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अभागिनी अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है
अम्बरीश से आमेर या आम्बेर बन गया
मैं मन ही मन मना रहा था कि अब और हंगामा न हो
दर्द भी तेरे काम आएगा
कठिन समय में उसका साथ दिया उसे कभी टूटने नहीं दिया
मालूम होता है अब बारिश नहीं होगी
विलम्ब होने से शिकार हाथ से निकल जाता
किरण बेदी ने प्रशांत भूषण के बयान से खुद को अलग किया
फिर भी बन्दूक उठाके
पर आज मुझे ज्ञात हुआ कि
जानेवाले लौट पड़े
रुकिएरुकिए मैं चिल्लाता हुआ पेड़ की ओर दौड़ा
चोरु ने और ज़ोर से खींचा
रश्मि यादों के भंवर से बाहर आई
टू
उसने दुकानदार से पूछा
वह खुदा की तरफ से निकलती है
जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता
उसे एक नई वस्तु का पता चला
आख़िरकार
फिर भी उस उम्र में मोहनदास को
क्योंकि उस समय इसका विरोध करने वाला पूरे नगर में कोई भी नहीं होता
तभी पुलिस आ गई
टमाटर के जूस से ओस्टियोपोरोसिस ‘अलविदा’
काश मैं भी दादाजी की तरह पेड़ पर सुरक्षित होता
इस चपरासी से इतना डरा मानो कि वह मुझे देख लेता
ज़ीरो
पेड़ की पतियां नई और चमकदार हैँ
वरिष्ठ नागरिक द्वारा पेड़ों के कटान के विरूद्ध सत्याग्रह
दिल पर जो बीतती थी
आपको हमारे बारे में किसने बताया
आप अपना पहचान पत्र साथ लाएँ हैं क्या
लाखों रुपये की तहसील और
फिर सबकेसब एक साथ खड़े हो जाते हैं
कि मुंशी चंद्रिका प्रसाद जूतों को
इस घटना से बेहद अपमानित
कठिन समय में उसका साथ दिया उसे कभी टूटने नहीं दिया
अब गुब्बारे को दीवार पर रखें ओर देखें कि
उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है
राजनीति की ओर रजनीकांत के बढ़ते कदम त्रिची बैठक में उमड़ी प्रशंसकों की भीड़!
मुन्ने राजा क्या कहने तुम्हारी बातों के
संघर्ष के लिए महात्मा गांधी ने
लम्बी गर्मियों के बाद मिट्टी भी बारिश की बूँदों की राह देखती है
इसी से तो ऐसी छली कपटी दगाबाज
मोहन दाल को एक साँस में पीकर तथा
पंक्तियों में कुसुमभूषण से सजी
उन्होंने पंचायत करने की धमकी दी
जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों
झुकी हुई कमर पोपला मुँह
थे धन्य जवान वो आपने
आर्थिक व्यवस्था कभी ऐसी न थी कि वे इतना धनसंचय करते
तुम्हें अब खेतीबारी से क्या काम है
एट
कभीकभी मैं सोचता हूँ कि बादल क्यों गरजते हैं
वो एक चतुर राजनेता थे
पंचायत में किसकी जीत होगी
बाबुल प्यारे सजन सखा रे
जुम्मन चकित थे कि अलगू को क्या हो गया
चमककर वह कृपाण समुद्र का
न ही कोई उसे अपने मन का काम करने से रोक सकता था
वे सब यहीं पर मौजूद है
किंतु बच्चों एवं स्त्रियों के लिए निषेध है
हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं
यह देखो हिंडोला है
राजा भक्त अम्बरीश के नाम से जोड़ते हैं
सिद्धेश्वरी ने चौके की ओर भागते हुए उत्तर दिया
तो रिश्तों में लालच हम काहे सहे
जब मैंने उन्हें देखा तो ये सोचा कि
नहीं तो पहले मुझी को विष खिला दो
लोग अपने घरों से बाहर निकल आए
हर सपना जब वो टूटा
कानपुर शहर से मिला हुआ
महाराज यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए वह स्वयं नगर के बाहर गए
अब मच्छरों को मारेंगे मच्छर
उसने अपनी बारी का इंतेज़ार किया।
ये बहुत डरावना और घृणास्पद है कि
शिविका से सहायता देकर चंपा को उसने उतारा
हम अपने शोध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात कर रहे हैं
ओणम खुशी का त्यौहार है जो केरल वासी मनाते हैं
पर दूर तू है अपने घर से
खसखस घसीटते हुए आए और
साफ बनियान तारतार लटक रही थी
हम लोग कितने व्याकुल थे
दोनों तरफ गरज थी
वनकुसुमविभूषिता चंपा शिविकारूढ़ होकर जा रही थी
मीनू बड़ी हो गई पर परी बनने का ख्वाब उसके दिमाग से कभी नहीं गया
पंडित जी ने हिसाबकिताब का समझना भी छोड़ दिया
क्या यह सच है
पर हमसे ऋण चुकाने का कोई तकाजा न
वे सजीवता की मूर्ति हो रहे थे
जो भी हो कल फिर आएगा
पैरों पर गिरी रेप पीड़िता विधायक बोलेपुलिस को थर्ड डिग्री की जरूरत
लाचार बेचारे गाड़ी पर ही लेट गये
ग्रामीणों का वह दल इस विषय में
किसी तरह बदला लेने का अवसर मिले
परंतु भावों को छिपा कर बोलेअलगू ही सही
कन्याकुमारी में केवल एक तीर्थस्थान है बल्कि
बलात्कार का विरोध करने पर छात्रा को ज़िंदा जलाने की कोशिश
टुल्लु और बुल्लु को दया आ गई
वह बैठ कर चरखा चला रहे थे