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रुपया जरुर आपका लगा, पर मैं उसका देनदार हूँ।
के लिए ऑफर आ रहे थे।
और फिर बिजली गिरती है।
टूटी शमशीरें से ही हो..
और शांति के पुजारी इस शख़्स
फिर छोड़ कर जाना मुश्किल हो जाएगा ।'
फेस्लर कहते हैं,
कहीं भाग जाने की जरुरत न होती थी !
बचपन में ही तय कर दिया था।
जो दो-चार दिन में टूट कर गिर जाएगा'|
लोटे की ओर देखते हुए कहा,
स्वाभाविक प्रवृत्ति पाप की ओर होती है,
हमारी बेटी तुम्हारी कभी भी नाक नहीं कटायेगी।
और फिर खाने में जुट गया।
'बस मन नहीं किया-भूख ही नहीं लगी'
दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों
मुखर्जी ने एक गहरी साँस ली।
तुम जानती हो कि मेरी जुम्मन से गाढ़ी दोस्ती है।
छक्कन लाल ने इधर-उधर झॉँक कर
इससे पहले गाय के दूध से पावडर
और तुम्हारा किसी पर विश्वास न हो, तो जाने दो;
अगर लोग ऐसे कपटी-धोखेबाज न होते,
साथ ही लंदन की थियोसॉफिकल सोसाइटी से भी
कि वह चाहते थे कि उनका संस्थान वर्तमान वैश्विक राजनीति,
मेरी नीयत का मान था।
हम मे से कुछ लोग जंगल गये और टेसु के फूल लेकर आये.
अब हम तो सफ़र करते हैं
मेरी सर्वस्व हो।'
अब अपनी आत्मा की रक्षा कर सकता हूँ।
तभी दमकल की आवाज़ सुनाई दी।
जब मैं बाहर आया, तो हवा में उमस थी।
मोहनदास को अंग्रेज़ी की शिक्षा दी गई.
दोनों देवियों ने शब्द-बाहुल्य की नदी बहा दी। व्यंग्य,
यहाँ के आदिवासियों की
टूटी शमशीरों से ही हो..
दिखला दे जिंदा है तू
'आह चंपा, तुम कितनी निर्दय हो!
अचानक एक धमाका हुआ, उनका अगुआ सीढ़ी से टकरा कर गिर गया था।
वे सब यहीं पर मौजूद है |
घर में रहकर बेचैन हो जाते हैं,
मैंने यह सीखा है कि अगर हम अपने ज़िंदगी के उस तूफ़ानी हिस्से से लड़ सकें
खुदा गवाह है, आज तक मैंने खालाजान को कोई तकलीफ नहीं दी।
जहाँ दस लोग अच्छे होते हैं वहीं कुछ लोग बुरे भी होते हैं और
'तुम अपनी नाक भी गरम कर लो।'
मोरू ने सर खुजलाया।
'धन्यवाद सत्या, चाय बनाने के लिए धन्यवाद,' दादाजी ने कहा।
एक साथ मिलाओ या अलग कर दो।
उसने कटोरे को दाल से भर दिया।
'अगर आप पेड़ पर रुके रहे तो बहुत पछताएँगे।'
इस घाट पर श्रद्धालु स्नान करते हैं।
और अलगू जब कभी बाहर जाते,
शिक्षाविदों का कहना है कि दयालु बनने से
तुम अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए पेड़ों की हत्या नहीं कर सकते।
माता-यह अधर्म मुझसे न देखा जायगा।
तेनालीराम की इस बात को सुनकर कृष्णदेव राय जोर-जोर से हंसने लगे|
उसे स्वीकार कर लो।
प्रमुख चेहरा बन गए थे.
के पास परियों से मिलने वाले हैं|
भूल जाते हैं कि वह कभी ऊबे भी थे।
मैंने एक कदम पीछे हटाया।
नहीं हो सकता कि जरा लड़के को बहलाओ?
उन्हें अकेले पकड़ पाना आसान नहीं था।
दीदी, दीदी, कभी-कभी मैं सोचता हूँ…
'यह कड़वे नीम के पौधे को उपहार में भेजने का तुम्हारा क्या मतलब है'? क्
मोहनदास गांधी के कहने पर पूरे देश
महानाविक बुधगुप्त की आज्ञा सिंधु की लहरें मानती हैं।
महाराज क्रोध से बोले- ‘यह क्या है’? क्या तुम मुझे मुर्ख समझते हो|
वहीं 2011 में यह
यद्यपि यह बात नियम के विरुद्ध थी,
मुझे स्मरण है, जब मैं छोटी थी,
कुछ ज़रूरी टिप्स सुझाती हैं, जो इस प्रकास से हैं.
इस घटना को हुए कई महीने बीत गये।
बाहर की गली से गुजरते हुए एक खड़खड़िया
जी चाहता था कि धरती फट जाती, तो उसमें समा जाती।
मेरा जो कुछ होगा, ले लूँगी।
टूटी शमशीरों से ही हो..
जिस पर जाजिम बिछा हुआ है और
स्मरण होता है वह दार्शनिकों का देश!
चमार मृदंग बजा-बजा कर गाते थे-
मुकदमा लड़ने के लिए रुपये की चाह थी।
स्कूल में जैसे ही वह पहुंची स्टेज पर खड़ी दूसरी लड़कियों को
वे वहाँ हैं,' मैंने ऊपर की ओर इशारा किया।
कन्याकुमारी का सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखने योग्य होता है।
'आपका' कहने से काम बिगड़ता था।
एक साथ घुटनों के बल बैठ जाते हैं.
वे पक्के दोस्त थे जो सारा दिन एक साथ खेलते रहते थे।
और पीछे से बार-बार हार्न की
झंझट बढ़ने से पहले नीचे उतर आइए।'
दशा का बड़ा करूणोत्पादक वर्णन किया-कैसे शोक
मैं तब तक इंतज़ार करता रहा जब तक कि जीप सड़क के छोर पर मुड़ न गई।
समझ गये कि इस समय इससे कोई लाभ नहीं,
और कहा 'कि यह कीमती पत्थर है,
बच्चों को अच्छी परवरिश देने की नीयत से
मोरू ने किताबें बाहर निकालना शुरू किया।
उसके हृदय में गुदगुदी हो रही थी।
'बेटा .भगवान कभी रंग नहीं देखते हैं, तुमने कृष्ण जी की कहानी सुनी थी ना
'शाबाश!' एक लड़की ललिता ने जोश से कहा।
कहानी से सीख
जितना दुष्कर समझते थे,
मैं इतना मज़बूत तो हूँ ही।