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प्रधानमंत्री कार्यालय इंडिया टुडे कॉनक्लेव में प्रधान मंत्री के भाषण (वीडियो कान्फ्रसिंग के माध्यम से) का मूल पाठ सबसे पहले आप सभी को इस आयोजन के लिए बहुतबहुत बधाईशुभकामनाएं।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव से जुड़ने का मुझे पहले भी अवसर मिला है।
मुझे बताया गया है कि कल इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ ने मुझे नया पद दे दिया है डिसरप्टर इन चीफ का। दो दिन से आप लोग द ग्रेट डिसरप्शन पर मंथन कर रहे हैं।
दोस्तों अनेक दशकों तक हम गलत नीतियों के साथ गलत दिशा में चले।
सब कुछ सरकार करेगी यह भाव प्रबल हो गया।
कई दशकों के बाद गलती ध्यान में आई।
गलती सुधारने का प्रयास हुआ। औ सोचने की सीमा बस इतनी थी कि दो दशक पहले गलती सुधारने का एक प्रयास हुआ और उसे ही रीफॉर्म मान लिया गया।
ज्यादातर समय देश ने या तो एक ही तरह की सरकार देखी या फिर मिलीजुली।
उसके कारण देश को एक ही set o thinking या activity नजर आई।
पहले पॉलिटिकल सिस्टम से जन्मी election driven होती थी या फिर ब्यूरोक्रेसी के रिजिड फ्रेमवर्क पर आधारित थी।
सरकार चलाने के यही दो सिस्टम थे और सरकार का आकलन भी इसी आधार पर होता था।
हमें स्वीकार करना होगा कि 200 साल में technology जितनी बदली उससे ज्यादा पिछले 20 साल में बदली है।
स्वीकार करना होगा कि 30 वर्ष पहले के युवा और आज के युवा की aspirations में बहुत अंतर है।
स्वीकार करना होगा कि bipolar orld और interdependent world की सभी euations बदल चुकी हैं।
आजादी के आंदोलन के कालखंड को देखें तो उसमें personal aspiration से ज्यादा national aspiration था।
उसकी तीव्रता इतनी थी कि उसने देश को सैकड़ों सालों की गुलामी से बाहर निकाला।
अब समय की मांग हैआजादी के आंदोलन की तरह विकास का आंदोलन जो पर्सनल एस्पीरेशन को कलेक्टिव एस्पीरेशन में विस्तार करे और कलेक्टिव एस्पीरेशन देश के सर्वांगीण विकास का हो।
ये सरकार एक भारतश्रेष्ठ भारत का सपना लेकर चल रही है।
बहुत साल तक देश में अंग्रेजीहिंदी पर संघर्ष होता रहा।
हिंदुस्तान की सभी भाषाएं हमारी अमानत हैं।
ध्यान दिया गया कि सभी भाषाओं को एकता के सूत्र में कैसे बांधा जाए।
एक भारतश्रेष्ठ भारत कार्यक्रम में दोदो राज्यों की pairing कराई और अब राज्य एक दूसरे की सांस्कृतिक विविधता के बारे में जान रहे हैं।
यानि चीजें बदल रही हैं और तरीका अलग है।
इसलिए आपका ये शब्द इन सब बातों के लिए छोटा पड़ रहा है।
ये कायाकल्प है जिससे इस देश की आत्मा अक्षुण्ण रहे व्यवस्थाएं समय के अनुकूल होती चलें।
यही 21वीं सदी के जनमानस का मन है।
इसलिए डिसरप्टर इन चीफ अगर कोई है तो देश के सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी है।
जो हिंदुस्तान के जनमन से जुड़ा है वो भलीभांति समझ जाएगा कि डिसरप्टर कौन है।
बंधेबंधाए विचार बातों को अब भी पुराने तरीके से देखने का नजरिया ऐसा है कि कुछ लोगों को लगता है कि सत्ता के गलियारे से ही दुनिया बदलती है।
ऐसा सोचना गलत है।
काम करने का ऐसा तरीका जहां सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी हो प्रोसेसेस को citien riendly और development riendly बनाया जाए eiciency लाने के लिए process को reengineer किया जाए।
दोस्तों आज भारत दुनिया की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट में भारत को दुनिया की टॉप तीन प्रॉस्पेक्टिव होस्ट इकोनोमी में आंका गया है।
वर्ष 201516 में 55 बिलियन डॉलर से ज्यादा का रिकॉर्ड निवेश हुआ।
दो सालों में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के global कम्पटीटिवनेस इन्डेक्स में भारत 32 स्थान ऊपर उठा है।
मेक इन इंडिया आज भारत का सबसे बड़ा इनीशिएटिव बन चुका है।
आज भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग देश है।
दोस्तों ये सरकार कोओपरेटिव फेडरेलिज्म पर जोर देती है।
gst आज जहां तक पहुंचा है वो डेलीबरेटिव डेमोक्रेसी का परिणाम है जिसमें हर राज्य के साथ संवाद हुआ।
gst पर सहमति होना एक महत्वपूर्ण outcome है लेकिन इसकी प्रक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
सभी राज्यों ने मिलकर इसकी ownership ली है।
आपके नजरिए से ये डिसरपटिव हो सकता है लेकिन gst दरअसल ederal structure के नई ऊचाई पर पहुंचने का सबूत है।
सबका साथसबका विकास सिर्फ नारा नहीं है इसे जी कर दिखाया जा रहा है।
दोस्तों हमारे देश में वर्षों से माना गया कि labour laws विकास में बाधक हैं।
दूसरी तरफ ये भी माना गया कि labour laws में सुधार करने वाले antilabour हैं।
यानि दोनों एक्सट्रीम स्थिति थी।
कभी ये नहीं सोचा गया कि इम्प्लायर इम्प्लाई और एस्पीरेन्ट्स तीनों के लिए एक होलिस्टिक अप्रोच लेकर कैसे आगे बढ़ा जाए।
देश में अलगअलग श्रम कानूनों के पालन के लिए पहले एम्पलॉयर को 56 अलगअलग रजिस्टरों में जानकारी भरनी होती थी।
एक ही जानकारी बारबार अलगअलग रजिस्टरों में भरी जाती थी।
अब पिछले महीने सरकार ने नोटिफाई किया है कि एम्पलॉयर को labour laws के तहत 56 नहीं सिर्फ 5 रजिस्टर maintain करने होंगे।
ये business को easy करने में उद्यमियों की बड़ी मदद करेगा।
जॉब मार्केट के विस्तार पर भी सरकार का पूरा ध्यान है।
public sector private sector के साथ ही सरकार का जोर personal sector पर भी है।
मुद्रा योजना के तहत नौजवानों को बिना बैंक गारंटी कर्ज दिया जा रहा है।
पिछले ढाई वर्षों में छह करोड़ से ज्यादा लोगों को मुद्रा योजना के तहत तीन लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज दिया गया है।
सामान्य दुकानें और संस्थान साल में पूरे 365 दिन खुले रह सकें उसके लिए भी राज्यों को सलाह दी गई है।
पहली बार कौशल विकास मंत्रालय बनाकर इस पर पूरी प्लानिंग के साथ काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना और इनकम टैक्स में छूट के माध्यम से ormal mployment को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी तरह अप्रेन्टिसशिपएक्ट में सुधार करके अप्रेन्टिसों की संख्या बढ़ाई गई है और अप्रेन्टिस के दौरान मिलने वाले स्टाईपेंड में भी बढोतरी की गई है।
साथियों सरकार की शक्ति से जनशक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण है।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर मैं पहले भी कह चुका हूं कि बिना देश के लोगों को जोड़े इतना बड़ा देश चलाना संभव नहीं है।
बिना देश की जनशक्ति को साथ लिए आगे बढ़ना संभव नहीं है।
दीवाली के बाद कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद आप सभी ने जनशक्ति का ऐसा उदाहरण देखा है जो युद्ध के समय अथवा संकट के समय ही दिखता है।
ये जनशक्ति इसलिए एकजुट हो रही है क्योंकि लोग अपने देश के भीतर व्याप्त बुराइयों को खत्म करना चाहते हैं कमजोरियों को हराकर आगे बढ़ना चाहते हैं एक new india बनाना चाहते हैं।
अगर आज स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में 4 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने हैं 100 से ज्यादा जिले खुले में शौच से मुक्त घोषित हुए हैं तो ये इसी जनशक्ति की एकजुटता का प्रमाण है।
अगर एक करोड़ से ज्यादा लोग गैस सब्सिडी का फायदा उठाने से खुद इनकार कर रहे हैं तो ये इसी जनशक्ति का उदाहरण है।
इसलिए आवश्यक है कि जनभावनाओं का सम्मान हो और जनआकांक्षाओं को समझते हुए देशहित में फैसले लिए जाएं और उन्हें समय पर पूरा किया जाए।
जब सरकार ने जनधन योजना शुरू की तो कहा था कि देश के गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ेंगे।
इस योजना के तहत अब तक 27 करोड़ गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं।
इसी तरह सरकार ने लक्ष्य रखा कि तीन वर्ष में देश के 5 करोड़ गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन देंगे।
सिर्फ 10 महीने में ही लगभग दो करोड़ गरीबों को गैस कनेक्शन दिए भी जा चुके हैं।
सरकार ने कहा था एक हजार दिन में उन 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाएंगे जहां आजादी के 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची।
लगभग 650 दिन में ही 12 हजार से ज्यादा गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
जहां नियमकानून बदलने की जरूरत थी वहां बदले गए और जहां समाप्त करने की जरूरत थी वहां समाप्त किए गए।
अब तक 1100 से ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म किया जा चुका है।
साथियों सालों तक देश में बजट शाम को 5 बजे पेश होता था।
ये व्यवस्था अंग्रेजों ने बनाई थी क्योंकि भारत में शाम का 5 बजे ब्रिटेन के हिसाब से सुबह का साढ़े 11 बजे होता था।
इस वर्ष आपने देखा है कि बजट को एक महीना पहले पेश किया गया।
इमपलिमेंटेशन की दृष्टि से ये बहुत बड़ा परिवर्तन है।
वरना इससे पहले फरवरी के आखिर में बजट आता था और विभागों तक पैसे पहुंचने में महीनों निकल जाते थे।
फिर इसके बाद मॉनसून की वजह से काम में और देरी होती थी।
अब विभागों को उनकी योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि समय पर मिल जाएगी।
इसी तरह बजट में plan nonplan का artiicial partition था।
सुर्खियों में आने के लिए नई नई चीजों पर mphasis दी जाती थी और जो पहले से चला आ रहा है उसे नजरअंदाज किया जाता था।
इस वजह से धरातल पर बहुत imbalance था।
इस artiicial division को खत्म करके हमने बहुत बड़ा बदलाव करने का प्रयास किया है।
इस बार आम बजट में रेलवे बजट का भी विलय किया गया।
अलग से रेल बजट पेश करने की व्यवस्था भी अंग्रेजों की ही बनाई हुई थी।
अब transport के आयाम बहुत बदल चुके हैं।
रेल है रोड है aviation है वॉटर वे sea route है इन सभी पर integrated तरीके से सोचना आवश्यक है।
सरकार का ये कदम ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में टेक्नोलॉजीकल रीवोल्यूशन का आधार बनेगा।
पिछले ढाई वर्षों में आपने सरकार की नीतिनिर्णय और नीयत तीनों देखी है।
मैं मानता हूं new india के लिए यही approach 21वीं सदी में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी new india की नींव और मजबूत करेगी।
हमारे यहां ज्यादातर सरकारों की approach रही है दीए जलाना रिबन काटना और इसे भी कार्य ही माना गया कोई इसे बुरा भी नहीं मानता था।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में 1500 से ज्यादा नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा तो हुईं लेकिन वो सिर्फ फाइलों में ही दबे रहे।
ऐसे ही कई बड़ेबड़े प्रोजेक्ट बरसों से अटके हुए हैं।
अब तक 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं की समीक्षा प्रगति की बैठकों में हो चुकी है।
देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण 150 से ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट जो बरसों से अटके हुए थे उनमें अब तेजी आई है।
देश के लिए net generation inrastructre पर सरकार का फोकस है।
पिछले 3 बजट में रेल और रोड सेक्टर को सर्वाधिक पैसा दिया गया है।