हमारे यहा कहा गया है -शुभम् करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदाम आजकल दुनिया के अनेक देशों में दिवाली मनायी जाती है विशेष बात यह कि इसमें सिर्फ भारतीय समुदाय शामिल होता है, ऐसा नहीं है बल्कि अब कई देशों की सरकारें, वहां के नागरिक, वहां के सामाजिक संगठन दिवाली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं एक प्रकार से वहां भारत खड़ा कर देते हैं साथियो, दुनिया में estival tourism का अपना ही आकर्षण है हमारा भारत, जो country o estivals है, उसमें estival tourism की भी अपार संभावनाए हैं हमारा प्रयास होना चाहिये कि होली हो, दिवाली हो, ओणम हो, पोंगल हो, बिहु हो, इन जैसे त्योहारों का प्रसार करें और त्योहारों की खुशियों में, अन्य राज्यों, अन्य देशों के लोगों को भी शामिल करें हमारे यहा तो हर राज्य, हर क्षेत्र के अपने-अपने इतने विभिन्न उत्सव होते हैं दूसरे देशों के लोगों की तो इनमें बहुत दिलचस्पी होती है इसलिए, भारत में estival tourism बढ़ाने में, देश के बाहर रहने वाले भारतीयों की भूमिका भी बहुत अहम है मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली मन की बात में हमने तय किया था कि इस दीपावली पर कुछ अलग करेंगे मैंने कहा था आइये, हम सभी इस दीपावली पर भारत की नारी शक्ति और उनकी उपलब्धियों को celebrate करें, यानी भारत की लक्ष्मी का सम्मान और देखते ही देखते, इसके तुरंत बाद, social media पर अनगिनत inspirational stories का अम्बार लग गया arangal के Kodipaka Ramesh ने NamoApp पर लिखा कि मेरी मा मेरी शक्ति है मेरी मा ही मेरे लिये भगवान है मेरे लिये सब कुछ है और वो सही अर्थ में भारत की लक्ष्मी है Twitter पर active रहने वाली गीतिका स्वामी का कहना है कि उनके लिये मेजर खुशबू कंवर भारत की लक्ष्मी है जो bus conductor की बेटी है और उन्होंने असम Riles की All - omen टुकड़ी का नेतृत्व किया था कविता तिवारी जी के लिए तो भारत की लक्ष्मी, उनकी बेटी हैं, जो उनकी ताकत भी है वहीं मेघा जैन जी ने लिखा है कि Ninety Two ear की, 92 साल की एक बुजुर्ग महिला, वर्षों से ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मुफ्त में पानी पिलाती है मेघा जी, इस भारत की लक्ष्मी की विनम्रता और करुणा से काफी प्रेरित हुई हैं ऐसी अनेक कहानिया लोगों ने share की हैं मेरे प्यारे देशवासियो, 17वीं शताब्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री साची होनम्मा (Sanchi onnamma), उन्होंने, 17वीं शताब्दी में, कन्नड़ भाषा में, एक कविता लिखी थी वो भाव, वो शब्द, भारत की हर लक्ष्मी, ये जो हम बात कर रहे हैं ना ऐसा लगता है, जैसे कि उसका oundation 17वीं शताब्दी में ही रच दिया गया था मेरे प्यारे देशवासियो, 12 नवंबर, 2019 यह वो दिन है, जिस दिन दुनिया भर में, श्री गुरुनानक देव जी का 550वा प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा गुरुनानक देव जी का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे है दुनिया के कई देशों में हमारे सिख भाई-बहन बसे हुए हैं जो गुरुनानकदेव जी के आदर्शों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं मैं वैंकूवर (ancouver) और तेहरान (Tehran) में गुरुद्वारों की अपनी यात्राओं को कभी नहीं भूल सकता श्री गुरुनानकदेव जी बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिसे मैं आपके साथ साझा कर सकता हू, लेकिन इसके लिए मन की बात के कई एपिसोड लग जाएंगे उन्होंने, सेवा को हमेशा सर्वोपरि रखा गुरुनानकदेव जी मानते थे कि निस्वार्थ भाव से किए गए सेवा कार्य की कोई क़ीमत नहीं हो सकती वे छुआ-छूत जैसे सामाजिक बुराई के खिलाफ मजबूती के साथ खड़े रहे श्री गुरुनानक देव जी ने अपना सन्देश, दुनिया में, दूर-दूर तक पहुचाया वे अपने समय में सबसे अधिक यात्रा करने वालों में से थे कई स्थानों पर गये और जहां भी गये, वहां, अपनी सरलता, विनम्रता, सादगी उन्होंने सबका दिल जीत लिया माना जाता है कि असम के सुविख्यात सन्त शंकरदेव भी उनसे प्रेरित हुए थे उन्होंने हरिद्वार की पवित्र भूमि की यात्रा की कर्नाटका में बिदर की यात्रा के दौरान, गुरुनानक देव जी ने ही, वहां पानी की समस्या का समाधान किया था बिदर में गुरुनानक जीरा साहब नाम का एक प्रसिद्ध स्थल है जो गुरुनानक देव जी की हमें याद भी दिलाता है, उन्हीं को ये समर्पित है एक उदासी के दौरान, गुरुनानक जी ने उत्तर में, कश्मीर और उसके आस-पास के इलाके की भी यात्रा की इसे सिख अनुयायियों और कश्मीर के बीच काफी मजबूत सम्बन्ध स्थापित हुआ गुरुनानक देव जी तिब्बत भी गये, जहां के लोगों ने, उन्हें, गुरु माना वे उज्बेकिस्तान में भी पूजनीय हैं, जहां, उन्होनें, यात्रा की थी अपनी एक उदासी के दौरान, उन्होंने, बड़े पैमाने पर इस्लामिक देशों की भी यात्रा की थी, जिसमें, Saudi Arab, I वहां उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के दर्शन किये और ये सब गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशपर्व के निमित्त हुआ था वहां इन सारे राजदूतों ने Golden Temple के दर्शन तो किये ही, उन्हें, सिख परम्परा और संस्कृति के बारे में भी जानने का अवसर मिला सही मायने में, वे Man o detail थे इसके साथ ही वे संगठन कौशल में भी निपुण थे योजनाओं को तैयार करने और रणनीति बनाने में उन्हें महारत हासिल थी सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी planning कितनी जबरदस्त होती थी 1921 में Nineteen Twenty ne में अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए देशभर से हजारों की संख्या में delegates पहुचने वाले थे उन्होंने किसानों से संपर्क किया और उनसे खादी के बैग बनाने का आग्रह किया वही दूसरी तरफ खादी की बिक्री में भी काफ़ी वृद्धि हुई संविधान सभा में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के लिए हमारा देश, सरदार पटेल का सदैव कृतज्ञ रहेगा उन्होंने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे, जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे साथियो, हम सब जानते है कि भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल ने, रियासतों को, एक करने का, एक बहुत बड़ा भगीरथ और ऐतिहासिक काम किया दरअसल, जब हम सरदार पटेल के प्रयासों की बात करते हैं तो देश के एकीकरण में कुछ खास प्रान्तों में ही उनकी भूमिका की चर्चा होती है लक्षद्वीप जैसी छोटी जगह के लिए भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी सरदार पटेल को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली उन्होंने बगैर समय गंवाये, जरा भी देर किये बिना, तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी उनके आदेश के फ़ौरन बाद वहा तिरंगा फहराया गया और लक्षद्वीप पर कब्ज़ा करने के पड़ोसी के हर मंसूबे देखते ही देखते ध्वस्त कर दिए इस घटना के बाद सरदार पटेल ने Mudaliar brothers से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से ये सुनिश्चित करें कि लक्षद्वीप को विकास के लिए हर जरुरी मदद मिले आज, लक्षद्वीप भारत की प्रगति में, अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है यह एक आकर्षक tourist destination भी है मुझे उम्मीद है कि आप सब भी इसके खुबसूरत द्वीपों और समुद्र तटों की यात्रा करेंगे मेरे प्यारे देशवासियो, 31 अक्तूबर, 2018 का दिन, जिस दिन सरदार साहब की याद में बना Statue o nity देश और दुनिया को समर्पित किया गया था यह दुनिया की सबसे ऊची प्रतिमा है अमेरिका में स्थित Statue o iberty से भी ऊचाई में double है दुनिया की सबसे ऊची प्रतिमा हर हिन्दुस्तानी को गर्व से भर देती है हर हिन्दुस्तानी का सिर शान से ऊचा उठ जाता है आपको ख़ुशी होगी एक वर्ष में, 26 लाख से अधिक पर्यटक, Statue o nity को देखने के लिए पहुचें इसका मतलब हुआ कि प्रतिदिन औसतन साढ़े आठ हज़ार लोगों ने Statue o nity की भव्यता का दर्शन किया और आने वाले पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, कई गाव वाले, अपने-अपने घरों में, ome stay की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं वहा के लोगों ने अब ragon ruit की खेती भी शुरू कर दी है और मुझे यकीन है कि जल्द ही ये वहा के लोगों की आजीविका का प्रमुख स्त्रोत भी बन जायेगा साथियों, देश के लिए, सभी राज्यों के लिए, tourism industry के लिए, ये Statue o nity एक अध्ययन का विषय हो सकता है हम सब इसके साक्षी हैं कि कैसे एक साल के भीतर-भीतर एक स्थान, विश्व प्रसिद्ध tourism destination के तौर पर विकसित होता है Transport की, ठरहने की, guides की, eco-riendly व्यवस्थायें, एक-के-बाद एक अपने आप बहुत सारी व्यवस्थायें विकसित होती चली जा रही हैं बहुत बड़ी economy develop हो रही है और यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार लोग वहा सुविधाए पैदा कर रहे हैं सरकार भी अपनी भूमिका निभा रही है साथियो, जैसा कि आप जानते है 2014 से हर साल 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है यह दिन, हमें, अपने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की हर कीमत पर रक्षा करने का सन्देश देता है 31 अक्तूबर को, हर बार की तरह Run or nity का आयोजन भी किया जा रहा है इसमें समाज के हर वर्ग के, हर तबके के लोग शामिल होंगे दौड़ना मन-मस्तिष्क और शरीर सबके लिए फायदेमंद है मुझे उम्मीद है कि आप सब 31 अक्तूबर को ज़रूर दौड़ेगें - भारत की एकता के लिए, ख़ुद की itness के लिये भी मेरे प्यारे देशवासियो, सरदार पटेल ने देश को एकता के सूत्र में बांधा एकता का ये मंत्र हमारे जीवन में संस्कार की तरह है और भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में हमें हर स्तर पर, हर डगर पर, हर मोड़ पर, हर पड़ाव पर, एकता के इस मंत्र को मज़बूती देते रहना चाहिए मेरे प्यारे देशवासियो, देश की एकता और आपसी सदभावना को सशक्त करने के लिए हमारा समाज हमेशा से बहुत सक्रिय और सतर्क रहा है साथियो, मुझे याद है कि सितम्बर 2010 में जब राम जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया मेरे प्यारे देशवासियो, आज, घर-घर की अगर कोई एक कहानी सब दूर सुनाई देती है, हर गाव की कोई एक कहानी सुनाई देती है - उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम, हिंदुस्तान के हर कोने से, एक कहानी सुनाई देती है तो वो है स्वच्छता की लेकिन एक सुखद अनुभव और रोचक अनुभव भी है मैंने सुना, मैं सोचता हू, मैं, आपको भी सुनाऊं इतनी विपरीत परिस्थितियों में, इतनी चुनौतियों के बीच रहना भी, किसी पराक्रम से, कम नहीं है ऐसे विकट हालात में, हमारे बहादुर जवान न सिर्फ सीना तान कर देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि, वहां स्वच्छ सियाचिन अभियान भी चला रहे हैं वहां इतनी ठण्ड है कि कुछ भी decompose होना मुश्किल है ऐसे में, कूड़े-कचरे को अलग करना और उसका प्रबंधन करना, अपने आप में काफी महत्वपूर्ण काम है हम सब जानते हैं कि यह सियाचिन एक ऐसा glacier है जो नदियों और स्वच्छ पानी का स्त्रोत है इसलिए यहा स्वच्छता अभियान चलाने का मतलब है उन लोगों के लिए स्वच्छ जल सुनिश्चित करना जो निचले इलाकों में रहते हैं साथ ही Nubra और Shyok जैसी नदियों के पानी का उपयोग करते हैं मेरे प्यारे देशवासियो, उत्सव, हम सबके जीवन में एक नई चेतना को जगाने वाला पर्व होता है और दीवाली में तो खासतौर पर कुछ-न-कुछ नया खरीदना, बाजार से कुछ लाना हर परिवार में कम-अधिक मात्रा में होता ही होता है मैंने एक बार कहा था कि हम कोशिश करें - local चीजों को खरीदें हमारी जरुरत की चीज हमारे गाव से मिलती है तो तहसील में जाने की जरुरत नहीं है तहसील में मिलती है तो जिले तक जाने की जरुरत नहीं है जितना ज्यादा हम अपने local चीजें खरीदने का प्रयास करेंगें, गांधी 150, अपने आप में एक महान अवसर बन जाएगा और मेरा तो आग्रह रहता ही है कि हमारे बुनकरों के हाथ से बना हुआ, हमारे खादी वालो के हाथ से बना हुआ, कुछ-न-कुछ तो हमें खरीदना ही चाहिए इस दीवाली में भी, दीवाली के पहले तो आपने बहुत कुछ खरीद कर लिया होगा लेकिन बहुत लोग ऐसे भी होते हैं वो सोचते हैं कि दिवाली के बाद जायेंगें तो शायद थोड़ा सस्ता भी मिल जाएगा तो बहुत लोग होंगे जिनके अभी खरीदी बाकी भी होगी तो दीपावली की शुभकामनाओं के साथ-साथ मैं आपसे आग्रह करूगा कि आओ हम local खरीदने के आग्रही बनें, स्थानीय चीजें खरीदें देखिये, महात्मा गाधी के सपने को सिद्ध करने में हम भी कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं मैं फिर एक बार, इस दीपावली के पावन पर्व पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हू दीवाली में हम भांति-भांति के पटाखे उसका उपयोग करते हैं लेकिन, कभी-कभी असावधानी में आग लग जाती है कहीं injury हो जाती है मेरा आप सब से आग्रह है कि खुद को भी संभालिये और उत्सव को बड़े उमंग से मनाइये मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं मन की बात, सितंबर 2018 आज पूरा देश रक्षाबंधन का त्योंहार मना रहा है सभी देशवासियों को इस पावन पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाए रक्षाबंधन का पर्व बहन और भाई के आपसी प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है यह त्यौहार सदियों से सामाजिक सौहार्द का भी एक बड़ा उदाहरण रहा है देश के इतिहास में अनेक ऐसी कहानिया हैं, जिनमें एक रक्षा सूत्र ने दो अलग-अलग राज्यों या धर्मों से जुड़े लोगों को विश्वास की डोर से जोड़ दिया था पूरा वातावरण हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैयालाल की, गोविन्दा-गोविन्दा की जयघोष से गूजने वाला है भगवान कृष्ण के रंग में रंगकर झूमने का सहज आनन्द अलग ही होता है मैं उन सभी लोगों का अभिनन्दन करता हू, जो इस महान धरोहर को सह्ज़ने, सवारने और जन सामान्य तक पहुचाने में जुटे हुए हैं जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा ज्ञान का भण्डार संस्कृत भाषा और उसके साहित्य में है चाहे वह विज्ञान हो या तंत्रज्ञान हो, कृषि हो या स्वास्थ्य हो, astronomy हो या architecture हो, गणित हो या management हो, अर्थशास्त्र की बात हो या पर्यावरण की हो, कहते हैं कि global warming की चुनौतियों से निपटने के मन्त्र हमारे वेदों में विस्तार से उल्लेख है आप सबको जानकार हर्ष होगा कि कर्नाटक राज्य के शिवमोगा जिले के मट्टूर गाव के निवासी आज भी बातचीत के लिए संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं आपको एक बात जानकर के आश्चर्य होगा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जिसमें अनंत शब्दों की निर्मिती संभव है उनकी जन्म जयन्ती को ही पूरा देश शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है मैं देश के सभी शिक्षकों को आने वाले शिक्षक दिवस की शुभकामनाए देता हू . साथ ही विज्ञान, शिक्षा और छात्रों के प्रति आपके समर्पण भाव का अभिनन्दन करता हू केरल में भीषण बाढ़ ने जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है आज इन कठिन परिस्थितियों में पूरा देश केरल के साथ खड़ा है मेरी प्रार्थना है कि जो लोग इस प्राकृतिक आपदा में घायल हुए हैं, वे जल्द से जल्द स्वस्थ जो जाए मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य के लोगों के जज़्बे और अदम्य साहस के बल पर केरल शीघ्र ही फिर से उठ खड़ा होगा कच्छ से कामरूप और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर कुछ-न-कुछ कर रहा है ताकि जहा भी आपत्ति आई हो चाहे केरल हो या हिंदुस्तान के और ज़िले हों और इलाके हो, जन-जीवन फिर से सामान्य हो सके सभी age group और हर कार्य क्षेत्र से जुड़े लोग अपना योगदान दे रहे हैं हर कोई सुनिश्चित करने में लगा है कि केरल के लोगों की मुसीबत कम-से-कम की जा सके, उनके दुःख को हम बाटें हम सभी जानते हैं कि सशस्त्र बलों के जवान केरल में चल रहे बचाव कार्य के नायक हैं उन्होंने बाढ़ में फसे लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी मैं NR के जांबाजों के कठिन परिश्रम का भी विशेष उल्लेख करना चाहता हू संकट के इस क्षण में उन्होंने बहुत ही उत्तम कार्य किया है NR की क्षमता उनके commitment और त्वरित निर्णय करके परिस्थिति को सभालने का प्रयास हर हिन्दुस्तानी के लिए एक नया श्रद्धा का केंद्र बन गया है गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बैनर्जी, बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे, न जाने कितने अनगिनत लोगों ने Narendra Modi Mobile App पर और Mygov पर लिखकर मुझे अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करने का आग्रह किया है 16 अगस्त को जैसे ही देश और दुनिया ने अटल जी के निधन का समाचार सुना, हर कोई शोक में डूब गया ख़बरों में कहीं दिखाई नहीं देते थे, सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आते थे भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम two thousand three के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा पहला ये कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 तक सीमित किया गया यह अटल जी जैसे दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया इस कोड में कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ इसी के चलते अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया इस तरह से उन्होंने हमारे प्राणप्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब लाया अभी कुछ दिन पहले ही संसद का मानसून सत्र समाप्त हुआ है आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि लोकसभा की productivity 118 और राज्यसभा की 74 रही दलहित से ऊपर उठकर सभी सांसदों ने मानसून सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया और इसी का परिणाम है कि लोकसभा ने 21 विधेयक और राज्यसभा ने 14 विधेयकों को पारित किया संसद का ये मानसून सत्र सामाजिक न्याय और युवाओं के कल्याण के सत्र के रूप में हमेशा याद किया जाएगा इस सत्र में युवाओं और पिछड़े समुदायों को लाभ पहुचाने वाले कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया आप सबको पता है कि दशकों से SST ommission की तरह ही B ommission बनाने की माग चली आ रही थी पिछड़े वर्ग के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए देश ने इस बार B आयोग बनाने का संकल्प पूरा किया और उसको एक संवैधानिक अधिकार भी दिया यह कदम सामाजिक न्याय के उद्देश्य को आगे ले जाने वाला सिद्ध होगा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए संशोधन विधेयक को भी पास करने का काम इस सत्र में हुआ यह कानून S और ST समुदाय के हितों को और अधिक सुरक्षित करेगा साथ ही यह अपराधियों को अत्याचार करने से रोकेगा और दलित समुदायों में विश्वास भरेगा देश की नारी शक्ति के खिलाफ़ कोई भी सभ्य समाज किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता दुष्कर्म के दोषियों को कम-से-कम 10 वर्ष की सज़ा होगी, वही 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने पर फासी की सज़ा होगी कुछ दिन पहले आपने अख़बारों में पढ़ा होगा मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक अदालत ने सिर्फ़ दो महीने की सुनवाई के बाद नाबालिग़ से रेप के दो दोषियों को फासी की सज़ा सुनाई है इसके पहले मध्य प्रदेश के कटनी में एक अदालत ने सिर्फ़ पाच दिन की सुनवाई के बाद दोषियों को फासी की सज़ा दी राजस्थान ने भी वहा की अदालतों ने भी ऐसे ही त्वरित निर्णय किये हैं यह कानून महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ़ अपराध के मामलों को रोकने में प्रभावी भूमिका निभायेगा सामाजिक बदलाव के बिना आर्थिक प्रगति अधूरी है हालाकि राज्यसभा के इस सत्र में संभव नहीं हो पाया है मैं मुस्लिम महिलाओं को विश्वास दिलाता हू कि पूरा देश उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी ताक़त से साथ खड़ा है जब हम देशहित में आगे बढ़ते हैं तो ग़रीबों, पिछड़ों, शोषितों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है मानसून सत्र में इस बार सबने मिलकर एक आदर्श प्रस्तुत कर दिखाया है हर दिन सुबह लोग सबसे पहले अख़बारों में, टेलीविजन में, समाचारों पर, सोशल मीडिया पर नज़र डालते हैं और देखते हैं कि किस भारतीय खिलाड़ी ने मेडल जीता है एशियन गेम्स अभी भी चल रहे हैं मैं देश के लिए मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई देना चाहता हू उन खिलाड़ियों को भी मेरी बहुत-बहुत शुभकामना है, जिनकी स्पर्धाए अभी बाकी हैं यह भी एक बहुत ही अच्छा संकेत है कि जिन खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं, उनमें से अधिकतर छोटे कस्बों और गाव के रहने वाले हैं और इन लोगों ने कठिन परिश्रम से इस सफ़लता को अर्जित किया है 29 अगस्त को हम राष्ट्रीय खेल दिवस मनायेंगे इस अवसर पर मैं सभी खेल प्रेमियों को शुभकामनाए देता हू, साथ ही हॉकी के जादूगर महान खिलाड़ी श्री ध्यानचंद जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हू मैं देश के सभी नागरिकों से निवेदन करता हू कि वे ज़रूर खेलें और अपनी itness का ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ भारत ही संपन्न और समृद्ध भारत का निर्माण करेगा एक बार फिर मैं एशियन गेम्स में पदक विजेताओं को बधाई देता हू साथ ही बाकी खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन की कामना करता हू लेकिन, तमिलनाडु के तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर वह स्थान है, जहा स्थापत्य कला और इंजीनियरिंग के इस अविश्वनीय मेल को देखा जा सकता है भारत की भूमि इंजीनियरिंग की प्रयोगशाला रही है भारत में कई ऐसे इंजीनियर हुये, जिन्होनें अकल्पनीय को कल्पनीय बनाया और इंजीनियरिंग की दुनिया में चमत्कार कहे जाने वाले उदाहरण प्रस्तुत किए हैं देश के उस हिस्से में तो वह पूज्यनीय है हीं, बाकी पूरा देश भी उन्हें बहुत ही सम्मान और आत्मीयता के साथ याद करता है उन्हीं की याद में 15 सितम्बर को ngineers ay के रूप में बनाया जाता है उनके पद चिन्हों पर चलते हुए हमारे देश के इंजीनियर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं इंजीनियरिंग की दुनिया के चमत्कारों की बात जब मैं करता हू, तब मुझे आज 2001 में गुज़रात में कच्छ में जो भयंकर भूकंप आया था, तब की एक घटना याद आती है बदले हुए युग में हमनें किन-किन नई चीज़ों को सीखना होगा ? प्राकृतिक आपदाओं से विश्व जूझ रहा है ऐसे में structural engineering का नया रूप क्या हो ? उसके courses क्या हों ? students को क्या सिखाया जाए ? इसी एक भावना के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाए फिर मिलेंगे वहा आमतौर पर गुफ़ा में जाने और उससे बाहर निकलने, उन सबमें कुछ घंटों का समय लगता है लेकिन उस दिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था जब वे गुफ़ा के भीतर काफी अन्दर तक चले गए अचानक भारी बारिश के कारण गुफ़ा के द्वार के पास काफी पानी जम गया सभी ने, चाहे सरकार हो, इन बच्चों के माता-पिता हों, उनके परिवारजन हों, media हो, देश के नागरिक हों - हर किसी ने शान्ति और धैर्य का अदभुत आचरण करके दिखाया सबके-सब लोग एक team बनकर अपने mission में जुटे हुए थे इस पूरे operation में थाईलैंड की नौसेना के एक जवान को अपनी जान भी गवानी पड़ी पूरा विश्व इस बात पर आश्चर्यचकित है कि इतनी कठिन परिस्थितियों के बावज़ूद पानी से भरी एक अंधेरी गुफ़ा में इतनी बहादुरी और धैर्य के साथ उन्होंने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी यह दिखाता है कि जब मानवता एक साथ आती है, अदभुत चीज़ें होती हैं बस ज़रूरत होती है हम शांत और स्थिर मन से अपने लक्ष्य पर ध्यान दें, उसके लिए काम करते रहें पिछले दिनों हमारे देश के प्रिय कवि नीरज जी हमें छोड़कर के चले गए वैसे तो जुलाई और अगस्त के महीने किसानों के लिए और सभी नौजवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि यही वक़्त होता है जब colleges का peak season होता है सत्यम जैसे लाखों युवा स्कूल से निकल करके colleges में जाते हैं अगर फरवरी और मार्च eams, papers, answers में जाता है तो अप्रैल और मई छुट्टियों में मौज़मस्ती करने के साथ-साथ results, जीवन में आगे की दिशाए तय करने, carrier choice इसी में खप जाता है जुलाई वह महीना है जब युवा अपने जीवन के उस नये चरण में क़दम रखते हैं जब ocus uestions से हटकर के cut-o पर चला जाता है छात्रों का ध्यान home से hostel पर चला जाता है छात्र parents की छाया से proessors की छाया में आ जाते हैं मुझे पूरा यकीन है कि मेरा युवा-मित्र college जीवन की शुरुआत को लेकर काफी उत्साही और खुश होंगे पहली बार घर से बाहर जाना, गाव से बाहर जाना, एक protective environment से बाहर निकल करके खुद को ही अपना सारथी बनना होता है इतने सारे युवा पहली बार अपने घरों को छोड़कर, अपने जीवन को एक नयी दिशा देने निकल आते हैं किताबों के बिना कोई चारा तो नहीं है, study तो करना पड़ता है, लेकिन नयी-नयी चीजें खोज़ने की प्रवृति बनी रहनी चाहिए पुराने दोस्तों का अपना महामूल्य है जो युवा अपने घर छोड़कर बाहर किसी और जगह पर पढ़ने गए हैं उन जगहों को discover करें, वहा के बारे में जानें, वहा के लोगों को, भाषा को, संस्कृति को जानें, वहा के पर्यटन स्थल होंगे - वहा जाए, उनके बारे में जानें नयी पारी प्रारम्भ कर रहे हैं सभी नौजवानों को मेरी शुभकामनाएं हैं उनके पिता कूड़ा बीनकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं मैं उनकी इस सफ़लता के लिए उन्हें बधाई देता हू ऐसे कितने ही छात्र हैं जो ग़रीब परिवार से हैं और विपरीत परिस्थियों के बावज़ूद अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो हम सबको प्रेरणा देता है अहमदाबाद की बिटिया आफरीन शेख़ हो, जिनके पिता auto rickshaw चलाते हैं नागपुर की बेटी खुशी हो, जिनके पिता भी स्कूल बस में driver हैं या हरियाणा के कार्तिक, जिनके पिता चौकीदार हैं या झारखण्ड के रमेश साहू जिनके पिता ईंट-भट्टा में मजदूरी करते हैं ख़ुद रमेश भी मेले में खिलौना बेचा करते थे या फिर गुडगाव की दिव्यांग बेटी अनुष्का पांडा, जो जन्म से ही spinal muscular atrophy नामक एक आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित है, इन सबने अपने दृढसंकल्प और हौसले से हर बाधा को पार कर दुनिया देखे ऐसी कामयाबी हासिल की हम अपने आस-पास देखें तो हमको ऐसे कई उदाहरण मिल जाएगे मैंने Brain-rain को Brain-Gain में बदलने की अपील की थी अपने proessional skills का उपयोग करते हुए योगेश जी और रजनीश जी ने मिलकर एक SmartGaon App तैयार किया है ये App न केवल गाव के लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ रहा है बल्कि अब वे कोई भी जानकारी और सूचना स्वयं खुद के मोबाइल पर ही प्राप्त कर सकते हैं संतोष जी आपके Phone all के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद साथियों आषाढ़ी एकादशी जो इस बार 23 जुलाई, को थी उस दिन को पंढरपुर वारी की भव्य परिणिति के रूप में भी मनाया जाता है संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम जैसे महान संतों की पादुका, पालकी में रखकर विट्ठल-विट्ठल गाते, नाचते, बजाते पैदल पंढरपुर की ओर चल पड़ते हैं तीर्थ यात्री भगवान विट्ठल, जिन्हें विठोवा या पांडुरंग भी कहा जाता है उनके दर्शन के लिए वहा पहुचते हैं भगवान विट्ठल ग़रीबों, वंचितों, पीड़ितों के हितों की रक्षा करते हैं महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना वहा के लोगों में अपार श्रद्धा है, भक्ति है पंढरपुर में विठोवा मंदिर जाना और वहा की महिमा, सौन्दर्य, आध्यात्मिक आनंद का अपना एक अलग ही अनुभव है मन की बात के श्रोताओं से मेरा आग्रह है कि अवसर मिले तो एक बार ज़रूर पंढरपुर वारी का अनुभव लें चाहे वो उनके भारुड हो या अभंग हो हमें उनसे सदभाव, प्रेम और भाईचारे का महत्वपूर्ण सन्देश मिलता है अंधश्रद्धा के खिलाफ श्रद्धा के साथ समाज लड़ सके इसका मंत्र मिलता है ये वो लोग थे जिन्होंने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि पुरानी कुप्रथाए हमारे समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आएं एक ऐसे ही महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक जिन्होंने अनेक भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है हम 23 जुलाई, को तिलक जी की जयंती और 01 अगस्त, को उनकी पुण्यतिथि में उनका पुण्य स्मरण करते हैं लोकमान्य तिलक साहस और आत्मविश्वास से भरे हुए थे उनमें ब्रिटिश शासकों को उनकी गलतियों का आईना दिखाने की शक्ति और बुद्धिमत्ता थी मैं, लोकमान्य तिलक और अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा के साथ जुड़ी हुई एक रोचक घटना आज देशवासियों के सामने रखना चाहता हू सरदार वल्लभ भाई पटेल अहमदाबाद नगर पालिका के Mayor चुने गए और तुरंत ही उन्होंने लोकमान्य तिलक के स्मारक के लिए ictoria Garden को चुना और यह ictoria Garden जो ब्रिटेन की महारानी के नाम पर था और मेरे प्यारे देशवासियो, इस प्रतिमा की विशिष्टता यह है कि यह तिलक की ऐसी दुर्लभ मूर्ति है जिसमें वह एक कुर्सी पर बैठे हुए हैं, इसमें तिलक के ठीक नीचे लिखा है स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और यह सब अंग्रेजों के इस कालखंड की बात तो सुना रहा हू लोकमान्य तिलक जी के प्रयासों से ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा शुरू हुई सार्वजनिक गणेश उत्सव परम्परागत श्रद्धा और उत्सव के साथ-साथ समाज-जागरण, सामूहिकता, लोगों में समरसता और समानता के भाव को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया था आज कई शहरों में तो ऐसा होता है कि आपको लगभग हर गली में गणेश-पंडाल देखने को मिलता है यह हमारे युवाओं के लिए भी एक बेहतरीन अवसर है, जहा वे leadership और organiation जैसे गुण सीख सकते हैं, उन्हें खुद के अन्दर विकसित कर सकते हैं मैं बात कर रहा हू चंद्रशेखर आज़ाद की भारत में कौन-सा ऐसा नौजवान होगा जो इन पंक्तियों को सुनकर के प्रेरित नही होगा सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है इन पंक्तियों ने अशफाक़ उल्लाह खान, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक नौज़वानों को प्रेरित किया चंद्रशेखर आज़ाद की बहादुरी और स्वतंत्रता के लिए उनका जुनून, इसने कई युवाओं को प्रेरित किया आज़ाद ने अपने जीवन को दाव पर लगा दिया, लेकिन विदेशी शासन के सामने वे कभी नहीं झुके ये मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे मध्यप्रदेश में चन्द्रशेखर आज़ाद के गाव अलीराजपुर जाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ एक बार फिर से भारत माता के दो महान सपूतों लोकमान्य तिलक जी और चंद्रशेखर आज़ाद जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हू अभी कुछ ही दिन पहले inland में चल रही जूनियर अंडर-20 विश्व एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़, उस स्पर्धा में भारत की बहादुर बेटी और किसान पुत्री हिमा दास ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है देश की एक और बेटी एकता भयान ने मेरे पत्र के जवाब में इंडोनेशिया से मुझे email किया अभी वो वहा Asian Games की तैयारी कर रही हैं -mail में एकता लिखती हैं किसी भी एथलीट के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्षण वो होता है जब वो तिरंगा पकड़ता है और मुझे गर्व है कि मैंने वो कर दिखाया एकता हम सब को भी आप पर गर्व है उनकी यह उपलब्धि विशेष इसलिए है कि उन्होंने अपनी चुनौती को ही अपनी कामयाबी का माध्यम बना दिया बेटी एकता भयान 2003 में, road accident के कारण उसके शरीर का आधा हिस्सा नीचे का हिस्सा नाकाम हो गया, लेकिन इस बेटी ने हिम्मत नही हारी और खुद को मजबूत बनाते हुए ये मुकाम हासिल किया मेरे प्यारे देशवासियो, अगस्त महीना इतिहास की अनेक घटनाए, उत्सवों की भरमार से भरा रहता है, लेकिन मौसम के कारण कभी-कभी बीमारी भी घर में प्रवेश कर जाती है मैं आप सब को उत्तम स्वास्थ्य के लिए, देशभक्ति की प्रेरणा जगाने वाले, इस अगस्त महीने के लिए और सदियों से चले आ रहे अनेक-अनेक उत्सवों के लिए, बहुत-बहुत शुभकामनाए देता हू फिर एक बार मन की बात के लिए ज़रूर मिलेंगे मेरे प्यारे देशवासियो आज फिर एक बार मन की बात के इस कार्यक्रम में आप सबके साथ रूबरू होने का सौभाग्य मिला है अभी कुछ दिन पहले बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक क्रिकेट मैच हुआ आप लोग भली-भांति समझ गए होंगे कि मैं भारत और अफगानिस्तान के टेस्ट मैच की बात कर रहा हू यह अफगानिस्तान का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच था और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि अफगानिस्तान का यह ऐतिहासिक मैच भारत के साथ था मैं हमारे भारतीय मित्रों का भी आभारी हू, जिन्होंने हमारे खिलाड़ियों को अपना कौशल दिखाने के लिए एक platorm प्रदान किया है अफगानिस्तान में जो श्रेष्ठ है राशिद उसका प्रतिनिधित्व करता है वह cricket की दुनिया का asset है और इसके साथ-साथ उन्होंने थोड़ा मजाकिये अंदाज़ में ये भी लिखा नहीं हम उसे किसी को देने वाले नहीं हैं यह मैच हम सभी के लिए एक यादगार रहेगा खैर ये पहला मैच था इसलिए याद रहना तो बहुत स्वाभाविक है लेकिन मुझे ये मैच किसी एक विशेष कारण से याद रहेगा भारतीय टीम ने कुछ ऐसा किया, जो पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय एक विजेता टीम क्या कर सकती है उन्होंने क्या किया - भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय, अफगानिस्तान की टीम जो कि पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेल रही थी, अफगानिस्तान की टीम को आमंत्रित किया और दोनों टीमों ने साथ में फोटो ली sportsman sprit क्या होता है, sportsmanship क्या होती है - इस एक घटना से हम अनुभव कर सकते हैं खेल समाज को एकजुट करने और हमारे युवाओं का जो कौशल है, उनमें जो प्रतिभा है, उसे खोज निकालने का एक बेहरतीन तरीक़ा है मेरे प्यारे देशवासियो इस 21 जून को चौथे योग दिवस पर एक अलग ही नज़ारा था Bresil में uropean Parliament हो, New ork स्थित संयुक्तराष्ट्र का मुख्यालय हो, जापानी नौ-सेना के लड़ाकू जहाज़ हों, सभी जगह लोग योग करते नज़र आए सऊदी अरब में पहली बार योग का ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ और मुझे बताया गया है कि बहुत सारे आसनों का demonstration तो महिलाओं ने किया लद्दाख की ऊची बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन के सैनिकों ने एक-साथ मिलकर के योगाभ्यास किया यदि दुनिया भर के लोग इतने उत्साहित होकर योग दिवस के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे तो भारत में इसका उत्साह अनेक गुना क्यों नहीं होगा वायुसेना के हमारे योद्धाओं ने तो बीच आसमान में धरती से 15 हज़ार फुट की ऊंचाई पर योगासन करके सबको स्तब्ध कर दिया देखने वाला नज़ारा यह था कि उन्होंने हवा में तैरते हुए किया, न कि हवाई जहाज़ में बैठकर के स्कूल हो, कॉलेज हो, दफ्तर हो, पार्क हो, ऊची ईमारत हो या खेल का मैदान हो, सभी जगह योगाभ्यास हुआ अधिक से अधिक लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे आपके फ़ोन कॉल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आप लोग जानते हैं, कबीरदास जी मगहर क्यों गए थे ? मतलब सच्चा पीर संत वही है जो दूसरो की पीड़ा को जानता और समझता है, जो दूसरे के दुःख को नहीं जानते वे निष्ठुर हैं यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय एक अन्य दोहे में कबीर लिखते हैं - जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप ऐसी होती है ये गुरु की महानता और ऐसे ही एक गुरु हैं, जगतगुरु गुरु नानक देव जिन्होंने कोटि-कोटि लोगों को सन्मार्ग दिखाया, सदियों से प्रेरणा देते रहें पंजाब से जुड़ा एक और इतिहास है 2019 में जलियांवाला बाग़ की उस भयावह घटना के भी 100 साल पूरे हो रहे हैं जिसने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया था इस घटना के 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं इसे हम कैसे स्मरण करें, हम सब इस पर सोच सकते हैं, लेकिन इस घटना ने जो अमर सन्देश दिया, उसे हम हमेशा याद रखें ये हिंसा और क्रूरता से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता रमण जी सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत धन्यवाद भारत के इतिहास में आपकी रूचि देखकर काफ़ी अच्छा लगा यह पहला अवसर था, जब अंग्रेजों की सल्तनत थी और कोलकाता विश्वविद्यालय में किसी ने बांग्ला भाषा में convocation को संबोधित किया था डॉ मुखर्जी का सपना था भारत हर क्षेत्र में औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर हो, कुशल और समृद्ध हो वे चाहते थे कि भारत बड़े उद्योगों को develop करे और साथ ही MSMs, हथकरघा, वस्त्र और कुटीर उद्योग पर भी पूरा ध्यान दे पश्चिम बंगाल के विकास को लेकर वे काफ़ी passionate थे उनकी समझ, विवेक और सक्रियता का ही परिणाम है कि बंगाल का एक हिस्सा बचाया जा सका और वह आज भी भारत का हिस्सा है फाइलों से परे जाकर लोगों की lie में जो बदलाव आ रहे हैं, उनके बारे में सीधा उन्हीं से जानने का अवसर मिला लोगों ने अपने संकल्प, अपने सुख-दुःख, अपनी उपलब्धियों के बारे में बताया मैं मानता हू कि मेरे लिए यह महज एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था बल्कि यह एक अलग तरह का learning eperience था और इस दौरान लोगों के चेहरे पर जो खुशिया देखने को मिली, उससे बड़ा संतोष का पल किसी की भी ज़िन्दगी में क्या हो सकता है? जब एक सामान्य मानवी(मानव) की कहानिया सुनता था उनके भोले-भाले शब्द अपने अनुभव की कथा वो जो कह रहे थे, दिल को छू जाती थी दूर-सुदूर गांवों में बेटिया common service centre के माध्यम से गांवों के बुज़ुर्गों की pension से लेकर passport बनवाने तक की सेवाए उपलब्ध करवा रही हैं इधर तमिलनाडु, पंजाब, गोवा के स्कूल के छात्र अपनी छोटी उम्र में स्कूल की tinkering lab में waste management जैसे important topic पर काम कर रहे हों न जाने कितनी-कितनी कहानिया थी देश का कोई कोना ऐसा नहीं होगा जहा लोगों को अपनी सफलता की बात कहनी न हो ऐसे वातावरण में सामान्य मानवी (मानव) जब नई आशा, नया उमंग और अपने जीवन में घटी घटनाओं की बात लेकर के आता है तो वह सरकार का श्रेय नहीं होता दूर-सुदूर एक छोटे से गाव की छोटी सी बालिका की घटना भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों के लिए प्रेरणा बन जाती है मैं देशवासियों का बहुत आभारी हू 40-40, 50-50 लाख लोग इस video bridge के कार्यक्रम में जुड़े और मुझे नई ताक़त देने का काम आपने किया मैं फिर एक बार आप सबका आभार व्यक्त करना चाहता हू अच्छाई की सुगंध हम भी अनुभव कर सकते हैं T engineers साथ आये उन्होंने मिलकर के एक सहज समृद्धि ट्रस्ट बनाया है और उन्होंने किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए इस ट्रस्ट को activate किया किसानों से जुड़ते गए, योजनाए बनाते गए और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सफल प्रयास करते रहे फसल अच्छी हो, उसके लिए अच्छी नस्ल की बीजें हों इसके लिए अलग सीड-बैंक बनाया गया है महिलाए इस सीड-बैंक का कामकाज देखती हैं महिलाओं को भी जोड़ा गया है ne Nation ne Ta reorm, इसके लिए अगर मुझे सबसे ज्यादा किसी को credit देनी है तो मैं राज्यों को credit देता हू GST ooperative ederalism का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहा सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा ta reorm लागू हो सका अब तक GST ouncil की 27 meeting हुई हैं और हम सब गर्व कर सकते हैं कि भिन्न-भिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग वहा बैठते हैं, भिन्न-भिन्न राज्यों के लोग बैठते हैं, अलग-अलग priority वाले राज्य होते हैं लेकिन उसके बावजूद भी GST ouncil में अब तक जितने भी निर्णय किये गए हैं, वे सारे के सारे सर्वसहमति से किये गए हैं GST से पहले देश में 17 अलग-अलग प्रकार के ta हुआ करते थे लेकिन इस व्यवस्था में अब सिर्फ़ एक ही ta पूरे देश में लागू है GST के आने से check post ख़त्म हो गई और माल सामानों की आवाजाही तेज़ हो गई, जिससे न सिर्फ़ समय बच रहा है बल्कि logistics क्षेत्र में भी इसका काफ़ी लाभ मिल रहा है GST शायद दुनिया का सबसे बड़ा ta reorm होगा भारत में इतना बड़ा ta reorm सफ़ल इसलिए हो पाया क्योंकि देश के लोगों ने इसे अपनाया और जन-शक्ति के द्वारा ही GST की सफ़लता सुनिश्चित हो सकी आप लोगों को भलीभांति याद होगा नौ-सेना की 6 महिला कमांडरों, ये एक दल पिछले कई महीनों से समुद्र की यात्रा पर था नाविका सागर परिक्रमा - जी मैं उनके विषय में कुछ बात करना चाहता हू भारत की इन 6 बेटियों ने, उनकी इस team ने two hundred and ity our days - 250 से भी ज़्यादा दिन समुद्र के माध्यम से I उन्होंने विभिन्न महासागरों और कई समुद्रों में यात्रा करते हुए लगभग बाईस हज़ार nautical miles की दूरी तय की यह विश्व में अपने आप में एक पहली घटना थी गत बुधवार को मुझे इन सभी बेटियों से मिलने का, उनके अनुभव सुनने का अवसर मिला मैं एक बार फिर इन बेटियों को उनके adventure को, Navy की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए, भारत का मान-सम्मान बढ़ाने के लिये और विशेषकर दुनिया को भी लगे कि भारत की बेटिया कम नहीं हैं - ये सन्देश पहुचाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हू 16 मई को महाराष्ट्र के चंद्रपुर के एक आश्रम-स्कूल के 5 आदिवासी बच्चों ने tribal students मनीषा धुर्वे, प्रमेश आले, उमाकान्त मडवी, कविदास कातमोड़े, विकास सोयाम इन हमारे आदिवासी बच्चों के एक दल ने दुनिया की सबसे ऊची चोटी पर चढ़ाई की आश्रम-स्कूल के इन छात्रों ने अगस्त 2017 में training शुरू की थी वर्धा, हैदराबाद, दार्जिलिंग, लेह, लद्दाख - इनकी training हुई मैं चंद्रपुर के स्कूल के लोगों को, इन मेरे नन्हे-मुन्हे साथियों को, ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हू हाल ही में 16 वर्षीय शिवांगी पाठक, नेपाल की ओर से verest फ़तह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बनी अजीत बजाज और उनकी बेटी दीया verest की चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय पिता-पुत्री की जोड़ी बन गयी ऐसा ही नहीं कि केवल युवा ही verest की चढ़ाई कर रहे हैं संगीता बहल ने 19 मई को verest की चढ़ाई की और संगीता बहल की आयु 50 से भी अधिक है यह कार्य प्रशंसनीय तो है ही, साथ-ही-साथ यह स्वच्छता के प्रति, पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है मैं इन सभी साहसी वीरों को, ख़ासकर के बेटियों को ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हू इतनी भारी संख्या में हर क्षेत्र से लोग इसके support में आगे आएगे जब में it I ndia की बात करता हू तो मैं मानता हू कि जितना हम खेलेंगे, उतना ही देश खेलेगा social media पर लोग itness challenge की videos share कर रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को tag कर उन्हें challenge कर रहे हैं छवि यादव जी, आपके phone call के लिए आपका बहुत धन्यवाद ये खेल ख़ासकर गर्मी की छुट्टियों का विशेष हिस्सा होते थे परंपरागत खेलों में दोनों तरह के खेल हैं out door भी हैं, indoor भी हैं हमारे देश की विविधता के पीछे छिपी एकता इन खेलों में भी देखी जा सकती है एक ही खेल अलग-अलग जगह, अलग-अलग नामों से जाना जाता है ये कोड़ियों या इमली के बीज या dice के साथ और 88 के suare board के साथ खेला जाता है गिल्ली-डंडा तो गाव से लेकर शहरों तक में खेले जाने वाला खेल है देश के अलग-अलग भागों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है आंध्रप्रदेश में इसे गोटिबिल्ला या कर्राबिल्ला के नाम से जानते हैं उड़ीसा में उसे गुलिबाड़ी कहते हैं तो महाराष्ट्र में इसे वित्तिडालू कहते हैं साथ-ही-साथ हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं को भी जानते हैं कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं crowd sourcing के द्वारा हम अपने पारंपरिक खेलों का एक बहुत बड़ा archive बना सकते हैं इन खेलों के videos बनाए जा सकते हैं, जिनमें खेलों के नियम, खेलने के तरीके के बारे में दिखाया जा सकता है इस बार की theme है Beat Plastic Pollution मेरी आप सभी से अपील है, इस theme के भाव को, इसके महत्व को समझते हुए हम सब यह सुनिश्चित करें कि हम polythene, low grade plastic का उपयोग न करें और Plastic Pollution का जो एक negative impact हमारी प्रकृति पर, wild lie पर और हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, उसे कम करने का प्रयास करें orld nvironment ay की website wed-india2018 पर जाए और वहा ढ़ेर सारे सुझाव बड़े ही रोचक ढ़ंग से दिए गए हैं - देखें, जानें और उन्हें अपने रोजमर्रा के जीवन में उतारने का प्रयास करें जब भारत ने op21 और Paris समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई जब हमनें international solar alliance के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गाधी के उस सपने को पूरा करने का एक भाव था इस पर्यावरण दिवस पर हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपने planet को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? मेरे प्यारे देशवासियो और विशेषकर के मेरे नौजवान साथियो आप 21 जून को बराबर अब याद रखते हैं, आप ही नहीं, हम ही नहीं सारी दुनिया 21 जून को याद रखती है पूरे विश्व के लिए 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है और ये सर्व-स्वीकृत हो चुका है और लोग महीनों पहले तैयारिया शुरू कर देते हैं इन दिनों ख़बर मिल रही है, सारी दुनिया में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की भरसक तैयारिया चल रही हैं योग करने से साहस पैदा होता है जो सदा ही पिता की तरह हमारी रक्षा करता है क्षमा का भाव उत्पन्न होता है जैसा मा का अपने बच्चों के लिए होता है और मानसिक शांति हमारी स्थायी मित्र बन जाती है भर्तृहरि ने कहा है कि नियमित योग करने से सत्य हमारी संतान, दया हमारी बहन, आत्मसंयम हमारा भाई, स्वयं धरती हमारा बिस्तर और ज्ञान हमारी भूख मिटाने वाला बन जाता है जब इतने सारे गुण किसी के साथी बन जाए तो योगी सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर लेता है एक बार फिर मैं सभी देशवासियों से अपील करता हू कि वे योग की अपनी विरासत को आगे बढ़ायें और एक स्वस्थ, खुशहाल और सद्भावपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करें आज 27 मई है भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की पुण्यतिथि है मैं पंडित जी को प्रणाम करता हू 1857 में ये मई का ही महीना था, जब भारतवासियों ने अंग्रेजों को अपनी ताकत दिखाई थी देश के कई हिस्सों में हमारे जवान और किसान अपनी बहादुरी दिखाते हुए अन्याय के विरोध में उठ खड़े हुए थे दुःख की बात है कि हम बहुत लम्बे समय तक 1857 की घटनाओं को केवल विद्रोह या सिपाही विद्रोह कहते रहे वास्तव में उस घटना को न केवल कम करके आका गया बल्कि यह हमारे स्वाभिमान को धक्का पहुचाने का भी एक प्रयास था सावरकर जी के बारे में एक अद्भुत वर्णन हमारे प्रिय आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया है सावरकर कविता और क्रांति दोनों को साथ लेकर चले संवेदनशील कवि होने के साथ-साथ वे साहसिक क्रांतिकारी भी थे हमारी ये बेटिया, जो कभी कचरा बीनने से लेकर घर-घर मागने को मजबूर थीं - आज वें सिलाई का काम सीख कर ग़रीबों का तन ढ़कने के लिए कपड़े सिल रही हैं मैं आशा और विश्वास से भरी हमारी इन बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाए देता हू इन्होंने दिखाया है कि अगर कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो और उसके लिए आप कृतसंकल्पित हों तो तमाम मुश्किलों के बीच भी सफलता हासिल की जा सकती है और ये सिर्फ सीकर की बात नहीं है हिन्दुस्तान के हर कोने में आपको ये सब देखने को मिलेगा आपके पास, अड़ोस-पड़ोस में नज़र करोगे तो ध्यान में आएगा कि लोग किस प्रकार से परेशानियों को परास्त करते हैं आपने महसूस किया होगा कि जब भी हम किसी चाय की दुकान पर जाते हैं, वहा की चाय का आनंद लेते हैं तो साथ के कुछ लोगों से चर्चा और विचार-विमर्श भी होता ही है वे स्कूल में आने वाले सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन की पूरी व्यवस्था करते हैं उन्होंने उनकी ज़िन्दगी के अधेरे को समाप्त कर दिया है उनकी जीवन हम सभी के लिए, समाज और पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है आइये हम सकारात्मकता को आगे बढाएं जून के महीने में इतनी अधिक गर्मी होती है कि लोग बारिश का इंतज़ार करते हैं और इस उम्मीद में आसमान में बादलों की ओर टकटकी लगाये देखते हैं अब से कुछ दिनों बाद लोग चाद की भी प्रतीक्षा करेंगे चाद दिखाई देने का अर्थ यह है कि ईद मनाई जा सकती है रमज़ान के दौरान एक महीने के उपवास के बाद ईद का पर्व जश्न की शुरुआत का प्रतीक है मुझे विश्वास है कि सभी लोग ईद को पूरे उत्साह से मनायेंगे इस अवसर पर बच्चों को विशेष तौर पर अच्छी ईदी भी मिलेगी आशा करता हू कि ईद का त्योहार हमारे समाज में सद्भाव के बंधन को और मज़बूती प्रदान करेगा सबको बहुत-बहुत शुभकामनाए यानी राम और रामायण, न सिर्फ़ भारत में लेकिन विश्व के इस भू-भाग में ASAN countries में, आज भी उतने ही प्रेरणा और प्रभाव पैदा कर रहे हैं मेरे प्यारे देशवासियो, हर बार की तरह इस बार भी मुझे आप सबके सारे पत्र, email, phone-call और comments बहुत बड़ी मात्रा में मिले हैं कोमल ठक्कर जी ने MyGov पर - आपने संस्कृत के on-line courses शुरू करने के बारे में जो लिखा वो मैंने पढ़ा T proessional होने के साथ-साथ, संस्कृत के प्रति आपका प्रेम देखकर बहुत अच्छा लगा मैंने सम्बंधित विभाग से इस ओर हो रहे प्रयासों की जानकारी आप तक पहुचाने के लिए कहा है मन की बात के श्रोता जो संस्कृत को लेकर कार्य करते हैं, मैं उनसे भी अनुरोध करूंगा कि इस पर विचार करें कि कोमल जी के सुझाव को कैसे आगे बढ़ाया जाए श्रीमान घनश्याम कुमार जी, गाव बराकर, जिला नालन्दा, बिहार - आपके NarendraModiApp पर लिखे comments पढ़े आपने जमीन में घटते जल-स्तर पर जो चिंता जताई है, वह निश्चित रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है आपने गर्मियों में पशु-पक्षियों के लिए पानी रखने के लिए भी सभी से आग्रह किया है शकल जी, आपकी भावनाओं को मैंने सभी श्रोताओं तक पहुचा दिया है श्रीमान योगेश भद्रेशा जी, उनका कहना है कि मैं इस बार युवाओं से उनके स्वास्थ्य के बारे में बात करू उन्हें लगता है कि Asian countries में तुलना करें तो हमारे युवा physically weak हैं पिछले दिनों rance के राष्ट्रपति काशी की यात्रा पर गए थे वाराणसी के श्रीमान प्रशांत कुमार ने लिखा है कि उस यात्रा के सारे दृश्य, मन को छूने वाले थे, प्रभाव पैदा करने वाले थे और, उन्होंने आग्रह किया था कि वो सारे फ़ोटो, सारे ideo, social media पर प्रचारित करनी चाहिये प्रशांत जी, भारत सरकार ने वो फ़ोटो उसी दिन social media और NarendraModiApp पर share कर दिए थे अनघा, जयेश, मैं आप सब बच्चों को बताना चाहता हू कि आपके इन पत्रों से मेरे दिनभर की थकान छू-मन्तर हो जाती है किसान-मेलों और खेती को लेकर जो गतिविधिया देश-भर में चल रही हैं उसके बारे में किसान भाई-बहनों के पत्र आये हैं ater conservation को लेकर के कुछ सक्रिय नागरिकों ने सुझाव भेजे हैं estival season में हमारे त्योहार, हमारी संस्कृति, हमारी परम्पराओं को लेकर के बातें आती हैं ऐसे अनेक प्रेरणा-पुंज मेरे देश का परिचय करवाते हैं मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले कुछ महीने किसान भाइयों और बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं महात्मा गाधी से लेकर के शास्त्री जी हों, लोहिया जी हों, चौधरी चरण सिंह जी हों, चौधरी देवीलाल जी हों- सभी ने कृषि और किसान को देश की अर्थव्यवस्था और आम जन-जीवन का एक अहम् अंग माना इसी तरह, लाल बहादुर शास्त्री जी पेड़, पौधे और वनस्पति के संरक्षण और बेहतर कृषि-ढांचे की आवश्यकता पर अक्सर ज़ोर दिया करते थे डॉ राम मनोहर लोहिया ने तो हमारे किसानों के लिए बेहतर आय, बेहतर सिंचाई-सुविधाए और उन सब को सुनिश्चित करने के लिए और खाद्य एवं दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर जन-जागृति की बात कही थी मेघालय के हमारे किसानों ने वर्ष 2015-16 के दौरान, पिछले पाच साल की तुलना में record पैदावार की है उन्होंने दिखाया है कि जब लक्ष्य निर्धारित हो, हौसला बुलंद हो और मन में संकल्प हो तो उसे सिद्ध कर सकते हैं, करके दिखाया जा सकता है मेरे पास जो पत्र आये हैं, उसमें मैं देख रहा था कि बहुत सारे किसानों ने MSP के बारे में लिखा हुआ था और वो चाहते थे कि मैं इस पर उनके साथ विस्तार से बात करू भाइयो और बहनो, इस साल के बजट में किसानों को फसलों की उचित क़ीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए MSP, उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाएगा गाव की स्थानीय मंडियां, holesale Market और फिर Global Market से जुड़े - इसका प्रयास हो रहा है किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े - इसके लिए देश के 22 हज़ार ग्रामीण हाटों को ज़रुरी inrastructure के साथ upgrade करते हुए APM और e-NAM platorm के साथ integrate किया जाएगा यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी market के साथ connect -ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है देश कैसे यह उत्सव मनाये? आप सबसे मेरा आग्रह है, आप MyGov के माध्यम से इस पर अपने विचार सबके साथ share करें Preventive health-care सबसे सस्ता भी है और सबसे आसान भी है और हम लोग, preventive health-care के लिए जितना जागरूक होंगें उतना व्यक्ति को भी, परिवार को भी और समाज को भी लाभ होगा Preventive health-care के रूप में योग ने, नये सिरे से दुनिया-भर में अपनी पहचान बनाई है योग, itness और wellness दोनों की गारंटी देता है यह हम सबके commitment का ही परिणाम है कि योग आज एक mass movement बन चुका है, घर-घर पहुच चुका है इस बार के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून - इसके बीच 100 दिन से भी कम दिन बचे हैं पिछले तीन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवसों पर देश और दुनिया के हर जगह, लोगों ने काफी उत्साह से इसमें भाग लिया इस बार भी हमें सुनिश्चित करना है कि हम स्वयं योग करें और पूरे परिवार, मित्रों, सभी को, योग के लिए अभी से प्रेरित करें मेरे प्यारे देशवासियो, मैं योग teacher तो नहीं हू मैं आप सबके साथ यह video, share करूगा ताकि हम साथ-साथ आसन, प्राणायाम का अभ्यास कर सकें ealth care accessible हो और aordable भी हो ,जन सामान्य के लिए सस्ता और सुलभ हो - इसके लिए भी व्यापक स्तर पर प्रयास हो रहे हैं आज देश-भर में 3 हज़ार से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहा 800 से ज्यादा दवाइया कम क़ीमत पर उपलब्ध करायी जा रही हैं और भी नए केंद्र खोले जा रहे हैं हृदय-रोगियों के लिए heart stent की कीमत 85 तक कम कर दी गई है आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 10 करोड़ परिवार यानी क़रीब 50 करोड़ नागरिकों को इलाज के लिए 1 साल में 5 लाख रूपए का ख़र्च, भारत सरकार और I देश के मौजूदा 479 medical कॉलेजों में MBBS की सीटों की संख्या बढ़ाकर लगभग 68 हज़ार कर दी गई हैं हर 3 ज़िलों के बीच एक नया medical college खोला जाएगा जन-जन तक जागृति पहुचाने में आपकी मदद चाहिए टी.बी. से मुक्ति पाने के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करना होगा उनके लिए उद्योग एक ऐसा प्रभावी-माध्यम था जिसमें ग़रीब-से-ग़रीब व्यक्ति को रोज़गार उपलब्ध कराया जा सकता था आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक bright spot के रूप में उभरा है और आज पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा oreign irect I पूरा विश्व भारत को निवेश innovation और विकास के लिए B के रूप में देख रहा है बाबा साहब का sel-reliance, आत्मनिर्भरता में दृढ़ विश्वास था वे नहीं चाहते थे कि कोई व्यक्ति हमेशा ग़रीबी में अपना जीवन जीता रहे इसके साथ-साथ वे यह भी मानते थे कि ग़रीबों में सिर्फ़ कुछ बाट देने से उनकी ग़रीबी दूर नहीं की जा सकती ndia, Stand p I ndia initiatives हमारे युवा innovators, युवा entrepreneurs को जन्म दे रही है आज देश में जलमार्ग और बंदरगाहों के लिए ऐतिहासिक प्रयास हो रहे हैं भारत के अलग-अलग समुद्र-तटों पर नए बंदरगाह बन रहे हैं और पुराने बंदरगाहों पर inrastructure को मज़बूत किया जा रहा है उन्होंने ederalism, संघीय-व्यवस्था के महत्व पर बात की और देश के उत्थान के लिए केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करने पर बल दिया डॉ आम्बेडकर की जन्म जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से 5 मई तक ग्राम-स्वराज अभियान आयोजित किया जा रहा है इसके तहत पूरे भारत में ग्राम-विकास, ग़रीब-कल्याण और सामाजिक-न्याय पर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे मेरा, आप सभी से आग्रह है कि इस अभियान में बढ़-चढ़ करके हिस्सा लें मेरे प्यारे देशवासियो, अगले कुछ दिनों में कई त्योहार आने वाले हैं भगवान महावीर जयंती, हनुमान जयंती, ईस्टर, वैसाखी भगवान महावीर की जयंती का दिन उनके त्याग और तपस्या को याद करने का दिन है अहिंसा के संदेशवाहक भगवान महावीर जी का जीवन,दर्शन हम सभी के लिए प्रेरणा देगी समस्त देशवासियों को महावीर जयंती की शुभकामनाए ईस्टर की चर्चा आते ही प्रभु ईसा मसीह के प्रेरणादायक उपदेश याद आते हैं जिन्होंने सदा ही मानवता को शांति, सद्भाव, न्याय, दया और करुणा का सन्देश दिया है एक बार फिर आप सब को आने वाले सभी त्योहारों की ढ़ेरों शुभकामनाए हमने देखा है कि समुन्दर का रंग नीला नज़र आता है लेकिन हम अपने दैनिक जीवन के अनुभवों से जानते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता है क्या कभी हमने सोचा है कि नदी हो, समुन्दर हो, पानी रंगीन क्यों हो जाता है ? यही प्रश्न 1920 के दशक में एक युवक के मन में आया था इसी प्रश्न ने आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया उनकी एक ख़ोज Raman eect के नाम से प्रसिद्ध है हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को National Science ay मनाते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन उन्होंने light scattering की घटना की ख़ोज की थी जिसके लिए उन्हें नोबल- पुरस्कार दिया गया सर जगदीश चन्द्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक-ये भारत के गौरव हैं सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर तो amous particle Boson का नामकरण भी किया गया विज्ञान के क्षेत्र में जो चमत्कार हो रहे हैं, उनके बारे में जानना बड़ा दिलचस्प था आजकल मशीनें sel learning से अपने आप के intelligence को और smart बनाती जाती हैं पिछले दिनों इज़राइल के प्रधानमंत्री के साथ मुझे गुजरात में, अहमदाबाद में I reate के उद्घाटन के लिए जाने का अवसर मिला था Science and Technology, value neutral होती हैं इनमें मूल्य, अपने आप नहीं होते हैं कोई भी मशीन वैसा ही कार्य करेगी जैसा हम चाहेंगे लेकिन, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम मशीन से क्या काम लेना चाहते हैं ight Bulb का आविष्कार करने वाले Thomas Alva dison अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे एक बार उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया मैंने ight Bulb नहीं बनाने के दस हज़ार तरीक़े खोज़े हैं, यानि dison ने अपनी असफलताओं को भी अपनी शक्ति बना लिया संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि Auroville में हू एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके शासन पर सवाल उठाए सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना, महत्वपूर्ण है National Science ay के अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों, विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को मैं बधाई देता हू साथियो, crisis के समय saety, disaster इन सारे विषयों पर मुझे बहुत बार बहुत कुछ सन्देश आते रहते हैं, लोग मुझे कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं पुणे से श्रीमान रवीन्द्र सिंह ने NarendraModi mobile App पर अपने comment में occupational saety पर बात की है उन्होंने लिखा है कि हमारे देश में actories और constructions sites पर saety standards उतने अच्छे नहीं हैं अगर हम दैनिक जीवन में saety को लेकर जागरूक नहीं हैं, उसे हासिल नहीं कर पा रहे हैं तो फिर आपदा के दौरान इसे पाना मुश्किल हो जाता है अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, लेकिन, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं कभी-कभी हमने देखा है कि work place पर saety को लेकर बहुत सूत्र लिखे गए होते हैं लेकिन जब देखते हैं तो कहीं पर उसका पालन नज़र नहीं आता है बाढ़, cyclone के खतरे में होने वाले ज़िलों में volunteers के प्रशिक्षण के लिए भी आपदा मित्र नाम की पहल की गई है आज से दो-तीन साल पहले लू heat wave से प्रतिवर्ष हजारों लोग अपनी जान गवा देते थे इसके बाद NMA ने heat wave के प्रबंधन के लिए workshop आयोजित किये, लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया सबकी भागीदारी से एक अच्छा परिणाम सामने आया 2017 में लू से होने वाली मौतों की संख्या अप्रत्याशित रूप से घटकर क़रीब-क़रीब 220 पर आ गई इससे पता चलता है कि अगर हम सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, हम सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं समाज में इस प्रकार से काम करने वाले अनगिनत लोग हों, सामाजिक संगठन हों, जागरूक नागरिक हों - मैं उन सब की सराहना करना चाहता हू, जो कहीं पर भी आपदा हो मिनटों के अन्दर राहत और बचाव कार्य में जुट जाते हैं और ऐसे गुमनाम heroes की संख्या कोई कम नहीं है मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार बजट में स्वच्छ भारत के तहत गावों के लिए बायोगैस के माध्यम से waste to wealth और waste to energy बनाने पर ज़ोर दिया गया इसके लिए पहल शुरू की गई और इसे नाम दिया गया GBAR-han - Galvaniing rganic Bio-Agro Resources इस GBAR-han योजना का उद्देश्य है, गावों को स्वच्छ बनाना और पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पर्दाथों को MPST और BI -GAS में परिवर्तित कर, उससे धन और ऊर्जा generate करना स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत अब इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित उर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है गोबर धन योजना के तहत ग्रामीण भारत में किसानों, बहनों, भाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ waste के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें बायोगैस से खाना पकाने और lighting के लिए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी किसानों एवं पशुपालकों को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी aste collection, transportation, बायोगैस की बिक्री आदि के लिए नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे गोबर धन योजना के सुचारू व्यवस्था के लिए एक online trading platorm भी बनाया जाएगा जो किसानों को खरीदारों से connect करेगा ताकि किसानों को गोबर और agriculture waste का सही दाम मिल सके मैं उद्यमियों, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रह रही अपनी बहनों से आग्रह करता हू कि आप आगे आयें Sel elp Group बनाकर, सहकारी समितियां बनाकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं मैं आपको आमंत्रित करता हू clean energy and green jobs के इस आन्दोलन के भागीदार बनें अपने गाव में waste को wealth में परिवर्तन करने और गोबर से गोबर-धन बनाने की दिशा में पहल करें लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला कचरा महोत्सव आयोजित किया गया रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता शहर के waste का creatively use करना और garbage को re-use करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना aste management और स्वच्छता के महत्व को जिस अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइया देता हू देश और दुनिया में कई सारे कार्यक्रम होते हैं इस दिन देश में नारी शक्ति पुरस्कार से ऐसी महिलाओं को सत्कार भी किया जाता है जिन्होंने बीते दिनों में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया हो इस अवसर पर मुझे स्वामी विवेकानंद के वचन याद आते हैं उन्होंने कहा था the idea o perect womanhood is perect independence- सवा-सौ वर्ष पहले स्वामी जी का यह विचार भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के चिंतन को व्यक्त करता है आज सामाजिक, आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित करना यह हम सबका कर्तव्य है, यह हम सबकी जिम्मेवारी है उन्होंने ख़ुद को तो आगे बढाया ही है, साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुक़ाम पर ले जाने का काम किया है पिछले दिनों मुझे एक बहुत ही बढ़िया सुझाव किसी महाशय ने दिया था उन्होंने सुझाव दिया था कि 8 मार्च, महिला दिवस मनाने के भाति- भाति के कार्यक्रम होते हैं क्या हर गाव-शहर में जिन्होंने 100 वर्ष पूर्ण किये हैं ? 26 जनवरी, 2018 से प्रारंभ हुए इस अभियान के अंतर्गत मात्र 20 दिन में इन महिलाओं ने 1 लाख 70 हजार शौचालयों का निर्माण कर एक नई मिसाल कायम की है इसमें करीब 1 लाख सखी मंडल सम्मिलित हैं 14 लाख महिलाए, 2 हजार महिला पंचायत प्रतिनिधि, 29 हजार जल-सहिया, 10 हज़ार महिला स्वच्छाग्रही तथा 50 हजार महिला राज मिस्त्री आप कल्पना कर सकते हैं कि कितनी बड़ी घटना है झारखण्ड की इन महिलाओं ने दिखाया है कि नारी शक्ति, स्वच्छ भारत अभियान की एक ऐसी शक्ति है, जो सामान्य जीवन में स्वच्छता के अभियान को, स्वच्छता के संस्कार को प्रभावी ढंग से जन-सामान्य के स्वभाव में परिवर्तित करके रहेगी भाइयो-बहनो, अभी दो दिन पहले मैं न्यूज़ में देख रहा था कि एलीफेंटा द्वीप के तीन गावों में आज़ादी के 70 वर्ष बाद बिजली पहुची है और इसे लेकर वहा के लोगों में कितना हर्ष और उत्साह है आप सब भलीभाति जानते हैं, एलीफेंटा द्वीप, मुंबई से समुद्र में दस किलोमीटर दूर है मुझे यह बात जानकर हैरानी हुई कि मुम्बई के पास होने और पर्यटन का इतना बड़ा केंद्र होने के बावजूद, आज़ादी के इतने वर्षों तक एलीफेंटा में बिजली नहीं पहुची हुई 70 वर्षों तक एलीफेंटा द्वीप के तीन गाव राजबंदर, मोरबंदर और सेंतबंदर, वहा के लोगों की ज़िन्दगी में जो अधेरा छाया था, अब जाकर वह अधेरा छठा है और उनका जीवन रोशन हुआ है मैं वहा के प्रशासन और जनता को बधाई देता हू मुझे ख़ुशी है कि अब एलीफेंटा के गाव और एलीफेंटा की गुफाए बिजली से रोशन होंगे ये सिर्फ़ बिजली नहीं, लेकिन विकास के दौर की एक नयी शुरुआत है मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, अभी-अभी हम लोगों ने शिवरात्रि का महोत्सव मनाया होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है क्योंकि यह दिन बुराइयों को अग्नि में जलाकर नष्ट करने का दिन है होली सारे मन-मुटाव भूल कर एक साथ मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद में सहभागी बनने का शुभ अवसर है और प्रेम एकता तथा भाई-चारे का सन्देश देता है मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आज श्रीमान प्रकाश त्रिपाठी ने NarendraModiApp पर एक लम्बी चिट्ठी लिखी है और मुझसे बहुत आग्रह किया है कि मैं उनके पत्र में लिखे गए विषयों को स्पर्श करू उन्होंने लिखा है, 1 फरवरी को अन्तरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला की पुण्य तिथि है कोलंबिया अन्तरिक्षयान दुर्घटना में वो हमें छोड़ कर चली गयीं लेकिन दुनिया भर में लाखों युवाओं को प्रेरणा दे गयी मैं भाई प्रकाश जी का आभारी हू कि उन्होंने अपनी लम्बी चिट्ठी में कल्पना चावला की विदाई से प्रारम्भ किया है इच्छा और दृढ़ संकल्प हो, कुछ कर गुजरने का ज़ज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है वेदों की चाओं को गढ़ने में भारत की बहुत-सी विदुषियों का योगदान रहा है यह हमारे समाज में नारी के महत्व को दर्शाता है और तभी तो, हमारे समाज में नारी को शक्ति का दर्जा दिया गया है यह नारी शक्ति पूरे देश को, सारे समाज को, परिवार को, एकता के सूत्र में बाधती है श्रीमान प्रकाश त्रिपाठी ने आगे कई सारे उदाहरण दिए हैं उन्होंने लिखा है हमारी साहसिक रक्षा-मंत्री निर्मला सीतारमण के लड़ाकू विमान सुखोई 30 में उड़ान भरना, उन्हें प्रेरणा दे देगा तीन बहादुर महिलाए भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी ighter Pilots बनी हैं और Sukhoi-30 में प्रशिक्षण ले रही हैं यह NarendraModi website पर भी e-book के रूप में उपलब्ध है आज देश और समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में देश की नारी-शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है आज जब हम महिला सशक्तीकरण पर चर्चा कर रहे हैं तो मैं एक रेलवे स्टेशन का ज़िक्र करना चाहूगा एक रेलवे स्टेशन और महिला सशक्तीकरण, आप सोच रहे होंगे कि इस बीच में क्या connection है मुंबई का माटुंगा स्टेशन भारत का ऐसा पहला स्टेशन है जहा सारी महिला कर्मचारी हैं आदिवासी महिलाओं का जब ज़िक्र आता है तो सभी के मन में एक निश्चित तस्वीर उभर कर आती है जिसमें जंगल होता है, पगडंडियां होती हैं, उन पर लकड़ियों का बोझ सिर पर उठाये चल रही महिलाए लेकिन छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी नारी, हमारी इस नारी-शक्ति ने देश के सामने एक नई तस्वीर बनाई है छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा इलाक़ा, जो माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है हिंसा, अत्याचार, बम, बन्दूक, पिस्तौल - माओवादियों ने इसी का एक भयानक वातावरण पैदा किया हुआ है ऐसे ख़तरनाक इलाक़े में आदिवासी महिलाए, -Rickshaw चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं बहुत ही थोड़े कालखंड में कई सारी महिलाए इससे जुड़ गयी हैं यहा के ज़िला प्रशासन की भी सराहना करता हू, Grant उपलब्ध कराने से ले कर Training देने तक, ज़िला प्रशासन ने इन महिलाओं की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो काल-बाह्य है उसे छोड़ना, जो आवश्यक है उसका सुधार स्वीकार करना किसी भी जीवन-समाज की पहचान होती है उसका Sel orrecting Mechanism सामाजिक कुप्रथाओं और कुरीतियों के ख़िलाफ सदियों से हमारे देश में व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर लगातार प्रयास होते रहे हैं इस अभियान के द्वारा लोगों को बाल-विवाह और दहेज़-प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ़ जागरूक किया गया दहेज़ और बाल-विवाह जैसी कुरीतियों से पूरे राज्य ने लड़ने का संकल्प लिया बच्चे, बुजुर्ग, जोश और उत्साह से भरे युवा, माताए, बहनें हर कोई अपने आप को इस जंग में शामिल किये हुए थे पटना का ऐतिहासिक गाधी मैदान से आरंभ हुई मानव-श्रृंखला राज्य की सीमाओं तक अटूट-रूप से जुड़ती चली गई समाज के सभी लोगों को सही मायने में विकास का लाभ मिले इसके लिए ज़रुरी है कि हमारा समाज इन कुरीतियों से मुक्त हो मैं बिहार की जनता, राज्य के मुख्यमंत्री, वहा के प्रशासन और मानव श्रृंखला में शामिल हर व्यक्ति की सराहना करता हू कि उन्होंने समाज कल्याण की दिशा में इतनी विशेष एवं व्यापक पहल की मेरे प्यारे देशवासियो, मैसूर, कर्नाटक के श्रीमान् दर्शन ने MyGov पर लिखा है उनके पिता के ईलाज़ पर महीने में दवाइयों का खर्च 6 हज़ार रूपये होता था उन्हें पहले प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन अब जब उन्हें जन-औषधि केंद्र के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने वहा से दवाइया ख़रीदी तो उनका दवाइयों का खर्च 75 प्रतिशत तक कम हो गया उन्होंने इच्छा जताई है कि मैं इसके बारे में मन की बात कार्यक्रम में बात करू ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी जानकारी पहुचे और वे इसका लाभ ले सकें एक गहरा संतोष मिलता है और मुझे यह भी बहुत अच्छा लगा कि श्रीमान् दर्शन जी के मन में ये विचार आया कि जो उन्हें मिला है, वो औरों को भी मिले इससे जन-सामान्य, विशेषकर प्रतिदिन दवाएं लेने वाले वरिष्ठ नागरिकों की बहुत आर्थिक मदद होती है, बहुत बचत होती है इसमें ख़रीदी जानेवाली generic दवाएं orld ealth rganisation के तय standard के हिसाब से होती हैं यही कारण है कि अच्छी uality की दवाएं सस्ते दाम पर मिल जाती हैं आज देशभर में तीन हज़ार से ज्यादा जन-औषधि केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं इससे न सिर्फ दवाइया सस्ती मिल रही हैं बल्कि I ndividual ntrepreneurs के लिए भी रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं सस्ती दवाइया प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केन्द्रों और अस्पतालों के अमृत stores पर उपलब्ध हैं इन सब के पीछे एक मात्र उद्देश्य है देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को uality and aordable health service उपलब्ध करवाना ताकि एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण किया जा सके वो फोटो ऐसी थी जिसमें एक पोता अपने दादा के साथ lean Morna River सफाई अभियान में हिस्सा ले रहा था मुझे पता चला कि अकोला के नागरिकों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत मोरना नदी को साफ़ करने के लिए स्वच्छता अभियान का आयोजन किया था मोरना नदी पहले बारह महीने बहती थी लेकिन अब वो seasonal हो गई है दूसरी पीड़ा की बात है कि नदी पूरी तरह से जंगली घास, जलकुम्भी से भर गई थी नदी और उसके किनारे पर काफ़ी कूड़ा फेका जा रहा था एक action plan तैयार किया गया और मकर-संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी को Mission lean Morna के प्रथम चरण के तहत चार किलोमीटर के क्षेत्र में चौदह स्थानों पर मोरना नदी के तट के दोनों किनारों की सफाई की गई 20 जनवरी 2018 को भी ये स्वच्छता-अभियान उसी तरह जारी रखा गया और मुझे बताया गया है कि जब तक मोरना नदी पूरी तरह से साफ़ नही हो जाती, ये अभियान हर शनिवार की सुबह को चलेगा जन-आंदोलन के माध्यम से बड़े से बड़े बदलाव लाये जा सकते हैं मैं अकोला की जनता को, वहा के ज़िला एवं नगर-निगम के प्रशासन को इस काम को जन-आंदोलन बनाने के लिए जुटे हुए सब नागरिकों को, आपके इन प्रयासों को बहुत-बहुत बधाई देता हू और आप का ये प्रयास देश के अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा मेरे प्यारे देशवासियो, इन दिनों पद्म-पुरस्कारों के संबंध में काफी चर्चा आप भी सुनते होंगे अख़बारों में भी इस विषय में, T.. पर भी इस पर ध्यान आकर्षित होता है हर वर्ष पद्म-पुरस्कार देने की परम्परा रही है लेकिन पिछले तीन वर्षों में इसकी पूरी प्रक्रिया बदल गई है अब कोई भी नागरिक किसी को भी nominate कर सकता है पूरी प्रक्रिया online हो जाने से transparency आ गई है एक तरह से इन पुरस्कारों की चयन-प्रक्रिया का पूरा transormation हो गया है ऐसे लोगों को पद्म-पुरस्कार दिए गए हैं जो आमतौर पर बड़े-बड़े शहरों में, अख़बारों में, टी.वी. में, समारोह में नज़र नहीं आते हैं अब पुरस्कार देने के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं, उसके काम का महत्व बढ़ रहा है आपने सुना होगा श्रीमान् अरविन्द गुप्ता जी को, आपको जान करके ख़ुशी होगी, I वे चार दशकों से कचरे से खिलौने बना रहे हैं ताकि बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ा सकें एक ऐसी ही कहानी कर्नाटक के सितावा जोद्दती (SI इन्हें महिला-सशक्तीकरण की देवी ऐसे ही नहीं कहा गया है पिछले तीन दशकों से बेलागवी (BAGAI ) में इन्होंने अनगिनत महिलाओं का जीवन बदलने में महान योगदान दिया है इन्होंने सात वर्ष की आयु में ही स्वयं को देवदासी के रूप में समर्पित कर दिया था लेकिन फिर देवदासियों के कल्याण के लिए ही अपना पूरा जीवन लगा दिया इतना ही नहीं, इन्होंने दलित महिलाओं के कल्याण के लिए भी अभूतपूर्व कार्य किये हैं आपने नाम सुना होगा मध्य प्रदेश के भज्जू श्याम के बारे में, श्रीमान् भज्जू श्याम का जन्म एक बिलकुल ग़रीब परिवार, आदिवासी परिवार में हुआ था वे जीवन यापन के लिए सामान्य नौकरी करते थे लेकिन उनको पारम्परिक आदिवासी painting बनाने का शौक था आज इसी शौक की वजह से इनका भारत ही नहीं, पूरे विश्व में सम्मान है विदेशों में भारत का नाम रोशन करने वाले भज्जू श्याम जी की प्रतिभा को पहचाना गया और उन्हें पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया लक्ष्मीकुट्टी, कल्लार में शिक्षिका हैं और अब भी घने जंगलों के बीच आदिवासी इलाके में ताड़ के पत्तों से बनी झोपड़ी में रहती हैं उन्होंने अपनी स्मृति के आधार पर ही पांच सौ herbal medicine बनाई हैं सांप काटने के बाद उपयोग की जाने वाली दवाई बनाने में उन्हें महारत हासिल है लक्ष्मी जी herbal दवाओं की अपनी जानकारी से लगातार समाज की सेवा कर रही हैं इस गुमनाम शख्शियत को पहचान कर समाज में इनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया मैं आज एक और नाम का भी जिक्र करने का मेरा मन करता है पश्चिम बंगाल की 75 वर्षीय सुभासिनी मिस्त्री को भी उन्हें पुरस्कार के लिए चुना गया सुभासिनी मिस्त्री एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अस्पताल बनाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन मांजे, सब्जी बेची जब ये 23 वर्ष की थीं तो उपचार नहीं मिलने से इनके पति की मृत्यु हो गई थी और इसी घटना ने उन्हें गरीबों के लिए अस्पताल बनाने के लिए प्रेरित किया आज इनकी कड़ी मेहनत से बनाए गए अस्पताल में हजारों गरीबों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी बहुरत्ना-वसुंधरा में ऐसे कई नर-रत्न हैं, कई नारी-रत्न हैं जिनको न कोई जानता है, न कोई पहचानता है कभी स्कूलों में, colleges में ऐसे लोगों को बुला करके उनके अनुभवों को सुनना चाहिए पुरस्कार से भी आगे, समाज में भी कुछ प्रयास होना चाहिए मेरे प्यारे देशवासियो, हर वर्ष 9 जनवरी को हम प्रवासी भारतीय दिवस मनाते हैं यही 9 जनवरी है, जब पूज्य महात्मा गाधी ST ARI A से भारत लौटे थे इस दिन हम भारत और विश्व भर में रह रहे भारतीयों के बीच, अटूट-बंधन का जश्न मनाते हैं इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस पर हमने एक कार्यक्रम आयोजित किया था जहा विश्व भर में रह रहे भारतीय-मूल के सभी सांसदों को और मेयरों ( MARS) को आमंत्रित किया था आपको यह जानकर खुशी होगी कि उस कार्यक्रम में Malaysia, New ealand, Switerland, Portugal, Mauritius, iji, Tanania, Kenya, anada, Britain, Surinam, दक्षिण अफ्रीका और America से, और भी कई देशों से वहा जहा-जहा हमारे मेयर हैं मूल- भारतीय, जहा-जहा सांसद है मूल-भारतीय, उन सब ने भाग लिया था T में काम कर रहा है, तो कोई आयुर्वेद को समर्पित है, कोई अपने संगीत से समाज के मन को डुलाता लाता है तो कोई अपनी कविताओं से मैं धन्यवाद देना चाहूगा यूरोपीय यूनियन के इस उल्लेखनीय कार्य के लिए, भारतीय मूल के लोगों को recognise करने के लिए और उनके माध्यम से दुनिया भर के लोगों को जानकारी देने के लिए भी 30 जनवरी को पूज्य बापू की पुण्य-तिथि है, जिन्होंने हम सभी को एक नया रास्ता दिखाया है वे सिर्फ कोरे सिद्दांत नहीं थे वर्तमान में भी हम डगर-डगर पर देखते हैं कि बापू की बातें कितनी सही थीं अगर हम संकल्प करें कि बापू के रास्ते पर चलें -जितना चल सके, चलें - तो उससे बड़ी श्रद्दांजलि क्या हो सकती है? मेरे प्यारे देशवासियो, आप सब को 2018 की शुभकामनायें देते हुए, मेरी वाणी को विराम देता हू कैसे हम हमारे संकल्पों को 2022 से पहले सिद्ध करेंगें ? वो उम्र में हम सभी से बहुत बड़ी हैं, और देश के अलग-अलग पड़ावों, अलग-अलग दौर की, वो साक्षी हैं वो, इस 28 सितम्बर को 90 वर्ष की हो रही हैं विदेश यात्रा पर निकलने से पहले, मुझे, दीदी से फ़ोन पर बात करने का सौभाग्य मिला था ये बातचीत वैसे ही थी, जैसे, बहुत दुलार में, छोटा भाई, अपनी बड़ी बहन से बात करता है मैं नरेंद्र मोदी बोल रहा हू लता जी : उम्र से बड़ा तो बहुत, कुछ लोग होते हैं, पर अपने काम से जो बड़ा होता है, उसका आशीर्वाद मिलना बहुत बड़ी चीज होती है लता जी : जी, मैं तो सोचती हू कि मेरे माता-पिता का आशीर्वाद है, और सुनने वालों का आशीर्वाद है नहीं मैं आपको बहुत तकलीफ नहीं देना चाहती हू, क्योंकि, मैं देख रही हू, जानती हू, कि आप कितने busy होते हैं और आपको कितना काम होता है क्या-क्या सोचना पड़ता है जब, आप जा के अपनी माता जी को पाव छू के आये, देखा तो मैंने भी किसी को भेजा था उनके पास और उनका आशर्वाद लिया और फिर एक बार मैं आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हू आगे कई हफ़्तों तक, देश भर में, त्योहारों की रौनक रहेगी शायद, ये कहावत, सिर्फ शब्द नहीं हैं, हम लोगों के लिए, एक आदेश है, एक दर्शन है, एक प्रेरणा है कुछ घरों में, मिठाइया खराब हो रही होती हैं, तो, कुछ घरों में, बच्चे, मिठाई को तरसते हैं कम-से-कम हमारे घरों में, जो अधिकता में है, जिसको, अब हम काम में नहीं लेते, ऐसी चीजों की तो delivery out जरुर करें कई शहरों में, कई NGs युवा साथियों के start-ups ये काम करते हैं वो, लोगों के घरों से, कपड़े, मिठाइया, खाना, सब कुछ इकट्ठा कर, जरुरतमंदों को ढूंढ-ढूंढ करके, उन तक पहुंचाते हैं और गुमनाम गतिविधि करते हैं क्या इस बार, त्योहारों के इस season में, पूरी जागरूकता और संकल्प के साथ, इस चिराग तले अधेरे को मिटा सकते हैं ? हमारी संस्कृति में, बेटियों को लक्ष्मी माना गया है, क्योंकि, बेटी सौभाग्य और समृद्धि लाती है क्या इस दिवाली पर भारत की इस लक्ष्मी के सम्मान के कार्यक्रम, हम कर सकते हैं ? हमारे आस-पास कई बेटिया, कई बहुए ऐसी होंगी, जो, असाधारण काम कर रही होंगी कोई, गरीब बच्चों की पढाई का काम कर रही होंगी कोई स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने में जुटी होगी, तो कोई, डॉक्टर, इंजीनियर बन कर समाज की सेवा कर रही होगी हमारा समाज, ऐसी बेटियों की पहचान करे, सम्मान करे, और उन पर, अभिमान करे जैसे हम सबने मिलकर एक महा-अभियान चलाया था Selie with daughter और वो दुनियाभर में फैल गया था मेरे प्यारे देशवासियों, मन की बात का मैंने पहले भी कहा था बहुत बड़ा लाभ है कि मुझे कई जाने-अनजाने लोगों से प्रत्यक्ष-परोक्ष संवाद करके का सौभाग्य मिल जाता है पिछले दिनों दूर-सुदूर अरुणाचल से एक विद्यार्थी ने अलीना तायंग, मुझे बड़ा interesting पत्र भेजा है मैं रोइंग, अरुणाचल प्रदेश से हू मुझे लगा, कि, यदि मैंने ये किताब eam से पहले पढ़ी होती तो मुझे काफी लाभ होता मुझे इस किताब से कई पहलू बहुत अच्छे लगे, लेकिन, मैंने ये भी चीज़ देखी कि students के लिए तो बहुत सारे मंत्र है लेकिन parents और teachers के लिए इस बुक में ज्यादा कुछ नहीं है मेरे नन्हे से विद्यार्थी मित्र, पहले तो, पत्र लिखने के लिए आपका धन्यवाद am arriors 2-3 बार पढ़ने के लिए, धन्यवाद आपने जो कहा है कि अगर मैं नयी edition के समय निकल पाऊगा तो जरुर उसमें मैं parents के लिए, teachers के लिए कुछ बातें लिखने का प्रयास करूगा मैं जरुर उसका अध्ययन करूगा उस पर मैं सोचूगा और उसमें से जो मुझे ठीक लगेगा उसको मैं मेरे अपने शब्दों में, अपने तरीके से जरुर लिखने का प्रयास करूगा, और हो सकता है, अगर, आपके सुझाव ज्यादा आयेंगे तो मेरी नई edition की बात भी पक्की हो जायेगी तो मैं इंतज़ार करूगा आपके विचारों का मेरे प्यारे देशवासियो, आप अखबारों के माध्यम से, टी.वी. के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री के व्यस्त कार्यक्रमों के विषय में जानते भी हैं, व्यस्तता की चर्चा भी करते हैं लेकिन, आपको मालूम है ना मैं भी आप ही के जैसा एक सामान्य इंसान हू कड़ी टक्कर में हार के बाद भी उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी Nadal की तारीफ कर sportsman spirit का जीता जागता सबूत दे दिया हालांकि दूसरी तरफ champion Nadal ने भी aniil के खेल की जमकर सराहना की एक ही match में हारने वाले का जोश और जीतने वाले की विनम्रता दोनों देखने लायक थी मेरे प्यारे देशवासियो और खास-करके मेरे युवा मित्रों, मैं अब जो बात करने जा रहा हू, वो, सीधा-सीधा आपकी भलाई के लिए कर रहा हू बहुत फैल जाती हैं उसको बाद में रोकना बहुत मुश्किल होता है लेकिन, अगर शुरू में ही हम जागृत होकर के उसे रोक लें, तो, बहुत कुछ बचाया जा सकता है इसी भाव से, मेरा मन करता है, आज, खास-करके मेरे युवाओं से मैं जरुर कुछ बातें करू हम सभी जानते हैं कि तम्बाकू का नशा, सेहत के लिए, बहुत नुकसानदायक होता है और उसकी लत छोड़ना भी बहुत मुश्किल हो जाता है तम्बाकू से नशा उसमें मौजूद nicotine के कारण होता है किशोरावस्था में इसके सेवन से दिमाग का विकास भी प्रभावित होता है लेकिन, आज, मैं आपसे, एक नए विषय पर बात करना चाहता हू आपको पता होगा, कि, हाल ही में भारत में e-cigarette पर प्रतिबन्ध लगाया गया है सामान्य cigarette से अलग e-cigarette एक प्रकार का electronic उपकरण होता है सामान्य cigarette के खतरों को जहा हम सब भली-भांति समझते हैं, वहीं, e- cigarette के बारे में एक गलत धारणा पैदा की गई है लेकिन e- cigarette का मामला बहुत ही अलग है e- cigarette को लेकर लोगों में इतनी awareness नहीं है वे इसके खतरे को लेकर भी पूरी तरह अंजान हैं और इसी कारण कभी-कभी कौतुहल में e- cigarette चुपके से घर में प्रवेश कर जाती है आप जानते ही हैं, कि, जब कोई हमारे आसपास धूम्रपान करता है, तो हमें इसका पता गंध से ही चल जाता है ऐसे में, कई किशोर और युवा, जाने-अनजाने और कभी ashion statement के रूप में बड़े गर्व के साथ अपने किताबों के बीच में, अपने दफ्तर में, अपनी जेब में, कभी-कभी अपने हाथ में लेकर के घूमते नजर आ रहे हैं और वो इसके शिकार हो जाते हैं युवा पीढ़ी देश का भविष्य है ये बीमारी, ये आदत समाज में जड़ें न जमा दें मैं आप सभी से यह आग्रह करता हू, कि, तम्बाकू के व्यसन को छोड़ दें और e- cigarette के संबंध में कोई गलत फहमी न पालें ndia का मतलब यहा थोड़ा है कि हाथ-पैर सुबह-शाम दो-दो घंटे हम gym में चले जाएं, तो हो जाएगा अनेक मानव रत्न इस धरती से निकले हैं ऐसी ही, एक महान विभूति को 13 अक्टूबर को वेटिकन सिटी में सम्मानित किया जा रहा है यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है, कि, पोप फ्रांसिस आने वाले 13 अक्टूबर को मरियम थ्रेसिया को संत घोषित करेंगे सिस्टर मरियम थ्रेसिया ने 50 साल के अपने छोटे से जीवनकाल में ही मानवता की भलाई के लिए जो कार्य किए, वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है मैं एक बार फिर से सिस्टर मरियम थ्रेसिया को श्रद्धांजलि अर्पित करता हू और भारत के लोगों को खास तौर पर हमारे ईसाई भाई-बहनों को इस उपलब्धि के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हू मेरे प्यारे देशवासियों, भारत ही नहीं आज पूरी दुनिया के लिए ये गर्व का विषय है, कि, आज जब हम गाधी 150 मना रहे हैं, तो इसके साथ ही, 130 करोड़ देशवासियों ने Single se Plastic से मुक्त होने का संकल्प लिया है पर्यावरण संरक्षण की दिशा में, भारत ने पूरे विश्व में जिस प्रकार की lead ली है, उसे देखकर, आज सभी देशों की नजरे भारत की ओर टिकी है मुझे पूरा विश्वास है, आप सब 2 अक्तूबर को Single se Plastic से मुक्ति के लिए होने वाले अभियान का हिस्सा बनने वाले ही होंगे जगह-जगह लोग अपने-अपने तरीक़े से इस अभियान में अपना योगदान दे रहें हैं लेकिन, हमारे ही देश के एक नौजवान ने, एक बड़ा ही अनोखा अभियान चलाया है उनके इस काम पर मेरा ध्यान गया, तो, मैंने उनसे फ़ोन पर बात करके उनके इस नए प्रयोग को जानने समझने की कोशिश की हो सकता है, उनकी ये बातें देश के और लोगों को भी काम आये जब पहली बार मैंने Plogging शब्द सुना तो मेरे लिए भी नया था विदेशों में तो शायद ये शब्द कुछ मात्रा में उपयोग हुआ है मुझे विश्वास है, कि, 130 करोड़ देशवासी इस दिशा में एक कदम उठाएंगे तो single use plastic की मुक्त होने की दिशा में अपना भारत 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा रिपुदमन जी, फिर एक बार, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद अपने जीवन को देशहित में बदलने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं मेरे प्यारे देशवासियो, आपको याद होगा, 15 अगस्त को मैंने लाल किले से कहा था कि 2022 तक आप भारत के 15 स्थानों पर जाए कम से कम 15 स्थान और वो भी हो सके तो एक रात, दो रात रुकने वाला कार्यक्रम बनाये आप हिंदुस्तान को देखे, समझें, अनुभव करें हमारे पास कितनी विविधताए हैं और जब ये दिवाली के त्योहार में छुट्टियों के दिन आते हैं, लोग जरुर जाते हैं और इसलिए मैं फिर से आग्रह करूगा कि आप भारत की किसी भी ऐसी 15 जगहों पर घूमने जरुर जाए अगर हमने और कोशिश की तो आज़ादी के 75 साल आते-आते हम tourism में दुनिया के प्रमुख स्थानों में अपनी जगह बना लेंगे ये भी ज़रूर देखना, कि, दीवाली के दिनों में पटाखे वगैरा से कहीं आगजनी, कहीं किसी व्यक्ति का नुकसान न हो जाए मन की बात , नवंबर 2017 उत्तर-भारत के व्यक्ति को पता नहीं होगा कि दक्षिण-भारत में क्या है? पश्चिम-भारत के व्यक्ति को पता नहीं होगा कि पूर्व-भारत में क्या है? ये हमारा देश बुद्ध और गांधी का देश है, देश की एकता के लिए जी-जान लगा देने वाले सरदार पटेल का देश है सदियों से हमारे पूर्वजों ने सार्वजनिक जीवन-मूल्यों को, अहिंसा को, समादर को स्वीकार किया हुआ है, हमारी ज़हन में भरा हुआ है अहिंसा परमो धर्म:, ये हम बचपन से सुनते आये हैं, कहते आये हैं मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हू, कानून हाथ में लेने वाले, हिंसा के राह पर दमन करने वाले किसी को भी, चाहे वो व्यक्ति हो या समूह हो, न ये देश कभी बर्दाश्त करेगा और न ही कोई सरकार बर्दाश्त करेगी हमारे बहुत सारे त्योहार तो सीधे-सीधे किसान से जुड़े हुए होते हैं, मछुआरों से जुड़े हुए होते हैं आज मैं त्योहारों की बात कर रहा हू तो सबसे पहले मैं आप सबको मिच्छामि दुक्कड़म कहना चाहूगा जैन समाज में कल संवत्सरी का पर्व मनाया गया जैन समाज में भाद्र मास में पर्युषण पर्व मनाया जाता है इसे एक प्रकार से क्षमा-वाणी पर्व भी कहा जाता है और इस दिन एक दूसरे को मिच्छामि दुक्कड़म कहने की परंपरा है वैसे भी हमारे शास्त्रों में क्षमा वीरस्य भूषणम् यानि क्षमा वीरों का भूषण है इस महापर्व को एकता, समता और शुचिता का प्रतीक कहा जाता है सभी देशवासियों को गणेशोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाए अभी केरल में ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है भारत के रंग-बिरंगे त्योहारों में से एक ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है यह पर्व अपने सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व के लिए जाना जाता है और अब तो हमारे ये त्योहार भी, tourism के आकर्षण का भी कारण बनते जा रहे हैं और मैं तो देशवासियों से कहूगा कि जैसे गुजरात में नवरात्रि का उत्सव या बंगाल में दुर्गा उत्सव एक प्रकार से tourism का आकर्षण बन चुके हैं हमारे और त्योहार भी, विदेशियों को आकर्षित करने के लिये एक अवसर हैं उस दिशा में हम क्या कर सकते हैं, सोचना चाहिये इन त्योहारों की श्रृंखला में कुछ ही दिन बाद देश भर में ईद-उल-जुहा का पर्व भी मनाया जाएगा सभी देशवासियों को ईद-उल-जुहा की बहुत-बहुत बधाइया, बहुत शुभकामनाए पारिवारिक जीवन में तो त्योहार और स्वच्छता जुड़े हुए हैं त्योहार की तैयारी का मतलब है साफ़-सफाई ये हमारे लिए कोई नयी चीज़ नहीं है लेकिन ये सामाजिक स्वभाव बनाना भी ज़रूरी है सार्वजनिक रूप से स्वच्छता का आग्रह सिर्फ़ घर में नहीं, हमारे पूरे गाव में, पूरे नगर में, पूरे शहर में, हमारे राज्य में, हमारे देश में स्वच्छता, ये त्योहारों के साथ एक अटूट हिस्सा बनना ही चाहिये मेरे प्यारे देशवासियो, आधुनिक होने की परिभाषाए बदलती चली जा रही हैं अगर आप ou Tube पर जा करके देखेंगे, हर घर में बच्चे गणेश जी बना रहे हैं, मिट्टी ला करके गणेश जी बना रहे हैं तीन वर्ष पूर्व जब स्वच्छता का अभियान प्रारंभ किया था, 2 अक्टूबर को उसको तीन साल हो जायेंगे ऐसे समय में गुजरात के बनासकांठा ज़िले के धानेरा में, जमीयत उलेमाएहिन्द के कार्यकर्ताओं ने बाढ़ प्रभावित 22 मंदिरों एवं 3 मस्जिदों की चरणबद्ध तरीक़े से साफ़-सफ़ाई की मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आप सभी से एक आह्वान करता हू कि एक बार फिर 2 अक्टूबर गाधी जयंती से 15-20 दिन पहले से ही स्वच्छता ही सेवा जैसे पहले कहते थे जल सेवा यही प्रभु सेवा, स्वच्छता ही सेवा की एक मुहिम चलायें मेरे social media के मित्र कुछ रचनात्मक अभियान चला सकते हैं और virtual world का धरातल पर काम हो, उसकी प्रेरणा बना सकते हैं स्वच्छ-संकल्प से स्वच्छ-सिद्धि प्रतियोगिता, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा ये अभियान जिसमें आप निबंध की स्पर्धा है, लघु-फिल्म बनाने की स्पर्धा है, चित्रकला-प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है इसमें आप विभिन्न भाषाओ में निबंध लिख सकते हैं और उसमें कोई उम्र की मर्यादा नहीं है, कोई age limit नहीं है सुनने वालों की संख्या तो करोड़ों में है, लेकिन लाखों लोग मुझे कभी पत्र लिखते हैं, कभी message देते हैं, कभी फ़ोन पे सन्देश आ जाता है, मेरे लिए एक बहुत बड़ा खज़ाना है देश के जन-जन के मन को जानने के लिए ये मेरे लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन गया है आप जितना मन की बात का इंतज़ार करते हैं उससे ज़्यादा मैं आपके संदेशों का इंतज़ार करता हू मैं लालायित रहता हू क्योंकि आप की हर बात से मुझे कुछ सीखने को मिलता है मैं अपनी एक सहेली के बारे में बताना चाहती हू वो हमेशा लोगों की मदद करने की कोशिश करती है लेकिन उसकी एक आदत देखकर मैं हैरान हो जाती हू मैं एक बार उसके साथ शॉपिंग करने मॉल गयी थी वापस लौटते हुए रास्ते में सब्जी खरीदी और हर सब्जी पर फिर से मोल-भाव करके 4-5 रूपये बचाये अब ये phone call सुनने के बाद, मुझे पक्का विश्वास है कि आप चौंक भी गये होंगे, चौकन्ने भी हो गये होंगे और हो सकता है आगे से ऐसी गलती न करने का मन में तय भी कर लिये होंगे क्या आपको नहीं लगता है कि जब हम, हमारे घर के आस-पास कोई सामान बेचने के लिए आता है, कोई फेरी लगाने वाला आता है, किसी छोटे दुकानदार से, सब्ज़ी बेचने वालों से हमारा संबंध आ जाता है, कभी ऑटो-रिक्शा वाले से संबंध आता है जब भी हमारा किसी मेहनतकश व्यक्ति के साथ संबंध आता है तो हम उससे भाव का तोल-मोल करने लग जाते हैं, मोल-भाव करने लग जाते हैं नहीं इतना नहीं, दो रूपया कम करो, पाच रुपया कम करो और हम ही लोग किसी बड़े restaurant में खाना खाने जाते हैं तो बिल में क्या लिखा है देखते भी नहीं हैं, धड़ाम से पैसे दे देते हैं इतना ही नहीं showroom में साड़ी ख़रीदने जायें, कोई मोल-भाव नहीं करते हैं लेकिन किसी ग़रीब से अपना नाता आ जाये तो मोल-भाव किये बिना रहते नहीं हैं दो रूपया पांच रूपया आपके जीवन में कोई फ़र्क नहीं पड़ता है लेकिन आपकी ये छोटी-सी आदत उसके मन को कितना गहरा धक्का लगाती होगी कभी ये सोचा है ? मैडम, मैं आप का आभारी हू आपने इतना ह्रदय को छूने वाला phone call करके एक message मुझे दिया मुझे विश्वास है कि मेरे देशवासी भी ग़रीब के साथ ऐसा व्यवहार करने की आदत होगी तो ज़रुर छोड़ देंगे मेरे प्यारे नौजवान साथियो, 29 अगस्त को पूरा देश राष्ट्रीय खेल-दिवस के रूप में मनाता है ये महान hockey player और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी का जन्मदिवस है हॉकी के लिए उनका योगदान अतुलनीय था मैं इस बात का स्मरण इसलिए करा रहा हू कि मैं चाहता हू कि हमारे देश की नई पीढ़ी, खेल से जुड़े खेल हमारे जीवन का हिस्सा बने अगर हम दुनिया के युवा देश हैं तो हमारी ये तरुणाई खेल के मैदान में भी नज़र आनी चाहिए खेल एक प्रकार से दिलों के मेल की एक बहुत बड़ी जड़ी-बूटी है हमारी देश की युवा पीढ़ी खेल जगत में आगे आए और आज computer के युग में तो मैं आगाह भी करना चाहूगा कि playing ield, play-station से ज्यादा महत्वपूर्ण है A खेलिये लेकिन बाहर मैदान में भी तो कभी ootball के साथ करतब करके दिखाइये computer पर cricket खेलते होंगे लेकिन खुले मैदान में आसमान के नीचे cricket खेलने का आनंद कुछ और होता है हमारे नौजवानों के लिए तो खुशी की खबर है कि भारत में 6 से 28 अक्टूबर तक I A nder 17 orld up का आयोजन होने जा रहा है I दुनिया भर से 24 टीमें भारत को अपना घर बनाने जा रही हैं आइये, विश्व से आने वाले हमारे नौजवान मेहमानों का, खेल के उत्सव के साथ स्वागत करें, खेल को enjoy करें, देश में एक माहौल बनाएं जब मैं आज खेल की बात कर रहा हू तो मैं पिछले हफ्ते एक मेरे मन को बड़ी ही छू जाने वाली घटना घटी देशवासियों के साथ share करना चाहता हू मुझे बहुत ही छोटी आयु की कुछ बेटियों से मिलने का मौका मिला और उसमें से कुछ बेटियां तो हिमालय में पैदा हुई थी कभी एक साथ 40-40 दिन पानी में बिताएगी कभी-कभी 30-30 दिन पानी में बिताएगी समुन्द्र की लहरों के बीच साहस के साथ हमारी ये छ: बेटियां और ये विश्व में पहली घटना हो रही है कौन हिंदुस्तानी होगा जिन्हें हमारी इन बेटियों पर नाज़ न हो मैं इन बेटियों के जज़्बे को सलाम करता हू और मैंने उनसे कहा है कि वो पूरे देश के साथ अपने अनुभवों को साझा करें मेरी इन बेटियों को बहुत-बहुत शुभकामना है, बहुत-बहुत आशीर्वाद है मेरे प्यारे देशवासियो, 5 सितम्बर को हम सब शिक्षक दिवस मनाते हैं वे राष्ट्रपति थे लेकिन जीवन भर अपने आप को एक शिक्षक के रूप में ही वो प्रस्तुत करते थे वो हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीना पसंद करते थे t is the supreme art o the teacher to awaken joy in creative epression and knowledge. अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है एक mission mode में एक अभियान चला सकते हैं ? अगर हम सामूहिक प्रयास करेंगे तो राष्ट्र के transormation में हम बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे आइये teach to transorm इस मंत्र को लेकर के चल पड़ें मेरा नाम है डॉक्टर अनन्या अवस्थी मैं मुम्बई शहर की निवासी हू और oward niversity के I ndia Research entre के लिये काम करती हू 28 अगस्त, 2014 को मन में एक सपना ले करके इस अभियान को प्रारंभ किया था कल 28 अगस्त को इस प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अभियान को तीन साल हो रहे हैं 30 करोड़ नये परिवारों को इसके साथ जोड़ा है, bank account खोला है दुनिया के कई देशों की आबादी से भी ज़्यादा ये नंबर है कभी पैसे हाथ में रहते हैं, ज़ेब में रहते हैं, घर में हैं तो फ़ालतू ख़र्च करने का मन कर जाता है प्रधानमंत्री जन-धन योजना में हमारे ग़रीबों के द्वारा क़रीब 65 हज़ार करोड़ रूपया बैंकों में जमा हुआ है और प्रधानमंत्री जन-धन योजना के साथ जिसका account खुला, उसको insurance का भी लाभ मिला है प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एक रुपया, तीस रूपया बहुत मामूली सा premium आज वो ग़रीबों की ज़िन्दगी में एक नया विश्वास पैदा करता है कई परिवारों में, एक रूपये के बीमे के कारण जब ग़रीब आदमी पर संकट आया, परिवार के मुखिया का जीवन अंत हो गया, कुछ ही दिनों में उसे 2 लाख रूपये मिल गए मनुष्य का मन ही ऐसा है कि वर्षाकाल मन के लिये बड़ा लुभावना काल होता है। पशु, पक्षी, पौधे, प्रकृति हर कोई वर्षा के आगमन पर प्रफुल्लित हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी वर्षा जब विकराल रूप लेती है, तब पता चलता है कि पानी की विनाश करने की भी कितनी बड़ी ताक़त होती है। प्रकृति हमें जीवन देती है, हमें पालती है, लेकिन कभी-कभी बाढ़, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायें, उसका भीषण स्वरूप, बहुत विनाश कर देता है। बदलते हुए मौसम-चक्र और पर्यावरण में जो बदलाव आ रहा है, उसका बड़ा ही negative impact भी हो रहा है। पिछले कुछ दिनों से भारत के कुछ हिस्सों में विशेषकर असम, North-ast, गुजरात, राजस्थान, बंगाल के कुछ हिस्से, अति-वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ी है। व्यापक स्तर पर राहत कार्य किए जा रहे हैं। जहा हो सके, वहा मंत्रिपरिषद के मेरे साथी भी पहुच रहे हैं। राज्य सरकारें भी अपने-अपने तरीक़े से बाढ़ पीड़ितों को मदद करने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। सामाजिक संगठन भी, सांस्कृतिक संगठन भी, सेवा-भाव से काम करने वाले नागरिक भी, ऐसी परिस्थिति में लोगों को मदद पहुचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। लोग अपनी कठिनाइया बताते भी हैं। वर्षा तु के पूर्व अधिकतम स्थानों पर mock drill करके पूरे सरकारी तंत्र को तैयार किया गया। NR की टीमें लगाई गईं। धीरे-धीरे हम लोग भी स्वभाव बनाए कि मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार अपने कार्यकलापों की भी रचना कर सकते हैं, तो उससे हम नुकसान से बच सकते हैं। जब भी मैं मन की बात के लिये तैयारी करता हू, तो मैं देख रहा हू, मुझसे ज्यादा देश के नागरिक तैयारी करते हैं। इस बार तो GST को लेकर के इतनी चिट्ठिया आई हैं, इतने सारे phone call आए हैं और अभी भी लोग GST के संबंध में खुशी भी व्यक्त करते हैं, जिज्ञासा भी व्यक्त करते हैं। एक phone call मैं आपको भी सुनाता हू: नमस्कार, प्रधानमंत्री जी, मैं गुड़गांव से नीतू गर्ग बोल रही हू। मैंने आपकी hartered Accountants ay की speech सुनी और बहुत प्रभावित हुई। इसी तरह हमारे देश में पिछले महीने आज ही की तारीख़ पर Goods and Services Ta- GST की शुरुआत हुई। GST के लागू हुए क़रीब एक महीना हुआ है और उसके फ़ायदे दिखने लगे हैं। और मुझे बहुत संतोष होता है, खुशी होती है, जब कोई ग़रीब मुझे चिट्ठी लिख करके कहता है कि GST के कारण एक ग़रीब की ज़रुरत की चीज़ों में कैसे दाम कम हुए हैं, चीज़ें कैसे सस्ती हुई हैं। अगर North-ast, दूर-सुदूर पहाड़ों में, जंगलों में रहने वाला कोई व्यक्ति चिट्ठी लिखता है कि शुरू में डर लगता था कि पता नहीं क्या है लेकिन अब जब मैं उसमें सीखने-समझने लगा, तो मुझे लगता है, पहले से ज़्यादा आसान हो गया काम। व्यापार और आसान हो गया। और सबसे बड़ी बात है, ग्राहकों का व्यापारी के प्रति भरोसा बढ़ने लगा है। अभी मैं देख रहा था कि transport and logistics sector पर कैसे GST का impact पड़ा। कैसे अब ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है जिस तेज़ी से smooth transition हुआ है, जिस तेज़ी से migration हुआ है, नये registration हुए हैं, इसने पूरे देश में एक नया विश्वास पैदा किया है। और कभी-न-कभी अर्थव्यवस्था के पंडित, management के पंडित, technology के पंडित, भारत के GST के प्रयोग को विश्व के सामने एक model के रूप में research करके ज़रूर लिखेंगे। दुनिया की कई युनिवर्सिटियों के लिए एक case study बनेगा। क्योंकि इतने बड़े scale पर इतना बड़ा change और इतने करोड़ों लोगों के involvement के साथ इतने बड़े विशाल देश में उसको लागू करना और सफलतापूर्वक आगे बढ़ना, ये अपने-आप में सफलता की एक बहुत बड़ी ऊचाई है। विश्व ज़रूर इस पर अध्ययन करेगा। और GST लागू किया है, सभी राज्यों की उसमें भागीदारी है, सभी राज्यों की ज़िम्मेवारी भी है। सारे निर्णय राज्यों ने और केंद्र ने मिलकर के सर्वसम्मति से किए हैं। और उसी का परिणाम है कि हर सरकार की एक ही प्राथमिकता रही कि GST के कारण ग़रीब की थाली पर कोई बोझ न पड़े। मैं इस कार्य से लगे हुए सभी मंत्रालयों को, सभी विभागों को, केंद्र और राज्य सरकार के सभी मुलाज़िमों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हू। GST भारत की सामूहिक शक्ति की सफलता का एक उत्तम उदाहरण है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। एक प्रकार से एक सामाजिक सुधार का भी अभियान है। मैं फिर एक बार सरलतापूर्वक इतने बड़े प्रयास को सफल बनाने के लिए कोटि-कोटि देशवासियों को कोटि-कोटि वंदन करता हू। मेरे प्यारे देशवासियों, अगस्त महीना क्रांति का महीना होता है। हमारी नयी पीढ़ी को जानना चाहिए कि 9 अगस्त, 1942 को क्या हुआ था। 1857 से 1942 तक जो आज़ादी की ललक के साथ देशवासी जुड़ते रहे, जूझते रहे, झेलते रहे, इतिहास के पन्ने भव्य भारत के निर्माण के लिए हमारी प्रेरणा हैं। महात्मा गाधी के आह्वान पर लाखों भारतवासी करो या मरो के मंत्र के साथ अपने जीवन को संघर्ष में झोंक रहे थे। असहयोग आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन 1920 और 1942 महात्मा गाधी के दो अलग-अलग रूप दिखाई देते हैं। असहयोग आन्दोलन के रूप-रंग अलग थे और 42 की वो स्थिति आई, तीव्रता इतनी बढ़ गई कि महात्मा गाधी जैसे महापुरुष ने करो या मरो का मंत्र दे दिया। इस सारी सफलता के पीछे जन-समर्थन था, जन-सामर्थ्य थी, जन-संकल्प था, जन-संघर्ष था। पूरा देश एक होकर के लड़ रहा था। और मैं कभी-कभी सोचता हू, अगर इतिहास के पन्नों को थोड़ा जोड़ करके देखें, तो भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुआ। पीढ़िया बदलती गईं, लेकिन संकल्प में कोई कमी नहीं आई। लोग आते गए, जुड़ते गए, जाते गए, नये आते गए, नये जुड़ते गए और अंग्रेज़ सल्तनत को उखाड़ करके फेंकने के लिये देश हर पल प्रयास करता रहा। 1857 से 1942 तक के इस परिश्रम ने, इस आन्दोलन ने एक ऐसी स्थिति पैदा की कि 1942 इसकी चरम सीमा पर पहुचा और भारत छोड़ो का ऐसा बिगुल बजा कि 5 वर्ष के भीतर-भीतर 1947 में अंग्रेज़ों को जाना पड़ा। अब मैं आपको इस गणित के साथ जोड़ना चाहता हू। क़रीब 70 साल हो गए। सरकारें आईं-गईं। व्यवस्थायें बनीं, बदलीं, पनपीं, बढ़ीं। देश को समस्याओं से मुक्त कराने के लिये हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास किए। अपेक्षायें भी जगीं। इस 2017 के 15 अगस्त को हम संकल्प पर्व के रूप में मनाए और 2022 में आज़ादी के जब 75 साल होंगे, तब हम उस संकल्प को सिद्धि में परिणत करके ही रहेंगे। तो जैसे 1942 to 1947 पाच साल देश को आज़ादी के लिए निर्णायक बन गए, ये पांच साल 2017 से 2022 के, भारत के भविष्य के लिए भी निर्णायक बन सकते हैं और बनाने हैं। पांच साल बाद देश की आज़ादी के 75 साल मनाएंगे। एक ऐसा संकल्प, जिसे अगले 5 वर्षों में हम सिद्ध कर के दिखाएगे। technology का उपयोग करते video, post, blog, आलेख, नये-नये idea वो सभी बातें लेकर के आए। इस मुहिम को एक जन आंदोलन में परिवर्तित करें। यह ui युवाओं को देश के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों से परिचित कराने का एक प्रयास है। उनके सपनों को शब्दबद्ध करने की कोशिश होती है और मुझे ख़ुशी है कि पिछले 3 साल से लगातार 15 अगस्त निमित्त देश के हर कोने से मुझे सुझाव मिलते हैं कि मुझे 15 अगस्त पर क्या कहना चाहिए? किन मुद्दों को लेना चाहिए? मैं स्वयं ही उसे पढ़ता हू और 15 अगस्त को जितना भी समय मेरे पास है, उसमें इसको प्रगट करने का प्रयास करूगा। ज्यादा से ज्यादा 40-45-50 मिनट में पूरा करू। मैंने मेरे लिये नियम बनाने की कोशिश की है मैं देशवासियों, एक और भी बात आज करना चाहता हू। भारत की अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक अर्थशास्त्र है। और उसको हमने कभी भी कम नहीं आकना चाहिए। हमारे त्योहार, हमारे उत्सव, वो सिर्फ़ आनंद-प्रमोद के ही अवसर हैं, ऐसा नहीं है। और इन त्योहारों में एक सहज स्वाभाविक आनंद भी जुड़ जाता है। जहा तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, राखी के कई महीनों पहले से सैकड़ों परिवारों में छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों में राखिया बनाना शुरू हो जाती हैं। खादी से लेकर के रेशम के धागों की, न जाने कितनी तरह की राखिया और आजकल तो लोग homemade राखियों को ज्यादा पसंद करते हैं। राखी बनाने वाले, राखिया बेचने वाले, मिठाई वाले हज़ारों-सैकड़ों का व्यवसाय एक त्योहार के साथ जुड़ जाता है। उसका सीधा-सीधा सम्बन्ध छोटे-छोटे मिट्टी के दिये बनाने वाले उन ग़रीब परिवारों से है। लेकिन जब आज मैं त्योहारों और त्योहार के साथ जुड़े ग़रीब की अर्थव्यवस्था की बात करता हू, तो साथ-साथ मैं पर्यावरण की भी बात करना चाहूगा। मैंने देखा है कि कभी-कभी मैं सोचता हू कि मुझसे भी देशवासी ज़्यादा जागरूक हैं, ज़्यादा सक्रिय हैं। पिछले एक महीने से लगातार पर्यावरण के प्रति सजग नागरिकों ने मुझे चिट्ठिया लिखी हैं। और उन्होंने आग्रह किया है कि आप गणेश चतुर्थी में eco-riendly गणेश की बात समय से पहले बताइए, ताकि लोग मिट्टी के गणेश की पसंद पर अभी से योजना बनाए। हम फिर से एक बार गणेशोत्सव के इस वर्ष में निबंध स्पर्द्धायें करें, चर्चा सभायें करें, लोकमान्य तिलक के योगदान को याद करें। मैं सभी देशवासियों को आने वाले अनेकविद त्योहारों के लिये, उत्सवों के लिये, बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हू। मेरे प्यारे देशवासियों, हम लोग लगातार देख रहे हैं कि शिक्षा का क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो, सामाजिक क्षेत्र हो, खेलकूद हो हमारी बेटिया देश का नाम रोशन कर रही हैं, नई-नई ऊचाइया प्राप्त कर रही हैं। हम देशवासियों को हमारी बेटियों पर गर्व हो रहा है, नाज़ हो रहा है। अभी पिछले दिनों हमारी बेटियों ने महिला क्रिकेट विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। मुझे इसी सप्ताह उन सभी खिलाड़ी बेटियों से मिलने का मौक़ा मिला। उन बेटियों को मैंने कहा और मैंने मेरा एक अलग मूल्यांकन दिया। हमने कई ऐसे खेल देखे हैं कि भारत के खिलाड़ी अगर विफल हो गए, तो देश का ग़ुस्सा उन खिलाड़ियों पर टूट पड़ता है। कुछ लोग तो मर्यादा तोड़ करके कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं, ऐसी चीज़ें लिख देते हैं, बड़ी पीड़ा होती है। ज़रा-सा भी बोझ उन बेटियों पर नहीं पड़ने दिया, इतना ही नहीं, इन बेटियों ने जो किया, उसका गुणगान किया, उनका गौरव किया। मैं इसे एक सुखद बदलाव देखता हू और मैंने इन बेटियों को कहा कि आप देखिए, ऐसा सौभाग्य सिर्फ़ आप ही लोगों को मिला है। आप मन में से निकाल दीजिए कि आप सफल नहीं हुए हैं। आओं, हम मिल करके चलें, कुछ-न-कुछ करते चलें। देश का भाग्य, भविष्य उत्तम हो के रहेगा, इस विश्वास के साथ आगे बढ़ें। मौसम बदल रहा है लेकिन अच्छा हुआ कि वर्षा तु समय पर अपने नक्शेक़दम पर आगे बढ़ रही है देश के कई भागों में झमाझम बारिश से मौसम सुहाना हो गया है बारिश के बाद ठण्डी हवाओं में पिछले दिनों की गर्मी से राहत का अनुभव रहा है और हम सबने देखा है कि जीवन में कितनी ही आपाधापी हो, कितना ही तनाव हो, व्यक्तिगत जीवन हो, सार्वजनिक जीवन हो, बारिश का आगमन ही हमारी मनःस्थिति को भी बदल देता है आज भगवान जगन्नाथ जी की रथ-यात्रा देश के कई भागों में बहुत ही श्रद्धा और उल्लासपूर्वक देशवासी मनाते हैं अब तो विश्व के भी कुछ भागों में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा का उत्सव सम्पन्न होता है और भगवान जगन्नाथ जी के साथ देश का ग़रीब जुड़ा हुआ है भगवान जगन्नाथ ग़रीबों के देवता हैं और बहुत कम लोगों को पता होगा, अंग्रेज़ी भाषा में एक शब्द है juggernaut और उसका मतलब होता है, ऐसा भव्य रथ जिसे कोई रोक नहीं सकता और इस juggernaut के dictionary meaning में भी ये पाया जाता है कि जगन्नाथ के रथ के साथ में से ही ये शब्द का उद्भव हुआ है और इसलिए हम समझ सकते हैं कि दुनिया ने भी जगन्नाथ की इस यात्रा को अपने-अपने तरीक़े से किस प्रकार से माहात्म्य स्वीकार किया है ईद-उल-फ़ितर के इस अवसर पर मेरी तरफ़ से सबको ईद की बहुत-बहुत शुभकामनायें आइए, हम सब मिलकर के इन पवित्र उत्सवों से प्रेरणा लेकर के ख़ुशियों के ख़ज़ानों को बाटते चलें, देश को आगे बढ़ाते चलें रमज़ान के इस पवित्र महीने में उत्तर प्रदेश के बिजनौर के मुबारकपुर गाव की एक बड़ी प्रेरक घटना मेरे सामने आयी क़रीब साढ़े तीन हज़ार हमारे मुसलमान भाई-बहनों के परिवार वहा उस छोटे से गाव में बसते हैं, एक प्रकार से ज़्यादा आबादी हमारे मुस्लिम परिवार के भाइयों-बहनों की है इस रमज़ान के अन्दर गाववालों ने मिलकर के शौचालय बनाने का निर्णय लिया और इस व्यक्तिगत शौचालय के अन्दर सरकार की तरफ़ से भी सहायता मिलती है और उस सहायता की राशि क़रीब 17 लाख रुपये उनको दी गई ये 17 लाख रुपये आप गाव की अन्य सुविधाओं के लिए खर्च कीजिए मैं मुबारकपुर के सभी ग्रामजनों को रमज़ान के इस पवित्र अवसर को समाज की भलाई के अवसर में पलटने के लिए बधाई देता हू हम जानते हैं कि हमारे देश में तीन प्रदेश ऐसे हैं सिक्किम, हिमाचल और केरल, वो पहले ही खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं मैं इन पाच राज्यों के प्रशासन को, शासन को और जनता-जनार्दन को विशेष रूप से आभार प्रकट करता हू इस कार्य को परिपूर्ण करने के लिये हम भली-भाति जानते हैं कि व्यक्ति के जीवन में, समाज के जीवन में कुछ भी अच्छा करना है, तो बड़ी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है अगर हमारी handwriting ख़राब है, अगर उसको ठीक करना है, तो लंबे अरसे तक बहुत जागरूक रहकर के प्रयास करना पड़ता है तब जाकर के शरीर की, मन की आदत बदलती है ऐसी बुरी आदतें हमारे स्वभाव का हिस्सा बन गई हैं हर किसी का ध्यान आकर्षित करना ही पड़ेगा अच्छी प्रेरक घटनाओं का बार-बार स्मरण भी करना पड़ेगा और मुझे खुशी है कि आज स्वच्छता ये सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा है ये जन समाज का, जन-सामान्य का एक आन्दोलन बनता चला जा रहा है और शासन में बैठे हुए लोग भी जब जनभागीदारी से इस काम को आगे बढाते हैं, तो कितनी ताक़त बढ़ जाती है पिछले दिनों एक बहुत ही उत्तम घटना मेरे ध्यान में आई, जो मैं आपके सामने ज़रूर कहना चाहूगा ये घटना है आन्ध्र प्रदेश के विजयनगरम ज़िले की एक सौ घंटे में 71 ग्राम पंचायतों में दस हज़ार घरेलू शौचालय बनाना और मेरे प्यारे देशवासियो, आप जानकर के ख़ुश हो जाएगे कि जनता-जनार्दन ने और शासन ने मिलकर के 100 घंटे में दस हज़ार शौचालय बनाने का काम सफलतापूर्वक पूर्ण कर दिया 1975 - 25 जून - वो ऐसी काली रात थी, जो कोई भी लोकतंत्र प्रेमी भुला नहीं सकता है I एक प्रकार से देश को जेलखाने में बदल दिया गया था I जयप्रकाश नारायण सहित देश के गणमान्य नेताओं को जेलों में बंद कर दिया था I अख़बारों को तो पूरी तरह बेकार कर दिया गया था I इस विरासत को हमें और सशक्त करना है I मेरे प्यारे देशवासियो, हर हिंदुस्तानी आज विश्व में सिर ऊचा कर-कर के गौरव महसूस कर रहा है I पानी से पर्वत तक लोगों ने सवेरे-सवेरे सूरज की किरणों का स्वागत योग के माध्यम से किया I कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसको इस बात का गर्व नहीं होगा I ऐसा नहीं है कि योग पहले होता नहीं था, लेकिन आज जब योग के धागे में बंध गए हैं, योग विश्व को जोड़ने का कारण बन गया है I दुनिया के क़रीब-क़रीब सभी देशों ने योग के इस अवसर को अपना अवसर बना दिया I चीन में The Great all o hina उस पर लोगों ने योग का अभ्यास किया, तो Peru में orld eritage Site माचू पिच्चू पर समुद्र तल से 2400 मीटर ऊपर लोगों ने योग किया I फ़्रांस में एफिल टॉवर के साये में लोगों ने योग किया I सिंगापुर जैसे छोटे से स्थान पर 70 स्थानों पर कार्यक्रम हुए और सप्ताह भर का उन्होंने एक अभियान चलाया है I N ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस के 10 Stamps निकाले I N के sta, दुनिया के diplomats हर कोई इसमें शरीक़ हुआ I इस बार फिर एक बार योग ने विश्व रिकॉर्ड का भी काम किया गुजरात में अहमदाबाद में क़रीब-क़रीब 55 हज़ार लोगों ने एक साथ योग करके एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया मुझे भी लखनऊ में योग के कार्यक्रम में शरीक़ होने का अवसर मिला लेकिन पहली बार मुझे बारिश में योग करने का सद्भाग्य प्राप्त हुआ हमारे सैनिकों ने जहा minus 20, 25, 40 degree temperature होता है उस सियाचिन में भी योग किया इस योग दिवस पर मैंने कहा था कि तीन पीढ़ी, क्योंकि ये तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस था, तो मैंने कहा था कि परिवार की तीन पीढ़िया एक साथ योग करते हुए उसकी फ़ोटो share कीजिये कुछ T channel ने भी इस बात को आगे बढ़ाया था क्योंकि जब मैं गुजरात में था, तो मैंने सरकार में एक परंपरा बनाई थी कि हम bouuet नहीं देंगे, book देंगे या तो हाथ-रुमाल, handkerchie उसी से स्वागत करेंगे और खादी का handkerchie, ताकि खादी को भी बढ़ावा मिले जब तक मैं गुजरात में था, हम सब की आदत बन गई थी, लेकिन यहा आने के बाद मेरी वो आदत छूट गई थी और मैंने तो अभी सरकार में फिर से नीचे सूचना देना भी शुरू कर दिया है हम भी धीरे-धीरे एक स्वभाव बना सकते हैं और bouuet की आयुष बहुत कम होती है एक बार हाथ में लिया, फिर छोड़ देते हैं लेकिन अगर book देते हैं, तो एक प्रकार से घर का हिस्सा बन जाता है, परिवार का हिस्सा बन जाता है मैं गत वर्ष जब K गया था, तो ondon में Britain की ueen, ueen liabeth ने मुझे भोजन पर निमंत्रित किया था कितने साल हो गए, लेकिन ueen liabeth ने महात्मा गाधी के द्वारा दिया हुआ ये handkerchie संभाल के रखा हुआ है महात्मा गाधी की एक छोटी सी भेंट उनके जीवन का हिस्सा बन गई, उनके इतिहास का हिस्सा बन गई मुझे विश्वास है कि ये आदतें रातों-रात नहीं बदलती हैं और जब कभी ऐसी बात करते हैं, तो आलोचना का भी शिकार होना होता है लेकिन उसके बावजूद भी ऐसी बातें करते रहनी चाहिए, प्रयास करते रहना चाहिए अब मैं ये तो नहीं कह सकता हू कि मैं कहीं जाऊगा और कोई bouuet ले के आ जाएगा, तो उसको मना कर दूगा, ऐसा तो नहीं कर पाऊगा लेकिन फिर भी आलोचना भी होगी, लेकिन बात करते रहेंगे, तो धीरे-धीरे सुधार भी होगा मेरे प्यारे देशवासियो, प्रधानमंत्री के नाते अनेक प्रकार के काम रहते हैं फ़ाइलों में डूबे रहते हैं, लेकिन मैंने मेरे लिये एक आदत विकसित की है कि मुझे जो चिट्ठिया आती हैं, उसमें से रोजाना कुछ चिट्ठिया मैं पढ़ता हू और उसके कारण मुझे सामान्य मानव से जुड़ने का एक अवसर मिलता है भाति-भाति की चिट्ठिया आती हैं, अलग-अलग प्रकार के लोग चिट्ठिया लिखते हैं इन दिनों एक ऐसी चिट्ठी मुझे पढ़ने का अवसर मिला, मुझे लगता है कि मुझे ज़रूर आपको बताना चाहिए और चिट्ठी क्या थी, उन्होंने लिखा कि मैंने अपने परिवार में बच्चों की पढ़ाई वगैरह के ध्यान में रह के कुछ-न-कुछ economical activity करने की दिशा में सोचा, तो परिवार को थोड़ी आर्थिक मदद हो जाए तो मैंने मुद्रा योजना से, बैंक से पैसे लिए और बाज़ार से कुछ सामान ला करके supply करने की दिशा में कुछ काम शुरू किया इतने में मेरे ध्यान में आया कि भारत सरकार ने Government -Marketplace नाम की कोई व्यवस्था खड़ी की है ये है empowerment इसमें transparency भी है, इसमें empowerment भी है, इसमें entrepreneurship भी है मैं ज़रूर चाहूगा कि जो इस प्रकार से सरकार को अपना माल बेचना चाहते हैं, वो उससे ज़्यादा से ज़्यादा जुड़ें मैं मानता हू Minimum Government and Maimum Governance का एक बेहतरीन उदहारण है ये और इसका लक्ष्य क्या है minimum price और maimum ease, eiciency and transparency मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम योग को लेकर के गर्व करते हैं, तो दूसरी तरफ़ हम Space Science में हमारी जो सिद्धिया हैं, उसके लिए भी गर्व कर सकते हैं और ये ही तो भारत की विशेषता है कि अगर हमारे पैर योग से जुड़े हुए ज़मीन पर हैं, तो हमारे सपने दूर-दूर आसमानों के उन क्षितिजों को पार करने के लिये भी हैं पिछले दिनों खेल में भी और विज्ञान में भी भारत ने बहुत-कुछ करके दिखाया है आज भारत केवल धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहरा रहा है अभी दो दिन पहले I SR ने artosat-2 Series Satellite के साथ 30 Nano Satellites को launch किया और इन satellites में भारत के अलावा फ्रास, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका - ऐसे क़रीब-क़रीब 14 देश इसमें शामिल हैं और भारत के इस nano satellite अभियान से खेती के क्षेत्र में, किसानी के काम में, प्राकृतिक आपदा के संबंध में काफ़ी कुछ हमें मदद मिलेगी 19 जून को मार्स मिशन के एक हज़ार दिन पूरे हुए हैं आप सबको पता होगा कि जब मार्स मिशन के लिये हम लोग सफलतापूर्वक orbit में जगह बनाई थी, तो ये पूरा mission एक 6 महीने की अवधि के लिये था एक हज़ार दिन पूरा होना हमारी वैज्ञानिक यात्रा के अन्दर, हमारी अंतरिक्ष यात्रा के अन्दर एक महत्वपूर्ण पड़ाव है अभी हाल ही में भारत के बैडमिंटन खिलाड़ी किदाम्बी श्रीकांत ने इंडोनेशिया ओपन में जीत दर्ज़ कर देश का मान बढ़ाया है मैं इस उपलब्धि के लिए उनको और उनके कोच को ह्रदय से बधाई देता हू खेल व्यक्तित्व के विकास के लिए भी बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा करता है देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है अगर हमारे परिवार में भी बच्चों को खेल की रुचि है, तो उनको अवसर देना चाहिए फिर एक बार मेरे प्यारे देशवासियो, वर्षा तु, लगातार उत्सवों का माहौल, एक प्रकार से ये कालखंड की अनुभूति ही नयी होती है आज जब मैं आप से बात कर रहा हू तब, रमज़ान का पवित्र महीना प्रारम्भ हो चुका है। रमज़ान के पवित्र महीने के आगमन पर, मैं भारत और विश्व-भर के लोगों को, विशेष करके मुस्लिम समुदाय को, इस पवित्र महीने की हार्दिक शुभकामनाएं देता हू। ये ऐसा देश है जो, ईश्वर में विश्वास करने वाले लोग भी और ईश्वर को नकारने वाले लोग भी, मूर्ति पूजा करने वाले भी और मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले भी, हर प्रकार की विचारधारा, हर प्रकार की पूजा पद्धति, हर प्रकार की परंपरा, हम लोगों ने एक साथ जीने की कला आत्मसात की है। और आखिरकार धर्म हो, सम्प्रदाय हो, विचारधारा हो, परंपरा हो, हमें यही सन्देश देते हैं शान्ति, एकता और सद्भावना का। ये रमज़ान का पवित्र महीना शान्ति, एकता और सद्भावना के इस मार्ग को आगे बढ़ाने में ज़रूर सहायक होगा। मैं फिर एक बार सबको शुभकामनाएं देता हू। मुझे खुशी हो रही है कि बहुत सारे लोगों ने मुझे eedback दिया। मैं हर चीज़ को तो पढ़ नहीं पाया हू, हर किसी के सन्देश को सुन भी नहीं पाया हू, इतने ढ़ेर सारी चीज़ें आई हैं। जब मैंने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ना शुरू किया, तब मैंने अनुभव किया कि भारत को आजादी दिलाने में कितना संघर्ष करना पड़ा है, कितना बलिदान देना पड़ा है, कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने जेलों में वर्षों बिताए। मुझे खुशी है कि युवापीढ़ी हमारे इतिहास को, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को, इस देश के लिए बलिदान देने वाले लोगों को, उनके विषय में जानने में रूचि रख रही है। बहुत वर्षों पहले मैं अंडमान निकोबार गया था। सेलुलर जेल देखने गया था। वीर सावरकर जी ने जेल में माज़ी जन्मठे किताब लिखी थी। कविताए लिखते थे, दीवारों पर लिखते थे। छोटी सी कोठरी में उनको बंद कर दिया गया था। आज़ादी के दीवानों ने कैसी यातनाए झेली होंगी। जब सावरकर जी की माज़ी जन्मठे एक किताब मैंने पढ़ी और उसी से मुझे सेलुलर जेल देखने की प्रेरणा मिली थी। वहा एक light and sound show भी कार्यक्रम चलता है, वो बड़ा ही प्रेरक है। हिन्दुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं था, हिन्दुस्तान की कोई भाषा बोलने वाला नहीं होगा जो आज़ादी के लिए काले पानी की सजा भुगतता हुआ अंडमान की जेल में, इस सेलुलर जेल में, अपनी जवानी न खपाई हो। मेरे प्यारे देशवासियों, 5 जून, महीने का पहला सोमवार है। और इस बात को महात्मा गाधी से ज़्यादा अच्छे से कौन बता सकता है। महात्मा गाधी जी कई बार कहते थे ne must care about a world one will not see अर्थात् हम जो दुनिया नहीं देखेंगे, हमारा कर्त्तव्य है कि हम उसकी भी चिंता करें, हम उसकी भी care करें। बहुत थक करके आए हो, कमरे की खिड़किया खोल दें, दरवाज़ा खोल दें, ताज़ा हवा की सांस ले लें - एक नयी चेतना आती है। जिन पंच महाभूतों से शरीर बना हुआ है, जब उन पंच महाभूतों से संपर्क आता है, तो अपने आप हमारे शरीर में एक नयी चेतना प्रकट होती है, एक नयी ऊर्जा प्रकट होती है। ये हम सबने अनुभव किया है, लेकिन हम उसको register नहीं करते हैं, हम उसको एक धागे में, एक सूत्र में जोड़ते नहीं हैं। पर्यावरण की रक्षा हमारे पूर्वजों ने की, उसका कुछ लाभ हमें मिल रहा है। अगर हम रक्षा करेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को लाभ मिलेगा। वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना गया है। वेदों में कहा गया है कि हम में जो purity है वह हमारी पृथ्वी के कारण है। धरती हमारी माता है और हम उनके पुत्र हैं। अगर हम भगवान् बुद्ध को याद करें तो एक बात ज़रूर उजागर होती है कि महात्मा बुद्ध का जन्म, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति और उनका महा-परिनिर्वाण, तीनों पेड़ के नीचे हुआ था। इन दिनों मुझे राज्यों से ख़बरें आती रहती हैं। क़रीब-क़रीब सभी राज्यों में वर्षा आते ही वृक्षारोपण का एक बहुत बड़ा अभियान चलता है। करोड़ों की तादात में पौधे लगाये जाते हैं। विश्व योग दिवस के रूप में पूरा विश्व इसे मनाता है। बहुत कम समय में 21 जून का ये विश्व योग दिवस हर कोने में फ़ैल चुका है, लोगों को जोड़ रहा है। एक तरफ़ विश्व में बिखराव की अनेक ताक़तें अपना विकृत चेहरा दिखा रही हैं, ऐसे समय में विश्व को भारत की एक बहुत बड़ी देन है। योग के द्वारा विश्व को एक सूत्र में हम जोड़ चुके हैं। जैसे योग, शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ता है, वैसे आज योग विश्व को भी जोड़ रहा है। अनाप-शनाप दवाइया लेते जाना और दिन गुज़ारते जाना, ऐसी घड़ी में तनाव-मुक्त जीवन जीने के लिए योग की भूमिका अहम है। तन से, मन से, शरीर से, विचारों से, आचार से स्वस्थता की एक अंतर्यात्रा कैसे चले - उस अंतर्यात्रा को अनुभव करना है तो योग के माध्यम से संभव है। अभी दो दिन पहले ही मैंने योग दिवस को लेकर के विश्व की सभी सरकारों को, सभी नेताओं को चिट्ठी लिखी है। पिछले वर्ष मैंने योग से संबंधित कुछ स्पर्धाओं की घोषणा की है, कुछ इनामों की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ये तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है और मुझे कहा कि आप अपील करें कि इस बार तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक ही परिवार की तीन पीढ़ी एक साथ योग करे। दादा-दादी हो या नाना-नानी हो, माता-पिता हो, बेटे-बेटी हो, तीनों पीढ़ी एक साथ योग करें और उसकी तस्वीर upload करें। कल, आज और कल एक ऐसा सुभग संयोग होगा कि योग को एक नया आयाम मिलेगा। आप ज़रूर NarendraModiApp पर, MyGov पर तीन पीढ़ी जहा-जहा योग करती हो, तीनों पीढ़ी के लोग एक साथ मुझे तस्वीर भेजें। कल, आज और कल की ये तस्वीर होगी, जो सुहाने कल की guarantee होगी। मैं आप सबको निमंत्रित करता हू। अभी अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के लिये क़रीब तीन सप्ताह हमारे पास हैं। आप भी तीन सप्ताह लगातार योग के विषय को प्रचारित करिए, प्रसारित करिए, लोगों को जोड़िए। एक प्रकार से ये preventive health care का आंदोलन ही है। मैं निमंत्रित करता हू आप सब को इसमें जुड़ने के लिए। मोदी जी T.. पर और Social Media में आज कल मैं हमेशा देखती हू आप जहा भी जाते हैं वहा के लोग साफ़-सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं। मुंबई हो या सूरत आपके आह्वान पर लोगों ने सामूहिक रूप से स्वच्छता को एक mission के रूप में अपनाया है। बड़े तो बड़े, बच्चों में भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता आई है। कई बार उन्हें सड़क पर बड़ों को गंदगी फैलाते हुए, टोकते हुए देखा है। वहा सरकारी मशीनरी तो सफाई का काम करती है लेकिन इन दिनों समाज में भी एक सफाई का उत्सव बन जाता है। लेकिन जब ये phone call आया तो मैं भी सोचने लगा और मैंने देखा कि हा ये बात सही है। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए बाकी जो तैयारिया होने की आदत होगी-होगी, लेकिन स्वच्छता प्रमुख बात होगी। ये अपने आप में किसी भी स्वच्छता-प्रेमी के लिए आनंदायक है, प्रेरक है। मैं इस स्वच्छता के काम को बल देने वाले सभी को बधाई देता हू। किसी ने मुझे एक सुझाव दिया। वैसे वो बड़ा मज़ाकिया सुझाव है। मैं नहीं जानता हू, मैं इसको कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा। dea बहुत अच्छा है लेकिन मुझे सोचना पड़ेगा। कितना बड़ा मानवता का काम होगा। एक बार इस कूड़े-कचरे को भी हम wealth मानना शुरू करेंगें तो waste management के कई नए-नए तरीके हमारे सामने आयेंगे। जैसे kitchen का जो waste निकलता है, साग-सब्जियों के छिलके हों, बचा हुआ भोजन हो, अंडे के छिलके हों, पेड़-पौधों के पत्ते आदि हों ये सारे गीले waste हैं और उसको हरे कूड़ेदान में डालें। ये सारी चीज़ें ऐसे हैं जो खेत में काम आती हैं। अगर खेत का रंग हरा, इतना याद रखोगे तो हरे कूड़ेदान में क्या डालना है वो याद रह जाएगा। आज मुझे गर्व के साथ एक बात का ज़िक्र करना है - एक इंसान भी अगर मन में ठान ले तो कितना बड़ा जन आन्दोलन खड़ा कर सकता है। स्वच्छता का काम ऐसा ही है। और मुझे बताया गया इस पूरे movement को सबसे ज्यादा lead किया है - जम्मू-कश्मीर के उस इलाके की महिलाओं ने। उन्होंने जागरूकता फ़ैलाने के लिए ख़ुद ने मशाल यात्राए निकाली। घर-घर, गली-गली जाकर के लोगों को उन्होंने प्रेरित किया। मेरे प्यारे देशवासियों, पिछले 15 दिन, महीने से, लगातार अख़बार हो, टी.वी.चैनल हो, social media हो, वर्तमान सरकार के 3 वर्ष का लेखा-जोखा चल रहा है। समाज के हर तबके के लोगों ने उसका analysis किया है। और लोकतंत्र में एक उत्तम प्रक्रिया है। एक जागरूक राष्ट्र के लिए, एक चैतन्य पूर्ण राष्ट्र के लिए, ये मंथन बहुत ही आवश्यक होता है। मेरे प्यारे देशवासियों, मैं भी आप की तरह एक सामान्य नागरिक हू और एक सामान्य नागरिक के नाते अच्छी-बुरी हर चीज़ का प्रभाव मुझ पर भी वैसा ही होता है, जैसा किसी भी सामान्य नागरिक के मन पर होता है। और ऐसे सैकड़ो परिवार हैं, जिन्होंने मुझे ये बातें लिख करके भी भेजी हैं। मैं अक़बर साहब का आभारी हू। आइए, हम सब इस माहौल में प्रकृति के प्रति प्यार करते हुए आगे बढ़ें। मेरी आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाए। मन की बात, अप्रैल 2017 एस. Skill development में इस पहलू पर थोड़ा बल दिया जा सकता है क्या देश के हर कोने में ज़्यादातर परिवार अपने बच्चों की eam में जुटे हुए होंगे जिनकी eam ख़त्म हो गई होगी, वहा कुछ relie का माहोल होगा और जहा eam चलती होगी, उन परिवारों में अभी भी थोड़ा-बहुत तो pressure होगा ही होगा लेकिन ऐसे समय मैं यही कहूगा कि पिछली बार मैंने जो मन की बात में विद्यार्थियों से जो-जो बातें की हैं, उसे दोबारा सुन लीजिए, परीक्षा के समय वो बातें ज़रूर आपको काम आएगी आज 26 मार्च है अन्याय के ख़िलाफ़ एक ऐतिहासिक लड़ाई, बंग-बन्धु के नेतृत्व में बांग्लादेश की जनता की अभूतपूर्व विजय हम सबको इस बात का गर्व है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर, उनकी यादें, हमारी एक साझी विरासत है गुरुदेव टैगोर के बारे में एक बहुत interesting बात यह है कि 1913 में वे न केवल नोबेल (Nobel) पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई व्यक्ति थे, बल्कि उन्हें अंग्रेज़ों ने Knighthood की भी उपाधि दी थी और जब 1919 में जलियांवाला बाग़ पर अंग्रेज़ों ने क़त्ले-आम किया, तो रवीन्द्रनाथ टैगोर उन महापुरुषों में थे, जिन्होंने अपनी आवाज़ बुलंद की थी और यही कालखंड था, जब 12 साल के एक बच्चे के मन पर इस घटना का गहरा प्रभाव हुआ था किशोर-अवस्था में खेत-खलिहान में हसते-कूदते उस बालक को जलियांवाला बाग़ के नृशंस हत्याकांड ने जीवन की एक नयी प्रेरणा दे दी थी और 1919 में 12 साल का वो बालक भगत हम सबके प्रिय, हम सबकी प्रेरणा - शहीद भगतसिंह आज से तीन दिन पूर्व, 23 मार्च को भगतसिंह जी को और उनके साथी, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेज़ों ने फांसी पर लटका दिया था और हम सब जानते हैं 23 मार्च की वो घटना - भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु के चेहरे पर मा-भारती की सेवा करने का संतोष - मृत्यु का भय नहीं था जीवन के सारे सपने, मा-भारती की आज़ादी के लिए समाहित कर दिए थे और ये तीनों वीर आज भी हम सबकी प्रेरणा हैं भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान की गाथा को हम शब्दों में अलंकृत भी नहीं कर पाएगे और पूरी ब्रिटिश सल्तनत इन तीनों युवकों से डरती थी जेल में बंद थे, फांसी तय थी, लेकिन इनके साथ कैसे आगे बढ़ा जाये, इसकी चिंता ब्रिटिशरों को लगी रहती थी और तभी तो 24 मार्च को फांसी देनी थी, लेकिन 23 मार्च को ही दे दी गयी थी चोरी-छिपे से किया गया था, जो आम तौर पर नहीं किया जाता और बाद में उनके शरीर को आज के पंजाब में ला करके, अंग्रेजों ने चुपचाप जला दिया था कई वर्षों पूर्व जब पहली बार मुझे वहा जाने का मौका मिला था, उस धरती में एक प्रकार के vibration मैं अनुभव करता था और मैं देश के नौजवानों को ज़रूर कहूंगा - जब भी मौका मिले तो, पंजाब जब जाए तो, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह की माताजी और बटुकेश्वर दत्त की समाधि के स्थान पर अवश्य जाए यही तो कालखंड था, जब आज़ादी की ललक, उसकी तीव्रता, उसका व्याप बढ़ता ही चला जा रहा था एक तरफ़ भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे वीरों ने सशस्त्र क्रांति के लिये युवकों को प्रेरणा दी थी भारत की आज़ादी के आन्दोलन में, गाधी विचार और गाधी शैली, इसका प्रकट रूप पहली बार चंपारण में नज़र आया आज़ादी की पूरी आंदोलन यात्रा में यह एक turning point था, ख़ास करके, संघर्ष के तौर-तरीक़े की दृष्टि से यही वो कालखंड था, चंपारण का सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह, अहमदाबाद में मिल-मज़दूरों की हड़ताल, और इन सबमें महात्मा गाधी की विचार और कार्यशैली का गहरा प्रभाव नज़र आता था 1915 में गाधी विदेश से वापस आए और 1917 में बिहार के एक छोटे से गाव में जाकर के उन्होंने देश को नई प्रेरणा दी आज हमारे मन में महात्मा गाधी की जो छवि है, उस छवि के आधार पर हम चंपारण सत्याग्रह का मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं कल्पना कीजिए कि एक इंसान, जो 1915 में हिन्दुस्तान वापस आए, सिर्फ़ दो साल का कार्यकाल और चंपारण सत्याग्रह ऐसा था कि जिसमें महात्मा गाधी के संगठन कौशल, महात्मा गाधी की भारतीय समाज की नब्ज़ को जानने की शक्ति, महात्मा गाधी अपने व्यवहार से अंग्रेज सल्तनत के सामने ग़रीब से ग़रीब, अनपढ़ से अनपढ़ व्यक्ति को संघर्ष के लिये संगठित करना, प्रेरित करना, संघर्ष के लिये मैदान में लाना, ये अद्भुत शक्ति के दर्शन कराता है और इसलिये जिस रूप में हम महात्मा गाधी की विराटता को अनुभव करते हैं लेकिन अगर सौ साल पहले के गाधी को सोचें, उस चंपारण सत्याग्रह वाले गाधी को, तो सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चंपारण सत्याग्रह एक बहुत ही अध्ययन का विषय है सार्वजनिक जीवन की शुरुआत कैसे की जा सकती है, ख़ुद कितना परिश्रम करना होता है और गाधी ने कैसे किया था, यह हम उनसे सीख सकते हैं और वो समय था, जितने बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं के हम नाम सुनते हैं, गाधी ने उस समय राजेंद्र बाबू हों, आचार्य कृपलानी जी हों, सबको गावों में भेजा था एक तरफ़ जेल भर देना, तो दूसरी तरफ़ रचनात्मक कार्यों में अपने आप को खपा देना एक बड़ा अद्भुत balance गाधी की कार्य-शैली में था सत्याग्रह शब्द क्या होता है, असहमति क्या हो सकती है, इतनी बड़ी सल्तनत के सामने असहयोग क्या होता है - एक पूरी नई विभावना गाधी ने शब्दों के द्वारा नहीं, एक सफल प्रयोग के द्वारा प्रस्थापित कर दी थी आज जब हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, तब कौन हिन्दुस्तानी ऐसा होगा, जो भारत को बदलना नहीं चाहता होगा, कौन हिन्दुस्तानी होगा, जो देश में बदलाव के लिये हिस्सेदार बनना नहीं चाहता हो कई लोग होते हैं, जो नित्य अस्पताल जाते हैं, मरीज़ों की मदद करते हैं अगर एक बार हम उसको सामूहिकता के रूप में देखें, संगठित रूप में देखें, तो ये कितनी बड़ी शक्ति है ndia की बात होती है, तो उसकी आलोचना होना, विवेचना होना, भिन्न नज़रिये से उसे देखना, ये बहुत स्वाभाविक है और ये लोकतंत्र में अवकार्य है लेकिन ये बात सही है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी अगर संकल्प करें, संकल्प को सिद्ध करने के लिये राह तय कर लें, एक-के-बाद-एक क़दम उठाते चलें, तो New I ndia सवा-सौ करोड़ देशवासियों का सपना हमारी आखों के सामने सिद्ध हो सकता है और ज़रूरी नहीं है कि ये सब चीज़ें बजट से होती हैं, सरकारी project से होती हैं, सरकारी धन से होती हैं अगर हर नागरिक संकल्प करे कि मैं traic के नियमों का पालन करू, अगर हर नागरिक संकल्प करे कि मैं मेरी ज़िम्मेवारियों को पूरी ईमानदारी के साथ निभाऊगा, अगर हर नागरिक संकल्प करे कि सप्ताह में एक दिन मैं petrol-diesel का उपयोग नहीं करूगा अपने जीवन में आप देखिए इस देश को, जो New I ndia का सपना सवा-सौ करोड़ देशवासी देख रहे हैं, वो अपनी आखों के सामने साकार होता देख पाएगे कहने का तात्पर्य यही है कि हर नागरिक अपने नागरिक धर्म का पालन करे, कर्तव्य का पालन करे मेरे प्यारे देशवासियो, काले धन, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई को हमें आगे बढ़ाना है आपको कल्पना नहीं है, लेकिन इससे आप देश की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं और काले धन, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई के आप एक वीर सैनिक बन सकते हैं पिछले दिनों लोक-शिक्षा के लिये, लोक-जागृति के लिये डिजिधन मेला के कई कार्यक्रम हुए हैं नक़द कम कैसे हो, नोटों का व्यवहार कम कैसे हो, उसमें हम अपना योगदान दें मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे ख़ुशी है कि मुझे हर बार, जब भी मन की बात के लिये लोगों से सुझाव मागता हू, अनेक-अनेक प्रकार के सुझाव आते हैं लेकिन ये मैंने देखा है कि स्वच्छता के विषय में हर बार आग्रह रहता ही रहता है मैं कहना चाहती हू कि लोगों को यह समझाना होगा कि स्वच्छता कितनी ज़रूरी है मैं रोज़ उस नदी से हो कर जाती हू, जिसमें लोग बहुत सा कूड़ा-करकट भी डालते हैं और नदियों को दूषित करते हैं वह नदी रिस्पना पुल से होते हुए आती है और मेरे घर तक भी आती है इस नदी के लिये हमने बस्तियों में जा करके हमने रैली भी निकाली और लोगों से बातचीत भी की, परन्तु उसका कुछ फ़ायदा न हुआ देखिए भाइयो-बहनो, 11वीं कक्षा की एक बेटी की कितनी पीड़ा है उस नदी में कूड़ा-कचरा देख कर के उसको कितना गुस्सा आ रहा है मैं इसे अच्छी निशानी मानता हू मैं यही तो चाहता हू, सवा-सौ करोड़ देशवासियों के मन में गन्दगी के प्रति गुस्सा पैदा हो एक बार गुस्सा पैदा होगा, नाराज़गी पैदा होगी, उसके प्रति रोष पैदा होगा, हम ही गन्दगी के खिलाफ़ कुछ-न-कुछ करने लग जाएगे और अच्छी बात है कि गायत्री स्वयं अपना गुस्सा भी प्रकट कर रही है, मुझे सुझाव भी दे रही है, लेकिन साथ-साथ ख़ुद ये भी कह रही है कि उसने काफ़ी प्रयास किए, लेकिन विफलता मिली उसने एक आंदोलन का रूप भी लिया है गन्दगी के प्रति नफ़रत भी बढ़ती चली जा रही है जागरूकता हो, सक्रिय भागीदारी हो, आंदोलन हो, इसका अपना महत्व है ही है काम कठिन है, लेकिन करना है I मुझे विश्वास है कि देश की नयी पीढ़ी में, बालकों में, विद्यार्थियों में, युवकों में, ये जो भाव जगा है, ये अपने-आप में अच्छे परिणाम के संकेत देता है I आज की मेरी मन की बात में गायत्री की बात जो भी सुन रहे हैं, मैं सारे देशवासियों को कहूगा कि गायत्री का संदेश हम सब के लिये संदेश बनना चाहिए I जितना plate में भरते हैं, उससे आधा भी पेट में नहीं भरते हैं और फिर वहीं छोड़ कर निकल जाते हैं I आपने कभी सोचा है कि हम जो ये जूठन छोड़ देते हैं, उससे हम कितनी बर्बादी करते हैं I क्या कभी सोचा है कि अगर जूठन न छोड़ें, तो ये कितने ग़रीबों का पेट भर सकता है I ये विषय ऐसा नहीं है कि जो समझाना पड़े I वैसे हमारे परिवार में छोटे बालकों को जब मा परोसती है, तो कहती है कि बेटा, जितना खा सकते हो, उतना ही लो I ग़रीबों के साथ अन्याय है I समाज के लिये सोचें, अच्छी बात है, लेकिन ये विषय ऐसा है कि परिवार का भी लाभ है I मैं इस विषय पर ज़्यादा आग्रह नहीं कर रहा हू, लेकिन मैं चाहूगा कि ये जागरूकता बढ़नी चाहिए I हिंदुस्तान के हर राज्य में कहीं-न-कहीं आपको ऐसे लोग मिलेंगे I उनका जीवन भी हम लोगों को प्रेरणा दे सकता है कि हम जूठन न करें I हम उतना ही लें, जितना खाना है I देखिए, बदलाव के लिये यही तो रास्ते होते हैं I और जो लोग शरीर स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक होते हैं, वो तो हमेशा कहते हैं - पेट भी थोड़ा ख़ाली रखो, प्लेट भी थोड़ी ख़ाली रखो I और जब स्वास्थ्य की बात आई है, तो7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस है, orld ealth ay I संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक niversal ealth overage यानि कि सबको स्वास्थ्य का लक्ष्य तय किया है I एक अनुमान है कि दुनिया के अन्दर 35 करोड़ से ज़्यादा लोग मानसिक रूप से, epression से पीड़ित हैं I मुसीबत ये है कि हमारे अगल-बगल में भी इस बात को हम समझ नहीं पाते हैं और शायद इस विषय में खुल कर के बात करने में हम संकोच भी करते हैं I मैं देशवासियों से कहना चाहूगा कि epression ऐसा नहीं है कि उससे मुक्ति नहीं मिल सकती है I पहला मंत्र है, epression के suppression की बजाय इसके epression की ज़रूरत है I अपने साथियों के बीच, मित्रों के बीच, मा-बाप के बीच, भाइयों के बीच, teacher के साथ, खुल कर के कहिए आपको क्या हो रहा है आपका कभी ध्यान गया है कि ऐसा क्यों करता है ? आप ज़रूर मानिए कि वो epression की दिशा का पहला क़दम है I अगर वो आप से समूह में रहना पसंद नहीं करता है, अकेला एक कोने में चला जा रहा है, तो प्रयत्नपूर्वक देखिए कि ऐसा न होने दें I उसके साथ खुल कर के जो बात करते हैं, ऐसे लोगों के साथ उसको बीच में रहने का अवसर दीजिए I हसी-ख़ुशी की खुल कर के बातें करते-करते-करते उसको epression के लिये प्रेरित करें, उसके अन्दर कौन-सी कुंठा कहा पड़ी है, उसको बाहर निकालिए I जैसे iabetes हर प्रकार की बीमारियों का यजमान बन जाता है, वैसे epression भी टिकने की, लड़ने की, साहस करने की, निर्णय करने की, हमारी सारी क्षमताओं को ध्वस्त कर देता है I उनके दुखों को अगर आप समझने की कोशिश करोगे, सेवा-भाव से करोगे, आपके अन्दर एक नया आत्मविश्वास पैदा होगा I औरों से जुड़ने से, किसी की सेवा करने से, और निःस्वार्थ भाव से अगर सेवा करते हैं, तो आप अपने मन के बोझ को बहुत आसानी से हल्का कर सकते हैं I वैसे योग भी अपने मन को स्वस्थ रखने के लिये एक अच्छा मार्ग है I आपके मन में तीसरे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के संबंध में अगर कोई सुझाव है, तो आप मेरे mobile application के माध्यम से अपने सुझाव मुझे ज़रूर भेजें, मार्गदर्शन करें योग के संबंध में जितने गीत, काव्यमय रचनायें आप तैयार कर सकते हैं, वो करनी चाहिए, ताकि वो सहज रूप से लोगों को समझ आ जाता है I माताओं और बहनों से भी मैं ज़रूर आज एक बात करना चाहूगा, क्योंकि आज health की ही चर्चा काफ़ी निकली है, स्वास्थ्य की बातें काफ़ी हुई हैं I तो पिछले दिनों भारत सरकार ने एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय किया है I भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा फ़ैसला किया है I ये जो कामकाजी वर्ग की महिलायें हैं, उनको प्रसूति के समय, pregnancy के समय, delivery के समय, maternity leave जो पहले 12 सप्ताह मिलती थी, अब 26 सप्ताह दी जाएगी I दुनिया में शायद दो या तीन ही देश हैं, जो हम से आगे हैं I हमारे देश के अलग-अलग कोने में इस नववर्ष को अलग-अलग रूप में मनाया जाता है I महाराष्ट्र में गुड़ी-पड़वा, आंध्र-कर्नाटक में नववर्ष के तौर पर उगादी, सिन्धी चेटी-चांद, कश्मीरी नवरेह, अवध के क्षेत्र में संवत्सर पूजा, बिहार के मिथिला में जुड़-शीतल और मगध में सतुवानी का त्योहार नववर्ष पर होता है I अनगिनत, भारत इतनी विविधताओं से भरा हुआ देश है I पक्षियों का कलरव मन को भाने लगता है फूल ही नहीं, फल भी पेड़ की शाखाओं पर खिली धूप में चमकते नज़र आते हैं ग्रीष्म तु के फल आम के मंजर वसन्त में ही दिखने लग जाते हैं वहीं खेतों में सरसों के पीले फूल किसानों को उम्मीदें बंधाते हैं टेसू या पलाश के सुर्ख फूल होली के आने का संकेत करते हैं अमीर ख़ुसरो ने मौसम के इस बदलाव के पलों का बड़ा मज़ेदार वर्णन किया है वसन्त पंचमी, महाशिवरात्रि और होली का त्योहार इंसान के जीवन में ख़ुशियों के रंग डालता है और इसलिये उन्होंने कहा है कि मैं 104 satellites के launch और interceptor missile के बारे में कुछ जानकारी दू शोभा जी, आपका बहुत-बहुत आभार कि भारत के गर्व की मिसाल को आपने याद किया चाहे ग़रीबी से निपटना हो, बीमारियों से बचना हो, दुनिया से जुड़ना हो, ज्ञान, जानकारिया पहुचाना हो - technology ने, विज्ञान ने, अपनी जगह दर्ज़ करा दी है 15 फ़रवरी, 2017 भारत के जीवन में गौरवपूर्ण दिवस है हमारे वैज्ञानिकों ने विश्व के सामने भारत का सर गर्व से ऊचा किया है एक-साथ 104 satellites को अन्तरिक्ष में भेजकर इतिहास रचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया और ये भी खुशी की बात है कि यह लगातार 38वा PS का सफल launch है SR के लिये, बल्कि पूरे भारत के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि है ख़ास करके मेरे किसान भाई-बहनों को देश में जो सभी जल स्रोत है, वो कितना है, उसका उपयोग कैसे हो सकता है, क्या-क्या ध्यान रखना चाहिए, इन सारे विषयों पर ये हमारा नया satellite artosat 2 बहुत मदद करेगा हमारे satellite ने जाते ही कुछ तस्वीरें भेजी हैं उसने अपना काम शुरू कर दिया है हमारे लिये ये भी ख़ुशी की बात है कि इस सारे अभियान का नेतृत्व, हमारे युवा वैज्ञानिक, हमारी महिला वैज्ञानिक, उन्होंने किया है युवाओं और महिलाओं की इतनी ज़बरदस्त भागीदारी I SR की सफलता में एक बड़ा गौरवपूर्ण पहलू है मैं देशवासियों की तरफ़ से I SR के वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हू आम जनता के लिये, राष्ट्र की सेवा के लिये, अन्तरिक्ष विज्ञान को लाने के अपने objective को, वे सदैव बनाये रखा है और नित नये-नये कीर्तिमान भी वो रचते जा रहे हैं हमारे इन वैज्ञानिकों को, उनकी पूरी टीम को हम जितनी बधाइया दें, उतनी कम हैं शोभा जी ने एक और भी सवाल पूछा है और वो है भारत की सुरक्षा के संबंध में interception technology वाले इस missile ने अपने trial के दौरान ज़मीन से क़रीब-क़रीब 100 किलोमीटर की ऊचाई पर दुश्मन की missile को ढेर करके सफलता अंकित कर दी जब नई technology देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है और मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है पूर्ण-विराम असंभव है ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है नया विज्ञान, नयी technology उसी में से पैदा होती है और हर technology, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है मेरे प्यारे नौजवानो, जब हम विज्ञान और वैज्ञानिकों के कठिन परिश्रम की बात करते हैं, तो कई बार मैंने मन की बात में इस बात को कहा है कि हमारी युवा-पीढ़ी का विज्ञान के प्रति आकर्षण बढ़ना चाहिए देश को बहुत सारे वैज्ञानिकों की ज़रूरत है आज का वैज्ञानिक आने वाले युगों में आने वाली पीढ़ियों के जीवन में एक स्थायी बदलाव का कारण बनता है व्यवस्थायें technology driven होती जा रही हैं एक प्रकार से technology हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन रही है भारत में भी digital transaction बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है हमारे देश में पिछले दिनों लकी ग्राहक योजना, डिजि-धन व्यापारी योजना उसको भारी समर्थन मिला है क़रीब-क़रीब दो महीने हो गये हैं, प्रतिदिन 15 हज़ार लोगों को एक हज़ार रुपये का इनाम मिलता है इस योजना के तहत सौ से ज़्यादा ग्राहक ये हैं, जिनको एक-एक लाख रुपये का इनाम मिला है I चार हज़ार से ज़्यादा व्यापारी वो हैं, जिनको पचास-पचास हज़ार रुपये के इनाम मिले हैं I मैसूर से श्रीमान संतोष जी ने हर्ष जताते हुए NarendraModiApp पर लिखा है कि उन्हें लकी ग्राहक योजना के तहत एक हज़ार रुपये का reward मिला I अब आज वो कार चलाते हैं, लेकिन एक प्रकार से इस योजना के ambassador बन गये हैं I आप इसको आगे बढ़ाइए और ये काम एक प्रकार से भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ़ जो लड़ाई है, इसमें बहुत बड़ी अहम भूमिका है इसकी I 14 अप्रैल डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्म-जयंती का पर्व है I अभी-अभी बाबा साहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती गई है I M App, इसको विशेष महत्व दें और इसलिये मैं कहना चाहूगा, डॉ. बाबा साहेब ने रखी नींव को हमें मज़बूत बनाना है I घर-घर जाकर सबको जोड़ कर 125 करोड़ हाथों तक BI M App पहुचाना है I पिछले दो-तीन महीने से, ये जो movement चला है, उसका असर ये है कि कई township, कई गाव, कई शहरों में बहुत ही सफलता प्राप्त हुई है I मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की अर्थव्यवस्था के मूल में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है I गाव की आर्थिक ताक़त, देश की आर्थिक गति को ताक़त देती है I मैं आज एक बहुत ख़ुशी की बात आपको कहना चाहता हू I हमारे किसान भाइयों-बहनों ने कड़ी मेहनत करके अन्न के भंडार भर दिए हैं I हमारे देश में किसानों के परिश्रम से इस वर्ष record अन्न उत्पादन हुआ है I सारे संकेत यही कह रहे हैं कि हमारे किसानों ने पुराने सारे record तोड़ दिये हैं I खेतों में इस बार फ़सल ऐसी लहराई है, हर रोज़ लगने लगा, जैसे पोंगल और बैसाखी आज ही मनाई है I इस वर्ष देश में लगभग दो हज़ार सात सौ लाख टन से भी ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है I हमारे किसानों के नाम जो आख़िरी record अंकित हुआ था, उससे भी ये 8 ज़्यादा है I मैं विशेष रूप से देश के किसानों का धन्यवाद करना चाहता हू I मुझे ख़ुशी है कि मेरे देश के किसानों ने ग़रीबों की आवाज़ सुनी और क़रीब-क़रीब दो सौ नब्बे लाख हेक्टेयर धरती पर भिन्न-भिन्न दालों की खेती की ये सिर्फ दाल का उत्पादन नहीं है, किसानों के द्वारा हुई मेरे देश के ग़रीबों की सबसे बड़ी सेवा है I मेरी एक प्रार्थना को, मेरी एक विनती को, मेरे देश के किसानों ने जिस प्रकार से सिर-आखों पर बिठा करके मेहनत की और दालों का record उत्पादन किया, इसके लिये मेरे किसान भाई-बहन विशेष धन्यवाद के अधिकारी हैं I मेरे प्यारे देशवासियो, ये हमारे देश में, सरकार के द्वारा, समाज के द्वारा, संस्थाओं के द्वारा, संगठनों के द्वारा, हर किसी के द्वारा, स्वच्छता की इस दिशा में कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है I एक प्रकार से हर कोई किसी-न-किसी रूप में स्वच्छता के संबंध में जागरूक व्यवहार करता नज़र आ रहा है I और तेलंगाना राज्य के वारंगल में सिर्फ बंद कमरे में seminar नहीं, प्रत्यक्ष स्वच्छता के काम का महत्व क्या है, उसको प्रयोग करके करना I 17-18 फ़रवरी को हैदराबाद में toilet pit emptying eercise का आयोजन किया I छह घर के toilet pits ख़ाली करके उसकी सफ़ाई की गई और अधिकारियों ने स्वयं ने दिखाया कि twin pit toilet के उपयोग हो चुके गड्ढों को, उसे ख़ाली कर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है I उन्होंने यह भी दिखाया कि यह नई techniue के शौचालय कितने सुविधाजनक हैं और इन्हें ख़ाली करने में सफ़ाई को लेकर के कोई असुविधा महसूस नही होती है, कोई संकोच नही होता है, जो psychological barrier होता है, वो भी आड़े नही आता है I और हम भी और सामान्य सफ़ाई करते हैं, वैसे ही एक toilet के गड्ढे साफ़ कर सकते हैं I छह सदस्यीय परिवार के लिये एक standard Twin Pit Toilet - ये model लगभग पाच वर्ष में भर जाता है I किसान भली-भाति NPK से परिचित हैं I सरकार में भी अलग-अलग department स्वच्छता पखवाड़ा regular मनाते हैं I मार्च महीने के प्रथम पखवाड़े में महिला और बाल विकास मंत्रालय, उनके साथ जनजाति विकास मंत्रालय - Tribal Aairs Ministry - ये स्वच्छता अभियान को बल देने वाले हैं I और मार्च के दूसरे पखवाड़े में और दो मंत्रालय - Ministry o Shipping पोत परिवहन मंत्रालय और Ministry o ater Resources, River evelopment and Ganga Rejuvenation - ये मंत्रालय भी मार्च के आख़िरी दो सप्ताह स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने वाले हैं I हम जानते हैं कि हमारे देश का कोई भी नागरिक जब भी कुछ अच्छा करता है, तो पूरा देश एक नई ऊर्जा का अनुभव करता है, आत्मविश्वास को बढ़ाता है Rio Paralympics में हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने जो प्रदर्शन किया, हम सबने उसका स्वागत किया था इसी महीने आयोजित Blind T-20 orld up के inal में भारत ने पाकिस्तान को हराते हुए लगातार दूसरी बार world champion बन करके देश का गौरव बढ़ाया मैं एक बार फिर से टीम के सभी खिलाड़ियों को बधाई देता हू देश को हमारे इन दिव्यांग साथियों की उपलब्धि पर गर्व है मैं ये हमेशा मानता हू कि दिव्यांग भाई-बहन सामर्थ्यवान होते हैं, दृढ़-निश्चयी होते हैं, साहसिक होते हैं, संकल्पवान होते हैं हर पल हमें उनसे कुछ-न-कुछ सीखने को मिल सकता है बात चाहे खेल की हो या अंतरिक्ष-विज्ञान की - हमारे देश की महिलायें किसी से पीछे नहीं हैं क़दम से क़दम मिला करके आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का नाम रोशन कर रही हैं पिछले कुछ दिनों में एशियाई Rugby Sevens Trophy हमारी महिला खिलाड़ियों ने silver medal जीता उन सभी खिलाड़ियों को मेरी ढेर सारी बधाइया बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ये आन्दोलन तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है जब ये समाचार मिलते हैं कि बेटी के जन्म पर उत्सव मनाया गया, इतना आनंद आता है एक प्रकार से बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच सामाजिक स्वीकृति का कारण बन रही है मैंने सुना है कि तमिलनाडु राज्य के uddalore ज़िले ने एक विशेष अभियान के तहत बाल-विवाह पर रोक लगाई अब तक क़रीब 175 से ज़्यादा बाल-विवाह रोके जा चुके हैं ज़िला प्रशासन ने सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत क़रीब-क़रीब 55-60 हज़ार से ज्यादा बेटियों के बैंक अकाउंट खोले हैं मध्य प्रदेश में हर घर दस्तक के कार्यक्रम अंतर्गत गाव-गाव घर-घर बेटियों की शिक्षा के लिये एक अभियान चलाया जा रहा है राजस्थान ने अपना बच्चा, अपना विद्यालय अभियान चला करके जिन बालिकाओं का drop-out हुआ था, उनको पुनः स्कूल में भर्ती कराना, फिर से पढ़ने के लिये प्रेरित करने का अभियान चलाया है नई-नई कल्पनायें उसके साथ जुड़ी हैं स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार उसको मोड़ा गया है आप भी सक्रियता के साथ जुड़ते रहते हैं आप से मुझे बहुत-कुछ जानने को मिलता है धरती पर क्या चल रहा है, गाव, ग़रीब के मन में क्या चल रहा है, वो मुझ तक पहुचता है आपके योगदान के लिये मैं आपका बहुत आभारी हू सुदर्शन चक्रधारी मोहन यमुना के तट को छोड़कर के, गुजरात में समुन्द्र के तट पर जा करके, द्वारिका की नगरी में स्थिर हुए और समुन्द्र के तट पर पैदा हुए मोहन, यमुना के तट पर आकर के, दिल्ली में, जीवन के, आखिरी सांस लेते हैं मेरे प्यारे देशवासियो, मैं बात कर रहा हू महात्मा गाधी की 150वीं जयन्ती जिस किसी को, जब भी, जहा भी जरुरत पड़ी, महात्मा गाधी सेवा के लिए हमेशा उपस्थित रहे उन्होंने ना केवल सेवा पर बल दिया बल्कि उसके साथ जुड़े आत्म-सुख पर भी जोर दिया सेवा शब्द की सार्थकता इसी अर्थ में है कि उसे आनंद के साथ किया जाए - सेवा परमो धर्मः लेकिन, साथ-साथ उत्कृष्ट आनंद, स्वान्त: सुखायः इस भाव की अनुभूति भी सेवा में, अन्तर्निहित है ये, बापू के जीवन से हम भली-भांति समझ सकते हैं महात्मा गाधी के लिए, व्यक्ति और समाज, मानव और मानवता, यही सब कुछ था चाहे, अफ्रीका में Phoeni arm हो, या Tolstoy arm, साबरमती आश्रम हो या वर्धा (ardha ), सब स्थानों पर, अपने एक अनोखे अंदाज में, समाज संवर्धन community mobilisation पर उनका हमेशा बल रहा ये मेरा बहुत ही सौभाग्य रहा है, कि, मुझे, पूज्य महात्मा गाधी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जगहों पर जाकर के नमन करने का अवसर मिला है मैं कह सकता हू कि गाधी, सेवा-भाव से संगठन-भाव को भी बल देते रहते थे समाज-सेवा और समाज-संवर्धन community service और community mobilisation यह वो भावना जिसे हमें अपने व्यवाहारिक जीवन में लाना है मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ महीने पहले, मैं, गुजरात में दांडी गया था आने वाले समय में बहुत सारे कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनियों की योजना भी बनाई गई है लेकिन इस संदर्भ में एक बात बहुत रोचक है जो मैं आपसे साझा करना चाहता हू इसमें हरिपुरा Panels विशेष रूप से दिलचस्प थे आपको याद होगा कि गुजरात के हरीपुरा में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जहा पर सुभाष चन्द्र बोस के president elect होने की घटना इतिहास में दर्ज है इन art panels का एक बहुत ही खूबसूरत अतीत है कांग्रेस के हरिपुरा session से पहले 1937-38 में महात्मा गाधी ने शांति निकेतन कला भवन के तत्कालीन Principal नन्द लाल बोस को आमन्त्रित किया था गाधी जी चाहते थे कि वे भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को कला के माध्यम से दिखाए और उनकी इस art work का प्रदर्शन अधिवेशन के दौरान हो ये वही नन्द लाल बोस है जिनका art work हमारे संविधान की शोभा बढ़ाता है संविधान को एक नई पहचान देता है और उनकी इस कला साधना ने संविधान के साथ-साथ नन्द लाल बोस को भी अमर बना दिया है नन्द लाल बोस ने हरिपुरा के आस-पास के गाव का दौरा किया और अंत में ग्रामीण भारत के जीवन को दर्शाते हुए कुछ art canvas बनाये इस अनमोल कलाकारी की enice में जबरदस्त चर्चा हुई एक बार फिर गाधी जी की 150वीं जन्म जयंती पर शुभकामनाओं के साथ, हर हिन्दुस्तानी से कोई न कोई संकल्प की, मैं अपेक्षा करता हू देश के लिए, समाज के लिए, किसी और के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए यही बापू को अच्छी, सच्ची, प्रमाणिक कार्यांजलि होगी मा भारती के सपूतों, आपको याद होगा कि पिछले कुछ सालों में हम 2 अक्टूबर से पहले लगभग 2 सप्ताह तक देशभर में स्वच्छता ही सेवा अभियान चलाते है इस बार ये 11 सितम्बर से शुरू होगा इससे पैसा भी बचेगा और पर्यावरण की रक्षा में वे अपना योगदान भी दे पायेंगे इस बार 2 अक्टूबर को जब बापू की 150वीं जयंती मनायेंगे तो इस अवसर पर हम उन्हें न केवल खुले में शौच से मुक्त भारत समर्पित करेंगे बल्कि उस दिन पूरे देश में प्लास्टिक के खिलाफ एक नए जन-आंदोलन की नींव रखेंगे 2 अक्टूबर विशेष दिवस के रूप में मनायें इसे recycle किया जा सकता है इसे ईंधन बनाया जा सकता है मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे संस्कृत सुभाषित एक प्रकार से ज्ञान के रत्न होते हैं हमारी संस्कृति में अन्न की बहुत अधिक महिमा रही है यहा तक कि हमने अन्न के ज्ञान को भी विज्ञान में बदल दिया है संतुलित और पोषक भोजन हम सभी के लिए जरुरी है विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि, ये ही हमारे समाज के भविष्य की नींव है लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं इसमें फसल कटाई के दिनों में आंगनवाड़ी सेविकाए लोगों से एक मुट्ठी अनाज इकठ्ठा करती हैं इस अनाज का उपयोग, बच्चों और महिलाओं के लिए गर्म भोजन बनाने में किया जाता है इसमें दान करने वाला व्यक्ति एक प्रकार से जागरुक नागरिक समाज सेवक बन जाता है इसके बाद वो इस ध्येय के लिए खुद भी समर्पित हो जाता है उस आन्दोलन का वो एक सिपाही बन जाता है iuid ood नही Solid ood गुजरात ने 2010 में सोचा कि क्यू न अन्न प्राशन संस्कार के अवसर पर बच्चों को complimentary ood दिया जाये ताकि लोगों को, इसके बारे में जागरुक किया जा सके यह एक बहुत ही शानदार पहल है जिसे, हर कहीं, अपनाया जा सकता है कई राज्यों में लोग तिथि भोजन अभियान चलाते हैं अगर परिवार में जन्मदिन हो, कोई शुभदिन हो, कोई स्मृति दिवस हो, तो परिवार के लोग, पौष्टिक खाना, स्वादिष्ट खाना बनाकर के आंगनवाड़ी में जाते हैं, स्कूलों में जाते हैं और परिवार के लोग खुद बच्चों को परोसते हैं, खिलाते हैं सेवाभाव और आनंदभाव का अद्भुत मिलन नज़र आता है साथियों, ऐसी कई सारी छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हमारा देश कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं आज, जागरूकता के आभाव में, कुपोषण से ग़रीब भी, और संपन्न भी, दोनों ही तरह के परिवार प्रभावित हैं पूरे देश में सितम्बर महीना पोषण अभियान के रूप में मनाया जाएगा आप जरुर इससे जुड़िये, जानकारी लीजिये, कुछ नया जोड़ियें आप भी योगदान दीजिये अगर आप एकाध व्यक्ति को भी कुपोषण से बाहर लाते हैं मतलब हम देश को कुपोषण से बाहर लाते हैं इस एक episode से मैं न सिर्फ हिंदुस्तान दुनिया भर के युवाओं से जुड़ गया हू मैंने भी कभी सोचा नही था कि युवा दिलों में इस प्रकार से मेरी जगह बन जायेगी मैंने भी कभी सोचा नही था कि हमारे देश के और दुनिया के युवा कितनी विविधता भरी चीजों की तरफ ध्यान देते हैं अभी पिछले सप्ताह मैं भूटान गया था लेकिन इन दिनों एक नया अनुभव आ रहा है Tiger, ion, जीव-सृष्टि और मैं हैरान हू कि लोगों की कितनी रूचि होती है ये क्या बाद में edit किया हुआ है ? देखिये, इसमें कोई रहस्य नहीं है तो मैं बोलता था हिंदी लेकिन उसको सुनाई देता था अंग्रेजी और उसके कारण संवाद बहुत आसान हो जाता था और technology का यही तो कमाल है इस show के बाद बड़ी संख्या में लोग मुझे जिम कॉर्बेट, नेशनल पार्क के विषय में चर्चा करते नजर आए हैं आप लोग भी nature और wild lie प्रकृति और जन्य-जीवों से जुड़े स्थलों पर जरुर जाएं मैंने पहले भी कहा है, मैं जरुर कहता हू आपको अपने जीवन में north-east जरुर जाइये पिछले महीने मुझे देश में tiger census जारी करने का सौभाग्य मिला था क्या आप जानते हैं कि भारत में कितने बाघ हैं ? भारत में बाघों की आबादी 2967 है कुछ साल पहले इससे आधे भी बड़ी मुश्किल से थे हम बाघों को लेकर 2010 में रूस के saint Petersburg में Tiger summit हुआ था इसमें दुनिया में बाघों की घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर करते हुए एक संकल्प लिया गया था यह संकल्प था Twenty Twenty Two 2022 तक पूरी दुनिया में बाघों की संख्या को दोगुना करना हमनें 2019 में ही अपने यहा tiger की संख्या दोगुनी कर दी भारत में सिर्फ बाघों की संख्या ही नहीं बल्कि protected areas और community reserves की संख्या भी बढ़ी हैं जब मैं बाघों का data release कर रहा था तो मुझे गुजरात के गीर के शेर की भी याद आई जब मैंने वहा मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था तब गीर की जंगलों में शेरों का habitat सिकुड़ रहा था उनकी संख्या कम होती जा रही थी हमनें गीर में एक के बाद एक कई कदम उठाए 2007 में वहा महिला guards को तैनात करने का फैसला लिया पर्यटन को बढ़ाने के लिए inrastructure में सुधार किए जब भी हम प्रकृति और वन्य-जीवों की बात करते हैं तो केवल conservation की ही बात करते हैं लेकिन, अब हमें conservation से आगे बढ़ कर compassion को लेकर सोचना ही होगा मेरे प्यारे देशवासियो, 11 सितम्बर, 1893 eighteen ninety three स्वामी विवेकानंद जी का ऐतिहासिक भाषण कौन भूल सकता है पूरे विश्व की मानव जाति को झकझोर करने वाला भारत का ये युवा सन्यासी दुनिया के अन्दर भारत की एक तेजस्वी पहचान छोड़ करके आ गया जिस गुलाम भारत की तरफ दुनिया बड़ी विकृत भाव से देख रही थी उस दुनिया को 11 सितम्बर, 1893 स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष के शब्दों ने दुनिया को भारत की तरफ देखने का नज़रिया बदलने के लिए मजबूर कर दिया हर एक के लिए बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिला सब के लिए ये बड़ा interesting अभियान होगा और ये आपका अपना होगा लेकिन उसकी बारीकियां आज मैं बताने नहीं जा रहा हू आइये, एक नए उमंग, नए संकल्प, नई शक्ति के साथ चल पड़ें मैं आपकी बातों का, आपके सुझावों का इंतजार करूगा भीतर के आनंद को सेवा भाव से प्रकट करते हुए चल पड़ें भारत का संविधान, नागरिकों के कर्तव्य, नागरिकों के अधिकार, लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता, एक प्रकार से ये संस्कार उत्सव भी है, जो आने वाली पीढ़ियों को लोकतंत्र के प्रति, लोकतान्त्रिक जिम्मेवारियों के प्रति, जागरूक भी करता है, संस्कारित भी करता है। लेकिन अभी भी हमारे देश में, नागरिकों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार - उस पर जितनी बहस होनी चाहिए, जितनी गहराई से बहस होनी चाहिए, जितनी व्यापक रूप में चर्चा होनी चाहिए, वो अभी नहीं हो रही है। मैं आशा करता हू कि हर स्तर पर, हर वक़्त, जितना बल अधिकारों पर दिया जाता है, उतना ही बल कर्तव्यों पर भी दिया जाए। अधिकार और कर्तव्य की दो पटरी पर ही, भारत के लोकतंत्र की गाड़ी तेज़ गति से आगे बढ़ सकती है। कल 30 जनवरी है, हमारे पूज्य बापू की पुण्य तिथि है। 30 जनवरी को हम सब सुबह 11 बजे, 2 मिनट मौन रख करके, देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में, 30 जनवरी, 11 बजे 2 मिनट श्रद्धांजलि, यह सहज स्वभाव बनना चाहिए। इस गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, विभिन्न वीरता पुरस्कारों से, जो वीर-जवान सम्मानित हुए, उनको, उनके परिवारजनों को, मैं बधाई देता हू। इन पुरस्कारों में, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, परम विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल - अनेक श्रेणिया हैं। जब उनके साहस की, वीरता की, पराक्रम की बात को गहराई से जानते हैं, तो हमें आश्चर्य भी होता है, गर्व भी होता है, प्रेरणा भी मिलती है। एक तरफ़ हम सब 26 जनवरी की उमंग और उत्साह की ख़बरों से आनंदित थे, तो उसी समय कश्मीर में हमारे जो सेना के जवान देश की रक्षा में डटे हुए हैं, वे हिमस्खलन के कारण वीर-गति को प्राप्त हुए। मैं इन सभी वीर जवानों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हू, नमन करता हू। मेरे युवा साथियो, आप तो भली-भाति जानते हैं कि मैं मन की बात लगातार करता रहता हू। जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रैल - ये सारे महीने हर परिवार में, कसौटी के महीने होते हैं। घर में एक-आध, दो बच्चों की eam होती हैं, लेकिन पूरा परिवार eam के बोझ में दबा हुआ होता है। परिवार परेशान, विद्यार्थी परेशान, शिक्षक परेशान, एक बड़ा विचित्र सा मनोवैज्ञानिक वातावरण हर घर में नज़र आता है। और मुझे हमेशा ये लगा है कि इसमें से बाहर आना चाहिये और इसलिये मैं आज युवा साथियों के साथ कुछ विस्तार से बातें करना चाहता हू। मुझे एक टेलीफोन सन्देश मिला सृष्टि का। खैर, सवाल तो सृष्टि ने पूछा है, लेकिन ये सवाल आप सबके मन में होगा। परीक्षा अपने-आप में एक ख़ुशी का अवसर होना चाहिये। साल भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसा उमंग-उत्साह का ये पर्व होना चाहिए। निर्णय आपको करना है कि इसे आप pleasure मानेंगे कि pressure मानेंगे। और जब त्योहार होता है, जब उत्सव होता है, तो हमारे भीतर जो सबसे best होता है, वही बाहर निकल कर के आता है। समाज की भी ताक़त की अनुभूति उत्सव के समय होती है। eam में भी पूरे परिवार में, मित्रों के बीच, आस-पड़ोस के बीच एक उत्सव का माहौल बनना चाहिये। हक़ीक़त तो ये है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक और कच्छ से ले करके कामरूप तक, अमरेली से ले करके अरुणाचल प्रदेश तक, ये तीन-चार महीने परीक्षा ही परीक्षायें होती हैं। ये हम सब का दायित्व है कि हम हर वर्ष इन तीन-चार महीनों को अपने-अपने तरीक़े से, अपनी-अपनी परंपरा को लेते हुए, अपने-अपने परिवार के वातावरण को लेते हुए, उत्सव में परिवर्तित करें। और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं, तो आप rela अपने-आप को पाते हैं। आप सहज रूप से rela हो जाते हैं और जब आप rela होते हैं, तो आपकी वर्षों पुरानी बातें भी सहज रूप से आपको याद आ जाती हैं। एक साल पहले classroom में teacher ने क्या कहा, पूरा दृश्य याद आ जाता है। ऐसा लगता है कि वो जीवन-मरण का जैसे सवाल है। आप जो eam देने जा रहे हैं, वो साल भर में आपने जो पढ़ाई की है, उसकी eam है। वे वायुसेना में भर्ती होने गए, ail हो गए। मान लीजिए, उस विफलता के कारण अगर वो मायूस हो जाते, ज़िंदगी से हार जाते, तो क्या भारत को इतना बड़ा वैज्ञानिक मिलता, इतने बड़े राष्ट्रपति मिलते नहीं मिलते। इसकी वजह से प्रतिस्पर्द्धा तो बहुत बढ़ी ही है, साथ में विद्यार्थियों में तनाव भी बहुत बढ़ गया है। तो शिक्षा की इस वर्तमान दिशा और इसके भविष्य को ले करके आपके विचारों से अवगत होना चाहूगी। जीवन में आपको knowledge काम आने वाला है, skill काम आने वाली है, आत्मविश्वास काम आने वाला है, संकल्पशक्ति काम आने वाली है। आप कोई बड़ा से बड़ा case लड़ने के लिए किसी वकील के पास जाते हैं, तो क्या उस वकील की marks-sheet देखते हैं क्या? आप उसके अनुभव को, उसके ज्ञान को, उसकी सफलता की यात्रा को देखते हैं। और इसलिये ये जो अंक का बोझ है, वो भी कभी-कभी हमें सही दिशा में जाने से रोक देता है। तो हो सकता है कि eam में होनहार बनने के बावजूद भी जीवन में कभी-कभी विफल हो जाते हैं। चा जी, ने एक बात ये भी कही है प्रतिस्पर्द्धा। ये एक बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक लड़ाई है। अगर हम श्रीमान सचिन तेंदुलकर जी का ही उदहारण ले लें। जीवन के हर क्षेत्र में दोस्तो और जब आप eam देने जा रहे हैं तब, पहले अगर दो घंटे पढ़ पाते थे शान्ति से, वो तीन घंटे कर पाते हो क्या? एक बार आप accept करना सीख लेंगे, अधिकतम समस्या तो वही समाप्त हो जाएगी। acceptance समस्याओं के समाधान का रास्ता खोलता है। अपेक्षायें राह कठिन कर देती हैं। अवस्था को स्वीकार करना, नए रास्ते खोलने का अवसर देती है और इसलिए जो है, उसे accept कीजिए। आप भी बोझमुक्त हो जाएगे। एक प्रकार से बीमार व्यक्ति को जाकर के जैसे हम बीमारी से डरा देते हैं। अभिभावकों से मैं कहना चाहूगा, कभी-कभी हम भी बच्चों के साथ ऐसा ही करते हैं। क्या आपको कभी लगा कि eam के दिनों में बच्चों को हसी-ख़ुशी का भी कोई माहौल दें। आप देखिए, वातावरण बदल जाएगा। एक बड़ा कमाल का मुझे phone call आया है। वे सज्जन अपना नाम बताना नहीं चाहते हैं। phone सुन कर के आपको पता चलेगा कि वो अपना नाम क्यों नहीं बताना चाहते हैं? नमस्कार, प्रधानमंत्री जी, मैं अपना नाम तो नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने काम ही कुछ ऐसा किया था अपने बचपन में। उस time में मैं पढ़ करके भी उतने ही नंबर ला सकता था, जितना मैंने नक़ल करने के लिए दिमाग लगाने में ख़र्च किया। और जब मैंने नक़ल करके पास होने की कोशिश की, तो मैं उसमें पकड़ा भी गया और मेरी वजह से मेरे आस-पास के कई दोस्तों को काफ़ी परेशानी हुई। मैं भी आपको वही बात दोबारा कह रहा हू। सबको ये पसंद है कि नहीं, मुझे मालूम नहीं, लेकिन मेरा तो अनुभव है। तो मुझे एक लोक गायक मिलने आए। उन्होंने मुझे आकर के पूछा - आप कितने घंटे सोते हैं। मैंने कहा - क्यों भाई, आप डॉक्टर हैं क्या? नहीं-नहीं, बोले - ये आपका आवाज़ जो चुनाव के समय भाषण करते-करते ख़राब हो जाता है, उसका इसके साथ संबंध है। आप पूरी नींद लेंगे, तभी आपके vocal cord को पूरा rest मिलेगा। अब मैंने नींद को और मेरे भाषण को और मेरी आवाज़ को कभी सोचा ही नहीं था, उन्होंने मुझे एक जड़ी-बूटी दे दी। तो ऐसा मत करना, वरना आपके परिवार के लोग मेरे से नाराज़ हो जाएगे। और आपकी अगर marks-sheet जिस दिन आएगी, तो उनको आप नहीं दिखाई दोगे, मैं ही दिखाई दूगा। इस मंत्र को ले करके आगे बढ़ें। इस अवसर पर मैं oast Guard के सभी अधिकारियों एवं जवानों को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिये धन्यवाद देता हू। ये गर्व की बात है कि oast Guard देश में निर्मित अपने सभी 126 ships और 62 aircrats के साथ विश्व के 4 सबसे बड़े oast Guard के बीच अपना स्थान बनाए हुए है। अपने इस आदर्श वाक्य को चरितार्थ करते हुए, देश की समुद्री सीमाओं और समुद्री परिवेश को सुरक्षित करने के लिये oast Guard के जवान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दिन-रात तत्पर रहते हैं। oast Guard की हमारी महिला अफ़सर Pilot हों, bservers के रूप में काम हों, इतना ही नहीं, overcrat की कमान भी संभालती हैं। इतना ही नहीं, वीरों के लिए प्रेरणा का भी पर्व होता है। मेरा रंग दे बसंती चोला - ये वही तो प्रेरणा है। इस वसन्त पंचमी के पावन त्योहार पर मेरी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनायें हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, मन की बात में आकाशवाणी भी अपनी कल्पकता के साथ हमेशा नये रंग-रूप भरता रहता है। पिछले महीने से उन्होंने मेरी मन की बात पूर्ण होने के तुरंत बाद प्रादेशिक भाषाओं में मन की बात सुनाना शुरू किया है। इसको व्यापक स्वीकृति मिली है। दूर-दूर से लोग चिट्ठिया लिख रहे हैं। पिछले महीने हम सब दिवाली का आनंद ले रहे थे हर वर्ष की तरह इस बार दिवाली के मौके पर, मैं फिर एक बार जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिये, चीन की सीमा पर, सरहद पर गया था मैं हर बार जाता हू, लेकिन इस दिवाली का अनुभव कुछ और था वो भावनाओं से भरे-भरे दिखते थे और इतना ही नहीं, देशवासियों ने जो शुभकामनायें-सन्देश भेजे, अपनी ख़ुशियों में देश के सुरक्षा बलों को शामिल किया, एक अद्भुत response था लेकिन सच कहू, इस बार ऐसा नहीं लगा ऐसा महसूस हुआ मानो हम भी, सवा-सौ करोड़ भारतवासियों के साथ दिवाली मना रहे हैं मेरे प्यारे देशवासियो, जो अहसास इस दिवाली, इस माहौल में जो अनुभूति, हमारे देश के सुरक्षा बलों के बीच, जवानों के बीच जगा है, क्या ये सिर्फ़ कुछ मौकों पर ही सीमित रहना चाहिये ? मेरी आपसे appeal है कि हम, एक समाज के रूप में, राष्ट्र के रूप में, अपना स्वभाव बनाए, हमारी प्रकृति बनाए कोई भी उत्सव हो, त्योहार हो, खुशी का माहौल हो, हमारे देश के सेना के जवानों को हम किसी-न- किसी रूप में ज़रूर याद करें जब सारा राष्ट्र सेना के साथ खड़ा होता है, तो सेना की ताक़त 125 करोड़ गुना बढ़ जाती है कुछ समय पहले मुझे जम्मू-कश्मीर से, वहा के गाव के सारे प्रधान मिलने आये थे वे अपने गाव के विकास की कुछ बातें लेकर के आए थे, कुछ मागें लेकर के आए थे, लेकिन जब बात का दौर चल पड़ा, तो स्वाभाविक था, घाटी के हालात, क़ानून व्यवस्था, बच्चों का भविष्य, ये सारी बातें निकलना बड़ा स्वाभाविक था अभी कुछ दिन पहले जब Board की eam हुई, तो कश्मीर के बेटे और बेटियों ने क़रीब 95, पचानबे फ़ीसदी कश्मीर के छात्र-छात्राओं ने Board की परीक्षा में हिस्सा लिया Board की परीक्षाओं में इतनी बड़ी तादाद में छात्रों का सम्मिलित होना, इस बात की ओर इशारा करता है कि जम्मू-कश्मीर के हमारे बच्चे उज्ज्वल भविष्य के लिये, शिक्षा के माध्यम से - विकास की नई ऊचाइयों को पाने के लिये कृतसंकल्प हैं उनके इस उत्साह के लिये, मैं छात्रों को तो अभिनन्दन करता हू, लेकिन उनके माता-पिता को, उनके परिजनों को, उनके शिक्षकों को और सभी ग्राम प्रधानों को भी ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हू प्यारे भाइयो और बहनों, इस बार जब मैंने मन की बात के लिये लोगों के सुझाव मांगे, तो मैं कह सकता हू कि एकतरफ़ा ही सबके सुझाव आए सब कहते थे कि 500- और 1000- वाले नोटों पर और विस्तार से बातें करें वैसे 8 नवम्बर, रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए, देश में सुधार लाने के एक महाभियान का आरम्भ करने की मैंने चर्चा की थी जिस समय मैंने ये निर्णय किया था, आपके सामने प्रस्तुत रखा था, तब भी मैंने सबके सामने कहा था कि निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा हुआ है और तब भी मैंने कहा था कि निर्णय इतना बड़ा है, इसके प्रभाव में से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग ही जाएगे और तब जाकर के normal अवस्था की ओर हम क़दम बढ़ा पाएगे 70 साल से जिस बीमारियों को हम झेल रहे हैं उस बीमारियों से मुक्ति का अभियान सरल नहीं हो सकता है भारत को भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों के प्रति, सिर्फ़ श्रद्धा ही श्रद्धा है, विश्वास ही विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी संकल्प पूर्ण करके ही रहेंगे और मैंने देखा है कि इतनी कठिनाइयों के बीच बैंक के, पोस्ट ऑफिस के सभी लोग काम कर रहे हैं और जब मानवता के मुद्दे की बात आ जाए, तो वो दो क़दम आगे दिखाई देते हैं किसी ने मुझे कहा कि खंडवा में एक बुज़ुर्ग इंसान का accident हो गया वहा स्थानीय बैंक के कर्मचारी के ध्यान में आया और मुझे ये जान करके खुशी हुई कि ख़ुद जाकर के उनके घर, उस बुज़ुर्ग को उन्होंने पैसे पहुचाए, ताकि इलाज़ में मदद हो जाए ऐसे तो अनगिनत किस्से हर दिन टी.वी. में, मीडिया में, अख़बारों में, बातचीत में सामने आते हैं वो अपने पैसे बचाने के फ़िराक़ में गैर-क़ानूनी रास्ते ढूंढ़ रहे हैं लेकिन, मेहरबानी करके आप ग़रीबों की ज़िंदगी के साथ मत खेलिए आप ऐसा कुछ न करें कि record पर ग़रीब का नाम आ जाए और बाद में जब जाच हो, तब मेरा प्यारा ग़रीब आपके पाप के कारण मुसीबत में फस जाए और बेनामी संपत्ति का इतना कठोर क़ानून बना है, जो इसमें लागू हो रहा है, कितनी कठिनाई आएगी मैं ग्राम तिराली, तहसील तिराली, ज़िला हरदा, मध्य प्रदेश का एक आम नागरिक हू आप के द्वारा जो मुद्रा हज़ार-पाच सौ के नोट बंद किए गए हैं, यह बहुत ही सराहनीय है आपको मन से मैं धन्यवाद देना चाहता हू, क्योंकि आपने कहा था कि अच्छे दिन आएगे, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा कि ऐसा बड़ा क़दम आप उठाएगे पाच सौ का और हज़ार का नोट, ये सब देखकर के काला धन और भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाया हर एक भारत के नागरिक को इससे अच्छे दिन कभी नहीं आएगे इसी के लिए मैं आपको मनपूर्ण धन्यवाद करना चाहता हू कुछ बातें मीडिया के माध्यम से, लोगों के माध्यम से, सरकारी सूत्रों के माध्यम से जानने को मिलती हैं, तो काम करने का उत्साह भी बहुत बढ़ जाता है और लोग वहा जाते हैं, खाना खाते हैं और 2-4-6 दिन के बाद जब वहा से फिर से गुजरते हैं, तो फिर से पैसे भी लौटा देते हैं ये है मेरे देश की ताक़त, जिसमें सेवा-भाव, त्याग-भाव भी है और प्रामाणिकता भी है लेकिन मुझे पता नहीं कि चाय पर चर्चा में, शादी भी होती है मुझे पता चला कि 17 नवम्बर को सूरत में, एक ऐसी शादी हुई, जो शादी चाय पर चर्चा के साथ हुई गुजरात में सूरत में एक बेटी ने अपने यहा शादी में जो लोग आए, उनको सिर्फ़ चाय पिलाई और कोई जलसा नहीं किया, न कोई खाने का कार्यक्रम, कुछ नहीं - क्योंकि नोटबंदी के कारण कुछ कठिनाई आई थी पैसों की सूरत के भरत मारू और दक्षा परमार - उन्होंने अपनी शादी के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ़, काले धन के खिलाफ़, ये जो लड़ाई चल रही है, उसमें जो योगदान किया है, ये अपने आप में प्रेरक है Tea-worker रहते हैं और Tea-worker को साप्ताहिक रूप से पैसे मिलते हैं हर municipality को ta का मुश्किल से 50 आता है लेकिन इस बार 8 तारीख़ के इस निर्णय के कारण सब लोग अपने पुराने नोटें जमा कराने के लिए दौड़ गए ऐसे तो कई उदाहरण मिल रहे हैं कि जिसमें इसका सीधा-सीधा लाभ भी नज़र आने लगा है भाइयो-बहनो, हमारा गाव, हमारा किसान ये हमारे देश की अर्थव्यवस्था की एक मज़बूत धुरी हैं अभी मैं इस फ़सल की बुआई के आकड़े ले रहा था मुझे ख़ुशी हुई, चाहे गेहू हो, चाहे दलहन हो, चाहे तिलहन हो नवम्बर की 20 तारीख़ तक का मेरे पास हिसाब था, पिछले वर्ष की तुलना में काफ़ी मात्रा में बुआई बढ़ी है कठिनाइयों के बीच भी, किसान ने रास्ते खोजे हैं सरकार ने भी कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिसमें किसानों को और गावों को प्राथमिकता दी है हमारे देश के छोटे व्यापारी, वे रोजगार भी देते हैं, आर्थिक गतिविधि भी बढ़ाते हैं लाखों-करोड़ों रुपये मुद्रा-योजना से ऐसे छोटे-छोटे लोगों को दिए, क्योंकि ये छोटा कारोबार, करोड़ों की तादाद में लोग करते हैं और अरबों-खरबों रुपये के व्यापार को गति देते हैं लेकिन इस निर्णय के कारण उनको भी कठिनाई होना स्वाभाविक था आप भी अपने मोबाइल फ़ोन पर बैंकों की App download कर दीजिए technological रास्ते हैं, sae है, secure है और त्वरित है मैं चाहूगा कि आप सिर्फ़ इस अभियान को सफल करने के लिए मदद करें, इतना नहीं, आप बदलाव का भी नेतृत्व करें और मुझे विश्वास है, आप बदलाव का नेतृत्व कर सकते हैं मैं मज़दूर भाइयों-बहनों को भी कहना चाहता हू, आप का बहुत शोषण हुआ है कागज़ पर एक पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है, तब दूसरा होता है कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको cut देना पड़ता है और मज़दूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है इस नई व्यवस्था से हम चाहते हैं कि आपका बैंक में खाता हो, आपके पगार के पैसे आपके बैंक में जमा हों, ताकि minimum wages का पालन हो आज मैं विशेष रूप से युवक मित्रों से बात करना चाहता हू हम दुनिया में गाजे-बाजे के साथ कहते हैं कि भारत ऐसा देश है कि जिसके पास 65 जनसंख्या, 35 साल से कम उम्र की है आप मेरे देश के युवा और युवतिया, मैं जानता हू, मेरा निर्णय तो आपको पसन्द आया है मैं ये भी जानता हू कि आप इस निर्णय का समर्थन करते हैं मैं ये भी जानता हू कि आप इस बात को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाने के लिए बहुत योगदान भी करते हैं लेकिन दोस्तो, आप मेरे सच्चे सिपाही हो, आप मेरे सच्चे साथी हो मेरे नौजवानो, आप मेरी मदद कर सकते हो क्या ? मुझे साथ दोगे, इतने से बात बनने वाली नहीं है जितना आज की दुनिया का अनुभव आपको है, पुरानी पीढ़ी को नहीं है हो सकता है, आपके परिवार में बड़े भाई साहब को भी मालूम नहीं होगा और माता-पिता, चाचा-चाची, मामा-मामी को भी शायद मालूम नहीं होगा आप App क्या होती है, वो जानते हो, online banking क्या होता है, जानते हो, online ticket booking कैसे होता है, आप जानते हो आपके लिये चीज़ें बहुत सामान्य हैं और आप उपयोग भी करते हो लेकिन आज देश जिस महान कार्य को करना चाहता है, हमारा सपना है cashless society ये ठीक है कि शत-प्रतिशत cashless society संभव नहीं होती है और मुझे इसमें आपकी physical मदद चाहिए, ख़ुद का समय चाहिए, ख़ुद का संकल्प चाहिए और आप मुझे कभी निराश नहीं करोगे, मुझे विश्वास है, क्योंकि हम सब हिंदुस्तान के ग़रीब की ज़िंदगी बदलने की इच्छा रखने वाले लोग हैं आप जानते हैं, cashless society के लिये, digital banking के लिये या mobile banking के लिये आज कितने सारे अवसर हैं हर बैंक online सुविधा देता है wallet का सीधा-सीधा मतलब है e-बटुवा कई तरह के card उपलब्ध हैं साधारण जो eature phone होता है, उससे भी cash transer हो सकती है धोबी हो, सब्ज़ी बेचनेवाला हो, दूध बेचनेवाला हो, अख़बार बेचनेवाला हो, चाय बेचनेवाला हो, चने बेचनेवाला हो, हर कोई इसका आराम से उपयोग कर सकता है और मैंने भी इस व्यवस्था को और अधिक सरल बनाने के लिए और ज़ोर दिया है सभी बैंक इस पर लगी हुई हैं, कर रही हैं मेरे नौजवान दोस्तो, ये सब होने के बाद भी एक पूरी पीढ़ी ऐसी है कि जो इससे अपरिचित है और आप सभी लोग, मैं भली-भांति जानता हू, इस महान कार्य में सक्रिय हैं hatsApp पर जिस प्रकार के creative message आप देते हैं - slogan, कविताये, किस्से, cartoon, नयी-नयी कल्पना, हंसी-मज़ाक - सब कुछ मैं देख रहा हू और चुनौतियों के बीच ये हमारी युवा पीढ़ी की जो सृजन शक्ति है, तो ऐसा लग रहा है, जैसे ये भारत भूमि की विशेषता है कि किसी ज़माने में युद्ध के मैदान में गीता का जन्म हुआ था, वैसे ही आज इतने बड़े बदलाव के काल से हम गुजर रहे हैं, तब आपके अन्दर भी मौलिक creativity प्रकट हो रही है लेकिन मेरे प्यारे नौजवान मित्रो, मैं फिर एक बार कहता हू, मुझे इस काम में आपकी मदद चाहिए दुकानदार को भी सिखाइये कि कैसे व्यापार किया जा सकता है ? आप स्वेच्छा से इस cashless society, इन नोटों के चक्कर से बाहर लाने का महाभियान, देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का अभियान, काला-धन से मुक्ति दिलाने का अभियान, लोगों को कठिनाइयों-समस्याओं से मुक्त करने का अभियान - इसका नेतृत्व करना है आपको एक बड़ी क्रांति की है इस देश ने मेरे नौजवानो, मैं फिर एक बार, फिर एक बार बड़े आग्रह से आपको कहता हू कि आप इस अभियान को आगे बढ़ाइए आपने देखा होगा, इस सदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार अमिताभ जी स्वच्छता के अभियान को बहुत जी-जान से आगे बढ़ा रहे हैं मेरे प्यारे देशवासियो, अब तो मन की बात के माध्यम से आपके विचार, आपकी भावनायें आपके पत्रों के माध्यम से, MyGov पर, NarendraModiApp पर लगातार मुझे आपको जोड़ करके रखती हैं अब तो 11 बजे ये मन की बात होती है, लेकिन प्रादेशिक भाषाओं में इसे पूरा करने के तुरंत बाद शुरू करने वाले हैं भारत के हर कोने में उत्साह और उमंग के साथ दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भारत एक ऐसा देश है कि 365 दिन, देश के किसी-न-किसी कोने में, कोई-न-कोई उत्सव नज़र आता है। लेकिन इन सबमें एक बात हम भली-भाति देख सकते हैं कि भारत के उत्सवों की ये पूरी यात्रा, उसका व्याप, उसकी गहराई, जन-जन में उसकी पैठ, एक मूल-मन्त्र से जुड़ी हुई है स्व को समष्टि की ओर ले जाना। व्यक्ति और व्यक्तित्व का विस्तार हो, अपने सीमित सोच के दायरे को, समाज से ब्रह्माण्ड तक विस्तृत करने का प्रयास हो और ये उत्सवों के माध्यम से करना। प्रकृति-विनाश चिंता का विषय बना है। भारत की उत्सव परम्परा, प्रकृति-प्रेम को बलवान बनाने वाली, बालक से लेकर के हर व्यक्ति को संस्कारित करने वाली रही है। यानि यहा तक हमारे यहा छुट्टी भी ब्रह्माण्ड और विज्ञान के साथ जोड़ करके मनाने की परम्परा विकसित हुई थी। आज जब हम दीपावली का पर्व मनाते हैं तब, जैसा मैंने कहा, हमारा हर पर्व एक शिक्षादायक होता है, शिक्षा का बोध लेकर के आता है। दीपावली का दिया जला कर के, समाज दोष-रूपी जो अन्धकार छाया हुआ है, व्यक्ति दोष-रूपी जो अन्धकार छाया हुआ है, उससे भी मुक्ति और वही तो दिवाली का दिया जला कर के, प्रकाश पहुचाने का पर्व बनता है। एक बात हम सब भली-भांति जानते हैं, हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में चले जाइए, अमीर-से-अमीर के घर में चले जाइए, ग़रीब-से-ग़रीब की झोपड़ी में चले जाइए, दिवाली के त्योहार में, हर परिवार में स्वच्छता का अभियान चलता दिखता है। घर के हर कोने की सफ़ाई होती है। दुनिया की कई सरकारें भी, वहा की संसद भी, वहा के शासक भी, दीपावली के पर्व के हिस्से बनते जा रहे हैं। nstagram पर तस्वीर रखी है और उस तस्वीर को उन्होंने दुनिया के साथ share किया है और बड़े गौरव के साथ किया है। Singapore Parliament की 16 महिला MPs भारतीय साड़ी पहन करके Parliament के बाहर खड़ी हैं और ये photo viral हुई है। और ये सब दिवाली के निमित्त किया गया हैI दीपावली के दिनों में अकस्मात की ख़बरें, आग की ख़बरें, अपमृत्यु की ख़बरें, बड़ी चिंता कराती हैं। और एक मुसीबत ये भी हो जाती है कि दिवाली के दिनों में डॉक्टर भी बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने चले गए होते हैं, तो संकट में और एक संकट जुड़ जाता है। वो गोवर्धन पूजा कहो, भाई दूज कहो, लाभ पंचमी कहो, और कार्तिक पूर्णिमा के प्रकाश-पर्व तक ले जाइए, तो एक प्रकार से एक लंबे कालखंड चलता है। लेकिन कहावत तो ये हो जाती है कि भई, दुनिया में लोग उगते सूरज की पूजा करते हैं। छठ-पूजा एक ऐसा उत्सव है, जिसमें ढलते सूरज की भी पूजा होती है। एक बहुत बड़ा सामाजिक संदेश है उसमें । मैं दीपावली के पर्व की बात कहू, छठ-पूजा की बात कहू - ये समय है आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनायें देने का, लेकिन साथ-साथ मेरे लिये समय और भी है, ख़ासकर के देशवासियों का धन्यवाद करना है, आभार व्यक्त करना है। पिछले कुछ महीनों से, जो घटनायें आकार ले रही हैं, हमारे सुख-चैन के लिये हमारे सेना के जवान अपना सब कुछ लुटा रहे हैं। मेरे भाव-विश्व पर सेना के जवानों की, सुरक्षा बलों के जवानों की, ये त्याग, तपस्या, परिश्रम, मेरे दिल-दिमाग पर छाया हुआ रहता है। और उसी में से एक बात मन में कर गई थी कि यह दिवाली सुरक्षा बलों के नाम पर समर्पित हो। मैंने देशवासियों को Sandesh to Soldiers एक अभियान के लिए निमंत्रित किया। लेकिन मैं आज सिर झुका कर के कहना चाहता हू, हिंदुस्तान का कोई ऐसा इन्सान नहीं होगा, जिसके दिल में देश के जवानों के प्रति जो अप्रतिम प्यार है, सेना के प्रति गौरव है, सुरक्षा-बलों के प्रति गौरव है। जिस प्रकार से उसकी अभिव्यक्ति हुई है, ये हर देशवासी को ताक़त देने वाली है। सुरक्षा-बल के जवानों को तो हम कल्पना नहीं कर सकते, इतना हौसला बुलंद करने वाला, आपका एक संदेश ताक़त के रूप में प्रकट हुआ है। ndo-Tibetan Police हो, Assam Riles हो, जल-सेना हो, थल-सेना हो, नभ-सेना हो, oast Guard हो, मैं सब के नाम बोल नहीं पाता हू, अनगिनत। मैं सचमुच में देशवासियों का आभार प्रकट करता हू। Sandesh to Soldiers इस ashtag पर इतनी सारी चीज़ें-इतनी सारी चीज़ें आई हैं, प्रतीकात्मक रूप में। मैं श्रीमान अश्विनी कुमार चौहान ने एक कविता भेजी है, उसे पढ़ना पसंद करूगाI मेरे प्यारे देशवासियो, जिसका मायका भी सेना के जवानों से भरा हुआ है और जिसका ससुराल भी सेना के जवानों से भरा हुआ है, ऐसी एक बहन शिवानी ने मुझे एक टेलीफोन message दिया। आइए, हम सुनते हैं, फ़ौजी परिवार क्या कहता है: - नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मैं शिवानी मोहन बोल रही हू। इस दीपावली पर जो Sandesh to Soldiers अभियान शुरू किया गया है, उससे हमारे फ़ौजी भाइयों को बहुत ही प्रोत्साहन मिल रहा है। मैं एक Army amily से हू। मेरे पति भी Army ऑफिसर हैं। मेरे ather और ather-in-law, दोनों Army icers रह चुके हैं। और मैं कहना चाहूगी कि Army icers और Soldiers के साथ उनके परिवार, उनकी पत्निया भी काफ़ी sacriices करती हैं। Thank ou . मेरे प्यारे देशवासियो, ये बात सही है कि सेना के जवान सिर्फ़ सीमा पर नहीं, जीवन के हर मोर्चे पर खड़े हुए पाए जाते हैं। और तभी तो हिमाचल प्रदेश pen eecation ree करने की ताक़त आई। लोग कभी जाते नहीं। शौचालय बनाने के लिए जो सामान ले जाना था, ईंटें हो, सीमेंट हो, सारे सामान इन नौजवानों ने अपने कंधे पर उठा करके, पूरा दिन भर पैदल चल के उन जंगलों में गए। जिस प्रकार से उन्होंने इस काम को हाथ में लिया है, पूरा राज्य, मुझे विश्वास है कि बहुत ही जल्द Kerosene ree हो जायेगा। मेरे प्यारे देशवासियो, महात्मा गाधी हम सब के लिए हमेशा-हमेशा मार्गदर्शक हैं। उनकी हर बात आज भी देश कहा जाना चाहिए, कैसे जाना चाहिए, इसके लिये मानक तय करती है। मुसीबतों से मुक्ति मिले, उसके लिए हमें एक-के-बाद एक कदम उठाने ही पड़ेंगे। हमारी पुरानी सोच कुछ भी क्यों न हो, लेकिन समाज को बेटे-बेटी के भेद से मुक्त करना ही होगा। हमारी बेटियों के लिये भेदभाव-मुक्त भारत की अनुभूति का ये अवसर है। सरकार की तरफ़ से टीकाकरण तो होता ही है, लेकिन फिर भी लाखों बच्चे टीकाकरण से छूट जाते हैं। बीमारी के शिकार हो जाते हैं। मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण का एक ऐसा अभियान, जो छूट गए हुए बच्चों को भी समेटने के लिए लगा है, जो बच्चों को गंभीर रोगों से मुक्ति के लिए ताक़त देता है। कोशिश है 5 करोड़ परिवारों को धुयें से मुक्त ज़िंदगी देने के लिये। सफलता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मुद्रा योजना, stand up योजना, जन-धन account, ये ब्याजखोरों से मुक्ति का एक सफल अभियान है। आधार के द्वारा बैंकों में सीधे पैसे जमा कराना। हक़दार को, लाभार्थी को सीधे पैसे मिलें। सामान्य मानव के ज़िंदगी में ये बिचौलियों से मुक्ति का अवसर है। मेरे प्यारे देशवासियो, कल 31 अक्टूबर, इस देश के महापुरुष - भारत की एकता को ही जिन्होंने अपने जीवन का मंत्र बनाया, जी के दिखाया - ऐसे सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म-जयंती का पर्व है। सर, जैसा कि आप जानते हैं कि 31 तारीख़ को सरदार पटेल जी का जनमदिन है। and जैसा हम सबको पता है कि उनकी हत्या के बाद देश में कैसे events हुए। सर, मैं ये कहना चाहता था कि हम ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण जो events होते हैं, जो घटनायें होती हैं, इनको कैसे रोक सकते हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, ये पीड़ा एक व्यक्ति की नहीं है। एक सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इतिहास इस बात का गवाह है कि चाणक्य के बाद, देश को एक करने का भगीरथ काम, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। लेकिन यह भी तो पीड़ा है कि सरदार साहब एकता के लिए जिए, एकता के लिए जूझते रहे एकता की उनकी प्राथमिकता के कारण, कइयों की नाराज़गी के शिकार भी रहे, लेकिन एकता के मार्ग को कभी छोड़ा नहीं एकता के लिये जीवन-भर जीने वाले उस महापुरुष के जन्मदिन पर ही और सरदार के ही जन्मदिन पर सरदारों के साथ ज़ुल्म, इतिहास का एक पन्ना, हम सब को पीड़ा देता है । लेकिन, इन संकटों के बीच में भी, एकता के मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है। विविधता में एकता यही देश की ताक़त है। बिखराव वाली सोच, बिखराव वाली प्रवृत्ति से हम भी बचें, देश को भी बचाए। सरदार साहब ने हमें एक भारत दिया, हम सब का दायित्व है श्रेष्ठ भारत बनाना। आज कभी-कभी हम बहुत लोग अमूल का नाम सुनते हैं। अमूल के हर product से आज हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के बाहर भी लोग परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि सरदार साहब की दिव्यदृष्टि थी कि उन्होंने co-operative milk producers के union की कल्पना की थी। गुरु नानक देव, उनकी शिक्षा-दीक्षा पूरी मानव-जाति के लिये, न सिर्फ़ हिंदुस्तान के लिये, पूरी मानव-जाति के लिए, आज भी दिशादर्शक है। सेवा, सच्चाई और सरबत दा भला, यही तो गुरु नानक देव का संदेश था। शांति, एकता और सद्भावना यही तो मूल-मंत्र था। भेदभाव हो, अंधविश्वास हो, कुरीतिया हों, उससे समाज को मुक्ति दिलाने का वो अभियान ही तो था गुरु नानक देव की हर बात में। मैं गुरु नानक देव को भी, इस प्रकाश-उत्सव आ रहा है, तब अन्तर्मन से प्रणाम करता हू। मेरे प्यारे देशवासियो, फिर एक बार, देश के जवानों के नाम ये दिवाली, इस दिवाली पर आपको भी बहुत-बहुत शुभकामनायें। आपके सपने, आपके संकल्प हर प्रकार से सफल हों। आपका जीवन सुख-चैन की ज़िंदगी वाला बने, यही आप सबको शुभकामनायें देता हू। बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में, एक आतंकी हमले में, हमारे देश के 18 वीर सपूतों को हमने खो दिया। मैं इन सभी बहादुर सैनिकों को नमन करता हू और उन्हें श्रद्धांजलि देता हू। और इसलिए मैं देशवासियों को आज इतना ही कहूगा और जो मैंने उसी दिन कहा था, मैं आज उसको फिर से दोहराना चाहता हू कि दोषी सज़ा पा करके ही रहेंगे। मेरे प्यारे देशवासियो, हमें हमारी सेना पर भरोसा है। हमारी सेना पर हमें नाज़ है। मैं आज कश्मीर के नागरिकों से भी विशेष रूप से बात करना चाहता हू। कश्मीर के नागरिक देश-विरोधी ताक़तों को भली-भाति समझने लगे हैं। और जैसे-जैसे सच्चाई समझने लगे हैं, वे ऐसे तत्वों से अपने-आप को अलग करके शांति के मार्ग पर चल पड़े हैं। किसानों को भी लग रहा है कि उनकी जो फ़सल, फल वगैरह तैयार हुए हैं, वो हिन्दुस्तान भर के market में पहुचें। और पिछले कुछ दिनों से कारोबार सुचारु रूप से चलना शुरू भी हुआ है। हम सब जानते हैं - शान्ति, एकता और सद्भावना ही हमारी समस्याओं का समाधान का रास्ता भी है, हमारी प्रगति का रास्ता भी है, हमारे विकास का भी रास्ता है। हमारी भावी पीढ़ियों के लिये हमने विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना है। मुझे विश्वास है कि हर समस्या का समाधान हम मिल-बैठ करके खोजेंगे, रास्ते निकालेंगे और साथ-साथ कश्मीर की भावी पीढ़ी के लिये उत्तम मार्ग भी प्रशस्त करेंगे। कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा, ये शासन की जिम्मेवारी होती है। क़ानून और व्यवस्था बनाने के लिये शासन को कुछ क़दम उठाने पड़ते हैं। कभी-कभार हम जो सोचते हैं, उससे अलग सोचने वाले भी लोग नये-नये विचार रखते हैं। social media में इन दिनों मुझे बहुत-कुछ जानने का अवसर मिलता है हिन्दुस्तान के हर कोने से, हर प्रकार के लोगों के भावों को, जानने-समझने का अवसर मिलता है और ये लोकतंत्र की ताक़त को बढ़ावा देता है। पिछले दिनों 11वीं कक्षा के हर्षवर्द्धन नाम के एक नौजवान ने मेरे सामने एक अलग प्रकार का विचार रखा। उसने लिखा है उरी आतंकवादी हमले के बाद मैं बहुत विचलित था। तो मेरे मन में आया कि मैं भी देश-हित के लिए काम कैसे आऊ। और मैंने संकल्प किया कि मैं रोज़ 3 घंटे अधिक पढ़ाई करूगा। देश के काम आ सकू, ऐसा योग्य नागरिक बनूगा। भाई हर्षवर्द्धन, आक्रोश के इस माहौल में इतनी छोटी उम्र में, आप स्वस्थता से सोच सकते हो, यही मेरे लिए ख़ुशी की बात है। तब लाल बहादुर शास्त्री जी ने बहुत ही उत्तम तरीक़े से देश के इस भाव-विश्व को स्पर्श करने का बड़ा ही प्रयास किया था। और उन्होंने जय जवान - जय किसान मंत्र देकर के देश के सामान्य मानव को देश के लिए कार्य कैसे करना है, उसकी प्रेरणा दी थी। बम-बन्दूक की आवाज़ के बीच देशभक्ति को प्रकट करने का और भी एक रास्ता हर नागरिक के लिये होता है, ये लालबहादुर शास्त्री जी ने प्रस्तुत किया था। महात्मा गाधी भी, जब आज़ादी का आन्दोलन चलाते थे, आन्दोलन जब तीव्रता पर होता था और आन्दोलन में एक पड़ाव की ज़रूरत होती थी, तो वे आन्दोलन की उस तीव्रता को समाज के अन्दर रचनात्मक कामों की ओर प्रेरित करने के लिए बड़े सफल प्रयोग करते थे। हम सब - सेना अपनी ज़िम्मेवारी निभाए, शासन बैठे हुए लोग अपना कर्तव्य निभाए और हम देशवासी, हर नागरिक, इस देशभक्ति के जज़्बे के साथ, हम भी कोई-न-कोई रचनात्मक योगदान दें, तो देश अवश्य नई ऊंचाइयों को पार करेगा। आप दो नहीं, देश के हर व्यक्ति को Paralympics में हमारे खिलाडियों के प्रति एक emotional attachment हुआ है। शायद खेल से भी बढ़कर इस Paralympics ने और हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने, मानवता के दृष्टिकोण को, दिव्यांग के प्रति देखने के दृष्टिकोण को, पूरी तरह बदल दिया है। और मैं, हमारी विजेता बहन दीपा मलिक की इस बात को कभी नहीं भूल पाऊंगा। जब उसने medal प्राप्त किया, तो उसने ये कहा इस medal से मैंने विकलांगता को ही पराजित कर दिया है। इस वाक्य में बहुत बड़ी ताक़त है। इस बार Paralympics में हमारे देश से 3 महिलाओं समेत 19 athletes ने हिस्सा लिया। बाकी खेलों की तुलना में जब दिव्यांग खेलते हैं, तो शारीरिक क्षमता, खेल का कौशल्य, इस सबसे भी बड़ी बात होती है - इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति। आपको ये जानकर के सुखद आश्चर्य होगा कि हमारे खिलाड़ियों ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 4 पदक हासिल किए हैं - 2 स्वर्ण, 1 रजत, 1 कास्य पदक शामिल हैं। Gold Medal प्राप्त करने वाले भाई देवेन्द्र झाझरिया - भाला फेंक में वो दुबारा Gold Medal लाए और 12 साल के बाद दुबारा ले आए। और वे जन्म से दिव्यांग नहीं थे। बिजली का current लगने के कारण उनको अपना एक हाथ गवाना पड़ा था। आप सोचिए, जो इंसान 23 साल की उम्र में पहला Gold Medal प्राप्त करे और 35 साल की उम्र में दूसरा Gold Medal प्राप्त करे, उन्होंने जीवन में कितनी बड़ी साधना की होगी। मरियप्पन थन्गावेलु igh Jump में स्वर्ण पदक जीता। और थन्गावेलु ने सिर्फ़ 5 साल की उम्र में अपना दाहिना पैर खो दिया था। ग़रीबी भी उनके संकल्प के आड़े नहीं आई। न वो बड़े शहर के रहने वाले हैं, न मध्यमवर्गीय अमीर परिवार से हैं। 21 साल की उम्र में कठिनाइयों भरी ज़िंदगी से गुज़रने के बावजूद भी, शारीरिक कठिनाइयों के बावजूद भी संकल्प के सामर्थ्य से देश को medal दिलवा दिया। Athlete दीपा मलिक के नाम पर तो कई प्रकार के विजयपताकायें फहराने का उनके नाम के साथ जुड़ चुका है। Paralympics के medal, उसका माहात्म्य तो है ही है, हमारे देश में, हमारे समाज में, हमारे अड़ोस-पड़ोस में, हमारे जो दिव्यांग भाई-बहन हैं, उनकी तरफ़ देखने के लिये इन मेडलों ने बहुत बड़ा काम किया है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इस बार के Paralympics में ये दिव्यांगजनों ने कैसा पराक्रम किया है। इतना ही नहीं, मुझे ताज्जुब तो तब हुआ कि दिव्यांगजनों में जिसका चौथा नंबर आया धावक के नाते, कोई medal नहीं मिला, वो general धावकों में Gold Medal पाने वाले से भी कम समय में दौड़ा था। मैं फिर एक बार, हमारे इन सभी खिलाड़ियों को बहुत-बहुत बधाई देता हू और आने वाले दिनों में भारत Paralympics के लिये भी, उसके विकास के लिये भी, एक सुचारु योजना बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले सप्ताह मुझे गुजरात के नवसारी में कई अद्भुत अनुभव हुए। आठ घंटे के भीतर-भीतर छह-सौ दिव्यांगजन, जो सुन नहीं पाते थे, उनको सुनने के लिए मशीनें eed करने का सफल प्रयोग किया। Guinness Book o orld Record में उसको स्थान मिला। एक ही दिन में दिव्यांगों के द्वारा तीन-तीन world record होना हम देशवासियों के लिए गौरव की बात है। मेरे प्यारे देशवासियो, दो साल पहले, 2 अक्टूबर को पूज्य बापू की जन्म जयंती पर स्वच्छ भारत मिशन को हमने प्रारंभ किया था। और उस दिन भी मैंने कहा था कि स्वच्छ्ता - ये स्वभाव बनना चाहिए, हर नागरिक का कर्तव्य बनना चाहिए, गंदगी के प्रति नफ़रत का माहौल बनना चाहिए। अब 2 अक्टूबर को जब दो वर्ष हो रहे हैं, तब मैं विश्वास के साथ कह सकता हू कि देश के सवा-सौ करोड़ देशवासियों के दिल में स्वच्छ्ता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। और मैंने कहा था एक कदम स्वच्छ्ता की ओर और आज हम सब कह सकते हैं कि हर किसी ने एक कदम आगे बढ़ने का प्रयास किया ही है। मतलब कि देश सवा-सौ करोड़ कदम, स्वच्छ्ता की ओर आगे बढ़ा है। media के मित्रों ने भी एक सकारात्मक भूमिका निभाई है। मैं अभी गुजरात गया था, तो मुझे अफ़सरों ने बताया कि पोरबंदर, जो कि महात्मा गाधी का जन्म स्थान है, इस 2 अक्टूबर को पोरबंदर पूरी तरह का लक्ष्य सिद्ध कर लेगा। खासकर के मैं नौजवान मित्र, जो कि आजकल technology का भरपूर उपयोग करते हैं, उनके लिये एक योजना प्रस्तुत करना चाहता हू। स्वच्छता मिशन का आपके शहर में क्या हाल है? ये जानने का हक़ हर किसी को है और इसके लिये भारत सरकार ने एक टेलीफ़ोन नंबर दिया है - 1969। हम जानते हैं, 1869 में महात्मा गाधी का जन्म हुआ था। 1969 में हमने महात्मा गाधी की शताब्दी मनाई थी। और 2019 में महात्मा गाधी की 150वीं जयन्ती मनाने वाले हैं। ये 1969 नंबर - उस पर आप फ़ोन करके न सिर्फ़ अपने शहर में शौचालयों के निर्माण की स्थिति जान पाएगे, बल्कि शौचालय बनवाने के लिए आवेदन भी कर पाएगे। ज़िलों के अन्दर स्वच्छ भारत ellows के रूप में उनको भेजा जा सकता है। ertilier कंपनियों को कहा है कि वे waste में से जो ompost तैयार होता है, उसको ख़रीदें। जो किसान organic arming में जाना चाहते हैं, उनको ये मुहैया कराए। जो लोग अपनी ज़मीन का स्वास्थ्य सुधारना चाहते हैं, धरती की तबीयत की फ़िक्र करते हैं, जो chemical ertilier के कारण काफ़ी नुकसान हो चुका है, उनको अगर कुछ मात्रा में इस प्रकार की खाद की ज़रूरत है, तो वो मुहैया कराए। और श्रीमान अमिताभ बच्चन जी Brand Ambassador के रूप में इस काम में काफ़ी योगदान दे रहे हैं। और मैं तो देख रहा हू कि लगातार स्वच्छता के लिये नई-नई ख़बरें आती रहती हैं। अभी एक दिन मैंने अख़बार में पढ़ा कि Gujarat Technology niversity के विद्यार्थियों ने 107 गावों में जाकर शौचालय निर्माण के लिये जागरण अभियान चलाया। भारत सरकार ने भी अपने-अपने विभागों ने, एक साल-भर का calendar बनाया है। मेरा नागरिकों से भी अनुरोध है कि ये विभागों के द्वारा जो काम चलता है, उसमें आपका कहीं संबंध आता है, तो आप भी जुड़ जाइए। मैं आशा करता हू कि हम सभी नागरिक इस अभियान में जितना योगदान दे सकते हैं, देना चाहिए। आने वाली 2 अक्टूबर, महात्मा गाधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती है। मैं गाधी जयंती से दीवाली तक, खादी का कुछ-न-कुछ खरीदने के लिये तो आग्रह करता ही रहता हू। इस बार भी मेरा आग्रह है कि हर परिवार में कोई-न-कोई खादी की चीज़ होनी चाहिये, ताकि ग़रीब के घर में दीवाली का दिया जल सके। इस 2 अक्टूबर को, जबकि रविवार है, एक नागरिक के नाते हम स्वयं स्वच्छता में कहीं-न-कहीं जुड़ सकते हैं क्या? 2 घंटे, 4 घंटे physically आप सफ़ाई के काम में अपने-आप को जोड़िये और मैं आपसे कहता हू कि आप जो सफ़ाई अभियान में जुड़े, उसकी एक photo मुझे NarendraModiApp पर आप share कीजिए। video हो, तो video share कीजिए। देखिए, पूरे देश में हम लोगों के प्रयास से फिर एक बार इस आंदोलन को नई ताक़त मिल जाएगी, नई गति मिल जाएगी। महात्मा गाधी और लाल बहादुर शास्त्री को पुण्य स्मरण करते हुए हम देश के लिए कुछ-न-कुछ करने का संकल्प करें। मेरे प्यारे देशवासियो, जीवन में देने का अपने-आप में एक आनंद होता है। कोई उसे recognie करे या ना करे। ज़रुरतमंद लोगों को खाने का सामान, कपड़े, ये सब एकत्र कर-कर के वो पहुचाने का उनका अभियान है। मैं जब गुजरात में था, तो हमारे सारे कार्यकर्ता गलियों में निकलते थे और परिवारों के पास जो पुराने खिलौने होते थे, उसका दान में मांग करते थे और जो खिलौने आते थे, वो ग़रीब बस्ती की जो आंगनबाड़ी होती थी, उसमें भेंट दे देते थे। एक प्रकार का ये दान उत्सव है। जो नौजवान इस काम में लगे हैं, उनको मैं हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हू। मेरे प्यारे देशवासियो, आज 25 सितम्बर है, पंडित दीनदयाल उपध्याय जी की जन्म जयंती का आज अवसर है और आज से उनके जन्म के शताब्दी वर्ष का प्रारंभ हो रहा है। विकास का फल ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को कैसे मिले? हर हाथ को काम हर खेत को पानी, दो ही शब्दों में पूरा आर्थिक agenda उन्होंनें प्रस्तुत किया था। देश उनके जन्म-शताब्दी वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाए। समाज का, सरकारों का, हर किसी का ध्यान, विकास के लाभ ग़रीब को कैसे मिलें, उस पर केन्द्रित हो और तभी जाकर के देश को हम ग़रीबी से मुक्ति दिला सकते हैं। मैं आज 2 वर्ष इस सप्ताह जब पूर्ण हो रहे हैं, तब मन की बात को आपने जिस प्रकार से सराहा, जिस प्रकार से संवारा, जिस प्रकार से आशीर्वाद दिए, मैं इसके लिए भी सभी श्रोताजनों का हृदय से आभार व्यक्त करता हू। मैं आकाशवाणी का भी आभारी हू कि उन्होंने मेरी इन बातों को न सिर्फ प्रसारित किया, लेकिन उसको सभी भाषाओं में पहुचाने के लिए भरसक प्रयास किया। मैं उन देशवासियों का भी आभारी हू कि जिन्होंने मन की बात के बाद चिट्ठिया लिख करके, सुझाव दे करके, सरकार के दरवाज़ों को खटखटाया, सरकार की कमियों को उजागर किया और आकाशवाणी ने ऐसे पत्रों पर विशेष कार्यक्रम करके, सरकार के लोगों को बुला करके, समस्याओं के समाधान के लिये platorm प्रदान किया। तो मन की बात सिर्फ 15-20 मिनट का संवाद नहीं, समाज-परिवर्तन का एक नया अवसर बन गया। मेरे प्यारे देशवासियो, अगले सप्ताह नवरात्रि और दुर्गा-पूजा का पर्व, विजयादशमी का पर्व, दीपावली की तैयारिया, एक प्रकार से एक अलग सा ही माहौल पूरे देश में होता है। चाहे नवरात्रि हो या दुर्गा-पूजा हो, ये शक्ति की उपासना, समाज की एकता की उपासना का पर्व कैसे बने? जन-जन को जोड़ने वाला पर्व कैसे बने? और वही सच्ची शक्ति की साधना हो और तभी जाकर कर के हम मिल कर के विजय का पर्व मना सकते हैं। आओ, शक्ति की साधना करें। एकता के मन्त्र को लेकर के चलें। मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार, कल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर ध्यान चंद जी की जन्मतिथि है। यह दिन पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रुप में मनाया जाता है। मैं ध्यान चंद जी को श्रद्धांजलि देता हू और इस अवसर पर आप सभी को उनके योगदान की याद भी दिलाना चाहता हू। उन्होंने 1928 में, 1932 में, 1936 में, lympic खेलों में भारत को hockey हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हम सभी क्रिकेट प्रेमी Bradman का नाम जानते हैं। एक बार कोलकाता में, एक मैच के दौरान, एक विपक्षी खिलाड़ी ने ध्यान चंद जी के सिर पर हॉकी मार दी। उस समय मैच ख़त्म होने में सिर्फ़ 10 मिनट बाकी था। और ध्यान चंद जी ने उन 10 मिनट में तीन गोल कर दिये और कहा कि मैंने चोट का बदला गोल से दे दिया। मेरे प्यारे देशवासियों, वैसे जब भी मन की बात का समय आता है, तो MyGov पर या NarendraModiApp पर अनेकों-अनेक सुझाव आते हैं। एक श्रीमान अजित सिंह ने NarendraModiApp पर लिखा है कृपया इस बार मन की बात में बेटियों की शिक्षा और खेलों में उनकी भागीदारी पर ज़रूर बोलिए, क्योंकि Rio lympic में medal जीतकर उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। कोई श्रीमान सचिन लिखते हैं कि आपसे अनुरोध है कि इस बार के मन की बात में सिंधु, साक्षी और दीपा कर्माकर का ज़िक्र ज़रूर कीजिए। ऐसा लगता है, जैसे पूरे भारत की बेटियों ने देश का नाम रोशन करने का बीड़ा उठा लिया है MyGov पर शिखर ठाकुर ने लिखा है कि हम lympic में और भी बेहतर कर सकते थे। उन्होंने लिखा है आदरणीय मोदी सर, सबसे पहले Rio में हमने जो दो medal जीते, उसके लिए बधाई। लेकिन मैं इस ओर आपका ध्यान खींचना चाहता हू कि क्या हमारा प्रदर्शन वाकई अच्छा था? और जवाब है, नहीं। और ये काम आपसे अच्छी तरह कोई नहीं कर सकता। ऐसे ही कोई श्रीमान सत्यप्रकाश मेहरा जी ने NarendraModiApp पर लिखा है मन की बात में etra-curricular activities पर ocus करने की ज़रूरत है। ख़ास तौर से बच्चों और युवाओं को खेलों को ले करके। एक प्रकार से यही भाव हज़ारों लोगों ने व्यक्त किया है। इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि हमारी आशा के अनुरूप हम प्रदर्शन नहीं कर पाए। लेकिन ये भी सही है कि पदक न मिलने के बावजूद भी अगर ज़रा ग़ौर से देखें, तो कई विषयों में पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने काफी अच्छा करतब भी दिखाया है। अब देखिये, Shooting के अन्दर हमारे अभिनव बिन्द्रा जी ने वे चौथे स्थान पर रहे और बहुत ही थोड़े से अंतर से वो पदक चूक गये। Gymnastic में दीपा कर्माकर ने भी कमाल कर दी - वो चौथे स्थान पर रही। बहुत थोड़े अंतर के चलते medal से चूक गयी। लेकिन ये एक बात हम कैसे भूल सकते हैं कि वो lympic के लिए और lympic inal के लिए ualiy करने वाली पहली भारतीय बेटी है। कुछ ऐसा ही टेनिस में सानिया मिर्ज़ा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी के साथ हुआ। Athletics में हमने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया। कई खिलाड़ी, जैसे उदाहरण के लिए - अदिति अशोक, दत्तू भोकनल, अतनु दास कई नाम हैं, जिनके प्रदर्शन अच्छे रहे। लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, हमें बहुत कुछ करना है। लेकिन जो करते आये हैं, वैसा ही करते रहेंगे, तो शायद हम फिर निराश होंगे। मैंने एक committee की घोषणा की है। भारत सरकार in house इसकी गहराई में जाएगी। दुनिया में क्या-क्या practices हो रही हैं, उसका अध्ययन करेगी। हम अच्छा क्या कर सकते हैं, उसका roadmap बनाएगी। 2020, 2024, 2028 - एक दूर तक की सोच के साथ हमने योजना बनानी है। राज्य सरकारें चर्चाए कर-करके अपने सुझाव भेजें। मेरे प्यारे देशवासियो, 5 सितम्बर शिक्षक दिवस है। इन छोटे-छोटे बालकों से भी मैं बहुत कुछ सीखता था। मेरे लिये, 5 सितम्बर शिक्षक दिवस भी था और मेरे लिये, शिक्षा दिवस भी था। लेकिन इस बार मुझे G-20 Summit के लिए जाना पड़ रहा है, तो मेरा मन कर गया कि आज मन की बात में ही, मेरे इस भाव को, मैं प्रकट करू। जीवन में जितना मा का स्थान होता है, उतना ही शिक्षक का स्थान होता है। इन दिनों Rio lympic के बाद, चारों तरफ, पुल्लेला गोपीचंद जी की चर्चा होती है। वे खिलाड़ी तो हैं, लेकिन उन्होंने एक अच्छा शिक्षक क्या होता है - उसकी मिसाल पेश की है। मैं आज गोपीचंद जी को एक खिलाड़ी से अतिरिक्त एक उत्तम शिक्षक के रूप में देख रहा हू। और शिक्षक दिवस पर, पुल्लेला गोपीचंद जी को, उनकी तपस्या को, खेल के प्रति उनके समर्पण को और अपने विद्यार्थियों की सफलता में आनंद पाने के उनके तरीक़े को salute करता हू। हम सबके जीवन में शिक्षक का योगदान हमेशा-हमेशा महसूस होता है। वे जीवन में किसी भी स्थान पर पहुचे, लेकिन अपने-आपको उन्होंने हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीने का प्रयास किया। मैं भी कभी-कभी सोचता हू, तो मुझे तो मेरे शिक्षकों की इतनी कथायें याद हैं, क्योंकि हमारे छोटे से गाव में तो वो ही हमारे ero हुआ करते थे। लेकिन मैं आज ख़ुशी से कह सकता हू कि मेरे एक शिक्षक - अब उनकी 90 साल की आयु हो गयी है - आज भी हर महीने उनकी मुझे चिट्ठी आती है। आप NarendraModiApp पर, अपने शिक्षक के साथ फ़ोटो हो, अपने शिक्षक के साथ की कोई घटना हो, अपने शिक्षक की कोई प्रेरक बात हो, आप ज़रूर share कीजिए। देखिए, देश में शिक्षक के योगदान को विद्यार्थियों की नज़र से देखना, यह भी अपने आप में बहुत मूल्यवान होता है। मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिनों में गणेश उत्सव आने वाला है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं और हम सब चाहें कि हमारा देश, हमारा समाज, हमारे परिवार, हमारा हर व्यक्ति, उसका जीवन निर्विघ्न रहे। लेकिन जब गणेश उत्सव की बात करते हैं, तो लोकमान्य तिलक जी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा - ये लोकमान्य तिलक जी की देन है। और सार्वजनिक गणेश उत्सव के माध्यम से समाज-जीवन को स्पर्श करने वाले प्रश्नों की वृहत चर्चा हो। कार्यक्रमों की रचना ऐसी हो कि जिसके कारण समाज को नया ओज, नया तेज मिले। आज भी, अब तो सिर्फ़ महाराष्ट्र नहीं, हिंदुस्तान के हर कोने में सार्वजनिक गणेश उत्सव होने लगे हैं। सारे नौजवान इसे करने के लिए काफ़ी तैयारिया भी करते हैं, उत्साह भी बहुत होता है। और कुछ लोगों ने अभी भी लोकमान्य तिलक जी ने जिस भावना को रखा था, उसका अनुसरण करने का भरपूर प्रयास भी किया है। सार्वजनिक विषयों पर वो चर्चायें रखते हैं, निबंध स्पर्द्धायें करते हैं, रंगोली स्पर्द्धायें करते हैं। उसकी जो झाकिया होती हैं, उसमें भी समाज को स्पर्श करने वाले issues को बड़े कलात्मक ढंग से उजागर करते हैं। एक प्रकार से लोक शिक्षा का बड़ा अभियान सार्वजनिक गणेश उत्सव के द्वारा चलता है। लोकमान्य तिलक जी ने हमें स्वराज हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है ये प्रेरक मन्त्र दिया। सुराज हमारी प्राथमिकता हो, इस मन्त्र को लेकर के हम सार्वजनिक गणेश उत्सव से सन्देश नहीं दे सकते हैं क्या? आइए, मैं आपको निमंत्रण देता हू। उत्सव के बिना जीवन असंभव होता है। लेकिन समय की माग के अनुसार उसको ढालना भी पड़ता है। इस बार मैंने देखा है कि मुझे कई लोगों ने ख़ास करके गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा - उन चीजों पर काफ़ी लिखा है। और उनको चिंता हो रही है पर्यावरण की। पर्यावरण की रक्षा, हमारे नदी-तालाबों की रक्षा, उसमें होने वाले प्रदूषण से इस पानी के छोटे-छोटे जीवों की रक्षा - ये भी ईश्वर की सेवा ही तो है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं। तो हमें ऐसे गणेश जी नहीं बनाने चाहिए, जो विघ्न पैदा करें। मैं नहीं जानता हू, मेरी इन बातों को आप किस रूप में लेंगे। co-riendly गणेशोत्सव - ये भी एक समाज सेवा का काम है। दुर्गा पूजा के बीच अभी समय है। आप सबको गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हू। मेरे प्यारे देशवासियो, भारत रत्न मदर टेरेसा, 4 सितम्बर को मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया जाएगा। मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन भारत में ग़रीबों की सेवा के लिए लगा दिया था। जिन्होंने जीवन भर भारत के ग़रीबों की सेवा की हो, ऐसी मदर टेरेसा को जब संत की उपाधि प्राप्त होती है, तो सब भारतीयों को गर्व होना बड़ा स्वाभाविक है। 4 सितम्बर को ये जो समारोह होगा, उसमें सवा-सौ करोड़ देशवासियों की तरफ़ से भारत सरकार, हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुवाई में, एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भी वहा भेजेगी। संतों से, षियों से, मुनियों से, महापुरुषों से हर पल हमें कुछ-न-कुछ सीखने को मिलता ही है। हम कुछ-न-कुछ पाते रहेंगे, सीखते रहेंगे और कुछ-न-कुछ अच्छा करते रहेंगे। जनशक्ति ईश्वर का ही रूप माना जाता है। भारत सरकार ने पिछले दिनों 5 राज्य सरकारों के सहयोग के साथ स्वच्छ गंगा के लिये, गंगा सफ़ाई के लिये, लोगों को जोड़ने का एक सफल प्रयास किया। वे इलाहाबाद आए और गंगा तट के गावों के प्रधानों ने मा गंगा की साक्षी में शपथ ली कि वे गंगा तट के अपने गावों में खुले में शौच जाने की परंपरा को तत्काल बंद करवाएंगे, शौचालय बनाने का अभियान चलाएंगे और गंगा सफ़ाई में गाव पूरी तरह योगदान देगा कि गाव गंगा को गंदा नहीं होने देगा। मैं भारत सरकार के उन सभी मंत्रालयों को भी बधाई देता हू, उन मंत्रियों को भी बधाई देता हू कि जिन्होंने इस कल्पना को साकार किया। मैं उन सभी 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी धन्यवाद करता हू कि उन्होंने जनशक्ति को जोड़ करके गंगा की सफ़ाई में एक अहम क़दम उठाया। सात से सत्रह साल की उम्र के इन बच्चों ने इस काम को किया। और इसका इतना प्रभाव हुआ, इतना emotional impact हुआ कि चिट्ठी पाने के बाद जब दूसरे दिन school आया, तो मा-बाप ने उसको एक चिट्ठी पकड़ा दी Teacher को देने के लिये और उसमें मा-बाप ने वादा किया था कि फ़लानी तारीख तक वह Toilet बनवा देंगे। कर्नाटक के कोप्पाल ज़िला, इस ज़िले में सोलह साल की उम्र की एक बेटी मल्लम्मा - इस बेटी ने अपने परिवार के ख़िलाफ़ ही सत्याग्रह कर दिया। ये बेटी मल्लम्मा की ज़िद की ताक़त देखिए और मोहम्मद शफ़ी जैसे गाव के प्रधान देखिए। समस्याओं के समाधान के लिए कैसे रास्ते खोले जाते हैं, यही तो जनशक्ति है I मेरे प्यारे देशवासियों, स्वच्छ-भारत ये हर भारतीय का सपना बन गया है। कुछ भारतीयों का संकल्प बन गया है। कुछ भारतीयों ने इसे अपना मक़सद बना लिया है। उसकी स्पर्द्धा होगी और 2 अक्टूबर गाधी जयंती के दिन जो विजयी होंगे, उनको इनाम दिया जाएगा। मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की हमेशा-हमेशा ये कोशिश रही है कि हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे संबंध गहरे हों, हमारे संबंध सहज हों, हमारे संबंध जीवंत हों। एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण बात पिछले दिनों हुई, हमारे राष्ट्रपति आदरणीय प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता में एक नये कार्यक्रम की शुरुआत की आकाशवाणी मैत्री चैनल। अब कई लोगों को लगेगा कि राष्ट्रपति को क्या एक Radio के hannel का भी उद्घाटन करना चाहिये क्या? लेकिन ये सामान्य Radio की hannel नहीं है, एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण क़दम है। हमारे पड़ोस में बांग्लादेश है। हम जानते हैं, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल एक ही सांस्कृतिक विरासत को ले करके आज भी जी रहे हैं। तो इधर आकाशवाणी मैत्री और उधर बांग्लादेश बेतार। वे आपस में content share करेंगे और दोनों तरफ़ बांग्लाभाषी लोग आकाशवाणी का मज़ा लेंगे। People to People ontact का आकाशवाणी का एक बहुत बड़ा योगदान है। राष्ट्रपति जी ने इसको launch किया। मैं बांग्लादेश का भी इसके लिये धन्यवाद करता हू कि इस काम के लिये हमारे साथ वे जुड़े। मैं आकाशवाणी के मित्रों को भी बधाई देता हू कि विदेश नीति में भी वे अपना contribution दे रहे हैं। ऐसी भावुक घटनायें नई-नई ऊर्जा भी देती हैं, नई प्रेरणा भी देती हैं और यही है, जो भारत के लोगों के लिये कुछ-न-कुछ कर गुज़रने के लिये प्रेरणा देती हैं। पिछले दिनों मुझे एक ऐसा पत्र मिला, मेरे मन को छू गया। क़रीब 84 साल की एक मा, जो retired teacher हैं, उन्होंने मुझे ये चिट्ठी लिखी। देशवासियो, आपको पता होगा कि मैंने कोशिश की है कि जिन-जिन लोगों ने Gas Subsidy छोड़ दी, उनको एक पत्र भेजू और कोई-न-कोई मेरा प्रतिनिधि उनको रूबरू जा कर के पत्र दे। एक करोड़ से ज़्यादा लोगों को पत्र लिखने का मेरा प्रयास है। सवाल 50 हज़ार रूपये का नहीं है, सवाल उस मा की भावना का है और ऐसी कोटि-कोटि मा-बहनें उनके आशीर्वाद ही हैं, जिससे मेरा देश के भविष्य के लिए भरोसा और ताक़तवर बन जाता है। मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले वर्ष अकाल के कारण हम परेशान थे, लेकिन ये अगस्त महीना लगातार बाढ़ की कठिनाइयों से भरा रहा। देश के कुछ हिस्सों में बार-बार बाढ़ आई। राज्य सरकारों ने, केंद्र सरकार ने, स्थानीय स्वराज संस्था की इकाइयों ने, सामाजिक संस्थाओं ने, नागरिकों ने, जितना भी कर सकते हैं, करने का पूरा प्रयास किया। लेकिन इन बाढ़ की ख़बरों के बीच भी, कुछ ऐसी ख़बरें भी रही, जिसका ज़्यादा स्मरण होना ज़रूरी था। जो लोग इन छोटे-छोटे बालकों को आगे करके कश्मीर में अशांति पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, कभी-न-कभी उनको इन निर्दोष बालकों को भी जवाब देना पड़ेगा। मेरे प्यारे देशवासियों, देश बहुत बड़ा है। विविधताओं से भरा हुआ है। हम सब जानते हैं कि कुछ ही दिनों में विश्व का सबसे बड़ा खेलों का महाकुम्भ होने जा रहा है। Rio हमारे कानों में बार-बार गूजने वाला है। आज दिल्ली में भारत सरकार ने Run or Rio, खेलो और जिओ, खेलो और खिलो - एक बड़ा अच्छा आयोजन किया। हम भी आने वाले दिनों में, जहा भी हों, हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिये कुछ-न-कुछ करें। और इसलिए तो मैं कहता हू - let us aim to innovate और जब मैं let us aim to innovate कहता हू, तो मेरा AI हमारे पास सशक्त और समृद्ध अगर I ncubation entre हैं, तो innovation के लिये, start ups के लिये, प्रयोग करने के लिये, उसको एक स्थिति पर लाने तक के लिये एक व्यवस्था मिलती है। अब हमें technological solution ढूढ़ने पड़ेंगे। हमने एक Atal Grand hallenges देश की युवा पीढ़ी को आह्वान किया है कि आपको समस्या नज़र आती है, समाधान के लिए technology के रास्ते खोजिए, research कीजिये, innovation कीजिये और ले आइए। भारत सरकार हमारी समस्याओं के समाधान के लिये खोजी गयी technology को विशेष पुरस्कार देकर के बढ़ावा देना चाहती है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिल कर के बाढ़-पीड़ितों की सहायता करने के लिये कंधे से कंधा मिला कर के भरपूर प्रयास कर रही हैं। वर्षा के कारण कुछ कठिनाइया होने के बावज़ूद भी हर मन, हर मानवीय मन पुलकित हो जाता है, क्योंकि हमारी पूरी आर्थिक गतिविधि के केंद्र-बिंदु में वर्षा होती है, खेती होती है। कभी-कभी ऐसी बीमारी आ जाती है कि हमें जीवन भर पछतावा रहता है। engue सुखी-समृद्ध इलाके में सबसे पहले आता है और इसलिए इसे हम समझें। आप T पर advertisement देखते ही होंगे, लेकिन कभी-कभी हम उस पर जागरूक action के संबंध में थोड़े उदासीन रहते हैं। एक और मुसीबत की ओर मैं, प्यारे देशवासियो, आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हू। ज़िंदगी इतनी आपा-धापी वाली बन गई है, इतनी दौड़-धूप वाली बन गई है कि कभी-कभी हमें अपने लिये सोचने का समय नहीं होता है। बीमार हो गए, तो मन करता है, जल्दी से ठीक हो जाओ और इसलिए कोई भी antibiotic लेकर के डाल देते हैं शरीर में। तत्काल तो बीमारी से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, ये रास्ते चलते-फिरते antibiotic लेने की आदतें बहुत गंभीर संकट पैदा कर सकती हैं। हो सकता है, आपको तो कुछ पल के लिए राहत मिल जाए, लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बिना हम antibiotic लेना बंद करें। जो जीवाणु TB और Malaria फैलाते हैं, वो तेज़ गति से अपने अन्दर ऐसे बदलाव ला रहे हैं कि दवाइयों का कोई असर ही नहीं होता है। जब health की ही बात निकली है, तो मैं एक बात और भी जोड़ना चाहता हू। हमारे देश में गर्भावस्था में जो मातायें हैं, उनके जीवन की चिंता कभी-कभी बहुत सताती है। हमारे देश में हर वर्ष लगभग 3 करोड़ महिलायें गर्भावस्था धारण करती हैं, लेकिन कुछ मातायें प्रसूति के समय मरती हैं, कभी मा मरती है, कभी बालक मरता है, कभी बालक और मा दोनों मरते हैं। ये ठीक है कि पिछले एक दशक में माता की असमय मृत्यु की दर में कमी तो आई है, लेकिन फिर भी आज भी बहुत बड़ी मात्रा में गर्भवती माताओं का जीवन नहीं बचा पाते हैं। गर्भावस्था के दौरान या बाद में खून की कमी, प्रसव संबंधी संक्रमण, high BP - न जाने कौन सी तकलीफ़ कब उसकी ज़िंदगी को तबाह कर दे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने पिछले कुछ महीनों से एक नया अभियान शुरू किया है - प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान। इस अभियान के तहत हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं की सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में निशुल्क जाच की जायेगी। मा और बालक - दोनों की ज़िन्दगी बचाई जा सके और मैंने तो Gynecologist को ख़ास कि क्या आप महीने में एक दिन 9 तारीख़ को ग़रीब माताओं के लिए मुफ़्त में ये सेवा नहीं दे सकते हैं। क्या मेरे डॉक्टर भाई-बहन एक साल में बारह दिन गरीबों के लिये इस काम के लिये नहीं लगा सकते हैं ? मेरे प्यारे देशवासियो, आज पूरा विश्व - climate change, global warming, पर्यावरण - इसकी बड़ी चिंता करता है। कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में भी भगवान कृष्ण वृक्ष की चर्चा करते हैं, युद्ध के मैदान में भी वृक्ष की चर्चा चिंता करना मतलब कि इसका माहात्म्य कितना होगा, हम अंदाज़ कर सकते हैं। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं - अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां अर्थात् सभी वृक्षों में मैं पीपल हू। शुक्राचार्य नीति में कहा गया है - नास्ति मूलं अनौषधं - ऐसी कोई वनस्पति नहीं है, जिसमें कोई औषधीय गुण न हो। जो वृक्ष का दान करता है, उसको वह वृक्ष संतान की भाति परलोक में भी तार देते हैंI इसलिये अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले माता-पिता अच्छे वृक्ष लगाए और उनका संतानों के समान पालन करें। हमारे शास्त्र -गीता हो, शुक्राचार्य नीति हो, महाभारत का अनुशासन पर्व हो - लेकिन आज की पीढ़ी में भी कुछ लोग होते हैं, जो इन आदर्शों को जी कर के दिखाते हैं। कुछ दिन पहले मैंने, पुणे की एक बेटी सोनल का एक उदाहरण मेरे ध्यान में आया, वो मेरे मन को छू गया। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा है न कि वृक्ष परलोक में भी संतान की ज़िम्मेवारी पूरी करता है। सोनल ने सिर्फ़ अपने माता-पिता की नहीं, समाज की इच्छाओं को पूर्ण करने का जैसे बीड़ा उठाया है। महाराष्ट्र में पुणे के जुन्नर तालुका में नारायणपुर गाव के किसान खंडू मारुती महात्रे, उन्होंने अपनी पोती सोनल की शादी एक बड़े प्रेरक ढंग से की। आज भारत को घर बनाने के लिए, urniture बनाने के लिये, अरबों-खरबों का टिम्बर विदेशों से लाना पड़ता है। पिछले दिनों कई राज्यों ने इस मौसम का उपयोग करते हुए काफ़ी अभियान चलाए हैं, भारत सरकार ने भी एक AMPA कानून अभी-अभी पारित किया, इसके कारण वृक्षारोपण के लिए करीब चालीस हजार करोड़ से भी ज्यादा राज्यों के पास जाने वाले हैं। राजस्थान, मरू-भूमि - इतना बड़ा वन-महोत्सव किया और पच्चीस लाख पौधे लगाने का संकल्प किया है। राजस्थान में पच्चीस लाख पौधे छोटी बात नहीं हैं। जो राजस्थान की धरती को जानते हैं, उनको मालूम है कि कितना बड़ा बीड़ा उठाया है। आंध्र प्रदेश ने भी Twenty Twenty-Nine (2029) तक अपना green cover ity percent बढ़ाने का फ़ैसला किया है। गुजरात में भी वन महोत्सव की एक बहुत बड़ी उज्जवल परंपरा है। इस वर्ष गुजरात ने आम्र वन, एकता वन, शहीद वन - ऐसे अनेक प्रकल्पों को वन महोत्सव के रूप में उठाया है और करोड़ों वृक्ष लगाने का अभियान चलाया है। मैं सभी राज्यों का उल्लेख नहीं कर पा रहा हू, लेकिन बधाई के पात्र हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों मुझे South Arica जाने का अवसर मिला। ये मेरी पहली यात्रा थी और जब विदेश यात्रा है, तो diplomacy होती है, trade की बातें होती हैं, सुरक्षा के संबंध में चर्चायें होती हैं, कई Mo होते हैं - ये तो सब होना ही है। जब South Arica को याद करते हैं, तो महात्मा गाधी और Nelson Mandela की याद आना बहुत स्वाभाविक है। दुनिया में अहिंसा, प्रेम, क्षमा - ये शब्द जब कान पर पड़ते हैं, तो गाधी और Mandela - इनके चेहरे हमारे सामने दिखाई देते हैं। मेरे South Arica के tour के दरम्यिान मैं Phoeni Settlement गया था, महात्मा गाधी का निवास स्थान सर्वोदय के रूप में जाना जाता है। उनके चेहरे पर, इतनी बड़ी तपस्या करने के बाद भी लेना पाना बनना, कहीं पर भी नज़र नहीं आता था। मेरे मन को वो मुलाकात हमेशा-हमेशा याद रहेगी - समानता और समान अवसर। किसी भी समाज और सरकार के लिए इससे बड़ा कोई मंत्र नहीं हो सकता। सम-भाव और मम-भाव, यही तो रास्ते हैं, जो हमें उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाते हैं। बच्चों का अच्छा भविष्य चाहते हैं। priority भिन्न-भिन्न होगी, लेकिन रास्ता एक ही है और वो रास्ता है विकास का, समानता का, समान अवसर का, सम-भाव का, मम-भाव का। आइए, हमारे इन भारतीयों पर गर्व करें, जिन्होंनें South Arica में भी हमारे जीवन के मूल मन्त्रों को जी करके दिखाया है। एक महिला होने के नाते मुझे उसके परिवार से काफ़ी अफ़सोस है। और जैसे technology आर्थिक व्यवस्था में बहुत बड़ा role कर रही है, तो उसके दुरूपयोग करने वाले भी मैदान में आ जाते हैं। कोई भी फ़र्ज़ी letter pad बना करके भेज देते हैं, आपका credit card number, debit card number पा लेते हैं और technology के माध्यम से आपका खाता ख़ाली हो जाता है। ये नये तरीक़े की धोखाधड़ी है, ये digital धोखाधड़ी है। मैं समझता हू कि इस मोह से बचना चाहिये, सजग रहना चाहिये और ऐसी कोई झूठी बातें आती हैं, तो अपने यार-दोस्तों को share करके उनको थोड़ा जागरूक करना चाहिए। लेकिन इन दिनों मुझे एक सुखद अनुभव हुआ। अलीगढ़ के कुछ छात्र मेरे पास आए थे। स्टेशन पर कलात्मक painting किये हैं। इतना ही नहीं, गाव में जो प्लास्टिक की बोतलें या oil के can ऐसे ही कूड़े-कचरे में पड़े हुए, उसको उन्होंने खोज-खोज करके इकट्ठा किया और उनमें मिट्टी भर कर के, पौधे लगा कर के उन्होंने vertical garden बनाए। और रेलवे स्टेशन की तरफ़ प्लास्टिक बोतलों में ये vertical garden बना करके बिल्कुल उसको एक प्रकार से नया रूप दे दिया। आप भी कभी अलीगढ़ जाएगे, तो ज़रूर स्टेशन को देखिए। एक नयापन महसूस हो रहा है। जन-भागीदारी से कैसा बदलाव लाया जा सकता है, इसका ये उदाहरण है। देश में इस प्रकार से काम करने वाले सबको बधाई, अलीगढ़ के मेरे साथियों को विशेष बधाई। मेरे प्यारे देशवासियो, वर्षा की तु के साथ-साथ हमारे देश में त्योहारों की भी तु रहती है। मंदिरों में, पूजाघरों में उत्सव मनाए जाते होंगे और आप भी घर में भी, बाहर भी उत्सव में जुड़ जाते होंगे। पिछले साल की भाति इस साल भी रक्षाबंधन के अवसर पर अपने देश की माताओं-बहनों को क्या आप प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना या जीवन ज्योति बीमा योजना भेंट नहीं कर सकते ? और मैं देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हू, जो आज़ाद हिंदुस्तान में पैदा हुआ हू। हिंद छोड़ो के 75 साल और भारत की आज़ादी के 70 साल हमारे लिए नई प्रेरणा दे सकते हैं, नयी उमंग जगा सकते हैं, देश के लिये कुछ करने के लिये संकल्प का अवसर बन सकते हैं। मैं आशा करता हू कि आप भी देशभक्ति की प्रेरणा से जुड़ा कुछ-न-कुछ अच्छा करेंगें। जे. आपको याद होगा पिछली बार मैंने प्रेमचंद जी की कहानियों की एक पुस्तक के बारे में चर्चा की थी और हमने तय किया था कि जो भी बुक पढ़ें, उसके बारे में कुछ बातें NarendraModi App के माध्यम से सबके साथ share करें मैं देख रहा था कि बड़ी संख्या में लोगों ने अनेक प्रकार के पुस्तकों की जानकारी साझा की हैं मुझे अच्छा लगा कि लोग science, technology, innovation, इतिहास, संस्कृति, business, जीवन चरित्र, ऐसे कई विषयों पर लिखी गयी किताबों पर और उसको लेकर चर्चा कर रहे हैं कुछ लोगों ने तो मुझे यह भी सलाह दी है कि मैं कई और पुस्तकों के बारे में बात करू लेकिन एक बात मुझे स्वीकारनी होगी कि अब मैं बहुत ज्यादा किताब पढ़ने में समय नहीं दे पा रहा हू लेकिन ये जो, पिछले एक महीने का अनुभव है, उससे मुझे लगता कि इसको हमने आगे बढ़ाना है साथियो, ऐसा लगता है कि जल संरक्षण - मन की बात में जब मैंने इस बात को स्पर्श किया था, लेकिन शायद आज मैं अनुभव कर रहा हू कि मेरे कहने से पहले भी जल संरक्षण ये आपके दिल को छूने वाला विषय था, सामान्य मानवी की पसंदीदा विषय था और मैं अनुभव कर रहा हू कि पानी के विषय में इन दिनों हिन्दुस्तान के दिलों को झकझोर दिया है जल संरक्षण को लेकर, देशभर में अनेक विद, प्रभावी प्रयास चल रहे हैं लोगों ने पारंपरिक तौर-तरीकों के बारे में जानकारिया तो share की हैं मीडिया ने जल संरक्षण पर कई innovative campaign शुरू किये हैं इससे ना केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकी है, बल्कि खेतों को भी पानी मिल रहा है आप सबको यह जानकर भी बहुत खुशी होगी कि North ast का खूबसूरत राज्य मेघालय देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने अपनी जल-नीति, water policy तैयार की है मैं वहा की सरकार को बधाई देता हू त्योहारों के अवसर पर कई मेले भी लगते हैं जल संरक्षण के लिए क्यों ना इस मेलों का भी उपयोग करें मेलों में समाज के हर वर्ग के लोग पहुचते हैं इन मेलों में पानी बचाने का सन्देश हम बड़े ही प्रभावी ढंग से दे सकते हैं, प्रदर्शनी लगा सकते हैं, नुक्कड़ नाटक कर सकते हैं, उत्सवों के साथ-साथ जल संरक्षण का सन्देश बहुत आसानी से हम पहुचा सकते हैं मैं इनके बारे में जो बताऊंगा, उससे आप भी, गर्व और जोश से भर जायेंगे हम सब जानते हैं कि कैंसर एक ऐसा शब्द है जिससे पूरी दुनिया डरती है खेलों में हम अक्सर देखते हैं कि खिलाड़ी tournament जीतने या मैडल हांसिल करने के बाद champion बनते हैं, लेकिन यह एक दुर्लभ अवसर रहा, जहा ये लोग, खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले ही champion थे और वो भी ज़िंदगी की जंग के champion दरअसल, इसी महीने Moscow में orld hildrens winners games का आयोजन हुआ इस प्रतियोगिता में Shooting, hess, Swimming, Running, ootball और Table Tennis जैसी स्पर्द्धाओं का आयोजन किया गया हमारे देश के इन सभी दस champions ने इस tournament में मैडल जीते इनमें से कुछ खिलाड़ियों ने तो एक से ज्यादा खेलों में मैडल जीते दरअसल, Space की दृष्टि से 2019 भारत के लिए बहुत अच्छा साल रहा है जबकि हमने A-Sat मिसाइल से, महज़ तीन मिनट में, तीन-सौ किलोमीटर दूर Satellite को मार गिराने की क्षमता हासिल की handrayaan-two के प्रक्षेपण की तस्वीरों ने देशवासियों को गौरव और जोश से, प्रसन्नता से, भर दिया handrayaan-two, यह मिशन कई मायनों में विशेष है आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि handryaan-two पूरी तरह से भारतीय रंग में ढ़ला है यह eart and Spirit से भारतीय है पूरी तरह से एक स्वदेशी मिशन है जिस प्रकार हमारे वैज्ञानिकों ने, रिकॉर्ड समय में, दिन-रात एक करके सारे Technical issues को ठीक कर handryaan-two को launch किया, वह अपने आप में अभूतपूर्व है मैं युवा साथियों को, विद्यार्थियों को, अनुरोध करता हू कि इस ui ompetition में भाग लें और अपनी हिस्सेदारी से, इसे दिलचस्प, रोचक और यादगार बनाए इन विजयी विद्यार्थियों के लिए उनके जीवन की ऐतिहासिक घटना होगी, लेकिन इसके लिए, आपको ui ompetition में हिस्सा लेना होगा, सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करने होंगे, आपको विजयी होना होगा पाच साल पहले शुरू हुआ सफ़र आज जन-जन की सहभागिता से, स्वच्छता के नए-नए मानदंड स्थापित कर रहा है ये आंदोलन अब स्वच्छता से सुन्दरता की ओर बढ़ चला है अभी कुछ दिन पहले ही मैं media में श्रीमान् योगेश सैनी और उनकी टीम की कहानी देख रहा था योगेश सैनी इंजीनियर हैं और अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़कर मा भारती की सेवा के लिए वापिस आए हैं उन्होंने कुछ समय पहले दिल्ली को स्वच्छ ही नहीं, बल्कि सुन्दर बनाने का बीड़ा उठाया उन्होंने अपनी टीम के साथ लोधी गार्डन के कूड़ेदानों से शुरुआत की Street art के माध्यम से, दिल्ली के कई इलाकों को, खूबसूरत paintings से सजाने-संवारने का काम किया ver Bridge और स्कूल की दीवारों से लेकर झुग्गी-झोपड़ियों तक, उन्होंने अपने हुनर को उकेरना शुरू किया तो लोगों का साथ भी मिलता चला गया और एक प्रकार से यह सिलसिला चल पड़ा आपको याद होगा कि कुंभ के दौरान प्रयागराज को किस प्रकार street paintings से सजाया गया था हमारे लिए बहुत जरुरी है कि aste to wealth बनाने का culture हमारे समाज में evelop हो एक तरह से कहें, तो हमें कचरे से कंचन बनाने की दिशा में, आगे बढ़ना है मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों, MyGov पर मैंने एक बड़ी ही दिलचस्प टिप्पणी पढ़ी यह omment जम्मू-कश्मीर के शोपियां के रहने वाले भाई मुहम्मद असलम का था मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैंने अपने राज्य जम्मू-कश्मीर में ommunity Mobiliation Programme - Back To illage के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई इस कार्यक्रम का आयोजन, जून महीने में हुआ था मुझे लगता है कि ऐसे कार्यक्रम हर तीन महीने पर आयोजित किये जाने चाहिए इसके साथ ही, कार्यक्रम की online monitoring की व्यवस्था भी होनी चाहिए मेरे विचार से, यह अपनी तरह का, ऐसा पहला कार्यक्रम था, जिसमें जनता ने सरकार से सीधा संवाद किया भाई मुहम्मद असलम जी ने ये जो सन्देश मुझे भेजा और उसको पढ़ने के बाद Back To illage Programme के बारे में जानने की मेरी उत्सुकता बढ़ गई और जब मैंने इसके बारे में विस्तार से जाना तो मुझे लगा कि पूरे देश को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को कितने बेताब हैं, कितने उत्साही हैं यह इस कार्यक्रम से पता चलता है ये कार्यक्रम हफ्ते भर चला और राज्य की सभी लगभग साढ़े चार हजार पंचायतों में सरकारी अधिकारियों ने गाव वालों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी उनकी आमदनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है ? इस कार्यक्रम को interesting बनाने के लिए कई और चीजों को भी शामिल किया गया खेलो इंडिया के तहत बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिता कराई गई वही Sports Kits, मनरेगा के job cards और SST ertiicates भी बांटे गए कई अफसर तो अपने स्वागत से इतने अभिभूत हुए कि वे दो दिनों से अधिक समय तक गावों में रुके रहे इन इलाकों में ग्राम सभाओं का आयोजन होना, उसमें बड़ी संख्या में लोगों का भाग लेना और अपने लिए योजनाए तैयार करना, यह सब बहुत ही सुखद है नया संकल्प, नया जोश और शानदार नतीजे ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते इस मौसम में हम जब भी अपने आसपास देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ ली हो इस दौरान ही भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार भी आता है सावन महीने की जब बात हो रही है, तो आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि इस बार अमरनाथ यात्रा में पिछले चार वर्षों में सबसे ज़्यादा श्रद्धालु शामिल हुए हैं 1 जुलाई से अब तक तीन लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन कर चुके हैं 2015 में पूरे 60 दिनों तक तक चलने वाली इस यात्रा में जितने तीर्थयात्री शामिल हुए थे, उससे अधिक इस बार सिर्फ 28 दिनों में शामिल हो चुके हैं अमरनाथ यात्रा की सफलता के लिए, मैं खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के लोगों और उनकी मेहमान-नवाजी की भी प्रशंसा करना चाहता हू जो लोग भी यात्रा से लौटकर आते हैं, वे राज्य के लोगों की गर्मजोशी और अपनेपन की भावना के कायल हो जाते हैं ये सारी चीज़ें भविष्य में पर्यटन के लिए बहुत लाभदायक साबित होने वाली हैं मुझे बताया गया है कि उत्तराखंड में भी इस वर्ष जब से चारधाम यात्रा शुरू हुई है, तब से डेढ़ महीने के भीतर 8 लाख से अधिक श्रद्धालु, केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं 2013 में आई भीषण आपदा के बाद, पहली बार, इतनी रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री वहा पहुंचें हैं मेरी आप सभी से अपील है कि देश के उन हिस्सों में आप जरुर जाएं, जिनकी खूबसूरती, मानसून के दौरान देखते ही बनती है अपने देश की इस खूबसूरती को देखने और अपने देश के लोगों के जज्बे को समझने के लिए, tourism और यात्रा, शायद, इससे बड़ा कोई शिक्षक नहीं हो सकता है मेरी, आप सभी को शुभकामना है कि सावन का यह सुंदर और जीवंत महीना आप सबमें नई ऊर्जा, नई आशा और नई उम्मीदों का संचार करे दूसरी ओर यही वह समय है, जब देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है वैसे जब हम T देखते हैं तो बारिश का एक ही पहलू दिखता है सब तरफ बाढ़, भरा हुआ पानी, ट्रैफिक जाम मानसून की दूसरी तस्वीर जिसमें आनंदित होता हुआ हमारा किसान, चहकते पक्षी, बहते झरने, हरियाली की चादर ओढ़े धरती यह देखने के लिए तो आपको खुद ही परिवार के साथ बाहर निकलना पड़ेगा बारिश, ताजगी और खुशी यानी reshness और appiness दोनों ही अपने साथ लाती है मेरी कामना है कि यह मानसून आप सबको लगातार खुशियों से भरता रहे मैं सभी लोगों को aster की ढ़ेरों शुभकामनायें देता हू। आज जब Australia और भारत खेलने वाले हैं, मैं दोनों टीमों के players को अपनी शुभकामनायें देता हू। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ दशकों में हम निचली पायरी पर ही चलते गए, पीछे ही हटते गए, गिरते ही गए, गिरते ही गए। कुछ लोग अपने राज्यों से बाहर जाते हैं। पिछली बार भी मैंने आप लोगों से एक आग्रह किया था कि आप जहा जाते हैं वहा से फोटो upload कीजिए। कभी मन नहीं भरेगा और मैं तो भाग्यशाली हू मुझे बहुत भ्रमण करने का अवसर मिला है। जब मुख्यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री नहीं था और आपकी ही तरह छोटी उम्र थी, मैंने बहुत भ्रमण किया। ये अपने आप में कुछ नया देखने का अवसर देती है। मैं आशा करता हू कि इन छुट्टियों में जब प्रवास पर जाए तो स्वच्छता में आप कुछ योगदान दे सकते हैं क्या? हो सकता है बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से नहीं हो रहा? लेकिन हो रहा है। आप भी एक tourist के नाते tourist destination पर स्वच्छता उस पर आप बल दे सकते हैं क्या? मुझे विश्वास है मेरे नौजवान मुझे इसमें जरूर मदद करेंगे। विश्व की तुलना में भारत tourism में अभी बहुत पीछे है। लेकिन हम सवा सौ करोड़ देशवासी हम तय करें कि हमें अपने tourism को बल देना है तो हम दुनिया को आकर्षित कर सकते हैं। सरकार हो, संस्थाए हों, समाज हो, नागरिक हो हम सब ने मिल करके ये करने का काम है। आइये हम उस दिशा में कुछ करने का प्रयास करें। मेरे युवा दोस्तो, छुट्टिया ऐसे ही आ कर चला जाएं, ये बात मुझे अच्छी नहीं लगती। आप भी इस दिशा में सोचिए। क्या आपकी छुट्टिया, ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण वर्ष और उसका भी महत्वपूर्ण समय ऐसे ही जाने दोगे क्या? मैं आपको सोचने के लिए एक विचार रखता हू। क्या आप छुट्टियों में एक हुनर, अपने व्यक्तित्व में एक नई चीज़ जोड़ने का संकल्प, ये कर सकते हैं क्या? मैंने ये काम किया और मेरे को आनंद आया, इसी बहाने मेरी बहुत सारी चिड़ियों से दोस्ती हो गयी। मैं आपसे विनती करता हू कि आप इस कार्य को वापस मन की बात में दोहराए। उसने मुझे फोन करके एक अच्छा काम याद करवा दिया। अभि ने मुझे बताया कि वो साल भर से इस काम को कर रहा है। और उसकी कई चिड़िया उसकी दोस्त बन गई है। हिन्दी की महान कवि महादेवी वर्मा वो पक्षियों को बहुत प्यार करती थीं। उन्होंने अपनी कविता में लिखा था - तुझको दूर न जाने देंगे, दानों से आंगन भर देंगे और होद में भर देंगे हम मीठा-मीठा ठंडा पानी। आइये महादेवी जी की इस बात को हम भी करें। मैं अभि को अभिनन्दन भी देता हू और आभार भी व्यक्त करता हू कि तुमने मुझको बहुत महत्वपूर्ण बात याद कराई। मैसूर से शिल्पा कूके, उन्होंने एक बड़ा संवेदनशील मुद्दा हम सब के लिए रखा है। उन्होंने कहा है कि हमारे घर के पास दूध बेचने वाले आते हैं, अख़बार बेचने वाले आते हैं, Postman आते हैं। कभी कोई बर्तन बेचने वाले वहा से गुजरते हैं, कपड़े बेचने वाले गुजरते हैं। बाज़ार का हाल क्या है, मंडियों में क्या स्थिति है, इन दिनों अच्छी फसल का क्या दौर चल रहा है, दवाइयां कौन-सी उपयुक्त होती हैं? कई विषय उस पर है। अगर आप अपना कोई सवाल उसके सामने रखोगे तो वो जवाब देता है, समझाता है, आपको। मैं आशा करता हू कि मेरे किसान भाई-बहन इस किसान सुविधा App को अपने Mobile-Phone पर download करें। क्या हम उन पुरानी जगहों को फिर से एक बार खुदाई करके, सफाई करके अधिक जल-संचय के लिए तैयार कर सकते हैं क्या? इस बार आपने देखा होगा 5 लाख तालाब, खेत-तालाब बनाने का बीड़ा उठाया है। मनरेगा से भी जल-संचय के लिए assets create करने की तरफ बल दिया है। देश में कई ऐसे गाव होंगे, कई ऐसे प्रगतिशील किसान होंगे, कई ऐसे जागरूक नागरिक होंगे जिन्होंने इस काम को किया होगा। लेकिन फिर भी अभी और ज्यादा करने की आवश्यकता है। मैं इसका स्वागत करता हू। जितना पानी बचेगा किसानी को उतना ही ज्यादा लाभ होगा, ज़िन्दगी उतनी ही ज्यादा बचेगी। iabetes एक ऐसा मेजबान है कि वो हर बीमारी की मेजबानी करने के लिए आतुर रहता है। एक बार अगर diabetes घुस गया तो उसके पीछे ढेर सारे बीमारी कुरुपी मेहमान अपने घर में, शरीर में घुस जाते हैं। कहते हैं 2014 में भारत में क़रीब साडे छः करोड़ diabetes के मरीज थे। 3 प्रतिशत मृत्यु का कारण कहते हैं कि diabetes पाया गया। और Type-2 आदतों के कारण, उम्र के कारण, मोटापे के कारण। दुनिया diabetes से चिंतित है, इसलिए 7 तारीक को orld ealth ay में इसको theme रखा गया है। हम सब जानते हैं कि हमारी lie style उसके लिए सबसे बड़ा कारण है। शरीरिक श्रम कम हो रहा है। हम जानते है, जब मैं छोटा था तो TB का नाम सुनते ही डर जाते थे। लेकिन दुनिया की तुलना में TB के मरीजों की संख्या बहुत है। इसका मतलब हुआ कि ये बीमारी ऐसी है कि जिसको जल्द जाच की जा सकती है। मेरे प्यारे देशवासियो, इस दिशा में बहुत काम हो रहा है। बस सही उपचार हो और बीमारी नष्ट होने तक उपचार जारी रहे। मैं आपसे आग्रह करूगा कि चाहे TB हो या iabetes हो हमें उसे परास्त करना है। भारत को हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलानी है। लेकिन ये सरकार, डॉक्टर, दवाई से नहीं होता है जब तक की आप न करें। और इसलिए मैं आज मेरे देशवासियों से आग्रह करता हू कि हम diabetes को परास्त करें। हम TB से मुक्ति पायें। मेरे प्यारे देशवासियो, अप्रैल महीने में कई महत्वपूर्ण अवसर आ रहे हैं। विशेष कर 14 अप्रैल भीमराव बाबा साहिब अम्बेडकर का जन्मदिन। उनकी 125वी जयंती साल भर पूरे देश में मनाई गयी। मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस वर्ष 14 अप्रैल को मुझे बाबा साहिब अम्बेडकर की जन्मस्थली मऊ जाने का सौभाग्य मिल रहा है। एक उत्तम नागरिक बनने के लिए बाबा साहिब ने हमने बहुत कुछ दिया है। उस रास्ते पर चल कर के एक उत्तम नागरिक बन कर के उनको हम बहुत बड़ी श्रधांजलि दे सकते हैं। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रूप से मनाया जाता है। शायद हिन्दुस्तान का कोई istrict नहीं होगा, जहा मुझे जाने का अवसर न मिला हो। और tourism के द्वारा बहुत रोज़गार की संभावना है। और आपके व्यक्तित्व की पहचान उससे और उससे आप का आत्मविश्वास इतना बढ़ेगा इतना बढ़ेगा। ये अपने साथियों मे शायद बात होगी। ये किसान सुविधा App के माध्यम से अगर आप उसको अपने Mobile-Phone में download करते हैं तो आपको कृषि सम्बन्धी, weather सम्बन्धी बहुत सारी जानकारिया अपनी हथेली में ही मिल जाएगी। किसान के लिए, किसानी के season शुरू होने का समय बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। आप ज़रूर उसकी चिंता कीजिए। मैं भी आपकी इस यात्रा में आपके साथ शरीक होना चाहता हू। आपको आपके बच्चों के eam की जितनी चिंता है, मुझे भी उतनी ही चिंता है। लेकिन अगर हम eam को, परीक्षा को देखने का अपना तौर-तरीका बदल दें, तो शायद हम चिंतामुक्त भी हो सकते हैं। मैंने पिछली मेरी मन की बात में कहा था कि आप NarendraModiApp पर अपने अनुभव, अपने सुझाव मुझे अवश्य भेजिए। मैं आज मेरी इस मन की बात में विशेष रूप से मा-बाप के साथ, परीक्षार्थियों के साथ और उनके शिक्षकों के साथ बातें करना चाहता हू। जो मैंने सुना है, जो मैंने पढ़ा है, जो मुझे बताया गया है, उसमें से भी कुछ बातें बताऊंगा। मुझे पता है कि eams कुछ ही दिनों में start होने वाली हैं। आप मेहनत ज़रूर कीजियेगा, मगर एक realistic achievable target खुद के लिए सेट कीजिये और वो target achieve करने के लिए कोशिश करना। तो इसके लिए मुझे एक solution ind करना बहुत ज़रूरी था। और वो ही targets मैं हमेशा achieve करने की कोशिश करता था। मेरा ocus रहता था ball पे और targets अपने आप slowly-slowly achieve होते गए। ये epectation के बोझ के नीचे मत दबिये। आप ही को तो आपका भविष्य बनाना है। हम दूसरों से स्पर्द्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का तय क्यों न करें। दोस्तो, परीक्षा को अंकों का खेल मत मानिये। ये परीक्षाए, वो तो हम सही जा रहे हैं कि नहीं जा रहे, उसका हिसाब-किताब करती हैं एक बहुत बड़े उद्देश्य को ले कर के चलिये और उसमें कभी अपेक्षा से कुछ कम भी रह जाएगा, तो निराशा नहीं आएगी। और ज़ोर लगाने की, और ताक़त लगाने की, और कोशिश करने की हिम्मत आएगी। जिन हज़ारों लोगों ने मुझे मेरे App पर मोबाइल फ़ोन से छोटी-छोटी बातें लिखी हैं। श्रेय गुप्ता ने इस बात पर बल दिया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। students अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी health का भी ध्यान रखें, जिससे आप eam में स्वस्थतापूर्वक अच्छे से लिख सकें। वैसे भी 365 दिवस हमारा routine हमारे सपनों और संकल्पों के अनुकूल होना चाहिये। श्रीमान प्रभाकर रेड्डी जी की एक बात से मैं सहमत हू। उन्होंने ख़ास आग्रह किया हैं, समय पर सोना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर revision करना चाहिए। eamination centre पर प्रवेश-पत्र और दूसरी चीजों के साथ समय से पहले पहुच जाना चाहिए। और जब मैं सोने की बात करता हू, तो ये मत सोचिए कि मैं eam के लिए सोने के लिए कहा रहा हू। मैं eam के time पर तो आपको अच्छी परीक्षा देने के लिए तनावमुक्त अवस्था के लिए सोने की बात कर रहा हू। ऐसा नहीं करोगे न मुझे विश्वास है नहीं करोगे। और इसलिए किसी चीज़ को हम छोटी न मानें। तय करें, करके देखें। ये दो प्रकार के लोग देखे होंगे आपने। आपने देखा होगा, उनकी आखें भी इधर-उधर नहीं जाती हैं। कभी हम सुनते थे न, अर्जुन के जीवन की घटना कि पक्षी की आख पर कैसे उनकी नज़र रहती थी। बिलकुल वैसे ही विश्वनाथन को जब खेलते हुए देखते हैं, तो बिलकुल उनकी आखें एकदम से बड़ी target पर i रहती हैं और वो भीतर की शांति की अभिव्यक्ति होती है। आप दोस्तों से बात नहीं कर रहे हैं या अकेले चल रहे हैं, मुरझाए-मुरझाए चल रहे हैं, ढेर सारी किताबों को last moment भी हिला रहे हैं, तो-तो फिर वो शांत मन हो नहीं सकता है। लेकिन पानी अगर अशांत है, तो नीचे कुछ नहीं दिखता है। बहुत deep breathing कर लेता हू। तीन बार-पांच बार गहरी सास लेता हू, समय तो 30 सेकिंड, 40 सेकिंड, 50 सेकिंड जाता है, लेकिन फिर मेरा मन एकदम से शांत हो करके चीज़ों को समझने के लिए तैयार हो जाता है। हो सकता है, ये मेरा अनुभव हो, आपको भी काम आ सकता है। अगर घर में मा-बाप भी पढ़े लिखे हों और उसमें भी अगर मा-बाप भी टीचर हों, तो-तो फिर पूरा पेपर फिर से लिखवाते हैं बताओ, तुमने क्या लिखा, क्या हुआ हम उसी में फस जाते हैं। परिवार के साथ और विषयों पर गप्पें मारिए। पुरानी हसी-खुशी की यादें ताज़ा कीजिए। कभी मा-बाप के साथ कहीं गये हों, तो वहा के दृश्यों को याद करिए। बिलकुल उनसे निकल करके ही आधा घंटा बिताइए। रामचरितमानस, वर्तमान सन्दर्भ में उसकी व्याख्या करते-करते वो देश और दुनिया में इस संस्कार सरिता को पहुचाने का प्रयास कर रहे हैं। पूज्य मुरारी बापू का मैं भी आभारी हू कि उन्होंने बहुत अच्छा सन्देश हम सबको दिया। दोस्तो, आज एक और बात बताना चाहता हू। खैर दोस्तो, मैं बिलकुल ही आज ही कह दू, कल सुबह से योग करना शुरू करो, वो तो आपके साथ अन्याय होगा। लेकिन जो योग करते हैं, वो कम से कम eam है इसलिए आज न करें, ऐसा न करें। करते हैं तो करिये। हा, अगर आप अपने नजदीक में कोई योग के जानकार होंगे, उनको पूछोगे तो eam के दिनों में पहले योग नहीं किया होगा, तो भी दो-चार चीज़ें तो ऐसे बता देंगे, जो आप दो-चार-पाच मिनट में कर सकते हैं। क्या ये चीज़ें हड़बड़ी में क्यों करें? अपना पूरे दिन का समय का ऐसा प्रबंधन क्यों न करें कि कहीं ट्रैफिक में रुक जाए, तो भी समय पर हम पहुच ही जाए। वर्ना ऐसी चीज़ें एक नया तनाव पैदा करती हैं। और एक बात है, हमें जितना समय मिला है, उसमें जो प्रश्नपत्र है, जो instructions हैं, हमें कभी-कभी लगता है कि ये हमारा समय खा जाएगा। प्रश्नों को समझना ये बहुत आवश्यक होता है। यही तो विज्ञान की ताकत है और यही तो वैज्ञानिक मन की ताकत है। और अच्छा करने के लिए सुनहरा भविष्य आपका इन्तजार कर रहा है। अब मेरे App पर एक सन्देश रुचिका डाबस ने अपने eam eperience को share किया है। हम सब electricity bulb के आविष्कारक थॉमस एलवा एडिसन, हमारे syllabus में उसके विषय में पढ़ते हैं। हैरी पॉटर series आज दुनिया भर में लोकप्रिय है। लेकिन शुरू से ऐसा नहीं था। कितनी समस्या उनको झेलनी पड़ी थी। am आजकल सिर्फ़ विद्यार्थी की नहीं, पूरे परिवार की और पूरे स्कूल की, teacher की सबकी हो जाती है। लेकिन parents और teachers के support system के बिना अकेला विद्यार्थी, स्थिति अच्छी नहीं है। teacher हो, parents हों, even senior students हों, ये सब मिला करके हम एक टीम बनके, unit बनके समान सोच के साथ, योजनाबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ें, तो परीक्षा सरल हो जाती है। श्रीमान केशव वैष्णव ने मुझे App पर लिखा है, उन्होंने शिकायत की है कि parents ने अपने बच्चों पर अधिक marks मांगने के लिए कभी भी दबाव नहीं बनाना चाहिये। सिर्फ़ तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये। विजय जिंदल लिखते हैं, बच्चों पर उनसे अपनी उम्मीदों का बोझ न डालें। अगर वो अपने किसी दोस्त से बात कर रहा है, तो रोकिये मत। हम भी विज्ञान की रफ़्तार से आगे बढ़ना चाहते हैं। जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। दोस्तो, कभी-कभी सफलताए बहुत देर से मिलती हैं और सफलता जब मिलती है, तब दुनिया को देखने का नज़रिया भी बदल जाता है। Gravitational aves हमारे वैज्ञानिको के पुरुषार्थ से, उसे उजागर किया गया, detect किया गया। मैं उन सभी वैज्ञानिकों को आज ह्रदय से बधाई देना चाहता हू, अभिनन्दन करना चाहता हू। भविष्य में भी इस ख़ोज को आगे बढ़ाने में हमारे वैज्ञानिक प्रयासरत रहेंगे। मैं फिर एक बार सभी वैज्ञानिकों को बधाई देता हू, शुभकामनायें देता हू। मुझे भी कल eam देनी है। सवा-सौ करोड़ देशवासी मेरी eamination लेने वाले हैं। लेकिन हा, आपने देखा होगा, मुझे सुनते ही लगा होगा, मैं कितना स्वस्थ हू, कितना आत्मविश्वास से भरा हुआ हू। बस, कल मेरी eam हो जाये, परसों आपकी शुरू हो जाये। और हम सब सफल हों, तो देश भी सफल होगा। और नए उमंग-उत्साह के साथ व्यापार रोज़गार भी प्रारंभ हो गए होंगे। दूसरी ओर क्रिसमस की तैयारिया भी शुरू हो गयी होंगी। समाज जीवन में उत्सव का अपना एक महत्त्व होता है। कभी उत्सव घाव भरने के लिये काम आते हैं, तो कभी उत्सव नई ऊर्ज़ा देते हैं। लेकिन कभी-कभी उत्सव के इस समय में जब संकट आ जाए तो ज्यादा पीड़ादायक हो जाता है, और पीड़ादायक लगता है। दुनिया के हर कोने में से लगातार प्राकृतिक आपदा की ख़बरें आया ही करती हैं। और न कभी सुना हो और न कभी सोचा हो, ऐसी-ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की ख़बरें आती रहती हैं। मैं इस संकट की घड़ी में उन सभी परिवारों के प्रति अपनी शोक-संवेदना प्रकट करता हू। राज्य सरकारें राहत और बचाव कार्यों में पूरी शक्ति से जुट जाती हैं। केंद्र सरकार भी हमेशा कंधे से कन्धा मिलाकर काम करती है। अभी भारत सरकार की एक टीम तमिलनाडु गयी हुई है। लेकिन मुझे विश्वास है तमिलनाडु की शक्ति पर इस संकट के बावज़ूद भी वो फ़िर एक बार बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ने लग जाएगा। और देश को आगे बढ़ाने में जो उसकी भूमिका है वो निभाता रहेगा। लेकिन जब ये चारों तरफ़ संकटों की बातें देखते हैं तो हमें इसमें काफी बदलाव लाने की आवश्यकता हो गयी है। आज तो इसका रूप ही बदल गया है। और स्वयं जैविक खेती करते हैं ये इतना ही नहीं आप किसानों की समस्या को भली-भाति समझते हैं। पूरे हिन्दुस्तान में ये हम लोगों की आदत है और परंपरागत रूप से हम इसी प्रकार से अपने फसल के अवशेषों को जलाने के रास्ते पर चल पड़ते हैं। दूसरा, उपाय क्या होते हैं उसका भी प्रशिक्षण नहीं हुआ। और जब इस संकट का प्रभाव शहरों की ओर आने लगा तो ज़रा आवाज़ भी सुनाई देने लगी। लेकिन आपने जो दर्द व्यक्त किया है वो सही है। फसल के अवशेष भी बहुत कीमती होते हैं। वे अपने आप में वो एक जैविक खाद होता है। दूसरा ये जलाने के कारण ज़मीन की जो ऊपरी परत होती है वो जल जाती है। हमारी जमीन के ऊपर की परत जल जाती है, जो हमारे उर्वरा भूमि को मृत्यु की ओर धकेल देती है। और इसलिए उसके सकारात्मक प्रयास करने चाहिए। इस ठूंठ को फिर से एक बार ज़मीन में दबोच दिया, तो भी वो खाद बन जाता है। मुझे एक बार केले की खेती करने वाले किसान भाइयों से बातचीत करने का मौका मिला। और उन्होंने मुझे एक बड़ा अच्छा अनुभव बताया। और जब तक उसको उठाने वाले लोग ट्रैक्टर-वैक्टर लेकर आते नहीं तब तक वो ऐसे ही खड़ा रहता था। लेकिन कुछ किसानों ने prove किया उस ठूंठ के ही 66, 8-8 inch के टुकड़े किये और उसको ज़मीन में गाड़ दिए। तो अनुभव ये आया इस केले के ठूंठ में इतना पानी होता है कि जहा उसको गाड़ दिया जाता है, वहा अगर कोई पेड़ है, कोई पौधा है, कोई फसल है तो तीन महीने तक बाहर के पाने की ज़रुरत नहीं पड़ती। जो पहले ठूंठ की सफ़ाई का खर्चा करना पड़ता था, आज वो ठूंठ की मांग बढ़ गयी है। छोटा सा प्रयोग भी कितना बड़ा फायदा कर सकता है, ये तो हमारे किसान भाई किसी भी वैज्ञानिक से कम नहीं हैं। पिछली बार मन की बात में मैंने rgan onation पर चर्चा की थी। फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन सहित, बहुत नामी लोग इससे जुड़े। rgan onation मूल्यवान जिंदगियों को बचा सकता है। अंगदान एक प्रकार से अमरता ले करके आ जाता है। एक शरीर से दूसरे शरीर में जब अंग जाता है तो उस अंग को नया जीवन मिल जाता है लेकिन उस जीवन को नयी ज़िंदगी मिल जाती है। इससे बड़ा सर्वोत्तम दान और क्या हो सकता है। शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग वे भी एक अप्रतिम साहस और सामर्थ्य के धनी होते हैं। लेकिन अगर हम हमारी दृष्टि बदलें, उनकी ओर देखने का नज़रिया बदलें तो ये लोग हमें जीने की प्रेरणा दे सकते हैं। हम छोटी सी भी मुसीबत आ जाए तो रोने के लिए बैठ जाते हैं। और इसलिए ये सब हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। उनकी संकल्प शक्ति, उनका जीवन के साथ जूझने का तरीका और संकट को भी सामर्थ्य में परिवर्तित कर देने की उनकी ललक काबिले-दाद होती है। जावेद अहमद, मैं आज उनकी बात बताना चाहता हू। I ntestine और आत का एक हिस्सा खो दिया। serious nature की spinal injury हो गयी। अपने पैरों पर खड़े होने का सामर्थ्य हमेशा-हमेशा के लिए चला गया, लेकिन जावेद अहमद ने हार नहीं मानी। उनका अपना जज़्बा, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है बिना कारण एक निर्दोष इंसान को इतनी बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ी हो, जवानी खतरे में पड़ गयी हो लेकिन न कोई आक्रोश, न कोई रोष इस संकट को भी जावेद अहमद ने संवेदना में बदल दिया। उन्होंने अपने जीवन को समाजसेवा में अर्पित कर दिया। शरीर साथ नहीं देता है लेकिन 20 साल से वे बच्चों की पढ़ाई में डूब गए हैं। क्या जावेद का जीवन हिंदुस्तान के हर कोने में हमे प्रेरणा देने के लिए काफ़ी नहीं है क्या? मैं जावेद अहमद के जीवन को, उनकी इस तपस्या को और उनके समर्पण को 3 दिसम्बर को विशेष रूप से याद करता हू। 3 दिसम्बर ऐसे सब हर किसी को याद कर के उनसे प्रेरणा पाने का अवसर है। हमारा देश इतना विशाल है। बहुत-सी बातें होती हैं जिसमें हम सरकारों पर dependent होते हैं। मध्यम-वर्ग का व्यक्ति हो, निम्न-मध्यम वर्ग का व्यक्ति हो, गरीब हो, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित उनके लिए तो सरकार के साथ सरकारी व्यवस्थाओं के साथ लगातार संबंध आता है। हमारे देश में ASA orkers जो पूरे देश में network है। वे भारत में बहुत सामाजिक काम करते हैं। और मलेरिया से प्रभावित क्षेत्र है। और इस गाव की एक आशा-वर्कर जमुना मणिसिंह उसने ठान ली कि अब मैं इस तेंदागाव में मलेरिया से किसी को मरने नहीं दूगी। वो घर-घर जाना छोटे सा भी बुखार की ख़बर आ जाए तो पहुच जाना। उसको जो प्राथमिक व्यवस्थायें सिखाई गई हैं उसके आधार पर उपचार के लिए लग जाना। हर घर कीटनाशक मच्छरदानी का उपयोग करे उस पर बल देना। ऐसे तो कितनी जमुना मणि होंगी। कितने लाखों लोग होंगे जो हमारे अगल-बगल में होंगे। हम थोड़ा सा उनकी तरफ़ एक आदर भाव से देखेंगे। ऐसे लोग हमारे देश की कितनी बड़ी ताकत बन जाते हैं। समाज के सुख-दुख के कैसे बड़े साथी बन जाते हैं। मैं ऐसे सभी ASA orkers को जमुना मणि के माध्यम से उनका गौरवगान करता हू। मैं आपसे आग्रह करता हू आप इसको देखिये। सकारात्मक शक्ति ही सबसे बड़ी ऊर्जा होती है। मैं आपको निमंत्रण देता हू आइये राष्ट्र निर्माण में आप भी जुड़ जाइये। मेरे प्यारे देशवासियों, पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन से चिंतित है। climate change, global warming, डगर-डगर पर उसकी चर्चा भी है चिंता भी है और हर काम को अब करने से पहले एक मानक के रूप में इसको स्वीकृति मिलती जा रही है। मैंने एक बार कहा था कि पूर्णिमा की रात को street lights बंद करके अधेरा करके घंटे भर पूर्ण चाद की रोशनी में नहाना चाहिए। वह solar ऊर्जा से सूर्य शक्ति का उपयोग करते हुए ग़रीबों को रोशनी देने का काम कर रही है। वह अंधेरे से जंग लड़ रही है और अपने नाम को रोशन कर रही है। अब देखिये जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व के बड़े-बड़े लोग क्या-क्या करते होंगे लेकिन एक नूरजहा शायद हर किसी को प्रेरणा दे, ऐसा काम कर रही है। और वैसे भी, नूरजहा को तो मतलब ही है संसार को रोशन करना। इस काम के द्वारा रोशनी फैला रही हैं। प्रधानमंत्री MRA योजना und the ununded। वैसे मैं जिस गति से जाना चाहता हू वो गति तो अभी आनी बाकी है। और ज़्यादातर ये मदद पाने वाले S, ST, B इस वर्ग के लोग हैं जो खुद मेहनत करके अपने पैरों पर सम्मान से परिवार को चलाने का प्रयास करते हैं। अभिषेक ने तो खुद ने अपने उत्साह की बात बताई है। मेरे पास भी काफ़ी कुछ ख़बरें आती रहती हैं। मुझे अभी किसी ने बताया कि मुंबई में कोई शैलेश भोसले करके हैं। उन्होंने MRA योजना के तहत बैंक से उनको साढ़े आठ लाख रुपयों का क़र्ज़ मिला। और उन्होंने sewage dress, सफाई का business शुरू किया। मैंने अपने स्वच्छता अभियान के समय संबंध में कहा था कि स्वच्छता अभियान ऐसा है के जो नए entrepreneur तैयार करेगा। और शैलेश भोसले ने कर दिखाया। और उनके परिवार को एक अच्छा व्यवसाय भी धीरे-धीरे पनपने लग गया। लेकिन मैं चाहूगा कि योजना का और प्रचार हो। हमारी सभी बैंक और ज़्यादा संवेदनशील हों और ज़्यादा से ज़्यादा छोटे लोगों को मदद करें। सचमुच में देश की economy को यही लोग चलाते हैं। छोटा-छोटा काम करने वाले लोग ही देश के अर्थ का आर्थिक शक्ति होते हैं। हम उसी को बल देना चाहतें है। अच्छा हुआ है, लेकिन और अच्छा करना है। मेरे प्यारे देशवासियो, 31 अक्टूबर सरदार पटेल की जयंती के दिन मैंने एक भारत-श्रेष्ठ भारत की चर्चा की थी। ये चीज़े होती है जो समाज जीवन में निरंतर जागरूकता बनी रहनी चाहिये। एक भारत-श्रेष्ठ भारत इसको मैं एक योजना का रूप देना चाहता हू। मुझे बताया गया कि काफ़ी सुझाव आ रहे हैं। कोई बड़े-बड़े pries भी घोषित किये गए हैं। कपड़े पहनने का मज़ा आता है, लेकिन मेरा आग्रह रहेगा व्यायाम कीजिये। तो अच्छा मौसम है, तो अच्छी आदत भी हो जाए। मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार फिर एक बार, मन की बातें करने के लिए, आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला है। सुदूर दक्षिण में लोग ओणम के पर्व में, रंगे हुए हैं और कल पूरे देश ने रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया। भारत सरकार ने, सामाजिक सुरक्षा को लेकर के कई नई-नई योजनायें, सामान्य मानवों के लिए लागू की हैंI मुझे ख़ुशी है कि बहुत कम समय में, व्यापक प्रमाण में, सबने इन योजनाओं को स्वीकारा है। मैंने एक छोटी सी गुज़ारिश की थी कि रक्षाबंधन के पर्व पर हम अपनी बहनों को ये सुरक्षा योजना दें। मेरे पास जो मोटी-मोटी जानकारी आई है कि योजना आरम्भ होने से अब तक ग्यारह करोड़ परिवार इस योजना से जुड़े हैं। और मुझे ये भी बताया गया कि, क़रीब-क़रीब आधा लाभ, माताओं-बहनों को मिला है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हू, जन-धन योजना को एक वर्ष पहले बड़े पैमाने पर हाथ में लिया गया था। नौजवानों को रोज़गार भी मिला है। और ग़रीब को बैंक से पैसा मिल सकता है ये विश्वास भी पैदा हुआ। मैं फिर एक बार, संबंधित सब को बधाई देता हू और बैंक के अकाउंट खोलने वाले सभी, ग़रीब से ग़रीब भाइयों-बहनों को भी आग्रह करता हू, कि, आप बैंक से नाता टूटने मत दीजिये। ये बैंक आपकी है, आपने इसको अब छोड़ना नहीं चाहिये। मैं आप तक लाया हू, अब उसको पकड़ के रखना आपका काम है। हमारे सबके खाते सक्रिय होने चाहियेI लेकिन बहुत ही कम समय में गुजरात के प्रबुद्ध, सभी मेरे नागरिक भाइयों और बहनों ने परिस्थिति को संभाल लिया। स्थिति को बिगड़ने से रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर एक बार शांति के मार्ग पर गुजरात चल पड़ा। शांति, एकता, भाईचारा यही रास्ता सही है और विकास के मार्ग पर ही कंधे से कंधा मिलाकर के हमें चलना है। विकास ही हमारी समस्याओं का समाधान है। पिछले दिनों मुझे सूफ़ी परम्परा के विद्वानों से मिलने का अवसर मिला। और मैं सच बताता हू कि जिस तज़ुर्बे से, जिस प्रकार से, उनकी बातें मुझे सुनने का अवसर मिला एक प्रकार से जैसे कोई संगीत बज रहा है। उनके शब्दों का चयन, उनका बातचीत का तरीका, यानि सूफ़ी परम्परा में जो उदारता है, जो सौम्यता है, जिसमें एक संगीत का लय है, उन सबकी अनुभूति इन विद्वानों के बीच में मुझे हुई। शायद दुनिया को इस्लाम के सही स्वरुप को सही रूप में पहुचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है। मुझे विश्वास है कि सूफ़ी परम्परा जो प्रेम से जुड़ा हुआ है, उदारता से जुड़ा हुआ है, वे इस संदेश को दूर-दूर तक पहुचायेंगे, जो मानव-जाति को लाभ करेगा, इस्लाम का भी लाभ करेगाI और मैं औरों को भी कहता हू कि हम किसी भी संप्रदाय को क्यों न मानते हों, लेकिन, कभी सूफ़ी परम्परा को समझना चाहिये। आने वाले दिनों में मुझे एक और अवसर मिलने वाला है, और इस निमंत्रण को मैं अपना सौभाग्य मानता हू। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु बोधगया गए थे। मुझे विश्व भर के इन विद्वानों के साथ, बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है, मेरे लिए एक बहुत ही आनंद का पल है। मेरे प्यारे किसान भाइयो-बहनों, मैं फिर एक बार आप को विशेष रूप से आज मन की बात बताना चाहता हू। मैं पहले भी मन की बात में, इस विषय का जिक्र कर चुका हूं। आप ने सुना होगा, संसद में मुझे सुना होगा, सार्वजनिक सभाओं मे सुना होगा, मन की बात में सुना होगा। मैं हर बार एक बात कहता आया हू, कि जिस and Acuisition Act के सम्बन्ध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में सरकार का मन खुला है। किसानों के हित के किसी भी सुझाव को मैं स्वीकार करने के लिए तैयार हू, ये बार-बार मैं कहता रहा हूं। मतलब ये हुआ, कि मेरी सरकार बनी, उसके पहले जो स्थिति थी, वो अब पुनःप्रस्थापित हो चुकी है। जय-जवान, जय-किसान मंत्र भी याद आना बहुत स्वाभाविक है। और भारत के तिरंगे झंडे को, उसकी आन-बान-शान बनाये रखने वाले, उन सभी शहीदों का स्मरण होना बहुत स्वाभाविक है। और ऐसी इतिहास की घटनाओं से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती रहे। उनको सुनने का अवसर मिला, और मुझे प्रसन्नता हुई कि साइंस के क्षेत्र में, भारत कई दिशाओं में, बहुत ही उत्तम प्रकार के काम कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक, सचमुच में उत्तम प्रकार का काम कर रहे हैं। और मैंने देखा, कई नौजवान वैज्ञानिक क्या उमंग से बातें बता रहे थे, कैसे सपने उनकी आखों में दिखाई दे रहे थे। और जब मैंने पिछली बार मन की बात में कहा था कि हमारे विद्यार्थियों को विज्ञान की ओर आगे बढ़ना चाहिये। इस मीटिंग के बाद मुझे लगता है कि बहुत अवसर हैं, बहुत संभावनाएं हैं। मुझे खुशी है कि इतने कम समय में, अभी 15 दिन हुए हैं, लेकिन सरकार, बहुत ही तेज़ी से आगे बढ़ रही है। सूचनायें भेजी जा रही हैं, और क़रीब-क़रीब अब निर्णय अमल भी हो जायेगा कि interview के चक्कर से छोटी-छोटी नौकरिया छूट जायेंगी। इन दिनों भारत में विश्व के कई देशों के मेहमान आये हैं। स्वास्थ्य के लिए, ख़ासकर के माता-मृत्युदर और शिशु-मृत्युदर कम हो, उसकी कार्य योजना के लिए all to Action दुनिया के 24 देश मिलकर के भारत की भूमि में चिंतन किया। अमेरिका के बाहर ये पहली बार, किसी और देश में ये कार्यक्रम हुआ। और ये बात सही है कि आज भी हमारे देश में हर वर्ष क़रीब-क़रीब 50 हज़ार मातायें और 13 लाख बच्चे, प्रसूति के समय ही और उसके तत्काल बाद ही उनकी मृत्यु हो जाती है। ये चिन्ताजनक है और डरावना है। जैसे हम लोगों ने पोलियो से मुक्ति पाई, वैसे ही, माताओं और शिशु के मृत्यु में टिटनेस, उससे भी मुक्ति पाई। विश्व ने इसको स्वीकारा है। लेकिन हमें अभी भी हमारी माताओं को बचाना है, हमारे नवजात बच्चों को बचाना है। भाइयो-बहनो, आजकल डेंगू की खबर आती रहती है। ये बात सही है कि डेंगू खतरनाक है, लेकिन उसका बचाव बहुत आसान है। और जो मैं स्वच्छ भारत की बात कर रहा हू न, उससे वो सीधा-सीधा जुड़ा हुआ है। घर में छोटी-छोटी चीज़ों में सफाई शुद्ध पानी से भी रख-रखाव करने के तरीके हैं। मैं आप सब से यही आग्रह करूगा कि मौत को हमने इतना सस्ता नहीं बनने देना चाहिए। ज़िंदगी बहुत मूल्यवान है। पानी की बेध्यानी, स्वच्छता पर उदासीनता, ये मृत्यु का कारण बन जाएं, ये तो ठीक नहीं है पूरे देश में करीब 514 केन्द्रों पर डेंगू के लिए मुफ़्त में जांच की सुविधायें उपलब्ध हैं। इन दिनों तो रक्षा-बंधन से दीवाली तक एक प्रकार से हमारे देश में उत्सव ही उत्सव होते हैं। आप देखिये संस्कार स्वभाव बन जाएंगे। इन दोनों भाइयों ने भारत का गौरव बढ़ाया है। अमेरिका में Race across America एक ycle-Race होती है, बड़ी कठिन होती है, करीब चार हजार आठ सौ किलोमीटर लम्बी रेस होती है। देखिये, देश को आगे बढ़ाने के लिए हर कोई कैसे अपने-अपने प्रयास कर रहा है। और यही तो हैं, जब ऐसी घटनाएं सुनते हैं तो सीना तन जाता है। कभी-कभार perception के कारण हम हमारे युवकों के साथ घोर अन्याय कर देते हैं। और पुरानी पीढ़ी को हमेशा लगता है, नई पीढ़ी को कुछ समझ नहीं है और मैं समझता हू ये सिलसिला तो सदियों से चला आया है। मैं कई ऐसे युवकों को मिला हू जो कहते हैं कि भई, मैंने तो जीवन में व्रत लिया हुआ है Sunday on ycle। कुछ लोग कहते हैं कि मैंने तो सप्ताह में एक दिन ycle-ay रखा हुआ है। मेरी health के लिए भी अच्छा रहता है। और मुझे अपने युवा होने का बड़ा आनंद भी आता है। आजकल तो हमारे देश में भी साइकिल कई शहरों में चलती है और साइकिल को promote करने वाले लोग भी बहुत हैं। लेकिन ये पर्यावरण की रक्षा के लिए और स्वास्थ्य के सुधार के लिए अच्छे प्रयास हैं। और आज जब मेरे देश के दो नौजवानों ने अमेरिका में झंडा फहरा दिया, तो भारत के युवक भी जिस दिशा में जो सोचते हैं, उसका उल्लेख करना मुझे अच्छा लगा। मैं आज विशेष रूप से महाराष्ट्र सरकार को बधाई देना चाहता हू। बाबा साहेब अम्बेडकर - मुंबई की इंदू मिल की ज़मीन - उनका स्मारक बनाने के लिए लम्बे अरसे से मामला लटका पड़ा था। लेकिन साथ-साथ, लंदन में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर जहा रहते थे - 10, किंग हेनरी रोड, वो मकान भी अब खरीद लिया है। मैं महाराष्ट्र सरकार को बाबा साहेब अम्बेडकर को सम्मानित करने के इन दोनों प्रयासों के लिए साधुवाद देता हू, उनका गौरव करता हू, उनका अभिनन्दन करता हू। हमारे किसान भाईयों, बहनों को खरीफ की बुआई करने में अवश्य मदद मिलेगी। और एक ख़ुशी की बात मेरे ध्यान में आयी है और मुझे बड़ा आनंद हुआ। हमारे देश में दलहन की और तिलहन की - pulses की और oilseeds की - बहुत कमी रहती है। ग़रीब को दलहन चाहिये, खाने के लिये सब्ज़ी वगैरह में थोड़ा तेल भी चाहिये। मेरे प्यारे देशवासियो, 26 जुलाई, हमारे देश के इतिहास में कारगिल विजय दिवस के रूप में अंकित है। देश के किसान का नाता, ज़मीन से जितना है, उतना ही देश के जवान का भी है। कारगिल का युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़ा गया, भारत के हर शहर, हर गाव में, इस युद्ध में योगदान था। ये युद्ध, उन माताओं, उन बहनों के लिए लड़ा, जिनका जवान बेटा या भाई, कारगिल में दुश्मनों से लड़ रहा था। लोकतंत्र में जन-भागीदारी बढ़ाने का हमारा संकल्प, जन-जन को विकास के कार्य में जोड़ना, और मुझे आज एक साल के बाद यह कहते हुए यह ख़ुशी है, क़रीब दो करोड़ लोगों ने MyGov को देखा। अब यूं तो बात छोटी है, लेकिन न कभी सरकार में किसी को ये ध्यान आया, न कभी इस पर सोचा गया। लेकिन भाई अखिलेश वाजपेयी के सुझाव पर सरकार ने गंभीरता से विचार किया, और आज हमारे विकलांग भाइयों-बहनों के लिए, इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया। आज जो लोगो बनते हैं, tag-line बनते हैं, कार्यक्रम की रचना होती है, policy बनती है, MyGov पर बहुत ही सकारात्मक सुझाव आते हैं। शासन व्यवस्था में एक नयी resh air का अनुभव होता है। एक नई चेतना का अनुभव होता है। इन दिनों मुझे MyGov पर ये भी सुझाव आने लगे हैं, कि मुझे 15 अगस्त को क्या बोलना चाहिये। चेन्नई से सुचित्रा राघवाचारी, उन्होंने काफ़ी कुछ सुझाव भेजे हैं। MyGov पर भेज सकते हैं, आकाशवाणी पर चिठ्ठी लिख सकते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में चिठ्ठी लिख सकते हैं। मैं मानता हू, शायद ये एक अच्छा विचार है कि 15 अगस्त के मेरे भाषण को, जनता जनार्दन से सुझाव लिए जायें। मुझे विश्वास है कि आप ज़रुर अच्छे सुझाव भेजेंगे। अभी दो दिन पहले, दिल्ली की एक दुर्घटना के दृश्य पर मेरी नज़र पड़ी। और दुर्घटना के बाद वो स्कूटर चालक 10 मिनट तक तड़पता रहा। उसे कोई मदद नहीं मिली। और जब आंकड़ों की तरफ़ देखते हैं तो हृदय हिल जाता है। हमारे देश में हर मिनट एक दुर्घटना होती है। दुर्घटना के कारण, road accident के कारण, हर 4 मिनट में एक मृत्यु होती है। और सबसे बड़ी चिंता का विषय ये भी है, क़रीब-क़रीब एक तिहाई मरने वालों में 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं और एक मृत्यु पूरे परिवार को हिला देती है। शासन को तो जो काम करने चाहिये वो करने ही चाहिए, लेकिन मैं मा-बाप से गुज़ारिश करता हू, अपने बच्चों को - चाहे two-wheeler चलाते हों या our-wheeler चलाते हों - saety की जितनी बातें है, उस पर ज़रूर ध्यान देने का माहौल परिवार में भी बढाना चाहिए। देशभर में हादसों के संबंध में जानकारी देने के लिए टोल-फ्री 1033 नंबर, ambulance की व्यवस्था, ये सारी बातें. लेकिन ये सारी चीज़ें accident के बाद की हैं। कभी-कभी मैं कहता हू, कर्मचारी कर्मयोगी बनें। अपनी रूचि, अपनी कला, अपनी क्षमता को अपने कार्य के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है, ये विजय बिस्वाल ने बताया है। हो सकता है अब विजय बिस्वाल के painting की चर्चा आने वाले दिनों में ज़रुर होगी। और भी मेरे ध्यान में एक बात आई - मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले के सरकारी अधिकारियों की पूरी टीम, पूरी टोली ने एक ऐसा काम शुरू किया जो मेरे मन को छू गया और मुझे बहुत पसंद है उनका ये कामI अभी एक समाचार मेरे कान पे आये थे, कभी-कभी ये छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मेरे मन को आनंद देती हैं। इसलिए मैं आपसे शेयर कर रहा हू। छत्तीसगढ़ के राजनंदगाव में केश्ला करके एक छोटा सा गाव है। उस गाव के लोगों ने पिछले कुछ महीनों से कोशिश करके toilet बनाने का अभियान चलाया। और अब उस गाव में किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता है। ये तो उन्होंने किया, लेकिन, जब पूरा काम पूरा हुआ तो पूरे गाव ने जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है वैसा उत्सव मनाया। समाज जीवन में मूल्य कैसे बदल रहे हैं, जन-मन कैसे बदल रहा है और देश का नागरिक देश को कैसे आगे ले जा रहा है इसके ये उत्तम उदाहरण मेरे सामने आ रहे हैं। वो काफ़ी कुछ लिखते रहते हैं, अच्छी बात है। लेकिन मैं आज ख़ुशी से उनको कहना चाहता हू कि नॉर्थ-ईस्ट के लिए एक अलग Ministry बनी हुई है। तो एक अच्छा प्रयास, दिल्ली से दूर-दूर पूरब तक जाने का प्रयास, जो मैं Act ast Policy कह रहा हू ना, यही तो act है। मेरे प्यारे देशवासियो, हम सब इस बात के लिए गर्व करते हैं कि Mars Mission की सफलता का हमें आनंद होता है। लेकिन कभी-कभी ये भी विचार आता है, आज हम युवा पीढ़ी से अगर बात करते हैं और उनको पूछें कि आप आगे क्या बनना चाहते हो, तो 100 में से बड़ी मुश्किल से एक-आध कोई student मिल जाएगा जो ये कहेगा कि मुझे scientist बनना है। आज तो मोबाइल charge करना हो तो भी दूसरे गाव जाना पड़ता है। जो लाभ शहरों को मिलता है वो गांवों को मिलना चाहिये। और इसीलिये हमने प्रारंभ किया है दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति कार्यक्रम। लेकिन, ग़रीब के लिए ही तो दौड़ना है। आज मन की बात में भांति-भांति की बातें करने का मन कर गया। एक प्रकार से हमारे देश में अगस्त महीना, सितम्बर महीना, त्योहारों का ही अवसर रहता है। ढेर सारे त्यौहार रहते हैं। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 15 अगस्त के लिए ज़रुर मुझे सुझाव भेजिये। आपके विचार मेरे बहुत काम आयेंगे। जब मैंने कहा था, तो मैंने सोचा नहीं था, कि ऐसा ज़बरदस्त परिणाम मिलेगा। लाखों लोगों ने फोटो पोस्ट किये, ट्विटर पे, फ़ेसबुक पे, इन्स्टाग्राम में। स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड़ हों, नदी हो, समुद्र हो। शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि tourism की दृष्टि से, लोग इतना बड़ा काम कर सकते हैं, जो आप लोगों ने किया है। और कुछ तो मुझे भी इतना भा गए कि मैंने भी उसको re-tweet कर दिया। हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है। योग को दुनिया ने जिस प्रकार से, पलक-पावड़े बिछा करके सम्मानित किया, सारे विश्व ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया, कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको गर्व नहीं होगा। और जब फ़्रांस के लोग, जिनके लिए सीन नदी और iel Tower बहुत ही गौरवपूर्ण प्रतीक है, उन्होंने योग करने के लिए उस स्थान को पसंद किया, बराबरी का स्थान दे दिया। न्यूयॉर्क में लोगों ने Times Suare पर योग किये। ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों ने pera ouse के बराबर में योग को रख कर के वहीं पर योग किया। चाहे नॉर्थ अमेरिका हो, सिलिकन वैली हो, Milan का uomo athedral हो, ये अपने आप में गर्व करने की बात है। भारत में भी सियाचिन पर, सफ़ेद बर्फ़ की चादर पर हमारे जवान योग कर रहे थे, तो समुंदर में नौसेना के द्वारा, चारों तरफ़, जहां भी हमारे नौसेना के जहाज़ थे, योग के कार्यक्रम हुए। दिल्ली ने तो गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना स्थान दर्ज करवा दिया। ऐसा लग रहा था कि विश्व के हर कोने से एक नई जिज्ञासा, एक नया आनंद, एक नयी उमंग, एक नया जुड़ाव। कुछ दिन पहले मैंने जब ट्विटर पे, वियतनाम से एक परिवार ने छोटे बच्चे का योग करता हुआ फ़ोटो ट्वीट किया था, इतना प्यारा था वो फ़ोटो, दुनिया भर में वो इतना प्रचलित हुआ। हर कोई, स्त्री-पुरुष बूढ़े-बच्चे, गाव-शहर हो, developed countries हो या developing countries हो, हर कोई जुड़ गया। योग सच्चे अर्थ में दुनिया को जोड़ने का एक कारण बन गया। भारत के प्रति एक जिज्ञासा बढ़ी है। यहा की values, यहा की परम्पराएं, यहा की विरासत, दुनिया जानना चाहती है। हम सबका दायित्व है कि बिना लागलपेट के हमारी ये जो विरासत है, विश्व को हमें बांटना चाहिए, विश्व को परिचित कराना चाहिए। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो। कभी-कभार हम इतने परिचित होते हैं कि अपनी चीज़ें, इसमें क्या नया है, ऐसा लगता है. जैसे हमारी amily values, हमें पता नहीं है दुनिया के लिए भारत की amily values बहुत बड़ी बात है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता आनंद और संतोष के साथ एक नई ज़िम्मेवारी ले के आयी है। ये हमारा दायित्व बनता है कि विश्व को उत्तम योग शिक्षक हम दें। योग सीखना हो तो कहा सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिये तो कहा से मिलेगा, एक database तैयार करना चाहिये और मैं मानता हू, आप कर सकते हैं। मैं पिछले कुछ दिनों की घटनाओं को और नज़रिये से भी देखता हू। काम करती सरकार, दौड़ती सरकार. एक बार लक्ष्य तय हो तो कैसे परिणाम ला सकती है, ये पिछले दिनों हमने देखा है। और जब चारों तरफ निराशा थी, ये हम न भूलें, एक साल पहले चारों तरफ़ से एक ही स्वर सुनाई देता था, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता। 2-5 साल में एकाध बार कहीं छोटी-मोटी ख़बर अख़बार में आ जाये तो आ जाये इतना. एक कोने में, छोटा सा डिपार्टमेंट, लेकिन योग दिवस को उसने लीड किया। अगर लक्ष्य सामने हो तो छोटी-सी-छोटी इकाई भी कितना उत्तम काम करती है, इसका नमूना है। पिछले दिनों दुनिया ने देखा कि हमारे लोगों ने यमन में से आफ़तग्रस्त लोगों को कैसे बचाया। गत 15 अगस्त को मैंने लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय के लिए अपील की थी। और मैंने कहा था अगले 15 अगस्त तक हमने इस काम को पूरा करना है। मतलब सरकार, लोग, सरकारी मुलाज़िम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। पिछले महीने हमने तीन जन सुरक्षा की योजनाओं को लॉन्च लिया था, मैंने कलकत्ता से किया था। इतने कम समय में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इन जन सुरक्षाओं की योजनाओं में कहीं न कहीं जुड़ गयें हैं लेकिन हमें इसको और आगे बढ़ाना हैं। अगस्त महीने में रक्षाबंधन त्योहार आता है। मैं जब मन की बात करता हू तो कई सारे लोग मुझे सुझाव भी भेजते हैं। इस बार मानसून के लिए मुझे कुछ कहना चाहिए ऐसा सुझाव बहुत लोगों ने भेजे है। नागपुर के योगेश दांडेकर, मैसूर के हर्षवर्धन जी, प्रवीण नाडकर्णी जी, दिव्यांशु गुप्ता जी, उन्होनें कहा कि मानसून के लिए ज़रूर आप मन की बात में कुछ बाते बताइये। आप भी हो सकता है बारिश में गर्म पकोड़ों का, भजीये का, कॉर्न का, साथ साथ चाय का मज़ा लेते होंगे। लेकिन साथ-साथ जिस प्रकार से सूरज की किरणें जीवन देती हैं, वैसे ही वर्षा हमारे जीवन को ताक़त देती है। गाव का पानी गाव में रहे, शहर का पानी शहर में रहे, ये हमारा संकल्प होना चाहिए, पानी रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। हम भी तो कर सकते हैं। और मैं तो एक सुझाव देता हू और मेरा प्रत्यक्ष अनुभव है, बड़ा सफल अनुभव है। आप जब पौधा लगाते हो तो पौधे के बग़ल में एक पुराना मिट्टी का घड़ा भी लगा दीजिये और उसमे पानी भर दीजिये। महीने में एक दो बार पानी भरोगे तो भी चलेगा। मैं तो किसानों को भी कहता रहता हू आप अपने खेत के किनारे पर बाड़ लगाने के बजाय पेड़ लगाइये। और हम जानते हैं कि बारिश के दिनों में पानी से बीमारिया बहुत फैलती हैं। ये बात सही है कि हम जितनी केयर करेंगे बीमारी हमसे दूर रहेगी। देशवासियो, अभी-अभी हम लोगों ने तीन नई योजनाओं को लॉन्च किया, ख़ास करके शहरी जनों के लिए। हमारे देश में क़रीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। 2022 में जब भारत आज़ादी के 75 साल मनायेगा हम देशवासियों को घर देना चाहते हैं। लेकिन जब सरकार का कार्यक्रम कोई व्यक्ति, समाज, गाव अपना बना ले, तो उसकी ताक़त कितनी बढ़ जाती है। पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गाव के एक सरपंच श्रीमान सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बड़ा मज़ेदार initiative लिया। हरियाणा में, बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या बहुत कम है। देश के क़रीब 100 ज़िले ऐसे हैं जिनमें भी ये हालत चिंताजनक है। हरियाणा में सबसे ज़्यादा। लेकिन इस घटना से मुझे प्रेरणा भी मिली है और इसलिए मैं भी आपसे आग्रह करता हू कि आप भी अपनी बेटी के साथ, selie with daughter, अपनी बेटी के साथ selie निकाल कर के seliewithdaughter ज़रूर पोस्ट कीजिये। उसके साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस विचार को ताक़त देने वाला कोई tagline लिख करके दोगे, उत्तम पंक्ति लिख कर के दोगे, वो किसी भी भाषा में हो सकती है। अंग्रेज़ी हो, हिंदी हो, आपकी मातृभाषा हो, कोई भी भाषा हो। मैं उसमें से जो बहुत ही प्रेरक टैगलाइन होगी वो सेल्फ़ी आपकी बेटी की और आपकी मैं रीट्वीट करूगा। हम सब एक प्रकार से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस बात को जन आन्दोलन में परिवर्तित कर सकते हैं। हमारे देश को हरियाला बनाइये। अपने जीवन का हिस्सा बना दीजिये, इसको ज़रुर कीजिये। ncredible I ndia, आप कहीं पर यात्रा करें, फ़ोटो ज़रुर भेजते रहिये। देश और दुनिया को पता चलेगा कि हमारे देश के पास कितनी विविधता है। एक मुझे लगा कि उसमें handicrat के संबंध में बहुत कम आया है। और एक सरल माध्यम हमारे पास है, हम ज़रुर पहुचायेंगे। मेरे प्यारे देशवासियो, आज बस इतना ही, अगली मन की बात के लिए अगली बार मिलूगा। आप कल्पना कर सकते हैं कि ये बीच का कालखण्ड गया होगा, कैसा गया होगा मैं हर पल कुछ miss कर रहा था और जब मैं मन की बात करता हू तब, बोलता भले मैं हू, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज़ मेरी है, लेकिन, कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है लेकिन इस Sunday ने बहुत इंतज़ार करवाया खैर, आखिर मौक़ा मिल ही गया है मेरे लिए आपके साथ मेरा ये मौन संवाद एक प्रकार से मेरी spiritual यात्रा की अनुभूति का भी अंश था कई लोगों ने मुझे चुनाव की आपाधापी में, मैं केदारनाथ क्यों चला गया, बहुत सारे सवाल पूछे हैं ज्यादातर लोगों ने उसमें से राजनीतिक अर्थ निकाले हैं मेरे लिये, मुझसे मिलने का वो अवसर था एक प्रकार से मैं, मुझे मिलने चला गया था जैसे केदार के विषय में लोगों ने जानने की इच्छा व्यक्त की है, वैसे एक सकारात्मक चीजों को बल देने का आपका प्रयास, आपकी बातों में लगातार मैं महसूस करता हू कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं लोग, देश और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखते हैं तो उसके साथ-साथ समाधान भी बताते हैं अगर कोई स्वच्छता के लिए लिखता है तो गन्दगी के प्रति उसकी नाराजगी तो जता रहा है लेकिन स्वच्छता के प्रयासों की सराहना भी करता है ये हमें बताता है कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मजबूती, ताकत और talent की कोई कमी नहीं है जरुरत है, उन मजबूतियों और talent को समाहित करने की, अवसर प्रदान करने की, उसको क्रियान्वित करने की इसी भावना के साथ चलिए मन की बात का सिलसिला आगे बढ़ाते हैं हाल ही में लोकतंत्र का महापर्व, बहुत बड़ा चुनाव अभियान, हमारे देश में संपन्न हुआ अमीर से लेकर ग़रीब, सभी लोग इस पर्व में खुशी से हमारे देश के भविष्य का फैसला करने के लिए तत्पर थे भारत में, 2019 के लोकसभा चुनाव में, 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया, sity one rore यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से मैं कहू अगर एक चीन को हम छोड़ दे तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने voting किया था जितने मतदाताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट दिया, उनकी संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है, करीब दोगुनी है भारत में कुल मतदाताओं की जितनी संख्या है वह पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी ज्यादा है यह हमारे लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का परिचय कराती है 2019 का लोकसभा का चुनाव अब तक के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था आप कल्पना कर सकते हैं, इस प्रकार के चुनाव संपन्न कराने में कितने बड़े स्तर पर संसाधनों और मानवशक्ति की आवश्यकता हुई होगी लाखों शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत से चुनाव संभव हो गया लोकतंत्र के इस महायज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए जहा अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों ने अपना दायित्व निभाया, वही अलग-अलग राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने भी, परिश्रम की पराकाष्ठा की इन्हीं लोगों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप इस बार पिछली बार से भी अधिक मतदान हो गया मतदान के लिए पूरे देश में करीब 10 लाख polling station, करीब 40 लाख से ज्यादा ईवीएम (M) मशीन, 17 लाख से ज्यादा वीवीपैट (PAT) मशीन, आप कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा ताम-झाम ये सब इसलिए किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि कोई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित ना हो अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में, महज एक महिला मतदाता के लिए polling station बनाया गया दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र भी भारत में ही है यह मतदान केंद्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्फिति क्षेत्र में 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है इसके अलावा, इस चुनाव में गर्व से भर देने वाला एक और तथ्य भी है शायद, इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाओं ने पुरुषों की तरह ही उत्साह से मतदान किया है इस चुनाव में महिलाओं और पुरुषों का मतदान प्रतिशत करीब-करीब बराबर था इसी से जुड़ा एक और उत्साहवर्धक तथ्य यह है कि आज संसद में रिकॉर्ड 78 (seventy eight) महिला सांसद हैं मैं चुनाव आयोग को, और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को, बहुत-बहुत बधाई देता हू और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हू 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुच जाती है इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है पूस की रात इस कहानी में एक ग़रीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा हालांकि ये कहानिया लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है इन्हें पढ़ने के बाद, मुझे एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई जब पढ़ने की बात हो रही है, तभी किसी मीडिया में, मैं केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ रहा था आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की (I dukki) के घने जंगलों के बीच बसे एक गाव में है एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहा पुस्तकें लाई गई आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है गुजरात में वांचे गुजरात अभियान एक सफल प्रयोग रहा लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था आज की digital दुनिया में, Google गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूगा कि कुछ समय निकालकर अपने daily routine में किताब को भी जरुर स्थान दें आप सचमुच में बहुत enjoy करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में NarendraModi App पर जरुर लिखें ताकि मन की बात के सारे श्रोता भी उसके बारे में जान पायेंगे मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है मैं NarendraModi App और Mygov पर आपके omments पढ़ रहा था और मैंने देखा कि पानी की समस्या को लेकर कई लोगों ने बहुत कुछ लिखा है बेलगावी (Belagavi) के पवन गौराई, भुवनेश्वर के सितांशू मोहन परीदा इसके अलावा यश शर्मा, शाहाब अल्ताफ और भी कई लोगों ने मुझे पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में लिखा है पानी का हमारी संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व है पानी की कमी से देश के कई हिस्से हर साल प्रभावित होते हैं आपको आश्चर्य होगा कि साल भर में वर्षा से जो पानी प्राप्त होता है उसका केवल 8 हमारे देश में बचाया जाता है मुझे विश्वास है, हम दूसरी और समस्याओं की तरह ही जनभागीदारी से, जनशक्ति से, एक सौ तीस करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य, सहयोग और संकल्प से इस संकट का भी समाधान कर लेंगे जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे मैंने देश भर के सरपंचों को पत्र लिखा ग्राम प्रधान को मैंने ग्राम प्रधानों को लिखा कि पानी बचाने के लिए, पानी का संचय करने के लिए, वर्षा के बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए, वे ग्राम सभा की बैठक बुलाकर, गाव वालों के साथ बैठकर के विचार-विमर्श करें मुझे प्रसन्नता है कि उन्होंने इस कार्य में पूरा उत्साह दिखाया है और इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में करोड़ों लोगों ने श्रमदान किया गाव-गाव में लोगों ने जल की एक-एक बूंद का संचय करने का संकल्प लिया आज, मन की बात कार्यक्रम में मैं आपको एक सरपंच की बात सुनाना चाहता हू सुनिए झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी ब्लॉक की लुपुंग पंचायत के सरपंच ने हम सबको क्या सन्देश दिया है मेरा नाम दिलीप कुमार रविदास है वहा के लोग, एक बार फिर जल संरक्षण के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं मेरी तरफ से, सभी ग्राम प्रधानों को, सभी सरपंचों को, उनकी इस सक्रियता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनायें देशभर में ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने जल संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है जैसा कि मैंने कहा, सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है पानी बचाना, जल संरक्षण पंजाब में drainage lines को ठीक किया जा रहा है इस प्रयास से water logging की समस्या से छुटकारा मिल रहा है तेलंगाना के Thimmaipalli (थिमाईपल्ली) में टैंक के निर्माण से गावों के लोगों की जिंदगी बदल रही है राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है मैं तमिलनाडु के वेल्लोर (ellore) में एक सामूहिक प्रयास के बारे में पढ़ रहा था जहा नाग नदी (Naag nadhi) को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार महिलाए एक साथ आई मैंने गढ़वाल की उन महिलाओं के बारे में भी पढ़ा है, जो आपस में मिलकर rainwater harvesting पर बहुत अच्छा काम कर रही हैं आज मन की बात के माध्यम से मैं देशवासियों से 3 अनुरोध कर रहा हू मेरा पहला अनुरोध है जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करें समाज को जगायें, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें आप देखिये, अपनी आंखों के सामने हम परिवर्तन देख पायेंगें आइये, हम जल संरक्षण से जुड़ें ज्यादा से ज्यादा तरीकों की एक सूची बनाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करें आप सभी JanShakti4JalShakti हैशटैग का उपयोग करके अपना content share कर सकते हैं मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे और एक बात के लिए भी आपका आभार व्यक्त करना है और दुनिया के लोगों का भी आभार व्यक्त करना है 21, जून को फिर से एक बार योग दिवस में जिस सक्रियता के साथ, उमंग के साथ, एक-एक परिवार के तीन-तीन चार-चार पीढ़िया, एक साथ आ करके योग दिवस को मनाया olistic ealth are के लिए जो जागरूकता आई है उसमें योग दिवस का माहात्म्य बढ़ता चला जा रहा है हर कोई, विश्व के हर कोने में, सूरज निकलते ही अगर कोई योग प्रेमी उसका स्वागत करता है तो सूरज ढ़लते की पूरी यात्रा है दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, जानी-मानी हस्तियों, सामान्य नागरिकों ने मुझे twitter पर दिखाया कि कैसे उन्होंने अपने-अपने देशों में योग मनाया उस दिन, दुनिया एक बड़े खुशहाल परिवार की तरह लग रही थी हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए स्वस्थ और संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और योग यही सुनिश्चित करता है वर्ष 2019 में योग के promotion और development में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए Prime Ministers Awards की घोषणा, अपने आप में मेरे लिए एक बड़े संतोष की बात थी यह पुरस्कार दुनिया भर के उन संगठनों को दिया गया है जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी कि उन्होंने कैसे योग के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं उदाहरण के लिए, जापान योग निकेतन को लीजिए, जिसने योग को, पूरे जापान में लोकप्रिय बनाया है अगर यह योग से जुड़ा विषय है, तो क्या भारतीय इसमें पीछे रह सकते हैं? बिहार योग विद्यालय, मुंगेर उसको भी सम्मानित किया गया, पिछले कई दशकों से, योग को समर्पित है आपके विचारों से जुड़ना मेरे लिए एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण यात्रा है मन की बात तो निमित्त है आप ही मेरी प्रेरणा है, आप ही मेरी ऊर्जा है आओ मिल बैठ करके मन की बात का मजा लेते-लेते जीवन की जिम्मेदारियों को भी निभाते चलें फिर एक बार अगले महीने मन की बात के लिए फिर से मिलेंगें मन की बात शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है 10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया देश के सामने आयी इस चुनौती का सामना, हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है ताकि आतंक के खिलाफ़ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं आपने देखा होगा कि हमले के 100 घन्टे के भीतर ही किस प्रकार से कदम उठाये गये हैं सेना ने आतंकवादियों और उनके मददगारों के समूल नाश का संकल्प ले लिया है वीर सैनिकों की शहादत के बाद, मीडिया के माध्यम से उनके परिजनों की जो प्रेरणादायी बातें सामने आयी हैं उसने पूरे देश के हौंसले को और बल दिया है बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने, दुःख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो ख़ुद भी लड़ने जाएगे ओड़िशा के जगतसिंह पुर के शहीद प्रसन्ना साहू की पत्नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी RP join कराने का प्रण लिया है जब तिरंगे में लिपटे शहीद विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊगा इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है मेरे प्यारे देशवासियो, आजादी के इतने लम्बे समय तक, हम सबको, जिस war memorial का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है मुझे आश्चर्य भी होता था और पीड़ा भी कि भारत में कोई National ar Memorial नहीं था मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह दिन 4 वर्ष में एक बार ही आता है सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे स्वतंत्र भारत में संसद में सबसे अधिक बजट पेश करने का record मोरारजी भाई देसाई के ही नाम है मोरारजी देसाई ने उस कठिन समय में भारत का कुशल नेतृत्व किया, जब देश के लोकतान्त्रिक ताने-बाने को खतरा था मोरारजी भाई देसाई ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में खुद को झोंक दिया इसके लिए उन्हें वृद्धावस्था में भी भारी कीमत चुकानी पड़ी उस समय की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया लेकिन 1977 में जब जनता पार्टी चुनाव जीती तो वे देश के प्रधानमंत्री बने यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि emergency के दौरान जो 42वा संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीमकोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, जो हमारे लोकतान्त्रिक मूल्यों का हनन करते थे - उनको वापिस किया गया जैसे 44वें संशोधन के जरिये संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही का समाचार पत्रों में प्रकाशन का प्रावधान किया गया इसी के तहत, सुप्रीमकोर्ट की कुछ शक्तियों को बहाल किया गया इसी संशोधन में यह भी प्रावधान किया गया कि संविधान के अनुछेद 20 और 21 के तहत मिले मौलिक-अधिकारों का आपातकाल के दौरान भी हनन नहीं किया जा सकता है एक बार फिर ऐसे महान नेता को मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हू मेरे प्यारे देशवासियो, हर साल की तरह इस बार भी पद्म अवार्ड को लेकर लोगों में बड़ी उत्सुकता थी मैं ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में आपको बताना चाहता हू गुजरात के अब्दुल गफूर खत्री जी को ही लीजिए, उन्होंने कच्छ के पारंपरिक रोगन पेंटिंग को पुनर्जीवित करने का अद्भुत कार्य किया वे इस दुर्लभ चित्रकारी को नई पीढ़ी तक पहुचाने का बड़ा कार्य कर रहे हैं अब्दुल गफूर द्वारा बनाई गई Tree o ie कलाकृति को ही मैंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को उपहार में दिया था पद्म पुरस्कार पाने वालों में मराठवाड़ा के शब्बीर सैय्यद गौ-माता के सेवक के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने जिस प्रकार अपना पूरा जीवन गौमाता की सेवा में खपा दिया ये अपने आप में अनूठा है मदुरै चिन्ना पिल्लई वही शख्सियत हैं, जिन्होंने सबसे पहले तमिलनाडु में कलन्जियम आन्दोलन के जरिए पीड़ितों और शोषितों को सशक्त करने का प्रयास किया साथ ही समुदाय आधारित लघु वित्तीय व्यवस्था की शुरुआत की सौ वर्ष की उम्र में भी वे दुनिया भर के लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रही हैं और अब तक डेढ़ हज़ार लोगों को योग शिक्षक बना चुकी हैं झारखण्ड में ady Taran के नाम से विख्यात जमुना टुडू ने टिम्बर माफिया और नक्सलियों से लोहा लेने का साहसिक काम किया उन्होंने न केवल 50 हेक्टेयर जंगल को उजड़ने से बचाया बल्कि दस हज़ार महिलाओं को एकजुट कर पेड़ों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया ये जमुना जी के परिश्रम का ही प्रताप है कि आज गाववाले हर बच्चे के जन्म पर 18 पेड़ और लड़की की शादी पर 10 पेड़ लगाते हैं गुजरात की मुक्ताबेन पंकजकुमार दगली की कहानी आपको प्रेरणा से भर देगी, खुद दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने दिव्यांग महिलाओं के उत्थान के लिए जो कार्य किए, ऐसा उदाहरण मिलना मुश्किल है चक्षु महिला सेवाकुन्ज नाम की संस्था की स्थापना कर वे नेत्रहीन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के पुनीत कार्य में जुटी हैं उन्होंने गाव की महिलाओं को खेती के साथ ही रोज़गार के अन्य साधनों का प्रशिक्षण दिया खास बात यह है कि उन्होंने खेती के साथ technology को जोड़ने का काम किया और मेरे देशवासियों, शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि इस वर्ष जो पद्म पुरस्कार दिए गए उसमें 12 किसानों को पद्म पुरस्कार मिले हैं आमतौर पर कृषि जगत से जुड़े हुए बहुत ही कम लोग और प्रत्यक्ष किसानी करने वाले बहुत ही कम लोग पद्मश्री की सूची में आये हैं ये अपने आप में, ये बदलते हुए हिन्दुस्तान की जीती-जागती तस्वीर है मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आज आप सब के साथ एक ऐसे दिल को छूने वाले अनुभव के बारे में बात करना चाहता हू जो पिछले कुछ दिनों से मैं महसूस कर रहा हू आजकल देश में जहा भी जा रहा हू, मेरा प्रयास रहता है कि आयुष्मान भारत की योजना PM-JA यानि PM जन आरोग्य योजना के कुछ लाभार्थियों से मिलूं भाइयों-बहनों पिछले पाच महीनों में लगभग बारह लाख ग़रीब परिवार इस योजना का लाभ उठा चुके हैं मैंने पाया कि ग़रीब के जीवन में इससे कितना बड़ा परिवर्तन आ रहा है आप सब भी यदि किसी भी ऐसे ग़रीब व्यक्ति को जानते है जो पैसों के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहा हो तो उसे इस योजना के बारे में अवश्य बताइये देशभर में अलग-अलग शिक्षा बोर्ड अगले कुछ हफ़्तों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के board के इम्तिहान के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करेंगें परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थियों को, उनके अभिभावकों को और सभी teachers को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाए हैं कुछ दिन पहले दिल्ली में परीक्षा पे चर्चा का एक बहुत बड़ा आयोजन Town all के ormat में हुआ सभी विद्यार्थी, उनके शिक्षक, माता-पिता ouTube पर इस पूरे कार्यक्रम की recording देख सकते हैं, तो आने वाली परीक्षा के लिए मेरे सभी eam warriors को ढ़ेरो शुभकामनाए मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की बात हो और त्यौहार की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता कुछ दिन बाद महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है और इस बार तो शिवरात्रि सोमवार को है और जब शिवरात्रि सोमवार को हो तो उसका एक विशेष महत्व हमारे मन-मंदिर में छा जाता है मैं सचमुच में उस दिव्यांग नौजवान की शक्ति से बहुत ही प्रभावित हुआ मेरे प्यारे देशवासियो, मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से आप सब से जुड़ना मेरे लिए एक अनोखा अनुभव रहा है रेडियो के माध्यम से मैं एक तरह से करोड़ों परिवारों से हर महीने रूबरू होता हू कई बार तो आप सब से बात करते, आपकी चिठ्ठिया पढ़ते या आपके फोन पर भेजे गए विचार सुनते मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने मुझे अपने परिवार का ही हिस्सा मान लिया है यह मेरे लिए एक बहुत ही सुखद अनुभूति रही है दोस्तों, चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है अगले दो महीने, हम सभी चुनाव की गहमा-गहमी में व्यस्त होगें सिद्धगंगा मठ नियमित रूप से पशु और कृषि मेलों का आयोजन करता था एक बार फिर, मैं ऐसे महापुरुष को अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हू जीवन में कभी किसी भी कारण से, अगर मतदान नहीं कर पाए तो बड़ी पीड़ा होनी चाहिए मैं देश की जानी-मानी हस्तियों से आग्रह करता हू कि हम सब मिलकर voter registration हो, या फिर मतदान के दिन वोट देना हो, इस बारे में अभियान चलाकर के लोगों को जागरूक करें मुझे उम्मीद है कि भारी संख्या में युवा मतदाता के रूप में पंजीकृत होंगे और अपनी भागीदारी से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती प्रदान करेंगे इसी स्थान पर, भारत मा के वीर बेटों कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लो और मेजर जनरल शाहनवाज़ खां पर अंग्रेज हुकूमत ने मुकदमा चलाया था जब मैं लाल किले में, क्रान्ति मंदिर में, वहा नेताजी से जुड़ी यादों के दर्शन कर रहा था तब मुझे नेताजी के परिवार के सदस्यों ने एक बहुत ही ख़ास कैप, टोपी भेंट की कभी नेताजी उसी टोपी को पहना करते थे मैंने संग्रहालय में ही, उस टोपी को रखवा दिया, जिससे वहा आने वाले लोग भी उस टोपी को देखें और उससे देशभक्ति की प्रेरणा लें दरअसल अपने नायकों के शौर्य और देशभक्ति को नई पीढ़ी तक बार बार अलग अलग रूप से निरंतर पहुचाने की आवश्यकता होती है अभी महीने भर पहले ही 30 दिसंबर को मैं अंडमान और निकोबार द्वीप गया था यह अवसर था आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने का दिल्ली चलो, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा, जैसे ओजस्वी नारों से नेताजी ने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई मुझे वो दिन याद है, जब नेताजी का सारा परिवार प्रधानमंत्री निवास आया था मुझे बताया गया कि ये रेडियो स्टेशन, साप्ताहिक समाचार बुलेटिन भी प्रसारित करता था, जो अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू आदि भाषाओं में होते थे संग्रहालय में 4 ऐतिहासिक ehibitions हैं और वहा तीन सदियों पुरानी 450 से अधिक पेंटिंग्स और art works मौजूद हैं संग्रहालय में अमृता शेरगिल, राजा रवि वर्मा, अवनींद्र नाथ टैगोर, गगनेंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, जामिनी राय, सैलोज़ मुखर्जी जैसे महान कलाकारों के उत्कृष्ट कार्यों का बखूबी प्रदर्शन किया गया है और खास बात ये है कि गुरुदेव टैगोर ने अपने अधिकांश कार्यों को कोई नाम ही नहीं दिया उनका मानना था कि उनकी पेंटिंग देखने वाला खुद ही उस पेंटिंग को समझे, पेंटिंग में उनके द्वारा दिए गए संदेश को अपने नजरिए से जाने उनकी पेंटिंग्स को यूरोपीय देशों में, रूस में और अमेरिका में भी प्रदर्शित किया गया है मुझे उम्मीद है कि आप क्रांति मंदिर में उनकी पेंटिंग्स को जरुर देखने जाएंगे मेरे प्यारे देशवासियों, भारत संतों की भूमि है हमारे संतों ने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से सद्भाव, समानता और सामाजिक सशक्तिकरण का सन्देश दिया है ऐसे ही एक संत थे - संत रविदास 19 फरवरी को रविदास जयंती है इसी 24 जनवरी को हमारे विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया कलाम सेट launch किया गया है ओडिशा में यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए Sounding Rockets ने भी कई कीर्तिमान बनाए हैं देश आज़ाद होने से लेकर 2014 तक जितने Space Mission हुए हैं, लगभग उतने ही Space Mission की शुरुआत बीते चार वर्षों में हुई हैं हमने एक ही अंतरिक्ष यान से एक साथ 104 Satellites लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है हम जल्द ही handrayaan-2 अभियान के माध्यम से चाद पर भारत की मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं ousing or all यानि सबके लिए घर इस योजना में 23 राज्यों के करीब 40 लाख घरों को जिओ-टैग किया गया है इसके साथ ही मनरेगा के तहत करीब साढ़े तीन करोड़ संपत्तियों को भी जिओ-टैग किया गया हमारे सैटेलाइट्स आज देश की बढ़ती शक्ति का प्रतीक हैं दुनिया के कई देशों के साथ हमारे बेहतर संबंध में इसका बड़ा योगदान है साउथ एशिया सैटेलाइटस तो एक अनूठी पहल रही है, जिसने हमारे पड़ोसी मित्र राष्ट्रों को भी विकास का उपहार दिया है वे अपने परिवार के साथ एक parking shed में रहते हैं इसके बावजूद सोनाली ने कबड्डी को चुना और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया आसनसोल के 10 साल के अभिनव शॉ, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सबसे कम उम्र के स्वर्ण पदक विजेता हैं कर्नाटक से एक किसान की बेटी अक्षता बासवानी कमती ने weightliting में स्वर्ण पदक जीता जब हम इंडिया के निर्माण की बात कर रहे हैं तो वो युवा शक्ति के संकल्प का ही तो न्यू इंडिया है खेलो इंडिया की ये कहानिया बता रही है कि न्यू इंडिया के निर्माण में सिर्फ बड़े शहरों के लोगों का योगदान नहीं है बल्कि छोटे शहरों, गाव, कस्बों से आने वाले युवाओं-बच्चों, young sporting talents, उनका भी बहुत बड़ा योगदान है मेरे नन्हे-मुन्ने साथियो, परीक्षाओं के दिन आने वाले हैं हिमाचल प्रदेश के निवासी अंशुल शर्मा ने MyGov पर लिखा है कि मुझे परीक्षाओं और am arriors के बारे में बात करनी चाहिए अंशुल जी, यह मुद्दा उठाने के लिए आपको धन्यवाद हां, कई परिवारों के लिए साल का पहला हिस्सा am Season होता है विद्यार्थी, उनके माता-पिता से लेकर शिक्षिक तक, सारे लोग परीक्षाओं से सम्बंधित कार्यों में व्यस्त रहते हैं मैं सभी विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और शिक्षकों को शुभकामनाएं देता हू मैं इस विषय पर आज मन की बात के इस कार्यक्रम में चर्चा करना ज़रूर पसंद करता, लेकिन आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैं दो दिन बाद ही 29 जनवरी को सवेरे 11 बजे परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में देश भर के विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने वाला हू इस बार students के साथ-साथ parents और teachers भी इस कार्यक्रम क हिस्सा बनने वाले हैं इस परीक्षा पे चर्चा में परीक्षाओं से जुड़े सभी पहलुओं, विशेष रूप से stress ree eam यानी तनाव-रहित परीक्षा के संबंध में अपने नौजवान मित्रों के साथ बहुत सारी बातें करूंगा हम भी जहा हों दो मिनट शहीदों को जरुर श्रद्धांजलि दें पूज्य बापू का पुण्य स्मरण करें और पूज्य बापू के सपनों को साकार करना, नये भारत का निर्माण करना, नागरिक के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना इस संकल्प के साथ, आओ हम आगे बढें