित्र के साथ है। वहीं कई रिपोर्ट में यह बोला जा रहा है कि केवल शिल्पी और उनके मित्र के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति भी कमरे हैं । जिसने इस पूरे वीडियो को कैमरे में कैद करने का काम कमरे में खड़े होकर किया है। बताया जा रहा है कि वीडियो में जो शख्स मौजूद है वो शिल्पी का बॉयफ्रेंड हैं। काफी लंबे समय से दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछली बार त्रिशाकरमधु का वीडियो लीक होने पर उन्होंने बाद में आकर इस पर सफाई देते हुए कहा था वह वीडियो के लीक होने से बेहद दुखी हैं। शिल्पी राज की तरफ से अभी तक उनके इस वीडियो को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान या जानकारी सामने नहीं आयी है। ज्ञात हो कि फिल्मीबीट हिंदी ऐसे किसी भी वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
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आजकल के खानपान ने कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। जिसके रहते हर किसी को तरह-तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। लोग हर दूसरे दिन यहां दर्द वहां दर्द जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। कई बार यह बीमारियां इतनी बढ़ जाती है कि आपको बता ही नहीं चलता है। लेकिन हमारी प्रकृति में ऐसे कई फल और सब्जियां मौजूद है जिनके सेवन से आपको फायदा जरूर मिलेगा। इसमें शरीर को पोषण प्रदान करने वाले सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिनके सेवन से आपको कभी भी किसी परेशानी का सामना करने की आवश्यता नहीं पड़ती है। लेकिन यह हृदय रोग, स्ट्रो क और रक्ता वाहिनियों को प्रभावित करने वाले अन्ये रोगों को बढ़ावा देता है। ब्लूबेरी में ऐसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जिसके सेवन के बाद आपको अपने अंदर कई तरह के बदलाव नजर आने लगेंगे। इतना ही ब्लूोबेरी में पॉलीफिनोल्स-एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। यह हृदय कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं। साथ ही रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बहुत ही आवश्यक होता है। एक सर्व में यह बात सामने आई है कि अगर ब्लूमबेरी का इस्तेमाल कच्चा ही किया जाए तो यह हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यहीं उसे अगर पकाकर खाया जाए तो उसको पौष्टिकता कम हो जाती है।
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जितना महत्वपूर्ण है पढ़ाई उतना ही महत्वपू्र्ण है जो पढ़ा उसे दोहराना। रिविजन करने से आप जो पढ़ते हैं उसे आप याद भी रख पाते हैं। इतना ही नहीं इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। जिस टॉपिक्स को समझने में आपको कठिनाई हो रही है, उसपर थोड़ा ज्यादा ध्यान दें। इससे आप अन्य चीजों को और भी सरलता से समझ पाएंगे। आज के डिजिटल समय में आपके पास हजार ऑप्शन होता है ऐसे में टाइम वेस्ट करने से बेहतर है अपने नोट्स और सिलेबस के अनुसार ही पढ़ें। किसी भी परीक्षा में MCQs बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसे सबसे पहले हल करना चाहिए। पिछले वर्ष के प्रश्न- पत्र से आपको परीक्षा का पैटर्न समझ में आएगा तथा आप समझ पाएंगे कि पेपर का क्या पैटर्न है। किसी भी परीक्षा में केवल प्रश्नों को हल करना ही जरूरी नहीं है। उत्तर लिखने का तरीका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। सबसे सरल एवं स्पष्ट तरीके से ही प्रश्नों का उत्तर दें। किसी भी प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले उस प्रश्न को पढ़े और यह समझने की कोशिश करें कि प्रश्न में पूछा क्या जा रहा है। तनाव में रहकर कोई भी काम सही तरीके से नहीं किया जा सकता है। इसलिए तनाव से दूर रहें, परीक्षा से घबराए नहीं और खुद पर विश्वास करें. आपने जो पढ़ा है उस पर भरोसा करें। कभी भी इस उम्मीद पर ना बैठे कि परीक्षा से दो दिन पहले आपकी तैयारी पूरी हो जाएगी।
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करियर डेस्क. IAS Interview Etiquettes/ UPSC personality Test Tips: आईएएस इंटरव्यू के लिए जाते समय कैंडिडेट्स को बाकी बातों के अलावा शिष्टाचार संबंधित कुछ छोटी लेकिन जरूरी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। इससे इंटरव्यू पैनल पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। ये हैं एकदम आम बातें पर कई बार नर्वसनेस में कैंडिडेट इन्हें भूल जाते हैं। शिष्टाचार पर बात करने से पहले जरूरी है समय के बारे में बात करना। अगर कैंडिडेट समय से तैयार नहीं होगा तो शिष्टाचार दिखाने के पहले ही बात बिगड़ जाएगी। किसी भी प्रकार की हड़बड़ी आपका पहला ही इंप्रेशन खराब कर सकती है। इसलिए घर से समय से निकलें, सारे डॉक्यूमेंट्स पहले ही कायदे से देखकर एक फाइल में लगा लें और ऑफिस में पहुंचने के बाद ऑफिशियल्स से कोऑर्डिनेट करके अपने डॉक्यूमेंट्स आदि मैच करा लें। याद रखें यहां पर सेलफोन बंद रखें क्योंकि यूपीएससी का ऑफिस नो मोबाइल्स ज़ोन के अंतर्गत आता है। साक्षात्कार के पहले सभी औपचारिकताएं पूरी करके आपके लिए एलॉट सीट पर बैठ जाएं। - साक्षात्कार के लिए जाने से पहले हल्का भोजन लें ताकि आप फ्रेश फील करें। न नींद आए, न सुस्ती और न ही गैस आदि कि समस्या हो। - खाली पेट भी न रहें जिससे पैनल के सामने ही बर्प करें या कोई और समस्या होने लगे। - बुलावा आने के पहले एक बार वॉशरूम जाकर खुद को चेक कर लें कि कपड़े आदि सब ठीक हैं और आप प्रेजेंटेबल लग रहे हैं। - कक्ष में घुसने के पहले परमिशन मांगें और अंदर जाकर पहले सबको ग्रीट करें। महिला सदस्यों को पहले ग्रीट करें। - जब कहा जाए तभी बैठें और चेयर आराम से खीचें। किसी प्रकार का शोर नहीं होना चाहिए। कई बार पैनल आपके पेशेंस चेक करने के लिए आपको देर से बैठने का इशारा करता है। ऐसे में कहे जाने का वेट करें। - कक्ष में प्रवेश करते समय शरीर सीधा रखें, चाल में कांफिडेंस होना चाहिए और बॉडी लैंग्वेज जितनी संभव हो सहज होनी चाहिए। न बहुत तेज एंट्री करें न ही बहुत धीरे। - इस समय किसी का भी नर्वस होना एकदम नेचुरल है। बोर्ड भी इस बात को समझता है। कोशिश करें कि बहुत न घबराएं पर ऐसा हो तो इसका बर्डन न लें क्योंकि बोर्ड आपकी नर्वसनेस को समझते हुए पहले आपको नॉर्मल करने का पूरा प्रयास करता है। - बैठते समय अपने पॉश्चर का ध्यान रखें, कोशिश भर सीधे बैठें और हाथ चेयर के हैंडल पर रखें। - साक्षात्कार होने के बाद सबको थैंक्यू बोलें और बाहर निकलते समय भी सीधा चलें। - पुरुष उम्मीदवार पैर नीचे रखकर बैठें, महिलाएं पैर क्रॉस करके बैठें पर पैर हिलाएं नहीं। - बात करते समय आई कॉन्टैक्ट बनाकर जवाब दें। - बातचीत के दौरान चेहरे पर सौम्य सी मुस्कान रखें। किसी गंभीर बात पर स्माइल न करें और न ही गंभीर दिखने के चक्कर में ऐसा मुंह बनाएं कि नाराज दिखें। - किसी प्रश्न का उत्तर नहीं आता तो बहुत पोलाइट मैनर में उसके लिए सॉरी बोल दें।
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आज समाज डिजिटल, अंबाला : Arjun Kapoor Shared Pictures : अर्जुन कपूर ने हाल ही में विशाल भारद्वाज की कुट्टी की शूटिंग पूरी की। वह एक विलेन रिटर्न्स में अगले स्टार होंगे। इन दिनों एक्टर अर्जुन कपूर किसी फिल्म में अपना जादू चलाते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन वो अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर पोस्ट की वजह से हेडलाइंस में बने रहते हैं। हाल ही में अर्जुन कपूर अपने दोस्त और फिल्ममेकर लव रंजन और अलीशा वैद की शादी की कुछ खास तस्वीरें फैंस के बीच शेयर की हैं। इन तस्वीरों में शादी के कुछ स्पेशल फंक्शन्स झलक नजर आ रही है। सोमवार शाम को, अर्जुन कपूर ने भी समारोह से कुछ तस्वीरें शेयर करने के लिए अपने इंस्टाग्राम फीड पर लिया। उन्होंने हल्दी समारोह से तस्वीरें भी शेयर कीं, एक तस्वीर में, रणबीर को लव को गाल पर किस देते हुए नजर आ रहे है। उन्होंने रणबीर की एक तस्वीर भी शेयर की, जहां वे रुके हुए थे, ताजमहल को देख रहे थे। तस्वीर को रणबीर ने क्लिक किया था। अर्जुन ने खुलासा किया कि रणबीर ने पहली बार ताजमहल देखा था और यह आलिया के साथ नहीं बल्कि उनके साथ था। हालांकि अर्जुन ने तस्वीर में आलिया भट्ट को टैग किया। तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि एक्टर ने लव रंजन और अलीशा वैद की शादी के हर पल को कैसे खूब एंजॉय किया है। शेयर की गई तस्वीरों में लव रंजन और अलीशा वैद के साथ-साथ अर्जुन कपूर, रणबीर कपूर और वरुण शर्मा भी दिखाई दिए हैं।
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आजम खां को न्यायपालिका से न्याय मिल गया है। सरकार की ओर से फंसाए गए सपा के अन्य नेताओं को भी जल्द न्याय मिलेगा। यह बात शनिवार को सपा के राष्ट्रीय सचिव शिवपाल सिंह यादव ने कही। नगर के पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय में आयोजित किए गए नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष और सभासदों के शपथ ग्रहण समारोह में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भाजपा की ओर से सपा नेता आजम खां, इरफान सोलंकी, अफजाल अंसारी आदि पर फर्जी मुकदमे लगाए गए। अब न्यायपालिका से आजम खां को न्याय मिल गया है। आगे अन्य लोगों को भी जल्द न्याय मिलेगा। शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि साफ-सफाई व जल निकासी की समस्याओं को दुरुस्त करते हुए नगर को सुंदर बनाना है। इसमें यदि पालिका के बजट में कोई कमी पड़ती है तो उसे विधायक निधि से पूरा करूंगा। उन्होंने नवनिर्वाचित चेयरमैन सतनारायण संखवार को विकास कार्यों को कराने में सभासदों की राय को भी प्राथमिकता से तवज्जो देने की सलाह दी। साथ ही उनका भी सम्मान करें। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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Nigrain Lite डॉक्टर के लिखे गए पर्चे पर मिलने वाली दवा है। यह दवाई टैबलेट में मिलती है। माइग्रेन के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल की जाती है। Nigrain Lite को कितनी मात्रा में लेना है, यह पूर्ण रूप से रोगी के वजन, लिंग, आयु और पिछले चिकित्सकीय इतिहास पर निर्भर करता है। इसकी खुराक मरीज की समस्या और दवा देने के तरीके पर भी आधारित की जाती है। नीचे दिए गए खुराक के खंड में इस बारे में पूरी जानकारी के साथ बताया गया है। इनके अलावा Nigrain Lite के कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो नीचे दिए गए हैं। सामान्य तौर पर Nigrain Lite के साइड इफेक्ट लंबे समय तक बने नहीं रहते हैं और एक बार जब इलाज खत्म हो जाता है तो ये भी ठीक हो जाते हैं। अगर ये दुष्प्रभाव और ज्यादा बिगड़ जाते हैं या ठीक नहीं होते तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करें। इसके अलावा Nigrain Lite का प्रभाव प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अज्ञात है और जो महिलाएं बच्चों को दूध पिलाती हैं, उन पर इसका प्रभाव अज्ञात है। इसके अतिरिक्त Nigrain Lite का लिवर, हृदय और किडनी पर क्या असर होता है इस बारे में नीचे Nigrain Lite से जुड़ी चेतावनी के सेक्शन में चर्चा की गई है। अगर आपको पहले से ही कुछ समस्याएं हैं तो इस दवा का उपयोग न करें, इससे दुष्परिणाम हो सकते हैं। डिप्रेशन, पार्किंसन रोग इन समस्याओं के कुछ उदाहरण हैं। आगे ऐसी अन्य समस्याएं भी बताई गई हैं जिनमें Nigrain Lite लेने से आपको दुष्प्रभाव अनुभव हो सकते हैं। Nigrain Lite को कुछ दवाओं के साथ लेने से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इन प्रतिक्रियाओं की विस्तृत सूची नीचे दी गई है। ऊपर बताई गई सावधानियों के अलावा यह भी ध्यान में रखें कि वाहन चलाते वक्त Nigrain Lite लेना असुरक्षित है, साथ ही इसकी लत नहीं पड़ सकती है। यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Nigrain Lite की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Nigrain Lite की खुराक अलग हो सकती है। क्या Nigrain Lite का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है? गर्भवती महिलाओं पर Nigrain Lite का असर क्या होगा इस बारे में कोई रिसर्च नहीं की गई है। इसलिए इसकी सही जानकारी मौजूद नही है। क्या Nigrain Lite का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है? स्तनपान कराने वाली स्त्रियों पर Nigrain Lite के क्या प्रभाव होंगे। इस बारे में शोध कार्य न हो पान के चलते कुछ नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल इसको लेने से पहले डॉक्टर से पूछना जरूरी है। Nigrain Lite का प्रभाव गुर्दे पर क्या होता है? किडनी पर Nigrain Lite के खराब प्रभावों को जाने बिना भी आप इसका सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इसका हानिकारक प्रभाव बेहद कम है। Nigrain Lite का जिगर (लिवर) पर क्या असर होता है? Nigrain Lite से लीवर को किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचती है और आपके लीवर पर होने वाले इसके बुरे प्रभाव कम होते है। क्या ह्रदय पर Nigrain Lite का प्रभाव पड़ता है? हृदय पर Nigrain Lite के साइड इफेक्ट दिखाई दे सकते हैं। क्या Nigrain Lite आदत या लत बन सकती है? नहीं, Nigrain Lite को लेने के बाद आपको इसकी आदत नहीं पड़ती है। क्या Nigrain Lite को लेते समय गाड़ी चलाना या कैसी भी बड़ी मशीन संचालित करना सुरक्षित है? नहींं, Nigrain Lite लेने के बाद आपको नींद आने लगेगी और कोई काम ठीक से नहीं कर पाएंगे। क्या Nigrain Lite को लेना सुरखित है? डॉक्टर के कहने के बाद ही Nigrain Lite का सेवन करें। वैसे यह सुरक्षित है। क्या मनोवैज्ञानिक विकार या मानसिक समस्याओं के इलाज में Nigrain Lite इस्तेमाल की जा सकती है? मस्तिष्क विकारों के लिए Nigrain Lite को लेने से कोई फायदा नहीं हो पाता। क्या Nigrain Lite को कुछ खाद्य पदार्थों के साथ लेने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है? Nigrain Lite व खाने को साथ में लेने से क्या प्रभाव होंगे इस बारे में शोध न हो पाने के कारण आंकड़े मौजूद नहीं हैं। जब Nigrain Lite ले रहे हों, तब शराब पीने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्या? रिसर्च न होने के कारण Nigrain Lite के नुकसान के विषय में पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। अतः डॉक्टर की सलाह पर ही इसको लें।
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काशी शिव जी की नगरी है। कार्तिक पूर्णिमा के दीपोत्सव में देवता भी सहभागी होते है। इसीलिए यह देव दीपावली के रूप में प्रतिष्ठित है। योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से अयोध्या में त्रेता युग के दीपोत्सव की झलक दिखाई दी थी,उसी प्रकार देव दीपावली भी दिव्य और भव्य बन गई। गंगा जी के किनारे अनेक घाट अद्भुत प्रकाश से दैदीप्यमान हो उठे। सब तरफ शम्भू शम्भू नमामि शम्भू का उद्घोष होने लगा। देव दीपावली का यह दृश्य विलक्षण था। नरेंद्र मोदी ने प्रथम दीप प्रज्ज्वलित कर आयोजन का शुभारम्भ किया। इसके साथ ही काशी के आदिकेशव से अस्सी तक सभी घाट क्षण भर में ही असंख्य दीयों की रोशनी से जगमगा उठे। प्रधानमंत्री जी कार्तिक पूर्णिमा एवं देव दीपावली और गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बधाई दी। हर हर महादेव के उद्घोष से संबोधन प्रारम्भ किया। कहा कि सौ साल पहले माता अन्नपूर्णा की चोरी हुई मूर्ति वापस आ रही है। हमारे देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियां हमारी विरासत हैं। काशी की विरासत अब लौट रही है। माँ अन्नपूर्णा की कृपा से किसानों को बिचैलियों व उनका शोषण करने वालों से मुक्ति मिल रही है। रेहड़ी पटरी वालों को भी बैंक सहायता प्रदान कर रहे हैं। देश लोकल के लिए वोकल भी हो रहा है। वोकल फॉर लोकल जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है,तो विरोध शान्त हो जाता है। गंगा जी काशी विश्वनाथ मन्दिर धाम के निकट आ गई है। काशी का गौरव पुनर्जीवित हो रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नेतृत्व में एक भारत, श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो रहा है। अयोध्या में पांच शताब्दी का सपना साकार हुआ। काशी के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखते हुए इसे वैश्विक मंच पर स्थापित किया है। छह वर्षों में मां गंगा को निर्मल एवं अविरल बनाया गया है। अब गंगा जल से आचमन किया जा सकता है। प्रधानमंत्री के प्रयासों से काशी विश्वनाथ व मां गंगा को जोड़ने का कार्य श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर धाम के माध्यम से हजारों साल बाद हो रहा है। प्रयागराज कुम्भ दो सौ देशों के राजदूतों को आमंत्रित कर दुनिया के वैश्विक मंच पर कुम्भ को स्थापित किया गया।
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पुणे : DY Patil school principal Alexander beaten up : शहर के तालेगांव दाभाड़े इलाके से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है। डी वाई पाटिल स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स पर कथित तौर पर छात्रों को ईसाई प्राथनाएं पढ़ने और लड़कियों के शौचालय के बाहरी परिसर के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए कहने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। यह घटना तब सामने आई जब अभिभावकों की कई शिकायतों के बाद कई बजरंग दल के कार्यकर्ता स्कूल पहुंचे और स्कूल परिसर में प्रिंसिपल के साथ मारपीट की। DY Patil school principal Alexander beaten up : कथित मारपीट का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। खबरों के मुताबिक, इस मामले में तालेगांव दाभाड़े स्थित डीवाई पाटिल हाई स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। DY Patil school principal Alexander beaten up : स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि, स्कूल अधिकारी उनके बच्चों को यीशु मसीह की प्रार्थना करने के लिए कह रहे हैं और छात्रों को हिंदू त्योहारों पर छुट्टी नहीं दी जाती है। इसके अलावा गर्ल्स टॉयलेट के अंदर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जब हम इसका विरोध करने आये तो हमने देखा कि सभी शिकायतें सही थीं" एक कार्यकर्ता ने कहा।
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Khushali Kumar Hot Video: बॉलीवुड अभिनेत्री खुशहाली कुमार ने हाल ही में माल्टा में अपनी आगामी फिल्म 'स्टारफिश' के सेट पर लोगों का ध्यान खींचा, जब उन्होंने एक शानदार ऑरेंज ब्रालेट, लूज हेयर, और आत्मविश्वास से लबरेज हॉटनेस और स्टाइल में देखा गया. अभिनेत्री फिल्म में एक स्कूबा गोताखोर की भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, और उनके नवीनतम लुक ने प्रशंसकों और फॉलोअर्स को हैरान कर दिया है. खुशाली कुमार, जो अपने फैशन-फॉरवर्ड चॉइस और बोल्ड स्टाइल स्टेटमेंट के लिए जानी जाती हैं, को माल्टा में अपनी आगामी फिल्म 'स्टारफिश' के सेट पर देखा गया, जो बिल्कुल आश्चर्यजनक लग रही थीं. देखें वीडियोः (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. )
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बहुत पहले नहीं, शब्द "दचा" शहर के बाहर स्थित एक साधारण उद्यान को दर्शाता है। धीरे-धीरे, डच को पारिवारिक अवकाश के लिए एक शोर शहर से दूर जगह के रूप में माना जाना शुरू किया। इसलिए, ऐसे स्थान को डिजाइन करने के लिए बगीचे के औजारों को संग्रहित करने के लिए एक छोटा सा घर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है। तेजी से, विभिन्न क्षेत्रों में बहुत सारे विभाजित होते हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें घर के बगल में एक हरा मनोरंजन क्षेत्र है। और अब पता लगाएं कि घर के सामने बगीचे को अपने हाथों से कैसे सजाने के लिए। विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करनाः पत्थरों, रेत, कंकड़, साथ ही शुष्क शाखाएं, स्टंप, मॉस, आप विभिन्न रचनाओं को बना सकते हैं। और यदि पास पानी है, तो एक छोटा सा मानव निर्मित झरना बहुत अच्छा और उचित लगेगा। इस तरह की रचनाओं को साइट के समग्र लेआउट में स्वाभाविक रूप से फिट होना चाहिए, इसे ओवरपेन्ड नहीं करना चाहिए। आप देश की साजिश कैसे सजाने सकते हैं? देश के घर के बरामदे को एक सुरुचिपूर्ण पेर्गोला से सजाया जा सकता है, और घर के सामने आप एक हरे रंग के लॉन के साथ गुलाब के बगीचे को तोड़ सकते हैं। यदि साइट पर कोई कुआं है, तो आप उस पर एक सुंदर छत बना सकते हैं, जो घर और आउटबिल्डिंग के आर्किटेक्चर के साथ जरूरी है। ऑटोमोटिव टायर से बने फूलों की जगह, विला क्षेत्र में असामान्य लगती हैं। लेकिन टायर सिर्फ एक-दूसरे पर नहीं खड़े होते हैं, लेकिन बाहर चिकनी तरफ बाहर निकलते हैं। यदि आप इस तरह के फूलदान के लिए ठोस आधार भी बनाते हैं, तो यह बहुत ही मूल और टिकाऊ होगा, जो भी बहुत महत्वपूर्ण है। विला को सजाने के लिए एक और विकल्प एक "हल्का" अल्पाइन स्लाइड है । इसे बनाने के लिए, आपको बड़ी पत्थरों, सबसे अच्छे, क्रूर या ग्रेनाइट और अपनी साइट से जमीन की आवश्यकता है। रोलर कोस्टर का रूप आपके विवेकानुसार, पत्थर और मिट्टी में किसी भी हो सकता है, जो टायरों के साथ ढेर होते हैं। ऐसी पहाड़ी में जड़ी-बूटियों के पौधे और फूलों के लिए, मिट्टी पर्याप्त होगी, और यदि आप इसे झाड़ियों के साथ सजाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको जमीन से अतिरिक्त आधार बनाना होगा। अपने आप द्वारा किए गए पेर्गोलस के अपने मेहमानों की गली पर तत्काल प्रभाव डालें। आप सामान्य बाड़ के बजाय ऐसे पेर्गोलस स्थापित कर सकते हैं, गुलाब, आईवी या अंगूर उन पर चीरते हैं। और आप इस प्रकार घर के रास्ते को सजाने के लिए, बाकी के लिए बेंच के पेर्गोलस के किनारों को सेट कर सकते हैं। यहां बताया गया है कि आप अपने बगीचे को कैसे सजाने सकते हैंः एक "जीवित" मूर्तिकला स्थापित करें। इसे बनाने के लिए आपको स्टील के तार के साथ स्टॉक करना होगा, बहुत उथले स्टील जाल, लॉन घास के बीज और अंडरसाइज्ड फूल, स्ट्रॉ और साधारण पृथ्वी। तार से भविष्य की मूर्ति का आकार बनता हैः एक कुत्ता, एक भालू या कोई अन्य आपके विवेकाधिकार पर। मोल्ड एक साथ वेल्डेड है। मिट्टी को भूसे और गीले से मिश्रित किया जाता है। भविष्य की मूर्ति को ग्रिड में लपेटा जाता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के मिश्रण से ढका होता है, जिसमें पौधों के बीज बोए जाते हैं। तो यह एक असामान्य पौधे मूर्तिकला बाहर निकलता है। फूलों के साथ बगीचे की साजिश को कैसे सजाने के लिए? साजिश को सजाने के लिए आप खूबसूरत फूलों के बिस्तर तोड़ सकते हैं। और यदि आप चाहते हैं कि आपकी डच साइट अपने पड़ोसियों से अनुकूल रूप से अलग हो, तो आप इसे असामान्य फूल बिस्तरों से सजा सकते हैं। इन उद्देश्यों के लिए, पुरानी बाल्टी, पानी के डिब्बे, पैन, और यहां तक कि पहने हुए जूते भी करेंगे। यह सब साइट के चारों ओर खूबसूरती से व्यवस्थित किया जा सकता है, जमीन और पौधे के पैनियों, पेटूनिया, नास्टर्टियम और अन्य अंडरसाइज्ड फूलों को भरें। और आपके सभी मेहमान इस तरह के विशेष फूल बिस्तर से प्रसन्न होंगे। बगीचे के क्षेत्र के लिए मूल गहने प्लास्टिक की बोतलों से बना सकते हैं। यह फूलों के साथ फूलों के बिस्तरों और फूलों के बर्तनों के रूप में, उदाहरण के लिए, गिनी सूअरों के रूप में curbs। और प्लास्टिक की बोतलों से भी इकट्ठे विदेशी हथेलियों को स्थापित करना संभव है। जितनी संभव हो उतनी बोतलों को जमा करने के बाद, आप बगीचे गैज़बो के रूप में एक असली कृति बना सकते हैं। प्रयोग करें, और अपने पड़ोसियों और मेहमानों को आश्चर्यचकित करें कोई सीमा नहीं होगी!
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ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि दरवाजें पर दस्तक हुई। लगा जैसे खाने के बीच कंकड़ आ गया हो। उसने पन्ने उठाकर एक तरफ रखा और दरवाजा खोला। सामने अली खड़ा था। "भैंया, जल्दी चलिये अम्मी को दौरा पड़ा हैं." अली हाँफता हुआ बोला। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके उसके साथ चला गया। जब यह बात अम्मा को पता चली तो उन्होंने मुझे बहुत डाँटा। जबकि उस वक्त मुझे हिजड़ों के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मगर विघि का विधान तो देखिये जिस हिजड़े समाज से बोलने के लिए मुझे इतनी बड़ी सज़ा मिली थी। आज मैं उसी हिजड़े समाज की नायक हूँ। डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता। नसीबों के खेल भी कितने निराले होते हैं। यह मैंने इस उमर में जाना था। भाग्य के मैं कितने रूप बखान करूँ, हर एक रूप में दर्द ही दर्द हैं। अब तो मैं इस दुर्भाग्य को अपनी तकदीर मान बैठी हूँ और उसी के सहारे घिसटती जा रही हूँ। न जाने कब तक घिसटती जाऊँगी। माँ-बाप ने क्या सोच कर मेरा नाम दीपक रखा होगा, कि एक दिन दीपक की तरफ सारे संसार में चमकूँगा। मगर अफसोस! मैं बदनसीब दीपक न बन सका। जहाँ चमकना था वहाँ चमक न सका। जहाँ बुझना था वहाँ चमक उठा।। क्या करती परिस्थितियों के आगे विवश थी। परिस्थितियाँ इंसान को क्या से क्या बना देती है। जब भाग्य का पहिया चलता हैं तो वह किसी को नहीं बख़्शता सिर्फ़ रौंदता चला जाता हैं। उस हिजड़े वाले हादसे के बाद से पिताजी मुझे अपने साथ रखते। उनकी पैनी निगाहें हर पल मुझ पर रहती। दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद भी परिवार का खर्चा नहीं चल पा रहा था। दो छोटी बहन और दो छोटे भाइयों की पढ़ाई का खर्चा ठेले से निकाल पाना दूभर हो गया था। फिर क्या था पूरा परिवार दस पैसे किलों पर टाफी लपटने लगा। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद बीस किलो टाफी पैक हो पाती थी। यह सब देखकर हम-दोनें भाइयों को बहुत तकलीफ़ होती थी। काफी सोचने-विचारने के बाद हमने यह निश्चय निकाला कि हम लोग देहरादून जायेंगे। वहाँ जाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि वहाँ हमारे रिश्तेदार थे। जबकि अम्मा-पिताजी नहीं चाहते थे कि हम में से कोई भी किसी से पल भर के लिए दूर हो। कहते हैं ना, तकदीर जो न कराये वह कम हैं। हम-दोनों भाई तैयारी करके देहरादुन चले गए। हमारे रिश्तेदारों ने मदद करना तो दूर, बात करना भी गंवारा न समझा। हम लोगों ने जैसे-तैसे कई रातें फुटपाथ पर काटी। दिन में हम लोग होटलों में काम करते और रात में टैम्पों पर कनडकटरी करते। देखते-देखते मेरा भाई टैम्पों चलाना सीख गया था। तभी अल्लाह का एक बंदा मिल गया जिसने मेरे भाई को टैम्पों दिया और कहा चलाओं। मैं अगले दिन ट्रेन पकड़ कर अपने शहर आ गया। एक हफ्ता रहने के बाद जब मैं देहरादुन आने लगा तो पिताजी मेरे साथ चल पड़े। यह तो मुझे बाद में पता चला कि वह घूमने नहीं, छोटी बहन के लिए लड़का ढूढ़ने आए हैं। तभी दूर की रिश्तेदारी में पिताजी को एक लड़का मिल गया था। पिताजी ने साफ़-साफ़ कह दिया था कि मेरे पास सिर्फ लड़की हैं और कुछ नहीं। लड़के वालों ने भी अपनी बात रख दी, हमें सिर्फ लड़की चाहिए जो हमारे परिवार को चला सके। नतीजा यह निकला कि शादी देहरादून में करनी होगी। पिताजी वापस अपने शहर आ गये। फिर एक हफ्ते के बाद अम्मा और भाई-बहनों को लेकर देहरादून आ गए। हम लोगों ने तो जो शादी में पैसा लगाया साथ-साथ लड़के वालों ने भी हमारी काफी मदद की। शादी ठीक-ठाक निपट गई थी। पिताजी सबको लेकर शहर आ गए थे। आठवे दिन मैं भी शहर आ गया। उसी के दूसरे दिन मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया। देहरादून के रिश्तेदारों ने मेरे बड़े भाई को खैराती अस्पताल में भर्ती कर दिया, और पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिताजी-अम्मा को बहुत दुःख हुआ। डॉक्टरों के अनुसार, भाई का एक हाथ बेकार हो चुका था। और अगर जल्दी नहीं काटा गया तो ज़हर पूरे ज़िस्म में फैल जाएगा। पिताजी भाई को लेकर अपने शहर आ गए थे। डॉक्टरों को दिखाया गया तो उन्होंने फौरन आप्ररेशन करने को कहा। रकम एक हज़ार थी मगर जहाँ खाने के लाले लगे हो, वहाँ यह रकम बहुत बड़ी थी। पिताजी ने हर एक के आगे गुज़ारिश की मगर किसी ने उनकी मदद नहीं की। वह पैसे के लिए इधर-उधर भागते रहे। पैसा मिला भी तो ब्याज पर, भाई का आप्ररेशन हुआ। पर डॉक्टर उसका दाया हाथ नहीं बचा सके। शहर में मेरे भाई का नाम था चाहे खेल का मैदान हो या पढ़ाई, वह हर जगह अव्वल आता था। मगर आज वह विकलांग बन कर रह गया था। भाई के ग़म में पिताजी घुटते जा रहे थे। फिर क्या था मैंने उन कलाकरों से मिलना-जुलना शुरू कर दिया, और गुज़ारिश की वे भी मुझे अपने साथ प्रोग्राम में ले चले। उस समय मेरी उम्र चैदह साल की थी। उन लोगों ने मुझे पाँच रूपया रोज पर रामलीला में नाचने का काम दिला दिया। दिन-भर मैं चाय का ठेला खींचता और रात-भर रामलीला में नाचता। फिर सुबह भाई को अस्पताल में ले जाकर डेसिंग कराना। यह सब मेरा रोज का काम था। मेरे तो जैसे काटों खून नहीं। ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि अचानक बिजली गुल हो गई। उसे रह-रहकर बिजली विभाग पर गुस्सा आ रहा था। मगर वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सका। इस वक्त अँघेरे का वर्चस्व कायम था। तो क्या मज़ाल थी रोशनी की। ठंड़ भी अपने चरम सीमा पर थी। कोहरे का अपना बवाल था। जहाँ दिन में यह मोहल्ला कान फोड़ता हो, वही इस वक्त सन्नाटा अपनी चादर ओढ़े पड़ा था। ज्ञानदीप ने लालटेन में देखा उसमें तेल नहीं था। उसे अपने ऊपर काफी गुस्सा आया। उसका दिल-दिमाग दीपिकामाई के डायरी के पन्नों में खोया था। आगे क्या हुआ? उसकी उत्सुकता बनी हुई थी। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके रोड पर आ गया। मगर दुकान बंद देख वह आगे बढ़ गया। फिर भी उसे मोमबत्ती नहीं मिली तो वह हताश मन से लौट आया। जैसे 'रावन' फ्लाप होने से शाहरूख खान लंदन से मुंबई वापस आए थे। ज्ञानदीप बिस्तर पर ऐसे ढहे, जैसे जीरों पर आउट होने पर कोहली ढहे थे। ज्ञानदीप का दिल-दिमाग अभी भी दीपिकामाई के उन पन्नों में डूबा था। उन्होंने कितना कष्टमय जीवन जिया। जिस उमर में उन्हें खेलना-कूदना, पढ़ना-घूमना, मौज़मस्ती करना था। उस उमर में उन्होंने जी-तोड़ मेहनत करके अपने परिवार को पाला। वैसे तो दुख-तकलीफ़, परेशानी हर एक के साथ होती हैं। मगर दीपिकामाई के खाते में कुछ ज्यादा ही थी। जब परिस्थिति वश दीपक! दीपिकामाई! बनी होगी? तब उन पर क्या नहीं गुज़री होगी? कैसी-कैसी बातें परिवार वालों को सुननी पड़ी होगी। क्या बीती होगी उनके माँ-बाप, भाई-बहनों पर। कल्पना करता हूँ तो रूह काँप उठती हैं। कहते हैं घूर का भी एक अस्तित्व होता हैं। तो क्या दीपिकामाई का कोई अस्तित्व नहीं? ज्ञानदीप के ज़ेहन में तरह-तरह के समीकरण बन रहे थे। वह कभी दायें करवट लेता तो कभी बायें। उसकी भूख-प्यास ऐसे गायब हो गई। जैसे इंसान के जीवन से सच्चाई। मैंने डरते-डरते कहा, कि रामलीला देखने गया था। पिताजी की यह बातें मेरे दिल-दिमाग को झकझौर गई थी। शायद उन्हें मुझ पर शक हो गया था कि मैं कहाँ जाता हूँ, और क्या करता हूँ। वह अपनी बीमारी और परिस्थितियों के आगे विवश थे। वरना वह अब तक मेरे हाथ-पैर तोड़ चुके होते हैं। क्या करूँ मैं भी उनसे झूठ नहीं बोलना चाहता था, पर जो मजबूरियाँ थी उसके आगे मैं मजबूर था। आखि़रकार एक दिन मुझे चाय का ठेला बंद ही करना पड़ा। क्यों कि बनिये ने उधार देना बंद कर दिया था। याह ख़ुदा अगर मेरी झोली में और भी ग़म हैं। तो उठा ले मुझे, वरना खुशी का एक ही लम्हा दे दें ।। वक्त कभी नहीं थमता। थमता तो इंसान हैं। वक्त का पहिया तो हमेशा चलता ही जाता हैं। घर की परिस्थितियाँ दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी। समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ? मगर परिवार तो चलाना ही था। भाई और पिता जी की बीमारी की चिंता मुझे रात-दिन खाये जा रही थी। मैं मरता क्या न करता, सीधे चंदा से मिली जो एक हिजड़ा थी। मैंने अपनी सारी बात उसे बताई। प्रोग्राम शुरू होने से पहले उसने मेरे पैरों में एक-एक किलों का घुघरूँ बाँध दिया। मैंने जैसे-तैसे उल्टा-सीधा डांस किया। प्रोग्राम खत्म होने के बाद चंदा ने मुझे दस रुपये दिए। मैंने पैसे लाकर अम्मा को दे दिए। जब यह नाचने वाली बात पिताजी को पता चली तो उन्होंने मुझे बहुत गाली दी। अगर उनकी तबियत ठीक होती तो न जाने वह मेरा क्या हाल करते। मैंने चंदा से पचास रूपये लेकर बस स्टैण्ड पर चाय की दुकान खोल ली। दिन मैं दुकान करता और रात मैं उसके साथ प्रोग्राम। मैंने उससे गुज़ारिश की यह बात किसी से मत कहना। इसी तरह मेरी उसकी दोस्ती हो गई। हम रोज़ मिलने लगे। मैंने अपने घर की सारी बातें उसे बतायी। हमारे हाथ में अपना क़ल़म कागज नहीं होता। चंदा के बार-बार हिदायत देने से भी मैं मर्दाना भाषा नहीं छोड़ पा रहा था। और वैसे भी जनानियों की भाषा बोलना मुझे जरा भी अच्छी नहीं लगता था। मैं जैसे ही जाने के लिए उठा कि तभी दो आदमी आये। उनमें से एक ने मेरा हाथ पकड़ा और जबरदस्ती मुझे अपने पास बैठाने लगा। उसकी इस हरकत से मैं तैश में आ गया और चंदा की तरफ़ मुखा़तिब हुआ, "देखो गुरू! इन्हें समझा लो हमसे बत्तमीजी न करे नहीं तो ईटा-वीटा उठा कर मार देगें." मेरे इतना कहते ही उसने मेरा हाथ छोड़ दिया। दूसरे दिन जब चंदा दुकान पर आयी तो मैंने उससे पूछा, "वे लोग तुम्हारे कौन थें? उसी बात को लेकर हम दोनों में खूब बहस हुआ। उस दिन शरीफ बाबा दोपहर में आया और पिक्चर चलने की जिद् करने लगा। मुझे उसकी जिद् के आगे झुकना पड़ा। अभी आधी ही पिक्चर ही हुई थी कि उसने मुझे घर चलने को कहा। वह घर चलने के बहाने मुझे ऐसे रास्ते पर ले गया जहाँ उसने मेरे साथ.....।
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पैदा होने वाले संकट की बात सोच रहा था । तलवारें हमारा क्या कर लेंगी ? परन्तु बख्तखां और उसके छः हजार सिपाही बहुत आत पैदा कर सकते हैं और बादशाह खिसक गया तो मुसीबत पर मुसीबत आने की आशङ्का है -- विलसन की कल्पना में समाया । उसने इलाही बख्श से अनुरोध किया - नवाब साहब, बात तब है जब बादशाह बिना लड़ाई भिड़ाई करे कराये में समर्पण करदें । इलाही बख्श ने स्वीकार किया । बादशाह बहादुरशाह अपने परिवार और साथियों सहित हुमायूँ के मकबरे में थे । फौज-फांटा आस पास की बस्ती में डटा हुआ था । बहादुरशाह बहुत वृद्ध थे, परन्तु उनमें उत्साह था, कभी कभी कविता भी कर डालते थे । मकबरे के एक छोटे से स्थान में बैठे बहादुरशाह भविष्य की योजना पर सलाह कर रहे थे । बख्तखां आग्रह कर रहा था, - 'जहाँपनाह यहां से कूच करदें । जगह जगह लोग मुल्क के लिये, आपके लिये लड़ मरने के लिये तैयार हैं ।' मिर्ज़ा इलाही बख्श हतोत्साहित कर रहा था, 'जहांपनाह, लड़ाई बेकार है । लड़ाई में खून खराबी और बरबादी के अलावा और कुछ भी हाथ नहीं लग सकता ।" इलाही बख्श ने अंग्रेजों के हथियारों, सेना की संख्या और उनके साधनों को बढ़ा चढ़ा कर सराहना की। बादशाह का मन गिर गया वह थोड़ी देर चुप रहे। फिर उन्होंने एक कविता कह डाली'दम दमें में दम नहीं अब खैर मांगो जान की, ऐ जफ़र ठण्डी हुई तलवार हिन्दुस्तान की, ' बख्त खां के कलेजे में कांटा सा चुप गया । बोला, - 'जहांपनाह, बेअदबी माफ हो । हिन्दुस्तान की तलवार ठण्डी होना नहीं जानती । न ठण्डी हो सकती । और न कभी होगी । लखनऊ में लड़ाई जारी है । झांसी की रानी अपने इलाके में फौलाद की तरह मजबूत है ।' बख्त खां कुछ और कहता, परन्तु बादशाह के रिश्तेदार मिर्जा इलाही बख्श के सामने उसे मन मसोस कर रह जाना पड़ा। मिर्जा ने नव्याख्या पेश की, 'मैंने पता लगा लिया है, लखनऊ पर कम्पनी सरकार की अनगिनत फौजें पहुँच रहीं है और झांसी तो एक सी पड़ी जगह है । अंग्रेजों का मुकाबला कितने घण्टों कर सकेगी ? खैर इसी में है जो जहांपनाह के शेर से बखूबी जाहिर हो रही है । श्राह! क्या फरमाया है- ठण्डी हुई तलवार हिन्दुस्तान की बख्त खां की सब दलीलें व्यर्थ गई । बादशाह ने आत्म-समर्पण का निश्चय किया । मिर्ज़ा इलाही बख्श के द्वारा श्रात्म-समर्पण का समाचार दिया गया । बादशाह की गिरफ्तारी के लिये जनरल विलसन ने अपने एक अफसर कप्तान हौडसन को चुना । हौडसन बड़ा दम्भी, दर्पी, क्रूर, और दुस्साहसी सैनिक था । वह सेना की एक टुकड़ी लेकर हुमायूँ के मकबरे पर जा पहुँचा । उसने बादशाह के पास संवाद भेजा, 'अपने सब हथियार मेरे पास भेज दो। जरा भी गड़बड़ की तो कुत्ते की मौत मारे जाओगे ।' अकबर और औरङ्गजेब के उत्तराधिकारी को एक साधारण फिरङ्गी की यह धमकी ! परन्तु इस धमकी के पीछे भारत का कितना इतिहास आंसू बहा रहा था !! बहादुरशाह को मानना पड़ा । वे कीमती तलवारें भी बहादुरशाह को हौडसन के सुपुर्द करनी पड़ीं । पालकी में बैठ कर बहादुरशाह जनरल विलसन के सामने पहुँच गये और तत्काल कैद कर लिये गये । हौडसन ने जनरल विलसन को सलाम फटकारा । जनरल बहुत प्रसन्न था । वहीं कहीं आशायें बाधे गम्भीर मुद्रा बनाये मिर्जा इलाहींबख्श भी उपस्थित था । जनरल ने हौडसन से कहा, 'मैं समझता था कि तुम या बादशाह कोई भी मेरे सामने न पाओगे । हौडसन ने फिर सलाम फटकारा और दोनों आपके सामने आ गये ।। बोला, - 'लेकिन हम
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"टामकाकाकी कुटिया इसलिए सरसतासे पूर्ण दासके हृदयने क्रमशः सेन्टफ्लेयर को प्रसन्नकर लिया। राम जो सेन्टक्लेयरकी भक्ति और श्रद्धा आकर्षित करने लगा इसमें कोई आश्चर्य नहीं । मैं पहिले ही बतला चुका है कि सेन्टक्लेयरके गृहकार्य मे कोई सुश्रृंखला न थी। वे आय-व्ययको कोई हिसाव न रखते थे। उनको सहधर्मिणी तो प्राय शैव्यापर ही पड़ी रहती थीं । अडालक नामक उनका प्रधान दास वड़ा शरावी था । घंह अपने इच्छानुसार मालिकका बड़ा अपव्यय करता था । किन्तु टामके आ जानेसे सेन्टफ्लेयर कभी-कभी उसे भी किसी-किसी कार्य में नियुक्त करते थे। वे सारे कार्य वह इस विश्वस्त रीतिसे सम्पादन करता कि सेन्टफ्लेयरने उस की साधुता और प्रभुभक्ति देखकर आय-व्ययका सारा भार उसपर छोड़ दिया। टामके हाथ रुपये देते समय वे गिनते भी न थे । वह इच्छा करने पर सहज ही बहुतसे रुपये सार सकता था, किन्तु धोखेवाजी अथवा झूठेपनसे टॉस पूर्णतः घृणा करता था। टाम सेन्टफ्लेयरको अपना स्वामी समझकर उनका सम्मान करता था। किन्तु सम्मानके भावने दूसरा ही रूप धारण किया। टाम वृद्ध था और सेन्टफ्लेयर तरुण युवक। • टाम गम्भीर प्रकृतिका आदमी था; सेन्टक्लेयर चंचल प्रकृतिकें थे । इसलिए टामके हृदयमें सेन्टक्लेयरके प्रति पितृवत्सलता उत्पन्न हुई । टामने देखा कि सेन्टक्लेयरको हृदय अत्यन्त दया पूर्ण है। किन्तु वे वाइविल नहीं पढ़ते । प्रातःकाल व सायं कालमें भूलकर भी कभी ईश्वरका नाम नहीं लेते। कभी गिरजो घरमें जाकर ईश्वरोपासना नहीं करते। सदा आमोद-प्रमोदमें ही रत रहते हैं, पं सदा नाट्यशाला में जाते है । कभी सम-घयस्क युवकोके साथ एकान्त में
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गर्मियों के मौसम में लोग खीरे का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं. स्वस्थ के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है. खीरे में पाए जाने वाले कई विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ को बहुत फायदा पहुंचाते हैं. इतने फायदे देखते हुए लोग गर्मी में रोज-रोज खीरा खरीद लाते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि खीरा जैसे ही सजकर प्लेट में सामने आता है और हम उसे खाते हैं तो वह कड़वा निकल जाता है. अक्सर ऐसा हो जाता है, जिसकी वजह से उसे फेंकने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ट्रिक्स बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप खीरे की कड़वाहट झट से दूर कर सकते हैं. खीरा खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए . धोने के बाद उसे बिल्कुल बीच से चाकू से काट लें. खीरे के आगे और पीछे के हिस्से को हटा दें. अब खीरे को खाएं, यह कड़वा नहीं आएगा. यह तरीका काफी आसान है. खीरे की कड़वाहट दूर करने के लिए सबसे पहले दोनों तरफ से गोल-गोल काटकर साफ कर लें. अब चाकू से कटे हुए हिस्से पर आरी तिरछी कई लाइन बना दें. दोनों कटे हिस्सों को आपस में रगड़ें. जब झाग बन जाए तो आगे-पीछे से थोड़ा-थोड़ा काटकर अलग कर दें. अब आप खीरे को खा सकते हैं. इसमें कड़वाहट नहीं रहेगी. सबसे पहले खीरे के अगले और पिछले हिस्से को थोड़ा-थोड़ा काटकर उस पर नमक डाल दें. करीब दो मिनट बाद कटे हिस्से से इसे रगड़ लें. अब थोड़ा सा हिस्सा और काट लें. इसके बाद नमक वाले पानी में कुछ देर के लिए रख दें. इससे कड़वापन दूर हो जाएगा और आप मजे से इसे खा सकेंगे.
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कैसे इनका अभाव कहते हो ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! यह सत्र जगत् विराट् पुरुष का शरीर है। जब वह आदि-विराट् ही उपजा नहीं, तो और की उत्पत्ति कैसे कहिये ? राम ने पूछा. हे मुनीश्वर जगत् का सद्भाव तो तीनों कालों में पाया जाता है, पर तुम कहते हो कि उपजा ही नहीं । वशिष्ठजी बोले, हे राम! जैसे स्वप्न में जगत् के सव पदार्थ प्रत्यक्ष दिखते हैं, पर कुछ उपजे नहीं। जैसे मृगतृष्णा का जल आकाश में द्वितीय चन्द्रमा और संकल्पनगर भ्रम से दिखता है, वैसे ही अहं त्वं आदि जगत् भ्रम से दिखता है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अहं त्वं आदि जगत् दृढ़ भासित होता है, तब कैसे जानिये कि उपजा नहीं ? वशिष्ठजा बोले हे राम! जो पदार्थ कारण से उपजता है. निश्चय सत्य जाना जाता है। जब महाप्रलय होता है तब कारणकार्य कुछ नहीं रहता, सब शान्तरूप होता है, और फिर उस महाप्रलय से जगत् प्रकट होता है। इसी से जाना जाता है कि सव आभासगात्र है। राम ने पूछा, हे मुनीश्वर ! जब महायलय होता है, तब अज और अविनाशी गत्ता शेष रहती है। इसमे जाना जाता है कि वही जगत का कारण है। वशिष्ठजी बोले. हे राम! जैसा कारण होता है. वैसा ही उसका कार्य होता है. उससे उल्टा नहीं होता । जो आत्मसत्ता अद्वैत और आकाशरूप हैं तो जगत् भी वही रूप है। जैसे घट से पट नहीं उपजता. वैसे ही और कुछ नहीं उपजता । राम ने पूछा है भगवन् ! जब महाप्रलय होता है, तब जगत् सूक्ष्मरूप होकर स्थित होता है, और उसी से फिर प्रवृत्ति होती है। वशिष्ठजी बोले, हे निष्पाप राम महाप्रलय में जो तुमने सृष्टि का अनुभव किया, वह कैसी होती है ? राम बोले, हे भगवन् ! इतिरूप सत्ता ही वहाँ स्थित होती है और तुम जैमों ने अनुभव भी किया है कि वह चिदाकाशरूप है । सत्य और असत्य शब्द से नहीं कहा जाता । वशिष्ठजी बोले, हे महावाहु ! जो ऐसे हुआ तो भी जगत् तो ज्ञप्तिरूप हुआ इसलिए वह जन्म-गरण से रहित शुद्ध ज्ञानरूप है । राम ने पूछा, हे भगवन् ! तुम कहते हो कि जगत् उत्पन्न नहीं हुआ, भ्रममात्र है, तो वह भ्रम कहाँ से आया ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! यह जगत् चित् के फुरने से भासित होता है। जैसे-जैसे चित्त फुरता है, वैसे ही वैसे यह भी भासित होता है। इसका और कोई कारण नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो यह चित्त के फुरने से दिखता है, तो यह परस्पर विरुद्ध कैसे दिखता है कि अग्नि को जल नष्ट करता है और जल को अग्नि नष्ट करती हैं ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! जो द्रष्टा पुरुष है, वह दृश्यभाव को नहीं प्राप्त होता । और ऐसी कुछ वस्तु नहीं, मानरूप आत्मा ही चैतन्यघन सर्वरूप होकर भासित होता है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! चिन्मात्रतत्त्व आदि-अन्त से रहित है। और जब वह जगत् को चिताता है, तब होता है, पर तो भी तो वह कुछ हुआ। जगत्रूप चैत्य को असंभव कैसे कहिये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! इसका कारण कोई नहीं, इससे चैत्य असंभव है। चेतन्य सदा मुक्त और अवाच्यपद है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो इस प्रकार है तो जगत् और तत्त्व कैसे प्रकट होते हैं, और अहं त्वं आदिक द्वैत कहाँ से आये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से यह जगत् कुछ आदि से उपजा नहीं, सब शान्तरूप है। और नाना जो भासित होता है, सो भ्रममात्र है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! सर्वदा प्रकाशरूप निर्मलतत्त्व निरुल्लेख और अचलरूप है। आपमें भ्रान्ति कैसे है और किसको है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! निश्चय करके जानो कि कारण के अभाव से भ्रान्ति कुछ वस्तु नहीं । अहं त्वं आदिक सब एक अनामय सत्ता स्थित है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! मुझे भ्रम हो रहा है, इससे इस विषय में और अधिक प्रश्न करना नहीं जानता और अत्यन्त प्रबुद्ध भी नहीं, तो अब क्या पूछू ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! यह प्रश्न करो कि कारण बिना जगत् कैसे उत्पन्न हुआ ? जब विचार करके कारण का अभाव जानोगे, तब परम स्वभाव अशब्द पद में विश्रान्ति पाओगे । राम ने पूछा, हे भगवन् ! मैं यह जानता हूँ कि कारण के अभाव से जगत् कुछ उपजा नहीं, परन्तु चैत्य का फुरना भ्रम कैसे हुआ ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से सर्वत्र शान्तिरूप है । भ्रम भी कुछ दूसरी वस्तु नहीं। जबतक आत्मपद में अभ्यास नहीं होता, तब तक भ्रम भासित होता है और शान्ति नहीं होती। पर जब अभ्यास करके केवल तत्त्व में विश्रान्ति पाओगे तब भ्रग मिट जायगा । राम ने पूछा, हे भगवन् ! अभ्यास और अनभ्यास कैसे होता है, और एक अद्वैत में अभ्यास अनभ्यास की भ्रान्ति कैसे होती है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! अनन्ततत्त्व में शान्ति भी कुछ वस्तु नहीं और जो आभास शान्ति दिखती है, वह महाचिघन अविनाशरूप है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! उपदेश और उपदेश के अधिकारी, ये जो भिन्न-भिन्न शब्द हैं. वे सर्वात्मा में कैसे आमित होते हैं। वशिष्ठजी बोले, हे राम उपदेश और उपदेश के योग्य, ये शब्द भी ब्रह्म में कल्पित हैं। शुद्ध बोध में बन्धन और मोक्ष दोनों का अभाव है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो आदि में कुछ उत्पन्न नहीं हुआ तो देश, काल, किया और द्रव्य के भेद कैसे दिखते हैं ? वशिष्ठजी बोले हे राम! देश काल. क्रिया और द्रव्य के जो भेद हैं. सो संवेदन दृश्य में है और अज्ञानमात्र भासित होते हैंअज्ञानमात्र से कुछ मिन्न नहीं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! बोध को दृश्य की प्राप्ति कैसे हुई ? जहाँ द्वेत और एकता का अभाव है, वहाँ दृश्य भ्रम कैसे है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! बोध को दृश्य की प्राप्ति और द्वैत एक का भ्रम मूखों का विषय है; हम जैसा का विषय नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अनन्ततत्त्व तो केवल बोधरूप है. तव अहं त्वं हमारे मन में कैसे होता है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! शुद्ध बोधसत्ता में जो बोध का जानना है, वह अहं त्वं द्वारा कहाता है। जैसे पवन में स्फुरण है वैसे ही उसमें चेतना जगती है। राम ने पूछा हे भगवन् ! जैसे निर्मल अचल समुद्र में तरङ्ग और बुलबुले उठते हैं, सो वे कुछ जल से भिन्न नहीं होते. वैसे ही बोध में बोधसत्ता से भिन्न कुछ नहीं । वह अपने आपमें स्थित हैं। वशिष्ठजी बोले हे राम! जो यह बात है तो किसका किसको दुःख हो ? एक अनन्ततत्त्व अपने आपमें स्थित और पूर्ण हैं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो वह एक और निर्मल हैं तो अहं त्वं
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दमदार एक्शन से भरपूर फिल्म है "नाम शबाना" एक्शन में खासकर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग है। आज सिनेमा घरों में तापसी पन्नू, मनोज वाजोयी, ओमपुरी सरीखे सितारों से सजी फिल्म 'नाम शबाना' दर्शकों के बीच है। नाम शबाना का रियल एक्शन दर्शकों को देखने को मिलेगा। एक्शन में खास कर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग हो गई है। फिल्म में एक ही कमी है कहानी। अगर नीरज पांडेय ने थोड़ा और ध्यान दिया होता तो एक बेहतरीन फिल्म मिलती। निर्देशक शिवम नायर ने मिली हुई स्क्रिप्ट के साथ न्याय किया है। उन्होंने एक्शन, माहौल और प्रस्तुति में कोई कोताही नहीं की है। पुरानी मूवी पिंक से लोगों के दिलों पर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ चुकी तापसी पन्नू इस भूमिका में प्रभावित करेंगी। मुख्य कलाकारः तापसी पन्नू, मनोज वाजपेयी, ओमपुरी, पृथ्वीराज सुकुमारन, अनुपम खेर । यह जानना रोचक होगा कि क्या नीरज पांडेय ने तापसी पन्नू को शबाना की पृष्ठभूमि के बारे में यही सब बताया था जो 'नाम शबाना' में है। 'नाम शबाना' के केंद्र में शबाना है। तापसी पन्नू को टाइटल रोल मिला है। युवा अभिनेत्री तापसी पन्नू के लिए यह बेहतरीन मौका है। उन्होंने लेखक नीरज पांडेय और निर्देशक शिवम नायर की सोच के मुताबिक शबाना को विदाउट मुस्कान सख्त जान किरदार के रूप में पेश किया है। वह 'नो नॉनसेंस' मिजाज की लड़की है। जिंदगी के कटु अनुभवों ने उसकी मुस्कान छीन ली है। सहज इमोशन में भी वह असहज हो जाती हैं। यहां तक कि अपने प्रेमी तक को नहीं बता पाती कि वह उससे उतना ही प्यार करती हैं। मूवी में यह सभी घटनाक्रम बड़ी तेजी से घटता है। वह अपने एटीट्यूड की वजह से सुरक्षा एजेंसी की नजर में आ जाती हैं। वे उसकी मदद करते हैं और बदले में उसका गुस्सा और जोश ले लेते हैं। सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली बहस का विषय हो सकती है। सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी स्पष्ट शब्दों में बता देते हैं कि मुस्लिम परिवेश की होने की वजह से शबाना उनके लिए अधिक काम की है। जाहिर है कि मजहब, नाराजगी और प्रतिरोध का फायदा दोनों पक्ष उठाते हैं आतंकवादी और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां। नीरज पांडेय के लेखन में राष्ट्रवादी सोच की झलक रहती है। उनके किरदार देशहित में लगे रहते हैं। वे पुरानी फिल्मों के किरदारों की तरह देशभक्ति होड़ में नहीं चलते। इसी फिल्म में शबाना किडो में इंटरनेशनल अवार्ड लाना चाहती है। तापसी पन्नू फिल्म दर फिल्म निखरती जा रही हैं। उन्हें दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं और वह किरदारों के अनुरूप खुद को ढाल रही है। किरदारों की बारीकियों को वह पर्दे पर ले आती हैं। उनके एक्सप्रेशन संतुलित और किरदार के मिजाज में होते हैं। 'नाम शबाना' में उन्होंने किरदार की स्फूर्ति और हिम्मत बनाए रखी है। मनोज वाजपेयी कर्मठ व निर्मम अधिकारी के रूप में जंचे हैं। वे सचमुच बहुरुपिया है जैसा किरदार समेत वैसी भाव-भंगिमाएं। उनके पोर-पोर से संजीदगी टपकती है। अक्षय कुमार ने फिल्म की जरूरत के मुताबिक छोटी भूमिका निभाई है जिसे कैमियो कहा जाता है। लंबे समय के बाद वीरेन्द्र सक्सेना दिखे और सही लगे।
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यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने भी बड़ी तैयारी कर ली है। यदि रूस की ओर से यूक्रेन पर अटैक किया जाता है तो बाइडेन प्रशासन की ओर से टेक प्रोडक्ट्स की सप्लाई पर रोक लगाई जा सकती है। कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर्स, सेमीकंडक्टर्स और एयरक्राफ्ट के पार्ट्स की सप्लाई इससे प्रभावित हो सकती है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अमेरिका की ओर से उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स की सप्लाई रोक लगाई जा सकती है, जिनके एक्सपोर्ट के लिए कंपनियों को अमेरिकी सरकार से मंजूरी लेनी होती है। इन लाइसेंसों की मंजूरी बाइडेन प्रशासन खारिज कर सकता है। अमेरिका की रणनीति यह है कि लेजर, टेलिकॉम इक्विपमेंट्स से लेकर मैरीटाइम आइटम्स तक की सप्लाई पर रोक लगा दी जाए। मंगलवार को बाइडेन प्रशासन ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें यह शामिल नहीं है। अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'यदि पुतिन यूक्रेन से जंग में आगे बढ़ते हैं तो फिर हम भी आगे बढ़ेंगे। हमारी तरफ से आर्थिक प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही एक्सपोर्ट पर भी कंट्रोल हो सकता है। अभी हम इस पर ऐलान करने वाले हैं। ' अधिकारी ने कहा कि हम यह जानने की कोशिशकर रहे हैं कि कौन सी तकनीकी चीजों की जरूरत रूस को ज्यादा है। उन पर हम रोक लगाएंगे ताकि वह ज्यादा प्रभावित है। यही नहीं अमेरिका की रणनीति दूसरे देशों को भी इन प्रतिबंधों में साथ लाने की है। अमेरिकी अफसर ने कहा, 'बड़ी संख्या में हमने देशों की लिस्ट तैयार की है, जो एक्सपोर्ट कंट्रोल के नियमों को लागू करेंगे। ' दरअसल अमेरिका की रणनीति यह है कि युद्ध की स्थिति में रूस की औद्योगिक उत्पादकता को प्रतिबंधों के जरिए कमजोर किया जा सके। खासतौर पर तकनीकी मामलों में रूस पर इन प्रतिबंधों को लगाने की तैयारी की जा रही है। इस बीच जापान ने भी रूस पर कई पाबंदियां लगाने का ऐलान कर दिया है। जापान में रूसी बॉन्डों को जारी करने पर लगा दी गई है। इसके अलावा कई रूसी नागरिकों की संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है। यही नहीं जापान आने-जाने पर भी रोक लगाई गई है। जापान ने कहा कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला किया है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। हम इन कदमों कती कड़ी निंदा करते हैं और रूस से अपील करते हैं कि वह कूटनीतिक तरीकों से मसलों का हल करने पर विचार करे।
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कश्मीर का मुद्दा एक बार सुर्ख़ियों में है इसकी वजह है कि UNSC यानि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसको चीन के तरफ उठाना है. आपको बता दें कि कश्मीर का मुद्दा उठाने के फैसले का चीन ने बचाव किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका मकसद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करना है। इसके पीछे उसका नेक इरादा है। उसने दावा किया कि परिषद में ज्यादातर सदस्यों ने घाटी की स्थिति पर चिंता जताई है। आपको बता दें कि एक दिन पहले भारत ने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ से सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाने का चीन का प्रयास विफल हो गया है। परिषद ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दे पर चर्चा के लिए यह सही मंच नहीं है। इसके बाद से चीन की लगातार आलोचना शुरू हो गयी थी. वहीँ अब चीन ने इस मसले पर अपनी बात कही है. गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन की स्थिति एकरूप और स्पष्ट है। यह मुद्दा इतिहास से जुड़ा एक विवाद है। इसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, यूएनएससी के प्रस्तावों और द्विपक्षीय संधियों के आधार पर, शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए। वहीं गेंग ने कहा कि अगर आपको हमारी बात पर भरोसा नहीं है तो आप दूसरी साइट्स देख सकते हैं। भारत के बयान के बारे में उन्होंने कहा कि हम भारत के रुख और राय को समझते हैं, लेकिन मैंने जो कहा वह चीन की राय और रुख है। * चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, हमारी स्थिति एकरूप और स्पष्ट। * दावा किया, यूएन के सदस्यों ने कश्मीर की हालत पर चिंता जताई।
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मुंबई में बने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को राज्य सरकार ने नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने इसकी जानकारी मुंबई हाई कोर्ट की दी। राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी पार्क करने पर अब कार्रवाई की जाएगी। इसके आदेश भी परिवहन पुलिस को दे दिए गये हैं। इस बारे में प्रणव पोलिकर नामक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में आशंका जताई गई थी कि फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी खड़ी करना सुरक्षा में भारी चूक हो सकती है। याचिका में आगे यह भी दर्ज था कि इसका अनुचित फायदा आतंकवादी संगठन उठा सकते हैं। इस बारे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुरक्षा संबधी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था। जिसे लेकर अब राज्य सरकार ने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है। मुंबई जैसे शहर में जहां लाखो करोडो गाड़ियां चलती हैं पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के इस निर्णय से मुंबईकरों पर क्या प्रभाव पड़ता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट। मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें। (नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दे)
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश के विकास का नया मॉडल विकसित करना चाहिए। हाइड्रो पावर क्रेज मॉडल, जो कि औद्योगिक प्रदूषण फैलाता है, के लिए बिना दिमाग की तलाश की जो हालिया परिपाटी है, उसे फेंक देने की जरूरत है। हिमाचल के मौसम, वातावरण व संस्कृति के संरक्षण के लिए जो विश्वव्यापी चिंता उभरी है, उसे संबोधित करने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है। हिमाचली पर्वतों व बर्फ से संपन्न कुदरती नजारों को कायम रखना आज बेहद आवश्यक हो चुका है। प्रकृति ने हमें धूल रहित वातावरण दिया है, जिसे जॉब पैदा करने के नाम पर क्षति नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। पैसा कमाने के लिए सीमेंट प्लांट लगाने के नाम पर पर्यावरणीय प्रदूषण के आगे किसी सूरत में समर्पण भी नहीं होना चाहिए। सरकार ने विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करने को मापदंड बनाने के उद्देश्य से एक सराहनीय पहल की है। उसने संबंधित विधायकों से सलाह-मशविरा भी किया है, परंतु यह केवल लोकतंत्र का सलाहकारी पहलू है। विकास के लिए चेतनायुक्त नियोजन की जरूरत होती है, जो कि राज्य की शक्ति व कमजोरी पर आधारित होती है। विकास की योजना के लिए विशेषज्ञ अध्ययन व चेतनायुक्त होकर रणनीति का निर्माण भी जरूरी है। इसके लिए एक विशेषज्ञ कमेटी की भी जरूरत है, जो विकास चार्टर का प्रारूप प्रस्तावित करे। मैं ऐसे निकाय के समक्ष विचार के लिए छह स्तंभों वाला विकास दृष्टिकोण रखना चाहूंगा। हमें अपने विचारों में बदलाव लाते हुए परंपरागत नजरिए को बदलना होगा। हमें परंपरागत फसलों को उगाना बंद कर देना चाहिए तथा उच्च दामों वाली फसलों की बिजाई करनी चाहिए। तीन कारणों के चलते हम गेहूं, मक्की इत्यादि परंपरागत फसलों को उगाने के कारण कृषि क्षेत्र में अवनति की ओर जा रहे हैं। प्रथम, हमारे पास पर्याप्त सिंचाई सुविधा नहीं है तथा जलवायु परिवर्तन के इस दौर में वर्षा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसके कारण हमारी फसलें अकसर सूख जाती हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण खेती योग्य जमीन की उपलब्धता भी कम है। दूसरे, प्रदेश में बंदरों का आतंक निरंतर जारी है, जो कि सभी फसलों व फलों को नष्ट कर रहे हैं। सरकार इस समस्या से निपटने को अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। अन्य जंगली जानवर भी फसलों को नष्ट करते हैं। तीसरे, लैंटाना घास व अन्य खरपतवार, जो फसलों के लिए हानिकारक हैं, को नियंत्रित नहीं किया जा सका है। इसलिए राज्य को ऐसी फसलों को बढ़ावा देना चाहिए, जो इन तीन कारकों के प्रभाव से मुक्त हों। बेशक ऊंचे इलाकों में पैदा होने वाला सेब सुरक्षित है, लेकिन उसे भी सुरक्षा की जरूरत है। जहां पर सेब पट्टी नहीं है, उन क्षेत्रों में भी नकदी फसलों की जरूरत है। किसानों को ऐेसी फसलों का उत्पादन करना चाहिए जो उन्हें उच्च दाम दिलाती हों तथा जो यहां वर्णित की गई सिरदर्दी का भी इलाज करती हों। मिसाल के तौर पर हल्दी, अदरक, अखरोट, आंवला व इसी तरह की अन्य फसलें उगाई जा सकती हैं। ये फसलें आपदाओं से प्रभावित भी नहीं होतीं, साथ ही इनके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। कृषि व बागबानी विभाग ऐसी तालिका बना सकते हैं तथा किसानों को मार्गदर्शन दे सकते हैं कि कैसे इन फसलों को उगाया जाए। साथ ही फसलों की विपणन व्यवस्था भी उन्हें सिखाई जा सकती है। कृषि क्षेत्र के बदले परिप्रेक्ष्य में जैविक खेती भविष्य की फसल रणनीति होनी चाहिए। विकास के नए दृष्टिकोण का दूसरा स्तंभ यह है कि हाई एंड टूरिज्म के पक्ष में ट्रक टूरिज्म व धार्मिक पर्यटन पर फोकस करना छोड़ देना चाहिए। प्रदेश की ओर पर्यटकों को लुभाने के लिए पैकेज व्यवस्था शुरू की जानी चाहिए, ताकि इस प्रदेश को विश्व मानचित्र पर उभारा जा सके। पर्यटन से जुड़ी योजनाएं बनाते समय सृजनात्मकता व कल्पनात्मकता को तरजीह दी जानी चाहिए। इससे प्रदेश को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। मैंने कई ऐसे देशों का अध्ययन किया, जिन्होंने पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास किया है। पर्यटन पैकेज के तहत हमने थाईलैंड की कावाई नदी पर बने पुल का भ्रमण किया। यह जगह द्वितीय विश्वयुद्ध पर बनी पुरानी हालीवुड फिल्म का एक आकर्षक स्थल है, जहां इसे फिल्मांकित किया गया था। हम फाइव स्टार होटल में ठहरे तथा इस स्थल तक हम नौका में गए। रास्ते में हमने देखा कि मिश्री बनाने के लिए लोग सीधे पेड़ों से चीनी निकाल रहे थे। इसी तरह मैं फ्रांस के दक्षिण में स्थित एक प्रसिद्ध स्थल पर भी गया। वहां मैं यह देख कर हैरान रह गया कि गांवों पर बने पर्यटन पैकेज बेचे जा रहे थे। हमें फाइव स्टार होटल से पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक गांव में ले जाया गया। यह एक शांत गांव के अलावा कुछ भी नहीं था। इसी ओर जाते समय हमें एक परफ्यूम फैक्टरी भी दिखाई गई। हिमाचल में इतना कुछ है, लेकिन हम इसकी मार्केटिंग नहीं करते तथा इसे टूअर पैकेज के रूप में बेचते भी नहीं हैं। फाइव स्टार होटल्स से जुड़ा पर्यटन हमारे पास नहीं है। हमारे पास सड़कें भी नहीं हैं तथा कई आकर्षक स्थलों तक अभी तक पहुंच नहीं बन पाई है। मैंने मसरूर मंदिर की खोज की तथा इसके इतिहास पर लिखा। मैंने इसके लिए अनुसंधान किया। पुस्तक का नाम है-कारनेशन ऑफ शिवा ः रिडिस्कवरिंग मसरूर टैंपल। यह स्थल विश्व धरोहर स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता था, लेकिन अब तक इसकी उपेक्षा ही हुई है। जब मैंने इस विषय पर किताब लिखी, तो कई पाठकों का ध्यान इस ओर गया तथा सरकार ने मुझे पे्रजेंटेशन बनाने को कहा। धर्मशाला में मैंने मंदिर का स्वरूप भेंट किया। इसकी खासियत यह है कि इसमें भगवान शिव का राज्याभिषेक दिखाया गया है, जबकि अन्य देवताओं के विपरीत अब तक उन्हें इस रूप में दिखाया नहीं गया था। यह एक अद्वितीय मंदिर है, पर इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के विकास में रुचि दिखाई थी, लेकिन उनके सत्ता से हटने के बाद इसकी ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के प्रोजेक्ट को विकसित करना तथा इसे प्रचारित करना शुरू किया था। इस मंदिर के आसपास पौंग बांध के पक्षियों का डेरा इस स्थल को आकर्षक व एक बड़ा पर्यटक स्थल बनाता है, लेकिन इसे विकसित करने की जरूरत है। दुखद पहलू यह है कि हमारे पास यहां नजदीक में कोई कैफेटेरिया व शौचालय तक नहीं है। प्रदेश में कई ऐसे स्थल हैं, जिन्हें पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया अन्यथा कई रोजगार पैदा हो सकते थे और राजस्व भी कमाया जा सकता था। सरकार को बहुत सारे पैसे खर्च करने की जरूरत भी नहीं है, बस उसे कुछ सृजनात्मक सोच का परिचय देना होगा। हिमाचल में इतना कुछ होते हुए भी हम पर्यटन का विकास नहीं कर पाए, जबकि हरियाणा ने न कुछ होते हुए भी रोड साइड पर्यटन को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। आज जब एक ओर विश्व में प्रदूषण बढ़ रहा है, तो प्रदूषण रहित हिमाचल में वातावरण पर आधारित पैकेज बना कर उन्हें आसानी से बेचा जा सकता है। इससे हमारा पर्यटन समृद्ध होगा।
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WWE Smackdown Highlights-Big E Injury: फ्राइडे नाइट स्मैकडाउन (Friday Night Smackdown) के आज रात के एपिसोड में रिज हॉलैंड और शेमस (Ridge Holland and Sheamus) ने कोफी किंग्सटन और बिग ई ( Kofi Kingston and Big E) का सामना किया था। लेकिन इस मैच के दौरान बिग ई आज रात बुरी तरह से घायल हो गए और उनकी गर्दन में चोट लग गई। जिसके बाद उन्हें तुरंत ही मेडिकल स्टाफ रिंग साइड पर आ गया और बिग ई को स्ट्रेचर पर बाहर ले गया। बिग ई को यह चोट उस समय लगी जब इस मैच के दौरान रिज हॉलैंड ने बिग को रिंग के बाहर एक बेली-टू-बेली सुपलेक्स लगाया था। लेकिन इस सुपलेक्स बाद बिग ई अपने सिर के बल जमीन पर आकर गिरे। जिसके बाद मेडिक्स तुरंत आ गए और उन्होंने बिग ई की तरफ अपना रुख किया जबकि रिंग के अंदर शेमस ने किंग्सटन को पिन करके इस मैच को समाप्त कर दिया। बिग ई की इस चोट का एक वीडियो एक डब्ल्यूडब्ल्यूई की फैंस के द्वारा भी शेयर किया गया है। जहां मेडिकल स्टाफ के द्वारा बिग ई को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। वहीं इसके अलावा बिग ई ने भी अपने फैंस के लिए एक सेल्फी वीडियो जारी करते हुए संदेश दिया है। जिसमें उन्होंने घोषणा की है कि हॉलैंड के साथ स्पॉट के दौरान उनकी गर्दन में यह चोट आई है। डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की इस चोट की गंभीरता के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन जैसे ही डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की चोट के बारे में कोई अन्य जानकारी दी जाती है तो हम आपको यहां अपडेट कर देंगे।
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Vikram Vedha actress Yogita Bihani: योगिता बिहानी ऋतिक रोशन और सैफ अली खान अभिनीत अपनी आगामी फिल्म विक्रम वेधा के प्रमोशन में जुटी हुई हैं। इस मौके के लिए स्टार ने सी-थ्रू मेश ड्रेस में दिखाई दीं। Yogita Bihani Latest Look: ऋतिक रोशन और सैफ अली खान की आगामी फिल्म विक्रम वेधा की स्टार कास्ट फिल्म प्रमोशन में जुट गई है। इस मौके पर योगिता का जबरदस्त लुक सामने आया। बोल्ड स्टाइल स्टेटमेंट के साथ एक्ट्रेस एक सी-थ्रू मेश ड्रेस और हॉट पिंक ब्लेजर में दिखाई दीं। एक्ट्रसे की ये तस्वीरें काफी ज्यादा वायरल हो रही हैं। सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट गरिमा गर्ग ने योगिता को हेड-टर्निंग मेश ड्रेस और ब्लेजर में स्टाइल किया। योगिता बिहानी अपने इंस्टाग्राम पर अक्सर ही फैशनेबल फोटोज शेयर करती रहती हैं। हाल ही में फिल्म प्रमोशन के लिए उन्होंने एक ऑफ-व्हाइट ड्रेस को सी-थ्रू मेश फैब्रिक में चुना है। इस आउटफिट में एक्ट्रेस अपनी छत पर खड़ी हुई दिख रही हैं, वहीं उनका बोल्ड मेकअप लुक बहुत ही बढ़िया लग रहा था। एक्ट्रेस की इस आउटफिट में बॉडी-हगिंग सिल्हूट, कट-आउट और प्लंजिंग यू-नेकलाइन है। लुक के लेवल को अप करने के लिए और असे क्लासी बनाने के लिए हसीना ने हॉट पिंक ब्लेजर भी पहना है। जिसमें नॉच लैपल कॉलर, फ्रंट बटन क्लोजर, पुल-बैक फुल-लेंथ स्लीव्स, साइड में पैच पॉकेट, बॉडी फिटिंग और पैडेड कंधे थे। योगिता ने इस प्रमोशनल लुक को उन्होंने लेयर्ड बीडेड चेन्स और पेंडेंट के साथ नेकलेस, स्लीक ब्रेसलेट्स, मल्टी-कलर्ड स्टेटमेंट रिंग्स और स्ट्रैपी पिंक हाई हील्स के साथ एक्सेसराइज किया है। हसीना ने बोल्ड-मिनिमल लुक को कैरी किया है। योगिता ने कर्ल, स्मोकी आई शैडो, स्लीक ब्लैक आईलाइनर, लैशेस पर मस्कारा, ग्लॉसी पिंक लिप शेड, ब्लश्ड गाल, बीमिंग हाइलाइटर और ग्लैम पिक्स के साथ कॉन्टूरिंग की है। वहीं बालों को सेंटर-पार्टेड करके ओपन हेयरडू चुना। यह भी पढ़ेंः कियारा आडवाणी ने डीप नेक आउटफिट में इंटरनेट पर लगाई आग, लुक देख आप भी कह देंगे 'सो हॉट'
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नई दिल्लीः पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चीफ लालू प्रसाद ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमला बोला है। लालू यादव ने आरक्षण समाप्त करने की बात करने वालों को नसीहत देते हुए कहा है कि आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? राजद प्रमुख के इस विचार की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर चेतन भगत ने प्रशंसा की है। चर्चित चारा घोटाले के कई मामलों में सजा काट रहे बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल से सोमवार को लिखा गया कि, 'आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले लोग जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? इसलिए कि जातियां उन्हें श्रेष्ठ बनाती हैं, ऊंची जगह देकर अकारण उन्हें स्वयं पर अहंकार करने का मौका देती है। हम कहते हैं कि पहले बीमारी समाप्त करो, लेकिन वो कहते हैं कि नहीं, पहले उपचार खत्म करो। ' लालू के इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लेखक चेतन भगत ने लिखा कि, 'जाति हटाओ। सरल और महान विचार। ' सजा काट रहे लालू इन दिनों बीमारी की वजह से रांची के एक अस्पताल में भर्ती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए विवश नहीं हैं। Delhi Results Live: जानिए क्या है प्रमुख सीट का हाल, कहीं चली 'झाड़ू' तो कहीं खिला 'कमल'
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बीडी पाण्डेय जिला अस्पताल में नर्सिंग डे पर सामाजिक दूरी के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ कर्मियों ने कोरोना को हराने के लिए पूरे तन-मन से मरीजों की सेवा व प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। इस दौरान कोरोना काल में बेहतर कार्य करने पर नर्सों को सम्मानित किया गया। पिथौरागढ़ के बीडी पाण्डेय जिला अस्पताल में नर्सिंग डे पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें नर्सों ने फ्लोरेंस नाइटिंगेल की तस्वीर पर पुष्प अर्पित करते हुए पीड़ित मानवता के कल्याण के लिए उनकी सेवाओं को याद किया। नर्सिंग आफीसर दीपा रावत ने कहा कि साधन-संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने लोगों की सेवा के लिए नर्सिंग जैसा नोबेल प्रोफेशन चुना। इस समय पूरा विश्व कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के बताए मार्ग पर चलते हुए नर्सें कोरोना के खतरे के बीच सेवाएं दे रही हैं। पिथौरागढ़ के कोरोना मुक्त होने तक उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी। इस दौरान पीएमएस डॉ. केसी भट्ट ने कोरोना काल में बेहतर कार्य करने पर नर्सों को सम्मानित किया। डॉ. एलएस बोरा व वरिष्ठ फार्मासिस्ट पीके जोशी ने उन्हें स्वास्थ विभाग की रीढ़ कहा। कहा कि आज से सिस्टर इंचार्ज को सीनियर नर्सिंग आफिसर व स्टाफ नर्स को नर्सिंग आफिसर के पदनाम से संबोधित किया जाएगा।
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गुरुवार को कानपुर देहात के मडौली गांव जा रहे राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोक लिया। आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीश राय और राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे समेत दर्जनों कार्यकर्ता कानपुर देहात जा रहे थे। पुलिस ने सभी को जाजमऊ में रोक लिया। कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया तो पुलिस ने सभी को अरेस्ट कर थाने में बैठा लिया। जाजमऊ में रालोद के प्रांतीय उपाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने बताया कि कानपुर देहात में बीते सोमवार को हुई शर्मनाक घटना सरकार की बेलगाम अफसरशाही का नमूना है। प्रदेश अध्यक्ष को उन्नाव की ललऊखेड़ा पुलिस चौकी पर गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी की सूचना पर कानपुर के जाजमऊ पुल पर रालोद के प्रांतीय उपाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, नगर अध्यक्ष मो. उस्मान के साथ दर्जनों कार्यकर्ता ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बताया कि प्रशासन के आला अधिकारियों की गैर जिम्मेदराना हरकत से एक मां-बेटी जिंदा जल जाती हैं। वहीं कानपुर देहात की डीएम नृत्य में व्यस्त हैं, उन्होंने मौके पर जाने की भी जरूरत नहीं समझी। इस घटना में समय नहीं बीता और एक बार फिर सीतापुर में एक गरीब व्यक्ति की दुकान बुलडोजर से ऊखाड फेंकी गई। यह तानाशाही सरकार है जो गरीबों पर जरा भी कृपा नहीं करती है। डॉ. सोहेल चौधरी विजय शंकर लाल, राजकुमार सहित दर्जनों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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फीता के बने कपड़े बहुत मूडी हैं, एक छोटे सेयाद आती है - और एक शानदार दिवा के बजाय आप अशिष्ट और सस्ते देखेंगे। इसलिए, फंसने के क्रम में, किसी शैली, सहायक उपकरण और अन्य अतिरिक्त को अलग-अलग करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। शुरू करने के लिए, फीता के कपड़े हर किसी के लिए नहीं हैं,वे एक आदर्श आंकड़े पर बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन कुछ अपूर्णता वाले लड़कियों को निराशा नहीं करना चाहिए, वे सामने वाले या पीठ पर लेस आवेषण के साथ आउटलेट के साथ संपर्क करेंगे। यहां आप लंबाई के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं उच्च लड़कियों पर फर्श में बहुत सुंदर कपड़े लगते हैं, और निष्पक्ष सेक्स के लघु प्रतिनिधि छोटे कपड़े के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। और फिर भीः चूंकि फीता एक पारभासी सामग्री है, इसे सिर्फ पहनने में सक्षम नहीं होना चाहिए, आपको इसके ठीक तरीके से व्यवहार करने में सक्षम होना चाहिए। इसके अलावा यह याद किया जाना चाहिए कि फीता -आत्मनिर्भर सामग्री, और यहां मुख्य बात यह है कि सजावट के साथ बहुत दूर नहीं जाना चाहिए, बालियां और एक सुंदर अंगूठी के लिए पर्याप्त है लेस से एक पोशाक के लिए यह लैस सामान और जैकेट का चयन करना आवश्यक नहीं है, अन्यथा आप दादी की मंजिल दीपक की तरह दिखेंगे शाम तक रेशम या साटन के साथ कपड़े के स्वर में एक छोटा सा क्लच होगा। कपड़े की एक किस्म का संयोजन, देखो, फीता- यह एक भारी सामग्री है, इसलिए यह प्रकाश और हवादार कपड़ों के साथ अच्छी तरह से फिट नहीं है और फिर भी, कपड़े और कपड़े के तत्वों को एक और कपड़े से जोड़कर याद रखें, रंग सद्भाव प्राप्त करना मुश्किल होगा, इसलिए उनका रंग मैच होगा। स्वस्थ लड़कियां अंधेरे फीता के संगठनों के लिए अधिक उपयुक्त हैं, और मेले-रंग वाले कपड़े - पेस्टल रंगों में कपड़े, इसलिए वे अधिक रोमांटिक और निविदाएं देखेंगे। अक्सर फीता कपड़े का उपयोग किया जाता हैकवर किया। यह आवश्यक रूप से फीता संगठन की लंबाई के साथ मेल खाना चाहिए, अपवाद एक डिजाइन विचार हो सकता है। छोटे लेस से संगठनों को चुनना बेहतर होता है, इसलिए वे अधिक सटीक और परिष्कृत दिखेंगे। लाल फीता लाल कपड़े के साथ बहुत अच्छी लगती है। सोने के रंग की फीता सामंजस्यपूर्ण रूप से एक गहरे हरे या बरगंडी रंग के साथ मिलती है। नीला रंग थोड़ा मुश्किल हो सकता है - इसे सोने या काले कपड़े से संयोजित करने का प्रयास करें। पेस्टल रंगों की परतों के लिए, स्वर में कपड़े सूट होगा। और एक बार फिर फीता पर लौट रहा है, मैं चाहता हूँफीता से बने विशेष रूप से सुरुचिपूर्ण देखो शाम के कपड़े कहते हैं। इस तरह के एक पोशाक पहने हुए, आप शाम की रानी होगी। क्रोकेटेड शाम के कपड़े आपके व्यक्तित्व पर जोर देंगे।
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सुहाना खान, खुशी कपूर और अगस्त्य नंदा फिल्मों में डेब्यू करने जा रहे हैं। इस वक्त उनकी फिल्म 'द आर्चीज' की शूटिंग चल रही है। सुहाना खान, खुशी कपूर और अगस्त्य नंदा फिल्मों में डेब्यू करने जा रहे हैं। इस वक्त उनकी फिल्म 'द आर्चीज' की शूटिंग चल रही है। खासकर सुहाना को लेकर फैन्स के बीच काफी उत्साह है। इन स्टारकिड के अलावा काफी समय से इब्राहिम अली खान के डेब्यू के कयास लगाए जा रहे हैं। सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान पहले ही धमाल मचा रही हैं। अब इब्राहिम की पहली फिल्म को लेकर जानकारी सामने आई है। इब्राहिम एक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखने से पहले असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। अब वह एक्टिंग में जलवा बिखेरेंगे। इब्राहिम मलयालम फिल्म 'हृदयम' के हिंदी रीमेक में काम करेंगे। इस फिल्म में मोहनलाल के बेटे प्रणव मोहनलाल थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इब्राहिम का फिल्म में लीड रोल है। 'हृदयम' के हिंदी रीमेक को करण जौहर और स्टार स्टूडियोज बनाएगी। बॉलीवुड हंगामा को एक करीबी सूत्र ने बताया, 'इब्राहिम के लॉन्च के लिए यह बेस्ट प्रोजेक्ट है। पिछले कुछ समय से करण, इब्राहिम के लॉन्च के लिए एक फिल्म की कहानी तलाश रहे थे। वह इस किरदार के लिए बिल्कुल सही हैं।
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नई दिल्ली, Vastu Tips: वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति हमारे वेदों से हुई है, इसका उल्लेख हमारे वेद, पुराण, वास्तु ग्रंथों में किया गया है, यहां तक के रामायण और महाभारत में भी वास्तु के संदर्भ में विशेष वर्णन है। वास्तु का सरल अर्थ होता है, जहां तुम वास करते हो। घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर वास्तु का असर पड़ता है, ये जान लेना बहुत जरूरी है कि घर के वास्तु उपाय ये असर सकारात्मक है या नकारात्मक। इसके लिए वास्तु का पूर्ण ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है। वास्तु के अनुसार भूखंड विशेषण, घर का निर्माण, मुख्य द्वार, कमरे, पानी का स्थान, रसोई घर, भ्रमस्थान बनाना बहुत जरूरी है। आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ अकल्ट साइंस की वास्तु विशेषज्ञ रम्मन एस खन्ना जी के मुताबिक वास्तु का असर घर की खुशहाली, सुख समृद्धि, पारिवारिक सुख पर सीधा असर पड़ता है। वास्तु का वैवाहिक जीवन पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। अपने विवाहिक जीवन को सुखी समृद्धि रखने के लिए ये सरल वास्तु टिप्स का प्रयोग करें और जिंदगी भर की खुशियां पाएं। - नवविवाहित दम्पति को घर के उत्तर पश्चिम क्षेत्र के कमरे में रहना चाहिए, इससे जीवन और संबंध में खुशहाली आती है। - नवविवाहित दम्पति को पश्चिम की ओर स्थित कमरे में सोना चाहिए। दक्षिण पश्चिम क्षेत्र पृथ्वी तत्व होता है और वो रिश्ते को स्थिरता और संतुलन देता है। - शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए दम्पति के बेडरूम में एक ही बेड हो जिस पर डबल बेड मैट्रेस हो, दो सिंगल मैट्रेस नहीं होने चाहिए, इससे रिश्ते में दरार आ सकती है। - पति-पत्नी के आपस के संबंध मधुर हो इसमें दीवार के रंगों का भी बहुत महत्व होता है। जहां तक हो सके अपने कमरे के रंगो को हल्का रखें। ज्यादा गहरे रंग जैसे काला और लाल रिश्तों में परेशानियां ला सकते हैं। मधुर रंग जैसे गुलाबी या लाइट रंगो का प्रयोग करें। आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ अकल्ट साइंस की वास्तु विशेषज्ञ रम्मन एस खन्ना जी के अनुसार, जहां तक हो सके पति पत्नी को कभी साउथ ईस्ट डायरेक्शन के कमरे में नहीं सोना चाहिए, ये अग्नि का कोना होता है, इससे या तो उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है, जैसे ब्लड प्रेशर या एसिडिटी या तो रिश्ते में तकरार आ सकती है। अगर साउथ ईस्ट कमरे में सोने के अलावा और कोई आप्शन ना तो आप कमरे में एक छोटा लाल बल्ब जला ले साउथ ईस्ट डायरेक्शन में। अपने पूर्वजों की फोटो को हमेशा साउथ वेस्ट की ओर दीवार पर लगाएं। - बेडरूम को मोमबतियों, फूलों और सजावट से सुज्जित करें, शादीशुदा जोड़े की फोटो फ्रेम में लगा के कमरे के वेस्ट साइड पर रखें। - पति-पत्नी को हमेशा दक्षिण दिशा में सिर रख के सोना चाहिए। - बेडरूम से जितना हो सके इलेक्ट्रॉनिक आइटम दूर रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा कम होगी। - शुक्रवार को लक्ष्मी जी की वंदना करें, घर में पूजा पाठ करें। सुगंधित अगरबत्तियां पूरे घर में जलाएं। इससे घर में सकारात्मक उर्जा बढ़ेगी और शादीशुदा जिंदगी और भी मधुर बनेगी। देवी को सफेद मिठाई अर्पण करें और उसका प्रसाद पूरे परिवार को खिलाएं। मां के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि और धन में वृद्धि होगी। रम्मन एस खन्ना, वास्तु विशेषज्ञ (आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ अकल्ट साइंससे बातचीत पर आधारित)
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मथुरा (भाषा)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तीन दिन पहले हुई मुठभेड़ की पृष्ठभूमि में मथुरा में भी किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस व प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है। इसके अलावा होली के त्योहार पर लाखों की संख्या में यहां आने वाले पर्यटकों की मौजूदगी के मद्देनजर भी चौकसी बढ़ा दी गई है। अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया, "मध्यप्रदेश में ट्रेन विस्फोट की घटना के बाद कानपुर-लखनऊ में सैफुल्ला का खुरासान मॉडल सामने आने के बाद संवेदनशील नगरों में सावधान रहने तथा चौकसी में कोई चूक नहीं करने के निर्देश स्थानीय स्तर पर भी मिले हैं, उनका अक्षरशः पालन किया जा रहा है।" मथुरा के संबंध में किसी विशेष खुफिया जानकारी से इनकार करते हुए सिंह ने कहा, "अयोध्या और काशी साथ मथुरा पहले से ही प्रदेश के अति संवेदनशील धर्मस्थलों वाले नगरों की सूची में शामिल है, इसके अलावा मथुरा में हजारों-लाखों श्रद्घालुओं को एकसाथ एकबार में आकर्षित करने वाले कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जहां अशांति फैलाने वाले तत्व कभी भी सक्रिय हो सकते हैं। इसलिए यहां हर स्थिति में चाक-चौबंद रहना लाजिमी है और लगातार इसके प्रयास जारी हैं।" उन्होंने बताया, "प्रदेश की वर्तमान संवेदनशीलता, चुनाव परिणाम व होली के मौके को देखते हुए जनपद में पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है, सभी प्रांतीय व जनपदीय सीमाओं, राजमार्गों पर वाहनों की आकस्मिक जांच, रेलवे स्टेशन-बस स्टैण्ड व अन्य सार्वजनिक स्थलों, होटल-गेस्ट हाउस-धर्मशालाओं पर संदिग्ध व्यक्तियों की मौजूदगी की तलाश जैसे सुरक्षात्मक उपाय जारी हैं।" सिंह ने कहा, "मथुरा रिफाइनरी एवं नामचीन मंदिरों सहित सभी संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में कर्मी तैनात किए गए हैं।"
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Bhopal: रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं इस समय कट चुकी है। थ्रेसरिंग का कार्य जोरों पर चल रहा है। वही सीजन का सबसे ज्यादा उपज देने वाले तथा वर्ष भर जरूरी खाद्य पदोर्थों में एक गेहूं का भंडार किया जा रहा है। आम तौर पर लोग गर्मी के इस सीजन में गेहूं खरीद कर वर्ष भर के लिए रखते हैं। लेकिन कई बार गलत किस्म का गेहूं खरीदकर रखने से वह खराब हो जाता है। उसमें कीडे लग जाते हैं। लेकिन आज हम गेहूं की कुछ खास किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे वर्ष भर रखा जा सकता है। वर्ष भर के लिए अगर आप गेहूं रखना चाहते हैं ते आपको चाहिए कि आप खास किस्म का गेहूं खरीदे। इसके लिए बताया गया है कि चंदौसी नाम का गेहूं बहुत उपयोगी है। वहीं मालवा अंचल में पैदा होने वाला गेहूं भी भंडारण के काफी उपयोगी है। वहीं मध्य प्रदेश में पैदा हेने वाला गेहूं जिसमें लोकवन, सुजाता, मालवराज में जल्दी कीडे नहीं लगते। वहीं इस गेहूं की रोटी बहुत स्वादिस्ट और मुलायम होती है। वर्तमान समय में गेहूं का रेट बढ़ा हुआ है। कहा जाता है कि रूस यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों में मध्य प्रदेश के गेहूं की जबरजस्त डिमांड बनी हुई है। बतया जाता है कि रूस-यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। जबकि यही दोनों देश यूरोपीय देशां को सबसे ज्यादा गेहूं की सप्लाई किया करते थे। लेकिन युद्ध की वजह से या तो गेहूं की फसल बर्बाद हो गई या फिर सरकार व्यवस्था नहीं बना पा रही है।
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Kashmir Target Killings: जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा है कि कश्मीर में पाकिस्तान साजिश रच रहा है, लेकिन हमारे सुरक्षाबल उसकी साजिशों को विफल कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी लगातार आम नागरिकों को निशाना (Kashmir Target Killings ) बना रहे हैं. वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. इस बीच उन्होंने गुरुवार को कुलगाम जिले में राजस्थान के एक बैंक कर्मचारी की गोली मारकर हत्या कर दी. आतंकवादियों ने जिले के अरेह मोहनपोरा में इलाकाई देहाती बैंक में एक बैंक कर्मचारी (प्रबंधक) विजय कुमार पर गोलीबारी की. यह जानकारी कश्मीर जोन पुलिस ने दी है. घटना के बाद जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष रविंद्र रैना (Ravinder Raina) ने कहा है कि कश्मीर में पाकिस्तान साजिश रच रहा है, लेकिन हमारे सुरक्षाबल उसकी साजिशों को विफल कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि हमारे सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर की आवाम के साथ मिलकर पाकिस्तानियों की हर साजिश को विफल किया है. धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर अमन और भाई चारे की ओर बढ़ रहा है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विकास के बड़-बड़े प्रोजेक्ट मंजूर किए है. केंद्र की सभी योजनाएं लोगों की भलाई के लिए लागू हो रही हैं. ऐसे वक्त में एकबार फिर से पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठनों ने एक बड़ी साजिश रची है. बीजेपी नेता ने कहा, 'दुनिया के अंदर मानवाधिकारों का सबसे ज्यादा हनन पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों ने कश्मीरियों को लहू लुहान करके किया. इंसानियत का कत्ल पाकिस्तान और आतंकवादी कर रहे हैं. मानवता को भी शर्म आ गई. हमारी सेना, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स ने ऑपरेशन ऑल आउट चलाकर कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठनों के तमाम बड़े-बड़े सरगनाओं को मौत के घाट उतारा है. आज आतंकवादी संगठनों की कमर भारतीय सेना ने तोड़ दी, तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसकी सेना के भारतीय विरोधी मॉड्यूल को यहां ध्वस्त किए गए हैं. हताश होकर पाकिस्तान के आतंवादियों ने कार्य प्रणाली को बदला है, एक टारगेटेड किलिंग का एक नई साजिश पाकिस्तान द्वारा रची जा रही है.' कश्मीर जोन पुलिस ने बताया है कि विजय कुमार राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले थे. घटना के बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. घायल बैंक कर्मचारी विजय कुमार ने अस्पताल में दम तोड़ा.
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विशेष ध्यान रहना चाहिये कि दोनों को पानी में डूबे रहें। इसमे नूमोनिया होनेका डर नहीं रहता और जनेते मृत्यु भी नहीं होगी। आजकल सनारमें सभी जगह घाव पर जल पट्टीका प्रयोग किया जाता है। थाव पर वैडेज, प्लास्टर या मलहम आदिका प्रयोग कर अन उन स्थानको भारावत नहीं करते। आये दिन कटे स्थानके घावको सुखानेके लिये बहुधा शीतल जल पट्टीका प्रयोग किया जाता है। इससे कटा हुआ चट्टामे चड़ा घाव भो वड़ी जल्दी सूख जाता है। जल पट्टीरॆ इस्तेमालते कुचले या पीचे स्थान पर भी बहुत फायदा होता है। नरेन्द्र नाथ विश्वास नामक एक जसोहर जिलेका बालक किसी छापेखानेमें नौकरी करता था। एक दिन मशीन चलाते समय असावधानीने उसकी दो अगुलिया पिच गयौं । दोनो सगुलियाँके दोनो नातून उसी समय पट गये और उनसे खून गिरने लगा। प्रेसके किसी सज्जनने उसे पकड़ एक निथिलेटेड स्पीरिटसे भिगोकर एक कपड़ेसे दोनो उगलियोको बांध दिया और उसे सावधान कर दिया कि उस पर पानी न लगने पाये । किन्तु इससे उसका दर्द घटा नहीं बलि दर्द क्रमश बढ़ने लगा । तव बुझी हुई वत्तीकी तरह मुँह किये वह मेरे पास आया । मैंने फौरन कपड़ेको खोलकर पानीका एक कटोरेमें उसके हाथको दुवो दिया। उसके हाथमें जो असह्य पीड़ा हो रही थी वह पानीमें हुबाते डुवाते ही आघी हो गयी। इन प्रकार तीन घंटे तक वह हाथ पानी में इंवाये रहा । दर्द प्राय नहीं सा रह गया । तब एक भींगा कपड़ा उनपर लपेट दिया गया और उसे हिदायत कर दो गयी की वह उसे हमेशा पानी से तर रक्वे। दो दिनों तक उसने इस प्रकार उसे पानी से तर रखा। इस दो दिनमें ही उसका यह घाव बिल्कुल अच्छा हो गया और नाखूनों के जो गिर जाने की सभावना थी वह भी यथा स्थान ठीक चनी रहो । वोतल जलके प्रयोग से चोट या फटने या जलने सम्बन्धी सभी प्रकार
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