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117
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उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे |
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दादाजी अचानक चिल्ला उठे दुश्मन फिर आ गए |
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कितनी न्यायपरायण हो जाती है |
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हर कोई यही कह रहा था औरत हो तो सविताजी जैसी |
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बस दूसरों को आँखों से देखते हैं |
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मयूरी धीरे से दूसरे कमरे में गई और रोशनी की |
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लोग उसका मजाक उड़ाते रहे कोई कौवा बुलाता कोई उसे कलूटी बुलाता कोई तवा बुलाता |
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मांझी द माउंटेन मैंन को बच्चा बच्चा याद रखेगा केतन मेहता |
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पर दूसरे कारिंदों से बातें सुनसुन कर उसे शंका होती थी |
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लेकिन एकजुट देश का गांधी |
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केवल अनुमान और तर्क का भरोसा है |
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मीठी और गर्मागर्म बनाना दादाजी चिल्लाए |
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जब हम राह भूल कर भटकने लगते हैं |
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न ही कोई उसे अपने मन का काम करने से रोक सकता था |
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अमूल की सफलता को देखते हुए |
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यह सुनकर महाराज कृष्णदेव राय समझ गए कि |
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एक ने सीढ़ी खड़ी की |
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विरोध में दाँडी तक की यात्रा का नेतृत्व किया |
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नेतृत्व के संकट का सामना कर रहा है पाक मुशर्रफ |
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आठ नौ पंद्रह पैसे हैं |
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उत्कृष्ट कारीगरी के लिये विश्वभर में जाने जाते हैं |
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तो उसको छूने वाली हवा बहुत गर्म हो उठती है |
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तो उस में दस लाख से ज़्यादा |
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तीन साल हुए खालाजान ने अपनी जायदाद मेरे नाम हिब्बा कर दी थी |
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अब गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ एक नये |
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मोहन सिद्धेश्वरी का मंझला लड़का था |
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सामने शैलमाला की चोटी पर हरियाली में |
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अपने आप पर भरोसा रखें |
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हाथों अतल जल में विसर्जन कर दे |
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विश्राम करना पसंद करते हैं |
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दबेकुचले समुदायों को भी प्रशिक्षण दे रहा है |
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मैंने भी बचपन से परियों की कल्पना की थी |
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खंडहर पार कर गया |
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मगर जुमराती शेख स्वयं आशीर्वाद के कायल न थे |
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अकस्मात उन्होंने भानुकुँवरि के एक चपरासी को आते हुए देखा |
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शीशे का प्याला था खिड़की पर |
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फाइव |
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स़िर्फ वे लोग जायेंगे जिन्हें महात्मा जी ने खुद चुना है |
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और यदि वास्तव में कोई न्यायशक्ति हो और |
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अचानक किसी ने उनका दरवाज़ा खटखटाया |
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कारण अनेक प्रकार के प्राकृतिक दृश्यों को |
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महानाविक बुधगुप्त की आज्ञा सिंधु की लहरें मानती हैं |
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क्या लगता है तुम्हें बादल क्यों गरजते हैं |
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ना कहने का सुन लो मुहूर्त यही |
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अतिथिगृह भी काफी बड़ा |
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स्वदेस है तेरा |
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दूसरे बंदी ने हर्षातिरेक से उसको गले से लगा लिया |
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एक कोने में आग सुलग रही थी |
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वह दिल के अरमान निकाल लेगा |
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कोलंबिया विश्वविद्यालय की डॉक्टर केली हार्डिंग ने |
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हामिद का दिल बैठ गया |
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भानुकुँवरि इन बातों में दखल देना उचित न समझती थी |
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कैसा लगा दीदी ठीक कहा न मैंने |
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कौनसी तरकारियॉँ हैं |
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अंतिम बस अड्डा भी है |
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यह वाईन चखकर देखो तुम्हें अच्छी लगती है कि नहीं। |
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फाइव |
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कॉफी शॉप पर रिलीज होगा फिल्म शानदार का नया गाना |
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मैं नहीं चाहता इस शो में कोई भी कमी हो |
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बच्चों के लिए नगर की सभी चीज़ें अनोखी थीं |
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पर यह नहीं देख सकता कि उसके प्रमोद को कुछ हो जाए |
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बहुत अच्छा गाँधी जी ने हाथ हिलाकर कहा |
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पूछाक्यों चौधरी तुम्हें कोई उज्र तो नहीं |
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अतएव उन्होंने कई कोडे़ बड़ी निर्दयता से फटकारे |
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हम और तुम पुराने दोस्त हैं |
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चट्टानों के मध्य सागर का उथला भाग है |
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तुम इतना लम्बा नहीं चल पाओगे |
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बुधगुप्त के दोनों हाथ पकड़ लिए |
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एक छोटी सी नगरी है आमेर |
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निशा बचपन से ही अपने माँ रश्मि के कष्टों को देखती चली आ रही थी |
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अब बच्चे उससे नहीं डरते |
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हामिद के पैरों में तो जैसे पर लग गए हैं |
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आधे घंटे बाद डॉक्टर की कार आई |
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गांव की चौपाल पर शाम की बैठक जमी थी |
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जिस बात को सारी दुनिया जानती है |
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काला आकाश गर्म हवा और हरी घास पर टहलता मैं |
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उधर अलगू चौधरी ने समझानेबुझाने का काम अपने तर्कपूर्ण सोंटे से लिया |
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यह कहता हुआ वह आगे बढ़ गया कि |
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उम्मीद का दामन थामे रखने के कारण ही |
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आकाश में बड़ेबड़े काले बादल घिर आए हैं और |
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दादाजी ने मेरी बुद्धिमानी की प्रशंसा की |
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वह अपने खेतों में काम कर घर लौट रहा था |
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मुझे बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी महक बहुत अच्छी लगती है |
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एट |
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इजराइली पीएम नेतन्याहू विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिले |
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आपने कभी भूल कर भी दी तो चर्चा नहीं की |
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वह जब भी आईने में खुद को देखती उसे पंख ही नजर आते |
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विश्व के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह ने संन्यास लिया |
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बुधगुप्त आज मैं अपने प्रतिशोध का कृपाण |
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और जब मेरे पिता बरसों पर लौटते तो कहते |
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सभी उसकी अच्छाई करते है। |
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यह है हवा |
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यह रियायत करें तो उनकी भलमनसी |
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नवयुवक युवावस्था में कितना उद्दंड रहता है |
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एकदो क्षण बाद उसने सिर को किवाड़ से |
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बुधगुप्त वह दिन कितना सुंदर होता |
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सिद्धेश्वरी ने खाने की थाली सामने लाकर रख दी और |
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सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा |
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हिमाचलः पतंजलि योगपीठ का उद्घाटन नहीं कर पाएंगे बाबा रामदेव |
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पूछाक्यों चौधरी तुम्हें कोई उज्र तो नहीं |