id,title,published_at,duration,views,likes,comments,url,english_transcript,hindi_transcript 1EaSKSlK2to,Why Iran Is Enemy With US & Israel: A Simple Explanation | Nitish Rajput | Hindi,2024-01-05T14:30:16Z,PT44M31S,2260143,71553,5503,https://www.youtube.com/watch?v=1EaSKSlK2to,, लॉ बनाने का हक जो है वो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह को है मस्जिदों के अंदर चेयर्स लगा दी गई औरतों के लिए पर्दा और बुर्खा पहनना बैन कर दिया गया मुहर्रम था और मुहर्रम के टाइम पे फुल इंटेंसिटी के साथ प्रोटेस्ट बढ़ा दिए गए ईरान के अंदर जो अमेरिका की एंबेसी थी वहां सारे लोग गेट पे चढ़ के एंबेसी के अंदर पहुंच गए सद्दाम हुसैन ने इराक के अंदर कई सारे ऐसे शिया पॉपुलर लीडर्स थे जिनको मरवा दिया था खुमैनी ने कसम खा रखी थी कि वो तब तक फाइट करना नहीं छोड़ेंगे जब तक वो सुन्नी लीडर सद्दाम हुसैन को सऊदी है वो तो यूएस की गोद में बैठा है और इन्हीं सब बातों को लेकर सऊदी अरेबिया और ईरान के बीच में बहुत बड़ी दुश्मनी हो गई है और इस ईयर में बहुत बड़ा जैकपॉट लगता है जितने भी ईरान के साइंटिस्ट हैं उनको कोई अननोन लोग जो हैं वो आके मार जाते हैं और प्रोग्राम वहीं पे रुक जाता है या फिर देखिए मिडिल ईस्ट में इतनी सारी कंट्रीज हैं लेकिन ईरान का नाम आप आए दिन सुनते होंगे कि ईरान ने हिज्बुल्लाह कभी हमास हाउती इनको हथियार दे दिए इजराइल के अंदर जो हमास ने अटैक करवाया इसमें भी ईरान के सपोर्ट की बात हो रही है तो ऐसा क्या फायदा है ईरान का जो पूरी दुनिया के खिलाफ जाके ऐसे ग्रुप्स को सपोर्ट कर रहा है वहीं सऊदी अरेब बया और ईरान दोनों मुस्लिम कंट्रीज हैं फिर ऐसी क्या बात हुई कि दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए यूएस और ईरान की एक टाइम प बहुत अच्छी दोस्ती थी फिर ऐसा कौन सा इंसिडेंट हुआ कि ईरान और यूएस एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए अभी कुछ दिन पहले ही अटैक करवाया यूएस ने ईरान की पोस्ट पे यूएस ने ईरान के ऊपर सैंक्शन लगा लगा के ईरान की पूरी की पूरी इकॉनमी को नीचे लाके खड़ा कर दिया उसके बाद भी ईरान जो है वो सब कुछ दाव पे लगा के यूएस के अगेंस्ट में खड़ा है तो इन सारी चीजों के पीछे रीजंस क्या है मिडिल ईस्ट के अंदर ये जो पूरा पावर स्ट्रगल चल रहा है इसके पीछे रीजंस क्या है तो आज आपको इस वीडियो में सारी चीजें डिटेल में समझ में आ जाएंगी अच्छा ये सारी चीजें डिस्कस करने से पहले एक दो चीजें है वो डिस्कस करना जरूरी है पहले वो डिस्कस कर लेते हैं देखिए हजरत प्रॉफिट मोहम्मद की डेथ के बाद कौन नया खलीफा बनेगा इसको लेके जो मुस्लिम कम्युनिटी थी इसमें एक कंफ्लेक्स हो गया था एक ग्रुप चाहता था कि हजरत प्रॉफिट मोहम्मद के फ्रेंड हजरत अबू बकर वो खलीफा बने और दूसरा ग्रुप चाहता था हजरत प्रॉफिट मोहम्मद के दामाद हजरत अली वो खलीफा बने अब इसको लेके मुस्लिम कम्युनिटी जो है वो दो ग्रुप्स में डिवाइड हो गई थी हजरत अबू अबू बक्र को खलीफा मानने वाले सुन्नी मुस्लिम हुए और हजरत अली को खलीफा मानने वाले शिया मुस्लिम हुए और भी बहुत सारी चीजें हैं लेकिन ये मेन डिफरेंस है अब अगर आप पूरे वर्ल्ड का मैप देखोगे तो ये जो लाइट ग्रीन कंट्रीज हैं इंक्लूडिंग इंडिया इसमें सुन्नी मुस्लिम मेजॉरिटी में है और डार्क ग्रीन कंट्रीज जैसे ईरान इराक और यमन तो यहां पे शिया मुस्लिम मेजॉरिटी में है तो कहने का मतलब यह है कि शिया मुस्लिम सुन्नी मुस्लिम के कंपैरेटिव काफी ज्यादा कम है पूरे वर्ल्ड की जो टोटल मुस्लिम पॉपुलेशन है उसमें 87 टू 90 पर मुस्लिम्स जो हैं वो सुन है और करीब 10 पर 7 टू 10 पर शिया मुस्लिम्स हैं और इसमें भी एक चीज और है जैसे दुनिया के अंदर जो इस्लाम रिलीजन को फॉलो करता है वो मुस्लिम कहलाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि इंडिया पाकिस्तान का जो मुस्लिम है अरब मुस्लिम जो है ईरान का जो मुस्लिम है वो सारे एक हैं इनमें काफी कल्चरल डिफरेंस है जैसे ईरान मिडिल ईस्ट की कंट्री तो है और यहां पे पापुलेशन जो है वो शिया मुस्लिम्स की ज्यादा है लेकिन ईरान के जो शिया मुस्लिम्स हैं उनका कल्चर अरब के जो सुन्नी मुस्लिम है उनसे एकदम अलग है ईरान अपने आप को कल्चरल एकदम अलग मानता है अरब से ईरान में फारसी बोली जाती है ईरान मिडिल ईस्ट में है लेकिन अरब लीग का मेंबर नहीं है अरब कंट्रीज वो हैं जहां अरेबिक बोली जाती है वहां के मुस्लिम अरब मुस्लिम्स कहलाते हैं अरब पूरे मिडिल ईस्ट में मेजॉरिटी में अब ऐसा कोई स्पेसिफिक ऑफिशियल डिफाइंड मैप नहीं है मिडिल ईस्ट का लेकिन जनरली 17 मिडिल ईस्ट कंट्रीज में से 13 अरब कंट्रीज हैं ईरान इन 13 में से नहीं है अरब की जो सुन्नी मुस्लिम पॉपुलेशन है वो डोमिनेट करती है पूरे मिडिल ईस्ट में ये नंबर्स में भी ज्यादा है शिया मुस्लिम्स जो हैं और सुन्नी मुस्लिम जो हैं इनमें हमेशा से कंफ्लेक्स चलते पूरे मिडिल ईस्ट में चाहे न सऊदी प्रॉक्सी कंफ्लेक्स सिविल वॉर हो सीरिया सिविल वॉर हो बहराइन अपराइज इंग हो 2014 में आईएसआई का शिया पर्सीक्यूशन हो मिडिल ईस्ट के अंदर हर जगह इस चीज का रिलेवेंट आपको दिखेगा इनफैक्ट इस चीज को समझे बिना मिडिल ईस्ट की जियोग्राफी समझना बहुत ही मुश्किल हो जाता है अब देखिए इंडिया से यह वेस्ट की तरफ ये इधर है मिडिल ईस्ट और यहां अरब सुन्नी मुस्लिम मेजॉरिटी वाली कंट्रीज के बीच में ये है ईरान और पहले इसको पर्शिया कहते थे ईरान अपनी जियोपोलिटिकल लोकेशन और रिसोर्सेस की वजह से सुपर पावर्स की नजर में हमेशा से रहा है ईरान के अंदर अंदर कंट्रोल रखने के बहुत सारे एडवांटेज है पूरे रीजन में कंट्रोल मिलता है ईरान का एक बॉर्डर इधर साउथ एशिया से लगा है दूसरा बॉर्डर इसका अरब से लगा है नीचे इसके पर्शियन गल्प अरेबियन सी जहां से दुनिया भर का ट्रेड होता है ये स्ट्रेट ऑफ हरमुज है ये यहां पे है ये इसको अगर ब्लॉक कर दिया जाए तो दुनिया का जो 20 पर ऑयल का जो फ्लो है उसको आप बड़ी आसानी से बहुत ही कम टाइम में रोक सकते हो रिसोर्सेस की बात करें तो ऑयल और नेचुरल गैस के भंडार हैं यहां पे लेकिन कुछ चीजें ऐसी हुई ईरान के अंदर जिसकी वजह से आज की डेट में ईरान की 28 पर पॉपुलेशन जो है वो पॉवर्टी में है और 40 पर पॉपुलेशन जो है वो अगले 2 साल में पॉवर्टी में जाने वाली है देखिए जो सारी चीजें मैं आपको अभी शुरू में बता रहा हूं शिया सुन्नी डिफरेंसेस कल्चरल डिफरेंसेस जियोपोलिटिक्स रिसोर्सेस इन सबके मायने हैं ये अभी आगे जाके सेंस करेंगे और ये सारी जो चीजें बताई है अभी आखिरी में जाके मिलेंगी तो देखिए ईयर 1800 का टाइम था और ईरान को कजर डायनेस्टी जो थी वो रूल करती थी जिसके राजा थे फात अली शाह कजर अब जनरली राजा जो होता है किसी कंट्री का वो पूरे देश पे राज करता है उसकी चलती है लेकिन ईरान के अंदर थोड़ा सा अलग सिस्टम था यहां पे शिया मुस्लिम पॉपुलेशन जो थी वो ज्यादा थी लोग अपने शिया मुस्लिम रिलीजन जो है उससे वेल कनेक्टेड रहते थे और यहां पे रिलीजन के जो स्कॉलर्स होते थे जो रिलीजन की बातें लोगों तक पहुंचाते थे रिलीजन के लॉ क्या है वो लोगों को समझा देते तो इनकी ज्यादा चलती थी ये जो रिलीजियस स्कॉलर्स थे इनको उलेमा बोला जाता था और इसमें भी जो सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे स्कॉलर्स होते थे उनको आयतुल्लाह बोला जाता था और ईरान के अंदर ये जो उलेमा है इनके पास पॉलिटिकल पावर भी थी तो सिर्फ राजा की ही नहीं चलती थी उलेमा अगर कुछ कह देता था तो राजा को मानना पड़ता था तो ये सिस्टम ईरान के अंदर उस टाइम पे काम कर रहा था तो उस टाइम पे ईरान जो कि पर्शिया कहलाता था उस टाइम पे उसका एक बॉर्डर ब्रिटिश इंडिया से लगता था पाकिस्तान उस समय अलग नहीं हुआ था इंडिया के ऊपर ब्रिटिशर्स जो थे वो रूल करते थे तो ईरान का एक बॉर्डर ब्रिटिशर्स के साथ लगता था और दूसरा बॉर्डर जो था वो रशिया से लगता था अब उस टाइम पे भी ईरान की जो जियोपोलिटिकल इंपॉर्टेंस थी और जो रिसोर्सेस थे उसपे ब्रिटिशर्स और रशियन जो थे उन दोनों की नजर थी दोनों ही सुपर पावर के बीच में ईरान फंसा हुआ था अब इसके बाद डेट आती है म 1804 और रशिया मौका देख के ईरान पे अटैक कर देता है और ईरान को हरा के जबरदस्ती एक ट्रीटी कर लेता है ट्रीटी ऑफ तान अब आप ये भी कह सकते हो कि पूरे ईरान पे ही कब्जा कर लेना चाहिए था ट्रीटी क्यों कर रहा था तो देखिए ब्रिटिशर्स से भी एक बॉर्डर लगा हुआ था ईरान का और ब्रिटिशर्स और रशिया ईरान को लेके बैटल नहीं लड़ना चाहते थे दोनों पावरफुल थे तो दोनों मिल माट के खाना चाहते थे और कैसे खाया वो अभी आगे बताऊंगा आपको तो रशिया ने इस ट्रीटी में ईरान से एक तो कैस्पियन सी थी उसपे कंट्रोल लेके मिलिट्री राइट्स जो थे वो ले लिए ईरान के अंदर और रशिया के जो ट्रेडर्स थे वो ईरानियन रिसोर्सेस जो थी उनके ऊपर ट्रेड कर सके उसके राइट ले लिए अब इसके कुछ टाइम बाद क्या होता है कि रशिया के तसर एलेग्जेंडर इनकी डेथ हो जाती है तो ईरान के किंग फात अली इन्होंने ट्राई किया कि अभी रशिया पे अटैक कर देते हैं अभी रशिया थोड़ा वीक होगा तो ईरान के राजा ने इनके ऊपर अटैक किया अब अटैक जीत रहा तो छोड़िए ईरान उल्टा हार जाता है और रशिया फिर से एक ट्रीटी साइन कराता है ट्रीटी ऑफ टर्क मेनशा इस ट्रीटी में पहले तो ये जो ईरान ने अटैक किया था इसकी वजह से ईरान के ऊपर 20 मिलियन रूबल्स का फाइन लगा दिया जाता है और ईरान के जितने भी नेवल राइट्स थे ये भी रशिया अपने पास ले लेता है ये उस ट्रीटी की ओरिजिनल कॉपी है अब देखिए इसमें एक चीज और है कि कंट्रीज के बीच में कोई भी इंटरनेशनल इंसिडेंट होता है तो वो मार्केट को को भी इफेक्ट करता है स्पेशली स्टॉक मार्केट में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव आते हैं जिसकी वजह से कई लोगों को प्रॉफिट और लॉस होता है और अगर कोई बिगनर है स्टॉक मार्केट में तो उसके लिए ये सारी चीजें समझना बहुत ही मुश्किल हो जाता है और इसका सलूशन लेके आया है मार्केट वल्फ मार्केट वल्फ बिगिनर्स के लिए काफी अच्छा ट्रेडिंग प्लेटफार्म है ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो यहां पे सिर्फ 999 से ट्रेड करना स्टार्ट कर सकते हैं बिना किसी मेंटेनेंस चार्ज के दूसरा कि इसमें ट्रेड करने के कुछ खास फायदे हैं जैसे आप स्टॉप लॉस या प्रॉफिट मार्क कर सकते हो जिससे आप रिस्क बहुत इजली मैनेज कर सकते हो मार्केट वल्फ चा है कि आपका जो प्रॉफिट है वो मैक्सिमम रहे और लॉस मिनिमम रहे अब क्योंकि ये स्टॉक मार्केट है तो यहां पे कोई भी चीज सर्टेन तो होती नहीं है इसलिए कंपनी तभी ब्रोकरेज लेगी जब आपका प्रॉफिट होगा और अगर लॉस हुआ तो कोई ब्रोकरेज नहीं जाएगी आपकी मार्केट वल्फ एक सेब रजिस्टर्ड प्लेटफार्म है तो आप इस पे ट्रस्ट कर सकते हैं टू डाउनलोड द पप लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब रशिया को जो चाहिए था वो तो मिल गया था अब बारी थी ब्रिटिशर्स की अक्टूबर 1834 का टाइम था फात अली शाह की डेथ हो गई थी मोहम्मद शाह जो थे वो राजा बनते हैं और इनकी भी डेथ के बाद 5थ ऑफ सितंबर 1848 को इनके बेटे नासिर अलदीन शाह ईरान के राजा बनते हैं ये थोड़ा अग्रेसिव थे इन्होंने राजा बनने के कुछ ही साल बाद करीब 18560 नाम से जिसको राजा नासिर जो थे वो ईरान का हिस्सा मानते थे और इसको ईरान के अंदर लेने के लिए ये अटैक कर देते हैं और यहां पे ब्रिटिशर्स को एक मौका मिलता है और ब्रिटिशर्स मौका देख के उल्टा अटैक कर देते हैं पहले तो ईरान को वापस भेजते हैं और उसके बाद ब्रिटिशर्स भी ट्रीटी ऑफ पेरिस साइन करा लेते हैं सेम जो चीजें रशिया को नॉर्थ में मिली थी वही सारी सेम चीजें ब्रिटिशर्स को साउथ ईस्ट एरिया में मिल गई थी ईरान के तो ये ट्रीटी वगैरह करके रशिया और ब्रिटिशर्स ने ईरान को अपने-अपने तरीके से बांट लिया था और अपना-अपना हिस्सा ले रहे थे और दोनों को लड़ाई नहीं करनी पड़ रही थी अब जब ये सारी चीजें हो रही थी तो इससे होता क्या है कि जो ईरान का लोकल ट्रेडर थे इनको बाजारी बोलते थे उस टाइम पे तो इनका बहुत नुकसान होने लगा था जिस ईरानियन मार्केट पे वो पहले अकेले ट्रेड करते थे अब उस पे ब्रिटिशर्स और रशिया के जो ट्रेडर्स थे उनसे कंपटीशन बढ़ गया था इसकी वजह से ईरान के जो बाजारी यानी ट्रेडर्स थे उनका बहुत भारी नुकसान हुआ था ईरान की जो पूरी टेक्सटाइल इंडस्ट्री थी वो पूरी तरीके से बाजारी यानी ट्रेडर्स के हाथ से निकल गई थी और बात यहां पे भी नहीं रुकती है ईयर 1890 में ईरान की जो टोबैको इंडस्ट्री थी उसको भी ईरान के जो राजा नासिर थे उन्होंने ब्रिटिशर्स को दे दिया था अब टेक्सटाइल इंडस्ट्री तक तो झेल गए थे लेकिन टोबैको जो था वो ईरान के अंदर बहुत ज्यादा कंज्यूम होता था छोटे से लेके बड़े तक सारे जितने भी ट्रेडर्स थे उनका घर इससे चलता था टोबैको बहुत ज्यादा कंज्यूम होता था ईरान के अंदर तो ये बहुत बड़ा सेटबैक था आम जनता के लिए तो इसको लेके जगह-जगह पे ईरान के अंदर प्रोटेस्ट शुरू हो गए थे और ये सब कहने लगे थे लोग कि राजा जो है वो विदेशी जो लोग हैं उनके हाथों बिक गया है और बात इतनी बढ़ जाती है कि जो शुरू में मैंने आपको बताया था मुस्लिम उलेमा जो होता था जो रिलीजियस स्कॉलर्स होते थे उनको बीच में आना पड़ा उलेमा के आने से राजा के ऊपर प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ईयर 18920 थी इसको कैंसिल कर देता है अब इस इंसिडेंट के बात होता क्या है कि राजा जो था उसको लोग हल्के में लेने लगे थे और जो उलेमा था उसका कद ईरान के अंदर बहुत ज्यादा बढ़ गया था और इसके 4 साल बाद ये हत्या करने बाद की मिर्ज की ओरिजिनल पेका है अब इनकी डेथ के बाद सेम डे फर्स्ट ऑफ मई 18960 भी रशिया और ब्रिटिशर्स के बीच में फंस के रह गए थे ज्यादा कुछ ये भी नहीं कर पाते हैं अब जिस साल मुजफ्फर किंग बने थे इसी साल यूके का एक आदमी था विलियम डी आरकी ये दुनिया भर में स्पेशली ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग वगैरह करता था ऑयल की और इसके हाथ में एक रिपोर्ट लगती है जिसमें ये था कि ईरान के अंदर ऑयल निकलने की ह्यूज पॉसिबिलिटी है और जब ये रिपोर्ट डीआर की के पास आती है तो डीआर की मौके का फायदा उठा के ईरान के मुजफ्फर से मीटिंग करता है और 16th ऑफ अप्रैल 1901 को एक एग्रीमेंट साइन कराने के लिए रेडी कर लेता है इस एग्रीमेंट में यह था कि आने वाले 60 साल तक विलियम डीआर की ईरान के अंदर ऑयल को ढूंढेगा और ढूंढने के बाद अगर ऑयल निकलता है तो उसको टेक्नोलॉजी का यूज करके एक्सट्रैक्ट करना है और उसको मार्केट के अंदर ट्रेड करके बेचना है और प्रॉफिट बनाना है और ये सारी चीजें ब्रिटिशर्स का जो साउथ जोन था उसी एरिया में करना था इस एग्रीमेंट में ये भी था कि जो भी ऑयल निकाल के प्रॉफिट बनेगा उसका 16 पर ईरान को देना होगा और एनुअल भी एक अमाउंट फिक्स किया गया था कि वो ईरान को देना होगा अब यहां से वि एमडीआर की जिसको ब्रिटिशर्स का पूरा सपोर्ट था वो एक कंपनी बनाता है ईरान की गवर्नमेंट के साथ मिलके और इस कंपनी का नाम था एंग्लो पर्शियन ऑयल कंपनी और ये जो कंपनी है आगे चलके इस कंपनी की वजह से बहुत सारी मुसीबतें खड़ी हो गई थी ईरान के लिए तो अब होता क्या है कि ऑयल ढूंढा जाता है शुरू में ऑइल ढूंढने में पैसा और टाइम बहुत ज्यादा लगता है विलियम डीआर की जो थे वो अपना पूरा पैसा लगा चुके थे और जब उनके पास पैसा खत्म हो गया था जो ब्रिटिश गवर्नमेंट थी उन्होंने उनको पैसा दिया और पैसा देके वो उनसे शेयर ले लेती थी इस कंपनी के तो मेनली जो शेयर्स थे इस कंपनी के वो ज्यादा से ज्यादा शेयर ब्रिटिश गवर्नमेंट के पास आ गए थे और आगे चलके इस कंपनी का नाम चेंज भी हुआ था अ ब्रिटिशर्स पेट्रोलियम हो गया था अब यह कंपनी तो बन गई थी ऑयल भी ढूंढा जा रहा था लेकिन ऑयल मिला नहीं था अभी तक ईरान में अब इसके बाद ईयर आता है 1908 और इस ईयर में बहुत बड़ा जैकपॉट लगता है और बहुत बड़ी ऑयल फील्ड निकलती है ईरान के अंदर अभी जैकपॉट तो निकला था लेकिन इसका प्रॉफिट जो था वो ब्रिटिशर्स के पास जाना था ब्रिटिशर्स इसके बाद पूरा का पूरा ऑयल निकाल के बेचना स्टार्ट कर देते हैं और ईरान को उसका 16 मिल जाता है और एनुअली भी उसका जो अमाउंट फिक्स था वो उसको मिल जाता है अब देखिए इस चीज को लेके एग्रीमेंट तो पहले कर लिया था ईरान ने लेकिन आप एक बार सोच के देखिए अगर आपके घर के पास जैकपॉट ऐसा लगे और जिस परे आपका हक हो और आपको बाद में पता चले कि ये तो कोई गोरा आके ले जाएगा तो ईरान के लोगों में भी बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था इस चीज को लेके कि इतना बड़ा जैकपॉट लगा है जो कि हमारा है लेकिन उसके बाद भी हम उसका प्रॉफिट नहीं उठा पाएंगे और यहां से ईरान के अंदर दिक्कतें स्टार्ट होती हैं जिसका इंपैक्ट आज भी ईरान के ऊपर पड़ता है इस पूरे इंसिडेंट के बाद ईरान के अंदर जो ईरान के लोग थे वो बात करने लग गए कि जो राजा है वो तो बिका हुआ है वो किसी काम का नहीं है और एक पैरेलली एक अलग सिस्टम बनाने की बात शुरू होने लगी जो शुरू में मैंने आपको उलेमा के बारे में बताया था जो रिलीजियस स्कॉलर्स थे उन्होंने क्या किया उन्होंने लोगों के सपोर्ट से ईरान के अंदर जो राजशाही जो मोनार्की चल रही थी उसको एज इट इज चलने दिया उसके पैरेलल में एक इस्लामिक कॉन्स्टिट्यूशन चला दिया जिसमें वोटिंग इलेक्शन सारी चीजें होंगी मतलब कि राजा अपना राज करता रहेगा लेकिन उलेमा जो है उसका भी से होगा और इसको नाम दिया गया मजलिस जैसे इंग्लैंड के अंदर कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की है जहां पे क्वीन और राजा होते हैं लेकिन पार्लियामेंट वगैरह वो सारा सिस्टम अलग चलता है उसी से मिलता-जुलता जो सिस्टम था वो ईरान के अंदर भी इंप्लीमेंट हो गया था मतलब कि राजा अपना राज करेगा लेकिन जो लॉ वगैरह होंगे बाकी जो इंपॉर्टेंट डिसीजन होंगे उसमें मजलिस जो है उसका भी से रहेगा बेसिकली रिलीजस ग्रुप जो थे ईरान के अंदर उनके पास पॉलिटिकल पावर आ गई थी इसको अलग-अलग नाम दिए गए इस्लामिक कंसलटेटिव असेंबली ईरानियन पार्लियामेंट भी बोला गया और ईरानियन मजलिस भी बोला गया अब क्योंकि ये जो मजलिस थी ये पूरी तरीके से रिलीजियस स्कॉलर जो थे वो अपने हिसाब से रन करते थे तो इन्होंने लॉ भी उसी के हिसाब से बनाया जैसे शिया मुस्लिम रिलीजन जो है उसको ईरान का ऑफिशियल रिलीजन अनाउंस कर दिया गया राजा और मजलिस जो थे वो वो ईरान को मिलक चला रहे थे लेकिन एक्चुअल में हो ये रहा था कि मजलिस जो थी वही डिसीजन ले रही थी ईरान की गवर्नमेंट की तरह एक्ट कर रही थी वो और राजा सिर्फ नाम का बचा था अब इसके बाद डेट आती है 16th ऑफ जुलाई 1909 राजा मुजफ्फर अलदीन इनकी डेथ हो जाती है और इनके जो बेटे थे मोहम्मद अली शाह ये राजा बनते हैं और इनके बेटे जो थे वो अपने पिताजी से थोड़े अलग थे ये ईरान के अंदर जो मजलिस का जो कांसेप्ट था इसके बिल्कुल अगेंस्ट में थे इनका ये मानना था कि राजा कुछ कर ही नहीं पाता है सारे के सारे जो डिसीजंस थे वो मजलिस ले रही थी वोटिंग और कांस्टीट्यूशन बना बना के राजा सिर्फ नाम का था अब मोहम्मद अली शाह क्या करते हैं मोहम्मद अली शाह आर्मी की मदद लेते हैं और ये जो मजलिस के जो लीडर वगैरह थे इनके ऊपर अटैक करा देते हैं और इनको जेल वगैरह में बंद करा देते हैं अब राजा जो था उसने मजलिस को बंद तो करा दिया था लेकिन मजलिस को लोगों का सपोर्ट था एक साल बाद 1909 में मजलिस ने क्या किया उसने अपने खुद के फाइटर बना के राजा के ऊपर अटैक करा उसके जो लीडर थे उनके ऊपर अटैक किया और जैसे ही सारी बातें आउट ऑफ कंट्रोल हो गई मोहम्मद अली जो राजा थे वो ये सारी चीजें देख के रशिया भाग जाते हैं तो इस पर्टिकुलर टाइम पे ईरान को कोई भी राजा गवर्न नहीं कर रहा होता है पूरा का पूरा मजलिस जो थी वो कंट्रोल कर रही थी लेकिन ईरान के रूल के हिसाब से ये गलत था राजा होना जरूरी था तो मजलिस क्या करती है वो राजा का जो बेटा था 11 साल का उसको राजा बना देती है वो एक पपेट की तरह रहता है एक्चुअल में ईरान को जो चला रही थी वो मजलिस ही चला रही थी उस पर्टिकुलर टाइम पे अब इसी बीच क्या होता है कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर स्टार्ट हो जाती है और ईयर 1917 में रशिया के अंदर खुद ही बहुत सारे रिवोल्यूशन हो रहे थे उससे अपना ही देश नहीं संभल रहा था तो वो ईरान को छोड़ के वापस चला जाता है अपने देश देश में लेकिन ब्रिटिशर्स यानी यूके को ऑयल मिलने के बाद ईरान छोड़ के जाना उसका पॉसिबल नहीं था ईरान का जो ऑयल था वो यूके की इकॉनमी का मेजर पार्ट बन चुका था और सारी की सारी इंडस्ट्री जो थी वो इसी ऑयल पे डिपेंड हो चुकी थी तो इसीलिए ब्रिटिशर्स जो थे वो ईरान को छोड़ के गई नहीं वो टाइम टू टाइम फाइनेंशियल हेल्प करते थे पैसे देते थे सिक्योरिटी वगैरह की हेल्प करते थे लेकिन ईरान के जो लोग थे वो इससे भी खुश नहीं थे ये जो ब्रिटिशर जो ऑइल लेके जा रहे थे और पूरा का पूरा प्रॉफिट या ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट अपने पास रख रहे थे इससे लोग बिल्कुल भी खुश नहीं थे और इसी वजह से मजलिस क्या करती है वो ब्रिटिशर्स को कहती है कि हमें आपकी कोई भी फाइनेंशियल हेल्प नहीं चाहिए कोई भी आपकी सिक्योरिटी नहीं चाहिए आप अपना देश संभालिए और ईरान को छोड़ के चले जाइए शुरू में तो ब्रिटिशर्स ने साफ मना कर दिया कि वो नहीं जाएंगे लेकिन फिर इंटरनेशनल प्रेशर पड़ता है तो ब्रिटिशर्स को जाना पड़ता है अपने सारे ऑफिशियल जो थे वो ईरान से ब्रिटिशर्स निकाल लेते हैं लेकिन ब्रिटिशर जो थे वो इतना बड़ा नुकसान झेलने की हालत में नहीं थे तो होता क्या है कि ईरान की जो आर्मी थी उसमें एक आर्मी हेड था रिजा खान पहलवी ब्रिटिशर्स क्या करते हैं रिजा खान पहलवी को पूरा सपोर्ट करते हैं और रिज खान ईरान के अंदर तख्ता पलट कर देते हैं ईरान का जो राजा था रज उसको यूरोप भिजवा देते हैं लेकिन रिजा खान को पता था कि मजलिस जो है उसको लोगों का सपोर्ट है तो उसने खत्म नहीं किया मजलिस को बल्कि रिजा खान ने क्या किया मजलिस के अंदर जो लीडर्स थे उनको कुछ को पैसा खिलाया कुछ को अपने सपोर्ट में रखा कुछ को अपने लीडर से रिप्लेस कर दिया और जो नहीं माने उनकी हत्या करवा दी तो मजलिस को हटाने की बजाय मजलिस का जो पूरा कंट्रोल था वो अपने पास रख लिया और मजलिस को एकदम वीक कर दिया और इस पर्टिकुलर टाइम पे जैसे ही ईरान के राजा रिजा खान पहलवी बनते हैं कजर डायनेस्टी का एंड होता है और ईरान के अंदर पहलवी डायनेस्टी यह शुरू होती है देखिए ये सारी चीजें मैं आपको बता रहा हूं अब ये आगे जाके सारी की सारी करंट सिचुएशन से रिलेट करेंगी जैसे यूएस की एंट्री होती है अब रिजा खान जो थे उनके ऊपर वेस्टर्न पावर जो थी उनका पूरा इन्फ्लुएंस था ये एक सेकुलर और मॉडर्न लीडर बनके सामने आए और ईरान को पूरी तरीके से मॉडर्नाइज कर दिया जैसे 1928 में ईरान के अंदर आदमियों को यूरोपियन स्टाइल में ड्रेस पहनना कंपलसरी कर दिया गया हैट लगाना कंपलसरी कर दिया गया मस्जिदों के अंदर चेयर्स लगा दी गई औरतों के लिए पर्दा और बुर्खा पहनना बैन कर दिया गया औरतों को जॉब करने के लिए इनकरेज किया उनके लिए गवर्नमेंट जॉब निकाली गई कैफेस और सिनेमा के अंदर लड़कियों को जाना अलाव किया गया आज अगर आप देखोगे तो बहुत ज्यादा पर्दा है लेकिन उस टाइम पे औरतें ऐसे रहती थी ये उस टाइम के ईरान गर्ल्स बास्केटबॉल टीम की पिक्चर है ये उस टाइम पे लड़के ऐसे कपड़े पहनते थे ये अभी आगे आपको समझ में आ जाएगा कि ये सारी चीजें चेंज होके ये जो पर्दा सिस्टम अभी है ये किस तरीके से आ गया अभी जो रिजा खान थे ये सारी चीजें कर तो रहे थे लेकिन सिलेक्टिव तरीके से कर रहे थे मॉडर्नाइजेशन और सेकुलरिज्म इंप्लीमेंट तो किया इन्होंने लेकिन अपने हिसाब और इंटरेस्ट के हिसाब से किया जैसे मीडिया और प्रेस हो गई इनके ऊपर सेंसरशिप की ट्रेड यूनियन को बैन किया पॉलिटिकल पार्टीज को दबाया मजलिस जो थी उसको वीक किया रिजा खान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये हो रही थी कि वो एक तरफ मॉडर्नाइजेशन तो कर रहे थे लेकिन दूसरी तरफ उन्होंने टैक्स बढ़ा दिए थे अब टैक्स से रेवेन्यू तो आ रहा था ईरान के पास लेकिन जो गरीब तबका था उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी उसके लिए चीजें बहुत महंगी हो गई थी तो जो गरीब तब का था वो रेजा खान से बिल्कुल खुश नहीं था रेजा खान ने अपने टाइम पे ईयर 1933 में जो ए एंगलो पर्शियन ऑयल कंपनी थी जो आगे चलके ब्रिटिशर्स पेट्रोलियम बनी उसमें ईरान का जो प्रॉफिट था उसमें जो हिस्सा था 16 पर का उसको बढ़ा के 20 पर करा दिया था और जो एनुअली जो पैसा देती थी ब्रिटिश कंपनीज उसको भी बढ़वार था लेकिन ईरान की जो जनता थी उसको इससे कुछ फर्क पड़ा नहीं ईरान की जनता को अपने ऑयल पे पूरा कंट्रोल चाहिए था तो ये सारी चीजें चलती रहती हैं इसके बाद सेकंड वर्ल्ड वॉर शुरू हो जाती है यूके और रशिया यानी कि सोवियत यूनियन वॉर में एक तरफ थे तो आगे चलके यूएस ने भी यूके और रशिया का जो ग्रुप था उसको जवाइन कर लिया ये तीनों एक तरफ थे अब ईरान जो था वो इस पूरी वॉर में न्यूट्रल था लेकिन जब बड़ी वॉर्स होती हैं तो ये जो न्यूट्रल कंट्रीज होती हैं ये बेट खेलती हैं कि कौन जीतेगा और शुरू में क्या हो रहा था कि जर्मनी जो थी उसका ऐसा लग रहा था कि जर्मनी जीतेगी तो ईरान ने जर्मनी से भी अपनी बातचीत स्टार्ट करी थी उसको भी एंटरटेन करना चालू किया था रिजा खान ने जर्मनी के साथ भी ट्रेड और ईरान के अंदर ऑयल एक्सट्रैक्शन की बात स्टार्ट कर दी जर्मनी के कई सारे डिप्लोमेट जो थे वो ईरान के अंदर आके बैठ गए थे और यूके और रशिया यानी कि सोवियत यूनियन जर्मनी के अगेंस्ट में थे वो नहीं चाहते थे कि जर्मनी ईरान के अंदर आए एक तो जर्मनी अगर ईरान के अंदर आके बैठेगा तो यूके और रशिया को जो वॉर में एडवांटेज मिल रहा था लॉजिस्टिक वगैरह सप्लाई करने का वह चला जाता और जर्मनी जो था उसको यूके यूएस रशिया इन तीनों के ऊपर एक अलग एडवांटेज मिलता जो कि ये तीनों नहीं चाहते थे ऊपर से ईरान का जर्मनी के साथ ऑयल का डिस्कशन स्टार्ट होने से ब्रिटिशर जो थे वो भी बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए थे उनको अपनी ऑयल इंडस्ट्री खतरे में लग रही थी तो यूके और रशिया ने ईरान को बहुत ज्यादा समझाया कि जर्मनी को ईरान के अंदर से बाहर कर दें लेकिन जर्मनी को बाहर करना ईरान के लिए भी इतना आसान नहीं था तो एक्चुअल में हो ये रहा था कि जो ईरान था वो इन सारी सुपर पावर के बीच में जर्मनी यूएस रशिया इन सारी सुपर पावर के बीच में फंस गया था और जब बात नहीं बनती है तो यूके और रशिया ईरान पर अटैक कर देता है ये एक प्रॉपर अटैक था लेकिन यूके और रशिया ने कहा कि जो वॉर चल रही है जर्मनी के साथ उनकी ये मजबूरी में इनको ये करना पड़ रहा है उनको जर्मनी को ईरान से पुश करना पड़ेगा वरना उनको बहुत बड़ा डिसएडवांटेज हो जाएगा इस पूरी वॉर में क्योंकि उनका मैक्सिमम जो वॉर का सप्लाई था जैसे फूड और वेपन वगैरह का वो ईरान से होके जाता था और अगर जर्मनी का कंट्रोल होगा ईरान पे तो ये बहुत बड़ा डिसएडवांटेज होगा यूके और रशिया के लिए ये लोग वॉर जो है वो हार भी सकते हैं और यही बहाना बना के इन्होंने अटैक किया यूके और रशिया को सपोर्ट जैसे वेपन फूड और बाकी चीजों की जो सप्लाई थी ये सब करने के लिए यूएस भी एंट्री मारता है ईरान के अंदर उस टाइम पे यूएस ट्रेन से सप्लाई ट्रांसफर करता था यूएस ने रशिया और ब्रिटिशर्स को सपोर्ट देने के लिए अपने एयरक्राफ्ट तक उतार दिए था ईरान के अंदर अब ये जो अटैक करते हैं यूके और रशिया मिलके ईरान के ऊपर इससे ईरान का बहुत ज्यादा नुकसान होता है ईरान में महंगाई 400 गुना ज्यादा बढ़ जाती है अन एंप्लॉयमेंट तो पहले से ही था और और बढ़ जाता है फूड की शॉर्टेज हो जाती है ईरान के कई इलाकों में भुखमरी भी हो जाती है और यहां पे यूएस जो है वो ईरान के फुल सपोर्ट में आता है और जिस चीज की जरूरत होती थी ईरान को यूएस पूरी तरीके से देता था ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि यूएस को भी ईरान के अंदर अपना कंट्रोल रखना था अब इसके कुछ टाइम बाद जब वॉर खत्म हो जाती है तो डिसाइड तो ये हुआ था कि यूके यूएस और रशिया ईरान से बाहर चले जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता यूके और यूएस तो ईरान से बाहर निकल गए थे लेकिन रशिया नहीं गया था इनफैक्ट रशिया एक और दिक्कत खड़ी कर देता है ईरान के लिए ईरान के अंदर कुछ रिबेलियस ग्रुप थे उनको रशिया सपोर्ट करता है और ईरान के टुकड़े कर देता है अजरबैजान और कुर्दिश रिपब्लिक अलग से देश बना देता है देखिए सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूएस बहुत पावरफुल हो गया था और यूएस के जो इंटरेस्ट थे वो ईरान के अंदर थे तो यूएस ने अपने नंबर बनाने के लिए वो यूएन में जाता है और यूएन में उसकी चलती भी थी यूएन के अंदर यूएस जाके कहता है कि रशिया जो ईरान के अंदर घुसा है ये गलत है और रशिया को बाहर जाना चाहिए रशिया के ऊपर प्रेशर पड़ता है और रशिया जो है वो बाहर निकल जाता है रशिया कहने का मतलब है सोवियत यूनियन देखिए यूएस यूके रशिया भले ही वर्ल्ड वॉर में साथ में थे लेकिन ये अपने इंटरेस्ट ईरान में साधने के लिए एक दूसरे को पीछे करते थे तो जब ये सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म हुआ तो सारे देशों के हालत खराब थी और सिर्फ यूएस ही अकेला बचा था जो स्ट्रांग था यूके जो था वो यूएस की प्रॉक्सी की तरह एक्ट करने लग गया था और वर्ल्ड का मेन लीडर जो था वो यूएस बन चुका था तो सबसे पहले तो यूएस ने क्या किया कि उसने एक इंटरनेशनल कंसर्टिना या इसमें सिंपली ये था कि यूके की कंपनीज ईरान में जो ऑयल निकाल के बेच रही थी अब उसमें यूएस की भी कंपनीज आ गई थी और उनका भी 50-50 पर शेयर हो गया था कहने का मतलब यह है कि ईरान के ऑयल का फायदा उठाने वाला अब यूएस मेन प्लेयर बन गया था और इसकी वजह से यूएस अब ईरान के इंटरनल अफेयर से लेके ईरान का जो राजा था उसकी पॉलिसी तक हर चीज में इंटरफेयर करने लगा था और ईरान की भी मजबूरी थी क्योंकि उसको यूएस से डॉलर आ रहे थे और उनकी जरूरत थी ईरान को 500 मिलियन डॉलर एड देता था यूएस ईरान को उस टाइम पे और ये सारी चीजें जो यूएस कर रहा था ईरान के अंदर इसको सबसे पहला झटका लगता है ईयर 1951 में जब ईरान की जो मजलिस थी उसमें से एक मेंबर जिसका नाम था मोहम्मद मसादी यूएस के इस तरीके से ईरान के अंदर इंटरफेयर करने के अगेंस्ट में आके खड़ा हो जाता है इसने कई तरीके से प्रोटेस्ट करने स्टार्ट किए कि जो राजा है वो ईरान का ऑयल बेच दे रहा है बाहरी हों को गरीब मर रहा है और जो ऑयल है वो गोरों के हाथ में जा रहा है और उससे सबसे मेन चीज ये कही कि ये जो गोरों ने एंग्लो ईरानियन ऑयल कंपनी बना के ये जो ऑयल की डील की थी और जो एग्रीमेंट किया था ये एग्रीमेंट इल्लीगल है हम मानते ही नहीं इसको ये चीज उसने कही अब ईरान के अंदर ऑलरेडी इतना अनइंप्लॉयमेंट था लोग परेशान थे तो मोहम्मद मुसादिया जो वर्कर थे एंग्लो पर्शियन ऑयल कंपनी के वो काम करना बंद कर देते हैं स्ट्राइक कर देते हैं यूएस और यूके जो था वो बहुत ही क्लोज ये सारी चीजों को ऑब्जर्व कर रहा था क्योंकि ईरान का जो ऑइल था वो उनके लिए सबसे इंपॉर्टेंट चीज था लेकिन मोहम्मद मसाद जो था वो डर नहीं रहा था वो उल्टा और ज्यादा प्रोटेस्ट किया उसने और लोगों को इकट्ठा किया और ईरान का जो ऑइल था उसको नेशनलाइज करवा दिया उसने नेशनलाइज कराने का मतलब था कि अब यूके यूएस की जो कंपनी थी वो नहीं बेचें ईरान का ऑइल बल्कि ईरान खुद अपने देश का ऑयल निकालेगा और बेचेगा और इसका इतना इंपैक्ट होता है कि मोहम्मद मसाद जो था उसको ईरान का पीएम बना दिया जाता है राजा जो था वो एज इट इज था लेकिन वो पीएम के आगे हेल्पलेस था क्योंकि लोगों का भारी सपोर्ट था पीएम को अब यूके और यूएस के लिए बहुत बड़ा सेटबैक था तो यूके और यूएस ने कहा कि ईरान के अंदर ये जो ऑयल का नेशनलाइजेशन हुआ है ये एग्रीमेंट ब्रीच करता है और इसकी वजह से ईरान के ऊपर यूएस और यूके ने जम के सैंक्शंस लगाए दूसरी चीज पूरी दुनिया से ऑयल एक्सट्रैक्ट करने के लिए वर्कर जो ईरान में आ रहे थे उनको रिस्ट्रिक्टर दिया पूरी दुनिया से प्रेशर बना के ईरान से ऑयल खरीदने के लिए ही रिस्ट्रिक्शन लगा दी तो अब इससे दिक्कत ये हुई कि एक तो जो ईरान को एड मिल रही थी यूएस से वो बंद हो गई दूसरा जो फूड सप्लाई शुगर वगैरह लेता था यूएस से ईरान वो मिलना बंद हो गया दूसरा उसने जो सोचा था कि ऑयल खुद बेचेगा और पैसे बनाएगा वो चीज भी उसकी दिक्कत में आ गई थी क्योंकि बाहर की जो कंट्रीज थी उनको भी अलाव नहीं किया गया ईरान से ऑयल खरीदने के लिए ईरान बहुत भारी मुसीबत में आ गया था ईरान में अनइंप्लॉयमेंट बहुत ज्यादा बढ़ गया था लेकिन उसके बाद भी ईरान का जो पीएम था मोहम्मद मसाद उसने हार नहीं मानी वो लगा रहा अब इसके बाद क्या होता है कि यूएस और यूके क्या करते हैं ईरान के अंदर सीआईए और एम स इनको भेजते हैं और ये ऑन रिकॉर्ड है डिस्क्रिप्शन में इसका जो ओरिजिनल रिलीज डॉक्यूमेंट है उसका लिंक दे दूंगा आप एक बार पढ़ लीजिएगा और सारी डिटेल मैं वहीं से ही बता रहा हूं तो इनको ईरान में भेजा मोहम्मद रिज को भारी सपोर्ट दिया हर तरीके से और मोहम्मद जो पीएम था उसको उसकी पोस्ट से हटा दिया गया और रिजा खान इसके बाद पूरी तरीके से यूएस के हिसाब से चलने लगा और फिर से ऑयल का जो पूरा एडवांटेज था वो यूएस और यूके की जो कंपनीज थी उनको मिलने लगा अब आप इसमें आयरन देखिए कि यूएस और वेस्ट जो है वो डेमोक्रेसी की और फ्रीडम ऑफ स्पीच की इतनी बात करता है लेकिन इस जगह पे वो पीएम को हटा के यानी कि डेमोक्रेसी के अगेंस्ट एक राजा को एस्टेब्लिश कर रहे थे मुनार की को एस्टेब्लिश कर रहे थे अब इसके बाद ईयर आता है 1963 और यहां से जो चीजें थी वो और हीट अप होती हैं जैसे मोहम्मद मसादी ने किया था वही सेम चीज वही सेम रिपीट होता है लेकिन इस बार जो आदमी यूएस के अगेंस्ट में खड़ा था वो था आयतुल्लाह जैसा मैंने शुरू में बताया था कि सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा और सबसे बड़ा रिलीजियस स्कॉलर होता है शिया कम्युनिटी का और इनका नाम था आयतुल्लाह रोहला खुमैनी ये भी सेम वही चीज बोलते हैं कि यूएस का इंटरफेरेंस बहुत ज्यादा है राजा जो है वो यूएस के साथ मिलके ईरान को बेच रहा है ऑइल पे हम रा हक है मजलिस को इन्होंने बहुत ज्यादा वीक कर दिया है पीएम तक ये अपने हिसाब से रख रहा है राजा इलेक्शन में धांधली हो रही है ये सारी चीजों को लेकर खुमैनी जो थे वो स्पीच देते थे और ईरान के अंदर उलेमा रिलीजस स्कॉलर्स आयतुल्लाह जैसे लोग अगर ऐसी स्पीच देते हैं तो उसकी बहुत वैल्यू होती है लोगों का सपोर्ट होता है तो बहुत ही जल्दी लोगों का सपोर्ट इनके साथ आ गया राजा ने जैसे ही देखा कि प्रोटेस्ट बहुत तेजी से बढ़ रहा है उसने खुमैनी को जेल करवा दी और उसके बाद भी जब लोग रुक नहीं रहे थे तो फथ ऑफ नवंबर 1964 को आयतुल्लाह रूहुल्लाह खुमैनी को को ईरान के बाहर इराक में भेज दिया जाता है उनको एजाइल कर दिया जाता है अब इराक और ईरान दोनों शिया मेजॉरिटी कंट्रीज हैं लेकिन इराक में एक चीज और थी जो इराक की लीडरशिप थी जैसे सद्दाम हुसैन वगैरह ये सुन्नी मुस्लिम थे तो अयातुल्ला खुमैनी ने क्या किया कि इराक में जाके भी स्पीस दी वहां के जो शिया लीडर्स थे उनसे जाके बात करी और ये स्पीस देते थे ये नॉर्मल नहीं थी इसमें बहुत ही रिलीजियस और इंपैक्टफुल बातें बोली जाती थी जिससे लोग बहुत तेजी से अट्रैक्ट हो रहे थे इन स्पीस का जो मेन कोर था उसमें ये कहा जाता था कि देश को कोई आदमी नहीं चला सकता ना ही आदमी कोई लॉ बना सकता है लॉ बनाने का हक जो है वो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह को है और देश कैसे चलेगा देश में कैसे रहना चाहिए क्या रूल फॉलो होने चाहिए ये गॉड के हिसाब से होना चाहिए ना कि किसी इंसान के हिसाब से इनके हिसाब से ना तो कोई राजा होना चाहिए ना कोई डेमोक्रेसी होनी चाहिए एक इस्लामिक राज होना चाहिए जिसको गॉड के रूल से चलाया जाए और वो जो रूल्स हैं वो गॉड के जो नुमाइंदे हैं जो रिलीजियस स्कॉलर्स हैं वो इंप्लीमेंट करेंगे एक तरह से शरिया के हिसाब से देश चलना चाहिए और इस पूरे प्रोसेस को इन्होंने नाम दिया वेलायत ए फाकी ये सारी बातें सुनके लोगों का हुजूम लग जाता था ईरान के अंदर ये स्पी चस इराक में देते थे और प्रोटेस्ट ईरान में स्टार्ट हो जाते थे इनकी स्पीच की जो ऑडियो कैसेट होती थी वो ईरान के अंदर स्मगलिंग के थ्रू पहुंचाई जाती थी ये ओरिजिनल ऑडियो है ये जो आईडिया था इसको ईरान के अंदर बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला और लोग ईरान के अंदर जगह-जगह पे प्रोटेस्ट करने लगे ईरान की जो ऑयल फील्ड्स थी वहां पे स्ट्राइक्स होने लगी काम बंद कर दिया वहां पे लोगों ने और ये सारी चीजें देख के इराक के अंदर जो सद्दाम हुसैन थे वो डर गए थे कि कहीं इराक के अंदर ये जो शिया पॉपुलेशन है यह सुनके इराक के अंदर भी प्रोटेस्ट ना स्टार्ट कर दे और ये सारी चीजें देख के सद्दाम हुसैन ने खुमैनी को इराक से बाहर निकाल दिया और इनको फिर फ्रांस जाना पड़ा एक्चुअली खुमैनी का जो आइडिया था देश चलाने का इसको लेके मोनार्की यानी कि राजशाही डेमोक्रेसी सारे लीडर्स डरते थे इससे क्योंकि अगर यह जो आईडिया है ये लोगों में प्रोपेगेटर लगा लोग इसके सपोर्ट में आ गए तो उनकी जो गद्दी थी वो खतरे में आ जाती तो खुमैनी जो थे वो बहुत बड़ी-बड़ी पावर्स के अगेंस्ट में आके खड़े हो गए थे अब ये सारे प्रोटेस्ट वगैरह डे बाय डे ईरान में आउट ऑफ कंट्रोल होते जा रहे थे औरो मोहम्मद रिजा जो थे जो ईरान के राजा थे वो और ज्यादा डरने लगे थे इस डर में उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए जो बहुत ज्यादा बैकफायर कर गए उनको वो क्या करते थे जो भी प्रोटेस्ट करता था कोई पॉलिटिकल लीडर या रिलीजियस फिगर राजा के अगेंस्ट में जो बोलता था उसके खिलाफ आर्मी भेज देते थे पुलिस भेज देते थे मारपीट करवाते थे न्यूज़ मीडिया के ऊपर भी रिस्ट्रिक्शंस लगा दी थी न्यूज़ के अंदर क्या छपे ये भी राजा डिसाइड खुद करने लगा था अक्टूबर 1977 को लोगों ने इकट्ठा होक सड़कों पे आके प्रोटेस्ट करना स्टार्ट कर दिया और बहुत ज्यादा बड़ी भीड़ आई थी इसमें सबसे ज्यादा यूनिवर्सिटी के जो स्टूडेंट थे उन्होंने हिस्सा लिया था ये प्रोटेस्ट छोटे-मोटे प्रोटेस्ट नहीं थे ये देखिए दूर-दूर तक भीड़ थी खुमैनी की पिक लगा के प्रोटेस्ट हुए जनरली किसी देश के अंदर जब रिवोल्यूशन होता है और लोग रोड पे आते हैं तो उसके रीजंस बहुत अलग होते हैं जैसे टैक्स ज्यादा बढ़ा दिया गया हो वॉर के अंदर कोई गलत डिसीजन ले लिया हो ये सारी चीजें होती हैं लेकिन ईरान का जो रिवोल्यूशन था वो एकदम अलग था ये जो पूरा रिवोल्यूशन था ये एक तरह से यूएस के ऊपर हेट से डेवलप हुआ था उस टाइम पे ऐसे पोस्टर लगाते थे ईरान के लोग ये ऐसे जगह-जगह पे यूएस के फ्लैग जलते थे अब इसके बाद सिथ ऑफ जनवरी 1978 को एक और दिक्कत होती है आयतुल्लाह खुमैनी जो थे उनके बारे में राजा कुछ न्यूज़पेपर में गलत लिखवा देते हैं और इसके बाद प्रोटेस्ट और भड़क जाते हैं ये एक साइकिल की तरह बन गया था लोग प्रोटेस्ट करते थे राजा आर्मी और पुलिस भेज के लाठी डंडे चलाते थे उसमें कुछ लोग मरते थे और फिर जो लोग मरते थे उनके लिए प्रोटेस्ट होते थे तो एक साइकिल बन गई थी और इस साइकिल का राजा के पास कोई सलूशन ही नहीं था यूएस भी ये सारी चीजें देख के डर गया था यूएस ने राजा को मिलिट्री का सपोर्ट भेजा और बोला कि अगर आपसे नहीं संभल रहा है तो यूएस अपनी मिलिट्री भेज देगी और इससे लोग और भड़क गए कि यूएस जो है वो ईरान के अंदर अपना कंट्रोल बढ़ा रहा है राजा से जब बात नहीं संभली तो ईरान के अंदर मार्शल लॉ इंपोज कर दिए गए इसमें जितने भी सिविल राइट्स वगैरह होते हैं लोगों के वो खत्म हो जाते हैं लेकिन उसके बाद भी प्रोटेस्ट नहीं रुके पूरी की पूरी जो इकॉनमी थी ईरान की वो बैठ गई दिसंबर 1978 में मुहर्रम था और मुहर्रम के टाइम पे फुल इंटेंसिटी के साथ प्रोटेस्ट बढ़ा दिए गए अब राजा और उसके जो लीडर थे उनकी जान पे बनाई थी राजा को कैंसर ऑलरेडी था तो उन्होंने बहाना बनाया और इलाज कराने के बहाने से ईरान को एज इट इज छोड़ के यूएस चले गए अपना इलाज कराने और राजा के जाते ही खुमैनी वापस आते हैं ईरान में इनका स्वागत बहुत भारी भीड़ में होता है यह वो इमेज है उस टाइम की यह न्यूज़पेपर है ईरान आते ही खुमैनी ने क्या किया पीएम वगैरह जो थे उन सबको हटा दिया और अप्रैल 1979 को वोटिंग करवाई गई जिसमें 98 पर वोटिंग इस हक में हुई कि ईरान को ना तो कोई राजा चाहिए ना कोई डेमोक्रेसी का मॉडल चाहिए बल्कि ईरान को इस्लामिक रिपब्लिक बनाना चाहिए और वोटिंग इसके हक में हुई और जैसे ही वोटिंग हक में हुई तो ईयर 1979 में एक इस्लामिक रिपब्लिक देश बन गया ईरान इसी को ईरान में इस्लामिक रिवोल्यूशन बोला जाता जाता है जिसने ईरान को हमेशा के लिए बदल के रख दिया और ईरान के अंदर एक थियोक्रेसी का एस्टेब्लिशमेंट हुआ जैसे डेमोक्रेसी होती है जहां पे जनता रूल करती है मोनार्की होती है जहां पे राजा रूल करता है राजशाही जिसे कहते हैं ऐसे ही थियोक्रेसी में ऐसा बोला गया कि गॉड के कुछ नुमाइंदे हैं वो लॉ वगैरह बनाएंगे और फाइनल डिसीजन मेकर होंगे जिनको सुप्रीम लीडर बोला जाता है तो ईरान का जो मॉडल था उसमें एक सुप्रीम लीडर होते हैं जो फाइनल डिसीजन लेते हैं जो सबसे ऊपर होते हैं और उनके नीचे प्रेसिडेंट पार्लियामेंट इलेक्शन वगैरह सारी चीजें होती हैं तो ईरान के अंदर इस्लामिक रेवल शशन के बाद एज पर सुप्रीम लीडर ईरान में शरिया कानून लाया गया और सारी की सारी पावर जो थी वो उलेमा के पास थी और इसमें मिलिट्री से हट के एक अलग से इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड बनाए गए जिनका काम था इस थियोक्रेसी की रक्षा करना कि कोई मिलिट्री वगैरह आके तख्ता पलट करने की कोशिश करें या फिर सुप्रीम लीडर को हटाने की कोशिश करें तो इनका काम था उसको रोकना अभी भी यही सिस्टम है ईरान में अभी सैयद अली खुमैनी जो है वो करंट सुप्रीम लीडर हैं और इब्राहिम रहीसी ये प्रेसिडेंट हैं और जब ये सारी चीजें हो जाती हैं इस्लामिक रेवोल्यूशन हो जाता है पूरा तो इसके बाद लोग क्या करते हैं हैं ईरान के अंदर जो अमेरिका की एंबेसी थी वहां सारे लोग गेट पे चढ़ के एंबेसी के अंदर पहुंच गए फथ ऑफ नवंबर 1979 को 52 अमेरिकंस के ऑफिसर जो थे उनको बंदी बना लेते हैं लोग और कहते हैं कि ईरान का जो राजा था जिसने प्रोटेस्ट के टाइम पे बहुत ज्यादा अत्याचार करे थे हम लोगों पे और जो कि कैंसर के बहाने यूएस में जाके बैठा है उसको वापस भेजो उसको हम सजा देंगे और अगर आप उसको वापस नहीं भेजोगे तो हम ये जो आपके एंबेसी के अंदर जो ऑफिसर्स हैं इनको नहीं छोड़ेंगे लेकिन इसके कुछ टाइम बाद रिज जो कि यूएस के अंदर इलाज कराने गए थे जिनकी डिमांड कर रहे थे थे उनकी डेथ हो जाती है बीमारी की वजह से और अल्जिया ने बीच बचाव करके अमेरिकन जो थे जिनको बंदी बना लिया था उनको रिलीज करवा दिया ईरान ने 444 डेज तक 52 अमेरिकंस को बंदी बना के रखा था ईरान में इस्लामिक रिवोल्यूशन के बाद आयतुल्लाह खुमैनी ने एक और ऐसी बात बोल दी जिसको लेके इराक सऊदी अरब कुवैत आसपास के जितने भी मुस्लिम देश के लीडर्स थे वो टेंशन में आ गए खमनी ने कहा कि अल्लाह के अलावा किसी इंसान का राज करना किसी देश पे यह गलत है और हम बाकी देश में भी यही क्रांति लाएंगे और इस चीज को फैलाए अब सा सदी अरेबिया हो इराक हो बाकी अरब वर्ल्ड हो हर जगह पे राजा ही देश चलाते हैं और उन्होंने देखा था कि ईरान के अंदर कैसे राजा और यूएस जो कि सुपर पावर था कुछ नहीं कर पाए थे अब इराक जो था वो बिल्कुल बगल में था ईरान के इस चीज का इराक को ज्यादा डर था तो सद्दाम हुसैन ने ईरान के ऊपर हमला करने का सोचा और इसके पीछे कई सारे रीजन थे पहला यह था कि ईरान के बॉर्डर से इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड जो थे उनके प्रॉक्सी घुस रहे थे इराक में राजशाही के खिलाफ स्पीस दे रहे थे सद्दाम हुसैन ने इराक के अंदर कई सारे ऐसे शिया पॉपुलर लीडर्स थे जिनको मरवा दिया था उसके बारे में बातें बहुत ज्यादा तेजी से चलने लगी थी इसके साथ-साथ और भी बहुत सारे रीजन थे इराक के ईरान के ऊपर हमला करने के पीछे जैसे खुद स्तान के एरिया को लेके ईरान और इराक में डिस्प्यूट थे इस पे इराक कंट्रोल लेना चाहता था यहां बहुत सारी रिसोर्सेस थी और इसके साथ-साथ शत अल अरब वॉटरवे ये दोनों ही देशों के लिए ऑयल एक्सपोर्ट के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट पार्ट था लेकिन इसको भी ईरान ने इराक से प्रेशर बना के आपस में शेयर कर लिया था इराक ने सोचा था कि इस टाइम जब ईरान में मिलिट्री वीक है इसका फायदा उठा के अटैक करना सही रहेगा और ये सारी चीजें जो अनस्टेबल रीजन के अंदर फैली हुई है इसका सलूशन ले लेते हैं लेकिन जैसा सोचा था वैसा होता नहीं है इराक को कुवेत जॉर्डन सऊदी अरेबिया हर कोई सपोर्ट कर रहा था सब चाह रहे थे कि ईरान को हरा दिया जाए लेकिन दूसरी तरफ खुमैनी ने कसम खा रखी थी कि वो तब तक फाइट करना नहीं छोड़ेंगे जब तक वो सुन्नी लीडर सद्दाम हुसैन को हटा नहीं देते ये वर 1980 से 1988 करीब 8 साल तक चलती है लेकिन कोई सलूशन नहीं निकलता है लास्ट में यूएन को इसमें घुसना पड़ता है और फिर जाके सीज फायर होता है अब इसके कुछ टाइम बाद खुमैनी की जो हेल्थ थी वो खराब हो जाती है र्ड ऑफ जून 1989 को हार्ट अटैक की वजह से इनकी डेथ हो जाती है बहुत भीड़ इकट्ठा होती है इनकी फ्यूनरल में 10.2 मिलियन लोग 32 किमी तक इकट्ठे हुए थे इसके नेक्स्ट डे 4थ ऑफ जून 1949 को अगला सुप्रीम लीडर कौन बनेगा इसके लिए तुरंत इलेक्शन होते हैं 74 मेंबर में से 60 वोट्स अली खमनी को मिलते हैं खमनी की स्पेलिंग दोनों में अलग-अलग है तो अली खमनी जो थे वो सुप्रीम लीडर बनते हैं ईरान के अली खमनी अतुल्ला खुमैनी के स्टूडेंट थे और पूरा जो इस्लामिक रेवोल्यूशन हुआ था इसमें अगर टॉप फाइव लीडर की बात करें तो ये उन टॉप फाइव लीडर में से एक थे आज भी ईरान के जो सुप्रीम लीडर हैं वो यही हैं इसके बाद भी आगे चलके मल्टीपल कंफ्लेक्स सैंक्शंस लगे ईरान के ऊपर लेकिन ईरान पीछे नहीं हट रहा था यूएस वेस्ट सऊदी अरेबिया इजराइल सबके गिले की हड्डी बन चुका था ईरान पहली चीज तो किसी भी सिचुएशन में ईरान यूएस से हाथ नहीं मिला सकता था ईरान के अंदर जो सुप्रीम लीडर बने थे वो इस्लामिक रेवोल्यूशन करके सुप्रीम लीडर बने थे और वो जो पूरा इस्लामिक रिवोल्यूशन था उसमें सेंटर ऑफ अट्रैक्शन यूएस ही था लोगों को यही बताया गया था कि यूएस कैसे लूट रहा है और तभी वो रिवोल्यूशन सक्सेसफुल हुआ था और आगे चलके अगर कोई भी सुप्रीम लीडर या फिर ये जो पूरा सिस्टम है अगर जाके यूएस से हाथ मिला लेगा तो बहुत सारी दिक्कतें आ जाएंगी क्योंकि लोगों का ही विश्वास टूट जाएगा कि इन्होंने यूएस के खिलाफ बोल के रिवोल्यूशन किया और फिर जाके यूएस से ही मिल गए तो यूएस और ईरान का मिलना बहुत मुश्किल है और ऐसा भी नहीं है कि ईरान चाह लेगा तो यूएस मिल जाएगा यूएस भी उस चीज को भूला नहीं है यूएस खुलेआम बोलता है कि ये जो इस्लामिक रेवोल्यूशन हुआ था ये एक स्टेट स्पंस आतंकवाद है इसमें सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाया गया इनफैक्ट 1984 में यूएस के प्रेसिडेंट रोनाल्ड रेगन ने ईरान की इस्लामिक रिपब्लिक को स्टेट स्पंस आतंकवाद डिक्लेयर कर दिया था और आज की डेट तक यूएस इस बात से पीछे नहीं हटा है लेकिन बात यहां पे भी खत्म नहीं होती है यूएस की जो प्रॉब्लम है मिडिल ईस्ट के अंदर वो कुछ और भी है अगर मैं आपसे पूछूं कि पूरी दुनिया के टॉप फाइव या फिर टॉप 10 ऑयल रिजर्व जो है वो किस कंट्री के पास है तो टॉप फाइव में तीन कंट्रीज ईरान इराक सऊदी अरेबिया ये मिड मिडल ईस्ट हैं ये मैप में अगर आप देखिए इतना छोटा सा जो एरिया है लेकिन पूरे वर्ल्ड का जो ऑयल है वो कंट्रोल होता है यहां से और अगर मैं आपसे वर्ल्ड की टॉप न्यूक्लियर वॉर हेड जो कंट्रीज हैं उनके बारे में पूछूं वो टॉप पे कौन से हैं तो यूएस रशिया यूके फ्रांस चाइना इंडिया पाकिस्तान सबके नाम मिलेंगे आपको लेकिन आपको एक भी मिडिल ईस्ट की ऑयल प्रोड्यूस कंट्री का नाम नहीं मिलेगा आपको न्यूक्लियर वॉर हेड की लिस्ट में और होंगे भी नहीं ये कभी जिंदगी में नहीं होने देंगे अब आप इस पे कहोगे कि ईरान तो बना रहा है ईरान बनाने वाला है तो हां देखिए ईरान के बनने की पॉसिबिलिटी है लेकिन उसके पीछे भी काफी गेम चल रहे हैं अभी देखिए जब तक मिडिल ईस्ट में अकेले सिर्फ और सिर्फ अकेले इजराइल के पास न्यूक्लियर रहेंगे तब तक इजराइल डोमिनेट करेगा और जब तक इजराइल डोमिनेट करेगा तब तक मिडिल ईस्ट के ऊपर यूएस अपनी मनमानी करेगा यूएस का कंट्रोल रहेगा और चाइना और रशिया जो है वो बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि यूएस अपनी चलाए तो धीरे-धीरे ईरान को सपोर्ट कर रहे हैं कि ईरान और स्ट्रांग हो और ईरान स्ट्रांग होगा सिर्फ और सिर्फ न्यूक्लियर से एक न्यूक्लियर डेटर हैंस के बारे में आपने सुना होगा इसकी वजह से दो न्यूक्लियर कंट्रीज जो हैं वो आपस में नहीं लड़ पाती हैं अ बीच बचाव हो जाता है आप सोच के देखिएगा कि कोई दो न्यूक्लियर कंट्री और वो आपस में लड़ गई हो नहीं लड़ने दिया जाता है अभी इजराइल की मैं बात करूं तो ईरान को कितना भी जाके मार ले या फिर पैलिनती दुनिया लड़ाई होने नहीं देगी इसको तो ईरान को न्यूक्लियर देके इस पूरे रीजन में पावर को बैलेंस करने की कोशिश की जा रही है जैसे यूएस के अगेंस्ट में जो कंट्रीज हैं वो नहीं चाहती कि अकेला यूएस यहां पे राज करे इसलिए वो चाहती हैं कि ईरान न्यूक्लियर पावर बन जाए उससे पावर बै ए सो जैसे जब इंडिया न्यूक्लियर पावर बन गया था तो पाकिस्तान को भी बहुत कंट्रीज ने हेल्प करी थी न्यूक्लियर बनाने के लिए ईरान का जो न्यूक्लियर पूरा प्रोग्राम है वो भी बड़ी कॉम्प्लिकेटेड स्टेट में है देखिए न्यूक्लियर वेपन बनाने के लिए एक अलग यूरेनियम चाहिए होता है यूरेनियम 235 आइसोटोप ये यूज होता है लेकिन मैक्सिमम जो नेचुरल यूरेनियम मिलता है वो मिलता है यूरेनियम 238 अब इस यूरेनियम 238 को एनरिच करके यूरेनियम 2335 बनाया जाता है तो ये जो पूरा बनाया जाता है इस पूरे प्रोसेस को ही कहा जाता है यूरेनियम एनरिचमेंट न्यूज़ में आपने बहुत वर्ड सुना होगा तो ईरान जो है वो यूरेनियम का एनरिचमेंट कर रहा है अभी आज की डेट तक 60 पर यूरेनियम ईरान ने एनरिचमेंट कर लिया है और वेपन बनाने के लिए जो यूज़ होता है वो 90 पर चाहिए होता है तो सारा गेम इसी एनरिचमेंट का है फिर आगे चलके जो वेपन की टेक्नोलॉजी होती है वो बन जाती है लेकिन मेन गेम इसी चीज का है जैसे मैं आपको अभी ये बता रहा हूं नेतनयाहू जो हैं इजराइल के पीएम उन्होंने यूएन में ऐसे ही करके समझाया था कि ईरान कहां तक पहुंच चुका है यूरेनियम एनरिचमेंट में लेकिन होता क्या है कि ईरान जैसे-जैसे आगे पहुंचता है उसको पीछे कर दिया जाता है इस पूरे प्रोग्राम में जितने भी ईरान के साइंटिस्ट हैं उनको कोई अननोन लोग जो हैं वो आके मार जाते हैं और प्रोग्राम वहीं पर रुक जाता है या फिर पीछे हो जाता है और ईरान के लिए यूरेनियम एनरिचमेंट जो है सिर्फ यही एक इशू नहीं है पैसा भी बहुत बड़ी दिक्कत है इसके लिए बहुत ज्यादा पैसा चाहिए होता है यूएस ने हर तरीके से सैंक्शन लगा रखा है ईरान के ऊपर तो ईरान के पास पैसे की भी बहुत दिक्कत है और न्यूक्लियर पावर बनने के लिए बहुत सारा पैसा चाहिए होता है अगर मैं यूएस की बात करूं तो ईयर 1996 तक यूएस ने 773 बिलियन डॉलर लगाए थे उसको बनाने में और जबकि वो बहुत छोटा था और 6.1 ट्रिलियन डॉलर उसको डेप्लॉय करने में लगाए थे डेप्लॉयमेंट में ज्यादा पैसा लगता है एक अटॉमिक ऑडिट इस नाम से आपको एक फाइल मिल जाएगी इंटरनेट पे उसमें ये सारी चीजें मेंशन है तो ईरान के सामने पैसे की भी दिक्कत है और इसके साथ-साथ इजराइल और सऊदी अरेबिया ये भी बहुत बड़ा चैलेंज है ईरान के लिए ये दोनों नहीं चाहते कि ईरान वहां पे स्ट्रांग बने और ईरान और सऊदी जो है वो जो इस्लामिक रिवोल्यूशन हुआ था उससे पहले तो दोस्त थे लेकिन उसके बाद से उनमें बहुत बड़ी राइवल हो गई है ईरान जो है वो मिडिल ईस्ट की सबसे पुरानी कंट्री है इसका बहुत लंबा इतिहास है वहीं सऊदी अरेबिया की बात करें तो वह सिर्फ अभी 1932 में बनी है और बनते ही वह पूरे मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर बन गया है होली प्लेसेस जो हैं वह भी सऊदी में है और वहीं ईरान इतना पुराना होके मिडिल ईस्ट के अंदर उसके पास जमीन भी कम है सऊदी अरेबिया के कंपैरेटिव और वो लीडर भी नहीं है ईरान की बात करें तो 1.64 मिलियन स्क्वायर किमी एरिया है ईरान के पास जिसमें 8.7 करोड़ ईरान की पापुलेशन रहती है वहीं सऊदी अरेबिया जो सिर्फ 1932 में बना था उसके पास 2 मिलियन स्क्वायर किमी का एरिया है और जिसमें सिर्फ 3.6 करोड़ पॉपुलेशन रहती है उसकी तो पहली चीज तो ये जो डिफरेंस है ये ईरान को कम पसंद है दूसरा ईरान का मानना है कि वो एक इस्लामिक देश है उसको लीडर होना चाहिए जो मुस्लिम उम्माह है उसका लीडर उसको होना चाहिए लेकिन उसकी बजाय सऊदी जो है वो लीडर है तो ईरान जो है वो यही प्रोजेक्ट करने की कोशिश करता है कि जो सऊदी है वो तो यूएस की गोद में बैठा है यूएस का सपोर्टर है यूएस के जो बेसेस हैं वो सऊदी के अंदर हैं वहीं ईरान हम हम एक इस्लामिक देश हैं हम जो पूरा मुस्लिम उम्मा है उसके सपोर्ट में और यह सब करके वो एक लीडर बनना चाहता है मिडिल ईस्ट के अंदर और इन्हीं सब बातों को लेके सऊदी अरेबिया और ईरान के बीच में बहुत बड़ी दुश्मनी हो गई है आप मिडिल ईस्ट का कोई भी कंफ्लेक्स अरेबिया है और जो ईरान है ये दोनों अपने-अपने इंटरेस्ट देख के एकदम अगेंस्ट में खड़े रहते हैं जैसे मैं आपको एग्जांपल समझाऊं जैसे बहराइन है इसमें जब कंफ्लेक्स मेंट ग्रुप जो थे उनको सपोर्ट किया लेकिन सऊदी ने बहराइन के जो राजशाही थी उसको सपोर्ट किया ऐसे ही लेबनान में ईरान ने शिया लेड जो हिज्बुल्लाह था उसको सपोर्ट किया वहीं सऊदी अरेबिया ने लेबनान की गवर्नमेंट को सपोर्ट किया ऐसे ही यमन की बात करें तो ईरान शिया लेड हाउती रिबेल्स जो हैं उनको सपोर्ट करता है वहीं सऊदी जो है वो यमन की गवर्नमेंट को सपोर्ट करता है सुन्नी पॉपुलेशन को सपोर्ट करता है अभी 2016 में ही सऊदी के अंदर एक शिया रिलीजियस फिगर थे निम्र अल निम्र इन्होंने प्रोटेस्ट किया सऊदी के अंदर कि ये राजशाही नीचे होनी चाहिए और सऊदी अरेबिया के अंदर इलेक्शन होने चाहिए तो सऊदी अरेबिया ने इसमें ईरान का हाथ बता के निम्र अल निम्र जो थे उनको मौत की सजा सुना दी थोड़ा सा भी रिस्क सऊदी नहीं लेता सिर्फ सऊदी ही नहीं पूरे मुस्लिम वर्ल्ड ने देखा है कि ईरान के अंदर सिर्फ एक साल के अंदर यूएस और राजा इतने पावरफुल हो भी घुटनों पे आ गए थे तो वो बिल्कुल भी रिस्क नहीं लेना चाहते और ईरान ने भी अपने कई सारे स्टंस चेंज किए हैं अलग-अलग स्ट्रेटजीजर हैं इस पूरे मिडिल ईस्ट का लीडर बनने के लिए जैसे पहले वो खाली शिया की बात करता था आज की डेट में वो शिया और सुन्नी दोनों की बात करता है क्योंकि उसको समझ में आ गया है कि जब भी शिया और सुन्नी का डिवाइड होता है तो उसको नुकसान होता है ईरान बिना शिया और सुन्नी दोनों के सपोर्ट के मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर नहीं बन सकता है जैसे मैं आपको हमास का एग्जांपल बताऊं हमास एक सुन्नी लेड ग्रुप है और हमास पे एलिगेशन भी लगते रहे हैं कि जो गाज के अंदर शिया माइनॉरिटी है उसका एक्सप्लोइट करते हैं लोग लेकिन उसके बाद भी हमास को सपोर्ट करता है ईरान अपने इंटरेस्ट पूरे करने के लिए पैलिनती भी बाकी ग्रुप हैं वो नेशनलिज्म की बात करेंगे अरब वर्ड के सपोर्ट में रहते हैं लेकिन हमास जो है वो इजराइल के अगेंस्ट में रहता है और इसलिए हमास और ईरान की बहुत अच्छे से पड़ती है और किसी भी सिचुएशन में ईरान को इजराइल के अगेंस्ट में खड़ा रहना ही होगा क्योंकि यहां से ही उसके इंटरेस्ट पूरे होंगे एक तो जेरूसलम जो है वहां पे रिलीजस डिस्प्यूट है और अगर ईरान मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर बनने की बात करता है और रिलीजस डिस्प्यूट में मुस्लिम के साथ नहीं खड़ा रहेगा तो वो बन नहीं पाएगा दूसरा इजराइल जो है वो एक जूस देश है पले पन जो है वो एक मुस्लिम देश है पैलिस्सरी वर्ल्ड के जो मुस्लिम हैं उनके लिए बहुत बड़ा कॉज है ईरान इस मुस्लिम वर्ल्ड के बहुत बड़े कॉज को अगर किस तरीके से पूरा कर देता है तो मुस्लिम वर्ल्ड में बहुत बड़ा बन के निकलेगा और इन केस अगर नहीं भी कर पाता है स्ट्रगल भी करता है अपनी प्रॉक्सीस के थ्रू तो भी उसको फायदा है क्योंकि मुस्लिम वर्ल्ड में ये मैसेज जाएगा कि सऊदी जो इतना स्ट्रांग है वो यूएस की गोद में जाके बैठा है वहीं ईरान जो है जो कि वीक है उसके बाद भी वो स्ट्रगल कर रहा है वो अपनी इकॉनमी की नहीं सोच रहा है उसके बाद भी लड़ रहा है वो और अभी करंट सिचुएशन की बात करूं तो ईरान डायरेक्ट नहीं नहीं लड़ सकता चाहे वो यूएस हो या इजराइल हो किसी के भी सामने इजराइल की जो मिलिट्री पावर है वो वीक है खाली मैं ईरान के एयर अटैक की बात करूं तो इजराइल से बहुत पीछे है यूएसए तो बहुत ही ज्यादा पीछे लेकिन 1979 के इस्लामिक रेवोल्यूशन जब हुआ था उस टाइम भी ईरान के पास इतनी बड़ी मिलिट्री पावर नहीं थी खुमैनी उसके बाद भी जीते थे ईरान के अंदर इस्लामिक रिवोल्यूशन आया था ईरान ये जो तीज हिज्बुल्लाह हमास इनके साथ मिलके जो प्रॉक्सी वॉर कर रहा है यूएस और इजराइल दोनों के लिए सरदर्द बना हुआ है ईरान के जो इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स हैं उसकी जो पांच ब्रांचेस हैं उसमें से एक कुद्स फोर्स है जो इंटेलिजेंस और उनका फुल टाइम जॉब है हिज्बुल्लाह हमास ऐसी जो प्रॉक्सीस हैं इनको हथियार वगैरह देना और इनको सपोर्ट करना ये जो इमेज में रेड में आप देख रहे हैं ये सब ईरान की प्रॉक्सीस है जो इजराइल और यूएस के अगेंस्ट में खड़ी होती है ये जो आप देख रहे हैं इमेज में ये इतने अटैक कर चुके हैं 2018 से और अगर ये हमास हिज्बुल्लाह हाउती ये आगे चलके अपनी कंट्रीज के अगर लीडर बनेंगे तो सबसे बड़ा जो फायदा होगा वो ईरान का होगा और ईरान का जो इंटरेस्ट है वो पूरा हो जाएगा तो ईरान इन सारी चीजों को एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की तरह से देख रहा है अभी वह सैंक्शंस वगैरह जो है व उसके ऊपर लग चुके हैं इकोनॉमी उसकी चली गई है लेकिन लॉन्ग रन में जो वह सोच रहा है जिसको लेके वह आगे बढ़ रहा है प्रॉक्सीस को सपोर्ट कर रहा है अगर 72 80 पर भी पूरा होता है तो ईरान जो चाहता है वह हो जाएगा लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि मार्केट वल्व पप का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है एक बार डाउनलोड करके जरूर यूज करिएगा थैंक [संगीत] यू [संगीत] xtfUT3YRPFo,Why US Dollar is used as International currency? | Nitish Rajput | Hindi,2023-12-17T16:05:24Z,PT34M25S,2671594,78587,4387,https://www.youtube.com/watch?v=xtfUT3YRPFo,, कि डॉलर के अगेंस्ट खड़े होने का मतलब है कि सीधे-सीधे यूएस के अगेंस्ट खड़ा होना एक सुपर पावर और एक न्यूक्लियर पावर के अगेंस्ट में खड़ा होना सद्दाम हुसैन ने मना कर दिया था डॉलर का यूज करने के लिए अमेरिका के इस स्टेप से सऊदी का बहुत बड़ा जैकपॉट लग लेकिन इसके चलते सद्दाम हुसैन को ओवरथ्रो किया गया और फांसी दी गई यूएस ने पूरे ईरान पे इतने सैंक्शन लगाए ये प्लान भी उसी समय रुक गया लेकिन इनकी कंट्री में सिविल वॉर स्टार्ट कराई गई और गद्दाफी जो था उसको ओवरथ्रो कर दिया गया और यहां से यूएस की मनमानी स्टार्ट होती है क्योंकि इससे सिर्फ रशिया के ऊपर ही सं नहीं लगे बाकी सबका भी बहुत नुकसान हुआ और और यही रीजन है जिसकी वजह से कोई भी यूएस से पंगा लेने से 10 बार सोचता है देखिए दुनिया के अंदर इतनी बड़ी-बड़ी सुपर पावर है लेकिन सबकी करेंसी छोड़ के डॉलर को ही क्यों ग्लोबल करेंसी बनाया गया ऐसी क्या मजबूरी थी बाकी देशों की कि यूएस डॉलर को ही ग्लोबल करेंसी मजबूरन बनाना पड़ा चाहे कितनी बड़ी सुपर पावर क्यों ना हो रशिया ही क्यों ना हो यूएस अगर सैंक्शन लगा देता है तो रातों-रात उस देश की इकोनॉमी जमीन पे क्यों आके खड़ी हो जाती है और खाली यूएस के सैंक्शंस की ही क्यों बात होती है ये जो बाकी देश हैं नेपाल श्रीलंका साउथ अफ्रीका बाकी देश अगर सैंक्शन लगाए तो उसकी बात क्यों नहीं होती उससे फर्क क्यों नहीं पड़ता यूएस ये जो डॉलर है इसको एक तरह से वेपनाइज्ड में जो रखता है इसके पीछे असली रीजन क्या है और ये सारी चीजें मैं आपको समझा रहा हूं यूएस डॉलर की जो इकोनॉमिक्स है जो पूरे वर्ल्ड के अंदर चल रही है उसको समझे बिना जिओ पॉलिटिक्स की अंडरस्टैंडिंग आना बहुत ही मुश्किल है लेकिन एक बार ये चीज अगर समझ में आ जाती है तो सिर्फ दो देशों का ट्रेड देख के आप बता दोगे कि इनके रिलेशन कैसे हैं तो इस वीडियो के अंदर सारी चीजें एकदम ही सिंपल लैंग्वेज में आज हम डिस्कस करेंगे तो देखिए आज से हजारों साल पहले का टाइम था और उस टाइम पे करेंसी जो थी वो नहीं होती थी उस टाइम पे लोग बाटर सिस्टम करते थे मतलब कि किसी के पास अगर टमाटर है उसको चावल की जरूरत है तो उसने जिसके पास चावल है उसको टमाटर देके चावल ले लिया इसी तरीके से अपनी जरूरत के हिसाब से लोग गुड्स और सर्विसेस एक्सचेंज करते थे उस टाइम पे तो अब होता क्या है कि ये जो तरीका ये लोग यूज़ कर रहे थे बटर सिस्टम वाला इसमें छोटे अमाउंट पे लेनदेन करना तो ठीक था लेकिन जब बड़े अमाउंट में डील करना होता था तो दिक्कत आती ये जो टमाटर है चावल है ये सारी चीज चीजें हैं तो ये कुछ टाइम के बाद खराब हो जाती थी तो लोगों के पास बड़े और लॉन्ग टर्म के लिए ट्रेड करने में बहुत ज्यादा दिक्कत आती थी लेकिन इसके कुछ टाइम बाद लोगों ने इसका भी सलूशन निकाला उन्होंने ऐसी चीज में डील करना चालू किया जो खराब ना हो जैसे वैल्युएबल मेटल्स गोल्ड सिल्वर कॉपर इसमें ट्रेड करना स्टार्ट किया तो इसके बाद होने क्या लगा कि आप इसको संभाल के रख लो और जितना मर्जी टाइम तक के लिए रखो ये खराब तो होगा नहीं तो लोग इसको संभाल के रखते थे और अपनी जरूरत के हिसाब से जिस चीज की जरूरत होती थी इसको देके उसकी जगह वो चीज ले लेते थे और इसमें लीडिया ने क्या किया कि इसने गोल्ड सिल्वर इन सब के कइ बना दिए ताकि लोग आसानी से ट्रेड कर सके तो ये जो स्टेप लिया लीडिया ने इसके बाद सोने चांदी इनके जो सिक्के होते थे ये चलन में आने लगे अब यहां तक तो ठीक था लेकिन इसमें भी कुछ दिक्कतें थी जैसे जब लोग ट्रेवल करते थे और लॉन्ग रूट पे ट्रेवल करते थे और बहुत बड़ा ट्रेड करना होता था तो ये जो गोल्ड सिल्वर है ये काफी भारी होते थे इनको मैनेज करना रास्ते में चोरी से बचा के रखना और अच्छे से ट्रांसपोर्ट करना इसमें दिक्कत आती थी तो टाइम के साथ-साथ ये जो दिक्कत थी इसका भी लोगों ने सलूशन निकालना चालू किया मान लो किसी को दिल्ली से मुंबई जाना है गोल्ड लेके तो दिल्ली के अंदर कोई व्यापारी है उसको ढूंढ लेते थे लोग और उससे कहते थे कि देखो हमें इतना सारा सोना लेके ट्रेवल नहीं करना है आप ये हमारा गोल्ड जो है ये अपने पास रख लो जब हम मुंबई पहुंच जाएंगे तो आप मुंबई में आपके जो जानने वाले व्यापारी हैं उसको बोल देना वो हमें वहां पे पहुंचने पे सेम अमाउंट का गोल्ड वहां पे दे देगा और आपका जो बनेगा वो आप ले लेना तो ऐसे केस में क्या होता था कि दिल्ली के अंदर जो व्यापारी था वो सोना रख के एक पेपर पे मोहर और साइन करके आपको दे देता था फिर आप वो पेपर लेके मुंबई पहुंचते थे और मुंबई पहुंचने के बाद वो जो पेपर था जिस पे स्टैंप और साइन लगा के उस व्यापारी ने दिया था वो आप मुंबई के व्यापारी को दिखाओ और वहां से सोना ले लो रास्ते की जो गोल्ड की और सिल्वर की चिंता करनी होती थी वो इससे खत्म हो जाती थी आजकल का जो आपने हवाला का काम सुना होगा वो भी इसी पुराने सिस्टम पे बेस्ड है और ये जो साइन और स्टैंप लग के पेपर मिलता था गोल्ड के बदले आगे चलके यही करेंसी बनता है ये जो आज भी आप नोट पे लिखा हुआ देखते हो कि मैं धारक को इतना रुपए देने का वचन देता हूं ये यही तो है अब इसमें आपका एक क्वेश्चन हो सकता है कि आज की डेट में अगर 500 का नोट है तो उसको गोल्ड में तो कन्वर्ट कर नहीं सकते खरीद सकते हैं जाके जो भी रेट चल रहा होगा लेकिन वो कन्वर्टेबल्स सी चीजें समझ में आ जाएंगी कि ऐ ऐसा क्यों हुआ तो देखिए उस पर्टिकुलर टाइम पे इस तरीके से लोग ट्रेड तो कर रहे थे लेकिन ये जो पूरा सिस्टम था ये अनऑथराइजडली इसने चाइना की अथॉरिटी के साथ मिलके एक ऑर्गेनाइज तरीके से इस पूरे सिस्टम को इंप्लीमेंट किया इसने क्या किया इसने चाइना के अंदर इसी काम के लिए बैंक बना दिए चाइना के अंदर लोग बैंक के अंदर जाते थे अपना गोल्ड जमा करते थे और उसके बदले एक बैंक नोट ले आते थे तो जब ये होने लगा तो जो लोग ट्रेड करते थे उनकी टेंशन दूर हो गई थी उनको अब सोना ले लेक घूमने की जरूरत नहीं थी उनको पता था कि उनके पास बैंक का नोट है जब भी वो चाहेंगे बैंक में जाके सोना अपना ले लेंगे उनको बस बैंक नोट के अंदर ट्रेड करना होता था तो देखिए उस टाइम पे इस तरीके का जो ट्रेड था वो स्टार्ट हो गया था ये वो नोट है जो उस टाइम पे यूज होता था अब इसके बाद 13 सेंचुरी के करीब यूरोप से मार्को पोलो चाइना पहुंचते हैं और वहां पे ये जो पूरा सिस्टम चल रहा था नोट वाला इसको देख के काफी इंप्रेस होते हैं वहां पे यूरोप में आते हैं और यूरोप के अंदर भी यही पेपर वाला सिस्टम इंप्लीमेंट कर देते हैं अब पूरे यूरोप के अंदर भी लोग पेपर जिसको करेंसी बोला गया इसमें ट्रेड करने लगे धीरे-धीरे बाकी जगह भी पेपर करेंसी का यूज़ होने लगा लोग अपना गोल्ड सिल्वर ये सारा बैंक में रख के टेंशन फ्री होके पेपर करेंसी के थ्रू ट्रेड कर रहे थे और यूरोप जो था यूरोप के अंदर इन्होंने अपनी करेंसी को नाम दिया था पाउंड स्टर्लिंग इसमें हर चीज प्री डिफाइन कर दी गई थी कि एक स्टर्लिंग है तो उसके बदले में कितना गोल्ड मिलेगा जैसे उस टाइम की बात करूं तो मैं एक स्टर्लिंग में करीब 7.3 ग्रा गोल्ड मिल रहा था मतलब कि अगर आपकी जेब में 150 पाउंड स्टर्लिंग है तो करीब 1 केजी से ज्यादा सोना लेके आप घूम रहे हो अपनी जेब में वो भी बिल्कुल टेंशन फ्री ये ईयर वाइज पूरा चार्ट है कि स्टर्लिंग किस ईयर में कितना गोल्ड और सिल्वर देता था तो इसी तरीके से बाकी जो कंट्रीज थी उन्होंने भी अपना सिस्टम अपने देश के अंदर बना रखा था अब देश के अंदर तो ट्रेड हो रहा था लेकिन जो कंट्रीज थी वो आपस में ट्रेड नहीं कर रही थी तो इस चीज को इंटरनेशनली भी लाया गया एक कंट्री जब दूसरी कंट्री से ट्रेड कर रही थी तो वहां पे भी इसी पेपर करेंसी का यूज़ किया गया देश अपने-अपने नोट और करेंसी लेके इंटरनेशनल लेवल पे ट्रेड करने लगे जैसे चाइना वाले अपना युआन देके यूरोप से सामान मंगा लेते थे और यूरोप वाले अपना पाउंड स्टर्लिंग देके चाइना से सामान मंगा लेते थे और किसी भी देश को कोई टेंशन नहीं रहती थी क्योंकि पेपर करेंसी में जो ये ट्रेड करते थे आपस में एट दी एंड इनको उसके बदले में गोल्ड मिल जाता था और ये जो ट्रेड का पूरा सिस्टम बना इस चीज से इतनी ज्यादा आसानी हुई कि पूरे वर्ल्ड का ट्रेड बहुत तेजी से बढ़ गया तो बेसिकली सारा जो ट्रेड हो रहा था नेशनल ट्रेड और इंटरनेशनल ट्रेड वो हो गोल्ड में ही रहा था लेकिन एक पीस ऑफ पेपर उसको रिफ्लेक्ट कर रहा था जिसको करेंसी नाम दे दिया गया था लेकिन कोई भी कंट्री हो उतनी ही करेंसी प्रिंट कर सकती थी जितना उसके पास गोल्ड था जिसको द गोल्ड स्टैंडर्ड बोला गया तो कहने का मतलब ये है कि अगर आपको अपनी कंट्री में ज्यादा चीजें बाहर से खरीद के लानी है तो आपके पास करेंसी होनी चाहिए और करेंसी आप उतनी छाप सकते हो जितना आपके पास गोल्ड है तो जिस कंट्री के पास ज्यादा गोल्ड उस कंट्री के पास ज्यादा रिसोर्सेस तो इसको अगर आप उल्टा भी करो तो जो कंट्री ज्यादा गुड्स एंड रिसोर्सेस प्रोड्यूस करेगी उसके पास ज्यादा करेंसी आएगी मतलब कि ज्यादा गोल्ड होगा उस कंट्री के पास अब इसके बाद 19 सेंचुरी के स्टार्टिंग में में यूके जो था वो सबसे ज्यादा रिसोर्सेस प्रोड्यूस कर रहा था और दुनिया को अलग-अलग चीजें बना बना के भेज रहा था उसके पास ज्यादा करेंसी यानी कि ज्यादा गोल्ड इकट्ठा हो गया था यूके के जो गोल्ड के भंडार थे वो बहुत बढ़ने लगे थे और यूके की जो करेंसी थी स्टर्लिंग वो बाकी कंट्रीज के कंपैरेटिव ज्यादा बड़ी बनने लगी थी और पूरे वर्ल्ड में सबसे ज्यादा पाउंड स्टर्लिंग घूमने लगा था लोग इसमें सबसे ज्यादा ट्रेड करने लगे थे जैसे आज की डेट में यूएस डॉलर है उस टाइम पे पाउंड स्टर्लिंग इतना चलता था पूरी दुनिया के देश जितना मिलके ट्रेड करते थे उसमें से 60 पर ट्रेड जो था वो पाउंड स्टर्लिंग में होता था और कुछ कंट्रीज ने तो गोल्ड को संभाल के रखने की बजाय पाउंड स्टर्लिंग जो था वो संभाल के रखने लगे क्योंकि गोल्ड के कंपैरेटिव जो पेपर करेंसी थी उसको संभाल के रखना उसका रिजर्व बनाना उसमें ज्यादा आसानी होती थी और इसके बाद ईयर स्टार्ट होता है 1913 ये वो टाइम था जब सारे समीकरण चेंज होने लगते हैं और पिक्चर में आने लगता है यूएस डॉलर और रीजन था इस पर्टिकुलर टाइम पे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर का स्टार्ट होना ये वो टाइम था जब यूके की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है लड़ाई और हथियार के चक्कर में 7.8 बिलियन पाउंड का डेट आ जाता है यूके के ऊपर और ये कोई छोटा अमाउंट नहीं था उस टाइम के हिसाब से से एक काफी बड़ा अमाउंट था जो इनकी पूरी जीडीपी थी उसका 25 इनके ऊपर कर्ज आ गया था गोल्ड रिजर्व एकदम खत्म हो गए थे और जहां ये पूरे वर्ल्ड में बाकी सारी कंट्रीज को रिसोर्सेस सप्लाई कर रहे थे यहां पे उल्टा होने लगा उल्टा इनको कंट्रीज से इंपोर्ट करना पड़ रहा था ये जो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर थी इसमें यूएस शुरू में तो न्यूट्रल रहता था चुपचाप रहता था कंट्रीज जो लड़ रही थी उनको हथियार बना बना के बेच रहा था गोल्ड के रिजर्व बढ़ा रहा था अपना और बाद में भी जब यूएस इस वॉर में घुसता है तो उसने हथियार फूड ग्रेन वगैरह देके बहुत सारे पैसे बनाए इससे यूएस का बहुत ज्यादा फायदा हुआ अब इस वॉर में यूएस पैसा तो बना रहा था लेकिन इस टाइम पे भी यूएस उतना आगे नहीं था क्योंकि यूएस के पास सेंट्रल बैंक वगैरह नहीं थे ट्रेड जो यूएस करता था उस पे भी काफी रिस्ट्रिक्शन थे लेकिन इस वॉर में इसने अपने गोल्ड रिजर्व जो थे उनको भरा और अपनी कंट्री के अंदर सेंट्रल बैंक्स बनवाए कई तरह के फेडरल रिजर्व एक्ट लेके आया ये और अपने आप को पूरे वर्ल्ड की जो इकॉनमी थी उसमें एस्टेब्लिश कर दिया लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी आने वाला टाइम और बढ़िया था यूएस के लिए अब देखिए आज की डेट की बात करें तो यूएस सबसे बड़ा एक्सपोर्टर तो नहीं है इनफैक्ट इंडिया से भी यूएस काफी सर्विसेस आउटसोर्स करता है स्पेशली वहां के टेक सेक्टर में यही रीजन है कि आपने नोटिस किया होगा कि इंडिया के अंदर स्किल टेक्निकल प्रोफेशनल्स की डिमांड विद टाइम और बढ़ती जा रही है और आप भी इस ग्रोइंग फील्ड में अपना करियर बना सकते हैं स्केलर एक बहुत अच्छा ऑनलाइन टेक प्लेटफार्म है जहां आप डेटा साइंस और मशीन लर्निंग की स्किल सीख सकते हैं और यहां पे आपको टॉप इंडस्ट्री एक्सपर्ट से ट्रेनिंग मिलती है एक स्केलर लर्नर ऑन एन एवरेज डेली 3 घंटे तक की लर्निंग करता है और उसे 80 से ज्यादा रियल वर्ल्ड केस स्टडीज का एक्सेस मिलता है जो कि लर्नर को जॉब रेडी बनाता है इसके साथ ही आपको इंटर प्रिपरेशन और प्लेसमेंट असिस्टेंट में भी मदद करते हैं स्केलर के 93.5 पर लर्नर्स ने टॉप कंपनी जैसे google-my स्टैंडर्ड है जिससे लर्नर्स को पूरा फायदा मिल सके तो अगर आपको भी डेटा साइंस और मशीन लर्निंग की फील्ड में हाईली स्किल्ड प्रोफेशनल बनना है तो डिस्क्रिप्शन में दी हुई लिंक को क्लिक करके इनकी फ्री लाइव क्लासेस अटेंड करके अपना डिसीजन ले सकते हो और इसके साथ स्किलर आपको इजी ईएमआई ऑप्शंस भी देता है अप टू टू इयर्स बिना किसी इंटरेस्ट के तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब इसके बाद सेकंड वर्ल्ड वॉर स्टार्ट होती है और इस वॉर में यूएस और हथियार बेचता है और इसकी वजह से यूएस के पास पूरी दुनिया का ज्यादातर गोल्ड इकट्ठा हो गया था ये ग्राफ देखिए उस टाइम का पूरी दुनिया में जितना गोल्ड था उसका 70 पर यूएस के पास आ चुका था 22000 टन गोल्ड जो था वो यूएस के पास था और इन सब का रीजन एक ही था कि इस पर्टिकुलर टाइम पे यूएस ने सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया उसको बहुत ज्यादा मौका मिला एक्सपोर्ट करने का पूरी तरीके से फायदा उठाया यूएस ने इसका और पाउंड स्टर्लिंग जो पूरे वर्ल्ड में रूल कर रहा था अब उसकी जगह पे यूएस डॉलर आके बैठ गया था और जब ये सारी चीजें हो रही थी तो पाउंड स्टर्लिंग को एक और झटका जर्मनी ने भी दिया था जर्मनी ने क्या किया यूके का जो स्टर्लिंग था जिसका बोल बाला था पूरे दुनिया में इसको खत्म करने के लिए जर्मनी ने स्टर्लिंग पाउंड के फेक नोट बना के मार्केट में डालने शुरू कर दिए ताकि सारी कंट्रीज का और लोगों का इस करेंसी से विश्वास हटे और जो रिजर्व वगैरह स्टर्लिंग पाउंड के हैं उसको भी लोग हटा दें जर्मनी उस टाइम पे एक महीने के अंदर 5 लाख फेक नोट प्रोड्यूस करके मार्केट में डाल रहा था इससे यूके जो था उसको बहुत बड़ा नुकसान हुआ उसको कोई सॉल्यूशन नहीं दिख रहा था और ये जो सारी सिचुएशन चल रही थी इसका जो फायदा था वो यूएस डॉलर को मिला और यहां से यूएस की मनमानी स्टार्ट होती है सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म होता है सारे जो देश थे ब्रिटेन जर्मनी सोवियत यूनियन फ्रांस एकदम खत्म हो चुके थे सिर्फ एक यूएस था जो सही कंडीशन में था बाकी सबकी हालत खराब थी सारी दुनिया का जो गोल्ड था वो यूएस के पास आ चुका था पूरे वर्ल्ड का जो फाइनेंशियल सिस्टम था वो पूरी तरीके से कोलैक्स हो चुका था अब यूएस के पास ज्यादा पैसा ज्यादा गोल्ड तो था लेकिन सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद ये जो यूरोपियन देश थे और जो जापान था इसकी कुछ ज्यादा ही हालत खराब हुई थी इनको फूड ग्रेंस और फ्यूल जो था इसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी और ये बाकी देशों से इंपोर्ट करने की कोशिश कर रहे थे अब इनके पास करेंसी तो थी नहीं ना तो गोल्ड था और यूएस को डर था कि बाटर सिस्टम फिर से ना स्टार्ट कर दें उससे पूरे वर्ल्ड का जो फाइनेंशियल सिस्टम है वो खराब हो जाएगा और यूएस डॉलर का जो एडवांटेज है जो वो लीड कर रहा है वो खत्म हो जाएगा तो इन सब चीजों से निपटने के लिए ईयर 1944 में यूएस के अंदर ब्रेटन वुड्स न्यू हैम शेयर के माउंट वाशिंगटन होटल में 44 कंट्रीज के 700 रिप्रेजेंटेटिव्स इकट्ठे होते हैं इस प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढने के लिए और इस पूरी मीटिंग का बस एक ही मकसद था कि एक नया फाइनेंशियल सिस्टम बने जिससे ये जो सिचुएशन है वो सुधर सके अब इस मीटिंग में यूएस कहता है कि ये जो फाइनेंशियल प्रॉब्लम खड़ी हुई है पूरे वर्ल्ड में ना तो ट्रेड हो पा रहा है सबकी जो इकॉनमी है वो एकदम कोलैक्स हो चुकी है गोल्ड जो है वो बाकी कंट्रीज के पास बिल्कुल उसकी शॉर्टेज आ चुकी है तो इसका एक ही सॉल्यूशन है कि आप सब लोग एक काम करो आप अपनी सारी डील्स जो हैं वो खुद की करेंसी की बजाय यूएस डॉलर में करो और हम प्लेज लेते हैं और गारंटी देते हैं कि 1 ंस गोल्ड यानी कि 28.3 ग्रा गोल्ड इसके बदले हम $35 देंगे मतलब कि पूरी दुनिया से कोई भी कभी भी $35 देके एक आंस गोल्ड ले सकता है हमारे पास इनफ गोल्ड है मतलब कि पहले जो कंट्रीज अपनी करेंसी को गोल्ड से बैक करती थी वो अब यूएस डॉलर से बैक करें और यूएस डॉलर जो है वो गोल्ड से बैक होगा और दूसरी चीज इस मीटिंग में यूएस और बाकी सारे देशों ने मिलके यह करी वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ इंटरनेशनल मॉनेटरी री फंड यह बनाए और कहा कि जो देश वॉर में बर्बाद हो चुके हैं वो अपने आप को दोबारा से खड़ा करें उसके लिए आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक लोन देंगे लेकिन इसमें भी इन्होंने यह कहा कि लोन मिलेगा वो डॉलर में मिलेगा और जब वापस करना होगा तो वो भी डॉलर में वापस करना होगा और यही नहीं यूएस ने एक प्लान बनाया जिसको मार्शल प्लान बोला गया इसमें यूएस ने क्या किया यूरोप के देशों को रिकंस्ट्रक्ट करने के लिए यूएस ने यूएस डॉलर में 13.3 बिलियन डॉलर दिए अगर आज की डेट में उसको आप कंपेयर करोगे तो करीब $3 बिलियन लोन दिया था और ये लोन देने के बाद यूएस ने कहा कि आपके पास अब डॉलर हो गए हैं पैसा हो गया है इस डॉलर को आप हमसे ही रिसोर्सेस खरीद के आपके जो देश हैं उसको रिकंस्ट्रक्ट करो उसको दोबारा से खड़ा करो ये जो आप देख रहे हैं ये इतना लोन दिया गया था डॉलर में आज की डेट में भी आप न्यूज़ में पढ़ते होंगे कंट्री इशू बॉन्ड्स डिनॉमिनेटेड इन यूएस डॉलर टू बी रिपेड इन 10 इयर्स मतलब कि डॉलर में लिया है लोन तो आपको डॉलर में ही देना होगा और इतने टाइम में देना होगा यूएस ने शॉर्ट टर्म नहीं सोचा यूएस ने लॉन्ग टर्म सोचा उसको पता था कि लोन की तो सारे देशों को जरूरत है ये लोन तो लेंगे और यूएस बहुत ज्यादा डेस्प्रिंग इस मौके का फायदा उठाने के लिए पूरे वर्ल्ड में यूएस जो है वो यूएस डॉलर चलाना चाहता था वर्ल्ड का जो पूरा फाइनेंशियल सिस्टम था उसके अंदर यूएस डॉलर उसके अलावा कोई और करेंसी नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ यूएस डॉलर को ही सर्कुलेट करना चाहता था क्योंकि इसके बहुत ज्यादा फायदे थे और क्या फायदे थे वो अभी आगे आपको पता चलेंगे अब आप यहां पे एक चीज कह सकते हो कि जो सारी कंट्रीज थी यूएस के अलावा ये इतनी बेवकूफ थी या इतनी आसानी से मान जा रही थी ये भी तोय हो सकता था कि ये धीरे-धीरे करके अपने आप को रिबिल्ड करती और जो गोल्ड है वो तो प्रोड्यूस भी होता है तो उसको इकट्ठा करके अपने देश को धीरे-धीरे करके बढ़ा लेती वो यूएस की बातें मान क्यों नहीं थी तो देखिए गोल्ड जो था वो पूरे वर्ल्ड में मेजर्ली दो जगह पे प्रोड्यूस होता था एक साउथ अफ्रीका दूसरा सोवियत यूनियन और ये जो दो देश थे गोल्ड प्रोड्यूस करने वाले इनके बाकी जो यूरोपियन देश थे उनसे बहुत ही खराब रिलेशन थे यूरोपियन देश ये नहीं चाहते थे कि ये गोल्ड प्रोड्यूस करें और हम इनसे फिर खरीदें और इनका फायदा हो इसलिए उन्होंने यूएस ने जो कहा जो लोन के तरीके बताए वो चुपचाप एक्सेप्ट कर लिए और ये बात सच भी है कि यूएस ने यूरोप को रिबिल्ड करने में काफी मदद की है इसलिए आप देखोगे आज की डेट तक इनके जो रिलेशन है वो का काफी अच्छे रहे और मान लो अगर बाकी जो देश थे अगर वो चाहते भी कि यूएस जो कह रहा है उसको ना माने तो उनके पास भी कोई खास ऑप्शन थे नहीं मैं कहना क्या चाह रहा हूं इसको एक एग्जांपल समझाता हूं मान लो जापान जो है उसको ग्रेन की बहुत ज्यादा जरूरत है उसने श्रीलंका से बात की और उनसे कहा कि आप हमें ग्रेन दे दो अब जापान जो है वो श्रीलंका से ग्रेन लेने के बाद उसकी अपनी करेंसी जो येन है उसमें पैसे दे उसको तो वो जो पैसा है जो जापान अपनी करेंसी दे रहा है श्रीलंका उसका करेगा क्या क्योंकि बाकी जो कंट्री हैं वो इस जापान की करेंसी को नहीं लेंगी लेकिन हां अगर इसी डील में श्रीलंका को पता चले कि जापान जो है वो अपनी करेंसी की बजाय यूएस करेंसी देगा तो वो खुशी-खुशी ले लेगा क्योंकि उसको पता है कि ये जो यूएस डॉलर है इसको उठा के मैं अगर यूएस को दूंगा तो उसके बदले में मुझे गोल्ड मिल जाएगा तो यही रीजन था कि पूरी दुनिया में एक अनसेट कम्युनिकेशन में बिना चाहते हुए भी यूएस डॉलर चल रहा था और उस टाइम पे बाकी जो कंट्रीज थी उनको एक दूसरे की करेंसी पे भरोसा ही नहीं था सिवाय यूएस डॉलर के वो सिर्फ एक रीजन था कि उनको पता था कि यूएस डॉलर जो है उसके बदले में गोल्ड मिल जाएगा यूएस डॉलर का यूज करना बाकी कंट्री की मजबूरी बन गया था जैसे आज की डेट में मजबूरी बना हुआ है वैसे ही उस टाइम पे भी बन गया था और यही रीजन था कि यूएस जो कह रहा था बाकी देश जो थे वो लोन से लेकर ट्रेड तक हर चीज डॉलर में यूज करनी शुरू कर दी थी अब जो यूएस है वो यहां पे भी नहीं रुकता है यूएस को पता था कि ये जो यूएस डॉलर की इंपॉर्टेंस है अगर इसी तरीके से चलेगी तो वो ज्यादा दिन तक नहीं चल पाएगी उसने यूके का जो पाउंड स्टर्लिंग था उसका हाल भी देखा था तो यूएस बिल्कुल नहीं चाहता था कि यूएस डॉलर जो है उसका हाल पाउंड स्टर्लिंग की तरह हो तो ये जो सारी चीजें चल रही थी इसके बाद यूएस ने एक और मास्टर स्ट्रोक खेला एक्चुअली जब ये सारी चीजें चल रही थी तो उसी टाइम पे यूएस और यूरोप जो थे इनकी जो कंपनीज थी वो दुनिया भर में ऑयल एक्सट्रैक्ट कर रही थी और उसका ट्रेड कर रही थी तो ऑयल को ढूंढने से लेकर एक्सट्रैक्ट करने तक सारी जो टेक्नोलॉजी थी वो यूरोप और यूएस जो थे इनकी कंपनीज के पास थी वहीं पे अरब कंट्रीज जो थी उनके पास तेल तो था लेकिन उसको ढूंढना फिर उसको निकालने की जो टेक्नोलॉजी है उसको ओपन मार्केट में जाके सेल करना मुनाफा बनाना इसका आईडिया नहीं था तो यहां से अमेरिका जो है वो अपना नेक्स्ट मूव लेता है तो अमेरिकन कंपनीज जो हैं वो सऊदी के पास पहुंचती हैं और इनकी हेल्प करती है ऑयल को एक्सट्रैक्ट करने में अमेरिका के इस स्टेप से सऊदी का बहुत बड़ा जैकपॉट लगता है सऊदी में बहुत बड़ा ऑयल फील्ड निकलता है और ये जो ऑयल फील्ड था इस पूरे प्रोसेस में इसको एक्सट्रैक्ट करना इसमें यूएस की कंपनीज क्या करती हैं बेस बनाती हैं सऊदी के अंदर और ऑयल को एक्सट्रैक्ट करना उसको टेक्नोलॉजी यूज करके बाहर मार्केट में भेजना इस पूरे प्रोसेस में लग जाती है अब यहां से सऊदी के सामने दो चीजें थी एक तो उसको यूएस की हेल्प चाहिए थी ऑइल को एक्सट्रैक्ट करना उसकी टेक्नोलॉजी दूसरी चीज उसको यूएस की सिक्योरिटी की भी जरूरत थी एक्चुअली जब वर्ल्ड वॉर चल रहा था तो साउदी के अंदर यूएस की जो कंपनीज थी उन्होंने अपना बेस वगैरह बना रखा था ऑयल एक्स्टेक्स्ट वगैरह कर रही थी तो उस टाइम पे इटली ने सऊदी के अंदर जो यूएस की फैसिलिटी थी उसपे बॉम वगैरह गिराए थे तो सऊदी को सिक्योरिटी को लेक भी बहुत ज्यादा कंसर्न था साउदी चाहता था कि यूएस इनकी सिक्योरिटी देखे क्योंकि यूएस जो था वो सुपर पावर था और साउदी अपनी कंट्री को रिस्क फ्री करके ऑयल का बिजनेस करना चाहता था तो ये तो इसकी बैकग्राउंड स्टोरी है तो होता क्या है कि ब्रेटन वुड एग्रीमेंट जब साइन हुआ था 1944 में तो उसके एक साल बाद 1945 में यूएस ने सऊदी के जो किंग थे उनको कन्विंसिंग सिक्योरिटी में भी आपकी पूरी मदद करेंगे बस एक चीज उसके बदले में आपको करनी होगी वो यह करनी होगी कि जो आप ऑयल बेचो ग पूरी दुनिया भर में उसमें बस एक चीज आपको करनी है कि आपको सारी पेमेंट यूएस डॉलर में लेनी है और कोई भी करेंसी है उसको एक्सेप्ट नहीं करना है अब साउदी जो था वो बड़ी आसानी से इस चीज के लिए एग्री हो जाता है क्योंकि उसके पास वैसे भी कोई अल्टरनेटिव नहीं था दूसरी चीज अगर बाकी किसी करेंसी में वो लेता भी तो उसको इतना भरोसा नहीं था यूएस डॉलर में एटलीस्ट ये तो है कि वो गोल्ड में कभी भी कन्वर्ट कर सकता है तो सऊदी जो था वो बड़ी आसानी से इस चीज को मान जाता है तो जो बाकी देश थे उनके सामने एक और चीज आके खड़ी हो गई थी कि अगर आपको अपनी कंट्री के लिए ऑयल चाहिए तो आपको किसी और करेंसी में नहीं मिलेगा आपके पास यूएस डॉलर होना कंपलसरी है इसलिए आपको अपने रिजर्व में यूएस डॉलर रखने पड़ेंगे अगर आपको ऑइल चाहिए और जो ऑयल था वो मॉडर्न इकॉनमी का सबसे पावरफुल प्रोडक्ट था और सऊदी की जो ये डील हुई थी इसके बाद बाकी जो ऑयल कंट्रीज थी उन्होंने भी डॉलर में ही ऑयल को एक्सेप्ट करना शुरू कर दिया क्योंकि उनके सामने भी सेम चैलेंज थे और साउदी अगर ऐसा ऑप्शन देगा डॉलर का तो उसको एक एडवांटेज रहेगा तो जो बाकी अरब ऑयल कंट्रीज थी तो उन्होंने भी डॉलर में ही ऑयल बेचना स्टार्ट किया अब इसके बाद क्या होता है कि यूएस अपने आप को थोड़ा और पुश करता है यूएस को लगा उसके डॉलर जो पूरी दुनिया में फैले हुए हैं सारी की सारी कंट्रीज एक साथ तो गोल्ड को कन्वर्ट करवाने आएंगी नहीं तो यूएस ने क्या किया जितना गोल्ड उसके पास था उससे ज्यादा करेंसी प्रिंट कराना स्टार्ट कर दिया और इंटरनेशनल मार्केट में यूएस के पास जितना गोल्ड था उससे ज्यादा यूएस डॉलर फ्लोट करने लगे अब यूएस ने ये जो किया उसमें सच में पॉसिबिलिटी बहुत कम थी कि सारी कंट्रीज सारे लोग एक साथ आ जाएं और यूएस डॉलर को कन्वर्ट करा के गोल्ड ले लें लेकिन एक सिचुएशन ऐसी थी जब ये हो सकता था कि सब लोग एक साथ यूएस डॉलर देके गोल्ड लेने की डिमांड करें और वो सिचुएशन ये थी कि अगर बाहर जो गोल्ड मार्केट है उसमें अगर गोल्ड के प्राइस बढ़ गए तो ये चीज हो सकती है जैसे मान लो आपके पास $ है यूएस कह रहा है $ के बदले वो आपको 28 ग्राम यानी कि 1 ंस गोल्ड देगा वहीं बाहर जो गोल्ड मार्केट है वहां पे अगर आपको $ के बदले में 40 ग्रा या उससे ज्यादा मिलने लगे तो आप क्या करोगे यूएस से सस्ते में खरीद के बाहर गोल्ड मार्केट में महंगे में बेच दोगे इससे हर किसी का बहुत ज्यादा फायदा होगा तो यूएस को ये ध्यान रखना था बाहर जो गोल्ड मार्केट है उसके रेट यूएस डॉलर के आसपास ही रहे वरना वो बहुत बड़ी दिक्कत में फस जाएगा और यही रीजन था कि यूएस की मजबूरी बन गई थी कि गोल्ड मार्केट के जो प्राइसेस हैं उसको स्टेबल रखना यूएस डॉलर जितना ऑफर कर रहा है उसके आसपास रखना क्योंकि गोल्ड मार्केट में जो गोल्ड का प्राइस होता है वो डिमांड एंड सप्लाई से ऊपर नीचे होता है मार्केट में ज्यादा गोल्ड आया डिमांड कम हुई तो सस्ता हो जाएगा गोल्ड और कम गोल्ड बचा और डिमांड ज्यादा है तो महंगा हो जाएगा गोल्ड और ये जो डर था ये यूएस के लिए बहुत ही बड़ा था तो यूएस ने इसके लिए एक प्लान बना के रखा था उसने आठ कंट्रीज जो उसकी बहुत क्लोज थी जिन्होंने बहुत उससे डेट ले रखा था यूएस से उनका एक पूल बनाया और वो गोल्ड का पूल बनाया मतलब सारी ये जो आठ की आठ कंट्रीज थी अपने गोल्ड के पूल को बना के एक जगह रखती हैं और उसके बाद ये क्या करती हैं लंडन की जो सबसे बड़ी दुनिया की जो सबसे बड़ी गोल्ड मार्केट है उसकी डिमांड एंड सप्लाई को मैनिपुलेट करने लगती है मतलब कि अगर गोल्ड की डिमांड बढ़ जाए तो ये लोग मार्केट के अंदर गोल्ड बेचना स्टार्ट कर देते और डिमांड कम हो जाए तो मार्केट के अंदर गोल्ड खरीदना स्टार्ट कर देते मतलब खरीद बेज करते थे बस इनका मेन मकसद था कि जो डॉलर का जो रेट है उसके आसपास रखना और डिमांड एंड सप्लाई को मेंटेन करके रखना लेकिन ईयर 1967 आ आते आते ये जो यूएस ने गोल्ड का पूल बनाया था इसमें जो देश थे उनका थोड़ा नुकसान होने लगा तो यह देश फ्रस्ट्रेट होके इस पूल से बाहर निकल गए तो ये जो प्लान था यूएस का ये भी एक तरह से काम करना बंद कर देता है यूएस एक मुश्किल में फंस जाता है इस इंसीडेंट के बाद यूएस इतना ज्यादा बोखला गया था कि यूएस ने यूके के अंदर फोन घुमाया और लंदन की जो क्वीन थी उनको कन्विंसिंग पूरा जो लंदन का गोल्ड एक्सचेंज का जो मार्केट था उसको बंद करा दिया मतलब कि डिमांड एंड सप्लाई का पूरा किस्सा ही खत्म कर दिया अब वहां पे ना तो कोई गोल्ड खरीद सकता और ना ही कोई बेच सकता और इसी टाइम पे यूएस का जो गोल्ड रिज था वो भी कम होने लगा था ये देखिए यूएस का जो गोल्ड रिजर्व था वो 1960 आते-आते इतना नीचे पहुंच गया था इसके साथ-साथ यूएस के जो प्रेसिडेंट बने थे रिचर्ड निक्सन बाकी देशों को थोड़ा सा बुली करने लगे थे कि डॉलर को गोल्ड में मत कन्वर्ट कराओ तो ये जो सारे इंसिडेंट हो रहे थे कि जैसे लंडन का मार्केट बंद करा दिया गया था उसके बाद निक्सन जो थे वो थोड़ा सा प्रेशराइज कर रहे थे कि कन्वर्ट ना करो तो ये जो चीज थी ये इनके ऊपर उल्टा बैकफायर कर गई और बाकी जो देश थे वो इनसिक्योर हो गए और वो क्या करने लगे वो डॉलर देके गोल्ड लेने लगे उसकी जगह तो ये सारी चीजें यूएस के लिए एक डिजास्टर की तरह निकल के आई और जब ये सारी चीजें नहीं सलती है तो अगस्त 15 1971 को प्रेसिडेंट निक्सन एग्जीक्यूटिव ऑर्डर नंबर 11615 रिलीज करते हैं और इंटरनेशनल स्पेकल को ब्लेम करते हुए कहते हैं कि यूएस डॉलर की जो गोल्ड में कन्वर्टिबिलिटी है मतलब कि आज की डेट से डॉलर जो है उसके बदले गोल्ड नहीं मिलेगा आई डक्ड सेटरी कली टू सस्पें ली द कब ऑफ द डर इन गोल्ड और अर र् ए पूरी दुनिया शॉक्ड हो गई थी सारे जो ट्रेड थे वो डॉलर के अंदर हो रहे थे जो डेट लिए गए थे वो डॉलर में रिटर्न करने थे ऑयल डॉलर में आ रहा था सबके रिजर्व डॉलर में थे और यह ऐसा बोला जाना दुनिया के लिए एक शॉक था इसीलिए इस इंसिडेंट को निक्सन शॉक बोला जाता है इस इंसिडेंट के बाद देशों को पता ही नहीं था कि करना क्या है ये ऐसा समझ लीजिए जैसे किसी ने पूरी दुनिया को चेक साइन कर कर के बांट दिए हैं किसी में 10 लाख किसी में 5 लाख ऐसे लिख लिख के चेक साइन करके बांट दिए हैं और बाद में पता चलता है कि चेक तो है लेकिन उसको एनकैश नहीं करवा सकते तो अब लोग लोग क्या कर रहे हैं उसी चेक को एक दूसरे को देक सामान ले और दे रहे हैं और सारे जो देश थे उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि अगर वो गुस्सा भी हो जाएं कि कहे कि हम डॉलर नहीं यूज करेंगे तो डॉलर नहीं यूज करेंगे तो उसके बदले में अल्टरनेटिव क्या है उसका सलूशन उनके पास नहीं था अब इधर सऊदी जो था वो भी यूएस के पास पहुंचता है कि हम इधर ऑयल बेज बेज के डॉलर इकट्ठे कर रहे हैं और अब आपने तो ऐसा कर दिया कि अब हम कन्वर्ट ही नहीं करा सकते गोल्ड में डॉलर की अब वैल्यू क्या बची तो यूएस ने साउदी से कहा कि आपको टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है आप जो ऑयल को बेच रहे हो उसको डॉलर में ही बेचते रहो एज इट इज और जो डॉलर आपको ऑयल बेचने से आ रहा है उस डॉलर को आप यूएस के अंदर इन्वेस्ट करो हमारे जो रिसोर्सेस हैं उनको उसी डॉलर से आप खरीद के अपने देश में मंगवा हो हमारे जो बंड्स हैं हमारे जो कंपनीज हैं उसके अंदर आप इन्वेस्ट करो हम आपको हर तरीके से मदद करेंगे ऑयल बेज के जो आपके पास यूएस डॉलर आ रहा है वो आपका खराब नहीं होगा आप बिल्कुल बेफिक्र होके ऐसे करते रहो और ऑयल को जो है वो यूएस डॉलर में ही लो अब सऊदी की भी मजबूरी थी उसके पास कोई दूसरा सॉल्यूशन तो था नहीं इस चीज का तो वो मान जाता है तो ऑयल बेचने से जो डॉलर आता है और सारा खर्चा निकाल के जो बचा हुआ डॉलर है जो ये कंट्रीज यूएस के अंदर इन्वेस्ट करती हैं उसको कहते हैं पेट्रो डॉलर आपने ये वर्ड जरूर सुना होगा न्यूज़ में तो ये चीज यूएस के लिए एक बहुत ही बड़ी जीत थी क्योंकि बाकी देशों को अगर ऑयल चाहिए तो यूएस डॉलर मेंटेन करना पड़ेगा और यूएस डॉलर जो है वो मार्केट के अंदर रिलेवेंट रहेगा बाकी कोई अल्टरनेटिव था नहीं अब ये जो डिसीजन लिया गया कि ऑयल को सिर्फ और सिर्फ यूएस डॉलर में ही बेचा जाएगा कुछ अरब लीडर्स थे उन्होंने खुल के विरोध किया कि ऑयल को सिर्फ और सिर्फ डॉलर में जो बेचना है ये हम नहीं मानेंगे और ऐसे जब-जब केस आए हैं यूएस ने अपने मिलिट्री सुपर पावर होने का फायदा भी उठाया और उन आवाजों को अलग-अलग तरीके से शांत करवा दिया जैसे ईयर 2000 में इराक के प्रेसिडेंट सद्दाम हुसैन ने मना कर दिया था डॉलर का यूज करने के लिए उसकी जगह यूरो में ऑयल बेचना स्टार्ट कर दिया था सद्दाम हुसैन ने यूनाइटेड नेशन ऑयल फॉर फूड प्रोग्राम के जितने भी ट्रांजैक्शंस थे सारे के सारे यूरो में लेना स्टार्ट किए लगभग 3.3 बिलियन बैरल का जो ऑयल था उसके बदले में 26 बिलियन यूरोज तक इकट्ठा कर लिए थे लेकिन इसके चलते सद्दाम हुसैन को ओवरथ्रो किया गया और फांसी दी गई इसके बाद लीबिया के गद्दाफी ने डॉलर छोड़ के यूनिफाइड अफ्रीकन करेंसी बनाने का आईडिया प्रपोज किया लीबिया ग्लोबल ऑयल मार्केट में बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है ये जो चीज थी ये यूएस डॉलर के लिए बहुत बड़ा चैलेंज मानी गई थी एक्सपर्ट के हिसाब से लेकिन इनकी कंट्री में सिविल वॉर स्टार्ट कराई गई और गद्दाफी जो था उसको ओवरथ्रो कर दिया गया अगर आपको याद हो दिसंबर 2015 में हिलरी क्लिंटन के प्राइवेट ईमेल सर्वर के जो ईमेल्स थे वो लीक हो गए थे उसमें से एक ईमेल इससे रिलेटेड पकड़ा गया था जो कि उनके बहुत ही क्लोज अटॉर्नी सिडनी ने भेजा था उसमें सारी चीजें लिखी गई थी कैसे गद्दाफी यूएस डॉलर छोड़ के यूरो यूज कर रहा है आप एक बार पॉज करके इसको पढ़ लेना ईरान जिसके पास उस टाइम पे 126 बिलियन बैरल ऑयल के रिजर्व थे पूरी दुनिया का ऑलमोस्ट 10 पर ऑयल रिजर्व और सेकंड लार्जेस्ट नेचरल रिजर्व ईरान के पास थे ईरान ने अपने थर्ड डेवलपमेंट प्लान 2000 टू 2005 में आईओबी यानी कि ईरानियन ऑयल बोर्स इसको सेटअप किया इसमें यूरो का यूज़ करने को बोला गया और वो इसलिए बोला गया था क्योंकि इनका जो 45 पर ट्रेड था वो यूरोपियन कंट्रीज से हो रहा था तो ईरान ने कहा कि हम यूरो में एक्सेप्ट करेंगे इससे हमारा फायदा होगा लेकिन आगे चलके ईरान का क्या हाल हुआ और अभी क्या सिचुएशन है आपको पता ही है यूएस ने पूरे ईरान प इतने सैंक्शन लगाए यह प्लान भी उसी समय रुक गया आगे चलके क्रिप्टो का जो हाल हुआ वो आपने देख ही लिया था तो देखिए कहने का मतलब यह है कि एक अनसेट कम्युनिकेशन में यह सबको पता था कि डॉलर के अगेंस्ट खड़े होने का मतलब है कि सीधे-सीधे यूएस के अगेंस्ट खड़ा होना एक सुपर पावर और एक न्यूक्लियर पावर के अगेंस्ट में खड़ा होना और यूएस ने यही सब एग्जांपल सेट किए थे और यही रीजन है जिसकी वजह से कोई भी यूएस से पंगा लेने से 10 बार सोचता है इसके साथ-साथ एक चीज और थी स्विफ नेटवर्क जिससे डॉलर को और एडवां मिलता था अब ये स्विफ नेटवर्क क्या है तो देखिए जैसे अभी आप एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करते हैं तो ऐसा नहीं है कि कोई आदमी गाड़ी में पैसा भर के दूसरी ब्रांच में वो पैसा देने जाता है सिंपली डिजिट इधर से उधर होते हैं जिसको हम कहते हैं कि पैसा ट्रांसफर हो गया और इसके सेटलमेंट के लिए हमें यूनिक कोड लगते हैं जैसे आईएफएससी कोड और बाकी डिटेल्स चाहिए होती हैं ऐसे ही जब इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन किसी को करने होते हैं तो उसके लिए भी एक सिक्योर कम्युनिकेशन चैनल चाहिए जिससे इंटरनेशनल बैंक्स को पता चल सके कि किस बैंक से किस बैंक में पैसे रिफ्लेक्ट करने हैं तो पहले क्या होता था कि लेक्स यूज़ होता था एक एनालॉग सिस्टम था वो यूज़ होता था मैनुअली बैंक की जो डिटेल्स थी वो भेजी जाती थी कि इस अकाउंट से इस अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करना है लेकिन इसके बाद आता है जो कि सिंगापुर में है उसको पैसे भेजने हैं तो मैं पहले लोकल बैंक एसबीआई में जाऊंगा उनको स्विफ्ट कोड और बाकी डिटेल्स दूंगा जिससे एसबीआई को पता चल जाएगा सिंगापुर में बैठे एक विकास नाम के आदमी के इस अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करना है अब एसबीआई का अगर डायरेक्ट बैंक ऑफ सिंगापुर से इंटीग्रेशन है तो तुरंत पैसा ट्रांसफर हो जाएगा और विकास को मिल जाएगा लेकिन अगर नहीं है जो कि मोस्ट ऑफ द केसेस में नहीं होता है तो ऐसे केस में जरूरत पड़ती है करेस्पॉन्ड बैंक की जो कि यूएस में होता है वो swift4 और डिटेल्स लेते हैं और य यूएस डॉलर में कन्वर्ट करके उस पूरी ट्रांजैक्शन को कंप्लीट कर देते हैं अगर नहीं भी समझ में आ रहा तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है swift4 फंडिंग वगैरह है वो सब रुक जाएगी इंपोर्ट एक्सपोर्ट पे असर पड़ेगा यहां तक कि ये जो youtube1 बैंक से किसी देश को निकाल देना ये एक तरह का फाइनेंशियल न्यूक्लियर बॉम गिराने जैसा होता है और ये जो स्विफ नेटवर्क है इस स्विफ नेट के सिस्टम में पूरा कंट्रोल इनडायरेक्टली यूएस का है इसमें करीब 2400 शेयर होल्डर्स हैं और ये जो 2400 शेयर होल्डर्स हैं ये 25 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बनाते हैं जिसमें ये जो देश हैं इनके मेंबर्स रहते हैं बेल्जियम कनाडा फ्रांस जर्मनी ये सारे मेंबर रहते हैं लेकिन सारा का सारा कंट्रोल जो होता है वो एक अनसेट कम्युनिकेशन में यूएस का रहता है तो यूएस अगर चाहता है तो इस पूरे सिस्टम से जब चाहे निकाल देता है किसी भी कंट्री को जैसे रशिया को निकाल दिया था इन्होंने इससे पहले ईरान को निकाल दिया था इस वजह से बहुत बड़ा नुकसान हुआ था इन दोनों देशों का ये इतनी बड़ी चीज है कि रातों-रात किसी देश के ऊपर अगर ये लग जाए तो रातों-रात उसकी इकॉनमी वहीं जमीन पे आ जाती है यही सारे रीजन है कि यूएस जो है वो डॉलर को एक तरह से वेपनाइज्ड जियोपोलिटिकल एडवांटेज मिलता है जो कि उसकी मिलिट्री पावर से भी ज्यादा बड़ा नुकसान करता है जो देश यूएस के हिसाब से नहीं चलते हैं यूएस चाहे तो डॉलर की मदद से रातों-रात उस देश की इकोनॉमी को जमीन पे लाके खड़ा कर दे एक्चुअली यूएस क्या करता है यूएस सैंक्शंस लगा देता है आपने न्यूज़ में भी कई बार सुना होगा कि यूएस ने इस देश पे सैंक्शन लगा दिया या इस पर्टिकुलर चीज पे सैंक्शन लगा दिया यूएस दो तरीके से सैंक्शन लगाता है एक प्राइमरी सैंक्शन दूसरा सेकेंडरी सैंक्शन प्राइमरी सैंक्शन में यूएस क्या करता है अपनी कंपनीज इंस्टिट्यूट और जो सिटीजंस हैं उनसे उस पर्टिकुलर कंट्री के साथ बिजनेस करने के लिए साफ-साफ मना कर देता है तो यूएस की जो कंपनीज होती हैं वो उस कंट्रीज से पीछे हट जाती हैं और यूएस की जो कंपनीज हैं जब ऐसा करती हैं उसके साथ-साथ यूरोप की जो कंपनीज होती हैं वो भी पीछे हट जाती हैं और इससे होता ये है कि उस पर्टिकुलर कंट्री का जो शेयर मार्केट है वो गिरता है इन्वेस्टमेंट रुक जाती है नुकसान के चक्कर में सैंक्शन लगे हुए देशों में कोई भी इन्वेस्ट नहीं करता है यूएस और यूरोप की जो कंपनीज हैं पूरे वर्ल्ड के अंदर इनका बहुत बड़ा इन्फ्लुएंस है जब ये किसी कंट्री से पीछे हटती है तो इनको देख के बाकी देशों की जो कंपनीज होती हैं वो भी इन्वेस्ट करने से भागती हैं क्योंकि यूएस जब सैंक्शन लगाता है तो पता नहीं बात कहां पे जाके रुकेगी कोई बड़ी बात नहीं कि आगे चलके स्विफ बैन भी लग जाए जैसे रशिया के केस में किया था इन्होंने रशिया को स्विफ नेटवर्क से बाहर कर दिया था अभी ये जो यूक्रेन वॉर हुई थी इस टाइम पे और ऐसे केसेस में बड़ी से बड़ी कंट्री और उसकी कंपनीज जो होती हैं वो जमीन पे आके गिर जाती हैं क्योंकि वो कंट्री हो और उसकी कंपनीज हो वो माल ही नहीं बेच पाते और माल बेच भी दे तो पैसे ही ट्रांसफर नहीं हो पाता है दूसरा यूएस क्या करता है सेकेंडरी सैंक्शन लगाता है जिस कंट्री के ऊपर सैंक्शन लगा हुआ है उस कंट्री से जो ट्रेड करेगा उस पे भी सैंक्शन लगता है इसको सेकेंडरी सैंक्शन कहते हैं तो इससे क्या होता है कि वो जो कंट्री है जिस पे सेकेंडरी सैंक्शन लगा हुआ है वो पूरे इंटरनेशनल ट्रेड से आइसोलेट हो जाती है उसकी फंडिंग रुक जाती है जैसे ईरान के ऊपर हुआ इन्होंने सेकेंडरी सैंक्शन लगा दिया था ईरान के ऊपर इंडिया को फायदा था ईरान से तेल लेने में लेकिन फायदा होने के बाद भी इंडिया ईरान से तेल नहीं खरीद पाया जबकि आगे चलके ईरान ने और सस्ते कर दिए जो मार्केट में जो तेल के प्राइस थे उसे सस्ते में दे रहा था लेकिन उसके बाद भी इंडिया नहीं ले पाया था तो बेसिकली अगर आप देखा जाए तो लड़ाई यूएस और ईरान की थी सैंक्शंस जो लगे थे वो ईरान पे लगे थे लेकिन उसका नुकसान उन कंट्रीज को भी झेलना पड़ता है जिनका इस पूरे कंफ्लेक्स कोई मतलब ही नहीं होता है और बिना कुछ गलत किए उन देशों में भी इन्फ्लेशन बढ़ जाता है ऑयल के प्राइस बढ़ जाते हैं और ये जो एडवांटेज है ये सिर्फ और सिर्फ यूएस को ही मिलता है अगर इंडिया चाहे तो इंडिया भी सैंक्शन लगा सकता है अनाउंस कर दे कि पाकिस्तान के ऊपर हमने सैंक्शन लगा दिया लेकिन ग्लोबल मार्केट में रुपीज की जो डिपेंडेंसी है वो है ही नहीं ना ही इंडिया के पास कोई स्विफ्ट नेटवर्क जैसा सिस्टम है अभी यूपीआई आगे धीरे-धीरे बढ़ रहा है लेकिन अभी उसमें टाइम है इसीलिए इंपैक्ट जो होता है वो यूएस के जो सैंक्शंस होते हैं उसका सबसे ज्यादा होता है पूरे वर्ल्ड में यूएस के सैंक्शंस की जो कॉस्टिंग है वो बहुत भारी पड़ती है लोगों पे अभी रशिया के ऊपर जब यूएस ने सैंक्शन लगाया था तो सारी कंट्रीज पीछे हट गई थी लेकिन इंडिया ने फिर भी रशिया से ऑयल खरीदा था एक्चुअली यूएस को इंडिया को थोड़ा झेलना पड़ता है चाइना की वजह से ऐसा इसलिए क्योंकि यूएस इंडिया को चाइना के काउंटर के लिए देखता है इसलिए ज्यादा कुछ नहीं हुआ इंडिया के साथ लेकिन अगर कोई और कंट्री ऐसा करती तो उसको दिक्कत में पड़ती तो कहने का मतलब ये है है कि यूएस की जो मिलिट्री पावर है उससे ज्यादा उसकी इकोनॉमिक पावर जो है वो दिक्कत देती है और इस इकोनॉमिक पावर को अगर कोई वीक करने की कोशिश करता है तो इनकी मिलिट्री पावर निकल के आती है और इस चीज का फिलहाल तो किसी के पास कोई सलूशन नहीं है लेकिन बाइड ने रशिया के ऊपर ये जो स्विफ्ट बैन लया अभी यूक्रेन वॉर पे ये एक तरह से एक्सपर्ट का मानना है कि ये अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है क्योंकि इससे सिर्फ रशिया के ऊपर ही सैंक्शन नहीं लगे हैं बाकी सबका भी बहुत नुकसान हुआ और यही रीजन है कि बाकी देश भी जो है वो अल्टरनेटिव ढूंढ रहे हैं इस पर्टिकुलर चीज का पिछले कुछ महीने से बाकी देश भी इस सैंक्शन से परेशान होकर जैसे चाइना रशिया अर्जेंटीना ब्राजील से लेकर साउथ अफ्रीका तक सब अपनी डॉलर के ऊपर जो डिपेंडेंसी है वो कम करने की कोशिश कर रहे हैं पूरी तरीके से छोड़ना तो अभी पॉसिबल नहीं है लेकिन कम करने की कोशिश कर रहे हैं और न्यूज़ में इसको नाम दिया गया है डी डॉलराइजेशन चाइना ने अपने यूएस के जो बॉन्ड है उनको कम कर दिया उनको बेच दिया अभी फिलहाल में इराक जो एक बहुत बड़ा ऑयल सप्लायर है उसने कहा हम यूवान में ऑयल बेचेंगे शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन का भी स्टेटमेंट आया कि वो लोकल करेंसी में ट्रेड बढ़ाएंगे सऊदी और चा चाइना ने अपनी पहली ट्रांजैक्शन यूवान में की जिसकी वजह से यूएस काफी परेशान भी हुआ बैक टू बैक मीटिंग भी हुई यूएस और सऊदी में रशिया ने भी अनाउंस किया है कि वो ऑयल से आए हुए पैसे को युआन करेंसी में रिजर्व करके रखेगा इंडिया यूएई इन्होंने भी एग्रीमेंट किया है कि हम अपनी करेंसी में ट्रेड करेंगे लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूएस को इस तरीके से बाहर करना पॉसिबल नहीं है ऐसा हर 10-15 साल में जब सारी कंट्रीज जोश में आती हैं तो करती हैं लेकिन कुछ हो नहीं पाता प्रैक्टिकली अगर देखा जाए तो एक युआन और दूसरा है ब्रिक्स शेयर्ड करेंसी ये दोनों है जो डॉलर का अल्टरनेटिव बन के निकल सकती हैं उसको कंपटीशन दे सकती हैं देखिए ब्राजील रशिया इंडिया चाइना और साउथ अफ्रीका इन्होंने मिलके ब्रिक्स बनाया है नेक्स्ट ईयर इसमें भी और भी देश जुड़ेंगे तो इसमें इन्होंने ये कहा है कि ब्रिक्स के जो देश हैं उनकी जो करेंसी है उन सबको मिला के ये एक डॉलर का अल्टरनेटिव बनाएंगे जैसे अभी क्या होता है आईएमएफ के अंदर एक एसडीआर होता है जिसमें ये होता है कि जो करेंसीज हैं उनकी वेटेज होती है पॉइंट्स होते हैं जैसे यूएस डॉलर का जो वेटेज है वो 43 है इंपोर्ट एक्सपोर्ट और ट्रेड पावर और बहुत सारी चीजें देख के पॉइंट मिलते हैं ऐसी ब्रिक्स कंट्रीज कह रही हैं कि वो सारे देशों की करेंसी मिला के इसी वेटेज सिस्टम की तरह एक करेंसी बनाएंगे जिसका नाम रखेंगे ब्रिक्स करेंसी और बीटा का उसका सिंबल होगा अब ऐसा हो पाएगा या नहीं हो पाएगा ये तो टाइम बताएगा लेकिन फिलहाल के लिए यूएस डॉलर जो है उस पे हमारी डिपेंडेंसी जो है वो बनी हुई है तो लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि अगर आपको भी डटा साइंस और मशीन लर्निंग की फील्ड में हाईली स्किल्ड प्रोफेशनल बनना है तो डिस्क्रिप्शन में दिए हुए लिंक पे क्लिक करके स्केलर की फ्री लाइव क्लासेस अटेंड करके अपना डिसीजन ले सकते हैं थैंक यू AOsgHYVdxxM,Reality of the 26/11 Mumbai Attack | Nitish Rajput | Hindi,2023-12-08T14:30:18Z,PT42M43S,4899923,158858,9788,https://www.youtube.com/watch?v=AOsgHYVdxxM,, तो गौतम अडानी जो कि लॉबी की तरफ बढ़ रहे थे एग्जैक्ट उसी टाइम पे वो वहां से रुक जाते हैं और कॉफी पीने के लिए डेविड हेडली इंडिया आया तो इसने महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से जिम में जाक इससे मिलता और इसके साथ-साथ ये भी बोला गया कि जब होटल में जाना आप तो वहां पे मुस्लिम्स को छोड़ देना और बाकी जो दो आतंकी थे वो बोट पे ही बैठे रहते हैं वो इसलिए बैठे रहते हैं और यहां पे सबसे मेन रोल प्ले करते हैं यूएस में बैठे दो स्कूल फ्रेंड अटैक से कुछ ही दिन पहले यूएस ने अल हुसैनी शिप के जो कोऑर्डिनेट्स थे लेकिन पता चलता है कि जो एयरक्राफ्ट है जिसमें इन कमांडो को लेके जाना है वो एयरक्राफ्ट तो चंडीगढ़ में है वो अवेलेबल ही नहीं है कमांडो लेट हो गए हेलीकॉप्टर यहां उतर रहा है अभी कमांडो आया नहीं है मरीन वाले यहां पे हैं देखिए 2611 मुंबई के ऊपर जो अटैक हुआ था उसके बारे में तो हमें ऑलरेडी पता है लेकिन एक्चुअल में इसकी शुरुआत कहां से हुई थी किसने इन सारे आतंकियों को इकट्ठा करके कैसे प्लानिंग स्टार्ट करी ये सारी ट्रेनिंग किस लोकेशन पे फिक्स हुई थी जब 27 सितंबर को अटैक होना था तो 2611 की डेट को क्यों शिफ्ट कर दिया गया था और लास्ट टाइम पे इंडिया के सी बॉर्डर की जो सिक्योरिटी थी उसको क्यों कम कर दिया गया था इस पूरे अटैक का जो कोऑर्डिनेटेड प्लान था वो था क्या वो एग्जीक्यूट कैसे हुआ मुंबई पहुंचने के बाद 10 में से दो आतंकी जो थे वो उसी बोट पे क्यों रह गए थे छोटी से छोटी डिटेल जो कसाब ने कोर्ट में खड़े होक कंफर्म की है यूएस ने जो इंटेल शेयर किया है और इंडिया के अंदर जो चार्जशीट सबमिट हुई थी इस केस से रिलेटेड उसमें जो भी चीजें मेंशन है सारी डिटेल्स इस वीडियो में मैं आपको एज इट इज बताऊंगा तो देखिए ईयर 1971 था और पाकिस्तान के अंदर एक मिलिट्री कॉलेज था जिसका नाम था कैडेट कॉलेज हसन अफदल जिसमें दो लड़के पढ़ते थे एक का नाम था तहव्वुर हुसैन राना और दूसरे का नाम था दाऊद सैयद गिलानी ये दोनों कॉलेज के एक ही विंग में थे तो दोनों में काफी अच्छी दोस्ती भी थी अब इन दोनों में से जो तहर हुसैन राना था वो आगे चलके पाकिस्तान की जो मिलिट्री थी उसके अंदर डॉक्टर बनता है फिर उसके बाद कैनेडियन सिटीजन से शादी करके कनाडा चला जाता है और वहां पे फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विस इस नाम से एक वीजा कंसल्टेंसी कंपनी खोलता है और फिर आगे चलके टोरंटो न्यूयॉर्क शिकागो इन सारे एरिया में भी अपनी ब्रांच खोल लेता है इसी कंपनी की वहीं जो इसका स्कूल फ्रेंड था दाऊद सैयद गिलानी और इसका जो फादर था सैयद सलीम गिलानी वो पाकिस्तान के अंदर काफी बड़े ओहदे पे था पाकिस्तान के जो डिप्लोमेट वगैरह थे उनसे मिलना जुलना था इसका और दाऊद सैयद गिलानी की जो मदर थी उनका नाम था एलेस हेडली ये यूएस की थी इनके फादर ने यूएस की एक लड़की से शादी कर ली थी तो इसकी जो मदर थी वो शुरू में तो पाकिस्तान आई थी लेकिन कुछ टाइम बाद ही तलाक लेके पाकिस्तान छोड़ के यूएस चली गई थी अब ये जो दाऊद सैयद गिलानी था इसका रंग गोरा था इसकी एक आंख ब्राउन थी और दूसरी आंख ब्लू थी तो पाकिस्तानियों के बीच में नॉर्मल नहीं दिखता था थोड़ा अलग दिखता था ये सारी चीजें मैं अभी आपको बता रहा हूं ये अभी आपको इर रिलेवेंट लग रही होंगी लेकिन अभी आगे चलके मेन जड़ जो है इस पूरे अटैक की वो इसी से रिलेटेड है तो 7 साल तक ये जो दाऊद सैयद गिलानी था ये पाकिस्तान में रहता है फिर 1977 में ये भी यूएस चला जाता है अपनी मदर के पास चला जाता है यूएस में फिलाडेल्फिया एक जगह है वहां पे जाके रहने लगता है लेकिन यूएस में जाने के बाद भी वहां से बैठे-बैठे ये पाकिस्तान से कंटीन्यूअसली टच में रहता था और ा वगैरह जो हो गया कोइन वगैरह हो गई इनका ट्रेड करता था था और खुद भी बहुत बड़ा एडिक्ट था इन सब चीजों का इन्हीं सब रीजंस की वजह से यूएस में भी एक दो बार पकड़ा गया था फिर बाद में छूट गया था ये और करीब ईयर 2000 तक दाऊद सैयद गिलानी जो था वो यूएस से बैठ के यही सारी चीजें करता रहता था लेकिन इसके 1 साल बाद ईयर 2001 में इसका जो मकसद था वो थोड़ा सा शिफ्ट हो जाता है ये पाकिस्तान के लश्करए तैबा का जो हाफिज सईद है उसके टच में आता है और ये हाफिज सईद के टच में भी ऐसे टाइम पे आता है जब हाफिज सईद इंडिया के खिलाफ कई सारे अटैक कर चुका था और एक बड़ा और नया अटैक प्लान कर रहा था अब ये दोनों जब टच में आते हैं तो हाफिज सईद जो था उसको दाऊद सैयद गिलानी जो था वो बहुत ही काम का लगा उसके अपीयरेंस की वजह से उसको ऐसा लगता था कि दाऊद सैयद गिलानी को एक अलग तरीके से ये लोग यूज कर सकते हैं और आगे चलके किस तरीके से इसको यूज करते हैं और मुंबई अटैक में क्या रोल प्ले करता है अभी आगे बताऊंगा आपको मैं तो ईयर 2001 में दाऊद जो था वो हाफिज सयद के टच में आता है और 1 साल बाद 2002 में हाफिज सयद दाऊद गिलानी को पाकिस्तान बुलाता है और यहां पे इसको दावत देता है एक इंट्रोडक्टरी ट्रेनिंग होती है उसको ये दावत कहते हैं जो कि लश्करे तैबा का जो हेड क्वार्टर है मुरीद के में वहां पे ये कर करवाते हैं लाहौर के आउटर में पड़ता है ये अब इस ट्रेनिंग के बाद इसकी एक एडवांस ट्रेनिंग भी होती है जो कि पीओके के मुजफ्फराबाद में होती है और इन्हीं सब रीजंस की वजह से दाऊद सैयद गिलानी जो था वो पाकिस्तान पांच बार आता है और लश्कर की जो लीडरशिप थी उनसे मिलता है फरवरी 2002 अगस्त 2002 अप्रैल 2003 अगस्त 2003 और दिसंबर 2003 इतनी बार ये पाकिस्तान आता है अब देखिए कसाब आईएसआईएस ये सब आतंक के दूसरे नाम रहे हैं पर इंडिया और यूएस ने इनको कैसे खत्म किया और कैसे अपने सिटीजंस को बचाया ये आप 46 इंडिया रेस्क्यू ऑपरेशन अगेंस्ट आईएसआईएस में सुन सकते हैं ये ऑडियो बुक्स मैंने कुकू एफएम पर सुनी है इसमें काफी इंटरेस्टिंग तरीके से पूरे इंसिडेंट को डिटेल में बताया गया है कि कैसे इंडिया ने एंबेसी की मदद से जीपीएस ट्रैक करके 46 हॉस्टेस नर्सेसलैब्स ऑडियो शो प्लेटफार्म है जहां 10000 से ज्यादा ऑडियो बुक्स अवेलेबल हैं और ऑडियो बुक एक काफी सही ऑप्शन रहता है बिजी लोगों के लिए जिसमें आप एक इंसीडेंट की डिटेल इंफॉर्मेशन सुन सकते हैं कभी भी और कहीं भी मैं आपको रिकमेंड करना चाहूंगा कि आप इसको सोने से पहले जरूर सुने ये एक्चुअली काफी अच्छा तरीका है दिन भर के स्ट्रेस को दूर करने का तो अभी डाउनलोड करें कुक एए मेरा कूपन कोड nrz-l रहा था लेकिन इसको बताया नहीं था इसको सिर्फ इतना कहा था कि कश्मीर के लिए इसको यूज करेंगे और इंडिया के खिलाफ ये जो पूरा ऑपरेशन चल रहा था जो मुंबई के लिए अटैक होना था इस चीज की जो फंडिंग थी वो पाकिस्तान की आईएसआई कर रहा था इस चीज के लिए 2010 में इंटरपोल ने वारंट भी इशू किया था दो पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ तो अब इसके बाद जब सारी ट्रेनिंग कंप्लीट हो जाती है दाऊद सैयद गिलानी की तो इसको लश्करए तैबा का जो फॉरेन रिक्रूटमेंट विंग था उसके अंदर ट्रांसफर कर दिया जाता है जिसको हेड कर रहा था साजिद मीर तो जैसे ही दाऊद सैयद गिलानी स्विंग में ट्रांसफर होता है साजिद मीर दाऊद को कहता है कि तुमको कश्मीर में नहीं जाना है तुम्हारा जो रोल है वो दूसरा कुछ और डिसाइड किया गया है फिलहाल के लिए तुम यूएस वापस जाओ और वहां प जाके अपना नाम चेंज कराओ बाकी की डिटेल वहां पहुंचने के बाद देंगे दाउद सैयद गिलानी जो था बिल्कुल वैसे ही करता है वो यूएस वापस जाके अपनी मदर का लास्ट नेम यूज करके अपना नाम चेंज कर लेता है और अब दाउद सैय्यद गिलानी जो था वो डेविड कोलमैन हेडली बन जाता है और सेम डिटेल के साथ मतलब कि नाम चेंज करने के बाद ईयर 2005 में डेविड जो था वो पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर देता है और नेम चेंज के साथ इसका नाम चेंज इसकी नेशनलिटी चेंज इसकी मदर का नाम नाम प्रॉपर ये यूएस का सिटीजन लगने लगता है और इसको पासपोर्ट मिल भी जाता है नाम चेंज के साथ इंडियन एजेंसीज का मानना यह है कि इस चीज में पाकिस्तान की जो आईएसआई थी उसने मदद की है वरना यूएस के अंदर बिना वेरिफिकेशन के नाम चेंज करना पासपोर्ट बन जाना वो भी ऐसे आदमी का जिसको यूएस की गवर्नमेंट ने ऑलरेडी एक दो बार पकड़ रखा है गाजे वगैरह के चक्कर में तो डेविड हेडली बनने के बाद यूएस में ये एज इट इज रहता है शुरू में मैंने आपको बताया था इसका एक दोस्त था स्कूल में तहव्वुर जो कि कनाडा चला गया था और यूएस की भी कुछ लोकेशन पे वीजा की कंपनी चला रहा था तो ये जो जो डेविड था ये तहव्वुर से जाक मिलता है और लश्कर तैबा जैसे जैसे बोलता है ये कोऑर्डिनेटेड तरीके से वहां पे इंफॉर्मेशन शेयर करते हैं तो यूएस के अंदर तो जो लश्कर था वो ये सारी चीजें करवा रहा था इसके साथ-साथ पाकिस्तान के अंदर सेम टाइम पे ये लोग लड़के रिक्रूट कर रहे थे अलग-अलग शहरों से जो कि यंग हो मैरिड ना हो जिनके आगे पीछे कोई ना हो पढ़े लिखे ना हो ऐसे लड़कों को ढूंढा जा रहा था अब सेम टाइम पे 2005 में पाकिस्तान के अंदर एक 21 साल का लड़का था जिसका नाम था मोहम्मद अजमल आमिर कसाब शॉर्ट में बोले तो अजमल कसाब ये जो था ये फरीद को त्रि पालपुर डिस्ट्रिक्ट ओका पंजाब पाकिस्तान में रहता था 2005 में ईद थी इसने अपने फादर से कुछ कपड़े वगैरह मांगे थे उसने मना कर दिए थे तो गुस्से में इसने घर छोड़ दिया था और इसका एक दोस्त था मुजफ्फर लाल खान उसके साथ मिलक इसने चोरी और फिरौती शुरू कर दी थी और इन्हीं सब फिरौती और चोरी के लिए एक बार ये रावलपिंडी में बंदूक खरीदने गया था और वहां पे ही अजमल को जमात दावा का एक मेंबर मिलता है लष्कर तैबा जो है उसकी एक पॉलिटिकल विंग है उसका नाम है जमात दावा और यहां पे एक थ्योरी और चलती है जिसमें ये कहा जाता है कि कसा का जो फादर था उसने कसाब को लश्कर तैबा जो था उसको पैसों के लिए बेच दिया था ऑपरेशन सक्सेसफुल होने पे इसको ₹ लाख दिए गए थे तो ऐसे ही अजमल की तरह लश्करए तैबा ने टोटल 32 लड़के ढूंढे थे जो कि यंग थे घर से भागे हुए थे अनमैरिड थे पढ़े-लिखे नहीं थे इन सबको इकट्ठा करके एक टीम बनाई और इंडिया के खिलाफ एक प्लान रेडी किया अब इसके बाद इनकी ट्रेनिंग स्टार्ट करवाई जाती है लश्कर की जो ट्रेनिंग है वो तीन फेजेस में होती है लास्ट में एक फेज और होता है तो इनकी टीम बना के इनकी ट्रेनिंग का काम स्टार्ट करा दिया जाता है तो पहले फेज की जो ट्रेनिंग होती है उसको कहते हैं दौरा ए सूफा ये फर्स्ट फेज की ट्रेनिंग होती है टोटल 21 दिन की ट्रेनिंग होती है और इस फेज की ट्रेनिंग को स्टार्ट करने से पहले ही जो भी सुन्नी थे इस ग्रुप में उनको कन्वर्ट करवा दिया गया था फिर सबको एक रिलीजियस ट्रेनिंग दी गई मॉर्निंग में ये लोग उठते थे जल्दी उठते थे पीटी वगैरह करते थे और बेसिक रिलीजस ट्रेनिंग जो होती थी इस फेज में यही होती थी और ये जो फर्स्ट फेज की ट्रेनिंग थी इसके जो उस्ताद थे वो थे फहद उल्ला और मुफ्ती अ उस्ताद मतलब कि जो ट्रेनिंग करवाता है उसको उस्ताद बोलते हैं लोग और ये जो पहला फेज था इसी टाइम पे इन को हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी से मिलवाया जाता है अब ये जो दौरा सूफा का जो फर्स्ट फेज था इसमें से जो लड़के सेलेक्ट होते हैं उसको उस्ताद फहद उल्ला इसका लेटर मिलता है भाई वसूल दौरा ए अम्मा का जिसका मतलब ये था कि सेकंड फेज दौरा ए अम्मा जो था मनसेर मरकज के अंदर जो होना था उसके लिए ये लोग क्वालीफाई कर गए और ये लेटर उसी के लिए था अब ये जो सेकंड फेज था दौरा अम्मा ये भी 21 दिन का होता है जिसको करने के लिए इन लोगों को 12 घंटे बस में बैठ के पाकिस्तान के मनसेर ले जाया जाता है और फिर मसेरा से इनको माउंटेन में ले जाया जाता है जहां पे इनकी फिजिकल ट्रेनिंग होती है बंदूकों और बारूद को असेंबल करना मैप रीडिंग सैटेलाइट फोन जो होते हैं उनको यूज करना इनके बनाए हुए कोड रीड करना फर्स्ट एड हर एक चीज सिखाई जाती है ये जो सेकंड फेज की ट्रेनिंग थी इसको कंप्लीट करने के कुछ दिन बाद इन लड़कों को वापस घर भी भेज दिया जाता है एक हफ्ते के लिए और इसी टाइम पे जब अजमल घर गया था तो उसने अपनी मदर को बताया था कि वो क्या कर रहा है और अजमल ने अपने दोस्तों को जो ये कराटे वगैरह सीखी थी वो भी करके दिखाया था अब जब इनका एक हफ्ता पूरा हो जाता है और ये लोग वापस आते हैं तो इनको लश्करे तोई के ऑफिस जो था जो कि मॉडल टाउन डिस्ट्रिक्ट ओका में है वहां पे बुलाया जाता है और फिर वहां से इनको पीओके के चहल बंदी हिल्स जो कि मुजफ्फराबाद में है वहां भेजा जाता है थर्ड फेज के लिए और ये जो थर्ड फेज था ये सबसे टफ था इस थर्ड फेज का नाम था दौराई खस्सा ये जो थर्ड फेज था इसमें एडवांस्ड कॉम्बैट की ट्रेनिंग दी जाती है और उस एरिया के अंदर जो सेटलमेंट था उसको बैतुल मुजाहिद्दीन बोला जाता है यहां से कश्मीर और इंडिया के खिलाफ अटैक वगैरह प्लान किए जाते हैं और ट्रेनिंग दी जाती है और इंडिया की तरफ से भी जब रिटल आता है तो इन्हीं सब इलाकों को टारगेट किया जाता है अभी ये जो थर्ड फेज की ट्रेनिंग थी एडवांस थी तो इनके जो उस्ताद थे वो भी चेंज हो जाते हैं यहां पे जो इनके उस्ताद थे वो थे अबू मुआविया और अबू हंजा जो इनको घंटों बारूद और बंदूक देके बिना थके चलाने को कहते थे ट्रेनिंग देते थे उनको और इनको एक और ट्रेनिंग करवाते थे जिसमें 60 घंटे तक बिना कुछ खाए हुए हैवी माउंटेन प चढ़ वाते थे ये ट्रेनिंग सबसे लंबी चलती है करीब ढाई महीने तक चलती है इसमें सबसे ज्यादा लोग एलिमिनेट होते हैं इस लास्ट वाले फेज में 10 लड़के ऐसे थे जो ट्रेनिंग के बीच में ही भाग गए थे इस पूरी ट्रेनिंग के दौरान लश्कर का जो है हेड है हाफिज सईद जकी उर रहमान लखवी और काफाम मॉनिटर करते थे और ये जब आते थे तो इनको सारे उस्ताद और जितने लड़के थे वो मिलिट्री स्टाइल में सैल्यूट करते थे तो तीसरा फेज खत्म होने के बाद 15 लड़के बचते हैं और ये जो 15 लड़के थे इनको फोर्थ फेज की ट्रेनिंग दी जाती है जिसका नाम था दौराई रिब्बत इसमें इंटेलिजेंस की जो ट्रेनिंग है वो दी जाती है कि अगर कोई फॉलो कर रहा है तो क्या करना है लोकेशन और कोऑर्डिनेट्स ना मिले तो क्या करना है इस ट्रेनिंग के बाद दो और लड़के भाग जाते हैं टोटल 12 बजते हैं और आगे बढ़ के अगस्त 2008 आते-आते 10 लड़के जो थे वो इस ट्रेनिंग को कंप्लीट करते हैं मतलब कि अगस्त 2008 में इनकी ट्रेनिंग कंप्लीट हो जाती है शुरू से लेक आखिरी तक जो ट्रेनिंग हुई थी उसमें टोटल 15 उस्ताद यानी कि 15 ट्रेनर थे ये उन 15 ट्रेनर्स के नाम थे बीच-बीच में एक मेजर जनरल साहब नाम से भी एक आदमी आता था सब उसको मेजर मेजर कहते थे इसको कहा जाता है कि पाकिस्तान की आर्मी से था इसका रियल नेम जो है वो आज की डेट तक नहीं पता चला अब इस ट्रेनिंग को खत्म करने के बाद टोटल 10 लोग थे जिनकी स्ट्रेंथ बढ़िया थी जो हर राउंड में बाकियों को ओवर शैडो कर रहे थे और इन 10 के अंदर भी जो स्माइल था वो सबसे नंबर वन पे था इसीलिए उसको मुंबई अटैक का जो मिशन था उसका आमीर बनाया गया था यानी कि वो जो 10 लड़के होंगे उनका हेड बनाया गया था तो टोटल 10 लड़के सेलेक्ट हो चुके थे ये उनके असली नाम और उनके रियल एड्रेस है जैसे मिलिट्री के अंदर अगर आपको पता हो तो बडी सिस्टम होता है वैसे ही इनको भी दो-दो के ग्रुप में बांट दिया गया था जिसको ये बुढिया कहते थे यानी कि टोटल पांच टीम थी एक टीम में दो बंदे थे जैसे कसाब और इस्माइल एक टीम में थे और यही पांच टीमें अलग-अलग डायरेक्शन में कोऑर्डिनेटेड तरीके से मुंबई के अंदर अटैक करती हैं वो अभी आगे बताऊंगा आपको अब ये जो 10 लड़ के फाइनल हुए थे इसके एक मंथ बाद यानी कि सितंबर 2008 में इनको ट्रेन से कराची ले जाया जाता है और अजीबा बाद मोहल्ला एक जगह वहां पे सीक्रेट इनको रखा जाता है ये जो एरिया है ये समुद्र के पास था तो इनकी जो ट्रेनिंग है जो मरीन ट्रेनिंग है वो शुरू होती है इसके बाद ये जो ट्रेनिंग हुई थी इस ट्रेनिंग में इनको सी में ले जाके दो बोट में बैठा दिया जाता है और हकीम साहब नाम से एक आदमी था वो इनकी तीन दिन तक ट्रेनिंग करवाता है जिसमें समुद्र की गहराई समझना डायरेक्शन समझना नॉटिकल माइल क्या होता है वो समझना मछली पकड़ना भी सिखाया जाता है और स्विमिंग वगैरह हर एक चीज सिखाई जाती है इस पूरी ट्रेनिंग के लास्ट में इनको किस जगह पे टारगेट करना है कौन सी रोड पकड़ के टारगेट तक पहुंचना है ये सारी चीजें इनको वीडियो से समझाई गई और यहां पे सबसे मेन रोल प्ले करते हैं यूएस में बैठे दो स्कूल फ्रेंड डेविड हेडली और तहव्वुर राना तहूर राना जो अपनी वीजा कंसल्टेंसी चला रहा था फर्स्ट वर्ड इमीग्रेशन सर्विसेस नाम से उससे जाके हेडली मिलता है और ये दोनों प्लान बनाते हैं कि अगर इंडिया रेगुलरली विजिट करना है तो इंडिया के अंदर हमारी जो यहां की कंपनी है इसी की एक ब्रांच खोल देते हैं और फिर आगे चलके इनकी जो वीजा कंसल्टेंसी कंपनी थी इसकी एक ब्रांच यह मुंबई में खोल देते हैं अब डेविड हेडली जो था वोह अंग्रेजों की तरह दिखता था इसका पासपोर्ट यूएस का था और एक यूएस की कंपनी इंडिया के अंदर अपनी ब्रांच खोल रही है तो इससे कोई भी दिक्कत नहीं आई इनको कंपनी खोलने में और यह मैं ऐसे ही बस हर जगह पे पाकिस्तान का नाम ऐसे ही नहीं इवॉल्व कर दे रहा हूं यूएस में जो हेडली का केस चल रहा था उसके जजमेंट और चार्जशीट की कॉपी मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दी है जिसकी पूरी इन्वेस्टिगेशन यूएस के जो ऑफिसर्स थे उन्होंने की है तो आप जाके एक बार कंफर्म भी कर लेना अब इसके बाद डेविड हेडली जो था वो अपने ने वीजा के काम बता के सितंबर 2006 में पहली बार इंडिया पहुंचता है ये इसकी एयरपोर्ट से निकलते हुए फोटो है यहां पहुंच के इसने एक्सटेंसिव सर्विलांस किया फोटो वीडियो टेप्स कई टीवी का डाटा इकट्ठा किया ताजमहल होटल ओबराय होटल द लियोपोल्ड कैफे नरीमन हाउस सीएसटी ट्रेन स्टेशन और इन सबके साथ-साथ लैंड कहां करना है कहां लैंड करना सबसे ज्यादा फीजिबल रहेगा इन सब की वीडियो बना के सारे इनपुट पाकिस्तान को दे दी है और ये सिर्फ एक बार नहीं गया था ये फरवरी 2007 में गया फिर सितंबर 2007 में गया इसके बाद ये जोड था लश्कर की जो लीडरशिप थी उसने कहा कि इस बार अगली बार जब जाना है तो तुमको पानी के रास्ते से जाना है और वहां का सारा रूट कैप्चर करना है और वहां की छोटी से छोटी डिटेल्स लेनी है और हेडली बिल्कुल ऐसा ही करता है नेक्स्ट टाइम अप्रैल 2008 में जब हेडली जाता है तो पानी के रास्ते से जाता है और एक-एक चीज की वीडियो बनाता है और छोटी से छोटी डिटेल को नोट करता है और वो पाकिस्तान को देता है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ इंडिया में आके वीडियो ही बना रता जो भी इंडिया के अंदर बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज थे पॉलिटिशियन थे उनसे रिलेशन बनाने की भी कोशिश करता था जैसे जब जुलाई 2008 में डेविड हेडली इंडिया आया तो इसने महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से जिम में जाके इससे मिलता और उनसे दोस्ती कर लेता इनफैक्ट इनडायरेक्टली एक बार हेडली जो था वो ड्राइव करते-करते राहुल भट्ट को वर्न भी करता है कि मुंबई में कुछ बड़ा होने वाला है और जब आगे चलके एक्चुअल में मुंबई पे अटैक हो जाता है तो उसके बाद भी ये जो डेविड हेडली था ये महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट को ईमेल किया था इसने ये वो ईमेल की कॉपी है तो डेविड हेडली की भेजी हुई सारी फुटेजेस जीपीएस कोऑर्डिनेट्स जो थे फोटोग्राफ्स वीडियोस इन सबको यूज करके लश्कर के अंदर एक जरार शाह नाम का एक आदमी था जो कि कंप्यूटर एक्सपर्ट था उसने पीपीटी बनाई रिपोर्ट बनाई और इन 10 लड़कों को सब कुछ समझाया कि कौन कैसे कब जाके और कहां अटैक करेगा और ये सारी चीजें एक बड़ी सी टीवी पे और 3d google3 ऑफ सितंबर 2008 इस दिन जकी उर रहमान लखवी जो है इनको आके बताता है कि 27th ऑफ सितंबर 2008 को रोजा है और इसी दिन अटैक किया जाएगा 10 के 10 ये जितने भी लड़के थे बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं कि अभी अटैक करेंगे लेकिन होता क्या है कि इसी पर्टिकुलर टाइम पे इंडिया का जो रॉ था उसको कुछ इंटेल मिलता है जिसकी वजह से जगह-जगह पे छापे पड़ने लग रहे थे मुंबई और दिल्ली जो था ये रेड अलर्ट पे था तो ये सारी न्यूज़ देख के लश्कर की जो लीडरशिप थी ये डिसाइड करती है कि जो 27 सितंबर की डेट है यह फीजिबल नहीं है तो इस डेट को ये लोग अटैक करना कैंसिल कर देते हैं और यह अटैक कैंसिल होने के बाद ये जितने 10 के 10 लड़के थे इनको अजजा बाद में ही रखा जाता है और ये सारे लोग बैठ के वेट कर रहे होते हैं कि अगली डेट कब आएगी और ये अटैक करने जाएंगे अब इसके बाद 21 ऑफ नवंबर 2008 को लखवी दोबारा आता है और इनको अनाउंस करता है कि 26th ऑफ नवंबर 2008 को ये लोग जाके मुंबई पर अटैक करेंगे तो 21 तारीख को ये बताया जाता है और उसके नेक्स्ट डे 22 ऑफ नवंबर 2008 को मॉर्निंग में 10 लड़कों को लेके जो लखवी था ये सी के पास पहुंच जाता है इनको इंडियन कपड़े दिए जाते हैं हाथ में कलावा पहनाया जाता है इंडियन फ्स और सिम दिए जाते हैं और यह कहा जाता है कि इनको सिर्फ और सिर्फ इंडिया जाके ही खोलना है कुछ कैश दिया जाता है ताकि वहां पे जाके टैक्सी वगैरह कर सके ड्राई फ्रूट्स के पैकेट दिए जाते हैं जीपीएस सैटेलाइट फोन सब दिया जाता है इनको फेक आईडी भी दी जाती है इनको ये इनकी फेक आईडी और डिटेल्स हैं और ये सारी चीजें देने के बाद लास्ट में इनको ये भी बोला जाता है कि वहां पे जब आप जाओगे तो बहुत भीड़ मिलेगी तो ये मत सोचना कि कौन मुस्लिम है और कौन हिंदू है सबको मारने की कोशिश करना और कोशिश करना कि अंग्रेज अगर मिले तो को ज्यादा टारगेट करना लेकिन जब होटल में जाना तो वहां पे मुस्लिम्स को छोड़ देना और ये सारे इंस्ट्रक्शन देके जकी उर रहमान लखवी जरार शाह अबू हमजा और काफाम 2008 को मॉर्निंग में 7:00 बजे रवाना कर देते हैं मुंबई पर अटैक करने के लिए शुरू में एक छोटी सी बोट में बैठ के डेढ़ घंटे तक सफर करते हैं उसके बाद 9:00 बजते हैं और 9:00 बजे के करीब अल हुसैनी नाम का एक शिप आता है उसमें ये सारे के सारे ट्रांसफर हो जाते हैं और इस अल हुसैनी शिप में पूरी रात बैठ के आगे बढ़ते रहते हैं अब अगले दिन 23 ऑफ नवंबर 2008 को 12:00 बजे इनको छोटी सी एक इंडियन बोट दिखती है दूर से ही उस बोट का नाम था कुबेर तो उसको ये हाथ हिला के इशारा करते हैं कि इनके इंजन की जो बेल्ट है वो निकल गई है इनको हेल्प चाहिए और जैसे ही बोट के अंदर जो फिशरमैन थे इनकी मदद करने आते हैं ये उस बोट पे कब्जा कर लेते हैं ये जो कुबेर बोट थी इस पे चार लोग थे जिसमें से तीन को ये मार देते हैं और जो मेन बोट चला रहा था जिसका नाम था अमरचंद उसको ही अपने साथ रखते हैं डायरेक्शन वगैरह दिखाने के लिए अच्छा ये जो अमरचंद था की भी एक कहानी है ये 6 महीने पहले गलती से इसने इंडिया का बॉर्डर पार करके पाकिस्तान चला गया था और 6 महीने वहां जेल काट के आया था तो इसमें ये भी कहा जाता है कि मे बी इसका भी कोई लिंक हो कि जब ये पाकिस्तान जेल में बंद था तो ये कब आता है किस लोकेशन से आता है वो पता हो क्योंकि ऐसा कोइंसिडेंस होना कि जो आदमी 6 महीने पहले बंद था उसी की वोट पकड़ना ये थोड़ा सा दिक्कत वाला था इसमें एक चीज और थी कि 1993 में जो मुंबई का अटैक हुआ था उसमें भी जो आरडीएक्स आया था वो इसी रास्ते से आया था तो इस एरिया में पूरी सिक्योरिटी लगा दी गई थी हेलीकॉप्टर वगैरह से भी पूरी निगरानी रखी जाती थी लेकिन 2000 6 में ये जो पूरी एक्सरसाइज होती थी जो पूरी मॉनिटरिंग होती थी इस एरिया की वो बंद कर दी जाती है इनफैक्ट अटैक से कुछ ही दिन पहले यूएस ने अल हुसैनी शिप के जो कोऑर्डिनेट्स थे पहले इंडिया को शेयर कर दिए थे कि कुछ होने वाला है कोस्ट पे उसके बाद भी कोई एक्शन नहीं होता है इनफैक्ट नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एम के नारायणन ने इंडियन नेवी के एडमिरल सुरेश मेहता और इंडियन कोस्टगार्ड को इंटल दिए थे कि ऐसा कुछ होने वाला है लेकिन उसके बाद भी कोई एक्शन नहीं होता है तो देखिए फिर इसके बाद ये इंडियन बोट जिसका नाम कुबेर था इस पे बैठ के कंटीन्यूअसली आगे बढ़ते रहते और डेट आती है 26 ऑफ नवंबर 2008 दिन के 4:00 बज रहे थे और इन लोगों को दूर से ही मुंबई की जो बिल्डिंग थी वो दिखने लगी थी तो ये समझ जाते हैं कि मुंबई आसपास आ गया है तो इनको डर था कि ये जो अमरचंद इन्होंने पकड़ के रख रखा है ये कोई हल्ला ना कर दे और कोस्टगार्ड आ जाए तो ये इसको भी मार देते हैं और मारने के बाद बोट के पीछे रख देते हैं अब इसके बाद ये लोग क्या करते हैं ये जो कुबेर बोट थी इसको ये छोड़ देते हैं e40 ज एम एच एल यह मॉडल नंबर था इस मॉडल नंबर की स्पीड बोट को पकड़ते हैं जिसका सीरियल नंबर 10200 015 था और एज पर प्लान अपना इंडियन वाला मोबाइल ऑन करते हैं हालांकि नेटवर्क उस समय नहीं आ रहे होते हैं और इसके बाद ये आगे मुंबई की तरफ बढ़ते रहते हैं और यहां से करीब फोर नॉटिकल माइल दूर था मुंबई इन से बोर्ड जो था वो स्माइल चला रहा था और नजीर जो था वो जीपीएस से डायरेक्शन वगैरह देख रहा था तो डेढ़ घंटा इस स्पीड बोर्ट को चलाने के बाद करीब 9:00 बज रहे थे रात के और यह मुंबई के बदवाप कोलावा के पास पहुंचते हैं यहां पे एक फिशर मैन कॉलोनी थी ये लोकेशन बहुत ही सोच समझ के डिसाइड की गई थी एक तो यहां पे सैंड का जो स्लोप था पानी से वह सिर्फ 10 मीटर का था जिससे इनको उतरने में आसानी होती दूसरा यह फिशरमैन कॉलोनी थी चौल थी आसपास तो उतरने के बाद इनके ऊपर ज्यादा शक नहीं होता किसी यह पौश इलाके में उतरते तो वहां पे शक ज्यादा होने के चांसेस थे दूसरी चीज़ जिस जगह पे उतरे थे वहां से थोड़ी दूर चलते ही मेन रोड आ जाती है जहां से 24 घंटे टैक्सी मिलती थी और इस जगह से अगर आप अटैक्स की लोकेशन भी देखोगे जैसे सीएसटी जिसको पहले टीएस स्टेशन भी बोला जाता था वह 3.5 किमी था ताज होटल 1 किमी था लियोपोल्ड कैफे 900 मीटर पे था तो बहुत ही सो समझ के इस लोकेशन को डिसाइड किया गया था अब यहां से प्लान ये था कि इस्माइल और कसार जो कि पेयर वन थे ये सीएसटी स्टेशन जिसको पहले वीटीएसई भी बोला जाता था वहां जाएंगे शोएब और नाजिर अहमद ये लियोपोल्ड कैफे जाएंगे जावेद और हफीज अरशद जो थे ये ताज होटल जाएंगे इमरान बाबर और नासिर जो थे वो नरीमन हाउस जाएंगे और फहद उल्ला और अब्दुल रहमान ये ओबराय होटल जाएंगे तो देखिए जैसे ही इनकी जो स्पीड बोट थी वो बदवाप कुलाबा के पास पहुंचती है तो इस पॉइंट से जो आठ आतंकी थे वो यहीं पे उतर जाते हैं और बाकी जो दो आतंकी थे वह बोट पे ही बैठे रहते हैं वह इसलिए बैठे रहते हैं क्योंकि इनको ओबरा होटल जाना था तो टैक्सी की बजाय अगर यह उसी बोट को मोड़ के वहां से जाएंगे तो जल्दी पहुंच जाएंगे इसलिए वो दोनों उसी बोट में बैठे रहते हैं ये देखिए बदवाप जो है इससे जो ओबरा होटल है वो इस साइड पड़ता है तो ये दोनों इस बोट को पकड़ के उरायो होटल की तरफ निकलते हैं अब इसी टाइम पे इसी चौल के अंदर एक आदमी रहता था भरत तमोर 9:1 पे यह ताज होटल का एंप्लॉई था तो जैसे ही ये अपने घर से ड्यूटी के लिए निकलता है इसको एक बोर्ट दिखती है जिसमें आठ लड़के 20 से 25 साल के उतर रहे होते हैं बाकी के जो दो थे वो उसी बोट पे रहते हैं ये इन लड़कों को रोक के पूछता भी है कि कहां जा रहे हो कुछ बोलते हैं कि हम स्टूडेंट वगैरह हैं लेकिन उसी बीच में कसाब थोड़ा चिल्ला के बोलता है कि अपने काम से मतलब रखो और आगे चलके भरत तमोर जो थे इन्होंने समझदारी भी दिखाई इन्होंने पुलिस को भी बताया कि ऐसे-ऐसे कुछ लोग उतरे हैं लेकिन पुलिस उस टाइम इतना सीरियसली नहीं लेती है अगर उसी टाइम पे पुलिस वगैरह आ गई होती तो शायद ये अटैक रुक भी सकता था तो अब इसके बाद आगे चलके ये आठों के आठों मेन रोड पकड़ते हैं और अपने-अपने टारगेट के लिए निकलते हैं इमरान बाबा और नासिर जो थे इनका टारगेट नरीमन हाउस था ये काफी पास में था तो ये पैदल निकलते हैं उधर की तरफ शोएब और नाजिर अहमद जो थे ये टैक्सी लेके लियोपोल्ड कैफे की तरफ निकलते हैं और इनके जस्ट पीछे टैक्सी पकड़ के हाफिज और जावेद जो थे वो ताजमहल की तरफ निकलते हैं और लास्ट पेयर जो था कसाब और इस्माइल खान ये टैक्सी पकड़ के निकलते हैं सीएसटी स्टेशन की तरफ और जब ये टैक्सी पकड़ते हैं तो इस्माइल आगे बैठता है पीछे की तरफ कसाब बैठता है और इस्माइल जो है जो ड्राइवर था उमेर उसको बातों में लगाता है और पीछे बैठ के कसाब बॉम में 9 वोल्ट की बैटरी सेट कर देता उसमें टाइमिंग सेट कर देता है 1 घंटा 15 मिनट की और ड्राइवर की सीट के नीचे वो बम लगा देता है अब इसके 16 से 17 मिनट बाद ही जो टैक्सी थी वो सीएसटी स्टेशन के पास पहुंच जाती है स्माइल और कसाब उतरते हैं अब इनको छोड़ के टैक्सी आगे जाती है और कुछ टाइम बाद लक्ष्मी नारायण गोयल जो थे वो इस टैक्सी को लेते हैं और जैसे ही टैक्सी विले पार्ले पहुंचती है धमाका होता है लक्ष्मी नारायण और उस्मान ड्राइवर जो था उनकी जान चली जाती है और आसपास के लोग बहुत ज्यादा घायल हो जाते हैं और इधर ये जो कसाब और इस्माइल थे करीब रात के 9:30 बज रहे थे इस पर्टिकुलर टाइम पे ये सीएसटी स्टेशन पहुंच गए थे और पहुंचते ही ये बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए थे क्योंकि जो सीडी इन्होंने देखी थी जो वीडियोस देखी थी उसमें बहुत ज्यादा भीड़ थी लेकिन जब ये इस स्टेशन पे पहुंचे रात में तो बहुत ही कम भीड़ थी जिसको लेके काफी गुस्सा भी हो गए थे और मोबाइल ऑन करके अबू हमजा को फोन मिला रहे थे लेकिन नेटवर्क नहीं था तो इनकी बात नहीं हो पाती है उसके बाद भी ये लोग मन मार के अपना स्टेशन के अंदर घुसते हैं सबसे पहले कसाब एक वॉशरूम देखता है उसमें जाता है म वगैरह जो थे उसमें बैटरी लगा के उनको रेडी करता है उसके बाद इस्माइल जो था वो वॉशरूम में जाता आता है वो हथियार वगैरह रेडी करता है रेडी करता है और वॉशरूम से बाहर निकल के आता है और दोनों रेडी होके अटैक करना स्टार्ट कर देते हैं शुरू में अजमल जो था वो बंदूक से गोलियां चला रहा था और स्माइल जो था वो एक बैग से हद गोले फेंक रहा था जो लोग वहां से बच के निकले उन्होंने बताया कि गोली चलाते हुए अजमल पागलों की तरह हंस रहा था जैसे कि कोई वीडियो गेम खेल रहा हो पुलिस वगैरह भी इनके ऊपर अटैक करती है लेकिन ये लोग गोलियों की बारिश कर देते थे उनके ऊपर हथ गोले फेंक देते थे तो इनको पता था कि पुलिस के पास जो हथियार है वो इनसे जीत नहीं पाएगी तो बहुत ही कॉन्फिडेंट थे और इसी टाइम पे विष्णु दता राम अनाउंसमेंट भी स्टार्ट कर देते हैं स्टेशन के ऊपर कि सारे पैसेंजर अपनी जान बचा के बाहर निकल जाए इस स्टेशन से और खाली कर दें इसको इस्माइल और कसाब ये दोनों 9:30 बजे के करीब इस सीएसटी स्टेशन में घुसे थे और 10:4 तक छह मैगजीन इन्होंने खाली कर दी थी और एक बैग खत्म कर दिया था ग्रेनेट का इसके बाद पूरा सीएसटी स्टेशन जो था वो खाली हो गया था 58 लोगों की जान चली गई थी 104 लोग घायल हुए थे और आठ पुलिस ऑफिसर जो थे वोह शहीद हो गए थे अब इसके बाद ये प्लेटफॉर्म नंबर वन से फुट ब्रिज पकड़ के बाहर निकलते हैं बद बदरुद्दीन तैया जीी मार्ग पे पहले टैक्सी ढूंढने की कोशिश करते हैं वो नहीं मिलती है कार पार्किंग में जाते हैं वहां पे कार खोलने की कोशिश करते हैं वो भी नहीं खुलती और जब कुछ भी काम नहीं करता है तो ये पैदल उसी रोड पे चलने लगते हैं तब तक पुलिस पीछा करते-करते आ जाती है इनके ऊपर काफी हैवी अटैक करती है तो ये लोग भाग के अपोजिट डायरेक्शन में कामा हॉस्पिटल था उसकी बाउंड्री में घुस जाते हैं करीब 10:5 का टाइम था और ये लोग उसी बाउंड्री पे चढ़ जाते हैं उसी बाउंड्री से चढ़ के ये लोग पुलिस के ऊपर अटैक करते हैं गोलियां मारते हैं बारूद फेंकते हैं और पुलिस को ज्यादा कुछ समझ में नहीं आ रहा था शुरू के 3 घंटे तो पुलिस यही सोचती रही कि शायद ये गैंग वॉर है अब ये जो इस्माइल और कसाब थे ये कामा हॉस्पिटल में घुस तो गए थे लेकिन शुरू में इनको पता नहीं था कि ये हॉस्पिटल है और फिर बाद में ये कामा हॉस्पिटल पे बोर्ड वगैरह देखते हैं ये जो हॉस्पिटल था ये वुमेन और चिल्ड्रन के लिए था तो इनको दूर से ही बच्चों के रोने की आवाज औरतों के चीखने की आवाज आ रही थी तो ये सुनके ही कावा हॉस्पिटल की जो बिल्डिंग थी उसके फ्लोर पे चढ़ने लगते हैं अब क्योंकि कामा हॉस्पिटल जो था वो इनके प्लान में नहीं था इसका ना तो कोई मैप था इनके पास ना कोई डिटेल थी तो ये रैंडम जगह-जगह पे घुस के सबको मारने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वहां पे एक चीज अच्छी हुई थी कि सारे लोगों ने मिलके लॉक लगा दिया था सारे गेट लॉक लॉक कर दिए थे और लोहे के जो गेट थे लॉबी के वो भी लॉक कर दिए थे और लाइट जो थी वो बंद कर दी थी करीब एक घंटे तक ये दोनों उसी हॉस्पिटल में घूमते रहते हैं और फिर फ्रस्ट्रेट होके हॉस्पिटल की जो दीवार थी उससे कूद के साइड वाली रोड पे आ जाते हैं इनको समझाया गया था कि सीएसटी स्टेशन पे अटैक करने के बाद इनको मालाबार हिल पे पहुंचना था और वहां पे अटैक करना था तो ये ट्राई कर रहे थे कि कुछ गाड़ी वगैरह पकड़ के वहां तक पहुंचे लेकिन रोड पूरी तरीके से खाली थी और रात का टाइम भी था और अंधेरा था तो ये लोग ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहे थे इधर पुलिस कंट्रोल रूम से हेमंत करकरे जी जो कि मुंबई एटीएस के हेड थे उनको कॉल आता है कि ऐसा ऐसा अटैक हो गया है उस टाइम पे वो खाना खा रहे थे वो अपने साथ एसीपी अशोक काम थे विजय सालसकर जी इनके साथ सीएसटी स्टेशन पहुंचते हैं फिर वहां से ही वायरलेस पे इनको पता चलता है कि कामा हॉस्पिटल के साइड वाली जो गली है वहां पे दो लोग बंदूक के साथ दिखे हैं जिन्होंने सीएसटी स्टेशन पे अटैक किया था तो हेमंत करकरे जी वाइट कलर की कॉलिस गाड़ी उठाते हैं और जहां पे इंफॉर्मेशन आई थी कि कसाब और स्माइल और ये दो लोग देखे गए हैं उस तरफ निकल जाते हैं ये जो वाइट क्वालिस गाड़ी थी इस गाड़ी को विजय सालसकर चला रहे थे उनके बगल में हेमंत करकरे और अशोक कामत जीी बैठे थे और क्वालिस की जो पीछे वाली साइड थी वहां पे हेड कांस्टेबल अरुण जादव और उनके साथ तीन सिपाही और बैठे थे अब जैसे ही ये कॉलेज गाड़ी उस एरिया में पहुंचती है उधर से कसाब और इस्माइल भी इस गाड़ी को देख लेते हैं ये झाड़ियों में छुप जाते हैं और जैसे ही गाड़ी पास में आती है उस पे अंधाधुन फायरिंग करते हैं गाड़ी के अंदर से भी फायरिंग होती है और कसाब के दोनों हाथों में गोली लग जाती है और उसके बाद कसाब और इस्माइल ये दोनों दो मैगजीन उस पूरी पुलिस की गाड़ी पे खाली कर देते हैं और इधर से पुलिस की जो बंदूकें थी वो इतनी एडवांस नहीं थी कुछ देर वेट करने के बाद स्माइल और कसाब को जब लगता है कि अब कोई नहीं बचा है तो गाड़ी के पास जाते हैं गाड़ी ये बहुत देर से ढूंढ रहे थे क्योंकि इनको गाड़ी पकड़ के मालाबार हिल जाना था तो आगे ड्राइवर सीट जो थी वहां से ये दोनों हेमंत करकरे अशोक कामत और विजय सालसकर जी जो कि शहीद हो चुके थे उनको गाड़ी से बाहर कर देते हैं गाड़ी के पीछे भी जाते हैं ताकि वहां के जो पुलिस वाले थे उनको भी बाहर कर सके लेकिन पीछे का जो डोर था वो बंद था तो ये उसको एज इट इज छोड़ देते हैं और ड्राइवर सीट प बैठ के मला बार हील की तरफ निकल जाते जाते हैं इनको लगता है कि पीछे जितने भी सिपाही और वो हैं उनकी जान जा चुकी है लेकिन गाड़ी में पीछे जो हेड कांस्टेबल अरुण जादव जी थे उनके कंधों पे गोली लगी थी लेकिन उनमें जान थी और बाकी जो सिपाही थे उनको जो गोली लगी थी उनकी जान चली गई थी वो उनके ऊपर गिर गए थे और साथ में योगेश पाटिल भी थे उनमें भी जान थी लेकिन वो बेहोश हो गए थे तो अरुण जादव जो थे वो कसाब और इस्माइल जो आगे बैठे थे उनकी सारी बातें सुन रहे थे इस्माइल गाड़ी चला रहा था कसाब जो था वो रोडो पे अंधाधुन फायरिंग कर रहा था उस गाड़ी का टायर भी फट गया था लेकिन वो लोग फुल स्पीड पे गाड़ी चला रहे थे अरुण जादव जो थे वो सारी बात सुन रहे थे लेकिन वो कुछ रिएक्ट नहीं कर रहे थे उनके हाथ से थोड़ी दूर पे रिवॉल्वर भी थी उन्होंने एक बार को ये भी सोचा कि वो रिवॉल्वर उठा के कसाब और इस्माइल जो है उनके पीछे सर पे गोली मार दे लेकिन उनके भी कंधे और पैर में गोली लगी हुई थी तो वो चाह के भी उस बंदूक को उठा नहीं पा रहे थे इसी बीच में योगेश पाटिल जी जो थे उनको गोली लग चुकी थी वो बेहोश थे उनकी जेब में मोबाइल पड़ा था वो रिंग करता है अचानक से तो कसाब पीछे देखता है और गोली चला देता है और उस गोली की वजह से वो भी शहीद हो जाते हैं अब ये जो गाड़ी थी इसका टायर एकदम खराब हो गया था ये गाड़ी आगे चल नहीं पा रही थी और अपोजिट डायरेक्शन से एक ska1 2jp 1276 गाड़ी आ रही थी और उसमें समित विजय जो थे वो अपनी फैमिली के साथ बैठे हुए थे इन दोनों ने बंदूक की नोक पे उनको रोका उनसे कार लेते हैं लेकिन अच्छी बात यह थी कि जल्दी-जल्दी में उस फैमिली पे ये लोग गोली मारना भूल जाते हैं और जब ये लोग गाड़ी चेंज कर लेते हैं उसके बाद अरुण जादव फोन करके इंफॉर्मेशन लगा देती है बहुत ही स्ट्रांग बैरिकेडिंग लगाती है अब जैसे ही स्माइल और कसाब इस बैरिकेडिंग के पास पहुंचते हैं तो उनको समझ में आ जाता है कि बैरिकेडिंग जो है यह कार से क्रॉस नहीं कर पाएंगे कार वहीं अटक जाएगी लेकिन उसके बगल में ही एक डिवाइडर था जिसकी लेंथ छोटी थी तो स्माइल सोचता है कि उस डिवाइडर से निकलने की कोशिश करता है वो लेकिन निकल नहीं पाता है और वहीं डिवाइडर में उसकी गाड़ी फंस जाती है और जैसे ही गाड़ी धीरे-धीरे फंसती है डिवाइडर पे पुलिस वाले धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं कसाब बंदूक उठाने की कोशिश कर रहा था उसी टाइम पे तुकाराम ओमल जी जो कि आर्मी से रिटायर होक मुंबई पुलिस में एएसआई बने थे उन्होंने उसको पकड़ा लेकिन कसाब ने उसी टाइम पे गोली चला दी और वो शहीद हो जाते हैं यहां से पुलिस कसाब और इस्माइल को पकड़ के हॉस्पिटल ले जाती है इस्माइल तो हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते ही मर जाता है लेकिन कसाब जो था वो जिंदा पकड़ा जाता है अब इधर ये जो पहला पेयर था इनका स्माइल और कसाब का ये तो पकड़ा जाता है दूसरी तरफ जो बाकी ग्रुप भी थे वो अपने प्लान को सेम टाइम पे एग्जीक्यूट कर रहे थे जैसे शोएब और नाजिर जो थे इन्होंने भी उसी टाइम पे टैक्सी पकड़ी थी और ये टारगेट के लिए निकल गए थे इनका जो टारगेट था वो लियो पोर्ट कैफे था और वहां पे अटैक करने के बाद इनको ताज होटल जाना था लिपोर्ट कैफे जो था वहां पे अंग्रेज बहुत ज्यादा आते थे बहुत बहुत ही फेमस कैफे है वो तो इसलिए इन्होंने उसको टारगेट किया था शोएब और नाजिर जो दूसरा पेर था जब ये टैक्सी पकड़ते हैं तो ये भी सेम इस्माइल और कसाब की तरह टैक्सी के अंदर बम रख देते हैं और फिर थोड़ी देर में लियोपोल्ड कैफे आता है वहां पे उतर जाते हैं और जो टैक्सी ली थी इन्होंने आगे चलके करीब 10:30 बजे के करीब मजगांव एरिया था एक वहां पे जाके उसमें ब्लास्ट हो जाता है और उस टैक्सी के जो ड्राइवर फूलचंद्र और दो पैसेंजर भी थे उसमें जरीना और रीमा मोहम्मद उनकी भी जान चली जाती है और रोड के बाहर 19 लोग इंजर्ड भी हो जाते हैं जब इसमें ब्लास्ट होता है तो और इधर ये दोनों लियोपोल्ड कैफे में घुस जाते हैं अंधाधुन फायरिंग करते हैं हाथ गोले फेंकते हैं और लियोपोल्ड कैफे में 11 लोगों की जान चली जाती है और 28 लोग जख्मी हो जाते हैं उसके तुरंत बाद यह लोग ताज होटल की तरफ निकल जाते हैं एज पर द प्लान और जब यह ताज होटल की तरफ निकल रहे थे तो गोकुल वाइन शॉप लेन थी उसमें दूसरा बम लगा देते हैं लेकिन कोई देख लेता है उसको मुंबई पुलिस को इफॉर्म कर देता है मुंबई पुलिस सही टाइम पे आके उसको डिफ्यूज कर देती है अब इसके बाद इनका जो तीसरा पेयर था हाफिज हया और जावेद ये टैक्सी पकड़ के ताज होटल की तरफ निकलते हैं और ताय होटल पहुंचने के बाद ये लोग मेन गेट से घुसते हैं और लॉबी में घुसते ही जैसे ही एंट्री करते हैं अंधाधुन गोली चलाना चालू कर देते हैं और इसी टाइम पे गौतम अडानी दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्मद शरीफ के साथ डिनर कर रहे थे ताज होटल के अंदर और वो बिल पे करके एग्जैक्ट उसी टाइम पे लॉबी की तरफ जा रहे थे लकिली गौतम अडानी को इनके जो एसोसिएट थे वो इंफॉर्मेशन उसी टाइम पे वो वहां से रुक जाते हैं और कॉफी पीने के लिए जो सेकंड राउंड ऑफ मीटिंग होती है उसके लिए निकल जाते हैं और इधर से ये जो दोनों आतंकी थे ये लॉबी के अंदर गोली चलाते हुए जब आगे की तरफ बढ़ते हैं तो पूरे ताज होटल में पता चल जाता है और गौतम अडानी जो थे उनको कॉफी छोड़ के इनकी जो टीम होती है वो होटल के किचन में ले जाती है उसके बाद बेसमेंट में ले जाती है और इनको रेस्क्यू करा लिया जाता है इधर से हाफिज और जावेद जो थे वो लॉबी से फायरिंग करते हुए सीढियों के रास्ते से फिफ्थ फ्लोर पे पहुंचते हैं जहां पे इनको पहले से ही पता था कि बिजनेस सेंटर है तो इनका मकसद ये था कि किसी बड़े आदमी को पकड़ के इंडियन गवर्नमेंट से नेगोशिएट ट करेंगे अब इस फ्लोर पे इनको ज्यादा कुछ नहीं मिलता है तो ये एक फ्लोर और ऊपर जाते हैं सिक्स्थ फ्लोर पे और रात के 11:30 बज रहे थे सिक्स्थ फ्लोर पे पहुंचते ही इनको एक रूम की जरूरत थी क्योंकि वहां से इनको फोन प बात वगैरह करनी थी तो ये रूम नंबर 520 इसको खुलवाने की कोशिश करते हैं लेकिन पूरे होटल में हल्ला हो गया था तो उस पर्टिकुलर रूम में कॉर्पोरेट बैंक के जो फॉर्मर चेयरमैन थे के आर रामामूर्थी वो थे उनको पता था कि अटैक चल रहा है तो उन्होंने दरवाजा नहीं खोला लेकिन ये लोग दरवाजे को हथियार से मार के खोल देते हैं और घुस जाते हैं रामामूर्ति जो थे वो वॉशरूम में छुप जाते हैं वहां भी आतंकी घुस जाते हैं इनके कपड़े से ही इनको वॉशरूम के अंदर बांध देते हैं और बांधने के बाद ये लोग रूम में जाते हैं वहां पे 30 मिनट तक पाकिस्तान में किसी से बात करते रहते हैं जिसको ये चाचाचा बोलते हैं इसके बाद सोहेल और नाजिर जो थे ये भी ताज होटल पहुंच जाते हैं और एंट्री करते हुए स्विमिंग पूल का जो एरिया था वहां पे पहुंच जाते हैं और अंधाधुन फायरिंग करते हैं और फायरिंग करते-करते चार लोगों को पकड़ लेते हैं और उनको हॉस्टेस बना के जिस रूम में इनके साथी थे रूम नंबर 520 वहां पे ये चारों मिलते हैं और इस फ्लोर पे पहुंचते ही करीब 2:30 बज रहे थे रात के इस फ्लोर पे ये जो सिक्स्थ फ्लोर था इस पे आग लगाना चालू कर देते हैं ये जो 520 रूम नंबर था इसको एक तरह से कंट्रोल रूम बना लेते हैं बैक टू बैक फोन पे पाकिस्तान से बात कर रहे थे ये जितने भी लोग थे हॉस्टेस थे इनकी आईडी google2 से नेगोशिएट करने में आसानी होगी तो मारने से ज्यादा इनका ज्यादा फोकस था किसी बड़े आदमी को पकड़ के उसको हॉस्टेस बना के इंडियन गवर्नमेंट से नेगोशिएट करें ये चारों जो थे ये चारों बिल्कुल डरे हुए नहीं थे एकदम रिलैक्स थे आराम से इधर-उधर जा रहे थे कुछ मिल मिल रहा तो खा भी ले रहे थे किसी भी तरीके की इनके चेहरे पे शिकन नहीं थी ये तीन फोन नंबर ये आतंकी यूज कर रहे थे जिस पे इनको इंस्ट्रक्शन दिए जा रहे थे कि बेडशीट वगैरह पे आग वगैरह लगा दो और पाकिस्तान में जो आदमी बैठा था वो इस नंबर से कॉल कर रहा था ये लैंडलाइन नंबर था ये इतने आईपी एड्रेस जो थे वो ट्रेस हुए थे जिनकी लोकेशन पाकिस्तान में मिली थी और ये तीन सेटेलाइट फोन थे जिनकी डिटेल ये है इन गैजेट्स को यूज करके ये कंटीन्यूअसली पाकिस्तान में बात कर रहे थे तो इसके बाद ये जो रूम नंबर 520 था जिसको ये कंट्रोल रूम की तरह यूज कर रहे थे इसमें आग लगाने का ट्राई करते हैं और पूरे रूम में धुआ धुआ हो जाता है और इसके बाद ये जो चारों आतंकी थे रूम बंद करते हैं हॉस्टेस को वहीं पर छोड़ देते हैं और बाहर निकल जाते हैं और वहीं दूसरी तरफ जो हॉस्टेस थे वो बेडशीट का यूज करते हैं और जो रूम की खिड़की थी उससे लटक के उतर जाते हैं और दूसरी तरफ ये जो चार आतंकी थे ताज होटल की जो लॉबी वगैरह थी वहां पे अंधाधुन फायरिंग कर रहे थे गोलियां चला रहे थे पोजीशंस ले रहे थे और ऐसे करके इन्होंने 30 से ज्यादा लोगों की जान ले ली ताज होटल के अंदर अब इसके बाद जो इनकी चौथी टीम थी जिसमें इमरान बाबर और नासिर थे ये भी उसी पर्टिकुलर टाइम पे पैदल पैदल निकल चल के नरीमन हाउस पे पहुंच गए थे और नरीमन हाउस की तरफ चलते-चलते एसबीएस रोड थी जहां पे एक एक्सप्रेस पेट्रोल पंप था वहां पे इन लोगों ने पं लगा दिया था और दूसरा ब जो इनके पास था वो इन लोगों ने नरीमन हाउस पहुंचते ही जैसे ये घुसते हैं पार्किंग एरिया में वहां पे लगा दिया था अब ये जो नरीमन हाउस है ये पांच फ्लोर की बिल्डिंग है इसको 2 साल पहले चाबाद ऑफ इंडियन ट्रस्ट जो कि एक जूस ऑर्गेनाइजेशन है उसने खरीदा था इसके अंदर जूस जो है वो आके रुकते हैं प्रेयर भी करते हैं साथ में लेकिन इजराइल के प्रीस्ट जो थे गैब्रियल और उनकी वाइफ रिवका अपने दोत साल के बच्चे मोज के साथ यहां पे परमानेंटली रहते थे इनके जो हेल्पर थे वो उस दिन इस बिल्डिंग में थे नहीं वो बाहर गए हुए थे और कुछ गेस्ट आए हुए थे ये जो दोनों आतंकी थे जब इसमें घुसते हैं तो किसी को मारते नहीं है सबको बंदी बना लेते हैं इंडियन गवर्नमेंट से नेगोशिएट करने के लिए ट्राई करते हैं और इसी बीच में पाकिस्तान से बैक टू बैक इनके पास फोन आ रहे थे उधर से जो पाकिस्तान का बंदा फोन कर रहा था वो इनको इंस्ट्रक्शन देता है कि जो मेक्सिकन सिटीजन थी नॉर्मा नाम की इसकी बात आप मीडिया से करवा दो लेकिन ध्यान से करवाना यह बाकी डिटेल्स ना दे दे अच्छा अगर मैं आपसे कहूं तो ये मैक्सिकन औरत है इसका अगर मतलब मीडिया में इससे हम बात करवाए ये खुद मीडिया को बताए कि भाई मेरे साथ यू हो रहा है तो मतलब मैं बचना चाहती मुझे बचाया जाए लेकिन है ये आपना ख्याल ये रखना है कि ये ना कोई भी ऐसी बात आप लोगों के हवाले से ना कितने लोग हैं यहां पर कितने रग माली है ऐसी बात ना देखिए जो पाकिस्तान में जितने भी लोग बैठ के इनसे बात कर रहे थे अलग-अलग पॉइंट पे चाहे वो ताज होटल हो नरीमन हाउस हो बाकी जितनी भी जगह इन लोगों ने फोन से बात करी है वर्ड बाय वर्ड मैंने डिस्क्रिप्शन में लिंक दे दिया आप चाहे तो उसमें भी पढ़ सकते हैं अ ये जो आतंकी थे इन लोगों ने नरीमन हाउस के अंदर तो बना रखा था लेकिन आसपास की जो बिल्डिंग थी उसपे गोली चला रहे थे हथ गोले फेंक रहे थे उसमें भी कई लोगों की जान गई बहुत देर ये लोग ट्राई करते हैं इंडियन गवर्नमेंट से बात करने के लिए इनफैक्ट इजराइल की जो एंबेसी थी वहां पे भी फोन लगवा हैं लेकिन बात नहीं बनती है तो ये लोग फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं नरीमन हाउस के अंदर ये लोग नौ लोगों की जान ले लेते हैं अब इनका जो पांचवां पेयर था जो लास्ट पेयर था अब्दुल रहमान जिसको छोटा भी बोलते हैं और फहद उल्ला जो वोट लेके ओबराय होटल की तरफ गए थे ये भी उसी पर्टिकुलर टाइम पे पहुंच गए थे ये बोट साइड में लगाते हैं और ओबराय होटल जो था उसकी लॉबी में घुसते हैं बुरी तरीके से ये लोग फायरिंग करते हैं उसके बाद जो लॉबी थी उसके साइड में ही होटल का एक रेस्टोरेंट था उसकी तरफ जाते हैं करीब 50 से 60 लोग उस रेस्टोरेंट के अंदर डिनर कर रहे थे लेकिन गोली की आवाज सुनते ही वो लोग जो रेस्टोरेंट का मेन गेट था जो एंट्रेंस थी उसको बंद कर देते हैं लेकिन ये जो आतंकी थे दोनों ये गोली मार के उसको तोड़ देते हैं लेकिन तब तक अच्छी बात यह थी कि 50-60 ये जो लोग थे वहां से भाग जाते हैं लेकिन उसके बाद भी दो होटल का जो स्टाफ था जॉर्डन और प्रदीप इनको ये पकड़ लेते हैं उनको धमकी देते हैं कि अगर आगे भागे तो गोली से मार देंगे उसके बाद ये जो आतंकी थे जॉर्डन को बोलते हैं कि यहां से जितनी भी अल्कोहल है उसको उठाओ फर्नीचर और पर्दों में आग लगा दो जॉर्डन जैसा बताया जाता है वैसा करता है लेकिन आग लगाने के टाइम पे वो इतना ज्यादा डर गया था उसके हाथ इतने ज्यादा कांप रहे थे कि उससे लाइटर ही नहीं जल रहा था और फहद उल्ला जो आतंकी था वो देख के इतना गुस्सा हो जाता है कि उसको गोली मार देता है इसके बाद ये सेम चीज प्रदीप को करने को कहते हैं कि फर्नीचर और पर्दों में आग लगाओ अल्कोहल उठा के प्रदीप बिल्कुल वैसा ही करता है आग लगा देता है उसके बाद प्रदीप से पूछते हैं कि ये जो वीआईपी गेस्ट है उनका फ्लोर कहां पे है लेकिन प्रदीप जो था वो थोड़ी सी चालाकी दिखाता है वो कहता है कि वीआईपी गेस्ट जो है वो ऊपर फ्लोर पे हैं लिफ्ट से जाना पड़ेगा प्रदीप लिफ्ट में घुस के बटन दबा देता है लिफ्ट बंद हो जाती है और ये दोनों बाहरी ही रह जाते हैं लिफ्ट के और एक बार जब लिफ्ट का दरवाजा बंद हो जाता है ये लोग बहुत गोली चलाते हैं लेकिन प्रदीप जो था वो बच के निकल जाता है पूरे होटल में घुस के उसके बाद ये लोग हथ गोले फेंकते हैं गोलियां चलाते हैं और 35 लोग थे उराए होटल के अंदर 35 लोगों की जान ले लेते हैं लोग तो एक ग्रुप जो था इनका इस्माइल और अजमल वाला जो सीएसटी गया था उसमें से पुलिस ने इस्माइल को मार दिया था और अजमल जो था उसको अरेस्ट कर लिया था दूसरा ग्रुप जो था इमरान बाबर और नासिर ये नरीमन हाउस में थे और तीसरा और चौथा ग्रुप टोटल चार लोग ये ताज होटल में थे और जो पांचवां ग्रुप था वो ओबराय होटल में था अब यहां से ये हुआ था कि रोड वगैरह पे गोली चलना बंद हो गई थी और पुलिस का सारा फोकस तीन जगह पे था ताज होटल नरीमन हाउस और ओबराय होटल और अब यहां से ये भी क्लियर हो चुका था कि कोई गैंग वॉर नहीं है बल्कि एक आतंकी हमला है और ये आतंकी हमला भी कोई छोटा-मोटा हमला नहीं था इतना सिस्टमैटिक था कि सिर्फ 10 लोगों ने एक पर्टिकुलर टाइम पे पूरे मुंबई को कंट्रोल कर रखा था अच्छा इसमें एक चीज और की थी इन लोगों ने जितने आतंकी थे इन लोगों ने इंडिया के जितने भी मीडिया हाउसेस थे उनको ईमेल भेज दिया था मिस लीड करने के लिए ताकि ऐसा लगे कि ये जो हमला किया गया है ये इंडिया का ही कोई ग्रुप है जो कश्मीर के लिए अटैक कर रहा है ये वो पर्टिकुलर ईमेल है जो इन लोगों ने मीडिया हाउस को भेजा था इसमें ऐसा प्रिटेंड किया था इन्होंने जैसे इंडिया का ही कोई ग्रुप है जिसका नाम है मुजाहिद्दीन हैदराबाद डेकन तो अब इसके बाद होता क्या है कि रात में ही महाराष्ट्र गवर्नमेंट जो थी वो हरकत में आती है और सेंट्रल गवर्नमेंट से हेल्प मांगती है कि एनएसजी कमांडो भेजो कर जब से अटैक स्टार्ट हुआ था उसके तीन घंटे बाद ही महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने एक तो डेल्ली फोन करके वहां से हेल्प मांगी थी एनजी कमांडो की दूसरा मरीन कमांडो जो थे जो महाराष्ट्र के थे और उनका एक बेस मुंबई के अंदर भी था उनको भी इफॉर्म कर दिया था अब यहां पे भी चीजें आसानी से नहीं होती हैं जैसे ही इफॉर्म किया जाता है एनएसजी कमांडो तो एकदम से रेडी हो जाते हैं 360 एनएसजी कमांडो जाने के लिए रेडी थे लेकिन पता चलता है कि जो एयरक्राफ्ट है जिसमें इन कमांडो को लेके जाना है वो एयरक्राफ्ट तो चंडीगढ़ में है वो अवेलेबल ही नहीं है अब इसके बाद एक घंटा और लग जाता है यह सब सोचने में और डिसाइड होता है कि पालम एयरपोर्ट है वहां पे एक एयरक्राफ्ट रेडी है उसको मंगा के एनर्जी को बैठा के भेज दिया जाना चाहिए लेकिन इसमें भी एक दिक्कत थी यह जो एयरक्राफ्ट था ये काफी छोटा था इसमें सिर्फ 120 ही एनर्जी कमांडो जा सकते थे लेकिन बहुत लंबे डिस्कशन के बाद ये डिसाइड होता है कि 360 की जगह 120 एनएसजी कमांडो जो है उनको ही इस एयरक्राफ्ट में बैठा के भेज दिया जाना चाहिए अब ये डिसाइड करने में कि इस एयरक्राफ्ट से जाना है इस एयरक्राफ्ट के क्रू को रेडी करने में और फ्यूल रेडी करने में ढाई घंटा और लग जाता है अब इसके बाद इस एयरक्राफ्ट में 120 एनर्जी कमा ंड बैठ के निकलते हैं नॉर्मली ये जो रूट है इसमें दो से ढाई घंटे लगते हैं मैक्सिमम लेकिन इसमें भी पता नहीं क्या होता है कि इसमें भी तीन घंटे लग जाते हैं पहुंचने में और पहुंचना भी ऐसा नहीं कि ये सीधे टारगेट पे पहुंच गए थे इतने घंटे में ये सिर्फ मुंबई एयरपोर्ट पे पहुंचे थे अभी टारगेट पे जाने में और टाइम लगना था तो जितने भी इशू मैंने आपको बताए इसकी वजह से सात से आठ घंटे से ज्यादा लग जाता है एनर्जी कमांडो को मुंबई के एयरपोर्ट पे पहुंचने पे अब इसके थोड़ी देर बाद ही ये लोग तीन ग्रुप में डिवाइड होके तीनों टारगेट पे पहुंचते हैं और मरीन कमांडो जिनका बेस ऑलरेडी मुंबई में था उनको भी ती घंटे लग गए गए थे वहां पहुंचने में और ये सारी की सारी डिटेल जो थी मीडिया वाले लाइव टेलीकास्ट कर रहे थे और आप अगर पाकिस्तान और इन आतंकियों की कन्वर्सेशन सुनोगे तो आपको पता चलेगा कि इस चीज से कितनी हेल्प हुई थी सारी एक-एक डिटेल भेजी जा रही थी कि कमांडो लेट हो गए हैं हेलीकॉप्टर यहां उतर रहा है अभी कमांडो आया नहीं है मरीन वाले यहां पे हैं तो इनसे बहुत सारी डिटेल इनको पता चल गई थी अब इसके बाद भी जो तीन लोकेशन थी उनके मैप वगैरह ऑलरेडी रेडी होने चाहिए थे जब ये लोग आ रहे थे इस लोकेशन पे लेकिन वो भी नहीं किए गए तो एनर्जी कमांडो जब होटल ओवरए और ताज होटल पे पहुंचे तो इनके पास एंट्री एग्जिट का जो नक्शा होता है सीसीटीवी रूम इनमें से किसी का भी जो लेआउट था वो रेडी नहीं था अब कायदा तो यह कहता है कि जब वो ट्रैवल करके आ रहे थे फ्लाइट में थे तभी ये सारी चीजें रेडी हो जानी चाहिए थी लेकिन कुछ रेडी नहीं थी जब ये लोग पहुंचते हैं उसके बाद ये सब चीजें रेडी होती हैं एक तरह से देखा जाए तो ये जो आतंकी थे उनके पास इनसे ज्यादा डिटेल्स थी लेकिन ये सारे डिले होने के बाद भी ये जो एनएसजी कमांडो थे ये ऑपरेशन स्टार्ट करते हैं 26 नवंबर 2008 को अटैक किया था इन आतंकियों ने 28 नवंबर 2008 को मॉर्निंग में 7:00 बजे जो ओवरल होटल था वहां पे सब सबसे पहले सिक्योरिटी फोर्सेस जो थी वो इन दो आतंकियों को मार देती हैं इसके बाद 28 नवंबर को रात में 8:30 बजे सिक्योरिटी फोर्सेस नरीमन हाउस में जो दो आतंकी थे उनको मार देती हैं और फिर इसके बाद सबसे लास्ट में 29th ऑफ नवंबर 2008 को अ करीब 60 घंटे लग गए थे इस पूरे प्रोसेस में मॉर्निंग में करीब 9:00 बजे ताज होटल में जो चार आतंकी थे उनको भी सिक्योरिटी फोर्सेस मार देती है और हमारी तरफ से भी संदीप उन्नी कृष्णन जी और रिजर्व पुलिस फोर्स जवान राहुल शिंदे शहीद हो जाते हैं लड़ते-लड़ते और ये जो पूरा मुंबई अटैक हुआ था इस में 176 लोगों की जान चली गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि कुक एफएम की ऑडियो बुक 46 इंडिया रेस्क्यू ऑपरेशन अगेंस्ट आईएसआईएस इसको जरूर सुनिए लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन थैंक यू sXmrh4fJoaE,Unemployed Boy Saves Lives In India Gate Attack | Lakhvi's Code | Nitish Rajput | Hindi,2023-11-24T14:30:14Z,PT23M55S,3487626,127454,4484,https://www.youtube.com/watch?v=sXmrh4fJoaE,, मशीन गंस मिलिट्री टैंक्स हर जगह पे हर एक आदमी के ऊपर पॉइंट करके खड़ी थी और इसी के थोड़ी देर बाद विवेक जो है वो जोर से चीखता है और कहता है कि ये लोग साइबर कैफे में रेगुलर कस्टमर बनके गए और साइबर कैफे के जितने भी कंप्यूटर थे लेकिन ये जो चाचा वर्ड यूज हुआ था इसको सुनते ही सबके कान खड़े हो जाते हैं इन्होंने एल के आडवानी जी को स्टेप बाय स्टेप एक ये ऐसे भेजा गया था कि लोगों को लगे कि कोई गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड आपस में एक आतंकी की जेब में से इनको एक डायरी मिली थी जकी उर रहमान लखवी के लिए यूज करते हैं इसका जब आईटी एड्रेस ट्रेस किया गया तो व निकलता है इस्लामाबाद पाकिस्तान से और इनको पकड़ना तो दूर की बात बेसिक जो कोड था वह भी नहीं पता कर पा रहे थे लोग देखिए इडिया गेट अगर हम सिविक अथॉरिटीज के डटा के हिसाब से देखें तो इडिया गेट पे वीक डेज पे 10000 और वीकें पे 20000 से ज्यादा लोग अपने बच्चों और फैमिली के साथ वहां पे आते हैं अब आप सोच के देखिए कि अगर गलती से भी कोई आतंकवादी यहां पे हमला करने में कामयाब हो गया तो कितना बड़ा डैमेज हो सकता है सोचने में भी आपको डर लगेगा लेकिन एक्चुअल में एक टाइम ऐसा था जब आतंकवादी इंडिया गेट पे एक प्रॉपर अटैक प्लान करके एग्जीक्यूट करने वाले थे और फिर एक अनइंप्लॉयड लड़के ने जो सिर्फ एक दिन पहले दिल्ली में आया था उसने लास्ट मूमेंट पे इस पूरे अटैक को रोक दिया आप में से शायद कई लोगों को याद भी होगा कि पहले जब इंडिया गेट पे आप जाते थे तो इंडिया गेट को आप पास जाके टच भी कर सकते थे लेकिन आज की डेट में अगर आप देखोगे तो इंडिया गेट के पास एक बैरिकेड लगा होता है सिक्योरिटी फोर्सेस होते हैं तो थोड़ा दूर से आपको देखना होता है इस इंसिडेंट के बाद ही वहां पे वो सिक्योरिटी लगी थी अब देखिए हम लोग हमेशा अटैक्स के लिए अपनी एजेंसीज को टाइम टू टाइम बले करते हैं लेकिन एक ऐसा इंसीडेंट था जहां पर हमारी एजेंसीज ने ना जाने कितने लोगों की जान बचाई थी उस टाइम पे इंडिया गेट हमारी एजेंसीज और एक अनइंप्लॉयड लड़का यह जो स्टोरी है यह हमारे देश में ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाई है लेकिन मैं इस वीडियो में छोटी से छोटी डिटेल्स आपके सामने रखूंगा और कुछ भी अपने मन से नहीं बोलूंगा एक-एक डिटेल जो उस टाइम के डेल्ली स्पेशल सेल के हेड थे नीरज कुमार उन्होंने ऑन रिकॉर्ड कंफर्म कि है वो एज इट इज आपके सामने रखूंगा अब देखिए जैसा कि आपको पता है कि पुलिस डिपार्टमेंट अपने-अपने स्टेट में काम करती है और पुलिस डिपार्टमेंट में भी हर स्पेसिफिक टास्क के लिए अलग-अलग टीम्स होती हैं जैसे एटीएस एसटीएफ सीआईडी क्राइम ब्रांच और आप ये भी बहुत अच्छे से जानते होंगे कि दिल्ली जो है वो नेशनल कैपिटल होने की वजह से दिल्ली के अंदर एक छोटा सा भी इंसिडेंट होता है तो वो सिर्फ इंडिया के अंदर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के अंदर हेडलाइन बनाता है और इन्हीं सब रीजंस की वजह से डेल्ली हमेशा से आतंकियों के निशाने पे रहता है और इन्हीं सब चीजों से डील करने के लिए दिल्ली पुलिस में एक अलग से स्पेशल सेल बनाई गई थी और ये जो स्पेशल सेल थी इसका काम काम था कि जितने भी आतंकी हमले प्लान हो रहे हैं उनको होने से पहले ही काउंटर करना दिल्ली की ये जो स्पेशल सेल थी चाहे 2001 का पार्लियामेंट अटैक हो 2000 का रेड फोर्ट अटैक हो तब उस टाइम पे काफी अच्छे से काम किया था इन्होंने जयश मोहम्मद और लश्करए तैबा के पूरे नेटवर्क को एक्सपोज किया था बहुत ही बढ़िया रोल प्ले किया था इन्होंने और इन्हीं तरीके के अटैक्स को काउंटर करने के लिए स्पेशल सेल के जो ऑफिसर्स थे वो कश्मीर वगैरह भी जाते रहते थे क्योंकि आतंकियों को अगर कुछ भी दिल्ली के अंदर करना होता था तो उसके जो लिंक होते थे वो कश्मीर से ही मिलते थे वहीं से उनकी एंट्री भी होती थी ऑपरेशन भी वहीं से ही एग्जीक्यूट होते थे तो देखिए अब होता क्या है कि 2002 में ये जो डेल्ली स्पेशल सेल था इसके हेड बनते हैं नीरज कुमार और इसी स्पेशल सेल में नीरज कुमार के साथ थे 35 साल के एसीपी प्रमोद कुशवाहा प्रमोद जो थे इस पूरे स्पेशल सेल डिपार्टमेंट में अकेले थे जिनको आईटी और सॉफ्टवेयर की बहुत अच्छी नॉलेज थी और स्पेशल सेल को जवाइन करने से पहले भी इन्होंने गवर्नमेंट की प्रीमियर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन जो थी एज अ कंप्यूटर साइंटिस्ट वहां पे इन्होंने काम भी किया था अब देखिए आगे बढ़ने से पहले मैं आपको आज के हमारे स्पांसर मेको टूटस के के बारे में बताना चाहूंगा जो कि एक इंडियन इनविजिबल टीथ लाइनर ब्रांड है आप कितना भी ऊपर से खुद को प्रेजेंटेबल बना लो लेकिन अगर आपने ओरल हाइजीन पे ध्यान नहीं दिया तो आपको जरूर एंबेरेसमेंट का सामना करना पड़ेगा खराब टीथ अलाइन मेंट की वजह से बहुत से लोगों के दांतों में फूड पार्टिकल्स फंसे रह जाते हैं जो बाद में कैविटी बन जाते हैं अब इसका एक सॉल्यूशन तो ये है कि आप कन्वेंशनल मेटल ब्रेसेज यूज करें लेकिन मेटल ब्रेसेज लगवाने का जो पूरा प्रोसेस है वो बहुत ही पेनफुल है उनको निकाल भी नहीं सकते और काफी फूड रिस्ट्रिक्शंस भी आपको फॉलो करनी होती है और वहीं इसका बेटर अल्टरनेटिव है मे ओ टूथसी के टीथ अलाइन करस ये अलाइन आपके टेढ़े मेढ़े दांतों को सीधा और दांतों के बीच के गैप्स को बंद करते हैं बस 6 से 10 महीनों में और सबसे अच्छी बात ये है कि ये जो एलाइनर्स हैं ये इनविजिबल और रिमूवेबल है तो ना तो ये दिखेंगे ना ब्रेसेज की तरह आपको खाने के टाइम पे कोई दिक्कत आएगी लाइनर्स बनवाने का जो प्रोसेस है वो काफी सिंपल है बस मेको टूथसी की वेबसाइट पे जाएं और एक टीथ स्कैन बुक करें और ये जो स्कैन है ये आप अपने घर पे या फिर इनके एक्सपीरियंस सेंटर्स में भी करवा सकते हैं और फिर आप जैसे ही अपना स्माइल प्लान अप्रूव कराओ ग कुछ ही दिनों में आपके कस्टमाइज अलाइन जो हैं वो रेडी हो जाएंगे तो अगर आप भी अपने टीथ अलाइन मेंट इशू को फिक्स कराना चाहते हैं लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है आप उस पे क्लिक करके फ्री टीथ स्कैन मेको टूथसी से बुक कर सकते हैं तो टॉपिक पे वापस आते हैं तो साल 2002 था और अक्टूबर के मंथ का लास्ट वीक था और एसीपी प्रमोद कुशवाहा जो थे इसी पर्टिकुलर टाइम पे दिल्ली के अंदर एक केस देख रहे थे और इसी केस से रिलेटेड कुछ इटल लेने के लिए इनको कश्मीर जाना पड़ता है ये वहां जाके अपने केस से रिलेटेड इंक्वायरी करते हैं और इसी के साथ-साथ इन्होंने वहां पे मल्टीपल ऑफिसर जो कश्मीर में आतंकियों को काउंटर करने के लिए काम कर रहे थे उनसे भी मुलाकात की और इसी टाइम पे इनकी मीटिंग होती है बीएसएफ के डेप्युटी कमांडेंट से ये जो बीएसएफ के डेप्युटी कमांडेंट थे इन्होंने कई सारे आतंकियों को कश्मीर के अंदर मार गिराया था और जिस टाइम पे प्रमोद कुशवाह कश्मीर पहुंचे थे उसी टाइम पे इन्होंने कुछ आतंकियों को मारा था और उन्हीं मरे हुए आतंकियों में से एक आतंकी की जेब में से इनको एक डायरी मिली थी और जब इनकी मीटिंग हुई प्रमोद कुशवाहा से तो यह जो डायरी थी इन्होंने प्रमोद कुशवाहा को भी दिखाई अब जब एसीपी प्रमोद ने उस डायरी को देखा तो उस डायरी में मल्टीपल एंट्रीज थी पेन से कुछ-कुछ डिटेल्स हर पेज पे लिखी थी एकदम खराब सी हैंडराइटिंग में और उस डायरी के सबसे लास्ट पेज पे एक ईमेल एड्रेस लिखा था राशिद 32 उनको ये ईमेल एड्रेस दिखाते हैं और उनसे कहते हैं कि इस ईमेल एड्रेस के बारे में वो कुछ काम करना चाहते हैं पता लगाना चाहते हैं अब इसके कुछ दिन बाद ऑफिसर प्रमोद ने सबसे पहला काम ये किया कि ये जो ईमेल आईडी थी इसका आईपी एड्रेस निकलवाया ताकि पता चल सके कि ये ईमेल आईडी चल कहां से रही है और जब इसकी डिटेल्स सामने आती हैं तो उसको देख के प्रमोद जो थे वो काफी सरप्राइज हो जाते हैं क्योंकि ये ईमेल आईडी मिली तो कश्मीर के आतंकवादी के पास से थी लेकिन इसको दिल्ली के अंदर एक आदमी यूज़ कर रहा था और जिस तरीके से यूज कर रहा था वो थोड़ा दिक्कत वाली चीज थी ये जो ईमेल आईडी थी इसको डेल्ली के अंदर एक आदमी अलग-अलग साइबर कैफे से यूज कर रहा था और एक बार जिस साइबर कैफे से उस ईमेल एड्रेस को वो आदमी यूज कर ले रहा था दोबारा उस कैफे में नहीं जा रहा था जैसे 1स्ट ऑफ फरवरी 2003 को पहाड़गंज के साइबर कैफे में ये आदमी जाता है वहां पे इस ईमेल आईडी को यूज करता है और उसके बाद दोबारा वहां पे नहीं जाता है ठीक इसके दो दिन बाद ड ऑफ फरवरी 2003 को दरियागंज के कैफे में आदमी जाता है वहां से इस ईमेल आईडी को यूज़ करता है और दोबारा फिर वहां नहीं जाता है और फिर इसके चार दिन बाद 7थ ऑफ फरवरी 2003 को मोतीबाग के कैफे में गया और ई ईमेल आईडी को यूज़ किया किसी को ईमेल आईडी से ईमेल भेजा और दोबारा उस कैफे में नहीं गया अब ये पर्टिकुलर पैटर्न जब सामने आया तो स्पेशल सेल के जो ऑफिसर्स थे उनके कान खड़े हो जाते हैं कि दिल्ली के अंदर बैठ के इस तरीके से एक आदमी ईमेल भेज किसको रहा है और क्या भेज रहा है उस ईमेल में अब इसके नेक्स्ट डे एसीपी प्रमोद जो थे वो अपने सीनियर नीरज कुमार से मिलते हैं और सब मिलके इस केस पे काम करने का डिसाइड करते हैं तो सबसे पहला काम ये लोग क्या करते हैं कि जिन-जिन कैफे के अंदर ये ईमेल एड्रेस यूज हुआ उसको मैप के ऊपर पॉइंट से लगाते हैं और जब ये सारे पॉइंट लगाते हैं तो एक पैटर्न बनता है जिसमें ये था कि ये आदमी लोकेशन तो चेंज कर रहा है लेकिन सिर्फ सेंट्रल दिल्ली का जो एरिया है वहां के कैफे यूज़ कर रहा है तो इसका मतलब ये है कि ये आदमी शायद सेंट्रल दिल्ली के अंदर ही रहता होगा अब इसके तुरंत बाद ये लोग नेक्स्ट स्टेप ये लेते हैं कि जितने भी कैफे थे जहां-जहां पे ईमेल एड्रेस यूज हुई थी जहां-जहां पे इनको डाउट था उस एरिया में ये लोग पुलिस तैनात कर देते हैं ताकि अगर कुछ रेगुलर कस्टमर बना के इन साइबर कैफे में भेजा यह लोग साइबर कैफे में रेगुलर कस्टमर बन के गए और साइबर कैफे के जितने भी कंप्यूटर थे उसमें एक फ्लॉपी डिस्क जो उस टाइम प फ्लॉपी डिस्क यूज होती थी उसको प्लांट करके एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया और इस सॉफ्टवेयर का काम यह था कि अगर कोई इनके कैफे में आके ईमेल टाइप करता है और ईमेल के अंदर ऐसे वर्ड यूज करता है जैसे कि फुटबॉल चाचा जी नेहा स्तूप लव यू यह वर्ड अगर यूज करेगा तो एसीपी प्रमोद जो थे उनके पास तुरंत अलर्ट चला जाएगा फिर उसके बाद प्रमोद जो है उस एरिया में जो पुलिस खड़ी है उसको इफॉर्म करेंगे और वो पुलिस उस पर्टिकुलर कैफे में जाके उस आदमी को पकड़ लेगी अब आपका अगला क्वेश्चन ये होगा कि ये जो सॉफ्टवेयर था इसके अंदर चाचा जी स्तूप फुटबॉल सिर्फ यही वर्ड क्यों डाले गए तो देखिए अभी थोड़ा सा वेट करिए अभी आगे आपको हर एक चीज समझ में आ जाएगी अच्छा इसमें एक दिन क्या होता है कि वो आदमी आता है कैफे में यूज भी करता है उस ईमेल एड्रेस को लेकिन वो बच के चला जाता है और वो इसलिए बच के चला जाता है क्योंकि उस पर्टिकुलर टाइम पे दिल्ली के अंदर दिल्ली पुलिस डे था और इसमें क्या होता है कि ऑफिसर्स और उनकी की यूनिट परेड करती है और स्पेशल सेल के जो एसीपी प्रमोद थे उनको इस परेड में एक यूनिट को लीड करने के लिए बोला गया था हालांकि इस चीज के लिए प्रमोद के जो बॉस थे नीरज कुमार उन्होंने इंसिस्ट किया कि परेड से इनका नाम हटा दीजिए ये एक इंपॉर्टेंट ऑपरेशन में काम कर रहे हैं लेकिन इनका नाम नहीं हटाया जाता है और उस दिन इनको परेड के लिए जाना पड़ता है और एज पर नीरज कुमार इनका नाम आसानी से हटाया जा सकता था लेकिन अपने ईगो को सेटिस्फाई करने के लिए कुछ ऑफिसर्स ने नहीं हटाया और इसकी वजह से एसीपी प्रमोद को मजबूरी में ऑपरेशन को बीच में छोड़ के परेड जॉइन करनी पड़ी सारे मैसेज जो थे वो एसीपी प्रमोद के पास आ रहे थे लेकिन वो परेड में इवॉल्व होने की वजह से रिक्वायर्ड एक्शन जो लेना चाहिए था वो नहीं ले पाते हैं और इसी वजह से उस दिन कैफे पे जो आदमी आया था ईमेल करके चला गया था उसको नहीं पकड़ पाते हैं लेकिन इसके बाद फिर से स्पेशल सेल जो थी वो अपना काम स्टार्ट करती है और इन ईमेल्स के बीच में क्या इंफॉर्मेशन एक्सचेंज हो रही है उसको ट्रैक करना स्टार्ट करती है बेसिकली जो भी ईमेल्स सेंड किए जा रहे थे दिल्ली के अलग-अलग साइबर कैफे से उसमें पैसे के ट्रांसफर की बात होती थी किराए पे घर लेकर छुपने की बात होती थी तो इससे स्पेशल सेल के सामने जो एक्चुअल पिक्चर थी वो क्लियर नहीं हो पा रही थी लेकिन इसके कुछ दिन बाद ये जो राशिद वाली ईमेल आईडी थी जो मैंने शुरू में बताई थी आपको राशिद 32x hotmail.com इससे एक ईमेल जाता है एक ईमेल आईडी पे और दूसरी ईमेल आईडी जिस पे वो भेजा जाता था वो ईमेल आईडी थी स् x hotmail.com और यह जो ईमेल भेजा गया था ये ऐसे भेजा गया था कि लोगों को लगे कि कोई गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड आपस में कन्वर्सेशन कर रहे हो शुरू में नॉर्मल मैसेज रहता था और उस नॉर्मल के बीच में यह लोग अपना हिडन मै मैसेज डाल के फिर भेजते थे ईमेल ये वो ओरिजिनल मैसेज था जिसमें शुरू में तो ये लिखा था माय डियर डार्लिंग आई एम सो हैप्पी दैट यू लव मी एंड यू आर मेड फॉर मी यू आल्सो नो दैट आई लव यू एंड दैट यू आर मोस्ट इंपॉर्टेंट टू मी इन दिस वर्ल्ड लेकिन इसके जस्ट आगे लिखा था डियर ब्रदर मुजलिन सलाम वालेकुम उनको मैंने ठहरा दिया है यह कॉलेज वाला इलाका है भीड़ भार मेन है सब ठीक है और कोई बात होगी तो मैसेज भेज देना चाचा जी को सलाम अर्ज करना आपका भाई अब देखिए इस ईमेल में सारी चीजें तो सही थी लेकिन ये जो चाचा वर्ड यूज हुआ था इसको सुनते ही सबके कान खड़े हो जाते हैं क्योंकि स्पेशल सेल का जो डिपार्टमेंट है उनको पता था कि आतंकवादी ये जो चाचा वर्ड है जकी और रहमान लखवी के लिए यूज करते हैं ये लश्कर तैबा का टॉप लीडर था इसी ने 2001 में पार्लियामेंट प हमला करवाया था आगे चलके जो मुंबई अटैक हुआ था 2611 उसके पीछे भी यही मास्टर माइंड था अगर आपने कन्वर्सेशन सुनी होगी तो उसमें भी चाचा वर्ड यूज हुआ था इसलिए सबके कान खड़े हो गए थे कि जरूर ये लखवी है जो डायरेक्ट बात कर रहा है तो बेसिकली इस ईमेल से इनको ये समझ में आ गया था कि जो लखवी है इंडिया के अंदर कुछ बड़ा प्लान कर रहा है और उसी के रिगार्डिंग बात चल रही है अब इसके बाद 11 फरवरी को फिर से ईमेल भेजा जाता है वही सेम ईमेल आईडी ras3 2xxx hotmail.com और वो भेजता है स् वाली आईडी पे st.com और उसमें भी सेम वही पैटर्न था शुरू में कुछ और बात लिखी थी और उस बात के बाद अपना रियल मैसेज लिखा था ये वो मैसेज था माय डार्लिंग आई एम कमिंग टू यू सून प्लीज वेट फॉर मी इट विल नॉट बी लॉन्ग बिफोर वी गेट मैरिड यू विल कम टू मी एंड आई विल कम टू यू इन योर आर्म्स प्लीज टेक मी एंड कीप मी फॉवर और फिर इसके बाद अपना ये रियल मैसेज शुरू करते हैं डियर ब्रदर मुजम्मिल सलाम वालेकुम आपका मैसेज मिला मैं उस आदमी से मिल लूंगा उसका नंबर अभी स्विच ऑफ है थोड़ी देर में फिर ट्राई करता हूं काम के बाद आपको मैसेज भेजता हूं आपका भाई और इस ईमेल के बाद भी ये लोग रुकते नहीं है 13 फरवरी को फिर से एक ईमेल आता है लेकिन इस बार एक चीज अलग होती है कि नई ईमेल आईडी पे मैसेज जाता है इस बार स्तू एक् एक हॉ मेल जो ईमेल आईडी थी वो एक नई ईमेल आईडी थी नेहा सिंह 1 xx2 hotmail.com इस पे ईमेल भेजा जाता है और वो मैसेज ये था नेहा डियर सलाम वालेकुम अल्लाह आपकी हिफाजत करें आप और भाई अपने काम पर लगे रहो बिफोर 15th ऑफ फरवरी 2003 को आपके शहर में तारीख उसको लेके आपके पास आ जाएगा फुटबॉल का क्या करना है आप बेहतर जानते हो मैच के बाद आप मुझे मैसेज दे देना कोई बात हो तो एक के जरिए मैसेज भेजना और ऑनलाइन हो जाना आपका भाई एम अब ये जो ईमेल था इसमें फुटबॉल का मतलब बॉम से कंपेयर करा जा रहा था और एक के जरिए कॉल करने का मतलब था कि यूएस के नंबर से कॉल करना क्योंकि यूएस का जो कोड है वो प्लस वन होता है और सेम डे कुछ देर बाद फिर से ईमेल आता है और इस बार राशिद की ईमेल आईडी पे जकी उर रहमान खुद डायरेक्ट मैसेज करता है और ईमेल आईडी यूज करता है स एओ @ hotmail.com और इसमें लिखा था राशिद भाई एओ ए आपके जिम्मे है वहां सब कुछ मैच की तारीख फिक्स होने तक प्लेयर्स का ख्याल रखना आपके जिम्मे है कोई बात होगी तो क्या करना है आप अच्छी तरह जानते हो और ये जिस ईमेल आईडी से ये भेजा गया था इसका जब आईटी एड्रेस ट्रेस किया गया तो वो निकलता है इस्लामाबाद पाकिस्तान से अब इसके बाद नेक्स्ट डे एक और ईमेल आता है और इस ईमेल में किस दिन अटैक होना था उसकी डेट का कंफर्मेशन होता है उस ईमेल में यह लिखा था डियर राशिद एओ ए मैच का डेट फिक्स हो गया है वर्ल्ड कप का फाइनल 25 को तय हुआ है टाइम वही है मैच का बेस्ट ऑफ लक जैद अब ये मैसेज देख के पूरा डिपार्टमेंट समझ जाता है कि 25 फरवरी को यानी कि 10 दिन बाद कुछ अटैक होने वाला है लेकिन जब तक ये नहीं पता चलेगा कि कहां होने वाला है ये लोग कुछ नहीं कर सकते थे इसलिए इनका नेक्स्ट टारगेट ये था कि कैसे भी करके कहां ये लोग प्लान कर रहे हैं उस चीज को पता कर सके अब जैसे-जैसे चीजें क्रिटिकल हो गई थी इस पूरी चीज को स्पेशल सेल के हेड नीरज कुमार इन्होंने उन्होंने अपने सीनियर और इंडिया की जो सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी थी उनको इफॉर्म किया अब होना तो ये चाहिए था कि जो सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसीज थी तुरंत इस ऑपरेशन में इनकी मदद करना शुरू करती लेकिन मदद करने की बजाय सेंट्रल एजेंसीज जो थी उसके कुछ ऑफिसर जो थे वो स्पेशल सेल के इस ऑपरेशन को क्वेश्चन करने लगे कि ऐसा कुछ नहीं है और आप लोग गलत चीज पे काम कर रहे हो तो बेसिकली नीरज कुमार जी का इस चीज पे ये कहना था कि सेंट्रल एजेंसीज जो थी उसके कुछ ऑफिसर्स जो थे उनका थोड़ा सा ईगो हर्ट हो गया था क्योंकि इतनी बड़ी चीज वो खुद नहीं पकड़ पाए और पुलिस की एक छोटी सी यूनिट ने पकड़ लिया लेकिन जब सारे इवेंट एक के बाद एक उनके सामने रखे गए तो बाकी जो ऑफिसर्स थे वो इनकी एजेंसी के साथ में आए और सबने साथ में मिलके काम करना स्टार्ट किया अब इधर ये जो एजेंसीज आपस में एक दूसरे को ब्लेम गेम खेल रही थी इसी बीच में 177th ऑफ फरवरी 2003 को सेम ईमेल एड्रेस से एक ईमेल आता है लेकिन इस बार लोकेशन चेंज होती है और जब इसकी ईमेल आईडी को ट्रेस किया जाता है तो इस्लामाबाद की जगह इस बार जो ईमेल आया था वो पेशावर से आया था लेकिन ये जो ईमेल आया था ये सबसे इंपॉर्टेंट ईमेल था क्योंकि इस ईमेल की सबसे अच्छी बात ये थी कि इसमें सारी डिटेल्स थी थी लेकिन बुरी बात यह थी कि जो भी डिटेल्स आई थी वो कोड में बनके आई थी और किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो कोड का मतलब क्या है और उस ईमेल में लिखा था मैच की जगह फिक्स हो गई है लेकिन उसके बाद खाली पॉइंट में नंबर लिखे हुए थे जैसे 0500 और लास्ट में जाके -7 लिखा था और ये डेसीमल में डिजिट लिखने के बाद नीचे लिखा था सबको बोल दें ग्राउंड देख लें प्लेयर को प्रैक्टिस करना है और इसी के बाद एक ईमेल और भेजते हैं उसमें तो कुछ भी नहीं लिखा था प्योर कोड लिखे हुए थे 7 0 2.5 अब सबको यह तो पता था कि इन्हीं कोड में सारी डिटेल्स है लेकिन इन कोड्स का मतलब क्या है यह कोई समझ नहीं पा रहा था और ये जो कोड भेजे गए थे इस बार नई ईमेल एड्रेस से भेजे गए थे जैसे पुराना मकान @ hotmail.com बथ d xh2 बस इतना टाइम था क्योंकि इस डेट को अटैक होना था तो ज्यादा टाइम नहीं था एजेंसीज के पास अब इसके बाद सारी एजेंसीज ने मिलके दिन रात एक करके इस कोड को क्रैक करने के लिए दिल्ली और इंडिया के कोने-कोने से जितने भी क्रिप्टोग्राफर थे उनसे कांटेक्ट किया आर्म फोर्सेस थी कुछ उनके पास गए कुछ गवर्नमेंट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन थी कुछ यूनिवर्सिटीज थी जो इस पे काम करती थी उनको सीक्रेट ये कोड भेजे गए लेकिन कोई भी इस कोड को क्रैक नहीं कर पा रहा था पूरी पूरी रात बैठ के इंटेलिजेंस एजेंसीज जो थी वो कोड का क्या मतलब है ये समझने की कोशिश कर रही थी और टाइम बहुत ही कम था इनफैक्ट एसीपी प्रमोद जो थे इनकी जान पहचान यूएस के अंदर एक क्रिप्टोग्राफी कंपनी थी उसके अंदर भी थी इन्होंने इस कंपनी से बात की तो उस कंपनी ने कहा कि तो एक क्रैक हो जाएगा लेकिन उन्होंने एक अमाउंट मांगा और व अमाउंट इतना ज्यादा था कि कोई इंडिविजुअल उसको पे नहीं कर सकता था उसके लिए गवर्नमेंट को ही बीच में आना पड़ता अब इस चीज को लेके सीनियर्स के साथ मल्टीपल मीटिंग्स हुई लेकिन फिर यह बोला गया कि फॉरेन एक्सचेंज में पैसा देना है और पैसा ज्यादा मांग रही है ये कंपनी जब तक अप्रूवल आएगा गवर्नमेंट वगैरह से तब तक बहुत लेट हो चुकी होगी अब इसके नेक्स्ट डे 19th ऑफ फरवरी 2003 को एसीपी प्रमोद जो थे उनके कॉलेज का एक जूनियर था जिसका नाम था विवेक ठाकुर जो कि अनप्लड था था और वो दिल्ली के अंदर जॉब ढूंढने आया था और दिल्ली में आने के बाद वो सीधे अपने सीनियर प्रमोद के पास जाता है और वहीं जाके रुकता है अब ये जो विवेक था ये कोई क्रिप्टोग्राफर नहीं था ना ही इसको कंप्यूटर कोर्स की इतनी ज्यादा कोई खास नॉलेज थी लेकिन विवेक जब अपने कॉलेज के सीनियर प्रमोद के पास पहुंचता है तो प्रमोद को देख के समझ गया था कि ये किसी बात को लेक परेशान है जिस तरह से प्रमोद इधर से उधर भाग रहे थे एंजाइटी हो रही थी उनको तो उसने पूछने की कोशिश की कि कोई बात हो गई है लेकिन प्रमोद ने ज्यादा कुछ डिटेल्स नहीं बताई बस इतना बताया कि एक इंपॉर्टेंट कोड है वो सॉल्व नहीं हो रहा है उसी के लिए सारे लोग परेशान है और विवेक जो था उसने भी कहा कि आप एक बार कोड मुझे दिखा दो मैं भी खाली टाइम में बैठ के देख लेता हूं कि क्या मैं इसको सॉल्व कर सकता हूं कि नहीं तो जो एसीपी प्रमोद थे उन्होंने विवेक को कोड तो दे दिया और इसके तुरंत बाद वो निकल गए कि इंडिया के जो बाकी क्रिप्टोग्राफर हैं उनसे बात करेंगे तो मल्टीपल मीटिंग्स करने लगे वो इस कोड को क्रैक करने के लिए अब इधर ये सारी चीजें चल रही थी और इसी बीच में एक और ईमेल आ जाता है जिसमें लिखा था ब्रदर अस्सलाम वालेकुम भाई मैं आज ही श्री से डेल आ गया हूं उस आदमी से राबता करके आपको खबर करता हूं सुंदर अब ये मैसेज जब देखते हैं तो एक तो वैसे ही कोड नहीं सॉल्व हो रहा था प्लस इस मैसेज से ये भी पता चल गया था कि जिन लोगों को अटैक करना था वो दिल्ली के अंदर भी पहुंच गए हैं तो टाइम बहुत ही कम बचा था इधर ये सारे लोग इकट्ठे हो रहे थे और इनको पकड़ना तो दूर की बात बेसिक जो कोड था वो भी नहीं पता कर पा रहे थे लोग दिल्ली बहुत ही बड़ा इलाका है तो बिना उस कोड को क्रैक करे ये पता नहीं चल सकता था कि अटैक कहां होगा और जब तक ये नहीं पता चलेगा कि अटैक कहां होगा तो उसको रोका नहीं जा सकता अब इसके बाद सेम डे एसीपी प्रमोद बाहर से मल्टीपल मीटिंग करके इस कोट को क्रैक करने के लिए व ऑफिस में आते हैं तो वो देखते हैं कि उनके कॉलेज का जूनियर विवेक जो था वो विजिटर्स काउच पे बैठा हुआ था पेन और पेपर लेके उसी कोड में लगा था अब ये जो विवेक ठाकुर था ये जो जॉब ढूंढने आया था ये कंप्यूटर कोड का एक्सपर्ट नहीं था लेकिन इसमें इतना ज्यादा इंटरेस्ट इसलिए ले रहा था क्योंकि स्कूल में इसके टीचर ने इससे रिलेटेड जीरो और बाइनरी का एग्जांपल देके कुछ समझाया था और इसको लग रहा था कि ये इसको सॉल्व कर लेगा और विवेक को लग रहा था कि ये जो कोड है ये उसी से कुछ मिलता जुलता है इसलिए वो ज्यादा इंटरेस्ट दिखा रहा था और इसी के थोड़ी देर बाद विवेक जो है वो जोर से चीखता है और कहता है कि अरे कोड क्रैक हो गया ये तो बहुत ही सिंपल है मेरे मैथ्स के टीचर ने एक बार स्कूल में सिखाया था तो अब ये सुनने के बाद जो प्रमोद थे वो शुरू में तो यकीन नहीं करते हैं वो कहते हैं कि बताओ क्या है इस कोड का मतलब और फिर वो बताना शुरू करता है तो देखिए इन्होंने इस कोड में क्या किया था इन्होंने हर अल्फाबेट को डेसीमल नंबर अलट किए थे जैसे ए जो था उसको पॉ 0 ऐसे ही जो लेटर बी था उसको पट व और ऐसे ही जो लेटर सी था उसको पट लेकिन जब 9 तक आ जाता था उसके बाद ये एक जीरो बढ़ा देते थे जैसे कि लेटर जे जो था वो आता था 9 पे और उसके बाद जो k आता था वो 00 हो जाता था जो l था वो 01 हो जाता था ऐसे करके हर अल्फाबेट को थ्री डेसीमल तक इन्होंने हर एक अल्फाबेट को असाइन कर दिया था जैसे z जो था वो 005 पे असाइन हुआ था तो इस तरीके से हर अल्फाबेट को एक नंबर असाइन हो गया था और इधर से जब ईमेल भेजा जाता था इन नंबर को तो इधर जो रिसीवर था वो इन नंबर्स को उन अल्फाबेट पे रखता था उससे वो मैसेज बनाता था और फिर उसको कन्वर्ट करके मैसेज ले लेता था और कहीं-कहीं पे ये मैसेज के लास्ट में -5 या -7 लिख देते थे जैसे -5 लिखा है तो फाइव डिजिट पीछे जाना होगा और जो नंबर आएगा वो नंबर को लेना है अब एसीपी प्रमोद जो थे वो अपने कॉलेज के फ्रेंड की बात तो समझ गए थे लेकिन ये अपने बॉस को बताने से पहले कंफर्म करना चाहते थे क्योंकि बहुत से लोगों की जान दाव पे लगी थी तो वो रिस्क नहीं लेना चाहते थे उन्होंने जो ईमेल आ रहे थे उनमें से एक कोड उठाया जैसे एक ईमेल में लिखा था डियर राशिद प्लीज मेक अ न्यू ईमेल आईडी देन मेल मी ऑन माय प्रेजेंट आईडी और फिर कोड लिखा था 002 1.004 इस तरीके से कोड लिखे हुए थे तो इस कोड को जब इन्होंने कन्वर्ट किया तो आया पुराना मकान और नेक्स्ट टाइम जब ईमेल आया तो जो ईमेल आईडी थी वो पुराना मकान नाम से ही बनी थी तो जैसे ही प्रमोद ये कंफर्म कर लेते हैं और थोड़ा रिलैक्स होते हैं और उनको समझ में आ गया था कि इसी तरीके से ये लोग मैसेज ट्रांसफर कर रहे हैं एक दूसरे से अपनी हायर अथॉरिटी को इफॉर्म करते हैं सब इस चीज को कंफर्म करते हैं और मेन मैसेज जो आया था अब उसको कन्वर्ट किया जाता है तो जब मेन मैसेज को कन्वर्ट किया जाता है तो वो कन्वर्ट होने के बाद आता है आई एनडी आई ए इंडिया जी एटी एक तो यहां से ये समझ जाते हैं कि इंडिया गेट की बात हो रही है एक्चुअली पाकिस्तान से जिसने यह ईमेल का कोड भेजा था उसने स्पेलिंग मिस्टेक कर दी थी इसीलिए इंडिया गेट में जी एटी की जगह g ए एक हो गया था अब इससे सारी चीजें कंफर्म हो गई थी कि 3 दिन बाद यानी कि 255th ऑफ फरवरी 2003 को ये लोग अटैक करने वाले हैं और इंडिया गेट लोकेशन है इनकी और इंडिया गेट का नाम सुनके डिपार्टमेंट जो था वह ज्यादा परेशान हो गया था क्योंकि बहुत ही भीड़ रहती है इंडिया गेट पे तो अगर यह अटैक कर देते हैं तो बहुत ज्यादा नुकसान होता है इनफैक्ट पार्लियामेंट पे जो हमला हुआ था उससे भी बड़ा अटैक हो सकता था ये अब इसके बाद सबसे पहला काम इन्होंने यह किया कि आम जनता जो इंडिया गेट के पास जाके छू रही थी इंडिया गेट वगैरह को वहां पे बैरी गड लगा दिया जाता है सिक्योरिटी लगा दी जाती है तो दूर से ही लोग इंडिया गेट को देख सकते थे इंडिया गेट के पास जाना अलाउड नहीं था और आज की डेट तक वैसे ही है और ये करने के बाद दूसरी चीज ये की गई कि सेम डे आधी रात को 22 ऑफ फरवरी 2003 को मिडनाइट इमरजेंसी मीटिंग की गई इस मीटिंग में उस टाइम के होम मिनिस्टर एल के अडवाणी जी के साथ और बाकी इंटेलिजेंस एजेंसी के ऑफिसर्स भी थे और स्पेशल सेल के जो हेड थे नीरज कुमार इन्होंने एल के अडवाणी जी को स्टेप बाय स्टेप एक प्रेजेंटेशन दी और समझाया कि किस तरीके से ये ईमेल आईडी मिली कैफे का कैसे यूज किया जितने भी ईमेल्स आए थे ये सारी चेन दिखाई और क्योंकि ये अटैक बहुत बड़ा हो सकता था पार्लियामेंट अटैक से भी बड़ा हो सकता था तो इस मीटिंग में ये डिसाइड हुआ कि इंडिया गेट पे अब इंडियन आर्मी को लगाना पड़ेगा अब अगले दिन 23 ऑफ फरवरी 2003 को मॉर्निंग के अंदर जब लोग इंडिया गेट में पहुंचते हैं तो इंडिया गेट का पूरा जो माहौल था वो चेंज हो रखा था इंडिया गेट के पास में इंडियन आर्मी अपने फुल गियर में मशीन गंस मिलिट्री टैंक्स हर जगह पे हर एक आदमी के ऊपर पॉइंट करके खड़ी थी लोगों को इंडिया गेट का जो पूरा नजारा था वो बिल्कुल ही चेंज दिखा बहुत ज्यादा सिक्योरिटी थी एज पर ईमेल जो आतंकियों ने ईमेल एक्सचेंज किए थे उसमें यह मेंशन था कि 23 ऑफ फरवरी को आतंकी जो है वहां पे जाएंगे वहां पे रैकी करेंगे लोकेशन जो थी उसको ऑब्जर्व करेंगे और एक प्लान बनाएंगे जिसका मतलब यह था कि जब वो सिक्योरिटी वहां लगी थी और जब वो ऑब्जर्व करने जा रहे थे तो जितने आतंकी थे उस टाइम पे वो भी वहां पे मौजूद होंगे और जैसे ही सिक्योरिटी इंडिया गेट पे लगती है ये जितनी ईमेल आईडी बनी थी ये सारी इन एक्टिवेट हो जाती हैं जितने भी मैसेज इधर से उधर जा रहे थे वो सब बंद हो जाते हैं और आज की डेट तक उन ईमेल आईडी पे कभी कोई बात नहीं हुई और बहुत ही बड़ा अटैक इडिया गेट पे जो होने वाला था एक अन एंप्लॉयड लड़का जिसको कंप्यूटर कोड तक नहीं पता थे कंप्यूटर का बैकग्राउंड नहीं था क्रिप्टोग्राफर नहीं था एक सिंपल से कोड को क्रैक कर दिया जिसको बड़ी-बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी जो थी वो नहीं क्रैक कर पाई थी एसीपी प्रमोद के दोस्त विवेक ठाकुर का सेम डे पे आना और एसीपी प्रमोद का कश्मीर जाना डायरी लेके वहां से ईमेल आईडी लेके आना ये एक बहुत ही बड़ा कोइंसिडेंस था जिसकी वजह से ना जाने कितने लोगों की जान बची और लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि मेको टूर स की वेबसाइट जरूर चेक करना फॉर देयर इनविजिबल टीथ अलाइन जो मेटल ब्रेसे की तरह आपके टेढ़े मेढ़े दांतों को सीधा करता है टू गिव यू अ कॉन्फिडेंट स्माइल अपना फ्री टीथ स्कैन बुक करने के लिए डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक पे क्लिक करना ना भूलें थैंक यू OWcOy7bkc-U,Indian Officers' Death Penalty In Qatar | Nitish Rajput | Hindi,2023-11-10T14:30:17Z,PT24M57S,3399382,93290,5861,https://www.youtube.com/watch?v=OWcOy7bkc-U,, इंडिया उस तरीके से प्रेशराइज नहीं कर सकता कतर को जिस तरीके से उसने कनाडा को किया था ये इन आठ नेवी ऑफिसर्स के घर जाते हैं और रात में ही पहुंचते हैं और कहते हैं कि कुछ इटली के अंदर एक प्रेजेंटेशन का स्क्रीनशॉट था वो लीक हो गया था मेटा मटेरियल यूज होता है उसकी कॉन्फिडेंशियल इंफॉर्मेशन जो थी वो इंडियन ऑफिसर्स ने इजराइल के साथ शेयर कि है ओमान की गवर्नमेंट जो थी वो अपने सिटीजन को बचा के ले गई थी लेकिन हम लोग आज की डेट तक फंसे हुए हैं इस चीज में कोई भी इंडियन को इसमें काम करने के लिए अलाव नहीं किया गया लेकिन इस केस की इतनी सीक्रेसी थी कि इससे रिलेटेड नेक्स्ट हियरिंग कब होगी ये डिटेल ये लॉ फॉर्म किसी से शेयर नहीं करती थी जब नोपुर शर्मा वाला केस हुआ था तो कतर पहला देश था जिसने जब फीफा के अंदर जाकिर नायक आया था एक रेस इंडिया और पाकिस्तान की भी रहती है सबमरीन को लेके दोनों एक दूसरे को लेकिन ये इंडिया की डिप्लोमेटिक लेवल पे बहुत बड़ी हार थी देखिए इंडिया के आठ रिटायर्ड नेवी ऑफिसर्स को और वो भी ऐसे ऑफिसर जिसमें से कोई गोल्ड मेडलिस्ट है किसी को प्रवासी भारतीय सम्मान मिला हुआ है इनको कतर के अंदर डेथ पेनल्टी दे दी गई है यह चीज किसी भी कंट्री के लिए कोई छोटी बात नहीं है यह मामला क्या है और इस पूरे इंसीडेंट से इजराइल का क्या लेना देना है इंडिया की तरफ से जो इसके लिए स्टेप्स लिए गए हैं क्या उनसे इस सजा को टाला जा सकता है यह नेवी ऑफिसर्स वहां पे करने क्या गए थे और कतर की सबमरींस की डिटेल शेयरिंग करने वाले इशू में हमारे इंडियन नेवी ऑफिसर्स का नाम कैसे आ गया तो एक्चुअल में हुआ क्या है छोटी से छोटी डिटेल्स हम इस वीडियो में डिस्कस करेंगे कतर में आठ भारतीयों को मौत की तदा ये आठ लोग नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं हैव बीन इन कंटीन्यूअस टच विद द कता गवर्मेंट आई अयोर यू दैट दे आर वेरी मच स्ट्रंग इन आवर [संगीत] देखिए आगे बढ़ने से पहले मैं अपने आज के स्पंस कोडिंग इनवेटर के बारे में आप सबको बताना चाहूंगा इंफ्लेशन और रिसेशन की वजह से सैलरी हाइक एंड जॉब अनसेटिस्फेक्शन पीक पे है एंड करियर स्विच इज द ओनली सॉल्यूशन आप करियर स्विच करने से पहले काफी चीजें रिसर्च करनी होती है जैसे स्कोप ऑफ फील्ड जॉब डिमांड वगैरह और इस सबके हिसाब से डेटा एनालिस्ट का रोल काफी हाई डिमांड में है क्योंकि पूरी दुनिया डेटा ड्रिवन हो चुकी है चाहे एंटरटेनमेंट हो या फिर फाइनेंशियल फील्ड हर जगह डेटा एनालिसिस की जरूरत पड़ती है तो क्य क्यों ना आप भी डिमांडेड करियर में एंट्री लें कोडिंग इवेडर के साथ सिर्फ n.com पे 15 लाख से ज्यादा वैकेंसीज है और कोडिंग इवेडर का 933 पर प्लेसमेंट का रेट है 20000 से ज्यादा स्टूडेंट्स ऑलरेडी पढ़ रहे हैं इनकी करियर सर्विस टीम कोर्स कंप्लीशन के बाद आपको इंटरव्यू और प्लेसमेंट में पूरी हेल्प करती है तो अगर आप भी एक अच्छा डेटा एनालिस्ट बनना चाहते हैं तो कोडिंग इवेडर्स का डेटा एनालिस्ट कोर्स जवाइन करके बन सकते हैं तो क्लिक ऑन द लिंक इन द डिस्क्रिप्शन और दिवाली स्पेशल डिस्काउंट लेके आप 27 पर कम प्राइस पे ये कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं यूज माय कूपन कोड n27 तो टॉपिक पे वापस आते हैं देखिए ये है इंडिया और इधर ये वेस्ट में है कतर ईयर 1916 से कतर जो था वो ब्रिटिशर्स कंडर में था और काफी गरीब भी था उस टाइम पे ये लोग पर्ल ट्रेड और फिशिंग करते थे लेकिन जब ईयर 1939 आया तो इनकी किस्मत चमक जाती है ये वो टाइम था जब ब्रिटिशर्स की मदद से कतर के जेबल दुकान एरिया में ऑयल डिस्कवर हुआ ये कतर के साउथ वेस्टर्न कोस्ट की तरफ था अब इसके बाद ईयर आता है 1971 और इस ईयर में ब्रिटिशर्स कतर से चले जाते हैं इधर ब्रिटिशर्स जाते हैं और सेम यर 1971 में कतर का सबसे बड़ा जैकपॉट लगता है जब पर्शियन गल्फ में नेचुरल गैस फील्ड डिस्कवर होती है और यह एरिया मोस्टली कतर के इकोनॉमिक जोन में आता है अब देखिए पहले तो कतर की सारी प्रोडक्शन ब्रिटिश आर्मी देखती थी लेकिन जब ब्रिटिशर्स 1971 में चले गए तो कतर जो था वो एक तरह से सऊदी अरेबिया का जहांगीर राज जैसी वेसल कंट्री जो होती है उसकी तरह एक्ट करने लगा था मतलब कि सऊदी की छत्रछाया में रहता था लेकिन जब कतर के पास नेचुरल गैस और ऑयल डिस्कवर हुआ तो कतर के पास पैसा आया और इनके किंग थे हमद बिन खलीफा थानी उन्होंने सऊदी की छत्र छय को छोड़ा और एक इंडिपेंडेंट कंट्री की तरह काम करना चालू किया अपनी सिक्योरिटी वगैरह खुद संभालने शुरू की अब ये बात सऊदी को पसंद तो नहीं आ रही थी लेकिन कतर ने धीरे-धीरे अपनी सिक्योरिटी वगैरह बढ़ाना चालू किया अब देखिए अकेले कतर के लिए पूरे देश की सिक्योरिटी संभालना आसान नहीं था पैसा तो था कतर के पास लेकिन पॉपुलेशन बहुत कम थी आज की डेट में भी कतर की टोटल पॉपुलेशन 26 लाख के आसपास है इंडिया की एक सिटी के बराबर अब इतनी कम पॉपुलेशन में आप कितना भी पैसा लगा दो लोग कम रहते हैं तो सिक्योरिटी मेंटेन करना मुश्किल हो जाता है तो इन्होंने क्या किया कि इन्होंने बाहर से कांट्रैक्ट पे अपनी सिक्योरिटी मेंटेन कराना चालू की फिर आगे चलके इन्होंने यूएस के साथ डिफेंस कॉपरेशन एग्रीमेंट किया और यूएस को कतर ने एयर बेस बनाने के लिए इनवाइट किया और जब इनवाइट किया तो यूएस ने कतर के अंदर अल उदीद एयर बेस बनाया जो कि आगे चलके 10000 से ज्यादा यूएस ट्रूप जो थे उनका रहने का ठिकाना बना कतर के जो आसपास के देश थे उनको भी ये सब चीजें पसंद नहीं आ रही थी लेकिन यूएस का पूरा हाथ था कतर पे इनफैक्ट आज भी कतर यूएस का टॉप नॉन नेटो अलाय है और उस टाइम पे यूएस जो था उसके भी सऊदी से इतने अच्छे रिश्ते नहीं थे लेकिन जब कतर ने यूएस को अपना एयर बेस दिया था तो यूएस की लॉयल्टी भी जीती थी ऐसे ही कतर और यूएस बहुत ही क्लोज एला बने और ऐसा नहीं था कि जो कतर था वो सिर्फ और सिर्फ यूएस पे ही डिपेंडेंट था इन्होंने बाकी कंट्रीज के साथ भी मल्टीपल सिक्योरिटी एग्रीमेंट्स किए अपनी नेवल सिक्योरिटी को स्ट्रांग किया कई प्राइवेट कंपनीज के साथ भी टाई अप करके अपनी सिक्योरिटी को मेंटेन करवाया अब अगर आप कतर का एरिया देखोगे तो 35000 स् किमी से भी ज्यादा जो कतर का बॉर्डर एरिया है वो सी से घिरा हुआ है और कतर की जो नॉर्थ नेचुरल ग गैस फील्ड है वो कतर की लाइफलाइन है तो कतर के लिए उसकी नेवल सिक्योरिटी हमेशा से प्रायोरिटी पे रही है और फिर आगे चलके जब ऐसे-ऐसे इंसिडेंट सामने आए जहां पे बाल्टिक सी के नॉर्थ स्ट्रीम पाइपलाइन वगैरह थे वहां पे अटैक वगैरह देखा कतर ने तो उसने अपनी नेवल सिक्योरिटी पे और पैसा लगाया सिक्योरिटी को आउटसोर्स किया अलग-अलग वर्ड शिप वगैरह की डील की कई नेवल ट्रेनिंग तो इंडिया ने खुद करवाई है वहां पे देखिए ये सारी चीजें चल रही थी इसी बीच में साल आता है 2014 और कतर की एक नेबरिंग कंट्री है ओमान उसकी रॉयल ओमान एयरफोर्स का एक रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल अजमी एक डिफेंस कंसल्टेंसी खोलता है जिसका नाम था दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेस इसका जो फिजिकल ऑफिस था वो मस्कट में था ओमान के और इसकी एक ब्रांच जो थी वो कतर के दोवा में भी खुली थी अब क्योंकि डिफेंस कंपनी थी तो काफी बड़ी कंपनी थी इसको फंडिंग वगैरह भी काफी मिली हुई थी इस कंपनी का काम था डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करना मिलिट्री इक्विपमेंट की ट्रेनिंग देना लॉजिस्टिक्स आर्म फोर्स को मेंटेनेंस सर्विस देना तो इस कंपनी का जो ओनर था वही सीईओ भी था और वो खुद रॉयल ओमान एयरफोर्स से रिटायर था तो उसको भी बहुत नॉलेज थी डिफेंस वगैरह की तो ये कंपनी खोलने के बाद खमीस क्या करता है यह कतर के मेजर जनरल तारिक खालिद अल को प्रपोजल बना के भेजता है कि आपकी जो कतर एमरी नेवल फोर्सेस है क्यूई एनएफ इसकी मेंटेनेंस और ट्रेनिंग सर्विसेस जो है वो आप हमें दे दो और खमीस का जो ये प्रपोजल था कतर जो है वो सेम ईयर में एक्सेप्ट कर लेता है तो ये जो कंपनी थी ये कतर गवर्नमेंट के साथ मिलके काम करना चालू करती है और इस कंपनी की जो वेबसाइट थी अभी तो इसको चेंज कर दिया गया है लेकिन पहले जो वेबसाइट थी उस परे मेंशन किया गया था लोकल बिजनेस पार्टनर ऑफ कटर्स गवर्नमेंट एजेंसी इंक्लूडिंग डिफेंस तो कतर गवर्नमेंट जब इस कंपनी को प्रोजेक्ट दे देती है तो ये कंपनी क्या करती है 2015 से 2016 के बीच में बहुत तेजी से हायरिंग स्टार्ट करती है ऑल ओवर वर्ल्ड में अब डिफेंस की कंपनी है तो आम जनता को शिफ वगैरह का इतना नहीं पता होता है तो ये लोग ऑल ओवर वर्ल्ड के जो रिटायर्ड नेवल ऑफिसर्स थे उनको हायर कर रहे थे और सेम ईयर में इन लोगों ने 75 से भी ज्यादा इंडियन ओरिजन के जो ऑफिसर्स थे उनको रिक्रूट किया इन 79 इंडियन ऑफिसर्स में से आठ ऑफिसर जो थे वो इस कंपनी में सीनियर लेवल पे जॉइन करते हैं और इन् इही आठ ऑफिसर्स के ऊपर ये पूरा केस चलता है अभी आगे बताऊंगा मैं ये सारे लोग जो हायर हुए थे इंडिया से इनमें टॉप पे थे कमांडर पुर्द तिवारी जिनको इस कंपनी में एज अ मैनेजिंग डायरेक्टर हायर किया गया था ऐसे ही बाकी सात जो थे उसमें से तीन नवतेज सिंह गिल कमांडर सुगना करर पकाल और कैप्टन बी के वर्मा ये इस कंपनी में नेवल डायरेक्टर बनते हैं और बाकी जो कमांडर अमित नागपाल एस के गुप्ता और कैप्टन सौरभ वसिस जो थे वो एग्जीक्यूटिव रोल पे हायर होते हैं रागेश्री टोटल आठ लोग थे जो सीनियर लेवल पे हायर हुए थे इस कंपनी में ये लोग हायरिंग होने के बाद काफी अच्छे से काम करते हैं और ये जो इनकी कंपनी थी इस कंपनी के थ्रू कतर में जाके मेंटेनेंस और सिक्योरिटी कंसल्टेशन ये सारी चीजें करते हैं इन सबको करीब चार से छ साल हो गए थे ये सारी चीजें करते-करते कतर के अंदर अब इसके बाद ईयर आता है 2016 और कतर प्लान करता है अपने जो सबमरींस हैं उसको और स्ट्रांग करने के लिए अब इटली जो है वो पूरे वर्ल्ड के अंदर अपने नेवल आर्किटेक्चर डिजाइन जो हो गए उसके लिए बहुत ही फेमस है पूरे यूरोप के अंदर इटली जो है ये सबमरींस नेवल शिप नेवल फ्रिग इनका बहुत बड़ा प्रोड्यूसर है और इटली के अंदर ही एक बहुत ही बड़ी और फेमस शिप बिल्डिंग कंपनी है फिनक एंड टायरी एसए इस कंपनी से इनका डिस्कशन स्टार्ट होता है और इस डील में देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी जो थी वो भी अपने इनपुट्स देती है अब सारी बात डन होने के बाद ये जो इटली की कंपनी थी फिन कैन टायरी ये 2016 में एमओयू साइन करती है कतर के साथ जिसमें चार स्मॉल साइज वरशिप दो पेट्रोल वेसल्स और एक एंफीबियस वेसेल तो ये डील होती है इसमें इटली को कतर को ये सारी चीजें देनी होती हैं तो ये जो डील थी ये कोई इतनी ज्यादा कंट्रोवर्शियल नहीं थी बहुत ही नॉर्मल डील थी सबको इसके बारे में पता था लेकिन जो मेन कंट्रोवर्शियल डील थी वो 2020 में होती है वो अभी आगे बताऊंगा आपको तो ये सारी डील पे काम चलता रहता है और इसके साथ-साथ दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी जो थी वो कतार की जो नेवल थी उनके साथ मिलके एज यूजुअल अपना काम करती रहती है और इसमें इंडियन ऑफिसर जो थे उनका बहुत ही बड़ा रोल रहता है वो काफी अच्छा काम करते हैं तो कतर के साथ ये जो कंपनी और इंडियन ऑफिसर जो काम कर रहे थे इसको लेक कतर गवर्नमेंट और इंडिया दोनों बहुत खुश थे और इसको लेके 2019 में जो कमांडर पुर्द तिवारी जो थे इस कंपनी के जो मैनेजिंग डायरेक्टर थे उनको इंडिया 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान अवार्ड देता है यह अवार्ड उनको मिलता है जो इंडिया के बाहर बहुत ही आउटस्टैंडिंग काम कर रहे होते हैं और ये पहली बार हुआ था ऐसा कि इंडिया के रिटायर्ड आर्मी पर्सन को ये अवार्ड मिला था हमारे जो प्रेसिडेंट थे उनके हाथों से अवार्ड दिया गया था यहां तक कि दोहा में जो इंडियन एंबेसडर थे दीपक मित्तल वो धारा ग्लोबल की लोकेशन पे भी विजिट करके आए थे कतर और इंडिया की रिलेशन को अच्छा करने के लिए उसको आगे बढ़ाने के लिए इस कंपनी की काफी तारीफ भी की थी उन्होंने और इंडियन एंबेसी की तरफ से ये जो कंपनी थी उसको सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन भी दिया गया था जो कि इन्होंने अपनी वेबसाइट पे भी लगा रखा था पहले अब तो हटा दिया खैर देखिए ये जो पूरा पर्शियन गल्फ का एरिया है इसमें सिर्फ एकलौता ईरान है जिसके पास स्टेल सबमरीन है मतलब कि ये जो सबमरीन होती है ये पानी के अंदर बिना डिटेक्ट हुए काफी टाइम तक पानी के अंदर रह सकती हैं और भारी अटैक कर सकती हैं और इस सबमरीन से पूरे एरिया पे नजर भी रखी जा सकती है और कतर भी इस तरीके की सबमरीन इस एरिया में अपने पास रखना चाहता था और इसी वजह से 2020 में कतर इटली की कंपनी फिन कैटियर एस पीए जिसे 2016 में भी इन्होंने डील की थी इनसे दोबारा एक सीक्रेट डील करता है देखिए जो सारी चीजें मैं आपको बता रहा हूं ये कतर या फिर इंडियन गवर्नमेंट ने डिस्क्लोज नहीं करी है कोई भी स्टेटमेंट नहीं दिया इस चीज पे उन्होंने लेकिन मिडिल ईस्ट के अंदर जो लोकल न्यूज़पेपर हैं वो इसके बारे में बैक टू बैक रिपोर्ट छाप रहे हैं और वो रिपोर्ट इसलिए छाप रहे हैं क्योंकि 177th ऑफ मई 2021 को इटली के अंदर एक प्रेजेंटेशन का स्क्रीनशॉट था वो लीक हो गया था जिसको नेवल न्यूज़ ने पब्लिश किया था इसमें ये था कि इटालियन पार्लियामेंट के अंदर दो सीक्रेट सबमरीन की रिमोट प्रेजेंटेशन दी गई थी और जब ये प्रेजेंटेशन चल रही थी तो उसमें ये चीज मेंशन की गई थी कि ये जो सबमरीन है ये किसी फॉरेन कंट्री के लिए बनाई जा रही है और ये उस प्रेजेंटेशन का स्क्रीनशॉट है जो कि लीक हो गया था और ये चीज नेवल न्यूज़ ने अपनी रिपोर्ट में भी पब्लिश किया है जिसमें नाम दिया था इन्होंने कि इटली सीक्रेट सबमरीन डील विद कतर न्यू इंटेलिजेंस और यहां से बातें बहुत तेज हो गई थी कि कतर जो है वो स्टेल्थ सबमरीन ले रहा है इटली से अच्छा ये जो मैं आपको बता रहा हूं इसके बारे में आप अगर सर्च करोगे तो फिन कैंटरी जो है कंपनी का नाम जो मैंने बताया उसके साथ-साथ आपको ये भी मिल सकता है केबी करके भी एक नाम मिल सकता है न्यूज़ में ये आपको दिखेगा एक्चुअली फिन कैंटरी और केबी जो है ये मिलके काम करती हैं तो कहीं पे फिन कैंटरी नाम यूज़ हुआ है और कहीं पे केबी नाम यूज़ हुआ है अच्छा कतर जो इस इटली की कंपनी के साथ सीक्रेट डील कर रहा था इसके बारे में धारा ग्लोबल टेक्नोलॉजी जो है उसको और उसके एसोसिएट इंडियन नेवी के जो ऑफिसर्स थे उनको इसके बारे में पता था कि कतर जो है वो इटली की कंपनी के साथ मिलके एक सीक्रेट डील कर रहा है जिसमें इटालियन u 212 स्टेल्थ सबमरीन जो है उसका स्मॉल वेरिएंट जो है वो मंगाया जा रहा है कतर के अंदर इटली की कंपनी के थ्रू अब ये जो डील चल रही थी यह कतर के लिए काफी बिग डील थी क्योंकि इसके कई सारे रीजन थे एक तो कतर को यह स्टेल समरीन मिलने से इजराइल की जो अरब के ऊपर सुप्रीमेसी है वो कम हो जाती इसलिए कतर बिल्कुल नहीं चाहता था कि इजराइल को इसके बारे में कुछ पता चले क्योंकि इजराइल कभी भी इस डील को होने नहीं देगा दूसरी चीज एक रेस इंडिया और पाकिस्तान की भी रहती है सबमरीन को लेके दोनों एक दूसरे को ब्लॉक करते हैं ताकि किसी के पास सबमरीन ना आ जाए क्योंकि जिसके पास सबमरीन आ जाएगी उसके पास एक अपर हैंड रहेगा अब देखिए पाकिस्तान क्या करता है कि उसके कतर के साथ अच्छे रिलेशन है तो कतर के जो सबमरींस हैं उनके जो बेनिफिट है वो भी उठाता है पाकिस्तान उनको यूज करने को दे देती है उसके बाद ये भी डर है कि ये जो स्टेल्थ टेक्नोलॉजी है जो कतर के पास आएगी इससे ये भी बहुत ज्यादा चांसेस हैं कि पाकिस्तान के पास भी ये टेक्नोलॉजी आ सकती है और अगर कतर ना ना भी दे तो ये भी पॉसिबिलिटी है कि पाकिस्तान ये जो टेक्नोलॉजी है वो कतर से चोरी भी कर सकता है तो देखिए इसके बाद अब होता क्या है कि 30 अगस्त 2022 को रात में स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरोक्रेट एसएसबी जो कि कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी है ये इन आठ नेवी ऑफिसर्स के घर जाते हैं और रात में ही पहुंचते हैं और कहते हैं कि कुछ अर्जेंट नेवल एक्सरसाइज करनी है उसके लिए इन ऑफिसर्स को चलना पड़ेगा इनमें से एक ऑफिसर ऐसे भी थे जिनको इंडिया वापस जाना था लेकिन वो इस कॉल की वजह से इनके साथ चले जाते हैं और जब ये आठ नेवी ऑफिसर्स इस कतर ऑफिशल्स के साथ जाते हैं तो कतर ऑफिशियल इनको ले जाने के बाद इनको जेल में डाल देते हैं और जेल भी ऐसी नॉर्मल जेल में नहीं डालते हैं एक सेपरेट जेल में इनको बंद किया जाता है आपस में इनको मिलने नहीं दिया जाता ये लोग आपस में बात नहीं कर सकते हैं और ना ही फैमिली और ना ही इंडियन एंबेसी को इसके बारे में कुछ भी बताया जाता है एक महीने तक किसी को पता ही नहीं चलता कि ये लोग जेल में बंद हैं और एक महीने बाद पता भी ऐसे चलता है कि पाकिस्तान की एक न्यूज़ एजेंसी जो है वो इस न्यूज़ को ब्रेक करती है कि इंडिया के आठ नेवी ऑफिसर्स को जेल में बंद किया गया है स्पाइन के लिए अब ये न्यूज़ ब्रेक होने के बाद घर वाले पहुंचते हैं ट्राई करते हैं मिलने का लेकिन उनको मिलने नहीं दिया जाता है और उसके बाद जो घर वाले हैं वो इंडियन एंबेसी को इफॉर्म करते हैं और काफी जद्दोजहद के बाद 1 अक्टूबर 2022 को दोहा में जो इंडियन एंबेसी थी उसके ऑफिसर्स दीपक मित्तल जो थे और उनके साथ-साथ डेप्ट हेड ऑफ मिशन ये कतर ऑफिशल्स के पास जाते हैं इनको काउंसलर एक्सेस मिल जाता है काउंसलर एक्सेस का मतलब है कि इंडियन एंबेसी के जो लोग हैं जो काउंसलर हैं वो जब इन आठ नेवी ऑफिसर से मिलते हैं तो उसी को काउंसलर एक्सेस बोला जाता है जब कुलभूषण यादव वाला केस हुआ था उस टाइम भी आपने ये वर्ड बहुत सुना होगा काउंसलर एक्सेस अब इस मीटिंग के बाद एक चीज अच्छी होती है कि जो घर वाले रहते हैं उनको वीकली एक बार फोन पे इनसे बात करना अलाउ कर दिया जाता है लेकिन इसके बाद भी इनप चार्जेस क्या लगे हैं इनको जेल में क्यों डाला गया है यह किसी को भी नहीं बताया जाता है अब इसके दो दिन बाद थर्ड ऑफ अक्टूबर 2022 को धारा कंपनी का जो मालिक था खसी अल अजमी उसको इनके बारे में पता चलता है वो ओमान से कतर पहुंचता है और जैसे ही वो कतर पहुंचता है ये लोग उसको भी गिरफ्तार कर लेते हैं इसके बाद इंडियन एंबेसी के जो लोग हैं वो मल्टीपल टाइम्स मीटिंग करते हैं कतर ऑफिशियल के साथ इनकी गवर्नमेंट के साथ कि इनको रिलीज कर दिया दिया जाए लेकिन कतर ऑफिशियल जो इनके रिलीज हैं उसके लिए साफ मना कर देते हैं और कहते हैं कि इनके पास प्रूफ है कतर और इटली की जो सीक्रेट डील हो रही थी उसके बारे में इन्होंने इजराइल को बताया है और उसके बाद ये भी कहते हैं कि जितनी भी चीजें बता रहे हैं ये सारी चीजें इन्होंने इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन से इंटरसेप्ट की हैं कि ये जितने भी लोग हैं जितने भी इंडियन नेवी के जो ऑफिसर्स हैं ये स्पाई कर रहे थे और इजराइल को डिटेल्स भेज रहे थे कतर ऑफिशल्स ने ये भी बोला कि ये जो सबमरीन की स्टेल्थ कैपेबिलिटी बढ़ाने के लिए उसको एनस करने के लिए मेटा मटेरियल यूज होता है उसकी कॉन्फिडेंशियल इंफॉर्मेशन जो थी वो इंडियन ऑफिसर ने इजराइल के साथ शेयर कि है ये सारी चीजें जो है वो न्यूज़ में चल रही होती हैं लेकिन इजराइल की तरफ से एक भी बयान नहीं आता है इनफैक्ट आज की डेट तक इजराइल की तरफ से इस पे कोई बयान नहीं आया अब देखिए कतर के अंदर ये जो सारी चीजें चल रही थी यहां पे इंडिया के अंदर लोगों को इसके बारे में ज्यादा नहीं पता था लेकिन लोगों को पता चलता है 27 अक्टूबर 2022 को जब कमांडर पुर्द तिवारी की जो सिस्टर थी डॉक मीतू भार्गवा ये ट्वीट करती है और इंडिया के जितने भी बड़े-बड़े मिनिस्टर्स हैं उनको टैग करती है और ये सारी चीजें इनके ट्वीट के बाद जितने भी रिटायर ऑफिसर थे सर्विंग ऑफिसर थे वो इनके सपोर्ट में आते हैं और इस पूरे मुद्दे को उठाते हैं और फिर इंडिया के अंदर भी ये बात फैल जाती है और लोग डिमांड करते हैं कि इस पे कुछ ना कुछ एक्शन हो इनफैक्ट सेथ ऑफ दिसंबर 2022 को कांग्रेस के जो मनीष तिवारी जी थे इन्होंने ये पार्लियामेंट के अंदर भी ये मुद्दा उठाया गत 30 अगस्त 2002 से सभापति महोदय हमारे नौसेना के आठ जो सेवा निवृत अधिकारी हैं उनको कतर में दोहा में सॉलिट कन्फाइनमेंट में रखा गया है और जब बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ता है तो यह कहा जाता है कि इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट जब फिफा का इनॉगरेशन होगा तब नवंबर में जाएंगे और इस बारे में डायरेक्ट वहां के जो ऑफिशल्स हैं उनसे डायरेक्ट बात करेंगे लेकिन वो वहां जाते तो हैं लेकिन उनकी बात फेल हो जाती है अब इसके बाद क्या होता है कि नवंबर फर्स्ट वीक में ओमान क्या करता है वो धारा कंपनी का जो ओनर पकड़ा गया था उसको रिलीज करा लेता है और यहां से इंडिया में भी फिर से प्रेशर बनने लगता है कि ओमान ने अपने सीडीएन को छुड़वा लिया और हम लोग नहीं रिलीज करवा पाए अब इधर से इंडिया जो था वो बार-बार ट्राई तो कर रहा था लेकिन उसके सारे एफर्ट जो थे वो फेल हो रहे थे उसके बाद क्रिसमस खत्म होता है न्यू ईयर आता है साल 2023 शुरू होता है और 15 मार्च 2023 को इंडियन ऑफिसर्स की जो लास्ट बेल की एप्लीकेशन थी वो भी रिजेक्ट कर दी जाती है और इसके 10 दिन बाद 25 मार्च 2023 को इन नेवी ऑफिसर्स के खिलाफ जो चार्जेस थे वो सबमिट होते हैं ये चार्जेस सबमिट तो होते हैं लेकिन किसी को भी ये नहीं बताया जाता है कि चार्जेस क्या है इनफैक्ट इनकी फैमिली तक को नहीं बताया जाता है कि किन चार्जेस की वजह से इनको जेल में डाला गया और ये सारी चीजें कोर्ट में सबमिट होने के 4 दिन बाद 29th ऑफ मार्च 2023 को ट्रायल शुरू होते हैं कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस में देखिए जैसे इंडिया के अंदर लोअर कोर्ट होता है हाई कोर्ट होता है सुप्रीम कोर्ट होता है वैसे ही कतर में भी कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस जैसे इंडिया का लोअर कोर्ट होता है उसको बोला जाता है उसके बाद आता है अपील कोर्ट जैसे इंडिया में हाई कोर्ट होता है वैसे ये अपील कोर्ट होता है और सबसे ऊपर होता है कोर्ट ऑफ कंसेशन जैसे इंडिया का सुप्रीम कोर्ट होता है वैसे ही कतर में कोर्ट ऑफ कंसेशन होता है तो अभी ये जो पूरा केस है ये कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस में चल रहा है यानी कि लोअर कोर्ट में चल रहा है जब ये केस स्टार्ट भी होता है तो कतर की एक लॉ फॉर्म भी हायर करता है था इंडिया जिसका नाम था ऑफिस ऑफ मस्जिद अल हजर इसका ऑफिस दोहा में ही है जब इस लॉ फॉर्म को हायर किया गया था तो जितने भी मीडिया आउटलेट थे वो इनके पीछे चले गए थे इनके ऑफिस में जाके फोन कर रहे थे लेकिन इस केस की इतनी सीक्रेसी थी कि इससे रिलेटेड नेक्स्ट हियरिंग कब होगी ये डिटेल भी ये लॉ फॉर्म किसी से शेयर नहीं करती थी ये सारी की सारी हियरिंग इतने सीक्रेट तरीके से हो रही थी कि प्रोसीक डिफेंस लॉयर और दो विटनेस के अलावा कोर्ट के अंदर किसी को भी रहना अलाउड नहीं था और हियरिंग के टाइम पे भी जो नेवी ऑफिसर थे इनके जो डॉक्यूमेंट थे उसका एक्सेस डिफेंस अटॉर्नी जो थी उसको तक नहीं दिया गया था एक इंडियन जर्नलिस्ट था वो भी बहुत ट्राई कर रहा था अलग-अलग ऑफिशियल से जाके रिपोर्ट करने की पता लगाने की कतर को जैसे ही पता चलता है उस जर्नलिस्ट को और उसकी वाइफ को राइट अवे कतर से इंडिया भेज दिया जाता है अब इसके बाद 3 मई 2023 को सेकंड हियरिंग होनी थी लेकिन उसको पोस्टपोन करके 18 जून को शिफ्ट कर दिया जाता है अब जो सारी हियरिंग चल रही थी इंडिया को ऐसा भी लगने लगता है कि जो लॉ फॉर्म इन्होंने हायर की है वो इनकैपेबल है तो इंडिया क्या करता है मजीद अल हजर ये जो लॉ फॉर्म थी जो ये केस लड़ ई थी इसको हटा टा के अहमद अली अल हल एक दूसरी लॉ फॉर्म उसको हायर कर लेता और अब वो केस लड़ रही होती है जिस दिन सेकंड हियरिंग की डेट आती है सेम डे दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेस जो थी उसकी वेबसाइट को बंद कर दिया जाता है इस कंपनी का भी कुछ पता पता नहीं चलता है कुछ दिन बाद दोबारा लाइव होती है लेकिन इंडिया से रिलेटेड जितने भी सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन वगैरह मिले थे और वो जो लिखा था कतर लोकल बिजनेस पार्टनर वगैरह वो सब हटा दिया जाता है इसके नेक्स्ट डे 75 और इंडियन ऑफिसर्स जो काम कर रहे थे इस धारा कंपनी में उनके पास न्यूज़ एजेंसी पहुंचती है तो पता चलता है कि इन सबको कंपनी से निकाल दिया गया है इनका लास्ट वर्किंग डे 31 ऑफ मई 2023 था और ये जो कंपनी थी धारा ग्लोबल इसके एसेट्स यानी कि बिल्डिंग कांट्रैक्ट्स यह सब एक नई कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए थे जिसका नाम था एडवांस सर्विसेस एंड मेंटेनेंस एए और इसकी वेबसाइट थी www.adanigas.com कर रहे हैं अभी सारे नॉन इंडियन हैं मेनली अब जो हायरिंग हुई है वो ब्रिटिशर्स फ्रेंच और ओमानी नेशनल्स जो हैं सिर्फ उनकी हुई है कोई भी इंडियन को इसमें काम करने के लिए अलाव नहीं किया गया अब इसके बाद अगस्त मंथ जो आता है 2023 में उसमें कुछ पॉजिटिव चीजें होती हैं एक तो आठ के आठ जो ऑफिसर्स थे जो एकदम सेपरेट रहते थे उनको नॉर्मल जेल में शिफ्ट कर दिया गया ये बात सुनने में बहुत ही नॉर्मल लग रही होगी लेकिन सॉलिटेरी कन्फाइनमेंट बहुत ही पेनफुल होता है ये तो एक तो ये चीज होती है दूसरा जो फैमिली मेंबर्स थे उनको भी मिलने दिया जाता है और वीकली फोन पे बात करने दी जाती है ये सारी चीजें देख के लग रहा था कि कुछ पॉजिटिव होगा अब इसके बाद डेट आती है फर्स्ट ऑफ अक्टूबर 2023 इस दिन इंडियन एंबेसडर आठ नेवी ऑफिसर से पर्सनली मिलते हैं और जो थर्ड ऑफ अक्टूबर 2023 को जो हियरिंग होनी थी उससे रिलेटेड डिस्कस करते हैं लेकिन इसके बाद क्या होता है उसकी डिटेल्स अभी बाहर नहीं है लेकिन सीधे 26th ऑफ अक्टूबर 2023 को ये जो आठ के आठ नेवी ऑफिसर्स थे इनको स्पाई के केस में डेथ पेनल्टी सुना दी जाती है और जब ये डेथ पेनल्टी सुनाई जाती है तो उसके बाद बहुत ही ज्यादा हल्ला होता है इंडिया के अंदर बैक टू बैक स्टेटमेंट्स वगैरह आते हैं कि वी आर शॉक्ड लेकिन यह इंडिया की डिप्लोमेटिक लेवल पे बहुत बड़ी हार थी ओमान की गवर्नमेंट जो थी वो अपने सिटीजन को बचा के ले गई थी लेकिन हम लोग आज की डेट तक फंसे हुए हैं इस चीज में आप इनकी फैमिली वालों को देखोगे तो रोज ता है लेकिन फैमिली और बाकी लोगों को नहीं बताए गए हैं इनफैक्ट अभी रिसेंटली मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स के स्पोक्स पर्सन अरिंदम बगज ने भी ये चीज ऑफिशियल स्टेटमेंट में बोला है कि हमें पता है इंचार्जेस के बारे में अब देखिए क्वेश्चन ये है कि यहां से ऑप्शन क्या है इंडिया के पास अब देखिए पहला ऑप्शन तो जो चल रहा है कि कतर के कोर्ट में जाके इसको चैलेंज किया जाए लोअर कोर्ट में ये फैसला आया इसको हायर कोर्ट में लेके जाया जाए फिर सुप्रीम कोर्ट में लेके जाया जाए दूसरी चीज इसमें ये हो सकती है कि अगर हमारे प्राइम मिनिस्टर मोदी जी पर्सनल लेवल पे बात करें कतर के अमीर से तो बात बन सकती है क्योंकि 18th ऑफ दिसंबर को लोग नेशनल डे मनाते हैं और इसमें एमर जो हैं वो कई सारे कैदियों को माफी देते हैं तो ये भी एक पॉसिबिलिटी बन सकती है कि अगर डिप्लोमेटिक लेवल प प्रेशर बनाया जाए तो 18 दिसंबर को इन सबको माफ कर दिया जाए तीसरी चीज इसमें ये है कि 2015 में जब कतर के अमीर आए थे इंडिया तो एक डील साइन की थी उन्होंने इंडिया के साथ जो कि प्रिजनर से रिलेटेड थी और इस एग्रीमेंट में ये साइन हुआ था कि कतर में अगर किसी को सजा सुनाई जाएगी तो वो सजा वो इंडिया में आके भी वो पूरी कर सकता है और सेम चीज कतर के लिए भी थी अब ये एग्रीमेंट यहां पे अप्लाई होगा कि नहीं ये डिपेंड करेगा कि इंडिया कितना प्रेशर बनाता है बाकी इसमें यह भी कहा जा रहा है कि किसी तीसरी कंट्री का मीडिएट भी सॉल्यूशन निकल सकता है बाकी फाइनल ऑप्शन में यह है कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन यहां भी जाया जा सकता है लेकिन अल्टीमेटली जो सारी चीजें हैं वो डिपेंड करेगी इंडिया और कतर के रिलेशन पे कतर की जो टोटल पॉपुलेशन है वो अराउंड 26 लाख है जिसमें से अराउंड 3 लाख जो हैं वो कतर के खुद के सिटीजन हैं बाकी इंडियन जो हैं वहां पे वो 7 लाख से भी ज्यादा इंडियंस रहते हैं वहां पे तो कतर का जो वर्कफोर्स है वो काफी हद तक इंडियंस पे भी डिपेंड करता है मेनली जो कंट्री के रिलेशंस होते हैं वो ट्रेड पे डिपेंड करते हैं अगर ट्रेड अच्छा होता है तो कंट्री के रिलेशन भी अच्छे होते हैं और अगर ट्रेड की बात करें तो इंडिया मेनली एलएनजी एलपीजी पेट्रो केमिकल ये इंपोर्ट करता है कतर से कतर करीब 6.81 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता है इंडिया को वहीं कतर से इंडिया सिर्फ 1.97 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट करता है वो भी मेनली सीरियल्स फ्रूट्स स्टील आर्टिकल्स वगैरह इन सब में ही करता है तो ट्रेड में जो इंडिया की डिपेंडेंसी है वो ज्यादा है कतर के ऊपर इंडिया कतर का फोर्थ सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और जब से यूक्रेन रशिया वॉर स्टार्ट हुई है इसमें डिपेंडेंसी जो इंडिया की है वो कतर के ऊपर और ज्यादा बढ़ गई है इसके साथ-साथ इंडिया कतर के जो रिलेशन है वो अच्छे ही रहे हैं मिलिट्री एक्सरसाइजस वगैरह जो हैं वो भी इंडिया और कतर साथ में करते हैं जेर अल बहर नाम से इंडिया कतर की नेवी जॉइंट एक्सरसाइज भी होती है इंडिया और कतर के जो कोस्ट गार्ड्स हैं वो रेगुलरली विजिट भी करते हैं एक दूसरे को कतर की क्यूई एनएफ डेलिगेशन जो है वो दो मेरीटाइम एक्सरसाइजस में पार्टिसिपेट कर चुकी है लास्ट 2 साल में इसके साथ साल हमारे पीएम कतर कई बार गए हैं कतर के अमीर इंडिया कई बार आए हैं रिसेंटली दोनों कंट्रीज ने ये भी डिसाइड किया था कि 2023 में जब 50 साल हो जाएंगे इंडिया और कतर की रिलेशनशिप को तो इसको सेलिब्रेट किया जाएगा इनफैक्ट 2008 में कतर ने 5 बिलियन डॉलर की इन्वेस्टमेंट की थी इंडिया के अंदर इसके साथ-साथ कतर इंडिया को गैस पे डिस्काउंट भी देता है वहीं इंडिया भी पीछे नहीं है 2017 में जब सऊदी और उसके फ्रेंडली देशों ने कतर को चारों तरफ से ब्लॉकेड कर दिया था सामान आज जा नहीं रहा था तो इंडिया ने पूरा सपोर्ट किया था इंडिया ने कतर को एयरलिफ्ट करके जरूरत की चीजें पहुंचाई थी अब देखिए इंडिया जो है वो कतर से एरिया वाइज पॉपुलेशन वाइज नेवी वाइज मिलिट्री वाइज बड़ा है इनफैक्ट इंडिया 10 टाइम्स ज्यादा एक्सपेंडिचर करता है हमारी मिलिट्री पे कतर के कंपैरेटिव वर्कफोर्स भी जो है वो इंडिया का बहुत बड़ा है लेकिन कतर जो है वो छोटा देश होने के बाद भी उसकी जियोपोलिटिकल इंपॉर्टेंस की वजह से इंडिया उस तरीके से प्रेशराइज नहीं कर सकता कतर को जिस तरीके से उसने कनाडा को किया था इसलिए आप पास्ट में भी देखोगे तो टाइम टू टाइम कतर अपनी बात मनवा आया है जब नूपुर शर्मा वाला केस हुआ था तो कतर पहला देश था जिसने पब्लिक अपॉलॉजी की डिमांड की थी इनफैक्ट कतर इतना गुस्सा हो गया था कि जो हमारे वाइस प्रेसिडेंट थे वेंकैया नायडू जी उनके साथ लंच फिक्स था कतर के अंदर लेकिन इस केस की वजह से कतर के जो एमीर थे उन्होंने बहाना बना के इस लंच को कैंसिल कर दिया था और अपनी नाराजगी जताई थी और फिर आगे चलके आपने देखा ही था कि नुपर शर्मा को एक्सपेल करना पड़ा था पार्टी से वहीं इंडिया की बात करें तो इंडिया ने भी अपनी नाराजगी दिखाई थी जब फीफा के अंदर जाकिर नायक आया था लेकिन कतर ने कहा था कि वो अपनी पर्सनल कैपेसिटी में आया तो उसमें कतर कुछ नहीं कर सकता वहीं कतर का जो न्यूज़ आउटलेट है अलजजीरा वो भी कतर का ही माउथ पीस है वो भी टाइम टू टाइम क्रिटिकल रहा है इंडिया के अगेंस्ट में लेकिन अभी तक देखा जाए तो इंडिया जो है वो इग्नोर ही करता आया है सारी चीजें लेकिन इस बार जो बात वो नॉर्मल बात नहीं है वोह आठ रिटायर नेवी ऑफिसर्स की है तो इसमें इंडिया क्या करेगा बहुत ही जरूरी है काफी मिक्स रिलेशन रहे हैं इंडिया कतर के तो कुछ भी प्रिडिक्ट करना तो बहुत ही मुश्किल है इंडिया अगर सही से प्रेशर बनाएगा तो बहुत सारी पॉसिबिलिटी है कि ये लोग वापस आ जाएंगे और फिलहाल हम लोग यही प्रे कर सकते हैं कि जितने भी ऑफिशियल हैं नेवी के ये जल्दी से जल्दी घर वापस आ जाए लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि कोडिंग इवेडर्स का डेटा एनालिस्ट का कोर्स आप जवाइन कर सकते हैं लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है थैंक यू 2VO94Ln30F8,Who's Killing Khalistani Leaders? | Nitish Rajput | Hindi,2023-11-07T14:30:17Z,PT34M17S,2647647,79359,6247,https://www.youtube.com/watch?v=2VO94Ln30F8,, राजा रणजीत सिंह जी की जो मूर्ति थी उसको भी हथौड़ा मार के खंडित कर दिया था इन लोगों ने लॉरेंस बिश्नोई ने एक पोस्ट किया बेनजीर ने खालिस्तान सेपरेटिस्ट जो थे उनकी डिटेल भी राजीव गांधी को दी थी ऑस्ट्रेलिया के जो मंदिर थे वहां पर तोड़फोड़ और देखिए आपने देखा ही होगा कि इंडिया कनाडा के जो रिलेशन है सिर्फ कुछ ही दिनों में बहुत ही तेजी से नीचे गिर गए लेकिन ये सब जो हो रहा है अभी ये सिर्फ कुछ दिनों की बात नहीं है ये कई सालों से जो टेंशन बिल्ड अप हो रही थी इंडिया कनाडा के अंदर ये उसका रिजल्ट है अब इन सालों में क्या-क्या हुआ और कैसे एक निज्जर नाम के आदमी के लिए दो देश आमने-सामने आकर खड़े हो गए पूरा मैटर क्या है सारी चीजें हम डिटेल में डिस्कस करेंगे जरा हिंदुस्तान हुकूमत बहुत जुल्म कर देने वी टोल्ड द कैनेडियंस दिस इज नॉट द गवर्मेंट ऑफ इंडियाज पॉलिसी पोटेंशियल लिंक द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द किलिंग सि देखिए जब हमारा देश आजाद हुआ था तो देश आजाद होते ही कनाडा के साथ जो हमारे डिप्लोमेटिक रिलेशन थे वो काफी अच्छे थे उस टाइम पे जब इंडिया बहुत सारी प्रॉब्लम से लड़ रहा था तो कनाडा ने फूड फाइनेंस टेक्निकल सपोर्ट हर तरीके से सपोर्ट किया था इंडिया को इनफैक्ट 1951 में कनाडा ने इंडिया को अपने आप को संभालने के लिए 3.8 बिलियन कैनेडियन डॉलर दिए थे और 1960 में कनाडा के पीएम जॉन डिफन बेकर इन्होंने इंडिया के अंदर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट जो थे इन सब में बहुत सपोर्ट किया था और हर साल ये जो रिलेशन था वो बहुत ही स्ट्रांग होता जा रहा था लेकिन इसके बाद डेट आती है म 1974 इंडिया ने क्या किया इंडिया ने एक न्यूक्लियर टेस्ट किया स्माइलिंग बुद्धा जिसका कोड था इस नाम से एक टेस्ट किया अब यहां से जो कनाडा है वो काफी नाराज हो जाता है कनाडा का यह कहना था कि हमने जो आपको प्लूटोनियम दिया था आपको डेवलपमेंट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी के लिए आपने उसका मिसयूज किया और कनाडा के साथ-साथ जो वेस्ट कंट्रीज थी वो भी बहुत गुस्सा थी इंडिया से तो कुल मिलाकर ये वो टाइम था जब कनाडा और इंडिया के जो रिलेशन थे वो एकदम से खराब हो गए थे लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते हैं कनाडा फिर से इनिशिएटिव लेता है कनाडा का ये कहना था कि चलो आपने न्यूक्लियर टेस्ट तो कर लिया अब आप एक काम कर दो आप कि आप एनपीटी पे साइन कर दो लेकिन इंडिया जो था वो एनपीटी पे साइन करने वाला नहीं था उसने साफ मना कर दिया था इंडिया का कहना था कि हम इस पे इसलिए साइन नहीं करेंगे ये जो एनपीटी एग्रीमेंट है इसमें आप डिस्क्रिमिनेशन कर रहे हो ये जो एनपीटी एग्रीमेंट था इसमें ये था कि जिन देशों ने फर्स्ट ऑफ जनवरी 1960 7 से पहले न्यूक्लियर वेपन जो बना लिए हैं वो तो वेपन रख सकते हैं उसके बाद अगर कोई टेस्ट करेगा या रखेगा या किसी ने बनाए हैं तो वो उस वेपन को नहीं रख सकता अब चाइना फ्रांस रशिया यूके और यूएस इनको तो इससे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि इन्होंने इस डेट से पहले न्यूक्लियर वेपन बनाए थे लेकिन इंडिया ने इसके बाद बनाए थे तो इसलिए इंडिया ये कह रहा था कि ये डिस्क्रिमिनेशन है और ऐसे एग्रीमेंट पे हम साइन नहीं करेंगे और इसी वजह से ये जो टाइम था जहां पे बात बन सकती थी इंडिया और कनाडा की फिर से खराब हो जाती है अब इसके बाद ईयर आता है 1971 आपको पता पता है कि जैसे इंडिया ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे पाकिस्तान के 90 हज से ज्यादा सोल्जर्स जो थे उनको बंधी बना लिया था तो पाकिस्तान के लिए बहुत ही बड़ा एंबेरेसमेंट था जिसका बदला वो इंडिया से लेना चाहता था वो भी चाहता था इंडिया के दो टुकड़े हो अब इसी टाइम पे जो पंजाब है उसके अंदर भी अशांति फैली हुई थी तो इस चीज का फायदा उठा के पाकिस्तान के एक लीडर थे याया खान इन्होंने क्या किया इन्होंने पंजाब के एक पॉलिटिशियन थे जगजीत सिंह चौहान तो पाकिस्तान के जो याया खान थे उन्होंने जगजीत सिंह को पाकिस्तान बुलाया अब जगजीत सिंह को पाकिस्तान बुलाकर इनको सिख लीडर बना दिया जाता है कई सारी मीटिंग होती है अब जगजीत सिंह पाकिस्तान में सारी मीटिंग करने के बाद सिख लीडर बनने के बाद सीधे पहुंचता है न्यूयॉर्क और न्यूयॉर्क पहुंचने के बाद एक पेड आर्टिकल छपवा आता है न्यूयॉर्क टाइम्स में बेसिकली उस आर्टिकल में पंजाब को इंडिया से अलग करने की बात कही थी और एक खालिस्तान नाम से एक देश अनाउंस कर दिया था जिसका प्रेसिडेंट उन्होंने खुद को अपने आप को रख लिया था और ऐसा नहीं था कि अकेला खालिस्तान की मांग कर रहा था कई सारे पंजाब के अंदर ऐसे ग्रुप्स खड़े हो गए थे जो खालिस्तान बनने की डिमांड करना शुरू कर रहे थे तो जितने भी ग्रुप बन रहे थे उसमें सबसे ज्यादा जो फेमस हुआ था वो हुआ था बब्बर खालसा जिसको तल ्र सिंह परमार और सुखदेव सिंह ने बनाया था 1979 में और ये सारे मिलके एक ही डिमांड कर रहे थे कि पंजाब को इंडिया से अलग करो और खालिस्तान बनाओ अब देखिए ये जो डिप्लोमेसी होती है ये हर लेवल पे होती है चाहे ये इंटरनेशनल हो नेशनल हो या आपके घर परिवार में कैसे एक देश या फिर एक इंसान किसी का बुरा या भला बन जाता है ये ऐसे ही नहीं हो जाता है इसको मेंटेन करने के लिए डिप्लोमेटिक स्किल की जरूरत होती है हमारी हिस्ट्री में चाणक्य को सबसे बेस्ट माना गया है डिप्लोमेसी में आज भी आप नक्य नीति के बारे में सुनते और पढ़ते होंगे इसलिए मैं आपको आर्ट ऑफ विनिंग द नक कीए बाइट रिकमेंड करना चाहूंगा जिसमें चाणक्य की बातें बहुत अच्छे से बताई गई हैं यह बाइट कुकू एफएम पे अवेलेबल है लेकिन 1 मिनट यह बाइट क्या होता है कुक एए बाइट एक परफेक्ट सॉल्यूशन है आपके और मेरे जैसे बिजी लोगों के लिए जिससे आप सिर्फ 15 मिनट में बुक के की आइडियाज ले सकते हो और अपने फ्लेक्सिबल टाइम के हिसाब से कभी भी सुन सकते हो कुक एए इंडिया का वन ऑफ द बेस्ट ऑडियो लर्निंग प्लेटफॉर्म है जहां आप 10000 से ज्यादा ऑडियो बुक अपनी निश के हिसाब से सुन सकते हैं और मेरी ऑडियंस मेरा कूपन कोड nr1 यूज करके फर्स्ट मंथ मंथ सब्सक्रिप्शन पे 50 पर डिस्काउंट ले सकती है डाउनलोड करने के लिए लिंक पिन कमेंट एंड डिस्क्रिप्शन में जाके डाउनलोड कर सकते हैं तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब पंजाब का माहौल क्यों खराब था भिंडर वाले का क्या रोल था इंटरनल पॉलिटिक्स अकाली दल तो ये सारी चीजें हमने ऑलरेडी इससे पहले जो दो वीडियो बनाई है उसमें ऑलरेडी डिस्कस कर लिए है तो वो आप देख लीजिएगा मैं उसके आगे का बता रहा हूं तो होता क्या है कि पंजाब के अंदर ये सारी एक्टिविटी करना बहुत ही मुश्किल था तो तलविंदर सिंह परमार जो था वो कनाडा पहुंच चुका था और वहीं से बब्बर खालसा को ऑपरेट कर रहा था अब इसने क्या किया कि 1981 में इसने पंजाब के दो पुलिस वालों को वहीं से बैठे-बैठे मरवा दिया था और ये पहली बार था जब इंडिया की तरफ से इंदिरा गांधी जी ने कनाडा की जो ऑफिशियल से उनसे बात करी थी और उनसे कहा था कि ये जो तलविंदर सिंह है ये कनाडा के अंदर इंडिया के अगेंस्ट की एक्टिविटी कर रहा है तो इसको आप हमें दे दीजिए अब जैसा कि मैंने पहली वाली वीडियो में बताया था कि उस पर्टिकुलर टाइम पे जो कनाडा के पीएम थे वो जस्टिन ट्रूडो के फादर पीयर ट्रूडो थे जो नहीं माने और उन्होंने मना कर दिया इंदिरा गांधी जी को अब इसके 3 साल बाद 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार में गोल्डन टेंपल जो था उसके ऊपर अटैक होता है और इंडिया के जो सिख थे उसके साथ-साथ पूरे वर्ल्ड के जो सिख थे वो बहुत ही बुरी तरीके से गुस्सा हो जाते हैं और इंडिया के बाहर जो था वो काफी एक्टिविटी शुरू हो गई थी स्पेशली कनाडा के अंदर इंडिया अगेंस्ट जो एक्टिविटी थी वो बहुत ही तेज हो गई थी और 1984 में दोबारा से इंदिरा गांधी जी ने कनाडा के जो पीएम थे उनको लेटर लिखा था लेकिन उससे होता कुछ नहीं है उसके जस्ट दो महीने बाद ही इंदिरा गांधी जो थी उनके ऊपर अटैक हो जाता है और उनकी डेथ हो जाती है अब आपको ऑलरेडी पता है कि जब ये इंसीडेंट हुआ था तो दिल्ली के अंदर सिखों के साथ कत्लेआम होता है और ये जितनी भी खालिस्तानी ऑर्गेनाइजेशन थी जो अलग-अलग जगह से ऑपरेट कर रही थी ये बहुत ही तेजी से एक्टिवेट हो जाती है और जिसको लेक फिर से इंडिया कनाडा को लेटर लिखता है कई सारे डोसियर भेजता है कि वहां पे एक्टिविटी हो रही है और कुछ बड़ा होने वाला है लेकिन कनाडा इन सारे मामलों को ज्यादा सीरियसली नहीं लेता था वो इसको एक इंडियन पॉलिटिकल इशू की तरह देखता था लेकिन ये जो इंटल दिए थे इंडिया ने कि कुछ बड़ा होने वाला है इस बार ये सही होता है 1985 में इसके जस्ट एक साल बाद बब्बर खालसा एयर इंडिया के प्लेन में बॉम रख देता है और 300 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है अब कनाडा इस पूरे केस में इंक्वायरी तो बैठा आता है लेकिन उतना एक्टिव नहीं रहता है सिर्फ एक आदमी था इंदरजीत सिंह रियाद उसके अलावा किसी को भी सजा नहीं मिलती है जो इस पूरे एयरप्लेन बॉमिस माइंड था तलविंदर सिंह परमार वो बच के निकल जाता है और वो पाकिस्तान पहुंच जाता है इसको लेके भी इंडिया कनाडा से गुस्सा था लेकिन इंडिया उस टाइम पे ऐसी पोजीशन में नहीं था कि कनाडा के ऊपर जिओ पॉलिटिकल प्रेशर बना पाए लेकिन इसी बीच क्या होता है कि तलविंदर सिंह परमार जो कि पाकिस्तान पहुंच चुका था वो किसी काम से इंडिया घुसता है और जैसे ही ये घुसता है इंडिया तलविंदर सिंह परमार को मार देती है अब इसके भी कई सालों तक इंडिया कनाडा के रिलेशन जो होते हैं वो थोड़े से खराब होते हैं कनाडा के अंदर से कई सारी एक्टिविटी होती थी जो इंडिया के अगेंस्ट में होती थी जो खालिस्तानी ग्रुप्स थे वो करते थे लेकिन 1995 आते-आते कनाडा के जो पीएम थे वो जोसेफ बनते थे जो थोड़े से सॉफ्ट थे इंडिया की पॉलिसी को लेके और इन्होंने काफी ट्राई भी किया इंडिया से अच्छे रिलेशन करने के लिए ये इंडिया भी आए थे इन्होंने इंडिया के साथ 75 से ज्यादा ट्रेड डील भी की थी अब इस पर्टिकुलर टाइम प सबको लग रहा था कि इंडिया कनाडा के जो रिलेशन है वो सुधर जाएंगे लेकिन उसी साल 31 ऑफ अगस्त 1995 को पंजाब के जो सीएम थे बीएन सिंह इनकी हत्या कर दी जाती है और ये सारा का सारा ब्लेम जो है वो खालिस्तानिस आता है एक सीएम की हत्या होना इंडिया के लिए बहुत ही बड़ा कंसर्न था इसके बाद पंजाब पुलिस जो थी वो काफी एक्टिव हो जाती है बहुत से लोगों को उठाती है और इसी टाइम पे पुलिस जलंधर से एक दूध वाले को उठाती है जिसका नाम था हरदीप सिंह निज्जर इसके साथ-साथ इसके भाई और फादर को भी उठाती है बाद में पता चलता है कि सीएम की जो हत्या हुई थी उसके पीछे जगतार सिंह था लेकिन उस टाइम पे पुलिस ने कई सारे ऐसे लोग पकड़े थे जो इसमें इवॉल्व नहीं थे अब ये जो निज्जर था ये क्या करता है कि 10th ऑफ फरवरी 1997 में पुलिस को पैसा खिला के जेल से भाग जाता है उसके बाद ये रवि शर्मा नाम से एक फेक पासपोर्ट बनवा है और फ्लाइट पकड़ के टोरंटो के पियर्सन एयरपोर्ट प उतरता है अब कनाडा की अथॉरिटी जब इससे एफिडेविट भरवा है तो उसमें इसने डिक्लेरेशन दिया था और उसमें कई सारी चीजें लिखी थी जिसमें इसने लिखा था कि मुझे इंडिया से भाग के यहां आना पड़ा है इंडिया के अंदर सिख के ऊपर जुल्म हो रहे हैं और अगर मैं यहां पे नहीं आता तो मुझे मार दिया जाता आप मुझे बचा लो ये सारी स चीजें कहता है और असाइन की मांग करता है वहां पे इसमें यह भी बताता है कि मेरे फादर मेरे भाई ये अभी भी जेल में है इसको भी वहां पे करंट लगाया गया ये सारी चीजें मेंशन करता है और ये ऐसे ही हाथ उठा के नहीं आ गया था ये मेडिकल सर्टिफिकेट वगैरह बनवा के लेके आया था कनाडा की अथॉरिटी जो थी जो इसका पासपोर्ट था और जो मेडिकल सर्टिफिकेट था ये दोनों चेक करवाती है तो बाद में पता चलता है कि ये दोनों चीजें इसने फेक बनवा रखी थी और जैसे ही कनाडा की जो अथॉरिटी थी उसको पता चलता है वो इसको वहां से भगा देती है अब ये क्या करता है कि ये 11 दिन तक गायब रहता है और 11 दिन के बाद अपने लिंक से एक फेक मैरिज का रे ट कर लेता है कुछ जुगाड़ लगा के एक लड़की से शादी कर लेता है और वो जो लड़की थी वो इसका वीजा स्पंस कर देती है इसको कनाडा के अंदर एंट्री तो मिल जाती है लेकिन आगे चलके फिर से इंक्वायरी बैठती है तो कैनेडियन गवर्नमेंट जो थी इस पूरे वीजा प्रोसेस को फ्रॉड बताती है इसके अगेंस्ट में ये भी कई सारे कोर्ट में केस लड़ता है कनाडा के और फिर ये धीरे-धीरे चलके इसको सिटीजनशिप मिल जाती है अब सिटीजनशिप मिलने के बाद ये क्या करता है कि कनाडा के अंदर प्लंबिंग का बिजनेस खोलता है और धीरे-धीरे आगे चलके कनाडा के जो ब्रिटिश कोलंबिया है वहां पे गुरु नानक सिख गुरुद्वारा जो है उसका प्रेसिडेंट बन जाता है और कई सारे जो खालिस्तानी ग्रुप थे उनके टच में भी आ जाता है अब ये जो निज्जर था ये तो कनाडा के अंदर सेटल हो जाता है इधर इंडिया में ये जो जगतार सिंह था जो सीएम के मर्डर के केस में इसको पुलिस अंदर कर लेती है यह कबूल कर लेता है कि इसने पंजाब के जो सीएम थे उनको मारा है और यह भी कहता है कि इसका इसको कोई भी अफसोस नहीं है अब जब ये जेल में बंद रहता है इसकी सारी एक्टिविटी बंद हो जाती है अब ये 2004 में जेल से एक सुरंग खोदता है और वहां से भाग जाता है और भागने के बाद ये पाकिस्तान पहुंचता है और वहां पे जाके ये सेम ईयर में खालिस्तान टाइगर फोर्स बनाता है ये एक मिलिटेंट फिट की तरह ऑपरेट करता है खालिस्तान मूवमेंट के लिए और इसका मकसद यही था कि इसको पंजाब को इंडिया से अलग करना है अब जब ये पाकिस्तान में जाता है तो पाकिस्तान की जो आईएसआई थी उसका पूरा सपोर्ट था इसको ये सारी चीजें मैं आपको बता रहा हूं ये पंजाब पुलिस ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पे एक डिक्लेरेशन में दी हुई है ये आप पॉज करके एक बार पढ़ लेना अब इधर कनाडा में बैठा हुआ जो निज्जर था वो पाकिस्तान में बैठा हुआ जो जगतार सिंह था उसके टच में आ जाता है और ये एक दूसरे के सपोर्ट के साथ कोऑर्डिनेटेड तरीके से पंजाब में अपनी एक्टिविटीज जो है वो बढ़ाने लगते हैं अब निज्जर जो था ये जो आईईडी हथियार वगैरह थे इसकी जो ट्रेनिंग थी वो कनाडा के अंदर तो नहीं कर सकता था तो निज्जर जो था वो पाकिस्तान भी जाता रहता था और ट्रेनिंग लेके वापस कनाडा पहुंच जाता था और ये सारी ट्रेनिंग वगैरह लेने के बाद 2007 में लुधियाना में एक सिंगार मूवी हॉल था निज्जर उसमें बॉम प्लांट करता है इस धमाके में छह लोगों की जान चली जाती है और जब इन्वेस्टिगेशन होती है तो निज्जर का नाम सामने आता है यहां से निज्जर इंडिया की हिट लिस्ट में सबसे ऊपर आ जाता है अब 2007 में निजर जो है वो मूवी हॉल के अंदर अटैक करता है इंडिया के अंदर इसी साल अक्टूबर के महीने में अक्टूबर 2007 में यूएस के अंदर एक लॉयर था गुरपतवंत सिंह पन्नू आजकल आप इसका नाम बहुत सुनते होंगे तो 2007 में ये जो पन्नू है ये सिख फॉर जस्टिस नाम से एक ऑर्गेनाइजेशन खोल देता है यूएस के अंदर इसका कहना था कि 1984 में सिक्खों के साथ जो हुआ था ये ऑर्गेनाइजेशन उसका बदला लेगी और इस एजेंडा के साथ खालिस्तान बनाने के लिए इन्होंने कनाडा और यूएस में कई सारे लोगों से पैसा भी इकट्ठा करना चालू किया इस ऑर्गेनाइजेशन को बनाने के बाद इसने कई सारी चीजें की जैसे इसने यूएस के कोर्ट में जाके कमलनाथ मनमोहन सिंह जी सोनिया गांधी कई लोगों के खिलाफ यूएस के कोर्ट में जाके केस फाइल करना चालू किए यूएन में भी कई सारी रिपोर्ट सबमिट की और रेफरेंडम 2020 भी स्टार्ट करवाया जिसमें इन्होंने कनाडा यूएस यूके ऑस्ट्रेलिया यहां पे वोटिंग कराना भी स्टार्ट किया जिसका मोटिव था कि पंजाब को इंडिया से अलग करो एक बार ऐसा भी हुआ था कि गुरु पतप सिंह पन्नू जो था इसने अनाउंस भी कर दिया था कि ये जो सिख फॉर जस्टिस ऑर्गेनाइजेशन है इसका एक परमानेंट ऑफिस होगा और वो होगा पाकिस्तान के लाहौर में तो ये जो सिख फॉर जस्टिस थी यूएस के अंदर पन्नू चला रहा था इसको और इसने इसकी एक ब्रांच कनाडा में भी खोली और वो कनाडा वाली जो ब्रांच थी उसका हेड जो था वो निज्जर को बना दिया था इसने और पाकिस्तान के अंदर जगतार सिंह खालिस्तान टाइगर फोर्स चला रहा था उस टाइम पे तीनों ऑर्गेनाइजेशन मिलके इंडिया के खिलाफ काम करती थी अब होता क्या है कि 2008 में पाकिस्तान को टेरर फंडिंग की वजह से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है और 2009 में इनको निकाल तो दिया जाता है लेकिन कुछ साल बाद इनके ऊपर फिर से तलवार लटक रही थी कि ये दोबारा से इनको एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला जाएगा और इससे बहुत नुकसान हो रहा था इनको तो ये वो टाइम था जब पाकिस्तान के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर था इस टाइम पे इन्होंने कई सारे जो टे रिस्ट आउटफिट थे उनको अपने देश से बाहर किया था तो उस पर्टिकुलर टाइम पे ये जो जगतार सिंह था इसको अपना पूरा जो खालिस्तान टाइगर फोर्स का जो ऑपरेशन था वो पाकिस्तान से मूव करके थाईलैंड ले जाना पड़ा था और इसमें पूरी मदद जो थी वो निज्जर ने करी थी और उसके बाद जगतार सिंह जो था वो खालिस्तान टाइगर फोर्स जो था वो थाईलैंड से ऑपरेट करने लगा था अब देखिए पाकिस्तान में तो इंडिया की मजबूरी थी वहां पे वो ऑपरेशन नहीं कर सकता था लेकिन जैसे ही जगतार सिंह थाईलैंड पे ऑपरेट करना शुरू करता है इंडिया की फोर्सेस 2014 में इसको पकड़ लेती और जेल में उठा के डाल देती जगतार सिंह के पकड़े जाने के बाद जो तान टाइगर फोर्स थी उसको निज्जर चलाने लगता है और इंडिया उस टाइम पर कुछ ज्यादा कर नहीं पाता क्योंकि कनाडा से ही ऑपरेट करता था और जो कनाडा की गवर्नमेंट थी वो इंडियन गवर्नमेंट की हेल्प करने में इंटरेस्टेड लग नहीं रही थी अब इसके बाद ईयर आता है 2015 और पियर डो के जो बेटे थे जस्टिन टड ये कनाडा के पीएम बनते हैं कनाडा के अंदर टोटल 338 सीट्स थी जिसमें से जीतने के लिए 170 चाहिए थी और जस्टिन ट्रूडो को 184 सीट्स मिली थी और वो जीत गए थे तो जब ये पीएम बनते हैं तो सेम ईयर में इंडिया ट्राई करती है इनको भी कई सारे डोसियर और डॉक्यूमेंट वग वगैरह देने के लिए इंडिया ने इस टाइम पे जो डॉक्यूमेंट भेजे थे उसमें ये सब मेंशन था कि जो निज्जर है वो इंडिया के अंदर पाकिस्तान के थ्रू पैराग्लाइडिंग से हथियार वगैरह भिजवा रहा है वहां से ऑपरेट कर रहा है तो इसको आप रोकिए लेकिन जस्टिन टड इस पे कोई एक्शन नहीं लगते बल्कि वो अपने पापा से भी एक कदम आगे निकलते हैं वो पीएम बनते हैं 2015 में और फरवरी 2016 को जस्टिन ट्रूडो इंदरजीत सिंह रियाद जिसने एयर इंडिया की प्लेन में बॉम रखा था जिसको 10 साल की सजा हुई थी उसको जेल से रिहा कर देते हैं अब इस टाइम पे इंडिया और ज्यादा गुस्सा हो जाता है ज्यादा कुछ होता नहीं है लेकिन एक चीज होती है 2016 में इंटरपोल जो था वो निजर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर देता है अब देखिए जस्टिन ट्रूडो से सपोर्ट नहीं मिल रहा था और इसके साथ-साथ 2017 में कनाडा की पॉलिटिक्स में खालिस्तान सिंपैथाइजर जगमीत सिंह की एंट्री होती है और वो कनाडा की पॉलिटिकल पार्टी एनडीपी के हेड बन जाते हैं और इंडिया कनाडा का जो रिलेशन का ग्राफ था वो इसके बाद और नीचे आ जाता है अब ये कैसे हेड बने पॉलिटिक्स क्या काम कर रही थी वो सब हमने ऑलरेडी पहले वाली वीडियो में डिस्कस कर लिया अब होता क्या है कि 2019 में कनाडा के अंदर इलेक्शन होने थे और उससे एक साल पहले 17 ऑफ फरवरी 2018 को जस्टिन ट्रूडो इंडिया पहुंचते हैं अब ये जो जस्टिन ट्रूडो की विजिट थी इंडिया के अंदर ये एक वीक के लिए थी जिसमें से मेनली इनको बिजनेस डील वगैरह करनी थी और पंजाब मुंबई दिल्ली आगरा यहां पे विजिट करना था लेकिन उससे ज्यादा इनका फोकस कनाडा के अंदर ये जो सिख कम्युनिटी थी उनको ये साबित करना था कि बाकी पॉलिटिकल पार्टी के कंपैरेटिव ये ज्यादा क्लोज है सिख कम्युनिटी के और उसके लिए इन्होंने क्या किया इंडिया के अंदर भांगड़ा किया गोल्डन टेंपल गए ट्रेडिशनल ड्रेस पहनी लेकिन उसके साथ-साथ इन्होंने एक ब्लंडर ऐसा कर दिया जिसकी वजह से इंडिया बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया जब ये इंडिया आ रहे थे तो ये अपने डेलिगेशन में अपने साथ एनर्जी एग्रीकल्चर फाइनेंस मिनिस्टर की बजाय पहली चीज तो ये अपने साथ हरजीत सिंह को लेके आए जो कि खालिस्तानी सिंपैथाइजर है और दूसरी चीज जिससे सबसे ज्यादा बवाल हुआ ये अपने साथ जसपाल अथवा को भी लेके आए अब इसका नाम देख के इंडियन गवर्नमेंट बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाती है इसको इंडिया लेके आना मतलब ऐसे समझ लो कि मोदी जी जो बाइडर से मिलने जा रहे हैं और वहां पे वो लादेन को ले गए जसपाल ने उज्जवल दोसान जो था जो खालिस्तान के खिलाफ था उस उस के ऊपर अटैक किया और इसने पंजाब के मिनिस्टर मलके सिंह सिद्धू जो कि अकाली दल से थे ये जब कनाडा गए थे अपने रिलेटिव की मैरिज में तो उनके ऊपर अटैक करा दिया था और 20 साल की सजा भी हुई थी जसपाल को ऐसा आदमी जो इंडिया के मिनिस्टर पे अटैक कर रहा है उसको जस्टिन टड इंडिया कनाडा के डिनर पे इनवाइट करा है ये वो इन्विटेशन लेटर है और जस्टिन ट्रूडो की वाइफ के साथ ये जसपाल जो था ये फोटो वगैरह भी खिंचवा रहा था अब इसके बदले में इंडिया की तरफ से भी इनको अच्छा ट्रीटमेंट नहीं दिया गया जब जस्टिन ट्रूडो इंडिया पहुंचे थे तो इनको लेने के लिए एक छोटा मिनिस्टर भेज दिया था और आगरा में भी जब ये गए थे तो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भेज दिया था जबकि इजराइल के पीएम आए थे तो मोदी जी खुद उनको लेने गए थे और जब वह ताजमहल देखने गए थे योगी जी ने खुद ताजमहल दिखाया था जस्टिन टड ने अपनी विजिट में बहुत ज्यादा इंसिस्ट किया कि पंजाब के जो सीएम है अमरिंदर सिंह उनसे एक मीटिंग हो जाए लेकिन अमरेंद्र सिंह ने साफ मना कर दिया और जब इन्होंने दोबारा लेटर लिखा तो पंजाब के सीएम अमरेंद्र सिंह इनसे मिलने को रेडी हो गए लेकिन वहां भी ट्रूडो की कुछ बात अच्छे से हुई नहीं अमरेंद्र सिंह ने इनको नौ खालिस्तानी लीडरों की लिस्ट पकड़ा दी और कहा कि आप इनको अपने देश में रोकिए ये इंडिया के खिलाफ काम कर रहे हैं इनमें से एक नाम था निजर का अभी जो पूरी विजिट थी ना जस्टिन ट्रूडो की इंडिया के अंदर ये बहुत ही बुरी रही ये वापस कनाडा जाते हैं इनको बहुत क्रिटिसाइज किया जाता है कनाडा के लोग ही बहुत क्रिटिसाइज करते हैं उस टाइम के आर्टिकल ऐसे थे ट्रूडो इंडिया ट्रिप इज टोटल डिजास्टर जस्टिन ट्रूडो मेक्स अ फूल ऑफ हिमसेल्फ इनके खुद के पॉलिटिशियन ने ये कहना शुरू कर दिया कि जस्टिन इस इंडिया ट्रिप पे ग्लोबल स्ट्रेटेजिक इंटरेस्ट की बजाय अपने इलेक्टोरल इंटरेस्ट को सिक्योर करने गए थे जिससे कनाडा का नुकसान कराया इन्होंने अब जब कनाडा के अंदर भी ये बातें उठने लगी तो जस्टिन की जो गवर्नमेंट थी उनको समझ में आ गया था कि उन्होंने ब्लंडर कर दिया और उसके नेक्स्ट डे इन्होंने क्या किया कि कनाडा के पार्लियामेंट के अंदर एक रेजोल्यूशन पास किया जिसमें खालिस्तानी मूवमेंट जो थी उसको कंडेम किया और इंडिया को खुश करने के लिए ये भी बोला गया कि हम यूनाइटेड इंडिया के साथ खड़े हैं अब ये सारी चीजें इन्होंने बोल तो दी थी लेकिन ये भूल गए थे कि इनको जो खालिस्तानी पॉलिटिशियन हैं उनका भी ध्यान रखना है और जैसे ही ये बोलते हैं उसके नेक्स्ट डे 1 मार्च 2018 को काफी पॉलिटिक्स हुई ये जो खालिस्तानी पॉलिटिशियन थे इन्होंने लॉबिंग करना शुरू की और सेम डे 1 मार्च को ही कनाडा ने ये जो पार्लियामेंट के अंदर रेजोल्यूशन वगैरह किया था इस सबको हटाना पड़ा तो इससे आपको समझ में आ रहा होगा कि खालिस्तानी पॉलिटिशियन जो है उनकी पकड़ कितनी अंदर तक है अब ये बात यहां भी नहीं खत्म होती है इसके बाद अप्रैल 2019 को कैनेडियन डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक सेफ्टी ने एक रिपोर्ट पब्लिश करी जिसमें कनाडा की जो डोमेस्टिक सिक्योरिटी थ्रेड है वो क्या-क्या है उसके बारे में ये सारी डिटेल्स मेंशन थी उस रिपोर्ट में उसमें लिखा था कि सम इंडिविजुअल्स इन कनाडा कंटिन्यू टू सपोर्ट वायलेंट मींस टू एस्टेब्लिश एन इंडिपेंडेंट स्टेट विद इन इंडिया ये जितनी एयर इंडिया बॉम्बिगिडी सपोर्टर जो थे उनको अच्छ नहीं लगी इस रिपोर्ट के पब्लिश होने के बाद कनाडा के एमपी रणदीप सिंह सराई और जगमीत सिंह काफी गुस्सा हो जाते हैं फिर इन्होंने एक लेटर लिख के प्रेशर बनाया और इस पूरी रिपोर्ट में से खालिस्तान एक्सट्रीमिस्ट जो वर्ड वगैरह थे इन सबको हटवाया गया अब इसके बाद 21 अक्टूबर 2019 को कैनेडा में होने थे इलेक्शन इस इलेक्शन में जस्टिस रूडो के साथ-साथ एनडीपी की तरफ से जगमीत सिंह भी पीएम की जो रेस थी उसके लिए खड़े हुए थे अब जैसा कि हमने पहले डिस्कस किया था कि 338 सीट्स जो थी वो टोटल थी कनाडा के अंदर उसमें से 170 चाहिए थी जीतने के के लिए लेकिन इस बार जस्टिन ट्रूडो को सिर्फ 157 सीट्स ही मिलती हैं और जगमीत सिंह जो थे उनको 24 सीट्स मिलती हैं अब इनका जो भी डिस्कशन होता है उसके बाद होता यह है कि जस्टिन टड जो है उनको जगमीत सिंह सपोर्ट कर देते हैं और जस्टिन टड पीएम बन जाते हैं और 2021 में भी सपोर्ट किया था यही रीजन है कि कनाडा के अंदर जगमीत सिंह को किंग मेकर भी बोला जाता है और कभी-कभी मजाक में लोग जस्टिन टड को जस्टिन सिंह ट्रूडो भी बोल देते हैं अब इन सारी रीजंस की वजह से जस्टिन ट्रूडो की डिपेंडेंसी जगमीत पे बढ़ गई थी और जगमीत का जो कड था वो कनाडा की जो पॉलिटिक्स थी उसमें भी डे बाय डे बढ़ रहा था और इन सारी चीजों के बाद जगमीत सिंह को एक इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था जिसके लिए ये इंटरव्यू में जो क्वेश्चन पूछे जाने थे उसके लिए जगमीत सिंह ने रिक्वेस्ट कर दिया था लेकिन जो न्यूज़ चैनल था उसने ये क्वेश्चन देने को मना कर दिया तो जैसे ही उसने मना किया तो जगमीत सिंह ने इंटरव्यू देने के लिए मना कर दिया और उस चीज पे न्यूज़ चैनल ने ये कहा कि अगर आप ऐसा करोगे तो हम ये पब्लिकली डिस्क्लोज कर देंगे कि आपने क्वेश्चन के लिए रिक्वेस्ट किया और हमने नहीं दिए इस वजह से आपने इंटरव्यू कैंसिल किया है तो कई सारे लंबे डिस्कशन के बाद ये इंटरव्यू देने को रेडी होते हैं अब जब ये इंटरव्यू में बैठते हैं तो ये खालिस्तानिस नहीं करना चाहते थे लेकिन इंटरव्यू के अंदर जो न्यूज़ एजेंसी थी वो इनको फंसा लेती है और जगमीत सिंह ये जो एयर इंडिया की बमिंग हुई थी उसमें तलविंदर सिंह को ऑफिशियल जिम्मेदार बता देते हैं यस आई एक्सेप्ट द फाइंस ऑफ द इंक्वायरी एंड दैट वन ऑफ द फाइंडिंग्स अब देखिए 2019 और 20121 में जो जगमीत सिंह ने सपोर्ट किया था जस्टिन ट्रूडो को इसके बाद जस्टिन ट्रूडो इंडिया के डोमेस्टिक इश्यूज जो थे उसके ऊपर भी कमेंट करने लगे जैसे फार्मर प्रोटेस्ट हो गया अमृत पाल सिंह वाला जो केस था इन सब पे उसके छोटे-छोटे कमेंट आने लगे थे और पैरेलली कनाडा के अंदर निज्जर जैसे लोगों का भी ऊंचा हो रहा था डे बाय डे पहले जो निज्जर चुप रह के काम करता था अब वो काफी खुल के काम करने लगा था पंजाब के अंदर जो गैंगस्टर थे उनके साथ भी निज्जर के कनेक्शन सामने आने लगे थे किलिंग वगैरह करवाने के लिए क्योंकि वो खुद इंडिया नहीं आ सकता था एनआईए की रिपोर्ट में निज्जर के कनेक्शन में सबसे ऊपर नाम आया था अर्शदीप सिंह दल्ला का इसके थ्रू ये हवाला का पैसा फंडिंग किलिंग ये सारी चीजें पंजाब के अंदर करवाता था लेकिन जब इंडियन एजेंसीज ने अर्शदीप सिंह दल्ला के ऊपर भी जब प्रेशर बनाया तो निज्जर ने इसको भी कनाडा बुला लिया और वहां पे ही उसका सेटलमेंट कर दिया अब इसमें एक ये भी चीज थी कि जब चाहते थे तो कनाडा में सेटल भी करवा सकते थे एरन ब्रुक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट हैं और इस बार का जो ओलंपिक होने वाला है इसमें इनके जीतने के चांसेस बहुत ही ज्यादा हाई है लेकिन इनको कनाडा ने सिटीजनशिप नहीं दीया ये कह के रिजेक्ट कर दिया कि हमारी कंट्री में कोई वैल्यू ऐड नहीं कर रही है वहीं निज्जर हो गए अर्शदीप जैसे लोग हो गए इनको राइट अवे सिटीजनशिप मिल जाती है अच्छा इंडिया तो क्वेश्चन कर ही रहा है जो वहां के लोकल कैनेडियन सिटीजन हैं वो भी क्वेश्चन कर रहे हैं जैसे कि ये किर्क हैं इन्होंने ये पोस्ट करके अपनी नाराजगी दिखाई तो देखिए 2020 में इंडियन एजेंसी जो थी वो निज्जर हो गए अर्शदीप सिंह दल्ला हो गए इन सबको आतंकी घोषित कर दिया था और इनको सबको मोस्ट वांटेड की लिस्ट में डाल दिया था लेकिन इन सब चीजों का इनप कोई असर नहीं हो रहा था इसके जस्ट एक साल बाद 2021 में निज्जर ने एक कम्युनल हेट क्रिएट करने के लिए एक पंडित जी की किलिंग करवा दी थी और एनआईए ने इस चीज को प्रेस रिलीज करके कंफर्म किया था कि इस पूरे इंसिडेंट में निज्जर का इंवॉल्वमेंट है एक गगनदीप नाम के आदमी को वेपन सप्लाई करवा के ये किलिंग करवाई गई थी और देखिए जितने भी इंसिडेंट हुए हैं इन सब में इंडियन एजेंसीज ने पाकिस्तान की आईएसआई का भी नाम लिया है इंडिया ने मल्टीपल टाइम कनाडा को डोसियर डॉक्यूमेंट ये सब भेजे हैं जिसमें पाकिस्तान के आईएसआई का नाम क्लियर लिखा हुआ है जिसमें मेनली फोकस यह है कि पाकिस्तान खालिस्तान के लिए जो फंडिंग कर रहा है ये सारी चीजें डिटेल उसमें दी हैं और देखिए ऐसा नहीं है कि मैं इंडियन हूं तो जबरदस्ती हर चीज में पाकिस्तान को इवॉल्व कर दे रहा हूं मल्टीपल डॉक्यूमेंट हैं आप सर्च मारोगे आपको 500 चीजें मिल जाएंगी जिसमें पाकिस्तान का इवॉल्वमेंट आपको मिलेगा और कुछ मैं आपसे शेयर भी कर देता हूं जैसे सिख फॉर जस्टिस की जो वेबसाइट है www.sof jus2 t0 snkl23 उससे पहले ही इनके पास थी पाकिस्तान के आईएसआई ग्रुप में इस चीज को ऑपरेशन एक्सप्रेस के नाम से डिस्कस किया जा रहा था लेकिन इस चीज को खालिस्तानी ग्रुप टाइम टू टाइम मना कर देते हैं अगर आप नोटिस करोगे तो खालिस्तान के जो लीडर हैं वो कभी भी पाकिस्तान वाले एरिया जो है उसकी बात नहीं करते जब बंटवारा हुआ था तो पाकिस्तान के अंदर दो मिलियन सिख थे लेकिन वहां के गुरुद्वारे हो चाहे वहां की सिख कम्युनिटी हो उन परे कई बार हमले हुए हैं और आज की डेट में तो सिर्फ हजारों की संख्या में बचे हैं पाकिस्तान के अंदर जो राजा रंजीत सिंह जी की जो मूर्ति थी उसको भी हथौड़ा मार के खंडित कर दिया था इन लोगों ने इनफैक्ट पाकिस्तान वाला जो हिस्सा है वहां पे ज्यादा चीजें जैसे ननकाना साहिब जो कि गुरु नानक जी का बर्थ प्लेस है करतारपुर साहिब ये सब पाकिस्तान वाले पार्ट में ही है इनकी ये लोग बात ही नहीं करते हैं पहले खालिस्तान का जो यह वाला मैप था अब ये लोग सिर्फ इंडिया वाले पार्ट की ही बात करते हैं पाकिस्तान की जो बेनजीर भुट्टो थी वो पाकिस्तान की जो आर्मी थी जो आईएसआई थी इनको आगाह भी करती रहती थी कि ये जो खालिस्तान को सपोर्ट कर रहे हैं ये जो कर रहे हैं बहुत गलत है ये आगे चलके इनको ही दिक्कत देगा बेनजीर ने खालिस्तान सेपरेटिस्ट जो थे उनकी डिटेल भी राजीव गांधी को दी थी जिसके लिए इनको पाकिस्तान में बहुत ज्यादा क्रिटिसाइज भी किया गया था देखिए सारी चीजें बैक टू बैक हो रही थी और इंडिया जो था वो हर बार कनाडा को डॉक्यूमेंट प्रूफ डोसियर वगैरह ये सब भेजता रहता था लेकिन कुछ एक्शन नहीं होता था लेकिन इंडिया का जो पेशेंस है वो लूज हुआ इसी साल 203 में 2023 के स्टार्टिंग में ही 25 फरवरी को ब्रिस्बेन में इंडियन एंबेसी पे अटैक हुआ फिर इसके अगले मंथ मार्च 2023 में खालिस्तानी ऑर्गेनाइजेशन के कई लोगों ने इंडियंस पे भी अटैक किया और इसके 4 दिन बाद यूके के पार्लियामेंट के बाहर प्रोटेस्ट भी होने लगे ऑस्ट्रेलिया के जो मंदिर थे वहां पे तोड़फोड़ और एंटी इंडिया ग्राफिटी के केसेस भी आने लगे एंबेसी के ऊपर जो इंडियन फ्लैग लगे थे उसको नीचे उतारना उसको पैर में लगाना ये सारी चीजें आपने देखी होंगी ऑलरेडी इस साल भी इंडियन गवर्नमेंट ने यूके ऑस्ट्रेलिया कनाडा सबको डिटेल्स भेजी अलग-अलग डॉक्यूमेंट भेजे यूके और ऑस्ट्रेलिया ने तो इसको एक्नॉलेज किया लेकिन कनाडा ने इस पे भी रिएक्शन नहीं दिया ये जो हरदीप सिंह निज्जर है इसकी तो एे सीरीज की जो गन है उसके साथ वीडियो तक वायरल हो रखी है इल्लीगल जो गंस होती हैं उसके साथ इसकी फोटो है मोस्ट वांटेड तक घोषित कर दिया इंडिया ने 10 लाख का इनाम रख रखा है उसके बाद भी कैनेडियन गवर्नमेंट जो है इसको एक प्लंब ही बोलती है हमारे जो फॉरेन मिनिस्टर हैं उन्होंने भी वर्न किया कि अगर बाकी कंट्रीज हमारे डिप्लोमेट जो बाहर रह रहे हैं उनकी सिक्योरिटी नहीं मेंटेन करेगी तो इंडिया की तरफ से रिएक्शन आएगा इ दे डू नॉट प्रोवाइड सिक्योरिटी इफ दे डू नॉट टेक सीरियसली इफ देर आर इंसिडेंट लाइक द यू नो व्ट य स देर विल बी रिएक्शन फ इ अब होता क्या है कि अप्रैल में ये सब स्टेटमेंट वगैरह तो चल रहे थे लेकिन इसके बाद क्या होता है कि धीरे-धीरे जो लोग इन सब चीजों में इवॉल्व थे उनकी डेथ होना स्टार्ट हो जाती सिक्सथ ऑफ में 2023 को इसी साल परमजीत सिंह पंजवार जो कि पाकिस्तान के लाहौर में वहां पे फेक करेंसी हवाला का पैसा इधर-उधर करना बेसिकली खालिस्तान के लिए फंड रेस करता था पाकिस्तान में बैठ के तो ये मॉर्निंग वॉक पे जा रहा था अचानक से दो लोग आते हैं और इसको गोली मार देते हैं और आज तक नहीं पता चलता कि किसने मारी गोली अब इसके तुरंत बाद 15th ऑफ जून 2023 को अवतार सिंह खंडा जिसने सिख फॉर जस्टिस ऑफ पन्नू के साथ काम भी किया था रेफरेंडम वगैरह भी ऑर्गेनाइज कराए थे खालिस्तान लिबरेशन फोर्स जो है उसका चीफ भी रहा है बब्बर खालसा भी इसके लिंक थे इसने इंडियन डिप्लोमेट्स को भी कई बार धमकी दी थी इंडियन एंबेसी पे जो फ्लैग की बेअदबी हुई थी उसमें भी इसका नाम आया था तो 15 जून को यूके के अंदर सस्पिशंस कर रहे थे या जो उन एक्टिविटी में इंवॉल्व थे उनके मरने की तो खबर आ रही थी लेकिन पाकिस्तान के अंदर कुछ ऐसे लोग भी थे जो कश्मीर के अंदर भी एक्टिविटीज कर रहे थे उनके नाम भी आने लगे उनको भी अननोन लोग गोली मारने लगे सिर्फ इसी साल 2023 में दाऊद मलिक शहीद लतीफ जियाउर रहमान अबू कासिम सरदार हुसैन सैयद नूर बशीर अहमद सैयद खालिद इन सब लोगों को अनजान लोगों ने गोली मार दी अब जब ये सारी चीजें हो रही थी तो 177th ऑफ जून 2020 थ को कैनेडियन अथॉरिटी निज्जर के पास आती है और कहती है तुम्हारी जान को खतरा है लेकिन स्पेसिफिक डिटेल्स नहीं बताती है और एक ऑडियो भी सामने आती है जिसमें निज्जर को मारने की बात हुई पिछले दिन कंदर ने सरकार ने ना पाया नौ जन दे उद विच एक हरदीप सिंह का भी नाया और इसके नेक्स्ट डे 18th ऑफ जून 2023 को करीब 8:30 बजे कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में गुरु नानक सिंह गुरुद्वारा है वहां पे हरदीप सिंह निज्जर जो था वो अपने दोस्त गुरमीत सिंह के साथ बाहर निकलता है और पार्किंग की तरफ जाता है इसके बाद अपने घर पे भी बात करता है ये जो सारी डिटेल है मिनट बाय मिनट क्या हुआ वाशिंगटन पोस्ट ने ये पब्लिश कर रखी है मैंने डिस्क्रिप्शन में इसका लिंक लगा दिया आप देख लेना मैं शॉर्ट में एक बार बता देता हूं आपको जैसे ही पार्किंग की तरफ जाता है एक सिल्वर कलर की गाड़ी निजर की गाड़ी के सामने आके लग जाती है वहीं पे दो लोग छुपे थे वो लोग निकल के गोली चलाने लगते हैं जिसमें से 34 गोलियां जो थी वो निज्जर को लग जाती है और वो मर जाता है वहीं पे ही भूपेंद्र सिंह और मलकीत सिंह गुरुद्वारे से बाहर निकलते हैं वो दो लोगों को भागते हुए देखते हैं और गाड़ी के अंदर पहले से ही कुछ लोग बैठे थे इन्होंने हुडी पहन रखी थी मास्क लगा रखा था अब इसके बाद पुलिस वगैरह आती है इन्वेस्टिगेशन वगैरह भी करती है लेकिन एक महीने तक वो कुछ ढूंढ ही नहीं पाती है इनफैक्ट पुलिस लोगों के सामने अनाउंस करती है कि अगर किसी को यह गाड़ी दिखी हो तो रिपोर्ट करें लेकिन अगस्त के लास्ट वीक में यूएस जो है वो कनाडा को इफॉर्म करता है कि निज्जर की किलिंग में इंडिया के जो एजेंट्स हैं उनका इवॉल्वमेंट है और ये जो चीज मैं आपको बता रहा हूं ये न्यूयॉर्क टाइम्स जो है उसने अपनी रिपोर्ट में भी मेंशन किया है यूएस डिप्लोमेट जो कनाडा के अंदर थे उन्होंने कहा कि फाइव वाइज इंटेलिजेंस में ये जो इंफॉर्मेशन थी ये शेयर की गई थी अब ये फाइव वाइज क्या है कि इसमें यूके यूएस कनाडा ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड ये एंग्लो स्पेयर देश है इनका अपना एक फाइव आई ग्रुप है बेसिकली जहां पे एंग्लो सेक्शन एथनी सिटी रहती है उनको एंग्लो स्पेयर देश कहा जाता है एक दूसरे के लिए हर सिचुएशन में ये लोग खड़े रहते हैं एक दूसरे से इंटेलिजेंस शेयर करते हैं इन सब ने मिलके एक स्टोन घोस्ट नाम से एक सीक्रेट कलेक्टिव डेटाबेस बना रखा है जहां पे स्पेस से लेके सी तक हर इंटेलिजेंस एक दूसरे से शेयर करते हैं ये जो पांच कंट्रीज हैं इनकी 20 से ज्यादा एजेंसीज मिलके इंटेलिजेंस आपस में शेयर करती हैं शुरू शुरू में जब ये एक दूसरे को डॉक्यूमेंट शेयर करते थे तो उसके ऊपर लिखा रहता था इन पांचों कंट्री के नाम लिखे रहते थे और आइज ओनली लिखा रहता था तो इसकी वजह से इसका नाम फाइव आइज पड़ा डेविड कोहन जो कनाडा में यूएस एंबेसडर हैं उन्होंने सीटीवी न्यूज़ को इंटरव्यू देते हुए कहा कि शेयर्ड इंटेलिजेंस में जस्टिन ट्यूडोल में इंडिया का इंवॉल्वमेंट है देखिए बेसिकली बात ये हो रही है कि ये लोग जो थे ये लोग फोन टैप कर रहे थे इंडियन डिप्लोमेट्स का वहां से इनको पता चला लेकिन ये चीज बताई नहीं जा सकती क्योंकि ये खुद फंस जाएंगे कि आप डिप्लोमेट्स के फोन क्यों टैप कर रहे थे इस वजह से ये लोग कुछ बोल ही नहीं रहे हैं इस पे तो देखिए अगस्त के लास्ट में इतना सारा कुछ हो रहा था अब इसके बाद सितंबर के अंदर अ 9थ सितंबर और 10th सितंबर को g20 होना था इंडिया के अंदर सबको इंडिया आना था यहां पे जो बाइड और कनाडा के पीएम ये ऑलरेडी डिसाइड करके आए थे कि g20 के अंदर इन मुद्दों को मोदी जी के सामने डिस्कस करेंगे फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट आई थी उसमें ये चीज मेंशन है तो वो मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दी तो ये लोग g20 में जाके डिस्कशन भी करते हैं और सारी डिटेल्स भी देते हैं ऐसा कहा है फाइनेंशियल टाइम की रिपोर्ट ने लेकिन जस्टिन ट्रूडो उसके बाद भी अलग से एक सेपरेट मीटिंग चाह रहे थे लेकिन मोदी जी ने उसके लिए मना कर दिया फिर उसके बाद जस्टिन टड जो थे वो जो डिनर होता है एक साथ उसमें भी नहीं पहुंचे उनका प्लेन खराब हो गया तो इंडिया ने ऑफर भी किया तो वो उस प्लेन को भी लेने से इन्होंने मना कर दिया पूरे g20 में इंडिया ने जस्टिन ट्रूडो को सही से ट्रीट नहीं किया जब वो आए भी थे तो वही चीज छोटे मिनिस्टर गए थे प्लस जो भी बड़ा नेता आ रहा था बड़े-बड़े देश का तो डूडो क्या करते हैं 11th ऑफ सितंबर 2023 को हाउस ऑफ कॉमन जो कि कनाडा का पार्लियामेंट है उसमें कहते हैं कि हरदीप सिंह निजर का जो मर्डर हुआ था उसमें इंडियन गवर्नमेंट के इवॉल्वमेंट के पोटेंशियल लिंक के क्रेडिबल एलिगेशंस हैं पोटेंशियल लिंक बिटवीन एजेंट्स ऑफ द गवर्मेंट ऑफ इंडिया एंड द किलिंग ऑफ अ कैनेडियन सिटिजन डीप सिं निजार ये जो स्टेटमेंट है काफी ओपन एंडेड रखते हैं लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत तब होती है जब यह पवन कुमार राय जो कि ओटावा की एंबेसी में पोस्टेड थे इनको निकाल देते हैं और इनके ऊपर एलिगेशन लगाए गए कि ये जो पवन है इनको हमने इसलिए निकाला है क्योंकि ये रॉ के हेड हैं यहां पे इनकी वजह से ही निज्जर की जान गई है और इस चीज को देख के इंडिया बहुत गुस्सा हो जाता है क्योंकि इन्होंने एक गलती और करी थी अब डिप्लोमेट को हटाया तो इन्होंने उसके साथ-साथ जो उनका नाम था वो भी पब्लिक कर दिया अब इससे उनकी और उनकी फैमिली की जो सिक्योरिटी है कनाडा और इंडिया में वो भी रिस्क पे आ गई थी और ऐसे जनरली कोई कंट्री करती नहीं है जब भी कुछ ऐसा होता है तो बैक चैनल से ये सारी चीजें डिस्कस होती हैं लेकिन ऐसा नहीं किया जस्टिन ट्रूडो ने अब इधर से इंडिया ने भी इसके जवाब में कनाडा के जो स्टेशन चीफ थे उनको हटा दिया इस पूरे मैटर में पहली बार ऐसा हुआ था कि इंडिया इतना एग्रेसिवली रिस्पांस कर रहा था जनरली इस तरह का रिस्पांस और लैंग्वेज जो यूज होती थी वो पाकिस्तान और चाइना के लिए होती थी ये पहली बार था जब कनाडा को इंडिया जो है वो इस तरीके से डील कर रहा था इंडिया ने कनाडा को ये बोला कि आतंकियों के लिए सेफ हेवन है अब ये सारी चीजें तो चल रही थी लेकिन इसी बीच में एक चीज और होती है 22 ऑफ सितंबर 2023 को सुखद पूर सिंह गिल उर्फ सुखा जिसको प्रो खालिस्तानी बोला जाता है इसको भी कनाडा के अंदर कुछ अज्ञात लोगों ने आके गोली मार दी अब इससे टेंशन तो बहुत ज्यादा बढ़ रही थी इसको गैंग वॉर का नाम लेकिन दिया गया लर बिश्नोई ने एक पोस्ट किया facebook's है ना यूएन के ये बाकी देशों के लिए तो एप्लीकेबल है लेकिन वेस्ट के लिए नहीं है अभ ये जो वेस्ट कंट्रीज हैं ये अपने आप को फ्रीडम ऑफ स्पीच और डेमोक्रेसी का मसीहा तो प्रोजेक्ट करती है लेकिन असल में अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से रूल फॉलो करती है एक एग्जांपल से मैं आपको समझाता हूं कि मैं कहना क्या चाह रहा हूं जैसे जब रशिया ने 2006 में ब्रिटेन के अंदर एलेक्जेंडर को मारा था तब वेस्ट ने मिलके रशिया के ऊपर सैंक्शन लगा दिए थे लेकिन वहीं जब 2018 में सऊदी अरेबिया ने अमेरिका के अंदर जमाल को मारा था तो यूएस ने कुछ नहीं किया था क्योंकि सऊदी के अंदर ऑयल के इंटरेस्ट फंसे हुए थे वहीं 2020 में यूएस ने किसी आम सिटीजन को नहीं बल्कि ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मार दिया था तो ये जितनी भी डेवलप्ड कंट्री हैं ये अपने इंटरेस्ट को सर्व करने के लिए ना जाने कितने सालों से दूसरों की जमीन पे लोगों को मार रही हैं बस फर्क इतना होता है कि ये इसको फैंसी नाम दे देते हैं जैसे टारगेट किलिंग सेल्फ डिफेंस वॉर ऑन टेरर और भी नए-नए टर्म अभी हाल फिलहाल में लेके आए हैं एंटीसिपेटरी सेल्फ डिफेंस मतलब कि इस केस में ये लोग क्या करते हैं कि हमें इंटेलिजेंस मिली है कि हमारे देश को खतरा है और यह बोल के वो जिसको भी देश में जाके किसी को भी घुस के मार देते हैं तो देखिए बात सारी यह है कि अपने इंटरेस्ट के हिसाब से ये लोग स्टेप लेते हैं यूएस को इंडिया की बहुत ज्यादा जरूरत है चाहे इंडिया का मार्केट हो चाहे चाइना को काउंटर करना हो तो इसलिए आप यूएस की तरफ से तो देखो यही स्टेटमेंट देखोगे आने वाले टाइम में कि हम ऑब्जर्व कर रहे हैं हम नजर बनाए हुए हैं यही सब ये लोग करेंगे लेकिन ये जो सारी चीजें हुई हैं इसकी वजह से जो ट्रेड रिलेशन है इंडिया और कनाडा का वो बहुत ही नीचे आ गया वैसे तो इंपोर्ट और एक्सपोर्ट ऑलमोस्ट सेम ही है दोनों का 4 बिलियन डॉलर के आसपास है तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक देश का फायदा है या हमारा नुकसान है या सिर्फ उनका फायदा है दोनों का बराबर ही है लेकिन एक चीज है जिसमें इंडियन स्टूडेंट्स जो हैं वो कनाडा बहुत जाते हैं और जब एक स्टूडेंट कनाडा जाता है तो करोड़ों में पैसा लगता है तो कनाडा की जो इकॉनमी है जो ऑलरेडी भी स्ट्रगल कर रही है इस चीज का इंपैक्ट उसपे पड़ेगा यही रीजन था कि इंडिया ने जब वीजा सर्विस होल्ड की थी तो कनाडा ने होल्ड नहीं की थी अपनी तरफ से क्योंकि उसको पता था कि इस चीज से उसको दिक्कत होगी वहीं कनाडा ने भी 21 बिलियन डॉलर का पेंशन फंड इन्वेस्ट कर रखा है इंडिया के मार्केट में अगर ये हटा लेंगे तो इंडिया को भी दिक्कत होगी इंडिया का भी स्टॉक मार्केट नीचे आएगा लेकिन इस पूरे गेम में कनाडा का जो अपोजिशन है उन्होंने कहा है कि इस बार अगर वो जीत के आएगा तो इंडिया के जो साथ रिलेशन है वो उनको सही कर देगा और ये लोग एक कैंपेन भी चला रहे हैं वी आर सॉरी इंडिया प्रॉपर वेबसाइट बनाई है इन्होंने इस नाम से अभी आजकल की बात करूं तो जस्टिन डो थोड़े से डाउन हुए हैं अभी सुनाई में आ रहा है कि बैक चैनल से इंडिया और कनाडा की जो बात है वह स्टार्ट हो गई है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि कुकू एफएम की बाइट आर्ट ऑफ विनिंग द चाणक्य वे एक बार जरूर सुनिए विदन 15 मिनट में आपको पूरी बुक के की आइडियाज मिल जाएंगे लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन थैंक यू 53Z7e0C1NMI,Hamas - Israel Conflict Explained | Nitish Rajput | Hindi,2023-10-17T14:30:15Z,PT38M36S,6847630,187551,14545,https://www.youtube.com/watch?v=53Z7e0C1NMI,, हमास को इजराइल ने ही सपोर्ट और फंड्स दिए जिस दिन ये इंसीडेंट हुआ था उसी दिन ये 7 अक्टूबर 2023 वाला अटैक प्लान हुआ था 9 दिसंबर 1987 को एक ऐसी चीज होती है जो इजराइल के गले की हड्डी बन जाती है बेच के आ गए और जिसका डर था वही हुआ हमास बंपर वोटों से 74 सीट से जीत के आती है कुछ मिसाइल्स तो ईरान ने शुगर के पाउडर से बना दिए और इन्हीं मिसाइल्स का यूज 2014 में कि हमास ने ऐसा किया क्यों उसको पता था कि इजराइल वापस अटैक करेगा देखिए इजराइल की जो पूरी हिस्ट्री है कैसे जूज आए कैसे ये देश बना इनका किंगडम क्या था जूज को क्यों छोड़ के जाना पड़ा जेरूसलम क्रिश्चियन मुस्लिम और जूज के लिए इतना इंपॉर्टेंट कैसे हो गया ये सब हम एक वीडियो में ऑलरेडी डिस्कस कर चुके हैं वो वीडियो आप जरूर देखिएगा इस वीडियो में हम बात करेंगे कि पलेन लैंड का ऐसा क्या इशू है जो दुनिया भर की सारी कंट्रीज मिलके भी सॉल्व नहीं कर पा रही है हमास की शुरू से लेकर आखिरी तक पूरी स्टोरी क्या है कैसे इजराइल का बनाया हुआ हमास इजराइल पे ही आज इतना भारी पड़ रहा है और अभी करंट सिचुएशन में भी यह पता होते हुए भी कि इजराइल भारी तरीके से रिटाइट करेगा उसके बाद भी हमास ने हमला क्यों किया तो ये सारी चीजें हम डिटेल में डिस्कस करेंगे तो देखिए ब्रिटिशर्स के जाने के बाद यह पूरा इशू यूएन में जाता है और 1947 में यूएन पार्टीशन प्लान लेके आता है जिसमें टू स्टेट सॉल्यूशन लाया गया 45 पर एरिया जो था वो पलेटी नियों को दिया गया और 55 पर एरिया जूस को दिया गया और जो जेरूसलम था वो यूएन ने अपने कंट्रोल में रखा ये वो मैप है ऑरेंज वाला पार्ट पलेटी का है ग्रीन वाला पार्ट इजराइल का है और ये पिंक वाला पार्ट जो जेरूसलम है ये यूएन ने अपने पास रखा है अब जैसे ही यूएन ये टू स्टेट सॉल्यूशन पास करता है तो इजराइल तो खुशी-खुशी इसको एक्सेप्ट कर लेता है क्योंकि उसके तो मन की बात हो जाती है लेकिन अरब कंट्रीज इस चीज को मानने से साफ मना कर देती हैं क्योंकि वो टू स्टेट सॉल्यूशन नहीं डिमांड कर रहे थे अरब चाहता था कि सिंगल स्टेट प्लान हो देखिए टू स्टेट प्लान मतलब कि दो कंट्रीज बनाई जाएंगी इजराइल और पैलिनती मान लो पैलिनती और उसी के अंदर क्रिश्चियंस मुस्लिम और जूज रहेंगे वहां मुस्लिम लॉ फॉलो होगा तो आप नोटिस करोगे जब भी इजराइल और पैलिनती है तो ऑल ओवर वर्ल्ड में टू स्टेट सॉल्यूशन और सिंगल स्टेट सॉल्यूशन की बात होती है ज्यादातर कंट्रीज टू स्टेट सॉल्यूशन की बात करते हैं तो यूएन टू स्टेट प्लान इंप्लीमेंट करता है और इजराइल इसको बड़े ही आराम से मान लेता है 14th ऑफ मई 1948 को इजराइल इंडिपेंडेंस अनाउंस कर देता है और स्टेट ऑफ इजराइल बना देता है अब पैलिस्सरी लीडरशिप नहीं थी मिलिट्री नहीं थी तो वो रिटेल नहीं कर पा रहा था तो अरब कंट्रीज पलस्पे में आती हैं 14th ऑफ मई 1948 को इजराइल बना था उसके नेक्स्ट डे 15th ऑफ मई 1948 को अरब कंट्रीज इजिप्ट सीरिया इराक लेबनान जॉर्डन मिलके इजराइल पे अटैक कर देते हैं इजराइल छोटा सा देश था जिसको बने ने सिर्फ एक दिन हुआ था तो देखा जाए तो इतनी सारी कंट्रीज मिलके इजराइल को हरा ही देती लेकिन ऐसा होता नहीं है यह वॉर एक साल तक चलती है और इजराइल अरब कंट्रीज को हरा देता है और हराने के बाद क्या करता है कि यूएन ने जो टू स्टेट बना के एरिया डिवाइड किया था वो तो दूर की बात इजराइल उससे ज्यादा एरिया कब्जा कर लेता है ये देखिए ये लड़ाई से पहले का इजराइल और लड़ाई जीतने के बाद ये जो ग्रीन वाला पार्ट है ये एरिया भी इजराइल अपने पास ले लेता है और इस इजराइल अरब वॉर के बाद एक एग्रीमेंट होता है जिसे आर् मिस्टिक एग्रीमेंट 19 49 भी बोला जाता है इसमें एक टेंपरेरी लाइन बना दी गई थी जिसे ग्रीन लाइन बोला गया था कि यूएन ने जो कहा है वो तो छोड़ो फिलहाल जब तक कोई इस चीज का हल नहीं निकल पाता ग्रीन लाइन फॉलो होगी ये है वो ग्रीन लाइन वाला मैप तो इस लड़ाई के बाद जो मैप बना वो यूएन वाले मैप से एकदम अलग बना इसमें ये ब्राउन वाला पार्ट इजिप्ट के पास चला गया और ये पर्पल वाला पार्ट जॉर्डन के पास गया और इस जॉर्डन वाले पार्ट को वेस्ट बैंक बोला गया क्योंकि ये जॉर्डन रिवर के वेस्ट में था बाकी सब इजराइल के पास चला गया देखिए इजराइल पैलिनती वॉर काफी पुरानी है और ये आज तक चलती आ रही है इसलिए इसको कस्ड वॉर भी बोला जाता है कुछ टाइम पहले मैंने एक ऑडियो बुक सुनी थी इजराइल वर्सेस पलेन द कस्ड वॉर उससे मुझे इस वॉर के बारे में काफी कांटेक्ट मिला था और तभी से मेरा इसमें काफी इंटरेस्ट डेवलप हुआ इस ऑडियो बुक में जूज होलोकॉस्ट से लेके क्रिएशन ऑफ इजराइल टाइम्स के भी इशू मेंशन किए गए हैं जिसका असर आज की सिचुएशन तक पढ़ते आ रहा है नॉर्मली इतनी डिटेल मिलना मुश्किल होती है बट ये काफी डिटेल है और मुझे काफी इंटरेस्टिंग भी लगी इस ऑडियो बुक की रेटिंग 4.3 स्टार है और काफी लोगों ने इसको पसंद किया है ये ऑडियो बुक कुक एफएम पे अवेलेबल है आप इसको जरूर सुनिए आई एम श्यर इससे आपकी समझ इस टॉपिक पे और बढ़ेगी कुक एफएम इंडिया का लीडिंग ऑडियो शो प्लेटफार्म है जहां 2.5 मिलियन से ज्यादा पेड सब्सक्राइबर हैं आप मेरी इजराइल एंड पलेन कंफ्लेक्स वीडियो जरूर देखना और कुक एफएम पे सुने एक और हिस्टोरिकल ऑडियो बुक मुद द ग्रेटेस्ट मिशन ऑफ इजराइल सीक्रेट सर्विस आप मेरा कूपन कोड एनआर 50 यूज़ कर सकते हैं फॉर 50 पर ऑफ ऑन फर्स्ट मंथ सब्सक्रिप्शन इन जस्ट र 49 एंजॉय 10000 ऑडियो शो लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन एंड पिंट कमेंट तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब जब यह सारी चीजें हुई तो पलेन के लिए तो कोई जगह बची ही नहीं और एक तरह से पैलिस्सरी तरीके से खत्म ही हो गया और जब देश ही नहीं बचा तो ये जो 7 लाख पैले थे ये रिफ्यूजी बन जाते हैं इस दिन को पैलिस्सरी रिफ्यूजी बन गए तो ऐसा नहीं है कि वो जो रिफ्यूजी थे पलस्दीहा का ऑफर तक नहीं दिया इनफैक्ट उस टाइम पे इन कंट्रीज ने सिटीजनशिप के जो लॉ थे वो और स्ट्रिक कर दिए थे अच्छा साइड से यूएन इजराइल पे कंटीन्यूअसली प्रेशर बना रहा था कि ये जो टू स्टेट सॉल्यूशन हमने निकाला था उसको फॉलो करो आप इसके जवाब में इजराइल ने कहा कि हमें सिक्योरिटी का थ्रेड है ये जो जॉर्डन और इजिप्ट के पास जो ऑक्यूपाइड एरिया है ये पैले नियों को आप दे दो लेकिन जॉर्डन और इजिप्ट ने कहा कि ऐसा करने से इजराइल फिर से हमारी पोजीशन खराब कर देगा और फिर से अटैक वगैरह कर देगा इसलिए जब पूरा इजराइल हमें मिल जाएगा तो एक साथ पलस्तिक ये हमारे अंडर में रहेगा इस लड़ाई के कुछ साल बाद पलस्तर नियों को भी लगा कि हमारा खुद का भी कुछ होना चाहिए तो 196 64 में पैले ने पीएलओ पैले लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन बनाई जिसका मेन एम था इजराइल से जमीन को वापस लेना लेकिन शुरू शुरू में जब पीएलओ बनी थी तो ये उतनी ज्यादा इंपैक्टफुल नहीं थी अब इसके 3 साल बाद 1967 में फिर से अरब कंट्रीज इजराइल पे अटैक करती हैं एगजैक्टली 5थ ऑफ जून 1967 को ये वॉर स्टार्ट होती है और 10th ऑफ जून 1967 को खत्म हो जाती है इसलिए इसको सिक्स डे वॉर भी कहा जाता है इसमें इजराइल इन तीन कंट्रीज इजिप्ट जॉर्डन और सीरिया को फिर से हरा देती है इस वॉर में इजराइल पहले इजिप्ट से गाज स्ट्रिप लेती है उसके बाद ये जॉर्डन की तरफ जाते हैं उनसे वेस्ट बैंक ले लेती है और वहां पे भी ये रुकते नहीं है इसके बाद ये सीरिया की तरफ जाते हैं और वहां गोलन हाइट जो है उसको ले लेते हैं और साथ में जेरूसलम को भी अपने कंट्रोल में ले लेते हैं अगर आपने हमारी पुरानी वीडियो देखी होगी तो आपको पता होगा कि जूस के लिए जेरूसलम कितना इंपॉर्टेंट है इस लड़ाई के बाद जूज ने ये कहा कि ये 18 साल बाद अपने किंगडम को वापस ले लिया ये लोग अपने कैलेंडर के हिसाब से जिस दिन ये चीज हुई इस दिन के बाद से इन्होंने अपने कैलेंडर के हिसाब से इस दिन को जेरूसलम डे के नाम से बनाया तो देखिए ये जब लड़ाई खत्म होती है तो इस लड़ाई में इजराइल के पास 100% एरिया आ जाता है अब देखिए 100% एरिया तो मिला इनको लेकिन उस एरिया के साथ-साथ इनको 2 मिलियन पैलेस जो थे वो भी मिले और इसमें सबसे बड़ा क्वेश्चन ये था कि जो पैलिनती है जो 2 मिलियन पैलिसंधी ये 2 मिलियन पैले थे इनको इजराइल सिटीजनशिप भी नहीं देना चाहता था इजराइल की क्योंकि अगर वो ऐसा करता तो फलस्तीनियंस ये इलेक्शन में वोटिंग करते अपने लीडर को जितवा सकते थे तो ये सारी चीजें वो चाहते नहीं थे ओवरऑल पॉपुलेशन से भी कंसीडर किया जाता तो फलस्तीनियन था वो ज्यादा हो जाता तो इनके हाथ में पावर आ सकती थी इजराइल की पूरी मेहनत खराब हो जाती इसलिए वो ये नहीं करना चाहते थे तो ना तो इन 2 मिलियन लोगों को ये सिटीजनशिप दे सकते थे इजराइल की ना ये कहीं बाहर भेज सकते थे ना उनको मार सकते थे और ना ही इनके मन में ये था कि इनको अलग देश बना के दे दें ऐसा नहीं था कि वेस्ट बैंक और गाजा जो है वो अलग देश बना के इनको दे दें क्योंकि इनका मानना था कि इनकी सिक्योरिटी जो है वो रिस्क पे आ जाएगी ऐसे तो इजराइल ने क्या किया इन्होंने आइडेंटिफिकेशन किया कि कौन-कौन से वेस्ट बैंक और गाज स्ट्रिप के ऐसे इलाके हैं जहां पे पलेटी नियंता हैं हर गली और हर एरिया आइडेंटिफिकेशन में बांट दिया और इस एरिया में मिलिट्री लगा दी और फिर इनके आसपास के एरिया में धीरे-धीरे करके जूस को सेटल करना शुरू किया और जूस को वहां पे सेटल होने पे फ्री में लैंड और घर दिए जाते थे और कई केस में तो सरकारी नौकरियां भी दी जाती थी एक मैप से समझाता हूं कि मैं कहना क्या चाह रहा हूं ये इजराइल का मैप है ये वेस्ट बैंक है और इस वेस्ट बैंक को जूम करेंगे तो ये देखिए ये ऐसे दिखता है इसमें जो डार्क ब्राउन एरिया है ये पलेटी नियस के घर हैं लाइट ब्राउन एरिया में पलेटी नियस के घर हैं और इजराइल की मिलिट्री कंट्रोल में है इसमें जो ब्लू डॉट देख रहे हैं आप इसमें इन्होंने जूज को सेटल किया है और ये जो ब्लू स्क्वायर देख रहे हैं आप यहां पे इन्होंने अपनी मिलिट्री के बेस रखे हैं जिससे हर किसी की मूवमेंट जो है वो कंट्रोल की जा सके अटैक वगैरह ना हो और सेम चीज इन्होंने गाजा स्ट्रिप में भी की देखिए इजराइल के इन एक्शन से समझ में आ गया था कि ये जो बैक टू बैक वॉर हुई है ये किसी को ट्रस्ट नहीं करेंगे और इस जगह को ये फलस्तीनियंस ये आप देखोगे कि आज की डेट तक कोई भी इजराइली नेता हो वो कहेगा कि टू स्टेट सॉल्यूशन होना चाहिए लेकिन लेकिन स्टेट के बॉर्डर क्या होंगे उस परे हमेशा चुप रहता है यूएन ने इस चीज को लेके काफी बार बोला कि ये जो जूस यहां पे सेटल हो रहे हैं ये इल्लीगल है लेकिन इजराइल का कहना था कि हम अपनी सिक्योरिटी रिस्क पे नहीं डाल सकते यही रीजन है कि जो पैले देश है वो google3 6 में ये मैप था फिर यूएन ने जो बनाया वो ये था और फिर उसके बाद यह बना और आज की डेट में यह मैप है अब देखिए ये सारी चीजें जो इजराइल कर रहा था इन सारी चीजों को देख के जो अरब कंट्रीज थी ये यूएन पहुंचती हैं और कहती हैं कि 1967 से पहले वाला जो बॉर्डर था यानी कि जो ग्रीन लाइन थी जो डिसाइड किया था हम लोगों ने इजराइल को कह दीजिए कि उसपे वापस चले जाए और जो गाज पट्टी है वेस्ट बैंक है और गोलन हाइट है उसको आप हमें दे दीजिए लेकिन इस बार इजराइल ने यूएन को भी मना कर दिया अब देखिए इतनी लड़ाइयां हो चुकी हैं 1973 में भी एक लड़ाई हुई थी और अरब्स भी लड़ाई कर कर के थक गए थे और अब लड़ाई करने पे ये भी डर बन गया था कि जो एरिया था वो और चला जा रहा था जैसे सीरिया का गोलन हाइट था वो कब्जा कर लिया था इजराइल ने तो धीरे-धीरे करके इजिप्ट जॉर्डन ने इजराइल से पीस एग्रीमेंट करके किनारा कर लिया तो देखिए जब पैले नियस ने देखा कि इजिप्ट और जॉर्डन ने पीस एग्रीमेंट कर लिया तो इनको इतना समझ में आ गया था कि ये जो लड़ाई है ये हमें खुद लड़नी पड़ेगी तो 1964 में जो पीएलओ बनी थी वो इस 1967 की वॉर के बाद दोबारा से एक्टिव हो जाती है इस बार पैलिस्सरी इजराइल और उसके बाहर छोटे-छोटे ग्रुप्स में पलेटी नियस जो थे वो इजराइल के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे उन सारे ग्रुप्स को एक साथ लाके पीएलओ बनाई गई तो एक्चुअल में जो पीएलओ बनी वो मल्टीपल ग्रुप्स से मिलके बनी ऐसे ही गाजा स्ट्रिप के अंदर एक यंग रिफ्यूजी था यासिर अराफात जो पढ़ाई के लिए पर्शियन गल्फ में चला गया था लेकिन इसने वहीं पे ही कुछ पलस्तर नियों को इकट्ठा करके एक पार्टी बनाई थी जिसका नाम था फतह ये पार्टी जो थी ये उस टाइम पे इजराइल के खिलाफ रिवोल्यूशन स्ट्रगल करती थी तो ये जो पार्टी थी ये भी पीएलओ से जुड़ गई पीएलओ जितने भी ग्रुप से मिलके बना था उसमें सबसे बड़ा ग्रुप जो था वो फतह पार्टी का था और यही रीजन था कि फतह पार्टी के जो लीडर थे यासिर अराफात इनको ही पीएलओ का चेयरमैन बनाया गया इन्होंने चेयरमैन बनते ही पीएलओ को दो तरीके से ऑपरेट किया एक तो इन्होंने पीएलओ की पॉलिटिकल विंग बनाई दूसरा इन्होंने पीएलओ की एक ऐसी विंग बनाई जो इजराइल के खिलाफ आम स्ट्रगल करे जो इजराइल की मिलिट्री वगैरह पे अटैक करे और इन्हीं में से एक थी पैलिनती ही मुश्किल था तो पीएलओ ने शुरू में इजराइल के बाहर से बैठ के ऑपरेट करना चालू किया पीएलओ और यासिर अराफात को शुरू में आतंकी बोला गया था लेकिन आयर नहीं देखिए आप कि यासिर को आगे चल के नोबल पीस प्राइज मिला वो अभी आगे बताऊंगा मैं आपको तो देखिए ये जो पीएलओ था ये पहले ईयर 1970 में जॉर्डन से बैठ के ऑपरेशन करता था अपने लेकिन आगे चलके जब जॉर्डन पे प्रेशर पड़ा तो जॉर्डन ने इनको अपने देश से भगा दिया फिर इसके बाद करीब 1 साल बाद 1971 में ये लोग लेबनान से ऑपरेट करने लगे लेकिन धीरे-धीरे वहां भी इनके ऊपर प्रेशर पड़ा तो इनको लेबनान छोड़ के भी भागना पड़ा और जब इनकी जनता ने पीएलओ वालों को स्ट्रगल करते हुए देखा तो इनकी काफी रिस्पेक्ट बड़ी और अरब्स ने भी इनको हेल्प करना चालू किया जो पीएलओ था वो बहुत ही तेजी से बढ़ने लगा था पीएलओ के लीडर्स जो डिसाइड करते थे वो पलेटी नियस मानने लगे थे लेकिन इसके बाद ईयर आता है 1987 और 9 दिसंबर 1987 को एक ऐसी चीज होती है जो इजराइल के गले की हड्डी बन जाती है एक्चुअली इजराइल में जो गाज स्ट्रिप थी वहां पे एक रिफ्यूजी कैंप था जिसका नाम था जबा दिया रिफ्यूजी कैंप इस कैंप के पास से एक इजराइली डिफेंस ट्रक जो था वो जा रहा था और उस ट्रक ने ऐसा एक्सीडेंट किया कि वहां पे एक कार थी उससे चार लोगों की डेथ हो गई और ये जो चार लोग थे जिनकी जान गई थी जाबालि या रिफ्यूजी कैंप में ही रहते थे अब इन चार लोगों का जब फ्यूनरल निकलता है तो इसमें 10000 से ज्यादा पलेटी नियस जो थे वो इकट्ठा हो गए थे और सब बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे और धीरे-धीरे यह बात होने लगी कि ये जो एक्सीडेंट किया गया है ये जान पूछ के किया गया है और फिर भीड़ जो थी वो बेकाबू हो जाती है भीड़ जो थी वो इजराइल के जो कैंप वगैरह थे उन पे अटैक करती थी बॉटल्स में आग लगा के फेंक द थी प्रोटेस्ट करने लगी कई तरीके से वायलेंस किए जो वॉल्स थी वहां पे इजराइल के खिलाफ गालियां लिखने लगी तो उस एरिया में ये सारी चीजें शुरू हो जाती हैं अब इसके रिस्पांस में इजराइल 80000 से ज्यादा सोल्जर्स जो थे वो गाजा स्ट्रिप में भेज देता है और इससे टेंशन और बढ़ जाती है जो लोकल पलिज थे और जो इजराइली फोर्सेस थी दोनों तरफ से बहुत ज्यादा जाने गई धीरे-धीरे ये जो बात थी गाज स्ट्रिप से वेस्ट बैंक की तरफ पहुंच जाती है और वहां के भी जो पैले नियंत जाते हैं और इस टाइम पे पीएलओ के जो लीडर्स थे वो भी अपने लोगों के साथ आ जाते हैं ये पहली बार था जब इजराइली फोर्सेस जो थी वो बैकफुट पे आती हुई दिख रही थी क्योंकि कन्वेंशनल वॉर जो थी उसमें तो इजराइल जीत रहा था लेकिन ऐसी आम लोगों की भीड़ में आप 100 टैंक भी लाके खड़ा कर दो आपको कैसे पता चलेगा कि इनमें से कौन अटैकर और कौन नॉर्मल आदमी है जो अपना काम करने जा रहा है 6 साल तक कंटीन्यूअसली ये लड़ाई चलती है इस चीज को बोला गया फर्स्ट इंति फादास 1987 को शुरू हुआ था और 13th ऑफ सितंबर 1993 को खत्म हुआ था अच्छा जब ये फर्स्ट इंतजा द गाज स्ट्रिप के अंदर चल रहा था तो गाज स्ट्रिप में एक ऑर्गेनाइजेशन थी मुस्लिम ब्रदरहुड नाम से अच्छा ये जो ऑर्गेनाइजेशन थी मुस्लिम ब्रदरहुड इसको इजराइल ने गाज स्ट्रिप के अंदर इस्लामिक सेंटर बनाने के लिए चैरिटी करने के लिए जो गरीब पैलेस थे उनके लिए लिए पैसे इकट्ठे करना हो या फिर बच्चों के लिए स्कूल वगैरह बनाना हो यह सब करने के लिए अलाव कर रखा था ये जो ऑर्गेनाइजेशन थी ये थी तो पैलेस नियों के सपोर्ट में लेकिन ये पीएलओ वगैरह के साथ मिलके आर्म स्ट्रगल नहीं करती थी वायलेंस नहीं करती थी ये उस टाइम पे गाज स्ट्रिप के अंदर इस्लाम की टीचिंग को बढ़ावा दे रही थी इसलिए इसको इजराइल की जो मिलिट्री थी गवर्नमेंट थी वो इसको काफी फंड भी करती थी मस्जिद वगैरह बनाने के लिए गाजा स्ट्रिप के अंदर और इस वजह से गाज स्ट्रिप के अंदर इनके जो पैलेस फॉलोअर्स थे वो बहुत तेजी से बढ़ रहे थे अब जब ये फर्स्ट इंति फादादू जो ट्रक वाला इंसीडेंट हुआ तो 10th ऑफ दिसंबर 1987 को मुस्लिम ब्रदरहुड के कुछ लीडर इकट्ठा होते हैं और एक मीटिंग की शेख अहमद यासीन के घर पे शेख अहमद यासीन मुस्लिम ब्रदरहुड जो ऑर्गेनाइजेशन थी उसके हेड थे तो इस मीटिंग में इनके लीडर्स ने कहा कि पूरे गादा में प्रोटेस्ट हो रहे हैं लोग गुस्से में अगर हम इनको सपोर्ट नहीं करेंगे तो गलत मैसेज जाएगा हमारे फॉलोअर्स भी नाराज हो सकते हैं हमसे उनका सपोर्ट हमारी ऑर्गेनाइजेशन से कम हो जाएगा अब मुस्लिम ब्रदरहुड के लीडर शेख अहमद यासिन इन सब में इवॉल्व नहीं होना चाहते थे उनका कहना था कि किसी भी तरीके के वायलेंस में हमें इंवॉल्व नहीं होना है उससे से कोई फायदा नहीं है और ये टाइम सही नहीं है लेकिन इनकी लीडरशिप ने एक काम किया कि सेम ईयर 1987 में मुस्लिम ब्रदरहुड की अलग से एक नई विंग बनाई जिसका नाम रखा हरकत अल मुकावा अल इस्लामिया जिसको शॉर्ट में बोला गया हमास अब जब ये हमास बनी तो इसके कुछ दिन बाद ही इसमें एक पैलिस्सरी जुड़ा जिसका नाम था मोहम्मद डेफ जो आज की डेट में दुनिया का मोस्ट वांटेड टेररिस्ट है और ये जो सेवेंथ ऑफ अक्टूबर को अभी ये जो अटैक हुआ है ये पूरा हमला इसी ने प्लान किया था वो अभी आगे बताऊंगा मैं आपको तो ये जब हमास बना इसने टेस्ट वगैरह स्टार्ट किए पीएलओ इस टाइम पे इजराइल के लिए एक बहुत बड़ा टेंशन था और वहीं दूसरी तरफ ये जो मुस्लिम ब्रदर ऑर्गेनाइजेशन थी इसके फॉलोअर्स काफी बढ़ रहे थे तो इजराइल ने पीएलओ को वीक करने के लिए डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी अपनाई पीएलओ के अगेंस्ट में हमास को इजराइल ने ही सपोर्ट और फंड्स दिए ताकि ये लोग पीएलओ के अगेंस्ट में खड़े हो जाए यह बात फॉर्मर रिपब्लिकन कांग्रेसमन रॉन पॉल ने ऑफिशियल फ्लोर ऑफ द हाउस के सामने एक्सेप्ट की थी कि हमास को पीएलओ के यासिर अराफात को काउंटर करने के लिए बनाया गया था हमस कासर आफ और यासिर अराफात जो पीएलओ के हेड थे उन्होंने खुद यह चीज इटालियन न्यूज़ पेपर में बताई थी कि हमास इज अ क्रिएशन ऑफ इजराइल इनफैक्ट इजराइल के ब्रिगेडियर जनरल डज जो गाज में काफी टाइम से थे उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में बताया कि उन्होंने हमास को शुरू में फंडिंग की थी और मदद भी की थी और आगे चलके यही हमास उनके खिलाफ अटैक करने लगा था इवान जो कि इजराइल की तरफ से गाज स्ट्रिप में दो डिकेड तक थे उन्होंने ऑफिशियल स्टेटमेंट में कहा हमास टू माय ग्रेट रिग्रेट इज इजराइल क्रिएशन इन्होंने लेटर भी लिखा था अपने सीनियर्स को कि ये डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी इजराइल को बैकफायर करेगी और आगे चलके यह बात सच निकलती है यह चीज ये जो हमास इन्होंने बनाई थी ये आज की डेट तक इनको परेशान कर रही है इजराइल ने इतनी आर्मीज को हराया जंग में इतनी सारी वॉर्स जीती लेकिन हमास के गोरिला वरफेन का कभी कोई सॉलिड प्लान नहीं आया इनके पास जिसकी वजह से ना जाने कितने मासूमों की जान गई जब ये फर्स्ट इंतजा द चल रहा था तो हमास 2 साल तक तो चुप रहा पीसफुली प्रोटेस्ट वगैरह करें लेकिन इसने अपने असली रंग दिखाए 1989 में इन्होंने अपना पह पहला अटैक किया जिसमें इन्होंने दो इजराइली अवी सस पोट एंड साडो इन दोनों को मारा और यहां से ये डे बाय डे ब्रूटल होते गए इन्होंने बच्चों की बसेस में आग लगाई बॉम फेंके बहुत डिस्ट्रक्शन किए ये इस हद तक रेडिकल हुए थे ये खुद ही बम पहन के लोगों पे जाके अटैक कर देते थे और जहां बाकी पलेटी नियस ग्रुप जो थे वो इजराइल की मिनिस्ट्री से लड़ाई कर रहे थे वहां की आर्मी से लड़ाई कर रहे थे इन्होंने सिविलियंस को टारगेट किया और फिर धीरे-धीरे आगे चलके इन्होंने अपनी पॉलिटिकल विंग भी बनाई फर्स्ट इंति फादास से 1983 तक चलता है और और इसमें इजराइल इतना परेशान होता है कि पहली बार वो डिस्कशन के लिए रेडी होता है फर्स्ट इंतजा द जो हुआ था उसने एक्चुअल में अरब वर्ड जो था उसको एक रास्ता दिखा दिया था कि जो इजराइल फोर्सेस हैं उसको बैकफुट पे कैसे लाया जा सकता है तो जब डिस्कशन स्टार्ट होता है तो शुरू में इजराइल के पीएम राबिन और पीएलओ की तरफ से यासिर अराफात तो इन्होंने सीक्रेट बिना किसी को बताए नॉर्वे का एक शहर है ओस्लो उसके अंदर इनकी नेगोशिएशन स्टार्ट हुई और इसको मीडिएट कर रहे थे बिल क्लिंटन और नॉर्वे की जो गवर्नमेंट थी वो इसको मीडिएट कर रही थी जब सब फाइनल हो गया तो उसके बाद यह चीज ओपन हुई और वाइट हाउस के अंदर 13th ऑफ सितंबर 1993 को ओस्लो एग्रीमेंट साइन कर दिया गया इस एग्रीमेंट के अंदर यह था कि पहले तो इजराइल और पैले जो हैं ये दोनों एक दूसरे को रिकॉग्नाइज करेंगे दूसरे दोनों लोग मिलके कुछ कंडीशन सेट करेंगे जिसमें से एक यह था कि वेस्ट बैंक और गाज स्ट्रिप जो है ये पलेटी नियन अथॉरिटी को दे दिया जाएगा जिसके पहले प्रेसिडेंट यासिर अराफात होंगे इस एग्रीमेंट के बाद पैलेना एक देश तो नहीं बना लेकिन कुछ छोटी-छोटी चीजें हुई जैसे कि वेस्ट बैंक और गाज में पैले निय जो रह रहे थे उनके छोटे-छोटे कंसर्न रहते थे उसको रिजॉल्व करने के लिए पीएलओ के थ्रू एक पैले नियन अथॉरिटी बनाई गई उसमें मेंबर जोड़े गए और इंटरनल इलेक्शन और वोटिंग सिस्टम इंट्रोड्यूस किया गया मतलब कि जिस पार्टी को ज्यादा वोट मिलेंगे वो इन दोनों एरिया वेस्ट बैंक और गाज में पलेटी नियस जो हैं उनके इशू को आगे रखेंगे एक तरह से वोटिंग इस चीज की थी कि पूरे पलेटी नियस जो हैं वो जो जनता है उनकी उनका रिप्रेजेंटेटिव कौन होगा उसकी वोटिंग होगी इसमें वेस्ट बैंक और गाज के एरिया को तीन सेक्शन में बांट दिया गया एरिया ए जिसमें गवर्नमेंट और सिक्योरिटी दोनों कंट्रोल जो है वो पलेटी नियस के पास रहेगा एरिया बी जिसमें गवर्नमेंट कंट्रोल पलेटी नियस के पास रहेगा और जो सिक्योरिटी कंट्रोल होगा वो इजराइल के पास रहेगा एरिया सी जिसमें पूरा कंट्रोल इजराइल के पास रहेगा इस ओस्लो एग्रीमेंट के लिए यासिर अराफात और इजराइल के पीएम को नोबल प्राइज भी दिया गया लेकिन इस ओस्लो अकॉर्ड की वजह से इजराइल और पलस्तर दोनों के लोग गुस्सा हो गए थे ये झाक राबिन जो कि इजराइल के पीएम थे उनको इस चीज के लिए गोली मार दी गई थी और जिस इजराइली सरकार ने इस एग्रीमेंट के लिए डिसीजन लिया था उस सरकार को भी हटा दिया गया इस एग्रीमेंट के अपोज में एक इजराइल के अंदर एक रैली भी निकाली गई थी जिसका नाम था डेथ टू राबिन उसमें अभी के जो पीएम है बेंजामिन नेतनयाहू वो भी शामिल हुए थे इसके बाद नेतनयाहू पीएम बने और उन्होंने इस पीस एग्रीमेंट से किनारा कर लिया चाहे पीएलओ हो या इजराइल हो जो भी पीस एग्रीमेंट की बात करता था वो खत्म हो जाता था उसको गद्दार कहते थे देशद्रोही कहते थे इस एग्रीमेंट के बाद यासिर अराफात जो थे उनकी जनता भी उनसे गुस्सा हो गई और पीएलओ की पॉपुलर जो थी वो भी कम हो गई पैले नहीं लोग कह रहे थे थे कि कहां हम पूरे एरिया की बात कर रहे हैं और कहां ये तुम छोटी-छोटी चीजें मान के आ गए इधर हमास जो था उसने भी कहना स्टार्ट किया कि पीएलओ वाले पलि स्ती को बेच के आ गए इसके बाद हमास ने कई सारे हमले करे फिर इजराइली गवर्नमेंट ने भी कई सारे हमले करे दोनों तरफ से सिविलियंस की जान गई बात इतनी खराब हुई कि ओस्लो एग्रीमेंट जो था वो ठंडे बस्ते में चला गया और पीएलओ जो था जिसकी इमेज बहुत अच्छी थी पलेटी नियस के सामने वो इमेज भी खराब हो गई उनका जो रुतबा था पीएलओ का वो भी गिर गया अब जो सपोर्ट था वो हमास को जा रहा था लोगों को लग रहा था कि हमास ही है जो पैले उनको वापस दिलाएगा इसकी वजह से हमास और पीएलओ की जो फतह पार्टी थी उसमें भी बहुत सारे क्लैशेस होने लगे इसके बाद ईयर आता है 2000 और 28th ऑफ सितंबर 2000 को ऐसी सिचुएशन बनती है कि सेकंड इंति फाद शुरू हो जाता है एक्चुअली इजराइल के जो पीएम थे वो 1000 सिक्योरिटी गार्ड लेके टेंपल माउंट जिसको अल हरम और अल शरीफ भी कहते हैं वहां चले गए थे वहां जाके उन्होंने कुछ बयान भी दे दिए थे जिसमें से एक ये था कि टेंपल माउंट जो है वो जूस का है इससे जो पलेटी नियंत जाते हैं आम जनता भड़क जाती है और वायलेंस फिर से शुरू हो जाता है जगह-जगह पर प्रोटेस्ट हुए कई लोगों की जान गई हमास ने भी बहुत भारी अटैक किया और यह वाला जो सेकंड इंति फादास शांत करने के लिए इजराइल ने गाज स्ट्रिप में जितने भी जूस थे उनको गाज स्ट्रिप से पूरी तरीके से हटा दिया और सेकंड इंफा द का ये फायदा हुआ कि थोड़ा सा बैकफुट पे आई इजराइली गवर्नमेंट उन्होंने जो जूस थे जो गाज स्ट्रिप में थे वो पीछे कर लिए और गाजा स्ट्रिप जो था अब उसमें पूरी तरीके से पलेस्ट नियस बचे थे गाज स्ट्रिप की बात करूं तो 2004 तक 7826 जो जूज थे वो उसमें रहते थे और सेकंड इत फादादू सारे के सारे छोड़ के चले गए थे इसके बाद नवंबर 2004 में जब पीएलओ के हेड यासिर अराफात की डेथ होती है और महमूद अब्बास जो कि फतह पार्टी के थे ये पीएलओ के चेयरमैन बनते हैं और इसके बाद पीएलओ और वीक ही पड़ती है दूसरी तरफ हमास जो थी वो और पॉपुलर होती है जब पीएलओ ने पूरे इजराइल को लेने की बात की तो पीएलओ आगे बढ़ी और जब हमास ने पूरे इजराइल को लेने की बात की तो हमास आगे बढ़ा और ये दोनों पार्टी हमास और पीएलए की फतह पार्टी पार्टी ये दोनों आपस में बहुत ही ज्यादा लड़ने लगी इसके बाद 26th ऑफ जनवरी 2006 को वेस्ट बैंक और गाज में इंटरनल इलेक्शन होने थे कि कौन पलेटी नियस का रिप्रेजेंटेटिव बनेगा तो इजराइल और यूएस दोनों नहीं चाहते थे कि हमास जीते क्योंकि इन्होंने बहुत ज्यादा अटैक किए थे परेशान किया था इजराइल को और इजराइल को रिकॉग्नाइज करने के लिए भी रेडी नहीं थे पीएलओ यूएस और इजराइल तीनों बहुत ही श्यर थे कि पीएलओ ही जीतेगा इस इलेक्शन में इजराइल ने सिक्योरिटी का हवाला देके कई इलाकों में हमास को कैंपेनिंग भी नहीं करने दी तो इसके बाद इलेक्शन हो जाते हैं और 29th ऑफ ज जनवरी 2006 को रिजल्ट आता है और जिसका डर था वही हुआ हमास बंपर वोटों से 74 सीट से जीत के आती है सारे पैले नियंत वो इसको सपोर्ट कर रहे थे और हमास का जो लीडर था इस्माइल हानिया जो कि अभी भी लीडर है ये जो अभी रिसेंटली सेवेंथ ऑफ अक्टूबर को अटैक हुआ है उसमें भी ये शामिल था तो इसने सोचा अब गाज और वेस्ट बैंक पे ये खुद रूल करेगा तो इस इलेक्शन के बाद हमास को शर्तें मानने को बोला जाता है इजराइल को रिकॉग्नाइज करने को बोला जाता है और भी कई सारी चीजें उसको मानने को बोला जाता है लेकिन हमास पूरी तरीके से मना कर देता है तो जैसे ही हमास मना करता है तो सबसे पहले तो इजराइल जो पैले नियन से टैक्स कलेक्ट करके पलस्तिक अथॉरिटी को देता था वो उसने देना बंद कर दिया उसके बाद यूएस जो एड देता था वो बंद कर दिया अब बात इतनी बढ़ती है कि दोनों पार्टी जो फतह पार्टी और हमास इनके जो लीडर्स हैं और इनके जो सपोर्टर्स हैं वो आपस में बिट जाते हैं हथियार उठा लेते हैं कई दिनों तक लड़ाई चलती है इस लड़ाई को बैटल ऑफ गाज बोला गया था ये 2007 में हुई थी इस लड़ाई के बाद जो वेस्ट बैंक वाला जो एरिया था वहां से फतह पार्टी ने हमास को भगा दिया था और फता पार्टी रूल करने लगी थी और गाज स्ट्रिप से हमास ने फतह पार्टी को भगा दिया था और हमास खुद पूरी तरीके से गाज स्ट्रिप पे रूल करने लगी थी और तब से लेक आज तक कोई इलेक्शन नहीं हुए यही दोनों पार्टी वेस्ट बैंक और गाज वेस्ट बैंक पे फता पार्टी और गाज पे हमास ये दोनों रूल कर रहे हैं पीएलओ की जो फता पार्टी है वो फिर भी पीस वगैरह की बात करती है कुछ सलूशन निकालने की बात करती है लेकिन हमास पार्टी जो है वो इजराइल को खत्म करने की बात करती है और हमास जो है वो बहुत ही ज्यादा पॉपुलर अभी भी है ऐसा नहीं कि बहुत पहले की बात है अभी भी ये बहुत फेमस है अभी 2001 21 में पलेटी नियन सेंटर फॉर पॉलिसी एंड सर्वे रिसर्च ने सर्वे किया था एक वेस्ट बैंक और गाज स्ट्रिप में इसमें 1200 लोगों का सैंपल लिया था जिसमें से 53 पर पैले नियंत को सपोर्ट किया था अब होता क्या है कि ये सारी चीजें होने के बाद जो पीस प्रोसेस है पहले दो पार्टियों में चल रहा था इजराइल और पीएलओ के बीच में अब इसमें तीसरी पार्टी आ गई थी हमास तो जो पहले से ही फंसी हुई चीज थी वो और कॉम्प्लिकेटेड हो गई हमास को जो है अरब से भी सपोर्ट मिलने लगा ईरान ने बहुत सपोर्ट किया हमास को उसको हथियार वगैरह भी दिए तो हथियारों का यूज करके एक बार नहीं काफी सालों से हमास गाजा पट्टी में बैठे-बैठे ही इजराइल पे बैक टू बैक मिसाइलें मारता रहता है टाइम टू टाइम जब भी कोई इशू होता है और इसी हमास के अटैक की वजह से इजराइल ने आयरन डोम डेवलप किया था जो हवा में ही मिसाइल्स को रोक देता है हमास ने 2006 2008 2009 2012 2014 2018 19 2021 2022 और ये जो 2023 है अगर इसको भी इंक्लूड कर लें तो इनन सारे सालों में मिसाइलें छोड़ी हैं और अटैक किया इजराइल पे और फिर उसके बाद इजराइल वापस अटैक करके इनको मारती है उसमें सिविलियंस भी मरते हैं और इधर से जब हमास मारता है तो जो इजराइल के सिविलियंस हैं उनकी जान जाती है इस वजह से गाज स्ट्रिप को इजराइल ने हर तरह से ब्लॉक कर दिया है मतलब कि एयर लैंड वाटर किसी भी तरीके से ये बाहर मूव नहीं कर सकते पूरा का पूरा जो गाज स्ट्रिप है वो ब्लॉक है एक क्वारंटाइन जैसे करते थे पहले उस तरीके से क्वारंटाइन कर दिया यहां तक कि गाज स्ट्रिप का मूवमेंट वेस्ट बैंक जो है वहां पे भी रिस्टेट किया गया है परमिशन वगैरह लेकर जानी पड़ती है तो कई सारे ऐसे पैलेडियंस भी हैं जिन्होंने अपने लीडर्स को देखा ही नहीं है कभी मिले ही नहीं है उन्होंने सिर्फ टीवी पे ही देखा है और क्योंकि गाज स्ट्रिप जो है वो चारों तरफ से ब्लॉक है इजराइल ने ब्लॉक कर रखा है चाहे वो एयर हो वाटर हो लैंड हो तो हमास ने इसका सलूशन निकाला इन्होंने गाज स्ट्रिप के अंदर अंडरग्राउंड टनल्स बना दए हैं जहां से इजिप्ट वगैरह में निकलते हैं और फिर वहां से अपनी मूवमेंट करते हैं हथियार वगैरह लेते हैं ज्यादातर केसेस में हमास ईरान से ही हथियार लेता है क्योंकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान के जो इंजीनियर्स हैं वो एकदम लो कॉस्ट पे मिसाइल बनाते हैं और और क्योंकि यूएस ने ईरान पे ऑलरेडी बैन लगाया हुआ है तो ये मिसाइल्स के जो कंपोनेंट होते हैं ये लोग स्मगल करके मंगाते हैं और इनकी मिसाइल जो होती है उसके कंपोनेंट चीप होते हैं तो बहुत सस्ते में बन जाती हैं कुछ मिसाइल्स तो ईरान ने शुगर के पाउडर से बना दी है और इन्हीं मिसाइल्स का यूज 2014 में हमास ने किया था इजराइल के खिलाफ कुछ ही मिलियंस लगा के हजारों की तादाद में ये लोग मिसाइल छोड़ देते हैं इजराइल पे और उन्हीं मिसाइल्स को इंटरसेप्ट करने के लिए जो आयरन डोम से इंटरसेप्ट होती है उसके लिए कई गुना ज्यादा पैसा इजराइल को खर्च करना पड़ता है गाज स्ट्रिप जो है वो चारों तरफ से वैसे तो ब्लॉक है लेकिन ईरान के जो रिवोल्यूशन गार्ड हैं वो इनको हथियार पहुंचाने के लिए अलग-अलग तरीके यूज करते हैं जो शॉर्ट और मीडियम रेंज मिसाइल्स होती हैं उनको तो ये सूडान और इजिप्ट के जरिए पहुंचा देते हैं या फिर सी के थ्रू ये लोग पहुंचाते हैं और कई बार ऐसी भी न्यूज़ आई है कि जो बड़ी मिसाइल्स होती हैं उनको ये स्विस कैनाल के अंदर डंप कर देते हैं और कॉर्डिनेटर कर देते हैं हमास के साथ और फिर वहां से हमास इन मिसाइल्स को ले लेता है तो अरब कंट्रीज जब चाहे इजराइल को चेक पे रखने के लिए अटैक करा सकती हैं तो देखिए हमास ने जो अटैक किए हैं वो तो बहुत सारे किए हैं लेकिन अभी ये जो करंट म्यूजिक फेस्टिवल वाला जो इंसिडेंट हुआ है 7 अक्टूबर को उसका जो मेन रीजन है अ उसके पीछे 2021 की इजराइल और हमास की जो लड़ाई हुई थी वो रीजन है और ये चीज हमास के जो लीडर्स हैं उन्होंने ऑडियो रिकॉर्ड में भी बोली है ये 2021 वाली जो लड़ाई थी वो इतनी एस्केलेट हुई थी कि जिस दिन ये इंसीडेंट हुआ था उसी दिन ये 7 अक्टूबर 2023 वाला अटैक प्लान हुआ था एक्चुअली 2021 में हुआ क्या था कि जो जेरूसलम है वहां पे इस्लामिक वक्त के ऑफिशियल ने क्लेम किया कि इजराइली ऑफिसर जो थे उन्होंने लाउड स्पीकर की वायर काट दी उनकी और ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि नेक्स्ट डे जो वेस्टर्न वॉल थी वहां पे एक मेमोरियल डे स्पीच होनी थी और यह लोग नहीं चाहते थे कि उस टाइम पे रिचुअल प्रेयर जो होती है मुस्लिम्स की वो हो इसको लेके इजराइली सिक्योरिटी जो थी पैले नियन जो थे उनमें काफी बहस होती है झगड़े होते हैं लेकिन 15th ऑफ अप्रैल 2021 को और उसके जवाब में इधर से स्टन ग्रेनेड्स टियर गैसेस रबर की बुलेट यह सब फेंकी जाती है और वहां के जो लोग हैं उनका यह कहना है कि यह जो बुलेट्स थी रबड़ बुलेट्स थी ये मॉस्क के जो होली कंपाउंड थे वहां जाके लगी हैं इस इंसिडेंट के बाद जैसे ही हमास को पता चलता है तो हमास हर बार की तरह गाज स्ट्रिप से ही मिसाइल्स फेंकता है और इसके बदले में इजराइल जो है वो भी अटैक करता है बहुत सारे सिविलियंस की जो है वो जान जाती है लेकिन अलसा मस्जिद में जो हुआ था उसको लेक अरब वर्ड जो था उसमें भी बहुत गुस्सा था लेकिन मोहम्मद डेफ जो था उसने उसी पर्टिकुलर दिन पे अभी ये जो 7 अक्टूबर का जो हमला हुआ था ये उसी दिन प्लान कर लिया था इस पूरे अटैक का जो आईडिया था यह मोहम्मद डेफ जो कि हमास अल कसम ये जो ब्रिगेड है उसका हेड है उसका था और इस प्लान में इसका साथ दिया था सिनवार जो कि गाज के अंदर हमास का लीडर है उसने इसको सपोर्ट किया था और साथ में हमास का चीफ इस्माइल हनि जो कतर के दोहा में रह रहा है उसने सपोर्ट किया था ये तीनों जो हैं पूरे वर्ड ने इनको आतंकी घोषित कर रखा है लेकिन उसके बाद भी ये बचे हुए हैं इन तीनों में मोहम्मद डीप जो है वो सबसे खतरनाक है इसका का नाम डिफ इसलिए है क्योंकि अरेबिक में जो डिफ का जो मतलब होता है उसका मतलब होता है गेस्ट यानी कि मेहमान और गेस्ट इसलिए कहा जाता है क्योंकि कई सालों से एक ही जगह पे कुछ घंटे से ज्यादा टिकता ही नहीं है दुनिया के मोस्ट वांटेड में से एक है पांच से सात बार इस पे अटैक हो चुका है 2014 में एक बार इस पे अटैक हुआ था जिसमें इसकी बेटी बेटा वाइफ ये सब मर गए थे लेकिन ये बच के निकल गया था सात बार अटैक होने की वजह से इसकी एक आंख एक हाथ और एक पैर चला गया लेकिन कहा जाता है कि ये गाज के जो टनल है जो कि अंडरग्राउंड है उनमें ये रहता है और इसकी कोई फोटो भी नहीं है सिर्फ आज तक एक ही फोटो इसकी रिलीज हो पाई है और कोई नहीं हुई है तो ये तीन थे ये मेन थे इन्होंने अटैक प्लान किया और इन्होंने जो डेट डिसाइड की वो 7 अक्टूबर की डेट डिसाइड की इसी साल की यानी 7 अक्टूबर 2023 इस पूरे हमले को जो इन्होंने नाम दिया इन्होंने नाम दिया ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड और ये नाम इसलिए रखा था क्योंकि म 2021 में जो हुआ था उसका इनको बदला लेना था इसलिए नाम रखा था तो अब डिस्कस कर लेते हैं कि करंट सिचुएशन में इन्होंने करा क्या तो सिक्स्थ ऑफ अक्टूबर 2023 को एक सुपरनोवा स्कोट गैदरिंग म्यूजिक फेस्टिवल होना था इजराइल के वेस्टर्न ने ने गव डेजर्ट में होना था गाजा स्ट्रिप से करीब ये 5 किमी की दूरी पे था ये जो म्यूजिक फेस्टिवल था इसको होना तो सदन इजराइल के सिम चट टोरा में होना था लेकिन इनकी किस्मत खराब थी वहां पे ऑलरेडी कोई फेस्टिवल हो रहा था तो लास्ट मिनट में यानी कि लास्ट दो दिन पहले ही ऑर्गेनाइजर ने यह जगह चुनी जो कि 5 किमी दूर थी गाजा स्ट्रिप से करीब 3000 से 5000 लोग इसमें शाम को ही पहुंच गए थे रात भर यहां पे फेस्टिवल चला और चलते चलते सुबह हो गई करीब 6:00 बजे के आसपास बजे थे ठीक इसी टाइम पे मॉर्निंग में हमास के मिलिटेंट जाजा स्ट्रिप से कई ग्रुप्स में निकलते हैं एक ग्रुप इनका बाय लैंड निकलता है लेकिन क्योंकि चारों तरफ से स्ट्रांग फेंस लगी हुई थी तो उसको तोड़ने के लिए इन्होंने बुलडोजर का यूज किया और जीप लगी हुई थी वहां पे उन जीप में ये लोग बैठते हैं और आगे निकलते हैं सेम टाइम पे दूसरा गुुप जो था इनका वो पानी के रास्ते से इजराइल पे पहुंचता है और तीसरा ग्रुप इनका हवा में मोटराइज्ड पैराग्लाइडर लेके पहुंचता है और एट द सेम टाइम इनका एक ग्रुप गाज स्ट्रिप पे सेट किया था इन्होंने जो गाज स्ट्रिप से मिसाइल छोड़ेगा टोटल 5000 से ज्यादा मिसाइल्स इन्होंने इजराइल पे छोड़ी थी इनको पता था कि आयरन डोम जो है वो मिसाइल को रोक लेता है इसलिए इन्होंने एक साथ सारी मिसाइल छोड़ी थी ताकि आयरन डोम जो है वह सारी मिसाइल्स को एक साथ ट्रैक ना कर पाए 6:30 बजे मॉर्निंग में ये जो अटैक है वो स्टार्ट होता है 7:00 बजे के आसपास बाकी ग्रुप जो थे वो इजराइल और गाजा के बॉर्डर वाले इलाकों में जिसमें नल होलेड नीर नेटिव हसारा बेरी और कफा रजा थे इनमें ये घुसते हैं और जो मिलता है उनको मारते हैं चाहे बच्चे हो या बड़े हो इस अटैक के स्टार्ट होते ही मोहम्मद डेव एक ऑडियो रिलीज करता है और इसी के साथ-साथ एक ग्रुप जो जहां फेस्टिवल चल रहा था वहां पहुंचता है मोटराइज्ड पैराग्लाइडिंग के थ्रू अब इसमें कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि दूर सेही म्यूजिक की आवाज आ रही थी इसलिए वहां पर पहुंचे और कुछ लोगों का यह कहना है कि पहले से ही इनके पास इंटेलिजेंस थी इसीलिए वो डायरेक्ट वहीं पर पहुंचे इवेंट जो चल रहा था इवेंट चलते चलते सुबह हो गई थी और इवेंट के अंदर सात जैसे ही बजते हैं तो अचानक से सायरन बचता है जब भी रॉकेट वगैरह गाजा से आते हैं इजराइल की तरफ तो ये सायरन बचता है तो ये सायरन सुनके पहली बार फेस्टिवल में कुछ लोग जो थे वो परेशान हो गए थे कुछ लोग तब भी ये समझ रहे थे कि ये शायद कुछ सेलिब्रेशन चल रहा है ये इस इवेंट का ही पार्ट है और देखते ही देखते आसमान में पैराग्लाइडर्स दिखते हैं और ये लोग उतरते ही पूरे फेस्टिवल में अंधाधुन फायरिंग करते हैं कुछ लोग गाड़ी से भी आ गए होते हैं और ये अंदाज उन सब पे अटैक करते हैं जहां पे फेस्टिवल हो रहा था वहां पे पूरा खाली इलाका था तो छुपने की ज्यादा जगह नहीं थी ओपन ग्राउंड था तो सब ओपन ग्राउंड में ही भाग रहे थे और ये लोग पीछे से गोलियां चला रहे थे और कार से पीछा कर रहे थे इस फेस्टिवल में जो लोग कार से आए थे वो अपनी कार से भाग रहे थे इतनी ज्यादा कार हो गई थी कि रोड पूरी ब्लॉक हो गई थी उन ब्लॉक रोड पे कार पे डायरेक्ट इन्होंने फायरिंग करी ये जो फेस्टिवल चल रहा था इसमें 260 लोगों की जान गई 130 लोगों को ये लोग किडनैप करके वापस गाज में ले गए क्योंकि हमास के कुछ लोग जेल में बंद थे तो इनका प्लान था कि इजराइल के कुछ लोगों को वापस गाज में ले जाएंगे और फिर अपने साथियों को जेल से छुड़वाए और नेगोशिएशन करेंगे आपने ऑलरेडी वो वीडियो देखी होगी जहां पे निकोल लुईक जो कि एक टैटू आर्टिस्ट थी जर्मन इजराइल ड्यूल सिटीजनशिप थी उनकी उनको कैसे परेड करवाया गया फिर एक लड़की को बाइक प बैठा के कैसे ले गए थे वो भी आपने ने देखा ही होगा इवेंट का जो ऑर्गेनाइजर था उसको मार दिया गया जो को ऑर्गेनाइजर था वो अभी भी गायब है अब इसके बाद 8:3 पे इजराइल जो था वो हमास के अगेंस्ट में काउंटर अटैक स्टार्ट कर देता है और करीब 2 घंटे बाद 1047 पे इजराइल की एयर फोर्सेस गाज पे जो है वो अटैक शुरू कर देती हैं करीब 1200 से ज्यादा मिसाइल जो है वो गाज पे फेंकी जाती हैं फिर थोड़ी देर बाद ही 11:3 पे इजराइल के पीएम जो थे वो twitter's के जो आतंकवादी थे वो घुसे थे उनको निकाल के बाहर करती हैं इसके दो दिन बाद 9 अक्टूबर 2023 को लेबनान के बॉर्डर की तरफ से जो हिज्बुल्लाह था उसने भी अटैक कर दिया था 10 अक्टूबर को जो सीरिया का गुलान हाइट था वहां से भी स्ट्राइक हो गई थी हर तरफ से अटैक शुरू हो चुके थे 9 अक्टूबर को इजराइल ने गाज स्ट्रिप को चारों तरफ से ब्लॉक करके गाज का वाटर इलेक्ट्रिसिटी फूड सप्लाई सब कुछ ऑलरेडी रोक दिया था इजराइल के एयर स्ट्राइक में 1000 से भी ज्यादा पैले नहीं मारे गए इसमें नॉर्मल सिविलियंस जो थे उनकी भी जान गई और 5000 से ज्यादा लोग घायल हुए अभी अभी तक टोटल इतनी कैजुअलिटी हुई है कि इसके बाद यूएस ने इजिप्ट से बात करके पैले नियस जो हैं उनके लिए रास्ता खोलने की बात की है और 2000 पैले नियस जो हैं वो गाज छोड़ के बाहर निकल चुके हैं इसके तीन दिन बाद यूएस ने अपना एयरक्राफ्ट इजराइल के सपोर्ट में भेज दिया और जिस दिन एयरक्राफ्ट आया था उसी सेम डे इजराइल ने सीरिया के जो एयरपोर्ट थे उनके ऊपर भी स्ट्राइक कर दीी तो हर तरफ से लड़ाई चल रही थी इजराइल के एक्शन से लग रहा है कि वो इस बार गाज को पूरी तरीके से कंट्रोल में ले लेगा और हमास को खत्म करेगा अभी फिलहाल ये जो आप पूरा येलो एरिया देख रहे हो इसको खाली करा दिया गया है लेकिन क्वेश्चन अभी भी है कि हमास ने ऐसा किया क्यों उसको पता था कि इजराइल वापस अटैक करेगा और हमास ने 5000 मिसाइलें अरेंज कहां से की इतनी लंबी प्लानिंग करी हमास ने और किसी को पता तक नहीं चला ईरान का क्या रोल है बहुत सारी थ्योरिया हैं जिसमें से एक थ्योरी मैं आपके सामने रखता हूं देखिए ये ब्लू वाला जो है एक स्टैंडर्ड रूट है ट्रेड का ये रूट यूएस के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है क्योंकि इस रूट से ट्रेड होता है और पैसा बनता है इधर इंडो पैसिफिक से यूरोप जाना हो तो कंट्रीज इसी रूट का यूज करती है और इसमें यूएस का फायदा होता है और इसके काउंटर में रशिया ने इससे काफी छो छोटा रूट डेवलप कर दिया है जो इंडिया से स्टार्ट होके ईरान से होते हुए यूरोप पहुंचता है जिसको एनएसटीसी कहते हैं अब ये जो एनएसटीसी वाला रूट है ये छोटा भी है और इसमें पैसा भी कम लगेगा टाइम भी कम लगेगा तो इसकी रेलीवेंस ज्यादा है और जो स्टैंडर्ड रूट था वो धीरे-धीरे इरेलीवेंट होगा इसकी ज्यादा इंपॉर्टेंस बढ़ेगी ये जो रेड वाला जो है ये एनएसटीसी रूट है इससे यूएस का पूरा गेम खराब होगा तो यूएस ने इसके काउंटर में आईएमईसी इंट्रोड्यूस किया ये भी इंडिया से ही शुरू होगा सऊदी अरेबिया से होते हुए इजराइल से होते हुए यूरोप पहुंचेगा g20 में जब इसकी बात आगे बढ़ी तो ईरान ने इस चीज से परेशान होके कई सारे स्टेटमेंट भी दिए थे कि मिडिल ईस्ट में ये जो रूट है ये सक्सेसफुल नहीं होगा वहां ऑलरेडी बहुत ज्यादा टेंशन है इस तरीके के स्टेटमेंट दिए थे एक्चुअली सऊदी अरेबिया जो है वो इजराइल को रिकॉग्नाइज नहीं करता है तो कई लोगों ने कहा कि ये सक्सेसफुली नहीं हो पाएगा देखिए इजिप्ट ने इजराइल को रिकॉग्नाइज किया जॉर्डन ने इजराइल को रिकॉग्नाइज किया ये पूरा ग्रीन जो है इतनी कंट्रीज ने इजराइल को रिकॉग्नाइज किया किसी कंट्री को रिकॉग्नाइज ना करने का मतलब होता है कि आप उस कंट्री से ट्रेड नहीं कर सकते आपके जो सिटीजन हैं जो आपके लोग हैं वो उस कंट्री जा नहीं सकते क्योंकि रिकॉग्नाइज ना करने की वजह से जो पूरी कंट्री है उसकी एजिस्ट हैंस ही खत्म हो जाती है अब अगर यूएस जो है वो सऊदी और इजराइल के बीच के रिलेशन सही नहीं करेगा तो ये जो पूरा रूट है ये फेल हो जाएगा इसलिए इस टाइम पे यूएस जो है वो सऊदी के साथ नॉर्मलाइजेशन की एक डील कर रहा है सऊदी ने डिफेंस वगैरह जो मांगा है यूएस ने सबके लिए हां करी है क्योंकि उसकी नीड है और इधर से यूएस ने डिमांड करी है कि वो बस इजराइल को रिकॉग्नाइज कर ले और हाल फिलहाल में इजराइल और सऊदी अरेबिया ने ये इंडिकेशन भी दिए उनके स्टेटमेंट आप देखोगे तो इंडिकेशन भी दिए हैं उससे लग रहा था कि सऊदी अरेबिया जो है वो इजराइल को रिकॉग्नाइज करने वाला है और वैसे भी सऊदी अरेबिया से अगर रूट जाएगा ट्रेड रूट जाएगा तो सऊदी अरेबिया का भी फायदा होगा इसलिए वो एग्री होता हुआ भी दिख रहा था लेकिन आप कोइंसिडेंस देखिए कि g20 में ये सब बात आगे बढ़ती है और इधर अटैक हो जाता है अब इस अटैक से दिक्कत ये हो गई है अब जो इजराइल है वो रिटाइट करेगा और गाज में अटैक करेगा जिससे आम पैलिस्सरी जो जनता है वो इस चीज को बिल्कुल फेवर नहीं करेगी अपने लीडर्स पे प्रेशर बनाती है टर्की की जो जनता है वो तो अपने लीडर से ये तक कह रही है कि आप अपने सोल्जर्स क्यों नहीं भेज रहे हो इजराइल के खिलाफ तो ऐसे टाइम पे अगर सऊदी अरेबिया इजराइल को रिकॉग्नाइज करने की बात करेगा तो अरब वर्ल्ड में जो उसकी रेपुटेशन है वो कम हो जाएगी दूसरी चीज ईरान जो है वो अरब वर्ड जो है जो मिडिल ईस्ट का उसका लीडर भी बनना चाहता है तो इस अटैक की वजह से हुआ यह है कि सऊदी अरेबिया का इजराइल को रिकॉग्नाइज करना फिलहाल के लिए तो डिले हो गया है मतलब भले ही होगा आगे कि नहीं होगा यह तो पता नहीं लेकिन फिलहाल के लिए तो डिले हो गया है और जो ट्रेड रूट है आईएमईसी का यह भी खतरे में आ गया है अब चाहे ईरान का अरब वर्ल्ड का लीडर बनना हो चाहे ये जो ट्रेड रूट है इसको रुकवा हो इस लड़ाई सबसे ज्यादा जो फायदा हो रहा है वो ईरान का ही हो रहा है और इसीलिए जो उंगलियां है वो ईरान के ऊपर उठ रही हैं लेकिन इस पूरे केस में रशिया ने एकदम उल्टी बात कह दी है रशिया की स्पोक्स पर्सन मारिया जो है उन्होंने कहा कि ऐसा क्या कोइंसिडेंस है कि यूएस ने जस्ट एक महीने पहले यूक्रेन की जो आर्म सप्लाई है वो बंद कर दी जो पूरी दुनिया के लिए शॉकिंग था तो रशिया की स्पोक्स पर्सन का कहना है कि यूएस की जो सीआईए है फाइव आइज है इन सबको पता ही नहीं चला कि हमास इतने टाइम से अटैक प्लान कर रहा था उनका ये कहना है कि यूएस को 100% पता था उन्होंने जान पूछ के मोसाद को नहीं बताया यही रीजन था कि मोसाद उस चीज को ट्रैक नहीं कर पाया एक महीने पहले यूएस ने जो यूक्रेन के आर्म सप्लाई रोके थे अब उसको वो मिडिल ईस्ट में यूज़ करेगा यूएस ने जो मिडिल ईस्ट में इजराइल नाम का लठ रख रखा है उसको यूएस अब यूज़ करेगा मिडिल ईस्ट को चेक में रखने के लिए अब देखिए थ्योरी तो बहुत आ रही हैं लेकिन ये जितना सिंपल लग रहा है ओबवियसली ये उतना सिंपल नहीं है बस हमास ने ऐसे ही उठ के अटैक कर दिया ये इतना सिंपल नहीं है इसमें बहुत सारे इंटरेस्ट फंसे हुए हैं बहुत बड़ी-बड़ी पावर्स जो हैं उनके गेम्स चल रहे हैं लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि एफएम की ऑडियो बुक इजराइल वर्सेस पलेन द कर्स वॉर जरूर सुनिए लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया थैंक यू KqrJCRLz80k,Why do so many Punjabis go to Canada? | Part-1 | Nitish Rajput | Hindi,2023-10-07T15:31:06Z,PT31M26S,3360814,107723,7616,https://www.youtube.com/watch?v=KqrJCRLz80k,, कनेडा एयरपोर्ट से दो पैसेंजर एम सिंह एंड एल सिंह अपने बैग में बॉम रख के कनाडा एयरपोर्ट पे जाते हैं पूरी चीज को वहां की जो मीडिया थी उसने नाम दिया हिंदू इनवेजन कुछ वाइट फीमेल कैंडिडेट भी सलवार कमीज पहन के गुरुद्वारे में सेवा करने लगी थी जिससे इन आतंकी ग्रुप ने आगे चलके एक ऐसी चीज कर दी जिससे पूरी दुनिया दहल गई 20 जून 1985 को तलविंदर सिंह के पास कॉल आती है उसमें सामने से आदमी कहता है स्टोरी लिख दी इधर से जवाब आता है जो एक आम सिख है जो पैसा लगा के अपने बच्चों को बाहर भेजता है बीजेपी पार्टी है उसने कह दिया कि नोएडा से उसी आदमी को टिकट मिलेगा पंजाब का सिख अगर कह रहा है कि पंजाब में बिजली की दिक्कत है या उसकी एमएसपी बढ़नी चाहिए या अनइंप्लॉयमेंट है तो इसका सिंपल सा मतलब है ट्रिक यूज़ की गई जिससे भेदभाव भी नहीं हुआ और सिख आने से भी रुक गए देखिए इंडिया की टोटल पॉपुलेशन में 1.72 पर सिख हैं वहीं कनाडा की टोटल पॉपुलेशन की बात करें तो उसमें 2.1 पर सिख रहते हैं मतलब कि अगर परसेंटेज वाइज कंसीडर करें तो इंडिया से ज्यादा रहते हैं और इंडिया के पार्लियामेंट से ज्यादा सिख मिनिस्टर्स जो हैं वो कनाडा के पार्लियामेंट में बैठते हैं अब बात यह है कि ऐसे क्या हालात बने कि सिख जो हैं उनको कनेडा माइग्रेट होना पड़ा वो भी इतने बड़े नंबर में इंडियन हिस्ट्री के अंदर में सिख और कनाडा का आखिर कनेक्शन क्या है ये जो खालिस्तान का मुद्दा है ये इंडिया के बाहर कैसे स्टार्ट हुआ और ऐसी क्या मजबूरी रहती है कनाडा के पॉलिटिशियन की कि खालिस्तान के मुद्दे पे इनको चुप रहना पड़ता है तो देखिए इन सब चीजों की शुरुआत होती है ईयर कनाडा में लोग काफी हद तक फ्री थे और कनाडा का जो डेवलपमेंट भी था वो इंडिया से ज्यादा हो रहा था तो होता क्या है कि 22 ऑफ जून 18974 सिंह लीड करते थे तो ये जो क्वीन विक्टोरिया की डायमंड जुबली सेलिब्रेट होनी थी इसके लिए ये डिसाइड हुआ कि ये जो ब्रिटिश आर्मी है इसमें से ये जो सिख रेजीमेंट है ये भी शामिल होगी अब वहां शिप से जाना था और क्योंकि बाकी कंट्रीज के जो सोल्जर्स थे वो भी शिप में थे तो लौटते टाइम आर्मी को वैंकूवर कनाडा से होते हुए वापस आना था तो म 18971 टाइम की सेरेमनी की फोटो है और जब ये सेलिब्रेशन खत्म हो जाता है तो इसके बाद ये लोग वैंकूवर जो कि कनाडा में है वहां पहुंचते हैं अब सिख रेजीमेंट में जितने भी थे इंक्लूडिंग केसुर सिंह उनको कनाडा काफी पसंद आया और वापस आने के बाद उन्होंने अपनी कम्युनिटी में कनाडा के बारे में बहुत लोगों को बताया कि कैसे वहां पे लोग रहते हैं वहां क्या-क्या अपॉर्चुनिटी हैं किस लेवल की फ्रीडम है इन सबके बारे में बताया मेजर केसुर सिंह जो थे जो इस पूरी रेजीमेंट को हेड करते थे उनको कनाडा के अंदर पहला सिख सेटलर भी माना जाता है अब होता क्या है कि कनाडा के अंदर एग्रीकल्चर मिल्स माइंस और रेलवे वगैरह जो थे वहां पे काम चल रहा था और वहां पे लेबर्स की जरूरत पड़ती थी तो इसके ठीक एक महीने बाद जब दोबारा मौका मिलता है तो पंजाब से लेबर और कुछ ब्रिटिश सोल्जर्स जो थे वो कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया पहुंचते हैं कि काम करेंगे और पैसा कमा के वापस आ जाएंगे ये देखिए इंडिया से ये इधर कनाडा है और ये कनाडा के अंदर ये इस साइड ब्रिटिश कोलंबिया है और इस साइड ओंटेरिगा भी हुआ अभी भी आप अगर देखो देखोगे तो सिख जो हैं वो कनाडा के अंदर इन्हीं इलाकों में ज्यादा रहते हैं तो ये फोटो है जब ये लोग वहां पे पहुंचते हैं तब की अब कनाडा के अंदर जो गोरे थे वो पहले से ही काफी ज्यादा पैसे में काम करते थे और जब ये लोग वहां पे गए तो इन लोगों ने कम पैसे में ज्यादा काम किया तो ये लोग कंपनी की पहली प्रेफरेंस बन रहे थे और जिसको देख के जो वहां की लोकल जनता थी वो अनकंफर्ट बल हुई क्योंकि उनकी जॉब खतरे में आ रही थी और इधर इंडियंस को जो पैसे मिल रहे थे वो भले ही कम मिल रहे थे लेकिन उनके लिए वो भी बहुत ज्यादा थे और उससे भी बड़ी चीज थी कि कनाडा के अंदर जाके इंडियंस जो थे वो पहली बार उन्होंने इंडिपेंडेंस फील की और देखा कि फ्री रहकर काम करना कैसा होता है क्योंकि इंडिया के अंदर वो इस तरीके से काम नहीं कर पा रहे थे अच्छा अभी रिसेंटली बहुत सारी कंपनीज पिछले कुछ महीनों में बहुत सारे ले ऑफ कर रही हैं अब ऐसे में अगर आप स्किल्ड नहीं है तो या तो आपकी जॉब नहीं लगेगी या फिर करंट जॉब खो सकते हैं एक फ्री तरीका है जिससे आप अपने करियर एंड बिजनेस में फास्ट ग्रो कर सकते हैं वो भी दो मोस्ट इन डिमांड स्किल सीखकर फर्स्टली आप लेन को कैसे यूज कर सकते हैं सिर्फ जॉब पाने के लिए नहीं पर अपने बिजनेस के लिए लीड्स जनरेट करने के लिए आल्सो अपने पर्सनल ब्रांड बनाने के लिए दूसरा है एआई एंड चैट जीपीटी मास्टर करके आप अपने काम को 10 टाइम्स ज्यादा तेजी से कर सकते हैं एंड इसके लिए मैं आपको पर्सनली रिकमेंड करूंगा ग्रोथ स्कूल की थ्री आवर पेड वर्कशॉप ऑन मास्टरिंग linkedin.in वर्कशॉप 70000 लोगों ने ली है हजारों की जॉब लगी है और अपना बिज़नेस ग्रो किया एंड मच मोर एंड चैट जीपीटी 4 लाख लोगों ने ली है सो चाहे आप कोई भी वर्किंग प्रोफेशनल फाउंडर फ्रीलांसर या कोई भी दिस वर्कशॉप इज फॉर यू ये फ्री सिर्फ फर्स्ट 1000 लोगों के लिए है तो जल्दी से रजिस्टर करें लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं और जब ये लोग कनाडा से काम करके वापस पंजाब पहुंचते हैं तो पंजाब के एरिया में बात फैलने लगी कि कनाडा के अंदर बहुत सारी अपॉर्चुनिटी हैं वहां कमाने के रास्ते बहुत ज्यादा हैं और यहां से पैसे भी ज्यादा मिल रहे हैं फ्रीडम भी ज्यादा है जिन घरों से सिख कनाडा गए थे धीरे-धीरे पैसे आने की वजह से वो घर जो थे वो आगे बढ़ने लगे थे तो फिर यहां से भी लोग स्पेशली पंजाब से कोशिश करने लगे कनाडा में जाके काम करने की इनिशियली सब का यही प्लान था कि वहां जाके पैसे कमाने हैं और फिर इंडिया वापस आना है बेसिकली इंडिया छोड़ने का ये लोग उस टाइम पे नहीं सोच रहे थे इसके बाद ईयर 1908 आते-आते 5200 लोग इंडिया से कनाडा पहुंच गए थे इसमें 90 पर सिख थे ये ईयर वाइज डाटा है ऐसे पहुंचे थे अब देखिए जो सिख यहां से जाके वहां पे पैसा कमा रहे थे वहां पे जाके काम कर रहे थे कम पैसे में तो इसकी वजह से लोकल लोगों को कम प्रेफरेंस मिल रही थी और ये चीज उनको पसंद नहीं आ रही थी तो इस पूरी चीज को वहां की जो मीडिया थी उसने नाम दिया हिंदू इनवेजन वहां के जो लोकल लोग थे वो जितने भी ब्राउन कलर के लोग थे उनको हिंदू ही बोलते थे चाहे वो सिख हो या फिर किसी और कम्युनिटी के हो अगर ब्राउन है तो उनको हिंदू ही बोलते थे और जो लोकल लोग थे जब इनकी वोटिंग की बात चल रही थी तो उसको भी बंद करा दिया था ये उस टाइम का आर्टिकल है लेकिन एक चीज थी कि वहां जाने के बाद भी जितने भी सिख थे उन्होंने अपने कल्चर को नहीं छोड़ा जैसे वो पंजाबी में बात करते थे इंडिया का जो पंजाब था उनसे कनेक्टेड रहते थे उन्होंने अपने पैसे इकट्ठे करके गुरुद्वारे भी खोले और चाहे किसी भी कंट्री का आदमी हो सबके लिए लंगर खुला था वहां पे वो लोग बड़ी जॉब्स नहीं करते थे छोटी जॉब ही करते थे लेकिन उसके बाद भी जैसे इंडिया में गुरुद्वारे चलते थे वैसे ही चल पाए पहला गुरुद्वारा 1905 में खुला उसके बाद दूसरा जो गुरुद्वारा खुला था वो 1908 में खुला था और ये जो गुरुद्वारे खुले थे इसकी वजह से पूरी सिख कम्युनिटी कनेक्टेड थी सब लोग यहां पे प्रेयर के टाइम पे मिलते थे और कोई इंडिया से भी आता था तो उसके लिए आराम रहता था उसको तुरंत जॉब ढूंढने का प्रेशर नहीं रहता था वो आराम से उसको थोड़ा टाइम मिल जाता था जॉब ढूंढने के लिए और कनाडा के अंदर जो ऑलरेडी सिख कम्युनिटी रहती थी वो लोग चाहते भी थे कि इंडिया से ज्यादा से ज्यादा लोग आएं अब सिख कम्युनिटी जो वहां पे आके डबल मेहनत करके पैसा कमा रही थी इससे जो कनाडा के लोकल लोग थे उनके साथ उनका कंपटीशन होने लगा और यही रीजन था कि जो वहां के लोकल लोग थे जो पहले से काम कर रहे थे वो सिख कम्युनिटी से कुछ नहीं थे उन्होंने इन्हीं सब वजह से डिस्क्रिमिनेशन स्टार्ट किया उनके साथ और क्योंकि उनके पास वोटिंग राइट्स नहीं थे तो पॉलिटिशियन भी लोकल लोगों को सपोर्ट ज्यादा करते थे और ये चीज इतनी बढ़ गई थी कि ईयर 1907 में वैंकूवर के अंदर दंगे हुए बहुत ज्यादा तोड़फोड़ हुई कई लोगों की जान भी गई चोट लगी ये उस टाइम की इमेज है और ये जो दंगे हुए थे इसके बाद लोकल लोग बहुत ज्यादा गुस्से में थे उन्होंने अपने नेताओं के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर बनाया कि ये इतनी तेजी से हमारे देश में आके हमारी जॉब खा रहे हैं इनके लिए स्ट्रिक्ट पॉलिसी बनाई जाए वरना वोट मिलेंगे नहीं आपको 2 साल कंटीन्यूअस प्रेशर बनाने के बाद कैनेडियन पॉलिटिशियन और लोकल अथॉरिटी हरकत में आई और काफी स्ट्रिक्ट पॉलिसी बना दी उन्होंने और हाल यह हो गया कि जहां पे इतने सारे इंडियंस आ रहे थे कनाडा में ईयर 1909 में सिर्फ छह इंडियंस ही कनाडा पहुंच पाए अब देखिए पॉलिसी तो इन्होंने बना दी थी लेकिन जो लोकल अथॉरिटी थी उनको यूके से परमिशन लेना कंपलसरी था अब यूके के सामने दिक्कत ये थी कि वो ऐसे रंग के बेसिस पे डिस्क्रिमिनेशन नहीं कर सकती रिस्ट्रिक्शन नहीं लगा सकती थी कनाडा और इंडिया दोनों ब्रिटिश की कॉलोनी थी तो वो भेदभाव नहीं कर सकती थी तो फिर इसका सलूशन निकालने के लिए एक ट्रिक यूज की गई जिससे भेदभाव भी नहीं हुआ और सिख आने से भी रुक गए इन्होंने कुछ लॉ पास किए पहला जो भी इमीग्रेंट कनाडा आएगा उसके पास $200 होने चाहिए यह उस टाइम के हिसाब से बहुत ज्यादा था एक इंडियन की जो एवरेज अर्निंग थी वो 10 सेंट थी तो उसके लिए $200 देना बहुत ही बड़ी बात थी जबकि अमाउंट बाकी कंट्री के लिए बहुत कम था दूसरी चीज इंडिया से कनाडा के लिए कोई भी शिप डायरेक्ट नहीं आती थी लंबा रास्ता था तो बीच में रुकना पड़ता था तो इन्होंने इस चीज का फायदा उठाया तो इन्होंने ये रूल लगाया कि कनाडा सिर्फ वही लोग आ सकते हैं जो अपनी सिटीजनशिप वाली कंट्री से एक कंटिन्यू रूट के थ्रू कनाडा आएंगे यानी बिना कहीं रुके और तीसरा रूल था कि जो टिकट्स है कनाडा पहुंचने के लिए जो शिप से टिकट खरीदने हैं वो जर्नी करने से पहले ही खरीदने होंगे और ये इसलिए था ताकि ब्रिटिशर्स को पहले से ही पता चल जाए तो वो टिकट खरीदने में कुछ ना कुछ इशू कर दें ये उस टाइम का ओरिजिनल ऑर्डर है अब इससे एक इशू तो ये हुआ कि इंडिया से कोई आ नहीं सकता था और दूसरी दिक्कत ये थी कि जो इंडियंस पहले से कनाडा में रह रहे थे उनके बच्चे फैमिली सबसे वो कट गए थे वो लोग कनाडा आके उनसे मिल नहीं पा रहे थे तो ये सारे जब रूल्स आए तो इसकी वजह से इंडिया से जो लोग कनाडा जाते थे वो तो बंद हुआ ही हुआ इतना ज्यादा गैप हो गया था फैमिली से लोग नहीं मिल पा रहे थे तो जो कनाडा में रह रहे थे वो लोग भी वापस इंडिया चले गए ईयर 1908 से लेके 1911 के बीच में ब्रिटिश कोलंबिया में इंडियन पॉपुलेशन आदी हो गई थी और कई साल तक यही चलता रहा लेकिन इसके बीच में एक ऐसा इंसीडेंट होता है जिसकी वजह से कनाडा के अंदर इतनी रिस्ट्रिक्शन होने के बाद भी एक सिख ने कनाडा की धरती पर जन्म भी लिया और उसको वहां पे सिटीजनशिप भी मिल गई एक्चुअली बलवंत सिंह नाम के एक सिख थे जो काफी पहले ईयर 1906 में कनाडा आए थे कुछ साल बाद जब ये सेटल हो गए कनाडा में तो ईयर 1912 में इनकी वाइफ भी कनाडा आ रही थी लेकिन कनाडा के रूल्स की वजह से इनकी वाइफ को कनाडा के बॉर्डर पे ही डिटेन कर दिया गया मतलब कि बॉर्डर पे ही रोक दिया गया और कई दिन तक इनका केस जो था वो कोर्ट में भी चला लेकिन क्योंकि उनकी वाइफ प्रेग्नेंट थी तो उनको उस हालत में वापस नहीं भेजा जा सकता था इतनी लंबी जर्नी में तो कनाडा अथॉरिटी ने एक्ट ऑफ ग्रेस का नाम देकर कनाडा में रहने की परमिशन दे दी और 28th ऑफ अगस्ट ईयर 1912 को इनका एक बच्चा होता है जिसका नाम था हरदयाल सिंह अथवा ये वैंकूवर के सिख टेंपल में पैदा हुए ये कनाडा के अंदर सिख फैमिली फॉर्मेशन का सबसे पहला एग्जांपल था और ये ओरिजिनल इमेज है फैमिली की अब ईयर आता है 1914 एक सिख बिजनेसमैन थे गुरदीप सिंह ये काफी रिच थे और इनके लिंक्स भी बहुत अच्छे थे इन्होंने कहा कि कनाडा की अथॉरिटी हमारे साथ डिस्क्रिमिनेशन कर रही है और जब तक हम लोग कनाडा में जाके इस चीज को चैलेंज नहीं करेंगे तो कनेडा के रास्ते हम लोगों के लिए कभी नहीं खुलेंगे तो इन्होंने क्या किया कि इन्होंने हांगकांग से एक शिप रेंट किया जिसका नाम था कोमागाटा मारू और ये जो शिप थी इसमें इंडियंस को लिया टोटल 376 इंडियंस थे इसमें ज्यादातर सिख थे ये वो इमेज है और इन्होंने जो सिख सिख थे उनको $200 भी दिए साथ में ताकि रूल फॉलो हो सके अब जब ये शिप जा रहा होता है तो ये इंफॉर्मेशन लीक हो जाती है और कनाडा तक पहुंच जाती है कनाडा की न्यूज़ तक में चलने लगता है कि ब्राउन लोग इस तरीके से आ रहे हैं और इसको वो लोग ब्राउन इनवेजन के नाम से न्यूज़ चलाने लगे तो ये जो शिप था इसके कनाडा पहुंचने से पहले ही कनाडा की जो अथॉरिटी थी उसने अपना लीगल वर्क स्टार्ट कर दिया कनाडा में जो सिख रह रहे थे वो चाहते थे कि ये जो शिप है ये कनाडा के अंदर आए और इसमें जो लोग हैं वो कनाडा में पहुंचे क्योंकि उनकी फैमिली वाले भी थे इसमें लेकिन जब ये शिप पहुंचता है कनाडा के बॉर्डर पे तो इसको वहीं रोक दिया जाता है वहां की अथॉरिटी कहती है कि जो शिप है ये रूल फॉलो नहीं कर रही है और ये जो शिप थी इसके अंदर 376 लोग थे उसमें से सिर्फ 23 लोगों को कनाडा ने अपनी कंट्री में आने दिया बाकी सबको मना कर दिया और शिप के अंदर जो लोग थे वो दो महीने तक उसी बॉर्डर पे रहे उन्होंने लीगल बैटल भी लड़ी लेकिन दो महीने के बाद कनाडा ने शिप को वापस भेज दिया अब ये जो शिप था ये 26 सितंबर को कलकट पहुंचता है तो ब्रिटिशर्स जो थे उन्होंने पहले तो तलाशी वगैरह ली सबकी उसके बाद ब्रिटिशर्स चाहते नहीं थे कि जितने भी सारे लोग हैं ये कलक में एक साथ रुके तो लोग चाहते थे कि ट्रेन से पंजाब भेज दिया जाए इनको लेकिन जिसमें जो गुरजीत सिंह थे उन्होंने ट्रेन में जाने से मना कर दिया उन्होंने कहा कि हमारे पास गुरु गंज साहिब है लेकिन जब जबरदस्ती करके भेजा जाने लगा तो वहां पर आपस में लड़ाई हो गई और ब्रिटिशर्स ने फायरिंग कर दी इस चीज को लेके जिसमें 23 से 40 लोगों की जान चली गई ये इतना बड़ा इंसीडेंट था कि म 2008 में ब्रिटिश कोलंबिया ने एक मोशन पास किया और कोमागाटा मारू के पैसेंजर्स के लिए माफी मांगी अभी रिसेंटली भी आपने देखा होगा जब 108th एनिवर्सरी आई थी कोमागाटा मारू की तो उसपे कैनेडियन प्राइम मिनिस्टर जस्टिन ट्रूडो ने भी माफी मांगी थी अब देखिए जो टाइम चल रहा था इस टाइम पे इंडिया के अंदर जो ब्रिटिशर्स थे का एक्सप्लोइटेशन डे बाय डे बढ़ता चला जा रहा था और जो सिख कम्युनिटी थी वो भले ही पैसा कमाने के लिए देश के बाहर रह रही थी लेकिन इंडिया को लेके काफी पेट्रियोटिक थे ये लोग और ये वो टाइम था जब काफी ज्यादा सिख ब्रिटिशर्स से लड़ने के लिए कनाडा से छोड़-छाड़ भी बचे हुए थे उन्होंने वहीं पे रुक के ब्रिटिशर्स के खिलाफ मूवमेंट शुरू कर दिया था और सबसे पहले इन्होंने क्या किया कि ईयर 1913 में ज्वाला सिंह और लाला हरदयाल सिंह जी ने यूएस के अंदर एक जगह ढूंढी और पेसिफिक कोस्ट हिंदुस्तान एसोसिएशन इस नाम से एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई इसके बनाने के पीछे जो मोटिव था वो ये था कि यूएस और कनाडा के जो इंडियंस हैं वो मिलके ब्रिटिशर्स के खिलाफ आंदोलन करेंगे और आवाज उठाएंगे ताकि इंडिया को आजादी मिल सके तो सबसे पहले तो इन्होंने 436 हिल्स स्ट्रीट पे एक प्रिंटिंग प्रेस खोली और वीकली न्यूज़पेपर पब्लिश करना चालू किया जिसका नाम था द गदर इस न्यूज़पेपर ने बहुत ही बड़ा काम किया ब्रिटिशर्स के खिलाफ काफी बड़ा नैरेटिव सेट किया लोग यूनाइट किए आज भी लोग इसके बारे में बात करते हैं तो इस प्रेस में हरदयाल सिंह प्रिंटिंग करते थे और जो करतार सिंह थे वो पूरा ऑपरेशन भी देखते थे इस प्रिंटिंग का और लिखते भी थे कभी-कभी तो फर्स्ट ऑफ नवंबर 1913 में ये लोग अपना पहला न्यूज़ पेपर पब्लिश करते हैं जिसका टाइटल था अंग्रेजी राज का दुश्मन और ये जो टाइटल था जो भी इनका न्यूज़पेपर पब्लिश होता था उस सब पे लिखा जाता था इस न्यूज़पेपर में इन लोगों ने कई तरीके के डिक्लेरेशन भी दिए थे कि ब्रेव सोल्जर्स चाहिए जो इंडिया के अंदर ब्रिटिशर्स के खिलाफ लड़ सके एक जॉब की तरह आर्टिकल पब्लिश किया था जिसमें इन्होंने पे लिखा था उसके सामने लिखा था कि डेथ और प्राइस क्या होगा उसके सामने लिखा था शहीद और पेंशन क्या होगी उसके सामने लिखा था लिबर्टी और फील्ड ऑफ बैटल के सामने लिखा था इंडिया ये न्यूज़पेपर बहुत तेजी से पूरे वर्ल्ड में फेमस होने लगा था और इतना फेमस हुआ कि ये जो जो पार्टी थी पैसिफिक कोस्ट हिंदुस्तान एसोसिएशन इसको ही लोग द गदर बुलाने लगे इन्होंने एक अलग से पोस्टर भी बनवाया था जो कि पंजाब में लगवाया इन्होंने उसमें लिखा था जंग द हका यानी कि युद्ध की घोषणा अब इसके एक साल बाद 1914 में फर्स्ट वर्ल्ड वॉर शुरू होती है तो गदर पार्टी के जो लीडर थे उनको लगा कि ये टाइम सबसे बेस्ट है ब्रिटिशर से आजादी लेने का तो गदर पार्टी ने क्या किया कि 22 ऑफ अगस्त 1914 को खुद इंडिया गए और बाकी पूरे वर्ल्ड में जितने इमीग्रेंट थे उनको भी बोला कि आप इंडिया पहुंच जाइए इस चीज का काफी इंपैक्ट पड़ा था तो कनाडा यूएस हांगकांग शंघाई पूरी दुनिया से जितने भी इंडियंस थे वो इंडिया वापस आने लगे हालात ये हो गए थे कि कनाडा के अंदर सिर्फ 965 सिख ही बचे थे गदर पार्टी का इंपैक्ट जो था वो बहुत ही बड़ा था आगे चलके ब्रिटिशर्स ने इनको स्लो कर दिया लेकिन इस रिवोल्यूशन ने एक चिंगारी उठा दी थी इंडिया के अंदर जिसको आगे चलके भगत सिंह और बाकी फ्रीडम फाइटर ने भी आगे बढ़ाया अब इसके बाद कई सारी लड़ाइयां लड़ने के बाद हमें आजादी तो मिलती है लेकिन आजादी के बाद इंडिया बहुत सारी प्रॉब्लम से लड़ रहा था कई सारी फूड की शॉर्टेज भी हो गई थी उससे भी लड़ रहा था तो इंडियन जो थे वो दोबारा से कनाडा में पहुंचने लगे लेकिन रिस्ट्रिक्शंस वही थी तो इन लोगों ने इल्लीगल रास्ता भी निकाला और ये रास्ता था वाशिंगटन ब्रिटिश कोलंबिया बॉर्डर लेकिन आगे चलके कनाडा को इसके बारे में भी पता चल जाता है और ये रास्ता भी बंद हो जाता है अब इसके बाद ईयर आता है 1961 और कनाडा के अंदर लिबरल पार्टी जिस पार्टी के जस्टिन ट्रूडो हैं अभी ये पार्टी आती है पावर में और ये पार्टी इमीग्रेंट को लेके काफी सॉफ्ट थी ये फ्री स्पीच लिबर्टी को प्रमोट करती थी और इसके आने के बाद इंडियन सिख के लिए कैनेडा जाना काफी आसान हो गया था क्योंकि इन्होंने रिस्ट्रिक्शन जो थी वो बहुत ही इजी कर दी थी इस पार्टी के आने के बाद ईयर 19 81 में 67000 से भी ज्यादा लोग कनाडा में पहुंचे थे और 33000 से भी ज्यादा सिख जो थे उनको परमानेंट रेजिडेंसी मिल चुकी थी और ये नंबर बहुत ही तेजी से डे बाय डे बढ़ रहा था कनाडा भी इतना इमीग्रेशन इसलिए अलाव कर रहा था क्योंकि उनकी भी मजबूरी थी उनको वर्कफोर्स जो था उसकी बहुत जरूरत थी और वो भी सस्ते में काम करने वाले तो 1980 तक कनाडा के अंदर सिख जो थे वो एक बहुत ही बड़ी और इन्फ्लुएंस कम्युनिटी बन गए थे लेकिन उसके बाद भी ये लोग अपने कल्चर को छोड़ना नहीं चाहते थे तो ये लोग ट्राई करते थे ज्यादा से ज्यादा जो इंडियन सिख हैं उनको कनाडा लाएं ये लोग पंजाब से जो लोग कनाडा आना चाहते थे उनको उनको भी अलग-अलग तरीके से हेल्प करते थे कई केसेस में तो ऐसा भी देखा गया कि इन लोगों ने फेक मैरिजस जो होती हैं उसका भी अरेंजमेंट कराया एक रियल लाइफ एग्जांपल समझाता हूं ये रियल स्टोरी है बस इसमें मैं नाम चेंज कर दिया मैंने एक आदमी था बलवंत नाम का तो बलवंत इंडियन आर्मी में था और इसने 1970 में अर्ली रिटायरमेंट लेके एक गांव के स्कूल में वो पढ़ाने लगा और साथ में बीएड भी किया लेकिन बीएड करने के बाद उसको नौकरी नहीं मिली उसके बाद वो जुगाड़ लगा के कनाडा पहुंच गया और वहां सेटल हो गया अब बलवंत के दोस्त का भाई हरप्रीत कनाडा आया और वो इंजीनियर था तो उसको आसानी से इमीग्रेशन मिल गया और थोड़ी दिन बाद उसने आगे चल के एक वाइट वुमन एशली से शादी कर ली अब इसके 4 साल बाद 1974 में बलवंत वापस इंडिया आया और इंडिया में शादी की और अपनी वाइफ को भी कनाडा में लाके उसको भी इमीग्रेशन दिलवा दिया अब यहां पे भी बात रुकती नहीं है बलवंत का एक दोस्त था सिमरजीत जो उसके साथ आर्मी में था उसका कलीग था वो भी कनाडा में विजिटर्स वीजा पे आया लेकिन उसको इमीग्रेशन नहीं मिला तो हरप्रीत जो पहले आया था जिसने एशली से शादी की थी एशली को डिवोर्स दिलवा दिया और उसकी शादी जो इसी सिमरजीत से करा दी अब एक कैनेडियन वुमन से शादी करने की वजह से सिमरजीत जो था उसको भी सिटीजनशिप मिल गई और उसके कुछ टाइम बाद उसने एशली को फिर से डिवोर्स दे दिया और एशली ने दोबारा से वापस हरप्रीत से शादी कर ली और आगे चलके बलवंत ने अपनी सिस्टर साले मामा मामी मम्मी पापा सबको किसी ना किसी तरीके से कोई ना कोई जुगाड़ लगा के कनाडा बुला लिया तो ऐसे करके एक आदमी भी अगर गांव से निकलता है कनाडा तो पूरा का पूरा गांव सेटल हो जाता था तो धीरे-धीरे करके जो सिख कम्युनिटी थी वो कनाडा के अंदर काफी स्ट्रांग हो रही थी लेकिन इंडिया से इन्होंने अपने लिंक मेंटेन किए थे ये लोग टाइम टू टाइम इंडिया से जो मशहूर पंजाबी सिंगर रहते थे पॉलिटिशियन राइटर जो फेमस लोग रहते थे उनको बुलाते थे अपने प्रोग्राम में कनाडा के अंदर भी ये लोग अपने कल्चर से रिलेटेड और फंक्शन करवाते थे और ये सारी चीजें अभी भी होती हैं ये लोग पूरी तरीके से इंडियन पॉलिटिक्स जो है उससे कनेक्टेड रहते हैं और ये जो आर्टिस्ट वगैरह ये लोग बुलाते हैं उनकी पूरी पूरी ट्रिप जो होती है वो भी स्पों सर की जाती है अब आपका एक क्वेश्चन होगा कि कनाडा में इतनी सारी कंट्रीज के लोग आते हैं और सिख जो हैं वो पूरी पॉपुलेशन का कनाडा के अंदर 2 पर है लेकिन कनाडा की पॉलिटिक्स में ये लोग इतने इंपॉर्टेंट कैसे बन गए तो देखिए हुआ क्या था कि 1943 में 12 इन्फ्लुएंस जो सिख थे इन्होंने मिलकर ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर जॉन हार्ट से मिलके बात की उन्होंने कहा कि हम लोग इतने टाइम से काम कर रहे हैं कनाडा के हर सेक्टर में हम लोग सपोर्ट कर रहे हैं कनाडा के अंदर हम हर सेक्टर में इंपॉर्टेंट रोल प्ले कर रहे हैं इनफैक्ट वर्ल्ड वॉर 2 जब हुआ था उसमें भी साउथ एशियन सोल्जर्स लड़े थे और अगर हमें वोटिंग राइट नहीं मिलेंगे तो चाहे हम हो या आने वाली हमारी पीढ़ी हो वो कनाडा के अंदर हमेशा सेकंड क्लास सिटीजन बन के ही रह जाएंगे तो 2 साल कंटीन्यूअस लड़ाई के बाद 1945 में लॉ पास कर दिया गया और 1947 तक वोटिंग राइट्स जो थे वो मिल गए थे और जो सिख कम्युनिटी थी इसकी इंपॉर्टेंस को बहुत अच्छे से समझती थी जहां पे जापान वगैरह के जो सिटीजन थे वो वोट तक देने नहीं जाते थे इन्होंने वोटिंग में जम के पार्टिसिपेट किया यहां त कि जब वोटिंग का टाइम आता था तो गुरुद्वारे तक में बोला जाता था कि वोट देना आपका राइट है इसको आप जरूर दीजिए अब देखिए सिख जो हैं वो कनाडा की पॉलिटिक्स में आगे कैसे बढ़े इसके लिए कनाडा का जो इलेक्शन फ्रेमवर्क है उसको थोड़ा सा समझना पड़ेगा देखिए कनाडा में जो इलेक्शन होते हैं वो यूएस की तरह नहीं होते हैं यहां पे मल्टीपल पार्टीज होती हैं तो अगर एक पार्टी को किसी एरिया में किसी कैंडिडेट को टिकट देना है तो ये जो डिसीजन है ये अलग-अलग एक्टिविटी करा के डिसाइड करती है जैसे किसी को पार्टी कह देगी कि इतने हजार सिग्नेचर लेके आओ लोगों के किसी को कह देगी कि इतनी बड़ी कैंपिंग होनी चाहिए ज्यादातर केस इस में ये होता था कि जो ज्यादा सिग्नेचर लेके आता था उसको टिकट मिल जाता था सिग्नेचर लाना मतलब ये हुआ कि बाहर जाके लोगों के सिग्नेचर करा के उस पर्टिकुलर पार्टी से जोड़ना जैसे मान लो इंडिया में बीजेपी पार्टी है उसने कह दिया कि नोएडा से उसी आदमी को टिकट मिलेगा जो सबसे ज्यादा सिग्नेचर करवा के लाएगा अब ये तो एक बात हो गई दूसरी चीज ये है कि कनाडा की जो पॉलिटिकल पार्टी है तो उसका प्रेसिडेंट या फिर उस पार्टी का हेड कौन बनेगा ये उस पार्टी के सारे मेंबर्स वोट करके डिसाइड करते हैं जैसे मान लो बीजेपी के जितने मेंबर हैं कार्यकर्ता वगैरह छोटे बड़े सारे मेंबर तो सब वोट करेंगे कि कौन पार्टी का प्रेसिडेंट बनेगा अब भले ही कोई नेता कितना भी पावरफुल हो या फिर किसी का बेटा हो लेकिन प्रेसिडेंट वो बनेगा जिसको सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे तो इसी तरीके से कनाडा में भी ये प्रोसेस चलता है अब इसमें होता क्या है कि सिख कम्युनिटी है तो 2.1 पर लेकिन ये कनाडा के अंदर बहुत ही क्लोज कनेक्शन में रहते हैं गुरुद्वारे की वजह से ये लोग एक आदमी को सेलेक्ट करके खड़ा करते हैं और सारे सिग्नेचर और सपोर्ट उसी को मिलता है वो डिवाइड नहीं होते हैं वहीं किसी और कंट्री की बात करोगे जापान वगैरह की तो वो लोग इतने कनेक्टेड नहीं है और कनाडा की जो पॉलिटिक्स में ज्यादातर केसेस में ये होता है कि किसी एक पार्टी को मेजॉरिटी नहीं मिलती है तो इसमें जो सिख कम्युनिटी है उनके सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ती है अभी रिसेंट सिनेरियो की भी बात करें तो कनाडा के अंदर चाहे वो लिबरल पार्टी हो चाहे कंजरवेटिव पार्टी हो किसी को भी मेजॉरिटी नहीं मिली थी इसलिए किंग मेकर बनाने का जो काम था वो जगमीत सिंह की एनडीपी पार्टी ने किया था और एनडीपी के अंदर जगमीत सिंह का इसलिए बोलबाला है या फिर इसलिए वो उस पार्टी के हेड बने क्योंकि वो 47000 नए मेंब साइन करा के उन्होंने इस पार्टी को जॉइन कराया था और जब ये डिसाइड हो रहा था कि एनडीपी का लीडर कौन बनेगा तो उस टाइम में टोटल 124000 में से 35000 से ज्यादा वोट जो थे वो जगमीत सिंह को मिले थे जो रनर अप था उससे तीन गुना ज्यादा कनाडा के अंदर सिख पॉलिटिकली कितने स्ट्रांग है इस बात का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हो कि कनाडा के 388 एमपीज में से 18 सिख हैं और यही नंबर अगर हम इंडिया से कंपेयर करें तो इंडिया में टोटल 543 सीट्स में से 13 एमपी सिख हैं इसके साथ-साथ गुरुद्वारे में जो बड़े लेवल पे चैरिटी होती है लंगर होता है सेवा करना जो सिखाया जाता है छोटे-छोटे बच्चों को इसकी वजह से सिख की जो इमेज है वो बहुत ही अच्छी है कनाडा के पॉलिटिशियन जो सिख पॉलिटिकल पावर को शुरू में इग्नोर कर रहे थे उनको बाद में इसकी इंपॉर्टेंस पता चली हालात ये हो गए थे कि कुछ वाइट फीमेल कैंडिडेट्स भी सलवार कमीज पहन के गुरुद्वारे में सेवा करने लगी थी जिससे उनको सिख के वोट मिल सके अभी भी आप अगर देखोगे तो पॉलिटिकली एक्टिव जितने भी गोरे हैं कनाडा के अंदर वो गुरुद्वारे में दिखेंगे आपको तो देखिए कनाडा के अंदर जो सिख थे वो अच्छे से सेटल हो रहे थे इंडियन गवर्नमेंट से रिलेशन भी अच्छे थे पंजाब के लोगों से भी कनेक्टेड थे लेकिन ईयर 1980 से 1990 का जो टाइम था इस टाइम पे जो माइग्रेशन हुए इंडिया से कनाडा की तरफ एक तो वो बहुत ज्यादा हुए और उसमें से भी जो लोग माइग्रेट कर रहे थे इंडिया से कनाडा वो बहुत ही गुस्से के साथ माइग्रेट कर रहे थे अब इसका जो सबसे बड़ा रीजन था वो था पंजाब की पॉलिटिकल सिचुएशन भिंडर वाले और इंडिया गवर्नमेंट का जो क्लैश हुआ था उसकी वजह से पंजाब के अंदर बहुत ज्यादा वायलेंस हुआ था ये पूरी की पूरी स्टोरी मैंने ऑलरेडी पुरानी वीडियो में कवर की है इसके पीछे क्या रीजन थे और हिंदू और पंजाबी लैंग्वेज को लेके क्या इशू हुआ था अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन हर एक चीज मैंने उस वीडियो में बात की है तो वो आप जरूर देख लीजिएगा एक बार तो ये जो सारे मुद्दे चल रहे थे इसको लेके डिसेटिस्फेक्शन तो था ही तो अचानक से 12th ऑफ अक्टूबर 1971 को जगजीत सिंह चौहान ने एक न्यूयॉर्क टाइम्स में एक आर्टिकल छपा है जिसमें उसने कहा कि इंडिया के अंदर सिख के साथ बहुत गलत हो रहा है उनको एक सेपरेट नेशन चाहिए जिसका नाम है खालिस्तान और उस खालिस्तान का मैं प्रेसिडेंट हूं ये उसने छपवा या शुरू में किसी ने इसको सीरियसली नहीं लिया था लेकिन ईयर 1980 से लेक 1990 में जो पंजाब के अंदर वायलेंस हुआ उसकी वजह से कुछ लोगों को एक खालिस्तान का जो आईडिया था उससे जोड़ने में कामयाब हो गए थे 1984 में आपको पता ही है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ जब इंडियन आर्मी को गोल्डन टेंपल में जाना पड़ा था और अकाल तक्त और गोल्डन टेंपल जो था वो डैमेज हो गए थे इंदिरा गांधी जी की डेथ हो गई थी उसके बाद दिल्ली के अंदर सिख को मारा गया और फिर डेली दंगों के पीछे जो लोग थे उनको भी सजा नहीं मिली तो ये सारी चीजें ऑलरेडी पुरानी वीडियो में बता दी है मैंने आपको पता ही है लेकिन इन सारे इंसीडेंट की वजह से उस पर्टिकुलर टाइम पे सिख का जो इंडियन नेशनलिस्ट सेंटीमेंट था वो अब धीरे-धीरे पंजाबी नेशनलिस्ट सेंटीमेंट में बदलने लगा था और ये वो टाइम था जिसमें इंडिया से कनाडा की तरफ एक बड़ा सिख माइग्रेशन हुआ 1971 में जहां कैनेडा में 35000 के आसपास लोग थे वहीं 1981 में ये बढ़कर 67000 से ज्यादा हो गया था और 1991 में ये लाख से ऊपर पहुंच गया था और ये जो टाइम था इस टाइम पे जो सिख बाहर गए थे जिन्होंने माइग्रेट किया था उनकी मेमोरी में इंडिया को को लेके अच्छे विजुअल्स नहीं थे गोल्डन टेंपल और डेल्ली के दंगों को उन्होंने देखा था 20000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी खालिस्तान और इंडियन गवर्नमेंट के क्लैश में एक जमाने में पंजाब स्टेट इतना रिच था लेकिन इस टाइम पे उसकी इकोनॉमी बिल्कुल नीचे आ गई थी और इंडिया के बाहर जो सिख रह रहे थे उनके अंदर भी गुस्सा था कि उनको इंसाफ नहीं मिला ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद कनाडा के वैंकूवर में बहुत से सिख प्रोटेस्ट हुए इस टाइम पे बहुत सारे सिख प्रोटेस्टर्स ने वैंकूवर का जो इंडियन काउंसलेट था उसकी एंट्रेंस को ब्लॉक कर दिया था और ये वो टाइम था इंडिया के बाहर कुछ ग्रुप्स ने खालिस्तान की जो डिमांड थी उसको बहुत ही तेज कर दिया था अब टाइम के साथ-साथ इंडियन गवर्नमेंट ने पंजाब के जो सिख थे उनके सेंटीमेंट्स को समझ के उनको रीच आउट किया उनको मनाने की हर कोशिश की और काफी हद तक वो लोग कामयाब भी रहे लेकिन इन दंगों के दौरान जो सिख बाहर गए थे और इंडिया के बाहर जो पूरी सिख कम्युनिटी थी उसको गवर्नमेंट ने कभी भी सही से रीच आउट करके समझाने की कोशिश नहीं की और जो बाहर रह रहे थे उनके पास जो न्यूज़ भी पहुंचती थी इंडिया के बारे में वो नेगेटिव पहुंचती थी कई सारे स्टेप जो इंडियन गवर्नमेंट ने पॉजिटिव लिए थे वो चीजें भी नहीं पहुंच पाती थी वेस्ट मीडिया भी इंडिया के बारे में जो न्यूज़ बाहर पहुंचाता था वो नेगेटिव ही रहती थी दंगों के बारे में या या फिर पॉवर्टी के बारे में और ये जो मैं बात कर रहा हूं ऐसा नहीं था कि जितने भी एनआरआई इंडिया के बाहर रह रहे थे वो सारे के सारे ऐसे ही कर रहे थे मैं कुछ चुनिंदा ग्रुप्स की बात कर रहा हूं जो उस पर्टिकुलर टाइम पे छोड़ के गए थे इंडिया को अब देखिए उस टाइम पे कनाडा माइग्रेट करने वालों में कुछ तो जेनुइन केस थे लेकिन कुछ लोगों ने इसका गलत यूज भी किया असाइन के थ्रू माइग्रेशन मिलना आसान हो रहा था तो कई लोग जुगाड़ से लेटर लिखवा के कनाडा में बता रहे थे कि उनके साथ गलत हो रहा है ताकि उनको असाइन मिल जाए और माइग्रेशन में आसानी हो असाइन के थ्रू कनाडा और यूएस जाने का एक ट्रेंड सा चल गया था अगर कोई पंजाब का नेता लेटर लिख के दे दे तो अससाइलम मिलने में आसानी हो जाती थी तो ये ट्रेंड जो था ये काफी लंबे टाइम तक चला देखिए जो उस टाइम पे पंजाब में हुआ इसके बाद इंडिया के बाहर कई सारे आतंकी आउटफिट बब्बर खालसा जैसे एक्टिव हो गए थे 1984 का बदला लेने के लिए ये लोग खुलेआम धमकी दे रहे थे और फिर इन आतंकी ग्रुप ने आगे चलके एक ऐसी चीज कर दी जिससे पूरी दुनिया दहल गई बब्बर खालसा इंटरनेशनल बीकेआईवीवी ने लीड किया इस आतंकी ग्रुप ने कनाडा के अंदर से बैठे-बैठे बदला लेने की प्लानिंग स्टार्ट की जून 1985 जब ऑपरेशन ब्लू स्टार को एक साल हो गया था तो उस टाइम पे राजीव गांधी अमेरिका गए थे इन्हीं सारी ऑर्गेनाइजेशन का सॉल्यूशन निकालने और इसी टाइम पे इंडिया से परमार और अजप सिंह बगदीहा मोल्टन गुरुद्वारे में भाषण देते हुए एक हिंट देते हैं कि लोग एयर इंडिया से सफर ना करें लेकिन उस टाइम पे लोगों को ये चीज समझ में नहीं आती है कि ऐसा क्यों कहा जा रहा है कुछ लोगों को लगा कि इंडिया को बॉयकॉट करने की वजह से ऐसा कहा जा रहा है लेकिन ऐसा था नहीं इधर इंडिया से भी बैक टू बैक रॉ ने इनपुट्स दिए कनाडा गवर्नमेंट को कि ये जो तलविंदर सिंह परमार है ये इंडिया के अगेंस्ट कुछ बड़ा करने वाला है इसलिए आप इसको हमें दे दीजिए एक्चुअली तलविंदर सिंह ने इंडिया में भी दो पंजाब के पुलिस ऑफिसर्स को मार दिया था और 1970 में कनाडा चला गया था इसीलिए इंडिया कनाडा से इसको मांग रहा था उस टाइम पे जस्टिन ट्रूडो के फादर पीएम थे उन्होंने भी सेम जैसे अभी जस्टिन ट्रूडो ने मिजर को देने को मना कर दिया था उनके फादर ने भी सेम ऐसा ही किया था उसने तलविंदर को देने के लिए मना कर दिया था लेकिन उसने एक चीज की थी कि तलविंदर की कॉल जो थी वो सर्विलांस पे लगा दी थी 20 जून 1985 को तलविंदर सिंह के पास कॉल आती है उसमें सामने से आदमी कहता है स्टोरी लिख दी इधर से जवाब आता है नहीं तो उधर से परमार कहता है पहले स्टोरी लिख दो बेसिकली ये लोग एयर इंडिया की फ्लाइट की टिकट खरीदने की बात कर रहे थे लेकिन उस टाइम पे कोई इस चीज को समझ नहीं पाया था अब इसके बाद डेट आती है 23 ऑफ जून 1985 कनाडा एयरपोर्ट से दो पैसेंजर एम सिंह एंड एल सिंह अपने बैग में बॉम रख के कनाडा एयरपोर्ट पे जाते हैं एल सिंह अपने बैग को टोक्यो की फ्लाइट में चेक इन करवा के रखवा देता है और जो एम सिंह था वो लंडन से होते हुए इंडिया जाने वाली एयर इंडिया की जो फ्लाइट थी जिसका नाम था एंपरर कनिष्का इसमें रखवा देता है और थोड़ी देर बाद ही दोनों के दोनों एयरपोर्ट से गायब हो जाते हैं आज तक नहीं पता चला कि ये दोनों कौन थे टोक्यो वाला जो बैग था जो चेक इन हुआ था वो प्लेन में रख ने से पहले ही फट गया था क्योंकि इन लोगों को टाइम ज जोन समझने में दिक्कत आ गई थी लेकिन दूसरा जो बैग था वो प्लेन में पहुंच चुका था और जब वो प्लेन आयरलैंड के पास पहुंचता है तभी वो जो बैग था वो फड़ जाता है 329 लोगों की जान चली जाती है इसमें इसके बाद सीबीआई की इंक्वायरी बैठती है जिसमें बताया गया कि ये बब्बर खालसा इंटरनेशनल का काम था जिसका जो मास्टरमाइंड था वो था तलविंदर सिंह परमार इसमें जो बम बनाया था वो इंदरजीत सिंह ने बनाया था लेकिन हैरानी की बात ये है कि इंदरजीत सिंह को छोड़ के किसी और को सजा ही नहीं हुई तलविंदर सिंह के ऊपर भी कनेडा ने बस $2000 का ही फाइन लगाया था लेकिन आगे चलके तलविंदर सिंह 1992 में पाकिस्तान के थ्रू इंडिया पहुंचता है और उस टाइम जो पंजाब पुलिस थी वो इसका एनकाउंटर कर देती है इस बाद भी ये जो आतंकी फिट थे एक्टिव रहते हैं पंजाब के जो सीएम थे बीएन सिंह इनको पंजाब की सिच जिम्मेदार बता के बब्बर खालसा ने इ मरवा द देख सारी चीजें जो मैं बता समझनी कि एनआरआई सिख जो है उसमें और खालिस्तानी में जमीन आसमान का फर्क है इंडिया छोड़ के जो भी कनाडा जाता है उसकी जिंदगी में खुद भी बहुत समस्या रहती है वहां बहुत सारी चीजें डील करनी पड़ती है परिवार और देश छोड़ के जाना आसान नहीं होता है लोग अपने बच्चों को लोन लेकर भेजते हैं पढ़ाई करने के लिए उनको अपने एजुकेशन को मैनेज करना होता है अपने लिविंग एक्सपेंसेस जो होते हैं उनको मैनेज करना होता है उनके पास कहां इतना टाइम होता है कि वो एक नए देश की बात करें और ये जो पूरा मसला है ये सिर्फ एक जनरेशन का है जो पंजाब के डार्क डेज थे उसमें जाके रेडिकल बन गए थे और कनाडा जा के रहने लगे थे अब इनकी एज भी काफी हो गई है ये लोग बूढ़े भी हो गए हैं इंडिया में आके अब वो लोग कुछ कर नहीं सकते लेकिन उनका इंडियन गवर्नमेंट के खिलाफ गुस्सा खत्म नहीं हुआ और वो ये बात बार-बार इसलिए करते हैं ताकि अगली जनरेशन को ब्रेन वॉश कर पाए पाए खालिस्तान का मुद्दा इसलिए भी उठता है क्योंकि अब ये एक जिओ पॉलिटिकल मुद्दा भी है तो फॉरेन मीडिया जो है वो भी इसको बहुत उठाता है ताकि इंडियन गवर्नमेंट पे एक प्रेशर बना रहे जो एक आम सिख है जो पैसा लगा के अपने बच्चों को बाहर भेजता है उनको भी ये लोग गद्दार के ताने देते हैं वो अगर इनके खिलाफ बोलते हैं तो इनप भी अटैक होते हैं अभी हरमन सिंह का केस आपने देखा होगा कि कैसे जब उसने खालिस्तानिस किया तो उसकी पूरी फैमिली खतरे में आ गई थी उनकी कार तक को टारगेट किया गया था इसलिए अगर कोई सिख चुपचाप बैठ के अपने काम से मतलब रख रहा है और खालिस्तानी को गाली नहीं दे रहा है इसका मतलब यह नहीं कि वो खा खालिस्तानी हो गया इनफैक्ट उसको दोनों तरफ से गाली मिलती है एक तरफ खालिस्तानी उसको डरपोक और गद्दार बोलते हैं दूसरी तरफ इंडिया के कुछ लोग उसको देशद्रोही बोल देते हैं अब जो खालिस्तानी है वो इंडिया के अंदर आके ये सारी चीजें नहीं कर सकते इसलिए उनके पास एक ही रास्ता बचता है इंडिया के अंदर सिख और बाकी कम्युनिटी में टेंशन क्रिएट करके और जो लोग इस चीज को ना समझ के हर एक सिख को खालिस्तानी बोल रहे हैं वो एक तरह से देश का भी नुकसान कर रहे हैं पंजाब में बहुत दिक्कतें हैं लेकिन खालिस्तान पंजाब की दिक्कत नहीं है आप पंजाब में जाके बड़े बूढ़ों से बात करोगे जिन्होंने 1984 का टाइम देखा है वो बिल्कुल नहीं चाहते कि पंजाब के अंदर दोबारा गलती से भी ऐसा कुछ हो पंजाब का सिख अगर कह रहा है कि पंजाब में बिजली की दिक्कत है या उसकी एमएसपी बढ़नी चाहिए या अनइंप्लॉयमेंट है तो इसका सिंपल सा मतलब है कि वो अपनी प्रॉब्लम का सलूशन मांग रहा है गवर्नमेंट से इसका यह मतलब नहीं है कि व खालिस्तानी हो गया है पंजाब के अंदर जो लोकल पॉलिटिक्स हुई है उसकी वजह से भी बहुत दिक्कत आई है वो भी मैं आपको अभी बता देता हूं अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो पंजाब की इकॉनमी जो एक टाइम पे सारे स्टेट्स में सबसे ऊपर थी सबसे रिच स्टेट था उसकी इकॉनमी 19th नंबर पे आ गई है ग्रीन रिवोल्यूशन की वजह से शुरू में जो पंजाब को फायदा हुआ था अभी उसके डिसएडवांटेज भी सामने आ रहे हैं अनइंप्लॉयमेंट बढ़ गया है वाटर लेवल नीचे आ गया है एक्चुअली हुआ क्या था कि देश आजाद होने के बाद पॉपुलेशन बहुत तेजी से बढ़ रही थी और जो फूड का प्रोडक्शन है वो बहुत ही स्लो था और यूएस भी बहुत ही खराब क्वालिटी का गेहूं इंडिया को दे रहा था उसके बाद जाके इंडिया का पेट भर रहा था इसके लिए इंडिया में ग्रीन रिवोल्यूशन लाया गया इसमें हाइब्रिड सीड्स फर्टिलाइजर पेस्टिसाइड्स इरिगेशन फैसिलिटी इंट्रोड्यूस ंग और क्योंकि पंजाब पहले से ही एग्रीकल्चर रिच स्टेट था और पंजाब की सोइल और एनवायरमेंट इसके लिए सबसे सूटेबल थी पंच आ यानी कि यहां पे ऑलरेडी पांच नदी थी इसलिए ये जो ग्रीन रिवोल्यूशन शशन था जो इंडिया में लाया गया था सबसे पहले इसको पंजाब के अंदर ही इंप्लीमेंट किया गया था इस ग्रीन रिवोल्यूशन का सबसे पहला मोटिव था कि इंडिया का जो हंगर था उसको खत्म किया जाए तो यही रीजन था कि ग्रीन रिवोल्यूशन जब इंप्लीमेंट किया गया तो वीट और राइस पे फोकस किया गया और जो बाकी क्रॉप्स थी उनको इग्नोर किया गया और पंजाब के अंदर मैक्सिमम केसेस में वीट और राइस ही उगाया गया पंजाब ने इतना राइस और वीट प्रोड्यूस किया कि पंजाब को फूड बोल ऑफ इंडिया ये तक बोला जाने लगा था इंडिया का जो सेंट्रल फूड ग्रेन था उसमें पूरे इंडिया का 29 पर राइस और 38 पर वीट अकेले पंजाब से आता था आज भी पंजाब पूरे इंडिया का 17 पर वीट और 9.9 6 पर राइस प्रोड्यूस करता है अब ये जो पूरा ग्रीन रिवोल्यूशन आया और राइस और वीट जो बहुत तेजी से प्रोड्यूस हुआ इसका शुरू में तो पंजाब को बहुत फायदा हुआ 1981 में पंजाब की जीडीपी पर कैपिटा की बात करें तो पंजाब इंडिया का रिचेस्ट स्टेट में से था लेकिन 20 से 30 साल के अंदर पंजाब को इसी ग्रीन रिवोल्यूशन का नुकसान भी हुआ और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वीट और राइस पे ज्यादा फोकस की वजह से बाकी क्रॉप्स जो थी वो इग्नोर हो गई क्रॉप्स जिनको कम पानी चाहिए था वो रिप्लेस हो गई थी क्रॉप्स जिनको ज्यादा पानी चाहिए था जैसे वीट और राइस इसकी वजह से सोइल डिग्रेडेशन हुआ वाटर लेवल नीचे चला गया पूरे पंजाब का वाटर लेवल नीचे गया तो एक जनरेटर जो पहले एक घंटा चलता था वो पानी निकालने के लिए अब उसको तीन-तीन घंटे चलना पड़ा था जिसकी वजह से इलेक्ट्रिसिटी की भी दिक्कत आने लगी डाइवर्सिटी वजह से एग्रीकल्चर ग्रोथ जो थी वो अब डाउन होने लगी ऊपर से पंजाब की जो पॉपुलेशन थी वो पूरी की पूरी एग्रीकल्चर बेस्ड थी तो नेताओं ने जो इंसेंटिव भी बनाया वो एग्रीकल्चर बेस्ड ही बनाए जो आईटी इंडस्ट्री थी उनको इग्नोर किया गया जब बाकी स्टेट में आईटी सेक्टर बहुत तेजी से बढ़ रहा था वहीं पे बड़ी-बड़ी कंपनियां जो इक्का दुक्का थी भी पंजाब से वो बाहर निकलने का सोच रही थी इसकी वजह से अनइंप्लॉयमेंट बहुत बढ़ने लगा पंजाब की जो एग्रीकल्चर ग्रोथ थी वो पहले 5 पर थी और आज की डेट में वो 1.6 पे आ गई है 2.92 लाख करोड़ का डेट हो गया पंजाब के ऊपर और पंजाब का जो यूथ है वो अब एग्रीकल्चर में इंटरेस्टेड नहीं है उसको अच्छी लाइफ चाहिए अच्छी जॉब चाहिए जो कि पंजाब में नहीं मिल पा रही है इसलिए उसको एक ऑप्शन दिखता है कि कैसे भी करके वो बाहर निकल जाए और सेट हो जाए और जो किसी वजह से नहीं जा पा रहा है वो अलग-अलग तरीके से अपनी आवाज उठाए गई अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो पंजाब को इकोनॉमिक ग्रोथ की बहुत ज्यादा जरूर होता है बाकी देखिए ये जो वीडियो है ये पार्ट वन है मुझे पता है कि आप अभी जो करंट इशू है निज्जर वाला उस पे भी आप वीडियो एक्सपेक्ट कर रहे थे तो उस पे मैंने ऑलरेडी काम कर लिया वो ऑलमोस्ट कंप्लीट हो गई है वो पार्ट टू मैं अभी नेक्स्ट वीक ही रिलीज करूंगा लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं अगर 10 टाइम्स फास्टर ग्रो करना है अपनी जॉब करियर या बिजनेस में तो cSz6NrFy_jc,Reality of Pan Masala Industry | Nitish Rajput | Hindi,2023-09-26T14:30:16Z,PT27M27S,4196632,171518,13229,https://www.youtube.com/watch?v=cSz6NrFy_jc,, लोगों ने गुटकर थूक थूक के इतने पुराने हावड़ा ब्रिज जैसे मजबूत पुल को भी कमजोर कर दिया ज्यादा थूकने की वजह से उसका एक हिस्सा जो है इंक्लूडिंग सोनू सूत एग्री हो गए थे पैसा लेके पॉलिटिकल पार्टीज को प्रमोट करने के लिए आईटीसी ने कांग्रेस को ₹ करोड़ दिए बीजेपी को 23 करोड़ दिए लेकिन हमारे जो हीरो थे वो बहुत ही आसानी से लोगों की जान दाव पे लगाने को रेडी हो गए शाहरुख खान अजय देवगन अक्षय कुमार तीन बड़े सेलिब्रिटीज ने म्यूजिक सीडी के अंदर स्मॉल मिलाते जाओ लार्ज बनाते जाओ लेकिन आप हैरान हो जाओगे कि सचिन ने उस वर्ल्ड कप में बिना स्पों सर किए हुए बैट से खेला रॉयल चैलेंजर नाम से पूरी टीम आईएल की बना दी गई इसको लेके भी कोर्ट के अंदर कई लोग चले गए थे कि ताकि बच्चे को समझ में आए कि मुंह में रजनी गंदा डालने से दुनिया कदमों में आ जाती है देखिए हम सबको ऑलरेडी पता है कि एक इंसान के लिए टोबैको कितनी खराब चीज है हर साल 1.35 मिलियन लोग सिर्फ इस टोबैको को यूज करने की वजह से अपनी जान गवा देते हैं मतलब कि हर दिन 3699 और हर घंटे 154 अभी ये जो वीडियो आप देख रहे हो ये वीडियो खत्म होते-होते 60 लोग इंडिया के अंदर टोबैको यूज करने की वजह से अपनी जान गवा चुके होंगे देखिए टोबैको के जो नुकसान है वो हर किसी को पता है लेकिन उसके बाद भी 30 पर पॉपुलेशन यानी कि 194 मिलियन लोग टोबैको कंज्यूम कर रहे हैं इनफैक्ट स्मोकलेस टोबैको जो है वो इंडिया के अंदर बैंड है लेकिन उसके बाद भी 21.4 पर एडल्ट जो है वो स्मोकलेस टोबैको यूज़ कर रहे हैं और 2 लाख से ज्यादा लोगों की तो जान चली गई है इसी की वजह से अब इसमें आप ये कहोगे कि एक चीज जो बैंड है वो लोगों तक पहुंच कैसे जा रही है और इस लेवल तक पहुंच जा रही है कि लाखों में लोगों की जान चली जा रही है और ऐसा भी नहीं है कि ब्लैक मार्केटिंग की वजह से पहुंच रहा है छोटी-छोटी ट्रिक्स खेल के एक प्लान तरीके से ऊपर से लेके नीचे तक लोगों की जान दाव प लगा के ये पूरा खेल हो रहा है जिसमें आपके फेवरेट एक्टर से लेके पॉलिटिशियन तक सब इवॉल्वड है अब देखिए जो टोबैको सिगरेट वगैरह ये ऐसा नहीं कि कोई पेट से सीख के आता है यहीं आसपास से लोग सीखते हैं अगर कोई बच्चा है उसको पता ही ना लगे उसके फेवरेट एक्टर या स्पोर्ट्स पर्सन से कि ये सारी चीजें भी एजिस्ट करती है तो उसको लत नहीं लगेगी अब आपको कि जो एडवर्टाइजमेंट वगैरह की आप बात कर रहे हो ये तो ऑलरेडी टीवी पे बैंड है तो आप कहना क्या चाह रहे हो तो देखिए अभी सारी चीज मैं आपको समझाता हूं कामयाबी की आ बो नॉर्मली मैं दिन में खाता नहीं गुटका खा लेता हूं मैं तो भूख नहीं एव 5000 इ कॉल्ड मतान गिरी हां जी राजम श्री इलाइची टशन का जशन कमला पसंद अनु बाशा बाल मसाला देखिए पहले क्या होता था कि ये जो बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज हैं ये टीवी पे खुलेआम टोबैको अल्कोहल इन सबके एडवर्टाइजमेंट करते थे लेकिन ईयर 1986 और 1990 में डूओ ने एक रेजोल्यूशन पास किया जिसमें ये था कि सारी कंट्रीज जो हैं उनको टोबैको के अगेंस्ट में एक्शन लेना होगा अलग-अलग स्टेप करने होंगे तो इसमें इंडिया ने भी साइन किया था तो इंडिया ने क्या किया कि इंडिया के अंदर केबल टेलीविजन नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट था ये 1995 इसको लेके आ गया वो जिसमें इंडियन केबल नेटवर्क जो पहले धड़ल्ले से अल्कोहल और सिगरेट वगैरह का ऐड कर लेते थे वो बैंड हो गया लेकिन उसके बाद भी छोटे-मोटे तरीके से स्पोर्ट्स इवेंट वगैरह जो होते थे उसके थ्रू ऐड चल रहे थे अब जो सिगरेट पी रहे थे उनकी तो बात ही छोड़ो वो तो तादाद उनकी बढ़ ही रही थी लेकिन 1.3 मिलियन लोग उस टाइम की स्टडी पे ये पता चला कि 1.3 मिलियन लोग ऐसे थे जो सिगरेट पीने वालों के साथ खड़े थे पैसव स्मोकर थे उनकी जान जा रही थी हर साल और 24 मिलियन लोग ऐसे थे जो डिसेबल हो गए थे वो पी नहीं रहे थे बस सिगरेट पीने वालों के साथ में थे पैसिव स्मोकर थे और ये बहुत ही बड़ा नंबर था तो इससे ये समझ में आ गया था इंडियन गवर्नमेंट को कि और स्टेप्स लेने पड़ेंगे और फिर 2003 में आया सिगरेट्स एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट कोपट नाम से और इसके आने के बाद जो रूल्स थे उनमें मेजर चेंजेज आए जैसे पब्लिक प्लेस पे स्मोक करना बैन कर दिया गया क्योंकि पैस स्मोकिंग की वजह से भी डेथ हो रही थी और बोला गया कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स जो हैं वो 100 यार्ड के एरिया के पास नहीं बेज सकते कोई भी टोबैको का प्रोडक्ट 18 साल से कम की एज के जो लोग थे उनको अलाव नहीं किया गया ये सारा कुछ यूज़ करने के लिए इस एक्ट के आने के बाद सबसे बड़ा झटका ये लगा कि ये जो छोटे-मोटे ऐड चल रहे थे अलग-अलग तरीके से उसको पूरी तरीके से बैन कर दिया गया बेसिकली इस एक्ट के आने के बाद एडवर्टाइजमेंट के लिए कंपनी के पास दो ही ऑप्शन बचे थे एक तो वो टोबैको की जो पैकेजिंग है उसके ऊपर ऐड कर सकती थी और दूसरा पॉइंट ऑफ सेल मतलब कि जहां से कस्टमर खरीद के पेमेंट कर रहा है उस जगह पे ऐड कर सकती थी बस ये दो जगह ही ऐड कर सकती थी बाकी सारे रास्ते जो थे वो बंद हो गए थे तो ये जो एक्ट आया था इसमें कोई भी प्रोडक्ट बैन नहीं हुआ था बस एडवर्टाइजमेंट को लेके और अलग-अलग रूल्स बनाए गए थे लेकिन प्रोडक्ट जो था वो कोई भी बैन नहीं हुआ था अब इसके बाद ईयर आता है 2011 और इसमें एक प्रोडक्ट बैन हुआ और वो कैसे बैन हुआ उसको समझाने के लिए मुझे थोड़ा सा आपको पान मसाला का जो स्ट्रक्चर है वो समझाना पड़ेगा तो देखिए पान जो है वो इंडिया के कल्चर का हिस्सा बहुत पहले से रहा है पान के अंदर नॉर्मल सुपड़ी गुलकन इलायची वगैरह डाल के लोग बहुत पहले से खाते आए हैं अब इसके बाद जब टेक्नोलॉजी आई तो इस पान को क्या किया डिहाइड्रेट करके यानी कि सुखा लिया गया और एक पैकेट में बंद करके बेचा जाने लगा जिसको बोला गया पान मसाला और फिर जब पान मसाला अच्छी तरीके से बिकने लगा तो इसकी आदत लगाने के लिए इसके अंदर प्रोसेस टोबैको यूज किया गया और उस चीज को बोला गया गुटका कहीं-कहीं पे पुड़ी भी बोलते हैं कहीं पे पुरकी भी बोलते हैं और ये जो गुटके का पैकेट था ये ज्यादा टाइम तक चले खराब ना हो इसके अंदर बहुत अलग-अलग केमिकल्स मिलाए गए आदत लगे उसके लिए मैग्नीशियम वगैरह बहुत सारी चीजें डाली गई इसके अंदर 40 से भी ज्यादा सब्सटेंस इसमें ऐसे मिले जो कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं और सिगरेट के कंपेरटिवली ये ज्यादा डेंजरस इसलिए हो रहा था क्योंकि गुटका जो था वो डायरेक्ट मुंह में जा रहा था तो जो कैंसर वाले सब्सटेंस थे वो डायरेक्ट आपके पेट में जा रहे थे तो ओरल कैंसर जो था वो इंडिया के अंदर रिकॉर्ड तोड़ से आगे बढ़ने लगा मतलब जितने भी इंडिया के अंदर ओरल कैंसर हो रहे थे उसमें से 90 पर गुटके की वजह से हो रहे थे तो इसको देख के गवर्नमेंट ने द फेडरल फूड सेफ्टी एंड रेगुलेशन एक्ट लेके आई तो इस एक्ट के हिसाब से जो टोबैको है अब वो किसी भी फूड आइटम में नहीं यूज़ किया जाएगा तो एक तरह से गुटका बैंड हो गया क्योंकि गुटका बनता था तंबाकू को पान मसाला में मिला के लेकिन पान मसाला जो था वो एफ एसएसएआई में एज अ फूड रजिस्टर्ड था और उसको जो लाइसेंस मिला था वो भी एज अ फूड मिला था तो इस एक्ट के आने के बाद से पान मसाला तो बिक सकता था लेकिन टोबैको मिलाकर जो गुटका बेचा जाता था वो बैंड हो गया था तो कहने का मतलब ये है कि 2011 में इंडिया के अंदर 24 स्टेट्स और तीन यूनियन टेरिटरी में गुटका बैंड हो गया था शरद पवार जो फॉर्मर सीएम थे महाराष्ट्र के उनका बहुत इंपॉर्टेंट रोल रहा था इसको बैन कराने में क्योंकि उनको खुद गुटका खाने की वजह से कैंसर हो गया था और उनके मुंह की सर्जरी भी हुई थी उन्होंने इसके बाद इसको बैन करने के लिए पार्लियामेंट तक में बात उठाई अब देखिए हम सबको पता तो है कि गुटका सिगरेट ये सब आदतें बहुत ही खराब होती हैं बट आदत एक ऐसी चीज है जो आसानी से नहीं छूटती है इसके लिए काफी स्ट्रांग विल और मोटिवेटेड रहने की जरूरत पड़ती है और इस आदत को निकालने में आपकी मदद करेगा कुकू एफएम यहां पे एक बाइट है मिनी हैबिट्स जिसमें में बताया गया है कि कैसे छोटी-छोटी आदतों में चेंज करके आप बड़ी सफलता हासिल कर सकते हो लेकिन एक मिनट ये बाइट क्या होती है कुकू एफएम बाइट्स एक परफेक्ट सलूशन है आपके और मेरे जैसे बिजी लोगों के लिए जिससे आप सिर्फ 15 मिनट में फुल बुक की नॉलेज ले सकते हो और अपने फ्लेक्सिबल टाइम के हिसाब से कहीं भी सुन सकते हो बाइट्स का जो नरेशन है वो इतना स्मूथ है कि आपको सुनने में मजा आएगा और कब 15 मिनट में आप एक बुक कवर कर लोगे आपको पता ही नहीं चलेगा तो कुकू बाइट्स के साथ सुनो तेजी से बढ़ो तेजी से और मेरे ऑडियंस मेरा कूपन कोड n 50 यूज करके फर्स्ट मंथ सब्सक्रिप्शन पे 50 पर डिस्काउंट ले सकती है इंस्टेड ऑफ ₹ 99 की जगह सिर्फ ₹ 49 में डाउनलोड करने के लिए लिंक जो है वो डिस्क्रिप्शन और पिन कमेंट में है जाके डाउनलोड करें तो टॉपिक पे वापस आते हैं तो देखिए रूल तो आ गया था इंडिया के अंदर लेकिन इन टोबैको कंपनीज का जो मार्केट है वो 2022 का अगर मैं बताऊं आपको तो 4341 10.2 करोड़ का था और इतने पैसे वालों के लिए रूल्स होते नहीं है इन्होंने दुनिया के बेस्ट माइंड्स को बुला के अलग-अलग ट्रिक्स लगाई पहली चीज इन्होंने ये की कि जितने भी पॉलिसी मेकर्स थे थे और गवर्नमेंट के ऑफिशियल थे उसमें घुसना चालू किया क्योंकि इनको पता था कि बिना गवर्नमेंट के लोगों को साथ में लिए इसका सलूशन नहीं निकाला जा सकता इन्होंने पॉलिटिकल पार्टीज को करोड़ों में पार्टी फंडिंग की इनफैक्ट जो टोबैको कंपनीज थी उसके अंदर गवर्नमेंट के ही शेयर्स निकले वो अभी आगे विद प्रूफ दिखाऊंगा आपको लेकिन पहले ये डिस्कस कर लेते हैं उससे पहले तो ये जो एक्ट आया था इसके अगेंस्ट में पहले तो ये सारी टोबैको कंपनीज जो थी ये कोर्ट में अपील करने गई फिर जब बात बनी नहीं तो इन्होंने एक अलग तरीका निकाला इन्होंने पान मसाला और प्रोसेस टोबैको का एक ट्विन पैक निकाला मतलब कि पान मसाला अलग और टोबैको अलग और बेचना स्टार्ट कर दिया मतलब कि जो पहले गुटका खाने वाला था वो एक पैकेट जो है वो पान मसाला का खरीदेगा फिर प्रोसेस टोबैको का खरीदेगा और फिर दोनों को मिला के वही प्रोडक्ट बना लेगा जो ऑलरेडी बैंड है फॉर एग्जांपल जो maruti-suzuki मसाला मिलेगा शिखर फिल्टर खेनी भी मिलेगी शिखर नॉर्मल टोबैको भी मिलेगा इस तरीके से जो ब्रांड था उसने अपने प्रोडक्ट को स्प्लिट कर दिया तो जो प्रोडक्ट बैंड हो चुका था यानी कि गुटका जो बैंड हो रखा था उसको बेचने का तो तरीका इन्होंने निकाल लिया था लेकिन एडवर्टाइजमेंट का तरीका इनको और निकालना था क्योंकि जब तक एडवर्टाइजमेंट नहीं होगा प्रोडक्ट लोगों तक पहुंचेगा ही नहीं तो बिकेगा कैसे तो इसके सॉल्यूशन में ये लोग लेके आए सरोगेट एडवर्टाइजमेंट का कांसेप्ट तो इसमें इन्होंने क्या किया कि गुटका सिगरेट अल्कोहल वगैरह जो थे ये तो बैंड थे तो इन्होंने सेम गुटके जैसी पैकेजिंग कलर स्टाइल रेडी किया बस गुटके की जगह सुपड़ी लिख दिया या फिर इलायची लिखना स्टार्ट कर दिया ऐसे करके अलग-अलग चीजें स्टार्ट कर दी लिखनी और उसको एडवर्टाइज करना शुरू किया ऐसे ही एल्कोहल कंपनीज जो थी उन्होंने भी देखाद देखी में सेम नाम से सोडा वगैरह निकालना स्टार्ट किया और एडवर्टाइजमेंट स्टार्ट कर दिया कुछ नहीं तो म्यूजिक सीडी निकालना भी शुरू कर दिया आपने वो ऐड देखा होगा बहुत ही फेमस ऐड है मैन विल बी मेन इंपीरियल ब्लू म्यूजिक सीडी किसी ने आज तक खरीदी है वो सीडी क्या या किसी ने उस सीडी के गाने सुने हैं क्या तो एक्चुअल में वो सीडीज वगैरह कहीं दिख ही नहीं रही थी कोई खरीद नहीं पा रहा था बस वो ऐड हो रहे थे उसके ताकि जो मेन प्रोडक्ट है उसको लाइम लाइट में लाया जा सके आज भी आप देखोगे ना चालू कर दिया तो अरिस्टो क्रेट विस्की तो सबको याद है लेकिन वो जो जूस है अरिस्टो क्रेट वो आज तक किसी ने नहीं पिया तो ऐसे करोड़ों रुपए लगा के इन्होंने ऐड्स किए और वो भी ऐसे प्रोडक्ट के ऐड किए जो एजिस्ट ही नहीं करता था या मार्केट में अवेलेबल ही नहीं था और ये सारी चीज इसलिए की गई जो उनका मेन टोबैको है जो अल्कोहल है वो प्रमोट हो सके और जब अल्कोहल शॉप पे जब कोई जाए तो उसके मुंह से इंपीरियल ब्लू या फिर अरिस्टो क्रेट ये सारे नाम निकले ऐसे ही रॉयल चैलेंज स्पोर्ट्स रिंग जिसका ऐड विराट कोहली करते हैं ये भी आपको खरीदने को नहीं मिलेगी रॉयल चैलेंजर नाम से पूरी टीम आईएल की बना दी गई इसको लेके भी कोर्ट के अंदर कई लोग चले गए थे कि एक दारू के नाम से टीम बना रहे हो इससे बहुत ज्यादा प्रमोशन होगा दारू का लेकिन कोर्ट के अंदर ये लोग केस हार गए क्योंकि जो टीम का नाम था उसमें एक एक्स्ट्रा एस ऐड कर दिया गया था रॉयल चैलेंजर की जगह रॉयल चैलेंजर्स कर दिया गया था देखिए किसी भी प्रोडक्ट के ऊपर कम टाइम में जल्दी अटेंशन दिलवा हो तो उसके लिए कंपनीज सेलिब्रिटीज को पकड़ती हैं तो टोबैको कंपनीज ने भी ऐसा ही किया इन्होंने बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज को मुंह मांगे पैसे दिए अब देखिए जनरली तो हीरो उसको कहते हैं जो लोगों की जान बचाता है लेकिन हमारे जो हीरो थे वो बहुत ही आसानी से लोगों की जान दाव पे लगाने को रेडी हो गए पैसों के लिए 2021 में अमिताभ बच्चन और रणवीर सिंह ने कमला पसंद इलायची के एंडोर्समेंट के लिए हां कर दिया 2022 में शाहरुख खान अजय देवगन अक्षय कुमार तीन बड़े सेलिब्रिटीज ने एक साथ विमल पान मसाला के ऐड के लिए हां कर दिया और पूरे ऐड में इलायची बोला ही नहीं बस साइड में छोटा सा लिखा था इलायची ये आप देखोगे म्यूजिक सीडी के अंदर स्मॉल मिलाते जाओ लार्ज बनाते जाओ इसका क्या मतलब हुआ ये क्यों बोला जा रहा है स्मॉल मिलाते जा लार्ज बनाते जा अच्छा अगर आप इसको ध्यान से देखो तो ऐसे बहुत सारा कंफ्यूजन क्रिएट होता है कोई बच्चा इलायची के चक्कर में टोबैको भी तो मांग सकता है या गलती से खा भी तो सकता ता है टोबैको अगर आप पानवाले के पास जाओगे तो लाइन से लड़ियां लगी होती है बहुत कन्फ्यूजिंग होता है एक एडल्ट को 10 बार पूछना पड़ता है कि भैया कहीं तंबाकू तो नहीं मिला इसमें जब एक एडल्ट को इतनी दिक्कत आ रही है तो एक बच्चा नहीं कंफ्यूज हो सकता ये सब एड्स देख के प्रियंका चोपड़ा को यूएन में चाइल्ड राइट्स एंड एडोलिसेंस हेल्थ का एंबेसडर बनाया हुआ है लेकिन उसके बाद भी इन्होंने रजनीगंधा का ऐड किया रजनीगंधा इंडिया के दो सबसे बड़े फेमस जर्दा ब्रांड हैं तुलसी और बाबा वो बनाती है टीचर्स एक बहुत बड़ी विस्की ब्रांड है वो भी बनाती है और प्रियंका चोपड़ा ने दोनों का ऐड किया आलिया भट्ट ने ब्लेंडर स्प्राइड का ऐड किया आ लोग डिफेंड तो करते हैं अपने आप को कि लोग गुटका या फिर अल्कोहल का ऐड नहीं कर रहे हैं ये लोग इलायची या फिर सोडे का ऐड कर रहे हैं लेकिन ऐसे कैसे कोई मान ले कि इनको पता ही नहीं है कि ये किस चीज का ऐड कर रहे हैं ऐसे ही पान बाहर के ऐड में टाइगर श्रॉफ महेश बाबू राशी इलायची के लिए सलमान खान सिग्नेचर इलायची में रितिक रोशन चैनी खैनी में मलाइका रोरा संजय दत्त अनुष्का शर्मा मनोज वाजपेई आप जो नाम लो सारे नाम मिल जाएंगे कार्तिक आर्य ने 15 करोड़ की डील को मना कर दिया था वो कह रहे थे कि वो ऐसे ऐड नहीं करेंगे लेकिन पहले जब उनके हालात टाइट थे तो उन्होंने और जैकलीन फर्नांडिस ने मैजिक मूमेंट का ऐड किया था और उस ऐड में तो बोतल तक दिखाई गई थी मतलब मतलब अल्कोहल की बोतल दिखाई गई थी लेकिन ब्लर कर दिया गया था पूरे देश की जनता ने इनको स्टार बनाया लेकिन इन रिटर्न ये इंडिया के बच्चों के लिए कैंसर फैलाने का इंतजाम कर रहे हैं आपका कोई छोटा भाई है या घर में कोई छोटा बच्चा हो तो आप उसको अगर किसी शराब पीने वाले या फिर सिगरेट पीने वाले या जुआ खेलने वाले दोस्त के साथ देखते हो तो आप उसको डांट देते हो कि इसके साथ मत घूम क्योंकि आपको पता है कि जब तक उसको पता नहीं चलेगा तो उसको आदत कैसे पड़ेगी इन सब चक्रों में वो पड़ेगा कैसे तभी आप उससे दूर रहने के लिए कहते हो लेकिन ये सब करने के बाद आप तुरंत टीवी खोल के इन हीरोज के ऐड दिखाते हो तो ताकि बच्चे को समझ में आए कि मुंह में रजनी गंदा डालने से दुनिया कदमों में आ जाती है और ऐसा नहीं कि ये लोग खाली गुटके का ऐड कर रहे हैं या फिर शराब का ऐड कर रहे हैं ये लोग जुआ भी खिला रहे हैं आपको कई सारे ब्रांड जो जुआ खिलाते हैं जैसे तीन पत्ती वगैरह उसके ऐड करते हुए भी दिख जाएंगे ये लोग आपको और ये तो तब है जब इनके पास ऑलरेडी काफी सारा पैसा है अब सोच के देखिए अगर ये गरीब होते तो उस केस में ये लोग किस-किस चीज के लिए एग्री हो जाते भगवान ही जाने आपने अगर कोबरा पोस्ट का स्टिंग ऑपरेशन देखा होगा तो उसमें 36 सेलिब्रिटी इंक्लूडिंग सोनू सूत एग्री हो गए थे पैसा लेके पॉलिटिकल पार्टीज को प्रमोट करने के लिए अभी भी वो सारी क्लिप्स youtube3 में 4 करोड़ के लिए एक अल्कोहल ब्रांड के लिए मना कर दिया था लेकिन आज की डेट में अगर आप सच में किसी को रियल हीरो कह सकते हो तो वो है सचिन तेंदुलकर इन्होंने अपनी 32 साल की पब्लिक लाइफ और 24 साल के क्रिकेट करियर में एक भी सरोगेट ऐड नहीं किया सारी गुटका कंपनी ने मुंह मांगा पैसा ऑफर किया लेकिन सचिन ने कभी ऐसा नहीं किया 1996 का क्रिकेट वर्ल्ड कप था उस टाइम प बीसीसीआई इतना अमीर नहीं था और क्रिकेटर्स के पास भी पैसा नहीं होता था तो विल्स एक सिगरेट कंपनी है उसने पूरे वर्ल्ड कप को स्पों सर किया था लेकिन आप हैरान हो जाओगे कि सचिन ने उस वर्ल्ड कप में बिना स्पों सर किए हुए बैट से खेला उस बैट पे आप आज भी देखोगे वो वीडियो तो उस बैट पे कोई भी स्टीकर नहीं है जबकि बाकी जितने खिलाड़ी थे वो सब रेडी हो गए थे ऐड करने के लिए यूबी ग्रुप ने उस टाइम पे 20 करोड़ का ऑफर दिया था एक सेकंड में मना कर दिया था सचिन तेंदुलकर ने आईएल में भी जब प्लेयर्स एनुअल कमर्शियल्स के पैसे में से हिस्सा ले रहे थे तो सचिन ने ऐसे पैसे में हिस्सा लेने से भी मना कर दिया जो पैसा सरोगेट ऐड करने से आया हो मूवीज में भी जो आप सिगरेट्स देखते हो उसके अंदर भी ये जो सिगरेट कंपनीज है मूवी के अंदर एक प्लान तरीके से एडवर्टाइजमेंट को प्लेस करती हैं और ऐसा क्यों करती हैं वो मैं बताता हूं आपको फरवरी 2003 में डूओ ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें बताया गया कि 76 पर इंडियन मूवीज ऐसी थी जिन्होंने 1991 से 2002 तक टोबैको के एड्स दिखाए और 2005 की बात करें तो 89 पर मूवीज ऐसी थी जिन्होंने टोबैको सिगरेट इस तरीके से मूवी में प्रमोट किया सोसाइटी फॉर न्यूरोसाइंस रिसर्च ने 17 लोगों पे एक एक्सपेरिमेंट किया जिसमें 17 स्मोकर्स और 17 नॉन स्मोकर्स को फंक्शनल एमआरआई लगा के एफएमआरआई लगा के मूवीज दिखाई तो जो 17 स्मोकर्स थे स्मोकिंग सीन आने पे मूवी के अंदर उनके ब्रेन के पैराइटल लोब में हैवी ब्रेन एक्टिविटी होने लगी ये चीज इसलिए बता रहा हूं क्योंकि 89 पर से भी ज्यादा मूवीज में टोबैको के सीन होते हैं इसकी वजह से ना जाने कितने लोग जो टोबैको छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं फिर से पीने लग जाते हैं या फिर उनको बहुत दिक्कत होगी इंडिया के अंदर हर साल 00 से 00 करोड़ सरोगेट एडवर्टाइजमेंट पर लगाए जाते हैं लेकिन ये जो सरोगेट ऐड करते हैं इंपीरियल ब्लू सीडी एनर्जी ड्रिंक इलायची वगैरह इनसे ये इतने पैसे जनरेट नहीं कर सकते कि इतने बड़े-बड़े स्टार्स को लेके सरोगेट ऐड करा सकें एक्चुअल में ये इन सरोगेट प्रोडक्ट को मार्केट में में उतार के अपने टोबैको बेचते हैं और फिर उस कमाए हुए पैसे से इन्हीं सरोगेट प्रोडक्ट्स में खर्च करते हैं एक पान मसाला ब्रांड है पान पराग ये लोग साल भर में जितने की सेल करते हैं उससे कई गुना ज्यादा पैसे का एडवर्टाइजमेंट कर देते हैं सिर्फ दो टीवी चैनल्स पर ऐड करने की कॉस्ट जितनी आती है वो इनकी पूरे साल भर की सेल होती है और ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि प्रमोट कुछ और किया जा रहा है और प्रमोशन हो किसी और चीज का रहा है मैं कहना क्या चाहता हूं इसको मैं एक एग्जांपल से समझाता हूं ये चार्ट देखिए इस चार्ट में एनुअली कितनी सेल होती है पान पराग की और वो एडवर्टाइजमेंट से कितना कमाता है दोनों डिटेल्स हैं ये देखिए 6.37 करोड़ की टोटल एनुअल सेल हुई है और इस 6 करोड़ की सेल के लिए टोटल 24.4 6 करोड़ एडवर्टाइजमेंट पे खर्च किया गया है अब इसका सिंपल सा मतलब यह है कि ये जो बचा हुआ पैसा है किसी और की कमाई से पूरा किया जा रहा है देखिए जो टोबैको का मार्केट है वो बहुत ही बड़ा है 2023 में ही टोबैको प्रोडक्ट मार्केट के रेवेन्यू का लगभग 12730 मिलियन यूएस डॉलर का था 2020 में सरकार ने सिर्फ सिगरेट की सेल से 3356 मिलियन इंडियन का टैक्स रेवेन्यू जनरेट किया जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी को मिलाकर सारे टोबैको प्रोडक्ट से 1 साल में 537 50 करोड़ का टैक्स रेवेन्यू जनरेट हुआ आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि ये जो टोबैको वगैरह है ये इंडस्ट्री इतनी बड़ी है इससे इतना फायदा होता है इतना रेवेन्यू जनरेट होता है इसलिए कभी बंद नहीं होगा तो देखिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ये घाटे का सौदा है और अभी मैं बताता हूं कैसे तो देखिए टोबैको वगैरह की सेल से जो पैसा इकॉनमी में ऐड होता है उससे ज्यादा पैसा गवर्नमेंट को लगाना होता है टोबैको से रिलेटेड जो डिजीज होती है उसके अगेंस्ट जो एडवर्टाइजमेंट करने होते हैं उसमें 2017 के डाटा से आपको बताता हूं गवर्नमेंट का 2 लाख करोड़ टोबैको से रिलेटेड बीमारी जो होती है उसके हेल्थ केर एक्सपेंसेस में चला गया हमारी जीडीपी का 1.4 हिस्सा इसमें चला जाता है और इस टोटल टोबैको से जो टैक्स रेवेन्यू जनरेट होता है वो करीब 53000 करोड़ का होता है मतलब कि हर ₹1 जो टोबैको टैक्स से आता है उसके लिए हमारी इंडियन इकॉनमी का 816 खर्च होता है तो पहले कई 100 करोड़ लगा के सरोगेट एड्स होते हैं फिर इस चीज को लोग खाते हैं उससे टैक्स रेवेन्यू आता है और फिर जब लोग इसकी वजह से बीमार पड़ते हैं तो उसको सही करने में इसका तीन गुना पैसा लगता है और उसके बाद भी अवेयरनेस वगैरह फैलाने में और ज्यादा पैसा लगता है ये एक ऐसा मॉडल है जिसमें गरीब जो गुटका खाने वाला है उसको छोड़ के सबकी जेब में पैसे आते हैं और गरीब मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि टोबैको के जो विक्टिम्स होते हैं वो मैक्सिमम गरीब होते हैं एक तो इसको खाने से भूख नहीं लगती है तो आदमियों के साथ-साथ जो फीमेल वर्कर्स होती हैं वो भी इसको खाती हैं ताकि भूख ना लगे और ये गरीब मजदूर होता है वो आठ घंटे की जॉब नहीं करता है उससे ज्यादा काम कराया जाता है 12-12 घंटे वो काम करता है तो इसको खाने से टेंपरेरी थोड़ी देर के लिए उसका माइंड जो है वो रिलैक्स हो जाता है माइंड डायवर्टेड रहता है तो उसको ऐसा लगता है कि उसको जो मेहनत कर रहा है वो उसमें इससे हेल्प मिल रही है और सिगरेट वगैरह जो होती है अल्कोहल वगैरह जो होता है उसमें हाथ एंगेज करने पड़ते हैं लेकिन गुटका जो खाता है वो इंसान मुंह में डाल के काम करता रहता है तो ये जो मजदूर लोग होते हैं उनकी पहली पसंद होती है और ये सस्ता भी होता है और जितने भी सेलिब्रिटीज सरोगेट ऐड करते हैं उनको बहुत अच्छे से पता है कि ये जो गरीब है इसको अगर कैंसर हो गया तो इलाज नहीं करवा पाएगा मर जाएगा लेकिन उसके बाद भी ये पूरे इंडिया के अंदर इसको प्रमोट करते हैं और ये जो इस इंडस्ट्री का जो पूरा बिजनेस मॉडल है ये ऐसा नहीं है कि किसी को पता नहीं है लेकिन हर एक आदमी जो इसमें इवॉल्व है उसका मुनाफा इतना ज्यादा है कि लोगों की जान दाव पे लगा के पूरा बिजनेस मॉडल चल रहा है इंडियन रेलवे हर साल 1200 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च करती है पान मसाला और गुटके के जो निशान है स्टेशन से उनको हटाने के लिए ये जो गुटका और पान मसाला खाके जो लोग जगह-जगह पे थूकते हैं इसकी वजह से टीवी जैसी एयरबॉर्न डिजीज होती हैं जो लाखों लोगों की जान रिस्क प डाल देती हैं लोगों ने गुटका थूक थूक के इतने पुराने हावड़ा ब्रिज जैसे मजबूत पुल को भी कमजोर कर दिया ज्यादा थूकने की वजह से उसका एक हिस्सा जो है वो वीक पड़ गया है और ये जो पान मसाला वगैरह है इसपे 28 पर जीएसटी लगता है ये बहुत ज्यादा होता है और इसकी वजह से इस इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा टैक्स इनवेजन भी होता है दिसंबर 20155 में धर्मपाल सत्यपाल ग्रुप जो रजनीगंधा के ओनर हैं इनके ऊपर चार्जेस थे कि इन्होंने फेक इनवॉइस बना के 90 करोड़ का टैक्स इन्वेंट किया और इसी चक्कर में डीजीसीईआई ने इनके जो डायरेक्टर थे उसको भी अरेस्ट कर लिया था और कई सारे गवर्नमेंट ऑफिशल्स भी हैं जो घूस लेके इनकी मदद करते हैं सेंट्रल एक्साइज कमिश्नर सोमेश मिश्रा को सीबीआई ने अरेस्ट किया था क्योंकि वो इन इंडस्ट्री वालों की मदद कर रहे थे टैक्स इनवेजन में यही रीजन है कि जो पूरी इंडस्ट्री है इसके अंदर सबसे ज्यादा छापेमारी चलती है टैक्स इनवेजन को लेके एक बार तमिलनाडु में टैक्स इनवेजन को लेके टोबैको डीलर माधव राव के घर में में एजेंसीज ने छापा मारा था तो वहां पे डायरी पकड़ी गई जिसमें स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट के लोगों के पास जो पैसे जाते थे हर महीने उसका हिसाब लिखा था उस डायरी को जब पकड़ा गया तो उसमें पता चला कि कई महीनों तक ₹ करोड़ के करीब गवर्नमेंट ऑफिशल्स को घोस खिलाई गई जिसमें स्टेट हेल्थ मिनिस्टर सी विजया भास्कर फॉर्मर पुलिस कमिश्नर टी के राजेंद्र और एस जॉर्ज इनका भी नाम था इसमें सीएसआर फंड का जो पैसा है उसको घुमा के भी टैक्स बचाया जाता है आपने देखा होगा स्टूडेंट्स क्लासमेट की जो नोटबुक यूज करते हैं उसके पीछे एक मैसेज लिखा होता है कि हर नोटबुक की सेल पे कुछ पैसा जो है वो गरीब बच्चों की एजुकेशन में जाएगा तो ये जो क्लासमेट है ये जो आईटीसी टोबैको कंपनी है इसी की है तो एक तरफ तो ये टोबैको बेचते हैं और दूसरी तरफ सोसाइटी के कॉज के बारे में बात कर रहे हैं और ये सब ये लोग इसलिए करते हैं क्योंकि जो बड़ी कंपनीज हैं उनके लिए रूल्स हैं कि अगर उनकी नेट वर्थ 500 करोड़ से ज्यादा है या फिर 5 करोड़ नेट प्रॉफिट हो या फिर 1000 करोड़ का टर्नओवर हो उसको सीएसआर यानी कि कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत अपने प्रॉफिट का 2 पर खर्च करना होता है सोसाइटी वगैरह पे तो ये लोग चाइल्ड एजुकेशन या फिर किसी और कॉज में लगा लेती हैं यह सब करने के साथ-साथ ये जितनी भी पॉलिटिकल पार्टीज हैं इनको ये डोनेशन भी देती हैं द हिंदू की एक रिपोर्ट के हिसाब से 2010 2011 में आईटीसी लिमिटेड ने कांग्रेस को 3 करोड़ की डोनेशन दी बीजेपी को 2.5 करोड़ की और समाजवादी पार्टी को 42 लाख की द राष्ट्रीय जनता दल को 33 लाख की शिवसेना को 17 लाख की और 2018 और 19 की बात करें तो उसमें बीजेपी को 23 करोड़ दिए गए 20192020 में आईटीसी ने कांग्रेस को ₹ करोड़ दिए जो पार्टी पावर में होती है उस उसका अमाउंट ये थोड़ा ज्यादा कर देते हैं बाकी ये डोनेशन सबको करते हैं इंडिया के अंदर इतने सारे कॉज हैं इतने सारे वृद्ध आश्रम हैं इन सबको छोड़ के ये इन पॉलिटिकल पार्टीज को क्यों पैसा देती हैं इनको क्यों फंड करती हैं इसके बदले में इनको मिलता क्या है इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली की रिपोर्ट के हिसाब से आईटीसी और गोट फे फिलिपस जो इंडिया की बहुत बड़ी सिगरेट कंपनी है इसमें स्टेट गवर्नमेंट और सेंट्रल गवर्नमेंट की डायरेक्ट शेयर होल्डिंग थी 31 मार्च 2010 तक जो इंडियन टोबैको कंपनी आईटीसी है उसके टॉप 10 शेयर होल्डर्स में से छह कंपनियां गवर्नमेंट की निकली मतलब कि आईटी टी स जो इंडिया की सबसे बड़ी तबाकू की कंपनी है उसमें 33.1 पर शेयर्स जो हैं वो गवर्नमेंट के हैं मतलब कि जब सिगरेट बिकती है तो गवर्नमेंट को भी प्रॉफिट होता है उसका और इस चीज को लेकर 2011 में डॉ पंकज चतुर्वेदी जो टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं उन्होंने एक आरटीआई डाली तो उसमें पता चला कि एलआईसी ने अपने 33600 करोड़ आईटीसी में इन्वेस्ट करके प्रॉफिट बनाया है और आप आयरानी देखिए इसके साथ-साथ एलआईसी जो है वो टोबैको खाने वालों से इंश्योरेंस पॉलिसी का ज्यादा प्रीमियम लेती है 2017 में टाटा ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी आर वेंकटाकुलम उन्हीं टोबैको कंपनीज में इन्वेस्ट कर रही है और मुनाफा बना रही है इसके जवाब में एलआईसी नेने कहा कि देखिए ऐसा कोई भी लॉ नहीं है जिसमें एलआईसी कंपनी टोबैको कंपनी में इन्वेस्ट नहीं कर सकती और दूसरी चीज ये है कि ये जितनी भी एक्टिविटीज होती हैं सेंट्रल गवर्नमेंट के डायरेक्शन पे होती हैं और ये बोल के उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया कुल मिलाकर कहने का का मतलब यह है कि इंडिया की सबसे बड़ी टोबैको कंपनी का 1/3 हिस्सा गवर्नमेंट के पास है मतलब कि सिगरेट अगर बिकेगी तो गवर्नमेंट का मुनाफा है और गवर्नमेंट को अपने मुनाफे के अगेंस्ट में ही पॉलिसी लानी है तो एक तरफ तो गवर्नमेंट पब्लिक से टोबैको यूज़ करने के लिए मना कर रही है इसको रोकने के लिए दुनिया भर के ऐड में पैसे खर्च कर रही है और वहीं पीछे से सिगरेट बेच के पैसा बना रही है और एथिकली भी कोई सेंस नहीं बनता क्योंकि इंडिया ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल एसीटीसी पे पहले से ही साइन कर रखा है इसके रूल के हिसाब से गवर्नमेंट जो है वो टोबैको में इन्वेस्ट नहीं कर सकती और इन्वेस्ट करना तो छोड़ो सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट भी कुछ ऐसी कंपनियां चलाती हैं जो टोबैको को डायरेक्ट प्रमोट करती हैं जैसे मैसूर टोबैको कंपनी और इसी की तरह एक गवर्नमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट भी है सेंट्रल टोबैको रिसर्च इंस्टिट्यूट जो टोबैको को प्रमोट करता है और सिर्फ इतना ही नहीं किया गया है यहां तक कि 2011 में आईटीसी के चेयरमैन को पद्मभूषण भी दिया गया 2012 में आईटीसी के चेयरमैन को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में भी मेंबर अपॉइंट्स के बड़े-बड़े लॉयर हैं ये सुप्रीम कोर्ट में टोबैको कंपनीज के केस लड़ने में भी मदद करते हैं जैसे कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के अरुण जेटली इन्होंने इन टोबैको कंपनीज के सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाके केस भी लड़े हुए हैं और सिर्फ इतना ही नहीं है कुछ बड़े-बड़े पॉलिटिशियन ऐसे भी हैं जो टोबैको प्रोडक्शन में और मैन्युफैक्चरिंग में डायरेक्ट इवॉल्व हैं जैसे एनसीपी के प्रफुल पटेल जो है वो सीजे बीडी कंपनी के डायरेक्टर हैं और आप आयरानी देखिए इसके बाद भी वो एंपावर्ड ग्रुफ ऑफ मिनिस्टर्स के मेंबर थे जिसने यह डिसाइड किया कि टोबैको पैकेट के ऊपर जो र्निंग होगी उसका पिक्चर कैसा होगा और जब इंडिया का इतना बड़ा सिगरेट मैन्युफैक्चरर पॉलिटिकल पार्टीज को इतना पैसा दे रहा है इतनी अंदर तक पकड़ है उसकी अब आप सोच सकते हो कि जो पॉलिसी बनेगी वो इनके हक में क्यों नहीं बनेगी और इसके साथ-साथ कई ऐसे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट भी हैं जो टनू लीफ होता है जिससे बीडी का रोल बनता है उसको बेचकर प्रॉफिट बना रहे हैं देखिए हर किसी को पता है जो पूरा टोबैको बिजनेस का मॉडल है ये घाटे का सौदा है लेकिन उसके बाद भी ये जो बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज हैं बिजनेसमैन हैं पॉलिटिशियन है इन सबका इतना फायदा हो रहा है कि इस टोबैको इंडस्ट्री को खत्म ही नहीं होने देने है अब क्योंकि ये जो पैसा घूम रहा है इससे फायदा तो हर किसी का हो रहा है और जो नुकसान वाली बात है वो गरीब को झेलनी है जान तो उसकी दाव पे लगी है तो क्या ही बड़ी बात है आपको क्या लगता है जो बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज पान मसाला वगैरह का ऐड करते हैं ये खुद खाते होंगे क्या अब तो कुछ पान मसाला बनाने वाली कंपनीज की इतनी हिम्मत हो गई है कि वो झूठ बोलने लगी है आपने सुना होगा अपने यार दोस्त में कुछ लोग कहते हैं कि हम लोग गुटका नहीं खाते हम तो पान मसाला खाते हैं तो उसके बारे में भी सुन लीजिए देखिए पहली चीज तो एक ऑर्गेनिक पान का पत्ता छोड़ के कुछ भी आप खाते हैं आपके लिए नुकसान ही करता है ये जो सुपड़ी होती है लोग बड़े मजे से खाते हैं डूओ ने इसको एक कंफर्म सब्सटेंस बताया है कैंसर के लिए ज्यादा खाने से इसको इनसेंसटिविटी बढ़ जाती है स्पाइसी फूड खाने में दिक्कत होती है और आगे चलके कैंसर बनने के चांसेस बढ़ जाते हैं दूसरी चीज ये जो एक एक 22 रप की ये जो पान मसाले की पुड़िया मिलती हैं इनकी शेल्फ लाइफ ज्यादा चले ये ज्यादा दिन तक चले इसलिए इसमें मैग्नीशियम डाला जाता है और आप बार-बार इसको खाओ आपको इसकी आदत लगे और धीरे-धीरे करके आप गुटके पे शिफ्ट हो इसके लिए इसमें निकोटीन यूज होता है और ये दोनों प्रोडक्ट बैन है लेकिन उसके बाद भी ये कंपनीज इसमें डालती हैं इसको यूज करती हैं इसमें और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि 15 कंपनियों के ऊपर छापे पड़े तो इनकी जब लैब टेस्टिंग हुई तो उसके अंदर मैग्नीशियम और निकोटीन दोनों पाए गए और इसके बाद भी ये लोग रुक नहीं रहे हैं इन्होंने एक नया तरीका निकाला है लाइम पाउडर के साथ इन्होंने कुछ ऐसे केमिकल्स यूज करना शुरू कर दिए हैं जो शुरू में मैग्नीशियम नहीं दिखाएंगे लेकिन जब आप उसको मिक्स करेंगे और खाएंगे तब वो मैग्नीशियम बन जाएगा मतलब कि जो प्रोडक्ट बैन है वो मुंह में जाने के बाद बनेगा इसलिए उसकी टेस्टिंग ही नहीं हो सकती और ये जो बोलते हैं ना कि हम खाली पान मसाला खा लेते हैं ओकेज खाते हैं गुटका नहीं खाते हैं उनको समझाइए कि इससे प्री मलगन कंडीशन शुरू हो जाती है इसलिए आप देखोगे पान मसाला और गुटका खाने वालों के मुंह इतना छोटा हो जाता है कि फोर फिंगर टेस्ट तक में फेल हो जाते हैं मुंह ही नहीं खुल पाता है विनय तिवारी नाम के गुटका बिजनेसमैन थे पहले जिनको 2011 में ओरल कैंसर हो गया और इस ओरल कैंसर होने के बाद इन्होंने इस पूरी गुटका इंडस्ट्री की पोली खोल दी इन्होंने ये कहा कि गुटका महंगा ज्यादा नहीं किया जा सकता क्योंकि जो लो क्लास इसको खाता है उसको खरीदना बंद कर देगा सेल पे बहुत ड्रास्ट्रिंग पे मैग्नीशियम कार्बोनेट यूज कर लिया जाता है गैमर और भी कई सारे केमिकल यूज़ किए जाते हैं जो खाने के लिए बने ही नहीं नहीं है उनको सिर्फ इसलिए डाला जाता है ताकि गुटके का फ्लेवर मेंटेन हो और इन्होंने ये कहा कि अगर ऐसा नहीं करेंगे तो इनकी मजबूरी है क्योंकि वरना पैसा बढ़ाना पड़ जाएगा इनका नुकसान हो जाएगा इन्होंने ये कहा कि अगर कोई भी अगर लॉजिक लगाएगा तो उसको पता चल जाएगा ये जो केसर फ्लेवर्ड गुटका है इलायची या गुलाब गुटका है इसको कंपनी एक 22 में कैसे बेच सकती है 1 किलो केसर की जो कॉस्ट होती है वो लाखों में होती है लेकिन उसका जो केमिकल सब्सीट्यूट होता है वो 00 किलो में मिल जाता है इलायची का जो केमिकल फ्लेवर होता है वो ₹1500000 और आपस में कंपटीशन इतना ज्यादा है कि जितने गुटका मैन्युफैक्चरर हैं उनकी मजबूरी बन गई है ऐसे केमिकल सब्सीट्यूट्स को यूज़ करना जिनकी वजह से कैंसर होते हैं हेल्थ पे बहुत बुरा असर पड़ता है ये जो गुटका वगैरह खाते समय जो फ्लेवर का जो टेस्ट आता है ये सारा का सारा नॉन फ्रूट ग्रेड केमिकल से बनता है जो कि चाइना से आता है नॉन फ्रूट ग्रेड केमिकल कहने का मतलब मेरा यह है कि ऐसी चीज जो खाने के लिए बनी ही नहीं है एक तो टोबैको अपने आप मेंही इतना ज्यादा खतरनाक चीज होती है और उसमें ये जो केमिकल मिला दिए जाते हैं उससे ये और खतरनाक हो जाता है इंडिया के अंदर 27 करोड़ लोग किसी ना किसी तरीके से टोबैको को कंज्यूम कर रहे हैं और स्टडी के हिसाब से हर तीसरा बंदा मतलब अगर तीन लोग टोबैको खा रहे हैं तो उसमें से हर तीसरा बंदा टोबैको की वजह से अपनी जान खो देता है और इस डिटेल के हिसाब से इंडिया के अंदर 90 मिलियन लोगों की जान अभी खतरे में पड़ी हुई है अगर आपके घर में कोई खाता होगा तो उसको समझाइए जरूर लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं कि कुकू एफएम की बाइट मिनी हैबिट्स एक बार जरूर सुनिए विद इन 15 मिनट आपको पूरी बुक की नॉलेज मिल जाएगी थैंक यू AcdLji_Umn4,How did the name India originate? | Nitish Rajput | Hindi,2023-09-18T14:30:13Z,PT22M35S,2957084,131187,11585,https://www.youtube.com/watch?v=AcdLji_Umn4,, लेकिन जब बटवारा हो रहा था तो उसे टाइम पे जिन्ना से एक ऐसी गलती हुई और यही बहुत बड़ा रीजन था जिसकी वजह से जिन्ना और नेहरू जी दोनों इंडिया ब्रांड के लिए लाड रहे थे लेकिन इसमें एक इंटरेस्टिंग बात ये है की इस पिटीशन को बीजेपी गवर्नमेंट ने उसे टाइम पे अपोज किया था और सुप्रीम कोर्ट को कहा था की अगर हमारी वजह से नाम चेंज कर रहे हो तो भैया बिल्कुल मत करो हम तो एक मीटिंग करेंगे इंडिया की जगह भारत कर देंगे देखिए देश का जो नाम बदलना है वो ऐसा नहीं है की बस लेटर हेड पर नाम लिखा और बादल दिया जितना काफी गुस्सा हो गए थे जब उनको इस चीज के बड़े में पता चला डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने सबको वहीं पर रॉक दिया इनफैक्ट हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का जो हिंदी वर्जन है उसमें लिखा है भारत अर्थात इंडिया देखिए आज भी हम में से कोई लोग समझते हैं की इंडिया जो नाम है ये ब्रिटिश ने दिया है जो की गलत है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है की इंडिया और भारत दोनों नाम में से एक्चुअल नाम कौन सा उसे होना चाहिए लीगल स्टेटस क्या है इन दोनों का जब ये दोनों नाम रखें जा रहे थे तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे पार्लियामेंट के अंदर क्या-क्या डिस्कशन हुए और क्यों सिर्फ यही दोनों नाम रखें गए हैं जिन्ना को क्यों बड़ा ग रहा था जब हमने इंडिया नाम उसे किया ऐसा क्या फायदा हो रहा था उसे टाइम पे इंडियन नाम रखना से तो जिंदा और नेहरू जी दोनों इसके पीछे पड़े हुए थे और ये जो इंडिया वर्सेस भारत का करंट इशू चल रहा है वो है क्या ये सब आज आपको बहुत ही अच्छे से समझ में ए जाएगा की हम जी देश में रहते हैं उसका नाम रखना के पीछे असली वजह क्या है और ये नाम आई कहां से इंडिया वर्सेस भारत विवाद पर बोले हैं स्टेशन कर इंडिया डेट इस भारत विच इस देवर इन डी कॉन्स्टिट्यूशन कल मां लीजिए इस इंडिया एलियंस ने अपना नाम बादल के भारत रख लिया ओके भारत भी बादल देंगे देखिए सिंधु नदी इंडिया और भारत के नाम को लेकर मल्टीपल स्टोरी है लेकिन एक स्टोरी जो है उसको सबसे ऑथेंटिक माना जा सकता है क्योंकि उसका आज की डेट में भी रिटर्न प्रूफ है ऋग्वेद के मंडल सेवन और मंडल में अभी बताऊंगा मैं आपको आगे तो थोड़ा सा वैदिक आगे में जाना पड़ेगा हमें देखिए ये है सिंधु नदी जो तिब्बत से निकाल के पाकिस्तान वाले एरिया से होते हुए अब सिम में गिरती है फिर ये यहां से झेलम नदी निकलते है फिर यहां से चेनाब नदी निकलते है और ये दोनों आपस में मिल जाति हैं और फिर ये निकलते है यहां से रवि नदी और ये जो आप देख रहे हैं यहां से निकलते है व्यास नदी और सतलुज जो है वो यहां से निकलते है ये पांचो मिलकर सिंधु नदी में मिल जाति हैं और ये साइड से यहां से आई है सरस्वती नदी तो ये टोटल मिल के साथ नदियां हैं अब ये यहां पे हरियाणा और पंजाब के पास में एक एरिया था और इस एरिया को सप्त सिंधु कहा जाता था ये जो सप्त सिंधु का रीजन है इसको लेकर अलग-अलग थ्योरी है तो एक्चुअल एरिया कौन सा है इसको लेक हर जगह पे आपको कनफ्लिक्ट मिलेगा इसलिए फली आपको मैं दिखा रहा हूं आप क्योंकि यहां पे साथ नदियां हैं और सिंधु को में नदी माना गया तो इस एरिया को सबसे सिंधु कहा जान लगा और सप्त सिंधु जो एरिया था यहां पर ट्राइब रहती थी यानी की जनजाति रहती थी उसका होम लैंड था और उसे स्ट्रिप का नाम था भारत और इस भारत का ट्राइब के जो राजा थे वो थे राजस्वश तो ट्राइब जो थी उसका नाम था भारत और ज्योग्राफिकल एरिया जहां पर ट्राई रहती थी उसको बोला जान लगा सप्त सिंधु ये चीज याद रखिएगा यहां से ही इंडिया और भारत दोनों के नाम निकलते हैं अभी आगे बताऊंगा आपको अब इसके बाद होता क्या है की अराउंड 14 सेंचुरी का टाइम था और इस भारत का ट्राइब के ऊपर वेस्ट की तरफ से पूर्व ड्राइव थी एक उसने नो और ट्राइब के साथ मिलकर यानी की टोटल 10 ड्राइव एक साथ मिलकर इन्होंने भारत का टाइप पे हमला कर दिया ये बहुत ही फेमस लड़ाई है इसको बैटल ऑफ 10 किंग के नाम से जाना जाता है ऋग्वेद के सेवंथ मंडल में जैसा लिखा है वैसा ही स्टेप बाय स्टेप आपको मैं बता रहा हूं तो ये जो लड़ाई हुई ये रवि नदी के पास में हुई लेकिन हुआ क्या इसमें की इस लड़ाई में सप्त सिंधु किंगडम के जो भारत थे उन्होंने इन 10 टाइप्स को एक साथ हर दिया और इनको हारने के कुछ दिन बाद ईस्ट के एरिया में एडजस्ट सिग्रस और यश को भी हर दिया तो इस तरीके से काफी एरिया ए गया था भारतीय ट्राइब्स के पास और इन्होंने इंडिया का पहले अंपायर बनाया जिसमें जियोग्राफिक ये अंपायर सप्त सिंधु नाम से फेमस हुआ और जो इनकी ट्राई यानी की इस अंपायर के लोग थे वो भारत का नाम से फेमस हुए तो उसे टाइम पे एक रिचुअल फॉलो किया जाता था उसे रिचुअल में ये था की जो राजा जीत जाता था वो एक यज्ञ करवाता था आशु मेधा यज्ञ जिसमें एक यज्ञ करवा के एक वाइड घोड़ा छोड़ दिया जाता था उसे घोड़े के साथ काफी सिपाही भी रहते थे जिस-जिस एरिया में वो घोड़ा जाता था वो एरिया उसका हो जाता था और अगर कोई राजा इसके अगेंस्ट में खड़ा होता था तो उसको इन सिपहिया से लड़ना होता था इस यज्ञ का जो स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस है वो यजुर्वेद में है तो शॉर्ट में मैं आपको बता दे रहा हूं तो भारतीय टाइप के जो राजा थे उन्होंने ये यज्ञ करवाया और ऐसा करके सप्त सिंधु किंगडम बहुत ही तेजी से फैलने लगा उसे टाइम पे होता क्या था की जो भी राजा जीता था वो हरि हुई जो ट्राइब रहती थी उनके ऊपर अपना ट्रेडीशन अपनी सोच अपने देवी देवताओं को तोक देता था लेकिन भारतीय टाइप के जो राजा थे राजा सुधा उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि जितनी भी टाइप को हराया सबको एक साथ लेक अपना ट्रेडीशन अपनी सोच अपने देवी देवताओं को थोपना की बजे साड़ी ट्राई जिसमें हरि ट्राइब भी थी उन सब के जो पढ़े लिखे लोग थे जो नॉलेज लोग थे उनकी नॉलेज पूजा करने का तरीका इन साड़ी चीजों को जोड़ के इकट्ठा किया और वेद बनाए अब क्योंकि अपने ट्रेडीशन किसी को नहीं छोड़ना था और अपने देवी देवताओं की जो पूजा वगैरा थी वो कर सकते थे तो ये जो अंपायर था इस अंपायर के साथ बहुत साड़ी जाके जुड़ी है और ये अंपायर बहुत तेजी से फैला और इस पूरे अंपायर के जो लोग थे वो भारतीय कहलन लगे और जो लैंड था वो सप्त सिंधु कहलन लगा ये जो पार्ट में बता रहा हूं जो अभी आगे आने वाला है ये मैंने लैंड ऑफ सेवन रिवर करके बुक है उससे लिया है अभी जो ट्राई थी ये जो अंपायर था इसके लोग तो अपने आप को भारतीय मानते थे लेकिन ज्योग्राफिकल लोकेशन जो थी उसको सख्त सिंधु कहा जाता था तो जो बाहर के लोग थे वो सिंधु नदी के इस साइड जो लोग रहते थे उनको सप्त सिंधु नाम से जानते थे अब इसके बाद होता क्या है की जो परसंस थे उनके साथ दिक्कत ये थी की वो एस को हा की तरह बोलते थे इसलिए पूरे मिडिल ईस्ट में सप्त सिंधु जो था वो हफ्ते हिंदू बोला जान लगा और इस पुरी कहानी का जो कन्फॉर्मेशन है अगर आप ईरानी रिलिजियस टेक्सटबुक्स जो है आवेश था को देखोगे तो उसमें भी होप हिंदू है और आगे चल के जो पते हिंदू है ये शॉर्ट में हिंदू नाम से ज्यादा फेमस होने लगा और इसी हिंदू से कई लोगों ने हिंदुस्तान भी बोला अब इसके कुछ टाइम बाद ये जो शब्द है हिंदू ग्रीक ने इसको उसे किया अब ग्रीक के साथ दिक्कत ये थी की वो हा बोल ही नहीं पाते थे और उनके अल्फाबेट्स में प्रॉपर यू तक नहीं था इसलिए हिंदू जो नाम था वो आगे चल के बोला जान लगा सिंधु और फिर इसी सिंधु की जो आगे चल के लैटिन फॉर्म बनी वो इंडिया बनी तो सप्त सिंधु पर्शियन एस नहीं बोल पाते थे तो हफ्ते हिंदू बना फिर ग्रीक्स के पास जो हा और योगी दिक्कत आई तो इंडोस बना और फिर इसकी लैटिन फॉर्म जो थी वो इंडिया बनी तो इसको अगर आप ध्यान से देखो तो इंडिया और भारत वर्ल्ड जो है वो दोनों एक ही जगह से निकले हैं तो ये जो पूरा आइडिया ऑफ इंडिया है ये किसी बाहर वाले नहीं दिया था बल्कि मिस प्रनंसीएशन की वजह से हुआ था और इसको ब्रिटिश ने भी नहीं दिया था ब्रिटिशर्स ने भारत की जगह इंडिया वर्ल्ड उसे किया था लेकिन उन्होंने ये नाम दिया नहीं था खुद से इसमें एक स्टोरी अगर आप और सर्च करोगे तो वो भी मिलेगी जिसमें ये है की इसी टाइप से आगे चल के राजा भारत आए और ये क्षत्रिय डायनेस्टी के बहुत ही सक्सेसफुल राजा मैन जाते इन्होंने अफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका म्यांमार ईरान के एरिया को एक सिंगल रूल के अंदर कंबाइन करने का कम किया था तो ये इतनी बड़ी जमीन इन्होंने एक्वायर की थी इसको भारत वर्षा भी कहा जाता था मतलब की राजा भारत की जो जमीन थी उसको अदा सिंगल एंटी रिप्रेजेंट किया गया तो ये जो कहानी है ये भी इसका एक्सटेंडेड वर्जन मनी जाति है इसके बाद सिकंदर ने जब थर्ड सेंचुरी ई में इंडिया को एवढे किया तो सिंधु नाम फेमस हुआ भारतीयों का क्योंकि इमेज मुगलसराय तो हिंदुस्तान वर्ल्ड जो है वो फेमस हुआ और उसके बाद जब ब्रिटिशर्स आए तो ब्रिटिश इंडिया बोला जान लगा ब्रिटिर्स के 200 साल राज करने के बाद टाइम आता है बटवारे का और इस टाइम पे ब्रिटिश इंडिया जो नाम था वो पूरे वर्ल्ड में फेमस हो चुका था लेकिन जब बटवारा हो रहा था तो उसे टाइम पे जिंदा से एक ऐसी गलती हुई और उसे गलती के बड़े में आज भी पाकिस्तान में बात होती है बंटवारे के टाइम पे जिंदा नहीं अपने देश का नाम पाकिस्तान रखा और ये असम कर लिया की नेहरू जो है वो अपने देश का नाम भारत ही रखेंगे क्योंकि पूरे सनस्क्रीन बुद्धेश जैन स्क्रिप्चर्स हर जगह भारत का ही नाम था इंडिया नाम कहानी भी मेंशन नहीं था और जिन्ना ये सोच रहे थे की नेहरू कभी इंडिया अपने देश का नाम नहीं रखेंगे एक तरफ पाकिस्तान होगा और दूसरी तरफ हिंदुस्तान होगा इस असुंप्शन की वजह से शुरू में कोई भी बहस नहीं हुई लेकिन नेहरू जी ने माउंटबेटन जो थे उससे पहले से ही बात कर ली थी इंडियन नाम को लेकर अब होता क्या है की सितंबर 1947 की डेट थी करीब आजादी से एक महीने बाद की बात थी लॉर्ड माउंटबेटन ने मोहम्मद अली जिन्ना को एक आर्ट एग्जीबिशन था उसका ओनर यदि प्रेसिडेंट बने के लिए इनवाइट किया और एक बढ़िया सा इनविटेशन कार्ड भेजो और उसे इनविटेशन कार्ड में लिखा था ये एग्जीबिशन डोमिनियंस ऑफ इंडिया और पाकिस्तान की है अब ये देख के जितना बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए की हिंदुस्तान या भारत की जगह नेहरू ने इंडियन नाम ले लिया है और इसके बाद जिन्होंने तुरंत माउंटबेटन को लेटर लिखने हैं की बड़े अफसोस की बात है की किसी मिस्टीरियस रीजन की वजह से हिंदुस्तान ने इंडिया वर्ल्ड को अडॉप्ट कर लिया जो मिसालीडिंग है और ये कन्फ्यूजन पैदा करेगा ये चीज माउंटबेटन ऑफीशियली भी कहीं है की जितना काफी गुस्सा हो गए थे जब उनको इस चीज के बड़े में पता चला था अब आप खाओगे की इंडिया नाम में ऐसा क्या था जो जिन्ना और नेहरू जी दोनों लेना चाहते थे देखिए इतने साल हो गए थे इंडियन नाम की एक हिस्टर मेडिकल सुपरमेसी कायम हो गई थी इंडिया एक ब्रांड बन चुका था इंडियन सबकॉन्टिनेंट की एक हिस्टोरिकल लिगसी बन चुकी थी इस नाम की और नेहरू जी का इंडिया नाम अडॉप्ट करना और जिन्ना का पाकिस्तान नाम रखना जो ओवर वर्ल्ड में ऐसा गया जैसे पाकिस्तान इंडिया से अलग हुआ है जबकि जितना ये चाहते थे की इंडिया नाम जो है वो कोई उसे ना करें ताकि ऐसा लगे की दो देश से तेनजेंट पे अलग हुए हैं ऐसा बिल्कुल नहीं लगा चाहिए की पाकिस्तान एक बड़े देश इंडिया जिसकी इतनी पुरानी लगी सी है उससे अलग होकर बना है और इस नाम का एक एडवांटेज भी था की जहां जहां पे ब्रिटिश इंडिया नाम और टाइटल उसे हुआ था इंडियन आर्मी से लेकर उन तक वो सब इंडिया नाम से रिप्लेस हो गया था ब्रिटिश इंडिया अब इंडिया बन चुका था इस तरीके का मैसेज किया था और जिन्ना ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहते थे इसको ऐसे समझ लीजिए की कोई ब्रांड है केएफसी मां लेते हैं उसका जो ओनर है वो अपने एक बेटे को केएफसी देता है अपने दूसरे बेटे को ऐसे ही डॉ भी नाम से एक ब्रांच खोल के दे देता है तो लोग तो केएफसी को ही जानते हैं ना इसीलिए दूसरा बच्चा का रहा है की ये केएफसी जो नाम है या तो मुझे दे दो या फिर किसी को मत दो जिन्ना ने यहां तक का दिया था की ये जो इंडिया नाम है ये सप्त सिंधु से बना है इसकी जो में नदी सिंधु है यह पुरी की पुरी पाकिस्तान से होकर गुजराती है तो लॉजिकल भी इस नाम पे पाकिस्तान का हक होना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और यही रीजन है की पाकिस्तान आज की डेट में भी का रहा है की अगर इंडिया भारत नाम चेंज करवाइए उन में तो इंडिया नाम हम ले लेंगे और ये जो साड़ी चीज मैंने आपको भी बताई है ये सब आपको बुक एक है इंडिया एन हिस्ट्री बाय जॉन की इसमें सब मिल जाएगा और पेज 56 और 58 में से ज्यादा ज्यादा चीज उठाइए मैंने अब देखिए नाम जो था वो नेहरू जी ने ले तो लिया था लेकिन इस नाम को किस तरीके से उसे किया जाएगा इस पे भी फैसला होना था और इसके बाद डेट आई है 17th ऑफ सितंबर 1949 और इस दिन कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल एक में देश का नाम लिखा जाना था तो उसे दिन 17थ ऑफ सितंबर 1949 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने आर्टिकल वन का फाइनल वर्जन कौन सी इवेंट असेंबली में पेस किया जिसमें भारत और इंडिया दोनों नाम थे उन्होंने आर्टिकल वन थे क्लोज़ वन के लिए मोशन मूव किया जिसमें ये था की इंडिया डेट इस भारत शैली बी एन यूनियन ऑफ स्टेट मोशन मूव करने का मतलब है की प्रस्ताव रखना की आर्टिकल एक जो है उसमें ऑनलाइन हनी चाहिए की इंडिया डेट इस भारत और फिर उसके बाद उसे पे बहस होती है और सारे लोग अगर एग्री करते हैं तो उसे आर्टिकल एक में ये लाइन एड हो जाति है तो देखिए उसे टाइम की कांस्टीट्यूएंट असेंबली डिबेट का हर डॉक्यूमेंट डिस्कशन हर शब्द जो जो बोला गया और रिकॉर्ड को प्रिजर्व करके रखा गया ताकि आगे चल के अगर लोग किसी उसमें फैंस हैं किसी दुविधा में फैंस तो ये सारे डिस्कशन जो है उससे समझ सकें की क्या-क्या रीजन रहे होंगे ये नाम रखना के पीछे और ये पूरा डॉक्यूमेंट मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दिया है अगर आपको टाइम मिले तो पढ़िएगा बहुत ही लंबे डिस्कशन के बाद ये डिसाइड हुआ था की नाम क्या होना चाहिए और इसको कैसे लिखना चाहिए कोमा कहां होगा इंडिया पहले आएगा की भारत क्या आएगा ये सर डिस्कशन उसमें है तो डिबेट होती है उसमें और इंडिया डेट इस भारत ये वाला जो मोशन था वो उननीमयसली यानी की बिना किसी अपोजिशन के पास हो गया किसी ने भी इसके खिलाफ वोट नहीं किया और ये चीज कांस्टीट्यूएंट के आर्टिकल वन में एड कर दी गई लेकिन ये जो पूरा डिस्कशन हुआ था उसे टाइम पे बहुत ही लॉजिकल और इंटरेस्टिंग था मैं थोड़ा सा शॉर्ट में आपको बता देता हूं तो जैसे डिस्कशन शुरू होता है उसमें जनता पार्टी के व कामत जी इन्होंने की जब एक बच्चा पैदा होता है तो उसका नया नामकरण होता है ऐसी हमारा नया देश बना है तो हमारा जो देश है इसका नाम भी भारत भारतवर्ष भारत भूमि भारतीय इस तरीके के कुछ होना चाहिए इसी तरीके से बाकी कुछ लोग भी का रहे थे की हिंद या फिर हिंदुस्तान होना चाहिए तो इस चीज पे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने सबको वहीं पर रॉक दिया उन्होंने कहा की ये सब जो बातें आप कर रहे हैं कहानी और इंटरेस्टिंग ग शक्ति हैं लेकिन अभी जो डिस्कशन चल रहा है वो इंडिया और भारत पे चल रहा है तो नाम इंडिया या भारत होगा उसपे बात कीजिए इसमें कांग्रेस के गोविंद दास जी थे उन्होंने कहा की इंडिया डेट इस भारत को ठीक है लेकिन इसकी जगह भारत डेट इसे नॉन एस इंडिया इन फॉरेन ये होना चाहिए उन्होंने इसमें ये भी कहा की भारत माता जय की नारे लगा के हम लोगों ने आजादी की लड़ाई की है तो ऐसा रहेगा तो ज्यादा बढ़िया रहेगा इसमें कमलापति त्रिपाठी जी ने कहा भारत डेट इसे इंडिया ये होना चाहिए जो आप पहले इंडिया लगा रहे हो ये गलत है भैंस तो बहुत डर तक हुई वोटिंग के टाइम पे लेकिन सबने इंडिया डेट इस भारत इसके लिए एग्री कर गए और एक भी आदमी ऐसा नहीं था जिसने इसके अगेंस्ट में वोटिंग की और उसे दिन से ज्यादातर ये हुआ की हिंदी में अगर कुछ लिखना होता था तो भारत शब्द उसे होता था और जब इंग्लिश में कुछ लिखा जाना था तो उसमें इंडिया शब्द उसे हुआ अगर आप पासपोर्ट देखो कोई लेटर है प्रेसिडेंट का या फिर इंडियन ई देखोगे जहां भी हिंदी लिखा हुआ है वहां पे भारत लिखा हुआ है और जहां पे इंग्लिश है वहां पे इंडिया लिखा हुआ है इनफैक्ट हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का जो हिंदी वर्जन है उसमें लिखा है भारत अर्थात इंडिया और इंग्लिश वर्जन में इंडिया डेट इस भारत तो इस चीज को हम लोग एक अनसरेड कम्युनिकेशन में फॉलो करते आए हैं तो खाने का मतलब ये है की उसे दिन से आज तक भारत और इंडिया ये जो दोनों नाम है कोई भी उसे किया जा सकता है अब भारत और इंडिया का जो नाम है इसको लेक 2016 तक कोई डिस्कशन नहीं हुआ कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन मार्च 2016 में एक पल डाली सुप्रीम कोर्ट के अंदर की इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दो इस पल को के जस्टिस स ठाकुर और जस्टिस यू यू ललित ने सुना और पल सुन के जिसने पिटीशन डाली थी उसको एक तरह से फटकार लगे जस्टिस ठाकुर ने कहा की कोई अथॉरिटी कोई स्टेट हो कोई कोर्ट हो किसी के पास ये पावर नहीं है की वह यह ते करें की किसको क्या बोलना चाहिए लोग अपनी मर्जी से ये ते कर सकते हैं की उनको भारत बोलना है या फिर इंडिया लेकिन इसमें एक इंटरेस्टिंग बात ये है की इस पिटीशन को बीजेपी गवर्नमेंट ने उसे टाइम पे अपोज किया था और सुप्रीम कोर्ट को कहा था की ऐसे कोई सरकमस्टेंसस नहीं बदले हैं की हमको कॉन्स्टिट्यूशन अमेंड करके देश का नाम बदलने के बड़े में सोचना पड़े| इसके बाद 2020 में फिर से परडीसन डाली गई लेकिन इस बार क्या हुआ की सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से ही माना कर दिया तो वो बात भी आई गई होगी अब इसके 3 साल बाद यानी की 2023 करंट सिचुएशन में आते हैं तो जून 2023 के बाद आपको ऑलरेडी पता ही होगा की 28 पॉलीटिकल पार्टी पटना बैंगलोर मुंबई में तीन मीटिंग करती हैं और एक एलाइंस बनती हैं इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलियंस डेट इस इंडिया और इसका परपज ये था की 2024 का जो इलेक्शन है उसमें ये लोग मिलकर लड़ेंगे तो ये साड़ी चीज चलती रहती हैं लेकिन 31 अगस्त 2023 को पार्लियामेंट मिनिस्टर जो है वो एक ट्वीट करते हैं और उसे ट्वीट में लिखा था की इस बार सेशन ऑफ पार्लियामेंट बुलाया जा रहा है और उसकी जो डेट होगी वो 18th ऑफ दिसंबर 2023 से 22 सितंबर 2023 तक रहेगी अब देखिए जब तक कोई बड़ा मुद्दा ना हो पार्लियामेंट का जो स्पेशल सेशन है ऐसे लाया नहीं जाता है कुछ ही महीने में रेगुलर पार्लियामेंट्री सचिन जो है वो भी होने वाले थे तो अचानक से इस ट्वीट के बाद ट्रेड चलने लगे ट्विटर पे मीडिया में हल्ला होने लगा डिस्कशन होने लगे हैं डिबेट होने लगे किसी ने कहा की वन नेशन वन इलेक्शन होगा किसी ने उच्च की बात की और अलग-अलग गैस करने लगे लोग और ज्यादातर लोग यह गैस कर रहे थे की ये जो वन नेशन वन इलेक्शन है इसी की वजह से स्पेशल सेशन जो है वो रखा गया है अब 31 अगस्त को ये ट्वीट आता है और नो से 10 सितंबर तक जी-20 होना था तो जब जी 20 होता है तो जितने भी इंडिया के नेता होते हैं उनको प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया जो है वो इनविटेशन भेजते हैं अब क्योंकि इनविटेशन जो है वो प्रेसिडेंट भेज रहे हैं तो उनका नाम भी इस इनविटेशन कार्ड में होता है तो हमारे देश के जो प्रेसिडेंट हैं उन्होंने जो इनविटेशन लेटर भेजो था वो आउट हो गया था और उसके आउट होते ही वायरल हो गया वो इनविटेशन जो था प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा था उसमें और सब में हल्ला हो गया की कोई वन नेशन अपने इलेक्शन की बात नहीं हो रही है यह लोग यह जो स्पेशल सेशन है इसमें देश का नाम ही चेंज कर देंगे और मोदी जी जब जी-20 में बैठे थे तो आप लोगों ने देखा होगा की उसे टेबल के ऊपर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था तो इस पे और हल्ला होने लगा अब इस पे अपोजिशन नहीं लगा क्योंकि हमने अभी हाल ही फिलहाल में इंडियन नाम से एक एलाइंस बनाया था उसकी वजह से ये लोग इंडिया का जो नाम है वही चेंज कर देंगे और साथ में ये भी कहा की अगर ऐसा कर रहे हैं तो बिल्कुल मत करना क्योंकि अगर आप भारत नाम चेंज करोगे तो हम जो अपने एलियंस का नाम है भारत कर देंगे तो एक ट्वीट और एक इनविटेशन लेटर जो था उसकी वजह से पूरे देश के अंदर इतनी बड़ी डिबेट स्टार्ट हो गई की देश का नाम इंडिया होना चाहिए या फिर भारत होना चाहिए इस पे दोनों तरफ से अलग-अलग तरीके से डिबेट शुरू हो गई की आर्टिकल वन में इंडिया डेट इस भारत लिखा है तो उसका मतलब दोनों नाम उसे हो सकते हैं किसी ने कहा नहीं इंडिया उसे होगा अलग-अलग डिबेट शुरू हो गई तो देखिए कॉन्स्टिट्यूशन में इंडिया डेट इसे भारत है अगर हिंदी वर्जन देखोगे तो भारत अर्थात इंडिया ये दोनों नाम इंटरचेंज हो के बड़े आराम से उसे हो सकते हैं जिसका जो मां करें वो उसे कर सकता है लेकिन दिक्कत तब आई है अगर कोई एक है की सिर्फ इंडिया ही नाम होना चाहिए या फिर ये कहे की सिर्फ भारत ही नाम होना चाहिए अगर गवर्नमेंट ने ये सोच लिया की इंडिया को पुरी तरीके से हटा के भारत करना होगा तो उसके लिए कॉन्स्टिट्यूशन में बदलाव करने होंगे और अगर गवर्नमेंट चाहे तो बड़े आराम से ये चेंज हो सकता है मतलब की इंडिया पुरी तरीके से हटके उसका नाम भारत हो सकता है ठीक है उसके लिए करना क्या क्या होगा देखिए उसके लिए गवर्नमेंट को आर्टिकल वन में अमेंड करना होगा एक बिल लाना होगा लेकिन ये जो बिल होगा ये नॉर्मल बिल की तरह पास नहीं होगा तो होता क्या है की पार्लियामेंट के अंदर अगर कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर अगर कोई अमेंडमेंट कर रहे हैं तो आर्टिकल 368 के हिसाब से दो तरीके होते हैं तो पहले सिंपल मेजॉरिटी अमेंडमेंट और दूसरा होता है स्पेशल मेजॉरिटी अमेंडमेंट मां लो अगर कोई नया स्टेट बनाना है या फिर किसी स्टेट की राज्यसभा की सीट है उनको बढ़ाना है तो ये सब एक सिंपल मेजॉरिटी अमेंडमेंट जो है उससे हो जाता है इसमें बस इतना चाहिए होता की 50% पार्लियामेंट का सपोर्ट चाहिए होता है लेकिन स्पेशल मेजॉरिटी अमेंडमेंट के कैसे में क्या होता है 23rd यानी की 66% पार्लियामेंट के लोग सपोर्ट में होने चाहिए तो अगर भारत नाम रखना है तो ये दूसरा वाला स्पेशल मेजॉरिटी अमेंडमेंट यह चलेगा मतलब की 66% पार्लियामेंट सपोर्ट में होना चाहिए और एक्सपर्ट का ये भी कहना है की देश का नाम जब भी चेंज होगा तो उसे कैसे में आधे जो स्टेट हैं उनका भी अप्रूवल चाहिए होगा ये साड़ी चीज देख के पाकिस्तान भी इसमें घुसा पाकिस्तान की स्टोरियां है आयशा सिद्दीका इन्होंने कहा की अगर इंडिया ऐसा करेगा तो पाकिस्तान की एक लंबी जो इच्छा है ना उसका नाम इंडिया रखना की वो पुरी हो जाएगी और इधर इंडिया एयरलाइंस के जो नेता हैं वो भी ये का रहे हैं की अगर हमारी वजह से नाम चेंज कर रहे हो तो भैया बिल्कुल मत करो हम तो एक मीटिंग करेंगे इंडिया की जगह भारत कर देंगे अब देखिए इसमें ऐसा नहीं है की इंडिया पहले कंट्री होगी जिसने अपने देश का नाम चेंज कर दिया है 1989 में बर्मा ने म्यांमार कर दिया अपने आपको जनवरी 2020 में हॉलैंड के दोनों नॉर्थ और साउथ रीजन को नीड डी लैंड में मर्ज कर दिया गया था 19 सेंचुरी में ब्रिटिश अंपायर ने जो श्रीलंका है अभी उसका नाम से लॉन्च कर दिया था बाद में उसको चेंज करके फिर से श्रीलंका कर दिया गया 1935 में पर्चा की सरकार ने परीक्षा को ईरान बुलाया डी फ्रेंच रिपब्लिक अपने आप को फ्रेंच कहलाता है देखिए नाम तो बहुत बार चेंज हुए हैं लेकिन इसके साथ-साथ एक और इंटरेस्टिंग फैक्ट है की जो बहुत बड़ी-बड़ी कंट्रीज है उनके जो नाम है वो भी उनकी कंट्री के नाम नहीं है वो नाम भी उनको दिए गए हैं जैसे की अमेरिका ब्रिटेन जर्मनी ये इनके ओरिजिनल नाम नहीं है इनको जिन्होंने कंक्रीट किया था उन्होंने ये नाम दिया था तो देखिए इंडिया का जो नाम है वो चेंज तो हो सकता है लेकिन अगर नाम चेंज होता है तो उसे कैसे में दिक्कत क्या क्या आएगी देखिए कंट्री का जो नाम है वो एक ब्रांड की तरह क करता है और रिसर्चर जो है इसको कंट्री ब्रांड इक्विटी से कैलकुलेट करते हैं फिलिप कोटलर और डेविड इनके रिसर्च पेपर के हिसाब से एक कंट्री का जो नाम होता है वो किसी भी प्रोडक्ट की वैल्यू को बढ़ता या घटना है जैसे की हम अगर कोई मेड इन स्विट्ज़रलैंड का प्रोडक्ट खरीदने तो उसकी जो ब्रांड वैल्यू है वो मेड इन पाकिस्तान की ब्रांड वैल्यू जैसी नहीं होती है तो कंट्री का जो नाम है वो एक ब्रांड की तरह बन जाता है और जो उसे कंट्री के प्रोडक्ट्स होते हैं उन प्रोडक्ट्स को बाकी देश में हेल्प करता है और कस्टमर के जो परचेसिंग डिसीजंस हैं उनको इन्फ्लुएंस करता है जब लोग किसी देश का नाम लेते हैं तो उससे उन लोगों के मां में उसे देश की जो इमेज होती है वो एक्टिवेट हो जाति है और ये लोगों के परचेज करने के इन्वेस्ट करने के ट्रैवल करने के और किसी देश में जाके बचाने के को भी इंफरेंस करता है इसलिए जब भी किसी कंट्री का नाम चेंज होता है तो उसकी इकोनामी इंपोर्ट एक्सपोर्ट हर चीज पे असर पड़ता है आर्मी की यूनिफॉर्म से लेकर ई तक हर चीज बदलना पड़ती है और जो एक्सपट्र्स हैं स्पीड के उनका ये कहना है की जो कंट्रीज नाम चेंज करती हैं ये उन कंट्रीज के लिए सही राहत है जिनकी बदनामी हुई हो लेकिन जो बड़े और अच्छी इमेज वाले देश हैं वो जब नाम चेंज करते हैं उनको नुकसान होता है और यही रीजन है की जर्मनी ब्रिटेन अमेरिका जिन्होंने इनके ऊपर रूल किया उन्होंने ही ये नाम दिए उनको लेकिन उसके बाद भी इन बड़ी कंट्रीज ने वो नाम चेंज नहीं किया इनफैक्ट मैं अगर इंडिया का भी एग्जांपल लूं तो बंगाल जो है उसके पार्टीशन में कितने साल हो गए जो ईस्ट बंगाल था वो आज की डेट में बांग्लादेश हो चुका है लेकिन इंडिया वाला जो वेस्ट बंगाल है वो अभी तक उसने अपना नाम चेंज नहीं किया क्योंकि बहुत सारे कॉम्प्लिकेशंस है नाम जब चेंज होता है तो इंटरनेशनल नेशनल स्टेट जिला और लोकल लेवल पे चेंज होता है और इंडिया के अंदर नाम चेंज करना बाकी कंट्रीज के कंपेरटिवली और ज्यादा मुश्किल है क्योंकि ये दुनिया का सबसे डायवोर्स नेशंस में से एक है अलग-अलग लैंग्वेज की वजह से हर लैंग्वेज में इसको चेंज करना पड़ेगा हम जब बदलना होता है तो कई सारे केमोन में पैसा खर्च करना होता है मैप्स को अपडेट करना होता है नेवीगेशन सिस्टम जो होता है वो अपडेट होता है अलग-अलग ऑफिसेज में उसे किया जान वाले जो कागज वगैरा होते हैं उनको बदलना होता है इसके अलावा प्राइवेट बिजनेस कॉरपोरेट हाउसेस और नॉन गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट इनका भी खर्चा होता है एक कंट्री के नए नाम के साथ ब्रांड बनाने में से वही दिक्कत आई है जैसे एक कंपनी के ब्रांड बनाने में आई है जैसे वो मैंने केएफसी वाला एग्जांपल दिया था और यही बहुत बड़ा रीजन था जिसकी वजह से जिन्ना और नेहरू जी दोनों इंडिया ब्रांड के लिए लाड रहे थे और ये बात भी सच है की जो जो भारत माता की जय बोलने में आता है भारत वर्ल्ड उसे करने में आता है वो अलग होता है उसकी फीलिंग अलग होती है इससे हमारा कलर भी प्रमोट होता है इससे हमारी हिस्ट्री प्रिजर्व रहती है लेकिन इन साड़ी चीजों के साथ एक कास्टिंग भी जुड़ी है वो भी डिस्कस कर लेते हैं देखिए देश का जो नाम बदलना है वो ऐसा नहीं है की बस लेटर हेड पर नाम लिखा और बादल दिया ये सब कम छोटी-मोटी कंट्रीज तो कर लेती है लेकिन इंडिया जैसी कंट्री जिसका इन्फ्लुएंस आज की डेट में काफी तेजी से बाढ़ रहा है उसके लिए कम आसन नहीं होगा और काफी महंगा सौदा भी होगा 2018 में इलाहाबाद का नाम बादल के प्रयागराज कर दिया गया था तो गवर्नमेंट के जो एस्टीमेट के हिसाब से स्टेट गवर्नमेंट को इसमें 300 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े थे 2018 में एक अफ्रीकन कंट्री थी स्वजीलैंड इसने अपना नाम चेंज करके स्वत ही नहीं रख लिया था साउथ अफ्रीका के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉयर डेरेन ओलिवर ने इसको एक कॉरपोरेशन से कंपेयर करके कितना पैसा लगा एक देश को नाम चेंज करने में उसको कैलकुलेट करने का एक मॉडल बनाया इस मॉडल के हिसाब से एक बड़ी कंपनी की एवरेज मार्केटिंग कॉस्ट उसके टोटल रिवेन्यू की 6% के आसपास होती है और जो री ब्रांडिंग कॉस्ट है वो ओवरऑल मार्केटिंग बजट का 10% हो शक्ति है तो ये मॉडल है इस मॉडल को उठा के आउटलुक मैगजीन ने इंडियन नाम चेंज को एनालाइज किया और उनके हिसाब से इंडिया का नाम बदलने में कम से कम 14000 करोड़ का खर्चा आएगा इंडिया की टोटल रिवेन्यू रिसिप्ट जो है वो 2022 से 2023 में आ 23.84 लाख करोड़ में थी तो इस मॉडल को अगर हम लगे तो उसके हिसाब से 14000 34 करोड़ तो कम से कम खर्चा हो गए थैंक यू [संगीत] cLoXQb5M6oI,Reality of Social Media | Nitish Rajput | Hindi,2023-09-13T14:30:11Z,PT27M3S,3523569,170150,8347,https://www.youtube.com/watch?v=cLoXQb5M6oI,, और सोशल मीडिया कंपनी के ऊपर सिर्फ पॉलीटिशियंस को डाटा बेचे की एलिगेशन नहीं लगता बल्कि देंगे करने के भी एलिगेशन लगता हैं बिग बास्केट के 20 मिलियन कस्टमर का डाटा चूड़ा लिया गया था की ये लोग जो आपका मोबाइल है जो आप अपने दोस्तों से बात करते हैं डिवाइस के थ्रू आपके आवाज भी सुन सकते हैं किसी के लिए बीजेपी देश के लिए थ्रेड है और किसी के लिए कांग्रेस जो है वो देश के लिए फ्लैट है और इस डाटा को खरीद के आपके डिसीजन को मैनिपुलेट कर रहे हैं और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं तो म्यांमार में क्या हुआ की उसे टाइम पे एंटी रोएंगे या फेसबुक के ऊपर पोस्ट बहुत चल रहे थे फेसबुक को जब पता था की देंगे हो रहे हैं उनके पोस्ट की वजह से तो उन कंटेंट को रोकने की बजे उनको वो चीन के अंदर जो टिकटोक है उसका वर्जन एकदम अलग रखती है उस के कंपेरटिवली हम लोग सोशल मीडिया उसे करते हैं फेसबुक वगैरा इसके लिए हमें एक भी रुपया नहीं देना होता है लेकिन इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जो ऑनर्स हैं वो बिलियन ऑफ डॉलर लगा के डाटा सेंटर वगैरा मेंटेन करते हैं ताकि हम लोग फोटो वीडियो ये सब अपलोड कर पाएं खाली फेसबुक की बात करें अगर तो इनके 18 डाटा सेंटर है जिसकी कास्टिंग 20 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है ऐसे ही हर सोशल मीडिया साइट को बिलियन सब दाता लगाने होते हैं तब जाकर एक नेटवर्किंग साइट चल पाती है तो आज की डेट में जहां लोग हवा गुब्बारे में बंद के भेज दे रहे हैं ये लोग साड़ी चीज फ्री में क्यों दे रहे हैं अब आप का सकते हो की हमारा जो डाटा उसे होता है उससे पैसा बनाते हैं और कुछ लोगों का ये भी मानना है की अगर हमारा डाटा ले भी ले तो हमारा तो कोई सीक्रेट है नहीं एक दो ईमेल आईडी नाम अगर आप ले भी जाओगे तो हमारे पास तो कुछ छुपाने को है ही नहीं तो देखिए इतना सिंपल नहीं है आज आपको एक-एक चीज डिटेल में पता चल जाएगी की कैसे आप जो चीज सोच रहे होते हैं इस का एड आपके सामने ए जाता है बीएमडब्ल्यू का एड सिर्फ उसके पास ही क्यों जाता है जो उसको अपलोड कर सकता है गरीब लोगों के पास क्यों नहीं जाता है और ये जो पॉलीटिकल पार्टी है इनका इस डाटा से क्या मतलब ये इस डाटा के पीछे के ऊपर ही है तो साड़ी चीज डिस्कस करते हैं देखिए आज की डेट में अगर मैं आपसे कहूं की सबसे महंगी चीज क्या है तो उसका एक आंसर होगा की अटेंशन अगर किसी भी तरीके से आप लोगों की अटेंशन ले आते हैं तो आपके पास पैसे ही पैसा होगा इतने सारे सपोर्ट होते हैं इंडिया के अंदर लेकिन अटेंशन क्रिकेट को मिलती है क्योंकि क्रिकेट सबसे ज्यादा देखा जाता है इसलिए क्रिकेट के पास ज्यादा पैसा है क्रिकेट के अंदर भी सबसे ज्यादा इंडिया पाकिस्तान के मैच को टेंशन मिलती है इसलिए सारे मैचेस में सबसे ज्यादा पैसा इंडिया पाकिस्तान के मैच से आता है चाहे कोई मूवी हो कोई प्रोडक्ट हो किस एक्टर को ज्यादा पैसा मिलेगा सब डिसाइड होता है की किसके पास ज्यादा टेंशन है अगर आपके पास कोई तरीका है जिससे आप लोगों की अटेंशन खींच सकते हैं तो आप भी मालामाल हो सकते हो क्योंकि दुनिया भर में जो प्रोडक्ट्स बनते हैं चाहे वो अच्छे हो या बुरे हो कंपनी के जो ऑनर्स होते हैं वो घर-घर जाकर उसे प्रोडक्ट को नहीं दिखाई हैं बल्कि जहां पे लोगों की अटेंशन होती है वहां पे जाके उसे प्रोडक्ट को दिखा देते हैं और ऐसे लोगों को प्रोडक्ट के बड़े में पता चला है अगर एक मेट्रो स्टेशन में ज्यादा भीड़ है और दूसरे मेटल क्षेत्र में कम बेड है तो जी मेट्रो स्टेशन में ज्यादा लोग होंगे वहां पे एड दिखाने में ज्यादा पैसा देना होगा अभी अटेंशन का गेम है इसको ज्यादा से ज्यादा दूसरी तरफ करने के लिए बहुत अलग तरीके हैं लेकिन जैसे टेक्नोलॉजी अपग्रेड हुई है सोशल मीडिया आया है इन्होंने इस पूरे गेम को बहुत ही ज्यादा अपग्रेड कर दिया आज की डेट में आप देखोगे की दुनिया की जो अमीरों की लिस्ट है उसमें टेक बिलियन इयर्स भरे पड़े हैं युटुब ट्विटर स्नैपचैट लिंकडइन सब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बिलियन में कमाते हैं फेसबुक के मार्क्स के बाद अमेजॉन की जब बैजर्स गूगल की लारी पेज टिक टॉक पे जग गेमिंग ये सब टैग बिलियनर्स आज के दिन में सबसे पावरफुल लोग हैं तो बेसिकली इन्होंने किया गया इन्होंने अपनी अप के जारी फ्री में सोशल नेटवर्किंग दी थ्री में एंटरटेनमेंट दिया और लोगों का डाटा लिया और फिर उसे डाटा की मदद से लोगों की अटेंशन कंट्रोल की और टारगेटेड एडवरटाइजमेंट चलाएं 2023 में सोशल मीडिया का ओवर जो मार्केट साइज 231 मिलियन डॉलर्स का होने वाला है कई कंट्रीज की तो इतनी जीडीपी नहीं होती है देखिए जब भी आप किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पे अकाउंट बनाते हैं तो आप और सोशल नेटवर्किंग साइट के बीच में एक डील होती है और वो डील ये होती है की आप सोशल मीडिया साइट जो है जो अप है उसको अपना डाटा देंगे और उसके बदले में सोशल मीडिया साइट जो है वो आपको अपनी नेटवर्किंग और एंटरटेन देगी अकाउंट बनाते टाइम टर्म्स और कंडीशन पे जो आप छोटा सा क्लिक करते हो वो एक लीगल एग्रीमेंट पे साइन करना जैसा होता है जो इसी बात की डील करता है ऐसा करके जो सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं ये पूरे वर्ल्ड के लोगों का डाटा इकट्ठा करती हैं उसे डाटा से पेटर्न्स बनती हैं और आपकी हैबिट्स जो है उनको ऑब्जर्व करती हैं और एडवरटाइजर्स के पास जाके उनको अपना प्रोडक्ट बेचे के लिए प्लेटफॉर्म देती हैं इसको आप इस तरीके से समझ लो की आपने खुद की एक सोशल नेटवर्किंग साइट बनाई और पूरे दिल्ली के अंदर उसको फ्री में दे दिया लोग उसको उसे कर रहे हैं और डेली के अंदर एक दूसरे से कनेक्ट हो रहे हैं लाइक कर रहे हैं कमेंट कर रहे हैं और हर चीज से आपके पास डाटा कलेक्ट हो रहा है और अकाउंट बनाने से पहले ही आपने क्लिक कर लिया था की आपका डाटा मैं उसे कर सकता हूं ऐसे करके पूरे डेली के लोगों का डाटा आपके पास ए गया अब उसे डाटा को आपने उठाया और डाटा साइंस और अटेंशन इंजीनियर की मदद से आपको ये पता चला है की दिल्ली के अंदर जो क का एरिया है वहां के लोग काफी ज्यादा पी रहे हैं और एक स्पेसिफिक टाइम पे पी रहे हैं तो आपने क्या किया आप कॉफी के बहुत बड़ी कंपनी के पास गए आप लोग उसे कंपनी से कहा आप ये क्या टीवी में एड दे रहे हो अखबारों में एड दे रहे हो इधर उधर बैनर लगा रहे हो आप ये जो एड्स हैं ये मुझे और मैं आपका एड सिर्फ उन लोगों को दिखाऊंगा जो कॉपी के एडिक्टेड है उनकी हर एक हैबिट मुझे पता है मेरे पास डाटा है और इससे कन्वर्जन बहुत ज्यादा होगा जो ट्रेडिशनल आपका एडवरटाइजमेंट का तरीका है उससे ज्यादा कन्वर्शन होगा और वैसे भी एक अखबार में जो एड दिया जाता है वो दिन में एक या दो बार खुलना है और बाकी टाइम अखबार किसी कोनी में पड़ा राहत है लेकिन एक मोबाइल जो है वो इंसान के सबसे करीब होता है अगर आप किसी के मोबाइल में घुस गए तो फिर इससे पर्सनल और क्या हो सकता है तो इस तरीके से एक बेसिक मॉडल बना जो की अपग्रेड वर्जन एडवरटाइजमेंट का अब आपका ये भी क्वेश्चन हो सकता है की हमने तो जब फेसबुक अकाउंट बनाया था तो बस हमने नाम आगे ईमेल ये दी थी बहुत ज्यादा हुआ था तू फैक्टर ऑथेंटिकेशन के लिए मोबाइल नंबर दे दिया था तो इन साइट्स को हमारे बड़े में इतना कुछ कैसे पता चल जाता देखिए जब आप एक अकाउंट बनाते हो तो आप अपनी बेसिक डिटेल तो देते ही हो लेकिन आप क्या लाइक कर रहे हो किस पोस्ट के ऊपर कमेंट कर रहे हो कितने टाइम एक्टिव हो कौन से दिन उसको उसे नहीं कर रहे हो कौन-कौन सी लोकेशन पे जाके उसको उसे कर रहे हो आप जो सोशल मीडिया के ऊपर इमेज पोस्ट करते हो उसके एग्जिट डाटा से जो आपके जीपीएस कोऑर्डिनेट्स हैं वो पता चल जाते हैं कौन से कैमरा से आपका फोटो लिए वो पता चल जाता है फाइल साइज डेट हर एक चीज पता चल जाति है आप कभी ट्राई करेगा अपनी इमेज को ऑनलाइन एग्जिट डाटा उसका चेक करेगा तब आपको पता चलेगा की आपकी एक पिक्चर में कितनी साड़ी डीटेल्स होती हैं और ये साड़ी डीटेल्स सोशल नेटवर्किंग साइट जो होती है उससेव करके रखती हैं ये लाइक कमेंट शेर बटन ये एक्चुअल में ट्रैक्टर की तरह कम कर रहे होते हैं जो कंटीन्यूअस आपकी हरकतों को आपकी इनफॉरमेशन को सोशल मीडिया साइट्स को दे रहे होते हैं ये जो लाइक और कमेंट शेर करके आप छोटे-छोटे डाटा अपना दे रहे हो सोशल नेटवर्किंग साइट्स को अगर आप ये नहीं डॉग तो आप इनके किसी कम के नहीं हो उसे कैसे में ये जो सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं आपको इनके प्लेटफॉर्म को नहीं उसे करने देगी 2018 में फेसबुक के सीईओ ने एक इंटरव्यू में कहा था की अगर कोई उधर ऐसा का रहा है की हमारा डाटा मत उसे करो एडवरटाइजर्स को मत दो तो उसे कैसे में इस प्लेटफॉर्म को उसे करने के लिए उनको पैसे देने होंगे पहले क्या होता था की जब आप किसी वेबसाइट पे लॉगिन करते थे तो आपको बार-बार डीटेल्स डालनी होती थी मतलब की एक बार डीटेल्स दाल के वेबसाइट लॉगिन की फिर दोबारा साइड खोलोगे तो फिर साड़ी डीटेल्स लॉगिन वगैरा करनी होगी हर बार जब आप वेबसाइट पे जाते थे तो वेबसाइट आपको एक यूनिक यूजर की तरह ट्वीट करती थी वेबसाइट की खुद की मेमोरी नहीं होती थी तो उसको नहीं पता चल पता था जो आदमी अभी वेबसाइट उसे कर रहा है वो पहले उसे करके गया है की नहीं फिर मोटली नाम की एक आदमी कुकीज लेक आए आज की डेट में जब आप किसी वेबसाइट पे जाते हो तो वो आपसे कहता है की एक्सेप्ट कुकीज आपसे परमिशन लेट है तो जैसे ही आप उसको एक्सेप्ट करते हो वेबसाइट आपकी डीटेल्स ब्राउज़र में से कर देता है ये जो कुकीज होती है ये एक तरह से वेबसाइट की मेमोरी की तरह एक्ट करती है अब मां लो आप टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पे गए यहां पे आपने कुकीज एक्सेप्ट कर ली यहां आपकी साड़ी डिटेल जो है वो से हो जाएंगे अब दोबारा आप जब वेबसाइट पे जाओगे तो वेबसाइट आपकी जो डीटेल्स है वो याद रखेगी इस वेबसाइट के पास आपका डाटा से हो गया जो भी डीटेल्स आपने डाली होगी फिर मां लो आप किसी शॉपिंग वेबसाइट पे गए वहां पे आपने जो आपका डेबिट कार्ड है क्रेडिट कार्ड है उसकी डीटेल्स भरनी पड़ेगी तो वो वेबसाइट जो है वो डीटेल्स याद कर लगी फिर एक थर्ड पार्टी को किस भी होती है जिसमें ये वेबसाइट जो है वो आपस में कम्युनिकेशन करती हैं आप कभी-कभी किसी वेबसाइट पे जाते होंगे वहां पे देखते होंगे फेसबुक का लाइक बटन है और जब आप लाइक करते होंगे तो उनके फेसबुक पे ए जाता होगा तो वो थर्ड पार्टी को किस है तो इस तरीके से ये लोग आपस में कनेक्ट रहते हैं और जो इनफॉरमेशन है वो एक दूसरे से शेर करते रहते हैं तो इनको की इसकी मदद से अलग-अलग वेबसाइट पे जो आप दौड़ दौड़ के इनफॉरमेशन देते जाते हो वे सर कुछ ट्रैक करती है जी वेबसाइट पे ज्यादा लोग जाएंगे वहां ज्यादा अटेंशन ज्यादा डाटा और ज्यादा पैसा है इसलिए अलग-अलग तरीके से वेबसाइट आपको ट्राई करते हैं और अपनी वेबसाइट पे बुलाती है यूजर बने को कहती हैं ताकि आपकी ज्यादा से ज्यादा डीटेल्स उनके पास है जितने ज्यादा यूजर्स होंगे उतना ज्यादा डाटा होगा और उतना ज्यादा पैसे होंगे और जब एक बार यूजर्स वेबसाइट पे ए जाता है तो ये वेबसाइट डायरेक्ट एडवरटाइजर्स के पास जाके एड नहीं दिखाई है बल्कि इन एडवरटाइजर्स और वेबसाइट के बीच में होते हैं गूगल ऐडसेंस या फिर फेसबुक ऑडियंस नेटवर्क या फिर माइक्रोसॉफ्ट एडवरटाइजिंग या अमेजॉन एडवरटाइजिंग ये सबके अलग-अलग हैं ये इनका कम एक ही होता है ये एक तरह से मिडिल मां होते हैं वेबसाइट और एडवरटाइजर के बीच में इनका कम होता है की रेलीवेंट एड्स जो है वो वेबसाइट पे लगा के वेबसाइट के यूजर्स को दिखाना और ये साड़ी चीज ये लोग थर्ड पार्टी क्योंकि इसके थ्रू करते हैं ये देखिए टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट मैंने कोली है साइड में जो एड ए रहा है अगर मैं इसके बाद जूते वाली वेबसाइट पे जाऊं और कंटीन्यूअस सर्च करते रहो तो अगली बार जब मैं टाइम से इंडिया की वेबसाइट पे आऊंगा तो जूते से रिलेटेड एड ए सकता है तो इस तरीके से थर्ड पार्टी को इसके थ्रू ये साड़ी वेबसाइट इंटर कनेक्ट रहती है अब इस चीज में आप ये भी का सकते हैं आईडी तो दिखा रहे हैं हम लोग खरीदेंगे ही नहीं इसे हम बाहर जा के खरीद लेंगे इस पुरी चीज को आप ऐसे समझ लो की आप घर में अपने मॉम और दादा के साथ डिसाइड करके निकलते हो की स्कूल के लिए हमें जूते खरीदने हैं और आपके घर के निकालने से पहले ही पूरे मार्केट को पता हो की ये तीनों मार्केट में आके जूते खरीदेंगे और जो दुकानदार ज्यादा पैसे देकर एड दिखाएगा मिडिल मां के थ्रू इस के जूते दिखाएं जाएंगे तो यही रीजन है की आज की डेट में ये जो डाटा है लोगों का डाटा है की मिडिल ईस्ट के तेल से भी ज्यादा वैल्यू रखना है 2017 में डी इकोनॉमिस्ट में एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी जिसमें डाटा को तेल से भी ज्यादा वैल्युएबल कंसीडर किया गया था अब क्योंकि ये डाटा वैल्युएबल होता है तो हैकर्स वगैरा जो होते हैं वो भी अलग-अलग साइड से अटैक करके डाटा चूड़ा भी लेते हैं आईडेंटिटी फ्रॉड वगैरा करने के लिए जैसे मां लो आपने ओला उबर इन सब पे किसी पे प्रोफाइल बनाई और उनके सर्वर पे अटैक करके हैकर्स आपका डाटा चूड़ा ले और उसको चुराने के बाद ये जो हैकर्स होते हैं या तो उसे डाटा को बीच देते हैं या फिर आईडेंटिटी फ्रॉड वगैरा करते हैं जैसे 2021 में और इंडिया के 4.5 मिलियन कस्टमर का डाटा हैकर चूड़ा कर ले गए थे ये लोग सालों से वहां पे डाटा मेंटेन कर रहे थे उसे अकाउंट बना हुआ बावा के हैकर्स आए और सर डाटा लेकर चले गए ऐसे ही 2020 इसमें बिग बास्केट के 20 मिलियन कस्टमर का डाटा चूड़ा लिया गया था और उसको चूड़ा के डार्क वेब पे बीच दिया गया था और इसकी बहुत ज्यादा पॉसिबल थी की आपकी जो ईमेल आईडी है या कार्ड डीटेल्स है ये कभी ना कभी इन पर अटैक हुआ हो तो आप एक बार चेक कर लीजिएगा एक वेबसाइट है हैव आई बिन porn.com तो इस पे आप अपनी ईमेल आईडी वगैरा दाल के चेक कर लेना की आपकी जो ईमेल आईडी है वो कंप्रोमाइज हुई है की नहीं और ये कोई छोटी चीज नहीं है क्योंकि इस डाटा को इकट्ठा करके फ्री लोग अलग-अलग तरीके से फिनिशिंग अटैक वगैरा भी करते हैं यू डाटा आपका कलेक्ट किया जा रहा है इसकी मदद से आपके बिहेवियर और आपके जो नेक्स्ट एक्शन होंगे उनको कंट्रोल किया जा सकता है और ये दे बाय दे इंप्रूव हो रहा है इस डाटा की मदद से आपके इसको डेट कर रहे हैं किसके पास कौन सा जब ऑफर है किसके पास कौन सा इंश्योरेंस है कौन पे कर सकता है कौन नहीं पे कर सकता कौन किस एडवरटाइजमेंट पे क्लिक कर सकता है किस पॉलीटिकल पार्टी को सपोर्ट करता है रिलिजियस ओपिनियन क्या है वोट किसको कर सकता है साड़ी चीज पता लगे जा शक्ति है मैं अभी समझता हूं आपको की मैं कहना क्या छह रहा हूं पेरिस में एक लड़की थी जुड़ा तो जुड़ा ने अपने ब्रेकअप के बाद टेंडर उसे किया और जब वो उसे कर रही थी तो उसमें उसको अपनी प्रोफाइल की रेटिंग को लेकर कुछ डिसेटिस्फेक्शन था तो उसने टेंडर को कई सारे 6 महीने तक कंटीन्यूअस ईमेल भेजें की आप मेरा जो डाटा है उसको भेजो मुझे चेक करना है की आप सही से कर रहे हो की नहीं यूरोप के जो डाटा प्रोटेक्शन डॉ है वो थोड़े स्ट्रिक्ट है तो वहां पे आप चाहे तो ऐसा कर सकते हो तो कंटीन्यूअस फॉलो अप करने के बाद ईमेल भेजना के बाद 800 पेज का डाटा भेजो टेंडर ने सिर्फ कुछ दोनों उसे करने पे ₹800 का डाटा इकट्ठा कर लिया था टेंडर ने जूता जो थी उसे डाटा को देख के बहुत ज्यादा सरप्राइज थी क्योंकि जो जुड़ा को खुद के बड़े में नहीं पता था उससे कहानी ज्यादा टिंडर को उसके बड़े में पता था उसे डाटा से ये पता चला की टेंडर को ये तक पता था की वीक में कितनी बार वह लोनली फूल कर रही थी किस तरह के लड़के उनको पसंद है किस-किस टाइम पे वो लड़कों की तरफ ज्यादा अट्रैक्ट हो शक्ति थी कितने मैसेज किन-किन लड़कों को भेजें न्यू एयर उन्होंने अकेले बनाया है म्यूजिक टेस्ट क्या है लोकेशन पसंद नापसंद उनकी एक-एक डिटेल टेंडर के पास थी अब आप सोच के देखिए इतनी डिटेल अगर आपको मिल जाए किसी की तो आप उसको मैनिपुलेट करना कितना आसन होगा उसका पॉलीटिकल ओपिनियन हो किसी एडवरटाइजमेंट पे क्लिक करना हो कितना आसन होगा यहां तक की जो सोशल मीडिया कंपनी हैं उनके ऊपर मल्टीपल टाइम इंक्वायरी इस बैठ चुकी हैं की ये लोग जो आपका मोबाइल है जो अपने दोस्तों से बात करते हैं डिवाइस के थ्रू आपकी आवाज भी सुन सकते हैं हालांकि ये प्रूफ नहीं हो पाया लेकिन इस पे भी इंक्वारी बैठी है सीएनबीसी का जो युटुब चैनल है उसे पे मार्क जुकरबर्ग वे डोंट उसे मोबाइल डिवाइसेज माइक्रोफोन करके एक पुरी इंक्वारी पड़ी हुई है वो वीडियो आप जरूर देखिएगा एक्चुअली लोगों के साथ क्या हो रहा था की वो फोन पे जो भी अपने फ्रेंड से बात कर रहे थे अगले दिन या एक-दो दिन बाद इस से रिलेटेड प्रोडक्ट उनके सामने ए जा रहे थे हालांकि ये बात प्रूफ नहीं हो पी लेकिन सोशल मीडिया कंपनी ने ये जो इनका डाटा का गेम है बहुत ज्यादा स्ट्रांग कर लिया है अगर किसी घर के अंदर वाइफ जो है वो वाशिंग मशीन सर्च कर रही है तो घर के अंदर जो कमाने वाला बांदा है अगर वो हसबैंड है तो उसको वाशिंग मशीन का एड रिकमेंड होने ग जाएगा अगर वो से वी-फी में है ब्राउज़र हिस्ट्री सर्च हिस्ट्री सोशल मीडिया एक्टिविटी लोकेशन डेमोग्राफिक डाटा इन साड़ी डिटेल से बड़े आराम से आपके बिहेवियर कौन सा कंटेंट आप देख रहे हैं किस हिसाब के प्रोडक्ट आप सर्च कर रहे हैं हर एक चीज पता लगे जा शक्ति है और उसके हिसाब से फिर आपको टारगेटेड एडवरटाइजमेंट दिखाए जाता है और आपकी जो एक साइकोलॉजिकल प्रोफाइल होती है अपडेट भी होती रहती है की पहले आपको ये पसंद और आज की डेट में आपको ये पसंद है और फेसबुक रूप में इसलिए बार-बार फेसबुक का नाम ले रहा हूं क्योंकि फेसबुक फेमस है बाकी जब भी मैं बात कर रहा हूं तो मैं सारे प्लेटफॉर्म की बात कर रहा हूं जितने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने से पहले एक बार जब आप टर्म्स और कंडीशन पे यस कर देते हो तो उसके बाद आपका डाटा लेने के लिए ये लोग एलिजिबल हो जाते हैं इसलिए आप देखोगे टर्म्स और कंडीशन को बहुत बोरिंग तरीके से बनाया जाता है लीगल टर्म्स उसमें बहुत उसे करते हैं जिसको एक्चुअल में समझना के लिए एक लॉयर की जरूर पद जाए मतलब एक आम आदमी उसको पड़ी नहीं सकता इनके प्लेटफॉर्म जो होते हैं वो एकदम सिंपल तो उसे होते हैं ताकि आप इस से चुपके रहो लेकिन टर्म्स और कंडीशन ऐसे होते हैं की एक आदमी को समझना में घंटे ग जाते हैं इसलिए लोग बिना पढ़े यस कर देते हैं ₹20000 से भी ज्यादा शब्द और लंबे फॉर्मेट में ये टर्म्स और कंडीशन जानबूझ के बनाए जाते हैं इसका जो फॉर्मेट होता है उसको भी जंबूज की बोरिंग बनाया जाता है प्रॉपर्टी एग्रीमेंट हो या फिर कोर्ट के जो डॉक्यूमेंट होते हैं उसकी तरह दिखाए जाता है ताकि पढ़ने का मां ही ना करें 2017 में न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोनाथन और अन्य ने नाम ड्रॉप नाम की एक फेक वेबसाइट बनाई एक्सपेरिमेंट के लिए इसमें इन्होंने 50043 स्टूडेंट को जॉइन करवाया और से फॉर्मेट में टर्म्स और कंडीशन बना के जैसे सोशल कंपनी बनती हैं उसको बनाया और इस अप में इंटीग्रेटेड कर दिया और ये जो टर्म्स और कंडीशन बनाई थी इन्होंने इसमें एक चीज इन्होंने ये की पैराग्राफ 2.3.2 में एक चीज दाल दी की जो इस टर्मिन कंडीशन को यस करेगा उसका पहले बच्चा जो होगा वो लीगली नाम ड्रॉप का जो ओनर है उसका हो जाएगा ऐसा इन्होंने इसलिए किया था क्योंकि इनको चेक करना था की हां कितने लोग बोलेंगे 14th स्टूडेंट को छोड़ के बाकी जितने भी लोग थे उन सब ने इन टर्म्स और कंडीशन पे यस कर दिया इन टर्म्स और कंडीशन को लेक मल्टीपल टाइम डिस्कशन हो चुके हैं फेसबुक में मल्टीपल टाइम कहा है की हम स्ट्रिक्ट रूल बनाएंगे यूजर का डाटा सेफ रहे मतलब की फेसबुक हमारा डाटा मिस उसे नहीं करेगा इस चीज को लेक फेसबुक खुद स्टिक रूल बनाएगी खाने का मतलब ये है की ये जो लड़ाई चल रही है डाटा की इसमें हर एक यूजर अकेला है इसमें गवर्नमेंट का भी कोई सपोर्ट नहीं है आजकल आपने देखा होगा फेसबुक पे कई लोग पोस्ट करते हैं की फेसबुक को मैं अनुमति नहीं देता हूं मेरा डाटा उसे करने की ये सब करके पोस्ट करते हैं उससे कुछ नहीं होगा क्योंकि टर्म्स और कंडीशन में डाटा देने की अनुमति पहले ही हो चुकी है 2013 में एक डॉक्युमेंट्री आई थी टर्म्स और कंडीशन में अप्लाई उसको देखिएगा आप इन दिखा रहे हैं की कैसे सोशल मीडिया कंपनी आपका डाटा लिक करके मिसयूज करती हैं उसको उसको कैसे बीच देती है सोशल मीडिया कंपनी में आपस में भी अटेंशन को लेकर डाटा को लेक बहुत कंपटीशन है जी प्लेटफॉर्म के पास सबसे ज्यादा यूजर्स रहेंगे उसे प्लेटफॉर्म पे ज्यादा एक्टिविटी होगी और ज्यादा अटेंशन होगी और डाटा ज्यादा कलेक्ट होगा मतलब की ज्यादा प्रॉफिट होगा और ज्यादा डाटा कलेक्ट होने के बाद ये लोग उसे डाटा से पैटर्न बनाते हैं ताकि और एक्यूरेट गैस कर पे की यूजर का नेक्स्ट स्टेप क्या होगा इसलिए इन साड़ी सोशल मीडिया कंपनी का बस एक ही है जिसके लिए लोग दिन-रात कम करते हैं की कैसे भी करके आप इनके अप से चिप का रहे हैं नेटफ्लिक्स के ओनर ने एक बार कहा था की फेसबुक गूगल हमारे कंपटीशन तो हैं लेकिन मार्केट बहुत बड़ा है हमारा असली कंपटीशन तो एक आदमी की स्लीप यानी की नींद है क्योंकि यही वो टाइम है जब यूजर के ऊपर कोई एल्गो कम नहीं करती है और अगर आप ध्यान से देखो तो हर सोशल मीडिया कंपनी जो है वो दुनिया के बेस्ट मन बेस्ट स्ट्रैटेजिस को हीरे करके उनसे सिर्फ यही करवा रही है की कैसे भी करके आप इनके अप से चुपके रहे और ये काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं जो पहले आप अपने फ्रेंड से मिलने जाते थे फैन करते थे वो टाइम आज की डेट में आप मोबाइल को देते हो बाहर ग्राउंड में खेलने जाते थे वो टाइम आप इनके पास जाता है एक मिनट के लिए भी अगर कहानी लाइन लगी और वहां पे वेट करना पद जाए तो तुरंत मोबाइल निकाल जाता है हर किसी का इनफैक्ट मूवी हाल के बीच में अगर एड ए जाए तो उसके बीच में भी मोबाइल लेकर जाता वो टाइम भी इनके पास जाता है वॉशरूम में बैठ के जवाब पहले सोचते थे आज की डेट में वो टाइम भी इनके पास चला गया है लोग बिना मोबाइल के वॉशरूम तक नहीं जाते हैं हसबैंड वाइफ भी जो साथ में बैठने थे वो आज की डेट में अपने-अपने मोबाइल में ग जाते हैं तो वो टाइम भी इनके पास जाता है आपने कई बार ये भी सुना होगी पार्टनर्स में लड़ाई होती है की ये बस मोबाइल में नहीं लगे रहते हैं कई लोगों के बस तक नाराज हो जाते हैं क्योंकि उनके एम्पलाई मोबाइल में लगे रहते हैं मतलब रोजी रोटी तक दावा पे लगा के लोग अगली दिन में क्या होने वाला है इसके पीछे पड़े हैं और इससे बड़ा एडिक्शन कुछ भी नहीं हो सकता पूरे दिन भर में जो आप सोते हो बस उसका तोड़ नहीं है इनके पास बाकी सब चीजों के लिए इन्होंने वर्ल्ड के बेस्ट अटेंशन इंजीनियर बैठक आपका टाइम और अटेंशन इन एप्स पे लगा दिया है आपको ये रिलाइज नहीं होने देंगे सिर्फ एक नोटिफिकेशन के लिए आप मोबाइल खोलोगे और काबिल पर पहुंच जाओगे आपको पता ही नहीं चलेगा आप युटुब पे एजुकेशनल वीडियो सर्च करने जाओगे अपने कोई कम की वीडियो देखने जाओगे आप शॉर्ट पे कब पहुंच करोगे आपको पता ही नहीं चलेगा अगर इसको आप ध्यान से समझो तो कुछ चुनिंदा अटेंशन इंजीनियर या फिर बड़े-बड़े दिमाग या फिर बड़ी कंपनियां के मलिक कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वाली में बैठ के ये डिसाइड कर रहे हैं की दुनिया के बिलियन सब लोगों का अटेंशन और इंटरेस्ट कहां पे होगा एक इंसान का अटेंशन यानी की ध्यान जहां पर होता है वहीं से उसकी मेमोरीज बंटी है अगर अटेंशन पे भी कंट्रोल किसी और का होगा तो हमारी लाइफ कहां ए रही है जी तरीके से केपीटलाइज्म ने सिर्फ वीकेंड छोड़ है जी ने के लिए ऐसे जवाब की आगे हो जाएगी आप बूढ़े हो जाएंगे तो एटलिस्ट आपकी मेमोरी तक नहीं रहेगी आपके पास यही जो ट्रेंड्स होते हैं ट्विटर के ट्रेंड्स रिलीज के ट्रेंड्स बस यही मेमोरीज रहेगी सिर्फ एड दिखा के प्रोडक्ट बेचे की बात होती तो भी ठीक था लेकिन इस डाटा से आपकी सोशल और पॉलीटिकल बिहेवियर भी कंट्रोल किया जाते हैं बिग डाटा और डाटा मीनिंग जैसी टेक्नोलॉजी का उसे करके बड़े अमाउंट ऑफ डाटा यानी की पुरी पापुलेशन के बिहेवियर और पैटर्न को समझा जाता है फिर उनको टारगेटेड कंटेंट दिखाए जाता है ऐसा कंटेंट जिससे इन सोशल मीडिया कंपनी के जो इंटरेस्ट है वो पूरे हो जाए आज से कुछ साल पहले क्या होता था की जी दोस्त को आप एड करते थे अपनी प्रोफाइल में जी ग्रेटर को आप फॉलो या सब्सक्राइब करते थे आपको सिर्फ उसका कंटेंट दिखाए जाता था लेकिन आज की डेट में आप देखोगे भले ही आपने किसी को भी फॉलो कर रखा हो लेकिन ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपको खुद से कॉन्टिनेंट करते हैं आप अच्छा कंटेंट देखो आपकी ग्रोथ उससे ज्यादा अच्छी हो सोशल मीडिया कंपनी के लिए ये इंपॉर्टेंट नहीं है उनके लिए इंपॉर्टेंट है की बस उनके अप पे आप पड़े रहो इसलिए आपके डाटा को एनालाइज करके आपको वो कॉन्टिनेंट भरोसा जाता है जिसमें आप ज्यादा से ज्यादा टीके रहो एक कसीनो की स्टॉल मशीन की तरफ पूरे कंटेंट को डिजाइन किया जाता है एक-एक स्क्रॉल पर आपके लिए सरप्राइज है इस उम्मीद में की अगली बार कुछ और नया मिलेगा इंसान चार-चार पांच-पांच घंटे इन एप्स पे बता देता है नोटिफिकेशन को जानबूझकर रेड कलर कर रखा जाता है ब्लू कलर का रखेंगे तो वो उतना टेंपरिंग नहीं लगेगा तो इसलिए अगर आप मोबाइल बैंड करके बगल में भी रख दो और एक नोटिफिकेशन आए तो आप कैसे भी करके एक बार मोबाइल खोल लो उसके बाद इनके इंजीनियर आपको रेल तक पहुंच की मानेंगे और एक बार आपने अगर रिलीज वगैरा पे दो-तीन घंटे बीता दिए तो इतना हाय दोपहर में रिलीज होता है की बाकी कम में फॉक्स करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है जो लोग बुक्स पढ़ने होंगे या फिर जो स्टूडेंट होंगे आप नोटिस करेगा की ये रिलीज वगैरा देख के तुरंत फॉक्स करना बहुत ही मुश्किल होता है कांटेक्ट में आपको ज्यादातर वही चीज है कमेंट की जाति है जी बिलीव करते हो अगर आप राइट हो तो ऑटोमेटेकली आपको ज्यादातर ज्यादा कैसे में राइट विंग के कंटेंट सेरगेस्ट होंगे और अगर आप लेफ्ट विंग के हो तो आपको ज्यादातर केसेस में लेफ्ट विंग के कंटेंट सजेस्ट होंगे और क्योंकि ऐसे केसेस में एक ही तरफ की इनफॉरमेशन मिलती है तो इससे लोगों के ओपिनियन और ज्यादा स्ट्रांग हो जाते हैं वो बिलीव करने लगता हैं की जो वो सोचना है वही सही है किसी के लिए बीजेपी देश के लिए थ्रेड है किसी के लिए कांग्रेस जो है वो देश के लिए थ्रेड है बीच का कोई रास्ता ही नहीं बच्चा क्योंकि इनफॉरमेशन यूजर्स को वही मिल रही है जो सुना चाहते हैं और जब अपनी-अपनी इनफॉरमेशन लेकर कभी न्यूट्रल प्लेटफॉर्म होता है वहां पे जब ये सारे यूजर्स मिलते हैं तो बहुत ही स्ट्रांग रिएक्शन आते हैं लड़ाई होती है और इस तरीके का जो पोलराइजेशन होता है वो सोशल मीडिया कंपनी को सूट करता है अगर आप देखोगे तो कोई भी आदमी फेसबुक आउट्रैजियस पॉलीटिकल कंटेंट देखने के लिए नहीं आता है लोग अपने यहां दोस्त से कनेक्ट करने हैं एंटरटेनमेंट के लिए या फिर कुछ सीखने के लिए आते हैं लेकिन अगर यूजर्स को यही दे दिया जाएगा तो वो प्लेटफॉर्म जल्दी छोड़ देंगे इसलिए सोशल मीडिया कंपनी जो होती है जो आपकी फीड होती है उसको कम और कंपोज नहीं रखती है बल्कि फास्ट स्पेस और आउट्रैजियस फीड रखती है क्योंकि फेक न्यूज़ जो होती है वो इंटरेस्टिंग होती है कंस्पायरेसी थ्योरी इंटरेस्टिंग होती है लेकिन जो ट्रुथ होता है लर्निंग होती है ये बोरिंग होती है आपको जो पूरा डाटा सोशल मीडिया कंपनी के पास होता है इस डाटा में पॉलीटिकल पार्टी भी बहुत ज्यादा इंटरेस्टेड हो गई हैं और इस डाटा को खरीद के आपके डिसीजन को मैनिपुलेट कर रहे हैं और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं एक एग्जांपल समझता हूं मार्च 2018 में डी गर्जन और डी न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें ये पता लगा की फेसबुक ने अपने 50 मिलियन यूजर्स का डाटा कैंब्रिज एनालिटिक करके कंपनी है उसको दे दिया अब कैंब्रिज एनालिटिक जो है उसको डोनाल्ड ट्रंप जो है उसमें हीरे किया और कैंब्रिज ने इस डाटा की मदद से जितने भी यूजर्स थे उनकी साइकोलॉजिकल प्रोफाइल बनाई और इसकी वजह से ये पता चला की डोनाल्ड ट्रंप जो है कितने लोग उसको सपोर्ट करते हैं और कितने ऐसे यूजर हैं जिनको थोड़ा सा अगर पूछ किया जाए तो डोनाल्ड ट्रंप को सपोर्ट कर देंगे और जब ये सर डाटा बना लिया गया उसके बाद डोनाल्ड ट्रंप का जो कंटेंट था डेली बेसिस पे सुबह शाम इन यूजर्स को दिखाए गया और इसकी वजह से 87 मिलियन लोग जो थे वो प्रो ट्रंप हो गए थे 50 मिलियन डटेया था लेकिन इस डाटा की मदद से आपके जो दोस्त यार कनेक्ट रहते हैं उनका डाटा भी फेच कर लिया गया था इसलिए ज्यादा लोग कन्वर्ट हुए लेकिन जब ये पर बाहर आई तो फिर इसके बाद मार्क्स के बाद की उस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव फाइनेंशियल सर्विस कमेटी में हियरिंग शुरू होती है युटुब पे पड़ी है ये पुरी हैरी एक बार आप देख लेना तो इस चीज के लिए 2022 में फेसबुक के ऊपर 725 मिलियन डॉलर का जुर्म डाला गया है और इसके बाद फेसबुक ने यूके और उस के न्यूज़ पेपर में फूल पेज एडवरटाइजमेंट निकाल के फ्रंट पेज पे अपने जो यूजर्स थे उनसे माफी मांगी इसी तरीके से आयरलैंड डाटा प्रोटेक्शन कमीशन ने 1.2 बिलियन यूरो का फाइन लगाया था इस डाटा को लेक रसिया ने उस में 126 मिलियन लोगों को कंटेंट दिखा के मैनिपुलेट किया था 2016 के इलेक्शन में इंडिया के अंदर भी ऐसे एलिगेशन लगता हैं लेकिन आप सर्च करके देख लीजिए क्योंकि वो प्रूफ नहीं हुए हैं तो वो फिर बोलना ठीक नहीं रहेगा और सोशल मीडिया कंपनी के ऊपर सिर्फ पॉलीटिशियंस को डाटा बेचे के लिए एलिगेशन नहीं लगता बल्कि देंगे करने के भी एलिगेशन लगता हैं और नेस्टी इंटरनेशनल ये एक इंटरनेशनल गो है इसने रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें बताया की फेसबुक की वजह से में मार्ग में देंगे बढ़ एक्चुअली फेसबुक की जो लुगू है वो ज्यादा इंगेजमेंट वाले पोस्ट और वीडियो को ज्यादा प्रमोट करती है उसको इससे मतलब नहीं है की सोसाइटी में क्या जरूर पड़ेगा उनको इंगेजमेंट और प्रॉफिट से मतलब है तो म्यांमार में क्या हुआ की उसे टाइम पर एंटी रोहिंग्या फेसबुक के ऊपर पोस्ट बहुत चल रहे थे और वो बहुत ज्यादा वायरल हो रहे थे और फेसबुक की अलगोस को बहुत ज्यादा प्रमोट कर रही थी इन पोस्ट की वजह से काफी देंगे बाढ़ के और लोगों की जान भी गई फेसबुक के ऊपर ये एलिगेशन है की फेसबुक को जब पता था की देंगे हो रहे हैं उनके पोस्ट की वजह से तो उन कंटेंट को रोकने की बजाएं उनको और प्रमोट क्यों किया गया टेक्निकल ब्लोअर फ्रांस जो फेसबुक की एम्पलाई थी उन्होंने ₹10000 इंटरनल डॉक्यूमेंट ले कर दिए तब पता चला की फेसबुक को इन सब के बड़े में पहले से ही पता था लेकिन उसके बाद भी ये लोग उसको प्रमोट कर रहे थे रोहिंग्या कॉमेडी एक मेंबर है उन्होंने ऑफिशल स्टेटमेंट दिया की जैसे दुनिया के बाकी लोग रहते थे वैसे हमारा भी रहने का सपना था लेकिन फेसबुक ने हमारा ये सपना तोड़ दिया सोशल मीडिया कंपनी की जो एल्गो है वो डिजाइन ही इस तरीके से है की जहां पे ज्यादा इंगेजमेंट होगी मतलब की लाइक कमेंट शेर ये सब ज्यादा होंगे वो उसको ज्यादा प्रमोट करेगी और ये इंगेजमेंट एक्सट्रीम और भड़काओ कंटेंट पे सबसे ज्यादा होती है अब जैसे मैं एक ट्वीट करूं की रोहित शर्मा बहुत अच्छा खिलाड़ी है मुझे बहुत पसंद है और वहीं मैं दूसरे ट्वीट करूं की रोहित अभी तक का ग्रेटेस्ट प्लेयर है ना उसकी तरह कोई आया है और ना ही कोई आएगा और जो इस चीज को नहीं मानता वो बेवकूफ है अब आप बताओ किस पोस्ट पर ज्यादा रिएक्शन आएंगे ज्यादा इंगेजमेंट होगा अटेंशन कहां ज्यादा होगी इसलिए आप देखोगे की जो लोग फॉर राइट कंटेंट बनाते हैं फिर पर लेफ्ट कंटेंट बनाते हैं वो जल्दी गो करते हैं और इसमें ऐसा नहीं है की एक दो सब खराब है जिनकी वजह से ये पूरा बास्केट खराब हो रहा है बल्कि ये जो पूरा सिस्टम है और ये जो एल्गो है ये डिजाइन इस तरीके से हुई है की खराब से कोई रिवॉर्ड दिया जाता है इसलिए नफरत और एक तरफ बात करने वाले लोग जल्दी लाईमलाईट में आते हुए दिखेंगे आपको मेलिसा रयान ये एक इलेक्शन स्ट्रैटेजिस रही हैं जो इलेक्शन की स्ट्रेटजी स्टडी करती थी इन्होंने कहा की जो अगली कंटेंट होता है वो ज्यादा क करता है और ये पूरा एल्गोरिथम है जो यूजर एक्टिविटी के हिसाब से कम करता है इस एल्गो को अगर कोई पॉलीटिशियन या कोई पावरफुल आदमी चाहे तो बड़ी आसानी से मैनिपुलेट भी कर सकता है कंप्यूटेशनल प्रोपेगेंडा चलने के लिए मतलब की अपने फीवर की न्यूज़ वायरल कर सकता है जिससे उसे पार्टी को फायदा हो और इसमें मेली कम आते हैं बोट ये जो आप देखते होंगे की कई वेबसाइट पे कंप्यूटर चैट्स अपने आप रिप्लाई करने लगता हैं आप है हो आर यू करोगे तो उसकी रिप्लाई अपने आप ए जाएंगे तो वो बोट होते हैं वो कोई ह्यूमन नहीं होता है तो ऐसे करके लाखों करोड़ बोट अकाउंट बन जाते हैं और फिर अंट्स अकाउंट से अपना प्रोपेगेंडा चलाना बहुत ही आसन हो जाता है मां लो आपको केक बहुत पसंद है आपके दिमाग में आया की जितने भी केक के अकाउंट्स हैं उनके मैं सारे पोस्ट लाइक करूंगा अब इसके लिए आपको पहले तो सर्च करना होगा केक वाले अकाउंट कहां है फिर उसमें से उनके पोज देख रहे होंगे फिर जाके लाइक करना होगा लेकिन इसकी बजे आप एक अकाउंट बना उसमें कुछ ऑटोमेटिक स्क्रिप्ट एड कर दो तो वो खुद सारे अकाउंट सर्च करके लाइक शेर जो मैसेज करना वो कर देगा और इसी चीज को बोट कहते हैं तो इन बर्ड्स की मदद से अगर किसी पॉलीटिकल पार्टी के बड़े में कुछ फैलाना हो किसी पार्टी के बड़े में बताना हो की ये चीन से मिली हुई है तो इन बोर्ड्स अकाउंट का उसे करके मल्टीपल मैसेज करवाया जा सकते हैं ट्रेड जलवाया जा सकते हैं कमेंट करवाया जा सकते हैं जिससे एक माहौल बंता है मां लो किसी कंट्री को किसी एनवायरनमेंट डील से बाहर होना है किसी मजबूरी की वजह से तो पेड़ नेम पेज और बोट अकाउंट से आप बढ़िया सिग्मा म्यूजिक लगा के सोशल मीडिया पे एक माहौल बना सकते हो की देखिए खुद इन कंट्रीज ने इतने सारे एक इतने साल तक लगाएं और ये अब हम लोगों को ज्ञान दे रहे हैं तो साड़ी चीज उसे करके किसी भी कंट्री के लोगों का ओपिनियन चेंज किया जा सकता है जब वो वार करने जा रहे हो किसी पॉलिसी को सही दिखाना हो तो ये साड़ी चीजों का उसे होता है और ये जो ट्रेड है ये दे बाय दे काफी खतरनाक होता जा रहा है आप नोटिस करोगे तो पहले बात होती थी मैंने फेस्टो की पॉलिसीज की लेकिन आज की डेट में कौन सा नेता कितना ज्यादा पॉपुलर है अटेंशन लोगों की किस नेता पे है वो बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है और कुछ कंट्रीज तो इन सोशल मीडिया सीड्स को आगे एन टूल उसे कर रही हैं दूसरी कंट्रीज को पीछे करने के लिए व्हाइट डांस का आपने नाम सुना होगा जो चीन की कंपनी है जो टिकटोक की ओनर है वो चीन के अंदर जो टिकटोक है उसका वर्जन एकदम अलग रखती है उस के कंपेरटिवली इंडिया में तो अभी फिलहाल बन हो गया इसलिए उस का एग्जांपल लेक बताता हूं चीन के अंदर जो टिकटोक चला है अगर 14 साल से कम का कोई उसे करता है तो उसको साइन से एक्सपेरिमेंट देश के बड़े में कलर ये साड़ी वीडियो आई हैं एजुकेशनल वीडियो आई हैं तो यहां तक की लिमिट भी राखी गई है 40 मिनट पर देगी लेकिन से टिक टॉक उस के अंदर बिल्कुल अलग कंटेंट दिखाए जाता है और ऐसे-ऐसे वीडियो चलाएं जाते हैं वहां पे जैसे लोगों को सीखने को नहीं मिलता लोग दम होते हैं और इस चीज का कितना बड़ा इंपैक्ट होता है एक सर्वे का एग्जांपल लेक मैं आपको समझता हूं उस में एक सर्वे हुआ था जो सीएनबीसी में पब्लिश भी हुआ था उसमें उस के मैक्सिमम बच्चे इनफ्लुएंसर बन्ना चाहते थे वहीं चीन में जब से सर्वे हुआ तो वहां के बच्चे एस्ट्रोनॉट्स बन्ना चाहते थे अब देखिए ये जो वीडियो मैंने बनाई है मैंने आपको डरने के लिए या फिर सोशल मीडिया छोड़ देने के लिए नहीं बनाई है ये वीडियो सिर्फ इसलिए बनाई है ताकि अवेयरनेस बाढ़ सके जो चीज हो रही है वो आपको पता चल सके और अगली बार जब नेक्स्ट टाइम पार्लियामेंट में डाटा प्रोटेक्शन का बिल आए तो आपको पता हो की ये बिल कितना इंपॉर्टेंट है इसलिए वीडियो बनाई है और ऐसा नहीं है की एड दिखाना बहुत खराब चीज है सोशल मीडिया गलत है सोशल मीडिया की वजह से ना जान कितने फायदे हुए हैं अगर मैं गिनवाना चालू करूंगा तो रात हो जाएगी इतने ज्यादा फायदे होंगे लोग कनेक्ट रहते हैं इमरजेंसी में आप 50 लोगों को कांटेक्ट कर सकते हो बहुत सारे फायदे हैं इनफैक्ट ये जो कंटेंट भी आप देख रहे हो इस पे एड चल रहे हैं इस वजह से आप फ्री में देख का रहे हो वरना पैसे देने होते हैं और इसकी वजह से ना जान कितने गरीबों का फायदा हुआ कितने लोगों ने फ्री में कोडिंग सखी है अपनी लाइफ अच्छी की है लेकिन एक्चुअल में कम कैसे कर सकता है और उसके जो नेगेटिव साइड है वो किस तरीके से हार्मफुल हो सकते हैं वो मैंने बस डिस्कस करने की कोशिश किया और मैंने ये भी ट्राई किया की ये जो मैं वीडियो बना रहा हूं इसका सॉल्यूशन भी रखूंगा आपके सामने मैंने कहा अभी ढूंढने की कोशिश की एक्सपर्ट से बात करने की कोशिश की लेकिन सच बात ये है की इससे बचाने का कोई परफेक्ट सॉल्यूशन है ही नहीं आप अप डिलीट कर दो आप मोबाइल छोड़ दो बैंक एप्स है ट्रांजिशन ऑफलाइन शॉपिंग कर रहे हो आप इतना ज्यादा इंटर कनेक्ट है की आपका डाटा इधर-उधर पहुंचेगी ही पहुंचेगी तो फिलहाल तो बस एक यही सॉल्यूशन है की हमारी गवर्नमेंट इतने अच्छे डाटा प्रोटेक्शन डॉ है की ये साड़ी चीज कंट्रोल में है थैंक यू -0NtDdchl7s,Reality Of Indian News Media | Nitish Rajput | Hindi,2023-08-25T14:30:09Z,PT28M24S,4745111,204144,14107,https://www.youtube.com/watch?v=-0NtDdchl7s,, इसीलिए जो अखबार पहले छाप के बिकते थे वो आजकल बिकने के बाद छाप रहे हैं टीवी चैनल हैं इनकी क्या मजबूरी रहती है की आपको छह के भी सच नहीं दिखा पाती हैं कई साड़ी इरेगुलेरिटीज हुई थी उसको लेकर बीजेपी के अगेंस्ट में एक सीरीज चला दी थी जब इलेक्शंस पास में आने वाले होते हैं तो जो न्यूज़ मीडिया है उसके दोनों हाथ जी और वो कढ़ाई में होते हैं पार्टी वगैरा होती है इनके झंडा टोपी ये सब दिखाने के लिए अलग से पैसे मिलते हैं पंजाब में तो यह कैसे और भी इंटरेस्टिंग हो गया है क्योंकि जी चैनल को कम के बेटे ऑन करते थे इस चैनल को पंजाब की जो गवर्नमेंट थी वो सरकारी एड भी देती थी जितने भी डिफेमेशन के कैसे ये लोग करते हैं सब गुजरात के अंदर से करते हैं क्योंकि पूरे इंडिया में गुजरात एक ऐसी जगह है जैसे 2019 का इलेक्शन में पास आने वाला था तब प्रिंट मीडिया को जो गवर्नमेंट एड से पैसे मिलते थे उसको डायरेक्ट 25% बड़ा दिया था और इस पूरे खेल पार्टी है वो सबसे एक कम आगे है देखिए आज की डेट में हम कहते हैं की न्यूज़ मीडिया जो है वो बीच चुका है और ऐसा तो है नहीं की सिर्फ एक ही पॉलीटिकल पार्टी के पास पैसा है पैसा तो हर गवर्नमेंट और हर पॉलीटिकल पार्टी के पास है तो सिर्फ पैसे की बात होती तो हर पॉलीटिकल पार्टी की अपने अपने न्यूज़ चैनल होते लेकिन ऐसा तो है नहीं जनरली हम लोग क्या करते हैं की न्यूज़ एंकर जो होते हैं उनको गली देकर बात खत्म कर देते हैं लेकिन ये लोग तो बस एम्पलाइज हैं जिनके हाथ में कुछ नहीं है असली गेम तो कुछ और है जिनके बड़े में कभी बात नहीं होती लेकिन आज इस वीडियो में हम इसी चीज के बड़े में डिस्कस करेंगे [संगीत] मैं ये महसूस करने की आपको महसूस करने की कोशिश कर रहा हूं तो इन साड़ी चीजों को समझना के लिए इसका पूरा स्ट्रक्चर समझना बहुत जरूरी है मेली जो इनफॉरमेशन हमारे पास प्लॉट होती है वो न्यूजपेपर्स टीवी चैनल और न्यूज़ एजेंसीज जो होती है उनके थ्रू होती है और भी कई तरीके जैसे रेडियो मैगजींस सोशल मीडिया लेकिन देश का जो ओपिनियन है मेली वो इन्हीं तीन चीजों से मिल्क बंता है और पॉलीटिकल पार्टी भी इन तीनों चीजों को कंट्रोल करना चाहती हैं अब आप इसे कुछ लोग का सकते हो की न्यूज़ पेपर और टीवी न्यूज़ चैनल के बड़े में तो हमने सुना है लेकिन ये न्यूज़ एजेंसी क्या होती है तो देखिए न्यूज़ एजेंसी जो होती है वो काफी बड़े लेवल पे ऑपरेट करती है और न्यूज़ निकलते है और उसे न्यूज़ को इन न्यूज़पेपर और न्यूज़ चैनल को भेजती हैं ध्यान रखिए सरकारी न्यूज़ चैनल जो है जैसे डीडी न्यूज़ वगैरा वो भी इसी न्यूज़ एजेंसी से न्यूज़ लेते हैं न्यूज़ एजेंसी का जो स्ट्रक्चर होता है वो काफी बड़ा होता है इनका ऑपरेशन बहुत ही बड़ा होता है पूरे वर्ल्ड में इनके ऑफिसर्स और रिपोर्टर्स होते हैं इंडिया की न्यूज़ एजेंसी की बात करें तो प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया पीटीआई उनाई यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया आपने के नाम सुना होगा एशिया न्यूज़ इंटरनेशनल ये इंडिया की न्यूज़ एजेंसी है अगर मैं पीटीआई के एग्जांपल लूं तो पीटीआई की खुद की सैटेलाइट है गवर्नमेंट से लेक डी तो एनडीटीवी टाइम्स ऑफ इंडिया इंडियन एक्सप्रेस यह सब पीटीआई के सब्सक्राइबर हैं तो ये जो न्यूज़ एजेंसी है यह न्यूज़ निकलते है और अपने सब्सक्राइबर्स को भेजती हैं इनके जो सब्सक्राइबर्स हैं वो गवर्नमेंट से लेकर बड़े-बड़े न्यूज़ पेपर और टीवी चैनल हैं तो ये जो टीवी न्यूज़ चैनल होते हैं न्यूज़ पेपर होते हैं या अपने बजट के हिसाब से उतनी रिपोर्टर्स रखते हैं और बाकी की जो न्यूज़ होती है वो डायरेक्ट न्यूज़ एजेंसी से खरीद लेते हैं जैसे आप सुनते होंगे की एजेंसी के हवाले से खबर ए रही है तो वो खबर इसी न्यूज़ एजेंसी की होती है जैसे ये पेज डी प्रिंट का है लेकिन साइड में लिखा है पीटीआई मतलब की ये न्यूज़ यहां से ली गई है आप देखते होंगे और आई के जो माइक है वो हर न्यूज़ फुटेज में देखा होगा तो एन आई फुटेज ले के टीवी न्यूज़ चैनल को भेज देता है और अभी लास्ट एक साल से पीटीआई जो है वो भी वीडियो में ए गया है तो वो भी फुटेज वगैरा देता तो अगर किसी को पूरे देश के ओपिनियन पे कंट्रोल करना है तो न्यूज़ एजेंसी न्यूज़पेपर और टीवी चैनल तीनों पे कंट्रोल करना होगा ये तीनों अगर चल है तो लोगों को सरकार के सपोर्ट या फिर अपोज में खड़ा करने का दम रखती हैं क्योंकि आम जनता जो होती है वो खुद थोड़ी लोकेशन पे जाके इनफॉरमेशन कंफर्म करती है वो तो सब के थ्रू जो बताया जाता है वही मानती है अब अगर ये तीनों मिल्क बैक तू बैक न्यूज़ देने लगे की अगले क्वार्टर में इंडिया सुपर पावर हो जाएगा तो आप अलग-अलग डिपार्मेंट में आरटीआई दाल के खुद सर डाटा नहीं कंफर्म करते हो आप मां लेते हो न्यूज़ मीडिया जो होती है वो किसी भी देश के लिए सबसे इंपॉर्टेंट चीज होती है इसलिए इसको फोर्थ पिलर ऑफ डेमोक्रेसी भी बोला जाता है गवर्नमेंट का असली अपोजिशन जो होता है वो मीडिया ही होता है दुनिया भर की गवर्नमेंट जब वार वगैरा पे जाति हैं तो सोल्जर से पहले न्यूज़ मीडिया को रेडी करती हैं ताकि लोगों को समझाया जा सके की ये वार करना कितना ज्यादा इंपॉर्टेंट है देश के लिए अब देखिए आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको बता डन की टाइम के साथ-साथ न्यूजपेपर्स की खबरे को लिखने में भी चेंज आए हैं पहले जो न्यूज़ राइटर को घंटा लगता थे स्क्रिप्स लिखने में आज की डेट में आई और चाट गुप्त के थ्रू वो न्यूज़ चुटकियों में लिख लेते हैं और अगर आपको भी जानना है की आई और चाट जीडी से ये सब कैसे किया जा सकता है तो मैं आपको रेकमेंड करूंगा एक इंडियन स्टार्टअप जो आपको इसका मास्टर बना सकता है वो भी फ्री में ग्रोथ स्कूल की एक थ्री अवर पेड़ वर्कशॉप है जो ग्रोथ स्कूल के फाउंडर वैभव सिसंती कंडक्ट कर रहे हैं वैसे तो ये पेड़ वर्कशॉप है लेकिन हमारे चैनल के फर्स्ट जो इसमें रजिस्टर करेंगे उनके लिए वर्कशॉप बिल्कुल फ्री होगी मैंने खुद वीडियो बनाते समय इस वर्कशॉप को अटेंड किया और मैंने प्रॉन्प्टिंग और आई की कुछ ऐसी टेक्निक ग्रोथ स्कूल से सखी जो सिर्फ 1% लोगों को ही पता होगी और आप भी ये चीज सिख सकते हैं मैं इस वर्कशॉप को फाइव आउट ऑफ फाइव रेटिंग दूंगा सो चाय आप कोई भी वर्किंग प्रोफेशनल फाउंडर फ्रीलांसर या क्रिएटर हो इस वर्कशॉप की लर्निंग के थ्रू आप अपनी जब करियर या बिजनेस में आगे बाढ़ सकते हो तो जल्दी से रजिस्टर करें रजिस्ट्रेशन लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं जब हमारा देश आजाद हुआ तो महात्मा गांधी जी ने इंडियन ओपिनियन नाम से एक अखबार चलाया था नेहरू जी ने नेशनल हिरल नाम से एक न्यूज़ पेपर चलाया था ताकि वो लोगों को असलियत समझा सके की वो जो गरीबी में जी रहे हैं गुलामी में है वो अपनी गलतियां की वजह से नहीं है बल्कि अंग्रेजन की गलतियां की वजह से तभी सारे लोग एकजुट हो पाएगा आज की तरह उसे टाइम पे अखबार ब्रिटिशर्स के हाथों बाईक जाते हैं तो बड़ी आसानी से सबको समझा दिया जाता की ईस्ट इंडिया कंपनी देश के लिए कितनी बेनिफिशियल है जब एक पॉलीटिकल पार्टी न्यूज़ मीडिया को कंट्रोल कर लेती है तब वो लोगों को वो चीज भी डायरेक्टली समझा पाती है जो खुलेआम नहीं बोल शक्ति है आप जो वोट देते हो किसी कैंडिडेट को वो आप देते हो बेस्ड ऑन इनफॉरमेशन अवेलेबल उसके इंदीद के बड़े में अगर वो इनफॉरमेशन ही गलत हो तो आपको ग रहा है की आप अपनी मर्जी से वोट दे रहे हो लेकिन आपसे वोट डलवाया जा रहा है तो आप डिस्कस करते हैं की ये जो न्यूज़पेपर है न्यूज़ एजेंसी है टीवी चैनल हैं इनकी क्या मजबूरी रहती है की आपको छह के भी सच नहीं दिखा पाती हैं तो पहले न्यूज़पेपर की बात करें तो टाइम्स ऑफ इंडिया जो है वो इंडिया का सबसे बड़ा न्यूज़ पेपर है और पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला इंग्लिश न्यूज़पेपर है टाइम्स ऑफ इंडिया का एक न्यूज़ पेपर करीब 48 पेज का होता है जो ₹5 में बिकता है इस ₹5 में से 40% यानी की ₹2 डिस्ट्रीब्यूटर और ट्रांसपोर्ट का होता है न्यूज़पेपर बाय वगैरा जो होते हैं इसके अलावा एक पेज को प्रिंट करने की कॉस्ट 25 पैसे की करीब लगती है तो 48 पेज के हिसाब से ₹12 तो प्रिंटिंग के ग जाते हैं तो अभी जो मैंने न्यूज़ एजेंसी के बड़े में बताया था तो उनसे न्यूज़ लेते हैं उसकी कॉस्ट और स्टाफ की कॉस्ट जो होती है वो करीब ₹3 के करीब पड़ती है तो टाइम्स ऑफ इंडिया जो न्यूज़ पेपर ₹5 का बचता है अगर आप उसको कैलकुलेट करोगे टोटल तो ₹2 डिस्ट क्योंकि ₹12 प्रिंटिंग के और ₹3 जो है वो न्यूज़ एजेंसी और स्टाफ के तो ये उसको ₹70 का पड़ता है तो आप क्वेश्चन ये है की ये जो बाकी का पैसा है ये क्या अपनी जब से भारते हैं तो देखिए ऐसा नहीं है बाकी का जो पैसा बचत है वो एक न्यूज़पेपर को एडवरटाइजमेंट से पूरा करना होता है तो मोटा मोती ये समझने का मतलब ये है की न्यूज़पेपर जो है अगर उसको सरवाइव करना है तो एडवरटाइजमेंट उसके लिए सब कुछ बन जाता है अब आप ये भी का सकते हो की ये जो एडवरटाइजमेंट है इसको सब कुछ क्यों बनाना 70 रुपए लगता हैं तो आप न्यूज़ पेपर को ₹20 में भेज दो और अपना प्रॉफिट बना लो तो देखिए ऐसा भी नहीं किया जा सकता टाइम्स ऑफ इंडिया ने जनवरी 2022 से जून 2022 तक डेली 16 लाख न्यूज़पेपर घर घर में जाकर भेजें तो अगर वो न्यूज़ पेपर का दम बड़ा के इसको पूरा करने की कोशिश करेंगे तो उसका सरकुलेशन कम हो जाएगा और उनको बुरी तरीके से नुकसान होगा और जो एडवरटाइजर्स आते हैं वो भी नहीं आएंगे बस एक डी हिंदू जो न्यूज़पेपर है वो ₹10 का बिकता है और वो इसलिए बिकता है क्योंकि उसकी एक लॉयल ऑडियंस है और यूपीएससी वगैरा की जो प्रिपरेशन करते हैं वो भी इसको बहुत ज्यादा पढ़ने हैं इसके बाद जितने भी न्यूज़पेपर हैं वो सारे कम में ही बिकते हैं पहले चीज तो ये चीज टाइम्स ऑफ कई कम में बीच रहा है तो बाकी न्यूज़ पेपर की मजबूरी हो जाति है उसको कम में बेचना क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेगा वो तो कोई और लगा ही नहीं उसको अब देखिए जो एडवरटाइजर है जो पैसा दे के अपना एड करवा रहा है न्यूज़पेपर के अंदर वो इस न्यूज़ पेपर को प्रेफरेंस देता है जी न्यूज़पेपर के ऑडियंस की परचेसिंग पावर ज्यादा होती है तो ऐसा माना जाता है की जो इंग्लिश बोलते हैं और पढ़ने हैं उनकी परचेसिंग पावर ज्यादा होती है तो इंग्लिश न्यूज़पेपर के एड जो होते हैं वो ज्यादा महंगे होते हैं और क्योंकि एडवरटाइजर्स का फॉक्स जो है वो उन न्यूजपेपर्स पे होता है जिनकी ऑडियंस की परचेसिंग पावर ज्यादा होती है तो हिंदी न्यूज़ पेपर हो या फिर इंग्लिश न्यूज़ पेपर हो जो प्रिविलेज ऑडियंस है जो न्यूज़पेपर खरीद के पढ़ शक्ति है इस ऑडियंस के हिसाब से न्यूज़ सर्व करता है और वैसे भी ये जो ₹5 का जो न्यूज़पेपर है भले ही कम लगे लेकिन एक गरीब मजदूर किसान और पिछड़ी इलाकों के लोगों के लिए ये ₹5 भी बहुत महंगे होते हैं तो ऐसे कैसे में जो न्यूज़पेपर है ये प्रोडक्ट बन जाता है जिसकी ऑडियंस गरीब लोग नहीं है बल्कि प्रिविलेज लोग हैं जो न्यूज़पेपर खरीद सकते हैं इसलिए न्यूज़पेपर के अंदर जो न्यूज़ होती है जैसे की बॉलीवुड भारत सेलिब्रिटी गौर से बिजनेस लीडर्स ये साड़ी न्यूज़ जो होती है प्रिविलेज रीडर के लिए ही होती है और देश का जो काफी बड़ा गरीब तब का है वो पुरी तरीके से कट जाता है न्यूज़पेपर की खबरे से मुंबई दिल्ली बेंगलुरु में एक घंटे भी अगर बारिश हो जाए उसे पे घंटा कवरेज चलती है लेकिन छोटे-छोटे गांव अगर पुरी तरीके से भी पानी में डब जाए तो कोई नहीं पूछता है टाइम्स ऑफ इंडिया देश का सबसे बड़ा न्यूज़पेपर होने के बाद भी उसका 2018 का जो रिवेन्यू है वो 10000 करोड़ था और उसका जो प्रॉफिट था वो 681 करोड़ था और ये जो प्रॉफिट में आपको बता रहा हूं देश के इतने बड़े न्यूज़पेपर के हिसाब से काफी कम है इंडिया के सबसे बड़े न्यूज़ पेपर से ज्यादा तो एक बल्ब बनाने वाली कंपनी काम लेती है और ये बहुत ही डेंजरस सिचुएशन है क्योंकि जो न्यूज़पेपर कंपनी देश के बड़े तबले का ओपिनियन बना रही है और उसके बाद भी प्रॉफिट नहीं बना का रही है तो ऐसे कैसे में उसको कंट्रोल करना छोटे-मोटे पॉलीटिशियन और बिजनेस के लिए भी बहुत आसन हो जाता है अब आप ये भी का सकते हो की ये तो पूरे बिजनेस है तो इसमें पॉलीटिकल पार्टी और गवर्नमेंट की इशारों पे ये लोग क्यों नाचते हैं तो थोड़ा सा वेट करिए अभी आपको समझता हूं अब देखिए न्यूज़ पेपर तो फिर भी काफी हद तक काम लेट है लेकिन टीवी न्यूज़ चैनल जो है उनका तो इसे भी बड़ा हाल है आपका जो टीवी सर्विस प्रोवाइडर है उसकी वेबसाइट पर जाएगा और न्यूज़ चैनल के जो मंथली सब्सक्रिप्शन है उसके रेट चेक करेगा आधे से ज्यादा न्यूज़ चैनल जो है वो तो फ्री में चल रहे हैं और जो बाकी है वो एक से दो रुपए मंथली लेते हैं और ये मैं दिन का नहीं बता रहा हूं मंथली लेते हैं एक से दो रुपए वहीं भारत और एंटरटेनमेंट चैनल जो है वो ₹10 से ₹25 तक लेते हैं अगर मैं व्यूअरशिप की बात करूं तो ये देखिए ये वीकली डाटा है एंटरटेनमेंट और भारत चैनल जो है वो व्यूअरशिप में बहुत आगे है इसलिए यहां पे भी सर जो एडवरटाइजमेंट है वो भारत चैनल और एंटरटेनमेंट चैनल के पास चला जाता है अब देखिए एक न्यूज़ चैनल चलने में करोड़ रुपए लगता हैं लेकिन सब्सक्रिप्शन से इनकी कास्टिंग पुरी नहीं हो शक्ति है और जो टीवी एडवरटाइजमेंट होते हैं वो भी व्यूअरशिप की वजह से एंटरटेनमेंट और भारत चैनल हैं उनके पास चले जाते हैं और इसके बाद भी अगर एक न्यूज़ चैनल गरीबों के मुद्दे दिखाएगा और किसने की बातें करेगा तो उसकी और गिर जाति है तो इसलिए मसाला और भूत प्रेत की जो न्यूज़ होती है उसको दिखा के ये लोग व्यूअरशिप मेंटेन करते हैं ताकि एस कम से कम थोड़े बहुत आते रहे अगर हम बाहर के देश के न्यूज़ चैनल की बात करें तो वो अपनी 70% कमाई जो है वो टीवी चैनल के सब्सक्रिप्शन से ही पूरा कर लेते हैं उनकी डिपेंडेंसी एडवरटाइजमेंट पे उतनी नहीं है जितनी इंडिया के बेहतर है बाहर की न्यूज़ चैनल डॉक्युमेंट्री वगैरा भी काफी हाय क्वालिटी बनाते हैं ताकि जिन लोगों ने उनको सब्सक्राइब किया उनको क्वालिटी कंटेंट मिले जो हाउस ऑफ कार्ड जो सीरीज है उसकी एक सीरीज की कॉस्ट 30 करोड़ रुपए है वहीं बिग बस का एक एपिसोड 4 करोड़ के करीब बन जाता है और उससे ज्यादा व्यूअरशिप आई है बिग बस की यूके के अंदर एक आदमी को टीवी चैनल देखने के लिए लाइसेंस लेना होता है वो करीब होता है 1509 पाउंड का तो करीब 14000 रुपए की लगभग पड़ता है तो यूके के जो बीबीसी वगैरा हैं इनके पास इंडियन न्यूज़ चैनल के कंपेरटिवली ज्यादा फंड्स होते हैं इसलिए उनके कंटेंट की क्वालिटी भी ज्यादा होती है तो देखिए अभी तक के डिस्कशन में आपको ये समझ में ए गया होगा की न्यूज़ पेपर हो या फिर टीवी चैनल सब के सर्वाइवल के लिए एडवरटाइजमेंट कितना जरूरी है और इंडिया के अंदर जो सबसे बड़ा एडवरटाइजर है वो है सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट एक कंपनी के कंपेरटिवली गवर्नमेंट के पास हजारों स्कीम्स ऑफर्स डिपार्मेंट और प्रोजेक्ट्स होते हैं प्रमोट करने के लिए जैसे सरकारी बैंक जो होते हैं उनकी अलग-अलग योजनाएं होती हैं लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन अलग-अलग टूरिज्म बोर्ड्स रेलवे सरकारी इंडस्ट्रियल मीनिंग कंपनी बहुत सारे एडवरटाइजमेंट होते हैं जो की सरकारी होते हैं और ये करवाने होते हैं और ध्यान रखिएगा जो मैं एडवरटाइजमेंट की बात कर रहा हूं ये गवर्नमेंट एडवरटाइजमेंट की बात कर रहा हूं जो पॉलीटिकल पार्टी इस चुनाव के टाइम पे एड करती है वो अलग है इससे हमने भले लास्ट लोकसभा इलेक्शन में 60000 करोड़ से ज्यादा खर्च किया हो भले ही हम पूरे वर्ल्ड में इलेक्शन में सबसे ज्यादा पैसा खर्च करते हो लेकिन इन सबसे कहानी ज्यादा पैसा हमारी गवर्नमेंट को अपनी अलग-अलग गवर्नमेंट स्कीम को लोगो तक पहचाने के लिए खर्चा करना होता है तो इसलिए जब कोई पॉलीटिकल पार्टी जीत के पावर में आई है तो उसके हाथ में ये पावर होती है की एडवरटाइजमेंट किसको देना है तो मोटा मोती आप इस तरीके से इसको समझ लीजिए की गवर्नमेंट जो है वो इन न्यूज़पेपर चैनल की सबसे बड़ी कस्टमर है यानी की ग्राहक है और ये हमेशा से चला है की सेंट्रल गवर्नमेंट हो पहले की गवर्नमेंट हो स्टेट गवर्नमेंट हो उनके अगेंस्ट में जब भी न्यूज़ मीडिया लिखना है तो उनके एडवरटाइजमेंट बैंड हो जाते हैं जैसे 2019 के इलेक्शन के टाइम पे जो हिंदू न्यूज़पेपर था उसने राफेल डील में कई साड़ी इरेगुलेरिटीज हुई थी उसको लेकर बीजेपी के अगेंस्ट में एक सीरीज चला दी थी ऐसे ही टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक सीधी चलाई थी जिसमें उन्होंने लोकसभा इलेक्शंस के टाइम पे पीएम मोदी के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को वायलेट करने में खबरें प्लेन स्टार्ट कर दी थी और फिर जब 2019 में गवर्नमेंट जीत की आई तो टाइम्स ऑफ इंडिया डी हिंदू इकोनामिक टाइम्स डी टेलीग्राफ और एबीपी जिसको आनंदाबाजार पत्रिका कहते हैं ऐसे न्यूज़पेपर के एडवरटाइजमेंट बैंड कर दिए थे ये कहना था अधीर रंजन चौधरी का जो कांग्रेस के लीडर थे आदि रंजन चौधरी ने लोकसभा में खड़े हो के बोला की बीजेपी गवर्नमेंट ये जानबूझकर कर रही है और ये भी बोला की बीजेपी ने डीएवीपी जो डिपार्मेंट है उसको बोल के एडवरटाइजमेंट बैंड कर दिया क्योंकि इन्होंने बीजेपी के खिलाफ नेगेटिव रिपोर्टिंग कारी थी और उन्होंने ये भी कहा की इसके बाद टाइम्स ऑफ इंडिया के एचडी विनीत जैन को मल्टीपल चक्कर लगाने पड़े पो में तब जाकर दोबारा से एडवरटाइजमेंट मिला उन्होंने आप कांग्रेस के लीडर बीजेपी को तो बोल रहे थे लेकिन जब वो खुद पावर में थे तो वो खुद भी यही कर रहे थे कांग्रेस ने 2014 के इलेक्शन से तीन साल पहले 20148 करोड़ खर्च किया थे इसमें से 13 करोड़ प्रिंट मीडिया पे और 729 करोड़ टीवी पे खर्च किया थे और जो कांग्रेस का भारत निर्माण कैंपेन था उसे पर भी कांग्रेस ने 2010 से 2014 के बीच में 421 करोड़ खर्च किया थे और ज्यादातर एड्स उनको ही मिले थे कांग्रेस गवर्नमेंट के अगेंस्ट में खुलकर नहीं बात करते थे थोड़े सॉफ्ट रहते थे कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी का भी वही हाल है पंजाब के अंदर अजीत समाचार सबसे ज्यादा पढ़े जान वाला अखबारों में से एक है जब आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपने मेनिफेस्टो में लिखे हुए वादे पूरे नहीं किया तो उन अधूरे वादों की रिपोर्ट अजीत समाचार के एग्जीक्यूटिव एडिटर सतनाम सिंह मार्ग में अपने न्यूज़पेपर में छापने शुरू कर दी तो जब उन्होंने ये सिर्फ स्टार्ट किया तो अभी यही 2023 के स्टार्टिंग में आम आदमी पार्टी ने ये जो न्यूज़पेपर है अजीब समाचार इसके पहले डिस्प्ले एड बैंड करवा दिए फिर जो टेंडर वाले एड थे उनको बैंड करवा दिया और जो गवर्नमेंट के प्रेस नोटिस वगैरा आते थे जो सबको मिलते थे वो भी बैंड करवा दिए अब अजीत समाचार जो न्यूज़पेपर है उसको फाइनेंस मैनेज करने में बहुत दिक्कत ए रही है और आज की डेट तक इनके एड दोबारा से नहीं चालू किया गए हैं आम आदमी पार्टी ने से यही चीज पंजाबी ट्रिब्यून के साथ भी की थी लेकिन वो जल्दी समझ में ए गया उनको तो उनके एड जो थे वो शुरू कर दिए गए थे लेकिन अजीत समाचार के एग्जीक्यूटिव एडिटर सतनाम सिंह जो है वो खुलेआम का रहे हैं की आम आदमी पार्टी के जिन मुद्दों पे हम रिपोर्ट कर रहे हैं उसको इनडायरेक्ट करने के लिए माना किया गया और अगर हम ये करते रहेंगे तो हमें एड कभी नहीं मिलेंगे ऐसे उत्तर प्रदेश का एग्जांपल लेने तो अप्रैल 20-20 और मार्च 2021 में एक साल के अंदर 160.31 करोड़ सिर्फ टीवी एड पे खर्च किया गए इसमें सबसे ज्यादा जो पैसा था वो नेटवर्क 18 को मिला और मार्च 2022 के आसपास ये फंड मेरा था और उसके बाद से आप अगर रिपोर्टिंग देखोगे नेटवर्क ए टीम की जिसमें अमीश देवगन के आप अगर इंटरव्यू वगैरा देखोगे रिपोर्टिंग देखोगे तो ये सब आपको न्यूज़ करते हुए रिपोर्टिंग करते हुए इंटरव्यू लेते हुए अपने जो एडवरटाइजर हैं उनके खिलाफ सॉफ्ट दिखेंगे और इस पूरे खेल में जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी है वो सबसे एक कम आगे है दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने बायो दी कंपोजर लॉन्च किया इसको इंप्लीमेंट करने में 2020 से 202 तक जो टोटल खर्चा आया था वो 68 लाख आया था और इन्होंने इस प्रोजेक्ट में 23 करोड़ रुपए लगा दिए अब देखिए जो गवर्नमेंट की स्कीम होती है इनके आयर्स तो मिलते हैं ये न्यूज़ मीडिया को इसके साथ-साथ डायरेक्टरेट ऑफ ऑडियो विजुअल पब्लिसिटी डीएवीपी जो सेंट्रल गवर्नमेंट चलती है और इनफॉरमेशन पब्लिक रिलेशन डिपार्मेंट जो स्टेट गवर्नमेंट चलती है इसके थ्रू भी गवर्नमेंट चाहे तो पैसा दे शक्ति है जैसे 2018 में इंडिया में पब्लिक एडवर्टाइज के नाम पे 7.8 बिलियन यूरो गवर्नमेंट ने खर्च किया तो यही सारे रीजन हैं की एक न्यूज़ मीडिया हो या न्यूज़ एजेंसी हो न्यूज़पेपर हो ये पुरी तरीके से इन एड्स पर डिपेंडेंट हो गए हैं और इसीलिए जो अखबार पहले छाप के बिकते थे वो आजकल बिकने के बाद छाप रहे हैं और यही नहीं जब इलेक्शन पास में आने वाले होते हैं तो सारे न्यूज़ मीडिया वाले सही से रिपोर्टिंग करें इसके लिए गवर्नमेंट एड्स के जो पैसे होते हैं उनको बड़ा देती है जैसे कंपनी के अंदर वाली अप्रेजल होता है बेस्ड ऑन परफॉर्मेंस तो इलेक्शन तू इलेक्शन इनके भी अप्रेजल होते हैं डिपेंड ऑन की किस तरीके का वो फीवर कर रहे हैं जैसे 2019 का इलेक्शन में पास आने वाला था तब प्रिंट मीडिया को जो गवर्नमेंट एड से पैसे मिलते थे उसको डायरेक्ट 25% बड़ा दिया था और उसके कुछ दिन बाद प्राइवेट टीवी चैनल जो थे उनके एडवरटाइजिंग राइट जो थे उसको 11% बड़ा दिया था और एक्सपट्र्स ये भी का रहे हैं की 2024 का जो इलेक्शन आने वाला है इससे पहले जो न्यूज़ एजेंसी हैं न्यूज़ चैनल हैं इनके जो रेट्स हैं वो फिर से बधाई जाएंगे और ये जो मैं अभी आपको बता रहा हूं ये तो गवर्नमेंट एड्स की बात कर रहा हूं मैं जब इलेक्शंस पास में आने वाले होते हैं तो जो न्यूज़ मीडिया है उसके दोनों हाथ गी और वो कढ़ाई में होते हैं ये जो अलग-अलग इंडिविजुअल पार्टीज वगैरा होती है इनके झंडा टोपी दिखाने के लिए अलग से पैसे मिलते हैं ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल बीएआरसी इसका एक डाटा है जिसमें कांग्रेस और बीजेपी एड्स पर पैसे खर्च करने में टॉप टेन में है और बीजेपी कांग्रेस से भी आगे है बीजेपी ने 12th ऑफ नवंबर 2018 से 16th ऑफ नवंबर 2018 तक 22 2019 टाइम्स टीवी पे एड चलाएं जो पूरे इंडिया का जो सेकंड लार्जेस्ट एडवरटाइजर है उससे भी डबल था ये चार्ट भी देख लीजिए लैंग्वेज विजय टीवी चैनल को कैसे पैसे बनते जाते हैं शुरू में मैंने न्यू एजेंसीज के बड़े में बात किया था जो इतनी पावरफुल होती है इनके खुद के सैटेलाइट वगैरा होते हैं गवर्नमेंट और पे इनकी भी डिपेंडेंसी होती है आपको एक एग्जांपल समझता हूं जैसे पीटीआई इंडिया की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी है इसने 2020 में गलवान वाला जो इशू चल रहा था इसने चाइनीस एम्बेसडर का इंटरव्यू लिया है इंडिया के अंदर ही अब देखिए जो चाइनीस एम्बेसडर है वो चीन का ही महिमा मंडन करेगा और इंडिया की कमियां गिनवाएगा तो उसने वैसे ही किया लेकिन पीटीआई जो इंटरव्यू ले रहा था उसने हार्ड रेटिंग क्वेश्चंस नहीं पूछे अगर आप वो इंटरव्यू देखोगे तो इधर से पीटीआई वाले कुछ काउंटर ही नहीं कर का रहे थे खाली तीन बेसिक क्वेश्चन पूछे उन्होंने और साफ ग रहा था जैसे पहले से ही वो बिजनेस डिसाइड हो और जो चाइनीस एम्बेसडर था वो बैक तू बैक कमी निकाल रहा था इंडियन गवर्नमेंट की और इंडिया की बुराई कर रहा था अब इसका जो नुकसान था वो गवर्नमेंट का हुआ एक तरफ गवर्नमेंट का रही है की एक इस जमीन भी हमने नहीं दी है अपनी हमारी कोई गलती नहीं है और उधर चाइनीस एम्बेसडर इतने बड़ी न्यूज़ एजेंसी पीटीआई बहुत बड़ी न्यूज़ है उसके सामने इंडियन गवर्नमेंट की बुराई कर रहा है गवर्नमेंट को ये बात अच्छी नहीं लगी उनका कहना था की चीन जो है वो तो इंडियन एम्बेसडर को कभी अलाव नहीं करता इंटरव्यू के लिए और पीटीआई की वजह से देश की जो इमेज है वो खराब हुई है तो अब इसके बाद हुआ क्या देखिए पीटीआई का जो में कस्टमर है वो है पाराशर भारती परासर भारतीय जो है उससे इतना पैसा लेती है आरटीआई एक डाली गई थी तो उसमें पता चला था की इतना पैसा लेती ये उसे आरटीआई की कॉपी है तो इसके बाद पाराशर भारतीय ने लेटर लिखा पीटीआई से और कहा की जो आप कर रहे हो इसके बाद हमें अपने रिलेशन जो है वो रिवेलुएट करने होंगे और इस इंसिडेंट के बाद आप अगर देखोगे तो जो बाकी की न्यूज़ एजेंसी हैं जैसे ए एन आई वगैरा है इनको इंर्पोटेंस ज्यादा मिलने लगी सारे मिनिस्टर्स के जो इंटरव्यू हैं वो ए एन आई पे मिलने लगे तो इस तरह से गवर्नमेंट इनको हैंडल करती है देखिए न्यूज़ चैनल को सरवाइव करने के लिए काफी कुछ करना होता है और मां लीजिए आप पढ़ाई करके एक न्यूज़ चैनल को जॉइन करते हैं और कहते हैं की हम सच्चाई का आईना दिखाएंगे हम ये सब रिपोर्टिंग नहीं करेंगे तो दूसरे दिन आपको हटा के किसी और को जगह दे दी जाएगी और बाकी कहानी भी अगर आप जब करेंगे तो बाकी न्यूज़ चैनल के साथ भी तो वही है तो आपका जो करियर है वही दावा पे ग जाएगा और जो न्यूज़ चैनल रनिंग गवर्नमेंट के अगेंस्ट में ज्यादा रहते हैं तो प्राइवेट कंपनी जो है वो भी बजती है उनको एड देने के लिए ताकि जो ग्रॉलिंग गवर्नमेंट है उससे उनकी बात ना खराब हो जाए अच्छा ये जो एडवरटाइजमेंट का पूरा गेम है इसमें कभी-कभी ऐसा भी होता है की गवर्नमेंट को उल्टा चुनाव भी ग जाता है ये जो अलग-अलग परियों के कार्यकर्ता वगैरा होते हैं जो अपनी प्रोफाइल में समाज सेवा वगैरा लिखकर घूमते हैं तो ऐसा भी कैसे हुआ की कुछ सिचुएशन में कार्यकर्ता अपनी परियों को भी धोखा दे देते हैं पैसा बनाने के लिए 2015 में डायरेक्टर ऑफ एडवरटाइजिंग और विजुअल पब्लिसिटी डीएवीपी ने एक ऐसे ही रेंडम इंक्वारी की जो गवर्नमेंट पैसा दे के एड करवा रही है ये किसको किसको जा रहा है उसको चेक करने की कोशिश की उन्होंने लाइन से एडवरटाइजिंग लिस्ट जो थी उसे पे नंबर मिलन चालू किया तो कोई नंबर तो लॉन्ड्री शॉप का निकाला कोई कल सेंटर का निकाला एक्चुअल में न्यूज़पेपर जो थे वो एक्जिस्ट ही नहीं करते थे लेकिन गवर्नमेंट से एड के पैसे लेक ये जो सेवा सेवक थे यह समाज भक्षक का कम कर रहे थे अब देखिए होता क्या है की अगर एड के पैसे से भी कुछ न्यूज़ एजेंसीज या न्यूज़पेपर कंट्रोल में नहीं होते हैं तो फिर गवर्नमेंट उसे करती है स्लैप स्लैप स्ट्रेटजी यानी की स्ट्रैटेजिक लॉसूट्स अगेंस्ट पब्लिक पार्टिसिपेशन इस स्ट्रीट्स के थ्रू जर्नलिस्ट या फिर न्यूज़ एजेंसी इन बड़े-बड़े लोगों के खिलाफ या पॉलीटिशियंस के खिलाफ लिखने हैं या फिर उनकी बात नहीं सुनते हैं उनके खिलाफ बैक तू बैक कैसे फाइल किया जाते हैं डिफेमेशन के और ये कैसे किया जाते हैं इनका मकसद जितना है हरण नहीं होता है बल्कि परेशान करना होता है की इतना हरस कर दो की वो लिखना ही छोड़ दे अब मां लो की दिल्ली के अंदर कोई जर्नलिस्ट है और वो गवर्नमेंट के अगेंस्ट में या फिर बड़े-बड़े बिजनेसमैन हैं उनके अगेंस्ट में लिख रहा है तो उसको एक जगह से नहीं बल्कि मल्टीपल जगह से उसके खिलाफ इनफॉरमेशन किया जाता है जैसे चंडीगढ़ असम अलग-अलग जगह से उसको ऊपर डिफेमेशन कैसे किया जाएगा एक एग्जांपल समझता हूं की मैं कहना छह रहा हूं अगर आपको याद हो तो एक आई पी एम करके इंस्टिट्यूट था जो हर जगह उसके एड चलते थे जिसको अरिंदम चौधरी चलते थे तो इस इंस्टिट्यूट में एक दिक्कत थी की ये इंस्टिट्यूट ना तो यूजीसी यूनिवर्सिटी चार्ज कमीशन ना तो इससे एफिलिएटिड साथ और ना ही एक्ट जो इंडिया काउंसिल पर टेक्निकल एजुकेशन नहीं इससे रिलेटेड था लेकिन उसके बाद भी ये बच्चों से मोटा पैसा लेकर डिग्री वगैरा दे रहा था लाखों बच्चों का फ्यूचर इस पे दावा पे लगा था तो 2005 में आउटलुक ने कहा की आई एम उन एथिकल एडवरटाइजिंग प्रैक्टिस कर रहा है स्टूडेंट का जो फ्यूचर है वो दिक्कत में ए सकता है और फिर इसके बाद आईआईपीएम ने इसी स्लैप स्ट्रीट्स का उसे किया आईपीए हमने आउट लुक के खिलाफ इनफॉरमेशन कैसे किया फिर कारवां मैगजीन है उसके ऊपर डिफेमेशन कैसे किया तो उसके बाद करियर 360 उसके ऊपर उसके जो पब्लिशर थे महेश्वर परी उसके ऊपर कैसे किया और जब ये कैसे करते थे मल्टीपल कैसे करते थे खुद आज एन कंपनी भी कैसे करते थे और इनकी कंपनी के अंदर जो एम्पलाइज थे उनको भी पैसे देकर उनसे भी कैसे करवाते थे और जहां का जर्नलिस्ट होता था वहां से दूर कैसे किया जाते थे मां लो डेली का है तो उसके ऊपर जो कैसे हो गए वो चंडीगढ़ असम अलग-अलग जगह से होगी ताकि जो जनरलिस्ट है उसको पहले तो लॉर्ड ढूंढने में दिक्कत है फिर फाइनेंशियल बदन उसका बाढ़ जाए जहां वो एक लॉयर कर सकता था उसको मल्टीपल लॉयर करने पढ़ेंगे इस तरीके से हरण करना चालू किया तो मोटा मोती ऐसे भी एक जर्नलिस्ट या न्यूज़ एजेंसी की कॉस्ट इतनी बड़ा दो की वो आपके बड़े में लिखना ही बैंड कर दे और यही से चीज आईआईपीएम के साथ भी हुई इसने इतने कैसे बैक तू बैक करें और इतने सारे लोगों पे करें की एक टाइम ऐसा ए गया था की कोई भी न्यूज़ एजेंसी इतना कुछ देखने के बाद भी लिख ही नहीं का रही थी इनके खिलाफ और आगे चल के ये लोग कैसे जीते भी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उतने टाइम तक ये लोग हरस हो चुके थे और जो खबरें थी वो बाहर आना बैंड हो गई थी और यही से स्ट्रेटजी बड़ी कंपनी जो होती है पॉलीटिकल पार्टी होती है गवर्नमेंट होती हैं ये न्यूज़ मीडिया और जर्नलिस्ट के खिलाफ उसे करती हैं अगर वो उनके कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं जैसे अनिल अंबानी के खिलाफ बहुत साड़ी न्यूज़ ए रही थी तो 2018 जनवरी के बाद फाइनेंशियल टाइम्स ब्लूमबर्ग और इंडियन पब्लिकेशन जैसे डी इकोनामिक टाइम्स डी फाइनेंशियल एक्सप्रेस डी वीक डी ट्रिब्यून एनडीटीवी इन सब के ऊपर बैक तू बैक कैसे जब तक लिखना बैंड नहीं किया इन्होंने इसमें अदानी जी भी पीछे नहीं है उन्होंने भी 2017 में इकोनॉमिक्स और पॉलीटिकल वीकली के ऊपर डिफेमेशन कैसे किया अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड ने न्यूज़ क्लिक वेबसाइट जो है उसके ऊपर कैसे किया थर्ड ऑफ अगस्त 20 21 को अदानी पोर्ट और स्पेशल इकोनामिक जॉन लिमिटेड ने अहमदाबाद कोर्ट में इकोनामिक टाइम्स के ऊपर कैसे कर दिए कई ऐसे फ्री लेंस जर्नलिस्ट भी थे जैसे रवि नायर वगैरा 19 अगस्त 2021 को उनके ऊपर भी डिफेमेशन कैसे कर दिए और फिर ये ट्रेड ऐसा चला है की जब तक कैसे होते हैं जब तक लिखना बैंड ना हो जाए और ये कैसे भी तभी बैंड हुए जब लिखना बैंड हो गया और जब ये लोग कैसे करते हैं चाहे बड़ा पॉलीटिशियन है बड़ा बिजनेसमैन तो ये लोग बहुत ही बड़ा अमाउंट का कैसे करते हैं जैसे 10000 करोड़ का मां हनी का दवा अब रूल ये कहता है की जितने का आप कैसे करोगे उसका 1% आपको कोर्ट के अंदर जमा करना पड़ेगा मां लो आप 10000 करोड़ का डिफेमेशन कैसे कर रहे हो तो आपको 100 करोड़ जो है वो कोर्ट के अंदर जमा करना पड़ेगा इन कैसे वो आपके इस हार्ट हो तो आपको देना पड़ेगा अब कैसे आप जीतोगे ए गए या नहीं जीतोगे ये तो किसी को नहीं पता तो इतना अमाउंट तो कोई रिस्पेक्ट दाल नहीं सकता और जो इनकी इंटेंशन है वो भी कैसे जितने हारने की नहीं है इनकी जो इंटेंशन है वो परेशान करने की इतना परेशान करोगे लिखना बैंड हो जाए तो इसका भी इन्होंने एक तोड़ निकाल रखा है की जितने भी डेफिनेशन के कैसे ये लोग करते हैं सब गुजरात के अंदर से करते हैं क्योंकि पूरे इंडिया में गुजरात एक ऐसी जगह है जहां पे मैक्सिमम फीस जो आप डिफेमेशन के लिए कर सकते हो वो 75000 ही कर सकते हो मतलब की आप 10000 का भी डिफेमेशन कैसे कर सकते हो बस आपको ₹75 पे जमा कर रहे हैं तो ज्यादा अमाउंट रिस्क पे नहीं राहत है वर्स्ट कैसे सिनेरियो में कैसे हर भी जाए तो 75000 चले जाते हैं लेकिन इन सब चीजों की वजह से इतना हरासमेंट होता है इतने वकील लगता हैं इतना ट्रैवल इतना पैसा लगता है की जो मीडिया इंडस्ट्री है और जो जो जनरलिस्ट वगैरा है वो लिखना बैंड कर देते हैं तो ये स्लैब स्ट्रीट्स है ये भी उसे करते हैं लोग आप एडवरटाइजमेंट का जो पैसा है उसको देखिए भी अगर मीडिया कंट्रोल में नहीं आता है डिफेमेशन के केसेस जो हैं दारा धमक के उससे भी अगर मीडिया कंट्रोल में नहीं आता है तो नेक्स्ट ऑप्शन आता है उसको खरीदने का मीडिया कंसोलिडेशन के बड़े में आप एक सर्च मार डीग तो आपको पता चलेगा इसमें बेसिकली ये है की कुछ लोग पूरे मीडिया को कंट्रोल करके पूरे देश का ओपिनियन डिसाइड करते हैं अब देखिए होता क्या है की बाकी इंडस्ट्रीज जो है उसके मुकाबला मीडिया कंपनी जो है वो छोटी है भले ही हजारों करोड़ कमेटी हूं लेकिन उनके कंपैटिबिलिटी काफी छोटी हैं 2007 और 2008 का जो इकोनामिक बम आया था उसमें बाकी कंपनी तो बहुत ज्यादा गो कारी लेकिन न्यूज़ मीडिया कंपनी जो थी उनका जो बिजनेस मॉडल था उतना इफेक्टिव नहीं था तो वो हमेशा कर्ज में ही रहती थी और यही वो टाइम था जब बड़े-बड़े पॉलिटिक्स बड़े-बड़े बिजनेसमैन ये न्यूज़ मीडिया को खरीदना शुरू किया इंडिया के अंदर जितने भी न्यूज़ चैनल है उनमें से वन थर्ड या तो पॉलीटिशियन ऑन करते हैं या फिर बिजनेस मां ऑन करते हैं जो पॉलीटिशियन से बहुत ही क्लाजली लिंक है और पहले के टाइम पे जब लोकल केवल डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम था तो उसे टाइम पे तो लगभग 60% लोकल पॉज़िशन जो थे वो उसको ऑन करते थे ये देखिए ये है पूरा चार्ट की कौन किसको चलता है लेकिन ये भी इनफ ना हो तो मैं और बता देता हूं की कौन सा न्यूज़ चैनल को कौन सा बिजनेसमैन या फिर पॉलीटिशियन ऑन करता है ये लोग किसी गो का किसी समाज सेवा वाली कंपनी को ऑन करें ना करें लेकिन इनका इंटरेस्ट न्यूज़ मीडिया कंपनी में बहुत राहत है नेटवर्क 18 इसके पास सीएनबीसी आवाज सीएनएन न्यूज़ 18 न्यूज़ 18 इंडिया और सीएनबीसी टीवी 18 जैसे न्यूज़ चैनल हैं और फर्स्ट post.com और मनी control.com जैसी वेबसाइट थी ये भी इनके पास थी न्यूज़ 18 के पास तो फॉर्म मैगजीन जो है उसको छापने तक के लाइसेंस थे इंडिया के अंदर रिलायंस फैमिली के अगेंस्ट में न्यूज़ 18 जो था वो काफी अच्छा नहीं लगता था ये लोग रिलायंस फैमिली के काफी खिलाफ थे और कई बार झगड़ा होने के बाद जब कोई ऑप्शन नहीं बचत है तो जनवरी 2022 में रिलायंस ने नेटवर्क 18 में 1700 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया और 2 साल बाद लिस्ट ऑफ में 2014 को रिलायंस ने नेटवर्क 18 का पूरा कंट्रोल अपने पास ले लिया अगर आपको याद हो तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे अरविंद केजरीवाल मुकेश अंबानी के गास्दी पर सवाल खड़े कर रहे थे वो रोज टीवी पे आके मुकेश अंबानी के खिलाफ कुछ ना कुछ बोल ही रहे थे अक्टूबर और नवंबर 2012 में अरविंद केजरीवाल ने दो प्रेस कॉन्फ्रेंस की उसमें उन्होंने कहा की अंबानी के पास स्विस बैंक अकाउंट है जिसमें ब्लैक मनी है और रिलायंस इंडस्ट्री ने सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए क गैस वेल जो है उसमें प्रोडक्शन कम कर दिया है इसके दो महीने बाद जनवरी 2013 में जिन-जिन न्यूज़पेपर ने केजरीवाल की जो प्रेस कॉन्फ्रेंस थी उनको लाइव ब्रॉडकास्ट किया था उनको रिलायंस के लॉयर्स ने लीगल नोटिस भेजें क्वॉड इंडिया की एक रिपोर्ट है उसके हिसाब से नेटवर्क 18 में खरीदने के बाद और जब सारे एम्पलाइज ने रेजिग्नेशन मार दिया उसके बाद रिलायंस के एग्जीक्यूटिव ने नेटवर्क 18 के जर्नलिस्ट के लिए एक टाउन हाल मीटिंग कारी जिसमें साफ समझाया गया की अब अरविंद केजरीवाल को न्यूज़ मीडिया के अंदर दिखाने की कोई जरूर नहीं है इसी तरह जो बाकी चैनल हैं उनमें भी बड़े-बड़े कॉरपोरेट हाउसेस का पैसा लगा है तो ये तो मैंने एक एग्जांपल के लिए बताया इसी तरीके से बाकी जो न्यूज़ चैनल है है उसमें भी बड़े-बड़े कॉरपोरेट हाउसेस का पैसा लगा जैसे की इंडिया टुडे ग्रुप जो है जिसमें आज तक इंडिया टुडे लल्लन टॉप और न्यूज़ तक जैसे चैनल हैं इसका 23.6% हिस्सा कुमार मंगलम बिरला और उनकी फैमिली ऑन करती है इसी तरीके से एशिया आते न्यूज़ जो है उसको राजीव चंद्रशेखर ऑन करते हैं जो बीजेपी से एसोसिएटेड है और अभी सेंट्रल गवर्नमेंट में मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट ऑफ स्किल डेवलपमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप और इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के मिनिस्टर इन्होंने रिपब्लिक टीवी में भी शुरू में इन्वेस्ट किया था और डायरेक्टर भी थे हालांकि अभी इन्होंने छोड़ दिया जो लोग फैमिली के विजयदर्द जो तीन बार कांग्रेस पार्टी की तरफ से एमपी भी बने हैं वो ऑन करते हैं ऐसे पंजाब में जो अकाली दाल के प्रमुख हैं सुखबीर सिंह बादल और उनकी फैमिली पीसी न्यूज़ नेटवर्क को ऑन करती है इसके अलावा यही फैमिली केवल टीवी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को भी ऑन करती है पंजाब में तो ये कैसे और भी इंटरेस्टिंग हो गया है क्योंकि जी चैनल को कम के बेटे ऑन करते थे इस चैनल को पंजाब की जो गवर्नमेंट थी वो सरकारी एड भी देती थी और वो भी तब जब वो चैनल बिल्कुल जस्ट लॉन्च हुआ है उसकी वगैरा क्या है उसका कुछ पता नहीं था उसके बाद में उसको गवर्नमेंट एड मिले 2008 में तीन चैनल थे इसी न्यूज़ पीसी पंजाबी और पीसी चक दे यह लॉन्च हुए और लॉन्च होते ही सरकारी एड्स मिलन चालू हो गए न्यूज़ एक्स और इंडिया न्यूज़ जो उनके रीजनल चैनल जो हैं वो हरियाणा के पॉलीटिशियन और फार्मर मिनिस्टर विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ऑन करते हैं जी न्यूज़ जो है उसको सुभाष चंद्र और उनकी फैमिली ऑन करती है 2016 हरियाणा में इनको बीजेपी का सपोर्ट था और जो तमिलनाडु का सबसे बड़ा मीडिया ग्रुप है सुन टीवी उसको कल नीति मरण ऑन करते हैं जो तमिलनाडु के कम एमके स्टील के रिलेटिव हैं और दम के पार्टी को बिलॉन्ग करते हैं ये देखिए ये है पूरा चार्ट की कौन किसको चलता है अब देखिए आधे घंटे तक मैं और भी बताता रहूंगा तो नाम खत्म नहीं होंगे आप एक सर्च मारिएगा कोई भी न्यूज़ चैनल है आपको पता चल जाएगा कौन सा पॉलीटिशियन कौन सा बिजनेसमैन उसके पीछे है तो लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन आई और चाट जेडी से सिख के अपने करियर में आगे बढ़ाने के लिए दो चेक आउट डी वर्कशॉप वे हैव पर डी फर्स्ट 1000 पीपल लिंक इसे इन डी डिस्क्रिप्शन थैंक यू XmGO4O2vpJw,How East India Company Captured India | Nitish Rajput | Hindi,2023-08-14T14:30:12Z,PT34M2S,3608035,136886,10699,https://www.youtube.com/watch?v=XmGO4O2vpJw,, तो अगली बार जब आप हॉलीवुड मूवी देख के ताली बजाना जिसमें एक महान ब्रिटिश हिटलर से शुरू हीरो की तरह लाड रहा है तो इस बात का जरूर ध्यान रखिएगा की उसे लड़ाई का जो खर्चा है वो आपके पूर्वजों की कमर तोड़ के निकाला गया था अगली बार आपके सामने अगर कोई वेस्ट कंट्रीज का महिमामंडन करें तो उससे ये जरूर पूछिएगा की एयर 1765 से लेक 1945 तक आगे चल के यही चीज इंडिया की हिस्ट्री को बादल के रख देती है कुछ बिजनेस हाउसेस की हिस्ट्री पढ़ोगे जो लंबी लंबी बातें करते हैं की हमारे ये बिजनेस मॉडल था हमने इस तरीके से अपना बिजनेस बनाया अल में सारे उसे टाइम पे अंग्रेजन की दलाली करते थे पूरा वेस्ट जो है ये फ्री ट्रेड की बहुत बात करता है लेकिन कैंब्रिज इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया में एक भी शब्द मां से नहीं किया है इन्होंने बहुत ही शॉकिंग है की एवं आज की डेट तक जिला एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को कलेक्टर बोला जाता है आज की डेट का पूरा ये जो मॉडर्न कैपिटल लिस्ट ग्लोबल सिस्टम है वो इसी ल पे बना हुआ है चोरी का पैसा मोरी से निकलता है इतना पैसा ल के ले गए लेकिन आज की डेट में इनकी इकोनामी देखिए जब भी हम 1947 से पहले की बात करते हैं तो हम कहते हैं की ब्रिटिशर्स ने इंडिया को कॉलोनाइजर किया गुलाम बना लिया जबकि एक्चुअल में इंडिया को गुलाम एक प्राइवेट कंपनी ने बनाया था लेकिन बात ये है की एक प्राइवेट कंपनी इतने बड़े देश को कैसे गुलाम बना शक्ति है ऐसी क्या सिचुएशन बनी होगी उसे टाइम पे की 125 लोगों की बनाई हुई कंपनी 70000 पाउंड लेकर एक पूरे देश को गुलाम बना देती है आप अपने आसपास लोगों से पूछ के देखिएगा बिट्स और पीस में अलग-अलग चीज सुनने को मिलेगी लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो एक्चुअल स्टोरी जानते हैं की कैसे इंडिया को एक प्लानिंग के तहत एक प्राइवेट कंपनी ने लूट और फिर इस कंपनी को एक इंडियन संजीव मेहता ने खरीद के बदला लिया आप इंडिया में हो या इंडिया के बाहर हमको कैसे गुलाम बनाया गया ये चीज किसी ना किसी डिस्कशन में हमारे सामने आई है इसलिए इस वीडियो को ऐसा बनाया गया की कोई छोटा हो या फिर बड़ा हो एक बार ये पुरी वीडियो देखने के बाद दुनिया के किसी भी कोनी में जाके किसी से भी एक रीजनेबल डिस्कशन कर सकते हैं तो देखिए इन सब चीजों की शुरुआत होती है और 1599 में जब स्पाइसेज यानी की मसाले बहुत ही हाय वैल्यू कम्युनिटी होते थे ये जो ब्लैक पेपर यानी की काली मिर्च वगैरा इनकी इतनी मारा मेरी थी की मर्चेंट इनको ब्लैक गोल्ड कहते थे गोल्ड से कंपेयर किया जाता था और उसे टाइम पे स्पाइस ट्रेड पे डक का ज्यादा कंट्रोल था और ब्रिटेन के अंदर भी डक ही सप्लाई करते थे इनकी मोनोपोली थी अब एयर 1599 के मिड में और डक ब्लैक पेपर यानी की काली मिर्च के ऊपर फाइव सेलिंग्स बड़ा देते हैं सीलिंग उसे टाइम की ई थी तो इस तरीके की मनमानी को लेकर बृजेश काफी नाराज हो जाते हैं और उसके एक महीने बाद यानी की 24th ऑफ सितंबर 1599 को 24 रिच मरचेंट्स सिटी ऑफ लंदन के हाल स्ट्रीट में दिन के टाइम में इकट्ठा होते हैं और डिसाइड करते हैं की डेथ जो है ये मनमानी कर रहे हैं हमें अपना खुद का स्पाइस ट्वीट करना होगा और फिर ये लोग 125 शेरहोल्डर्स को कन्वेंस करके 72000 पाउंड इकट्ठा करके एक कंपनी बनाते हैं जिसका नाम था गवर्नर और कंपनी ऑफ मरचेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन तू डी ईस्ट इंडीज तो कंपनी तो ये लोग बना लेते हैं उसके बाद इनको अप्रूवल लेना था क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट से क्योंकि ये लोग ऐसे ही डिसाइड करके दुनिया भर में ट्रेड नहीं स्टार्ट कर सकते थे तो इसके 3 महीने बाद यानी की 31 ऑफ दिसंबर 1599 को क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट इनको रॉयल चार्ट देती हैं की आप लोग जो और ये साड़ी चीज स्टार्ट करो रॉयल चार्ट का मतलब था की एक रिटर्न आदेश यानी की राजकीय आदेश इस रॉयल चार्ट के अप्रूवल का मतलब था की अब ईस्ट इंडिया कंपनी जो की इंग्लैंड के अंदर बनी है वो दुनिया के अलग-अलग जगह जाकर स्पाइस और बाकी कमोडिटी सस्ते में खरीद शक्ति थी और वापस आके यूरोप में बीच शक्ति थी एक तरह से ट्रेडिंग का लाइसेंस मिल गया था जैसे आज की डेट में आप इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए लाइसेंस लेते हो ठीक वैसे ये जो रॉयल चार्ट क्वीन ने दिया था ये 15 साल के लिए दिया था और एक स्पेसिफिक एरिया भी दिया था की इस पर्टिकुलर एरिया में जाकर आपको ट्रेट करना है और वो एरिया था कैप ऑफ गुड होप के ईस्ट में और स्टेटस ऑफ मैगलन के वेस्ट में ये है कैप ऑफ गुड हो और ये है स्ट्रैटस ऑफ अगेन इन यहां से लेक पूरा बस बीच का एरिया छोड़ दिया था क्योंकि यहां पे पहले से ही ब्रिटेन काफी एक्टिविटी करता था बेसिकली ईस्ट इंडिया में करना था तो इसीलिए आगे चल के इस कंपनी का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी पड़ा अब क्वीन पहले से ही पता था की बाकी देश भी ट्रेड कर रहे हैं इन एरिया में तो ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए ऑलरेडी कंपटीशन बहुत ज्यादा होगा तो क्वीन ने कहा की इंग्लैंड की तरफ से सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी होगी जो यहां पे जाके ट्रेड करेगी इंग्लैंड की तरफ से बाकी कोई और कंपनी जाकर वहां पे नहीं करेगी इनके अगर वो करती है तो उसका जो समाज है वो जप्त कर लिया जाएगा क्योंकि ऑलरेडी इन एरियाज में कंपटीशन है और अलग से एक और कंपटीशन अपनी ही कंपनी का करना वो सही डिसीजन नहीं रहेगा इसलिए कोई नहीं है फैसला लिया अब ये ईस्ट इंडिया कंपनी थी जब ये ट्रेड करने उन इलाकों में जाएगी तो उसको दिक्कत ना हो इसके लिए क्वीन ने इसको जरूर से ज्यादा ही पावर दे दी थी जैसे खुद के पैसे छापना जी एरिया में जाके लोग ट्रेड करेंगे वहां पे खुद की डॉ बना सकते थे वहां पे खुद की फॉरेन पॉलिसी रख सकते थे कोर्ट चला सकते थे पनिशमेंट दे सकते थे आर्मी रख सकते थे क्लेम कर सकते थे एग्जांपल के तोर पे आप इसको इस तरीके से समझ लीजिए की एक दिन मुकेश अंबानी मोदी जी के पास जैन और कहे की मसाले की बहुत जरूर है इंडिया को मसाले बहुत ही महंगे होते जा रहे हैं और ऑस्ट्रेलिया का जो एरिया वहां पे मसाले बहुत ही अच्छे हैं और सस्ते हैं तुम्हें कम करता हूं की मैं कुछ लोगों के साथ एक कंपनी बना के वहां पे जाता हूं और ट्रेड स्टार्ट करता हूं इससे देश का काफी फायदा होगा और आपको कोई पैसा वगैरा नहीं लगाना आप बस ये जो कंपनी हमने बनाई है इसको अप्रूवल दे दो अब मोदी जी परमिशन तो दे दें उसके साथ-साथ ये भी का रहे हैं की ये देश के लिए काफी अच्छा रहेगा इसलिए उसे एरिया में इंडिया से तुम्हारी कंपनी के अलावा कोई और कंपनी नहीं जाएगी ताकि कंपटीशन आपस में ही ना हो साथ में मोदी जी ये भी कहते हैं की वहां पे तुम लोग जब जाओगे तो इतने बड़े लेवल पे ट्रेड करोगे आपको समाज वगैरा रखना होगा और उसे एरिया में आप जा के अगर ट्रेड वगैरा करोगे तो अपने हिसाब से आप कोर्ट के डॉ वगैरा भी बना सकते हो इतने ज्यादा लोग एक साथ कम करेंगे गलतियां होगी तो पनिशमेंट वगैरा भी आप दे सकते हो और जरूर पड़े तो ऑस्ट्रेलिया की जमीन जो है उसको भी उसे कर लेना और उनकी कंट्री का क्या लॉक कहता है इसके बड़े में ज्यादा मत सोचना जो होगा वो देख लिया जाएगा बस जाके हमारे इंडिया का फायदा करवाओ तो कुछ इसी तरीके से बहुत साड़ी पावर ईस्ट इंडिया कंपनी को भी दे दी गई थी अब ईस्ट इंडिया कंपनी को उसे एरिया में जाके ट्रेड करना था उसमें पैसा बहुत ज्यादा लगा था और रिस्क बहुत ज्यादा था और ब्रिटिशर्स उसे पर्टिकुलर टाइम पे इतने ज्यादा पैसे वाले नहीं थे तो उन्होंने कम किया उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को एक जॉइंट स्टॉक कंपनी की तरह बनाया मतलब की आपको कंपनी में कम करने की जरूर नहीं है आप बस कंपनी में पैसा लगाइए उसके स्टॉक ले जब कंपनी को प्रॉफिट होगा तो आप कोई प्रॉफिट मिलेगा ठीक इस तरीके से जी तरीके से अभी आप शेयर्स खरीदने हैं ठीक वही चीज ईस्ट इंडिया कंपनी का सिर्फ एक ही ऑब्जेक्टिव था की अपना मुनाफा करना और जिन शेर होल्डर ने इस पे पैसा लगाया था उनको प्रॉफिट बना के देना चाहे उसके लिए रूल टूटे हैं या किसी का नुकसान हो या ह्यूमैनिटी का नुकसान हो इससे उनको कोई मतलब नहीं था और ये लोग रूल वगैरा तोड़ने में भी झींझक नहीं रहे थे क्योंकि क्वीन का सपोर्ट था इन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी जो करने वाली थी इसमें काफी रिस्क था इसलिए इनको वर्कर्स भी नहीं मिल रहे थे तो इन्होंने शुरू में लंदन में जो न्यू गेट की जय थी वहां से लोगों को उठाया और कुछ लोगों के लंदन के बेड लैंप लुनेटिक एसाइलम से उठाया अब ये साड़ी चीज होने के बाद ये लोग शिव लेक इंडोनेशिया के पास मल्लू को आयरलैंड की तरफ निकलते हैं और शुरू में इनका इंडिया के अंदर जान का कोई प्लेन नहीं था मा को आयरलैंड पे स्पाइस स्टेट काफी होता था लेकिन जब ये लोग यहां पहुंचने हैं तो इस एरिया में स्पेनिश पुर्तगीज और बेस्ट स्टेटस पहले से ही ट्रेड कर रहे थे दुष्ट रडर की यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी उसे इंडिया की बहुत ही बड़ी कंपनी दी इनकी आर्मी बहुत बड़ी थी तो ईस्ट इंडिया कंपनी जब यहां पहुंचती है तो इनकी दाल गाल नहीं पाती है ऑलरेडी ये पर कम कर रहे थे उनको भाग दिया जाता है और ये लोग वहां से फिर वापस इंग्लैंड ए जाते हैं अब इसके बाद दोबारा से ये प्लेन बनाते हैं उसे एरिया में जान का लेकिन इस बार ये ट्राई करते हैं की इंडिया में जाएंगे अब इंडिया के अंदर जो पहुंच चुकी है वो एयर 1498 से ट्रेड कर रहे थे लेकिन उसके बाद भी ये डिसाइड करते हैं की इंडिया के अंदर जा के लोग ट्रेड करेंगे तो एयर 1608 को विलियम हॉकिंस जो ईस्ट इंडिया कंपनी की डेवलपमेंट बने थे उनको एक शिव दे दी जाति है जिसका नाम था हेक्टर और इस शिव को लेक 24 तक अगस्त 1608 को ये पहले बार इंडिया के सूरत में पहुंचने हैं अच्छा इससे पहले की मैं स्टोरी आगे कंटिन्यू करूं इंडिया की क्या सिचुएशन थी उसे टाइम पे थोड़ा सा वो बता देता हूं फिर कहानी पे वापस आएंगे उसे टाइम पे अगर साम्राज्य की बात करें इंडिया के अंदर तो मुग़ल का साम्राज्य था और मुग़ल पिक पे थे मैक्सिमम जगह पे इंडिया के अंदर मुगल स्काई रूल था ये उसे टाइम पे इंडिया था और ये जो ग्रीन वाला पार्ट है ये पूरा मुगल अंपायर था मैक्सिमम एरिया पे मुगलसरस कर रहे थे और नीचे जो कुछ एरिया था वहां पे बाकी राजा रूल कर रहे थे अभी तो पूरा मुगल अंपायर था इसको जो हेड करता था उसको बादशाह कहते थे और ये पूरा मुगल अंपायर 12 सबों में डिवाइडेड था जिसको प्रॉबिंस कहते थे जैसे आज की डेट में स्टेटस होते हैं दोस्तों इसी तरीके से वो डिवाइडेड था प्रॉमिस जो थे इनको सूबेदार यानी की गवर्नर हेड करते थे और गवर्नर का ये कम था जो लोकल पब्लिक वगैरा थी उनसे टैक्स वगैरा वो लेती थी और जो मुगल एंपरर था तो उसको देती थी तो इस तरीके से मुगल अंपायर की जो आर्मी वगैरा थी वो मेंटेन होती थी और जो ब्रिटेन था उसे टाइम पे इंडिया के कंपेरटिवली एक गरीब देश था उसे टाइम पे इंडिया को एक इंडस्ट्रियल पावर हाउस माना जाता था और एक दो एरिया की बात नहीं थी उसे टाइम पे पुरी दुनिया में टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर था इंडिया अभी जैसे चीन पुरी दुनिया की मैन्युफैक्चरिंग का 28% हिस्सा पैदा करता है उसे टाइम पे इंडिया अकेले 25% करता था अगर अभी भी आप ध्यान डॉग तो कई सारे क्लॉथिंग के जो नाम थे शॉल पैजामा खाकीज कमरबंद ये सब दुनिया भर में इस टाइम पर फेमस हुए थे और पूरे यूरोप की भी इकोनामी को आप जोड़ दो उससे भी बड़ी इकोनामी थी इंडिया की आज के स्टैंडर्ड से अगर हम कंपेयर करें तो 21 ट्रिलियन डॉलर के बराबर थी तो उसे टाइम पे इकोनामिक पावर तो था ही इंडिया इसके साथ-साथ मुगल जो थे वो भी बहुत पावरफुल थे तो इंडिया पूरे वर्ल्ड में उसे टाइम पे एक सुपर पावर की तरह था अब देखिए इंडिया ने पिछले 75 सालों में अपने आप को टेक्नोलॉजी में काफी आगे बड़ा करती है और हर चीज ऑनलाइन है जैसे की आधार कार्ड पान कार्ड और हजारों फायदेमंद गवर्नमेंट स्कीम्स अगर आप इन सब के बड़े में और जानना चाहते हैं तो अभी डाउनलोड करें सीखो अप सीखो एक ऐसा अप है जहां पर आधार और पेन जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट के साथ-साथ शेर मार्केट मोबाइल ट्रेक्स फोटोग्राफी ऑनलाइन बिज़नेस इंग्लिश स्पीकिंग यहां तक की ऑनलाइन लर्निंग और सोशल मीडिया पे गो करने से जुड़ी बहुत साड़ी बातें भी जान सकते हैं आज 50 लाख से भी ज्यादा यूजर्स सीखो अप से रोज कुछ नया सिख रहे हैं तो आप भी इसे इंस्टॉल करके सीखना शुरू कीजिए सीखो आपका पूरा फायदा उठाने के लिए आप सीखो प्लस मेंबर बन सकते हैं और उसके लिए आपको पूरे पैसे देने की जरूर नहीं है आप उसे कर सकते हैं मेरा स्पेशल कूपन कोड नर 49 जिससे आपको सीखो अप 199 की जगह सिर्फ 49 रुपए में मिल जाएगा आज ही डाउनलोड करें सीखो यार और रहे टेक्नोलॉजी की रेस में सबसे आगे तो टॉपिक पे वापस आते हैं 24th ऑफ अगस्त 1608 को विलियम हैकिंग इंडिया के सूरत में पहुंचने हैं सूरत में पहुंचने के बाद विलियम को समझ में ए गया था की यहां पे ऑलरेडी स्टेटस है इनकी मुगल से अंडरस्टैंडिंग काफी ज्यादा है और ये काफी टाइम से ट्रेड कर रहे हैं और विलियम को यह भी समझ में ए गया की अगर यहां भी ट्रेड करना है तो मुगल जो है उनको इंप्रेस करना होगा उनकी परमिशन लेनी होगी और उसे टाइम पे आगरा जो था वो कैपिटल था इंडिया का और वही से सारे अप्रूवल वगैरा मिलते थे तो विलियम सूरत से उठ के सीधे आगरा पहुंचने हैं और जैसे तैसे करके जहांगीर से बात करने की कोशिश करते हैं और जहांगीर को इंप्रेस करने के लिए काफी चापलूसी भी करते हैं जैसे ये थे गोरे लेकिन ये अफगान ड्रेस पहन के गए वहां पे और टूटी-फूटी तुर्किश लैंग्वेज में बात करने की कोशिश कर रहे थे और कई तरीके के गिफ्ट्स भी लेकर गए थे अब पहले चीज जो मुगल थे वो ब्रिटिश है उसके साथ कम करके पहुंच चुकी है स्टेटस को नाराज नहीं करना चाहते थे और दूसरी चीज मुगल टीचर्स को काफी गवार और असर भी समझते थे तो इनको बिल्कुल भी एंटरटेन नहीं किया बस जब ये जा रहे थे विलियम तो इनको एक आर्मेनिया क्रिश्चियन वाइफ को गिफ्ट कर दिया था इसके बाद एक बार और ये लोग शिव लेक सूरत आते हैं लेकिन लोकल ऑफिशल जो थे सूरत के उन्होंने पुर्तगाल स्ट्रेडर के डर से इनको वापस भेज दिया इधर ईस्ट इंडिया कंपनी की जो ऑफिशल थे वो ट्राई कर रहे थे की कुछ बात बन जाए मुगल से और उधर डिटेल में 24th ऑफ मार्च 16 03 क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट की डेथ हो जाति है और से दे ब्रिटेन के नए किंग बनते हैं किंग जेम्स इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के जो डायरेक्टर थे वो किंग जेम से मिलते हैं और उनसे रिक्वेस्ट करते हैं की अगर वो ऑफिशल डिप्लोमेट भेजेंगे तो उनकी बात ज्यादा सीरियसली ली जाएगी और हो सकता है उनका कम बन जाए किंग जेम्स जो थे वो इस बात को मां जाते हैं और 18 टॉप सितंबर 16 15 को अपना एक ऑफिशल एम्बेसडर सर थॉमस रो को शिव से सूरत बेचते हैं सर थॉमस एक स्मार्ट आदमी था उसने विलियम हॉकिंस की तरह गलतियां नहीं की वो जहांगीर से जाके मिला और उसने जहांगीर को इंग्लैंड से ट्रेड करने के फायदे समझे उसने समझाया की जब ईस्ट इंडिया कंपनी यहां पे आके ट्रेड करेगी तो सालाना आपको पैसा देगी ट्रेड करने का इससे आपका भी फायदा होगा जहांगीर को थॉमस की बात समझ में आई है और 3 साल लगातार ट्राई करने के बाद जहांगीर एक शाही फरमान जारी करते हैं जिसमें लिमिटेड एरिया में ईस्ट इंडिया कंपनी को ट्रेड करने के लिए अलाउ किया जाता है और इसके बदले में ईस्ट इंडिया कंपनी साल का पैसा देगी तो सबसे पहले सूरत में फैक्ट्री खोलना को अलाउ करते हैं विद लिमिटेड ट्रेडिंग राइट्स अब इसके बाद सर थॉमस इंग्लैंड वापस आने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी डायरेक्टर थे इनको समझते हैं की मुगल काफी स्ट्रांग है इसे लड़ाई करना कोई ऑप्शन नहीं है इसलिए तुम अंदर लैंड में घुसने की बजे जितने भी सी पोर्ट्स हैं उनकी थ्रू अपना ट्रेड करो और इंडिया से सस्ते में समाज खरीद के यूरोप में महंगे में बीछो तो ईस्ट इंडिया का कम जो था वो इंडिया के अंदर स्टार्ट तो हो गया था लेकिन इनके एंबिशियस बहुत बड़े-बड़े थे तो इन्होंने गोलकुंडा के सुल्तान से बात करके आंध्र प्रदेश के मछली पटना में परमिशन लेकर दूसरी फैक्ट्री खोल ली इसके बाद यह 1620 में पटना में तीसरी कंपनी कोली लेकिन वो चली नहीं तो 1 साल में बैंड करना पड़ा उसको ईस्ट इंडिया कंपनी को शुरू में इंडिया के अंदर ऑप्शंस कब मिल रहे थे लेकिन आने वाले 20 साल तक इनको जहां-जहां भी मौके मिले इन्होंने अपना जो ट्रेडिंग का वॉल्यूम था वो बहुत तेजी से बड़ा है और जी एरिया में थे वहां पे अपनी पकड़ बहुत मजबूत कर रहे थे क्योंकि जहां जहां पे ये लोग ट्रेड स्टार्ट कर रहे थे वहां पे डेवलपमेंट भी हो रहा था तो लोग भी उसे एरिया में ज्यादा सेटल हो रहे थे इसके बाद साल आता है 1640 और तब तक ही अपने पर काफी जमा चुके थे इनको रिलाइज हुआ की विजयनगर अंपायर्स जो है वो काफी कमजोर हो रहा है तो ये लोग अभी तक तो कहानी भी लड़ाई वगैरा नहीं करते थे बस एरिया देख के राजा को अलग-अलग तरीके से लालच देते थे और ट्रेड करने का ऑप्शन देखते हैं तो से इन्होंने विजयनगर के राजा के साथ भी कोई लड़ाई झगड़ा नहीं किया उनको कन्वेंस कर की उनका कैसे फायदा हो सकता है और उसे एरिया में जाके ट्रेड करने की बात कारी और फायदे की बात सुनकर राजा ने इनको तीन माइल्स लौंग एक एरिया दे दिया और ये जो एरिया था एक फिशिंग विलेज था जिसको मद्रास पटनम कहते थे देखिए राजा एरिया इसलिए देते थे क्योंकि इतने सारे आदमी इंवॉल्व होते थे ट्रेड करने में तो एक एरिया डिसाइड करके उनके रहने वगैरा जो इंतजाम होता था उसे सेपरेट कर दिया जाता था ताकि आम जनता को इशू ना हो तो जब इनको यहां पे एक एरिया मिला तो इन्होंने केले वगैरा भी बना लिए थे और उसके पीछे रीजन ये दिया था की इतना समाज वगैरा यहां पे राहत है तो उसकी सिक्योरिटी के लिए किला बनाना बहुत जरूरी है और इस एरिया में जो फोल्ड बनाया था उसको ब्रिटिश से नाम दिया था फोर्ट सेंट जॉर्ज और फिर इसी एरिया में कुछ पार्ट और जुड़ा और आगे चल के इसका नाम मद्रास पड़ा तो कई सालों तक यहां ट्रेड किया इन्होंने उसके बाद एयर आता है 1662 और उसे टाइम के इंग्लैंड के राजा थे कर सेकंड उन्होंने पुर्तगाल क्वीन कैथरीन से शादी की तो दहेज में एक आयरलैंड मिलता है इनको इंडिया के अंदर जी पर पहुंच चुकी है इसका कब्जा था इस आयरलैंड को मुंबई बोला जाता था जैसे आज मार्केट में हम लोग मुंबई बोलते हैं और जब यह एरिया ब्रिटेन को दहेज में मिलता है तो ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बड़ा आसन था यहां पे ट्रेड करना तो इस तरीके से मुंबई भी ईस्ट इंडिया कंपनी के पास ए जाता है अब ब्रिटिश जो थे वो ट्रेड करके काम तो रहे थे लेकिन सब सी पोर्ट पे ही ट्रेड कर रहे थे क्योंकि मुगलसिन को घुसने नहीं दे रहे थे सही से टाइम पे बंगाल का जो एरिया था इंडिया के अंदर उसमें आज के टाइम का उड़ीसा बंगाल बांग्लादेश और बिहार आता था ये एरिया उसे टाइम पे इंडिया में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे प्रॉस्परस इलाकों में आता था फसल बहुत ही अच्छी पैदा होती थी और ढाका की टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग तूफान पे थी उसे टाइम पे तो यही रीजन था की ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से ही बंगाल में ट्रेड करने के सपना देखते थी और आगे चल के यही चीज इंडिया की हिस्ट्री को बादल के रख देती है तो उसे टाइम पे बंगाल सुबह का जो गवर्नर था शाइस्ता खान जो की मुगल एंपरर औरंगज़ेब का मामा था और ईस्ट इंडिया कंपनी को ज्यादा पसंद नहीं करता था तो स्पेशली इनको मनाने के लिए बंगाल के अंदर अच्छे से ट्रेड कर पे ईस्ट इंडिया कंपनी विलियम हेगर्स को भेजती है और विलियम काफी हद तक कामयाब भी होते हैं इस चीज में और एग्रीमेंट वगैरा करके छोटे लेवल पे ट्रेड भी स्टार्ट हो जाता है ईस्ट इंडिया का बंगाल के अंदर अब होता क्या है की एयर 1681 में ईस्ट इंडिया कंपनी का डायरेक्टर चेंज होता है जिसका नाम था जोशीय चाइल्ड तो ये जोशी चाइल्ड थोड़ा अर्जेंट था तो इससे पहले विलियम ने जो एग्रीमेंट वगैरा कर रहे थे ट्रेड शुरू करवाया था बंगाल के अंदर उसको ये सही से फॉलो नहीं करता था और इस चीज को लेकर बंगाल का जो गवर्नर था वो काफी खुश नहीं था तो उसने टैक्स को 2% से बड़ा के 3.5% कर दिया था जोशी या चाइल्ड थोड़ा अकडू किम का था उसने इसको माने से माना कर दिया और धमकी भी दी की अगर इस तरीके से आप टैक्स वगैरा बढ़ाओगे तो हम टैक्स भी नहीं देंगे और चिता गांव को भी कैप्चर कर लेंगे लेकिन जो गवर्नर था वो इनकी सुनता नहीं है और टैक्स अप्लाई कर देता है और ये साड़ी चीज एयर 1686 में चल रही है और जोश या इतना ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं की इस चीज को लेक वो अटैक करने की सोचते हैं और लंदन से 19 वरशिप 200 कैनंस और 600 बुला के मुग़ल के ऊपर अटैक कर देते हैं ये पहले बार हुआ था जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने लालच या फिर धोखाधड़ी के अलावा डायरेक्ट वार कारी थी लेकिन मुगल बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग थे उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को बुरी तरीके से हर दिया और इनके जो लोग कम करते थे उनको सूरत ढाका में कैदी बना दिया था और जो इनकी फैक्टरीज थे हुगली पटना का सिंबाजार मसूलिपटनम और विशाखापट्टनम में इन साड़ी फैक्टरीज को अपने कब्जे में कर लिया और सूरत की फैक्ट्री को बैंड कर दिया और बॉम्बे में ये जो ट्रेड कर रहे थे उसे पे कब्ज कर लिया और ये वो टाइम था जब ईस्ट इंडिया कंपनी को समझ में ए गया था की उन्होंने बहुत ही भारी गलती कर दी है इतने सालों की मेहनत उनकी सब पानी में चली गई थी लेकिन बहुत शातिर थे इन्होंने एगो नहीं दिखाए बल्कि माफी मांगना चालू किया यहां तक की पैरों तक में पद गए कई सालों तक माफी मांगी ये उसे टाइम की फ्रेंच पेंटिंग बनी थी जिसमें औरंगज़ेब से माफी मांग रहे हैं अब मुग़ल को भी जो ट्रेड से टैक्स का पैसा आता था उसकी आदत ग चुकी थी और फिर इसके कुछ साल बाद यह 1690 में इनको माफ कर दिया जाता है लेकिन 1.5 लाख का जुर्माना लगा दिया जाता है और इस पर्टिकुलर टाइम के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी चुपचाप कई सालों तक ट्रेड करती रहती है और सही टाइम का वेट करती है अब साल आता है 1707 और इस साल औरंगज़ेब की जो है वो डेथ हो जाति है अब इनकी डेथ के बाद मुगल एंपरर जो था वो बहुत वीक बाढ़ जाता है और बैक तू बैक एंपरर चेंज हो रहे थे औरंगज़ेब के बाद आज हम मुगल अंपायर बने वह फिर कुछ टाइम फिर वह मुगल एंपरर बने फिर झंडेर शाह और उसके बाद फिर फारुख सियार एंपरर बने अगले 10 साल तक यही सब चला राहत है और मुगल अंपायर बहुत ही ज्यादा वीक हो गया होता है अब इसके बाद ये राहत है 17 17 और उसे टाइम पे मुगल एंपरर थे फारूक अब जैसे की मैंने बताया था की ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से ही बंगाल के अंदर ट्रेड करना चाहती थी क्योंकि यहां से ट्रेड करके लोग बहुत ज्यादा कमाते थे अब इस चीज के लिए इन्होंने एंपरर फारुख को बैक तू बैक गिफ्ट भिजवाना चालू किया और एक विलियम हैमिल्टन ईस्ट इंडिया कंपनी का एक सजन था उसने फारुख की कोई बीमारी भी सही कर दी थी अब इस चीज से फारुख जो था वो बहुत ही इंप्रेस हुआ और ईस्ट इंडिया कंपनी की रिक्वेस्ट पे फारुख ने बंगाल के सूबेदार यानी गवर्नर को फरमान भेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी फ्री ट्रेड करेगी मतलब की जो इंपोर्ट और एक्सपोर्ट होंगे उसके ऊपर अलग से टैक्स नहीं जाएगा जो सालाना टैक्स ज्यादा था वो जाएगा मतलब की जो इंपोर्ट एक्सपोर्ट समाज इधर से उधर जो जाता है उसे पे टैक्स नहीं लगेगा अब वो फ्री में करेंगे लेकिन जो एनुअल टैक्स ज्यादा था उसकी पेमेंट जो 3000 रुपए थी वो ही देते रहेंगे इसको 10 तक भी कहा जाता था उसे टाइम पे तो ईस्ट इंडिया कंपनी के ऑफ फैक्ट्री थे उनको यह भी परमिशन मिल गई थी की बिना किसी चेकिंग के इधर से उधर समाज ट्रांसफर कर सकते थे बंगाल के जो गवर्नर थे उनको ये साड़ी चीज ठीक नहीं ग रही थी लेकिन वो मुगल अंपायर से जुड़े हुए थे तो उनको मानना पड़ा अब देखिए जैसे मैंने शुरू में बताया था की पूरा मुगल अंपायर जो था वो सुबह में बताता यानी की प्रॉब्लम्स में बता हुआ था और हर सुबह यानी प्रोविंस को गवर्नर संभालते थे तो जब मुगल अंपायर वीक पढ़ने लगा और राजा टिकते नहीं थे तो इनमें से कई सारे सुबे थे वो मुगल अंपायर से अलग हो गए यानी की इंडिपेंडेंस होके ऐसा किंगडम ऑपरेट करने लगे और जो गवर्नर थे वो अपने आप को नवाब बना लिया था उन्होंने अब ऐसे ही बंगाल के जो गवर्नर थे उन्होंने भी खुद को इंडिपेंडेंस कर दिया था नवाब घोषित कर दिया था लेकिन उसके बाद भी वो मुगल अंपायर जो था पूरा उसको टैक्स देते थे जैसे बाकी कुछ थे सुबह उन्होंने टैक्स देना तक बैंड कर दिया था तो टैक्स बैंड होने की वजह से जो मुगल अंपायर था वो फाइनेंशली वीक हो रहा था और इसी बीच में जो मराठा सिख थे उन्होंने भी मुग़ल के ऊपर अटैक किया और काफी सर एरिया जो था वो अपने पास रख लिया था और इसके साथ-साथ डेली के आसपास मुगल आर्मी के पस्तूं मर्सिडीज़ रूही लास्ट है उन्होंने अपनी खुद का किंगडम बना लिया था ऐसे कर करके सारे छोटे-छोटे किंगडम गए थे यह 1707 में औरंगज़ेब की जब डेथ हुई थी तो उससे पहले ये मैप था और करने के बाद आगे चल के इतने मुगल रूल एरिया बच्चे थे मुगल का पूरा खजाना खाली हो गया था मुगल अंपायर के पास रिवेन्यू का एक ही सोर्स बच्चा था वो था बंगाल सिर्फ बंगाल से ही टैक्स रिवेन्यू हुआ था बाकी सब जगह से बैंड हो गया था और वो सब इंडिपेंडेंट कम कर रहे थे अपना अब इसके बाद होता क्या है की एयर 1756 में बंगाल के जो नवाब थे आ अली वर्दी खान इनकी डेथ हो जाति है और बंगाल के नए नवाब बनते हैं सिराजुद्दौला ये काफी स्ट्रीक रोलर थे इनको ब्रिटिशर्स की एक्टिविटीज से बहुत ज्यादा दिक्कत थी इनकी में तीन दिक्कतें थी पहले तो ये थी की ये ईस्ट इंडिया कंपनी है ये बंगाल के अंदर अपने मां मुताबिक ट्रेड के नाम पे जगह-जगह पे केले बना रही थी दूसरी दिक्कत ये थी की मुगल एंपरर को ईस्ट इंडिया कंपनी खोज कर करके गिफ्ट पहुंच पहुंच के पॉलिसीज का गलत उसे कर रही थी और तीसरी दिक्कत ये देखिए जो पूरा बंगाल अंपायर था उसके अंदर जो ऑफिशल थे जिनको सिराज भाग देते थे या फिर जो बागी हो जाते थे उनको ईस्ट इंडिया कंपनी अपने पास रख लेती थी अब इन सब चीजों को लेकर सिराज ने ईस्ट इंडिया कंपनी को कई बार समझाया है लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं मानती है तो एक दिन सिराज क्या करते हैं ये 30000 सोल्जर की आर्मी को लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी की जो फैक्ट्री थी कोलकाता के अंदर उसे पे कब्जा कर लेते हैं और उनके जो वर्कर थे उनको एक कल कोठरी जहां पे अंधेरा था बिल्कुल वहां पे बैंड कर देते हैं और नेक्स्ट दे उनकी डेथ हो जाति है और इसके साथ-साथ ये जो फोर्स वगैरा बनाए थे ब्रिटिशर्स ने उनको ये सब अपने कंट्रोल में ले लेते हैं अब बंगाल जो था वो ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से अपने कंट्रोल में रखना चाहती थी और सिराज ने जो झटका ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था वो पहले बार ईस्ट इंडिया कंपनी को मिला था इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी कभी लालच डीके कभी चापलूसी करके कुछ गिफ्ट भिजवा के पैसे का उसे करके अपना कम निकाल लेती थी लेकिन यहां पे पहले बार ऐसा हुआ था जब ईस्ट इंडिया कंपनी को डायरेक्ट लड़ाई में उतारना पड़ा तो साउथ में जो ईस्ट इंडिया कंपनी जहां पे वासी हुई थी वहां से रॉबर्ट क्लाइव जो थे उनको भेजती है की ये जो सिराज ने किया है इसको वहां पे जाके आप सही करके आओ क्योंकि ये बहुत ही मुनाफे वाली जगह है तो इसको हम छोड़ नहीं सकते और यहां पे भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने डायरेक्ट लड़ाई करने की बजे काफी पॉलिटिक्स खली मीर जफर जो सिराज के आर्मी कमांडर थे वो खुद राजा बन्ना चाहते थे अब दूसरी चीज वहां पे एक जगह सेट करके एक आदमी था वो बहुत ही रिश्ता स्टोन वगैरा देता था तो जिसको डर था की सिराज शायद उसपे हमला कर देगा तो इन दोनों से रॉबर्ट क्लाइव मिलते हैं और दोनों से मिल के लालच वगैरा दे के अपनी तरफ कर लेते हैं जैसे मीर जफर को कहा की ये लड़ाई खत्म होने के बाद उनको राजा बना दिया जाएगा और जगत से जो थे वो इस पुरी लड़ाई में जितना भी पैसा ग रहा था वो साड़ी फंडिंग की जगह सेट कर रहे थे और इसके बाद डेट आई है 23rd ऑफ जूम 1757 और अवार्ड शुरू होती है पुरी लड़ाई में सिराज के कमांडर मीर जफर बैकफुट पे थे और एक दिन लड़ाई के टाइम पे बारिश हो जाति है ब्रिटिशर्स तो अपने वेपंस को कर कर लेते हैं लेकिन सिराज के वेपन जो थे वो भीगी जाते हैं जिसकी वजह से वो कम नहीं करते हैं और यही मौका देखकर मीर जफर जो थे वो फौजी को पीछे खींच लेते हैं और ईस्ट इंडिया कंपनी जीत जाति है और अपने वादे के हिसाब से मीर जफर को ईस्ट इंडिया कंपनी नवाब बना देती है बंगाल का अब देखिए लेकिन मीर जफर को नवाब इसलिए नहीं बनाया था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने वादे की बहुत पक्की थी क्योंकि वादे तो उन्होंने हजारों बार तोड़े थे ये चीज वो इसलिए करते थे क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी की एक पॉलिसी थी की कहानी पे भी खुद रूल नहीं करते थे बल्कि अपना एक पपेट राजा बनके बैठा देते थे और उसे पपेट राजा के थ्रू ये लोग अपने ट्रेड की पॉलिसीज वगैरा चेंज करते थे और जितना भी रिवेन्यू सिस्टम राहत था वह सब ले लेते थे कल मिलकर साड़ी रिसोर्सेस और पैसे पे इनका कंट्रोल राहत था और लोगों को संभालने के लिए लोग राजा रख देते थे क्योंकि अगर यह खुद राज करते थे उनको पूरे राज्य का एडमिनिस्ट्रेशन संभालना पड़ता है जिसमें बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं थे आज इसने चोरी कर दी कल को उसने इसको मार दिया और वैसे भी अगर रातों रात को एक गोरा अगर राजा बैंक बैठ जाएगा तो ये भी हो सकता है जो वहां की लोकल जनता है वो रिवॉल्ट भी कर शक्ति है तो इन साड़ी चीजों से बचाने के लिए हमेशा ही लोग अपना पपेट राजा बैठे थे खुद रूल नहीं करते थे डिटर्जेंट अपना सर पैसा और फॉक्स उसे पर्टिकुलर एरिया का जो रिसोर्सेस थे और जो पैसा था और जो टैक्स था उसको ल के अपनी तरफ लाने में रखते थे ल ये जो शब्द है जो अभी आप डिक्शनरी में पढ़ने हो ये इस टाइम पे आजाद हुआ था दे टीचर्स की वजह से अब इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी है बंगाल पे फाइन लगाया तीन करोड़ अभी के हिसाब से आप देखोगे तो 3000 करोड़ के करीब होगा ईस्ट इंडिया कंपनी जहां भी लड़ाई करती थी या फिर लड़ाई में इंवॉल्व होती थी तो उसे पे फाइन लगती थी उनका ये कहना था की तुम्हारी बेवकूफी की वजह से लड़ाई करनी पड़ी है और इस लड़ाई में हमारा इतना खर्चा हुआ है तो ये जो पैसा है ये आपको देना पड़ेगा ये सर पैसा ही ख़ज़ाने से या फिर टैक्स रिवेन्यू सिस्टम नहीं होता उसमें से निकलते थे ईस्ट इंडिया कंपनी कई तरीके से एग्रीमेंट करवाती थी और एग्रीमेंट ना पूरा होने पर टैक्स के ऊपर पूरा कंट्रोल ले लेती थी इस पुरी लड़ाई को बैटल ऑफ प्लासी कहा जाता है और इस लड़ाई के बाद ब्रिटिर्स को समझ में ए गया था की असली कमाई तभी हो पाती जब पॉलीटिकल कंट्रोल होता है क्योंकि जब इनके पास पॉलीटिकल कंट्रोल आया तो पूरा का पूरा टैक्स इनके पास ए रहा था और जी तरीके से ट्रेड करना चाहते थे उसे तरीके से कर रहे थे तो इसके बाद ब्रिटिशर्स ने पैसे वगैरा देखिए लोकल लोगों को भी अपनी आर्मी में रखा और इंग्लैंड से और आर्मी भी मंगवा और पैसे उनके पास जरूर से ज्यादा हो गया था तो जहां पे जरूर पड़ती थी वहां पे राजा वगैरा को पैसे देकर अपनी तरफ कर लेते थे बैटल ऑफ प्लासी के बाद ये सर जो एरिया था ये ब्रीडर्स के कंट्रोल में ए गया था अब इसके बाद एयर आता है 1764 और उसे टाइम पे जो ब्रिटिशर्स ने बंगाल का नवाब बना के रखा था उनके ऊपर भी आम जनता से बहुत प्रेशर आने लगा था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी बहुत ज्यादा पैसे और रिसोर्सेस ले रही थी बंगाल का तो इससे लोगों का भी बहुत प्रेशर बन रहा था तो इन साड़ी चीजों की वजह से बंगाल के जो नवाब थे वो अवध के नवाब और मुगल एंपरर ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई शुरू कर देते हैं इसको बैटल ऑफ बक्सर भी बोला जाता है लेकिन उम्मीद कर रही थी इन्होंने बिहार उड़ीसा और बंगाल से इतना ज्यादा टैक्स कलेक्ट किया की कुछ बच्चा ही नहीं और 1770 में बिहार और बंगाल में काल पद गया था 70 लाख से 1 करोड़ लोगों की डेथ हो गई थी अब आप बोल सकते हो की काल तो नेचर की वजह से होता है लेकिन इसका में रीजन जो था उसके पीछे ईस्ट इंडिया कंपनी की एग्रेसिव पॉलिसी थी और जब इस भुखमरी से लोग मा गए थे तो जो मारे हुए लोग थे उनका जो टैक्स बंता था वो जिंदा लोग जो थे उनसे कलेक्ट किया गया और जो गेहूं वगैरा भी बच्चा था उन सबको भी अपने पास रख लिया लोग भुखमरी से मारे हैं उसे एरिया में बंगाल जो था वो इतना प्रॉस्परस रीजन था इन्होंने ल ल के वहां पे भुखमरी फैला दी थी और लूटने के बाद ये सर पैसा जो ईस्ट इंडिया कंपनी थी आराम से ब्रिटेन में पहुंच देती थी और खुद और स्ट्रांग डिबेट होते जा रही थी बैटल ऑफ बक्सर के बाद ये सब एरिया ब्रिटिश के कंट्रोल में ए गया था नॉर्थ इंडिया में पुरी तरीके से बीड्स का कब्जा हो चुका था लेकिन इनकी ग्रेट जो थी वो खत्म नहीं हो रही थी बाकी जो साउथ का एरिया था वहां पे भी कैसे कब्ज किया जाए वहां का जो ट्रेड है उसको भी अपने कंट्रोल में कैसे लिया जाए इन सब चीजों में इनका दिमाग चल रहा था तो देखिए ये जो है ये है मैसूर और ये जो सी इसको मालाबार कास्ट कहते हैं और यहां से ट्रेड होता था और मैसूर के जो राजा थे वो इस पे कंट्रोल करते थे और इस एरिया पे और ये जो पोर्ट है जो मैंने मालाबार कास्ट बताया इस पर ब्रिटिश की नजर थी मैसूर के राजा थे हैदर अली और उनके बेटे थे टीपू सुल्तान ये लोग ईस्ट इंडिया कंपनी की कोई भी एक्टिविटी मैसूर के एरिया में नहीं चलने देते थे और इन साड़ी चीजों की वजह से जो ईस्ट इंडिया कंपनी थी वो मालाबार कास्ट से ट्रेड नहीं कर का रही थी अब इसके पीछे एक तो रीजन ये था की जो मैसूर का किंग था उसको ईस्ट इंडिया कंपनी की हरकतों के बड़े में पता था और दूसरी चीज ये थी की इस कास्ट से जो मालाबार कास्ट था यहां से राजा फ्रेंच कंपनी के साथ ट्रेड करता था तो वहां पे कनफ्लिक्ट होता इसलिए ब्रिटिशर्स को ये लोग दूर रखते थे और यही साड़ी चीजों की वजह से 1761 में वार हुई मैसूर किंगडम में और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में इसमें हैदर अली ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बुरी तरीके से हर दिया फिर 17-18 में फिर से वो इसमें फ्रेंच ने भी मदद की थी तो हैदर अली उनके बेटे थे टीपू सुल्तान और इस वार के बीच में हैदर अली की डेथ हो जाति है तो उसके बाद टीपू सुल्तान राजा बनते हैं और एयर होता है 1783 अब क्योंकि ये सर लड़ाई के बीच में हुआ था तो पर्टिकुलर लड़ाई में टीपू सुल्तान के हाथ से काफी एरिया निकाल जाता है जो की ईस्ट इंडिया कंपनी को चला जाता है उसके बाद एग्रीमेंट हो जाता है लेकिन टीपू सुल्तान को पता था की ये लड़ाई जो ईस्ट इंडिया कंपनी से है ये दोबारा फिर से होगी और इस बार वो तैयारी करना शुरू कर देते हैं टीपू सुल्तान एक मॉडर्नाइज टेक्नोक्रेट थे वो फ्रेंड्स से नए-नए वेपन इंपोर्ट करने लगे और अपनी आर्मी को काफी मॉडर्नाइज किया और इधर ईस्ट इंडिया कंपनी भी प्लेन कर रही थी टीपू सुल्तान के ऊपर अटैक करने का और इस बार जब अटैक करती है ईस्ट इंडिया कंपनी मराठा और हैदराबाद के निजाम थे उनसे सपोर्ट लेती है और उसके बाद हमला करती है मैसूर किंगडम की जो सबसे बड़ी सिटी थी उसे पे कब्जा कर लेती है और टीपू सुल्तान की जो दोनों बच्चे थे उनको अपने पास रख लेती है और उसके बाद इस इंडिया कंपनी कहती है की जब तक टीपू सुल्तान आधा साम्राज्य ईस्ट इंडिया कंपनी को नहीं दे देंगे और यह जो बार-बार इनको लड़ाई करनी पद रही है इसका जो फाइन है 3 करोड़ रुपए यानी की आज के हिसाब से ₹3.5 हजार करोड़ होगा जितना फाइन अगर नहीं दे देती है तब तक बच्चों को वो नहीं छोड़ेंगे लेकिन टीपू सुल्तान इन साड़ी बटन में से कोई सी भी बात नहीं मानते हैं और मदद वगैरा के लिए कई जगह पे बात भी करते हैं अपने आसपास के किंगडम में लेकिन नहीं बंटी है और इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी फाइनल अटैक करती है और उनकी डेथ हो जाति है ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान के ख़ज़ाने से लगभग 2 मिलियन यूरो आज की डेट का अगर हम हिसाब लगाया तो 1800 करोड़ का गोल्ड होगा ये लिया था ज्वेलरी बाकी वैल्युएबल आइटम ल है इसके बाद और 18 03 में ईस्ट इंडिया कंपनी है मुगल कैपिटल दिल्ली पे भी कब्ज कर लिया और तब तक मुगल सल्तनत एकदम खत्म भी हो चुका था बादशाह के पास अब कोई इनकम नहीं बच्ची थी क्योंकि पूरा रिवेन्यू जो था वो ईस्ट इंडिया कंपनी के पास जाता था और दिल्ली पे भी अपना कंट्रोल लेने के बाद मराठा जिनकी मदद लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान को हराया था उनके ऊपर भी अटैक कर देती है और मल्टीपल वार होती है मराठा किंगडम और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में और फाइनली ईस्ट इंडिया कंपनी मराठा किंगडम पे भी कब्ज कर लेती है इसके बाद आगे चल के सिख अंपायर में भी कब्जा कर लेती है कई साड़ी लड़ाई यहां पे भी होती है एयर 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स इंट्रोड्यूस किया की इस डॉक्टर इन के मुताबिक अगर कोई इंडियन रोलर की डेथ हो जाति है तो वो ऑटोमेटिक के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी कंट्रोल में ए जाएगा अगर उसका कोई मेल वारिस नहीं है तो और इस रूल की वजह से उदयपुर झांसी और अवध जैसे किंगडम जो थे वो भी कंपनी के कंट्रोल में ए गए थे और ऐसे कर करके ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे इंडिया पे कंट्रोल ले लिया था और ऐसा भी नहीं था की ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिर्फ इंडिया में ही गड़बड़ कारी थी ये लोग अपने देश ब्रिटेन में भी गड़बड़ कर रहे थे ईस्ट इंडिया कंपनी के बाद इतना ज्यादा पैसा ए गया था की इन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट के अंदर भी काफी नजदीकियां बधाई रॉबर्ट क्लाइव जैसे लोगों ने इंडिया से पैसा ल ल के ब्रिटिश का जो पार्लियामेंट था वहां की सीट है और वहां के एनपीएस दोनों को खरीदना शुरू किया और पैसा मिला के इन्होंने गवर्नमेंट के साथ मिल्क कई सारे प्रोजेक्ट अपने हिसाब से चलवाए लेकिन धीरे-धीरे ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी यह चीज समझ में आने लगी और कुछ टाइम के बाद कंपनी के ऊपर पार्लियामेंट्री इन्वेस्टिगेशन बैठ जाति है और कंपनी के ऊपर इनसाइड ट्रेडिंग और ब्रेवरी के कैसे लगता हैं और इस कंपनी को हटा दिया जाता है अब इसके बाद और 1858 में ब्रिटिश गवर्नमेंट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट लेक आई है जिसके बाद इंडिया जो था जिसको ईस्ट इंडिया कंपनी इधर-उधर तरीके से ट्रेड कर रही थी इंडिया को ब्रिटिश अंपायर का पार्ट बना देती है अब इस एक्ट के आने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की जो पावर थी उनको खत्म कर दिया गया अब डायरेक्टली जो ब्रिटिश गवर्नमेंट थी वो इंडिया को कंट्रोल कर रही थी और ब्रिटिश क्राउन ने इंडिया के पूरे एडमिनिस्ट्रेशन को टेकओवर कर लिया और इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की जितनी भी टेरिटरी थी रिवेन्यू पोसेशंस सब कुछ ब्रिटिश काउंट के अंदर में ए गया था देखिए अगर शॉर्ट में समझाऊं तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक प्लेन तरीके से ढाका डाला था इन्होंने जितनी भी जीत हासिल कारी सब धोखेबाजी रिश्वत और फर्जी डॉक्यूमेंट बनके करें जिनके साथ भी एलियंस किया इन्होंने उनको खुद ही बाद में जाके मारा पहले ईस्ट इंडिया कंपनी आई जब पूरा प्लेटफॉर्म तैयार हो गया तो ईस्ट इंडिया कंपनी को हटा दिया गया और ब्रिटिश गवर्नमेंट पिक्चर में ए जाति है और वो फिर इंडिया के ऊपर कंट्रोल करती है इंडियन इकोनॉमिस्ट उस्ताद पटनायक की एनालिसिस के हिसाब से ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इंडिया की वेल्थ से 45 ट्रिलियन लगभग 200 साल में लूट अगर इसको आज के कॉन्टेक्स्ट में देखा जाए तो ब्रिटेन की अब की जीडीपी जो है वो तीन ट्रेलर की है ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश गवर्नमेंट ने इंडिया की वेल्थ को तो लुटे साथ में इंडिया की जो फॉरेन एक्सपोर्ट अर्निंग आई थी उनको भी लंदन भेजना चालू कर दिया था अब इन साड़ी वजह से इंडिया के पास मशीनरी कोई टेक्नोलॉजी इंपोर्ट करनी हो इन सब के लिए ₹1 भी नहीं बचता इंडिया अपने आप को प्राइस नहीं कर पाया ब्रिटिशर्स ने बहुत ही भारी ल मचाई इंडिया के अंदर ये अपने आप में बहुत ही शॉकिंग है की एवं आज की डेट तक जिला एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को कलेक्टर बोला जाता है ये ब्रिटिशर्स के टाइम पे कलेक्टर शब्द उसे होता था जिन्होंने टेक्स्ट ले लेकर भुखमरी पर लाकर खड़ा कर दिया था ईस्ट इंडिया कंपनी ने खली ल की लेकिन एक बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से पहले इन्होंने आम जनता का टैक्स बढ़कर तीन गुना कर दिया फिर उनके ही टैक्स के पैसे से उनका ही समाज खरीदा और फिर आगे चल के ब्रिटेन में एक्सपोर्ट कर दिया मतलब की इतने सालों में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जो भी इंग्लैंड में भेजो वो सब फ्री में भेजो हमसे पैसे लेकर हमसे ही खरीदा और फिर उसको उठा के अपने देश भेज दिया अब एक आम किसान और आम जनता इस चीज को समझ ना पे उसे टाइम पे इसलिए इन्होंने दो डिपार्मेंट बनाए थे टैक्स कलेक्ट करने के लिए अलग से ऑफिस था अलग डिपार्मेंट था और एक आम जनता से और किसान से समाज खरीदने के लिए अलग डिपार्मेंट था वो इसे समाज खरीदना था ताकि ये साड़ी चीज़ आजकल अलग है आज भी अगर आप देखोगे तो इसको अलग-अलग बिजनेस मॉडल से रिलेट करके इसको समझने की कोशिश करते हैं लेकिन अल बात ये है ये खली ल चल रही थी इंडिया के रिसोर्सेस की सिर्फ कुछ ही इंडियन से जिनको फायदा हुआ वो बस वही इंडियन जैसे जिन्होंने इनकी ल में दलाली की और इनके सामने झुक गए एवं आज की डेट में अगर आप कुछ बिजनेस हाउसेस की हिस्ट्री पढ़ोगे जो लंबी लंबी बातें करते हैं की हमारे ये बिजनेस मॉडल था हमने इस तरीके से अपना बिजनेस बनाया अल में सारे उसे टाइम पर अंग्रेजन की दलाली करते थे आज की डेट का पूरा ये जो मॉडर्न कैप्टन लिस्ट ग्लोबल सिस्टम है वो इसी ल पे बना हुआ है इंडिया से पैसा ल ल के ब्रिटेन ने नॉर्थ अमेरिका और यूरोप में इन्वेस्ट किया वहां पे रेलवे रोड फैक्टरीज बनवाई कॉलोनियलिज्म के टाइम पे जितनी भी वार ब्रिटेन ने लड़ी चाहे वो फर्स्ट वर्ल्ड वार हो चाहे वो सेकंड वर्ल्ड वार हो इन सब का खर्चा उन्होंने इंडिया के ऊपर दाल दिया और फिर उसको कर्ज दिखा के साल तक यहां से रिवेन्यू और इंटरेस्ट लेट रहा तो अगली बार जब आप हॉलीवुड मूवी देख के ताली बजाना जिसमें एक महान ब्रिटिश हिटलर से शुरू हीरो की तरह लाड रहा है तो इस बात का जरूर ध्यान रखिएगा की उसे लड़ाई का जो खर्चा है वो आपके पूर्वजों की कमर तोड़ के निकाला गया था आज की डेट में सबको सिखाया जाता है की यूरोप और अमेरिका के देश इसलिए एडवांस बने क्योंकि बहुत ही इन्नोवेटिव थे हमारे यहां से भी जो लोग बाहर पढ़ने जाते हैं या बाहर के राइटर को पढ़ने हैं वो इस चीज को बड़ी आसानी से मां लेते हैं की ये हमसे ज्यादा इन्नोवेटिव में लेकिन देखिए जो असली हिस्ट्री है ना वो ना तो इंडियन स्टूडेंट को पढ़ाई जाति है और ना ही ब्रिटिशर्स के बच्चों को पढ़ाई जाति है आज की डेट में पूरा वेस्ट जो है ये फ्री ट्रेड की बहुत बात करता है लेकिन कैंब्रिज इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया में एक भी शब्द मेंशन नहीं किया है इन्होंने की एयर 1700 से 1846 के बीच में एशिया टेक्सटाइल के खिलाफ इन्होंने कितनी कड़ी पॉलिसी अपना राखी थी अगली बार आपके सामने अगर कोई वेस्ट कंट्रीज का महिमामंडन करें तो उससे ये जरूर पूछिएगा की एयर 1765 से लेक 1945 तक इंडिया की जो एक्सपोर्ट सरफेस अर्निंग थी उसका क्या किया इन्होंने ये साड़ी चीज ये लोग लिखने क्यों नहीं है अपनी बुक्स में आजादी के बाद एवं आज की डेट तक इंडिया जिन दिक्कतों में फंसा हुआ उनमें से ज्यादातर का जो सेंटर है वो ब्रिटिश राज ही है चाहे वो हमारा करप्ट सिस्टम हो इन इफेक्टिव जुडिशल सिस्टम हो पुलिस का अत्याचार हो या फिर रिलिजन का इशू हो एक कहावत है की चोरी का पैसा मोरी से निकलता है ब्रीडर्स इतना पैसा ल के ले गए लेकिन आज की डेट में इनकी इकोनामी फतेहयाल हो गई है वहीं इंडिया इतना पैसा लौट के बाद भी दोबारा से ट्रैक पे ए रहा है और रही बात ईस्ट इंडिया कंपनी की तो आज की डेट में एक इंडियन संजीव मेहता ने इसको खरीद लिया है और आज की डेट में ये कंपनी लग्जरी टी कॉफी वगैरा ये सब बनती है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन सीखो है आपका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है वहां से आप इंस्टॉल कर सकते हैं थैंक यू bDDdpP7QKpA,Why Manipur is Burning ? | Nitish Rajput | Hindi,2023-08-02T14:30:10Z,PT33M17S,4347043,138304,11387,https://www.youtube.com/watch?v=bDDdpP7QKpA,, अब देखिए ये है इंडिया का मैप और ये है मणिपुर मणिपुर अपनी बाउंड्री मिजोरम असम और म्यांमार से शेर करता है अगर मणिपुर के मैप को एक ग्राउंड की तरह देखा जाए तो ये जहां ऑडियंस बैठी है वहीं पे है माउंटेंस और बीच में जो प्लेन मैदान है और यहां पर है मणिपुर की कैपिटल इंफाल और इस पूरे एरिया को इंफाल वैल्यू कहते हैं तो मणिपुर इस तरीके से दिखता है मणिपुर का 10% जो एरिया वो वैल्यू यानी की प्लेन मैदान है और 90% एरिया पे माउंट एक है कुकी और लोग ट्राइब्स इस हिल एरिया में रहते हैं और मथिस जो है वो प्लांस में रहते हैं अब आज का ये जो मणिपुर है यह 1709 में ये कंगला ही बैग कहलाता था यहां पे मैंने ही लोग रहते थे और उनके एक राजा थे पंप हिबा जो इस कंघी पाक यानी की मणिपुर के राजा थे पांबा खुद भी मैंने ही थे लेकिन कुछ टाइम बाद एक शांति दास नाम के टीचर के टच में आते हैं और फिर ये हिंदू रिलिजन अपना लेते हैं अब हिंदू रीजन अपहरण के बाद सबसे पहले तो ये कांगड़ा ही पार्क का नाम चेंज करके संस्कृत नाम मणिपुर कर देते हैं उसके बाद अपना नाम बम ही बार से चेंज करके गरीब नवाज कर देते हैं और पूरे मणिपुर का स्टेट रिलिजन हिंदुइज्म कर देते हैं तो ये साड़ी चीज करने के बाद ये उदयपुर किंगडम को एक्सपेंड करने लगे थे मणिपुर की बगल में था किंगडम ऑफ बर्मा जिसको आज की डेट में म्यांमार कहते हैं उसका पहले नाम बर्मा हुआ करता था तो पांबा ने किंगडम ऑफ बर्मा पे मल्टीपल टाइम अटैक किया और बर्मा को मणिपुर से जोड़ दिया अब देखिए मणिपुर हो या फिर म्यांमार ये सारे पहाड़ी इलाके हैं और इन सब एरिया में उसे टाइम पे छोटी-छोटी मल्टीपल ट्राइब रहते थे और ट्राइब जो होती है वो मूव करती रहती है जैसे एक जंगल के एरिया में अगर कोई ट्राइब र रही है तो जब उसे एरिया के रिसोर्सेस खत्म हो जाते हैं तो फिर वो जो ड्राइव है वो जगह चेंज कर देती है इसलिए मणिपुर में जो ट्राइब्स हैं वो आपको मणिपुर के आसपास के जो एरिया है जैसे म्यांमार वगैरा वहां पे भी दिखेगा तो मणिपुर के राजा ने बर्मा को मणिपुर में तो मिला लिया था लेकिन 13थ ऑफ दिसंबर 1751 को मीमुमा की डेथ हो जाति है और इनकी डेथ के बाद मणिपुर किंगडम वीक पड़ता है और इसका फायदा उठाकर धीरे-धीरे बर्मा मणिपुर पे कंटीन्यूअस अटैक करता राहत है और छोटे-छोटे एरिया कब्ज करता राहत है फिर एयर 18-19 में बर्मा किंगडम मणिपुर पे पुरी तरीके से कब्जा कर लेट है और कई सालों तक मणिपुर में मार कैट मस्ती है यही वो टाइम था जब मणिपुर से लोग भाग के मिजोरम असम त्रिपुरा एरिया में चले जा रहे थे और आज भी इन एरिया में आपको कुकीज लोग मैं टाइस सब पापुलेशन मिलेगी तो इसके बाद अगले 5 साल तक मणिपुर में ये सब चला है फिर एयर आता है 1824 मणिपुर के राजा गंभीर सिंह ने ब्रिटिश से मदद मांगी की बर्मा हमारे ऊपर बहुत ही मार कार्ड मचा रहा है और आप हमारी मदद करिए स्ट्रेटजी के लिए मणिपुर की जो लोकेशन थी वो ब्रिटिशर्स के लिए बहुत ही अच्छी थी तो ब्रिटिशर्स इस चीज के लिए मां जाते हैं और 2 साल लड़ाई के बाद यानी की फरवरी 1826 में ब्रिटिशर्स बर्मा की आर्मी को हराकर मणिपुर से बाहर भेज देते हैं तो ये जो टाइम था 18 19 से 1826 तक का ये वो टाइम था जब मणिपुर के लोगों ने सबसे ज्यादा मार कार्ड खली इस पर्टिकुलर टाइम को मणिपुर में कहते हैं चाहे डायरेक्ट कांटेक्ट पर यानी की 7 इयर्स ऑफ स्टेशन अब ब्रिटिशर्स ने मणिपुर की मदद कोई चैरिटी के लिए तो कर ही नहीं थी मैडिचर्स ने जो मणिपुर का राजा था उसको राजा बने रहने दिया लेकिन पूरे मणिपुर का कंट्रोल अपने पास रखा और टैक्स वगैरा जो था वो लेते रहे ब्रिटिश बेसिकली जहां भी राज करते थे वो दो तरीके से करते थे एक तो डायरेक्टली पूरा साम्राज्य जो था वो अपने अंदर में ले लेते थे या फिर राजा को राजा बने देते थे और खुद इनडायरेक्ट रूल करते थे इसमें ब्रिटिशर्स अपने ऑफिसर्स को राजा का सलाहकार बना देते थे इस पूरे अरेंजमेंट को प्रिंसली स्टेट कहा जाता है तो मणिपुर भी प्रिंसली स्टेट था ब्रिटिशर्स का एक रूल करने का तरीका था वो प्लांस में रूल करते थे और पहाड़ों को ऐसे ही छोड़ दे देते हैं क्योंकि एक तो पहाड़ों में आर्मी को लेकर कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता था दूसरा प्लेस में अंग्रेज ज्यादा इकोनामिक एक्टिविटी कर पाते थे तो मणिपुर के अंदर ब्रिटिशर्स ने प्लेन एरिया जो था उसको पहाड़ों से अलग कर दिया ऐसा कोई पहाड़ों और प्लांस के बीच में बॉर्डर नहीं बना दिया था बस जो ड्राइव थी उनको छेड़ा नहीं और वाली यानी मैदान पे ही कंट्रोल रखा और ये जो चीज की थी ब्रिटिश ने ये आगे चल के सबसे पहले रीजन बंटी है आज के होने वाले मणिपुर के वायलेंस का तो मणिपुर का ये जो हिल एरिया था इनमें बहुत साड़ी अलग-अलग प्राइस रहती थी इन मल्टीपल ट्राइब्स को अलग-अलग नाम दिए जाते थे तो मणिपुर की जो वाली थी यानी की जो प्लेन एरिया था वहां पे मैं 23 रहते थे हिल्स में जो ट्राइब्स रहती थी वो मल्टीपल ट्राइज रहती थी जिसमें इस साइड की मिलती-जुलती जो ड्राइव थी इनको पहले बार ब्रिटिशर्स ने कुकीज बोला था अकेले जैसे कुकीज के अंदर इतनी ड्राइव्स थी और यही से ड्राइव जो म्यांमार साइड में रहती थी वहां पे उनको चिंस बोला जाता था ऐसे ही मणिपुर के इस साइड के पहाड़ थे यहां पे जो प्राइस रहती थी यह ज्यादातर इनके जो कानों में ये कुंडल पहना थे तो इनको नागज बोला जाता था तो तब से मणिपुर के अंदर तीन मेजर ग्रुप थे मैं 23 कुकीज और लोग कुकीज की जो पापुलेशन थी वो मणिपुर के बाहर के पहाड़ों पे भी थी ऐसे ही नागज की जो पापुलेशन थी वो भी मणिपुर के बाहर नागालैंड साइड पे भी थी वहीं मैथिलिस की बात करें तो जब किंगडम ऑफ बर्मा अटैक किया था तो उसे पर्टिकुलर टाइम पर जितनी मेथी थे वो मिजोरम त्रिपुरा इस साइड चलेंगे तो आज भी इनकी पापुलेशन इन स्टेटस में है कल मिलकर तीनों ट्रायल्स की जो पापुलेशन है वो सिर्फ मणिपुर में रिस्ट्रिक्टेड नहीं है ये नेबरिंग स्टेट में भी पी जाति है ये तीनों आपस में भी बहुत डिसएग्री करते हैं की हम पहले आए थे या फिर तुम पहले आए हो जैसे मेथी का कहना है की 1891 में ब्रिटिश ने पहाड़ों और प्लांस को बस रूल करने के लिए एक आर्टिफिशियल तरीके से अलग कर दिया था वरना चाहे मणिपुर के हिलसन और प्लेन हो दोनों हमारे इन सिस्टर का है और मैं 30 कुकीज के लिए कहते हैं की ये 18 तो 19 सेंचुरी में म्यांमार से आए थे ऐसे ही कुकीज कहते हैं ये पूरा जो रेड है ये एरिया हमारा है यहां पर हमारी ट्राइब्स है और यहां पे हम बहुत ही पहले से र रहे हैं ऐसे ही नागराज का कहना है की जो ऑरेंज वाला एरिया है यहां पे हमारी ट्रीज बहुत पहले से रहती है तो ये एरिया हमारा लेकिन एक्चुअल हिस्ट्री का कोई प्रूफ नहीं है बस कुछ इवेंट्स के बेसिस पर ससुम्पटीशन लगाएं जाते हैं अब होता क्या है की एयर 1914 में फर्स्ट वर्ल्ड वार शुरू होता है और ब्रिटिशर्स मणिपुर से करीब 2016 से लेकर जाते हैं उनकी तरफ से लड़ने के लिए ब्रिटिशर्स ने कुकीज को भी ले जान के लिए ट्राई किया क्योंकि ये लड़ने में काफी माहिर थे लेकिन कुकीज ने ब्रिटिशर्स के साथ जाके लड़ाई करने के लिए साफ माना कर दिया और इसकी वजह से ब्रिटिश काफी ना कुछ टेन से और इनके ऊपर अटैक भी कर दिया यानी की इसके ऊपर अटैक कर दिया ये लड़ाई काफी दोनों तक चलती है और कुकीज ने भी काफी नुकसान किया ब है इसका लेकिन बीड्स को प्लीज को हर देते हैं इस लड़ाई को एंग्लो को की वार भी कहा जाता है जैसे-जैसे ब्रिटिशर्स को किस से जीत तो गए थे लेकिन कुकीज को कंट्रोल करना भी आसन नहीं था और बेटी के ने कुकीज से डील करने के लिए इनको सोशली इंक्लूड करना शुरू किया ताकि इनको कंट्रोल करने में आसानी हो तो प्रेडिसर्स ने एक स्ट्रीट्स बनाई जिसमें कुकीज का जो एरिया था वहां पे क्रिश्चियन मिशनरीज भेजें ये वो टाइम था जब कुकीज क्रिश्चियन बने आज भी कुकीज की जो पापुलेशन है उसमें मेजॉरिटी में क्रिश्चियन ही है और मैं 23 की बात करें तो मैं राजा की वजह से उनमें हिंदू हैं अब धीरे-धीरे टाइम बिताता है और सेकंड वर्ल्ड वार का टाइम आता है ये वो टाइम था जब मणिपुर के लोगों को आइडिया ग गया था की ब्रिटिशर्स अब यहां से छोड़ के जान वाले कम्युनिकेशन में नॉर्थ ईस्ट की जो पापुलेशन थी उनको यह आइडिया दिया की लोग अलग रहेंगे इनका मर्जर नहीं होगा कहानी पे तो इस पर्टिकुलर टाइम पे ब्रिटिशर्स गए नहीं थे उनके जान की बात हो रही थी और मणिपुर के उसे टाइम के राजा थे राजा बौद्ध चंद्र सिंह मणिपुर की जनता ने राजा के ऊपर बहुत ही प्रेशर बनाया क्या आप मणिपुर के लोगों के हाथ में भी पावर दीजिए डेमोक्रेसी आई है तो 26 ऑफ जुलाई 1947 को राजा बौद्ध चंद सिंह मणिपुर स्टेट कॉन्स्टिट्यूशन एक्ट 1947 लेक आते हैं मणिपुर के लिए अब इसके 1 महीने बाद अगस्त 1947 में ब्रिटिश सब कुछ छोड़ के वापस चले जाते हैं अब जैसा मैंने बताया था की ब्रिटिशर्स दो तरीके से राज करते थे स्टेज पर एक डायरेक्ट खुद स्टेट पे रूल करते थे और दूसरा इनडायरेक्ट राजा के थ्रू रूल करते थे तो जब इंडिया को आजादी मिली तो ये एग्रीमेंट हुआ की जहां पे ब्रिटिशर्स डायरेक्टली रूल कर रहे हैं तो वो डायरेक्ट इंडिया के कंट्रोल में ए जाएगा लेकिन जहां पे डायरेक्टली रूल नहीं करते थे यानी की राजा के थ्रू रूल करते थे जिसको प्रिंसली स्टेट कहते हैं वहां पे इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेप्शन साइन होगा जिसमें जो स्टेट होगी वो खुद रन करेगी बस डिफेंस एक्सटर्नल अफेयर्स और कम्युनिकेशन जो होगा वो इंडिया देखिएगा तो मणिपुर भी प्रिंसली स्टेट था तो यहां भी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेप्शन साइन किया गया यह उसकी कॉपी है यह साइन करने के बाद मणिपुर का डिफेंस एक्सटर्नल अफेयर और कम्युनिकेशन सब इंडिया के कंट्रोल में ए गया ये एग्रीमेंट साइन होने के बाद राजा ने जो मणिपुर स्टेट कॉन्स्टिट्यूशन एक्ट 1947 ये जो ले के आए थे इसको इंडिया ने माने से माना कर दिया एक्चुअली मणिपुर स्टैटिसटिकल बहुत ही इंपॉर्टेंट लोकेशन थी इंडिया के लिए जी तरीके से बाहर की कंट्रीज का इंवॉल्वमेंट हो रहा था और मणिपुर का जो एडमिनिस्ट्रेशन था वो बहुत कमजोर था उससे इंडिया के अंदर दिक्कतें बाढ़ शक्ति थी इसलिए 1949 में जब मणिपुर के राजा बौद्ध चंद्र सिंह किसी कम से शिलांग आए थे तो इंडियन गवर्नमेंट ने इनको हाउस अरेस्ट में दाल दिया और फिर उनको तभी छोड़ जब उन्होंने इंडिया के साथ मर्ज और एग्रीमेंट साइन किया मतलब की इंडिया के साथ जुड़ने का एक एग्रीमेंट साइन कर दिया ये उसे मर्जर एग्रीमेंट की कॉपी है और ये उसे पर्टिकुलर टाइम का आर्टिकल 21 ऑफ सितंबर 1949 को इस एग्रीमेंट पे साइन हुआ और 15थ ऑफ अक्टूबर 1949 को ये इंप्लीमेंट हो गया और यही वो टाइम था जिसका हवाला डीके आज ही में 30 कहते थे की इस पर्टिकुलर टाइम पे इनको ट्राइब्स का दर्ज मिला हुआ था यानी की वो सेंट कैटिगरी में आते थे लेकिन बाद में इनको इस कैटिगरी से हटाए गया और मैं 30 का कहना है की हम अलग से सेंट के दर्ज आपसे नहीं मांग रहे हम सेंट के दर्ज पहले था इस को रिस्टेट करने के लिए का रहे हैं और कुकीज का कहना है की ये अभी हाल फिलहाल में इन्होंने ये बोलना चालू किया है ये शुरू से ही प्रिविले हुए हैं ये कभी सेंट कैटिगरी में थे ही नहीं तो मणिपुर का मर्जर होता है इंडिया के साथ और फिर मणिपुर को एक पार्ट सी स्टेट की तरफ रखा जाता है पार्ट्स स्टेट का मतलब हुआ की एक दीवान या फिर के कमीशन मणिपुर को चलाएगा फिर उसके बाद 1956 में मणिपुर को यूनियन टेरिटरी बना दिया जाता है और फिर उसके बाद 1972 में मणिपुर को इंडिया के अंदर पूर्ण राज्य का दर्ज मिल जाता है अब मणिपुर इंडिया के अंदर पुरी तरीके से एक स्टेट बन चुका था लेकिन 1972 से 12 साल पहले यानी की 1960 में इंडियन गवर्नमेंट मणिपुर के अंदर लैंड रिफॉर्म एक्ट 1960 लेकर आई है जिसमें ये था की मणिपुर की जो रैली का एरिया था यहां के लोग हिल्स के अंदर लैंड नहीं खरीद सकते लेकिन हिल्स पे रहने वाले जो ट्राइब्स है वो इंफाल वैल्यू जहां पे मैथीज रहते थे वहां पे जाके लैंड खरीद सकते थे यानी की पूरे मणिपुर के अंदर वो कहानी भी जमीन खरीद सकते थे जी तरह से ब्रिटिश ने मणिपुर को दो पार्ट में डिवाइड किया था हेल्थ और रैली में तो इंडिया ने मणिपुर को जोड़ने के बाद मणिपुर को इस तरीके से ट्वीट किया हिल्स और वाली को अलग-अलग तरीके से गवन किया तो सबसे पहले चीज इंडिया लेक आया है लैंड रिफॉर्म एक्ट मणिपुर के अंदर इसके बाद दूसरी चीज ये होगी इंडिया के कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 342 के हिसाब से इंडिया के अंदर कौन सेंट होगा और कौन सेंट नहीं होगा ये प्रेसिडेंट के एक नोटिफिकेशन से डिसाइड होगा तो किसको सेंट की लिस्ट में रखा जाएगा किसको निकाला जाएगा इसके लिए 1965 में एक लॉकर कमेटी बनाई गई इस कमेटी के हिसाब से पांच चीज डिसाइड करेंगे की इंडिया के अंदर कौन सेंट होगा और कौन नहीं होगा ये पांच क्राइटेरिया थे प्रिमिटिव डिस्टिंक्टिव नाइस आइसोलेशन इन हैबिटेशन और बैकवार्डनेस लोगों को कमेटी ने किसको रखा और किसको निकाला है इसका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया इसमें कोई भी चीज में अपनी तरफ से एड नहीं करूंगा हर चीज का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया आप लोग एक बार वेरीफाई जरूर कर लेना लोगो कमेटी की रिपोर्ट में पेज नंबर 26 पे एस टी से निकालना की रीजन दी है और पेज नंबर 24 पे जिनको इंक्लूड किया है उनके रीजन दिए तो इसके बाद कुकीज जो हिल्स में रहते थे वो सेंट कैटिगरी में ही रहते हैं और मेथी इसको स और ओबीसी की कैटिगरी में रखा गया लेकिन सेंट में नहीं रखा गया इसी तरीके से नागज को भी एचडी कैटिगरी में रखा गया अब देखिए जब मणिपुर का मर्जर हुआ था इंडिया के साथ तो मणिपुर अंदर कुछ ऐसे इंसर्ट ग्रुप बने जो इंडिया के खिलाफ थे उनके खिलाफ हथियार उठा लिए थे और इंडियन गवर्नमेंट के जो ऑफिशल्स थे उनके ऊपर अटैक करते थे ऐसा ही इसलिए कर देते थे क्योंकि ये मणिपुर को इंडिया से अलग करना चाहते थे इनके नाम किया थे इनका कहना की इंडिया से जुड़ने से पहले मणिपुर ने अपने कॉन्स्टिट्यूशन बना के इलेक्शन तक करवा लिए थे लेकिन फिर भी इनके राज्यों से जबरदस्ती साइन कर के मणिपुर को इंडिया का हिस्सा बना दिया गया और मणिपुर का इंडिया से जोड़ना ये इलीगल है तो ये जितने ग्रुप थे जो का रहे थे की मणिपुर का इंडिया से जुड़ना इलीगल है शुरू में लार्जली इंफाल वैल्यू में एक्टिव थे यह किसी स्पेसिफिक रूप की बात नहीं करते थे लेकिन इनमें ज्यादातर मेथी थे अब इसके कुछ टाइम बाद हिल्स में जो ट्राइब्स थे उन्होंने भी अपने ग्रुप बनाए सबसे पहले जो लोग ड्राइव थी उन्होंने अपने इनसरजेंट ग्रुप बनाया लोग ने कहा की हमें किसी और से कोई मतलब नहीं है ये सारे लोग एरियाज जो है जहां नागज रहते हैं जैसे नागालैंड मणिपुर असम और म्यांमार इन सबको जोड़ के हमें ग्रेटर नागालैंड देश बनाना है और ये लोग देश की बात कर रहे थे स्टेट की बात नहीं कर रहे थे इन्होंने अपना एक ग्रुप बनाया नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड एनएससीएन और इस ग्रुप में हथियार उठाकर म्यांमार और इंडिया गवर्नमेंट पे अटैक करना शुरू किया अब इनका अच्छी देखा को ने भी अपना ग्रुप बनाया और कहा हमें भी अपना कुकी लैंड चाहिए लेकिन कुकीज ने कहा की हमें अलग देश नहीं चाहिए हमें इंडिया के अंदर अलग स्टेट मिल जाए जिसमें सारे क्विकली ट्राइब्स हैं जो मेजॉरिटी में ठीक है धीरे-धीरे ये आपस में भी लड़ने लगे हैं क्योंकि कुकीज अपना अलग से कुकीज होमलैंड मांगते हैं इस एरिया में जो रेड दिखे रहा है क्योंकि इसका कहना है की ये उनका एरिया है वहीं लोग चाहते हैं की ग्रेटर नागालैंड मैन ये जो एरिया आप देख रहे हैं ये नागास क्लेम करते हैं लेकिन अगर आप दोनों मैप को देखोगे तो लोग और कुकीज का जो एरिया है वो ओवरलैप कर रहा है इस वजह से कुकीज और लोग आपस में भी लड़ते हैं और उधर जो मेथी इस वाली में रहते हैं तो उनके कैसे में 35 वर्सेस हेलो होता है जिसमें नाग और कुकीज एक हो जाते हैं तो बेसिकली इस रीजन में तीनों की डिसएग्रीमेंट है अलग-अलग चीजों को लेक जितने भी ट्राइब्स होती हैं इनको पॉलिसी की वजह से इतना मतलब नहीं होता वो बस चाहते हैं की वो अपने कलर को प्रिजर्व करें उसके बीच में कोई इंटरफ्रेंस ना हो और ये सब एक साथ मिलकर आए हैं अब जैसा मैंने बताया की कुकीज और नागास का जो एरिया है वो ओवरलैप कर रहा है तो इस चीज को लेक 13th ऑफ सितंबर 1993 को नागज ने कुकीज के एरिया में घुस के बहुत ज्यादा मार कैट की जिसमें 115 को की सिविलियन को अपनी जान ग इस दिन को कुकीज ब्लैक दे के नाम से जानते हैं इस लड़ाई के बाद ये होने लगा की हर टाइप ने अपने-अपने इंसर्जेंट ग्रुप बना लिए थे इन इन सजन ग्रुप को यह ट्राइब्स अपनी आर्मी मानते थे जो इनके इंटरेस्ट के लिए लड़ती थी जैसे कुकीज की बात करें तो इनकी कुकी नेशनल आर्मी ना यूनाइटेड सोशलिस्ट रिवॉल्यूशनरी आर्मी जोंबी वे यूनिफिकेशन फ्रंट ऐसे ही नागास के लिए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड ये आपस में लड़ते थे और फिर टाइम तू टाइम इंडिया के अगेंस्ट भी लड़ते थे ये वो टाइम था जब इंडिया ने मणिपुर को डिस्टर्ब एरिया घोषित कर दिया था और इंडियन गवर्नमेंट जब किसी एरिया को डिस्टर्ब घोषित करती है तो वहां पे आप सा लगती है और ऐसे में गवर्नमेंट को 8 साल लगाना पड़ता है इस रीजन में इसमें साड़ी चीज मिलिट्री के हाथ में ए जाति है मिलिट्री को अगर खाली शक हो सिर्फ शक के बेसिस पे वो किसी को मार सकता है इस रीजन के अंदर गवर्नमेंट एक स्टालमेट की पोजीशन में खड़ी रहती है क्योंकि हर ग्रुप की डिमांड दूसरे ग्रुप से ओवरलैप करती हैं जैसे जैसे एक इनसरजेंट ग्रुप से नेगोशिएशन हो के डील फाइनल होती है तो बाकी के इनसरजेंट ग्रुप हथियार उठा लेते हैं अकेले कुकीज के 30 इंच सजन ग्रुप थे फिर एयर आता है 2001 और लोग आम ग्रुप नल के साथ-साथ बाकी स्टेट के साथ भी इंडियन गवर्नमेंट ने 30 प्रोसेस स्टार्ट किया अब आपको पता है की नगर जो ग्रेटर नागालैंड की डिमांड कर रहे हैं उसमें मणिपुर के हिल एरिया भी आता है तो इस बात से मणिपुर में जो मथिस थे वो इनसिक्योर हो गए क्योंकि बातचीत पॉजिटिव डायरेक्शन में जा रही थी इंडियन गवर्नमेंट और नागास के साथ और मथिस को लगा ना हो जाए की मणिपुर का हिस्सा जो नागज मांग रहे हैं वो उनको मिल जाए और इसी डर से कुछ टाइम बाद मणिपुर के अंदर करीब 2001 में प्रोटेस्ट स्टार्ट हुए और बहुत ही बड़े स्केल पे वायलेंस हुआ यहां तक की मणिपुर की असेंबली जो थी उसमें तक आज लगा दी गई थी कई लोगों को अपनी जान गवनी पड़ी थी अच्छा नागालैंड की जो सिचुएशन है वो मणिपुर से भी ज्यादा थ्रेटिंग है वहां एक गांव हैं कौनोमा वहां पे एक मेमोरियल पे आज भी लिखा है नागज आर नोट इंडियन अब ऐसा क्यों लिखा गया है और नागालैंड को डिस्टर्ब एरिया क्यों डिक्लेअर करना पड़ता है इसके बड़े में काफी डिटेल में कुकू एफएम की ऑडियो बुक डी नागालैंड कंट्रोवर्सी में बहुत ही अच्छे से बताया है की कैसे इन साड़ी चीजों की शुरुआत हुई और क्यों ये लोग अलग देश की मांग करते हैं आपको कोई एफएम पर जरूर सुनिएगा इसको कुक एफएम इंडिया का वन ऑफ डी बेस्ट ऑडियो लर्निंग प्लेटफॉर्म है जहां पे आप 10000 से ज्यादा ऑडियो बुक अपने निज के हिसाब से सुन सकते हैं और मेरी ऑडियंस मेरा कूपन कोड नर 50 उसे करके फर्स्ट मठ सब्सक्रिप्शन पे 50% डिस्काउंट ले शक्ति है डाउनलोड करने के लिए इस कार कोड को स्कैन कर सकते हैं और प्रिंट कमेंट में जाकर लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं तो टॉपिक पे वापस आते हैं और इस इंसिडेंट उसके बाद मेथी और ट्राईबल्स जो थे उनके बीच में कनफ्लिक्ट जो था वो और बाढ़ गया क्योंकि मैथीज खाने लगे की मणिपुर में पापुलेशन चेंज हो रहा है और ट्रैवल एरियाज में पापुलेशन एकदम से बाढ़ रही है और इसके साथ-साथ म्यांमार से कुकीज लोग जो है वो भी इंडिया में आके बस रहे हैं इसके साथ-साथ कुकिंग ग्रुप जो थे वो भी एक्टिवेट हो गए उन्होंने भी कहा की उनको एक ऑटोनॉमस स्टेट चाहिए और उसकी मांग बहुत तेज हो गई लेकिन नॉर्थ ईस्ट और स्टेट में ये जो अलग-अलग ग्रुप हैं इसे डील करने में गवर्नमेंट को दिक्कत ये आई है की अगर किसी एक ग्रुप से गवर्नमेंट बात करके कोई सॉल्यूशन निकाल लेती है तो बाकी स्टेटस में जो ग्रुप है उनको लगता है की हम भी परेशान करके अपनी बात बावा लेंगे तो जब भी एक ग्रुप से पीस टॉक होती है तो बाकी रीजन में और इन स्टेबिलिटी ए जाति है इसलिए कोई भी गवर्नमेंट आई है तो इसके जो डिसीजन लेना होता है उसको तलती रहती है 2008 में मनमोहन सिंह जी की गवर्नमेंट ने मणिपुर में कुकीज के ग्रुप को बातचीत के लिए रेडी कर लिया और एक ट्री पर टाइट एग्रीमेंट साइन किया त्रिपाटाइट मतलब जिसमें तीन पट्टी इंवॉल्व होते हैं तो इस एग्रीमेंट में मणिपुर की स्टेट गवर्नमेंट ने सेंट्रल गवर्नमेंट ने और कुकीज के जो ग्रुप हैं इन्होंने साइन किया और इस एग्रीमेंट का नाम था सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन इसे एग्रीमेंट के हिसाब से गवर्नमेंट ने कुकीज के इंसर्जेंट ग्रुप में से 25 ग्रुप के साथ एक सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन नाम का एग्रीमेंट साइन किया जिसमें टोटल 2266 लोगों को आईडेंटिफाई करके अलग से 14 कैंप बनाए और उसमें दाल दिया गया और जो उनकी मूवमेंट थी इस कैंप के अंदर रिस्टिक कर दी थी और उनके जो हथियार थे एक एरिया डिसाइड करके उनको लॉक कर दिया गया और उसकी जो एक चाबी थी वो आर्म्ड फोर्स के पास थी और जो दूसरी चाबी थी वो काम के जो कुकी लीडर थे उनके पास थे 2008 से लेकर आज की डेट तक इस एग्रीमेंट को एक्सटेंड कर करके कुकीज के आम ग्रुप थे उनको रॉक गया गवर्नमेंट इसको हर साल एक्सटेंड करती है लेकिन कोई सॉल्यूशन नहीं निकलता है इस चीज को लेक कुकीज आम ग्रुप जो है उन्होंने धमकी भी दी है की अगर आपने जल्दी से जल्दी कुछ नहीं किया तो हम ये एग्रीमेंट तोड़ देंगे और केम के अंदर से हथियार उठा लेंगे तो ये साड़ी चीज मैं आपको बता रहा हूं अभी आगे करंट सिचुएशन चल रही है उससे रिलेट करेंगे तो 2017 तक तो कांग्रेस इसको जैसे तैसे करके हर साल ताल रही थी इसके बाद मणिपुर के अंदर गवर्नमेंट आई है बीजेपी की मणिपुर के अंदर ज्यादातर कांग्रेस की सरकार रही है सिर्फ दो बार बीजेपी जीती है लेकिन 2017 में बीजेपी ने कांग्रेस के एन वीरेंद्र सिंह को अपने साथ मिला लिया बीबी रन सिंह ने कुछ एमएस लेक बीजेपी जॉइन कर लिया और आगे चल के फिर कम बने तो जो चीज कांग्रेस कर रही थी वही चीज बीजेपी ने भी की हर साल इस एग्रीमेंट को एक्सटेंड किया लेकिन 2022 में जब दोबारा इलेक्शन होते हैं तो होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा था वो मणिपुर गए थे उसे रैली में उन्होंने कहा था की बीजेपी दोबारा अगर जीत की आई तो 5 साल के अंदर कुकीज को एक सॉल्यूशन देगी और उसे टाइम पे कुकीज और मैथीज दोनों ने वोट किया बीजेपी को और बीजेपी जीती भी और एन वीरेंद्र सिंह कम बनते हैं अब क्योंकि मणिपुर में मेथी इस पापुलेशन ज्यादा है आ 53% है और हिल्स के लोग हैं वो कम है इनके कंपेरटिवली और के मिनिस्टर वीरेंद्र सिंह खुद भी महसूस है तो इनके ऊपर टाइम तू टाइम आप लगता रहते हैं की मैं 30 को सपोर्ट करते हैं और वीरेंद्र सिंह जो के मिनिस्टर हैं उन्होंने कई बार ये मुद्दा उठाया है की इलीगल तरीके से मणिपुर के अंदर म्यांमार से लोग ए रहे हैं इनका कहना है की म्यांमार थाईलैंड लॉस और चीन का एक एरिया है जिसको गोल्डन ट्रायंगल कहा जाता है यहां पे ड्रग्स का कारोबार बहुत ज्यादा होता है और मणिपुर के जो हिल्स एरिया है स्पेशली रिजल्ट फॉरेस्ट यहां पे अफीम की खेती की जाति है और ये जो गोल्डन ट्रायंगल वाला एरिया है जहां पे ड्रग बहुत चलते हैं यहां पे सप्लाई कर जाता है और इसकी वजह से मणिपुर के जो हिल्स एरिया है स्पेशली रिजर्व फॉरेस्ट यहां पे कई सारे अपना ग्रुप आकर इलीगल बिजनेस कर रहे हैं मणिपुर की गवर्नमेंट ने यह भी कहा है की मणिपुर के अंदर अब नॉर्मल तरीके से पापुलेशन बाढ़ रही है अगर आप जो ओवर इंडिया की बात करो तो पापुलेशन ग्रोथ रेट 24.66% है वही मणिपुर की बात करें तो वहां का जो पापुलेशन ग्रोथ रेट है वो 32.46 है और हिल एरिया में जैन तो वहां पे पापुलेशन 10001% से बाढ़ रही है ये जो ग्रोथ रेट है ये बहुत ही अब नॉर्मल है वही मेडीज का कहना है की 1901 में हम मणिपुर की टोटल पापुलेशन का 60% थे और 2022 में हम टोटल पापुलेशन का 49% र गए हैं और वहीं जो कुकीज हैं वो और 1901 में टोटल पापुलेशन का वन परसेंट थे और 2022 में 29% हो गए हैं इसके साथ-साथ म्यांमार में तख्तापलट होने की वजह से सिचुएशन वहां की भी नाजुक है और म्यांमार और मणिपुर की जो बाउंड्री है वो बहुत ही परिसर पहाड़ों से बनी हुई है वहां पे इलीगल से उसे देश में जाना बहुत ही आसन है और इसको ट्रैक करना बहुत ही मुश्किल है तो जो ड्राइव है उनको जी देश की सिचुएशन सही लगती है वहां पे आई जाति रहती है उनको ट्रैक करना बहुत मुश्किल है कई बार तो ये भी कहा जाता है की में मार से सोना खरीद के इंडिया में भेजो जाता है इसके साथ-साथ मणिपुर के कम ने कहा है की पिछले 5 साल में मणिपुर में जितने भी ड्रग ट्रैफिक अरेस्ट हुए हैं उनमें से मैक्सिमम म्यांमार के कुकीज इन ट्राइब्स है मणिपुर के कम ने ये भी एलिगेशन लगाया की मणिपुर के अंदर पापी उगने में सबसे आगे कुकी ट्राइब्स के कुछ पर्टिकुलर लोग हैं जो 131 एकड़ में अफीम उगते हैं लेकिन कुकीज का कहना है की ये खुद मैती है और मणिपुर में पापुलेशन की ज्यादा है तो ये ट्रेवल्स को टारगेट करके अपने वोट बैंक को खुश कर रहे हैं 2018 में एन वीरेंद्र सिंह ने इंडिया टुडे कनक्लूसिव के एक इंटरव्यू में यह कहा था की मणिपुर में एक भी आदमी ऐसा नहीं है जो इलीगल इमीग्रेंट है डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर राइट नो देवर इस नो वन बिकॉज़ वे हैव ऑलरेडी दी सेकंड और एन वेरीफाइंग हज हो इसे डी स्टार्ट तो पहले और अब मैं इनके स्टेटमेंट काफी चेंज हुए हैं तो देखिए जो इलीगल इमीग्रांट्स और ड्रग्स वाला जो एंगल है इसको लेक इस साल फरवरी के मठ में स्टेट गवर्नमेंट डिसाइड करती है की वो हिल एरिया में जो कम प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट है और चुराचंद और तन्नो पाल जिला में फॉरेस्ट का सर्वे करवाएगी अब पहले क्या होता था की कमर्शियल फायदे के लिए जंगलों को काटा जाता था मिसयूज किया जाता था तो प्रोविजन ऑफ क्षेत्र 29 ऑफ डी इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 के तहत स्टेट गवर्नमेंट के प्रॉपर्टी राइट्स होते हैं रिजर्व फॉरेस्ट के ऊपर वहां कोई र नहीं सकता उन रिसोर्सेस को उसे नहीं कर सकता और इसी चीज का हवाला देखिए गवर्नमेंट ने सर्विस स्टार्ट किया फर्स्ट डिपार्मेंट के लोग जब यहां पहुंचने हैं तो श्यओमी स्टूडेंट फेडरेशन ये लोग उनको भाग देते हैं उन्होंने कहा की फॉरेस्ट डिपार्मेंट के लोग आए थे उनके पास कोई वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं थे हमें कोई प्रेयर नोटिस तक नहीं दिया गया था और दूसरी चीज उन्होंने ये कहीं की मणिपुर के जो हिल एरिया है इसको आर्टिकल 371 सी के तहत एक स्पेशल स्टेटस मिला है इस आर्टिकल के हिसाब से मणिपुर हिल एरिया है उसे हिल एरिया के स्पेसिफिक मा जो है जो उसे एरिया से जीत के आए हैं वो एक कमेटी बनाएंगे और वही टेक केयर करेंगे वहां के वाटर लैंड और फॉरेस्ट कल्टीवेशन को और इस पर्टिकुलर आर्टिकल के बड़े में डिस्कशन करके कुकीज ने ये कहा की गवर्नमेंट हमारे खिलाफ इलीगल एक्टिविटी कर रही है लेकिन इसके बाद भी गवर्नमेंट रुकती नहीं है वहां पे इलेक्शन ड्राइव स्टार्ट कर दी जाति है और जो घर वगैरा होते हैं उनको तोड़ दिया जाता है लोगों ने काफी विरोध किया और कहा गया की 200 से ज्यादा लोग जो हैं वो हमलेस हो गए थे मॉर्गन 200 फैमिली मेंबर्स हैव बिन रेंडर हमलेस से एडिशन ड्राइव की सिचुएशन नागालैंड में भी हुई थी लेकिन बीजेपी की सेंट्रल गवर्नमेंट ने स्टेट गवर्नमेंट को वार्निंग दे दी थी की अगर यह ड्राइव आप करोगे तो वायलेंस होगा और इसके बाद इवेक्शन ड्राइव जो थी वो नागालैंड में रॉक दी गई थी लेकिन मणिपुर की स्टेट गवर्नमेंट ने इसको नहीं रॉक और कहा की इसलिए किया गया है क्योंकि कई गांव वाले यहां पे ड्रग्स का बिजनेस कर रहे थे अब इसके बाद कुकी ट्राइब्स की जो ड्राइव स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ने मार्च 2023 में इसको लेक एक प्रोटेस्ट किया और रैली निकाल वहीं पे कम भी एक इवेंट के लिए रैली कर रहे थे और वहीं पर प्रोटेस्ट भी पहुंच गए और काफी बाढ़ गया और बात इतनी बाढ़ जाति है की पुलिस और लोगों के बीच में हाथापाई होती है और इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया जाता है और पांच दिन के लिए मोबाइल सर्विसेज बैंड कर दी जाति हैं देखिए शुरू में मैंने आपको बताया था की मनमोहन सिंह जी ने 2008 में सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन साइन किया था जिसमें 25 कुकी इनसरजेंशी ग्रुप थे तो इन 25 ग्रुप में से दो ग्रुप कुकीज नेशनल आर्मी ना और जमी रिवॉल्यूशनरी आर्मी गवर्नमेंट ने कहा की जो सर वायलेंस हुआ है इसके पीछे यही दोनों ग्रुप हैं और इन्होंने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन एग्रीमेंट जो था उसको तोड़ दिया इसलिए इन दोनों को इस ग्रुप से निकाल दिया जाए और इन दोनों को निकालना के बाद ये जो पीस एग्रीमेंट था ये भी वायलेट हो गया इसके बाद 11 अप्रैल 2023 को इंफाल वाली के ट्रैवल कॉलोनी में तीन चर्च जो सरकारी जमीन पे बने थे उनको अवैध बोल के तोड़ दिया गया इस चीज से कुकीज और ज्यादा गुस्सा हो गए क्योंकि इसके जो ड्राइव है उसमें मेजॉरिटी क्रिश्चियन की है अब ये तो एक मुद्दा चल रहा था लेकिन बात यहां भी नहीं रुकी इसके साथ-साथ एक और मुद्दा खड़ा हो गया एक्चुअली एयर 2012 में मेथी अपने को सेंट के दर्ज दिलवाने के लिए मल्टीपल टाइम कोशिश कर रहे थे इसके लिए इन्होंने कमेटी बनाई शेड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी ऑफ मणिपुर सेंट कम और कंटीन्यूअस ये लोग मेमोरेंडम बनके उसे टाइम के गवर्नर और कम ओक्रैंको रिक्वेस्ट सबमिट कर रहे थे की इनको सेंट के दर्ज मिल जाए तो इसी चीज को लेक इस साल हाय कोर्ट ने कहा की मथिस 2013 से मल्टीपल टाइम रिक्वेस्ट दाल चुके हैं सेंट का स्टेटस के लिए तो इसी चीज को लेकर हाय कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट को कहा की वो सेंटर को रिकमेंडेशन दे की मैत्री कम्युनिटी को सेंट की लिस्ट में रखना है या फिर नहीं रखना है और इस पे कर वीक में फैसला दें और हाय कोर्ट के इस फैसला से मेंटिी और कुकीज के बीच में जो पुरानी दारा रहती है वो खुला जाति है देखिए मेथी इसका कहना है की हम जो रैली में र रहे हैं ये पूरे मणिपुर का 10% एरिया है और पापुलेशन इनकी 53% है यानी की ज्यादा है ये जो 10% वाली का एरिया है यहां पे 330 भी रहते हैं गोरख भी रहते हैं मुस्लिम भी रहते हैं कुकीज भी हैं उनकी भी कुछ पापुलेशन यहां पे रहती है अब कुकीज जो है वो पूरे मणिपुर में कहानी भी जमीन खरीद सकते हैं लेकिन मथिस नहीं खरीद सकते हैं उन्होंने ये भी कहा की इंडिया के किसी भी कोनी से ट्राईबल्स आके मणिपुर के हिल्स में जमीन खरीद सकते हैं लेकिन वो खुद अपने आंसेस्टर के लैंड पे जमीन नहीं खरीद सकते हैं एक्चुअली इंडिया के अंदर प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटी अमेंडमेंट एक्ट 1989 के तहत सेंट कम्युनिटी से कोई भी नॉनस्टिस जमीन नहीं खरीद सकता मतलब की मणिपुर के बाहर के जितने भी ट्राइब्स हैं वो मणिपुर में आके जमीन खरीद सकते हैं मैं 30 टाइम तू टाइम डाटा भी शेर करते हैं की 1901 में हम मणिपुर की टोटल पापुलेशन का 60% थे और एयर 2022 में हम लोग टोटल पापुलेशन का 49% र गए हैं वहीं कुकीज जो थे वो एयर 1901 में 1% थे और और 2022 में 29% हो गए और ये जो पापुलेशन रेट बाढ़ रहा है ये अब नॉर्मल है इसके पीछे जो रीजन है वो म्यांमार से इलीगल माइग्रेशन है मेडीज ने कहा की ब्रिटिशर्स को रूल करने में आसानी हो इसलिए वाली कोई रूल किया और हिल्स को छोड़ दिया था लेकिन हिलसन चाय प्लांस हो मथिस का पूरे मणिपुर पे हक होना चाहिए वरना हम अपनी पहचान को देंगे वहीं कुकीज का कहना है की मैं 30 पुरी पापुलेशन का 53% तो है ये ऑलरेडी मेजॉरिटी में है ये लोग प्लांस में रहते हैं तो वहां पे इकनॉमिक एक्टिविटी ज्यादा होती है अस्पताल हैं एजुकेशन सेंटर्स हैं इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है तो ये फाइनेंशली भी काफी अच्छे है मणिपुर की 60 विधानसभा जो सिम हैं उनमें से 20 हमारे पास है बाकी की जो 40 बचती है वो मैं तो इसके पास है यह लोग जिसको चाहते हैं उसको कम बनाते हैं और आज तक की डेट में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है की कोई ऐसा कम बना है जो मैं ताई कास्ट से ना हो तो मैं ही जो है वो पॉलिटिकल भी ज्यादा पावरफुल है क्योंकि इस चुराचंदपुर जिला का भी एग्जांपल देते हैं की कैसे 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने इसको देश का सबसे गरीब जिला घोषित कर दिया था तो मैं 23 जो है वो फाइनेंशली स्ट्रांग है और अगर वो सेंट कैटिगरी में ए गए तो हमारी साड़ी जमीन जो है वो उनके पास चली जाएगी और इनका ये भी कहना है की अगर पूरे मणिपुर के अंदर सारे के सारे सेंट हो जाएंगे तो सेंट कैटिगरी कोई वैल्यू नहीं र जाएगी इनफैक्ट कुकीज के हिसाब से कांस्टीट्यूशनली भी नकर कमेटी के हिसाब से मैं 30 सेंट का जो क्राइटेरिया है उसमें फिट ही नहीं बैठने देखिए जी तरीके से मेथी सेंट के डिग्री के लिए लाड रहे हैं वैसे ही कुकीज भी कई सालों से अपने हक के लिए लाड रहे हैं इंडिया के कानून में 6th शेड्यूल है इसके हिसाब से इंडिया के अंदर हिल्स पे जो ट्रीज रहती हैं वो वहां पे अपना एक ऑटोनॉमस जिला काउंसिल बना शक्ति हैं मतलब की अपने एरिया में जहां वो ड्राइव राहत है वहां पे लैंड कल्टीवेशन इन्हेरिटेंस फॉरेस्ट कस्टम ट्रेडीशन इन सब से रिलेटेड वो खुद रूल बना शक्ति है उसमें कोई बाहर वाला इंटरफेयर नहीं कर सकता अब असम मिजोरम मेघालय और त्रिपुरा वाले हिल एरिया में तो ये लागू हो गया लेकिन मणिपुर के जो ट्राइब्स हैं उनको सिक्स शेड्यूल से बाहर रखा गया तो इस चीज को लेक मणिपुर हिल्स के जो ट्राइब्स हैं उन्होंने काफी लड़ाई लड़िकी इनको भी सिक्स शेड्यूल में डाला जाए इनफैक्ट अगस्त 2021 पे मणिपुर के हिल साइड ट्राइब्स के जितने भी 20 मा थे उन्होंने कहा की हमें सिक्स्थ शेड्यूल में नहीं रखा गया है तो इन्होंने क्या किया की खुद से बिल बनाया जिसका नाम था मणिपुर एडीसी बिल 2021 इसमें जो इनके हिल एरिया कमेटी है और एडीसी को ज्यादा पावर देने की बात कारी गई ताकि अपने ड्राइव से रिलेटेड जितने भी डिसीजन हो ये लोग खुद ले सकें इसको इन्होंने स्टेट गवर्नमेंट को भी भेजो और स्टेट गवर्नमेंट ने इसको पुरी तरीके से इग्नोर कर दिया तो कुकीज का कहना है की एक तो हमें सिक्स्थ शेड्यूल से बाहर रखा गया दूसरा हमने जो बिल बनाया उसको पुरी तरीके से इग्नोर कर दिया गया और अब मेथी इसको सेंट कैटिगरी में डालने की बात की जा रही है तो इसलिए जब हाय कोर्ट का इस तरीके का ऑर्डर आया तो पूरे एरिया के अंदर हल्ला मचने लगा और गवर्नमेंट भी आईएसपी फस गई अगर मैं भी इसको सेंट का दरवाजा मिल गया तो मणिपुर के अंदर तो इनको फायदा मिलेगा क्योंकि मैं 30 ज्यादा है मणिपुर में लेकिन बाकी आसपास के पहाड़ हैं स्टेटस हैं और इंडिया की जो ट्राईबल पापुलेशन है तो उनको गवर्नमेंट ना कुछ नहीं करना चाहती क्योंकि 2024 में चुनाव है तो जो हर बार होता है वही यहां भी हुआ डिसीजन ही नहीं लिया गया गवर्नमेंट ने उल्टा हाईकोर्ट से रिक्वेस्ट की की जो आपने कर वीक का टाइम दिया है उसको प्लीज एक साल के लिए कर दीजिए अब ये हाय कोर्ट का जो फैसला था इसके खिलाफ थर्ड ऑफ में 2023 को चूड़ा चंद्रपुर जिला में जो ट्रेवल्स स्टूडेंट यूनियन ऑफ मणिपुर एक ट्राईबल सॉलिडेरिटी मार्च शुरू करती है जिसमें 80000 से भी ज्यादा लोग शामिल होते हैं जिनकी मांग थी की मैं 23 को सेंट के दर्जन ना दिया जाए इधर से मेथी ने भी रैली निकाल की इनको सेंट के दर्ज मिलन चाहिए और शाम होते-होते एंग्लो क्योंकि वार मेमोरियल गेट जो था चुराचंदपुर के अंदर उसको जल दिया जाता है इससे दोनों ग्रुप के बीच में वायलिन शुरू हो जाता है वो इलाके जहां पे कुकीज कम थे मैं 30 ज्यादा थे वहां पे कुकीज को भारी नुकसान उठाना पड़ा वो इलाके जहां थे और कुकीज ज्यादा थे वहां पे मेथी इसके साथ बहुत गलत हुआ अब देखिए नॉर्मली जब देंगे होते हैं तो आम जनता पत्थर डंडे वगैरा ये सब उठाती है लेकिन मणिपुर की सिचुएशन एकदम अलग है मणिपुर के अंदर ये जो अलग-अलग ग्रुप हैं इनके खुद के इनसरजेंट ग्रुप भी हैं इनकी खुद की आर्मी है और ये लोग भले ही गवर्नमेंट से पीस एग्रीमेंट वगैरा करके आर्म्स रख देते हैं लेकिन जब ऐसी सिचुएशन होती है तो ये सारे एग्रीमेंट तोड़ के हथियार वगैरा दोबारा से उठा लेते हैं और बाहर से ड्रग्स वगैरा का भी बिजनेस होता है तो एक से एक एडवांस वेपन का एक्सेस इनको मिलता है ऊपर से सबसे बड़ी दिक्कत ये हुई की जो पुलिस थी मणिपुर की उसमें से कुकी पुलिस जो थी वो अपना पुलिस स्टेशन छोड़ के कुकी वाले इलाकों के पुलिस स्टेशन में चली गई और जो मैं तो ही पुलिस थी वो मैत्री वाले इलाकों की पुलिस स्टेशन में चली गई इस वजह से मणिपुर की जो पुलिस थी वो डिवाइड हो के कुकी की पुलिस और मेथी की पुलिस बन गई थी और इंप एलिगेशन लगे लगे की ये साड़ी पुलिस जो है अपने-अपने ग्रुप को सपोर्ट कर रही है पुलिस वेट करती थी और जब इंसिडेंट हो जाता था उसके बाद इन्फॉर्म करती थी ये देख के किस ग्रुप का विक्टिम है इसके साथ-साथ पुलिस की जो वेपन इन्वेंटरी होती है उसमें दो फेस में हथियार लूट गए एक तीन में को लगभग 16-18 द गए और 27 28 में को 2500 से ज्यादा हथियार लूट गए कई ऑफिशल्स ने ये भी कहा की लूट नहीं गए बल्कि पुलिस ने खुद ही कम्युनिटी को दे दिया ये देख के उनकी कॉमेडी का बांदा है की नहीं और वेपर इन्वेंटरी के रजिस्टर भी फाड़ दिए ताकि किसी की डिटेल नाट्रेस कारी जा सके पुलिस के लिए उसका हथियार बहुत ही इंपॉर्टेंट होता है उसकी जब तक की बात उसपे ए जाति है कई लोग तो पुलिस के पास आके अपना आधार कार्ड जमा कर रहे थे की आप हमें हथियार दे दीजिए जब लड़ाई खत्म हो जाएगी तो हम आपका हथियार आपको वापस दे देंगे मणिपुर का वायलिन सबसे ज्यादा तब फैला जब एक लड़की की फेक पिक्चर जिसको मार के पाली बैग के अंदर रेप कर दिया गया था वो सर्कुलेट होने लगी उसे पिक्चर को देख के वायलेंस और ज्यादा बढ़ाओ और सब एक दूसरे की औरतें को टारगेट करने लगे और बाद में पता चला की वो पिक डेली की थी वो भी 2022 की पिक थी वो इसके बाद चर्च बिजनेस घरों को टारगेट किया गया और लोग मणिपुर छोड़-छोड़ के भागने लगे अभी सिचुएशन ये हो गई है चाहे इलाके हो चाहे घर हो पुलिस हो गवर्नमेंट ऑफिशल हो सब दो ग्रुप में बैठ गए और आपस में एक दूसरे को मार रहे हैं शुरू के सिर्फ 48 घंटे के अंदर ही 60 लोगों से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी सिर्फ सूर्य चंद्र जिला के अंदर 1700 से भी ज्यादा जीरो फिर फाइल हुई थी नॉर्मल फिर जो होती है वो जहां पे क्राइम होता है वो वहीं पे इस एरिया में फाइल करनी होती है लेकिन जीरो एफ आई आर में आप किसी भी एरिया में हो आप नेरिस्ट पुलिस स्टेशन पर जाकर जीरो एफ आई आर फाइल कर सकते हैं और फिर जो आपका कैसे है जी एरिया में वो इंसिडेंट हुआ है उसे एरिया के सक्सेसफुल स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया लेकिन मणिपुर के अंदर जीरो फिर हो तो रही थी लेकिन उनको ट्रांसफर नहीं किया जा रहा था जब इतना कुछ हो गया दो ग्रुपऑन में मणिपुर डिवाइड हो गया लोगों की जान चली गई तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा की स्टेट ऑफ महाराष्ट्र वर्सेस मिलियन जो 2000 में कैसे था उसके हिसाब से जो ऑर्डर हाय कोर्ट ने मणिपुर में पास किया ये ऑर्डर पास करने के लिए हाय कोर्ट के पास राइट सी नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने कहा की कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 342 के हिसाब से ये सब सिर्फ प्रेसिडेंट के रिकमेंडेशन पे ही हो सकता है की किसको एसटीडी के लिए रेकमेंडेशन करना है और किसको नहीं करना है सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाय कोर्ट का ये जो ऑर्डर है ये पुरी तरीके से फेक्चुअली रंग है इसके खिलाफ इनके लिए एक्शन लेना होगा लेकिन तब तक मणिपुर में देंगे फेल चुके थे जब ये साड़ी चीज चल रही थी तो एक वीडियो वायरल होता है जिसमें एक लड़की को बिना कपड़ों के परेड करवाई जाति है आपने ऑलरेडी अच्छी होगी वो वीडियो एक्चुअली कर में 2023 को जब देंगे हो रहे थे टबल की बस्ती में कुछ दंगाइयों ने घुस के लूटपाट मारा ट शुरू कर दी और बगल में ही तो वूल पुलिस स्टेशन था वो कुछ नहीं कर का रहा था जब भीड़ के ऊपर अटैक हुआ तो बस्ती में से पांच लोग निकाल के भागते हैं और पांच में से तीन फीमेल थी और दो मेल थे इन तीन फीमेल में से जरूर रिटायर सूबेदार की वाइफ थी यह पांच लोग जंगल की तरफ भागते हैं और कहा जाता है की वहां पे इनको पुलिस देखते है पुलिस के पास जाते हैं लेकिन दंगाइयों की भीड़ पुलिस से चुडा के अपने पास ले लेती है इन पांच में से एक औरत के लोग मारपीट के छोड़ देते हैं बाकी जो दो औरतें के साथ हुआ वो ऑलरेडी आपने देखा ही होगा कैसे साड़ी हदें पर कर दी गई थी इन पांच में से भाई और फादर जो थे उनको मार देते हैं 4 मैं 2023 को ये सब होता है और उसके 14 दिन बाद 18 मैं 2023 को इस कुबूल पुलिस स्टेशन में लड़की ने रिपोर्ट लिखवाई थी लेकिन कुछ भी नहीं होता है और इसी बीच में हमारे होम मिनिस्टर अमित शाह जी भी आते हैं लेकिन उनको भी कुछ नहीं पता चल पता लेकिन उसे टाइम पे भी ये बात बाहर नहीं आई है लेकिन उसके 179 डेज बाद इस इंसिडेंट की वीडियो पूरे देश में वायरल हो जाति है और मोदी जी जो 80 दिन से चुप थे जिन्होंने कुछ भी नहीं बोला था इन दंगों पे उनको भी बोलना पड़ा किसी भी गुनहगार को बख्श नहीं जाएगा कानून अपने पुरी शक्ति से पुरी शक्ति से एक के बाद एक कम उठेगी मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है इसको कभी माफ नहीं किया जा सकता इसके बाद एक्शन होता है और जो लोग इसके पीछे थे उनकी गिरफ्तारी होती है लेकिन से दे कर में को और भी लड़कियों के साथ हुआ लेकिन एक्शन होने के लिए वीडियो को वायरल होना बहुत जरूरी था इसलिए उनको इंसाफ नहीं मिल पाया 48 घंटे तक मणिपुर गवर्नमेंट नहीं बल्कि दंगाइयों के हाथ में था पूरा का पूरा मणिपुर के मिनिस्टर से भी पूछा गया की ये जो वीडियो वायरल हुई है इसके बड़े में आपको क्या कहना है तो उन्होंने कहा की ऐसे बहुत सारे कैसे हुए हैं इसलिए तो इंटरनेट बैंड किया गया है वो लीड कल ही वो है एलिगेशन नहीं सुना है ग्राउंड रियलिटी देखना है आप लोग 100 कैसे सिमिलर केसेस अभी हुआ है अभी इसीलिए इंटरनेट बैंड किया हुआ है देखिए गवर्नमेंट इन सब चीजों को पुरी तरीके से रोकने में फेल हो गई है इनफैक्ट स्टेट गवर्नमेंट की जो क्रेडिबिलिटी है वो एक तबले के लिए तो एकदम से खत्म हो गई है कायदे में कम को डिजाइन करना चाहिए था और प्रेसिडेंट रूल लगाना चाहिए था क्योंकि वो अनसक्सेसफुल रहे इसको रोकने में और के मिनिस्टर 30 जून को रेजिग्नेशन देने जाते भी हैं लेकिन औरतें ने रेजिग्नेशन फाड़ दिया [संगीत] ये देखिए कितना मुश्किल था एक रेजिग्नेशन लेटर को फाड़ने से बचाना ट्विटर पे भी बहुत सारे लोगों ने बोला की आपको डिजाइन कर देना चाहिए तो उन्होंने ये रिप्लाई किया और बाद में जाके डिलीट कर दिया और रही बात मीडिया की तो मीडिया ने ये किया इसी बात आई है वशीकरण काफी बोलने वाले बराबर जा एंटर्स इंडिया और मेंस इस आर फाउंड इन डॉ का सबसे पहले रोमांटिक को दिखा देते हैं पुलिस पे ही भरोसा करते हैं और किसी पे भी नहीं करते और उन्होंने यह भी एलिगेशन लगाया की असम राइफल जो है इंडियन आर्मी वह कुकीज को सपोर्ट कर रही है इसलिए मैं तेज अपने इलाकों में इंडियन आर्मी को घुसने ही नहीं दे रहे हैं रोड को कोड दे रहे हैं ताकि आर्मी इनके इलाके में ना आए चुराचंदपुर के जुगनू में जब आर्मी जा रही थी तो वहां पे रोड कोड़ी गई थी तो आर्मी ने लोकल पुलिस की हेल्प ली की उनकी मदद कर दे और यहां पे कुछ सॉल्यूशन निकले हैं ताकि वो जा सके लेकिन सॉल्यूशन निकालना तो दूर की बात पुलिस और आर्मी आपस में ही भिड़े और बात इतनी बाढ़ गई की पुलिस और आर्मी ने एक दूसरे के ऊपर बंदूक तन दी अब सेंट्रल गवर्नमेंट ने 4 जून को एक कमेटी बनाई जिसको अजय लंबा फार्मर के जस्टिस ऑफ डी गुवाहाटी हाय कोर्ट हेड कर रहे हैं इसमें वायलेंस कैसे हुआ पीछे के रीजन क्या थे स्प्रेड कैसे हुआ ये साड़ी रिपोर्ट तैयार करके 6 महीने के अंदर देनी है और छह केसेस ऐसे हैं जिसको कंस्पायरेसी तू वायलेंस की तहत में रखा गया जिसको सीबीआई दिखेगी कर दिन तक अमित शाह मणिपुर में दोनों कम्युनिटी से मिले उनका कहना था की अब शांति रहेगी लेकिन कोई शांति नहीं हुई बल्कि अब ये चीज आसपास के स्टेटस में भी फेल रही है मिजोरम के अंदर कुकीज के जो आम ग्रुप है उन्होंने मेथी इसको धमकी दी है को छोड़कर वहां से चले जैन वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा और जो मैं तेरी है वो मिजोरम छोड़ छोड़ के भाग रहे हैं वहां से सिचुएशन काफी खराब हो गई अगर इसको ये सोच के छोड़ दिया गया की टाइम के साथ-साथ ठीक हो जाएगा तो ये नॉर्थ ईस्ट है यहां पे टाइम के साथ चीज सही नहीं होती बल्कि और खराब होती है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन की क क एफएम की ऑडियो बुक डी नागालैंड कंट्रोवर्शियल लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया एक बार जरूर सुनिएगा थैंक यू vKcHKPB-Tlo,How do Bollywood movies earn money? | Nitish Rajput | Hindi,2023-07-30T14:30:25Z,PT21M16S,3904383,104414,4570,https://www.youtube.com/watch?v=vKcHKPB-Tlo,, अजय देवगन इतना गुस्सा हो जाते हैं की उन्होंने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में कंप्लेन कर दी की यशराज अपनी पावर का मिसयूज कर रहे हैं जैसे अनुष्का शर्मा हो गई सुशांत सिंह राजपूत हो गए इन सब ने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया थे यश राज के साथ बैंड बजा बारात मूवी के लिए रणवीर सिंह के फादर जगजीत सिंह भावना ने जय श्री राज प्रोडक्शन में ₹20 करोड़ लगाएं थे तभी जाकर उनको मूवी मिली थी जो मूवी फ्लॉप हो जाति है वो ओटीपी जल्दी आई है इसके पीछे रीजन है इसलिए दिवाली हो ईद हो सब पहले से फिक्स होता है की किसकी मूवी आएगी और उसके सामने कोई दूसरा अपनी मूवी लाने की हिम्मत नहीं करता की एक था टाइगर हम आपको तभी देंगे जब आप हमारी दूसरी फिल्म जब तक है जान दिवाली पर रिलीज करोगे किसी एक्टर की इतनी हिम्मत नहीं होती है की उनकी फिल्म में कम करने को माना कर दे वरना बॉलीवुड से बॉयकॉट हो जाता है उसका शीला की जवानी आइटम सॉन्ग के अलावा आपको कुछ भी याद नहीं है [संगीत] इंडिया की फिल्म इंडस्ट्री पुरी दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड टॉलीवुड सैंडलवुड यह सब मिलकर सिर्फ एक साल में 2000 से ज्यादा मूवीज बनाते हैं अब इन 2000 मूवीज में से आपको कितनी मूवी याद होगी 20 या फिर 25 और इनमें से कितनी होगी जिनका सिर्फ आपने नाम ही सुना होगा में बी 100 या 200 और बात करेगी थिएटर में जाके आपने कितनी मूवीज अच्छी होगी तो ऑन और एवरेज 10 या फिर 15 मूवीज देख पाते हैं ये जो 2000 मूवी साल भर में आई है इनमें से 90% फ्लॉप होती है और बॉक्स ऑफिस से अपना पैसा तक नहीं निकाल पाती हैं लेकिन उसके बाद भी हर साल मूवी बनाने का जो ये ट्रेड है वो कम नहीं हो रहा है बल्कि हर साल बढ़ता जा रहा है ज्यादा से ज्यादा मूवीज बन रही है अब कोई भी मूवी चैरिटी के लिए तो बनाता नहीं है वो प्रॉफिट के लिए बनाता है मूवी और मूवी बनाने का ये जो बिजनेस है ये बहुत ही रिस्की माना जाता है जो ओवर वर्ल्ड में आप कई साल तक बहुत सर पैसा लगा के एक मूवी बनाते हो और अगर खराब मूवी बंटी है तो तीन दिन में ही मूवी थिएटर से बाहर हो जाति है और एक बार मूवी रिलीज हो जाति है तो गलती सुधारने का मौका नहीं होता है इसलिए मूवी बनाने में रिस्क बहुत ज्यादा राहत है इस साल कार्तिक ए रहे हैं और कृति सेनन एक फिल्म आई थी शहजादा फिल्म इतनी खराब थी की क्रिटिक्स में इसको जीरो स्टार दिए थे और क्योंकि लोग थिएटर में मूवी देखने नहीं आए तो दो से तीन दिन में ही मूवी थिएटर से हटाने पद गई थी लेकिन उसके बाद भी ये मूवी एक फायदे का सौदा निकली इस फिल्म को बनाने में 65 करोड़ लगे और प्रमोशन में 20 करोड़ लगे टोटल 85 करोड़ में ये फिल्म मनी इसका लाइव टाइम ग्रास कलेक्शन जो था वो 38.3 दी करोड़ था ग्रास कलेक्शन मतलब की टोटल टिकट कितने में बिकेगी लेकिन क्योंकि गवर्नमेंट एंटरटेनमेंट टैक्स भी लेती है तो इस टैक्स को अगर हटा दिया जाए तो नेट कलेक्शन हुआ 32 करोड़ और इस फिल्म के इंटरनेशनल टिकट कलेक्शन से जो आए थे वो ₹9 करोड़ आए थे लेकिन इसके बाद भी इस मूवी ने 105 करोड़ से भी ज्यादा बना लिया तो मूवी फ्लॉप होने के बाद भी पैसा बना कैसे लेती है और मूवी बने के बाद आप तक कैसे पहुंचती है टिकट बेचे का क्या अरेंजमेंट होता है सिंगल स्क्रीन क्यों बैंड हो गई है और साड़ी जगह अब हम लोग मल्टीप्लेक्स से क्यों देखते हैं ये साड़ी चीज आप डिटेल में डिस्कस करेंगे देखिए आज से कुछ टाइम पहले जब मूवी बंटी थी तो इतनी ऑर्गेनाइजर नहीं थी ना ही कोई स्ट्रक्चर था पहले कुछ इंडिपेंडेंस प्रोड्यूसर्स अपनी जमीन वगैरा गिरवी रखते थे या फाइनेंसर इंटरेस्ट पैसा लेकर मूवीज बनाते थे और अगर मूवी फ्लॉप हो जाति थी तो लोग रोड पे ए जाते थे रेस कितना ज्यादा होता था की उसे पर्टिकुलर टाइम पे अंडरवर्ल्ड और पॉलीटिशियंस भी पैसा लगाते थे मूवी के अंदर और उसे टाइम की जो मूवी थी वो सिंगल स्क्रीन थिएटर पे ही लगती थी टीवी वगैरा पे नहीं आई थी इसके कुछ साल बाद एंट्री होती है बड़े प्रोडक्शन हाउसेस की जैसे धर्म प्रोडक्शन यशराज यूटीवी रिलायंस यकॉम बालाजी इंटरनेशनल तो पहले जो एक इंडिपेंडेंस प्रोड्यूसर और फाइनेंसर रिस्क लेक मूवी बनाते थे इस चीज को इन बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउसेस ने आज एन कंपनी बन के करना स्टार्ट किया और इस पुरी मूवी इंडस्ट्री को एक सिस्टमैटिक स्ट्रक्चर में बादल दिया जैसे आपने नाम सुना होगा एक प्रोडक्शन हाउस का फैंटम इस प्रोडक्शन हाउस को अनुराग कश्यप विक्रमादित्य मोटवानी मधुवंतीण विकास बेल इन्होंने शुरू किया था और आगे चल के इस प्रोडक्शन में रिलायंस में 50% स्टॉक लिए अब अगर अनुराग कश्यप अकेले अपना पैसा लगा की मूवीज बनाते तो उनको रिस्क ज्यादा राहत देखिए इन्होंने कंपनी बनाई और कई सारे लोगों के इकट्ठा किया और बाहर से रिलायंस ने भी सटीक लेक पैसा लगाया तो इनकी जो पैसे की दिक्कत थी वो भी कम हुई और इनका रिस्क भी कम हुआ कोई कोई ऐसे भी कैसे होते ही अपने वीडियो को लॉन्च करने के लिए प्रोडक्शन हाउस जो होते हैं वो पैसा डालते हैं जैसे कहा जाता है की बैंड बजा बारात मूवी के लिए रणवीर सिंह के फादर जगजीत सिंह भावनी ने यशराज प्रोडक्शन में ₹20 करोड़ लगाएं थे तभी जाकर उनको मूवी मिली थी हालांकि रणवीर सिंह ने इस बात को माना कर दिया था की बात सही नहीं है और जब इस तरीके से प्रोडक्शन हाउसेस बने तो इन लोगों ने एक चीज और कारी इन लोगों ने पोर्टफोलियो बनाना स्टार्ट किया तो अभी पोर्टफोलियो का क्या मतलब हुआ मतलब की एक मूवी में पैसा लगाने की बजे मल्टीपल जगह पैसा लगाया जाए जैसे कुछ मूवी इन्होंने इंडिपेंडेंस प्रोड्यूसर से खरीदी कुछ इन्होंने खुद बनाई कुछ इन्होंने दूसरे स्टूडियो के साथ पार्टनरशिप करके बनाई कुछ पैसा इन्होंने बड़ी बजट फिल्म में डाला जिसमें बड़े तारा थे कुछ पैसा इन्होंने स्मॉल बजट में डाला कुछ पैसा मीत बजट में डाला जैसे मैं इरॉस का एग्जांपल लूं तो इरॉस एक साल में 20 हिंदी मूवी बनाता है जिसमें से दो वो खुद प्रोड्यूस करता है छह वो इंडिपेंडेंस प्रोड्यूसर से लेट है और 12 को वो को- प्रोड्यूस करता है और इसमें साथ बड़े बजट की फिल्म होती हैं साथ मीडियम बजट की और बाकी स्मॉल बजट की होती है वही वायर कौन की बात करें तो उसने इसे थोड़ी हार्ट के स्ट्रेटजी अपना ही वाया को हमने साड़ी स्मॉल बजट फिल्म का पोर्टफोली बनाया आज भी ये लोग स्मॉल बजट फिल्म पे ही थे जैसे तनु वीड्स मनु प्यार का पंचनामा गैंग्स ऑफ वासेपुर अभी जो पूरा प्रोडक्शन वाला मॉडल था इसकी सक्सेस को देख के जो बड़े एक्टर्स थे जिनके पास अच्छा पैसा था उन्हें लगा की फिल्म तो हमारी वजह से चल रही है तो हम भी ऐसे ही अपना प्रोडक्शन हाउस खोल लेते हैं तो बड़े एक्टर्स भी या तो बड़े प्रोडक्शन हाउसेस के साथ को- प्रोड्यूसर बन गए या फिर खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू कर दिया जैसे शाहरुख खान का है रेड चिल्ली एंटरटेनमेंट ओम शांति ओम रावण चेन्नई एक्सप्रेस हैप्पी न्यू एयर डियर जिंदगी ये साड़ी मूवी शाहरुख खान ने अपने प्रोडक्शन से बनाई है ऐसे ही आमिर खान अजय देवगन सब ने अपने-अपने प्रोडक्शन हाउस स्टार्ट किया तो जब ये बड़े प्रोडक्शन हाउसेस आए तो इन्होंने प्रोडक्शन और फाइनेंस के सिस्टम को तो सिस्टमैटिक किया ही लेकिन इन्होंने जो कमाई मूवी सिंगल स्क्रीन पे जाके सिर्फ टिकट से कमेटी थी उसके कमाने के बहुत सारे रास्ते भी खोलें तो इस चीज को समझना के लिए राइट्स क्या होते हैं ये समझना बहुत जरूरी है एक फिल्म जो होती है वो इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी होती है कोई फिजिकल प्रॉपर्टी नहीं होती फिजिकल प्रॉपर्टीज जैसे साबुन आप पैसा दे के साबुन खरीदे वो साबुन आपका हुआ अब आप चाहे तो उससे नहाओ चाहे उसके टुकड़े करो चाय अपने दोस्त को पैसा लेकर उसे करना है तो वो आपकी मर्जी है लेकिन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी जैसे मूवी सॉन्ग किसी ने कोई बुक देखिए जिसमें एक आइडिया हो क्रिएटिविटी हो उसको आप पैसा दे के खुद एक्सपीरियंस तो कर सकते हो लेकिन उसको आगे किसी और को बीच नहीं सकते जैसे आप खाओगे हमने तो मूवी का टिकट खरीदा पैसे देंगे अब आप मूवी हाल में जो और वहां पे मोबाइल से रिकॉर्ड कर लो और घर ए गए अपने भाई बहन को भी दिखाने लगे तो ये एक इलीगल एक्टिविटी है क्योंकि मूवी एक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है ऐसे ही आपने किसी सॉन्ग की सीडी खरीदी और आप सोच रहे हो की उसको कंप्यूटर पे कॉपी करके लोगों को बेचना स्टार्ट कर दें या फिर अपने दोस्तों को शेर करना शुरू कर दें तो ये भी एक इलीगल कम है और कंपनी अपने पे ए जाए तो आपको जय तक हो शक्ति है तो इंट्रोडक्शन हाउसेस ने इसको भी सिस्टमैटिक किया तो मूवी एक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है और जिसने वो मूवी बनाई है वो डिसाइड करेगा की उसे मूवी और उसके गाने किसको कितने पैसे और कितने टाइम के लिए मिलेंगे और यही कॉन्सेप्ट गेम चेंज निकलता है उसे पति को टाइम पे जो मूवी थी वो सिंगल स्क्रीन होल में चलती थी और कुछ इलाकों में तो मूवी जो होता तक नहीं था तो जो मूवी हाल एफर्ट कर सकता था जिसके एरिया में मूवी हाल होता था सिर्फ वही मूवी देख सकता था लेकिन आगे चल के प्रोडक्शन हाउसेस ने मूवी के राइट्स टीवी को भी देना स्टार्ट किया अब इससे हुआ ये की जो मूवी हाल में ग के कुछ दिन में है जाति थी अब वो हटे के कुछ टाइम बाद टीवी पर जान लगी थी इससे इनका प्रॉफिट तो हुआ ही इसके साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री अब घर घर तक पहुंच गई थी इससे फिल्म इंडस्ट्री और फेमस हुई और टीवी पे भी लोग मूवी को बहुत ज्यादा देखते थे तो टीवी वालों ने भी इन मूवीज के बीच में एडवरटाइजमेंट लगा के बहुत पैसा कमाया और प्रोडक्शन हाउस को टीवी रेज देने के लिए काफी ज्यादा पैसे मिलने लगे सूर्यवंशम जब रिलीज हुई थी तो एक फ्लॉप फिल्म थी लेकिन जब प्रोड्यूसर ने इसका राइट टीवी को बेचे तो जो पैसा उसने तब नहीं कमाया था उससे ज्यादा टीवी राइट से कमाया ये वो भी उसे टाइम पे तो फ्लॉप हो गई थी लेकिन टीवी पे आने के बाद हर किसी को आज की डेट तक याद है की हीरा ठाकुर को जहर वाली खीर दी गई थी और इस मूवी को सेट मैक्स में चला चला के एडवरटाइजमेंट से जितना एक मूवी कमेटी है उससे ज्यादा काम लिया टीवी वालों को यह मॉडल बहुत पसंद आया और मूवी के टीवी राइट खरीदने की भी होड लगे लगी अब देखिए कोई भी फील्ड हो जब आप किसी भी बिजनेस में एक नई इंटेलिजेंट अप्रोच लेक आते हैं तो उसके सक्सेस और प्रॉफिट टेबल होने के चांसेस बहुत बाढ़ जाते हैं जैसे दी मार्ट के एक छोटे बिजनेस को कैसे दवानी जी ने अपनी नई अप्रोच से हजारों गुना बढ़ाया और ये आप मेरी नई वीडियो सीरीज में देख सकते हैं सिर्फ सीखो अप पे ये मेरी फेवरेट लर्निंग अप है जहां पे बिजनेस टिप्स के साथ-साथ और भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है जैसे की नई नई मोबाइल ट्रेक्स युटुब चैनल की टिप्स आधार पान जैसे गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट के बड़े में लेटेस्ट इनफॉरमेशन सीखो अप पे 10000 से भी ज्यादा कोर्सेज हैं और सारे बहुत ही सिंपल लैंग्वेज में है और सीखो की बेस्ट बात ये है की इसमें साड़ी इनफॉरमेशन एक्सपर्ट वेरीफाइड होती है मेरा कूपन कोड अनार 49 उसे करके आपको सीखो का 199 का मंथली सब्सक्रिप्शन सिर्फ 49 रुपीस में मिल जाएगा और अब आपको स्मार्टनेस का सीक्रेट पता चल ही गया है तो जाइए इंस्टॉल कीजिए सीखो अप और रोज कुछ नया सीखिए तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब इसके साथ-साथ मूवीज के अंदर जो गाने होते हैं वह पब्लिक एक बार नहीं सुनती है वो बार-बार सुनती है तो प्रोडक्शन हाउस इस ने इनके अलग से राइट्स बनाकर म्यूजिक कंपनी को बेचना स्टार्ट किया ये गाने सीडीएस कैसेट्स की फॉर्म में और तो बसेज घर में परियों में बजाने लगे और इससे मोटा पैसा आया इसलिए आप देखो मूवी के अंदर कोई सिचुएशन हो या ना हो गाना जबरदस्ती फिट किया जाता है और अचानक से हीरो के पीछे कई सारे डांसर निकाल के ए जाते हैं ताकि बाद में वीडियो में सीडीएस में गाने अच्छे लगे और अच्छी कमाई हो और आजकल तो युटुब स्पॉटिफाई म्यूजिक चैनल को भी इनके राइट्स मिलते हैं तो इससे भी कमाई होती है आप देखते होंगे की मूवी के अंदर बाहर की कंट्रीज में यूके लंदन इन लोकेशन पे ज्यादा शूटिंग होती थी तो ये जो प्रोडक्शन हाउस से इन्होंने इंडिया के बाहर उन डेस्टिनेशन को भी टारगेट किया जहां पे शूटिंग पे टैक्स रिबेट मिलती थी जैसे यूके लंदन में शूटिंग करने पे टैक्स रिबेट मिलता है इसलिए जो मूवी पहले इंडिया में शूट होती थी उनके गाने वगैरा इंडिया से बाहर शूट होने लगे और फिर आगे चल के इन्होंने इंडिया के साथ-साथ आगे इंटरनेशनल मार्केट को भी टारगेट किया इंटरनेशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ मिलकर अभी ये जो फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन कैसे होती है डिस्ट्रीब्यूटर कौन होता है ये भी बताऊंगा मैं तो इन्होंने बाहर डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ मिलकर मूवीज बाहर भी रिलीज करना चालू किया से जो मूवी थी जो खाली इंडिया में कमेटी थी वो बाहर से भी कमाने लगी जैसे शाहरुख खान इंटरनेशनल मार्केट में पहले भी इटेड और आज भी हिट है शाहरुख खान की 14 से ज्यादा फिल्म ऐसी हैं जिसने 10 मिलियन डॉलर से ज्यादा कमाया मतलब की 50 से 100 करोड़ तो इंडिया के बाहर से ए जाते हैं इस वजह से उनकी मूवी में एक सेफ्टी नेट राहत है और इसलिए उनकी फिल्म को ज्यादा वैल्यू मिलती है 2015 में इनकी फिल्म दिलवाले 74 करोड़ में बनी थी और उसने 170 करोड़ इंडिया के बाहर की कंट्री से बना लिए थे ऐसे सीक्रेट सुपरस्टार जो मूवी थी वो 15 करोड़ में बनी थी इंडिया में इतने 63 करोड़ कमाई थे लेकिन इंडिया के बाहर अकेले चीन से 863 करोड़ कमाई और इंटरनेशनल मार्केट के साथ-साथ इंडिया के अंदर मल्टीप्लेक्स भी आए जो की सिंगल स्क्रीन से ज्यादा महंगे होते थे सिंगल स्क्रीन वाला जो हाल था उसके टिकट ₹50 के करीब होते थे लेकिन मल्टीप्लेक्स के टिकट ₹200 के आसपास होते थे आपने एक चीज नोटिस की होगी की पहले जो फिल्म सुपरहिट होती थी वो बच्चे बच्चे को पता होती थी लेकिन आज की डेट में हर मूवी ब्लॉकबस्टर हो जाति है और हिट फिल्म होने के बाद भी कई सारे लोगों को उसके बड़े में नहीं पता होता है तो उसके पीछे का जो रीजन है वो है मल्टीप्लेक्स तो जब मल्टीप्लाई आए इंडिया में तो प्रोडक्शन हाउस है इसको रिलाइज हुआ की मल्टीप्लेक्स में अगर लोग फिल्म देखते हैं तो मूवी ज्यादा पैसा बना के देती है क्योंकि मल्टीप्लाई इसका टिकट महंगा होता है तो प्रोडक्शन हाउस है इसको समझ में ए गया की इंडिया के अंदर कम लोगों को फिल्म दिखा के भी पैसा कमाया जा सकता है और फिल्म हिट कराई जा शक्ति है जो पैसा आप सिंगल स्क्रीन वाले हाल में ₹1 करोड़ लोगों को दिखा के बना सकते हो वही से पैसा आप 20 लाख लोगों को मल्टीप्लेक्स में मूवी दिखा के बना सकते हो और ये जो इसका ऐसा लगा प्रोडक्शन हाउस है इसको की हर मूवी के टिकट बड़ा के और मल्टीप्लेक्स में जो टिकट की प्राइस इसका गेम है उसको ऊपर नीचे करके हर मूवी को हिट बनाया जान लगा 100 कर क्लब 300 कर क्लब ये बहुत ही नॉर्मल चीज हो गई लोगों के लिए लेकिन इसकी वजह से इंडिया के अंदर सिंगल स्क्रीन बैंड होने लगी पहले इंडिया में ₹12000 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल थे लेकिन 2019 में ये कम हो के 6500 र गए आप नोटिस करोगे की लगातार सिंगल स्क्रीन होल बैंड हो रहे हैं और छोटे शहर के लोगों के लिए सिनेमा हाल ही नहीं बच्चे हैं आप याद करके बताइएगा की लास्ट टाइम आपने कब किसी रिक्शे वाले या फिर मजदूर को मूवी हाल या मल्टीप्लेक्स में जाते हुए देखा होगा और इस चीज का बॉलीवुड को नुकसान भी हुआ क्योंकि बॉलीवुड की रिच कम हुई बॉलीवुड मूवी भी पैसा काम रही थी लेकिन ज्यादा लोगों को मूवी दिखा के काम रही थी अभी भी वो पैसा काम रही हैं लेकिन अपनी बी को कम करके वो काम रही हैं और इन सब के बाद सोनी पे सुहाग हुआ जब ओट राइट्स बिकने लगे नेट फ्लेक्स अमेजॉन हॉटस्टार ये जितने ओट प्लेटफॉर्म है इनमें हार्ड लगी रहती है अपने प्लेटफॉर्म पे ज्यादा से ज्यादा क्वांटम रखना की क्योंकि जी पे ज्यादा कंटेंट होता है उसका सब्सक्रिप्शन ज्यादा बीता है इसलिए ओटीपी पे बेकार से बेकार फिल्म को भी बढ़िया डील मिल जा रही है आपने एक चीज नोटिस की होगी की जो मूवी फ्लॉप हो जाति है वो ओट भी जल्दी आई है इसके पीछे रीजन है की ओट और टीवी के राइट्स के पीछे का जो नेगोशिएशन होता है वो इस बात पे होता है की मूवी हाल में रिलीज होने के कितने दिन बाद ओडी पे आएगी जैसे हॉल बैक राइट्स कहा जाता है जितनी जल्दी मूवी ओटीपी आएगी उतने ज्यादा पैसे में डील क्रैक होती है जनरली 8 विक्स होते हैं लेकिन कोई मूवी फ्लॉप हो के थिएटर से जल्दी बाहर हो जाति है तो उसका हॉल बैक राइट कम हो जाता है ये जो इमेज आप देख रहे हैं जिसमें विंडो पीरियड पर ओट लिखा है इसके नीचे 5 5 2 लिखा है यानी की रिलीज के कितने दिन बाद मूवी ओटीपी आई ये 35 और 25 जो लिखे हैं इसका मतलब की इतने करोड़ में ये मूवी के राइट्स पीके है और इसी के बगल में टीवी के राइट्स में लिखे हैं अगर कोई मूवी फ्लॉप हो जाति है तो प्रोड्यूसर की जो नेगोशिएशन पावर होती है वो कम हो जाति है और अगर उसको सही पैसे चाहिए तो ओट के हिसाब से चलना होता है और ओट चाहता है की मूवी जल्दी से जल्दी रिलीज हो जैसे आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा ये रिलीज होने से पहले उनकी जो नेटफ्लिक्स से डील चल रही थी उसमें आमिर खान ने 150 करोड़ की डिमांड की थी और का रहे थे की 6 महीने से पहले ओटीपी नहीं आएगी इनफैक्ट उन्होंने ऑन रिकॉर्ड भी बोला की बॉलीवुड वाले जो है वो गलती कर रहे हैं जल्दी से ओटीपी देखें एटलिस्ट 6 महीने तक उससे पहले ओटीपी नहीं देना चाहिए इससे वैल्यू कम होती है मूवी की लेकिन जब उनकी मूवी फ्लॉप हो गई तो उनको डील 70 करोड़ में करनी पड़ी और दो महीने के अंदर ओट में देनी पड़ी और तब उनको बाकी प्रोड्यूसर का दर्द समझ में आया की ओटीपी क्यों जल्दी देनी पड़ती है तो शुरू में जो मैंने ज्यादा मूवी के एग्जांपल दिया था की फ्लॉप होने के बाद भी इसमें 105 करोड़ कैसे काम लिए तो अब आप समझ गए होंगे ये बनी थी 85 करोड़ में 32 करोड़ डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस और 9 करोड़ इंटरनेशनल बॉक्स ऑफिस से कम आए 40 करोड़ जिसको ओटीजी से मिले 10 करोड़ म्यूजिक राइट से मिले और 15 करोड़ सैटेलाइट राइट्स यानी की टीवी के राइट और यही रीजन था की शहजादा मूवी हाल में आने से पहले प्रॉफिट में ए गई थी और ये तो कुछ भी नहीं एक मूवी आई थी तीस मार खान शीला की जवानी आइटम सॉन्ग के अलावा आपको कुछ भी याद नहीं होगा फ्लॉप गई थी इस मूवी को यूटीवी ने 55 करोड़ में बनाया था और 15 करोड़ का प्रमोशन किया था लेकिन उसके बाद भी 81 करोड़ की कमाई कर ली थी इस मूवी ने और यही रीजन है की मूवी हिट हो या फ्लॉप इंडिया के अंदर मूवी बैक तू बैक बनाई जाति हैं तो आप खाओगे की ये तो बहुत ही बढ़िया बिजनेस है इसमें तो सर शॉट पैसा है तो ऐसा नहीं है इसमें डिस्ट्रीब्यूशन का भी गेम है जिसकी वजह से बड़े-बड़े और पुराने प्रोडक्शन हाउसेस जो हैं वो इसको रूल करते हैं देखिए जो मूवी के राइट्स वगैरा होते हैं इसकी वजह से मूवी रिलीज होने से पहले पैसा काम लेती है और कुछ केसेस में तो पहले ही सुपर डुपर हिट हो जाति है तो राइट्स वगैरा जब बाईक जाते हैं उसके बाद रियल गेम चालू होता है मूवी बनाने के बाद लोगों के पास पहचाने का अब देखिए मैं जो वीडियो बनाता हूं मेरा डिस्ट्रीब्यूटर है युटुब युटुब नहीं होगा तो मेरी वीडियो लोगों तक नहीं पहुंचेगी तो देखिए वीडियो हो या फिर मूवी हो इसको बनाना फिर भी बहुत आसन है लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर के पास एक ऐसा सिस्टम होता है जिससे लोगों तक वीडियो या फिर मूवी पहुंच पाती है और डिस्ट्रीब्यूटर इस चीज का पैसा लेट है जैसे मेरी इस वीडियो को आज तक पहचाने का जो भी एड रिवेन्यू होता है उसमें से 45% युटुब कर लेट है ऐसे ही मूवी के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एक सिस्टम है और जो डिस्ट्रीब्यूटर्स होते हैं वो इस चीज के लिए प्रोड्यूसर से पैसा लेते हैं इंडिया के अंदर मूवी डिस्ट्रीब्यूशन के लिए अलग-अलग जॉन है जिनको कुछ लोग सर्किट भी कहते हैं और ये जॉन और सर्किट है ये बेट हुए हैं बेसिकली पूरे इंडिया के मूवी हॉल्स को जॉन में डिवाइड करके डिस्ट्रीब्यूटर कहता है की अगर आपको अपनी मूवी दिखानी है तो हमें पैसा दो हम हाल तक पहुंच देंगे इसके लिए एक डिस्ट्रीब्यूटर एग्रीमेंट होता है और इस तरीके से अलग-अलग सिटीज और जो कस्बे होते हैं वहां के जो सिनेमा हाल होते हैं वहां पे मूवी पहुंचती है जैसे हिंदी मूवी के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 11 सर्किट जॉन है बॉम्बे सर्किट दिल्ली सर्किट निजाम सर्किट इस पंजाब सर्किट ऐसे करके 11 सर्किट है इंडिया के अंदर लेकिन ऐसा नहीं है की कोई भी वीडियो है मूवी बना के इन डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास पहुंच जाए तो ये लोग हाल में मूवी चलवा देंगे डिस्ट्रीब्यूटर्स ने बहुत ही पैसा लगा के सिस्टम बनाया है ये उसे फिल्म को दिखाना चाहते हैं जो ज्यादा दिन तक हाल में टीके और ज्यादा लोग देखने हैं क्योंकि तभी ये लोग पैसा बनाएंगे और मूवी हाल वाले भी तभी पैसा बना पाएंगे इसलिए ये लोग रिप्यूट फिल्म मार्क्स और एक्टर्स की फिल्म को एंटरटेन करते हैं आपने शब्द सुना होगा की मूवी की स्क्रीन चल रही है तो मूवी जब कंप्लीट होने वाली होती है तो प्रोड्यूसर इन डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए स्क्रीनिंग करते हैं जिसमें डिस्ट्रीब्यूटर्स मूवी को देखने आते हैं और आइडिया लगाते हैं की मूवी हाल में कैसा परफॉर्म करेगी और अगर उनको लगता है की मूवी अच्छा परफॉर्म करेगी तभी वो डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एग्री करते हैं अगले शाहरुख खान की मूवी है डिस्ट्रीब्यूटर्स को पता है की लोग देखने आएंगे ही आएंगे तो डिस्ट्रीब्यूटर्स पे हॉल लगी होती है जब डिस्ट्रीब्यूशन के लिए डिस्ट्रीब्यूटर एग्री हो जाता है तो प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच में एग्रीमेंट होता है ये तीन तरीके से जनरली होता है एक होता है आउट राइट परचेज दूसरा होता है कमीशन बेस और तीसरा होता है एमजी रॉयल्टी एमजी मतलब मिनिमम गारंटी आउट राइट परचेज मतलब मां लो आप 100 करोड़ की मूवी बनी है डिस्ट्रीब्यूटर ने 200 करोड़ की खरीद ली है अब वो मूवी चाहे 300 करोड़ बनाया चाहे 400 करोड़ बनाए प्रोड्यूसर बाहर हो जाता है और जो प्रॉफिट होता है वो डिस्ट्रीब्यूटर का होता है दूसरा होता है कमीशन बेस मतलब की 100 करोड़ की अगर मूवी बनी है तो उसमें से 10% डिस्ट्रीब्यूटर का होगा ये डिसाइड कर लेते हैं की 10% होगा की 8% होगा और उतना डिस्ट्रीब्यूटर को मिल जाता तीसरा होता है एमजी रॉयल्टी सिस्टम मां लो 100 करोड़ की मूवी बनी है और डिस्ट्रीब्यूटर कहता है की 20% मुझे एमजी चाहिए मतलब की जब मूवी 120 करोड़ काम ले तो पहले 100 करोड़ जो होगा वह प्रोड्यूसर ले लगा उसके बाद जो 20 करोड़ होंगे वह डिस्ट्रीब्यूटर ले लगा उसके बाद जितना भी प्रॉफिट होगा उसको 50-50% डिस्ट्रीब्यूटर और प्रोड्यूसर आपस में बांट लेंगे और एक बार प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर में एग्रीमेंट हो गया उसके बाद प्रोड्यूसर डिस्ट्रीब्यूटर को एक लेटर ऑफ परमिशन देता है इस लेटर को डिस्ट्रीब्यूटर जो होता है वो मूवी के लैब में देता है वहां से कॉप्स बंटी हैं और वो कॉप्स सिनेमा घर में पहुंचती है देखिए डिस्ट्रीब्यूटर का जो रोल होता है वो बहुत ही बड़ा होता है जो बड़े डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं उनकी इतनी पावर होती है की वो किसी मूवी को कम और किसी मूवी को ज्यादा सिनेमा हाल में रिलीज करवा सकते हैं डिस्ट्रीब्यूटर जो होते हैं वो बैलेंस बना के चलते हैं की दो बड़ी मूवी एक साथ क्लास ना हो दो बड़े तारा की फिल्म जो है वो एक साथ क्लास ना हो उसके हिसाब से इनके हाथ में रिलीज डेट तक होती है की होली पर कौन सी मूवी आएगी दिवाली पे कौन सी मूवी आई है और ये जो बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउसेस होते हैं ये खुद भी डिस्ट्रीब्यूटर्स होते हैं तो जब इनकी मूवी रिलीज होती है तो किसी और की हिम्मत नहीं होती की इनके सामने खड़े हो जाए चाय कितनी बढ़िया मूवी हो और चाहे कितना ही टैलेंटेड प्रोड्यूसर हो और कोई नया प्रोड्यूसर ए के ज्यादा कुछ करने की कोशिश करता है तो ये सिस्टम इतना ज्यादा डिपेंडेंट है इन बड़े प्रोडक्शन हाउसेस पे की उसको स्क्रीन से नहीं मिलती है इंक्रीज करने के लिए और बॉलीवुड में अलग हो जाता है उसका इसलिए दिवाली हो ईद हो सब पहले से फिक्स होता है की किसकी मूवी आएगी और उसके सामने कोई दूसरा अपनी मूवी लाने की हिम्मत नहीं करता है एक बार अजय देवगन ने दिवाली के टाइम पे यशराज की फिल्म जब तक है जान के सामने अपनी फिल्म सन ऑफ सरदार रिलीज कर दी थी उसका उनको काफी नुकसान हुआ पहले तो उनको स्क्रीन्स नहीं दी गई और जो दी गई थी उसमें से करीब 5000 स्क्रीन्स साउथ इंडिया में दी गई थी जहां पे हिंदी ऑडियंस नहीं थी और बाकी जो स्क्रीन थी वो ऑपरेशनली ली थी अजय देवगन इतना गुस्सा हो जाते हैं की उन्होंने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में कंप्लेन कर दी की यशराज अपनी पावर का मिस उसे कर रहे हैं लेकिन यश राज ने इसको विजिट करते हुए कहा की हमारी पिछली मूवी एक था टाइगर जब रिलीज हुई थी तभी हमने डिस्ट्रीब्यूटर से एग्रीमेंट कर लिया था की एक था टाइगर हम आपको तभी देंगे जब आप हमारी दूसरी फिल्म जब तक है जान दिवाली पर रिलीज करोगे और इसके साथ-साथ ये भी कहा की अजय देवगन की जो डिस्ट्रीब्यूटर थे इन्होंने तैयारी करने में लेट कर दी और आगे चल के अजय देवगन की कंप्लेन रिजेक्ट हो जाति है ये तो अजय देवगन थे जो इतनी दूर तक लाड रही है वरना बाकी कोई और होता तो उसकी से टाइम पे मूवी रिलीज करना तो बहुत दूर की बात किसी एक्टर की इतनी हिम्मत नहीं होती है की उनकी फिल्म में कम करने को माना वरना बॉलीवुड से बॉयकॉट हो जाता है उसका सुशांत सिंह राजपूत के टाइम पे भी यही बात है उठी थी की उनका बॉयकॉट कर दिया था क्योंकि उन्होंने एक बिग बैनर की मूवी के लिए कम करने को माना कर दिया था ये जो बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस होते हैं एक चीज और करते हैं की जो नए टैलेंटेड एक्ट्रेस आते हैं उनसे चार-पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट करवा लेते हैं की इतने टाइम तक सिर्फ उनके साथ ही कम करना होता है चाहे कोई कितना भी पैसा दे अब जब कोई एक्टर फेमस नहीं होता है तो उसे पर जो टाइम पे वो कोई भी डील कर लेट है और उसको फिर इस पर्टिकुलर प्रोडक्शन हाउस के साथ रहना पड़ता है जैसे अनुष्का शर्मा हो गए हैं सुशांत सिंह राजपूत हो गए इन सब ने कांटेक्ट साइन किया थे यशराज के साथ और मूवी जब तैयार होंगे सिनेमा हाल में आई है तो यहां भी एक अलग अरेंजमेंट होता है टिकट बैच के जो पैसा आता है वो सिनेमा हाल और प्रोड्यूसर के बीच में बंता जाता है स्लाइडिंग स्केल अरेंजमेंट के साथ इस अरेंजमेंट में ये होता है की फर्स्ट पिक का कलेक्शन जो आता है उसमें 50-50% प्रोड्यूसर और सिनेमा हाल का जो मलिक होता है वो बांट लेते हैं और नेक्स्ट वीक का जो कलेक्शन होता है उसमें 40% प्रोड्यूसर रखना है और 60% सिनेमा हाल का जो ओनर होता है वो रखना है और ऐसे ही हर वीक पे प्रोड्यूसर का जो परसेंटेज होता है वो कम होता जाता है और जो सिनेमा होना होता है उसका परसेंटेज ज्यादा होता है क्योंकि जैसे-जैसे टाइम होता जाता है लोग कम आते जाते हैं लेकिन सिनेमा हाल के ओनर दोस्तों में कमाई होती है वो टिकट बेचे से नहीं होती इनकी असली कमाई होती है सिनेमा हाल के अंदर खाने-पीने का समाज बीच के और एडवरटाइजमेंट से जो मूवी स्टार्ट होने से पहले एड्स आते हैं और जो अपकमिंग मूवी के पोस्ट लगे हुए होते हैं इन सब के पैसे मिलते हैं और नॉर्मल एड्स से ज्यादा पैसे मिलते हैं क्योंकि एक बार जब आप हाल में घुस जाते हो तो आपको पूरा एड देखना पड़ता है आप उसको एस्केप नहीं कर सकते हो और दूसरा आप मल्टीप्लेक्स में आए हो तो आपकी परचेसिंग पावर ज्यादा होगी इसलिए सिनेमा हाल के जो एड्स होते हैं वो ज्यादा मैं बिकते हैं पीवीआर 11% अपने एड रिवेन्यू से बनाता है और आईना उसे जो है वो 8% एडवरटाइजमेंट से कम आता है और खाने पीने के जो आइटम बेचे जाते हैं मल्टीप्लेक्स में वो जरूर से ज्यादा महंगी बेचे जाते हैं पहले क्या करते थे की ऐसे ही कोल्ड ड्रिंक और पानी की बोतल जो जो ओवर इंडिया में मिल रही है वही भेज देते थे एक आईटी इस लेकिन लोगों ने कंप्लेन करना स्टार्ट कर दिया क्योंकि ये एमआरपी से ज्यादा रेट में बीच रहे थे और इंडिया के अंदर एमआरपी से ज्यादा बेचना एक इलीगल चीज है तो उसका इन्होंने ये सॉल्यूशन निकाला की उन्होंने आगे आईटी इसे बोतल बेचे की बजे से चीज को ग्लास के अंदर की दाल के भेजना चालू किया और जितना प्रॉफिट ये पहले बनाते थे उससे ज्यादा बनाने लगे इसलिए आप नोटिस करोगे की पानी हो या फिर कोई और चीज हो हर चीज इनकी खुद की होती है या फिर इनका टाइप हो रखा होता है जहां पर पहले से ही एमआरपी के अंदर इनका कट एड होता है ऐसी कोई भी चीज जिसका एमआरपी जो ओवर इंडिया में से रेट पे मिल रहा है उसको ये नहीं भेजते हैं और जानबूझ के मूवी के बीच में इंटरवल रखा जाता है ताकि लोग खाने पीने के लिए खर्चा करें सिनेमा हाल के टिकट के प्राइस भी हर बार अलग तरीके से सेट किया जाता है अगर बड़ी फिल्म होती है तो उसके टिकट के प्राइस दे वन से महंगे होते हैं और टाइम के साथ कम होते हैं और ये चीज डिपेंड करती है कितनी ऑडियंस ए रही है जैसे कश्मीर फाइल उसमें कोई बड़ा स्टार नहीं था तो शुरू में एक कम स्क्रीन पे लगी और टिकट के प्राइस भी कम थे और जब इस मूवी ने पास पड़ा तो इसको मल्टीपल स्क्रीन पे लगाया गया और ज्यादा से ज्यादा स्क्रीन पे लगाया गया और इसके पैसे भी बड़े मॉर्निंग शो हमेशा ये सस्ते रखते हैं क्योंकि इस टाइम पे ये लोग स्टूडेंट को टारगेट करते हैं और शाम को और वीकेंड पे महंगे रखते हैं क्योंकि ये उन लोगों का टाइम होता है जो कमाने वाले होते हैं जिनकी परचेसिंग पावर होती है और इस तरीके से पूरा सिस्टम कम करता है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन मेरी नई वीडियो सीरीज आप सीखो अप पे जरूर देखिएगा तो इंस्टॉल करिए सीखो आप लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया थैंक यू yLt6KKTftXE,Biggest Match-Fixing Scandals in Cricket | Nitish Rajput | Hindi,2023-07-21T14:30:11Z,PT26M53S,6830956,172078,8462,https://www.youtube.com/watch?v=yLt6KKTftXE,, की ये जो 25 लाख रुपए हैं ये किसी और ने नहीं बल्कि हमारे इंडिया के माइकल जॉर्डन मैन जान वाले कपिल देव ने ऑफर किया थे तो पकाने तो ये लोग दौड़ इब्राहिम को गए थे लेकिन इनके हाथ में आईपीएल की मैच फिक्सिंग ग जाति है सीबीआई की रिपोर्ट में लिखा था की मनोज प्रभाकर को 14 टायर वाली मारुति जिप्सी चाहिए थी तो एमके गुप्ता ने कहा सीबीआई ने सचिन तेंदुलकर को भी बुलाया था तो वहां पे सचिन ने कहा की इस डील के लिए अजहरुद्दीन को ₹50 लाख एडवांस मिल जाते हैं ताज पैलेस होटल में एक लॉकर खुला रखा था जहां पे ये लोग कैश जमा करते थे पान वाले से ज्वेलरी शॉप तक कोई भी बूटी बन्ना घूम रहा है इस बार जी आदमी का नाम आता है सामने उसको सुनकर दिल्ली पुलिस भी शॉक्ड हो जाति है श्री संत के रूम में जाति है तो वहां पे श्रीसंत के साथ फिक्सर जीजु जनार्दन भी थे और दो लड़कियां भी थीं एक 10th क्लास के बच्चे तक को पता है की अगर उसको सत्ता लगाना तो उसको किसके पास जाना लेकिन हमारी पुलिस को नहीं पता है नहीं जब 1983 में हमारी इंडियन क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप जीती थी तो उसके करीब 11 साल बाद तक यानी की 1994 तक एक आम आदमी को ये तक नहीं पता था की एक क्रिकेट मैच फिक्स भी हो सकता है फिर सितंबर 1994 में तीन मैचेस की टेस्ट सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया टीम पाकिस्तान आई है और ये पहले बार था जब बड़े लेवल पे आम जनता को भी मैच फिक्सिंग के बड़े में पता चला ये सीरीज के खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी शन वार्न ने कहा की पाकिस्तान टीम के सलीम मलिक सीरीज के टाइम पे उनके होटल रूम में आए थे और कहा की अगर पाकिस्तान की टीम पाकिस्तान के अंदर अगर सीरीज हर जाएगी तो हमारे घर जल दिए जाएंगे इसलिए आप ₹276000 ले लो यानी की 2 करोड़ से भी ज्यादा लेकिन ये वाला मैच आप हर जो ये चीज शन वार्न टीम में और मार्क वान है अपने कोच कैप्टन और मैच रेफरी को बता दिया था उसे समय उस डॉलर्स कैश पर यू और सी मी सो वे डोंट टॉक सलमान ने अपनी डॉक्युमेंट्री में भी इसके बड़े में बात की है वो युटुब पे भी पड़ी है और जब ये बात बाहर आई तो जो आम जनता थी वो काफी गुस्सा ए गया उनको की ये तो हमारे साथ धोखा है और जब ये बात बहुत ज्यादा बाढ़ गई तो पाकिस्तान के अंदर जस्टिस फकरुद्दीन और जस्टिस मलिक मोहम्मद कम ने अलग से कमीशन बनाया और कई इंसीडेंट को उठा के इंक्वारी स्टार्ट कर दी ताकि पता चल सके की सच में मैच फिक्सिंग हो रही थी या नहीं हो रही थी जब इस इंक्वारी की रिपोर्ट आई तो इसमें दो लोगों के नाम आए एक सलीम मलिक और दूसरे थे वसीम अकरम इस कमीशन ने इन्वेस्टिगेशन के बाद सलीम मलिक के ऊपर तो लाइफ टाइम मां लगा दिया और वसीम अकरम के खिलाफ ऑफिशल स्टेटमेंट दी की इनके खिलाफ सबूत कम पद गए हैं वरना ये भी दूध के धुले नहीं है सलीम मलिक इस दुनिया के पहले क्रिकेटर बने जिसको क्रिकेट मैच फिक्सिंग के लिए बन लगा के जय भेजो गया लेकिन 2008 में पाकिस्तान के एक लोकल कोर्ट ने इनका बन हटा दिया था उसे टाइम के जस्टिस मलिक कॉम की जो रिपोर्ट थी वो मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दी है एक बार आप पढ़ लेना देखिए पुरी वीडियो की एक भी चीज में अपने मां से नहीं बोलूंगा अभी आगे बहुत बड़े-बड़े लोगों के नाम आने वाले हैं तो इन सब के बड़े में मैंने सीबीआई की रिपोर्ट कोर्ट के जजमेंट सेशन कोर्ट के डिस्चार्ज ऑर्डर रिलायबल रिसर्च पेपर और आर्टिकल से पढ़ के बोल रहा हूं इन सब के लिंक मैंने युटुब के डिस्क्रिप्शन में लगा दिए एक बार आप वेरीफाई जरूर कर लेना अब देखिए पाकिस्तान के अंदर इस इंसिडेंट के बाद काफी टाइम तक मैच फिक्सिंग के बात नहीं होती है लेकिन 3 साल के बाद यानी की 1997 में ये जो मैच फिक्सिंग का जिन है लोगों के सामने फिर से आकर खड़ा हो जाता है आउटलुक मैगजीन क्रिकेटर मनोज प्रभाकर का एक इंटरव्यू ले रही थी उसे इंटरव्यू में उन्होंने का दिया की आज से कुछ साल पहले यानी की 1994 में श्रीलंका के अंदर एक सिंगर सीरीज हो रही थी उसमें मेरे टीममेट ने मुझे मैच हारने के लिए 25 लाख ऑफर किया थे आगे चलकर बीसीसीआई के फार्मर प्रेसिडेंट इस बिंद्रा ने कहा की ये जो 25 लाख रुपए हैं ये किसी और ने नहीं बल्कि हमारे इंडिया के माइकल जॉर्डन मैन जान वाले कपिल देव ने ऑफर किया थे देखिए इंडिया के अंदर लोग क्रिकेट को पूजते हैं मगर मैच हर जाए तो कई लोग तो खाना तक नहीं खाता हैं और वहां पे ऐसी चीज जब सामने आई थी तो आम जनता में बहुत गुस्सा फूटा था इसके बाद बीसीसीआई ने इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट कर दी जिसको के जस्टिस ऑफ इंडिया माननीय यशवंत विष्णु चंद्र देख रहे थे कई दोनों तक इन्वेस्टिगेशन होती है और अक्टूबर 1997 को इस पुरी इन्वेस्टिगेशन की रिपोर्ट आई है जिसका नाम था चंद्रचूड़ रिपोर्ट ये रिपोर्ट भी मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दिए इस रिपोर्ट को मीडिया को हैंडोवर कर दिया गया लेकिन ऑफीशियली पब्लिश नहीं किया गया इस रिपोर्ट को लेकर कई सारे क्वेश्चन भी उठाएंगे इसमें सही से इंक्वारी नहीं हुई है काफी चीज इसमें उठी थी इस पुरी रिपोर्ट में मोटा-मोटी जस्टिस ए वे चंद्रचूड़ जी ने यह कहा था की बड़े स्केल पे सत्ता खेल जा रहा है लेकिन ये जो प्रॉब्लम है ये डॉ और ऑर्डर की प्रॉब्लम है इसके 3 साल बाद यानी की एयर 2000 में साउथ अफ्रीका टीम इंडिया आई है दो टेस्ट और पांच वनडे खेलने के लिए पहले टेस्ट 19th ऑफ फरवरी 2000 में होना था और आखरी ऑडी 19th ऑफ मार्च 2000 को खत्म होना था जब ये मैच चल रहा था तो इसी पर्टिकुलर टाइम पे अंडरवर्ल्ड दो दौड़ इब्राहिम और छोटा शकील का एक आदमी था सलीम हथेली जो बेसिकली इंडिया के अंदर फिरौती वगैरा लेट था बड़े लोगों से तो इसी पर्टिकुलर टाइम पे सलीम हथेली ने अपोलो टायर और खन्ना ज्वेलर्स के जो मलिक थे उनसे फिरौती मांगी और ये जो दोनों बिजनेसमैन थे इन्होंने फिरौती देने की बजे पुलिस को जाके बता दिया अच्छा आगे बढ़ाने से पहले की इंपॉर्टेंट चीज आपसे डिस्कस कर लेट हूं देखिए सीजन में ह्यूमिडिटी की वजह से हेयर फल ज्यादा होता है लेकिन अगर इसको इग्नोर करो तो बाद में एक्सट्रीम मेजर लेने पढ़ते हैं इन फैक्ट 20 और 30 वाले लोगों में हेयर लॉस की समस्या आम हो गई है जो पहले 50 में होती थी और इसके पीछे ह्यूमैनिटी छोड़ के कई सारे रीजंस होते हैं जैसे लाइफ स्टाइल डिड हारमोंस जींस इसलिए हेयर लॉस को ट्वीट करने के लिए इसका रूट कोर्स क्या है उसको जानना बहुत जरूरी है जैसे मैंने रिसर्च किया तो पता चला की हेयर फल की सीवी स्टेज होते हैं स्टेज वन तू फोर ये त्रेता है लेकिन उसके बाद दिक्कत आई है इसलिए जब ये हेयर फल मैंने खुद फेस किया तब मुझे ट्री के बड़े में पता चला ट्री के डॉक्टर द्वारा बनाया हुआ है जो हेयर टेस्ट है वो आपके हेयर फल की स्टेज और रूट कस को एनालाइज करके आपके लिए एक कस्टमाइज्ड ट्रीटमेंट प्लेन तैयार करता है जिसको डॉक्टर से अप्रूव कर के आपको भेजो जाता है और ऐसा करके इन्होंने 93% तक रिजल्ट्स दिखाएं हैं आप भी ट्री ट्री कर सकते हो स्टेप वन ट्री डॉट हेल्प पे जाके फ्री हेयर टेस्ट लीजिए स्टेप तू अपना कस्टमाइज्ड वन मठ किट खरीदी है स्टेप थ्री थ्री डायट प्लेन और हेयर कोच की मदद से 5 महीने के अंदर रिजल्ट्स देखिए उसे मी कोड 20 नीतीश तू गेट 20% ऑफ ऑन योर परचेज जल्दी करें ये ऑफर सिर्फ 5 दिन तक वैलिड है लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया तो टॉपिक पे वापस आते हैं पुलिस ने एक प्लेन बनाया की इनकी जो कल ए रही है जो सलीम हथेली इनको कल कर रहा है इसको कंटिन्यू रखवाते हैं ताकि पता चल सके की इंडिया के अंदर इनके जो लिंक है वो कहां-कहां फाइल हुए हैं और सलीम हथेली को भी पकड़ सके इससे ये दोनों बिजनेसमैन जैसे-जैसे पुलिस कहती है वैसा कहते हैं नेगोशिएशन में भी काफी पार्टिसिपेट हैं उसमें सलीम हथेली यहां तक रेडी हो गए थे की पैसे की वजह हमें टायर्स ही दे दो फिर साड़ी चीज ट्रैक हो रही थी और इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह इनके बीच में जो भी बात होती थी उसका पूरा ट्रैक रखते थे इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह जब इस पुरी कन्वर्सेशन का ट्रैक रख रहे थे तो उनको ये काफी शॉकिंग चीज पता चलती है ये जो नंबर था जिससे सलीम हथेली इन बिजनेसमैन को कल कर रहा था इनमें से एक नंबर बीएसएनल का फोन नंबर था जिसको बहुत पहले कृष्णा कुमार ने भी उसे किया था कृष्णा कुमार टी सीरीज के मलिक गुलशन कुमार के भाई थे और गुलशन कुमार की डेथ के पीछे भी अंडरवर्ल्ड का नाम ए गया था तो पुलिस को लगा की कुछ ना कुछ कनेक्शन हो सकता है इसलिए पुलिस ने बीएसएनल की मदद के लिए इंडिया के अंदर और कृष्णा कुमार जो करंट फोन उसे कर रहे थे उसे फोन को भी तप करना शुरू कर दिया दिल्ली पुलिस के दो कांस्टेबल की ड्यूटी थी की वो रोटेशनल शिफ्ट लगाएंगे और 24 घंटे दिन रात कृष्णा कुमार का फोन सुनेंगे अब 19th ऑफ फरवरी 2000 को साउथ अफ्रीका और इंडिया का पहले मैच मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में होना था और साड़ी टीम स्टेडियम से थोड़ी दूर पे होटल था ताज होटल उसमें रुकी थी इस मैच से दो दिन पहले क्राइस्ट कुमार के दोस्त संजीव चावल लंदन से आते हैं और उनके पास इंडिया का नंबर नहीं था तो उनके दोस्त को करने अपना नंबर संजीव चावल को दे दिया था उसे करने के लिए और संजीव चावल अभी से होटल जहां पे टीम रुकी थी वहीं पे रुकते हैं ये जो नाम है बता रहा हूं संजीव चावल ये याद रखिएगा आगे चल के जितनी भी मैच फिक्सिंग हुई है सबकी जड़ यही संजीव चावल से जुड़ी है तो टेक्निकल दो कांस्टेबल जिनको कृष्णा कुमार का फोन सुनने के लिए लगाया गया था वो अब संजीव चावल का फोन सुन रहे थे ये दोनों कांस्टेबल थे ये दिन रात ढूंढ रहे थे की शायद इनमें से कोई अंडरवर्ल्ड का कनेक्शन मिल जाए लेकिन कई दिन तक फोन सुनने के बाद उन्होंने ये कहा की इनका कोई भी कनेक्शन नहीं है अंडरवर्ल्ड से ये लोग बस क्रिकेट मैच देखते रहते हैं और पूरे दिन बस यही बात करते रहते हैं की कैच पकड़ लिया कैच नहीं पड़ा आउट किया लेकिन इस पे भी यह सीनरी ऑफिसर होते हैं वह कहते हैं की शायद कोई कोर्ट शब्द हो तो उसे पर भी ये लोग कहते हैं की कोड शब्द भी नहीं है जो लाइव मैच चल रहा होता है उसके हिसाब से ये लोग बात कर रहे होते हैं तो कोई कोल्ड शब्द नहीं है इसमें बीच-बीच में बस एक आदमी आता है जो अंग्रेजन की तरह इंग्लिश बोलना है और इधर से सब लोग टूटी-फूटी इंग्लिश में बात करते हैं तो कोई अंडरवर्ल्ड का कनेक्शन अभी तक नहीं मिला है इसमें इस डिस्कशन के कुछ दिन बाद इनमें से एक कांस्टेबल घर में बैठ के क्रिकेट मैच देख रहा था और इसी बीच में साउथ अफ्रीका के कैप्टन हंसी कौन से कंट्री बॉक्स में आते हैं और ऐसी नॉर्मली बात कर रहे होते हैं वो कॉमेंटेटर से ये आवाज सुनके जो कांस्टेबल था उसका दिमाग एकदम से घूमता है की ये तो वही आवाज है जो दिन रात वो बैठ के फोन टैपिंग पे सुनता है अब ये चीज जब वो आगे बताता है तो इस बात को पुलिस की टीम सीरियसली लेती है और सबसे पहले कम वो ये करती है की वो दूरदर्शन से मैच की फुटेज मंगवाती है और जो अभी तक फोन रिकॉर्डिंग हुई थी उसमें से हेल्दी ग्रंथि का सैंपल लेकर उससे मैच करती है जो एकदम से निकलते है लेकिन इतने सबूत काफी नहीं थे इसलिए वो और चोर होना चाहते थे इसलिए उन्होंने आगे और ध्यान से फोन रिकॉर्डिंग सनी जो बात ये लोग फोन पर करते थे नेक्स्ट दे वही साड़ी चीज मैच में होती थी जैसे प्लेईंग 11 कौन होगा टॉस कौन जीतेगा पहले ओवर कॉन्फेंटेगा यह सब नेक्स्ट दे में आगे आईटी इसे होता था और जो इतने टाइम से पुलिस रिकॉर्डिंग कर रही थी 14 मार्च 2000 को पुलिस फोन सुन रही थी और इधर से आवाज आई है हेलो है हांजी और इसके साथ-साथ जो बात हो रही थी उसे फोन रिकॉर्डिंग पे जो रूम नंबर मेंशन हुआ था होटल का वो भी हस्ती कौन देगा था इसके बाद पुलिस इस चीज को लेक तो कंफर्म हो जाति है की उधर से जो बात कर रहा था वो आदमी साउथ अफ्रीका टीम का कैप्टन हंसी कौन से है और इंडिया के अंदर मैच फिक्सिंग चल रही है तो एक्चुअल में अपोलो टायर्स और खन्ना ज्वेलर्स का एक्सटॉर्शन की कैसे की इंक्वारी करते-करते पुलिस के हाथों गलती से संजीव और हंसी कौन से ग गए और इंडिया का पहले बड़ा मैच फिक्सिंग का कैसे एक कोई इनसीडियस से पड़ा गया अब देखिए पुलिस के सामने दिक्कत यह थी की उनके पास सारे सबूत हाथ हो गए थे जिसमें संजीव चावल हंसी कौन से हर्षल ग्रेप्स निक्की पीटर स्टेट ऑन के नाम थे लेकिन अगर पुलिस इस टाइम के इस फाइल करती तो इंक्वारी के लिए साउथ अफ्रीका की टीम को अरेस्ट करना पड़ता और ये बहुत ही बड़ा मुद्दा हो जाता है जिसमें दो देश की रेपुटेशन आमने सामने ए जाति है इसलिए पुलिस ने डिसाइड किया की वो सीरीज खत्म का वेट करेंगे और उसके बाद सारे प्रूफ सामने रखेंगे लेकिन इसके चक्कर में एक नुकसान होता है पुलिस को पुलिस के हाथ से संजीव चावल निकाल जाता है जो फाइनल ऑडी की डेट थी उससे कर दिन पहले संजीव चावल लंदन वापस चला जाता है हालांकि आगे चल के 2020 में उसको इंडिया लाकर तिहाड़ जय में डाला जाता है लेकिन उसे पर्टिकुलर टाइम पे तो वो बैक के निकाल गया था तो इधर पुलिस सीरीज खत्म होने का वेट तो कर रही थी और फोन भी सुन रही थी साथ-साथ में और इस टाइम पे उनको संजीव और हंसी कौन देगा एक डिस्कशन सुना ही आता है जिसमें हंसी ने कहा की डोंट वारी निक्की हर्षल गावे और पीटर जो है वो 20 रन से ज्यादा नहीं बनाएंगे तो दूसरी तरफ से संजीव चावल ने कहा की वो सब तो ठीक है लेकिन अगर इंडिया ने पहले बैटिंग की तो उसे कैसे में क्या होगा इधर से हंसी क्लोजिंग कहते हैं की आप टेंशन ना लो उसे कैसे में भी इंडिया ₹250 से ज्यादा नहीं बनाएगी और अगले दिन मैच होता है तो इंडिया पहले बैटिंग करती है और 248 रसी बना पाती है इसके बाद साउथ अफ्रीका की टीम खेलने आई है हलचल गिव्स एग्जैक्ट 90 रन पे आउट हो जाते हैं निक्की 14 रन पे आउट होते हैं और पीटर जो थे वो एक रन बनाते हैं लेकिन उसके इस बात भी साउथ अफ्रीका टीम मैच जीत जाति है लेकिन दिल्ली पुलिस कुछ रिएक्ट नहीं करती है और सीरीज खत्म होने का वेट करती है मार्च के और में पुलिस कैसे फाइल करती है और मीडिया को भी सारे सबूत देती है और इधर इंडिया और साउथ अफ्रीका दोनों देश में हंगामा शुरू हो जाता है इसके बाद अर्थ ऑफ अप्रैल को यूनाइटेड क्रिकेट बोर्ड ऑफ साउथ अफ्रीका यूसीबीएसए की एक ऑफिशल स्टेट में हंस दी कौन सी कहते हैं की जितनी भी चीज बोली जा रही हैं साड़ी की साड़ी छठ है लेकिन इन सारे स्टेटमेंट से कम चला नहीं है साउथ अफ्रीका की जो गवर्नमेंट है वो एक इंक्वायरी शुरू कर देती है और हंसी ग्रंथि के ऊपर चारों तरफ से प्रेशर पड़ता है सारे सबूत इनके खिलाफ चले जाते हैं तब जाके हांजी क्लोज़ मानते हैं की उन्होंने फिक्सिंग की थी और उन्होंने बोला की एक फील्ड इनमें मोरल और प्रोफेशनल ब्यूटी आई बाज नोट ऑनेस्ट और आई अपॉलिजाइज और प्रोफेशनल ड्यूटी क्रिकेट इंक्वारी नाम से कई साड़ी ओरिजिनल वीडियो की उसे कोर्ट में जो भी इंक्वारी हुई जो जो उन्होंने बोला और उन्होंने कैसे-कैसे एक्सेप्ट किया कई बार वो रो भी रहे थे वो साड़ी चीज इसमें डाली हुई हैं इसके बाद डेट आई है 15th ऑफ जून 2000 जी दिन सबसे बड़ा बम फूटता है इंडिया के अंदर हंसी क्राउनस्य कहते हैं की हां मैंने पैसे लिए और पहले बार मुझे एम के गुप्ता यानी मुकेश गुप्ता से मोहम्मद अजहरुद्दीन ने मिलवाया था उसे टाइम पे एम के गुप्ता ने मुझे 30000 दिए और मैच हर जान को कहा और टीम की इनफॉरमेशन शेर करने के लिए जैसे की टॉस कौन जीतेगा पहले बाल कौन करेगा ये सब शेर करने के लिए एम के गुप्ता ने ₹50000 दिए इसके बाद फैंस का गुस्सा पूरे इंडिया के अंदर बहुत तेजी से फैला और ये पूरा कैसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया तो पहले तो एम के गुप्ता अंदर ग्राउंड हो गया लेकिन कुछ दिन बाद वो पड़ा जाता है अब इंक्वारी की शुरुआत में उनके गुप्ता कहता है की मैं कुछ भी नहीं बता सकता मुझे जान से मार दिया जाएगा लेकिन थोड़ा प्रेशर बनाने के बाद तो साड़ी कहानी डिटेल में बताता है जो की वर्ल्ड आपको बताने वाला हूं देखिए एमके गुप्ता एक बैंक का एम्पलाई था एयर 1988 के टाइम पे ये नॉर्मल पंटर था देखिए जो लोग मैच में पैसा लगाते हैं उनको पंचर बोला जाता है तो एमके गुप्ता बैंकिंग अवर्स में जब करता था और उसके बाद पैसे लगा था ये काफी टैलेंटेड था और पढ़ा लिखा था जो की इस फिल्म बहुत ही कम मिलते हैं तो इसकी काबिलियत को अंडरवर्ल्ड ने पहचान लिया और इसको एक अलग सा कम दिया इसको कम दिया गया की जो लोकल मैच होते हैं इंडिया के अंदर जैसे रणजी वगैरा इनको जा के देखो इसमें से जो टैलेंटेड प्लेयर्स ग रहे हैं आगे खेल सकते हैं इंडिया के लिए उनसे नजदीकी बढ़ाओ ताकि आगे चल के हमारे कम ए सके और एम के गुप्ता बिल्कुल आगे आईटी इसे करता है वो लोकल मैचेस जितने भी होते थे उनको देखने जान लगा 1988 में दिल्ली के अंदर राम चरण अग्रवाल टूर्नामेंट हो रहा था जिसमें अजय शर्मा नाम का एक यंग प्लेयर था वो काफी अच्छा खेल रहा था उसे टाइम पर काफी टैलेंटेड था लेकिन काफी गरीब परिवार से था तो इस टूर्नामेंट के खत्म होने के बाद एम के गुप्तांग से जाके मिलता है बात करता है उसको कहता है की वो उसका बहुत बड़ा फैन है और ₹2000 भी देता है और कहता है की कोई भी दिक्कत हो तो मुझे बताना इसके बाद जो किट वगैरा होती थी जितनी भी फाइनेंशियल हेल्प होती एमके गुप्ता उसको टाइम तू टाइम करता था और 2 साल बाद यानी की 1990 में अजय शर्मा का इंडियन क्रिकेट टीम में सिलेक्शन हो जाता है और जैसे ही अजय शर्मा का सिलेक्शन होता है से सीरीज जो न्यू में हो रही थी इस सीरीज से अजय शर्मा एम के गुप्ता को इनफॉरमेशन देने लगता है और दोनों पैसा कमाते हैं और जब ये न्यू का टूर चल रहा था उसे पर्टिकुलर टाइम पर अजय शर्मा का जो रूम था वो था मनोज प्रभाकर अजय ने जो स्टेटमेंट दिया उसके हिसाब से अजय का रहा था की वो तो नया था उसको साड़ी इनफॉरमेशन मनोज प्रभाकर बताते थे सीबीआई की रिपोर्ट में लिखा था की मनोज प्रभाकर को कर टायर वाली मारुति जिप्सी चाहिए थी तो एमके गुप्ता ने कहा की अगर वो अरविंद सिल्वा से मिलता देंगे तो वो जिप्सी उनको मिल जाएगी और आगे चल के वो ऐसा ही करते हैं वो मिलता देते हैं और उनको जिप्सी मिल जाति है अब जब सीबीआई की इंक्वारी मनोज प्रभाकर भी पड़ी तो उसमें उन्होंने कहा की 1992 में जो ऑस्ट्रेलिया सीरीज वाली डील हुई थी उसमें नवजोत सिंह सिद्धू की शामिल थे और 1994 के सिंगर कप में कपिल देव ने 25 लाख का ऑफर दिया था मैच हारने के लिए और आगे चल के 1991 में दिल्ली बॉम्बे रणजी ट्रॉफी का जो क्वार्टर फाइनल था उसको भी फिक्स करवाया दिल्ली जानबूझ के हर गई अजय शर्मा भी उसे दिल्ली की टीम में था तो और आसानी हो गई थी अब इंक्वारी इन्होंने आगे ये बताया अजय शर्मा को मोहम्मद अजहरुद्दीन बताते हैं की उनकी गर्लफ्रेंड एक फैशन शो करवा रही है उसके लिए उनको ₹1 करोड़ की सेक्स जरूर है अजय शर्मा ने कहा की एक आदमी है एमके गुप्ता नाम का वो इतने पैसे का अरेंजमेंट कर सकता है इसके बाद अजय शर्मा जो थे वो अजहरुद्दीन और एम के गुप्ता की मीटिंग फिक्स करते हैं ताज पैलेस दिल्ली में और स पर सीबीआई रिपोर्ट इस मीटिंग में अजहरुद्दीन कहते हैं की मैं एग्जैक्ट मैच बता दूंगा की कौन सा इंडिया हरजी और कौन सा जीतेगी और इस डील के लिए हजरुद्दीन को ₹50 लाख एडवांस मिल जाते हैं और 50 लाख कम होने के बाद मिलते हैं सीबीआई की इंक्वारी में एम के गुप्ता ने बताया की अजहरुद्दीन ने कंफर्म बोला था की इंडिया टाइटन कप हरजी उसके हिसाब से मैच में पैसे लगे थे मैच शुरू होता है अजहरुद्दीन एक रन पे आउट हो जाते हैं अजय जडेजा रन आउट हो जाते हैं सब कुछ स पर प्लेन चल रहा था लेकिन सचिन तेंदुलकर अकेले ये पूरा का पूरा मैच जीता देते हैं जिससे बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है इन्फेक्टर्स का इनफेक्टिव पूरे प्रोसेस में जहां फिजियो तक शामिल था छोटी-छोटी इनफॉरमेशन डीके पैसे लेने के लिए जिसमें सचिन तेंदुलकर और सनत जयसूर्या ने सांप माना कर दिया था ऐसा कुछ भी करने को सीबीआई सचिन तेंदुलकर को भी बुलाया था तो वहां पर सचिन ने कहा की अजुद्दीन अपना 100% नहीं दे रहे थे टीम की तरफ से कोई भी इंस्ट्रक्शन नहीं दिया गया था स्लो खेलने के लिए उसके बाद भी मनोज प्रभाकर और नरेंद्र मोदी बिना किसी वजह के स्लो खेल रहे थे जिसकी वजह से सचिन तेंदुलकर मैच के बाद उनसे गुस्सा भी हो गए थे और उनसे बात भी करना बैंड कर दी थी ये साड़ी पूछताछ करके सीबीआई ने अज़ुद्दीन को बुलाया है स पर सीबीआई शुरू में तो अजहरुद्दीन ने माना किया है ये सब कुछ भी नहीं किया उन्होंने ऐसा बोला और जब सीबीआई ने प्रॉपर्टी के पेपर दिखाए कर की लिस्ट दिखाई और कहा की बगल वाले रूम में एम के गुप्ता बैठे हैं अगर आप नहीं मनोज तो उनको बुला के हम सामने कंफर्म कर देते हैं तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे अजरुद्दीन मां गए और यही नहीं सीबीआई ने अजुद्दीन के कल रिकॉर्ड वगैरा भी निकलवाए अजुद्दीन के कल इन सारे सत्ता लगाने वालों के पास गए थे और ये जितने भी पैसा लेकर मैच फिक्स करते थे ताज पैलेस होटल में एक लॉकर खुला रखा था जहां पे ये लोग कैश जमा करते थे ये जी एम के गुप्ता ने भी कंफर्म किया और जो होटल का स्टाफ था वहां पे उनसे भी जब पूछा गया तो उन्होंने भी इस चीज को कंफर्म कर दिया और दिल्ली पुलिस ने बताया की कई बार ऐसा भी हुआ की मैच के दौरान अजय शर्मा जो दिन को कई बार कल करते थे 21 मार्च 2000 को शारजाह कप था जिसमें इंडिया पाकिस्तान वाले मैच में जिसमें अजय ने अजहर को पांच कल की और पांच दिन बाद एक और मैच था उसे टाइम पे साथ कल की और इसमें एक-दो लोग नहीं थे इसमें कई सारे लोग थे जो मैच फिक्सचर्स के साथ इनफॉरमेशन शेर करते थे जैसे अजय जडेजा ने चेन्नई के सट्टे बाद उत्तम चंद जैन जिसको टोपी बुलेट थे उसके साथ जो इनफॉरमेशन दे के फिक्सिंग की कल बैक जो डीटेल्स हैं एक बार आप पॉज करके पढ़ लेना बाकी ये सारे पंचर के नाम और एड्रेस है जो इसे कोर्डिनेट करके पैसे लगवाते थे और ये सटोरी थे टोटल जो पैसा लगवाते थे बाकी ये फॉरेन प्लेयर्स के साथ कैसे पैसे ट्रांसफर हुए और कितने हुए उसकी लिस्ट ये है बाकी सुनील गावस्कर रवि शास्त्री बीसीसीआई के फॉर्म प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू इन सब के स्ट्रिंग ऑपरेशन करेगा थे जो तहलका टीवी नाम का एक युटुब चैनल है फॉलो हीरो के नाम से पड़े हुए हैं जहां पे कैमरा छुपा हुआ है और फिक्सिंग का पूरा डिस्कशन ये बड़े-बड़े क्रिकेटर्स साफ-साफ बता रहे हैं की क्या-क्या हुआ होगा अब देखिए साड़ी इंक्वारी होने के बाद अक्टूबर 2000 में सीबीआई ने 75 पेज की रिपोर्ट बनाई और उसको यूनियन भारत मिनिस्टर सुखदेव सिंह जिनसा को सबमिट करती है इसमें सीबीआई इसमें दीजिए तक पहुंचती है की बड़े लेवल पर मैच फिक्सिंग हो रही थी जिसमें सीबीआई ने पांच इंडियन प्लेयर्स और 9 इंटरनेशनल प्लेयर के नाम लिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज मिस्टर मनोज कुमार मुखर्जी और सॉलीसीटर जनरल ऑफ इंडिया मिस्टर हरीश साल्वे ने कहा ये जो कैसे सीबीआई ने बनाया है ये कैसे स्टैंड नहीं कर पाएगा कोर्ट में क्योंकि एक्चुअल में इसको लेकर प्रॉपर डॉ ही नहीं है इंडिया में जो पुरी रिपोर्ट सबमिट की गई है उसके हिसाब से कर कैसे बनाया जा सकते हैं इनके ऊपर पब्लिक एक्ट 1867 सत्ता खेलने के लिए क्षेत्र 128 आईपीसी क्रिमिनल कंस्पायरेसी के लिए क्षेत्र 415 आईपीसी चीटिंग के लिए और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 करप्शन के लिए लेकिन जितने भी एक्ट बताए जा रहे थे ये लोग कोई सत्ता तो खेल नहीं रहे थे ना ही कोई क्रिमिनल कंस्पायरेसी कर रहे थे चीटिंग का कैसे भी कोर्ट में प्रूफ करना आसन नहीं था कोई स्लो खेल रहा है वो जंबूज के खेल रहा है या कैसे खेल रहा है इस चीज को लेक सजा दिलवाना आसन नहीं था जी हिसाब से सबूत प्रेजेंट किया थे सीबीआई करप्शन एक्ट भी एप्लीकेबल नहीं हो सकता था क्योंकि ये लोग कोई पब्लिक सर्वेंट नहीं थे लेकिन इसमें दिमाग लगा के अजरुद्दीन और अजय शर्मा को सजा दिलवाने की कोशिश हुई क्योंकि अजहरुद्दीन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कम करते थे और अजय शर्मा सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में लेकिन आगे चल के वो भी हल्के पद गए क्योंकि इन्होंने जो डिसकोड स्टिक की थी वो आगे एन पब्लिक सर्वेंट नहीं की थी बल्कि बीसीसीआई के प्लेयर बैंक की थी इसलिए ये भी हल्का पद गया इसलिए आप देखोगे जब भी फिक्सिंग का कैसे होता है कोर्ट में एविडेंस हल्के पद जाते हैं और ये लोग बैक जाते हैं बस बीसीसीआई का बन ग जाता है उसके बाद ये लोग रियलिटी शो वगैरा करते हैं लेकिन ये जय नहीं जा पाते इसलिए एक स्ट्रांग मेकैनिज्म बनाने की कई बार बात हुई लेकिन कुछ नहीं हुआ आपकी गली में कोई पेट खेलने पड़ा जाता है जी लेवल की सजा उसको होती है से इस लेवल की सजा ये जो करोड़ रुपए की फिक्सिंग करते हैं उनके ऊपर भी होती है जब सीबीआई की रिपोर्ट सबमिट हुई तो एडिशनल सॉलीसीटर जनरल जिन्होंने अपना नाम डिस्क्लोजर नहीं किया उन्होंने कहा की डी डॉ ऑफ स तू बी हेल्पलेस बिफोर दिस क्रिकेटर्स ये जो इंसिडेंट हुआ सब कोर्ट में तो बैक गए लेकिन बीसीसीआई को पता था इन्होंने क्या किया था इसलिए इनके ऊपर बन लगा दिया गया था और इस बन की वजह से काफी टाइम तक शांति रही और फिक्सिंग के कैसे नहीं आए लेकिन 13 साल बाद यानी की 2013 में आईपीएल आया और रंजीत के प्लेयर्स के थ्रू सटोरी फिर से फिक्सिंग करने में नायाब हुए और आईपीएल की फिक्सिंग का कैसे पड़ा गया था यह भी एक कोइंसिडेंस से पड़ा गया था एक्चुअली होता क्या है की जनवरी 2013 के स्टार्टिंग में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट के तहत सीबीआई ने 42 लोगों के खिलाफ एक कर सीट फेल की इन 42 लोगों के ऊपर एंटी इंडिया एक्टिविटी करने का इल्जाम था इसमें कई पाकिस्तान थे लेकिन में इसमें जो थे वो थे दौड़ इब्राहिम छोटा शकील और संदीप संदीप इनको पकाने के लिए सीबीआई काफी दोनों से लगी थी और सीबीआई के हाथ कुछ इंटरनेशनल लगे जिसकी फोन टाइपिंग करने का कम सीबीआई ने स्पेशल सेल को दे दिया था इसमें एक पाकिस्तान नंबर था +9233206 4488 और एक दूसरा नंबर था जो की दुबई से था प्लस 97 156136 378 6 और फरवरी 2013 के लास्ट में इन नंबर की फोन टाइपिंग स्टार्ट कर दी जाति है और इनकी रिकॉर्डिंग को सुनकर पता चला है की इन नंबर्स पे बात हो रही थी अश्वनी अग्रवाल जिसको टिंकू मंडी नाम से भी जाना जाता था अंडरवर्ल्ड में और इस टीम को मंडी की बात चल रही थी सुनील भाटिया और किरण ढोले से ये दोनों फिक्सर थे और जब सुनील भाटिया और किरण ढोले की जब कल ट्रेस की गई तो इनकी बात चली थी राजस्थान आईपीएल टीम के प्लेयर अजितचंदिला से और आगे जब अवार्ड ट्रेंस किया गया तो इनकी बात चल रही थी जीजु जंजाद से जो की केरला से थे और जब जीजु जनार्दन की रिकॉर्डिंग प्रेस की गई तो उसका लिंक निकाला श्री सन से तो पकाने तो ये लोग दौड़ इब्राहिम को गए थे लेकिन इनके हाथ में आईपीएल की मैच फिक्सिंग ग जाति है और जब लोधी रोड पुलिस स्टेशन में इस चीज का पता चला है तो पुलिस इस पूरे राकेट की फोन रिकॉर्डिंग सुना स्टार्ट करती है अब क्योंकि ये बहुत ही बड़ा मामला था तो पुलिस को बहुत ही सॉलिड प्रूफ कठे करने थे इधर चुपचाप दिल्ली पुलिस रिकॉर्डिंग सुन रही थी दूसरी तरफ से टाइम पे महाराष्ट्र के डायरेक्टर जनरल राकेश मौर्य को इनफॉरमेशन आई है की एक नंबर से पाकिस्तान में बार-बार कल जा रही है और जब इस कल को ट्रेंस किया गया तो ये नंबर निकलता है आईपीएल के अंपायर जो की पाकिस्तान से थे असद रफ का लेकिन मुंबई पुलिस और दिल्ली पुलिस दोनों सेपरेट इन्वेस्टिगेशन कर रही थी और दोनों टाइम एक दूसरे से कुछ भी शेर नहीं करेंगे थोड़ा जो क्रेडिट लेने का गेम होता है वो भी चला पुलिस डिपार्मेंट में तो उसे वजह से दोनों सेपरेट इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे वो इधर दोनों तरफ रिकॉर्डिंग चल रही थी और डेट आई है फिर तो आप में 2013 राजस्थान और पुणे वारियर का मैच था जयपुर के अंदर और कल रिकॉर्डिंग में अजीत चंदीला और अमित सिंह की बात चल रही होती है जिसमें अमित सिंह जो की एक फिक्सर था उसने अजीत चंदेल को बोला की अपने सेकंड लास्ट ओवर में 14 रन से ज्यादा देने होंगे और अजीत चंदीला कहते हैं की ऐसा ही होगा अगले दिन मैच होता है और से वैसा ही होता है अजीत चंदेल ने 14 रन तो दिए लेकिन अजीत चंदेल सिग्नल देना भूल गया तो जो फिक्सर था वो बिल्कुल भी खुश नहीं था क्योंकि ये लोग पैसा नहीं लगा पे थे आगे की कल रिकॉर्डिंग में ये भी आया था की यह जो फिक्सर था ये अजीत चंडीगढ़ से पैसे वापस मांग रहा था की तुम्हारी वजह से नुकसान हो गया ये सर डिस्कशन जो दिल्ली पुलिस थी वो रिकॉर्ड कर लेती है अब इसके कर दिन बाद नाइंथ ऑफ में 2013 को राजस्थान और पंजाब का मैच था पुलिस अपनी रिकॉर्डिंग कर रही थी लेकिन इस बार जी आदमी का नाम आता है सामने उसको सुनके दिल्ली पुलिस भी शॉक्ड हो जाति है ये लोग जीजु जनार्दन जो फिक्सर था उसको ट्रेस कर रहे थे और रिगार्डिंग से पता चला की जीव जनार्दन श्री सन से कहता है की सेकंड लास्ट ओवर में ज्यादा रन देने हैं और सिग्नल भी देना है एक तो टॉवल लगा लेना और जो ओवर करने से पहले वार्म अप करते हैं उसको थोड़ा लंबा करना ताकि पैसा लगाने का टाइम मिल सके हम लोगों को यह जो फ्रंट पर रहने वाला एक शख्स जो अरेस्ट हुआ है जीजु नाम का आदमी है उसकी और एक दुखी है इनके आपस्था कन्वर्सेशन है जिसमें यह डिसाइड हो रहा है श्रीसंत अपने स्पेल के दूसरे ओवर में 14 रन या 14 से ज्यादा देगा दिल्ली पुलिस ये साड़ी चीज रिकॉर्ड कर लेती है और नेक्स्ट दे मैच में बिल्कुल वैसा ही होता है लेकिन अजितचंदिला लास्ट टाइम की तरह गलती नहीं करते हैं पहले वो प्रॉपर टीचर उठा के सिग्नल देते हैं उसके बाद गंद देते हैं भाई इंडिकेशन क्या डॉग इसमें अजीत चंदेल नहीं है बताया की भाई देखो बस शुरू करने से पहले अपनी दोनों शर्ट ऊपर उठाऊंगा और उसके बाद फिर पीछे करूंगा और फिर मैं ऊपर की और देख कर अपना ओवर शुरू करूंगा इसके बाद 15 तो मेरे को वानखेडे स्टेडियम में मुंबई और राजस्थान के मैच में फिर से जो सिग्नल अंकित चौहान को देना था वो दिया जाता है अपने सेकंड लास्ट ओवर में जो रन सेट हुए होते हैं वो दे दिए जाते हैं अब यहां से पुलिस के पास काफी सबूत कठे हुए थे और पुलिस डिसाइड करती है की अब इनको पड़ा जाएगा 15 तो अपने को जैसे ही मैच खत्म हुआ उसके बाद दिल्ली पुलिस की काफी बड़ी टीम एक साथ दिल्ली और मुंबई में रेड मारना स्टार्ट करती है एक टीम जितने भी क्रिकेटर थे जैसे श्री शांत अजीत अंकित इनको पकाने निकलते है और दूसरी टीम में जितने भी सटोरी थे उनको पकाने निकलते है 15th ऑफ मेक की रात को श्रीचंद मुंबई के होटल इंटरकॉन्टिनेंटल में थे और जब पुलिस उसे होटल में पहुंच के श्री चंद के रूम में जाति है तो वहां पे श्री संत के साथ फिक्सर जीजु जनार्दन भी थे और दो लड़कियां भी थी इनके रूम से 72000 कैश मिलता है डाटा कार्ड इंग्लिश और मलयालम में श्रीसंत के हाथों से लिखी हुई एक डायरी मिलती है कुछ कांट्रेसेप्टिव मिलते हैं अब यहां से पुलिस इनको उठा के होटल ट्रिडेंट यहां पे राजस्थान की पुरी टीम रुकी हुई थी वहां ले जाति है और उसे टाइम में मॉर्निंग के पांच बाज रहे थे पुलिस वहां पे जाके राजस्थान रॉयल की टीम के सीईओ रंगो एयर को वारंट वगैरा दिखाकर बताती है की श्री संत को हमने अरेस्ट किया है वो गाड़ी में है अजीत और अंकित को हमको और अरेस्ट करना है फिक्सिंग से रिलेटेड कुछ क्वेश्चंस पूछने और इसके बाद पुलिस रूम में रेड मार के दोनों को अरेस्ट करके ले जाति है इसके बाद राजस्थान टीम के कैप्टन कोच सीईओ ओनर आईपीएल के हेड सबको पता चल जाता है और ये लोग ये डिसाइड करते हैं की प्रेस कॉन्फ्रेंस हम लोग खुद ही सबको बता देते हैं क्योंकि पूरे मीडिया में किसी भी खिलाड़ी का नाम छल दिया जा रहा था किसी भी ओनर का नाम छल दिया जा रहा था तो इस वजह से लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक-एक डीटेल्स मीडिया को बता देते हैं अब दिल्ली पुलिस की तो बहुत भववाही होती है और मुंबई पुलिस के लिए बहुत ही श्रम की बात थी की उनको कुछ हवा ही नहीं लगी की उनकी सिटी में चल क्या रहा है लेकिन इसके बाद मुंबई पुलिस भी हरकत में आई है और पाकिस्तान अंपायर असद रऊफ की उसमें जो नाम आया वो था बीसीसीआई के जो अध्यक्ष थे एनसीसी निवासन उनके दामाद और सीएसके टीम के मैनेजमेंट में भी थे वो जिसका नाम था गुरु नाथ मयप्पन गुरु नाथ मयप्पन काफी टाइम तक भागते रहते हैं लेकिन 24th ऑफ में 2013 को गुरु नानक मैं अपन इनको भी अरेस्ट कर लेती है पुलिस इसके बाद और ट्रेंस किया गया था इनके पास जो फिक्सर्स के नंबर मिले उनका लिंक पाकिस्तान की बुकिंग से निकाला फिर और ट्रेंस किया गया तो उसमें उनको एक नंबर मिलता है 1 जून 2013 को वो नंबर था +9233206 4488 ये नंबर था दौड़ इब्राहिम का और इस कुलसी में तब पता चला है ये जो पूरा मैच फिक्सिंग का गेम है ये पाकिस्तान से अंडरवर्ल्ड चला रहा है जुलाई 2013 में दिल्ली पुलिस ने कर सीट फाइल की यह साड़ी डिटेल के लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएंगे इस कर सीट में टेलीफोन इंटरसेक्स वॉइस सैंपल्स रिपोर्ट फॉरेंसिक रिपोर्ट्स और कुछ एक्यूज्ड के कन्फेक्शन स्टेटमेंट के साथ-साथ दिल्ली पुलिस ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री सीएफएल की रिपोर्ट भी लगे जिसमें ये कहा गया की जो सैंपल दिए गए हैं उनमें से एक आवाज दौड़ इब्राहिम की है सीएफएल की रिपोर्ट में कई साड़ी चीज लिखी गई थी जैसे की बुकीज और क्रिकेटर अंडरवर्ल्ड के जो लोग थे जैसे जावेद चटनी और सलमान इन सब लोगों से बात कर रहे थे जो अभी पाकिस्तान में हैं इस कर सीट में साफ-साफ लिखा था बहुत ही बड़े लेवल पे इंडिया में बैटिंग चल रही है गली में पान वाले से ज्वेलरी शॉप तक कोई भी भूखी बना घूम रहा है और इस सब का लिंक अंडरवर्ल्ड से और ये जितना भी पैसा लगता है मैच के अंदर ये सर कुछ हवाला के थ्रू सेटल किया जाता है जैसा की मैंने पहले बताया था की डॉ अभी भी इस तरह की फिक्सिंग के लिए उतना स्ट्रांग नहीं है तो कोर्ट में रिकॉर्डिंग के बेसिस पे सजा दिलाना काफी मुश्किल होता है तो किसी को सजा नहीं होती है जैसे इन खिलाड़ियों के ऊपर महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम आते मकोका लगा था लेकिन कुछ भी नहीं हुआ सब के सब बैक गए एक 10th क्लास के बच्चे तक को पता है की अगर उसको सत्ता लगाना तो उसको किसके पास जाना है लेकिन हमारी पुलिस को नहीं पता है [संगीत] g4QOxMxVYXg,How Adani captured the Airport business? | Nitish Rajput | Hindi,2023-07-07T14:30:09Z,PT28M6S,2244303,80345,5969,https://www.youtube.com/watch?v=g4QOxMxVYXg,, और इस कमेटी ने जब इंक्वायरी की तो उसमें यह कहा गया की रिलायंस को जानबूझकर ज्यादा पॉइंट दिए गए और फिर इसके बाद जब दोबारा से रिलायंस का इवेलुएशन हुआ तो रिलायंस के प्वाइंट्स कम हो गए और मजे की बात तो यह है की इस अनजान लेटर की वजह से सीबीआई फिर फाइल कर देती है और रिलायंस को खाली हाथ तो जाना ही पड़ा है इसके साथ-साथ चीटिंग के भी एलिगेशन का सामना करना पड़ा उसमें पता लगा की एक्चुअली अदानी ने सेक्रेटली बिद्वेस्ट और एक्स से पहले डील कर ली थी 6 एयरपोर्ट की बिल्डिंग स्टार्ट करने से पहले रूल्स को चेंज किया गया लेकिन इसके बाद भी इस रूल को चेंज कर दिया जाता है की कोई भी कंपनी कितने भी एयरपोर्ट ले शक्ति है कंपनी आई हैं लेकिन अदानी ग्रुप ऐसी बोली लगता है की कोई आसपास तक नहीं राहत ज्यादा पैसे की बोली लगा के बेड जीती थी उसने वो नुकसान खुद उठाकर गवर्नमेंट को पैसा नहीं दिया बल्कि इन एयरपोर्ट पे पैसेंजर से मिल जान वाली चीज बड़ा है देखिए गवर्नमेंट जो है हमारी उसके पास किसी भी प्राइवेट कंपनी के कंपेरटिवली ज्यादा पैसा और ज्यादा कैपेबिलिटी है लेकिन उसके बाद भी गवर्नमेंट प्राइवेट प्लेयर्स के हाथ में चीज़ क्यों दे देती है बीएसएनल अपने टाइम पे सबसे सस्ती सर्विस देती थी इनफैक्ट अपने एम्पलाइज को अच्छा पैकेज और जब सिक्योरिटी भी प्राइवेट कंपनी के कंपैटिबिलिटी ज्यादा देती थी लेकिन उसके बाद भी बीएसएनल इन प्राइवेट प्लेयर्स के सामने नहीं टिक पे तो अब क्वेश्चन ये है की क्या सच में गवर्नमेंट को बिजनेस चलने के लिए प्राइवेट प्लेयर्स की जरूर है या जानबूझकर ऐसा करती है और दूसरी चीज अगर सच में प्राइवेट प्लेयर ज्यादा अच्छे से चीज चला रहे हैं तो सब चीज प्राइवेट प्लेयर्स को देने में हल्ला क्यों हो रहा है इसका नुकसान क्या है और अभी मैं ये साड़ी चीज इसलिए डिस्कस कर रहा हूं क्योंकि इंडिया में जो एयरपोर्ट्स हैं वहां कुछ ऐसा हो रहा है जिसका डायरेक्ट अल सिर्फ और सिर्फ आम जनता पे पड़ेगा जो गेम हमने बीएसएनल के टाइम पे देखा था एग्जैक्ट वैसा तो नहीं लेकिन कुछ इस तरीके का एक इंटरेस्टिंग गेम हमारे इंडियन और फोर्स पे भी हो रहा है और एक्चुअल में हो क्या रहा है उसको समझना के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा ए गया रूल बदला गया और गांधी जी को [संगीत] लेकिन सब चीजों की शुरुआत होती है 1999 से पहले इंडिया के सारे एयरपोर्ट्स को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी की आई जो की एक स्टेट्यूटरी गवर्नमेंट बॉडी है यह चलती थी कोई प्राइवेट कंपनी नहीं चलती थी लेकिन में 1999 में पहले बार यह सोचा गया की गवर्नमेंट उसको चला ही रही है लेकिन इसको प्राइवेट कंपनी को भी दे देना चाहिए ताकि थोड़ा मॉडर्नाइजेशन हो सके लेकिन गवर्नमेंट जो है वो ऐसी किसी प्राइवेट प्लेयर को एयरपोर्ट उठाके नहीं दे शक्ति क्योंकि एयरपोर्ट एक नेशनल सिक्योरिटी का भी मुद्दा है तो गवर्नमेंट का इंवॉल्वमेंट रहना बहुत ही जरूरी है इसमें तो इस चीज से निपटाने के लिए एक मॉडल बनाया गया ताकि गवर्नमेंट और प्राइवेट कंपनी दोनों का इंवॉल्वमेंट रहे इस मॉडल का नाम था पीपीपी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल तो अब ये पीपीपी मॉडल क्या है बेसिकली इसमें ना गवर्नमेंट डायरेक्टली एयरपोर्ट को चलती है और ना ही प्राइवेट कंपनी एयरपोर्ट को चलती हैं बल्कि एक अलग से कंपनी बनाई जाति है एयरपोर्ट के लिए जिसको एयरपोर्ट का ऑपरेटर कहते हैं यानी की जो ऑपरेटर कंपनी बनाई जाति है वो एक्चुअल में उसे पर्टिकुलर एयरपोर्ट को चला रही होती है और जो मुनाफा होता है वो शेयर्स के हिसाब से गवर्नमेंट और प्राइवेट कंपनी आपस में बांट करती है तो पूरे इंडिया के अंदर एयरपोर्ट को या तो गवर्नमेंट चलती है या फिर इस पीपीपी मॉडल की तरह प्राइवेट कंपनी चलती हैं इस चीज को मैं आपको एक एग्जांपल से समझता हूं जैसे 1999 में ये डिसाइड किया गया की केरला के कोच्चि एयरपोर्ट को प्राइवेट कर दिया जाएगा लेकिन इसको डायरेक्ट प्राइवेट कंपनी को नहीं दिया गया बल्कि गवर्नमेंट ने एक अलग से कंपनी बनाई जिसका नाम था कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड सियाल और इस एयरपोर्ट को की अल को दे दिया गया और ये जो ऑपरेटर कंपनी थी सेल इसके 33% शेयर्स गवर्नमेंट ने अपने पास रखें जो सबसे ज्यादा थे और बाकी के जो बच्चे शेयर्स थे उनको प्राइवेट कंपनी सेंट्रल पूसा और छोटे इन्वेस्टर्स को दे दिया गया ऐसे अगर मुंबई एयरपोर्ट के ऑपरेटर की बात करें तो इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड मल इसमें 74% शेयर्स अदानी ग्रुप के पास है और 36% शेर ए आई यानी गवर्नमेंट के पास है अभी इस मुंबई एयरपोर्ट में अदानी ग्रुप का नाम सुनकर आप सोच रहे हो की 74% शेयर्स इसमें कैसे ले लिए तो अभी सब समझाऊंगा मैं आपको अच्छा आगे बढ़ाने से पहले एक चीज बता डन की पिछले कुछ मीना में आप सब लोगों ने नोटिस किया होगा की आई और चाट गुप्त की बहुत शुरुआत हो रही है क्योंकि हमारे टाइम की यह सबसे बड़ी टेक रिवॉल्यूशन है इन फैक्ट हम लोगों ने भी अपनी वीडियो में इसका उसे करना स्टार्ट किया है तो क्या आप जानना चाहते हैं की आप आई और चाट गुप्त कैसे सिख सकते हैं वो भी बिल्कुल फ्री है सो मैं आपको रिकमेंड करूंगा ग्रोथ स्कूल का थ्री ओवर पैड वर्कशॉप जो ग्रोथ स्कूल के फाउंडर वैभव सिसीनती खुद होस्ट कर रहे हैं ये वर्कशॉप मेरे पहले 1000 व्यूवर्स के लिए फ्री है जी हां बिल्कुल फ्री है ये इस वर्कशॉप की मदद से आप सिख पाएंगे की आप कैसे 10 लोगों का कम के लिए कर सकते हो और कैसे आई की हेल्प से अपना करियर अर्निंग पोटेंशियल बड़ा सकते हैं चाहे आप कोई भी वर्किंग प्रोफेशनल हो जब करते हो फाउंडर हो फ्रीलांसर हो या क्रिएटर हो ये वर्कशॉप आपको काफी मदद करेगी ग्रोथ स्कूल रियल और प्रैक्टिकल स्किल शिखा के लोगों को टॉप वन परसों बनाने में हेल्प करता है और 5 लाख से ज्यादा स्टूडेंट ने ऑलरेडी ग्रोथ इस स्कूल के कोर्सेज लिए हैं ग्रोथ स्कूल हमेशा से इंडस्ट्री में सबसे पहले ब्रांड में से एक र चुके हैं जो अपने लर्नर्स को नो कोड web3 और अब चाट गुप्त जैसी टेक्नोलॉजी शिखा रहे हैं कुणाल शाह तन्मय अवार्ड और सीखो या जैसे ने इसमें इन्वेस्ट कर रखा है तो जल्दी डिस्क्रिप्शन में जो लिंक दिया उसको क्लिक कीजिए बस पहले 1000 लोगों के लिए ये वर्कशॉप फ्री है तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब देखिए जब ये पीपीपी मॉडल करके प्राइवेट कंपनी को एयरपोर्ट के अंदर इंवॉल्व किया गया तो लोगों के बहुत ही मिक्स रिएक्शन आने लगे एक तब का जो इसके सपोर्ट में है वो कहता है की एयरपोर्ट में प्राइवेट प्लेयर्स आएंगे और पैसा डालेंगे तो गवर्नमेंट का पैसा बचेगा और वो बच्चा हुआ पैसा गवर्नमेंट देश के किसी और कम में लगेगी और दूसरी चीज प्राइवेट प्लेस आते हैं तो उनको ज्यादा प्रॉफिट कमाने का लालच होता है तो वो अलग-अलग ट्रिक लगा के डिमांड और सर्विस दोनों बढ़ाएंगे और इससे टूरिज्म और जॉब्स क्रिएट होती है [संगीत] वहीं दूसरा टपका जिसके खिलाफ मैं उसका यह कहना है की जब गवर्नमेंट के पास पैसे नहीं होते हैं और प्रोजेक्ट हैंडल करने की समझ नहीं होती है तब वो अपनी जिम्मेदारी से भाग के प्राइवेट प्लेयर्स का मुंह देखते है और प्राइवेटाइजेशन होने से लोगों के लिए हर चीज महंगी तो होती है एम्पलाइज की जब स्टेबिलिटी भी सफर करती है और इसके साथ-साथ एयरपोर्ट एक नेशनल सिक्योरिटी का भी इशू है तो इस तबले का मानना है की प्राइवेट प्लेयर्स को इंवॉल्व होना ही नहीं चाहिए क्योंकि ऐसे में फॉरेन कंपनी भी चाहें तो डायरेक्टली या इनडायरेक्ट आपके एयरपोर्ट के ऑपरेशंस में इंटरफेयर कर शक्ति है मैं कहना क्या छह रहा हूं आपको डेली और मुंबई के एयरपोर्ट के एग्जांपल लेक समझता हूं दिल्ली एयरपोर्ट का जो एरिया है वो इंडियन एयरफोर्स बीएसएफ इन सब का ऑपरेशन एरिया है ऐसे ही बॉम्बे एयरपोर्ट को तेल और नेचुरल गैस कमीशन ओएनजीसी और मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस भी उसे करते हैं ऐसे में कोई बाहर ही ताकत पर कंपनी के थ्रू चाहे तो बहुत बड़ा डैमेज कर शक्ति है और नेशनल सिक्योरिटी के साथ-साथ इसमें एक चीज और कहीं जाति है जो इसके अगेंस्ट में है उनका ये मानना है की ये जो पूरा प्राइवेटाइजेशन है ये पूरा प्रोसेस अनफेयर है क्योंकि एयरपोर्ट के लिए जो आम जनता से जमीन ली जाति है वो सरकार लेती है और जब पब्लिक गुड्स की बात होती है करोगे तो सरकार को फिक्स्ड में जमीन देना लोगों की मजबूरी होती है तो जब सरकारी तरीके से जमीन लेकर आप एयरपोर्ट बना रहे हो और फिर लास्ट में जाके प्राइवेट प्लेयर्स को दे दे रहे हो तो ये लोगों के साथ धोखा हुआ ये सर डिस्कशन तो चल ही रहा है लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ा मुद्दा इंडिया के अंदर ये चल रहा है जिसको लेक पार्लियामेंट में घंटा बहस हुई की पीपीपी मॉडल के थ्रू अदानी ग्रुप को जी तरीके से इंवॉल्व किया गया है वो गलत है इसमें गलत तरीके से रूल्स चेंज किया गए हैं और अदानी ग्रुप जिसको एयरपोर्ट का बिल्कुल भी एक्सपीरियंस नहीं है उसके पास साथ-साथ एयरपोर्ट चले गए और बाकी कंपनी जो थी वो मुंह देखते र गई [संगीत] देखिए 1999 में कोच्चि एयरपोर्ट को प्राइवेट हाथों में पहले बार दिया गया था उसके कर साल बाद यानी के 2003 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी की ए ए आई इसने फिर से कहा की दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट को भी हम प्राइवेट करेंगे तो उसे टाइम पे भी गवर्नमेंट के खिलाफ ऐसे ही हल्ला होता था जैसे आज होता है एक्चुअली गवर्नमेंट कोई भी हो सब कहां वही करती हैं बस तरीके अलग-अलग होते हैं तो जब लोगों ने बहुत ज्यादा हल्ला किया तो अब ये कहा गया की इन एयरपोर्ट को मॉडर्नाइज करना है जिसके लिए पैसे लगेंगे इसलिए डेली और मुंबई एयरपोर्ट को प्राइवेटाइज करना होगा अब इसके बाद 2004 से 2005 तक का जो टाइम था इसमें उसे टाइम की गवर्नमेंट ने पीपीपी मॉडल वाला जो प्रोसेस जो मैंने आपको अभी थोड़ी डर पहले बताया था वो स्टार्ट किया जिसमें एक कंपनी इन्होंने डेली एयरपोर्ट के लिए बनाई जिसका नाम था दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड दी आई ए ल दूसरी इन्होंने मुंबई के लिए बनाई जिसका नाम था मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड यानी की मल 26% का हिस्सा ए आई ने अपने पास रखा और बाकी का बच्चा हुआ जो 74% हिस्सा था वो इन्होंने डिसाइड किया की ये प्राइवेट प्लेयर्स को देंगे और इसके लिए इन्होंने 2006 में कंपनी को बुलाया और एक बिल्डिंग सिस्टम स्टार्ट करवा जिसमें दिल्ली के एयरपोर्ट की बिल्डिंग के लिए ये कंपनी आई और मुंबई के एयरपोर्ट की बिल्डिंग के लिए ये कंपनी आई इस बिडिंग में तीन क्राइटेरिया रखें गए थे मैनेजमेंट कैपेबिलिटी डेवलपमेंट कैपेबिलिटी फाइनेंशियल कैपेबिलिटी जिनके बेसिस पे ये डिसाइड होना था की एयरपोर्ट किस प्राइवेट कंपनी को मिलेंगे ये जो रिलायंस के सामने फाइनेंशियल कैपेबिलिटी वाले क्षेत्र में 49.99 लिखा है इसका मतलब ये हुआ की रिलायंस ने इस बिडिंग प्रोसेस में ये कहा है की एयरपोर्ट से कमाया गया रिवेन्यू का इतना परसेंट हिस्सा गवर्नमेंट को देगी तो ये बहुत ही इंपॉर्टेंट फैक्टर था जिसमें आप देख भी रहे हैं की रिलायंस ने सबसे ज्यादा हिस्सा देने का ऑफर किया इसके बाद मैनेजमेंट और डेवलपमेंट कैपेबिलिटी के भी पॉइंट सिस्टम थे जिसमें अलग-अलग चीज देख के प्वाइंट्स देने थे इसमें भी रिलायंस ने काफी अच्छा परफॉर्म किया और दिल्ली एयरपोर्ट की बिल्डिंग रिलायंस जीप पे [संगीत] लेकिन इसके कुछ दिन बाद एक दिक्कत ए गई रिलायंस के ऊपर बहुत बड़ा एलिगेशन लगता है वो एलिगेशन यह था की जो लोग इस बिल्डिंग में इवेलुएशन करके नंबर दे रहे थे वो रिलायंस के जन वाले थे बात इतनी ज्यादा बढ़नी है की इस बिडिंग को कैंसिल करके गवर्नमेंट ने अलग से इंक्वारी करने के लिए एक कमेटी बनाई जिसका नाम था ग्रुप ऑफ एमिनेंट टेक्निकल एक्सपट्र्स जी और इस कमेटी ने जब इंक्वायरी की तो उसमें ये कहा गया की रिलायंस को जानबूझकर ज्यादा पॉइंट दिए गए और फिर इसके बाद जब दोबारा से रिलायंस का इवेलुएशन हुआ तो रिलायंस के प्वाइंट्स कम हो गए ये जो प्रिगेट और पोस्ट जी ए टी लिखा हुआ है ये इसी चीज का है परी में रिलायंस के पॉइंट ज्यादा थे लेकिन पोस्ट में जब इंक्वारी हुई तो रिलायंस के प्वाइंट्स कम हो गए और इसके बाद जीएमआर फ्रिक्वेंट को दिल्ली का एयरपोर्ट दे दिया गया रिलायंस ने इस पे बहुत हल्ला किया 2006 में डेली हाय कोर्ट में यूनियन ऑफ इंडिया और आई के खिलाफ पिटीशन वगैरा डाली लेकिन हाय कोर्ट ने उसको रिजेक्ट कर दिया फिर यहां से भी रिलायंस नहीं माना वो सुप्रीम कोर्ट में गया लेकिन नवंबर 2006 में वहां पे रिलायंस की पिटीशन को रिजेक्ट कर दिया गया और रिलायंस को खाली हाथ तो जाना ही पड़ा है इसके साथ-साथ मीटिंग के भी एलिगेशन का सामना करना पड़ा अब देखिए रिलायंस इस वेटिंग प्रोसेस से बाहर निकाल गया था और दिल्ली एयरपोर्ट जीएमआर फ्रेया फोर्ट को मिल गया था अगर आप मुंबई के एयरपोर्ट के बिडिंग प्रोसेस का पॉइंट टेबल देखोगे तो यहां भी जीएमआर रिपोर्ट आगे था लेकिन एक ही कंपनी की मोनोपोली ना हो जाए इसलिए ये रूल था की एक कंपनी को दो एयरपोर्ट इस बिल्डिंग में नहीं दिए जाएंगे तो अब क्योंकि जीएमआर रिपोर्ट को इस रूल की वजह से सिर्फ एक ही एयरपोर्ट मिल सकता था तो जीएमआर फोर्ट ने दिल्ली एयरपोर्ट सिलेक्ट किया तो दिल्ली एयरपोर्ट जेएमआई को मिल गया और जब मुंबई एयरपोर्ट से जीएमआर निकाल के उसने दिल्ली कस किया तो जो बाकी बच्ची कंपनी थी उसमें जीवी जो था वो प्वाइंट्स में आगे था तो उसको मुंबई एयरपोर्ट मिल गया अब आप खाओगे की अदानी ग्रुप के पास तो साथ-साथ एयरपोर्ट है और यहां आप हमें समझा रहे हो की दो एयरपोर्ट एक कंपनी को नहीं मिल सकते तो अभी थोड़ा सा वेट करिए साड़ी चीज आपको समझ में ए जाएंगे तो ये भी प्रोसेस हो जाति है जीवी और जीएमआर ग्रुप को डेली और मुंबई के दो बड़े एयरपोर्ट मिल जाते हैं अब इसके दो साल बाद 2008 में फिर से गवर्नमेंट कहती है की ये जो बैंगलोर और हैदराबाद के एयरपोर्ट्स हैं इनको भी पीपीपी मॉडल के थ्रू प्राइवेट कर जाएगा फिर से बिडिंग होती और फिर से जीएमआर और जीवी जीत जाति है हैदराबाद का एयरपोर्ट जयमल ग्रुप के पास चला जाता है और बेंगलुरु एयरपोर्ट जीवी ग्रुप के पास चला जाता है तो जो 2008 का टाइम था उसे टाइम पे जीएमआर और जीवी के इंडियन एयरपोर्ट के सबसे बड़े प्राइवेट ऑपरेटर बन गए थे जैसे आज की डेट में गवर्नमेंट के साथ अदानी ग्रुप का नाम जुड़ता है वैसे ही जीएमआर और जीवी का नाम लिया जाता था उसे टाइम की गवर्नमेंट के साथ जी तरह से आज की डेट में अदानी ग्रुप बहुत तेजी से एक्सपेंड कर रहा है उसे पर्टिकुलर टाइम पे जीवी ग्रुप भी बहुत तेजी से एक्सपेंड कर रहा था जीवी ने इंडिया का पहले इंडिपेंडेंस पावर प्लांट बनाया पहले सिक्स लेने रोड प्रोजेक्ट बनाया साथ में जीवी को नवी मुंबई एयरपोर्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला इसके अलावा जीवी ने 2011 में क्वींसलैंड में 1.26 बिलियन डॉलर्स की कल मीन खरीदी और इसके साथ-साथ एक 500 किमी रेल लाइन और एक कोड बनाने का प्लेन भी अनाउंस किया से वही चीज जो आज की डेट में दानी ग्रुप के साथ हो रही है जैसे अभी हिडेनबर्ग ने हटाने की जो डीटेल्स आउट कारी थी तो अदानी के शेयर्स गिर गए थे से ऐसे ही उसे टाइम पे 2012 में क्रेडिट सी ने हाउस ऑफ डेट नाम से एक रिपोर्ट निकाल थी और इसमें इंडिया के 10 सबसे ज्यादा कर्ज में रहे कार्पो प्रोसेस को लिस्ट किया था जिसमें जीवी का भी नाम था और इसकी वजह से जीवी का भी बहुत बड़ा नुकसान हो गया था ये सब तो चल ही जाता है इसके साथ-साथ उत्तराखंड में अलग नंदा में 30030 बी का हाइड्रो पावर प्लांट बनाया था जीवी ने लेकिन चालू होने से पहले ही उत्तराखंड में फ्लड ए गया और वो प्रोजेक्ट दो साल के लिए डिले हो गया और ये जो 2012 का उत्तराखंड वाला प्रोजेक्ट था ये डिले हो के 2014 में पहुंच जाता है और उसके बाद गवर्नमेंट चेंज हो जाति है और जब गवर्नमेंट चेंज हो गई तो 2014 में जब पंजाब में 500 40 एमविंडवाल साहिब थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ तब सुप्रीम कोर्ट ने कल ब्लॉक की एलोकेशन को कैंसिल कर दिया जिसकी वजह से जीवी को कल मिलन मुश्किल हो गया था कल मिलकर हर साल इनकी सिचुएशन टू होती जा रही थी [संगीत] इसके बाद आता है साल 2019 मुंबई एयरपोर्ट जो मैंने पहले भी बताया था की वो पीपीपी मॉडल पर था तो मुंबई एयरपोर्ट के लिए जो कंपनी बनाई गई थी उसका नाम था मी ए ल मुंबई एयरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड जिसमें ए ए आई यानी की गवर्नमेंट का 26% हिस्सा था 50% की हिस्सेदारी जीवी के पास थी जो की सबसे ज्यादा थी 13.5% की हिस्सेदारी एक साउथ अफ्रीकन कंपनी बिल्डर के पास थी और 10% हिस्सेदारी जो थी वो एक ऐसे के पास थी इसमें बहुत इंटरेस्टिंग रूल था जो अभी मैंने एक कंपनियां के नाम बताए हैं ये ऐसा नहीं की अपने शेयर्स उठा के किसी को भी बीच शक्ति थी अगर इन कंपनी में से कोई एक कंपनी अपने शेयर्स बेचना चाहती है तो वो पहले इन बाकी बच्ची कंपनी से पूछेगी फिर जाके कहानी बाहर अपने शेयर्स को बीच शक्ति है और ये रूल था इस रूल को फॉलो करने के लिए जितनी भी कंपनियां थी जो मैंने भी नाम ली है इन्होंने एग्रीमेंट्स भी साइन किया थे शेरहोल्डर्स एग्रीमेंट सा और आर्टिकल ऑफ संगठन आओ ए ये साइन किया था अगर आप एयरपोर्ट रिलेटेड न्यूज़ में राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूल शब्द सनोज तो इसका मतलब यही है की बाहर बेचे से पहले आप इसे पूछोगे और ये चाहे तो उसको रिफ्यूज के खुद खरीद सकते हैं तो जनवरी 2019 ने बाकी बच्ची कंपनी से कहा की वो अपने मुंबई एयरपोर्ट के शेयर्स बेचे वाली है अगर आपको लेने हैं तो 30 दिन के अंदर आप ले लो वरना वो बाहर जाकर किसी और को बीच देगी अब ये तो बहुत ही नॉर्मल सी चीज है क्योंकि रूल्स के हिसाब से तो बीडज ऐसा कर शक्ति है लेकिन हल्ला स्पीड 20 सेकंड और फरवरी 2019 को होता है जब इकोनामिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश कारी उसमें पता लगा की एक्चुअली अदानी ने सेक्रेटली बेडवेस्ट और एक्स से पहले डील कर ली थी शेयर्स खरीदने के लिए इसलिए ये लोग अपने शेयर्स बीच रहे थे लेकिन अदानी का मुंबई एयरपोर्ट को सेक्रेटली खरीदने का जो सपना था वो जीवी ने तोड़ दिया जीवी ने रूल के हिसाब से इस डील को ब्लॉक कर दिया और कहा की मुंबई एयरपोर्ट के जो शेयर्स हैं वो बाहर किसी और को नहीं बेचे जाएंगे वो खुद खरीदेगा अब देखिए ये जो टाइम था यहां से जीवी का पूरा टाइम चालू हो जाता है वो पहले ही फाइनेंशियल लॉस में चल रहा था जैसे मैंने पहले बताया आपको इसके साथ-साथ उसने अदानी ग्रुप से भी पंगा ले लिया था इसके बाद जीवी को सबसे पहले दिक्कत आई उसके नवी मुंबई प्रोजेक्ट में यस जो उसको पैसे उधर देकर प्रोजेक्ट में हेल्प करने को रेडी था वह अचानक से माना कर देता है उसके बाद एसबीआई ने भी फाइनेंशियल क्लोजर में डिले करना स्टार्ट कर दिया कई गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन जैसे की सिटी और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र सिडको इसमें भी शेर होल्डर एग्रीमेंट के बीच को लेक इनके ऊपर क्वेश्चन करना शुरू कर दिया और कहानी यहां भी नहीं रुकती है एक अनाउंस लेटर सीबीआई को मिलता है जिसमें ये में इंजन था की जीव के ग्रुप के अध्यक्ष जीव के रेड्डी और उनके बेटे जी भी संजय रेड्डी जो की मी ल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं उन्होंने मुंबई के एयरपोर्ट फंड्स में से 705 करोड़ चूड़ा लिए हैं और मजे की बात तो ये है की इस अनजान लेटर की वजह से सीबीआई फिर फाइल कर देती है और इसमें एड भी पीछे नहीं रहती है इसके कुछ दिन बाद ही जीवी के ऑफिसर्स को रेड किया गया और मनी लॉन्ड्रिंग चार्ज पे एक सेपरेट कैसे फाइल कर दिया मेंटल ने 2020 में एक आर्टिकल पब्लिश किया था उसमें उसने कहा की कैसा कंसीडेंस है की जैसे ही जीवी ने अदानी की डील को फेल किया वैसे ही उसके ऊपर सीबीआई और एड बैठ गई राहुल गांधी ने भी कहा की सीबीआई और एड को क्यों लगा दिया गया जीव के लोग के लोग खड़े हुए एड सीबीआई एजेंसी ए जाति है उनको पैर कर देती है इसके जवाब में निशिकांत दुबे ने कहा की तुमने भी तो अपने टाइम में जीवी और जीएमआर को बिना एक्सपीरियंस के एयरपोर्ट उठा के दे दिए थे पूरे कांग्रेस पार्टी को चैलेंज करता हूं [प्रशंसा] लाइसेंस कब किया तो उनको उसका नॉलेज था देखिए उसे पर्टिकुलर टाइम पे जीवी के लिए हर तरफ से सिचुएशन टू हो गई थी फिर अचानक से एक दिन न्यूज़ आई है की जीव के अदानी से डील करने को मां गया है और आप जीव के मुंबई एयरपोर्ट को जो शेयर्स हैं वो अदानी को दे देगा और उसके बदले में अदानी जीवी के जो लोन है एसबीआई वगैरा पे वो पे कर देगा इसके साथ-साथ एसएसएफ और बिद्वेस्ट ने भी चुपचाप अपने शेयर्स अदानी को बीच दिए और अदानी ग्रुप के पास 74% स्टेट ए गए और इतना ही नहीं मुंबई एयरपोर्ट के साथ-साथ जो अंदर कंस्ट्रक्शन नवी मुंबई एयरपोर्ट भी था वो भी अदानी के पास ए गया था अगर आपने हमारा एनडीटीवी वाला वीडियो देखा होगा तो एनडीटीवी को भी से तरीके से एक्वायर किया गया था और जब जीव के मां जाता है और डील दान हो जाति है उसके कुछ महीने बाद जनवरी 2023 में सीबीआई कहता है की जीविकी के ऊपर जो कैसे लगा था उसमें कोई करप्शन नहीं मिला जीवी की कोई गलती नहीं है तो इस तरीके से मुंबई एयरपोर्ट जो है वो अदानी ग्रुप के पास ए जाता है और इसके बाद जो छह और एयरपोर्ट है वो हटाने के पास कैसे आते हैं उसकी बड़ी इंटरेस्टिंग स्टोरी है [संगीत] लेकिन जी वीक में मुंबई एयरपोर्ट अदानी ग्रुप के पास जाता है उसके नेक्स्ट वीक में एक न्यूज़ आई है जिसमें सिविल एवियशन मिनिस्टर हरदीप पुरी जी कहते हैं की मैं अपने दिल से का सकता हूं की सरकार को एयरपोर्ट और एयरलाइंस नहीं चलानी चाहिए ये साड़ी चीज प्राइवेट प्लेयर्स को दे देनी चाहिए और ये स्टेटमेंट जब आई थी तो उससे लगे लगा था की आगे और भी एयरपोर्ट जो है उनको प्राइवेट की किया जाएगा और लोगों के एजंप्शन सही निकले क्योंकि उसके कुछ दिन बाद गवर्नमेंट अनाउंस किया की गवर्नमेंट अपने 6 और एयरपोर्ट जिसमें अहमदाबाद गुवाहाटी जयपुर लखनऊ बेंगलुरु और तिरुवंतपुरम थे उनको भी पीपीपी मॉडल के थ्रू प्राइवेट करेगी इस अनाउंसमेंट के बाद छह एयरपोर्ट्स की बिल्डिंग स्टार्ट होती है और इस छह एयरपोर्ट की जो बिल्डिंग होती है इसमें सारे के सारे यानी छह के छह एयरपोर्ट अदानी ग्रुप जीत जाता है बाकी मुंबई वाला एयरपोर्ट पहले से ही था तो अदानी ग्रुप के पास टोटल आठ में से 7 एयरपोर्ट अदानी ग्रुप के पास पहुंच जाते हैं अब आप खाओगे की अदानी ग्रुप तो रूल्स के हिसाब से बिडिंग प्रोसेस में बैठने के लिए एलिजिबल ही नहीं था क्योंकि इनको एयरपोर्ट वगैरा चलने का एक्सपीरियंस नहीं है तो देखिए ये छह एयरपोर्ट की बिल्डिंग स्टार्ट करने से पहले रूल्स को चेंज किया गया [संगीत] सबसे पहले रूल चेंज हुआ की अगर किसी प्राइवेट प्लेयर को एयरपोर्ट चाहिए तो बिल्डिंग प्रोसेस में ए सकता है उसकी टेक्निकल एक्सपर्टीज और उसका एक्सपीरियंस नहीं देखा जाएगा देखिए जब मैं आपको डेली और मुंबई एयरपोर्ट के पहले के हुए ऑप्शन का पॉइंट टेबल दिखा रहा था तो उसमें तीन क्षेत्र थे मैनेजमेंट कैपेबिलिटी डेवलपमेंट कैपेबिलिटी और फाइनेंशियल बिल्डिंग तो ये जो नई बिल्डिंग प्रोसेस में से इन तीन में से दो चीजों को हटा दिया गया था एक मैनेजमेंट कैपेबिलिटी और दूसरी डेवलपमेंट के पईबिलिटी तो नई बिल्डिंग प्रोसेस में सिर्फ फाइनेंशियल बिडिंग अच्छी जाएगी मतलब की टेक्निकल कौन सी कंपनी ज्यादा कैपेबल है वो छोड़ के ये देखा जाएगा की सबसे ज्यादा पैसा कौन ऑफर कर रहा है एयरपोर्ट लेने की बिल्डिंग में जब ये रूल चेंज किया गया तो सीएनबीसी टीवी 18 की रिपोर्ट के हिसाब से फाइनेंस मिनिस्ट्री और नीति आयोग दोनों ने माना किया था ऐसा बिल्कुल मत करिए क्योंकि जी कंपनी के पास टेक्निकल एक्सपर्टीज नहीं होगी और सिर्फ पैसा देखिए एयरपोर्ट ले लगी तो वो पूरे प्रोजेक्ट को जोखिम में दाल शक्ति है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और बिना एक्सपीरियंस के कंपनी को एयरपोर्ट की बिल्डिंग में पार्ट लेना अलाउ किया गया और यही रीजन था की अदानी ग्रुप बिल्डिंग प्रोसेस में बैठ पाएगा [संगीत] दूसरा रूल यह चेंज किया गया की एक कंपनी दो से ज्यादा एयरपोर्ट ले शक्ति है अभी थोड़ी डर पहले हमने डिस्कस किया था की जब दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट में जीएमआर दोनों बिल्डिंग में आगे था तो उसको मजबूरी में 1 एयरपोर्ट छोड़ना पद रहा क्योंकि रूल्स के हिसाब से उसे पर्टिकुलर बिडिंग में एक कंपनी को दो एयरपोर्ट नहीं दिए जा रहे थे क्योंकि दोनों बड़े एयरपोर्ट एक ही कंपनी के पास चले जाएंगे तो कंपटीशन खत्म हो जाएगा और इस तरीके के रूल्स जो है गवर्नमेंट है वो टाइम तू टाइम करती रहती है जैसे जब दिल्ली में जब इलेक्ट्रिसिटी को प्राइवेट हाथों में दिया गया था तो दिल्ली को अलग-अलग जॉन में डिवाइड करके दो अलग कंपनियां को दिया गया था ताकि मोनोपोली ना हो और अगर एयरपोर्ट की भी बात करें तो अगर ज्यादा से ज्यादा एयरपोर्ट एक ही कंपनी के पास जाएंगे तो कुछ दिक्कत हो जाति है कंपनी में तो सारे एयरपोर्ट रिस्क पे ए जाते हैं एयरपोर्ट से अथॉरिटी एम्पलाइज यूनियन के पास जो डॉक्यूमेंट है उसमें ये कहा गया की जब एक कंपनी को मल्टीपल एयरपोर्ट देने की बात की गई थी तो मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस के डिपार्मेंट ऑफ इकोनामिक अफेयर्स यानी की दे इसमें इसके लिए साफ माना कर दिया था और इसके साथ ही डीएनए दिसंबर 2018 में एक अप्रेजल नोट में भी कहा था की एक लीडर को दो से ज्यादा एयरपोर्ट नहीं मिलने चाहिए और अगर ऐसा नहीं किया गया तो मोनोपोली होगी और एयरपोर्ट रिस्क पे ए जाएंगे लेकिन इसके बाद भी इस रूल को चेंज कर दिया जाता है की कोई भी कंपनी कितने भी एयरपोर्ट ले शक्ति है और अगर ये रूल चेंज नहीं होता तो अदानी को छह से एयरपोर्ट नहीं मिलते [संगीत] अब तीसरा रूल यह चेंज किया कंपनी को गवर्नमेंट के साथ रिवेन्यू शेर करने की जरूर नहीं है बल्कि उसकी जगह पे पर पैसेंजर फीस ली जाएगी मतलब की एयरपोर्ट पर हर पैसेंजर की एक फीस डिसाइड कर दो तुम कमाओ चाहे ना कमाओ हर पैसेंजर जो एयरपोर्ट पे आएगा उसकी फीस फिक्स होगी और जो सबसे ज्यादा पर पैसेंजर फीस देगा ब्लीडिंग प्रोसेस के अंदर वो जीत जाएगा ब्लीडिंग तो अब आप खाओगे की इसमें क्या दिक्कत हो गई तो देखिए इसके पीछे भी बहुत इंटरेस्टिंग स्टोरी है देखिए जब दिल्ली और मुंबई के एयरपोर्ट की बिडिंग प्रोसेस हम डिस्कस कर रहे थे तो उसमें मैंने रिलायंस वाले क्षेत्र के सामने एक चीज मेंशन की थी की 45.9% रिवेन्यू सर रिलायंस देने को रेडी था जो की बहुत ही ज्यादा था और इस के बेसिस पे डिसाइड हुआ था की कौन बीट जीतेगा देखिए अगर आप हमारे चैनल के रेगुलर वेर होंगे तो आपने हमारी हो एयरपोर्ट्स अर्न मनी ये वाली वीडियो अच्छी होगी की एयरपोर्ट दो तरीके से पैसे कामता है एक तो वो पैसेंजर से पैसा लेट है टिकट वगैरा से दूसरा वो एयरपोर्ट की दुकानों वगैरा से रेंट पर लॉन्च और पार्किंग वगैरा रेंट पे देता है और एडवरटाइजिंग से लेट है तो जब पर पैसेंजर के हिसाब से गवर्नमेंट को पैसा दिया जाएगा होगा तो उसमें एक दिक्कत है अगर पैसेंजर कम आए पैसेंजर कम हो गए थे तो गवर्नमेंट को कम पैसा जाएगा लेकिन एयरपोर्ट की शॉप्स वगैरा से रेंट वगैरा तो हर सिचुएशन में ही आता है तो वो साड़ी चीज जो है वो प्राइवेट कंपनी की जब में जाएगा तो ये घाटे का सौदा हुआ गवर्नमेंट के लिए और यही रीजन था की दे और नीति आयोग इस पैसेंजर फ्री वाले मॉडल के अगेंस्ट में थे नीति आयोग ने एक नोट में लिखा की इससे पहले जो प्रॉफिट था वो गवर्नमेंट और प्राइवेट कंपनी के बीच में बांट लिया जाता था उससे गवर्नमेंट को ज्यादा फायदा था इससे पहले वाले मॉडल में अगर एयरपोर्ट कामता था तो गवर्नमेंट भी कम आई थी लेकिन पर पैसेंजर फ्री वाला जो मॉडल है इसमें ये भी हो सकता है की एयरपोर्ट कमाई और गवर्नमेंट ना कमाई जैसे कोविंद वाली सिचुएशन हो गई थी तो उसमें पैसेंजर कम ए रहे थे लेकिन मुनाफा तब भी हो रहा था कंपनी को लेकिन इसके बाद भी रूल चेंज हुए और हर जगह हल्ला हुआ पार्लियामेंट में हल्ला हुआ मीडिया वगैरा ने भी क्वेश्चन उठा बहुत हल्ला होने के बाद गवर्नमेंट ने इस पे रिप्लाई किया जो भी रूल चेंज की है उसके पीछे क्या स्टोरी थी वो बताइए उन्होंने गवर्नमेंट ने कहा की अगर हम नई कंपनी को आगे नहीं आने देंगे तो एयरपोर्ट बिजनेस में एक्सपीरियंस वाली बहुत ही कम कंपनी है खाली छह कंपनी हैं अगर हम बार-बार सिर्फ उन्हें कंपनी को बिल्डिंग में बिठाएंगे तो उनकी मोनोपोली हो जाएगी दूसरा उन्होंने कहा की एक प्राइवेट कंपनी को मल्टीपल एयरपोर्ट देने वाला रूल इसलिए लाया गया क्योंकि पहले एयरपोर्ट्स कम थे आज के डेट में 100 से ज्यादा एयरपोर्ट है इंडिया में अगर ये रूल रहेगा तो डिमांड के हिसाब से उतनी प्राइवेट कंपनी है ही नहीं तो मजबूरी थी ये रूल चेंज करनी थी पर पैसेंजर फ्री वाला जो इशू था उसपे गवर्नमेंट ने एक कहा की कंपनी अपना रिवेन्यू कम दिखाई हैं तो इससे नुकसान होता है इसलिए पर पैसेंजर वाला मॉडल जो है वो ज्यादा इफेक्टिव है इसलिए उसको लाया गया है तो ये सारे क्लेरिफिकेशन देने के बाद रूल्स चेंज होते हैं और उसके बाद आता है ब्लीडिंग प्रोसेस वाला दिन कंपनी आई हैं लेकिन अदानी ग्रुप ऐसी बोली लगता है की कोई आसपास तक नहीं राहत है ये देखिए अहमदाबाद जयपुर लखनऊ छह के छह एयरपोर्ट में अदानी ग्रुप की बिडिंग के आसपास भी नहीं है कोई जहां मंगलौर एयरपोर्ट के लिए 45 रुपीज पर पैसेंजर की बोली लगी वहां अदानी ग्रुप में 115 रुपए पर पैसेंजर की बोली लगे और यही रीजन था एक तरफ छह के छह एयरपोर्ट अदानी ग्रुप जीत जाता है [संगीत] लेकिन बीट जितने के बाद एक चीज और होती है अदानी ग्रुप में यह तो ज्यादा पैसे की बोली लगा के बीट जीती थी उसने वो नुकसान खुद उठाकर गवर्नमेंट को पैसा नहीं दिया बल्कि इन एयरपोर्ट पे पैसेंजर से ली जान वाली फीस बड़ा दी जिससे हुआ ये है की जो ज्यादा पैसे की बिल्डिंग लगे थी उसने और जो एक्स्ट्रा पैसा उसको सरकार को देना था वो उसने पैसेंजर से एक्स्ट्रा वसूल लिया और अपना प्रॉफिट अपने पास रखा मैं एग्जांपल समझता हूं जैसे की अहमदाबाद से ट्रैवल करने वाले लोग अगर अपना टिकट खोल के देखेंगे तो उसमें एक चीज नोटिस करेंगे अहमदाबाद में पहले यूजर डेवलपमेंट फी जो पर पैसेंजर चार्ज की जाति थी और आपकी टिकट में इंक्लूड होती थी वो पहले डोमेस्टिक और इंटरनेशनल पैसेंजर के लिए ₹100 थी लेकिन एक फरवरी 2023 से वो डोमेस्टिक पैसेंजर के लिए ₹250 और इंटरनेशनल पैसेंजर के लिए 550 रुपए कर दी गई और यही नहीं एक अप्रैल 2024 से ये डोमेस्टिक के लिए ₹450 हो जाएगी और इंटरनेशनल के लिए 880 रुपए हो जाएगी और एक अप्रैल 2025 से ये डोमेस्टिक के लिए 600 हो जाएगी और इंटरनेशनल के लिए 1190 हो जाएगी इसी तरीके से अगर बेंगलुरु एयरपोर्ट को लेने तो यहां भी से चीज की गई डोमेस्टिक पैसेंजर ली गई और इस साल उसको ₹350 कर दिया गया अगले साल उसको ₹560 कर दिया जाएगा यानी की हर साल बढ़ेगी वो देखिए सिंपल समझने का मतलब ये है की अगर आप एयरपोर्ट से फ्लाई करते हैं तो उसकी टिकट अब महंगी हो जाएगी और लखनऊ एयरपोर्ट का भी बता देता हूं पहले जो यूडीएफ डोमेस्टिक के लिए 192 थी और इंटरनेशनल के लिए 50061 थी वो एक ही साल में बढ़कर डोमेस्टिक के लिए 930 और इंटरनेशनल के लिए 2500 हो गई है यानी की एक साल में कर से पांच गुना उर्दिया बड़ा दी गई है इसके अलावा अदानी ग्रुप के जो एयरपोर्ट्स हैं वहां पे जो लैंडिंग और पार्किंग चार्ज को लेकर जो इशू चल रहा है वो एक अलग मुद्दा है उसको किसी और वीडियो में डिस्कस करेंगे तो देखिए ऊपर खेल कुछ भी हो रहा है और गवर्नमेंट कोई सी भी हो प्रोसेस सबका से है की आखिरी में पैसा जो है वो आम आदमी की जब से जाता है इसमें कुछ लोग अपनी-अपनी पॉलीटिकल पार्टी की तरफदारी भी करेंगे की इस टाइम पे ये हो रहा है पहले ये हो रहा था देखिए कोई भी हो कोई भी गवर्नमेंट हो आप एयर देख लीजिएगा शुरू से लेकर आखिरी तक कोई भी गवर्नमेंट हो सब ने से कम किया है पहले कंपनी कोई दूसरी थी इस समय कंपनी कोई और है अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो जीएमआर ग्रुप जो है वो लीड कर रहा है इंडियन एयरपोर्ट्स में इसके पास 34.13% इंटरनेशनल ट्रैफिक है और 29.27% डोमेस्टिक ट्रैक है लेकिन आने वाले टाइम में अदानी ग्रुप इनको पीछे छोड़ देगा और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं वो भी समझता हूं गवर्नमेंट ने अब प्राइवेट के लिए अगले राउंड ऑफ एयरपोर्ट्स को तैयार कर लिया है इसमें अमृतसर वाराणसी भुवनेश्वर तिरुचिरापल्ली और रायपुर जैसे एयरपोर्ट है ये एयरपोर्ट इंटरनेशनल ट्रैफिक का 4% और डोमेस्टिक ट्रैफिक का 5% अकाउंट करते हैं अगर अदानी ग्रुप बिडिंग में ये सारे एयरपोर्ट जीत जाता है तो अदानी ग्रुप के पास जीएमआर से ज्यादा पैसेंजर होंगे इसके अलावा गवर्नमेंट का प्लेन है की अगले कुछ साल में 50 एयरपोर्ट्स को और प्राइवेट की किया जाएगा जिनको गवर्नमेंट चलती है अगर अदानी ग्रुप ये सारे एयरपोर्ट्स की भी मीटिंग जीत जाता है तो इंडिया के एयरपोर्ट स्पेस में एक मोनोपोली भी हो शक्ति है जो माहौल है उससे ग रहा है की अदानी ग्रुप आगे की जीत जाएगा अगर आप न्यूज़ फॉलो करना चालू करोगे तो जीएमआर और अदानी ग्रुप के जो स्टेटमेंट ए रहे हैं उससे आपको आइडिया ग जाएगा की आगे क्या होने वाला है जैसे मार्च 2030 में अगर आपने न्यूज़ फॉलो की हो तो अदानी एयरपोर्ट के के एग्जीक्यूटिव अरुण बंसल ने कहा की अदानी आने वाले एयरपोर्ट बिट्स में और एयरपोर्ट के लिए बेड करेगा क्योंकि उसका एंबीशन है की इंडिया का वो लीडिंग एयरपोर्ट ऑपरेटर बने लेकिन अगर आप न्यूज़ में जीएमआर के स्टेटमेंट को देखोगे तो वो कुछ पॉजिटिव नहीं ए रहा है जीएमआर का कहना है की हम अब बिडिंग को लेकर एक कंजरवेटिव अप्रोच रखेंगे मतलब की बहुत हाइब्राइडिंग नहीं करेंगे तो इससे लोग आइडिया लगा रहे हैं की शायद आने वाले टाइम में टाइटेनिक रुक्मिणी मोनोपोली होगी इंडियन एयरपोर्ट पे लेकिन जब भी ऐसी सिचुएशन होती है की एक दो प्लेयर्स ही बचते हैं और सिर्फ उन्हें की मोनोपोली रहती है ऐसी सिचुएशन में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता का होता है इससे पहले जब एयरपोर्ट पुरी तरीके से गवर्नमेंट के हाथ में थे तो उनकी जवाब दही होती थी पार्लियामेंट को जिनको लोगों ने चुनाव था तो उसको मुनाफे के साथ-साथ लोगों के बड़े में भी सोचना पड़ता था लेकिन अगर यही चीज गवर्नमेंट से हटके सिर्फ कुछ बड़े प्राइवेट प्लेयर्स के पास चली जाएगी तो जो प्राइवेट प्लेयर्स के जवाब दही है वो किसी को नहीं रहेगी वो मुनाफा के लिए कम करते हैं उनको समाज सेवा या पब्लिक गुड्स से कोई फर्क नहीं पड़ता है जब कई सारे प्राइवेट प्लेयर रहते हैं तो एक कंपटीशन राहत है लेकिन अगर सिर्फ एक या दो प्राइवेट प्लेयर बजाते हैं तो अपनी मर्जी चला सकते हैं वो कोई भी लें रीजन दे के प्राइस डबल कर देंगे और कोई कुछ भी नहीं कर पाएगा से यही चीज आज से कुछ साल पहले टेलीकॉम सेक्टर में भी हुई थी पहले साथ आठ कंपनियां थी लेकिन आज की डेट में सिर्फ तीन है एयरटेल जिओ और वोडाफोन अगर आप ध्यान से देखोगे तो ये जो तीन कंपनी हैं यही प्राइस को कंट्रोल करती हैं गवर्नमेंट कुछ नहीं कर पाती है जैसे नवंबर 2021 में सभी कंपनियां ने अपने 4g का जो प्राइस था वो 20% बड़ा दिया था पहले एयरटेल ने प्राइस बढ़ाया फिर वोडाफोन ने बनाया और फिर जिओ ने बनाया अगर इन तीनों कंपनी में से सिर्फ एक कंपनी पैसा बढ़नी तो उसको नुकसान होता पब्लिक बाकी ऑपरेटर के पास चली जाति है लेकिन इनको पता था की अगर तीनों ही प्लेयर्स पैसा बढ़ाएंगे एक साथ बढ़ाएंगे तो कस्टमर की मजबूरी बन जाएगी उसको देना पड़ेगा वो कुछ नहीं कर पाएगा इसी तरीके की जो सिचुएशन है वो एयरपोर्ट में भी हो शक्ति है अगर अदानी और जीएमआर जैसे दो-तीन बड़े प्लेयर ही एयरपोर्ट स्पेस में र जाएंगे तो थैंक यू [संगीत] 07BEWmWCnVk,The Reality of Odisha Train Accident | Nitish Rajput | Hindi,2023-06-18T14:30:11Z,PT20M30S,3281133,110548,4657,https://www.youtube.com/watch?v=07BEWmWCnVk,, और उसने कंफर्म किया की उसको उसे ट्रैक पर आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया था और यही नहीं उसके नेक्स्ट दे दो रेलवे ऑफिसर्स की ऑडियो लिक हुई उसमें भी इसी एरर की बात हुई और यही इस पूरे एक्सीडेंट की जड़ बन जाति है और इस पूरे एक्सीडेंट की कड़ी इसी सिग्नल पे फैंसी है इसकी वार्निंग काफी टाइम पहले दे दी गई थी ट्रेन के ड्राइवर को नौ-नौ घंटे बिना टॉयलेट का उसे करें उनको ट्रेन चलानी पड़ती है और कई ड्राइवर ने तो एडल्ट ड्राइवर भी उसे करना शुरू किया है कवच जब तक ब्रेक लगा था एक्सीडेंट हो जाता इंडियन रेलवे सिस्टम क्योंकि दुनिया का फोर्थ लार्जेस्ट रेलवे नेटवर्क है 12000 से ज्यादा ट्रेंस है हमारे पास दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म है हमारे पास इंडियन रेलवे सिस्टम इतना बड़ा है की एक दिन में ऑस्ट्रेलिया की पुरी पापुलेशन को मूव कर सकता है सिर्फ एक दिन में इंडिया के अंदर 30 मिलियन से ज्यादा लोग ट्रेन से ट्रैवल करते हैं और यही रीजन है की इंडिया के अंदर रेलवे की सिक्योरिटी सबसे प्रायोरिटी पे ए जाति है और ऐसे में जब उड़ीसा जैसे ट्रेन एक्सीडेंट होते हैं तो फिर क्वेश्चंस होते हैं की इंडियन रेलवे सिस्टम आखिर कितना सीकर है जब एक्सीडेंट हुआ तो हमारा कर सिस्टम उसे टाइम पे क्यों नहीं कम किया और ये साड़ी चीज हुई किसकी गलती से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम क्या है तो ये साड़ी चीज आप डिटेल में डिस्कस करते हैं [संगीत] जिसके करण ये जो घटना हुई देखिए यह है इंडिया का मैप इसके अंदर उड़ीसा उड़ीसा के अंदर है बालेश्वर जिला और बालेश्वर जिला के अंदर एक रेलवे स्टेशन है बहन का बाजार रेलवे स्टेशन अब देखिए होता ये है की 2 जून 202 को 3:20 पर ट्रेन नंबर 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस कोलकाता के शालीमार रेलवे स्टेशन से निकलते है और इस ट्रेन को अगले दिन यानी की 3 जून 2013 को 4:50 पे चेन्नई पहुंचाना था वही दूसरी तरफ ट्रेन नंबर 12864 जिसका नाम है हावड़ा एक्सप्रेस ये बेंगलुरु से एक दिन पहले यानी की 1 जून 2023 को 10:35 पे ऑलरेडी बेंगलुरु से निकाल चुकी होती है और इसको 2 जून 2013 को शाम को वेस्ट बंगाल के हावड़ा जंक्शन पे पहुंचाना था अब देखिए दोनों ट्रेंस की टाइमिंग ऐसी थी की ये दोनों ट्रेंस बाहर आएगा बाजार रेलवे स्टेशन पे मिलती ही नहीं लेकिन हावड़ा एक्सप्रेस के ढाई घंटे लेट हो जान की वजह से इन दोनों ट्रेंस की जो टाइमिंग थी वहां ए गए स्टेशन पहुंचने की वो से हो जाति है ये दोनों ट्रेंस अपने अपने टाइम से निकलते है और दोनों ही ट्रेंस को बाहर ए गए स्टेशन पर रुकना ही नहीं था और जब ट्रेंस को रुकना नहीं होता रजिस्ट्रेशन पर तो अपनी फूल स्पीड में स्टेशन क्रॉस करती है ताकि पैसेंजर चढ़ना की कोशिश ना करें इसलिए दोनों ट्रेंस की स्पीड बहुत ही तेज थी तो 6:50 के करीब कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी पर ओवर की स्पीड से इस स्टेशन के करीब पहुंचती है इस रेलवे स्टेशन पे टोटल कर रेल ट्रैक थे जिम से दो में लाइन थी और दो लूप लाइन थी और कोरोमंडल एक्सप्रेस अप लाइन पर ट्रैवल कर रही थी अभी अप लाइन और डाउनलाइन क्या होता है और ये लूप लाइन क्या होता है देखिए हर एक ट्रेन का एक हैडक्वाटर होता है जो ट्रेंस पे लिखा भी होता है मां लो किसी ट्रेन का हेड क्वार्टर हावड़ा है और वो ट्रेन हावड़ा से न्यू दिल्ली जा रही है तो वो डॉ ट्रेन हो गई और जब वो न्यू दिल्ली से हावड़ा ए रही होगी तो वो अब ट्रेन हो जाएगी जब कोई ट्रेन अपने हेड क्वार्टर से दूर जा रही होती है तो उसे टाइम पे डॉ ट्रेन हो जाति है और जब वापस ए रही होती है तो अब ट्रेन हो जाति है जनरली जिन ट्रेंस का नंबर और होता है वो डॉ ट्रेंस होती हैं और जिन ट्रेंस का नंबर एवं होता है वो आप ट्रेंस होती हैं अब देखिए कभी-कभी ऐसा भी होता है की एक ट्रैक पे दो ट्रेंस एक टाइम पे ए रही होती है तो उसे कैसे के लिए रेलवे ने लूप्लाइंस भी बना राखी है मां लीजिए एक तरफ से ट्रेन ए रही है और दूसरी तरह से ट्रेन 20 से ट्रैक ए रही है तो उनके बीच में एक्सीडेंट ना हो इसलिए ट्रेन ए लूप लाइन पे शिफ्ट हो जाएगी और ट्रेन भी जब निकाल जाएगी तो थोड़ी डर बाद ट्रेन ए में ट्रैक पे वापस ए जाएगी लूप लाइन की जो लेंथ है लगभग 650 मी होती है और इस लूप लाइन में एक फॉलिंग मार्क होता है जी पे आके ट्रेन रुकती है तो बाहर ए गया स्टेशन पे भी ये टोटल कर ट्रैक थे इसमें से ये अप्लाइंग ट्रैक ये डाउनलाइन ट्रैक और इनके बगल में ये जो डॉ लूप लाइन है और अब लूप लाइन है इन पे माल गाड़ी खड़ी थी आप लाइन से कोरोमंडल एक्सप्रेस आई है और ये लूप लाइन की तरफ चली जाति है जहां पे पहले से ही मालगाड़ी खड़ी थी और उससे टकरा जाति है टकराने के बाद 21 डब्बे ट्रैक से छल जाते हैं और उसमें से तीन डब्बे छल के दूसरे ट्रैक पे ए रही हावड़ा एक्सप्रेस के दो बो पर जाके लगता हैं ये जो पांच डब्बे थे इनमें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ न्यू यॉर्क टाइम्स के हिसाब से कोरोमंडल एक्सप्रेस में 1257 पैसेंजर थे और हावड़ा एक्सप्रेस में 1039 पैसेंजर से और इस एक्सीडेंट की वजह से अभी तक 288 लोगों की जान चली गई है और 8 अपनी इंजर्ड है जो इस एक्सीडेंट के सरवाइवर है उनका कहना है की ट्रेन सैकड़ो माइग्रेन लेबर्स स्टूडेंट और डेली वेजेस वर्कर्स से भारी पड़ी थी शाश्वत गुप्ता जो कोरोमंडल एक्सप्रेस में ट्रैवल कर रहे थे उनके हिसाब से कुछ 90° तक हवा में छल गया था करीब 7:00 बजे शाम को एक्सीडेंट होता है उसके कुछ डर बाद ही नेशनल डिजास्टर रिलीफोर्स एनडीआरफ की 19 जिसमें से 300 रेस्क्यू थे वो वहां पहुंच जाते हैं थोड़ी डर में मेडिकल ट्रेंस भी वहां पे पहुंच जाति हैं और सबसे बढ़िया कम वहां के लोकल्स ने किया उसे एरिया में तुरंत पहुंच के लोगों की मदद की 900 लोगों को ₹1200 जिला के अलग-अलग अस्पताल में ले जय गया और काफी ज्यादा लोगों ने ब्लू भी डोनेट किया एक रात के अंदर 500 यूनिट का ब्लू किया गया अब देखिए साड़ी बात इस पे ए गायक्ति है की ये इतना बड़ा एक्सीडेंट हुआ कैसे और कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पे कैसे ए गई देखिए अगर कोरोमंडल एक्सप्रेस में ट्रैक सेट के लूप ब्लाइंड में नहीं जाति तो ये हादसा नहीं होता लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की लोको पायलट यानी की ट्रेन का जो ड्राइवर है उसकी गलती की वजह से दूसरे ट्रैक पे चली गई ट्रेन के ड्राइवर के हाथ में ट्रेन का रूट चेंज करना या जो डायरेक्शन लेना नहीं आप देखते हो ट्रेन के अंदर ये सिर्फ स्पीड कम और ज्यादा करने के लिए होता है एक्शन में ट्रेन की डायरेक्शन स्टेशन के ऑफिस से कंट्रोल की जाति है इस पूरे कैसे में ट्रेन की ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी इनफैक्ट एक्सीडेंट की तीन दिन बाद ये बात रेलवे बोर्ड मेंबर जय वर्मा सी ने भी कंफर्म की उन्होंने ट्रेन के ड्राइवर से बात की वो अभी सेफ है और उसने भी कंफर्म किया की उसको ट्रैक पे आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया था और ये ग्रीन सिग्नल की मैं बात क्यों कर रहा हूं अभी मैं बताऊंगा आपको और उसने कंफर्म किया की उसको उसे ट्रैक पर आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया था और ये चीज स्टेशन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से भी कंफर्म हुई जी दिन ये एक्सीडेंट हुआ उसके दो दिन बाद रेलवे ऑफिशल्स ने इकोनामिक टाइम्स को बताया की सिगनलिंग की वजह से ये हादसा हुआ उसके नेक्स्ट रेलवे बोर्ड मेंबर जय वर्मा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा की ये सिगनलिनिंग की वजह से ये एक्सीडेंट हो सकता है और से देश संदीप माथुर जो की प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑफ सिगनलिंग है उन्होंने भी इंडिकेशन दी है की ये सिगनलिंग एरर हो सकता है और यही नहीं उसके नेक्स्ट डेट दो रेलवे ऑफिसर्स की ऑडियो ली हुई उसमें भी इसी एरर की बात हुई प्रोग्राम से जो मिला था इस के आधार पर अपलोड किया गया था मैंने क्या निकाल के ए रहा है लुक लाइन अगर कुछ मैनिपुलेट करेंगे तो हो सकता है और 7 जून 2023 को हमारे रेलवे मिनिस्टर अजनबी वैष्णव जी ने भी कहा की इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल की वजह से एक्सीडेंट हुआ है अब देखिए सिगनलिंग एरर क्या होता है ट्रेन फंक्शन कैसे करती है इन सबको समझना के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम समझना होगा और उससे भी पहले ये समझना होगा की पूरे स्टेशन के रेल ट्रैक का मैनेजमेंट कैसे होता है देखिए जब ट्रेन रेलवे स्टेशन के पास आई है या किसी क्रॉसिंग पे पहुंचती है तो वहां पे मल्टीपल ट्रेक्स होते हैं और ये इसलिए होते हैं क्योंकि रेलवे स्टेशन पे अलग-अलग ट्रेंस अलग-अलग जगह से ट्रैवल करके ए रही होती हैं कोई ट्रेन पहुंच रही होती है किसी ट्रेन को कुछ डर रुकना होता है स्टेशन पे इसलिए स्टेशन पे मल्टीपल ट्रेक्स होते हैं और एक स्टेशन पे कितने रेल ट्रेक्स होंगे ये डिपेंड करता है की स्टेशन कितना बड़ा और वहां पे कितनी ट्रेंस ए रही है और रेलवे स्टेशन पे कौन सी ट्रेन डायरेक्ट निकाल जाएगी कौन सी ट्रेन उसे स्टेशन की लूप लाइन से जाएगी या लूप लाइन पे रुकेगी या कौन सी ट्रेन स्टेशन की क्रॉसिंग पे वेट करेगी ये साड़ी चीजों को मैनेज करने के लिए एक इंटरलॉकिंग सिस्टम होता है ये जो आप देख रहे हैं जहां से ट्रेन ट्रैक चेंज करती है इसको पॉइंट कहते हैं और इसके बीच में जो ट्रैक हिलता देख रहे हैं इसको पॉइंट मशीन से एडजस्ट करके ट्रेन का ट्रैक चेंज किया जाता है देखिए जब यह जुड़ जा रहा है तो सीधा जा रही है ट्रेन और जब ये है जा रहा है तो ट्रेन ट्रैक चेंज कर दे रही है तो इसको जोड़ने और हटाने के लिए पॉइंट मशीन का उसे होता है पहले इस पॉइंट मशीन की जगह मैन्युअल एक आदमी लिवर को एडजस्ट करके ट्रैक चेंज करता था लेकिन धीरे-धीरे सिक्योरिटी इशू की वजह से कहानी कोई आदमी आके इसमें छेड़छाड़ ना कर दे तो इस लिवर सिस्टम को केबिन में शिफ्ट कर दिया गया इन लवर्स के थ्रू जो आदमी ट्रैक चेंज करता है उसको पॉइंट मां बोलते हैं रेलवे स्टेशन से सारे रूट को एनालाइज करके ये जो पॉइंट मां है इसको इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं और पॉइंट मैंने देखा है की वहां पे रूट खाली है या नहीं है या फिर कोई ट्रेन खड़ी है वहां पे और उसके बाद वो लिवर से ट्रैक चेंज कर देता और हर झंडा या लाल झंडा जो जरूर होती है वो दिखा देता है और ट्रेन जो है वो अपनी डायरेक्शन चेंज कर देती है अभी भी ये इंडिया के कुछ स्टेशंस में उसे होता है करीब 100 ऐसे स्टेशंस हैं इंडिया के अंदर जहां पर ये पुराना मेथड उसे होता है लेकिन बाकी सब जगह पे इसको रिप्लेस कर दिया गया है और उसकी जगह पे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम उसे होता है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम का भी से कम है ये सिस्टम से किस डायरेक्शन में जाएगी इसको मैनेज करता है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में तीन चीज होती हैं जो ट्रेन के रूट पे डिसीजन लेती है पहले होता है ट्रैक सर्किट दूसरा होता है पॉइंट स्विच और तीसरा होता है सिग्नल पहले जैसे पॉइंट मैन्युअल देखा था की ट्रैक खाली है की नहीं उसकी जगह पे आप ए गया ट्रैक सर्किट ये रेलवे ट्रैक के बीच में ग जाता है थोड़ी-थोड़ी दूर पे और इसका कम ये बताना होता है की ट्रैक खाली है की नहीं बेसिकली ये जो ट्रेन के पहिए होते हैं उनके एक्सल जिन के बता देता है की कितने पहिए उसे ट्रैक से पास हुए हैं और इससे ये पता चल जाता है की ट्रैक के ऊपर ट्रेन है या फिर चली गई है अब देखिए इंडियन रेलवे को शुरू हुए 150 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं और इस दौरान रेलवे ने काफी एक्सपेरिमेंट करके बहुत प्रोग्रेस भी की है सिर्फ एक ट्रेन से लेक आज लगभग 22 हजार ट्रेंस रखना तक का इंडियन रेलवे का सफर बहुत ही इंटरेस्टिंग है हिस्ट्री ऑफ इंडियन रेलवे ये ऑडियो बुक को एफएम पर अवेलेबल है जिसको सुनकर आप इंडियन रेलवे की इंटरेस्टिंग हिस्ट्री के बड़े में काफी कुछ जान पाओगे किस तरह रेलवे ने चैलेंज को ओवर कम किया और आज दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क्स में से एक बन गई है आप इस ऑडियो बुक से कर पाओगे इंडिया का वन ऑफ डी बेस्ट ऑडियो लर्निंग प्लेटफॉर्म है जहां आप ऑडियो बुक्स स्पॉट का और स्टोरी सुन सकते हो कुकू एफएम आपको क्राइम थ्रिलर बायोग्राफी एजुकेशनल हर तरह का कंटेंट देता है तो आप भी डाउनलोड करें कुकू एफएम मेरा कूपन कोड nr50 उसे करके इनके फर्स्ट मां सब्सक्रिप्शन पे 50% डिस्काउंट ले सकते हैं यानी की 99 का सब्सक्रिप्शन सिर्फ 49 रुपीस में मिल जाएगा लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब इस इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में दूसरी चीज होती है पॉइंट स्विच जो पहले पॉइंट मैंने लिवर से मैन्युअल ट्रैक चेंज करता था ट्रेन के लिए अब यह इलेक्ट्रॉनिक के लिए खुद एडजस्ट हो जाता है पॉइंट मशीन के थ्रू और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की तीसरी चीज होती है सिग्नल जब ट्रेन दो किलोमीटर दूर होती है तो ये इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रैक सर्किट और प्वाइंट्स विच से सब कंफर्म करके लोकोमोटिव पायलट ट्रेन के ड्राइवर को बता देता है की लूप लाइन जब आएगी तो ट्रैक चेंज करना है या फिर नहीं करना है या फिर सीधे ट्रैक पे चले जाना अच्छा आपने ट्रेन के आसपास या फिर रेलवे ट्रैक के आसपास सिग्नल जरूर देखें होंगे लेकिन जब रेलवे स्टेशन स्टार्ट होने वाला होता है तो उसके पास जो सिग्नल होता है वो बाकी सिग्नल से अलग होता है उसको होम सिग्नल बोला जाता है इस होम सिग्नल को स्टेशन मास्टर कंट्रोल करता है जबकि बाकी सिग्नल जो आप देखते हो ट्रेक्स के आसपास वो ऑटोमेटिक होते हैं वो ऑटोमेटेकली कंट्रोल होते हैं अगर स्टेशन मास्टर होम सिग्नल को रेड कर रहा है इसका मतलब ये हुआ की ट्रेन वहीं रुकी रहेगी और अगर ग्रीन कर रहा है तो ट्रेन फूल स्पीड से रेलवे स्टेशन पर बिना रुक निकाल जाएगी और अगर येलो कर रहा है तो स्पीड स्लो करके लूप लाइन पे जाएगी और ये जो व्हाइट लाइट्स आप देख रहे हैं ये डायरेक्शन बताती है ट्रेन किस रूट से जाएगी ये इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रैक सर्किट पॉइंट स्विच और सिग्नल का उसे करके डिसाइड करता है जो की ऑटोमेटिक है और ये फेल प्रूफ है मतलब की इसमें अगर कोई फॉल्ट हो गया तो रेड लाइट जल जाति है और ट्रेन वहीं रुक जाति है जैसा की मैंने बताया की इस पूरे प्रोसेस में ट्रेन के ड्राइवर का कोई रोल नहीं होता है ये जो इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिगनलिंग सिस्टम होता है ये रीमोटली कंट्रोल होता है जिसको रेलवे स्टेशन के क्षेत्र ऑफिस से सिग्नल मां क्षेत्र कंट्रोल ऑफिसर और क्षेत्र कंट्रोल हेड्स कंट्रोल करते हैं और क्षेत्र कंट्रोल हेड्स मैनेज करते हैं एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड होता है उससे वो ट्रेन रूट सेट कर देते हैं और ऑटोमेटेकली सर कम अपने आप हो जाता है ट्रेन का जो रूट वगैरा है वो सब अपने आप सेट हो जाता है अब आते हैं उसे दिन पर जी दिन एक्सीडेंट हुआ था 2 जून 2013 को 6:55 के करीब कोरोमंडल एक्सप्रेस पहुंचती है महानगर बाजार रेलवे स्टेशन के पास अब जैसा मैंने पहले बताया था की ट्रेन जब यहां पे ट्रैक चेंज होने वाले पॉइंट पे पहुंचती है जिसको पॉइंट बोला जाता है तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे होम सिग्नल जो था वहां की लाइट जो है वो ग्रीन जल रही थी अब ग्रीन लाइट जल रही है तो इसका मतलब हुआ की ट्रेन बिना रुक डायरेक्ट में लाइन से रेलवे स्टेशन को क्रॉस करेगी लेकिन होता इसका उल्टा है जैसे ही कोरोमंडल एक्सप्रेस पॉइंट यानी के जहां से दो रूट होते हैं ट्रेन के लिए वहां पहुंचती है तो सीधे में लाइन से जान की बजे से स्पीड में लूप लाइन में पहुंच जाति है और एक्सीडेंट हो जाता है और यही इस पूरे एक्सीडेंट की जड़ बन जाति है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम जो वहां पे लगा था उसके कंप्यूटर लॉजिक के हिसाब से अगर इस सिस्टम ने सब चेक करके ये डिसाइड किया की में लाइंस से जाना है तभी वो ग्रीन लाइट दिखाएगा अब यहां पे ग्रीन लाइट तो दिखाई जाति है लेकिन ट्रेन लूप लाइन में मड जाति है अब ऐसा तभी हो सकता है जब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में फॉल्ट हो और अगर फॉल्ट होगा तो रेड लाइट आनी थी तो ग्रीन लाइट कैसे ए गई इसीलिए इसमें ये कहा जा रहा है की बिना किसी एक्सटर्नल छेड़छाड़ के ये पॉसिबल नहीं हो सकता क्योंकि ये सिस्टम जो ओवर वर्ल्ड में लगाया और 99.9% फूल प्रूफ है अब आप इसमें ये भी का सकते हैं की ग्रीन लाइट ही जाली थी इसकी क्या गारंटी है देखिए रेलवे ऑफिसर्स ने भी इंडिकेट किया है की कंप्यूटर लोग में ग्रीन लाइट की हिस्ट्री मिली है और जो ड्राइवर ठाकुर मंडल एक्सप्रेस का उसने भी कहा है की ग्रीन लाइट जाली थी और जो ऑडियो लिंक हुई है रेलवे ऑफिसर्स की उसको भी अगर आप सनोज तो उसमें भी वो का रहा है पॉइंट वैसे सेट पर लूप लाइन बट सिग्नल बाज थ्रू पर में लाइन और उधर से दूसरा बांदा यही का रहा है की ऐसा कैसे पॉसिबल हो सकता है इस ऑडियो में एक चीज और की जाति है की अगर कोई मैनिपुलेट कर दे तभी ये चीज हो शक्ति है और इस पूरे एक्सीडेंट की कड़ी इसी सिग्नल पे फैंसी है ये किसी ने जानबूझकर किया है या खुद से हुआ है जैसे एयरप्लेंस में ब्लैक बॉक्स होता है इस तरीके से ट्रेन में भी डाटा लोग अगर होता है जो साड़ी एक्टिविटीज सिगनलिंग रिकॉर्ड सब रखना है उसकी डीटेल्स भी आने वाली है तब शायद पता चलेगा गलती करने वाला है कौन 6 जून 2023 यह कैसे सीबीआई को दे दिया गया है और करंट स्टेटस ये है की इस पूरे कैसे की इंक्वारी अब सीबीआई करेगी लेकिन इसको लेक भी कंट्रोवर्सी होगी की सीबीआई को ये कैसे कैसे दे दिया गया जनरली जब ऐसे कैसे होते हैं तो रेलवे की सीआरएस खुद इंक्वारी करती है सीबीआई तब आई है जब इसमें कोई क्रिमिनल कंस्पायरेसी हो तो जो लोग सीबीआई की इंक्वारी के खिलाफ है उनका कहना है की इस कैसे में सीबीआई ने जो फी और फाइल की है उसमें मल्टीपल सेक्शंस लगाएं गए हैं लेकिन क्रिमिनल कंस्पायरेसी का जिक्र तक नहीं किया गया फिर के हिसाब से इन्वेस्टिगेशन जो है वो दो डायरेक्शन में चलेगी एक ह्यूमन एरर है ये देखेगी और दूसरी चीज टेक्निकल फेलियर है की नहीं और यही चीज में कहीं जा रही है की जब यही चीज चेक करनी है तो सीबीआई को एक कैसे जबरदस्ती क्यों दिया जा रहा है सीबीआई ने जो फिर फाइल की है उसकी कॉपी मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा दी है एक बार आप जरूर देख लेना लेकिन ये जो उड़ीसा के अंदर एक्सीडेंट हुआ है इसकी वार्निंग काफी टाइम पहले ही दे दी गई थी एक फरवरी 2023 को मैसूर डिवीजन के होस दुर्गेश स्टेशन पे एग्जैक्ट से एक्सीडेंट होने वाला था जिसमें ट्रेन नंबर 12649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ऐसे ही ट्रैक चेंज करके मालगाड़ी से टकराने वाली थी लेकिन ट्रेन के ड्राइवर ने अपनी अलर्टनेस से इस एक्सीडेंट को रॉक दिया था और इस एक्सीडेंट के अगले दिन 9 फरवरी 2023 को साउथ वेस्टर्न जॉन के प्रिंसिपल के ऑपरेटिंग मैनेजर ने इसको लेक एक लेटर लिखा था और वार्निंग दी थी की यह बहुत ही सीरियस इशू है और अगर सिग्नल मेंटेनेंस सिस्टम को मॉनिटर करके ठीक नहीं किया गया तो ऐसा आगे फिर से होगा और उड़ीसा इंसिडेंट होने से कुछ घंटा पहले एक मीटिंग भी चल रही थी उसे मीटिंग का नाम था चिंतन शिविर जिसमें रेलवे मिनिस्टर भी थे उसे मीटिंग में जो ऑफिशल्स आए हुए थे उन्होंने डी प्रिंट को बताया की उसे मीटिंग के अंदर सेफ्टी के इशू को लेकर भी बात करना छह रहे थे लेकिन उसको अलाउ नहीं किया गया बल्कि उसकी जगह वंदे भारत जो ट्रेन है उसके बड़े में प्रेजेंटेशन स्टार्ट कर दी गई और ये जो उड़ीसा के अंदर ट्रेन एक्सीडेंट हुआ है इसकी इनडायरेक्ट वार्निंग सीएजी ने भी दी थी सीएजी बेसिकली गवर्नमेंट ऑफ इंडिया और स्टेट गवर्नमेंट के मामले को ऑडिट करती है गवर्नमेंट के कम में जो लूप होल्स होते हैं उनको पकड़ के एक रिपोर्ट बनती है और वो रिपोर्ट पार्लियामेंट में जाति है और प्रेसिडेंट के पास जाति है इस रिपोर्ट को मैंने पढ़ा है और उसके हिसाब से वहां अगर बाजार रेलवे स्टेशन के एरिया में एक्सीडेंट किसी भी वजह से हुआ हो लेकिन इस एरिया में सेफ्टी मेजर जो है वो 2016 से ही खराब थे इसलिए बोर्ड में कहा गया है की रेलवे ट्रैक पर जो अल्ट्रासोनिक फ्लैट डिक्टेशन यह जो उसे होते हैं जिससे रेलवे ट्रैक की सेफ्टी वगैरा चेक की जाति है वो एक बार भी उड़ीसा वाले एरिया में उसे नहीं किया गए ये सीएजी रिपोर्ट में पेज नंबर 24 की लास्ट लाइन देखिए इसमें लिखा है इकर डी शॉर्ट फॉर्म वास अप तू 100% शार्टफाल 100% का मतलब ये हुआ की एक बार भी अल्ट्रासोनिक फ्लैट डिक्टेशन को उसे नहीं किया गया उड़ीसा के रीजन में इसी ओवर मतलब ईस्ट कास्ट रेलवे महानगर बाजार रेलवे स्टेशन जहां एक्सीडेंट हुआ वो इसी जॉन में आता है तो आगे रिपोर्ट में भी जहां भी इसुआर लिखा देखिए आप समझ जाएगा की इस जगह की बात हो रही है इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया की ट्रैक रिकॉर्डिंग कर जिनका कम होता है टैक्स की सेफ्टी को देखना की कहानी कुछ प्रॉब्लम तो नहीं है उनको भी 2017 से 2021 के बीच में एक बार भी उसे नहीं किया गया ये टेबल देखिए इसमें लास्ट एयर वाले कलम में तो नंबर ऑफ इंस्पेक्शन एक बार भी नहीं हुआ है मतलब की ये ट्रैक रिकॉर्डिंग कर्ज उसे एरिया में चली ही नहीं है ऐसी डेंटल इंक्वारी जो होती है हर ट्रेन एक्सीडेंट के बाद उसमें भी 63% डिले हुआ है और हर साल जो रेलवे सेफ्टी के लिए फंड दिया जाता है वो भी नहीं किया गया अगर 2017 से 2021 की बात करें तो 78.8% फंड उसे ही नहीं हुआ जो अलाउड किया गया था रेलवे की सेफ्टी के लिए वो ऐसा ही पढ़ा र गया इसके साथ-साथ एम्पलाइज की भी शॉर्टेज है रेलवे में मार्च 2023 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक आरटीआई फाइल की थी जिससे ये पता चला की 39 रेलवे जॉन में से ज्यादातर रेलवे जॉन और प्रोडक्शन यूनिट के पास रिक्वायर्ड एम्पलाइज ही नहीं है रेलवे में 14.75 लाख ग्रुप सी पोस्ट में से 3.1 ला से ज्यादा पोस्ट खाली है जिसकी वजह से ऑपरेशन में दिक्कत होती है और रेलवे एम्पलाइज पे बर्डन पड़ता है उड़ीसा एक्सीडेंट होने से दो दिन पहले यानी की 31 मैं 2023 को डी हिंदू ने भी एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें से चीज कहीं गई थी एम्पलाइज की शॉर्टेज की वजह से एक्सीडेंट हो रहे हैं और आगे भी हो जाएंगे लोको पायलट यानी ट्रेन के ड्राइवर को नो नो घंटे बिना टॉयलेट का उसे करें उनको ट्रेन चलानी पड़ती है और कई ड्राइवर नहीं तो एडल्ट ड्राइवर भी उसे करना शुरू किया है इसमें कवच को लेकर भी बहुत बात हो रही है उसको भी डिस्कस कर लेते हैं देखिए कवच एक ऐसा सिस्टम है जिसके लिए हर इंडियन बहुत ही प्राउड है क्योंकि ये हमारा खुद का बना हुआ रोमांटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है और इसको आगे चलकर हम लोग एक्सपोर्ट भी करेंगे बाकी देश को 2022 में इसको लॉन्च किया गया था और अभी जनवरी 2023 तक 1455 किमी तक का जो ट्रैक है उसको हमने कवच से प्रोटेस्ट कर दिया है लेकिन अभी भी बहुत कम बाकी है एक्चुअली कवच दो ट्रेंस को आपस में टकराने से बचता है और अगर कोई ड्राइवर टेक्निकल या वेदर रिलेटेड कोई इशू होता है तो एक्सीडेंट नहीं होने देता है ट्रेन को वहीं रॉक देता है ब्रेक लगा के अगर दो ट्रेंस आमने-सामने से ट्रैक पे गलती से ए जैन और दोनों ट्रेंस में कवच लगा है तो ऑटोमेटेकली ब्रेक ग जाएगा थोड़ी डर पहले लेकिन महानगर स्टेशन जो था उसमें कवच सिस्टम नहीं लगा था और रेलवे बोर्ड मेंबर जय वर्मा सी का कहना है की जी तरह से उड़ीसा एक्सीडेंट हुआ है अगर कवच लगा भी होता तो एक्सीडेंट रॉक नहीं पता क्योंकि कर सिस्टम को भी कम करने के लिए कुछ डिस्टेंस चाहिए होता है और उड़ीसा एक्सीडेंट में ट्रेन जब लूप लाइन पे चलेगी तो बहुत ही स्पीड में थी और डिस्टेंस बहुत ही कम था मालगाड़ी और ट्रेन में एक ट्रेन को रुकने में टाइम लगता है और कर जब तक ब्रेक लगा था एक्सीडेंट हो जाता ये जो एक्सीडेंट हुआ वो उड़ीसा के अंदर इस एक्सीडेंट के बाद इंडिया के रेलवे मिनिस्टर अश्वनी वैष्णव के रेजिग्नेशन की भी डिमांड हो रही है तो इसको के लिए हमें पहले यह देखना होगा की इससे पहले जब ट्रेन के एक्सीडेंट्स हुए हैं तो उसे कैसे में क्या हुआ था देखिए खाली इंडिया ही नहीं पूरे दुनिया में ट्रेडीशन रहा है की कोई भी ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर हो उसकी गलती हो या ना हो उसको पूरे सिस्टम के लिए जिम्मेदार माना जाता है अभी इसी साल मार्च में ग्रीस में जब ट्रेन एक्सीडेंट हुआ था तो उसमें 36 लोगों की डेथ हो गई थी तो वहां के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कॉस्ट ऑफ ने भी रिजाइन कर दिया था अगर इंडिया की बात करें तो 1956 में लाल बहादुर शास्त्री जी रेलवे मिनिस्टर थे तो दो बार एक्सीडेंट हुए थे एक बार 112 लोगों की डेथ हो गई थी और दूसरी बार 144 लोगों की डेथ हो गई थी तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी लेते हुए रेजिग्नेशन दे दिया था एक बार नेहरू जी ने एक्सेप्ट नहीं किया था और एक बार एक्सेप्ट कर लिया था 1999 में जब गैस ट्रेन एक्सीडेंट हुआ था जिसमें 290 लोगों की डेथ हुई थी नीतीश कुमार जी ने रेजिग्नेशन कर दिया था अटल बिहार वाजपेई जी ने उसको एक्सेप्ट नहीं किया था लेकिन उसके बाद भी उन्होंने कहा था की मेरी गलती है इसलिए मैं रिजाइन कर रहा हूं 2000 में भी एक एक्सीडेंट हुआ था जिसमें 43 लोगों की डेथ हो गई थी तब ममता बनर्जी उसे टाइम की रेलवे मिनिस्टर थी उन्होंने भी डिजाइन कर दिया था लेकिन अटल बिहार वाजपेई ने उसे रेजिग्नेशन को एक्सेप्ट नहीं किया था 2016 में जब पटना इंदौर एक्सप्रेस के मटेरियल मेट यानी की पटरी से उतार गई थी उसमें 150 लोगों की डेथ हो गई थी तब सुरेश प्रभु जी ने रिजाइन कर दिया था लेकिन मोदी जी ने एक्सेप्ट नहीं किया था तो अभी करंट कैसे में भी यही ग रहा है की शायद रेजिग्नेशन आएगा लेकिन जैसे पहले एक्सेप्ट नहीं होते थे वैसे ही एक्सेप्ट नहीं होगा और कुछ लोगों का ये भी मानना है की अभी बहुत बड़ा रेल एक्सीडेंट हुआ है इस टाइम पे रेलवे को रेलवे मिनिस्टर की सबसे ज्यादा जरूर है रेसोननेशन वगैरा की जो बातें हैं वो तो बाद में डिस्कस हो शक्ति हैं लेकिन दूसरा तब का कहता है की अजनबी वैष्णव जी ओवर वर्णन हो चुके हैं इनके पास मल्टीपल मिनिस्टरीज हैं जैसे रेलवे टेलीकॉम और इन्फोटेक इसके वो फॉक्स नहीं कर का रहे हैं इसलिए उनको एक डिपार्मेंट छोड़ देना चाहिए लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन की कुकू एफएम की ऑडियो बुक हिस्ट्री ऑफ इंडियन रेलवे इसका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया एक बार जरूर सुनिएगा थैंक यू [संगीत] Iw-MIsBJZnk,"Reality of Aryan Khan Case | Sameer Wankhede’s role, the full story | Nitish Rajput | Hindi",2023-06-07T14:30:08Z,PT24M17S,7438173,187135,8514,https://www.youtube.com/watch?v=Iw-MIsBJZnk," Now after this, on 3rd October Sharukh Khan messages Sameer Wankhede but NCB does an entirely different thing here. NCB doesn't test neither Aryan Kahan nor anyone else in which Arya was asking Ananya Pandey about Cannabis & Cocaine. when he's asked under pressure, firstly Aryan Khan cries continuously they finalize it in 18 crore. Because they give 8 crore to Sameer Wankhede as well. After some time, a blue colored Mercedes arrives there itself in which Pooja Dadlani arrives. It is entirely fake. And its the conspiracy of BJP. Mika Singh, who's a very famous singer, was caught with foreign currency Officers of NCB think of Aryan as a golden egg were waiting to take 25 crore. There's a place in Mumbai called - Mumbai International Cruise Terminal from where the national & international cruises function. So what happens is, between 15th - 20th September, 2021 -NCB that is The officer of Narcotics Control Bureau, Ashish Ranjan get a tick off from his informer that drugs will be used in this terminal on 2nd October, 2021 and when it was investigated then on the same date at same place Fashion TV was organizing an international event called CRAY'ARK on Cordella cruise in which Miami's DJ would be coming, Pool party was organized different events were to be organized. All these events were to be organized in which on 2nd October, this cruise had to travel from Mumbai to Goa and back to Mumbai on 4th October. So, like all over India CISF is responsible for the security of Airport similarly, CISF is responsible for the security of Mumbai international Cruise Terminal. So, when NCB gets this information, they inform CISF and makes a plan in which the team is led by Sameer Wankhede. Before I tell you about further details, let me tell you a little about Sameer Wankhede. ARYAN KHAN ARYAN KHAN is in Jail for several days now. The chat of Sameer Wankhede and Sharukh Khan's comes to light. Mumbai high court has prohibited Sameer Wankhede for talking with Media. According to me, whatever was going on where it should be... and it'll surely happen. Justice will be served. When Sushant Singh Rajput's Case took place, he came into limelight. Then he was removed from Mumbai Airport security and put into NCB. And from then he was very famous. And it was done because the entire racket of drug dealers he has lot of knowledge about it. Before the case of Sushant Singh Rajput case, when Sameer Wankhede was working in the custom department of Mumbai Airport even then Sameer Wankhede had a huge name. The hero-heroines that arrived at the airport started paying the custom money because of him. As its believed that, before this custom money wasn't charged on even large successful hero-heroines. Apart from this, there're lot of reasons due to which he was famous like when the World Cup Trophy of 2011 was arriving at India and all the officers at Airport were busy taking selfies then he took custom on that as well. In 2011, Sharukh Khan, whom nobody even dared to stop at the Airport he even took a custom fee of Rs 1.5 lakh Mika Singh, who's a very famous Singer, was caught with foreign currency. Ram Gopal Verma, Anurag Kashyap, Vivek Oberoi, Mukesh Bhatt he caught everyone and made them pay the custom fee. As soon as he came to NCB, in 2020, 46 cases were registered and all of it included huge names. And he also arrested 42 drug peddlers. If we talk about the past, then in 2016 there were 23 cases, 30 cases in 2017 & 25 cases in 2018 and 35 cases in 2019 alone. On one hand, they say is a very brave officer, whereas on the other hand they say that he has fantasy to be in limelight. That's why he troubles actors. His mother was Muslim & father was Hindu. He married the actress, Kranti Redkar Wnakhede who has even worked in the film of Ajay Devgan. So, his bravery stories have been the talk of town for quite a long time, he's been very famous as well but in today's date, the case is such that he might have to go to jail himself. So, how did this instance arrive and is he truly the culprit and what's the actual story I'll tell you everything in detail. And I won't say anything from my side, every single word that I'll say will be from the Chargesheet of CBI, FIR, Aryan Khan's original Arrest memo and court's affidavit. All their links are given in the description as well. Do verify it once. So coming back to the story, when NCB gets the information that on 2nd October 2021 all of this is going to happen then Sameer Wankhede co-ordinate along with his senior officers & CISF makes the plan to stop it on 2nd October 2021. So, when they were making the plan, there were many difficulties in front of them they wanted to catch the people who were coming to deal drugs on cruise red-handed but the information was that when the cruise will go little further then the party will be start & only then the drugs would start. catching people red-handed, while encircling them in an open sea wasn't easy for them and if they would have carried out the operation by encircling in an open sea it might be that they would've thrown drugs in the sea. So, they dropped this plan. They decided that 6 of their officers in a group of 2 will buy the tickets of this cruise the security of CISF will already be there in the cruise so it was decided that in the middle of the sea when the party would've started then they will catch the people red-handed. The tickets of the event that was held on the cruise ranged between 60k - 5 lakh and the entire ship had the capacity of taking 1800 passengers even after that it was difficult to get the tickets but even then before 1st October, 6 officers of NCB buy the tickets somehow. Now the date - 2nd October 2021 arrives It was the day of Gandhi Jayanti Around 11 o' clock Aryan khan's friend, Arbaaz Merchant arrives at his mansion. They are friends since 15 years. After some time, they head towards Mumbai International Cruise Terminal in a Mercedes. Sharukh Khan's driver, named someone as Mishra, was driving the car. And around 1 o' clock they reach at the terminal. Rest 6 of Aryan's friends reach this terminal from their home. Just Sameer Wankhede's team, in civil clothes spread in the terminal slowly people were coming to join the party of the cruise. And whoever were coming to this party on the cruise, were checked by CISF only then they were permitted entry on the cruise. the officers of NCB had been keeping an eye on this entire process. So, all these things were going on. Around 1.30 Aryan and his friend Arbaaz Merchant reach at the cruise and they were entered in a VVIP queue instead of a normal queue. But they were also checked BY CISF. Arbaaz Merchant, who were Aryan's friend was being checked onto his shoes' side then NCB officers notice that Aryan Khan is very terrified. NCB team gets suspicious & after this, NCB's team takes them to a different room. There they are thoroughly checked again & drugs are found from Arbaaz Merchant. But nothing is perceived from Aryan Khan. They're put under pressure due to which they take the name of their other 6 friends who were - ( highlighted) After this, NCB's team searches the rest of the cruise & arrests a total of 14 people. Among those 14, 6 of them are released the same night but the rest 8 are kept in custody. According to NCB's arrest memo, these 8 people contained 13 gram cocaine, 5 gram of MD, 21 grams of Charas, 22 pills of MDMA and 1 lakh 33k were also found along. And due to these operations the cruise gets delayed. Now, in this entire case NCB doesn't wanted to release Aryan Khan at any cost. Aryan Khan wasn't even caught with drugs. And neither did he consume, because the part was going to start later on. So, now the rule from here says that when he wasn't caught with drugs and neither was he buying nor selling the drugs. Then simply a test would be taken & if the report showed that he took the drugs then he would be arrested otherwise he would've been released right away. But NCB does a totally different thing here. NCB didn't take anyone's test not even Aryan Khan's because they knew that if they'll conduct the test, then they'll have to release Aryan Khan. Because the party was going to start later on. That's why they don't conduct the test. But instead, what NCB does is they take Aryan Khan's mobile, he doesn't tells the password in the beginning and makes him unlock through face ID in which they find the drug related chats. And among those chats, Ananya Pandey's chats surface related to drugs with Aryan Khan in which, Aryan Khan asks Ananya Pandey Cannabis & Cocaine. These are the original chats that I've shown. Its not clear in the official document that's why I've written it separately you can read by pausing it. After this, Aryan Khan is put under pressure and asked, then firstly he continuously cries and he accepts that he's using drugs since 4 years & he consumed drugs even in UK & Dubai With the help of Aryan Khan' statement, NCB arrested total of another 20 people. Some among them were drug dealers as well. Even they confirmed his statement. But after this, on 3rd October Sharukh Khan messages Sameer Wankhede these are those chats in which Sharukh Khan asks him to release his son. Although, the Sharukh Khan's friend told that this is a fake chat but Sameer Wankhede has taken the copy of this entire chat on petition page 90 & 91 exhibit B On record, BBI told that Sameer Wankhede has knowingly released these chats in media. Now, this case is in so much limelight because it has the name of Bollywood's biggest star -- Sharukh Khan's son. Bollywood artists are surrounded by mostly many controversies But there was a heroine who wasn't just famous due to her acting career but also made herself known among people due to her political career. Her life story is very interesting. How she started with the film & handled the journey of being a chief minister is commendable. How did Amma became Jayalalitha from a filmy star the crown of Politics - *Sitare se Siyasat tak ki Sartaj* This audiobook is available on Kuku FM in which her entire life history is narrated. You can listen to this audiobook on Kuku FM anytime according to your convenience. Kuku FM is India's one of the best Audio Show platform 15 lac+ active Hindi Paid subscribers here, from entertainment to crime - thriller- educational- every domain has the audio content available. Kuku FM has recently launched an original category that you can listen anywhere A/C to your convenience. If you haven't availed previous discount then, use my coupon code NR 50 for getting 50% off on their first month premium subscription Rs 99 subscription into 49 only I'm sharing the code & link in the description. So coming back to the topic When NCB arrested these 8 people they made a Panchnama which consisted 3 such people due to whom, the entire case turned & turned up to Sameer Wankhede which I'll explain everything to you. But before that, let me tell you what a Panchnama is because the lock of this entire case is related to this Panchnama. Whenever an officer raids or arrests someone, then the local people around at that time that is Civilians - they make them independent witness so that its declared that everything was done in fairness. They take their sign as well. And this is called Panchnama. So, in this operation as well, when Panchnama was conducted it consisted of these 9 people among which the starting of the 3 names - Prabhakar Sail, Kiran Gosavi & Manish Bhanushali due to these 3 people, fingers were raised upon the officers of NCB. How was it raised? I'll explain it to you right now. If you remember, this incident took place on 2nd October 2021 and until 3rd October NCB didn't tell about Aryan Khan even in Media it was stated that Bollywood's star son detained but nobody told the name. This was done because on 2nd & 3rd October, NCB Officers thought Aryan Khan to be a golden egg and were waiting to take 25 crores. And I'm not saying this, it has been written in the FIR Of CBI and the 3 names that I told above in Panchnama among them - Prabhakar Sail put affidavit in Court in which the same thing was written. And this affidavit that was put up isn't something common this affidavit is a very important document because if any wrong information comes up then case if filed against the person who puts up the affidavit but Prabhakar dies in the future, nothing much happens but after this affidavit is submitted in the court, the investigation is done for more than a year after that CBI registers FIR against Sameer Wankhede that he demanded a total of 25 crores in this entire operation and that too from Sharukh Khan - which I'll explain further but first of all let me tell you that when Aryan Khan was arrested then what happened on 2nd & 3rd October and how was the entire money game set word by word as its in the CBI's FIR & Prabhakar's affidavit I'll tell you exactly. What happens is that.... The 3 names that I told you in Panchnama Prabhakar Sail among them was the bodyguard of Kiran Gosavi by rule, these 3 people shouldn't have nay relation to the NCB officers because they were only the independent witness of Panchnama. But on 1st October 2021, the day NCB was planning for the entire raid on the cruise Kiran Gosavi called his bodyguard Prabhakar Sail that tomorrow i.e. 2nd October 2021, be ready around 7.30 in the morning after saying this Kiran transfers Rs 500 Gpay to Prabhakar and sends a location on Whatsapp where Prabhakar Sail has to reach Now, next day in 2nd of October, the day raid was to be conducted, Prabhakar reaches the map location in the morning this location turns out to be the location of the NCB office but Prabhakar doesn't think too much & following the location arrives straight at the NCB office at around 8 o' clock. When Prabhakar arrives at the NCB office, there he meets Vijay Suryavanshi, the driver of Kiran Gosavi who tells him to stop there itself. He tells that Kiran sir is in the meeting with the NCB officers after hearing this, Prabhakar waits there itself near the Innova car. And after some time, Kiran Gosavi comes out with the NCB officers. And leaves in White Innova for the Mumbai International Cruise Terminal - the place where the raid was to be conducted- the place where Aryan Khan was going to come. Later in the day, around 12 P.M. Kiran Gosavi calls his bodyguard Prabhakar Sail and calls him to the place - Mumbai International Cruise Terminal where raid was to be conducted. Prabhakar Sail - the bodyguard of Kiran Gosavi, arrives there after which Kiran Gosavi sends some photographs on Whatsapp to His bodyguard - Prabhakar which belonged to all the high profile kids, that were going to come on that cruise party. And Kiran also explains Prabhakar that if anyone of them is seen on this terminal then he should be informed. Prabhakar identifies one photo among them & told Kiran that this particular boy has arrived at the cruise and NCB officers starts keeping an eye on them. Now, after some time - when total of 14 people are arrested including Aryan Khan then Prabhakar Sail sees that, whose photograph he had identified and sent to Kiran NCB arrests him as well. Around 10.30 P.M at night, investigation takes place including NCB and Aryan along with his friends that Prabhakar also watches & after that they take everyone and arrive at NCB office. After some time, around 12.30 P.M. at night Kiran Gosavi tells his bodyguard Prabhakar Sail that he should become the witness of the Panchnama. In the beginning, he hesitates but then he agrees and as soon as he agrees, Sameer Wankhede straightly arrives and gives him 10 blank papers and tells him to sign and also attach the copy of your Adhaar card. And Prabhakar does exactly what he is told to and becomes the witness in Panchnama. Now, these things are going on at night. At that time Kiran Gosavi was busy taking selfie with Aryan that was very famous at that time. You might've seen as well. After some time, a person named Sam D' Souza comes out of the NCB office & its said that he was the person who was the dealer between NCB and Sharukh Khan but On paper this couldn't be proved. Its said that, he told Sharukh Khan's manager - Pooja Dadlani - for the first time that drugs were found from Aryan Khan and at this time he's at NCB. So, the person named SAM when he comes at the NCB office so, Kiran Gosavi meets him separately at a distance of 500 m from NCB office and talks to him for some time. And then Kiran Gosavi along with Prabhakar Sail & Driver leaves for Lower Parel bridge which is near Big Bazaar in a white Innova. And Sam D'Souza follows their car as well. Their car stops near Lower Parel bridge & Sam also stops at the same location and as soon as the car stops, Kiran Gosavi starts talking with Sam D'SOUZA on phone and at that time tells SAM that you've put a bomb of 25 crores let's settle at 18 crore final because we've to give 8 crores to Sameer Wankhede. And this statement becomes the hell for Sameer Wankhede because everything was talked in front of Prabhakar Sail and he tells everything at court word by word in affidavit. After a few minutes, a blue color mercedes arrives there in which Pooja Dadlani comes. You might've seen her with Sharukh Khan at events and she's his manager as well, so as soon as she arrives. Kiran and Sam D'SOUZA sits in Pooja Dadlani's car & talk for a very long time. And this meeting, isn't that someone has told in void. Blue Mercedes was proper recorded in Mannat's CCTV where meeting was conducted. And officials have verified as well. The talk that took place in Mercedes was recorded as well and is in hands of the agencies. So, when the meeting ends, Kiran & Sam D' SOUZA are given an address where they're promised to be given 50 lacs in cash and its said that this was the 1st installment of 50 lacs to release Aryan Khan. Now, after this - Kiran Gosavi tells Prabhakar Sail - his bodyguard to bring the 50 lacs he'll get in cash at Indiana Hotel. Prabhakar does the same. Goes there and a white colored car with number 5102 comes and gives 2 bags to Prabhakar. And Prabhakar takes those 2 bags and gives to Kiran Gosavi and he takes 12 lacs from that bags and gives it to Prabhakar and tells him to give it to Sam D'SOUZA. Now, its said that after this the deal gets cancelled due to some reason some say that Sharukh Khan did this to trap them. And some say that the deal was cancelled as the news that Aryan Khan was caught by NCB was leaked. But nobody knows what actually happened. Now, all of these incidents are taking place. After 2 days, NCP leader in Maharashtra Nawab Malik said that, the entire raid is fake and its BJP's conspiracy. In which they said that when the raid was taking place, there were 2 other people along with NCB. One, Kiran Gosavi and second, Manish Bhanushali. He said that, they weren't NCB officers, they didn't have any relation. But what were they doing in the NCB office? If even if they're assumed as witness, then why were they roaming around like NCB officers he even claimed that Manish Bhanushali is of the BJP party even though, BJP has shown back to this case. Nawab Malik doesn't stop here. He says that, Sameer Wankhede along with her sister Yasmeen Wankhede, who's a lawyer as well, through the help of drug peddlers take money from people. And these screenshots are shared from Sameer Wankhede's sister which consists of the chats between his sister and drug peddlers Salmon although Sameer Wankhede has told this chat to be fake. And Nawab Malik doesn't even stop here. He said that Sameer Wankhede used the fake caste certificate for SC quota to become an IRS officer. And this document was released. In the answer, Sameer Wankhede showed Kotwali register copy and his caste certificate and he even got the clean cheat from court as well. In between these things, a man named - Neeraj Yadav, who's a Bhopal resident tells India Today TV that he only tipped Kran Gosavi and Manish Bhanushali that drugs are going to be used on Cordelia cruise. Neeraj's friend was going on that cruise and from there he got the information that drugs are going to be used here. Now, the statement that I told you was entirely different. With this statement Kiran Gosavi and Manish Bhanushali were again held back that these were just the independent witness. But why is their name everywhere? And this was the time when there were rumors regarding Kiran and Manish in the media & Kiran disappeared as well. So, his bodyguard - Prabhakar Sail got scared & told that - my life is in danger, I can be even killed. That is why all the things that happened, he wrote everything in affidavit on court and I'm telling you the story from there. But, later he dies due to heart attack. So this thing ends there. Now, this case was argued from around 3rd October to 28th October. Aryan Khan's counsel tells that Aryan Khan neither sold the drugs, nor took the drugs. So, why are they arrested? There NCB counsel states that they got their chat due to which this was established that they took drugs. Its being argued for lot of days but on 28th October Mumbai High court gives the bail. On 29th October, formalities are completed. Juhi Chawla becomes the guarantor of Aryan Khan. And on 30th October, Aryan Khan comes out of Jail. Now, if you look at it like a national level incident then in a ship of 1800 people, the drug that was found was very less. If for instance, Aryan Khan wouldn't have been Sharukh Khan's Son then he would've got bail really quickly. But Aryan Khan was trapped knowingly until 30th October and why am I saying this I'll tell you now. But the way this case moved forward, NCB was questioned that on one hand 13 gram drugs that is 2- 2 and half spoons and 21 gram Cannabis that is 4-5 spoons. This is being taken as aa huge concern which is a good thing and it should be caught. But first thing, all the stars they've caught - they weren't able to have them punished. They bring them for some days, it becomes a news in media and then they're released. Secondly, at the same time, 3000 kgs of drug were seized at Adani's Mundra port which was worth around 2100 crore. They couldn't catch the people who were involved in it - until today. And this is a huge matter which wasn't even talked about and even news didn't cover much. on the other hand, everyone is running behind for just 5-10 grams. The place where they have to do the real investigation they fail there. That's why they are questioned that they catch rich people who are afraid for their names to be ruined, they take money from them. And CBI has filed FIR regarding this matter. So, on 30th october 2021, Aryan Khan gets bail. And in the same year in December 2021, Wankhede is transferred from NCB to Chennai. But investigation on him continues from the back door. Now, in this year last month on 12th May 2013, CBI raided at Sameer Wankhede's house for 13 hours in Chennai and 10-12 officers came out of his house with several documents and a printer. CBI has already searched at 29 of Sameer Wankhede's locations Delhi, Mumbai, Ranchi, Kanpur everywhere. In the past 5 years, he did 5 international trips which is being enquired about. He has multiple properties which are being enquired about. He also has a bar which is under investigation as well. And CBI believes that he demanded 25 crore rupees from Sharukh Khan to release his son. And knowingly trapped Aryan Khan for the longest time. CBI files an FIR regarding this matter against sameer Wankhede. This is the copy of original FIR. And CBI is even checking now, that the 14 people that were arrested that day 6 among them were released whose name wasn't made public. So were they released on money as well? Or without taking any money? As soon as CBI started conducting raids and FIR was filed against Sameer Wankhede, he leaked all of his Whatsapp chats with his boss- NCB head at that time. As soon as these chats were leaked, their boss also came under problems. Technically, when Aryan Khan was arrested on 2nd October 2-3 days after that, Sameer Wankhede and his 4 bosses were continuously in touch - Gyaneshwar kumar singh Mutha Ashok Jain SN Pradhan and Sanjay Singh. These are the whatsapp chats of that time. You can read once. Basically after looking at these chats and reports you'll understand that when Aryan Khan was arrested, he could've been released within 1-2 days but knowingly to keep in Jail for longer period of time, Mutha Ashok Jain the boss of Sameer Wankhede said that Aryan Khan shouldn't be released anyhow more enquiries would be done, international connection is being made - doing all these stuffs they kept Aryan Khan in Arthur Jail for a longer period of time and Sameer Wankhede has leaked all these chats. If you read all the other chats then you'll have an idea that leaving behind the huge drug cases of our country the high NCB officials of our country are behind the case of just 5-10 grams. Chatting on it day and night, in fact if you read the chat its even written that NCB is currently trending in twitter - all of these things are written in it. But now the way CBI has filed FIR and the government employees like Sameer Wankhede whose salary isn't that much according to that the property that was seized - Sameer Wankhede is going to get entrapped harshly. And the chats that he shared, it seems that his boss are going top get some problem at their door as well. At last, let me tell you once again that Kuku FM's audiobook How did Amma became Jayalalitha? *Ek film sitare se siyasat ki sartaaz *- From a filmy start to The crown of politics I've given its link in the description below. Do listen it once. Thank you!", अब इसके बाद तीन अक्टूबर को शाहरुख खान समीर वानखेडे को मैसेज करते हैं लेकिन एनसीडी यहां पे बहुत ही अलग चीज करती है एनसी आयरन खान तो छोड़िए वहां पे किसी का भी टेस्ट नहीं करती है जिसमें आयरन खान अनन्या पांडे से गंज और कुकीन मांग रहे थे प्रेशर बनके पूछा जाता है तो आयरन खान कंटीन्यूअस पहले तो रन लगता हैं चलो 18 करोड़ में फाइनल करते हैं क्योंकि 8 करोड़ समीर वहां खड़े को भी देने हैं इसके थोड़ी डर बाद वहीं पे ब्लू कलर की मर्सिडीज़ आई है जिसमें पूजा डडलानी आई है पुरी रेट फेक है और इसमें बीजेपी की साजिश है मीका सिंह जो बहुत ही फेमस सिंगर है उनको फौरन ई के साथ पड़ा एनसी के ऑफिसर्स आर्यन खान को एक सोनी का अंडा समझ के वेट कर रहे थे 25 करोड़ लेने के लिए मुंबई के अंदर एक जगह है मुंबई इंटरनेशनल क्रम टर्मिनल जहां से नेशनल इंटरनेशनल टूर्स चलते हैं तो होता क्या है की 15 से 20 सितंबर 2021 के बीच में एनसी यानी की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के ऑफिस है आशीष रंजन को अपने इनफॉर्मल से कुछ टिप ऑफ मिलता है की इस टर्मिनल के ऊपर ड्रग्स उसे होंगे दो अक्टूबर 202 को और जब पता करवाया गया तो से डेट पे से जगह पे फैशन टीवी एक क्रैक नाम का एक इंटरनेशनल इवेंट करवा रहा था कार्ड लिया क्रूस पे जिसमें मियामी के इंटरनेशनल डीजे को आना था पूर्व पार्टी हनी थी अलग-अलग इवेंट्स होने थे ये सारे इवेंट्स होने थे जिसमें 2 अक्टूबर को इस क्रम को मुंबई से चलकर गोवा जाना था और 4 अक्टूबर को वापस मुंबई आना था तो देखिए जैसे जो ओवर इंडिया में एयरपोर्ट के सिक्योरिटी की जिम्मेदारी सीआईएफ की होती है वैसे इस मुंबई इंटरनेशनल क्रम टर्मिनल की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी सीआईएफ की होती है तो जब एनसी को इनफॉरमेशन मिलती है तो वो सीआईएफ को इन्फॉर्म करती है और एक प्लेन बनती है जिसकी टीम को लीड करते हैं समीर वन खेड़े इससे पहले की मैं आगे की डीटेल्स बताऊं थोड़ा समीर वहां खेड़े के बड़े में आपको बता देता हूं आईएनआर पर 7 डेज नो ए चुकी है मुंबई हाय कोर्ट ने समीर वानखेडे पर मीडिया से बातचीत करने पर रॉक लगा दी [संगीत] और ये जरूर होगा [संगीत] जब सुशांत सिंह राजपूत वाला कैसे हुआ था तब भी बहुत ज्यादा लाईमलाईट में आए थे तब इनको मुंबई एयरपोर्ट की सिक्योरिटी से हटा के एनसी में डाला गया था और तब से काफी फेमस हो गए थे और ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि ड्रग डीलर्स का जो पूरा राकेट है उसकी समझ इनको काफी ज्यादा है सुशांत सिंह राजपूत के कैसे से पहले जब समीर मांग खेड़े मुंबई एयरपोर्ट के कस्टम डिपार्मेंट में थे तब भी समीर वानखेड़ेगा काफी नाम हुआ था इन्होंने एयरपोर्ट पे आने वाले हीरो हीरोइंस जो थे उनसे कस्टम का पैसा लेना स्टार्ट करवाया था जबकि ऐसा माना जाता है की इससे पहले बड़े-बड़े हीरो हीरोइन से कस्टम का पैसा नहीं लिया जाता था इसके अलावा इनके फेमस होने के और भी बहुत सारे रीजन थे जैसे जब 2011 की वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जब इंडिया में ए रही थी और एयरपोर्ट पे सारे ऑफिसर सेल्फी खिंचवा रहे थे तब इन्होंने उसे पे भी कस्टम लिया था 2011 में उन्होंने शाहरुख खान जिसे किसी की भी हिम्मत नहीं थी एयरपोर्ट पे रोकने की इन्होंने उनसे भी ₹1.5 लाख की कस्टम फूल ली थी मीका सिंह जो बहुत ही फेमस सिंगर है उनको फॉरेन ई के साथ पड़ा रामगोपाल वर्मा अनुराग कश्यप विवेक ओबेरॉय महेश भट्ट सबको पकड़ के कस्टम फीस जमा करवाई थी इनके एनसी में आते ही 2020 में 46 केसेस रजिस्टर हुए थे और सब बड़े-बड़े नाम थे और इन्होंने 42 ड्रग्स पेडलर्स को भी पड़ा था इससे पहले की अगर हम बात करें तो 2016 में 23 केसेस 2017 में 30 केसेस और 2018 में 25 कैसे और 35 केसेस तो खाली 2019 में थे एक तब का इनको कहता है की ये बहुत ही ईमानदार है वहीं दूसरा तब का ये भी कहता है की इनको शौक है लाइन लाइट में रहने का इसलिए एक्टर्स को परेशान करते हैं इनके जो मदर थी वो मुस्लिम थी वो इनके फादर जो वो हिंदू हैं और इन्होंने एक्ट्रेस क्रांति रेडकर वानखेडे से शादी की थी जो अजय देवगन की फिल्म कम भी कर चुकी हैं तो देखिए इनकी ईमानदारी के चर्च तो काफी टाइम से रहे हैं ये काफी फेमस भी रहे हैं लेकिन आज की डेट में इनके खुद के जय जान की नौबत ए गई है तो ये नौबत कैसे आई और क्या सच में ये गुनहगार है और एक्चुअल स्टोरी क्या है आज आपको मैं साड़ी चीज डिटेल में बताऊंगा और कुछ भी मैं अपनी तरफ से नहीं बोलूंगा एक-एक शब्द जो मैं बोलूंगा वो सीबीआई की कर सीट और फिर आयरन खान के ओरिजिनल अरेस्ट मोमो कोर्ट के एफिडेविट से बोलूंगा जिनके लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में भी दे दिए हैं आप एक बार वेरीफाई जरूर करेगा [संगीत] तो वापस कहानी पे आते हैं तो देखिए जब एनसी के पास इनफॉरमेशन आई है की 2 अक्टूबर 2021 को यह सब होने वाला है तो समीर वानखेडे अपने सीनरी ऑफिसर और सीआईएफ के साथ कार्डिनेट करके 2 अक्टूबर 2021 को इसको रोकने का प्लेन बनाते हैं तो देखिए जब ये लोग प्लेन बना रहे थे तो इनके सामने कई दी एन सी बी को ये जो लोग ड्रग्स करने ए रहे थे क्रम पे इनको रेंज हाथों पकड़ना था लेकिन इनफॉरमेशन यह थी की क्रम अब थोड़ा दूर पे जाएगा पार्टी वगैरा तब शुरू होगी और तभी ड्रेस वगैरा स्टार्ट होंगे तो 20 समुद्र में चारों तरफ से घर के लोगों को रेंज हाथों पकड़ना इनके लिए आसन नहीं था और अगर ये बीच समुद्र में चारों तरफ से घर के ये ऑपरेशन करते भी तो लोग हो सकता था की समुद्र वगैरा में दक्ष वगैरा फेक देते हैं तो ये प्लेन उन्होंने ड्रॉप कर दिया था तो इन्होंने डिसाइड किया की इनके छह ऑफिसर्स दो-दो के ग्रुप में इस क्रम के टिकट खरीदेंगे सीआईएफ की सिक्योरिटी ऑलरेडी क्रम पे रहेगी तो डिसाइड होता है की 20 समुद्र में जब पार्टी स्टार्ट होगी तो ये लोगों को रेंज हाथों पकड़ने ये जो क्रूस पे इवेंट हो रहा है इसके जो टिकट थे ₹60000 से 5 लाख के बीच में थे और ये जो पूरा शिव था इसमें 1800 लोगों को ले जान की कैपेसिटी थी उसके बाद भी टिकट मिलन बहुत मुश्किल हो रहे थे लेकिन फिर भी एक अक्टूबर से पहले एनसी के छह ऑफिसर्स जुगाड़ लगा के इस टिकट को खरीद लेते हैं आप डेट आई है दो अक्टूबर 2021 गांधी जयंती का दिन था 11:00 बजे के करीब आर्यन खान के घर मन्नत पे आर्यन खान के फ्रेंड अरबाज मर्चेंट पहुंचने हैं ये दोनों 15 साल से दोस्त हैं थोड़ी डर बाद की दोनों मर्सिडीज़ से मुंबई इंटरनेशनल क्रम टर्मिनल की तरफ निकलते हैं इस गाड़ी को शाहरुख खान के ड्राइवर कोई मिश्रा करके नाम था वो चला रहे थे और करीब 1:00 बजे ये लोग टर्मिनल पे पहुंच जाते हैं बाकी आयरन के जो 6 दोस्त थे वो अपने अपने घर से इस टर्मिनल पर पहुंचने हैं इधर समीर वानखेडे की टीम सिविल कपड़ों में टर्मिनल पे फेल जाति है लोग क्रूस की पार्टी को जॉइन करने के लिए धीरे-धीरे ए रहे थे और जो भी लोग इस पार्टी के लिए क्रम पे ए रहे थे उनकी चेकिंग सीआईएफ वाले कर रहे थे उसके बाद ही एंट्री मिल रही थी क्रूस पे और इस पूरे प्रोसेस पे एनसी के जो ऑफिसर थे वो पुरी तरीके से नजर रख रहे थे तो ये साड़ी चीज यहां पे चल रही थी 1:30 बजे के करीब आर्यन और उनके फ्रेंड अरबाज मर्चेंट क्रम पे पहुंचने हैं और इनकी एंट्री जो है वो नॉर्मल क्यों की जगह सेपरेट क्यों से करवाई गई विप की लेकिन इनकी चेकिंग भी एनसी ने सीआईएफ से करवाई जब अरबाज मर्चेंट जो आर्यन खान के दोस्त थे उनके जूते की तरफ चेकिंग हो रही थी तो एनसी वाले नोटिस करते हैं की आर्यन खान काफी घबरा जाते हैं सीपी की टीम को शक हो जाता है और इसी के बाद एनसी की टीम इन दोनों को उठा के एक अलग रूम में ले जाति है वहां पे दोबारा चेकिंग की जाति है और अरबाज मर्चेंट के पास से ड्रेस मिलते हैं लेकिन आयरन खान के पास से कुछ भी नहीं मिलता है इन दोनों के ऊपर प्रेशर बनाया जाता है तो ये अपने बाकी छे दोस्तों का नाम भी ले लेते हैं जिनके नाम भी ये थे इसके बाद एनसी की टीम बाकी पूरे क्रम की तशी लेती है और टोटल 14 लोगों को पकड़ी है उन 14 में से छह को इस रात को छोड़ दिया जाता है बाकी आठ को अपने पास रखती है एनसी का जो अरेस्ट में होता उसके हिसाब से इन आठ ने 13 ग्राम कोका 5 ग्राम एचडी एक किस ग्राम चरण बैस्पील्स एमडीएम की मिली थी और 133000 भी मिले थे और ये सारे ऑपरेशन के चक्कर में जो क्रम था वो डिले भी हो जाता है अब देखिए पूरे कैसे में आम खान को एनसी किसी भी कीमत पे छोड़ना नहीं चाहती थी लेकिन आयरन खान के पास से तो ड्रग्स ही नहीं मिले थे और ना ही उसने जूम किया था क्योंकि पार्टी तो बाद में शुरू होने वाली थी तो अब यहां से कायदा ये कहता था की जब ड्रग्स उसके पास से मिला ही नहीं और वो ड्रग्स खरीद और बीच भी नहीं रहा था तो सिंपल एक टेस्ट होना था और अगर रिपोर्ट में आता की उसने ड्रग्स लिए हैं तो वो अरेस्ट होता नहीं तो छठ जाता राइट वे लेकिन एनसीडी यहां पे बहुत ही अलग चीज करती है एनसी आयरन खान तो छोड़िए वहां पे किसी का भी टेस्ट नहीं करती है क्योंकि उनको पता था की अगर वो टेस्ट कराएंगे तो आयरन खान को उनको छोड़ना पड़ेगा क्योंकि पार्टी तो थोड़ी डर बाद शुरू होने वाली थी इसलिए वो टेस्ट नहीं करते हैं इसकी बजे एनसी क्या करती है आर्यन खान का मोबाइल लेती है वो पासवर्ड नहीं बताता शुरू में और फेस आईडी से अनलॉक करवाती है जिसमें आयरन खान की जो ड्रग्स से रिलेटेड चाट सी वो मिलती है उनको और उन चैट्स में से भी अनन्या पांडे की चैट्स निकलते है ड्रग से रिलेटेड आर्यन खान के साथ जिसमें आयरन खान अनन्या पांडे से गाजर और कुकिंग मांग रहे थे ये वो ओरिजिनल चैट्स हैं जो मैंने लगा दिए ऑफिशल डॉक्यूमेंट में साफ नहीं दिखे रही है इसलिए अलग से लगा दी है आप पोज करके पढ़ लेना एक बार इसके बाद आयरन खान पर प्रेशर बना के पूछा जाता है तो आयरन खान कंटीन्यूअस पहले तो रन लगता हैं और साथ में एक्सेप्ट कर लेते हैं है की वह कर साल से ड्रग्स उसे कर रहे थे और यूके और दुबई में भी उन्होंने ड्रग्स कंज्यूम किया है आर्यन खान के स्टेटमेंट से एनसी ने टोटल 20 लोगों को और पड़ा जिसमें से कुछ ड्रग डीलर्स भी थे उन्होंने भी इस चीज को कंफर्म कर दिया अब इसके बाद तीन अक्टूबर को शाहरुख खान समीर नखेडे को मैसेज करते हैं ये वो चैट्स हैं जिसमें शाहरुख खान आयरन खान को छोड़ने के लिए बोल रहे हैं हालांकि शाहरुख खान के फ्रेंड ने इस चीज को माना किया है की ये फेक चाट है लेकिन समीर वहां खड़े ने पिटीशन के पेज 90 और 91 एक्जीबिट बी में इस पुरी चाट की कॉपी लगवाई है सीबीआई ने ऑन रिकॉर्ड बोला है की समीर वानखेडे में ये चैट्स जान पूछ के मीडिया में लीड करवा दी थी अब देखिए ये जो कैसे है ये इतना लाइन लाइट में इसलिए आया क्योंकि इसमें बॉलीवुड के नाम ही सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे का नाम जुड़ा था बॉलीवुड आर्टिस्ट मोस्टली काफी कंट्रोवर्सी से गिरे रहते हैं लेकिन एक हीरोइन ऐसी भी थी जो ना सिर्फ अपने एक्टिंग करियर की वजह से फेमस थी बल्कि अपने पॉलीटिकल करियर की वजह से भी लोगों में अपनी पहचान बनाई इनकी लाइफ स्टोरी बहुत ही इंटरेस्टिंग है कैसे इन्होंने फिल्म से शुरुआत करके के मिनिस्टर तक का सफर ते किया वो देखने लायक है अम्मा जय ललिता फिर से बनी एक फिल्मी सितारे से सियासत तक की सरताज ये ऑडियोबुक कुकू एफएम पर अवेलेबल है जी पे उनकी पुरी लाइफ हिस्ट्री सुने गई है इस ऑडियो बुक को आपको एफएम पर अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से कभी भी सुन सकते हो कुकू एफएम इंडिया का वन ऑफ डी बेस्ट ऑडियो शो प्लेटफॉर्म है विद 50 लाख प्लस एक्टिव हिंदी पेड़ सब्सक्राइबर्स यहां एंटरटेनमेंट से लेक क्राइम थ्रिलर एजुकेशनल हर डोमेन का ऑडियो कंटेंट अवेलेबल है कुकू एफएम ने रिसेंटली लॉन्च किया है ओरिजिनल कैटिगरी जिसको आप अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से कहानी भी सुन सकते हैं आपने प्रीवियस डिस्काउंट अवेलेबल नहीं किया है तो मेरा कूपन कोड अनार 50 उसे करें इनके फर्स्ट प्रीमियम सब्सक्रिप्शन पे 50% ऑफ अपने के लिए मेंस 99 सब्सक्रिप्शन इन रुपीस 49 ओनली आई एम शेयरिंग डी कोड और लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन आपके साथ हैं [संगीत] लेकिन जब एनसी रन 8 लोगों को अरेस्ट किया तो एक पंचनामा बनवाया जिसमें तीन ऐसे लोगों के नाम थे जिसकी वजह से यह कैसे पूरा पलट के समीर वानखेडे के ऊपर चला गया वो मैं अभी पूरा समझाऊंगा आपको उससे पहले मैं यह बता देता हूं की पंचनामा क्या होता है क्योंकि इस पूरे कैसे की कड़ी इसी पंचनामा से जुड़ी है देखिए जब भी कोई ऑफिसर कहानी छाप मारता है या फिर किसी को पकड़ता है तो उसे टाइम पे जो आसपास के लोकल लोग होते हैं यानी की आम जनता उनको इंडिपेंडेंस विटनेस बनाते हैं ताकि ये रहे की सब फेयर तरीके से हुआ है उसमें साइन वगैरा भी करवाया जाता है और इसी को पंचनामा कहा जाता है तो इस ऑपरेशन में भी जब पंचनामा करवाया गया था तो उसमें इन नो लोगों के नाम थे इसमें से जो शुरू के तीन नाम हैं प्रभाकर सेल किरण गोसावी और मनीष भानुशाली इन तीनों की वजह से एनसी के ऑफिसर के ऊपर उंगलियां उठी और वो कैसे उठी वो मैं अभी समझता हूं आपको देखिए अगर आपको याद हो दो अक्टूबर 2021 को ये इंसिडेंट हुआ था और तीन अक्टूबर तक एनसी ने आयरन खान का नाम नहीं बताया था मीडिया में भी बस ये ए रहा था की बॉलीवुड तारा डिटेल बट नाम कोई नहीं बता रहा था ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि दो और तीन अक्टूबर को एनसी के ऑफिसर आर्यन खान को एक सोनी का अंडा समझ के वेट कर रहे थे 25 करोड़ लेने के लिए और ये चीज मैं नहीं का रहा हूं ऐसा सीबीआई की फिर मैं लिखा गया है और जो ऊपर मैंने पंचनामा में तीन नाम बताए थे उसमें से प्रभाकर सेल ने कोर्ट के अंदर एफिडेविट लगाया जिसमें ये से चीज लिखी गई है और देखिए ये जो एफिडेविट लगाया गया ये कोई छोटी-मोटी चीज नहीं है ये एफिडेविट बहुत ही इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट होता है क्योंकि अगर इसमें कुछ गलत इनफॉरमेशन निकलते है तो एफिडेविट लगाने वाले के ऊपर कैसे हो जाता है हालांकि आगे चल के प्रभाकर की डेथ हो जाति है तो ज्यादा कुछ नहीं हो पता है लेकिन इस एफिडेविट के कोर्ट में सबमिट होने के बाद कहानी भी एक साल से भी ज्यादा इन्वेस्टिगेशन होती है और उसके बाद सीबीआई एफ आई आर रजिस्टर करवाती है समीर वानखेडे के खिलाफ की उन्होंने इस पूरे ऑपरेशन में 25 करोड़ की डिमांड की शाहरुख खान से वो भी मैं आगे समझाऊंगा लेकिन उससे पहले ये बता देता हूं की जब आयरन खान को पड़ा गया तो दो और तीन अक्टूबर को क्या-क्या हुआ और कैसे पैसे का पूरा गेम सेट किया गया शब्द बाय शब्द जैसा इन सीबीआई की फी हा और प्रभाकर के एफिडेविट में है वैसे ही बताऊंगा आपको तो देखिए होता क्या है की पंचनामा में जो तीन नाम आपको मैंने बताए थे उसमें से प्रभाकर सेल जो था वो किरण गोस्वामी का बॉडीगार्ड था कायदे में इन तीनों का एनसी के ऑफिसर से पहले कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए था क्योंकि ये सिर्फ पंचनामा के इंडिपेंडेंस विटनेस थे [संगीत] लेकिन 1 अक्टूबर 2021 को जी दिन एनसी क्रम पर रेट की साड़ी प्लानिंग कर रही थी उसे दिन किरण गोसावी ने अपने बॉडीगार्ड प्रभाकर सेल को फोन किया की कल यानी की 2 अक्टूबर 2021 को 7:30 बजे मॉर्निंग में रेडी रहना और ये खाने के बाद किरण प्रभाकर को ₹500 जी पे ट्रांसफर करता है और व्हाट्सएप पे एक लोकेशन भेजता है जहां पे प्रभाकर सेल को पहुंचाना होता है अब नेक्स्ट दे सेकंड ऑफ अक्टूबर को जी दिन रेट पढ़नी थी प्रभाकर मॉर्निंग में लोकेशन मैप पे लगता है तो ये एमसी के ऑफिस की लोकेशन निकलते है लेकिन प्रभाकर ज्यादा सोचता नहीं है और लोकेशन को फॉलो करते हुए करीब 8:00 बजे सीधा एनसी के ऑफिस पहुंच जाता है आप जब प्रभाकर एनसी ऑफिस पहुंचता है तो उसको वहां पे किरण गोस्वामी का ड्राइवर विजय सूर्यवंशी मिलता है जो उसको वहीं पर रुकने को कहता है और कहता है की किरण सर अभी एनसी के ऑफिसर के साथ मीटिंग कर रहे हैं तो ये सुन के प्रभाकर वहीं पे इनोवा कर के पास ही वेट करने लगता है और थोड़ी डर बाद किरण गोसावी एनसी के ऑफिसर के साथ बाहर निकलता है और व्हाइट इनोवा में बैठ के मुंबई इंटरनेशनल क्रम टर्मिनल जहां पे रेड डालनी थी जहां पे गोल्डन खाने वाला था उसे तरफ चला जाता है उसके बाद दिन में करीब 12:00 बजे किरण गोसावी अपने बॉडीगार्ड प्रभाकर सेल को फोन करता है और मुंबई इंटरनेशनल क्रम जहां पे रेड पढ़ने वाली थी उसे टर्मिनल पे बुला लेट है प्रभाकर सेल जो केरल गोसावी का बॉडीगार्ड था वो वहां पे पहुंच जाता है और वहां पहुंचने के बाद किरण गोस्वामी अपने बॉडीगार्ड प्रखर को व्हाट्सएप पे कुछ फोटोग्राफ्स भेजता है जो की सभी हाय प्रोफाइल बच्चों की होती है जो उसे पार्टी में आने वाले होते हैं और किरण ये भी समझता है प्रभाकर को की इनमें से अगर कोई भी दिखे स्टार्मिनल पे तो उसको इन्फॉर्म करें प्रभाकर इन साड़ी फोटोग्राफ्स में से एक लड़के को पहचान के किरण को व्हाट्सएप पर बता देता है की यह पर्टिकुलर लड़का क्रम पे पहुंच गया और एनसी ऑफिसर उसे पे नजर रखना लगता हैं अब इसके थोड़ी डर बाद आयरन खान को मिला के टोटल 14 लोग जब पकड़े जाते हैं तो प्रभाकर सेल देखा है की जिसकी फोटोग्राफ उसने पहचान करके किरण को भेजी थी एनसी उसको भी पकड़ लेती है रात 10:30 बजे तक एनसी के साथ ए रहा है ना उसके दोस्तों के इन्वेस्टिगेशन होती है जिसको वहां पे र के प्रभाकर भी देखा है और उसके बाद ये लोग एनसी ऑफिस पहुंचने हैं सबको लेक अब उसके थोड़ी डर बाद करीब रात के 12:00 बाज रहे होंगे और किरण गोस्वामी अपने बॉडीगार्ड प्रखर सेल से कहता है की आप यह जो पंचनामा है इसके विटनेस बन जो शुरू में तो वो झिझकता है लेकिन फिर हां कर देता हूं जैसे ही वो हां करता है सीधे समीर वानखेडे आते हैं और उनको 10 ब्लैक पेपर देते हैं और कहते हैं की इस पर साइन कर दो और अपना आधार कार्ड की कॉपी भी लगा देना और प्रभाकर जैसा बोला जाता है वैसा कर देता है और पंचनामा में विटनेस बन जाता है अब रात में ये साड़ी चीजें चल रही होती हैं उसे टाइम पे किरण गोस्वामी आयरन खान के साथ सेल्फी वगैरा भी लेते हैं तो उसे टाइम पे काफी फेमस हुई थी आपने अच्छी भी होगी शायद उसके थोड़ी डर बाद से डिसूजा नाम का एक आदमी एनसी ऑफिस के बाहर आता है कहा जाता है की यही वो आदमी था जो शाहरुख खान और एनसी के बीच में बिचौलिया बना था लेकिन ऑन पेपर ये प्रूफ नहीं हो पाया था कहा जाता है की इसी ने शाहरुख खान की मैनेजर पूजा डडलानी को पहले बार बताया था की आयरन खान के पास से ड्रग्स मिला है और इस टाइम पे वो एनसी के पास है तो ये जो से नाम का बांदा था जब ये एनसी ऑफिस के पास आता है तो किरण गोस्वामी एनसी ऑफिस से करीब 500 मी की दूरी पे अलग जाकर इससे मिलता है और कुछ थोड़ी डर बात करता है और फिर उसके बाद प्रभाकर सेल और ड्राइवर को लेकर किरण गोस्वामी इनोवा से लोअर परेल ब्रिज जो की बिग बाजार के पास में वहां के लिए निकाल जाता है और सेंड जो था वो भी इनकी गाड़ी के पीछे पीछे चला है इनकी गाड़ी लोअर परेल ब्रिज के पास में रुकती है और से भी से लोकेशन पर रुकता है और जैसी गाड़ी रुकती है किरण गोस्वामी से दिस फोन पे बात करना स्टार्ट कर देता है और उसे टाइम पे सम को कहता है की तुमने 20 करोड़ का बम फोड़ दिया है चलो 18 करोड़ में फाइनल करते हैं क्योंकि 8 करोड़ समीर वहां खड़े को भी देने हैं और ये जो स्टेटमेंट था आगे चल के समीर वानखेडे के लिए बहुत बड़ी बंता है क्योंकि ये साड़ी बातें प्रभाकर सेल के सामने होती है और वो जाके कोर्ट में एफिडेविट के साथ वर्ल्ड बता देता है [संगीत] इसके थोड़ी डर बाद वहीं पर ब्लू कलर की मर्सिडीज़ आई है जिसमें पूजा शाहरुख खान के साथ यह दिखती हैं इवेंट्स वगैरा में और उनकी मैनेजर भी हैं तो जैसे पूजा दाडलानी आई हैं किरण और संदूजा पूजा डडलानी की गाड़ी में जा के बैठ जाते हैं और काफी डर बात करते हैं और ये जो मीटिंग हुई है ऐसे नहीं की बस किसी ने हवा में बता दिए ब्लू मर्सिडीज़ मन्नत के पास के सीसीटीवी जहां मीटिंग हुई वहां के सीसीटीवी में प्रॉपर रिकॉर्ड हुई है और ऑफिशल्स ने वेरीफाई भी की है मर्सिडीज़ के अंदर जो बात हुई है वो भी साड़ी रिकॉर्ड हुई है और वो भी एजेंसीज के हाथ ग गई है तो जब वहां पे मीटिंग खत्म होती है तो किरण और सेंड दूसरी जगह को एक एड्रेस दिया जाता है जहां पर इनको 5000000 रुपए देने का वादा किया जाता है और कहा जाता है की ये पहले इंस्टॉलमेंट थी 50 लाख की आर्यन खान को छुड़वाने की अब इसके बाद किरण गोस्वामी प्रभाकर सेन जो की उसका बॉडीगार्ड था उसको कहता है की इंडियाना होटल के पास जाके 50 लाख कैश में मिलेंगे उसको लेकर ए जो प्रखर वैसा ही करता है वहां जाता है और एक व्हाइट कलर की गाड़ी जिसका नंबर था 5102 वो आई है और दो बैग प्रभाकर को देती है और प्रभाकर वो दो बैग लेक किरण गोस्वामी को दे देता है और उसे बैग में से 12 लाख रुपए निकाल के किरण वो पैसे प्रभाकर को देता है और कहता है की संदेश को ये पैसे दे दो अब कहा जाता है की इसके बाद डील कैंसिल हो जाति है किसी रीजन की वजह से कुछ का ये कहना है की शाहरुख खान ने इनको फसाने के लिए ये सब करवाया था और कुछ का ये कहना है की आयरन खान को जो एनसी ने पड़ा था ये बात आउट हो गई थी इसलिए डील कैंसिल हो गई लेकिन एक्चुअल में क्या हुआ था ये किसी को भी नहीं पता अब यह साड़ी चीज हो रही होती है इसके दो दिन बाद ही महाराष्ट्र में एनसी के नेता नवाब मलिक ने यह का दिया की पुरी रेट फेक है और इसमें बीजेपी की साजिश है जिसमें इन्होंने कहा की जब रेड हो रही थी तो उसमें एनसी के साथ दो लोग थे एक किरण गोभी और दूसरा मनीष भानुशाली उन्होंने कहा की एमसी के ऑफिसर तो थे नहीं इनका कोई लेना देना नहीं था एनसीडी के ऑफिस में क्या कर रहे थे अगर इनको विटनेस भी माना जाए तो ये पूरा टाइम एनसी के ऑफिसर की तरह इधर से उधर क्यों घूम रहे थे इन्होंने ये भी क्लेम किया की मनीष भानुशाली तो बीजेपी पार्टी के हैं हालांकि बीजेपी ने इस कैसे से अपना पल्ला झाड़ लिया नवाब अली यहां पे भी नहीं रुकते हैं वो कहते हैं की समीर वानखेडे उनकी सिस्टर यासमीन वानखेडे जो की लॉयर भी हैं उनके साथ मिलकर ड्रग पेडल के थ्रू लोगों से पैसा लेते हैं और ये स्क्रीनशॉट समीर वानखेडे की सिस्टर के शेर किया गए हैं जिसमें उनकी सिस्टर और ड्रग पेडलर्स सलमान के साथ चैट्स हैं हालांकि समीर वानखेडे ने इस चाट को फेक बताया और यहां पे भी नहीं रुक नवाब मलिक उन्होंने कहा समीर मांग खेड़े फेक कास्ट सर्टिफिकेट लगा के स कोटा लेक इरिस ऑफिसर बने हैं और ये डॉक्यूमेंट आउट किया इसके जवाब में समीर वानखेडे ने कोतवाली रजिस्टर कॉपी और अपना का सर्टिफिकेट दिया और समीर वानखेडे को कोर्ट से भी इस चीज को लेकर क्लीन चित मिल गई थी इसी बीच में एक नीरज यादव नाम का आदमी जो की भोपाल का रहने वाला है वो इंडिया टुडे टीवी को कहता है की उसने एक किरण गोस्वामी और मनीष भानुशाली को टिप दिया था की कार्ड लिया क्रूस पे ड्रग्स उसे होने वाले हैं नीरज का कोई दोस्त था जो स्क्रूज में जा रहा था वहीं से उसको पता चला की यहां पे ड्रग्स उसे होने वाले हैं अब ये जो स्टेटमेंट बताइए बिल्कुल ही अलग थी इस स्टेटमेंट से फिर से किरण गोस्वामी और जो मनीष के हैं उनके ऊपर शेख पैदा हो गए की ये तो सिर्फ एक इंडिपेंडेंस विटनेस थे लेकिन इनका नाम हर जगह पे क्यों ए रहा है और यही वो टाइम था जब किरण और मनीष को लेकर मीडिया के अंदर बहुत साड़ी बातें चल रही है और किरण गायब भी हो गए थे तो जो उनका बॉडीगार्ड था प्रभाकर सेल वो डर गया उसने कहा की मुझे मेरी जान का खतरा है मुझे मारा भी जा सकता है इसलिए कोर्ट के अंदर उसने जितनी भी चीज हुई थी वो साड़ी कुछ लिखकर एफिडेविट लगा लिया और उसमें से ही मैं आपको कहानी बता रहा हूं लेकिन आगे चलकर उसकी हार्ट अटैक से डेथ हो जाति है तो यह बात वही खत्म हो जाति है अब देखिए जो कैसे था इसके लिए 3 अक्टूबर 2021 से लेक 28 अक्टूबर 2021 तक कोर्ट के अंदर बहस चलती है आर्यन खान के वकील कहते हैं की आर्यन खान ने ना तो ड्रग्स बेचा ना ही ड्रेस लिया और ना ही उनके पास से ड्रग्स मिला तो उनको अरेस्ट किस वजह से किया गया है वहीं एनसी के वकील कहते हैं की उनकी चाट मिली है जिससे ये एस्टेब्लिश हुआ है की वो ड्रग्स लेते हैं काफी दिन तक कोर्ट में बहस होती है लेकिन 28 अक्टूबर को मुंबई हाय कोर्ट बेल दे देती है 29 अक्टूबर 2021 को फॉर्मेलिटी पुरी होती है जूही चावल आर्यन खान की गारंटी बंटी हैं और 30 अक्टूबर को आयरन खान बाहर ए जाते हैं अब देखिए इसको अगर आप नेशनल लेवल के इंसीडेंट की तरह देखते हैं तो 1800 लोगों की शिव में जितना ड्रग मिला वो काफी कम था कायदे में आयरन खान अगर शाहरुख खान के बेटे नहीं होते तो आम खान को बेल बहुत जल्दी मिल जाति है लेकिन जान पूछ के आर्यन खान को 30 अक्टूबर तक फसाया गया और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं वो भी आपको बताऊंगा लेकिन जी तरीके से ये कैसे आगे बड़ा एनसी के ऊपर क्वेश्चन उठने लगे की एक तरफ 13 ग्राम दो से 2.5 चम्मच और 21 गा यानी की कर से पांच चम्मच जितना गंज मिला इस चीज को लेक इतने दिन से इतनी बड़ी न्यूज़ बन रही है जो की अच्छी चीज है सबको पड़ा जाना चाहिए लेकिन पहले चीज आज तक जितने भी स्टार इन्होंने पकड़े हैं की किसी को भी ये सजा नहीं दिवा पे कुछ दिन इनको लेट हैं लोग मीडिया में खबरें बंटी है और उसके बाद ये छठ जाते हैं दूसरी चीज इस टाइम पर अदानी के मुंद्रा पोर्ट पे 3000 क का ड्रग्स पड़ा गया था जिसकी कीमत करीब 21000 करोड़ की थी उसमें कौन था ये लोग आज तक नहीं पकड़ पे और ये बहुत बड़ा मुद्दा है इसके बड़े में बिल्कुल भी बात नहीं है और न्यूज़ ने भी ज्यादा कर नहीं किया वहीं ये पांच से 10 ग्राम के पीछे ऊपर से नीचे तक सब कोई लगे हुए हैं असली करवाई इनको जहां पे करनी होती है वहां पे नाकामयाब रहते हैं इसलिए इनके ऊपर इल्जाम लगता हैं की अमीरों को पढ़ते हैं जिनको अपना नाम खराब होने का डर है उनसे पैसा लेते हैं और इसी चीज को लेकर सीबीआई ने फिर भी की है [संगीत] तो देखिए 30 अक्टूबर 2021 को आर्यन खान को बेल मिल जाति है और से हर 2021 दिसंबर में वानखेडे को एनसी से हटा के चेन्नई ट्रांसफर कर दिया जाता है लेकिन इनके ऊपर बैक डोर से इन्वेस्टिगेशन जारी रहती है अभी इसी साल लास्ट मां 12 मैं 2023 को सीबीआई ने समीर वानखेडे के घर 13 घंटे तक रेड मेरी चेन्नई के अंदर और 10 से 12 ऑफिसर कई सारे डॉक्यूमेंट और एक प्रिंटर लेक इनके घर से निकले सीबीआई टोटल समीर वानखेडे की 29 लोकेशन पे सर्च मार चुकी है दिल्ली मुंबई रांची कानपुर हर जगह पिछले 5 साल में इन्होंने पांच इंडिया से बाहर ट्रिप्स कारी है उनकी इंक्वारी चल रही है इनकी कई साड़ी प्रॉपर्टी है उसके ऊपर इंक्वारी चल रही है इनका कोई बाहर भी है उसको भी इन्वेस्टिगेशन चल रही है और सीबीआई का मानना है की इन्होंने 25 करोड़ रुपए मांगे हैं शाहरुख खान से उनके बेटे को छोड़ने के लिए और जान पुचके आयरन खान को लंबे टाइम तक फस कर रखा इसको लेकर सीबीआई ने फिर दर्ज की है समीर वानखेडे के खिलाफ ये ओरिजिनल फिर की कॉपी है और सीबीआई अभी ये भी चेक कर रही है की उसे दिन 14 लोगों को जो पड़ा था उनमें से छह लोगों को छोड़ दिया था उनका नाम अभी तक नहीं बताया तो क्या उनसे भी पैसे लेक छोड़ था या फिर बिना पैसे लिए छोड़ था [संगीत] जैसे सीबीआई ने रेड मारना चालू किया और फिर वानखेडे खिलाफ समीर वानखेडे ने अपने बस जो एनसी मोस्ट टाइम पर हेड थे उनकी उसे टाइम की जितनी भी चाट हुई थी व्हाट्सएप पे वो साड़ी पब्लिक कर दी है और जैसे ही ये चाट पब्लिक हुई इनके बस भी दिक्कत में आने लगे हैं बेसिकली जब आयरन खान 2 अक्टूबर को पड़ा गया था उसके दो से तीन दिन तक समीर वानखेडे और उनके कर बस कंटीन्यूअस टच में थे ज्ञानेश्वर कुमार सिंह मुथा अशोक जैन सन प्रधान और संजय सिंह यह उनके उसे टाइम के व्हाट्सएप के चाट हैं एक बार आप पढ़ लेना बेसिकली इन चैट्स और रिपोर्ट्स को देख के आपको ये समझ में आएगा की आयरन खान को जब पड़ा गया था वो एक-दो दिन में छोड़ें जा सकते थे लेकिन जान पूछ के ज्यादा टाइम तक जय में रखना के लिए मुद्दा अशोक जैन जो की समीर वानखेडे के बस थे उन्होंने कहा था की कैसे भी आम खान छटना नहीं चाहिए इंक्वारी और करनी होगी अभी इंटरनेशनल कनेक्शन बन रहा है ये सब कर करके इन्होंने आर्यन खान को काफी टाइम तक ऑथर जय में रखा और समीर वानखेडे ने ये साड़ी चाट लिक कर दी है अब ये साड़ी चैट्स पढ़ोगे तो आपको आइडिया लगेगा की हमारे देश के इतने बड़े-बड़े ड्रग्स के केसेस को छोड़ के तो हमारे देश के इतने बड़े-बड़े एमसी के ऑफिसर हैं वो 5 ग्राम और 10 ग्राम के केसेस में लगे हुए हैं और रात दिन इस पे चाट कर रहे हैं इनफैक्ट आप चाट में आप पढ़ोगे तो ये भी लिखा है की एनसी इस समय ट्विटर पर ट्रेड कर रहा है ये साड़ी चीज उसमें लिखी हुई हैं लेकिन अब जी तरीके से सीबीआई ने फिर लगे और जो ये समीर मांगखेड़े वगैरा ये गवर्नमेंट एम्पलाई हैं इनकी सैलरी भी ज्यादा नहीं है उसके हिसाब से जितनी इनकी संपत्ति निकली है समीर वानखेडे बहुत ही बड़ा फंसे वाले हैं और ये जो चाट समीर वानखेडे ने शेर कारी है उससे ये भी लगता है की इनके जो बस है वो भी दिक्कत में आने वाले हैं लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन की कुक्कू एफएम की ऑडियो बुक अम्मा जयललिता कैसे बनी एक फिल्म सितारे से सियासत की सरकार इसका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है एक बार आप जरूर सुनिएगा थैंक यू [संगीत] ZUq_ZIphLqs,Reality of the Kerala Story | Nitish Rajput | Hindi,2023-05-18T14:31:57Z,PT31M37S,5283778,264269,33564,https://www.youtube.com/watch?v=ZUq_ZIphLqs,, पूरे इंडिया के अंदर सिर्फ केरला को ही क्यों टारगेट किया गया इंडिया के अंदर लव जिहाद जो वर्ल्ड था वो सबसे पहले केरला के अंदर इन्वेंट हुआ था लोगों को लगता है की अप के लोगों को बनाया हुआ वर्ल्ड है सा की एक मेंबर ने क्रिश्चियन टीचर तीज जोसेफ के हाथ कैट दिए आप सोच के देखिए सिर्फ एक आदमी को भी रेडी करने के लिए कितने हजारों लोगों को रिच किया होगा फि का कम था इंडिया के अंदर लोगों को कन्वर्ट करना और प्रूफ आईसीएस बना जब की एक कैसे नहीं है एग्जैक्ट डेट आपको भी पता चल जाए कर्नाटक के चुनाव होने से पहले रिलीज करने की इतनी जल्दी थी की कपिल सिब्बल जो बहुत ही बड़े लॉयर हैं इंडिया के फि उनको हीरे करता है ₹1 करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा करता है और पुरी दुनिया में इसके ऊपर मूवी बनाई गई है जो केरला स्टोरी में लीड एक्ट्रेस ने रोल प्ले किया है उसकी स्टोरी में इसी निमिषा की लाइफ की इंसिडेंट एड किया गए और रास्ते भर में आईएसआईएस की वीडियो चलाई गई इस गाड़ी के अंदर भी चलाई गई एक करोड़ रुपए लगा के फि की जो मेंबर थे उनका कैसे भी लाडा आईसीसी में डी केरला स्टोरी आपने देखा होगा इस मूवी को लेकर बहुत ही ज्यादा बावल हो रहा है एक बका पुरी जान लगाके समझने की कोशिश कर रहा है की इस मूवी में कुछ भी सच्चाई नहीं है वही दूसरा बका का रहा है की इसमें एक-एक बात सच है और आप देख रहे होंगे की चाहे राइट विंग हो या फिर लेफ्ट विंग हो चाहे छोटा नेता हो या फिर बड़ा नेता हो हर कोई बहुत ज्यादा डेसपरेट है ये समझने के लिए की ये जो मूवी है केरला स्टोरी इसकी कहानी या तो सच्ची है या फिर झूठी है कहानी भी इसको बन कर दिया गया है कहानी पे इसको टैक्स भी कर दिया गया है जी नेता को जो शूट किया उसने वो किया है तो पहले चीज तो ये है की सच क्या है दूसरी चीज ये है की इन पॉलीटिकल पार्टी को इस मूवी में इतना ज्यादा इंटरेस्ट क्यों ए रहा है तो इस वीडियो में साड़ी चीज डिस्कस करेंगे तो कोई भी चीज इस वीडियो में मैं अपनी तरफ से नहीं बोलूंगा हर एक चीज जो है की है की कर सीट में है कोर्ट की स्पेशली पिटीशन में है हाय कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जो ऑर्डर है वो मैंने बड़े हैं और उसमें से ही मैं बोल रहा हूं एक भी चीज में अपनी तरफ से नहीं बोलूंगा और एन आई है की कर सीट से लेकर कोर्ट के ऑर्डर तक सब मैंने युटुब पे डिस्क्रिप्शन में दे दिया है तो जो भी चीज मैं बोल रहा हूं एक बार आप वेरीफाई जरूर कर लीजिएगा तो सबसे पहले तो ये समझना है की केरला के अंदर ऐसी क्या पॉलिटिक्स चल रही है जिसकी वजह से ये मूवी इतनी इंपॉर्टेंट हो गई और ये जो पीएफ आई है आई एस आई है इंडिया के बाकी स्टेटस के कंपेरटिवली केरला को ज्यादा क्यों टारगेट करते हैं [संगीत] चोरी को भी जो बोल रहे हैं की ये ऑनलाइन कुछ लोग चाहते हैं की सच्चाई बाहर ना टोरी की ही दोनों काफी चर्चा है देखिए केरला के अंदर 54.73% हिंदू है 26.56% मुस्लिम है और 18.38% क्रिश्चियन है यह डाटा मैंने 2011 के सेंसेज से लिया है केरला के अंदर इतने टाइम से इतने इलेक्शन हुए हैं लेकिन बीजेपी कभी जीत के नहीं आई वहीं कांग्रेस और सीबीआई जैसी पार्टी का केरला में काफी इन्फ्लुएंस रहा है अभी जब 2019 में पूरे देश में बीजेपी की वाव चल रही थी उसे टाइम पे भी केरला की 20 सिट्स में से 19 कांग्रेस के एलियंस में जीत ली थी तो ऑब्वीजली बीजेपी भी चाहता है की यहां पे ज्यादा सिम जीते केरला के अंदर क्रिश्चियन और मुस्लिम काफी यूनिटी से रहते आए हैं और क्रिश्चियन की पार्टी केरला कांग्रेस और मुस्लिम की पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग इसे आयु एमएम कहते हैं और हिंदू वॉटर के सपोर्ट के साथ कांग्रेस गवर्नमेंट बनती है केरला का जो लिटरेसी रेट है वो पूरे इंडिया में सबसे ज्यादा है लोग काफी पढ़े लिखे हैं और रिलिजन को लेकर काफी टॉलरेट भी हुआ करते हैं लेकिन चाहे बीजेपी हो कांग्रेस हो मार्क्स इस पार्टी हो ये जो नंबर है 55% हिंदू 27% मुस्लिम 18% क्रिश्चियन इसके साथ टाइम तू टाइम खेलने का ट्राई करते हैं लेकिन करंट सिचुएशन ऐसी हो गई है की केरला कांग्रेस आवाज ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ एलियंस करने का डिसाइड कर लिया और अगर हिंदू वोट बैंक भी इन्फ्लुएंस हुआ बीजेपी की तरफ तो जो बीजेपी का सपना है सरकार बनाने का वो भी पूरा हो सकता है अब आप खाओगे क्रिश्चियन की पार्टी केरला कांग्रेस जो अभी तक कांग्रेस के साथ थी वो अलग होकर बीजेपी के साथ क्यों चली गई तो ये साड़ी चीज एकदम से नहीं हुई मल्टीपल इवेंट्स हुए जिसकी वजह से क्रिश्चियन कम्युनिटी और मुस्लिम कम्युनिटी के बीच में डिफरेंस आए और केरला कांग्रेस ने कांग्रेस का साथ छोड़ के बीजेपी के साथ पकड़ लिया देखिए पहले जब क्रिश्चियन केरला के अंदर रबर प्लांटेशन करते थे उनके पास ज्यादा पैसा राहत था वो लोग ज्यादा रिच रहते थे लेकिन जब आसियान इंडिया ट्रेड एग्रीमेंट हुआ तो जो रबर के प्राइस थे वो गियर जैसे क्रिश्चियन जो थे वो फाइनेंशली थोड़ा सा वीक हो गए थे वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम मिडिल ईस्ट से काम के पैसे केरला के अंदर अपनी फैमिली को दे रहे थे तो उन्होंने केरला में ज्यादा जमीन है खरीदी है और धीरे-धीरे स्ट्रांग होने लगे जिसकी वजह से क्रिश्चियन कम्युनिटी और मुस्लिम कम्युनिटी में थोड़ा सा डिफरेंस आया ये सब तो चल ही रहा था लेकिन उसके बाद 2010 में बहुत बड़ा इवेंट हुआ जिसमें पीएफ आई के एक मेंबर ने क्रिश्चियन टीचर जो सबके हाथ कैट दिए फि क्या है और ये पूरा कॉन्फिडेंट क्या था वो अभी आगे मैं बताऊंगा आपको तो जब हाथ कैट दिए गए तो बहुत ज्यादा बावल हुआ केरला के अंदर इसके बाद कन्वर्जन वाले जो मुद्दे थे वो भी उठने लगे क्योंकि कन्वर्जन के केसेस जो थे वो बहुत ज्यादा आने लगे थे और इसके बाद जो लोकल चर्च थे वहां से भी स्टेटमेंट आने लगेगी मुस्लिम जो है वो कन्वर्जन कर रहे हैं और ये साड़ी बातें तो चली थी बात यहां पे भी नहीं रुकती है 2021 में पुलिस के टीपी कुमार इन्होंने एक स्टेटमेंट दे दिया की मुस्लिम का जो लाइव बर्थ रेश्यो है वो तेजी से बाढ़ रहा है जिसका मतलब था की अगर हिंदू 55% नहीं केरला में क्रिश्चियन 18% है तो जो 28% मुस्लिम हैं वो आने वाले टाइम में इन सबको पीछे छोड़ देंगे इस एक स्टेटमेंट की वजह से बहुत बड़ा डैमेज हुआ केरला की पीस को और इसके साथ ही श्रीलंका के अंदर ईस्ट अटैक हुए चर्च के ऊपर तो इन साड़ी चीजों की वजह से हिंदू क्वेश्चन और मुस्लिम कम्युनिटी के अंदर डिफरेंस आने लगे थे और इस टाइम पे जो ये कन्वर्जन वाला मुद्दा टूल पकड़ रहा था केरला में इसमें एंट्री मेरी बीजेपी ने बीजेपी केरला के अंदर तो पावर में नहीं थी लेकिन सेंटर में थी तो बीजेपी ने एड सीबीआई साड़ी एजेंसी लेक पीछे पद गई केरला के उन गोस के जो बाहर से फॉरेन फंडिंग लेक कन्वर्जन करवा रहे थे वहीं अपोजिशन ने कहा की वोट बैंक के चक्कर में कम्युनिटी को भड़का रही है लेकिन इस चीज को क्रिश्चियन और हिंदू के कुछ सेगमेंट में काफी सपोर्ट भी किया बेसिकली बीजेपी जो है वो कन्वर्जन के मुद्दे को लेकर काफी स्वर रही है जितना ज्यादा मुद्दा कन्वर्जन का उठाता है लोग बीजेपी को उतना सपोर्ट करते हैं इसलिए आप नोटिस करोगे अपोजिशन कन्वर्जन के मुद्दे की एक्जिस्टेंस को नकर्ता राहत है और बीजेपी कहती है की ये बहुत बड़ा मुद्दा है पुरी पॉलिटिक्स चलती है केरला स्टोरी जो मूवी है इसके अंदर भी यही हुआ शुरू से लेकर आखिरी तक यही चला रहा की मूवी सच है या नहीं लेफ्ट विंग जान लगा के ये समझने की कोशिश कर रहा था की ये जो कहानी बताई गई ये केरला स्टोरी में ये एक्जिस्ट नहीं करती है इसका रियलिटी से कोई लेना देना नहीं है और राइट विंग ये समझा रहा था की ये साड़ी चीज एक्जिस्ट करती हैं और इसकी वजह से देश तबाह हो जाएगा तो इस तरीके की जो पॉलिटिक्स है वो केरला के अंदर चलती रहती है कर्नाटक का इलेक्शंस से तो ये मूवी और लाईमलाईट में ए गई तो देखिए यही साड़ी चीज जब चल रही थी केरला के अंदर और जब डिफरेंस आने लगे कम्युनिटी के बीच में क्रिश्चियन कम्युनिटी से भी प्रेशर बढ़ाने लगा तो जो केरला कांग्रेस क्रिश्चियन की पार्टी थी उसने कांग्रेस का साथ छोड़ के बीजेपी के साथ एलियंस कर लिया और करंट सिनेरियो ये है की केरला की पॉलिटिक्स में रिलिजन लव जिहाद भाई कनेक्शन नारकोटिक जिहाद कन्वर्जन घर वापसी ये साड़ी चीज ए चुकी हैं इसलिए एक तब का समझने में लगा की केरला स्टोरी छोटी है और वहीं दूसरा तब का समझने में लगा की ये स्टोरी सच्ची है ताकि वोट बैंक की राजनीति हो सके कर्नाटक इलेक्शन आने से एक हफ्ते पहले साड़ी बटन में बहुत तेजी हो गई थी अभी इलेक्शन खत्म होगा उसके बाद ये साड़ी चीज ठंडा वेस्ट में चली जाएगी जी दिन केरला स्टोरी का ट्रेलर आया उसके बाद केरला हाय कोर्ट में मल्टीपल ग्रुप में केरला स्टोरी को बन करने के लिए पिटीशन डाली लेकिन जस्टिस और सोफी थॉमस ने इसको रिजेक्ट कर दिया केरला स्टोरी रियल इंसिडेंट पे बेस्ड है लेकिन ट्रेलर के अंदर जी तरीके से फुटेज उसे हुई और जो 32000 का नंबर बताया गया इससे डायरेक्टर की जो इंटेंशन है उसे पे डाउट ए गया ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब उनसे पूछा गया की ये नंबर आपने क्यों बोल दिया तो उन्होंने कहा की फॉरवर्ड के मिनिस्टर ऑफ केरला विमेंस और ने केरला असेंबली में एक रिपोर्ट सबमिट की थी जिसमें मेंशन था की 2800 से ₹3200 लड़कियां कन्वर्ट हुई हैं और मैंने 10 साल का हिसाब लगा के इसको मल्टीप्लाई कर दिया और उसे तरीके से मैंने 32000 का नंबर ट्रेलर में दाल दिया लेकिन अगर आप इस तरीके से भी कैलकुलेट करोगे तो वो भी इन्होंने झूठ बोला है आम सैंडी ने जो डाटा दिया था असेंबली के अंदर वो 200 से 2011 तक का था तो अगर आप उसे हिसाब से भी कैलकुलेट करोगे तो उसे हिसाब से भी ये झूठ बोल रहे हैं देखिए ये जो केरला मूवी है ये इंस्पायर बाय है बेस्ड ऑन नहीं है इंस्पायर बाय का मतलब होता है की कुछ फैक्ट्स के साथ नाट्य रूपांतरण करके इसको दिखाए जा रहा है लेकिन जो बेस्ड ऑन होती है वो रियल स्टोरी पे बेस्ड होती है तो आप इस मूवी को सही और गलत नहीं कर सकते जहां पर डायरेक्टर फंसेगा वो कुछ ना कुछ बोल के निकाल जाएगा इसलिए मैं मूवी की बजे एक्चुअल स्टोरी क्या थी वो डिस्कस करूंगा आपसे तो देखिए केरला के अंदर कन्वर्जन काफी पुराना मुद्दा रहा है और अलग-अलग कम्युनिटी केरला के अंदर इसको लेक एक दूसरे पे ब्लेम भी लगती रहती है केरला में ये मुद्दा 20 से 25 साल से चला रहा है जो लोग केरला में रहते हैं अगर आप उनसे बात करोगे तो इस चीज को एग्री करेंगे ये जो लव जिहाद शब्द हमलोग उसे करते हैं ये एक्चुअल में केरला में इन्वेंट हुआ था वो अभी बताऊंगा मैं आपको देखिए ऐसा नहीं है की केरला में इसी का कोई लिंक नहीं मिला या कन्वर्जन नहीं हुआ लेकिन अगर आईएसपी कोई मूवी बना रहा है तो उसकी रिस्पांसिबिलिटी होती है की वो डाटा इस तरह से दे की इसी का जो मुद्दा है जो नेशनल सिक्योरिटी का जो मुद्दा है वो भटक के हिंदू मुस्लिम में कन्वर्ट ना हो जाए लेकिन नेताओं ने इसमें घुस के नेशनल सिक्योरिटी का इतना इंपॉर्टेंट मुद्दा उसको घुमा के हिंदू क्लिक में कन्वर्ट कर दिया जब भी कोई खाली स्थान का मुद्दा हो या फिर आईसीएस का मुद्दा हो ये साड़ी बाहर की ऑर्गेनाइजेशन एक्चुअल में चाहती हैं की ये आपस में लादेन हिंदू मुस्लिम लड़ाई हो क्योंकि इससे इनको फायदा होता है अब्दुल राशिद अब्दुल्ला ये फि का मेंबर रहा है इसने ऑन रिकॉर्ड बोला है की जी स्टेट में प्रो हिंदू गवर्नमेंट आई है या हिंदू मुस्लिम टेंशन होती है तो हमें वहां पे फायदा होता है जिससे हमारे लिए लोगों को आईसीएस में जोड़ना और आसन हो जाता है कहानी केरला के अंदर ये जो इस और कन्वर्जन वाला इशू है इसमें ये भी कहा जाता है की सिर्फ तीन ही तो कैसे है इतनी बढ़िया आबादी में देखिए एक्चुअल कितने कैसे हैं वो डाटा हमारी एजेंसीज के पास है और वो पब्लिक है वो सर डाटा अभी मैं आपको बताऊंगा लेकिन इसको कहना की ये सिर्फ तीन हाइक से इतना बावल क्यों किया जा रहा है ये बहुत ही गलत बात है एक भी कैसे अगर है तो ये बहुत ही बड़ी बात है और ऐसा मैं इसलिए का रहा हूं अगर कोई शेर से होगा तो उसको पता होगा की एक लीड जेनरेट करने के लिए कितनी हजारों कल करनी पड़ती हैं मॉल के अंदर एक क्रेडिट कार्ड बेचे के लिए सेल्समेन को पूरे दिन भर हजारों लोगों को कन्वेंस करना पड़ता है तब जाके कार्ड बिकता है उसका और यहां पे बात हो रही है एक एडल्ट पढ़े लिखे लड़के और लड़कियों को कन्वर्ट करके इस जॉइन करवाने की ये बहुत बड़ी बात है आप किसी को अगर करोड़ रुपए भी डॉग तो जा के इस नहीं जॉइन करेगा आप सोच के देखिए सिर्फ एक आदमी को भी रेडी करने के लिए कितने हजारों लोगों को रिच किया होगा तब जाकर एक फस पे होंगे कितना स्ट्रांग नेटवर्क और वर्किंग मॉडल होगा सिर्फ एक ये कहना बहुत ही गलत बात है जबकि एक कैसे नहीं है एग्जैक्ट डेट आपको अभी पता चल जाएगा जो भी का रहा है की ऐसा कुछ एक्जिस्ट नहीं करता आप निया की कर सीट स्पेशल कंडीशन लीव कोर्ट के ऑर्डर केरला के जो कम हैं उनकी रिपोर्ट उनके बयान ये सारे मैं डिस्क्रिप्शन में लगा दे रहा हूं ये साड़ी चीज आप शेर करिए जो भी ऐसा का रहा है दूसरी बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज मैं फिर से रिपीट कर डन की ये नेशनल सिक्योरिटी का इशू है इसको अगर आप हिंदू मुस्लिम में कन्वर्ट करके बातें करोगे ना तो आपकी बात बहुत हॉकी हो जाएगी डिस्कस करते हैं की पूरे इंडिया के अंदर सिर्फ केरला कोई के टारगेट किया गया देखिए केरला स्टेट के रिलिजन मिडिल ईस्ट कंट्री से बहुत ही पुराने और अच्छे रहे हैं 3000 ई में जो अब ट्रेडर्स थे वो केरला के थ्रू इंडिया में आए थे और ये रिश्ता तब से चला रहा है केरला के अंदर हर तीसरा घर आप देखो तो उसमें से एक आदमी आपको गलत कंट्रीज में कम करता हुआ मिलेगा तो गल्फ कंट्रीज और केरला का रिलेशन बाकी स्ट्रीट से ज्यादा स्ट्रांग है 2014 के सीडीएस सर्वे के हिसाब से सिर्फ मिडिल ईस्ट से ही 71000 करोड़ केरला के माइग्रेंट वर्कर ने इंडिया में काम के भेजें थे 2016 के केरला माइग्रेशन सर्वे में भी करीब 2.2 मिलियन लोग केरला से बाहर गए थे और जिसमें से 90% गल्फ कंट्रीज में गए थे रिलिजन इतने अच्छे हैं की केरला में जब फ्लड आया था तो गल्फ कंट्रीज मदर तक के लिए ए गई थी तो जितनी भी ऑर्गेनाइजेशन है आईसीएस वगैरा इसी चीज का फायदा उठाकर गल्फ कंट्रीज के थ्रू घुसती है केरला के अंदर तो बात करते हैं केरला में ये सब स्टार्ट कैसे हुआ आईसीसी टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन है जिसका मोटिव है की वो अपना एक अलग देश बनाएगी जिसमें शरिया फॉलो होगा और शुरू में आईसीएस को इस चीज में कामयाबी भी मिली काफी कंट्रीज से लोगों को अपने इस मिशन में जोड़ा आईएसआईएस का मानना है की जो देश शरिया फॉलो नहीं करता है वो काफिरों का देश है इसलिए वो देश छोड़ के आप आईसीएस के साथ आके मिले और शरिया फॉलो करो और से यही चीज इन्होंने इंडिया के अंदर भी ट्राई कारी और ये जी भी कंट्री में जाकर लोगों को जोड़ने हैं तो पहले गोस ऑर्गेनाइजेशन बना के प्रॉपर प्लानिंग के तहत ये लोग देश में घुसते हैं और से चीज इन्होंने इंडिया में भी की अब देखिए आईसीएस की ब्रूटालिटी और डिस्ट्रक्शन के आपने काफी इंसीडेंट होने होंगे बट 46 इंडियन नर्स ऐसी भी थी जो आईसीएस के वार जॉन से बैक के वापस भी ए गई थी 2014 में केरला से 46 नर्स इराक में फैंस गई थी जब आसपास आईसीसी ने पूरे एरिया को वार जॉन में कन्वर्ट कर दिया था तो लगभग 3 हफ्ते से ज्यादा इन नर्स ने वहां पे सरवाइव किया था इनको कैसे इंडिया वापस लाया गया इसकी हिस्ट्री जन के लिए कुकू एफएम पर अवेलेबल 46 इंडियन रेस्क्यू ऑपरेशन अगेंस्ट इससे ऑडियो बुक को आप सुन सकते हो कुकू एफएम इंडिया का वन ऑफ डी बेस्ट ऑडियो शो प्लेटफॉर्म है विद 15 लाख प्लस एक्टिव हिंदी पेट सब्सक्राइबर कोको एफएम रिसेंटली न्यू कैटिगरी लॉन्च की है ओरिजिनल जिसको आप अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से कहानी भी सुन सकते हो अगर आपने मेरा प्रीवियस डिस्काउंट अवेलेबल नहीं किया है तो अभी मेरा कूपन कोड अनार 50 उसे करें फर्स्ट मठ के सब्सक्रिप्शन पे 50% ऑफ अपने के लिए मेंस 99 सब्सक्रिप्शन इन 49 ओनली लिंक इसे अंदर डिस्क्रिप्शन और प्रिंट कमेंट तो टॉपिक पे वापस आते हैं 1994 में केरला के अंदर इन्होंने नेशनल डेवलपमेंट फंड बनाया इस ऑर्गेनाइजेशन ने अपने आप को दिखाए की मुस्लिम के राइट्स के लिए लड़ेगी लेकिन इनका नाम टाइम तू टाइम जब इस ऑर्गेनाइजेशन में बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ा 2006 में इसका मर्जर हुआ और एक नई ऑर्गेनाइजेशन बनी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया टी एफ आई बेसिकली आर एस एस को काउंटर करती थी इंडिया के अंदर और आरएसएस और फि के लोगों के बीच में काफी वायलेंस भी वॉइस टाइम पे पी एफ आई ने धीरे-धीरे अपनी पेट इंडिया में बनाई अपने अलग-अलग विंग्स बनाए जैसे कॉलेज के स्टूडेंट के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया च फीमेल के लिए नेशनल विमेंस फ्रंट और वफ बनाया बहुत ही स्ट्रक्चर्ड और ऑर्गेनाइजर तरीके से ये साड़ी विंग्स बनाएंगे इन्होंने ट्राई किया की इनकी जितनी भी विंग्स हैं वो केरला के साथ-साथ इंडिया के बाकी स्टेटस में भी फेल है सा का कम था इंडिया के अंदर लोगों को कन्वर्ट करना और प्रूफिसिस बनाना और ये चीज मैं अपने मां की बात नहीं बोल रहा हूं निया ने जब पी एफ आई के मेंबर या सिर्फ मोहम्मद जाहिद को पड़ा तो इसके मोबाइल सिम कार्ड मेमोरी कार्ड इन सब की फॉरेंसिक जांच हुई तो उसमें वीडियो पीएफ फाइल्स आईसीएस के सारे मिले जैसे अब कोई नई कंपनी जॉइन करते हो तो आपको वेलकम किट मिलती है जिसमें सारे इंस्ट्रक्शन लिखे होते हैं की क्या-क्या करना है कंपनी में वैसे ही कन्वर्ट करने की भी इनके पास पुरी वेलकम किट थी 2006 में फि बंता है और अगली 3 साल तक ये लोग ट्राई करते हैं आईसीएस की तरफ इन्फ्लुएंस करने के लिए बेसिकली ये लोग यंग जेनरेशन कोई टारगेट करते हैं और ये साड़ी चीज इधर चल रही थी इसी बीच में केरला के कैथोलिक बिशप काउंसिल ने भी एलिगेशन लगाना शुरू कर दिया एक रिपोर्ट शेर की जिसमें फि के ऊपर क्रिश्चियन लोगों को कन्वर्जन करने का आप लगाया जिसमें इन्होंने ये मेंशन किया की 4500 गर्ल्स को इन्होंने कन्वर्ट किया है लेकिन फि का पहले कैसे कोर्ट में गया था 2009 के लास्ट में और इस कैसे में ही पहले बार लब्ज याद का नाम आया था जिसको जस्टिस कट संकरण देख रहे थे इंडिया के अंदर लव जिहाद जो वर्ल्ड था वो सबसे पहले केरला के अंदर इन्वेंट हुआ था लोगों को लगता है की अप के लोगों को बनाया हुआ वर्ल्ड है ये जबकि ऐसा नहीं है 2009 में इस कैसे के टाइम पे ही पहले बार लव जिहाद और रोमियो जिहाद शब्द उसे हुआ था केरला हाय कोर्ट का जो ऑर्डर है वो भी मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया उसको भी आप एक बार पढ़ लेना उसमें जो स्टोरी है वही मैं अब आगे बता रहा हूं आपको केरला स्टोरी में जो लड़कियों की कहानी बताई गई है उससे पहले यह कैसे हुआ था और यह सबसे पहले और फेमस कैसे था जो रजिस्टर्ड हुआ था इस कैसे के बाद जो केरला स्टोरी मूवी में जो कर लड़कियों की कहानी थी वो वाला इंसिडेंट हुआ था वो मैं अभी आगे बताऊंगा आपको तो होता क्या है की 2009 में दो लड़के थे एक 23 साल का शहंशाह और दूसरा 27 साल का सिराजुद्दीन दो लड़कियां थी जिनका नाम अयस पर कोड ऑर्डर डिस्क्लोजर नहीं किया गया कोर्ट के अंदर इनको हिंदू गर्ल और क्रिश्चियन गर्ल के नाम से बुलाया जाता था तो इन दो लड़कियों में से एक जो लड़की थी वो बा कर रही थी और इस कॉलेज में उसका एक सीनरी था शहंशाह जो एक बार कॉलेज से एक पाल भी हुआ था और ये दोनों टेलीफोन कन्वर्सेशन के थ्रू प्यार में पद गए थे अब आप खाओगे की एक लड़का लड़की प्यार तो कर सकते हैं लेकिन इस कैसे में दिक्कत ये थी की इसमें सा भी इंवॉल्व था शहंशाह और ये जो लड़की थी जब दोनों रिलेशनशिप में आए तो शहंशाह ने लड़की को हिंदू धर्म की कमियां बताई और उसको इंसेक्ट किया की वो मुस्लिम धर्म में कन्वर्ट हो जाए दोनों फिजिकल रिलेशन भी रखते हैं और ये लड़की को अपने घर भी ले जाता है जहां पे उसकी मां थी और उसकी मां भी समझती है की उनका दम कितना अच्छा है और एक दो बार जब वो लड़की घर गई तो उसको फेयर वगैरा करना भी शिखा है फिर कुछ महीने बाद शहंशाह ने उसे लड़की को कहा की अगर वो कन्वर्ट नहीं होती है तो इस रिलेशन को और करना पड़ेगा लड़की इस चीज से काफी परेशान हुई इस लड़के ने बीच-बीच में फि के लोगों से भी इस लड़की की मीटिंग करवाना शुरू कारी फि की जो वूमेन विंग थी वो लड़की से बात करने लगी और से टाइम पे जो दूसरी लड़की थी जो क्रिश्चियन लड़की थी उसको भी कन्वर्जन के लिए बोला गया इस पूरे प्रोसेस में कहानी भी जबरदस्ती नहीं की गई लेकिन अलग-अलग तरीके से फि की जो वूमेन बीइंग थी और फि की जो और लोग थे वो इनको इन्फ्लुएंस करते रहे और ट्राई करते रहे की खुद से कन्वर्ट हो जाए इसके बाद दोनों लड़कियों को टाइम तू टाइम केरला के पुरानी में ले जय गया फिर दोनों लड़कियों के फि के मेंबर ने कन्वेंस कर लिया कन्वर्ट करने के लिए और ये कहा की अपना घर छोड़ के वहीं पुरानी में रहने लगे फिर 18 जुलाई 2009 को मॉर्निंग में 3:00 बजे ये लड़कियां अपनी मर्जी से घर छोड़ के इनके पास ए जाति है फिर वहां से दोनों लड़कियों को स्कॉर्पियो गाड़ी में एर्नाकुलम ले जय गया जब इनको ले जय जा रहा था गाड़ी से तो उसे गाड़ी में अली और निषाद जो फि के कर मेंबर थे वो भी बैठे हुए थे और रास्ते भर में आईएसआईएस की वीडियो चलाई गई उसे गाड़ी के अंदर ही चलाई गई जब ये लड़कियां पहुंचती है तो वहां पे फि की जो वूमेन में थी वहां की फीमेल मिलती है उनको और वो इन लड़कियों को पर कल करके इन्फॉर्म करने को कहते हैं की इन्होंने अपना कन्वर्जन कर लिया और ये लड़कियां ऐसे ही करती हैं लेकिन एक पॉइंट ऐसा आता है जहां पे इन दोनों लड़कियों को ऐसा लगता है की फि का जो प्लेन है वो इन दोनों प्यार करने वालों को मिलने का नहीं है बल्कि इनका एक्चुअल प्लेन ये है की दोनों लड़कियों की शादी बैंगलोर में ले जाकर किसी और से कर दी जाए और जब ये बहुत ज्यादा पैनिक करने लगती है और मानती नहीं है तो 12th ऑफ अगस्त 2009 को इन लड़कियों की शादी जींस प्यार करती थी उनसे कर दी जाति है इधर लड़की के जो पेरेंट्स थे वो कैसे फाइल कर देते हैं कोर्ट के अंदर और शहंशाह और इनके शादी को गिरफ्तार कर लिया जाता है और बाद में ये भी पता चला है की शहंशाह और इनके बाकी जो पी के मेंबर थे इन्होंने लड़कियों को स्पेशली समझाया था की कुछ भी हो जाए फि का नाम नहीं लेना कोर्ट के अंदर लेकिन कोर्ट की जब हियरिंग स्टार्ट होती है तो लास्ट में आते आते हैं लड़कियों ने फि के नाम ले लिया था कोर्ट के अंदर इधर ये कैसे तो चल रहा था लेकिन इसके नेक्स्ट एयर कर जुलाई 2010 में केरला को सबसे बड़ा झटका लगता है केरला के अंदर न्यूमैन कॉलेज के एक प्रोफेसर तीज जोसेफ ने मार्च 2010 में क्वेश्चन पेपर बनाया बच्चों के लिए उसे क्वेश्चन पेपर में क्वेश्चन ऐसा बना है जिसमें प्रॉफिट मोहम्मद को इंसल्ट किया गया इस चीज को लेक केरला के अंदर बहुत ज्यादा बावल हुआ इनको गिरफ्तार भी ए गया देखिए उसके बाद फि के लोगों ने मीटिंग की और बाद में प्रोफेसर का हाथ कैट दिया इस इंसिडेंट के बाद केरला में बहुत बावल हुआ पुलिस हरकत में आई कई हिंदू विंग्स भी एक्टिव हो गए मीडिया में भी फि का नाम बहुत तेजी से उजाला से दे पुलिस फि के अटैकर्स को पकड़ी है उनके घर पर छाप मारती है और वहां पे पुलिस को इसी की लिंक मिलते हैं सीडीएस और वीडियो मिलती है कन्वर्जन के लिए कई डॉक्यूमेंट भी मिलते हैं बारूद बंदूके अलकायदा की सीडीएस मिलती हैं 77 बैंक अकाउंट्स जिनका लिंक आईसीसी से निकलता है सा के बड़े में जब ये साड़ी चीज मिली तो इस चीज को लेक केरला के अंदर कई मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन ने भी इसको क्रिटिसाइज किया और कहा की इनको जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहिए ना ये की इन्वेस्टिगेशन भी स्टार्ट हुई और उसमें जो डॉक्यूमेंट मिले उसमें ये लोगों का प्लेन था फि के लोगों का की 2014 तक ये लोग इंडिया को एक इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं उसे टाइम के के मिनिस्टर थे वीएस अछुड़ा नंदन उन्होंने से मठ में एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने कहा की फि यंग लड़के लड़कियों को लुभाग्य कन्वर्जन कर रहा है और अगले 20 साल के अंदर केरला को इस्लामिक देश बनाने की प्लानिंग कर रहा है सा युटुब पे अभी भी वो इंटरव्यू पड़ा है आगे चल के स्ट्रिंग ऑपरेशन भी हुआ जिसमें फि की जो वूमेन बीइंग है उसकी जो हेड थी वो ये कहती हुई पी गई की मासिक कन्वर्जन कर चुके हैं ऑलरेडी और आगे और कराएंगे ये वीडियो भी युटुब पे है और जब इंडिया के अंदर फि के ऊपर नकल कैसे जान लगी तो आईसीएस की जो वेबसाइट थी उसके ऊपर फि के सपोर्ट में कई सारे आर्टिकल पब्लिश हुए और सिर्फ इतना ही नहीं है अभी आगे बताऊंगा की एक करोड़ रुपए लगा के फि के जो मेंबर थे उनका कैसे भी लाडा इसके अलावा केरला के अंदर कई हिंदू और क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन थे जिन्होंने नारकोटिक जिहाद की भी बात की लेकिन नारकोटिक्स जिहाद जो है वो केरला के अंदर नहीं है ऐसा मैं इसलिए का रहा हूं क्योंकि केरला के जो के मिनिस्टर थे उन्होंने गवर्नमेंट का डाटा शेर किया था जिसमें नारकोटिक एक्ट के अंदर 5422 केसेस रजिस्टर्ड हुए थे जिसमें से 49.8% हिंदू 34.47% मुस्लिम थे और 15.73% क्रिश्चियन थे शुरू में अगर आपको याद हो तो मैंने पापुलेशन की जो परसेंटेज बताई थी अगर उससे आप रिलेट करोगे तो ऑलमोस्ट हर कास्ट के बराबर के कैसे आए तो इस डाटा से ये कहा जा सकता है की नारकोटिक्स जिहाद का जो कैसे है वो केरला के अंदर इतना नहीं है तो देखिए इसके बाद आता है साल 2016 और यहां से में स्टोरी शुरू होती है इस साल में इंडिया के अंदर सबसे ज्यादा आईसीसी एक्टिविटीज होती हैं देखिए केरला स्टोरी जो मूवी है उसके अंदर कर लड़कियां दिखाई गई है लेकिन इस मूवी में क्या किया गया है की जो अलग-अलग लड़कियों के साथ इंसीडेंट हुए थे केरला के अंदर इस पर्टिकुलर टाइम पे उन सबको उठा के दिखाए गया और इसके साथ-साथ इसमें कुछ फ्रिक्शन इंश्योरेंस भी एड किया गए हैं मिर्च मसाला लगा के अदा शर्मा ने जो मूवी के अंदर लीड रोल प्ले किया है अगर मैं रियल स्टोरी की बात करूं तो पूर्णिमा इस जो केरला के अंदर जो फातिमा इस वाला इंसिडेंट हुआ था वो इसके काफी करीब है लेकिन एक्चुअल कहानी फातिमा की भी नहीं दिखाई गई है इस मूवी में आईसीएस का जो रिक्रूटमेंट होता है ये ग्लोबल मुद्दा है पुरी दुनिया इसे परेशान हुई है और पुरी दुनिया में इसके ऊपर मूवी बनाई गई है नेटफ्लिक्स पे अभी भी आप देखोगे तो केलिफोर्ड डी स्टेट हेलो नर्स आइस्स ये साड़ी मूवी जो है ये इसी मुद्दे पे बनाई गई हैं किसी भी कंट्री में ये मूवी ना तो बन हुई है और ना ही इस मूवी की वजह से लोगों ने आपस में लड़ाई कारी है लेकिन केरला स्टोरी के साथ दोनों चीज हुई हैं केरला स्टोरी जो मूवी है की इतने इंपॉर्टेंट और सेंसेटिव मुद्दे पे थी लेकिन डायरेक्टर ने मूवी बना के 32000 का रेंडम नंबर ऐसे ही दे दिए बहुत ही गलत चीज है इस गलती की वजह से पूरे देश के अंदर जो आईसीएस रिक्रूटमेंट की अवेयरनेस दी जा शक्ति थी वो डाइवर्ट होकर 32000 35000 इन नंबर की बेस्ट पे आके र गई है पुरी मूवी देखने के बाद भी लोगों को फि के बड़े में नहीं पता बल्कि मूवी देखने के बाद कई बार ऐसे इंसिडेंट भी हो जहां पे लड़ाई झगड़ा भी हो गए आपस में कर्नाटक के चुनाव होने से पहले रिलीज करने की इतनी जल्दी थी की चीजों को इग्नोर किया गया केरला मूवी का जो पूरा इशू है उसमें सबसे बड़ी दिक्कत है इसमें तीन चीज मिक्स की गई है एक इंडिया से जाके इस जॉइन करना दूसरा कन्वर्जन और फोर्स कन्वर्जन अब इंडिया के अंदर से आईसीएस जॉइन करने कितने लोग गए हैं ये तो फिर भी आप ऑफिशल डाटा के आसपास पहुंच सकते हो लेकिन कन्वर्जन और फोर्स कन्वर्जन बहुत ही सब्जेक्टिव चीज है इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन क्या था की कोई भी एडल्ट अपनी पसंद के धर्म में जा सकता है अब कौन सा कन्वर्जन फोर्सफुली क्रिया गया है और कौन सा अपनी मर्जी से किया गया इसको पता करना बहुत ही मुश्किल है जो ब्रेन वो तो रहेगा की वो अपनी मर्जी से कन्वर्ट हुआ है और जो सच में अपनी मर्जी से कन्वर्ट हुआ है वो कुछ भी कर ले उसकी बात पे कोई यकीन नहीं करेगा यही रीजन है की केरला मूवी के ऊपर आप दिन भर बहस कर लीजिए आप कंक्लुजन पे नहीं पहुंचोगे राइट विंग से आप अगर बहस करने जाओगे तो आईसीसी रिक्रूटमेंट कन्वर्जन और फोर कन्वर्जन इन तीनों का डाटा मिला के कुछ ना कुछ आपको प्रूफ कर देगा आप कन्वर्जन की डाटा पे बात करोगे तो आईसीसी रिक्रूटमेंट का डाटा को एड कर दिया जाता है आईसीएस की बात करोगे तो कन्वर्जन का मुद्दा उठा दिया जाता है वहीं जो लेफ्ट विंग है वो उसे चीज का डाटा दिखा रहा है जो कैलकुलेट ही नहीं किया जा सकता अब देखिए जो चीज ऑफीशियली कैलकुलेट ही नहीं की जा शक्ति उसको आप कैसे का सकते हो की एक आदमी था जो फोर्सफुली कन्वर्ट हुआ था या फिर 1000 था आप कन्वर्जन का रेशों फिर भी बता सकते हो फोर्स कन्वर्जन कैसे बता सकते हो मेक रियल एग्जांपल से समझता हूं जो केरला में हुआ एक इंडियन आर्मी ऑफिसर थे उनकी बेटी आदि रति वो एक साई मेंबर सबा के टच में आई है और फिर कन्वर्ट करके शफीन जहां नाम के लड़के से शादी कर लेती है और इसके बाद अथिरा का नाम जो होता है वो हथिया हो जाता है आदिरा के जो मां-बाप हैं ये सब देख के वो कोर्ट में जाके कैसे कर देते हैं की गलत है इसने अपनी मर्जी से नहीं किया वहीं दूसरी तरफ पीएफ आई भी अथिरा के सपोर्ट में आता है कपिल सिब्बल जो बहुत ही बड़े लॉयर है इंडिया के फि उनको हीरे करता है ₹1 करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा करता है इस कैसे के ऊपर इस कैसे का पूरा जजमेंट मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है आप एक बार उसको देख लेना क्योंकि कोर्ट के सामने इमोशंस नहीं चलते हैं कोर्ट का कहना है की एक एडल्ट लड़की का रही है की वो अपनी पसंद के धर्म में रहकर अपनी पसंद के लड़के से शादी कर रही है इसमें उसको क्यों सजा दी जाए और यही रीजन था की ये कैसे फि जीत जाता है तो इस कैसे से आप आइडिया लगा सकते हो की कन्वर्जन और फोर्स कन्वर्जन का जो डाटा है वो आप कैलकुलेट नहीं कर सकते अगर ये हडिया वाला कैसे भी आप ले लो तो ये किसी के लिए फोर्स कन्वर्जन था और किसी के लिए अपनी मर्जी से लिया हुआ फैसला था हां कुछ कैसे ऐसे जहां पे प्रॉपर डॉक्यूमेंट मिले हैं की एक प्लानिंग की गई थी कन्वर्जन के लिए जैसे मल्लापुरूम के अंदर निया की रेड पड़ी थी और वहां पे डॉक्यूमेंट मिले थे की कैसे उन्होंने 70 लड़कियों को कन्वर्ट करवाया था 2016 पुलिस के को इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट सबमिट हुई उसमें मेंशन था की केरला की खोजी खुदा और मल्लापुर में फि जैसी ऑर्गेनाइजेशन ने ₹5793 लोगों को कन्वर्ट किया है और इतने लोगों को इन्होंने 2012 से 2015 के बीच में कन्वर्ट किया लेकिन जो रिपोर्ट सबमिट की गई थी इसमें कहानी पे भी आप देखोगे तो फोर्सड कन्वर्जन शब्द उसे नहीं हुआ है ऐसे रिपोर्ट के आने से केरला के अंदर काफी हंगामा हुआ है लेकिन देखिए एक चीज इसमें देखनी होगी एक हिंदू कन्वर्ट हो गया या फिर एक मुस्लिम बिना कन्वर्ट हुए ऐसी जॉइन करेगा इंडिया को दोनों से बराबर का खतरा है अब इसमें एक चीज और कहते हैं लोग की निया की कर सीट में इतने सारे नाम है जो आईसीसी को जॉइन करने गए थे लेकिन सबसे ज्यादा बात कर लड़कियों की क्यों होती है लेकिन चारों को इंडिया लाने की जो बात है वो अभी भी चल रही है और इनकी जो इंडिविजुअल स्टोरी है वो काफी अलग है इसलिए इनका नाम ज्यादा आता है लेकिन इनके अलावा भी बहुत सारे ऐसे केसेस हैं जिनके बड़े में बात नहीं होती है जैसे अगर आपको सारे केसेस देखने होंगे तो 2008 से 2018 तक के जितने भी केसेस हुए हैं जितने भी इंसिडेंट हुए हैं केरला के अंदर वो मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिए हैं ये जो केरला स्टोरी मूवी है इसमें भी कर लड़कियां दिखाई गई है लोग सोचते हैं की करेंटली जो कर लड़कियां अफगानिस्तान में है उनकी कहानी है एक फातिमा की कहानी अगर हम छोड़ दें तो बाकी के जो कैरेक्टर है उसमें इन्होंने रियल स्टोरी नहीं उसे कारी है कुछ-कुछ इंसिडेंट पकड़ के उसमें एड किया है [संगीत] रियल लाइफ में जो लड़कियां अफगानिस्तान पहुंची थी उनके नाम है सोनिया सबशन उर्फ आयशा निमिषा संपत और फातिमा मरीन जब उर्फ मरियम और रफीला 2016 में जब इंडिया से 60 लोग अफगानिस्तान गए थे तो उनमें से ये कर भी थी तो कैसे लोग वहां पर पहुंची वो भी डिस्कस करते हैं केरला के अंदर एक कस्बा है कासरगढ़ वहां पे क्रिश्चियन लड़की सोनिया सबशन रहती थी इसमें बा कर रखा था और इसी बीच में ये मिलती है अब्दुल्ला अब्दुल्ला राशिद से ये कंप्यूटर इंजीनियर था और सर्टिफाइड एथिकल हैकर भी था और साथ में इसी से भी मिला हुआ था अब्दुल इंडिया के अंदर टॉप फाइव इस से हैंडलर में से एक था अब्दुल और सोनिया प्यार में पद जाते हैं और अब्दुल ने सोनिया के सामने ये डिमांड राखी की शादी अगर उसको करनी है तो वो कन्वर्जन करना होगा उसके बाद ही वो शादी कर सकता है सोनिया शुरू में तो माना करती है और बाद में कन्वर्ट हो जाति है और अब्दुल से शादी कर लेती है और सोनिया का नाम आयशा हो जाता है लेकिन यहां पे भी एक ट्वीट था अब्दुल पहले से ही शादीशुदा था यासमीन नाम की लड़की से आगे चल के सोनिया को जब ये बात पता चलती है तो शुरू में तो उसको दिक्कत होती है लेकिन आगे चल के उसको कोई दिक्कत नहीं थी की अब्दुल की दो वाइफ थी अब दो और अब्दुल की पहले वाली बाइक दोनों मिल के 2015 से एक सीक्रेट क्लास चलते थे जहां पे [ __ ] के बड़े में समझाया जाता था इंडिया से जा के आईसीएस जो है उसको जॉइन करना होता है उसको [ __ ] बोलते हैं अब्दुल जब की शादी करता है सोनिया से तो सोनिया को भी आईसीएस के कम में इग्नोर कर लेट है मैं अब्दुल्ला और उसके फि के मेंबर सोनिया के आईसीसी अकाउंट में पैसे डलवाते थे बाहर से इस पैसे से जो लोग इंडिया से बाहर इराक सीरिया और अफगानिस्तान में जाते थे उनके फ्लाइट के टिकट पासपोर्ट वगैरा सब अरेंज करवाया जाते थे 2016 से 2018 तक ये जो 60 लोगों को अफगानिस्तान जाना था इसमें सोनिया ने बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया था और इसी चीज की वजह से इंटरपोल का रेड नोटिस जारी हुआ था सोनिया के ऊपर पहले बार निया को उनके बड़े में तब पता चला है जब ये लोग इस पर्टिकुलर ईमेल आईडी से और ये दूसरी ईमेल आईडी है इससे दोनों आपस में बात कर रहे थे तो निया इस कन्वर्सेशन को पकड़ लेट है तो अब देखिए इधर अब्दुल सोनिया और यासमीन रेडी हो रहे थे अब अफगानिस्तान जान के लिए और उधर और लोगों को रेडी किया जा रहा था और यही वो पर्टिकुलर टाइम था जब ये लोग निमिषा संपत को भी अपने टच में ले आते हैं जो केरला स्टोरी में लीड एक्ट्रेस ने रोल प्ले किया है उसकी स्टोरी में इसी निमिषा की लाइफ की इंसिडेंट एड किया गए निमिषा कौशलगढ़ में रहती थी वहां के सेंचुरी कॉलेज से डेंटिस्ट्री की पढ़ाई कर रही थी [संगीत] निशा की फ्रेंड को दो लड़के मिलते हैं वैक्सीन और विंसन यह दोनों क्रिश्चियन हुआ करते थे लेकिन राशिद का ग्रुप इन दोनों को पहले कन्वर्ट कर चुका था तो कन्वर्ट करने के बाद वैक्सीन का जो नाम था वो ईशा रख दिया गया था और दूसरा भाई जो था वो विंसेंट था उसका जो नाम था वो यही ए रख दिया गया था ये दोनों मिल्क निमिषा और मेरी इसे रिलेशन में आते हैं और कन्वर्जन कर के शादी कर लेते हैं तो आप निमिषा जो थी उसका नाम फातिमा इस हो जाता है और जो मरीन थी उसका नाम मैरियन हो जाता है तो ये जो कर लड़कियां थी जिनकी मैंने बात कहीं थी शुरू में एक सोनिया दूसरी निमिषा तीसरी मेरी और चौथी थी रफल ये चारों लड़कियां कन्वर्ट होकर अफगानिस्तान में जान के लिए रेडी हो जाति है लेकिन अब्दुल राशिद को इन लोगों के साथ-साथ और लोगों को भी अफगानिस्तान ले जाना था तो जैसे-जैसे ये लोग एड होते जा रहे थे ये लोग ग्रुप बंता जा रहा था इनका और ये लोग एक्स्पोनेंटली और लोगों को एड करने का ट्राई करते हैं 2016 में यह जो 60 लोगों ग्रुप गया था इनको जो मास्टरमाइंड थे वह पांच लोग थे इंडिया के अंदर अब्दुल राशिद सियास कलुआतिया मौलाना हनीफा रिजवान खान अर्शी कुरैशी इसमें से आगे चल के अब्दुल्ला सियाज की तो जान चली जाति है अफगानिस्तान के अटैक में लेकिन बाकी की जो तीन है वो अभी भी इंडिया की जय में सजा कैट रहे हैं इसमें एक क्वेश्चन और ए रहा हूं आपके दिमाग में की ये लोग इंडिया में बैठ के आईसीएस के लोगों से कोऑर्डिनेटर कैसे करते थे एन आई इनको पकड़ क्यों नहीं पता था तो देखिए यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट पर होम अफेयर्स जिनका नाम था जी क्वेश्चन रेडी इन्होंने इस चीज के बड़े में एक बार बताया था की ये लोग डार्क वेब और इंक्रिप्शन की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी उसे करके सर कम्युनिकेशन कर देते हैं इंडिया से अफगानिस्तान में ये लोग मिल्क व्हाट्सएप ग्रुप चलते थे उसे व्हाट्सएप ग्रुप का नाम था इस्लाम कन है उसे ग्रुप से कुछ लोगों को ये लोग सिलेक्ट कर देते थे और फिर ये उन लोगों को शिफ्ट कर देते थे टेलीग्राम चैनल के लिए जो की दुबई के नंबर से चला था और ये इतनी ईमेल एड्रेस थी और इन ईमेल एड्रेस के थ्रू ये लोग कम्युनिकेट करते थे अलग-अलग लोगों से ये लोग डेली बेसिस पे यही ट्राई करते थे की कैसे लोगों को आईसीएस के लिए रेडी किया जाए एक डायरेक्ट नाम की मैगजीन भी बना राखी थी इन्होंने जिसमें पूरा ऑनलाइन मटेरियल था एक रिक्रूटमेंट ये वो उन लोगों से शेर करते थे जिनको लगता था की इन्फ्लुएंस हो सकते हैं अब वो खालिद अल हिंदी नाम से एक ट्विटर अकाउंट भी था जो लोगों को कन्वेंस करने की कोशिश करता था ट्विटर के ऊपर की वो आईसीएस को जॉइन करें और ऐसा नहीं की खाली इंडिया में इंडिया में रहकर ये लोग से मेथड थे यूएई नाइजीरिया ऑस्ट्रेलिया इन नंबर पे कंटीन्यूअस टच में रहते थे आईसीएस के रुक-रुट प्रोसेस को आगे बढ़ाने के लिए ये साड़ी चीज चल रही थी और जैसे-जैसे लोग रेडी हो रहे थे ये पांच जो में हैंडल थे ये लोगों को श्रीलंका भेज रहे थे श्रीलंका की कुछ अथॉरिटी को उनके बड़े में पता चला है तो इन लोगों को भाग के वापस इंडिया में आना पड़ता है वहां से आने के बाद ये लोग अपना प्लेन बनाते हैं अफगानिस्तान जान का ये 60 लोग इंडिया से अफगानिस्तान जाते हैं जिसमें से 26 मेल थे 13 फीमेल थे और 21 बच्चे थे इनको दो पार्ट में भेजो जाता है पहले ग्रुप 2016 में पहुंचता है और दूसरा ग्रुप 2018 में पहुंचता है पहले ग्रुप को इन्होंने दुबई के रास्ते से वहां की फ्लाइट दिलवाई और अफगानिस्तान की प्रोत्साहन में पहुंच है दूसरा जो रुकता है उसको इन्होंने ओमान के रास्ते से पहुंच है अफगानिस्तान ये लोग टोटल साथ अलग-अलग फ्लाइट पढ़ते हैं ये इन फ्लाइट के नंबर्स हैं और ये सारे इन्होंने पासपोर्ट उसे किया जिसमें एग्जैक्ट डेट और एयरपोर्ट भी मेंशन जैसे ये लोग पहुंचने हैं इधर सोनिया निमिषा मरीन इनके पेरेंट्स पुलिस स्टेशन में पहुंचने हैं की हमारे बच्चे एक महीने से गायब हैं लेकिन पुलिस जब चेक करती है तो एक पैटर्न देखते है की से एरिया से इसी पर्टिकुलर टाइम पे काफी लोग गायब हुए हैं इसके बाद अलग से एक इन्वेस्टिगेशन टीम बैठाई जाति है और जब ये लोग ट्रेकिंग करते हैं तो यासमीन के बड़े में इनको पता चला है जो दिल्ली के जामिया नगर में रहती थी जी को सारे लिंक यही से मिलते हैं और 30 जुलाई 2016 को ये लोग यासमीन को दिल्ली एयरपोर्ट यानी की इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से पकड़ लेते हैं तो यासमीन अफगानिस्तान नहीं पहुंच पाती है अफगानिस्तान में सिर्फ राशिद और सोनिया ही पहुंच पाते हैं अब होता क्या है की 2017 के स्टार्टिंग में उस अपने सबसे पावरफुल नॉन न्यूक्लियर वेपन का उसे करता है अफगानिस्तान के केव परिसर में और इसमें अफगान फोर्सेस भी उस का साथ देती है और भी कई जगह पे अटैक किया जाता है ये जो 60 लोग थे यह आईसीएस के कैंपस में र रहे थे और पूरे टाइम ये लोग अफगानिस्तान में भेज भेज फिर रहे थे तो इस हमले में निमिषा सोनिया इन सबके हसबैंड मारे जाते हैं टोटल 60 लोग गए थे उसमें से 24 लोग मारे गए पांच लोग मिसिंग हैं और 10 औरतें और 21 बच्चे ये अफगानिस्तान फोर्सेस के सामने सुरेंद्र कर देते हैं और इसी 10 औरतें में से ये कर औरतें थी जो पकड़ी जाति है इन चारों को जय में दाल दिया जाता है इधर दिल्ली में जो यासमीन पकड़ी गई थी उससे काफी डिटेल मिली और इससे निया को पता चला है की अफगानिस्तान में क्या चल रहा है अफगानिस्तान गवर्नमेंट भी इंडियन एंबेसी को इन्फॉर्म करती है तो जब ये साड़ी चीज पता चलती है तो इंटेलिजेंस एजेंसी के जो ऑफिसर थे वो अफगानिस्तान में पहुंचने हैं और इन लड़कियों से बात करते हैं इसका ओरिजिनल इंटरव्यू स्टार न्यूज़ मलिक चैनल है उसे पर पदयाल के नाम से आप देखिएगा जरूर आप देखोगे उसे वीडियो में जब इसे पूछा गया की आपने ऐसा क्यों किया तो ये साड़ी साड़ी एक जैसे ही बयान दे रही है की जैसा हमने सोचा था वैसा यहां नहीं मिला हम वापस इन नहीं आया जाना चाहते हैं उसमें ऑफिसर इसे कहते भी हैं की जब आपको पता चल गया है जैसा आपने सोचा था वैसा यहां नहीं है तो आप इंडिया में वापस जाकर अपने मां आप के साथ रहेगी तो इनमें से एक ने यानी की सोनिया ने कहा की राशिद अब्दुल्ला तो मा गया है लेकिन मैं उसके मॉम और दादा के साथ जाके रहना चाहूंगी इंडिया में ऑफिसर्स बात करने के बाद कन्वेंस नहीं हुए और इंडिया ने ये डिसाइड किया की इनको वापस नहीं लेंगे इनके जो मां-बाप हैं उनकी लाइफ काफी टफ हो गई है वो अभी भी इस लड़ाई को लाड रहे हैं की इनके बच्चे वापस ए जाए बाकी देखिए और भी बहुत साड़ी रिपोर्ट है ऑब्जर्वर भी इस लेक्चर फाउंडेशन की रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है की 180 से 200 केसेस हैं जिसमें लोग इंडिया से इस जा के जॉइन किया उन्होंने उस ने भी डाटा शेर किया की उसने जब अटैक किया था 2020 में तो 2020 का डेट का शेर किया था की इसमें 66 इंडियन थे जिन्होंने जाके इस जॉइन किया था वो आईसीसी के कैंप में थे वहां पे हम अफगानिस्तान में और सिर्फ इतनी रिपोर्ट नहीं है और भी बहुत साड़ी रिपोर्ट्स हैं तो इस वीडियो में कर करना पॉसिबल नहीं है एक बार आप लोग खुद से भी रिसर्च करके देखिए लास्ट में फिर से एक बार आपको बता डन कुकू एफएम पर अवेलेबल 46 इंडियन रेस्पिरेशन अगेंस्ट की आगे ऑडियो बुक को आप जरूर सुना लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है थैंक यू [संगीत] PI5Sv0QNGvM,Why Afghanistan Is Impossible to Conquer | Nitish Rajput | Hindi,2023-05-06T14:30:09Z,PT27M5S,5237862,131867,10475,https://www.youtube.com/watch?v=PI5Sv0QNGvM,, उसे टाइम पे जितने मुजाहिदीन रिक्रूट हुए थे उन सब का डेटाबेस था इनके पास और इसी के नाम पे बना था अलकायदा जिसमें उस गलती से एक शादी पे बम गिर गया था जिसमें दुल्हन समेत 47 सिविलियन मारे गए थे उस ने पाकिस्तान से बात करके जितनी मुजाहिद दिन थे उनकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में करवानी शुरू कर दी इसके लिए पाकिस्तान को बहुत ही मोटा पैसा भी मिला जिसकी वजह से मुजाहिद दिन पहाड़ों में से चुप के इनके एयरप्लेन बैठे-बैठे ही उदा रहे थे एक था सऊदी अरब का यंग मिलेनियम ओसामा बिन लादेन दूसरा था अब्दुल आजम और तीसरा था अहमद खरड़ ये तीनों पाकिस्तान के पेशावर में पहुंचने हैं पेस्तो में स्टूडेंट को कहते हैं तालिब और इसी से इस विंग का नाम बड़ा तालिबान और ये जो मुला उमर तालिबान के जो बाकी लीडर थे वो सम जल दें ये सब अफगानिस्तान के अंदर ही भाग के चुप जाते हैं नेट होने सिविलियन को मारा था और बाद में झूठ बोल के उन्हें इंश्योरेंस को कर किया था देखिए दुनिया की शायद ही कोई ऐसी सुपर पावर होगी जिसने अफगानिस्तान पर कब्जा करने का ना सोचो लेकिन कोई भी सुपर पावर आज की डेट तक अफगानिस्तान को जीत नहीं पी तो सबसे पहले चीज तो ऐसा क्या रीजन है की दुनिया भर की जो सुपर पावर है उनकी स्ट्रेटजी अफगानिस्तान में आके देर हो जाति है और उसे की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी की उसको ओसामा बिन लादेन जैसे आदमी को अफगानिस्तान में भेजना पड़ा जो बाद में जाके उनके लिए सिरदर्दी बना और अफगानिस्तान में तो ऐसे कोई खास रिसोर्सेस भी नहीं है बंदर जमीन है दूर-दूर तक पहाड़ है लेकिन उसके बाद भी उस और रसिया ने लाखों डॉलर लगा के इसको जितने की कोशिश की लेकिन हर बार उनको खाली हाथ क्यों वापस जाना पड़ा तो इन साड़ी चीजों के पीछे एक्चुअल रीजन क्या है इसको आज डिटेल में डिस्कस करेंगे लेकिन उससे पहले हमको थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा [संगीत] कोडिंग इनवर्टर के बड़े में बताना चाहूंगा बहुत से ऐसे लोग हैं जो करियर स्टार्ट करने के लिए टेक्निकल इंडस्ट्री में जब ढूंढ रहे होंगे या फिर करियर ग्रोथ को लेकर परेशान होंगे आप सबके लिए बहुत अच्छी अपॉर्चुनिटी है कोडिंग इंदर के थ्रू चाहे किसी के पास टेक्निकल बैकग्राउंड नाही हो तब भी कोडिंग इनवर्टर के कोर्सेज करके आप इजीली टेक शब्द में करियर स्टार्ट कर सकते हैं और अगर हम मार्केट डिमांड की बात करें तो डाटा एनालिस्ट डाटा साइंस की जॉब्स हाय सैलरी पे करने वाली डिमांड स्केल है क्योंकि आज के टाइम पे दुनिया की साड़ी कंपनी डाटा ड्रिवन हो चुकी हैं तो क्यों ना आप इन स्किल में एक्सपर्टीज लेक अपना करियर बना कोडिंग इनवेडर्स ऑलरेडी 20000 ग्रैजुएट्स को प्लेस कर चुका है इनके वर्ल्ड क्लास कोर्स और एक्सपर्ट इंडस्ट्री इंस्ट्रक्टर्स की गाइड एक ट्रेनिंग फॉलो करके आपको 100% प्लेसमेंट मिल जाएगी और ऐसा ही मैं नहीं का रहा हूं इनफैक्ट कोडिंग इनवेडर्स आपको इनरोल करने से पहले जब गारंटी एग्रीमेंट देता है और हमारे चैनल के व्यूवर्स के लिए एक और फायदे की बात है मेरा कूपन कोड एन आर 27 उसे करके फर्स्ट 100 यूजर्स को 27% का डिस्काउंट मिलेगा तो चेक आउट कोडिंग इनवेडर्स जब गारंटीड बात लिंग इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं देखिए साड़ी चीजों की शुरुआत होती है 1839 में उसे टाइम पे ब्रिटिशर्स और रूस अंपायर दोनों अफगानिस्तान में अपने इन्फ्लुएंस को बड़ा रहे थे क्योंकि अफगानिस्तान की लोकेशन साउथ एशिया में एक बहुत ही इंपॉर्टेंट और स्ट्रैटेजिक लोकेशन है ब्रिटिश अंपायर और रूस अंपायर में ये जो अफगानिस्तान को लेकर उठा पर तक चल रही थी इसको नाम दिया गया था डी ग्रेट गेम बाद इतनी आगे बधाई की ब्रिटिशर्स ने बिना कुछ सोच समझे अपनी भाग जमाने के लिए ₹16500 लोगों की आर्मी अफगानिस्तान में भेज दी लेकिन सिर्फ कुछ ब्रिटिश सोल्जर को छोड़ के अफगानिस्तान ने हर एक ब्रिटिश सोल्जर को मार दिया था [संगीत] 1933 में अफगानिस्तान के लास्ट किंग बनते हैं जाहिर शाह और यही वो टाइम था जब अफगानिस्तान थोड़ा बहुत स्टेबल था जहीर शाह ने अफगानिस्तान के अंदर मॉडर्नाइजेशन किया जब आसपास की कंट्रीज में डेमोक्रेसी की बात होना चालू हो गई थी तो इन्होंने भी 1964 में अफगानिस्तान का पहले कॉन्स्टिट्यूशन भी इंप्लीमेंट कर दिया जिसमें अफगानिस्तान में पार्लियामेंट बना और दो हाउसेस भी बने और किंग जाहिर शाह के एक कम थे दौड़ खान जिम इनको बहुत ही ज्यादा ट्रस्ट था तो इन्होंने दौड़ खान को प्राइम मिनिस्टर बना दिया था उसे टाइम पे अब देखिए कौन सी ट्यूशन इंप्लीमेंट करना पार्लियामेंट के अवशेष बनाना ये साड़ी चीज जाहिर शाह कर तो रहे थे लेकिन साड़ी पावर इन्होंने अपने पास राखी थी होता वही था जो जाहिर शाह कहते थे जिसका लोग डाबी आवाज में विरोध भी करते थे अब देखिए एयर 1973 आता है और एक दिन अचानक से जाहिर शाह की तबीयत खराब हो जाति है और तब तक अफगानिस्तान में इतना ज्यादा डेवलपमेंट हुआ नहीं था तो कोई अच्छा हॉस्पिटल भी नहीं था तो उनको अपना इलाज करवाने के लिए इटली जाना पड़ा अब जाहिर शाह के इटली जाते ही इनके जो भरोसेमंद कजिन थे दौड़ खान इन्होंने 17 माउंट आबू जुलाई 1973 को अफगानिस्तान में तक्ता पलट कर दिया और साड़ी चीज अपने कंट्रोल में ले ली ये जो तख्तापलट हुआ था इसमें आर्मी और पब्लिक दोनों ने ही दौड़ का सपोर्ट किया था अफगानिस्तान की आम जनता भी यही चाहती थी की राजशाही खत्म हो और डेमोक्रेसी है जिससे लोगों के हाथ में पावर है क्योंकि वो लोग भी राजशाही से परेशान हो गए थे इसलिए उन्होंने दौड़ खान जो थे उनका ज्यादा विरोध नहीं किया अब जहीर शाह को इटली में ये चीज पता चलती है की अफगानिस्तान में तख्त पलट हो गया है और अगर वो वापस गए तो उनको मार दिया जाएगा इसलिए वो इटली में एक दाल ले लेते हैं और वहीं पे रहते हैं अब इसके बाद दौड़ खान खुद को आप गार्गेंट बना देते हैं और डेमोक्रेसी इंप्लीमेंट करते हैं लेकिन यहां भी वो एक गलती कर देते हैं वो डेमोक्रेसी तो इंप्लीमेंट करते हैं लेकिन एक शर्ट रख देते हैं की उनकी पार्टी के अलावा कोई और पार्टी इलेक्शन नहीं लाड शक्ति और जो अफगानिस्तान की आम जनता होती है उसको फिर से चीटेड लगे लगता है की ये तो से चीज हो गई और इसके साथ-साथ कुछ टाइम के बाद अफगानिस्तान में महंगाई और बेरोजगारी भी बाढ़ जाति है जिससे लोग और परेशान होने लगता हैं और सिर्फ इतना ही इसके साथ-साथ दौड़ जो है वो सिर्फ बड़ी सिटीज में ही कंस्ट्रक्शन करवा रहे थे और जो छोटे कस्बे थे उनको बिल्कुल इग्नोर कर दिया था और छोटे काशन की जो जनता थी इस चीज को लेकर बहुत ज्यादा गुस्से में ए गई थी उनको लगे लगा की इससे बढ़िया तो सही दौड़ खान की साड़ी चीज देख कर इन सब चीजों से परेशान होकर अफगानिस्तान के कई सारे ग्रुप मिलकर एक पार्टी बनाते हैं पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान पीडीपी ये कम्युनिस्ट पार्टी थी जो यूएसएसआर से इन्फ्लुएंस थी और यूएसएसआर भी जो ओवर वर्ल्ड में उसे पर भी टाइम पे कम्युनिस्ट पार्टी को हर तरीके से सपोर्ट करता है तो पीडीपी को भी रसिया से सपोर्ट मिला और जब अफगानिस्तान की इकोनामिक कंडीशन खराब हुई बेरोजगारी बढ़ाने लगी तो जीडीपी और पॉपुलर होती गई ये चीज दौड़ खान को भी समझ में आई तो उन्होंने जीडीपी को दबाने की कोशिश की और जीडीपी के एक बहुत ही बड़े लीडर मीर अकबर खबर को भी मारवा दिया उन्होंने जीडीपी ये जो पार्टी थी इनके लोगों को जय में डालना शुरू कर दिया गया और इसके बाद जगह जगह पे प्रोटेस्ट शुरू हो गए दौड़ खान के कंट्रोल से साड़ी चीज बाहर जान लगे और जीडीपी ये जो पार्टी थी उसको दौड़ गवर्नमेंट के कुछ बड़े मिलिट्री ऑफिसर भी सपोर्ट कर रहे थे जिसकी वजह से जीडीपी पूरे अफगानिस्तान में बहुत ही पावरफुल हो गई थी और इसके बाद डेट आई है 27th ऑफ अप्रैल 1978 इस डेट को दौड़ खान और उनकी फैमिली को मार दिया जाता है और जीडीपी अफगानिस्तान में कंट्रोल ले लेती है नूर मोहम्मद टर्की अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट बनते हैं नूर मोहम्मद यूएसएसआर के फेवरेट थे क्योंकि वो कम्युनिस्ट एडोलॉजी को काफी सपोर्ट करते थे जैसे कांग्रेस किसी गॉड को नहीं मानते थे तो नूर भी इस आईडियोलॉजी को प्रोपागेट करते थे नूर मोहम्मद के आते ही अफगानिस्तान के अंदर बहुत ही बड़े-बड़े चेंज होते हैं अफगानिस्तान एक मुस्लिम कंट्री और वहां पर नूर ने मॉडर्नाइजेशन और सेक्युलरिज्म स्टार्ट किया फीमेल को एजुकेशन अलाउड हुई फेमस ओपनली रोड पर भी घूम शक्ति थी फैशन कर शक्ति थी गाड़ी चला शक्ति थी ये जो फुटेज आप अभी देख रहे थे ये साड़ी साड़ी उसे टाइम की ओरिजिनल फुटेज है इस पर्टिकुलर टाइम में नूर ने अफगानिस्तान के अंदर एजुकेशन कंपलसरी कर दी सिलेबस में से रिलिजियस एजुकेशन को हटा दिया मैरिज की मिनिमम आगे बड़ा दी जबरदस्ती जो मैरिज की जाति थी उसको बन कर दिया क फोर्स और पॉलिटिक्स में वूमेन का पार्टिसिपेशन बढ़ाने की बात की रिलीज लीडर का जो इंफ्रास्टेट था उसको कम कर दिया और रिलिजन का पब्लिक डिस्प्ले तक बैंड कर दिया नूर यहां पे भी रुकते नहीं हैं यूएसएसआर के इन्फ्लुएंस में ए के वो लैंड रिफॉर्म भी लेक आते हैं जिसमें ये था की जिन लोगों के पास जमीन ज्यादा है वो उनको देंगे जिनके पास जमीन कम है और लोगों में इक्वलिटी के लिए जो डेथ था एग्रीकल्चर को लेकर वो भी उन्होंने माफ कर दिया ये साड़ी चीज जो नूर कर रहे थे इसकी वजह से नूर मोहम्मद गवर्नमेंट के अपोज में जो जो लोग थे वो खाने लगे की गवर्नमेंट तो ट्रेडिशनल अफगान वालुज को सीधे-सीधे चैलेंज कर रही है और एक तरह से यूएसएसआर की चमचागिरी कर रही है अब ये साड़ी चीज देख के अफगानिस्तान के जो बड़े लैंड ऑनर्स थे ट्रेडिशनल लोग थे और रिलिजियस लीडर थे वो गवर्नमेंट का अपोज करने लगता हैं गवर्नमेंट ने इन लोगों को अपनी पुरी पावर से दबाने की कोशिश भी की लड़ाई काफी बड़ी और अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों में लोगों ने गवर्नमेंट के खिलाफ हथियार उठा लिए इस लड़ाई को अफगानिस्तान में कहा जान लगा की ये लड़ाई इस्लाम को डिफेंड करने की लड़ाई है और जो ये छोटे-छोटे ग्रुप गवर्नमेंट के खिलाफ अपने एरिया में लड़ाई लाड रहे थे इनको मुजाहिदीन बोला जान लगा भाई डेफिनेशन मुजाहिदीन उनको बोला जाता है जो इस्लाम को डिफेंड करने के लिए लड़ाई लड़ते हैं अच्छा एक चीज याद रखिएगा जो अभी आप आगे रिलेट कर पाओगे की मुजाहिदीन कोई एक ग्रुप नहीं था बल्कि अलग-अलग इलाकों में गवर्नमेंट के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले ग्रुप से जिम से कुछ कोई इस्लामिक स्कॉलर्स लीड कर रहे थे कुछ-कुछ लोकल लीडर्स और कुछ को स्टूडेंट लीड कर रहे थे तो इन सब ग्रुप को कलेक्टिवली मुजाहिदीन बोला जान लगा ये जी ध्यान में रखिएगा क्योंकि आगे आपको समझना में आसानी होगी इन मुजाहिद दिन के साथ ट्रैवल लीडर्स और मिलिट्री के भी कुछ लोग जुड़ गए थे आपका आम नाम था जीडीपी कम्युनिस्ट गवर्नमेंट को गिरना जीडीपी कम्युनिस्ट गवर्नमेंट में नूर मोहम्मद तारिक की पीएम थे और हफीजुल्लाह अमीन ये फौरन मिनिस्टर और डिप्टी पीएम थे लेकिन यूएसएसआर को हबीबुल्लाह अमीन अनरील लगता थे यूएसएसआर जितना नूर मोहम्मद पर ट्रस्ट करता था उतना अमीन पे नहीं करता था इन फैक्ट उसे टाइम पे व्यूवर्स भी थे की आमीन जो है वो उस की सिया के साथ मिले हुए हैं इसके बाद 20 मार्च 1979 में नूर मोहम्मद मास्को जाते हैं जहां पर यूएसएसआर इनको समझता है की आपके फॉरेन मिनिस्टर अमीन उस के सिया से मिले हुए हैं और आप इनको अपनी मिनिस्ट्री से हटा दो साथ में यूएसएसआर ये भी समझता है की अफगानिस्तान की सिचुएशन अभी क्रिटिकल है आप ये जो सोशल रिफॉर्म ला रहे हो अफगानिस्तान में इनको थोड़ा कम कर दो नूर मोहम्मद युसुफजा को असर करते हैं की वो वापस लोट के अमीन को हटा देंगे इसमें कहा जाता है की ये बस सिया को पता चल जाति है और सिया अमीन को बता देता है और जैसे ही नूर यूएसएसआर के डर से वापस आते हैं आमीन जो थे वो एयरपोर्ट पे ही पहुंच के नूर और उनकी फैमिली को मार देते हैं और खुद पीएम बन जाते हैं [संगीत] जैसे यह बात यूएसएसआर को पता चलती है यूएसएसआर को समझ में ए जाता है की अब अफगानिस्तान उनके हाथ से निकाल जाएगा एक तरफ तो पूरे अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट गवर्नमेंट के खिलाफ जगह-जगह पे मुजाहिदीन खड़े हुए थे और दूसरी तरफ उनके हिसाब से चलने वाला पीएम जो था उसको भी मार दिया गया था ये सिर्फ एक मर्डर ही नहीं था बल्कि यूएसएसआर को डायरेक्ट चुनौती थी और इसके ऊपर से उस का जो सपोर्टेड पीएम था वो अब अफगानिस्तान में ए गया था तो इन साड़ी चीजों को देखते हुए ये शो हो गया था की अफगानिस्तान में चीज अब उस के हिसाब से चलने लगेगी और इन सब रीजन की वजह से यूएसएसआर 24th ऑफ दिसंबर 1979 में अफगानिस्तान में हजारों की आर्मी के साथ काबुल में घुसता है और अफगानिस्तान के मेजर एरिया पे पॉलीटिकल और मिलिट्री कंट्रोल ले लेट है इसके साथ-साथ अमीन को मार दिया जाता है और यूएसएसआर फिर से अपने हिसाब से चलने वाला अफगानिस्तान में लीडर बना देता है जिसका नाम था बराक कर माल जब पुरी दुनिया इस चीज को लेकर यूएसएसआर को क्रिटिसाइज कर रही थी तो यूएसएसआर कहता है की हमने अफगानिस्तान में हमला नहीं किया बल्कि अफगानिस्तान गवर्नमेंट की मदद की है एक्टेमिस से निपटाने के लिए इस चीज को देखकर अफगानिस्तान की आम जनता भी भड़क गई थी और ज्यादा से ज्यादा लोग उसे हिसाब से बदला लेने के लिए मुजाहिद दिन बन रहे थे इसी के साथ-साथ उस की भी साड़ी मेहनत पे पानी फिर गया था तो यस खुश नहीं था उस के प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने अनाउंस कर दिया था की अफगानिस्तान ये जो किया है उस परिषद गल्फ रीजन में यानी की अफगानिस्तान में इससे उस को भी खतरा है और उस अपने इंटरेस्ट को बचाने के लिए हर हद तक जाएगा चाय मिलिट्री ही क्यों ना उतारने पद जाए और फिर यहां से एंट्री होती है उस की देखिए एशिया के अंदर उस के दो ही साथ ही थे एक पाकिस्तान और दूसरा सऊदी अरब और रसिया अगर अफगानिस्तान पे भी अपना इन्फ्लुएंस बना लेट तो पूरे एशिया में उस कभी अपना इन्फ्लुएंस नहीं बना पता इसलिए उस के लिए अफगानिस्तान के अंदर यूएसएसआर का एम्बुलेंस रुकना बहुत ही जरूरी हो गया था अब अगर ये डायरेक्ट अफगानिस्तान में गुस्सा तो यूएसएसआर और उस डायरेक्ट वार में ए जाते वो उस नहीं चाहता था इसलिए उसने दूसरा रास्ता चुनाव उस ने कई साड़ी इस्लामिक कंट्रीज को यूएसएसआर के खिलाफ किया ये कहकर की ये रिलिजन पे अटैक है और अफगानिस्तान के अंदर जो मुजाहिदीन लाड रहे थे उनको उस ने हर तरीके से बहुत ही सपोर्ट किया उस ने पाकिस्तान से बात करके जितनी मुजैब दिन थे उनकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में करवानी शुरू कर दी इसके लिए पाकिस्तान को बहुत ही मोटा पैसा भी मिला दूसरी तरफ सऊदी अरब से उस ने उसे रीजन में मदद ली उस के की ने पाकिस्तान की इसी के साथ मिल्क मकदाब अल खीर मत ये एक ऑर्गेनाइजेशन बनवाई और उसे पूरे रीजन में लोगो से कहा की ये खली वार है इसमें सबको आना चाहिए और काफी लोग इस लड़ाई को लड़ने आए भी जिसमें से तीन बहुत ही इंपॉर्टेंट लोग हैं एक था सऊदी अरब का यंग मिलेनियम ओसामा बिन लादेन दूसरा था अब्दुल आजम और तीसरा था अहमद ये तीनों पाकिस्तान के पेशाब में पहुंचने हैं और डायरेक्ट तो ये फाइट में नहीं इंवॉल्व होते हैं लेकिन बहुत ही बड़े लेवल पे फाइनेंशियल मदद और स्ट्रीट्स बनाने में मदद करते हैं और जितना भी मुजाहिदीन का रिक्रूटमेंट होता था ये साड़ी चीज देखते थे इन तीनों के पास उसे एरिया का हर डेट आप ये जो अल्कीड़ा का नाम सुनते हो इसका मतलब होता है डी बेस उसे टाइम पे जितने मुजाहिदीन रिक्रूट हुए थे उन सब का डाटा बेस था इनके पास और इसी के नाम पे बना था अलकायदा वेस्टर्न कंट्रीज जो थी वो भी इसमें उस को सपोर्ट कर रही थी और इसके साथ-साथ उसे टाइम में जितनी भी मूवी आई थी उसमें मुजाहिद तीनों को हीरो दिखाए जाता था ताकि यंग जेनरेशन और इन्फ्लुएंस हो जैसे 1987 में आई जेम्स बंद की फिल्म डी लिविंग डी लाइट्स में मुजाहिदीन को क्रेज़ी फाइटर दिखाए गया वही 1988 में आई रैंबो में भी हीरो हो जाए दिन के साथ मिलकर सो गए थे खिलाफ लड़ाई लड़ता है अब देखिए यूएसएसआर आदमी पावरफुल तो थी लेकिन अफगानिस्तान का जो रीजन है वह काफी पहाड़ों वाला है और वहां एक्सट्रीम वेदर होते हैं जिससे यूएसएसआर आर्मी को काफी दिक्कत हुई और अचानक से कहानी से भी मुजाहिद उन पे अटैक कर देते थे प्रॉपर गोरिल्ला और चलती थी उसे एरिया में मुजाहिदीन पुरी तरीके से उसे एरिया से वाकिफ थे लेकिन यूएसएसआर आर्मी को बहुत ही दिक्कत हो रही थी अफगानिस्तान के अंदर और फोर्स का बहुत बड़ा एडवांटेज था यूएसएसआर के पास लेकिन उस ने मुजाहिदो को लेटेस्ट वेपन स्ट्रिंगर सरफेस तू और मिसाइल भी दे दी जिसकी वजह से मुजाहिदीन पहाड़ों में से चुप के इनके एयरप्लेन बैठे-बैठे उदा रहे थे इन साड़ी चीजों से यूएसएसआर को बहुत ही भारी नुकसान हुआ यूएसएसआर ने 10 साल तक लड़ाई लड़ी है अब राजस्थान के अंदर लेकिन उसके बाद 1988 में उन्होंने अपनी फोर्सेस को वापस बुलाना शुरू कर दिया 15th एफबी 1989 को साड़ी फोर्सेस वापस चली गई थी यूएसएसआर की ये बहुत ही शर्मनाक हर के लिए अब यूएसएसआर तो अफगानिस्तान से हर गए वापस जा चुका था लेकिन अब अफगानिस्तान चलाएगा कौन इसको लेकर दिक्कत आई जैसे मैंने आपको बताया था की मुजाहिदीन कोई एक ग्रुप नहीं था ये पूरे अफगानिस्तान में अलग-अलग ग्रुप और काबिले थे तो यह ग्रुप अफगानिस्तान में रूल करने के लिए आपस में ही लड़ने लगता हैं इसको लेकिन 1992 में कई सारे छोटे-छोटे ग्रुप के जो लीडर थे उन्होंने पाकिस्तान का जो पेस हुआ है वहां पे मीटिंग की और अफगानिस्तान में पावर किस तरीके से शेर होगी कौन क्या देखेगा इस पे एक एग्रीमेंट भी साइन किया जिसको पेशावर अकड़ भी कहा जाता है लेकिन इसमें भी आगे चल के काफी दिक्कत हुई क्योंकि जिसको कम पावर मिली उसने इस रिकॉर्ड को माने से ही माना कर दिया जिससे अब गाने स्थान में एक सिविल वार शुरू हो गई और फिर से अफगानिस्तान के अंदर डिस्ट्रक्शन के और लावलॉसनेस कई साड़ी कंडीशन पैदा हो अभी जितनी मुझे दिन के ग्रुप थे इसमें से एक ग्रुप था स्टूडेंट विंग था जिसके अंदर रिलिजियस स्कूल और मद्रास के स्कॉलर्स थे मुजाहिदीन का यह ग्रुप सबसे मजबूत था जिसको तैयार किया गया था यूएसएसआर से लड़ने के लिए एक्चुअली पश्तो में स्टूडेंट को कहते हैं तालिब और इसी से इस विंग का नाम बड़ा तालिबान इस ग्रुप के अंदर एक बहुत ही फेमस और तेज बैंड था मुला मोहम्मद उमर जिसने यूएसएसआर से लड़ते समय उनको बहुत ही ज्यादा नुकसान किया था इसी लड़ाई में एक बम फटने की वजह से उसकी एक आज भी चली गई थी जिसको लोग बहुत ही रिस्पेक्ट से देखते थे तो ये जो मुला उमर था यही इनका हेड बंता है मुला उमर की पावर इतनी गो हो जाति है की 1996 में उसने 1500 रिलिजियस लीडर्स के सामने जिसमें ओसामा बिन लादेन भी था होली क्लॉक ऑफ प्रॉफिट मोहम्मद पहन लिया जिसको हिंदी में लबादा भी कहते हैं ये लोग 250 साल तक किसी ने भी नहीं पहनी थी और इसको पहना ही वो अफगानिस्तान में एक बहुत ही रिस्पेक्ट लीडर बन जाता है और इसके बाद अफगानिस्तान के अंदर मुल्लाओ प्रियलो इंप्लीमेंट करता है जिसमें ये था की औरतें बिना मेल के बाहर नहीं निकलेगी म्यूजिक मूवी टीवी बन होंगे वेस्टर्न एजुकेशन की बजे रिलिजियस एजुकेशन दी जाएगी चोरी करने वालों के हाथ कैट दिए जाएंगे चौराहे पे फैंसी देना 1500 साल पुराना बामियान में बुद्ध जी का एक स्टैचू था जो यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट थी उसको तोड़ दिया जाता है ताकि कोई और धर्म का स्टैचू ना रहे जीडीपी का जो करंट पीएम था उसको चौराहे पे मार के मटका दिया जाता है ये वो टाइम था जिसको सोच के लोग आज भी डरते हैं उस के खिलाफ हो जाता है ओसामा के उस के खिलाफ होने के बहुत सारे रीजन थे जैसे सऊदी अरब में जो उस मिलिट्री घुस रही थी ओसामा उसके खिलाफ था उस ने सूडान के अंदर भी ओसामा के ऑपरेशन बैंड करवा दिए थे और भी बहुत ही जलते हुए ओसामा के उस के खिलाफ होने के वो आप लोग खाओगे तो किसी और वीडियो में डिस्कस कर लेंगे वरना टॉपिक कहानी और चला जाएगा तो ओसामा बिन लादेन के मुला उम्र से काफी अच्छे रिलेशन थे अब क्योंकि उसावा को सुदन से निकाल दिया गया था तो मुला उमर ने अफगानिस्तान में अलकायदा के लोगों को और ओसामा को 9/11 की साड़ी प्लानिंग अफगानिस्तान से बौखला गया था और तुरंत वार ऑन टेरर स्टार्ट कर दी थी 911 की प्लानिंग ओसामा ने अफगानिस्तान से की थी और ओसामा वहीं पर र रहा था तो उस ने तालिबान से कहा की बहुत हो गया आप ओसामा को हमें दे दो और अलकायदा का जो पूरा नेटवर्क है वो अफगानिस्तान के अंदर से खत्म कर दो और मुला उमर इसके लिए माना कर देता है माना करने के पीछे बहुत सारे रीजन थे एक तो ओसामा बिन लादेन ने यूएसएसआर की जब लड़ाई चल रही थी तो उसमें मुला उम्र की बहुत साड़ी मदद कारी थी दूसरा इससे पूरा अफगानिस्तान में ये मैसेज जाता है की तालिबान उस के सामने झुक गया तो उसका लोकल सपोर्ट भी कम हो जाता और पश्तो में ये भी कहा जाता है की मेहमान को किसी और को एंडोवर नहीं करते ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान का मेहमान था तो वो ऐसा नहीं कर सकते थे ऐसा उनका कहना था यहां तक की तालिबान ने उस्मा विलन के खिलाफ सबूत भी मांगे जिनको देने से उस ने बिल्कुल माना कर दिया तो जब सबूत नहीं दिए तो अफगानिस्तान ने भी उस की बात माने से साफ इनकार कर दिया [संगीत] 11 सितंबर को उसपे अटैक होता है और उस एजेंसी तुरंत एक्टिव हो जाति है उस ने राइट आवे तालिबान से बात की और जब बात नहीं बंटी है तो उसके नेक्स्ट मंथ सेवंथ ऑफ अक्टूबर 2001 को यूनाइटेड किंगडम कनाडा ऑस्ट्रेलिया और बाकी ना तो एलियंस के साथ मिल्क उस ने अफगानिस्तान पर अटैक किया शुरू में उस ने तालिबान और अल्कीड़ा की मेजर इलाकों में सिर्फ और स्ट्राइक कारी जमीन पे अपने सोल्जर नहीं उतारे रहे थे और उनके सप्लाईज वगैरा सब बैंड कर दिए इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था ऑपरेशन और ड्यूरिंग फ्रीडम इसके कुछ दिन बाद और स्ट्राइक बैंड होती है और उस और उसके साथी देश की स्पेशल फोर्सेस अफगानिस्तान में भेजी जाति है जिसमें उस आर्मी की डेल्टा फोर्स नेवी सेल्स और ब्रिटिश की स्ट सेवंथ ऑफ अक्टूबर को अटैक स्टार्ट होता है और नाइंथ ऑफ नवंबर को ये लोग तालिबानियों के गढ़ नजर ए शरीफ सिटी एक है उसको कैप्चर करते हैं उसके कर दिन बाद 13th ऑफ नवंबर को उस अफगानिस्तान से तालिबान सरकार को हटा देता है और उसके नेक्स्ट मंत्री अफगानिस्तान की मेजॉरिटी एरिया जो थे कंधार वगैरा उसमें कंट्रोल ले लेट है और ये जो मुला उमर तालिबान के जो बाकी लीडर थे ओसामा बिन लादेन ये सब अफगानिस्तान के अंदर ही भाग के चुप जाते हैं और ठीक है तो एक अनसर्ट कम्युनिकेशन में तालिबान को डिफीटेड मां लिया जाता है लेकिन उस मेली जी चीज के लिए आया था यानी की ओसामा बिन लादेन को ढूंढने उसको पकड़ ने वो नहीं हो पाया था अब उस का अफगानिस्तान में आने का एक ही गोल था और वो था अलकायदा को खत्म करना और ओसामा बिन लादेन को पकड़ना लेकिन ओसामा उनकी डीज से बिल्कुल बाहर था वो सम बिल्ला देने को तो उस ढूंढ ही रहा था लेकिन साथ-साथ में दिसंबर 2001 में उस ने अपने हिसाब से चलने वाली गवर्नमेंट एक अफगानिस्तान में बना दी प्रॉपर इलेक्शन हुए और हमित करजई को 55.4% वोट मिले और वो इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट बने ये पूरा प्रोसेस उस ने करवाया और उस के हिसाब से ही प्रेसिडेंट भी चलते थे लेकिन पूरे इलेक्शन में तालिबान के लोगों को अलग रखा गया हालांकि पुरी दुनिया में लोगों ने ये कहा की उस को ऐसा नहीं करना चाहिए था वो भी वहां के सिटिजन है लेकिन उस नहीं माना और ये चीज आगे चल के फिर से उसे को नुकसान देती है से हर 2003 में उस ने इराक पे इनवाइट कर दिया और यहां से उस का जो फॉक्स था वो दो जगह पे शिफ्ट हो गया था और ओसामा जिसने 911 करवाया था वो अब तक नहीं मिल का रहा था जैसे उस का फॉक्स इराक की तरफ जाता है तालिबान फिर से यूनाइटेड होने लगता हैं पाकिस्तान का एक नॉर्दर्न वेस्टर्न रीजन है जिसे फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राईबल एरिया कहते हैं यहां पर तालिबान फिर से इकट्ठा होके उस के खिलाफ तैयारी शुरू कर देते हैं मुला उमर जो काफी टाइम से छुपा बैठा था उसके भी स्टेटमेंट बाहर आने शुरू हो जाते हैं और इन लोगों ने हक्कानी नेटवर्क इस्लामिक मूवमेंट ऑफ कुछ बेचिस्तान आईएमयू और अलकायदा से एलाइंस करके अपनी तैयारी बहुत ही तेजी से शुरू कर दी उस के खिलाफ दूसरी तरफ जो उस ने अफगानिस्तान में गवर्नमेंट बनाई थी कहा जाता है की नीचे से लेक ऊपर तक सब पैसा खाने में लगे हुए थे डेवलपमेंट के नाम पे हर सरकारी अफसर ये टारगेट कर रहा था की उस कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसा ले लिया जाए कोई कम नहीं हो रहा था इस चीज को तालिबान ने लोकल लोगों में और फैलाया काफी अच्छे से प्रोपागेट किया जिससे जो लोकल जनता थी उसके मां में भी थोड़ा गुस्सा था अब इसके बाद तालिबान ने धीरे-धीरे वापस से अफगानिस्तान का एरिया लेना चालू कर दिया अब आप खाओगे की जब तालिबान ये सब एरिया ले रहा था तो उस टाइम पर क्या कर रहा था वो तो उनको रॉक सकता था देखिए उस की आर्मी का फॉक्स इराक में था और जो आर्मी अफगानिस्तान में लगी थी वो सफिशिएंट नहीं थी क्योंकि आर्मी सिर्फ में सिटीज में सिक्योरिटी देख रही थी तो तालिबान ने क्या किया की जो पिछड़ी इलाके जहां पे उस के आर्मी नहीं थी वहां पे वापस से कब्जा स्टार्ट कर दिया और अफगानिस्तान की जो गवर्नमेंट चल रही थी अफगानिस्तान के अंदर उसके पैरेलल ही एक अपनी शैडो गवर्नमेंट चलानी शुरू कर दी और सबसे बड़ी दिक्कत उस के लिए ये थी की अफगानिस्तान और पाकिस्तान बॉर्डर्स सेल नहीं था तो उस अगर अटैक करता भी था तो तालिबानी पाकिस्तान में चले जाते थे और पाकिस्तान की जमीन पे उस अटैक बिल्कुल नहीं कर सकता था लेकिन धीरे-धीरे उसे को समझ में ए गया था की अफगानिस्तान में बहुत लंबा रुकना पड़ेगा इसलिए उसने अपने लिक की मदद ली यूके ऑस्ट्रेलिया कनाडा नीदरलैंड इन सब ने भी अपनी आर्मीज बेबी कनाडा की जो आर्मी थी वो कंधार में भेजी गई यूकेजी आर्मी अफगानिस्तान के हेमलांट प्रोविंस में भेजी गई अब देखिए उस और नादो कंट्रीज ने अफगानिस्तान के ऊपर कंट्रोल तो कर लिया था लेकिन इसे गलतियां भी बहुत हुई जिसकी वजह से अफगानिस्तान की जो आम जनता थी वो इनके खिलाफ होती जा रही थी मैं 2006 में उस आर्मी के ट्रक से एक एक्सीडेंट हो गया जिससे अफगानिस्तान सिटिजन की डेथ हो गई लोगों ने पत्थरबाजी की तो वहां पे उस आर्मी ने 20 को मार दिया ऐसे ही मार्च 2007 मैं सिल्वर जो है वहां पर उस आर्मी पर तालिबानियों ने हमला किया वहां पे भी उस आर्मी ने क्या किया सिविलियन पे गली चला दी 12 सिविलियन मारे गए सितंबर 2009 में कुड़ोस में तालिबानियों ने दो वर्ल्ड टैंकर को हाईजैक कर लिया इसके जवाब में ने और स्ट्राइक करना शुरू कर दिया जिसमें 1179 लोग मारे गए और इसमें 100 से ज्यादा सिविलियन थे और जब बाद में सिविलियन का पता चला तो जर्मनी को आखरी में आकर विक्टर की जो फैमिली थी उनको ₹5000 कंपनसेशन देना पड़ा 2008 में हाई का महीना में उस ने स्ट्राइक की जिसमें उस गलती से एक शादी पे बम गिर गया था जिसमें दुल्हन समेत 47 सिविलियन मारे गए थे ये साड़ी चीज तो चल ही रही थी फिर आता है जुलाई 2010 जिसमें विकिलीस ने अफगान अवार्ड से रिलेटेड उस गवर्नमेंट के 90000 से ज्यादा डॉक्यूमेंट ले कर दिया इस वजह से कई डॉक्यूमेंट से पता चला की कैसे नेट होने से विलियंस को मारा था और बाद में झूठ बोल के उन इंसीडेंट को कर अप किया था इसके वजह से दुनिया भर में अफगानिस्तान में उस इंवॉल्वमेंट का क्रेडिट सिस्टम हुआ इन सब इंसीडेंट की वजह से अफगानिस्तान की जो आम जनता थी उनको ये लगे लगा की उस आर्मी जो है उनके मां में अफगानिस्तान ही लोगों और उनके कलर के लिए कोई रिस्पेक्ट नहीं है और ये साड़ी चीज जब दे बाय दे बाढ़ रही थी तो अफगानिस्तान गवर्नमेंट के जो लोग थे कुछ मिलिट्री में भी जो थे वो उस के अगेंस्ट में हुए थे इनफैक्ट उस आर्मी के लिए ये भी दिक्कत शुरू हो गई थी की चलते-चलते आम जनता भी उन पे अटैक कर दी थी क्योंकि लोगों में बहुत गुस्सा था पुरी दुनिया ये सोच रही थी की उस और उसके लिक कंट्रीज अफगानिस्तान में कर क्या रहे हैं ओसामा को पकाने आए थे और तालिबान से लड़ाई लाड रहे थे और तालिबान की लड़ाई वो उनकी लड़ाई नहीं थी अफगानिस्तान में तो फिर भी उसे का लड़ने का रीजन था लेकिन इराक के अंदर तो लोग फिर भी क्वेश्चन कर रहे थे की वहां पे क्यों हमला किया है ये साड़ी चीज चल रहे हैं और ओसामा उस की जर्फ से बाहर था लेकिन फिर डेट आई है सेकंड ऑफ में 2011 उस के मैनेजमेंट पाकिस्तान के अबोटा अवार्ड में घुस के ओसामा बिन लादेन को मार गिराए ये बहुत बड़ी जीत थी उस के लिए कायदे में तो उस का परपज पूरा हो गया था वो ओसामा के लिए आए थे और ओसामा को उन्होंने मार दिया था लेकिन उसके बाद भी कई सालों तक अफगानिस्तान में उनकी लड़ाई तालिबान से चलती है लेकिन धीरे-धीरे यूजर उनकी लाइसेंस को समझ में आने लगा की अब तालिबान उनके कंट्रोल से बाहर है इसलिए उन्होंने नई चीज स्टार्ट कारी उन्होंने तालिबान के खिलाफ अपने सोल्जर को लड़ने भेजना की बजे अफगानिस्तान गवर्नमेंट की जो अफगानिस्तान सिक्योरिटी फोर्सेस थी उनको ट्रेन करके भेजना स्टार्ट किया और धीरे-धीरे वो अपनी फोर्सेस को वापस लेना स्टार्ट कर रहे थे सबसे पहले जुलाई 2011 में कनाडा ने अफगानिस्तान से विद्रोह किया उसके बाद बाकी नेटवर्क कंट्रीज ने अपने ट्रूप्स कम करना शुरू किया और अक्टूबर 2014 में उस और ब्रिटेन ने अफगानिस्तान के अंदर अपने कमेंट ऑपरेशन बैंड कर दिया इसका मतलब था की जो भी ऑपरेशन होंगे अफगानिस्तान के अंदर उसमें उस और यूके लीड नहीं करेंगे वो उस ऑपरेशन में सिर्फ अफगानिस्तान को सपोर्ट प्रोवाइड करेंगे ये साड़ी चीज चल रही थी 2020 आता है और उस के प्रेसिडेंट ट्रंप ने तालिबान से बातचीत करने का ऑफर किया और तालिबान और उस के बीच में 29 और फरवरी 20-20 को दोहा में एक एग्रीमेंट साइन होता है लेकिन इस एग्रीमेंट में अफगानिस्तान की गवर्नमेंट को बाहर रखा जाता है ये एग्रीमेंट सिर्फ तालिबान और उस के बीच होता है इसे एग्रीमेंट का मेजर पॉइंट था की नेट ऑफ अफगानिस्तान से बिल्कुल बाहर चला जाएगा अपनी फोर्सेस वापस ले लगा तालिबान अलकायदा को सपोर्ट नहीं करेगा अपना लैंड उसे नहीं करने देगा अल्कीड़ा को ये जो एग्रीमेंट हुआ था इसको दोहा एग्रीमेंट भी बोलते हैं लेकिन इस एग्रीमेंट में कुछ चीज सीक्रेट राखी गई थी जिन्हें पब्लिक नहीं किया गया था और वो चीज सिर्फ उस और तालिबान के बीच में ही यहां तक की अफगानिस्तान की गवर्नमेंट तक से शेर नहीं करेगी आगे चल के अफगानिस्तान गवर्नमेंट ने ये भी कहा की उस और तालिबान ने मिल के हमारे खिलाफ कुछ ना कुछ जरूर प्लेन किया होगा जिससे हमें नुकसान हो ये एग्रीमेंट होने के बाद उस आर्मी अफगानिस्तान से विद्रोह करना स्टार्ट करती है और अगस्त 2021 में पुरी तरीके से अफगानिस्तान छोड़के वापस चली जाति है ये साड़ी चीजें जब हो रही होती है तो अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट अशरफ गाने देश छोड़ के भाग गए लेकिन आम जनता को तालिबान वाला टाइम याद था उनको डर था की अब तालिबान उनको छोड़ेगा नहीं स्पेशली वो अफगानी लोग जो उस के साइड पे थे या उस के साथ मिलकर कम कर रहे थे जब उस तालिबान से लाड रहा था आपने विजुअल्स भी देखें होंगे उसे टाइम पे लोग हवा में एयरपोर्ट से कैसे गिर रहे थे 7 सितंबर 2021 को तालिबान अफगानिस्तान से अफगानिस्तान को हटा देता है और अपनी नई गवर्नमेंट अनाउंस कर देता है जिसमें मुला मोहम्मद हसन कुंड को प्राइम मिनिस्टर और अब्दुल गनी बिरादर को डिप्टी प्राइम मिनिस्टर अनाउंस किया गया ये सब होने के बाद तालिबान ने मल्टीफिल टाइम बोला की उनको डरने की बात नहीं है महिलाओं को वो सारे राइट देंगे और किसी को मारेंगे नहीं और ज्यादा स्ट्रिक्ट क्लोज़ नहीं रखेंगे लेकिन अभी आप देख रहे होंगे जैसे-जैसे टाइम आगे बाढ़ रहा है वो अपनी बात से मुंह कर रहे हैं सितंबर 2021 में तालिबान ने कहा की वो प्राइमरी स्कूल में फीमेल को एजुकेशन देना चालू रखेंगे लेकिन इसके एक महीने बाद तालिबान ने गर्ल्स के सेकेंडरी स्कूल अटेंड करने से माना कर दिया इसके बाद दिसंबर 2022 में तालिबान ने सभी फीमेल की हायर एजुकेशन पे बन लगा दिया और हमें एक दिक्कत और है अफगानिस्तान के साथ उस के बैंक्स में अफगान गवर्नमेंट के सेवन बिलियन डॉलर के फंड फीस कर दिए गए हैं ये उस ने किया है और इनको वापस नहीं कर रहे हैं जिसके बाद अफगानिस्तान में सीडीएस इकोनामिक क्राइसिस ए गया है इस इकोनामिक क्राइसिस की वजह से अफगानिस्तान में ₹2 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रॉपर खाना तक नहीं मिल का रहा है और 70 लाख लोग भूख से करने के कागर पे हैं तालिबान को 2021 से अभी तक किसी भी कंट्री नहीं रिकग्नि किया और दुनिया के बहुत से देश ने कहा है की वो तालिबान गवर्नमेंट को तबरेनाइज करेंगे जब वो एक एंक्लोजिंग गवर्नमेंट बनाएंगे और वूमेन और माइनॉरिटी के राइट्स को इंश्योर करेंगे अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो अफगानिस्तान के अंदर चीज बहुत खराब चल रही हैं वहां पे ह्यूमैनिटेरियन क्राइसिस बढ़ता जा रहा है और ऐसा कहा जा रहा है की लगभग 20-8 मिलियन अफगानिस्तान की आम जनता को 2023 में सरवाइव करने के लिए मदद की जरूर पड़ेगी नहीं तो जिंदा नहीं र पाएंगे और सिचुएशन ऐसे ही खराब रही है अफगानिस्तान के अंदर और अदर कंट्रीज ने अगर मदद नहीं कारी तो काफी सिचुएशन ऐसी बन शक्ति है की तालिबान अलकायदा से आगे चल के फिर से हाथ मिला ले इसकी भी कोई सुरेटी नहीं है लेकिन अगर अफगानिस्तान की सिचुएशन नहीं हुई तो ये पुरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा क्राइसिस ला सकता है और लास्ट में आपको एक बार फिर से बता डन की कोडिंग इन्वेस्टर्स पे आप इनरोल कर सकते हैं 27% का डिस्काउंट बाय यूजिंग मी कूपन कोड और r27 वैलिड पर फर्स्ट 100 यूजर्स थैंक यू [संगीत] awHq6yrORgc,Atiq Ahmed : How a Tongawallah's Son Became UP's Most Dreaded Bahubali | Nitish Rajput | Hindi,2023-04-24T14:13:45Z,PT25M10S,6725713,170793,9833,https://www.youtube.com/watch?v=awHq6yrORgc,, आज भी ये रिकॉर्ड में हमारे देश की जो न्यूक्लियर डील हुई थी उसमें अतीक अहमद ने भी वोटिंग कारी थी चौराहे के ऊपर वह लड़ते लड़ते क्रूड बम मार रहे थे एक दूसरे के ऊपर दूसरी तरफ इंडिया की जो न्यूक्लियर डील थी उसके ऊपर फैसला भी ले रहे थे टिक अहमद माननीय विधायक से सीधे माननीय सांसद बन जाते हैं तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे अतीक ने उसे पुलिस वाले का नाम एक शील्ड एनवेलप में लिख के अपने लॉयर को दे दिया था यही डिफरेंस होता है क्रिमिनल और बाहुबली में बाहुबली में इतना बाल होता है की उसके कैसे जो होते हैं वो कोर्ट में प्रूफ नहीं हो पाते हैं इसीलिए उसको क्रिमिनल नहीं बाहुबली बोला जाता है आप किसी को भी बंदूक एक बार दे सकते हो लेकिन एक बार बंदूक देने के बाद आपका कंट्रोल उससे है जाता है चाहे वो कोई हो उसके विटनेस थे या नहीं थे यही रीजन बंता है अतीक अहमद की साड़ी दिक्कतों का और ये लोग उसे टेंपो का भी पीछा करके हॉस्पिटल तक पहुंचने हैं और वहां पे फिर से गली और बम फेक देखिए आपने एनकाउंटर गैंगस्टर बाहुबली इसके बड़े में पहले भी बहुत कुछ सुना होगा लेकिन अतीक अहमद के कैसे में ऐसा क्या था की पार्लियामेंट तक में नेता और पॉलीटिकल पार्टी इसके बड़े में बात कर रही थी ऐसी क्या सिचुएशन रही होगी की अतीक अहमद जिसके ऊपर क्रूड बम फेंकने तक के आप थे उसने हमारे देश की सबसे इंपॉर्टेंट न्यूक्लियर डील के लिए पार्लियामेंट में जाकर वोटिंग कैसे कर दी एक आदमी जिसके ऊपर कानून तोड़ने और मर्डर के आप थे उसे टाइम पे ऐसा क्या हुआ होगा की उसको माननीय एमपी बना के पार्लियामेंट में शपथ दिलवाई गई की वो अपने एरिया में इस चीज का ध्यान रखें की कोई कानून ना तोड़े और ऐसा क्या रीजन था की एक तांगा चलने वाले के लड़के ने 11000 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली और इन सब चीजों के बाद भी आम जनता बार-बार उसको वोट देकर पांच बार मा और एक बार एमपी क्यों बना रही थी तो ये साड़ी चीज डिटेल में डिस्कस करते हैं लेकिन उससे पहले हमें थोड़ा सा नीचे जाना होगा तभी जो अभी करंट सिनेरियो चल रहा है उसको समझना में आसानी होगी हत्या पर देश में उठ रही आवाजों को अभी देश से भी समर्थन मिलने लगा है पंजाब दिया जाता है [संगीत] देखिए प्रयागराज जिसको उसे टाइम पर इलाहाबाद कहते थे वहां पर एक गांव था कसारी अंसारी इसी गांव में गरीब तांगेवाला राहत था जिसका नाम था हाजी फिरोज अहमद और 10th ऑफ अगस्त 1962 को इसी टांगे वाले के घर में पैदा होता है अतीक अहमद अधिक अपने घर में सबसे बड़ा लड़का था एक भाई अशरफ था जिसको खाली असीम भी कहते हैं अभी आपने अशरफ के बड़े में काफी सुना होगा और इसके अलावा दो बहाने और थी इनका परिवार गरीबी से तो जजी रहा था अतीक का पढ़ाई में मां भी नहीं ग रहा था तो 8th क्लास के बाद अधिक ने कोयला चुराने और बेचे का कम शुरू कर दिया एक्चुअली इनके इलाके से कोयल की जो मालगाड़ियां जाति थी वहां से कोयला चूड़ा के टिक ने उसको बेचना चालू कर दिया था और जब प्रॉफिट ज्यादा होने लगा तो टिक ने उसे एरिया के और लड़कों को अपने साथ जोड़ लिया और एक तरह से ये इनका लीडर बन गया था और इसी बीच में इसने कुछ टाइम के लिए सलीम शेरवानी जो उसे टाइम पे उसे एरिया के एमपी थे उनके लिए बाउंसर का भी कम किया था इन सब चीजों के बाद भी इसमें जैसे-तैसे 10th क्लास का एग्जाम तो दिया लेकिन फेल हो गया और उसके बाद ये पुरी तरीके से कोयल के बिजनेस में घुस गया 17 साल की उम्र में 10th क्लास में फेल हुआ था और इस एयर 19 99 में इसके ऊपर पहले मर्डर का आप लगता है कोयल के बिजनेस को लेकर और कुलधावाद पुलिस स्टेशन में इसका पहले कैसे रजिस्टर होता है 1979 से लेकर 1983 तक टिक ने अपने कोयल के बिजनेस के साथ-साथ एक्स्ट्राऑर्शन यानी वसूली करना भी शुरू कर दिया था लेकिन ये साड़ी चीज बहुत ही छोटे लेवल पे हो रही थी इस टाइम पे से एरिया में एक बहुत बड़ा गैंगस्टर था जिसका नाम था शो के इलाई जिसको सब चंद बाबा भी बोलते थे न्यूज़ एरिया का सबसे बड़ा दो था और इसके हिसाब से साड़ी चीज चलती थी जी एरिया में राहत था उसे एरिया में पुलिस नहीं जाति थी कहा जाता है की पॉलीटिकल ये बहुत स्ट्रांग था और नेताओं का हाथ इसके सर पे था पुलिस इसके गैंग के किसी भी आदमी को हाथ नहीं लगती थी 1988 में इस एरिया में एक नए पुलिस ऑफिसर नवरंग सिंह आते हैं और ये पहले पुलिस ऑफिसर थे जिसने चंद बाबा को उसके एरिया में घर के पकाने की कोशिश की थी चंद बाबा बच्चे तो निकाल जाता है उसे दिन लेकिन से इस रात को चंद बाबा पूरे पुलिस स्टेशन को घर लेट है कई घंटा तक चारों तरफ से पुलिस स्टेशन के ऊपर गोलियां बसाई जाति हैं और बम फेक जाते हैं चंद बाबा का जो बम बनाने का स्टाइल था वो बहुत अलग था जिसकी वजह से चंद बाबा को बाज भी करते थे इसके आदमी बैग के अंदर बम बनाने का समाज रखते थे और ऑन डी स्पॉट बम बना के मारते थे और क्रूड से बम बनाते थे अभी जो उमेश पाल वाला जो इंसिडेंट हुआ था उसमें भी से इसी तरीके से बम बनाए गए थे अभी आगे बताऊंगा मैं और ये साड़ी छोटी-छोटी डीटेल्स मैं बता रहा हूं अभी जब करंट सिचुएशन आएगी तो अब आप इसको रिलेट कर पाओगे तो इधर अधिक छोटे लेवल पे अपने गैंग के साथ कम कर रहा था और से टाइम पे से एरिया से चंद बाबा भी अपना कम कर रहा था इसके बाद एक दिन टिक अहमद को पुलिस उठा के ले जाति है उसके ऊपर सा यानी की नेशनल सिक्योरिटी एक्ट ग जाता है इनफैक्ट टिक अहमद पूरे अप में पहले आदमी था जिसके ऊपर गैंगस्टर एक्ट लगा था और इसी टाइम पे अतीक को किसी ने बताया था की चंद बाबा के अलावा उसको कोई और इस सिचुएशन से नहीं बच्चा सकता और यही वो टाइम था जब अतीक है चंद बाबा से मिलता है और उसकी मदद लेट है कहा जाता है की इस चीज के लिए चंद बाबा ने दिल्ली से सोर्स लगवाई थी और अधिक को से दे में छुड़वाया था चंद बाबा को अतीक के अंदर काफी टैलेंट दिखता है इसलिए वो अतीक को अपने साथ रख लेट है इसके बाद आई है चंद बाबा के साथ मिलकर और पावरफुल हो जाता है और उसका जो पुलिस का डर था वो भी खत्म हो जाता है चंद बाबा के साथ र गए उसने सीसी की बम बनाने से लेकर हथियारों की सप्लाई एक्सटॉर्शन के तरीके सबको सिखाती की ने वहां पे र गया ये भी शिखा की चंद बाबा जो है वो छोटे-छोटे इलेक्शन भी लाड रहा है तो अतीक भी उसको देख के इलेक्शन लड़ने के लिए बोलना है और इसको लेकर चंद बाबा और टिक में लड़ाई हो जाति है और दोनों अलग हो जाते हैं लेकिन अतीक अहमद काफी तेज था वो साड़ी चीज चंद बाबा के साथ र के सिख लेट है और अब चंद बाबा का ही कंपटीशन बन जाता है अब 1989 में असेंबली इलेक्शन आते हैं और अधिक इंडिपेंडेंस पार्टी बनके खड़ा होता है क्योंकि कोई पॉलीटिकल पार्टी उसको टिकट नहीं देती है और वहीं दूसरी तरफ चंद बाबा की से टाइम पे से सीट से खड़ा होता है इसको लेकर अलग-अलग कहानी हैं लेकिन मैं अब है स्वास्थ्य जो सोशल साइंटिस्ट और फार्मर इलाहाबाद स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट भी रहे हैं मैं उनकी थ्योरी लेकर चला हूं चंद बाबा आई है कोई इलेक्शन से पीछे हटे के लिए धमकी भी देता है लेकिन अधिक नहीं मानता है क्योंकि जो पॉलीटिकल पार्टी चंद बाबा के अगेंस्ट में थी उनका हाथ अधिक पे था चंद बाबा और टिक के बीच में इस पूरे चुनाव के टाइम पे बहुत गंगवार होती है लेकिन फाइनली टिक ये चुनाव जीत जाता है इसके कुछ दिन बाद ही चंद बाबा का मर्डर हो जाता है अतीक मा तो बंता ही है साथ में चंद का जो पूरा दो नंबर का बिजनेस था उसको भी टेक ओवर कर लेट है ये जितने भी गैंगस्टर थे इनकी गैंग में हिंदू मुस्लिम हर कास्ट के लोग होते थे ये जब क्राइम करते थे तो उसमें भी कास्ट नहीं देखते थे हर कास्ट के लोगों के साथ टाइम कर देते बेसिकली जिनके पास पैसा होता था उनके साथ क्राइम होता है 1989 में अतीक अहमद मा तो बंता ही है बल्कि उसके बाद भी 1989 से 2004 तक कंटीन्यूअस इलेक्शन जीत के पांच बार मा बंता है पांच बार बड़ी-बड़ी पार्टी के जो नेता थे उनको हर के इलेक्शन जितना आसन बात नहीं थी लेकिन इलेक्शन पैसा और पावर से जीता जाता था और कहा जाता है की उसे टाइम पे टिक के पास इस एरिया में दोनों था और कुछ एलिवेशन ये भी है की एक्सटॉर्शन और लैंड कब्ज करके इसने पैसा तो बहुत बनाया इसके साथ-साथ इलेक्शन टैक्स के नाम पे बिजनेसमैन बिल्डर फैक्ट्री ऑनर्स हॉस्पिटल ऑनर्स बड़ी रिटेल शॉप्स के ओनर इन सब से भी पैसा वसूली की और सिर्फ इतना ही नहीं एलिगेशन ये भी है की इलेक्शन के टाइम पे बूथ कैपचरिंग और दूसरे एरिया से लोगों को ट्रक में भर के वोट के टाइम पे लाना इसके साथ-साथ बड़ी-बड़ी पॉलीटिकल पार्टी के लिए बहुत ही आसानी से पार्टी फंड के नाम पर करोड़ जमा करवा देता है इसकी एक बात पे भीड़ इकट्ठी हो जाति थी बंदूक के ले के इंपैक्ट 1995 में आपने मायावती जी वाला जो गेस्ट हाउस कांड था उसके बड़े में सुना होगा जहां पे मायावती जी को अटैक की वजह से रूम में बैंड होना पद गया था और इसका इल्जाम भी अतीक अहमद के ऊपर आया था इंसिडेंट के बाद अतीक और फेमस होता है अपने एरिया के अंदर और पॉलीटिकल पार्टी जो थी उनको भी इसमें टैलेंट दिखता था अतीक अहमद को हर पार्टी अपने साथ लेना चाहती 2004 में समाजवादी पार्टी ने अतीक को फूलपुर की सीट से लोकसभा का टिकट दिया और टिक जीत भी जाता है और ये इलेक्शन जितने के बाद टिक अहमद माननीय विधायक से सीधे माननीय सांसद बन जाते हैं अब देखिए ये स्टोरी तो मैं आपको बता ही रहा हूं लेकिन मैं आपको एक और स्टोरी रिकमेंड करना चाहूंगा कुकू एफएम की ऑडियो बुक आनंदपाल सिंह गैंगस्टर और रोबिन हुड जो हिंदी में भी अवेलेबल है इस ऑडियो बुक में काफी इंटरेस्टिंग चीज बताई गई है आनंदपाल के बड़े में जैसे कैसे वो फ्लूएंट इंग्लिश बोलना था और अपने नेक्स्ट प्लेन के बड़े में फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पे पोस्ट भी दाल देता था ऐसी चीज जो आपने किसी क्रिमिनल के बड़े में शायद पहले नहीं सनी होगी कुकू एफएम इंडिया का लीडिंग ऑडियो शो प्लेटफॉर्म है जिसमें 10000 से ज्यादा बुक्स अवेलेबल है क्राइम थ्रिलर से लेकर ऑटोबायोग्राफी तक कुकू एफएम पर हर तरह की ऑडियो बुक्स अवेलेबल है और अगर आप मेरा कूपन कोड नर 50 उसे करते हो तो आपको कुकू एफएम के फर्स्ट मठ के सब्सक्रिप्शन पे मिलेगा 50% ऑफ यानी की 49 रुपीस में 10000 से ज्यादा ऑडियो बुक्स का एक्सेस और कहानी भी ट्रैवल करते हुए या अपने फ्री टाइम में इन ऑडियो बुक्स को आप सुन सकते हो ऑडियो बुक्स को मैं पर्सनली भी प्रेफर करता हूं क्योंकि इससे स्क्रीन टाइम भी कम होता है और टाइम यूटिलाइज भी अच्छे से हो जाता है डाउनलोड करिए कुकू एफएम लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं फूलपुर सीट जिससे अधिक एमपी बना था ये कोई छोटी-मोटी सीट नहीं थी इस सीट से जवाहरलाल नेहरू जी जीत के पार्लियामेंट पहुंचे थे और फिर पीएम बने थे उनकी सिस्टर भी इसी सीट से खड़ी हुई थी और फिर वीपी सिंह जी भी इसी सीट से जीत के प्राइम मिनिस्टर बने थे ये नॉर्मल सीट नहीं थी अतीक का यहां से जितना मजाक नहीं था अभी आपको ये तो पता ही है की एक कैंडिडेट मा और एमपी एक साथ नहीं बन सकता तो इसलिए मा की सीट छोड़कर एमपी की सीट ले लेट है और ये जो मा की सीट खाली होती है इसके लिए बाय इलेक्शन होते हैं आप खुद तो अति एमपी बन गया था लेकिन ये मा की सीट खाली थी तो इस सीट के लिए टिक ने अपने भाई अशरफ जिसको खाली कहते हैं उसको खड़ा कर दिया अक्टूबर 2004 में अब इसी सीट से बीएसपी की तरफ से राजू पलवी इलेक्शन लड़ता है और 4000 वोट से जीत भी जाता है ये बात अतीक को बिल्कुल पसंद नहीं आई है लेकिन राजू पाल भी कोई हल्का आदमी नहीं था उसे एरिया का राजू पाल भी उसे एरिया के कई सारे जो गैंग थे उनसे टच में था राजू पाल के ऊपर भी आप थे की राजू पाल ने अनीस पहलवान को मरवाया लेकिन ये कोर्ट में प्रूफ नहीं हो पाया था राजू पाल ने अक्टूबर 2004 में इलेक्शन जीता उसके अगले महीने राज्यपाल के ऊपर बम और गोलियां चलती हैं लेकिन राजू पाल बैक जाता है दिसंबर में फिर से बम फेक जाते हैं राजू पाल इस बार भी बैक जाता है और इस इंसिडेंट के नेक्स्ट मां यानी के 16 जनवरी 2005 को राजू पाल की शादी पूजा पाल से होती है शादी के 9 दिन बाद 26 जनवरी 2005 को राजू पाल कुछ लोगों के साथ दिन में 3:00 बजे दो गाड़ियों में अपने गांव रिपब्लिक दे मनाने के लिए वापस जा रहा होता है अच्छा इसमें एक चीज और एड कर देता हूं की इस टाइम पे राजू पाल के साथ लॉयर उमेश पाल जो राजू पाल के बहुत ही अच्छे दोस्त वह भी थे अब उमेश पाल उसे दिन जो भी हुआ उसके विटनेस थे या नहीं थे यही रीजन बंता है अतीक अहमद की साड़ी दिक्कतों का वो मैं अभी आगे आपको बताऊंगा तब आपको समझ में ए जाएगा तो राजू पाल गाड़ी से जा रहा होता है और अचानक से राजू पाल की दोनों गाड़ियों को में बाजार में दिनदहाड़े 20 से 25 लोग घर लेते हैं और गली चलने लगता हैं राजू बाल को कई गोलियां लगती हैं और राजू पाल को एक टेंपो में दाल के हॉस्पिटल की तरफ ले जय जाता है और ये लोग उसे टेंपो का भी पीछा करके हॉस्पिटल तक पहुंचने हैं और वहां पे फिर से गली और बम फेंकते हैं टोटल 19 गोलियां लगती है राजू पाल को और उनकी डेथ हो जाति है जब लोगों को पता चला है की राजू पाल जो की एक मा हैं उनको मार दिया गया है तो बीएसपी और राजू पाल के जो सपोर्टर थे वो सड़कों पे ए जाते हैं और काफी देंगे होते हैं एसपी से लेकर नीचे तक सबको सस्पेंड कर दिया जाता है पूजा पाल जो की सिर्फ 9 दिन में विडो हो गई थी वो पुलिस स्टेशन में जाके फिर करती हैं जिसमें अतीक अहमद उसके भाई अशरफ और साथ और लोगों का नाम लेती हैं इस कैसे के ऊपर ज्यादा कुछ तो डेवलपमेंट नहीं होता है लेकिन से सीट के लिए फिर से बाय इलेक्शन होते हैं क्योंकि राजपाल की डेथ हो गई थी स्पीड से राजू पाल की वाइफ को बीएसपी से टिकट मिलता है और इधर से अतीक अहमद का भाई अशरफ फिर से इलेक्शन में खड़ा होता है और इस बार अशरफ जीत जाता है अब उसे एरिया का एमपी अतीक अहमद मा उसका भाई और अप में एसपी की गवर्नमेंट थी और उसे पार्टी को टाइम पे अतीक अहमद का बहुत ही ज्यादा बोल वाला था अधिक है मत का जो कम करने का तरीका था वो बहुत ही यूनिक था उसके ऊपर जो आप लगता थे वो यही लगता थे की वो पॉलीटिशियंस के लिए कॉन्ट्रैक्ट कलिंग कर रहा है या फिर जमीन कब्जा कर रहा है एक्सटॉर्शन वसूली ये इन साड़ी चीजों को एक बिजनेस की तरह चलता था वही दूसरी तरफ आम जनता की प्रॉब्लम सॉल्व करता था जैसे शादी में कितना दहेज जाएगा दो परियों के बीच में वो डिसाइड होता था लैंड का अगर दो भाइयों का डिस्प्यूट है तो उसको सुलझाना उसे टाइम पे अतीक का एक अपना सेपरेट कोर्ट सिस्टम चला था उसे एरिया में अतीक के पास कई 100 लोग आते थे अपनी प्रॉब्लम लेकर तो इस तरीके से 2007 तक तो प्रयागराज के अंदर अतीक अहमद का दबदबा बहुत अच्छे से चला है लेकिन 13 में 2007 को फिर से इलेक्शन आते हैं और एसपी को हराकर बीएसपी जीत के अप में अपनी सरकार बना लेती है और मायावती की तरफ से राजू पाल की भाई पूजा पाल अतीक के भाई को हर के से सीट से जीत जाति है 2006 तक जो डब के र रहे थे वो भी बाहर आते हैं जैसे की उमेश पाल जैसे बीएसपी की सरकार बंटी है उमेश पाल जो विटनेस थे राजू पाल के इसमें उनके दोस्त भी थे वो पुलिस स्टेशन जाकर बोलते हैं 2006 में टिक ने मुझे किडनैप कर लिया था और अपना बयान बदलने के लिए दबाव बनाया था इसलिए मैंने उसे टाइम पे दबाव में आके ये बोला था की मुझे कुछ नहीं पता है देखिए अतीक अहमद के ऊपर ना जान कितने बड़े-बड़े कैसे थे मर्डर वगैरा के लेकिन ये जो किडनैपिंग वाला कैसे जो मैं आपको बता रहा हूं उमेश पाल ने जो किया था टिक को आगे चल के बहुत बड़ी मुसीबत में दाल देता है और एक तरह से ये भी कहा जा सकता है की इसी कैसे की वजह से अतीक अहमद की जान गई आगे चल के वो अभी आगे मैं आपको बताऊंगा तो जैसे ही उमेश पाल ये सब कंप्लेंट करते हैं अतीक गायब हो जाता है और 2008 में अति जो की दिल्ली में छुपा था वहां से उसको अरेस्ट कर लिया जाता है कहते हैं की ऐसा अतीक ने इसलिए किया था वो दिल्ली में इसलिए चुप गया था क्योंकि उसको शक था की उसको पकड़ के और अरेस्ट करके उसका एनकाउंटर कर दिया जाएगा उसे टाइम पे अब एक तरफ अधिक है हमें जय में बैंड था लेकिन था तो वो अभी भी एमपी जो भी कैसे चल रहे थे वो प्रूफ नहीं हुए थे वही से टाइम पे 2008 में इंडिया न्यूक्लियर डील जो थी वह साइन उस के साथ उसको लेकर बहुत हंगामा हो रहा था पार्लियामेंट में क्योंकि अपोजिशन का रहा था की जो डील है न्यूक्लियर वाली इसको साइन नहीं होने देंगे और फिर बहुत हंगामे के बाद ये डिसाइड हुआ की पार्लियामेंट में वोटिंग होगी अगर ज्यादा वोट आए तो इंडिया डील साइन करेगा वरना नहीं करेगा तो ये वो टाइम था जब कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से भी सपोर्ट मांगा था कांग्रेस के पास 228 मेंबर थे और वोट जितने के लिए 44 कम पद रहे थे और इस चीज को पूरा करने के लिए साड़ी परियों चाहे अपोजिशन हो चाहे जो रनिंग पार्टी थी सब अपनी-अपनी गणित लगा रही थी इस चीज को पूरा करने के लिए जी दिन वोटिंग हनी थी उससे 48 घंटे पहले जय से छह लोगों को निकाला जाता है पार्लियामेंट में बुलाया जाता है जिसमें से एक अतीक अहमद भी थे टिक ने भी पार्लियामेंट में जाके इस न्यूक्लियर डील के लिए वोटिंग की थी आज भी ये रिकॉर्ड में हमारे देश की जो न्यूक्लियर डील हुई थी उसमें अतीक अहमद ने भी वोटिंग कारी थी तो एक तरफ तो अतीक अहमद और उसके लोगों के ऊपर ये आप थे की चौराहे के ऊपर वो लड़ते लड़ते क्रूड बम मार रहे थे एक दूसरे के ऊपर दूसरी तरफ इंडिया की जो न्यूक्लियर डील थी उसके ऊपर फेसिले भी ले रहे थे खैर उसे टाइम पे सबको ग रहा था की समाजवादी पार्टी जैसा बोलेगी पति वैसा कर देगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं एकदम उल्टा हुआ टिक ने मुलायम सिंह और कांग्रेस के खिलाफ वोट किया यानी के न्यूक्लियर डील के अगेंस्ट में वोट किया और इस चीज से नाराज होकर समाजवादी पार्टी ने अतीक और बाकी छह मा जो थे उनको समाजवादी पार्टी से निकाल दिया अब यहां से अतीक अहमद जय में तो ए गया था लेकिन क्राइम प्रूफ नहीं हुआ था और कोर्ट में हियरिंग चल रही थी देखिए इसमें एक चीज और बता देता हूं की आज की डेट तक अतीक के ऊपर 100 से भी ज्यादा कैसे रजिस्टर थे लेकिन सिर्फ एक में ही प्रूफ हो पाया की वो गिल्टी है वो भी उसके करने से कुछ दिन पहले उससे पहले उसके ऊपर लगा एक भी कैसे प्रूफ नहीं हुआ था कोर्ट के अंदर क्योंकि कोई भी दवा सामने नहीं आता था आता था तो अपने बयान से बादल जाता था या जो आने वाला होता था उसकी किसी ना किसी वजह से मौत हो जाति थी इनफैक्ट कहा जाता है की जिन पुलिस वालों की ड्यूटी लगती थी अतीक अहमद को हथकड़ी पहने के लिए या फिर जय में इधर से उधर ले जान के लिए वो डर के मारे अपना जो नाम टैग होता था वो भी छुपा के जब में रख लेते थे कहानी टिक अहमद को उनका नाम ना पता चल जाए इतना खौफ था उसे पर्टिकुलर टाइम पे 10 जैसे थे जिन्होंने अतीक अहमद के कैसे सुनने से कर दिया था इन सब रीजंस की वजह से उसका जो क्राइम था वो कभी प्रोव ही नहीं हो पाया अब क्योंकि कोई क्राइम प्रूफ नहीं हुआ तो वो इलेक्शन लाड सकता था अतीक 2009 में इलेक्शन लड़ता है अपना दाल नाम की एक पार्टी से और हर जाता है 2012 में बेल पे बाहर आता है फिर से इलेक्शन लड़ता है इस बार राजू पाल की जो वाइफ पूजा पाल थी उनके सामने लड़ता है उनसे भी हर जाता है 2014 में मुलायम सिंह यादव जी फिर से अधिक को टिकट देते हैं लेकिन अखिलेश यादव जी इस चीज को लेक अपने फादर से काफी झगड़ा कर लेते हैं ये भी कहा जाता है की टिक को टिकट नहीं मिलन चाहिए इस चीज को लेकर झगड़ा करते हैं लड़ाई बहुत ज्यादा बढ़नी है लेकिन उसके बाद भी अति को टिकट दिया जाता है लेकिन ये इलेक्शन भी अधिक हर जाते हैं और जब इतने इलेक्शंस बैक तू बैक वो हर गया था इसके बाद अतीक अहमद के अंदर पॉलीटिशियंस का जो इंटरेस्ट था वो कम होने लगा था क्योंकि उसकी पावर पहले जैसी नहीं रही थी लेकिन इसके बाद भी टिक जब भी बेल वगैरा पे बाहर आता था तो ट्राई करता था की लोगों की प्रॉब्लम सॉल्व करें आसपास के एरिया की जितनी भी प्रॉब्लम थी उनको सॉल्व करता था इसके बाद फिर से अधिक से एक गलती होती है जिसकी वजह से अति फिर से जय में पहुंच जाता है और बेल पे भी नहीं निकाल पता है इलाहाबाद में यूनिवर्सिटी है से इंपॉर्टेंट यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर दिसंबर 2016 में यहां के स्टाफ ने दो लड़कों को एग्जाम देने से माना कर दिया क्योंकि वो चीटिंग कर रहे थे और ये मामला अतीक के पास आता है फिर अतीक भीड़ लेक यूनिवर्सिटी पहुंचता है और टीचर्स और स्टाफ मार्ग पिता है वो पूरा वीडियो वायरल हो जाता है और इसकी वजह से इतना हंगामा होता है की टिक को फिर से 2017 एफबी में गिरफ्तार कर लिया जाता है और इसी के साथ-साथ राजू पाल वाला जो कैसे था उसकी भी जांच सीबीआई कर रही थी इसके बाद 2017 में कम बनते हैं योगी जी लेकिन इसके बाद भी अतीक अपना कम जो था वो जय से आसानी से चला रहा था 2018 में लखनऊ में एक बिजनेसमैन थे मोहित जयसवाल जिसको कुछ लोग लखनऊ से उठा के टिक के पास देवरिया जय में ले जाते हैं वहां पर मोहित जयसवाल से पेपर साइन करवाएं जाते हैं और इस जय में लोग उनको मारते हैं ये कहा जाता है की पुलिस वालों ने भी उन्हें मारा अब बिना पुलिस की हेल्प के तो ये सब पॉसिबल होना बहुत ही मुश्किल है उसके बाद मोहित जयसवाल जब वहां से छुट्टी हैं तो पुलिस में फिर रजिस्टर करवाते हैं की इनकी 40 करोड़ की जो कंपनी थी वो अतीक ने अपनी फैमिली के नाम करवा दिए जिसको माना करने के लिए इनको डिटेल में बुलवाकर पिटवाया और डॉक्यूमेंट साइन करवा और इसके अंदर पुलिस के ऊपर भी आप लगाएं इसी इंसिडेंट से क्लियर हो गया था की अति का नेटवर्क बहुत स्ट्रांग है जय में भी अधिक को रॉक नहीं जा सकता तो सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को 2019 में साबरमती जय में शिफ्ट कर दिया था ताकि ये सब बैंड हो सके इसी के साथ-साथ सीबीआई के जो इन्वेस्टिगेशन चल रही थी राजू पाल वाले कैसे में वो 2022 में कंप्लीट हो जाति है और राज्यपाल मर्डर कैसे में सीबीआई टोटल पांच लोगों के नाम मेंशन करती है उन पांच लोगों में से एक अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ भी था और इसमें एक चीज और इंपॉर्टेंट थी की सीबीआई ने उमेश पाल को विटनेस लिस्ट से हटा दिया था क्योंकि उमेश पाल के बयान कई बार चेंज हुए थे तो विटनेस लिस्ट में उनका नाम हटा दिया था यानी की ऑफीशियली उमेश पाल विटनेस नहीं थे तो जब उमेश पाल ऑफीशियली विटनेस ही नहीं रहे तो सबका डर खत्म हो गया था तो इस साल 24 फरवरी 2023 तक का कैसे पुरी तरीके से शांत पड़ा हुआ था वो आराम से अपना साबरमती जय में था लेकिन 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल क्योंकि अब ऑफीशियली विटनेस तक नहीं है इसका मतलब की उमेश पाल से अधिक को कोई खतरा नहीं है वो अपने गनर के साथ कोर्ट के इयररिंग्स उनके अपने घर वापस ए रहे थे जैसे ही वो घर के लिए गाड़ी से नीचे उतरते हैं उनके ऊपर साथ लोग बम और गली चलाना शुरू कर देते हैं इसमें उमेश पाल और उनके ज्ञानार की डेथ हो जाति है और ये सब उमेश पाल की मदर के सामने होता है जो की विटनेस थी इस पूरे इंसिडेंट की अब इसके अगले दिन उमेश पाल की वाइफ जयपाल पुलिस स्टेशन पहुंचती हैं और कंप्लेन करती हैं की उमेश पाल को तो उन्होंने मेरी दिया इसके साथ-साथ उनको भी कल आया है की उनको भी मार दिया जाएगा और इस फिर में वो नाम लेती हैं पहले तो अतीक अहमद का अतीक के भाई का अतीक की वाइफ का अतीक के दो बेटों का और इसके साथ-साथ छह और लोगों का नाम लेती है जिन जिन लोगों का फिर के अंदर नाम था उन सबके लिए बहुत ही बड़ी दिक्कत ए गई खड़ी हो गई थी क्योंकि पार्लियामेंट के अंदर अप के कम योगी जी ने ये का दिया था की इन सबको मिट्टी में मिला देंगे अब अतीक और अशरफ तो पहले से ही पुलिस के पास थे टिक साबरमती जय में और अशरफ बरेली की जय में और बाकी जितने थे सब के सब फरार हो जाते हैं और ये जो फुटेज वगैरा जो भी चीज थी ये अप के अंदर बहुत ही तेजी से ट्रिगर होती है की दिनहाधे गोलियां चल रही हैं और इसी बीच में पुलिस के हाथ उमेश पाल के ऊपर गली चलने वाली सीसीटीवी जो फुटेज थी वो लगती है और ये फुटेज वायरल भी हो जाति है पुलिस इस सीसीटीवी फुटेज को स्कैन करके स्टेटमेंट देती है की इसमें टोटल साथ लोग आईडेंटिफाई हुए हैं जिनके नाम है असद जो की टिक का बेटा है अरबाज जो की ड्राइवर था उसे दिन उस्मान जिसने सबसे पहले गली चलाई थी गुलाम गुड्डू मुस्लिम अरमान और साबित ये साथ लोगों के नाम पुलिस ने बताया 24 फरवरी को ये इंसिडेंट होता है और उसके तीन दिन बाद 27 फरवरी को पहले एनकाउंटर होता है अरबाज जो ड्राइवर था उमेश पाल वाले इंसिडेंट में वो नेहरू पार्क फॉरेस्ट जो की प्रयागराज में है वहां पर पुलिस एनकाउंटर में मारा जाता है अब यहां से बचते हैं साथ में से छह लोग इसके बाद छह मार्च को नंबर लगता है उस्मान जिसको विजय चौधरी नाम से भी जाना जाता है उसका भी प्रयागराज में एनकाउंटर हो जाता है एनकाउंटर होने के बाद पुलिस यह कहती है की यह भाग रहा था और इसको गली ग जाति है हम लोग इसको हॉस्पिटल लगा और वहां पे इसकी डेथ हो गई जबकि उस्मान की जो वाइफ थी वह उल्टा आप लगती है की मंडे की सुबह को पुलिस उस्मान को घर से लेकर गई और एक फेक एनकाउंटर में मार दिया तो इस एनकाउंटर होने के बाद साथ में से पांच लोग बचते हैं जो उसे दिन अटैक करने आए थे उमेश पाल के ऊपर इसी बीच में अतीक जो साबरमती जय में था 28 मार्च को कोर्ट अधिक को उमेश पाल का जो किडनैपिंग वाला कैसे था उसमें उम्र कैद की सजा सुना देती है ये पहले बार होता है जब टिक को सजा सुने जाति है किसी कैसे में इसके ऊपर 100 से भी ज्यादा कैसे थे और ये पहले कैसे था जिसमें इसको गिल्टी प्रूफ किया गया था यही डिफरेंस होता है क्रिमिनल और बाहुबली में बाहुबली में इतना बाल होता है की उसके कैसे जो होते हैं वो कोर्ट में प्रूफ नहीं हो पाते हैं इसीलिए उसको क्रिमिनल नहीं बाहुबली बोला जाता है तो ये जो सजा सुने जाति है अति को इसी सनी के लिए साबरमती जय से अप लाया जाता है और उसके भाई अशरफ को बरेली जय से प्रयागराज लाया जाता है जब आई एक अप से लाया जा रहा था तो 1 मिनट के लिए भी मीडिया ने अतीक का साथ नहीं छोड़ था अतीक को एक स्टेट से दूसरी स्टेट में ले जाना भी कोई मोटा कम नहीं था सिर्फ साबरमती से अप लाने में 10 लाख रुपए का खर्चा आया था तो अब टिक और अशरफ दोनों को प्रयागराज की जय में ले आया जाता है अब इसके बाद डेट आई है 13th ऑफ अप्रैल 2023 और जो पांच लोग बजे थे उनमें से 13th ऑफ अप्रैल को असद अहमद अति का बेटा और गुलाम इन दोनों का भी झांसी के अंदर एनकाउंटर हो जाता है अतीक अहमद के पांच बेटे थे जिसमें से सबसे बड़ा उम्र लखनऊ जय में है और दूसरा बेटा अली है जो नैनी सेंट्रल जय में है तीसरा बेटा असर था जिसका एनकाउंटर हो गया इसके अलावा दो सबसे छोटे बेटे हैं आज हम और अमन जो की क्लास 12th और क्लास नाइंथ में है स्टूडेंट है वो अभी उनको भी अप पुलिस ने अरेस्ट करके प्रयागराज में एक जूविनाइल होम में दाल दिया और असद की वाइफ फरार है अधिक अहमद की जो 11000 करोड़ की जो प्रॉपर्टी थी उसको साइज कर दिया गया और घर पर बुलडोजर चला दिया गया और ये साड़ी चीज जब चल रही थी इसमें अतीक की वाइफ ने कम योगी जी को लेटर भी लिखा की उनके हसबैंड अधिक का एनकाउंटर भी कराया जा सकता और इसके साथ-साथ अधिक नेवी का की उसको किसी पुलिस वाले ने धमकी दी है की तुम लोग भी मारे जाओगे अति मैं उसे पुलिस वाले का नाम एक सील्ड एनवेलप में लिख के अपने लॉयर को दे दिया था की अगर उसको कुछ होता है तो ये लेटर के जस्टिस ऑफ इंडिया के जस्टिस ऑफ अप हाय कोर्ट और अप कम को दे दिया जाए इस लेटर को लेक भी काफी बावल चल रहा है की इसमें किसका नाम है लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया तो साथ लोग जो उसे दिन हमला करने आए थे उमेश के ऊपर उसमें से कर का एनकाउंटर हो चुका है बाकी तीन गुड्डू मुस्लिम अरमान और सभी ये भेज हुए हैं इनके ऊपर 5 लाख का इनाम है 13th ऑफ अप्रैल 2023 जी दिन असद अहमद अतीक के बेटे का एनकाउंटर होता है और नेक्स्ट है उसकी बॉडी को कसारी मसरी गांव में ले जय जाता है ये वही गांव है जो मैंने शुरू में बताया था की जहां पे अतीक अहमद पैदा हुआ था तो असद की बॉडी का जो लास्ट रिचुअल था वो वहीं पे होना था और इससे थोड़ी दूर पे धूमनगंज पुलिस स्टेशन में टिक और उसका भाई अशरफ बैंड थे लेकिन उनको वहां पे जान नहीं दिया गया माना कर दिया गया अब देखिए कोर्ट से स्पेशल ऑर्डर थे की अतीक और अशरफ जो जय में बैंड थे इनका रेगुलर मेडिकल चेकअप होगा ताकि कोई मारपीट हो इनके साथ तो वो पता चल सके तो नेक्स्ट दे यानी की 15 अप्रैल को इन दोनों को रात 10:00 बजे कल वन हॉस्पिटल की तरफ ले जय जाता है धूम गंज पुलिस स्टेशन से जो की 10 मिनट की दूरी पे है इनकी जो गाड़ी थी वो हॉस्पिटल से थोड़ी दूर पे रुकती है और ये लोग गाड़ी से उतार के पैदल पैदल हॉस्पिटल की तरफ बढ़ते मीडिया वाले इनको घर लेते हैं उसमें से ये तीन लोग फेक मीडिया परसों बन के आते हैं और अतीक और अशरफ को मार देते हैं जो की आपने वीडियो में ऑलरेडी देखा ही होगा तो अब क्वेश्चन ये है की ये तीन है कौन और इन्होंने मारा क्यों इनमें से एक का नाम है लवलेश तिवारी दूसरे का मोहित जिसको सनी भी बोलते हैं और तीसरा अरुण मौर्य इनको जब पुलिस से पड़ा था इन्होंने कहा की इनको अपना नाम बनाना था क्राइम की दुनिया में इसलिए करने के लिए कोई बड़ा आदमी चाहिए था इसलिए इन्होंने अतीक और अशरफ को मारा लेकिन पुलिस अभी भी इन्वेस्टिगेशन कर रही है की ये तीनों अलग-अलग शहर में रहते थे ये तीनों एक दूसरे से मिले तक नहीं थे सिर्फ सनी और लवलेश जो थे वो 2021 में बांदा जय में एक बार मिले थे और उसके बाद इनका कोई कांटेक्ट नहीं हुआ था तो ये लोग इस कम के लिए साथ में कैसे आए दूसरी चीज ये लोग काफी गरीब भी थे कपड़े पुराने पहने थे तो इनके पास हैवी कैलिबर जिगना तुर्किश पिस्टल जो उस कास्ट गार्डन और फिलीपीन मलेशिया की जो पुलिस थी वो उसे करती है जिसकी कीमत करीब 6 से 7 लाख होगी ये कैसे मेरे पास ए गई एक कैमरा और माइक खरीदने के लिए पैसे कहां से इनको कैसे पता चला की टाइम बादल के अतीत को मेडिकल चेकअप करने के लिए रात में एग्जैक्ट 10:30 बजे ही हॉस्पिटल के लिए ले जय जा रहा है ये लोग पहले दिल्ली में इकट्ठा हुए वहां पे प्लानिंग कारी फिर प्रयागराज की तरफ आए तो होटल वगैरा का खर्चा जो सर गुस्सा उसके पैसे इनके पास कहां से है इन तीनों के घर वालों को कुछ भी नहीं पता की ये क्या करते हैं उनको भी डायरेक्ट टीवी से ही पता चला की इन्होंने ये सब कर दिया अब इनको किसने इकट्ठा किया इन्होंने ये चीज क्योंकि ये तो पुरी से इंक्वारी के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन पुलिस कस्टडी में किसी की भी डेथ होना बहुत ही खतरनाक चीज होती है एक डेमोक्रेसी के लिए पहले चीज तो जो बांदा कस्टडी में होता है उसके हाथ बंदे होते हैं वो अपनी सिक्योरिटी तक खुद नहीं देख सकता इसलिए पुलिस की जिम्मेदारी होती है की उसकी सिक्योरिटी का ध्यान रखें और दूसरी चीज जब ये सब चीज ज्यादा होने लगती हैं तो लोगों का डॉ और ऑर्डर से विश्वास उठाता है और सोसाइटी में लोगों को लगता है की कोर्ट की बजे गैंगस्टर बैंक अपनी जिंदगी के बदले लिए जा सकते हैं आप किसी को भी बंदूक एक बार दे सकते हो लेकिन एक बार बंदूक देने के बाद आपका कंट्रोल उससे है जाता है चाहे वो कोई हो लास्ट में आपको एक बार फिर से बता डन की कूपों एफएम की ऑडियो बुक आनंदपाल सिंह गैंगस्टर और रोबिन हुड का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है जरूर सुनिएगा थैंक यू [संगीत] upL_uixAJHg,How Do Airports Actually Make Money? | Nitish Rajput | Hindi,2023-04-15T14:30:08Z,PT22M13S,2142736,56225,1629,https://www.youtube.com/watch?v=upL_uixAJHg,, वहां पर आपको एयरपोर्ट की जो लॉन्च है वो क्रेडिट कार्ड से फ्री में साड़ी फैसेलिटीज क्यों दे रहे हैं और यही रीजन है की एयरलाइन बिजनेस क्लास वालों को अलग से ट्रीटमेंट देती है ताकि लोग बिजनेस क्लास में और ज्यादा है तो ऐसा समझ लीजिए की आप एक मॉल में घुस रहे हो जिसके लिए आपको पहले से ही पैसे देने हैं एयरपोर्ट को डिजाइन ऐसे किया जाता है की जब आप बोर्डिंग गेट की तरफ बढ़ते हैं तो आपको जानबूझकर स्टोर के बीच से रास्ता बना के फ्लाइट तक पहुंचा जाता है लेकिन लोगों की शॉपिंग कर के रिवेन्यू कमाने का जो सबसे बड़ा हथियार है एयरपोर्ट के पास उसका नाम है तो इस चीज से निपटाने के लिए कई देश ने एयरपोर्ट पे ड्यूटी फ्री जॉन बनाया 75 से 80% ड्यूटी फ्री सेल जो होती है वो अल्कोहल और सिगरेट की होती है यही रीजन है की प्राइवेट कंपनी लोन ले ले के पैसा लगती हैं एयरपोर्ट बनाने के लिए [संगीत] एयरपोर्ट को बनाने में हजारों करोड़ रुपए लगता हैं गवर्नमेंट के साथ-साथ प्राइवेट कंपनी भी इसमें पैसा लगती है जब आप लोग फ्लाइट से कहानी ट्रैवल करते हो तो आप एयरपोर्ट के लिए अलग से कोई पैसा नहीं देते हो तो ये एयरपोर्ट पैसा कैसे कमाते हैं इनके बिजनेस मॉडल में ऐसा क्या है की एक और बोर्ड बनाने के लिए कंपनी हजारों करोड़ रुपए लगाने के लिए रेडी है और ये जो ड्यूटी फ्री जॉन होता है एयरपोर्ट के अंदर इसको टैक्स भी करने के पीछे की कहानी क्या है और आज की डेट में जहां लोग गुब्बारे तक हवा में बंद के भेज देते हैं वहां पे आपको एयरपोर्ट की जो लॉन्च है वो क्रेडिट कार्ड से फ्री में साड़ी फैसेलिटीज क्यों दे रहे हैं तो ये साड़ी चीज यहां डिटेल में डिस्कस करेंगे ताकि नेक्स्ट टाइम जब आप एयरपोर्ट पे जैन तो आपको पता हो आपका पैसा कैसे उसे हो रहा है और आपको वहां पे एक समोसा 150 का क्यों दिया जा रहा है ट्रैफिक इन इंडिया हेज बिन रोएंगे स्टोरी और ब्लू इंडिया स्पीच प्रोग्राम है अफगानिस्तान [संगीत] हो जाएगी देखिए एयरपोर्ट को बनाने में कितना खर्चा आएगा यह बहुत साड़ी चीजों पर डिपेंड करता है जैसे लोकेशन साइज फैसेलिटीज इंफ्रास्ट्रक्चर और लैंड एक्विजिशन कॉस्ट कितनी है उसे पर्टिकुलर एरिया की ये साड़ी चीजों पर डिपेंड करता है अभी रिसेंटली कुछ एयरपोर्ट प्लेन किया हैं गवर्नमेंट ने जैसे नवी मुंबई के एयरपोर्ट को जब बनाने की बात हुई थी तो इसकी कास्टिंग ए रही थी 16000 करोड़ लेकिन 2021 आते आते 25000 करोड़ तक इसकी कास्टिंग पहुंच गई ऐसे ही नोएडा के जेवर में जो एयरपोर्ट बन रहा है इसकी कॉस्ट 30000 करोड़ से भी ऊपर एस्टीमेट की गई है अब देखिए एक एयरपोर्ट को बनाने के लिए इतना पैसा लगाना है प्राइवेट प्लेयर के लिए बहुत ही मुश्किल है इसलिए इंडिया के अंदर जनरली एयरपोर्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया बनती है हालांकि कुछ केसेस में एयरपोर्ट को बनाने के लिए गवर्नमेंट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी की पीपीपी मॉडल लेकर भी आई थी जिसमें प्राइवेट कंपनी और गवर्नमेंट ये दोनों मिल के एयरपोर्ट बनवाती हैं बेसिकली ओनर गवर्मेंट रहती है और ऑपरेशन प्राइवेट कंपनी देखते हैं ताकि मॉडर्नाइजेशन हो सके जैसे दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो है वह ऑन तो गवर्नमेंट करती है लेकिन उसको एक कंपनी चलती है जिसका नाम है दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और ऐसा भी नहीं है की सिर्फ एयरपोर्ट को बनाने की कॉस्ट है एक बार पैसा ग के जब एयरपोर्ट बन जाता है तो उसे एयरपोर्ट को चलने के लिए भी कॉस्ट लगती है जैसे एम्पलाइज की सैलरी आ एयरपोर्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर रस को मेंटेन करना होता है रिपेयर करना होता है इनको यूटिलिटी बिल जैसे वाटर इलेक्ट्रिसिटी गैस ये सारे जो बिल होते हैं ये भी आते हैं एयरपोर्ट की सिक्योरिटी और सेफ्टी प्रोवाइड करने का खर्चा होता है और ट्रैफिक कंट्रोल ऑपरेशन का खर्चा मार्केटिंग एडमिनिस्ट्रेशन मैनेजमेंट एक्सपेंस इन सब में करोड़ रुपए लगता हैं और इसके साथ-साथ इंडिया के अंदर जितने भी एयरपोर्ट्स हैं उनको एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ए ए आई समझती है जो की गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन है तो हर एयरपोर्ट को ए ए आई को भी पैसे देने होते हैं और पैसे इसलिए भी देने होते हैं क्योंकि लगभग जितने भी एयरपोर्ट का ट्रैफिक कंट्रोल हो गया कम्युनिकेशन नेवीगेशन सर्विसेज ये सारे जो हैं वो ए ए आई आई हैंडल करती है इन फैक्ट अगर कोई एयरपोर्ट पीपीपी मॉडल के अंदर भी बना है मतलब की प्राइवेट कंपनी भी इंवॉल्व है उसे एयरपोर्ट को भी आई के साथ अपना रिवेन्यू शेर करना होता है कई सारे रेगुलेशन जैसे सेफ्टी और सिक्योरिटी रेगुलेशन एनवायरनमेंट रेगुलेशन इस तरीके के कई सारे रेगुलेशन होते हैं जिसके लिए आई को पैसा देना होगा अभी क्या मैं मोटा मोती इतना तो पता चली है की एयरपोर्ट को बनाने में कितना पैसा लगता है लेकिन बनाने के बाद एक एयरपोर्ट को चलने के लिए भी पैसा लगता है तो ये देखते हैं की चलने के लिए कितना पैसा लगता है दिल्ली के एग्जांपल लेते हैं दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में जो ओनरशिप है वो गवर्नमेंट के पास है लेकिन उसको चलती प्राइवेट कंपनी है अब देखिए यह प्राइवेट कंपनी कितना खर्चा करती है ऐसे कोई इनफॉरमेशन पब्लिक के लिए अवेलेबल नहीं है लेकिन साल भर में इनके पास कितना पैसा आता है और उसमें से प्रॉफिट कितना होता है उसकी डीटेल्स ये है तो ये जो डीटेल्स है इसके बेसिस पे हम प्राइवेट कंपनी का खर्चा निकाल सकते हैं जैसे दिल्ली एयरपोर्ट के पास 2020 में टोटल 4243.6 करोड़ आए थे आज इनकम और उसमें से 13.1 करोड़ का प्रॉफिट हुआ था तो इनकम - प्रॉफिट इससे एक्सपेंड यानी की खर्च का पता चल जाएगा तो इस तरीके से अगर हम कैलकुलेट करते हैं तो जो खर्चा आया वो हो गया 42305 करोड़ यानी की एक साल में डेली रिपोर्ट इतना पैसा खर्च करता है जिसमें सैलरी वगैरा सब इंक्लूड है डाटा के हिसाब से दिल्ली के अंदर हर साल लगभग 350 करोड़ पैसेंजर आते हैं तो इस हिसाब से दिल्ली एयरपोर्ट एक पैसेंजर जो उसके एयरपोर्ट पे आता है और फ्लाइट पर करता है उसके ऊपर ₹2000 खर्च करता है और ये ऐस्टीमेटेड डाटा है डाटा थोड़ा आगे पीछे भी हो सकता है क्योंकि कई बहुत साड़ी चीज इसमें इंवॉल्व है कई बार ऐसा भी होता है की कंपनी लोन लेती है जिसका इंटरेस्ट देना होता है तो डाटा आगे पीछे हो सकता है तो एयरपोर्ट जो है वो जो जितनी भी फैसेलिटीज वगैरा देता है सिक्योरिटी से लेकर सैलरी बिल वगैरा उसका जो कैलकुलेशन के हिसाब से एक पैसेंजर के ऊपर ₹2000 खर्च होता है तो देखिए एयरपोर्ट पहले तो एक इतना पैसा लगा के एयरपोर्ट बावा रहे हैं लोग फिर खर्चा कर रहे हैं हर साल लोगों के ऊपर तो एयरपोर्ट जो है वो कोई गो है चैरिटी तो चला नहीं रहा है उन्हें इस खर्च को वापस भी वसूलना है और वो भी मुनाफे के साथ तो डिस्कस करते हैं की दिल्ली एयरपोर्ट जो इतना पैसा लगा रहा है वो वापस कैसे लेट है पैसेंजर से ड्यूटी फ्री और जो फ्री लाउंज है उसके बड़े में हम आगे बात करेंगे ये बताने के बाद देखिए एक एयरपोर्ट दो तरीके से पैसा कामता है एक तो वो कामता है नॉटिकल रिवेन्यू से और दूसरा कम आता है नॉन एयरोनॉटिकल रेवेन्यू है तो पहले डिस्कस करते हैं एयरोनॉटिकल रिवेन्यू देखिए इंटरनेशनल ट्रैवल का स्केल और एयरपोर्ट का बिजनेस बहुत बाढ़ गया पहले के टाइम में लोग बहुत ज्यादा इंटरनेशनली ट्रैवल नहीं कर पाते थे स्पेशली अगर हम इंडिया की बात करें तो 1991 में लगभग 19 लाख लोग इंडिया से बाहर गए थे और 2018 तक आते आते ये नंबर ढाई करोड़ एनुअल क्रॉस कर चुका है आजकल तो आप खुद या फिर अपने आसपास काफी लोगों को ट्रैवल करते हुए देखते होंगे और जब भी आपने कहानी बाहर स्पेशली अगर मैं यूरोपीय कंट्रीज की बात करूं वहां पे अगर ट्रैवल किया होगा तो आपने लैंग्वेज बैरियर एक्सपीरियंस किया होगा कई ऐसी यूरोपियन कंट्रीज हैं जहां पे लोग इंग्लिश तक बोलना पसंद नहीं करते जो बहुत ही मेजर प्रॉब्लम बन जाति है इसलिए अगर आप कहानी जान का प्लेन कर रहे हो तो आप कोशिश करिए की आपको वहां की बेसिक लैंग्वेज तो ए जाए एटलिस्ट कुछ शब्द तो वहां के समझ में आते हो और मेरा ये पर्सनल एक्सपीरियंस भी रहा है की ये चीज बहुत हेल्प करती है पर इतनी जल्दी और इतनी बीजी लाइफ में लैंग्वेज सीखने का टाइम किसके पास है इसी चीज का सॉल्यूशन निकाला है दो लिंगो अप ने ये वैसे तो लैंग्वेज लर्निंग अप है बट इस पे लैंग्वेज सीखना इतना ट्रेनिंग और इजी है की आपको लगेगा ही नहीं की आप कुछ अलग से एक्स्ट्रा एफर्ट दाल रहे हो इसमें आप 40 से भी ज्यादा लैंग्वेज एकदम फ्री में सिख सकते हो जैसे फ्रेंच जर्मन हिंदी इंग्लिश स्पेनिश वगैरा आपको कहानी भी 5 से 10 मिनट का फ्री टाइम मिल गया तो आप उसे टाइम को दो लिंगो पर लैंग्वेज सीखने में यूटिलाइज कर सकते हो चाहे फिर वो बेसिक हो या फिर एडवांस हर तरह के लर्नर के लिए ये बहुत ही बढ़िया अप है तो डाउनलोड करें दो लिंगो अप एकदम फ्री में लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं देखिए जो भी एयरलाइंस है उन्होंने एयरप्लेंस या फिर एयरक्राफ्ट तो खरीद ली है लेकिन एयरपोर्ट जो है वो उनका नहीं है इसलिए एयरपोर्ट के ऊपर अपने प्लेन को उतारने के लिए ये जितनी भी एयरलाइंस हैं इनको पैसा देना होता है और यह पैसा वह आपके टिकट में एड कर देती हैं इसमें सबसे पहले आता है लैंडिंग चार्ज हर एयरप्लेन का एक वेट होता है और जिसके हिसाब से उसको लैंडिंग करने पे पैसा देना होता है अब किस प्लेन से कितना लिया जाएगा वो अभी आपको मैं आगे बताऊंगा तो लैंडिंग फीस तो देनी होती है इसके बाद एयरक्राफ्ट से पार्किंग ली जाति है कोई एयरक्राफ्ट लैंड करने से लेकर टेक ऑफ करने तक जितने टाइम तक एयरपोर्ट पे रुकता है उसके लिए पार्किंग फीस चार्ज की जाति है अगर कोई प्लेन ओवरनाइट रुकता है तो उसके लिए अलग से चार्ज देना होता है ये जो पार्किंग फीस है ये एयरपोर्ट की लोकेशन एयरक्राफ्ट के साइज कितनी डर प्लेन रुक है इस पे डिपेंड करती है इसके बाद आई है पैसेंजर सर्विस फीस ये भी एयरलाइन से ही चार्ज की जाति है ये फीस एयरपोर्ट पर पैसेंजर के हिसाब से चार्ज करता है इसमें एयरपोर्ट सिक्योरिटी फीस टर्मिनल सर्विस फीस और पैसेंजर को दी जान वाली फैसेलिटीज की फीस होती है ये फीस टिकट में भी मेंशन होती हैं इसके अलावा यूजर डेवलपमेंट फीस फ्यूल सर चार्जर्स होते हैं ये मैं आपको एक एग्जांपल से समझता हूं तब आपको अच्छे से क्लियर होगा मां लीजिए और इंडिया का प्लेन बोईंग 787 ड्रीमलाइनर जो है अगर ये दिल्ली एयरपोर्ट पे उतरेगा तो कितना पैसा एयरपोर्ट वाले इससे लेंगे बोईंग 787 ड्रीमलाइनर जो है इसके अंदर 2500 पैसेंजर बैठ सकते हैं और इसका जो वेट है वो है 15000 क इसको मैट्रिक तन में कन्वर्ट करें तो 150 मैट्रिक तन इसका वेट हुआ यह जो आप इमेज देख रहे हैं ये रेड लगता है पर मैट्रिक के हिसाब से एक मैट्रिक तन पे 50099.52 लिया जाता है और 100 मैट्रिक टॉन्सिल ज्यादा है तो इतना लिया जाता है तो जब और इंडिया का ये जो बोईंग प्लेन है ये दिल्ली एयरपोर्ट के ऊपर उतरेगा तो इसके वेट के हिसाब से जो इसका पहले कास्टिंग लगेगी जो लैंडिंग कॉस्ट होगी वो हो जाएगी 132000 इसके बाद डेली एयरपोर्ट वाले इसे ₹2500 पार्किंग चार्ज लेंगे आप पैसेंजर हवा में उड़ के तो नहीं पहुंच जाएंगे प्लेन के अंदर तो जो एरोप्लेन है वो भी उसे होता है तो एयरपोर्ट वाले ये जो एरोबिक्स देते हैं इसका अलग से पैसा लेते हैं 380 इंटरनेशनल में और भी ज्यादा लेते हैं लेकिन अभी हम डोमेस्टिक कैसे की बात कर रहे हैं तो इस के एग्जांपल लेक चलते हैं तो आप देखिए ये जो प्लेन है इंडिया का इसकी जो कैपेसिटी है वो ₹250 की है तो पर पैसेंजर 500 रुपीस एयरपोर्ट वाले अलग से लेंगे जितने भी पैसेंजर बैठेंगे पर परसों के हिसाब से लेंगे तो 2500 * 500 100 रुपीस यानी की और इंडिया को इतना पैसा हर पैसेंजर का देना होगा चाहे उनके प्लेन की जो साड़ी टिकट्स हैं जितनी भी सिट्स हैं वो साड़ी बाइक या ना भी हैं लेकिन उनको ये पैसा देना होगा यूजर डेवलपमेंट फीस 100 से 400 के बीच में होती है तो हम लोग मोटा-मोटी ₹200 मां के चलते हैं ये जो कॉस्ट में आपको बता रहा हूं ये अगर आप अपना टिकट देखेंगे तो उसमें भी मेंशन होता है तो ये जो सारे चार्ज में आपको बता रहा हूं यूजर डेवलपमेंट पैसेंजर सर्विस चार्ज तो ये एयरपोर्ट वाले एयरलाइन से लेते हैं और एयरलाइन वाले आपसे लेते हैं तो ये भी आगे भी और भी जितनी भी चीज होगी वो साड़ी की साड़ी चीज आप भी की जब से जाएगी अच्छा इसमें बीच-बीच में कुछ-कुछ चार्ज और एड हो जाते हैं जैसे 2021 में फ्यूल थ्रोपुत चार्ज की जगह दिल्ली एयरपोर्ट में एयरलाइंस के ऊपर 65 प्लस टैक्स का एक नया चार्ज भी इंक्लूड कर दिया था तो अगर हाल फिलहाल की बात होगी तो ये वाला जो चार्ज है ये भी लगेगा इसके अलावा हर एयरपोर्ट एक एवियशन सिक्योरिटी फीस भी एयरलाइन से चार्ज करता है जो की पर पैसेंजर डोमेस्टिक फ्लाइट के लिए ₹200 होती है तो ये भी आपको दे रहा होता है तो हम अगर इन कॉस्ट को देखें तो लैंडिंग और पार्किंग फिश 500 यूजर डेवलपमेंट फीस ₹200 पैसेंजर सर्विस फीस ₹50 एवियशन सिक्योरिटी फीस ₹200 तो ज्यादा कैलकुलेशन में नाग घुसते हुए आप इतना समझ लीजिए की जितना खर्चा एयरपोर्ट पैसेंजर पे करता है उसकी 50% कॉस्ट वो इस तरीके से निकाल लेट है ये जो अभी मैंने चार्ज आपको बताया है शुरू में हमने कैलकुलेट किया था की एक पैसेंजर पे एयरपोर्ट जो है वो ₹2000 खर्च करता है तो उसमें से ₹1000 तो एयरपोर्ट ऐसे निकाल लेट है और उसके बाद जो एयरलाइन वाले हैं वो अपने आप डिसाइड करेंगे वो क्या टिकट का प्राइस रखें एयरलाइंस कंपनी लंबे रूट वाले पैसेंजर और बिजनेस क्लास से ज्यादा कम आई हैं क्योंकि लंबे रूट वालों का और बिजनेस क्लास वालों का टिकट महंगा होता है और एयरपोर्ट को तो मतलब नहीं है की सीट पे इकनॉमिक क्लास का पैसेंजर बैठा है चाहे बिजनेस क्लास का बैठा है चाहे लंबे रूट का बैठा है एयरपोर्ट से प्राइस लेट है हर एक सीट का चाहे वो खाली हो चाहे भारी हो सिर्फ बिजनेस क्लास का जो क्षेत्र होता है वो पूरे इकोनॉमिक्स क्लास का जो खर्चा होता है वो अकेले निकाल देता है और यही रीजन है की एयरलाइन बिजनेस क्लास वालों को अलग से ट्रीटमेंट देती है ताकि लोग बिजनेस क्लास में और ज्यादा है और अगर लास्ट में सीट नहीं भारती है तो एयरलाइन वाले बहुत ही कम पैसों में भी टिकट दे देते हैं क्योंकि भले वो किसी भी रेट में दें अगर सीट खाली भी गई तो उसका भी पैसा उनको देना होगा एयरलाइन वालों की सीट का प्राइस कैसे डिसाइड होता है वो हमने एयरलाइन वाली वीडियो में इससे पहले ऑलरेडी डिस्कस कर लिया तो आप लोग एक बार देख लीजिएगा तो अब एयरपोर्ट पे वापस आते हैं तो जो ₹2000 का जो एयरपोर्ट का खर्चा था उसमें से ₹1000 तो एयरपोर्ट ऐसे ही निकाल लेट है बाकी पैसा एयरपोर्ट कामता है नॉन एयरोनॉटिकल रिवेन्यू से लेकिन नॉन एयरोनॉटिकल रिवेन्यू वह रिवेन्यू होता है जो डायरेक्ट पैसेंजर से नहीं होता है इनडायरेक्ट एयरपोर्ट लेट है नॉर्मली जब आपको फ्लाइट से कहीं जाना होता है तो उसके लिए आप पहले घर से या तो अपनी कर से या फिर कब से एयरपोर्ट तक पहुंचने हो उसके बाद एयरपोर्ट से अंदर गए अपनी फ्लाइट पकड़ के जहां आपकी फ्लाइट लैंड की उसके एयरपोर्ट पे उतार के एग्जिट कर देते हो अब एयरपोर्ट को अगर प्रॉफिटेबल होना है तो इस पूरे साइकिल में जब तक आप एयरपोर्ट पे हो आपसे वो पैसे कमेगा और इसके लिए एयरपोर्ट्स ने कई तरीके निकाल रखें हैं इसमें सबसे आम तरीका है समाज बेचे का एयरपोर्ट के अंदर बहुत सारे डिटेल शॉप रेस्टोरेंट फूड आउटलेट्स बुक स्टोर्स अल्कोहल शॉप्स ये साड़ी होती हैं जहां से पैसेंजर समाज खरीदने हैं अब एयरपोर्ट जो होता है जितनी भी शॉप्स हैं इसे रेंट लेट है या फिर बहुत से केसेस में ऐसा भी होता है की जितनी इनकी सेल्स होती है उसका एक स्पेसिफिक परसेंटेज लेट है और यही नहीं जब आप अपने घर से एयरपोर्ट के लिए अपनी कर से टैक्सी कब ऑटो रिक्शा शटल सर्विस बसेज किसी भी चीज से एयरपोर्ट पहुंचने हैं तो वहां पे भी एयरपोर्ट काम द्वारा पार्किंग चार्ज से अगर आप अपनी कर से या फिर अपनी फैमिली में किसी को छोड़ने आए हैं और आपको अगर कर पार्क करनी है तो उसके लिए आपको पैसा देना होगा और अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी जाते हैं तो जैसे ही एयरपोर्ट शुरू होता है वहां पे पिकअप जॉन और ड्रॉप ऑफ जॉन भी शुरू हो जाते हैं और इस एरिया को एक्सेस करने के लिए एयरपोर्ट चार्ज लेट है अभी चार्ज देखने में तो बहुत छोटे लगेंगे लेकिन अगर मैं आपको डेली एयरपोर्ट के चार्ज कैलकुलेट करके बताऊं तो आप रिलेट कर पाएंगे डेली एयरपोर्ट एक फोर व्हीलर को आधे घंटे पर करने के लिए 120 लेट है 1 घंटे के लिए 1170 लेट है उसके बाद हर एक घंटे पे ₹100 लेट है और अगर 5 से 24 घंटे आप गाड़ी पर करें तो 600 तक लेट है और वही अगर तू व्हीलर है तो एक घंटे के 60 रुपए और उसके बाद हर एक घंटे के ₹30 और 8 से 24 घंटे के ₹300 लेट है और इसके अलावा अगर आप कब से आते हैं उसे कैसे में भी डेली एयरपोर्ट जो होगा वो कब से पैसे चार्ज करेगा दिल्ली एयरपोर्ट जो है उसके टर्मिनल वन और टर्मिनल थ्री पे सवारी लेने वाले जो उबर होते हैं उसपे 150 का सर चार्ज लगता है तो अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं उसे करते हो तो दिल्ली एयरपोर्ट में चाय आप अपनी कर से जैन या कैप से जैन तो आपको 150 से ₹200 देने पढ़ेंगे अभी सुनने में बहुत ही छोटी सी कमाई ग रही है लेकिन बहुत से एयरपोर्ट अपनी नॉन एयरोनॉटिकल कमाई से 20 से 30% पार्किंग से ही कमाते हैं अगर मैं सिर्फ दिल्ली एयरपोर्ट की बात करूं तो 67.3 मिलियन पैसेंजर तक डेली एयरपोर्ट पे आए हैं इससे बहुत ज्यादा कमाई होती है तो जैसे की हमने पहले डिस्कस कर लिया था की एयरपोर्ट जो है वो पैसेंजर के ऊपर लगभग ₹2000 का खर्चा करता है जिसमें से ₹1000 एयरपोर्ट ने सिर्फ एयरोनॉटिकल रिवेन्यू से काम लिए थे और अगर इसमें पार्किंग का भी हम जोड़ दें तो पर पैसेंजर जो है ₹150 पार्किंग से भी काम लेट है एयरपोर्ट इसके अलावा एयरपोर्ट जो होते हैं वो प्रॉपर्टी और रियल स्टेट से भी पैसा कमाते हैं एयरपोर्ट अपने आसपास का जो एरिया है वो हमेशा बच्चा के रखना है और सही टाइम पे होटल और बिजनेस को रेंट या फिर लेज पर देता है जैसे ही एयरपोर्ट पास आता है तो एयरपोर्ट के एरिया में जो आप एडवरटाइजमेंट देखते हो बिलबोर्ड्स डिजिटल स्क्रीन या फिर प्रमोशन मटेरियल कुछ भी अगर आप देखते हो तो एयरपोर्ट उसके लिए ब्रांड से बहुत सारे पैसे लेट है और ऐसा माना जाता है की एयरपोर्ट पे यूजुअली बाकी किसी जगह के मुकाबला हाय पेइंग कस्टमर होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं तो वहां के जो एडवरटाइजिंग रेट है वो भी बहुत ज्यादा रहते हैं और ऐसा नहीं की एयरपोर्ट जो है वो टर्मिनल के सिर्फ बाहरी एडवरटाइजिंग स्पेस बेचते हैं टर्मिनल के अंदर और बाहर दोनों जगह पे एडवरटाइजिंग स्पेस बेचा जाता है अब ये साड़ी चीज तो हो गई जैसी इसके बाद आप एयरपोर्ट से अंदर घुसते हो तो ऐसा समझ लीजिए आप एक मॉल में घुस रहे हो जिसके लिए आपको पहले से ही पैसे देने हैं इसीलिए आपके टिकट चेक होते हैं बिना टिकट के आपको एयरपोर्ट के अंदर कभी नहीं घुसने दिया जाएगा और जैसे ही एक बार आप एयरपोर्ट के अंदर घुसते हैं ₹20 का जो पानी होता है वो आपको ₹100 में मिलन शुरू हो जाता है और अगर आपने कुछ खाने का सोच लिया तो बात हजारों में पहुंच जाति है आप जितना ज्यादा टाइम एयरपोर्ट पे बिताएंगे आपका उतना ही ज्यादा पैसा खर्च होगा एयरपोर्ट को डिजाइन ऐसे किया जाता है की जब आप बोर्डिंग गेट की तरफ बढ़ते हैं तो आपको जानबूझकर स्टोर के बीच से रास्ता बना के फ्लाइट तक पहुंचा जाता है रेस्टोरेंट से लेक रिटेल शॉप ड्यूटी फ्री शॉप बुक स्टोर्स ये सब रास्ते में ही आपको दिखेंगे एयरपोर्ट पे सही टाइम पे पहुंचने को लेकर भी बहुत कन्फ्यूजन है एयरपोर्ट के पास बहुत साड़ी मॉडर्न टेक्नोलॉजी है लेकिन आप अपने आसपास एक बार पूछिएगा किसी से भी अपने यार दोस्त है की अगर 1:00 बजे की फ्लाइट है तो उसको एयरपोर्ट पे कितने बजे पहुंचाना है कोई दो घंटे बोलेगा कोई ढाई घंटे बोलेगा और अगर इंटरनेशनल फ्लाइट हुई तो और भी ज्यादा बोल सकता है अब देखिए लोगों को एग्जैक्ट आइडिया मिलन बहुत ही मुश्किल होता है की कितनी भीड़ होगी त्योहार का टाइम होगा तो थोड़ा पहले पहुंच जाते हैं इसलिए एक-दो घंटे पहले पहुंचने हैं ताकि उनका एयरपोर्ट का जो इतना महंगा टिकट है वो वेस्ट ना हो जाए एयरपोर्ट चाहे तो लगेज वगैरा का अपॉइंटमेंट सिस्टम सब ऑटोमेटिक कर सकता है उससे लोगों को टाइम बैक सकता है ये जो एक तरह का कन्फ्यूजन सा बन जाता है इसकी वजह से लोग थोड़ा पहले पहुंचने हैं और एयरपोर्ट पे ज्यादा टाइम देते हैं इस वजह से इस प्रॉब्लम का कभी भी सॉल्यूशन नहीं मिल पाया अच्छा जितने भी पैसेंजर एयरपोर्ट के अंदर घूमते हैं उसके कंपेरटिवली जो सीटिंग अरेंजमेंट होता है वो थोड़ा सा कम होता है में एरिया के अंदर ताकि बैग इसके काउंटर से लेक सिक्योरिटी तक जब लोग खड़े रहते हैं तो उनको बैठने का मां करें तो वो ओपन रेस्टोरेंट में जाके बैठे और वहां से समाज खरीदें एयरपोर्ट जो होते हैं वो रिटेल शॉप्स और डाइनिंग ऑप्शन को उन एरियाज में स्ट्रैटेजिक प्लेस करते हैं जहां पे सबसे ज्यादा पैसेंजर जाते हैं जैसे की बोर्ड इंग गेट्स के पास जिससे की वो जो स्टोर्स है उनकी विजिबिलिटी मैक्सिमम हो आपने अगर नोटिस किया होगा तो डेली एयरपोर्ट की अगर मैं बात करूं तो शायद ही कोई रेस्टोरेंट बार या फास्ट फूड चैन होगी जिसका नाम आपको वहां पे ना देखें इन सब में एयरपोर्ट का जो कट होता है वो 10 से 25% के बीच में हो सकता है लेकिन ऐसे अगर केसेस होते हैं जिसमें सेल्स में से कट नहीं लेते हैं तो उसमें रेंट ज्यादा कर देते हैं ताकि हिसाब बराबर हो जाए तो इस तरीके से भी एयरपोर्ट लगभग पर पैसेंजर 150 से 200 रुपए आपके फूड और ड्रिंक एक्सपेंडिचर से भी काम लेट है लेकिन लोगों की शॉपिंग कर के रिवेन्यू कमाने का जो सबसे बड़ा हथियार एयरपोर्ट के पास उसका नाम है ड्यूटी फ्री शॉप्स ड्यूटी फ्री शॉप जो होती है वो डोमेस्टिक फ्लाइट्स लेते टाइम नहीं होती हैं ये सिर्फ इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए होती है यह जो ड्यूटी फ्री शॉप्स हैं इन पे कोई भी लोकल और नेशनल टैक्स नहीं लगता है जैसे देश के बाकी दुकानों पे लगता है और ये जो ड्यूटी फ्री शॉप्स होती है ज्यादातर आपको एयरपोर्ट के इंटरनेशनल अराइवल और डिपार्चर एरिया में दिखती हैं जहां पर पैसेंजर फ्लाइट लेने से पहले या फिर फ्लाइट से उतार कर समाज खरीद सकें ड्यूटी फ्री शॉप को बनाने के पीछे लॉजिक यही है की मां लो आप उस इंडिया ए रहे हैं और आप उस के एयरपोर्ट से कोई समाज खरीदने हैं तो आपको उस में टैक्स देना होगा और जब आप इंडिया में आएंगे तो वहां पे भी टैक्स देना होगा तो ये सब टैक्स मिला के जो समाज है उसका प्राइस बहुत ज्यादा हो जाएगा और अगर ऐसा होगा तो कोई एयरपोर्ट से समाज क्यों खरीदेगा से समाज वो अपने देश में आके कम पैसे में खरीद लगा तो इस चीज से निपटाने के लिए कई देश ने एयरपोर्ट पे एक ड्यूटी फ्री जॉन बनाया तो आप यहां से खरीदी आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा सबसे पहले 1947 में आयरलैंड के शेनॉन एयरपोर्ट ने यह चीज की थी अब क्योंकि इन्होंने टैक्स फ्री कर दिया था तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे सारे लोग इसी एयरपोर्ट से समाज खरीदने लगे थे और बाकी एयरपोर्ट से नहीं खरीद रहे थे तो इसी वजह से धीरे-धीरे सारे एयरपोर्ट में ये चीज शुरू कर दी अब ड्यूटी फ्री शॉप से सिर्फ इंटरनेशनल फ्लाइट के पेसेजंर्स जो है वही समाज खरीद सकते हैं और ऐसा माना जाता है की इंटरनेशनल ट्रैवल्स जो होते हैं उनकी पर्चेंजिंग पावर ज्यादा होती है तो एयरपोर्ट इस पर्टिकुलर जॉन से सबसे ज्यादा पैसा कामता है ड्यूटी फ्री शॉप पे समाज 20 से 30% तक सस्ता मिल जाता है अगर ज्यादा इंडियन एयरपोर्ट्स की बात करें तो ड्यूटी फ्री सेल से जो होने वाला रिवेन्यू होता है वो टोटल नॉन एयरोनॉटिकल रिवेन्यू का 15 से 20% का हिस्सा होता है और इसके अंदर भी 75 से 80% ड्यूटी फ्री सेल जो होती है वो अल्कोहल और सिगरेट की होती है अब ऐसा नहीं है की ड्यूटी फ्री है तो आप कितना भी खरीद सकते हो इसको लेकर भी बहुत सर कन्फ्यूजन है सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्सरसाइज और कस्टम कब एक की लिमिट के हिसाब से एक पैसेंजर ड्यूटी फ्री शॉप से ₹25000 तक की शॉपिंग कर सकता है और अगर हम ल को हाल की बात करें तो 2 लीटर तक पर इंटरनेशनल पासपोर्ट की लिमिट है अब इसके बाद एयरपोर्ट लॉन्च की बात करें तो इसके एक्सेस से भी एयरपोर्ट बहुत पैसा कामता है एयरपोर्ट के अंदर एक अलग से एरिया बना दिया जाता है जहां पर बाकी एरिया की कंपैरिजन में थोड़ा स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है जिसको एयरपोर्ट लॉन्च बोलते हैं ये एयरपोर्ट के जनरल एरियल से ज्यादा प्रीमियम एक्सपीरियंस देता है पैसेंजर को और एयरपोर्ट इसमें से भी कट लेट है लो जो ओनर से लॉन्च एयरपोर्ट को तो लौंग चलने का पैसा दे देते हैं लेकिन वो खुद भी अलग-अलग तरीके से मोटा पैसा कमाते हैं जो की अल्टीमेटली आपकी जब से निकलेगा पहले तो लाउंज ओनर एक डायरेक्ट एंट्री फीस रख देते हैं जो की दिल्ली एयरपोर्ट की अगर मैं बात करूं तो जनरली 1800 के करीब होती है और कुछ केसेस में लॉन्च के खुद के मेंबरशिप प्रोग्राम होते हैं लेकिन अगर आपके पास ट्रेड कार्ड है तो आपको लॉन्च का एक्सेस थ्री में मिल जाता है क्रेडिट कार्ड कंपनियां जो लॉन्च होना है उनको तो पैसा देती हैं लेकिन वो अपने कस्टमर से जो क्रेडिट कार्ड उसे कर रहा है उसको फ्री में एक्सिस देती हैं अब ऐसा क्रेडिट कार्ड कंपनी है इसलिए करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है की एयरप्लेन से जो लोग ट्रैवल करते हैं उनकी परचेसिंग पावर ज्यादा होती है और अगर उनको ये सब ऑफर दिए जाते हैं है तो वह बाकी कंपनी के क्रेडिट कार्ड की जगह उसे पर्टिकुलर कंपनी के ट्रेड कार्ड को लेना प्रेफर करेंगे जो उन्हें फ्रीलांस जैसे ऑफर देता है इसे क्रेडिट कार्ड कंपनी का क्रेडिट कार्ड तो बिकता ही है उसके साथ-साथ जो एनुअल चार्ज होते हैं उसमें थोड़ा ज्यादा चार्ज करती हैं अगर ₹500 है तो उसकी जगह ₹900 ले लेती है एक फायदा तो ये हुआ और इसके साथ-साथ जब उनका कष्ट उनकी कंपनी का क्रेडिट कार्ड हर चीज खरीदने के लिए उसे करेगा तो उससे डबल फायदा होगा आप कैसे फायदा होगा ये हमने ऑलरेडी क्रेडिट कार्ड वाली जो वीडियो थी उसमें ऑलरेडी डिस्कस कर लिया है की क्रेडिट कार्ड कंपनी पैसा कैसे कमेटी है आप चाहिए तो देख लीजिएगा वो अब देखिए एयरपोर्ट पे हजारों करोड़ लगता हैं लेकिन एयरपोर्ट काफी प्रॉफिट बनाता है दो से तीन साल कू-विड का पीरियड अगर हम छोड़ दें तो एयरपोर्ट कभी भी लॉस में नहीं जाता है यही रीजन है की प्राइवेट कंपनी लोन ले ले के पैसा लगती है एयरपोर्ट बनाने के लिए लास्ट में फिर से आपको एक बार बता डन डाउनलोड दो लिंगो पर फ्री फ्रॉम डी लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन और पिंक कमेंट थैंक यू [संगीत] wZBE5j2kIgY,Israeli–Palestinian conflict | Nitish Rajput | Hindi,2023-04-03T14:30:09Z,PT24M22S,6250687,173346,15736,https://www.youtube.com/watch?v=wZBE5j2kIgY,, लेकिन इजरायल के पास पता नहीं क्या चीज है उसने सारे के सारे अब देश को एक साथ हर दिया क्रिश्चियनिटी तो फैलती है लेकिन जीसस को क्योंकि जी न्यूज़ ने मारा था तो जूस के खिलाफ नफरत भी बहुत ज्यादा फैलती है और यहां से एंट्री होती है हम इसकी अब आप जेरूसलम की इंर्पोटेंस समझ सकते हो की दुनिया के दो इतने बड़े रिलिजन उसे और किस चैरिटी बने और मक्का मदीना के बाद मुस्लिम के लिए ये बहुत ही इंपॉर्टेंट एरिया बना लेकिन अब इजरायल वो भी देने को रेडी नहीं था और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुस्लिम की मान्यता है और ये चीज कुरान में भी मेंशन है इस तरह मिराज के नाम से हर किसी को ग रहा था की इतने सारे अब देश हैं आराम से जीत जाएंगे लेकिन इसका उल्टा हुआ 1972 के ओलंपिक में पांच पुलिस टीम इन्होंने जर्मनी के अंदर इजरायल एथलीट्स के अपार्टमेंट पे हमला कर दिया एक छोटा सा देश है इजरायल जिसकी बहुत ही कम पापुलेशन एरिया में से एक है हजारों साल से इस एरिया में लड़ाई चल रही है अब इसमें कई सारे क्वेश्चन है की ऐसा कौन सा मुद्दा है जिसकी वजह से हजारों साल से ये लोग लाड रहे हैं और आए दिन इस एरिया में जब न्यूज़ आई है तो हम सुनते हैं की जैसे गजा पट्टी हम टेंपल माउंट वेस्ट बैंक तो ये साड़ी चीज क्या है और ऐसा क्या रीजन है की साड़ी दुनिया के लोग मिलकर भी इस इशू का कोई सॉल्यूशन नहीं निकाल का रहे हैं और उससे भी बड़ा क्वेश्चन ये है की इजरायल के पास ऐसा क्या है की इतना छोटा सा देश हो के भी साड़ी अब कंट्रीज को अकेले कैसे हर दे रहा है तो ये साड़ी चीज हम डिटेल में डिस्कस करेंगे लेकिन उसके लिए हमें इसकी पुरी कहानी जानना बहुत ही जरूरी है [संगीत] [संगीत] अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो इंडिया से वेस्ट यानी पश्चिम की तरफ ये है देश इजरायल ये जितना आप येलो में देख रहे हैं ये इजरायल है और ये जो ग्रे कलर में वेस्ट बैंक और गजा स्टेप है ये फिलिस्तीन देश है इजरायल के अंदर ही पाली है और ये जो आप स्टार देख रहे हो ये है जेरूसलम में जेरूसलम ही में रीजन है जिसकी वजह से क्रिश्चियन जूस मुस्लिम में कनफ्लिक्ट हुआ वो मैं अभी आपको आगे बताऊंगा इन सब चीजों की शुरुआत होती है 147 ई से उसे टाइम पे ये किंगडम ऑफ इजरायल हुआ करता था यहां पे उसे रहते थे और इसको जूस किंग सोलोमन रूल करते थे किंगडम ऑफ इजरायल की जो कैपिटल थी वो थी जेलू सलीम इसी जेरूसलम में किंग सोलोमन जूस का फर्स्ट टेंपल बनवाया था जिसका नाम था टेंपल माउंट और इस टेंपल में जूस रेगुलर पूजा करते थे अब इसके बाद 586 ई में आते हैं वो इस फर्स्ट टेंपल को तोड़ देते हैं उसके बाद परसों आते हैं वो इस फर्स्ट टाइम बिल्कुल दोबारा बनवेट हैं और जब दोबारा बनवेट हैं तो फर्स्ट टाइम का जो नाम है वो सेकंड टेंपल पद जाता है और उसके बाद रोमन अंपायर आता है वो सेकंड टाइम बिल्कुल फिर से तुड़वा देता है और इसकी बस वॉल बजती है इस टाइम पे कुछ जो उसे होते हैं वह शिफ्ट होकर यूरोप चले जाते हैं क्योंकि उनको मारा जाता है और जो जूस बैक जाते हैं तो उसमें से एक परिवार में जीसस क्राइस्ट पैदा होते हैं तो जीसस क्राइस्ट एक्चुअल में एक जूस थे जैसे-जैसे रोमन अंपायर के अंदर जीसस क्राइस्ट बड़े हुए हैं उन्होंने जूस की कर टीचिंग से है के जेरूसलम के एरिया के अंदर अपनी अलग टीचिंग शुरू कारी ठीक वैसे ही जैसे गौतम बुद्ध जी हिंदू थे लेकिन उन्होंने अलग हटके बुद्धिस्म की टीचिंग दी थी और बुद्धिस्म एक अलग रिलिजन बना इस तरीके से जीसस ने अलग हटके क्रिश्चियनिटी की शुरुआत की अब जीसस उसे एरिया में उसे की आईडियोलॉजी से अलग टीचिंग देने लगे और बहुत तेजी से फेमस होने लगे तो जो जूस थे उनको ये चीज बिल्कुल पसंद नहीं आई और बात इतनी आगे बाढ़ गए की न्यूज़ ने जीसस को जेरूसलम में सबके सामने क्रॉस पे मटका के उनको किट तोक दी गई और उसे वजह से उनकी जान चली गई और इसकी वजह से जूस के खिलाफ काफी नेगेटिव सेंटीमेंट बन गए थे और आज की डेट तक न्यूज़ को इस चीज के लिए ब्लेम किया जाता है डेथ हो जाति है और इस टाइम पर उनके बेटे कांस्टेंट टाइम डी ग्रेट रोमन के किंग बनते हैं इनको क्रिश्चियनिटी बहुत पसंद ए जाति है और ये पहले राजा बनते हैं जो क्रिश्चियनिटी को अडॉप्ट करते हैं इनके क्रिश्चियन बने से पूरे रूम में क्रिश्चियनिटी फैलती है क्रिश्चियनिटी तो फैलती है लेकिन जीसस को क्योंकि उसे ने मारा था तो जूस के खिलाफ नफरत भी बहुत ज्यादा फैलती है और इनके राज में जूस को बहुत बुरी तरीके से मारा पिता जाता है जूस को रोमन अंपायर छोड़ के दुनिया भर में भगाना पड़ता है स्पेशली यूरोप की तरफ ये लोग जाते हैं और जी जगह पे जींस का इसको मारा गया था वहां पे कंसेंट टाइम डी ग्रेट ने चर्च ऑफ डी होली साईं पलकर बनवाया ये जो चर्च बनवाया था ये करीब 2 किलोमीटर की दूरी पे था टेंपल माउंट वाली एरिया से टेंपल माउंट वाले एरिया को जूस तो टेंपल माउंट कहते हैं लेकिन मुस्लिम जो है वो उसको हराम अल शरीफ कहते हैं वो मैं अभी आपको आगे बताऊंगा ऐसा क्यों कहते हैं इसके बाद 638 एड में रोमन अंपायर्स को हर के अब आर्मी ऑफ उमर आई है अब देखिए एक चीज है भले ही आज की डेट में उसे और मुस्लिम बहुत ही ज्यादा लड़ाई कर रहे हो लेकिन उसे टाइम पे सबसे ज्यादा आराम जो था वो जूस को मुस्लिम किंग केंद्र में ही था क्योंकि मुस्लिम इनको अपनी तरह ही मानते थे क्योंकि इनके रिलिजन जो थे उनमें बहुत ज्यादा सेमिलेरिटी थी अब आर्मी के कंट्रोल में जब ये जूस का एरिया आता है तो जेरूसलम में जी जगह पे उसे का सेकंड टेंपल था वहीं पे डम ऑफ डी रॉक बंता है और अलग सा मस्जिद बंटी है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैक गए थे और वहां उन्होंने पर की थी तो जहां पर की थी उसे जगह पे अब अलग सा मस्जिद बन गई है और उसके बाद वो वहीं से एक पत्थर पे पर रख के जन्नत की तरफ चले गए थे और उसे पत्थर की जगह पे डम ऑब्जर्व रॉक बनवाया गया तो ये हो गया डम ऑफ डी रॉक यह हो गई अलग सा मस्जिद और ये है वेस्टर्न वॉक ये जो पूरा एरिया है इसको जो है वो टेंपल माउंट कहते हैं और मुस्लिम इसको कहते हैं हराम अल शरीफ देखिए ये जो अलग सा मजीद है इसमें नॉन मुस्लिम अलाउड नहीं है और जो उसे है वो वेस्टर्न वॉल पे जो है वो वरशिप कर सकते हैं यही से दो किलोमीटर की दूरी पे चर्च ऑफ डी होली साईं पलकर है ये 37 एकड़ का जो एरिया है ये क्रिश्चियन मुस्लिम और जूस के लिए बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है अब आप जीरो की इंर्पोटेंस समझ सकते हो की दुनिया के दो इतने बड़े रिलिजन उसे और क्रिश्चियनिटी बने और मक्का मदीना के बाद मुस्लिम के लिए ये बहुत ही इंपॉर्टेंट एरिया बना इसलिए इस एरिया को लेकर बहुत ज्यादा इशू है और तीनों कम्युनिटी इसको लेना चाहती है देखिए जूस के ऊपर जब-जब रुलर्स आए ये लोग अपना लैंड छोड़कर दुनिया भर में जाके रहने लगे स्पेशली यूरोप क्योंकि वो पास में था लेकिन उसे जो थे वो अपने लैंड को कभी भूले नहीं थे जूस जो है वो दुनिया में कहानी भी रहते थे वह जेरूसलम का जो टेंपल था टेंपल माउंट उसकी तरफ मुंह करके ही पूजा करते थे आज की डेट में भी कोई भी अगर उसे होगा तो वो ऐसे ही पूजा करता है अब देखिए एयर 1891 आता है और जूस का जो किंगडम वाला एरिया था उसमें अब ए गए थे लेकिन पुरी दुनिया के अंदर जो जूस अलग-अलग जगह पे र रहे थे स्पेशली यूरोप में ज्यादा र रहे थे ये अपने लैंड में वापस जान की बात करते थे से एयर 1891 में एक ज्यूस राइटर थे लो इन्होंने किताब लिखी ऑटो इमांशी पेशेंट जिसमें उन्होंने लिखा की यूरोप के अंदर उसे के खिलाफ बहुत ही बड़ा हो रहा है यूरोप के अंदर कोई भी डॉ बना दिया जाए उसे के लिए लेकिन यूरोपियन जो है वो उसे को कभी भी अपने बराबर का नागरिक नहीं मानेंगे जूस को अपनी किस्मत खुद लखनी होगी और एक इंडे पेंडेंट जूस स्टेट बनाना पड़ेगा ये वो टाइम था जो उसे की जो डिमांड थी अपने लैंड को वापस जान की या पॉलिटिक्स में बादल गई थी इस पुरी चीज को लेक एक मूवमेंट भी स्टार्ट किया है उसे दिन जिसको नाम दिया है जिओ न्यूज़ मूवमेंट का जो परपज था वो ये था की जूस को अपना बेस जो है उनको वापस मिल जाए [संगीत] देखिए यह सब तो चल रहा था और एयर 1914 पास में आता है जब फर्स्ट वर्ल्ड वार स्टार्ट होने वाली होती है वर्ल्ड वार में जर्मनी और ब्रिटेन एक दूसरे के खिलाफ थे और ओटोमन अंपायर जो उसे किंगडम के ऊपर रूल कर रहा था वो जर्मनी के सपोर्ट में ए गया था अब जो ब्रिटेन था उसको भी अपने लिए चाहिए थे ब्रिटेन के जो गवर्नमेंट ऑफिशल थे उनको लगता था की रसिया अमेरिका के जूस थे वो इस बात को इन्फ्लुएंस कर सकते हैं की उनकी सरकार वार में किसके साथ जाएगी और ये साड़ी चीजों की वजह से ब्रिटेन ने जूस को खुश करने की कोशिश की और उनका सपोर्ट किया यानी की इजरायल को अलग देश देने वाली जो बात थी इसका सपोर्ट किया ये जो इतनी स्ट्रांग तरीके से ब्रिटेन सपोर्ट की की उन्होंने एक डिक्लेरेशन भी किया जिसको बेल फोर डिक्लेरेशन भी कहा जाता है इस डिक्लेरेशन के अंदर लिखा गया था डी मजेस्टिक गवर्नमेंट फीवर डी एस्टेब्लिशमेंट इन पैलेस टीम ऑफर नेशनल होम पर डी जूस पीपल अब इस वर्ल्ड वार में ब्रिटेन यूएसएसआर एक तरफ थे जिनको जूस को सपोर्ट था दूसरी तरफ जर्मनी था जिसको ऑथिनम अंपायर का सपोर्ट था हैं टीम में वर्ल्ड वार खत्म होती है और ब्रिटेन की जीत होती है तो जैसे जीत होती तो सबसे पहले तो ऑटम अंपायर जो जूस किंगडम के ऊपर रूल कर रहा था उसको हटाए जाता है और उसे जगह पे ब्रिटिशर्स रूल करना स्टार्ट कर देते हैं अब देखिए वॉक के अंदर जूस ने खुला के ब्रिटेन का सपोर्ट किया था और ब्रिटेन जीत गया था तो सबको पता था की ब्रिटेन जूस को इसका रिवॉर्ड तो दे गई ब्रिटेन ने जो बेल पर डिक्लेरेशन में लिखा था इसको फॉलो किया और यूरोप में जो उसे थे उनको फिलिस्तीन वाले एरिया में जहां पहले उसे रहते थे वहां हमें मैग्नेट करवाना स्टार्ट किया पहले स्टीम के अंदर अरबस की पापुलेशन ज्यादा थी पहले सीनरी ज्यादा थे लेकिन जूस इस एरिया में आके कुछ-कुछ एरिया पकड़ के रहने लगता थे अब देखिए भले उसे जो थे वो हजारों साल पहले पहले तीन वाले एरिया में रहते थे वो उनका लैंड है लेकिन जब जूस को दुनिया भर से स्पेशली यूरोप से इकट्ठा करके पहले तीन एरिया में लाया जा रहा था तो फिलिस्तीन और उसके आसपास के जो अब देश थे उनको ये चीज बिल्कुल अच्छी नहीं ग रही थी और वो इस चीज का जमकर अपोज कर रहा है देख अब देखिए एक तरफ तो यूरोप से जूस जो थे वो पहले स्टीम में वापस ए रहे थे जिसको ब्रिटिश सपोर्ट कर रहे थे दूसरी तरफ जूस की जो ऑर्गेनाइजेशन थी उन्होंने जूस को फंड करना शुरू कर दिया और उसे फ्रंट से यानी की पैसे से उसे ने फिलिस्तीन के एरिया के अंदर लैंड खरीदना चालू कर दिया 1878 के ऑटोनोम सेंसेज में पहलेस्टाइन एरिया की जो टोटल पापुलेशन थी वो 4.7 लाख थी जिसमें से सिर्फ 25000 जूस थे बाकी सारे के सारे अरबस थे लेकिन 1949 आते आते जूस की पापुलेशन 85000 हो गई थी और आगे चल के लाखों में फिलिस्तीन में पहुंच गए थे एक तरफ ब्रिटिश अब से का रहा था की वो वहां पे शांति चाहते हैं और दूसरी तरफ जूस को पहले टीम में भिजवा रहा था 1922 में एक ब्रिटेन का व्हाइट पेपर मिला तो पता चला की ये सब ब्रिटेन जान पूछ के कर रहा था जिससे उसको काफी फायदा हो रहा था फूड डालो राज करो वाली जो स्ट्रेटजी थी वो यहां पे ये लोग अप्लाई कर रहे थे जैसे इंडिया में भी इन्होंने ये चीज कारी थी और अपने मल्टीपल टाइम ब्रिटिशर्स को बोला की जूस का जो इमीग्रेशन है यहां पे आप इनको लिमिट कर दो लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ 1990 से 1923 के बीच में एस्टन यूरोप से 30000 उसे आए 1924 से 1926 में पोलैंड से 50000 जज आए 1933 से 1936 के बीच में 170000 पहले स्टीम में आते हैं जूस कम्युनिटी थी इनके सामने भी मजबूरी थी इनको वापस जाना ही पद रहा था क्योंकि हिटलर का राइस बहुत तेजी से हो रहा था हिटलर के इन्फ्लुएंस में जितने भी कंट्रीज थे हर जगह जूस को मारा जा रहा था एक तो पहले ही जूस को लोग जीसस क्राइस्ट की डेथ के बाद क्रिश्चियन विरोधी मानते थे और दूसरी चीज जो थी जो न्यूज़ थे वो बास का कम करते थे जिसको क्रिश्चियनिटी में सही नहीं माना जाता था चर्च भी इसको अलाउ नहीं करते थे जब क्रिएचर्स नहीं करते थे तो जो जूस थे वो ये कम करते थे तो इस तरीके से जो आम जनता थी यूरोप की वह भी उसे से नफरत करने लगी थी और इसके साथ-साथ इनके साथ रोबरी डिस्क्रिमिनेशन वायलेंस वगैरा जूस के साथ लोग करने लगता थे जो उसे यूरोप में रहते थे उनके प्रोफेशन जमीन छीनी जान लगी वो पब्स और पब्लिक स्पेस में अलाउड नहीं थे और 1935 में न्यूरोमबी रेसियल लॉस भी आए जिसकी वजह से जूस नॉन जूस से शादी नहीं कर सकते थे उनकी सिटीजनशिप भी छन ली गई थी कंसंट्रेशन कैंप में डाला जान लगा था उनको एक सेकंड क्लास सिटिजन की तरह ट्वीट करने लगा था इनफैक्ट वर्ल्ड वार सेकंड के टाइम पे भी फॉलो कॉस्ट हुआ था जिसमें 7 जून को मार दिया गया था तो जो जूस थे उनके पास भी पहले तीन पहुंचने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था और वो बहुत तेजी से स्थिति में पहुंच गए थे इनकी आबादी उसे पर्टिकुलर एरिया में अब से भी ज्यादा तक पहुंच गई थी अब देखिए 1939 में सेकंड वर्ल्ड वार शुरू होता है तो अब जो थे उन्होंने जर्मनी में हिटलर का सपोर्ट किया और जूस ने जान लगाके ब्रिटेन उस और यूएसएसआर का सपोर्ट किया जो एक ही खेल में थे जूस की मजबूरी थी एक तो उनको हिटलर के खिलाफ लड़ने का मौका मिल रहा था और ट्रेनिंग मिली जिसको आगे उसे करने वाले थे सेकंड वर्ल्ड वार खत्म होती है और जर्मनी इस पर को हर जाता है इस वार के अंदर लाखों में जूस अपनी जान गवते हैं जूस की एक बात रही है की ये कभी भी वार नहीं हार्ट थे क्योंकि हमेशा से अपने अस्तित्व के लिए इन्होंने लड़ाई लड़ी है जब अब कंट्रीज ने मिल गया अटैक किया था तो उसे टाइम पे भी पुरी दुनिया को चौका दिया था इन्होंने वो अभी आगे बताऊंगा मैं आपको इनकी जो इंटेलिजेंस एजेंसी मुसद है उसके किस आपने जरूर सुन होंगे लेकिन मैंने एक ऑडियो बुक को एफएम पे सनी थी मोसाद डी ग्रेटेस्ट मिशन ऑफ डी इजरायल सीक्रेट सर्विस एक बार आप जरूर सुना इनकी कोर्डिनेटेड प्लानिंग से आप सरप्राइज हो जाओगे और इस ऑडियो बुक में आपको चैप्टर वाइस मोसाद की बहुत सी इंटरेस्टिंग चीज पता चलेगी जिसके बड़े में ऑनलाइन इतनी बात नहीं हुई है इंडिया का नंबर वन ऑडियो बुक प्लेटफॉर्म है जहां अलग-अलग तरह की ऑडियो बुक्स अवेलेबल है अगर आपको किसी होंडा में भी इंटरेस्ट है तो आप इनकी मल्टीपल कैटिगरी जैसे एजुकेशनल बायोग्राफी एंटरटेनमेंट वगैरा से भी अपनी फेवरेट ऑडियो बुक सुन सकते हैं और इसमें से जो मेरी पर्सनल फेवरेट है वो है इंडिया वर्सेस पाक 1971 वार इसमें जो डीटेल्स दी गई थी वो काफी यूनिक और इंटरेस्टिंग थी अच्छा एक चीज और इस चैनल पे दो मिलियन सब्सक्राइबर हो चुके हैं तो कोको एफएम ने एक ऐसा ऑफर दिया है जो इससे पहले नहीं दिया था इस मठ के पहले 2000 यूजर्स को सिर्फ ₹1 में कुकू एफएम का सब्सक्रिप्शन मिल सकता है तो उसे करिए मेरा कोड एन आर तू एम और डाउनलोड करिए कुकू एफएम लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है तो टॉपिक पे वापस आते हैं सेकंड वर्ल्ड वार के बाद सारे देश मिल्क उन मानते हैं ताकि लड़ाई को रॉक जा सके दुनिया में और लड़ाई ना हो जो देश की प्रॉब्लम है उसको सॉल्व किया जा सके लेकिन उन के अंदर उसे टाइम पे उनकी चल रही थी जो वर्ल्ड वार जीते थे जैसे ब्रिटेन यूएसएसआर और जी हिसाब से जूस ने ब्रिटेन उस और यूएसएसआर का सपोर्ट किया था और अपनी जान दावा पे लगे थी उसका रिवॉर्ड उनको मिलने का टाइम ए गया था वर्ल्ड वार जितने के बाद ऐसा माना जान लगा था की उसे जो थे उनको उनका देश मिल जाएगा ब्रिटेन ने जूस को उनका देश वापस मिलन चाहिए इसके लिए बेलफोर्ट डिक्लेरेशन जो था उसको उन में दे दिया फरवरी 1947 में ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी आर्यांस ने कहा की आप पहले तीन ब्रिटेन के कंट्रोल से बाहर है और जूस को फिलिस्तीन में शिफ्ट करने वाला जो मटर है ये अब उन को खुद देखना चाहिए उन ने एक स्पेशल कमेटी बनाई जो फिलिस्तीन गई इस कमेटी में 11 देश के लोग थे इस कमेटी ने कहा की पहले सीन में सिर्फ 1/3 पापुलेशन उसे की है और 2 थर्ड पापुलेशन जो है वो अब की है जबकि टोटल लैंड का सिर्फ 6% उसे के पास है और ये बोलने के बाद उन की कमेटी ने एक हिस्टोरिकल फैसला दिया उन्होंने कहा की फिलिस्तीन वाला जो एरिया है जहां पहले तीन भी रहते हैं जूस भी रहते हैं और जेरूसलम भी है जो तीन-तीन रिलिजन के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट प्लेस है इसका एक ही सॉल्यूशन है की एक देश इजरायल नाम से बना के जूस को दे देना चाहिए और इस एरिया में फिलिस्तीन नाम से एक देश बना के पहले स्टिनियों को दे देना चाहिए और ये जो जेरूसलम है इसको किसी को नहीं देना चाहिए इसको यू एन के कंट्रोल में रखना चाहिए अब उन में जब भी कोई ऐसा डिसीजन होता है तो सारे देश वोटिंग करते हैं इससे डिसाइड होता है की जो फैसला होगा की नहीं इसके बाद वोटिंग होती है और जो सारे देश हैं वो इसके सपोर्ट में वोट करते हैं इंडिया इकलौता ऐसा देश था जो नॉन मुस्लिम था और जिसने पहले तीन के सपोर्ट में वोट किया था की पहले इस टीम का बंटवारा नहीं होना चाहिए बाकी जितने भी अब कंट्रीज थी उन्होंने भी ये कहा था की पहले सीन का बटवारा नहीं होना चाहिए लेकिन उसके बाद भी बटवारा होता है क्योंकि बाकी जितने भी देश थे उन्होंने इस फैसला के फीवर में वोट किया था अब ये चीज पास हो जाति है 1947 में उन डिवाइड करके मैप रिलीज करता है की इस तरीके से इस एरिया में बंटवारा होगा और कौन सा हिस्सा किसके एरिया में आएगा उन ने जब ये फैसला सुनाया था और मैप रिलीज किया था इससे पहले 1946 में ये मैप था इसमें जो व्हाइट वाला पार्ट आप देख रहे हो ये जूस पापुलेशन थी लेकिन उन ने जो बटवारा किया था ये बहुत ही शॉकिंग था क्योंकि इजरायल को वो भी एरिया मिला जहां पे जूस पापुलेशन नहीं थी ये ऑफिशल मैप था जो उन ने रिलीज किया था बंटवारे के हिसाब से येलो वाला जो पार्ट है ये जेरूसलम है उसको उन के अंदर में रखा गया था उन ने ये जो पार्टीशन किया था इससे अब बिल्कुल भी खुश नहीं थे लेकिन जो जूस थे वो खुश थे अपने इजरायल को मिलने से अब इस डिसीजन के बाद ब्रिटिश जो थे जो राज कर रहे थे इस एरिया में वो इसको छोड़ के चले जाते हैं ब्रिटिशर्स के जान के नेक्स्ट दे अब कंट्रीज अब कंट्रीज का मतलब की अजब सीरिया जॉर्डन सऊदी लेबनान यमन इराक ये सब हुए तो इन्होंने इजरायल के ऊपर बाय स्टार्ट कर दी मिल के हर किसी को ग रहा था की इतने सारे अब देश हैं आराम से जीत जाएंगे लेकिन इसका उल्टा हुआ अब देश को पीछे हटाना पड़ा और इजरायल ने जो उन ने एरिया दिया था उससे ज्यादा एरिया कब्ज कर लिया तो ये जो दावा था अब देश का ये उल्टा पद गया उन ने जो एरिया दिया था वो ये एरिया दिया था लेकिन न्यूज़ ने इस लड़ाई के बाद ये पूरा हिस्सा भी इजरायल में एड कर दिया इसके बाद 1950 आता है और इजरायल एक डॉ पास करता है जिसको कहा जाता है डॉ ऑफ रिटर्न इस डॉ का मतलब था की दुनिया में कोई भी उसे कहानी भी रहे उसको इजरायल की सिटीजनशिप दे दी जाएगी और वो जब मां करें इजरायल ए सकता है ये वो ओरिजिनल स्टांप है जो उसे टाइम पे लगता था जब उसे इजरायल वापस आते थे इजरायल और यह पूरा इजिप्ट इजिप्ट के बीच में इस जगह पर फ्रांस और इजिप्ट की गवर्नमेंट ने साथ मिलकर कैनाल बनाया जिसका नाम था स्विस कैनाल एक कंपनी के थ्रू सर पैसा फ्रांस और इजिप्ट की गवर्नमेंट ने लगाया था बट फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से इजिप्ट को उसे कंपनी की शेयर्स यूके को बेचे पड़े थे जिसकी वजह से इस स्विस कैनाल की जो ओनरशिप थी वो फ्रांस और यूके के पास ए गई थी उसे पर्टिकुलर टाइम पे ये जो स्विस कैनाल है ये पुरी दुनिया के लिए बहुत ही स्ट्रैटेजिक इंपॉर्टेंट एरिया था क्योंकि ये एशिया और यूरोप को कनेक्ट करता था और हर किसी को इंक्लूडिंग इजरायल सबको यहां से होके गुजरा पड़ता था अब इजिप्ट का इस स्विस कैनाल में कोई भी रोल बच्चा नहीं था बट बात यही पे खत्म नहीं होती है 1956 में ना से एक बहुत ही बड़ा कम लेते हैं ना से उसे पर्टिकुलर टाइम के इजिप्ट के रोलर थे उन्होंने कहा की स्विस कैनाल इजिप्ट के लैंड पे बना है और इसलिए अब ये पूरा एरिया ठीक कंट्रोल करेगा फ्रांस और यू कैन ने बहुत समझने की कोशिश की की हमने पैसा लगाया है लेकिन नासिर ने सांप माना कर दिया और जो ना सिर्फ थे उनका झुकाव अब कंट्रीज की तरफ जाता था और इजरायल से वो नफरत करते थे ये का दिया की इजरायल को स्विस कैनाल से नहीं निकालने दिया जाएगा और इजरायल के लिए बहुत ही बड़ी दिक्कत थी क्योंकि वो कहानी से भी समाज नहीं बीच सकता था इसके बाद इजरायल यू के और फ्रांस के साथ मिल के इजिप्ट के ऊपर वार कर देता है और ये पूरा एरिया ले लेट है अब इसके बाद 1957 में उन इस मामले को सुलझाने के लिए बीच में पड़ता है और इजरायल को पीछे हट्टा है इजरायल इजिप्ट का ये पूरा एरिया वापस तो कर देता है लेकिन एक रिटर्न एग्रीमेंट करवाता है की आज के बाद कभी भी इजरायल को इस रूट पे रॉक नहीं जाएगा जैसे बाकी देश के लिए है वैसे इजरायल के लिए भी होगा अब यहां से बात खत्म हो जाति है और जो इजरायल की दिक्कतें थी वो भी सॉल्व हो जाति है और यूके और फ्रांस को पैसा लगाने के बावजूद इस एरिया से खाली हाथ वापस जाना पड़ता है अब इसके कुछ साल बाद 1964 में अब देश ने मिलकर इजिप्ट के अंदर एक मीटिंग की जहां पे इन्होंने बनाई पहले तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन जिसे का ल ओ भी कहते हैं फ्लो एक तरीके से जितने भी फिलिस्तीन ही थे उनका आर्मी और पॉलीटिकल लेवल पे रिप्रेजेंटेशन करती थी और पायल का में कम था की पहले इस टीम को इजरायल से वापस लेना और उनको उनका लैंड दिलवाना इजरायल है ये जो अटैक किया था इजिप्ट के ऊपर इजिप्ट के लीडर ना सिर्फ इस चीज से बहुत ही ज्यादा नाराज थे तो इन्होंने 1967 में बाकी अब कंट्रीज से बात करके स्ट्रैटस ऑफ ईरान का यह जो एरिया है जहां से इजरायल बाकी देश को अपना समाज भिजवाता है वह रास्ता रॉक दिया जाता है नासिर को पता था की इसके बाद इजरायल अटैक करेगा इसलिए उन्होंने पहले ही सारे अब कंट्रीज के साथ मिल्क इजरायल के खिलाफ अटैक प्लेन किया लेकिन इजरायल के पास पता नहीं क्या चीज है उसने सारे के सारे अब देश को एक साथ हर दिया और सिर्फ छह दिन के अंदर इजिप्ट का जो एरिया इजरायल ने पहले कब्ज किया था वो दोबारा से कब्ज कर लिया और इसके साथ-साथ गंज पट्टी और वेस्ट बैंक का जो एरिया था वो भी ले लिया बाद में एवं फिर से बीच में पड़ता है और इजिप्ट का जो एरिया था वो तो वापस हो जाता है लेकिन बाकी एरिया इजरायली कंट्रोल करता है अब इसके 2 साल बाद 1969 में जो ब्लू के अध्यक्ष बनते हैं यासीनो के अध्यक्ष बने के बाद जो अब देश थे वो थोड़ा सा बैकफुट पे ए जाते हैं और जो लड़ाई थी वह फेस तू फेस पी ल ओ और इजरायल के बीच में स्टार्ट हो जाति है उसके बाद यहां से की लीडरशिप में ब्लू ने कई सारे अटैक किया 1973 में इजरायल डिफेंस फोर्सेस पे कई अटैक हुए और उसे टाइम एक चीज और चल रही थी अब देश में तेल निकाल रहा था तो अब देश ने यह कहा की इजरायल से जो रिलेशनशिप रखेगा उसको तेल नहीं दिया जाएगा तो इस तरीके से ये साड़ी चीजें चलती रहती है लेकिन पायल और बाकी अब देश को समझ में ए गया था की इजरायल से जंग में जितना बहुत ही मुश्किल है इसलिए उन्होंने कई अलग-अलग तरीके निकले इन्होंने प्लेन हाईजैक करना स्टार्ट किया सिर्फ 1968 से 1977 के बीच में प्लीज तीनों ने 29 एयरप्लेन हाईजैक किया और इजरायल पर हमला किया 1972 के ओलंपिक में पांच पुलिस तीनों ने जर्मनी के अंदर इजरायल एथलीट्स के अपार्टमेंट पे हमला कर दिया ये सब करके ब्लू को काफी अटेंशन मिल रही थी और इजरायल काफी हद तक परेशान भी हुआ उसके उन के अंदर ब्लू के हेड या फिर कोई उन की मीटिंग में भी बुलाया जान लगा और ये साड़ी चीज देख के इजरायल को समझ में ए रहा था की पायल जो है की आगे चलकर इजरायल के लिए दिक्कत बनेगी पीला के जो ज्यादातर फाइटर थे वो लेबनान में रहते थे क्योंकि इजरायल के आसपास के एरिया में इजरायल टीका नहीं देता था तो इजरायल ने बिना कुछ सोच समझे लेबनान के ऊपर भी अटैक कर दिया 18000 से भी ज्यादा लोगों की इसमें जान जाति है इससे बहुत ज्यादा नुकसान होता है लोगों और पायल काफी वीक भी होता है और 1988 आते-आते ये लोग को भी रिलाइज हुआ और फ्लो ने तू स्टेट मॉडल रिप्रेजेंट किया देखिए पहले जो पहले से ही थे वो जूस को पुरी तरीके से भाग के इजरायल फिलिस्तीन बनाना चाहते थे लेकिन बाद में उनको रिलाइज हो गया की ये चीज इतनी आसन नहीं है तो उन्होंने ये कहा की एटलिस्ट यूएएन ने जो डिसाइड किया है उनको वही वापस मिल जाए लेकिन अब इजरायल वो भी देने को रेडी नहीं था क्योंकि इजरायल का ये मानना है की जब आगे चल के 50 60 साल हो जाएंगे और अब और स्ट्रांग अगर हो गए तो इजरायल पर 100% अटैक करेंगे और इजरायल जो है वो जूस के हाथ से फिर से चला जाएगा और इजरायल की जो लोग हैं उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो भले ही अभी पीस ऑफर कर रहे हैं लेकिन आगे चल के दिक्कत होगी इसलिए उन्होंने क्लीयरली का दिया की वो अपनी जो स्ट्रैटेजिक लोकेशन है वह बिल्कुल वापस नहीं करेंगे हालांकि बाद में 1993 में इजरायल जो था वो ओस्लो अकाउंट जो था उसके लिए एग्री हो गया जिसमें ये था की पेलिस्टिन को गजा पट्टी और वेस्ट बैंक के एरिया दे दिए जाएंगे और यहां से जो ब्लू की लीडर है वो प्रेसिडेंट बना दिया जाएगा उनको और दोनों जो देश है वो शांति से र पाएंगे दोनों देश इसके लिए एग्री हो जाते हैं और 13थ ऑफ सितंबर 1993 को व्हाइट हाउस लोन में दोनों देश एग्रीमेंट भी साइन कर लेते हैं अब सबको ग रहा था की यहां से शांति हो जाएगी लेकिन ये एग्रीमेंट साइन करने के बाद भी इजरायल ने कुछ भी फॉलो नहीं किया गजा के अंदर इजरायली जो सिटिजन थे उनको लगातार भेजते रहे और जो डेड लाइन थी इजरायल को जो दी गई थी की स्थिति का एरिया को ट्रांसफर करना है उसको भी फॉलो नहीं किया गया इससे जो फिलिस्तीन की जो आम जनता थी उनको इजरायल से विश्वास ही उड़ गया और जो पहले स्थिति जनता थी वो खाने लगे की पायल इजरायल के चक्कर में पढ़ के सब कुछ खराब कर देगा और यहां से एंट्री होती है हम इसकी पहले स्टेनिंग रेडिकल लोग हम एस नाम की एक ऑर्गेनाइजेशन बनाते हैं और ये इजरायल पर एक तरह से गोरिल्ला वार करते हैं ज्यादा कोऑर्डिनेटर तरीके से नहीं करते हैं गोरिल्ला वार कितना अटैक करते हैं और जितना भी हथियार टकरा होता है हर चीज से पैसे से हथियार से अब देश जो है वह हम उसको सपोर्ट करते हैं अच्छा इसमें एक दिक्कत और ए रही थी चाहे ब्लू हो या फिर इजरायल दोनों तरफ से अगर कोई नेता पीस की बात करता था तो उसको लोगों का सपोर्ट नहीं मिलता था एक टाइम पे जब इजरायल सॉफ्ट हुआ था तो उनके पीएम कोई मार दिया गया था और पायल जब सॉफ्ट होने लगा उसने पीस की बात कारी तो पी ल ओ वीक पड़ता क्या है और हम इस स्ट्रांग हो गया लोगों ने हमास का सपोर्ट किया और ये कुछ चीज और थी जिसकी वजह से इन साड़ी चीजों का सॉल्यूशन नहीं निकाल का रहा था अभी जो करंट सिनेरियो है वो ये है की हमास जो है वो गजा पट्टी से इजरायल पे आए दिन अटैक करता है तीन-चार बार इजरायल भी अटैक कर चुका है और ये लड़ाई आए दिन चलती रहती है क्वेश्चन अभी भी वही है की जेरूसलम पे किसका हक होगा और किसको अपनी जमीन मिलेगी लड़ाई इस चीज की अभी भी चल रही है अगर कोई लीडर पीस की बात करता है तो पब्लिक उसको हर के बाहर कर देती है या मार देती है इंडिया का स्टैंड है वह काफी मिक्स रहा है शुरू में इंडिया ने खुला के पहले तीन का सपोर्ट किया 1947 में इंडिया ने पहले इस टीम के लिए वोट भी किया था उन के अंदर लेकिन आगे चलकर फिर इजरायल जो था उसको भी रिकॉग्नाइज्ड कर दिया तो थोड़ा सा मिक्स स्टैंड रहा है इंडिया का और आगे चल के 1980 में इंडिया ने ब्लू को फूल डिप्लोमेटिक रिकॉग्निशन भी दिया इंडिया के अंदर फिलिस्तीन एंबेसी थी वो भी बनवाई गई इंडिया के अंदर लेकिन इसके साथ-साथ 1994 में पैरेलल ही इजरायल के साथ डिप्लोमेटिक रिलेशन भी स्टार्ट कर दिए थे अगर मैं महात्मा गांधी जी की बात करूं तो उनके एग्जैक्ट शब्द थे पहले तीन अर्बन का है जी तरीके से इंग्लैंड इंग्लिश का है और फ्रांस फ्रेंच का है इससे पहले जब उन के अंदर वोटिंग होती थी तो इंडिया जो होता है वो पहले तीन का सपोर्ट करता था उनके सपोर्ट में वोट करता था लेकिन 2014 के बाद कई मुद्दों पे जो इंडिया है उसने स्टेन किया है मतलब एक्चुअल में वोट ही नहीं किया इसके साथ ही मोदी जी 2017 में इजरायल जान वाले पहले प्राइम मिनिस्टर बने लेकिन फौरन में इसमें था स्वराज जी ने ये उसे पर टाइम पे ही का दिया था की इंडिया का पहले स्टीम पे स्टैंड कभी भी नहीं बदलेगा और 2018 मोदी जी पहले सिम के वेस्ट बैंक का एक शहर है रामलीला वहां पे भी गए थे और वहां पे जाके उन्होंने या फिर अरफात जिसने काफी लड़ाई कारी थी इजरायल के खिलाफ उनके जो टॉम थे उसमें श्रद्धांजलि भी दी थी हो सकता है आगे जाकर इंडिया अपना स्टैंड और क्लियर करें लेकिन इंडिया के लिए अब और इजरायल दोनों इंपॉर्टेंट है और लास्ट में फिर से आपको बता डन कुकू एफएम की ऑडियो बुक मोसाद डी ग्रेटेस्ट मिशन ऑफ डी इजरायल सीक्रेट सर्विस इसके बाद जरूर सुनिएगा आपको काफी इनफॉरमेशन और मिलेगी थैंक यू [संगीत] lWBrQmYQFHA,How did Dubai get so rich? | Nitish Rajput | Hindi,2023-03-24T14:30:08Z,PT20M56S,3308925,97712,3258,https://www.youtube.com/watch?v=lWBrQmYQFHA,, और इसके कुछ टाइम बाद ही एक ऐसी चीज की गई जो किसी ने एक्सपेक्ट नहीं की थी इनकी बेटी प्रिंस लतीफा दुबई से भाग के ओमान के जरिए गोवा पहुंच गई और उनको इंडियन कास्ट गार्डन ने पकड़ भी लिया और इसका सॉल्यूशन निकालना के लिए दुबई ने अपने टूरिज्म के अंदर एक चीज और जोड़ी हां एक तरीका है जिसमें बाहर के लोगों को भी दुबई की सेनाशिप मिलती है एक एमिरेट्स सिटिजन पैदा होते ही बिना कुछ करें मिलेनियम बन जाता है साथ में ऐसा कोई भी इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर नहीं था जहां पे वो इन सब चीजों की कंप्लेन कर सकें है आर मठ हुसैन जो दुबई के रोलर की वाइफ हैं वो अपने दो बच्चों के साथ इंग्लैंड भाग गई आज जहां पे दुबई है वो तब मछुआरों का एक गांव कहलाता था सब फ्लाइट पाकिस्तान से होकर जाति थी और इसी वजह से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस काफी बड़ी बन गई थी लेकिन 1990 में एक जगह जो एकदम बंजारा थी धूल मिट्टी गर्मी पानी तक नहीं था चारों तरफ रेगिस्तान ही था वो आज की डेट में एक ऐसी जगह बन गई है जिसने दुनिया भर के शेरों को पीछे छोड़ दिया है जी जगह पे पानी की इतनी कलर थी वहां पे आज की डेट में पर एयर 128 बिलियन इंपीरियल गैलन पानी बड़े आराम से प्रोवाइड किया जाता है बड़े-बड़े फाउंटेंस और कनाल आज की डेट में बहुत ही तेजी से बन रहे हैं जहां रेप थी आज वहां वर्ल्ड क्लास रोड्स दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग सबसे बड़े मॉल सबसे बड़े होटल सबसे ऊंचा रेस्टोरेंट और सबसे ऊंची लेफ्ट है ये कहा जाता है की सोयल यानी रेट के ऊपर नॉर्मल बिल्डिंग तक बनाना बहुत मुश्किल होता है इन्होंने रेट के ऊपर ही दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग बना दी पुलिस यहां पे लैंबॉर्गिनी और फेरारी जैसी सुपर कर से चलती है आप अभी तक समझ गए होंगे की मैं दुनिया के सबसे अमीर लोगों के शहर दुबई की बात कर रहा हूं अब आपको ग रहा होगा की इनके पास तेल होगा उसके भंडार होंगे इसलिए ये सब मुमकिन कर का रहे हैं तो देखिए ऐसा नहीं है इनकी जीडीपी का सिर्फ 1% हिस्सा ही तेल से आता है अब सबसे बड़ा क्वेश्चन ये है की ये हुआ कैसे और ऐसी क्या दिक्कत ए रही है बाकी देश को जो वो नहीं कर का रही और ये कर ले रहे हैं तो इसके पीछे एक बहुत ही इंटरेस्टिंग स्टोरी है वो डिस्कस करने से पहले देखते हैं की ये दुबई है किस जगह पे डिवाइस ने आउट कलर बुक बिजनेस हब और लग्जरी टूर्स दत्तनेशन बाय डी रेजिस्टेंस इन डी वर्ल्ड लार्जेस्ट एयरपोर्ट इन शॉपिंग डी माउस और डी पुलिस भारत कार था हैव डी एमिरेट्स और वही और टेक केयर सो डिजाइनर बिकॉज़ इंडिया से वेस्ट की तरफ यानी पश्चिम की तरफ जाएंगे तो आपको मिलेगा यूएई यूनाइटेड अब एमिरेट्स एक्चुअली साथ अलग-अलग किंगडम के राजाओं ने मिलकर डिसाइड किया की ये लोग मिलकर एक कंट्री बनाएंगे जिसका नाम पड़ा यूएई ये है वो साथ किंगडम और देखिए इसमें कई बार सिटीज और किंगडम के बीच में कन्फ्यूजन हो जाता है क्योंकि किंगडम और सिटीज के जो नाम है वो से पड़े हैं जैसे जो दुबई किंगडम है उसको एमिरेट्स ऑफ दुबई कहते हैं और इस एमिरेट्स ऑफ दुबई के अंदर एक सिटी है एक सिटी ऑफ दुबई से ऐसे ही एमिरेट्स ऑफ आबू धाबी में सिटी है आबू धाबी जैसे हर कंट्री के प्रेसिडेंट और प्राइम मिनिस्टर होते हैं वैसे ही यूएई के भी होते हैं लेकिन कौन प्रेसिडेंट या प्राइम मिनिस्टर बनेगा ये डिसाइड एक अलग तरीके से होता है ये जो साथ किंगडम है इन्होंने मिल के डिसाइड कर लिया की जो भी आबू धाबी का राजा होगा वो हमेशा प्रेसिडेंट होगा और जो दुबई का राजा होगा वो हमेशा प्राइम मिनिस्टर बनेगा इसलिए यूएई में आप देखोगे की जो पावर है वो आबू धाबी और दुबई में कंसंट्रेटेड रहती है और यही कुछ रीजन है जिसकी वजह से यूएई एक ऐसी कंट्री है जहां पे एक ही कंट्री में एक तरफ आप ऐसे पिक्चर देखते हो और दूसरी तरफ से कंट्री में आप इस तरीके की पिक्चर दुबई आज जो भी है उसके पीछे रीजन क्या रहे हैं उसको समझना के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा एयर 1820 की बात करें तो आज जो यूएई है उसे पर्टिकुलर टाइम पर कुछ भी नहीं था इसे एरिया में अलग-अलग किंग यानी की शेख अपने अपने एरिया को रूल करते थे और इस एरिया को एकदम कहा जाता था आज जहां पे दुबई है वो तब मच्छरों का एक गांव कहलाता था जो आबू धाबी की सल्तनत में आता था 1833 में शेख मकता तुम बिन ने इसे आबू धाबी से अलग करके एक अलग किंगडम बनाया था और इन्हीं को दुबई का फाउंडर भी कहा जाता है अभी भी जो दुबई के रोलर है वो इसी खानदान से है अब इसके कुछ टाइम बाद 1853 में ब्रिटिश जो पूरे वर्ल्ड पे अपना राज कर रहे थे वो लंदन से बॉम्बे जान के लिए ये एरिया उसे करते थे लेकिन परेशानी ये देखिए इस जगह से निकलते हुए अंग्रेजन के साथ ल होती थी तो इसके लिए ब्रिटिशर्स ने चेक दम ये जो एरिया था दुबई और आबू धाबी वाला इसे बात की और एक ट्रू सेगमेंट साइन किया जिसमें इन्होंने इनकी सिक्योरिटी की बात की ताकि आगे छलके इनको दिक्कत ना हो उसके बाद से इस एरिया का नाम सद्दाम से चेंज हो के कृष्ण स्टेट हो गया और दुबई भी ट्रू से स्टेटमेंट होने लगा तो इन स्टेटस को ब्रिटिश की आर्मी ने सिक्योरिटी दी और इन स्टेटस का पूरा फौरन अफेयर बृजेश भी देखने लगे लेकिन ब्रिटिश ने यहां कोई डेवलपमेंट नहीं किया क्योंकि ब्रिटिशर्स के लिए क्रॉसिंग पॉइंट था और ऊपर से हर तरफ रेगिस्तान था तो उनको यहां ज्यादा फायदा नहीं था अब देखिए इस टाइम पर दुबई का जो एरिया था वह फिशिंग से बढ़कर पर बिजनेस के लिए फेमस हुआ लेकिन दुबई अभी भी एक गांव ही कहलाता था दुबई की असली किस्मत चेंज हुई 1958 में जब शेख राशिद बिन सैड दुबई के रोलर बने और इन्होंने दुबई को एक गांव से एक चमकता शहर बना दिया 1959 में ये यूरोप गए और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर से ये बहुत ज्यादा इंप्रेस हुए और उन्होंने वहां से आते ही ये डिसाइड किया की वो दुबई को एक ट्रेडिंग ट्रांसपोर्ट और फाइनेंस का हब बनाएंगे जो जो ओवर वर्ल्ड में फेमस होगा दुबई पर्शियन गल्फ में है जो ईरान इराक कुवैत सऊदी और कतर के बीच में है साथ में ये रूट एशिया अफ्रीका और यूरोप को भी कनेक्ट करता है तो दुबई की जो स्ट्रैटेजिक लोकेशन थी वो बहुत ही अच्छी थी और इसी चीज को ध्यान में रख के शेख राशिद ने जो इनके पास नेचुरल दुबई फ्री यानी की खड़ी थी जिसमें छोटी-छोटी ना हो तो आई थी लेकिन बड़े शिप नहीं ए पाते थे शेख राशिद ने इसको और गहरा करवाया और चौड़ा करवाया ताकि बड़े शिप भी ए सके सिर्फ छोटी ना हो ताकि ये सीमित ना रहे इसके लिए इन्होंने जो भी पैसा था लोग इसमें ही लगा दिया और लोन भी लिया एक बहुत बड़ा रिस्क था और इसको लेक शेख राशिद को बहुत ज्यादा सुना भी पड़ा था ये क्या कर रहे हैं और किसी को समझ में नहीं ए रहा था लेकिन ये बहुत ही बड़ा सक्सेस निकाला इसकी वजह से दुबई में बड़े-बड़े शिप आने लगे जिससे दुबई के पास का जो मार्केट था बहुत अच्छा चलने लगा शेख राशिद यहां पे भी रुक नहीं इन्होंने एयरपोर्ट बनवाया इंफ्रास्ट्रक्चर पे बहुत सर पैसा लगाया है जो भी पैसा ए रहा था ये सब इन्हीं सब चीजों में लगता रहे थे जिसको लेक इनकी दूर-दूर तक मजाक भी उड़ी क्योंकि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए पैसे बहुत ज्यादा ग रहे थे जिसकी दिक्कत पद रही थी इनको अब होता यह है की 1966 में दुबई में तेल निकलता है लेकिन काफी कम निकलता है एस कंपेयर तो जो इनकी नेबरिंग कंट्री थी उसके कंपेरटिवली कम निकलता है लेकिन शेख राशिद का मानना था की तेल मिल तो गया पर वो ज्यादा दिन नहीं चलेगा इसलिए उन्होंने इस मिले हुए तेल का पैसा भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में ही लगाया और उन्होंने उसे टाइम पे एक लाइन भी का दी जो आज तक बहुत फेमस है उन्होंने कहा की मेरे दादा ऊंट की सवारी करते थे और मेरे पिता भी ऊंट की सवारी करते मैं मर्सिडीज़ चलता हूं मेरा बेटा लैंड रोवर चलाएगा उसका बेटा भी लैंड रोवर चलाएगा लेकिन हालात ऐसे होंगे की उसके आने वाला बेटा से ऊंट चलाएगा इसलिए वो दुबई को एक ऐसी सिटी बनाना चाहते थे जिसकी डिपेंडेंसी तेल पे ना हो जब शेख राशिद दुबई में इंफ्रास्ट्रक्चर वगैरा बना रहे थे तो पैरेलल्ली भी उसे रीजन में बहुत साड़ी चीज हो रही थी जैसे दुबई को ब्रिटिश से इंडिपेंडेंस मिल गई ब्रिटिशर्स इसलिए चले गए क्योंकि ब्रिटिशर्स को इस एरिया की सिक्योरिटी मेंटेन करने के लिए काफी पैसा लगाना पड़ता था तुझे ब्रिटिश थे वो 1968 में यहां से चले जाते हैं और दिसंबर 1971 में जितने भी किंगडम थे यह सब एक हो जाते हैं रस अल खैमाह ये जो किंगडम था ये एक साल बाद जॉइन करता है तो टोटल साथ किंगडम मिल्क एक कंट्री बना लेते हैं अब दुबई खुद में एक तो किंगडम था लेकिन आगे एन कंट्री यूएई रिप्रेजेंट करता था देखिए जब भी शिप एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो फ्यूल फीलिंग के लिए या फिर लोडिंग अनलोडिंग के लिए पोस्ट की जरूर पड़ती है और दुबई एक ऐसी स्ट्रैटेजिक लोकेशन में था की उसे पर्टिकुलर एरिया से बहुत साड़ी शिप को आना जाना पड़ता था शेख राशिद ने इस चीज की इंर्पोटेंस समझ लिया और कोर्ट राशिद बनवाया इस स्पोर्ट की वजह से वहां शिप रुकने लगे और जब कोई शिव रुकता है तो उसके आसपास बहुत बड़े लेवल पे कमर्शियल एक्टिविटी आप इसको ऐसे समझ लो की कोई गांव है उसके पास एक हाईवे निकाल के जाए और गांव वाले पेट्रोल पंप से लेक खाने-पीने तक हर चीज गांव में अवेलेबल करवा दें तो उसे गांव की कमर्शियल एक्टिविटीज जो है वो बहुत ही ज्यादा बाढ़ जाएगी से यही चीज पोर्श के साथ हुई पोर्ट राशिद जो था उसको 1972 में बनवाया गया था और इसकी सक्सेस को देख के 1979 में फिर से एक कोड बनवाया गया पोर्ट जेबेल अली वैसे तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे बनवाया गया था लेकिन आज की डेट में भी ये मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा पोर्ट है अब ये साड़ी चीज तो दुबई में बनी रही थी इसके साथ-साथ शिप की रिपेयरिंग वगैरा के लिए दुबई ड्राई डॉग बनवाया गया और ये अभी साड़ी चीज बने लगी तो अब यहां से म रेट ऑफ दुबई चमकते लगा जब बाकी देश तेल के पैसे से बड़े-बड़े महल बना रहे थे तो उसे टाइम पर शेख राशिद की सोच एकदम अलग थी और इसके कुछ टाइम बधाई एक ऐसी चीज की गई जो किसी ने एक्सपेक्ट नहीं की थी ऐसे टाइम पे जब सारे पोर्ट्स रेडी थे दुबई में शिप खूब ए रहे थे तो पोर्ट पर पैसे और बढ़ाने की बजे शेख राशिद ने अनाउंसमेंट कर दी की दुबई का पोर्ट जेबेल अली कमर्शियल फ्री जॉन है इसका मतलब ये हुआ की इस एरिया से जो भी गुजरेगा उसको टैक्स नहीं देना होगा उसे पूरे एरिया को टैक्स फ्री कर दिया गया जिससे इंपोर्ट ड्यूटी एक्सपोर्ट ड्यूटी मैन्युफैक्चरिंग टैक्स सब माफ कर दिए गए हैं शेख राशिद का ये एक गेम चेंजर मुफ्त था क्योंकि इतना कुछ करने की वजह से ये जो रूट था ये एक बहुत ही फेवरेट रोड बन गया था हर किसी का और दुबई की जीडीपी का लगभग 24% हिस्सा यही से आने लगा था और दुबई एक बहुत ही बड़ी सिटी बने की तरफ बहुत ही तेजी से बने लगा जिसका सर क्रेडिट जाता है शेख राशिद और उनके बोल्ड डिसीजन को जो इनकी सोच उसे पर्टिकुलर टाइम पे थी आज भी कई ऐसे लीडर्स हैं जो ऐसा सोने और एग्जीक्यूशन करने में बहुत जखेंगे दुबई को डेवलप करने के लिए बाहर से भी हाली स्किल्ड लोगों को बुलाया गया क्योंकि उनको पता था की किसी भी कंट्री की ग्रोथ तभी होती है जब पापुलेशन इस किल्ड हो और लोगों में आगे बढ़ाने की हंगारो टेक्निकल वर्ल्ड में ग्रोथ करने के लिए जरूरी है करंट टेक्नोलॉजी और मार्केट की नॉलेज हो डिमांड रेपिडली चेंज हो रही है आज जो टेक्नोलॉजी चल रही है नेक्स्ट एयर एकदम अलग चल रही होगी और इस चेंज में खुद को आगे रखना के लिए नई टेक्निकल स्किल सीखने रहने का हंगर जरूरी है सिर्फ ड्रीम्स देखने से कुछ नहीं होगा स्कॉलर इंडिया का बेस्ट टेक लर्निंग प्लेटफॉर्म है जहां आप इनरोल करके टैग करियर में गो कर सकते हो जरूरी नहीं है की आपको हाय सैलरी अपने के लिए वही ट्रेडिशनल कॉरपोरेट लैडर चढ़ना पड़े स्कॉलर पे खुद को आप स्केल करके आप एक्स्पोनेंटली गो कर सकते हो ऑलरेडी ये 93% से ज्यादा लोगों को मल्टी रेसियल कंपनी लाइक अमेजॉन एप्पल फेसबुक में प्लेस कर चुके हैं इनकी रिगोरोस ट्रेनिंग शेड्यूल और हाथ ऑन क्लासेस आपको एक स्किल्ड टिक्की बनाएगी स्कॉलर हेज एक्सीलेंट इंस्ट्रक्टर्स जिन्होंने टॉप नच कंपनी में कम किया है और ऑन और एवरेज स्केल कोर्सेज करने के बाद एम्पलाइज ने ऑन एन एवरेज 126% की हाइट ली है तो दो चेक आउट स्कॉलर लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं टाइम पर पाकिस्तान में कराची एयरपोर्ट एक बहुत ही बड़ा और बीजी एयरपोर्ट हुआ करता था पाकिस्तान की अच्छी लोकेशन की वजह से अमेरिका से लेकर ब्रिटिश एयरवेज सब फ्लाइट पाकिस्तान से होके जाति थी और इसी वजह से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस काफी बड़ी बन गई थी इस चीज को शेख राशिद दुबई के फीवर में डाइवर्ट करना चाहते थे क्योंकि दुबई की भी लोकेशन बहुत अच्छी चीज जिसके लिए उन्होंने बहुत ट्राई किया और मल्टीपल रणवीर वगैरा बनवाई और ये जो रनवे वगैरा बनवाई इससे एक फायदा ये हुआ की जितनी भी एयरलाइंस थीं जैसे सिंगापुर एयरलाइन और इंडिया मलेशिया एयरलाइन एशिया और यूरोप के बीच चलने वाली जो फ्लाइट्स थी ये एक रिफ्यूलिंग पॉइंट बन गया दुबई वहां का लेकिन बात वहीं पे खत्म नहीं हुई क्योंकि शेख राशिद इस पूरे एयरलाइन बिजनेस को दुबई में डाइवर्ट करना चाहते थे और 1985 में उन्होंने एक एयरलाइन शुरू की और उसका नाम रखा और एमिरेट्स इसके लिए उन्होंने ज्यादा पैसा डीके पाकिस्तान से ही एयरप्लेंस खरीदने शुरू की है और धीरे-धीरे करके पाकिस्तान का पूरा बिजनेस दुबई में डाइवर्ट कर दिया और एमिरेट्स एयरलाइंस जो थी वो बाकी एयरलाइंस को काफी पीछे कर देती है क्योंकि दुबई गवर्नमेंट की तरफ से और एमिरेट्स को अलग से गो करने के लिए पैसे दिए जाते थे और जो टैक्स था वह एक भी रुपया नहीं लिया जाता है वहीं अगर बाकी एयरलाइंस की बात की जाए तो उनकी जो गवर्नमेंट थी उनकी जो कंट्री है गवर्नमेंट थी वो उनसे टैक्स भी लेती थी और जो भी खर्चा होता था उनको अपनी जब से देना होता था इसलिए और एमिरेट्स ने सबको पीछे कर दिया और आगे चल के इसने पूरे दुनिया भर की एयरलाइंस को पीछे किया देखिए अगर आप दुबई गए होंगे तो आपने नोटिस किया होगा की वैसे तो दुबई एक बहुत ही रिलिजन फॉलो करने वाली देश में से एक है लेकिन उसके बाद भी बाहर से आने वालों के लिए वहां कोई खास रिस्ट्रिक्शंस नहीं है दुबई को ऐसे बनाया गया की हर कंट्री के लोग वहां बिना किसी झिझक के ए जा सके और एक बार आए तो बार-बार आने का मां करें और दुबई ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाएं और ये सोच आज हम दुबई के अंदर देखते हैं इस सोच की शुरुआत भी शेख रशीद ने की थी जब दुनिया भर से शिव जो थे वो दुबई के अंदर ए रहे थे उनको पता था की बाहर से लोग भी आएंगे और वहां के लोगों का दुबई के अंदर कंफर्टेबल फूल होना बहुत ही जरूरी है इसलिए दुबई के अंदर बाकी नेबरिंग कंट्री की कंपैरिजन में बहुत ही ओपन रूल्स हैं रेगुलेशन रखें गए हैं और वो जो थिंकिंग है वो आज भी उनके बेटे ने आगे बधाई देखते ही देखते पोर्श और ट्रेड की वजह से दुनिया भर के लोग दुबई में आने लगे यहां से शेख राशिद ने सोचा की ये जो लोग ए हैं इनको और फैसिलिटी दे दी जाए ताकि यह दुबई के अंदर और रुक और यही से दुबई को टूरिस्ट प्लेस बनाने की महिम चालू हुई जो चीज एक पोर्ट बने से शुरू हुई थी वो अब टूरिस्ट डेस्टिनेशन की तरफ बाढ़ रही थी अब दुबई के अंदर बड़े-बड़े होटल और बिल्डिंग बना के दुबई को टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने का कम शुरू हुआ दुबई में उसे टाइम पर बहुत सारे लग्जरियस होटल बनाए गए और इसके साथ ही दुबई का होटल सेक्टर बहुत ही तेजी से बम करने लगा अभी देख तो दुबई उन लोगों से काम रहा था जो शिव के थ्रू ए रहे थे लेकिन 1990 में शेख राशिद ने ट्राई किया की जो ओवर वर्ल्ड से लोग टूरिज्म के लिए आए हैं ताकि दुबई और प्रोग्रेस करें लेकिन होटल वगैरा हर फैसिलिटी होने के बाद भी दुबई में बाहर से लोग ए नहीं रहे थे और इसका सॉल्यूशन निकालना के लिए दुबई ने अपने टूरिज्म के अंदर एक चीज और जोड़ी वो था ग्लैमर जो भी चीज दुनिया के अंदर फेमस थी या फिर पॉपुलर थी उनको और बड़े स्केल पे करके दुबई के अंदर लाया गया 1999 में दुबई में बुर्ज अल अब होटल बनवाया गया ये उसे वक्त का दुनिया का सबसे टॉलेस्ट होटल था जिसे एक आर्टिफिशियल आयरलैंड पर बनाया गया था लेकिन इससे पहले की ये होटल सही से चला इसी पर्टिकुलर एयर में शेख राशिद की डेथ आई है और उनके बेटे शेख मोहम्मद बिन राशिद किंग मानते हैं शेख मोहम्मद भी अपने फादर की तरह थे उन्होंने अपने फादर के सपना को और तेजी से आगे बढ़ाया और जो बुर्ज अल अब होटल था उसकी ओपनिंग 1 दिसंबर 1999 को कराई गई ये दुनिया का उसे वक्त का सबसे लग्जरियस और महंगे होटल में से एक था ये दुनिया का ekmatra7 स्टार होटल था उसे पर टाइम का इस होटल में एक गेस्ट के लिए एक प्राइवेट बीच था इनका खुद का सेपरेट हेलीपैड था इस तरह की बिल्डिंग से दुबई ने दुनिया भर का ध्यान अपनी तरफ खींच किंग शेख मोहम्मद डेनियल बंधन से बहुत ही ज्यादा इंस्पायर थे डेनियल एक अमेरिकन आर्किटेक्ट थे इन्होंने मॉडर्न शिकागो को डिजाइन किया था इनका माना था की अगर किसी भी सिटी को दुनिया के अंदर भाग जामनी है तो मेडियन पर प्रोजेक्ट से उसका कोई सॉल्यूशन नहीं होगा क्योंकि इससे उसे सिटी को ना तो कोई पूछेगा ना कोई इस पर ध्यान देगा और ना ही उसकी ग्रोथ होगी इसलिए एक सीधी को अपने आप को अगर आगे रखना है तो बड़े जॉइंट प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ाना होगा और इसी सोच के साथ दुबई में हर चीज जो दुनिया के अंदर थी उसे बड़ा करके बनवाया जान लगा रेट में जैन कैमरा बनाना बहुत मुश्किल होता है वहां दुनिया भर के आर्किटेक्ट को बुला के रेट में बिल्डिंग की लगा दी गई समुद्र के अंदर मिट्टी भर के उसमें पुरी सिटी खड़ी कर दी गई ये सिर्फ सपना में ही सोचा जा सकता था लेकिन दुबई ने रेगिस्तान में मल्टीपल आईलैंड्स बनवाई जब ये साड़ी चीज बन रही थी तो पानी की भी बहुत ज्यादा जरूर होती है उसके लिए ऐसा ऑर्डर मैनेजमेंट सिस्टम लाया गया इन्होंने समुद्र के पानी कोई पीने लायक बना दिया और जो पानी की प्रॉब्लम थी वो भी सॉल्व हो गई जो कोर्ट से उनको तो इन्होंने टैक्स फ्री किया था उसके साथ-साथ इन्होंने पुरी कंट्री को भी टैक्स फ्री कर दिया दुबई में बिजनेसमैन और इंडिविजुअल्स को इनकम टैक्स नहीं देना होता आम जनता और बिजनेस मां से टैक्स लेने की बजे इन्होंने तेल एक्सपोर्ट्स टूरिज्म और ट्रेड का फंड उसे किया जिसकी वजह से दुनिया भर के जो रिच लोग थे उन्होंने अपने हैडक्वाटर से लेक बिजनेस है सब दुबई में शिफ्ट कर लिए टूरिज्म और बिजनेस मॉडल की वजह से दुबई में बाहर से काफी लोग ए गए थे लगभग 35 लाख के करीब दुबई में लोग रहते हैं जिसमें से एमिरेट्स परमानेंट सिटिजन सिर्फ 3 लाख की हैं अब भले ही दुबई में बाहर के लोग ज्यादा रहते हो लेकिन दुबई किसी बाहर वाले को सिटीजनशिप नहीं देता है दुबई के जो सिटिजन होते हैं वो सिर्फ अरबी होते हैं जो 1925 से पहले सेटल हुए हो या फिर जिनके माता-पिता एमिरेट्स हो एमिरेट्स मतलब यूएई का सिटिजन और इनके रूल के हिसाब से सिर्फ ऐसा नहीं है की एमिरेट्स से शादी कर ली तो सिटीजनशिप मिल जाएगी सिर्फ फीमेल से कोई मिल शक्ति है वो भी शादी के साथ साल और एक बच्चा होने के बाद इनके अगर बच्चा नहीं होता है तो 10 साल के बाद फीमेल को श्रीदेवी चिप मिलेगी और मेल के लिए शादी से शिव लेने का ऑप्शन नहीं मिलता है हां एक तरीका है जिसमें बाहर के लोगों को भी दुबई की सेनाशिप मिलती है अगर कोई दुबई के बाहर का साइंटिस्ट डॉक्टर या आर्टिस्ट है जिनका 10 साल के एक्सपीरियंस है और जिनको इंटरनेशनल अवार्ड मिला हो या फिर कोई बड़ा रिपोर्टेड मास्टर हो और उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड ना हो तो उसे कैसे में दुबई सिटिजन देता है बाहर वाले लोगों होगी लेकिन वोटिंग राइट्स उसके बाद भी नहीं मिलते उनको दुबई की जो सिटीजनशिप है उसके बहुत ही ज्यादा फायदे हैं फ्री एजुकेशन फ्री हेल्थ केयर हाउसिंग अलाउंस कॉस्ट ऑफ लिविंग अलोन जैसी चीज मिलती है ये एक तरह की मंथली इनकम होती है और अगर आप प्राइवेट सेक्टर में कम करते हो तो आपको ₹150 हजार तक का मंत्री टॉप अप भी दिया जाता है अगर जमीन नहीं है आपको तो आप ट्राई कर सकते हो गवर्नमेंट को रिक्वेस्ट करके की आपको जमीन चाहिए तो उसे जमीन भी मिल शक्ति है आपको फ्री में काफी साड़ी सब्सिडीज और जॉब्स में प्रेफरेंस मिलती है जो सिटिजन होते हैं एमिरेट्स होते हैं एक एमिरेट्स सिटिजन पैदा होते ही बिना कुछ करें मिलेनियम बन जाता है ये साड़ी फैसेलिटीज इसलिए भी दी जाति है ताकि दुबई के सिटिजन है वो कुछ रहे क्योंकि अगर वो सिटिजन खुश नहीं रहेंगे तो डेमोक्रेसी की बातें उठने लगती है 2011 में पूरे मिडिल ईस्ट में डेमोक्रेसी के लिए प्रोटेस्ट हुए लेकिन दुबई में एक भी प्रोटेस्ट नहीं हुआ क्योंकि दुबई के सिटिजन इस पर्टिकुलर सिस्टम को चेंज नहीं होने देना चाहते दुबई एक ऑटोक्रेटिक इस्लामिक स्टेट है जहां उसकी सिटिजन तो बहुत कुछ है लेकिन हर किसी के दुबई अच्छी नहीं रहती जितने कम टाइम में दुबई बना है उसको बनाने के लिए बहुत ही ज्यादा वर्कर्स लगे हैं और ये सारे वर्कर्स दुबई के सिटिजन नहीं बल्कि इंडिया पाकिस्तान बांग्लादेश नेपाल फिलिपींस से आते हैं इनके वर्किंग कंडीशन अच्छे नहीं होते पे कम होता है और कई केसेस में एंपलॉयर्स जो होते हैं वो इनके सिचुएशन का मिस उसे करते हैं दुबई में और गर्ल्स के बाकी देश में जब फौरन वर्कर्स कम करने आते हैं तो वो सीधे कम करने नहीं ए सकते वो एक सिस्टम के थ्रू आते हैं जिसको काफला सिस्टम बोला जाता है इस सिस्टम के थ्रू गवर्नमेंट दुबई के एंपलॉयर्स को परमिशन देती है की वो बाहर से वर्कर्स ला सके इस परमिशन के बाद एम्पलाइज बाहर से आए वर्कर्स को टिकट के पैसे दे के बुलेट हैं और रहने के लिए जगह और सैलरी देते हैं ये जो काफिर सिस्टम है इसके थ्रू जो बाहर से वर्कर दुबई में कम करने आते हैं उनका एंप्लॉयमेंट और रहने वाला जो वीजा है वो दोनों लिंक होता है तो एक तरह से गवर्नमेंट की बजे बाहर से जो वर्कर्स आते हैं उनका जो लीगल स्टेटस होता है वो एक प्राइवेट आदमी के हाथ में होता है बेसिकली इनके एंपलॉयर के हाथ में चला जरूर है और यही दिक्कत है सिस्टम की क्योंकि जो एंपलॉयर बाहर से वर्कर्स को वीजा स्पॉन्सर करके बुलट है अगर उसके वर्कर को कम छोड़ना हो तो उसके लिए एंपलॉयर की मंजरी चाहिए होती है एक बाहर से आए हुए वर्कर के लिए बिना परमिशन के वर्कप्लेस छोड़ना एक क्राइम है जिसके लिए उसको सजा भी हो शक्ति है वेस्टर्न मीडियम में काफला सिस्टम को मॉडर्न स्लेवरी बताया जाता है एक सिस्टम में कुछ एंपलॉयर्स वर्कर्स के पासपोर्ट वीजा और फोन रख लेते हैं ये जो वर्कर्स हैं ये ओवरक्राउडेड डम्स में रहते हैं कुछ केसेस में तो इसे गलत तरीके से कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कर लिए जाते हैं क्योंकि वो वहां की लैंग्वेज नहीं समझते हैं कई केसेस में तो जो उनके पासपोर्ट थे उनको दूसरे एंपलॉयर्स को भेज दिया गया था 2014 में ह्यूमन राइट वॉच की एक रिपोर्ट आई जिसने यूएई में अब्बू फेस करने वाली फीमेल डोमेस्टिक वर्कर्स की एग्जैक्ट सिचुएशन बताई इसमें बताया गया की फीमेल को उनके एम्पलाइज ने फिजिकल एब्यूज किया उनको उनकी वेजेस नहीं देते हैं फैमिली मेंबर से बात नहीं करने दिया गया था उनको दिन में 20-20 घंटे भी कम कराएगा सिर्फ 4 घंटे सोनी दिया गया और छुट्टी भी नहीं दी गई साथ में ऐसा कोई भी इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर नहीं था जहां पे वो इन सब चीजों की कंप्लेन कर सके जब ये साड़ी चीजों का बहुत आईटी इस एन हुआ तो 2017 में यूएई नए वर्कर प्रोटेक्शन डॉ लेकर आया जिससे काफी हद तक चीज सुथरी हैं लेकिन 2022 में जब तक गार्जियन की रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया की दुबई एक्सपोज जो चल रहा था उसमें आए हुए वर्कर्स के जो पासपोर्ट्स थे वो फिर से छन लिया गया और लेवल लॉक फॉलो नहीं किया गए तो फिर से क्वेश्चन उठने लगे देखिए यहां पे मेल सिटिजन के लिए तो रूल सही है लेकिन फीमेल सिटिजन के लिए रूल अभी भी बहुत ही स्ट्रिक्ट है 2018 में दुबई के रोलर शेख मोहम्मद बिन राशिद अल इनकी बेटी प्रिंस लतीफा दुबई से भाग के ओमान के जारी गोवा पहुंच गई और उनको इंडियन कास्ट गार्डन ने पकड़ भी लिया तो उन्होंने बताया की वो अपने फादर से भाग के आई हैं और उनको पॉलीटिकल आसाईलम चाहिए लेकिन इंडियन स्पेशल फोर्सेस ने उनको प्राइवेट जेट्स से दुबई वापस भेज दिया बाद में 2021 में उन्होंने फिर से एक सेक्रेटली एक वीडियो बनाया जिसमें उन्होंने ये रिकॉर्ड करके बताया की उनके पिता ने उनको दुबई में बंधक बना रखा है और उनकी जान को खतरा है इसी तरह जून 2019 में प्रिंस हेबे मठ हुसैन जो दुबई के रोलर की वाइफ हैं वो अपने दो बच्चों के साथ इंग्लैंड भाग गई उन्हें वहां पे चरण दी गई इसी तरह प्रिंस लतीफा की जो सिस्टर थी प्रिंस शमशान उन्होंने भी जुलाई 2000 में वेकेशन मानते हुए गायब हो गए और लंदन में रहने लगी लेकिन फिर कुछ दिन बाद उनको किडनैप करके प्राइवेट जेट से दुबई ले आया गया और 2020 में यूके के कोर्ट ने बताया की उनकी जो किडनैपिंग हुई थी वो उनके पिता नहीं करवाई थी लेकिन दुबई दिखने में तो एक मॉडर्न सिटी बन गई है लेकिन वहां पे अभी भी अथॉरिटी और कंजरवेटिव रात चल रहा है दुबई ने कई सारे फ्रेंड्स में प्रोग्रेस कारी है और कई सारे ऐसे फ्रेंड्स हैं जो अभी भी पीछे हैं लेकिन रेगिस्तान की रेट को एक बड़े मेट्रोपोलिस में कन्वर्ट करना ये किसी चमत्कार से कम नहीं है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन की स्कॉलर का लिंक मैंने नीचे डिस्क्रिप्शन में दे दिया प्लीज क्लिक और चेक आईटी आउट थैंक यू [संगीत] rPEXA3ghQwg,Jacqueline-Sukesh Scandal and Its Ongoing Investigation | Nitish Rajput | Hindi,2023-03-19T14:30:11Z,PT21M19S,8003085,198031,8089,https://www.youtube.com/watch?v=rPEXA3ghQwg,, इसमें यह बोला इसने की कैटरीना कैफ को उनके प्रोग्राम में बुलाएगी जबकि कोई कैटरीना कैफ नहीं आई जो शादी भी इसने कारी है वो भी फ्रॉड से कारी है की लाउड स्पीकर ऑन है और अमित शाह भी सुन रहे हैं तो आप जो भी बोलिएगा सोच समझ के बोलिएगा और जब इस अवार्ड में देखा जाता है तो सबके होश उड़ जाते हैं डिप्टी स्टूपिड टेंडेंसी से लेक सफाई कर्मचारी तक हर किसी की तनख्वाह बनी थी क्योंकि वैसे तो जैकलिन ऑलरेडी ऑफर एक्सेप्ट कर चुकी हैं लेकिन सुकेश की पहले प्रेफरेंस नारा फतेही का दी है जो की जय में बैंड है वो दिल्ली के अंदर जज को फोन करके उसको धमक रहा है 1.5 लाख सो के इसने यस जो है जैकलिन की बहन को लोग बिल्ली के रास्ता काटने में परेशान हो जाते हैं और यहां पे उल्टा हो रहा था दोनों लाख रुपए दे के परेशान कैट जो थी उनको गिफ्ट किया जा रहा था मनीष सिसोदिया मिस्टर थे तब हर डिपार्मेंट से कमीशन खाता थे लेकिन जब भी फ्रॉड की बात होती है तो हम नेटवर्क लाल की बात करते हैं लेकिन आज की डेट में अगर इंडिया के सबसे बड़े फ्रोसर की बात हो तो उसमें सबसे ऊपर नाम आता है सुकेश चंद्रशेखर का जज को धमकी देकर बेल लेनी हो जय के ऑफिशल्स की मंथली सैलरी सेट करनी हो बॉलीवुड हीरोइन को गिफ्ट देने हो इनफैक्ट फ्रॉड के पैसे को खाने के लिए पुलिस की गाड़ी तक उसे करना हो हर एक चीज इसमें इतने अलग तरीके से गी इसके ऊपर मूवी बनाने के लिए फिल्म प्रोडक्शन हाउस में होड बच्ची हुई है की पहले हमें कॉपी राइट मिल जाए सुकेश के ऊपर 30 से ज्यादा फिर है मल्टीपल स्टेट की पुलिस और इंडिया की तीन सेंटर एजेंसी पीछे पड़ी हैं लालच बुरी बाला है ये चीज जितने अच्छे से सुकेश ने इंडिया के बड़े-बड़े पावरफुल लोगों को समझाइए वो कोई नहीं समझा पाया अभी इससे पहले ये डिस्कस करेंगे इसने क्या-क्या कारनामे कर रहे हैं पहले ये देख लेते हैं ये बांदा है अखिलेश अखिलेश चंद्रशेखर डी टॉम मां हेस बिन इन जय 200 करोड़ शंकर के नए-नए किस मिलेंगे [संगीत] ऑफ डी ग्रेट इंडियन बेंगलुरु का रहने वाला सुकेश सिर्फ 12th पास है और लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आता है इसके फादर एक मैकेनिक थे सुकेश ऑलमोस्ट साड़ी साउथ इंडियन लैंग्वेज जानता है और हिंदी और इंग्लिश भी इसको बहुत ही अच्छे से आई है ये बात करते टाइम इतना ज्यादा कॉन्फिडेंट राहत है की आपको लगेगा की किसी बड़े आदमी से बात हो रही है 2007 में जब ये 17 साल का था तब इसमें अपना पहले कारनामा किया था जिसमें इसने अपनी एक फैमिली फ्रेंड थी इसकी उसको कन्वेंस कर लिया था की बैंगलोर डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास जो उसे औरत की जमीन फैंसी हुई है उसको ये दिवा देगा और ये झांसा देखिए एक करोड़ से भी ज्यादा रुपए लेक गायब हो गए इसने उसे औरत को उसे समय ये समझाया था की कम का जन वाला है ये बात इतने अच्छे से करता था की हर कोई कन्वेंस हो जाता है ये पहले बार था जब पुलिस ने इसको पड़ा था उसे टाइम पे इसके पास बीएमडब्ल्यू वगैरा साड़ी कर थी डिजाइनर क्लॉथ और इसको कर का बहुत शौक है 17 साल की उम्र से करोड़ रुपए की धांधली कर रहा है जी आगे में लोग ये डिसाइड करते हैं की साइंस या कॉमर्स उसे टाइम पे करोड़ छाप रहा था उसे टाइम से लेक आज तक एक ही पैटर्न उसे करता है ये गवर्नमेंट के करीब अपने आपको बताता है और कई बार जब ये पड़ा गया तो उसके पास राज्यसभा और लोकसभा के जो नकली कार्ड वगैरा वो भी मिले 2012 में कोच्चि बेस साड़ी का ब्रांड था इमानुएल सिल्क इसने इसे भी 20 लाख रुपए की ठगी कारी इसमें ये बोला इसने की कैटरीना कैफ को उनके प्रोग्राम में बुलाएगी जबकि कोई कैटरीना कैफ नहीं आई और ये 20 लाख रुपए ले के गायब हो गया उसे पर टाइम से एक मलयालम एक्ट्रेस थी लीला मारिया पॉल ये उसको बहुत ही पसंद थी आज की डेट में ये दोनों साथ में जय में है वो मैं अभी आगे बताऊंगा आपको अभी की आगे बढ़ाने से पहले एक चीज जो आपने कई बार मुझे कमेंट क्षेत्र में पूछिए की मैं बालों के लिए क्या उसे करता हूं तो देखिए मेरा बहुत ही स्ट्रांग मिली है की एक्सटर्नल केयर से ज्यादा बालों के लिए जरूरी होती है इंटरनल केयर और जब मुझे हेयर फल की प्रॉब्लम हुई थी तब मुझे रिसर्च करके पता चला था की हेयर लॉस की भी सेवन स्टेज होती हैं फर्स्ट से फोर स्टेज तक तो और जो होता है वो ट्रीटेबल होता है लेकिन इसके बाद की स्टेज कंट्रोल करना काफी डिफिकल्ट होता है इसलिए अर्ली स्टेज में सिविल को समझ के इसका ट्रीटमेंट लेना बहुत ही जरूरी है अब मैं किस स्टेज में हूं इसको समझना के लिए मेरी हेल्प कारी थी ट्री नहीं ट्री का एक फ्री ऑनलाइन हेयर टेस्ट है जो आपके हेयर फल के स्टेज और इंटरनल रीजन समझना के बाद उसके हिसाब से आपको कस्टमाइज्ड ट्रीटमेंट ऑफ डायट रिकमेंड करेगा जो इंटरनल और एक्सटर्नल कम करता है और जब इनका फीडबैक मैंने चेक किया तो उसमें पता चला की ट्रेन है 2.5 लाख से भी ज्यादा लोगों को बढ़िया रिजल्ट दिखाएं पांच मीना में 93% सक्सेस रेट के साथ अब देखिए थ्री स्टेप्स में आप इसको कर सकते हैं फर्स्ट ट्री हेल्थ पे जाके फ्री हेयर टेस्ट लीजिए सेकंड अपना कस्टमाइज्ड वन मठ किट खरीदी है थर्ड दिए हुए फ्री डायट प्लेन और हेयर कोच की मदद से 5 महीने के अंदर रिजल्ट्स देखिए मेरा कोड नर 20 उसे करके यू कैन गेट 20% ऑफ सो हरि अप ऑफर और सन 5 देश चेक आउट डी लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं तो इस एक्ट्रेस को ये इतना पसंद करता था की उससे बात करने के लिए इसने खुद को सुन टीवी का ओनर बताया और लेना को कहा की एक बहुत ही बड़ी मूवी ये बनाना चाहता है जिसमें लेना कोई लीड एक्ट्रेस रखना चाहता है लेना उसे टाइम में बहुत ही छोटे मोटे रोल करती थी तो ये मूवी वाली बात सुन के इसके चक्कर में फस गई इसकी कन्विंसिंग पावर इतनी ज्यादा थी की इसने 2014 आते आते लेना मालिया को अपने बिजनेस में एड कर लिया ये जो फ्रॉड का बिजनेस था इसमें इसने लीला बीमारियां को भी एड कर लिया और जुलाई 2024 में शादी भी कर ली मतलब जो शादी भी इसने कारी है वो भी फ्रॉड से कारी है अब शादी करने के बाद सुकेश और सुकेश की वाइफ लेना दोनों मिल के कम करते थे इन्होंने फ्यूचर टेक्निक्स प्राइवेट लिमिटेड के ओनर को कन्वेंस कर लिया की ये इनको गवर्नमेंट से 132 करोड़ का कांटेक्ट दिलवाएंगे इस बार ये दोनों मिल के कम कर रहे थे और ये इतना बड़ा कॉन्ट्रैक्ट होगा की इनकी जो कंपनी मशीन है वो पूरे कर्नाटक में लगेंगे इसके लिए इन्होंने 19 करोड़ की इन्वेस्टमेंट ली और गायब हो गए ये जो पैसा था ये ऑनर्स ने लोन लिया था कनाडा बैंक से वो आज भी इसकी है मैं इधर भर रहे हैं अब इसके बाद 2017 आते आते सुकेश ऐसा बड़ा फ्रॉड करता है जिसकी वजह से ये परमानेंट जय में चला जाता है और आज भी ये कैसे चल रहा है इसके ऊपर [संगीत] देखिए काफी फेमस पार्टी है आया डीएमके यह पार्टी जय ललिता जी की थी और जब जयललिता जी की डेथ हुई तो उसके बाद जो पार्टी थी उसमें काफी बटवारा हो गया था वीके शशि कल ये बहुत ही बड़ा नाम है और इनके एक भतीजे थे टीबी दिनाकरण इनको पार्टी से निकाल दिया गया था और जो ए आई ए दी एम के का जो तू इसका सिंबल था इसके लिए लड़ाई चल रही थी की उसे सिंबल को कौन उसे करेगा इलेक्शन कमीशन ने इतनी लड़ाई देख के सिंबल को सीस कर दिया था और जब सुकेश को इसके बड़े में पता चला है तो सुकेश डायरेक्टली टीबी दिनाकरण से जाके मिलते हैं और उनसे कहते हैं की पार्टी ने आपके साथ सही नहीं किया इसके लिए पार्टी को सबक सीखना होगा मैं आपको एआईएडीएमके के चुनाव चिन्ह दिवा दूंगा क्योंकि इस पे आपका हक है मेरी इलेक्शन कमीशन में काफी जान पहचान है लेकिन इस कम के लिए 50 करोड़ रुपए लगेंगे और दिनाकरण कन्वेंस भी हो जाते हैं और 50 करोड़ इसको दे भी देते हैं और ये 50 करोड़ लेट है और गायब हो जाता है पीवी दिनाकरण बहुत ही पावरफुल आदमी है सुकेश का इस तरीके से फ्रॉड करने का जो प्लेन था ये बहुत ही बड़ी बात थी ये ऐसे समझ लीजिए की शेर के मुंह में हाथ डालने वाली बात थी लेकिन उसके बाद भी सुकेश ने ये कम किया सुकेश का हमेशा से ये प्लेन राहत था ये उन लोगों को पकड़ता था जिनको लगता था की शिकायत नहीं कर पाएंगे लेकिन त्तविनकरण ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में सुकेश के खिलाफ कंप्लेन कर दी और यहां से ये लंबा जय में जाता है और आज की डेट तक ये जय में ही है अब आप खाओगे की अगर 2017 से लेकर अभी तक ये जय में बैंड है तो जैकलिन से जाकर कैसे चेन्नई में मिलाया 200 करोड़ का घोटाला इसने कैसे कर लिया तो अभी धीरे-धीरे आपको साड़ी चीज समझ में ए जाएगा अभी 2017 में तिहाड़ जय पहुंच जाता है और जय से ही अपने फ्रॉड्स मोबाइल की थ्रू करता है लगभग 2 साल बाद 11 अक्टूबर 2019 को शिवेंद्र सिंह और महेंद्र सिंह भी 740 करोड़ के मनी लॉड़ेंगे चार्ज में तिहाड़ जय में पहुंचने हैं ये लोग रन मैक्सी और 40 जैसी कंपनियां के प्रमोटर्स भी र चुके हैं ये दोनों ही बिग शॉट थे अब इनके बड़े में सुकेश को पता चला है की जय में ऐसे दो बड़े लोग आए हैं तो सुकेश इनके बड़े में जय की पुलिस से डिटेल निकलवाता है एक्चुअली डिटेल निकालना इसके लिए इसलिए भी आसन था क्योंकि पुलिस को पैसे खिलता था सुकेश ने जय की फाइल में से इनकी वाइफ आदित्य सिंह के भी नंबर निकलवाए इनफैक्ट एक-एक छोटी डिटेल निकलवाई अब होता ही है की 2020 में कोरोना के टाइम पे बहुत साड़ी कंपनी कोरोना की बैक्सिस बना रही थी हालात पूरे देश में खराब थी गवर्नमेंट के सामने जो चैलेंज थे वो भी न्यूज़ में दिखाए जा रहे थे जून 2020 को शिवेंद्र सिंह की वाइफ आदित्य सिंह के मोबाइल पे एक लड़की का कल जाता है और वो कहती है की डॉ सेक्रेटरी अनूप कुमार आपसे बात करना चाहते हैं और जब अनूप कुमार से बात होती है तो वो कहता है की वो पीएमओ से बोल रहा है यानी प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से बोल रहा है आदित्य ट्रूकॉलर पे चेक करती है तो पीएमओ का ही नंबर आता है ऐसा इसलिए होता है सुकेश ने इस कल के लिए एक सॉफ्टवेयर उसे करके कल स्पूफिंग की थी अनुवादी देखो कहता है की फिलहाल तो मैं फोन रख रहा हूं लेकिन आपको मेरा जूनियर ऑफिसर कल करेगा और फिर एक-दो दिन में अदिति के पास एक दूसरे नंबर से कल आई है और उसे कल पर अदिति को वो आदमी ये समझता है की देश में कोरोना फेल रहा है और देश को इस टाइम पे वैक्सीन की डिस्ट्रीब्यूशन के लिए शिवेंद्र की जरूर है इसके लिए हम एक कमेटी बनके शिवेंद्र को उसका मेंबर बनाएंगे लेकिन ये साड़ी चीज करने से पहले शिवेंद्र को इन जय वगैरा के चले से निकालना होगा इन फैक्ट एक-दो कल में तो ये भी बोला गया है की लाउड स्पीकर ऑन है और अमित शाह भी सुन रहे हैं तो आप जो भी बोलिएगा सोच समझ के बोलिएगा और ये भी बोला गया है की बातें टॉप सीक्रेट है इसको कहानी और मंद डिस्कस करेगा वरना गवर्नमेंट का नाम खराब होगा फिर एक दो कल और होती हैं और उसके बाद अदिति को बोला जाता है की हम कम तो आपका करवा देंगे लेकिन आपको पार्टी फंड के अंदर डोनेट कर रहा होगा सबसे पहले पार्टी फंड के नाम पे 20 करोड़ डलवा लेते हैं और फिर अगले 9 महीने में लगभग 35 ट्रांजैक्शंस होती हैं इसमें टोटल 200 करोड़ अदिति से निकलवा लेट है बाद में आई है कई बार ये भी बोला की आप पैसे तो ले रहे और शिवेंद्र वो बाहर नहीं निकलवा रहे हो ये लोग एक तरह से धमकी या फिर वार्निंग भी देते हैं की देश में क्या हो रहा है आप जानती हो बड़े-बड़े लोगों की जिंदगियां हमने खराब कर दी हैं और ज्यादा करोगे तो तुम्हारी भी जिंदगी खराब कर देंगे अभी जो पैसा देना था अभी अदिति की मजबूरी बन गई थी अदिति ने कई बार कल भी अवॉइड कारी तो उसको धमकी दी जान लगी आदित्य ने अपनी ज्वेलरी बेचन पैसा उधर लिया इनफैक्ट कर सीट में ये भी लिखा गया है की आदित्य ने सुसाइड करने की भी कोशिश की अब होता ये है की शिवेंद्र सिंह के ऊपर जो मनी लॉन्डनिंग का कैसे चल रहा था तो एड इनकी फैमिली की जो ट्रांजैक्शन है उसे पे भी ध्यान रख रही थी सुकेश और अदिति के बीच जो 200 करोड़ की ट्रांजैक्शन होती है एड इसको ट्रैक कर लेती है इसी बीच में डेली स्पेशल सेल को एक इल्ड नंबर यानी की यूके बेस इंटरनेशनल नंबर मिलता है इसको जब ट्रेस किया गया तो इससे कनेक्ट है एयरटेल का इंडियन नंबर निकलता है और उसको जब ट्रेंस करते हैं तो रोहिणी के इलाके की लोकेशन आई है और आगे चल के पता चला है की ये तिहाड़ जय से ऑपरेट हो रहा है अब जय में ऐसे तो मोबाइल की जैमर लगे हुए होते हैं लेकिन बड़े ही आराम से वहां पे पूरा बिजनेस चलाया जा रहा था और आगे चल के जब पता किया जाता है तो डायरेक्ट नंबर 2004 और बोर्ड नंबर तीन की लोकेशन निकलते है और जब इस बोर्ड में देखा जाता हां तो सबके होश उड़ जाते हैं 40 कैदियों के लिए जो वोट था उसमें सुकेश अकेले र रहा था जो कैमरा लगे थे उनके ऊपर टी-शर्ट या फिर कोई कपड़ा दाल दिया गया था ताकि कैमरा बैंड हो जाए और किसी ने भी इसके लिए कुछ नहीं किया था सुपरीटेंडेंट ऑफ जय डिप्टी सुपरीटेंडेंट से लेकर सफाई कर्मचारी तक हर किसी की तनख्वाह बनी थी 81 पुलिस एम्पलाइज को सुकेश हर मठ सैलरी देता था ब्रिटेन और डिप्टी सुपर टेंडर ने अकेले 1.25 करोड़ लिए अब यहां से पुलिस को ये भी ट्रैक करना था की ये जो पैसा कैश में लेट है उसको ये कैसे मैनेज करता है इसके लिए पुलिस अतिथि सिंह की मदद लेती है और अदिति सिंह से सुकेश को फोन करवा के कहती हैं की वो ₹10 करोड़ देने को तैयार है और इस बार पुलिस ट्रैक करती है जैसे ही अतिथि पैसे देने वाली होती हैं और उसे लोकेशन पे पहुंचती है और जो आदमी पैसा लेने आता है उसको पुलिस पकड़ लेती है उसे आदमी को पकाने के बाद पता चला है की सुकेश का नेटवर्क पूरे इंडिया में फैला हुआ है सुकेश जो भी कैश का पैसा होता है उसको रखना नहीं है बल्कि अलग-अलग लोकेशन पे ऐसेट खरीदवाता है जमीन या फिर कर वगैरा खरीदवाता है ताकि जो ब्लैक मनी है वो भी व्हाइट होती है अब देखिए पैसे का जो फ्रॉड होता है ये कोई जीनियस क्राइम तो है नहीं तो फैंसी तो दी नहीं इतनी डर सोकेश को और जय में वो ऑलरेडी था तो पुलिस से लेकर जिनके साथ फ्रॉड भी हुआ है कोई कितना भी बड़ा आदमी हो सुकेश के साथ कुछ नहीं कर पता इस पूरे मामले की जब इन्वेस्टिगेशन होती है तो बहुत ही बड़ी-बड़ी चीज निकाल के बाहर आई है पुलिस ऑफिसर की अंदर तक सेटिंग थी लगभग 25 से 30 करोड़ रुपए जो था वो सुकेश जो था वो इन पुलिस वालों पर लगा था इस कैसे में डिप्टी जय सुपरीटेंडेंट दस मीणा को भी अरेस्ट किया गया है जो हर 15 दिन में को- एक्स दीपक और प्रदीप से 60 से 75 लाख रुपए कलेक्ट करते थे जो सुकेश के गुरु थे सुकेश के चक्कर में फैंस के आर्ट पुलिस वालों को जय जाना पद गया मोबाइल से लेक हर चीज जय से ये करता था यहां तक की कई केसेस में जय की गाड़ियां तक उसे हुई हैं जब ये कोर्ट जाता था तो पुलिस वालों में हो लगती थी की सुकेश के साथ कौन जाएगा क्योंकि जो भी इसके साथ ज्यादा था ये बहुत ही पैसा खर्च करता था सितंबर 2021 में सुकेश की जो वाइफ थी ली ना उसको भी तिहाड़ जय में बैंड कर दिया जाता है जय नंबर सिक्स में सुकेश की जय थी उससे 300 मी की दूरी पे है लेकिन सुकेश अपनी वाइफ से रेगुलर मिलता था और पुलिस भी इसमें मदद करती थी जय को इसने अपना घर बना लिया था ये जय से ही अपना राकेट चलता था और इन कैसे अगर किसी फ्रॉड को करने के लिए जो साइड लोकेशन की जरूर पद जाति थी तो जय में एक यूनिट एक ग्रुप का ओनर था जिसका नाम था संजय चंद्र इसका एक ऑफिस था उसको भी सुकेश उसे कर लेट जब ये कैसे सामने आया तो संजय जनरल को भी तिहाड़ जय से शिफ्ट करना पद गया जय के अंदर सुकेश की मंथली पार्टी होती थी और कई एक्ट्रेस और मॉडल भी जय में मिलने आई है और इतना सब कुछ होने के बाद भी रुक नहीं इसको बॉलीवुड का बहुत ही ज्यादा शौक था और यह चाहता था की अगर कोई बड़ी बॉलीवुड एक्ट्रेस इसकी गर्लफ्रेंड बन जाएगी तो और अच्छा इंपैक्ट पड़ेगा ये जो कम करता है इसके लिए इसने करोड़ रुपए देकर पिंकी रानी को रखा ताकि बॉलीवुड की एक्ट्रेस और सुकेश के बीच में कम्युनिकेशन होता है और एड की रिपोर्ट में ये भी बोला गया है की ये जो पिंकी रानी थी ये मॉडल और सुपर मॉडल को सुकेश से मिलने जय के अंदर भेजती थी सिर्फ बॉलीवुड एक्ट्रेस से मिलवाने के लिए पिंकी रानी को कई करोड़ दिए गए पिंकी रानी एक्ट्रेस को सुकेश की तरफ से गिफ्ट डिलीवर करती थी और सुकेश के लिए शॉपिंग भी करती थी मॉल में जाके जहां पे सुकेश वीडियो कल से चीज सिलेक्ट करते थे और पिंकी रानी उसको खरीदता थी पिंकी रानी के लवर के मुताबिक सुकेश ने पिंकी रानी को जैकलिन से मिलने के लिए ₹2 करोड़ ऑफर किया थे और उनके बीच में वैलेंटाइन दे पर झगड़ा हो गया था जिसको सुलझाने के लिए 10 करोड़ देने की बात की थी जैकलिन वाला कैसे में भी आपको आगे बताऊंगा 19 मैं 2018 को टीवी एक्ट्रेस चाहत खन्ना को पिंकी ईरानी सुकेश से मिलने के लिए तिहाड़ जय के अंदर ले जाति हैं और जैसे ही चाहत तिहाड़ जय में पहुंचती है सुकेश उनको प्रपोज करते हैं तिहाड़ जय के अंदर ये साड़ी चीज होती हैं जबकि वो चाहत है वो शादीशुदा हैं उनकी दो बच्चे भी हैं लेकिन चाहत का ये कहना है की उनको धोखे से एक स्कूल के इवेंट बोल के ले जय गया जहां पे एक इनोवा रुकी और उसमें इनको बैठा दिया गया और आगे चल के बोला गया की ये जो रास्ता है ये तिहाड़ जय से होकर गुजरा है तो ये बेवकूफ बन गई और 2 घंटे के लिए उनको तिहाड़ जय में रुकना पड़ा बड़ी बॉलीवुड एक्ट्रेस को गर्लफ्रेंड बनाने के लिए सुकेश ने गिफ्ट वाला रास्ता चुनाव रदर थान डायरेक्ट पैसे देने के जानवी कपूर नारा फतेही सर अली खान भूमि पेडणेकर जैकलिन सबको गिफ्ट भेज पाएगा जनवरी 2021 में सुकेश ने मिलेनियम बिजनेस मां के भूमि पेडणेकर को फोन से रिच किया और कहा की ये भूमि को गिफ्ट देना चाहते हैं लेकिन भूमि ने साफ माना कर दिया उसके कुछ महीने बाद में 2021 में सर अली खान को सुकेश ने व्हाट्सएप पर रिलीज किया और गिफ्ट भिजवाने को कहा सर अली खान ने भी माना कर दिया लेकिन मल्टीपल टाइम इंसिस्ट करने के सर अली खान चॉकलेट के लिए सिर्फ रेडी हो गई लेकिन सुकेश ने चॉकलेट के बॉक्स के साथ फेंकूलर की जो एक वॉच थी उसको भी भेज दिया जिसकी स्टार्टिंग प्राइस जो थी वो 10 लाख के करीब थी सर अली खान ने इसको लेकिन ज्यादा एंटरटेन नहीं किया जब यहां पे बात नहीं बनी तो 2 महीने बाद 19 जुलाई 202 को जानवी कपूर को सुकेश की वाइफ ने बहाने से एक आउटलेट की ओपनिंग सेरेमनी के लिए बुलाया 18.94 लाख देखिए लेकिन उसके बाद जानवी ने भी इन लोगों को एंटरटेन नहीं किया एड ने जब जानवी का स्टेटमेंट निकाला तो उसमें एग्जैक्ट यही अमाउंट आया और बाद में जाके पता चला की ये जो पैसा था ये सुकेश ने दिल्ली के बिजनेसमैन से धोखा करके निकाला था और ये जितनी भी हीरोइन से मिलता था इसमें इसकी वाइफ भी मदद करती थी [संगीत] अब देखिए तमिलनाडु में एक इवेंट होता है जो सुकेश की वाइफ करवाती है उसमें 12.47 लाख डीके नारा फतेही को बुलाया जाता है और इवेंट खत्म होने के बाद एक कॉन्फ्रेंस कल कारी जाति है जिसमें सुकेश सुकेश की वाइफ और नारा फतेही होती है इस कॉन्फ्रेंस कल का मकसद ये राहत है की नारा फतेही को कन्वेंस करना की वो बीएमडब्ल्यू गिफ्ट ले लेने नारा फतेही एक दो बार माना करती हैं और उसके बाद वो मां जाति है और से मठ के अंदर नारा फतेही को बीएमडब्ल्यू दिवा दी जाति है नारा फतेही इंडियन सिटिजन नहीं है तो नारा ने अपने कजिन मोहम्मद खान उर्फ बॉबी खान के नाम से गाड़ी ली अब ये सब होने के बाद नारा दुबई चली जाति हैं लेकिन पिंकी रानी उनके कम से मैसेज भेजवती है नोहर को की अगर वो सुकेश की गर्लफ्रेंड बन जाति है तो उनकी पुरी लाइफ और करियर सब कुछ वो फाइनेंस कर देंगे और ये भी कहा की वैसे तो जैकलिन ऑलरेडी ऑफर एक्सेप्ट कर चुकी हैं लेकिन सुकेश की पहले प्रेफरेंस नारा फतेही है सुकेश ने यह भी कहा की नारा फतेही को उन्होंने मोरक्को के अंदर एक घर भी दिलवाया है और बीएमडब्ल्यू इसलिए दिलवाई है क्योंकि मर्सिडीज़ क्लारा को काफी चिप लगती थी ये जो चैट्स है बीएमडब्ल्यू फाइनल करने के टाइम की लेकिन फिलहाल तो नारा फतेही अब सुकेश की कैसे में एक बिजनेस बन गई है जैकलिन फर्नांडिस की जो कहानी है वो सबसे लंबी चली है जैकलिन फर्नांडिस के एक मेकअप आर्टिस्ट हैं शानू थीं उनके पास जनवरी 2021 को एक कल आता है और एक आदमी बोलना है की वो जैकलिन से बात करना चाहता है तो शुरू में तो वो माना कर देते हैं इसके कुछ दिन के बाद दोबारा से कल आता है और इस बार उसे नंबर पे होम मिनिस्ट्री लिखा होता है से इस तरीके से सॉफ्टवेयर उसे करके सुकेश ने कल कारी थी जब शान जो की जैकलिन फर्नांडिस का मेकअप आर्टिस्ट है वो कल उठाता है तो उसे साइड से जो आदमी बोल रहा होता है वो शेखर रतन विला अपना नाम बताता है वो कहता है की वो होम मिनिस्टर से बोल रहा है वो जयललिता का भतीजा है और सुन टीवी का ओनर है और जैकलिन से बात करना बहुत ही जरूरी है अब जैकलिन का मेकअप आर्टिस्ट इस बार इस कल को काफी सीरियसली लेट है और जैकलिन को बताता है और यहां से जैकलिन और सुकेश की रेगुलर बातें स्टार्ट हो जाति हैं और गिफ्ट सुकेश भिजवाता राहत है और कुछ टाइम के बाद जैकलिन और सुकेश चेन्नई में मिलने का डिसाइड करती हैं अब आपको ये जब सुकेश जय में है तो फिर कैसे मिलेंगे तो देखिए जय के अंदर इसने अपने फादर की तबीयत खराब होने का बहन बनाया और बेल ले ली कई बार इसने फ्रॉड तरीके से भी बेल करने की कोशिश की है एक बार इसने बेल करने दिल्ली के जज तक को धमकी दे दी थी अब देखिए कैदी है जो की जय में बैंड है वो दिल्ली के अंदर जज को फोन करके उसको धमक रहा है दिल्ली का जो जज था उसके पास भी से तरीके से कल करता है सॉफ्टवेयर का उसे करके और धमकी देता है की सुप्रीम कोर्ट का जज बोल रहा हूं और अगर आपने सुकेश को बेल नहीं दी तो इसका अंजाम बहुत ही बड़ा होगा वो तो जज समझदार थी उसने कल बैक कर तो उसको असलियत पता चल गई और सुकेश के ऊपर एक कैसे और ग गया क्या एक जैकलिन और सुकेश मिलने का डिसाइड करते हैं ये खुद चार्ट प्लेन से चेन्नई पहुंचता है और उधर जैकलिन के लिए भी चार्ट प्लेन भिजवाए की तुम मुंबई से चेन्नई हो और जो आपने पिक्चर अच्छी होगी मीडिया में ये इसी पर्टिकुलर टाइम की है पहले मुलाकात में तीन डिजाइनर बैग चैनल जीयूसीसीआई के आउटफिट लुई बिट्टन के शूज दो जोड़ी डायमंड रिंग ब्रेसलेट मल्टी कलर स्टोन दिए गए हैं मिनी कॉपर भी दी गई थी गिफ्ट के तोर पे लेकिन उसको वापस कर दिया था जैकलिन ये जितने भी डिटेल मैंने बताई हैं आपको भी मैं अपने मां से नहीं बोल रहा हूं एड ने जो कर चीज सबमिट की है उसके अंदर ये साड़ी चीज लिखी गई है और मैं आगे आईटी इसे बोल रहा हूं सुकेश ने जैकलिन को ये भी समझाया की सुपर हीरो तो बहुत सारे हो गए हैं लेकिन जैकलिन को ये सुपर हीरोइन बनाएंगे और इसका बजट रखेंगे 500 करोड़ का और इसको लेक इनकी हॉलीवुड के अंदर भी कई जगह बात होती है देखिए जैकलिन श्रीलंका की सिटिजन है इनके पेरेंट्स बारिन में रहते हैं सिस्टम की उस में पढ़ाई कर रही है और ऑस्ट्रेलिया के अंदर इनका भाई पढ़ाई कर रहा है और ये साड़ी चीज मैं इसलिए बता रहा हूं की सिर्फ जैकलिन कहानी नहीं इनकी फैमिली का भी नाम है जैकलिन की सिस्टर को पैसों की जरूर थी तो 1.5 लाख सोकेश ने उस भेजो है जैकलिन की बहन को बाद में जैकलिन ने ये बताया की ये लोन पे लिए थे 50000 सुकेश ने जैकलिन के भाई को भिजवाए ऑस्ट्रेलिया में और मां-बाप के लिए बहरीन के अंदर पर से कर दिलवाई गेट्स वगैरा और कर वगैरा ये जैकलिन को टाइम तू टाइम दिलवाता राहत था इसके साथ-साथ जब से जैकलिन सुकेश के कांटेक्ट में आई इंडिया में वो ट्रैवल के लिए चार्ट प्रेमी उसे करती थी जैकलिन को तीन पर्शियन कैट जिनकी कीमत ₹9 लाख थी वो भी गिफ्ट की गई लोग बिल्ली के रास्ता काटने में परेशान हो जाते हैं और यहां पे उल्टा हो रहा था नौ-नौला देखिए पर्शियन कैट जो थी उनको गिफ्ट किया जा रहा था 52 लाख का अरब घोड़ा गिफ्ट किया गया था वैलेंटाइन दे पर सुकेश ने जैकलिन को जेएस लिखवा के टिफिन डायमंड गिफ्ट किया था इन फैक्ट सुकेश जैकलिन के लिए एक वेब सीरीज भी लिखवा रहा था जिसके लिए सुकेश ने अभी तक कल नाम की एक राइटर को एक वेब सीरीज लिखने के लिए लाख रुपए पेमेंट किया थे और सर कुछ कैश में किया था जैकलिन ने खुद एक्सेप्ट किया की सुकेश के इंसिस्ट करने पे वो शोरूम में जाके समाज सिलेक्ट कर लेती थी विद आइटम कोड ऑफिस सुकेश उसे आइटम की पेमेंट करने के बाद जो रिसेट होती थी वो जैकलिन को भिजवा देता था और जैकलिन उसे रिसेट को लेकर अपने मैनेजर प्रकाश के साथ जाके वो समाज उठा ला दीजिए लेकिन एक दिन जैकलिन के फ्रेंड शान ने कुछ वीडियो और न्यूज़ आर्टिकल दिखाएं जिसमें सुकेश के सारे कारनामे थे और से चीज जैकलिन ने पिंकी रानी को भी भेजी और जैकलिन का कहना है की ये वो टाइम था जी टाइम पे उन्होंने सुकेश से बात करना बैंड कर दिया था लेकिन पिंकी रानी ने उनका मन वॉश किया और ये समझाया की एक पॉलीटिकल ब्यूरो गेट है इसलिए उनके खिलाफ न्यूज़ चलाई जा रही हैं तो इसको सीरियसली ना लिया जाए 30 अगस्त 2021 को एड जैकलिन को बुलाती है उसे पर टाइम मिले तो जैकलिन सब कुछ माना कर देती हैं लेकिन धीरे-धीरे जब बहुत तेजी दिखाई है एड तब ये साड़ी चीजों को मानती है जैकलिन एड का कहना है की बाकी जो एक्ट्रेस थी जैकलिन की कहानी उससे काफी डिफरेंट है जैकलिन को सुकेश के क्रिमिनल कास्ट के बड़े में पता था और बचाने के लिए वो झूठी कहानी बना रही है और यही रीजन है की एड ने पिछले महीने जैकलिन को भी एक्स बना दिया इस कैसे में इसलिए बाकी एक्ट्रेस से ज्यादा जैकलिन का नाम छल रहा है और ये जितने भी गिफ्ट वगैरा दिए गए हैं नारा फतेही की गाड़ी वगैरा जो है ये एड ने जप्त कारी है क्योंकि जिनके भी पैसे ल गए हैं उनको पैसे भी वापस कर रहे हैं [संगीत] अब जब से यह सब हो रहा है सुकेश ने एक नया गेम चालू कर दिया है सुकेश अब आम आदमी पार्टी का नाम भी ले रहा है लास्ट है सुकेश ने दिल्ली के लोग को लेटर लिखा की आप गवर्नमेंट के मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने 2019 में जय में उसकी सेफ्टी एश्योर करने के लिए 10 करोड़ रुपए की वसूली की थी और सतेंद्र जैन जो थे वो उसे टाइम के दिल्ली के प्रिजन मिनिस्टर थे सुकेश ने यह भी कहा की जब मनीष सिसोदिया मिनिस्टर थे तब हर डिपार्मेंट से कमीशन खाता थे और साथ में केजरीवाल का भी नाम लिया की उन्होंने 2017 में 50 करोड़ लिए आम आदमी पार्टी में सीट दिलवाने के लिए अब फिलहाल तो इस पूरे मटर में इंक्वारी चल रही है दिल्ली के जो लोग हैं उन्होंने इस मामले में कमेटी भी बैठा दी है और इंक्वारी शुरू कर दी है लेकिन सुकेश जी जो भी लेटर भेज रहा है वो मीडिया में पहले ही ए जा रहे हैं तो इसमें पॉलीटिकल पार्टी का भी इंवॉल्वमेंट बताया जा रहा है की वही ये सब लिख करवा रही है और ये भी कहा जा रहा है की सुकेश जानबूझकर आपका नाम ले रहा है ताकि कोई पॉलीटिकल पार्टी सुकेश को बच्चा लेने और लास्ट में फिर से आपको बता डन की ट्राई का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया एक बार चेक जरूर करेगा थैंक यू [संगीत] FBrVlMihUZM,Punjab Khalistan Movement Explained | Nitish Rajput | Hindi,2023-03-12T14:30:11Z,PT35M8S,8639587,259604,25358,https://www.youtube.com/watch?v=FBrVlMihUZM,, और यही रीजन था की आर्मी को किसी भी कोर्स पे इस ऑपरेशन को एक से दो दिन में खत्म करने का ही फैसला लेना पड़ा 1955 में पहले बार पुलिस गोल्डन टेंपल में घुसती है 1984 में जो घुसी थी वो दूसरी बार था की नेहरू जी ने सिख को अलग स्टेट जो की सी कंपेयर जितना होगा वो देने का वादा किया और फिर धोखा किया अगस्त 1982 को एक इंडियन प्लेन को हाईजैक किया गया और यही पे एंट्री होती है एक ऐसे इंसान की जिसकी वजह से पंजाब की पॉलिटिक्स 360 डिग्री चेंज हो जाति है अब 29 सितंबर 2022 को अमृतपाल सिंह की एंट्री होती है इंडिया के अंदर सज्जन कुमार जिसको सीबीआई ने जिम्मेदार बताया था उसको 1991 में पार्टी से टिकट दिया गया अगर चंडीगढ़ पंजाब को चला गया तो हरियाणा के हिंदू उनको वोट नहीं देंगे और आपके हाथ से हरियाणा भी चला जाएगा और इसी वजह से गोल्डन टेंपल को ज्यादा नुकसान हुआ हजारों सिखों को मारा गया दिल्ली में 100 से भी ज्यादा गुरुद्वारा जल दिए गए हैं की एक रिपोर्ट बनाई जिसका नाम रखा आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन लेकिन जब भी पंजाब में इलेक्शन हो फॉर्म में प्रोटेस्ट हो पंजाब में जब भी कोई मुद्दा उठाता है मीडिया के अंदर खाली स्थान का नाम क्यों आने लगता है ऑपरेशन ब्लू स्टार जो है वो 1984 में हुआ था लेकिन भिंडर वाले का जो रेफरेंस है वो आज भी क्यों दिया जाता है और इससे पहले की हम अभी जो अमृतपाल सिंह वाला इंसिडेंट हुआ है वो डिस्कस करें इससे पहले इसके पीछे रीजंस क्या है वो जानना बहुत ही जरूरी है क्योंकि बिट्स और पीस में हमने स्टोरी तो पता है लेकिन एक्चुअल रीजन नहीं पता है की ये सब हो क्यों रहा है क्योंकि ये साड़ी चीज जितनी सिंपल ग रही है उतनी है उसकी चर्चा हो रही है और उसके निकालना की कोशिश में लगी थी रोल मोस्ट प्रोजेक्टर पंजाब की असली स्थिति क्या गंभीर है [संगीत] लेकिन साड़ी चीजों की शुरुआत होती है 1823 से ये जो आप मैप देख रहे हो ये उसे टाइम का पूरा सिख अंपायर है और जिसको रूल करते थे महाराजा रंजीत सिंह तो देखिए जब महाराजा रंजीत सिंह सी कंपेयर रूल करते थे तो ब्रिटिशर्स ने कुछ भी नहीं किया था कोई अटैक नहीं किया था और जैसे ही महाराजा रंजीत सिंह की डेथ हुई और सटीक अंपायर थोड़ा वीक हुआ तो ब्रिटिशर्स ने अटैक करके से कंपेयर के ऊपर कंट्रोल ले लिया और ये जो हरियाणा वाला पार्ट है ये ब्रिटिशर्स ने सिर्फ अंपायर में जोड़ दिया पहले जो हरियाणा था वो से कंपेयर में नहीं था और ये जो साड़ी डीटेल्स मैं आपको बता रहा हूं ये सब अभी आपको आगे रेलीवेंट लगे लगेंगे अब ब्रिटिशर्स में कंपेयर पे कब्जा करके राजा रंजीत सिंह के जो बच्चे थे उनको पढ़ाई के बहाने ब्रिटेन में शिफ्ट कर दिया था ताकि आगे चल के अंग्रेजन को कोई दिक्कत ना हो से कंपेयर को कंट्रोल करने में तो इस वजह से एक्चुअल में से कंपेयर का जो रिप्रेजेंटेशन करने वाला था कोई बच्चा नहीं था जो लोकल महान थे वो गुरुद्वारा के प्रीस्ट बने और उन्होंने कंट्रोल लिया ये जो चीज थी महंत ने जो गुरुद्वारा पे कंट्रोल लिया था ये चीज सिक्स को पसंद नहीं ए रही थी तो 1920 में सिख कम्युनिटी में काली मूवमेंट शुरू किया और ब्रिटिशर्स पे प्रेशर बनाया की गुरुद्वारा महंत नहीं चला सकते और प्रेशर इतना बड़ा की 1175 मेंबर्स की कमेटी बनी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जो आजकल आप न्यूज़ में सुनते हो एसजीपीसी वो इसी वजह से बनी थी एसजीपीसी ने गुरुद्वारों से महंत को हटाए और गुरुद्वारों को रेगुलेट किया और आज की डेट में भी लोग रेगुलेट करते हैं आज भी प्रॉपर इलेक्शन होते हैं इनके प्रेसिडेंट बनाए जाते हैं और एसजीपीसी जो है वो उसे पर्टिकुलर टाइम से सिख कम्युनिटी का फ्रंट फेस बना और जो अकाली दाल है और यूएसजीबीसी इन दोनों में काफी क्लोज रिलेशनशिप हैं उसे पर्टिकुलर टाइम से ही कंपेयर उसे टाइम से ही काफी इन्फ्लेशन और वेल्थ ही अंपायर था ब्रिटिश आर्मी ने कब्जा तो कर लिया था लेकिन सिख यह मानते थे की जब ब्रिटिशर्स ये जो कब्ज किया है ये टेंपरेरी है ये यहां से जब हटेंगे तो इनको इनका से अंपायर जो है वो वापस मिल जाएगा [संगीत] लेकिन जो बिल्ली था किसी कम पर वापस मिलेगा बृजेश के जान के बाद इसको पहले झटका लगता है 1929 में जब मोतीलाल नेहरू जी ने पूर्ण स्वराज मोमेंट्स शुरू किया जिसमें यह कहा गया की इंडिया एक इंडिपेंडेंस देश बनेगा जहां पे वोटिंग होगी और डेमोक्रेसी फॉलो होगी देखिए सिख कम्युनिटी इस इंप्रेशन में थी की जब इंडिपेंडेंस मिलेगी तो हमारा सी कंपार हमें वापस मिल जाएगा आप पुराने स्कल्पचर भी देखोगे तो उसमें लिखा हुआ है की राज करेगा खालसा तो ये जो पूर्ण स्वराज की बात थी इसको सुनकर सिख कम्युनिटी उतनी खुश ली थी और जब 1946 यानी की आजादी से लगभग 1 साल पहले जब ब्रिटिशर्स के जान की बात होने लगी तो सिख लीडर्स ने ये बात उठाई की अंग्रेजन ने धोखा करके सिक्कों से पंजाब छीना था और जब वो जा रहे हैं तो अंग्रेजन को पंजाब उनको वापस कर देना चाहिए लेकिन चीज इतनी आसन नहीं थी अंग्रेजों ने कहा की पहले क्या था वो मटर नहीं करेगा अब सबसे इंपॉर्टेंट फैक्टर ये होगा की नंबर्स क्या है यानी की पापुलेशन में किसका कितना हिस्सा है 1941 में पंजाब के अंदर एक सेंसर हुआ था जिसमें मुस्लिम कम्युनिटी 50% थी 30% थे और सक सिर्फ 15% के आसपास थे और सिख कम्युनिटी को अगर देखा जाए तो इंडिया की पापुलेशन का वो सिर्फ 1% हिस्सा था तो यहां पे भी सिख डिसएडवांटेज पे थे और इन साड़ी चीजों की वजह से जो सिख कम्युनिटी थी वो बहुत ही मुश्किल सिचुएशन में फस गई थी क्योंकि उनको पता था की नंबर्स की बात आएगी तो सिख हिंदू और मुस्लिम पापुलेशन से कम है और आगे चल के सिख के कम्युनिटी ने सिचुएशन के हिसाब से यूनाइटेड इंडिया का सपोर्ट किया और उन्होंने कहा की हमें कोई भी दिक्कत नहीं है यूनाइटेड इंडिया के साथ मिलकर रहने में और यहां पे वो इस इंप्रेशन में थे की उनको एक अलग स्टेट मिलेगा और यहां पे होता ये है की मुस्लिम नंबर्स में ज्यादा थे तो अंग्रेजन को जान की जब टाइम ए रहा था तो मुस्लिम ने पार्टीशन की बात कर दी और पार्टीशन की बात से सिख कम्युनिटी बिल्कुल खुश नहीं थी क्योंकि उनको पता था की पंजाब के अंदर भी मुस्लिम नंबर्स में ज्यादा है तो अगर पार्टीशन होगा तो पंजाब का भी पार्टीशन होगा इसलिए सिख कम्युनिटी ने कहा की हमें यूनाइटेड इंडिया से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर इंडिया का पार्टीशन हुआ तो हमें भी सिक्के स्थान चाहिए क्योंकि इस तरह से तो मुस्लिम को पाकिस्तान मिल जाएगा हिंदू उसको हिंदुस्तान मिल जाएगा लेकिन हमें क्या मिलेगा इसी वजह से शुरू मनी है काली दाल ने इस पर्टिकुलर टाइम पर एक रेजोल्यूशन टाइम पास किया जिसमें की अगर पार्टीशन करोगे वरना इंडिया के साथ रहने में उनको कोई भी दिक्कत नहीं थी लेकिन इसी टाइम यानी की 1946 में ही जवाहरलाल नेहरू जी ने सिक्कों को रिया शोर किया और कहा की पंजाब के बहादुर शेख एक स्पेशल कंसीडरेशन को एंटीटरल है मैं इसको गलत नहीं देखा की इंडिया के नॉर्थ में एक इलाका हो जहां पे सिख आजादी से जीत सके इस स्टेटमेंट को लेकर अलग-अलग थॉट्स हैं की नेहरू जी ने सिख को अलग स्टेट जो की सिकंपायर जितना होगा वो देने का वादा किया और फिर धोखा किया अब देखिए इन साड़ी बटन के बाद भी बटवारा होता है और इस बंटवारे में पंजाब का एक हिस्सा पाकिस्तान में चला जाता है दूसरा हिस्सा इंडिया में ही राहत है पंजाब में जो सिख कम्युनिटी रहती थी वो पूरे पंजाब में छोटे-छोटे ग्रुप में डिसटीब्युटेड थी तो बंटवारा कैसे भी होता इससे सिख कम्युनिटी डिवाइड हो ही रही थी और इसका कोई सॉल्यूशन भी नहीं निकाल का रहा था लेकिन सिख कम्युनिटी डिवाइड होना नहीं चाहती थी लेकिन पार्टीशन होता है और जो हिस्सा पाकिस्तान में जाता है पंजाब का 62% हिस्सा था और 55% पापुलेशन थी और इस प्रोसेस में सिख कम्युनिटी की 150 से भी ज्यादा हिस्टोरिकल साइंस उनके रिचेस्ट लैंड और उनकी आदि से ज्यादा पापुलेशन पाकिस्तान में ही र गई थी जो सिख पाकिस्तान में र गए थे वो पार्टीशन के टाइम पे अपना घर लैंड और प्रॉपर्टी छोड़कर इंडिया में ए गए जो इंडिया में आना नहीं भी चाहते थे उनको पार्टीशन के टाइम पे हुए वायलेंस की वजह से आना पड़ा इसलिए पार्टीशन के टाइम पे जो नुकसान हुआ था वो सबसे ज्यादा सिख कम्युनिटी का हुआ था लेकिन सिख कम्युनिटी ने बहुत ही कम टाइम में फिर से अपने आप को एस्टेब्लिश कर लिया था और पाकिस्तान से जब सिख आए थे तो पहले तो सिख माइनॉरिटी में थे अब वो पंजाब में मेजॉरिटी में ए गए थे जिससे सिख कम्युनिटी का एक अलग सिख स्टेट होने का जो सपना था वो फिर से पूरा होता हुआ दिखे रहा था हालांकि ये सपना आसानी से पूरा नहीं हुआ पार्टीशन के बाद भी कुछ चीजों को लेकर खुश नहीं थे खुशवंत सिंह की किताब हिस्ट्री ऑफ डी सिख में उन्होंने लिखा है की रोड ट्रांसपोर्ट जी पे एक तरह से सिख कम्युनिटी जी थी उनकी मोनोपोली थी उसको नेशनलाइज कर दिया गया साथ में कोलकाता में भी बस और टैक्सी सर्विसेज पे सिख का कंट्रोल था तो वहां पे इस पाकिस्तान से आने वाले बंगाली रिफ्यूजी थे उनको प्रेफरेंस मिलने लगी और सिख कम्युनिटी में कलर है देश की आर्मी को सर्व करने का तो आम फोर्सेस में भी भारती के लिए जो पहले सिख कम्युनिटी को प्रेफरेंस मिलती थी उसमें भी चेंज हुए हालांकि ये चेंज हर स्टेट के लिए हुए लेकिन इसको लेकर भी सिख कम्युनिटी नाराज थी और अपना एक अलग स्टेट चाहती थी गवर्नमेंट ने कुछ टाइम के लिए सिख मेजॉरिटी वाले इलाकों को मिलकर एक स्टेट भी दिया पटियाला और ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन कहते थे इसको लेकिन इसमें कहा जाता है की अकाली दाल की बढ़नी हुई पावर को देख के कांग्रेस ने इसको हटा दिया अब इसके बाद 1956 आता है और इंडियन गवर्नमेंट लेक आई है स्टेट री ऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 इसमें यह था की लैंग्वेज के आधार पर स्टेटस को डिवाइड किया जाएगा कई सारे सबो में इंडिया डिवाइडेड था तो उसको डिवाइड किया गया क्योंकि इंडिया एक सेकुलर कंट्री है तो धर्म या फिर जाति के आधार पे स्टेट नहीं बन सकते थे वो बनाना सही भी नहीं राहत तो लैंग्वेज के आधार पे स्टेटस बनाए गए तो इसमें तेलुगू बोलने वाले को आंध्र प्रदेश मिल गया मराठी बोलने वालों को महाराष्ट्र मिल गया तो सिख कम्युनिटी का कहना था की हरियाणा को छोड़ के पूरे पंजाब के जो भाषा है वो पंजाबी है और ज्यादातर लिटरेचर भी गुरुमुखी स्क्रिप्ट में है तो आप हरियाणा को हिंदी स्पीकिंग स्टेट में मिला दो और हमें पंजाबी स्टेट दे दो और पंजाबी को ऑफिशल लैंग्वेज कर दो पंजाब की लेकिन सरकार ने ये जो डिमांड थी ये पुरी तरीके से रिजेक्ट कर दी अब यहां से धीरे-धीरे चीज खराब होना शुरू होती है खाली स्थान अभी पिक्चर में नहीं आया वो अभी मैं आगे बताऊंगा आपको तो इन साड़ी वजह से अकाली दाल के लीडर मास्टर तारा सिंह ने कहा की आप बहुत ज्यादा हो गया है हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है और ये अब हम नहीं सहेंगे पंजाब में इन साड़ी चीजों को लेकर सिख और हिंदू कम्युनिटी में छोटे लेवल पे राइट्स भी हुए मास्टर तारा सिंह ने कहा की सिख रिलिजन तभी बचेगा जब सिख प्रांत होगा और यही से उन्होंने पंजाबी सुबह मोमेंट्स स्टार्ट किया ये तो मूवमेंट था ये इतनी तेजी से बाढ़ रहा था की गवर्नमेंट ने पंजाबी सुबह जो स्लोगंस थे उसको बोलने तक मैं बन लगा दिया था ₹12000 के करीब 40 जो थे वो अरेस्ट हो गए थे 1955 में पहले बार पुलिस गोल्डन टेंपल में घुसती है 1984 में जो घुसी थी वो दूसरी बार था वो अभी मैं आपको आगे बताऊंगा लेकिन 1960 से 1965 तक बहुत सारे मूवमेंट हुए जिसमें मास्टर तारा सिंह अमर और सन पे रहे अकाली इसको अरेस्ट किया गया ना और नेवर मूवमेंट और भी बहुत साड़ी चीज हुई लेकिन जब 1965 में इंडिया पाकिस्तान वार हुई इसमें सिख कम्युनिटी ने भारत सरकार को अपना अनकंडीशनल सपोर्ट दिया सारे प्रोटेस्ट रोग के भारत सरकार के साथ खड़े हो गए इस वार में भी सिक्स सोल्जर ने बहुत बड़ा रोल किया और लोगों को सिख कम्युनिटी की जो इंर्पोटेंस थी उसका रिलाइजेशन हुआ और 1966 में सिख कम्युनिटी की बात मां ली गई और पंजाब को डिवाइड कर दिया गया पंजाब को तीन स्टेट में बंता गया पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश लेकिन इसमें चंडीगढ़ के ऊपर फिर से कंट्रोवर्सी हो गई उसे टाइम चंडीगढ़ में 55% लोग हिंदी स्पीकिंग थे सेंट्रल गवर्नमेंट ने चंडीगढ़ को भी यूनियन टेरिटरी बना दिया और ये कहा की इसको दोनों स्टेटस शेर करेंगे इसको लेक सिख कम्युनिटी बिल्कुल भी कुछ नहीं दी यही रीजन था की आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन के अंदर भी चंडीगढ़ के बड़े में बात की गई है वो अभी मैं आगे बताऊंगा आपको अब देखिए ये साड़ी बातें तो चल रही थी लेकिन इन सब चीजों के बीच में पंजाब एक अलग स्टेट बन चुका था और इसके बाद पहले बार इलेक्शन होते हैं पंजाब में अकाली दाल इलेक्शन लड़ती है और इलेक्शन जीत जाति है लेकिन अपने पांच साल पूरे नहीं कर पाती इसके बाद फिर से जीतती है लेकिन फिर कुछ दिन में सरकार गिर जाति है 1997 तक पुरी नहीं कर का रहे थे पंजाब की जनता हर बार इनको जित्व रही थी लेकिन अपनी तम पुरी नहीं कर का रहे थे और इसका ब्लेम लगा कांग्रेस के ऊपर मिनिस्ट्री में चेंज करवा देती है या फिर मिनिस्टर्स को इन्फ्लुएंस करके सरकार गिरवा देती है ताकि कांग्रेस का जो इन्फ्लुएंस है वो पंजाब में स्ट्रांग है एक एग्जांपल समझता हूं जैसे लक्ष्मण सिंह गिल अकाली दाल से जीते इनको अकाली दाल ने एजुकेशन मिनिस्टर तक बना दिया देखिए इन्होंने बगावत करके कांग्रेस जॉइन कर ली और 13 एम्बुलेंस के साथ सरकार गिरा दी तो इन सब वजह से कांग्रेस के ऊपर ब्लेम लगता रहे अब इसमें अकाली दाल के लिए दिक्कत यह देखिए चंडीगढ़ का मुद्दा हो या फिर पंजाब की रिवर्स के पानी का बात हो फौजी में कोठी की बात हो सारे मुद्दों पे पंजाब के लोग बहुत ही प्रेशर बना रहे थे और इधर अकाली दाल को ये समझ में नहीं ए रहा था की वो खुद की सरकार तो चला नहीं का रहे थे दूसरी तरफ पूरे देश में ये बोला जा रहा था की दाल है सरकार चलने लायक नहीं है ऊपर से सबसे बड़ा झटका इनको तब लगा जब ये 1972 में कांग्रेस से इलेक्शन बिहार गए और कांग्रेस की तरफ से पंजाब के कम ज्ञानी जय सिंह बने और आगे चल के इंडिया के प्रेसिडेंट अब इन साड़ी सिचुएशन को देखकर अकाली दाल ने 1973 में अपने आप को राइटिंग किया और 12 लोगों की कमेटी बनके मल्टीपल मीटिंग्स की इस मीटिंग में पंजाब के जो इशू थे शुरू से लेकर आखिरी तक जैसे चंडीगढ़ को पंजाब में वापस लाना पंजाब का पानी पंजाब गो मिलन चाहिए सेंट्रल गवर्नमेंट का दखल जो है वो पंजाब में बहुत ही कम होना चाहिए तो इन सारे मुद्दों को लेक एक रिपोर्ट बनाई जिसका नाम रखा आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन इसका फर्स्ट ड्राफ्ट सरदार कपूर सिंह ने बनाया था इंग्लिश में और संत फतेह सिंह को वर्बल समझाया था जिनको इंग्लिश नहीं आई थी और संत फतेह सिंह ने उसको वर्बल सुन के अप्रूव कर दिया लेकिन 1973 में कुछ ज्यादा फेमस नहीं हुआ था ना लोगों ने इस पे ज्यादा ध्यान दिया था लेकिन अगस्त 1977 में ज्ञानी अजमेर सिंह जो की सेक्रेटरी थे अकाली दाल के इन्होंने एक नया वर्जन रिलीज किया है इसका उसे टाइम ही लोगों में फेमस हुआ ये ओरिजिनल रेजोल्यूशन से थोड़ा अलग था अपडेटेड वर्जन आप का सकते हो इसका और ये जो आनंदपुर साहिब का रेजोल्यूशन था इसके वर्जन को लेक बहुत ही ज्यादा कंट्रोवर्सी हो रही थी उसे टाइम पे और आज भी इसको लेकर कन सी होती है अल में अकाली दाल के अंदर भी कई ग्रुप थे कोई नेता अगर पीछे र जाता था या उसको कम इंर्पोटेंस मिलती थी तो वो एक एक्सट्रीम वर्जन बना के इस रेजोल्यूशन को प्रमोट करता था लोगों में और कम टाइम में पॉपुलर होने का ये एक सर शॉट फॉर्मूला था खाली स्थानीय ने भी ये कहा की अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन में अलग देश की मांग की गई है हालांकि स्टेट की नहीं देखिए अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन एक वेपन की तरह बन गया था जिसको लोग अपने हिसाब से उसे कर रहे थे जब कंट्रोवर्सी बहुत ही ज्यादा बाढ़ गई तो सर हरचंद सिंह लोंगेवाला जो अकाली दाल के प्रेसिडेंट थे उन्होंने इंडियन पार्लियामेंट के दोनों हाउसेस के मेंबर को आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन की कॉपी भेजी और कहा की आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन का जो ऑथेंटिक वर्जन है वो ये है और कोई भी इस रेजोल्यूशन का गलत मतलब ना निकले उन्होंने कहा की अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन में अलग देश की मांग नहीं की गई है और अगर कोई ऐसा का रहा है तो वो गलत का रहा है वैसे भी अगर आप सर्च करोगे तो अकाली दाल ने ऑफीशियली कभी भी नहीं कहा की उनको अलग देश चाहिए लेकिन सिख कम्युनिटी अपने रिलिजन को लेकर काफी सेंसेटिव है ब्रिटिशर्स के टाइम पे भी ब्रिटिशर्स सिख कम्युनिटी को नहीं रॉक पे थे टर्बन पहने से बाद में चल के उनको मानना पड़ा था जबकि हिंदू और मुस्लिम के ऊपर ब्रिटिश ने काफी रिस्ट्रिक्शंस लगाएं थे यही रीजन है की पंजाब के अंदर रिलिजन के ऊपर पॉलिटिक्स करना हर पार्टी ने अपने एजेंडा में रखा है जो पार्टी कमजोर होने लगती है वो रिलिजन लेकर आई है कांग्रेस भी जब पीछे होने लगी थी अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन के बाद तो कांग्रेस की तरफ से ज्ञानी जय सिंह जो 1972 से 1977 तक पंजाब के कम बने उनको भी ये समझ में ए गया था की अकालिस अब पॉलिटिक्स करने के लिए रिलिजन का उसे कर रहे हैं तो उन्होंने भी ये दिखाने की कोशिश की की भले ही में कांग्रेस में हूं लेकिन मैं सिख धर्म के लिए अकाली से ज्यादा डेडीकेटेड हूं उन्होंने सिख गुरु उसके जो जन्म दिवस होते थे उसको सेलिब्रेट करना शुरू किया और इसके साथ-साथ पंजाब सरकार ने महाराजा रंजीत सिंह की जो बर्थ है एनिवर्सरी दी वो भी बहुत धूमधाम से मनाने शुरू कारी देखिए आनंदपुर रिजर्वेशन पंजाब में बहुत ही पॉपुलर होने लगा था जिससे अकाली दाल स्ट्रांग हुआ और आगे छलके गली देते कांग्रेस को भी इलेक्शन में ए रहा है अब इससे डील करने के लिए कांग्रेस को एक ऐसा फेस चाहिए था जो अकाली से ज्यादा रिलिजियस हो और यही पे एंट्री होती है एक ऐसे इंसान की जिसकी वजह से पंजाब की पॉलिटिक्स 360 डिग्री चेंज हो जाति है [संगीत] पंजाब के अंदर कई रिलिजियस ऑर्गेनाइजेशन है जो रिलिजन और एजुकेशन को लेकर कम करती है ऐसी एक ऑर्गेनाइजेशन है दमदमी तस्कर और क्योंकि दमदमी तत्काल पंजाब के तहसील मूंगा के भिंडर गांव में थी इसलिए वहां के रहने वाले लोगों को भिंडर वाले कहा जाता है और उसे टाइम पे जब दामिनी तत्काल की लीडर करतार सिंह भिंडर वाले की डेथ हुई तो उसके बाद जनरल सिंह को जन्मदिन की तत्काल का लीडर बनाया गया और लोग इनको संत जरनैल सिंह भिंडर वाले के नाम से बुलेट थे भिंडर वाले ने लीडर बनते ही गांव गांव में जाकर नसे छुड़ाने की महिम चलाई और लोगों से अपील की की वो अपने बाल ना कटवाए और सिख धर्म को फॉलो करें बहुत ही तेजी से लोगों में फेमस होने लगा और लोग आके उसके पास अपनी प्रॉब्लम और डिस्प्यूट सॉल्व करते थे और ये सब जब चल रहा था तो कांग्रेस के ज्ञानी जय सिंह और दरबार सिंह ने संजय गांधी को भिंडर वाले के बड़े में बताया की भिंडर वाले एक ऐसा आदमी है जो पंजाब में बहुत ही पॉपुलर हो रहा है और अगर इसको हम फ्रंट फेस बनाते हैं तो अकाली दाल के वोट काटेंगे इससे और फिर आगे चल के कांग्रेस ने भिंडर वाले को अकाली दाल के खिलाफ एसजीपीसी के इलेक्शन में खड़ा कर दिया और वाले को गवर्नमेंट का पूरा सपोर्ट मिल रहा था अब इसमें होने ही लगा था की भिंडर वाले को रिलिजियस बटन की वजह से मिल ही रहा था और गवर्नमेंट का सपोर्ट मिलने के बाद बी हिंदर वाली एक्टिविटी और तेज कर दी और 13th ऑफ अप्रैल 1978 को एक ऐसा इंसिडेंट हुआ जिससे भिंडर वाले मेंस्ट्रीम लीडर से भी ज्यादा पॉपुलर हो गया अब देखिए ये जो पुरी स्टोरी में आपको बता रहा हूं इसमें बहुत साड़ी चीज हैं अगर वो मैं आपको बताऊंगा तो वीडियो बहुत लंबी हो जाएगी लेकिन अगर आपको इसके बड़े में और डिटेल में जानना है तो मैं आपको कुक्कू एफएम की एक ऑडियो बुक रेकमेंड करना चाहूंगा जिसका नाम है ऑपरेशन ब्लू स्टार ये वीडियो बनाने से पहले इस ऑडियो बुक को मैंने सुना था इसमें काफी डिटेल में इसके बड़े में बताया गया है 82 मिनट्स की ऑडियो बुक को आप कहानी भी कुछ भी छोटा-मोटा कम करते हुए या ट्रैवल करते हुए सुन सकते हैं इसके अलावा भी कुक को एफएम पर हजारों तरह की ऑडियो बुक्स अवेलेबल है एंटरटेनमेंट कॉमेडी हॉरर बायोग्राफी जैसी कई कैटिगरीज है जहां आप अपने इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग ऑडी बुक सुन सकते हो कुकू एफएम इंडिया का नंबर वन ऑडियो बुक लिसनिंग प्लेटफॉर्म है जहां कर से स्टोरी और ऑडियो बुक्स अवेलेबल हैं आप मेरा कोड अनार 50 उसे करके फर्स्ट मठ के सब्सक्रिप्शन पे 50% ऑफ भी ले सकते हैं तो डाउनलोड करिए कुकू एफएम लिंक इस इन डिस्क्रिप्शन [संगीत] सिख और निरंकारी सिख के बीच में एक वैचारिक मतभेद है सिखों में टोटल 10 गुरु हैं जिसमें से सिख का कहना है की गुरु गोविंद सिंह जी आखरी गुरु और उसके बाद उन्होंने किसी को भी गुरु नहीं माना और क्योंकि सारे 10 गुरु जो थे उनके उपदेश गुरु ग्रंथ साहिब में हैं तो उन्हें को सिखों ने अपना गुरु माना वही निरंकारी ने दोबारा से अपने लीडर को गुरु मानना शुरू कर दिया और इसको लेक सिख और निरंकारी सिख में कनफ्लिक्ट हमेशा से रहा है और 13th ऑफ अप्रैल 1978 को कनफ्लिक्ट इतना बड़ा की लोगों को अपनी जान तक गवनी पड़ी इस दिन निरंकारी सिख जो थे उन्होंने एक इवेंट रखा जिसमें सारे निरंकारी से इकट्ठा होने थे लेकिन भिंडर वाले ने कहा की वो ये मीटिंग नहीं होने देंगे जी दिन ये मीटिंग होती है उसे दिन दोनों ग्रुप में लड़ाई हो जाति है और 17 लोगों को अपनी जान गवनी पड़ती है लेकिन इसके बाद भी भिंडर वाले की गिरफ्तारी नहीं होती है और इस इंसिडेंट से भिंडर वाले की हिम्मत बहुत ही ज्यादा बाढ़ जाति है और एयर 1980 में निरंकारी सिख के हेड जो थे बाबा गुरु बच्चन सिंह और उनके बॉडीगार्ड की दिल्ली में हत्या कर दी जाति है और नाम भिंडर वाले के लोगों का आता है लेकिन बाद में कोई अरेस्ट नहीं होता है इसके एक साल बाद 1981 में पूरे देश के अंदर सेंसेज स्टार्ट हो जाते हैं अब देखिए सेंसेक्स में आपकी मातृभाषा पूछी जाति है और इसमें ये होता है की जैसे पंजाब में ज्यादा लोग अगर पंजाबी को अपनी मातृभाषा बताएंगे तो पंजाबी लैंग्वेज को इंर्पोटेंस मिलेगी और अगर ज्यादा लोग हिंदी बोलेंगे तो हिंदी को इंर्पोटेंस मिलेगी तो इस वजह से भिंडर वाले ने पंजाब के लोगों से कहा की सब लोग अपनी मातृभाषा पंजाबी बताएंगे इसको लगे हिंदू डर रहे थे लेकिन पंजाब केसरी जो न्यूज़पेपर था उसके एडिटर लाल जगत नारायण इन्होंने कहा की हिंदू लोगों को डरने की जरूर नहीं है आपसे जब पूछा जाए तो आप अपनी मातृभाषा हिंदी बताएं और इस चीज को रोज आर्टिकल में पब्लिश करते थे लेकिन इस वजह से इनको गली मार दी जाति है अब इस इंसिडेंट को लेकर गवर्नमेंट के ऊपर बहुत प्रेशर बंता है की अब तो बिल्डर वाले को अरेस्ट करना पड़ेगा वरना हिंदू कम्युनिटी बड़ा मां जाएगी शुरू में तो गवर्नमेंट नहीं करती है लेकिन जब प्रेशर ज्यादा बढ़ता है और इंपैक्ट पंजाब के बाहर से भी पढ़ने लगता है तो गवर्नमेंट को अरेस्ट करना पड़ता है और यहां से कांग्रेस और भिंडर वाले में कनफ्लिक्ट शुरू होता है और भिंडर वाले कांग्रेस के हाथ से बिल्कुल बाहर निकाल जाता है जैसे ही गवर्नमेंट अरेस्ट करती है पूरे पंजाब के अंदर वायलेंस होने शुरू हो जाते हैं 17 लोगों की जान चली जाति है ये वाले इतना आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा था पंजाब के अंदर की भिंडर वाले को जय से छोड़ना पड़ा शांति बनाने के लिए लोगों का इतना सपोर्ट मिल रहा था मेनेंडर वाले को की काली इसको भी भिंडर वाले के साथ खड़ा होना पड़ा कईयों को लगे लगा की सिख धर्म की बातें तो हम करते थे लेकिन भिंडरानवाले हमसे भी आगे निकाल जा रहा है इसलिए उन्होंने भिंडर वाले के साथ हाथ मिला लिया और यहां से कांग्रेस का दौड़ उल्टा पद जाता है और 1982 में भिंडर वाले और अकाली दाल ने मिलकर एक धर्म युद्ध मोर्चा शुरू किया जिसका में गोल था की अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन जो है इसको इंप्लीमेंट करना है इसके लिए इन्होंने रिलीज भी निकाल और कई बार रैली आउट ऑफ कंट्रोल भी हुई तो कांग्रेस ने कई जगह पे फायरिंग भी करवाई अब 1982 में दिल्ली में होने थे एशिया गेम जिसकी जिम्मेदारी राजीव गांधी जी को दी गई थी इसको लेकर सरकार चाहती थी की इसमें कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए लेकिन इधर धर्म युद्ध मोर्चा इनको पता था की इस पर्टिकुलर इवेंट में आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन की अगर हम बात करेंगे तो ग्लोबल कवरेज मिलेगी तो धर्म युद्ध मोर्चा ने कहा की हम इसका विरोध करेंगे अब दिल्ली में ये गेम्स आराम से हो जाए इसलिए गवर्नमेंट ने हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पे जो भी दिल्ली की तरफ से सिख जाते थे उनकी तलाशी लेना शुरू कर दी बसेज में रॉक के स्पेशली सिख और उनकी फैमिली की चेकिंग होती थी इनफैक्ट कैज से आर्मी परसों भी थे उनको भी रिस्पेक्ट किया गया उनकी भी चेकिंग की गई इसको लेकर सिख के कम्युनिटी में काफी गुस्सा था की हमारी देश में हमारे साथ भेदभाव हो रहा है ये जो लोगों में गुस्सा था इस पे अकाली ने तो कुछ नहीं किया लेकिन भिंडर वाले ने इस सिचुएशन को समझ के इसका बदला लेना स्टार्ट किया और इस टाइम पे भिंडर वाले अकाली से भी बड़ा नाम बन गया था और इसी वजह से भिंडर वाले को अकालिस के भी कुछ ग्रुप से वो पसंद नहीं करते थे अब देखिए यहां से बिल्डर वाले ने अपनी एक्टिविटी काफी तेज कर दी थी 22nd ऑफ जुलाई 1982 को पंजाब के कम दरबार सिंह पे जानलेवा हमला हुआ अगस्त 1982 को एक इंडियन प्लेन को हाईजैक किया गया जिसमें 126 पैसेंजर थे और हाय जैक्स उसे प्लेन को उदा के पाकिस्तान ले गए बाद में पाकिस्तान ने प्लेन उतारने से माना कर दिया और प्लेन फिर वापस अमृतसर में लाया गया और उसके बाद फिर हाय जक्स ने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया इस बात फिर से 20 अगस्त को एक प्लेन हाईजैक किया गया और हाईजैकर उसको लाहौर ले गए कहानी बैंक रॉबरीज हो रही थी तो कहानी पे सरकार के हथियार लूट जा रहे थे बड़े पुलिस ऑफिसर को टारगेट किया जा रहा था की कलिंग में होने लगी थी अक्टूबर 1983 में अमृतसर से दिल्ली जा रही है बस को हाईजैक कर लिए है जिसमें से हिंदू पैसेंजर को उतार के उनको गली मार दी गई अब यहां से पंजाब में सिचुएशन काफी खराब हो जाति है और पंजाब के अंदर प्रेसिडेंट रूल लगा दिया जाता है तीन टॉप दिसंबर 1983 को भिंडर वाले ने अपने कम करने की लोकेशन को गोल्डन टेंपल के अंदर काल तक पे शिफ्ट कर दिया ताकि वह सेफ रहे और भिंडर वाले को बहुत ही ज्यादा यकीन था की किसी भी नेता की इतनी हिम्मत नहीं होगी की गोल्डन टेंपल में घुस है ये यहां से एंट्रेंस होती है और ये दरबार साहिब में और यही पे है अकाल तक इसमें ही भिंडर वाले ने बैठना शुरू किया था भिंडर वाले ने काफी हथियार जमा कर लिए थे और उसकी प्लानिंग इसलिए भी स्ट्रांग थी क्योंकि उसके सपोर्ट में काफी स्ट्रांग एक्सपीरियंस वाले लोग भी थे जैसे रिटायर्ड मेजर जनरल साहब एक सिंह जिन्होंने भिंडर वाले के फाइटर को ट्रेन करना शुरू किया चारों एक सिंह 1971 वार के हीरो थे जहां पे उन्होंने बांग्लादेश की मुक्ति वाणी को ट्रेन किया था और वो गोरिल्ला वाॅरफेयर के एक्सपर्ट थे इनफैक्ट उनको उसे वार में कंट्रीब्यूशन के लिए पर हम विशिष्ट सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मंडल भी मिला था लेकिन रिटायरमेंट से एक दिन पहले उनको करप्शन के चार्ज लगा के सस्पेंड कर दिया गया था जिससे उनकी पेंशन रुक गई थी उन्होंने कहा की उनकी कोई भी गलती नहीं है बाद में उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में भी कैसे किया और वो जीत भी गए लेकिन इसकी वजह से वो कन्वेंस हो गए थे की उनके साथ रिलिजियस के आधार पे भेदभाव हुआ है इसके अलावा एक और रिटायर्ड मेजर जनरल जसवंत सिंह भुल्लर थे वो भी बिल्डर वाला के जो फाइटर थे उनको ट्रेन कर रहे थे यहां से गवर्नमेंट और भिंडर वाले आमने-सामने ए गए थे जिसमें लड़ाई हनी ते थी और गवर्नमेंट वाले दोनों अपनी-अपनी तैयारी में ग गए थे काल तख्त के अंदर हथियार वगैरा ट्रक से आने शुरू हो गए थे इधर इंदिरा गांधी जी ने सिचुएशन को समझ के एक और ट्राई किया जिसमें उन्होंने नरसिंह राव जी से एक प्रपोज भिजवाए की अनंतपुर साहिब रेजोल्यूशन की हम बातें मां लेंगे लेकिन कुछ चीज पॉसिबल नहीं हो पाएगी ये जो प्रपोज था पहले अकाली दाल के थ्रू भिंडर वाले के पास गया इस प्रपोज को अकाली दाल वाले तो मां रहे थे लेकिन भिंडर वाले ने इस प्रपोज को पुरी तरीके से रिजेक्ट कर दिया और कहा की इससे पता चला है की अकाली दाल सिर्फ पावर में आने के लिए ये सब कर रहा है प्रपोज रिजेक्ट होने के बाद गवर्नमेंट लड़ाई के लिए रेडी थी और आर्मी वाले सारे कपड़ों में गोल्डन टेंपल के अंदर जान लगे थे ताकि भिंडर वाले के फाइटर उनकी एक्टिविटीज लोकेशन वगैरा इन सब का पता चल सके आर्मी की तरफ से ये जो ऑपरेशन था इसका जो मेजर जनरल कुलदीप सिंह बर को दिया गया था एक क्लीन शेव सेक ऑफिसर को और इस ऑपरेशन को नाम दिया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार देश की अलग-अलग जगह से टैंक्स माउंटेन गंज डायवर्स और पुलिस डॉग्स पंजाब में ए रहे थे से लोगों को समझ में आने लगा था की कुछ होने वाला है लेकिन इसके बड़े में जो उसे टाइम के प्रेसिडेंट थे ज्ञानी जय सिंह और वो आर्मी के सुप्रीम कमांडर भी थे उनको तक इस ऑपरेशन की डिटेल नहीं दी गई थी 1 जून 1984 को पूरे पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया और फोन लाइन भी बैंड कर दी गई थी आर्मी ने टेक ओवर ले लिया था और सभी लोकल और फॉरेन न्यूज़ रिपोर्टर्स को होटल और हर जगह से उठा के एक स्टेट बस में भारत गया और अमृतसर से बाहर कर दिया गया लेकिन एक रिपोर्टर थे जो एसोसिएटेड प्रेस में थे जिनका नाम था ब्रह्मा शालिनी ये उसे टाइम पे पंजाब के अंदर ही र गए थे तो इन्होंने उसे टाइम पे रिपोर्ट किया और वो रिपोर्ट टाइम्स ऑफ लंदन न्यूज़ में भी पब्लिश हुई जिसमें उन्होंने कहा की सिख को गली मेरी जा रही है और हजार से भी ज्यादा सिख मिली टेंस को मारा गया है जबकि गवर्नमेंट का जो ऑफिशल डाटा था वो 600 बोला गया था और आगे चल के ब्रह्मा के ऊपर कैसे चला दिया गया मिस इनफॉरमेशन और रूल ब्रेक करने के लिए जो ऑपरेशन ब्लू स्टार की एक्चुअल फाइट हुई थी वो तीन से छह जून तक चली थी और इसकी टाइमिंग को लेक भी बहुत सवाल उठ रहे थे की 3 जून जी दिन गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस था उसे दिन ज्यादा श्रद्धालु आते हैं गोल्डन टेंपल में जितने भी लोग आए थे उनको अंदर जान के बाद बिल्डर वाले ने रॉक लिया था ताकि आर्मी अटैक ना कर पे आर्मी को ग रहा था की मंडल वाले को आसानी से हर देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं जो इंटेलिजेंस थी वो काफी गलत निकली ये लोग बहुत ही भारी प्रिपरेशन के साथ आए थे रॉकेट लांसर्स एंटी टैंक बंदूके स्नाइपर प्रॉपर एक ट्रेन मिलिट्री की तरह वो लोग ऑपरेट कर रहे थे और इंडियन आर्मी को भारी नुकसान भी हुआ 5 जून को गोल्डन टेंपल के अंदर से सभी लोगों को सुरेंद्र करने को कहा गया अब शुरू में तो ये प्लेन था की बाहर से कम्युनिकेशन कट कर दिया जाएगा तो ये लोग अपने आप सुरेंद्र कर देंगे गोल्डन टेंपल की बिजली कैट दी गई टेंपल के अंदर जो टेलीफोन और ड्रिंकिंग वाटर की सप्लाई थी उसको भी कैट दिया गया लेकिन इस बीच में खबरें आने लगती हैं की पंजाब के जो पास के गांव हैं उन इलाकों से हजारों की तादाद में सिख अमृतसर की तरफ ए रहे हैं और उनके पास हथियार भी हैं और आर्मी हेलीकॉप्टर ने जी तरफ भी देखा उनको हजारों लोग शहर के बाहर नजर ए रहे थे और यही रीजन था की आर्मी को किसी भी कोर्स पे इस ऑपरेशन को एक से दो दिन में खत्म करने का ही फैसला लेना पड़ा और इसी वजह से गोल्डन टेंपल को ज्यादा नुकसान हुआ आर्मी ने एंटी टैंक मंगवा के तीन तरफ से अटैक किया काल तक पे भी अटैक किया गया और ये बहुत ही बड़ा डिसीजन था जो आगे चल के बहुत ही भारी पड़ा विनर वाले के लोग बाहर आए और आर्मी के बीच में बहुत फायरिंग चली भिंडर वार के लोग भी आखरी दम तक लड़ते रहे लेकिन सुबह 4:30 बजे तक आर्मी ने काल तक पे अपना कंट्रोल ले लिया था ये ओरिजिनल आर्मी के प्लेन की कॉपी है जो स्ट्रीट्स बनाई गई थी ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए अब भिंडर वाले और उसके फाइटर को तो मार दिया गया था लेकिन गोल्डन टेंपल की जब इमेज बाहर आई और लोगों को पता चला की काल तक के ऊपर और दरबार साहिब पर भी गोलियां चली हैं पुरी दुनिया के सिर्फ भड़क गए थे [संगीत] आर्मी के आठ कैंटोनमेंट में से 46 सोल्जर ने रिबेल कर दिया था अपने ऑफिसर को मार दिया था और अमृतसर पहुंचने की कोशिश की कई सिक एमपी और मा ने रिजाइन कर दिया था और माहौल काफी खराब हो गया था भिंडर वाले की तो डेथ हो गई थी लेकिन फील्डर वाले के समर्थन अभी भी थे इसके बाद आर्मी ने इस ऑपरेशन का सेकंड राउंड शुरू किया आर्मी ने इस ऑपरेशन को ऑपरेशन लेकिन वुड रोज नाम दिया आर्मी ने एक के बाद एक गांव को खेलने शुरू किया और सिर्फ सिख लोगों के वेपंस के लिए तलाशी ली गई इस बात से भी काफी लोग ना कुछ थे इसके साथ ही सरकार ने अकाली लीडरशिप को अरेस्ट करके जय में दाल दिया संत लोगोंवाल से लेक प्रकाश सिंह बादल तक सारे के सारे जय में थे लेकिन इससे दिक्कत ये हुई की जो लीडरशिप वेक्यूम पैदा हुआ उसको मिलिटेंट ने हथियार लिया फर्स्ट ऑफ अक्टूबर 1984 को आर्मी गोल्डन टेंपल से विद्रोह कर लेती है लेकिन तब तक बहुत बड़ा डैमेज हो चुका था बहुत से लोग जो उसे वक्त गोल्डन टेंपल गए उन्होंने टेंपल को जब डैमेज देखा तो गुरु ग्रंथ साहिब की कसम खाई की जिन लोगों ने ये किया है वो उनकी जान लेंगे या फिर उनकी जान लेने की कोशिश में मा जाएंगे इस हैडलेस में प्रेसिडेंट यानी जेल सिंह थे इंदिरा गांधी उनके बेटे और फैमिली आर्मी ऑफिसर और भी कई लोग थे इंदिरा गांधी जी ने जब गोल्डन टेंपल का दौरा किया था तो काफी डिस्टर्ब थे जो भी सिख कॉम को जानता है उसको पता था की रेतीलेशन तो जरूर होगा और भारी होगा और इस ऑपरेशन के जो मां करता डरता थे जिनके ऊपर खतरा था उनको बुलेट प्रूफ बॉडीगार्ड प्रोवाइड किया गए सबसे ज्यादा जो गार्डन था वो इंदिरा गांधी जी का घर था इंदिरा गांधी को उनको सिक्योरिटी ऑफिसर ने उनकी पर्सनल सिक्योरिटी में से सिख गार्डन को हटाने की भी सलाह दी थी लेकिन कहा जाता है की इंदिरा गांधी को लगा की इससे मैसेज गलत जाएगा की वो सिख के कॉमेडी के खिलाफ है और 31 ऑफ अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी जी को उनके बॉडीगार्ड बहन सिंह और दूसरे शतवंत सिंह ने 18 गोलियां मार दी इंदिरा गांधी जी को सोनिया गांधी तुरंत एम्स लेकर गए और दोपहर 2:00 बजे तक उनकी डेथ हो गई थी अब इसकी वजह से हिंदू सिख टेंशन बहुत तेज बाढ़ गई थी 31 ऑफ अक्टूबर की दोपहर तक एआईआईएमएस के बाहर बहुत ज्यादा भीड़ इकट्ठी हो गई थी और वहां पे जो भी सिख देख रहे थे उनको पिता जा रहा था यहां तक की भारत के प्रेसिडेंट यानी जय से वो भी जब एम्स की तरफ पहुंचे तो उनके ऊपर भी पत्थर फेक है [संगीत] आसपास के इलाकों में पहुंचने लगती है और पुलिस ने उनको रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया दिल्ली में कनॉट प्लेस में सिखों की दुकानों को लूट जान लगा उसके बाद सिख के टैक्सी ट्रक स्कूटर और थ्री व्हीलर ये सब जलाए जान लगे साथ में जो डीडी चैनल था वो लगातार विजुअल दिखा रहा था जहां पे एक तरफ इंदिरा गांधी जी की बॉडी थी और बगल में राजीव गांधी जी थे जो दुख में बैठे थे और पीछे से नारे ग रहे थे की खून का बदला खून इसके बाद जैसे टाइम बड़ा था दिल्ली के अंदर सिख को भीड़ ने टारगेट करके मारना शुरू किया हजारों सिक्कों को मारा गया दिल्ली में 100 से भी ज्यादा गुरुद्वारा जल दिए गए हैं औरतें के साथ क्राइम हुए ल पार्ट हुई और पुलिस की तरफ से एक्शन नहीं हो रहे थे बाद में इन क्राइम के लिए अरेस्ट किया गए 189 लोगों को सरकार ने छोड़ दिया और इनकी इंक्वारी करने से माना कर दिया ये आर्गुमेंट देकर के ये सॉल्यूशन नहीं है इससे चीज़ और खराब होगी पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टी पीयूसीएल इन्होंने नवंबर 1984 में एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसका नाम था हूं आर डी गिल्टी इसमें इन्होंने ये बताया की ये जो कतलायम हो रहा है रूप में दोषी कौन है उनके नाम बताएं इसमें राजीव गांधी सरकार के मंत्री कल भगत तीन मेंबर ऑफ पार्लियामेंट जगदीश टाइटलर सज्जन कुमार और धर्म कुमार शास्त्री थे साथ में डेली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अधिकारी भी थे 13 पुलिस ऑफिसर और 198 पुलिस मां भी शामिल थे सज्जन कुमार जिसको सीबीआई ने जिम्मेदार बताया था उसको 1991 में पार्टी से टिकट दिया गया और वो भारी वोट से जीता भी ये आप एक बार पॉज करके आप पढ़ लेना सीबीआई और पुलिस की रिपोर्ट में जो आया था जगदीश टाइटलर जिसके ऊपर इल्जाम लगे थे की उन्होंने देंगे करवाएं हैं उसको भी टिकट दिया गया और यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एवियशन का भी कम संभाल है 1984 के दंगों के बाद इलेक्शन हुए और राजीव गांधी भारी ओटो से जीत के पीएम बने उन्होंने पीएम बनते ही कहा की पंजाब की प्रॉब्लम उनके लिए टॉप प्रायोरिटी है तो उन्होंने पहले जितने भी अकाली लीडर जो जय में थे उनको निकाला और अकाली लीडर्स के साथ मिल्क 24th ऑफ जुलाई 1985 को राजीव लौंग अवेल अकाउंट साइन किया इसमें एक में पॉइंट था की 26 जनवरी 1986 को चंडीगढ़ पंजाब में ट्रांसफर कर दिया जाएगा अब देखिए भिंडर वाले की तो डेथ हो गई थी लेकिन भिंडर वाले एक सोच थी और ये सोच अभी भी थी कुछ लोगों में भिंडर वाले के समर्थक अभी भी पंजाब में थे जिनको ये राजीव गांधी के साथ साइन हुआ रिकॉर्ड बिल्कुल पसंद नहीं आया और बढ़ेंगे बल्कि उन्होंने हत्या कर दी राजीव गांधी जी ने सिचुएशन को तुरंत संभालने के लिए अकाउंट साइन तो कर लिया था और कियो को वादा भी कर दिया था लेकिन हरियाणा के कम भजनलाल ने राजीव गांधी को कहा की अगर चंडीगढ़ पंजाब को चला गया तो हरियाणा के हिंदू उनको वोट नहीं देंगे और आपके हाथ से हरियाणा भी चला जाएगा ये बात राजीव गांधी को समझ में आई और बाद में वो इस अकाउंट से बेसिकली पीछे है गए जिसके लिए उनको आज भी क्रेडिट साइज किया जाता है और टाइम तू टाइम वो खाली की बातें करते रहते थे सरकार उनको धीरे-धीरे एलिमिनेट कर रही थी एक बार फिर से गोल्डन टेंपल में भिंडर वालों के समर्थक बैठ गए थे और उसके बाद दोबारा से ऑपरेशन ब्लैक थंडर करना पड़ा इस बार पॉलीटिशियन ने आर्मी की जगह पुलिस से ही डील कर रहा है और टेंपल को कोई भी नुकसान नहीं होने दिया ऑपरेशन ब्लैक थंडर दो बार हुआ एक 1986 में और दूसरा 1988 में और इस तरीके से बिल्डर हाल के सपोर्टर को एलिमिनेट कर दिया गया धीरे-धीरे करके सिक्स कम्युनिटी को प्लीज किया गया जैसे की जब चंद्रशेखर जी पीएम बने थे तो वो जो भी पब्लिक मीटिंग एड्रेस करते थे उसमें वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह का नारा लगा के उसके बाद मीटिंग शुरू करते थे मनमोहन सिंह जी सिक्स थे उनको पीएम मनाया गया ये कहा जाता है की इसमें भी सिख को खुश करने का एक मोटिव था इसके बाद धीरे-धीरे सिचुएशन ठीक होने लगती है अकाली और कांग्रेस ने मिलकर पंजाब से एक्जिस्ट को बाहर किया कुछ को मार दिया गया कुछ विदेश चले गए वहां जाके खाली स्थान की डिमांड करने लगे लेकिन सिचुएशन कंट्रोल में ए गई थी बीच-बीच में खाली स्थान की आवाज निकलते थी लेकिन बहुत ही कम लोग थे और वो इतने पावरफुल भी नहीं थे अब देखिए ये 2015 तक तो नॉर्मल नहीं इसके बाद एक ऐसा इंश्योरेंस होता है जिसकी वजह से लोग फिर से भड़कते हैं और खाली स्थान की बातें फिर से तेजी पकड़ लेती है जब 1 जून 2015 को फरीदकोट जिला के पूर्व से जवाहर सिंह वाले गांव के गुरुद्वारा से गुरु ग्रंथ साहिब जी की चोरी हो गई फिर इसके कुछ दिन बाद ही 25 सितंबर को इसी विलेज के आसपास कुछ पोस्ट मिले जिसमें सिख को टारगेट किया था इसी गांव में गुरु ग्रंथ साहिब के पेज के साथ बेहद भी हुई गुरु ग्रंथ साहिब जी की जी रिस्पेक्ट को करना ही बेहद भी कहा जाता है इस यीशु की वजह से दोबारा से सिख रिलिजन पे अटैक का मुद्दा पंजाब की पॉलिटिक्स में आने लगा था ऐसा एक नेगेटिव बन गया था की सिख धर्म पर दोबारा से अटैक हो रहे हैं साथ में अकाली और वीक हो गए थे तो रिलिजियस लोग अलग-अलग पॉलीटिकल देखने लगे थे इंडिया के बाहर भी खाली स्थान का रेफरेंडम चलने लगा था और नरेंद्र मोदी जी जब पावर में आए थे तो इनको लेकर ये भी कहा जाता है की ये स्टेट पावर स्ट्रांग नहीं रहने देते हैं तो पंजाब के स्टेट राइट कहां से करने देंगे या रिवर का इशू होगा वो कैसे सॉल्व करेंगे तो इन सब के बीच में दीप सिंधु जो एक एक्टर भी रहे हैं इन्होंने टाइम तू टाइम बोला और फार्मर प्रोटेस्ट में भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ काफी बातें बोली दीप सिंधु ने वार इस पंजाब के नाम की एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई थी जिसको ऑब्जेक्टिव था किया सेंटर से पंजाब के राइट सिलवाएगी और पंजाबी कलर को से करेगी लेकिन पंजाब चुनाव से पांच दिन पहले ही 15 फरवरी 2022 को एक रोड एक्सीडेंट में दीप सिंधु की डेथ हो गई और इसके बाद एंट्री होती है अमृतपाल सिंह की जो की दुबई से ही दीप सिंधु के टच में था लेकिन ये लोग कभी मिले नहीं थे दीप सिंधु की डेथ के बाद अमृतपाल सिंह को सितंबर 2022 में वारिस पंजाब देगा हेड अनाउंस कर दिया जाता है अब इस पे दीप सिंधु की फैमिली ने कहा की उसका दीप सिंधु से कोई लेना-देना नहीं है और उसने जबरदस्ती वारिस पंजाब दे पे कब्जा कर लिया लेकिन अमृतपाल के जो सपोर्टर थे उनके जो करीबी थे उनका कहना था की दीप सिंधु के जो समर्थक हैं उन्होंने ही उसको वारिस पंजाब दिया का हेड बनाया अब 29 सितंबर 2022 को अमृतपाल सिंह की एंट्री होती है इंडिया के अंदर भिंड वाले के पुश्तैनी गांव रोड जो की मोगा जिले में है वहां पे एक दस्तारबंदी सेरेमनी ऑर्गेनाइज की जाति है जिसमें हजारों लोग आए और हर कोई शौक था क्योंकि बहुत भारी सपोर्ट मिला क्योंकि इतना सपोर्ट के लिए नेता लोगों को ग्राउंड पे बहुत कम करना पड़ता है और कोई दुबई से आके कुछ ही महीने में इतना सपोर्ट ले ले तो हर कोई शौक था इस वजह से और ये सेरेमनी हुई थी इसमें मल्टीपल टाइम्स जो खाली नारे भी लगे थे अमृतपाल सिंह ने आते ही बताया की भिंडर वाले उनके आदर्श हैं और भिंडर वाले की तरह ही ड्रग्स की बात की और बेहद भी को मुद्दा बनाना होगी और सिखों को कैसे रखना को कहा आपने धन को बढ़ाने की बात कारी और कहा की अब से जो भी बेहद भी करेगा उसको ना तो पुलिस को दिया जाएगा ना कोर्ट कैसे चलेगा हम उसको सजा देंगे सोशल मीडिया में भी अमृतपाल सिंह बहुत तेजी से फेमस हो रहा है और यंग जेनरेशन का भारी सपोर्ट मिल रहा है और जब इसी 24 फरवरी को उनके साथ ही तूफान सिंह को पुलिस ने किडनैपिंग के मामले में अरेस्ट कर लिया तब अमृतपाल सिंह के साथ हजारों लोग निकाल के आए जिसमें उनके हाथों में बंदूक के तलवारे थी और साथ में अमृतपाल सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को अपने साथ रखा और अपने सर पे रख लिया ताकि पुलिस उनके ऊपर जवाबी कार्यवाही ना कर पे पुलिस अगर उन पर करवाई करेगी तो वो बेहद भी हो जाति पुलिस को अमृतपाल सिंह के सामने झुकना पड़ा और पुलिस ने तूफान सिंह को छोड़ दिया और इसमें कई पुलिस वाले घायल भी हुए अजनाला इंसिडेंट नहीं अमृतपाल सिंह को पंजाब में बहुत ही पॉपुलर कर दिया है ऐसे लोग जो एक नए पथक पॉलीटिशियन की डिमांड कर रहे थे उनको अमृतपाल में अपना एक नेता दिखने लगा कुछ लोगों को अमृतपाल सिंह में भिंडर वाले भी दिखे रहा है इस इंसिडेंट के बाद अमृतपाल सिंह को मीडिया में बहुत ही स्पेस मिल रहा है और अब खाली स्थान और आनंदपुर साहिब रेजोल्यूशन का इशू है वो धीरे-धीरे टूल भी पकड़ रहा है अमृतपाल का कहना है की वो डेमोक्रेसी के थ्रू खाली स्थान की मांग कर रहे हैं पीसफुल तरीके से लेकिन उन्होंने हिंसक त्रिकोण के इस्तेमाल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है अब आगे ये चीज कितनी दूर तक जाएगी ये तो टाइम ही बताया लेकिन मीडिया को नया बिल्डर वाले मिल गया है लास्ट में फिर से आपको याद दिल डन की कुक्कू सम की ऑडियो बुक ऑपरेशन ब्लू स्टार कर लेने मैंने डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया है एक बार जरूर सुनिएगा आपको और क्लेरिटी मिलेगी थैंक यू [संगीत] Hrat_MDN-Lo,Pakistan Crisis Explained | Nitish Rajput | Hindi,2023-02-17T14:30:07Z,PT29M9S,6887360,204673,17050,https://www.youtube.com/watch?v=Hrat_MDN-Lo,, और दुनिया में इतनी गरीब कंट्रीज हैं जिनका पाकिस्तान से भी बड़ा हाल है लेकिन उसके बाद में ज्यादा पैसा जो है वो पाकिस्तान को क्यों मिलता है और जो ट्रेनिंग सेंटर तैयार है जहां मुजाहिदीन ट्रेन होते थे वहां से अफगानिस्तान के साथ-साथ कश्मीर में भी मुजाहिदीन भेजता था ये वो टाइम था जब पाकिस्तान के दोनों हाथ गी और मुंह कढ़ाई में था अब देखिए अब ये भी का सकते हो की लोन तो वर्ल्ड बैंक भी देता है तो आईएमएफ का नाम क्यों ए रहा है आपने कभी सुना है की कोई आर्मी कपड़े साबुन तेल ये सब बचती हो ये दुनिया की अकेली आर्मी है जो सीमेंट कपड़े मीत इंश्योरेंस रियल स्टेट ये सब बचती है जब जनरल साहब रिटायर हुए तो उनकी वाइफ की वेल 220 करोड़ हो गई और अगर पुरी बाजवा फैमिली की वेल्थ को देखा जाए तो 1270 करोड़ हो गई ये लोग ऐसा कौन सा खजाना कोड रहे हैं जनरल भाजपा ने इमरान खान को पीएम बनाया इसके बदले में इमरान खान ने जनरल भाजपा का तने और एक्सटेंड करवाया कुछ तो रही होगी मजबूरियां यूं ही कोई बेवफा नहीं होता लेकिन जो सिचुएशन पाकिस्तान इस पर्टिकुलर टाइम पर फेस कर रहा है ऐसी सिचुएशन में पाकिस्तान इससे पहले कभी नहीं फंसाए शॉपिंग परिसर और मॉल को 8:30 बजे से पहले बैंड करने का ऑर्डर ए गए हैं इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम कोलेप्स करने की स्टेज पर गेहूं की शॉर्टेज हुई है और कई केसेस में तो ऐसा देखा गया है की जो गेहूं से भरे ट्रक है उसके पीछे लोग बैको से पीछा कर रहे हैं सिर्फ एक साल में पाकिस्तान की ई 40% गिर के 267 पाकिस्तान रुपीस तक पहुंच गई है ब्लैक आउट इससे पहले भी होते थे पाकिस्तान में 2015 में 2021 में भी हुए थे लेकिन इसलिए बिल की नहीं हुए थे सिर्फ पावर कट से होने वाले लॉसेस की वजह से पाकिस्तान की जीडीपी 4% तक नीचे गिर गई है पावर कट की वजह से पाकिस्तान का टेक्स्ट स्टाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ये पुरी तरीके से नीचे ए गया है और जो फराक एक्सचेंज है वो तीन बिलियन डॉलर से भी कम पर ए गया है श्रीलंका के बराबर पहुंच गया अब आपके कई क्वेश्चन होंगे की ये सब अचानक से क्यों शुरू हो गया बांग्लादेश पाकिस्तान से भी पीछे है वो आगे कैसे निकाल गया लेकिन पाकिस्तान कैसे पीछे र गया पाकिस्तान के एक्शन में दिक्कत क्या है जिसको सबसे ज्यादा एड मिलती है पूरे दुनिया भर से वो सबसे ज्यादा पीछे क्यों र गया और दुनिया में इतनी गरीब कंट्रीज हैं जिनका पाकिस्तान से भी बड़ा हाल है लेकिन उसके बाद भी ज्यादा पैसा जो है वो पाकिस्तान को क्यों मिलता है अब देखिए इससे पहले की मैं करंट सिचुएशन की बात करूं की इस बार पाकिस्तान को पैसे मिलने में दिक्कत क्यों ए रही है आई मैं क्यों पीछे है रहा है या फिर उस इमरान खान और आर्मी का क्या रोल है इस पुरी सिचुएशन को समझना के लिए पहले आपको रूट को समझना पड़ेगा साथ पाकिस्तान में हालात लगातार बिगड़ने जा रहे हैं और पाकिस्तान की इंपोर्ट कैपेसिटी रसातल में पहुंच गई है [प्रशंसा] इंडिया पाकिस्तान का पार्टीशन हुआ था तो पाकिस्तान को 1/3 मिलिट्री मिली थी और ओवर जो रिसोर्सेस में से 17% मिला था ये जो डीटेल्स मैं बता रहा हूं ये पाकिस्तान के एक ऑथर हैं हुसैन हक्कानी इन्होंने भी ये चीज कंफर्म कर राखी है जो मेजर इंडस्ट्रीज थी वो टोटल 921 थी उसमें से सिर्फ 34 पाकिस्तान के हिस में आई थी तो उसे पर्टिकुलर टाइम पे जब पार्टीशन हुआ था तो जो इकोनामिक कंट्रोल था वो इंडिया के पास था आरबीआई उसे टाइम पे पाकिस्तान का भी सेंट्रल बैंक था और इंडिया का भी लेकिन कंट्रोल इंडिया के हाथ में था इंडिया का जो टोटल कैश बैलेंस था वो 400 करोड़ था और ये डिसाइड हुआ था की इस 400 करोड़ में से 75 करोड़ पाकिस्तान को दिए जाएंगे 75 करोड़ में से 20 करोड़ जो थे वो पाकिस्तान को 15 अगस्त 1947 को ही दे दिए गए थे और बाकी का जो 55 करोड़ था उसको बाद में देने की बात की गई थी उसे समय पाकिस्तान के सामने जो सबसे बड़ी दिक्कत थी वो थी की ये जो रिफ्यूजी आए थे उनको सेटल करना उसमें काफी पैसा चाहिए था लेकिन उसे टाइम पे कश्मीर को लेकर काफी इशू हो रहा था तो नेहरू जी और पटेल जी ने ये माना की ये जो 55 करोड़ है इसको रॉक लेना चाहिए वरना इस पैसे से हथियार खरीदेंगे और हमारे खिलाफ उसे करेंगे हालांकि ये जो पैसा था आगे की महात्मा गांधी जी ने दिवा दिया था लेकिन उसे पर टाइम तक जब तक ये पैसा मिला था उससे पहले भी पाकिस्तान की जो इकोनामी कंडीशन थी वो काफी खराब थी इकोनामिक कंडीशन भाले थोड़ी सी वीक थी लेकिन मिलिट्री स्ट्रांग थी क्योंकि इंडिया एग्री कर गया था 1/3 आदमी स्प्लिट करने के लिए इंडिया की जो पॉलीटिकल लीडरशिप थी वो ज्यादा स्ट्रांग थी पाकिस्तान के मुकाबला इंडिया की तरफ से नेहरू जी गांधी जी सरदार पटेल जी मल्टीपल स्ट्रांग लीडर थे वहीं मुस्लिम लीग में सिर्फ जिन्ना के बाद कोई और स्ट्रांग लीडर आया ही नहीं जिंदा की डेथ के बाद ना तो जिंदा के लेवल का कोई पावरफुल नेता आया और ना ही मिलिट्री में आने दिया क्योंकि जो टेंपरेरी कंट्रोल मिला था पाकिस्तान की आर्मी को वो काफी एंजॉय कर रही थी पाकिस्तान आर्मी को इस टेंपरेरी कंट्रोल की ऐसी आदत लगी की उसके बाद 29 पीएम बने आज की डेट तक एक भी पीएम ऐसा नहीं है जिसने 5 साल अपने पूरे किया हो किसी को मार दिया गया किसी का तक्ता पलट कर दिया गया इतने बड़े-बड़े पॉलीटिशियंस को मारा गया आज तक इनकी एक भी एजेंसी ये नहीं पता लगा पी की पीएम को मारा किसने इमरान खान जो थे इनको रैली में गली मार दी गई ये आज तक नहीं पकड़ पे की गली चलाई किसने बिना किसी बड़े हाथ के ऐसा पॉसिबल ही नहीं हो सकता की किसी के बड़े में पता ही नहीं चला की इनकी टीम्स को मार कौन रहा है इनके बड़े-बड़े नेताओं को मार कौन रहा है कुछ कैसे मैं तो लॉन्ग अमेंड किया गया है ताकि जो पूरा कंट्रोल है वो पाकिस्तान की आर्मी के हाथ में ए जाए इन कुछ चीजों की वजह से पाकिस्तान की जो आर्मी है उसका कंट्रोल पाकिस्तान के ऊपर शुरू से ही रहा है और ये आगे चल के बहुत ही बड़ी प्रॉब्लम बनी है वो भी आपको आगे समझ में ए जाएगा [प्रशंसा] किसी भी कंट्री को गो करने के लिए पैसा तो चाहिए होता है पाकिस्तान के सामने भी यही दिक्कत थी की उसको ग्रा तो करना ही था लेकिन सीधे-सीधे इकोनामिक डेवलपमेंट मुश्किल था क्योंकि उसके लिए पॉलीटिकल स्टेबिलिटी और पेशेंस चाहिए होता है प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट कर रहा होता है तो पाकिस्तान की लीडरशिप ने इसके लिए नए-नए जुगाड़ निकले और इसी एफर्ट्स में उसको दिखाएं यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका और उसकी मिलिट्री नीड्स पाकिस्तान को उसे पर जो टाइम पे ही रिलीज हो गया था की उस का साउथ एशिया में कोई दोस्त नहीं है और उसको सावरेन को कंट्रोल करना है और इसके लिए उसको पाकिस्तान की जरूर पद शक्ति है तो इसमें उसको एक मौका दिखा पाकिस्तान ने आपने आपको उस का फ्रेंड दिखाए और इसके बदले में उसको मिली फॉरेन एड लेकिन क्वेश्चन है की ये फारेनहाइट दी क्यों गई देखिए आज की डेट में आप देखते होंगे की इंडिया के अंदर बहुत सारे उस के कल सेंटर्स हैं उस के एंपलॉयर्स वहां के एम्पलाइज को छोड़ के इंडिया से बंदे हर करते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि एक यूएसडीएम की सैलरी काफी ज्यादा होती है उसकी जितनी भी लायबिलिटी होती है वो उस के एंपलॉयर की होती है इंश्योरेंस पेंशन जैसे तरह-तरह के बेनिफिट्स देने पढ़ते हैं कोई एक्सीडेंट हुआ तो साड़ी रिस्पांसिबिलिटी उस के एमप्लीफायर की बंटी है इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेन करना ऑफिस वगैरा की काफी बड़ा खर्चा होता है इसमें लेकिन इंडिया के अंदर सारे एम्पलाइज कम पैसे में मिल जाते हैं और किसी की भी लायबिलिटी उस के एंपलॉयर के ऊपर नहीं होती है से कॉन्सेप्ट उस अपनी मिलिट्री में भी उसे करता है देखिए उस यूजुअली दो तरीके से वार लड़ता है अगर उसे लगता है की स्टॉक्स बहुत ज्यादा हाय हैं तो वो वार में खुद कूद जाता है जैसे उसने वियतनाम में किया या फिर इराक में किया लेकिन जब उसको लगता है की सीधा कूदने में फायदा नहीं है तो वो शैडो वार लगता है इसमें वो दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बना के कम करता है मां लीजिए अपने इंटरेस्ट को पूरा करने के लिए यूजर अपनी खुद की आर्मी भेजना लगेगा तो पहले चीज तो अपने सिटिजन को खतरे में डालेगा और अगर उसको कुछ हो गया तो उसका पूरा खर्चा उसको देखना होगा प्लस कंट्री के अंदर लोगों को आंसर करना पड़ेगा की क्यों भेजो वार की जरूर क्या थी अगर आप अपनी मिलिट्री डायरेक्ट किसी कंट्री की अगेंस्ट में भेजते हो तो वार लाइक सिचुएशन हो जाति है कंट्रीज आमने-सामने ए जाति है इसलिए ट्रेडिशनल वर्स की जगह उस अलग-अलग मिलिटेंसी ग्रुप को ट्रेन करता है उनको आर्म्स देता है और उनकी फंडिंग करता है जैसे की वो मकसद पूरा कर पे जैसे अफगानिस्तान के अंदर मुजाहिदो से उसने अपना कम करवाया कई ऐसे मिलिटेंसी ग्रुप होते हैं मुजाहिदीन होते हैं जो पैसे लेक भी लड़ाई करते हैं अभी जो रसिया यूक्रेन वार चल रही है उसमें भी आप अगर सर्च करोगे तो रसिया ने सीरियल फाइटर को पैसा डीके रिक्रूट किया है जिन्हें मर्सिडीज़ भी बोलते हैं ये पैसा लेकर यूक्रेन के खिलाफ लाड रहे हैं और इस मॉडल में रिस्क एकदम कम होता है आपको बारी-बारी सैलरी नहीं देनी होती है आपको बस वेपंस और ट्रेनिंग प्रोवाइड करनी होती है और इस पूरे गेम में पाकिस्तान पूरे एरिया का एक ट्रेनिंग सेंटर बन गया है और इस ट्रेनिंग सेंटर को बनाया पाकिस्तान मिलिट्री ने [प्रशंसा] [संगीत] इंडिया और पाकिस्तान आजाद हुए थे तो उसे पर टाइम पर दो ही सुपर पावर यूनियन का साउथ एशिया में बहुत ही ज्यादा इंश्योरेंस था इंडिया का झुकाव भी सुविधा यूनियन की तरह ही था ऐसे में उस को पाकिस्तान ऑप्शन की तरह देखा था उस अफगानिस्तान में अपना कंट्रोल अपने के लिए सोवित यूनियन के खिलाफ मुजाहिद तैयार करता है और इन सब की ट्रेनिंग का जमा लेट है पाकिस्तान तो जब सोग्गडे यूनियन और अफगानिस्तान के बीच में लड़ाई चल रही थी तो उसमें रदर थान उस ने अपनी मिलिट्री उतारने की मुजाहिद को रेडी किया ना तो मुजाहिदीन की जान जान पे उस की कोई जवाब दही थी और ना ही भारी सैलरी देनी थी और रिस्क भी बिल्कुल खत्म हो गए थे क्योंकि अगर उस की मिलिट्री अफगानिस्तान में उतार के रसिया के खिलाफ लड़ती तो ये वो रस्सी और उस की वार में बादल जाति तो उस ने मुजाहिदो को वेपंस दिए इन सब की ट्रेनिंग हुई पाकिस्तान में पाकिस्तान ने हर तरीके से मदद की मुझे दिन की इनको ट्रेनिंग करवाई इनको रूट दिया इनको खाने पीने और हथियार वगैरा सब सप्लाई कर है इसमें पाकिस्तान के लिए भी फायदा था क्योंकि बिना कुछ प्रोड्यूस करें या फिर पैसा मिलने लगा था उस पैसा कभी 8 की फॉर्म में भेजता था तो कभी ह्यूमन वेबसाइट के बहाने से बचता था यूजुअली आप देखोगे तो फौरन 8 उन देश को मिलता है या तो जो गरीब हो या किसी क्राइसिस से गुर्जर रहे हो जैसे कोई वार या फिर नेचुरल डिजास्टर हो लेकिन पाकिस्तान को एड मिलता था उसकी स्ट्रैटेजिक लोकेशन की वजह से उसकी यूजफुलनेस की वजह से इनफैक्ट साल का एक बजट भी फिक्स कर दिया गया था जिसमें बिलियन ऑफ डॉलर्स आते थे पाकिस्तान को उस की तरफ से लेकिन पाकिस्तान ये जो सेंटर्स थे और ये जो पैसा था और ये जो मुजहीदुद्दीन थे इनका उसे कश्मीर में भी करने लगा 1964 तक पाकिस्तान में आने वाली जितनी भी फौरन एड्स आई थी ये इनके जीडीपी का 5% का हिस्सा बन गई थी लेकिन सबके बीच में पाकिस्तान ये भूल गया था की इन सबके बीच में बिना मतलब किसी और की लड़ाई उसने अपने सर दर्द दी पे ले ली थी लेकिन पाकिस्तान के जो जनता थी और गवर्नमेंट थी वो उस कद और पाकिस्तान का अफगानिस्तान में हेल्प करने से बिल्कुल कुछ नहीं थी जनता का ये मानना था की अफगानिस्तान में ये भी हमारी जैसे ही मुस्लिम हैं और हम अपनी भाइयों को मारवा रहे हैं वहीं गवर्नमेंट इसलिए कुछ नहीं थी क्योंकि आते की वजह से मिलने वाला जो पैसा था वो बस आर्मी तक ही पहुंच पता था क्योंकि करप्शन की वजह से पैसा नीचे तक पहुंच ही नहीं पता था और पाकिस्तान का एक्सपोर्ट और प्रोडक्शन इतना कोई खास नहीं था इसलिए लोगों की तो गलियां होती थी वो पाकिस्तान की गवर्नमेंट को मिलती थी लेकिन पाकिस्तान की इकोनामिक सिचुएशन फिर से खराब तब होती है जब अफगानिस्तान वार 1989 में खत्म हो जाति है ये जो मुजाहिदीन उस और पाकिस्तान ने मिलकर ट्रेन किया थे ये अफगानिस्तान की सरकार को गिरा के तालिबान का राज हो जाता है वहां पे ये ओसामा बिन लादेन वगैरा ये सब उस ने उसे टाइम पर ट्रेन की है और सोवत यूनियन को बाहर करके उस का कम ऑलमोस्ट पूरा हो गया था ये जो बातें मैं बोल रहा हूं ये जो पाकिस्तान के प्रेसिडेंट र चुके हैं परवेज मुशर्रफ इन्होंने भी बोलिए और ओपनली बोलिए इंटरव्यू अभी भी पढ़ा इनका युटुब के अंदर अफगानिस्तान वार के बाद अमेरिका को पाकिस्तान की जरूर नहीं थी अब इस चीज का आप अंदाज़ इस चीज से लगा सकते हैं की 1989 में उस ने पाकिस्तान को सीधे-सीधे 452 मिलियन डॉलर की ए दी थी जो 1998 तक घाट के 5.4 मिलियन डॉलर र गई थी बांग्लादेश इंडिया जब एक्सपोर्ट करके अपनी इकोनामी को धीरे-धीरे आगे बड़ा रहे थे तो पाकिस्तान की मिलिट्री एट से खुश हो रही थी [प्रशंसा] अफगानिस्तान और खत्म होने के बाद पाकिस्तान की इकोनामी थी उसको काफी नुकसान हुआ और उसके बाद पाकिस्तान को उस ने स्टैंड बाय मोड में दाल दिया लेकिन पाकिस्तान किस्मत फिर चमकते है जब 9/11 अटैक होता है वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में ये अटैक अल्कीड़ा ने करवाया था और उस को डर था की ये अटैक अगर दोबारा नहीं करवाना है तो अलकायदा को पुरी तरीके से खत्म करना होगा अलकायदा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर पे ऑपरेट करता था और एक बार फिर उस को पाकिस्तान की जरूर पड़ी इस बार उस ने कोलिशन सपोर्ट फंड बनाया सीएस जिसमें पाकिस्तान को काफी पैसा मिला 2009 में उस ने करी उग्र बिल पास किया जिसने पाकिस्तान को 1.5 बिलियन डॉलर पर एयर की एनुअल असिस्टेंट देने का प्रपोज था लेकिन ये जो पैसा मिलता था इसको पाकिस्तान उस के वारेन टेरर के लिए उसे करने की बजे अपनी इकोनामी को बचाने के लिए उसे करता था अपनी आर्मी को स्ट्रांग करता था और जो ट्रेनिंग सेंटर थे जहां मुजाहिदीन ट्रेन होते थे वहां से अफगानिस्तान के साथ-साथ कश्मीर में भी मुजाहिदीन भेजता था ये वो टाइम था जब पाकिस्तान के दोनों हाथ गी और मुंह कढ़ाई में था पाकिस्तान आर्मी के ऊपर बाहर से मिलने वाले एड में करप्शन एलिगेशन करते रहे उस नेवी कहा की इन्होंने हमारे 8 से मिलने वाले पैसे को मिस स्पेंड किया है औरत और इतने साल कंटीन्यूअस आते देने के बाद भी ये पता चला है की ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही पड़ा जाता है मुला उमर जो मोस्ट वांटेड था उसकी डेथ भी पाकिस्तान की हॉस्पिटल में होती है डोनाल्ड टर्म में आते ही जो एट मिलता था पाकिस्तान को इसको पुरी तरीके से बैंड कर दिया और पाकिस्तान की इकोनामी जो बबल में थी उसको फिर से एक झटका लगता है इन साड़ी चीजों की वजह से पाकिस्तान की इमेज काफी खराब हुई और फॉरेन इन्वेस्टमेंट एकदम से खत्म हो गया बाहर की कंपनी इतनी अनस्टेबल जगह पे अपनी कंपनी नहीं लगाना चाहती थी उनको पता था की उनको नुकसान होना ते इसके अलावा टूरिज्म भी खत्म हुआ ये बहुत ही बड़ा फैक्टर था पाकिस्तान की इकोनामी कॉलेप्स होने में लेकिन पाकिस्तान और इंडिया में कई बार अवार्ड हुई हैं लेकिन 1971 की वार ने पाकिस्तान को काफी वीक किया ये बहुत ही इंटरेस्टिंग कहानी है जिसके ऊपर बहुत साड़ी बुक्स हैं लेकिन कुकू एफएम की एक ऑडियो बुक है इंडिया वर्सेस पाक 1971 इसमें बहुत ही डिटेल और आसन तरीके से बताया है इस इवेंट के बड़े में वार की शुरुआत से लेकर खत्म होने तक साड़ी चीज बहुत ही अच्छे से बताई गई हैं 69 मिनट्स की इस ऑडियो बुक में 1971 की वार के बड़े में आपको काफी नॉलेज और क्लेरिटी मिलेगी कुकू एफएम इंडिया का सबसे बड़ा ऑडियो शो प्लेटफॉर्म है जहां कई कैटिगरीज की ऑडियो बुक्स अवेलेबल है हिस्ट्री एंटरटेनमेंट कॉमेडी क्राइम मोटिवेशन से लेकर साइंस और फिटनेस तक तो आप भी जरूर सुन अपनी मनपसंद ऑडियो बुक को एफएम पर मुझे पर्सनली इसमें ऑटो बायोग्राफी सुना बहुत ही अच्छा लगता है कुकू एफएम काफी अच्छा प्लेटफॉर्म है जी पे आप रेगुलर कम करते हुए या ट्रैवल करते हुए बहुत अच्छी ऑडी बुक सुन सकते हैं काफी कम प्राइस पर और मेरा कूपन कोड नर 50 उसे करके आपको फर्स्ट मठ के सब्सक्रिप्शन पर 50% का डिस्काउंट भी मिलेगा डेट इसे एड रुपीज 49 ओनली तो डाउनलोड कीजिए कुकू एफएम लिंकन डिस्क्रिप्शन बॉक्स तो टॉपिक पे वापस आते हैं [प्रशंसा] [संगीत] उस ने कुछ कम पीछे लिए तो वहां पर एंट्री हुई चीन की और फिर यहां पर चीन ने लोन पर लोन देना स्टार्ट किया और इस वजह से पाकिस्तान की इकोनामी जो एक बबल में थी उसका प्रॉपर टेस्ट नहीं हो पाया दुनिया में अलग-अलग तरह के देश हैं कुछ की इकोनामी तेल से चलती है कुछ की इकोनामी मैन्युफैक्चरिंग से चलती है या फिर आईडी सेक्टर से चलती है कुछ की एग्रीकल्चर से भी चलती है लेकिन पाकिस्तान की इकोनामी एड और लोन से चलती है पाकिस्तान एक एक डिपेंडेंट कंट्री है जी तरीके से पाकिस्तान उस के लिए एक स्ट्रैटेजिक लोकेशन है ठीक इस तरीके से पाकिस्तान चीन के लिए भी एक स्ट्रैटेजिक लोकेशन है इंडिया को टैकल करने में चीन को बहुत ही आसानी रहती है इंडिया जब तक पाकिस्तान में उलझा रहेगा चीन आराम से रहेगा यही रीजन है की चीन ने पाकिस्तान के अंदर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने में उसको मदद कारी और कई एनालाइज तो ये भी मानते हैं की चीन ने पाकिस्तान को न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने में भी मदद कारी अब देखिए अगर आप हमारी वीडियो देखते हैं तो आपको चीन की जो डेड ट्रैप स्ट्रीट्स है वो ऑलरेडी पता होगी लेकिन मैं फिर भी मोटा-मोटी बता देता हूं चीन पहले मार्केट रेट से ज्यादा इंटरेस्ट पे लोन देता है फिर जो लोन आपको बाहर से 30 साल की टेनोर पे मिलता है है इस को चीन अप्रॉक्स 15 साल के लिए देता है उसके बाद जी चीज के लिए चीन लोन देता है मां लीजिए वह का रहा है की आपकी कंट्री में हम पावर प्लांट बनाएंगे तो बनाने से लेक हर चीज में चाइनीस वर्कर और कंपनी होती हैं तो जो पैसा वो लोन देते हैं वो इस देश से काम के एक बिजनेस करके निकाल जाते हैं और ऑन पेपर पे वो लोन आगे आईटी इसे बना राहत है और लोन का जो इंटरेस्ट है वो बढ़ता राहत है इनके क्लोज़ में ये पहले से ही मेंशन करवाते हैं की अगर लोन नहीं दे पे तो वो जगह चीन की हो जाएगी इसी तरीके से श्रीलंका का जो हम मां टोयोटा पोर्ट था वो चीन के पास पहुंच गया फिर इन्हीं साड़ी स्ट्रैटेजिक लोकेशन का उसे करके ये उसे एरिया में रूल करते हैं अब आप खाओगे ये जो स्ट्रीट्स आप बता रहे हो ये तो बच्चे बच्चे को पता है तो पाकिस्तान की जो लीडर हैं मिलिट्री है उनको नहीं पता होगी तो देखिए आपने कहावत सनी होगी की कुछ तो नहीं होगी मजबूरियां यूं ही कोई बेवफा नहीं होता तो ये क्या-क्या मजबूरी या नहीं है इनकी जब मैं अभी आगे आई एम एफ की बात करूंगा तो उसमें समझाऊंगा [प्रशंसा] देखिए चीन ने पाकिस्तान के साथ मिल्क अपने बेल्ट और रोड इनिशिएटिव बी आर आई के अंदर चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर सेल पैक 2015 में बनाना शुरू कर दिया और ये ग्वादर में भी एक पोर्ट डेवलप कर रहा है और जितना पैसा चाहिए चीन बहुत ही आराम से दे रहा है और पाकिस्तान भी खोजेगी आईएमएफ से लोन लेने में बहुत ही ज्यादा जीजी होती है और चीन बहुत आराम से दे रहा है चीन ने अभी तक 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा पाकिस्तान को लोन दिया है और कुछ भी वापस नहीं आया चीन को भी पता है की वो पैसा वापस नहीं आएगा लेकिन स्ट्रैटेजिक लोकेशन में एडवांटेज जिसको मिल रहा है यहां वही से डेड ट्रैप वाला मॉडल चला है सारे वर्कर्स कंपनी वगैरा चीन से ही आएंगे ये जो चीज मैं आपको बता रहा हूं ये इमरान खान ने भी शुरू में अपनी जनता को समझने की कोशिश की थी और उसका जब टाइम आया था तो उसे टाइम पे उसने की कम भी रुकवा दिया था सेल पैक का लेकिन ये सबके लिए काफी डर हो गई है देखिए सिपाही से पाकिस्तान के अंदर खूब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हुआ पैसा भी आया इन सब चीजों से पाकिस्तान खुद होता है और सड़क भी बन रही हैं विकास भी हो रहा है लेकिन एक्चुअल में ये एक डेट बेस इकोनामी है जो सिर्फ एड्स और लोन के भरोसे चल रही है आई मैं अपने भी मल्टीपल टाइम समझाया पाकिस्तान को की सीपीएस से दूर रहना ही पाकिस्तान के लिए ठीक है कोई नया नेता ये साड़ी चीज सही भी करने लगे तो वो हो नहीं सकता क्योंकि ये बहुत ही पहले से चल रहा है और अब एड लेना है इनकी मजबूरी बन गया है जनता वरना पीएम कोई गली देने लगेगी इसको ऐसे समझ लीजिए के पास मल्टीपल कार्ड है वो बस इस क्रेडिट कार्ड की पेमेंट उसे कार्ड से करते रहा है कभी दूसरे कार्ड की पेमेंट किसी तीसरी कार्ड से कर दे रहा है इससे एमी तो बच्चा ले रहा है वो लेकिन एक्चुअल में उसकी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो रही है कर्ज उसके ऊपर उतना ही है बल्कि इंटरेस्ट और बाढ़ रहा है से इसी कॉन्सेप्ट पे पाकिस्तान की इकोनामी भी चल रही है कुछ प्रोड्यूस नहीं कर रहे हैं एक्सपोर्ट नहीं कर रहे हैं बस लोन लेते हैं और उसे लोन को चुकाने के लिए एक और उन्होंने थे यही रीजन है की आप देखोगे की किसी और कंट्री के लिए बगैर शब्द उसे नहीं होता है पाकिस्तान के कैसे में उसे किया जाता है इनके खुद के पीएम ने ऑन रिकॉर्ड बोला है की बैगर्स कांड भी चीज बैगर्स कंस [प्रशंसा] पाकिस्तान का जो करंट क्राइसिस है उसमें दशकों से जो फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट हो रहा है उसके ऊपर फॉक्स वापस चला दिया और इस मैनेजमेंट का सबसे इंपॉर्टेंट प्लेयर है पाकिस्तान आर्मी और ये मैं इसलिए नहीं का रहा हूं क्योंकि मैं इंडियन हूं तो बुराई करूंगी आप दुनिया के किसी भी न्यूज़ आउटलेट में पाकिस्तान के बड़े में पढ़िएगा आपको पाकिस्तान आर्मी का एक्जेक्टली रोल क्या है वो आपको पता चल जाएगा पाकिस्तान अपने डिफेंस बजट में जरूर से ज्यादा खर्च करती है पिछले साल का पाकिस्तान का टोटल बजट ₹9500 तू बिलियन रुपीज का था जिसमें से 1523 बिलियन रुपीज खाली डिफेंस पे गया है यानी की टोटल बजट का 15% से भी ज्यादा लोन का इंटरेस्ट पेमेंट करने के बाद पाकिस्तान की इकोनामी का सबसे बड़ा हिस्सा जो है वो डिफेंस में जाता है पाकिस्तान आर्मी ने 1947 के बाद आधे से ज्यादा टाइम पाकिस्तान को रूल किया है और इनके पास सिक्योरिटी और फॉरेन पॉलिसी में बहुत ज्यादा पावर है ये लोग उसको ही पीएम बनाते हैं जो इनके हिसाब से चला है इनके बिना पाकिस्तान में कोई भी इलेक्शन नहीं जीत सकता इसलिए आप देख वो कहावत जरूर सनी होगी बहुत ही फेमस है पाकिस्तान आर्मी के लिए की जंग और इलेक्शन गधे हरियाणी यह देखिए इतने सारे मेडल इन्होंने लगा रखें हैं लेकिन इन्होंने आज तक एक भी जंग नहीं जीती है पाकिस्तान की एक ऑथर है ईशा सिद्दीक का उनकी किताब है मिलिट्री आयन सी अगर मौका आपको लगेगा तो उसको पढ़िएगा जरूर पाकिस्तान की आर्मी पूरे देश का पैसा कैसे घुमा रही है इकोनॉमिक्स को कैसे कंट्रोल कर रही है बहुत ही बढ़िया तरीके से उसमें बताया है आपने कभी सुना है की कोई आर्मी कपड़े साबुन तेल ये सब बचती हो ये दुनिया की अकेली आर्मी है जो सीमेंट कपड़े मीत इंश्योरेंस रियल स्टेट ये सब बचती है इनकी आर्मी पाकिस्तान की रियल स्टेट को कंट्रोल करती है और हर जनरल को रिटायरमेंट के बाद प्लॉट पे प्लॉट मिलते हैं पाकिस्तान आर्मी की नेट वर्थ ₹1 लाख करोड़ से भी ज्यादा की है इनकी आर्मी के अगर टॉप 100 ऑफिसर की वेल्थ का अंदाज़ लगाया जाए तो 35000 करोड़ से भी ज्यादा की वेल्थ है इनके बच्चे सब बाहर पढ़ने हैं यूके में इनके घर हैं जबकि एक आम पाकिस्तान ये सब सपना में भी नहीं सोच सकता जो ये लोग करते हैं पाकिस्तान आर्मी ने फाउंडेशन और ट्रस्ट का एक नेटवर्क बना रखा है जो पाकिस्तान के अंदर साड़ी चीज ऑन करते हैं जैसे फौजी शाहिद और बहरिया फाउंडेशन जिनको आर्मी एयरफोर्स और ने भी चलते हैं इनमें से फौजी फाउंडेशन सबसे बड़ी है पाकिस्तान के अंदर ब्रेड तक भी मिलिट्री कंट्रोल बकरी से बंटी है पाकिस्तान के बैंक को भी आर्मी ऑन करती है और हैवी इंडस्ट्री का 1/3 और टोटल प्राइवेट ऐसेट का सेवन परसेंट हिस्सा आर्मी ऑन करती है पहले कमाते हैं और फिर डॉ में अमेंडमेंट कर के अपना फायदा करवाते हैं आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और फौजी फाउंडेशन को इनकम टैक्स से भी छठ मिलती है और इस वजह से इनके सामने जो प्राइवेट कंपनी है वो इनके सामने टिक नहीं पाती हैं इनकी आर्मी के पास पावर और पैसा दोनों है आप कभी नहीं देखोगे की एक गरीब देश की आर्मी इतनी अमीर है हर देश की एक आर्मी होती है लेकिन यहां पे आर्मी का ही एक देश है आप बोल सकते हो की मैं गलत बता रहा हूं लेकिन आप खुद से भी एक बार चेक करेगा की पाकिस्तान आर्मी के जो इससे पहले थे जावेद बाजवा इनकी वाइफ की जो 2016 में वेल्थ थी वो जीरो थी जब जनरल साहब रिटायर हुए तो उनकी वाइफ की वेल 220 करोड़ हो गई उनकी वाइफ इतने टाइम में ऐसा कौन सा बिजनेस कर रही थी की उनकी वेल्थ इतनी हो गई और अगर पुरी बाजवा फैमिली की वेल्थ को देखा जाए तो 1270 करोड़ हो गई ये लोग ऐसा कौन सा खजाना कोड रहे हैं इनकी वेल्थ इतनी ज्यादा हो गई है जल्दी जोड़ दो आप उसके हिसाब से इतनी वेल्थ नहीं बैठी है लेकिन उसके बाद भी इतना पैसा ए कहां से रहा है तो आप थोड़ा सा भी आम सेंस लगाओगे तो आपको पता चल जाएगा की कुछ तो गड़बड़ है इसमें लेकिन ये साड़ी चीज क्वेश्चन था वो पाएंगे जब मीडिया ये सारे क्वेश्चंस लेकर आए हैं लेकिन मीडिया और सुप्रीम कोर्ट वगैरा हर जगह इनका कंट्रोल है मल्टीपल ऑब्जर्वर्स का ये मानना है की अगर पाकिस्तान की इकोनामी को गो करना है तो इकोनामी में पाकिस्तान आर्मी का रोल जो है वो खत्म करना होगा लेकिन इस डायरेक्शन में अगर कोई छोटा सा भी एफर्ट होता है तो उसको वहीं पे फेल कर दिया जाता है उसको वहीं रॉक दिया जाता है क्योंकि इसकी वजह से पाकिस्तान बिजनेस ग्लोबल कंपटीशन में नहीं ए का रहे हैं और इनका जितना भी प्रॉफिट होता है वो सर आर्मी के जनरल्स रिटायर जर्नल्स को ट्रांसफर होता राहत है पाकिस्तान आर्मी पाकिस्तान के सबसे बड़े रियल स्टेट डेवलप है इनके पास 50 से ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट है जिसमें इस्लामाबाद में 16 एकड़ कराची में 12000 एकड़ की जमीन है जो इनको पाकिस्तान गवर्नमेंट से फ्री ऑफ कॉस्ट में मिली है है ना अथॉरिटी में कोई भी हो जो भी इनके हिसाब से नहीं चला उसको ये लॉक मार के निकाल देते हैं [प्रशंसा] पाकिस्तान के अंदर आर्मी की हेल्प से पीएम बंता है और जब पीएम बन जाता है तो आर्मी के के हिसाब से चला है जनरल बाजवा ने इमरान खान को पीएम बनाया इसके बदले में इमरान खान ने जनरल भाजपा का टेन्योर एक्सटेंड करवाया लेकिन दिक्कत तब हुई जब जनरल बाजवा का टेन्योर खत्म हो रहा था और जनरल अपने हिसाब से ही अपना आर्मी के रखना चाहते थे वो सैयद असीम मुनीर को अपना आर्मी के बनाना चाहते थे लेकिन इमरान खान के सामने भी दिक्कत थी उनको ये पता था की अगर सैयद असीम मुनीर आर्मी के बनेंगे तो अगले इलेक्शन में वो उनको सपोर्ट नहीं करने वाले हैं इसलिए जनरल भाजपा के खिलाफ जाके इमरान खान ने जनरल फैज को आर्मी के बनाने की वकालत कारी इस सबके बीच में जनरल ने इमरान खान को हटाकर शरीफ को पीएम बावा दिया और शरीफ ने आज से मुनीर को आर्मी के बना दिया और जो साड़ी चीज मैं बता रहा हूं अभी पिछले साल ही हुई है और इन सब चीजों की वजह से पॉलीटिकल इन स्टेबिलिटी ए गई है और ऊपर से 2022 में फ्लड भी ए गया था 1/3 पाकिस्तान पूरा डब गया था करीब 30 बिलियन डॉलर के अराउंड नुकसान हुआ था जिसने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी थी पाकिस्तान में जो ब्लैक आउटस हो रहे हैं उसके पीछे भी चाय नहीं है इन ने सी पैक कम रुकवा दिया था तो चीन थोड़ा-सा नाराज हो गया था और चीन ने सी पे प्लेन में जो पावर प्लांट्स थे उनको बैंड कर दिया था क्योंकि पेमेंट का कुछ इशू हो गया था अगर सिपक में कम चल रहा होता तो चीन कभी ऐसा नहीं करता अब क्योंकि पावर प्लांट की शॉर्ट आगे है इसलिए बच्चे हुए पावर प्लांट पे लोड बाढ़ गया और पावर कट हो रहा है अब बिना इलेक्ट्रिसिटी के तो देश नहीं चल सकता है अब या तो बाहर से लोन मिले एड मिले और अगर ऐसा नहीं हो पता है तो कोई भी नेता आएगा उसकी मजबूरी बन जाएगा सी पे के ऊपर कम शुरू करवाना दे बाय दे जो पाकिस्तान की सिचुएशन है वो कंट्रोल से बाहर जा रही है पाकिस्तान के अंदर सबसे गेहूं लेने के लिए अफरा-तफरी मची हुई है लोग ली-लंबी लाइन लगा के खड़े हुए हैं गेहूं के ट्रेक्स के पीछे भाग रहे हैं और इसलिए इसे काफी जगह पे भगदड़ मैच गई है हालात ऐसे हो गए हैं की कई लोगों की जान तक चली गई है पिछले साल जब रसिया और यूक्रेन की वार स्टार्ट हुई थी तो दुनिया भर के अंदर फूड क्राइसिस ए गया था रसिया और यूक्रेन मिलकर दुनिया भर का 30% वीट सप्लाई कंट्रोल करते हैं ये कैसे इतना सीरियस था की इंडिया को भी अपने आप वीट एक्सपोर्ट पर बन लगाना पद गया था और अभी भी इंडिया के अंदर ये जो वीट के हाय प्राइस है गवर्नमेंट के लिए बहुत ही बड़ी बने हुए हैं लेकिन इंडिया के पास बीट का बफर स्टॉक था जो पाकिस्तान के पास नहीं है जिसकी वजह से वहां पे सोशल अनरेस्ट पैदा हो रहा है [प्रशंसा] [संगीत] और इनके जो फॉरेक्स रिजर्व है वह भी बहुत हालात खराब है उसकी तीन बिलियन से भी कम पर पहुंच गए हैं और पता नहीं कितने दिन तक यह बहुत ही कम अमाउंट है देखिए जब भी आप बाहर किसी कंट्री में जाते हैं तो इंडियन रुपीस को उसे पर्टिकुलर कंट्री ई में चेंज करवाते हैं क्योंकि आपको वहां की चीज खरीदनी होती हैं कोई भी कंट्री ऐसी नहीं है जो अपने देश में साड़ी चीज प्रोड्यूस करती है अब जैसे गाड़ियां चलानी है मशीन भी उसे करनी है तो तेल की जरूर होगी अगर आपकी कंट्री में तेल प्रोड्यूस नहीं होता है तो आपको बाहर से एक्सपोर्ट करना होगा और अगर बाहर से चीज खरीदनी है तो आपको बाहर की ई की जरूर होगी जैसे आप जब किसी देश में जाते हैं तो वहां जान से पहले अपने पास ई रखते हैं ऐसे ही कंट्री अपने फॉरेक्स रिजर्व मेंटेन करती है जिसमें वो चीज रखती है जिसकी इंटरनेशनल मार्केट में वैल्यू होती है जैसे गोल्ड उस डॉलर बॉन्ड वगैरा ये साड़ी चीज राखी जाति है अब इन सब की जगह अगर मां लो की आप पाकिस्तान रुपया अपने फॉरेक्स रिजर्व में रखोगे तो उसका कोई फायदा नहीं होगा अब आप मार्केट में जाकर पाकिस्तान डॉलर डॉग तो वो रहेगा की इसका मैं क्या करूंगा ये पाकिस्तान के अलावा कोई लगा नहीं और पाकिस्तान जो एक्सपोर्ट करता है वो मेरे किसी कम का नहीं है पाकिस्तान टेक्सटाइल और डोंकी जो है वह बुक में एक्सपोर्ट होते हैं तो इसलिए कंट्रीज अपने फॉक्स रिजर्व में डॉलर्स और गोल्ड वगैरा रखती हैं जो जो ओवर वर्ल्ड में एक्सेप्टेड हो ताकि देश की ज़रूरतें डेली बेसिस पे पुरी हो सके आप सुनते होंगे की इतने दिन का फॉरेक्स रिजर्व बच्चा है तो उसका यही मतलब होता है तो ये बहुत ही बड़ी दिक्कत है पाकिस्तान के लिए अब पाकिस्तान की हालात देख तो वैसे ही कमजोर थी उसके ऊपर से रसिया और यूक्रेन की वो और बीच में ए गई अब पाकिस्तान के बीच फॉरेक्स है उसका जो मेजर हिस्सा है वो तेल और गैस प्रोडक्ट खरीदने में जाता है लेकिन जब से ये अवार्ड शुरू हुई है गैस और तेल की प्राइसेस बहुत ही ज्यादा बाढ़ गए हैं और पाकिस्तान के फौरन निजाम एक दम से खत्म हो गए इंडिया इसलिए बैक गया क्योंकि इंडिया को रसिया ने डिस्काउंटेड रेट पे तेल दिया है लेकिन पाकिस्तान को गल्फ कंट्री से महंगे में तेल खरीदना पड़ा अब पाकिस्तान के पास दो ऑप्शन हैं या तो कोई कंट्री इनको लोन दे या फिर कोई आते दे किसी तरीके से हेल्प करें या फिर ये आई एम एफ के पास जैन आई एम एफ से भी ये लोग 13 बार लोन ले चुके हैं और एक बार भी नहीं लौटाया एक गवर्नमेंट को लोन देना पुरी दुनिया में सबसे सेफेस्ट माना जाता है लेकिन पाकिस्तान के कैसे में ऐसा नहीं है यहां पे लोन लेना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि वापस नहीं मिलता है [प्रशंसा] यह भी का सकते हो की लोन तो वर्ल्ड बैंक भी देता है तो आईएमएफ का नाम क्यों ए रहा है यह वर्ल्ड बैंक से अलग कैसे है और आई एम को क्या पड़ी है किसी देश की जब बुरी हालात है तो उसमें लोन देने की तो इसको एक एग्जांपल से समझता हूं मां लीजिए हम 10 दोस्त है और हमने ये डिसाइड कर लिया की हम अपनी अपनी सैलरी का 5% जमा करेंगे और इस फंड को हम तब उसे करेंगे जब किसी के ऊपर दिक्कत आएगी कोई फाइनेंशियल डिकत ए गई तो हम उसमें उसे करेंगे इससे होगा ये की हम 10 के 10 जो दोस्त हैं वो सेफ हो जाएंगे और कोई मुसीबत आई है कोई फाइनेंशियल क्राइसिस आई है तो हम सब लोग सेफ हो जाएंगे इंश्योरेंस भी इसी तरीके से कम करता है तो ऐसे ही आईएमएफ भी कम करता है इसमें 190 कंट्रीज हैं अपनी अपनी इकोनामी के हिसाब से पैसा कंट्रीब्यूट करती हैं और जी कंट्री के ऊपर दिक्कत आई है उसको हेल्प की जाति है इंडिया टॉप 10 कंट्रीज में आता है आई एम एफ के अंदर पैसा देने में वही जो वर्ल्ड बैंक का जो लोन है वो इससे काफी अलग है वर्ल्ड बैंक का जो लोन होता है वो कंट्रीज अपनी ग्रोथ के लिए लेती है मां लो मेरी एक कंपनी है मैंने सोचा की कंपनी को गो करना है मुझे बाकी सिटीज में भी ले जाना है उसको आगे बढ़ाना है तो इसके लिए जो मुझे लोन मिलेगा वो वर्ल्ड बैंक से मिलेगा और अगर मैं किसी मुसीबत में फसता हूं तो वो आईएमएफ वाला कॉन्सेप्ट चलेगा आई एम एफ से लोन मिलेगा कई डेवलप्ड देश भी वर्ल्ड बैंक से लोन लेते हैं जैसे इंडिया ने लिया था लेकिन ये ग्रोथ के लिए मिलता है जैसे इंडिया ने 245 मिलियन डॉलर का लोन लिया था वर्ल्ड बैंक से लिया था इन्होंने रेलवे के प्रोजेक्ट के लिए अब रेलवे से जैसे-जैसे इंडिया कमेगा वो उसको वापस कर देगा एक तरह से बिजनेस के लोन की तरह कम करता है वही आईएमएफ के एंट्री तब होती है जब किसी कंट्री का पूरा टाइम चालू होता है और इमाम जो लोन देता है उससे पहले शर्तें रखना है की लोन तो देंगे लेकिन उससे पहले अपनी कंट्री में आपको कुछ चीज चेंज करनी होगी और आई एम अब एक साथ लोन नहीं देता अगर आप एग्जांपल के तोर पर मां लो की ₹1 लाख तो उसको वो दो तीन साल में धीरे-धीरे करके देगा और वो तब तक देगा जब आप उसके बताए हुए रूल्स फॉलो करोगे जैसे पाकिस्तान के अंदर आईएमएफ ने ये सारे रूल्स फॉलो करने को बोले लेकिन पाकिस्तान ने ये जो रूल्स हैं वो फॉलो नहीं किया हैं और आईएमएफ इस बार इनको काफी परेशान कर रहा है लोन देने में 10 दिन आईएमएफ की टीम इस्लामाबाद में र के चलेगी अभी तक लोन नहीं दिया है वो का रहे हैं की पाकिस्तान रूल सी फॉलो नहीं कर रहा है और इनकी जो रूल्स हैं आपके पाकिस्तान के लिए उनको फॉलो करना बहुत ही ज्यादा टू हो गया इमारत के रूल के हिसाब से पाकिस्तान को गैस इलेक्ट्रिसिटी पेट्रोल इन सब के जो प्राइस है उनको बढ़ाने चाहिए लेकिन पाकिस्तान उल्टा कर रहा है उनको सब्सिडीज दे रहा है और पाकिस्तान की ही मजबूरियां अगर सब्सिडी नहीं देगा तो जो अभी महंगाई चल रही है उससे और ज्यादा हो जाएगी तो पाकिस्तान जो है वो दोनों तरफ से फंसा हुआ है आई एम अपने जो आर्मी के जो ऑफिशल्स हैं उनकी जो टैक्स रिपोर्ट है वो भी मांगी है ताकि पता चल सके की सर पैसा जा कहां से रहा है एक गरीब देश में आर्मी कैसे अमीर हो रही है उसपे कोई इफेक्ट क्यों नहीं पद रहा है इसके साथ-साथ आर्मी का जो बजट है आर्मी उसमें भी कटौती करने को का रहा है और यही कुछ रीजन है की पाकिस्तान की आर्मी आईएमएफ की बजाएं बाकी कंट्री उसे लोन ले लगी उसे एड ले लगी उनसे जाकर पैसे मांग लगी लेकिन आई एम एफ को अवॉइड करती है इस बार भी देखना आपको अचानक से सुने में आएगा की इस कंट्री ने रिलीज पैकेज दे दिया क्योंकि जाके अंदर सीक्रेट डील कर लेते हैं [प्रशंसा] [संगीत] दूसरी चीज में यह भी है की जो पाकिस्तान की गवर्नमेंट है वह चाहती है की इंडिया से रिलेशन सुधा क्योंकि तभी ट्रेड होगा तभी पॉलीटिकल स्टेबिलिटी आएगी लेकिन पॉलीटिकल एनालाइज जो है वह यह मानते हैं की पाकिस्तान आर्मी कभी नहीं चाहती की इंडिया से रिलेशनशिप है क्योंकि अगर इंडिया से रिलेशन सुधार गए तो ये जो हजारों करोड़ का बजट लिया जाता है आर्मी के नाम पे उसे पे क्वेश्चन उठाएंगे इसलिए आप नोटिस करोगे जब भी दोनों देश के बीच में कोई ट्रीटी होती है या कोई नजदीकी आई हैं या कोई बातचीत शुरू होती है तो अचानक से टेररिस्ट अटैक हो जाता है 2008 में पाकिस्तान के फौरन मिनिस्टर बातचीत करने डेली आए मुंबई में टेररिस्ट अटैक हो गया 2016 में मोदी जी पाकिस्तान नवाज शरीफ से मिलने गए उसके आते ही एक हफ्ते के अंदर पठानकोट में टेररिस्ट हमला हो गया पाकिस्तान के प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी ने कहा था की हम इंडिया के साथ नो फर्स्ट उसे पॉलिसी एक्सेप्ट करना चाहते हैं यानी की अगर वार हुई तो पहले हम न्यूक्लियर वेपन उसे नहीं करेंगे जैसे ये बात बोली गई जैसे मोहम्मद ने टेररिस्ट हमला कर दिया पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ और इंडिया के पीएम अटल बिहार वाजपेई जी 1999 में जब लाहौर दिलेशन साइन किया था इन्होंने तो जो उसे टाइम के आर्मी के थे परवेज मुसहर उन्होंने बिना अपने पीएम को बताया कारगिल का हमला प्लेन किया और उसको एग्जीक्यूट भी कर दिया और बाद में तख्त पलट करके पीएम को हटा दिया पाकिस्तान के जो जनता है उसको बहुत ही अलग लेवल पे लूट गया इनके जो के जस्टिस है उन्होंने दम के नाम पे पैसे इकट्ठा कराया आतिफ असलम जो सिंगर है उन्होंने भी इसमें डोनेट किया था वो दम बना ही नहीं और उसका पैसा सर जब में चला गया ये पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस इनका एक सीनरी ऑफिसर था वो यूरोप में जाके इनका प्ले नहीं बेचा है तो मतलब जितने भी डिपार्मेंट है जितनी पाकिस्तान की जनता है उसको हर तरफ से लूट जा रहा है देखिए पाकिस्तान की जो करंट सिचुएशन है वो किसी लोन या फिर किसी एड्स से नहीं सुधरेगा लॉन्ग रन में पाकिस्तान की सिचुएशन है वो आर्मी से है के जब चीज पॉलिटिक्स के हाथ में जाएंगे तभी सुधार पाएंगे लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन की कुकू एफएम की ऑडियो बुक इंडिया वर्सेस पाक 1971 का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया एक बार आप जरूर सुनिएगा काफी डिटेल में चीज बताई गई है थैंक यू [प्रशंसा] [संगीत] ZbRMiG-QzdM,Why layoffs are happening? Recession 2023 | Nitish Rajput | Hindi,2023-02-06T14:30:07Z,PT15M59S,2778451,84135,2447,https://www.youtube.com/watch?v=ZbRMiG-QzdM,, आपने अगर गेम ऑफ थ्रोंस देखा होगा तो उसने एक बहुत ही फेमस लाइन थी विंटर इस कमिंग लेकिन इस लाइन का जो इंपैक्ट है वो यूरोप के लोग एक्चुअल में फुल कर रहे हैं वर्स्ट पार्टिसिपेट यूरोपीय एंड ऑन दिस दें बहुत ही अमीर मानते हैं वो लोग आज की डेट में जब इतनी ज्यादा ठंड है वो गर्म पानी की जगह ठंडे पानी से नहा रहा है इनके यहां जो स्ट्रीट लाइट्स हैं वो सिर्फ जरूरत पड़ने पे ही जलाई जा रही हैं घरों के अंदर लोग बिना हीटिंग के रह रहे हैं और महंगाई आसमान छू रही है जर्मनी जहां पे लोग स्विमिंग पूल में भी वाटर उसे करते द वहां पे स्विमिंग पूल के पानी को गर्म करने पर भी बन लगा दिया गया वहीं फ्रांस की बात करें तो रात में शॉप्स के बाद जो बिलबोर्ड्स लगे रहते हैं फ्रांस के अंदर उनकी लाइट्स को भी बंद करने को बोल दिया गया है अमेरिका के अंदर लोगों की नौकरियां बहुत ही तेजी से जा रही हैं फेसबुक जो इतना बड़ा नाम है उसने एक झटका में 11000 लोगों को निकल दिया 18 साल की हिस्ट्री में पहली बार ऐसा किया फेसबुक में फेसबुक में अपनी टोटल स्ट्रेंथ में से 13% एम्पलाइज को फायर कर दिया है और ये नॉर्मल चीज नहीं है ये हिमांशु का लिंग पोस्ट है इन्होंने काफी पैसा लगा के कनाडा रीलोकेट किया और मेटा यानी की फेसबुक को ज्वाइन किया और ज्वाइन करने के 2 दिन बाद इनको निकल दिया गया नीलिमा के साथ भी यही हुआ इनकी पहले की जो जॉब थी वो भी गई और जैसे ही उन्होंने मेटल ज्वाइन किया दो दिन के अंदर इनको भी निकल दिया गया ये जो फेसबुक का केस है ये बाकी कंपनियों के कंपेरटिवली थोड़ा सा अलग केस है तो इसको मैं लास्ट में बताऊंगा तो ट्विटर की बात करें तो ट्विटर ने 3700 लोगों को निकल दिया है अमेज़न ने ₹10000 लोगों को निकल दिया है जेपी मॉर्गन चेस ने 1000 लोगों को एचपी ने 6000 और ये लेस बहुत ही लंबी है और इंडिया के जो स्टार्स हैं उन्होंने 2022 सिर्फ एक साल के अंदर में 17600 लोगों को फायर कर दिया जिसमें से बाय जूस कर 24 ओला पर उड़ान अनअकैडमी ऐसी बहुत सी कंपनी है और ये फायरिंग का सिलसिला रुक नहीं रहा है विप्रो इंफोसिस टेक महिंद्रा ये जो बड़ी कंपनी है इन्होंने फायर नहीं किया है लेकिन आगे की हैरिंग रोक दी है और जो ऑफर लेटर दिए द उनको भी रोक दिया है तो देखिए अब सबसे बड़ा क्वेश्चन ये है की सारी चीज हो क्यों नहीं है और इसको समझने के लिए पहले हमको थोड़े से बेसिक डिस्कस करना होंगे उसके बाद आगे की जो स्टोरी है बहुत ही आसानी से समझ में ए जाए फ्लोर पे अलग-अलग चीज अलग-अलग प्राइस पे हैं एक फ्लोर पे कपड़े बिक रहे हैं एक फ्लोर पे हेयर ड्रेसर बाल काट के पैसे ले रहा है और वहीं एक फ्लोर पे कंप्यूटर बेचे जा रहे हैं अब अगर एक दिन में दुकानों में जितनी भी चीज बिक रही हैं अगर उसके प्राइस को ऐड कर दिया जाए तो जो वैल्यू आएगी वो स्मॉल की एक दिन की जीडीपी होगी ऐसे ही एक देश की बाउंड्री के अंदर जितने भी गुड्स एंड सर्विसेज प्रोड्यूस हो रहे हैं अगर उनकी वैल्यू को ऐड कर दिया जाए तो वो उसे देश की जीडीपी होगी अगर मैं उस जाऊं और वहां जाकर 50 डॉलर की कॉफ़ी खरीद के पी लूं तो वो 50 डॉलर जो होंगे वो उस की जीडीपी में ऐड हो जाएंगे वैसे जीडीपी कई सारे अलग-अलग फैक्टर्स पे डिपेंड करती है ये जो मैं बता रहा हूं ये इसलिए बता रहा हूं ताकि आगे की जो कहानी है वो समझने में आसानी है अब देखिए जब भी लोग ज्यादा चीज खरीदते हैं तो जीडीपी ऊपर जाता है और जब कम समान खरीदते हैं तो जीडीपी नीचे जाता है और अगर दो क्वार्टर यानी की सिक्स मैन तक जीडीपी बैक तू बैक नीचे जाती है तो उसे कहते हैं रिसेशन ये ग्लोबल एक्सेप्टेड डेफिनेशन है हालांकि इसमें भी बहुत सारे फैक्टर्स कंसीडर होते हैं जैसे को-वेट के टाइम पे लोगों ने बाहर निकल के कम चीज खरीदी थी तो इंडिया का जो जीडीपी था वो दो क्वार्टर क्वार्टर वैन और क्वार्टर तू में नेगेटिव चला गया था अब ये जो पार्टिकुलर टाइम था टेक्निकल आप इसको रेजन का सकते हो लेकिन इसको इसलिए इतना नहीं माना गया क्योंकि एक्सपर्ट्स का मानना था की कोविद खत्म होगा तो आगे चल के कंट्रोल में आएगा और वैसे भी जो इसके बाद वाले क्वार्टर द उसमें पॉजिटिव ग्रोथ हो गई थी अब जीडीपी बाग तू बाग नेगेटिव में चला जाए दो क्वार्टर तक तो उसको रेश्यो कहते हैं और जितनी ग्रोथ होनी चाहिए अगर वो उतनी नहीं हो तो उसको स्लो डाउन कहते हैं जैसे 7% ग्रोथ की जगह 6% ग्रोथ ही रह जाए तो उसको स्लो डाउन कहते हैं और अगर 3 साल से ज्यादा टाइम तक रिजर्वेशन रहता है तो उसको डिप्रेशन कहते हैं अभी तक डिप्रेशन की जो सिचुएशन है वो सिर्फ एक बार लिए 1930 अबे अगर फिर से मॉल का एग्जांपल लें तो मैन लीजिए बहुत सारे लोग मॉल में समान खरीदने ए रहे हैं तो दुकानों को भीड़ ज्यादा होगी दुकानदार पैसा ज्यादा कमाएंगे कम ज्यादा होगा और स्टार ज्यादा रखना होगा और अगर लोग कम समान खरीदेंगे तो भीड़ कम होगी प्रॉफिट भी कम होगा कम भी कम होगा और एम्पलाइज भी कम चाहिए होंगे तो ऐसे केस में एम्पलाइज की जॉब भी जाती है और जब दुकानों में समान कम बिकेगा तो कंपनी भी कम समान मनाएगी और कंपनी को भी कम प्रॉफिट होगा और कंपनी में भी फायरिंग होगी इसलिए मार्केट में जब लोग कम समान खरीदने लगते हैं तो रिसेशन आता है तो विशेषण आता है तो अनइंप्लॉयमेंट आता है अब देखिए जीडीपी हो गया रिजर्वेशन हो गया इन्फ्लेशन नॉट डिस्कस कर लेते हैं उसके बाद करंट सिचुएशन डिस्कस करेंगे देखिए जब डिमांड ज्यादा होती है समान कम होता है तो महंगाई यानी की इन्फ्लेशन बढ़ती है और जब डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा होती है तो कीमती गिरती है जैसे कोविंद के टाइम पे दवाइयां की जरूरत ज्यादा लोगों को थी तो दवाइयां के दम बढ़ गए द और होटल वगैरा जो है उनकी जरूरत है कम थी तो होटल के दम गिर गए द अब आप कहोगे की अगर ये इन्फ्लेशन वगैरा सब अपने आप हो रहा है लोगों के खरीदने और बेचने से तो गवर्नमेंट को लोग क्यों भला बुरा का रहे हैं क्या गवर्नमेंट महंगाई यानी की इन्फ्लेशन को कंट्रोल कर भी सकती है तो देखिए हर गवर्नमेंट के पास टूल्स होते हैं जिनका उसे करके वो मार्केट कंट्रोल करती है जिस तरीके से ड्राइवर की जिम्मेदारी होती है की कर एक सही स्पीड से चले जब स्पीड धीरे हो तो ऐसे लेटर ढाबा के स्पीड तेज करें और अगर स्पीड तेज हो तो ब्रेक लगाके उसको धीरे करें ऐसे ही इकोनॉमी को भी एक डीसेंट स्पीड से चलाने के लिए देश का जो सेंट्रल बैंक होता है वो एक ड्राइवर की तरह एक्ट करता है जब ग्रोथ रुक गई हो देश की ये इन्फ्लेशन ज्यादा हो गया हो तो सेंट्रल बैंक मणि सप्लाई बढ़ता है देश में अभी जो मणि सप्लाई है इसके अलग-अलग तरीके होते हैं जैसे करेंसी प्रिंट कारी सकती है या फिर इंटरेस्ट रेट कम किया जाता है जब आरबीआई बाकी बैंकों के लिए इंटरेस्ट कम कर देता है तो मार्केट में लोगों के पास पैसा ज्यादा आता है अब वो कैसे आता है ये आप एक छोटी सी सर्च करोगे तो आपको पता चल जाएगा अब बात करते हैं की करंट सिनेरियो में क्या चल रहा है लेकिन सारी चीजों की शुरुआत होती है कोविंद के टाइम से जब कोविंद के टाइम पे लोग डाउन लगाया गया तो सबसे बड़ी दिक्कत ये आई की लोग खाएंगे पंगे क्या पैसा कहां से आएगा क्योंकि कंपनी बंद हो रही थी लोगों की जॉब जा रही थी इकोनॉमी पुरी तरीके से बंद थी इस चीज से निपटने के लिए गवर्नमेंट अलग-अलग रिलीफ पैकेज लेके आई बिजनेस को सपोर्ट किया लोन की सेटलमेंट के लिए टाइम एक्सटेंड किया वहीं अमेरिका की बात करें तो वहां की गवर्नमेंट ने जो लोग अनइंप्लॉयड द उनके अकाउंट में पैसे डेल टैक्स रिलीफ दिया ऐसे करके अलग-अलग मेथड दुनिया भर की गवर्नमेंट ने अपने इन शॉर्ट पैसा इंजेक्ट किया गया ताकि जो इकोनॉमी एकदम से नीचे ए गई थी वो नॉर्मल हो और जीडीपी सुधरे जब ऐसा किया गया तो लोगों के पास पैसा आया लेकिन लोग डाउन की वजह से खर्च फिर भी नहीं कर का रहे द लेकिन जैसे ही लोग डाउन खत्म हुआ लोगों ने पैसा खर्च करना शुरू किया अब सप्लाई तो उतनी ही थी लेकिन डिमांड एकदम से बढ़ गई थी और जब ऐसा होता है तो महंगाई यानी की इन्फ्लेशन बढ़ती है और ऐसा ही हुआ लेकिन ये कोई सरप्राइज नहीं था गवर्नमेंट के लिए क्योंकि दुनिया भर की गवर्नमेंट को पता था की महंगाई बढ़ेगी और आगे चल के उसको कंट्रोल कर जा सकता है अगर आपने नोटिस किया हो तो मैं 20-20 में सेंट्रल बैंक ने 4% ही रखा था और 2 साल तक इसमें कोई चेंज नहीं किए द लेकिन जब यह महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल होने लगी तो मैं 2022 में रेपो रेट 4.4% किया गया फिर जून में 4.9% किया गया अगस्त में 5.4% किया गया और सितंबर में 5.9% किया गया अभी की बात करें तो 6.25% हो गया है अब देखिए अगर आपको मार्केट का आइडिया लेना है की मार्केट किस तरफ जा रहा है तो रेपो रेट को क्लाजली ऑब्जर्व करना जरूरी है की गवर्नमेंट किस तरह से रेपो रेट को बढ़ा रही है इससे आपको कोई भी बड़ा डिसीजन लेने से पहले मार्केट का आइडिया लगता है जैसे कोविद जैसी सिचुएशन हो या फिर रिसेशन हो ये हमारे कंट्रोल में नहीं होती है लेकिन हम अपने लिए कुछ सेफ्टी इनर्स बना सकते हैं जैसे की इंश्योरेंस लेना इंडिया में लोग इंश्योरेंस कम लेते हैं मैनली बिकॉज उन्हें समझ में नहीं आता उनके लिए कौन सी पॉलिसी सही रहेगी सिर्फ 17% मिलियनर्स के पास ही टर्म प्लांस है और 55% को तो पता था की नहीं है की होता क्या है इंडिया में मेडिकल इन्फ्लेशन हर साल 14% से ज्यादा बढ़ रहा है एचडी पर मिलने वाले रेट से डबल तो एक हॉस्पिटल की विजिट आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकती अगर आपको इंश्योरेंस रिलेटेड कन्फ्यूजन या डाउट है तो दो चेक आउट डीड तो डिट्टो एक न्यू आगे प्लेटफार्म है बाग बाय जीरोधा फ्री में कंसल्ट कर सकते हो पर्सनलाइज्ड एडवाइस देने के लिए इसके साथ ही देतो की वेबसाइट पे अवेलेबल फ्री टूल्स से भी आप बहुत ही आसानी से अलग-अलग पॉलिसीज कंपेयर कर सकते हो ये कंपैरिजन आप इंपॉर्टेंट चीज जैसे क्लेम सेटलमेंट रेश्यो वेटिंग फॉर पीरियड्स देख के आप कर पाओगे ये बिल्कुल स्पैम फ्री प्लेटफार्म है कोई आपको बार-बार कॉल नहीं करेगा और इनकी एक बहुत खास बात यह है की ये आपको इंश्योरेंस क्लेम दिलाने में भी पुरी मदद करते हैं चेक आउट डी लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं देखिए पेड़ में की वजह से गवर्नमेंट स्ट्रगल तो कर ही रही थी लेकिन सबसे बड़ा डिजास्टर तब हुआ जब यूक्रेन रूस वॉर स्टार्ट कोविड से निपटने के लिए जो भी प्लांस बनाए द गवर्नमेंट ने वो सब धरे के धरे रह गए और पुरी दुनिया जो कुवैत से उभरने में लगी थी वो एक बड़ी इकोनॉमिक क्राइसिस में आकर खड़ी हो गई रूस यूक्रेन वॉर की वजह से वेस्टर्न देशों ने रूस के ऊपर बैक तू बैक सेंसर लगाए अब देखिए ग्लोबलाइजेशन का ज़माना है जब एक देश के ऊपर सैंक्शन लगता है तो वो देश अकेला सफर नहीं करता है इससे बाकी देशों को भी नुकसान होता है लेकिन इसके बाद में रुके नहीं वैसे इन बैंकों को सिर्फ नेटवर्क से बाहर कर दिया गया रशियन बैंकों के जो असेट्स द उनको फ्रिज कर दिया गया अब देखिए यूक्रेन और रूस ये दोनों ही कंट्रीज वर्ल्ड के सबसे बड़े वीट एक्सपोर्टर्स में से हैं इसलिए जैसे ही वोट स्टार्ट हुई दुनिया भर में जो फूड प्राइसेस द उनको झटका लगा इसके साथ-साथ रूस ऑयल एंड गैस का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर्स में से एक है पुरी दुनिया में सेकंड नंबर का एक्सपोर्टर है रूस और दुनिया का लगभग 12% ऑयल रूस में ही प्रोड्यूस होता है लेकिन उस कनाडा यूरोप इन सब ने मिलकर रसिया को सबक सीखने के लिए रूस के ऑयल एंड गैसेस इंपोर्ट पर भी बन लगा दिया की अगर कोई देश रसिया से ऑयल और गैस खरीदेगा तो उसके ऊपर सैंक्शन लगेंगे हालांकि इंडिया अभी भी इंपोर्ट करता है वो एक अलग डिस्कशन है तो जब ये बन लगाया गया तो कंट्रीज को रूस से छोड़ के बाकी देशों से ऑयल एंड गैस इंपोर्ट करना पड़ा अब देखिए इसे हुआ गया की डिमांड तो वही थी ऑयल एंड गैस की लेकिन जो देश सप्लाई कर रहे द वो कम हो गए इसकी वजह से पुरी दुनिया में ऑयल एंड गैस के प्राइस बढ़ गए आज के पहले हफ्ते में ऑयल के प्राइस 25% तक बढ़ गए द और जब ऑयल के प्राइस बढ़ते हैं तो हर एक चीज पर फर्क पड़ता है और जैसे-जैसे ये सैंक्शंस लग रहे द ये दुनिया बहुत ही मुश्किल हो रहा था की यूरोप रूस को परेशान कर रहा है या खुद को दिक्कत में दल रहा है ऐसा मैं इसलिए का रहा हूं क्योंकि इन सब रीजंस की वजह से यूरोप खुद मुसीबत में फैंस गया यूक्रेन रूस वॉर यूरोप के लिए एक बहुत ही बड़ा डिजास्टर बांके सामने आया इसके पीछे सबसे बड़ा रीजन था नेचुरल गैस नेचुरल गैस जो है वो यूरोप की लाइफ लाइन है विंटर्स के टाइम पे यूरोप में इतनी ज्यादा ठंड रहती है की बिना गैस के रहना बहुत ही मुश्किल हो जाता है वहां के लोगों के लिए नेचुरल गैस ही है जो यूरोप को गरम रखती है वो इंटरेस्ट में लेकिन नेचुरल गैस से पहले कूल पे डिपेंडेंट द लेकिन ये काफी पुरानी बात है आज की डेट में पूरा यूरोप गैस पर डिपेंडेंट है लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है की खुद प्रोड्यूस नहीं करते नेचुरल गैस बल्कि बाहर से लेते हैं जिम से रूस इनका सबसे बड़ा सप्लाई है यूरोप कुछ आयोग विंटर्स में अपना घर गरम करना हो इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करनी हो ट्रांसपोर्ट फैक्टरीज रन करनी हो हर चीज के लिए नेचुरल गैस चाहिए होती है 34% से भी ज्यादा एनर्जी गैस से आती है यूरोप में यूरोप पूरे वर्ल्ड में सबसे ज्यादा गैस इंपोर्ट करता है लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत तब हुई अगस्त के मंथ में रूस ने नॉन-स्टream पाइपलाइन वैन बंद कर दी और कहा ये तब तक नहीं खुलेगी जब तक सैंक्शंस हटेंगे नहीं अब इस चीज की वजह से इनकी इकोनॉमी के साथ साथ लोगों को भी बहुत दिक्कत होने लगी फिलहाल के लिए तो ये लोग पावर कट कर रहे हैं और जितना उसे कम हो सके उतना कम कर रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे विंटर ए रहा है यूरोप के लिए चीज बहुत ही मुश्किल होती जा रही हैं कोविड को संभालने की वजह से जो इन्फ्लेशन हुआ था वो तो था ही रूस यूक्रेन वॉर की वजह से और महंगाई बढ़ गई थी यही रीजन है की आप देखोगे की उस और यूरोप के देशों में इन्फ्लेशन हरमन डबल डिजिटल में बढ़ाने लगा है अर्जेंटीना जो भी वर्ल्ड कप जीता है इन्होंने महंगाई में सबका रिकॉर्ड तोड़ दिया ये देखिए ये देख के कोई कहेगा की इस पार्टिकुलर देश में 92% के इन्फ्लेशन रेट है ये बहुत ही ज्यादा इन्फ्लेशन रेट होता है पूरे वर्ल्ड में यह सिचुएशन बनी हुई है पिछले 1 साल से जितने भी गवर्नमेंट हैं पैसा इंजेक्ट कर करके इसको संभालने की कोशिश कर रही है और जो इकोनॉमिक्स है उनका यह कहना है की अभी तो गवर्नमेंट फिर भी कोशिश कर रही है लेकिन एक टाइम ऐसा आने वाला है 2013 में जब गवर्नमेंट भी कुछ नहीं कर पाएगी इकोनॉमिक्स नो रियल रुबिनी इनको डॉक्टर ढूंढ भी बोला जाता है क्योंकि 2008 में जब रिसेशन आया था पुरी दुनिया में तो इन्होंने पहले ही प्रिडिक्ट कर दिया था और अब इनका कहना है की 40% तक शेयर मार्केट गिरने वाला है और इस बार का जो रिसेशन आएगा वो 2008 वाली रिसेशन से भी ज्यादा बड़ा होगा और ज्यादा लंबे टाइम तक होगा लोगों की काफी नौकरी ए जाएंगी यूरोपियन यूनियन का कहना है की इस विंटर में यूरोप के 19 देश रिलेशन में चले जाएंगे उस में जो बेरोजगारी है वो हिस्टॉरिक ग्लोब है इतना बुरा हाल एंप्लॉयमेंट का आपने उस के अंदर पहले नहीं देखा होगा लेकिन एक्सपर्ट्स जो है वो ये का रहे हैं की फेडरल रिज़र्व ये जो बेरोजगारी से निपटने के लिए जो स्टेप्स उठा रहा है ये पूरे वर्ल्ड की इकोनॉमी को खतरे में दल सकता है जैसे हमारे यहां आरबीआई होता है वैसे उस के अंदर फेडरल रिज़र्व हैं ब्लूमबर्ग की प्रोजेक्शन के हिसाब से 2024 तक विशेषण रहेगा और जो डेवलप्ड कंट्रीज हैं उनमें लगभग 33 लाख नौकरी ए जाएंगी लेकिन इसका सबसे बड़ा जो इफेक्ट पड़ेगा वो पड़ेगा इट सेक्टर पे आज की डेट में आप नोटिस करोगे जितनी भी टेक कंपनी है ये ले ऑफ अनाउंस कर रही हैं इसके पीछे कोविद बहुत ही बड़ा रीजन है देखिए कोविद के टाइम पे जब हर तरफ देखती है तो उसे टाइम पे टैक्स सेक्टर में बहुत ही मुनाफा बनाया है हर कोई डिजिटल ही कनेक्ट कर रहा था एक दूसरे से और उसे टाइम पे बहुत ही बुक में हायरिंग कारी टेक कंपनी ने हालत ये देखिए एम्पलाइज को डबल डबल सैलरी ऑफर करके रखा जा रहा था डिमांड की वजह से लेकिन जब पेड़ में खत्म हुआ और मार्केट में स्लो डाउन है उसके बाद से इन टेक कंपनी ने जो जरूरत से ज्यादा हेविंग कारी थी उनको हटाना शुरू कर दिया लेकिन अभी ये जो लेयर ऑफ चल रहा है ये बेसिकली जूनियर लेवल के जो इट प्रोफेशनल्स हैं उनका चल रहा है और कंपनी जो लीप नहीं कर रही है उन्होंने हायरिंग बंद कर दिया अगर आप आज की डेट में जॉब देखने जाओगे तो पहले के कंपेरटिवली ज्यादा मुश्किल हो रही है जॉब ढूंढने में अगर आप आईडी सेक्टर में जॉब करते होंगे तो आपको पता होगा की इंडिया की भी जो टैग कंपनी है वो मोस्टली उस और यूरोप में अपनी सर्विसेज आउटसोर्स करती हैं अब जब वहां पे डाउन हो रही है तो इंडिया की जो टैग कंपनी है उनके रेवेन्यू पे भी असर पड़ेगा और जब रेवेन्यू पैसा पड़ेगा तो फायरिंग होगी इन सब वजह से ये जो स्टार्टअप कब आया था उससे भी असर पद रहा है इनकी वैल्यूएशन कम हो रही है और अपने बिजनेस को री ऑर्गेनाइज्ड करने की बात कहते हुए कोस कटिंग शुरू कर दी है इन्होंने जिसका असर आने वाले टाइम में और दिखेगा पहले जैसे फंडिंग आराम से मिल जाती थी करंट सिनेरियो की वजह से फंडिंग में भी दिक्कत आने लगी है जिन कंपनी ने एक्सपेंशन करने के लिए लोन लिए द इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की वजह से उनकी भी मुसीबत है और बढ़ गई है नौकरी जॉब स्पीक जो हैरिंगटन मेजर करती है उसके डाटा के हिसाब से इंडियन टेक इंडस्ट्री में इसी एक साल में 18% तक कम हायरिंग हुई है जनवरी 2022 में इंडियन स्टार्टअप्स हैं 4.6 बिलियन डॉलर की जो फंडिंग थी वो बहुत ही आराम से उठा ली थी लेकिन अभी नवंबर की बात करें तो ये घाट के 73% हो गई है यानी की 1.1 बिलियन डॉलर [संगीत] अब बात करते हैं फेसबुक की फेसबुक के केस में और भी बहुत से फैक्टर्स इंवॉल्व है जिनकी वजह से ऐसा पहली बार हुआ की फेसबुक में 11000 लोगों को एक झटका में निकल दिया ये उस का इस साल का सबसे बड़ा लव है फेसबुक के 18 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कभी फेसबुक लॉस में नहीं गया ये पहली बार हुआ है इनके साथ इन्होंने ले और तो कर ही है और इन्होंने ये भी कहा है की अगले क्वार्टर में हायरिंग ही नहीं करेंगे यहां तक की कॉस्ट कटिंग भी शुरू कर दी है फेसबुक के साथ दो चीज हुई हैं एक तो इन्होंने जो metawords के प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट करने का जो अनाउंसमेंट किया था उसमें हद से ज्यादा इन्वेस्ट कर रहे हैं दूसरी तरफ इनकी जो अर्निंग है वो दे बाय दे कम होती जा रही है जिस तरह से फेसबुक में इन्वेस्ट कर रहा है ये चीज फेसबुक के इन्वेस्टर्स को बिल्कुल पसंद नहीं ए रही है जितना विश्वास मार्क्स जो के वर्क को metawors में उनके इन्वेस्टर को उतना नहीं है ऐसा इनके शेयर्स के प्राइस को देख के कहा जा सकता है क्योंकि दे बाय दे इनके शेयर्स के प्राइस गिर रहे हैं अगर इस पार्टिकुलर ईयर की बात करें तो metaworld की वजह से फेसबुक को बिलियन में लॉस हुआ है फेसबुक जो मैनली पैसा कमाता है वो ऐड से कमाता है जैसे बीएमडब्ल्यू का ऐड अगर कोई करवाइए फेसबुक में तो फेसबुक जो है वो बीएमडब्ल्यू वाले कस्टमर को ऐड दिखाएगी ऐसे अगर पेंटिंग का ऐड होगा तो वह पेंटिंग वाले कस्टमर को ही दिखाएगी या पेंटर्स को दिखाएगी फेसबुक ऐसा इसलिए कर पता है क्योंकि वो आपकी डिटेल्स ट्रैक करता है लेकिन अपल्स ने अपने फोन में एक फीचर दे दिया है की अगर आप चाहो तो अपने डाटा को ट्रैक होने से रोक सकते हैं और इसकी वजह से फेसबुक का जो ऐड रेवेन्यू है वो भी डाउन चला गया है हालांकि फेसबुक का ये मानना है की मेटा में ये जो इन्वेस्ट कर रहे हैं ये लॉन्ग रन में इनको बेनिफिट करेगा अब ये होगा की नहीं ये तो टाइम बताया लेकिन जब तक सिचुएशन कंट्रोल में नहीं है फाइनेंशियल मार्केट पे नजर रखिए और अपने आपको इंश्योरेंस के थ्रू सीकर रखिए दो चेक आउट देतो इंश्योरेंस फ्रॉम लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन फॉर स्पैम फ्री एंड ऑनेस्ट एडवाइस [संगीत] 162-0bJ4Xto,Reality of Hindenburg Research Adani | Nitish Rajput | Hindi,2023-02-03T14:30:07Z,PT21M51S,7157580,235906,11221,https://www.youtube.com/watch?v=162-0bJ4Xto,, दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी कैसे कॉर्पोरेट हिस्ट्री की सबसे बड़ी ठगी कर रहा है की जब अदानी इंडिया का अब तक का सबसे बड़ा हैप्पी हो लेके ए रहा था उसके 48 हॉर्स पहले ये रिपोर्ट क्यों आई आपने अगर हर्षद मेहता मूवी देखी होगी तो उसमें एक डायलॉग था की अगर मैं girunga तो अकेले नहीं girunga सबको लेके girunga अगर इस पे 10 से 12% भी इंटरेस्ट लगा दिया जाए जैसे नॉर्मल आदमी पे लगता है तो इतना तो अदानी ग्रुप की कई कंपनियों का टोटल मुनाफा तक नहीं है क्योंकि जिस दिन hindenbur की रिपोर्ट आई थी आने के 2 दिन के अंदर एलआईसी का 18000 करोड़ का नुकसान हो गया था और ये लोगों का पैसा है ऐसा कौन सा रिवॉल्यूशनरी प्रोडक्ट बना दिया की अदानी के एक शेर का प्राइस इतने कम टाइम में इतना ऊपर चला गया और ऐसे में जब एसबीआई और एलआईसी जैसी सरकारी ऑर्गेनाइजेशन इन्वेस्ट करती है तो गवर्नमेंट का भी नाम उछलता है की ये अदानी के साथ मिलेंगे हिट एंड वर्क हार्ड वर्क [संगीत] सिक्स्थ ऑफ में 1937 को जर्मनी जिसका नाम हिडेनबर्ग था उसमें आग लग जाती है और 35 लोगों की जान चली जाती है ये दुनिया के काफी बड़े हादसों में से एक है और ये एक ऐसा इंसीडेंस है जिसको मैन में डिजास्टर कहा जाता है क्योंकि इसमें जरूरत से ज्यादा हाइड्रोजन गैस थी और 100 लोगों को दुनिया के सबसे ज्यादा फ्लेमेबल मटेरियल में बैठा के नहीं भेजना चाहिए था ये पूरा इंसीडेंट अवार्ड किया जा सकता था नाथन एंडरसन ये एक इजरायली सिटीजन है जो एक जमाने में जेरूसलम में एंबुलेंस चलते द इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिंग गेट से अपनी बैचलर्स डिग्री पुरी की और ये जो हिडेनबर्ग का हादसा हुआ था इसके नाम से 2017 में कंपनी खोली जिसका नाम रखा है hindanbberg रिसर्च neuthan का कहना है की जिस तरीके से हिडेनबर्ग का हादसा मैन मेड था इसमें इंसानों की गलती थी उसको रोका जा सकता था ऐसे इनकी जो कंपनी है हिडेनबर्ग रिसर्च ये दुनिया में ऐसे फाइनेंशियल मैन में डिजास्टर जिनको रोका जा सकता है उनको ढूंढते है और लोगों के पैसे को बचाती है इस कंपनी को खोलने से पहले नेथर ने हैरी मैन को पोल्स के साथ मिलकर दुनिया का सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड पकड़ा था जिसका नाम बर्निंग मैड हाउस पाउंड दी स्कीम था आप अगर सर्च करोगे बिगेस्ट फाइनेंशियल फ्रॉड इन डी हिस्ट्री तो आपको मिलेगा वहां पे हैरी का नाम मिलेगा और उसे पार्टिकुलर टाइम पे नीदर उन्हें के साथ कम करते हैं हिडेनबर्ग रिसर्च एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी है जिसको शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी बोला जाता है जो अभी मैं आपको आगे samjhaunga की इसको शॉर्ट सेलिंग क्यों बोलते हैं तो जैसे बाकी कंपनी प्रॉफिट बनाने के लिए रन होती है ऐसे ही हिडेनबर्ग रिसर्च जो है ये भी कोई समाज सेवा नहीं कर रही है ये प्रॉफिट बनाने के लिए फाइनेंशियल रिसर्च करती है ऑल ओवर वर्ल्ड में वैसे तो ये लोग कहते हैं की इनको 10 साल का एक्सपीरियंस है इस फील्ड में लेकिन ये जो कंपनी है ये 2017 में खुली है तो ये 10 साल कैसे कहते हैं वो तो नहीं पता मैं भी अपने इंडिविजुअल एक्सपीरियंस काउंट कर रहे होंगे अब देखिए आपके दिमाग में क्वेश्चन ए रहा होगा की ये कंपनी रिसर्च करके पैसा कैसे कमेटी है इनका कम करने का तरीका क्या है तो देखिए जो लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं उनको पता होगा शॉर्ट सेलिंग के बारे में जिनको नहीं पता उनको मोटा-मोटी बता देता हूं की शेर मार्केट में जब आप कोई शेयर खरीदते हैं और शेयर के दम बढ़ते हैं तो आपको प्रॉफिट होता है लेकिन एक तरीका और होता है जिसमें शेर के प्राइस जब नीचे जाते हैं तब प्रॉफिट होता है पंप शॉट सेलिंग बोलते हैं एक एग्जांपल से समझता हूं आपको मैन लो मेरे पास पैसे नहीं है और मेरे पास इनफॉरमेशन ए गई की 10 तारीख को अदानी ग्रुप के शेयर 100% नीचे जाएंगे मैन लीजिए 3000 का एक शेयर है डायनेमिक ग्रुप का और मेरे पास 3000 रुपए नहीं है तो मैंने क्या किया अपने ब्रोकर्स से बोला की मुझे अदानी ग्रुप का एक शेर उधर दे दो मैं आपको 10 तारीख को लौटा दूंगा लेकिन ये ध्यान रखिएगा मैंने शेर लिया ब्रोकर से पैसे नहीं है तो अगर मैंने शेयर लिया है तो उसको मैं शेयर ही लौट आऊंगा भले ही जो भी रेट चल रहा हूं उसे पार्टिकुलर टाइम पे और ब्रोकर से जैसे ही मैंने शेयर लिया उसको तुरंत जाकर मार्केट में बेच दिया 10 तारीख से पहले 3000 के रेट में और मेरे पास ₹3000 ए गए अब मैन लो 10 तारीख को अदानी का जो शेयर है वो ₹2000 का हो गया तो मैंने वो एक शेयर मार्केट से ₹2000 में खरीद के अपने ब्रोकर को वापस कर दिया तो मेरे पास हजार रुपए फालतू ए गए और ये मेरा प्रॉफिट हो गया लेकिन ये जो प्रॉफिट है ये तब पॉसिबल है जब मुझे कंफर्म हो की प्राइस नीचे जाएगा और एग्जांपल मैंने सिर्फ समझने के लिए आपको बताया है ये जो पूरा गेम होता है लाखों करोड़ का होता है ये जो शेयर सुधार दिए जाते हैं उसको देने की भी कुछ कीमत होती है इस पूरे कॉन्सेप्ट को शॉर्ट सेलिंग बोलते हैं और हिडेनबर्ग ऐसे ही शॉट सेलिंग से पैसे कमाता है कुंदन बाग रिसर्च को जिस कंपनी पर शक होता है उसके ऊपर यह दीप रिसर्च शुरू कर देते हैं और इनके रिसर्च करने के तरीके बहुत ही अलग-अलग होते हैं पहले कई कई सालों तक रिसर्च करते हैं उसके बाद पुरी रिपोर्ट बनाकर सोशल मीडिया और न्यूज़ आउटलेट्स होते हैं उसमें दल देते हैं जैसे ही मार्केट में हल्ला होता है उसे पार्टिकुलर कंपनी के शेयर्स नीचे ए जाते हैं और ये शॉर्ट सेलिंग करके अपना पैसा बना के निकल जाते हैं बची एक कम करते हैं की अपनी रिपोर्ट को पब्लिक करने से पहले ये सारी डिटेल्स अपने इन्वेस्टर्स को देते हैं यह इन्वेस्टर्स शॉर्ट सेलिंग के थ्रू पैसा इन्वेस्ट करते हैं और जब कंपनी के शेयर्स नीचे जाते हैं तो ये इन्वेस्टर्स मोटा मुनाफा बनाते हैं और जो मुनाफा होता है उसमें से hindanbag अपना कट लेता है ये जो पूरा प्रक्रिया मैंने बताया यही इस कंपनी का पैसा कमाने का तरीका है और ये ऐसा करके कोई इलीगल एक्टिविटी नहीं कर रहे हैं क्योंकि उस के अंदर पुरी तरीके से लीगल है देखिए हिडेनबर्ग रिसर्च एक ऐसी कंपनी है जिसका एड्रेस था आप नहीं पता कर सकते विकिपीडिया की मानें तो पंच एम्पलाइज हैं इनकी कंपनी में लेकिन उसके बाद भी लोग इनको सीरियसली लेते हैं क्योंकि पिछले 5 साल में 45 यूनिवर्सिटी की है इन्होंने जिसमें से 75% केसेस इनकी बातें एकदम सही निकली है और इसकी वजह से इनके इन्वेस्टर्स ने मोटा प्रॉफिट कमाया और 29 केसेस में तो जिस कंपनी पे इन्होंने रिसर्च पब्लिश की है उसके स्टॉक्स 50% से ज्यादा गिरे हैं अदानी ग्रुप की रिसर्च से पहले हिडेनबर्ग ने जो सबसे बड़ी इन्वेस्टिगेशन की थी जिसमें इनको बहुत ही बड़ा फायदा हुआ था वो निकोला नाम की एक कंपनी पे की थी जो इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाती थी हिडेनबर्ग ने जो निकोला के ऊपर रिसर्च की थी उसको नाम भी बड़ा इंटरेस्टिंग दिया था झूठ का मांस आया निकोला की मार्केट वैल्यू 34 बिलियन थी हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद इनकी मार्केट वैल्यू सिर्फ 1.3 मिलियन तक बची और ऐसा नहीं है की जिस कंपनी पे रिसर्च करते हैं उसके सिर्फ शेयर्स ही नीचे जाते हैं उसके बाद उसे कंपनी पे केस भी चलने स्टार्ट हो जाते हैं nigola के ऊपर जब इन्होंने रिसर्च की थी तो उसके बाद उस सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन ने निकोला के अगेंस्ट इंक्वायरी की तो निकोला के डायरेक्टर को गिल्टी माना गया और ऐसी कई कंपनी व आई एन एस फाइनेंस चीन मेटल रिसोर्स यूटिलाइजेशन फ फूड्स ब्लॉकचेन इन सबका हाल बुरा हो गया था जब हिंडन बाग ने इन पे रिपोर्ट पब्लिश की थी 90% तक शेयर्स नीचे गिर गए द और जितना ये बताते हैं की इस कंपनी का शेयर यहां तक नीचे जाएगा इनकी रिपोर्ट आने के बाद लगभग उतना ही जाता है जैसे अदानी के केस में इन्होंने 85% तक बोला है की नीचे जाएंगे यही रीजन है की दुनिया भर के अमीर लोग जितना अपनी गवर्नमेंट से नहीं डरते हैं उससे ज्यादा हिडेन मत की रिपोर्ट से डरते हैं की कहीं उनकी कंपनी का नाम ना ए जाए hindenbur की रिसर्च में लेकिन अदानी ग्रुप के ऊपर जो इन्होंने रिसर्च की है इस वाले केस में हिडेनबर्ग रिसर्च ने इनके शेयर्स में नहीं बल्कि इनके बॉन्ड्स में पैसा इन्वेस्ट किया है क्योंकि हिडेनबर्ग के किसी भी इन्वेस्टर के पास इंडिया में शेयर्स बाय और सेल करने का लाइसेंस ही नहीं है इसलिए इस रिसर्च के आने के बाद शेयर मार्केट से ज्यादा बॉन्ड मार्केट में हलचल हो रही है इंडिया में लोग शेयर मार्केट डिस्कस कर रहे हैं लेकिन आज 1 फरवरी को दुनिया का सबसे बड़ा बैंक क्रेडिट सुईस ने अदानी ग्रुप के बॉन्ड को जीरो रेटिंग दे दी है इसका मतलब ये हुआ की क्रेडिट सुईस ने अपने प्राइवेट क्लाइंट्स को अदानी के बॉन्ड्स के बदले लोन देना बंद कर दिया है देखिए यूजुअली क्या होता है की जो ट्रेडर्स होते हैं वो बॉन्ड्स को गिरवी रख के लोन लेते हैं जिससे उनको ट्रेड करने के लिए पैसे मिलते हैं और दाने के बॉन्ड्स पे भी पहले जो फेस वैल्यू थी वो 70 से 80% तक लोन मिल जाता था लेकिन आप क्रेडिट सुईस ने उन बॉन्ड्स को जीरो मैन लिया है इसका मतलब यह हुआ की नए लोग तो मिलेंगे ही नहीं और जिन्होंने अदानी बॉन्ड्स के ऊपर पुराने लोन ले रखे द उनको भी अब कुछ नया कॉलेटरल देना पड़ेगा अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो बैंक उनकी सिक्योरिटी को लिक्विड कर देगा इस कवर के आते ही स्टॉक मार्केट में एकदम खलबली सी बची हुई है और अदानी ग्रुप की जो कई सारी कंपनी है उनकी जो शेयर्स है एक बार में नीचे गिरने लगे हैं जब भी मेंस्ट्रीम मीडिया जो है उसको कवर नहीं कर रहा है लेकिन ये बहुत ही बड़ा हीटर है रानी ग्रुप के लिए देखिए 25 जनवरी 2023 को हिडेनबर्ग रिसर्च ने 106 पेज की एक रिपोर्ट रिलीज की अपनी वेबसाइट के ऊपर उसमें 88 क्वेश्चंस पूछेगा रानी ग्रुप से इस रिपोर्ट के अंदर 720 सिटेशंस थी 720 सिटेशंस का मतलब ये हुआ की जो भी इन्होंने कहा इस रिपोर्ट में उतनी चीजों के इन्होंने प्रूफ भी दिखाए हैं साथ में जो मैं अभी आगे आपको बताऊंगा इस रिपोर्ट का टाइटल था की दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी कैसे कॉर्पोरेट हिस्ट्री की सबसे बड़ी ठगी कर रहा है हो डी शब्द थर्ड रिचेस्ट मैन इस पुलिंग डी लार्जेस्ट गान इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री ये रिपोर्ट इन्होंने दो साल लगा के बनाई थी और इसके लिए इन्होंने मल्टीपल कंट्रीज भी ट्रेवल करें जहां जहां पे अदानी ग्रुप के लिंक वहां वहां इन्होंने ट्रेवल किया देखिए नॉर्मली जब हिडेन रिसर्च रिपोर्ट बनाते हैं तो किसी को भी पता नहीं लगने देते हैं की किसके ऊपर रिसर्च कर रहे हैं लेकिन अदानी वाला जो केस था उसमें जनवरी 2022 में एक डिटेल न्यू यॉर्क मैगज़ीन में पब्लिश हुई थी जिसमें ये लिखा था की nethanderson मॉरीशस की पुरी जो कॉर्पोरेट रजिस्ट्री है उसको डाउनलोड करवा रहे हैं तब उसे पार्टिकुलर टाइम पे तो पता नहीं था लेकिन बाद में पता चला की वो जो कॉर्पोरेट रजिस्ट्री डाउनलोड करवा रहे द वो अदानी ग्रुप के ऊपर इन्वेस्टिगेशन का एक पार्ट था hindanbber की ये रिपोर्ट बहुत ही अटैकिंग रिपोर्ट है इसमें इन्होंने थोड़ी भी नरमी नहीं दिखाई ग्रुप के लिए ये रिपोर्ट इंडिया के अंदर सुनामी की तरह पड़ी इसके आते ही अदानी विजय आदमियों की लिस्ट में जहां पे वो तीसरे नंबर पे द वहां से उद के सीधे आठवें नंबर पे ए गए 65 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ दानी ग्रुप को अदानी ग्रुप के शेयर्स इतने ज्यादा नीचे आने लगे की उसपे लोअर सर्किट लगाना पद गया लोअर सर्किट का मतलब हुआ की अदानी के शेर अगर आप उससे नीचे दामों में बेचकर निकलना चाहो तो वो भी निकल नहीं सकते चाहे अदानी पोर्ट्स हो अदानी पावर हो अदानी ग्रीन हो सबके शेयर्स बहुत ही तेजी से नीचे ए रहे द इसमें अदानी ग्रुप का तो जो नुकसान हुआ वो हुआ ही इसके साथ-साथ इंडियन स्टॉक सर्किट जो है उसने 4 लाख करोड़ ये बहुत ही बड़ा नंबर होता है अब देखिए कहीं-कहीं पे में जो टर्म्स उसे कर रहा हूं शेयर मार्केट के कुछ लोगों को इसको समझने में दिक्कत ए रही होगी की भले ही आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते हुए नहीं करते हो लेकिन एक बेसिक अंडरस्टैंडिंग स्टॉक मार्केट की बहुत ही जरूरी है क्योंकि स्टॉक मार्केट डायरेक्टली और इनडायरेक्टली हमारी लाइफ में पैक डालता है हर चीज में इसके कॉन्सेप्ट्स उसे होते हैं और इसको समझने के लिए आपको मोटी-मोटी किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं है कुकू एफएम पर एक अच्छी ऑडी बुक है जो आपके सारे कॉन्सेप्ट क्लियर कर देगी जिसका नाम है स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग के सीक्रेट्स इस ऑडियो बुक को आप कहीं भी कभी भी और किसी भी रीजनल लैंग्वेज इंक्लूडिंग हिंदी एंड इंग्लिश में सन सकते हैं और ऑडियो बुक आपके कॉन्सेप्ट तो क्लियर करेगी और आप अगर इन्वेस्टमेंट भी करते हो तो उसमें भी आपकी मदद करेगी और इसके अलावा भी कुक को एफएम पर हजारों अलग-अलग जॉर्जेट की ऑडियो बुक अवेलेबल है आप अपने इंटरेस्ट के हिसाब से कोई भी ऑडियो बुक को अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से सन सकते हो जैसे मैं ट्रेवल करते हुए ड्राइव मोड पर उसे करता हूं और डिस्क्रिप्शन से दिए गए लिंक से डाउनलोड करके मेरा कूपन कोड अनार 50 उसे करके फर्स्ट मंथ का जो सब्सक्रिप्शन है वो आप 50% डिस्काउंट पे ले सकते हो यानी की ₹849 ओनली तो टॉपिक तो वापस आते हैं तो ये जो हिडेनबर्ग की रिपोर्ट है इसमें मल्टीपल एलिगेशन लगे हैं अदानी ग्रुप के ऊपर मैं इस पुरी रिपोर्ट का जो लिंक है वो यूट्यूब के डिस्क्रिप्शन में दे रहा हूं लेकिन कुछ में एलिगेशन आपको मैं समझा देता हूं देखिए सबसे बड़ा एलिगेशन है स्टॉक मैनिपुलेशन का और ये एलिगेशन इस रिपोर्ट आने से पहले भी अदानी ग्रुप के ऊपर लगते रहे मार्च 2020 में अदानी एंटरप्राइज का एक शेयर का प्राइस ₹130 के करीब था और नवंबर 2022 में अदानी एंटरप्राइज की एक शेयर का प्राइस 4000 से भी ऊपर चला गया था देखिए इतने कम टाइम में एक शेर की प्राइस का इतना ऊपर जाना है ये नॉर्मल चीज नहीं है तो ऐसा क्या कर दिया दानी एंटरप्राइज ने ऐसा कौन सा रिवॉल्यूशन नहीं प्रोडक्ट बना दिया की अदानी के एक शेर का प्राइस इतने कम टाइम में इतना ऊपर चला गया वो भी तरफ जब कोरोना का टाइम चल रहा है ऑल ओवर वर्ल्ड के अंदर मार्केट बंद है रिसेशन जैसा माहौल है उसे पार्टिकुलर टाइम पे शेयर इतना ऊपर पहुंच गया ये जो इमेज आप देख रहे हैं इसमें हिडेनबर्ग ने शेयर किया है की अदानी ग्रुप की कंपनी कैसे 3 साल में इतनी ज्यादा ग्रो कर रही है देखिए अब कहोगे की शेर की डिमांड ज्यादा थी इसलिए अदानी के शेर के प्राइस बढ़ गई इसमें इतना हल्ला करने वाली क्या बात है डिमांड सप्लाई का खेल है इसमें डिमांड ज्यादा होगी इसलिए हो गया होगा लेकिन इसमें एक चीज आप सोचें की अदानी ग्रुप के एक शेर को लोग इतने ज्यादा दम में ले क्यों रहे हैं अब आप इसमें भी का सकते हो की सिंपली परफॉर्मेंस अच्छी होगी अदानी ग्रुप ने मुनाफा इतना ज्यादा धमाकेदार बनाया होगा की लोगों की मजबूरी हो गई होगी उनके शेयर्स लेना और प्रॉफिट बनाना तो देखिए करोड़ टाइम और रिसेशन जैसे हालत द और परफॉर्मेंस इतनी भी अच्छी नहीं थी इनकी तो ये शेयर्स के रेट बढ़े कैसे तो देखिए इनके शेर के जो प्राइस है वो दूसरे तरीके से बड़े एक आर्टिफिशियल डिमांड क्रिएट करके देखिए स्टॉक मार्केट में एक लिस्टेड कंपनी अगर अपनी कंपनी के सारे शेयर्स पर कंट्रोल ले लें किसी भी तरीके से तो डिमांड एंड सप्लाई को कंट्रोल करना उसके लिए आसान हो जाता है और जब डिमांड एंड सप्लाई कंट्रोल हो जाएगी तो शेयर्स के प्राइस भी कंट्रोल हो सकते हैं और शेयर्स के प्राइस ही होते हैं जो कंपनी को अमीर या गरीब बनाते हैं इसलिए सेविंग ने रूल बनाया है की कोई भी स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कम नहीं 75% से ज्यादा शेयर्स खुद नहीं रखेगी ताकि मार्केट फेर तरीके से चले नॉर्मली 40 से 50% शेयर्स का सकती है कंपनी लेकिन अदानी ग्रुप में 75% के आसपास जो शेयर्स हैं वो जितनी भी कंपनी है वो अपने पास रखे हैं और जो बाकी के 25% है उसमें मॉरीशस यूएई सिंगापुर में खुद की बनाई हुई सेल कंपनी के थ्रू इन्वेस्ट करवा के एक फेक डिमांड क्रिएट किए तो मेजॉरिटी जो कंट्रोल है वो अदानी ग्रुप के हाथ में ही पहुंच गए इनडायरेक्टली ऐसा रिपोर्ट में बताया गया है और इससे हटके भी आपको एक चीज बता देता हूं की एलआईसी और एसबीआई जो है एलआईसी जहां बीमा करवाते हुए एसबीआई जहां पे आप अपना पैसा जमा करते हो इन्होंने भी पैसे देकर इनके शेयर्स खरीदें एलआईसी ने 74000 करोड़ रुपीस दे के अदानी के शेयर्स खरीदें और एसबीआई ने भी हजारों करोड़ लगा के अदानी ग्रुप के शेयर्स खरीदें और जो लोन दिया है एसबीआई वो अलग चीज है ये इन्वेस्ट किए हैं एसबीआई ने ये जो सारी चीज हो रही हैं इससे अदानी ग्रुप के शेर की जो डिमांड है वो क्रिएट हो रही है और नॉर्मल आदमी भी जब तेजी से शेयर्स के दम ऊपर बढ़ते हुए देखता है तो वो भी चाहता है की उसको खरीद के उसमें से पैसा बना ले तो अदानी ग्रुप के ऊपर यही एलिगेशन है की ये शेयर्स के जो रेट है ये आर्टिफिशियल डिमांड क्रिएट कर के बनाए गए हैं अदानी ग्रुप की परफॉर्मेंस की वजह से नहीं बढ़े और में जब एसबीआई और एलआईसी जैसी सरकारी ऑर्गेनाइजेशन इन्वेस्ट करती है तो गवर्नमेंट का भी नाम उछलता है की यह अदानी के साथ मिले हुए हैं ये जो एशिया के नंबर वैन दुनिया के नंबर थर्ड रिचेस्ट ये जो शेयर्स के रेट होते हैं इनकी कंपनियों के उसके हिसाब से ही बनते हैं जिसके शेयर्स के दम ज्यादा होंगे उसकी कंपनी की वैल्यू उतनी ज्यादा होगी और उसे कंपनी का मलिक उतना ही अमीर होगा मैन लो मेरी एक कंपनी है जिसमें टोटल 100 शेयर्स हैं एक इन्वेस्टर आता है आके 10 शेयर्स ₹10000 में खरीद लेता है मुझसे तो मेरी कंपनी की जो वैल्यूएशन है वो ₹1 लाख हो जाएगी ऐसे ही जब एलआईसी हो गई या फिर एसबीआई हो गई इतना इन्वेस्ट करती है किसी कंपनी में तो कंपनी की वैल्यूएशन बढ़ जाती है शेयर्स के दम बढ़ जाते हैं और फिर इन शेयर्स को ही गिरवी रख के लोन लेती है कंपनी अदानी ग्रुप में 2 लाख करोड़ का लोन ले रखा है अगर इस पे 10 से 12% भी इंटरेस्ट लगा दिया जाए जैसे नॉर्मल आदमी पे लगता है तो इतना तो अदानी ग्रुप की कई कंपनियों का टोटल मुनाफा तक नहीं है और इसको समझने के लिए जो hindenbur की रिपोर्ट आई है उसमें करंट रेशों का चार्ट भी दिया गया है देखिए कंपनियों की फाइनेंशियल हालत पता करने के लिए सबसे बढ़िया तरीका होता है करंट रेशों का पता कर लेना करंट असेट्स को करंट लायबिलिटी से अगर आप डिवाइड करोगे तो करंट रेश्यो ए जाता है अगर इसका रेश्यो 1 से कम हो जाए तो इसका मतलब ये है की कंपनी से अगर उधर वापस मांग लिया जाए जो उधर दिया गया है तो उसकी हालत इतनी भी नहीं है की वो अपने असेट्स को बेच के भी वो उधर चुका सके अब hindenbur की रिपोर्ट के हिसाब से अदानी ग्रुप की जो पंच कंपनियों अदानी ग्रीन एनर्जी अदानी पावर अदानी टोटल गैस अदानी ट्रांसमिशन और अदानी एंटरप्राइज का जो करंट रेश्यो है वो एक से कम है अब मैन लो की किसी केस में कंपनी प्रॉफिट नहीं कम पाई दे आर रिसेशन ए गया या अदानी टोटल गैस जिसका करंट रेश्यो 0.2 है यानी की उसने अपने असेट्स के मुकाबला पंच गुना ज्यादा कर्जा ले रखा है और वो करता है अगर उससे वापस मांग लिया गया तो वो देने की हालत में नहीं है देखिए जब कोई कंपनी अपने शेयर्स को गिरवी रख के लोन लेती है तो जो प्राइस होता है उसे शेयर्स का उसके हिसाब से लोन मिलता है मैन लो ₹1 लाख शेयर्स की कीमत है तो उतना ही लोन मिलेगा अगर किसी वजह से शेयर के प्राइस नीचे ए जाएं तो ये भी हो सकता है की बैंक अपना लोन वापस मांग ले या फिर और शेयर्स मांगे तो ऐसे केस में भी अदानी ग्रुप फैंस सकता है और इस रिपोर्ट में इस चीज के बारे बताया गया की अदानी ग्रुप में जरूर से ज्यादा लोन ले रखा है देखिए जिस दिन हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आई थी आने के 2 दिन के अंदर एलआईसी का 18000 करोड़ का नुकसान हो गया था और ये लोगों का पैसा है आपने अगर हर्षद मेहता मूवी देखी होगी तो उसमें एक डायलॉग था की अगर मैं girunga तो अकेले नहीं girunga सबको लेके girunga तो अदानी ग्रुप के गिरने से भी पूरे देश की इकोनॉमी जो है वो हिलेगी इंडिया का जीडीपी में भी अदानी ग्रुप का बहुत बड़ा योगदान है अगर अदानी ग्रुप गिरेगा तो जीडीपी भी हिलेगी लोगों का जो पैसा लगा है वो भी जाएगा और एसबीआई एलआईसी जैसी कंपनी जहां लोगों का पैसा है इन कंपनी ने अदानी ग्रुप में पैसा लगा रखा है तो अगर अदानी ग्रुप हिलेगा तो ये सारी कंपनी भी ही लेंगे और लोगों को भी नुकसान होगा वो तो अदानी ग्रुप बहुत ही बड़ी चीज है हिडेनबर्ग की इस रिपोर्ट को छे गई कोई छोटी-मोटी कंपनी होती तो पुरी कॉलेप्स हो जाती इससे पहले जिन कंपनी के ऊपर hindenbur में रिपोर्ट निकालिए उनका हाल अगर आप देखोगे तो 34 बिलियन की कंपनी 1.3 मिलियन पे पहुंच गई यही रीजन है की इस रिपोर्ट के आने से इतना ज्यादा हल्ला मचा हुआ इंडियन वर्क का कहना है की अदानी ग्रुप में बहुत ज्यादा लोन लिया हुआ है और इसके साथ ही उन्होंने केसेस में लोन लेने के लिए अपने बड़े हुए प्राइसेस के शेयर्स को गिरवी रख के लोन लिया अदानी की कई लिस्टेड कंपनी ने अपनी वैल्यू से ज्यादा लोन ले रखा है अगर शॉर्ट में समझाऊं तो अदानी स्टॉक प्राइसेस डेप्थ फ्यूल ग्रोथ की वजह से ऊपर है देब फ्यूल ग्रोथ का मतलब है की आप पैसा उधर ले रहे हैं और उसको अपने बिजनेस में इन्वेस्ट कर रहे हैं और इससे सबको लग रहा है की आपकी कंपनियों आगे बढ़ रही है और उसकी वजह से आपके शेयर्स के प्राइस बढ़ जा रहे हैं सिर्फ hindenburgi नहीं क्रेडिट साइड एक बहुत ही बड़ी रिसर्च फॉर्म है इसने भी अगस्त 2022 में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी उसमें अदानी ग्रुप को दीपाली overlave रेस बताया था और कहा था की ये कर्जा अदानी के पूरे बिजनेस अंपायर को तबाह कर सकता है इसमें इंडियन में की रिपोर्ट में एक चीज और मेंशन दी की अदानी ग्रुप कंपनी एक दूसरे पे डिपेंडेंट है तो कभी अगर ऐसा हुआ की कोई एक कंपनी अपने लॉस नहीं दे पाई तो बाकी कंपनी भी सीरियसली इफेक्ट होगी और अदानी का जो पूरा साम्राज्य है वो तबाह हो सकता है अदानी ग्रुप के जो टोटल शेयर्स है उसे वजह से 75% अपने पास ही रखे हुए हैं बाकी के जो 25% शेयर्स हैं ज्यादातर मॉरीशस बेस शर्ट कंपनी के पास है जिसका लिंक अदानी ग्रुप से है और ही कंपनी इन्वेस्ट करके एक आर्टिफिशियल डिमांड क्रिएट करती हैं जिससे शेयर्स के प्राइस बढ़ते हैं हिडेनबर्ग रिपोर्ट में ये भी मेंशन है की विनोद अदानी ने कई लोगों के साथ मिलके दर्जनों कंपनी खोली और अदानी ग्रुप में इन्वेस्ट करके शेयर के प्राइस ऊपर करवा और ये जितनी भी कंपनी है इनकी कोई कॉर्पोरेट प्रेजेंस नहीं है की ऑल ओवर वर्ल्ड में ये सिर्फ अदानी ग्रुप में इन्वेस्ट करती हैं और अगर आपने हमारी एनडीटीवी वाली वीडियो देखी होगी तो उसमें भी से जगह से इन्वेस्टमेंट आया था और इन सेल कंपनी के पास जितने भी असेट्स हैं सब इन्होंने अदानी ग्रुप में ही उठा के दल दिए हैं ये देखिए एंप्स के 2.3 बिलियन असेट्स में से 99.4% अदानी ग्रुप में है ऊपर के तो 100% इन्वेस्टमेंट अदानी ग्रुप में है ये कंपनी है कहीं और पे पैसा लगा ही नहीं रही है हिडेनबर्ग की रिपोर्ट के हिसाब से इस पार्टिकुलर तरीके से अदानी ग्रुप में पैसा घूम रहा है सेल कंपनी के थ्रू और ये जो मॉरीशस के अंदर सेल कंपनी का जो इशू है इसको से भी इन्वेस्टिगेट कर रही थी उसे पार्टिकुलर टाइम पे सभी ने ये कहा था की इन्वेस्टिगेशन अभी लॉजिकल कंक्लुजन पे नहीं पहुंची है लेकिन हिडेनबर्ग ने टोन मारते हुए कहा की सभी लॉजिकल कंक्लुजन में पहुंच पाई है लेकिन हम पहुंच गए हैं अब इसके जवाब में अदानी ग्रुप में हिडेनबर्ग को 413 पेज का एक रिप्लाई किया है और कहा है की हिडेनबर्ग ने जो 88 क्वेश्चंस पूछे हैं उसमें से 65 के आंसर्स तो हम पहले ही पब्लिक डिस्क्लोजर में दे चुके हैं जो एलिगेशन लगा था की बाहर से इन्वेस्टमेंट आई है अदानी ग्रुप में उसपे ये कहा की जो पब्लिक शेयर्स है उसमें बाहर से कौन इन्वेस्ट करता है इस पे उसका कोई कंट्रोल नहीं है उनको कुछ नहीं पता होता की कौन शेयर्स खरीद रहा है और बेच रहा है सिर्फ अदानी ग्रुप ही नहीं बल्कि कोई भी लिस्टेड कंपनी ये कंट्रोल नहीं कर सकती है उसके शेयर्स कौन खरीद और बेच रहा है और जो लोन के एलिगेशंस है उसे पे भी अदानी ग्रुप में गया की शेर देखिए लोन लेना दुनिया भर में एक बहुत ही कॉमन प्रैक्टिस है और इंडिया में इसको एड्रेस करने के लिए एक बहुत ही परफेक्ट सिस्टम है और जो इंडियन वर्क है उसको इंडिया के जो सिक्योरिटी लॉस हैं उसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है इसलिए वो इस तरीके के क्वेश्चंस पूछ रहे हैं सभी इन्वेस्टिगेशन वाली जो बात थी उसे पे अदानी ग्रुप में ये रिप्लाई किया की अदानी प्रमोटर्स के खिलाफ कोई भी ओंगोइंग इन्वेस्टिगेशन नहीं चल रही है और जो पहले चल रही थी उसको हमने पहले डिस्क्लोज कर दिया है इस तरीके से कई सारे रिप्लाई किए हैं और एक धमकी भी दी है इंडियन वर्क को ये इनके ऊपर केस उसे कर सकते हैं रिप्लाई किया है की जब मैन करें आप केस कर सकते हो इससे हमारे लिए आपको एक्सपोज करना और आसान हो जाएगा क्योंकि जो डॉक्यूमेंट हम इन्वेस्टिगेशन के टाइम पे हमें नहीं मिल पाए द वो हम कोर्ट में भी मांग लेंगे आपसे अब देखिए अदानी ग्रुप में 20000 करोड़ का इंडिया का सबसे बड़ा एसपी लॉन्च किया इसमें 50% रिटेल यानी आपके और हमारे जैसे लोग 28% क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर यानी की जिन्होंने पहले इन्वेस्ट किया या रिप्यूट इन्वेस्टर्स और 22% नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर यानी की ओपन तू ऑल बाकी सब भी कर सकते हैं इसमें इस तरीके से डिवाइड किया है अब लोग काफी कुछ हो रहे द की फ्यू फुल्ली सब्सक्राइब हो गया लेकिन आम जनता ने इस एफपीओ में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं दिखाया सिर्फ 5.4% रिटेल इन्वेस्टर्स नहीं एफ पी ओ subscrive किया है बाकी 62% नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने किया है और लगभग 32% के करीब क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने किया शुरू के दो दिन में तो अदानी का जो एफबी होता है वो सब्सक्राइब भी नहीं हो रहा था लेकिन इस एफपीओ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी आईएससी का इन्वेस्टमेंट इसमें आया जिसने 32 करोड़ का बहुत ही बड़ा इन्वेस्टमेंट किया इसी जो कंपनी है वो ऐसा नहीं है की बस नॉर्मल किसी बिजनेसमैन की कंपनी है ये रॉयल फैमिली जो है उसके बहुत ही ज्यादा शेयर्स है इस आईएससी कंपनी में देखिए अदानी ग्रुप को इस एफपीओ में रिटेल इन्वेस्टर से तो रिजेक्शन से मिला लेकिन उसने पुरी कोशिश की की इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर से फुल्ली सब्सक्राइब करने की कोशिश की लेकिन इसमें दिक्कत ये थी जो करंट शेयर प्राइस था वो के प्राइस से कम था तो कोई भी जो नया इन्वेस्टर है वो प्रीमियम क्यों पे करेगा और इतनी कोशिश के बाद भी अदानी ग्रुप को फ्यू वापस लेना पड़ा लेकिन ये जो हिडेन नंबर की रिपोर्ट आई है इसकी टाइमिंग को लेके बहुत क्वेश्चन है की जब अदानी इंडिया का अब तक का सबसे बड़ा हैप्पी लेकर ए रहा था उसके 48 अवर्स पहले ये रिपोर्ट क्यों आई ये प्लानिंग के तहत इंडिया की इकोनॉमी को टारगेट किया गया है अब देखिए जो लोग शॉर्ट सेलिंग कंपनी को समझते हैं उनको पता है की शॉर्ट सेलिंग कंपनी फायदे के लिए ये सब करती है और एफबी आने के 48 हॉर्स पहले इसको पब्लिश करने के पीछे यही रीजन था की उसको ज्यादा से ज्यादा फायदा हो लेकिन हान एक चीज है की ये देखा गया है की जब भी देश में कोई बड़ा इवेंट होने वाला होता है तो ऑल ओवर वर्ल्ड की जो ऑर्गेनाइजेशन है उसको करती है जैसे जब फीफा हो रहा था तो कतर को टारगेट किया गया था सारी कमियां बाहर निकल के ए गई थी कतर की ऐसे इंडिया में सितंबर में g20 सबमिट हो रहा है उससे पहले आप देखोगे इंडिया को अलग-अलग तरीके से टारगेट किया जाएगा अब ये हिडेन मत की जो रिपोर्ट आई है आप ये इंडिया पे अटैक मैन सकते हो या अदानी के ऊपर अटैक मैन सकते हो ये मैं आपके ऊपर छोड़ देता हूं लेकिन अदानी के ऊपर जो एलिगेशन लगाया गया है ये एलिगेशन नए नहीं है टाइम टूटा लगते रहते हैं जो रिपोर्ट है एक तरह से कंप्लीशन है अदानी ग्रुप के ऊपर जितने भी एलिगेशन अभी तक लगे हैं और लास्ट में फिर से याद दिला देता हूं की डिस्क्रिप्शन में मैंने कुक्कू एफएम की ऑडियो बुक का लिंक दे दिया है स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग के सीक्रेट एक बार डाउनलोड करके जरूर suniyega उसको उससे आपको और क्लेरिटी मिलेगी थैंक यू [संगीत] 1McKEMB5Qjo,Why Swiss Bank is famous for Black Money? | Nitish Rajput | Hindi,2023-01-24T14:30:03Z,PT19M17S,5253891,126467,3794,https://www.youtube.com/watch?v=1McKEMB5Qjo,, अब आप सोच के देखिए जब रेंट इतना है तो अंदर समान कितनी कीमत का होगा 1990 में ओसामा बिल्ला देने स्विस बैंक में अकाउंट खोला था इसी तरह जो बैंक स्टेटमेंट होता है उसे पे भी अकाउंट होल्डर का नाम तक नहीं होता है तो पता चला की पिछले 13 साल का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया इंडियन ने स्विस बैंक में पैसा जमा करने में की इस पार्टिकुलर सेलिब्रिटी की जब जान हुई तो उसमें स्विस बैंक का टैबलेट चेक पकड़ा गया लेकिन ओसामा बिन लादेन का जो स्विस अकाउंट था उसमें 6 साल तक उसमें कोई एक्टिविटी नहीं हुई थी लेकिन स्विस बैंक फेमस है अपने नंबर अकाउंट के लिए और लोग गोल्ड और डायमंड जैसी चीज खरीद के बंगर्स में रखते हैं और कोर्ट के साथ अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी को ट्रांसफर करते रहते हैं उसके बाद जो इस अकाउंट के जो अकाउंट होल्ड करते हैं उनकी भी लिस्ट ए गई लेकिन एक चवन्नी तक इंडिया में वापस नहीं आई जेम्स बॉन्ड की मूवी डी वर्ल्ड इसे नॉट इनफ में जेम्स बॉन्ड ने कहा था [संगीत] की अगर आप एक स्विस बैंकर पर भरोसा नहीं कर सकते तो पता नहीं दुनिया का क्या होगा ऐसे ही कई मूवी है जिम स्विस बैंक के एम्पलाइज के ऊपर गण तक रख दी गई है लेकिन वो फिर भी इनफॉरमेशन नहीं बताते हैं तो सबसे पहली चीज तो ये है की ऐसा क्या रीजन है की स्विस बैंक ऑल ओवर वर्ल्ड में इतना फेमस है इंडिया के पावरफुल और अमीर लोग अपने एसबीआई बैंक को छोड़ के गवर्नमेंट से छुपा के स्विस बैंक में पैसा क्यों डालते हैं इससे फायदा क्या होता है और क्या मैं इंडिया में बैठ के स्विस बैंक में अकाउंट खुला सकता हूं डाक्यूमेंट्स क्या लेते हैं ये स्विस बैंक के अंदर जो नंबर अकाउंट इतना फेमस क्यों है ये सारी चीज डिटेल में डिस्कस करेंगे उससे पहले एक चीज ब्लैक मणि समझ लेते हैं उसके बाद सारी चीज क्लियर हो जाएगी देखिए कोई भी ऐसा पैसा जिसका सोर्स आप गवर्नमेंट से छुपा रहे हैं वो ब्लैक मणि है अब इसमें एक सोर्स तो इलीगल एक्टिविटी करके छुपाया जाता है जैसे बैटिंग extraorshan स्मगलिंग और दूसरा लीगल एक्टिविटी करके जैसे एक दुकानदार समान बेच रहा है ये कोई इलीगल एक्टिविटी नहीं है लेकिन अगर वो समान बेच के बिल नहीं दे रहा है और कैश में पैसा लेके घर में जमा कर रहा है तो ये ब्लैक मणि हुआ एक आइडिया इकोनॉमी में हर ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड गवर्नमेंट के पास होना चाहिए और जिसका रिकॉर्ड नहीं है टैक्स नहीं मिल रहा है वो ब्लैक मणि है और ये जो ब्लैक मणि है इस ब्लैक मणि को आप आसानी से खर्च नहीं कर सकते की मार्केट में गए और आप खर्च करने लगे इसको छुपाने और ब्लैक को व्हाइट करने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपना बनाते हैं जिसमें से एक स्विस बैंक में पैसा रखना बहुत ही फेमस है देखिए ये जो स्विस बैंक हम वर्ड उसे करते हैं ये कोई अकेला बैंक नहीं है स्विट्जरलैंड के सारे बैंक्स को स्विस बैंक बोला जाता है लेकिन स्विट्जरलैंड के कुछ रूल्स ऐसे हैं जिनकी वजह से स्विट्जरलैंड के बैंक्स ऑल ओवर वर्ल्ड में फेमस हो यह 1730 में स्विट्जरलैंड गवर्नमेंट ने एक लॉ बना दिया की कोई भी बैंक अपने कस्टमर की कोई भी डिटेल्स नहीं शेयर करेगा और जब ऐसा बोला गया तो स्विट्जरलैंड की जो कैपिटल है जिनेवा फ्रांस और बाकी यूरोपियन कंट्री के जितने भी रिच और पावरफुल लोग द स्विट्जरलैंड में पैसा रखने लगे और यहीं से शुरू होता है स्विस बैंक्स के अंदर एक सीक्रेट और साइलेंस का कल्चर जो आज की डेट में स्विस बैंक्स के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट बन गया है इस रूल के बाद स्विट्जरलैंड के अंदर जो बाहर से पैसे का फ्लो ए रहा था वो इनकी गवर्नमेंट के लिए काफी फायदेमंद साबित होने लगा इसके बाद 1934 में फिर से स्विट्जरलैंड गवर्नमेंट ने एक और लॉ पास किया बैंकिंग एक्ट ऑफ 1934 जिसके आर्टिकल 47 के तहत अगर स्विट्जरलैंड का कोई भी बैंक अपने कस्टमर की डिटेल्स ऑल ओवर वर्ल्ड की किसी भी गवर्नमेंट को या फिर टैक्स एजेंसी को शेयर करता है तो एक punishual ऑफेंस होगा फिर चाहे वो डिटेल्स किसी क्रिमिनल की ही क्यों ना कोई भी अगर इसको वायलेट करता है तो उसको 5 साल तक की सजा होगी ये जो लॉ बनाया गया ये ऑल ओवर वर्ल्ड में सबसे स्ट्रीक बैंकिंग लॉ उसे टाइम पे भी था और अभी भी है ये सब देख के दुनिया भर के रिच और पावरफुल लोगों के लिए स्विट्जरलैंड एक अट्रैक्टिव डेस्टिनेशन बन गया क्योंकि उनको अब अपनी ब्लैक मणि और अपार संपत्ति के लिए किसी को जवाब देने की जरूरत नहीं है अपने खुद के देश की गवर्नमेंट तक नहीं ओसामा बिन लादेन तक की पहली पसंद स्विस बैंक थी वो अभी मैं लास्ट में बताऊंगा जब इंडियन सेलिब्रिटीज की जब नाम सामने आएंगे उसमें स्विट्जरलैंड की सबसे बड़ी खासियत यह थी और अभी भी है की ये देश पॉलिटिकल न्यूट्रल है अब जैसे अगर पाकिस्तान में इस तरह का बैंक होता तो इंडियन देश में पैसा रखने में अवॉइड करते हैं भले कितने अच्छा बैंक होता लेकिन स्विट्जरलैंड की किसी से भी दुश्मनी नहीं है कोल्ड वॉर के टाइम पे भी जब सब देशों की मजबूरी थी अमेरिका और sovied रूस में से किसी एक की साइड लेने की तो उसे टाइम पे भी स्विट्जरलैंड न्यूट्रल था सेकंड वर्ल्ड वॉर में भी स्विट्जरलैंड ने न्यूट्रल एट का रास्ता चुना ये 1500 वैन से लेकर आज तक कोई भी वॉर नहीं किए स्विट्जरलैंड ने देखिए ये चीज एक देश के लिए बहुत बड़ा एडवांटेज है कैसे है वो मैं अभी आपको बताता हूं वर्ल्ड वॉर के टाइम पे जिन देशों को लगता था की हिटलर हम पर अटैक करके हमारे पैसे वगैरा लूट लेगा वो सारे देशों के लोगों ने अपना पैसा स्विट्जरलैंड में रखना शुरू कर दिया अभी रिसेंटली भी कोई डॉक्यूमेंट uncoverable हुए हैं जिनसे पता चलता है की 1944 में जर्मनी के इंटीरियर मिनिस्टर हेनरी शिमलार ने भी स्विट्जरलैंड में स्पेशल ट्रेन भेजी थी जिसमें हजारों करोड़ का सोना ज्वैलरी और पेंटिंग्स थी जो स्विस बैंक के वर्ल्ड में जमा की गई अब देखिए ऐसा नहीं है की स्विस बैंक में सिर्फ या फिर ब्लैक मणि वाले लोग ही पैसा जमा करते हैं कई बार लोग प्राइवेसी के अलावा और भी कई रीजंस की वजह से यहां पे पैसा जमा करते हैं जिन देशों में गवर्नमेंट अनस्टेबल होती है यहां जहां की बैंक्स जो हैं वो क्रेडिबल नहीं होते वहां के लोग भी स्विस बैंक में पैसा जमा करते हैं और इसके साथ-साथ स्विट्जरलैंड की जो करेंसी है स्विस बैंक वो वर्ल्ड की प्रीमियम करेंसी में से एक माना जाता है उसको तो इन सारी चीजों की वजह से लोगों को बाकी कंट्री के कंपेरटिवली स्विट्जरलैंड के बैंक पे ज्यादा भरोसा रहता है और ये चीज स्विट्जरलैंड बहुत ही अच्छे से समझता है इसलिए जी-20 कंट्री हो या फिर ओईसीडी कंट्रीज के ग्रुप हो इन सब ने टाइम तू टाइम स्विट्जरलैंड गवर्नमेंट के ऊपर काफी प्रेशर बनाया क्या आप अपने रूल्स को थोड़ा डीलर करो लेकिन स्विट्जरलैंड गवर्नमेंट सबको नज़र अंदाज़ करती रही इनफेक्ट और स्ट्रिक्ट रूल बनाएगा की अगर अगर कोई बैंक ऑफिशल इनफॉरमेशन बैंक के बाहर देता है तो यह punisisual ऑफेंस कंसीडर किया जाएगा [संगीत] अब ये देखते हैं की स्विस बैंक में अकाउंट कैसे खोला जाता है देखिए पुरी दुनिया के अंदर किसी भी कंट्री का रेजिडेंट सर बैंक के अंदर अकाउंट खुल सकता है आपके और हमारे जैसे लोग भी घर बैठ के अकाउंट खुल सकते हैं स्विस बैंक के अंदर लेकिन बस एक दिक्कत है की 1 मिलियन सिर्फ फ्रैंक होने चाहिए कम से कम बाकी मैक्सिमम तो कितने भी हो सकते हैं स्विस बैंक में अकाउंट खोलने के लिए आपकी मिनिमम आगे 18 साल होनी चाहिए एक वैलिड पासपोर्ट जिसकी वैलिडिटी 6 मंथ तक एटलिस्ट हो लेकिन इसके साथ-साथ ये आपका एक रिज्यूम में भी सबमिट करवाते हैं जिसमें आपकी स्किल से लेके आप क्या-क्या कम करते हैं और कब कब कहां-कहां कम किया वो सारी डिटेल्स होती है जो फंड आप सबमिट करोगे ये फंड आपके पास किस तरीके से आया है इसकी डिटेल्स भी आपको देनी होती है स्विट्जरलैंड में आप किसी भी टाइम जोन और किसी भी लैंग्वेज में कनेक्ट कर सकते हो इंटरनेशनल कस्टमर के लिए हर फैसिलिटी अवेलेबल है देखिए पहले तो काफी सिंपल प्रक्रिया था लेकिन स्विट्जरलैंड पे काफी इंटरनेशनल प्रेशर आया है और नए-नए मणि लॉन्ड्री लाओ भी आए इसलिए पहले के कंपेरटिवली थोड़ा टू हो गया है स्विस बैंक में अकाउंट खुला के पैसा जमा करना लेकिन इन सब स्ट्रिक्टनेस बात भी कोविंद के पास से स्विस बैंक में और पैसा आने लगा जो मैंने वर्ल्ड वॉर का एग्जांपल दिया था आज जो यूक्रेन रूस का गौर चल रहा है उसमें भी से चीज रिपीट हो रही है अनसर्टेंटी की वजह से यूक्रेन और रूस के लोग अपना पैसा सेफ जगह रखना चाहते हैं इससे डिमांड काफी बढ़ गई है जब दुनिया भर में डिजिटल चल रहा था तब स्विस बैंक ने भी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को ऑप्ट किया और यूजर्स को मोबाइल पेमेंट सिस्टम से जोड़ने की कोशिश की 2020 स्विस पेमेंट सर्वे के हिसाब से स्विट्जरलैंड में लोगों ने कैश से ज्यादा मोबाइल पेमेंट सिस्टम को उसे किया अब देखिए भले ही स्विट्जरलैंड कितना ही आगे हो लेकिन डिजिटलाइजेशन में हमारे इंडिया को पीछे करना किसी के बस की बात नहीं है 2022 में इंडिया में 70 मिलियन डिजिटल पेमेंट्स हुई है जो दुनिया में हाईएस्ट है इंडिया में काफी स्ट्रांग इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्ड हो चुका है जो इसको फैसिलिटेट करता है जैसे फ्रीचार्ज फ्रीचार्ज यूपीआई फास्ट और सीकर पेमेंट को पॉसिबल बनाता है विद इन सेकेंड्स आप पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं इसको उसे करना बहुत ही इजी है और कैश लेकर घूमने के लिए नहीं है कर कोड फोन नंबर या यूपीआई आईडी इनमें से अगर एक भी चीज आपके पास है तो बड़ी आसानी से freechar उसे करके पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं और सबसे बेस्ट पार्ट इसका यह है की कोई भी ऐप हो जो यूपीआई को सपोर्ट करती है फिर चाहे वो पेटीएम हो अमेज़न हो फोन पे हो उसे पर आप स्कैन करके पे कर सकते हैं उसे कूपन कोड फर्स्ट यूपीआई ऑन योर फर्स्ट यूपीआई ट्रांजैक्शन विद फ्रीचार्ज एंड गेट फ्लैट ₹40 लाख डाउनलोड एंड उसे डी फ्रीचार्ज ऐप नौ तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब देखिए नॉर्मल जो अकाउंट है इस बैंक के अंदर वो तो कोई भी घर बैठे खुला सकता है इंडिया से बैठकें हम लोग भी खुला सकते हैं अगर मिनिमम रिटायरमेंट हम लोग पुरी करते हैं तो लेकिन स्विस बैंक फेमस है अपने नंबर अकाउंट के लिए ये वो अकाउंट है जिसमें पावरफुल और रिच लोग पैसा रखते हैं नंबर अकाउंट को खुलवाना आसान नहीं होता इसके लिए आपको एक बार फिजिकल विजिट करना होगा और इस नंबर अकाउंट में आपकी प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा जाता है दुनिया की कितनी भी पावरफुल गवर्नमेंट हो अगर टैक्स रिलेटेड इनफॉरमेशन एक्सचेंज करने का जो एग्रीमेंट है वो अगर स्विट्जरलैंड के साथ नहीं है तो स्विस बैंक आपकी कोई भी इनफॉरमेशन किसी भी कीमत पे शेयर नहीं करेगा ये नंबर अकाउंट होता है इसकी खासियत ये होती है की नाम की जगह एक कोड मिलता है बैंक के सिर्फ कुछ लोगों के अलावा किसी को भी पता नहीं चलता की इन अकाउंट्स में क्या हो रहा है नॉर्मली अगर किसी को पैसा भेजना होता है तो इंडिया में आदमी का नाम अकाउंट नंबर आय एफ एस सी कोड ब्रांच वगैरा ये सब चाहिए होती है लेकिन नंबर अकाउंट जो होता है उसे बैंक का उसमें खाली एक नंबर शेयर करना होता है और सारा कम हो जाता है सिर्फ कुछ चुनिंदा बैंक के जो ऑफिशल्स होते हैं सिर्फ उनके पास है डिटेल होती है बाकी इसके डिटेल किसी के पास भी नहीं जाती है नंबर अकाउंट में रेगुलेटरी कंप्लेंट एंटी मणि लॉन्ड्रिंग ऑब्लिगेशन वगैरा सब चेक होती है ऐसा नहीं है की कोई भी उठ के गया और पैसा जमा करके ए गया प्रॉपर वेरिफिकेशन होता है और एक बार जब सारा कुछ चेक होने के बाद आपका अकाउंट स्विस बैंक के अंदर खुल गया तो उसके बाद कस्टमर की जो आइडेंटिटी है उसको बचाना स्विस बैंक की प्रायोरिटी में सबसे ऊपर होता है नंबर अकाउंट के लिए स्विस बैंक का जो कंप्यूटर होता है उसमें कस्टमर का नाम तक नहीं आता है बैंक का कोई भी एंप्लॉई आपकी आइडेंटिटी नहीं देख सकता साथ ही अगर कोई साइबर क्राइम होता है तो भी आपका नाम बाहर नहीं आता है इसी तरह जो बैंक स्टेटमेंट होता है उसे पे भी अकाउंट होल्डर का नाम तक नहीं होता है सिर्फ एक नंबर होता है जो पूरा अकाउंट का बेसिस होता है इस नंबर अकाउंट को चलाने में खर्चा भी बहुत आता है इसका जो एनुअल चार्ज होता है वो 300 डॉलर यानी की 24000 से 25000 के करीब होता है अगर आप स्विट्जरलैंड के बाहर रहते हैं तो आपसे बैंक एक नॉन रेसिडेंशियल फ़्यू चार्ज कर सकता है इसमें स्विस बैंक ये भी फैसिलिटी देता है की अगर आप चाहते हो की बैंक स्टेटमेंट तक आपकी कंट्री में ना जाए तो वो फांसी भी है क्योंकि बैंक स्टेटमेंट से गवर्नमेंट तक इनफॉरमेशन जा सकती है लेकिन बैंक स्टेटमेंट ना भेजने के लिए उल्टा फीस देनी होती है बाकी जो बैंक्स होते हैं उसमें बैंक स्टेटमेंट भेजने के लिए अलग से फीस देनी होती है और यहां पे उल्टा होता है काफी साल पहले ये भी पॉसिबल था की आप नंबर्ड बैंक अकाउंट से सिर्फ नंबर उसे करके इंटरनेशनल वायर ट्रांसफर भी कर सकते द लेकिन अब ऐसा नहीं होता जब आप स्विट्जरलैंड के बाहर से किसी स्विस नंबर अकाउंट में 65 ट्रांसफर करते हो तो स्विस बैंक को आपकी आइडेंटिटी उसे फॉरेन बैंक के साथ शेयर करनी होती है और जब एक-दो केस में डिटेल्स ली हुई तो इस चीज को भी बंद कर दिया गया नंबर अकाउंट जब आप स्विस बैंक में khulvate हो तो आपको चेक बुक तक नहीं मिलती क्योंकि इससे नंबर अकाउंट का पूरा पर्पस खराब हो जाएगा आपके अकाउंट में जो ट्रांजेक्शन होगी उसकी पुरी ट्रेल पकड़ी जा सकती है तो स्विस बैंक इसकी जगह पे ट्रैवलर चेक देता है तो स्विस बैंक खुद इशू करता है उसमें अमाउंट पहले से ही मेंशन होता है सारी डिटेल्स मेंशन होती हैं उसको आपको बस एक करेंसी की तरह उसे करना होता है हो सकता है आपने कई बार न्यूज़ में भी सुना हो की इस पार्टिकुलर सेलिब्रिटी की जब जांच हुई तो उसमें स्विस बैंक का टैबलेट चेक पकड़ा गया लेकिन इस पार्टिकुलर ट्रैवलर चेक के लिए भी बैंक आपसे प्रदर्शन अलग से कमीशन लेता है स्विस बैंक के नंबर अकाउंट में आप एक सेफ डिपॉजिट बॉक्स भी रेंट कर सकते हो जिसमें समान रखा जा सकता है शॉप डिपॉजिट बॉक्स हमेशा बैंक अकाउंट से कनेक्टर रहता है बड़े-बड़े लोग अपनी कीमती चीज दुनिया से छुपा के यहां पर रखते हैं स्विस बैंक को जिस स्पेशल कस्टमर के लिए एक सीक्रेट बैंक वॉल्ट भी देता है जो की अंडरग्राउंड बेकर्स में होते हैं इसमें स्टोरेज फैसिलिटी होती है जहां पे लोग गोल्ड डायमंड और वैल्युएबल फिजिकल आइटम्स पुरी दुनिया से छुपा के रख सकते हैं इनमें से ज्यादातर अंडरग्राउंड बनकर स्विट्जरलैंड के माउंटेंस में लोकेटेड हैं ये मिलिट्री बैंकर्स हैं जिनको कभी मिलिट्री ने बनाया था और बाद में स्विस बैंक में खरीद लिया है इनको ये बैंकर्स हर किसी को नहीं मिलते हैं सिर्फ उन क्लाइंट्स को मिलते हैं जिन्होंने कई तरह के सिक्योरिटी क्लीयरेंस पास किए होते हैं इनमें से कुछ बंगर्स को janpuj के रोड की जो कनेक्टिविटी है उससे काट दिया जाता है यहां पर सिर्फ प्लांस या फिर हेलीकॉप्टर से ही जया जा सकता है इस लेवल के सिक्योरिटी मिलती है ये शब्द हैं करीब 5 लाख डॉलर में रेंट पे मिलते हैं अब आप सोच के देखिए जब रेंट इतना है तो अंदर समान कितनी कीमत का होगा लेकिन दुनिया के अंदर बहुत ही स्लो है ये सारे शब्द आराम से रेंट आउट हो जाते हैं 2008 की फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद लोगों का करेंसी से विश्वास कम हुआ है और लोग गोल्ड और डायमंड जैसी चीज खरीद के इन बैंकर्स में रखते हैं और कोर्ट के साथ अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी को ट्रांसफर करते रहते हैं अब देखिए कुछ ऐसी भी सिचुएशन होती है जिसमें जो स्विस बैंक है वो अपने कस्टमर की इनफॉरमेशन फॉरेन गवर्नमेंट को भी देता है लेकिन गवर्नमेंट के पास सब्सटेंशियल क्रिमिनल एलिगेशन होने चाहिए टेक्स्ट चोरी वगैरा ये सब जो चीज होती हैं स्विट्जरलैंड में एक बड़ा क्राइम नहीं समझा जाता है इसलिए अगर टैक्स चोरी का केस होता तो उसमें इनफॉरमेशन नहीं दी जाती है लेकिन स्विस बैंकर्स एसोसिएशन की वेबसाइट के हिसाब से अगर मणि लॉन्ड्रिंग क्रिमिनल ऑर्गेनाइजेशन ब्लैकमेलिंग यह सारे केसेस होते हैं तब इनफॉरमेशन शेयर की जा सकती है लेकिन सिर्फ इनफॉरमेशन शेयर की जाएगी ऐसा नहीं की सारा पैसा उठा के वापस दे दिया जाएगा ये इनफॉरमेशन सिर्फ इसलिए दी जाती है ताकि क्रिमिनल एक्टिविटी जो है उसको पकड़ा जा सके और पहले तो ये भी नहीं था किसी भी सिचुएशन में इनफॉरमेशन स्विस बैंक वाले नहीं देते स्विस बैंक की एक और खास बात है दुनिया के बाकी बैंक्स में जब आप पैसा रखते हो तो कस्टमर को इंटरेस्ट मिलता है जैसे इंडिया में 2.5% से लेके 7% तक इंटरेस्ट मिलता है लेकिन स्विस बैंक में इंटरेस्ट माइंस 0.75% मिलता है यानी की उल्टा इंटरेस्ट देना होता है अगर ₹1 लाख तो ₹750 उल्टा आपको देना पड़ेगा बैंक को लेकिन इसके बाद भी जो लोग स्विस बैंक में अपना पैसा रखते हैं वो मुनाफे में रहते हैं एक्चुअली इसके पीछे रीजन है वहां की स्ट्रांग और स्टेबल करेंसी जैसे अभी एक स्वाइन जो है वो 88 का है लेकिन 2010 में एक से प्रैंक 44 रुपीस का था यानी की अगर किसी ने 2010 में अपनी करेंसी स्विस प्लान में कन्वर्ट कर के स्विस बैंक में जमा कराई होगी तो अब उसकी वैल्यू 2023 में डबल हो गई होगी स्विट्जरलैंड के इकोनॉमी भी बाकी देशों से काफी अलग है बाकी देशों में इन्फ्लेशन बढ़ता है लेकिन इनके यहां पे नेगेटिव इन्फ्लेशन होता है और अगर कभी हुआ भी तो ज्यादा से ज्यादा 1% तक रहेगा अभी जब 2022 में जब हर कंट्री का पूरा हाल था तब भी जाके स्विट्जरलैंड में इन्फ्लेशन 1.31% तक हुआ था स्विट्जरलैंड की जो इकोनॉमी है वो इतनी स्टेबल और फूल प्रूफ है की हर आदमी उसे इकोनॉमी के साथ एसोसिएट होना चाहता है सेफ्टी की सेफ्टी और वैल्यू बढ़ेगी वो अलग से और अगर किसी वजह से स्विस बैंक में अकाउंट होल्डर्स की डेथ हो जाती है तो उसे केस में अगर नॉमिनी उसने बता रखा है तो उसके इसमें तो आगे इट इस 65 ट्रांसफर हो जाता है ये सारी डिटेल्स ट्रांसफर हो जाती है उसके नॉमिनी को लेकिन अगर नॉमिनी नहीं है और अकाउंट होल्डर की डेथ हो जाती है तो स्विस बैंक को पता ही नहीं चल पता है क्योंकि स्विस बैंक अपने आप किसी भी अकाउंट होल्डर को कॉन्टैक्ट नहीं करता है क्योंकि अकाउंट होल्डर की सीक्रेसी रिवील हो सकती है जिस भी कंट्री में जाकर वो पता करेंगे इस वजह से लेकिन अब स्विस बैंक में ये रूल है की अगर 10 साल तक कोई एक्टिविटी नहीं होती है किसी भी स्विस बैंक के अकाउंट में तो उसके बाद जो स्विस बैंक है वो अकाउंट होल्डर को कॉन्टैक्ट कर सकता है और अगर कॉन्टैक्ट करने के बाद भी अकाउंट होल्डर नहीं मिलता है तो उसे अकाउंट को ब्लॉक कर दिया जाता है वर्ल्ड वॉर के टाइम पे भी लाखों अकाउंट के साथ ऐसा ही हुआ था लेकिन ओसामा बिन लादेन का जो स्विस अकाउंट था उसमें 6 साल तक उसमें कोई एक्टिविटी नहीं हुई थी उसे टाइम पे स्विस बैंक ने उसको ब्लॉक कर दिया था 1990 में ओसामा बिन लादेन ने स्विस बैंक में अकाउंट खोला था और 1997 तक उसने उसे अकाउंट में कोई एक्टिविटी नहीं दी थी और 1997 में स्विस बैंक में ओसामा बिन लादेन के अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था क्योंकि उसे पेड़ को पर 10 साल वाला कोई सेट रूल नहीं था और अमेरिका के ऊपर भी बहुत ज्यादा प्रेशर था की algaeda का जो पैसा है वो स्विस बैंक में पड़ा है और स्विस बैंक को उसको ब्लॉक करना चाहिए तो टोटल 25.5 मिलियन अलकायदा का स्विस बैंक में ब्लॉक कर दिया था लेकिन स्विस बैंक जो कर रहा था इससे एक टाइम के बाद पूरे वर्ल्ड में थोड़ी दिक्कत होने लगी थी और फिर 2014 में ओबीसी ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट ने एक डिक्लेरेशन बनाया की सभी देश अपने टैक्स पैर की जो फाइनेंशियल इनफॉरमेशन है वो एक दूसरे से अब शेयर करेंगे 50 देशों ने साइन किया जिसमें से स्विट्जरलैंड और इंडिया भी द और ये वो टाइम था जब इंडिया में आप आए दिन न्यूज़ में सुनते होंगे की स्विट्जरलैंड का पैसा इंडिया के अंदर वापस आना चाहिए इसके बाद मोदी सरकार वादा करके आई की वो स्विस बैंक से पैसा वापस देश में लेगी ये पाए हिंदुस्तान की वापस लाई जाएगी इंडिया और स्विट्जरलैंड का एक ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इनफॉरमेशन का सिस्टम बनाया जिसके अंदर इंडियन रेजिडेंस के स्विस बैंक्स के खातों की डिटेल जो है फाइनेंशियल डिटेल जो है वो स्विट्जरलैंड के बैंक्स इंडिया के साथ शेयर करेंगे और इसके बाद स्विट्जरलैंड ने स्विस बैंक के इंडियन अकाउंट होल्डर जो द उसकी पहली लिस्ट इंडिया को दी पहली लिस्ट सितंबर 2019 में आई जिसमें इंडिया के बड़े-बड़े लोगों के नाम द दूसरी लिस्ट अक्टूबर 2020 में तीसरी लिस्ट अक्टूबर 2021 में आई और चौथी लिस्ट अक्टूबर 2022 में और ये लिस्ट आई थी इसमें स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन ने इंडियन सिटिजन के नाम एड्रेस कंट्री ऑफ रेजिडेंस टैक्स आईडेंटिफिकेशन नंबर अकाउंट बैलेंस और बैंक की काफी डिटेल शेयर की थी लेकिन ये जो लिस्ट आई थी इनका कोई भी फायदा नहीं हुआ क्योंकि एग्रीमेंट के हिसाब से ये डाटा सिर्फ टैक्स पर्पस के लिए आया था इंडिया के अंदर और ये सारी डिटेल्स सिर्फ और सिर्फ सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स सीबीडीटी इसके पास रखा जाएगा और वो ही इसपे कुछ एक्शन ले सकता है कोई सी दी की गाइडलाइंस के हिसाब से इस डाटा को पब्लिक नहीं किया जा सकता तो लिस्ट तो ए गई सबके नाम भी ए गए लेकिन इसको बताया नहीं जा सकता और जो लिस्ट आईडी इसमें एक चीज और थी की ये उन्हें बैंक अकाउंट्स की लिस्ट थी जो अकाउंट ऑफीशियली इंडियन सिटिजन के नाम से द लेकिन ब्लैक मणि को इंडिया के बाहर ले जाने का जो कम था उसमें में रोल तो उन बड़े खिलाड़ियों का था जिन्होंने आज अन इंडियन सिटिजन अकाउंटिंग ही खुलवाया बल्कि कई छोटी-छोटी कंट्रीज हैं जहां पे रूल्स बहुत ही हल्के हैं वहां के सिटिजन बन के स्विस बैंक में अकाउंट खुलवाए ऐसा भी बोला जाता है की जब स्विट्जरलैंड पर अकाउंट इनफॉरमेशन शेयर करने का प्रेशर इंडिया की तरफ से बढ़ रहा था उसी बीच में लोगों ने अकाउंट कई और शिफ्ट कर लिए और 65 डिजिटल करेंसी में शिफ्ट कर लिया जिसके बारे में स्विट्जरलैंड कोई डिटेल शेयर नहीं करता है 2015 में इंडियन एक्सप्रेस ने स्विस लीग के नाम से कुछ लोगों के नाम पब्लिश किए और बताया की स्विस बैंक में इनके कितने पैसे जमा है ये बोल लिस्ट है इसमें मुकेश अंबानी अनिल अंबानी कई के मिनिस्टर्स के भी नाम है आप पॉज करके पढ़ लेना लेकिन हैरानी की बात ये है की इस लिस्ट के आने के बाद आप सोचोगे की स्विस बैंक में ब्लैक मणि जो है इंडिया के लोगों ने कम कर दी होगी जमा करना लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है 2020 में जब स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट आई तो पता चला की पिछले 13 साल का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया इंडियन ने स्विस बैंक में पैसा जमा करने में ज्यादातर एक्सपर्ट्स का ये मानना है की जो इंडियन गवर्नमेंट ये ऑफिशल डाटा लेके आई है स्विस बैंक का ये इंडियन की जो स्विट्जरलैंड के अंदर लीगल वेल्थ है उसका है तो ये जो डाटा है ये किसी कम का नहीं है असल में जो ब्लैक मणि इंडिया से स्विट्जरलैंड पहुंचती है वो 5-6 टैक्स 7 से हो के जाती है मतलब की किसी और कंट्री से हवाला के थ्रू घुमा के पहुंचाई जाती है जिससे इंडियन गवर्नमेंट के लिए ये पता लगाना की कौन सा पैसा किसका है और कहां से आया ये बहुत ही मुश्किल है देखिए इंडिया में ब्लैक मणि के ऊपर कम से कम पिछले 15 साल से पब्लिक डिबेट चल रही है पहले ब्लैक मणि खत्म करने के नाम पे नोटबंदी की गई उसके बाद जो स्विच अकाउंट के जो अकाउंट होल्ड करते हैं उनकी भी लिस्ट ए गई लेकिन एक चवन्नी तक इंडिया में वापस नहीं आई अब इसमें दो चीज हो सकती हैं की या तो जो लोग ब्लैक मणि घुमा रहे हैं वो इतने शर्तें हैं की अपना एडवांस में अरेंजमेंट करके रखते हैं उनको पहले से ही पता चल जाता है की आगे क्या होने वाला है और बच के निकल जाते हैं या फिर ये हो सकता है की ज्यादातर पैसा इंडिया के पॉलीटिशियंस का ही हो सकता है या ऐसे लोगों का हो जो पॉलिटिकल क्लास के नजदीक हो लेकिन अगर ये भी होता तो गवर्नमेंट चेंज भी तो होती रहती है कभी बीजेपी आती है कभी कांग्रेस आती है कभी मिली सरकार आती है तो गवर्नमेंट चेंज भी होती रहती है तो ये लोग अपोजिशन के नेता भी पकड़वा सकते हैं लेकिन इसके बाद भी कोई पैसा वापस नहीं आता है बल्कि डबल पैसा देश के बाहर चला जाता है या फिर एक चीज ये हो सकती है की ये हमको बेवकूफ बना रहे हैं थैंक यू [संगीत] KySoKM_bjuI,Reality of Caste Reservation | Nitish Rajput | Hindi,2023-01-14T14:30:07Z,PT24M18S,3305824,200845,31187,https://www.youtube.com/watch?v=KySoKM_bjuI,, अब कोई ना होगा यह भी कहना है की जो जुल्म है वह तो हमारे पूर्वजों ने किया तो हम क्यों भक्त हैं लेकिन यही लोग जब अपने सिस्टम की प्रॉपर्टी लेनी होती है तो उसमें पीछे नहीं हटते हैं यह स सेंट कैटिगरी का है इसके नंबर कम द उसके बाद भी इसका सिलेक्शन हो गया क्योंकि घरों की आम भाषा में आपने जरूर सुना होगा की बेटा किसी से भी शादी कर लेना लेकिन कोई छोटी कास्ट से मत उठाना आज भी आप देखोगे की अपार खास पापुलेशन में बहुत ही कम है लेकिन इंपॉर्टेंट पोजीशन हो जमीन की ओनरशिप हो या कुछ और हो हर चीज में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है वो अपार कास्ट की है हर पार्टी के जो बड़े नेता हैं वो रिजर्वेशन में सपोर्ट करते हैं और उसी पार्टी के जो छोटे नेता हैं वो रिजर्वेशन हटाने की बात करते हैं ताकि लोग आपस में ही उलझन है की 1932 से आज तक कास्ट बेस सेंसर लोगों के सामने नहीं लाया गया है गांधी जी का मानना था की डिस्क्रिमिनेशन तभी खत्म होगा जब लोग इंटर कास्ट मैरिज करेंगे समाज से निकलने का जो दर होता है वो बहुत ही बड़ा दर होता है की सिर्फ वही समझ पाएगा जो समाज से निकाला हुआ है या फिर ये असली राजपूत है लेकिन रिजर्वेशन एक ऐसा कंट्रोवर्शियल टॉपिक है जिस पर आए दिन लोग आपको बहस करते हुए मिल जाएंगे स्पेशली इलेक्शन के टाइम पे ये बेस्ट जो है वो और तेज हो जाती है अब कुछ लोगों का मानना है की फाइनेंशियल स्टेटस देखकर रिजर्वेशन देना चाहिए और जो खास बेस रिजर्वेशन है ये हटा देना चाहिए कुछ लोग कहते हैं की अगर 70 सालों से बैकवर्ड लोगों का स्टेटस नहीं सुधार पाया तो इसका मतलब ये जो टूल है ये कम का नहीं है वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं की हमारे पुरखे ने जो गलतियां की हैं उसकी सजा हमें क्यों मिले सब अपने हिसाब से अपना-अपना मैन बना कर इस टॉपिक पर बात करते हैं कुल मिलाकर जिसको रिजर्वेशन मिलता है वो इसके सपोर्ट में बहस करता है और जिसको नहीं मिलता है वो ज्यादातर इसके आगे इसमें बात करता है आप अपने आसपास नोटिस करोगे तो आपको यही पैटर्न मिलेगा मोस्टली अब देखिए अगर ऑलरेडी कुछ मैन बना कर आप ये वीडियो देखेंगे तो मुझे पता है फिर आप हर्ट होंगे क्योंकि इसमें मैं काफी कंट्रोवर्शियल चीज है डिस्कस करने वाला हूं लेकिन मेरी इंटेंशन इसके पीछे बस इतनी है की जब हम रिजर्वेशन के बारे में बात करें तो हमारे पास इसकी सही डिटेल्स वाली न्यूज़ ना हो जो इनफॉरमेशन अवेलेबल है उसको लेकर मैं कुछ लॉजिक और फैक्ट्स आपके सामने रखूंगा ताकि आप अपनी सोच बना सकूं इससे पहले की हम रिजर्वेशन डिस्कस करें कुछ डाटा डिस्कस करना ज्यादा जरूरी है ताकि एक्शन ग्राउंड रियलिटी क्या है वो समझने में आसानी हो तो ये इंडिया की टोटल पापुलेशन 2011 के सेंसेक्स के हिसाब से 121 करोड़ है जिसमें से 20 करोड़ 80 हैं और 10 करोड़ सेंट है यानी की स की पापुलेशन 16.63% है टोटल पापुलेशन की और सेंट की पापुलेशन 8.61% हुई ओबीसी के डाटा को लेके काफी कंट्रोवर्सी है वो अभी आगे समझ में ए जाएगा लेकिन मंडल कमीशन के हिसाब से ओबीसी की जो टोटल पापुलेशन है वो 52% है और एनएसएसओ के सर्वे के हिसाब से 41% है तो मोटा-मोटी अवेलेबल डाटा से हम ये अंदाजा लगा सकते हैं की टोटल पापुलेशन में अराउंड 75% बैकवर्ड क्लास है और बाकी जो बचे हैं वो 25% वो जनरल कास्ट है वही इस पापुलेशन में से रिजर्वेशन की बात करें तो स की पापुलेशन 16.63% है और उनको 15% रिजर्वेशन मिला और स की बात करें तो उनकी पापुलेशन 8.61% है और उनको 7.5% मिला हुआ है और ओबीसी पापुलेशन 52% है उनको 27% रिजर्वेशन मिला हुआ है तो अराउंड 75% बैकवर्ड क्लास में से 50% को रिजर्वेशन मिला हुआ है और अभी जो 10% यूज मिलता है उसकी बात हम आगे करेंगे अब देखिए इसमें सबसे ज्यादा डिस्कशन चलता है की रिजर्वेशन तो खुद एक डिस्क्रिमिनेशन है आप जाती के आधार पर भेदभाव करके किसी को ज्यादा और किसी को कम रिजर्वेशन दे रहे हो और हमारा लॉ कहता है की हर कोई कानून की नजर में इक्वल है और equaltia हमारा फंडामेंटल राइट है तो रिजर्वेशन तो इलीगल हुआ तो एक ऐसा टूल जो खुद डिस्क्रिमिनेशन कर रहा है वो डिस्क्रिमिनेशन से कैसे बचा पाएगा अब देखिए ये सारी चीज डिस्कस करने के लिए पहले हमें अपने आप को ऑब्जर्व करना पड़ेगा की हम अपने परिवार में कैसे बिहेव करते हैं मैन लीजिए आपके परिवार में दो बच्चे हैं एक पंच साल का है जो चल सकता है और दूसरा बच्चा अभी छोटा है तो अगर हमें कहीं जाना हो तो वहां पर हम क्या करते हैं जो छोटा बच्चा है जो चल नहीं सकता उसको मोदी में ले लेते हैं और जो चल सकता है उसको चलने दिया जाता है या फिर ये कहते हैं की इस घर में क्वालिटी फॉलो होती है दोनों के लिए रूल्स से रहेंगे दोनों को चलना पड़ेगा अब ऐसे ही अगर आप घर में मैन लो की घर में दो भाई हैं अगर किसी वजह से एक भाई की हेल्थ वीक है और उसको डॉक्टर ने कहा है की इसको अच्छी खुराक की जरूरत है तो आप क्या कहोगे की घर में तो इतना ही राशन आता है सब में बराबर बैठेगा एक क्वालिटी होगी या फिर जिस भाई को अच्छी खुराक की जरूरत है उसको ज्यादा खुराक दोगे तब तक वो ठीक ना हो जाए ऐसे ही अगर आप मैन लो की आप ट्रेवल कर रहे हो अपनी फैमिली के साथ कहीं पे और एक सीट खाली है वहां पे तो उसे टाइम पर जो पहले पहुंच जाता है वो बैठता है या फिर कोई फीमेल है बुजुर्ग नहीं होता है उसको आप सीट देते हो देखिए जब हम अपने घर की बात करें तो आप नोटिस करोगे की हम घर में भी किसी को कम किसी को ज्यादा प्रायोरिटी देते हैं और ये प्रायोरिटी एक तरह का डिस्क्रिमिनेशन नहीं होता है जिसकी वजह से इक्वलिटी आती है ऐसे ही हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के लिए पूरा देश एक परिवार है और वो एक्जेक्टली वैसे ही एक्ट करता है जैसे हम अपने परिवार में एक्ट करते हैं और हमें रिजर्वेशन इसलिए बुरा लगता है क्योंकि जैसे ही हम परिवार के बाहर निकलते हैं हम बाकी लोगों को बाहरी समझते हैं जब आपने घरों में ये सारी चीज कर रहे होते तो हम ध्यान नहीं देते हैं लेकिन हम ये इसलिए कर रहे होते हैं की अनसर्टेंटी कम्युनिकेशन में एक स्टेबिलिटी मेंटेन हो करके अंदर अगर हम ह्यूमन ग्राउंड को भी छोड़ दें लॉजिकल भी देखें तो रिजर्वेशन एक अगर आप घर का एग्जांपल लो किसी फादर के तीन बेटे हैं और वो इन तीनों बेटों में से किसी एक को इग्नोर करना शुरू कर दे आप देखोगे की वो लैपटॉप भाई आगे चल के घर वालों के ही अगेंस्ट में हो जाता है भाइयों के अगेंस्ट में हो जाता है वो उसे घर के लिए डेंजरस हो जाता इसलिए एक अकलमंद फादर कभी भी अपने बेटों में फर्क नहीं करता है जरूरत के हिसाब से चीज मैनेज करके सबको साथ मिलेगा ऐसे ही अगर कोई कंट्री है और उसमें किसी कम्युनिटी के साथ डिस्क्रिमिनेशन और इनिक्वालिटी बहुत ही ज्यादा लेवल पे बढ़ जाती है तो रिबेलियस हो जाते हैं छत्तीसगढ़ और झारखंड का एग्जांपल हमने देखा है की वहां पे कैसे लोग नक्सली बन गए रेड कॉरिडोर जो एरिया बोला जाता है वहां पे बिजनेस वगैरा करने में कितनी दिक्कत आती है नक्सली आज की डेट में बहुत ही बड़ी प्रॉब्लम बन गया इंडिया के लिए और ये सिर्फ इंडिया की बात नहीं है किसी भी देश की गवर्नमेंट अगर किसी एक स्टेट को इग्नोर करना शुरू कर दे तो आप देखिएगा की वो एक स्टेट पूरे देश के लिए थ्रेड बन जाती है यही रीजन है की सिर्फ इंडिया ही नहीं इंडिया के बाहर के देशों में भी रिजर्वेशन दिया जाता है क्योंकि देश सबको साथ लेकर चलने से बनता है वर्ण देश के लिए एक न्यूक्लियर बम से भी बड़ा खतरा हो जाता है अगर देश के अलग-अलग कम्युनिटी देश के खिलाफ हो जाएं हम बात करते हैं की हम वर्ल्ड की लार्जेस्ट डेमोक्रेसी है लेकिन जब तक हर कम्युनिटी का पार्टिसिपेशन नहीं होगा आप पेपर में तो लार्जेस्ट डेमोक्रेसी हो जाओगे लेकिन एक्चुअल में नहीं होंगे अभी हम थोड़ा सा पीछे जाएं तो इंडिया में का सिस्टम की जगह वैन का सिस्टम था पढ़ और एजुकेशन सिर्फ ब्राह्मण करते द रक्षाबंधन क्षत्रिय संभालते द वैश्य सिर्फ व्यापार करते द और जो शुद्र द वो इन तीनों वर्णों की सेवा करते द लेकिन इनमें कोई ऊपर या नीचे नहीं था ये सिर्फ कम के हिसाब से डिवाइडेड था हर जगह ऐसे ही था इंडिया के बाहर भी ऐसे ही था अगर आप इंडिया के बाद नाम सुनते होंगे इस्मत वगैरा तो उनका भी नाम उनके कम के हिसाब से ही पद गया था इसमें जो द वो लोहार को बोला जाता है अगर उसे टाइम पे सबको पता होता की एजुकेशन से ज्ञान आएगा और जिसके पास ज्ञान ज्यादा होगा वही रूल करेगा शायद सिचुएशन अलग होती लेकिन कम के बेसिस पर ये डिवीज़न हुआ और आगे चलकर जिसके पास राज और एजुकेशन भी वो बड़े होते गए बढ़ते गए और अपने हिसाब से रूल सेट करते गए और पूरा सिस्टम भेदभाव में बदल गया आज हम बरेली रिजर्वेशन की बात करते हैं लेकिन अपार क्लास के पास एजुकेशन में 100% रिजर्वेशन हजारों साल से था वो आगे बढ़ते रहे यहां तक की इंडिया की रोड्स तक पे 100% रिजर्वेशन था बैकवर्ड क्लास को रोड पर जाना तक अलाउड नहीं था बैकवर्ड क्लास के जो मेल द उनको अपने गले में कुल्हड़ लटका के चलना होता था ताकि वो जमीन पे थूक ना पाए कमर पर झाड़ू बंद कर रखने होती थी ताकि अगर पैर के निशान पद जाए तो उनको हटा सकें ताकि अपर क्लास वाले उसे पर चल सके अनटचेबिलिटी छुआछूत ये इंडिया की रियलिटी है इसको हमें इग्नोर नहीं कर सकते हैं महाभारत के अभी टाइम पे लिखा था की एकलव्य अर्जुन से ज्यादा टैलेंटेड द लेकिन वो अपनी कास्ट की वजह से कुछ नहीं कर पाए आप खुद सोच के देखिए जिसको छूना अलाउड नहीं था वो कुछ भी नहीं कर सकता उसको इंसान ही नहीं माना जा रहा था जानवरों से भी बदतर हाल किया गया था जानवरों से दूध पिया जा रहा था उनको दूध पिलाया जा रहा था चीटियों को आता खिलाया जा रहा था लेकिन इंसान को छूना अलाउड नहीं था और जब छूना लाउड नहीं था तो ना तो पढ़ सके नाउन को नौकरियां मिल सके और इस वजह से उसे पार्टिकुलर कम्युनिटी की जो कैपेबिलिटी है वो कम होती गई जेनरेशन तू जेनरेशन यही चलता रहा लेकिन इस चीज को बिना समझे लोग बड़ी आसानी से बोल देते हैं की बैकवर्ड क्लास कम कैपेबल होते हैं कुछ लोग तो आम भाषा में बोल देते हैं की जींस स्ट्रांग होते हैं आप पर क्लास वालों के आपने अपने आसपास बातों बातों में सुना होगा की आप लगते नहीं हो की आप स हो या फिर आप सेंट नहीं लगते हो या फिर ये असली राजपूत है ये बातें बहुत ही कॉमन है लेकिन दिखाती है की हम अंदर सोचते क्या है जबकि असल बात ये है की बैकवर्ड क्लास से हजारों साल तक अपॉर्चुनिटी छीनी गई हैं इस वजह से वो हमारी बराबरी पे आके नहीं खड़े हो का रहे हैं अब उस की बात करें तो वहां पे जो गोर है वो इंपॉर्टेंट पोजीशन पे ज्यादा है ब्लैक के कंपेरटिवली तो इसका मतलब ये थोड़ी की ब्लैक कम कैपेबल हैं इसका सिंपल सा मतलब ये है की वहां पे भेदभाव हुआ है इनफेक्ट अगर आप हिस्ट्री देखोगे इंडिया की जो इंडिया के शिल्पकार द ये बहुत ही ज्यादा स्किलफुल द बाहर के देशों से लोग देखने आते द की यहां के लोहार आयरन में कार्बन क्यों मिक्स कर रहे हैं ताकि रंग ना लगे पीतल के बर्तन बनाने का प्रक्रिया बहुत ही अच्छे से ये लोग जानते द जबकि बाहर के लोगों को सोने और पीतल में डिफरेंस तक नहीं पता था वेद व्यास जी जो दासी पुत्र द आज की भाषा में वो दलित होते लेकिन वो महर्षि द महर्षि वाल्मीकि ऐसी अटारी आज की लैंग्वेज अगर उसे होती तो ये सारे दलित द जैसे-जैसे भेदभाव शुरू हुआ ये लोग पीछे होते हैं गए आप किस कास्ट में पैदा हुए हो इसमें आपका कोई रोल नहीं है आपके आसपास एनवायरनमेंट कैसा मिल रहा है आपको अपॉर्चुनिटी क्या मिल रही है वो बहुत इंपॉर्टेंट चीज है अब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के बारे में लोग आज इतनी बात करते हैं जब वो स्कूल में गए द तो उनको अपनी खुद की बोली घर से लेके जानी पड़ती थी क्योंकि उनको क्लास के साथ बैठना अलाउड नहीं था बाहर बैठकें पढ़ते द पानी भी पियूं दूर से देता था जिस दिन तूने नहीं आता तो उनको पानी नहीं मिलता था इस तरह की स्ट्रगल से लेके कैसे उन्होंने अपना नाम कमाया की आज अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी तक में उनकी मूर्ति स्थापित है ये कहानी काफी इंस्पायरिंग है और आपको भी जानी चाहिए और इसके लिए आपको बुक खरीदने की या फिर पढ़ने की जरूरत नहीं है आप डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की ऑडियो बुक सन सकते हो अवेलेबल है कुक्कू एफएम पर जहां से मैंने भी सुना है और आप अपनी कन्वीनियंस से कभी भी इस ऑडियो बुक को कभी ट्रेवल करते हुए गार्डिंग करते हुए आराम से सन सकते हो इसके लिए आपको बुक लेके बैठने की जरूरत नहीं है कुक एफएम इंडिया का सबसे बड़ा ऑडियो शो प्लेटफार्म है अगर आपको और फील्ड में इंटरेस्ट हो जैसे हिस्ट्री एजुकेशनल फिटनेस एंटरटेनमेंट तो आप अपनी पसंद से ऑडियो बुक सन सकते हैं और इस बार और ज्यादा नॉलेज बनने का न्यू रेजोल्यूशन तो पूरा होना ही है क्योंकि कुकू एफएम पहली बार फर्स्ट मंथ की सब्सक्रिप्शन पर 50% डिस्काउंट दे रहा है यानी की 99 का सब्सक्रिप्शन 49 में बस आपको मेरे लिंक पे जाकर ऐप को डाउनलोड करना है और कूपन कोड एनआर 50 उसे करना है तो गो एंड सब्सक्राइब डी ऐप नौ लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं एक तरफ एक बच्चा है जिसके मैन बाप एजुकेटेड हैं सही टाइम पे उन्होंने बच्चे को अच्छे स्कूल में दल दिया उसकी दो-दो तीन-तीन ट्यूशन लगा दी हैं अलग-अलग स्पोर्ट्स भी खिलाया जा रहे हैं सही टाइम पे उसको लैपटॉप मिल गया वो अच्छे से लैपटॉप भी चलाना जानता है वही दूसरी तरफ एक बच्चा है जिसके मां-बाप पढ़े लिखे नहीं हैं सरकारी स्कूल में बस नाम लिखवा दिया गया है घर पे पैसे भी नहीं है इसलिए उसको कम पे भी जाना पड़ता है आसपास का माहौल सही नहीं है उसने लैपटॉप तो देखा तक नहीं है तो इन दोनों में से अगर किसी की नौकरी लगेगी तो किसकी लगेगी जो पहला बच्चा है उसी की नौकरी लगेगी वही सक्सेसफुल होगा वही आगे बढ़ेगा और फिर ये एक साइकिल बन जाता है जी यही यही खत्म होगी से चीज इनके बच्चों के साथ भी होगी जो सक्सेसफुल है वो पीढ़ी दर पीढ़ी सक्सेसफुल होगा जो अनसक्सेसफुल है उसका खानदान उसी नेवर एंडिंग विशिष्ट साइकिल में घूमता रहेगा बस लाखों बच्चों में से एक एक्सेप्शन निकल जाएगा हर कोई उसी का एग्जांपल देने लगे लगेगा आजकल का ट्रेंड है की जब भी किसी बच्चे को इंट्रोड्यूस कराया जाता है रिजर्वेशन तो ऐसे इंट्रोड्यूस कराया जाता है की देखो ये स सेंट कैटिगरी का है इसके नंबर कम द उसके बाद भी इसका सिलेक्शन हो गया लेकिन ये बहुत ही गलत तरीका है उनको हर एक चीज समझनी बहुत ही जरूरी है वर्ण सोसाइटी की वो जो एक गलत अंडरस्टैंडिंग है उसको लेकर लोगों से लड़ते रहेंगे नफरत फैलती रहेगी एससीएसटी कितने पीछे हैं इस बात का आप इससे अंदाजा लगा सकते हो की भली एजुकेशन में रिजर्वेशन है नौकरियां में रिजर्वेशन है लेकिन उसके बाद भी उसी रिजर्वेशन की सीट लेने के लिए मिनिमम जो चीज चाहिए वो तक नहीं है उनके पास बैकवर्ड क्लास के पास एक गांव से निकल के उसे सीट को लेना ही अपने आप में एक टास्क है आप देखते होंगे की स सेंट की काफी जगह ऐसी सीट से जहां पे खाली पड़ी रहती है 81 सीट्स तो पेज दी कोर्सेज में खाली पड़ी है 16 आईआईटी में 2020 के डाटा में तो ये था की 42 वीर जो थी वह खाली थी स सेंट और ओबीसी की हाल इतना खराब है की उसे मिली हुई सीट को लेने के लिए जो एक बेसिक रिसोर्सेस चाहिए वो तक नहीं द 1000 लोग 1000 सीट के लिए एग्जाम देते हैं उसमें से 20 से 25 सीट जो होती है वो बैकवर्ड क्लास को मिल जाती हैं जितने लोगों का नहीं होता है सब मिलके सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के सामने इन जितने लोगों को सीट मिली है इनको जलील करते हैं ये सुनने में बहुत ही नॉर्मल लगता है लेकिन किसी कम्युनिटी को एक सोसाइटी से कट ऑफ करना बहुत ही पेनफुल है जो लोग गांव में रहते हैं उन्होंने खाप पंचायत का नाम जरूर सुना होगा और भी अलग-अलग पंचायत होती हैं वो इतनी स्ट्रांग क्यों होती है क्योंकि लोगों को दर होता है की इनके नियम अगर फॉलो नहीं किए तो हमें समाज से निकल दिया जाएगा समाज से निगलने का जो दर होता है वो बहुत ही बड़ा दर होता है ये सिर्फ वही समझ पाएगा जो समाज से निकाला हुआ है जो पीछे छूटा हुआ है अंग्रेज हमें जान से थोड़ी मार रहे द वो भी तो हमारे साथ यही कर रहे द वो भेदभाव कर रहे द जिसके लिए हमने कितनी कुर्बानी दी लेकिन दिक्कत की बात ये है की आजाद होने के बाद भी ये जो अनटचेबिलिटी जैसी चीज हैं उसको हमने छोड़ा नहीं रेसर नहीं एक ऐसा टूल है वैसे डिफरेंस खत्म हो सकता है भले यह स्लो तरीके से कम कर रहा है लेकिन एक कम कर रहा है कहना बहुत ही आसान होता है की ये क्या तरीका है इलेक्शन में दोनों सीट पे सिर्फ बैकवर्ड क्लास को अलाउड कर रखा है लेकिन असल बात ये है की अगर ऐसा नहीं होगा तो बैकवर्ड क्लास नहीं जीत पाएगा दारा के धमका के पैसे के जोर पे वो नहीं जीत पाएगा अब देखिए इसमें सबसे ज्यादा जो लोगों को बिलीव है वो ये है की रिजर्वेशन इनकम बेस्ड होना चाहिए और मुझे भी काफी टाइम तक यही लगता था जब तक मुझे डिटेल्स नहीं पता थी देखिए रिजर्वेशन को कभी भी इसलिए नहीं बनाया गया की ऑल ओवर इंडिया में फाइनेंशली लोग इक्वल हो जाए अगर आप कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 14 15 और 16 पढ़ोगे तो उसमें इकोनॉमिक इक्वलिटी जैसे शब्द उसे नहीं किए गए हैं बल्कि रिप्रेजेंटेशन वर्ड उसे हुआ है आप एग्जाम वगैरा में भी अगर जाओगे तो वहां देखोगे की रिजर्वेशन के साथ रिप्रेजेंटेशन जो वर्ड है वो उसे होता है और ऐसा इसलिए क्योंकि रिजर्वेशन कोई पावर्टी एलिमिनेशन स्कीम नहीं है रेजर्वेसन सिर्फ और सिर्फ इसलिए लाया गया ताकि जो हजारों सालों से बैकवर्ड क्लास पे अत्याचार हुआ है और जो भेदभाव हुआ है उसको हटाया जा सके आप किसी को भी पैसा देके भले अमीर बना दो लेकिन उसकी कास्ट उसके साथ हमेशा रहती है जरूरी नहीं है की अगर कोई आदमी अमीर हो जाए तो उसके साथ उसकी कास्ट को लेकर भेदभाव नहीं होगा अगर गरीबी की वजह से कोई आगे नहीं बढ़ का रहा है तो उसके लिए नेशनल फैमिली बेनिफिट स्कीम नेशनल ओल्ड आगे पेंशन स्कीम मनरेगा नरेगा वगैरा ये सारी चीज हैं बिलो ट्वेंटी लाइन परिवारों के लिए अलग स्कीम है सब्सिडीज हैं सरकार अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाकर गरीबों की और मदद कर सकती है कॉर्पोरेट टैक्स जो है वो बढ़ा सकती है गरीबी हटाने के लिए पावर्टी वेलफेयर प्लांस स्ट्रांग होनी चाहिए रिजर्वेशन लाने के पीछे बेसिक सा जो कॉन्सेप्ट है वो यही है की जो बैकवर्ड क्लास है उसका रिप्रेजेंटेशन बढ़े और ये चीज मैं आपको एक एग्जांपल समझता हूं आपने देखा होगा की जब मायावती जी कम बनी थी तो एक माहौल से माना था की बैकवर्ड क्लास के लोग आगे ए रहे द अलग-अलग रूल्स बने लोग सोच समझ के बात कर रहे द कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए अगर हम बैकवर्ड क्लास को कुछ बोल दें या फिर उनके साथ कुछ कर दें अब आप सोच के देखिए सिर्फ एक बैकवर्ड कैंडिडेट के रिप्रेजेंटेशन की वजह से कितने लाखों बैकवर्ड क्लास को कॉन्फिडेंस और रिस्पेक्ट मिलने लगी यही पावर होती है रिजर्वेशन की यही इसके पीछे का लॉजिक है आपको ये होगा ये भी कहना है की जो जुल्म है वो तो हमारे पूर्वजों ने किया है तो हम क्यों उगते हैं लेकिन यही लोग जब अपने सिस्टर की प्रॉपर्टी लेनी होती है तो उसमें पीछे नहीं हटते हैं कई लोग ऐसे भी हैं जो रिजर्वेशन के अगेंस्ट में है लेकिन वही से लोग यूज की बात पर चुप रहते हैं क्योंकि इस पूरे मुद्दे पे जब लोग बहस करते हैं तो अपने फायदे और नुकसान को ध्यान में रख के बात करते हैं लॉजिक के बेसिस पे नहीं करते हैं ईडब्ल्यूएस इकोनॉमिकली वॉकर्स सेक्शंस के लिए 10% का कोटा है ये इनकम बेस्ड रिजर्वेशन है जो जनरल कैटिगरी को दिया जाता है अब ये जो इकोनॉमिकली रिजर्वेशन है ये अपने आप में बहुत चैलेंजिंग है सबसे बड़ा चैलेंज इसमें ये है की पहले कोई गरीब था फिर अमीर हुआ फिर दोबारा गरीब हो गया तो इसका ट्रैक रखना बहुत मुश्किल है अभी जो ईडब्ल्यूएस आया है उसमें 8 एनुअल इनकम की लिमिट लगी है की इससे कम वाले यूज की कैटिगरी में आएंगे और लास्ट ईयर की जो इनकम होगी उसके बेसिस पे डिसाइड होगा आए दिन केसेस ए रहे हैं की ईडब्ल्यूएस लेने के लिए बच्चों के लिए मां-बाप हैं वो एग्जाम से 1 साल पहले ही अपनी जॉब छोड़ दे रहे हैं ताकि यूज वाली कैटिगरी में उनका बच्चा ए जाए बाद में फिर ज्वाइन कर लेंगे दूसरी चीज इनकम को इवेलुएट करने का कोई प्रक्रिया ही नहीं है सिर्फ मेट्रो सिटीज के ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर टैक्स पैर और गवर्नमेंट जॉब वालों के अलावा आप पता ही नहीं कर सकते की ईडब्ल्यूएस का सही दावेदार कौन है यही रीजन है की 90 से 95% लोग एक तरह से पूरा देश ईडब्ल्यूएस की कैटिगरी में ए गया है उससे भी बड़ी दिक्कत है की जो इन्फ्लेशन लोग हैं उनके लिए फेक इनकम सर्टिफिकेट बनवाना बहुत ही इजी है इसलिए आए दिन न्यूज़ ए रही है की फेक इनकम सर्टिफिकेट बनवा जा रहे हैं अब अगला क्वेश्चन आपका ये होगा की कास्ट सर्टिफिकेट भी तो फेक बन सकते हैं देखिए इनकम सर्टिफिकेट तो हर कोई बनवा लेता है लेकिन जो कास्ट सर्टिफिकेट है ये नहीं बनवाया जाता है एक कहावत भी है की जाती कभी नहीं जाती कोई भी अपार कास्ट अपनी कास्ट नीचे नहीं करवाना चाहता क्योंकि उसको बहुत अच्छे से पता है की सोसाइटी में बैकवर्ड कहलन पर कितना भेदभाव होता है और इसके साथ-साथ लोग परिवार के दादा पर दादा को भी जानते हैं जो अगल-बगल रहते हैं तो वहां भी दिक्कत आती है हमारे देश में रिलिजन चेंज करवाना फिर भी आसान है लेकिन काश चेंज करना बहुत ही मुश्किल कम है कोई भी अपार कास्ट वाला लोअर कास्ट वाला बांके नहीं घूमना चाहता क्योंकि उसको पता है नौकरी तो भले ही मिल जाएगी लेकिन उसके बाद भी भेदभाव होगा उसके साथ इसलिए खास बेस सिस्टम अभी भी रेलीवेंट है गांधी जी का मानना था की डिस्क्रिमिनेशन तभी खत्म होगा जब लोग इंटरकोर्स मैरिज करेंगे इसलिए उसे पार्टिकुलर टाइम पे वो सिर्फ उसी शादी में जाते द तो इंटरकास्ट होती थी मैरिज में भी लोअर कास्ट को डिसएडवांटेज होता है क्योंकि कोई भी कैपेबल लड़का या लड़की मिलना दलित के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि घरों की आम भाषा में आपने जरूर सुना होगा बेटा किसी से भी शादी कर लेना लेकिन कोई छोटी कास्ट से मत उठा लाना और कुछ लोग तो टोंट मारते हैं की रिजर्वेशन तो खैरात में मिला है उनके लिए भी एक डिटेल शेयर कर देता हूं की अंग्रेजों के टाइम पे अपार कास्ट की डोमिनेंस की वजह से बैकवर्ड क्लास जो द वो अंग्रेजों से एक सेपरेट इलेक्टरेट मांग कर रहे द और ये वो टाइम था जब सबको रिलाइज हुआ की बिना बैकवर्ड क्लास के उनकी पॉलिटिकल पावर अंग्रेजों के सामने कुछ नहीं रह जाएगी और इसके बाद अंबेडकर जी की बात मैन के पूना पैक का समझौता हुआ और देश में रिजर्वेशन आया और अभी भी कुछ लोगों का ये मानना है की रिजर्वेशन की जरूरत अब नहीं है अब चाहे स सेंट हो या जनरल हो सब एक लेवल पे ए चुके हैं और अक्सर कुछ आईएएस पीसीएस का एग्जांपल देकर ये बात की जाती है अब एक कम करिएगा आप जहां भी रहते हैं वहां पे अपने घर से बाहर जाके जो सफाई करने वाले हैं या जो छोटे वर्कर्स हैं रैंडम उनके पास जाएगा और 10-12 लोगों से उनकी कास्ट puchiyega कोई भी सिंघानिया ओबेरॉय सूर्यवंशी ये सब कास्ट आपको सुनने को नहीं मिलेगी और उसे दिन आपको पता चलेगा की रिजर्वेशन की जरूरत क्यों है होता क्या है की डेली मुंबई जैसे मेट्रो सिटीज के मॉल में चक्कर लगा के चाय की दुकान में डिस्कस ओपन करने में बहुत आसान लगता है की रिजर्वेशन है जाना चाहिए लेकिन एक्चुअल जो ग्राउंड रियलिटी है वो बिल्कुल ही अलग है आप जरा गांव की साइड जाएंगे काशन की साइड जाएंगे तो वहां ग्राउंड रियलिटी एकदम अलग है अभी गवर्नमेंट यूपीएससी के लिए लैटरल एंट्री रिक्रूटमेंट लाई थी जिसमें बिना एग्जाम के बिना रिजर्वेशन के डायरेक्ट इंटरव्यू के थ्रू लोगों का रिक्रूटमेंट हो रहा था और उसमें किसी भी तरीके का रिजर्वेशन नहीं दिया गया था उसमें जितने भी लोग सिलेक्ट होकर आए द उसमें एक भी बैकवर्ड क्लास नहीं था अगर आज की डेट में रिजर्वेशन बंद कर दिया जाए तो जो स्लो स्पीड से बैकवर्ड क्लास आगे बढ़ रहा है वो एकदम रुक जाएगा आज भी आप देखोगे की अपार कास्ट पापुलेशन में बहुत ही कम है लेकिन इंपॉर्टेंट पोजीशन हो जमीन की ओनरशिप हो या कुछ और हो हर चीज में सबसे ज्यादा जो हिस्सेदारी है वो अपार कास्ट की है और ये कोई इंसीडेंस नहीं है देश भर की जितनी भी इंपॉर्टेंट पोजीशन है उसमें 400 से भी ज्यादा आरटीआई डाली हैं उसमें बैकवर्ड क्लास का रिप्रेजेंटेशन ना के बराबर था इनफेक्ट मिल था इन 400 आरटीआई इसका लिंक मैंने यूट्यूब के डिस्क्रिप्शन में दे दिया ये आप देख लीजिएगा देखिए प्रॉब्लम ये नहीं है की अपार कास्ट ज्यादा अच्छी पोजीशंस में है प्रॉब्लम बस छोटी बात नहीं की मैं कर रहा हूं कुछ अपार खास वालों को ये लगता है की उनका हक मारा जा रहा है और वो एक गुस्सा लेके घूम रहे हैं स सेंट के खिलाफ अभी आप हाल ही फिलहाल में देखोगे 2020 में विकास कुमार को सिर्फ इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि वो छोटी जाट का होके भी मंदिर में घुस रहा था इंडिया के प्रेसिडेंट जब मंदिर में गए द उनके लिए भी कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी देखी इनको भी नहीं घुसने दिया जाना चाहिए लेकिन बाद में इसका क्लेरिफिकेशन हुआ और वो फिर मंदिर के अंदर गए मैं आपको अपना भी एक एग्जांपल बताता हूं की बचपन का मेरा दोस्त जो जूनियर क्लास में मेरे साथ में था डेली मेरे साथ रहता था 12थ क्लास में जाकर मुझे पता चला की वो स है जब उसने एक फॉर्म भरा वो स्कूल के पूरे ग्रुप से छुपाता था की वो बैकवर्ड क्लास से अब देखिए कुछ तो रीजन होगा की आज भी बैकवर्ड क्लास ये बताना है की वो स सेंट हैं बचपन में मैं जिस एरिया में रहता था वहां पर सफाई करने वाले जितने भी लोग आते द वो एक एरिया डिसाइड करके एक साथ रहने लगे द उन लोगों ने मिल के उनकी कम्युनिटी के एक बच्चे को स्कूल में एडमिशन कर रहा है जब वो बच्चा रिक्शे में स्कूल जाता था तो उसको बहुत ही गलत गलत नाम से चढ़ाते द और कई कई तरीके से बोलते द उसको एक साल भी वो पूरा नहीं पाया और उसने स्कूल छोड़ दिया अब आप सोच भी नहीं सकते की डेली बेसिस पे वो लोग क्या सफर करते हैं अब देखिए सबसे बड़ी दिक्कत जो इस पूरे मुद्दे में है क्योंकि असल दिक्कत है वो है पॉलीटिशियन ये नेता लोगों को कभी भी एक वोटिंग नंबर के अकाउंट से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं और हर चीज को एक वोट बैंक का सर्कस बना देते हैं ऐसा मैं क्यों का रहा हूं वो भी समझते हैं 1932 में सबसे पहला रिजर्वेशन पॉलिटिक्स में ही दिया गया था जिसे पुणे पैक भी कहा जाता है ताकि बैकवर्ड क्लास का पार्टिसिपेशन हो देखिए किसान और बैकवर्ड क्लास पापुलेशन में ज्यादा है इसलिए आप नोटिस करोगे की ये दोनों नाम हर नेता के भाषण में रहते हैं तो जब पॉलिटिक्स में रिजर्वेशन आया तो उसके बाद तमिलनाडु गवर्नमेंट ने भी प्रॉमिस किया की वो जीत के बैकवर्ड क्लास को एजुकेशन में भी रिजर्वेशन देंगे और उसके बाद पहली बार देश में एजुकेशन के अंदर रिजर्वेशन है अभी होने के बाद मोरारजी देसाई जी देश के पीएम बने उन्होंने कहा की ओबीसी की जो पापुलेशन है वो 52% है इनको भी रिजर्वेशन मिलना चाहिए और उन्होंने मंडल कमीशन फॉर्म किया जिसमें 27% ओबीसी को रिजर्वेशन दिया गया अभी मंडल कमीशन तो बन गया था लेकिन नेता इसको हाथ लगाने से बच रहे द इंदिरा गांधी जी ने इस पूरे मंडल कमीशन को नहीं छेड़ा फिर राजीव गांधी पीएम बने उन्होंने भी इस मंडल को नहीं छेड़ा अब इसके बाद 1989 में वीपी सिंह जी की सरकार आई ये सरकार मिली जुली सरकार थी इसमें कई नेता ऐसे द जो पीएम बन्ना चाहते द और इसमें भी वीपी सिंह अप में ज्यादा इंपैक्ट करना चाहते हैं जो मंडल कमीशन था जिसको बाकी नेताओं ने हाथ नहीं लगाया था उसको ये लेकर आए और ओबीसी को 27% रिजर्वेशन दिलवा दिया गया बहुत ज्यादा गुस्सा हुए लोग कई सारे प्रदर्शन भी हुए लेकिन ये फिर भी लागू हुआ अब 50% के करीब रिजर्वेशन हो चुका था और इसके बाद नरसिम्हा राव जी आए और इन्होंने का दिया की हम 10% रिजर्वेशन इकोनॉमिक स्टेटस के बेसिस पे देंगे और पहली बार ये वेस की जो बात यहीं से शुरू हुई थी अब देखिए धीरे-धीरे ये सोशल इश्यू की जगह एक वोट बैंक की पॉलिटिक्स बनती जा रही थी अब इसको मैं एक एग्जांपल से समझता हूं अगर मैं किसी तरीके से सिस्टम में घुस के किसी भी तरीके से एक पार्टिकुलर कम्युनिटी के लिए रिजर्वेशन लेके ए जाऊं तो मेरी आने वाली पीडिया तक को उसे कम्युनिटी से वोट मिलेगा वही अगर मैं डेवलपमेंट वाला रास्ता चुगा तो ये रास्ता थोड़ा लंबा होगा वो बोरिंग भी रास्ता है ये और अगर मैं सिस्टम में घुस के किसी कम्युनिटी का रिजर्वेशन हटा दो तो मुझे और मेरी आने वाली पीढ़ी तक को उसे कम्युनिटी से वोट नहीं मिलेगा यही रीजन है की हमारे देश की हिस्ट्री में आज तक किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की वो रिजर्वेशन को हटा सके और हर बड़ा नेता कैसे ना कैसे करके अपने वोट बैंक के लिए रिजर्वेशन लेके आया है और इस पूरे सर्कस के चक्कर में एक्चुअल में जिसको रिजर्वेशन की जरूरत थी उसको स्ट्रगल करना पड़ता है वर्ल्ड बैंक की पॉलिटिक्स के चक्कर में हमारे कॉन्स्टिट्यूशन को मल्टीपल टाइम अमेंड किया गया है 77 84 87 84 93rd ये सारे अमेंडमेंट किए गए हैं हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में itevation को लेके हर पार्टी के जो बड़े नेता हैं वो रिजर्वेशन में सपोर्ट करते हैं और उसी पार्टी के जो छोटे नेता हैं वो रिजर्वेशन हटाने की बात करते हैं ताकि लोग आपस में ही उलझे रहे हैं किसी भी पॉलिटिकल पार्टी की अगर आपको रियल एडोलॉजी देखनी है तो उसके छोटे नेता क्या नॉरेटिव चला रहे हैं उसके ऊपर आप ध्यान दीजिएगा आपको समझ में ए जाएगा की वो पार्टी मेरी तरफ क्या चला रही है क्योंकि जो बड़े नेता हैं वो एक सेट पैटर्न में जो रिक्वायर्ड होता है बस वही बोलते हैं आप एक चीज और नोटिस करोगे की 1932 से आज तक कास्ट बेस सेंसर लोगों के सामने नहीं लाया गया है स सेंट की मजबूरी थी लोगों के सामने लाया गया क्योंकि कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर उसके प्रावधान है लेकिन बाकी किसी भी कास्ट का जो सेंसर है वो लोगों के सामने ही नहीं लाया गया है सालों से ये जो डाटा है ये मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर के पास पड़ा हुआ है लेकिन उसने उसे डाटा को रिलीज ही नहीं किया अब ऐसा क्यों किया गया है वो एक अलग मुद्दा है फिलहाल लास्ट में मैं यही कहना चाहूंगा की कोई भी आदमी अपनी कांच से बड़ा नहीं होता है बड़ा आदमी वो होता है जिसके साथ बैठ के कोई भी आदमी अपने आप को छोटा ना फुल करें और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जो ऑडियो बुक है वो कुक्कू एफएम पर आप जरूर suniyega उससे आपको और क्लेरिटी मिलेगी लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है थैंक यू [संगीत] IXiYmdmnQqI,Why Commercial Passenger Planes Don’t Fly Faster? | Nitish Rajput | Hindi,2023-01-04T15:10:20Z,PT14M11S,2502468,59239,1326,https://www.youtube.com/watch?v=IXiYmdmnQqI,, पिछले 50 सालों में प्लीज धीरे चलने लगे हैं और ऐसा जानबूझ के किया गया पूरे साल में क्रिसमस और newyor के हॉलीडे का जो टाइम होता है उसे टाइम पर टूरिस्ट वाले रूट्स की जो टिकट्स होती हैं वो ज्यादा प्राइस पे खोल है इसके साथ-साथ ये जो एयरलाइंस होती है ये अपने कंपीटीटर्स के रेट को भी रिव्यू करती हैं अगर एक पैटर्न फॉर्म हो रहा है की ट्यूसडे को लोग कम ट्रेवल कर रहे हैं तो ट्यूसडे को आपको ये इतना सस्ता टिकट दे देंगे की बहुत ही रेयर केस में ऐसा होता है की आप प्लेन की टिकट बुक कर रहे हो और टिकट्स अवेलेबल ना हो और इसके लिए प्रॉपर एक एल्गो चलती है जिससे प्राइस रियल टाइम में चेंज होते हैं ये जो एयरप्लेंस हैं इनके अंदर जो बिजनेस क्लास जो इंट्रोड्यूस किया गया इसके पीछे भी एक बहुत ही इंटरेस्टिंग कहानी है 2007 में आईफोन 1 आया फिर तू आया और अब तो हर साल इनका नया वर्जन आता है उसकी स्पीड को तेज कर देते हैं वहीं कंप्यूटर की बात करें तो हर साल उनका जो प्रोसेसर होता है वो तेज होता रहता ट्रेन भी पहले नॉर्मल चलती थी अब तो सुपर फास्ट ए गई है लेकिन इन सारी चीजों के बीच में एक चीज ऐसी है जो पहले के मुकाबला तेज नहीं हुई है बल्कि स्लो हुई है और ऐसा नहीं है की उसको तेज नहीं किया जा सकता बल्कि जान पूछ के उसको स्लो रखा गया है और वो चीज है एयरप्लेन 1967 में न्यू यॉर्क से लॉस एंजिल्स के बीच में उड़ने वाली फ्लाइट 5 घंटे 43 मिनिट्स लेती थी और आज से रूट पे 6 घंटे 27 मिनट लेती है यानी की पहले से 45 मिनट ज्यादा और ऐसा हर एयरप्लेन के साथ हुआ है कहने का मतलब ये है की पिछले 50 सालों में प्लीज धीरे चलने लगे हैं और ऐसा जानबूझकर किया गया है जब पहले कमर्शियल एयरप्लेन चलते द तो इस तरीके के डिस्कशन होने लगे द की अगर हम इनको तेज करके लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाएं तो बहुत ही सक्सेसफुल आइडिया होगा और ये चीज करने के लिए ब्रिटिश एयरवेज एक सुपर सोनिक कमर्शियल प्लेन लेकर भी आया लेकिन एक बहुत ही बड़ा डिजास्टर बन गया तो ये सारी चीज हुई क्यों ये तेज क्यों नहीं चल पाए ये सारी चीजें मैं अभी डिस्कस करेंगे उससे पहले एक चीज आप समझ लीजिए सुपरसोनिक प्लेन वो होते हैं जो साउंड की स्पीड से तेज चलते हैं और जो साउंड की स्पीड होती है वो होती है 767 माइल्स पर अवर तो इस स्पीड से जो भी प्लेन तेज चलेगा उसको सुपरसोनिक बोला जाएगा और जो कम चलेगा उसको सब सोनिक बोला जाएगा और आज की डेट में जो कमर्शियल पेन उड़ते हैं ये सब सोनिक प्लेस बोलते हैं तो लोगों को जल्दी एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए ब्रिटिश एयरवेज ने सुपरसोनिक प्लेन इनको कौन-कौन भी बोला जाता था वो लेके आया और उनको प्रॉपर कमर्शियल उसे करना भी शुरू किया उनको लंदन से न्यूयॉर्क वाले रूट पर चलाएं ये जो सुपरसोनिक कनकॉर्डे प्लांस द इनकी स्पीड बहुत ज्यादा होती थी ये लंदन से न्यूयॉर्क सिर्फ 3 घंटे में पहुंचा देते द अब देखिए ये प्लांस डेस्टिनेशन पर तो जल्दी पहुंचा रहे द लेकिन इनमें कुछ दिक्कतें थी पहला गेंद में फ्यूल बहुत ज्यादा लगता था और ये एक माइक पर लगभग 46.85 फ्यूल खाते द वहीं जो नॉर्मल प्लेन द वो सिर्फ 18.7 फ्यूल पर मिले पर चलते द कहने का मतलब ये हुआ की ये जो सुपरसोनिक प्लेन द ये एक गैलन फ्यूल में सिर्फ 14 माइक चल का रहे द जबकि नॉर्मल प्लेन जो द उतने ही फ्यूल में 104 माइक चलते द ब्रिटिश एयरवेज ये जो तेज चलने वाले सुपरसोनिक कौन-कौन प्लेन लेकर आया था ये कस्टमर को बहुत ही ज्यादा महंगे पड़ने लगे द इनकी टिकट्स बहुत ज्यादा महंगी पद रही थी हालांकि ब्रिटिश की जो टारगेट ऑडियंस थी वो हाई क्लास होगी द लेकिन हाई क्लास लोग भी इसको नहीं प्रेफर कर रहे द लंदन से न्यूयॉर्क तक ट्रेवल करने में 7500 से ज्यादा लग रहा था और ये उसे टाइम के हिसाब से बहुत बड़ा अमाउंट है ऊपर से इन प्लांस को तेज चलाने की वजह से इस तरीके से डिज़ाइन किया गया था की काफी कंपैक्ट द लेकिन कंपैक्ट के साथ-साथ ये लोगों के लिए अनकंफरटेबल भी द ये जो तेज चलने वाले सुपरसोनिक प्लेन द इसमें सिर्फ 100 pessengerry बैठ पाते द वही जो पहले नॉर्मल प्लांस द उससे ज्यादा कैपेसिटी में बिठा पाते द जैसे की मैंने पहले भी बताया था की ये सुपरसोनिक प्लेन है तो जब ये साउंड की स्पीड से तेज चलते हैं तो एक साउंड जेनरेट होती है इसको सोनिक बूम कहा जाता है आपने देखा होगा जब एक फाइटर जेट आसमान में जाता है तो काफी तेज आवाज़ आती है ग्राउंड पे जो नीचे लोग होते हैं वहां तक सुनाई आती है तो ये जो सुपरसोनिक एक्सप्लेन डी ये उसी तरीके की आवाज़ करते द जिस रूट पे ये चलते द उसे रूट के ग्राउंड के लोगों को काफी नॉइस पॉल्यूशन झेलना पड़ता था और इसमें जो एयरलाइन वाले द उनको भी भारी नुकसान हो रहा था क्योंकि नंबर ऑफ साइकिल्स तो बढ़ रही थी प्लेन की लेकिन रेवेन्यू कम हो रहा था किसी भी प्लेन की लाइव इससे डिसाइड नहीं होती है की कितने साल चलता है एक प्लेन का लाइफ़स्पन डिसाइड होता है साइकिल्स में की कितनी बार उसने टेक ऑफ और लैंड किया उन्होंने एवरेज एक प्लेन की जो लाइफ होती है वो 44000 साइकिल्स होती है मतलब की वो 44000 टाइम उद सकता है उसके बाद रिटायर हो जाता है अब जब ये सुपरसोनिक प्लेन आए तो 6 घंटे की फ्लाइट 3 घंटे लेने लगी इससे नंबर्स ऑफ फ्लाइट बड़ी और नंबर ऑफ फ्लाइट्स बढ़ते ही प्लेन की आगे भी कम हुई अब इतना पैसा लगा के सुपरसोनिक प्लेन बनाया गया लेकिन लोग उसके बाद भी नॉर्मल फ्लाइट से उसे कर रहे द पैसे की वजह से अब ये सुपरसोनिक प्लेन बनाने वाले पैसा चाहा के भी कम नहीं कर का रहे द क्योंकि कास्टिंग बहुत ज्यादा थी ये सुपरसोनिक प्लेन को लाने के पीछे में रीजन यही था की लोग कम टाइम में अटलांटिक ओशन को क्रॉस कर लेंगे अब 3 घंटे में क्वेश्चन को क्रॉस करना बहुत एक्साइटिंग है लेकिन उसके लिए 7500 देना पड़ेगा वहीं नए वाले प्लेस जो द वो 200 से 300 डॉलर में आपको अटलांटिक ओशन क्रॉस कर रहे द और उसके बाद भी अच्छा प्रॉफिट बना ले रहे द लोगों ने कम टाइम में पहुंचने की बजाय सस्ती और comefortable फ्लाइट में जाना पसंद किया और इसी वजह से पूरा ये जो सुपरसोनिक प्लेन वाला जो आइडिया था ये फ्लॉप हो गया था और फाइनली ब्रिटिश एयरवेज को कौन-कौन को बंद करना पड़ा आखिरी बार कौन-कौन को 24 अक्टूबर 2003 को उदय गया था और उसके वहां से कमर्शियल सुपरसोनिक फ्लाइट्स को पुरी तरीके से बंद कर दिया गया था और आज की डेट तक बंद है अब इसमें एक चीज और है की आज की डेट में हम ट्रेवल करते हैं यह भले सुपर सोनिक जितने तेज ना हो लेकिन यह भी चाहे तो 700 माइल्स पर अवर की स्पीड पे चल सकते हैं लेकिन इनको नहीं चलाया जाता है बल्कि इसकी वजह 500 से 50050 माइल्स पर अवर की स्पीड पे इसको चलाया जाता है और ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इस पार्टिकुलर स्पीड पे ये सबसे किफायती तरीके से चलते हैं मतलब सबसे कम फ्यूल खाते हैं किसी भी कमर्शियल प्लेन की सबसे इंपॉर्टेंट चीज होती है की वो ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कम है इसलिए कम फ्यूल खर्च करना सबसे इंपॉर्टेंट फैक्टर बन जाता है लेकिन इसके साथ-साथ उसकी सीट्स भी इस तरीके से डिज़ाइन की जाती है की उन पर बैठने वाले हर पैसेंजर से ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमाया जा सके अगर आप एक एयरप्लेन के अंदर सेटिंग अरेंजमेंट देखोगे तो ये जो एयरलाइंस है ये इकोनॉमी क्लास है पैसा नहीं कमेटी हैं असली पैसा इनका आता है बिजनेस क्लास से इसको एक ब्रिटिश एयरवेज 77 जो प्लेन है उसके एग्जांपल से समझता हूं इस प्लेन में टोटल 224 सीट्स हैं इसकी 224 सीट्स में से 122 इकोनॉमी है 40 प्रीमियम इकोनॉमी है 48 बिजनेस क्लास है और 14 सीट्स फर्स्ट क्लास है इकोनॉमी क्लास की एक सीट 876 की है प्रीमियम इकोनॉमी की 2633 की है बिजनेस क्लास की 6723 की है और फर्स्ट क्लास की 8715 की है तो अगर इकोनॉमी क्लास की सारी सीड्स बीट जाए तो टोटल कमाई होगी ₹16872 वही प्री में इकोनॉमी की क्लास से होगा 1 लाख 5320 अब अगर आप इसको इकोनॉमी क्लास से कंपेयर करोगे तो प्रीमियम इकोनॉमी क्लास से ही इकोनॉमी क्लास के बराबर कमाई होगी जबकि इनकी नंबर ऑफ सीट्स इकोनॉमी क्लास से आधी भी नहीं है अब अगर आप बिजनेस क्लास को देखोगे तो उससे कमाई होगी 32700 $4 यानी की बिजनेस क्लास में बैठे 14 पैसेंजर प्लेन के पिछले हिस्से में बैठे 122 पैसेंजर से ज्यादा प्रॉफिट बना के देते हैं एक्चुअली जब कमर्शियल प्लांस की शुरुआत हुई थी तब प्लांस में अलग-अलग क्लासेस नहीं होती थी लाइन से सारी सीट्स लगी होती थी और उनमें कोई फर्क नहीं होता था उसे पर टाइम पे प्लेन में बैठना ही अपने आप में बहुत ही बड़ी बात होती थी प्लीज इसके अंदर सफर करना इतना महंगा था की वो ही अपने आप में एक लग्जरी एक्सपीरियंस होता था इसको आप इस तरीके से समझ सकते हैं की अगर आज की डेट में कोई स्पेसक्राफ्ट से स्पेस में जा रहा हो तो उसे पार्टिकुलर टाइम पे इस लेवल का स्टेटस होता था प्लेन में ट्रेवल करना और ऐसे अगर कुछ टाइम के बाद स्पेस में भी ट्रेवल करना कॉमन हो गया तो हम देखेंगे की वहां भी बिजनेस क्लास इकोनॉमिक क्लास ये सब होने लगेगी एयरप्लेन है इनके अंदर जो बिजनेस क्लास जो इंट्रोड्यूस किया गया इसके पीछे भी एक बहुत ही इंटरेस्टिंग कहानी है शुरुआत में प्लेस में दो ही तरीके से लोग ट्रेवल करते द एक वो जो बिजनेस टिप्स के लिए ट्रेवल करते द और दूसरे होते द टूरिस्ट टूरिस्ट जो द वो हमेशा एडवांस में बुकिंग करते द क्योंकि उनकी जर्नी पहले से ही प्लान होती थी और बिजनेस मैन तब करते द जब उनको जाना होता था वो आखिरी दिन सीधा काउंटर से ही टिकट्स खरीदते द लेकिन एयरलाइन चाहती थी की उनकी ज्यादा से ज्यादा टिकट्स एडवांस में ही बुक हो जाए क्योंकि लास्ट मोमेंट पर कितने लोग आएंगे और कितने नहीं आएंगे इस बात किसी अनसर्टेंटी होती थी इसलिए उन्होंने टूरिस्ट क्लास के टिकट प्राइस कम किए और बिजनेस क्लास के टिकट प्राइस बधाई ताकि लोग पहले से प्लान करके टिकट ले लेकिन धीरे-धीरे एयरलाइंस को रिलाइज हुआ की बिजनेसमैन के लिए पैसे से ज्यादा टाइम की वैल्यू है क्योंकि टिकट प्राइस बढ़ाने के बाद भी बिजनेस क्लास की जो टिकट्स थी वो आराम से बिक रही थी धीरे-धीरे इन्होंने बिजनेस मैन जो राइट आवे टिकट खरीद के ट्रेवल करते द इनको थोड़ा अलग ट्रीटमेंट देना शुरू किया जैसे उनकी सीट ज्यादा कंफर्टेबल कर दी उनका सेक्शन अलग कर दिया फिर और आगे चलकर इसको प्रॉपर बिजनेस क्लास बना दिया गया जो की हम आज की डेट में भी प्लांस में देखते हैं इकोनॉमी क्लास की एक सीट प्लेन के अंदर 3.77 स्क्वायर फीट की जगह लेती है वहीं बिजनेस क्लास की एक सीट 10.14 स्क्वायर फीट की जगह लेती है और जो बिजनेस क्लास है वो ज्यादा पैसा बना के देती है इसको मैं एक एग्जांपल बताता हूं न्यूयॉर्क से अबू धाबी की एक फ्लाइट में इकोनॉमी क्लास की जो टिकट है वो 1250 की है और बिजनेस क्लास की टिकट ₹6000 की है इसका मतलब की इकोनॉमी क्लास की एक सीट 300 डॉलर पर स्क्वायर फीट कम के सकती है और बिजनेस क्लास 65 पर स्क्वायर फीट कम कर देती है ऑलमोस्ट डबल और इन सारी चीजों के बीच में आप एक चीज और नोटिस करोगे की बहुत ही रेयर केस में ऐसा होता है की आप प्लेन की टिकट बुक कर रहे हो और टिकट्स अवेलेबल ना हो ट्रेन के केस में कंपलीटली बुक मिल जाती है यहां पे लेकिन एयरप्लेन आपको हमेशा खाली मिलते हैं और ऐसा ये इसलिए करते हैं क्योंकि ये डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं बढ़ते बल्कि सप्लाई के हिसाब से डिमांड कम करते हैं इसका मतलब ये हुआ की अगर एक प्लेन है जिसमें 100 सिम हैं और 120 लोग उसे प्लेन में जाना चाहते हैं तो ये धीरे-धीरे अपने प्लेन को बड़ा या फिर सीट बनाएंगे नहीं बल्कि उसके प्राइस बढ़ा देंगे ताकि डिमांड ही कम हो जाए और इसके लिए प्रॉपर एक एल्गो चलती है जिसे प्राइस रियल टाइम में चेंज होते हैं जैसे-जैसे आप टिकट्स बुक करते जाते हो वैसे-वैसे प्राइस चेंज होते हैं इसे डायनेमिक प्राइसिंग कहा जाता है इसमें क्या करते हैं की अपनी टिकट्स को तीन ग्रुप में डिवाइड कर देते हैं पहले ग्रुप के प्राइस कम होते हैं दूसरे ग्रुप के प्राइस उससे ज्यादा होते हैं और तीसरे ग्रुप के प्राइस सबसे ज्यादा होते हैं और ये जो ग्रुप हैं ऐसे आपको नहीं दिखेंगे ये एयरलाइंस वालों ने एक सिस्टम बना रखा है प्राइसिंग के लिए अब इसमें क्या होता है की सबसे पहले एयरलाइंस पहले ग्रुप की टिकट्स को खोलती है जो कम रेट्स के होते हैं तो अगर पहले ग्रुप की जो टिकट्स हैं वो अगर तुरंत बिक जाती हैं तो जो दूसरा ग्रुप है जिसकी प्राइस थोड़े से ज्यादा है उसके टिकट्स की ओपनिंग की जाती है और अगर वो भी बिक गए तो फिर तीसरे और सबसे महंगे ग्रुप की टिकट्स को खोला जाता है मैन लो अगर नौ टिकट्स है तो तीन-तीन के ग्रुप में इनको मार दिया जाता है पहले तीन टिकट्स दिए जाते हैं अगर वो भर जाती है तो बाकी की तीन टिकट दी जाती है और अगर वो भी भर जाती है तो फिर बाकी की तीन टिकट दी जाती है तो जैसे-जैसे बढ़ती रहती है प्राइस बढ़ता रहता है और इन केस अगर पहले ग्रुप की टिकट्स नहीं बिकी तो दूसरे ग्रुप की टिकट्स को भी पहले ग्रुप में ही दल दिया जाता है और ये सारी चीज एल्गोरिथम जो है वह रियल टाइम में करता है और जो टिकट्स हैं कितने प्राइस पे खुलेंगे ये भी एक अलग तरीके से कम करता है अगर दिल्ली से पुणे जाना है तो इसके टिकट्स कम प्राइस पे खुलेंगे और जैसे-जैसे डिमांड आगे पीछे होगी उसके हिसाब से एडजस्ट होंगे लेकिन अगर कोई टूरिस्ट रूट है जैसे की दिल्ली से गोवा तो उनके टिकट ज्यादा प्राइस पे खुलेंगे अगर कोई इवेंट है तो उसके प्राइस अलग तरीके से खुलेंगे पूरे साल में क्रिसमस और न्यू ईयर के हॉलीडे का जो टाइम होता है उसे टाइम पर टूरिस्ट वाले रूट्स की जो टिकट्स होती हैं वो ज्यादा प्राइस पे खोल हैं और बिजनेस रूट्स पे कम प्राइस पे खोल है और ये जो नंबर ऑफ फ्लाइट्स हैं इस पार्टिकुलर टाइम पे ये लोग टूरिस्ट रूट पे ज्यादा कर देते हैं और बिजनेस रूट जो होते हैं उसपे कम कर देते हैं इसके साथ-साथ ये जो एयरलाइंस होती है ये अपने कंपीटीटर्स के रेट को भी रिव्यू करती हैं और उसके हिसाब से रेट को चेंज करती हैं मैन लीजिए इंडिगो की दिल्ली से मुंबई की जो ट्रिप है वो 3000 की हो गई है तो बाकी के जो कंपीटीटर है उसके हिसाब से ही प्राइस को आगे पीछे कर देते हैं वीक डेज़ का जो डाटा होता है ये उसको भी ट्रैक करते हैं अगर एक पैटर्न फॉर्म हो रहा है की ट्यूसडे को लोग कम ट्रेवल कर रहे हैं तो ट्यूसडे को आपको इतना सस्ता टिकट दे देंगे की आप अपने प्लान को उसके हिसाब से एडजस्ट करने का ट्राई करें आपके जो प्लांस होंगे उसके हिसाब से ये एडजस्ट नहीं होते हैं बल्कि इनके प्लान से आपको एडजस्ट कराया जाता है पैसा कम करके अब ये जो एयरलाइन का बिजनेस है इसको चलाना भी बहुत ही डिफिकल्ट कम है एयरलाइन के लिए कस्टमर को प्रीमियम चार्ज करना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि चाय डोमेस्टिक कस्टमर हो या फिर इंटरनेशनल वो सबसे सस्ते टिकट के लिए ही सर्च करता है ये बिजनेस दिखने में जितना ग्लैमरस दिखता है चलाने में उतना ही टिपिकल होता है एक एयरप्लेन के अंदर हर खाली सीट पर एयरलाइन को लॉस होता है ऊपर से ऑपरेशन की कॉल्स भी बहुत हाई होती है और गवर्नमेंट के जो रूल्स होते हैं वो भी बहुत ज्यादा है अमेरिका की ये जो तीन फेमस और बड़ी एयरलाइंस हैं उनके पास 300 के आसपास प्लेन हैं वहीं अगर चीन की बात करें तो उनकी जो तीन मेजर एयरलाइंस हैं उनके पास 2000 से भी ज्यादा है वहीं अगर हम इंडिया में सबसे बड़ी एयरलाइन अगर एयर इंडिया का हम एग्जांपल लें उनके पास 136 airplans हैं इंडिया की इतनी बड़ी पापुलेशन है और एयर ट्रेवल की जो डिमांड है वो लगातार बढ़ रही है लेकिन फिर भी इंडिया का एविएशन सेक्टर जो है वो ग्रो नहीं कर का रहा है बल्कि एयरलाइंस फैल होती जा रही है इंडिया के एविएशन सेक्टर पर जो मेजर प्रेशर आता है वो फ्यूल प्राइस बढ़ाने से और रुपीस की वैल्यू घटने से आता है लेकिन उससे भी ज्यादा जो बड़ी दिक्कत है वो इस सेक्टर के अंदर गवर्नमेंट का जो दखल है वह बहुत ज्यादा है जैसे 2016 तक गवर्नमेंट का एक रूल था की एक एयरलाइन अगर इंडिया के बाहर फ्लाइट चलाना चाहती है तो उसको पहले इंडिया के अंदर 5 साल तक चलाना होगा और उसके पास कम से कम 20 प्लेस होने चाहिए अब ये सारे जो रूल्स हैं इनसे जो नई एयरलाइन कंपनियों थी उनकी कमाई पे काफी असर पद रहा था अब इसी तरीके से सेंट्रल गवर्नमेंट ने एयर लाइन पे 100% एफडीआई तो अलाउ किया हुआ है लेकिन अगर कोई इंडिया से बाहर एयरलाइन कंपनी यहां की किसी फर्म में इन्वेस्ट करना चाहे तो उसके ऊपर 49% की लिमिट है एक एयरलाइन को चलाने के लिए बहुत ही बड़े अमाउंट में पैसा चाहिए होता है और एफडीआई लिमिट की वजह से पैसे के साथ-साथ एयरलाइंस को नई टेक्नोलॉजी और बेस्ट प्रैक्टिस मिलने में भी रुकावट होती है अभी रिसेंटली टाटा ने एयर इंडिया को खरीदा है और उसके बाद ऐसी खबरें ए रही हैं की एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग को 500 जलाइनर के लिए बिलियन ऑफ डॉलर का ऑर्डर दिया है ये अभी तक का बहुत ही बड़ा ऑर्डर है एयर इंडिया को टाटा ने 2022 में 18000 करोड़ में खरीदा था और टाटा ग्रुप में एयर इंडिया का जो मर्ज है वो भी विस्तार के साथ अनाउंस किया है जो की सिंगापुर एयरलाइन के साथ उसको जॉइंट प्रोजेक्ट था अब अगर सारी चीज होती हैं तो ये एक्सपेक्ट किया जा सकता है की टाटा ग्रुप इंडिया से आने और जाने वाले रूट्स पर एक्सपेंड करेगी और फॉरेन एयरलाइंस का कंट्रोल कम करेगी जिसको अभी एमिरेट्स जैसी एयरलाइंस जो है वो डोमिनेंट करती हैं [संगीत] PRVRiqlDsE4,Why is London a top choice for Fraudsters?,2023-01-02T05:30:05Z,PT59S,20226323,1055822,6605,https://www.youtube.com/watch?v=PRVRiqlDsE4,, विजय माल्या नीरव मोदी ललित मोदी इन तीनों में दो चीज कॉमन हैं इन तीनों के ऊपर फाइनेंशियल फायदा के केसेस हैं और ये तीनों ही इंडिया से भाग के यूके पहुंच गए हैं पर ये तीन ही नहीं है जो यूके है बल्कि आज तक 5:30 हजार से ज्यादा इंडियन क्रिमिनल्स और प्लॉट सर यूके में पॉलिटिकल असाइनम ले चुके हैं कहने के लिए तो यूके और इंडिया के बीच में 1992 से एक्सट्रैडिशन 3D साइन हुई थी जिसके अंदर अगर इंडियन गवर्नमेंट किसी क्रिमिनल या frostral को वापस लाना चाहे तो प्रोसीजर फॉलो करके वो ऐसा कर सकती है बट 1992 से आज तक सिर्फ एक ही आदमी वापस आया है जिसका नाम है समीर भाई बिनु भाई पटेल दरअसल जब ये फ्रॉस्ट सर इंडिया से भागते हैं तो यूके इनका पूरा स्वागत करता है अगर इनके पास इन्वेस्टमेंट के लिए दो मिलियन पाउंड हो और अगर ये 2 मिलियन पाउंड इन्वेस्ट कर दें तो यूके गोल्डन वीजा ही मिल जाता है इसके अलावा यूके में ह्यूमन राइट्स के स्ट्रांग लॉस हैं जिसकी वजह से ये क्रिमिनल्स काफी प्रोटेक्टेड रहते हैं इन फ्रॉस्ट सेल और क्रिमिनल्स के यूके आने से यूके के बैंक में काफी बड़ा पैसा आता है और यूके का वेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इस तरह के मणि लॉन्ड्रिंग को काफी हद तक फैसिलिटेट करता है [संगीत] tra1jXV1lCU,The Bermuda Triangle Mystery Has Been Solved | Nitish Rajput | Hindi,2022-12-14T14:30:13Z,PT13M18S,3938374,100167,2241,https://www.youtube.com/watch?v=tra1jXV1lCU,, आपने बहुत बार लोगों को कहते हुए सुना होगा की आसमान खा गया या फिर जमीन निकल गई लेकिन अर्थ पे एक ऐसी जगह है जहां पे लोगों ने क्लेम किया है की वहां पे सच में ऐसा होता है ये जगह नॉर्थ अटलांटिक ओशन के वेस्ट रीजन में है उस के स्टेट फ्लोरिडा से लेकर puritori को आइलैंड और बरमूडा के बीच में है अब क्योंकि ये तीनों मिलके ट्रायंगल बनाते हैं इसलिए इस एरिया को कहा जाता है बरमूडा ट्रायंगल लेकिन इस एरिया में जो-जो इंसीडेंस हुए हैं उसकी वजह से इसको और भी नाम दिए गए हैं जैसे डेविल्स ट्रायंगल डी लिंबू ऑफ डी लॉस्ट अब बात यह है की जो एरिया है इसके बारे में बात होना शुरू कैसे हुई 1950 में उस मीडिया के अंदर इस एरिया के बारे में हल्की हल्की बातचीत शुरू हो रही थी लेकिन पहली बार इसको बरमूडा ट्रायंगल लोगों ने तब बोलना चालू किया जब व्हेन सेंट गेड़ी ने एक आर्टिकल पब्लिश किया और घोष ही मैगज़ीन में और उसमें उन्होंने लिखा की फ्लोरिडा के पास एक एरिया है जो तीन पॉइंट से मिलकर बना है और जहां पे कुछ अजीब सी एक्टिविटीज हो रही हैं और जब ये आर्टिकल ऑन लिखा तो उसे आर्टिकल का जो नाम था वो लिखा था डी डेली बरमूडा ट्रायंगल उसके बाद जब भी इसके बारे में बात हुई तो इसको लोगों ने बरमूडा ट्रायंगल ही बोला और तब से लेके आज तक इसको बरमूडा ट्रायंगल ही बोला जाता ये जो बम ट्रायंगल का एरिया था इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये थी की जैसे ही इस एरिया में जाओ तो कभी रेडियो ना चले कभी कंपास खराब हो जाए इलेक्ट्रॉन डिवाइसेज जो थी उनकी जो रीडिंग थी वो फ्लकचुएट करने लगती थी और ये सब तो चल ही रहे द इसके साथ-साथ आसमान से प्लेन और समुद्र से शिप ये भी गायब हो रहे द और इनके साथ-साथ जो लोग द वो भी गायब हो रहे द और गायब भी इस तरीके से हो रहे द की चाहे आदमी हो या फिर उनका एक छोटा सा टुकड़ा तक नहीं मिल रहा था अब जब ये सारे इंसीडेंस हो रहे द तो लोगों ने अलग-अलग चीज बोलना चालू कर दी थी कुछ लोगों ने ये बोला की इस एरिया में सी मॉन्स्टर है कुछ का कहना था की एलियंस का इन्फ्लुएंस है इस एरिया में कुछ लोगों ने इसको इल्यूमिनती की जो कंस्पायरेसी है उससे जोड़ना चालू कर दिया लेकिन कंफर्म कुछ भी नहीं हो रहा था अगर आप सर्च करोगे तो आपको पता चलेगा की ऑल ओवर वर्ल्ड में बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर जितनी मूवी बुक्स डॉक्यूमेंट्री बनी है शायद ही किसी और टॉपिक पे बनी है 188 में एक शिप था जिसका नाम था एलन ऑस्टिन ये इंग्लैंड से न्यूयॉर्क के लिए निकलता है 2 से 3 वीक ट्रेवल करने के बाद इस शिप का जो कैप्टन था जिसका नाम क्रिश्चियन था वो एक अनप्लांड शॉर्टकट लेता है ताकि जल्दी पहुंच जाए और ये जो शॉर्टकट था ये बरमूडा ट्रायंगल के पास से गुजरता लेकिन बरमूडा ट्रायंगल का एरिया आता है कैप्टन ड्रिफ्टिंग को थोड़ी दूर पे एक छोटी सी बोर्ड दिखती है जो बिना किसी पैटर्न के बहुत ही अजीबोगरीब तरीके से इधर से उधर मूव कर रही थी कैप्टन ने कई बार कोशिश की कम्युनिकेट करने की लेकिन कोई भी रिस्पांस नहीं आया उसे से शुरू में तो ये लोग दर रहे द कुछ टाइम के बाद कैप्टन ने कुछ लोगों को उसे वोट में भेजा ये चेक करने के लिए की ये बोर्ड रिस्पांस क्यों नहीं कर रही है लेकिन उसे बोर्ड पे पहुंचने के बाद हर कोई शौक हो गया था क्योंकि वो पुरी की पुरी बोर्ड खाली थी उसे पे कोई भी नहीं था ना तो कैप्टन था ना कोई क्रू था ना ही कोई पैसेंजर था और सारी चीज उसे वोट की सलामत थी कोई डैमेज नहीं था इसके बाद ये लोग मिलकर डिसाइड करते हैं की जो बोट है इसको अपने साथ न्यूयॉर्क लेके चलते हैं वहां की जो अथॉरिटी होगी उसको इन्फॉर्म कर देंगे ताकि अगर कोई इलीगल एक्टिविटी वगैरा हो रही है तो उसको ट्रैक कर जा सके अब जब ये लोग बोर्ड को अपने साथ न्यू यॉर्क की तरफ लेके चलते हैं तो एक बहुत ही भारी तूफान आता है और कुछ देर के लिए जो बोर्ड थी वो गायब हो जाती है और जैसे ही तूफान शांत होता है दोबारा से बोर्ड देखती है लेकिन हर कोई उसे बोर्ड को देख के शौक हो जाता है क्योंकि जितने भी लोग उसे बोर्ड को न्यू यॉर्क लेके जा रहे द सारे के सारे गैप और जो बोर्ड थी उसको कुछ भी नहीं हुआ था इसके बाद बोर्ड को वहीं पर छोड़ देते हैं और न्यूयॉर्क निकल जाते हैं और नेक्स्ट दे हर तरफ एक कहानी फैल जाता है एक और बोर्ड थी जिसका नाम था marisalist इसको 7 नवंबर 1872 न्यू यॉर्क से इटली के लिए निकलना था और ये जो शिप थी इस पे भी बहुत सारे लोग द और बहुत ही खचाखच भरा हुआ था लेकिन जब ये शिप बरमूडा ट्रायंगल के पास पहुंचती है उसके थोड़ी देर बाद ये गायब हो जाती है इसको बहुत ढूंढा जाता है लेकिन ये कहीं भी नहीं मिलती है लेकिन करीब 1 महीने के बाद 4 दिसंबर 1872 को यह सिर्फ बरमूडा ट्रायंगल के पास तैरता हुआ दिखता है आप जिन लोगों को ये सिर्फ देखता है वो लोग इन्फॉर्म करते हैं उसके बाद रेस्क्यू टीम आती है लेकिन हैरानी की बात सबसे ज्यादा ये रहती है की पुरी शिप के ऊपर एक भी आदमी नहीं था जो पुरी की पुरी शिफ्ट थी उसको कोई भी नुकसान नहीं हुआ था यहां तक की डिनर टेबल पे खाना है डेट इस पड़ा हुआ था खाने की जो प्लेट्स थी वो आगे इट इस पड़ी हुई थी लेकिन कैप्टन क्रू और पैसेंजर सब के सब गए द इन लोगों का आज की डेट तक पता नहीं चल पाएगी ये लोग गए का देखिए इससे पहले की आगे बड़े एक कमेंट जो हर वीडियो में कहीं ना कहीं दिख जाता है की हेयर के लिए आप कौन सा प्रोडक्ट उसे करते हैं अब देखिए प्रोडक्ट वगैरा तो ठीक है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी चीज है की आपके हेयर की हेल्थ कैसी है अगर मैं अपनी बात करूं तो पहले मुझे भी हेयर फॉल की प्रॉब्लम थी मैंने थोड़ा सा रिसर्च किया तो पता चला की हेयर फॉल के भी स्टेज होते हैं फ्रॉम वैन तू सेवन अगर आप एक से चार की स्टेज में पहुंच गए हैं तो ये टी टेबल है लेकिन अगर आप आगे पहुंच गए हैं तब थोड़ी दिक्कत है आपके लिए और उसे पार्टिकुलर टाइम पे मुझे ट्रैक के बारे में पता चला की ये आपको ऐसे ही कुछ भी नहीं दे देते हैं पहले आपको हेयर फॉल के स्टेज और कैसे बताते हैं और उसके बाद इनके डॉक्टर्स आपको कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट और डायट raycommend करते हैं चार से पंच महीने मैंने इनसे ट्रीटमेंट लिया और इतने कम टाइम में मेरा हेयर फॉल बहुत ही कम हो गया था और ऐसा नहीं है की सिर्फ मेरे साथ ही हुआ ट्री ने 2 लाख से भी ज्यादा लोगों के हेयर फॉल ट्रीट की है और इनका सक्सेस रेट 93% है तो इसमें स्टेप्स काफी सिंपल है स्टेप वैन ट्री हेल्थ पे जाके फ्री है टेस्ट लीजिए स्टेप तू अपना कस्टमाइज्ड वैन मंथ किट खरीदी है स्टेप थ्री दिए हुए फ्री डायट प्लान और हेयर कोच की मदद से 5 महीने के अंदर रिजल्ट देखिए उसे माय कोड नीतीश 20 तू गेट 20% ऑफ ऑन योर परचेज तो टॉपिक पे वापस आते हैं इसके बाद 5 दिसंबर 1945 को पंच फाइटर प्लेन का एक ग्रुप नेविगेशन और यह जो कमबैक फाइटिंग होती है इसकी ट्रेनिंग के लिए प्रोडक्ट से निकलता है ये जो पूरा ग्रुप था इसको नाम दिया गया था फ्लाइट 19 इस पूरे ग्रुप में सारे ट्रेनी द और एक सीनियर लेफ्टिनेंट था जिसका नाम था चार्ल्स इनकी ट्रेनिंग का जो रूट था उसमें ये था की ये floriders निकलेंगे उसके बाद चिकन रॉ की जगह है वहां पे ये बम ड्रॉप करेंगे उसके बाद ग्रैनडीएमए पे जाके वापस फ्लोरिडा के बेस पे ए जाएंगे उसे पर टाइम पे तो मौसम क्लियर था लेकिन जैसे ही ये लोग निकलते हैं उसके 2 घंटे बाद ही मौसम खराब हो जाता है और इनके लीडर चार्ल्स डिसाइड करते हैं ये टास्क पूरा नहीं करेंगे बल्कि वापस लौट जाएंगे चार्ल्स जो द वो अपना कम निकल के देखते हैं लेकिन वो खराब था वो अपना दूसरा कम बस निकल के देखते हैं क्योंकि वो भी खराब था ये अपनी टीम से भी कोऑर्डिनेट्स करते हैं उन सबके कंपास खराब द और ग्राउंड की टीम जब इनको ट्रैक करती है तो उनको पता चलता है की सारा का सारा ग्रुप डायरेक्टनलेस हो गया है उसके बाद इसको ढूंढने के लिए एक और एयरक्राफ्ट भेजा जाता है और वो भी गायब हो जाता है जो इसका लास्ट मैसेज था वो ये था की यहां पे 100 फीट की ऊंचाई पर कुछ जलता हुआ दिख रहा है और उसके बाद ये भी गायब हो जाता है क्रिस्टोफर कोलंबस जो द उनकी तक में लिखी हुई है की जब वो यूरोप से निकल के बरमूडा ट्रायंगल के पास पहुंचे द तो उनका जो कंपास था उसने कम करना बंद कर दिया था वो रास्ता भटक गए द कोलंबस जैसे-जैसे ट्रेवल करते द वो अपनी डायरी में जरूर लिखते रहते द तो उन्होंने एयर 492 में ये लिखा था की कंपस कम नहीं कर रहा है और यहां पे कैंडल की तरह रोशनी आसमान से गिर रही है रोज garnol एक लौटे ऐसे आदमी हैं जो बरमूडा ट्रायंगल को सरवाइव करके वापस आए हैं रूस बहामास से फ्लोरिडा रेगुलर ट्रेवल करते द उनको करीब 1.5 घंटा लगता था भामा से फ्लोरिडा ट्रेवल करने में ठीक है एक बार ये बरमूडा ट्रायंगल से 10000 फीट से भी ऊपर प्लेन उदा रहे द मौसम एकदम क्लियर था ना तो कोई रन थी ना कोई ठंडे स्टोन था लेकिन अचानक से बहुत ही हैवी क्लाउड ए गए और वो काफी देर तक आती रहे और वो थोड़ी देर के लिए नहीं आए द वो कंटीन्यूअसली आई जा रहे द इतना ज्यादा अंधेरा हो गया था की सैन की एक लाइट तक उसमें नहीं पास हो रही थी जैसे-जैसे ब्रश आगे बढ़ रहे द क्लाउड और हैवी होता जा रहा था और प्लेन के जो इंस्ट्रूमेंट्स द वो कम नहीं कर रहे द ना ही कम बस कम कर रहा था और उनको ऐसा लग रहा था की कोई एक्सटर्नल फोर्स जो है वो प्लेन को कंट्रोल कर रही है ग्राउंड पे जो टीम थी उनको अचानक से उनकी लोकेशन मिलना भी शुरू हुई थी लेकिन वह रुके नहीं वो कंटीन्यूअसली उन गाने बादलों में प्लेन चलते रहे और फिर वो बदल थोड़ी देर बाद है गए वो ग्राउंड टीम से कॉन्ट्रैक्ट करते हैं लेकिन हर कोई शौक था क्योंकि प्लेन सिर्फ 45 मिनट में फ्लोरिडा पहुंच गया था जो की प्रैक्टिकल पॉसिबल ही नहीं है 250 माइल्स की डिस्टेंस थी 1:30 घंटे में पुरी होनी चाहिए थी क्योंकि इस मॉडल का जो प्लेन था वो मैक्सिमम स्पीड उसकी 10080 माइल्स पर अवर थी तो प्रैक्टिकल ऐसा पॉसिबल नहीं था की 45 मिनट में वो फ्लोदा पहुंच जाए तो उन्होंने फ्यूल चेक किया था वो भी आगे इट इसे था वो भी कम नहीं हुआ था फिर आगे चल के उन्होंने इस पे किताब लिखी ये जो स्टोरी में आपको बता रहा हूं इसकी और भी बहुत सारी स्टोरी है बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर जो बुक्स मूवी और डॉक्यूमेंट्री फॉर्म में बक रही हैं अब इसके पीछे रीजन ये है की लोगों को पसंद आती है मिस्टीरियस स्टोरी उन स्टोरी से कनेक्शन बिल्ड करना और पसंद आता है उनका क्योंकि ये जो कंस्पायरेसी थिअरीज होती है काफी इंटरेस्टिंग होती है वही रियल फैक्ट्स जो होते हैं वो थोड़े से बोरिंग होते हैं उनमें मजा नहीं आता है उनको सुनने में ऐसा लगता है जैसे की पढ़ चल रही है और इसी चीज का बिजनेस बनाया जाता है ऐसी स्टोरी जिम ये है की पहले बरमूडा ट्रायंगल था उसके नीचे एक सिविलाइजेशन था और वहां पे हम एलियन से मिनी इसमें बिकती हैं आप सर्च करके देखिएगा बरमूडा ट्रायंगल पे कितनी मूवी बनी है आप थक जाओगे देखते देखते इतनी मूवीज बनी है आप बुक सर्च करोगे तो टाटा लगा हुआ है अलग-अलग स्टोरी का एलियन से लेकर इल्यूमिनती तक जिसकी जितनी इमेजिनेशन है उसने उसे लेवल की स्टोरी बनाकर भेजी है एक पार्टिकुलर इंसीडेंट के कुछ डाटा पॉइंट्स को उठा के जो की 100 से 200 साल पुराने दिन को वेरीफाई तक नहीं किया जा सकता हम कुछ भी मैन लेते हैं जब मैं सारी स्टोरी बता रहा था तो आपके दिमाग में क्वेश्चंस जरूर आएंगे की अगर इतनी मिस्टीरियस है ये जगह तो आजकल इसके बारे में क्यों नहीं बात हो रही है अगर आज की डेट में किसी को फ्लोरिडा जाना है तो वो प्लेन या फिर शिप का उसे करेगा और यही बरमूडा ट्रायंगल वाला ही रूड उसे करेगा इनफेक्ट सबसे हैवी ट्रैफिक जॉन है बरमूडा ट्रायंगल का आज की डेट में हमारे पास एडवांस टेक्नोलॉजी है तो हमें पता चल जाता अगर कोई इंसीडेंट होता है की इसके पीछे रीजन क्या है कई ऐसे इंसीडेंस है जो आज भी नहीं पता चल पाते लेकिन हम बहुत ही तेजी से एडवांस होते जा रहे हैं ये जो बरमूडा ट्रायंगल की कहानियां बेची जाती है अगर आप छोटी सी सर्च करोगे गूगल पे तो bummura ट्रायंगल का जो एरिया है वो टॉप टेन डेंजरस रीजन तक में नहीं है इनफेक्ट किसी भी कंट्री ने इतना भी बहुत नहीं किया की बरमूडा ट्रायंगल को मैप अटैक में मेंशन कर दें उस नेवी तो बरमूडा ट्रायंगल का जो नाम है इस वर्ड को ही नहीं मानती है बरमूडा ट्रायंगल की जो विकिपीडिया डेफिनेशन है वो ये कहती है की ये एक अर्बन लीजेंड है मतलब की ये कहानी है जो बताई जा रही है की सच है लेकिन वो सच है नहीं लिंड लेस ये एक शिपिंग पब्लिकेशन है जो ऑल ओवर वर्ल्ड के शिप है उनका डाटा मेंटेन करती है की कितनी कैजुअलिटी हुई है हर साल कितने शिप गायब हुए हैं और इनके हिसाब से ऑल ओवर वर्ल्ड में जितने भी वेसल्स हैं उसमें से 1.8% के साथ कैजुअल्टी होती है किसी ना किसी रीजन से कुछ के रीजंस पता चल पाते हैं कुछ के रीजंस नहीं पता चल पाते और कुछ तो ऐसे हैं जो की मिलते तक नहीं है बरमूडा ट्रायंगल के एरिया में 8634 सिर्फ गए हैं जिसमें से दो कैजुअल्टी हुई हैं अगर आप इसको कंपेयर करोगे वर्ल्ड की बाकी कैजुअल्टी है तो ये डाटा बहुत ही कम है लेकिन इसके बाद भी बरमूडा ट्रायंगल बहुत ही ज्यादा फेमस है क्योंकि इसकी जो स्टोरी है बुक्स है डॉक्यूमेंट्री मूवी टूरिज्म इन सब की जो इकोनॉमी है बहुत ही स्ट्रांग है ला trabuna की रिपोर्ट के हिसाब से 75 शेप्स और एयरक्राफ्ट मिस हुआ है बरमूडा ट्रायंगल से अगर आप एवरेज निकलोगे तो दुनिया की बाकी जगह पे भी लगभग इतनी एक्सीडेंस हुए हैं जापान के पास में भी से ऐसा ही एरिया है ट्रायंगल शॉप में उसका भी नाम दिया गया है ड्रैगन ट्रायंगल यहां भी 1945 में ए सिक्स से जीरो एयरक्राफ्ट का कनेक्शन टूट गया था और लास्ट मैसेज में पायलट सिर्फ यही बोल रहा था की समथिंग इस हैपनिंग इन दिस टाइम दिस गैस ओपनिंग अप उसके बाद भी आज तक नहीं पता चला की वहां पे हुआ क्या था से इसी ड्रैगन ट्रायंगल में 1980 में भी दर भी शायद जो बहुत ही बड़ा ब्रिटिश शिप था वो भी अचानक से गायब हो गया था और उसके बारे में आज तक किसी को नहीं पता चला की वो गया कहां पे ड्रैगन ट्रायंगल का जो एरिया है वो बरमूडा ट्रायंगल की तरह ही है और इंसीडेंस भी ऑलमोस्ट से होते हैं लेकिन उसके बाद भी बरमूडा ट्रायंगल को ज्यादा लाइन लाइट मिलती है क्योंकि हॉलीवुड ने जितनी मूवी बरमूडा ट्रायंगल पे बनाई है उतनी ड्रैगन ट्रायंगल पे नहीं बनाई जितनी बुक्स बरमूडा ट्रायंगल में पब्लिश हुई है उतनी ड्रैगन ट्रगल पे पब्लिश नहीं हुई है यही रीजन है की बरमूडा ट्रायंगल ज्यादा फेमस है बरमूडा ट्रायंगल और ड्रैगन ट्रायंगल जो है ये दोनों एक ही लट्टीट्यूड पे आते हैं इसलिए इसके ऊपर भी कंस्पायरेसी थ्योरी चल रही है अब आज की डेट में तो किसी भी तरीके से वेरीफाई नहीं किया जा सकता की एलन ऑस्टिन का जो कैप्टन था वो जो स्टोरी बता रहा था वो सही भी है की नहीं शिप की जो कहानी हैं वह जो particularship थी उसमें से भी लाइव बोर्ड गायब थी और ये जो शिफ्ट थी इसके ऊपर एलिगेशन देगी इन्होंने गलत तरीके से हैवी इंश्योरेंस कर रखा है इसमें ये भी कहा जाता है की मेबी कोई ऐसी इमरजेंसी हो जिसमें शिप डेंजर में हो लोगों को शिप से खाली कर के कहीं और ले जया जा रहा हूं और उसे पर दे टाइम पे कोई दुर्घटना होगा अब एक चीज ज्यादातर केसेस में आप सुनोगे की कंपस खराब हो जाता है अब देखिए कंपास के अंदर जब भी आप नॉर्थ की डायरेक्शन चेक करते हो तो वो अर्थ के ज्योग्राफिक नॉर्थ से थोड़ा अलग दिखाता है इसलिए अर्थ के दो पोल सिस्टम हैं एक मैग्नेटिक पोल सिस्टम जो कम दिखाता है और दूसरा ज्योग्राफी पोल सिस्टम जो की अर्थ के एक्सिस ऑफ रोटेशन पर बेस्ड है ज्योग्राफिक नॉर्थ पोल को हम ट्रू नॉर्थ भी कहते हैं लेकिन अर्थ के ऊपर कुछ जगह ऐसी भी है जहां पे अगर आप कंपास से चेक करोगे तो एक्चुअल नॉर्थ पोल दिखाएगी और जिस जगह पे एक्चुअल नो दिखता है उसको हम कहते हैं एगोनिक लाइन वैसे तो ये जो अग्निक लाइन है ये चेंज होती रहती है लेकिन बरमूडा ट्रायंगल पे काफी सालों से इसका सेंटर है इसलिए इस एरिया में कंपास दिक्कत करता है और गलत डायरेक्शन दिखाता है राइट 19 की भी बात करें तो उसे केस में भी इन्वेस्टिगेटिंग टीम की जो रिपोर्ट आई थी उसमें भी यही आया था की एक ह्यूमन एरर है जिसमें फैलियर की वजह से वह लोग रास्ता भूल गए द और लास्ट में उनका फ्यूल खत्म हो गया था लेकिन आज की डेट में मॉडर्न जीपीएस है रडार है सोनार है इसलिए आज की डेट में ये सारी चीज सुनाई नहीं है बरमूडा ट्रायंगल का जो एरिया है वहां पे मीथेन हाइड्रेट की फील्ड भी है तो जब भी थन का eroption होता है तो वो पानी से मिलके बड़े-बड़े बबल्स बनाता है जिससे पानी की डेंसिटी कम हो जाती है और नॉर्मली जिस डेंसिटी के हिसाब से शिप बने होते हैं तो वो सरवाइव नहीं कर पाते हैं और डूब जाते हैं एक्सपेरिमेंट में भी ये प्रूफ हो चुका है की बबल्स की वजह से शिप डूब सकते हैं इसके साथ-साथ उस के कई स्टेटस हैं जो बरमूडा ट्रायंगल से लगे हुए हैं वहां पे हरिकेन बहुत आते हैं जैसे की फ्लोरिडा तो ये भी एक रीजन माना जाता है एक्सीडेंट में ऐसा नहीं है की सिर्फ एक ही रीजन की वजह से एक्सीडेंट्स होते हैं इसमें कई सारी चीज 2016 में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो की साइंटिस्ट की टीम ने सैटेलाइट इमेजेस निकल बरमूडा ट्रायंगल की तो यहां पे उनको एक्स / शॉप में क्लाउड देखिए जो नॉर्मली नहीं देखते हैं ये हेक्सागन क्लाउड एक एयर को हम कितना एक्ट करते हैं और एयर कार्ड पे 175 माइल्स पर अवर की स्पीड से हिट कर सकते हैं जिससे पूरा का पूरा एयरक्राफ्ट को लैप्स हो सकता है साइंटिस्ट डॉक्टर का जिन्होंने सिडनी यूनिवर्सिटी में रिसर्च की इन्होंने पूरे एरिया को बहुत ही अच्छे से एनालाइज किया कई सालों तक उसके बाद उन्होंने कहा की ये एक ह्यूमन एरर बेड वेदर और अनप्रिडिक्टेबल सिचुएशन की वजह से हादसे हुए हैं उसे एरिया में ज्यादा लोग ट्रेवल करते हैं इसलिए ज्यादा सुनाई देता है [संगीत] ए 4SniZ2OdITI,Why is the 2022 World Cup so Controversial? | Qatar FIFA World Cup 2022 | Nitish Rajput | Hindi,2022-12-09T14:30:10Z,PT19M58S,2336294,84346,5191,https://www.youtube.com/watch?v=4SniZ2OdITI,, संडे टाइम्स ने यह जो स्ट्रिंग ऑपरेशन किया था ये सारी वीडियोस फीफा को भेज दी इसके बाद फीफा ने इन दोनों को लाइफ टाइम बैन कर दिया वर्ल्ड कप से 2 दिन पहले यूटन मार लिया यह कहा कि बियर मैच के दौरान नहीं पी जा सकती कतर के पास अपनी सिक्योरिटी तक नहीं है प्लेयर्स को जो सिक्योरिटी दी गई है उसके लिए फोर्स भी पाकिस्तान से खरीदी गई है किराए पे जिन ईमेल्स के थ्रू यह लोग वोटर्स को खरीद रहे थे वो जो ईमेल्स थे वो संडे टाइम ने पूरी दुनिया के सामने लाके रख दिए कतर ने तो कभी अपने देश में फुटबॉल को प्रमोट तक नहीं किया है फिर ऐसा क्या रीजन है कि कतर इतना डिस्परेयूनिया एक रप भी फीफा नहीं देता है लेकिन वर्ल्ड कप से जितना भी रेवेन्यू जनरेट होता है वो सारा का सारा फीफा रखता है जो टीम होस्ट करती है वो कितनी भी वीक हो उसको खेलने का मौका मिलता है वर्ल्ड कप में ये कफा का जो सिस्टम है चल तो बहुत ही टाइम से रहा था लेकिन दुनिया के सामने इसकी असलियत अब सामने आ रही है 45 से 48 डिग्री तक हीट में काम करने की वजह से इस वर्ल्ड कप में 6500 वर्कर्स ने अपनी जान गवाई है आज तक जितने भी फुटबॉल के वर्ल्ड कप हुए हैं इस दुनिया के अंदर ये जो कतर के अंदर वर्ल्ड कप हो रहा है ये सबसे ज्यादा कंट्रोवर्शियल बनता जा रहा है फिफा के जो फॉर्मर एसिडेंट हैं उनके ऊपर गुस्से में नोट उड़ाए जा रहे हैं दुनिया में जगह-जगह पे बॉयकॉट कतर वर्ल्ड कप हो रहा है फिफा के एग्जीक्यूटिव्स को बैक टू बैक फायर किया जा रहा है कुछ के ऊपर केस स्टार्ट हो गए हैं कुछ की इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट हो गई है दुनिया भर की जो अलग-अलग इन्वेस्टिगेटिंग टीम्स हैं वो सीक्रेट डॉक्यूमेंट रिवील कर रही हैं जिस आदमी की वजह से कतर को होस्टिंग मिली उस आदमी के ऊपर लाइफ टाइम बैन कर दिया गया प्लेयर्स ग्राउंड पे आके इस तरीके से फोटो खिंचवा रहे हैं ब्लैक टीशर्ट्स पन के अपनी नाराजगी बता रहे हैं कुछ क्वेश्चंस तो आपके भी दिमाग में होंगे कि एक कंट्री जहां पे सिर्फ गैस और तेल के कुएं हैं रेगिस्तान है जितने एरिया में हमारा मेघालय है उससे आधे एरिया में पूरा देश बसा हुआ है उस कंट्री ने ऐसा क्या गेम खेला कि ऑस्ट्रेलिया जापान यूएस जैसी कंट्रीज को हरा के फुटबॉल वर्ल्ड कप की होस्टिंग जीत ली तो देखिए इस पूरी चीज को ब्लेम तो हर कोई अपने-अपने हिसाब से कर रहा है लेकिन इन सब चीजों के पीछे एक्चुअल रीजन क्या है वो देखते हैं किसी भी कंट्री को अगर fifa19 मिल जाए और जिस डेट को फीफा अनाउंस करता है उसके बाद एक मंथ तक का टाइम होता है सारी कंट्रीज के पास अप्लाई करने के लिए उसके बाद फफा सबको रिव्यू करता है एलिजिबिलिटी चेक करता है और उनमें से कंट्री सेलेक्ट करता है अब इसके बाद वोटिंग होती है जिसको ज्यादा वोटिंग मिलती है वो कंट्री जीत जाती है अब क्वेश्चन यह है कि ये वोटिंग करता कौन है देखिए वोट करते हैं फीफा कांग्रेस के मेंबर पहले ये मेंबर 24 थे जब 2010 में वोटिंग हुई थी और इस पर्टिकुलर टाइम पे 21 मेंबर हैं हर मेंबर के पास एक वोट डालने का राइट होता है कई बार ऐसा भी होता है कि एक साथ दो बार वोट वोटिंग हो जाती है जैसे 2010 में दो बार वोटिंग हुई थी कि 2018 और 2022 का वर्ल्ड कप कौन होस्ट करेगा और ये जो सारी कंट्रोवर्सी है ये इसी 2010 की वोटिंग से स्टार्ट हुई है इसी टाइम पे रशिया 2018 की होस्टिंग जीता था और कतर ने 2022 की होस्टिंग जीती थी और दोनों ही वोटिंग में इशू हुए थे रशिया के केस में mi6 के एक्स एजेंट आ गए थे और उन्होंने कई चार्जेस लगाए थे रशिया के ऊपर खैर ये जो रशिया और mi6 वाला मैटर है यह मैं लास्ट में बताऊंगा अभी कतर की बात करते हैं देखिए जो वोटिंग होती है इसमें पहला कंप्लायंस कि जिस कंट्री को वोट ये लोग करने जा रहे हैं वो एलिजिबल भी है कि नहीं दूसरा ह्यूमन राइट्स और फाइनेंशियल चीजें देखी जाती हैं कि पैसा भी है उस देश के पास इतना बड़ा इवेंट हैंडल करने के लिए और तीसरा देखा जाता है टेक्निकल एस्पेक्ट कि भले ही पैसा है कंट्री के पास लेकिन वो करवा भी पाएगा कि नहीं जैसे स्टेडियम है कि नहीं इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों की एक्सेसिबिलिटी वेदर कंडीशन और ये सब चीज अलग-अलग राउंड करवा के चेक की जाती हैं तो देखिए जो मैंने प्रोसेस आपको बताया 2010 में भी यही सेम प्रोसेस फॉलो हुआ था और यह प्रोसेस फॉलो करने के बाद ऑस्ट्रेलिया यूएस जापान साउथ कोरिया और कतर फाइनल में पहुंच गए थे हर कोई सोच रहा था कि यूएस और ऑस्ट्रेलिया में से ही कोई जीतेगा लेकिन जब चार राउंड्स पूरे हुए तो हर कोई शौक था एक ऐसा देश जो यूएस के स्टेट ऑफ कनेक्टिकट से भी छोटा है जहां सिर्फ रेगिस्तान है जिनकी टीम ने आज तक वर्ल्ड कप का मुंह तक नहीं देखा है जहां फुटबॉल के ग्राउंड्स तक नहीं है इनफैक्ट डिसएडवांटेज है क्योंकि वहां पे 45 से 48° तक टेंपरेचर रहता है उसने यूएस जो दुनिया का स्पोर्टिंग पावर हाउस है उसको हरा के वर्ल्ड कप की होस्टिंग जीत ली ये चीज तो तो आपको पता ही होगा कि यूएस का ईगो बहुत बड़ा है बहुत ही जल्दी हर्ट हो जाता है कि एक छोटे से देश से हार गए इसलिए आप देखोगे कि पूरा यूएस का जो मीडिया है इस पर्टिकुलर वर्ल्ड कप के पीछे पड़ा हुआ है आप कहोगे कि यूरोप और ऑस्ट्रेलिया भी पीछे पड़े हैं तो वो भी डिस्कस कर लेते हैं देखिए ये जो 2010 की जो वोटिंग हुई थी इसमें जो फिफा की हायर अथॉरिटी थी इन्होंने मल्टीपल टाइम्स बोला था कि कतर को वर्ल्ड कप होस्टिंग देना एक रिस्की गेम है क्योंकि भले ही वो ग्राउंड वगैरह मैनेज कर लेंगे लेकिन नॉर्मली टीम कंटीन्यूअसली इतने टेंपरेचर में खेल नहीं पाएंगी 90 मिनट्स तक एक फुटबॉलर इतने टेंपरेचर में दौड़ेगा तो उसकी हेल्थ रिस्क पे आ जाएगी और कई प्लेयर्स के साथ अगर ऐसा होगा तो पूरा का पूरा फिफा का जो वर्ल्ड कप है वो रिस्क पे आ जाएगा अब इस पे कतर तो बोल रहा था कि वह एसी वाले ग्राउंड बनवा लेगा लेकिन उस पर्टिकुलर टाइम पे एसी भी इतने बड़े ग्राउंड पे इफेक्टिव नहीं रहते हैं और से दिक्कत ये हुई कि नवंबर और दिसंबर में यूरोप की कई फुटबॉल लीग्स चलती हैं इवन ऑल ओवर वर्ल्ड में अलग-अलग लीग चलती हैं और वो सारी लीग्स कोई क्यों देखेगा वर्ल्ड कप को छोड़ के जब किसी लीग के अंदर प्लेयर्स और फैंस दोनों ही नहीं रहेंगे तो लीग इरेलीवेंट हो जाती है तो ऐसे में जो एडवर्टाइज जस हैं ब्रॉडकास्टर्स हैं उनको भारी नुकसान होता है और ये जो पर्टिकुलर वर्ल्ड कप हो रहा है कतर में इसकी वजह से ऑल ओवर वर्ल्ड में जितनी भी लीग्स होती हैं उनको बिलियंस में नुकसान हो रहा है इवन यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक को हो रहा है फुटबॉल फेडरेशन ऑस्ट्रेलिया ने ये भी कहा कि आपने जो बिडिंग कराई थी 2010 की उसमें ये कहा था कि ये जो वर्ल्ड कप होगा ये समर में होगा यही चीज सोच के हमने $3 मिलियन लर इन्वेस्ट किए थे इस पूरे प्रोसेस में अब जब आप वर्ल्ड कप समर में करवा ही नहीं रहे हो तो हमारा पैसा वापस कर दीजिए बिडिंग आपने जून और जुलाई बोल के कराई थी और वर्ल्ड कप आप करा रहे हो नवंबर और दिसंबर में इनफैक्ट स्पोर्ट जो इस बार का वर्ल्ड कप दिखाएगा चैनल्स पे वो फिा के ऊपर लॉ सूट फाइल करने वाला था क्योंकि उसको नवंबर और दिसंबर में शिफ्ट करने से भारी नुकसान हो रहा था क्योंकि इस पर्टिकुलर टाइम पे बाकी लीग्स चलती हैं तो जो ब्रांड्स आते हैं उनका पैसा डिस्ट्रीब्यूटर है तो उससे मुनाफा उतना नहीं होता है जितना होना चाहिए लेकिन फॉक्स को खुश करने के लिए फिफा ने बिना किसी बिडिंग प्रोसेस के बिना किसी बाकी ब्रॉडकास्टर से डिस्कस करे 2026 के जो मीडिया राइट्स थे वो फॉक्स को दे दिया और वो भी बहुत कम रेट्स में दिए और फॉक्स ने अपना मुंह बंद कर लिया ये जो एक्स्ट्रा माइल फीफा कतर के लिए जा रहा था ये लोगों से डस्ट नहीं हो रहा था कि वर्ल्ड कप कतर को दिया क्यों जा रहा है अब देखिए कतर ने पैसे खिलाए हैं फीफा बिका हुआ है यह कहना आसान है लेकिन सारी चीजों के पीछे एक्चुअल रीजन क्या है और ऐसी कौन-कौन सी जगह है जहां पे fifa20 की वोटिंग होनी थी उसमें जिन लोगों को वोट कर ना था उसमें से दो लोगों को वोटिंग होने से पहले ही बैन कर दिया गया क्योंकि उन्होंने पैसे लेक वोट बेज दिए थे अपने यह सबसे पहला इंसीडेंस था लेकिन यहां पे भी चीजें रुकी नहीं इसके बाद सबसे बड़ा एक्सपोज किया ब्रिटेन के न्यूज़पेपर संडे टाइम्स ने इन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया फिफा के एग्जीक्यूटिव्स के ऊपर जिन्होंने 2010 में वोटिंग करके कतर को होस्टिंग जितवा थी इसमें नाइजीरिया के एओस ने $ लाख की मांग की कि मुझे इतने पैसे आप दे दो आप जिसको कहोगे मैं उसको वोट दे दूंगा वहीं दूसरे स्ट्रिंग ऑपरेशन में तही के रेनॉल्ड ने बोला कि मुझे 2 पॉइंट $ मिलियन डॉलर दे दोगे अगर आप तो आप जिस कंट्री को कहोगे मैं उसको वोट दे दूंगा संडे टाइम्स ने ये जो स्ट्रिंग ऑपरेशन किया था ये सारी वीडियोस फीफा को भेज दी इसके बाद फिफा ने इन दोनों को लाइफ टाइम बैन कर दिया ये जितने लोग पकड़े जा रहे थे इनके इंटरव्यू अगर आप सुनोगे तो ये सब कह रहे थे कि वी बिलीव इन फेयर प्रैक्टिस एंड फुटबॉल में पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए और ये सारी चीजें बोल रहे थे इसके बाद ये जो आप स्क्रीन पे देख रहे हो इन लोगों को भी सस्पेंड कर दिया गया पैसे लेने के चक्कर में जिनके ऊपर नोट भी फेंके गए थे गुस्से में ये प्रेसिडेंट थे फीफा के उस टाइम पे जब कतर को होस्टिंग मिली थी इन्होंने कहा कि वर्ल्ड कप कतर में करा के एक बहुत बड़ी गलती हो गई वर्ल्ड कप के लिए ये देश बहुत ही छोटा है और यह गलत चॉइस थी लेकिन कतर को वर्ल्ड कप दिए जाने के पीछे पॉलिटिकल प्रेशर था और इसमें फ्रांस के प्रेसिडेंट निकोलस इनका भी बहुत इंपॉर्टेंट रोल था वरना 2022 का वर्ल्ड कप कतर को नहीं बल्कि यूएस को जाना चाहिए था अब आप सोच के देखिए कि इस पूरे इवेंट का जो करता धरता था उसने ऑन रिकॉर्ड ये चीज बोल दी इससे क्लियर हो जाता कि फीफा के अंदर फेयर वोटिंग नहीं हुई थी एक नाम आपने न्यूज़ में सुना होगा मोहम्मद मोहम्मद बिन हमाम यह आदमी इस पूरी चीज का करता धरता माना जाता है इसकी वजह से कतर को होस्टिंग मिली ये कतर से ही है उस टाइम पे ये कतर पार्लियामेंट के मेंबर भी थे और उस पर्टिकुलर टाइम पे फिफा के मेंबर भी थे और इनके पास वोटिंग के भी राइट्स थे और पूरे एशिया फुटबॉल को फेडरेशन का प्रेसिडेंट भी है लेकिन संडे टाइम से इनको भी पकड़ लिया जिन ईमेल्स के थ्रू ये लोग वोटर्स को खरीद रहे थे वो जो ईमेल्स थे वो संडे टाइम्स ने पूरी दुनिया के सामने लाके रख दिए ये वो ईमेल्स हैं आप एक बार पॉज करके पढ़ लेना और ये ईमेल्स लीक होने के बाद इनको लाइफ टाइम बैन कर दिया गया यूएस के फॉर्मर अटॉर्नी जनरल माइकल जे ग्रासिया इन्होंने इस पूरे मैटर पे इन्वेस्टिगेशन की आपने न्यूज़ में सुना होगा ग्रासिया रिपोर्ट के बारे में इस रिपोर्ट में क्लीयरली बताया गया कि फिफा के एग्जीक्यूटिव्स ने 2010 की जो ब्रीडिंग प्रोसेस था उसमें पैसे इधर से उधर किए कई ट्रांजैक्शंस हुए जबरदस्ती वोट डलवाए गए ये सब लिखा हुआ है इस रिपोर्ट में ये वो ओरिजिनल रिपोर्ट है इसका लिंक मैं youtube3 में कंस्ट्रक्शन का काम हो गया था और कुछ केस तो अभी भी च चल रहे हैं और अगर फिफा चाह भी ले तो ऐसा लास्ट मोमेंट पे कतर से शिफ्ट करके कहीं और नहीं कर सकता काफी प्रिपरेशंस की जरूरत होती है और जो लोग अभी पकड़े गए उन परे केस चल रहे हैं वो अपने आप को इनोसेंट प्रूफ करने में लगे हुए हैं और एक चीज और थी कि इनका डायरेक्ट कनेक्शन कतर से नहीं था कतर के जितने भी केस निकल के आए उसमें कोई ना कोई मिडल मैन बीच में था देखिए ऐसा नहीं है कि फीफा में ये सब पहली बार हो रहा है फिफा का नाम पहले भी आया पैसे देके वोट करने के लिए रशिया में जो 2018 में वर्ड कप हुआ था उसमें सीक्रेट एजेंसी ए6 के एक्स ऑफिसर ने रिवील किया कि धाधर हुई थी पुतिन ने फीफा के एग्जीक्यूटिव्स के साथ बिडिंग होने से पहले कई बार मीटिंग की थी लेकिन कतर के केस में चीजें थोड़ी अलग थी क्योंकि इस केस में यूएस यूरोप ऑस्ट्रेलिया सारे पीछे पड़ गए थे रूमर्स तो ये भी है कि संडे टाइम्स को यूरोप और यूएस बैक कर रहे थे और fifa's हैं वो इनको सूट करते हैं अब आप कहो हो कि अगर ऐसा है तो फिा के एग्जीक्यूटिव्स फिर पकड़े कैसे जा रहे हैं देखिए जो काम यूएस की सोइल पे करते हुए पकड़े गए हैं सिर्फ वही सामने आए हैं एक भी रुपए टैक्स नहीं लेती है वर्ल्ड कप के वेन्यू जहां भी होते हैं उस एरिया को टैक्स फ्री जन बना दिया जाता है जहां पे फिफा और उसके पार्टनर्स को लोकल इनकम और सेल्स पे कोई भी टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है इसमें आपने ये भी सुना होगा कि ये जो फीफा का वर्ल्ड कप है ये जिस कंट्री में होता है वहां का टूरिज्म बढ़ता है इकोनॉमी सुधरती है लेकिन इसमें खर्चा भी बहुत ज्यादा होता है टूरिज्म बूस्ट होता है लेकिन एक टाइम के बाद टूरिज्म में भी सैचुरेशन आ जाता है जब वर्ल्ड कप खत्म हो जाता है इनफैक्ट 1998 में फ्रांस के साथ ऐसा हुआ था कि 13 पर टूरिज्म पहले के कंपैरेटिव कम हो गया था क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि उस पर्टिकुलर टाइम पे होटल वगैरह के प्राइस बढ़ जाते हैं ट्रैफिक ज्यादा रहता है सिक्योरिटी का इशू वगैरह रहता है जॉब्स और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ते हैं कंट्री में लेकिन जरूरी नहीं है कि ये चीज हर कंट्री के लिए सूट करेगी कुछ कंट्रीज में बेसिक ट्रांसपोर्ट नहीं होते हैं बसेस अवेलेबल नहीं है लेकिन वर्ल्ड कप की वजह से एयरपोर्ट वगैरह बनवाने पड़ते हैं उनकी मरम्मत करवानी पड़ती है तो सारा पैसा वहां चला जाता है गचा स्टेडियम ब्राजील ने वर्ल्ड कप की वजह से काफी करोड़ों रुपए लगा के इसको बनवाया था लेकिन आज की डेट में यहां पे बसेस पार्क हो रही हैं 2010 में साउथ अफ्रीका ने $3.5 बिलियन डॉलर स्पेंड किए थे लेकिन कतर ने वह किया जो आज से पहले वर्ल्ड कप की हिस्ट्री में कभी नहीं हुआ था 220 बिलियन डॉलर लगाए वर्ल्ड कप में कतर ने और यह ऑफिशियल फिगर है खिलाने पिलाने में जो पैसा लगा होगा वो अलग से है एरिया वाइज कतर बहुत ही छोटा है और इनकी आबादी की भी बात करें तो 29 लाख की आबादी है इनकी इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं है कतर को ऑन एन एवरेज 15 लाख लोग वर्ल्ड कप देखने आते हैं एक तरह से ऐसा मान लीजिए कि कतर की आधी आबादी मैच देखने आएगी और इस आबादी का कल्चर एकदम अलग है कतर से और यह बहुत ही मुश्किल काम है कतर के लिए कतर के पास अपनी सिक्योरिटी तक नहीं है प्लेयर्स को जो सिक्योरिटी दी गई है उसके लिए फोर्स भी पाकिस्तान से खरीदी गई है किराए पे 2 बिलियन डॉलर में कतर की फुटबॉल टीम ने कभी भी वर्ल्ड कप नहीं खेला इनफैक्ट वर्ल्ड कप क्वालीफाई करने के लिए जो मैच होते हैं वो भी बुरी तरीके से हारी है कायदा ये कहता है कि कतर की टीम को इतनी बड़ी टीम के साथ वर्ल्ड कप नहीं खेलना चाहिए लेकिन इस वर्ल्ड कप में आपने कतर की टीम को खेलते हुए देखा होगा क्योंकि जो टीम होस्ट करती है वो कितनी भी वीक हो उसको खेलने का मौका मिलता है वर्ल्ड कप में ऐसा रूल है फीफा का और यही रीजन है कि कतर सबसे पहली टीम थी जो वर्ल्ड कप से बाहर हुई है अभी इतने सारे चैलेंज हैं कतर के सामने ने 220 बिलियन डॉलर से भी ऊपर का खर्चा कर चुका है इसके बाद भी एक्सपर्ट्स का ये कहना है कि इस वर्ल्ड कप में लॉस रहेगा कतर को और ये चीज कतर को भी पता है कि फीफा की हिस्ट्री में इतना पैसा खर्च नहीं हुआ है और इसमें लॉस ही होगा और ऐसा भी नहीं है कि फुटबॉल में कतर आगे बढ़ना चाह रहा हो कतर ने तो कभी अपने देश में फुटबॉल को प्रमोट तक नहीं किया है फिर ऐसा क्या रीजन है कि कतर इतना डेस्प्रिंग लिए थोड़ा सा बैकग्राउंड बता देता हूं पहले कतर इतना अमीर देश नहीं था ऑयल के रिजर्व थे लेकिन 1971 में जब दुनिया का सबसे बड़ा गैस गस फील्ड डिस्कवर हुआ तब कतर बहुत ही अमीर देश हो गया और इसकी रेवलरी अपने पड़ोसियों के साथ शुरू हो गई जैसे सऊदी अरेबिया यूएई इन सब से सऊदी अरेबिया और यूएई से इतने ज्यादा रिलेशन खराब हो गए कि कतर जो अपने बेसिक नीड्स की चीजें जैसे कि डेरी प्रोडक्ट वगैरह सऊदी से लेता था उस पर भी उन्होंने रोक लगा दी हालत इतनी खराब हो गई कि कतर को बाहर के देशों से मदद लेनी पड़ी टर्की ने एयरलिफ्ट कराके कतर में कई सारी गाय भिजवाई हजारों की संख्या में लड़ाई इतनी ज्यादा है कि यूएई ने 15 साल की जेल का ऐलान किया है अगर इनके सिटीजंस कतर से सिंपैथी दिखाते हैं ये वो टाइम था जब कतर को रियलाइफ हो रहा था कि इनको बाकी देशों से भी रिलेशन बना के रखने होंगे और सिर्फ ऑयल के ही भरोसे नहीं रह सकते मिडिल ईस्ट के काफी देश ऐसे हैं जिनका ये मानना है कि टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे बढ़ेगी ऑयल को ओवरटेक करेगी इनफैक्ट 1980 में एक बार ऐसा भी हुआ था कि ऑयल की डिमांड एकदम से गिर गई थी मिडिल ईस्ट में काफी क्राइसिस आ गया था इनफैक्ट कोविड में भी ऑयल की डिमांड गिर गई थी इसलिए आप नोटिस करोगे गल्फ कंट्रीज अपने मल्टीपल रेवेन्यू मॉडल पे काम कर रही हैं लेकिन दुबई बहुत ही तेजी से आगे निकल रहा है और दुबई का जो टूरिज्म मॉडल है वो ऑल ओवर वर्ल्ड में बहुत ही तेजी से सक्सेस फुली फैल रहा है सेम यही मॉडल कतर ने भी रेप्ट करने की कोशिश की है और अगर आपको पूरी दुनिया से कनेक्ट होना है एक्सपोजर चाहिए तो स्पोर्ट्स सबसे पहला ऑप्शन होता है कंट्रीज का अगर मैं फुटबॉल वर्ल्ड कप की बात करूं तो 32 कंट्रीज खेलती हैं इसको और 150 देश के लोग देखते हैं इस वर्ल्ड कप को बहुत ही बड़ा एक्सपोजर होता है आप देखोगे कि दुबई साल भर बाकी कंट्रीज के नेशनल और इंटरनेशनल स्पोर्ट्स करवाता है वर्ल्ड मोस्ट एक्सपेंसिव हॉर्स रेस का वर्ल्ड कप करवाया गोल्फ के वर्ल्ड कप चैंपियनशिप करवाई कोविड में आईएल हो दुबई हर चीज होस्ट करने के लिए रेडी रहता है कतर इन सारी चीजों को बहुत ही गोजली वच करता है कतर अभी जो वर्ल्ड कप के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है आगे चलके इन्हीं ग्राउंड्स को वो दुबई की तरह वर्ल्ड के अलग-अलग बड़े-बड़े इवेंट्स को होस्ट कराने के लिए यूज करेगा भले ही वो इस वर्ल्ड कप में घाटे में जा रहा है लेकिन दुबई के पैलर खड़े होके आगे वो मल्टीपल इवेंट्स कराएगा और ये रेवेन्यू मॉडल लाइफ टाइम रहने वाला है कतर के पास टूरिज्म जो है वो आज की डेट में कंट्रीज के लिए बहुत ही बड़ा रेवेन्यू सिस्टम बन गया है यूरोप की तो कई ऐसी कंट्रीज हैं जिनकी पूरी इकोनॉमी इस पे डिपेंड करती है सेम चीज कतर भी करना चाहता है गल्फ रीजन में दुबई और कतर की रेवलरी अब डे बाय डे एक इकोनॉमिक कंपटीशन में बदल गई है अभी कतर वर्ल्ड कप होस्ट कर रहा है तो उधर दुबई फीफा फैन फेस्टिवल होस्ट कर रहा है गल्फ कंट्रीज ने बहुत ज्यादा ट्राई किया कि ये जो अभी फीफा वर्ल्ड कप हो रहा है ये मल्टीपल गल्फ कंट्रीज में हो जाए लेकिन कतर ने जान लगा दी और ऐसा नहीं होने दिया बेसिकली गल्फ कंट्रीज इन स्पोर्टिंग इवेंट्स को एक सॉफ्ट पावर की तरह यूज करना चाहती हैं ऑल ओवर वर्ल्ड में अपनी इकोनॉमिक एक्टिविटीज को तेज करने के लिए आप नोटिस करोगे कि जितने भी ग्लोबल स्पोर्टिंग इवेंट्स हो रहे हैं उसमें दुबई और कतर के एडवर्टाइजमेंट जरूर मिलते हैं अब इंग्लिश प्रीमियर लीग में एडवर्टाइजमेंट करके कतर और दुबई को और क्या फायदा होगा टीशर्ट से लेके बाउंड्री लाइन तक हर जगह आप विजिट दुबई कम टू कतार ये लिखा हुआ देख लोगे बैक टू बैक ये लोग टीम्स के ओनर बन रहे हैं बड़े-बड़े प्लेयर्स को खरीद रहे हैं इनको स्पोर्ट्स से ज्यादा स्पोर्ट्स से आने वाले रेवेन्यू सिस्टम में बिलीव है इन मल्टीपल ग्लोबल स्पोर्ट्स इवेंट से वेस्ट और इन दोनों कंट्रीज के बीच में जो गैप है वो बहुत तेजी से कम हो रहा है और इन्वेस्टमेंट्स आ रही हैं पहले जो काम दुबई अकेले कर रहा था अब उसमें एक कंपटीशन और आ गया जिसका नाम है कतर दुबई हो या कतर दोनों ही हाई विजिबिलिटी वाले स्पोर्ट इवेंट जो हैं उनको टारगेट कर रहे हैं छोटे इवेंट जो हैं उनको ये छोड़ दे रहे हैं वर्ल्ड कप से लेकर वर्ल्ड एक्सपो तक हर एक चीज गल्फ कंट्री में आ रही है अब देखिए ये सारी चीजें कर तो रहे हैं लेकिन इनके पास वर्कर्स की कमी है पहली चीज तो पॉपुलेशन बहुत कम है और दूसरी चीज जो है वो बहुत अमीर है इनके लोग 45 डिग्री की हीट में जाके काम करने वालों में से नहीं है तो इसलिए इन्होंने एक कफा सिस्टम बना रखा है जिसके थ्रू ये इंडिया नेपाल बांग्लादेश पाकिस्तान से मजदूर लाते हैं लेकिन ऑल ओवर वर्ल्ड में इसको क्रिटिसाइज किया जाता है क्योंकि इसमें वही मजदूर गल्फ में आ सकता है जिसका खर्चा गल्फ की कंपनीज उठा सके जिस कंपनी के थ्रू ये लोग गल्फ कंट्री में आएंगे हर काम के लिए इन मजदूरों को उस कंपनी से परमिशन ले नहीं होती है ना ये कंपनी छोड़ सकते हैं ना ही देश छोड़ सकते हैं ना वीजा रिन्यू करा सकते हैं इसके साथ-साथ इनके जो पासपोर्ट होते हैं वो भी रख लिए जाते हैं ताकि ये भाग ना सके काम जरूरत से ज्यादा कराते हैं और बेसिक इंश्योरेंस तक नहीं देते हैं यह कफा का जो सिस्टम है चल तो बहुत ही टाइम से रहा था लेकिन दुनिया के सामने इसकी असलियत अब सामने आ रही है इस 2022 के वर्ल्ड कप में क्योंकि इस पूरे वर्ल्ड कप में बहुत ही जल्दी और बहुत ही बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना था जिसकी कमिटमेंट कतर ने कर दी थी क्योंकि काम बड़ा था इसलिए एक्सप्लोइट भी ज्यादा करा गया 45 से 48° तक हीट में काम काम करने की वजह से इस वर्ल्ड कप में 6500 वर्कर्स ने अपनी जान गवाई है मल्टीपल रिपोर्ट्स आई तब पता चला कि इसमें से यंग लोग हीट की वजह से कार्डियक अरेस्ट और ब्रीदिंग प्रॉब्लम से मर रहे हैं इसको लेके पूरे वर्ल्ड में कतर का जो वर्ल्ड कप है उसको बॉयकॉट करने की मुहीम चली लेकिन कतर ने जो ऑफिशियल डाटा बताया उसमें सिर्फ 37 लोगों की डेथ बताई लेकिन जब नेपाल इंडिया बांग्लादेश की एंबेसी से डेटा मैच कराया गया जो लोग यहां से गए थे उनके डेटा से मैच कराया गया तब पता चला कि इतने लोगों की डेथ हुई है सबसे ज्यादा इंडिया के वर्कर्स की डेथ हुई है इन कंडीशन में ये लोग रहते हैं इन सारी चीजों को लेके बहुत डिस्कशन हुआ और फिर कपाला सिस्टम में चेंजेज किए गए मिनिमम वेजेस की बात हुई लेकिन यह सारे चेंजेज जो किए गए इसके अंदर यह तब किए गए जब पूरा कंस्ट्रक्शन का काम हो चुका था सबसे जो सरप्राइज करने वाली बात वह यह थी कि इंडिया में लोगों को कोई दिक्कत नहीं हुई बल्कि बाहर के लोगों ने इंडिया के मजदूरों की आवाज़ उठाई कतर में होमोसेक्सुअलिटी इलीगल है और पकड़े जाने पे 3 साल की सजा भी है कतर ऑफिशल्स का यह कहना है कि एलजीबीटी क्य कम्युनिटी जो है वह अगर आना चाहती है तो उसका स्वागत है लेकिन उसको हमारे कल्चर की रिस्पेक्ट करनी पड़ेगी और जब तक वह कतर में रहे उनको हमारे रूल्स फॉलो फलो करने पड़ेंगे लेकिन ऑल ओवर वर्ल्ड में एलजीबीटी क्य कम्युनिटी जो है उसमें जो फुटबॉल फैंस हैं वो कंफर्टेबल नहीं है यहां पे आने के लिए क्योंकि भले ही कतर ने अलाउ कर दिया है लेकिन वहां के लोग इसको अभी भी एक मानसिक बीमारी समझते हैं तो उनको ऐसा लगता है कि उनकी लाइफ रिस्क पे आ सकती है उन परे अटैक हो सकता है कपड़ों को लेके भी रूल्स हैं कि कंधे और घुटने नहीं दिखने चाहिए मतलब कि शॉर्ट्स और कट स्लीव्स अलाउड नहीं है इवन लड़के भी शर्टलेस नहीं घूम सकते वूमेंस को भी बेसिक फ्रीडम नहीं है कतर के अंदर बिना किसी मेल के घूमना अलाउड नहीं है और वो क्या पहनेगी पब्लिक प्लेस पे उस पे भी रिस्ट्रिक्शंस है कतर के अंदर अर अल्कोहल पे भी रिस्ट्रिक्शंस हैं तो फिफा के लिए सबसे बड़ा चैलेंज यही था क्योंकि बियर की कंपनी स्पों सर्स होती हैं वर्ल्ड कप के अंदर और फैंस भी बियर पीते-पीते मैच देखते हैं कतर ने पहले तो बोल दिया कि जिन फैंस के पास टिकट होंगे वो मैच के 3 घंटे पहले और मैच के 1 घंटे बाद तक बियर खरीद सकते हैं लेकिन जब मैच पास में आया तो अपनी बात से मुकर गए वर्ल्ड कप से दो दिन पहले यूटन मार लिया यह कहा कि बियर मैच के दौरान नहीं पी जा सकती इससे जितने भी फैंस थे काफी गुस्सा हो गए कि लास्ट मिनट में ऐसा क्यों किया गया और चीटेड फील कर रहे थे फुटबॉल के जो फैंस थे वो f के जो प्रेसिडेंट थे उनके स्टेटमेंट से भी भड़क गए उन्होंने ये स्टेटमेंट दी कि अगर बियर नहीं पिएंगे तो लोग मर नहीं जाएंगे लेकिन जब बहुत हल्ला हुआ तो इनके लिए एक बियर जोन बनाया गया जिसमें कुछ टाइम के लिए बियर मिलेगी और उनके प्राइस भी बहुत महंगे कर दिए गए ताकि लोग कम जाएं बियर पीने फैंस काफी नाराज थे कि वर्ल्ड कप को कतर में कराने के लिए इन्होंने इतना पुराना ट्रेडिशनल दिया देखिए आप जो चाय पीते हो कॉफी पीते हो कोई भी दाल खाते हो हर किसी चीज को वर्कर्स ने बहुत ही मेहनत से आपके पास पहुंचाया होता है लेकिन वर्ल्ड कप के वर्कर्स के बारे में इसलिए ज्यादा बात हो रही है क्योंकि ये नंबर्स में ज्यादा हैं लेकिन हर एक वर्कर के लिए हमें उतनी ही आवाज उठानी चाहिए दूसरी चीज आप किसी भी देश में जा रहे हैं तो वहां के रूल्स आपको फॉलो करने होंगे कोई इंडिया में आएगा तो उसको इंडिया के रूल फॉलो करने होंगे यह तो ऑर्गेनाइजर को सोचना है कि वो प्रेशर और पैसे के चक्कर में किस हद तक गिर सकते हैं अगर आप कतर में रहते होंगे तो आपको ये डिटेल्स नहीं पता चलेंगी क्योंकि वहां पे मीडिया के ऊपर बहुत सारी रिस्ट्रिक्शंस हैं और अगर कोई वेबसाइट भी ये सब लिखती है तो उसको भी बैन कर दिया जाता है वहां [संगीत] पे ए s4Tt0tWnVco,Why does BCCI Pay NO TAXES? | How BCCI Became the Richest? | BCCI Business Model | Nitish Rajput,2022-11-28T14:30:11Z,PT17M23S,3555886,86419,2102,https://www.youtube.com/watch?v=s4Tt0tWnVco,, देखिए ना तो आईसीसी ने क्रिकेट इन्वेंट किया है ना ही आईसीसी क्रिकेट के कोई रूल्स बनाती है वेस्ट इंडीज कोई कंट्री नहीं है बल्कि कई ग्रुप ऑफ कंट्री ने मिलके एक फेडरेशन बना के भेज दिया था वहीं ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की बात करें तो जो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड है वो एक पब्लिक कंपनी की तरह चलता है कुछ बोर्ड्स अमीर हैं और कुछ बोर्ड्स के पास पैसा कम है तो इन सब के पीछे एक्चुअल रीजन क्या है कई बार ऐसा भी होता है की कुछ बोर्ड अगर फाइनेंशली स्ट्रगल कर रहे होते हैं तो उनका मैच इंडिया से करवाया जाता है ताकि उनकी जो फाइनेंशियल कंडीशन है वो सुधार जाए netflies की जो हालत चल रही है अगर वह हॉटस्टार गीता ना क्रिकेट में घुस गया तो उसकी सारी दिक्कतें सही हो जाएंगी क्योंकि बीसीसीआई को भी पता है की रिटायर होने के बाद कितना भी बड़ा प्लेयर क्यों ना हो इंडियन ऑडियंस उसको नहीं देखती है और T20 में बहुत ही कम स्टॉल्स मिल पाते हैं ऐड दिखाने के इसलिए सारे बोर्ड्स चाहते हैं की टेस्ट क्रिकेट कभी खत्म ना हो इस एक इंसीडेंट ने बची को काफी हिट किया और उसके बाद से डिज़ाइन इसको पर्सनली ले लिया और फिर वर्ल्ड कप को इंडिया में करने की मुहिम चालू हुई पहले बीसीसीआई को ₹5 लाख उल्टा देने होते द दूरदर्शन को मैच दिखाने के लिए किसी भी डेमोक्रेटिक कंट्री के अंदर जो स्पोर्ट्स होता है उसमें गवर्नमेंट का कोई रोल नहीं होता है गवर्नमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर सकती है फाइनेंशली हेल्प कर सकती है लेकिन मैनेजमेंट और सिलेक्शन कमेटी वगैरा इन सब से एकदम बाहर होती है और ऐसा इसलिए होता है ताकि इसमें पॉलिटिक्स ना घुसे पता चले एक ही पार्टी के लोगों को प्रेफरेंस मिलने लगे बेसिकली हर एक स्पोर्ट्समैन के लिए इक्वल प्लेटफार्म हो इसलिए स्पोर्ट्स के अंदर गवर्नमेंट का इंटरफ्रेंस अलाउड नहीं होता है अभी रिसेंटली आपने देखा होगा एफ ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को फीफा ने बन कर दिया था क्योंकि एफ की जो मैनेजमेंट कमेटी थी उसमें हमारी गवर्नमेंट ने इंटरफ्रेंस किया था पहले आईसीसी का नाम इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस था ये इंटरनेशनल क्रिकेट khelvati थी अलग-अलग कंट्रीज के बीच में लेकिन टाइम में इंडिया की तरफ से कोई भी टीम नहीं थी इंडिया के अंदर अलग-अलग ग्रुप क्रिकेट खेलते द लेकिन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में इंडिया नहीं जा पाती थी लेकिन 1920 में कोलकाता के अंदर एक क्रिकेट क्लब था कलकत्ता क्रिकेट क्लब ये इंडिया के अंदर क्रिकेट खेलते द इस क्लब ने लंदन में जाकर आईसीसी से मीटिंग की इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए उसके बाद मल्टीपल मीटिंग्स हुई और 1928 में बीसीसीआई बनाई गई और आईसीसी ने बीसीसीआई मान्यता दी की आप इंटरनेशनल क्रिकेट खेल सकते हो और तब से लेकर आज तक बीसीसीआई इंडियन क्रिकेट टीम को रिप्रेजेंट करता है बीसीसीआई को चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह बनाया गया था और आज भी ये चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह ही चलती है इसमें गवर्नमेंट का कोई रोल नहीं होता है आज की डेट में गवर्नमेंट खुद एक क्रिकेट की टीम बनके वर्ल्ड कप खेलने भेज दे तो नहीं बना सकती क्योंकि आईसीसी के लिए इंडिया को बीसीसीआई रिप्रेजेंट करता है वेस्ट इंडीज कोई कंट्री नहीं है बल्कि कई ग्रुप ऑफ कंट्री ने मिलके एक फेडरेशन बना के भेज दिया था वहीं ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की बात करें तो जो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड है वो एक पब्लिक कंपनी की तरह चलता है उसमें गवर्नमेंट का कोई रोल नहीं है देखिए गवर्नमेंट ऐसे तो इंटरफेयर नहीं करती किसी स्पोर्ट्स में लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर हो गया ग्राउंड को लेकर फाइनेंशली सपोर्ट करना और किसी पेट्रोल गेम को प्रमोट करना हो तो उसमें हेल्प कर देती है लेकिन हर एक फेडरेशन हर एक स्पोर्ट्स को नहीं करती है गवर्नमेंट सिर्फ उसे फेडरेशन को सपोर्ट करती है जिसका एफीलिएशन इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी से होता है अब आप कहोगे की खो-खो कबड्डी ये तो ओलंपिक में नहीं है तो इनको गवर्नमेंट क्यों सपोर्ट करती है देखिए कुछ एक्सेप्सनस है जैसे खो-खो कबड्डी टैग ऑफ फॉर इन्होंने अलग से एप्लीकेशन डाली है और गवर्नमेंट ने भी इनको एक्सेप्ट किया इनको भी जैसे बाकी ओलंपिक में जाने वाले स्पोर्ट्स मिलती है इन गेम्स को भी मिलने लगी है लेकिन बीसीसीआई इकलौता ऐसा एक्सपोर्ट है इंडिया के अंदर जिसने अभी तक अप्लाई नहीं किया गवर्नमेंट से मदद के लिए बीसीसीआई चाहता ही नहीं है की गवर्नमेंट से कोई सपोर्ट आए इनफेक्ट मल्टीपल टाइम्स गवर्नमेंट ने खुद बोला है की आप अप्लाई करिए गवर्नमेंट सपोर्ट करेगी लेकिन बीसीसीआई ने कभी भी ऐसा ऐप नहीं किया इसीलिए बीसीसीआई इंडिया के अंदर बाकी स्पोर्ट्स से अलग है जो इतना बड़ा है और इतने बड़े लेवल पे खेल रहा है लेकिन गवर्नमेंट उसमें कुछ भी मदद नहीं कर रही है जो भी पैसा ही कमेटी है उसमें से ना तो कोई टैक्स गवर्नमेंट को जाता है ना ही गवर्नमेंट कुछ भी सीबीआई को देती है आईपीएल के केस में बीसीसीआई को टैक्स देना पड़ता है वो मैं अभी आपको लास्ट में बताऊंगा की कैसे होता है आप क्वेश्चन ये है की बीसीसीआई का तो समझ में ए गया लेकिन ये आईसीसी क्या है इसको कौन सी कंट्री मैनेज करती है यह है क्या एक्चुअल में देखिए ना तो आईसीसी ने क्रिकेट इन्वेंट किया है ना ही आईसीसी क्रिकेट के कोई रूल्स बनाती है आईसीसी का सिर्फ इतना कम है की वो बने हुए रूल्स को सही से फॉलो हो रहे हैं की नहीं उनका ध्यान रखें और जो इंटरनेशनल मैचेस हो रहे हैं कंट्रीज के बीच में उनको कर रहा है उनको मैनेज करें ये क्रिकेट मैच में जो अंपायर्स होते हैं मैच रेफरेंस कॉमन थिएटर हैं उनको मैनेज करें और उनकी सैलरी देखे ड्रग्स और फिक्सिंग का ध्यान रखें क्रिकेट का कोई भी रूल जो आज तक बना है या उसमें कोई अमेंडमेंट हुआ है या आगे भी कोई रूल बनेगा उसको मेक यानी maluman क्रिकेट क्लब देखता है एक तरह से आप ऐसे समझ लीजिए की मेक जो है वो क्रिकेट का मलिक है और उसने सारे कम सही से हो रहे हैं की नहीं इनको देखने के लिए आईसीसी को रखा है आईसीसी लॉ नहीं बनाता है लेकिन क्रिकेट खेलते टाइम चीज मैनेज कैसे होंगी और हर कोई डिसिप्लिन में है की नहीं ये सारी चीज देखता है जो मैच के बीच में मैच रेफरी होता है वो आईसीसी की तरफ से ही होता है वही देखता है की क्रिकेट के अंदर सारे डिसिप्लिन फॉलो हो रहे हैं की नहीं और अगर कोई गाइडलाइंस सही से फॉलो नहीं कर रहा है तो उसके ऊपर जुर्माना लगा देता है आपने एक चीज और नोटिस की होगी की टोटल 108 आईसीसी के मेंबर्स हैं जो क्रिकेट खेलते हैं लेकिन इंडिया कभी भी बरमूडा या फिर नीदरलैंड के साथ बाय लेटर खेलता हुआ नहीं दिखता है तो ऐसा है क्या इसके लिए रीजन क्या है देखिए 108 में से आईसीसी के 12 फुल मेंबर्स हैं जो भी टेस्ट खेलते हैं उनको फुल मेंबर्स बोला जाता है आईसीसी के मेंबर्स तो कंट्रीज बन जाती है लेकिन अगर ओडीआई का स्टेटस चाहिए तो दो टेस्ट प्लेइंग नेशंस को हराना होगा अगर टेस्ट का स्टेटस चाहिए तो पंच टेस्ट प्लेइंग नेशंस को हराना होगा वही जो ठीक है मैं आपको बता रहा हूं ये चेंज भी होता रहता है ऐसे तो इन कंट्रीज को टेस्ट प्लेइंग कंट्रीज के साथ खेलेगा मौका नहीं मिलता है लेकिन वर्ल्ड कप में इनको मौका मिलता है और वर्ल्ड कप खेलने के लिए भी क्वालीफाई करना होता है कुल मिलाकर जब तक एक टीम अच्छी खेलने वाली क्रिकेट टीम नहीं बनती है उसको डायरेक्ट बड़ी टीमों से खेलने का मौका नहीं मिलता है ठीक है ऑल ओवर वर्ल्ड में इंटरनेशनल जितने भी क्रिकेट के मैच होते हैं दो तरीके से मैच होते हैं एक तो बिलैटरल और एक होते हैं आईसीसी के टूर्नामेंट आईसीसी का एक आईसीसी फ्यूचर टूर प्रोग्राम होता है जो हर 10 साल के लिए अपना एक कैलेंडर पब्लिश करता है जिसमें यह होता है की आने वाले 10 साल के अंदर जो भी आईसीसी के फुल मेंबर्स हैं यानी की जो भी टेस्ट प्लेइंग कंट्रीज हैं उनके बीच में मैचेस होंगे हर किसी का एक दूसरे के साथ एक होम होगा एक avelateral सीरीज होगी इसमें टेस्ट ओडीआई और T20 के मैचेस कंबाइन करके होते हैं लेकिन ये जितने भी balateral मैच होते हैं इसमें आईसीसी का कोई रोल नहीं होता है जिन दो कंट्रीज के बीच में मैच होते हैं ये उन दोनों कंट्रीज के रिस्पेक्टिव बोर्ड्स खुद देखते हैं आईसीसी बस अंपायर वगैरा भेज देगा ना तो आईसीसी का इन मैचेस के अंदर कोई रेवेन्यू से कोई मतलब होता है और ना ही आईसीसी इसमें कोई पैसा लगता है जो भी पैसा कमाया सकता है वह दोनों वोट्स आपस में डिस्ट्रीब्यूशन कर लेते हैं आईसीसी का में रोल होता है इंटरनेशनल टूर्नामेंट करवाना है जिसमें सारी कंट्रीज एक साथ कंपटीशन करती हैं जैसे वर्ल्ड कप T20 वर्ल्ड कप टेस्ट चैंपियनशिप ये जो आईसीसी के टूर्नामेंट होते हैं जिस कंट्री के अंदर वर्ल्ड का भी आया इंटरनेशनल टूर्नामेंट हो रहे होते हैं आईसीसी और वो पार्टिकुलर कंट्री रेवेन्यू शेयर करती है आईसीसी जो पैसा कमेटी है वो बाकी जितने भी हैं उसमें शेयर कर देती है आईसीसी की नेटवर्क है 2.5 बिलियन डॉलर और बीसीसीआई की नेटवर्क है 2.25 बिलियन कुछ बोर्ड अमीर हैं और कुछ बोर्ड्स के पास पैसा कम है तो इन सब के पीछे एक्चुअल रीजन क्या है इस पूरे क्रिकेट गेम में पैसा कैसे फ्लो करता है देखिए एक मैच को करने में पैसा लगता है ग्राउंड का मेंटेनेंस अंपायर्स और कॉमन टेररिस्ट की सैलरी टीम की हॉस्पिटल की विनिंग अमाउंट स्टंप कैमरा स्पाइडर कैमरा अलग-अलग तरीके के कैमरे लगते हैं इन सब में पैसा देना होता है लेकिन एक टूर्नामेंट करने वाला एक क्रिकेट मैच को कर के इससे कहीं ज्यादा पैसा कम लेता है और वो कम आता है लोगों की अटेंशन से तो ये जब भी कोई कंपनी प्रोडक्ट बनाती है तो उसको लोगों के सामने दिखाना होता है तभी लोग उसको खरीदेंगे अब वो रोड पे कितनी भीड़ इकट्ठी करके प्रोडक्ट दिखा पाएगी कंपनी को ऐसी जगह चाहिए जहां पे सारे लोगों की अटेंशन हो और वहां पे जाके वो अपना प्रोडक्ट दिखा सके आज की डेट में आपकी अटेंशन ही पैसा है जिस चीज में ज्यादा टेंशन होगी वो चीज उतनी ही अमीर होगी तो ये जो क्रिकेट का गेम है इसकी कामयाबी सिर्फ और सिर्फ डिपेंड करती है लोगों की अटेंशन पे जब एक मैच होता है तो लाखों लोग उसको देखते हैं उसके बीच में कंपनी अपने प्रोडक्ट के बारे में अलग-अलग तरीके से बताते हैं और पैसा बनाती हैं और यहां पे सबसे बड़ा रोल प्ले करता है ब्रॉडकास्टिंग राइट जिस चैनल के पास ब्रॉडकास्टिंग राइट्स होते हैं सिर्फ वही बी सी जाएगी मैचेस दिखा सकता है अभी 2023 से 2027 तक इन चार साल में 20 टेस्ट 21 ओडीआई 31 टी-20 इसके मैच इंडिया के अंदर खेले जाएंगे तो ये जो मैचेस होंगे इनके ब्रॉडकास्टिंग राइट के लिए ब्लीडिंग होगी की कौन अपने चैनल पे इनको दिखाएगी और ये जो चैनल होते हैं ब्रॉडकास्टिंग राइट खरीदने के बाद ब्रांड हो गए कंपनी हो गए इनको बीच-बीच में स्टॉल्स देते हैं की बीच-बीच में आकर आप अपना प्रोडक्ट दिखाओ जिसे हम ऐड कहते हैं जैसे स्टार इंडिया ने 6000 38 करोड़ में लिया था मीडिया राइट बीसीसीआई से अगर इंडिया में मैच घूम रहा है तो ई जैसे राइट लेने होंगे अगर आईसीसी का टूर्नामेंट हो रहा है तो आईसीसी से राइट्स लेने होंगे पाकिस्तान में मैच हो रहा होगा तो पाकिस्तान से और राइट्स लेने होंगे लेकिन क्योंकि इंडिया में लोग बहुत ही बड़े नंबर पर मैच देखते हैं इसलिए जितना पैसा बीसीसीआई बनाती है उतना कोई नहीं बना पता है जब भी कोई सीरीज हो रही होती है तो सीरीज का जो नाम होता है उसके आगे कंपनी या फिर किसी ब्रांड का नाम जोड़ दिया जाता है जिसे टाइटल स्पंज से चिप कहा जाता है जैसे अगर इंडिया श्रीलंका सीरीज हो रही होगी तो उसको पेटीएम इंडिया श्रीलंका सीरीज बोला जाएगा अगर आईपीएल की बात करें तो नॉर्मल आईपीएल नहीं बोला जाता उसको वीवो आईपीएल बोला जाएगा इसके बाद जो लोग मैच देखने आते हैं टिकट खरीदते हैं उससे पैसा आता है जो प्लेयर्स की किट होती है वो स्पॉन्सर होती है उससे पैसा आता है जब स्ट्रीट्स टाइम आउट होता है तो उसे पार्टिकुलर टाइम पे किस कंपनी का नाम आएगा उसके लिए भी बिल्डिंग होती है यहां तक की जो अंपायर होते हैं उनकी जो टीचर्स होती है उसके ऊपर किसका नाम लिखेगा उसके लिए भी बिल्डिंग होती है जैसे 2022 में जो पेटीएम था उसमें ऑफिशल एम्पायर पार्टनर का जो बिडिंग थी उसको जीता था और करोड़ रुपए दिए द पूरे मैच के दौरान आप ग्राउंड की जो बाउंड्री होती है उसके अंदर आप किसी भी कंपनी का नाम देखोगे तो उसमें पैसे दिए होते हैं और वो पैसे जाते हैं बोर्ड मेरे पास देखिए कोई मैच हो उसमें खर्चा इसी तरीके से होता है और पैसा कमाने का जो तरीका है वो भी यही होता है बस बीसीसीआई के केस में एडवांटेज ये रहता है की बीसीसीआई आईपीएल से भी रेवेन्यू कमाता है और क्योंकि आईपीएल एक फ्रेंचाइजी की तरह बीसीसीआई ने लॉन्च किया है इसलिए 50% रेवेन्यू बीसीसीआई लेता है तो बीसीसीआई को आईपीएल से बहुत फायदा होता है आईपीएल के 2023 से 2017 तक के जो खाली मीडिया राइट्स हैं सिर्फ वही 6.2 मिलियन में भी है कई कंट्रीज का तो इतना बजट नहीं होता है जितना इंतजार लोगों को आईपीएल का होता है उससे कहीं ज्यादा इंतजार बीसीसीआई को होता है आईपीएल का ई जैन ने तो एक फिक्स्ड डिपॉजिट भी करवा रखा है उससे भी रेवेन्यू होता है बीसीसीआई को इसमें एक चीज और ऐड कर देता हूं की भले ही बीसीसीआई आईपीएल टीम्स इतनी भी चाहे इसके बाद भी सीएसके हो गई मुंबई इंडियन हो गई ये फॉरेन फ्रेंचाइजी को खरीद के अपनी इन्वेस्टमेंट को डायवर्सिफाइड रखती हैं जो की लॉन्ग टर्म वेल्थ बिल्ट करने में इनको हेल्प करता है आप में से भी कई लोग इंडियन स्टॉक्स में ऑलरेडी इन्वेस्ट करते होंगे लेकिन उस स्टॉक में इन्वेस्ट करने से आपकी इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफाइड हो जाती है जो की काफी इंपॉर्टेंट है इंडियन स्टॉक मार्केट में आपको किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने के लिए मिनिमम एक शेयर तो खरीद नहीं पड़ता है लेकिन उस स्टॉक में आप एक शेयर का छोटा सा हिस्सा भी खरीद सकते हैं अब आपको टेस्ला एप्पल अमेज़न में इन्वेस्ट करने के लिए चार्जेस एंड कमीशन देने की जरूरत नहीं है आप मेरी तरह इंड मणि ऐप उसे कर सकते हैं जिसमें कोई अकाउंट ओपनिंग फीस नहीं है जीरो कमीशन है और जीरो ब्रोकरेज है मैं आपको ड मणि के साथ मिलके एप्पल कंपनी के स्टॉक वर्थ अप तू रुपीस 1000 बिल्कुल फ्री में दे रहा हूं आपको बस ड मणि ऐप डाउनलोड करना है डिस्क्रिप्शन लिंक से और उसे पे साइन अप करना है और अपना फ्री उस स्टॉक अकाउंट फर्स्ट टाइम फंड करना है और आपको रुपीस 1000 तक के एप्पल स्टॉक फ्री में मिल जाएंगे आयनी मणि ऐप से आप उस स्टॉक में सिप मोड से भी इन्वेस्ट कर सकते हैं तो क्लिक ऑन डी लिंक तो टॉपिक पे वापस आते हैं इसके साथ-साथ आईसीसी जो है वो जो इंटरनेशनल मैच करवाती है उससे जो फायदा होता है उसको भी वो बोर्ड्स में मार देती है डिस्ट्रीब्यूशन कर देती है लेकिन बीसीसीआई ईसीबी और ऑस्ट्रेलिया इसी भी यानी इंग्लैंड इन तीनों को ज्यादा रेवेन्यू मिलता है बाकी बोर्ड्स के कंपेरटिवली क्योंकि ऐसा माना जाता है की इन कंट्रीज में ज्यादा क्रिकेट देखा जाता है जब वर्ल्ड कप हो रहा होता है तो जिस पार्टिकुलर कंट्री में मैच हो रहा होता है और आईसीसी इन दोनों के बीच में पैसा किया जाता है तो दो कंट्री जो खेल रही होती हैं सिर्फ उनके जो बोर्ड्स होते हैं उनके बीच में पैसा डिस्ट्रीब्यूशन होता है जो भी कमाई होती है उसमें से आईसीसी जब मेंबरशिप देती है किसी भी बोर्ड को तो उनसे प्लेस dilwati है की जो भी पैसा वो क्रिकेट से कमाएंगे वो क्रिकेट के अंदर ही लगाएंगे चाहे वो डोमेस्टिक क्रिकेट हो या प्लेयर्स के ऊपर लगाएंगे कोई भी उसमें से पैसा कम के बाहर नहीं ले जा सकता जैसे बीसीसीआई जो भी पैसा कमेटी है बीसीसीआई मैनली तीन बॉडीज को संभालता है एक तो मांस एंड वुमेन इंडियन क्रिकेट टीम अंडर-19 क्रिकेट टीम इंडिया ए टीम इंडिया बी टीम और डोमेस्टिक क्रिकेट इन सबको मेंटेन करता है जो भी पैसा आता है जैसे कई बिजनेस अपनी फ्रेंचाइजी निकलती हैं ऐसे ही बीसीसीआई ने भी अपनी फ्रेंचाइजी निकल है T20 की आईपीएल के नाम से और इंडियन ऑडियंस का इतना इंपैक्ट है की बहुत ही कम टाइम में आईपीएल पूरे वर्ल्ड में सबसे अमीर क्रिकेट लीग बन गई आईपीएल के ऑनर्स ने 10 से 15 साल में सिर्फ ग्रोथ देखिए बीसीसीआई का इतना इन्फ्लुएंस है की आईपीएल इकलौती ऐसी क्रिकेट लीग है जिसके लिए अलग से स्पेशल विंडो मनाई गई है आईसीसी एफटीपी में आईसीसी एफटीपी में स्पेशल विंडो होने का मतलब ये है की जब आईपीएल चल रहा होगा तो उसे पर तिल और टाइम पे जो बाकी इंटरनेशनल मैचेस वह बिल्कुल ना के बराबर होंगे ऐसा किसी और क्रिकेट लीग के लिए नहीं होता है देखिए बीसीसीआई जो है वो दुनिया का सबसे बड़ा सबसे अमीर और सबसे ज्यादा इनफ्लुएंशल बोर्ड है उसके पीछे रीजन यही है की इंडिया में लोग क्रिकेट बहुत ज्यादा देखते हैं 80% वर्ल्ड क्रिकेट की जो इनकम है वो इंडिया से आती है अराउंड 700 मिलियन लोग देखते हैं क्रिकेट को इंडिया के अंदर बहुत बड़ा नंबर है ये जब किसी मैच में इंडिया होती है तो एकदम से उसकी व्यूअरशिप बढ़ जाती है कई बार ऐसा भी होता है की कुछ बोर्ड अगर फाइनेंशली स्ट्रगल कर रहे होते हैं तो उनका मैच इंडिया से करवाया जाता है ताकि उनकी जो फाइनेंशियल कंडीशन है वो सुधार जाए किसी टूर्नामेंट में अगर इंडिया जल्दी बाहर हो जाता है तो ओवरऑल टूर्नामेंट की कमाई गिर जाती है क्योंकि सी आर शिप गिरती है 2011 में जब इंडिया वर्ल्ड कप जीता था तो रिकॉर्ड तोड़ पैसा बनाया था आईसीसी ने कई एक्सपर्ट्स का ये कहना है की नेटफ्लिक्स की जो हालत चल रही है अगर वो हॉटस्टार की तरह क्रिकेट में घुस गया तो उसकी सारी दिक्कतें सही हो जाएंगी इस लेवल का क्रेज़ है इंडिया के अंदर क्रिकेट का आईसीसी के इवेंट में आप अगर नोटिस करोगे जो भी आपको ब्रांड से कंपनी दिखती हैं उन्हें के ऐड आते हैं जिनका इंडिया में रेलवे होता है बीसीसीआई को बहुत ही अच्छे से पता है की उसकी ताकत कहां से आती है इसलिए किसी भी इंडियन प्लेयर को बाहर के लिए खेलना अलाउड नहीं किया जाता है क्योंकि अगर आज की डेट कोई फेमस इंडियन क्रिकेटर विराट कोहली या हार्दिक पंड्या किसी और लीग में जाकर खेलेंगे तो इंडियन ऑडियंस वो मैच भी देखने लगेगी और बीसीसीआई ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती है बीसीसीआई किसी भी प्लेयर को साइन करने से पहले कॉन्ट्रैक्ट साइन करती है की वो किसी और लीग के लिए नहीं खेल सकता जब तक रिटायर ना हो जाए क्योंकि बीसीसीआई को भी पता है की रिटायर होने के बाद कितना भी बड़ा प्लेयर क्यों ना हो इंडियन ऑडियंस उसको नहीं देखती है बस इसे यही अपने प्लेयर्स तो नहीं भेजती है लेकिन आईपीएल में बाहर के प्लेयर्स को बुलाती है एडम गिलगित जो द उन्होंने काफी बार आवाज़ उठाई इस चीज को लेके लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाया कोई भी बोर्ड बीसीसीआई को नाराज नहीं करना चाहता इनफेक्ट जितने भी क्रिकेट बोर्ड्स हैं वो चाहते हैं की इंडिया के साथ मैच हो रमेश राजा ने तो ये तक का दिया था की बीसीसीआई ऐसे ही अगर आगे बढ़ता रहा तो पाकिस्तान का जो क्रिकेट है वो बिल्कुल खत्म हो जाएगा बीसीसीआई आज की डेट में बहुत बड़ा जॉइंट बना है वो इंडियन में क्रिकेट टीम की वजह से बना है अगर वूमेंस क्रिकेट टीम भी इस लेवल पे पहुंच गई तो बीसीसीआई को रोकना नामुमकिन हो जाएगा यही रीजन है की बिजी आई बहुत ही अच्छे से प्रमोट करता है वुमेन क्रिकेट टीम को आपने एक चीज और नोटिस कारी होगी की जितने भी ये बोर्ड्स हैं ये टेस्ट क्रिकेट की बहुत वकालत करते हैं क्योंकि टेस्ट क्रिकेट ज्यादा दिन का होता है इसलिए उसमें ज्यादा मिलता है कंपनी को ऐड दिखाने का कई दिनों का होता है और T20 में बहुत ही कम स्टॉल्स मिल पाते हैं ऐड दिखाने के इसलिए सारे बोर्ड्स चाहते हैं की टेस्ट क्रिकेट कभी खत्म ना हो अगर T20 जैसा धमाल टेस्ट में भी होने लगेगा तो 65 डबल और ट्रिपल हो जाएगा इसलिए ये लोग टेस्ट चैंपियनशिप भी लेकर आए हैं लेकिन उसका इतना ज्यादा इंपैक्ट हुआ नहीं उसके बाद भी टेस्ट क्रिकेट की जो व्यूअरशिप है वो टी-20 की कंपैटिबिलिटी दे बाय दे गिरती जा रही है ज्यादातर जो ब्रॉडकास्टर्स हैं वो टेस्ट क्रिकेट को अवॉइड करते हैं लेकिन बीसीसीआई ने मैंडेटरी कर दिया की T20 ओडीआई और टेस्ट क्रिकेट इन तीनों के राइट्स एक साथ ही मिलेंगे ऐसा नहीं होगा की खाली T20 के राइट्स मिल गए और टेस्ट के छोड़ दिए इन तीनों के एक साथ ही लेने होंगे इसलिए चैनल की मजबूरी हो जाती है टेस्ट की जो राइट्स हैं उसको भी से प्राइस पे लेना है और जो बीसीसीआई चाहेगा उसके खिलाफ ये लोग कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन बीसीसीआई हमेशा से इतना रिच नहीं था आज जो बीसीसीआई मैच दिखाने का चैनल उसे पैसा लेता है पहले बीसीसीआई को ₹5 लाख उल्टा देने होते द दूरदर्शन को मैच दिखाने के लिए और टिकट से जो पैसा आता था सिर्फ वही कमाई होती थी बीसीसीआई की लेकिन जब साउथ अफ्रीका का टूर हुआ उसे टाइम पे पहली बार साउथ अफ्रीका के ब्रॉडकास्टर्स ने बीसीसीआई को कॉन्टैक्ट किया की यह जो मीडिया राइट्स है ये आप हमें दे दीजिए और जितने पैसे उन्होंने ऑफर किए बीसीसीआई ने उतना सोचा नहीं था की कहां पहले दूरदर्शन को पैसे देने पद रहे हैं और वहीं पे उनको पैसे मिलेंगे और इसके बाद ईसाई कोर्ट के पास भी गया और केस जीत गया की बाहर के ब्रॉडकास्टर्स को भी राइट्स बेचे जा सके और यहां से बीसीसीआई का गेम चेंज हो गया 6 $ आए द 1993 में बीसीसीआई के पास जो दूरदर्शन बीसीसीआई से मैच दिखाने के पैसे ले रहा था उसी दूरदर्शन ने ईयर 2000 में 240 करोड़ दिए द बीसीसीआई को 1983 में वर्ल्ड कप बाली जीत गया था बसेस यही लेकिन पैसा बहुत ही लेट आना चालू हुआ था और जैसे-जैसे पैसा आता क्या बीसीसीआई स्ट्रांग होता गया पहले वर्ल्ड कप सिर्फ इंग्लैंड में होस्ट किया जाता था जब इंडिया 1983 में वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा था तब इंडिया के यूनियन मिनिस्टर सिद्धार्थ शंकर ने फाइनल के जो मैच है उसके टिकट्स मे द तो उन्होंने बीसीसीआई के सुप्रीमो एनकेपी साल्वे को बोला था और एनकेपी साल में द काफी ट्राई किया लेकिन इंग्लैंड ने टिकट नहीं दी है और ऐसा नहीं था की टिकट्स अवेलेबल नहीं द इंग्लैंड की टीम उसे टाइम पे फाइनल में नहीं पहुंची थी वहां पे सारी सिम खाली थी लेकिन उसके बाद भी टिकट्स नहीं दिए गए इस एक इंसीडेंट ने बची काफी हिट किया और उसके बाद से बीसीसीआई ने इसको पर्सनली ले लिया और फिर वर्ल्ड कप को इंडिया में करने की मुहिम चालू हुई फिर ऑस्ट्रेलिया पाकिस्तान और श्रीलंका के जो बोर्ड्स द उनके साथ मिलकर इंग्लैंड को मजबूर किया गया और पहली बार वर्ल्ड कप इंग्लैंड से निकल के इंडिया के अंदर आया बीसीसीआई का आगे बढ़ाने का एक रीजन ये भी था की इसमें बाकी फेडरेशन की तरह करप्शन उसे लेवल पे नहीं था लेकिन फिर भी ब्यूरोक्रेट्स जो द पॉलीटिशियंस द इसमें घुसे रहते द ताकि बीसीसीआई के जो फंड्स हैं उनको कंट्रोल कर सके आपने नोटिस किया हुआ की बीसीसीआई की जितनी भी हेयर अथॉरिटी है उसमें क्रिकेटर्स कम और पुरी टीचर्स ज्यादा है अब गवर्नमेंट डायरेक्ट तो इंटरफेयर नहीं कर सकती लेकिन उसने नजर रखने के लिए एक लोढ़ा कमेटी बनाई है मैच फिक्सिंग के टाइम पे इसको बनाया गया था इसका कम किया था की बीसीसीआई के जो रूल्स वगैरा उनको मॉनिटर करें कोई करप्शन हो तो उसको देखें कोई अलग-अलग raycommendation हो कोई चेंज की जरूरत हो तो वो बीसीसीआई को बता दे वैसे तो खुद ही सारे कम करता है गवर्नमेंट का इसमें कोई इंटरफ्रेंस नहीं रहता लेकिन लोढ़ा कमेटी जो है वो इसको मॉनिटर करती रहती है इन सारी चीजों में एक चीज ये अच्छी है की बीसीसीआई की वजह से इंडिया की जो इकोनॉमी है उसको भी बूस्ट मिलता है और बीसीसीआई का इतना इंपैक्ट हो गया की ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड और सारे क्रिकेटर्स मैं आप उनको बोलते हुए सुनोगे इंडियन कप्तान के अंदर में आप विदेशी प्लेयर्स को खेलते हुए देखोगे और इन सब का कराते ज्यादा बिजी की को क्रिकेट की वजह से हमारा जो टूरिज्म है वो बूस्ट होता है नहीं जॉब्स आती हैं कल्चर हमारा दुनिया के सामने आता है होटल और रेस्टोरेंट्स है इनका बिजनेस जो है वो बूस्ट होता है बीसीसीआई के जो कॉर्पोरेट इवेंट्स होते हैं आईपीएल वगैरा उससे टैक्स मिलता है गवर्नमेंट को और इन सब चीजों का रेट जाता है पीसीसी को और लास्ट में आपको फिर से बता डन की इंडी मणि ऐप एकदम सेफ ऐप है इसे 6 मिलियन से ज्यादा इंडियन उसे कर रहे हैं तो अभी डाउनलोड करें ऐप को डिस्क्रिप्शन लिंक से और फ्री शेयर्स क्लेम करिए अकाउंट फंड करने Xrd_qVVLOqE,Richest Political Party in India | Nitish Rajput | #shorts,2022-11-19T06:57:04Z,PT1M,5039673,409165,5532,https://www.youtube.com/watch?v=Xrd_qVVLOqE,, देखिए हम लोग बिजनेस मैन के बारे में तो डिस्कस करते हैं लेकिन इंडिया के अंदर सबसे रिचेस्ट पॉलिटिकल पार्टी कौन सी है तो टॉप थ्री के बारे में डिस्कस करते हैं अदर मतलब की एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म जो की एक पॉलिटिकल एनजीओ है इनकी पब्लिश रिपोर्ट के हिसाब से नंबर थ्री पे आती है कांग्रेस जिनके पास रुपीस 50080 करोड़ के असेट्स हैं नंबर तू पे आती है बीएसपी जिनके पास 698 करोड़ के असेट्स से और नंबर वैन पे आती है बीजेपी इनके पास 4847 करोड़ के असेट्स हैं और ये वो असेट्स हैं जो इन पॉलिटिकल पार्टी ने डिक्लेयर करें ये ऑफिशल डाटा है और भले ही हम बाकी डेवलप्ड कंट्री से हर चीज में पीछे रहे लेकिन इलेक्शंस में पैसा खर्च करने में हम लोग सबसे आगे हैं 2019 लोकसभा इलेक्शन में इंडियन ने रिकॉर्ड बनाया वर्ल्ड के सबसे महंगे इलेक्शन कंडक्ट करने का जिसमें ऑन एवरेज 700 पर वोट पर खर्चा किया गया टोटल खर्चा 55 से 60000 करोड़ के बीच में था जिसमें बीजेपी नंबर वैन पे भी खर्चा करने में और कांग्रेस सेकंड नंबर पे थी और इंडिया में हमेशा से राय जो रूलिंग पार्टी होती है वो हमेशा से अमीर और चीनी रही है कांग्रेस के टाइम पे भी कांग्रेस अमीर थी uoYEjweishA,How CBI went from being a Caged Parrot to a Caged Vulture | Can CBI be Controlled? | Nitish Rajput,2022-11-07T12:01:24Z,PT14M4S,1619848,55001,1974,https://www.youtube.com/watch?v=uoYEjweishA,, अब सरकार के लोग ही करप्शन करते हैं और वो ही अगर तय करेंगे की सीबीआई किसकी जांच करेगी तो कैसे कम चलेगा सीबीआई को आरटीआई से भी बाहर रखा गया ताकि आम जनता को पता ही ना चल पाए की ऊपर गेम क्या चल रहा है इन्होंने ऑन रिकॉर्ड कहा है की सामाजिक कार्यक्रम में जब वो जाते हैं तो लोग वहां पे वोटिंग करते हैं की तोता ए गया इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है की सारी परमिशन देने वाले जो लोग हैं ये ऑलरेडी पावर में होते हैं जहां करप्शन का नाम आता है सबसे पहले हमारे दिमाग में आते हैं नेता ऐसे आप देखोगे की अपोजिशन और रूलिंग पार्टी में कितने मतभेद हैं लेकिन इन सारी चीजों को लेकर दोनों के विचार से लेकिन जब भी इंडिया के अंदर कोई गैरकानूनी एक्टिविटी करता है तो लॉ के हिसाब से उसको सजा होनी चाहिए और जो हमारा कोर्ट है वो डिसाइड करता है की क्या सजा होनी चाहिए लेकिन कोर्ट खुद से इन्वेस्टिगेशन नहीं करता है ये कम करती है इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी वो पता लगा के कोर्ट के सामने सबूत रखती हैं और फिर कोर्ट सजा देती है जब किसी एरिया में कोई क्राइम होता है तो लोकल पुलिस की जिम्मेदारी होती है की उसको जाके देखें लेकिन पुलिस को भी अपनी बाउंड्रीज के अंदर ही रह के कम करना होता है कोई भी पुलिस अपने जूरिडिक्शन के बाहर जाकर केस नहीं उठा सकती है ऐसा नहीं हो सकता की अप की पुलिस पंजाब में जाके किसी को पकड़ ले या फिर इंक्वारी शुरू कर दे इसके लिए उसको पंजाब की पुलिस से परमिशन लेनी होगी उनको इन्फॉर्म करना होगा पंजाब की पुलिस को और पुलिस डिपार्टमेंट के अंदर भी अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट होते हैं जैसे एटीएस एसटीएफ सीबीसीआईडी एल आई डू क्राइम ब्रांच ये अलग-अलग डिपार्टमेंट होते हैं अब अगर आप इसके भी बाहर निकलते हो तो रॉ है रॉ का कम होता है की इंडिया की बाउंड्री जहां पे खत्म होती है उसके बाहर इन्वेस्टिगेशन करना रॉ इंडिया की बाउंड्री के अंदर इन्वेस्टिगेशन नहीं करती जो भी साजिश इंडिया की बाउंड्री की बाहर होती है उसको रॉ देखती है और ऐसे ही अगर इंडिया के अंदर कोई जी सोती है तो उसको आई भी देखती है आईबी का कम होता है इनफॉरमेशन निकल के रिस्पेक्टिव डिपार्टमेंट को इन्फॉर्म करना मैन लीजिए आईबी को ढूंढते ढूंढते पता चलता है की महाराष्ट्र में कोई प्लैनेट अटैक होने वाला है तो आईबी खुद बंधु को लेकर नहीं पहुंच जाएगी वो महाराष्ट्र की पुलिस को बताएगी और उसके बाद महाराष्ट्र की जो पुलिस होगी वो एक्शन लेगी आई बी इंडिया के किसी भी कोने में जाकर कम कर सकती है उसके ऊपर कोई बॉउंडेशन नहीं है देखिए पुलिस डिपार्टमेंट जो है वो स्टेट का सब्जेक्ट है उसको स्टेट गवर्नमेंट देखती है अप की जो पुलिस है वो योगी जी की गवर्नमेंट देखती है ऐसे ही राजस्थान की जो पुलिस होगी उसको अशोक गहलोत जी की जो गवर्नमेंट है वो देखेगी अप की पुलिस राजस्थान में नहीं घुस सकती बिना परमिशन के ऐसे ही राजस्थान की पुलिस अप में नहीं हो सकती लेकिन जो सीबीआई है उसके ऊपर कोई फाउंडेशन नहीं है वो ऑल ओवर इंडिया में कम कर सकती हैं जो सीबीआई होती है ये सेंट्रल गवर्नमेंट के अंडर में आती है अब मैन लीजिए आपकी गली में कोई क्राइम हो गया तो ऐसा नहीं है की आप फोन घुमा के सीबीआई को बुला लोग आपको पुलिस को ही फोन घुमाना होगा सीबीआई तभी आती है जब उसको raycommend किया जाता है मैन लीजिए अप में कोई क्राइम हुआ तो अप के कम जब तक होम मिनिस्ट्री को लेटर नहीं लिखेंगे की इस मामले की जांच सीबीआई को करनी चाहिए तब तक सीबीआई उसे केस में नहीं ए सकती होम मिनिस्ट्री सीबीआई की रिक्वेस्ट को रिव्यू करती है और उसके बाद सीबीआई किसी क्राइम की इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट कर सकती है सीबीआई तभी आती है जब कम लेटर लिखे होम मिनिस्ट्री को या फिर सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट को लगेगी इस केस की सीबीआई इंक्वारी होनी चाहिए तब आती है या फिर सेंट्रल गवर्नमेंट को लगे की सीबीआई की इंक्वारी होनी चाहिए तो उसके में आती है ऐसे ही मणि लॉन्ड्रिंग या फिर ब्लैक मणि की बात आती है तो उसे केस में एड ए जाती है ऐसा पैसा जिसका टैक्स चुराया जा रहा हो या फिर ऐसा पैसा जिसका सोर्स का पता ना हो की कहां से आया है वो उसे केस में एड ए जाती है ऐसे ही कोई ड्रेस वगैरा की बात होती है तो एनसीबी देखती है उसको आपने देखा होगा जब सुशांत सिंह राजपूत का केस हुआ था तो उसमें पहले मुंबई की पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन की थी और बिहार की पुलिस चार के भी मुंबई में इन्वेस्टिगेशन नहीं कर का रही थी फिर उसके बाद सीबीआई को बुलाया गया फिर जब ड्रेस की बात चली तो एनसीबी आई फिर पैसे की बात चली तो एड आई तो इसी तरीके से हर एजेंसी कम करती है और ये जितनी भी एजेंसी है चाहे वो सीबीआई हो एनसीबी हो एड हो पुलिस हो इनके ऑफिसर्स कोई घपला ना करें इन सारी चीजों को देखती है सीवीसी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ये जितने भी सरकारी एंप्लॉय होते हैं ये किसी से बहुत डरते हैं देखिए इंडिया के अंदर बहुत सारी एजेंसीज हैं कोई ड्रेस के केसेस को देखती है तो कोई टेररिस्ट के केसेस को देखती है लेकिन जितना डायरेक्ट नेता को सीबीआई और एड से लगता है उतना किसी और एजेंसी से नहीं लगता क्योंकि ये दोनों एजेंसीज करप्शन देखती हैं और जहां करप्शन का नाम आता है सबसे पहले हमारे दिमाग में आते हैं नेता देखिए आईडी एक अलग टॉपिक है वो किसी और दिन डिस्कस करेंगे लेकिन सीबीआई बहुत ही पावरफुल चीज है इसके एक एक्शन से किसी की भी जिंदगी बन सकती है और बिगड़ भी सकती है देखिए जब सेकंड वर्ल्ड वॉर हुआ था तो वॉर रिलेटेड समान को लेकर काफी करप्शन की चीज सामने ए रही थी तो पुलिस तो अपने अपने स्टेट में इन्वेस्टिगेशन कर सकती है तो इस करप्शन की इन्वेस्टिगेशन के लिए एक अलग से टीम बना दी गई जिसका नाम रखा गया स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट और जब इस केस की इंक्वारी कंप्लीट हो गई तो एक दो डिपार्टमेंट और द जहां पे करप्शन हो रहा था वहां पे भी इसको कम दिया गया और इसकी परफॉर्मेंस को देख के 1963 में एक लीगल फॉर्मल स्ट्रक्चर बना दिया गया और नाम रखा गया सीबीआई सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन देखिए एक चीज का और ध्यान रखिएगा ये जो सीबीआई बनी है ये एक्ट ऑफ पार्लियामेंट से नहीं बनी है मतलब की जैसे निया सभी वगैरा पार्लियामेंट में बिल पास हुआ उनका तब जाकर बनी वह वैसे नहीं बनी है यह गवर्नमेंट के एक नोटिफिकेशन से सेटअप हुई है मतलब गवर्नमेंट ने एक रेजोल्यूशन लाया और इनकी टीम सेटअप कर दी अब देखिए इतना इंपॉर्टेंट डिपार्टमेंट है सीबीआई कायदा तो ये कहता है की जैसे निया सेबी वगैरा है इनके खुद के अपने रूल है वैसे ही सीबीआई का भी होना चाहिए लेकिन 1963 से इतनी गवर्नमेंट आई और गईं किसी ने भी इसको एक लीगल स्ट्रक्चर में फार्मूले करने की कोशिश नहीं की बल्कि नोटिफिकेशन निकल के इसको वीक किया गया ताकि इसको अपने हिसाब से चलाया जा सके सीबीआई को आरटीआई से भी बाहर रखा गया ताकि आम जनता को पता ही ना चल पाए की ऊपर गेम क्या चल रहा है हमारे जो सुप्रीम कोर्ट है 1963 से लड़ाई लड़ रहे हैं सीबीआई को एक लीगल और स्ट्रांग स्ट्रक्चर दे दिया जाए लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं होता है 2013 में जब बहुत ज्यादा अति हो गई तो गुवाहाटी हाई कोर्ट ने काफी हिम्मत का कम किया और इस पे एक एक्शन लेने की कोशिश की गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कहा की ये जो सीबीआई आप चला रहे हो अपने हिसाब से ये सेंट्रल गवर्नमेंट ने एक रेजोल्यूशन निकल के बना दी थी रूल्स इसमें क्या होंगे ये भी आपने एक रीजन निकल के सेट कर दिया की डेली स्पेशल पुलिस इस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट जो है 1946 उसके हिसाब से जो रूल्स होते हैं सीबीआई भी वही फॉलो कर लेगा सीबीआई जाके लोगों को सर्च चल रही है उनको अरेस्ट करती है यह जो एक्टिविटी सीबीआई करती है ये आर्टिकल 21 के हिसाब से अनकंस्टीट्यूशनल है ऐसा कहना है और इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट जो था उसने भी से चीज पे सवाल किए देखिए कायदा तो ये कहता है की जब कोड ये सब सवाल उठा रहे हैं तो दो मिनट का कम है इसको एक लीगल स्ट्रक्चर देना लेकिन वो नहीं किया जाता है बल्कि सेंट्रल गवर्नमेंट क्या करती है इस पूरे फैसले पर स्टे लगा देती है और इसके बाद कई गवर्नमेंट आई और गईं किसी ने भी इसके स्टे को हटाने की कोशिश नहीं की 1963 से लेके आज तक सीबीआई की कौन सी ट्यूशन वैलिडिटी पे कोई फैसला नहीं लिया गया है क्योंकि पावर में आने के बाद सबको इसको अपने हिसाब से चलाना है अगर वो सीबीआई को इंडिपेंडेंट करके एक लीगल स्ट्रक्चर दे देंगी तो इनके खुद के कम फस जाएंगे जो जुल्म इनके साथ हुए हैं उसका बदला कैसे लेंगे ये लोग इससे पहले की हम आगे बड़े आपको मैं कुछ बताना चाहूंगा इट स्किल्स जैसे डाटा एनालिसिस काफी सालों से डिमांड में है और फ्यूचर में भी रहने वाली है बट जो लोग इट बैकग्राउंड से नहीं है बट इट फुल में आना चाहते हैं उनके लिए कैरियर स्विच करना काफी चैलेंजिंग हो जाता है लेकिन कोडिंग इन्वर्टर के साथ आप हाई पेइंग इट फील्ड में आगे ए डाटा एनालिस्ट इंटर कर सकते हो कोई भी इन्वर्टर करंट डाटा दिखाता है की इन्होंने 93% का प्लेसमेंट दिया है फिर भी अगर आपको लगता है की आप बाकी 7% में रह गए हो तो आपकी इन्वेस्टमेंट खराब नहीं होने वाली क्योंकि ये मणि बैक गारंटीड देते हैं इन रिटेन एग्रीमेंट इनरोल करने से पहले अगर प्लेसमेंट नहीं तो फुल रिफंड कोडिंग इन्वर्टर के थ्रू लास्ट सिक्स मंथ में 20000 से ज्यादा कैंडिडेट 10 से 2500000 तक के पैकेजेस ले चुके हैं इनके रियल बिजनेस प्रोजेक्ट्स इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने डिज़ाइन किए हैं जो अमेज़न फिलिप्स infosyste हैं अगर आप भी टेक्निकल डोमेन में स्विच करना चाहते हो या डाटा एनालाइज तो फायदा उठाओ इस अपॉर्चुनिटी का इनके जॉब गारंटीड बैच में अप्लाई करने के लिए क्लिक ऑन डी लिंक इन डी डिस्क्रिप्शन बॉक्स और उसे करें मेरा कोड एन आर 20 और 20% का फ्री डिस्काउंट तो टॉपिक पे वापस आते हैं सीबीआई एक ऐसा तो होता है जो पिंजरे में बंद है ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने ऑन रिकॉर्ड कहा है पहले इसको सरकार का तोता बोला जाता था और आज कल इसको सरकार का दामाद बोला जाता है अब क्योंकि सीबीआई पुरी तरीके से हमारे लॉ से प्रोटेक्टेड नहीं है इसलिए सीबीआई को नेताओं के रैम वो कर्म पे रहना पड़ता है सीबीआई में जो हैरिंग होती है वो इंडियन पुलिस सर्विस से होती है इसलिए सीबीआई को पुरी तरीके से होम मिनिस्ट्री पे डिपेंडेंट रहना पड़ता है फायरिंग तक के लिए सीबीआई को आईपीएस चलते हैं जो खुद सीबीआई में कम करने के बाद फ्यूचर पोस्टिंग के लिए सरकार पर डिपेंडेंट रहते हैं इसके साथ-साथ सीबीआई के ऊपर अगर खुद कोई बात ए गई तो लॉयर तक के लिए उनको होम मिनिस्ट्री पर डिपेंडेंट रहना पड़ता है सीबीआई के शुरुआती सालों में सीबीआई पर लोगों को बहुत भरोसा था लेकिन अब सीबीआई भी जनता की नजरों में ए गई है सीबीआई के एक्शंस और इन एक्शंस की वजह से उसकी क्रेडिबिलिटी पे असर पद रहा है ये मैं नहीं का रहा हूं ये एग्जैक्ट लाइन उसे की थी हमारे के जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रन बनाने सीबीआई के लिए पहले जो सीबीआई के डायरेक्टर होता था उसको सेंट्रल गवर्नमेंट जब चाहे हटा सकती थी मैन लो कोई केस स्टार्ट कर दिया सीबीआई के डायरेक्टर ने तो उसको फायर कर दिया जाता था तो इसको लेकर बहुत हल्ला हुआ कोर्ट ने प्रेशर बनाया तो मजबूरी में फिक्स करना पड़ा की जो भी सीबीआई के डायरेक्टर होगा उसको 2 साल से पहले कोई भी नहीं हटा सकता देश का पीएम तक नहीं हटा सकता और फिर आगे चल के एक रूल और लाया गया जिसमें इसको बढ़ा के 5 साल तक कर दिया गया ये इसलिए किया गया ताकि सीबीआई का जो डायरेक्टर है अगर किसी मिनिस्टर पे इन्वेस्टिगेशन करें तो उसको कोई दर ना हो क्योंकि जैसे इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट होती थी सीबीआई के डायरेक्टर को हटा दिया जाता था अभी रूल तो बहुत ही अच्छा बनाया गया लेकिन इसमें एक कंडीशन लगा दी गई की पंच साल एक साथ नहीं रखा जाएगा सीबीआई के डायरेक्टर को पहले 2 साल पूरे करने होंगे उसके बाद एक-एक साल करके उसका टेन्योर बढ़ाया जाएगा अब एक साल और बढ़ाना चाहिए या नहीं बढ़ाना चाहिए ये सेंट्रल गवर्नमेंट डिसाइड करेगी तो अब इसमें होता ये है की अगर सीबीआई के डायरेक्टर सही से दो साल तक कम करता है गवर्नमेंट के हिसाब से कम करता है तब तो उसकी टर्म बढ़ा दी जाती है वर्ण वहीं पे रोक दी जाती है आप एक बार अपने आप को सीबीआई का जो डायरेक्टर है उसकी जगह पे रख के देखिए आप कैसे फैसला ले पाओगे यही रीजन है की सीबीआई के लिए तोता और दामाद जैसे वर्ड मीडिया में आने लगे हैं रंजीत सिन्हा जो की सीबीआई की डायरेक्टर रह चुके हैं इन्होंने ऑन रिकॉर्ड कहा है की सामाजिक कार्यक्रम में जब वो जाते हैं तो लोग वहां पे वोटिंग करते हैं की तोता ए गया सीबीआई का डायरेक्टर कैसे चुना जाएगा इसको लेकर भी रूल्स हैं की कोई एक आदमी डिसाइड नहीं करेगा की सीबीआई का डायरेक्टर कौन होगा बल्कि तीन लोग मिलकर डिसाइड करेंगे एक हमारे देश के पीएम दूसरे अपोजिशन के लीडर और तीसरे सुप्रीम कोर्ट के जज और सुप्रीम कोर्ट के जज अगर बिजी हैं तो वो अपनी जगह पे किसी और को भी भेज सकते हैं मैन लीजिए तीन कैंडिडेट का नॉमिनेशन आया है सीबीआई के डायरेक्टर बन ने के लिए तो उसमें से किसी एक को ये लोग वोटिंग करके सीबीआई के डायरेक्टर बना देंगे लेकिन ये जो तीन कैंडीडेट्स के नॉमिनेशन होंगे जिम वोटिंग होगी ये होम मिनिस्ट्री डिसाइड करके भेजेगा तो घूम फिर के बाद वहीं पे ए गई की सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथ में है सारी पावर ऐसे आप देखोगे की अपोजिशन और रूलिंग पार्टी में कितने मतभेद हैं लेकिन इन सारी चीजों को लेकर दोनों के विचार से हैं सीबीआई अपने हिसाब से होशियारी ना कर दे इसके लिए भी रूल्स हैं मैन लीजिए अगर सीबीआई एमएलए एमपी या किसी बड़े मंत्री पर इन्वेस्टिगेशन करना चाहती है अपनी मर्जी से तो सीबीआई को परमिशन लेनी होगी बिना परमिशन के वो नहीं कर सकती अगर सीबीआई को देश के एमपीएस पे केस करना है तो लोकसभा के स्पीकर से परमिशन लेनी होगी एमएलए इस पे केस करना है तो स्टेट असेंबली के स्पीकर से परमिशन लेनी होगी अगर मिनिस्टर्स पे केस करना है तो राजपाल से परमिशन लेनी होगी इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है की सारी परमिशन देने वाले जो लोग हैं ये ऑलरेडी पावर में होते हैं तो ऑन पेपर तो रूल्स बहुत बढ़िया है लेकिन सारा कुछ चलता सेंट्रल गवर्नमेंट के हिसाब से ही है अगर आप रूल्स पढ़ोगे तो आपको अपोजिशन के ऊपर दया ए जाएगी की कितने बुरे हाल में फैंस हैं लेकिन अपोजिशन भी खुल के कुछ नहीं बोल सकता सीबीआई के वर्किंग प्रक्रिया पे क्योंकि जब वो पावर में द तो वो भी यही करते द कुछ रूल्स तो उनके खुद के बनाए हुए हैं 2012 में सीबीआई ने महाराष्ट्र के कम को प्रॉसिक्यूट करने के लिए परमिशन मांगी उसे पार्टिकुलर टाइम पर तो गौरव ने परमिशन नहीं दी लेकिन जैसे ही सरकार बदली उनको परमिशन मिल गई ना राधा स्ट्रिंग ऑपरेशन केस में भी जो अपोजिशन पार्टी के लोग द उनके लिए लोकपाल ने परमिशन दे दी थी और बाकियों के लिए परमिशन नहीं दी गई तो अगर कोई सीबीआई डायरेक्टर चाहा के भी इन्वेस्टिगेशन करना चाहे अपने हिसाब से तो वो नहीं कर सकता सुप्रीम कोर्ट ने जब ये सब देखा तो ये परमिशन लेने वाले जो रूल है इनको हटा दिया लेकिन रूलिंग गवर्नमेंट ने इसके जवाब में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में सेक्शन 17a अमेंड कर दिया जिसके बाद सीबीआई बिना सरकार की परमिशन के किसी भी पब्लिक सर्वेंट की जांच नहीं कर सकती अब सरकार के लोग ही करप्शन करते हैं और वो ही अगर तय करेंगे की सीबीआई किसकी जांच करेगी तो कैसे कम चलेगा अगर आप इसको ध्यान से देखोगे तो सीबीआई जो इन्वेस्टिगेशन करती है उसका भी एक पैटर्न है अगर रूलिंग गवर्नमेंट का आदमी है तो केस डिले हो जाता है पेंडिंग हो जाता है और जैसे ही सरकार जाती है तो इन्वेस्टिगेशन तेज हो जाती है इंडियन एक्सप्रेस की दीप्ति मैन तिवारी ने कोर्ट के रिकॉर्ड्स ऑफिशल डाक्यूमेंट्स एजेंसी के स्टेटमेंट वगैरा हर चीज की रिसर्च की और उसका जो डेट है वो मैं आपके साथ शेयर कर देता हूं 18 साल के अंदर सीबीआई ने 200 बड़े नेताओं की जांच की या अरेस्ट किया इसमें 2004 से 2014 तक की डाटा में यह था की टोटल 72 बड़े नेताओं की इंक्वारी हुई और जिसमें से 43 अपोजिशन के द वहीं 2014 से 2022 में सीबीआई ने 124 बड़े नेताओं की इंक्वारी की जिसमें से 118 अपोजिशन के नेता द और ये जो भी केसेस में बता रहा हूं अगर इनमें से कोई नेता ऐसा था जो अपनी पार्टी को छोड़ के जिसने रूलिंग पार्टी ज्वाइन कर लो उसके खिलाफ जो केसेस द या तो वो स्लो हो गए द या खत्म कर दिए गए द ये एक बार आप पॉज करके देख लीजिएगा की किस गवर्नमेंट ने किसके बड़े नेता से बदला लिया है इससे पहले जो गवर्नमेंट थी उन्होंने इनको पकड़ा और अभी जो गवर्नमेंट है उन्होंने इनको पकड़ा लेकिन आप दोनों ही केस देखोगे तो इसमें मायावती जी दोनों ही पार्टी में कॉमन है इनको किसी ने नहीं बख्शा 2010 में जब पीछे से मेरा होम मिनिस्टर द तो उन्होंने हमेशा को जेल भिजवाया था तब बीजेपी अल्लाह करती रही कोई सनी नहीं हुई ऐसे ही 2019 में जब अमित शाह होम मिनिस्टर द तो उन्होंने पिच ही damdaram को जेल भिजवाया था और इस बार कांग्रेस अल्लाह करती रही और कुछ नहीं हुआ देखिए हर पार्टी का अलग स्टाइल होता है सीबीआई को उसे कर रहे हैं इससे पहले जो गवर्नमेंट थी वो अपनी गठबंधन वाली सरकार के नेताओं को सीबीआई की धमकी देती थी जब उनको कोई बिल पास करवाना होता था कई नेता ऐसे जो खुल के सामने ए गए देखिए ये क्या तरीका हमसे हान करवाने का हमारे ऊपर सीबीआई छोड़ दी जाती है 2007 में जब लेफ्ट पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस कर लिया था और सरकार गिरने वाली थी उसे टाइम पे मुलायम सिंह जी के ऊपर असेट्स को लेकर सीबीआई का केस दल दिया गया था और इसके बाद मुलायम सिंह जी ने न्यूक्लियर डील के वक्त वोटिंग की सरकार को सपोर्ट किया और फिर आगे चल के उनका केस खत्म हो गया जब जगह रेडी ने आंध्र प्रदेश में अपने फादर की डेथ के बाद रूलिंग गवर्नमेंट के खिलाफ बातें शुरू कर दी थी तो उनके ऊपर भी सीबीआई का केस चालू हो गया था 2013 में जब डीएमके ने यूपीए से अपना सपोर्ट वापस लेने का अनाउंस किया था तो सीबीआई ने दो दिन बाद ही एम के स्टालिन के घर पे एक लग्जरी कर के इंपोर्ट्स से लेकर जुड़े केस में रेट दल दी थी अभी जो रूलिंग गवर्नमेंट है उनके ऊपर अलग तरीके के आरोप लगते हैं की सीबीआई का उसे करके वो अपोजिशन के जो नेता हैं उनको अपनी पार्टी ज्वाइन करवा लेते हैं ऐसे कई सारे केसेस हैं जहां पे अपोजिशन के जो नेता हैं उनके ऊपर सीबीआई के इंक्वारी चालू होती है जेल जाने के दर से वो फिर पार्टी छोड़ के रूलिंग पार्टी ज्वाइन कर लेते हैं और फिर उनके खिलाफ केस बंद हो जाते हैं जैसे वाईएसआरसीपी की एक एमपी थी कोटा पल्ली गीता इनके ऊपर 2015 में सीबीआई का केस फाइल किया गया फिर इन्होंने 2019 में पार्टी ज्वाइन कर ली और केस ठंडे बेस्ट में चला गया इसी तरीके से टीडीपी के वाइस चौधरी जो पहले यूनियन मिनिस्टर भी द 2 जून 2019 को उनके ऊपर सीबीआई की रेड हुई और 19 जून को उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और केस होल्ड पर चला गया अभी रिसेंटली मनीष सिसोदिया ने भी आरोप लगाया था की बीजेपी ने उनको बोला है की अगर वो बीजेपी ज्वाइन कर लेते हैं तो सीबीआई और एड की जांच उन पे बंद कर दी जाएगी अब देखिए सीबीआई को अगर इस पिंजरे से फ्री करना है तो इसको एक्ट ऑफ पार्लियामेंट के तहत एक लीगल स्ट्रक्चर देना होगा [संगीत] uguC_ZPeEE8,Rishi Sunak faces backlash over Suella Braverman | Nitish Rajput | Hindi,2022-10-28T08:22:51Z,PT14M37S,896256,33579,1439,https://www.youtube.com/watch?v=uguC_ZPeEE8,, इस पूरे इंसीडेंट के बाद ऋषि सुनार को एंटी वर्किंग क्लास बोला जाने लगा बोर इस डंडे रहते हैं की वो रेजिग्नेशन नहीं करेंगे लेकिन बाद में जब सब लोग अगेंस्ट हो गए तो उनको रेजिग्नेशन करना पड़ता है अब क्वेश्चन ये है की ऋषि सुनार जो इतने पॉप्युलर द उनको इतना सपोर्ट मिल रहा था एमपी का लेकिन उसके बाद भी लिस्ट कैसे लास्ट में आगे जीत गए लेकिन ऋषि सॉन्ग के लिए सबसे बड़ा डिजास्टर हुआ जब उसे पार्टिकुलर टाइम पे इनका एक वीडियो लिंक कर दिया गया जब लिस्ट के हाथ से सिचुएशन निकलना शुरू हुई तो सबसे पहले उन्होंने अपने फाइनेंस मिनिस्टर को फायर किया और एक बहुत ही फेमस चैलेंज भी स्टार्ट कर दिया लोगों ने जिसमें लाइव वीडियो में लेटेस्ट को रखा गया की पहले लेटेस्ट खराब होगा या फिर लेटेस्ट पीएम के पास से रिजाइन करेंगे चर्चिल जो एक टाइम पे यूके के प्राइम मिनिस्टर द उन्होंने कहा था की भले ही आजादी मिल गई है लेकिन इंडियन की जो रेस है वो कभी सरकार नहीं चला पाएगी आप सोच के देखिए अगर इंडिया के अंदर किसी और देश के ओरिजिन का आदमी इंडिया का प्राइम मिनिस्टर बन जाए तो उसे केस में क्या होगा इतिहास बनाते हुए ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए सुना एक बड़ा नाम होने जा रहे हैं [संगीत] इंडिया के अंदर इलेक्शंस होते हैं ठीक उसी तरीके से यूके में भी इलेक्शंस होते हैं जैसे यहां पे बीजेपी और कांग्रेस बड़ी पार्टी है ऐसे ही यूके में भी जो कंजरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी है वो बड़ी पॉलिटिकल पार्टी हैं जिस तरीके से इंडिया में लोकसभा और राज्यसभा कम करती है ऐसे ही यूके में भी हाउस ऑफ कॉमनस और हाउस ऑफ लॉर्ड्स कम करते हैं और जो पीएम सिलेक्ट करने का जो प्रक्रिया है वो ऑलमोस्ट से है यूके में जो पॉलिटिकल पार्टी जीत के आती है उसे पार्टी के जितने भी जीते हुए एमपीएस होते हैं वो वोट करते हैं की कौन पीएम बनेगा और जिन दो कैंडिडेट को सबसे ज्यादा वोट्स मिलते हैं उनके बीच में फिर से वोटिंग होती है और इसके बाद एमपी के साथ-साथ पार्टी के जो बाकी मेंबर्स होते हैं वो भी वोट करते हैं और जिसको ज्यादा वोट मिलते हैं वो जीत के पीएम बन जाता है और ये जो पीएम बनता है ये ऐसा नहीं है की एक बार पीएम बन गया तो हमेशा बना रहेगा ये चेंज भी हो सकता है मैन लो कोई पीएम बना और पीएम बनने के बाद सही से कम नहीं कर रहा है किसी घोटाला में नाम ए गया या फिर उसके अंडर में जो मिनिस्टर्स हैं सब डिज़ाइन करने लगे तो पीएम के ऊपर प्रेशर बना के उसको हटा दिया जाता है और फिर से पार्टी के अंदर वोटिंग होती है और नया पीएम डिसाइड होता है देखिए जब 2019 में यूके के इलेक्शन हुए तो उसे टाइम पर कंजरवेटिव पार्टी बहुत ही भारी वोटो से जीत के आई थी पावर में और बुरी जॉनसन यूके के पीएम बने द लेकिन सिर्फ 3 साल के अंदर सिचुएशन ऐसी बदलती है की यूके के दो प्राइम मिनिस्टर को रिजाइन करना पड़ता है इकोनॉमी की हालत खराब हो जाती है मार्केट बार-बार क्रैश होता है और इन्फ्लेशन और टाइम हाई पर पहुंच जाता है अब ऐसा होता क्यों है और ऋषि सोना कैसे पिक्चर में आते हैं वो डिस्कस करते हैं लेकिन सारी चीजों की शुरुआत होती है कोविंद के टाइम पे बहुत ही जॉनसन के ऊपर एलिगेशन लगते हैं की कोविंद के टाइम पे जब पूरे देश में लोग डाउन लगा था लोग परेशान हो रहे द तो उसे टाइम पे इन्होंने 10 डाउनिंग स्ट्रीट जो बॉडीज जॉनसन का घर और ऑफिस दोनों है वहां पे इन्होंने बैक तू बैक पार्टी की और कानून को टोडा इस पूरे घोटाला को मीडियम में पार्टी गेट के नाम से जाना जाता है इस पूरे केस के इंक्वारी एक सीनियर सिविल सर्वेंट सुई ग्रेन ने की और रिपोर्ट में ये आया की टोटल 83 लोगों ने पार्टी की और रूल्स को टोडा अल्कोहल कंज्यूम की एक दूसरे के साथ झगड़ा किया और प्रॉपर्टी डैमेज की टोटल 126 लगे जिसमें से एक फाइन बॉल इस जॉनसन पर भी लगा शुरू में तो ballist जॉनसन झूठ बोल रहे द लेकिन जब ये रिपोर्ट सामने आई तो उसके बाद उन्होंने माफी मांग ली और जैसे ही रिपोर्ट आई जो अपोजिशन द लेबर पार्टी वाले इनके एमपी ऐसे लोगों को सामने लेकर आए जो कोवित की distiction की वजह से अपने मरते हुए फैमिली मेंबर से मिल नहीं का रहे द और पूरा मैटर मीडिया के अंदर बहुत ही ज्यादा उछाला लेकिन बॉडी जो है इसके बाद भी रुके नहीं मे 2020 में लॉक डाउन के बीच में जॉनसन ने फिर से अपने गार्डन में पार्टी की 10 लोगों के साथ ब्रिंग योर ऑन बज पार्टी का नाम था जून 2020 में बॉयज ने 30 लोगों के साथ फिर से बर्थडे पार्टी की और नवंबर 2020 में नेशनल कोविद लोग डाउन के बीच में जॉनसन के घर में फिर से पार्टी हुई और बात इतनी बढ़ती है की borizon को क्वीन से भी माफी मांगनी पड़ती है क्योंकि उन्होंने उनके हस्बैंड के जो फ्यूनरल था उसकी ईद तक पर गैदरिंग कारी जिसको बोला जाता है की वो भी एक पार्टी थी बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के पहले प्राइम मिनिस्टर बने जिन्होंने कानून टोडा और जिनके ऊपर जुर्माना भी लगा लेकिन इसके बाद भी इनकी मुसीबतें रुकती नहीं है इनकी जो पार्टी के एमपी दे उसे टाइम पे पार्लियामेंट में एडल्ट मूवी देखते हुए पकड़े गए एक और एमपी द जिनके ऊपर इंक्वारी हुई उन्होंने भी लॉ ऑफ फॉलो नहीं किया था और जहां-जहां पे ये एमपी द जिस एरिया के वहां पर बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी इलेक्शन में हारने लगी और इससे पार्टी के अंदर चुनाव जितने की कैपेबिलिटी थी उसे पे भी क्वेश्चन उठने लगा किस पिंजरे जो की काफी बड़ा नाम था बॉडी जॉनसन की टीम का ऐसा समझ लिए जैसे की मोदी जी और अमित शाह जी की जोड़ी है उसे तरीके की जोड़ी थी इनकी कृष पिक्चर के ऊपर भी छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं और उनको भी रिजाइन करना पड़ा देखिए यूके की हिस्ट्री रही है की जिस गवर्नमेंट के मिनिस्टर्स बैक तू बैक रेजिग्नेशन करने लगते हैं उनको माना जाता है की गवर्नमेंट कैपेबल नहीं है देश चलाने के लिए और जिस तरीके से बुरी जॉनसन का नाम ए रहा था इनकी पार्टी में भी रेजिग्नेशन की लाइन स्टार्ट हो जाती है सबसे पहले रिजाइन करते हैं बोरिस जॉनसन के फाइनेंस मिनिस्टर ऋषि सॉन्ग जिन्होंने 2014 में कंजरवेटिव पार्टी को ज्वाइन किया और दूसरे द हेल्थ मिनिस्टर साजिद जावेद और इन दोनों के रिजाइन करने के बाद 50 और एमपी रिजाइन कर देते हैं गवर्नमेंट की पोस्ट है हालत ये हो गई थी की इन पोजीशन को फुल करने के लिए एमपीसी नहीं मिल रहे द शुरू में बॉल इस देदे रहते हैं की वो रेजिग्नेशन नहीं करेंगे लेकिन बाद में जब सब लोग अगेंस्ट हो गए तो उनको रेजिग्नेशन करना पड़ता है लेकिन इस पुरी सिचुएशन में बाली जॉनसन की फौरन सेक्रेटरी लिस्ट ट्रस्ट उनके साथ खड़ी रही उन्होंने रेजिग्नेशन नहीं किया रेजिग्नेशन के बाद कौन नया पीएम बनेगा इस रेस में सबसे आगे द रेसिस्ट होना सबसे पहले द जिसने रेजिग्नेशन किया और रेजिग्नेशन करने के तीन से चार घंटे बाद ही उन्होंने अपने पीएम बनने की दावेदारी आगे कर दी ऋषि सूरत को काफी बड़ा एडवांटेज था उनको चार के विप भी सपोर्ट कर रहे द के वो होते हैं जो ओवरऑल पार्टी का डिसिप्लिन और फंक्शनिंग देखते हैं काफी बड़ी पोजीशन होती है और इसके बाद ऋषि ने वेट नहीं किया बल्कि ये कैंपिंग वीडियो की लॉन्च कर दी जिसका नाम था रेडी फॉर ऋषि इन सारी चीजों से ऋषि सुनार को शुरू में तो एडवांटेज मिलता है लेकिन बाद में ये बातें चलने लगती हैं की रिज सुन्नत जिनके बॉस और मेंटल बॉडी जॉनसन द उन्होंने उनके साथ धोखा किया और पीछे से प्लानिंग की बाली जॉन से नहीं चाहते द की ऋषि सॉन्ग पीएम बने इसलिए वो लिस्ट ड्रेस को ऋषि चुन्नट के अगेंस्ट में खड़ा कर देते हैं और इन सारी चीजों के बाद इंटरनल चुनाव होते हैं इलेक्शन के नतीजे पंच सितंबर 2022 को आए और जैसा की मैंने पहले बताया था की पहले एमपीएस वोट करते हैं और फिर बाद में पार्टी के सारे मेंबर वोट करते हैं तो यहां भी वैसा ही होता है जब एमपी इसकी वोटिंग हुई तो उसमें ऋषि नंबर वैन पे द और दूसरे नंबर पे थी लिस्ट ट्रस्ट और इसके बाद इन दोनों के बीच में फिर से इलेक्शन होने द जिसमें पार्टी के सारे मेंबरों को वोट करना था लेकिन इस पार्टिकुलर सेक्शन में लिस्ट जीत जाती है और वो यूके की पीएम बन जाती अब क्वेश्चन ऋषि सुनार जो इतने पॉप्युलर द उनको इतना सपोर्ट मिल रहा था एमपी का लेकिन उसके बाद भी लिस्ट कैसे लास्ट में आके जीत गई देखिए ऋषि सुनक की इमेज एक बाग scraber की तरह बनाई गई उसे टाइम की अगर आप आर्टिकल देखोगे तो ये लाइन काफी चल रही थी ही हु विल डी नाइस नेवर व्हेयर इसे डी ग्राउंड लेकिन रेश्यो के लिए सबसे बड़ा डिजास्टर तब हुआ जब उसे पार्टिकुलर टाइम पे इनका एक वीडियो लीक कर दिया गया जिसमें वो ये का रहे द की जब लेबर पार्टी पावर में थी तो उनकी ट्रेजेडी फंडिंग जो गरीब इलाकों में जाती थी उसको चेंज करके हमने उनको अमीर इलाकों में ट्रांसफर कर दिया और इस चीज को कंफर्म करने के लिए गार्जियन ने एक एनालिसिस किया जिसमें ये निकल के आया की ब्रिटेन ने कुछ अमीर इलाकों को गरीब इलाकों के मुकाबला 10 गुना ज्यादा फंडिंग की है और इससे लोगों में गुस्सा आया कंजरवेटिव पार्टी जिसमें रति सुना क्या है उनकी पुरी आईडियोलॉजी गरीबों को आगे बढ़ाना और इक्वलिटी की है और जब ये वीडियो आया तो पुरी पार्टी का ही बहुत नुकसान हुआ इस पूरे इंसीडेंट के बाद ऋषि सुने को एंटी वर्किंग क्लास बोला जाने लगा यहां तक की ऋषि की वाइफ आकांक्षा जो की इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी है उनके बारे में भी बोला गया की क्वीन एलिजाबेथ से भी ज्यादा अमीर है वो और हाउस ऑफ कॉमनस के जो एमपीएस की फैमिली है उसमें भी सबसे ज्यादा अमीर ऋषि और akshatayen उनके कपड़े से लेकर हर चीज में इमेज बनाई गई की वो काफी रिच है ऋषि सनकी वाइफ एक इंडियन सिटिजन है उनका यूके में नॉन डोमिसाइल स्टेटस है और उनको यूके में कोई भी टैक्स नहीं भरना पड़ता है उनके इस स्टेटस की वजह से इंफोसिस में जो भी उनके शेयर्स हैं उसके डिविडेंड इनकम पर उनको कोई टैक्स नहीं देना होता है करीब 20 मिलियन यूरो का टैक्स बचत है और इस चीज को लेकर उनको बहुत क्रिटिसाइज किया गया की इस वजह से वो सिटीजिप नहीं ले रही है यूके की और उधर ऋषि सूरत के बारे में भी बोला गया की यूके की सिम शिफ्ट तो उन्होंने ले ली लेकिन उसके साथ-साथ उस का ग्रीन कार्ड का स्टेटस भी रखा है उन्होंने और ये सब लालच की वजह से किया है और ऐसे आदमी को देश का पीएम नहीं बनाना चाहिए ये कई सारे रीजन द जिसकी वजह से पूरा सपोर्ट होने के बाद भी ऋषि सुनार गए और इसके पीछे बोरिस जॉनसन का भी हाथ बताया जाता है वहीं लिस्ट है उसकी बात करें तो उन्होंने इलेक्शन लड़ने से पहले अनाउंस कर दिया था की पीएम मंत्री को एक नया मिनी बजट लेकर आएंगे जिसमें वो टैक्स कट कर देंगी पार्टी ने जो इससे पहले टैक्स बनाए द वो गलत बनाए द इसलिए उनको वो कम कर देंगे और जो कोविंद के टाइम पे लोन दिए गए द लोगों को उनको लंबे टाइम के लिए एडजस्ट करेंगी बेसिकली लिस्ट की जो पॉलिसी थी वो ऋषि सुनार की इकोनॉमी पॉलिसीज एकदम अलग लिस्ट ऑफ पॉलिसी के सारे पार्टी की लीडरशिप का चुनाव तो जीत गई लेकिन जब इन सारी पॉलिसीज को उन्होंने इंप्लीमेंट किया तो उनको बुरी तरीके से बैक फायर करने लगा लिस्टर ने जो टैक्स कट किया था उसको भरने के लिए उनके फाइनेंस मिनिस्टर khuasion ने और कर्जा लेने का अनाउंस कर दिया करेंसी मार्केट और बॉन्ड मार्केट में एकदम से सेल ऑफ शुरू हो गया जिसकी वजह से पाउंड की वैल्यू अमेरिकन डॉलर के मुकाबला हिस्टॉरिक ग्लोब पे ए गई थी ये सारी चीज यूके पहली बार एक्सपीरियंस कर रहा था सिचुएशन ये ए गई थी की आईएमएफ को भी वार्न करना पड़ा की टैक्स कट और फिक्स करें एक्सपेंशन यूके के लिए बहुत खतरनाक है क्योंकि ऑलरेडी यूके वॉर और एनर्जी क्राइसिस की वजह से हाई इन्फ्लेशन और visflation जैसी सिचुएशन हो गई है जब लिस्ट है उसके हाथ से सिचुएशन निकलना शुरू हुई तो सबसे पहले उन्होंने अपने फाइनेंस मिनिस्टर को फायर किया और जो अपोजिशन लेबर पार्टी थी उनकी पॉलिसी इंप्लीमेंट करना शुरू कर दिया उन्होंने जिस तरीके से यू टर्न लिया उसकी वजह से उनकी क्रेडिबिलिटी एकदम कम हो गई थी यूके का हर बांदा प्रिडिकेट करने लगा था की लिस्ट आज रिजाइन करेंगे या फिर कल रिजाइन करेंगे और एक बहुत ही फेमस चैलेंज भी स्टार्ट कर दिया लोगों ने जिसमें लाइव वीडियो में लेटेस्ट को रखा गया की पहले लेटेस्ट खराब होगा या फिर लिस्ट पीएम के पास से रिजाइन करेंगे इनिशियली कहा की वो डर्टी रहेंगे रिजाइन नहीं करेंगे लेकिन पीएम बनने के 45 देस के बाद उनको भी रिजाइन करना पड़ा अभी तक यूके में जितने भी पीएम बने हैं उन सब में से सबसे कम दिन के लिए पीएम लिस्ट रस्सी बनी है इन सबके बीच में एक चीज और हो रही थी लिस्ट आज अपनी जो भी पॉलिसी लेकर ए रही थी ऋषि हारने के बाद भी उसे पॉलिसी को एनालाइज करके कहते दे देगी इससे देश में इकोनॉमिक क्राइसिस ए जाएगा पाउंड की वैल्यू कम हो जाएगी शुरू में रेश्यो को बहुत ही क्रिटिसिज्म मिला लेकिन जैसे-जैसे एक-एक करके उनकी सारी बातें सही हुई लोगों को समझ में आने लगा सही द और कई दिनों तक ट्विटर पे ट्रेंड भी चला ऋषि वैसे राइट इन सारी चीजों की वजह से यूके की जनता का राज़ी सूरत के ऊपर ट्रस्ट बढ़ाने लगा और उनको ये लगने लगा की शायद उन्होंने गलती कर दी है लिस्टर को ला के भले ही इसी वक्त बाहर के हैं लेकिन रिज सुना की इस पार्टिकुलर टाइम पे ऐसे हैं जो यूके को इस फाइनेंशियल क्राइसिस से बचा सकते हैं इसके बाद जैसे ही लिस्ट है इसमें डिज़ाइन किया या अनाउंस कर दिया जाता है की 24 अक्टूबर 2022 को 6:30 बजे से पहले जिस कैंडिडेट के पास 100 एमपी से ज्यादा का सपोर्ट है वो पीएम की पोजीशन के लिए अपनी दावेदारी आगे कर सकता है ऋषि सुनार के पास 146 एमपी इसका सपोर्ट था और वो पीएम बन जाते हैं boruri जंक्शन के पास भी 100 से ज्यादा एमपी इसका सपोर्ट था लेकिन उन्होंने यह कंफर्म कर दिया की वह नहीं लड़ेंगे वह इस पार्टिकुलर सिचुएशन में अपना करिए डाओ पे नहीं लगाना चाहते द अब रज़िया सोडा पीएम बन गया तो ए गए हैं लेकिन उनके सामने बहुत बड़ा चैलेंज है की यूके को इस पार्टिकुलर सिचुएशन से कैसे निकल के बाहर लाइन इसके साथ-साथ उनकी पार्टी की जो fajiet हुई है और ये जो पूरा पॉलिटिकल सर्कस चला है इसको साइड में करके लोगों के सामने अपनी पार्टी की इमेज सही करें इसके साथ ही रेल वर्कर्स हायर एजुकेशन स्टाफ क्रिमिनल barresters लोग जगह-जगह पे स्ट्राइक कर रहे हैं अगर वो टैक्स बढ़ाएंगे तो लोगों में बहुत ज्यादा पॉप्युलर नहीं हो पाएंगे अगले चुनाव में हारने का भी दर है और ऐसा नहीं करते हैं तो इकोनॉमिक्स सफर करेगी यू के मैं 50% से भी ज्यादा चीज इंपोर्ट होती हैं महंगाई बढ़ गई है पाउंड की वैल्यू गिर रही है लोगों की सिचुएशन दे बाय दे खराब होती जा रही है कॉस्ट ऑफ लिविंग बढ़ गई है 12% तक इन्फ्लेशन पहुंच गया है इसको बहुत ज्यादा भी कम करेंगे तो थोड़ा बहुत ही कम कर पाएंगे लेकिन उससे भी कुछ होगा नहीं इसके साथ-साथ यूक्रेन रूस वॉर की वजह से जो यूरोप में एनर्जी क्राइसिस आया है साल भर में एनर्जी प्राइस तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ गए हैं विंटर ए रहा है और विंटर में बिना गैस के रूप में ठंड को मैनेज करना आसान नहीं है इसमें ऋषि चाह के भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि प्राइस का जो कंट्रोल है वो भी उनके हाथ से बाहर है विच इस उनक इन्फ्लेशन को कंट्रोल करेंगे तो इकोनॉमिक्स ग्रोथ पे फर्क पड़ेगा और इकोनॉमिक्स ग्रोथ पे फोकस करेंगे तो इन्फ्लेशन पे फर्क पड़ेगा वो दोनों तरफ से दिक्कत है यूके के अंदर जो अगले जनरल इलेक्शन होंगे वो जनवरी 20-25 से पहले होंगे इसका मतलब ये है की पास 2 साल और 3 महीने का वक्त है इस पेटी को टाइम में वो क्या-क्या करेंगे इससे पता चलेगा की उनका पॉलिटिकल कैरियर किस डायरेक्शन में जाएगा अब हुआ ये है की ऋषि सुने पीएम बनते ही दिक्कत में ए गए उन्होंने पीएम बनते ही sweeber मैन जिनको फायर कर दिया गया था जब लिस्ट पीएम थी उनको resisu ने वापस लिया है और होम सेक्रेटरी बना दिया sohellela मैं के बारे में कहा जाता है की बहुत ही एंटी इंडिया और एंटी इमीग्रेंट स्टेटमेंट देती हैं इन्होंने कई स्टेटमेंट ऐसे भी दिए जहां पे इन्होंने ये कहा है की यूके में जो लोग बाहर से ए रहे हैं उनको प्लेन में बिठा के वापस भेज देना चाहिए उनकी वजह से यूके में बहुत दिक्कत हो रही है कई बार इन्होंने ये भी कहा है की ब्रिटिश राज ने जो जो किया है उसके लिए भी ये बहुत प्राउड है अभी जो यूके में राइट्स में उसको लेकर भी इन्होंने ये कहा की ये सारी चीज माइग्रेट्स की वजह से हुई है और यूके और इंडिया के बीच में अगर फ्ट ये साइन होता है तो और इंडियन यूके में आएंगे और ये सारी चीज और ज्यादा बढ़ेंगे इनको वापस लाने ऋषि सोना को यूके बेस इंडियन तो क्वेश्चन कर ही रहे हैं बल्कि यूके के मिनिस्टर्स भी का रहे हैं की जब इनको निकल ही दिया गया था तो ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी इनको वापस लाना पद गया और कई लोग तो डिमांड कर रहे हैं की इनके ऊपर इंक्वारी बैठने चाहिए और पता लगाना चाहिए की इनके बीच में ऐसी क्या डील हुई थी कहीं कोई ऐसी डील तो नहीं हुई थी जिसकी वजह से लिस्ट को प्राइम मिनिस्टर के पास से हटना पड़ा देखिए चाहे ऋषि सुने हो या फिर स्वेल बराबर मैन ये दोनों यूके के अंदर इमीग्रांट्स के सपोर्ट में नहीं है इनफेक्ट पुरी कंजरवेटिव पार्टी इमीग्रांट्स की एंट्री के फीवर में नहीं रहती है और ऐसा माना जाता है की ऋषि सुनक और स्वेल बराबर मैन काफी स्ट्रिक्ट रूल बनाएंगे वीजा को लेके अब देखिए यूके ने इमीग्रेंट का नाम लेके यूरोपियन यूनियन छोड़ा था की यूरोपियन यूनियन की वजह से इमीग्रांट्स बहुत ज्यादा ए रहे हैं यूके के अंदर अभी जब इंडिया के साथ फ्ट की डील हो रही थी उसे पार्टिकुलर टाइम पे भी एमिरेट्स को लेके ही कमेंट्स हो रहे द लेकिन आयरन नहीं देखिए आप देश के अंदर पीएम और होम सेक्रेटरी दोनों ही बाहर से हैं चार चीज एक टाइम पे यूके के प्राइम मिनिस्टर द उन्होंने कहा था की भले ही आजादी मिल गई है लेकिन इंडियन की जो रेस है वो कभी सरकार नहीं चला पाएगी लोक परेशान हो जाएंगे लेकिन आज यूके में सिचुएशन है वो चीज उन्होंने कभी इमेजिन नहीं कारी होगी ऋषि सुने कहां से है इसकी जिम्मेदारी को लेके भी कंट्रोवर्सी चल रही है पाकिस्तान का रहा है की ऋषि सूरत के दादा पाकिस्तान में पैदा हुए द केन्या भी का रहा है की उनके दादा नौकरी के लिए केन्या में आके बस गए द तंजानिया भी क्लेम कर रहा है की वीसी की मदद तंजानिया में पैदा हुई थी लेकिन इन सारी दावेदारियां में सबसे आगे इंडिया है जो जस्ट इंडिया में मनाया जा रहा है वैसे कहीं भी नहीं मनाया जा रहा है की इंडियन ओरिजिन के देसी सुनना यूके के प्राइम मिनिस्टर बन गए हैं और सच में ये एक हिस्टॉरिक चीज है और इससे ये भी देखता है की यूके की जो डेमोक्रेसी है वो कितनी मेच्योर हो चुकी है भले वो कितने भेदभाव वाले कमेंट करें लेकिन जब उनके बेनिफिट की बात आती है तो वो सारी चीज साइड में कर देते हैं और इससे हमें भी सीखना चाहिए आप सोच के देखिए अगर इंडिया के अंदर किसी और देश के ओरिजिन का आदमी इंडिया का प्राइम मिनिस्टर बन जाए तो उसे केस में क्या होगा और यही चीज यूके के एक रेडियो शो में एक यूके के सिटिजन ने गई जो बहुत ही वायरल हो रही है यूके में की रिज सूरत तो यूके के सिटिजन ही नहीं है यूके में तो 85% घोड़े रहते हैं अगर मैं इंडिया में जाऊंगा तो वो लोग मुझे कभी पीएम नहीं बनाएंगे देखिए प्राइम मिनिस्टर की तो बात छोड़िए अगर एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक का आदमी अगर इलेक्शन लड़ने खड़ा हो जाए तो उसे पे क्वेश्चन एरीज हो जाते हैं बिहार से मुंबई कोई अगर चला जाए तो लोग उसे सवाल करने लगते हैं लेकिन जब हमारे देश का आदमी कोई बाहर जाके पीएम बनता तो हमें बहुत गर्व होता है देखिए ऋषि सुनक के यूके के पीएम बनने से इंडिया को कोई एक्स्ट्रा फायदा नहीं होगा जो चीज जैसे चल रही थी वैसे ही चलेगी इनफेक्ट ऐसे केस में नुकसान भले ही हो सकता है क्योंकि ऐसी सिचुएशन में लीडर्स और सोच के फैसला लेते हैं उसे पार्टिकुलर कंट्री के लिए इंडिया से जब वो डील करेंगे तो उनको लोग नोटिस करेंगे naasen शिवनारायण चंद्रपाल ये सर जब क्रिकेट खेलने आते द तो अपने देश के लिए खेलने आते द और ना जाने कितनी बार इंडिया के यहां से ये लोग जीत छीन के लिए गए हैं ASG9ZAQyTx0,Why Shashi Tharoor lost against Kharge | Congress President Election 2022 | Nitish Rajput | Hindi,2022-10-23T06:30:11Z,PT15M26S,1619424,48416,1977,https://www.youtube.com/watch?v=ASG9ZAQyTx0,, कांग्रेस को बहुत अच्छे से पता है की जिस हिसाब से सीबीआई और एडी घूम रही है पूरे देश में अगर थरूर किसी इंपॉर्टेंट पोजीशन पे आएंगे तो इनकी भी फाइलें खुलना स्टार्ट हो जाएंगी कांग्रेस के कई नेता जिनका नाम गांधी फैमिली से बड़ा हो रहा था उनको या तो निकल दिया गया या फिर उनको छोड़ के जाना पड़ा बार-बार होता है की गांधीजी रेजिन करते हैं फिर उनके लॉयलिस अपने नंबर बनाने के लिए उनके पास जाते हैं की आप रिजाइन मत कीजिए आपने देखा होगा कुछ मां-बाप कहते हैं की बुरी संगति से दूर रहो लेकिन उनको पता नहीं होता की गैंग का असली सरदार तो उनका बेटा ही है पूरे इंडिया में नेपोटिज्म का गढ़ पार्लियामेंट में बैठा है वही 60 70 परिवार में पुरी तरीके से कब्जा कर रखा है तो इन्होंने बार-बार कहदी खत्म कर दिया इन्होंने आम आदमी पार्टी का जो कॉन्स्टिट्यूशन था वही चेंज कर दिया पूरे पार्लियामेंट को 60 से 70 परिवार और कुछ चुनिंदा ग्रुप चला रहे हैं ग्राउंड पर जो पॉप्युलर नेता है जिनको जनता चाहती है उनको साइड लाइन कर दिया जाता है इससे पहले की आगे बढ़े मैं आपको बता डन की वीडियो के लास्ट में आपके लिए एक्साइटिंग दिवाली गिफ्ट है 8385 डेज़ अराउंड 24 साल के बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी में ऐसा प्रेसिडेंट बना जिसके नाम के आगे गांधी या फिर नेहरू नहीं लगा है इंट्रा पार्टी इलेक्शन ये कोई देश के इलेक्शन नहीं है ये कांग्रेस पार्टी के इंटरनल इलेक्शन है जिसमें इन्होंने पार्टी का प्रेसिडेंट alect किया 17 अक्टूबर को इलेक्शन हुए और 19 अक्टूबर को रिजल्ट आया की मलिक अर्जुन खड़गे शशि थरूर को 6000 से ज्यादा वोटो से हरा के पार्टी के प्रेसिडेंट बन गए हैं देखिए जब देश आजाद हुआ था तो इस चीज को लेकर बहुत डिस्कशन हुआ की जो पार्टी जीत के ए रही है उसे पार्टी के सिलेक्टेड लोग तो गवर्नमेंट चलाएंगे लेकिन उसे पार्टिकुलर पार्टी का कितना interfereneurs रहेगा गवर्नमेंट के डेली अफेयर्स में जब कृपलानी उसे टाइम पे कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट द इनका कहना था की पॉलिटिकल पार्टी जीत के आई है उसको मदद करनी चाहिए गवर्नमेंट चलाने में लेकिन नेहरू जी और पटेल जी ने ये चीज क्लियर कर दी थी की पॉलिटिकल पार्टी का गवर्नमेंट चलाने में कोई इंटरफ्रेंस नहीं होना चाहिए और पार्टी चाहे तो वो अपना अलग से वर्किंग सिस्टम और कॉन्स्टिट्यूशन रख सकती है उसके बाद से इंडिया के अंदर ये चीज शुरू हुई की हर पॉलिटिकल पार्टी का अपना अलग स्ट्रक्चर और कॉन्स्टिट्यूशन बनने लगा जिसमें ये हुआ की पार्टी के अंदर डिफरेंट पोस्ट उनकी पावर पार्टी की मेंबरशिप ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर और उसकी गवर्नेंस को लेके रूल होंगे और अलग-अलग पोजीशन के लिए इलेक्शन होंगे जिसमें पार्टी के लोग वोट करेंगे इंडिया के अंदर कोई पॉलिटिकल पार्टी हो उसमें मेंबर्स होते हैं जिन्हें हम कार्यकर्ता कहते हैं कोई भी जिसकी आगे 18 साल है उसको जो पार्टी पसंद है उसका मेंबर बन सकता है वैसे तो हर पार्टी का अलग क्राइटेरिया है अगर हम कांग्रेस की बात करें तो ₹5 देखे फॉर्म भर के आप कांग्रेस के मेंबर बन सकते हैं जिस तरीके से आपको अगर इंजीनियर या डॉक्टर बन्ना है तो आप कॉम्पिटेटिव एग्जाम का फॉर्म भर के उसकी तैयारी करते हैं ऐसे ही जिनको नेता बन्ना होता है वो अपनी पसंद की पार्टी का ₹5 का फॉर्म भर के अपनी पॉलिटिकल जर्नी स्टार्ट करते हैं और हान अगर आप ऐसी जगह पैदा हुए हैं जहां पे आपके घर वाले पहले से ही किसी पॉलिटिकल पार्टी में बड़ी पोजीशन में तो उसे केस में सारी चीजों की जरूरत नहीं है देखिए एक नेशनल लेवल की जो पार्टी होती है वो पहले नेशनल लेवल पे फिर स्टेट लेवल पे फिर डिस्ट्रिक्ट लेवल पे और फिर ब्लॉक लेवल पे एक हज़ार की बनके अपनी पार्टी को चलती है जैसे कंपनी में अनार की होती है वैसे ही पॉलिटिकल पार्टी भी ऑपरेट करती हैं इसमें जो ब्लॉक लेवल के कार्य करता होते हैं ये लोग इलेक्ट करके बनाते हैं प्राइमरी कमेटी जो ब्लॉक लेवल पे ऑपरेट करती है इस प्राइमरी कमेटी में से चुने जाते हैं दिल्ली गेट ये जो डेलिकेट्स होते हैं ये ब्लॉक लेवल के होते हैं इसके बाद ये ब्लॉक लेवल के डेलीगेट स्टेट लेवल की डेलिगेट्स बनाते हैं जिसे कांग्रेस पीसीसी प्रदेश कांग्रेस कमेटी बोलती है और फिर इस पीसीसी के डेलीगेट expensitant डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उसे इलाके के एआईसीसी मेंबर कांग्रेस लेजिसलेटिव पार्टी सीएलपी के मेंबर ऐसे करके करीब 9 से 10000 के बीच टोटल मेंबर होते हैं ये मिल के वोट करते हैं कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट के लिए जो ऑल ओवर इंडिया के पुरी पार्टी का हेड होता है अब देखिए हर पॉलिटिकल पार्टी के कॉन्स्टिट्यूशन में है की इलेक्शन करके जिसको पार्टी के मेंबर पसंद करें वो सिलेक्ट होना चाहिए लेकिन ये सब ऑन पेपर रहता है पॉलिटिकल पार्टी की हाई कमांड इलेक्शन ही नहीं करवाते हैं लास्ट 137 इयर्स में सिर्फ छह बार इलेक्शन हुए हैं कांग्रेस पार्टी में बीजेपी पार्टी का जो कॉन्स्टिट्यूशन है उसके आर्टिकल 19 के हिसाब से ये है की पार्टी का जो नेशनल प्रेसिडेंट होगा वो नेशनल काउंसिल और स्टेट काउंसिल के मेंबर मिलकर इलेक्ट करेंगे और वही कैंडिडेट खड़ा होगा जो कम से कम 15 साल से पार्टी का मेंबर हो ये बीजेपी पार्टी के कॉन्स्टिट्यूशन में है लेकिन ये सब ऑन पेपर है क्योंकि बीजेपी ने तो आज तक इलेक्शन ही नहीं कर पाए इसमें सब से इंटरेस्टिंग जो है वो है आम आदमी पार्टी कम ये भी वही करते हैं लेकिन थोड़ा घुमा के करते हैं आम आदमी पार्टी 2012 में लॉन्च हुई और अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी का नेशनल कन्वेयर चुना गया ये सबसे हाईएस्ट पोजीशन होती है इन्होंने जाम के कांग्रेस और बीजेपी को घसीटा की आप लोग कौन से ट्यूशन कोई फॉलो नहीं करते हैं कहीं पे परिवारवाद है और कहीं पे आरएसएस डिसाइड कर रहा है और जब आम आदमी पार्टी 2012 में आई तो उन्होंने बहुत ही बढ़िया कॉन्स्टिट्यूशन ऑन पेपर बनाया है अगर आप बाकी परियों से कंपेयर करोगे तो ऐसा लगेगा की आम आदमी पार्टी का प्रेसिडेंट तो एक गरीब भी बन सकता है कोई भी बन सकता है इनके कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से चाहे कोई भी ऑफिस बेयर रह हो और वो चाहे कोई भी हो वो सिर्फ 3 साल तक उसे पोजीशन पे रहेगा और बहुत होगा तो सिर्फ दो बार रह सकता है उससे ज्यादा नहीं रह सकता ताकि एक ही आदमी के हाथ में पावर ना जाए और ये सब देख के बहुत ही अच्छा लगा की देखो ये होती है पार्टी देखिए केजरीवाल को 2012 में नेशनल कन्वेंस चुना गया आम आदमी पार्टी 2013 में रजिस्टर हुई अगर हम ऑफिशल डेट भी कंसीडर करें तो केजरीवाल जी की जॉइनिंग डेट हुई अप्रैल 2013 अब रूल के हिसाब से 2016 में इन्होंने 3 साल पूरे कर लिए लेकिन इन्होंने अपना दूसरा टर्म फिर से स्टार्ट कर दिया अब दूसरा टर्म भी कंप्लीट हो गया 2019 तक उसे पोजीशन पर है अब कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से केजरीवाल उसे पोजीशन पे नहीं का सकते लेकिन इन्होंने अपना एक साल फिर से बड़वा लिया जब लोगों ने पूछा की ऐसा क्यों हो रहा है तो रीजन दिया गया की लोकसभा के चुनाव ए रहे हैं और पार्टी को केजरीवाल जी की जरूरत है आप फिर से एक साल पूरा हुआ और 2020 ए गया लेकिन इसके बाद भी नहीं हते ये 1 साल फिर से बड़वा लिया है इन्होंने उनसे पूछा गया की ऐसा क्यों किया इन्होंने तो बोला गया की को-विड का टाइम ए गया था इसलिए किया गया और जब कोविद खत्म हुआ तो इन्होंने बार-बार कहदी खत्म कर दिया इन्होंने आम आदमी पार्टी का जो कॉन्स्टिट्यूशन था वही चेंज कर दिया और ये जो क्लोस था उसको हटा दिया उसमें से आम आदमी पार्टी का जो कॉन्स्टिट्यूशन है अगर आप पुराना और नया कॉन्स्टिट्यूशन पढ़ोगे तो जो टर्म लिमिट है वो वाला सेक्शन ये हटा दिया गया है ये देखिए ये पुराना कॉन्स्टिट्यूशन इसमें लिखा है की नो मेंबर विल होल्ड डी से पोस्ट फॉर मोर दें थ्री कंसेक्युटिव टर्म और ये जो आप देख रहे हैं ये नया है इसमें से ये गायब कर दिया गया है मनीष सिसोदिया जी ने इस पे कहा की कुछ प्रैक्टिकल डिफिकल्टी ए गई थी इस वजह से पार्टी का कॉन्स्टिट्यूशन बदलना पड़ा था ये इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब आप पार्टी बनने से पहले बाकी परियों को धो रहे हो और फिर वही चीज कर रहे हो तो लोग बात तो करेंगे इससे बढ़िया तो बेचारे बाकी पार्टी वाले हैं कम से कम वो उसको फॉलो नहीं कर रहे हैं तो उन्होंने अपने कॉन्स्टिट्यूशन में तो रखा है आपने देखा होगा कुछ मां-बाप कहते हैं की संगति से दूर रहो लेकिन उनको पता नहीं होता की गैंग का असली सरदार तो उनका बेटा ही है देखिए इंट्रा पार्टी डेमोक्रेसी की भली बात ना हो लेकिन ये बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज है अगर आप इसको ध्यान से देखोगे तो पूरे पार्लियामेंट को 60 से 70 परिवार और कुछ चुनिंदा ग्रुप चला रहे हैं ग्राउंड पर जो पॉप्युलर नेता है जिनको जनता चाहती है उनको साइड लाइन कर दिया जाता है और ऊपर हाई कमांड पे जो बैठा है वो राज करता है या फिर उनके घर वाले करते हैं या फिर उनके कहते करते हैं इसलिए इनको इलेक्शन करना पसंद नहीं है क्योंकि एक घटेगा सौदा होता है इनके लिए आप सर्च करके देख लो टॉप यंग पॉलिटिकल लीडर्स ऑफ इंडिया शुरू के 10 20 30 नाम जो भी आएंगे वो किसी ना किसी पावरफुल लीडर का या तो बेटा होगा या भाई होगा या फिर कोई और रिश्ता होगा एक भी नाम ऐसा नहीं मिलेगा जिसके पीछे कोई पावरफुल नेता ना खड़ा हो ये इतना बड़ा कॉन्फ्रेंस कैसे हो सकता है बॉलीवुड के नेपोटिज्म के बहुत बात करते हैं उसमें ज्यादा क्या होगा एंटरटेनमेंट नहीं अच्छा मिलेगा कम मजा आएगा मूवी देखने में लेकिन पॉलिटिक्स में जो नेपोटिज्म होता है उसके कौन सी कांग्रेस बहुत बड़े होते हैं पूरे इंडिया में नेपोटिज्म का गढ़ पार्लियामेंट में बैठा है वही 60 70 परिवार में पुरी तरीके से कब्जा कर रखा है इंट्रा पार्टी डेमोक्रेसी के पीछे लॉजिक ही है की पॉलिटिकल पार्टी इस मैग्नेटिक सिस्टम के अंदर चुनाव लड़ती हैं तो उनको अपने आप में भी डेमोक्रेटिक होना बहुत जरूरी है ताकि आम जनता में से लोग निकल के आएं और देश को आगे बढ़ाएं डायनेस्टी पॉलिटिक्स की वजह से सिर्फ नेताओं के परिवार ही आगे बढ़ते हैं और इसलिए नेता नहीं चाहते की इंटरनल डेमोक्रेसी के बारे में बात हो क्योंकि ऐसा अगर होगा तो नॉन पॉलिटिकल बैकग्राउंड के लोग भी उनके बेटे बेटियों को चैलेंज करेंगे पार्लमेंट में रिप्रेजेंटेशन ऑफ डी पीपल एक्ट 1951 सेक्शन 29 एक से पॉलिटिकल पार्टी को इलेक्शन कमीशन में रजिस्टर होना चाहिए लेकिन इलेक्शन कमीशन के पास कोई भी ऐसा सॉलिड लीगल पावर नहीं है जिसकी वजह से इंटरनल डेमोक्रेसी को ये लोग एनफोर्स कर सकें हमारे लॉ के हिसाब से कोई भी आदमी किसी भी पार्टी का लाइफ टाइम प्रेसिडेंट नहीं बन सकता ये सबको पता है लेकिन उसके बाद भी जुलाई 2022 में ए एस आर सी पी जो आंध्र प्रदेश में पावर में उन्होंने पब्लिक के लिए अनाउंस कर दिया की आंध्र प्रदेश के कम जगमोहन लाइव टाइम प्रेसिडेंट रहेंगे पार्टी के अगर आप इंडिया के बाहर की पॉलिटिकल पार्टी देखोगे तो रूल्स वहां भी से है ऑलमोस्ट बस एक ही डिफरेंस है की वहां पे वो जो रूल्स हैं वो फॉलो होते हैं कांग्रेस पार्टी में सबसे पावरफुल बॉडी है कूक कांग्रेस वर्किंग कमेटी ये कांग्रेस पार्टी में एक्चुअल में क्या होगा ये डिसाइड करती है टिकट किसको मिलेगा यह सब कांग्रेस इलेक्शन कमेटी सीईसी डिसाइड करती है लेकिन उसमें भी सीडब्ल्यूसी का क्या मैन है इससे बहुत फर्क पड़ता है और इस कूक का जो हेड होता है वो पार्टी का प्रेसिडेंट होता है जिसके इलेक्शन अभी 17 अक्टूबर को है इस कूक में टोटल 25 मेंबर्स होते हैं जिसमें से एक प्रेसिडेंट बनता है एक पार्लियामेंट का लीडर बनता है और जो बाकी बचे हुए 23 मेंबर्स होते हैं इनको कहते हैं जी-203 अभी इस g23 में ये लोग हैं ये जो जी-23 के मेंबर्स हैं यही लोग हैं इस प्रेसिडेंट चुनाव को करने के पीछे अगस्त 2020 से लोगों ने continuisali चिट्ठी लिखी है सोनिया गांधी क्योंकि चुनाव होने चाहिए अभी जो 17 अक्टूबर को इलेक्शन हुए हैं कांग्रेस प्रेसिडेंट के उसमें सबको पता था की राजस्थान के जो कम है अशोक गहलोत वो कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट बनेंगे लेकिन सब लोग सरप्राइज दोगे जब उन्होंने अपना नाम पीछे ले लिया सोनिया गांधी ने खुद उनको रिक्वेस्ट की थी की आप प्रेसिडेंट बनने के लिए खड़े हुए हैं और जब उनसे पहली बार ये चीज बोली गई थी तो सबसे पहले तो रसम निभाई गई जो इतने सालों से होती है की राहुल गांधी ज्यादा डिजर्विंग है और मैं उनको जाके मनाऊंगा कई दिन तक मनाया भी गया लेकिन राहुल गांधी ने माना कर दिया और फिर उसके बाद अशोक गहलोत एग्री हो गए की वो प्रेसिडेंट सीट के लिए इलेक्शन लड़ेंगे लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस पार्टी का उदयपुर नव चिंतन डिक्लेरेशन ए गया अब ये क्या होता है देखिए मैं मोटा-मोटी बता देता हूं इसमें कांग्रेस पार्टी ने कुछ रूल्स सेट किए द पार्टी के लिए जैसे की हर कमेटी में 50% लोग 50 साल की उम्र से कम होंगे एक परिवार से एक ही आदमी को टिकट मिलेगा पार्टी में कोई भी किसी पद पे 5 साल से ज्यादा नहीं रहेगा ये सब तो ठीक था लेकिन एक इंपॉर्टेंट चीज और चीज इसमें की एक आदमी सिर्फ एक ही पोस्ट पे रहेगा मतलब की अगर कोई प्रेसिडेंट है तो उसको कम की कुर्सी छोड़नी होगी और इसकी वजह से सारा गेम उल्टा हो गया अब अशोक गहलोत के सामने दुविधा ये थी की अगर वो प्रेसिडेंट बनेंगे तो कम की कुर्सी छोड़नी होगी और अगर वो ऐसा करेंगे तो सचिन पायलट कम बन जाएंगे और ये चीज सबको बहुत अच्छे से पता था की अगर एक बार सचिन पायलट कम बन गए तो कम की कुर्सी पे वो हमेशा बने रहेंगे और दूसरी तरफ प्रेसिडेंट की सीट थी जो कांग्रेस पार्टी की सबसे ऊंचे सीट है और 2014 में चुनाव भी आने वाले हैं अगर चुनाव हर गए तो सारा का सारा जुम्मा अशोक गहलोत के ऊपर ए जाएगा उनसे प्रेसिडेंट की सीट भी छुड़वाई जाएगी यही सब रीजन है ये अशोक गहलोत पीछे है गए और चुनाव लड़ने से माना कर दिया देखिए कांग्रेस पार्टी में ऐसा बार-बार होता है की गांधीजी रिजाइन करते हैं फिर उनके लॉयल स्टेप अपने नंबर बनाने के लिए उनके पास जाते हैं की आप रिजाइन मत कीजिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग होती है और फिर सारे फैसले लेने के जो राइट्स होते हैं वो उनको दे दिए जाते हैं 1999 में शरद पवार स हंगामा और तारीख अनवर ने कहा की फॉरेन ओरिजिन का कोई भी व्यक्ति इंडिया का प्रधानमंत्री राष्ट्रपति या फिर उपराष्ट्रपति नहीं होना चाहिए तो सोनिया गांधी ने 17 में 1999 में रिजाइन कर दिया और पार्टी ने उनका रेजिग्नेशन एक्सेप्ट भी कर लिया इसके तुरंत बाद देशभर में कांग्रेस के जो वर्कर द उन्होंने हल्ला कर दिया उसके बाद पवार तारिक अनवर और पिए संगमा को कांग्रेस पार्टी ने निकल दिया और उसके एक हफ्ते बाद 24 में को सोनिया गांधी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया 2014 में जब कांग्रेस हरि थी तो सोनिया गांधी ने फिर से डिज़ाइन कर दिया था लेकिन सीडब्ल्यूसी ने कहा की आप ऐसा नहीं कर सकती हैं इसके बाद हर की सारी जिम्मेदारी सरकार और मनमोहन सिंह ने ले ली 2019 में आरोही तो राहुल गांधी ने रिजाइन किया लेकिन कूक ने उनका इस्तीफा भी रिजेक्ट कर दिया कुछ दिनों बाद राहुल गांधी ने रिजाइन तो कर दिया लेकिन सोनिया गांधी को प्रेसिडेंट बना दिया फिर मैं 2020 में जब g23 के नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी तो सोनिया नहीं ने फिर से रिजाइन का ऑफर कर दिया था लेकिन सब लोगों ने मिलके उनको फिर से माना कर दिया था आजादी के 75 इयर्स में 43 इयर्स सिर्फ गांधी फैमिली के ही प्रेसिडेंट रहे हैं कांग्रेस के कई नेता जिनका नाम गांधी फैमिली से बड़ा हो रहा था उनको या तो निकल दिया गया या फिर उनको छोड़ के जाना पड़ा इससे भी पार्टी का काफी नुकसान हुआ ममता बनर्जी बंगाल कांग्रेस की बहुत ही बड़ी नेता थी उनको बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाएगा और चुनाव में dhaandliy की बात बोलके वो इस्तीफा दे के चली गई उन्होंने 1998 में टीएमसी त्रिमूल कांग्रेस बना ली 1999 में जब शरद पवार को कांग्रेस ने एक स्पेल किया तो उन्होंने महाराष्ट्र में जाके नेशनलिस्टिक कांग्रेस पार्टी बना ली अभी जो कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट के चुनाव हुए हैं उसमें शशि जरूर और मलिक अर्जुन खड़गे खड़े हुए द लेकिन इसमें भी रिजल्ट्स पहले से ही सबको पता था की घर के कोई जितना है शशि जरूर ने काफी लंबा चौड़ा मेनिफेस्टो तैयार कराया लेकिन खड़गे ने वो भी जहमत नहीं कारी क्योंकि सबको पहले ही पता था की उनको जीत रहा है और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं वो भी देखते हैं शशि जरूर ने कहा था की अगर आपको लगता है की कांग्रेस पार्टी में सबको सही चल रहा है तो आप घर के साथ को वोट दीजिए लेकिन अगर आप कांग्रेस पार्टी को बदलना चाहते हैं तो मुझे वोट दीजिए ये सारे स्टेटमेंट हैं इससे रानी परिवार का दिल जितना बड़ा मुश्किल हो जाता इस इलेक्शन में शशि जरूर का नाम प्रपोज करने वाले ये लोग द वही मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रपोज करने वाले ये लोग द 2018 में शशि थरूर का उनकी पत्नी के केस में दिल्ली पुलिस ने मल्टीपल धराए लगाई थी इससे पहले भी आईपीएल टीम में पैसे के इशू को लेकर इनको विदेश राज्य मंत्री का जो पद था वो भी छोड़ना पड़ा था ऊपर से ये लंदन में भी पैदा हुआ है तो जो विदेशी ओरिजिन वाली बात है वो भी सब शुरू हो जाएंगी कांग्रेस को बहुत अच्छे से पता है की जिस हिसाब से सीबीआई और एड घूम रही है पूरे देश में अगर थरूर किसी इंपॉर्टेंट पोजीशन पे आएंगे तो इनकी भी फाइनली खुलना स्टार्ट हो जाएंगी देखिए आज तक कुछ टाइम पहले अगर आप राहुल गांधी की बात करें तो ना वो किसी धरने में जाएं ना किसी कैसे के लिए जमीन पे उतरे अब तक जनरल परसेप्शन उनके बारे में ये है की वो फुल टाइम पॉलीटिशियन नहीं है हार्ड वर्किंग नहीं है जनता से कनेक्ट नहीं करते हैं उनका सारा टाइम पार्टी के मैनेजमेंट में जाता है कभी कोई लीडर ladlega कभी कोई डिजाइन कर देगा कभी कोई कंट्रोवर्शियल बयान दे देगा पहली बार राहुल गांधी पार्टी से अलग होकर अपनी खुद की पर्सनल ब्लेंडिंग पे फोकस कर रहे हैं सालों बाद कांग्रेस ने भारत जोड़ो जैसा बड़ा इवेंट किया है आगे बढ़ाने से पहले एक चीज और आपको बताना चाहूंगा की इंडिया में आए दिन कोई ना कोई इलेक्शन होते रहते हैं क्या आपको यह पता है की हमारे देश में टोटल कितने तरह के इलेक्शन होते हैं या इन्हें कौन कंट्रोल करता है इनकी हिस्ट्री क्या है अगर आपको ये सब क्वेश्चन इंटरेस्टिंग लगते हैं तो मैं आपको कुक्कू एफएम पर एक ऑडियोबुक raycommend करना चाहूंगा जिसका नाम है इलेक्शन प्रक्रिया इन इंडिया इस ऑडियो बुक में इलेक्शन सिस्टम के बारे में कंप्लीट डिटेल में बताया गया है जो आपने इससे पहले नहीं सुनी होगी कुकर्म बहुत ही बढ़िया प्लेटफार्म है जहां आप 10000 से भी ज्यादा तरह के ऑडियो शो आराम से सन सकते हो यहां एंटरटेनमेंट से लेके कैरियर तक बहुत ही अलग-अलग सेगमेंट की ऑडियो बुक अवेलेबल है जिन्हें आप ट्रेवल करते हुए या फिर डेली के बोरिंग कम करते हुए भी सन सकते हो और एक खास बात क्योंकि दिवाली ए रही है तो 25 अक्टूबर से पहले पहले आप 50% डिस्काउंट पे एनुअल सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं 399 नहीं 199 ईयरली सब्सक्रिप्शन ओनली और इसके साथ ही 10 लाख रुपीज तक के गिफ्ट जैसे गोल्ड कॉइन कार्स एंड वाउचर जितने का मौका तो चलिए बनाया ये दिवाली कामयाबी वाली तो टॉपिक पे वापस आते हैं गांधी परिवार के सामने ये भी दिक्कत है की वो किसी और को पार्टी का प्रेसिडेंट बनाते हैं तो पार्टी दो ग्रुप में बन जाती है और खुद बनते हैं तो जीत नहीं पाते हैं और इन सब चीजों का फिलहाल जो सॉल्यूशन दिख रहा है वो है इंटर पार्टी इस इलेक्शन को जितनी हाइट मिली है उससे इंडिया में पॉलिटिकल पार्टी की इंटरनल डेमोक्रेसी पे भी बात होगी और साथ में बाकी पार्टिसिपेट भी प्रेशर बनेगा की वो इस तरह के इलेक्शन करवा राहुल गांधी ने ये प्रेसिडेंट वाला गेम काफी खेल लिया अब वो इतनी जल्दी प्रेसिडेंट नहीं बनेंगे अब वो आपको पर्सनल ब्रांडिंग करते हुए देखेंगे राहुल गांधी डायरेक्टली और डायरेक्टली ये चीज समझ गए हैं की पार्टी में जो भी कुछ गलत हो रहा है उसकी जिम्मेदारी सीनियर नेताओं की है और ये भी कहा जाता है की राहुल गांधी की रेजिग्नेशन के पीछे सीनियर नेता जिम्मेदार हैं जितने भी लोगों को राहुल गांधी ग्रूम कर रहे द चाहे वो ज्योतिराज सिंधिया हो अशोक तंवर हो सचिन पायलट कांग्रेस के जो सीनियर नेता द इन लोगों को आगे नहीं आने दे रहे द साइडलाइन कर दे रहे द सिंधिया और तंवर तो कांग्रेस पार्टी छोड़ के भी चले गए हैं 2019 की हर की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया लेकिन उन्होंने ये भी कहा की जिम्मेदारी सब की है और कांग्रेस की जो सीनियर नेता हैं उनको भी हर की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पद छोड़ने चाहिए राहुल गांधी चाहते द की सीनियर नेता भी हर की जिम्मेदारी लें और इस्तीफा है और नए लोगों को आगे आने दें लेकिन उनके अलावा किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया नरेंद्र मोदी के खिलाफ उन्होंने जो राफेल इस कैंप में कैंपेन स्टार्ट की थी उसमें भी कांग्रेस के सीनियर लीडर द उनका सपोर्ट नहीं मिला राहुल गांधी का ये भी कहना है की कांग्रेस नेता टिकट के लिए अपने बेटों का नाम आगे कर देते हैं उनके माना करने के बाद भी एमपी में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत ने अपने बेटों को टिकट दिया इसी तरीके से पिच आईडीएम राम ने अपने बेटे को टिकट दिया इसमें ये भी कहा जाता है की जब तक ये कुछ नाम पार्टी में दिखेंगे पार्टी के प्रेसिडेंट की कुर्सी पर राहुल गांधी नहीं दिखेगी [संगीत] OCRwVfqrR9o,How UPI has Transformed India's Digital Economy? | UPI is Replacing VISA | Nitish Rajput | Hindi,2022-10-21T07:01:37Z,PT16M57S,3023533,80340,2181,https://www.youtube.com/watch?v=OCRwVfqrR9o,, जनरली जब कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो उस या फिर चीन का नाम आता है लेकिन इंडिया ने जब सब लोग ब्लॉक चैन और वेब थ्री की बात कर रहे द तब एक यूपीआई सिस्टम इंप्लीमेंट कर दिया देखिए ऊबी की वजह से जितने बड़े-बड़े जॉइंट्स हैं वीजा मास्टर कार्ड इनके मार्केट शेयर भी बहुत तेजी से कम हो रहा है आरटीजीएस है अन्य फ्ट आई एम पी एस फिर ये यूपीआई ये अलग-अलग क्यों है इन सबको मिला के एक सिस्टम क्यों नहीं बना दिया जाता की यूपीआई की वजह से टॉफी बनाने वाली कंपनी नुकसान में ए गई है क्योंकि जब से यूपीआई आया है दुकानदारों का छुट्टी पैसे की जगह टॉफी देने वाला सिस्टम बंद हो गया है एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसा ट्रांसफर करते हो तो इसका मतलब ये नहीं है की दिन भर में जितना पैसा जमा हुआ है बैंक रात को एक ट्रक में वो पैसा भर के दूसरे बैंक पहुंचना है और यूपीआई आया भी तो ऐसा आया की सिलिकॉन वाली से लेके ऑस्ट्रेलिया तक ऑल ओवर वर्ल्ड में इसके बारे में बात होने लगी [संगीत] कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लेकिन जब भी हम लोग ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करते हैं तो नेफ्ट आरटीजीएस आईएमटीएस इन सब का उसे करते हैं तो पहली चीज तो यह है की अलग-अलग क्यों हैं इनमें डिफरेंस क्या है और इनमें ऐसी क्या कमी थी जिसकी वजह से यूपीआई है और यूपीआई आया भी तो ऐसा आया की सिलिकॉन वाली से लेके ऑस्ट्रेलिया तक ऑल ओवर वर्ल्ड में इसके बारे में बात होने लगी चाहे इंडिया का नंबर वैन पे आना हो डिजिटल ट्रांजैक्शंस में या फिर डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने की मूवी को हर चीज में यूपीआई की बात हो रही है इनफेक्ट इकोनॉमी टाइम्स की रिपोर्ट ने तो ये तक पब्लिश कर दिया की यूपीआई की वजह से टॉफी बनाने वाली कंपनी नुकसान में ए गई है क्योंकि जब से यूपीआई आया है दुकानदारों का छुट्टी पैसे की जगह टॉफी देने वाला सिस्टम बंद हो गया है ये जो छोटी-छोटी स्टॉल्स के सामने आप बारकोड लगे हुए देखते हो इसने यूपीआई को एक गेम चेंजर बना दिया है आप आए दिन देखोगे की यूपीआई किसकी वजह से आया और इसको किसने बनाया है इसका क्रेडिट लेने वालों की होड़ लगी हुई है लेकिन असल में यूपीआई लाने की जरूरत क्यों पड़ी और यूपीआई ऐसा क्या कर रहा है जिसकी वजह से इंडिया का नाम हो रहा है तो ये सारी चीज डिटेल में डिस्कस करते हैं देखिए अगर पहले आपको किसी को पैसे ट्रांसफर करने होते द तो या तो आप उसको कैश देते द या फिर बैंक में जाकर पैसे ट्रांसफर करते द और बैंक वाले बड़े-बड़े रजिस्टर मेंटेन करते द उसमें फोलियो नंबर होता था जहां पे आपके बैंक का सारा ट्रांजेक्शन मेंटेन होता था और तीन से चार काउंटर पर जाकर आपका वेरिफिकेशन होता था पासबुक मेंटेन करनी होती थी आपको मिनिमम अकाउंट बैलेंस भी मेंटेन करना होता था यही रीजन था की लोग बैंक के थ्रू पैसे ट्रांसफर करना एकदम लास्ट ऑप्शन मानते द जो लोग घर से दूर रहते द नौकरी या फिर पढ़ की वजह से तो वो किसी को पैसा देकर bhijwate द या फिर मणि ऑर्डर वगैरा उसे करते द और गवर्नमेंट की भी जो स्कीम शादी थी उसका पैसा भी लोगों तक पहुंच रहा है की नहीं इसका कोई ट्रैक नहीं हो पता था छोटे-मोटे पेमेंट एक तो ठीक था लेकिन बड़ी पेमेंट जो लाखों में होती थी वो गवर्नमेंट चाहती थी की बैंक से हो यही रीजन था की इस पूरे पेमेंट सिस्टम को फास्ट करने के लिए आरबीआई ने आईडी आरबीटी से डिवेलप करवाया आरटीजीएस पेमेंट सिस्टम रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट इसको ऐसे समझ लीजिए की एक सिस्टम बना दिया गया जहां पे लोगों का पैसा तुरंत ट्रांसफर हो जा रहा था बिना बैंक के चक्कर केट इस तरह के सिस्टम को बनाने और मेंटेन करने में करोड़ लगते हैं इसलिए ये सिस्टम सिर्फ उन लोगों के लिए था जिनको 2 लाख से ज्यादा पैसे ट्रांसफर करने हैं और तुरंत ट्रांजैक्शन के लिए कुछ चार्जेस भी लिए जाते द ये वो अमाउंट है जो आपको प्ले करना होता था रग सिस्टम उसे करने के लिए इस सिस्टम को इंडिया का कोई भी नागरिक उसे कर सकता है और बाग भी उसे कर सकता है देखिए आज की डेट में अगर आप एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसा ट्रांसफर करते हो तो इसका मतलब ये नहीं है की दिन भर में जितना पैसा जमा हुआ है बैंक रात को एक ट्रक में वो पैसा भर के दूसरे बैंक पहुंचना है इसमें सिंपली नंबर्स इधर से उधर होते हैं जब आप ऐसा ट्रांसफर करते हो तो आप के अकाउंट में नंबर कम होता है और दूसरे के अकाउंट में जाकर वो ऐड हो जाता है जैसे हम लोगों के अकाउंट बैंक में होते हैं वैसे ही सारे बैंकों के अकाउंट आरबीआई में है इस पुरी चीज को आप इस तरीके से समझ सकते हो जैसे पेटीएम को वॉलेट होता है उसमें हम लोग आपस में कितना भी पेमेंट इधर से उधर कर लें लेकिन एक्चुअल जो पैसा होता है वो पेटीएम के पास रहता है एंटी अनलेस वो पैसा आप निकल रहे हो या फिर ट्रांसफर कर रहे हो से कॉन्सेप्ट आरबीआई और बैंक के बीच में भी रहता है बैंक आपस में डिजिटल जो है इधर से उधर कर सकते हैं लेकिन लास्ट में आरबीआई हिसाब करता है अब क्वेश्चन ये है की चलो नंबर इधर से उधर होगा वो ठीक है लेकिन जब हम कैश निकलती हैं चेक्स है या फिर एटीएम से वो सब कैसे मेंटेन होता है तो देखिए उसके लिए आरबीआई अलग-अलग एरिया में करेंसी चेस्ट मेंटेन करती है जिसमें कैश रखा जाता है अगर बैंक के पास ज्यादा अच्छा गया तो बैंक करेंसी चेस्ट में जाकर जमा कर देता है और अगर बैंक को कैश की जरूरत होती है तो करेंसी चेस्ट से जाकर वो ले लेता है और ये जो करेंसी चेस्ट होती है डेली रिपोर्ट भेजती है आरबीआई को की किस बैंक से कितना पैसा आया और कितना या| अब देखिए इसमें एक चीज और समझनी है की एक्सिस बैंक हो एसडीएफसी होई हो ये सब आपस में कंपीटीटर है ये लोग आपस में कोई भी डाटा शेयर नहीं करता अपने कस्टमर का ना ही कोई एक्सिस देता है लेकिन उसके बाद भी कोई एक बैंक का यूजर दूसरे बैंक के यूजर को पैसा ट्रांसफर करना चाहे तो तुरंत हो जाता है तो फिर ये होता कैसे है इसको एक एग्जांपल समझते हैं मैन लो एचडीएफसी बैंक में आपका अकाउंट है और आपको एक्सिस बैंक में ₹1000 ट्रांसफर करने हैं तो आप ऑनलाइन या फिर बैंक में जाकर रिक्वेस्ट दोगे वो रिक्वेस्ट जाएगी आरबीआई के बनाए हुए सिस्टम में आरबीआई वेरीफाई करेगा की जो पैसा भेज रहा है उसके अकाउंट में पैसा हैवी के नहीं और दूसरी तरफ ये भी चेक करेगा की जिसको पैसा जा रहा है उसका अकाउंट एक्सिस्ट भी करता है की नहीं आरबीआई जैसे ही सब वेरीफाई कर लेगा वो पेमेंट ट्रांसफर कर देगा और इस चीज का आपको पर ट्रांजैक्शन का कुछ चार्ज देना होता है ये जो आप नेफ्ट आरटीजीएस करते टाइम पर डायरेक्शन का चार्ज देते हैं वो इसी चीज का चार्ज होता है तो बेसिकली इन सारे बैंकों के बीच में मीडिया की तरह कम करता है ये सारे बैंक आपस में कंपीटीटर हैं लेकिन आरबीआई पे इनको भरोसा है की आरबीआई कोई भी डिटेल इधर से उधर नहीं करेगा इंडिया के अंदर नेफ्ट और रग से भी पहले 199 में आरबीआई लेके आया एक्स इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस इसमें बुक में पेमेंट होती थी सैलरी और पेंशन वगैरा की उसे टाइम के हिसाब से जो टेक्नोलॉजी थी उसके हिसाब से तो ठीक था लेकिन ये उतना एडवांस नहीं था इसलिए 2004 में आरबीआई लोगों के लिए लेके आया आरटीजीएस रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट लेकिन इसके बाद आरबीआई को बहुत जल्दी रिलाइज हुआ की 2 लाख से भी कम ट्रांजैक्शन वालों के लिए कोई पेमेंट सिस्टम होना चाहिए और 2005 में ही आरबीआई लेकर आया नेफ्ट इस पेमेंट सिस्टम में आरबीआई ने कहा की कोई लिमिट नहीं है आपको जितना पैसा ट्रांसफर करना है ₹1 भी अगर आपको ट्रांसफर करना है तो आप कर सकते हो अब इतने छोटे छोटे ट्रांजैक्शंस रियल टाइम में करने में काफी कास्टिंग आती है इसलिए इसमें एक रूल लगा दिया है की जो बैंक है वो बैजेस में ट्रांजैक्शंस कंप्लीट करेंगे मतलब की 30 मिनट तक वेट होगा जितनी भी अन्य एक्टिव फंड ट्रांसफर की रिक्वेस्ट आएगी बैंक के पास उनको ग्रुप में एक साथ वेरीफाई करके ट्रांसफर करना होगा पहले एक ओवर था लेकिन आजकल 30 मिनट में ट्रांसफर हो जाता है इसीलिए देखोगे जब भी आप नेफ्ट करते हो 30 मिनट के बाद पैसा पहुंचता है अकाउंट में एक दिन में 48 बार नीतू ग्रुप बना के 65 ट्रांसफर करता है वैसे तो आरबीआई ने सजेस्ट किया है की सेविंग अकाउंट पे पर ट्रांजैक्शन चार्जेस नहीं लिए जाने चाहिए लेकिन ये वो अमाउंट है जो पे करना होता है पढ़ ट्रांजेक्शन पे चाहे नेफ्ट हो या फिर आरटीजीएस पहले ये सब बैंक के वर्किंग हॉर्स में ट्रांजैक्शंस करते द क्योंकि सिस्टम पे उतना भरोसा नहीं था अगर कोई इशू होगा तो बैंकिंग अवर्स में ही रिजॉल्व हो जाएगा लेकिन जैसे-जैसे सिस्टम और टेक्नोलॉजी पे ट्रस्ट आया ये 24 घंटे ट्रांसफर होने लगे लेकिन अभी भी ये पेमेंट सिस्टम उतना हैंड ही नहीं था लोगों के लिए गवर्नमेंट को इस चीज का पता था की अगर लोगों को और जोड़ना डिजिटल पेमेंट सिस्टम से तो इसको और आसान करना होगा फिर 2010 में आया आईएमपीएस इमीडिएट पेमेंट सिस्टम आई एम पी एस के आने से अब आप अपने मोबाइल से बटन दबाकर बिना वेट किए तुरंत पैसा ट्रांसफर कर सकते द इसमें 2 लाख से कम और immediatric ट्रांसफर का ऑप्शन खुल गया था आई एम पी एस को उसे करने के लिए आपके मोबाइल फोन और म आईडी की जरूरत होती थी आईएमडीएस के पेमेंट सिस्टम में आपके मोबाइल के अंदर जो सिम होता है उसको बेस बना के आपका वेरिफिकेशन किया जाता है और से वो होना चाहिए जो आपके मोबाइल से लिंक हो इसलिए आपने देखा होगी अगर आप अपने मोबाइल में कोई ऐसा सिम डालते हैं जो बैंक से लिंक नहीं हो तो आपके मोबाइल में मोबाइल बैंकिंग ऐप नहीं चलते हैं से यही आर्किटेक्चर यूपीआई में भी उसे होता वो भी आगे डिस्कस करेंगे शुरू में आईएमपीएस से फंड ट्रांसफर की जो लिमिट थी वो 2 लाख थी उसके बाद उसको 5 लाख कर दिया गया जिस तरीके से नेफ्ट और आरटीजीएस को आरबीआई चलती है वैसे ही आई एम पी एस को एनपीसीआई चलती है देखिए एनपीसीआई को भी 2008 में आरबीआई ने एक नॉन प्रॉफिट कंपनी की तरह बनाया था यही एनपीसीआई आईपीएस लेकर आई थी और यही एनपीसीआई यूपीआई भी लेके लिए एनपीसीआई में कई सारे बैंक का एसोसिएशन है पहले इसमें 10 बैंक द लेकिन 2016 में 13 पब्लिक सेक्टर बैंक 15 प्राइवेट बैंक एक फौरन बैंक 10 कोऑपरेटिव बैंक और साथ रीजनल और बैंक को ऐड किया गया चाहे नेफ्ट हो आरटीजीएस हो आईएमपीएस हो इन सारे सिस्टम में आप पैसा ऑनलाइन तुरंत ट्रांसफर कर सकते हो लेकिन उसके बाद भी बैंक आपसे बेनिफिशियरी ऐड करवाता है जब आप पहली बार ट्रांजिशन कर रहे होते हो और ऐसा वो इसलिए करता है ताकि आपकी सिक्योरिटी मानते हो बेनिफिशियरी ऐड करने के बाद बैंक टाइम लेता है जैसे कॉलिंग पीरियड कहते हैं इस पीरियड में बैंक अलग तरीके से एसएमएस ईमेल वगैरा से जिसका अकाउंट होता है उसको नोटिफाई करता है ताकि ये कंफर्म हो सके की ट्रांजैक्शन वही आदमी कर रहा है जिसका अकाउंट है आप देखिए अगर आपको 2 लाख से ज्यादा पेमेंट तुरंत ट्रांसफर करनी हो तो आरटीजीएस है उससे कम करनी है और 30 मिनट का वेट कर सकते हो तो anyft है और अगर 2 लाख से कम पेमेंट तुरंत करनी है और हाथों हाथ मोबाइल से करनी हो तो आई एम पी एस है लेकिन अभी भी लोगों के पास डायरेक्ट मर्चंट से समान खरीदने का ऑप्शन नहीं था और पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी बेनिफिशियरी ऐड करना था उसमें भी टाइम लगता था इनफेक्ट पैसा नेट बैंकिंग से भी ट्रांसफर करना हो तो मल्टीपल स्टेप फॉलो करने होते हैं ओटीपी का वेट करना होता है और फिर 2016 में इन सारी चीजों का सॉल्यूशन एनपीसीआई लेके आया है यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी की यूपीआई यूपीआई को बेसिकली रघुराम रंजन और दिलीप आज भी लेके आए द यूपीआई को इन दोनों का ब्रेन चयन माना जाता है यूपीआई आईएमपीएस का एडवांस वर्जन है जिस आर्किटेक्चर और टेक्नोलॉजी पे आई एम पी एस कम करता है ऊबी भी उसी पे करता है बस यूपीआई ने क्या किया इसने 65 ट्रांसफर करने के लिए जो आईएफएससी कोड अकाउंट वगैरा जो शेयर करना पद रहा था उसकी जगह एक वीपीए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस इसको इंट्रोड्यूस कर दिया अब आप बिना अपनी कोई डिटेल शेयर करें एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस से पेमेंट का लेन-देन कर सकते हो जिसको आप यूपीआई आईडी बोलते हो एक्चुअली यूपीआई एक कर कोड बेस सिस्टम है जो फंड ट्रांसफर तो करता ही है साथ ही में ये मर्चंट पेमेंट सिस्टम भी है जिसमें आप आसानी से समान खरीद के पेमेंट कर सकते हैं इससे पहले आप पेमेंट रिक्वेस्ट नहीं कर सकते द लेकिन यूपीआई में आपके पास ऑप्शन है की आप किसी को भी पेमेंट की रिक्वेस्ट कर सकते हैं अगर वो उसको अप्रूव कर देता है तो आपको पैसा मिल जाता है आपके दिमाग में एक क्वेश्चन ये भी चल रहा होगा की ये जो आरटीजीएस है अन्य फ्ट आई एम पी एस फिर ये यूपीआई ये अलग-अलग क्यों है इन सबको मिला के एक सिस्टम क्यों नहीं बना दिया जाता देखिए सारे पेमेंट सिस्टम एक दूसरे से एकदम अलग आर्किटेक्चर पर ऑपरेट करते हैं इतने करोड़ यूजर्स इनरोल हैं करोड़ ट्रांजेक्शन जो है वो लाइव चल रहे हैं इन सब को माइग्रेट करके ऐसे ही एक जगह इंटीग्रेट करना आसान नहीं है इसलिए जब भी कभी कोई मेजर चेंज करना होता है तो एक अलग से सिस्टम बनाना पड़ता है लेकिन यूपीआई ने फिर भी काफी हद तक इन सब पेमेंट सिस्टम को इंटीग्रेट किया है आप एक यूपीआई आईडी से आपके जितने भी बैंक अकाउंट है वो सारे कर सकते हो दुकानदार को पैसे दे सकते हो किसी से भी ले सकते हो बस आपका जो बैंक अकाउंट है उसमें जो मोबाइल नंबर है वो आपके मोबाइल में होना चाहिए एक दुकानदार के लिए यूपीआई के इंफ्रास्ट्रक्चर की कॉस्ट बाकी किसी भी पेमेंट सिस्टम से कम है क्योंकि सिर्फ कर कोड उसे करना होता है इससे पहले जो सिस्टम था उसमें कार्ड के लिए मशीन रखनी पड़ती थी स्वाइप करने के लिए लेकिन ऊबी में आपकी कॉस्ट लगभग ना के बराबर है एनपीसीआई चाहता था की यूपीआई की टेक्नोलॉजी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे यूपीआई की टेक्नोलॉजी एक सीकर तरीके से बाकी ऐप्स को भी दी गई जैसे पेटीएम गूगल पे फोन पे वगैरा इससे पहले आपने नहीं देखा होगा की आरटीजीएस नेफ्ट का ऑप्शन इन ऐप्स में आया हो लेकिन यूपीआई की टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन अलाउ किया गया और इसके एपीआई इन थर्ड पार्टी ऐप्स को दिए गए एक सीकर तरीके से जो हाल बीएसएनएल का किया था प्राइवेट प्लेयर्स ने वो हाल यूपीआई के केस में ना हो एक ही ऐप पे ज्यादा से ज्यादा कैशबैक दे के या फिर कोई और ट्रिक लगा के यूपीआई की जो यूजर्स है वो सारे एक ही ऐप पे ना चले जाएं इसलिए उपन्यास लिमिट लगा राखी है की एक थर्ड पार्टी है 30% यूजर से रख सकती है यूपीआई के थ्रू अपने आप पे अब देखिए यूपीआई भले ही इंडियन है लेकिन यूपीआई का उसे करके हम जो प्रोडक्ट उसे करते हैं वो अमेरिकन है गूगल एप्पल अमेज़न जैसी कंपनी हम रोज उसे करते हैं पर हम इनके कंज्यूमर हैं इन्वेस्टर नहीं है उस स्टॉक मार्केट में अभी करेक्शन की वजह से इन्हीं हाई ग्रोथ कंपनी के स्टॉक काफी कम प्राइस में मिल रहे हैं ये बेस्ट टाइम है उस स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने का क्योंकि आप उस स्टॉक्स फ्रैक्शन में बाय कर सकते हैं और आपको डॉलर की ग्रोथ का फायदा मिलता है और अब आपको इंडिया से उस स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने के लिए कोई चार्ज एंड कमीशन देने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेरी तरह आप इंड मणि आप उसे कर सकते हैं जिस पर कोई अकाउंट ओपनिंग फीस नहीं है जीरो कमीशन है और जीरो ब्रोकरेज है उस स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने पर मैं आपको ड मणि के साथ मिलके एप्पल कंपनी के स्टॉक्स वर्थ अप तू रुपीस 1000 बिल्कुल फ्री में दे रहा हूं आपको बस डिस्क्रिप्शन लिंक से आईडी बनी आप डाउनलोड करना है और जब आप अपने उस स्टॉक अकाउंट में फर्स्ट टाइम फंड डिपॉजिट करोगे आपको रुपीस 1000 तक के एप्पल स्टॉक फ्री में मिल जाएंगे आईएमडी में मैंने ऐप से आप उस स्टॉक में सिप मोड से भी इन्वेस्ट कर सकते हैं तो डिस्क्रिप्शन लिंक से मैंने आपको डाउनलोड कर सकते हैं तो टॉपिक पे वापस आते हैं देखिए ऊबी की वजह से जितने बड़े-बड़े जॉइंट्स हैं मास्टर कार्ड इनके मार्केट शेयर भी बहुत तेजी से कम हो रहे हैं अब ऐसा क्यों हो रहा है ये भी समझते हैं देखिए काफी टाइम पहले जब एटीएम नया-नया आया था तब जिस बैंक का एटीएम कार्ड होता था आप उसी बैंक के एटीएम से जाकर पैसे निकल सकते द अगर आईसीआईसीआई बैंक के डेबिट कार्ड है तो आप आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम पे जा के ही पैसे निकल सकते हैं किसी और बैंक से नहीं निकल सकते जबकि एटीएम मशीन और डेबिट कार्ड की जो टेक्नोलॉजी है वो से है अगर बैंक चाहते तो एक दूसरे के बैंक के एटीएम को उसे करने दे सकते द लेकिन उसके बाद भी उसे नहीं करने देते और वो इसलिए नहीं करने देते द क्योंकि कस्टमर के जो डिटेल्स थी वो आपस में शेयर करनी पड़ती और अगर ऐसा होता तो उनके कस्टमर की डिटेल्स उनके कंपीटीटर के पास चली जाती और इस चीज का सॉल्यूशन निकाला नेटवर्क कंपनी ये जो वीजा मास्टर कार्ड है इनको नेटवर्क कंपनी कहते हैं इन्होंने कहा की ऐसे तो हर बैंक का नुकसान है इंडिया में एटीएम मशीन बहुत ज्यादा लगानी पड़ेगी बहुत सारा पैसा लगेगा तो इन नेटवर्क कंपनी इन बैंकों से कहा की यार एक कम करिए जो कस्टमर की डिटेल्स है वो आपस में मत शेयर करिए ये जो डिटेल्स है आप हमें दे दो जब कोई एटीएम लेकर आएगा हम उसकी डिटेल्स खुद वेरीफाई करेंगे जैसे ही डिटेल्स वेरीफाई होंगी आप एक दूसरे के जो एटीएम ट्रांजेक्शन हैं वो इन्फॉर्म करने देना और रही बात कस्टमर की डिटेल्स की तो वो humsecure रखेंगे लेकिन इस चीज का नेटवर्क कंपनी यानी की वीजा मास्टर कार्ड ये पर ट्रांजैक्शन का पैसा लेती है चाहे एटीएम से पैसे का ट्रांजैक्शन हो या फिर किसी मर्चंट पे जाके कोई समान खरीद ना हो इसको कहते हैं एमडीआर मर्चंट डिस्काउंट रेट लेकिन यूपीआई के केस में गवर्नमेंट ने पहले ही क्लियर कर दिया है की यूपीआई की ट्रांजैक्शन पे कोई भी एमडीआर चार्जेस नहीं होंगे यही रीजन है की यूपीआई बहुत तेजी से वीजा मास्टर कार्ड का जो मार्केट है उसको डाउन कर रहा है अभी 17 अगस्त 2022 को आरबीआई ने डिस्कशन पेपर रिलीज किया जिसकी लैंग्वेज से ऐसा लग रहा था की शायद ट्रांजैक्शंस यूपीआई आगे चल के ले इसको लेकर काफी हल्ला हुआ लेकिन फाइनेंस मिनिस्ट्री ने उसके चार दिन बाद 21 अगस्त कोई आरबीआई के इस वर्किंग पेपर से निकले दर को खत्म कर दिया फाइनेंस मिनिस्ट्री ने ट्वीट किया की यूपीआई पे कोई भी चार्जेस लगाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है देखिए यूपीआई एक ₹800 की ट्रांजैक्शन पे लगभग ₹2 का खर्चा होता है अब इस केस में जब यूपीआई ट्रांजैक्शन चार्जेबल ही नहीं है तो ये यूपीआई प्लेटफार्म वाली जो कंपनी हैं बैंक हैं ये पैसा कैसे कमेटी है पीवीसी की एक रिपोर्ट डी रिमरकेबल राइज ऑफ यूपीआई इन इंडिया के मुताबिक ये कंपनी पेमेंट डाटा को कलेक्ट कर रही है और फिर उनको टेलीकास्ट और एनबीएफसी को स्पेसिफिक इनसाइड के रूप में बेच रही हैं यूपीआई ग्लोबल लेवल पे भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है जब भी आपको कंट्री के बाहर ट्रांजैक्शन करना होता है तो आपको सिर्फ का उसे करना होता है इसके थ्रू वर्ड के सारे बैंक कनेक्टेड रहते हैं और स्विफ्ट की वजह से हम लोग कंट्री के बाहर भी पेमेंट कर पाते हैं जैसे इंडिया के अंदर हम लोग आईएफएससी कोड उसे करते हैं ऐसे ही जब इंडिया के बाहर पेमेंट करनी होती है तो हम लोग आईएफएससी कोड की जगह स्विफ्ट कोड उसे करते हैं अभी यूक्रेन रूस वॉर में रूस के ऊपर सूट बन कर दिया था उस ने मतलब की रसिया के सारे बैंक सिर्फ पेमेंट सिस्टम से बाहर हो गए द और इसकी वजह से रूस इंटरनेशनल मार्केट से पुरी तरीके से कट गया था बिजनेस करने में लोगों को काफी दिक्कत ए रही थी लेकिन यूके अगर अच्छी तरीके से पूरे ऑल ओवर वर्ल्ड में इंप्लीमेंट हो जाता है तो इंडिया इन सारी चीजों से सेफ हो जाएगा एनपी की ने एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट लिमिटेड निपल के नाम से एक सब्सिडी लॉन्च की है जो यूपीआई को इंटरनेशनल लेवल पे लेके गया है सिंगापुर भूटान दुबई में यूपीआई इंप्लीमेंट हो रहा है और इंडिया का पूरा वर्ल्ड में यूपीआई ऑपरेट करें यूपीआई को आप क्रेडिट कार्ड से भी जोड़ा जा रहा है आज से पहले अगर मेरे पास यूपीआई है तो मैं शॉप पर जाकर कर कोड को स्कैन करके पेमेंट कर सकता हूं लेकिन यूपीआई सिर्फ डेबिट कार्ड से लिंक रहता है तो मैं क्रेडिट कार्ड से पेमेंट नहीं कर सकता अब जब यूपीआई क्रेडिट कार्ड से भी लिंक हो जाएगा तो मैं ट्रेड कार्ड से भी पेमेंट कर सकता हूं इससे जो यूपीआई का बेस है ऑल ओवर इंडिया में वो और बढ़ेगा जनरली जब कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो उस या फिर चीन का नाम आता है लेकिन इंडिया ने जब सब लोग चैन और वेब थ्री की बात कर रहे द तब एक यूपीआई सिस्टम इंप्लीमेंट कर दिया नो ट्रांजैक्शन कॉस्ट नो मिडिल में दो से तीन सेकंड में पेमेंट हो जाती है 24/7 अवेलेबल है यूपीआई की सक्सेस को देख के गूगल ने भी सजेस्ट किया है यू इस गवर्नमेंट को की हमारे पास भी यूपीआई एसएससी सिस्टम होना चाहिए उस में फेडरल रिज़र्व को यूपीआई से इंस्पायर हो के रियल टाइम पेमेंट के लिए फीड ना लाना पड़ा लेकिन उस यूपीआई की ग्रोथ से उतना ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि ये जो भी वीजा मास्टर कार्ड स्विफ्ट ये सारी चीज यूएसबी है अब ये भी डिस्कस कर लेते हैं की यूपीआई के सामने चैलेंज क्या-क्या ए रहे हैं जिस तरीके से यूपीआई ट्रांजैक्शन इतनी तेजी से बढ़ रही है उसे हिसाब से इसका इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ रहा है एकदम से यूपीआई की बहुत तेजी से ग्रोथ हुई है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई भी बड़ा चेंज नहीं हुआ इससे ये रिस्क बढ़ गया की एक्जिस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कहीं ट्रांजेक्शन का वॉल्यूम ही हैंडल ना कर पाए इसके साथ-साथ यूपीआई में ये भी दिक्कत है की यूपीआई में जीरो परसेंट चार्ज की पॉलिसी है तो यूपीआई सर्विस से बैंक या फिर पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को कोई भी रेवेन्यू नहीं जेनरेट हो रहा है तो ये लोग भी उसे तरीके से इसको प्रमोट नहीं कर रहे हैं जिस तरीके से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड को करते हैं यूपीआई पेमेंट सिस्टम में अभी भी फैल ट्रांजेक्शन की अकाउंटेबिलिटी के लिए कुछ भी नहीं किया है यूपीआई में फेल ट्रांजेक्शन और उनके टाइप पे कोई डिटेल डाटा नहीं है साथ ही इसमें मल्टीपल प्लेयर्स इंवॉल्व है जिसकी वजह से ट्रांजैक्शन फैलियर की अकाउंटेबिलिटी किसी एक बंदे पे फिक्स नहीं है लेकिन अच्छी बात ये है की ट्रांजैक्शंस के फैलियर रेट को इंप्रूव करने के लिए भी स्टेप्स लिए जा रहे हैं जैसे आरबीआई एक यूनिफाइड डिस्प्यूट एंड इश्यू रेजोल्यूशन उद आई आर मैनेजमेंट सिस्टम बनाने जा रहा है जिससे यूपीआई के फैलियर रेट्स को एड्रेस किया जा सके ये सिस्टम यूजर्स को कंप्लेन लॉन्च करने और उनके रेजोल्यूशन को ट्रैक करने में मदद करेगा लास्ट में फिर से याद दिलाना चाहूंगा की आईडी मैंने आपसे आप उस स्टॉक में सी पी मोड से भी इन्वेस्ट कर सकते हैं तो लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया है आप आईडी मैंने आपको वहां से डाउनलोड कर सकते हैं qtr6SE2jWlQ,Must Know Before Buying Insurance | The Logic behind Health Insurance | Nitish Rajput | Hindi,2022-10-12T10:26:29Z,PT14M55S,1751266,61127,1818,https://www.youtube.com/watch?v=qtr6SE2jWlQ,, एक मिडिल क्लास आदमी सिर्फ एक हॉस्पिटल के बिल से दूर रहता है गरीबी रेखा के नीचे आने में आजादी से लेके आज तक चाहे कोई भी गवर्नमेंट रही हो इस पार्टिकुलर चीज को लेकर हर तरीके से फैल रही है दिल्ली एनसीआर के जो नाम ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स हैं वहां पे जो पेशेंस गए उनके बिल को इकट्ठा करके एनालाइज किया गया ताकि ये पता चल सके की ये जो बिल बनाए गए हैं इन हॉस्पिटल्स ने ये जेनुइन हैं यहां पर इसमें कोई हेयर फैल हुई है एक आदमी है जिसके मां-बाप हैं वाइफ है बच्चे हैं भाई और बहन हैं और वो अकेला कमाने वाला है तो इतनी बड़ी लाइव वो इस भरोसे नहीं जी सकता की किसी को कुछ नहीं होगा और ये जो बिल गेट्स हैं ऐलान मस्क है क्या ये हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं इनको इस चीज की जरूरत है और जब गवर्नमेंट फैल होगी तो उसने भी वही किया जो हर हरा हुआ इंसान करता है अपनी जिम्मेदारी किसी और के ऊपर दल दी आज से काफी टाइम पहले जब चाइनीस लोग आपस में ट्रेड करते द तो उन्होंने अपने रिस्क को कम करने के लिए एक ऐसा तरीका निकाला जो उससे पहले उसे नहीं होता था और वो आइडिया ऐसा था जिसे हम आज भी उसे करते हैं इनके पूरे ग्रुप में मिल के ये डिसाइड किया की हम लोग आपस में कुछ पैसे इकट्ठा कर लेंगे और अगर किसी एक को नुकसान होता है तो वो नुकसान हम आपस में बांट लेंगे इससे फायदा ये होगा की कम पैसे में सब लोग रिस्क फ्री हो जाएंगे ये जो कॉन्सेप्ट है ये आज भी चला ए रहा है जिसे हम इंश्योरेंस कहते हैं लोगों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और उनको रिस्क फ्री कर दिया जाता है अगर ये पैसा कर के रिस्क के लिए इकट्ठा होता है तो उसे हम कर इंश्योरेंस बोल देते हैं अगर प्रॉपर्टी के रिस्क के लिए खट्टा होता है तो उसे हम प्रॉपर्टी इंश्योरेंस बोलते हैं ऐसे ही अगर हेल्थ के रिस्क के लिए इकट्ठा होता है तो उसे हम हेल्थ इंश्योरेंस बोल देते हैं आप क्योंकि आज के सिनेरियो में बहुत सारे लोग हैं और ये बहुत ही बड़े लेवल पे होता है तो आप ऐसे किसी पे विश्वास करके पैसा इकट्ठा करके नहीं दे सकते हैं तो इस पूरे प्रक्रिया में एंट्री होती है एक ऐसी कंपनी की जो की रिप्यूट है और गवर्नमेंट के रेगुलेशन फॉलो करती है जिसको हम इंश्योरेंस कंपनी बोलते हैं सब इस कंपनी को ट्रस्ट करके पैसा जमा करते हैं और ये जो पैसा लोग देते हैं इसको हम प्रीमियम बोलते हैं अब देखिए भले ही इंश्योरेंस बहुत ही बोरिंग टॉपिक लगे लेकिन ये बहुत ही इंपॉर्टेंट टॉपिक है इन फैक्ट ये एक ऐसा टॉपिक है जो की स्कूल की बुक्स में होना चाहिए लेकिन नहीं है और यही रीजन है की जो भी यंगस्टर है इसके नाम के अलावा ज्यादा डिटेल्स नहीं पता उनको लेकिन जैसे-जैसे आपके ऊपर जिम्मेदारी आने लगती हैं आपको इसकी इंपॉर्टेंस समझ में आने लगती है और अगर आप एक ऐसे youngsteron जिसके ऊपर उसकी फैमिली डिपेंडेंट है तब तो आपको इसके बारे में ज्यादा डिटेल्स पता होनी चाहिए देखिए किसी भी कंट्री के अंदर हेल्थ केयर की सारी जिम्मेदारी गवर्नमेंट की होती है की वो अपने देश के लोगों को फ्री एंड क्वालिटी हेल्थ केयर प्रोवाइड करें और इंडिया में भी इसके लिए आजादी के बाद से कम चल रहा है लेकिन अनफॉर्चूनेटली आजादी से लेके आज तक चाहे कोई भी गवर्नमेंट रही हो इस पार्टिकुलर चीज को लेके हर तरीके से फैल रही है और जब गवर्नमेंट फैल हुई तो उसने भी वही किया जो हर हरा हुआ इंसान करता है अपनी जिम्मेदारी किसी और के ऊपर दल दी गवर्नमेंट ने इसमें प्राइवेट हॉस्पिटल्स को जाम के एंट्री दी और इंडिया में प्राइवेट हॉस्पिटल जाम के खोलें लेकिन जब प्राइवेट हॉस्पिटल्स आए तो वो चैरिटी करने हैं तो आए नहीं द वो प्रॉफिट बनाने आए द इसलिए हेल्थ केयर महंगा हुआ सुपर स्पेशलिटी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स जिनका बिल लाखों में आने लगा लेकिन इसका फायदा भी हुआ एटलिस्ट जिसके पास पैसा है उनके पास कई सारे ऑप्शंस खुल गए अरे इसको आप कोई टाइम के एग्जांपल से समझो तो कोविद के टाइम पे हॉस्पिटल्स कम द और पेशेंस ज्यादा द गवर्नमेंट और आम जनता दोनों प्रेशर में थी यही सिचुएशन होती है अगर सिर्फ जिन चुने गवर्नमेंट हॉस्पिटल सी होते हैं इंडिया के अंदर प्राइवेट हॉस्पिटल्स के आने से लोगों के पास दूसरे ऑप्शन भी खुल गए अब गवर्नमेंट ने प्राइवेट हॉस्पिटल ला के अपना लोड तो कम कर लिया लेकिन इन प्राइवेट हॉस्पिटल्स के बिल बहुत ज्यादा ए रहे द और मिडिल क्लास के लिए ये एक बहुत ही बड़ा इशू बन गया था इससे बचने के लिए हेल्थ केयर इंश्योरेंस आया इसको इसलिए लाया गया ताकि अगर कोई सरकारी सिस्टम से बटोर सर्विसेज चाहता है तो उसे अफोर्ड कर सकता है लेकिन ये याद रखिएगा की अभी भी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की है पहले जो हेल्थ इंश्योरेंस था ये सिर्फ फैक्ट्री वर्कर्स के लिए आया था जो बड़ी-बड़ी मशीन चलते द क्योंकि वो लोग ज्यादा रिस्क पे रहते द लेकिन ये सफिशिएंट नहीं था इसलिए इसको मैंडेटरी कर दिया गया उन कंपनी के लिए जहां पे 10 एम्पलाइज से ज्यादा द लेकिन जब इससे भी बात नहीं बनी तो एक स्कीम लाई गई जिसमें एंप्लॉय और एंप्लॉयड दोनों को पैसे मिलने द जिससे किसी लोड ना पड़े और ज्यादा से ज्यादा लोग रिस्क फ्री हो जाएं ये सिस्टम अभी भी चलता है ईएसआई के नाम से अगर आपकी सैलरी 21000 से कम है तो आपको ये स्कीम मिलती है सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम सीजी स जब ये आई तो सेंट्रल गवर्नमेंट के एम्पलाइज की फैमिली को भी हेल्थ कवर मिलने लगा और फिर कुछ एमएनसी ने भी इसकी देखा देखी मैं अपने एम्पलाइज की फैमिली को भी कवर देना शुरू कर दिया अब आज की डेट में ये है की आप भले ही जॉब करते हो चाहे नहीं करते हो आप चाहे अकेले के लिए चाहिए या फिर आपको फैमिली के लिए चाहिए आप अलग से इंश्योरेंस ले सकते हो अब देखिए ये तो हमें पता है की गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स के comparetali प्राइवेट हॉस्पिटल्स का जो बिल आता है वो ज्यादा आता है लेकिन कितना ज्यादा आता है ये भी तो पता होना चाहिए और हवा में बात नहीं करेंगे फेक्चुअल डाटा क्या बेसिस पे देखते हैं की ये गैप कितना बड़ा है इंडिया के प्राइवेट हॉस्पिटल में अगर कोई एडमिट होता है तो एक गवर्नमेंट हॉस्पिटल के कंपेरटिवली छह गुना ज्यादा पैसा लगता है आप यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स की रिपोर्ट देखोगे तो वहां पे आपको एग्जैक्ट नंबर मिलेगा सरकारी हॉस्पिटल में भारती होने की एवरेज कॉस्ट है 452 और प्राइवेट हॉस्पिटल में अगर आप भारती होते हैं 318 ₹5 लगते हैं अभी डिफरेंस तो बहुत बड़ा है लेकिन इसके बाद भी एक आम आदमी को अगर कोई बीमार होता है तो उसको प्राइवेट हॉस्पिटल ही जाना पड़ता है इसका सिंपल सा मतलब ये हुआ की आजादी से लेके आज तक हमारी जितनी भी गवर्नमेंट आई हैं उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पुरी तरीके से नहीं निभाई है दिल्ली एनसीआर के जो नाम ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स हैं वहां पे जो पेशेंस गए उनके बिल को इकट्ठा करके एनालाइज किया गया ताकि ये पता चल सके की ये जो बिल बनाए गए हैं इन हॉस्पिटल्स ने ये जेनुइन हैं या फिर इसमें कोई हेयर फैल हुई है और ये कम किया है नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइस अथॉरिटी एनपीपीएन है तो इसमें ये पता चला की प्राइवेट हॉस्पिटल्स जेनेरिक दवाइयां को अवॉइड कर रहे द और नॉन जेनेरिक दवाइयां दे रहे द अब ये जेनेरिक दवाइयां क्या होती हैं देखिए ये तो मैंने ऑलरेडी एक वीडियो में समझा दिया है बट अभी के लिए आप इतना समझ लीजिए की जेनेरिक दवाइयां में गवर्नमेंट प्राइस फिक्स करती है उसका रेट आप अपने हिसाब से ऊपर नीचे नहीं कर सकते तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स क्या करते हैं इनको अवॉइड करने के लिए दूसरे ब्रांड की दवाइयां पे स्काइप करते हैं जहां पे पहले से ही कमीशन सेट होता है तो जब इन पेशेंस का बिल एनालाइज किया एनपीपीएन है तो टोटल मेडिकल का जो बेल बना था एक पेशेंट का उसमें सिर्फ 4 मार्जिन मोटा माने बाकी हर चीज प्राइवेट प्लेयर से ली गई थी जहां कोई रोक टोक नहीं थी प्राइस को ऊपर नीचे करने की ये जो आप देख रहे हैं ये एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने डिस्ट्रीब्यूटर से जो दवाइयां ली हैं उसका ओरिजिनल बिल है इसमें आप समझ पाएंगे की एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने कितने में चीजे खरीदी और कितने में अपने पेशेंट्स को दी ये जो सीरीज है ये एक हॉस्पिटल ने डिस्ट्रीब्यूटर से 68 पीस खरीदे जिसमें एक सीरीज ₹128 पैसे के लिए और पेशेंट को ₹3 में दी 1000% से भी ज्यादा कम मुनाफा बनाया जा रहा है आप पॉज करके बाकी जो चीज उनके भी रेट चेक कर सकते हैं एक आदमी है जिसके मां-बाप हैं वाइफ है बच्चे हैं भाई और बहन हैं और वो अकेला कमाने वाला है तो इतनी बड़ी लाइव वो इस भरोसे नहीं जी सकता की किसी को कुछ नहीं होगा और प्राइवेट हॉस्पिटल से पाल नहीं पड़ेगा ऐसा सोच के आगे बढ़ाना बहुत ही गलत डिसीजन है एक मिडिल क्लास आदमी सिर्फ एक हॉस्पिटल के बिल से दूर रहता है गरीबी रेखा के नीचे आने में अब देखिए यहां से दो चीज है या तो आपके पास इतना पैसा हो की जब ऐसी सिचुएशन आए तो आप पैसा निकल के इलाज कर लो और दूसरा तरीका सिर्फ यही बचत है की आप हेल्थ इंश्योरेंस करवाओ आप जितने भी डिवेलप देश देखोगे वहां के सारे सिटीजंस कवर्ड सकते हैं हेल्थ inschurns से 20 से भी ज्यादा कंट्रीज हैं जहां पे उनकी 100% पापुलेशन इंश्योरेंस से कवर्ड है और जिस कंट्री के हेल्थ के सिस्टम वीक है वहां के सिटीजंस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस मस्ट है लेकिन इंडिया में अभी भी लोग इन सारी चीजों को भगवान के भरोसे छोड़ के या hohani को कौन ताल सकता है वाले कॉन्सेप्ट के साथ अपने फ्यूचर को रिस्क पे डालते हैं जो की गलत है और जिस तेजी से इन्फ्लेशन बढ़ रहा है ये चीज और क्रिटिकल हो जा रही है वैसे तो इन्फ्लेशन हर जगह है लेकिन मेडिकल फील्ड में इन्फ्लेशन की वजह से एक्सपेंस रेट डबल हो गया है एक ही साल में ट्रीटमेंट फीस और मेडिसिन की कॉस्ट हर साल बढ़ रही है और ये इन्फ्लेशन की मैं बात कर रहा हूं ये भी बहुत बड़ा रीजन है की हमें हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए मार्केट में काफी अलग-अलग तरह की कंपनी हैं जो इंश्योरेंस ऑफर करती हैं लेकिन आप हर किसी के लिए एक जैसा इंश्योरेंस नहीं ले सकते हो आपको अपनी नीड के हिसाब से बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस लेना होगा ऐसे में डेड तो इंश्योरेंस एक बहुत ही हेल्पफुल प्लेटफार्म है जहां आप फ्री कॉल्स पे एक्सपर्ट से बात करके अपना इंश्योरेंस प्लान डिसाइड कर सकते हो और इंश्योरेंस लेने के बाद भी डीड तो आपको क्लेम सर्विसेज में सपोर्ट करता है ना आपको कोई पॉलिसी सेल करने की कोशिश की जाएगी ना कोई स्पैम कॉल जाएंगी तो उसे करिए देतो इंश्योरेंस का तू मेक अन वॉइस डिसीजन लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब बात ये है की हेल्थ इंश्योरेंस लेना किसको चाहिए कहीं ऐसा तो नहीं है की आप बिना मतलब है प्रीमियम भरे जा रहे हैं आपको इसकी जरूरत ही ना हो और ये जो बिल गेट्स हैं ऐलान मस्क है क्या ये हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं इनको इस चीज की जरूरत है देखिए इंश्योरेंस लेने से पहले आपको अपने आप से क्वेश्चन पूछना होगा की जिस चीज के लिए आप इंश्योरेंस करवा रहे हैं क्या उसे पार्टिकुलर चीज का नुकसान आप जेल सकते हैं अगर उसे पार्टिकुलर चीज का नुकसान आप नहीं जेल सकते हैं तो आपको इंश्योरेंस करवाना होगा अलोन वर्ष के बिल गेट्स के ऊपर अगर कोई मेडिकल का खर्चा ए जाए तो जेल सकते हैं इसलिए वो उसे चीज का inschurns नहीं करवाएंगे वो उसे चीज का इंश्योरेंस करवाएंगे जिसका नुकसान हो नहीं जेल सकते और से यही चीज हमें भी देखनी है अब जो सरकारी नौकरी वाले हैं उनका तो सेंट्रल गवर्नमेंट या फिर स्टेट गवर्नमेंट इंश्योरेंस दे ही रही है गरीबों के लिए भी गवर्नमेंट टाइम तू टाइम हेल्थ केयर इंश्योरेंस लॉन्च करती है प्राइवेट सेक्टर में जो हायर पोजीशन पे है उनका ध्यान भी उनकी कंपनियों रख रही हैं और जो अमीर आदमी है वो तो अपना ध्यान राखी लेता है लेकिन जो मिडिल क्लास आदमी है उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस मस्ट हैव बचे हुए लोग हैं जिनके पास ना तो पैसा है और ना ही हेल्थ इंश्योरेंस इनके लिए नीति आयोग टाइम तू टाइम रिपोर्ट पब्लिश करती रहती है अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट में ये जो बचे हुए लोग द इनको मिसिंग मिडिल कहा गया क्योंकि सबसे ज्यादा रिस्क पे मिडिल क्लास ये है इस रिपोर्ट में बताया गया है की 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इंश्योरेंस नहीं लिया और अभी भी रिस्क है अब ये भी डिस्कस कर लेते हैं की हेल्थ इंश्योरेंस लेने का सबसे बेस्ट तरीका क्या है और क्या-क्या चीज ध्यान में रखनी है जब आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं तो सबसे पहली चीज तो आपको ये देखनी है की जो आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं वो कैशलेस है या नहीं क्योंकि अगर कैशलेस नहीं है तो आपको पैसे अरेंज करने होंगे और बाद में वो पैसा आपको कंपनी से मिलेगा और इसमें पेपर वर्क भी ज्यादा होता है तो आपको ट्राई करना है की कैशलेस हो क्योंकि कैशलेस के केस में आप जिस इंश्योरेंस कंपनी से इंश्योरेंस ले रहे हो आपको बस उनके नेटवर्क हॉस्पिटल देखने होंगे की जिस एरिया में आप रह रहे हो उसमें उसे पार्टिकुलर इंश्योरेंस कंपनी की हॉस्पिटल है की नहीं ताकि अगर कुछ इमरजेंसी हो तो आप उसे हॉस्पिटल में जाके इलाज कर लो और इंश्योरेंस कंपनी खुद पेमेंट कर देगी डायरेक्ट हॉस्पिटल को दूसरी चीज आपको देखनी होगी की आपकी पॉलिसी में प्री एंड पोस्ट आपने ट्रीटमेंट कर के इंश्योरेंस कंपनी से पैसा तो जमा कर दिया लेकिन ट्रीटमेंट से पहले और बाद में भी बहुत सारे खर्चे होते हैं कई सारे टेस्ट होते हैं कंसंट्रेशन फीस होती है डॉक्टर्स की कुछ केसेस में फिजियोथैरेपी भी raycommend की जाती है एंबुलेंस वगैरा तो ये सारी चीज भी आपको चेक करनी है आपको ये भी देखना है की आपके इंश्योरेंस में को-पे का ऑप्शन है की नहीं मैन लो आपका ₹1 लाख का खर्चा आया है हॉस्पिटल का और आपके इंश्योरेंस में 5% कोपेन का क्लोज़ डाला हुआ है तो उसे केस में 5000 आपको देने पद जाएंगे आपको कैप ऑन कवरेज ये भी देखना है इंश्योरेंस लेने से पहले की कहीं कोई लिमिट तो सेट नहीं कारी गई है किसी पार्टिकुलर ट्रीटमेंट के लिए मैन लीजिए आपको नहीं सर्जरी करवानी पड़े और जो इंश्योरेंस आपने लिया है उसमें सर्जरी के ऊपर कैप लगा हुआ है ₹80000 का तो उसे केस में ₹80000 के ऊपर जो भी खर्चा होगा वो आपको देना होगा कैप का मतलब की लिमिट सेट कारी हुई है इसके साथ-साथ जब भी आप पॉलिसी कंपेयर करें तो नो क्लेम बोनस पे भी ध्यान दें अगर आप पूरे साल इंश्योरेंस उसे नहीं करते हैं तो कुछ इंश्योरेंस कंपनी आपको बोनस देती हैं कुछ आपका कवर अमाउंट बढ़ा देती है कुछ हेल्प चेकअप फ्री कर देती है कुछ प्रीमियम में कंसेशन देती है तो आपको यह भी देखना है देखिए मार्केट में जाके बस जो सबसे सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस है जिसका प्रीमियम कम ए रहा है सिर्फ उसको उठा लेने से सारी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो जाएगी आपको इंश्योरेंस कंपनी की रेपुटेशन और क्लेम सेटलमेंट रेशों भी देखना है ताकि जब आपको उसे इंश्योरेंस की जरूरत पड़े तो उसका क्लेम आपको मिले उसकी जगह पे किसी ने किसी वजह से आपकी एप्लीकेशन पे रिजेक्शन ना मिले क्लेम सेटलमेंट रेश्यो से आपको पता चलता है की कंपनी ने कितने लोगों को इंश्योरेंस का क्लेम दिया है और कितनो का रिजेक्ट किया है अगर आपको प्री एक्जिस्टिंग डिजीज है तो आपको उसके हिसाब से पॉलिसी लेनी होगी और कभी भी आप अपनी एक्जिस्टिंग डिजीज को chhupaaiye मत ऐसा करने पे आपकी पॉलिसी टर्मिनेट हो जाती है और लेटर उनको पता ही चल जाता है चीज छुपाने से आपका प्रीमियम तो जाएगा और पॉलिसी भी टर्मिनेट हो जाएगी जिस डेट को आप इंश्योरेंस ले रहे हैं उसके 48 मंथ यानी 48 मंथ से पहले तक आपको अगर कोई भी डिजीज है तो वो priesting डिजीज मणि जाती है दूसरी चीज आपको बहुत ही ध्यान से समझनी है की आपने जो इंश्योरेंस लिया है उसमें कोई रूम रेंट है या नहीं और अगर है तो कितनी है मैन लीजिए आप किसी हॉस्पिटल में एडमिट हुए हैं तो हॉस्पिटल में कई तरह के रूम होते हैं कहीं पर डीलक्स रूम होते हैं कहीं पर लग्जरी रूम होते हैं आप कभी-कभी तो आप अपनी मर्जी से चूज करते हैं की कौन सा रूम चाहिए आपको और कभी-कभी आपकी मजबूरी होती है वो लग्जरी रूम लेना क्योंकि बाकी जो रूम होते हैं वो अवेलेबल नहीं होते हैं या फिर हॉस्पिटल ही फी होता है अब मैन लो आपने लग्जरी रूम ले लिया जिसकी एक दिन की कीमत है 10000 रुपए अब अगर आपका इंश्योरेंस बिना कब वाला है यानी की कोई लिमिट नहीं है आप कोई सा भी रूम ले सकते हो तो उसे केस में तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर आपका इंश्योरेंस कैप वाला है की उसमें लिमिट सेट है तो आपको पूरे पैसे नहीं मिलेंगे रूम रेंट के अब आप कहोगे की पूरे नहीं मिलेंगे तो फिर कितने मिलेंगे देखिए इंश्योरेंस कंपनी कहती है की अगर आपको रूम अच्छा चाहिए ज्यादा पैसे वाला चाहिए तो आपको अपनी पॉलिसी भी ज्यादा की लेनी होगी अगर आपका इंश्योरेंस 5 लाख का है तो 5000 तक का रेंट मिलता है जनरली 1% मिलता है टोटल पॉलिसी का अब आप कहोगे की इसमें तो कोई दिक्कत नहीं है मैन लो 3 लाख का हॉस्पिटल का बेला है और रूम रेंट का ₹5000 इंश्योरेंस कंपनी दे ही रही है अगर थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा लगता भी है रूम का तो वो आप खुद अपनी जेब से भर दोगे इसमें दिक्कत क्या है ये ऐसा नहीं है कुछ इंश्योरेंस कंपनी क्या करते हैं की आपके पूरे इंश्योरेंस को लिंक कर देती हैं आपके रूम रेंट से मतलब की अगर आपने रूम लिया है 10000 का और इंश्योरेंस के हिसाब से रूम रेंट बनता है ₹5000 तो इसका मतलब ये हुआ की इंश्योरेंस कंपनी आपके रूम रेंट का 50% दे रही है बाकी आपको देना है और रूम रेंट से लिंक करने का मतलब ये हुआ की आपके पूरे हॉस्पिटल का जो बिल होगा दवाई से लेके पूरे इलाज का हर चीज में इंश्योरेंस कंपनी 50% ही देगी तो आपको ये भी देखना होगा की जो पॉलिसी आप ले रहे हैं वो आपके रूम रेंट से तो लिंक नहीं है कहीं इंश्योरेंस लेने जब आप जाते हैं तो इसमें दो प्लान होते हैं एक इंडिविजुअल प्लान दूसरा फैमिली फ्लोटर प्लान इंडिविजुअल प्लान तो आप समझते ही होंगे की इंडिविजुअल आपकी जरूरत के हिसाब से आप अपना प्लान ले सकते हैं फैमिली फ्लोटर में क्या होता है की आपकी पुरी फैमिली क्लब हो जाती है एक पार्टिकुलर इंश्योरेंस से फॉर एग्जांपल आपने ₹5 लाख का फैमिली फ्लोटर का इंश्योरेंस लिया अब आपकी पुरी फैमिली में कोई भी बीमार होगा तो उसे 5 लाख को उसे कर लेगा लेकिन एक दिक्कत है की अगर कोई दूसरा भी बीमार हो गया तो उसे केस में और अमाउंट नहीं देगी इंश्योरेंस कंपनी अब आप कहोगे की ये प्लान तो सबसे बढ़िया इसको ही लेना चाहिए क्योंकि पुरी फैमिली एक साथ तो बीमार पड़ेगी नहीं देखिए यह जो इंश्योरेंस कंपनी है ये भी चैरिटी करनी है तो नहीं आई है ये जो फैमिली फ्लोटर प्लान बनता है ये आगे के हिसाब से बनता है अगर आपकी फैमिली में ज्यादा सीनियर लोग हैं तो आपका जो प्रीमियम बनेगा वो ज्यादा जाएगा इंडिविजुअल प्लान के compartly इसलिए जब भी आप फैमिली फ्लोटर प्लान है तो उसे प्लान में आप सीनियर सिटीजन को ऐड ना करें उनके लिए अलग से इंडिविजुअल इंश्योरेंस ले लें वो ज्यादा कीजिए बाल रहता है अब लास्ट क्वेश्चन ये है की हेल्थ इंश्योरेंस लेना कितना चाहिए देखिए इसमें बहुत सारे फैक्टर्स होते हैं की आपकी आगे कितनी है फैमिली की कोई मेडिकल हिस्ट्री है की नहीं प्री एक्जिस्टिंग डिजीज है की नहीं ओवरऑल लाइफ स्टाइल कैसा है आपका उसके हिसाब से इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए आपको लेकिन जनरली ये बोला जाता है की अगर आपकी आगे 30 से कम है तो कम से कम आपको 3 लाख का कवर तो लेना ही चाहिए और अगर आप फैमिली फ्लोटर ले रहे हैं तो कम से कम ₹5 लाख का कवर तो आप ले ही वैसे मेट्रो सिटीज में अगर आप रहते हो तो वहां पे आपको इससे भी ज्यादा लेना चाहिए क्योंकि वहां पे बिल ज्यादा बनता है कुछ एक्सपर्ट्स ये भी सजेस्ट करते हैं की आपकी एनुअल इनकम का 50% होना चाहिए या फिर आपके एरिया में जो हॉस्पिटल है वहां पे जो हार्ट सर्जरी की जितनी भी कास्टिंग है उतना तो आपका कम से कम होना चाहिए एक चीज और है की आपको टैक्स बेनिफिट भी मिलता है जब आप हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं सेक्शन 80d के अंदर ₹25000 का टैक्स बेनिफिट मिलता है लास्ट में एक चीज और कहना चाहूंगा की डोंट फॉरगेट तू चेक आउट देतो इफ यू आर प्लानिंग फॉर अन इंश्योरेंस az_zvD06DFU,Private School Scams | Fee Hike | Nitish Rajput | Hindi,2022-10-01T08:30:12Z,PT27M10S,2972869,133943,8034,https://www.youtube.com/watch?v=az_zvD06DFU,, हर चीज आपको स्कूल से लेनी है किताबें आपको स्कूल से लेनी है यूनिफॉर्म आपको स्कूल से लेनी है बेल्ट आपको स्कूल से लेनी है शूज आपको स्कूल से लेने हैं बस एक चीज आप बाहर से ले सकते हो वो है एजुकेशन एजुकेशन के लिए आप बाहर से ट्यूशन लगा सकते हो इनका बस चले तो बच्चों को खिलाने के लिए जो आता चावल होता है ये भी स्कूल से मैंडेटरी कर दें स्कूल जब चाहे छड़ी घुमा के मां-बाप से पैसे निकल लेता है बस ड्रेस का कलर ही तो चेंज करना है हमारी गवर्नमेंट इतनी बड़ी बड़ी पॉलिसी लेके आया पापुलेशन कंट्रोल करने के लिए लेकिन कुछ भी नहीं हुआ ये जो हमारे प्राइवेट स्कूल्स हैं ये बिना किसी पॉलिसी के पापुलेशन कंट्रोल करने में पूरा योगदान कर रहे हैं एक बच्चे की फीस इतनी ज्यादा कर देते हैं की इंसान दूसरे बच्चे के बारे में सोच ही नहीं पता है गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ना कोई नहीं चाहता लेकिन पटना हर कोई चाहता है ताकि जॉब लगने के बाद पढ़ना ना पड़े आप जिस सोसाइटी या फिर कॉलोनी में रहते हो उसे सोसाइटी में अगर आपको बच्चा गवर्नमेंट स्कूल में जाता है तो उससे आपका स्टेटस कम हो जाएगा कुछ स्कूल तो बच्चों को क्लास के बाहर निकल के खड़ा कर देते हैं ये सारे लोग देख लोग ये बच्चे हैं जो फीस नहीं दे का रहे हैं बच्चे इनफील्ड की वजह से स्कूल से छुट्टी लेने लगते हैं क्योंकि उनके फ्रेंड्स के सामने उनको पैसे के लिए सुनाया जाता है पूरे साल जिस बच्चे ने एग्जाम के लिए मेहनत करिए पैसे की वजह से उसको एग्जाम हॉल में नहीं घुसने दिया जाता जो चीज टीचर पूरे दिन भर स्कूल में नहीं पढ़ा का रहा है वो थोड़ी देर के ट्यूशन में सब कुछ समझा दे रहा अरे जो टोटल नंबर ऑफ स्टूडेंट्स होते हैं उनके रिजल्ट क्यों नहीं पब्लिश होते हैं क्योंकि वहां पे तो नवोदय और केवीएस आगे रहते हैं जब आप ऑनलाइन क्लास चला रहे हो तो उसे पर तिल और टाइम पे कंप्यूटर लैब ट्रांसपोर्ट इन सब के पैसे लेने का कोई मतलब नहीं बनता प्राइवेट स्कूल में इतना अगर दम है तो ये पिछड़े इलाकों में जब जाते हैं तो ये वहां पे इतने सक्सेसफुल क्यों नहीं होते जो हाल प्राइवेट कंपनी ने बीएसएनएल का किया था से वही चीज प्राइवेट स्कूल गवर्नमेंट स्कूल के साथ करना चाहते हैं काफी लोग मानते हैं ये जो सरकारी स्कूल है ये तो गवर्नमेंट ऐसी समाज सेवा के लिए खोलती है इसमें तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं और ये जो प्राइवेट स्कूल है जो हाई-फाई फैसेलिटीज दे रहे हैं स्विमिंग पूल स्मार्ट क्लासेस बच्चों के लिए अच्छा एनवायरनमेंट तो ये प्रॉफिट तो बनाएंगे ही ना तो देखिए चाहे सरकारी स्कूल हो या फिर प्राइवेट स्कूल हो इंडिया के लॉ के हिसाब से स्कूल चलाना एक समाज सेवा है कोई एक भी रुपए इसमें से कम के अपने घर में नहीं रख सकता भले ही प्राइवेट स्कूल कितनी अच्छी फैसिलिटी क्यों ना दे स्कूल से कमाया हुआ पैसा सिर्फ स्कूल में उसे होना चाहिए अब आप कहोगे की अगर ऐसा है की ये लोग इसमें से कम नहीं सकते तो ये लोग टीचर्स को क्यों एक्सपर्ट करते हैं आए दिन फीस क्यों बढ़ते हैं ड्रेस और बुक्स के नाम पे मजबूर मां-बाप के पैसे को लूटने क्यों हैं तो ये सारी चीज पॉइंट बाय पॉइंट डिस्कस करेंगे उससे पहले कुछ बेसिक चीज डिस्कस कर लेते हैं ताकि ये लोग नीचे से लेके ऊपर तक किस तरीके से लूटने हैं उसको समझने में आसानी रहे ठीक है इंडिया के अंदर अगर आपको प्राइवेट स्कूल खोलने हैं तो आरटीई एक्ट 2009 के हिसाब से या तो आप नॉन प्रॉफिट सोसाइटी डालें या फिर ट्रस्ट बनाएं या फिर कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 8 के तहत नॉन प्रॉफिट एनडीटी डालें कुल मिलाकर यह है की सिर्फ नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन की तरह स्कूल चलाई जा सकते हैं ऐसा नहीं है की आज मैंने मैन में आया तो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी डाली सारे टीचर्स वगैरा हीरे की और एडमिशन करना स्टार्ट कर दिया अब देखिए जो रूल्स बनाए हैं ये ऑन पेपर तो बहुत सॉलिड है लेकिन आज की डेट में आसानी से टेक्स्ट चोरी करना ब्लैक को व्हाइट करना दूसरी कंपनी के टैक्स को घुमाना मैन माने तरीके से स्कूल में अलग-अलग प्रोडक्ट बच्चों को चिपका के मां-बाप की कमाई को अपनी जेब में डालना इन सारी चीजों का बहुत ही बेस्ट ऑप्शन हो गया प्राइवेट स्कूल यही रीजन है जितने भी नेता होगा माफिया कारण बिजनेसमैन प्राइवेट स्कूल इन सब की पहली पसंद बन गई है और ये जो हमारा ज्ञान का मंदिर है आजकल उन हाथों में चला गया जिन हाथों में पहले इंडस्ट्रीज होती थी राजनीति होती थी कुछ केसेस में तो हथियार भी होते द हालांकि आज भी कई ऐसे प्राइवेट स्कूल है जो अपना कम बहुत ही अच्छे से कर रहे हैं लेकिन उनकी तादाद बहुत ही कम है अगर आप ध्यान से नोटिस करेंगे तो ये जो एमपी एमएलए हैं ये किसी ना किसी एजुकेशनल ट्रस्ट के ट्रस्टी बन रहे हैं और करोड़ में पैसे भी दे रहे हैं टैक्स चोरी करना ब्लैक का व्हाइट करना इन सब चीजों से इसमें मोटा पैसा तो ये लोग बनाते ही हैं इसके साथ-साथ इन एजुकेशन इंस्टिट्यूट के जरिए ये अपने एरिया में एक स्ट्रांग इन्फ्लुएंस बनाते हैं अगर हर भी जाते हैं तो भी रेलीवेंट रहते हैं इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की वजह से ये हरियाणा के एक स्कूल का नोटिस बोर्ड है जहां पे बताया जा रहा है की कैसे लोकल गवर्नमेंट ने कितने अच्छे तरीके से क्वालिटी चेक करवाया आपने एरिया में ईमानदार आदमी अगर स्कूल खोलना भी चाहे तो हर डागर पे उसके लिए मुसीबत है ये देखिए इतनी जगह पे जुगाड़ लगाना होता है सीधे तरीके से आपका प्रोबेबली नहीं मिलेगा एक जगह से अप्रूवल करवाएंगे तो दूसरी जगह से बात रुक जाएगी हान अगर आप बड़े नेता हैं या फिर आपके पास पैसा होता है तो घर बैठे ही आपका कम हो जाएगा लेकिन इतना पैसा लगा के जब कोई आता है तो वो समाज सेवा करने नहीं आता इंडिया का जो लो है एजुकेशन को लेकर वो हर स्टेप पे अलग-अलग तरीके से समझने की कोशिश कर रहा है की अगर आपको बिजनेस करना है तो आप स्कूल्स में मत घुसी है मार्केट में ₹50 तरीके हैं पैसा कमाने के अब वहां पे जाइए स्कूल से देश का फ्यूचर जुड़ा है इससे दूर रहिए आप यही रीजन है की बहुत ही स्ट्रिक्ट रूल रखे गए हैं एक प्राइवेट स्कूल को चलाने के लिए लेकिन आप कोई स्कूल उठा के देख लो ये रूल्स बस पेपर पे हैं अगर ये रूल्स फॉलो हो जाते तो आज की डेट में एक मिडिल क्लास मां-बाप को अपने बच्चे को लेकर प्राइवेट स्कूल की दादागिरी ना झेलनी पड़े जब कोई प्राइवेट स्कूल खोलता है तो उसको अपने साथ कुछ लोगों को लेके अपने एरिया के रजिस्टर ऑफिस में जाके सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन करना होता है और एफीलिएशन वगैरा लेके वो स्कूल खोल सकता है ये जो सोसाइटी और ट्रस्ट रजिस्टर होते हैं इनके थ्रू चलते हैं और जो पैसा बच्चों की फीस वगैरा से आता है उसको आपको स्कूल में बच्चों की भलाई के लिए लगाना होता है ये जो सोसाइटी बनती है जिससे स्कूल चलते हैं जिसमें दो चीजों को लेकर एकदम क्लियर इंस्ट्रक्शन है एक तो जो कमाया हुआ पैसा है वो आप अपने पास नहीं रख सकते दूसरा सोसाइटी के अंदर आप अपने फैमिली मेंबर्स नहीं रख सकते इसको लेके एक अलग से एफिडेविट भी साइन कराया जाता है की आप लिखित में भी दो ये चीज लेकिन पैसे भी कम के trustj अपने पर्सनल अकाउंट में लेते हैं और फैमिली मेंबर्स भी रखते हैं अब आप कहोगे ये सारी चीज करते कैसे हैं देखिए जो प्राइवेट स्कूल का पूरा गेम है इसमें अलग-अलग hadkande अपनाया जाते हैं ताकि बच्चों के मां-बाप जो पैसा फीस के नाम पे देते हैं उसको ट्रस्टीस अपने पर्सनल अकाउंट में ले लें जैसे ही आप ट्रस्ट या फिर सोसाइटी दल के स्कूल खोलने के लिए ज़मीन लेने जाते हो तो उसमें टैक्स का मोटा बेनिफिट मिलता है क्योंकि सरकार की नज़र में तो आप बहुत ही भलाई का कम करने जा रहे हो इसके टैक्स के नाम पे आपको हर एक जगह पे बेनिफिट दिया जाता है और अगर आपकी किस्मत बहुत अच्छी है और अगर आपको पावरफुल नेता हो और सरकार भी आप ही की है तो जमीन जो है वो ट्रस्टीस इधर-उधर करके अपने नाम पे भी करवा लेते हैं इस पूरे गेम में तीन चीज होती हैं एक स्कूल होता है दूसरा ट्रस्ट होता है जो स्कूल को चलाता है और तीसरी होती है प्राइवेट कंपनी ये प्राइवेट कंपनी ट्रस्ट इस बनाते हैं सरकार से छुपा के अब अगला क्वेश्चन आपका ये होगा की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सरकार से छुपा के क्यों मानते हैं ऐसा ये इसलिए करते हैं क्योंकि स्कूल बनाने में काफी खर्चा होता है अलग-अलग चीज खरीदनी होती हैं जैसे की कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर फर्नीचर लैब इक्विपमेंट ये सारी चीजों के ठेके स्कूल अलग-अलग कंपनियों को देता है लेकिन ट्रस्टेड यहां थोड़ा दिमाग लगाते हैं ये सारे ठेके अपनी बनाई हुई कंपनी से करते हैं और ये जो इनकी कंपनियों होती हैं ये मार्केट रेट से कई गुना ज्यादा रेट में स्कूल को समान देती है जिसकी वजह से स्कूल तो कभी प्रॉफिट में नहीं ए पाते लेकिन ये जो कंपनियों होती हैं एक-दो साल के अंदर आसमान की बुलंदियां छू लेती हैं यही रीजन है की बड़े-बड़े धरना से स्कूल खोलने के लिए करोड़ रुपए लगाने के लिए तैयार हैं जिस तरीके से ये जो स्कूल के मिसलेनियस चार्जेस होते हैं फीस स्ट्रक्चर के अंदर ये मां-बाप के लिए आज भी एक रहस्य है ठीक इसी तरीके से ट्रस्टीस कैसे स्कूल का पैसा अपनी जगह में ले लेते हैं ये एक आम आदमी के लिए रहस्य है लेकिन आगे इस वीडियो में मैं सारी चीज बाहर लेकर आएंगे स्कूल को जब किसी कम के लिए ज़मीन खरीदनी होती है तो ट्रस्टीस उसे जमीन को अपनी बनाई हुई कंपनी के नाम से लेते हैं और फिर स्कूल के साथ हाई रेट पे लीड एग्रीमेंट साइन करते हैं और ये रेट हर साल बढ़ता रहता है अभी गुवाहाटी में लगभग 2800 स्कूल में सेविंग करोड़ के आसपास प्रॉपर्टी टैक्स में घपला और जब चंडीगढ़ में भी स्कूल के ऊपर रेट बधाई तो वहां पे खुलेआम स्कूल के नाम पे लग्जरी कार्स और बड़े-बड़े बंगले खरीदे द स्कूल के trustj ने स्कूल जब चाहे छड़ी घुमा के मां-बाप से पैसे निकल लेता है बस ड्रेस का कलर ही तो चेंज करना है उसके बाद स्कूल के हजारों बच्चों को इनकी बनाई हुई कंपनी या फिर ऐसी कंपनी जो इनको बड़ा कर देती है उससे ड्रेस लेनी पड़ेगी ये एक ऐसी दुकान है जहां पे कस्टमर कब आएगा ये खुद दुकानदार तय करता है ये तो फिर भी चलो छोटी चीज है लेकिन कुछ स्कूल तो ब्लैक का व्हाइट करने में लगे हुए हैं और बड़ी-बड़ी कंपनियों को टैक्स बचा रहे हैं एक वर्ड आप गूगल करिएगा सर फंड तो इसमें क्या होता है की जो बड़ी-बड़ी कंपनियों होती हैं इंडिया के अंदर जिनका टर्नओवर 1000 करोड़ से ज्यादा है उनको अपने प्रॉफिट का 2% डोनेट करना होता है तो जब ये बड़ी-बड़ी कंपनियों 2% का अमाउंट डोनेट करती हैं तो इस 2% के अमाउंट में इनको कोई टैक्स नहीं देना होता है और भी कई बेनिफिट मिलते हैं ये सुनने में तो सिर्फ 2% लग रहा है और लग रहा है की टैक्स बस बचत है लेकिन अगर आप एक्सेल शीट लेकर बैठेंगे तो बहुत बड़ा अमाउंट है कई 100 करोड़ में निकलेगा या माउंट तो इसमें स्कूल के ट्रस्टीस क्या करते हैं पैसे को डोनेशन के नाम पे कंपनी से लेते हैं और उसमें 10 से 20% कट रखे बाकी पैसा बैक डोर से कंपनी को वापस कर देता है इसमें ट्रस्ट का भी फायदा है और कंपनी के भी दोनों हाथ की और मुंह कढ़ाई में रहते हैं इस सर फंड के लिए स्कूल के ट्रस्टी इसके बीच में होल्ड लगी रहती है की ये जो सर फंड है ये हमको मिल जाए और किसी और स्कूल को ना मिले जितना कंपटीशन स्कूल के जो स्टूडेंट के रिजल्ट में होता है उससे कहीं ज्यादा कंपटीशन इस सर फंड के लिए होता है और ये जो स्कूल्स होते हैं अलग-अलग ऑफर भी करते हैं की हमारे स्कूल के ट्रस्ट में आप सर फंड दीजिए हम आपको अपना कट रखे ये पैसा लौटा देंगे और एक स्कूल के ट्रस्ट में पैसा घुमाना बहुत ही आसान रहता है सिर्फ बुक्स में ही दिखाना होता है क्योंकि चेक तो करने को जाता नहीं है प्रॉपर रेट नेगोशिएट होते हैं सर फंड के एजेंट्स होते हैं जो नेगोशिएट करते हैं की हम 10% कट में करवा देंगे हम 7% कट में करवा देंगे आम आदमी भी इसमें ज्यादा कुछ कर नहीं पता मिडिल क्लास को बहुत ही अच्छे से पता होता है की अगर इस गरीबी से निकलना है तो एक ही रास्ता है वो है एजुकेशन क्योंकि बैंक बैलेंस तो जीरो रहता है इसलिए वो एक रोटी कम खा लेगा लेकिन अपनी औकात से ऊपर ही अपने बच्चे को padhaayega ताकि जो वो खुद जेल रहा है उसके बच्चे को ना झेलना पड़े और इसी चीज का फायदा उठाते हैं प्राइवेट स्कूल वाले ये लोग जितना का इनका लालच उतना ही बढ़ता जाता है टीचर जो की एक स्कूल की बाग बोन होता है जिनकी वजह से इनके घर भर रहे हैं उनको भी एक्सप्लोइट करते हैं और ऐसा मैं क्यों का रहा हूं वो भी बताता हूं एक प्राइवेट स्कूल जब एफीलिएशन लेने सीबीएसई बोर्ड के पास जाता है तो उसको पहले स्टेट गवर्नमेंट से एक एनओसी लेनी होती है तो जब वो एनओसी अप्रूव होके आती है तो उसमें लिखा होता है की आप अपने टीचर को उतना ही पैसा दोगे जितना की एक स्टेट गवर्नमेंट के टीचर को मिलता है उससे एक भी रुपए कम नहीं दोगे और उसके बाद जब सीबीएसई एफीलिएशन देता है तो वो भी रिटर्न में लिख के भेजता है की आप अपने टीचर को स्टेट गवर्नमेंट के टीचर जितना ही पैसा दोगे ये एक एफीलिएशन लेटर है इसमें देखिए साफ-साफ मेंशन है की एफीलिएशन तो मिल रहा है लेकिन सैलरी टीचर को आपको स्टेट गवर्नमेंट के जितनी देनी होगी उसके बाद भी ये लोग नहीं देते हैं अगर आपका कोई प्राइवेट स्कूल में टीचर जानने वाला होगा तो उससे puchiyega की जो आपकी सैलरी है वो स्टेट गवर्नमेंट की टीचर जितनी मिल रही है की नहीं रूलिंग गवर्नमेंट आपके फीवर में है की नहीं इससे भी बहुत फर्क पड़ता है अगर फीवर में है तो तो कम बहुत ही धड़ल्ले से चलेगा लेकिन कुछ स्टेटमेंट ऐसा भी होता है की सरकार दूसरी जीत के ए जाती है अपोजिशन की होती है तो वहां इनके कम खुल के नहीं हो पाते हैं लेकिन ये लोग हिम्मत नहीं करते हैं वहां पर मुनाफा बनाते हैं कई प्राइवेट स्कूल तो ऐसा करते हैं की टीचरों को रखते इसी शर्त में की आपको जॉइनिंग तो हम दे रहे हैं लेकिन आपको पूरे साल की चेक बुक साइन करके देनी होगी टीचर्स की सैलरी ज्यादा दिखाते हैं और बाद में वही चेक बुक उसे करके उससे पैसा निकल लेते हैं हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट आई तो उसमें बताया गया की सुनीता शर्मा जिनकी ऑन पेपर सैलरी 28500 थी लेकिन एक्चुअल में उनको ₹6000 मिल रहे द स्कूल वालों ने बैंक अकाउंट खुला के साल भर की चेक बुक साइन कर के रख ली थी और वो पैसा स्कूल के ट्रस्टीस जो द वो अपनी जेब में दल रहे द अब आप सोच के देखिए ₹6000 में होता क्या है एक टीचर से ये सुबह से शाम तक कम करवाते हैं एक घंटा भी इनको नहीं बचत है की टीचर बैठ के लाइब्रेरी में अपने आप को अपग्रेड कर सकें टीचिंग के साथ-साथ दुनिया भर के स्कूल के कम जिसके लिए अलग से स्टाफ हायर करना चाहिए वो भी ये टीचर से करवाते हैं और फिर चेकबुक ही नहीं एटीएम में उसे करते हैं लोग एक स्कूल के डायरेक्टर को बैंक वालों ने अरेस्ट करवाया है डायरेक्टर साहब दिन में टीचरों के अकाउंट में सैलरी दल के उन सब के एटीएम इकट्ठा करके रात को 11:00 बजे टीचर के एटीएम से पैसे वापस निकल रहे द ये सारी चीज सीसीटीवी में कैद उनको अरेस्ट कर लिया गया वहीं पर और टीचर्स भी मजबूर हैं क्योंकि अगर वो एटीएम नहीं देंगे तो उनको निकल दिया जाएगा और रिलीविंग में भी इशू होगा ताकि दूसरी जगह पे जॉब ना मिले यही रीजन है की एक प्राइवेट स्कूल के टीचर 35-35 साल की उम्र तक गवर्नमेंट जॉब की तैयारी करता है की कैसे भी करके गवर्नमेंट जॉब मिल जाए तो ये जो प्राइवेट स्कूल वाले हैं इनके चंगुल से छूट हैं गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ना कोई नहीं चाहता लेकिन पटना हर कोई चाहता है ताकि जॉब लगने के बाद पढ़ना ना पड़े आपको लगता है की स्कैम सिर्फ सरकारी स्कूलों में होते हैं प्राइवेट स्कूल का है वो 10 को से चला ए रहा है हर गांव हर कस्बे हर शहर में धड़ल्ले से चल रहा है कोई मीडिया इसको कवर करने वाला नहीं है कोई एनजीओ कोई ऑर्गेनाइजेशन इस बारे में बात नहीं करती है एक प्रिंसिपल बिना किसी प्रिंसिपल के स्कूल चला रहा है उसको कोई रोकने वाला नहीं है जब टीचर अपने आसपास ये सारी चीज देख रहा होता है तो सारे टीचर एक जैसे नहीं होते हैं कुछ लड़ते हैं कुछ झेलते हैं और कुछ इन्हीं के जैसे बन जाते हैं और वो ट्यूशन वाला मॉडल अपना लेते हैं जो टीचर्स ट्यूशन वाला मॉडल बनाते हैं इनका सारा फोकस प्राइवेट ट्यूशन खोलने में ए जाता है स्कूल में पटना कम कर देते हैं और ट्यूशन में फोकस ज्यादा करते हैं बच्चों को ट्यूशन लेने के लिए इनडायरेक्टली फोर्स किया जाता है अब बच्चे के लिए भी पुरी रहती है वो दोनों तरफ से फसता है स्कूल में पढ़ होती नहीं है और उधर ट्यूशन टीचर ज्यादा पैसा ले रहा है और अगर आपने क्लास टीचर के अलावा कोई सस्ता पढ़ने वाला ढूंढ भी लिया तो बच्चे का बुरा टाइम चालू हो जाएगा उसको क्लास के अंदर दिक्कत होगी जो चीज टीचर पूरे दिन भर स्कूल में नहीं पढ़ा का रहा वो थोड़ी देर के ट्यूशन में सब कुछ समझा दे रहा है स्कूल वालों की नाक के नीचे सारी चीज होती हैं लेकिन स्कूल को कोई मतलब नहीं होता क्योंकि उनका सिंपल सा फंडा है अगर बच्चा अच्छा कर रहा है तो स्कूल की वजह से कर रहा है और अगर खराब कर रहा है तो पेरेंट्स ने ध्यान नहीं दिया है बच्चे का दिमाग बहुत शार्प है लेकिन पढ़ता नहीं है ये लाइन चिपका के मां-बाप को घर भेज दिया जाता है अरे जब बच्चा अच्छा स्कूल की वजह से कर रहा है तो खराब भी तो स्कूल की वजह से ही कर रहा होगा तो कॉमन सेंस है जैसे ही रिजल्ट आता है सिर्फ एक बच्चा जो टॉपर होगा उसकी फोटो लगा के स्कूल का महिमामंडन शुरू हो जाता है अरे जो टोटल नंबर ऑफ स्टूडेंट्स होते हैं उनके रिजल्ट क्यों नहीं पब्लिश होते हैं क्योंकि वहां पे तो नवोदय और केवीएस आगे रहते हैं नवोदय और केवीएस ना जाने कितने सालों से बेस्ट परफॉर्मिंग इंस्टिट्यूट हैं 98.93 पासिंग परसेंटेज के साथ कोई नहीं पकड़ पता इनको आप पिछले कई सालों का रिकॉर्ड उठा के चेक कर लीजिए लेकिन ये चीज कभी एडवर्टाइज नहीं होती है नवोदय और केवीएस बेस्ट एग्जांपल हैं गवर्नमेंट स्कूल का गवर्नमेंट अगर चाहे तो इस पार्टिकुलर मॉडल को रिप्लिकेट करके और अच्छे से हर किसी के पास एजुकेशन सस्ते दामों में पहुंचा सकती है लेकिन गवर्नमेंट खुद चाहती है की गवर्नमेंट का बर्डन कम हो और ये सारी चीज प्राइवेट सेक्टर के हाथ में चली जाए ये लोग पेरेंट्स को अलग इनका चिराग समझते हैं जिसे कभी भी घिस के पैसा निकल सकते हैं फीस के पीछे अगर आप लॉजिक देखोगे फीस बढ़ाने के पीछे तो यही लॉजिक है की स्कूल चलने में दिक्कत ए रही है स्कूल घाटे में जा रहा है तो स्कूल वाले फीस बढ़ा सकते हैं ताकि स्कूल चलता रहे और बच्चों के भविष्य में फर्क ना पड़े लेकिन कोई भी स्कूल कभी भी अपने आप को फायदे में दिखाने नहीं चाहता है और besharmon की तरह हर साल फीस बढ़ा देते हैं 2016 और 17 में दिल्ली के अंदर गवर्नमेंट ने इस चीज को चेक करने के लिए एक ऑडिट कराया तो आधे से ज्यादा स्कूल के पास अकाउंट में एक्सेस में पैसा था और कुछ स्कूलों ने तो एचडी तक कर राखी थी और घटा दिखा के स्कूल की फीस बढ़ा रहे द हर साल ये सब देखने के बाद गवर्नमेंट ने ऑर्डर दिए की जो स्कूल प्रॉफिट में है वो फीस नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन ये जो स्कूल्स है ये भी कोई छोटे-मोटे आदमी थोड़ी चला रहे हैं इन्होंने एक भी बात नहीं मणि और धड़ल्ले से फीस बधाई इसके बाद फिर फिर से एक कमेटी बनाई गई जिसे रिटायर्ड जर्नल देव सिंह हेड कर रहे द उन्होंने 95 स्कूल्स की जांच की और उनमें से 54 स्कूलों को ये कहा की पेरेंट्स को फीस वापस कर दीजिए ये ऑर्डर दे दिया उन्होंने अब कायदे में तो जो जो ऑर्डर हुए द उनको फॉलो करना चाहिए था और फीस लौटा देनी चाहिए थी लेकिन वो भी नहीं होता है दिल्ली के डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन ने हाई कोर्ट को रिपोर्ट सबमिट की तो उसमें ये पता चला की सिर्फ पंच स्कूल्स ने ही फीस लौट आई है पेट्रोल का दम 50 पैसे बढ़ता है और ये पूरे स्कूल के बच्चों की फीस बढ़ा देते हैं हर साल एन वालों और एडमिशन फीस के नाम पे स्टूडेंट की फीस तो बधाई जाती है लेकिन टीचर्स उसी सैलरी पे कम कर रहे होते हैं इंडिया के अंदर 18 साल से कम उम्र के बच्चे जो हैं वो गाड़ी चलाना अलाउड नहीं है उनको लेकिन उनसे भी ये लोग पार्किंग फीस ले लेते हैं एक ट्रिप एडवाइजर क्या मुनाफा बनाएगा जितने पैसे ये स्कूल एजुकेशन ट्रिप के नाम पे बच्चों से बना लेते हैं स्कूल के टाइम पे तो बच्चों की क्लासेस चल रही होती है तो उसे टाइम पे तो लाइब्रेरी उसे करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठाता है और स्कूल अवर्स के बाद या फिर वीकेंड पे कोई भी स्कूल जो है वो लाइब्रेरी आलो ही नहीं करता है लाइब्रेरी जिसमें इतने सालों से से बुक्स राखी गई है अलग से कोई भी ऐड नहीं की गई है उसे लाइब्रेरी में जो लाइब्रेरियन है उसकी सैलरी आज तक नहीं बधाई है लेकिन लाइब्रेरी चार्जेस के नाम पे हर साल फीस बधाई जाती है बच्चों की यूनिफॉर्म से जो पैसे बनाने का गेम है ये ऑल ओवर इंडिया के प्राइवेट स्कूल खेलते हैं ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में अमृतसर के स्कूल में साल के शुरू में यूनिफॉर्म में छोटे-मोटे चेंज कर दिए जिससे बच्चों को नई यूनिफॉर्म खरीदनी पड़े और साथ में ही पेरेंट्स को एक दुकान भी बता दी जहां से उसे यूनिफॉर्म को खरीदना मैंडेटरी कर दिया ये लोग हर थोड़े दिन में कलर डिजाइन यहां पे शूज बदलते ही रहते हैं यूनिफॉर्म का जो एक सेट होता है वो 1500 से 2000 का पड़ता है गर्मियों में पेरेंट्स को दो सेट खरीदने पड़ते हैं फिर सर्दी आते ही विंटर की यूनिफॉर्म ए जाती है और साथ में ही पेरेंट्स को जर्सी और ब्लेजर वगैरा भी खरीदने पड़ते हैं और कुछ महीने बाद ही नया सेशन शुरू हो जाता है जिसमें फिर से यूनिफॉर्म बदल दी जाती है इतने बड़े-बड़े रिसचर्स ने मिलकर एनसीईआरटी का फॉर्मेट बना के स्कूल्स में लागू किया है लेकिन जानबूझकर उसको नहीं पढ़ते हैं बल्कि अजीबोगरीब पब्लिकेशन के साथ संद्रन कर लेंगे और महंगी से महंगी और ज्यादा से ज्यादा भूख लगने की कोशिश करते हैं ताकि जो पेरेंट्स हैं उनकी जेब करती रहे उसमें जब एक बच्चा पास हो गया आगे जाता है तो उसी बुक से उसके नीचे बच्चा है वो पढ़ लेता है जो की एक डिवेलप देश है लेकिन इंडिया में स्कूल जो है वो बुक्स में छोटे-मोटे चेंज करके जान पूछ के हर साल पैसा खर्चा करवाते हैं मैन बाप का 60% जो पेरेंट्स हैं उनके साथ जब सर्वे किया गया तो उन्होंने ये बताया की उनको मजबूर किया जाता है की स्पेसिफिक पब्लिशर्स के यहां से बुक खरीदने के लिए और नई बुक्स खरीदने के लिए क्लासेस में डिफॉरेस्टेशन और ग्लोबल वार्मिंग के रेट लगवाया जाते हैं और फिर अपने फायदे के लिए ना जाने कितने पेड़ों की बाली चड्ढा देते हैं इस साल ये प्रॉब्लम इतनी ज्यादा बढ़ गई की गवर्नमेंट को बीच में घुसना पड़ा गवर्नमेंट ने आदेश जारी किया की वो किसी एक दुकान से पेरेंट्स को कॉस्टली बुक्स खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते और वो 3 साल तक स्कूल की यूनिफॉर्म का डिजाइन कलर या उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकते इस ऑर्डर के हिसाब से स्कूल्स को आप अपनी वेबसाइट पे कम से कम पंच दुकानों के नाम और एड्रेस बताने होंगे जहां पर ये बुक्स अवेलेबल हो पेरेंट्स वहां पे जाके मोल भाव करके अपनी मर्जी से कहीं से भी खरीद सके लेकिन ये भी फॉलो नहीं हुआ इनका बस चले तो बच्चों को खिलाने के लिए जो आता चावल होता है ये भी स्कूल से मैंडेटरी कर दें हर चीज आपको स्कूल से लेनी है किताबें आपको स्कूल से लेनी है यूनिफॉर्म आपको स्कूल से लेनी है बेल्ट स्कूल से लेनी है शूज आपको स्कूल से लेने बस एक चीज आप बाहर से ले सकते हो वो है एजुकेशन एजुकेशन के लिए आप बाहर से ट्यूशन लगा सकते हो एक प्राइवेट स्कूल जो इतनी मोती मोती फीस ले रहा है उसके पास एनुअल फंक्शन करवाने तक के पैसे नहीं है एनुअल फंक्शन करवाने के नाम पे लोग पेरेंट्स को लूटने शुरू कर देते हैं अभी रिसेंटली हरियाणा में सारे पेरेंट्स मिल के कोर्ट चले गए द की स्कूल ने जब एक बार एडमिशन फीस ले लिए तो उसको हर साल क्यों ले रहा है हाई कोर्ट ने केस ऑफर्स को रेफर किया और पेरेंट्स केस जीत भी गए लेकिन स्कूल ने क्या किया स्कूल ने एडमिशन फीस का नाम बदल के एनुअल फीस कर दिया और जब उसे पे भी ऑब्जेक्शन होने लगा तो मंथली अलग-अलग नाम से फीस लेना स्टार्ट कर दिया एनुअल चार्जेस मिसलिन या चार्जेस कंप्यूटर फीस स्पोर्ट्स फीस स्मार्ट क्लासरूम चार्जेस केयर चार्जेस बिल्डिंग फंड्स डेवलपमेंट फंड्स ना जाने क्या-क्या ऐसा कोई भी फैंसी नाम बनाकर पेरेंट्स की जेब काटना शुरू कर देते हैं और मजबूर मां-बाप कुछ नहीं कर पाते हैं हमारी गवर्नमेंट इतनी बड़ी बड़ी पॉलिसी लेकर आया पापुलेशन कंट्रोल करने के लिए लेकिन कुछ भी नहीं हुआ ये जो हमारे प्राइवेट स्कूल्स हैं ये बिना किसी पॉलिसी के पापुलेशन कंट्रोल करने में पूरा योगदान कर रहे हैं एक बच्चे की फीस इतनी ज्यादा कर देते लेकिन इंसान दूसरे बच्चे के बारे में सोच ही नहीं पता है 14 स्टेट गवर्नमेंट ने नोटिफिकेशन रिलीज करके बोला था की प्राइवेट स्कूल इस पार्टिकुलर टाइम पे अपनी फीस नहीं बनाएंगे लेकिन देश भर के जो प्राइवेट स्कूल्स द उन्होंने इस बात को माना नहीं और पेरेंट्स से फीस बढ़ा कर ली कोविद के टाइम पे फीस ना भरने पर 35% स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लास का एक्सिस बंद कर दिया गया था जब आप ऑनलाइन क्लास चला रहे हो तो उसे पर टाइम पे कंप्यूटर लैब ट्रांसपोर्ट इन सब के पैसे लेने का कोई मतलब नहीं बनता लेकिन उसके बाद भी पैसे लिए गए और जिन लोगों ने नहीं दिए उनका एक्सेस बंद कर दिया गया वहीं दूसरी तरफ टीचर्स के पैसे केट गए कश्मीर में एक टीचर को इसलिए सैलरी नहीं दी गई क्योंकि वो कोविट पॉजिटिव थी और स्कूल नहीं ए पाई थी और जब वो लेबर कमीशन ऑफिस गई तो वहां पे ये बताया गया की वो लेबर कैटिगरी की लिस्ट में ही नहीं आती देखिए स्कूल के अंदर हायरिंग हो फीस बड़ा नहीं हो ऑपरेशंस हो इन सब चीजों को मैनेज करती है स्कूल मैनेजमेंट कमेटी रूल्स के हिसाब से इस कमेटी में 75% मेंबर स्कूल के जो बच्चे हैं उनके पेरेंट्स होंगे स्कूल के दो टीचर होंगे दो लोग दूसरे स्कूल से होंगे और दो लोग सीबीएसई वगैरा पॉइंट करेंगे आप चेक करके देख लीजिएगा जहां आपके बच्चे पढ़ते हैं की स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में यह रूल फॉलो होता है की नहीं 95% स्कूल इसको फॉलो ही नहीं करते और ये बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज है क्योंकि पैसे से लेके टीचर की भारती तक हर चीज यही स्कूल मैनेजमेंट कमेटी डिसाइड करती है और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी तो बहुत दूर की बात है 90% से ज्यादा स्कूल्स में तो सीबीएसई का जो एफीलिएशन है वही बहुत गलत तरीके से है रूल्स के हिसाब से जो सोसाइटी और ट्रस्ट के थ्रू स्कूल्स खोलते हैं इसमें कोई भी फैमिली मेंबर नहीं हो सकता उसके बाद भी ये लोग अपने रिश्तेदार और फैमिली मेंबर्स को रखते हैं क्योंकि पहली चीज तो ऑडिट ही नहीं होता है और फैमिली मेंबर रखना इन लोगों के लिए इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि जब अलग-अलग मेंटालिटी के लोग अगर ए जाते हैं तो उसमें मिल बांट के खाने में दिक्कत होती है जिस भी स्कूल में आपका बच्चा पड़ता है चाहे वो स्कूल कमेटी की डिटेल्स हो चाहे वो ट्रस्ट के बारे में हो की फैमिली मेंबर्स ऐड किए हैं की नहीं चाहे फिर एफिडेविट स्कूल के ट्रस्टी ने क्या लिख के सबमिट किया है ये सब आप आरटीआई से मंगवा सकते हो और आप मंगवा के एक बार वेरीफाई करो 90 से 95% स्कूल ऐसे हैं जो इसको फॉलो ही नहीं करते हैं गूगल पे आपको सिर्फ आरटीआई ऑनलाइन सर्च करना है जो सबसे पहली वेबसाइट आएगी उसको खोलना है और अपर लेफ्ट कॉर्नर पे एक सबमिट रिक्वेस्ट का ऑप्शन मिलेगा उसे पे क्लिक करके सारी डिटेल्स आप भर दो और जितनी भी डिटेल्स वगैरा हैं स्कूल की वो सब आपको मिल जाएगी 30 दिन में सारी डिटेल्स ए जाती है इनके इस नहीं आती हैं तो एक-दो बार आप सबमिट फर्स्ट अपील पे क्लिक कर दोगे ₹10 काटेंगे आपके और सारी डिटेल्स आपको मिल जाएंगे वैसे तो ये आपका कम नहीं है चेक करना गवर्नमेंट का कम है ये सारी चीज चेक करना लेकिन आपको करना पड़ेगा क्योंकि ऑडिट एंड इंस्पेक्शन में अलग तरीके की दिक्कतें हैं स्टेट गवर्नमेंट के धूल के हिसाब से प्राइवेट स्कूल का रेगुलर इंस्पेक्शन होना चाहिए और सारी चीज चेक होनी चाहिए की स्कूल जो है वो रूल्स फॉलो कर रहा है की नहीं कर रहा है लेकिन ये सारे ऑडिट करने में 19 डेज़ लगते हैं क्योंकि स्टाफ ही नहीं है हमारे पास 2018 में ट्राई किया गया था इसको ऑडिट करने के लिए सारे स्कूल के रेगुलेशन चेक करने के लिए सिर्फ पंच ही स्कूल्स ऑडिट हो पाए द लेकिन उसके बाद भी स्टाफ हायर नहीं हुए हैं अभी तक हर साल सिर्फ 3.4% स्कूल्स का ही इंस्पेक्शन हो पता है कई स्कूलों का तो आठ आठ नौ साल बाद इंस्पेक्शन का नंबर आता है उसमें भी ज्यादातर लोग और जो भी स्कूल के ऑनर्स होते हैं वो बैक डोर से मामला सेटल कर लेते हैं और ये थोड़े बहुत स्कूलों के इंस्पेक्शन होता भी है इनकी रिपोर्ट भी पब्लिक के लिए अवेलेबल नहीं है जिसकी वजह से पेरेंट्स को कुछ पता ही नहीं रह पता है और वह कुछ पैसे भी नहीं बना पाते स्कूल्स के ऊपर हर साल एक एनुअल एडमिनिस्ट्रेटिव रिपोर्ट और सबमिट करनी होती है हर स्कूल को लेकिन यह भी कोई सबमिट नहीं करता है 2012 की बात करूं तो 40% दिल्ली के स्कूल पे जिन्होंने ये रिपोर्टिंग सबमिट नहीं कारी थी एस पर सीएजी तेलंगाना में तीन डिस्ट्रिक्ट के अंदर 3700 स्कूलों में से एक ने भी ये रिपोर्ट सबमिट नहीं की इंडिया ऑन 1505 कंट्रीज में से एक है जहां पे एजुकेशन एक राइट है राइट तू एजुकेशन एक्ट सेक्शन 12 वैन सी के हिसाब से चाहे कोई भी प्राइवेट स्कूल हो उसको अपने एरिया के 1 किलोमीटर के रेडियस में जो भी गरीब बच्चे हैं मतलब की जिनके पेरेंट्स की सैलरी ₹1 लाख से कम है उनके लिए ₹25% सीट रिज़र्व करनी होगी 8th क्लास तक ताकि ये जो 25% सिम हैं इनमें गरीबों के बच्चे भी पढ़ सकें अगर आपने हिंदी मीडियम मूवी देखी होगी तो उसमें ये सारी चीज दिखाई गई है इंडस सेक्शन की एक रिपोर्ट है ब्राइट स्पोर्ट्स स्टेटस ऑफ इंक्लूजन थ्रू आरटीई इसमें काफी डिटेल में बताया गया है दिल्ली के 80% स्कूल्स आर्ट के इंप्लीमेंटेशन में पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहे हैं और ना ही गरीब बच्चों को अपने 25% सीट दे रहे हैं प्राइवेट स्कूल गरीबों की एप्लीकेशन को कोई ना कोई कमी बता के नजरअंदाज कर दे रहा है और अमीरों से मोटा- डोनेशन लेकर उनके फेक डॉक्यूमेंट लगा के एडमिशन कर रहा है आधे से ज्यादा आरटीई की केसेस जब सामने आते हैं तो या तो स्कूल ने फेक डॉक्यूमेंट लगा के किसी अमीर को सीट बेच दी होती है या फिर अमीर पेरेंट्स खुद ही फेक सर्टिफिकेट बनके एडमिशन ले रहे होते हैं अभी बेंगलुरु में शॉर्टकट इंजीनियर पकड़ा गया जो फेक डॉक्यूमेंट लगा के अपनी मंथली इनकम ₹1500 दिखा रहा था ये जो गरीब के बच्चे आरटीई के कोटे से आते हैं इनका जितना भी खर्चा होता है उन सबको गवर्नमेंट अपनी जेब से बढ़ती है इसमें प्राइवेट स्कूल का कोई भी नुकसान नहीं होता है लेकिन उसके बाद भी ये लोग नहीं चाहते हैं की आरटी के थ्रू गरीब के बच्चे आए हैं क्योंकि प्राइवेट स्कूल का जो पूरा गेम है वो स्टेटस का गेम है और ये आरटीआई वाले जो रूल्स होते हैं ये पूरे स्टेटस वाले गेम को खराब करते हैं डी प्रिंट ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी उसमें बड़े अच्छे से बताया है की कैसे प्राइवेट स्कूल में ये लोग कैसे एक स्टेटस का गेम खेलते हैं और इसको एक स्टेटस सिंबल बनाया जाता है पेरेंट्स प्राइवेट स्कूल में ज्यादा फीस इस बात की नहीं देते हैं की तू प्लस तू होगा तो उसका आंसर फोर जल्दी से कौन निकल के देगा बल्कि इस बात की देते हैं की आपके बच्चे के आगे वाली जो सीट है उसे पर कौन बैठा है वो एक ठेले वाले का बच्चा है या फिर किसी रिप्यूट फैमिली का बच्चा है आप जिस सोसाइटी या फिर कॉलोनी में रहते हो उसे सोसाइटी में अगर आपका बच्चा गवर्नमेंट स्कूल में जाता है तो उससे आपका स्टेटस कम हो जाएगा इसी चीज को प्राइवेट स्कूल वाले एंड कैश करते हैं जवाब एडमिशन करवाने जाओगे तो वहां पे पढ़ की बातें नहीं होगी वहां पे ये दिखाया जाएगा की स्विमिंग पूल लाइब्रेरीज स्मार्ट क्लासेस दिखाई जाएंगी लेकिन लर्निंग आउटकम इन सब के बारे में बात तक नहीं छेड़ी जाएगी और ये चीज बहुत ही अच्छी तरीके से इंजेक्ट की जाती है की गवर्नमेंट स्कूल में एनवायरनमेंट खराब होता है इनफेक्ट आपके बच्चे की सिक्योरिटी तक रिस्क पे ए जाती है अगर आप गवर्नमेंट स्कूल में डालोगे तो आरटीई का जो कानून है उसमें एक चीज बहुत ही अच्छी है की प्राइवेट स्कूल्स इन बच्चों को फैल नहीं कर सकते और किसी बहाने से निकल भी नहीं सकते वर्ण ये लोग बीच में कोई ना कोई बहाना बनाकर या तो फैल कर देते या 8th क्लास से पहले इनको निकल देते जैसे ही 8 क्लास पुरी होती है आरटीई से आए हुए बच्चों की एक दिन भी एक्स्ट्रा नहीं देते स्कूल वाले ये जो इमेज आप देख रहे हैं ये इन प्राइवेट स्कूलों ने नोटिस भेजा इन बच्चों को की आपकी अर्थ क्लास पुरी हो गई है या तो आप पैसा भरो या फिर स्कूल छोड़ो अब भले ही रोड के के हिसाब से सरकार सिर्फ 8th क्लास तक मदद करेगी लेकिन 2 साल की बात और है ये स्कूल वाले अगर चाहें तो कुछ फीस में कंसेशन करके कुछ पैसा कम करके या फिर जो रिच पेरेंट्स हैं उनसे क्राउड फंडिंग करके अगर ये चाहे तो एटलिस्ट 10th क्लास तक इनकी मदद कर सकते हैं लेकिन ये नहीं करते हैं समाज सेवा का मांस लगा के टेक्स्ट तो बजाते हैं लेकिन असल में ये बिजनेस कर रहे होते हैं क्लास रूम में लिस्ट बेच के बच्चों के नाम जानबूझ के bulvaye जाते हैं की यह बच्चे खड़े हो जाएं इनकी फीस नहीं जमा है जल्दी से जल्दी जमा कारण वर्ण एग्जाम रोक दिए जाएंगे कुछ स्कूल तो बच्चों को क्लास के बाहर निकल के खड़ा कर देते हैं की ये सारे लोग देख लो की ये बच्चे हैं जो फीस नहीं दे का रहे हैं इन प्राइवेट स्कूल्स को कोई मतलब नहीं है बच्चे की मेंटल हेल्थ से ये बस इतना चाहते हैं की बच्चा असीम फुल करें अपने दोस्तों के सामने और घर में जाके मां-बाप पे प्रेशर बनाएं बच्चे इनफील्ड की वजह से स्कूल से छुट्टी लेने लगते हैं क्योंकि उनके फ्रेंड्स के सामने उनको पैसे के लिए सुनाया जाता है पूरे साल जिस बच्चे ने एग्जाम के लिए मेहनत कारी है पैसे की वजह से उसको एग्जाम हॉल में नहीं घुसने दिया जाता है आप एक चीज और नोटिस करोगे इस पूरे सिस्टम में एक ऐसा माहौल बनाया जाता है की प्राइवेट स्कूल में पढ़ ज्यादा अच्छी होती है वहां के बच्चे ज्यादा स्मार्ट होते हैं और गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ कम होती है जबकि पुरी 2018 की रिपोर्ट अगर आप देखेंगे जिसमें ये निकल के आया की फिफ्थ ग्रेड के बच्चों में सिर्फ 39% बच्चे ही ऐसे द प्राइवेट स्कूल के जो 3 डिजिटल नंबर को एक सिंबल डिजिटल से डिवाइड कर का रहे द और ये जो आप देख रहे हैं ये रीडिंग लेवल है प्राइवेट स्कूल्स के ये लोग जितना फोकस कम है यार गो आउट स्टैंड अप सीट डाउन इसमें करते हैं उसका अगर 50% भी अगर ये बेसिक्स पे करें तो इतनी खराब रिपोर्ट ना आए देखिए सरकारी स्कूल के बच्चों से आप जब प्राइवेट स्कूल के बच्चों का टेस्ट स्कोर कंपेयर करते हो तो प्राइवेट स्कूल के बच्चों का स्कोर ज्यादा आएगा लेकिन ये करते टाइम हम लोग बच्चों का बैकग्राउंड ध्यान में नहीं रखते हैं की प्राइवेट स्कूल के बच्चों के पेरेंट्स कितने एजुकेटेड हैं घर पे कितना ज्यादा ध्यान देते हैं मेट्रो सिटीज में पेरेंट्स जो है वो तीन तीन ट्यूशन दे रहे हैं खुद अलग से ध्यान दे रहे हैं आप जैसे ही मेट्रो सिटीज से और एरिया में जाओगे ये जो टेस्ट स्कोर का गैप है ये कम होने लगता है प्राइवेट स्कूल में इतना अगर दम है तो ये पिछड़े इलाकों में जब जाते हैं तो ये वहां पे इतने सक्सेसफुल क्यों नहीं होते ये जो प्राइवेट स्कूल्स हैं इनको एक चीज बहुत ही अच्छे से समझ में ए गई की इनकी खुद की कैपेबिलिटी से ज्यादा पेरेंट्स अगर को सही मिल गए तो उसमें ज्यादा फायदा है इसलिए आजकल इन्होंने बच्चों से ज्यादा पेरेंट्स के इंटरव्यू लेने शुरू कर दी है लास्ट में एक चीज और कहूंगा की टोटल प्राइवेट स्कूल से 4.5 लाख और इन स्कूलों में 12 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं और वहीं सरकारी स्कूल की बात करें तो टोटल 10.9 लाख सरकारी स्कूल है जिसमें 13 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं प्राइवेट स्कूल के ऊपर डिपेंडेंसी दे बाय दे बढ़ती जा रही है जो हाल प्राइवेट कंपनी ने बीएसएनएल का किया था से वही चीज प्राइवेट स्कूल गवर्नमेंट स्कूल के साथ करना चाहते हैं देश के लोगों को प्राइवेट स्कूल्स और प्राइवेट हॉस्पिटल से जितना लूटा है उतना किसी ने भी नहीं लूटा है देखिए एक चीज और कहूंगा की सबसे बड़ा डैन शिक्षा डैन बताया जाता है पर आज के टाइम पे एकदम से चेंज हो चुका है क्या हमेशा से एजुकेशन सिस्टम ऐसे ही था अगर आपको इन सारी चीजों के बारे में और जानना है तो आपको एफएम की ऑडियो बुक इंडियन एजुकेशन सिस्टम जरूर suniyega क्योंकि उसमें एशियाई टाइम से लेके करंट नेशनल एजुकेशन पॉलिसी तक हर चीज के बारे में बताया गया है कुकू एफएम में पर्सनली भी उसे करता हूं ऑडियो बुक सुनने के लिए और ये बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म है जहां आप कभी भी अपनी कन्वीनियंस से ऑडी बुक सन सकते हैं वो भी एक बुक से भी कम कॉस्ट में मेरी तरफ से फर्स्ट 250 यूजर्स को मेरा कूपन कोड अनार 50 उसे करने पर मिलेगा 50% डिस्काउंट जिससे आपको 399 का सब्सक्रिप्शन 199 में मिलेगा तो डाउनलोड करें कुक्कू एफएम ऐप लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया है l-PkqjRjuMA,Mutual funds like never before | You didn't know this about mutual funds | Mutual fund secrets,2022-09-13T12:30:13Z,PT17M2S,1966304,65844,1149,https://www.youtube.com/watch?v=l-PkqjRjuMA,, अमीर आदमी अपना पैसा अमीर होने में यानी कि इन्वेस्टमेंट करने में लगाता है और गरीब आदमी अपना पैसा अमीर दिखने वाली चीजों को खरीदने में लगाता है और ये जो अमबानी अडानी है ये करोड़ों में कमा रहे हैं तो क्या ये भी अपना पैसा सेविंग अकाउंट और घरों में रखते हैं ये जो आप नाम सुनते हो एसबीआई म्यूचुअल फंड टाटा म्यूचुअल फंड इनको ही कहते हैं एसेट मैनेजमेंट कंपनी यूटीआई एक्ट जिसने पहली बार इंडिया के अंदर म्यूचुअल फंड को इंट्रोड्यूस किया ऐसा नहीं कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी डाल दी और म्यूचुअल फंड बेचना स्टार्ट कर दिया कि जो बचा हुआ पैसा है इसको रखने की सबसे सही जगह कौन सी होती है और इस चीज का क्रेडिट जाता है श्री टीटी कृष्णमाचारी जी को जो उस टाइम के फाइनेंस मिनिस्टर थे इन्होंने लेटर लिखा पीएम जवाहरलाल नेहरू जी को reliance1 नहीं है ये करोड़ों में कमा रहे हैं तो क्या ये भी अपना पैसा सेविंग अकाउंट और घरों में रखते हैं तो ये सारी चीजें डिटेल में डिस्कस करते हैं देखिए सबसे पहले तो ये देखते हैं कि हमारे पास जो पैसा बचता है जिसे हम सेविंग्स कहते हैं उसको रखने के लिए हमारे पास ऑप्शंस क्या-क्या है आप कहोगे कि इसमें ज्यादा दिमाग नहीं लगाना है या तो आप घर में रख लोगे या फिर सेविंग अकाउंट में रखोगे लेकिन ये दोनों जगह पे पैसा रखना एक घाटे का सौदा होता है क्योंकि जब आप अपना पैसा घर में या सेविंग अकाउंट में रखते हैं तो वो पैसा रखे रखे कम हो जाता है और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं इसको एक एग्जांपल से समझते हैं मान लीजिए इस पर्टिकुलर टाइम पे आपने ₹1 बचा के रखे हैं जो कि आपकी सेविंग्स है और मार्केट में एक बुक है जिसका दाम ₹1 है तो अब आप जब चाहे मार्केट में जाके इस बुक को खरीद सकते हैं और अभी इंडिया का जो एवरेज इंफ्लेशन रेट है यानी कि जो महंगाई दर है वो है 7.5 इस लाइन का मतलब ये हुआ कि जो चीज आज ₹1000000 वो ₹10 7.50 पैसे की हो जाएगी और ये सिर्फ समझाने के लिए मैं बता रहा हूं एक्चुअल कैलकुलेशन इसकी अलग तरीके से होती है इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपने बचे हुए ₹1 ऐसे ही अपने घर में रखे तो जो बुक आप आज की डेट में खरीद सकते हो अगले साल नहीं खरीद खद पाओगे आपका रखा हुआ पैसा हर साल कम होता है इंफ्लेशन की वजह से यही रीजन है कि जब लोग पैसे में डील करते हैं तो उसको इंफ्लेशन रेट से कंपेयर करते हैं क्योंकि इंफ्लेशन रेट की वजह से ही सिर्फ आपकी सेविंग ही नहीं बल्कि आपकी जो करंट सैलरी है वो भी कम हो जाती है यही रीजन है कि कंपनियां हर साल अप्रेजल करती हैं और जब आप अपने मैनेजर से अप्रेजल की बात कर रहे हो तो आपको इंफ्लेशन रेट भी ध्यान में रखना चाहिए अब सबसे बड़ा क्वेश्चन ये है कि फिर पैसे को रखा कहां पे जाए तो देखिए पैसे को हमेशा वहीं रखना चाहिए जहां पर सारे अमीर लोग रखते हैं यानी कि इन्वेस्ट करना चाहिए अमीर आदमी अपना पैसा अमीर होने में यानी कि इन्वेस्टमेंट करने में लगाता है और गरीब आदमी अपना पैसा अमीर दिखने वाली चीजों को खरीदने में लगाता है पैसे से पैसा बनाने को ही इन्वेस्टमेंट कहते हैं अब लेकिन बात ये है कि एक आम आदमी जिसको सिर्फ अपनी जॉब से रिलेटेड नॉलेज है एक दुकान वाला जो सिर्फ अपने सामान के बारे में जानता है वो ऐसे कैसे कहीं भी इन्वेस्ट करना स्टार्ट कर दे जब उसको नॉलेज ही नहीं है उसको नुकसान भी हो सकता है तो ये बात तो एकदम सही है लेकिन इसमें सबसे पहले ये देखना होगा कि एक आम आदमी के पास ऑप्शन क्या-क्या होते हैं इन्वेस्टमेंट के देखिए एक तो बहुत ही पुराना और कॉमन तरीका है कि आप अपनी जान पहचान वालों में से किसी को पैसा ब्याज पे दे दो और इंटरेस्ट रेट ऐसा रखो जो इंफ्लेशन रेट को बीट करे लेकिन इसमें भी दिक्कत है कहीं पैसा वापस ही नहीं आया तो फिर उस केस में क्या होगा तो ये भी एक तरह का रिस्क है अच्छा सेविंग अकाउंट में भी पैसा रखना एक इन्वेस्टमेंट ही होता है अब क्योंकि उसका इंटरेस्ट रेट इंफ्लेशन रेट को बीट नहीं कर पाता है इसलिए इसमें नुकसान होता है और आपका रखा हुआ पैसा कम होता है लोग सोचते हैं कि सेविंग अकाउंट एक जगह है बस पैसा रखने के लिए जहां पे आपका पैसा सिक्योर रहता है और पैसा इधर से उधर ट्रांसफर करने में आसानी होती है लेकिन सेविंग अकाउंट का जो मेन पर्पस है वो यही है कि हम लोग बैंक को एक तरह से पैसा देते ते हैं ताकि वो इन्वेस्ट करे और फिर उसका इंटरेस्ट हमको वापस मिले लेकिन अभी सेविंग अकाउंट में जो इंटरेस्ट मिलता है वो 4 पर का मिलता है और जो इंफ्लेशन रेट है जो कि एवरेज इन्फ्लेशन रेट है वो 7.5 का है इसलिए सेविंग अकाउंट में पैसा रखना एक खराब इन्वेस्टमेंट माना जाता है इसलिए अब सेविंग अकाउंट सिर्फ पैसे का लेनदेन करने के लिए एक अकाउंट बनके रह गया है अब देखिए आप मार्केट में जाएंगे तो आपको अलग-अलग तरह की इन्वेस्टमेंट करने के ऑप्शंस मिलेंगे कुछ लोग गोल्ड में इन्वेस्ट करते हैं कुछ लोग प्रॉपर्टी खरीदते हैं कुछ फिक्स डिपॉजिट करते हैं कोई शेयर मार्केट में पैसा लगाता है कुछ लोग गवर्नमेंट के बॉन्ड्स या फिर कंपनी के डिबेंचर में पैसे डालते हैं ऐसे बहुत ऑप्शन मिलते हैं मार्केट में लेकिन उसके बाद भी हिम्मत बहुत कम लोग कर पाते हैं इन्वेस्टमेंट करने की क्योंकि रिस्क बहुत होता है और जब नॉलेज ना हो तो फिर और मन नहीं करता है पैसा कहीं डालने का देखिए आपको ये याद रखना है कि जैसे ही आप इन्वेस्टमेंट करने निकलते हो उसमें रिस्क इंवॉल्व होता ही होता है दुनिया में एक भी इन्वेस्टमेंट ऐसी नहीं है जिसमें रिस्क इवॉल्व ना हो सेविंग अकाउंट में भी पैसा रखना एक रिस्क होता है अगर आप पास्ट में देखोगे तो कई ऐसे बैंक हैं जो बैंक करप्ट हुए हैं इनफैक्ट पैसा घर में रखना भी एक तरह का रिस्क है किसी को अगर पता चल जाए कि आपके घर में काफी पैसा रखा है तो आपका घर भी रिस्क पे आ जाता है चोरी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं देखिए इन्वेस्टमेंट में रिस्क हर जगह इवॉल्व होता है बस कहीं पे कम और कहीं पे ज्यादा होता है अब ये आपको डिसाइड करना होता है कि आपको रिस्क लेना कितना है ज्यादा रिस्क मतलब ज्यादा प्रॉफिट और कम रिस्क मतलब कम प्रॉफिट ये जो आप पिरामिड देख रहे हैं इसमें जैसे-जैसे आप ऊपर बढ़ेंगे तो आपका रिस्क भी बढ़ेगा लेकिन प्रॉफिट भी बढ़ेगा आपने एक चीज और सुनी होगी कि अगर हम अलग-अलग जगह पे पैसा इन्वेस्ट करें तो उसमें फायदा ज्यादा होता है और नुकसान कम होता है जिसको डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट बोलते हैं और यह बात सही भी लगती है अगर आप आप पिछले 50 या फिर 100 साल का पैटर्न देखोगे मार्केट के अंदर अगर आप पिछला रिकॉर्ड देखोगे शेयर मार्केट का तो चाहे यूएस क्राइसिस हो हर्षद मेहता स्कैम हो या फिर कोविड की बात करें तो हर बार शेयर मार्केट नीचे गया है और हर बार पहले से ज्यादा बड़ा प्रॉफिट करके ऊपर आया है तो इससे हमें ये समझ में आ गया कि अगर हम लॉन्ग रन में इन्वेस्ट करें तो हमारा फायदा है ये ग्राफ क्लियर बता रहा है कि ऊपर नीचे भले ही हुआ है शेयर मार्केट लेकिन लॉन्ग रन में ऊपर ही जा रहा है ऐसे ही अगर आप गोल्ड का ग्राफ देखो या फिर रियल स्टेट का ग्राफ देखो सब ऊपर नीचे हुए हैं लेकिन लॉन्ग रन में देखोगे आप तो सब ऊपर ही जा रहे हैं यही रीजन है कि लोग अलग-अलग सेक्टर में पैसा लगाने को अच्छा मानते हैं थोड़ा पैसा स्टॉक मार्केट में थोड़ा बॉन्ड मार्केट में थोड़ा ब्याज पे थोड़ा रियल स्टेट में ऐसा करके अलग-अलग सेक्टर में लगाते हैं और इनके अंदर भी डायवर्सिफाई कर देते हैं जैसे कि अगर आपने स्टॉक मार्केट में पैसा लगाया तो थोड़ा पैसा टेक्नोलॉजी कंपनी में थोड़ा ऑयल एंड गैस में थोड़ा कंज्यूमर गुड्स की कंपनीज में ऐसा करने से फायदा यह होता है कि अगर कोई सेक्टर लॉस में होता है तो उसका वेट करते हैं ऊपर आने का और जब कोई सेक्टर ऊपर जा रहा होता है और फायदा बना रहा हो होता है तो सही टाइम देख के अपना प्रॉफिट बना के उसमें से निकल लेते हैं और इसी चीज को हम डायवर्सिफाइड तरीके से इन्वेस्टमेंट करना कहते हैं देखिए हमने यह तो समझ लिया कि अलग-अलग सेक्टर में इन्वेस्ट करने से रिस्क कम होता है लेकिन क्वेश्चन अभी भी वही है कि अलग-अलग सेक्टर में इन्वेस्ट करने के लिए हमें नॉलेज पैसा और टाइम चाहिए होगा क्योंकि आपको हर सेक्टर के बारे में पता करना होगा इन सब में बहुत टाइम जाएगा और अगर आप किसी एक्सपर्ट को भी हायर करोगे तो उसकी फीस बहुत जाएगी पता चले जितना आपका रिटर्न आएगा उससे ज्यादा एक्सपर्ट की फीस चली जाएगी तो एक चीज तो कंफर्म है कि अगर अलग-अलग सेक्टर में इन्वेस्ट करना है तो इसके लिए पैसा तो बहुत चाहिए होगा अगर शेयर मार्केट की बात करें तो एमआरएफ का एक शेयर 84000 से भी ज्यादा का है प्रॉपर्टी के दाम गोल्ड का दाम बहुत ज्यादा है अब आप सोचो कि मुझे डायवर्सिफिकेशन करना है गोल्ड रियल एस्टेट शेयर मार्केट हर सेक्टर में तो आप कहां से कर पाओगे यह काम सिर्फ अमीर आदमी ही कर पाएगा लेकिन इसमें एक चीज हो सकती है जितने भी छोटे-छोटे इन्वेस्टर हैं जिनके पास कम पैसे हैं इन सबका पैसा अगर इकट्ठा कर दिया जाए और एक फंड बना दिया जाए देखिए जब भी किसी पर्टिकुलर पर्पस के लिए कोई पैसा इकट्ठा होता है उसको फंड बोलते हैं तो अगर सब लोग मिलके एक फंड इकट्ठा कर लें और एक अच्छे से फाइनेंशियल एक्सपर्ट को हायर कर लें जो बताए कि कहां पे पैसा लगाना सही होगा तो एक्सपर्ट की फीस भी कम लगेगी क्योंकि वो फीस सब में डिवाइड हो जाएगी और इसका लोड भी किसी एक पे नहीं पड़ेगा और कम पैसे में हम लोग डायवर्सिफाइड तरीके से इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं अब देखिए आईडिया तो बहुत अच्छा है लेकिन इसमें सबसे पहला चैलेंज है कि इतने सारे लोग इकट्ठे कहां से होंगे और उससे भी बड़ा चैलेंज है कि आप विश्वास किस पे करोगे इतने पैसे फंड बना के आपने किसी के पास रख दिए और वो भाग गया तो उस केस में क्या होगा तो यहां से एंट्री होती है गवर्नमेंट की इस चीज को लेके एक यूटीआई एक्ट बनाया गया 1963 में जहां पे इन सारी चीजों की जिम्मेदारी गवर्नमेंट लेती है अब लोग किसी पर्टिकुलर आदमी पर विश्वास भले ही ना करें लेकिन गवर्नमेंट और गवर्नमेंट की बनाई हुई अलग-अलग ऑर्गेनाइजेशन पे तो विश्वास करेंगे ही जैसे कि एसबीआई पीएनबी बैंक जनरल इंश्योरेंस वगैरह और एक बार ऐसा हुआ भी था कि गवर्नमेंट की बनाई हुई जो यूटीआई थी उसको काफी लॉस हुआ था लेकिन उसके बाद भी पब्लिक को उसका पैसा वापस मिला था तो इन सारी चीजों को कंसोलिडेट करके यानी कि इकट्ठा करके एक एक्ट लाया गया 1963 में यूटीआई एक्ट जिसने पहली बार इंडिया के अंदर म्यूचुअल फंड को इंट्रोड्यूस किया और इस चीज का क्रेडिट जाता है श्री टीटी कृष्णमाचारी जी को जो उस टाइम के फाइनेंस मिनिस्टर थे इन्होंने लेटर लिखा पीएम जवाहरलाल नेहरू जी को कि लोगों की जो सेविंग्स है यानी कि जो घरों में रखा हुआ पैसा है उसको एक सिस्टमैटिक तरीके से इन्वेस्ट करवाना चाहिए जिससे इंडिया का जो मार्केट है उसका भी फायदा हो और आम जनता का भी फायदा हो इस चीज का काम दिया गया रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को और 1964 में इंडिया की पहली म्यूचुअल स्कीम आई जिसका नाम था य 64 ये इंडिया की सबसे पॉपुलर स्कीम साबित हुई 19 63 से 1987 तक इंडिया के अंदर यूटीआई म्यूचुअल फंड का एक मात्र प्लेयर था फिर उसके बाद इसमें सरकारी बैंक आए अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स आए पीएनबी बैंक बैंक ऑफ इंडिया जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन अपने-अपने म्यूचुअल फंड लेके आए लेकिन अभी तक इसमें सिर्फ गवर्नमेंट कंपनीज ही आ रही थी अपने म्यूचुअल फंड लेके लेकिन 1993 में से भी आता है और इसके आते ही प्राइवेट कंपनीज की एंट्री भी शुरू कर दी जाती है और इससे आम जनता के पास बहुत सारे ऑप्शन खुल जाते हैं अलग-अलग स्कीम्स और ऑफर आने लगते हैं और कंपटीशन भी काफी शुरू हो गया था उस टाइम पे जो कि आज आज तक चल रहा है आगे चलके इसमें इंटरनेशनल प्लेयर्स भी आए जैसे कि मॉर्गन स्टनली जेपी मॉर्गन यह सब अपने म्यूचुअल फंड लेके आए देखिए भले ही इंडिया के अंदर म्यूचुअल फंड को गवर्नमेंट प्राइवेट और इंटरनेशनल कंपनियां लेके आ रही थी लेकिन गवर्नमेंट इस फंड की क्रिटिकल को बहुत ही अच्छे से समझता था यही रीजन था कि म्यूचुअल फंड की हर चीज सेबी से बहुत ही स्ट्रिक्ट तरीके से रेगुलेट की जाती थी आज भी सेबी म्यूचुअल फंड की हर एक्टिविटी में अपना इंवॉल्वमेंट रखता है हर म्यूचुअल फंड को अपने फंड की डिटेल पूरा का पूरा एक्सपेंस पिछला हिस्टॉरिक डाटा हर चीज सेबी से अप्रूव करानी होती है पब्लिक में एडवर्टाइज करने से पहले अब इसमें एक चीज यह भी समझ लेते हैं कि अगर किसी को अपना म्यूचुअल फंड स्टार्ट करना है तो इसमें पूरा प्रोसेस क्या फॉलो होता है देखिए म्यूचुअल फंड स्टार्ट करने के लिए मेनली पांच चीजों की जरूरत होती है पहला है ट्रस्ट दूसरा है स्पंस तीसरा है फंड मैनेजर और चौथा है एसेट मैनेजमेंट कंपनी जिसे एएमसी बोलते हैं और कस्टोडियन सेबी के रूल के हिसाब से म्यूचुअल फंड को सिर्फ एक ट्रस्ट की तरह ही बनाया जा सकता है ऐसा नहीं कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी डाल दी और म्यूचुअल फंड बेचना स्टार्ट कर दिया इसलिए म्यूचुअल फंड स्टार्ट करने के लिए पहले म्यूचुअल फंड ट्रस्ट बनाया जाता है उसके बाद इसके स्पंस करस बनाए जाते हैं यह स्पॉन्सर्स बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं म्यूचुअल फंड में पैसा तो ये लगाते ही हैं इसके अलावा म्यूचुअल फंड ट्रस्ट में ट्रस्टी कौन बनेगा सेबी के अप्रूवल वगैरह सब यही स्पंस देखते हैं यह सब होने के बाद एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी बनाई जाती है जिसे एएमसी कहते हैं ये जो आप नाम सुनते हो एसबीआई म्यूचुअल फंड टाटा म्यूचुअल फंड आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड इनको ही कहते हैं एसेट मैनेजमेंट कंपनी यानी कि एएमसी इन एएमसी को अपनी नेटवर्थ 10 करोड़ से ऊपर रखनी होती है अगर इससे कम होती है तो यह कोई कोई भी स्कीम लॉच नहीं कर पाएंगे एएमसी का जो मेन काम होता है वह म्यूचुअल फंड की अलग-अलग स्कीम्स को लॉन्च करने का होता है म्यूचुअल फंड के जो ट्रस्टीस होते हैं इनकी जिम्मेदारी होती है कि एएमसी के सारे सिस्टम ठीक से काम करें एएमसी के अंदर ऑडिटर रजिस्टर्ड वगैरह सब म्यूचुअल फंड के ट्रस्ट अपॉइंट्स को कोई भी म्यूचुअल फंड लॉन्च करने से पहले सारी डिटेल्स लोगों को बतानी होती हैं उसके बाद ही लोग उस पर्टिकुलर म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीद सकते हैं अब आप कहोगे कि ये म्यूचुअल फंड के अंदर ये यूनिट का क्या मतलब होता है देखिए म्यूचुअल फंड जो भी पैसा अलग-अलग सेक्टर में इ इन्वेस्ट करता है उसको यूनिट में डिवाइड कर देता है इसको एक एग्जांपल से समझते हैं एमआरएफ का एक शेयर 84000 से ऊपर का है हनीवेल का एक शेयर 43000 से ऊपर का है 3m इंडिया का एक शेयर 23000 से ऊपर का है अब आपको अकेले इन सारे शेयर्स को खरीदना हो तो बहुत ज्यादा पैसे लगेंगे लेकिन म्यूचुअल फंड क्या करेगा इन तीन शेयर्स को खरीद लेगा और इनको छोटे-छोटे हजारों यूनिट में डिवाइड कर देगा अब आप लोग जब एक यूनिट खरीदोगे तो उसका पैसा बहुत कम होगा और कम पैसे में आपको तीनों शेयर्स मिल जाएंगे जो आप पहले नहीं कर सकते थे ये भी हो सकता है कि आपके ₹5000000 अब इसमें एक क्वेश्चन और आता है कि म्यूचुअल फंड की जो यह यूनिट होती है इस यूनिट का पैसा कैसे डिसाइड होता है तो देखिए जैसे कंपनी के शेयर्स होते हैं वैसे ही म्यूचुअल फंड की यूनिट्स होती हैं ये यूनिट्स जब म्यूचुअल फंड शुरू होता है तब एक फिक्स प्राइस में इशू की जाती हैं फॉर एग्जांपल ₹10 या फिर ₹1000000 वलू भी चेंज होती हैं एक म्यूचुअल फंड बहुत तरीके की स्कीम ला सकता है लेकिन हर स्कीम को ट्रस्टी से अप्रूवल लेना होगा और एक फाइल जिसे ऑफर डॉक्यूमेंट कहते हैं वो सभी को सबमिट करनी होती है इस ऑफर डॉक्यूमेंट में वो सब चीजें होनी चाहिए जिसे पढ़कर हमारे और आपके जैसे लोग सही डिसीजन ले पाए कि कौन सा म्यूचुअल फंड लेना है अगर ऑफर डॉक्यूमेंट सभी को फाइल करने के 21 दिन में सभी उसपे कोई भी कमेंट नहीं करता है तो एएमसी उस डॉक्यूमेंट को पब्लिक को ऑफर करके फंड जनरेट करने का काम शुरू कर सकता है पब्लिक से उसके बाद एएमसी एक फंड मैनेजर असाइन करेगी तो अब ये फंड मैनेजर क्या होता है देखिए फंड मैनेजर बेसिकली फाइनेंशियल एक्सपर्ट होते हैं और इनके साथ एक रिसर्च की टीम होती है जिनका फुल टाइम काम ही यही होता है कि वो इन्वेस्टमेंट को एनालाइज करें और वो इन्वेस्टमेंट खरीदें जो म्यूचुअल फंड के गोल्स को पूरा करती है ये फंड मैनेजर्स जरूरी इसलिए होते हैं क्योंकि ये अलग-अलग कंपनीज के फाइनेंशियल स्टेटमेंट को एनालाइज करते हैं कि उनका रेवेन्यू क्या है एक्सपेंस क्या है प्रॉफिट और लॉस क्या है ये जो फंड मैनेजर होते हैं बड़ी-बड़ी कंपनीज के मैनेजर और मालिकों से डायरेक्ट बात करते हैं अब नहीं करेगी लेकिन इन फंड मैनेजर से बात कर लेगी क्योंकि उनको पता होता है कि ओवरऑल फंड बहुत बड़ा है इन फंड मैनेजर्स के पास और अगर ये फंड मैनेजर हमारी कंपनीज में इन्वेस्ट कर देंगे तो कंपनी के लिए बहुत ही बढ़िया बात रहेगी इसलिए बड़ी-बड़ी कंपनीज इन फंड मैनेजर्स से बात करती हैं और समझाती हैं अपने आगे के प्लांस और ये सब एनालाइज करके जो पैसा लोगों से इकट्ठा होता है उस पैसे को फंड मैनेजर अपने हिसाब से देख के इन्वेस्ट कर देता है जिस डायवर्सिफिकेशन के लिए आपको लाखों खर्च करने होते हैं वो अब आप चाहो तो ₹5000000 से भी स्टार्ट कर सकते हो और आपको ₹5000000 टीज भी मिल रही हैं जो आप अकेले अफोर्ड नहीं कर पाते आपने म्यूचुअल फंड के अंदर एक्सपेंस रेशियो के बारे में सुना होगा कहीं पे ₹10 का होता है कहीं पे ₹1000000 एक से दो दिन के अंदर आपके अकाउंट में पैसा वापस आ जाएगा म्यूचुअल फंड के बारे में पहली इंपॉर्टेंट बात समझने की ये है कि सारे म्यूचुअल फंड एक से नहीं होते हैं हर फंड अलग-अलग होते हैं कोई हाई रिस्क फंड होता है तो किसी में रिस्क नहीं होता है कोई शेयर में इन्वेस्ट करता है तो कोई डेट में इन्वेस्ट करता है हर फंड का ये क्लियर होता है कि वो कितने पैसे कहां लगाएगा ऐसा नहीं है कि आपने फार्मा सेक्टर का म्यूचुअल फंड खरीदा है तो वो जाके गोल्ड में इन्वेस्ट कर देगा लोग सोचते हैं कि म्यूचुअल फंड सिर्फ शेयर मार्केट में लगता है लेकिन ऐसा नहीं है म्यूचुअल फंड के जो एक्सपर्ट होते हैं वो अलग-अलग जगह पे अपना पैसा इन्वेस्ट करते हैं जो लोग म्यूचुअल फंड लेते हैं उनको भी अपना गोल पता होना चाहिए कि वह किस पर्पस के लिए म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहे हैं उसके बाद ही म्यूचुअल फंड सेलेक्ट करने में आसानी होती है अगर आप बच्चों की पढ़ाई के लिए इन्वेस्ट कर रहे हैं तो आप कोई ऐसा म्यूचुअल फंड ले सकते हैं जिसमें लो रिस्क हो लेकिन लॉन्ग टर्म में फायदा हो अगर आप किसी वेकेशन का प्लान कर रहे हैं तो वहां पे आप हाई रिस्क वाला म्यूचुअल फंड भी ले सकते हैं क्योंकि अगर आप वैकेशन पे नहीं जा पाए तो यह कोई बिग डील नहीं है लेकिन बच्चों की एजुकेशन बहुत इंपॉर्टेंट है तो इस तरीके से आप अपने गोल सेट कर सकते हैं म्यूचुअल फंड की एक बात और है कि यह अलग-अलग ऑप्शन देता है इन्वेस्ट करने के मतलब कि अगर आप एक साथ पैसा नहीं डालना चाहते तो वह कहेगा कोई बात नहीं है आप हर महीने जितना भी कमाते हैं उसमें से कुछ अमाउंट सेट कर दीजिए वो आपके बैंक अकाउंट से उतना हर महीने कटता रहेगा मान लीजिए आपने ₹1 सेट कर दिया तो हर महीने ₹1 कटता रहेगा आपके बैंक अकाउंट से इसी ऑप्शन को एसआईपी कहते हैं कुछ लोग एसआईपी को म्यूचुअल फंड से अलग समझते हैं जबकि एसआईपी म्यूचुअल फंड ही है बस म्यूचुअल फंड ने एक तरीका दिया है पैसे लगाने का अब बात करते हैं कि म्यूचुअल फंड के डिसएडवांटेजेस क्या-क्या है देखिए म्यूचुअल फंड में जो फंड मैनेजर होता है वो पैसा तभी इन्वेस्ट कर पाएगा जब आप लोग पैसा इन्वेस्ट करोगे अगर आप लोग पैसा फंड से वापस लेने लगोगे मतलब कि अपने म्यूचुअल फंड की यूनिट बेचने लगोगे तो फंड मैनेजर को मजबूरी में पैसा इन्वेस्टमेंट से निकाल के आपको वापस करना होगा कभी-कभी ऐसा होता है कि मार्केट नीचे जाता है फंड मैनेजर जो कि एक एक्सपर्ट है अगर वो उस टाइम पे लगाना चाहता है लेकिन पब्लिक डर के मारे पैसा निकाल रही है अपने जो यूनिट्स हैं उनको बेच रही है तो फंड मैनेजर उस केस में कुछ नहीं कर पाएगा वो चाह के भी इन्वेस्ट नहीं कर पाएगा तो भले ही आप रिस्क लेना चाहे लेकिन ओवरऑल पैसा अगर फंड में से निकाला जा रहा है तो फंड मैनेजर उस केस में रुक जाएगा वो इ इ वेस्ट नहीं कर पाएगा लेकिन जब आप डायरेक्ट शेयर्स खरीदते हैं तो आप जब मन करे खरीद सकते हैं और जब मन चाहे बेच सकते हैं दूसरी चीज फंड मैनेजर कुछ केसेस में रिस्क नहीं लेते हैं वो एक्सपेरिमेंट करने से डरते हैं अब अगर कोई फंड मैनेजर फंड मैनेजर होता है वो ज्यादा रिस्क नहीं लेता है वो अपनी जॉब को खतरे में नहीं डालता है वो एवरेज रिटर्न से भी खुश रहता है म्यूचुअल फंड कंपनीज का जो प्रॉफिट होता है वह पब्लिक को कितना रिटर्न मिला उस परे डिपेंड नहीं करता है बल्कि इस परे डिपेंड करता है कि पब्लिक ने कितना फंड इकट्ठा किया है जितना फंड इकट्ठा होता है उसका एक से 2 पर म्यूचुअल फंड कंपनीज को जाता है चाहे पब्लिक को फायदा हो या फिर ना हो इसलिए कुछ कंपनीज का फोकस ज्यादा से ज्यादा फंड इकट्ठा करने में होता है रदर देन पब्लिक को रिटर्न दिलवाने में और इस चक्कर में वह सेफ खेलती [संगीत] हैं [संगीत] ए 0x7XmYooACI,NDTV Hiding Facts about Adani Takeover | NDTV seeks to block Adani takeover | Nitish Rajput | Hindi,2022-09-02T08:44:53Z,PT20M9S,2212427,64805,4191,https://www.youtube.com/watch?v=0x7XmYooACI,, कि 2007 में तो देख ऐसा डिसीजन लिया जिसकी वजह से एनडीटीवी का पूरा टाइम चालू हो गया अदानी ग्रुप एनडीटीवी को खरीदना क्यों चाहता है क्या रीजन है कि जितने बड़े डिजाइंस है मीडिया इंडस्ट्री में क्यों पूछना चाहते हैं कि बारे में पता लगाया गया तो यह निकली मुकेश अंबानी की अगर अडाणी आगे जबरदस्ती pro-government बनाने की कोशिश में करेगा तो उससे एनडीटीवी के ऑडियो भक्त नहीं बन जाएगी ऐसा नहीं लगी एनडीटीवी के फाउंडर को अचानक झटका लगा इस बात का यह जी इनको 2009 से पता नहीं स्टेज के ऊपर अंबानी के नाम के कसीदे पढ़े हैं और यह सारी चीजें ऑनलाइन अभी भी अवेलेबल है एनडीटीवी की असली उन्हें बॉक्स के पास यही रीजन था कि पर है और राधिका रॉय ने इस बिल के बारे में किसी को नहीं बताया अपने इन्वेस्टर जिन्होंने पैसा लगाया था उन्हें भी डुबो लें ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि हम इन पैसे वाले अधिकारियों के सामने नहीं झुकेंगे इस पर जो कि देखिए 23 अगस्त को हटाने ग्रुप ने प्रेस रिलीज करके लांच कर दिया है कि न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड यानी के एनडीटीवी इस कंपनी के 29.10 सेंड कीजिए शेयर होल्डिंग है अब हटाने के पास आ गई है और इस पर एनडीटीवी कहना है कि इन्होंने मिठू कर दिया तो क्वेश्चन यह है कि डायनिंग रूम में स्टेटमेंट दिया है इसका मतलब क्या है और क्या सच में ऐसा पॉसिबल है कि किसी कंपनी की मंजूरी के बिना उसके शेप कोई भी बड़ी कंपनी खड़ी सकती है और उससे भी बड़ा क्वेश्चन है कि यह जो डालनी है अब मानी है यह जो न्यूज़ मीडिया कंपनी है इसमें क्यों पूछ रहे हैं तुम सारी चीजों को डिटेल में डिस्कस करते हैं यह पहली जिससे यह पता करनी होगी कि एनडीटीवी जो कंपनी है उसमें किसके पास कितने शेर हैं ताकि यह समझ में आ सके कि अदानी ग्रुप में किसके सेट अपने नाम कर ली है जिसकी वैसे इतना ही हुआ है लेकिन टोटल शैटर एनडीटीवी के सिक्स रोड ऑफिस लेट से करीब हैं जिसमें से 16.32 पर सेंट्स सियर्स राधिका रॉय के पास है और 15.9 4% जिनके हस्बैंड ट्रॉय के पास है और यह न कि इंडिविजुअल हिस्सेदारी है एनडीटीवी के अंदर तो क्या एनडी टीवी तो कंपनी है उस कंपनी में इन दोनों हसबैंड वाइफ के बस इतनी शेष है तो देखिए ऐसा नहीं है एक अलग रास्ते से भी इन्होंने एनडीटीवी के सेट अपने नाम किए हैं इन्होंने कंपनी डाली आर पि आर आर आर से राधिका रॉय और पीआर से ड्रॉ यह तो कंपनी है आरोपी इस कंपनी के मालिक सिर्फ और सिर्फ मैं और अधिकार हैं और इस कंपनी के सूत्रों ने एनडीटीवी के 39.18 चर्च और अपने पास रखे हैं अब आप आओगे के लिए अलग से कंपनी जो डाली उन्होंने सारे के सारे सैलरी दिल्ली के पास नहीं रखें तो देखिए इसके अलग-अलग एडवांटेज है जो हैं वह भी तरह इंपोर्टेंट नहीं है अभी के लिए साथ इतना याद कर लीजिए यह जो आदमी हथियार कंपनी है इसके थे शेयर्स है इस पूरी कॉन्ट्रोवर्सी की जड़ यही है और यह जो 38.81 परसेंट आदर्श हेयर है यह पब्लिक है जो कि शेयर मार्केट में लिस्टेड है मतलब कि आपके और हमारे जैसे लोग शेयर मार्केट में जाकर अपने धीमे ट्रेडिंग अकाउंट इंचेस को खरीद और बेच सकते हैं फिर इतने प्रसन्न चेल्सी पब्लिक खरीद और बेच सकती है शेयर मार्किट से बाकी जो पाउडर और इनवेस्टर्स के पास होते हैं जो शेयर मार्केट में लिस्टेड नहीं है उनको खरीदने और बेचने के लिए अलग से रूल होते हैं जो कि इससे भी सेट करता है और यह जो 9.75 परसेंट शेड्स आफ इन्वेस्टमेंट फंड लिमिटेड हैं यह बाहरी कंपनी है जिसने इंडिया के अंदर अदानी ग्रुप में बहुत सारा पैसा लगा रखा है उसके हैं यह अब यह जो कंडीशन चल रहा है उसमें यह पीएस कंपनी बहुत इंपोर्टेंट रोल प्ले करने वाली है वह भी आपको आगे पता चल जाएगा तो एक तरह से देखा जाए तो जो टोटल चेंज एनडीटीवी के अंदर ड्राई और राधिका रॉय के हैं वह 61.44 परसेंट 16.32 परसेंट राधिका रॉय हैं 15.9 4% रॉय के और 29.84 प्यार के जो कि यह भी है यही है जो इन्होंने दूसरे तरीके से कंपनी डाल के लिए हैं यह आगे जहां पर मैं रहूंगा आप समझ जाएगा कि मैं राधिका और पुनर्वास की बात कर रहा हूं 61.44 परसेंटेज बहुत ही बड़ा नंबर होता है इसलिए एनडीटीवी का पूरा कंट्रोल इस रॉय फैमिली के हाथ में है और होना भी चाहिए क्योंकि हमने एनडीटीवी की शुरुआत 98 में की थी उस टाइम पर प्राइवेट कंपनियों को अलाउड नहीं था न्यूज़ और खासकर मैं इंडिया के अंदर तो यह पहला इंडिया न्यूज़ चैनल था जिसने दूरदर्शन के साथ कलाइब्रेट करके इंटरनेशनल लांच किया था यह पहला चैनल था जिसने ऐसा चैनल लांच किया था जिस पर 24 घंटे न्यूज़ चलती रही और यह पहला न्यूज़ चैनल राज स्टॉक मार्केट पर सबसे पहले हुआ था इंडिया के अंदर उस टाइम पर गिरीं सकते थे एनडीटीवी को मिली थी उतनी किसी चैनल को नहीं मिलती एनडीटीवी ने उस टाइम पर ऐसे लो खैर गए थे जिनकी फैमिली दिल्ली के पावर के इसको बिलोंग करती थी और इसका एनडीटीवी को काफी फायदा मिला दूरदर्शन के डायरेक्टर जनरल भास्कर घोष के दामाद और फेमस क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई जी के बेटे राजीव सरदेसाई को हायर किया गया बीजेपी के सीनियर मेंबर मनोरंजन गोस्वामी जी के बेटे और यूनियन लॉ मिनिस्टर दिनेश जी के भतीजे अनिल गोस्वामी को हायर किया गया ट्रस्ट ऑफ इंडिया के एडिटर-इन-चीफ एंड के राजदान की बेटी निधि राजदान को भी हार गया प्रभु जी जो उस टाइम तो बहुत ही बड़ी जनरल सिंह की बेटी बरखा दत्त को भी है किया गया मेंबर ऑफ प्लानिंग कमीशन और इंडिया हाई कमिश्नर ऑफ साउथ अफ्रीका देवी की जैन जी के बेटे श्रीनिवासन जैन इनको हर किया गया उस पर्टिकुलर टाइम पर एनडीटीवी की पावर का पता पर इस बात से लगा सकते हो कि स्टार के साथ इनका एक्टिवेट लॉन्च हुआ था f-18 में वह प्राइम मिनिस्टर इंद्र कुमार गुजराल के घर से आठवें हुआ था 2007 से पहले एनडीटीवी एकदम ठीक पर था लेकिन 2007 में तो एक ऐसा डिसीजन लिया जिसकी वजह से एनडीटीवी का पूरा टाइम चालू हो गया इन फैक्ट आप यह भी कह सकते हो कि एनडीटीवी की हिस्ट्री का अब तक का सबसे वह इस सीरम था वह 2007 में एनडीटीवी के फाउंडर प्रणय और राधिका रॉय ने अपनी कंपनी के शेयर बायबैक करने का सोचा अब आपको एक यह बाबा क्या होता है लेकिन अब कंपनी को पैसे की जरूरत होती है तो वह अपने सैनिक हिस्सेदारी देखें उसके बदले में लोगों से पैसे उठाती हैं और जब कंपनी इसके पास पैसे होते हैं और मार्केट में उनके शेयरों के दाम होते हैं उत्तम चल रहे होते हैं तो दिए हुए शहर को वापस खरीद लेती है और इस पूरे process को बाबा कहते हैं जब कंपनी अपने सेल्स वापिस खरीद लेती है इन्होंने जो बैक किया वह लीजिए ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के साथ जी ए ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के पास एनडीटीवी के 7.7 पर सेंट एंड थे और प्रणय और राधिका रॉय ने इस कंपनी के शेयर बायबैक करने का पेंट किया उस टाइम पर एनडीटीवी का एक शेयर का दाम ₹400 था लेकिन पुराना है और राधिका रॉय ने फोर्सेज रुपए का ऑफर दिया ग्लोबल को राधिका और ट्रॉय जो बाय बैक का डिसीजन लिया था इसके लिए काफी पैसे की जरूरत थी तो यह जो पैसा था इन्होंने अपनी जेब से नहीं लिया था बल्कि लोन लिया था एक्सटेंशन सर्विसेज से जिसका नाम था इंडियन फाइनेंशियल सर्विसेज इन कि गुस्से इन्होंने जुलाई 2008 में 500 करोड़ का लोन लिया देखिए अब मैं यहां तक कोई दिक्कत नहीं है लेकिन दिक्कत हो न तब स्टार्ट होती है जब यह लोग सेट खरीद लेते हैं और जैसे यह शेयर खरीदते हैं यूएस में फैंस एक्ट्रेसेस आ जाता है और उस टाइम पर इसकी वजह से दुनियां भर के मार्केट को बहुत बड़ा झटका लगा था उस टाइम बैक इंडिया पर भी आया स्टॉक मार्केट एकदम ओन चला गया जो स्टॉक रोज ने 439 में खरीदा था उसकी वैल्यू सीधे तौर पर हो गई थी यह बहुत बड़ा नुकसान था इनके लिए राधिका और प्रणय रॉय जो लिया था बाय के लिए इंडियन उसे उसको वापस करना बहुत ही मुश्किल था क्योंकि मार्केट बहुत ज्यादा नीचे जा रहा था उस लोन को वापस करने का पैसा जब ज्यादा होने लगा तो इंडियन उसका जो लोन था उसको चुकाने के लिए रोहित ने आईसीआईसीआई से 38755 का फिर से लोन लिया और लोन बीन को सस्ते में नहीं मिला 98% के अंदर इंटरेस्ट रेट पर इनको लोन मिला है रस को अपने शहर में गिरवी रखने पड़े रॉय जितने भी लोन ले रहे थे यह सब आरपीएफ के शेयर गिरवी रखे ले रहे थे अपने जो पॉइंट्स नसीर हुसैन के यह उसको नीचे रहेंगे अभी जो करंट सिचुएशन है उसमें आपके पर्सनल घोषित हम लिए आरपीआर वाले जो शेयर है वह फंसे हैं वह भी आपको आगे समझ में आ जाएगा एनडीटीवी के हालात उस टाइम पर बहुत ज्यादा खराब होने लगी एनडीटीवी है कई एंटरटेनमेंट चैनल्स सेट किए कई एक्सपेरिमेंट गिफ्ट बनाने के लिए लेकिन सारे लोग उसमें चले गए 2008 में एनडीटीवी को लगभग 250 लोगों पर करना पड़ा यह एनडीटीवी की 150 140 प्रेम ही और इसी बीच आईसीआईसीआई का जो लोन चुकाना था उसका टाइम आ गया था तो इन लोगों से फिर से लोन लिया फोर्सेज 3.85 करोड़ का लोन मैंने दोबारा लिया और वह लिए उन्होंने विश्व प्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड बीटीपीएस है यह नाम आप याद रखिएगा काफी इंपोर्टेंट है इसको मैं आगे कई बार लूंगा बीटीपीएस ने जब रस को लोन लिया तो इन्होंने कोई सिक्योरिटी नहीं ली किसी भी तरीके का कोई इंट्रस्ट नहीं है ₹1 तक इंट्रस्ट नहीं है इसे बस उसके बदले में विपुल ने रोहित यह कि आपकी तो कंपनी है और पिया जिसके पास एनडीटीवी के 29.1 अधिक शेयर है इस कंपनी के 99.98 की इक्विटी वारंट आप हमें देना अब आप आओगे कि एक वो रहस्य होते हैं देखिए वारंट का मतलब यह हुआ यह जो शेयर्स है यह हम अभी नहीं ले रहे हैं लेकिन आगे का जरूरत पड़ेगी तो ले सकते हैं और इस फ्रॉम इसके बदले में वारंट इश्यू कर दिया जाता है और अगर आप को समझाओ तो इतना समझ लीजिए कि बीसीपीएल ने एनडीटीवी के 29.10 एंड शेयर गिरवी रखे थे और जो निर्णय लिया था इसके साथ-साथ बीच आईपीएल में इसमें कुछ और ऐड कर दी थी पहली टिप यह है कि भले ही आप लोन चुकाना दो लेकिन इसके बाद में का हम चाहे तो आपकी जो कंपनी है और यह इसके 99.9 इंचेस कभी भी खरीद सकते हैं और इससे रॉय को भी कोई दिक्कत नहीं होनी साइन कर दिया सैक्रीट पर अब दूसरी चीज पे लाड प्यार के इफेक्टिव कंट्रोल ले लीजिए मतलब कि कंपनी कैसे चलेगी डिसीजन कौन लेगा यह सब फील डिसाइड करेगा और अपीयर के जतिन डायरेक्टर थे उनको भी निषेध नहीं खुद डिसाइड करके रखा था VPN यह शर्त रखी थी कि इस कंपनी कोई भी कि टिफिन या फिर भेज नहीं कही जा सकती बैंक तरफ फाइल नहीं की जा सकती बीसीपीएल की परमिशन के बिना ऐसा कुछ भी आदर प्यार नहीं कर सकता जिससे लाड प्यार की से अपने पर्फेक्ट है 2009 में प्रणय और राधिका रॉय ने इस अग्रीमेंट साइन कर था तो यह उसी दिन डिसाइड हो गया था कि लाड प्यार को आगे चलकर लिखना है इसको कोई नहीं रोक सकता और यह चीज खुद पर है और राधिका रॉय को भी पता थी और लाड प्यार का लिखने का मतलब यह था कि एनडीटीवी का कंट्रोल किसी और के हाथ में चले जाना क्योंकि 29.1 परसेंटेज बहुत बड़ी परसेंटेज होती है और आगे चलकर अदानी ग्रुप में भी इसी चीज का फायदा उठाया अब मार्किट में इस चीज का पता चलता है कि एनडीटीवी इस तरीके से फोल्ड करके है तो इसको बहुत नुकसान होता एनडी टीवी के शेयर नीचे भी जा सकते थे यही रीजन था कि पर है और राधिका रॉय ने इस दिल के बारे में किसी को नहीं बताया अपने इन्वेस्टर जिन्होंने पैसा लगाया था उन्हें भी डुबो बोला कि आरोपियों के जो पॉइंट्स हैं यह विषय को दिया हैं और यह दो चीज एनडीटीवी के कांग्रेस ने गरीबी यह से भी के रूस के खिलाफ था इस चीज को लेकर एनडीटीवी के कांग्रेस पर सीबीआई और सैम क्वेरी भी बैठी लेकिन शॉर्ट में एक बार मैं आपको फिर से पूरा बता देता हूं यह चीज है जो आपको थोड़ा सा ध्यान देना है पूरी वीडियो हैं उसके वाला को पूरी डिटेल समझ में आ जाएगी एनडीटीवी के फंड से पर्चेस में थे 16th 52पसंद चेयर अधिकार आयोग के पास थे और 15.90 शेयर प्रणय रॉय के पास थे बाकी से ज़ी टीवी जीत है वह इन्होंने अगर प्यार के थ्रू ले लिए थे ऐसा करके इन दोनों के गरम परसेंट करेंगे TV के अंदर कुछ 61.45 परसेंट बैठती है और बाकी के जो 28.8 1% और 9.75 परसेंट से वह इन्होंने शेयर मार्केट और प्राइवेट कंपनी है जो इनवेस्टमेंट उठाई थी उसके थे इसके बाद उन्होंने आरोपियों के शेयर गिरवी रखकर इंडियन उसे लोन उठाया उसी इंडियन बोलकर लोन लेने के लिए उन्होंने आईसीसी से लोन उठाया और आईसीआईसी का लोन देने के लिए पूरी तरह तैयार कंपनी के शेयर बीएसई पर को वर्ण के रूप दे दिया गया और इनडायरेक्टली एनडीटीवी में विफल कर्ता-धर्ता बन गया था अब लेकिन क्वेश्चन यह है कि यह जो बीसीपीएल कंपनी है या फिर है जिसकी ताकि यह समझ पाए हम लोग कि एनडीटीवी की असली उन्हें बैग उसके पास लेकिन जब इस कंपनी के इंक्वायरी हुई तो पता चला कि यह वेलकम लिए तरह फिट कर रही है लेकिन शैल कंपनी वह कंपनी होती है जिसको बनाया किसी और काम के लिए जाता है लेकिन उनके काम को छोड़ कर रही होती है यह जो भी पीपल कम पहले उसके बारे में पता लगाया गया तो यह निकली मुकेश अंबानी की अभी करंट सिचुएशन की बात करें तो इतना हल्ला हो रहा है इसका कंट्रोल आडवाणी के हाथ में जा रहा है इतने सालों से इसका कंट्रोल अंबानी के हाथ में था अब कैसे था यह मैं आपको समझाता हूं लेकिन भी से पहले जो लिया था प्रेम ने और राधिका रॉय को यह खुद भी से पहले नहीं दिया था कि वीसी पहले कंपनी है शहर रिटेल इससे लेकर दिया था और इन्हें ब्रिटेन ने भी बिना किसी से केवटी बिना किसी इंट्रस्ट के VPN को लोन ले लिया था और वह भी तब दिया था जब बीटीपीएल एक ऐसी कंपनी है जो उसी साल खुली थी उसका कोई पुराना ट्रांजेक्शन नहीं था कोई रिकॉर्ड नहीं था इस कंपनी के पास कोई ऐड नहीं थे अब जैसे नो डिटेल के बारे में पता किया गया तो पता चला कि लोन दिया था VPN को चिन्ह रिटेल ने स्नोडेन ने भी यह पैसा खुद नहीं दिया था यह पैसा शेरों डिटेल में रिलायंस इंडस्ट्री इनवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड से लेकर दिया था जो Reliance ग्रुप का पार्ट है और आप सब जानते हैं कि मुकेश अंबानी की कंपनी है और यह भी कह सकते हो कि एनडीटीवी विचार है इनको क्या पता यह सब चीजों के बारे में खुद अ फैन के साथ गेम खेलना अभी आडवाणी गेम खेल रहा है वह सकता है उससे पहले अंबानी ने गेम हों लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था एनडीटीवी के फाउंडर पुराने और राधिका रॉय को बहुत अच्छे से पता था इनकी कंपनी का कंट्रोल अंबानी के हाथ में जा रहा है जब यह लोन राधिका रॉय ने वी शेप इसे लिया था तो इसका जो एग्रीमेंट हुआ था उस पर साइन हुए थे वह एनडीटीवी यानि के आरोपियों की तरफ से राधिका और रॉय ने किए थे और वहीं पर VPN की तरफ से केयर राजा ने साइन किया है केयर राजा रिलायंस के टॉप मैनेजमेंट के एंप्लॉयीज है उस टाइम के और यह चीज एनडीटीवी के फाउंडर को बहुत ही अच्छे से पता कि एनडीटीवी यह किसके हाथों में दे रहे हैं और जिस टाइम पर डील हो रही थी आपको मेंटेनेंस भी देखेगा उसी घर के पास में एनडीटीवी ने मुकेश अंबानी वह अपने प्लेटफार्म पर बुलाकर सम्मानित किया इस स्टेज के ऊपर अंबानी के नाम से प्रसिद्ध है पड़ेगा और यह सारी चीजें ऑनलाइन अभी भी अवेलेबल हैं उस टाइम पर बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया था एंटी ने मुकेश अंबानी को और यही नहीं मिनिस्ट्री आफ कॉरपोरेट अफेयर्स के रिकॉर्ड में क्लीयरली अचीवमेंट्स है कि जब यह सारे ट्रांजेक्शंस हो रहे थे कि सारी कंपनियां आपस में कनेक्टेड थी लेकिन नेक्स्ट ऐसे कर रही थी कि जैसे अलग-अलग हूं VPN को स्नानों करती थी इन लेकिन दोनों की तो कंपनी के एड्रेस पर दोनों सेम थे और वे सीरियल के डायरेक्टर थे जो डिस्प्ले को समझाते थे वह भी रिलायंस इंडिया लिमिटेड के सीनियर डायरेक्टर थे लेकिन जिस तरीके से अभी तक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि हम इन पैसे वाले ढ़ाणियों के सामने नहीं झुकेंगे इससे जोक इतने टाइम से जो अंबानी की छत्रछाया में कोई दिक्कत नहीं हुई तो आडवाणी के आने से क्या बदल जाएगा और वह भी तब जब इन को पहले से ही पता है यह 29.10 फ्रेंच एनडीटीवी के हाथ से 2009 में निकल गए थे यह सिर्फ एडिशनल डीसीपी जिसकी भरपाई इनके शेर से पूरी की जा रही है और कैसे की जा रही है वहीं समझते हैं 2012 में बीपीसीएल की ओर से बदल दी जाती है और बीपीसीएल की होने से जाती है नेक्स्ट वेब टेलीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के हाथों में जिसका लिंक महेंद्र नाका से था महिला का जो कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड के डायरेक्टर थे अब हम थे करंट सिचुएशन पर अभितेश अगस्त 2022 को यह तो कंपनी है नेक्स्ट वेब टेलीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड जो बीसीपीएल को फोल्ड करती है इसको अदानी ग्रुप की कंपनी एईजी मीडिया नेटवर्क ने टेकओवर कर लिया VPN लोन निकाल नहीं पाई और प्यार तो अदानी ग्रुप ने आरपीएफ के जो वारंट थे जो कि 2009 में एनडीटीवी के फाउंडर है और राधिका रॉय ने कुछ टाइम करके कहा था कि हमारे वारंट का यूज करके आप कभी भी शेष ले सकते हैं और अदानी ग्रुप में वही किया उनको ले लिया अट एनी टाइम ड्यूरिंग ए stand-alone और व्हाट्सएप विदाउट रिक्वायरिंग एंड फादर एक्ट और डेवलप्ड ब्लेंडर यह घटना इन थिस एग्रीमेंट की एनडीटीवी के फाउंडर ने खुद तकरीबन पर साइन किया था और इसी एग्रीमेंट में साफ लिखा था कि नॉट रिक्वायर एनी प्रायर कंसेंट आफ एनडीटीवी एंड और इस टमाटर टमाटर सैनिक पाउडर तो इसमें से भी को ज्यादा नहीं कर सकती टीवी18 के साथ भी सेम कंडीशन हुई थी जब उन्होंने मुकेश अंबानी से उठा लिया था और जब वह नहीं पैसे दे पाए थे तो उनको अपनी कंपनी के सेल्स भी ट्रांसफर करने पड़े थे अगर आप इसको थोड़ा सा ध्यान से समझेंगे तो यह दिल एक्चुअल में इनडायरेक्टली अंबानी और अडानी के बीच में हुई है देखिए वारंट यूज करके आप एमजी मीडिया नेटवर्क जो कि अदानी ग्रुप की कंपनी है वह एनडीटीवी के 29.17 प्रतिशत शेयर की मालिक बन जाती है अब बढ़ाने ग्रुप के पास 29.17 इंचेस तो है ले अभी भी प्रणय और राधिका रॉय के तो टोटल शेयर है वह पानी से ज्यादा है जो कि 22% है लेकिन अगर ऐसा है तो रॉय परेशान क्यों है पीके रॉय की परेशानी का कारण दूसरा है से भी रेगुलेशन 2011 के तहत जब भी कोई कंपनी किसी कंपनी में पच्चीस बरसों से ज्यादा शेयर लेती है जैसे कि अदानी ग्रुप ने एनडीटीवी के असली है पच्चीस परसेंट से ज्यादा तो ऐसे केस में इनके पास एक ऑप्शन खुल जाता है जिसमें चाहे तो बाकी बचे हुए जितने भी शेयर होल्डर हैं उनको पैसा ऑफर करके उनसे शेयर खरीद सकते हैं और अपने हेयर्स को 50% ज्यादा कर सकते हैं और उस कंपनी का ओनर बन सकते हैं और लड़ाई चीज की ओर है कि आडवाणी और रॉय इसमें से ओनर कौन बनेगा एनडीटीवी के पाउडर की मेन दिक्कत यह नहीं कि आडवाणी ने के फैसले लिए इनके बारे में तुमको पहले ही पता था 2009 में पता था कि किसी ना किसी के नाम पर कंपनी होनी है इनकी मेनली करती है कि आडवाणी नगर ऑफर देकर 50% से ज्यादा सीरियस ले लिए तो एनडीटीवी जो कंपनी रोहित की है उसका कंट्रोल किसी और के पास चला जाएगा अभी तक अपनी टीम के सामने कुछ परेशानी आई थी वह पैसे की आई थी और काफी हद तक शेयर्स को इधर उधर करके उसे संभाल लिया था लेकिन इस बार बार अपनी ड्यूटी उन्हें सिर पर आ गई है और ऐसा नहीं कि पचास परसेंट से ज्यादा शेयर खरीदने का जो ऑप्शन है फिर अदानी ग्रुप के पास है एनडीटीवी के फाउंडर चाहें तो वह भी पैसा देकर पचास परसेंट से ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं राधिका और प्रणय रॉय के ऊपर से भी की तरफ से 25 नवंबर 2022 तक बैन लगा हुआ है यह शेयर खरीद और बेच नहीं सकते यह इनके ऊपर 2010 में लगा था इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप लगे थे इंच ऊपर एंड क्रिएटिविटी से भी की तरफ से और इनको बैन लगा दिया गया था अब इसको लेकर 25 अगस्त को रॉय ने बंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को लेटर लिखा था कि पैक और सही नहीं है क्योंकि अदानी ग्रुप तो शेष खरीद और बेच सकता है और हम आलू पर बैन लगा हुआ है तो हम कैसे तय को रोक पाएंगे ना तो उन्हें खरीद सकते हैं और न ही वे सकते हैं अब मान लीजिए से भी उनकी बात मान भी लेती है और रोक देती है रानी को उसके बाद भी अदानी ग्रुप के पास 1 घंटे जाएं मैं आपको शुरू है बताया था कि एनडीटीवी में जो ऐड इन्वेस्टमेंट फंड उनकी तो कंपनी है उसके पास एनडीटीवी के 9.75 सेल्स है और ऐसे ही विकास यॉर्क के पास एनडीटीवी के 4.4 2% शेयर है यह दोनों इंडिया के भाव प्रॉब्लम है और इनका पैसा इंडिया के अंदर अदानी ग्रुप में काफी ज्यादा लगा है 98% चांसेस है कि एंड ऐसी ओपन ऑफर में आडवाणी को मैसेज भेज देगी और अगर ऐसा होता है तो अदानी ग्रुप के पास 14% टोटल चेंज हो जाएंगे और बाकी के शेर ढ़ाणी मार्किट से उठाकर फिफ्टी परसेंट से ज्यादा कि उन्हें बन सकते हैं फिर तो ढ़ाणी ग्रुप में एनडीटीवी के शेयरहोल्डर्स को ऑफर दिया है आप हमसे एक शेयर का दाम 204 उसमें ले लो और शेयर हमें दे दो ताकि जो टोटल शेयर है अदानी ग्रुप के रफी फाइव परसेंट से ऊपर हो जाएं लेकिन जब तक 294 उसका अदानी ग्रुप में शेयरहोल्डर्स को ऑफर दिया है उसके बाद से शेयर मार्केट के अंदर एनडीटीवी के शेष का बढ़ता जा रहा है मार्केट के अंदर न्यूज़ आते ही एनडीटीवी के शेष लोग खरीदने लगे हैं और आज तीस अगस्त को इसका दाम फोर्सेज के करीब पहुंच गया है तो कोई वे अपना शेयर फिलहाल वाला जो अनामिका ऑफर है उसमें तो नहीं बचेगा लेकिन ऐसा बोला जा रहा है कि अदानी ग्रुप कुछ दिन वेट करेगा और फिर से अपने फेस के नाम बढ़ाएगा अब आप लोग एक चीज और सोच रहे होंगे कि अदानी ग्रुप एनडीटीवी को खरीदना चाहता है क्या रीजन है कि जितने डिजाइंस है मीडिया इंडस्ट्री में क्यों पूछना चाहते हैं रिलायंस में नेटवर्क के डीन के रूप कई न्यूज चैनलों करता है अड़ानी भी शेयर खरीद रहा है न्यूज़ मीडिया कंपनी यह देखिए जो बड़े-बड़े नाम है यह न्यूज़ एजेंसी में पैसा कमाने के लिए नहीं पूछते हैं न्यूज़ मीडिया कंपनी है करना कि पावर होती है जिसे बड़े-बड़े ग्रुप ने कोशिशें पावर की तरह यूज करते हैं जब अलग-अलग गवर्नमेंट से डील करते हैं अंबानी नेटवर्क18 के थ्रू अलग-अलग मीडिया कंपनी में दूसरा और इसको देखकर आडवाणी ने भी एमजी मीडिया नाम से कंपनी लास्ट ईयर खोल दिया और इसका प्रॉपर यही था बनाने का कि मीडिया कंपनी को एक्वायर करें और मीडिया विदेश में घुसे इन्होंने तक कोई नाम की वेबसाइट में भी शेयर खरीदें करीब 59% के लिए जो तौर पर ऐसे थोड़ी जल्दी है कि गवर्नमेंट ने कराया है अब सारी चैनल pro-government हो जाएंगे तो देखिए तो मुझे लगता नहीं है यह सिंपल एक बिजनेस की दलील थी कि जिसकी वजह से उठा दो लिया था वह चुकानी पड़े तो उसकी वजह से शेयर से लिए गए बिजनेस पॉइंट ऑफ व्यू से अगर आप इसको देखोगे तो अदानी ग्रुप एनडीटीवी खरीद रहा है तो इसको बहुत अच्छे से पता है कि वह क्या खरीद रहा है एनडीटीवी में जो ऑडियंस है वह मेजॉरिटी आफ थम pro-government नहीं है अगर आडवाणी आगे जबरदस्ती pro-government बनाने की कोशिश करेगा तो उससे एनडीटीवी की ऑडियो भक्त नहीं बन जाएगी वहीं और चली जाएगी चैनल को और कंपनी के शेयर खरीद रहा है वह ऐसा नहीं करेगा तो नुकसान होगा इस तरह से और मार्किट में होते रहते हैं अगर आप भी स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट इंट्रेस्टिंग लगती है तो मैं आपको की मीटिंग के बारे में बताना चाहूंगा यह वह पीटर लिंच ने जो खुदा जाने वाले हैं इस वक्त मैं आपको घुंघराले का यह में अवेलेबल है जिसको करने से कभी भी और कहीं भी सकते हैं कोई लेकर बैठने की जरूरत नहीं है आपको और अलग-अलग जॉनर की बायोग्राफी कॉमेडी और यह प्लेटफॉर्म इन्होंने एक पेज पर पूरे मतलब बहुत ही ज्यादा पसंद मतलब बहुत सारे लोग हैं जिनको हो रहा है तो आप डाउनलोड करें और अपने नॉलेज फर्स्ट फीचर्स को मेरा चैनल रूस करके मिलेगा 50% डिस्काउंट और फेज़ उसका जो सब्सक्रिप्शन है वह आप ले सकेंगे 199 वापिस में लिंग मैंने डिस्क्रिप्शन में दे xeYYfEkAqsk,Bilkis Bano's Rapists In Jail | Nitish Rajput | Hindi,2022-08-26T13:52:21Z,PT10M24S,2110382,87296,10469,https://www.youtube.com/watch?v=xeYYfEkAqsk,, कि ऐसा क्या रीजन है कि 15 अगस्त को इन 11 क्रिमिनल उसको फ्री कर दिया गया जब लोग गांव पहुंचते हैं तो इनका स्वागत फूल और मालाओं से होता है मिठाइयां बांटी जाती थी रात गवर्नमेंट से क्वेश्चन किया जाता है कि इतने सारे क्रिमिनल थे उनमें से आपने क्या सोचकर सिर्फ इनको माफी थी क्योंकि गुजरात वापी नीति के हिसाब से दो या फिर दो से ज्यादा लोगों को मारने वालों को माफी नहीं मिल सकती हैं यहां पर सा लोगों को मारा कि हम इसमें क्लीयरली वेंचर है कि वेब करने वालों को माफी नहीं मिल सकती FIR नंबर 01 2012 में जो टाइमिंग जानकारी दी सोम सिंह ने उसकी डिटेल्स पुलिस जनरल डायरी से मैच ही नहीं हुई जबकि जून 2012 में हरेक स्टेट गवर्नमेंट को होम मिनिस्ट्री ने लैटर भेजा है कि इस बार किसी भी कीमत पर किसी भी webpage को माफी नहीं मिलनी चाहिए कि बिलकिस बानो को इंसिडेंट हुआ था वह 2002 के गुजरात दंगों का टाइम हुआ था तो इस पर्टिकुलर टाइम पर धन्यवाद क्यों रही है और यह हमारे लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने 11 के कैरेक्टर्स को सजा सुना दी तो 111 लोग 15 अगस्त को फ्री कैसे हो गए तो इसको समझने के लिए थोड़ा सा पीछे जाना होगा बिलकिस बानो जो की फांस बन प्रेग्नेंट थी यह गुजरात के दाहोद डिस्टिक में अपने हस्बैंड और साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ रहती थी लेकिन यह सेलिब्रेशन के लिए 24 कटोरी 2002 को अपने फादर के घर जो कि सिंह वन में गुजरात के अंदर वहां आई थी अब इसके तीन दिन बाद 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन से वापस आ रहे थे अहमदाबाद के लिए और जिसको से लोग आ रहे थे जो कि S6 उसमें आग लगा दी जाती है जिसकी वजह से पूरे गुजरात में जगह-जगह पर दंगे होते हैं 27 फरवरी को गुजरात में इंसिडेंट होता है और उसके अगले दिन 28 फरवरी को गुजरात के अलग-अलग इलाकों से धर्मों की खबरें आने लगती हैं फिर वह गांव जहां पर बिल्कुल अपने फादर के रुकी थी वहां भी दंगे शुरू हो जाते हैं अब उस पर्टिकुलर गांव में दंगा टो कंट्रोल हो रहे थे तो लोग उन्हें गया कि 15 खूबसूरत लड़की घबरा कर अलग रख डाइरैक्शन में भागने लगे ताकि पहचाना जा सके बिलकिस बानो का भी पूरा परिवार तीन ग्रुप में डिवाइड होकर अलग डाइरैक्शन में भागता है जिसमें बिलकिस बानो अलग रूप में इनके हस्बैंड और भाई अलग रूप में मानते हैं बिलकिस बानो जिस ग्रुप में भाग्य की अपना गांव छोड़कर उसमें 16 लोग थे जिसमें से इनकी मदद उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ में थी यह भागकर एक दिन वहां के जो ex-mla हैं मिस्टर दाम और इनके घर रखते हैं उसके बाद यह लोग एक आदिवासी वीडियो में रखते हैं यहां पर यह वहां के ट्रेडिशनल स्टाइल के कपड़े पहन लेते हैं ताकि उनकी पहचान न हो पाए लेकिन तीन उसको 25 से 30 लोग दो वाइट कलर की जीत में हथियारों के साथ वहां पहुंच जाते हैं इन लोगों को बिल्कुल आलरेडी जानती थी और बल्कि नाम से पहचानती थी क्योंकि बिलकिस के गांव की थे जहां पर हूं बचपन से रहती थी अब इनके ग्रुप में से बाकी लोग तो फट जाते हैं लेकिन बिलकिस प्रेग्नेंट थी इनकी बेटी छोटी थी और इनकी मदद काफी तेज थी उनकी तो यह लोग नहीं भागते हैं ऐसे करके साथ लोग उस जगह पर फस जाते हैं इन 25 से 30 लोगों में 12 लोग ऐसे थे जिन्होंने बिलकिस बानो और उनकी मदद के साथ रेप किया है बल्कि इसकी जो साढ़े तीन साल की बेटी थी उसको अनुप्रिया को बचे हुए लोग थे जो बाहर नहीं पाते उनको भी लोग मार देते हैं बिलकिस बानो को समझने के मर गई है लेकिन तीन से चार घंटे बाद बिलकिस बानो को जब हो जाता है तो उनकी जो पूरी फैमिली थी उनकी डेड बॉडीज एस पड़ी थी यह पूरी रात वहीं पर पेड़ की आड़ में छुपी रहती हैं और अगले दिन उसी आदिवासी गांव में जहां पहले रुकी थी वहीं की औरतों से कपड़े लेती हैं और वहीं पर यूनिफार्म में एक आदमी दिखता है को यूपी होमगार्ड होता है उसको बिलकिस बानो पूरी कहानी बताती हैं वह होमगार्ड इनको लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन ले जाता है शुरू में पुलिस स्टेशन में एफआईआर नहीं लिखी जाती और पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश करती है वहां पर पुलिस ऑफिसर द सोंग सिंह उसने बिल किसकी स्टोरी थी जो बिल किसने बताई थी उसको मॉडिफाई करके कंपन लिखता रिटर्न में और इस बात का तब पता चलता है जब सीबीआई इंक्वायरी होती है जिस टाइम पर बिलकिस बानो अपनी स्टोरी बता रही थी वहां पर मौजूद बाकी लोगों ने कंफर्म किया कि बिल किसने जो कहानी बताई थी और कंप्लेन में जो लिखा है वह दोनों अलग-अलग है बिलकिस बानो पढ़ी-लिखी नहीं तो जो भी मैंने बोला वह कंपनी लिख दी उन्होंने उसको मॉडिफाइड कर दिया और उसके बाद मुझे अंगूठा लगवा लिया गया पुलिस ने तो यह भी कह दिया कि इस केस में अपने और अपनी क्लोजर रिपोर्ट भी सबमिट कर दी इसके बाद बिलकिस बानो को इकबाल के लिए टाइम में शिफ्ट कर दिया जाता है और वहां पर अपनी सारी कहानी लोगों को बताती हैं सुथरा बहन और नतीजा भेजो कि कैंप ऑर्गेनाइज्ड ए थी यह बात आगे बढ़ाती है उनकी कई एनजीओ इसमें बॉईल होते हैं इतना ज्यादा प्रेशर बनता है कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई इन्वेस्टिगेशन के आर्डर दे दिए सीबीआई ने सारी चीजों की जांच की और अपनी चार्जशीट सबमिट कि यह जॉब स्क्रीन पर देख लो यह बिलकिस बानो के इसकी ओरिजिनल चार्जशीट की कॉपी है जो सीबीआई ने सबमिट की थी इसका पोस्ट करके पढ़ सकते हैं इसमें सीबीआई ने बताया कि इस पूरे केस में बिलकिस बानो के साथ नाइंसाफी हुई है इस केस में पुलिस चैनल को शुरू से बचा रही थी उनके नाम छुपा रेड्डी अब जिन लोगों ने हमला किया था वह बिल्कुल के गांव गए थे ब्रिटिश इन के नाम पहचानती थी इनको जानती थी और कंप्लेंट करते टाइमिंग के नाम लिखवाए थे लेकिन सोम सिंह ने इन सबके नाम मेंशन है कि कंप्लेंट में और इसको भीड़ का हमला दिखाते केस बंद करने की कोशिश की सीबीआई ने उन पर इस चीज कंफर्म किया कि डॉक्टर भी मिले हुए थे डॉक्टर ने बिलकिस बानो की रिपोर्ट गलत सबमिट की और आगे चलकर स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री जो कि बड़ोदरा में उसने कंफर्म कि जो भी बिलकिस बानो ने बताया है वह सही है वह हुआ था मेडिकल रिपोर्ट में इतनी जगह इंजरी जाएगी बिलकिस बानो के इतनी सारी धाराएं लगाई थी सीबीआई ने और इतने विटनेसेस के स्टेटमेंट सीबीआई ने सबमिट की है इसमें पुलिस ने जो क्राइम है उसका टाइम भी गलत लगी ताकि जो प्रेम रस है उनकी टाइम इसे महसूस ना हो FIR नंबर 01 2012 में जो टाइमिंग जानकारी दी सोंग सिंह ने उसकी डिटेल्स पुलिस जनरल डायरी से मैच ही नहीं हुई बिलकिस बानो क्राइम सीन पर ले जाकर बॉडी की जो पहचान कराने का प्रोसेस था उसको इसके कर दिया गया बल्कि पूरे दिन तक क्राइम सीन पर कोई है ही नहीं और डेड बॉडी धी उनके साथ भी छेड़छाड़ की गई चार मार्च को भाविन पटेल जो कि क्राइम सिंह का फोटोग्राफर था उसने जो फोटोग्राफी की करेंसी इन कि उसमें बिलकिस बानो की जो साढ़े तीन साल की बेटी भी उसकी बॉडी की फोटोग्राफी उसमें यह उस फोटोग्राफ में जो बॉडी थी उनके नाम है इसमें सलेहा जो कि बालों की बेटी थी उनका नाम मेंशन है और नए दूसरा फोटोग्राफर आरके सोनी गया तो उसमें जो उसका टाइम सिंह की फोटोग्राफी तो उस फोटोग्राफर ने बिलकुल बालों की बेटी की वह फोटो ही नहीं थी सेम टाइम SIM की फोटोग्राफ अलग-अलग कैसे हो सकती है और इसमें आप देखोगे तो कि किसानों की जो बेटी हैं उनका नाम मेंशन नहीं न्यू दिल्ली से इससे फसल की टीम बुलाई गई जिन्होंने पूरा टाइम SIM विजिट किया उन्होंने क्लीयरली बोल दिया कि जिस तरीके से बॉडी रखी गई है इसमें छेड़छाड़ की गई है कम्युनिटी हेल्थ सेंटर जो कि लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन के पास में वह स्टॉप अवेलबल होने के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया बल्कि एवरेस्ट को मिटाया गया यहां तक कि सीबीआई को दोबारा सारी डेड बॉडीज को कपड़ों से निकलवाना पड़ा तो वहां जाकर पता चला कि सारी बॉडी इसके दो पार्ट है वह इंटरचेंज कर दिए गए ताकि बॉडी इसकी पहचान न हो सके बिलकिस बानो को धमकियां मिल रही थी इस केस को वापस लेने के लिए इसलिए बिलकिस बानो ने रिक्वेस्ट डाली कोर्ट के अंदर कि इस केस को गुजरात से बाहर ट्रांसफर कर दिया जाए और इस रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट किया और टेस्को मुंबई शिफ्ट कर दिया इसके बाद केस मुंबई में चलता है और जनवरी 2008 को ग्यारह लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई जाती है इन 11 लोगों में से पुलिस वाले भी थे जिन्होंने गलत रिपोर्ट बनाई थी डॉक्टर भी थे जिन्होंने गलत मेडिकल रिपोर्ट सबमिट की थी लोअर कोर्ट ने सारे सबूत रिव्यू किए और इन ग्यारह लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई और कोर्ट ने गुजरात गवर्नमेंट को आर्डर दिए कि बिलकिस बानो को पंच शुक्र कंपनसेशन घर और नौकरी दी जाए इसके बाद 111 लोग हाई कोर्ट चले जाते हैं फिर वहां सारा केस रिव्यू होता है सारे सबूत दिए जाते हैं और सेव उम्रकैद सुनाई जाती है इसके बाद यह सुप्रीम कोर्ट गए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डाली दोबारा से अपील की कुल मिलाकर इंडिया के तीन कोड लोअर हायर और सुप्रीम कोर्ट ने पांच बार इस केस की डिटेल्स जवान सबको वेरीफाई किया और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा इसका मतलब यह है कि किसी भी तरह से कोई डाउट नहीं है कि इन्होंने क्राइम नहीं किया है यह पूरी तरह से कंफर्म हो चुका है कि क्राइम इन्होंने किया और यही रीजन है कि 14 साल से उम्रकैद की सजा काट रहे थे लेकिन अब बात यह है कि ऐसा क्या रीजन है कि 15 अगस्त को इन 11 क्रिमिनल उसको फ्री कर दिया गया लेकिन आर्टिकल 732 और 161 के तहत प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया और स्टेट के गवर्नर को यह टाइट है कि वह कोर्ट की देवी सजा को माफ कर सकते हैं लेकिन इस टेस्ट में इन्होंने माफी नहीं दी है बल्कि गुजरात गवर्नमेंट माफी दिए क्योंकि सीआरपीसी सेक्शन 432 के तहत स्टेट गवर्नमेंट कॉपीराइट है कि वह सजा माफ कर सकती है और जब भी किसी बड़े लीटर की कोई एन कोट 26 जन्वरी वह 15 अगस्त जैसे मोटे होते हैं तो कैदियों को रिहा किया जाता है गुजरात मा की नीति है जिसके तहत माफी दी जाती है तो इन 11 आरोपियों में से एक ने एप्लीकेशन डालिए कि 14 साल से अमृत सजा काट रहे हैं अब हमें माफी दे देनी चाहिए तो इस रिक्वेस्ट को गुजरात गवर्नमेंट सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा तो पहले तो यही बहस हुई कि पूरा कैसे मुंबई में चल रहा है तो गुजरात गवर्नमेंट का इसमें कोई रोल नहीं है फिर सुप्रीम कोर्ट ने यह बोला कि गुजरात गौरव मणि डिसाइड करें क्योंकि क्राइम गुजरात में हुआ गुजरात में 1992 में गुजरात माफी नीति बनाई थी जिसको 2014 में कमेंट भी किया गुजरात गवर्नमेंट ने कमेटी बनाई जिसमें नेता सीनियर जज वगैरह इन सबको रखा और इन्होंने मिलकर इन सारे 11 लोगों को माफी दे दी और यह फ्री हो जाते हैं जेल से जुड़े लोग गांव पहुंचते हैं तो उनका स्वागत फूल और मालाओं से होता है मिठाइयां बांटी जाती है उनके स्वागत की फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा वायरल होने लगती है अब गुजरात गवर्नमेंट से क्वेश्चन किया जाता है कि इतने सारे क्रिमिनल से उनमें से आपने क्या सोचते सिर्फ इनको माफी दी कुड़ी गुजरात वापी नीति के हिसाब से दो या फिर दो से ज्यादा लोगों को मारने वालों को माफी नहीं पेज अपने यहां पर सात लोगों को मारा गया इसमें क्लीयरली वेंचर है कि रेप करने वालों को माफी नहीं मिल सकती इसमें एक यह भी है कि अगर सेंट्रल एजेंसी शामिल हो तो ऐसे केस में जिम्मा भी नहीं मिलनी चाहिए लेकिन यहां तो सर्दी सीबीआई ने करवाई थी फिर सारे क्वेश्चन उठाए गए इस पर गुजरात गवर्नमेंट ने कहा कि इनको जो माफी दी गई है वह गुजरात माफी नीति-2014 के यहां पर नहीं बल्कि जो गुजरात माफी नितिन 1992 है उसके बेसिस पर दी गई है कि यह केस 2014 से पहले का है और 1992 में जो गुजरात माफी नीति है उसमें माफी देने का इंस्ट्रक्शन है उसमें कुछ क्लैरिटी नहीं है उसमें मेंटेन नहीं किया गया कि किस तरीके से माफी मिलनी चाहिए बस कुछ सजेशन दिए गए हैं लेकिन क्लियर में कुछ नहीं बताया गया जबकि इसी जून 2012 में हरेक स्टेट गवर्नमेंट को होम मिनिस्ट्री ने लैटर भेजा है कि इस बार किसी भी कीमत पर किसी भी webpage को माफी नहीं मिलनी चाहिए अब बिलकिस बानो की तो वहीं है शोभा गुप्ता इन्होंने एक है कि फैला लेंगे इसके अगेंस्ट में तो यह पूरी स्टोरी बिलकिस बानो जी हमारी कंट्री में और भी बहुत से बड़ी कैसे हुए हैं जिनके बारे में शायद आपको ना पता हो लेकिन अगर आपको इस तरह के टिप्स के बारे में जानना हो कि आपको बताना चाहूंगा कि फिल्म की ऑडियो बुक के बारे में जिसका नाम है द केसेस इन इंडिया फॉर गोट इसमें कई पुराने और बड़े पेड़ के बारे में बताया गया है जिन्होंने हमारे कॉन्स्टिट्यूशनल और को भी चैलेंज कर दिया था अब क्योंकि ऑडियो बुक है तो आप अपनी कनविंस हिसाब से कहीं भी किसी भी टाइम आराम से इसको सुन सकते हो क्योंकि इसको बुक की तरह लेकर बैठने की जरूरत नहीं है उसको एवं पर और भी अलग-अलग जॉनर की ऑडियो बुक अवेलेबल है जैसे की बायोग्राफी इज कॉमेडी क्राइम कुओं एवं इंडिया का लीडिंग ऑडियो प्लेटफार्म है तो आप डाउनलोड करें कुछ f4 अपनी नॉलेज बढ़ाएं एक फतवे में कुएं एवं पर फर्स्ट उसको मेरा कोड 150 यूज करके मिलेगा 50% डिस्काउंट और 399 रुपए इसका जो सबसे ऑप्शन है उसको आप ले सकते हो 119 वापिस में लैंग्वेज इन थे डिस्टिक fzp02ud0AHc,Stock Market Explained | Share Market | What is IPO ? | Sensex | Nifty | Nitish Rajput | Hindi,2022-08-22T07:00:14Z,PT12M39S,3228777,153489,2291,https://www.youtube.com/watch?v=fzp02ud0AHc,, देखिए जो शेयर मार्केट है सेंसेक्स आईपीओ स्टॉक एक्सचेंज इन सबके पीछे बेसिक कांसेप्ट क्या होता है सेंसेक्स आज 100 पॉइंट ऊपर चला गया निफ्टी नीचे आ गया तो इनका मतलब क्या होता है इस वीडियो में इन सारी चीजों को हम इस तरीके से डिस्कस करेंगे कि जिसने आज तक इनका नाम भी पहली बार सुना होगा उनको भी ये सारी चीजें समझ में आ जाए और ऑनलाइन जाके बिना किसी की मदद के शेयर मार्केट में पैसा लगा पाएं तो इन सबको एक एग्जांपल से समझते हैं मान लीजिए आपका एक पानीपुरी का कॉर्नर है दिल्ली के लक्ष्मीनगर के अंदर और आपके पास पानीपुरी बनाने का एक ऐसा फार्मूला है जो लोगों को बहुत पसंद आ रहा है अब आप जैसे ही अपना पानीपुरी का कॉर्नर लगाते हो एक घंटे के अंदर आपकी सारी पानीपुरी बिक जाती है और आप अपना प्रॉफिट कमा के घर निकल लेते हो एक दिन आपने सोचा कि लोगों को इतना पसंद आ रहा है अगर मैं इसको ज्यादा से ज्यादा बनाना शुरू कर दूं और ज्यादा लोगों को बैठने का इंतजाम कर दूं एक दुकान खोल के तो पैसा तो और भी कमाया जा सकता है इससे लेकिन ये सारा सामान और शॉप के लिए भी पैसे का इंतजाम करना होगा अब अगर पैसा है तो लगा सकते हो लेकिन अगर नहीं है तो दोस्त और रिश्तेदार से उधार लेना होगा तो आपने क्या किया कि उधार पैसा लेकर लगा दिया और जब आपका बिजनेस अच्छा चलने लगा तो आपने पैसे वापस कर दिए दि है लेकिन इसके बाद भी लोग रुक नहीं रहे हैं वो और ज्यादा पसंद कर रहे हैं आपके प्रोडक्ट को अब आप सोच रहे हो कि अगर लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं तो क्यों ना इसको पूरे दिल्ली में बेचना शुरू कर दिया जाए प्रॉफिट ज्यादा अच्छा होगा लेकिन अब आपको पैसा ज्यादा चाहिए होगा पूरे दिल्ली में दुकान लेनी होगी एंप्लॉयज रखने होंगे और इतना पैसा अब आपके दोस्त भी अरेंज नहीं कर पा रहे हैं तो अब आपके पास एक तो ऑप्शन है कि आप बैंक जाएं लोन के लिए पहली चीज तो बैंक से लोन मिले ना मिले और दूसरी चीज अगर बैंक से लोन मिल भी गया तो 12 से 13 पर का इंटरेस्ट देना होगा और नेक्स्ट मंथ से ही ईएमआई शुरू हो जाएगी और बिजनेस को बनाने में टाइम लगता है जब तक आप पूरे डेल्ली का प्लान इंप्लीमेंट करने का सोच रहे होंगे बैंक की ईएमआई आपके सर पे होगी और पता चले बिजनेस को बड़ा करने की बजाय जो पहले मुनाफा हो रहा था उसी में से कुछ कम हो जाए अब ऐसे केस में मार्केट के अंदर एक ऑप्शन और होता है एंजल इन्वेस्टर का ये जो एंजल इन्वेस्टर हैं ये आपको पैसा उधार की तरह नहीं देंगे बल्कि ये पैसा आपको लौटाना भी नहीं है लेकिन ये जो पैसा आपको देंगे उसके बदले में आपके बिजनेस के शेयर्स लेंगे मतलब कि आपके बिजनेस में हिस्सेदारी मान लीजिए आपकी डील हुई है 10 पर हिस्सेदारी के बदले आपको ₹1 करोड़ मिलेंगे तो जो भी आप कमाओगे उसका 10 पर आपको एंजल इन्वेस्टर को देना होगा एंजल इन्वेस्टर को आपके साथ मिलके कोई काम नहीं करना है बस वह पैसा लगाएगा और आपके प्रॉफिट में से 10 ले लेगा घर बैठे-बैठे अब आपने पूरी डेल्ली में अपना नाम बना लिया है लोग आपके प्रोडक्ट को बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं इसके बाद आपने सोचा कि इसको दो-तीन स्टेट में और बढ़ाना चाहिए अब इस केस में पैसा ज्यादा चाहिए होगा और इतना पैसा एंजल इन्वेस्टर के बस के बाहर की बात होगी अब इस केस में आपकी मदद कर सकते हैं वेंचर कैपिटिस वेंचर कैपिट इस्ट ये एक तरह की कंपनीज होती हैं जिनका काम यही होता है कि मार्केट के अंदर स्टार्टअप्स और बिजनेसेस को फाइंड करें और उनको फंड करके उनके शेयर्स ले लें वेंचर कैपिट इस्ट के पास बड़ा अमाउंट इन्वेस्ट करने की कैपेबिलिटी होती है अब आप कहोगे हमारा भी प्रोडक्ट बहुत अच्छा चल रहा है हमारे पास भी बहुत अच्छा आईडिया है ये एंजल इन्वेस्टर और वेंचर कैपिट इस्ट ये कहां पे मिलते हैं देखिए आपको एक सर्च मारनी है और एक अच्छा सा फाइनेंशियल एडवाइजर या फिर इन्वेस्टमेंट बैंकर को हायर करना होगा आपको ये आपकी बढ़िया सी फाइल बनाएंगे और आपकी बात आगे बढ़ा देंगे अगर आपके बिजनेस में दम होगा तो आपको फंड मिल जाएगा और ये जो एंजल इन्वेस्टर हैं वेंचर कैपिट इस्ट है ऐसे हवा में पैसे नहीं दे देते हैं आपके रेवेन्यू की सारी डिटेल्स चेक होती है आपको प्रॉपर प्रेजेंटेशन देनी होती है अब मान लो आपने 10 पर शेयर देके एंजल इन्वेस्टर से पैसा उठाया 10 पर शेयर देके वेंचर कैपिटल से पैसा उठाया अब इसके बाद भी आपका प्रोडक्ट रुक नहीं रहा है लोग और डिमांड कर रहे हैं अब आप सोच रहे हो कि इस चीज को मैं इंटरनेशनल लेवल पे लेके जाऊंगा ऑल ओवर इंडिया में ब्रांचेस खोलूंगा और इसके लिए जो पैसे चाहिए होंगे वो एंजल इन्वेस्टर और वेंचर कैपिट इस्ट के बस के भी बाहर की बात होगी अब इस केस में आपको पब्लिक के पास जाना होगा अपने शेयर्स देके पैसा उठाने के लिए जब पहली बार कोई कंपनी पब्लिक के पास जाती है पैसा उठाने के लिए उसको कहते हैं आईपीओ इनिशियल पब्लिक ऑफि जिस भी कंपनी के नाम पे पब्लिक लिमिटेड लिखा होता है इसका मतलब यह होता है कि वो कंपनी लोगों के पास जाके अपने शेयर्स देके पैसा उठा चुकी है और मार्केट में जाके आप उसके शेयर्स खरीद सकते हैं देखिए जो पानीपुरी का बिजनेस था ये आपने अकेले स्टार्ट किया था लेकिन आपके प्रोडक्ट में दम था तो सारे लोग कमा रहे हैं आपने हिस्सेदारी दी सबको सबको अपने साथ जोड़ा और सारे लोग कमा रहे हैं इस समय तो इसलिए बिजनेस के अंदर पैसे से ज्यादा आपके प्रोडक्ट में दम होना चाहिए और ये जो आप कंपनी का आईपीओ लाते हो इसका मतलब यह नहीं कि आप लाउड स्पीकर लगा के लोगों के पास जाओगे अनाउंसमेंट करोगे इसका एक प्रोसेस होता है होता आईपीओ लाने का सबसे पहले आपको एक अंडरराइटर या फिर इन्वेस्टमेंट बैंकर हायर करना होगा वो आपकी कंपनी की प्रोफाइल रिव्यू करेगा कि कितना फंड चाहिए उसके बदले में कितने शेयर्स देगे आप एलिजिबिलिटी वगैरह चेक करेगा जैसे कि एक एलिजिबिलिटी होती है कि डेली का जो टर्नओवर होता है वो 10 लाख से ऊपर होना चाहिए ऐसे भी कई सारी चीजें हैं वो चेक करते हैं वो लोग ये सब चेक करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा और आपकी जो फाइल है वो अप्रूव होगी सेबी से बिना सेबी से अप्रूव हुए आपका आईपीओ नहीं आ सकता उसके बाद आपको स्टॉक एक्सचेंज में एप्लीकेशन डालनी होगी जो भी शेयर्स आपने सोचे हैं कि आप आईपीओ में लेके जाओगे उसकी प्राइसिंग वगैरह करनी होगी उसका प्राइस डिसाइड करना होगा जैसे कि paytm2 रखी थी और ऐसे करके उन्होंने 18300 करोड़ का फंड रेज किया था अगर आप आईपीओ लॉच कर रहे हो तो पूरी तरीके से आपकी मर्जी है कि आप अपने शेयर का दाम कितना रख सकते हो लेकिन आपको ज्यादा भी नहीं रखना है क्योंकि अगर लोग लेंगे नहीं 90 लोगों ने अगर आपके शेयर्स नहीं लिए आईपीओ के टाइम पे तो आपका आईपीओ आगे नहीं बढ़ेगा आईपीओ लॉन्च करने में छ से ₹ करोड़ लग जाते हैं मार्केटिंग और बाकी फी में व सब आपके खराब हो जाएंगे और इससे कंपनी का नाम भी खराब होता है इसलिए शेयर का रेट आपको ऐसा रखना होता है कि लोग आपके शेयर सब्सक्राइब करें यही रीजन है कंपनीज आईपीओ ऐसे टाइम पे लाती हैं जब मार्केट ऊपर हो लोगों की परचेसिंग पावर ज्यादा हो कोविड के टाइम पे आप देखोगे आईपीओ नहीं आ रहे थे बल्कि जो आने वाले थे वो भी होल्ड पे हो गए थे आप कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी ने आईपीओ के अंदर 1 लाख शेयर लॉन्च किए और लेने वाले 5 लाख लोग आ गए तो ऐसे केस में लॉटरी सिस्टम की तरह मिलते हैं आईपीओ के शेयर्स पब्लिक को अभी आईपीओ से पैसा उठा के कंपनी अपने काम में लग जाती है वो अपना प्रॉफिट बनाने में लग जाती है इसके बाद शेयर मार्केट ऊपर जाए नीचे जाए या उस पर्टिकुलर कंपनी के शेयर ऊपर नीचे जाएं उससे उसको कोई मतलब नहीं है अब अगर उसको दोबारा शेयर मार्केट में आना है तो उसको आईपीओ के थ्रू ही आना होगा जब दोबारा आईपीओ लेके कंपनी आती है तो उसको एफपीओ कहते हैं अब आप कहोगे कि हमने तो मूवी और न्यूज़ में देखा है कि शेयर ऊपर नीचे होते हैं तो कंपनी का जो ओनर है वो घबराते हैं तो देखिए कंपनी को फर्क पड़ता है लेकिन डायरेक्टली नहीं पड़ता है इनडायरेक्टली पड़ता है ये जो कंपनी के शेयर्स होते हैं इनके प्राइस एक तरह के ओवरऑल कंपनी की रेपुटेशन को रिफ्लेक्ट करते हैं मार्केट के अंदर जब वो पैसा उठाएंगे किसी काम के लिए मार्केट के अंदर से जो उनका करंट रेट चल रहा होगा वो एक एक तरह का बेस होता है किसी भी कंपनी का दूसरी चीज अगर कंपनी बैंक से लोन उठाती है तो वो अपने शेयर्स एज अ सिक्योरिटी देती है मान लीजिए 000 के शेयर्स अगर जमा किए हैं बैंक में तो उसके हिसाब से 600 से 50 बैंक लोन दे देगा अब अगर किसी वजह से मार्केट के अंदर शेयर्स के प्राइस गिर जाते हैं तो बैंक जो है वो कंपनी का गला पकड़ेगा कि हमें और शेयर्स दीजिए क्योंकि आपके शेयर्स के प्राइस गिर गए हैं इसलिए कंपनी के ओनर्स घबराते हैं कि शेयर्स के प्राइस नीचे ना जाएं और एक चीज और होती है अगर दोबारा कंपनी आ रही है आईपीओ लेके जिसको एफपीओ बोलते हैं तो उस टाइम पे अपने हिसाब से वो शेयर्स के रेट नहीं सेट कर पाएगी जो उस लर टाइम पर रेट चल रहा होगा वही बेस होगा एफपीओ का देखिए कंपनी आईपीओ लाके पैसे उठाती है पब्लिक से और अपने काम में लग जाती है पब्लिक जिसने कंपनी के आईपीओ के शेयर्स खरीदे हैं वो इंतजार करती है कंपनी प्रॉफिट कमाए और उसका उसको फायदा मिले लेकिन एक तरीका और है अगर आप आईपीओ के टाइम पे शेयर्स नहीं खरीद पाए हो तो जिन लोगों ने आईपीओ के टाइम पे शेयर्स खरीदे हैं उनसे मोल भाव करके आप शेयर्स ले सकते हैं और जिस जगह पे सारी चीजों का मोल भाव होता है उसको कहते हैं स्टॉक एक्सचेंज 18753 एरिया डिसाइड होता था लोग इकट्ठा हो जाते थे और मोल भाव करते थे और इन कंपनी के शेयर्स आपस में पेपर के जरिए एक दूसरे से खरीदते थे और यह काफी तेजी से फेमस होने लगा था तो गवर्नमेंट भी इसकी सक्सेस को देख के 1992 में कंप्यूटराइज सिस्टम लेके आई इस पूरे प्रोसेस का जिसको नेशनल स्टॉक एक्सचेंज कहते हैं और आगे चलके बीएससी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी अपना जो सिस्टम है वो पूरा कंप्यूटराइज कर दिया था और आजकल तो ऐसा है कि आप मोबाइल में एक क्लिक करेंगे तो आप शेयर खरीद और बेच सकते हैं अभी कई सारे एक्सचेंज हैं जैसे कि जयपुर एक्सचेंज कोलकाता एक्सचेंज बट एनएससी और बीएससी ये बहुत ज्यादा फेमस है ये दोनों ही मुंबई के अंदर है तो देखिए जैसे कि हम पहले डिस्कस कर रहे थे बंबई स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में आप सुनते होंगे कि आज सेंसेक्स 100 पॉइंट ऊपर चला गया निफ्टी 50 पॉइंट नीचे चला गया तो इन सब का मतलब क्या होता है और इनके ऊपर और नीचे जाने से इतना हल्ला क्यों होता है देखिए आपने टीवी के टीआरपी के बारे में जरूर सुना होगा इसमें एक एरिया के कुछ टीवी में डिवाइस लगा के चेक किया जाता है कि लोग क्या देख रहे हैं पूरे इंडिया के टीवी में नहीं लगाया जाता है क्योंकि इतना पॉसिबल नहीं है कि पूरे इंडिया के टीवी में डिवाइस लगा के पता किया जाए कि लोग क्या देख रहे हैं इसलिए कुछ सैंपल लिए जाते हैं और उस सैंपल के के बेसिस पे अनुमान लगाया जाता है कि पूरे इंडिया में लोग क्या देख रहे होंगे तो इस तरीके से टीआरबी डिसाइड होता है अब क्योंकि सारी कंपनीज को ट्रैक करना आसान नहीं है तो बमबे स्टॉक एक्सचेंज क्या करता है ये टॉप 30 कंपनीज को ट्रैक करके पूरे मार्केट का हाल प्रिडिक्ट करता है जिसको नाम दिया गया है सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज टॉप 50 कंपनीज का सैंपल लेता है और मार्केट प्रिडिक्ट करता है जिसको निफ्टी कहते हैं तो ज्यादातर ऐसा ही होता है कि ये जो सेंसेक्स है निफ्टी है इसकी जो टॉप कंपनीज हैं ये जिस तरफ जा रही होती है मार्केट उस तरफ ही जा रहा होता है लेकिन कोई जरूरी नहीं है कि जिधर ये जा रहे हैं मार्केट उधर ही जाएगा ऐसा भी हो सकता है कि सेंसेक्स ऊपर जा रहा हो आपके पास जो स्टॉक हो वो नीचे जा रहा हो तो ये भी हो सकता है अब आप ये सोच रहे हो कि ये जो सेंसेक्स है और ये निफ्टी है इसमें कौन सी कंपनी सेलेक्ट होती है देखिए सेंसेक्स में 30 बड़ी कंपनियां सेलेक्ट होती हैं और निफ्टी में 50 बड़ी कंपनियां सेलेक्ट होती हैं अब ये बड़ी कंपनी कौन सी होती है डेफिनेशन क्या है बड़ी कंपनी की ये डिसाइड कैसे होता है देखिए टोटल नंबर ऑफ शेयर एक पर्टिकुलर कंपनी के जो होते हैं और जितने रुपए के होते हैं अगर उसको मल्टीप्लाई कर दें तो जो भी अमाउंट आएगा तो जिस कंपनी का सबसे ज्यादा अमाउंट आएगा वो कंपनी सबसे बड़ी होगी इस तरीके से टॉप 30 और टॉप 50 की लॉट बनती है और ये जो सेंसेक्स और निफ्टी में जो टॉप 30 और टॉप 50 कंपनीज होती हैं चेंज भी होती रहती है अगर किसी कंपनी का शेयर नीचे जा रहा है तो वो टॉप 30 या फिर टॉप 50 से हट भी जाती है अब बात ये है कि किसी भी शेयर का दाम ऊपर और नीचे क्यों होता है देखिए शेयर मार्केट के अंदर मेनली तीन एंटिटी होती है जिनकी वजह से कंपनी के जो शेयर्स होते हैं इनका दाम ऊपर और नीचे जाता है पहला होता है रिटेल इन्वेस्टर्स दूसरा होता है इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स और तीसरा होता है एडवाइजर रेटिंग एजेंसीज देखिए रिटेल इन्वेस्टर आपके और हमारे जैसे लोगों को कहा जाता है जो मार्केट का माहौल देख के शेयर्स खरीदते और बेचते हैं दूसरे होते हैं इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ये बल्क में शेयर्स उठाते हैं किसी कंपनी या फिर किसी पर्टिकुलर सेक्टर के जैसे कि इंडेक्स फंड या फिर म्यूचुअल फंड और तीसरी होती है एडवाइजर रेटिंग एजेंसी ये प्रिडिक्ट करती है कि इकोनॉमी ऊपर जा रही है या फिर नीचे जा रही है या फिर कौन सा सेक्टर बूम करेगा कौन सा सेक्टर नीचे जाएगा ये तीन एंटिटी मिलके पूरे मार्केट का मूड किस तरफ जाएगा ये डिसाइड करती हैं तो बेसिकली आपको सही से रिसर्च करनी है और रिलायबल सोर्सेस पे ही ट्रस्ट करना है अगर आप शेयर मार्केट में पैसा लेके उतर रहे हैं और यह एक लॉन्ग टर्म गेम है अगर रातों-रात आप मुंगेरी लाल के सपने देख के शेयर मार्केट में उतरो ग तो आपका नुकसान होना तय है और यह जो मार्केट में टिप मिलती हैं ये जो फेक एक्सपर्ट्स होते हैं इनके चक्कर में बिल्कुल मत पड़िए सिर्फ रिलायबल एडवाइजर एजेंसी हो गई रिलायबल सोर्सेस हो गए इन्हीं का ही ट्रस्ट करना है बाकी जो लोकल टिप्स मिलती रहती हैं इनके भरोसे आपको बिल्कुल नहीं रहना मैं आपको एक एग्जांपल समझाता हूं मान लीजिए मैंने 4000 लोगों को रीच कर लिया उनकी एक लिस्ट बना ली 2000 2000 के दो ग्रुप बना दिए इनको दो ग्रुप में डिवाइड कर दिया एक ग्रुप को बोला कि मार्केट ऊपर जाएगा दूसरे ग्रुप को बोला कि मार्केट नीचे जाएगा अब इन दोनों में से एक चीज तो होगी या तो मार्केट ऊपर जाएगा या फिर मार्केट नीचे जाएगा अब इसके बाद मान लो मार्केट ऊपर चला गया तो जिस ग्रुप की प्रेडिक्शन गलत हो गई है उस ग्रुप को तो मैं छोड़ दूंगा और जो ग्रुप जो दूसरा ग्रुप है जिसकी प्रेडिक्शन सही गई है उसको पकड़ लूंगा और उस ग्रुप में अब हजार हजार के दो ग्रुप बना दूंगा और उसके बाद फिर से वही करूंगा जिस ग्रुप की प्रेडिक्शन सही होगी उस ग्रुप को पकडा और उसको दो पार्ट में डिवाइड कर दूंगा ऐसे कर कर के मान लो करीब 250 लोग ऐसे होंगे जिनकी चार-चार बार प्रेडिक्शन सही होगी उनको उनको लगेगा कि मैं शेयर मार्केट का गुरु हूं उनके बाद मैं उन 250 लोगों से बोलूंगा कि -00 हज जमा करो और आप लोग अमीर हो जाओगे मुझे मार्केट के बारे में सब कुछ पता है ऐसे कई लोग होते हैं जो पैसा लेके भाग भी जाते हैं तो इन सब चक्कर में बिल्कुल मत पड़िए और अगर आपको पैसा लगाना ही है तो या तो खुद से रिसर्च करिए या कोई रिलायबल कंपनी पकड़िए अगर आप बिना किसी की मदद से शेयर मार्केट में पैसा लगाना चाहते हैं तो घर बैठे सारे काम हो जाते हैं आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है बस आपके पास एक मोबाइल होना चाहिए शेयर मार्केट में शेयर खरीदने और बेचने के लिए तीन चीजें चाहिए होती हैं पहला होता है सेविंग अकाउंट दूसरा होता है डीमेट अकाउंट और तीसरा होता है ट्रेडिंग अकाउंट ये जो तीनों चीजें हैं इनको एक एग्जांपल समझाता हूं मैं मान लीजिए आप एक दुकान में जाते हो अपना वॉलेट निकाल के उसमें से पैसा निकालते हो और एक शर्ट खरीदते हो और उस शर्ट को उठा के एक बैग में रख लेते हो तो जो आपका वॉलेट हुआ वो हो गया आपका सेविंग अकाउंट शर्ट आपने जिस बैग में डाली है वो आपका हो गया डीमेट अकाउंट और आप खुद एज अ ट्रेडिंग अकाउंट एक्ट कर रहे होंगे सेविंग अकाउंट से आप पैसा ट्रांसफर करते हैं ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रेडिंग अकाउंट से आप शेयर्स खरीदते हो और वो शेयर्स आपके डीमेट अकाउंट में सेव हो जाते हैं जिस तरीके से आपके सेविंग अकाउंट में दिखता है कि आपके बैंक में कितना पैसा है ठीक उसी तरीके से आपके डीमेट अकाउंट में भी दिखता है कि किस कंपनी के कितने शेयर्स हैं आपके पास आपको सिर्फ google-my पूरा कर लो आपके मोबाइल से डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट सारा कुछ खुल जाएगा और सेविंग अकाउंट जो आपका होगा वो भी कनेक्ट हो जाएगा और उसके बाद भी अगर नहीं समझ में आ रहा तो उस पर्टिकुलर ऐप में कस्टमर केयर का नंबर दिया होता है वहां पे स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बताया गया होता है आपको आईपीओ लेना है शेयर खरीदने हैं बेचने सारा कुछ उस ऐप से घर बैठे हो [संगीत] जाएगा ए 7CYYbz6eT8M,Godhra Kand & Gujarat Riots 2002 Explained | Godhra Train Burning | Nitish Rajput | Hindi,2022-08-03T07:30:13Z,PT19M3S,4426032,147288,18282,https://www.youtube.com/watch?v=7CYYbz6eT8M,," मैं बनवा दी उससे लिया गया तो गोधरा से 200 किलोमीटर दूर मजदूर बैठा है दरअसल दिक्कत युद्ध तहलका मैगज़ीन ने अपने स्टिंग ऑपरेशन की नई वीडियो रिलीज की जिसकी 14 के 14 को रात 8:00 उसी बेकरी में जिंदा जला दिया जाता है अब जैसे ट्रेन रुकती है यहां पर पहले से करीब 2,000 लोग इंतजार कर रहे नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने और रिकॉर्ड बोला यह दोनों रिपोर्ट अपनी-अपनी पार्टियों को फ्लेवर कर रही है और जब पूरी ट्रेन में कारसेवक हैं और कारसेवक कोई निशाना बनाना था तो सिर्फ एस-5 और एस-6 कोच कोई क्यों अटैक किया जाएगा लेकिन 2002 में बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का जो विवाद था उसको करीब 9 से 10 साल हो गए थे और इस विवाद से ऑल ओवर इंडिया के जो हिंदू और मुस्लिम और में दर्शन देते वह किसी ना किसी तरीके से जुड़े थे ऐसे यह इंदौर एडिशन है विश्व हिंदू परिषद जिन्होंने अयोध्या में फेंगशुई 2002 में सो दिन का पूर्ण होती महायज्ञ करवाया और इस याद में ऑल ओवर इंडिया से कोने-कोने से लोग है और गुजरात से भी लोग पहुंचे यहां पर यह जो लोग आ रहे थे इस युग में इनको कर सेवक कहा जाता है कर मतलब कि हाथ और सेवक मतलब सेवा करें बेसिकली अपने सेवक मतलब जो अपनी इच्छा से सेवा करना चाहते हैं और कुछ लोग इनको राम भक्त भी बोलते हैं तो 22 फरवरी को अहमदाबाद से करते वक्त ट्रेन से अयोध्या पहुंचते हैं इस पूर्णाहूति महायज्ञ के लिए अब 22 फरवरी से इनको अहमदाबाद से अयोध्या जाना होता है और 26 को वहां से साबरमती एक्सप्रेस से वापस अहमदाबाद जाना था यह जो ट्रेन से आने और वापिस है ना जाने का टाइम था इसके बीच में कई सारे इवेंट है तो उसे मैं आगे बताऊंगा ताकि आपको अपनी राह बनाने में आसानी रहे तो कल से अहमदाबाद से उदयपुर ट्रेन से पहुंचते हैं 25 फरवरी को यहीं खत्म होता है और जो कल सेवक पूरे देश से आए थे वह वापिस अपने अपने घर जाते हैं ऐसे ही गुजरात है जो कर सेवक है थे वह भी वापस जाने के लिए अयोध्या से साबरमती ट्रेन पकड़ते हैं 26 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस फैजाबाद के अहमदाबाद के लिए ट्रेन आती है इस प्रेम की कैपेसिटी 11 की दी लेकिन इसमें कुछ लोग खड़े होकर भी रहते हैं तो करीब करीब 2,000 लोग थे स्ट्रेन में और इन दो हजार में से 17 सोकर से बैठे तो सारे करते वक्त एक ही जगह से एक साथ जाएंगी में पार्टिसिपेट कर क्या रहे थे इसमें जो कोच S5 और ऐसे ठीक है इसमें कहा जाता है कि सबसे ज्यादा कर सेवक थे यह जो दोनों को इस तेल दो इसके अंदर जो भी हुआ वही आगे चलकर पूरे गुजरात दंगों की वजह बना सारी इन्वेस्टिगेशन और अलग रख कमिटी की रिपोर्ट आई थी वह इस S6 और 15 के इर्द-गिर्द ही घूमती है इस फिल्म को चार बजे अहमदाबाद पहुंचना था लेकिन यह ट्रेन लेट हो जाती है और 6:30 गोधर से पहले जगह और वहां तक पहुंच पाती है और आगे बढ़ने से पहले मैं एक चीज और बता देता हूं कि पूरी वीडियो में मैं सिर्फ वही बोलूंगा जो अलग-अलग एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है या फिर पब्लिक प्लेटफॉर्म पर ऑलरेडी अवेलेबल है कोई भी चीज आप ऑनलाइन वेरीफाई कर सकते हैं और उनके लिंक भी मैं रियर के डिस्क्रिप्शन में दे दूंगा अब बहुत है जो ट्रेन रुकती है यहां से अलग-अलग छोड़ी है एक छोर है कि बाबरी मस्जिद को लेकर गुस्सा था और इतने करते वक्त एक साथ ट्रेन में आ रहे थे मौका था बदला लेने का इसे आग लगा दी गई यह एक छोर है दूसरी ओर है कि दादी ने चाय वाला कुच ऐसे गुस्सा है और उसे घुसने नहीं दिया जाता है उसके बाद उसको जय श्री राम बोलने को बोला जाता है और उसको लेकर लड़ाई होती है आगे चलकर ट्रेन दूसरे स्टेशन पर पहुंचती है तो वह लोग हमला कर देते हैं यह ऊपर और ऐसे में आग लगा देते हैं अब नौकरी छोड़ी है कि इसके पीछे पाकिस्तान के आईएसआई का भी हाथ है उस एरिया है जो स्लीपर सेल थेसे ओं पाकिस्तान से आए थे उन्होंने जान-बूझकर सब चीजें करें ताकि वहां का माहौल खड़ा हो ग्य कहानियां और भी है लेकिन यह तीन छोरियां हैं इनको सीएम यहां पर पीएम या फिर एस आईटी वेयर इन्वेस्टिगेटिंग टीम जो थी वहीं रिकॉर्ड या फिर कहीं न कहीं बोला इसलिए मैंने सिर्फ यही तीन स्टोरी बताइए तो यह तीन चोर है इन तीनों में से कोई भी यहां पर कर लीजिए और आगे चलकर देखेंगे इस पेन में हुआ क्या अब इसके बाद ट्रेन गोधरा पहुंचती है वहां पर कुछ कल से में उतरते हैं कुछ सामान खरीदते हैं और गोधरा स्टेशन से जैसे थोड़ा सा आगे बढ़ती है ट्रेन की चेन खींची जाती है वहीं मल्टीपल टाइम खींची जाती है और यह जो चीज है कि कनफर्म्ड है यह चीज जो यहां का ड्राइवर था उसने भी कंफर्म की ओर थे इन्वेस्टिगेशन हुई तो जितने भी मैकेनिकल डिवाइस इस थे उससे भी कंफर्म हुआ अब जैसे ट्रेन रुकती है यहां पर पहले ही करीब 2,000 लोग इंतजार कर रहे थे और ऐसा नहीं था कि पूरी ट्रेन को योनि टारगेट किया इन्होंने सिर्फ सोच S5 और ऐसी कोई टारगेट करा कोच एस 546 पर पत्थर फिर घरेलू हथियार से हमला किया कि दोनों कोच के गेट और Windows जो है वह कल से बंद कर लें फिर इसमें आग लग जाती है जब तक फायर ब्रिगेड आती है फेज़ जलकर मर जाते हैं इस कोर्स के अंदर जिसमें वॉइस मेल 27 फीमेल और 10 बच्चे थे अब इसके बाद साढ़े चार बजे ट्रेन जाएगी बिल डिपोजिट में इनको एप्स लेकर अहमदाबाद पहुंचती है गोधरा का एडमिनिस्ट्रेशन लाइक करता है ऐसा ना हो बट उनकी मानी नहीं जाती है यह सारी कॉर्ड्स अहमदाबाद पहुंचती है अब कायदा तो यह कहता है कि सारी बॉडी वहां की किसी भी दौर में थोड़ी को हैंडओवर कर देनी चाहिए थी या बहुत ज्यादा होता तो उनके घर वाले आ सकते थे लेकिन ऐसा होता नहीं है यह बॉडीज विश्व हिंदू परिषद को दे दी जाती है वीएचपी का यह कहना था कि कर से वह हमारे हैं जो अयोध्या में इवेंट्स ऑर्गेनाइज्ड कराया था वहीं बीएसपी नहीं कर रहा था तो इसका टेकओवर कर लेते हैं अब रूल के हिसाब से गवर्नमेंट को इसको रोकना चाहिए था बॉडी इसका कंट्रोल अपने पास रखना चाहिए पोस्टमार्टम वगैरह करना चाहिए था लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता है और अभी भी लोगों को न्यूज़ वगैरह बस यह पता चल पा रहा था कि एस्पेक्ट्स और इस पानी में आग लगे लेकिन किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कोच एस-4 और एस-5 लगी क्यों है हर कोई कंजूस था इस बार आ गया कि बीजेपी के लीडर्स नहीं बॉडी इसको खुली गाड़ियों में रखा और बीच शहर से निकाल कर दी एसपी के कार्यालय में पहुंचाया इनको बाहर निकाला गया तो लाइव टेलिकास्ट भी हो रहा था और काफी नारे लग रहे थे और यह बॉडी देखकर अहमदाबाद पूरा सॉफ्ट हो गया था तब लोगों को पता चला कि आखिर हुआ क्या है और यह चीज आउट ऑफ कंट्रोल होना स्टार्ट हो गई इसके बाद वीएचपी लीडर से बॉडी को 16 चैप्टर पहुंचाया इन कॉर्ड्स को देखकर जितने भी हिंदू संगठन दे जैसे कि वीएचपी बजरंग दल और आईएस इंक्लूडेड भी काफी गुस्से में आ गए थे और 16 हॉस्पिटल के पास यह सारे लोग खट्टे होने चालू हो गए थे सोला सिविल हॉस्पिटल के पास एक पीसीआर वैन खड़ी थी जिसने इनफॉर्म भी गया कंट्रोल रूम में कि सिचुएशन खराब हो सकती है जिस तरीके से बसों में लोग इकट्ठे होकर पहुंचे यहां पर सिचुएशन अंडर कंट्रोल हो सकती है लेकिन उसके बाद भी कुछ भी नहीं किया गया और जो नार्मल फॉर्मेटिव हो गई उसके बाद धीरे-धीरे जो डेड बॉडीज थी इनको श्मशान ले जाया गया अलग-अलग रास्तों से तो जिन-जिन एरिया से डेड बॉडीज निकल रही थी वहां पर नारे लग रहे थे उन्होंने लिए में चीज हाथ से बाहर निकल गई थी और लोग सड़कों पर आ रहे थे इतनी हद से आगे बढ़ गई थी कि मार्कंड शुरू हो गई थी और आप दूसरा ब्रा खोल सकते हो उससे भी आगे बढ़कर चीजें हुई उस पर्टिकुलर टाइम पर न्यूज़ चैनल पर इतनी रिस्ट्रिक्शंस नहीं भी और इस वजह से और दिक्कत हुई रिपोर्ट्स ने गांव रिपोर्टिंग करते टाइम काफी इन्फॉर्मेशन लाइव टेलिकास्ट कर दी जिससे दंगे और भड़क गए लाइव जाकर बता रहे थे कि देखिए मुस्लिम इलाका है यहां पर हमको इतना खतरा गवर्नमेंट कितनी कमी है यहां पर एक भी पुलिस ने रखी है यह सारी चीजें लाइव टेलीकास्ट कर देंगे यह लाइव टेलीकास्ट देखकर जो लोग दंग कर रहे थे उनको और आसानी होगी ऐसे लाकर भूनने में जहां पर पुलिस नहीं थी और सब कुछ लाइव करने से एक दिक्कत और हुई कि सारी इन्फॉर्मेशन पूरे गुजरात तक पहुंच रही थी तो अहमदाबाद गांधीनगर गोद रावरो ड्रा सूरत हर जगह दंगे फैल रहे थे अब तीन दिन तक कंटिन्यु दंगे चलते हैं गुजरात के अंदर से ज़ 254 हिंदू उसकी डेट होती है और गोधरा के अंदर आलरेडी छिपी नहीं है दूसरी डेथ हो रखी थी और यह ऑफिसर फिगर ऑफिशल डाटा इससे भी ज्यादा है 27 आपको जहां पर दंगे हो रहे थे लेकिन 28 फेब को बात बिल्कुल हाथ से बाहर निकल गई जबकि गुलमर्ग नरोदा पाटिया और नरोदा गाम में पहुंचती है जबलपुर अहमदाबाद में गुड सुसाइड भी जहां पर muslim-majority मे है और इसी सोसाइटी में कांग्रेस के एमपी एहसान जाफरी भी रहते थे इस सोसायटी में करीब टो नो थे 10 अपार्टमेंट और मिली अपर मिडल क्लास फैमिली रहती थी 28 फैब्रिक और 9:00 बजे मॉर्निंग में तो साइड के आसपास भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो जाती है और नारे लगने लगते हैं सोसायटी के लोग यह सब एक कि डरने लगते हैं और बैक टू बैक पुलिस में कॉल करते लेकिन पुलिस की तरफ से कोई नहीं आता इसके बाद लोग कांग्रेस के एमपी एहसान के घर में भी पहुंचते हैं मदद के लिए लेकिन ऐसा आदमी पुलिस को फोन कर दें इस चीज को पुलिस को फ़ोन करते हैं वहां कई बड़े नेताओं को फोन करते हैं लेकिन कोई मदद नहीं आती है जैसे दिन होता है सोसायटी के बाहर भीड़ जो थी उसेंडी के अंदर घुस में लगती है और लाइन से घरों में आग लगाती है ऐसा जो कांग्रेस के एमपी देने के साथ-साथ सिक्सटीन इन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है और वह सारे ग्रुप को डिलीट कर दिया जाता है और 18 घर पूरी तरीके से जला दिए जाते हैं इन 18 घरों में सिर्फ एक फैमिली को पर छोड़ दें बाकी कोई भी सोसाइटी में आज ग्रेट तक वापस नहीं आया ऑफ पर 2017 में आज तक न्यूज़ चैनल ने तहलका के स्टिंग ऑपरेशन की फुटेज ज्योति उसको क्लिक कर दिया इसमें चौ एचपी और ग़ज़ल एक्टिविस्ट्स इंक्लूडिंग रूलिंग गवर्नमेंट केम ए डिस्कशन कर रहे थे कि कैसे होंगे वहां पर यह सब कर आप इसके बाद एसिडिटी बढ़ती है और 2016 में ग्यारह लोगों को उम्र कैद की सजा दी जाती है सेंड ए इस पूरे गुजरात दंगों की सबसे बड़ी घटना होती है अहमदाबाद के नरोदा पाटिया और उसके बगल में गांव है नरोदा गांव जो कि पूरे 10 घंटे चलती है और इस एक इवेंट में सबसे ज्यादा डेट होती है नरोदा पाटिया जो एरिया था वहां पर मेनली मुस्लिम मजदूर ज्यादा रहते थे और कुछ इमिग्रैंट कर्नाटक और मुंबई से भी रहते थे जो मजदूरी करते थे 27th फरवरी की रात को मैसेज परमिशन सलाह दी जाती है कि तीन हिंदू लड़कियों को किडनैप कर लिया गया है इसके बाद नाइस डे के दिन गुजरात बंद रहता है 5,000 लोगों की भीड़ बदला लेने के लिए अटैक कर देती है नरोदा पाटिया में देख ऐसा लग रहा था कि हर चीज में जैसे कोई प्रॉपर प्लानिंग के तहत चाहता हो कि हिंदू और मुस्लिम में झगड़ा मौजूद 5000 लोगों की भीड़ थी यह 9:00 बजे मॉर्निंग हटाएंगे स्टार्ट कर देती है और 10 घंटे तक अटैक चलता है एलपीजी सिलेंडर से आग लगा दी जाती है और लोगों को घरों से निकाल निकालो करना चालू किया जाता है गेट के पास हथियार कहां से आते हैं आज तक एक रहस्य है इतनी बड़ी-बड़ी निवासी कि रेड्डी इस चीज का आज तक नहीं पता लगा पाए कि उनके पास हथियार कहां से आए थे घर जला दिए गए औरतों के साथ असफल हुए सिर्फ 10 घंटे के अंदर 96 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी इस पूरे इंसिडेंट का मास्टरमाइंड था बाबू बजरंगी उसका स्टिंग ऑपरेशन तेल का करता है और वीडियो क्लिक कर देता है YouTube पर अभी भी को वीडियो पड़ी है जिसमें बाबू बजरंगी बता रहा है कि कैसे उसने नरोदा पटिया में लोगों को मारा इसमें तो यह भी के करता है कि गवर्नमेंट मैं इसको पूरा सपोर्ट किया इन फैक्ट पुलिस भी थी वहां पर उन्होंने भी को सपोर्ट किया और यह बोला पुलिस ने कि बॉडी बहुत ज्यादा हो गई है को मैनेज करने में बहुत मुश्किल होगी आप बॉडी अलग कर दो और आगे चलकर बाबू बजरंगी को उम्रकैद होती है लेकिन तो बोल रहा था वीडियो में यह कोर्ट में कंफर्म नहीं हो पाया सच पूछिए तो कोर्ट में कुछ भी कंफर्म नहीं हो पाया फिर थोड़ी सी चिल्ली उन्हें हुई जिसका नाम है सब को सबूतों के अभाव पर मजबूरन छोड़ना पड़ा इसमें आपने माया कोडनानी का नाम भी बहुत सुना वह बहुत फेमस नॉवेल जिनको 28 साल की सजा दी गई थी इस पूरे इवेंट को ऑर्गेनाइज कराने के लिए इनका नाम आया और आगे चलते इनको सबूत ना होने की विधि छोड़ना पड़ा नरोदा में का इंतजार हुआ उसके बाद माया कोडनानी पॉजिटिव भारी वोटों से जीत के आई इनको केबिनेट मिनिस्टर भी बनाया गया लेकिन इस केस के चलते इनको अपनी पोजीशन छोड़नी पड़ी इसके बाद नेक्स्ट में एक मार्च को वड़ोदरा में एक हनुमान टेकरी एरिया है जहां पर बेस्ट बेकरी नाम से बेकरी चंद मीणा जहां पर 14 लोगों के लिए 2014 में से 11 मुस्लिम और तीन हिंदू थे जो बेकरी में काम करते थे इन 14k 14 को रात 8:00 उसी बेकरी में जिंदा जला दिया जाता है और आज तक सबूत ना होने की वजह से किसी को भी सजा नहीं मिल पाती है जब वह पूरी से जो छः पर गवर्नमेंट एक क्वेश्चन किया तो गवर्नमेंट ने कहा कि उसने अपनी कैपेसिटी भी सारे कदम उठाये भीड़ लेकिन बहुत ज्यादा थी और यह एक्शन का रिएक्शन था जिसमें गवर्नमेंट का कोई रोल नहीं था भीड़ बहुत ज्यादा थी यही रीजन था कि महाराष्ट्र राजस्थान और मध्य प्रदेश कांग्रेस की सरकार दी वहां से पुलिस को बुलाने के लिए लेटर भी डालेगा लेकिन अपोजिशन ने कोई मदद नहीं की गवर्नमेंट यह भी कहा कि चीफ मिनिस्टर के 27 कोई गोधरा पहुंचकर नेक्स्ट कहीं ऐसा एक्टिवेट हल्दी और गोदाम के पास कर्फ्यू लगा दिया था कि बात आगे ना बढ़े इसमें यह भी कहा कि उस पर्टिकुलर टाइम पर गुजरात 400 गांव में से 6000 हज यात्री वापिस आ रहे थे गुजरात में गुजरात गवर्नमेंट उनकी पूरी सिक्योरिटी मेंटेन की और उनको पूरी सिक्योरिटी के साथ घर पहुंचा है यह बात यह है कि गवर्नमेंट जॉब इतना कुछ किया उस टाइम पर तो उसके बाद भी गवर्नमेंट को क्वेश्चन आज तक क्यों किया जाता है अटल बिहारी वाजपेई जी से लेकर अपोजिशन तक यह क्यों कह कि राजधर्म का पालन नहीं हुआ यह जो गवर्नमेंट के ऊपर ब्लेम दिया जाता है इसके पीछे भी कोई रीजन है संजीव भट्ट जो कि सीनियर पुलिस ऑफिसर थे गुजरात इंटेलिजेंस ब्यूरो में 2002 के दंगों के टाइम पर यूनिकोड टो रिकॉर्ड स्टेटमेंट में यह कहा कि इनको इन्फॉर्मेशन आने लगी थी यार से की मौज खराब होने वाला है कर से लोगों की बॉडी शहरों से निकलनी चाहिए थी और जगह-जगह पुलिस रिपोर्ट भी कर रही थी दंगों के बारे में लेकर इन के हाथ बंधे हुए थे इनके हिसाब से शाम को गवर्नमेंट ने मीटिंग गिरी जिसमें पुलिस चीप और ब्यूरोक्रेट्स और सब को यह समझाया गया कि एक्शन का रिएक्शन है दो दिन में लोगों का गुस्सा शांत हो जाएगा उसके बाद सब ठीक हो जाएगा आपको बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है 2007 नवंबर को आउटलुक मैगजीन की एक रिपोर्ट में हरेन पांड्या जो कि उस टाइम पर गुजरात के होम उतरते उन्होंने कर किया कि 27 फरवरी की रात को उस मीटिंग वहीं थे जहां गवर्नमेंट की हड्डी उनको बीच में ना पढ़ने को कह रही थी और आगे चलकर किसी अन्नू ने उनका मर्डर कर दिया जिसका आज तक पता नहीं चल पाया गुजरात दंगों की जांच के लिए एक टीम बनाई गई थी वेबसाइट गठित की गई थी उस पर बहुत सारे क्वेश्चन उड़े गुजरात गवर्नमेंट ने इस चीज की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई नानावटी कमेटी जिसको गुजरात दंगे और गोधरा कांड दोनों की एक साथ जांच करने को कहा गया था और इस कमेटी को लीड करेंगे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जीटी नानावटी जबकि दंगे हुए थे तो उस टाइम पर अटल बिहारी वाजपेई जी ने इनको यह पॉइंट किया था उस टाइम पर इनकी बहुत बात हुई थी क्योंकि उन्होंने फॉर्मर पीएम नरसिम्हाराव तक को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन जब गुजरात दंगों की बात आई तो उन्होंने गौर 140 में से किसी को भी समन लेकर पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और सब को बिना पूछताछ की क्लीन चिट दे दी तो यह चीज को लेकर भी गवर्नमेंट को कई लोगों ने क्वेश्चन उठाया कि आपने अपने करीबियों को इन्वेस्टिगेशन के लिए रखा है लेकिन असल दिक्कत तब हुई जब तहलका मैग्जीन ने अपने स्टिंग ऑपरेशन की नई वीडियो रिलीज की जिसमें अरविंद पांडे जो कि काउंसल फॉर गुजरात गवर्नमेंट ठे उस टाइम पर वह वीडियो में बोल रहे हैं कि टेंशन की बात नहीं है नानावटी कमीशन में जितने भी लोग हैं वह गवर्नमेंट के खास आदमी है जो भी रिपोर्ट आएगी गवर्नमेंट के फेवर में आएगी यह सब तो ब्लेम गेम चल रहा था इसके बाद नानावटी कमीशन अपनी 15 पेजेस की फाइनल रिपोर्ट 2500 शपथ पत्र और 1000 गांव के स्टेटमेंट के साथ कोर्ट में सबमिट की जिसमें गुजरात गवर्नमेंट आरएसएस और बजरंग दल के जितने भी यात्री थे इन सब को क्लीन चिट दे दी जाती है और नानावती कमीशन की इन्वेस्टिगेटिंग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गोधरा में ट्रेन को चलाया गया था यह प्रीप्लांड इवेंट हर जिसके मास्टरमाइंड कुशवाह ने बनाएं और नाम इन थे लेकिन उस पार्ट टाइम पर स्टेट और सेंटर दोनों जगह बीजेपी की सरकार थी और नानावटी कमीशन की इन्वेस्टिगेशन आलरेडी चल रही थी तो अलग से को इन्वेस्टिगेशन नहीं स्टार्ट की गई लेकिन जब 2 साल बाद 2004 में कांग्रेस की गवर्नमेंट जीत के सेंटर में आती है तो सेंटर में आते ही सबसे पहला काम कांग्रेस करती है एक अलग से कमेटी बनाती है गुजरात दंगों की इन्वेस्टिगेशन के लिए जिसका नाम था उमेश चंद्र कमेटी गुजरात कोर्ट ने ओनली अलार्म लगाए कि जो अलग से उमेश चंद्र कमेटी बनाई गई है यह अनकंस्टीट्यूशनल है लेकिन ट्रेन डिपार्टमेंट सेंटर के अंदर में आता है यह बोलकर जांच चलती रही कांग्रेस की उस टाइम पर रेलवे मिनिस्टर लालू यादव थे कांग्रेस को गुजरात गवर्नमेंट को गलत साबित करने की इतनी जल्दी कि सिर्फ चार मंत्री इन्वेस्टिगेशन में जिसमें जो सरवाईवल से उनके बयान पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन की स्टेटमेंट यहां तक कि खुद उनके अंडर में जो रेलवे डिपार्टमेंट है उसकी रिपोर्ट तक को नजरअंदाज करके एक पर्टिकुलर कमेटी को जल्दी से जल्दी खुश करने की कोशिश की गई आने वाले इलेक्शन से पहले जो करते वक्त एस-5 और एस-6 में जले हुए उनकी परवाह किए बिना सिर्फ चार महीने के अंदर रिपोर्ट बना दी गई और रिपोर्ट में वही आया जो कांग्रेस के लीडर पिछले दो साल से बोल रहे थे उमेश चंद कमेटी के इन्वेस्टिगेशन ने कहा कि यह प्लैंड अटैक नहीं था बल्कि यह हादसा जिस तरह से नानावटी कमीशन की रिपोर्ट का झुकाव एक पर्टिकुलर ग्रुप की तरफ था ठीक उसी तरीके से सेंटर ने जो उमेश चंद कमेटी बनाई थी उसमें भी एक पर्टिकुलर कमिटी को खुश करने की कोशिश की गई सेम ईयर में जो चुनाव थे उसकी हड़बड़ी में बहुत सारी गलतियां कि हर तरफ से आदमी के साथ जानना चाहता है वह किसकी मां ने नानावटी कमीशन कहता है कि एक प्लैंड अटैक था वहीं दूसरी तरफ उमेश चंद समिति कहती है एक हादसा था इंडिया के टॉप इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर एकदम अलग बात बता रहे थे और कोइंसिडेंट देखिए दोनों इन्वेस्टिगेटिंग कमेटी ने अपने-अपने फेवरेट लीटर का वर्णन ही रखा कोर्ट के सामने यह सारी चीजें देखने के बाद नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने और रिकॉर्ड बोला यह दोनों रिपोर्ट अपनी-अपनी पार्टियों को सेवर कर रहे हैं जो कि बहुत ही बड़ी गलती है इसके लोंग टर्म इफेक्ट पड़ते हैं सोसायटी पर लोगों का विश्वास बढ़ता है लॉयर से अब देखिए जो दोनों कमेटी थी कि अपने-अपने वर्जन बता रही थी इसके अलावा एक इंडिपेंडेंट जांच और हुई जिसका नाम था कंसर्न्ड सिटिजन ट्रिब्यूनल इन्वेस्टिगेटिंग कमेटी में रिटायर जज और कई सीनियर एक्टिविस्ट थे इन्होंने जो इन्वेस्टिगेशन कि वह अभी तक कि जो भी कहानी चल रही थी उसे एक दम अलग थी यह इन्वेस्टिगेशन की पूरी रिपोर्ट आउटलुक ने पब्लिक की है तो आउटलुक ने जो-जो पब्लिश किया है मैं आज ऑफिस आपको लाइन बैलेंस बताता हूं ट्रायंगल की रिपोर्ट के हिसाब से जब कारसेवक गुजरात अयोध्या जा रहे थे उस पूरी ट्रेन में कारसेवक थे और जैसे ही ट्रेन अहमदाबाद से अयोध्या के लिए निकली बीच में लखनऊ से कई सारे अनजान लोग बिना टिकट के कोच एस-5 और एस-6 में चढ़ गए और आईपीजी रेलवे मिनिस्टर्स पेज आप इन हिसाब से 546 में उस पर्टिकुलर टाइम पर कुछ तो गड़बड़ थी यह भी हो सकता है कि इसके पीछे बहुत बड़ी प्लानिंग हो रहे बल्कि जो रिकॉर्ड आंवलों में पब्लिश है उस हिसाब से ट्रेन के अंदर जो बैठे लोग थे उन्होंने कई स्टेशन पर लड़ेगी और इन सबकी खबर आसपास के लिए ट्यूज़डे करता हूं अच्छा बहुत से लोगों को पता चल रहा था कि कहां पर क्या क्या हो रहा है अयोध्या में जनसत्ता ने इस मारपीट और अग्रेषण की खबर फेम्ड एस न्यूज़ पेपर में छाप दी थी रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कलेक्टर गोरा ने कंफर्म किया था कि टोटल फीस नो जले जिसमें से सिर्फ पांच लोगों की पहचान हो पाई थी और उन पांच में से एक वहां के लोकल स्टेशन मास्टर की वाइफ भी थी जिसके टिफिन से पहचाना गया था जो कि कारसेवक नहीं थी टोटल मरने वालों की संख्या में 12 बच्चे और ट्वेंटी-20 और थी तो नानावटी कमेटी इतनी छोटी से कैसे कह सकती है कि जो लोग मरे थे वह सारे के सारे करते वक्त थे दूसरी चीज इसमें यह गई कि अगर 2000 में कारसेवको को मारने का वेट कर रहे थे इसके बारे में किसी को कुछ पता क्यों नहीं चला दो हजार बहुत बड़ा नंबर होता है अगर 2,000 लोग खड़े हो जाएं प्लेटफार्म पर तो वह सिर्फ 25 S5 और ऐसे के लिए ही नहीं खड़े रह पाएंगे वह पूरी ट्रेन के कोच के आसपास आ जाएंगे कि 2,000 लोगों के लिए काफी ज्यादा एरिया चाहिए होता है और जब पूरी ट्रेन में कारसेवक हैं और कारसेवक कोई निशाना बनाना था तो सिर्फ एस-5 और एस-6 कोच कोई क्यों अटैक किया जाएगा बाकियों के साथ एक इंसिडेंट क्यों नहीं हुआ देखिए यह तो हो गई इन तीन इन्वेस्टिगेटिंग टीम की बातें लेकिन आज तक यह सीट कंफर्म नहीं हुई कि आग लगने की वजह से थी लेकिन इस चीज का बदला जरूर ले लिया गया बदनामी उससे लिया गया जो गोधरा से 200 किलोमीटर दूर मजदूर बैठा है बंगला उससे लिया गया उसकी क्या गलती थी वहीं मकवाना जिनका 22 साल का लड़का ऐसे बुद्धि में जल गया था उसकी बॉडी को जब शमशान लेकर जा रहे थे तो भीड़ काफी सारी आ गई थी और सब बढ़ते हुए थे उन्होंने हाथ जोड़कर सब को मना किया कि मुझे कोई भला नहीं लेना है यह चीज टाइम्स ऑफ इंडिया ने मार 2002 में पब्लिश की थी इस पूरे इंसिडेंट में 15 से लोगों पर FIR दर्ज हुई थी जिसमें से इसमें थर्टी वन लोग बचे थे जिनको सदा हुई और उन 31वें से 11 को फांसी दी गई उन 11 को भी बाद में उम्रकैद में कंवर्ट कर दिया गया आज स्थिति लोग थे उनको सबूत ना होने की वजह से छोड़ना पड़ा इस ट्रिक है बहुत ही अनप्रेसिडेंटेड है जिसकी वजह से कई जाने इस तरह के इंसिडेंट से हमेशा सबक मिलता है कि कैसे ऐसी घटना कभी ना हो दोबारा अगर आपको हिस्ट्री में हुई इंसिडेंट और ट्रेजेडी के बारे में जानना पसंद है तो मैं आपको कुछ एवं पर एक ऑडियो बुक में कमेंट करना चाहूंगा जिसका नाम है भोपाल गैस ट्रेजेडी इस ऑडियो बुक में बहुत डिटेल में पूरा इंसिडेंट के बारे में बताया गया है और इस ऑडियो को आप अपनी कनविंस हिसाब से डेली रूटीन में काम करते हुए भी सोच सकते हो उसको ऐसा इंडिया का लीडिंग ऑडियो प्लेटफार्म है इस पर आपको अलग-अलग कैटेगरी की बुक जैसे कि क्राइम थ्रिलर बायोग्राफी वगैरह मिल जाएंगी जिन्हें आप कहीं भी सुन सकते हो तो आप डाउनलोड करें को फैमिली और कुए पर फर्स्ट फीचर्स को मेरा कोड 1050 यूज करके मिलेगा 50% डिस्काउंट और थी ₹93 के सब्जेक्ट को आप ले सकते हो 120 रूप इसमें लिक्विड डिस्क्रिप्शन में दे" pBO9JLe3iV8,Who Actually Pays for your Credit Card Benefits? Should I own a Credit Card? | Nitish Rajput | Hindi,2022-07-28T14:34:50Z,PT18M15S,4427585,125457,3924,https://www.youtube.com/watch?v=pBO9JLe3iV8,," के लोगों से यह मांग को लेकर आरबीआई को नोटिस जारी करना पड़ा कि एक तरह का धोखा है तो मोस्ट्ली कंपनियां करते हैं और बहन चाहते हैं कि आप मिस करो यह मैं ताकि उनके बाकी के ऑप्शन भी खुल जाए जितना पूछ बैंक आपको क्रेडिट कार्ड के लिए करता हूं तो किसी भी चीज के नहीं करता है आज की डेट में जहां हवा लोग बारे में बंद कर भेज दे रहे हैं वहां पर बैंक सारी चीजें फ्री में क्यों ले रहा आपकी बाइक कैपिसिटी को बढ़ाकर आपकी आदत खराब की जाती है ताकि वह सम्मान व्यक्त खरीद पाओ तो आपको नहीं खरीदना चाहिए लेकिन यह एक ऑप्शन की है जिसकी सैलरी 30 से 35 डर वह गिफ्ट खरीदना है और यह आपको एक डेट ट्रैप की तरह आता है जान-बूझकर इसका नाम नो कॉस्ट एमी रखा गया आप ट्राई करके देख लेना यह कभी भी इसको नो इंटरेस्ट या फिर इंटरेस्ट पर यह नहीं बोलते हैं है कि बैंक का यूज करते हैं पैसा निकालने या फिर जमा करने के लिए फिर लोन लेने के लिए पैसा निकालने और जमा करने के लिए बार बैंक जाना पड़े इसके लिए बैंक अपने डेबिट कार्ड दे रखा है ऐसे में अगर कोई सामान खरीदना है यहां पर शॉर्ट टर्म कैपिटल लोन लेना है तो इसके लिए बैक रिकॉर्ड कर दिया है और यह सब को नहीं दिया है यह उन कस्टमर्स को दिया जिनके ऊपर बैंक को भरोसा है कि हर महीने काम करके लोग कमाई कर लेते हैं अब देखिए जो बैंक है यह कोई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाकर कमाई नहीं करता है बैंक चैनल लोग अपना पैसा जमा करते हैं और उस पैसे को बैंक लोन पर देता है और इंटरेस्ट काम आता है और जो इंटरेस्ट है यह मेजर तरीका होता है बैंक का पैसा कमाने का इतने जितना ज्यादा लोग लोन लेंगे उतना बैंक का फायदा होगा अब बैंक से लोन लेना है बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड प्रसिद्ध है बैंक के चक्कर लगाने होते हैं वेरिफिकेशन होते हैं कैंसिल चेक दो बहुत सारी चीजें होती है इसलिए इंसान के सामने व बहुत बड़ी मजबूरी होती है तभी वह नल लेता है इसने बैक रिकॉर्ड कर देने स्टार्ट है जोकि एक तरह काजल है उसका शॉर्ट वर्जन है और उसका एक बहुत ही इजी है इसमें बैंक ने अपने ट्रस्टवर्थी कस्टमर्स को एक तरह का इजी एक्सेसिबल डिजिटल कार्ड दे है ताकि लोगों की थोड़ी आदत खराब हो क्योंकि जब कोई ग्रेट कर लेता है तो उसको ऐसा नहीं लगता कि लोन ले रहा है यह ऐसा लगता है कि अगर जरूरत पड़ेगी तर्जनी के लिए होना चाहिए तो इसको रख लेते हैं और जैसे पेट काट रखता है तो बैंक इंट्रोड्यूस करता है ऑफ और ऑफर से बहुत इंटरेस्टिंग होते हैं 50 दिन तक बिना किसी इंट्रस्ट के लोन और मन करे तो साल-दो साल में Mi करके देते रहो क्या आज बैंक रिपोर्ट पॉइंट्स फ्री मूवी टिकट्स लोग और सफेद कभी सोचा जरूर चाहिए साल भर के लिए आपको चाहिए है बिना किसी इंट्रस्ट के लोग वहां पर बैंक से पैसा नहीं बैठा तक कोई चीज को इन सब चीजों का पैसा दिया जाता है और वह कैसे लिया जाता है आप यूज करते हैं तो घ्र कि साइकिल अगर एग्जांपल समझे तो एक क्रेडिट कार्ड है जिसकी साइकिल एक अप्रैल से एक में तक है इसका मतलब यह हुआ कि 1 अप्रैल से एक में तक आप जितनी भी शॉपिंग करोगे उसका बिल ने यानि कि दो मे को जनरेट होगा और जो उसकी पेमेंट हो गया 20 दिन के बाद कर सकते हो इसका मतलब कि दो अप्रैल को अगर आपने कुछ खरीदनी है तो 50 दिन तक का टाइम मिलता है आपको पेमेंट करने और बैंक आपको इतना टाइम इसलिए देता है क्योंकि जो एक मंच का टाइम है एक में से एक है अप्रैल तक का इसमें आप क्रेडिट कार्ड का यूज करके ज्यादा से ज्यादा शॉपिंग करें और आपके हर ट्रांजेक्शन से बैंक को फायदा है यह सबसे पहला तरीका होता बैंक का आपसे कमाने का यह पूरा गेम समझने के लिए आपको एक चीज समझ नहीं होगी वह है नेटवर्क कंपनी नेटवर्क कंपनी के वीजा मास्टरकार्ड अमेरिकन एक्सप्रेस की सारी नेटवर्क कंपनी होती है और इंडिया की नेटवर्क कंपनी का नाम है रूपर्ट यहां से काफी टाइम पहले जब ATM नया-नया आया था तो जिस बैंक डेबिट कार्ड होता था आप उस बैंक के ATM पर जाकर पैसा निकाल सकते थे अगर आईडीएफसी बैंक डेबिट कार्ड है तो आप इसे ऐसे बैंक के ATM पर जाकर ही पैसा निकाल सकते हैं जबकि ATM डेबिट कार्ड कीजिए टेक्नोलॉजी है वह हर बैंक की सेम भी अगर बैंक चाहें तो एक दूसरे के ATM को यूज करने दे सकते थे लेकिन उसके बाद यूज नहीं करने देते थे और वह इसलिए नहीं करने देते थे कि उसके लिए कस्टमर की डिटेल्स बैंक को आपस में शेयर करनी पड़ती और अगर ऐसा होता तो उनके कस्टमर की डिटेल्स उनके कंप्यूटर के पास चली जाती अब आईसीसी बैंक की जो प्रीमियम कस्टमर है उनकी डिटेल्स अगर ऐसी के पास चली जाए तो इतना का डर है कि इससे उनकी टीम कस्टमर्स को ग्रीस करके कोई अच्छा ऑफर दे दिए उनको अपनाकर चूर्ण बना लें पता चले ATM मशीन को यूज करवाने के चक्कर में दोनों बैंक एक दूसरे के कस्टमर्स को ग्रीस कर रहे हैं और आप देखोगे कोई भी बिजनस हो कोई भी अपने कंप्यूटर को अपने कस्टमर का डाटा नहीं शेयर करेगा तो उनको डर था वह काफी चेयरमैन था अब यहां पर नेटवर्क कंपनी पिक्चर में आती है जैसे कि वीजा मास्टरकार्ड अमेरिकन एक्सप्रेस रूप है इन्होंने कहा कि ऐसे तो हर बैंक का नुकसान है पूरे इंडिया में मशीन बहुत लगानी पड़ेगी बहुत सारा पैसा लगाना पड़ेगा और इन प्रशिक्षण भी बहुत बड़ा लगाना पड़ेगा तो आप एक हम यह करो कि कस्टमर की डिटेल्स आप आपस में शेयर करो यह डिटेल्स आप हमें कि जब कोई ATM लेकर आएगा हम उसकी डिटेल्स खुद वेरीफाई करेंगे उस जैसे डिटेल्स वेरीफाई होगी आप एक दूसरे को अपने एटीएम में जो ट्रांजेक्शंस है वह परफॉर्म करने देना और रही बात कस्टमर चीज डिटेल्स है वह किसी से शेयर नहीं करेंगे हम अपने पास एकदम सिक्योर रखेंगे और इस चीज को हर बैंक ने एक्सेप्ट कर लिया और तब से कोई भी बैंक डेबिट कार्ड वो आप किसी भी बैंक के एटीएम में जाकर पैसा निकाल सकते और सेम इसी तरीके से आपके पास किसी भी बैंक क्रेडिट कार्ड हो और दुकानदार के पास किसी भी बैंक की मशीन हो सब मिल जाती है यह सब होता है वीजा मास्टर कार्ड इन सबकी वजह से जितने भी लोग कार्ड यूज करके पैसे का ट्रांजैक्शन करते हैं सबका डाटा नेटवर्क कंपनी के पास होता है यह जो वीज़ा और मास्टरकार्ड यह सारी अमेरिकन कंपनी है लेकिन गवर्नमेंट नेहरू लगा हुआ है कि कंपनी इसको इंडिया का सारा डाटा इंडिया के अंदर ही रखना होगा इसलिए इनके जो डाटा सेंटर होते हैं वह इंडिया के अंदर होते हैं वीजा मास्टरकार्ड का यूज करके आप ऑल वर्ल्ड में कहीं भी ट्रांजैक्शन कर सकते हो और दुनिया का कोई भी बैंक को वह बस नेटवर्क कंपनी आपका डाटा वेरीफाई करेगा कनेक्शन करने देगा अब देखिए जो नेटवर्क कम है इतना कुछ कर रही है मीडिया सेंटर मेंटेन करना है यह फ्री में तो करेंगे नहीं हर ट्रांजैक्शन पर नेटवर्क कंपनी और बैंक कैसे पैसे कमाता है यह एग्जांपल समझते हैं लेकिन जब अपने क्रेडिट कार्ड निकालकर कोई सामान खरीदते हो तो हर ट्रांजेक्शन में चार पार्ट इंवोल्व होती है नेटवर्क कंपनी ईश्वर बैंक एक्वायरिंग बैंक और शॉप कीपर नेटवर्क कंपनी आपको बता ही दिया है दूसरा होता है इश्वर बैंक ईश्वर बैंक वह बैंक होता है जिस बैंक का आपके पास क्रेडिट कार्ड होता है अगर आपके पास एचडीएफसी बैंक क्रेडिट कार्ड है इस केस में ईश्वर बैंगन जो है वह होगा एचडीएफसी बैंक तीसरा होता है केयरिंग बैंक दुकानदार जिस बैंक की मशीन यूज करके आपके क्रेडिट कार्ड से पैसा काटता है उस बैंक को कहते हैं कि इयररिंग बैंक अगर दुकानदार के पास आईसीसी बैंक की मशीन है तो उस केस में एक्वायरिंग बैंक होगा वह एसएससी बैंक होगा और चौथा आदमी होता दुकानदार हमारी जो अपने ₹100 का सामान खरीदना है उसकी पेमेंट के लिए अपने एचडीएफसी बैंक का क्रेडिट कार्ड निकाला और दुकानदार ने आईसीसी बैंक की मशीन में आपका कार्ड लगाकर पैसे काट लिए तो इस केस में ऐसी-ऐसी हो गया इश्वर मैन है और आईसीआईसी हो गया केयरिंग बैंक तो जैसे ही आप अपने क्रेडिट कार्ड मशीन में लगाओगे नेटवर्क कंपनी यानि के वीजा मास्टरकार्ड अमेरिकन एक्सप्रेस वह इस ट्रांजेक्शन की डिटेल्स खुद वेरीफाई करके ईश्वर और एक वार्निंग बैंक को अप्रूवल देखिए जैसे ही नेटवर्क कंपनी से अप्रूवल का या शुगर बैंगन जो है वह इक्वल इन बैंक को ₹90 देगा और ₹2 अपने पास रखेगा और जो एक्वायरिंग बैंक है उस ₹90 में से एक रुपए अपने पास रखेगा और 937 रूपीस दुकानदार को से देगा अभी जो एक्वायरिंग लैंड है उस बच्चे हुए एक रुपए में से 50 पैसा नेटवर्क कंपनी को देगा और पचास पैसे अपने पास रखे सिक्स और वे की कंजक्शन से ₹2 जिस बैंक का क्रेडिट कार्ड आपके पास था उसने कमाया पचास परसेंट नेटवर्क कंपनी ने कमाए और बाकी 50 पैसे जिस बैंक की मशीन थी उसने कहा यह जो चीज है यह मैंने सिर्फ समझाने के लिए बधाई दी बाकी जो परसेंटेज होता है चेंज होता रहता है आप देखोगे यही रीजन है कि दुकानदार मना करता है या फिर पैसे ज्यादा मांग है जो आप उसको प्रेड दिखाते हो और जो मेट्रो सिटी के दुकानदार होते हैं फिर मॉल के अंदर से दुकानदार होते हैं विक्रम और आगे होते हैं यह पहले ही अमाउंट प्रोडक्ट के अंदर ऐड कर रहे थे यह छोटा लग रहा है लेकिन जब पूरे वर्ल्ड में कितने सारे ट्रांजेक्शंस हैं तो यह बहुत ही बड़ा हो जाता है यही कि इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कंपनी की ओर से डॉलर की यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी पेमेंट प्रोसेसिंग इंस्टीट्यूट इन लास्ट 5 से 10 साल में काफी अच्छी रही है सोचने की बात यह कि आप देख रहे हो से का जो अमेजॉन से शॉपिंग करते हो अपने से कंपनी है यह तो है अभी भी की वजह से मेजर कंपनीज लाइक और सब्सक्राइब भी कम टाइम में रेस्ट करने की बड़ी कंपनी है लॉन्ग टर्म में जरूर करें पहले रेस्ट करने में काफी कमीशन पेपर पर शुभेंद्र मणि आपसे आप इंडिया से यू स्टॉक में बिना किसी ब्रोकरेज कमिश्नर यह अकाउंट ओपनिंग फ्री के इन्वेस्ट कर सकते हैं सबसे अच्छी बात है कि इस ऐप से आप फ्रेक्शंस में भी स्टॉक्स खरीद सकते हैं और यह स्टॉक में मंडलीय वीकली ऐसा भी ऐड कर सकते हैं सिर्फ 500 रुपए से और मैं आपको एंटी मनी के साथ मिलकर एप्पल कंपनी के स्टॉक इस वर्ष उसे ज़ोर बिलकुल फ्री में दे रहा हूं आपको बस डिस्क्रिप्शन लिंग से ID Money ऐप डाउनलोड करना है और उस पर साइन अप करना है और अपने फ्री यूएसए स्टॉक अकाउंट में फर्स्ट टाइम पर डिपोजिट करने पर आपको रॉकी से Zee के एप्पल स्टाफ फ्री में मिल जाएंगे तो पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के पॉइंट से आप आएंगे मनी से अपनी यूएसएस टॉप इन्वेस्टमेंट जरिए शुरू कर सकते हैं जब एक ट्रांजेक्शन होता है तो इस पूरे केस में जो इश्वर बैंक होता है जिस बैंक का कस्टमर केयर का यूज करता हूं सबसे अच्छा मुनाफा रखता अपने पास यह तो एक तरीका हो गया इसके साथ-साथ ईश्वर बैंगन जो है वह और भी कई तरीके से पैसे कमाता है ट्रांजेक्शन चार्ज लेट पेमेंट चार्जेस यह - चार्जेस कैश विड्रॉल फीस ओवर लिमिट फॉर एनुअल फी इसके अलावा भी कि कंपनी से टाइप करके पॉइंट रीडिंग करके ऐसे कई तरीके हैं जिससे ईश्वर बैंक काफी पैसे कमाता है यही रीजन है कि हर बैंक चाहता है कि वह हर केस में ईश्वर बैंक बने इसलिए आपको बैंक कैसे भी करके अपने बैंक का क्रेडिट कार्ड देना चाहता है और ईश्वर बैंक बनने के लिए बैंक मॉल से लेकर आपके फोन SMS तक हर जगह अपने स्टाफ को आपके पीछे लगा देता है कि कैसे भी करके आप उसे एक्टिवेट कर ले लो जितना पूछ बैंक आपको क्रेडिट कार्ड के लिए करता हूं तो मैं किसी भी चीज के लिए नहीं करता एक पैन को कवर कर देने से कितना फायदा होता है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 12.7 परसेंट लोकहित का डिपॉजिट कर देते हैं पैसा नहीं दे पाते हैं उसके बाद भी बैंक फायदे में रहता है इसके बाद भी लोग यही नहीं रुकते हैं कई तरीके की ट्रिक जेल मैं आपके साथ इसे नो कॉस्ट एमी आपको बोलते हैं इसमें भी आपका नुकसान होता है 9th मई को लेकर आरबीआई को नोटिस जारी करना पड़ा कि एक तरह का धोखा है तो मोस्ट्ली कंपनियां करते हैं इसमें चाहिए छुपाई जाती है कस्टमर से जान बूझकर इसका नाम नो कॉस्ट एमी रखा गया आप ट्राई करके देख लेना यह कभी भी इसको नो एंट्री तो इंटरेस्ट यह नहीं बोलते हैं कि अगर वह ऐसा करेंगे तो यह स्किन को गलत साबित हो जाएंगे कोर्ट में अभी जो लोग और सीमा यह काम कैसे करती है इसके मोबाइल के एग्जांपल समझते हैं अगर किसी कस्टमर को मोबाइल खरीदना है तो कस्टमर के पास तीन ऑप्शन होते हैं पहला तो हर जगह पर जाकर रेट चेक करें और जहां से सस्ता मिले वहां से जाकर ले लें वह चाय ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन लेकिन बैंक ऐसा नहीं चाहता है बैंक चाहता है कि आप क्रेडिट कार्ड यूज करो और यह माई फलों सबसे पहला बेनिफिट तो यह होता है कि प्रोडक्ट ज्यादा दिखता है अब पहले यह मोबाइल कंपनी 1000 मोबाइल भेज कर 10,000 काम आ रही थी अब हो सकता है वह 3000 मोबाइल भेज कर तीसरा कमाने लगे कि Mi के ऑप्शन से लोगों की परचेजिंग पावर बढ़ जाती है और लोग ज्यादा खरीदते हैं और जब मोबाइल कंपनी ज्यादा कम आएगी तो बैंक के साथ उस प्रॉफिट ही ज्यादा शेयर करेंगे दूसरी चीज जैसे ही आप यहां से पूछ लेते हैं तो यह लोन की तरह काम करता है और आपको एक लोन प्रोसेसिंग फीस देनी होती है वह आपको बताया नहीं जाता हूं बाद में जब आप स्टेटमेंट देखते हैं तो उसमें लिखा हुआ आता है यह आपके मोबाइल की कीमत को बढ़ा देता है और तीसरी जीत जो इंटरेस्ट का अमाउंट होता है वह टोटल टाइम में आलरेडी ऐड कर दिया जाता है और जैसे ही आप यह माइक ऑप्शन ऑफ करते हो जितने भी आपके ऑफर होते हैं वह सब कैंसिल कर दिए जाते हैं और इस तरीके से भी मोबाइल का प्राइस यहां से बढ़ जाता है और एक चीज और सीमा के ऑप्शन में और होती है पहली इंटरेस्ट अमाउंट आपसे लेते हैं और जब आप ही पूरी होती है तो गैस व्याख्या बोनस बल्कि आपको वापस करते हैं अगर किसी को आपसे इंट्रस्ट नहीं लेना यह पर तो पहले लेकर आपको वापिस क्यों करेगा उड्डयन से नहीं लेगा वह इसलिए क्योंकि जो इंटरेस्ट समान होता है उस पर टेस्टी लगता है और यह टेस्टी का पावडर होता है यह भी कस्टमर को देना होता है वह भी आप अपना स्टेटमेंट खोलकर देखोगे तो उसमें लिखा हुआ मिलेगा लेकिन यह चीज आपको बताई नहीं जाती है और इससे भी मोबाइल का प्राइस बढ़ जाता है कुछ क्रेडिट कार्ड कंपनी ऑफर देती है और कहती है शुरू के 6 मंत्र इंट्रस्ट नहीं लगेगा उसके बाद के बीच यह मैं उन पर इंटरेस्ट लगेगा उस केस में लोग इंटरेस्ट रेट बढ़ाकर अपना अमाउंट कवर करते हैं अगर 12 पर सेंट इंटरेस्ट रेट चल रहा है तो शुरू के 6 महीने इंट्रस्ट नहीं लेंगे और बाद की तो 6 महीने बचे हैं उसमें 24 पर सेंट इंटरेस्ट लेते हैं और यह माइक का ऑप्शन में आप मोलभाव भी नहीं कर पाते हो तो एक 2,000 का रुख भी होता है ऐसे करके जो इंटरेस्ट बचाते हो उसकी जगह आपको डबल माउंट पर करना होता है और यह उसकी बात है जहां पर है कि नो कॉस्ट्यूम और जहां भी यह बोला कि इंटरेस्ट लेंगे वहां पर और ज्यादा महंगा हो जाता है लो कॉस्ट यह पुराने या अपडेटेड टो लक्ष्य रखते हैं जो नहीं दिखते हैं नॉएडा सिंपल फंड है वो सेवर मोड से फास्ट और सेलआउट गांव आप कहोगे कि क्रेडिट कार्ड किसी को यूज नहीं करना चाहिए कि नहीं बिग्रेड काटते इंसान को यह लगता है कि उसके पास पैसे हैं जबकि उसके पास पैसे नहीं है अगर आप इसको ध्यान से देखो तो एक तरह से आप उधार लेकर सामान खरीद रहे हो अब इसमें अब यह कह सकते हो कि इसमें कौन सी बड़ी चीज है किसी योग्य पैसे तो नहीं मांगना पड़ता है कोई लोन तो नहीं लेना पड़ रहा है थोड़ा बहुत पैसा ज्यादा भी लगा है तो क्या हुआ इज्जत तो बची हुई है लेकिन बैंक से लोन या किसी से उधार जवाब लेते हो तो बहुत ही जरूरी काम के लिए तो आप अपना फिंगर प्रिंट के स्टेटमेंट उठाकर देखोगे तो जो भी आपने सवाल लिए आप उसको नोटिस करिएगा क्या वह बहुत ही एक्स्ट्रा एमरजेंसी वाले काम के लिए अपने उसको यूज किया है आपकी बाइक कैपिसिटी को बढ़ाकर आपकी आदत खराब की जाती है ताकि वह सब खरीद पाव जो आपको नहीं खरीदना चाहिए अब बताइए अगर यह आपसे नहीं तो इतने ही लोग iPhone खरीदेंगे एक साथ इतना सारा पैसा देखे लेकिन यह क्वेश्चन है जिसकी सैलरी 3 से 35,000 है वह गिफ्ट खरीदना है और यह आपको एक डेट ट्रैप की तरह आता है पहले तो आप डेढ़ लाख का फोन जाना टेंट रन देकर 2 लाख में खरीदते हो और उसके बाद जो नौकरी अपनी शर्तों पर कर रहे हो तो वह मजबूरी में करनी पड़ती है आपको इसके ऊपर से आपको मिनिमम अमाउंट का जो ऑप्शन दिया जाता है यह एड्रेस है कि अगर आप मिनिमम पेमेंट करते रहोगे तो आप पूरे साल पैसा भरते रहेंगे उसके बाद भी पूरा नहीं हो पाएगा और बहन चाहते हैं कि आप मिस करो यह मैं ताकि इनके बाकी के ऑप्शन भी खुल जाए यह जो लेट पेमेंट पर पेनल्टी लगती है यह दो से तीन परसेंट मंत्री होती है अगर 265 मानकर चलें तो 24 परसेंट होता है साल का ही बहुत ही ज्यादा है अगर आप इंटरेस्ट एक दिन लेट हो जाते हो तो एक दिन इंट्रस्ट नहीं लेते हैं वह पांच डिपेंड रस लगाते हैं आपने पुरानी मूवी में देखा होगा जो जमींदार होता वह गरीबों की जमीन गिरवी रहता है उनको पैसे देता है पूरी जिंदगी को काम करवाता उनसे उसके बाद भी पैसा पूरा नहीं होता है क्विट कार्ड मोड ऑन टाइम का जमींदार है जिसको सही से कर यूज नहीं किया तो आपको बहुत बड़ी दिक्कत में डाल देंगे ग्रेटेड अगर सही से यूज किया जाए ताकि बहुत ही अच्छा ट्यूब है लेकिन सबसे पहली चीज आपको क्रेडिट कार्ड से वही चीज खरीदनी है जिसका पैसा आपके पास हो इस उम्मीद में कि आगे पैसे आ जाएंगे कल अमीर हो जाएंगे यह सब सोचकर वह प्रोडक्ट बिना सोचे-समझे खरीदेंगे तो आप एक डेट ट्रैप में सोचेंगे माइलेज आपको केरला का iPhone लेना आप उसको क्रेडिट कार्ड से भी ले सकते हो अब जो पैसा आपने iPhone लेने के लिए रखा था उसको आपको 50 दिन के बाद देना है उस पैसे को आप शॉर्ट टर्म FD की तरह यूज कर सकते हो तो यह मंत्र के लिए होती है और जो से इंटरेस्ट आएगा उसको आप यूज कर अपना फोन सस्ता भी कर सकते हो यह क्रेडिट कार्ड आप जब भी यूज करें हमेशा खुल पेमेंट करनी है आपको मिनिमम देने के चक्कर में ना पड़ें और कुछ जगह पर आपको क्रेडिट कार्ड बिल्कुल नहीं यूज करना है जैसे कि पेट्रोल पंप यहां पर एक परसेंट सर्विस फी और आउट 7.2 पर्सेंट जीएसटी लगता है सर्विस में तो फिर भी कुछ कैसे डिफाइन हो जाती है कि जीएसटी आपको देना होगा दूसरा आईआरसीटीसी में जब बुकिंग करते हो तो उसमें एक ए पर्सन एक्स्ट्रा लगता है उस टाइम आपको इसका बिल्कुल यूज नहीं करना है Paytm जी पर Amazon पर इन सबके वेलवेट में पैसा ऐड करने के लिए ग्रेटेड बिल्कुल यूज नहीं करना है दो से तीन परसेंट पे करनी होती है प्लस जीएसटी टैक्स देना होता है दूसरा आपको किसी भी कीमत पर क्रेडिट कार्ड से कैश विड्रॉल नहीं करना है वरना आप एक बहुत ही पूरे डेट ट्रैप में फंसेंगे बैलेंस ट्रांसफर यानि के एक क्रेडिट कार्ड से दूसरे क्रेडिट कार्ड को पेन नहीं कर रहा है इंटरेस्ट रेट और प्रोसेसिंग फीस एक्स्ट्रा लगेगी इंश्योरेंस या फिर जो LIC के पीएम मौत है इसको भरने के लिए क्रेडिट कार्ड बिल्कुल यूज नहीं करना एक से डेढ़ परसेंट एक्स्ट्रा लगता है इसमें क्रेडिट कार्ड का बिल जनरेट होता है उसको कैसे कर चेक से भी नहीं करना चाहिए उसमें बेकसूर चार्जेस देने होते हैं 300 से 500 तक नौजवान क्रेडिट कार्ड ले रहे तो उस समय भी आपको ध्यान रखना है पहली चीज आपको यह देखिए यहां पर टाइप का रेट कार्ड हो अब साल में एक या दो बार राइड यूज कर रहे हैं उसके लिए अपने फ्राइडे और लांच वाला ग्रेट कर लिया तो वह आपके लिए बेनेफिशियल नहीं रहेगा अगर आप Amazon से ज्यादा चीजें खरीदते हैं तो Amazon इंटिग्रेटिड कार्ड खरीद दिए कि आप जब ऑनलाइन शॉपिंग है तो उसमें आपको बेनिफिट में एक दूसरे के यह भी देखनी है कि अगर आप लेट पेमेंट करते हैं तो कौन सा कार्ड सबसे ज्यादा पेनल्टी ले रहा है आपको इंटरेस्ट रेट में कंपेयर करने और यह जो किडनी एनुअल फी होती है यह भी आपको कंपेयर करनी है या तो एकदम कम हो या फिर हुई ना और कुछ लोग यह भी कहते हैं यह फ्री कार्ड है जिसमें पहले साल तो फीस नहीं लगती है लेकिन उसके बाद अगर आप देखोगे तो चार्ज करना शुरू कर देते हैं यह चीज भी आपको कंफर्म करनी है और किस बैंक का कार्ड लेना है आप ऑनलाइन Amazon या फ्लिपकार्ट पर जाकर 20 प्रोडक्ट्स को रिव्यु कर सकते हैं कि कौन से बैंक का कार्ड ज्यादा ऑफर दे रहा है अब जो पेट काटकर ट्रैक में आलरेडी फस गया हर महीने मिनिमम पेमेंट देकर अपना काम चला रहे हैं लेकिन मिनिमम पेमेंट देखिए आपका क्रेडिट कार्ड कभी खत्म नहीं होगा आप पैसे देते रहेंगे लेकिन वह अभी खत्म नहीं हुआ क्योंकि इसमें इंट्रस्ट लगता है बहुत ज्यादा लगता है वह थर्टी सिक्स परसेंट के करीब लगता है पूरे साल का इससे अगर आपको छुटकारा पाना तो सिर्फ एक ही तरीका है या तो आप अपने किसी यार दोस्त से पैसा उधार ले लो इसको पूरा करेंगे लोन उठाएं पर्सनल लोन उठाएं उससे पूरा करेंगे तो पर्सनल लोन होता है उस 14 से पंद्रह परसेंट पर मिलेगा जो कि थर्टी परसेंट से का में काम होता है एस जिस टाइम के अपने पर्सनल है उसमें खत्म हो जाएगा क्योंकि मिनिमम पेमेंट कर देंगे तो इसे खत्म नहीं होगा आपके पास कोई भी लोन हो चाहें कार लोन हो होम लोन हो पर्सनल लोन हो यह चीज याद रखिएगा कि क्रेडिट कार्ड जो है वह आपको सबसे पहले खत्म करना है क्योंकि उस पर डाल सकता हूं फॉर ज्यादा लगता है और बिफोर सेंडिंग का वीडियो डिस्क्रिप्शन लिंक से टिप्पणी पर साइनअप करके अपने फ्री यूस एप्पल स्टॉक्स प्लेन करना मत भूलिएगा ID Money ऐप एकदम फ्रेश है और इसे 5 मिलियन से ज्यादा इंडियन सॉलिड यूज कर रहे" 4zDKORVwMOs,Nupur Sharma Controversy & Udaipur Case | What happened on Times Now | Nitish Rajput | Hindi,2022-07-14T06:35:55Z,PT17M12S,2184486,96588,9065,https://www.youtube.com/watch?v=4zDKORVwMOs,, क्विड के अंदर कोई कितनी में धमाकेदार लाइन बोल दे रेडिमेट जीत जाये हार जाय उसे रत्ती भर का फर्क नहीं पड़ेगा अब जिस पार्टी का व्रत करते हो और वोटों से जीत कर आयेगी अभी आप अगले इलेक्शन में देखना राजस्थान में पॉजिटिव जो है वह 360 डिग्री चेंज होगी कि जो आने देता है इनको आप अगर ध्यान से दब करोगे तो अपने रिलेशन खराब नहीं करते हैं मीन की वजह से यह आपस में हिंदू-मुस्लिम नहीं करते हैं यह आप ही हुसैन करवा दें कि नूपुर की बातों का तो विरोध हो रहा है कि इलियास की बातों को छुपाया जा रहा है या फिर दूसरी साइड लेंगे तो रतनलाल को पारित किया जा रहा है लेकिन नूपुर शर्मा वह इस नहीं किया जा रहा है वहीं भाव देखकर उसको और गुस्सा भारत के नागरिक की लक्ष्मण रेखा क्या है जब वह धर्म के बारे में बात करता है और उसको कहां पर रुक जाना चाहिए फ्री स्पीच कब हेट स्पीच में कन्वर्ट हो जाती है अब कहेंगे तो जैसे पहले कन्हैया लाल को गिरफ्तार किया था वैसे कन्हैया लाल की कंप्लेंट पर ना दें और उसके साथ के लोगों गिरफ्तार करना चाहिए था उसके उल्टी देनी चाहिए थी मैं पहले से पहले यह डिस्कस करें कि उदयपुर में क्या हुआ नूपुर शर्मा ने गलत बोला यह तसलीम रहमानी की गलती है उससे पहले यह देखिए पूरी कॉन्ट्रोवर्सी है क्या और यह कॉन्ट्रोवर्सी स्टार्ट कैसे हुई कि बनारस के अंदर ज्ञानवापी मस्जिद है जो कि बिल्कुल काशी विश्वनाथ टेंपल है उसके बगल में है पूरी कॉन्ट्रोवर्सी शुरुआत यहीं से होती है वह Bigg Boss बता देता हूं इस तरीके से राम जन्म भूमि को लेकर कंफ्लिक्ट था कि पहले मंदिर है यहां पर पहले मजे है सेम यही श्याम हवाई अड्डे को लेकर भी है और ऐसा नहीं कि अभी कोई नया मुद्दा है इस चीज को लेकर लड़ाई है वह आजादी के पहले से चल रही है 1994 में इसको लेकर थोड़ी सी टेंशन बड़ी भी और फिर 1991 से इसका जो फेस है वह कोर्ट में चल रहा है लेकिन यह अलग मुद्दा है लेकिन अभी जो करंट सिचुएशन एस पतिव्रत जाएगा कि वह है कि मस्जिद के अंदर मूसली के अलावा किसी और को जाना लाइट नहीं है फोटोग्राफी वगैरह आलू नहीं है ताकि जो दो कमिटी उनके बीच में लड़ाई ना हो जाए अब इस मस्जिद को लेकर के टॉयज लाठियां होता क्या है कि पांच औरतें कोर्ट में जाकर पिटिशन डाल देते हैं और परमिशन मांग की है कि यह जो ज्ञानवापी मस्जिद है इसके अंदर एक श्रृंगार गौरी मंदिर हमें वहां पर जाकर पूजा करनी है आप कोर्ट ने आज किस आधुनिक प्लेस पर आप नहीं जा सकते तो उन औरतों ने कहा कि अगर आपको यही नहीं तो आप चेक करा लीजिए वहां पर सिंगार गौरी मंदिर है हमें वहां पर जाकर पूजा करनी है अब इस पर कोर्ट ने अंदर जाना तो लूंगी लेकिन एक आर्डर दिया एक वीडियोग्राफी करा ली जाए पूरे एरिया की ताकि मस्जिद के अंदर है कि यह पता चल सके अभी सर्वे स्टार्ट होता है जब आप पिंपल सर्वे पहुंचता है तो जहां पर वसूल किया जाता है वहां पर एक शिवलिंग जैसा दिखने वाला ऑब्जेक्ट मिलता है अब देखिए ऑब्जेक्ट एक्चुअल में क्या है यह तो आर्केलॉजी टीम और सुप्रीम कोर्ट पर डिसाइड करना होता है लेकिन ऐसा होता नहीं है और यहां पर होती है कॉन्ट्रोवर्सी की सबसे बड़ी गलती यह मीडिया वाले इसकी हिमेश ने करवा लेते हैं और हर जगह इस स्टेज पर ऐड करवाना शुरू कर देते हैं बैक टू बैक टीवी डिबेट से स्टार्ट हो जाती है और टीवी डिबेट में ऐसा नहीं कि लोग आर्केलॉजी या फिर हिस्टोरियंस को बुलाया टीवी डिबेट में लोगों को मिनट के रिलीज स्पीकर्स को उठाते थे और वह भी ऐसे नीचे सेटिंगस को बुलाते सिंह का रिकॉर्ड रांची करने का चलाने का एक दूसरे के धर्म के बारे में बुरा भला बोलने का इसी बीच में रतलाम के प्रोफेसर है उन्होंने इस इमेज की बात करते-करते डायरेक्ट शिवजी के ऊपर काफी कंट्रोवर्शियल ट्वीट कर दिया इसकी वजह से इनको शुरू कर दिया जाता है अब देखिए चाय लुट शर्मा हो इलाज सिर्फ दिनों तस्वीरों आप इस मुद्दे पर इससे पहले जो उनकी डेट होती है उनको जाकर जरूर देखिएगा का यह लोग अपनी बात आसानी से कटने नहीं देते हैं बहुत ही स्ट्रांग बॉडी लैंग्वेज और स्टोन का यूज करते हैं और जो न्यूज़ चैनल इनको आमने-सामने बैठा रहे हैं उनको बहुत अच्छे से पता है कि अभी हमने सामने बैठ लेंगे तो क्या होगा लेकिन उसके बाद में लोगों को बुलाया जाता है अवतारी जाती है 26 में 2022 यह वह दिन है जब किस पूरी कॉन्ट्रोवर्सी की नींव रखी जाती है 5 बजे दो शर्मा news24 पर डिबेट में आती है जिसका टॉपिक होता है ज्ञानवापी मस्जिद और दूसरी तरह सोते समय तक दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने और पर्सनल कमेंट करने में कोई कसर नहीं छोड़ते दो से तीन बार न्यूज़ एंकर को बीच-बीच में रोगी बढ़ती है और यह सारी चीजें बेस के नेशनल न्यूज़ चैनल पर चल रही होती और बात इतनी बढ़ जाती है कि लुक शर्मा को डिबेट छोड़कर जाना पड़ता है क्योंकि लोगों शर्मा को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है बीच में न्यूज़ एंकर नूपुर शर्मा को रोक के हाथ में रहने के लिए कहते हैं इसके बाद वह ट्वीट भी कर देंगे चैनलों द्वारा नहीं आएंगी News24 की डिबेट को छोड़कर नूपुर शर्मा निकलती हैं और उसके बाद में पुलिस पेबैक 7:00 जॉइंट करते रिपब्लिक भारत की डिबेट जहां पर वह सेम ज्ञानवापी मस्जिद का चल रहा होता है यहां पर दूसरी तरफ बैठे होते हैं मुफ्ती महमूद दिन और लड़ते-लड़ते दोनों रिलीजस फीलिंग हट करते हैं दूसरी दोनों दिल खोलकर लड़ते देख जो न्यूज़ चला रहा है जो लोग डिबेट कर रहे सबको बहुत अच्छे से पता है कि डिबेट के अंदर कोई कितनी में धमाकेदार लाइन बोल दे यार डिबेट जाए या हार जाए उससे रत्ती भर का फर्क नहीं पड़ेगा कि वीडियोग्राफी में जो निकलेगा उसका डिसीजन सुप्रीम कोर्ट लेगा और यह सुप्रीम कोर्ट बोले व होगा इंटैक्ट हमारे देश में कानून है 1971 से की पूजा के जो स्थल है भले ही वहां पर कुछ भी हो जाए कुछ भी निकल जाए वहां पर कन्वर्जन नहीं हो सकता जो चीज जैसे चल रही है वैसे ही चलती रहेगी इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं होगा लेकिन उसके बाद भी बेच होती है और वह इसलिए होती है ताकि जो नॉर्मल आदमी हो यह सब देखकर ट्रिगर अब एक आदमी है जो सुबह उठते है वो हाथ जोड़ता भगवान किया गया फिर दुआ करता हूं भगवान के आगे कोई दिक्कत आती है तब भगवान् के आगे हाथ फैलाता है फ्लाइट में बैठा है तभी भगवान जी जैसे अल्लाह को याद करता है भगवान उसके बहुत इंपोर्टेंट चीज हम नेशनल टीवी पर लगाओ तब देखेगा तो बुरा तो लगेगा जब एक आम आदमी को तो दूर हो जाती है और ऐसा लगता है कि का विरोध किया लेकिन इस वजह से तसलीम रहमानी और में यहां से और यहां तक खराब होती है अगले यूज करते हैं और सोशल मीडिया पर और यह बहुत ही खराब मोड़ पर लाकर खड़ा कर दो शर्मा को धमकी आने लगी कई लोगों ने ईनाम भी रखा कि जो नूपुर शर्मा को मारेगा उसको पैसे दिए जाएंगे जुलूस निकाले गए दंगे हुए कई जानें भी गई जो लोग दंगों में शामिल थे उनके घरों पर बुलडोजर चले नूपुर शर्मा ने यह भी कहा कि दुबई में जो वीडियो डाली है वह है खैर यह जो चीज है यह तो कोर्ट में प्रूफ होगी और अगर मोहम्मद जुबैर ने पूरी वीडियो डाली होती तो शायद सिचुएशन कुछ और होती है कांटेक्ट पता चलता है कि वह दोनों साइड की ही देखते हो और यह आपको पता चलता है कि नूपुर शर्मा की अकेले गलती है या और भी लोग हैं जिन्होंने सेम गलती की है अब आप लोग बताइए आप लोगों में से भी कितने लोगों ने देखिए पूरी डिबेट क्योंकि टाइम्स नाउ ने भी इस वीडियो को हटा कर अपना पल्ला झाड़ लिया इसके बाद अल जजीरा ने इस पूरी सिचुएशन पर न्यूज़ दिल्ली वह मेंशन किया कि जो इंडियन प्रोडक्ट्स है इनका वह रिकॉर्ड हो रहा है उस पर्टिकुलर टाइम पर इंडियन प्रोडक्ट्स का वह रिकॉर्ड नहीं हो रहा था लेकिन जैसे ज़ी न्यूज़ कवर करता है देशों ने गौर करना शुरू कर दिया होता है 16 देशों ने मिलकर इंडिया के ऊपर प्रेशर बनाया की माफी मांगी लेकिन इंडिया ने माफी नहीं मांगी कहा कि नूपुर शर्मा जो है वह के गवर्नमेंट ऑफिशल नहीं है इसके बाद बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए ऊपर शर्मा नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से सस्पेंड कर दिया टर्मिनेट नहीं किया सस्पेंड किया तो यह भी हो सकता है कि दोबारा वापसी हो जाएंगी यह कुछ लोग शर्मा को डिफरेंट कर रहे हैं कि उसने वही बोला जो लिखा था या फिर इलियास है तस्लीम को डिफरेंट कर रहेगी शिवजी को रोने कुछ नहीं बोला हूं तो शिवलिंग के सबसे कम पर कर रहे थे लेकिन never-ending डिस्कशन है जिसने पहले से जो मान रखा है उसको आप चेंज नहीं कर सकते आप सोते हुए आदमी को लगा सकते हैं जो सोने की एक्टिंग कर रहा है उसको आप नहीं जगा सका आखिर सच क्या है इसके लिए तो एक ही रास्ता है वह कोर्ट और जो लोग कहते हैं कि जान से मार रहना चाहिए वह खुद एक टाइम कर रहे हैं हम यह मानकर चलें कि उसने गलती की है और जान पूछकर की है उसके बाद भी तो मामला को ठीक हो जाएगा डेमोक्रेसी में कोड सहित फैसला होगा और यह डिस्कस कर ले ताकि हमारे देश का कानून क्या कहता है भारत के नागरिक लक्ष्मण रेखा क्या है जब वह धर्म के बारे में बात करता है और उसको कहां पर रुक जाना चाहिए फ्री स्पीच कब हेट स्पीच में कन्वर्ट हो जाती है तो यह डिस्कस कर लेते हैं कई देशों में कानून है कि अगर कोई किसी के रिलीज सेंटिमेंट करता है तो उसके लिए सदा है और हर कंट्री में अलग-अलग सदा है श्रवण को अपने हिसाब से डिसाइड कर रखी है इसे बोलते हैं बिलासपुर में लोग इसे कहते हैं कि निंदा कानून तो कानून है लक्ष्मी व का यूज करें ऐसा करने से ऊंघता लेकिन यूज नहीं करता क्योंकि आप देखोगे तो उनका मिलन होता है जहां पर ऑफिशल रिलीज होता है जैसे पाकिस्तान ईरान सऊदी तो यही रीजन है हमारे ब्लाउस में यूज नहीं किया कि हमारे देश में अगर कोई ऐसा करता है किसी धर्म का अपमान करता है बोलकर लिख कर या विजुअल से बिल्कुल नहीं है कोई भी किसी भी सिचुएशन में किसी के भी सेंटिमेंट्स को हर्ट कर यह इस पिछली नो है कि ब्रिटेन की बात करते हैं तो आप यह कर सकते हैं हमारे ठंडी के इंटरनल ईएस है कि धर्म को मानने वाले पूरी दुनिया में है और इस पूरे देश की डेकोरेशन भी दांव पर लगती है अमेजॉन जब एक ऐड में विष्णु जी के गठन में थे उनको सेक्शन 295 ए के तहत किया गया था नेट पिछड़े हुए हैं जब उन्होंने टेंपल के पास किसिंग सीन दिखाओ मुनव्वर फारुकी एमएस हुसैन जावेद हबीब इन सबके ऊपर सेक्शन 295 ए ले चुके हैं देखिए लॉक अगर आप बेस बनाकर देखोगे तो शिवलिंग और प्रॉफिट मोहम्मद को बोला गया दोनों के इसमें चाय व रतन लाल हो अनुज शर्मा हो तसलीम रहमानी हो इंडिया शर्फूद्दीन हों इन सब ने नेशनल प्लेटफार्म पर लोगों को तोड़ दिया और लोगों के सेंटिमेंट हुए अब होना तो यह चाहिए था कि इन सबको रिवर्स करना चाहिए केस चलना चाहिए था लेकिन यहां भी गलती होती है अगर राइट अवे इन सबको अच्छा क्रस्ट कर दिया जाता तो मामला उतना खराब नहीं होता इनमें से कुछ लोगों को अरेस्ट किया गया कुछ लोगों को छोड़ दिया गया अब यह सब चीजों से होता है कि लोग केंद्र डिसेटिस्फेक्शन हो जाता है लेकिन फिर भी पहुंच कितना भी डिसेटिस्फेक्शन हो लेकिन जितनी भी मारने बनाने की बातें हो रही है उदयपुर में जो हुआ उसको जो सेलिब्रेट कर रहे हैं तो फिर घुमा के जो मोबाइल जस्टिस की वकालत कर रहे हैं बहुत ही डेंजरस लॉजिकली अगर आप इसको फायदे और नुकसान से देखो तो मौज से आपने कर भी दिया तो कुछ होगा नहीं एक जान के बदले कॉमेडी के अंदर भेज बढ़ेगा अभी जिस पार्टी का व्रत करते हो और वोटों से जीत कर आयेगी अभी आप अगले इलेक्शन में देखना राजस्थान में पॉजिटिव जो है वह 360 डिग्री चेंज होगी आपको बिजनस चलाना हो रेंट पर घर लेना वह हर जगह भेजा होगा इसको अगर आप फायदे और नुकसान से देखोगे तो जो मौजूदा स्थिति है एक नुकसान का सौदा है दूसरी तरफ जो लोग कहना है कि पाकिस्तान भेजो हिंदू खतरे में आप एक सर्च करके देखो जिन कंट्रीज के अंदर ट्रिलीयन है और दो गुटों में लड़ाई हो रही है उनका क्या हाल हो रहा है वहीं दूसरी तरफ आप कोई भी घंटे उठा कर देख लो माइनॉरिटी का भला तभी होता है उनके बीच का आदमी निकलकर बड़े होने पर आता है नेल्सन मंडेला नेल्सन मंडेला इसी है क्योंकि उन्हें गोरे और काले दोनों की बात करें अगर उसे काले की बात करते तो उससे वह छोटे-मोटे लीटर तो बन जाती लेकिन उनकी क्वॉलिटी का भला नहीं होता हमारे घर अब बहुत ही फेमस मीटर है 2019 में उनको दो सीटें मिली थीं अगर आप सीट के हिसाब से लिस्ट पैर करो इंडिया के सारे पॉलिटिशंस की तो सबसे नीचे वाली लिस्ट में उनका नाम आएगा सीट के हिसाब से हुआ था लेकिन आए दिन न्यूज़ में रहते हैं तो आप एक बार सोढ़ी में क्यों रहते हैं कि उन्होंने डेवलपमेंट की बात करिए या अनइंप्लॉयमेंट की बात करिए तो जो कर रहे हैं उससे वह बातें तो बहुत अच्छी कर लेंगे लेकिन वह आपके लिए कुछ कर नहीं पाएंगे आपके लिए वह सब कुछ कर पाएंगे तो उनके हाथ में कुछ जाएंगे उनके हाथ में चाहिए तब आएंगी तब दोनों कमेटी का विश्वास जीतें हैं जब अंग्रेजी मीडिया पर राज कर रहे थे तो जो मैच्योरिटी होती है उसको कुछ करने की बात चल रही थी कि मैं रोटी को खुश रखेंगे तो हमारा फायदा ज्यादा होगा वहीं पर मैकॉय ने कहा किया गया माइनॉरिटी को डरा के रखेंगे उनको ऐसा लगेगा कि वो ख़तरे में तो हमारे लाइफटाइम पार्ट बन जाएं और कहीं रुक नहीं जायेंगे तो अंग्रेज तो चले गए लेकिन यह जो माइनॉरिटी और मैं रोटी वाली आईडियोलॉजी है यह इंडिया में आज भी मिलेगी आप यह आने देता है इनको आप अगर ध्यान सब करोगे तो अपने रिलेशन खराब नहीं करते हैं मीन की वजह से यह आपस में हिंदू-मुस्लिम नहीं करते हैं या आप ही हुसैन करवाते हैं क्योंकि उनको पता है कि अगर आपस में हिंदू-मुस्लिम करेंगे तो उनकी पर्सनल लाइफ है यह खराब होगी वहीं एक चीज बहुत ज्यादा बोली जाती है हमारे धर्म का मजाक बड़े आराम से मिल जाता है वह इधर कुछ होता है तो उदयपुर जैसी घटना होती है तो उदयपुर घटना को भी डिस्कस कर लेते हैं यह उदयपुर में भूत महिला करें आधे कन्हैया लाल जिनकी उम्र 40 साल एक दर्जी की दुकान चलाते थे जिस दुकान का नाम सुप्रीम टेलर है तो पंद्रह जून को कन्हैया लाल ने पुलिस स्टेशन में कंप्लेन ही और मैं एग्जेक्टली क्या लिखा था उस कमरे में थोड़ा सा पढ़ कर बता दे तो आप इसे 5 दिन पूर्व मेरे बच्चे द्वारा मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से गेम खेलते समय अचानक फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट हो गया इसकी जानकारी मुझे नहीं थी परंतु दो दिन पश्चात दो व्यक्ति मेरी दुकान पर आए और मुझसे मेरा मोबाइल मांगा और कहा कि हमारे मोबाइल में बैलेंस नहीं है हमें किसी को कॉल करना है तो हमें आपका मोबाइल चाहिए जिस तरह मेरे द्वारा मोबाइल दे दिया गया परंतु उनके द्वारा मुझे बताया गया आपके मोबाइल से पोस्ट हुई है आपको पता है कि आपके बारे में तो मेरे द्वारा कहा गया कि मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता मोबाइल से मेरे बच्चे गेम खेलें कर लेते हैं इस कंप्लेन की जो कॉपी है मैं लगा देता हूं आप ऑस्कर के पड़ जाएगा तो देखिए होता है कि दस जून को कन्हैया लाल के मोबाइल से फोन टो वरशिप वास होता है जिसमें वह मुकुल शर्मा को सपोर्ट करते हैं और जो मोबाइल में डीपी लगी हुई थी लेकिन अगर शर्मा की लगी होती है सेम डे कन्हैया लाल की दुकान पर दो लोग आते हैं मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस मोहम्मद रियाज भीलवाड़ा के इलाके में वेल्डिंग का काम करता था उसके साथ इन्वेस्टमेंट पॉलिसी भी बेचता था और गौथमी उदयपुर में रहता था यह दोनों लोग हैं जो कन्हैया लाल को आगे चलकर मारते हैं यह दोनों कन्हैया लाल की दुकान पर आकर उसे मोबाइल मानते हैं वह कहते हैं उनके मोबाइल में बैलेंस नहीं है कोई कॉल करनी है कन्हैया लाल अपना मोबाइल दे देते हैं और इसके बाद रियाज और गौर पूछते आपके मोबाइल से पोस्ट हुआ था तो इसके बारे में आपको बताया कि इस पर कन्हैया लाल कहते कि मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता मेरा बेटा गेम खेलने के लिए कभी लेता है इसके बाद यह दोनों मोबाइल से पोस्ट डिलीट कर देते हैं और कहते हैं कि आगे से ऐसा मत करना और चुपचाप चले जाते हैं अगले दिन 11 को कन्हैया लाल के पड़ोसी ना दें इस पोस्ट को देखे कि नहीं लाए खिलाफ FIR दर्ज कर देते हैं और कई लोगों को गिरफ़्तार कर दिया जाता है कन्हैया लाल कोर्ट से जमानत पर छूट जाते हैं लेकिन उसके बाद से उनको धमकियां मिलना चालू हो जाती है हम क्या इतनी मिलती है कि बारह तारीख से लेकर पंद्रह तारीख तक कन्हैया लाल डर के मारे दुकान ही नहीं खोलते नींद कब तक कुक नहीं कर लें क्योंकि घर में दो बच्चे हैं दोनों बैठे हैं वाइफ है और दुकान का नहीं खुले हैं तो घर कैसे चलेगा अब यहां से कन्हैयालाल ने कंप्लेन की पुलिस में नाज़िम और उसके साथ के लोगों के ऊपर और साथ में पुलिस से सिक्योरिटी मांगी ताकि अपनी दुकान खोल सकें अब लाइनें तो जैसे पहले कन्हैया लाल को गिरफ्तार किया है वैसे कन्हैलाल भी कम पर पर ना दें और उसके साथ के लोगों गिरफ्तार करना चाहिए था उसी ड्यूटी देनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं होता इसकी बजाय पुलिस ने उस एरिया में दोनों कमिटी के बीच में समझौता करा दिया और दोनों पार्टी से रिटर्न में ले लिया कि हमने समझौता कर लिया और इधर कन्हैया लाल बेफिक्र होकर 28जून को दुकान खोलते थे डे दोपहर ढाई बजे दो लोग जाते हैं वहीं दोनों थे जो पैसे देना है थे जो मैंने मोबाइल मांगा था रियाद और बहू सर यह एक्टिंग करते हैं कुर्ता सिलवाना है फिर अचानक से चाकू निकालते हैं और वार कर देते कन्हैया लाल के ऊपर और दूसरी वीडियो बनाता है आपने वीडियो आलरेडी देखा होगा इसमें कन्हैया लाल के असिस्टेंट को बचाने की कोशिश करते हैं उनको भी चोट जाती है पुलिस के साथ इन दोनों ने घर में घुसकर मारने की पहली कड़ी दी कि अगर दुकान नहीं खोली तो घर में घुस के मारेंगे और उसके बाद यह पैदल भाग हैं और घर पहुंचते हैं और बैक टू बैक टीम वीडियो पोस्ट करते हैं जैसी वीडियो पोस्ट होती है उस इलाके में काफी टेंशन हो जाती है यह वह इलाका था जहां पर दो कमिटी क्योंकि मिग पापुलेशन रहती है तो दो कमरे में आज तक कभी कोई लड़ाई नहीं मीणा और इस वीडियो के बाद पूरा माहौल खराब हो जाता है लोगों को पता चला कि उनके है क्या हुआ था उसके बाद प्रोटेस्ट हुए पुलिस पर पथराव हो गए 144 हुआ इंटरनेट बंद हुआ वैसे तो ये दोनों युवकों की वीडियो में समझाने की परिवार की चिंता मत करो बदला लो यह सारे काम करो लेकिन खुसरो ने अपने घरवालों को छुपा दिया था और जब भीम को पकड़ा जाता है तो ऐसा नहीं सरेंडर कर दिए थे आखिरी टाइम ताकि लोग भी कोशिश करते हेलमेट पहन के बाइक पर भाग रहे थे लोग देंगे शुरू में तो लगा कि दो गुटों में लड़ाई है लेकिन यह जो मोहम्मद गौस तथा इन दोनों में से 2014 में 45 दिन के लिए पाकिस्तान गया था उदयपुर से नेपाल और नेपाल से फिर कराची हलवा इसने दावते इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन है उससे जुड़ा और फिर वापिस इंडिया पर आ गया और इन दोनों के मोबाइल से जब पता चला कि यह दोनों कराची के कुछ लोगों से कांटेक्ट में है वैसे तो यह दोनों गरीब है लेकिन हजार रुपए देकर उन्होंने बाइक का नंबर लिए 2611 इससे पता चलता है कि बेसिकली कितनी नफरत करते हैं जैसे इसमें यह बोला जाता है इसमें जो 20 2014 में गया था उस टाइम तक उदयपुर में क्या होना था हम को नहीं पता था कि इसको पाकिस्तान से कैसे जोड़ रहे हो देखिए कई ऐसे लोग हैं इंडिया में जो कि नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं कुछ नहीं कर रहे हैं कुछ सिंपल कहा जाता है इनको पाकिस्तान में जो इस तरीके की ओर नहीं देता है जरूरत पड़ने पर यूज करती है से पहले लोकप्रिय कर रहे थे कि बीजेपी के कार्यकर्ता बन जाएगा इंफॉर्मेशन पहुंचाएं या फिर वहां के किसी नेता को मारे मौका मिलने पर लेकिन बीच में रुक शर्मा वाला कैसा जाता तो यह के सिंह को दिया जाता है उदयपुर में एक अलार्म कर रहे हैं इसका वीडियो बना रहे हैं इसका सिर यही मतलब कि दो गुटों के अंदर लड़ाई हो इंडिया में अशांति और इंडिया की बदनामी हो बिना किसी सोल्जर को यूज किए हुए इतना बड़ा इंच कर दिया इंडिया को नहीं भी चीज की जांच करनी है 30 से 35 लोगों ने और अभी पकड़े हैं उससे पूछताछ कर रही है ताकि यह पता चल सके कि पूरे इंडिया के अंदर ऐसे स्लीपर सेल कितनी जगह फैल हो तो बात करते हुए नॉलेज पार्टनर कुओं एवं की देखिए हिस्ट्री सिर्फ हिस्ट्री नहीं रहती है बल्कि हमारे आज कोई अपडेट करती है कई ऐसे इंसिडेंट है जो पुराने पर आज भी हमारी सोसायटी में उनका असर देखने को मिलता है आपको इस तरह के केस के बारे में जानना इंट्रस्टिंग लगता है तो मैं आपको बताना चाहूंगा कुएं एवं के ऑडियो बुक के बारे में जिसका नाम है द केसेस इन इंडिया फॉर गाउट इसमें कई पुराने बड़े पेड़ के बारे में बताया गया है जिन्होंने हमारे कॉन्स्टिट्यूशन लव होगी चैलेंज कर दिया है अब क्योंकि एक ऑडियो व है आप अपनी कनेर के साथ से इसको टाइम निकाल कर आ से कहीं भी सुन सकते हो क्योंकि इसको बुक की तरह लेकर बैठने की जरूरत नहीं है उसको सैम पर और भी अलग रख दो यह ऑडियो बुक्स अवेलेबल है जैसे बायोग्राफी कॉमेडी क्राइम कुओं एवं इंडिया का लीडिंग ऑडियो शो प्लेटफार्म है तो आप डाउनलोड करें कि है वह और अपनी नॉलेज बढ़ाएं एक फंदे मैं उसको सैम पर फर्स्ट फीचर्स को मेरा कोड एंफी यूज करके मिलेगा 50% डिस्काउंट और 399 रुपए इसका जो सबसे ऑप्शन है उसको आप ले सकते हो वंश उसमें लिंक डिस्क्रिप्शन t6xTJZIjIo8,National Herald Case Explained | Why ED summon Sonia and Rahul Gandhi? | AJL | Nitish Rajput | Hindi,2022-07-01T08:38:04Z,PT18M30S,1208068,52477,2649,https://www.youtube.com/watch?v=t6xTJZIjIo8,," कि जिस तरीके से अब हम एक बार है टाइम्स ऑफ इंडिया हिंदुस्तान टाइम्स इंडियन एक्सप्रेस ठीक इसी तरीके से आजादी से पहले का अखबार था नेशनल हेराल्ड जो कि नेहरू जी ने 1948 में निकाला था इसे एक बार के थ्रू फ्रीडम फाइटर अपनी बात रखते थे जो ऑल ओवर इंडिया में लोगों तक पहुंचती थी नेहरू जी खुद भी समय पर थॉट्स लेते थे ताकि जो ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई है और तेजी से आगे बढ़ सके देखिएगा बार अगर आपको चलाना है उसको चलाने के लिए आपको पैसे की जरूरत पड़ती है इंडिया के कोने-कोने से न्यूज़ जाना है उसे क्लिक करना है एंप्लॉयर की सैलरी है रजिस्ट्रेशन बहुत सारी चीजें होती है इसलिए नेहरा को चलाने के लिए 5000 फ्रीडम फाइटर्स इंक्लूडिंग नेहरू जी ने पैसे इकट्ठे करके एक कंपनी बनाई टेल द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड अब आपको वह कि नेशनल हेराल्ड ए गर्ल इन दोनों में आपस में क्या लेना-देना है घर चलाने के लिए जितने भी रिसोर्सेज मैनेजमेंट और पैसे का जो सर्कुलेशन होता है वह सब के पीछे जो कंपनी है व हैंडल करती है जैसे अभी अगर मैं बात करूं मगर मैं हिंदुस्तान टाइम्स एग्जांपल लोग तो उसके पीछे जो कंपनी असल नाम है एचटी मीडिया लिमिटेड ऐसे ही द हिंदू की बात का इसके जो नाम है वह कस्तूरी एंड संस लिमिटेड है ठीक इसी तरीके से उस टाइम पर जो नेहरान था उस न्यूज़पेपर के पीछे जो न सिर्फ कि वह एप्स द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटिड के पास थी और इस कंपनी में जो शेयर होल्डर हैं वह 5,000 फ्रीडम फाइटर्स से लेंगे इसे एक चीज ध्यान रखिएगा कि जो कंपनी ढल इसका कोई एक कॉर्नर नहीं था जो 5,000 फ्रीडम फाइटर्स से यही इस कॉर्नर से देखिए जो कंपनी है यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटिड इसका काम था न्यूज़ पेपर पर क्लिक करना और सीरियल ने तीन लैंग्वेज में बार पर क्लिक कीजिए 9038 में एक इंग्लिश दूसरा हिंदी और तीसरा उर्दू इंग्लिश में जैगवार था उसका नाम था नेशनल हेराल्ड हिंदी में जैगवार था उसका नाम था नवजीवन और जो उर्दू में एक बार था उसका नाम था कौमी आवाज ढलती अखबार तो इसमें से जो नेशनल हैरान था उस टाइम पर काफी पॉपुलर हो रहा था इस वजह से Bigg Boss ने उसको 1942 में बहन भी कर दिया था और फिर आगे चलकर 1945 के बाद ही फिर से चालू हो गया था और जब हमारा देश आजाद हो गया तो उसके बाद फ्रीडम फाइटर्स के लिए इसमें थोड़े से कम रहते थे और कांग्रेस की जो पॉलिथीन व्यू से जोड़कर थॉट प्रोसेस वह क्लिक ओं थे लेकिन नेहरा था वह कुछ खास नहीं रहा था लेकिन नेहरू जी को बहुत ज्यादा होता है इसमें काफी कुछ लिख भी दे तो यह तक कह दिया था कि आनंद भवन इलाहाबाद में जहां पर रहते थे अगर उसको भी बेचना पड़ जाए तो उसको लेकिन न्यूज़ पेपर को बंद करना पड़ा लेकिन कोई स्टार्ट हुआ उसके बाद जो यह कंपनी थी उसके को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी कंपनी के बाद इसको इस तरीके समझ में आ रहा है तो यह ₹3000 यह हो गई हो तो यह सारी चीजें हैं इसी तरीके से था लेकिन अब स्किन बहुत है जिसको लेकर पूरा बवाल शुरू हुआ पहली चीज तो आप यह होगी जो यह का काम था कि न्यूज़ लाने का था तो इसके पास एसिड कहां पर आ गए इसके बाद जमीन कहां से आई है दूसरी जाता है कि नेहरा जब बंद हो गया तो यह जो कंपनी है फिर वह क्या काम कर रही थी लेकिन यह कोई नार्मल कंपनी ने भी हमारा देश आजाद होने से पहले ही यह हमारे देश की आवाज थी और हमारे प्राइम मिनिस्टर इमोशनली कभी टेस्ट हिस्से इसलिए टाइम टू टाइम तेल को न्यूज़ अलग-अलग जगहों पर चलाने के लिए ऑफिस बनाने के लिए स्टेट ओर सेंट्रल गवर्नमेंट से जमीन मिलती थी ताकि सीरियल ऑल ओवर इंडिया में अपनी ब्रांच सेवा पाएं और यह जमीन मिलती थी गवर्नमेंट से यह कुछ लीज होल्ड प्रॉपर्टी होती थी और कुछ होती थी यह फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी लेकिन लीव्स और प्रॉपर्टी का मतलब हुआ कि सिर्फ कुछ टाइम के लिए जो प्रॉपर्टी दी गई है मानो या फिर 20 साल या फिर 30 साल के उसको दिया गया और जिस पर टाइम के लिए वह दी गई है उस पर डिनर टाइम तक आप इसको यूज कर सकते हो उसका बेच नहीं सकते हैं उस पर अपना मालिकाना हक नहीं होता वहीं अगर फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी की बात करें तो इसका मतलब हुआ कि स्त्री मैं आपको प्रॉपर्टी दी गई है पूरा मालिकाना कि आपके पास आप चाहो तो उसको बेच भी सकते हो तो यह जो एडेल है इसको लीज होल्ड प्रॉपर्टी और फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी दोनों मिली थी अभी 2013 में आपने सुना होगा कि पंचकूला में सीबीआई की जांच चल रही है जहां पर क्लीनसोल प्रॉपर्टी को इन लीगल तरीके से दे दिया क्या यह जो पंचकूला की प्रॉपर्टी थी यह की प्रॉपर्टीज पेयजल की व्यवस्था तो यह अलग टॉपिक है इसमें कोई और बात करेंगे अभी हम बात करेंगे इसमें लाल की बात करें तो 2008 में जब नेहरा न्यूज़ पर बंद हुआ उसके बाद तेल का जो मैन ऑब्जेक्टिव था न्यूज़पेपर चलाने का तो वह बंद हो गया उसके बाद एग्जाम में प्रॉपर्टी का काम शुरू कर दिया मतलब यह जो प्रॉपर्टी डीलर के पास थी उसको मॉल शॉपिंग कॉन्पलेक्स वगैरह को रेंट पर धरना शुरू कर दिया और उत्सव कमाई होने लगी ढल की जो प्रॉपर्टी है यह पूरी कॉन्ट्रोवर्सी की जड़ है तो एक बार देख लेते हैं यह टोटल प्रॉपर्टी है कितनी कहां कहां पर है यह प्रॉपर्टी और उस प्रॉपर्टी की वैल्यू उतनी है ताकि आगे जो पूरा के है और समझने में पानी रहेगी मुंबई न्यू दिल्ली लखनऊ भोपाल इंदौर पंचकूला और पटना इन जगह पर जल की प्रॉपर्टी है अगेंस्ट प्रॉपर्टी की कीमत की बात करें तो इसका जो रेट है वह हरा प्रॉब्लम अलग-अलग लिखा है लेकिन ज्यादातर आर्टिकल को 2000करोड़ लिखा आप 10 में से आठ कल देखेंगे तो दो हजार करोड़ लिखा तो मैं दो हजार करोड़ मानकर चल रहा हूं इसमें बहुत सारे आर्टिकल में ही मेंटेन नहीं है लेकिन यह जो रेट है 2000करोड़ का एग्जाम की प्रॉपर्टी 2000करोड़ की है यह जो वेट है डीएलसी रेट है असल में इस कर्तव्य है वह बहुत ज्यादा है 6000 करोड़ से ज्यादा की है लेकिन डीएलसी रेट यानी कि वह रेट जो गवर्नमेंट डिसाइड कर दिया किसी भी प्रॉपर्टी का यह जो लोग जमीन खरीदते या बेचते हैं उनको पता होगी इंडिया के अंदर ओरिजिनल प्राइस है जमीन नहीं टिकती है जो डीएलसी रेट होता है उस रेट पर पेपर पर साइन हो जाते हैं लेकिन टैक्स बचाने के चक्कर में बाकी पैसा होता है वह बैकडोर से लिया जाता है यह भी देख लेते हैं यह वेलकम प्रवीण शुरू तो 500 फ्रीडम फाइटर्स ने की थी लेकिन अभी किसके नाम पर है लेकिन 2008 आते-आते 5,000 में से कई फ्रीडम फाइटर्स कि एक काफी हो गई थी जो इस दुनिया में नहीं रहे थे तो टोटल 150 फ्लोर शेयरहोल्डर्स बचे थे 500 से और इन बचे हुए 100 शेयर होल्डर्स में से अतिप्रसन्न शेयर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के थे करीब क्वेश्चन से ज्यादा अब ललित सूरी के यह भी कांग्रेस की ही दें पांच प्रतिशत शेयर्स थे अमिताब बच्चन के भी बोले जाते हैं वह इसलिए क्योंकि कंपनी रजिस्टर्ड दी जिसका एड्रेस जो था वो अमिताभ बच्चन जी के घर का था इसलिए लोग ऐसे हम करते हैं यह भी रोने लिए होंगे ऑन रिकॉर्ड में कई वाहन से पूछा गया जिसका जवाब नहीं दिया अगर कुछ कैसे इसको छोड़ दिया जाए उन्होंने आगे चलकर अपनी आईडियोलॉजी चेंज नहीं कि यह कहा जा सकता है कि यह की जो ओनरशिप थी वो कांग्रेस के हाथ में थी क्योंकि हायर अथॉरिटी जैसे डायरेक्टर का यह सभी कांग्रेस के पास ही थी कि अभी तक हमने डिस्कस किया 2008 में नेक्स्ट मेहरबान हो चुका है यह जो कंपनी वह बंद नहीं हुई है वह अपना प्रॉपर्टी का बिजनेस करके कमाई कर रही है प्रॉपर्टी की कीमत हमने डीएलसी रेट के हिसाब से दो हजार करोड़ मान ली है और यह जो न सिर्फ है कि यह बल्कि ओनरशिप के पास हम यह मानकर चल रहा है कि कांग्रेस के लोगों के पास है कि सारी हायर अथॉरिटी पर कांग्रेस के लोग बैठे हुए शेर भी जाता है कि अब इसमें एक चीज और ऐड कर देता हूं कि कांग्रेस ने इजरायल को टाइम टू टाइम लोन दिया है जो कि इकट्ठा होकर होता है 90करोड़ अबे यह कोई 29 करोड़ है वापिस करने कांग्रेस को है कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस ने जल को देश की धरोहर मानती है इसलिए पैसा देकर उसने इस कंपनी को बंद होने से बचाने की पूरी कोशिश की है अब देखिए जो 9 करोड़ का लोन है या तो यह कांग्रेस को पैसा देकर लोन खत्म कर दे और अगर पैसा नहीं है तो अपने इतनी प्रॉपर्टी में से कुछ प्रॉपर्टी को बेचकर कांग्रेस को पैसा लौटा दे लेकिन ऐसा होता नहीं है 2010 में एक कंपनी लिस्ट होती है यंग इंडिया लिमिटेड के नाम से जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 70% चेंजेस होते हैं और बाकी के लिए 22% चेंजेस होते हैं यह कांग्रेस लीडर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम पर होते हैं यह जो कंपनी या इसको सेक्टर-25 के तहत खोला गया है सेक्शन 2 एफ़ इसका मतलब यह हुआ कि एक non-profit कंपनी है जिसका पैसा सिर्फ और सिर्फ इसके ऑब्जेक्टिव में यूज हो सकता है इसके एग्जांपल यह समझते हैं मान लो आप लोगों से पैसे इकट्ठा करके वृद्धाश्रम खोलना चाहते हो कि जो पैसा इकट्ठा होगा या अपने पर्सनल अकाउंट में तो लोग नहीं होना ट्रैक कैसे होगा कि जो पैसा अपने लोगों से इकट्ठा किया है वह अपने वृद्ध आश्रम में यूज भी किया है कि नहीं तो ऐसे कैसे मैं आपको यह non-profit कंपनी खून नहीं होगी और सारा है एक नॉन प्रॉफिट कंपनी के अकाउंट से ही मैनेज होगा और सारा पैसा उस वृद्ध आश्रम में आप यूज कर सकते हो उस पैसे को आप अपने लिए यूज नहीं कर सकते हो आपका काम से इतना हुआ कि यह non-profit कंपनी को आपको सिर्फ मैनेज करना होगा तो यह इंडिया कंपनी है यह non-profit कंपनी है जिसका ऑब्जेक्टिव सेकुलरिज्म और डेमोक्रेसी को बढ़ावा देना है तो देखिए यंग इंडिया के आने से इसमें टी-90 हो गई है एक जेल जो कि एक पब्लिक कंपनी है पब्लिक कंपनी मतलब कि लोगों ने पैसा इकट्ठा करके कंपनी को बनाया है यह कंपनी किसी अकेले की नहीं है जिसके पास जितने शेयर होंगे उसका उतना होगा इस कंपनी में और दूसरा कांग्रेस जो कि पॉलीटिकल पार्टी है और तीसरी यह मिडिया जो कि एक non-profit कंपनी कि जतिन एंटी मैंने बताई आपको इन तीन एंट्रीज ने आपस में कुछ ऐसे ट्रांसेक्शंस की हैं जिसकी वजह से पूरे देश में बवाल मच गया है और गांधी परिवार को इसकी वजह से कोर्ट में और इडली के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं तो ट्रांजेक्शन किस तरीके से हुई है वह डिस्कस करते हैं जिसमें होता है कि नौ करोड़ का लोन था जो कांग्रेस को एग्जाम से वापस लेना था चेहरा तो यह कहते है कि तेल को यह पैसा कांग्रेस को वापस कर देना चाहिए कमाकर या फिर अपने ऐड को बेचकर पैसा वापस कर देना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है इसकी बजाय एक यंग इंडियन नाम से कंपनी खोली जाती है यह इंडिया कंपनी ₹5000000 कांग्रेस को देती है और यह जो 9 करोड़ का लोन था जो कांग्रेस को तेल से वापस लेना था इसकी ओनरशिप कांग्रेस यंग इंडिया को दे देती है मतलब कि अब तेल को ₹90 यंग इंडिया को देने होंगे पहले जो इसको कांग्रेस को देने थे लेकिन इससे भी बड़ी चीज है कि जैसे यह लोन की ओनरशिप यंग इंडिया के पास आई तेल ने नौ करोड़ लौटाने की बजाय अपनी कंपनी के सारे शेड्स यंग इंडिया को दे दिए इसका मतलब यह हुआ कि 90करोड़ लौट आने की वजह से जेल में अपने दो हजार करोड़ की पूरी प्रॉपर्टी या निंजा के नाम कर दिया स्कूल के एग्जांपल समझते हैं मान लीजिए आपने किसी को 10 लाख का लोन दे दिया वह आदमी एक न्यूज़पेपर चलाता है जिससे वह महीने का 10,000 रुपए कमा लेता है अब इसके साथ-साथ उसके पास दो करोड़ की जमीन भी है कुछ जमीन उसकी साउथ दिल्ली में कुछ मुंबई में और कुछ गांधी प्रॉब्लम है अब उसका न्यूज़ पेपर है काम लास्ट में आने लगता है तो उसने न्यूज़पेपर बंद कर दिया और जो उसके ऊपर लोन था ₹10 का जो कि वह अपनी एक छोटी से गाजियाबाद की प्रॉपर्टी बेचकर पूरा कर सकता था वह करने की बजाय उसने अपनी पूरी 2 करोड़ कीजिए सारी की सारी प्रॉपर्टी है वह आपके नाम कर दी सेम यही चीज यहां भी हुई है कंपनी जिसका नाम है यह इंडिया है जो सिर्फ ₹5 से शुरू हुई थी 50 लाख रूपए देकर कांग्रेस को 22 हजार करोड़ के एसिड की ओनर बन जाती है और वहीं एक कंपनी जिसका नाम है जो कि 2,000 crore के मालिक थी वह 90 करोड़ के लोन के चक्कर में अपने दो हजार करोड़ की सारी प्रॉपर्टी यंग इंडिया के नाम कर देती है देखिए सारी चीज है यह नोटिस रहती इन फैक्ट इस पर किसी का ध्यान नहीं गया होता लेकिन दिक्कत तब होती है जब 2012 में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस चीज को लेकर केस कर दिया कोर्ट में अब मैं आगे कांग्रेस की साइड बताऊंगा अभी जो आरोप लगाए गए हैं कांग्रेस के ऊपर वह समझ लेते हैं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा यह इंडिया के अंदर जो डायरेक्टर्स हैं और जो लोग इंपोर्टेंट क्वेश्चन फोल्ड करते हैं यह सेम वही लोग हैं जो कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इंपोर्टेंट कोई शुरू करते हैं और यह सारे के सारे वही सेम लोग हैं जो यह जेल के अंदर इंपोर्टेंट क्वेश्चन फोल्ड करते हैं एक तरह से देखा जाए तो यह तीनों एंटी हैं इसके डिसीजन है उस पेज सेटअप पर ले रहे हैं और यह लोग 32 एंटी को यूज करके इन लीगल तरीके से पैसे घुमा रहे हैं और प्रॉपर्टी अपने नाम कर रहे हैं जिसका फायदा डाइरैक्टली राहुल गांधी और सोनिया गांधी को मिल रहा है सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा इसमें पड़ेगा कि जो लॉएड छोटी प्रॉपर्टी बेचकर पूरा कर सकती थी उसकी वजह है उसने अपनी कंपनी के साथ यौन देर क्यों कर दी है दूसरी जिन्होंने कई कांग्रेस के पॉलीटिकल पार्टी है एक पॉलिटिकल पार्टी किसी भी कंपनी को कमर्शियल परपज के लिए पहली जिससे लोग ही नहीं दे सकती यह रिप्रेजेंटेशन आफ थे पीपल एक्ट 1950 और सेक्शन अतिथि ने आफ इनकम टैक्स एक्ट 1961 के हिसाब से इलीगल एक्टिविटी है इसका यही बोला कि तेल में बहुत सारे फ्रीडम फाइटर्स का पैसा लगा था और उनके शेयर भी है इसमें भले ही कांग्रेस के शेयर होल्डर जो है वह मैच्योरिटी में थे लेकिन जब एग्जाम में अपनी कंपनी के सारे शेयर से वन इंडिया को ट्रांसफर करें तो खाली कांग्रेस के पैरोडी से उनको पता था बाकियों को नहीं पता था उन्होंने प्रशांत भूषण का रख दिया जिनके फादर ने जेल के अंदर शेयर होल्डर हैं इसमें यह बोला गया कि यंग इंडियन है जो ₹50 कांग्रेस पार्टी को दिए थे और एपीएल के नौ करोड़ का जो लोन था उसकी उम्र से मिली थी 10 हिंदी के पास इतने पैसे ही नहीं यंग इंडिया ने दो टैक्स मरचेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से 1 करोड़ का लोन गलत तरीके से लिया था और फिर जाकर कांग्रेस को यह पैसे ट्रांसफर किए थे और यह जो यंग इंडिया डॉट एक्स से जो लोन लिया था इस लोन को फ्रेंच एयर इंटेलिजेंस यूनिट ने सृष्टि बताया कि जो कंपनी है डोंट इसको स्पेशल तो बताया गया इसके साथ-साथ जिस एड्रेस पर डांस कंपनी रजिस्टर्ड है वहां एक्चुअल में कोई कंपनी ही नहीं बल्कि 3BHK गेस्ट हाउस है जहां पर पिछले 20 साल से सिर्फ पैकेट कर रहा है और कोई नहीं रहता है दूसरी चीज डिटेल्स कह रही है कि इसने यान इंडिया को डोनेशन दिए और यंग इंडिया की उस देखी गई तो वहां पर पता चला कि यह मीडिया ने इसे 1 करोड़ रुपए को डोनेशन नहीं लिखा है जबकि लोन दिखाया उसको तो यह सारी इन्फॉर्मेशन मिसमैच हो रही है वैसे तो आप यह कह सकते हो कि बीजेपी वर्सेस कांग्रेस का केस है लेकिन देखने के लिए अगर देखा जाए तो यह इंडिविजुअल सुब्रह्मण्यन स्वामी और कांग्रेस के बीच का प्रयास है बीजेपी इसमें कोई पार्टी ही नहीं इन फैक्ट जब 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस फाइल किया था वह बीजेपी के मेंबर भी नहीं थे बीजेपी के मेंबर वह 2013 अगस्त में बने लेकिन जितने भी पॉलिटिशंस है इसमें से ninety-five परसेंट से भी ज्यादा अगर इनकी किताबे खुल गई तो यह सब कोर्ट के चक्कर लगाते फिरेंगे कि काम ही ऐसा है जिसका टाइम होता है वह आराम करता है और बाकी दिक्कत में रहते हैं पहले अमीषा कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे अब राहुल गांधी कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं सुब्रह्मण्यन स्वामी तो कांग्रेस के पीछे पड़ी है इन के साथ-साथ इसमें दो पार्टियां के जोड़ने एक विडियो और दूसरी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सुब्रह्मण्यन स्वामी अट यूज कर रहे थे चीटिंग और क्रिमिनल केस पेट इडियट्स पूरे केस में मनी लॉन्ड्रिंग करेंगे देख रही है और इनकम टैक्स इसलिए है क्योंकि 2011 2012 में जो इनकम बताई थी राहुल और सोनिया गांधी ने एपीएल के टेकओवर के टाइम पर डिटेल्स मिसमैच हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इन कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यहां तक बोल दिया कि कांग्रेस ने लोन लेने को दिया भी है या फिर तेल की प्रॉपर्टी यह इंडिया के नाम कराने के लिए कोई ट्रिक है क्योंकि इतना बड़ा लोन दिया गया उसका रिकार्ड ऑयल और कांग्रेस के पास ही नहीं पहला रिकॉर्ड नहीं था तेल की 72 एनुअल रिपोर्ट जो कि 2010 में आई थी उसमें लोन का ही मेंटेन ही नहीं था जब राहुल और सोनिया गांधी कंपनी केयर्न इंडिया ने तेल की 2000करोड़ की प्रॉपर्टी एक्वायर की थी तो उस पर्टिकुलर ईयर में यानी कि 2011 से 2012 बजे इनकम टैक्स भरा था उसमें एक ही न दिखाई नहीं थी कि यह तेल के डायरेक्टर बन चुके हैं क्योंकि इससे इवेंट भी आता था तो Joint कि लाइबिलिटी से इंटैक्ट हो 100 करोड़ के करीब बन रही थी तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस चीज की इंक्वायरी कर रहा है तो इस तरीके से सुब्रमण्यम स्वामी विडियो और इनकम टैक्स राहुल गांधी को परेशान कर रहे हैं तो हम यह देखेंगे कि हमारा जो कोड है इन सारी चीजों को लेकर वह क्या कह रहा है यह सारी चीजें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि हमें प्रिमा फेशिए एविडेंस देख रहे हैं तो अब यह टाइम आफ पेटी का क्या मतलब हुआ इसको एग्जांपल समझते हैं मान लीजिए कोई पत्नी है वह कोर्ट में जाती है और केस कर देती है कि उसका जो कोट किसी औरत के साथ है तो सबसे पहले तो यह पूछेगा कि आपको ऐसा क्यों लग रहा है कि आपको जो पति है वह किसी और के साथ हैं अब पत्नी अगर यह कहती है कि मुझे ऐसा लग रहा है एक बार मैंने इन दोनों को बाजार में देखा था तो कोर्ट केस आगे नहीं बढ़ाएगा वहीं इंजेक्ट कर देगा कुछ ना कुछ सॉलिड दे रहा होता है कि स्टार्ट करवाने के लिए भी इसको कहते हैं प्रिमा फेशिए एविडेंस तो इस केस को लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जो सबूत दी है उसको देखकर कोर्ट ने प्रिमा फेशिए एविडेंस एक्सेप्ट कर ली है अब के आगे बढ़ेगा दूसरी जैन 2014 में मजिस्ट्रेट मिस गोमती मनोचा यह कहा ऑन रिकॉर्ड है कि अभी तक जो भी है वेंस हैं उससे एक अटेंप्ट लग रहा है पब्लिक मनी को पर्सनल यूज में लेने का लेकिन अभी तक तो हम लोगों ने सिर्फ एक साइड के सौंफ लिया अब यह देख लेते हैं कि कांग्रेस का क्या कहना इन सारी चीजों पर इसमें कांग्रेस ने कहा कि खेल भी कांग्रेस की है वन इंडिया भी कांग्रेस की है हमारे फ्रीडम फाइटर और नेहरू जी की बनाई है यह कंपनी है जल जिस काम बंद नहीं होने देना चाहते थे इसलिए हमने इंडिया के अंदर से एक्सपर्ट बुलाएं और उन्होंने यह प्लैन इंप्लीमेंट करने के लिए बताया और इस प्लान अपने इंप्लिमेंट किया तो इससे फायदा भी हुआ तेल प्रॉफिट में भी आई और रही बात फ्रॉड की पूजा सारी डिटेल है यह कांग्रेस तो कांग्रेस चल रही है इसमें किसी बाहर वाले कि जो इंटरफेस है उसकी कोई जरूरत ही नहीं है अब इसके रिप्लाई है सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि जमीन जो है वह गवर्नमेंट जीण जिसको न्यूज़पेपर चलाने के लिए दिया गया था यह लोगों का पैसा है इसको आप पर्सनल मैटर नहीं बोल सकते हैं जब कांग्रेस से पूछा गया कि यंग इंडिया को बीच में लाने की क्या जरूरत पड़ गई इस पर कांग्रेस ने कहा कि कांग्रेस से पॉलीटिकल पार्टी है यह किसी कमर्शियल एंटी को टेकओवर नहीं कर सकती इसलिए यंग इंडिया को रजिस्टर करके लोन की जो उन्हें से पर कोई वन इंडिया को दी गई जब पूछा गया कि राहुल और सोनिया गांधी को 70% चीज क्यों दिए गए इस पर कांग्रेस ने बोला कि यह निर्णय की non-profit कंपनी है जो कि सिर्फ अपने ऑब्जेक्टिव ही पैसा खर्च कर सकती है इससे भले में जो डीप शेयर राहुल और सोनिया गांधी के पास चले गए हैं लेकिन इससे उनको कुछ प्रॉफिट नहीं हो सकता है यह चीज के काउंटर में यह बोला गया कि अभी भी लें यह non-profit कंपनी है लेकिन आगे चलकर सेक्शन 345 और sub-section सेवन के हिसाब से को आगे चलकर कंवर्ट भी किया जा सकता है और इसका फायदा उठाया जा सकता इस पर कांग्रेस ने कहा कि जो के सभी हुआ ही नहीं है जो फ्यूचर में होगा उसकी आप बात कर रहे हो तो उस हिसाब से तो अभी जो करंट के चला यह बनता ही नहीं जब फ्यूचर में क्राइम होगा तब आप एस करिएगा कांग्रेस यह भी ऐड किया कि आपने पूरे इंडिया में हलवा कर दिया इतना बड़ा क्वेश्चन आ रही है लेकिन सब लोग मिलकर एक भी प्रूफ ऐसा नहीं दे पाए जिसमें एक भी रूपए का प्रॉफिट राहुल या फिर सोनिया गांधी के पर्सनल अकाउंट में गया है तब कांग्रेस से बोला गया कि 90करोड़ के लिए अपने हेयर जेल की दो हजार करोड़ के प्रॉपर्टी दे दी आपको छोटी से प्रॉपर्टी बेचकर भी चीज पूरी कर सकते थे इस पर कांग्रेस ने बोला कि पहली चीज एपीएल के पास 1975 परसेंट लीज होल्ड प्रॉपर्टी है उसको बेचा नहीं जा सकता और जो बाकी बची प्रॉपर्टी है उसकी वैल्यू 1.7 करोड़ है और 847 प्रॉपर्टीज लेकिन यह जो पड़ी को इन्फॉर्मेशन कांग्रेस ने दी यह गलत निकली जब डिटेल निकाली गई तो पता चला कि कांग्रेस ने खुद डिक्लेयर किया था कि 70% जिसके पास प्रॉपर्टी है वह फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी है इसको भेज भी सकते हैं और यह जो 1.7 क्योंकि प्रॉपर्टी की वैल्यू बताइन है यह गलत निकली इसको जब प्रॉपइक्विटी के रेट से चैक किया गया तो जो दिल्ली के प्रॉपर्टी थी उसका रेट फिक्स करो निकला बैंड का जो प्रॉपर्टी थी उसका 200 करोड़ निकला पंचकूला का 40 करोड़ लखनऊ का 300 करोड़ का रेट निकला कि जो बच्चे व क्वेश्चन है इन पर कांग्रेस ने सही से क्लेरिफिकेशन नहीं दिया मैं भी आगे चल कर दे और इसे भी टेस्टी होती है कोर्ट जाने पर कि जो सत्य ग्राफ वगैरह इन सब चीजों बातें चल रही है सब फालतू की बातें हैं" 0era0Z6tGDU,Agneepath Scheme Explained | Agnipath Recruitment Protest | Agniveer | Nitish Rajput | Hindi,2022-06-20T08:44:36Z,PT18M43S,3882144,195157,11350,https://www.youtube.com/watch?v=0era0Z6tGDU,," यह जो 30 से 40 लाख लोग रोजगार ट्रेनिंग कर रहे थे 2 साल का वेट कर रहे थे ओपनिंग आएगी तो उनकी भर्ती होगी जो उनके लिए बहुत बड़ा सरप्राइज ऐसा करके 10 से 15 साल में कम मैन पावर ज्यादा वेपन और बिना पेंशन वाली आर्मी खड़ी हो जाएगी इंडिया जहां पर जॉब भी इतनी दिक्कत है वहां 2 साल यहां पर कर दोगे तो लाखों में फॉर्म भरे जाएंगे लेकिन इसे जॉब देना नहीं कहते फिर किसी मजबूरी का फायदा उठाना कहते हैं आप बताओ आप भेज दोगे अपने बच्चे को या फिर अपने छोटे भाई को बीच से 21 लाख रुपए के लिए गोली खाने के लिए और यह जो चार साल के बाद एंट्री में बैठेंगे तो सबसे पहला क्वेश्चन हुई सीरियल को फोल्ड वाला होगा इनसे क्या वहां पर रिजेक्ट इस वजह से हुए क्यों आप रोटी फाइव परसेंट में नहीं पहुंच पाया कि अगर किसी को फोर्स में जाना होता है तो उसके लिए दो तरीके हैं पहला है परमानेंट कमीशन और दूसरा है शॉर्ट सर्विस कमीशन SSC अब यह परमानेंट कमिशन क्या होता है कि आदमी के अंदर हरमन की अलग-अलग यह होती है कि इसी दिन के अंदर यंत्रों की जरूरत होती है तो वहां 40 साल तक कि सर्विसेज होती है किसी बैंक में 50 साल की जरूरत हो है तो ऐसे करके हर व्यक्ति की अलग-अलग स्टेज होती है वरन कमीशन अगर आप जानते हो तो जैस्मिन में आप जानते हो उस पर्टिकुलर बैंक डिसाइडेड तक आपको जॉब करनी होगी उसके बाद आप रिटायर हो गया और उसके बाद आपको एक सर्विसमैन के बेनिफिट देंगे जैसे कि पेंशन ग्रेच्यूटी वगैरह-वगैरह SSC शॉर्ट सर्विस कमीशन में आपका होता है तो वहां पर आपको 10 साल तक जॉब करनी होगी कुछ केसेस में एक्सटेंड होकर 14 साल तक जाती है उसके बाद अब रिटायर हो जाएंगे लेकिन आपको कोई पेंशन वगैरह नहीं मिली यह तो बात हो गई परमानेंट और शॉर्ट सर्विस कमीशन की जिसको हमने बेनिफिट और रिटायरमेंट के बेसिस पर बांट दिया आम कोशिश के अंदर आपकी फ्रेंड पर जाओगे इसके भी दो लेवल होते हैं एक तो आप ऑफिसर रैंक एंट्री करते हैं जैसे लेफ्टिनेंट वगैरह दूसरी एंट्री होती है जवान या फिर सिपाही के लिए मिलते हैं इसके बाद आप एक्सपेरिएंस और एक्टिविटीज के लिए से आपका प्रमोशन होता है देखिए जो नई पॉलिसी आइए इसमें एक तरह से आप यह समझे कि परमानेंट कमिशन शॉर्ट सर्विस कमीशन के साथ-साथ एक चीज और जुड़ गई अग्निपथ तो इससे पहले हम डिस्कस करने की अग्निपथ है क्या चीज एक चीज आप समझ लीजिए जैसे मैंने आपको बताया कि दो लेवल पर एंट्री होती आप कोशिश करें कि एक ऑफिसर रैंक पर दूसरी जवान या फिर सिपाही के लेवल पर तो जो ऑफिसर की भर्ती होती थी वह जैसे पहले हो रही थी बिल्कुल वैसे ही होती रहेगी उसमें कोई चेंज नहीं है तो यह सारा डिस्कशन चलेगा चलेगा जवानी कि सैनिक लेवल पर उनके ऊपर चलेगा यह जो अगली पर इस क्रीम है यह सिर्फ सैनिकों यानी कि जो जवान है उनकी भर्ती के लिए है अग्निपथ स्कीम का ऑफिसर रैंक एंट्री से कोई लेना-देना नहीं है वह जैसे पहले चले जाओ वैसे चलती रहेगी अब इसमें कुछ लोग यह लग रहा है कि पहले जो भर्ती चल रही थी वह व्यक्ति सैलरी रहेगी उसके साथ-साथ में यह एक और इसकी मांग यह आदमी पत्री यह बिल्कुल नहीं है इंडियन एक्सप्रेस का एक आर्टिकल यह बर्फ़ पड़ जाएगा इसमें क्लीयरली वेंचर है कि ऑप्शनल है अगर किसी को सैनिक लवली सीट पर ध्यान रखिएगा सैनिक लेवल ऑफिसर रैंक की बात नहीं कर रहा हूं मैं सैनिक लेवल पर किसी को फोन में जाना है तो उसको सिर्फ और सिर्फ एक ही तरीके से एंट्री मिलेगी वहीं अग्निपथ आप इससे पहले कि अग्निपथ क्यों है लोग उनसे नाराज है यह गलत है सही है यह डिस्कस करेंगे देखेंगे कि अग्निपथ स्कीम है क्या देखी जिसकी बेटी साढ़े 17 से 21 साल के दो है और वह टेंथ ट्वेल्थ पास है वह इस अग्निपथ स्कीम में अप्लाई कर सकता है और इसमें सेम वही रिक्रूटमेंट प्रोसेस होगा जैसे पहले होता था प्रेम वही फिजिकल मेडिकल एक्जाम एक-एक चीज से होगी रिक्रूटमेंट प्रोसेस में कुछ भी चेंज नहीं होगा जैसे पहले अवार्ड अवार्ड मिलते रहें परमवीर चक्र वगैरह एक चीज सिमरई अभी फीमेल्स के अपनी नहीं है लेकिन बोला गया है कि आगे चलकर ओपन हो जाएगी फीमेल्स के लिए भी आपसे निवेदन बाद रिक्रूटमेंट स्टार्ट हो जाएगा जिसमें 3460 मामलों को भर्ती किया जाएगा पहले तो सैलरी मिलती थी इससे ज्यादा सैलरी मिलेगी इससे पहले तो सैलरी मिलती थी वह शुरू के चार साल 1700 मिलती थी लेकिन अग्निपथ स्कीम में हर साल बढ़ेगी पहले साल में 3000 दूसरे साल में 33 हजार तीसरे साल में 36,500 और चौथे साल में 40,000 मिलेगी यह तो सैलरी है यह यज्ञ वीरों को इन हैंड सैलेरी कब मिलेगी क्योंकि इस सैलरी में थर्टी पर सेंट ओं अग्निवीर फंड में जाएगा और इतने ही पैसे गवर्नमेंट भी आदमी फंड में जमा करेगी जैसे कि पेट में होता है वैसे चीज होगी उसके बाद लास्ट में आपको मिलेंगे 11:00 लेग से ज़ ताकि आप जब 4 साल के दो गैरों से तो आपके हाथ में कुछ पैसा हो और यह जो फल है आपका इसके आगे इसमें आप चाहो तो 18 लाख का लोन भी ले सकते हो और 48वें का इंश्योरेंस भी मिलेगा जब तक आप अग्निवीर हो या फिर सर्विस में जब तक पर इसमें जो बटन होगा उसे चार साल का होगा इसके बाद पच्चीस परसेंट अगली वीडियो को आर्मी में लिया जाएगा बाकी जो 75परसेंट बचेंगे उनको घर जाना होगा इस पूरे चार साल में 3 साल स्किल भेज बैचलर डिग्री की अरेंजमेंट किया गया इसमें आर्मी नेवी और एयरफोर्स का 19 के साथ एक एमओयू साइन होगा जिसमें अग्निवीर बैचलर डिग्री के लिए एनरोल कर सकेंगे इसमें कई एंट्री और एग्जिट ऑप्शन मिलेंगे पहले साल में आपको पहले साल पर सर्टिफिकेट दूसरे साल पर डिप्लोमा तीसरे साल पर डिग्री मिलेगी इसमें 50% मार जो आप टेक्निकल नॉन टेक्निकल स्किल सीखोगे उसके होंगे बाकी 50% मानसिक उन्होंने एक हिस्ट्री पॉलीटिकल साइंस यह सब्जेक्ट्स के होंगे जो आप क्रेडिट सिस्टम से यूनिवर्सिटी से भी अपील कर सकते हो तो पढ़ाई की जो दिक्कत है वह भी नहीं होगी अब यह पॉलिसी तो बहुत अच्छी लग रही है पैसा पहले से ज्यादा है लोन मिल रहा है जो इतने टाइम से भर्ती रुकी हुई थी अब पौष्टिक 01 एकता गई है एक जुट होने पर 11 लाख अमाउंट मिल रहा है और जो लोग पिछले दो साल से वेट कर रहे थे उनके लिए तहसील की जांच कर दी गई है इसको यह मत समझना कि हर किसी की है तो इस साल कर दी गई है जो पहला बहस है उसके लिए दो साले बढ़ाई गई है बाकी जो एज लिमिट है वह सारे 1721 साल की ओर से यह कहा जा रहा है कि क्योंकि जब यह सैनिकों के साथ ज्यादा डिसिप्लिन डराओगे एक्सपीरियंस रहेगा आपके पास है जहां यहां से निकलकर सोसाइटी में जाओगे तो जॉब्स में भी आपको प्रिंस मिलेंगे बॉयज पेपर आसाम राइफल्स में भी प्रिंस मिलेगी अभी गवर्नमेंट ने यह नोटिस किया है कि दस परसेंट का रिजर्वेशन भी मिलेगा आपको हम आपको पहले ज्यादा सैलरी है सारी चीजें अच्छी है बेनिफिट भी मिल रहे हैं तो लोग प्रोटेस्ट क्यों कर रहे हैं तो डेढ सिंपल दिख रहा है इतना सिंपल है नहीं पहली चीज मेडिकल बेनिफिट जो जवान और उसकी फैमिली को मिलते थे वह नहीं मिलेंगे पेंशन नहीं मिलेगी क्रश छुट्टी नहीं मिलेगी यह जो 11 लाख मिल रहे हैं यह वन टाइम आउट है अगर आप इसको कंपेयर करोगे मेडिकल और बाकी बेनेफिट्स से तो काफी कम है दूसरी चीज अगर किसी वजह सहनीय की जान जाती है तो जो बेनिफिट मिल रहे हैं वह सेम नहीं है पिछले आर्मी के जवान को मिलते हैं रेगुलर सोल्जर सही होता तो इसकी फैमिली को लाइफटाइम बेनिफिट मिलते हैं एक तरह का क्लास डिफरेंस हम बाकी है गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में देखते हैं जो ऐड और कांटेक्ट बेस एंप्लोई और परमाणु प्लांट होता है कुछ उसी तरीके से सिस्टम यहां इंट्रोड्यूस हो गया है इस पूरी सिचुएशन में ऐसा नहीं लग रहा कि आर्मी की भर्ती हो रही है ऐसा लग रही चार साल का ट्रेनिंग प्रोग्राम होगा उसके बाद डिसाइड होगा कि लाइफ में होगा क्या पहले से गांव में फौज में नौकरी मिलते ही शादी फिट कर दी जाती भी एक जवान और उसके घर वाले अपने आप को सिक्योर सेटल फील करते थे अब वह भी नहीं हो पाएगी अब लड़की का बाप भी वेट करेगा कि देख लो पहले पच्चीस परसेंट नंबर आता है कि नहीं आप SSC शॉर्ट सर्विस कमीशन के एग्जांपल लेकर अपनी सबसे कम पर कर सकते हो लेकिन SSC में काफी टाइम मिलता है 10 से 14 साल तक का टाइम मिलता वह भी यह अफेयर इसलिए नहीं सोल्जर के लिए अगर फिरौती इतनी तो पेंशन को लेकर कोर्ट में केस नहीं चल रहे होते हैं इसी वालों के एक गवर्नमेंट का चपरासी होता है उसका भी तो रिटायरमेंट प्लान है वह मीडियम है ज्यादा अच्छा रेगुलर भर्ती होती है अगर उसके साथी है उसके पैर में इसकी माई होती तो बहुत ही अच्छा गिफ्ट होता हर किसी के लिए लेकिन ऐसा है नहीं देखी अपनी महीने पहले से चीन के बारे में बात हो रही है और जो पॉलिसी में कर रहे हो बहुत अच्छे से पता था कि जैसे ही पॉलिसी आएगी सबसे बड़ा क्वेश्चन यही होगा कि पहले जो भर्तियां होंगी इसके साथ-साथ इस क्रीम चलेगी या फिर अलग से चलेगी लेकिन पूरी मीडिया ब्रीफिंग में जो भी चीज इंट्रोड्यूस किया पूरी मीडिया ब्रीफिंग में इस क्वेश्चन से बच गया इसका जिक्र तक नहीं हुआ जबकि एक दिन पहले यह जरूर बता दिया गया कि 18 महीने में 10 लाख जॉब मिलेगी ताकि लोग कंजूस ना हो जाए अग्निपथ स्कीम और बाकी जॉब्स ओपनिंग में इतनी समझ है में एक दिन पहले बता दिए चीज लेकिन आप शाहीन के स्पोक्स पर्सन से पूछ लो कि पुरानी भर्ती ज्योति व हेरिटेज चलती रहेंग यह जो अभी पर दिस क्रीम है यह पैनल में आइए आपको गोलमोल जवाब मिलेंगे आधे लोग भी यह समझते हैं कि पैन में आई है जो पुरानी भर्ती हुए थे चलती रहेगी जबकि ऐसा नहीं एक भर्ती रैली होती है जिसमें फिजिकल टेस्ट होता है काफी टाइप होता है वह उस भर्ती रैली के लिए गांव में लड़कर चार साल तक दौड़ते हैं रोज मेहनत करते हैं अब यह वीडियो वायरल हुआ था जिसमें रेड्डी में काम करने वाला लड़का भाग रहा था रात में वह उसी भर्ती के लिए दौड़ रहा था जो पिछले दो साल से बंद है और अभी अग्निपथ आने के बाद वह भर 14 साल की बच्ची ए लोग 4 5 साल मेहनत करते हैं चार आलू आर्मी में रहने के लिए नहीं करते हैं वह यह जो 30 से 40 लाख लोग रोजगार ट्रेनिंग कर रहे थे 2 साल का वेट कर रहे थे कि ओपनिंग आएगी तो उनकी भर्ती होगी उनके लिए बहुत बड़ा सरप्राइज आप सोच कर देखिए यह तो अग्निपथ स्किन के जो बेनेफिट्स है यह सरकार पहले तो रिक्रूटमेंट करती थी उसमें कुछ चेंजेस करके भी कर सकती थी और यह जो यंगस्टर्स को डिसिप्लिन में लाना और एम्पलाईेबल बनाने वाली बात है यह चीज तो एनसीसी और टेरिटोरियल आर्मी अधिकारी जा सकती थी ट्वीट किया जा सकता है इसको लेकिन ऐसा नहीं किया गया क्योंकि इसके पीछे काफी चीज है वह हम डिस्कस करते हैं यह सारी चीजें इस तरीके से बेची गई है कि पिछले दो रीजन है एक है डिफरेंस में मैन पावर का एक्स्पेंसेस अब दूसरा एवरेज आर्मी की तो पहले मेन पावर का एक्स्पेंसेस है वह डिस्कस करते हैं ओवरऑल डिफरेंस का बजट है व है 525 हेरोल्ड 5.15 एलियन जिसमें से 1.19 एलियन यानि के 1 लाख 19 हजार करोड़ टेंशन में जाता है सेम इतना ही सैलरी में जाता है और इसके बाद फूड और बाकी चीजों में जाता है अभी कोई आर्मी में 40 में का सर्विस देता है तो सर्विस पूरी होने के बाद 40 साल तक उसको पेंशन मिलती है डिफेंस बजट में से 3 लाख करोड़ से आईनेक्सपेंसिव में आता है और जो वेपन मॉर्डनाइजेशन नए भी ऐड करना नई टेक्नोलॉजी इंप्लिमेंट करना इन सबके लिए बहुत ही कम पैसा बचता है इसको एक नाम पर से समझते हैं चाय यूएस हो रसिया हो इन सब हमारी आर्मी मैन पावर में काफी ज्यादा है 14 लाख तक जाता है मैन पावर हमारे पास लेकिन आज की डेट में अगर लड़ाई हो जाए तो हम लोग बैकफुट पर आ जाएंगे क्योंकि उनके पास ज्यादा अच्छे वेपन और टेक्नोलॉजी ढ़क्कन लगा आर्मी को आगे बढ़ना है तो वेपन का मॉर्डनाइजेशन बहुत ही जरूरी है और यह चीज हमको रियल लाइफ हो चुकी है यह बजट तो इतना यह इंडिया के पास क्योंकि फिर बाकी डिपार्टमेंट कैसे होंगे लेकिन एक तरीका है अगर मैन पावर कम कर दिया जाए तो जो एक्सपेंस होगा वह कम हो जाएगा वह पैसा हम वेपन के ऊपर खर्च कर सकते हैं ऐसा बाजी कंट्री कर रहे हो कि मेन पावर काम कर रही है उससे ज्यादा पैसा वह टेक्नोलॉजी पर खर्च कर रही है दूसरी चीज है एवरेज सुब्रह्मण्यम कमेटी जो कारगिल वॉर के बाद बैठी थी उसने भी चीज खरीदी की एवरेज आर्मी की कम होनी चाहिए क्योंकि जो इस साल का जवान जितनी तेजी से पहाड़ पर चढ़ पायेगा उतनी तेजी से 32 साल का सिपाही नहीं चढ़ पाएगा तो जो रेशू है वन बाय वन का होना चाहिए मतलब कि यंग और सीनियर का कोंबिनेशन होना चाहिए 50% का अभिनय व रोजगार मीट thirty-two ईयर्स एंड डिफेंस काफी टाइम से इस पर काम कर रहा है कि आर्मी की जो एवरेज है वह कम हो जाए और इंडिया ज्ञान कंट्री यहां पर यूथ ज्यादा है तो अगर एक ही पॉलिसी इंप्लिमेंट कर दी जाए तो बड़ी आसानी से अच्छी हो सकता है तो यह जो एवरेज है आर्मी की और यह जो मेन पावर पर जो इतने फैंस हो रहा है इन दोनों चीजों का सलूशन है अग्निपथ इसकी रिहर्सल 6000 के करीब आर्मी से रिटायर होते हैं और हर साल अलग-अलग रेजिमेंट में इतनी है रोते हैं 165 लिक्विड हुए थे 2017 18 व 19 इन तीन सालों में उसके बाद से रिक्रूटमेंट बंद हो गई है और यह मैं कुछ नहीं बोला हूं यह डिटेल श्री पटनायक जी ने लोकसभा में बताई थी 2019 के लेकर आज तक उसके पास रिक्रूटमेंट बंद है इसका मतलब कि वन लेग 6500 और अभी तक ज्वाइन हो जाने चाहिए थे लेकिन नहीं हुए मतलब कि 165 फेरों की वोल्टेज है हमारी आन प्रोसेस में और 2 साल सेटिंग बंद है तो जो एवरेज है वह और बढ़ गई होगी और जब उनसे पूछा जाता है कि 3 साल भर्ती हुई है ₹1 क्यों रही तो यह निर्देश दिया जाता है कि प्रोस्टेट की वजह से नहीं हुई हालांकि जब इलेक्शन होते हैं रैलियां होती है यह सारी कोई भी चीज नहीं होगी लेकिन अगर जवान खट्टे हो जाते रिक्रूटमेंट के लिए तो दिक्कत हो जाती है अब देखिए आदमी पर इसकी मां चुकी है वन लेग 6500 आदमी मैं उनकी छोटी लडकी थी अग्निपथ स्कीम आ जाने से शॉट इस पूरी हो जानी चाहिए लेकिन शॉट पूरी नहीं होगी बल्कि आर्मी कम होगी अब आपको समझ में आ जाएगा कैसे अग्नीपथ इस क्रीम में फोटोस साल भर दिया है अब आप 2016 का पच्चीस परसेंट है लगभग 12,000 के करीब वह 11500 होता बाज़ार मान लो यानि के 12 हजार के करीब एंट्री होगी आर्मी में जो पहले 60,000 हर साल होती अब 12000 होंगी और जो मैथ्स है ऐसा नहीं कि इस टीम बनाई उसको पता नहीं थी उसको बहुत अच्छे से पता थी लेकिन जब आर्मी में मैन पावर कम करना ही टारगेट है तो दिक्कत बात कि ऐसा करके 10 से 15 साल में वूमेन पावर ज्यादा वेपन और बिना पेंशन वाली आर्मी खड़ी हो जाएगी अगर यही चीज देखी जाती तो बहुत ज्यादा दिक्कत होती है जो करोड़पति एमपी एमएलए आजीवन पेंशन उठाते हैं कुछ एमपी तो जो एमएलए बनते हैं वह दो बार पेंशन उठाते हैं उनके लिए गाइस लेवल की स्ट्रैटेजी बनाई गई होती है इस क्रीम लाई गई होती तो बहुत ज्यादा अच्छा रहेगी और इसमें कि इस पर्टिकुलर देश में लोग अनमैरिड रहे सारे 1721 प्लस 425 तो साड़ियां 25 साल की उम्र में लोग अनमैरिड रहेंगे और जब 4 साल कंप्लीट करके निकलेंगे उसके बाद कोई लाइबिलिटी नहीं है गवर्नमेंट की स्किन के साथ से जो फैमिली के बेनिफिट मिलते हैं मेडिकल बेनिफिट बाकी जितने भी बेनिफिट होते हैं इससे भी कॉस्टिंग कम होगी तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती पॉलिसी मेकर्स के लिए कि दोनों हाथ में और मैं कढ़ाई में लेकर इस वर्ष के हिसाब से जिसमें नोट इससे इसको इंप्लिमेंट कर रही है सरकार को भी उतना परफेक्ट नहीं है एक जवान को ट्रेंड करने में करीब अस्सी से नब्बे लाख रूपए खर्च आता है अगर इन जर्नल्स को एक करोड़ माला समझाने के लिए तो पहले इतना पैसा जय जवान पर लगता था तो वह जवान करीब 40 साल तक आर्मी सर करता है लेकिन आप यह जो अज्ञेय प्रेम करोगे उनकी ट्रेनिंग और एग्जाम में पैसा कितना लगेगा लेकिन आप इनसे सर्विस सिर्फ चार साल की ले पाओगे इतना पैसा लगा कि आप चार साल बाद उसको सोसाइटी में छोड़ दोगे मतलब कि आपको अगर 140 साल की सर्विस लेनी है तो उसके लिए आपको दर्शकों ने भी लगेंगे जो पहले एक व्यक्ति थे तो देखा जाए तो यह एक निशान डेढ इस क्रीम है अभी भी एक अच्छी स्कीम बन सकती है इसमें बस आपको इतना गर्म है कि इतना पैसा लगाकर जवान जवान ट्रेन किए इनको चार साल बाद सोसाइटी में छोड़ने की वजह कहीं पर आप यूज कर लो इनको आप इनको फेंस सैफ आईटीबीपी में यूज कर लो कोई बुरा नहीं मानेगा सब आपके इस फैसले को वेलकम करेंगे और आपका भी मोटी पूरा हो जाएगा लोग भी हो जाएंगे गवर्नमेंट इंटरवेंशन पर डाउट नहीं है सर यह की गवर्नमेंट कोई साजिश कर रही है आंसर गवर्नमेंट ने बहुत ही सोच समझकर लिमिटेड बजट को कैसे अच्छे से यूज किया जाए उसी डाइरैक्शन में कदम उठाया होगा इन फैट कम से कम सोचा तो सही कि इंडिया के अंदर डिफरेंसेस फ्रॉम की जरूरत है जो बाकी गवर्नमेंट हूं कभी हाथ नहीं डालती लोगों की नाराजगी की वजह से कम से कम इस गवर्नमेंट यह कर्म तो ठीक है लेकिन यह आपको मानना पड़ेगा कि एक वेकेशन में इशू है इसीलिए लोग एतराज बुखार अहमद इन चार साल के बाद जैस्मिन को सोसाइटी में इसको रहे हैं इसके बारे में जो आप ही यूटिलाइज के लिए ओन्ली लोग आपके फैट को एप्रिसिएट करेंगे यह जो एक पैटर्न है ना की कोई अच्छी स्कीम देखिए उसको तुरंत लागू कर दो बिना कोई पायलट प्रोजेक्ट के यह गलत है असल बात यह है कि इसमें और डिस्कशन और सोच और विचार की जरूरत थी आप कह रहे हो कि बहुत ही सोच समझकर डिसीजन लिया गया लोगों से पूछकर फैसले लिए गए लेकिन अगर ऐसा होता तो चार-पांच दिन के अंदर दो बार चेंज नहीं होते कभी ऐज को लेकर कभी 10 पर सेंट रिजर्वेशन को लेकर अगर आर्मी नेवी एयरफोर्स इनके जो है इनकी बात अगर आप अलग रख दो तो उनके नीचे आप देखोगे आप नोटिस करोगी जितने भी लेट आया है सर्विंग मेजर जनरल है सब कहते हैं कि इसमें रूप मंत्र की जरूरत है मेजर जनरल जीडी बख्शी जी मेजर गौरव आर्य सर यह सब ट्रॉट आपकी पॉलिसी को सपोर्ट करते हैं लेकिन इनकी ट्वीट उठाकर देखोगे यह सब कहते हैं कि ब्राह्मण के विरुद्ध इन सबको हेयर आप छोड़ दो जनरल वीके सिंह इंटर कई बार पूछा गया उन्होंने बोला की पॉलिसी बनते टाइम यह मोल नहीं थे जबकि इतने एक्सपीरियंस है 12 है तो ऐसी चलते चीमा सकते थे इन्होंने नहीं है क्योंकि 4G नेता बन जाए लेकिन वह के अनुसार मीडिया में कई लोग बोल रहे हैं कि 14 साल के अंदर और चाहिए इस पैसे को कम से कम करना बहुत गलत चीज़ें इंसान की अपनी जान हथेली पर लेकर देश की सेवा करने की बात नहीं है आप अपने बच्चे को अपने छोटे भाई को के लिए नियुक्त नहीं करने चाहिए घ्रां घ्रीं घ्रूं तो उससे नहीं कर सकते हैं J1 फुली ट्रेन जो कॉमेडी सोल्जर्स होते हैं उनको सात से आठ साल लग जाते हैं आप 4 साल की ट्रेनिंग मेज़ 108 नहीं करवा पाओगे उसे फैला कि लोग अभी भी फॉर्म भरेंगे एग्जाम देने जाएंगे हर किसी को इस चीज पता है तब यह स्कीम आई है कि इंडिया जहां पर जॉब इतनी दिक्कत है वह दो साल यहां पर कर दोगे तो लाखों में फॉर्म भरे जाएंगे लेकिन इसे जॉब देना नहीं कहते फिर इस मजबूरी का फायदा उठाना कहते हैं आप कह रहे हो कि यहां से चार साल के बाद वह निकलेगा तो बहुत ही डिसिप्लिन होगा उसके ह्रदय मैं वेट होगा देखिए आज से पहले जितने भी SSC रिटायर होकर निकले हैं उनको कहां जॉब मिली है कितनी जॉब मिल गई है अपने आस-पास आप देखेंगे तो बैंक में सिक्योरिटी गार्ड लगे हुए हैं कि कंपनी में गार्ड बने हुए और उसके अकाउंट में आप यह कह सकते हो कि SSC के कंपरेटिवली अग्निवीर और ज्यादा ध्यान होंगे इनके पास ज्यादा टाइम होगा दोबारा अपनी लाइफ शुरू करने के लिए एक और फील्ड में अगर डिसिप्लिन से जॉब मिलती तो यह रिटायर्ड एस एस सी के जवान है इनको बैंक के बाहर है गार्ड नहीं खड़ा होना पड़ता जॉब मिलती है इस किले के बेसिस पर चलो 50% में टेक्निकल मालूम अगर उसके बाद भी 875 कोट 4 साल के बाद निकलेंगे वह डोंट नेटवर्क टावर की स्कूल फीस के नहीं निकलेंगे यह वेपन चलाने में माहिर होंगे और यह जो चार साल के बाद एंट्री में बैठेंगे तो सबसे पहला क्वेश्चन हुई टिपिकल कॉर्ड डाला होगा ऐसे कि आप वहां पर रिजल्ट किस वजह से हुए क्यों आप रोड फाइव परसेंट में नहीं पहुंच पाए कुछ लोग यह भी कह कि 30 से 40 हजार जो अग्निवीर हैवी वेपन में ट्रेन होंगे जब चौथे साल में रिजेक्ट होकर साइड में वापिस आएगा तो दर्द एक्टिविटी करेंगे देखिए ऐसा बिल्कुल नहीं है कोई भी आदमी अगर एक दिन के लिए भी आर्मी ट्रेनिंग में जाता है या आर्मी में जाने की भी सोचता है तो कभी ऐसा काम नहीं कर सकता है सब बेकार की बात है कि लास्ट में एक चीज और कहना चाहूंगा यह जो लोग दंगे कर रहे हैं ट्रेन जला रहें हैं पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान कर रहे हैं यह वही लोग हैं जिनका कभी जिंदगी में आर्मी में नहीं हो पाएगा क्योंकि तैयारी दोनों में कुछ करी थी बस इस क्रीम का नाम सुना और उनके घर में आ गए जिन लोगों में देश के लिए जज्बा है जिन्होंने सच में मेहनत करें एग्जाम के लिए उद्देश की प्रॉपर्टी को कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकते अभी भी अग्निपथ के एग्जाम के लिए वह लोग जाएंगे और एग्जाम में और निकालेंगे भी चार साल की जगह दो साल भी कर दोगे तो भी आप लोग जाकर ग्राम देखे हैं और लॉजिकली अब आप सोच है जो ट्रेन आज कि पब्लिक प्रॉपर्टी आप जो डैमेज कर रहे हो यह कोई नेता अपने घर से पूरा नहीं करेगा यह जो नुकसान हो रहा है आप और हमारा यह कि कोई भी अथॉरिटी हो उसको डर लगता है पीसफुल प्रोटेस्ट से जवाब कोई वॉइस करते हो या फिर पब्लिक प्रॉपर्टी को डैमेज करते हो यह मौका मिल जाता है अथॉरिटी को सबको एक तराजू में तोल के मारने का पीटने का कहीं भी खट्टी है उसको मार के भगा दूंगी यह देखिए इस तरीके से आप अपनी बात रखने का पीसफुल तरीके से अपनी बात रख रहे हैं आपके साथ कुछ गलत हो रहा है तो आप पोजीशन बाहें फैलाकर आपका इंतजार कर रहा है आप उनसे चाहिए उनको अपनी शिकायत करें वह आपकी मदद करेंगे आप उनके पास रहती साल-छह महीने में एक-दो मौके आते हैं उनकी पावडर का यूज करें और पीसफुली अपनी बात रखी है" mQNg919ZCiQ,Johnny Depp Vs Amber Heard Trial Explained | Nitish Rajput,2022-06-10T08:52:09Z,PT10M49S,2033324,71934,1700,https://www.youtube.com/watch?v=mQNg919ZCiQ,, देखिए अभी जो जॉनी डेव और एंबर हर्ड के बीच में जो कोर्ट केस चल रहा था ये कोई डाइवोर्स का केस नहीं था डाइवोर्स तो इनका 2017 में हो चुका था ये जो केस था ये डिफॉर्मेशन का केस था लेकिन डेफ समेशन के केस तो सेलिब्रिटीज आए दिन करते रहते हैं तो इस डिफॉर्मेशन केस में ऐसा क्या था जो पूरा वर्ड इसकी बात कर रहा था और इस डिफॉर्मेशन केस का इनके पुराने डाइवोर्स केस से क्या लिंक था और यूके के केस से क्या रिलेशन था ये सारी चीजें डिटेल में डिस्कस करते सबसे पहली चीज तो ये है कि डिफॉर्मेशन होता क्या है डिफॉर्मेशन का मतलब है कि झूठ बोल के किसी की रेपुटेशन गिराना अगर वो बात सच है तो ये कोई डिफॉर्मेशन का केस नहीं बनता है बल्कि एक सच है और अगर वो बात झूठी निकलती है तो कोर्ट के अंदर ये डिफॉर्मेशन का केस बनता है आप लोगों ने भी बहुत बार सुना होगा कि एक आदमी ने 1 करोड़ या फिर 2 करोड़ का मान हानि का दावा कर दिया तो इन सारी चीजों में पैसे का क्या लेना देना होता है आप मान लो कि मेरी एक कॉफी की शॉप है वो बहुत ही अच्छी चल रही है और महीने का ₹ लाख मैं उससे कमा रहा हूं एक दिन कोई आता है और कहता है कि ये जो कॉफी बना रहा है इसमें एक ऐसी चीज मिलाता है जिससे हेल्थ पे असर पड़ता है अब जो मेरी 2 लाख की सेल है महीने की वो 1 लाख हो जाती है तो किसी एक आदमी के बोलने से मेरा ₹ लाख का नुकसान हो गया तो इस तरह से कोई फ्रीडम ऑफ स्पीच का गलत इस्तेमाल ना करें तो कांस्टिट्यूशन ने राइट दिया है कि आप उसके खिलाफ डिफॉर्मेशन का केस डाल सकते हैं अब जो भी उसने आपके खिलाफ बोला है अगर आप कोर्ट में गलत प्रूफ कर देते हैं उस चीज को कि ये जो चीज इसने बोली है ये गलत है तो जो भी आपके पैसे का नुकसान हुआ है वो उसको आपको देना होगा और कुछ कंट्रीज में तो अलग से सजा भी मिलती है अभी आगे-आगे जो चीज मैं बता रहा हूं उसका इससे रिलेशन है देखिए जॉनी डेप और एंबर हर्ड ये दोनों एक्टर्स हैं जो कि 2009 में द रम डायरी एक मूवी है उसके सेट पे पहली बार मिले थे और 2012 से रिलेशनशिप में आने के बाद 2014 में इन्होंने एंगेजमेंट की 2015 में शादी की और शादी के 15 महीने बाद डाइवोर्स फाइल कर दिया 2017 में ये लोग अलग हो गए ये जो डिटेल्स मैं दे रहा हूं आपको ये जब इन्होंने डाइवोर्स फाइल किया था उसमें इन्होंने कोर्ट को ये सारी डिटेल्स दी थी डेट वाइज लेकिन जो डाइवोर्स हुआ था इतनी आसानी से नहीं हुआ था एंबर्ड हर्ड ने कोर्ट में एलिगेशंस लगाए थे कि जॉनी डेफ इनके साथ वायलेंस करते हैं और ज्यादातर नशे की हालत में रहते हैं वहीं जॉनी डेफ का कहना था कि इनको मेरे पैसों में से शेयर्स चाहिए इस वजह से मुझ पे ये आरोप लगाए जा रहे हैं तो ये केस आगे चलता है और डाइवोर्स सेटलमेंट के लिए जॉनी डेव को आखिरी में $ मिलियन डॉलर देने पड़ते हैं ये केस खत्म होने के बाद मीडिया में काफी बातें चलने लगी कि एं हर्ड एक छोटी सी एक्ट्रेस थी पहले सपोर्टिंग रोल में आती थी लेकिन जॉनी डेव से मिलने के बाद ये एक लीड एक्ट्रेस बन गई और अब इनको $ मिलियन डॉलर भी मिल गए तो इस चीज को लेकर एं हड ने अनाउंस किया कि $ मिलियन डॉलर जो इस केस में जीती हैं ये डोनेट कर देंगी जिसमें एंबर ने कहा कि $3.5 मिलियन डॉलर ये एसीएलयू अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन और बाकी 3.5 मिलियन सी एचएलए चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल लॉस एंजलिस को डोनेट कर देंगी जॉनी डेब ने कहा कि ये डायरेक्ट एनजीओ के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर देंगे जिसके लिए एंबर हर्ड ने मना कर दिया कि इससे इनको टैक्स बेनिफिट मिलेगा जो कि ये नहीं चाहती हैं 2017 में जो डाइवोर्स का केस होता है ये खत्म हो जाता है और एं हर्ड इलन मस्क को डेट करने लगती है और दोनों अलग हो जाते हैं और इस केस में एक बहुत ही इंपॉर्टेंट एग्रीमेंट साइन होता है जिसमें ये मेंशन होता है कि दोनों में से कोई भी डायरेक्टली इनडायरेक्टली रिटर्न या फिर वर्बल इस रिलेशन या एक दूसरे के बारे में कुछ भी नहीं बोल सकते 20188 में यूके के अंदर एक न्यूज़ एजेंसी है न्यूज़ ग्रुप न्यूज़पेपर जो कि द सन की पब्लिशर है इसने एक आर्टिकल पब्लिश किया कि जेके रोलिंग कैसे एक वाइफ बीटर को अपनी फिल्म फैंटास्टिक बीस में कास्ट कर सकती है मूवी यूके बेस्ड थी और इस चीज का काफी प्रेशर पड़ा जॉनी डेप को मूवी से निकालने का ये सब देख के जॉनी डेप न्यूज़ ग्रुप न्यूज़पेपर के ऊपर केस कर देते हैं यूके के अंदर यूके में केस चलता है और जॉनी डेप का जो डाइवोर्स का केस था यूएस के अंदर उसको बेस बना के कोर्ट ने ये कहा कि 14 एलिगेशंस में से 12 एलिगेशंस ट्रू हैं और न्यूज़ ग्रुप ने जो ये कहा है कि ये वाइफ बीटर है ये एक्चुअल में एक फैक्ट है और जॉनी डेप ये केस हार जाते हैं और इस केस को चैलेंज करने के लिए भी मौका नहीं दिया जाता है इनको इसके बाद जॉनी डेप को फैंटास्टिक बीस्ट मूवी से रिजाइन करने को बोला जाता है और यह वो नोट है जिसको सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जॉनी डेप मू भी छोड़ देते हैं इसके बाद इनकी रेपुटेशन काफी खराब होती है इनके करियर में भी डाउन फॉल आता है इनका नाम काफी प्रोजेक्ट से रिमूव किया जाता है देखा जाए तो जॉनी डेफ कोर्ट में बार-बार हार रहे थे देखिए अब मैं जिस पोस्ट के बारे में बात करने जा रहा हूं इस पूरी कंट्रोवर्सी की जड़ है वो दिसंबर 20188 में वाशिंगटन पोस्ट ने एक ओड पब्लिश किया जो कि एं हड ने लिखा था देखिए जैसे न्यूज़पेपर के सीनियर एडिटर्स और पब्लिशर्स होते हैं जो कि एडिटोरियल लिखते हैं ऐसे ही ओड होता है बस ओपेट में इंडिविजुअल्स अपने थॉट लिखते हैं इसमें न्यूज़ एजेंसी के व्यूज नहीं होते हैं इनके रिपोर्टर्स इवॉल्व नहीं नहीं होते हैं इसमें एंबर हर्ड ने लिखा कि मैंने वायलेंस के अगेंस्ट स्टैंड लिया और सोसाइटी का प्रेशर झेला जो कि अब चेंज होना चाहिए 2 साल पहले मैं डोमेस्टिक वायलेंस और एब्यूज को रिप्रेजेंट करने वाली पब्लिक फिगर बन गई जिसके लिए मैंने पूरी सोसाइटी का अग्रेशन फेस किया मैंने बहुत करीब से देखा है कि कैसे इंस्टीट्यूट्स प्रोटेक्ट करते हैं उन आदमियों को जो एब्यूज करते हैं औरतों को अब देखिए इस पूरे आर्टिकल में जॉनी डेव का नाम कहीं मेंशन नहीं था लेकिन जब इनका डाइवोर्स हुआ था तो उस टाइम पे इन्होंने एक एग्रीमेंट साइन किया था कि डायरेक्टली और इनडायरेक्टली इंसल्ट ंग रिमार्क एक दूसरे पे नहीं कर सकते और इस पोस्ट में स्पेसिफिकली दो सा मेंशन था 2 साल ये वही टाइम था जब एंबर हड ने डाइवोर्स फाइल किया था जिस तरह से लिखा गया था कोई भी आईडिया लगा सकता था कि जॉनी डेव की बात हो रही है क्योंकि एमवर हर्ड की खाली एक ही शादी हुई थी उनकी दो-तीन शादियां नहीं हुई थी और जैसे ही आर्टिकल पब्लिश हुआ 2019 में वर्जीनिया के कोर्ट में जॉनी डेप ने केस फाइल कर दिया वर्जीनिया में इसलिए कि क्योंकि वॉशिंगटन पोस्ट का जो सर्वर है वो वर्जीनिया में बेस्ड था इस केस में जॉनी डेप ने एं हर्ट को एक्यूज किया कि इस आर्टिकल की वजह से उनकी इमेज स्पॉइल हुई है और कई प्रोजेक्ट जैसे कि फैंटास्टिक बीस्ट और पायरेट्स ऑफ द कैरेबियन जैसे बड़ी मूवी से हाथ होना पड़ा है और $50 मिलियन र का डैमेज क्लेम किया जैसे ही जॉनी डेब ने एंबर हर्ड के ऊपर $50 मिलियन लर का केस डाला डिफॉर्मेशन का एंबर हर्ड ने भी 100 मिलियन डॉलर का केस डाल दिया जॉनी डेप के ऊपर अब आप कहोगे कि जॉनी डेप ने तो वाशिंगटन पोस्ट था उसमें जो आर्टिकल था उसकी वजह से डिफॉर्मेशन केस डाला ये एम हर्ट ने 100$ मिलियन डॉलर का केस किस वजह से डाल दिया देखिए जॉनी डेप के लॉयर ने तीन स्टेटमेंट दिए थे जो कि डेली मेल एक न्यूज़पेपर है जिसमें पब्लिश हुए थे जिसमें इन्होंने कहा था कि एं हर्ड और उनके फ्रेंड ने फेक वायलेंस के केस लगाए हैं अपने फायदे के लिए एंबर हर्ड को एक्वामन मूवी से निकालने की मुहीम चली उसका ब्लेम भी एंबर ने जॉनी डेफ के ऊपर ही डाला इस चीज को बेस बना के 100$ मिलियन डॉलर का डिफॉर्मेशन केस डाला एंबर हर्ड ने जॉनी डेप के ऊपर देखिए अब आप सोच रहे होंगे कि एंबर हर्ड ने अचानक से वॉशिंगटन पोस्ट के अंदर यह आर्टिकल क्यों लिखा तो यह ऐसे ही आर्टिकल नहीं लिखा था ये बहुत ही सोच समझ के एंबर हर्ड ने आर्टिकल लिखा था देखिए जैसा कि मैंने पहले बताया था कि जब एंबर हर्ड का डाइवोर्स हुआ था तो $ मिलियन डॉलर में सेटलमेंट हुआ था और यह $ मिलियन डॉलर एंबर हड ने कहा था कि ये दो चैरिटीज एसीएलयू और सी एचएलए को डोनेट करेंगी जब ये अनाउंसमेंट एंबर हर्ड ने की तो एसीएलयू ने एं हर्ड को अपना वुमन राइट का एंबेसडर बना दिया और ये जो वाशिंगटन पोस्ट का आर्टिकल था जिसकी वजह से इतनी बड़ी कंट्रोवर्सी हुई ये बाद में पता चलता है कि एंबर हर्ड ने लिखा ही नहीं था ये एसीएलयू ने लिखवाया था रॉबिन जो कि कम्युनिकेशन स्ट्रेटजिस्ट है एसीएलयू में इन्होंने इस आर्टिकल का पहला ड्राफ्ट नवंबर 20188 में बनवाया था उसके बाद एंबर हर्ड की लीगल टीम ने इसको दोबारा चेक किया कुछ एडिट्स किए और इसको फाइनलाइज किया और ऐसा करने से एसीएलयू और एंबर हर्ड दोनों का फायदा होना था इस आर्टिकल के थ्रू एसीएलयू अपने एंबेसडर की एक पॉजिटिव इमेज बूस्ट करके अपना फायदा करवाना चाह रहा था और वहीं दूसरी तरफ एंबर हर्ड अपनी मूवी एक्वामन के आने से पहले एक हाइप बनाना चाहती थी तो एक तरह से म्यूचुअल बेनिफिट डील थी इनफैक्ट एंबर हर्ड ने एसीएलयू को रिक्वेस्ट करके इस आर्टिकल की पब्लिशिंग डेट एक्वामन की रिलीज डेट के जितने पास हो सके उतना पास करने को कहा एसी एलय और एंबर्ड दोनों को डर इसलिए नहीं लग रहा था क्योंकि जॉनी डेप बैक टू बैक कोर्ट में इनके सामने केस हार रहे थे ये केस जब स्टार्ट हुआ तो जॉनी डेप के जो लॉयर थे उनको कोर्ट ने हटा दिया था क्योंकि कुछ एग्रीमेंट थे जो कि पब्लिक नहीं करने थे लेकिन उनके लॉयर ने पब्लिक कर दिए थे उनकी जगह आई थी कैमली जिनकी क्रॉस एग्जामिनेशन बहुत ज्यादा वायरल हुई इनके वीडियो बहुत वायरल हुए यह केस इतना हाई प्रोफाइल था कि रेड बबल और एससी जैसी कंपनी थी इन्होंने प्रॉपर मर्चेंडाइज लॉन्च की इनकी सेल आसमान छू रही थी जब ये केस स्टार्ट हुआ तो सबसे पहला डिस्कशन यही हुआ कि $ मिलियन डॉलर जो सेटलमेंट के जॉनी डेप ने दिए थे उसका हुआ क्या अगस्त 2016 में एंबर हर्ड ने कहा था कि वो 3.5 मिलियन एसीएलयू और 3.5 मिलियन सी एचएलए को डोनेट करेंगी मार्च 2021 में सी एचएलए से पूछने पे यह पता चला कि एंबर ने आउट ऑफ 3.5 मिलियन डॉलर सिर्फ $50000 ही डोनेट किए थे दिसंबर 2021 के बाद एसीएलयू ने कंफर्म किया कि 2018 के बाद एबर ने पैसे देना ही बंद कर दिया 2018 से पहले इन्होंने $1.3 मिलियन डॉलर दिए थे जिसमें से $50000 डायरेक्ट एम हर्ट से आए थे $1 लाख डायरेक्ट जॉनी डेब से आए थे और $50000 डोनर एडवाइस फंड से आए थे इसको बताया जाता कि यह इलन मस्क ने पे किए थे इसको लेके इलन ने ट्वीट भी किया था और ईमेल लीक होने पे यह भी पता चला कि इलन ने मीटिंग की थी एसीएलयू से और जब यह सारी चीजें कोर्ट में सामने आई तो एम हर्ड ने कहा कि जॉनी डेप के केस की वजह से ये $ मिलियन डॉलर फीस दे चुकी है अभी तक इसलिए ये बाकी पेमेंट नहीं दे पाई हैं इसके बाद जॉनी डेप की टीम ने एंबर हर्ड की जो गर्लफ्रेंड थी तस्य वन उसका केस भी उठाया जहां पे एंबर हर्ड अरेस्ट हुई थी फिजिकल असोल्ट करने की वजह से लेकिन इसको एंबर हर्ड और उनकी गर्लफ्रेंड दोनों ने मना कर दिया कि वो एक मिसअंडरस्टैंडिंग थी इसके बाद जॉनी डेप ने बताया कि 2015 में जब ये ऑस्ट्रेलिया में थे तो इनके लॉयर ने एक एग्रीमेंट बनाया था कि अगर डाइवोर्स होता है दोनों के बीच में तो पैसे किस तरीके से मैनेज होंगे और ये बात एमर को इतनी ज्यादा बुरी लग गई कि एंबर ने इनके ऊपर बॉटल फेंक के मारी जिससे जॉनी डेप की फिंगर कट गई इसके बाद एंबर हर्ड की रिकॉर्डिंग सामने आई जिसमें उन्होंने एक्सेप्ट किया कि उन्होंने जॉनी डेप को हिट किया है ये इमेज मैं लगा दे रहा हूं आप पॉज करके पढ़ लीजिएगा वहीं एंबर हर्ड ने कहा कि 2013 में पहली बार इनके साथ वायलेंस हुआ जब उन्होंने जॉनी डेप के टैटू का मजाक उड़ाया था जॉनी एकदम ड्रंक थे और ये बात उनको इतनी बुरी लग गई कि उन्होंने वायलेंस किया उनके साथ इसके बाद दूसरा वायलेंस जो इनके साथ हुआ था वो प्राइवेट प्लेन में हुआ था 2014 में इसके बाद एंबर ने ये भी बताया कि उनके चेहरे पर निशान पड़ गए थे क्योंकि जॉनी डेफ ने फोन फेंक के मारा था एक बहुत बड़ी लड़ाई की वजह से उस पर्टिकुलर इंसीडेंस पे एल की पुलिस भी आई थी इन्वेस्टिगेशन किया उन्होंने और उन्होंने बताया कि ऐसा कोई इंसीडेंस हुआ ही नहीं था लेकिन सबसे इंपोर्टेंट गवाही थी मॉर्गन की आपने इनकी वीडियो देखी होगी कोर्ट में बयान देते हुए इस वीडियो पे बिलियंस में व्यूज गए थे ये मॉर्गन है टीएमजी के एंप्लॉई इन्होंने ये कहा कि 2016 में इनको बताया गया कि एंबर हर्ट कोर्ट से बाहर आएंगी तो वो अपना फेस साइड में करेंगी तब उनकी एक पिक लेनी है उसमें उनके चेहरे पे निशान होगा चोट का वो कवर करना है यह चीज मॉर्गन ने कोर्ट में बताई कि मॉर्गन ने जब फोटोग्राफ्स भेजे तो सेम वैसा ही हुआ एंबर ने साइड में फेस किया उनके चेहरे पे निशान थे और ऐसा लग रहा था जैसे एंबर को मारा गया है इसके बाद ब्रान जो कि यूएस फॉरेंसिक के सीईओ हैं इन्होंने प्रूफ किया कि हर्ड की लीगल टीम ने जो इमेज सबमिट की थी जिसमें इनके फेस पे चोट के निशान थे वो भी एडिटेड थी और इसमें कोर्ट ने यह कहा कि ये जो तीन स्टेटमेंट एंबर हड ने पोस्ट किए थे वाशिंगटन पोस्ट में इन तीनों ही स्टेटमेंट को जॉनी डेप ने प्रूफ कर दिया है कि इन स्टेटमेंट से इनको डिफेम किया गया है और इससे इनको काफी नुकसान भी हुआ है ये स्टेटमेंट गलत है और यह पता होने के बावजूद भी एंबर हर्ड ने यह स्टेटमेंट वाशिंगटन पोस्ट में पोस्ट करवाया इसलिए कोर्ट ने एंबर हर्ड को $ मिलियन डॉलर कंपनसेशन देने को कहा जॉनी डेप को और इस कंपनसेशन के अलावा इनके ऊपर पिटि डैमेज भी लगाए गए पिटि डैमेज का मतलब है कि आपने जो गलती की है उसकी सजा का भुगतान वैसे तो $ मिलियन डॉलर देने होते हैं प्युट डैमेजेस में लेकिन वर्जिनिया स्टेट लॉ की लिमिट की वजह से $3.5 लाख ल ही देने होंगे एंबर को यह तो जॉनी डेप ने जो क्लेम किया था उसका वर्डिक्ट था अब जो एंबर हर्ड ने क्लेम किया कि उनकी भी रेपुटेशन डैमेज हुई है डेली मेल में आर्टिकल की वजह से उसपे कोर्ट ने बोला कि तीन में से एक स्टेटमेंट एंबर हड ने प्रूफ कर दिया है उससे उनको नुकसान हुआ है और जॉनी डेप के लॉयर ने ये जानते हुए कि ये स्टेटमेंट गलत है उसके बाद भी यह पोस्ट करवाया इस वजह से इस एक स्टेटमेंट की वजह से इनको कंपनसेशन मिलेगा एंबर हर्ड को जिसका अमाउंट है 2 मिलियन डॉलर लेकिन कोई पटव डैमेजेस नहीं दिया 8cPp-Az2apc,Reality of MLM Scam & Network Marketing Companies | Pyramid Schemes | Nitish Rajput | [ Hindi ],2022-06-02T07:00:14Z,PT11M48S,1648835,85892,9038,https://www.youtube.com/watch?v=8cPp-Az2apc,, ये सारा पैसा अपना सेमिनार में खर्च करते हैं जहां पे ये सारे सूट पहन के आते हैं आप अगर वहां प जाओगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे कि सिंघानिया या फिर किसी ओराई की बोर्ड मीटिंग चल रही है तो ये जो हमारी गवर्नमेंट है ये जो रोज अनइंप्लॉयमेंट और गरीबी को लेकर रोज गाली खा रही है मनरेगा में खाते खुलवा फिर रही है गवर्नमेंट ये सारे गरीबों को इकट्ठा करके एक रिप्रेजेंटेटिव असाइन कर दे और सारे गांव में तीन बंदे जुड़वाना शुरू कर दे सारी गरीबी खत्म हो जाएगी तो ये ऐसा क्यों नहीं कर रही है देखिए एक चेन है जहां पे पहले आपको बेवकूफ बनाया जाता है फिर आपको ट्रेन किया जाता है वर्कशॉप और सेमिनार में ताकि आप दूसरों को बेवकूफ बना सकें तो यहां कोई कस्टमर ही नहीं है यहां पे हर कोई डिस्ट्रीब्यूटर है एक डिस्ट्रीब्यूटर अपने नीचे डिस्ट्रीब्यूटर बनाता फिर रहा है एमएलएम से जुड़ने के लिए कोई एज क्वालिफिकेशन स्किल इंटरव्यू किसी चीज की जरूरत नहीं होती सिर्फ एक चीज होनी चाहिए आपके पास वेलकम किट खरीदने का पैसा आपके पास होना चाहिए देखिए पैसे की दिक्कत तो आपके पास पहले चल ही रही होती है इनके साथ जुड़ के एक दो जो आपके यार दोस्त होते हैं वो भी आपसे छिड़ जाते हैं टाटा बिरला अंबानी अडानी ये जो इंडिया के जितने भी प्रॉफिटेबल बिजनेस हैं नमक से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तक सब में घुस गए हैं कभी ये तीन बंदों वाली स्कीम लेके क्यों नहीं आए आज तक देखिए पहली चीज तो यह है कि ये एमएलएम मल्टीलेवल मार्केटिंग पिरामिड स्कीम नेटवर्क मार्केटिंग चेन और रेफरल मार्केटिंग है क्या और ये सारी चीजें सेम हैं या फिर अलग-अलग हैं और उससे भी इंपॉर्टेंट चीज है कि ये लीगल भी है कि नहीं इंडिया के अंदर और अगर लीगल नहीं है तो क्या ट्रिक्स यूज़ होती है इसको लीगली यूज़ करने के लिए देखिए 1995 में पहली बार पिरामिड स्कीम आई थी इंडिया के अंदर जिसमें लोगों के साथ पहली बार ऐसा हुआ था कि लोगों को बिना कोई सर्विस या सामान दिए पैसे मिलते थे और सिर्फ उनको यह करना था कि अपने नीचे बंदे जोड़ने थे क्योंकि इस स्कीम में सबसे ऊपर एक आदमी होता उसके नीचे दो आदमी होते हैं और फिर चार आदमी होते हैं और एक पिरामिड टाइप का स्ट्रक्चर बनता तो इसको पिरामिड स्कीम कहते हैं अब आप कहोगे कि इसमें दिक्कत क्या है पैसे तो आ ही रहे हैं ना किसी का नुकसान थोड़ी हो रहा है देखिए इसमें बहुत बड़ी दिक्कत है मान लीजिए मैं एक कंपनी का ओनर हूं मैंने अपने अंडर में छह बंदे जोड़ दिए ये पहला लेवल हो गया अब ये छह बंदे अपने अंडर में छह बंदे जोड़ेंगे तो टोटल 36 लोग हो गए ये सेकंड लेवल हो गया अब ये 36 बंदे अपने अंडर में छह छह बंदे जोड़ेंगे तो 216 लोग हो गए ये तीसरा लेवल हो गया ऐसे ही चौथे लेवल पे 1296 लोग होंगे ऐसे कर कर के अगर 12थ लेवल पे आप जाओगे तो 2.1 बिलियन लोग चाहिए होंगे इतनी इंडिया की पॉपुलेशन नहीं है ऐसे ही जब 13th स्टेप पे जाओगे आप तो 13 बिलियन से भी ज्यादा लोग चाहिए होंगे पूरे वर्ल्ड की पॉपुलेशन इतनी नहीं है यही रीजन है कि जो लोग ऊपर में रहते हैं जो शुरू के एक और दो लेयर में रहते हैं वो तो पैसे बना लेते हैं जो नीचे वाले लोग हैं जहां पे मैक्सिमम लोग रहते हैं वो पैसे बना ही नहीं पाते हैं अब आप जिस एरिया में रहते हो वहां पे 1000 से 2000 लोग रहते होंगे आप एक दो लेवल में ही लॉस में आ जाओगे इसलिए जो पिरामिड स्कीम है ये डिजाइन इस तरीके से हुई है कि एट दी एंड इसका फेल होना तय है ऊपर के जो एक-दो लेयर हैं वो कमा लेते हैं लेकिन 99 लोगों का पैसा डूबता है इसमें एक जुआ खेलने से ज्यादा रिस्की होता है आपको लगेगा कि आप इसलिए अमीर नहीं हो पा रहे हो क्योंकि आप बंदे नहीं जोड़ पा रहे हो लेकिन असलियत ये है कि आप नीचे वाली लेयर में है आप कभी भी एमएलएम कंपनी को ब्लेम नहीं कर पाओगे आपको लगेगा गलती आप ही की है आप बंदे नहीं जोड़ पा रहे हो यही रीजन है कि पिरामिड स्कीम इंडिया के अंदर बैन है अंडर न्यू कंज्यूमर प्रोटेक्शन रूल अगर आप पैसा लेते हैं किसी से मनी सर्कुलेशन में एमएलएम में या पिरामिड स्कीम में तो ये एक इलीगल एक्टिविटी है जिसके लिए आपको जेल भी हो सकती है अंडर प्राइस ट एंड मॉनेटरी सर्कुलेशन एक्ट के तहत अब आप कहोगे कि अगर यह बैन है और यह इल्लीगल है तो कंपनियां ऑपरेट कैसे कर रही हैं देखिए इस पूरे मॉडल को इन एमएलएम कंपनीज ने मैनिपुलेट करके डायरेक्ट सेलिंग से जोड़ दिया है डायरेक्ट सेलिंग का मतलब हुआ कि कंपनीज डिस्ट्रीब्यूटर्स और मार्केटिंग के जरिए अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाती हैं डायरेक्ट सेलिंग में वर्ल्ड ऑफ माउथ चलता है यानी कि लोगों के थ्रू ही मार्केटिंग करवाना एक आदमी के पास प्रोडक्ट गया अब वो अपने दोस्त और फैमिली में उस प्रोडक्ट को बेच रहा है और अगर वो प्रोडक्ट बिकता है तो उसको उसका इंसेंटिव मिलता है लेकिन इसमें ध्यान ये देना है कि प्रोडक्ट बेचने का पैसा मिलता है उसमें बंदे जोड़ने का नहीं ये जो बंदे जोड़ने वाला एंगल डालती है कंपनियां ये एक तरह से अपनी पिरामिड स्कीम चला रही होती हैं डायरेक्ट मार्केटिंग की आड़ में ताकि इनको जेल ना हो और जब से इन कंपनियों ने प्रोडक्ट के साथ इस पिरामिड स्ट्रक्चर को जोड़ दिया तब से ये मल्टी लेवल मार्केटिंग हो गया है और इसमें गवर्नमेंट भी कुछ नहीं कर सकती क्योंकि इंडिया के अंदर कुछ लोग जेनुइनली भी डायरेक्ट सेलिंग से अपना बिजनेस चला रहे हैं इसलिए गवर्नमेंट आए दिन गाइडलाइन देती है कि एमएलएम के ट्रैप में ना फंसे देखिए जब तक ये बैन नहीं था तो पहले कंपनीज ये करती थी कि लोगों से पैसा ले लेती थी उनसे कहती थी कि आप अपने नीचे तीन बंदे जुड़वा हो जैसे-जैसे नीचे बंदे पैसे देके जुड़ेंगे आपके और आपकी चेन में जो ऊपर है उनके पास पैसे आते रहेंगे और ये चैन बढ़ती रहेगी और आप रातों-रात अमीर हो जाओगे और बैन होने के बाद इस चीज को इन्होंने प्रोडक्ट एंड सर्विसेस से जोड़ दिया एक कोई प्रोडक्ट या फिर कोई दवाई या फिर कोई ईबुक उठा के ले आए और जो पिरामिड स्कीम से पैसे लेते थे अब ये वेलकम किट के थ्रू लेते हैं इस वेलकम किट में 50-60 प्रोडक्ट ऐड कर देते हैं ₹5000000 में बेचते हैं ताकि जो पिरामिड स्कीम है वो रन कर सके यही रीजन है कि एमएलएम का आप कोई भी प्रोडक्ट देखोगे वो मार्केट के रेट से 20 से 30 गुना ज्यादा महंगा होता है ये जो एक्स्ट्रा पैसे लेते हैं इस पैसे से ये अपना पिरामिड वाला जो मॉडल है वो रन करते हैं अगर आप इनसे कभी पूछोगे कि आपके प्रोडक्ट इतने महंगे क्यों हैं तो ये कहेंगे कि ये गेम चेंजर है ऐसा प्रोडक्ट अभी तक मार्केट में आया ही नहीं है कुछ प्रोडक्ट तो इनके ऐसे भी हैं कि जिससे कैंसर और शुगर भी ठीक कर देते हैं अगर आप जरा ठंडे दिमाग से सोच के देखेंगे ये जो टाटा बला है जिनके पास इतना पैसा है इतनी बड़ी रिसर्च टीम है सालों का एक्सपीरियंस है पूरे इंडिया का बेस्ट टैलेंट है इनके पास ये साबुन और टूथपेस्ट और ये जो किट है ये नहीं बना पा रही है ये जो नई-नई कंपनिया आई है एम की मार्केट में जिन्हें जुमा जुमा चार दिन हुए हैं ये बना ले रही हैं असलियत यह है कि ये प्रोडक्ट की आड़ में पिरामिड स्कीम चलाते हैं कभी ये कोई कोर्स के नाम पे कभी ये किसी प्रोडक्ट के नाम पे आप नोटिस करोगे जितनी भी एमएलएम कंपनीज हैं ये अपने प्रोडक्ट को बेचने से ज्यादा अपने अंडर में तीन बंदे जोड़ने में इंटरेस्टेड होते हैं जो इनका प्रोडक्ट है उसकी एडवरटाइजिंग या फिर मार्केटिंग करने की बजाय ये सारा पैसा अपना सेमिनार में खर्च करते हैं जहां पे ये सारे सूट पहन के आते हैं आप अगर वहां पे जाओगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे कि सिंघानिया या फिर किसी ओराई की बोर्ड मीटिंग चल रही है एक्चुअल में सेमिनार पे पैसा इसलिए खर्च करते हैं ताकि लोग चका चौनी देख के इनको पैसा दे दें इनके साथ जुड़ जाए इनके सेमिनार में देख के आपको ऐसा लगेगा जैसे किसी मिशन पे सारे लोग काम कर रहे हैं और वो मिशन पूरा वर्ल्ड समझ नहीं पा रहा है इनके जो प्रोडक्ट होते हैं वो कभी मशहूर नहीं होते और इनका उसमें कोई इंटरेस्ट भी नहीं होता ना तो ₹1 मार्केटिंग में खर्च करते हैं ना ही इनका कोई आप ऐड देखोगे इनके प्रोडक्ट का इनका जो सारा इंटरेस्ट होता है वो जो लोगों को जोड़ के जो पैसा मिलता है उसमें होता है अगर मैं उनकी बात करूं जो अभी इस समय एमएलएम में है तो आप अपने आप से एक क्वेश्चन पूछ के देखो कि अगर इन्होंने आपको सपने नहीं बेचे होते फाइनेंशियल फ्रीडम के सिक्स टू सेवन फिगर इनकम के बी योर ओन बॉस पैसे इनकम इन सब के सपने नहीं बेचे होते तो जो इनके प्रोडक्ट हैं वह आप मार्केट में जाकर खरीदते इतने महंगे दामों में आप कभी नहीं खरीदते आपने वो जो स्टार्टर पैक है वो जो जॉइनिंग फीस है उसमें पैसे इसलिए डाले हैं क्योंकि आपको एक होप मिली थी अपनी जो करंट सिचुएशन है उससे निकलने की दूसरी चीज हो सकता है लोगों की समझ कम हो एमएलएम को लेके ये जो इसके पीछे का गुप्त ज्ञान है नहीं समझ में आ रहा हो लेकिन थोड़ा सा आप लॉजिक लगा के देखिए टाटा बिरला अंबानी अडानी ये जो इंडिया के जितने भी प्रॉफिटेबल बिजनेस हैं नमक से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तक सब में घुस गए हैं कभी ये तीन बंदों वाली टीम लेके क्यों नहीं आए आज तक बहुत ज्यादा ये लोग करते हैं तो रेफरल देते हैं कि आप किसी को रेफर करोगे इनका प्रोडक्ट तो आपको कुछ बेनिफिट मिलेगा लेकिन ये कभी भी अपने नीचे तीन बंदों वाली स्कीम लेके नहीं आते हैं और ये कभी भी प्रॉफिट लोगों में शेयर नहीं करते क्योंकि इनको पता है कि इनका अगर प्रोडक्ट अच्छा होगा उसकी मार्केटिंग सही होगी तो मुनाफा होना ही है वो मुनाफा ये किसी से शेयर नहीं करेंगे सिर्फ एमएलएम वाले ही ऊपर से लेके नीचे तक सबको प्रॉफिट शेयर करते हैं इनकी भी अगर बात हम छोड़ दें तो ये जो हमारी गवर्नमेंट है ये जो रोज अनइंप्लॉयमेंट और गरीबी को लेकर रोज गाली खा रही है मनरेगा में खाते खुलवा फिर रही है गवर्नमेंट सारे गरीबों को इकट्ठा करके एक रिप्रेजेंटेटिव असाइन कर दे और सारे गांव में तीन बंदे जुड़वाना शुरू कर दे सारी गरीबी खत्म हो जाएगी तो ये ऐसा क्यों नहीं कर रही है देखिए असलियत यह है कि एमएलएम कोई बिज़नेस मॉडल है ही नहीं और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि एक नॉर्मल कंपनी जो होती है जब वो कोई प्रोडक्ट बनाती है उसको डिस्ट्रीब्यूटर को देती है फिर डिस्ट्रीब्यूटर से कस्टमर तक जाता है मार्केटिंग होती है ऐड में काफी पैसा लगता है लेकिन अगर हम एमएलएम की बात करें तो यहां कोई कस्टमर ही नहीं है यहां पे हर कोई डिस्ट्रीब्यूटर है एक डिस्ट्रीब्यूटर अपने नीचे डिस्ट्रीब्यूटर बनाता फिर रहा है आपको कभी ये समझ में ही नहीं आएगा कि आप सेलर हो डिस्ट्रीब्यूटर हो या खुद कस्टमर हो और इस चीज का जवाब आपको आखिरी तक नहीं मिलेगा नॉर्मली भी जो बिजनेस होता है उसमें जो ओनर होता है वह पैसे लगा के रिस्क लेता है लोगों को अपने साथ जोड़ता है उनको सैलरी देता है उसके बाद जाके उसका प्रॉफिट आता है और वो जो प्रॉफिट होता है वो ओनर कभी भी शेयर नहीं करता एंप्लॉयज में यही रीजन है कि कंपनी का ओनर 10 बार इंटरव्यू लेता है स्किल देखता है एजुकेशन देखता है एज देखता है उसके बाद भी समझ में नहीं आता तो फायर कर देता है लेकिन एमएलएम की बात करें तो एमएलएम में पैसा भी आप लगा रहे हो उस पैसे का रिस्क भी आप ले रहे हो सैलरी मिलना तो बहुत दूर की बात है खुद आप उस कंपनी को पैसा दे रहे हो और फिर उस कंपनी के लिए काम भी कर रहे हो जो आपके नीचे तीन बंदे आपने जोड़े हैं उसका प्रॉफिट भी दे रहे हो आप और जो एमएलएम कंपनी का ओनर है वो आराम से घूम रहा है यही रीजन है कि एमएलएम से जुड़ने के लिए कोई एज क्वालिफिकेशन स्किल इंटरव्यू किसी चीज की जरूरत नहीं होती सिर्फ एक चीज होनी चाहिए आपके पास वेलकम किट खरीदने का पैसा आपके पास होना चाहिए फिर चाहे बच्चे ही क्यों ना हो एक बार आप उसको पैसा दे दो फिर आप चाहे काम करो या ना करो आपको कोई फायर नहीं करेगा और अगर आपको यही करना है तो इसके लिए आपको किसी कंपनी से जुड़ने की क्या जरूरत है आप किसी फैक्ट्री में जाओ वहां पर आप बात करो चार-पांच प्रोडक्ट उठाओ वहां से अपने नीचे बंदे जोड़ना स्टार्ट कर दो इसके लिए आपको कंपनी की क्या जरूरत है गलत ये भी है लेकिन मैं बस समझाने के लिए बता रहा हूं आपको आप इनसे कभी कोई लीगल बॉन्ड साइन करवा के देखो उन चीजों का जो ये वादा कर रहे हैं ये कभी नहीं करेंगे इनसे आप कहोगे आप उधार दे दो मुझे मैं आपको लौटा दूंगा तीन बंदे जोड़ने के बाद क्योंकि बिजनेस तो 100% सक्सेसफुल है ये कभी उधार नहीं देंगे देखिए एक चेन है जहां पे पहले आपको बेवकूफ बनाया जाता है फिर आपको ट्रेन किया जाता है वर्कशॉप और सेमिनार में ताकि आप दूसरों को बेवकूफ बना सके अगर आपने एक मूवी देखी होगी रेसिडेंट एविल जहां पे एक जॉम्बी होता है जो किसी आदमी को काटता है तो वो भी जॉम्बी बन जाता है फिर वो लोग भी लग जाते हैं दूसरे आदमी को जॉम्बी बनाने में ठीक यही चीज एमएलएम में भी हो रही है देखिए एक्चुअल में हर किसी का सपना होता है कि अपने घर वालों के लिए कुछ करने का अपनी करंट सिचुएशन से निकलने का बॉस की गाली ना खाने का ये एमएलएम वाले जो हैं ये सारे रास्ते जब बंद हो जाते हैं वहां एक होप बनके आते हैं इनको मना करने का मतलब होता है कि आपकी जिंदगी में जो एक उम्मीद आई थी उसके सारे रास्ते बंद हो जाते हैं इसलिए आप इनको सुनते हो ये आपसे आके सबसे पहले यही चीज पूछते हैं कि क्या आप अपनी इनकम से खुश हो ओबवियसली आप मना ही करोगे ये आखिरी तक नहीं बताएंगे आपको कि करना क्या है इनके एक सर होते हैं वो बहुत ज्यादा बिजी होते हैं उन्हीं का वेट हो रहा होता है आपको ये तब तक समझाते रहेंगे एक घंटा दो घंटे तक जब आप में कुछ पोटेंशियल दिखेगा तो लास्ट में जाके उन्हीं सर से मिलवा देंगे आपको समझाया जाएगा कि पहले ये खुद कैसे गरीब थे फिर कैसे इस चीज ने इनकी जिंदगी बदल दी काफी टाइम तक तो ये लोग चेक भी लेके घूमते थे फिर तो लोगों ने फिर कहना शुरू किया कि चेक तो बैंक में जमा हो जाता है आप कैसे लेके घूम रहे हो तो बाद में ये सारी चीजें कम हुई इन सब के चक्कर में आपकी सिक्योरिटी भी रिस्क पे आ जाती है जो तीन बंदे जोड़ने की रेस में अगर कोई टेढ़ा बंदा आपके नीचे फंस गया और उसके पैसे फंस गए तो वो कंपनी को नहीं पकड़ेगा वो आपको पकड़ेगा कई बार ऐसे केसेस हुए हैं कि लोग पिटे हैं कई लोगों ने अपनी जानें भी गवाई हैं एक बुक है माय फादर्स ड्रीम बाय एरिक जर्मन जरूर पढ़िए इसमें यह बताया कि इनकी जिंदगी कैसे तबाह हुई एमएलएम के चक्कर में देखिए पैसे की दिक्कत तो आपके पास पहले चल ही रही होती है इनके साथ जुड़ के एक दो जो आपके यार दोस्त होते हैं वो भी आपसे छिड़ जाते हैं और ये आपको समझाते हैं कि शुरू में कैसे इनको रिजेक्शन मिले लेकिन ये उसके बाद भी लगे रहे और देखिए आज ये कहां है तो उस चक्कर में आप भी लगे रहते हो कुछ दोस्त आपके जो समझदार होते हैं वो आपको समझाएंगे उनके लिए यह बोलेंगे कि नेगेटिव लोगों से दूर रहो आपको आगे नहीं बढ़ने देंगे ये लोग कुछ जेनुइन कंपनीज भी होती हैं जो एमएलएम का यूज़ करके प्रोडक्ट बेचती हैं लेकिन उनके प्रोडक्ट का नाम होता है मार्केट में उनके प्रोडक्ट के ऐड चल रहे होते हैं सब जानते हैं उस पर्टिकुलर प्रोडक्ट को और उसका जो कोर होता है वो डायरेक्ट मार्केटिंग होगा मतलब कि जो पैसा आपको मिलेगा वो प्रोडक्ट बेचने से मिलेगा अपने अंडर में बंदे जोड़ने से या फिर वेलकम किट खरीद वाने से नहीं होगा जब से ज्यादा से ज्यादा लोग इंटरनेट पे आ रहे हैं लोगों को एमएलएम के बारे में अवेयरनेस हो गई है लेकिन यह जो कंपनीज है ये भी बहुत ऑर्गेनाइज और प्रोफेशनल हो चुकी हैं अब कभी ऑनलाइन कोर्सेस लेके आ जाती हैं कभी ईबुक लेके आ जाएंगी अलग-अलग तरीके से मॉडल बना के आते हैं एमएलएम की तरह दिखेगा नहीं लेकिन काम ये एमएलएम का ही करेगा तो आपको बहुत ही सतर्क रहना पड़ेगा आज की डेट में पता करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो गया क्योंकि फैंसी फैंसी वर्ड यूज करके आपको बाद में समझ में आएगा कि ये तो पिरामिड स्कीम चल रही है आपको बहुत ही ध्यान से ऑब्जर्व करना होगा किसी भी स्टेज पे बंदे जोड़ने पड़ रहे हैं तो बिल्कुल छोड़ दीजिए इट्स अ ट्रैप वैसे तो ये जो कंपनीज होती हैं इनको पहले से ही पता होता है कि क्या होने वाला है इसलिए अपना ये सारा इंतजाम करके रखती हैं लेकिन फिर भी अगर आप फंस गए तो एटलीस्ट कं जरूर करें ताकि आगे चलकर बाकी लोगों को परेशान ना करें सबसे पहले आप एक लॉयर पकड़े और नोटिस भिजवाए इनको दूसरी चीज आप पुलिस में एफआर लिखवाए क्रिमिनल केस इनिशिएटिव L9cZOgRkbz8,Why Pakistan Angry over Yasin Malik Life Imprisonment? | Terror Funding Case | Nitish Rajput | Hindi,2022-05-30T07:00:14Z,PT16M48S,2658968,95703,6416,https://www.youtube.com/watch?v=L9cZOgRkbz8,, मैं इंसाफ तो बहुत दूर की बात है उस आदमी को हमारे देश का पीएम इनवाइट कर रहा है हाथ मिला आदर-सत्कार दे रहा है एक एमएलए या एमपी बनता है लोग करोड़पति है वह दो बार पेंशन उठाता है और जिसने हमारे देश के लिए कुर्बानी दी उसके साथ यह सब होता है चावल नहीं करना जो उनकी वाइफ है इसने बच्चे साल से कोर्ट के चक्कर लगा रहे इंसाफ के लिए इसके बाद में यासिन मलिक के पास ना तो कोई जॉब नहीं कोई बिजनेस और ना ही कोई स्केल इसके बाद उसके पास करोड़ों की संपत्ति है लेकिन यहां सिंपल समझदार है यह आर एस एस से लेकर पीएम आफ इंडिया तक सबसे बात करिए इसमें यह देखिए आपके एरिया में इसलिए करवाते हैं क्योंकि इसकी जो भाई और बेटी है तो पाकिस्तान कि फिर यह में कि जितने भी समझ लेता है इनके बच्चे बाहर क्यों पड़ते हैं कि जान की बाजी आपके बच्चों की लगवाते हैं लेकिन ऐसा क्या रीजन है कि या फिर मलिक जिसने दिनदहाड़े सबके सामने ऑफिस का मर्डर किया हमारे देश की बेटी को किडनैप करके पांच आतंकवादी कश्मीरी पंडितों का जूस का असर यहां साफ करके अटेम्प्ट टो मडर केस क्वेश्चन है इसके ऊपर देखो उसके बाद भी खुलेआम घूम रहा है अब इसमें म्यूट लोग यह भी कह सकते कि आपने नेशनल इंट्रस्ट के लिए फालतू में आरोप लगा रहा हूं तो ऐसा भी नहीं है यह न्यू दिल्ली में आकर टीवी शो में न्यूज़ चैनल पर आकर सबके मुकेश सामने बोलता है कि हां मैंने मारा है कि है मैंने होम मिनिस्टर की बेटी को किडनैप है आप ए सर्च मारोगे बेसिक इंटरव्यू है वह भी YouTube पर पड़ा है उसमें यह साफ बोल रहा है आंखों में आंखें डाल कर बोल रहा है यहां मेरे मारा और यही रीजन है कि हर किसी के समझ बहुत ही मुश्किल हो गया है कि ऐसा हुआ क्यों ऐसा क्या हुआ कि बच्चे साल से ज्यादा हो गया है उसके बाद भी खुला घूम रहा है और हमारे देश के प्राइम मिनिस्टर इसको इनवाइट कर रहे इसका आदर सत्कार कर रहे हैं और बड़े-बड़े जो अथॉरिटी में हमारी गवर्नमेंट के इसके साथ फोटो खिंचवा रहे और हमारी इंडियन गवर्नमेंट ने लोगों के टैक्स के पैसे से 500 करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा किया इनके टेबल पर इनके जरिए होटल्स पर इनके लंदन और न्यूयॉर्क इस पॉइंट से टिप्स पर तो लेकिन इन सारी चीजों को जवाब आपको इस वीडियो में मिल जाएगा वह कहते हैं कि कुछ तो रही होंगी मजबूरियां यूं ही कोई बेवफा नहीं होता तो ऐसी क्या मजबूरी थी हमारी गवर्नमेंट कि वह डिस्कस करते हैं देखिए जो यासिन मलिक गई एक्सेप्ट है क्या लिखे अलगाव कि अब यह सेपरेट्स क्या होता है सिर्फ इसका मतलब हुआ कि वह लोग चाहते हैं कि कश्मीर इंडिया से अलग हो और इनके भी टाइप है इसमें एक तब तक रहता है कि कश्मीर इंडिया से लोगों के पाकिस्तान से मिल जाना चाहिए दूसरा है ताकि इंडिया और पाकिस्तान दोनों सैलाब जाना चाहिए और इसमें वैसे तो बहुत सारे अलगाववादी ग्रुप है इनको सेट इस ग्रुप कहा जाता है लेकिन मेनली तीन है ज़िंदगी तेज बहुत ही स्ट्रांग उनका नाम आपने आए दिन यूज नहीं सुना होगा एक है हिजबुल मुजाहिदीन दूसरा यह देखिए अलग और तीसरा ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस जिसको शॉर्ट में कुरियर भी कहते हैं उनका कहना है कि हम कश्मीर को इंडिया से अलग करके पाकिस्तान से जोड़ देंगे और इसके लिए हथियार उठाएंगे हुर्रियत कहता है कि कश्मीर फ्रॉम इंडिया और पाकिस्तान दोनों से अलग करेंगे निगम हथियार उठाएंगे बातचीत से इसका हल निकालेंगे और जगह लेफ्ट जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट इसका कहना कि हम कश्मीर को इंडिया और पाकिस्तान दोनों सिलेक्ट करेंगे और मैंने किसी के साथ में रखेंगे इस किले में हथियार उठाने पड़े हम उठाएंगे आगे चलकर मुझे बहुत ही शानदार तरीके से नॉन वायलेंस कभी नाटक किया है वह आधा भी आपके समझ जाओगे और इस जगह लेफ्ट इसी के चेयरमैन यासिन मालिक यासीन मलिक का कहना है कि जब 14 साल का नोट इंडियन आर्मी टैक्सी ड्राइवर में जो कंफ्लिक्ट हुआ था उसमें से बहुत कुछ गलत और यही निवेदन है कि इंडियन आर्मी खिलाफ है और इसमें अपनी अ मकसद बना लिए कश्मीर को आजाद करना है उसके बाद इसने बैक टू बैक इंडिया खिलाफ इवेंट की 1983 के इंडिया और वेस्टइंडीज के क्रिकेट मैच में पिच खराब करके मैच रवाना हो यह गवर्नमेंट के लक्षण की रैली में बम फोड़ ना हो जाए कलर के चीफ मकबूल बट की जब फांसी हुई थी इसमें प्रोटेस्ट करना हो यह सब करके लोकल यह समय काफी फेमस हो गया था से ज़्यादा इसको चार महीने के नेशनल कांफ्रेंस की पार्टी में बम फोड़ने के लिए डाला गया था जेल में बार मिलने के लिए कहा था कि वह पटाखे थे बॉम्ब नेता लोग ऐसे ही डर रहे थे इसकी वजह से बाहर दंगे होने शुरू हो गए थे मुताबिक खड़ा हो गया था जब Bigg Boss को जेल में डाला गया था और जेल से निकलने के बाद पहली बार इसको इस चीज का रिएक्शन होता है यही डिजाइन था कि जेल से तुरंत निकलते इसने पार्टी होंगे जिसका नाम ताला रखा और आगे चलकर जिसका नाम आईएस इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग बना 197 में जितने भी कश्मीर के स्टेज नेता थे जिन्होंने मिल कर कश्मीर में लड़ने का सोचा और एक पार्टी बनाई अन्य मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट जिसमें यासीन की पार्टी ने सारे आंसर को लेकर सपोर्ट किया है मैं इंडियन गवर्नमेंट यह बिल्कुल परफॉर्म नहीं कर सकती थी क्योंकि पाकिस्तान सारी पार्टी को सपोर्ट कर रहा था इलेक्शन में क्लियर था कि हम यूपी जीते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं एंव हार गया एमिनेम के लोगों ने देखा कि एक शब्द दें अब आप आओगे तो हर इरेक्शन की कहानी है लेकिन इस रिलेशन की बात अलग थी 103 भी पहले 60 के पार्टी वर्कर्स को अरेस्ट कर लिया गया गुलाम जोकीहाट के घर चले गए थे बाग मैन को जीता वह घोषित कर दिया गया बीबीसी की रिपोर्ट है उसमें खेमलता जो कि खुद कांग्रेस की तरफ से थे उन्होंने यह चीज इस क्लास की बोर्ड की कटिंग छुपाई गई थी और हद तो तब हो गई जब पाउला जो कि जीते थे उन्होंने खुद मालियों की ढाणी हुई है एंड यहां पर इंक्वायरी की डिमांड करते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं एमिनेम के लीडर आफ पार्टी वर्कर्स को जेल में डाल दिया क्या विदाउट एनी लीगल सिस्टम जिसमें से या फिर भी था यह लक्षण बहुत ही बड़ा टर्निंग प्वाइंट था कश्मीर में अन्य नेताओं ने कहा कि अब हम हथियारों से दादी लेंगे को इलेक्शन नहीं लड़ेंगे जितने भी यह नेताओं के आगे चलकर सबमिट मैंने यह जो आप नाम सुनते हो सैयद सलाहुद्दीन वगैरह यह सब पहले अमित है यहां से इसे इलेक्शन के बाद 3 से 4 महीने तक जेल में बंद रहा हूं जैसी वह जेल से रिहा है अब उसके बाद वह पिओगे चला ट्रेनिंग लेने फॉर्मर चीफ एग्जामनर के रिकॉर्ड के साथ ही पहली बार ऐसा हुआ था कि जब कोई कश्मीर पीओके ट्रेनिंग लेने गया था 99 या फिर जैल अब तक और मेंबर बनकर वापिस है और फिर इन्होंने गुलाब और विस्तार कर दी इंडियन आर्मी के खिलाफ गुरिल्ला वार का मतलब हुआ कि तो कतई पर बम फोड़ देना पीछे गोली मार देना यह सब किया इन्होंने दिसंबर नोएडा के होम मिनिस्टर की बेटी रूबिया सईद जो कि महबूबा मुफ्ती की बहन भी है वह किडनैप कर लिया तो अपने पांच साथियों की जेल में बनते उनको रिलीज कर लिया था इन पांच में से एक था मुस्ताक अहमद जिसने आगे चलकर जो कांधार वाला प्लैन तक हाईजैक किया था इसके ठीक 1 महीने 17 दिन बाद यासिर ने एयरफोर्स ऑफिसर के ऊपर बुरी तरीके से दायर किया जिसमें मृत चार एयरफोर्स ऑफिसर शहीद हुए इंक्लूडिंग स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना यह जो मैं है यह उस पर्टिकुलर प्लानिंग का ओरिजिनल में पर जहां पर इंसिडेंट हुआ था और यह जो आप देख रहे हैं हमारे जो एयरफोर्स ऑफिसर शहीद हुए थे उसका ओरिजिनल डॉक्यूमेंट है जिसमें पूरी प्लानिंग और फ्रेमवर्क कन्वेंशन है यह लोग ब्लू मारुति जिसका नंबर है जैसे कई 3575 डुप्लेक्स बाइक जेकेडी 3705 लेकर आए और अकेले 272 या सिर्फ वाटर लीडर रवि खन्ना ने चलाई और सिंह ने आप सोच कर देखिए 27 बोली एक आदमी पर चला देना कितनी नफरत भरी होगी अंदर इस साल में की वजह से 1 से 2 मिनट के अंदर उनके पैरेंट्स की डेथ हो गई और कुछ टाइम के बारे में की वाइफ इससे घर चलाती थी वह भी गवर्नमेंट ने बंद कर दी आधी लड़ाई के बाद दोबारा से गवर्नमेंट पैशन स्टार्ट करें एक एमएलए फ्रॉम एमपी बनता है जो कि करोड़पति वह दो बार पेंशन खाता है और जिसने हमारे देश के लिए कुर्बानी दी है उसके साथ यह सब होता है आप सोच कर देखिए 40 खन्ना जो उनकी वाइफ है पिछले 32 साल से कोर्ट के चक्कर लगा रही इंसाफ के लिए इंसाफ तो बहुत दूर की बात है उस आदमी को हमारे देश का पीएम इनवाइट कर रहा है हाथ मिलाना आदर-सत्कार दे रहा है टीम की भी मजबूरी है वह आगे डिस्कस करेंगे कि जब लोगों को यह पता चलता तो लोग डरते हैं अपने बच्चों को आर्मी में भेजने के लिए इंडियन गवर्नमेंट है लोगों के टैक्स के पैसे से 500 करोड़ रुपए का खर्चा किया था इसके ट्रेवल लहरियो टल पोंछा स्ट्रेट टू लंदन न्यूयॉर्क इन सब चीजों के लिए अब तभी वह है कि इतने टाइम है को सजा क्यों नहीं हुई इसलिए कि चार्जशीट पड़ी है तो मैं आपसे भी शेयर करता हूं कि एक पर गेम हुआ क्या है लेकिन पहली चीज तो यह उस पर्टिकुलर एरिया में इनकी पकड़ बहुत है त्यौहार इस सब को मरवा देते हैं जस्टिस नील कांत गंजू को यासिन मलिक ने सबके सामने उसे मार दिया था क्योंकि उन्होंने मकबूल बट को फांसी की सजा सुनाई थी दूसरी चीज है जो रूबिया सईद किडनैपिंग की और एयरफोर्स पर टेक्स्ट था यह दोनों से केस से इनकी सुनवाई एक साथ कोर्ट में चल रही थी अब कि यह क्या था कि दोनों क्राइम सीन अगर मैं हुए थे तो केस की सुनवाई भी श्रीनगर में होनी चाहिए लेकिन उस पार्ट टाइम पर श्रीनगर में टाटा के से सुनवाई नहीं हो रही थी तो इसलिए केस 1919 में जम्मू के कोट में अरेस्ट हुआ लेकिन यह फैमिली बिल्कुल नहीं चाहता था कि जम्मू में चलने से ज़बान से जम्मू के कोट में सीबीआई ने वर्बल रिटर्न रूप दिए लेकिन होम मिनिस्ट्री ने इस केस को जम्मू कोर्ट से अजमेर के टाडा कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया अब इसमें एक ही ये भी कही जाती है गवर्नमेंट प्लांड तरीके से इस चीज की ताकि आसन को सलाह मिल सके वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि यह सब इसलिए किया गवर्नमेंट है ताकि केस में डिले हो सके लेकिन यासिन मलिक ने इस चीज को जम्मू कोर्ट में चैलेंज किया कि यह के अजमेर ट्रेन क्यों नहीं जा सकता है यह असंवैधानिक और इसके ऊपर मेडिसिन दिया गया और इस केस को अजमेर से ट्रांसफर करके जम्मू कोर्ट में द्वारा घोषित कर दिया गया लेकिन यात्रियों को जम्मू की ओर से कोई दिक्कत थी यह श्रीनगर कोर्ट में अपना केस ट्रांसफर करवाना था इसने फिर से चैलेंज किया कि जूरिडिक्शन में टाइम हुआ है वहीं पर केस चलना चाहिए यह असंवैधानिक है और काफी टाइम खराब होने के बाद फैसला इसके हाथ में आ गया और क्वेश्चन अगर कोर्ट में ट्रांसफर हो गया और जैसे यह के श्रीनगर में है जैसा या सींचा था बिल्कुल वैसे ही हुआ था 10 साल तक के लिए इस केस में स्टेट लग गया 2009 से 2019 तक इस केस में कुछ भी नहीं हुआ सीबीआई के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पवित्र सिंह भारद्वाज ने सितंबर 2019 में और डिपॉजिट बोल दी कि दिल्ली में जो पॉवर में बैठे लोग उनकी वजह से के आगे नहीं बढ़ पा रहा है और हम लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं इस पूरे केस में जो सीबीआई की पूरी मेहनत यूं खराब हुई है और एक क्रिमिनल इतने सालों से फ्री बुमराह इतना कुछ देखने के बाद या फिर को भी काफी कुछ समझ में आ रहा था कि इंडियन गवर्नमेंट आतंकवादियों से तो बात करेगी नहीं जी के कमांडर बनते रहेंगे आर्मी वाले मारते रहेंगे तो यहां सिंह मलिक ने ऐलान किया कि हथियार नहीं उठाएगा और जिस कि गांधी जी ने अभी यह से लेकर आए अगर आप देखोगे तो अनऑफिशियली जैल अब के दो अंग बन चुके थे एक न्यू दिल्ली में पॉलिटिशन से बात कर रहे थे गांधीवादी वाली बात कर रहे थे और दूसरा मिनट बनकर अपना काम कर रहे थे और एक्चुअल में यह प्लेन काम भी कर रहा था यासिन मलिक पाकिस्तान इंडिया दोनों बजाय पब्लिक मीटिंग करने लगा चैनल में आगे बैठने लगा इंटरनेशनल लेवल पर फन रेस करने लगा और कश्मीर में भी बहुत फेमस हो गया था यह टाइम जो हमारे पीएम मैं इसको बुलाकर आदर सत्कार किया था ताकि इसको पटाखे रखेंगे तो कश्मीर पर हमारा कंट्रोल रहेगा लेकिन वह तो जो कि इसमें पीछे तो वही किया जो इसको करना था 2019 में यूरेशिया टाइम्स के एक्सपर्ट रिव्युस में नहीं जिलानी ने बहुत ही संसद के डिटेल्स पब्लिश की थी उसको आप जरूर पड़ेगा सारे लिंग में YouTube के डिस्क्रिप्शन में दे दूंगा इसमें ने बताया कि कश्मीर के जो समझ लेता है इनके लिए इंडियन गवर्नमेंट काफी अच्छी स्ट्रैटेजी बनाई थी इनको काफी पैसे देकर खरीदा गया जैसे नक्सल बेल्ट में गांव वालों को मंत्री पैसा देखें इन्फॉर्मेशन ली जाती है एक्सेस कि यह भी कुछ इसी तरीके से आपको इजी तरीके से कश्मीर के केस में भी सैफ इस नेताओं को पैसे देकर खरीदा जाता था ताकि वह करो किया है और कश्मीर के अंदर शांति बनी रहे यह स्टडी काफी काम की थी इससे पाकिस्तान के ट्रैफिक प्लान की फिल्म द गवर्नमेंट के पास एक टाइम में प्रॉपर बजट होता इनके लिए आप श्रीनगर में अब्दुल्ला और मुक्त इसके जो मॉडल है उनको कर छोड़ दो इसके अलावा जितने भी मौजूद हैं सब से बडे नेताओं के यूरेशिया के रिपोर्ट के हिसाब से गवर्नमेंट से ही बजट राशि इस नेताओं के लिए यह टाइम पर आइबी और j&k पुलिस की मैन सोर्स आफ इनकम होती थी क्योंकि आप बड़े नेताओं और इनफॉर्म्स को जो पैसे देते हो इनका रेकॉर्ड नहीं होता कुछ इसमें अधिकारी बहुत ज्यादा अपना कट रखते थे और इस अभिनेता ने होने भी डबल गेम खेलना स्टार्ट कर दिया पाकिस्तान रेंजर दोनों से पैसा लेने स्टार्ट कर दिया है यह चीज आईबी और j&k पुलिस को बहुत अच्छे से पता लग यह सब हो रहा है लेकिन यह चीज सालों तक ऊपर तक नहीं बताई गई क्योंकि गवर्नमेंट को अगर यह पता चल जाता तो इसके लिए बजट रुक जाता है और यही रीज़न तक कि स्पीड नेताओं ने हर जगह का फायदा उठाया अभी कुछ चीजें कश्मीरियों की समझ नहीं होगी यह चीज बहुत ही अवैध है कि जिस दिन के अंदर इन्फॉर्मेशन का इतना बड़ा गेम चल रहा हूं वहां पर सही ग्रह का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन लॉजिक से फिर भी काफी हद तक चीजें समझी जा सकती है अब यह फैमिली पिताजी टीचर है उसके बाद में या फिर मलिक के पास ना तो कोई जॉब नहीं कोई बिजनेस और ना ही कोई स्केल इसके बाद जिसके पास करोड़ों की संपत्ति है 15 करोड़ का तो के लिए मौलिक है आप अगर यह जो एम ए स्मॉल है लाल चौक पर किसका है जो ऐसे स्कूल की चेन है इस में किसके शहर है आधा से ज्यादा लाल चौक में प्रॉपर्टी है कि इसकी लिखिए जो रिलीज नाम को पूरा होता है बहुत ही जल्दी बिकता है और यह निर्भर सील 1 मिलियन की बात करो हिंदू मुस्लिम सिख इसाई अब कोई भी रिलीजन देख लो हर जगह पर यह चूर्ण बहुत आसानी से मिल जाता है और यही रहेगी कश्मीर में इंप्रेशन नहीं है सड़क नहीं रहता है कि सड़क में गड्ढे हैं सड़क की नहीं है मतलब कि साइकिल भी अपने सर को उठा के ले जानी पड़ती है सुबह अगर खाना मिल गया तो यह भी नहीं पता होता कि शाम को मिलेगा कि नहीं और उसी एरिया में करोड़ों रुपए के रिलीजस प्लेस है तो इसका क्या मतलब हुआ था उनका कहना है कि इंडिया और पाकिस्तान से कश्मीर को आजाद कराकर आपको दे देगा अगर सच में ऐसा होता तो 32 साल तक फ्री नहीं लूंगा और इतनी बड़ी-बड़ी पावर इंवोल्व है बहुत दिक्कत हो जाती लेकिन यासिन बहुत ही समझदार है यह आदत से लेकर पीएम आफ इंडिया तक सबसे बात करिए इसमें यह आपको नौकरी दिलाने की बात करने का उनसे पूछो कि मान लो अगर कश्मीर मिल गया आपको उसका डिफरेंस कैसे मैंने होगा कि अभी तो पाकिस्तान इसलिए देर है पिया फिंगर्स को लगता है कि कश्मीर के साथ मिलेगा जब उसके साथ मिल गई नहीं तो हथियार क्यों देगा पेन चीज बैलेंस का क्या होगा एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का क्या होगा कुल मिलाकर पैसा कहां से आएगा कश्मीर चलाने के लिए इनमें से किसी भी चीज का जवाब उनके पास नहीं है एक हाथ दुनिया के किसी एक्सपर्ट से पूछ लो कश्मीर का उस पर्टिकुलर एरिया में अलग रहना प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं है यह चीज अलगाववादियों को भी बहुत अच्छे से पता है लेकिन यह चीज अगर आप लोगों को पता चल जाएगी तो अपना चूर्ण इसको देखेंगे कि आपके एरिया में इसलिए करवाते हैं क्योंकि इसकी जो भाई और बेटी है वह पाकिस्तान की फैट या में उस एरिया में कभी दंगे नहीं करेंगे जहां पर इनके घर वाले रहते हैं कि जितने भी समझ लेता है इनके बच्चे बाहर क्यों पड़ते हैं क्योंकि जान की बाजी आपके बच्चों की लगवाते हैं यह सबसे बड़ा जो टर्निंग पॉइंट है वह 2018 में जब महबूबा मुफ्ती सरकार की उसके बाद है उसके बाद यहां पर पड़ने स्टार्ट हुए जो बिट्टा कराटे है और यह शौकत बच्ची यह सब गिरफ्तार हुए जैल अब इसी टाइम पर बैन किया गया और पुलवामा अटैक के बाद यासिन मलिक को गिरा करके तिहाड़ जेल में डाला गया जो पिछले 10 साल का केस यासिन मलिक ने श्रीनगर में शिफ्ट कराया था सीबीआई ने दोबारा से जम्मू कोण में करवाकर उस केस को दोबारा खुलवा दिया और यासिन मलिक को तिहाड़ जेल से बिना निकले वीडियो के तुम कैसे शेयरिंग करवाई जाएगी अगली जो गवाह है वह जिंदा है लेकिन अभी जो सजा मिली है यासिन मलिक को उम्र कैद की मिली है इसका किडनैपिंग और एयरफोर्स ऑफिसर पर डटे हुए थे उससे कोई लेना-देना नहीं है यह सदा इसको टेरर फंडिंग के केस में मिली है यह टेरर फंडिंग के 2017 में लगा था जब इंडिया टुडे ने स्टिंग ऑपरेशन किया था विनर आफ वैली के नाम से इसमें इन लोगों ने प्रॉपर प्लानिंग के तहत दंगे करवाए थे जब रानी मारा था चार महीने तक वृक्ष डोंट हक काफी नुकसान हुआ था इससे पहले कि मैं आगे बढ़े अगर आपको भी ऐसे हिस्ट्री नॉर पॉलीटिक में इंटरेस्ट फैसलें इंडियन हिस्ट्री पॉलिटिक्स में तो मैं आपको यह ऑडियो बुक इंडिया अनिल कपूर के बारे में बताना चाहूंगा जिसमें काफी इंटरेस्टिंग स्टोरीज बताई गई है यह ऑडियो व है जो कि अवेलेबल है को एसएम पर आप अपनी कन्वीनियंस से कहीं भी किसी भी टाइम आराम से इसको सिल सकते हैं क्योंकि इसको बुक की तरह लेकर बैठने की जरूरत नहीं है उसको एक हम पर इसके अलावा और भी कई बुक्स और स्टोरी अवेलेबल है जैसे कि बायोग्राफीज कॉमेडी क्राइम कुएं एवं इंडिया का लीडिंग ऑडियो प्लेटफार्म है तो आप डाउनलोड करें कुछ एवं और अपनी नॉलेज बढ़ाएं ओवन में कुओं एवं पर फर्स्ट क्वांटिटी यूज को मेरी तरफ मिलेगा 50% डिस्काउंट इसके लिए आप कूपन कोड एंफी यूज कर सकते हैं लिंग मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया तो टॉपिक पर वापिस आते हैं और अब यह जो केस है इसमें ऐड FIR दर्ज की है दिल्ली स्पेशल कोर्ट में की यासिन मलिक ने पाकिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा हिजबुल मुजाहिदीन और ऑल वर्ल्ड F1 रेस की यह पैसा उसने यूज किया है कश्मीर के अंदर स्टोन पेल्टिंग बृंदावन स्कूल्स एंड गवर्नमेंट प्रॉपर्टी स्ट्राइक्स और प्रोटेस्ट में आप होगी स्टोन पेल्टिंग इतना जोर क्यों लेते हैं इसे बड़े तो बंदूक के हाथ में उससे ज्यादा नुकसान होगा यह बंदूक देने पर भी तुरंत मार देगी तो और प्रिंटिंग ऐसी चीज है जिसमें आदमी पत्थर मारने पर गोली नहीं मार सकती लेकिन जब भी स्टोन पेल्टिंग बल्क में होती है तो बहुत ज्यादा डैमेज होता है इसलिए इसको बहुत यूज किया जाता है कश्मीर में यासिन मलिक के घर से एक नोट मिला जिसमें हिजबुल मुजाहिदीन के लेटर हेड ऑफिस ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन ने साइन किया था कि कश्मीर में जो फुटबॉल टूर्नामेंट हो रहा है उससे सब को दूर करो और एक प्रोटेस्ट कैलेंडर भी बनाया था इन लोगों ने जिसमें डेट वाइज मैन ज़िंदगी कब कहां क्या होना है कोर्ट ने सारे वीडियोस देखने के बाद यह बोला है कि भले यह कहता है कि बदल गया लेकिन एक्चुअल में एक भले ही नहीं यासिन के साथ और भी लोग थे लेकिन उनका भी ट्रायल चलेगा वह इसलिए कि यासिर ने कोई लोन लेने से मना कर दिया और अपने गुलाम लिए इसलिए बिना ट्रायल चली सजा सुना दी गई उसको लेकिन बाकी जो लोग हैं उनको पर भी डाल लें और उसके बाद सजा सुनाई जाएगी लेकिन यह सब हरकत अगर कोई करेगा जो या फिर देखिए तो पाकिस्तान के सहता बने गई यही रीजन है कि यासीन की उम्र के थे पाकिस्तान बहुत गुस्से में कभी कॉन्फ्रेंस कर रहा है कभी ये में लेटर भेज रहा है यह सब दिखाने के लिए यह सब को बता दूं कि Jio SIM को इस केस में फांसी नहीं होगी कि फांसी रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस में होती है और यह टेरर फंडिंग टेस्ट का फांसी दो या SIM को जो बचे हुए 2 कैसे जम्मू में जिसमें किडनैपिंग और मर्डर किया था उसमें होगी लेकिन पाकिस्तानी इसलिए गुस्सा है क्योंकि अभी तिहाड़ जेल में रहेगा इनका जी एक्सपीरियंस छिपा है वह कम हो गया यह पाकिस्तान के अंदर यह सारी चीजें मौके की तरह इस टाइम पर इसको नेता बनने का शौक होता है वह बयान देना शुरू कर देता है यही भी रह कि शाहिद अफरीदी कहने इंडिया जो कर रहा हूं बहुत ही गलत कर रहा है आप सोच कर देखिए जब कोर्ट में ही प्लेड गिल्टी लिस्ट भेजने का मतलब है उसने अपने क्रमिक शिफ्ट कर लिया और सिर्फ कोड में ही न जाने कितने दलों में चीज उसमें बोलिए उसके बाद भी शाहिद अफरीदी के रहेंगे इंडिया गलत कर रहा है हंसी की बात यह कि को थोड़ा लालच अपनी कुर्सी से की महबूबा मुफ्ती सिंह की बहन को यासीन ने खुद किडनैप किया था वहीं महबूबा मुफ्ती कह रही है कि यासीन के साथ गलत हो रहा है कश्मीर वोटों की कमी नारायण ने इस बात पर आवाज उठाई लेकिन मैं ज्यादा कुछ करेगा नहीं आपका यह इससे क्या मतलब देखिए यू के में जो पाकिस्तान और इंजन के MP3 को पाकिस्तान का निर्देश काफी अच्छे से उठाते होंगे पहले मिनट में और उनके नंबर भी बहुत ज्यादा इसे यह स्टेटमेंट देना पड़ता है लेकिन हर बार की तरह इतना ही बोलते हैं कि हमको भी यूज कर रहे हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं CUmbYMlg1dY,Things You Need to Know When Dealing With Police | How to Complain Against Police | Nitish Rajput,2022-05-13T07:00:12Z,PT11M35S,2863995,132636,3958,https://www.youtube.com/watch?v=CUmbYMlg1dY,, थे पुलिस को देखकर लोग फेल करने की बजाय घबराते हैं एक गली जिसमें पुलिस खड़ी है उस गली में इंसान तभी निकलता है उसके पास दूसरा रास्ता न हो जाने का तो इन सारी चीजों के पीछे विलेन क्या है हमारे को बेसिक राइट्स है जो में लापता होने की वजह से छोटी-छोटी जगहों पर मुझसे डर लगता है एक छोटी सी फाइल लिखवाने के लिए आपको जुगाड़ की जरूरत इसलिए पड़ती है कि एक चखाया निभाने का जो प्रोसेस है और में पता ही नहीं है और कुछ लोगों को यह तक नहीं पता कि अगर पुलिस घर पर उठा रही है तो इसको क्या-क्या रूल्स फॉलो करने होते हैं और यह सब लापता होने की है जब भी आप का पालन सचिव पड़ता है तो आपको डर लगेगा तो राइट सहित ने बेसिक होता है कि स्कूल में होने चाहिए बट अनफॉर्चूनेटली नहीं है आप किसी बच्चे को एक बार यह सारी चीजें बता दोगे पूरी जिंदगी नहीं बोलेगा कि आपने दो वर्ष पूरे हो गए एक आईपीसी इंडियन पीनल कोड और दूसरा सीआरपीसी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड जब इंडिया के अंदर कोई टाइम होता है मालूम मर्डर हुआ तो आईपीसी के ताकि 302 लगेगा चींटी हुई है तो आइए देखते है कि इसके ऊपर आईपीसी सेक्शन 420 लगेगा अटेम्प्ट टो सुसाइड है तो 300 लगेगा तो बेसिकली डिपेंड करता है उस पर्टिकुलर टाइम को कि अगर कोई डंडा कुमार है तो क्राइम नहीं है लेकिन अगर उस डंडा घुमाने से किसी का सर फूट रहे थे तो बेसिकली हमें बताता है कि क्या है और क्या नहीं अभी तो ठीक है लेकिन यह सीआरपीसी होता है तो आइए बता दिया कि सब्सक्राइब करें कि मैं यहां पर आपको एक दूसरे में अगर आप यह सब करेंगे तो आपके साथ यह तो दूसरा एक्सांपल ताकि आप अपनी जरूरत के हिसाब से घ्र कि आपके साथ यह चीज हो गई अब इसमें सबसे ज्यादा यह कहा जाता है पुलिस ने जब उसके हिसाब से जाते हैं और आप कहां रहते हैं इससे कोई मतलब नहीं कि पुलिस में कंप्लेंट करने पर रखते हैं लेकिन आपको एक चीज का ध्यान रखें कि आप कोई भी किसी भी पुलिस कुछ नहीं कर पाएंगे तो पुलिस में कंप्लेंट विद थे पुलिस का कहना है कि ऐसा करने से आप यह सब क्विट इंडिया के अंदर जितने भी कोर्ट से कैसे चल रहे हैं उसमें एक केस आप कभी ऐड हो जाता है FIR दर्ज होने का मतलब है कि अब यह जो केस है यह कोर्ट में जाना तय है इस मसले का जो फैसला होगा इससे कोर्ट से होगा आप ऐसे 4 मिनट के दिन कोर्ट में चल रहे हैं अथवा प्रॉसेस तो बहुत सिंपल लग रहा है लेकिन ऐसा होता नहीं है जब आप उन्हें समझा तो कोई बात नहीं सुनता आ और FIR में लिखने के लिए जोड़ ही होता है देखिए अगर आपके इस जीवन है और आपके FIR नहीं लिखी जाती तो आपको सबसे पहले तो पीसी ए पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी इसमें कंप्लेंट करनी है लेकिन वहां भी अगर आपको टाइम लग रहा है कि बात नहीं सुनी जा रही है आप अपने यह सेंट्रल विजिलेंस कमिशन में कंप्लेंट डाल दीजिए आपकी बात हंड्रेड परसेंट सुनी जाएगी जो डिपार्टमेंट है इसका काम है यही अधिकारियों के खिलाफ जो कंप्लेन है स्पेशल लेकिन फिर भी आपको दिक्कत आ रही है उसकी बात नहीं सुनी जा रही है तो आप एक वकील से बात करिए सारी एप्स बताइए विद्रूप कोर्ट में जाइए अगर आपका फैन उन्हें तो हंड्रेड परसेंट से आपके FIR दर्ज हो जाएगी हमारी जो आपके FIR दर्ज हो गई इसके बाद एक बार में होता क्या है इसके बाद पुलिस के पास टाइम टाइम होता है इन सारी डिटेल्स की समृद्ध बनाना विद प्रूफ हों लेट्यूस है क्या-क्या बरामद हुआ है सारी इन्वेस्टिगेशन इन फैक्ट क्या-क्या आईपीसी की धारा लगी सब एक रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में देनी होती है और इसको कहते हैं चार्टशीट लेकिन वह पुलिस के पास सात दिन का टाइम होता चार्जशीट की लेकिन अगर कोई ऐसा क्राइम है इसकी सजा 10 साल से ज्यादा की होती है तो उसमें अंबेडकर टाइम होता है और यह चार्ज शीट बनाता है यह आइए बनाता है इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर यह जो आयु है यह केस की छानबीन भी करता है यह लीड करता पूरे फेस को और कौन आइए होगा और किस रैंक ऑफिसर होगा यह सीआरपीसी में बताता है जैसे FIR दर्ज होती है पुलिस का काम शुरू हो जाता है इसमें पुलिस को उस पर शक होता है उसको उठाती है पुलिस किसी को उठाकर पुलिस स्टेशन बुलाने शक के आधार पर इस पर पुलिस का पूरा टाइट होता है लेकिन 24 घंटे में ज्यादा वह अपने पास नहीं रह सकती है और मारना तो बहुत दूर की बात है गाली तक नहीं दे सकती है इलीगल माना जाता है भले उसमें मर्डर क्यों न कर रखो लेकिन जब पुलिस इन्वेस्टिगेशन के दौरान लोगों को उठाती है तो तीन केस होते हैं एक जिसने क्राइम किया है उसको उठाती है तो उसका के सुनाइए खत्म केस है उसको जाकर अ सजा काटने के बाकी के दो कि हम डिस्कस करते हैं दूसरा के सोचा कि आप किसी से तभी उसे सबके साथ आपका भी नाम डाल दिया कमरे में और तीसरा होता कि पुलिस को शक है आप पर लेकिन आपने टाइम किया नहीं अब लेकिन उसे केस कोई भी हो सकता है कि जब पुलिस आपको हेल्प करती है अगर उठाती है घर से तो उसके कुछ रूम्स होते हैं वह ऐसे नहीं उठा सकती है पहली चीज क्योंकि पुलिस ऑफिसर को यूनिफार्म होना चाहिए नेम बैक और जब आप रैप करेंगे गर्म होता है जिसमें देगी टाइम जिसको रिसर्च किया है उसका नाम वीर वो ताकि क्यों रस किया जा रहा है कि विटनेस जिसके साइन होते हैं वह कोई भी हो सकता है आपका लॉयर हो सकता आपका घर का कोई सकता है कोई भी हो सकता है और कई बार अगर उठा रही है आपको तो बारह घंटे के अंदर आपके घर वाले को या फिर आप पर किसी करीबी को इन्फॉर्म करना होता है और इस पूरे प्रोसेस में पुलिस वाला कहीं पर भी आपको पर हाथ नहीं उठा सकता गाली तो नहीं दे सकता यह इन लीगल काम है अगर वह ऐसा करता है तो आप पुलिस के ऊपर भी तैयार कर सकते हैं और आप आओगे पुलिस वाले आते हैं प्रोसेस कोई फल नहीं करते हैं अब इसमें कई कर लेंगे ठीक ऐसे केस में पुलिस वाले जो कह रहे हैं उस पर्टिकुलर टाइम का उनकी बात मान लीजिए और जैसे यह फ्री होते हैं उसके बाद आप कार्रवाई कर सकते हैं अब करना क्या है आपको यह पहली चीज तो आप जो एसएचओ है किधर है उसको आप कंपलीट कर सकते हैं वह पावर की पुलिस स्टेशन में जाकर पुलिस खिलाफ कंप्लेंट करेंगे इससे कुछ होना नहीं बल्कि उल्टा पुलिस परेशान करेगी जरा पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहते हैं तो आप स्पोर्ट्स के तू भी कंप्लेंट कर सकते हैं ऐसे जो या फिर डीआईजी को और इसे अपने पास रखी है जब रूप उसके बाद आपको ए कंप्लेंट पीसी ए पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी और सेंट्रल विजिलेंस कमिशन में करनी है और इन सारी चीजों को भी टाइम लग रहा है कि सुनी नहीं जा रही है तो अपने गौर से बात करिए जो सारी कंपनी ने उनके रूप लेकर कोर्स FIR करें इस पुलिस अफसरों पर इसने आपको पर हाथ उठाया है एक बार हार हो गई तो आप यह बात ध्यान रखिए कि वह पुलिस ऑफिसर आपके घर के आगे पूछेगा उससे माफी मांगेगा कि उसको अपने जॉब से बहुत ज्यादा प्यार आपको बिल्कुल भी टॉयलेट नहीं करना बिना आपकी गलती की कोई आपको मार रहा है गाली दे रहा है 24 घंटे बाद आपको पुलिस स्टेशन में रख रहा है जिनके जरिए आप देखते होंगे 24 घंटे बाद पुलिस रख यह तीन चार दिन तक रही है उसमें सिंपल पुलिस यह गलती की एंट्री नहीं करती है और तीन चार दिन तक रखती है 24 घंटे ज्यादा कर पुलिस आपको रखेगी तो उसमें सिंपली इसको कोण से आर्डर लेने पड़ेंगे परमिशन लेनी पड़ी वरना नहीं रख सकती है कि अगर पुलिस को टो विन पुलिस कस्टडी में रखना है तो इसको कोण में एप्लीकेशन देनी होगी इस सबूत और इकट्ठे करने की पुलिस कस्टडी बढ़ा दीजिए और कोड विच और आधे से ज्यादा पुलिस कस्टडी नहीं दे सकता और वह भी एक साथ नहीं देता है तीन तीन चार दिन करके देता है तब जाकर 24 घंटे ज्यादा पुलिस अपने पास रख सकती किसी को मालूम चौधरी पूरे हुए उसके बाद क्या कि दो चीजें आपको समझ नहीं होगी एक होती पुलिस कस्टडी और दूसरी होती जूडिशल कस्टडी पुलिस कस्टडी जो पुलिस व्यक्ति अपने पास जूडिशल कस्टडी यानि के अब आप मजिस्ट्रेट की निगरानी में रहेंगे पूरे देश के दौरान अब मजिस्ट्रेट अपने घर पर तो रखेगा नहीं इसलिए अलग से जगह में रखा जाता है उस जगह कहते हैं जेल और जूडिशल कस्टडी में भी चौराहे से ज्यादा नहीं रखा जाता है 14 दिन के बाद फिर से अप्रूवल लेकर जूडिशल कस्टडी बढ़ती है और यह हर 14 दिन पर तब तक बढ़ती है जब तक यह तो आपको बेल मिल जाए या फिर आपने दो साबित हो जाएं या फिर आप का केस क्लोज हो जाए इन तीनों में से एक भी चीज अगर नहीं हुई तो आप वहीं जेल में रहेंगे और हर चौथे दिन के बाद जूडिशल कस्टडी बढ़ेगी हम यहां से पुलिस को चार्जशीट देने होती है सात दिन के अंदर और अगर 10 साल से ज्यादा सजा वाला केस है तो 90 दिन के अंदर और पुलिस नहीं दे पाती है तो जो भी थैंक यू है वही लेता है चार्जशीट पुलिस में बना देती है अगर एक्सेप्ट कर लेता है तो इसका मतलब है कि मुकदमा शुरू होगा और जो पुलिस ने फाइनल हो जाती है की जरूरत के हिसाब से तो उसको हटा सकता और फाइनल चाहिए तब शुरू होता है कि घ्र सामने और उसके बाद यह फैसला सुनाया जिसके बाद आपको बता दिया जाता है तो आप कर सकते हैं और वहां से अगर आपको लगता है कि फैसला सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और की बात करते हैं तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर फादर आफ इंडियन कांस्टीट्यूशन के नाम से जानते हैं घृत करें और बहुत बड़े काम की है कि डॉक्टर बी आर अंबेडकर के बारे में जान सकते हैं कि आपको कोई बुक पढ़ने की जरूरत नहीं है आपको एक हम पर जाकर की ऑडियो बुक डॉक्टर बी आर अंबेडकर सुन सकते हैं को एकदम इंडिया का लीडिंग ऑडियो बुक प्लेटफार्म है लोगों को काफी पसंद करते हैं क्योंकि आप कहीं भी अपनी करनी से कोई भी काम करते हुए इस बुक को पढ़ सकते हो इन की लाइब्रेरी में हथौड़ा वर्ष का कंटेंट है जिससे आप बहुत मौज ले सकते हो वह अपने लोकल लैंग्वेज में कुए पर फर्स्ट ओ डी यूजर्स को मेरी तरफ से होगा 50% डिस्काउंट जवाब मेरा कूपन कोड यूज करेंगे 150 तो फायदा उठाया और यूज कीजिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म का अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए लिंक भी डिस्क्रिप्शन में दे दिया तो टॉपिक तो वापिस आते हैं 13 कोड होते इंडिया में पहला लोअर कोर्ट दूसरा हाई कोर्ट तीसरा सुप्रीम कोर्ट डिस्ट्रिक्ट में क्राइम होता है उस डिस्ट्रिक्ट के कोर्ट में केस जाता है हर स्टेट में हाइकोर्ट होता है और पूरे इंडिया में सुप्रीम कोर्ट है यह जो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट है या ऐसा नहीं होता कि दोबारा सारे गुण पाए जाते हैं साला डिस्कशन दोबारा होता है 2 जजमेंट लोअर कोर्ट ने दिया होता है उसको रिव्यु किया जाता है और अगर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि इसमें किसी गवाह को सही सिगरेट नहीं किया गया कि यह कोई चीज रह गई है तब उस केस में कोर्ट चाहे तो बुला सकती है वरना जो जजमेंट आया हुआ है लोअर कोर्ट से उसी को रिव्यू किया जाता है और अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी आपको सजा सुना दी जाती है फिर उस केस में आपको सजा काटने होती है उसको कोई नहीं रोक सकता है और जो आप ले रहे होते हैं वह आपको मिलना बंद हो जाती है फिर पेट्रोल मिलता है अभी बेर पर और में डिफ्रेंस होता है लेकिन जब तक आपका जो मैं साबित नहीं होता तब तक आपको क्रिमिनल नहीं माना जाता है और ऐसे केस में अगर कोर्ट को लगता है कि अभी चल रहा है जो साबित नहीं हुआ है और बाहर जाकर जो एविडेंस है उनको भी खराब नहीं कर सकता तो सिचुएशन देखकर कोड बेल दे देता लोअर कोर्ट ने फैसला सुना दिया उसके बाद आपने हाइकोर्ट में अपील कर दिया है तो अभी आप का केस चल रहा है तो इसका मतलब यह भी क्रिमिनल साबित नहीं हो इसलिए सुप्रीम कोर्ट जब तक आखिरी फैसला नहीं सुना देता है तब तक आप ले सकते हो एक बार आपने जो साबित हो जाता फिर आपको बेल नहीं मिलती है आपको सिर्फ पर मिलता हूं कि बहुत मुश्किल से पर रोल भी तभी मिलता है आपको बहुत ही जरूरी हो कोई मर गया वह घर में कोई बच्चा हुआ हो घर में कोई शादी हो एक सिचुएशन और होती है जिसमें सुप्रीम कोर्ट की सजा देने के बाद भी एक मौका और होता है आपके पास भगत पेनल्टी के केस में अगर आप को फांसी की सजा सुनाई गई है तो उस केस में आप मरी मान सकते हैं प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया से लेकिन ऐसा नहीं है कि वे डू इंडिया खुद डिसाइड करते हैं क्या करना है जो भी मरी मांगता है उसकी मर्सी पिटिशन को मारे प्रेसिडेंट होम मिनिस्ट्री में भेजते हैं रिव्यू के लिए फिर होम मिनिस्ट्री में गुस्सा डिसाइड नहीं करती है उसी इस्टेट में क्राइम हुआ होता है उस स्टेट की स्मृति को भेजती है फिर उस स्टेट की हो मिलती जो रिवर्ट करती है उसके ऊपर कैबिनेट बैठती है और प्रेसिडेंट आफ इंडिया को रिपोर्ट भेजी जाती है और उसके हिसाब से पहले हम इंडिया हा या ना करते हैं और वह फाइनल होता है और यही निवेदन है कि इंडिया में जो भी केस चल रहे हो तो मैं इतना टाइम लगता है Cx5ihsn7bB8,Can government reduce petrol price? | Nitish Rajput | [HINDI],2022-05-07T07:00:11Z,PT13M52S,2479619,91627,4256,https://www.youtube.com/watch?v=Cx5ihsn7bB8,, इंडिया नेपाल को ऑयल देता है उसके बाद भी इंडिया में पेट्रोल के प्राइसेस ज्यादा हैं और नेपाल में पेट्रोल के प्राइसेस कम हैं लेकिन यह ऑयल बॉन्ड है क्या और ये कितने सही हैं कक पेट्रोल को तो ऐसे देखा जाता है जैसे कि ये अमीर लोगों की चीजें हैं सिर्फ गाड़ी चलाने वालों के लिए ये उस सेक्टर में देते हैं जहां पे सबसे ज्यादा वोटर्स हैं एग्रीकल्चर और यह पेट्रोल जो है यह जीएसटी से इसको बाहर क्यों रखा गया है जैसे घरों में जब रिश्तेदार आते हैं तो बच्चों को पैसे देके जाते हैं और मां-बाप पीछे से ले लेते हैं सेम यही चीज गवर्नमेंट भी कर रही है आपके साथ देखिए जब पेट्रोल के प्राइसेस बढ़ते हैं तो चाहे फूड के आइटम हो ट्रेवल हो ट्रांसपोर्टेशन हो हर एक चीज के प्राइस बढ़ते हैं ओवरऑल महंगाई बढ़ती है और गवर्नमेंट से जब क्वेश्चन पूछे जाते हैं तो एक दूसरे को ब्लेम करते हैं तो सबसे पहली चीज तो यह है कि क्या गवर्नमेंट के हाथ में सच में ये चीज होती है कि वो पेट्रोल के प्राइस को कम या ज्यादा कर सकें दूसरी चीज क्रूड ऑइल जो है वो इंटरनेशनल मार्केट में ऑलमोस्ट सेम प्राइस पे मिलता है उसके बाद भी हर कंट्री में पेट्रोल के प्राइसेस अलग-अलग क्यों होते हैं इनफैक्ट इंडिया नेपाल को ऑयल देता है उसके बाद भी इंडिया में पेट्रोल के प्राइसेस ज्यादा हैं और नेपाल में पेट्रोल के प्राइसेस कम हैं और यह पेट्रोल जो है ये जीएसटी से इसको बाहर क्यों रखा गया है ये सारी चीजें डिटेल में डिस्कस सस करते हैं देखिए पेट्रोल पंप पे जो पेट्रोल मिलता है वो डायरेक्ट जमीन से निकाल के आपको नहीं दिया जाता है पहले क्रूड ऑइल को ढूंढ के सब सरफेस से सरफेस पे लाया जाता है ये जो क्रूड ऑयल है ये एक रॉ फॉर्म में निकलता है फिर इस रॉ क्रूड ऑयल को रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है इन रिफाइनरी में क्रूड ऑयल को प्रोसेस करके उसमें से पेट्रोल डीजल जेट ऑयल ये सब निकाल के पेट्रोल पंप तक पहुंचाया जाता है अगर मैं इंडिया की बात करूं तो भारत पेट्रोलियम हिंदुस्तान पेट्रोलियम इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन reliance1 जो क्रूड ऑयल है ये हर जगह नहीं मिलता है जिन कंट्रीज में डिस्कवर हो गया बड़े स्केल पे वो तो खुश है उनका काम तो चल जाता है लेकिन जिन कंट्रीज में कम है या डिस्कवर नहीं हुआ है उनको इस क्रूड ऑइल को खरीदना होता है अपनी कंट्री चलाने के लिए हर कंट्री के पास अपनी रिफाइनरी होती हैं जैसे इंडिया के पास 23 रिफाइनरी हैं इंटरनेशनल मार्केट से क्रूड ऑयल को खरीद के रिफाइनरी तक लाया जाता है और फिर यहां से पेट्रोल बनता है देखिए पेट्रोल से सिर्फ गाड़ियां ही नहीं चलती हैं हर एक चीज डायरेक्टली और इनडायरेक्टली रिलेटेड होती है पेट्रोल से आज दिल्ली और मुंबई में बैठ के आप कश्मीर का सेब खा पा रहे हो ये भी पेट्रोल की वजह से ही है क्योंकि पूरा ट्रांसपोर्टेशन प्रोडक्शन का बेस होता है पेट्रोल महंगाई से लेकर जीडीपी हर एक चीज इफेक्ट होती है कंट्री में जब पेट्रोल की कमी होती है इसलिए इसको दुनिया की बहुत इंपॉर्टेंट कमोडिटी माना जाता है इंडिया में भी क्रूड ऑयल मिलता है लेकिन वो इनफ नहीं है इसलिए इंडिया बहुत बड़े स्केल पे ऑयल इंपोर्ट करता है और जब इंडिया में क्रूड ऑयल आ जाता है उसके बाद भारत पेट्रोलियम हिंदुस्तान पेट्रोलियम इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पे मिलती है क्रूड ऑयल को कंटीन्यूअसली रिसर्च टीम हर कंट्री की ढूंढती रहती है बीच-बीच में आपको न्यूज़ भी सुनने को मिलती होगी जब कोई ऑयल फील्ड डिस्कवर होती है ऑल ओवर वर्ल्ड में मेन तीन प्लेयर हैं जो वर्ल्ड में क्रूड ऑयल बेचते हैं एक यूएसए दूसरा रशिया और तीसरा ओपक अब ये ओपक क्या है देखिए मिडिल ईस्ट में जितनी भी ऑइल प्रोड्यूस देश हैं इन्होंने अपना एक एसोसिएशन बना लिया जिसका नाम है ओक ओपक बहुत ही इंपॉर्टेंट प्लेयर है ऑल ओवर द वर्ल्ड में वर्ल्ड में क्रूड ऑयल के रेट क्या होंगे ये तक इनके हाथ में होता है अब आप कहोगे कि इनके हाथ में प्राइस कैसे होते हैं देखिए जिस तरीके से इंडिया में होल्डिंग या फिर आर्टिफिशियल शॉर्टेज कर दी जाती है प्याज या फिर बाकी चीजों की और रेट बढ़ा दिए जाते हैं कुछ इसी तरीके से इंटरनेशनल मार्केट में भी ओपक देश यही करते हैं ये लोग मीटिंग करते हैं और ऑयल का जो प्रोडक्शन होता है वो कम या ज्यादा कर देते हैं डिमांड देख के अब डिमांड ज्यादा होती है सप्लाई कम होती है तो प्राइस बढ़ जाते हैं इसलिए आपने देखा होगा जिन कंट्रीज में क्रूड ऑयल की शॉर्टेज होती है वो इलेक्ट्रिक व्हीकल की ज्यादा वकालत करती हैं और अगर आपको कभी भी ऑयल ट्रैक करना है तो सबसे इंपॉर्टेंट चीज है कि आप ओक को ट्रैक करें अब मान लीजिए आपको कोई मोबाइल खरीदना है तो वही गिनी चुनी कंपनीज हैं उनमें से जाके आप मोबाइल खरीद लेते हो लेकिन लेन ऑपरेटिंग सिस्टम या तो आपके मोबाइल में आओ होगा या फिर एंड होगा ऑपरेटिंग सिस्टम और भी है जैसे कि न 2 टच है न है बट आप देखोगे यही दो ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे मोबाइल में होते हैं ठीक इसी तरीके से इंटरनेशनल मार्केट में जब आपको ऑयल खरीदना होता है तो दो मेन बेंचमार्क्स हैं एक है टीआई वे टेक्स इंटरमीडिएट और दूसरा है बें और भी बेंचमार्क्स हैं लेकिन ये दोनों मेन हैं जैसे आओ और android-1 में भी फर्क होता है लेकिन काम दोनों सेम करते हैं ड्यूटी के क्रूड ऑयल में एपीआई ग्रेविटी ज्यादा होता है मतलब कि कितना हल्का तेल है पानी पे अगर उसको डालेंगे तो कितना फ्लोट करेगा डब्ल्यूटीपी भी कम होता है ब्रैंड के कंपैरेटिव सल्फर ज्यादा होने पे रिफाइनरी को पेट्रोल बनाने में ज्यादा टाइम और पैसा लगता है तो आप कंपेयर करेंगे तो डब्ल्यूटीओ है वो ब्रंड के कंपेरटिवली थोड़ा अच्छा है लेकिन ब्रंड पूरे ऑल ओवर वर्ल्ड में चलता है क्योंकि ये थोड़ा सा सस्ता है इंडिया भी ब्रंड ही यूज करता है आप कभी पेट्रोल भरवाने गए होंगे तो वहां पे भी आपने लिखा हुआ देखा होगा एपीआई ग्रेविटी सल्फर कंटेन ये सारी चीजें वहां लिखी होती हैं इंटरनेशनल मार्केट में बैरल के हिसाब से क्रूड ऑयल मिलता है एक बैरल में 159 लीटर के करीब ऑयल होता है अभी अगर करेंटली देखें तो 104 पर बैरल का रेट चल रहा है अब ये सारी चीजें मैं आपको बता क्यों रहा हूं ये सब चीजें मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि पेट्रोल के प्राइस अबब अगली बार बढ़े तो आपको यह पता चल सके कि इंटरनेशनल मार्केट की वजह से पेट्रोल प्राइस बढ़े हैं या फिर इंटरनल पॉलिटिक्स की वजह से प्राइस बढ़े हैं मैं आपको दिल्ली के अंदर जो पेट्रोल प्राइस का ब्रेकअप है वो दिखाता हूं इसमें ये जो बेस प्राइस लिखा है ₹ 19.3 4 ये वो बेस प्राइस है जो इंडिया के अंदर कंपनीज रिफा फाइनरी में प्रोसेस करके फाइनल प्रोडक्ट बनाने के बाद पेट्रोल का जो प्राइस सेट करती हैं इसके बाद इसमें जो 0.37 फ्रेट प्राइस लिखे हैं इसका मतलब कि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट जो इस पेट्रोल को डिस्ट्रीब्यूशन करने में आती है पेट्रोल पंप तक इसके बाद ये सबसे इंटरेस्टिंग चीज है एक्साइज ड्यूटी ₹ 2.98 सबसे ज्यादा है ये सेंट्रल गवर्नमेंट ने टैक्स लगाया है इसके बाद . 69 जो इसमें मेंशन है ये डीलर का कमीशन है ये सारा प्रोसेस करने के बाद 3.69 पर लीटर पे वो कमाता है और ये जो वट है 19.9 2 ये स्टेट गवर्नमेंट ने टैक्स लगाया है यह सब लगाने के बाद जो पेट्रोल प्राइसेस को लेके ये टैक्स कम करके पेट्रोल के प्राइसेस कम क्यों नहीं कर देते अल्टीमेटली इनको वोट ही तो चाहिए देखिए इतने टाइम से ये लोग देश चला रहे हैं इनको हमसे ज्यादा अच्छे से पता है कि इंडिया के अंदर वोट कैसे ड्राइव होते हैं अभी टैक्स ना कम होने के पीछे गलती सारी की सारी हमारी है इंडिया में जो फ्री में चीज मिलने का क्रेज है बहुत ही ज्यादा है आपको बहुत अच्छे से याद होगा अभी भी अगर आपसे मैं पूछूं कि किस गवर्नमेंट ने फ्री में बिजली दी है किस गवर्नमेंट ने लैपटॉप दिए हैं गैस सब्सिडी में दी है किसने लोन माफ किए हैं बहुत अच्छे से आपको पता होगा क्या आपको यह पता है कि किस स्टेट ने वेट के टैक्स माफ कर दिए ताकि पेट्रोल के प्राइस डाउन रहे और इंफ्लेशन ना बढ़े अब मैं स्टेट का नाम नहीं लूंगा वरना किसी ना किसी पॉलिटिकल ग्रुप में बांट दिया जाऊंगा लेकिन एक google2 आ रहा है अब किसी गवर्नमेंट ने उसको माफ करके 50 कर दिया आप बहुत खुश हो गए लेकिन वेट उतना ही ले रहा है वो तो उससे इंफ्लेशन तो बढ़ ही रहा है आप बहुत खुश हो गए कि ₹1 की जगह हमारा बिजली का बिल जो है वो 50 हो गया है लेकिन जब आप घर से निकल के टॉफी आटा चावल दाल सब्जी ये सब खरीद रहे हैं तो हर किसी में किसी में ₹ ज्यादा हो रहा है ₹1 ज्यादा हो रहा है इंफ्लेशन की वजह से महंगाई की वजह से तो बात तो घूम फिर के वही हो गई ना जैसे घरों में जब रिश्तेदार आते हैं तो बच्चों को पैसे देके जाते हैं और मां-बाप पीछे से ले लेते हैं सेम यही चीज गवर्नमेंट भी कर रही है आपके साथ एक तरफ आपको फ्री में चीजें पकड़ा रही है दूसरी तरफ महंगाई करके आपकी जेब ढीली कर दे रही है तो बात घूम फिर के वही हो जा रही है ये चीज गवर्नमेंट बहुत अच्छे से समझती है कि अगर वो वेट कम कर देगी टैक्स कम कर देगी तो उसका कोई महिमा मंडन नहीं होगा महिमा मंडन होता है फ्री की चीजें बांटने में तो गवर्नमेंट भी वही करती है जो आपको चाहिए आपने देखा होगा कि पार्लियामेंट में हर पार्टी हल्ला कर रही है कि पेट्रोल के प्राइस कम करिए आए दिन बयान आ रहे हैं लेकिन वही पार्टी अपनी रूलिंग स्टेट में वेट का ₹ कम नहीं कर रही है ₹ के पेट्रोल में लगभग 70 पर का टैक्स लगा दे रहे हैं देखिए पॉइंट ये नहीं है कि गवर्नमेंट को रेवेन्यू जनरेट नहीं करना चाहिए पॉइंट ये है कि एक तरफ आप जरूरत से ज्यादा टैक्स इंपोज कर रहे हो पेट्रोल के प्राइसेस आसमान छू रहे हैं और वहीं सेम टाइम पे आप वोटर्स को फ्री में चीजें बांट रहे हो लैपटॉप मिलने से कुछ नहीं होगा जॉब मिलने से होगा लोन माफ करने से कुछ नहीं होगा इंफ्लेशन कंट्रोल करने से होगा हमारे देश का रिकॉर्ड है कि फ्री की चीजें जिसको भी भी मिली है उसका कभी भला नहीं हुआ है आप सोच के देखिए नेता सबसे ज्यादा फ्री की चीजें किस सेक्टर में देते होंगे ये उस सेक्टर में देते हैं जहां पे सबसे ज्यादा वोटर्स हैं एग्रीकल्चर 60 पर लोग एग्रीकल्चर से डायरेक्टली और इनडायरेक्टली एसोसिएटेड हैं इसलिए आप देखोगे सबसे ज्यादा फ्री की चीजें किसानों के लिए लेके आते हैं अगर फ्री का फार्मूला काम कर रहा होता तो किसानों का यह हाल नहीं होता जो आज की डेट में है इतने सारे फ्री बीज देने के बाद भी किसानों का कुछ नहीं हुआ वो आज भी सुसाइड कर रहे हैं देखिए पेट्रोल हो गया अल्कोहल तंबाकू इन सारी चीजों पे गवर्नमेंट रातों-रात 20 से 25 पर टैक्स बढ़ा दे कोई दिक्कत रही होगी गवर्नमेंट को इन सारी चीजों को लेके कोई रोड पे नहीं आएगा कोई धरना नहीं देगा क्योंकि पेट्रोल को तो ऐसे देखा जाता है जैसे कि ये अमीर लोगों की चीजें हैं सिर्फ गाड़ी चलाने वालों के लिए जबकि एक्चुअल में ऐसा है कि ये सबके लिए है इससे हर एक चीज इफेक्ट होती है सेम चीज अल्कोहल के केस में भी आप बहुत ज्यादा करोगे आप ड्रिंक करते टाइम एक दो गाली दे दोगे आप रोड पे धरना देने नहीं पहुंच जाओगे आपके घर वाले भी कहेंगे भैया किस रैली में जा रहा है इस चीज को गवर्नमेंट ने फिगर आउट कर लिया इसलिए वो फ्री की चीजों के लिए बजट बनाती है और इन चीजों पे टैक्स बढ़ाती है चलो अल्कोहल और टोबैको का आप मान सकते हो लेकिन पेट्रोल से बहुत सारी चीजें इफेक्ट होती हैं जब इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड फ्रूड ऑइल के प्राइस बढ़ जाते हैं तो तुरंत पेट्रोल के प्राइस बढ़ा देते हैं लेकिन जब कम होते हैं तो ये पेट्रोल के प्राइस कम नहीं करते हैं और यह चीज मैं हवा में नहीं कर रहा हूं कुछ डाटा मैं आपको दिखाता हूं मैं 2014 में पेट्रोल का जो बेस प्राइस था वो ₹ 7.12 पर लीटर था एक्साइज और वेट टैक्स लगा के हम लोग 77 1.41 में खरीदते थे अभी फरवरी 2021 में इंटरनेशनल ऑयल प्राइस 9.34 हुए थे तो प्राइस तो कम होने चाहिए थे पेट्रोल के लेकिन ऐसा नहीं हुआ उस समय पेट्रोल का प्राइस और बढ़ गया 86.6 हो गया गवर्नमेंट ने प्राइस कम करने की बजाय टैक्स और बढ़ा दिया और ओवरऑल पेट्रोल का प्राइस बढ़ा दिया और ये ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक पार्टी कर रही है ये दोनों पार्टियों ने किया जो एक्साइज ड्यूटी होती है उसमें रूलिंग पार्टी खेलती है और जो अपोजिशन होता है वो स्टेट के वेट टैक्स में खेलता है काम दोनों एक ही करते हैं ये जो ग्राफ आपके सामने दिख रहा है इसमें जो रेड वाला पार्ट है स्टेट ने कैसे टैक्सेस बढ़ाए हैं वो दिखाया जा रहा है इसमें और येलो वाला जो पार्ट है सेंटर ने कैसे टैक्सेस बढ़ाए हैं वो दिखाया जा रहा है स्टेट टैक्सेस 18 पर से सीधे 23 पर हो गए और सेंटर ने जो टैक्सेस बढ़ाए वो 17 पर से सीधे 37 पर कर दिए हैं सिर्फ इस पर्टिकुलर टाइम पे गवर्नमेंट ने अपना रेवेन्यू 75 पर से भी ज्यादा करा देखिए जब डेटा दिखाते हैं तो उसमें ईयर देख के लोग अपनी-अपनी पार्टी को सपोर्ट करने लगते हैं तो 2014 से पहले का डटा भी मैं दिखा देता हूं 2012 की भी रिपोर्ट देख लो आप उस टाइम पे भी सेम यही चीज हुई थी बेस प्राइस पे टैक्स लगा लगा के कई बार पेट्रोल के दाम बढ़ाए गए इनफैक्ट 2 साल में 13-1 बार प्राइस बढ़ाए गए अभी गवर्नमेंट से जब क्वेश्चन किया गया कि आप इतना टैक्स क्यों बढ़ा रहे हो अचानक से आप धीरे-धीरे करके भी बढ़ा सकते थे आपने इतना टैक्स बढ़ाया कि 2020 में पार्लियामेंट में बिल पास कराना पड़ा कि जो टैक्स बढ़ाने की लिमिट खत्म हो गई है उसको बिल पास करा के टैक्स की लिमिट बढ़ाई गई तो गवर्नमेंट ने पहले बोलना स्टार्ट किया कि ये जो ऑयल के प्राइसेस हैं ये ऑयल की कंपनियां डिसाइड करती है तो देखिए बात ये सही है कि जो बेस प्राइस होता है वो ऑयल की कंपनियां ही डिसाइड करती हैं लेकिन जो इनप टैक्स लगता है वो कंप्लीट गवर्नमेंट के हाथ में होता है आप ब्रेकअप देखोगे तो ये जो ऑयल मार्केटिंग कंपनीज हैं वो मार्केट प्राइस के हिसाब से ही रेट सेट कर रही हैं लेकिन रियल प्रॉब्लम वही है कि ये मन माने टैक्सेस लगाए जा रहे हैं इस पे लेकिन लोग फिर भी माने नहीं लोगों ने प्रेशर बनाया कि गवर्नमेंट इतना ज्यादा टैक्स बढ़ा के करना क्या चाहती है इस पे गवर्नमेंट ने जवाब दिया कि जो हमसे पहले वाली गवर्नमेंट थी यहां पे उसने ऑयल बॉन्ड रिलीज किए थे उसकी वजह से हमें इस तरीके से टैक्स बढ़ाने पड़ रहे हैं तो बात तो ये सही कह रहे हैं लेकिन ये ऑयल बॉन्ड है क्या और ये कितने सही हैं देखिए जिस तरीके से अगर आपको कभी पैसे की जरूरत होती है तो आप बैंक से लोन लेते हैं और इंटरेस्ट देते हैं उस अमाउंट पे ठीक इसी तरीके से जब गवर्नमेंट को पैसे की जरूरत होती है तो वो बॉन्ड रिलीज करती है फिर लोग उस बॉन्ड को खरीदते हैं गवर्नमेंट उसपे इंटरेस्ट देती है और एक टाइम के बाद प्रिंसिपल अमाउंट वापस कर देती है अगर ऑयल के लिए वो बॉन्ड रिलीज हुए हैं तो उसका नाम ऑयल बॉन्ड हो जाता है जिस तरीके से आज की डेट में ऑयल कंपनीज बेस प्राइस डिसाइड करती हैं पेट्रोल का पहले गवर्नमेंट करती थी मान लीजिए गवर्नमेंट ने कहा है कि ₹ होना चाहिए पेट्रोल का प्राइस और प्राइस की जो लागत आ रही है वो 80 हो गई है तो मार्केट की वजह से ये जो डिफरेंस है ₹10 का ये गवर्नमेंट देगी एज अ सब्सिडी लेकिन वो बजट से नहीं देगी उसका बॉन्ड रिलीज करेगी ऐसे करके पहले की गवर्नमेंट ने 1.34 लाख करोड़ के बॉन्ड्स रिलीज किए थे जिसका हर साल 9000 इंटरेस्ट पे करना होता है तो देखिए बात तो सही है लेकिन गवर्नमेंट ने वो पैसे बजट से नहीं दिए बल्कि उसके बॉन्ड रिलीज किए करंट गवर्नमेंट ने जो 2020 2021 में जो रेवेन्यू कमाया सिर्फ एक साल में वो है 4 18000 करोड़ जो कि पिछले अगर आप बॉन्ड से कंपेयर करोगे तो बहुत ज्यादा है तो ये जो बात बोली जा रही है पूरी तरीके से सही नहीं है असल बात यह है कि जो टैक्स बढ़ाया जा रहा है ये सच में ज्यादा है यही रीजन है कि टैक्स के लालच में पेट्रोल को जीएसटी से बाहर रखा गया है क्योंकि अगर कोई भी गवर्नमेंट हो चाहे वो रूलिंग हो चाहे वो अपोजिशन में हो पेट्रोल अगर जीएसटी में आ जाएगा तो दोनों का नुकसान होगा इसलिए अपोजिशन भी खाली कड़े शब्दों में निंदा करके चुपचाप रहता है एक एसबीआई की रिपोर्ट आई थी जिसमें इन्होंने अज्यू किया था एक एक्सपेरिमेंट के तहत कि अगर पेट्रोल को जीएसटी में डाल दिया जाए तो क्या होगा जिसमें इन्होंने एक बैरल का रेट $60 माना था और 28 पर जीएसटी के स्लैब में डाला था ऐसा करके अराउंड जो पेट्रोल के प्राइसेस थे वो ₹ 775 तक आ गए थे और सेंट्रल गवर्नमेंट का 1 लाख करोड़ का लॉस हुआ था और स्टेट गवर्नमेंट का 0000 करोड़ का नुकसान हुआ था और यही रीजन है कि पेट्रोल को जीएसटी में नहीं डाला जाता है देखिए टैक्स तो एक चीज है अगर हम पेट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर की भी बात करें तो हम बाकी कंट्री से बहुत ज्यादा पीछे हैं हमें पेट्रोल की जरूरत तो बहुत है लेकिन उसके लिए हमने इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेन नहीं किया है ओपक कंट्रीज अपने हिसाब से प्राइस ऊपर नीचे करती रहती हैं मनमानी करती हैं लेकिन बीच-बीच में ऐसी सिचुएशन आती है जब प्राइस काफी नीचे जाते हैं जैसे अभी कोविड के टाइम पे हुआ था कि क्रूड ऑयल बहुत ही ज्यादा सस्ता हो गया था तो जो कंट्रीज होती हैं वो स्टोरेज बना के रख लेती हैं ताकि जब ऑयल मार्केट में सस्ता हो तो उसको खरीद के रिजर्व कर लें ताकि जो पेट्रोल के प्राइसेस हैं उसपे कंट्रोल रख सके इंडिया भी करता है लेकिन उतना नहीं करता हम काफी पीछे हैं बाकी कंट्रीज के कंपेरटिवली हमने भी रिजर्व किया था लेकिन हम बाकी कंट्रीज से काफी पीछे हैं 24th रैंक है इंडिया की ऑयल रिजर्व कैपेसिटी में इंडिया में तीन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व हैं उनको 1998 में अटल बिहारी वाजपेई जी ने प्रपोज किया था और 2005 में मनमोहन सिंह जी ने ओपन किया था तब से लेकर आज तक हमारे पास तीन ही रिजर्व हैं अच्छी बात यह है कि मोदी जी ने अनाउंस किया कि दो और खोले जाएंगे और काम भी स्टार्ट करा दिया लेकिन यह काफी टाइम पहले हो जाना चाहिए था और भी रिजर्व होने चाहिए ये दो खुलने के बाद भी हम काफी पीछे हैं हमारी नीड के हिसाब से ये सारी चीजें मेनिफेस्टो में होनी चाहिए लेकिन अनफॉर्चूनेटली यह होती नहीं है फ्री में क्या-क्या चीजें हम लोगों को मिलेंगी ये सारी चीजें मेंशन होती है मैनिफेस्टो में lTu8MIfKZIQ,Sri Lanka's Economic Crisis Explained | A Man-Made Disaster in Srilanka | Nitish Rajput,2022-04-28T07:00:12Z,PT12M17S,1675953,54311,2475,https://www.youtube.com/watch?v=lTu8MIfKZIQ,," कि श्रीलंका के ऊपर जितना भी टोटल डेट है उसमें से दस परसेंट चाइना का है SMS कैलकुलेशन करने में श्रीलंका काफी आ गए और पाकिस्तान श्रीलंका से भी चार कदम आगे अरे 25000 सैलरी वाले एक लाइफ लेकर चलते हैं तो सारे फिसकल डिफिसिट में घूम रहे होते हैं जब कोई चीज आपको फ्री में मिल रही होती है तो उसका प्राइस कहीं और से कोई और दे रहा हूं तो इतनी बेरुखी नहीं आएगा के मना करने के बाद भी हमने रिकॉर्ड तोड़ नोट छापे हैं लेकिन यही रीत है कि कंट्री साए में कुछ छोड़कर चाइनीज सेकेंडरी स्कूल लेती है देखिए श्रीलंका एक छोटे कमी जरूर है लेकिन यह कोई देश नहीं है जहां पर भूखमरी फैली हुई है श्रीलंका की पर कैपिटा इनकम इंडिया से काफी ज्यादा इन फैक्ट एक टाइम पर श्रीलंका ऐसा कि फास्टेस्ट ग्रोइंग इकोनामी नीड्स आफ इंडिया इन दोनों स्ट्रगल कर रहे थे तो फिर ऐसे क्या इवेंट्स है जिसकी वजह से श्रीलंका की नमी जमीन पर आ गई देखिए एक साल या फिर कुबेर की बात नहीं है यह कई दशकों से ऐसे इवेंट हुए श्रीलंका के साथ जिसकी वजह से श्रीलंका आज यहां पर आकर खड़ा है दूसरी चीज इंडिया में एक कस्बे के अंदर बैठा आदमी तक को पता है कि चाइना का डैंड्रफ है इसने सीमेंट का यह हुआ है श्रीलंका इतना बड़ा देश है इतनी बड़ी उनकी इमेज एक्सपर्ट की टीम कि वह कभी यह नहीं समझ पाए पूरा देश शीला को दिया है तो यह सिंपल नहीं है अब एक परिवार के सारे भाई इनफील्ड बाइक 2233 साल के करण मिट्टी संभालने में लगे हैं अपने हिसाब से देश में रूम सेट कर रहे हैं करप्शन के चक्कर में कई बार जेल भी गए हैं उसके बाद ही वहां के लोग बाकी पार्टियों को छोड़कर खाली इसी परिवार को क्यों वोट दे रहे हैं तो देखिए जितना सिंपल है लग रहा हूं तो मैं सिंपल है नहीं एग्जाम के लिए पेपर नहीं है स्ट्रीट लाइट जलाने तक के पैसे नहीं है यह सब तो आप आलरेडी पता है इन सारी चीजों के पीछे असल में रिजन क्या है वह डिस्कस करते हैं लेकिन जब एशिया में देश आजाद हुए थे तो इंडिया और चाइना ने अपने खुद के इकोनामिक स्ट्रक्चर बनाएंगे अपनी कंट्री के लिए वहीं श्रीलंका ने आयोग के बताए हुए इकोनामिक रिफॉर्म्स एलिमेंट किए थे तो श्रीलंका ने ऐसा क्यों किया था एक तो वेस्टर्न इनफ्लुएंस था और दूसरा आइटम अब लोन देता है तो उसके बताए हुए तरीके़ एलिमेंट करने होते हैं आपको अपनी कंट्री में इंडिया ने भी जब 1919 में लोन लिया था इनमें से तो कुछ टाइम के लिए के बताए वह रेगुलेशन फॉलो किया था यहां पर हमेशा से आरोप लगते रहे हैं कि यह और वेस्टर्न कंट्रीज हिसाब से फंक्शन करती हैं इनके रोज ऐसे ही होते हैं जैसे कि प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दो के बाहर भी कंपनी को आने दो ग्लोबल ट्रेंड बढ़ाओ जो अल्टीमेटली वेस्टर्न कंट्रीज को एडवांटेज देती हैं आई एम ऑफ डेट ट्रैप डिप्लोमेसी यह बहुत बड़ा रोल प्ले करती है इसके बारे में बात बहुत कम होती है लेकिन यही रीत है कि ठंडी चाय में कुछ छोड़कर चैनल जैसे कंट्री से लोन लेते हैं लेकिन इंडियन यह फॉलो नहीं अगर आप देखोगे तो FD भी ने बहुत बार में जाकर लागू किया उसका परसेंटेज बहुत धीरे-धीरे बड़ा क्योंकि इंडिया पहले अपने लोकल इंडस्ट्री को मौका देना चाहती थी उसको मजबूत करना चाहती थी क्योंकि बाहर की कमी ज्यादा एडवांटेज में रहती है तो लोकल मार्केट टूटने नहीं देती है इसीलिए इंडिया धीरे-धीरे ग्रोवर काफी मजबूती से खड़ा हुआ लेकिन आप पूछोगे जिस लंका जितनी तेजी से एशिया में ग्रो कर रहा था तो उसको आयोग से लोन लेने की क्या जरूरत पड़ी लेकिन श्रीलंका मैं आपको एक चीज थोड़ी समझ नहीं होगी कि श्रीलंका में जो पापुलेशन है वह मेनली दो पार्ट में है एक से नाला जो बुद्धि है यह 75परसेंट पापुलेशन है दूसरा है तमिल्स जो 12% पापुलेशन है और बाकी माइनॉरिटीज है फिर हाथ और तमिल में हिस्टोरिकल और पॉलिटिकल मतभेद बहुत ज्यादा है और यह मतभेद इतने रहता है कि 98100 श्रीलंका में सिविल वॉर हुई आधे तमिल धनुष तिरंगा शहर के एक अलग देश बनाना चाहते थे और इस और के चलते श्रीलंका के ग्रामीणों द्वारा कंबल करने लगी डिफेंस बजट पर रहता था उस सारे डेवलपमेंट को छोड़कर डिफेंस बजट उनका 21 पर सेंट हो गया था महेंद्र राजपक्षे उनके खन्ना ने एक चीज संबंधी कि अगर यह चिन्ह अली की बात करेंगे इन पावर में रहना बहुत आसान हो जाएगा बीच में इन्होंने कई चीज़ें ऐसी भी करें यहां पर जो तमिल एरिया जो कि इस तमिल एरिया है वहां पर कॉलेज की टीम बनाई और इस टीम ने सारे 47 रखें और यह धुन कर दिया कि हम बातचीत से पहले ताकि सिलाई सोच रहे हैं और ऐसी एक्टिविटीज इन टाइम टाइम करते रहते थे और यहीं से ज़्यादा की वहां की जो मेजॉरिटी पापुलेशन भी जो कि 75परसेंट दी इसने पूरे नेपोटिज्म को इग्नोर करके इस परिवार को सप्ताह में रखा महिंदा राजपक्षे 2500 2015 तक प्रेजेंट है अगर अभी की बात करें तो गोंडा बहराइच रक्षा श्रीलंका के प्रेसिडेंट बनते ही अपने भाई महिंदा राजपक्षे को पीएम बना दिया इनके बेटे नमल राजपक्षे को यूथ एंड स्पोर्ट्स मिनिस्टर बना लिया व से इलास्टिक है तो एलिजिबल नहीं है मिनिस्टर बनने के लिए क्योंकि अमेज़न करेंगे तो इनको मिनिस्टर बनाने के लिए कानून इंडियन उसने एक नया बिल लेकर आया उनको फैंस मिनिस्टर बना दिया गया ऐसे करके सिर्फ ही नहीं पूरे होते हैं उन सबको दिया गया इससे परिवार में कंट्रोल करता है उसको रोकने वाला कोई नहीं होता है और यहां पर 2% है लेकिन इंडस्ट्री सब्सक्राइब और यह प्रॉब्लम नहीं मेघनाद इंडिया डेवलपिंग कंट्री सिस्टम पर फोकस करें एंड डेवलपमेंट में असिस्टेंट की जरूरत है अच्छी बात यह है कि में जैसे कि आप देख रहे हैं यह इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स को अब स्कूल करने व कर रहे हैं ताकि जो मार्किट में हो सके 250 से 300 रूस में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को करियर ओरिएंटेड ट्रेंनिंग और एक्स्ट्रा करिकुलर इंटरवेंशन प्रोवाइड कराता है अच्छी बात यह है कि संस्थान एडवर्सिटी लखनऊ सुपर साइड आईपीएल टीम के एसोसिएट स्पॉन्सर भी है आपको भी लाइफ में जीत हासिल करने के लिए सैंड स्टोन ने जीतेगा इस पार की स्कॉलरशिप लॉन्च की है यह बहुत ही यूनिक स्कॉलरशिप है जिसकी टोटल वर्थ रूपीस है इस स्कॉलरशिप को 1000 से भी ज्यादा बच्चे जीत सकते हैं और यह 28 मार्च से लेकर अब तक आईपीएल चल रहा है यानी के 29 में 2022 तक चलेगा इस स्कॉलरशिप का जो अमाउंट है वह हर मैच में चेंज होता है तो आप इसका हम डिस्क्रिप्शन बॉक्स में जो लिंग है वह जाकर चेक कर सकते हो यहां हर एक मैच में आपके लिए कड़ी और पौष्टिक होती है तो अगर आप भी बीबीए एमबीए बीसीए एमसीए या फिर पीएम जैसे कई और कोशिश पर सेव करना चाहते हो तो आप भी डिस्क्रिप्शन बॉक्स में जाकर जीतेगा इस पार की स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई कर सकते हैं और अपने सपने पूरे कर सकते हो तो टॉपिक को वापिस आते हैं वैसे तो घर में डिस्प्ले पर ऑपरेट होती है तो हर दिन करप्शन सरेंडर धोते हैं लेकिन यह बैंगन जो है वह डिस्कस करते हैं क्विक जिस तरीके से नॉर्मल आदमी डेट ट्रैप में फर्स्ट है ठीक उसी तरीके से कंट्री भी हंसती है कंट्रीज को लगता कि हमारे देश में कई सारे ऐसे पोज बन सकते हैं इसमें काफी कमाई हो सकती है लेकिन पैसे के बीचों पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो लोन लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा करने हैं जब लोन पूरा हो जाएगा तो जो भी बेनिफिट अनुसार हमारा होगा लेकिन दिक्कत तब आती है जब लोन लेने के बाद प्रोजेक्ट तैयार हो जाते हैं ऐसे में कैलकुलेशन करने में श्रीलंका काफी आ गए और पाकिस्तान श्रीलंका से विचार कर दिया गया 2008 में श्रीलंका के मिनिस्टर्स यह डिसाइड किया कि जिस तरीके से इनका कोलंबो बिजनस सपोर्ट रेवेन्यू जनरेट कर रहा है विलियर्स में अगर इस तरीके का बोर्ड एक हंबनटोटा नाम की जगह श्रीलंका के साथ में अगर वहां पर भी बना दे तो उनका मुनाफा डबल हो जाएगा और इन्होंने लोन लेने का डिसाइड किया पहले इंडिया न्यूज़ के पास गए दोनों ने मना कर दिया कि जो रिवेन्यू आफ एक्सपेक्ट कर रहे हो यहां पर पॉसिबल नहीं है आइए आपके पास ही नहीं है बल्कि चाइना के पास है उसके पीछे विलेन भाई था कि आई एम जो लोन देता है वह सारी कंडिशंस के साथ देता है और आपकी कंट्री के अंदर रेगुलेशन होती है उसमें इंटरफेयर करता है वहीं चाइना बिना टी-शर्ट के लोगों ने रहता है अगर आपको एक अखरोट में है जहां पर पैसा कैसे खर्च हों समझाया जा रहा है और घर के अंदर कहां-कहां पैसा लगाना वह समझा जरा और दूसरी तरफ बिना किसी शर्त के लोन मिला तो आप भी वही करोगे तो श्रीलंका ने किया चाइना से पैसे लेकर प्रोजेक्ट पर काम स्टार्ट हुआ श्रीलंका की कैलकुलेशन हिसाब से बोर्ड पर 100 ऐड करेंगे ऐड करने का मतलब हुआ कि सिर्फ पर लोडिंग लोडिंग रिपेयरिंग यह सब होगा लेकिन जब पोडी हुआ तो और एवरी 3400 किया यह ऐसा नहीं कुछ नुकसान में चला गया बिजनस यह कंपलीट फैलियर था और चाइना को लौटाने के लिए पैसे नहीं थे चैनल रिस्ट्रक्चर भी किया इनके लोन प्रोसेस को लेकर उसके बाद भी श्रीलंका पैसे नहीं दे पा रहा था बाद में श्रीलंका ने कंपनी में बिल्डिंग की सपोर्ट के लिए और चाइना ने 8 पर सेंट स्टेक लिए और श्रीलंका ने 1 मिलियन डॉलर देने की बजाय 99 इसके लिए चाइना को यह पोलीस पर दे दिया और जो सारी सिक्योर टीस्पून रिपोर्ट की उस चाइना के अंदर में आ गई लेकिन इंडिया के लिए बहुत बड़ा ट्विस्ट ने साफ कह दिया कि सलमान सिक्योरिटी खतरे में आ जाएगी यहां पर चैनल मिलट्री बेसेस भी बना सकता है देखिए एयरपोर्ट समरी में इंडिया चैनल में थोड़ा बहुत फर्क है टेक एडवांटेज से काफी चीजें ऊपर नीचे हो सकती है नेवी में चाइना बहुत आगे निकल चुका है कल को चैनल हिमालयन रीजन से और सदन रिजल्ट्स एंड एक लांच करें लिया फिर दिक्कत में आ जाएगा इंडिया के इंटरफ्रेंस के बाद जीपीएस दोबारा निरीक्षण शुरू हुआ जो 80% एक थे वह 20% में कंवर्ट है और सिक्योरिटी थी वह श्रीलंका खुद देखेंगे दूसरी जगह से चाइना का कोई रोल नहीं होगा यह जो आप देखते हुए ने श्रीलंका को नौकरी दे रहा है कभी फ्रंट मिलियन डॉलर की कभी $500 कि यह सैंटली वन मिलियन डॉलर की दी है इसे घंटे में कितनी गरीबी खत्म हो सकती है लेकिन यह सारी चीजें योर पॉलीटिकल एडवांटेज जिसकी कीमत होती है ताकि आप और हम सिक्योर है सकें इसको कई लोग चाइना के डाटा से रिलेट करके देखते हैं क्योंकि चाइना के इंडियन हमेशा से खराब रही है लेकिन अगर आप इसको को भी अब करोगे श्रीलंका के ऊपर जितना भी टोटल डेट है उसमें से दस परसेंट चाइना का है दस परसेंट तो जापान का भी है श्रीलंका इस स्टेज पर सिर्फ और सिर्फ अपनी गलतियों की वजह से पहुंचा है यहां के लोग भी इतने जिम्मेदार है कि एक पर्टिकुलर पार्टी को इसने जताते हुए ला रहे हैं क्योंकि वह आप वाले ग्रुप को खुश करने वाली बात कर रहा है बट इससे जरा तमीज को तो मरवा दिया आपने देखने को नहीं बचा पाए इतना सब कुछ होने के बाद भी इग्नोर कितनी भी तरीके से स्ट्रगल कर रही थी उसके बाद भी वोट के चक्कर में फ्री चीजें पार्टनर ज्यादा से ज्यादा सब्सिडाइज करना चीजों को टैक्स में कटौती करना यह सब कुछ भी नहीं रुका जब कोई चीज आपको फ्री में मिल रही होती है तो उसका प्राइस कहीं और से कोई और दे रहा होता 19 में कंट्री के क्रोनिक खराब होने के बावजूद भी 50% वैट टैक्स घटाकर आठ परसेंट कर दिया गया यह करने से लोग काफी कुछ हुए कैमरे व कितना अच्छा नहीं था जूस किया है वह भी काफी खुश वह क्योंकि ऐसा करने से श्रीलंका के बिजनेस करना बहुत आसान हो जाता है यह करने के बाद श्रीलंका का टैक्स कलेक्शन एकदम से आधा हो गया और यह सबसे पहले चल रहा था को बढ़ाना भी बातचीत श्रीलंका टूरिज्म बैकुंठ है श्रीलंका का 12.5% ज़ी टीवी का टूरिज्म से आता है इंटरनल इंस्टेबिलिटी के चलते 2019 में इस तरह टाइट हो गए यहां पर फारेस मारे गए होटल में ठहरे हुए जॉइंट कमेंट्स और सा काम आएगा वह भी डाउन हो गया फिसकल डिफिसिट एंड का टेंपल रन चला कि उसके बाद उन्होंने पॉलिसी सही नहीं बल्कि लोन लेकर और अपना काम चलाएं फिसकल डिफिसिट का मतलब है कि आपकी जितनी आमदनी है उससे ज्यादा खर्चा कर रहे हो माल आप साल का सो रुपए कमा रहे हो 106 रुपए खर्च कर रहे हो 16 बटन फिसकल डिफिसिट में हो आपने देखा होगा कि 25000 सैलरी वाले एक लाइफ लेकर चलते हैं तो सारे फील्ड में घूम रहे होते हैं टेन परसेंट फिजिकल टेस्ट बहुत ज्यादा होता है अभी करंट ग्यारह परसेंट हो गया है 1612 एवं से लोन ले चुका है श्रीलंका और अपशब्द भी बार लेगा चाहे कोई भी सरकार हो वह बिना किसी चीज की परवाह करें वोट के चक्कर में फ्री में चीजें बांट रही है यह पॉलिथीन बना रही है बिना इकोनॉमी को ध्यान में रखते हुए आगे चलकर बहुत दिक्कत में आती है अब एक सरकार फ्री में कुछ दे रही है और लोगों को खुश कर रही है तो दूसरी सरकार भी तो यह चीज कर सकती है वह अपनी जेब से पैसा थोड़ी देना तुम्हें बहुत सारी चीजें होती है इसलिए जब फिस्कल डेफिसिट ज्यादा हो इकोनामी एकदम डाउन हो उसके बाद भी आपको लुभावनी पॉलिश दी जा रही हूं आपको फ्री में चीजें होती जा रही हूं तो आप समझ जाएगा कि 20,000 सैलरी के साथ आपको एक इलाका iPhone दिलवाड़ा श्रीलंका की त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट से पहले टूट गई थी लेकिन कोर्ट के आने के बाद सारी चीजें खुलकर सामने आ गई कि को फिर से जो नुकसान हुआ उसको श्रीलंका डेट लेकर पूरा नहीं कर पा रहा था वह भी डालने के बाद सपोर्ट टूरिज्म सब बंद हो गया यह सारी लीजिए ताकि देश के साथ युद्ध श्रीलंका पहले से कंबल कर रहा था तो पूरी तरह से फेल हो गया सोच रहा हूं कि डैड लेकिन उसे कंट्री का तो खराब कर दिया लेकिन एग्रीकल्चर देखिए इसे पुश करते हैं वहां क्या दिक्कत हुई लेकिन जबकि इन केवल गवर्नमेंट रूल करती है तो सही चीजों को भी बर्बाद करने का पूरा इंतजाम करती है एक दिन अचानक से गवर्नमेंट यह साबित कर दिया कि आज से श्रीलंका पूरे वर्ल्ड में मिसाल बनेगा और श्रीलंका में पैसे साइड आफ फर्टिलाइजर बैन हो जाएंगे हिस्से को यूज नहीं करेगा ना कोई रिसर्च ना कोई सजेशन रात और आखिरी फैसला ले लिया गया जो फसल खराब हुई थी उनके लिए दवाई नहीं दी इस फैसले के चक्कर में प्रोडक्शन एकदम से खत्म हो गया फूड भी शॉट है जो गई चावल जो एक्सपोर्ट करते थे वहीं को इंपोर्ट करना पड़ेगा इन सब वजह से लोगों ने होल्डिंग स्टार्ट करने और चावल के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हालत यह है कि फॉर लेदर का यूज करके फूड आइटम बनवाने की नौबत आ गई थी जो देश एपिसेंटर उसको फॉर इधर यूज करके वह चीज खरीदनी पड़ रही थी इसके लिए यह भी कहा जा रहा कि गवर्नमेंट के पास इतना फौरन इधर भी नहीं था कि फर्टिलाइजर और पेस्ट्रिसाईड खरीद पाए इसलिए कदम उठाएगी और दैनिक फार्मिंग का लेकिन अगर इस प्रकार से भी आप देखो इसे तो और नुकसान हो गया जो चीज नहीं खरीदनी कि बाहर से वह भी खरीदनी पड़ी और मैदा अलग से बढ़ गई इतनी बेरुखी टाइगर के मना करने के बाद भी हमने रिकॉर्ड तोड़ नोट छापे 6 अप्रेल को इन हेवन हे ज़ख्म दिये इससे महंगाई और बढ़ेगी और कुछ नहीं हुआ आज की डेट में यह हो गया कि इनके पास स्ट्रीट लाइट जलने तक का पैसा भी नहीं है लोग सड़कों पर आ चुके हैं" y8Hd-jzSwrc,Why did Elon Musk buy Twitter? | Nitish Rajput,2022-04-21T07:00:14Z,PT11M54S,1804379,58756,1428,https://www.youtube.com/watch?v=y8Hd-jzSwrc,, यह देखिए चाहे वे नहीं हो या नंबर ऑफिसर्स कि उन्होंने और रिकॉर्ड एक्सेप्ट कि अब विद अनिल और यह है कि ट्विटर को खरीद के धीरे-धीरे शेयर में निवेश करना शुरू कर उस पर साइन अप करना है और अपना फ्री यह रेगुलेट करता है जब कोई पांच परसेंट से गए और बाद में लोगों ने ट्वीट किया कि कि वह बोर्ड का पाठ नहीं बनना चाहते हैं अपने आप को सिक्योर कर लिया है भले ही टोटल को अपने हिसाब से चलाना है तो पूरी डालते रहते हैं उसे डर नहीं होने बाकी ऐसे केसेस चाहे तो वह कोड में जा सकते हैं Twitter दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया दिया लोग यह लगने लगा कि शायद Reliance स्टॉक अकाउंट फर्स्ट टाइम फोल्ड करना है वह दुनियां को एक फ्री स्पीच का सोशल भलाई बोर्ड मना कर दे लेकिन एक तरीका यह ज्यादा शेयर खरीदता है तो उसे डिस्क्लोस और दूसरा का ऑफर दिया उन्होंने की जो करंट दुनिया के रिचेस्ट आदमी लेकिन यह सारा एनवायरनमेंट का इशू है इसलिए बिटकॉइन नहीं तरीके से टोटकों ठीक व करना होगा यह भी डर प्लैनेट्स की तरह यह तो एक्सीडेंट है प्लेटफॉर्म नहीं है अगर हम बाकी हॉस्पिटल के साथ जुड़ने वाले हैं अब आप कि बोर्ड है उसे रोलर्स के हित में फैसला और आपको रुपए इससे Zee के एप्पल स्टॉक भी है कि जो मार्किट से धीरे-धीरे करके मीडिया प्लेटफॉर्म देना चाहते हैं जहां पर करना होता है 10 दिन के अंदर ऐसा ना करने पैसा होता है शेयर की फॉर्म में होता है प्लेटफार्म से कंपेयर करें तो फिर ऐसा प्राइस ट्विटर का चल रहा है चावल के बीच यूज करेंगे उसके बाद बिटकॉइन प्राइस टेन था कि जब Twitter नहीं लाइन को बोर्ड दूसरा जो सबसे इंपोर्टेंट एडवांटेज है कि होगी डायरेक्ट भी लिख सकते थे थोड़ा और नहीं ले रहा है और अभी तो शेयरहोल्डर्स को फ्री में मिल जाएंगे अगर आप आईडी बनी आप हर कोई अपनी बात रख सकता है अब जो लोग यौन 50% के करीब शेयर खरीदने और Twitter के 70% शेयर सिगरेट असलम है स्पेस एक्स को भी पर ऐसी के रूल के हिसाब से 1 लाख दौड़ का ज्वाइन करने के लिए बुलाया यह बहुत ही क्या रिश्ता है कि दुनिया का सबसे अमीर अच्छे से इंदौर सकते थे तो देखिए ऐसी के अच्छी कीमत मिल रही है कि आगे चलकर लौंडे लोन के ट्वीट से यूज का मार्केट प्रेस परसेंट नहीं चलेगा इसी तरह से एक बने 2018 में इसको यह shift hold करके पेट से सारे नॉर्मल प्रॉसेस है जब भी कोई मैजिक शेयर के एंटी है उनका यह कहना है कि दुनिया की इसको या फिर प्ले स्टोर से डाउनलोड करते आदमी यौन मस्त इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ओनर बन जाएं लेकिन उसमें एक दिक्कत है कि फाइन लगता है जो कि लोन पर पहले भी लिख फ्लैट होता है और यह कितना फिट होता है कि रूल के हिसाब से यौन पहले आदमी है जिनको सारे शेड्स और कर दिए तेरे को भारी नुकसान ने प्राइवेट ही रखा है वह क्लिक नहीं किया टोटल के शेयर खरीदना चाहते हैं और Twitter हो तो बस साइन अप के टाइम पर कोड यूज करना खरीदता है कंपनी के तो कम्स टो इनवाइट कर में ट्विट किया था कि फैसला को या फ्रीडम आफ स्पीच को नहीं बल्कि खुद की के लिए इतना इंटरेस्टेड हो गया कि इसको जैसे शेर लिखते हैं उनकी डिमांड बढ़ती और तो इतना सारा पैसा अरेस्ट करके ट्रैक्टर चुका है लेकिन उसके बाद भी 10 दिन तक उनको ट्वीट करने से पहले ऐसी से अप्रूवल कोई प्राइवेट कंपनी बनाना चाहते हैं ताकि हो सकता है वहीं यौन कह कि वह होनी चाहिए प्राइवेट कर देंगे टेस्ला के पास बढ़ते गए ट्वीट करने से पहले अप्रूवल लेना होता है दिया बोर्ड की सीट के लिए लेकिन इन लोगों है नितेश फैसला अब क्योंकि आप मेरे दिए गए स्पीड को सिक्योर करना चाहते हैं टोटल के खरीदने के लिए अपने टेस्ट लाइव स्टॉक तक खरीदा ही आसान काम नहीं है इनको हो सकता प्राइस हाई होते हैं ऐसा करने पर लोन को फ्रीडम ऑफ स्पीच इंप्लिमेंट कर सके और ऐसा वरना वह ट्वीट नहीं कर सकते क्योंकि इनके सबस्क्राइब नहीं किया कि ट्विटर के शेयर लेने का रूल बना दिया गया जिसका हटाने के ऊपर और फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात की तभी और उसके बाद यह टाइट नहीं किया मार्केट ने बोर्ड की सीट के लिए मना कर दिया कि रॉयल्स के बीच में और जो डिसाइड करें वह बचने के लिए किए और उससे भी बड़ा क्वेश्चन लिंक से टिप्पणी पर साइनअप कर रहे हो तो खरीदे उन्होंने उनके ऊपर एक लाइक फाइन ना करने पर इन नोएडा के लिए धमकी भी दी कि है कि टैक्स लाइक शेयर बेचने पढ़ सकते हैं बहुत ही शॉपिंग का हर किसी के लिए लेकिन ट्वीट खरीदना है वह बहुत ज्यादा महंगा पड़ ट्वीट से मार्किट ऊपर नीचे होता है इसलिए लिए लोन काफी टाइम से लड़ रहे हैं लेकिन करते हैं जब पैसा इंवोल्व होता है जब उससे भी बहुत ऊपर नीचे हुआ लेकिन मार्किट है कि इतना बड़ा प्रॉफिट होने के बाद भी होना चाहिए इन थे रिसेंटली टर्ड 2022 के आपको यूएसए स्टॉक अकाउंट सेट अप करते टाइम देखिए जो बाहर की बड़ी कंपनी है जैसे कि जाएगा और ऊपर से Twitter के बोर्ड महिलाओं लगना तय था अब जब मुझे यहां बैठे-बैठे ही बाद में पता चला कि यौन ट्विटर को पूरी दुनिया का सबसे अमीर आदमी तक किसी जिस तरह से अभी उनके पास यह के उसको भी दबे शब्दों में इन्होंने अपना इंटरेस्ट यूक्रेन को सेटेलाइट के थ्रू इंटरनेट दिया आपके हिसाब से अगर ऊपर नीचे हो रहे थे चाहे वह ट्विटर का बोर्ड हो या यूजर ₹50 का टेस्ट लाइव स्टॉक ऐसा बोनस भी प्रॉडक्ट या किसी कंपनी के साथ जुड़ता है कांफ्रेंस में जो कि वैंकूवर में हुआ था का काम और मुश्किल कर दिया फील्ड आफ एप्पल एप्पल Amazon टेस्ट लाख अगर आप इन सिचुएशन दिखाया Twitter के लिए इलाकों में 26 तरीके से टेकओवर करना चाहते हैं और अगर वह चीज पता है तो ilaj को क्वालिटी यह चीज गया था तो उनसे पूछा गया था कि रशिया को बहुत बड़ा एडवांटेज होता है आप सही टाइम गवर्नमेंट हो या फिर यूं ही के प्रिंस हो कंसीडर्ड कर सकते हो तो हटा भी सकते हैं उसमें यह है कि उनके पास प्लैन भी है अब तो लोगों को ऐसा लगता है कि वह पर्टिकुलर मार्च को फिर से सेम चीज पर ट्वीट किया कि बताई होगी लेकिन उसके बाद भी उन्हें यह मिलेगा तो अपना यूएस स्टॉक अकाउंट क्रिएट को पॉज पर लाकर अभी पॉइंट पर क्या है यह जॉइंट कर लेते तो सिर्फ 15 पर सेंट शेयर आप इंटरनेट देंगे उन्होंने कहा था कि मैं में स्मार्टली इनवेस्ट करेंगे तो आप भी जैसे ही लोन ने लैटर भेजा सऊदी के प्रिंस पर पैसे डाल कर सही टाइम पर निकलने तो यह सब बिलों को ट्विटर खरीदने से रोकने एंटी यह प्रोडक्ट अच्छा परफॉर्म करेगा और चीज की तो इसकी जो रिजल्ट क्या है देखिए 1 वह क्या है वह तो नहीं बताया उन्होंने देर और पोल करवाएगी ट्विटर पर एडिट बटन करो और पाओ शेयर्स वर्थ अप ₹2 से ज़ुल्म फ्रीडम आफ स्पीच का सपोर्ट करता हूं ब्रश खरीद पाते Twitter का बोर्ड बिल्कुल नहीं प्रॉफिट भी बना सकते हैं हम उसका पहला सेल्फ डिफेंस लीग है जो कंपनीज लेती हैं काफी बड़ा प्रॉफिट कमा सकते हैं अब यह लेकिन यौन आने वाले टाइम में कुछ न कुछ लाख दौड़ का फाइनल है इसका मतलब कि लोन की में क्यों लगे हुए हैं तो इन सब चीजों के ने कह दिया कि यौन कंप्यूटर नहीं खरीदने होना चाहिए नहीं होना चाहिए कि जो लोग यौन के ट्वीट से लोग अंदर लगाते हैं कि वह जानता था कि यौन ट्विटर को ठीक है और करें को इंटरनेट दूंगा इन फ्रीडम आफ स्पीच को क्वेश्चन यह होगा कि यह स्टॉक में निवेश सारी चीजें इस टाइम देखूं बता रहा हूं बड़ा जरूर करेंगे और लास्ट में फिर से फ्री में तो टॉपिक को वापिस आते हैं तो ऐसे टेकओवर से बचने के लिए हम इसमें होता पीछे एक बलिदान किया है उनको डिस्कस करते तो नेटवर्क है उसका पॉइंट वि0 थ्री परसेंट लाइन को फॉलो करते हैं वह समझ जाते हैं देंगे चाहे कुछ भी हो जाए इस पर्टिकुलर भले कितने नुकसान हो जाए क्योंकि पता नहीं नेक्स्ट किस चीज में अपनी इनवेस्टमेंट कर करने पर बहुत सारे चार्जेस और कमीशन इसका Twitter दिल से समय क्या रिलेशन है सपोर्ट करते हैं लेकिन कई ऐसे यूजर्स साइट बताना चाहूंगा कि id मैंने आपको चीज को लोन और ज्यादा उछाला कि देखो वैसे चैन और टूट जाते हैं कि कुछ न कुछ जैसे कि मैं बात कर रहा था कि यौन वर्ल्ड सकते हैं यही रीजन है क्योंकि एक तो इससे है कि मालिक कंपनी के 1000 शेयर से हैं इलाकों के लिए ट्विटर सोशल मीडिया किससे लोन ट्विटर को पॉन्टिंग उसकी मौत कर देखिए जो पैटर्न है इस बार भी दिख रहा है डिस्क्रिप्शन लिंक से डाउनलोड करिए और इंवोल्व होंगे सॉल्व वेकेंसी होते हैं कि ट्विटर पर जो फैसला के प्रोडक्ट के डिसाइड अगर हम अप्रॉक्स फ्रेंड मिलियन डॉलर का के रिचेस्ट आदमी है इतना बड़ा इन फ्रीडम ऑफ स्पीच कहां से होगी जब सऊदी की होने वाला है तो लोग अंदाजा लगा देगी मार्केट में तो इंचेस को बढ़ाकर 5000 कर प्लेटफॉर्म से ज्यादा एक मार्केटिंग टू है लोग काफी एक्साइटेड हो जाते हैं स्पेशली अपना यस स्टॉक अकाउंट फंड करिए जैसे ही आप 14 मार्च को लोन मस्त में तीन मिलियन डॉलर रहे थे पहले कहा कि ट्विटर पर फ्रीडम ऑफ शौक होता है वह हजारों डॉलर का होता है कॉन्फ्रेंस है आप कहोगी कि खुद का करते हैं वह अकाउंट को इलेवन ने खुद लॉक हिसाब लगाते हैं तो फाइन भले 1 लाख डालर ट्विटर से कुछ तो एडिशन होने वाला इंसान ओर इंवोल्व है वह खुद फ्रीडम आफ स्पीच को जहां वह अपने हर प्रोडक्ट को अलग-अलग देती है ताकि अगर कोई टैक्स और करना चाहें स्पीच नहीं है इसको मैं चेंज कर दूंगा फिर जिम्मे चोर इनवेस्टर होते हैं वह ज्यादा प्लेटफॉर्म क्यों नहीं बना लेते हैं कि बिस्किट ले इससे साइनअप करके यूजर अकाउंट देखकर Twitter के 9.2 परसेंट शेयर खरीद का Twitter के शहर एक दिन में राम 29.64 कितना मानते हैं कि रिपोर्ट में यह भी है लेकिन आईडी बनी से आप यूज टॉक्सिंस में भी कर दिया फैसला कंपनी के एंप्लॉयमेंट फैसला तरीके से प्रमोट करते हैं अब आप का है लेकिन इन लोगों ने एक दिन के अंदर एक्साइटेड हो जाते हैं जैसा डॉयच केस में यह भी कहा कि ट्विटर का जो सैन तो उसके लिए मुश्किल हो जाए और शेष के इतना आसान नहीं है इलाकों में पहले भी क्रिएट करेंगे आपको ₹50 का फैसला स्टॉक कि यूसी गवर्नमेंट भी नहीं चाहती है कि वेजीटेरियन क्यों बाकी कोई सोशल मीडिया फ्रैंसिस्को का हेडक्वार्टर उसको हमने लिए और ऐसा करते ही लोन Twitter के हाय से ज़ोर का था वह कैसे कमाए वह मैं समझाता काफी शॉर्टकमिंग्स बताई तो इन उसको फेयर हुआ था इलाज सिर्फ इतना ट्वीट किया था कि खरीद सकते हैं मतलब एक स्टॉक का एक छोटा परसेंट ऊपर गए तीन मिलियन डॉलर के हिसाब प्राइस और ज्यादा महंगे हो जाएं आपको 10 ट्राय किया जैसे WhatsApp की तरह यह एक लोन ट्विटर को खरीदें क्योंकि यह ट्रंप को प्लेटफॉर्म क्यों नहीं क्योंकि ट्विटर पर शोल्डर बना देंगे क्योंकि वहां कोई कभी मिलेगा और अकाउंट करके आपको सेज़ उसका कर दिया इंटैक्ट बहुत ही फेमस लोग है जो शेयरहोल्डर बन गया वह बात अलग है कि डौ स्टार्स के साथ काम कर रहे हैं उसकी सिग्नल का एप्प लेकर आए थे वह इतना नहीं सा पार्ट और एनी मनी में कोई अकाउंट से अगर आप कैलकुलेट करोगे तो से ज़्यादा आदमियों से एक कंपनी खरीदने से ज्यादा और कुछ अकाउंट जो रूलिंग और मंडलों के हूं इन थे 24 मार्च को Twitter के शेयर एक्टिव रहते हैं और इस प्लेटफॉर्म चीन के दिखता ही नहीं है फोटो डालेगी नेक्स्ट ओपनिंग फीस नहीं है वीरों कमीशन है और सौजन्य से कंपनी खरीदने में दिक्कत आती है वैनगार्ड मैं उसको रीड कर दिया बाद में फैसला के खिलाफ काफी रेडी कर लेते थे उनको ट्रांजेक्शन एफिशिएंसी पर और इस ट्वीट के चला इनका और हम सब ने देखा कि जब फिल्म को अगेंस्ट में रहते थे जैसे कि जो प्रेम का फ्री एप विल स्टॉप मिलेगा कोड है नितेश खरीदे और 25 मास्को यह ट्वीट किया कि बोर्ड मीटिंग ट्विटर की इस तरीके से होगी ATM से ज्यादा फॉलो करता है जमीन पर कमाई एक दिन के अंदर सिर्फ ट्विट करके वह वैनगार्ड 10.3 परसेंट के शेयर होल्डर बन इंसान को जब थे टोटल खरीदने से रोका जा ब्रोकरेज है ताकि आप है कि स्मॉल अमाउंट बिल्कुल भी धमकी दी गई और उसके बाद पर बाद लास्ट पॉइंट को 50% बढ़ गए उसके कुछ बैन किया गया था तो टर्म बेक टू थमा ऐप फिर कई बार पोल कराएगी इसके एडिट बटन को मामला हो या कोई और पॉलिसी सपोर्ट करने फैसला एनी मनी ओवर फॉर बॉयज यूज करते हैं प्रोडक्ट लांच करते हैं तो रीट्वीट लाइक भी भले ऊपर एक लाख का फाइन AC लगा दे बट ट्विटर पर फ्रीडम आफ स्पीच होनी चाहिए कि रहा है यह बार-बार ट्विटर पर जाकर पोल गए लेकिन उससे ज्यादा इंपोर्टेंट यह है कि से भी अपनी फेवरेट यूज कंपनी में निवेश कर होने का टीका लिखने बंद कर दिया ilaj इस वाले अकाउंट हो उनको वापिस लेंगे Twitter भी चेंज कर देना चाहिए दो से तीन दिन के लेकर आए थे उनका इतना इन्फ्रेंस है उसके नहीं और उसके नीचे लिखा है कि इस पोस्ट को टाइम बादलों ने स्टेटमेंट दिया कि खास है करवा रहे हैं कि बोर्ड अपने फायदे के और कमेंट तो उनके इंगेजमेंट फॉर एसएससी 10 14 मार्च को शेयर खरीदने के बाद भी इलाकों उसके कमरे में जो कमाया है वह बहुत ज्यादा और यह बहुत ही अच्छा है टो इन्वेस्ट इन तरीके से Twitter के चाहिए ओपनली डिस्कस सको मैं आपको एंट्री मैंने के साथ मिलकर अंदर Twitter के पूरे बोर्ड को परेशान कर के ऊपर वैलिडेशन लगते रहे हैं यह थोड़ा ध्यान से करिएगा इसके कौन सी ड्रेस बहुत बाद भी वहीं चला इन आपको इन सब चीजों से चक्कर में इनवेस्ट रस का नुकसान करवा रहा और उसके बाद स्पेन के पैसे थर्टी फाइव है इन्होंने जो पॉवर है बिल्कुल खोना नहीं सभी ऊपर पहुंचती है कई कंट्री इसकी तो यूज फ्रॉम इंडिया टो कर रहे थे उन्हें कहीं ना कहीं वह लग रहा में कहीं डिसक्लोज नहीं किया कि उन्हें एप्पल के स्टॉक वर्ष उससे ज़िलों को फ्री दिया और इस चीज से हर कोई कंजूस ताकि जवाब इतना समझ में आ गया था कि नया प्लेटफॉर्म है शेयरहोल्डर्स को अच्छी कीमत मिल रही है लेट लेनी है जब left आईडियोलॉजी के लोग इंपोर्टेंट होंगे तो लोगों ने लगाना चालू परसेंट चलेगा चीज बिटकॉइन के केस में हुई टोटल के शेयर खरीदे जैसे इंडिया में से भी चाहते और ट्विटर जब डॉनल्ड ट्रंप को बैन था कि वह 9.2 पर्चेस लेकर ट्विटर को अपने इतनी पापुलेशन तक नहीं होती है और इसका किसी से दिल करने जा रहे हो तो आप उसको इस ट्विटर फेसबुक यह प्लेटफार्म को विजिट और इससे उनका फायदा होगा और Twitter का कर दिया और यह हिट दिया था उन्होंने बच्चे कुछ करते हैं तो टोटल थोड़ा नरमी दिख जाता है वैसे यूएस में ऐसी सिक्योरिटीज एंड में दे रहा हूं आपको ब्लडी मैरी ऐप कर सकता है तो किसी को भी बैन कर सकता है थी लौंग यह ट्वीट किया कि टेस्ला बिटकॉइन हिसाब से चला सकेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं फायदा ऐलान हमेशा उठाते हैं यही निवेदन है करना यदि नहीं और काफी टाइम देगी ज़िंदगी तरीके से यह क्यों करोगे ilaj स्टुअर्ट फ्यूचर क्या होगा यह शेयरहोल्डर्स को है इन फैक्ट Twitter के जो इससे पहले किसी स्मार्ट को और लोगों ने क्या किया आपके लेकिन 9.2 शेयर खरीद के लौंडे काफी हद तक डाउनलोड करना है डिस्क्रिप्शन लिंक है और एक्सचेंज कमिशन कि जो शेयर मार्केट को यह चिन्ह बहुत जल्दी समझ में आ गई कि अगर यूज़ करेगा बिटकॉइन के पास काफी ऊपर चले ब्रॉड को खोलें इससे पहले चीज तो यह जल्दी दिखाएं चाहिए ना कि कुछ बोर्ड मेंबर्स को कि तुम कुछ ना कुछ इंट्रस्टिंग ट्विटर पर rFit8Ejo9DU,Can an employer force you to resign in India? | Nitish Rajput,2022-04-14T07:39:52Z,PT14M16S,2244353,64333,2317,https://www.youtube.com/watch?v=rFit8Ejo9DU,," को आज तक नहीं पता कि कंपनी खुद टर्मिनेशन लेटर देने की वजह आपसे एक urination डलवाते हैं एक मैनेजर या फिर किसी कंपनी में इतनी हिम्मत हो जाती है कहने कि कल से मुझे इसकी शक्ल नहीं रखनी चाहिए कुछ फीमेल स्टार्स को अलग-अलग कांफ्रेंस का यूज करके निकाल दिया जाता कि बस इतनी गलती होती है कमेंट है यह कंपनी दे ही नहीं रही है लेटेस्ट मल्टीपल और उसके बाद भी उसके इसमें कैमरा इजहार कर सकता है वह भी कंपनियों को बांड नहीं कर सकते किसी भी जो मिट्टी के रहने के लिए उतनी बैटरी नहीं कर पाते हो जितनी बाकी करते हैं तो सेम का रोमांस के बाद भी आपको टर्मिनेट कर दिया जाता है और बाकी जो आप से कम परफॉर्म कर रहे हैं तो सी कंपनी में टिके रहते हैं कि आपको हर महीने तो महीने में लाइन सुनने को मिलेगी TV9 है कंपनी वी आर फैमिली तो इन सब चक्करों में बिल्कुल मत पढ़िए काया है लेकिन जब आप किसी कंपनी में जॉब करते हैं तो जितनी जरूरत आपको जॉब की होती है ठीक उतनी जरूरत कंपनी को भी आपकी होती है इस चीज को हमारे कॉन्स्टिट्यूशन बहुत ही अच्छे से समझता है और यही भीतर है कि हमारे कॉन्स्टिट्यूशन ने एक एंपलॉयर और एक एंप्लॉई दोनों को एक नजर से देखे उनके अधिकार दिए हैं लेकिन अपने अधिकार ना पता होने की वजह से एक एंप्लॉई हमेशा बैकफुट पर रहता है एक कंपनी में काम करने के कुछ रूल सोते हैं वहीं कंपनी और एंपलॉयर दोनों के लिए होते हैं जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए उनके बारे में ना पता होने की वजह से ही एक मैनेजर या फिर किसी कंपनी इतनी हिम्मत हो जाती है कि कल से मुझे इसकी शक्ल नहीं लेनी चाहिए कुछ फीमेल स्टार्स को अलग-अलग कांफ्रेंस का यूज करके निकाल दिया जाता उनकी बस इतनी गलतियां होती है वह प्रेग्नेंट है कुछ लोग तो 10 साल से जॉब कर रहे हैं उनको आज तक नहीं पता कि कंपनी खुद टर्मिनेशन लेटर देने की वजह आपसे क्यों डेडिकेशन डलवाती है ऐसा करने से आपको कितना नुकसान होता है कोई आईडिया नहीं है आपको और यह समझने के लिए कोई रॉकी साइंस की जरूरत नहीं है बहुत ही बेसिक चीज हैं तो इस वीडियो में हम सारी चीजें डिटेल में डिस्कस करेंगे लेकिन सिर्फ टीम लीडर होते हैं जिसकी वजह से कंपनी आपको निकाल सक का पहला होता मिसकंडक्ट दूसरा होता परफॉर्मेंस और तीसरा होता है कंपनी के पास आपके लिए कम ही नहीं है उसके पास प्रोजेक्ट ही नहीं आ रहे हैं आपके लिए देखिए अगर आपने कोई मिसकंडक्ट किया है कोई डिसिप्लिनरी इशू है कोई चोरी की है या फिर किसी फीमेल को परेशान किया है डाटा इधर से उधर किया है तो ऐसे कैसेट में कोई सुनवाई नहीं होती आपको साइड में निकाल दिया जाता है एक इंक्वायरी होती है उसके बाद आपको टर्मिनेट कर दिया जाता है दूसरी होती है तो हमें Facebook देखिए आप कहीं भी काम कर रहें हैं आपको पहले यह समझना होगा कि आप कंपनी में किस स्टेज पर है हायरिंग के पूरे प्रोसेस में डॉक्यूमेंट को जो आप नजरअंदाज करते हैं इस वजह से अब बैकफुट पर आ जाते हैं तो पूरे हायरिंग प्रोसेस में कहां-कहां ध्यान रखना है यह चाहिए डिस्कस करते हैं लेकिन जब आप जॉब के लिए अप्लाई करते हैं तो आपका सिलेक्शन होने के बाद आपको लेटर ऑफ इंटेंट दिया जाता है इसकी कोई ल्लीगल माइनिंग नहीं होती है सिंपल सा यह मतलब होता है कि कंपनी ने इंटरेस्ट दिखाया आपको हर करने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट के बाद आपको रिक्वायर्ड इन्फॉर्मेशन देनी होती है कुछ कंपनी सैलरी स्लिप और डॉक्यूमेंट है वेरिफिकेशन के है उसके बाद आपको फ्लैट कर भेज देती है ओह लैटर एक रूप होता है कि कंपनी अपने आप को जॉब ऑफर किए और कि किस दिन आपको कंपनी ज्वाइन करना है मंचन होता है उस डेट को आप नहीं करते हो तो इनवेलिड माना जाता है फिर जिस दिन आप कंपनी को जॉइंट करते हो उस दिन आपको अप्वाइंटमेंट लेटर दिया जाता है और अपनी सारी डिटेल फिल करके साइन करके डिटेल्स आप कंपनी को देते हो उसे जॉइनिंग लेटर बोला जाता है इस अपॉइंटमेंट और जॉइनिंग लैटर पर जब कंपनी एम्पलाई दोनों साइन कर देते हैं तो एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट बन जाता है अब यह जो अप्वाइंटमेंट लेटर है यह आपके पूरे एंप्लॉयमेंट का बेसिस बन जाता है इस लेटर में लिखा होता है उसी के बेसिस पर डिसाइड होता है तो वजन पीरियड नोटिस पीरियड टर्मिनेशन क्लोज सीरियल ब्रेकअप समय एडिशन होता है उसमें और कुछ केसेस में कंपनी थोड़ी होशियारी करते हुए लाइन ऐड कर देती है कि यह सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट एक साल के लिए वैलिड है तो अगर एक साल के बाद भी आप सैम कंपनी में काम कर रहे हैं तो आप एचआर को रिक्वेस्ट कर सकते हैं एक्सटेंशन के लिए यह लैटर होता है प्रूफ होता है कि इस पेस्ट को अपने कंपनी ज्वाइन कर ली है लेकिन इतने पर भी आप उस पर्टिकुलर कंपनी के कंफर्म नहीं होते हैं आप मिनिमम 3 से 6 वन प्रोविजन पीठ में रहते हैं इसकी टाइमिंग हर कंपनी के अलग-अलग होती है आप अपने अप्वाइंटमेंट लेटर में देख सकते हो जनरल एरिक सिमंस की होती है रॉब डेविस को बढ़ावा देते अभी प्रॉन्प्टेड क्या होता है कि प्रोबेशन पीरियड में एक तरह से कंपनी चेक करती है कैमरा इसके लायक है कि नहीं और एंप्लॉय चेक करता है कि कंपनी इसके लायक है कि नहीं भली प्रोविजन मेड थिस मंत्र का कंपनी आपको बिना कोई रिबन भी कभी भी निकाल सकती है और सेम चीज एंप्लॉय भी कर सकता है बिना रीजन है वह कभी भी छोड़ सकता है इसमें आपको सिर्फ बेसिक राइट्स मिलते हैं जैसे कि नेशनल मिनिमम वेजेस पिछली मेटरनिटी नहीं तो इस से ज्यादा कुछ नहीं मिलता अगर अप्वाइंटमेंट लेटर में नोटिस वगैरह यौगिक तत्व मिल जाएगा वरना वह भी नहीं मिलेगा जवाब सक्सेसफुल अपना प्रोजेक्ट कंप्लीट कर लेते हैं उसके बाद आपको कंफर्मेशन लेटर मिलता है और तब जाकर आप कंपनी के कंफर्म एंप्लॉय माने जाते हो और कंपनी आपको एक झटके से निकाल नहीं सकती आपको सारे कंपनी के बेनिफिट मिलते हैं और यह कंपनी आपको निकलेंगी तो उसके कंपास फॉलो करने होते हैं यह कुछ कंपनी जॉइनिंग के टाइम पर आपसे बांड भरवाते हैं उसमें भारी-भारी पैसे लिख देती है कि अगर आपने इतने टाइम से पहले थोड़ी तो आपको इतना पैसा देना होगा कुछ कंपनीज मार्किट में जमा करा लेती है तो यह पहली जीत तो यह इंडिया के कानून के हिसाब से कोई भी कंपनी आपको बांट नहीं कर सकती किसी भी जॉब में टिके रहने के लिए ए पोट में जाते हैं तो अगर कम भी ना पर ट्रेनिंग में पैसा खर्च किया है और आपको किसी वे से जॉब छोड़नी पड़ रही है तो उस केस में यह देखा जाएगा कि आपने कब तक जॉब लिए एस्टीमेट लगाया जाएगा कि आपकी वजह से कितना फायदा हुआ है और आपकी ट्रेनिंग में कितना पैसा लगा है मांस और पर लगा की ट्रेनिंग और 80 का काम आपने करके दे दिया है तो आपका जो बताया की सुपर यह आपको देना होगा और यह ट्रेनिंग में पैसा लगाया मुंह से बोलने से नहीं होगा कि हमारे इतना पैसा लग गया है एक-एक चीज कंपनी को प्रूफ करनी होगी इतना पैसा इसकी ट्रेनिंग में लगाएं और कुछ इससे ऐसा करते कि नॉर्मल पेपर पर डोंट मना कर देते हैं डराने के लिए देखिए बोंड एक प्रॉपर स्टांप पेपर पर होना चाहिए प्रॉपर नोटरी बनाए इनवेलिड होता है यह 10 लाख 2019 में मेंशन किया जाता है इसे आप को बनाने के लिए जाता को भी बहुत अच्छे-अच्छे समझता है कि न एम्पलाई पर एक दम इतना पैसा खर्च नहीं होता है इसलिए पुराने कैसे देखोगे तो जितने भी किए जाते हैं बोर्ड के अंदर उसमें एम्पलाई के हक में फैसले जाते हैं दूसरा होता है नॉन-कंपीट क्लॉज इसका मतलब यह उनके कंप्यूटर को जॉइन नहीं कर सकते हो तो ऐसा नहीं है बिल्कुल ज्वाइन कर सकते हो बल्कि आपने कितना भी बॉन्ड साइन कर रखो बस एक चीज का आपको ध्यान देना है ताकि कोई मोड नुकसान ना करें अपने अपने का जैसे उनका डेटा उठाकर दूसरी कंपनी को दे दें या फिर इन्फॉर्मेशन क्लिक करना शुरू करें तो ऐसे केस में दिक्कत में आ जाएंगे आप भले किसी भी कंपनी के साथ काम कर रहे हैं आपको यह पता होना चाहिए कि आप किस स्टेज में एसोसिएटेड विद मेडिकल कंपनी के साथ यह जो ऑफर लेटर अप्वाइंटमेंट लेटर जॉइनिंग लेटर कंफर्मेशन लेटर होते हैं यह एक लेटर रूप होता है एक पर्टिकुलर सिचुएशन के लिए अगर आप इसको ध्यान से देखो तो इसके इलावा जो भी चीज है उस पर कंपनी का कंट्रोलर होता है बायोमेट्रिक है वह कंपनी के पास है Gmail का एक्सेस कंपनी कभी भी बंद कर सकती है आपका कितना भी याराना आपके को वर्कर के साथ नहीं खड़े होंगे वह यह लेटेस्ट आपको मिलते हैं बहुत इंपोर्टेंट होते हैं तो आपको अपने पास रखना है और ट्राय करिए क्योंकि टाइम्स होते हैं इनको टाइम निकालकर पढ़ लीजिए अब क्योंकि इंग्लिश में होते तो आपके इंग्लिश कैन सेंड बहुत अच्छी होनी चाहिए अब आप कहोगे कि इंडिया में रहते हुए इन इंग्लिश ठीक है देखिए मैंने पहले भी कहा है कि लैंग्वेज एक मीडियम है अपनी बात रखने का इसलिए लैंग्वेज कोई खराब नहीं होती लैंग्वेज को लेकर डिस्क्रिमिनेशन होता है वह गलत होता है आपको अपनी रिक्वायरमेंट के हिसाब से जो भी चीजें आप देख सकते हो और अगर आप और पेट में तो इंग्लिश आपका कभी ना कभी तो करना पड़ेगा यह तो इसलिए टाइम कुछ पर काम करना चाहिए सिर्फ लैटर की बात नहीं बाहर की साइड से भी जैस्मिन ट्रैक करना होता है तो उसमें भी आपको मदद मिलती है तो इसमें आपकी मदद कर सकता फैमिली फैमिली इंडिया की अकेली है जिसमें 181 प्राइवेट इंग्लिश ट्विटर से आप बात कर सकते हो यह सब ईयर्स नेटिव इंग्लिश स्पीच करें मतलब कि वह लोग जिनकी फर्स्ट लैंग्वेज इंग्लिश है जैसे कि यूएस यूके कैमरा जैसे कंट्रीज के लोग यह ऐप खासकर उन लोगों के लिए जो कि इंग्लिश जानते हैं बट नेचुरल खुंसी से नहीं बोल पाते हैं इसमें अलग-अलग डिस्पले ऑप्शंस है जैसे कि बिजनस लाइंस और पर्सनालिटी डेवलपमेंट सभी यह बहुत सपोर्टिव हैं और आप इंग्लिश के लिए कोई जज नहीं करेगा साधु व्यवसाय के लिए हुए यह समझता है कि मैंने शाम टेंपल रन [संगीत] यूज कर सकते हैं किसी भी मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया तो टॉपिक पर आते हैं आप यह दो यह चीज समझ में आ गई है घर कंपनी दे ही नहीं रही है लेटेस्ट मल्टीपल और उसके बाद भी तो उस केस में कैमरा इजहार कर सकता है वेरिफिकेशन में ज्यादा होता है कि आप किसी भी लेटर को लेकर फॉलो करें अपनी कंपनी में अप्वाइंटमेंट लेटर का एल्बम पर लेते हैं आपने कंपनी ज्वाइन कर लिया आप काम करें लेकिन उसके बाद बेचारा आपको अप्वाइंटमेंट लेटर नहीं दे रहा है उसमें आपको विस्तार से लेकर अपनी हर थोड़ी को कॉपी करके ही मेंटल हैं जिसमें अब इस बंदे से अपॉइंटमेंट लेटर मांग है उसका नाम मेंशन करके लिखना है कि मुझे इतना टाइम हो गया जॉइंट कर इस कंपनी को और मैंने मल्टीपल फॉलो किया है उसके बाद मुझे अपॉइंटमेंट लेटर नहीं मिला है यह मेंटल केस की कॉपी आपको अपने पास रखनी है और उसके बाद आपको फॉलो करने की जरूरत नहीं है आप कुछ लोग कहेंगे कि ईमेल यूज नहीं होता हमारे यहां तो ऐसे कैसे में आप अपनी कंपनी को लेटर लिखेंगे कंपनी के एड्रेस पर स्पीड पोस्ट करेंगे उस की कॉपी और स्पीड पोस्ट की रिसेट अपने पास रखेंगे और कोई भी डॉक्युमेंट है जो आपको नहीं मिल रहा हूं चाहे वह लेटर फॉर कंफर्मेशन लेटर हो टर्मिनेशन लेटर टो हर केस मैं आपको यही करना है उसके बाद आपको फॉलो करने की जरूरत नहीं है यह अपने आप में प्रूफ होती है जब आप काफी टाइम से कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं और एक कन्फर्म नहीं अप्लाई हो उस केस में कंपनी को आपको निकालने प्ल्स फॉलो करने होते हैं इनका 2019 में बिल लाया गया कि अगर कोई कंपनी किसी एंप्लॉई को टर्मिनेट करती है तो इसको नार्मल तक की सैलरी है उसके बेनेफिट्स अब देने होंगे अगर आने वाले टाइम मे बिल पास हो जाता तो जो कंपनी अभी आपसे कहते रहेंगे इसे डालने के लिए उस समय और ट्रिक्स लेंगे आपके साथ आपसे लेंगे सेंटर लाएंगी अभी यही रीजन है कि जब कंपनीज आपको निकालना होता है तो खुद टर्मिनेशन लेटर नहीं देती है आपसे कहती रेजिग्नेशन डालने को और आफ बड़े आराम से कर देते हैं क्योंकि ऐसा नहीं करने पर आपको डराया जाता है यह कहना था कि आपको ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा आपको जॉब नहीं मिलेगी इसमें आप को डरने की जरूरत नहीं बस आपको अपने राइट पता होनी चाहिए पूछे अगर आप आना-कानी करते हो तो कंपनी आपको टाइम मिनट नहीं करती है बल्कि एंट्री बंद कर देती है और 10 दिन के बाद कंपास में दिखा देती है यह पर्टिकुलर मित्रों के दिन से बिना बताए गायब है और MS Word का केस बनाकर आपके बेनेफिट्स मार लेती है इसलिए जब भी नहीं पर जाएं ईमेल जरुर डालें बड़े आपकी कितनी अच्छी बनती आपके मैंने इसे इस पर खुश मत होइए कि हमारे यहां पर इमेल का झाड़ नहीं है हम तो फोन पर बता देते हैं कई ऐसे कैसे दो जहां पर अप्लाई बता गया उसके बाद भी कंपनी है उसका एडवांटेज लेकर एपिसोड नहीं बनाया इसे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में आपको रूपर्ट रस नहीं करना है बल्कि आपको रूप से चलना है आप सुनते होंगे लाइनें कि डोंट मिलाइए वॉल स्ट्रीट में लाइक योर फ्रेंड इन सब के चक्कर में बिल्कुल मत पड़ेगा जहां पर टाइम आएगा तो यही फ्रंट कंपनी के साथ मिलकर आपका एब्सकॉन्डिंग एक्यूज्ड बनाएगा पाओगे कि सिस्टम एक हमारा बंद कर दिया कंपनी में एंट्री बंद कर दिए अब इस किस्म फ्राई कर लेंगे तो इस केस में भी आपको वही कर रहा है तो आप अप्वाइंटमेंट लेटर या फिर ऑफर लैटर के टाइम पर करते थे आपको ईमेल करना है और अगर ईमेल का एक सांप को नहीं मिल रहा है तो आपको स्पीड पोस्ट करना है और सारी चीजें एडिशन करनी है जो लोग इंवोल्व नहीं इसमें उन सबके नाम मेंशन कर दें और नाइनटी डेज के अंदर लेबर कमिश्नर को कंप्लेंट करनी है आप जब चाहे ऑनलाइन कंप्लेंट कर सकते हैं देख में YouTube के डिस्क्रिप्शन में दे दे रहा हूं और टोल फ्री नंबर है आप स्टेट वाइज पर कॉल कर सकते हैं और अपनी कंप्लेंट दर्ज करा सकते हैं और अगर इस पूरे process मैं आपसे कोई मिस बिहेव कर रहा है गाली दे रहा है आपकी सैलरी रोक रहा है तो आप पुलिस स्टेशन में भी कंप्लेंट कर सकते हैं वर्ली पुलिस वाले अपनी FIR दर्ज न करें लेकिन उस केस में व्यापक रिटन कंप्लेंट करने और उसकी देसी लेंगे लीजिए अब आप कहोगी कि इतनी बड़ी बड़ी कंपनी है इनके पास इतना पैसा है इतने अच्छे लाए हैं इनके सामने हम कैसे देख पाएंगे तो लेबर कोड इसको बहुत ही अच्छे से समझता है अगर आप पास का रिकॉर्ड निकाल कर देखोगे तो लेबर कोर्ट एम्पलाई उसका हक दिलाता है बल्कि इतनी बड़ी कंपनी है और दूसरी चीज मार्केट में काफी बड़े-बड़े यह जो कंपनसेशन का परसेंटेज स्प्रेड करके आप का केस लेने के लिए रेडी रहते हैं तो इसमें आपको यह सोचने की जरूरत नहीं है और इसमें आपकी रेपुटेशन से ज्यादा कंपनी के रेगुलेशन लगी होती है आपके कुछ बेनेफिट्स के चक्कर में कंपनी लेबर कोर्ट में जाकर अपनी रेपुटेशन आफ नहीं लगाएगा अंधेर बहुत ही ज्यादा पैसा इंवोल्वड लेंगे इस पूरे हूं मैं आपसे एक चीज कहूंगा कि जब भी ऐसा कुछ हो आपको खुद है लाइक करके सोचन है कि क्या सच में आपकी गलती है अगर आपकी गलती है तो आप कंपनी के साथ एक यूजर एग्रीमेंट छोड़ सकते हैं यह सारे फेस आपको तभी करनी चाहिए जब आपके साथ नाइंसाफी हुई हो किसी आपको डिस्पैच किया वहीं गाली गलोच कि वह आपसे चाहिए इसमें जो सबसे बड़ा हुआ था वह आपको फॉर्म इसका यह कंबोडिया इंचेस करनी होती है और कंपनी में वहां चैरिटी करने नहीं बैठी है को पैसा कमाने बैठी है तो अगर आप प्रॉमिस नहीं दे रहे हो तो कंपनी को पूरा हक बनता आपको निकालने का लेकिन इन लीगल तरीके से नहीं अब यह लीगल तरीका क्या होता है कि कंपनी कंप्लायंस का एक भी स्टेप मिस करके हम रोटी को निकालती है तो उसको इलीगल टर्मिनेशन कहा जाता है इसके खिलाफ है कांप्लेक्शन ले सकता है कंपनी को टर्मिनेशन लेटर देने की वजह आपसे रेजिग्नेशन डलवाती है ताकि आपके बेनिफिट्स आपको ना मिल पाए कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आप उतनी बैटरी नहीं कर पाते हो जितनी बाकी करते हैं तो उस शाम का रोमांस के बाद भी आपको टर्मिनेट कर दिया जाता है और बाकी जो आप से कम परफॉर्म कर रहे हैं वहीं कंपनी में टिके रहते हैं यह जो आदमी ट्रेन है जो अपनी मनमर्जी चलाना और रूस को फॉलो करना यह गलत है इससे खिलाफ एक्शन आप ले सकते हैं अगर पहुंची निकाला जाता तो एक तरीका होता है कि आपकी परफॉर्मेंस को लेकर कभी बताया कि आपको कि आपकी परफॉर्मेंस खराब है या किसी टीवी प्रोग्राम में आपको पहले कभी डाला गया एक वार्निंग दी गई कैलाश खेर को ऑपरेशन हुआ है तो अपने लेटर मैं आपको बताया कि आपकी पलकों में से शुरू होनी चाहिए सिर्फ मुंह से बोल देने से की परफॉरमेंस खराब है यह डेली नहीं होता लेकर कोर्ट में जो आपके लेवल कैमरा हैं उनका डेटा आप के डाटा से कम है इसका प्रूफ देना होगा आपसी कंपनी को और अगर सच व्यवहार मत खराब है तो आपको पहले नोटिस दिया जाएगा वार्निंग दी जाएगी उसके बाद भी आप अगर काम सही कि है तो आपको लास्ट बताकर एक मंच की बेसिक सैलरी प्रेस दिए दिया जाएगा आपकी सीरियल जो बची है वह आप यूज कर सकते हैं ग्रह छुट्टी मिलेगी आपको अगर आप 5 साल से ज्यादा एंप्लॉई हैं और आपको अगर कोई कंपनी कैमिनेट करेगी तो वह आपको टर्मिनेशन लेटर रहेगी आपको टर्मिनेशन लेटर लेना बहुत इंपोर्टेंट है उसमें प्रॉपर नीचे लिखा होता है ताकि आगे चलकर उसमें कुछ गलत लिखा है तो आप उसको चेंज कर सकते हैं एक ही और आपको ध्यान में रखना है कि अब इसका मिनट होने के बाद लेंगे और सोशल मीडिया पर उल्टा सीधा लिखने लगता है कंपनी के बारे में तो यह करने कि आपको बिल्कुल भी जरूरत नहीं है क्योंकि यह करने से कंपनी आपके आगे इसमें इसको यूज कर सकती है कि आपकी वजह है कि रेगुलेशन के नुकसान हुआ है उल्टा वह आपसे कॉर्पोरेशन मांग सकती है तो ऐसा बिलकुल ना करें बिल्कुल सिंपल तरीके से जो आपका हक है वह लीजिए और कोई आपको कुछ भी बोले आपको बस हर चीज को डॉक्यूमेंट करना है उसे जवाब सवाल नहीं करने और इसके साथ-साथ आपको यह समझता है कि कंपनी ने आपको ले ऑफ किया या फिर टर्मिनेट किया है यह दोनों अलग-अलग चीजें होती हैं कभी-कभी ऐसा होता कि कंपनी के पास काम नहीं होता है तो आपको 10 मिनट नहीं करती है बल्कि आपको ले ऑफ कर देती कुछ टाइम के लिए मैक्सिमम 4500 आपको लेकर आ जा सकता है ले फिर वॉल्यूम को 50% बेसिक प्लस दिए मिलता है और 34 देश के बाद जैसे आप टर्मिनेशन के रूप होते हैं उसके जो बेनिफिट मिलते हैं वह मिलता आपको लास्ट में एक चीज कम है इसलिए जो नए इस कोंट्रा वाउचर में एंट्री कर रहे हैं कि आपको हर महीने दो महीने में लाइन सुनने को मिलेगी कि विनोद कंपनी वी आर फैमिली तो इन सब चक्करों में बिल्कुल मत पढ़िए का यह कॉर्पोरेट वर्ल्ड या सारी चीजें प्रॉफिट और लॉस चलती है अगर कोई कंपनी आपको हजार रुपए दे रही है तो इसलिए क्योंकि आप उसको 10,000 का काम करके देर हैं जब प्रॉफिट देना बंद कर दोगे तो यही फैमिली आपको निकाल कर बाहर कर देगी" ghZZM7DFSpg,Why Can’t Governments Print an Unlimited Amount of Money? | Money & Currency System I Nitish Rajput,2022-04-02T07:00:09Z,PT13M10S,3065205,102872,2582,https://www.youtube.com/watch?v=ghZZM7DFSpg,, फिर ऐसा क्या रीजन है कि गवर्नमेंट दिन रात नोट छाप के ये गरीबी क्यों नहीं खत्म कर रही यूएस का गोल्ड रिजर्व आसमान छू रहा था दुनिया का 80 पर गोल्ड यूएस के पास था वहीं दूसरी तरफ बाकी कंट्रीज कर्जे में थी अब बात ये है कि किसी करेंसी की वैल्यू ज्यादा और किसी करेंसी की वैल्यू कम क्यों होती है ये डिसाइड कौन करता है इस टाइम तक मैक्सिमम गोल्ड यूएस के पास पहुंच चुका था लेकिन धीरे-धीरे फिर भी कंट्रीज अपनी कैपेसिटी में ट्राई कर रही थी अपनी इकोनॉमी को संभालने की 1947 में $ बराबर था ₹1 के आज की डेट में ये $76 के बराबर तो ऐसा क्यों हो गया कंट्रीज गोल्ड की जगह यूएस डॉलर में ट्रेड करें अब यूएस डॉलर में ही क्यों बाकी करेंसी में क्यों नहीं जब डिमॉनेटाइजेशन भी हुआ था तो गवर्नमेंट ने 500 और हज के नोट से अपना वचन वापस ले लिया था गवर्नमेंट जितना चाहे उतना पैसा छाप सकती है फिर ऐसा क्या रीजन है कि गवर्नमेंट दिन रात नोट छाप केय गरीबी क्यों नहीं खत्म कर रही है एक डॉलर के मुकाबले जो रुपीज है वोह 76 है यह कौन बैठ के डिसाइड कर रहा है और अगर कोई डिसाइड कर भी रहा है तो हम मान क्यों रहे हैं और ऐसा क्या हुआ इस ी में कि सारी की सारी कंट्रीज अपनी-अपनी करेंसीज को पीछे छोड़ के यूएस डॉलर को ग्लोबल करेंसी बनाने के लिए राजी हो गई और सबसे इंपॉर्टेंट चीज कि ऐसी क्या सिचुएशन बनी कि ये जो पेड़ की छाल से बना हुआ एक नोट का टुकड़ा है इसके लिए हर कोई दुकानों में ऑफिसेसूट काम करने लगा इन सारी चीजों का जो जवाब है सिर्फ एक ही चीज में है कि ये पैसा है क्या और इसका इवोल्यूशन कैसे हुआ जब आपको अपनी कोई सेकंड हैंड चीज बेचनी होती है तो आप कैसे डिसाइड करते हैं कि उसका प्राइस कितना होना चाहिए मान लीजिए आपके पास कोई एक पुराना मोबाइल है और आप कहते हैं कि इसको मैं ₹1 में बेचूंगा और आपके दरवाजे पर हजार लोग आके खड़े हो जाते हैं उस मोबाइल को खरीदने के लिए तो उस केस में आप क्या करेंगे आप उस मोबाइल का प्राइस 500 कर दोगे अब उसके बाद भी अगर 100 लोग उस प्राइस में लेने के लिए रेडी हैं तो आप प्राइस बढ़ाते रहोगे एटलीस्ट तब तक बढ़ाओ ग जब तक एक आदमी इंटरेस्टेड ना हो आपके दिए हुए प्राइस में खरीदने के लिए ठीक इसी तरीके से पूरी दुनिया के अंदर जो प्रोडक्ट्स के प्राइस होते हैं वो ऐसे ही डिसाइड किए जाते हैं जिसका नाम दिया गया है डिमांड एंड सप्लाई जब आप एक फ्रूट की दुकान पे जाते हो और वहां देखते हो कि सेब का रेट ज्यादा है और केले का का रेट कम है तो इसका मतलब ये नहीं है कि सेब का कलर बहुत अच्छा है इसका सिंपल सा मतलब है कि सेब की डिमांड जितनी है उस हिसाब से उसकी सप्लाई नहीं है आप बीच-बीच में सुनते होंगे कि प्याज के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं आसमान छू रहे हैं इसका सिंपल सा मतलब यह हुआ कि प्याज की कमी हो गई है और उसकी जो प्राइस सेट करने वाला है वो वही चीज कर रहा है जो हमने अपने सेकंड हैंड मोबाइल बेचने में की थी एक कंपनी ने 100 कार्स बनाई और उसका प्राइस ₹1 लाख रख दिया अब जिसके पास पैसे हैं वो तो जाके कार खरीद लेगा और जिसके पास पैसे नहीं है वो या तो फिर बाइक से काम चलाएगा या फिर साइकिल से काम चलाएगा और एक दिन अचानक से ऐसा होता है कि गवर्नमेंट बहुत सारे पैसे प्रिंट कर देती है और लोगों में बांट देती है अब लोगों के पास भी पैसा हो गया और मार्केट में बहुत सारा पैसा आ गया तो उससे होगा ये जो लास्ट टाइम 100 लोग कार खरीदने आए थे इस बार हज लोग कार खरीदने आएंगे या फिर उससे भी ज्यादा लोग खरीदने आएंगे अब जो कार बना रहा है वो वही करेगा जो हमने किया था अपना सेकंड हैंड मोबाइल बेचने के टाइम पे वो तब तक पैसे बढ़ाएगा जब तक 100 लोग खरीदने वाले बचेंगे एक बार जिंबाब्वे ने भी ऐसा ही किया था अपनी इकॉनमी को सही करने के चक्कर में उसने नोट छाप छाप के लोगों को बांटना शुरू कर दिया था उस टाइम पे उनकी इकॉनमी सुधरने की बजाय बर्बाद हो गई थी और लोग बोरी में भर-भर के एक ब्रेड खरीदने जाते थे बच्चे इस तरीके से टॉफी लेने जाते थे तो गवर्नमेंट के नोट छापने से सिर्फ महंगाई बढ़ेगी असली फायदा तभी होता है जब रिसोर्सेस बढ़ते हैं सर्विसेस बढ़ती हैं और अगर सरकार इसी तरीके से पैसे छाप रहेगी तो महंगाई यानी कि इंफ्लेशन बढ़ेगा और ये ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक चीज का प्राइस बढ़ गया तो इंफ्लेशन बढ़ जाएगा ओवरऑल गुड्स एंड सर्विसेस के जब प्राइस बढ़ते हैं तब इंफ्लेशन बढ़ता है अगर आप इसको सही से देखो तो एक तरह से आपका जो रखा हुआ पैसा है वो कम हो जाता है इंफ्लेशन बढ़ने से इंफ्लेशन 5 पर है तो इसका मतलब यह हुआ कि अभी जो चीज आपको ₹1000000 साल महंगाई ने लोगों की जेबें खाली की है और यही रीजन है कि लोग अलग-अलग जगह इन्वेस्ट करते हैं और फाइनेंस में हर एक चीज घूम फिर के डिमांड एंड सप्लाई पे आके रुक जाती है लेकिन उससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट है यह समझना कि जो पैसा है ये है क्या अभी आगे आपको इस एक कांसेप्ट से सब चीजें समझ में आ जाएंगी ऑल ओवर द वर्ल्ड अगर आप देखोगे तो आप आपको कोई भी पैसा क्यों देता है आपको कोई भी पैसा तभी देता है जब आप उसको कोई वैल्यू देते हैं या कोई काम करके देते हैं ऑफिस में भी आपको सैलरी तभी मिलती है जब आप उसके बदले में कुछ काम करते हैं वैल्यू देते हैं एक दुकानदार को भी पैसा तभी मिलता है जब वो उसके बदले में कोई सामान देता है तो एक तरह से मनी इज इक्वल्स टू वैल्यू और टाइम टू टाइम मनी को अलग-अलग चीजों से रिप्रेजेंट किया जाता है जैसे कि पहले के टाइम पे लोग अनाज और गेहूं देके काम करवाते थे धीरे-धीरे लोगों ने उन सब चीजों में ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया जो लंबे समय तक खराब ना हो और उनकी वैल्यू ज्यादा हो जैसे कि गोल्ड लेकिन एक टाइम पे आके गोल्ड को लेके ट्रैवल करना गोल्ड में मिलावट का ध्यान रखना और उसकी सिक्योरिटी मेंटेन करना काफी ज्यादा इनकन्वेनिएंट था फिर गवर्नमेंट ने एक ऑप्शन दिया जहां पे आपको अपना गोल्ड कैरी करने की जरूरत नहीं है आप गवर्नमेंट को जाके गोल्ड डिपॉजिट करें उसकी सारी सिक्योरिटी गवर्नमेंट टेक केयर करेगा और उसके बदले में आपको एक रिसीप्ट मिलेगी जिसे कोई-कोई प्रॉमिस नोट भी कहते हैं और उस रिसीप्ट के बेसिस पे आप ट्रेड कर सकते हैं आपको गोल्ड ले लेके घूमने की जरूरत नहीं है फिर आगे चलके यह जो रिसिप्ट थी यही पेपर मनी में कन्वर्ट हो गई असल में इस पेपर मनी की अपनी कोई वैल्यू नहीं है यह सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा है लेकिन इस कागज़ के टुकड़े की वैल्यू तब बढ़ जाती है जब गवर्नमेंट आपको भरोसा देती है कि इसको लेके आप इंडिया में कहीं भी जाओगे जितना अमाउंट इस पे लिखा है आपको उतनी वैल्यू मिलेगी एक नॉर्मल कागज़ और करेंसी में यही फर्क होता है कि करेंसी में आपको गवर्नर ऑफ इंडिया यह साइन करके वचन देता है कि मैं धारक को इतना पैसा देने का वचन देता हूं और इस वचन की इतनी वैल्यू होती है कि इस पे हर कोई ट्रस्ट करता है जब डिमॉनेटाइजेशन भी हुआ था तो गवर्नमेंट ने 500 और 1000 के नोट से अपना वचन वापस ले लिया था और जैसे ही अपना वचन वापस लिया था यह 500 और 1000 के नोट कागज बन गए थे अब कंट्री के अंदर तो लोगों ने गवर्नमेंट के वादे पे पेपर करेंसी में ट्रेड करना शुरू कर दिया लेकिन जब कंट्री के बाहर ट्रेड करना हो तो उस केस में क्या होगा यूएस और इंडिया जब आपस में ट्रेड करेंगे तो किस चीज पे ट्रेड होगा आप यूएस से कुछ खरीदने जा रहे हैं और उनसे आप सामान लेने के बाद यह कहो कि ये रेड कलर का नोट है इसको हम रुपीज बोलते हैं इसमें हम आपको वचन देते हैं तो वो क्यों मानेगा और ऐसे ही हम भी उनके डॉलर को क्यों लेंगे और मान लो अगर किसी सिचुएशन में हम उनसे करेंसी ले भी लें तो उस करेंसी का हम करेंगे क्या क्योंकि पैसा तब पैसा बनता है जब उसकी एक्सेप्टेंस हो उस टाइम पे हर कंट्री के सामने यही प्रॉब्लम थी कि एक भी करेंसी ऐसी नहीं थी जिस पे हर कंट्री को विश्वास हो अब मान लो आपने यूएस से ट्रेड करके यूएस डॉलर ले आए अब आपको जरूरत है रशिया से ट्रेड करने की तो रशिया कह रहा है कि हम यूएस डॉलर लेंगे नहीं अब इस केस में तो फिर ये हुआ कि यूएस डॉलर सिर्फ यूएस से ही ट्रेड करने में काम आएगा क्योंकि कोई भी एक करेंसी ऐसी नहीं थी जिसमें सबको विश्वास हो अब आपके एरिया में जो मेडिकल स्टोर वाला है वो दूसरी करेंसी मांगने लगे जो ग्रोस वाला है वो दूसरी करेंसी मांगने लगे तो इस तरीके से तो आपको हर करेंसी में कमाना पड़ेगा लेकिन उस टाइम पे एक चीज अच्छी थी कि हर कंट्री को गोल्ड और सिल्वर पे ट्रस्ट था लेकिन इतना इतना गोल्ड और सिल्वर को ट्रेड के लिए इधर से उधर ले जाना आसान नहीं था तो इस चीज का सलूशन निकालने के लिए लाया गया द गोल्ड स्टैंडर्ड इसमें कंट्री की करेंसी को गोल्ड से अटैच कर दिया गया तो अटैच करने का क्या मतलब हुआ एक हाइपोथेटिकल सिचुएशन है मान लो कि इंडिया ने अनाउंस किया कि 1 ग्राम गोल्ड की वैल्यू ₹ है मतलब कि अगर कोई ₹ लेके आएगा तो उसके बदले में में उसको 1 ग्राम गोल्ड मिल जाएगा और अगर कोई 1 ग्राम गोल्ड लेके आएगा तो उसके बदले में उसको ₹ मिल जाएंगे ऐसे ही यूएस ने अनाउंस किया कि 1 ग्राम गोल्ड की वैल्यू $2 रहेगी इसका मतलब ये हुआ कि $2 1 ग्राम गोल्ड के बराबर है और 0 जो है वो 1 ग्राम गोल्ड के बराबर है तो ऑटोमेटिक $ जो है वो बराबर हो गया ₹ के और अगर हमें $ की वैल्यू निकालनी हो तो वो हो जाएगी ₹10 के बराबर उसके बाद जब दोनों कंट्रीज ट्रेड करने गई तो उन दोनों को एक दूसरे की करेंसी से कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि दोनों कंट्रीज को पता था कि ट्रेड करके जो करेंसी आ र है उसको कभी भी गोल्ड में कन्वर्ट किया जा सकता है लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि हम जो ट्रेड करके करेंसी इकट्ठा कर रहे हैं पता चले उन करेंसी को जब हम बदलने जाएं गोल्ड में तो उस कंट्री के पास गोल्ड ही ना हो इसलिए यह रूल बनाया गया कि एक कंट्री उतने ही नोट प्रिंट कर सकती है जितना उसके पास गोल्ड है ताकि अगर कोई कंट्री करेंसी वापस करके गोल्ड लेना चाहे तो वो पर्टिकुलर कंट्री गोल्ड देने की पोजीशन में हो और ऐसा करके कंट्रीज ने आपस में ट्रेड स्टार्ट किया एक्चुअल में गोल्ड से ही ट्रेड हो रहा था बस करेंसी एक मीडियम था अब आप कहोगे कि ये जो गोल्ड स्टैंडर्ड वाला वाला सिस्टम था इतना सही था तो इसको हटाया क्यों गया और हटाया भी गया तो फिर डॉलर को क्यों बेस बनाया गया देखिए जब वर्ल्ड वॉर वन शुरू हुआ तो कंट्रीज को अपना अस्तित्व बचाने के लिए बल्क में हथियार खरीदने पड़े और इतनी बड़ी क्राइसिस हुई कि सारी कंट्रीज अपने गोल्ड के बेसिस पे जो करेंसीज थी उनसे हथियार खरीदने लगी और धीरे-धीरे गोल्ड यूएस के पास पहुंचने लगा क्योंकि यूएस मेन एक्सपोर्टर था हथियारों का ये जो वॉर लड़ने का जनून था इसने कंट्री बाय कंट्री पैसा और गोल्ड सारा खत्म किया जब वर्ल्ड वॉर फर्स्ट खत्म हुआ तो कंट्रीज इकोनॉमिक क्राइसिस से गुजर रही थी और जब गोल्ड ही नहीं है कंट्री के पास जो बेस है ट्रेड का तो ट्रेड होगा कहां से और करेंसीज कहां से प्रिंट होंगी इस टाइम तक मैक्सिमम गोल्ड यूएस के पास पहुंच चुका था लेकिन धीरे-धीरे फिर भी कंट्रीज अपनी कैपेसिटी में ट्राई कर रही थी अपनी इकोनॉमी को संभालने की लेकिन तब तक फिर से वर्ल्ड वॉर सेकंड शुरू हो जाता है यह हिस्ट्री की सबसे एक्सपेंसिव वॉर थी इस बार कंट्रीज लिटरली कर्जे में डूब चुकी थी और यूएस ने इस टाइम पे हथियारों का जमकर एक्सपोर्ट किया यूएस का गोल्ड रिजर्व आसमान छू रहा था दुनिया का 80 पर गोल्ड यूएस के पास था वहीं दूसरी तरफ बाकी कंट्रीज कर्जे में थी ऐसे केसेस में गोल्ड स्टैंडर्ड यानी कि गोल्ड को करेंसी से अटैच करके जो ट्रेड होता था वो पॉसिबल नहीं हो पा रहा था क्योंकि कंट्रीज गोल्ड के बिहाव पे नोट छाप के ट्रेड करती थी और जब गोल्ड ही नहीं है तो ट्रेड कहां से हो पाएगा और जब ट्रेड नहीं होगा तो कमाई कैसे होगी एक कंट्री की इसको लेके कंट्रीज मीटिंग करती हैं 1944 में जिसे ब्रेटन वुड कॉन्फ्रेंस कहते हैं इस मीटिंग में आईएमएफ और आईबीआईओ कंट्री आपस में ट्रेड कर सके आज की डेट में भी अगर कोई कंट्री इकोनॉमिकली फंसती है तो ये दोनों ऑर्गेनाइजेशन सपोर्ट करती हैं इस मीटिंग में ये डिसाइड हुआ कि बाकी कंट्रीज के पास गोल्ड नहीं है तो एक काम ये हो सकता है कि कंट्रीज गोल्ड की जगह यूएस डॉलर में ट्रेड करें अब यूएस डॉलर में ही क्यों बाकी करेंसी में क्यों नहीं क्योंकि यूएस एकलौती ऐसी कंट्री थी जिसके पास इतना गोल्ड था कि वो यूएस गोल्ड की वैल्यू के डॉलर बना के ऑल ओवर वर्ल्ड में सर्कुलेट कर सकती है और सेम डे यूएस ने ये भी अनाउंस किया कि यूएस डॉलर को कोई भी हमारे पास लाके गोल्ड ले सकता है या फिर गोल्ड लाके यूएस डॉलर ले सकता है और 1 आउंस गोल्ड की वैल्यू इन्होंने $35 रखी अब इससे हुआ यह कि हर कंट्री किसी ना किसी रिसोर्स में अच्छी होती है तो व यहां पे यह कर सकती है कि यूएस के साथ एक्सपोर्ट करके वो अपने डॉलर के रिजर्व्स बढ़ा सकती है और डॉलर के रिजर्व होना यानी कि गोल्ड का रिजर्व होना तो जो कंट्री कभी भी कन्वर्ट कर सकती है ये एक तरीका बन गया ट्रेड करने का साथ ही साथ अपनी इकोनॉमी सुधारने का ऐसा कर कर के यूएस एक तरह से हर कंट्री की रिजर्व करेंसी बन गया हर कंट्री के पास डॉलर के रिजर्व्स हो गए और ये एक तरह से ग्लोबल करेंसी की तरह काम करने लगी अब इसमें हुआ यह कि वियतनाम वॉर स्टार्ट हुई यूएस के साथ और उसमें यूएस की इकोनॉमी भी डिप करी यूएस ने डॉलर गोल्ड के रिजर्व के कंपैरेटिव ज्यादा डॉलर्स प्रिंट किए और उधर बाकी कंट्रीज की भी इकोनॉमी सुधर रही थी 1965 में चार्ल्स डी गैलू जो कि फ्रांस के प्रेसिडेंट थे अपनी नेवी भेजी और यूएस को डॉलर देके शिप के रास्ते से गोल्ड वापस ले आए और धीरे-धीरे बाकी कंट्रीज ने भी यही चीज फॉलो करी और अमेरिका ने गोल्ड की वैल्यू से ज्यादा डॉलर्स प्रिंट कर रखे थे जो कि ऑल ओवर वर्ल्ड में घूम रहे थे तो यूएस का गोल्ड रिजर्व बहुत तेजी से कम हो रहा था और उसकी इकोनॉमी भी गिर रही थी 1971 में यूएस के प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन ने डॉलर को गोल्ड के लिंक से हटा दिया इसका मतलब कि अब गोल्ड को डॉलर से और डॉलर को गोल्ड से कन्वर्ट नहीं कर सकते इसको निक्सन शॉक भी बोलते हैं पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा झटका था लेकिन सारी कंट्रीज के रिजर्व डॉलर में थे तो कंट्रीज की मजबूरी बन गई डॉलर में ट्रेड करना और डॉलर ग्लोबल करेंसी के रूप में सामने आया अब बात यह है कि किसी करेंसी की वैल्यू ज्यादा और किसी करेंसी की वैल्यू कम क्यों होती है ये डिसाइड कौन करता है 1947 में $ बराबर था ₹1 के आज की डेट में ये $76 के बराबर है तो ऐसा क्यों हो गया देखिए यह डिपेंड करता है डिमांड एंड सप्लाई पे हर कंट्री की अपनी एक करेंसी होती है अगर आपको किसी कंट्री का कोई सामान्य सर्विस लेनी है तो आपको उस पर्टिकुलर कंट्री की करेंसी में ही खरीदना होगा जब आप उस कंट्री में विजिट करते हैं तब आप पहले एक्सचेंज से अपनी करेंसी चेंज करवाते हैं उसके बाद वहां का कुछ खरीद पाते हैं इनफैक्ट जब आप ऑनलाइन यूएस या यूरोप के प्रोडक्ट खरीदते हैं तो पहले आपको यूएस डॉलर या यूरो खरीदने होते हैं उसके बदले में अपने इंडियन रुपीज देने होते हैं जिसे हम एक्सचेंज बोलते हैं और फिर आप खरीद पाते हैं कोई सामान यह चीज आपको इसलिए नहीं पता चलती क्योंकि बैक एंड में बैंक आपके लिए यह सब कुछ कर रहा होता है तो जो कंट्री ज्यादा वैल्यूएबल्स करती है जिसकी रिसोर्सेस और सर्विसेस की ज्यादा डिमांड होती है बाकी कंट्रीज में उस कंट्री की करेंसीज की वैल्यू ज्यादा होती है क्योंकि बाकी कंट्रीज जरूरत की वजह से अपनी करेंसी देके उस कंट्री की करेंसी खरीदती हैं इसका मतलब यह हुआ कि उस पर्टिकुलर कंट्री की डिमांड बढ़ जाती है और जब डिमांड बढ़ जाती है तो उस करेंसी के रेट ऊपर जाएंगे अगर एक ब्रेड का पैकेट इंडिया के अंदर ₹10 का है और एगजैक्टली सेम ब्रांड का ब्रेड का पैकेट यूएस के अंदर $20 का है और हमें अगर एक्सचेंज रेट कैलकुलेट करना हो तो उसका सिंपल तरीका यह है कि हम 10/2 कर देंगे और इन एक्सचेंज के भी टाइप होते हैं ये जो ब्रेड वाला एग्जांपल मैंने बताया इसे कहते हैं फ्लोटिंग एक्सचेंज जहां डिमांड एंड सप्लाई के बेसिस पे रेट चेंज होता है दूसरा होता है फिक्स एक्सचेंज कुछ कंट्रीज आपस में एक्सचेंज रेट फिक्स कर लेती हैं जैसे सऊदी और यूएस के बीच में फिक्स रहता है $ बराबर रहता है 3.75 साउदी रियाल के बराबर डिमांड एंड सप्लाई से इसका कोई लेना देना नहीं होता तीसरा होता है मैनेज्ड एक्सचेंज जिसमें एक रेंज होती है कि मान लीजिए अगर आपने तीन से पांच की रेंज सेट कर दी है तो ए सप्लाई के बेसिस पर रेट तो चेंज होगा लेकिन ना तो तीन से कम जाएगा और ना ही पाच से ऊपर जाएगा HOfOgqRA3cU,Kashmiri Pandit Exodus | Nitish Rajput,2022-03-22T06:41:24Z,PT19M22S,2580806,147611,10988,https://www.youtube.com/watch?v=HOfOgqRA3cU,," कि आपने 30 साल से अपने ही नागरिकों को अपने देश के अंदर भेज बनाकर रखा है और बातें आप सीनियर NRC की करते हुए असल बात यह है कि जब तक आखिरी छोर तक इस इश्यू के डोर नहीं दिया जाएगा कब तक कश्मीरी पंडित से भाषणों में रहेंगे अपने घरों में नहीं उसी जम्मू एंड कश्मीर में 3000 एकड़ जमीन आपने इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स डिपार्टमेंट में दिया इनवेस्टमेंट के लिए लेकिन दोस्तों एकड़ जमीन कश्मीरी पंडितों के लिए निकालने के लिए आपकी ऊपर से लेकर नीचे तक सारी ताकत एक हो जाता है कांग्रेस ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ताला खोल दिया कश्मीर सिपरेशन झंडू की बजाय धीरे-धीरे मसाज और इस्लामिक झंडे दिखने लगेगा लोग हथियार उठाते थे उनकी बहन बेटियों की बात आती है उनके डिविजन की बात आती है यही रीजन है कि कश्मीर के अंदर रिवीजन को प्राइमरी बनाया गया हम यह सारी जमा-पूंजी छोड़कर ऐसे भागना पड़ा जैसे भूकंप आने पर इंसान भाग है मैंने एक जनवरी को मुस्लिम से एक बड़ी संख्या में नारे लगाते हुए लोकसभा के पास पहुंचे 26,000 सोल्जर्स कश्मीर के चक्कर में शहीद हुए और सात से आठ हजार से उसी वैली के अंदर शहीद हुए उसकी किसी को नहीं पड़ी है क्योंकि वह वोट बैंक नहीं है और यह जो कश्मीर को अलग करने की बात करती है सिर्फ उसकी सिक्योरिटी में गवर्नमेंट है फोर्सेज रूपी लगा दिया है लेकिन ऐसा नहीं कि कश्मीर में हमेशा ही मजा भी दंगे होते थे लोग बहुत प्यार से रहते थे 9898 तक इन सालों में कुछ लोगों ने ऐसे हालात बना रही है जिसकी वजह से इतना बड़ा इंसिडेंट हुआ कश्मीरी पंडितों के साथ एक्चुअल में इसके पीछे कौन था और विजन किए थे वह डिस्कस करते हैं अब देखिए इसमें मत पूछिएगा कि कश्मीरी पंडित बोला है हिंदू नहीं बोला एक्सीडेंट बोला है जनोसाइड नहीं बोला मुझे कोई भी दिक्कत नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि वीडियो के लास्ट में आप अपनी समझ से डिसाइड करें एक में हुआ क्या था और थोड़ी देर के लिए मैं रिक्वेस्ट करूंगा कि आप अपनी अपनी ऑडियो वजह साइड में रख कर यह समझने की कोशिश करेंगे एक हों वहां पर हुआ क्या था तो पहली चीज तो यह है कि कश्मीरी पंडित है कौन थर्टीन सेंचुरी से पहले कश्मीर में जो पापुलेशन थी वह हिंदू थी तो राइट है सेंचुरी के आसपास जब मुस्लिम राजाओं ने हुकूमत की उस टाइम पर जो कश्मीरी पंडित छोड़कर चले गए थे और बाद में वापिस आ गए थे उनको कहते हैं वनवासी यह पहला एहसास हुआ था और पहला अटैक हुआ था कश्मीरी पंडितों पर 110 मतलब मास में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना और वहां से भागे नहीं हुई फिक्र है उनको कहते हैं मासी और तीसरे होते हैं वह पांडे व्यापार वगैरह करते हैं तो मुस्लिम इनवेजन के बाद डेढ़ सौ से दो सौ साल बाद मैच्योरिटी मुस्लिम की हो गई थी वहां पर 91वें जो सेंसेज हुआ था उस हिसाब से 4.4 पर सेंट कश्मीरी पंडित थे उस समय अराउंड 1 लाख 24 हजार के करीब 99 में आते-आते थोड़ा सा परसेंट बढ़ गया होगा तब डिस्कस करते हैं कि 1993 से जरा फिर ऐसा हुआ क्या लेकिन शेख अब्दुल्ला की डेथ के बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला सीएम बनते हैं जम्मू एंड कश्मीर के और उसके बाद 93वें फिर से लक्षण होते हैं जिसमें फारूक अब्दुल्ला कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाते हैं फिर से सीएम बनते हैं पापों कबूल एक बार थी कि जब दिल्ली में जाते थे तो वहां कहते थे कि कश्मीर इंडिया के साथ रहेगा हमेशा पाकिस्तान जाते थे वहां की बात करते थे और जब कश्मीर में रहते थे तो वहां के जो सेपरेट इससे वहां की बातें करते थे इस चीज का एक फायदा ताकि सबको लगता था कि हमारी बातें करते हैं यह पाउला की पार्टी का नाम नेशनल कांफ्रेंस और इनकी ही पार्टी में उनके साले थे गुलाम मोहम्मद साहब इनका चीफ मिनिस्टर बनने का सपना था और इस चीज का कांग्रेस को बहुत अच्छे से पता था गुलाम मोहम्मद को चीफ मिनिस्टर बनने के सपने दिखाए गए और गुलाम मोहम्मद ने नेशनल 100 को तोड़ कर एक नई पार्टी बनाई अवामी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने फारूक अब्दुल्ला के साथ गठबंधन खत्म करके गुलाम मोहम्मद के साथ मिलकर सरकार बनाई और गुलाम मोहम्मद को सीएम बना दिया अब कांग्रेस ऐसा किया क्यों फारूक अब्दुल्ला पूरी तरीके से कांग्रेस से कंट्रोल में नहीं थे वह हर तरह की बात करते थे कांग्रेस सोचा था कि ऐसा सीएम बनना चाहिए उनके हिसाब से चलें तो इसने गुलाम मोहम्मद को सीएम बना दिया लेकिन हुआ एकदम उल्टा और एक्सपर्ट का मानना है कि यह कांग्रेस का एक मेजर प्रिंटर था गुलाम मोहम्मद सीएम बनने के बाद कांग्रेस के साथ चलना तो बहुत ही दूर की बात मजा भी बातें शुरू कर दी उन्होंने फेस को सपोर्ट करने लगे इसे प्रैक्टिस कौन होते हैं से पेट यानी कि अलगाववादी जो चाहते हैं कि कश्मीर एक अलग स्टेट बने इनके भी कई सारे टाइम है एक चाहते कि कश्मीर इंडिया से लोगों के पाकिस्तान से मिल जाए दूसरे चाहते हैं कि इंडिया और पाकिस्तान दोनों शहरों के अलग स्टेट बने वैसे तो बहुत सारे ग्रुप है लेकिन आप तीन याद रख लिए पहला यह देखिए गलत जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट दूसरा है हिजबुल मुजाहिदीन और तीसरा ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस शॉर्ट में हुर्रियत बोलते हैं इसको यह कहना है कि हमारा दी लेंगे युक्त और 9 इंडिया से मिलेंगे और न ही पाकिस्तान से मिलेंगे पूछो कि मान लो अगर आप को आजाद कर भी दिया जाए तो आप देश कैसे चलाओगे डिफरेंस क्या रहेगा बैलेंस कैसे मैनेज होगा इंपोर्ट एक्सपोर्ट कैसे होगा तो इसका जवाब उनके पास नहीं है लेकिन यह अलग होना चाहते हैं जबकि आप ऑल ओवर वर्ल्ड किसी ओर से बात करोगे तब तक यह कहना है कि ऐसी ज्योग्राफिक लोकेशन पर किसी भी देश का निर्णय लेना पॉसिबल नहीं है वहीं हिजबुल मुजाहिदीन की बात करें तो उनका कहना है कि हम इंडिया से अलग होकर पाकिस्तान से मिलेंगे आपने बहुत से हल्दी के किस्से सुने होंगे कि आपने यह सुना कि हमें आधार होगी किसी और देश के झंडे के नीचे आना है तो इसकी आईडियोलॉजिस आप समझ गए होंगे कि पाकिस्तानी बैकबोन आफ थे नेशन है वहीं सूर्य तक कहना है कि हमें अलग होना है ना तो मैं पाकिस्तान के साथ जाना इंडिया के साथ जाना है और हमें बातचीत से इसका हल निकालना है हम हथियार नहीं उठाएंगे तो अभी थोड़े से कॉम्प्लिकेटेड दौरान इधर-उधर आपको समझ में आ जाएगा कि आखिर प्लानिंग हुई कैसे कांग्रेस के साथ चलने की बजाय गुलाम मोहम्मद हुसैन तो यह समझाने लगे कि देखो कश्मीरी पंडित ने कम है उसके बाद भी जज और प्रोफेसर हर पोस्ट पर यही लोग हैं और यह बात सच भी है कि कश्मीरी पंडित काफी पढ़े लिखे कौन है को मिलेंगे टाइम बेबी कश्मीरी पंडितों को अपने एडमिनिस्ट्रेशन में रखा जाता था अब इसी दौरान क्या हुआ कि 786 में कांग्रेस ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ताला खोल दिया ताकि हिंदू जाकर वहां पर पूजा कर सकते हैं अब कांग्रेस की भी मजबूरी थी क्योंकि शाहबानो केस हुआ था उस टाइम पर उसमें मुस्लिमों को खुश कर दिया था इन्होंने लेकिन हिंदू वोटर जो थे वह गैस बजा रहे थे तो उसको बैलेंस करने के लिए बाबरी मस्जिद का ताला खोला लेकिन इससे यह दिक्कत होगी कश्मीर के अंदर दंगे और भड़क गए अब आप सोच रहे होंगे कि गुलाम मोहम्मद ज्योति को चीफ मिनिस्टर बनना चाहते थे वह चीफ मिनिस्टर बन भी गए फिर यह तो हरकत क्यों कर रहे थे कि चीफ मिनिस्टर तो बनना चाहते थे लेकिन वह हमेशा के लिए चाहिए बनना चाहते थे उन्हें पता था कि यहां पर मुस्लिम को मिनट ज्यादा है अगर वह उनकी बात करेंगे तो कांग्रेस रहे या ना रहे लोग उनको हर बार जाता है कि वह किसी भी राजनीति जो ऑल ओवर इंडिया में चलती है गुलाम मोहम्मद लेकिन यह कहा कि जो न्यू सिविल सचिवालय का जो एरिया है इसमें पुराना मंदिर है इस को गिराकर भव्य मस्जिद बनेगी इसको लेकर कश्मीरी हिंदुओं में धरना-प्रदर्शन करा और बात इतनी बढ़ गई कि दंगे शुरू हो गया यह दूसरी बार ऐसा था जब कश्मीरी हिंदुओं के ऊपर हमला हुआ था घड़ी बढ़ता हुआ था जब प्रोटीन सेंचुरी में निवेदन होता दूसरी बार यह था और इस चीज को लेकर पहली बार आवाज उठने लगी कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ बात इतनी बढ़ जाती है कि कांग्रेस अपनी गलती का एहसास होता है उससे समाज 986 को गुलाम मोहम्मद को हटाया जाता और गवर्नर लगा दिया जाता है उस टाइम पर गवर्नर जगमोहन मेह 1994 से Z1 में यही है जैसा गवर्नमेंट करती थी वैसा ही करते थे तो कांग्रेस के टाइम पर भी ही गवर्नर थे हो जब बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार मीणा उस टाइम पर यह खबर मिलते ही नहीं को बनाया गया था आगे चलकर और बीजेपी ज्वाइन की तो ऐतराज़ आप कह सकते हो कि बीजेपी की साइड ज्यादा थे फारूक अब्दुल्ला ने से ज़ूम इन या कोई कि स्टेटमेंट दिया कि हां मैंने लोगों को कहा था कि बॉर्डर के पास जाए ट्रेनिंग ब्रेड बट मेक श्योर कि जगमोहन न पकड़ लें पाकिस्तान की पीएम बेनजीर भुट्टो ने पीएम को छोड़कर जगह को धमकी दे रही थी तो इससे आइडिया लगाया जा सकता है कि उन्हें दिक्कत थोड़ी कर रखी होगी तो का गुलाम मोहम्मद को हटा दिया गया लेकिन इन दो साल में नफरत बहुत ज्यादा बढ़ गई थी सारे के सारे पेटिस एक साथ आ गए थे और सबने मिलकर यह डिसाइड किया कि चुनाव लड़ेंगे और अपने हिसाब से चाहिए चलाएंगे इन्होंने पार्टी मनाई ए न्यू वे आफ मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट 97वें इलेक्शन है तो इस बार इलेक्शन में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट MB खड़ी हुई हम अपने मजहबी बातें करके काफी बड़ा वोट बैंक अपनी तरफ कर लिया था और पाकिस्तान का भी सपोर्ट ही नहीं उसको लेकिन कांग्रेस इनका इलेक्शन जितना फॉर नहीं कर सकती थी क्योंकि बाद नेशनल सिक्योरिटी की थी इसी वेब के नेता जो चुनाव लड़ रहे थे वह आगे चलकर बहुत बड़े बड़े आतंकवादी बने थे और फारूक अब्दुल्ला को सिर्फ पीएम बनने से मतलब है इसलिए कांग्रेस और फारुक अब्दुल्ला ने अपनी सारी पुरानी बातें पीछे छोड़कर कि दोनों एक साथ आ गए थे इलेक्शंस के रिजल्ट आए फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस का जीत कर अपनी फिर से सरकार बना ली और फारूक अब्दुल्ला फिर से सीएम बन गए अब मी अपने कहा कि इलेक्शन रेड है इनके साथ धोखा हुआ है अब आपको यह तो हर इलेक्शन की कहानी है तो हर जगह होता है लेकिन इलेक्शन में जो सबूत सामने है उसको देखकर लोकल जनता में काफी गुस्सा आ गया जहां से फॉर पिलर खड़े थे वहां पर मैक्सिमम 3 आवर में रिजल्ट आ गए थे और जहां पर एमी और पहले खड़े थे वह बहुत ज्यादा टाइम लग रहा था कुछ जगह पर काउंटिंग हुई एमएलए हार के घर चले गए बाद में उनको बुलाकर बताया गया कि ऊंची गए हैं बीबीसी की रिपोर्ट आई और उसमें यह बताया कि कांग्रेस के लीडर खोल एक्सेप्ट किया कि वोटिंग में गड़बड़ हुई है दोनों कलेक्शन की ड्यूटी में थे उन्होंने कहा कि यह उनके सामने चल रहा था और हद तो तब हो गई जब फारूक अब्दुल्ला जो उसी रिजल्ट के वैसे जीप के सीएम बने थे उनको एक्सेप्ट कर ली आगे चलकर इसके बाद सैमी ने जमकर प्रदर्शन किए गवर्नमेंट एजिंग कि वे सेलेक्शन ग्रेड हुए थे उनको सजा देने की वजह से वो कि जो लीडर्स थे उनको जेल में डालना शुरू कर दिया यह जो यासिन मलिक का यह भी है वह सही था यह भी इसी टाइम पर जल गया था लोगों को जब इस चीज का पता चला तो उनकी सिंपैथिसे प्रैक्टिस तेज हवाओं के साथ ज्यादा हो गई और गवर्नमेंट के खिलाफ उनको गुस्सा आ गया और इसका सबसे बड़ा नुकसान हुआ कि सेपरेटेड नेताओं ने कहा कि हमें कॉर्ड्स में उतना ही नहीं है पॉजिटिव गुसाईं टाइम खराब करना है अब हम हथियार उठाकर जारी लेंगे और यह सारी की सारी गवर्नमेंट विरोधी ताकतें ज्योति जितने सेपरेटिस्ट्स अब एक साथ आ गए और गवर्नमेंट विल कम बैक फुट पर थी देख उड़ीसा के सबसे एक्टिव जितने यंग कश्मीरी थे इनको पाकिस्तान भेजा जाने लगा ट्रेनिंग के लिए एमिनेम के नेता इलेक्शन लड़ रहे थे आगे चले सारे आतंकवादी बनी है जो मेल लीडर था सैयद सलाहुद्दीन यह नकुल मुजाहिदीन का मेन कमांडर बना उसी टाइम पर सुपर-पावर रसिया को अफगानिस्तान इराक से वापस भेजा था और यह इसलिए हुआ क्योंकि अमेरिका ने जिहाद का नारा लेकर पाकिस्तान के थ्रू ट्रेनिंग पैसा और हथियार पहुंचे थे अफगानिस्तान में जो मॉडल अमेरिका ने पाकिस्तान को अफगानिस्तान के लिए समझाया था से वहीं मॉडल पाकिस्तान ने इंडिया के लिए यूज किया जो पैसे और हथियार अमेरिका से आए थे उसका कुछ पोर्शन यह लोग कश्मीर में भी भेजने लगे और पाकिस्तानी कश्मीर को यही चीज समझा रहा था कि सुपर पावर वजह से हराया जा सकता है तो इंडिया क्या चीज है और यह सारी चीजें पाकिस्तान की जो पीएम ने में ऑन रिकॉर्ड बोलिए ना आ सकते हैं अजय कि कश्मीर की अवाम के साथ का करके अब लास्ट बाद एक यही दिन था कि कश्मीर सिपरेशन झंडों की वजह धीरे-धीरे मसाज और इस्लामिक झंडो देखने लगे और यह कश्मीर सिपरेशन मोमेंट मजहबी मोड़ लेता है और एंटी इंडिया सेंटिमेंट्स को एंटी हिंदू सेंटीमेंट्स में बदल दिया जाता है यह बॉक्सिंग और देखिए यह होती है कि ऑल वर्ल्ड में फ्रेंड्स चल गया है कि कंट्री के लोकल लोगों को गवर्नमेंट के खिलाफ करो भड़काऊ हथियार दो इंस्टेबिलिटी कर और उस पर्टिकुलर स्टेट को कार्ड दोस्त कंट्री से अब आपको किसी कंट्री के लोगों को इसकी गवर्नमेंट खिलाफ करना है और आप गौर किया कि रोड खराब है यहां पर एजुकेशन नहीं है तो लोग हथियार नहीं उठाएंगे लोग हथियार उठाते थे उनकी बहन बेटियों की बात आती है उनके डिविजन की बात आती है यही रीजन है कि कश्मीर के अंदर रिवीजन को प्राइमरी बनाया गया पाकिस्तान जैक कैलिस को पैसे हथियार हर तरीके से सपोर्ट किया और बाद ही मतलब कि करते लेकिन इन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों का मारा इनका मकसद एक ही है कि जो इंडिया की बात करें या फिर इंडिया से जोड़ने की बात करें उसको मारो चाहे वह कोई भी हो आपने पर बिट्टा कराटे का इंटरव्यू दिखाओ तो उसने साफ साफ बोला मैंने हिंदू और मुस्लिम दोनों को मार है हम भी श्री राधे माराधे की कोई मुसलमान रविवार लोग तो इसलिए हुए थे और लालच के चक्कर में की थी मेघनाद करके अमीन और मोहम्मद फारुख से मतलब जो कश्मीर की करता हूं तो बोलते हैं बहुत इंपोर्टेंट दोस्तों बहुत सारे लोग होते हैं तो उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को कश्मीर नहीं भेजना चाहिए तो को भी मार दिया और उसके बाद इस तरीके से फोल्ड करके ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस ने हथियार छोड़कर कहना है कि कश्मीर को अलग कर लेंगे बिना हथियार उठाए हथियार उठाने वालों का इंतजार में बहुत अच्छे से कर दिया था तब तक नहीं माना जाएगा कि जब तक वह कोई ऐसे एक्टिविटी ना करें जिससे पता चले कि इंडिया की तरफ है और कश्मीरी पंडित के पास ही डोंट था कि मिलिटेंट से मानकर बैठे थे कि इंडिया की तरफ है तो भले को चुप ही रहे तो उसके बाद उनको मारा जाता था पाकिस्तान को बहुत अच्छे से पता था कि दो जन्म वह चुका है यह प्रोक्सी और यह जो सबसे ज्यादा पिंपल है इसलिए मुझे कल आपको हर तरीके सपोर्ट कर रहा था अब आप कहोगे कि जेकेएलएफ का कहना है कि कश्मीर को अलग करना है अलग देश बनाना है और ना ही पाकिस्तान के साथ रखना है ना ही इंडिया के साथ रखना है तो फिर क्यों पाकिस्तान इसकी मदद कर रहा है लेकिन जगह लेफ्ट को भी पाकिस्तान ने यूज किया इसके बाद इनको भी लात मार दी इनकी फंडिंग बंद कर दी और एक नया ग्रुप बनाया हिजबुल मुजाहिदीन जिसका सिर्फ एक ही मोटिव था कि कश्मीर को अलग करके पाकिस्तान से जोड़ना लेकिन छोटे-बड़े दंगे और मारकाट तो चलिए रहता लेकिन मेन प्रॉब्लम था विशेषज्ञों ने फेस कश्मीरी पंडित जो एक ऊंचे ओहदे पर थे उनको मारना चालू की है ताकि लोगों के दशक पहले 98वें सितंबर में इन्होंने दिनदहाड़े पंडित टिक्का लाल टपलू को मारा क्योंकि बीजेपी के फेमस लीडर थे और टू पर मैंने नील कांत गंजू इनको मारा जो कि रिटायर्ड जज कि इन्होंने मकबूल बट को फांसी की सजा दी थी आठ दिसंबर को दोहरी मार कर दी इन इंडिया के होम मिनिस्टर की बेटी को किडनैप किया है और अपने पांच आतंकवादी थोड़ा यह सब करने के बाद मिलिटेंट का जो कॉन्फ्रेंस टो आसमान छू रहा था कि इंडिया की पूरी की पूरी गवर्नमेंट अपने घुटनों पर लगा रखी थी और इसके बाद रुके नहीं होने हैवानियत अपने और ज्यादा दिखाई फिरने मास्क पहन के एके-47 हाथ में लेकर मार्च निकाली रैली फेलिप दलित के नारे लगाए हैं यह लोग एके-47 लेकर रोडो पर आराम से घूम रहे थे और पूरी SIM को देखकर छुप जाती थी चार जनवरी को न्यूज़पेपर में यह पाया कि कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ दें और अल सफा वहां का एक उर्दू अखबार है उसने जिसको कई दिन तक छापा मस्जिदों से अनाउंसमेंट करवाई गई और सिर्फ एक मस्जिद से नहीं कई सारी मस्जिदों से एक हिट लिस्ट निकाली गई जिसमें रैपिड कश्मीरी पंडित थे उनके नाम थे कि इनको मारा जाएगा लेकिन सबसे ज्यादा जो खतरनाक राष्ट्रीय 19 जनवरी के रहती उस दिन क्षेत्रों प्रिवेंट है उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रॉपर प्लानिंग के तहत हुआ हो इस डेढ़ महीने पहले बीजेपी के सपोर्ट के साथ सरकार आई थी और 19 जनवरी को जगह इस दौर में बनाकर जम्मू एंड कश्मीर भेजा गया था और उन्हें जनवरी को ही फारूक अब्दुल्ला ने रजिस्ट्रेशन मार दिया था लेकिन जम्मू एंड कश्मीर का जो कैपिटल है उस टाइम पर हर्ष किस्मत पर चेंज होता था विंटर में जम्मू और समर में श्रीनगर तो सारे गवर्नमेंट ऑफिशल उस समय जम्मू में थे और जगमोहन जो गवर्नर थे वहीं श्रीनगर नहीं पहुंच पाए थे मोसम ख़राब की वजह से उस पर्टिकुलर टाइम पर अगर आप एक तरह से देखें तो कश्मीर में कोई सरकारी नहीं थी ना ही कोई अथॉरिटी थी ऐसा लग रहा था कि कश्मीरी पंडितों को वहां वैली में अकेला छोड़कर सब लोगों के मरने का इंतजार कर रहे पाकिस्तान के ताकि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है तो कश्मीर की अवाम है जो गवर्नमेंट से परेशान होकर यह सब कर रही है कश्मीर की अवाम इतना प्लांड तरीके से नहीं कर सकती है को इतनी समझ नहीं है अभी जस्ट नहीं गवर्नमेंट है 19 जनवरी को अथॉरिटी नहीं है राजेश पाइलट ने राज्यसभा में खड़े होकर रिपोर्ट भी इसमें 1998 तक 1808 लांचर 98285 राइफल से जिंक चार वाकी-टॉकी सेट मिले इन सब चीजों के लिए पैसे लगते हैं और कश्मीरी अवाम के पास इतने पैसे नहीं है और अगर पैसे आ जाएं तो साइंटिस्ट यह डेवलप कर लेंगे तो पाकिस्तान कितना भी ना करें उस समय सबको पता चल गया था कि उनकी हरकत करिए 19 जनवरी को एक दिन में सबसे ज्यादा मडर रेप और दुकाने लूटी गयी अपनी सारी जमा पूंजी छोड़कर ऐसे भागना पड़ा जैसे भूकंप आने से इंसान भागता है 19 की रात को तक यह सब हुआ तो नेक्स्ट डे 20 जनवरी को यस्मिन इन्होंने लाखों की संख्या में वैली छोड़ना शुरू कर दिया और मार्च और अप्रैल 127 हो गए गरीबी कश्मीरी पंडित बचें वैली के अंदर अपना घर और जमीन छोड़ कर लो कैंप में रहने लगे जिनके पास पैसे थे या रिश्तेदारों का सपोर्ट था उन्होंने अपना इंतजाम कर लिया लेकिन जिनके पास पैसे नहीं थे वह 30 साल से वेट कर रहे अपने घर वापस आने का योग सोचा था कि बस एक हफ्ते की बात है अभी माहौल खराब है तो वापिस अपने घर चले जाएंगे लेकिन उस चीज का इंतजार करते-करते 30 साल और आज तक अपने घर वापस नहीं आ पाए फिर एक जनवरी को मुस्लिम से एक बड़ी संख्या में नारे लगाते हुए बॉक्सर बीच के पास पहुंचे और वहां से लाल चौक की तरफ बढ़ रहे थे उनको सीआरपीएफ के जवानों ने रोका और वार्निंग मिली लेकिन बात इतनी ज्यादा आगे बढ़ गई कि ओपन फायरिंग शुरू हो गई थी और मुस्लिम्स अपनी जान गंवानी पड़ी इंडिया की रिपोर्ट के हिसाब से 28 डेथ हुई थी है और एक इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन के हिसाब से 50 डेथ हुई और जो मां के सरवाइवल फिर उनके हिसाब से 280 लोगों की डेथ हुई थी कुछ पूछना चाहते थे कि कश्मीरी हिंदू वैली छोड़कर न जाएं वह अ जो कि फॉर्मर थोड़ी देर वैली के अंदर इन्होंने गवर्नर वह रिपोर्ट भी किया था कि उनके पास मुस्लिम सा हैं जिनकी यह डिमांड है कि कश्मीरी पंडितों को बाहर ना भेजा जाए उनको रोक लिया जाए क्योंकि अगर कश्मीरी पंडित बाहर चले गए तो आदमी को फ्री हैंड मिल जाएगा हमारे ऊपर कार्रवाई करने के लिए अब यहां से तो जगह क्या गैस में उनका यह कहना है कि जगनमोहन ने कश्मीरी पंडितों को बाहर जाने के लिए बढ़ावा दिया इन फैक्ट गाड़ियां प्रोवाइड करें कैंप तक पहुंचाने के लिए और यह सब जान-बूझकर किया क्योंकि आर्मी को फ्री हैंड मिलेगा उस एरिया पर कंट्रोल करने के लिए और जोड़ों जन्मों के सपोर्ट में थे उनका कहना था कि उन्हें बहुत ही सही किया कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो और जानी जाती है इसके डाटा को लेकर बहुत ज्यादा बहस हो रही है कोई ट्वीट कर रहा है कि मुस्लिम ज्यादा मरे थे तो यह ट्वीट कर रहा है कि हिंदू ज्यादा मारे थे 26 हजार सोल्जर्स कश्मीर के चक्कर में शहीद हुए हैं और सात से आठ हजार से उसी वैली के अंदर शहीद हुए उसके किसी को नहीं पड़ी है क्योंकि वह वोट बैंक नहीं है ना पीपी कपूर ने आधे डाली तो इसमें ऑप्शन देगा यह आया कि 80 कश्मीरी पंडित ने मिलिटेंसी के कारण अपनी जान गंवाई है पीपी कपूर ने जो आरटीआई डाली थी इसमें 1919 नहीं था सिर्फ 999 है यह मेंशन लगा ली जब दोनों ईयर का एक साथ पूछा गया तो 218 कश्मीरी पंडितों ने मिलिटेंसी के कारण अपनी जान गंवाई लेकिन जब 16 वहां के सर्वाधिक बार अगर उनका रिकॉर्ड पूछा जाएगा तो उनके हिसाब से हजारों यह संख्या थी 2011 की रिपोर्ट के हिसाब से ऑलमोस्ट डेढ़ लाख यस्मिन इन्होंने कश्मीर छोड़ा है ATM से जरा भी कश्मीर छोड़ा है यह वह मुस्लिम्स है जो गवर्नमेंट ऑफिशल से या कश्मीरी हिंदुओं का सपोर्ट कर रहे थे या फिर इंडिया के साथ मिलने की बातें कर रहे थे तो बात यह होती है कि आखिर इसमें गलती किसकी है देखिए गवर्नमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन का एक कंपलीट फैलियर था इस चीज से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जवाब एक गवर्नमेंट हैं उसके क्या कौन सी कौन से धो सकते हैं वीपी सिंह चाहते तो आदमी दिसंबर में भी भेज सकते थे जब इंटरनेट की रिपोर्ट आई थी लेकिन वह खुद इतने डरे हुए थे कि होमेश्वर को यह घुटनों पर ला दिया तो मेरे साथ भी कुछ भी हो सकता है पाउला इन्हें ज़ 70 आतंकवादी मिली कि जेल से निर्णय और कितना बड़ा नुकसान किया इसके बारे में इस पर कोई नहीं पूछता और यह जो कश्मीर को अलग करने की बात करती है सिर्फ उसके सिक्योरिटी में गवर्नमेंट f4 से 1000 करोड़ रूपीस लगा दिया तो एक और उसकी लग्जरी होटल में लगाएं और तो ऐसा करो उनके transportation पर लगा रही है ऐसा लगता है कि गवर्नमेंट जनता के साथ मजाक कर रही है आप कहते हो कि कश्मीर हिंदुओ ने हथियार क्यों उठाया देखिए गली-मोहल्ले के मध्य नहीं थे इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक बहुत बड़ी बड़ी ताकत है लगी हुई थी एक कंट्री एस ए व्होल लड़ने जितना पैसा भी लगा दिया जाता है हथियार भी दिए जाते उसके बाद भी नहीं जीत पाते क्योंकि जब अपनी गवर्नमेंट बैठ कर तमाशा देख रही है तो इसमें कुछ नहीं हो सकता आज की डेट तक इंडिया में कई गवर्नमेंट ही और गई चाहे वह अभी भी गवर्नमेंट ले लो पहले ही गवर्नमेंट ले लो कुछ ने सरेआम बेवकूफ बनाया कुछ नहीं क्रेडिट पूरा लिया लेकिन काम अधूरा किया आपने 30 साल से अपने ही नागरिकों को अपने देश के अंदर भेज बनाकर रखा है और बातें आप सीनियर एनर्जी की करते हो तो अपनाते जमीन पर रखा और दूसरे कपड़ा उठा के देवरवा 2015 में गवर्नमेंट कहा था कि को वापिस लेंगे आज डेढ़ साल से भी ज्यादा हो गया है लेकिन सिर्फ 15 थे कंस्ट्रक्शन का काम कंप्लीट हुआ है उसी जम्मू एंड कश्मीर में 3000 एकड़ जमीन आपने इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स डिपार्टमेंट में दिया इनवेस्टमेंट के लिए लेकिन दोस्तों एकड़ जमीन कश्मीरी पंडितों के लिए निकालने के लिए आपकी ऊपर से लेकर नीचे तक सारी ताकत एक हो जाती है 2014 के मेनिफेस्टो में 2019 के मेनिफेस्टो में हर मेनिफेस्टो में चीज मेंशन है कि कश्मीरी पंडितों को जमीन दी जाएगी लेकिन आज तक उस जमीन मिली नहीं है कि सबको पता है कि मेनिफेस्टो पड़ता है कौन है असल बात यह है कि जब तक आखिरी छोर तक इसे इशू पर डोर नहीं लिया जाएगा तब तक कश्मीरी पंडित से भाषणों में रहेंगे अपने घरों में नहीं आ झाल" FqEC2BN-Zbo,How do IPL teams make money? | IPL Business Model | Nitish Rajput,2022-03-16T07:00:14Z,PT10M50S,3447855,103032,1874,https://www.youtube.com/watch?v=FqEC2BN-Zbo,, कि कोई भी टीम इस 20 करोड़ के प्राइज मनी के भरोसे नहीं रहती थी पता चले सब लोग सांठगांठ कर ले भूनी को 20 लाख में खरीद लें आफ्टर लगा-लगा कर खिलाएं बेल अपने आईपीएल की वजह डीएलएफ बनवाने के लिए 200 करोड़ दिए हैं इसलिए बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स को टर्मिनेट करके सनराइजर्स हैदराबाद बनाती थी चाइना ऑल इंडिया विवाद के चलते फिर यह चीज टाटा को दी गई है जब इतने लोग एक साथ कोई चीज देखते हैं तो वहां पर ब्रांडिंग और हो जाते हैं अगर किसी के पास पैसे हो तो जाकर आईपीएल की टीम खरीद सकता है या फिर कोई स्पेसिफिक लोग यह कंपनी होती है जो IPL की टीम खरीद सकती हैं इसका एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या है और टीम खरीदी कैसे जाती हैं प्लेयर्स कैसे सेलेक्ट होते हैं और इतना पैसा लगाने के बाद भी आईपीएल की टीम पैसा कैसे कमाए हैं देखिए अगर किसी को भी IPL की टीम खरीदनी है तो दो ही तरीके हैं उसके पास वह इफेक्टिव उसी तरीके से खरीद सकता है पहला तरीका है कि जो है बल्कि डिपॉजिट है उनके अंदर से जाकर बात करें उनके शेयर खरीद लें जैसा कि LIC ने किया lic ने सिक्स परसेंट शेयर खरीदने चेन्नई सुपर किंग के और दूसरा तरीका एक्टिवेट करें जब बीसीसीआई अनम्यूट करें नई टीम लांच कर एक तु ऐसा नहीं होगा कि आप पैसे लेकर पहुंच गए तो आपके लिए टीम बना दी जाएगी बीसीसीआई को जब टीम ऐड करनी होती है तो एक प्रोसेस फॉलो करता है जब e.t. इनवाइट करता लोगों को टीम खरीदने के लिए तो वहीं टीम अप्लाई कर सकते हैं जिनकी वैल्यूएशन 300 करोड़ से ज्यादा हो लेकिन वैल्यूशन को आप मोटा-मोटी ऐसे समझ लीजिए यह कंपनी की कमाने की क्षमता अगर एक कंपनी को बेचा जाए तो उसे कितने पैसे मिलेंगे रेवेन्यू और प्रॉफिट के बेसिस पर डिसाइड होता है तुझे बीच यह इंवाइट करती है तो जो एलिजिबल कंपनी जाती है उनको आईडीटी इन्विटेशन टो 10th खरीदना होता है जिसकी कॉस्ट होती है ₹10 GST यह नॉन रिफंडेबल पास होती है इसके सारे टर्म्स एंड कंडीशन लिखे होते हैं इसके बिना आईपीएल की बिडिंग प्रोसेस में बैठ नहीं सकते अभी एडिट किसी दुकान पर तो मिलेगा नहीं इसके लिए आपको ईमेल करना होता है जैसे कि शुगर BCCI ने ज्यादा 2021 में कि जिसको की टीम चाहिए पांच चौकों पर 2021 से पहले वह Gmail कर दें आईटीआईएल 2021 ऐड BCCI ने टीवी पर और जरूरी नहीं कि आपने ही खरीदनी है तो आप बिडिंग प्रोसेस में बैठी जाएंगे बिना किसी नोटिस बिना किसी विघ्न के आपका Idea वी कैन झाल जो लोग इसमें शॉर्ट लिस्ट होते हैं सिर्फ उनका ही बिडिंग प्रोसेस में बैठने का मौका मिलता है बिडिंग प्रोसेस में प्रोटीन होती है उनके बेस्ट प्राइस होता है नॉर्मल यह 1719 सौ करोड़ के बीच में होता है कि इससे कम में टीम नहीं दिखेगी उसके बाद बोली लगती है और जो ज्यादा पैसे देता है टीम उसकी हो जाती है जैसा कि इस बार लखनऊ 7000 और अहमदाबाद 5000 करोड़ से भी ज्यादा में लिखी थी टीम खरीदने के बाद आपको प्लेस खरीदने होते हैं कौन से प्लेस पर मीटिंग है इसके लिए प्लेस को ही अपने आपको इंस्टोल करना होता है अगर मैं क्रिकेट खेलता हूं तो क्या मैं अपने आप को रिसेट कर सकता हूं तो ऐसा नहीं है तीन तरीके से प्लेट सत्यापन शुरू करते हैं पहले होते कैट प्लेयर जिसने अपनी जिंदगी में एक भी मैच टीम इंडिया का खेला होता है उनको कैट प्लेयर बोलते हैं दूसरे होते हैं विदेशी टीम के प्लेयर और तीसरे होते हैं अनकैप्ड प्लेयर्स इन प्लेट्स को स्टेट एसोसिएशन के स्टेट प्रेसिडेंट करके भेजती है ऐसे करके आराम 1115 चॉकलेट का पुल बन जाता है जिसमें से 500 या फिर 600 ट्विस्ट होते हैं इसका सबसे बड़ा एग्जांपल हार्दिक पंड्या वह अनकट प्लेयर से यूपी स्टेट थे रिकमेंडेशन पर आए थे जब वे किसान एपीएमसी मंडी एक राज की बोली लगाने तो बोली लगाने वाले सांठगांठ कर लेते हैं आपस में और किसानों को नुकसान होता है इसलिए किसान एमएसपी की डिमांड करते हैं सेम यही चीज आईपीएल में लाओ कि पता चले सब लोग सांठगांठ कर लें धोनी को 20 लाख में खरीद लें और फिट कर लगा-लगा कर खिलाएं इस चीज से बचने के लिए प्लेयर्स अपने आपको रजिस्टर करते हैं तो अपना बेस प्राइस सेट करते हैं यह बेस प्राइस 20 लाख से 2 करोड़ के बीच में होता है इसके बाद पूरे प्रोसेस में प्लेट का कोई कंट्रोल नहीं होता है एक ही टीम पैसे का जोर दिखा के सारे अच्छे खिलाड़ी अपनी टीम में रखकर वर्ड एडमिन बना दे और आईपीएल का सारा मज़ा खराब न हो जाए इसलिए बिल्डिंगों से कुछ रूम बनाए गए हैं एक टीम ने 18 से कम और 25 से ज्यादा प्लेस नहीं हो सकते और 8 से ज्यादा विदेशी प्लेस नहीं हो सकते हर टीके लिमिटेड दिया जाता है जिसे पर्स कहते हैं और पर्स की लिमिट होती है पहले लिमिटेड 5 करोड़ की थी और आप इसको 90करोड़ कर दिया गया है इस नौकरों से 18 से 25 प्लेस की टीम बनानी होती है पहले मार्केट प्लेस की वृद्धि होती है मार्किट प्लेयर्स यानी कि जो बड़े पेड़ होते हैं दिन का बेस प्राइस 2 करोड़ होता है और फिर उसमें मीटिंग होती है जैसे बैट्समैन के ग्रुप में तो फिर बोल अरे ग्रुप आंगलोंग उसमें मीटिंग होगी सही प्ले सेट करना बहुत इंपोर्टेंट होता है इसलिए ट्यूसडे साइंस का यूज करते हैं किस प्लेयर की हांटेड है कौन सा प्लेयर मैच विनर है यह दो सेम स्टेट के पेड़ में से किस पर ज्यादा पैसा देना चाहिए इन सब चीजों में डाटा साइंस की मदद ली जाती है टीम का भी मोटी सैलरी देखें इन डाटा साइंस लैब मेडिकल प्रोफेशनल्स को शेयर करती हैं और सिर्फ आईपीएल नहीं बाकी पीस में भी आजकल डाटा ने इसका यूज करना कंपनी के लिए ऑप्शन नहीं बल्कि नेसेसिटी बन गया मार्केट में स्टैंड करने के लिए और यह है कि यह रिप्लेस कर बनती जा रही है इसका यूज करके लोग अपने करीयर में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं अगर आपको भी इस फील्ड में ड्रेस है तो आप ग्रिड के थ्रू अपने डाटा एनालिटिक्स करीयर को स्टार्ट कर सकते हैं डाटा एनालिटिक्स फ्रॉम प्रेस्टीजियस इंडियन इंटरनेशनल सिटी डैडी मुंबई मद्रास कट यूनिवर्सिटी के अलावा भी अपग्रेड ऑल ओवर वर्ल्ड और भी बहुत सी डिग्री रेफर करता है इसी फॉर्मेट में जैसे कि एमबीए आलू जर्मनी से एमएस डिग्री यूएस की क्लास यूनिवर्सिटी से यह बीसीए ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी से इसके साथ मिलता है वन वन मेंटरशिप और गारंटेड प्ले थिस टेंस सबसे अच्छी बात है कि यह सब अपने टाइम के हिसाब से कहीं से भी पढ़ सकते हो क्योंकि अगर आपको पॉसिबल नहीं पावर देता है तो आप भी स्टार्ट करें अपनी लर्निंग ध्वनि अपने करियर को बेहतरीन बनाने के लिए क्लिक ओं लिंक एंड डिस्क्रिप्शन बॉक्स रजिस्टर Play Store पर बोली लगती है बहुत ही कंट्रोल में लगती है 20 लाख से 1 करोड़ का जून का बेस प्राइस होता है चैंपियंस का उनकी बिल्डिंग 5 लाख से आप बढ़ा सकते हो 1 से 2 करोड़ की बिल्डिंग में आप 10 लाख से पास बढ़ा सकते हो ऐसे करके सारी टीम कंप्लीट होती है उसके बाद हर साल मिडिंग होती है मीटिंग में टीम के प्लेयर्स को हैं जो यूजर को नहीं रखते हैं उनको उनको रिलीज कर देते हैं और सारे रिलप्लेयर और न्यूली ऐडेड लास्ट में वृद्धि होती है हर तीन साल में ओमेगा ऑप्शन होता है कभी आगे पीछे भी हो जाता है जिसमें टीम को चार प्लेयर छोड़कर बाकी सारी टीम के प्लेयर को रिलीज करना होता है एक आईपीएल टीम खरीदने बहुत ज्यादा पैसा लगता है टीम खरीदना है स्पोर्ट्स प्लेयर्स की चीज होती है एडमिन ऑपरेशन कॉस्ट इसके बाद भी पूरे मन आईपीएल के मैच अलग-अलग जगह पर होते हैं तो होटल और थाइस की टिकट बहुत सारा पैसा लगता है और उसके बाद भी जो पैसा टीम समाती है उसका 20 पर सेंट बीसीसीआई को देना होता है इतना लगाने के बाद भी सिर्फ 20 करोड़ जीतने वाली टीम को मिलता है तो आईपीएल का जो बिजनेस मॉडल है वह काफी अलग है कोई भी टीम इस 20 करोड़ के प्राइज मनी के भरोसे नहीं रहती तो आप विक्टिम पैसा कैसे कमा आती है कि आईपीएल की टीम की सबसे पहली और मेजर इनकम होती प्रोटेस्टिंग लाइक दिस चैनल के पास आईपीएल के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स होते हैं सिर्फ वही चैनल आपको दिखा सकता है जैसे कि साल 2008 से 2017 तक ब्रॉडकास्टिंग राइट्स सोने के पास थे तो उस टाइम पर आपको अगर आईपीएल देखना है तो सोने पर देख सकते हैं इस चीज के लिए सोनी ने 10 साल के लिए 8200 करोड़ रुपए दिए थे उसके बाद भी हुई और 2018 से 2022 तक के लिए स्टार इंडिया ने 1628 करोड़ में डेटिंग साइट खरीदें यह जो पैसा आता है यह 50% बीसीसीआई को जाता है और बाकी 50% आईपीएल टीम्स डिवाइड होता है पहले स्पेस में से 20 पर सेंट मिसाइल रहती थी और एटी परसेंट टीम को जाता था धीरे-धीरे यह एस बढ़ा-बढ़ाकर अभी फी परसेंट हो गया है अब चैनल इतना ज्यादा पैसा ब्रॉडकास्टिंग राइट्स के लिए ढेरों है ऑल वर्ल्ड में आई विल बहुत ज्यादा देखा जाता है अगर मैं 2019 का आईपीएल की बात करूं तो ड्यूमिनी लोगों ने IPL देखा था जब इतने लोग एक साथ कोई चीज देखते हैं तो वहां पर बैंड दिन हो जाते हैं मैच के बीच में जो आप दस सेकंड हैंड देखते हैं उसके 12 से 13 लाख जाते हैं ऐसा यह मीट बहुत कम लग रहा है लेकिन फ्लाइट देश के पूरे इवेंट का जवाब टोटल करोगे तो बहुत बड़ा मुनाफा होता है इसलिए सारे चैनल्स बोली लगाने के लिए रेडी रहते हैं दूसरा शॉपिंग कम होता टाइटल स्पॉन्सर 6 आपने देखा होगा आईपीएल को कभी खाली पेट नहीं बोला जाता है कभी इसको डीएलएफ आईपीएल का भी विवो आईपीएल कभी पेप्सी आईपीएल और आजकल अपडेट आईपीएल खेला जाएगा आईपीएल को सिर्फ आईपीएल की वजह अपनी कंपनी के नाम के साथ खुलवाने के लिए कंपनियां काफी पैसा देती है और हर कंपनी चाहिए अपना नाम जोड़ना इसलिए इसकी बुरी लगती है जिसे टाइटल स्पॉन्सरशिप कहते हैं 2008 से 2012 तक गेल ने आईपीएल की वजह डेलापीर उठाने के लिए 200 करोड़ भी है फिर अगले तीन साल के लिए पेप्सी ने 380 दिया उसके पास वीवो Y21 हेज़ 2018 से 2022 के लिए चाइना ऑल इंडिया विवाद के चलते फिर यह चीज टाटा को दी गई 300 करोड़ पर ईयर में इसका जो भी रेवेन्यू आता है 60% कि रखिए और 40% टीम में डिवाइड हो जाता है जिस ग्राउंड में मैच होता है उस गांव में टिकट प्राइस का रहेगा यह ओम डिसाइड करती है और न एवरेज फॉर रिप्रोडक्टिव से होती है जिसमें से आठ परसेंट होम टीम रखती है और बाकी का जो इस पति ग्रांड एडिशन होता है उसको जाता है टीम के प्लेयर्स जो टीशर्ट टाइम है उसमें अगर आप कोई भी लोगों का नाम देखेंगे तो उसके लिए बैंक पैसे देते हैं पूरे मैच के दौरान उस ग्राउंड की बाउंड्री के अंदर कोई भी कंपनी का नाम आप देखोगे जैसे की बाउंड्री रोल्स पर विकेट पर हेलमेट पर बैड पर एंपायर की टीशर्ट पर जहां भी आप नाम लिखवा देखोगे किसी कंपनी का उस सबके लिए पैसे मिलते थे टीम्स को इसके बाद टीम के होना बी टीम के प्लेयर से दूसरी कंपनियों के ऑडिट करवाते हैं जो भी ऐड टीम की जर्सी पहन के पैर करते हैं वह टीम के ओनर के पास जाता है पैसा उसका इसके साथ-साथ 34k खुद के ब्रैंड प्रमोशन भी होते हैं वह प्लेयर ही करवा लेते अपनी टीम के यदि आपने देखा होगा ऐड हो जो धन धना धन इसके बाद हर टीम के अपने मर्चेंट है होती है टीम के नाम की टीशर्ट बैट्स कब्ज वगैरह अलग-अलग प्रोडक्ट्स ऑल ओवर इंडिया में बिकते हैं उसका सारा पैसा डेबिट टीम के ओपनर कि इसके बाद सबसे लास्ट में दिया जाता है विनिंग मोमेंट पर विनिंग टीम को 20 करोड़ मिलते हैं और अगर आपको मिलते हैं 12.5 करोड़ जिसमें से 50% टीम का हुनर रखता है और बाकी का जो फिफ्टी परसेंट होता है वह प्लेस में डिवाइड हो जाता है भले ही कई अरेंजमेंट में बीसीसीआई रेवेन्यू में हिस्सेदारी रखता है लेकिन उसके बाद भी फाइनल जो एक टीम कमाती है उसका 20 पर सेंट उसको बजाय लेना होता है लेकिन फिर भी आपने देखा होगा कि टीम के औरस बहुत देर से ज्यादा की टीम जीत जाए एटलीस्ट ऑफिस में तो वह चीज है वह इसलिए क्योंकि चार्ट टीम से क्वॉलिफाई करती हैं तो बाकी टीम के मैच तो बंद हो जाते हैं लेकिन चार टीम को एक मैच खेलने को मिलते हैं एक्स्ट्रा मैच मतलब एक सर्टिफिकेट एक्स्ट्रा रिस्पोंस और एक्स्ट्रा पैसे दूसरा फायदा यह होता है कि जब टीम टॉप में पहुंचती है तो कि ब्रांड वैल्यू बढ़ जाती है उसको बाकी टीम के कमेटी ज्यादा पैसे मिलते हैं बैंकों स्पॉन्सरशिप के अब जो पैसा सी एडवर्टिजमेंट कर लेती है और जो पैसा पंजाब लेती है दोनों बॉर्डर डिफरेंस है जो विनती होती इसका एडवांटेज रहता है दूसरी चीज होती है टॉप और टीम को चैंपियंस ट्रोफी में जाने का मौका मिलता है तो जैसा कि मैंने बताया कि वहां जाने तो उनको एक्स्ट्रा मैच खेलने को मिलते है तो जो प्रॉफिट सिर्फ आईपीएल तक रहता है वहां पर मैच खेले थे और बढ़ जाता है गुरु के 10 साल आईपीएल टीम्स घाटे में रही वहीं टाइम जॉब डेक्कन चार्जर्स की टीम के खिलाड़ियों को सैलरी तक नहीं दे पा रही थी इसलिए बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स को टर्मिनेट करके सनराइजर्स हैदराबाद बनाती थी डेक्कन चार्जर्स उस टाइम पर असर नहीं कर पाई लेकिन बाकी टीम स्टिकी रहे हैं क्योंकि यह सारी टीम के खुद के ब्रांड व प्रोडक्ट से जिनका उन्होंने आईपीएल टीम का यूज करके नेक्स्ट लेवल पर पहुंचा है लेकिन जैसे स्टार इंडिया ने मीडिया राइट्स दुगने और ठेकेदारों में लिए सारी टीम को प्रॉफिट आना शुरू हो गया और फिर टाइटल स्पॉन्सरशिप और बाकी एडवर्टाइजमेंट के पास एकदम से बड़े अब जो लोग IPL के साइज में के खिलाफ है उनका कहना है कि मेन इनकमिंग कि स्पॉट फिक्सिंग होती है 12 कैसे जब राजस्थान और शेष के 2 साल के लिए बैन हुए उसके अलावा मुझे कोई भी प्रूफ नहीं मिला जहां पर स्पॉट फिक्सिंग पकड़ी गई हो तो अब यह होती है कि नहीं होती है यह बहस का मुद्दा है FzDlrOE0Pvk,Can EVM Machine be Hacked? | Nitish Rajput,2022-03-09T07:00:14Z,PT12M14S,1398763,74357,5636,https://www.youtube.com/watch?v=FzDlrOE0Pvk,, जो पार्टी हर जाती है वो हल्ला करने लगती है की मशीन हैक हो गई है इलेक्शन कमीशन में चलो वहां पे जाके इसको हैक करो सबके सामने हैक करो और पूरे देश के हीरो बन जाओ और आज तक एक भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसने जितने के बाद एवं को एक शब्द भी बुरा बोला हो की यहां से आप एक बार बटन dabaoge तो उधर से दो बार पार्टी को वोट चला जाएगा हर एक पॉलिटिकल पार्टी को चैलेंज किया की जो लोग ये का रहे हैं की हैक हो सकती है वो दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट बुला के ले और इस मशीन को हैक करके दिखाएं जब 1 लाख वोट हो जाएंगे उसके बाद एक ही पार्टी को सारे वोट चले जाएंगे अच्छा कुछ इरिस्पांसिबल लोग जो एलिजिबल होने के बाद भी उन्होंने पोलिंग स्टेशन का मुंह तक नहीं देखा होता लेकिन 911 मिलियन रजिस्टर्ड वोटर्स है इंडिया के अंदर इनसे जब बलते पेपर के थ्रू वोट dalvaye जाते हैं तो करोड़ों बैलट पेपर्स की जरूरत पड़ती है लाखों पेड़ करते हैं और हजारों लोग इन voton को काउंट करने के लिए रखते हैं और इंडिया जहां पे हर थोड़े दिन में कहीं ना कहीं चुनाव होते हैं तो ये प्रक्रिया बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है तो इस चीज को सॉल्व करने के लिए एवं मशीन को लाया गया लेकिन इसको उसे करने के टाइम पे भी आवाज़ उठाने लगी की अभी भी इसमें शॉर्टकमिंग्स है कंप्लीट नहीं है तो 2014 के नेशनल इलेक्शन में एवं के साथ व पद को भी ऐड कर दिया गया अभी vvpait क्या होता है dekhiae जब आप व पद नहीं उसे करते द तो उससे पहले आप बटन दबाते द लाइट जलती थी और आप ये विश्वास करके चले जाते द की आपने जिसको वोट दिया उसको वोट पद गया होगा लेकिन व पद को ऐड करने से ये हुआ की से मशीन के बगल में बीवी पद भी रखा जाता है जब आप बटन दबाते हैं तो vvpait में आपको एक पर्ची दिखती है jismein जिसको आपने वोट दिया है उसका नाम मेंशन होता है आप उसे पर्ची को लेकर नहीं जा सकते बस वो आपको दिखाने के लिए होती है की dekhiae जो बटन आपने दबाया उसी को वोट मिला है और फिर वो पर्ची उसी बॉक्स के अंदर चली जाती है vvpait से आपको ट्रांसपेरेंसी तो मिलती है साथ ही में डबल वेरिफिकेशन भी हो जाता है की आप दोनों मशीन वोट काउंट कर सकते हैं और यह तो vvpait के ऐड होने से टोटल तीन मशीनस हो गई एक बलते यूनिट ये वो यूनिट है jismein आप बटन दबाकर अपने फेवरेट कैंडिडेट को सिलेक्ट करते हो दूसरी हो गई व पद jismein आप वेरीफाई करते हो अपने वोट को और तीसरी यूनिट हो गए कंट्रोल यूनिट ये यूनिट वहां के ऑफिसर के पास होती है इसके अंदर पुरी मशीनस की प्रोग्रामिंग और डाटा रहता है जब कोई वोट देने आता है तो ऑफिसर उधर से इस कंट्रोल यूनिट का बटन दबाता है तब आपकी मशीन में ग्रीन लाइट जलती है और आप वोट दल पाते हो इसका ये भी फायदा है की वोटर मौका देख के कई बार बटन ढाबा के अपनी फेवरेट पार्टी को 10-12 बार वोट ना कर दे ये तीनों माचिस आपस में कनेक्टेड रहती है इसके अलावा इसमें और कुछ कनेक्ट नहीं कर सकते इसको स्टैंड अलोन इंडिपेंडेंट मशीन भी कहते हैं क्योंकि इसमें ना कोई इंटरनेट ना कोई वाईफाई और ना ही कोई फ्रीक्वेंसी रिसीवर होता है ताकि कोई दूर से इसमें छेड़छाड़ ना कर सके इस मशीन को पुरी तरीके से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने बनाया है ये पुरी तरीके से इंडियन डेवलपमेंट है इसमें सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम और टेंपर डिडक्शन प्रोग्राम है मतलब की किसी भी स्टेज पर कोई छेड़ता है या जबरदस्ती करता है तो पकड़ ए जाएगा अब बात करते हैं की इस पूरे लेक्चर में प्रक्रिया क्या फॉलो होता है dekhiae एवं मशीन का कंट्रोल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के पास रहता है जैसे ही इलेक्शन की डेट आती है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इसका डिस्ट्रीब्यूशन ऑल ओवर इंडिया में करता है जहां-जहां चुनाव होने उसके डिस्ट्रिक्ट हैडक्वाटर के स्ट्रांग रूम में ये मशीन भेजी जाती है ये स्ट्रांग रूम बहुत ही सीकर रूम होता है विद लाइव कैमरा और प्रेजेंट्स ऑफ स्पेशल सिक्योरिटी फोर्सेस इसका जो डिस्ट्रीब्यूशन होता है वो एवं rendmaization की थ्रू होता है इसका मतलब की ये जो मशीन है इसको सीरियल नंबर लौट कर दिया जाता है और कौन सी मशीन किस बूथ में जाएगी ये किसी को नहीं पता होता कंप्यूटर रैंडम सीरियल नंबर सिलेक्ट करता है और डिसाइड करता है की कौन सी मशीन किस जगह पे जाएगी जब इस मशीन को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है उसे पार्टिकुलर टाइम पे पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंटेटिव जैसे की बीजेपी कांग्रेस जेडीयू हर पार्टी अपना रिप्रेजेंटेटिव भेजती है इलेक्शन कमीशन के ऑफिसर सबकी मौजूदगी में इस मशीन को रखते हैं एक बार इस स्ट्रांग रूम में मशीन रख दी जाती है और लॉक कर दी जाती है उसके बाद कोई भी इसको खोल नहीं सकता पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंटेटिव समेत सबका रहना जरूरी होता है इस पूरे प्रक्रिया में स्ट्रांग रूम में continuousali लाइव रिकॉर्डिंग होती है और कोई भी पॉलिटिकल पार्टी आके चेक कर सकती है उसे रिकॉर्डिंग को अब इसके बाद वेट होता है इलेक्शन डेट का जैसे ही इलेक्शन डेट पास आती है इसको डिस्ट्रिक्ट के स्ट्रांग रूम से निकल के अलग-अलग कांस्टीट्यूएंसी के स्ट्रांग रूम में pahunchaya जाता है जहां वोटिंग होनी होती है और जब ये मशीन वहां pahunchti है तो से प्रक्रिया जो इससे पहले वाले स्ट्रांग रूम में फॉलो हुआ था वही से प्रक्रिया फॉलो होता है जैसे दिल्ली में सात कांस्टीट्यूएंसी है पहले दिल्ली के स्ट्रांग रूम में आएगा उसके बाद इन सात कांस्टीट्यूएंसी के स्ट्रांग रूम में आएगा अब यहां से इसको पोलिंग स्टेशन पर पहुंचाना होता है पोलिंग स्टेशन यानी की जहां पे आप जाके वोट देते हो से लेवल की सिक्योरिटी के साथ इसको पोलिंग स्टेशन तक pahunchaya जाता है अच्छा इसमें एक चीज और है इन machinon में एक यूनिक आईडी होती है और वो यूनिक आईडी पे पार्टिकुलर पोलिंग असाइन होती है जब ये मशीन वहां pahunchti है तब सारे एग्जीक्यूटिव और पॉलिटिकल पार्टी मिलके इसको मैच करते हैं पॉलिटिकल पार्टी और एग्जीक्यूटिव कोई नोट करवाया जाता है अगर एक भी मिसमैच निकलता है तो प्रक्रिया वहीं रोक दिया जाता है अच्छा कोई र रिस्पांसिबल लोग जो एलिजिबल होने के बाद भी उन्होंने पोलिंग स्टेशन का मुंह तक नहीं देखा होता तो उनके लिए मैं बता डन यह जो पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंटेटिव होते हैं बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं जब आप वोटिंग देने जाते हैं तो ये बाहरी बैठे होते हैं कुछ स्टैंड या बेंच लगा के इनको आप अपनी वोटिंग की पर्ची देते हो और ये आपका नाम लिस्ट में देखते हैं और टेक लगाकर आपको बता दे रहे हैं की आपको किस नंबर के बूथ पर जाना है अगर कोई आपके व्यव पे वोट देकर आएगा तो वहां आपके नाम के आगे पहले से ही टिक लगा होगा तो इन सब केसेस में भी आप इनकी हेल्प ले सकते हो और इसके साथ-साथ ये अपनी-अपनी पार्टी की वोटिंग में कोई नुकसान ना हो इसका भी पूरा ध्यान रखते हैं तो dekhiae जब मशीन का सेटअप हो जाता है तो वोटिंग स्टार्ट होने से पहले इसका टेस्ट होता है जितने भी पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंटेटिव होते हैं उनको बुला के हर कैंडिडेट के नाम के सामने वोट dalvaye जाते हैं और बीवी पेट से वैलिडेट किया जाता है अगर एक भी एंट्री गलत होती है तो प्रक्रिया को वहीं रोक दिया जाता है जब सारी पार्टी के लोग और इलेक्शन एग्जीक्यूटिव सहमति बना के अप्रूव करते हैं तब सब के साइन होते हैं और उसके बाद वोटिंग स्टार्ट होती है अब जो लोग इसका बोस करते हैं उनका ये कहना है की आप लोग टेस्ट तो एक से 2000 का करते हो लेकिन मशीन में ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है की ₹1 लाख तक तो कुछ नहीं होगा जब 1 लाख वोट हो जाएंगे उसके बाद एक ही पार्टी सारे वोट चले जाएंगे dekhiae ऐसा करने के लिए पहली चीज तो ये है की जो पार्टी ऐसा कर रही है उसे प्रक्रिया के बीच में लाइव कैमरा सिक्योरिटी स्ट्रांग रूम टेंपरेचर सिस्टम सबको क्रैक करके मशीन चुरा ले और प्रोग्रामिंग चेंज करके वापस रख दें लेकिन usmein भी कितनी मशीन churaoge आप उसके बाद भी कैसे पता चलेगा की जिस मशीन को आपने क्रैक किया है वो आपकी ही कंसीडेंसी में जाएगी लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब जिसने मशीन बनाई है उसने बनाते टाइम ही सारी प्रोग्राम सेट कर देव लेकिन उसे केस में भी रैंडम मशीन पे करके लाख से ऊपर वोट करके चेक कर लिया गया रैंडम machineon पे दूसरी चीज जिसने मशीन बनाई है उसको पता होना चाहिए की जिस पार्टी के नाम पे उसको सारे वो ट्रांसफर कर रहे हैं उसे पार्टी का एलॉटेड मशीन सीरियल नंबर क्या है वो पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो सबसे बाद में जेनरेट होता है इसमें एक चीज और बोली जाती है की यहां से आप एक बार बटन dabaoge तो उधर से दो बार पार्टी को वोट चला जाएगा dekhiae अगर बलते यूनिट है usmein से आप अगर एक बार बटन dabaoge और बीवी पेट में दो बार वोट आएगा तो दोनों की काउंटिंग मिसमैच होगी और वोटिंग वही रद्द हो जाएगी एक चीज इसमें ये भी कही जाती है की जब सारी वोटिंग हो जाती है उसके बाद वोट बधाई जाते हैं तो जब वोटिंग कंप्लीट हो जाती है तब पोलिंग बूथ का जो इंचार्ज होता है वो सभी पॉलिटिकल पार्टी के लोगों के बीच में इकट्ठा होकर मशीन को सील करता है और सारे रिप्रेजेंटेटिव उसको चेक कर देंगे सही से सील हुई है की नहीं दूसरी चीज सारे पॉलिटिकल मेंबर नोट करते हैं की किस मशीन पे कितने वोट हुए हैं मैन लीजिए की एक मशीन पे 1150 वोट डेल हैं तो वहां पे नोट होगा की इस आईडी की मशीन में टोटल इतने वोट डेल गए हैं ये वेरीफाई करने के बाद सारे मेंबर साइन करते हैं और जितने भी कैंडिडेट खड़े होते हैं उनके पास ये लिस्ट भेज दी जाती है जो उसे बूथ का प्रेसिडिंग ऑफिसर होता है जब वो उसे मशीन के स्टार्ट बटन को दबाता है तो वोटिंग शुरू होती है और वो ऑफिसर उसे टाइम को नोट कर लेता है से जब वोटिंग कंप्लीट हो जाती है उसके बाद क्लोज बटन दबाया जाता है और उसे टाइम को नोट किया जाता है ताकि इस टाइम के बाद कोई अगर इससे छेड़खानी की कोशिश करें तो वो टाइम से पता चल जाए और जो सब लोग वहां पे मौजूद होते हैं जब वो सब Okay बोल देते तो मशीन सील होती है उन सबके बीच में उसके बाद एक यूनिक पर्ची होती है जो एक पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंटेटिव को दी जाती है दूसरी ऑफिसर रखता है अपने पास अब ये मशीन तभी खुलेगी जब दोनों partiyon के कोड होंगे एक साथ जैसे पहले भूत कैपचरिंग होती थी इसमें उसकी गुंजाइश ही नहीं है कोई इसको लूट ही नहीं सकता क्योंकि उसके लिए वो यूजलेस है उसके बाद पुरी सिक्योरिटी के साथ इसको स्ट्रांग रूम में फिर से वापस लाया जाता है से उसी प्रक्रिया से जैसे इसको लाया गया था और सबकी मौजूदगी में इसको लॉक कर दिया जाता है 24 सेवन इसका लाइव कैमरा चलते हैं और उसकी फुटेज एलईडी टीवी में चलती है जहां पे सारी पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रेजेंट डेटिंग इसको मॉनिटर करते हैं अब जिस दिन काउंटिंग ऑन नहीं होती है उसे दिन सारी पॉलिटिकल पार्टी और एग्जीक्यूटिव उसके सामने स्ट्रांग रूम का लॉक खोला जाता है और हर एक मशीन की सील चेक होती है अगर एक भी मशीन की सील खराब होती है तो प्रक्रिया वहीं पे रोक दिया जाता है जब सारे मौजूदा लोग मशीन खोलने के लिए सहमति जाता देते हैं तब मशीन खोली जाती है और मशीन खोलने के बाद उसको मशीन आईडी के टोटल नंबर ऑफ वोट मैच किए जाते हैं जो लिस्ट दी गई होती है उससे और partiyon के बोलने के बाद काउंटिंग स्टार्ट होती है ये sideing ऑफिसर मशीन में रिजल्ट का बटन ढाबा के रिजल्ट दिखाता है और जो रिजल्ट आता है उसको रैंडम vvpait मशीन से वेरीफाई किया जाता है मैन लीजिए एवं में दिखा रहा है की बीजेपी को 100 वोट मिले हैं और कांग्रेस को 90 वोट मिले हैं तो vvpait मशीन में भी उतने ही नंबर दिखाना चाहिए और ये सब रैंडम चेक होता है जैसे-जैसे कैलकुलेशन होती रहती है मीडिया वाले बताने लगते हैं की ये इतने voton से आगे चल रहे हैं या फिर पीछे चल रहे हैं और लास्ट में रिजल्ट अनाउंस होता है अब dekhiae इसमें होता ही है की जो पार्टी हर जाती है वो हल्ला करने लगती है की मशीन हैक हो गई है और वही से पार्टी जिस जगह से जीती हुई होती है वहां पे चुप रहती है आज तक एक भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसने एवं को कभी ना कभी क्रिटिसाइज ना किया हो और आज तक एक भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसने जितने के बाद एवं को एक शब्द भी बुरा बोला हो dekhiae एवं मशीन को लेके लाखों लोगों ने बोला है की ये हैक हो गई है आए दिन आपने स्टेटमेंट डिबेट और वीडियो देखी होंगी लेकिन मैं उसे केस को डिस्कस करूंगा जो सबसे ज्यादा डिस्कस हुआ इस कंट्री में जब एक पार्टी के मेंबर ने दिल्ली असेंबली में एक मशीन लगाई और पूरे देश के सामने डेमोंस्ट्रेट किया की एवं मशीन इस तरीके से हैक हो सकती है लेकिन वो जो डेमोंसट्रेशन दिखाया गया था वो ओरिजिनल एवं पे नहीं दिखाया गया था उसकी कॉपी पे दिखाया गया था अब अगर मैं आपसे कहूं की एचडीएफसी और आईसीआईसीआई की जो इंटरनेट बैंकिंग है वो हैक हो सकती है वो खराब है और अगले दिन मैं अपनी बनाई हुई वेबसाइट को हैक करके दिखाओ तो उससे कुछ साबित नहीं होगा एचडीएफसी और आईसीआईसीआई इंटरनेट बैंकिंग अगर बेकार है अगर मुझे साबित करना है तो मैं एचडीएफसी की इंटरनेट बैंकिंग को हैक करके दिखाऊंगा तब लोगों में विश्वास आएगा ठीक है क्योंकि ये इतने बड़े लेवल पे हुई थी और पूरे देश ने देखा था तो इलेक्शन कमीशन ने 3 जून 2017 को हर एक पॉलिटिकल पार्टी को चैलेंज किया की जो लोग ये का रहे हैं की हैक हो सकती है वो दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट बुला के ले और इस मशीन को हैक करके दिखाएं कोई भी पार्टी नहीं गई अब पार्टी है गई क्यों नहीं इसके पीछे भी रीजन था क्योंकि अगर कोई पार्टी जाती और हैक नहीं कर पाती तो उसकी बहुत बदनामी होती है उसकी छवि खराब होती उसका कई सालों तक मजाक उड़ता और voton का भी नुकसान होता कुछ लोग ये भी तक देते हैं की बाहर की कंडीशन जब इसको उसे नहीं कर रही हैं इसको रिजल्ट कर रहे हैं तो हम लोग क्यों कर रहे हैं dekhiae 31 कंट्रीज ऐसी हैं जिन्होंने एवं का उसे किया हालांकि वहां का प्रक्रिया इंडिया से बिल्कुल अलग है लेकिन usmein से भी चार कंट्रीज ऐसी हैं जो उसको उसे करती हैं 11 पार्शियली उसे करती हैं और जिन कंट्रीज ने इनको बन किया है उनके कोर्ट के ऑर्डर अगर आप पढ़ोगे तो उन्होंने कहा है की लोगों को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज नहीं आती ऐसा सिस्टम होना चाहिए की लोगों को पता होगी उनका वोट जब उन्होंने दिया है तो आगे इतना बड़ा और किस तरीके से badhaen सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कुछ भी नहीं है इस देश में कई पॉलिटिकल पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में पल डाली इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको रिजेक्ट कर दिया इनफेक्ट तारीफ की एवं की अमेज़न पे इसके चिप और सर्किट अवेलेबल हैं कोई भी उनको उठाकर प्रोटोटाइप बनाता है और वीडियो दल देता है की देखो हैक हो गई है dekhiae जितनी कांस्पिरेसी थ्योरी होती है वो बहुत जल्दी लोगों में अट्रैक्ट करती हैं लेकिन बिना फैक्स के यकीन करना बहुत ही नुकसान दे होता है अभी फिर से इलेक्शंस के रिजल्ट ए रहे हैं और फिर से वही सब शुरू हो जाएगा हारने वाले आपको समझने की कोशिश करेंगे की एवं की वजह से हरे हैं लेकिन आपको तब तक अपने मैन में डाउट नहीं डालना है जब तक कोई लॉजिक या प्रूफ ना दे जो भी बोल रहा है की एवं हैक हो सकता है उसको आपको यही बोलना है की इलेक्शन कमीशन में चलो वहां पे जाके इसको हैक करो सबके सामने हैक करो और पूरे देश के हीरो बन जाओ अगर कोई का रहा है की एवं हैक हो सकती है या नहीं हो सकती तो दोनों ही केस में आप सवाल करें और सर ढूंढने की कोशिश करें किसी भी चीज को मैन लेने से पहले और ये सवाल सिर्फ एवं तक की सीमित ना रहा है बल्कि लाइव के हर एस्पेक्ट में क्वेश्चन करना जरूरी है कोई भी चीज हम कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं उसका पर्पस क्या है इस तरह की सोच फैट बेस और स्मार्ट लेने में मदद करती है पर हर कोई इस समय नेचरली नहीं सोचता ये भी एक स्केल है इस पे बहुत अच्छी बुक्स लिखी गई है jismein से एक बुक है स्टार्ट विद ए ये बुक बहुत अच्छे तरीके से बताती है कैसे आपको कोई स्टार्ट करने से पहले उसका पर्पस और रीजन जानना जरूरी है ये बुक समरी आप कुकू एफएम लाइब्रेरी से सन सकते हैं कुकू एफएम बहुत ही अच्छा ऑडियो बुक्स प्लेटफार्म है जहां बहुत अच्छी ऑडियो बुक्स और बुक्स हम भी सन सकते हो सिर्फ ₹399 में आपको पूरे साल का एक्सेस मिल जाएगा इन सारी बुक्स का बट अगर आप मेरा कूपन कोड उसे करेंगे एनआर 50 तो ये आपको मिलेगा 1994 ईयर बट कूपन इस वैलिड फॉर फर्स्ट 250 यूजर्स लिंक इस इन डी डिस्क्रिप्शन एंड प्रिंट कमेंट MbOj2CUg4yM,Why Putin wants Ukraine? | Nitish Rajput,2022-02-26T07:35:45Z,PT12M43S,3940202,208386,9339,https://www.youtube.com/watch?v=MbOj2CUg4yM,, है कि हमारे बॉर्डर पर नैटो का बहाना बनाकर मिलिट्री और मिसाइल रिप्लाई कर रहे हो यूक्रेन को हथियार सप्लाई करके आपका कौन सा पर पूरा हो रहा है लोगों की लड़ाई अब तभी करते हैं जब किसी और की जान दांव पर लगी होती हैं या कोई जरूरत थी क्रंची निकले टेस्टिंग के टाइम पर कश्मीर के टाइम पर यूएन सिक्यूरिटी काउंसिल में परमानेंट सीट के टाइम पर पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने का टाइम पर नहीं हम आंटी का पार्ट 2 आफ वर्ड को पढ़ा रहे हो उसे रिमाइंडर के लिए कुछ नुकसान आप भी उठा लेते तो जो लोग हैं वह आज अपने परिवार वालों को मरता हूं नहीं देखते एक तो इंटीग्रेशन कंट्रीज का ग्रुप बड़ा हो रहा है दूसरी चीज रिक्शा के बॉर्डर पर यूज की मिसाइल और मिलिट्री पहुंचने है यह सच में इनको छोटे देशों की इतनी चिंता होती तो अफगानिस्तान को रात और रात छोड़कर भाग नहीं आए होते हैं इन लोगों को रसिया के साथ-साथ यह भी पूछना चाहिए कि आपको मालूम था कि रखे अग्रेसर तो आप क्यों उसका ग्रेट इंटरेस्ट कर रहे थे यह और का नाम सुनके न्यूज़ चैनल और लोग हम बहुत एक्साइटमेंट आ जाता है कि गौर हो रही है एक नया टॉपिक मिल जाता है डिस्कस एक अलग लेवल कार्डिनल रस होता है नॉर्मल वेब सीरीज नेटफ्लिक्स पर देखने पर यह न्यू देखने में झाल लेकिन जो लोग बहुत ही एक्टिव सिचुएशन जानते हैं जिन्हें अपने वार्डों में होते हैं उनको और के नाम से साइड में नहीं होती है उनको बल्कि डर लगता है इस चीज का वह लोग ज्यादा अच्छे से फ्लैट कर पाएंगे जिनके अपने भाई या फिर फादर या फिर बेगिन थे जब और ऐसी सिचुएशन थी कि दुनिया की कोई भी कंट्री नहीं चाहती कि उसको कभी भी और का मुंह देखना पड़ेगा इन फैक्ट वे उस समय अटैक कर रहा है उसको भी बहुत अच्छे से पता है कि वहां से कंट्री अपने आप को और इस पर डाल देती है बल्कि वह कितनी बड़ी सुपर पावर हो तो फिर ऐसी क्या मजबूरी थी रसिया कि उसको यूक्रेन को पर अटैक करना पड़ा कि आपने सुना होगा रिएक्शन है कुछ शर्ते रखी हैं अगर वह शर्ते मान ली गई होती तो वह शोर कर रहा था कि और नहीं करेगा अगर आप उन शर्तों को ध्यान से देखोगे तो शर्तो में नैटो और यूज डिमांड कर रहा है यूक्रेन से नहीं तो फिर ऐसा क्या रिएक्शन होगी यूक्रेन के ऊपर हमला हो रहा है लेकिन पूरी सिचुएशन में यूक्रेन मोहरा बनाया अरुण वोरा क्यों बनाया इसके लिए थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा देखिए टाइम जॉब लेंगे ऐसे का हिस्सा हुआ करता था उस टाइम पर रहस्य नहीं बल्कि विस्तार हुआ करता था 1997 में यूज्ड कार डिवीजन हुआ और जब डिवीजन हुआ तो सारे छोटे छोटे देश बने उन्हें गेम शुरू करें यूक्रेन का सेपरेशन रशिया के लिए सबसे पहले सफलता और प्रेम भरे हो गया लेकिन चलता वह वेश्या के हिसाब से था उस दिन हमेशा कहते हैं यूक्रेन और राशि अलग नहीं तो सेम कल्चर और हिस्ट्री शेयर करते हैं इन फैक्ट 2021 मुद्दीन एक नोट भी लिखा था जहां पर उन्होंने यूक्रेन और रिश्ता के रिलेशन के ऊपर काफी कुछ लिखा था कि कैसे वह दोनों एक सेम हिस्ट्री शेयर करते हैं जो प्रेम और रिश्तों में ऐसे रिलेशन मे है कि एनपीटी के तहत यूक्रेन ने या अपने सारे न्यूक्लियर बम प्रेशर को देखकर आ गया था आज अगर वह उसने एक दम अलग होता यूक्रेन की दादी उसमें करीब थर्टी परसेंट लोग रशियन है वर्शन लैंग्वेज बोलते हैं रशिया को सपोर्ट करते हैं इससे यूक्रेन वह पार्ट है जहां पर प्रोग्रेशन आबादी ज्यादा है इससे यूक्रेन वह पार्ट है जो रक्षा के बॉर्डर से लगा हुआ है जैसे आप इससे यूक्रेन से वेस्टर्न यूनियन की तरफ जाएंगे तो रशियन आबादी कम होती है और वेस्टर्न यूक्रेन साइड में यूक्रेन के जो नोटिफिकेशन मिलती हूं मैं रोटी में रहती है 2014 से पहले दुल्हन और ऐसा के रिलेशन काफी अच्छे से वह इसलिए क्योंकि यूक्रेन के अंदर जो सरकार दी और रशिया के कठपुतली सरकार कि और राशि के हिसाब से चलती थी सारी कॉर्ड्स इस हिसाब से होती थी यूएसए यूरोप में इतना दम नहीं है कि वह जो प्रेम को भड़काने फिर 2014 के बाद ऐसा क्या हुआ कि वेश्या अपने हिसाब से यूरिन कुचला नहीं पाई और यूक्रेन यूरोप और रूस के डिफ्रेंस में आ गया यूक्रेन के अंदर भी दो ग्रुप से एक जो रशियन बोलते हैं यह लोग प्रोग्रेस इन गवर्नमेंट को सपोर्ट करते हैं और दूसरे जो नेटिव यूक्रेनियन है इनका झुकाव यूरोपीयन कंट्रीज की तरफ ज्यादा रहता है कि बीच-बीच में आवाज उठाते रहते हैं कि गवर्नमेंट प्रो रसिया है इससे जो रशियन पापुलेशन उसको ज्यादा फायदा होता है 2010 से 2014 यूक्रेन के जो प्रेसिडेंट हो मिस्टर मिस्टर है इनको कहा जाता है यह रोग ग्रसित है इनको यूरोपीय यूनियन की मीटिंग में बुलाया जाए इनको यूरोपीयन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट आफ हुआ जिसमें माना करके चले आए इसके लिए यूक्रेन के अंदर हम के खिलाफ जमकर प्रोटेस्ट हुए हैं और यह जो प्रोटेस्ट थे यह नवंबर-2013 में शुरू हुए और फैब्रिक 2014 तक चले यह प्रोडक्ट इस लेवल के हुए कि ट्विटर को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा और बाद में रोने राज्य के अंदर जाकर शरण ली अब इस इंसिडेंट के बाद आने वाले जितने भी फ्रेंड है वह समझ गए थे कि अगर रसिया कीजिए ताकि तो खुद का पावर में रहना मुश्किल हो जाएगा अब इंडिया में कोई सरकार आए और पाकिस्तान का महिमामंडन करने लगे तो सरकार कितने दिन चल पाएगी अब यहां से यूक्रेन के पास दो ऑप्शन थे एक तो यह था कि रक्षा की परछाई में जैसे चला ऐसा चलता रहा है दूसरा यह था कि अपने आपको यूरोपियन कंट्री के साथ इंक्लाइन करें यूक्रेन की पॉलीटिकल पार्टीज अच्छे से समझ पा रही थी कि उनके देश की मैच्योरिटी क्या चाहती है और 2014 के बाद धीरे-धीरे रसिया की बजाय यूरोपीयन कंट्रीज के साथ उनका झगड़ा होने लगा यह बात रोटियां अच्छे से समझ पा रहा था और उसको इसी बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी अब रशिया नैचुरल गैस का बहुत बड़ा सप्लायर है पूरे यूरोप में थर्टी परसेंट नैचुरल गैस अकेले रशिया देता यूरोप को देखे तो नेचुरल गैस सप्लाई की जाती है तो पाइपलाइन के रुक जाती है और जिस कंट्री के थ्रू यह निकलती है उसकी एंट्री को इस कारण देना होता है इन पाइपलाइन की जो इंपॉर्टेंट से वह यूक्रेन से भी उतरते थे अब 2013 तक है वैसा के हिसाब से चलता था लेकिन उसके बाद से पर यह प्रति मिलियन डॉलर यूक्रेन अच्छा से मांगना शुरू कर दिया 2014 तक यूज करें वेश्या का सबसे बड़ा इकोनामिक पार्टनर है लेकिन 2014 के बाद सिचुएशन एकदम चेंज हो गई थी वेश्या चाहता था कि यूक्रेन यूरेशियन इक्नोमिक्स यूनियन इसको जॉइंट कर यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है लेकिन यूक्रेन ने उसके लिए भी मना कर दिया डे बाय डे यूक्रेन का यूरोपीयन कंट्रीज के साथ जोड़ना रशिया के ऊपर काफी भारी पड़ रहा था लेकिन रियल प्रॉब्लम तब स्टार्ट हुई समझो करेंगे सीरियस इंटरेस्ट दिखाया ने टो मेंबर बनने के लिए देखिए ने टो नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन इसको 1948 में जब सेकंड वार हुई थी तो उसके बाद बनाया गया था यह गलत टॉपिक है लेकिन फिलहाल के लिए इतना समझ लीजिए कि कई देशों ने मिलकर क्रिटिसाइज ही और उसकी टीम में यह अ कि एक देश पर हमला होगा तो सब पर हमला माना जाएगा और सारे देश मिलकर उस पर टाइप करेंगे और जो 10 मिनट का मेंबर बनता है वहां पर कंबाइंड मिलिट्री बेस होती है मिसाइल से प्लांट किए जाते हैं सिक्योरिटी मेंटेन की जाती है अब आप इसकी वेबसाइट पर जाओगे तो मेंटेंनिंग पीस एंड स्टेबिलिटी एनर्जी यह सारी चीजें लिखी हुई है लेकिन इन सबको बताया कि यूएस और यूरोपीय देश ने इसको यह संसार को काउंटर करने के लिए बनाया था कि यह साथ थोड़ी कंट्रीज पर कब्जा ना कर लें यह स्टार्ट हुआ तो 11 कंट्रीज थिस कंट्री ऐड करके आज की डेट में इसमें 30 मेंबर है कि जब तक वेस्ट यूरोप में नेट अपने मेंबर बढ़ा रहा था तब तक रचयिता लेकिन वैसे को इस बात से दिक्कत होने लगी कि यूएस एक स्ट्रैटेजी के तहत धीरे-धीरे ईस्टर्न यूरोपीयन कंट्रीज को नेटवर्क का मेंबर बना रहा है एक तो इंटीग्रेशन कंट्रीज का ग्रुप बड़ा हो रहा है दूसरी चीज रिक्शा के बॉर्डर पर यूज की मिसाइल और मिलिट्री पहुंच रही है सोनिया हो गया लाभ कि आप पोलैंड के बॉर्डर के पास की कंट्रीज है और यूक्रेन के अगर मेंबर बन गया तो यह 1 से 2 मिनट में जाएगा तो वहां से अटैक लांच कर पाया वैसे ही खिलाफ आप नहीं देखोगे कि जाकर नेपाल को नेटवर्क नंबर बनाएं यह जो कैंडी क्रश के बॉर्डर के पास रहती हैं उनको अपना नंबर बनाते हैं भले वह घंटे कितनी छोटी हो भले ही वह कंट्री नैटो की गाइडलाइन फॉलो भी करती हो कि नहीं अब यूक्रेन है जो करें तो अली नहीं नैटो के लिए नैटो की गाइडलाइन कहती है कि बॉर्डर डिस्प्यूट नहीं होना चाहिए लेकिन यूक्रेन को अपना मेंबर बनाने के लिए रेडी है अब कल परसों बटन कह रहे थे कि हम ईस्टर्न यूरोप में फोर्स देंगे ताकि रसिया छोटे-छोटे देशों पर कब्जा करने उनके सिक्योरिटी की बात है अगर सच में इनको छोटे देशों की इतनी चिंता होती है तो अफगानिस्तान को रातोरात छोड़कर भाग नहीं आए होते हैं अब आप सोच रहे होंगे कि बॉर्डर के पास लेटर भेज देंगे तो कौन सा इतना बड़ा इस हो गया कि वह होने लगी थी कि Jio पॉलिटिक्स में बहुत बड़ा फैक्टर होता है यह सर्वेक्षण अगर कभी लड़ाई होती है तो जब तक रक्षा यस पर एक मिसाइल भेजेगा यू तब तक 10 मिसाइल भेज चुका होगा भले उसके पास सुपर सोनिक मिसाइल लोग लेकिन वे डिसएडवांटेज में रहेगा अब रसिया मैक्सिको न्यू यॉर्क सिटी साइन कर ले और यूएसए के बॉर्डर के पास जाकर मिलिट्री बेस बनाने लगे तो यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा और यही बात रसिया ने भी बोलिए कि अग्रेशन आप लोग दिखा रहे हो आप क्यों हमारी फैमिली एंट्रीज को हमारे खिलाफ कर रहे हो क्यों हमारे बॉर्डर पर नैटो का बहाना बनाकर मिलिट्री और मिसाइल रिप्लाई कर रहे हो यूक्रेन को हथियार सप्लाई करके आपका कौन सा पर पर पूरा हो रहा है यह ने काफी निकले मिसाइल रिप्लाई कर रखी है रूप में और सब जानते हैं रिक्शा को काउंटर करने के लिए अब राशियां किसी भी कीमत पर यूक्रेन को नैटो का मेंबर बन्ना फॉर नहीं कर सकता यूक्रेन नेटवर्क मेंबर इसे बनना चाहता था कि वह सिक्योर हो सके और नेटवर्क एंट्रीज के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती हैं क्योंकि जो करेंगे नेटवर्क नंबर बनता है 3205 किलोमीटर का जिक्र है वैसा का बॉर्डर हैव एक्सपोज्ड हो जाएगा वेश्या के बॉर्डर पर नेटवर्क फोर सजाकर बैठेंगी लेकिन ने टो कंट्रीज तब तक नहीं आता कि जब तक करें नेटवर्क मेंबर नहीं बनता है क्राइम यह लुहान 100 डांस यह यूक्रेन के पार्ट थे यहां रशियन पापुलेशन ज्यादा थी और यहां पर रसिया में से प्रेस मोड स्टार्ट करवा दिया अपने आर्मी की यूनिफार्म चेंज करवाकर उन्हें अपने ग्रुप में शामिल करवाया और 2014 में क्राइम यह स्क्रीन से अलग कर दिया फ्रेंड्स अगर आप एक वोटिंग करवाई वहां पर मैं रोटी प्रो रशियन थी तो रशिया के हक में फैसला आ गया सेम चीज लुहान 100 डांस में भी चल रही थी वह आंसर डांस में पहले से इसे Play Store में चल रहा था और यह दोनों इंजन ऑयल निरीक्षक हिसाब से चल रहे थे कि पूर्व एशिया लोग यहां पर ज्यादा है लेकिन अभी रशिया को जब हर तरफ से अटैक करना था यह स्क्रीन पर तो एक दिन पहले ही दोनों इंजन को इंडिपेंडेंस घोषित कर दिया और अपने आर्मी के एंट्री करवा के बोल दिया कि यह 30 की फोर्सेस है अभी मैं करंट सिचुएशन की बात करूं तो रसिया काफी टाइम से यूएसए नेटवर्क दोनों का एक चीज हर तरीके से समझा रहा था कि आपके आस पास नहीं है तो आप क्यों हमारे आस-पास पूर्व स्थित बड़ा रहे हो चौ बैटरी को वेश्या के फॉरेन मिनिस्टर ने बोला कि रशिया इन डेफिनेटली ऐड नहीं करता रहेगा इस चीज के लिए रोशनी को दिमाग और की डिमांड पूरी हो जाएगी तो नहीं करेंगे आप गौर से देखेंगे तो आपको समझ में तो सिर्फ असली लड़ाई की वजह से यह पहली डिमांड थी कि जितने भी एक्टिविटी ईस्टर्न यूरोप में कर रहा है उन सब को बंद कर दे और नैटो देशों से हटा दूसरे ढंग में कभी भी मेंबर टो डिमांड है की जो भी उनको करें संघ को लेकर पूरे वर्ल्ड में लेकिन उसके अपने की थी से मना कर दिया और इतिहास की 10 सबसे घृणित कर्म में लाखों लोगों की जान गई है आपने सुना होगा रिएक्शन है कि हम उन पर कब्जा नहीं करेंगे सिर्फ डिमोनिटाइजेशन कर रहे हैं जब यूक्रेन पर कंट्रोल आ जाएगा तो वहां की गवर्नमेंट डाटा के हिसाब से चलेगी और फिर यह जो नैटो का डर है कि यूक्रेन ने टो में मिल जाएगा वह भी डर खत्म हो जाएगा इस पूरी परियोजना का ध्यान से देखोगे तो हर कोई तैराकी यूएस को बीच में आना चाहिए मदद के लिए मैडम बहुत बड़ी गलती कर रहे यह बहुत ही भी प्रेसिडेंट है लेकिन वह bigg रही हूं बहुत ही तेज प्रेसिडेंट है जो वह बिना ऐक गोली चलाए इतना नुकसान कर सकते हैं रशिया का उसकी जो फ्रेंडली एंट्री इसमें बॉईल करवा सकते हैं तो क्यों बीच में आएंगे भले ही रसिया बहुत बड़ी सुपर पावर है लेकिन यूक्रेन के लोग इतनी आसानी से हार मानने नहीं उन्होंने कहा कि हम पीछे नहीं हटेंगे नाम भाग लेंगे और इसमें वेश्या का भी बहुत बड़ा नुकसान होगा दूसरी चीज पूरे वर्ल्ड कंट्रीज को लेकर संघ से लगा रहा है यूक्रेन के फॉर्म स्तर लगातार ट्वीट कर रहे हैं कि स्वेटर लगाइए आप कम से कम इतना तो कर इस वैन में लंबी चुप्पी साध रखी है जितना हो सके तो इतना वेट करेंगे क्योंकि थर्टी परसेंट यूरोप की नेचुरल गैस वेश्या से आती है और सुबह नगर लग जाएगा तो इसको बहुत बड़ा झटका लगेगा लोगों को रसिया के साथ चीजों से भी पूछना चाहिए कि आपको मालूम था कि रचे अग्रेसर तो आप क्यों उसका ग्रेट इंटरेस्ट कर रहे थे यह रिमाइंड का पाठ जो वर्ड को पढ़ा रहे हो उसी रिमाइंडर के लिए कुछ नुकसान आप भी उठा लेते तो जो लोग हैं वह आज अपने परिवार वालों को मरता नहीं देखते अगर आपके परिवार से कोई होता तो आप योग अपना साइड में रखते हैं और से बातचीत से इसका हल निकालते तब आपका ही वो सामने नहीं आता यह योग की लड़ाई अब तभी करते हैं जब किसी और की जान दांव पर लगी होती है यह इंडिया के ऊपर कोनिमेसे प्रेशर बना रहा है की रक्षा के खिलाफ बयान दो लेकिन इंडिया बहुत बड़ी कंट्री है वह यूएस के साथ से चलकर अपना नुकसान कर आने वाला देश नहीं है आप देख लेना इंडिया रशिया के खिलाफ नहीं जाएगा थोड़े बहुत बयान आते रहेंगे कि बैलेंस नहीं होना चाहिए चांद इसका सलूशन निकलना चाहिए लेकिन राशियां जो कर रहा है उसको कि डिसाइड नहीं करेगा वह रसिया को इस टाइम पर क्रिटिसाइज नहीं करना है उसका सपोर्ट करना है योर पॉजिटिव इमोशन से काम नहीं चलता है यूक्रेन के लीडर्स ने दूसरी कौन इसके चढ़ाने में आकर अपनी कंट्री के मासूम लोगों को मुसीबत में डाल दिया वह चीज इंडिया नहीं कर सकता है और इंडिया का रिश्ता के खिलाफ चलाई जाएगा तो इससे वह नहीं रुकेगी फिर एक ही चीज़ होगी रसिया चाइना और पाकिस्तान करेंगे इंडिया को जरूर थी स्क्रीन की निकले टेस्टिंग के टाइम पर कश्मीर के टाइम पर यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में पवमेंट सीट के टाइम पर पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने का टाइम पर उन हथियारों का यूज करके इंडिया में न जाने कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी इन सब मुद्दों पर यूक्रेन इंडिया के ऑपोज़िट खड़ा था और इसमें उसकी कोई गलती नहीं है आप भी कोई मजबूरियां रही होंगी लेकिन इस पर्टिकुलर टाइम पर इंडिया की भी मजबूरी है कंट्री अपनी लड़ाई खुद लड़नी है जो ताकतवर होगा वह कमजोरों को छोड़कर आएगा अभी यूक्रेन के साथ हुआ अभी फिर आगे ताइवान भी होगा कोई बचाने नहीं आया सब तमाशा देंगे यह वॉर खत्म होगा निडर फिर से हाथ मिला लेंगे लेकिन जिनके परिवार के लोग चले गए वह वापिस नहीं आएंगे तो QGtHyxEpbow,Broken Healthcare System In India | Nitish Rajput,2022-02-23T07:12:03Z,PT15M39S,839712,53582,3630,https://www.youtube.com/watch?v=QGtHyxEpbow,," ए middle-class आदमी और गरीब आदमी के बीच में सिर्फ एक हॉस्पिटल के बेल का फल होता है अगर मिडल क्लास आदमी के घर में किसी को बड़ी बीमारी आ गई तो वह गरीबी रेखा से नीचे आकर खड़ा हो जाता है लेकिन परफॉर्मेंस के लिए एमबीबीएस करने की जरूरत नहीं है लेकिन जिसको आप भगवान की तरफ भरोसा करते हो वह डॉक्टर आपको उस कंपनी की दवा लिख है जिस कमी तो उसको पैसा आया हो कि डॉक्टरों का परसेंटेज बना होता है अगर आप मार्केट में पता करोगे तो इस समय चीन से 40 पर सेंट का रेट चला डाक्टरों का और जो बाहर की ड्रेस स्पॉन्सर होती है रेगुलर बेसिस है वह अलग चाहिए इंडिया पूरे वर्ल्ड में सबसे बड़ी कंट्री है जल्द ही एक्सपोर्ट करने में हम पूरे वर्ल्ड में सबसे सस्ते दामों में जेनरिक दवाएं देते हैं और इंडिया में आपको जरूर दबाएं मिल ही नहीं रही है इससे बड़ा कोई झिझक नहीं होती पैथोलॉजी लैब खोलने के बाद वहां के डॉक्टर से जाकर मिलना होगा इसे रेट सेट कर रहे होंगे तब आपके पास लोग आएंगे प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर के पास फ्रेश टारगेट होते हैं फिर भी मीटिंग सोती हैं हर महीने का कोटा फिक्स होता है पेशेंट को एडमिट कराने से लेकर सर्जरी का तक कि टारगेट्स होते हैं कि जब भी कोई नई बीमारी दुनिया में आती है तो उसकी दवाई बनाने में बहुत ही पैसा टाइम लगता है किसी न किसी बीमारी के इलाज के लिए पैसा नहीं है कि सब्सक्राइब करें और इस साल तक सिर्फ एक कंपनी को और चैनल को सब्सक्राइब करें लाइक और सब्सक्राइब करें में का हुआ पैसा निकाल पाए और जैसे भी सल कंपलीट हो जाते हैं तो उस समय दवाई को कोई भी कंपनी बनाकर भेज सकती है और जब कंपनी इसको बनाकर मार्किट में मेघनाद Video सब्स्क्राइब सब्सक्राइब और सब्सक्राइब कमरे में सब्सक्राइब नहीं किया लेकिन कंपनी को बिल्कुल पसंद नहीं है आधे साल का गोल्डन टाइम होता है जिसमें कोई कंपटीशन नहीं होता जो मन करे वह रेट खुद डिसाइड करो और लोगों की मजबूरी होता है सिर्फ आप ही ने कि यह ड्रेस कंपनियों को बहुत ज्यादा पसंद है ड्रग कंपनी का मतलब होता है कि फार्मा कंपनी दवाई बनाती हैं तो कंपनी क्या करती है जब इसका पेटेंट खत्म हो जाता है और दवाई मार्केट में के सस्ते दामों में बिकती है तो उससे मेडिसिन का न्यू वर्जन निकाल लेते हैं ओरिजिनल कंपाउंड को थोड़ा सा चेंज करके नए नाम का पेस्ट डालकर उसको ज्यादा दामों में बिना किसी कोंबिनेशन के मार्किट में बेचते पेरासिटामोल ए जेनेरिक मेडिसिन चाहिए आपको अलग-अलग कंपनी के नाम से गांव के लोगों को सब्सक्राइब करें और यह है कि आप झाला डिस्प्ले के जेनेरिक दवाइयां लेने लगे इन फैक्ट जो एजुकेशनल बैकग्राउंड घृथम विश करने की जरूरत नहीं होती दोस्तों मैंने आपको बताया मैं अपने मन की बात नहीं बोल रहा हूं यह काम करने के लिए आप इससे पहले कि आगे बढ़े नॉलेज पार्टनर को सचिन बंसल को लिप किस तरह एसिडिटी की प्रॉब्लम को एक अलग सोच हैंडल किया है वह मैं आपको वीडियो के एंड में बताऊंगा तो टॉपिक पर आते हैं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉक्टरों को नियुक्त करते हो मैं तो हर डॉक्टर को मानना होगा डब्ल्यूएचओ ने और रिकॉर्ड बोला है कि जेनेरिक दवाइयां यूज करने से काफी कम पैसों में लोगों का इलाज इसके बाद जो मैंने आपको अपने मोस्टेड डॉक्टर से कंफर्म करके उसके बाद आपको यहां पर किसी और कंपनी की दवाई जिसको आप भगवान पर भरोसा करते सब्सक्राइब नियुक्त डॉक्टरों को नियुक्त पता करो सब्सक्राइब करो तो अलग से यही निवेदन है कि डॉक्टर जेनेरिक दवाओं की वजह ब्रांडेड और डॉक्टर इमानदारी से काम करने को लेकर घूमता को पूरा करने में बहुत ही अच्छे तरीके से नहीं कर सकती हैं अगर चैनल को सबस्क्राइब बनाने वाली कंपनी है नाम से डिस्ट्रिब्यूशन हो रहा है अगर कोई भी कंपनी दिल्ली के दवा बनाते हुए पकड़ी गई को उम्र कैद की सजा होती है आप कह सकते हो लेकिन अगर कोई कंपनी सब्सक्राइब कंपनी के लिए सब्सक्राइब करें जितने को नियुक्त करने के लिए नियुक्त किया इससे कितने अंदर तक जाम रखा गवर्नमेंट मल्टी एडवाइजरी जारी की है कोट यह जो MB चौपाल में धोया सीनियर ऑफिसर सोंग्स कि हमने क्यों बकवास जगह कैंडी क्रश क्यों देर हमें ब्रेड तक लिए सरकारी फार्मेसी में जेनरिक दवाएं मिलती है एक आदमी सरकारी हॉस्पिटल में जाता है वहां डॉक्टर को सब्सक्राइब करें लाइक और सब्सक्राइब लिखा है कि सरकारी हॉस्पिटल में कंपनी को पूरा सिस्टम लिमिटेड सब्सक्राइब में नियुक्त इससे बड़ा कोई योग नहीं हो सकी आप ऐड करेंगे कि कौन-कौन सी चीज तो यह और किसी व्यक्ति के जरिए और मतलब मतलब गवर्नमेंट मिडिल और सब्सक्राइब कर लें तो है वह 12 असल दवाइयों के साथ 569 अश्लील चिपका दें और विचारों को सब्सक्राइब करने वाले मतलब स्किन को सबस्क्राइब मीटिंग है थे पेशेंट को एडमिट कराने से लेकर सर्जरी का तक कि टारगेट्स होते हैं एक ऊंघती उसके डॉक्टर ने सर्वे किया और उनकी रिपोर्ट सबस्क्राइब सब्सक्राइब करें कुछ लोगों को शीघ्र पूरा करने के लिए नियुक्त को सबस्क्राइब लाइक सबस्क्राइब और हॉस्पिटल सब्सक्राइब करना बहुत ही जरूरी प्रेजेंटेशन उनको सर्जरी की जरूरत ही नहीं पड़ी को सबस्क्राइब गांव में यह 14 रिपोर्ट होती है देते ही नहीं two-third आफ पापुलेशन रोटी तक नसीब नहीं लेने पर मजबूर करेंगे तो पैसा को सबस्क्राइब करना न भूलें सब्सक्राइब सब्सक्राइब मतलब स्कूल चीज को लेकर आज तक जिसने को सबस्क्राइब करना न भूलें और सब्सक्राइब अगर आपको यह डिश को हॉस्पिटल मांगे मिडल क्लास आदमी और गरीब आदमी के बीच में सिर्फ एक हॉस्पिटल के बीच का फर्क होता है अगर मिडल क्लास आदमी के घर में किसी को बड़ी बीमारी गई तो वह गरीबी रेखा से नीचे के डॉक्टर मेडिकल स्टोर और सब्सक्राइब करें इन सब चीजों के बीच में आपको कैसे पता चलेगा कि आप किस कैटेगरी में घृत जरूरी है कि यह क्वेश्चन पूछना कि आपके घर में अगर कोई बीमार हो जाती है और आपको तो आपके पास में कोई छोड़कर अगर आप बिना किसी बिना किसी इतने पैसों की जरूरत है कि हेल्थ इंश्योरेंस काफी जरूरी चीज है लेकिन फिर भी काफी लोग इसको पैसे का वैसे समझते हैं अभी भी लोगों में प्रोटीन से चीज को लेकर दूसरे आदमी करता है कि कंपनी ने बहुत बड़े छेद को करने के बारे में बताना चाहता हूं कि इस तरह की प्रॉब्लम को दूर करने में बहुत अच्छा सब्सक्राइब करना ना भूलें और 20 मिनट में पॉसिबल रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के साथ का नाम इंश्योरेंस 1974 सेंट पर 11 लाख से भी ज्यादा लोगों को ना भी ऑलरेडी सब्सक्राइब चुका है अब दूसरी सबसे इंपोर्टेंट बात होती है कि जो आपके आसपास हॉस्पिटल उनको इंश्योरेंस कंपनी कवर करती है कि ना 10,000 से ज्यादा हॉस्पिटल कवर करता है और जैसे कि आप किसी भी डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कर सकते हैं सब्सक्राइब कर सकते पूरा करता आप यूज करते हैं तो आप सब्सक्राइब पूरे process करता है और आप चाहे तो सब्सक्राइब सब्सक्राइब करें अपने दिया आप चेक आउट कर सक" YO6bMfkiAEw,Gross domestic product (GDP) Explained | Nitish Rajput,2022-02-11T07:19:42Z,PT8M24S,1018173,45553,1168,https://www.youtube.com/watch?v=YO6bMfkiAEw,, कि आपने बहुत बार न्यूज़ में या फिर अपने आस-पास जीडीपी के बारे में सुना होगा ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट तो अगर यह है क्या Bigg Boss मतलब टोटल और डोमेस्टिक मतलब इंडिया की पॉलिटिकल बाउंड्री के अंदर और प्रोडक्ट में आते हैं गुड्स एंड सर्विसेज 21 साल के अंदर प्रोड्यूस हुए देखना पैसा सिर्फ दो ही तरीके से कमा सकते हैं तो आपको इसको यूज करिए ऐसे कुछ लोगों का सपोर्ट यूज कर रहे हैं बट अलसो प्रोड्यूस कर रहे हैं तो आप इस मोबाइल वगैरह या फिर आपको इस सर्विस से दीजिए जैसे कि डॉक्टर वकील नियुक्त सर्विस देते हैं यह कोई कंपनी में काम करके सर्विस देता है या फिर एक नई है जो बाल काट के सर्विस देता है इन सारे गुड्स एंड सर्विसेज की जो वैली होती है वैल्यू मतलब आपने ₹100 में बाल काटे हैं तो ₹100 इसकी वैल्यू हो गई आपने ₹10 में कोई बोतल खरीदी है तो 10:00 उसकी वैली हो गई तो एक साल के अंदर ही जितने भी गुड्स एंड सर्विसेज की वृद्धि होती है वेद इन र कंट्री उसको भी बोलते हैं अगर यह ऐसे की कंपनी इंडिया में आकर कुछ मैन्युफैक्चर करेगी यह बनाएगी तो इंडिया के जीडीपी में अकाउंट होगा वह यूएसए के जीडीपी में अकाउंट नहीं होगा इसीलिए वह कितना फोकस करते हैं लेकिन इंडिया के अंदर इसको के नाम नमस्ते फैमिली से कोई एक मॉल है उसमें कोई शॉप कपड़े बेच रही है कोई और बाल काट रही है कोई टैरोकार्ड रीडर भविष्य बता रहा है सर्विस दे रहा है कोई बर्तन बेच रहा है और हर फ्लोर पर गुड्स एंड सर्विसेज बेचे जा रहे हैं अगर उस मॉल में हम हर चीज की कीमत नोट कर लें और 1 साल तक करते रहें और लाख अनुसार इन चीजों को ऐड कर दें तो वह स्माल की जीडीपी होगी ठीक इसी तरीके से देश में एक साल के अंदर कितने गुण सर्विस प्रोड्यूस हुए देश का जीडीपी होता है तो पहली चीज तो यह है कि जीडीपी कैलकुलेट करने की जरूरत क्यों पड़ रही है क्यों इतने फैंस लगाए जा रहे इसको कैलकुलेट करने के लिए देखेंगे जीडीपी हर साल ऊपर जा रहा है इसका मतलब कि प्रोडक्शन कंट्री अंदर ज्यादा हो रहा है देश की कहानी अच्छी है और अगर जीडीपी हड़ताल नीचे जा रहा है तो इसका मतलब कि देश के अंदर गुड्स एंड सर्विसेज कम प्रोड्यूस ओर हैं जब कम प्रोडक्शन होता है तो सेटिंग भी कम होती है और जब कम सेटिंग होगी तो इसका मतलब कि जो ब्रह्मरस है वह कम पैसा कमाएंगे और कम पैसा कमाने का मतलब है कि लोगों की परचेजिंग पावर कम हो रही है इकनॉमिक डाउन हो रही है जीडीपी से अपने देश के में हेल्प का पता चलता है उसी के बेसिस रॉबर्ट अपनी पॉलिसीज बनाती है जब जीडी का डेटा आता है तो हमें अपनी शॉर्टकमिंग का पता चलता है और बिना शॉर्टकमिंग्स को पता करें उनको सुधार नहीं सकते हैं पूरे वर्ल्ड में यूएसए की जीडीपी नंबर वन पर यह ऐसे की ढलान 22.93 में डाला है और सेकंड पर चाइना है विद अकैडमी आफ 80 और इंडिया की इकोनॉमी 2.6 टेंट व और यह चेंज होती रहती है अब आप सोच रहे होंगे यह कैलकुलेट कैसे होता है अब कोई कंपनी है उसने एक जगह से बैटरी खरीदी दूसरी जगह से चेक खरीदी और मोबाइल बनाकर भेज दिया तो वह जो बैटरी खरीदनी है उसका प्राइस जीडीपी में ऐड होगा कि नहीं और अगर उसका प्राइस ऐड होगा तो जो फाइनल मोबाइल भेजा जाएगा उस पर्टिकुलर मोबाइल का प्राइस जीडीपी में ऐड होगा कि नहीं और अगर दोनों का प्राइस जीडीपी में ऐड होगा तो एक बैटरी का प्राइस दो बार अकाउंट है जीडीपी में तो इससे जो हमारी जीडीपी के थ्रू प्रोडक्शन कैलकुलेट करने का जो प्रोसेस है वह गलत हो जाएगा एग्जांपल से आपको समझाता हूं मानिए मुझे होममेड खाना है मैं मार्केट में जा कर एक खरीदता हूं तो उसका जो प्राइस होगा वह जीडीपी में ऐड होगा लेकिन वहीं पर अगर एक कोई बेकरी वाला है वह आज केक खरीदना है क्योंकि इसको केक बनाना है बेचने के लिए तो वह एक का प्राइस होगा वह ऐड नहीं होगा बल्कि यह फाइनल प्रोडक्ट है जो फिनिश्ड प्रोडक्ट है केक उसका प्राइस जीडीपी में ऐड होगा इसी तरीके से हर मिनट के लिए होता है इन सारी चीजों का हिसाब सेंट्रल स्टैटिसटिक्स ऑफिस रखता है कि कौन सी चीज बिजनेस ओनर पर करके ले रहा है और कौन कंज्यूमर खरीद रहा है इसमें वह प्रोडक्ट अकाउंट होते हैं जो प्रोड्यूस होकर बीके हैं अब मैं अपने घर पर लकड़ी का कोई प्रोडक्ट बना लूं अपने घर पर रखूंगा तो वह रीड के प्रोडक्शन में अकाउंट नहीं होगा जीडीपी में गुड्स एंड सर्विसेज के साथ-साथ इनवेस्टमेंट भी अकाउंट होता है और इनवेस्टमेंट हमेशा फिर इसकी और कॉम्प्लिकेटेड टॉस लगता है क्योंकि इसमें सबसे बड़ा क्वेश्चन नहीं होता है कि कहां इनवेस्टमेंट करें कि हमें प्रॉफिट हो और इसके लिए काफी रिसर्च चाहिए होती है और यह डिसाइड करना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब कुछ अनएक्सपेक्टेड चीजें आ जाती है जैसे कि को रोना को भी चलते मार्केटिंग से चेंज हो गया इस टाइम में कमी कंपनी बंद हो गई और इनवेस्टमेंट और भी ज्यादा रिस्की हो गया बट ऐसे टाइम पर भी काफी कम रहती थी जो ना सिर्फ टैंकर पाई बल्कि उन्हें काफी विरोध भी देखिए और बहुत कंपनी हिस्ट्री थी कि उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं हुआ इस चैन से स्माल के इस आपको ऐसा ही एक पोर्टफोलियो में निवेश करने का ऑप्शन देता है जिसका नाम है टॉप हंड्रेड स्टॉक्स जिसमें इंडिया की गैस कंपनी आपको एक बास्केट में कैटिगराइज मिलेंगी स्माल के इसकी रिसर्च के सबसे बड़ी कंपनियों के बस होने के चांसेस काफी कम होते हैं और यह आपके पोर्टफोलियो की स्टेबिलिटी बढ़ाने में मदद करती है मॉल के आपको इनकम 20 की ग्रोथ रिपोर्ट पास परफॉर्मेंस रिव्युस सारी डिटेल देता है जो आपको अपने नेल्स में हेल्प करता है इसी तरीके से स्माल केस में अलग बॉस्केट आफ स्टॉक्स है जिससे आप अपनी चॉइस के हिसाब से निवेश कर सकते हैं तो यूज कीजिए सिंपल प्लेटफॉर्म टो इन्वेस्ट लेंगे जिन्हें डिस्क्रिप्शन बॉक्स और यह कोई प्रोफेशनल एडवाइस नहीं है तो आप अपनी समझ से इन्वेस्ट करें जीडीपी दो ही केस में बढ़ता है पहला तो यह कि प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा हुआ गुड सर्विस का और दूसरा कैसे भी हो सकता है कि प्रोडक्शन उतरना हुआ हो लेकिन प्राइजेज बढ़ गए हो तो जो पहला केस है उसको हम कहते हैं वे जीडीपी और जो दूसरा के है जहां पर प्राइस बढ़ने की वजह से जुडी बड़ा है उसको कहते हैं नॉमिनल जीडीपी इसलिए जब गवर्नमेंट आफ वृद्धि का डेटा रखती है तो आपको ध्यान देना है कि वह रियल जीडीपी है या फिर नॉमिनल जीडीपी है जीडीपी का जो मेन पर्पल है वह कंट्री के गुड्स एंड सर्विसेज का प्रोडक्शन बता सके इसलिए जो दूसरा के है जिसमें प्राइस की वृद्धि भी बढ़ रहा है अगर हम उसको करियर करेंगे तो देश की एक्चुअली इग्नोर भी नहीं पता चल पाएगी इस चीज का सलूशन निकालने के लिए बेस्ट यह लिया गया जैसे कि इंडिया में जो भी निकाला गया है वह 2011 2012 को बेस है लेकिन निकाला जाता है जब न्यूज़ में जीडीपी का डेटा देखते होंगे तो दो तरीके से भिडेगा लिखा होता है एक लिखा होता है जीडीपी एंड टर्म्स एंड फ्रेसिस एंड दूसरा लिखा होता है जीडीपी एंड करंट प्राइस जीडीपी ऐड कौन से ट्राय जहां लिखा होता है उसका मतलब कि 2011 को बेटियां लिया गया है जीडीपी रेट करंट है जिसका मतलब होता है कि उसमें जो बेस है वह करंट ईयर लिया गया है फैक्ट्री करने जब कोई प्रोडक्ट बनता है तो उस टाइम तो उसमें टेक्स्ट नहीं होता है उस समय जो इसका फायदा होता है को फैक्टर प्राइस बोलते हैं और उसमें टैक्स सेट हो जाता है तो उसको मार्केट प्राइस कहते हैं 2015 से पहले जीडीपी फैक्टर प्राइस कैलकुलेटर होता था और उसके बाद से मार्केट पैसे कैलकुलेट हो रहा है एक घर है चार लोग हैं और उनके घर की आमदनी ₹100 और दूसरा घर है जिसकी आंगन 120रुपए लेकिन घर में 20 लोग हैं तो भले ही दूसरे घर की ज्यादा आमदनी हो लेकिन पहला का ज्यादा अच्छे से चल पाएगा यूके ऑल इंडिया का जीडीपी और वह सेम लेकिन आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक पापुलेशन की वजह से यह को ज्यादा अच्छा मानता है यूके ऑल इंडिया का जीडीपी तो सेम है लेकिन जीडीपी पर कैपिटा में बहुत ज्यादा फर्क है यूके का पर कैपिटल 40 लाख तक जाता है और इंडिया का पर कैप्टन एरो कारण रहता है जीडीपी कैलकुलेट करने के लिए कई सारे हर्बल हैं जीडीपी का एक्सपेंडिचर बाय इनकम बाय प्रोडक्शन लेकिन इन सब चीजों में आपको घुसने की जरूरत नहीं है वह अंचल एक्सपर्ट्स का काम है लेकिन गवर्नमेंट जॉब आपके सामने लीडर रखती है तो कुछ चीज़ों का ध्यान आपको रखना है जैसे कि नॉमिनल जीडीपी वीएस जीडीपी जीडीपी एंड कांस्टेंट प्राइस है या फिर लीड करंट प्राइस है जीडीपी दो तरीके से कैलकुलेट होता है एनुअली और क्वार्टर ने एक साल में चार क्वार्टर होते हैं और जो पहला क्वार्टर होगा वह पिछले साल के पहले क्वार्टर से कम पर होगा ताकि हम बरसात के प्रोडक्शन को लास्ट ईयर के कि आपके प्रोडक्शन से कंपेयर कर सके अब 2019 में करो ना की वजह से थर्ड क्वार्टर का जीडीपी रेट बहुत नीचे चला गया था जीरो प्वाइंट 4% तक अब नेक्स्ट ईयर थर्ड क्वार्टर को से मन से संपर्क कर आ जाएगा तो थोड़े से भी प्रोडक्शन से जीडीपी रेट ऊपर पहुंच जाएगा क्योंकि quora टाइम में बहुत नीचे था तो जरूरी नहीं है कि हर बार प्रोडक्शन की वजह जीडीपी ग्रोथ रेट जाएं जीडीपी रेट एक बहुत ही सिंपल तरीके से कैलकुलेटर होता है अगर पिछले साल थर्ड क्वार्टर में जीडीपी शौक था और फिर इस साल थर्ड क्वार्टर में जीडीपी 105 है तो जीडीपी रेट होगा फाइव परसेंट यह डिलीवरी के लिमिटेशंस है इसमें इनफॉरमल सेक्टर के डाटा को जोड़ना बहुत ही मुश्किल है और इंडिया में मैक्सिमम सेट अगेंस्ट है दूसरी डिक्रिस में रहती है शेल कंपनीज जो एक्चुअल में गुड्स ओर सर्विसेज प्रोड्यूस नहीं करती है सिर्फ मनी लांडरिंग और टैक्स बचाने के लिए खुलती हैं यह सेल कंपनी कहते हैं जीडीपी में अकाउंट हो जाती है और क्योंकि गवर्नमेंट का फायदा होता है इसे ऐड करने में तो इसको ऐड कर लेती है पर कार्रवाई नहीं करती है 2019 में हमसे की रिपोर्ट आई तो पता चला कि थर्टी सिक्स परसेंट कंपनी शेल कंपनीज है मतलब यह बस टैक्स में कार्य मनी लॉन्ड्रिंग करने और एक में कोई सर्विसेज या फिर गुड प्रोड्यूस नहीं कर रही है लेकिन इनका डाटा फिर भी जीडीपी में अकाउंट हुआ तो इस तरीके की ड्रेस हर गवर्नमेंट करती है अपनी डीपी के डाटा को ऊपर करने के लिए अगर जीडीपी बढ़ेगा तो अनइंप्लॉयमेंट कम होगा और क्योंकि गवर्नमेंट जीडीपी डाटा को सही से नहीं रखती है और यही निवेदन है कि इन यह पहली ऐसी कंट्री है जहां पर जीडीपी का रेट भी बढ़ रहा है और अनइंप्लॉयमेंट रेट भी बढ़ T92ZvWJ6-SQ,Who are you voting for this election? || Nitish Rajput,2022-02-08T13:01:29Z,PT9M56S,610413,45116,2569,https://www.youtube.com/watch?v=T92ZvWJ6-SQ,, यूपी यूपी की विधानसभा के अंदर इस समय हर 34 सीट पर यूपी की जनता देख ऐसा आदमी उठाया जिसके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस है लेकिन धीरे-धीरे क्रिमिनल उसको समझ में आने लगा कि पैसा इकट्ठा कर रहा हूं और भीड़ इकट्ठी कर रहा हूं और सफेद कुर्ता यह लोग मान रहे हैं और उससे भी बड़ी चीज है कि सुप्रीम कोर्ट के बोलने के बाद भी शादी पार्टियों ने लोगों से छुपाया अपने फीमेल कैंडिडेट के बारे में वूमेन को इसलिए हल्के में लेते हैं कि उनको पता है कि जहां पर हूं कि आदमी वोट देंगे वहीं पर जाकर वोट दिया है कि इनको बहुत अच्छे से पता है कि यंग जेनरेशन इलेक्शन डे वाले दिन उठकर वोट देने आएगी नहीं कांटेस्ट से लगी जिस स्टेट में नेता अपना इंटरेस्ट दिखाना शुरू कर रहे थे उसी स्टेट का पूरा टाइम चालू हो जाएगा आपकी समाज में इज्जत तब होती है जब आपके पास पैसे होते हैं इसलिए नहीं होती कि आप कितने लोगों से जुड़े वह अपने धर्म को लेकर आ है लेकिन यूपी में चुनाव आ रहा तो यह पांच टेस्ट में रहें लेकिन यूपी की बहुत ज्यादा हो रही है क्योंकि ऑल ओवर इंडिया में सबसे ज्यादा एमपी तो हिस टेंट होते हैं और ज्यादा एमपी सीट का मतलब है कि पीएम बनने का रास्ता यूपी से खुलेगा और यही रीजन है कि आज तक 15 पीएम में से 9 पीएम यूपी सही रहे हैं और यही रीजन है कि लोकसभा साड़ी पार्टी के बड़े नेता आपको यूपी की सीट से खड़े हुए मिलेंगे और अपना कोई ना कोई रिलेशन गंगा मां से या फिर यूपी के इतिहास से या फिर यूपी के किसी शहर से अपने बचपन को जोड़ते हुए मिलेंगे इससे पहले कि आप डिसाइड करें मैं आपको किस को वोट देना मैं कुछ डेट आपके सामने शेयर करना चाहता हूं इस पर्टिकुलर टाइम पर यूपी के अंदर 403 नेता जो लास्ट अंक जीतकर आए थे उनमें से 143 नेता ऐसे हैं जिनके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस है इसका मतलब कि यूपी की विधानसभा के अंदर इस समय हर 34 सीट पर यूपी की जनता देख ऐसा आदमी उठाया जिसके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस है और यह जो क्रिमिनल चार्जेस कि मैं बात करूं ऐसा नहीं किसी आरोप लगा दिया ऐसा ही यह वह चार्ज है जो नेताओं ने खुद एफिडेविट लगाकर डिक्लेअर की हैं मतलब कि सुप्रीम कोर्ट के अंदर यह चार्जेस फ्राई हो चुके हैं इसका मतलब कि पुलिस ने मशीन अ उसको प्रूफ आई विटनेस मिलेंगे वह चार्ज है अगर आपके ऊपर एक छोटा सा भी केस होगा तो आपको फ्लैट नहीं मिलेगा किसी भी गवर्नमेंट जॉब का एक क्योंकि जब तक कि आपको अपडेट नहीं मिलेगा लेकिन इतने चार्जर्स के साथ नेता देश चला सकते हैं आप अपने आसपास किसी से भी पूछ लो कोई नहीं जानता कि उनके ऊपर क्रिमिनल लेता कर बैठे हम लोग कभी नहीं चाहेंगे कि हमारे कबीलाई है सर पीछे इन रेपिस्ट और मडर्स के आगे पीछे दौड़े इनकी जी हजूरी करें फिर को टिकट मिल की ओर हैं और उससे भी बड़ी बात की जीत कैसे रहें देखिए क्रिमिनल मनी और मसल पावर का एक परफेक्ट कांबिनेशन होता है अब नेता को इलेक्शन में फ्री की शराब बेचने है पैसे बढ़वाने तो अपने अकाउंट से GST कटवा कि नहीं देगा उसके लिए उसको ब्लैक मनी चाहिए होगी और इसमें मदद करते हैं क्रिमिनल्स और भीड़ इकट्ठी करने में भी माहिर होते हैं इसलिए नेताओं की पहली पसंद बन जाते हैं पहले यह तनी डिमांड नहीं से पहले इनका काम से यही बूथ कैप्चरिंग मेरा करना होता था लेकिन धीरे-धीरे कर उसको समझ में आने लगा कि पैसा इकट्ठा कर रहा हूं और भीड़ इकट्ठी कर रहा हूं और सफेद कुर्ता यह लोग मान रहे हैं तो इन्होंने नेताओं से टिकट मांगना शुरू कर दिया और नेताओं की भी मजबूरी बन गई कि देना है क्योंकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर पास किया कि अगर कोई भी पार्टी ढूंढ लेता खड़ा करती है तो उसे लोकल न्यूज़ पेपर नेशनल न्यूज़ पर ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर यूज करना होगा कि हमारे इतने कैंडीडेट्स हैं जिनके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस है और यह रोटी के टावर्स के अंदर करना होगा जैसे नॉमिनेशन होता है अब यह बताइए कि अगले चुनाव है आपको किस पार्टी के बारे में पता है कि उसने इस क्रिमिनल कैंडिडेट को खड़ा किया है आपके सोशल मीडिया अकाउंट चेक कर लीजिए आपको यह चकली कहीं पर नहीं कर रखा था लेकिन यह हटवा दिया कि हमने इस कॉस्ट का नेटवर्क खड़ा कराया इसी से फिर स्ट्रैट होकर अगस्त 2002 इसमें बृजेश सिंह ने केस फाइल कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी नेता जनता से ब्लैकमेल करने के बारे में छुपा हैं उनके बारे में कुछ भी पता नहीं रहे और सारी पार्टियों के खिलाफ दिए कि 2019 के चुनाव में लोगों से छुपाया अपने क्रिमिनल कैंडिडेट्स के बारे में अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इन्वेस्टिगेशन करवाई अब आप सोच लें इस पर वेरिफिकेशन के बाद क्या हुआ होगा 5 लाख 3 लाख 2 लाख इतना-इतना जुर्माना देकर सारी की सारी पट्टियां छुट्टी है ऊपर से एक भी पार्टी ऐसी नहीं थी जिसे क्रिमिनल लेता ना खड़ा किया और उससे भी बड़ी चीज है कि सुप्रीम कोर्ट के बोलने के बाद भी सारी पार्टियों ने लोगों से छुपाया अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में देखिए आप किस पार्टी को सपोर्ट करते हो उसमें दखल देना मेरा काम नहीं लेकिन जिन पार्टियों के लिए आप घंटों अपने दोस्तों से बहस कर रहे हो इतनी लंबी लंबी बहस करो एक बार अपनी पार्टी से भी पूछ लो कि आपको क्यों भाई देना पड़ रहा है और आप क्यों क्रिमिनल्स को टिकट दे रहे हैं जैसे स्टेट में नेता अपना एड्रेस दिखाना शुरू कर रहे थे उस स्टेट का पूरा टाइम चालू हो जाता है पूरे इंडिया में यूपी हर पॉलीटिकल पार्टी के लिए इंपोर्टेंट है और यही रीजन है कि यूपी पूरे इंडिया में नंबर वन पर आता है मजहबी दंगे कराने में सबसे कम सीटों वाले राज्य जिसमें ध्यान ही नहीं देते नेता लोग चिकन वगैरह पूरे इंडिया में सबसे पीछे कुल स्टेट्स हैं और यह कोई विशेष नहीं है जैसा राजा वैसी प्रजा एक बकरी अपने नीचे बखरी बनाए यह भी शेयर नहीं बनाएगी इसलिए जिस स्टेट में ज्यादा क्रिमिनल लेटर जीत के आते हैं उसी स्टेट में क्राइम सबसे ज्यादा होता है एक छोटी सी गूगल सर्च आप करेंगे आपके सामने सारा डाटा जाएगा न्यूज चैनल्स को इन्होंने खरीद लिया देश में कुछ भी हो एसपीआरए की बात हो पार्टी फंडिंग की बातों को इंपोर्टेंट बिल हो यह सिर्फ पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे बस यही 113 गांव खबरें आती है कि लड़के ने लड़की के घर में घुसकर मार दिया कि लड़के ने लड़की को हिंदू लड़की के घर में घुसकर एक मुस्लिम लड़के को मारा फिर उसके पिता ने उसकी बहन को ताकि आप इस बात से लगा सकते हैं यह नेता लोग घंटों बर्बाद करके यह यूपी में चुनाव होने से पहले बेसन चाहिए कि लोग और नेता हैं और यह है कि लोगों को लगता है तो कोई वैकेंसी आएगी होंगे तो नेता को लेकिन ऐसा होता नहीं अपने नेता को वोट करें तो आप की पसंद एक-दूसरे का भी टाइम नहीं है झाल यह सिर्फ डर बनाने के लिए होता है आप नोटिस करेंगे जब आप ही का नेता भी जीत जाता तो वह भी आपके लिए कुछ नहीं करता पर चुनिंदा लोगों को लैपटॉप और मोबाइल पकड़ा देता है 30 35 लोग उसकी कांटे होते हैं उनको गवर्नमेंट या फिर पुलिस में पोज दे देता है और बाकी लोग बिना मतलब कुछ रहते हैं कि हमारी सरकार अक्षर भेजो कि सिंह को वोट करती है उनके साथ भी हो करते हैं जैसे यह पावर में आते हैं सिर्फ अपने गुरुओं को ठेका दिलवाते हैं जो पैसा ने वोट खरीदने में लगा होता वह निकालते और अगले चुनाव की तैयारी करते हैं और जो लोग नेताओं के चक्कर में पड़कर हिंदू-मुस्लिम करते हैं वह अपना और अपने घरवालों फीचर जीरो कर देते हैं आपकी समाज में इज्जत तब होती है जब आपके पास पैसे होते हैं इसलिए नहीं होती कि आप कितने लोगों से जुड़े वह अपने धर्म को लेकर कोई भी आदमी ऐसे आदमी को निर्देश दिया रोजगार नहीं देता जो नफरत से भरा हुआ आप खुद किसी ऐसे आदमी को रोजगार नहीं दोगे जो आपकी कंपनी में आकर धर्म के नाम पर लड़ाता फिर रहा हूं आपके पास पैसे होंगे तो आप सीरियल में जाकर निवेश नहीं करूंगा आप ऐसी कंट्री में जाकर निवेश करोगे जो कंट्री स्टेबल हो जिस कंट्री में दंगे होते हैं वह कभी स्थिर नहीं रह सकती आप देख लेना जो लोग हिंदू मुस्लिम करते हैं यहां पर दंगा कि रहते हैं एकदम खाली और नाकारा लोग होते हैं इनके बाल कटने के बाद उनके पिताजी के पैसे देते जो मैंने ऑलरेडी में लोग हैं उनको यह समझा जाता है कि वोट नहीं दिया तो आपके ऊपर कोई और राज करेगा और सब खत्म हो जाएगा और माइनॉरिटी में जो लोग हैं उनको यह समझाया जाता है कि यह लोग इतने सारे हैं आप लोगों को खत्म कर देंगे अगर मैं माइनॉरिटी की बात करूं तो पार्टी से 0.06 परसेंट है टोटल पापुलेशन के लेकिन सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और सबसे ज्यादा पैसे वाले हैं उनको मतलब नहीं है दंगों से उनको नींद से मतलब है आप कितना भी अच्छा भाषण है तो उनके सामने वह कभी नहीं जाकर ट्रेन में आग लगाएंगे माइनॉरिटी का भला तब हुआ जब उनका कोई नेता बड़े होने पर आएगा प्राइम मिनिस्टर बनेगा और वह बड़े होंगे तब आएगा जब हर किसी की बात करेगा हिंदू और मुस्लिम दोनों की बात करेगा फिर माइनॉरिटी की बात करके छोटा नेता तो बन जाएगा लेकिन उससे अपनी क्वालिटी के आगे नहीं बढ़ पाएगा नेल्सन मंडेला काले लोगों के लिए तभी कुछ करता है जब वह दौरे पर आए और वह बड़े ओहदे पर इसीलिए है क्योंकि उन्हें काले और गोरे दोनों की बात करी आपको कोई मीडिया नहीं बताएगा कि कौन सा नेता क्रिमिनल है कौन सा नेता डेवलपमेंट करा सकता है आपको खुद रिसर्च करनी होगी जितनी अपने मोबाइल खरीदने में करते हैं इसकी एक परसेंट से भी कम रिसर्च आपको अपना नेता चुनने में करनी पड़ेगी आपको सिर्फ डब्लू टाइप करना है आपके एरिया के जितने भी नेता खड़े हुए उनको पर कितने क्रिमिनल कैसे हैं कितनी संपत्ति उनके पास सबको आपको पता चल जाएगा और जिस पार्टी को सपोर्ट करते हैं वह किस एरिया तक इस कैंडिडेट को खड़ा कर रही है इस पर भी आपको नजर रखनी है आपकी पार्टी जिस एरिया में जो कॉस्ट ज्यादा है उस हिसाब से कर कैंडिडेट खड़ा कर रही है तो बहुत डेंजरस है और इससे भी ज्यादा जरूरी चीज है वोट देना सबसे कम वोट यंग जेनरेशन देती है इसलिए आप देखोगे इनकी जो पॉलिसी होती है यंग जेनरेशन के मुद्दे जैसे कि एजुकेशन बेनिफिट वर्क बेनिफिट स्कॉलरशिप कॉलेज के प्लेसमेंट के नाम पर सिर्फ डॉट होते हैं यह सारे मुझे अपने मेनिफेस्टो में रखी नहीं है इनको बहुत अच्छे से पता है कि यंग जेनरेशन इलेक्शन डे वाले दिन उठकर वोट देने आएगी नहीं नेटफ्लिक्स लगी और नौजवान सबसे लास्ट रूप होते हैं जिसे पॉलीटिकल पार्टीज मतलब रखती हैं वह उनको इसलिए हल्के में लेते हैं क्योंकि उनको पता है कि जहां पर उनके आदमी वोट देंगे वहीं बजाय वह वोट देंगी टोटल पापुलेशन में से फटी गेट प्रेगनेंट वूमेन है और फिर की परसेंट से भी रिजर्वेशन है लेकिन पार्लियामेंट के अंदर से 2.2 परसेंट यार ऐसा नहीं पहुंच पाती है आपके घर में जो आपके मां-बाप बीमार हो जाते हैं तो आप इतनी दूर क्यों घर से आप घर पर जाते हैं वहां पर आप यह नहीं कहते हैं कि आप मेरे अकेले जाने से क्या होगा इलाज डॉक्टर कोई करना है क्योंकि आप अपने मां-बाप को अपना समझते हैं और जो लोग अपने देश को अपना नहीं समझते हैं सिर्फ वही लोग यह बात करते हैं कि मेरे अकेले के वोट देने से कोई फर्क नहीं पड़ता जब युवा आगे आएगा तो देश बदलेगा और ऐसा नहीं कि आज के युग में पोटेंशियल नहीं पॉलिटिक्स समझने का क्योंकि देखा जाए तो आज के टाइम में अब तक की सबसे ज्यादा हंटर प्रिंट निकाल रहे हैं हर फील्ड में चाहे वह एजुकेशन टेक्नोलॉजी की फील्ड ऑफेंस की या फिर क्रिप्टो टेक्नोलॉजी कि अगर आप भी क्रिप्टो करेंसी में इनवेस्ट करना चाहते हैं तो इसमें आपकी मदद कर सकता है पॉइंट्स को भेज इट्स इंडिया लार्जेस्ट को ट्रेडिंग आप कर्सिड बाय 1.5 करोड़ यूजर रजिस्ट्रेशन स्कार्स ऊपर एक बहुत ही आसान प्लेटफार्म है क्रिप्टो करेंसी खरीदने-बेचने ट्रेडिंग करने के लिए इस ऐप को इंटरफेस बहुत ही user-friendly है और आप से ₹100 से ट्रेडिंग स्टार्ट कर सकते हैं साथ ही साथ कौन सी चार्ट को देता है इंस्टेंट डिपॉजिट एंड विड्रोल फैसिलिटी जिससे आप कभी भी स्टफ ना करें बॉयज का YouTube चैनल और ब्लाक कुबेर वर्ष की मदद से आप इनफॉर्म तरीके से अपनी चॉइस नहीं सकते हैं गए रूपीस फॉर ए फ्री डाउनलोडिंग यह फंदा लिंक डिस्क्रिप्शन एंड स्टार्टड टो जर्नी टू FewlnN04ZJw,How Bollywood Movies EARN | Nitish Rajput,2021-12-19T07:48:29Z,PT7M45S,1327548,43312,961,https://www.youtube.com/watch?v=FewlnN04ZJw,, पूरी दुनिया के अंदर इंडिया सबसे ज्यादा मूवीस बनाता है हम एक साल के अंदर 18 से भी ज्यादा मजबूत बनाते हैं अभी 1824 में सारी की सारी सॉफ्ट होती है इसमें से 10 या 15 मूवी ऐसी होती है जो सुपरहिट होती है और अगर यह रेसिपी है तो यह बहुत ही व्हिस्की यह उसके बाद भी हर साल ज्यादा ज्यादा मूवीस बनती है तो इसके पीछे डिसीजन क्या है लेकिन इंडिया के अंदर जिस मूवी को फ्लॉप बोलते हैं वह भी बहुत अच्छा पैसा कमा लेती है इन फैक्ट मूवी होने से पहले प्रॉफिट कमा लेती है तो एक में बॉलीवुड में कौन सा मॉडल यूज होता है जिसकी वे सिर्फ फ्लॉप मूवी भी प्रॉफिट में रहती है कि बड़े बैनर्स की मूवी और क्या रिएक्शन है कि छोटी मूवी जिसकी अच्छी स्टोरी स्क्रिप्ट और एक्टिंग है वह पैसे नहीं कमा पाती अब इसमें कहा जाता है कि यह लोग अच्छी एक्टिंग और स्टोरी पसंद नहीं करते सबको मसाला मूवी चाहिए तो ऐसा नहीं है वैसे जैसे मूवी सबको बहुत पसंद आएगी लेकिन उसके बाद जो पैसा नहीं कमा पाई वहीं बड़े बैनर्स की मूवी अच्छी हो या बुरी हो लोग पैसा देकर मूवी हॉल में देखने जाते हैं बेक सिस्टेमेटिक तरीके से पूरा मॉडल ऐसे इंप्रूवमेंट हुआ है कि ना चाहते हुए भी हम मसाला मूवी को पैसे देकर मूवी हॉल में देखते हैं और जो मूवी जिसकी अच्छी स्टोरी है वह घरों में टीवी लैपटॉप यह देखिए जब पर मूवी बनती है तो ऐसा नहीं कि एक आदमी अपने घर से सारा पैसा उठाकर लगा देता और फ्लॉप होने पर रोड पर आ जाता है मान लीजिए आपको कोई भी बनानी है तो आपको यह प्रोसेसर की जरूरत होगी टू-डू जब वह आदमी होता है तो मूवी में पैसा लगाता है और 1 मूवी चाहिए जिसमें बनती है और इन चारों खोज में पैसे की जरूरत होती है पहला फेस होता डेवलपमेंट जिसमें स्क्रिप्ट राइटिंग स्टोरी डायलॉग यह सब डिसाइड होते हैं दूसरा पेज होता है प्री-प्रोडक्शन जिसमें शूटिंग लॉजिस्टिक लोकेशन टीम हीरोइन यह सब डिसाइड होते हैं तीसरा फैट होता है प्रोडक्शन जिसमें मूवी की शूटिंग और एडिशन होता है और चौथा और आखिरी फेस होता है पोस्ट प्रोडक्शन जिसमें एडिटिंग विजुअल इफेक्ट और साउंड डिजाइन होती है इन चारों प्रदेश में जो भी पैसा लगता है वह सब प्रोड्यूसर देता है और इतना पैसा लगाने के बाद थोड़ी सर कोई जरूरत होती है डिस्ट्रीब्यूटर कि इन डिस्ट्रीब्यूटर्स का काम होता है मूवी को ऑल ओवर इंडिया के सिनेमाहॉल तक पहुंचाना डिस्ट्रीब्यूटर्स के नीचे होते हैं सब डिस्ट्रीब्यूटर्स जिनके अलग रंगो में डिवाइड होते हैं यूपी वेस्ट का जो सब डिस्ट्रीब्यूटर होगा उसके अंदर में उसे जाकर सिनेमा हॉल जाएंगे और मुंबई का जो होगा उसके अंदर में उसे जाकर सिनेमा हॉल हैं तो इस तरीके से पूरे इंडिया में मूवी पहुंचती है अगर थोड़ी देर के लिए सब डिस्ट्रीब्यूटर्स की बात हटा दें तो जैसे मूवी उनके कंप्लीट होती है डिस्ट्रीब्यूटर और प्रोड्यूसर के बीच में एग्रीमेंट होता है कि जख्म सिनेमा हॉल में जाकर मूवी नहीं पहचानता ड्यूटी इसको देता है और डिस्ट्रीब्यूटर मूवी को सिनेमा हॉल तक और चाहते हैं जवाब हुई देखते हैं तो उसके स्टार्टिंग में नाम लिखे हुए आते हैं जैसे कि यूटीवी मोशन अल्ट्रा मीडिया थे ग्रॉस इंटरनेशनल बॉक्स स्टूडियो यह सब डिस्ट्रीब्यूटर्स के नाम होते हैं अगर मैं आपको एग्जांपल समझाऊं तो मान लीजिए सौ करोड़ की कोई मूवी बनी है तो जनरली प्रोड्यूसर 200 करोड़ में डिस्ट्रीब्यूटर्स को बेचकर गेम से मुक्त हो जाता है और डिस्ट्रीब्यूटर सिनेमा और इसमें मूवी को बेचकर प्रॉफिट कमाता है इसको कहते हैं आउट्राइट पर्चेस दूसरा केस होता है एंजियो रॉयल्टी जिसे मिनिमम गारंटी रोटी कहते हैं इस केस में डिस्ट्रीब्यूटर प्रोड्यूस ए मूवी खरीद लेता है और एक बटन प्रॉफिट से ज्यादा प्रॉफिट कमाने पर उसको कुछ पोर्शन प्रोड्यूसर को देना होता कुछ केस में प्रोडयूसर खुद डिजिटल बन जाते हैं इससे एक लेयर हट जाती है और पॉकेट ज्यादा होता है लेकिन यह काम आसान नहीं होता इसलिए बड़े-बड़े बिजनस इसमें हम डालते हैं ऐसे यशराज धर्मा प्रोडक्शन रेड चिप आपने देखा होगा कि जो बड़े स्टार धोते हैं इस साल में या 2 साल में सिर्फ एक या दो मूवी करते हैं वह छोटे एक्टर जो है वह साल में चार-पांच मूवीस करते हैं उसके बाद भी बड़े स्टार्स की नेटवर्क छोटे स्टार से काफी ज्यादा होती है क्योंकि बड़े स्टार्स पीस लेने की वजह मूवी के प्रॉफिट में शेयर लेते हैं और एक तरह से एक बड़ा स्टार आंसर कम्युनिकेशन में मूवी का को प्रोड्यूसर बन जाता है लेकिन जैसे मूवी डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास आती है डिस्ट्रीब्यूटर है उसके प्रमोशन और मार्केटिंग में काफी पैसा लगाते हैं और यह बहुत बड़ा डिफरेंस होता है छोटी और एक बड़ी मूवी में छोटी-मोटी कितनी अच्छी क्यों कितनी अच्छी स्टोरी गुना उसकी लेकिन एक बड़ा बैनर मार्केटिंग करके आपको रटवा रहेगा इस डेट को होगी रिलीज होने वाली है और अगर आपने वह नहीं देखी तो पीछे रह जाओगे नीम पेजेस और ट्विटर ट्रेंड में इतना पैसा इंटैक्ट हो जाता है कि अगर आपको मूवी के बारे में नहीं पता तो आपको नियमों ट्रेंड कुछ समझ में नहीं आएंगे आपके आसपास वह बात करते हैं तो आपको क्यूरिओसिटी हो जाती मूवी देखने की मूवी को फिर डिसाइड करने के लिए आपको मूवी देखनी पड़ती है और यही रीजन है कि मूवी अच्छी हो या बुरी हो पैसे कमा लेती है सबको बहुत मजा आया था ठग्स ऑफ हिंदुस्तान की बुराई करने में 120 करोड़ में ठग्स ऑफ हिंदुस्तान बनी थी इस मूवी का टोटल कलेक्शन हुआ था 331 करोड़ उसने फिर भी प्रॉफिट कमाया है तो 121 करोड़ बॉलीवुड में एडवांस टेक्नोलॉजी का यूज काफी भेज में हो रहा है पीजीआई और फैक्ट्री नहीं बल्कि रिलेटिव का भी यूज हो रहा है तो अंडरस्टैंड की अपडेट्स क्या देखना चाहती है एक हिट मूवी जिसका नाम आपने सुना होगा शादी में जरूर आना इस मूवी में डाटा साइंस का यूज किया गया तो LIC नोटिस किया देखना चाहती है और उन चीजों को मूवी में यूज भी किया गया मूवी के डिजिटल प्रमोशन में भी वैसे पेनल्टी इसको अफसर किया गया जिसका फायदा भी हुआ इसके ट्रेलर को 5 दिन में मिलियन सेट में डाटा साइंस आज के ज़माने के लिए बहुत इंपोर्टेंट एंड नेसेसरी टेक्नोलॉजी है जिसका युद्ध जगह पर हो रहा है इसका काफी इसको है जैसा आपने ऑलरेडी देखा और काफी जो पॉइंट्स हैं अगर आप भी डाटा साइंस या फिर मशीन लर्निंग में इंटरेस्टेड है तो अपग्रेड एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो आपकी स्पीड में ग्रोथ की मदद कर सकता है यह बेहतरीन प्लेटफॉर्म है जिसमें आप अपनी जॉब के साथ-साथ एमबीए और डाटा साइंस जैसे प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं आप ग्रेड ग्लोबली रिकॉग्नाइज्ड प्रोग्राम प्रोवाइड करता है फ्रॉम रेपुटेड नेशनल इंटरनेशनल सिटीज लाइक आईआईटी मद्रास एंड मुंबई कैलेंडर को लुट यूनिवर्सिटी एक्स्ट्रा जिससे फाइव टो सिक्स रस को पॉजिटिव ग्रोथ भी मिली अकॉर्डिंग टो रिसर्च बाय बैक कंसलटेंसी फॉर टॉप फैकल्टीज इंटरेस्टेड इन करिकुलम 181 मेंटरशिप प्लेसमेंट सपोर्ट और ऐसी काफी एडवांटेजेस ऑफ द कोर्स फ्रॉम अप्रैल टो यूटिलाइज करें और इस घंटी को और चेक आउट कीजिए अब ब्रेड के प्रोग्राम्स टो पावर यह कैरियर डिस्क्रिप्शन बॉक्स में इसका लिंक है जरूर चेक आउट करना तो टॉपिक को वापिस आते हैं मूवी हिट है सुपरहिट है यह डिसाइड होता बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से लेकिन जिस काउंटर पर टिकट खरीदते हैं इसको कहते हैं बॉक्स ऑफिस और सारे बॉक्स ऑफिस में जो टिकट बेच के पैसा आता है उसे कहते हैं बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और उसपे से मैसेज स्टेट गवर्नमेंट को जाता है उसके बाद जो पैसा बचता है उसे कहते हैं नेट कलेक्शन आपने सुना होगा कि मूवी का नेट कलेक्शन इतना गया तो इस नेट कलेक्शन के बेसिस पर डिसाइड होता है कि मूवी हिट है फ्लॉप है या फिर सुपरहिट है एक प्रोड्यूसर डिस्ट्रीब्यूटर को मूवी बेचता है उसके साथ-साथ अलग से कई तरीके के राइस भी भेजता है कि जैसे कि सेटेलाइट राइट्स यानि कि उस पर्टिकुलर मूवी को सबसे पहले किस टीवी पर दिखाया जाएगा उसके लिए काफी पैसा मिलता है इसके बाद बीटन राइस म्यूजिक राइट्स पॉजिटिव प्लेटफॉर्म ओवरसीज राइट्स अलग-अलग राइट्स बेचकर प्रोड्यूसर मूवी रिलीज होने से पहले काफी पैसा कमा लेता प्रोड्यूसर डिस्ट्रीब्यूटर को मूवी देता है तो डिस्ट्रीब्यूटर मूवी को सब डिस्ट्रीब्यूटर के थ्रू सिनेमाघरों में पहुंच जाता है सिनेमा हॉल के मालिक को सब डिस्ट्रीब्यूटर में एग्रीमेंट होता है अगर सिंगल स्क्रीन थिएटर है तो उसमें 25वां 75परसेंट का रस होता है वह एग्जांपल अगर सेंड करो कि मूवी का नेट कलेक्शन आया है तो उसमें से 25 करोड़ सिनेमा का ओनर लेगा जिसे एग्जिबिटर भी कहते हैं और 65 करोड़ सब डिस्ट्रीब्यूटर लेगा लेकिन मल्टीप्लेक्स का रेजिमेंट अलग होता है मल्टीप्लैक्स में विश्वास होता है इसको आप इस तरीके से समझ सकते हैं कि जिस तरीके से आधे के घर पर रहते हैं ठीक उसी तरीके से डिस्ट्रीब्यूटर सिनेमा हॉल के ओनर्स को पेश करते हैं उनके सिनेमा हॉल में भी चढ़ाने के डिस्ट्रीब्यूशन का जो स्ट्रक्चर है उसमें भी बड़े प्रोडक्शन का काफी बैलेंस रहता है आपने देखा होगा कि जो अच्छी मूवी होती है वह नहीं हो पाती कि जैसे कि वे बहुत अच्छी मूवी थी और ऐसा भी नहीं कि लोगों को पसंद हो लोग आज तक वह मूवी लेकिन उसके बाद भी नहीं इसकी मार्केटिंग उस तरीके से घ्र से मूवी लेते हो बड़े से डिसाइड होता है कि दिवाली पर रिलीज होगी तो इसमें छोटी चीज है कि प्लेटफार्म की वजह से यह सब हो रहा है लोगों ने इसको ऐसे ही के लिए जरूर करें g0Vapz3e4jg,Real Reason Behind Repealing of Farm Laws | Nitish Rajput,2021-12-13T07:30:13Z,PT9M15S,507244,31873,1547,https://www.youtube.com/watch?v=g0Vapz3e4jg,, हर कोई शोर था की अब कुछ नहीं होने वाला तब ऑल ओवर सदन आके इस बिल को हटा दिया गया और वो भी तब जब गवर्नमेंट को पता था की उसके खुद के सपोर्टेड डिसएप्वाइंट होंगे मतलब की जब कानून बनाया गया वो भी देश हिट में था और जब हटाया गया वो भी देश हिट में मतलब की padhaai लिखाई से बिल्कुल ही वास्ता है गया इनमें हरियाणा अप और पंजाब के सपने जो अपोजिशन देख रहा था वो बीजेपी ने pamblog हटा के एक jhatake में तोड़ दिए अपोजिट फॉर्म लॉस हटने के बाद भी ट्राई कर रहा था की कोई नई डिमांड सामने लाकर इसको रोक दे लेकिन मोदी जी भी भागम रगड़ के बैठे हुए द उन्होंने सारी की सारी शर्तें मैन ली 17 नवंबर को करतारपुर साहिब कॉरिडोर रे ओपन कर दिया गया हमारे पीएम गुरु तेग बहादुर जी की 400 की बर्थ एंड एनिवर्सरी पे गुरुद्वारा में देखें फॉर्म लॉस को गुरु पूरब के दिन हटाया गया कम बजट और क्रॉप prisis में इंक्रीमेंट हो गए 1984 में 96 दंगों के लिए फ्रेश इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट हो गई और जो इस बार हुआ है आने वाले 50 साल तक चाहे कोई भी गवर्नमेंट ए जाए वो किसान बिल्कुल छूने की हिम्मत तक नहीं करेगी नॉलेज पार्टनर ऑफ दिस वीडियो इस कॉइन स्विच के ऐप फॉर्म्स बिल को वापस लेना गवर्नमेंट का मास्टर स्टॉक था चुनाव की मजबूरी अब इसका जवाब हर कोई अपना अपना नफा नुकसान देख कर दे रहा है अपोजिशन का रहा है की ये चुनाव की वजह से लिया गया फैसला है और गवर्नमेंट के हिसाब से देश के हिट में लिया गया मास्टर स्ट्रोक है और जनता अपनी-अपनी पार्टी की बातों को सपोर्ट करके अपने यार दोस्त में उसी हिसाब से बहस कर रही है इससे पहले की मैं डिस्कस करूं की क्या हुआ था कुछ chijen मैं आपके सामने रख देता हूं 2019 में अगर आप कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो देखेंगे तो पहला सेवन और सब क्लास 11 में वो यही बिल लाने की वकालत कर रहे द 2017 में आम आदमी पार्टी ने पंजाब के मेनिफेस्टो में इसी बिल को लाने की बात कही थी यहां तक की राकेश टिकट के खेमे ने 2019 से पहले इसी बिल को लाने की बात की और 2001 में जब मोदी जी पंजाब में द तो उन्होंने इस बिल का एप्रोच किया था तो एक्चुअल में kisanon की किसी को नहीं पड़ी है बस बात ये है की सिचुएशन देख के कैसे मैक्सिमम से मैक्सिमम फायदा उठाया जाए इस चीज की लड़ाई है अब dekhiae ये फॉर्म मिल सही है गलत है इसके क्या फायदे हैं वो ऑलरेडी फॉर्म मिल पार्ट वैन वाली वीडियो में हमने ऑलरेडी डिस्कस कर लिया है इस वीडियो में हम इसको क्यों हटाया गया है वो डिस्कस करेंगे dekhiae गवर्नमेंट को सब 300 से ज्यादा एमपी इसका सपोर्ट ना ही कोई खतरा और ना ही किसी तरीके का कोई प्रेशर फिर भी अचानक से बिल हटा दिया गया इन फैक्ट जब एक्चुअल में हालत खराब थी और प्रेशर ज्यादा था तब नहीं हटाया गया बल्कि जब हर कोई शोर था की अब कुछ नहीं होने वाला तब ऑल ओवर सदन आके इस बिल को हटा दिया गया और वो भी तब जब गवर्नमेंट को पता था की उसके खुद के सपोर्टेड डिसएप्वाइंट होंगे अगर आप गवर्नमेंट का सपोर्ट कर रहे होंगे तो आप का सकते हैं की देश के हिट में लिया गया फैसला है या फिर समझने में असमर्थ रहे kisanon को इसलिए ये फैसला लिया गया या फिर आजकल जो ट्यूटर पे चल रहा है की शेर जब दो कदम पीछे लेता है तो हमला करने वाला होता ये सब जो चल रहा है और अगर आप गवर्नमेंट के एपोस में हैं तो आपने उनकी बेज़ाती कर करके कसीदे पद दिए होंगे लेकिन आपने एक शेर सुना होगा की कुछ तो नहीं होंगी मजबूरियां युवी कोई बेवफा नहीं होता तो गवर्नमेंट की क्या मजबूरियां थी की उनको यह फैसला लेना पड़ा वो डिस्कस करते हैं dekhiae जिस तरीके से बीजेपी का नेटवर्क ऑपरेट होता है जमीनी लेवल पे या फिर बूथ लेवल पे वो बाकी partiyon से थोड़ा अलग है बीजेपी इसमें थोड़ी सी लकी भी रही है क्योंकि उसको आरएसएस जैसी ऑर्गेनाइजेशन का आगे मिलता है बीजेपी को बहुत जल्दी पता चल जाता है की जमीनी लेवल पे क्या हुआ चल रही है इनको ये मैं ए रहा था की अप वेस्ट पंजाब और हरियाणा में पार्टी की इमेज जो है वो किसान विरोधी हो रही है इन फैक्ट जब इन एरियाज में पार्टी वर्कर्स जा रहे द तो उनको घुसने नहीं दिया जा रहा था इनको रोका जा रहा था 58% लोग फार्मिंग से डायरेक्टली जुड़े हैं और 15% इन डायरेक्टली जुड़े हैं जैसे की फर्टिलाइजर सीड्स ट्रैक्टर इन सबकी मैन्युफैक्चरिंग और अप और पंजाब टॉप थ्री में आते हैं क्रॉप प्रोड्यूजिंग में और ये बहुत बड़ा वोट बैंक होता है इसलिए किसान इनके हर bhashanon में रहता है इनके हर मेनिफेस्टो में रहता है वो बात अलग है की कभी इनकी रियल एजेंडा में नहीं रहता लेकिन किसान विरोधी पार्टी का टैग लेके बीजेपी का आगे बढ़ाना 100% नुकसान देता है और ये चीज इनको समझ में आने लगी थी आप सोच रहे होंगे की बीजेपी को पंजाब में वैसे ही कोई सक्सेस नहीं मिलती और इस बार भी भले ही इन्होंने फॉर्म हाउस हटा दिए हैं लेकिन ये जीत नहीं पाएंगे ये पंजाब के अंदर 38% हिंदू वोटर से बीजेपी को हमेशा उम्मीद रहती है अकाली दल को पंजाब में सस्टेन करना है तो बीजेपी को वो तब तक सपोर्ट नहीं कर सकते जब तक बीजेपी फर्म लॉस नहीं हटती है और कांग्रेस के इंटरनल लड़ाई के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी है लेकिन बीजेपी इसका फायदा नहीं उठा का रही है क्योंकि अमरेंद्र सिंह तब तक बीजेपी ज्वाइन नहीं कर कर सकते जब तक नहीं हटती अभी तक बीजेपी जो पंजाब के अंदर कहीं भी नहीं दिख रही थी वह फॉर्म लॉ हटाने के बाद अकाली दल प्लस कैप्टन अमरेंद्र सिंह और 38% हिंदू वोटर के सपोर्ट के साथ अभी मेजर पार्टी बन गई है भले ही अकाली दल और कैप्टन अमरेंद्र सिंह अभी कुछ नहीं बताएं गठबंधन के बारे में लेकिन इलेक्शन के रिजल्ट के बाद अगर बीजेपी 38% हिंदू वोटर्स को समझने में कामयाब रहती है तो ये दोनों पार्टी सपोर्ट करेंगे अप में भले ही नुकसान कम दिख रहा हो सिर्फ ₹10 साइड ही दिख रहा हूं लेकिन जब महागठबंधन जैसी chijen सामने आती है तो छोटा सा नुकसान भी हर में बदल जाता है और अप जैसा इंपॉर्टेंट स्टेट जहां से जीते भी ना पीएम का रास्ता खुलता ही नहीं है उसको बीजेपी रिस्क पे नहीं दल सकती थी जब मोदी जी को गुजरात छोड़ के अप में भेजा जा सकता है तो आप समझ सकते हैं की इसकी क्या वैल्यू होगी उधर हरियाणा में नेता जो रोज चिट्ठी लिखकर सरकार गिरने की वार्निंग दे रहे द उसका भी सॉल्यूशन हो गया इस फॉर्मूला को हटाने से हरियाणा अप और पंजाब के सपने जो अपोजिशन देख रहा था वो बीजेपी ने फर्म लोग हटा के एक jhatake में तोड़ दिए फॉर्म लोढ़ा ने सबसे ज्यादा नुकसान का ही हुआ है सारे अपोजिशन में होल्ड लगी थी क्रेडिट लेने की फॉर्म में उनकी वजह से आते हैं जबकि अस आती है की फॉर्म मिल kisanon के जुझारू पैन से हते पोजीशन फॉर्म लॉस हटने के बाद भी ट्री कर रहा था की कोई नई डिमांड सामने लाकर इसको रोक दे लेकिन मोदी जी भी भागम रगड़ के बैठे हुए द उन्होंने सारी की सारी शर्तें मैन ली आप सोच के dekhiae अगर सरकार चाहती तो का सकती थी की जिस स्टेट का मैन हो वो इस कानून को रखे और जिस स्टेट का मैन नहीं है उसे कानून को ना रखें लेकिन अगर ऐसा करती तो हरियाणा और अप में बीजेपी की सरकार थी अब अगर इन दोनों स्टेट में बिल सरकार नहीं रखती तो ये होता की खुद इस बिल को नहीं रख रहे हैं और दूसरों को रखवा रहे हैं और अगर रख लेती तो घूम फिर के बाद वही हो जाती की जो प्रॉब्लम अप और हरियाणा में बीजेपी फेस कर रही थी उसका कोई सॉल्यूशन ही नहीं होता है और ये सारा कुछ करना है कोई फायदा ही नहीं होता इसलिए इन्होंने किसी भी किसान यूनियन से कोई भी मीटिंग नहीं राखी और अचानक से ही कानून हटा दिए ताकि लगे की देश के हिट में लिया गया फैसला और खुद से लिया है इन्होंने और इसका इलेक्शन से कोई लेना देना नहीं 17 नवंबर को करतारपुर साहिब कॉरिडोर रे ओपन कर दिया गया हमारे पीएम गुरु तेग बहादुर जी की 420 बर्थ एनिवर्सरी पे गुरुद्वारा में देखें फॉर्म लॉस को गुरु पूरब के दिन हटाया गया फॉर्म बजट और क्रॉप prisis में इंक्रीमेंट हो गए 184 में दंगों के लिए फ्रेश इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट हो गई डिबेट में अफ़गानिस्तान से सिख समुदाय को सुरक्षित वापस लाना और गुरु ग्रंथ साहिब को वापस सम्मान दिलाना ये सारी बातें होने लगी और ये सारी chijen ऑल ऑफ आसान होने लगी इसका चुनाव से थोड़ी कुछ लेना देना है ये सारी चीन तो कोई सेंटेंस है मनमोहन सिंह जी के टाइम पे न्यूक्लियर डील पर कितने प्रदर्शन हुए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा और डील हो गई अब कश्मीर से आगे आप बैठ जाओगे सड़कों पे तो 370 थोड़ी हटा देंगे ये लोग गवर्नमेंट का पाल अभी तक अपने नॉन वाटर से पड़ा है चाहे वो का हो चाहे एनआरसी हो लेकिन इस बार इनके खुद के वोटर्स रोड पे ए गए द इसलिए ये सब हो रहा है न्यूज़ चैनल जो गवर्नमेंट विरोधी है वो ऐसे खुश हो रहे हैं जैसे की जैकपॉट लग गया है और जो न्यूज़ चैनल गवर्नमेंट के सपोर्ट में उन्होंने साल भर फॉर्म हाउस के फायदे बताएं और आप जब कानून है गया तो वो ये समझा रहे हैं की नेशनल सिक्योरिटी को ध्यान में रख के मोदी जी ने कितना बड़ा मास्टर स्टॉक खेला है मतलब की जब कानून बनाया गया वो भी देश हिट में था और जब हटाया गया वो भी देश हिट में है मतलब की padhaai लिखाई से बिल्कुल ही वास्ता है गया इन लोगों तो इस पूरे scenariyon में जीत किसकी हुई dekhiae आजादी से लेकर आज तक 19% इंक्रीमेंट हुआ kisanon का अगर एक किसान आजादी के टाइम पे ₹100 कमाता था तो आज की डेट में वो 119 रुपए कम रहा है इसलिए आप अपने आसपास देखोगे kisanon के बच्चे खेती करने की बजाय shahron में जॉब ढूंढ रहे हैं ऑन एंड एवरेज इंडिया में किसान के पास 1.1 हेक्टेयर जमीन होती है 1.1 हेक्टेयर में लगभग 27 कुंतल गेहूं निकलता है jismein 6 महीने लगते हैं अगर मैं करंट रेट की बात करूं तो एक कुंतल के 2015 मिलते हैं उसके हिसाब से एक मंथ में एक किसान ₹9000 कमाता है अगर एक आदमी दिल्ली के रेलवे जंक्शन पे सुबह पहुंच जाए और हर ट्रेन में पैसे मांगना शुरू कर दे तो इससे ज्यादा महीने का कम लेगा यही रीजन है की जब से देश आजाद हुआ है तब से लेके आज तक करीब 3 लाख फॉर्मेट ने सुसाइड किया एक कुंतल मक्के को किसान 1870 एसपी की रेट में बेचता है और वही मक्का सिनेमा हॉल और मार्केट तक pahunchte pahunchte 1 क आपको 1500 से ₹2000 के बीच में मिलेगा ये बहुत बड़ा डिफरेंस है ये पहली ऐसी जगह है दुनिया में जहां पे जो बना रहा है जो असली मलिक है उसको पैसा कम मिल रहा है और जो बेच रहा है वो उससे ज्यादा कम ए रहा है इसका सिर्फ और सिर्फ यही मतलब है की प्रक्रिया में लूप होल है और ये लो बॉल हटाने का सिर्फ एक ही तरीका है वो है रिफॉर्म भले ही आपको ये फॉर्म लाओ ना पसंद आए हो आप एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को baithaaiye उनकी टीम को bithae और अपने हिसाब से सजेशन देकर लॉ banvaea गवर्नमेंट जिस जगह पे खड़ी है वो हर बात मानेगी लेकिन पुरी तरीके से लॉ को हटा देना जो जैसा चल रहा है वो वैसा ही चलता रहेगा किसान सुसाइड करते रहेंगे और जो इस बार हुआ है आने वाले 50 साल तक चाहे कोई भी गवर्नमेंट ए जाए वो किसान बिल्कुल छूने की हिम्मत तक नहीं करेगी नॉलेज पार्टनर ऑफ दिस वीडियो इस कॉइन स्विच के ऐप ट्रस्टेड की 1.4 करोड़ इंडियन फॉर criptocurrency ट्रेडिंग अगर आप भी क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं तो इसमें आपकी मदद कर सकता है कॉइन स्विच कुबेर ऐप कॉइन स्विच कुबेर एक बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म है criptocurrency खरीदने बेचने और ट्रेडिंग करने के लिए इस ऐप का इंटरफेस बहुत ही यूजर फ्रेंडली है जो आपकी क्रिप्टो ट्रेडिंग को एकदम सिंपल बना देता है इसके लाइव चैट्स एंड इनफार्मेशन की मदद से आप इन्फॉर्म तरीके से अपनी चॉइस ले सकते हैं साथ ही साथ कॉइन स्विच आपको देता है इंस्टेंट डिपॉजिट एंड विड्रोल फैसिलिटी जिससे कभी भी आप इस टाइप का फुल ना करें 1.4 करोड़ से भी ज्यादा कॉइन स्विच कुबेर ऐप पर ट्रस्ट करके उसे पर रजिस्टर कर चुके हैं इसमें आपको चॉइस मिलती है 80 से ज्यादा करेंसी में डील करने की एंड अलसो कॉइन स्विच इसे गोइंग तू लिस्ट वेरीफाइड न्यू कोइंस ऑन डी यूट्यूब चैनल फॉर डी डिटेल्स cEw0MrfiGeU,Is Hindi an Embarrassment? || Nitish Rajput,2021-11-30T05:30:12Z,PT9M5S,1842785,109975,7113,https://www.youtube.com/watch?v=cEw0MrfiGeU,, कि जिस देश में वेयर कॉल पर हिंदी के लिए दो दबा ना पड़े वहां के लोगों का इंग्लिश को लेकर ऑप्शन आप समझ सकते लोग लाइटों में फंसे हुए हैं लेकिन हर वर्ष नहीं बुला रहे हैं कहीं इंग्लिश नहीं बोल पाए तो बेइज्जती हो जाएगी हवा कहते हो कि मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं आई लव माय कंट्री अगर आप जैसे तैसे इसी तरह यह स्ट्रैट ठीक मिलोगे तो वर्ल्ड चेंज करते थे आप जैसे टॉयलेट बोलना सीखो में वॉशरूम कर देंगे आप वेरी नाइस बोलूंगा ऐड कर देंगे तो कुल मिलाकर जो क्लास का डिफरेंस है यह विटामिन टैंकर का यह बड़ा प्राउड फील होता है कि हमारे स्कूल में तो हिंदी बोलने पर फाइन है यह इकलौती ऐसी कंट्री यह पूरे वर्ल्ड में जहां पर कोई बोलने पर लोग फाइन देते हैं और प्लांट करते हैं कोई तीन चार लाइने लटके घूम रहा है इंग्लिश की की जरूरत पड़ने पर तीन चार लाइन इंग्लिश की बोल कर अपनी इज्जत बचाने कोई हिंदी में ही यू नो व्हाट यू नो व्हो टाइड कर रहा है एकदम खत्म केस नहीं थोड़ी बहुत हमें भी आती है इनके साथ तो ऐसा करना चाहिए जिससे उस चुनाव जीते कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ा मैंडेटरी कर दो मैं इंग्लिश बहुत इंपोर्टेंट लैंग्वेज है एक तो यह ग्लोबल लैंग्वेज है और जब आपको ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचानी होती है तो इंग्लिश का बहुत ही एडवांटेज मिलता है इंग्लिश की सबसे अच्छी बात यह है कि इस एक लैंग्वेज में इंडिया के अलग-अलग स्टेट को यूनिट किया इनवेस्ट मैं खुद इंग्लिश सबटाइटल लगाता हूं ट्वीट करता हूं इंग्लिश और हिंदी का यूज करके ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मेरी बात पहुंचे लेकिन इंग्लिश को लेकर डिस्क्रिमिनेशन होता है जो छोटे और बड़े कब भेजा होता है इससे मुझे प्रॉब्लम है इस टॉपिक पर मैंने वीडियो बनाने का लास्टिक सोचा यहां पर एक बहुत ही मशहूर सेलिब्रिटी है अपनी स्पीच स्टार्ट करने से पहले बोला कि आम सॉरी आई स्पीक इन हिंदी और उसके बाद उन्होंने अपनी पूरी स्पीच हिंदी में कंप्लीट कीजिए बन गए दुनिया में आए तो उनको काम करवाने में बहुत दिक्कत आ रही थी क्योंकि बिना कम्युनिकेशन कि आप किसी से काम नहीं करवा सकते फिर उन्होंने ऐसा फेमस बनाया वेकेशन में इसमें हम लोग इंग्लिश सीख सकें उन्होंने खुद ही नहीं थी बल्कि करोड़ों लोगों को हिंदी सिखाने का काम शुरू कर दिया और हम लोग अपनी रीजनल लैंग्वेज के शासक इंग्लिश लैंग्वेज डिफरेंट स्टैंडिंग आई और आगे चलकर यह लैंग्वेज से ज्यादा एक क्लाउन बन के रह गई टीम इंडिया की पापुलेशन ज्यादा और जॉब से कम और ऐसा यह पढ़िए इस प्रकार की गलतियां शुरू से देखोगे तो जॉब की दिक्कत हमेशा से रहिए इसलिए बाहर की जॉब में कांफिडेंट रहना पड़ता है लेकिन अब बाहर की कोई जॉब करेंगे तो आपको बाहर भी लैंग्वेज में कमेंट करना पड़ेगा बाहर की कमियां हिंदी तमिल पंजाबी में ब्रिगेड नहीं करेंगी और हमारी रीजनल लैंग्वेज के अलावा मुझे सबसे ज्यादा को द किसी लैंग्वेज के तो वह इंग्लिश और इसलिए हमने बाहर की कंट्री जो इंग्लिश बोलने वाली घंटी है उनको सॉफ्टवेयर सपोर्ट टेक सपोर्ट बीपीओ वगैरह का सपोर्ट दिया था इसलिए जो लोग इंग्लिश अच्छे से बोलते हैं उनको डेवलपमेंट ज्यादा तेजी से हुआ इंग्लिश बोलने वालों के साथ एडवांटेज इसलिए था क्योंकि इंग्लिश में कोडिंग करना बाहर के अलार्म्स की रिक्वायरमेंट समझना या फिर कॉल सेंटर के थ्रू टैक्स सपोर्ट देना आसान होता है धीरे-धीरे सब समझ गए कि जॉब चाहिए तो इंग्लिश आनी चाहिए और यहीं से एक प्लास्टिक रन शुरू होने लगा पोल कम्युनिकेशन बोलना स्टार्ट कर दिया अगर कोई इंग्लिश नहीं बोल पा रहा है एक मशीन दी कि जॉब जिसमें इंग्लिश छोड़ो बोलने तक की जरूरत नहीं है उसमें भी एक हिंदी बोलने वाले को रिजेक्ट करके इंग्लिश बोलने वाले को प्रोफेसर मिलने अगर में नेटिव स्पीकर्स की बात करूं तो इंग्लिश सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लैंग्वेज नहीं है पहले चाइनीस जाती है दूसरे पर स्कैन जाती है तीसरे पर इंग्लिश आती है और कि हिंदी आती है अगर आपको इंग्लिश नहीं आती तो इसका सिंपल सा मतलब है कि आपको कोई और लाइन पर जाती है हमारे प्रधानमंत्री युद्ध में जाकर हिंदी में भाषण देते हैं इन फैक्ट दुनिया भर के लिए अपनी-अपनी लैंग्वेज में भाषण देते हैं और कोई भी अपनी स्पीड शुरू करने से पहले सॉरी नहीं बोलता कुछ टाइम के लिए में फ्रांस में था तो वहां पर हर एक ही स्ट्रेच में लिखी होती है और एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट जाने में आपको काफी दिक्कत होती है और ऐसे टाइम में प्रयोग करते हुए इटली से इंग्लिश जो कि ग्लोबल लैंग्वेज है उसी में कमिंग सेट करो वहां पर सब को इंग्लिश आती है एटलीस्ट इतनी तो आती कि अगर आप मैप में रखे कहोगी हेयर तो इतना वह समझ जाएंगे उसके बाद भी मेरी कोई हेल्प नहीं कर रहा तो फिर वहां की जो इंडियन से उन्होंने मुझे सजेस्ट किया कि अगर आपको कुछ पूछना हो तो आप तूफानों अगले यह वर्ड ऐड कर दिया करो और इसके बाद अगर आप पूछोगे तो आपको हेल्प मिलेगी और मैंने यहीं चीज ऐड करिए और वहां के लोग हेल्प करने लगे इस लाइन का मतलब था कि आपको इंग्लिश आती है अब आप समझ सकते हो कि इस तरीके से अपना कल्चर अपनी लैंग्वेज को प्रेसर्व करके रखते हैं ना चाहते हुए भी आज तक यह लाइन है मुझे याद करा दिए और एक ऐसा माहौल बना दिया कि फ्रांस में अगर आप हो आपको फ्रेंड्स आनी चाहिए और यह बात सही भी है कि दे पैदा हुए हो तो यह शर्म की बात है कि हमारे दूसरा मौज है लोग हिंदी नहीं आने को फ्रंट करते हैं कि हम हिंदी में अपना नाम तक नहीं लिख पाते अपने आस-पास नोटिस किया कि जो लोग आपके ग्लास है जो हर चीज की मदद करते हैं जैसे कि आपके मां-बाप आपके दादा-दादी आपकी मेड सफाई करने वाले आपकी सोसायटी का गार्ड ज्यादातर इन इंग्लिश कमजोर होती है जब आप किसी की खराब इंग्लिश का मजाक उड़ा रहे होते हैं तो उस टाइम पर आप अपने घर वालों का भी मजाक उड़ा रहे होते हैं और साथ ही साथ उनका भी मजाक उड़ा रहे होते हैं जो दिन-रात आपकी सेवा में लगे हुए इससे पहले कि मैं आपको आगे बताऊंगी इस वीडियो को इस पॉइंट से भी बारे में बात कर लेते अगर किसी भी स्टूडेंट मुश्किल और पोटेंशियल है तो उसको जॉब इंटरव्यू लगवाने के लिए किसी पहचान की जरूरत नहीं है अनअकैडमी ने भी लेवल प्लेटफॉर्म इंट्रोड्यूस किया है जिसमें ब्रांड जैसे कि अपग्रेड रेजर पर वन कंपनी हारी करते हो न बेसिस आफ एवरी लेवल टेस्को और थाउजेंड वैकेंसी जो हर भी के साथ डबल हो रही है यह फ्री आफ कॉस्ट है और इसमें फ्रेश अरहर एक्सपीरियंस दो यह हो सकते हैं इस प्लेटफार्म पर करेंटली बिजनेस डेवलपमेंट फ्रंट एंड बैक एंड डेवलपमेंट डाटा एनालिटिक्स क्विज्जस ओं लेटेस्ट टेस्ट कंडक्ट हो रहे टेस्ट लेने का पॉवर एकदम सिंपल इसमें कोई डिग्री ए स्पेसिफिक कॉलेज की रिक्वायरमेंट नहीं है और आप अपने घर से ही टेस्ट ले सकते क्योंकि कंप्लीट ही ऑनलाइन एक ही दिन में टेस्ट कंप्लीट करके आपको विभिन्न अभिनेत्री लेवल टेस्ट्स को मिल जाता है जिसके बेसिस पर हाय फ्रेंड्स आपको रिचेस्ट करती है फर्स्ट टाइम में अगर टेस्ट क्लियर नहीं हुआ तो आप अच्छे से रिपेयर करके वन मंथ के गैप के बाद फिर से टेस्ट ले सकते हैं पहले इससे रिलेटिड टेस्ट में 1084 स्टाफ ऑफिसर इसको करके फ्रेंड में बृहस्पति की आदत पैकेज आफ टैलेंट पर एंड आल्सो और एवरेज भी लेवल पर आपको मिनिमम गारंटेड सैलरी ऑफ़ फोर लेग पर हम फॉर नॉन टेक्निकल जॉब्स एंड डेकोरेशन फॉर टेक्निकल जॉब मिल सकती है राइट साइड इफेक्ट इस प्लेटफॉर्म इस तो क्लियर 11:00 टेस्ट एंड जॉब हंटिंग डिग्री लेवल चेक ट्रेवल लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन कि जब आप कहते हो कि मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं आई लव माय कंट्री पे जो बिजनेस लैंग्वेज है यह भी हमारे देश का ही पार्ट है और जब आप अपनी रीजनल लैंग्वेज बोलने वालों को नीचा दिखाते हो तो इस तरह से आप अपने देश को नीचा दिखा रहे हो आप अपनी जेब से एक नोट निकालकर ध्यान से देखना उसमें सेवेंटीन लैंग्वेज पेंशन है और हिंदी और इंग्लिश को बड़े शॉप में दिखाया गया है वैसे ही नहीं दिखाया गया वह लैंग्वेज की डोमिनेंट को दिखाएं हमारे सेलिब्रिटी नेता सबको पता है कि इंग्लिश नहीं आने पर इंडिया में डिस्क्रिमिनेशन होता है 20 एडवांटेज होता है उसके बाद इसके लिए कुछ नहीं करते सिर्फ अपने भाषणों में रखते हैं दी को नफरत फैलाने के लिए और अपने बच्चों को बाहर भेज देते हैं पढ़ने के लिए इन के साथ तो ऐसा करना चाहिए जिससे उस चुनाव जीते वहां के गवर्नमेंट स्कूलों के बच्चों को पढ़ना मैंडेटरी करते हैं क्योंकि उनके बच्चे जब बाहर पढ़कर वापस आते हैं तो सबसे ज्यादा डिस्क्रिमिनेशन वही करते अगर आप जैसे तैसे इनकी तरह इंटिमेट सींस भी लोगे तो वर्ल्ड चेंज कर देते हैं यह तो कॉमन आदमी भी बोल रहा है हमारे बाहर से पढ़ करने का क्या फायदा हुआ यह बॉडी चेंज कर देता है उसकी जगह दूसरा वर्ल्ड जाते हैं आप जैसे टॉयलेट बोलना सीखो गए वॉशरूम हुआ है अब वेरी नाइस बोलोगे डिप कर देंगे थिस वेरी डे तो कुल मिलाकर जो क्लास का डिफरेंस है यह मेंटेन करके रखते हैं की वजह से कुछ बच्चे अपने मां-बाप से मिलवाते हैं किसी को क्योंकि उनकी इंग्लिश में है हमारे दोस्तों को पता चल जाए कि हमारी फैमिली के स्टैंड बहुत लो है और इसमें मावा भी शामिल हैं इनको बड़ा प्राउड फील होता है कि हमारे स्कूल में तो हिंदी बोलने पर फाइन है इंडिया इकलौती ऐसी सेंटर यह पूरे वर्ल्ड में जहां भी बोलने में लोग फाइन देते हैं और फ्रंट करते हैं अपने रिश्तेदारों को बताते हैं कि हमारे बच्चे के स्कूल में तो हिंदी बोलने पर फाइन है जब मोर नाच रहा होता है ना तो बड़ी खुशी होती वह सुंदर दिख रहा है और असल में वह नंगा हो रहा होता जिस देश में आए कॉल पर हिंदी के लिए दो दबा ना पड़े वहां के लोगों का इंग्लिश को लेकर ऑप्शन आप समझ सकते हैं आप देखोगे इतने बड़े-बड़े राइटर है पाब्लो नेरुदा जोसेफ कॉनरैड यह सब अपनी रीजनल लैंग्वेज में लिखते हैं हमारी इतनी सारी रीजनल लैंग्वेज है लेकिन इसके बाद भी एक भी राइटर ऐसा नहीं जिसको इसलिए की पॉपुलैरिटी में ही काफी लोग इंग्लिश बोल लेते हैं अच्छे से समझ भी लेते हैं और लिख भी लेते हैं लेकिन उसके बाद में इंग्लिश बोलने में डरते हैं कि कहीं कोई वरना गलत हो जाए तो लोग क्या कहेंगे सारी की सारी इज्जत खराब हो जाएगी है और प्राउड फील करते हैं यह बोलने में कि यार हिंदी नहीं आती जब की बेइज्जती आपके तब होती है जब आप जिस देश में पैदा हुए हैं वहां के लैंग्वेज भी सही से ना बोल पहला टो में प्यार से घूम रहे लेकिन यह रास्ते को नहीं बुला रहे हैं अ इंग्लिश नहीं बोल पाए तो बेइज्जती हो जाएगी भले नेटफ्लिक्स की इंग्लिश मूवी समझने में दिक्कत आ रही हो लेकिन सब टाइटल ऑन करने को नहीं बोलेंगे किसी के सामने कई को यह ना समझना कि इस को इंग्लिश कम आती है दस परसेंट लोग भी प्रॉपर इंग्लिश बोल पाते हैं और बाकी 90% पापुलेशन इस देश की हर रोज कोई न कोई तरीका लगा कर अपनी इज्जत जैसे-तैसे बचा रही है कि कहीं कोई हमारी गलत इंग्लिश का मजाक ना उड़ाएं कोई तीन चार लाइने लटके घूम रहे इंग्लिश की जरूरत पड़ने पर तीन चार लाइन इंग्लिश की बोल कर अपनी इज्जत बचा लें और कोई हिंदी में यू नो व्हाट यू नो व टाइट कर रहा है कि एकदम खत्म केस नहीं थोड़ी बहुत इंग्लिश हमें भी आती है और जितने भी नाइनटी परसेंट है सब हिंदी में सोचते हैं हिंदी में सपने देखते हैं हिंदी में अपने मामा से बात करते हैं हिंदी सिनेमा पसंद करते हैं लेकिन अपनी रियल पर्सनैलिटी छुपा के जो वह नहीं है वह बनने की कोशिश करते हैं और फिर अपने ही देश में हिंदी बोलने से पहले सॉरी बोलना नहीं भूलते क्लास में यही बोलूंगा कि आपको कभी भी कोई भी आ तो मिले कोई छोटा प्लेटफॉर्म मिलाकर बड़ा प्लेटफार्म मिले आप इंग्लिश में बोलो या फिर किसी और लैंग्वेज में बोले आपकी मर्जी है लेकिन अगर किसी वजह से आपको हिंदी में बोलना पड़े तो उसके लिए आपको सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है आपने कोई भी ऐसा काम नहीं किया जिसके लिए आपको सॉरी बोलना पड़े और लास्ट में फिर से वही बात रिपीट करूंगा कि इंग्लिश नहीं आने का मतलब सिर्फ एक ही है कि आपको कोई और लैंग्वेज आती है uN-z7OM3OVA,Election Funding Scam [Hindi] | Nitish Rajput,2021-11-16T05:30:12Z,PT11M34S,1508488,74518,2972,https://www.youtube.com/watch?v=uN-z7OM3OVA,," आधार कार्ड लिंक करवाएंगे अपना ने आपको मास्क रिफाइन लेना होगा यह मास्क रैली करेंगे पटाखे बहन करेंगे खुद इलेक्शन जीतने पर जम के पटाखे फोड़ेंगे यह दसवीं और बारहवीं फेल लेता तो चांद को भी अपना मामा समझते हैं को आरबीआई को पीने से खून साफ समझा रहे हजार के ऊपर बैंक में जमा करने जाऊं तो आपसे दुनिया भर के पैन कार्ड मांगते हैं लेकिन आप कैश लेकर उनके कार्यालय में हाथ हिलाते हुए पहुंच जाओ आपसे कोई पैन कार्ड नहीं मांगे मंदिर में अगर कोई पंख डोनेट करता है तो कैपिटल लेटर में अपना नाम लिखना आता है और यहां बिना किसी क्रेडिट के करोड़ों रुपए डोनेट करने जा रहे हैं जिस पैसे अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छी एजुकेशन आपके बच्चों को मिल सकती थी वह आपसे ₹500 और बोतल में बजाते हो पैसा लेकर वोट देना दुनिया का सबसे घाटे का सौदा जो कि सिर्फ एक बेवकूफी ले सकता है यह लोग सिर्फ हम लोग आधार कार्ड लिंक करवाता है अपना आधार कार्ड लिंक नहीं करवाना सही कैसे पकड़ते को वीक में कंपनी इसको बोल रहे हैं अपने उन पॉइंट्स को सैलरी में उनकी सैलरी नारों के और खुद रेलवे का ₹1 का मिनट का इससे पहले कि मैं आपको आगे बताऊं दिस वीडियो स्पॉन्सर्ड बाय गुरु मकैनिक और वो मकान की सर्विस में खुद का टाइम से यूज कर रहा हूं यह बेस्ट में कार सर्विसिंग नेटवर्क है जिसकी 500 से ज्यादा वर्कशॉप है विद हाईली स्किल्ड मेकेनिक जरूर सिंह रिपेयर डिटेलिंग डेंटिंग-पेंटिंग जैसा कोई भी काम हो इनकी दोस्त पिक अप एंड ड्रॉप सर्विस से आप अपनी लाइफ आसान बना सकते हैं यह यूज करते जाएंगे स्पेयर पार्ट और देते हैं गारंटी फौज सविस्तार सर्विस की बुकिंग करना बहुत ही आसान है वह मकैनिक इतनी स्टेप प्रोसेस है बार जूस करें सर्विस सेट करें टाइम बात करें और के साथ सर्व कर सकते हैं 50% कार सर्विसिंग नाम से रिंगटोन रिंगटोन डाउनलोड है एक पॉलिटिकल पार्टी चलाने के लिए बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है यह तो यहां तक कोस्टली अफेयर है कि इसमें हारने के लिए करोड़ों पर लग जाते हैं कार्यकर्ताओं का खाना-पीना ट्रांसपोर्ट कस्टमाइज थे शेड्स क्या झंडे डिजिटल मार्केटिंग और इलेक्शन के टाइम पर अलग-अलग चीजें देकर वोट खरीदना उसका खर्चा अलग से और क्योंकि पूरे देश के लेवल पर करना होता है तो इसमें पैसा बहुत ज्यादा लगता अगर मैं लास्ट लोकसभा इलेक्शन की बात करूं तो उसमें 60 हजार करोड़ का खर्चा हुआ था इंडिया पूरे वर्ल्ड चैनल में नंबर वन पर आता है लक्षण में खर्चा करने में एजुकेशन के ऊपर खर्चा करने में हमारी सीटू रही है अब पॉलीटिकल पार्टी यह कुछ प्रोड्यूस ए मैन्युफैक्चर तो करती रही है ना इन्होंने कोई मेंशन किया जिसके बेसिस पर के पास पैसे आते हो तो इनके पास पैसा आता कहां थे अब वे जितने भी नेता है जमीन बेचकर अपने घर से पैसा नहीं लगा रहे हैं यह पैसा लगा रहे हैं आपका जिस पैसे देश में रोड़ा बन सकती थी या हॉस्पिटल और एजुकेशन पर खर्चा हो सकता था उस पैसे से यह आपको अपने चुनाव चिन्ह के कस्टमाइज टीशर्ट और टोपी पहना देते हैं मान लीजिए आपके पास बहुत सारे पैसे आ गए और आप कुछ पैसा डोनेट करना चाहते हैं तो क्या आप उस पैसे को किसी वृद्ध आश्रम में चाइल्ड केयर में जॉइंट करेंगे अगर किसी पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट करेंगे आप अपने आसपास किसी से भी पूछ लीजिए वहीं पॉलिटिकल पार्टियों को गाली के अलावा कुछ नहीं देना चाहता फिर भी इनको 2018 से 2019 के बीच में सिर्फ एक साल के अंदर 951 करोड़ की डोनेशन मिलिए और वह भी तब जब वह अनशन करने वाले की डेट पता ही नहीं सकती मंदिर में अगर को एक पंखा डोनेट करता है तो कैपिटल लेटर में अपना नाम लिखना आता है और यहां बिना किसी क्रेडिट के करोड़ों रुपए डोनेट करने जा रहे हैं लेकिन इसके पीछे रीजन है क्विड प्रो को इस हाथ से दे और उस हिस्से में यह पॉलीटिकल पार्टीज पहले सिस्टम खोखर आपके शहीद चलने नहीं देती है और फिर इसी सिस्टम के अंदर लोगों के काम करवाने के पैसे लेती है यह नरेश सिंह और पार्टी करने का नाम देगी पार्टी को नाराज करके अपना बिजनेस नहीं चला सकते हैं छोटे बिजनेसमैन है सर्विस प्लस आदमी की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि बड़े बिजनेसमैन पर हाथ मारते हैं जब भी बड़े बिजनेसमैन डोनेट करते हैं तो इनको फेवर मिलते हैं इनके हिसाब से रूल बनते हैं और कोई भी पार्टी हो सका यही फ्रेम रखें पैसा कमाने का इसे पार्टी जो अपने गुरु को उनके पास पैसा लेने वैसे तो के पास ऑप्शन नहीं होता मना करने का दूसरी चीज नेताओं ने रूल है से बना दिया है कि इनको पैसा डोनेट करने पर आपको लेकिन काफी फायदे मिलते हैं मान लीजिए आपका बिजनेस है और आप साल के पांच लोग कम आते हैं अब उसके 25 से 28 बनता है अगर आप उस 25000 को पॉलीटिकल पार्टी को डोनेट कर देते हैं तो आपको हंड्रेड परसेंट की छूट मिलती है और उसके बाद आपको टैक्स नहीं देना है इसके साथ-साथ आपको नेताओं के प्रोडक्शन मिलती है और जिस लेवल पर आप पैसा डोनेट करोगे उसने बल पर आपके फेवर में रूल बनेंगे वहीं आप किसी भी ढक डोनेट करते हो तो फिफ्टी परसेंट की छूट मिलेगी आपको बाकी बचे 50% पर टैक्स देना पड़ेगा और फायदा कुछ नहीं पॉलीटिकल पार्टी को आप जितना भी डोनेट कर सकते हो कोई लिमिट नहीं है जो लिमिट नेताओं के ऊपर है लेकिन पार्टी को आप कितना भी देख सकते हो कि पार्टी अपने हिसाब से जिस नेता के ऊपर जितना लगाना और डिसाइड करती है इलेक्शन कमिशन के हिसाब से 70 लाख से ज्यादा कोई नेता खर्च नहीं कर सकता लेकिन हंसने की बात यह है कि इतने पैसे में कोई पार्टी टिकट नहीं देगी इलेक्शन में खर्चे की बात तो बहुत दूर की है नेता अपने हिसाब से जितना मनचाहे खर्चा करता है और इलेक्शन कमिशन खाली नोटिस देता है हमारा कॉन्स्टिट्यूशन कहता है कि एक नेता को पूरे देश में लोगों तक पहुंचने के लिए अपनी बात रखने के लिए अपना मैनिफेस्टो लोगों तक पहुंचाने के लिए पैसे की जरूरत होती है कि हो सकता है कि कोई अच्छा नेता हो लेकिन उसके पास पैसे नहीं होने की वजह से लोगों तक उसकी बात ही नहीं पहुंच पाए इसलिए हमारे कॉन्स्टिट्यूशन रिफाइनिंग अलाव की है लेकिन नेता अपनी बात लोगों तक पहुंचाने की बजाय उनका ध्यान लोगों को पैसे बांटने दारू पिलाने और अलग-अलग सम्मान देकर वोट खरीदने में लगा रहता है और यही रीजन है कि चुनाव में इंडिया नंबर वन पर पैसा खर्च करने में आपको इतना पैसा लगाकर पावर में आएगा तो रिटर्न ओं इन्वेस्टमेंट नहीं देखेगा और अगर नहीं भी देखेगा तो बिना पैसे के नैक सिलेक्शन कैसे जीतेगा पैसा लेकर वोट देना दुनिया का सबसे घाटे का सौदा जो कि सिर्फ खूबी नहीं सकता है जिससे अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छी एजुकेशन आपके बच्चों को मिल सकती थी वह आपसे ₹500 और बोतल में बजाते हो फिर उससे सौ गुना ज्यादा पैसा लगाकर प्राइवेट हॉस्पिटल प्राइवेट स्कूलों में धक्के खाते हो ऐसा समय सिर्फ और सिर्फ एक बूंद के लिए सर्कुलेशन के अंदर पैसा बहुत बड़ा रोल प्ले करता है और फन रेस कराने के लिए पार्टी जान तक लगा देती हैं 1978 में पी एक्ट के तहत बहुत ही सख्त कानून है कि कोई भी पॉलीटिकल पार्टी इन इंडिया के बाहर डोनेशन नहीं ले सकती हैं और यह चीज बहुत ही ज्यादा जरूरी है क्योंकि कल को पाकिस्तान किसी पार्टी को डोनेशन के नाम पर पैसा देकर खड़ा कर दें फिर यह जो बिजनेसमैन के साथ करते हैं सेम अरेंजमेंट बाहर के देशों के साथ करने के डेवलपर्स लिमिटेड कंपनी की इडली सैंडविच ग्रील मूवी टाइगर को लेकर जिसमें दाउद का नाम भी आ रहा है इस कंपनी ने 2014 से लेकर 2015 के बीच में 10 करोड़ डोनेट ठेर पॉलीटिकल पार्टीज को यह कंपनी क्यों दे रही है किसी पार्टी को चंदा और देने के बाद इस कंपनी को क्या मिला होगा यह आज भी एक रहस्य पॉलीटिकल पार्टी देगा अप्लाई वह बाहर से भी ऐसा ही होता है कानून में फेरबदल कर दी क्वाजी ऐड CR है जिसमें बाहर से आप बिल्कुल भी टेंशन नहीं ले सकते इसको पूरी तरीके से खत्म कर दिया क्या नया कानून बनाया गया उसको पेमेंट नहीं किया बल्कि नया कानून बनाया और उसमें एक लाइन जोड़ दी कि जो पुराना कानून है 1976 प्यार है आपसे वह खत्म यह दो चीज मैं आपको बता रहा हूं यह भी आपको समझ में नहीं आ रही होंगी लेकिन आगे अभी आपको समझ में आ 2010 से पहले एक इलेक्टोरल ट्रस्ट ने पोजीशन और रूलिंग दोनों पार्टियों को बहुत बड़ी रकम 2 मिनट की और यह जो भी मैं बता रहा हूं आपको यह ऑन रिकॉर्ड है एरिया में पता लगाया तो पता चला कि ट्रस्ट तीन अलग-अलग कंपनी ने मिलकर बनाएं जिसका आपस में कोई लिंक नहीं पता किया गया कि यह तीन कंपनी एक साथ क्यों है तो पता लगा कि इंग्लैंड में कंपनी है वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड यह तीन उसकी सब्सिडरी है और हंड्रेड परसेंट सब्सिडरी हैं ऐसा नहीं इनडायरेक्टली कोई लिंक है और फिर पता चला कि यह जो पैसा डोनेट हुआ है वह एक विदेशी पैसा है तुरंत एडीआर ने दिल्ली हाई कोर्ट में केस कर दिया कि यह विदेशी पैसा लिया गया दोनों पार्टियों ने इन दोनों बड़ी पार्टी अनमोल थी इसलिए इतना आसान नहीं था दोनों पार्टी ने मिलकर इस मामले को तब तक भूने जब तक अगला बजट है और फिर बजट में ऐसी यह कानून को बदल दिया यार के वकील ने कहा कि कानून को बदल दिया आपने लेकिन यह कानून आपने 10 2010 से पहले को शुरू कर दिया तो जोकर ही नहीं करता उसको कैसे से पहले अगर आप किसी पार्टी को डोनेट करना चाहते हो तो आपको कोई पैसा लेकर किसी भी पार्टी को देख सकते हो कि थी इसलिए थे आपने सुना होगा इलेक्शन के टाइम पर कहीं-कहीं तो इससे नेताओं को कैश में डील करने में बहुत दिक्कत हो रही थी 2017 में इंट्रोड्यूस किया गया इलेक्टोरल ट्रांसपेरेंसी होगी और इसमें अगर आपको किसी और घ्र को कैसे हो लेकिन अगर 2,000 से ज्यादा है तब आपको डिटेल देनी होगी मालूम आपको अपनी फेवरेट पार्टी को 1 लाख रुपए तो आपको एसबीआई बैंक में जाना होगा और आपको मिल जाए और 15 दिन के अंदर आपको जिस पार्टी को वोट दे सकते है कि उसकी डिटेल में नहीं होगी और किसी भी पार्टी को नहीं पता चल सके कि किसने किस पार्टी को वोट दिया लेकिन तब भी स्वप्न दोष नहीं होगा क्योंकि इसमें और अगर आपके सामने ऐसी सिचुएशन दोनों एक दूसरे को नहीं तो आप इसको यही उनके सामने की रिपोर्ट के हिसाब से में कारण से 2019 तक छः हजार करोड़ के लौंडे हैं और उसमें से 95परसेंट बोंड पैसा रूलिंग पार्टी को मिला है गवर्नमेंट करिए जिससे ब्लैक मनी खत्म होगा लेकिन आदमियों इलेक्शन कमिशन करेंगे इसे ब्लैक मनी और बढ़ेगी इन फैक्ट इलेक्शन कमिशन एफिडेविट डाला है कि इससे ब्लैक मनी बढ़ेगा कि रिस्पोंस में कई बड़े नेताओं ने यह बोला है कि यह जो इलेक्टोरल रोल है यार भाई समझ नहीं पाया जब उनको समझ में आ जाएगा तो वह इसको एक्सेप्ट कर लेंगे यह दसवीं और बारहवीं फेल लेता तो चांद को भी अपना मामा समझते हैं वह आरबीआई को फ्रेंच एक व्हाट्सएप समझा रहे सबसे बड़े मजे की बात तो यह है कि इलेक्ट्रॉनिक मेल इलेक्शन के लिए होते हैं इलेक्शन की हर एक चीज का प्रयोग इलेक्शन कमिशन करता है और इलेक्शन कमिशन कह रहा है कि यह सही नहीं है तो मेन बात यह है कि इस को अप्रूव किसने किया फिर इस पूरे process को कराधान से देखोगे तो इसमें जनता चेहरे की छुपाई जा रही है और रूलिंग पार्टी को हर चीज बताई जा रही है कि आदमी अपने निगम छुपाता दोस्तों दुनिया भर के नोटिस भेज तो आप आपको इतना सारा पैसा ले रहा खुद कुछ नहीं बताते हो एक प्राइवेट कंपनी जिसका 15 से 20 लाख का टर्नओवर है उसके पॉजिटिव मुझे कंप्यूटर को फोल्ड कर देते हैं लेकिन अपने पैसे की डिटेल से बिल्कुल नहीं देते हैं यह सिर्फ हम लोग आधार कार्ड लिंक करवाते अपना आधार कार्ड लेकर वास्तविक गैस पकड़ हजार के ऊपर बैंक में जमा करने जाऊं तो आपसे दुनिया भर के पैन कार्ड मांगा है लेकिन आप कैश लेकिन या कार्यालय में हाथ हिलाते हुए पहुंच जाओ आपसे कोई पैन कार्ड नहीं होंगे नोटबंदी में 500 1000 के नोट कहीं नहीं चल रहे थे लेकिन यह सारी पॉलीटिकल पार्टीज वाउचर 500 1000 के नोट लेना वह तो बाद में एक्टिवेशन हल्ला किया तब जाकर को थोड़ी शरम आई तब उन्होंने बंदियों की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी के लोगों को हंड्रेड परसेंट पता होना चाहिए कि उसके नेता कहां से पैसा ले रहे हैं अमेरिका जैसी बड़ी कंट्री में हरेक नागरिक को पता होता है उसकी पार्टी जिसको वोट देने जा रहे हैं वह किस से पैसा ले रही है और उसे क्या फायदा हो रहा है मामलों को यह सी कंपनी है भारी डोनेशन लेने के बाद बहुत ही कम टाइम में एकदम से ऊपर आ गई अच्छा परफॉर्म करने लगी तो एडम्स लोगों को आइडिया तो लग जाएगा कि कुछ डाट हुए गवर्नमेंट के साथ गवर्नमेंट इसको आर्टिकल 21 के तहत राइट टू लाइफ का बहाना बनाती है कहती है कि जो इंसान डोनेट कर रहा है उसकी जान को खतरा है इसलिए कौन पैसे देर है इसको इसको नहीं कर सकते जबकि सुप्रीम कोर्ट मल्टीप्ल टाइम्स से कह चुकी है जहां क्विक इंटरेस्ट की बात होती वहां पर राइट टू इन्फॉर्मेशन सबसे ऊपर होता है आप एक बार डाल के देखिए इस पर्टिकुलर यह ऊपर बैंक ने आरटीआई का रिस्पोंस करना बंद कर दिया इसलिए अपनी मनमानी करते हैं आधार कार्ड लेकर आएंगे अपना नहीं आपको मास्क रिफाइन देना होगा यह भी मांस के रैली करेंगे पटाखे बहन करेंगे खुद इलेक्शन जीतने पर जम के पटाखे फोड़ेंगे को वीक में कंपनी को बोल रहे हैं अपने एंप्लॉयर को सैलरी हैं उनकी सैलरी नारों के और खुद रेलवे का ₹1 का मिनट का यह सब के सब मिलकर हम लोगों को बेवकूफ बना रहे हो" OA2Emtj5Mjw,Bitcoin Mining for Beginners [Hindi] | Nitish Rajput,2021-10-28T05:30:02Z,PT5M12S,588810,22446,863,https://www.youtube.com/watch?v=OA2Emtj5Mjw,, थे हम लोग रोज मुश्किलों करेंसी इसके बारे में सुनते हैं थे रिदम डॉस कॉइन अलग रखकर टो कंसीव है टेंपरिंग को समझते हैं इसी क्रम में खरीद के हमने ज्यादा में भेज दिया कि सारी क्रिप्टोकरेंसीज बंद कैसे रहिए इनको बना कौन रहा है अगर मैं बिटकॉइन की बात करो बिटकॉइन गिफ्ट ओं करंसी है लेकिन यह काफी पहले से है और काफी फेमस है तो बिट फॉर एग्जांपल लेते हैं तो बिटकॉइन बनता कैसे है जिस तरीके से हमारी नार्मल करंसी स्प्रिंट होती है जैसे सौंफ नोट हो गया फिर 500 के नोट हो गए उस तरीके से मिट कोई नहीं प्रिंट होते हैं बिटकॉइन जनरेट होता है बिटकॉइन माइनिंग के थ्रू और माइनिंग इसको इसलिए कहते हैं जिस तरीके से हमारी नैचुरल रिसोर्सेज होते हैं 15 नंबर में रहते हैं उनको माइंड करते हैं ठीक उसी तरीके से बिटकॉइन यह साइड नंबर में है और उनको माइंड करते टोटल 21 मिलियन बिटकॉइन्स है जिसमें ऐसे ATM मिलियन से ज्यादा आम लोगों ने जनरेट करनी है दहेज़ के करीब हम लोग डेली बेसिस पर जनरेट करें बिटकॉइन्स यह रेमिडी है क्योंकि डिपेंड करता है कि कितने - पार्टिसिपेट करेंगे उसके बेस पर चेंज होता रहता है संतोषी मां का मोड अपने बेटे को यह एंड अल्टरनेटिव बनाया था हमारे करंट बैंकिंग सिस्टम के लिए जो हमारा ट्रैकिंग सिस्टम है यह आपको किसी को पैसे देने हैं तो बैंक आपके अकाउंट से पैसे एडिट कर लेगा और जिसको आपको पैसे देने उसके अकाउंट में ऐड कर देगा इस पूरे रिकार्ड को मेंटेन करने के लिए बैंक हमसे कुछ चार्जेस लेता है और आपके अकाउंट में पैसा होता है उसको बैंक अलग-अलग जगह पर निवेशकर्ताओं मनी जनरेट करता है मान लीजिए उसकी इनवेस्टमेंट अगर कहीं लॉज़ में चली गई तो आपका पैसा रिस्ट पर आ जाता है जैसा कि हमने पी एन बी बैंक में देखा था और क्यों कुछ चुनिंदा इंस्टिट्यूट्स पूरी स्ट्रक्चर को कंट्रोल कर रहे होते तो जो पॉवर होता है वह कुछ चुनिंदा लोगों के हाथ में होती है तो मिट पानी से अलग कैसे है तब तक हम अल्टरनेटिव दिया इस कारण बैंकिंग सिस्टम जिस तरीके से बैंक के अंदर हम लोग दर्शन करते थे ठीक उसी तरीके से ट्रांसेक्शन कर सकते हैं लेकिन अंदर रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए सब्सक्राइब कर सकते हो और करने की बजाय लाखों लोगों के हाथ में सत्ता में पार्टिसिपेट कर सक अश्लील एंट्री के बाद उसको फेयर अवार्ड बिटकॉइन मिलेंगे तो इसमें आपको बैठकर खुद कैलकुलेशन नहीं करनी आप उससे अपना सिस्टम लगाना है लगाकर छोड़ देना है उसमें ऑडोमीटर एल्गोरिदम है जो खुद रन करेगी तो इस तरीके से बिटकॉइन जनरेट होते हैं और जो लोग अपना सिस्टम लगाकर यह ऑटो मेटल उभर कर आते हैं उनको - कहते हैं और इस पूरे process को बिटकॉइन माइनिंग करते हैं तो अगर यह प्रोसेस जितना सिंपल है तो हर कोई अपना कंप्यूटर लगाकर इसे 45 करोड़ 50 लाख के बीच है जनरेट करना शुरू कर दे तो इतना आसान भी नहीं है तो इसमें संतोषी मां का फोटो ने भी वही किया जो मारी गवर्नमेंट करती है हमारी गवर्नमेंट चाहे तो कितने सारे नोट छाप सकती है लेकिन ऐसा करती नहीं है क्योंकि उनको पता है कि अगर वह नोट छापे की तो सिर्फ महंगाई बढ़ेगी से कुछ सलूशन नहीं होगा मान लीजिए एरिया के अंदर एक ₹10 कि सिर्फ एक लॉटरी पानी की बोतल चाहिए उसको लेने वाले जितने भी लोग हैं सब के पास एक लाख रुपए हैं तो उस बोतल की कीमत 1 लाख रुपए हो जाए तो नोट छापने से महंगाई बढ़ेगी उसे कोई ऐक्शन नहीं होगा एक सलूशन होगा रिसोर्सेस बढ़ेंगे प्रेम यही चीज संतोषी मां का मोटो में बिटकॉइन में कविता जोशी ना का बटन है इसमें यह रूल बनाएगी टोटल पॉइंट मुझे बिटकॉइन्स जनरेट होंगे और जितने ज्यादा लोग बिटकॉइन माइनिंग करेंगे उतना कम रिवॉर्ड मिलेगा बिटकॉइन 2009 में 200 बिटकॉइन जनरेट करें मैं आपको दो से तीन दिन लगते थे आज की डेट में अगर आपको एक पिन सेट करना है तो आपको लग सकता है - नहीं कर सकते हैं और यूज करने के लिए यूज करना शुरू कर दिया और आज की डेट में स्पेसिफिकली करने के लिए उनका काम सिर्फ बिटकॉइन माइनिंग काफी कम हो गई है दूसरा नहीं होता है चीज डिपेंड करती है अगर आपको अपने चेक करना है कि बिटकॉइन माइनिंग प्रॉफिटेबल है कि नहीं तो कई सारी शॉर्ट ड्रेस में अपनी सारी डिटेल्स लिए आपको पता चल जाएगी बिटकॉइन अगर आपका इंटरेस्ट है तो आप इसमें तीन चीजें कर सकते हैं पहली चीज तो आप इसमें लेनदेन कर सकते हैं दूसरी चीज आप बिटकॉइन जनरेट कर सकते हैं जो मैं ओन्ली डिस्कस कर लिया तीसरी चीज है बिटकॉइन ट्रेडिंग भी होती है जो नार्मल ट्रेडिंग होती है शेयर मार्केट की सेम इसी तरीके से बिटकॉइन की ट्रेडिंग में होती है गम खरीद के लोग ज्यादा में बेचने की कोशिश करते हैं से इंपोर्टेंट चीज इसमें यह है कि अगर आपने रात और आप मुंगेरीलाल के सपने देख कर अमीर बनने के लिए बिटकॉइन में घुसने की सोची है इसमें आपका नुकसान होना तय है लेकिन अगर आप स्मार्ट क्लास में प्ले करते हैं तो आपको फायदा भी हो सकता है और अगर आप भी क्रिप्टो में इनवेस्ट करने की सोचें तो इसमें आपकी मदद कर सकता है पॉइंट्स को बेर है काफी सिंपल है इसका इंटरफेस बहुत ही स्मूद है जिस तरीके से जोमैटो सूजी से फूड ऑर्डर करते हैं ठीक उसी तरीके से सिर्फ एक क्लिक से आप बिटकॉइन खरीद सकते हैं जैसे आप साइनअप करते हैं कुछ स्टेप में आप केवाईसी अपडेट हो जाता है इसमें अलग-अलग क्रिप्टो करेंसी में ग्रेट कर सकते हैं और इस ऐप में सिक्योरिटी को सबसे प्रायरिटी पर रखा गया इस आपको बहुत बड़ी रकम लगा की जरूरत नहीं है आप सिर्फ और वैसे भी स्टार्ट कर सकते हैं और जब चाहे ड्राई कर सकते हैं उसके बाद भी अगर कोई शुरुआत है तो 30427 Customer support अवेलेबल है लिंग मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया यू कैन डाउनलोड पॉइंट्स को XshP1S9hjro,Kashmir Issue Explained [ Hindi ] | Nitish Rajput,2021-10-16T05:30:03Z,PT8M16S,1278142,59348,4143,https://www.youtube.com/watch?v=XshP1S9hjro,," है लेकिन यह वर्ड में ऐसा होता नहीं है बनते हैं तो सही और गलत सारे तरीके अपनाएं जाते हैं यह डॉक्यूमेंट आईएस कंडीशनल एग्रीमेंट था इसका मतलब यह नहीं कि ऐश्वर्या का पार्ट बन गए जो हमारी फौज के अंदर घुस ली म्यूंग यह भी पॉसिबल टो सकते हैं कि वह उनके साथ जाकर मिल जाए जमईड़ो बारामुला पहुंचे तो लोगों ने इतनी ज़्यादा तबाही मचाई कि वहां के लोग आज तक वह चीज भूल नहीं पाते जैसे टाइम बढ़ रहा था वैसे पाकिस्तान कश्मीर को लेकर ऑप्शन भी बढ़ रहा था यह कहना था कि जब एक डेढ़ साल से युद्ध चल रहा था तो थोड़ा और एक्सटेंड कर लेंगे पूरा एरिया ले इसलिए जो भी चीजें मैंने बताई पाकिस्तान में वंडरफुल एक्सेप्ट करिए और यह ऑन कर दें 1947 में जब अंग्रेज भारत छोड़कर जा रहे थे तो 15 अगस्त को अहम हिस्सा मिला था उसमें पॉजिटिव पर्सन के करीब जो रियासत का हिस्सा था वह हमको नहीं मिला था और अंग्रेजों ने यह कहा था कि यात्रियों की मजबूरी है वह चाहे तो इंडिया के साथ जुड़ सकते हैं या फिर पाकिस्तान के साथ जोड़ सकते हैं या फिर वह चाहे इंडिपेंडेंट रह सकते हैं यह 565 के करीब जा सकती थी अगर मैं पाकिस्तान वाला पार्ट हटा दे तो फिर भी 535 के करीब थे इन सबको जोड़ कर भेज बनाना था यह अकबर ने थी इसका काम दिया गया था सरदार वल्लभ भाई पटेल को जो हमारे समय के डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर से यह फायदा तो यह था कि सारी हाथों से पूछा जाता अगर उनका मन होता है इन्हें के साथ जोड़ने का तो ठीक है वरना कोई बात नहीं लेकिन रियल वर्ल्ड में ऐसा होता नहीं है बस बनते हैं तो सही और गलत सारे तरीके अपनाएं जाते हैं छोटी रियासतें थी उनको सेवन से पता थे वह विद्रोह भी देखा था तो उनकी हिम्मत नहीं देखिए गैस बजाय मीडिया से आकर मिल गई बाकी जो रियासतें थी उसको प्यार से मनाया गया कुछ अलग तरीके अपनाए जितने भी आ सकती थी डॉक्यूमेंट गया था इंस्ट्रूमेंट आफ थे और यह हर एक रियासत के लिए बहुत ही अच्छे से दूसरा तीसरा जम्मू एंड कश्मीर के हिंदू और मुस्लिम था उसको बिल्कुल नहीं तो फिर सितंबर 2011 में पाकिस्तान के साथ श्रवण को जाकर पाकिस्तान में जोड़ दिया कायदे में अगर देखा जाए तो जो भी रियासत चाहे वह पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहते इंडिया के साथ जोड़ना चाहिए ऐसा वह कर सकती थी तो वहां पर विद्रोह कर दिया गया मुझे राजा था जूनागढ़ का वह भागकर पाकिस्तान चला गया था जहां पर शांत हुई तो वहां पर प्ले की साइड आप वेबसाइट यानि कि वहां की जनता वोटिंग के थ्रू डिसाइड करेगा कि उसको पाकिस्तान के साथ जाकर मिलाएं फिर उसको इंडिया के साथ जाकर मिला जवाब लेफ्ट साइड हुआ तो ninety-nine परसेंट वोटिंग इंडिया के साथ जोड़ने के लिए ही अच्छे से इंपोर्टेंट चीज और है कि जब अंग्रेज जा रहे थे तो उन्होंने पाकिस्तान इंडिया दोनों का डिफरेंस है वह अपने हाथ में रखा था दोनों के कमांडर थे वह अंग्रेज से अपनी बहुत ही अच्छी चीज थी क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो बहुत सारी लड़ाई और होती और बजे तो हैदराबाद और जम्मू एंड कश्मीर हैदराबाद का जो राजा था वह मुस्लिम था वह भी पाकिस्तान के साथ जाकर छोड़ना चाहता था लेकिन प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं था क्योंकि हैदराबाद दिन बीचों-बीच था तो इसी पॉसिबल नहीं थी और दूसरी चीज जूनागढ़ में उसे देखा था कि राजा का क्या हाल हुआ था तो डरा हुआ था तो उसने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के साथ एग्रीमेंट साइन किया जिसे स्कैन स्टील एग्रीमेंट भी कहते हैं इस स्टाइल एग्रीमेंट का मतलब था कि अब आज जैसी है वैसी ही रहेगी एक साल के बाद डिसाइड होगा कि पाकिस्तान के साथ जाना या फिर इंडिया के साथ जाना है और पटेल जी 20 हो गए थे क्योंकि उनको अपना फोकस इस समय जम्मू एंड कश्मीर करना था अगर आप देखोगे तो जूनागढ़ और हैदराबाद का पाकिस्तान से जाकर मिलना यह प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं था इसलिए पाकिस्तान को बहुत ज्यादा दिक्कतें आई अगर वह जैसे-तैसे करके पाकिस्तान के साथ जुड जाती है तो वही होता है जो बांग्लादेश का जम्मू एंड कश्मीर का बॉर्डर पाकिस्तान से लगा हुआ था और अंदर की साइड हुआ था तो बहुत ज्यादा थे कश्मीर वैली तो फैसला उनके हक में मुस्लिम जैसे कि कश्मीर को जम्मू एंड कश्मीर थे हिंदू और मुस्लिम किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए उनके सामने पाकिस्तान से मिलते हैं तो वहां पर बहुत अच्छे से मिलते हैं लोकतंत्र की बात कर रहे हैं इलेक्शन कराने की बात करें तो वहां पर कलेक्शन होगा तो मैच्योरिटी मुस्लिम है तो वैसे नहीं राजा बनेंगे तो राजा हरिसिंह अपनी गलती से बहुत ज्यादा प्यार था अगर वह इंडिपेंडेंस भी रहते तो यह सबको पता था कि जो रियासत इन दोनों कंडीशंस के बीच में फंसेगी उसके लिए मुश्किल होगी तो राजा हरि सिंह के लिए डिग्री लेना बहुत मुश्किल था जैसे टाइम बढ़ रहा था वैसे पाकिस्तान का कश्मीर को लेकर ऑप्शन भी बढ़ रहा था लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह थी कि चीन की आर्मी थी अंग्रेजों के हाथ में दी तो चाहा कि कश्मीर के ऊपर ऐसे अटैक नहीं कर सकते पाकिस्तान ने पहली 10,000 लोगों की आर्मी खड़ी होगी सिविलियंस की तरह देखते हो आजाद कश्मीर बॉर्डर जो कि कश्मीर पर टाइप कर सके अब ऐसा नहीं कि मैं इंडियन हूं तो झूठ इफेक्ट पता कि पाकिस्तान को बैन कर रहा हूं जो भी चीजें मैंने बताइए पाकिस्तान ने यूएन के अंदर खुद एक्सेप्ट करिए और यह ऑन पर है जितनी भी चीजें इस पूरी वीडियो में मैं बता रहा हूं सारे के सारे इंटरनेट पर भले सारे डाक्यूमेंट्स अनिल भल्ला कुछ भी वेरीफाई कर सकते हैं कुछ भी मैं अपने मन से नहीं बता रहा हूं हरि सिंह को आजाद कश्मीर सोच के बारे में पता चला तो बहुत ज्यादा सॉफ्ट है कि आराम से जीत लेंगे उनके जो चीफ ऑफ आर्मी थे राजेंद्र सिंह उन फिर सुलझाने की कोशिश की कि जो हमारी फौज के अंदर मुस्लिम लोग यह भी पॉसिबिलिटी हो सकती हैं कि वह आपके साथ जाकर मिल जाएंगे राजा हरि सिंह के पास भी कोई और ऑप्शन नहीं था और जैसे लोग आगे बढ़ते गए इस चीज का डर था राजेंद्र सिंह को वही हुआ हीरो आउट ऑफ कंट्रोल होते हैं यह लोग बारामुला पहुंचे तो लोगों ने इतनी ज़्यादा तबाही मचाई कि वहां के लोग आज तक उचित भूल नहीं पाया जिस तरीके से पाकिस्तान का डिफरेंस अंग्रेजों के हाथ में था ठीक उसी तरीके से इंडिया का डिफरेंस ही अंग्रेजों के हाथ में था अब एक दिन के अंदर इंडिया जॉब से ना तो नहीं खड़ी कर सकता था तो उन्होंने माउंटबेटन से बात करता माउंट बैटन का साथ बहुत ही क्लियर था कि हम अपनी आर्मी का यूज किसी पर अटैक करने के लिए नहीं करेंगे एक ही सिचुएशन में अपने आदमी का यूज करेंगे हमारे ऊपर अटैक हो रहा है अपने डिफरेंस करना हो और क्योंकि कश्मीर इंडिया का हिस्सा उस समय नहीं था इसलिए हम अटैक नहीं कर सकते जब पाकिस्तान की सेना श्रीनगर से सिर्फ 50 किलोमीटर की दूरी पर रह गई थी तब हरिसिंह ये से मदद मांगी और इंडिया ने वीपी मेनन को हरि सिंह के पास भेजा एक डॉक्यूमेंट लेकर हरि सिंह हुड्डा कोमेंट साइन किया और कश्मीर इंडिया का पार्ट बन कुछ लोग कश्मीर को इंडिया का पाठ नहीं मानते उनका यह कहना था कि यह डॉक्युमेंट आईएस कंडीशनल एग्रीमेंट था में का मतलब यह नहीं कि कश्मीर का पार्ट बन गए यह जो डॉक्यूमेंट वीपी मैनन साइन कर आया था वहीं डॉक्यूमेंट था जब इंडिया ने बाकी लिए सदैव अपने साथ जोड़ा था उसे साइन करना है जब मीडिया ने कश्मीर ऑफिसर्स उतारकर उसे पीछे करना चालू किया तो पाकिस्तान ने भी ट्राय किया कि वह भी प्रोसेस होता है उन्होंने अंग्रेजों से बात कर ली लेकिन माउंटबेटन ने जो इंडिया से कहा था कि वह चीज अंग्रेजों ने पाकिस्तान से भी गई कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है इस समय कंपोज अपने उतारेंगे तो एक अटैक माना जाएगा राजधानी डिफरेंस कश्मीर ऑल इंडिया के सेगमेंट को लेकर चिंता बहुत ज्यादा फ्यूरियस है उन्होंने माउंटबेटन को बुलाकर बात करी कि इस एग्रीमेंट को मानते नहीं है क्योंकि जूनागढ़ और पाकिस्तान के बीच में एग्रीमेंट हुआ था तो वहां पर उसे कमेंट को माना नहीं गया था बल्कि वहां पर वेबसाइट हुआ था तो माउंटबैटन ने यही इंडिकेशन है कि यहां पर शांति हो जाएगी फिर हम इस वेबसाइट होगा उसके बाद चीज ऐसी ही जिसके बाद से इंडिया थोड़ा सा वेट पड़ गया पहली चीज नेहरू जी मंच पर आक्रमण किया कि जैसे युद्ध विराम के बाद हम लोग वेबसाइट करेंगे और दूसरी चीज 1 साल से चल रहा था डॉक्टरों को नियुक्त किए जाने से खुश नहीं हैं स्थल से युद्ध चल रहा था को थोड़ा और एक्सटेंड कर लेते और पूरा एरिया लेना चाहिए का यदि यह रिलेशन जिसमें तीन पॉइंट्स इसमें यह था कि जो जहां है वहीं रुक जाए और दूसरा पाकिस्तान की ओर से कश्मीर को पूरी तरीके से और इसके बाद डिसाइड करें कि पाकिस्तान के साथ जाना या फिर वहां पर तब से लेकर आज तक जिस पॉइंट पर कंट्रोल और जिसे पाकिस्तान पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर कहते हैं तब से लेकर आज तक इसका कोई सलूशन हुआ कि मैंने इस चैनल को जरूर सब्सक्राइब आवर चैनल को डाउनलोड कर अपने लिंग डिस्क्रिप्शन में दिया है और अगर आपको पिन कोड वह यूज करते हैं तो आपको लाइव टाइम 20% डिस्काउंट मिलेगा ऑन एनुअल सब्सक्रिप्शन आफ 398 और लिमिटेड एडिशन कूपन कोड है डीआईओएस पास जिसमें आपको फिफ्टी परसेंट आफ मिलेगा वैलिड टिल 17th ऑक्ट" X5jz52G7hvo,Bollywood & PETA | Nitish Rajput | @NitishRajput | #Shorts,2021-08-03T07:13:52Z,PT14S,17192961,600816,5907,https://www.youtube.com/watch?v=X5jz52G7hvo,, हमारे कुछ सेलिब्रिटी जितने ज्यादा समझदार हैं की उनको जब पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल यानी की पिता से हीरो तू एनिमल का अवार्ड मिलता है तो उसके 5 दिन बाद वो ये फोटो डालते हैं F2xQE3vV0-s,Women | Nitish Rajput | #shorts,2021-08-03T07:04:40Z,PT16S,7714281,344607,1667,https://www.youtube.com/watch?v=F2xQE3vV0-s,, को भली लड़की प्लेन चलाती हो फाइटर जेट सकून जाती हो नींद शादी वाले दिन इसको धीरे-धीरे करके शेष तक जाना होगा वह लड़का एक दम फ्री रहता है उसको एक दिन का नकली राजा बना लें और उसे एक दिन का नगरी राजा बनने के लिए उनके इतने सालों से की हिमायत EgvR5wqvZmA,Salary Manipulation [Hindi] || Nitish Rajput,2021-05-14T04:00:31Z,PT4M47S,884233,39065,1664,https://www.youtube.com/watch?v=EgvR5wqvZmA,, में कोई भी इंसान अगर किसी कंपनी में काम करता है तो इसके पीछे सबसे बड़ा इंपॉर्टेंट ट्रैक्टर होता है वह है सैलरी एंपलॉयर उसके बदले में सर्विस मिलती है और को उसके बदले में सैलरी मिलती है अब सैलरी कितनी होती है कि इंटरव्यू के टाइम पर ही कर डिस्कशन हो जाता है अब एक्सपीरियंस होते हैं वह धीरे-धीरे करके जाते हैं लेकिन जो लोग होते हैं कि उनके साथ धोखा मतलब यह नहीं कि कोई एक्टिविटी होती है मतलब स्कूटर है इसकी इन्फॉर्मेशन इसको कंपनी अब स्कूल ना होने की वजह से हर महीने के लिए कोई जरूरत नहीं है आपको सिंपल सी सैलरी सैलरी कंपनी मालिक के घर पर किसी की जरूरत पड़ गई है और आपको देने की जरूरत है अब घ्र से एक घंटे की दूरी पर है है अब मेकेनिक को आपके घर पहुंचने पर एक घंटा लग रहा है फिर आपके घर पर काम करने में एक घंटा लग रहा है फिर वापिस अपने घर जाने में एक घंटा लग रहा है अब वगैरह कि मुझे तो आपके काम के लिए तीन घंटे लग गए और आपके हिसाब से उसने एक घंटे में काम किया है तो यह जो डिफ्रेंस होता है यह डिफरेंस सी और इंग्लैंड की टीमें कंपनी हर वह पोस्टेड की सैलरी कुछ कंपनी प्रोवाइड करते हैं कुछ कंपनी प्रोवाइड करती हैं जो एक मशीन से लेकर उसकी कुछ कम कर लेती तो कुल मिलाकर पूरा पैकेज है उसको दिखाने के लिए उम्दा दिखाने के लिए अलग-अलग इसको पहले कंपनी की करने के लिए यूज करते थे फिर इसको इसको अ जो कि नहीं करना चाहिए क्योंकि जब स्किन में चेंजेस होते रहते हैं और यह भी अभिषेक भिलाई से 4% हो जाता है तो उस टाइम पर यह जो कॉन्ट्रैक्ट एंप्लोई और के बीच में इसका होता है दूसरी चीज में कंपनी कर रही है कंपनी के लिए घर तैयार हो ऑफिस पहुंचने में टाइम लगता है फिर ऑफिस पहुंचने टाइम लगता है इसलिए इस चीज को और टाइम पर आप कभी भी सी कंपनी के पास होती है जिनकी फुल टाइम जॉब इंटरव्यू कंपनी का अगर आप कोशिश करते हैं तो आपको हमेशा और शेयर करना चाहिए और वह सैलेरी डिडक्शन होने के अकाउंट में कितना पैसा है उसको सैलरी सेट करें और और चीजों को में कंपनी से पेट्रोल के पीएफ अकाउंट में एंपलॉयर और एम्पलाई दोनों फीट पर सेंट कंट्रीब्यूट करते हैं लेकिन कुछ कंपनीज एंड वाला पार्ट भी एंड्राइड कर लेते हैं तो आप को सैलरी के फैसले में यह दूसरी कंपनी की नजर नहीं कर सकते तो इसकी कोई गारंटी नहीं बल्कि बहुत ही सस्ते में को बचाने के लिए कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में होनी चाहिए इसके खिलाफ कंप्लेंट करें तो आपको लेकिन फिर भी अगर आपको लग रहा है कि कोई कंपनी बहुत ही ज्यादा प्रैक्टिस कर रही है तो आप कर सकते हैं जैसे कि बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे कंप्यूटर साइंस से टेक्नोलॉजिज इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है और इन सब चीजों में आपकी मदद कर सकता है डिक्स और 2011 ऑल इन वन कंप्यूटर साइंस लर्निंग प्लेटफॉर्म है जो कि पढ़ाई से लेकर प्लेसमेंट तक हर एस्पेक्ट में आपकी मदद कर सकता है इसमें कई सारे कोर्स है जैसे कि इंटरव्यू प्रिपरेशन न्यू टेक्नोलॉजी जो कि आपको आपकी ड्रीम जॉब दिलवाने में मदद कर सकता है एंड द बेस्ट पार्टेज स्ट्रक्चर टॉप क्वालिटी कंटेंट एंड अफॉर्डेबल प्राइस और जॉब पोर्टल के साथ आपको चांस मिलता है अप्लाई करने के लिए Amazon और जेनपैक्ट जैसी कंपनियों में और आपको किसी भी कंपनी में इंटरव्यू एक्सपीरियंस जानना हो तो आपको गुरुदीक्षा मिल जाएगा थैंक यू वांट टो लर्न फॉर फ्री यू कैन वॉच वेबीनार सन वर्कशॉप YouTube चैनल तो इसलिए इस प्लेटफार्म है 75-OPAEhAAw,Why Tesla is coming to India via Netherlands? | Nitish Rajput,2021-02-16T07:00:01Z,PT6M52S,673017,39261,1611,https://www.youtube.com/watch?v=75-OPAEhAAw,," चैप्टर लगभग डाइरैक्ट नहीं किए नहीं बल्कि नीदरलैंड के दूर आउट किया तो गवर्नमेंट के सामने अब कोई ऑप्शन बचा नहीं है सिवाय इसके कि वह कोई एक्शन लें वेल जो 25 करोड़ लोग अपनी की गाड़ियां लेकर रोड पर घूम हैं इनको अचानक से इलेक्ट्रिकल्स में नहीं कन्वर्ट किया है तो यह गवर्नमेंट टो रिलाइज हो गया कि जोड़ों में नंबर बोला थोड़ा ज्यादा बोल दिया अब एक 36 करोड़ की आबादी में कितने लोग यह कहां रखा ऐड कर सकते हैं और कितना पॉजिशन बचा है आपको समझ सकते हैं इससे पहले मीडिया के अंदर कई सारी कारण यह प्रोडक्ट है लेकिन जिस तरीके की वेबसाइट फैसला को लेकर उतनी साइट हमने आपसे पहले नहीं देगी यूनियन मिनिस्टर हो गया चीफ मिनिस्टर आफ कर्नाटका यह सब ऑफिशल स्टेटमेंट हैं और जो पार्टी के जो पीछे अकाउंट है वहां से पोस्ट हैं ट्विटर पर कई दिनों तक ट्रेन चला है तो टेस्ला का इंडिया के अंदर आना एक कारखाना नहीं इसके पीछे और भी विजन है पूरी दुनिया में 10,000 सिटीज है और उन 10,000 सिटीज विशेष टॉप टेन सबसे अधिक पोल्यूटेड सिटीज है उसमें 6 सिटीज इन इंडिया की हैं और टॉप-30 में 21 सिटीजन इंडिया की है मैं इंडिया ऑल और द वर्ल्ड विथ रैंकिंग पर पोलूशन करने एक साल के अंदर कान्वेंट की वजह से जितने लोग की डेथ हुई है उससे दस गुना ज्यादा डेट पोलूशन की वजह से होती है हर साल इंडिया के अंदर और उत्तराखंड के अंदर भी जो लेयर की वजह से फ्रंट है उसके पीछे इधर भी पोलूशन है और इंडिया पैरिस एग्रीमेंट उल्टी साइड करके है उस एंड डिसीप्लिन सबमिट करने क्लाइमेट चेंज के रिगार्डिंग तो गवर्नमेंट के सामने अब कोई ऑप्शन बचा नहीं है सिवाय इसके कि वह कोई एक्शन ले अगर आप गूगल पर सर्च करेंगे मैन रीजन फॉर पोलूशन को सबसे ऊपर लिखा है वह गलत पोजीशन तो आप इसको रोकना बहुत जरूरी हो गया है और रुकेगा तभी जब इलेक्ट्रिक वीइकल्स पिक्चर में आएंगे 2017 में गवर्नमेंट का स्टेटमेंट आया कि 2030 तक हम लोग सारी गाड़ियां लेकर मेकर्स में कंवर्ट कर देंगे अब यह जो 25 करोड़ लोग अपनी अपनी गाड़ियां लेकर रोड पर घूम रहे हैं इनको अचानक से इलेक्ट्रिकल्स में नहीं कन्वर्ट किया जाए और टो मोबाइल इंडस्ट्री में इंडिया के अंदर बहुत बड़ी इंडस्ट्री है तो यह गवर्नमेंट टो रिलाइज हो गया कि चोरों ने नंबर बोला मैं थोड़ा सा ज्यादा बोल दिया है तो 2018 में दोबारा स्टेटमेंट दिया कि जो हंड्रेड परसेंट है उसकी जगह तीस परसेंट कर दिया 2030 तक हम 30 पर सेंट माइकल्स इलेक्ट्रिक मिक्स कर क्वेश्चंस के एडवांटेजेस काफी ज्यादा लेस नॉइस पोलूशन नॉइस पोलूशन लाल सब्सक्राइब करें तो एक किलोमीटर की होगी अगर आप पेट्रोल की करें तो एक किलोमीटर की इस कंपनी ने यह फैसला हो रही है जिसकी वजह से घृणा करता थर्ड पार्टी को कस्टमर ऑनलाइन खरीद सकते हो लेकिन इसका उल्टा भी डिफरेंट है इस वजह से प नेटवर्क है जिसमें कुछ खट्टी में सक्षम आकाश को फ्री चार्जिंग सर्विस देता है अब आर्ट जनवरी 2021 कोड सेलेक्ट कंपनी रजिस्टर्ड कर दिया टाटा मोटर्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से लेकिन फैसला डाइरैक्ट नहीं कि इंडिया के अंदर बल्कि वीरवर आउट किया है इसका मतलब यह हुआ कि फैसला इंडिया के अंदर है उसकी पैरेंट कंपनी है वह डायरेक्टमेंटे नहीं बल्कि टेस्ला मोटर्स इसके पीछे और नीदरलैंड के बीच में एग्रीमेंट डेढ डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट नीदरलैंड की कंपनी अरेस्ट करेगी से प्लीज सब्सक्राइब के साथ कैंसिल कर दिया क्योंकि लोग थे इन्वेस्टमेंट्स चाहिए लेकिन अभी भी अंधेरे करने की वजह से सब्सक्राइब 0 0 और यह मैन्युफैक्चर नहीं है कि बिल्डर आ रही है या के अंदर तो इसके ऊपर हंड्रेड परसेंट कस्टम ड्यूटी टैक्स लगेगा तो इसकी कॉस्ट बैटरी कि बचपन से 60 लाख के बीच में अवैध 36 करोड़ की आबादी में कितने लोग यह कहां रखा ऐड कर सकते हैं और कितना पोलूशन बचाया कुछ समझ सकते हैं तो इसके लिए हमारी एक्जिस्टिंग इलेक्ट्रिक कार है उसके ऊपर हमें फोकस करना पड़ेगा नहीं अफॉर्डेबल कार्ड उनको एलिमेंट कराना होगा फॉर इलेक्ट्रिकल लाने में सबसे बड़ी दिक्कत आ रही है वह लिथियम-आयन बैटरी क्या है लिथियम-आयन बैटरी एक इलेक्ट्रिकल का सबसे मेन कंप्लीट होता है जो कि इंडिया प्रोड्यूस नहीं करता है उसको बाहर की कंट्री से इंपोर्ट करना पड़ेगा अगर आप इसकी वैल्यू बहुत ही ज्यादा कम है तो उसकी वजह से जब हमको सिम पोर्ट करते तो बहुत महंगा हो जाता है और इसी वजह से अफॉर्डेबल रिलेटेड टो इंप्लीमेंट करने में इंडिया में दिक्कत अभिनेत्री वेंस के फायदे तो बहुत सारे लेकिन फिर भी लोगों की सेकंड पॉवर्टी है अगर आप एक पेट्रोल गाड़ी लेकर निकलते हैं तो 40 लीटर की इसकी कैपेसिटी होती है और 15 अगर आप मालिक 600 किलोमीटर तक आप जा सकते हैं और हरेक किलोमीटर मैं आपको पेट्रोल पंप मिल जाए लेकिन अब इलेक्ट्रिक कार लेकर निकलते हैं तो पहले इसकी रेंज होती है डेढ़ सौ से दो सौ किलोमीटर तक होती है दूसरा आपको चार इंच ढेर बहुत दिक्कत आ जाएगी और चैटिंग से चलेगा आपको मिल भी गया तो उसको चार्ज करने में आपको 35 से 40 से ज्यादा लग सकता है तो इलेक्ट्रिक लेकर उसको सच में के अंदर अच्छे से इंप्लीमेंट करना है तो इसको चार्जिंग पर सक्सेस बहुत ही अच्छा होना चाहिए गवर्नमेंट शेयर किया पब्लिक के साथ काफी अच्छा है इसमें प्रॉब्लम है सब्सक्राइब पेट्रोल पंप पर हजारों लोग तो कोई भी नहीं करना चाहिए जैसी कंपनी में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है और यह बहुत ही जल्दी करने वाले ऑनलाइन पोर्टल की सर्विसिंग के पास जाते हैं और घ्र घ्र मिल जाते हैं तो पूरा बहुत कि कल स्विमिंग है जो मार्किंग इस पूरे process को ऑनलाइन में कंवर्ट कर दिया है अब आपको कार सर्विसिंग के लिए पूरा दिन खराब करने की जरूरत नहीं है डोमनिक फ्री पिक अप एंड ड्रॉप सर्विस देता है जब भी पिक अप एंड ड्रॉप की बात आती हम लोग बहुत ही स्केप्टिकल हो जाते हैं इसलिए उसमें कार्य नार्मल हो गई मकैनिक ने इस पर्टिकुलर क्वेश्चन को अपनी प्रायरिटी लिस्ट में रखा है और यह है कि 4 साल के अंदर-अंदर 500 से भी ज्यादा व्हाट्सएप स्टार्ट कर दिया पैन इंडिया और 10 मिनट से भी ज्यादा कार सर्विस करके यह अ पर्सन जैस्मिन ऑयल स्पेयर पार्ट यूज करते हैं डायरेक्टली फ्रॉम मैन्युफैक्चर है और आपके कार्य की कंप्रिहेंसिव हेल्थ रिपोर्ट आपके साथ शेयर कर देंगे रोडसाइड एसएस आपको एक कॉल पर मिलता है और डेडिकेटेड सर्विस बड़ी आपके साथ कॉन्टिन्यूस्ली टेस्ट में रहेगा आप इतनी सारी सर्विसेज है तो आपको लग रहा है कि महंगा होगा तो ऐसा नहीं है जो भी सर्विस आप ऑथराइज्ड डीलर के पास जा कर लेते हैं यह 40% लेस में करते हैं और आप अपनी पहली सर्विस स्टार्ट करवा सकते 1998 वहीं डीजल मैंने के साथ" SNjA8HIFiOk,Reality of a Woman in India [ Hindi ] || Nitish Rajput,2021-01-28T04:23:46Z,PT10M37S,2046212,176677,13793,https://www.youtube.com/watch?v=SNjA8HIFiOk,, कि हम लोग बहुत जल्दी कुछ जाते हैं हम चांद पर पहुंच गए लेकिन क्या फायदा उस चीज में 6:00 के बाद हम लोग अपने घरों से लड़कियों की बाहर नहीं दे सकते भली लड़की प्लेन चलाती हो फाइटर जेट क्यों चलती है कि शादी वाले हैं इसको धीरे-धीरे चलते इस वर्ष तक जाना होगा और चार लौंग पकड़कर ले रहा है उसको वह लड़का एक दम फ्री रहता है उसको एक दिन का नकली राजा बना लेंगे उससे एक लड़की ने भले पीएचडी कर रखी हो लिखना कब से थोड़ी दूर जाना होगा तो इसके पीछे 5 साल का बच्चा लगा देंगे हमारी सुसाइड 15 पर सेंट भेज पकड़ा है उसको दूसरे घर विदा कर देती है बाकी के 95परसेंट के राजा बेटा कुल का दीपक बोरास करता है दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी की 40% पापुलेशन 6:00 के बाद कर क्यों चली जाती है राइट ए क्वालिटी राइट टू फ्रीडम राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन इन सब की धज्जियां उड़ती है और इससे बड़ी और कोई हो नहीं सकती अगर मैं आपसे पूछूं फीमेल सबसे अलार्म सेट कहां रहती है तो ज्यादातर लोगों को यही लगता है जब वह घर से बाहर होती है तो सबसे ज्यादा अनुशासित रहते हैं को सबसे ज्यादा खतरा घर के बाहर रहता है जब वह ट्रेवल कर रही होती है जान जगह वह यान लोगों में होती है वह को सबसे ज्यादा खतरा तभी होता है और यही होता था जब तक मेरे पास डाटा नहीं आया और मैं आपके साथ शेयर करते तो आज की डेट पर लड़कियों के ऊपर जितने भी फिजिकल वायलेंस से कैसे हुए हैं उसमें 70% घर के अंदर हुए और आज की डेट तक जितने भी रेप कैसे हुए हैं उसमें से 90% कैसे विक्रम के घर में उनके दूर हो या पास के जानने वालों ने की है एक लड़की के पैसे बाहर चोरी हो जाए उससे ज्यादा चांसेस है कि उसकी मर्ज़ी के बिना घर में उसे पैसे लिए है 5 लाख लड़कियों को हम लोग हर साल मार देते हैं क्योंकि वह लड़कियां हैं सेक्सी थ्री मिलीयन 6 करोड़ 30 लाख लड़कियों को हमने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया क्योंकि वह लड़कियां है और यह सारे डिसीजन घर में बैठ के लिए जाते हैं क्योंकि इंडिया के अंदर हर किसी के बाद साम्राज बहुत ज्यादा है तो हर किसी को अपना वंश चलाने के लिए एक लड़की की जरूरत होती है तो इंसान वीडियो धर्म के पीरा उसको भी अपना सम्राट चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है और जो भी डेटा मैं आपको दे रहा हूं यह गवर्नमेंट और non-government ऑर्गेनाइजेशन का डाटा है कि मैं अपने मन की बात नहीं करता हूं और उन सबके लिंग मैंने YouTube के डिस्क्रिप्शन में दे क्व वैलिडेट करने जाएगा तो इस डाटा देखना तो समझ में आ गया कि लड़कियां बाहर की बजाय घर के अंदर अंत हर लड़कियां लोगों के सेकंड हैं अब इंडिया की पापुलेशन में 14% फीमेल है और 22% मेन है तो ऐसा क्या रिएक्शन है कि हमारी सोंठ पर सेंट पापुलेशन लोग ही सेकंड्स रोटी बन गई है तो इसका फ्लेवर बहुत ही सिंपल है जो कमजोर होता है उसको दबाया जाता है आप से पंगा वहीं लेगा जिसको लगेगा कि आप से पंगा लेकर वह बच सकता है तो इसका मतलब यह है कि लड़कियां भी हैं तो ऐसा नहीं है भगवान ने लड़का और लड़की एकदम बराबर बनाया है दोनों सिमिलैरिटी रखी है डिग्रस कुछ नहीं रखा है कुछ लिख रखे हैं और वह डिफरेंट इसलिए रखे हैं ताकि रिप्रोडक्शन साइकिल पूरा हो सके वह इसलिए नहीं रखें कि कौन बीपी बनेगा कौन डिसीजन लेगा कौन कार चलाएगा कौन प्लेन चलाएगा का यह कौन घर के बाहर रहेगा कौन घर के अंदर रहेगा अगर फिजिकल स्ट्रैंथ एलिमेंट होती तो पूरी दुनिया के ऊपर सारे पहलवान रूल कर रहे होते तो लड़कियां भी तो नहीं है लेकिन को पल्पल्ली भी बनाया जाता है और प्रॉपर प्लानिंग में बनाया जाता है अपने बचपन से स्टार्ट हो जाती है जैसे बच्चा होता है अगर लड़की होती है तो बार्बी डॉल घर-घर सारे केयरिंग और कोऑपरेटिव दिए जाते हैं और लड़का होता है तो उसे धन पकड़ा दी जाती है कार रेसिंग सुपरमैन सारे अगर ऐसे और कॉपर टिफिन दिए जाते हैं कि बच्चों की चॉइस नहीं होती है उनकी चॉइस बनाई जाती है लड़कियों की तरफ भाग रहा है लड़कियों की तरह कपड़े पहने हुए लड़की की तरह रो रहा है मावा भी सारी चीजें लड़की को बोल रहे होते हैं तो ही बगल में उसकी बहन भी सारी चीजें सुन रही होती है तो क्या सोचेगी कि लड़की की तरफ भाग है नहीं बहुत बेकार भोगना होता है एक लड़की लड़के के कपड़े पहन सकती है लेकिन करें एक लड़का लड़की के कपड़े पहने तो ऐसे कर देंगे जैसे कि एक किसी बहुत ही छोटे आदमी के कपड़े पहने एक लड़कियों की तरह कपड़े पहने एक है जाता है लड़कियों को समझा दिया जाता कि कैसे बैठना है कहां जाना है और घर वापस कितने बजे तक आ जाना है लेकिन लड़कों के लिए पूरी फ्रीडम है एक लड़का वे खुलकर यूरिन वैट कर देता है पर वह बहुत ही नॉर्मल चीज है लेकिन उसी रोड पर एक लड़की स्कर्ट पहन के चली जाएगी तो वह बहुत है नार्मल है अगर आप देखें तो दोनों में से क्या ज्यादा है नार्मल है एक लड़की ने भले पीएचडी कर रखी हो लेकिन इसे थोड़ी खाना होगा तो उसके पीछे 5 साल का बच्चा लगा देंगे और अगर उस लड़की को कोई बचा नहीं सकता उसके बाद इसके पीछे वह बच्चा बड़ा होता है तो अपने आप को समझता हूं और बचपन से यह दुनिया में किसी लड़की से बात नहीं कर सकते हैं और कहीं ना कहीं यही काम करती को सबसे पैसे की किसी भी चीज के बारे में सबको पता है कि वह घृत पकड़े जाएंगे लेकिन होते रहते है और यहां से शादी से पहले किसी-किसी अ अय्यर यह चीज दिमाग में बैठ जाए कि लड़की लड़के से भी होती है और यह सिर्फ एक निर्जन की बात नहीं करूंगा कोई भी रिलीज कर देंगे में भले ही चलाती हो चलाती हो उसको उसको उसको एक दिन तक स्वामी हर पति करोड़पति करोड़ों का मालिक मालिक छोटी-छोटी चीजों से में बताया जाता है कि मालिक घृणा करती है कि लड़कियों के हाथ में कुछ सिंपल लॉजिक के दो बच्चे होने चाहिए तो हमारी दूसरी ओर करता है कहने के लिए उस लड़की का होता है अगर वह इस पैसे से कुछ ट्रैवल करना चाहिए या कोई कोर्स करना चाहिए जब कार खरीदना चाहे तो कर नहीं सकती है वह असल में पैसा तो उसी का है लेकिन उस पैसे का करना क्या है वह हम बनाएंगे और रही बात अधिवेशन की तो पहली चीज तो अगर आपके पास एक को बढ़ाने का पैसा है तो लड़के कोई पढ़ाएंगे भली लड़की कितनी टैलेंटेड और इनके इस लड़की को पढ़ा भी दिया तो उनको भ्रम हो जाता है कि हमें तो लगी क्या क्वेश्चन करा दिया वह कहीं भी मत नहीं खाएगी अब उनके हाथ में कुछ नहीं है तो आप कितनी वेरिफिकेशन करा ली ढहाती खाएगी माइक्रो उन्हें पढ़ाई घर जाना है और ससुराल में तो पढ़ाई करते जाएंगे तो उनका एक्चुअल घर कौन सा होता है तो आज भी एक रहस्य और आप घर के बाहर आकर नेम प्लेट भी देखेंगे तो कभी भी घर की बहू का नाम भी लिखा होता था कि उनको पता रहेगा जो घर के अंदर आए तो यह घर किसका है और गलती से वह लड़की अपने पैसों से घर खरीदने समाज के लिए कुछ कर दें तो उसका फ्रेंड भी लड़कों को दे देते हैं कि हमें तो लड़की भी हम तो भगवान लड़का दिया है उसका ब्रेड भी इसको नहीं मिलती इनमें से एक और अनुमति बॉयज का शिकार होती है और अगर आप नोटिस करेंगे तो दुनिया में कोई भी वायरस करता है तो सिर्फ और सिर्फ कंट्रोल पाने के लिए करता है और आपके यहां भी होती है करेंटली तो उनको भी कर दिया जाता है और उस पर कंट्रोल होता अलग तरीके से अलग तरह की तरह काम करता है लगी फिर मैने फिर कुछ मैंने लगी फिर मैने आपको कई बार कहा है कि मेरे नाम की कोई चीज नहीं महात्मा गांधी डॉ भीमराव अंबेडकर स्वामी विवेकानंद और करता है वहां पर रखते हैं कि उनके घर के अंदर चाची ताई बुआ वोह सब को छोड़कर उसे अपनी टेरिटरी बहुत अच्छे से पता होती वह उसी के ऊपर हाथ उठाता है उसको पता है कि उसकी हैसियत कहां तक सीमित है और जब भी आपके सामने डोमेस्टिक वायलेंस से खेला जाएगा तो आप एक चीज नोटिस करेगा जो आदमी अपनी लाइफ में सबसे ज्यादा अनसक्सेसफुल होता है वह लड़की पर हाथ उठाता हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से कोई भी आदमी किसी के ऊपर हाथ नहीं उठा सकता चाहे कोई भी सिचुएशन हो लेकिन तीन में से एक औरत के ऊपर हाथ उठता है इसका मतलब कि थर्टी थ्री परसेंट मार्ग हमारे को स्टेशन के हिसाब से क्रिमिनल है और सिर्फ और सिर्फ इसलिए बचे हुए क्योंकि उनकी किसी ने कंप्लेंट नहीं किए आप कोई भी डेवलप्ड कंट्री का यहां पर उठाकर देख ले उसमें लड़के और लड़कियां दोनों का पार्टिसिपेशन बराबर का होता है कोई भी कंट्री अपनी फटी एड़ियों पर सेंट पापुलेशन को इनके पेट्रोल बनाकर आगे नहीं बढ़ सकती है यह चीज घरों में होती है वह घर ज्यादा आगे बढ़ता है जिसमें मेल और फीमेल दोनों के बल होते हैं जब हम लोग गुलाब हेलो फ्रेंड्स अब हम लोग जहर खिलाकर नहीं मार रहे थे वो लोग यही कह हम एक नहीं समझ रहे थे हमारे रिकॉर्ड सिंह मेहम एक्सप्लोइटेशन कर रहे थे और इस चीज की लंबाई कितनी बड़ी लड़ाई लड़ेगी अधिकार हमें मिल हमने अपनी फटी एट पर सेंट पापुलेशन के साथ हुई जो हमारे साथ होता है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से मर्द और औरत बराबर है लेकिन हमारी सोसाइटी के साथ से नहीं है अब सुसाइड यहां पर कॉन्स्टिट्यूशन चेंज करा ले यार यह बात मानने की जो कर रही हो गलत कर रही है हम लोग बहुत जल्दी उतर जाता है हम लोग चांद पर पहुंच गए लेकिन क्या फायदा उस चीज है तब 6:00 के बाद हम लोग अपने घरों से लड़कियों की बाहर नहीं दे सकते अब 6:00 के बाद जब वह बाहर जाती है तो उसका प्रेस करें और ग़लती भी उसी है कि बाहर जो लड़का है वह अपना काम कर रहा है गलती उसे कैसे लड़के की है भरी बस में एक सिर्फ कंधार टच होने देंगे इसको मजा आ जाए तो इंसान है क्या दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी की 40% पापुलेशन 6:00 के बाद कर्फ्यू में चली जाती है राइट टू इक्वालिटी राइट टू फ्रीडम राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन इन सब की धज्जियां उड़ती है और इससे बड़ी और कोई हो नहीं सकती पूरी दुनिया में किए जाने वाले कामों में एक फीमेल के कंपेरटिवली दुगना काम करती है उसके बाद भी 90% जज स्मेल है 90% सैलरी लड़के उठाते हैं पार्लियामेंट में एटी परसेंट सीटों पर मेल बैठे हैं पूरी दुनिया में 50% प्रॉपर्टी पर लड़के हो न यह सारी चीजें सुनने के बाद आपको लग रहा होगा कि इन सब चीजों के पीछे लड़के जिम्मेदार है तो ऐसा नहीं है कि जितनी भी चीज हम डिस्कस करूं यह सोसायटी की सोच है उसके अगेंस्ट में डिस्कस करेंगे इस सोच को मानने वाले लड़के भी हैं और लड़कियां भी है और इस सोच के अगेंस्ट में लड़ने वाले लड़के भी है और लड़कियां भी है और रही बात फेमिनिज्म और जो लड़कों एडिशन होता है उसकी भी क्वेश्चंस है अगर आप बोलेंगे तो उस पर डिस्कस कर लेंगे लेकिन आज हम यह सब चीजें डिस्कस कर रहे हैं यह ह्यूमन राइट कमीशन नहीं है यह ह्यूमन राइट्स के इच्छुक झाल S3uTR-P0ycA,What is Bitcoin & How it Works | Easy Explanation in Hindi | Nitish Rajput,2020-12-28T06:10:44Z,PT7M23S,1944682,84446,4812,https://www.youtube.com/watch?v=S3uTR-P0ycA,, कि हर साल गूगल की टॉप सच में रहने वाला वर्ड बिटकॉइन और ऐसा क्या विजन है कि इतना ज्यादा खर्च हो रहा है और में बिटकॉइन है क्या तो बिना किसी टेक्निकल बिड वर्ष का यूज होती यह समझते और अगर आप देखिए आपको कोई भी पैसा क्यों देता है आपको कोई पैसा तभी देता तब आप उसके बदले में कोई वेलवेट करते हैं कोई काम करके देते ऑफिस में भी आप को सैलरी तभी मिलती है जब आप कोई काम करते हैं उस कंपनी के लिए कोई वेलवेट करते हैं एक दुकानदार को भी पैसा तभी मिलता है उसके बदले में कोई सम्मान देता है इन फैक्ट ऑल और अगर आप देखेंगे तो आपको पैसा तभी मिलेगा जब आप कोई वेलवेट करें या उसके बदन कोई काम करें एक तरह से मनी अधिक वसूली और टाइम को अलग-अलग चीजों से भी प्रसन्न किया जाता है जैसे पहले टाइम में जो लोग सब चीजों को फोल्ड करने की जरूरत नहीं है आप अपना पासवर्ड रिसेट कर सकते हैं और सब्सक्राइब कर सकते हैं वह पेपर नियुक्त करने का वचन देता हूं कि फ़ॉर्मेट यह बताया कि आप इस नोट को लेकर कहीं जाएंगे तो आपको वैल्यू मिलेगी लेकिन अगर ऐसा है तो नार्मल नोट प्रिंट करके सब की प्रॉब्लम तूने छोड़ कर देती मान लीजिए एक किलो आलू बच्चे हैं और उसको लेने वाले जितने भी लोग हैं सब के पास एक लाख रुपए हैं तो आलू उसको मिलेगा इसके बाद एक लाख रुपए से ज्यादा होंगे तो ऑटोमेटिकली आलू की कीमत 1 लाख से ज्यादा हो गई तो अगर गवर्नमेंट जॉब स्किन प्रॉब्लम नहीं सिर्फ प्रेस करेंगे प्रॉब्लम होगी तब स्कूल में डिजिटल सबसे बड़ा चैलेंज था कि अगर आप दूसरे अकाउंट में ऐसा ना हो कि दूसरे राउंड में पहुंच जाऊं तो इन सब चीजों का ट्रैक रखने के लिए सेंट्रल बैंक सिस्टम सिस्टम चैनल सब्सक्राइब में कोई पैसा ही पैसा 2008 में subscribe करे अगर आज की डेट में सब लोग एक साथ बैंक से अपना पैसा मांगने लगे तो बैंक बन ही नहीं सकता आपके अकाउंट में तो बैलेंस शो करता वह सेक्शन में नंबर होता है जिसकी एडिशन बैंक पैसा रोटेट करके मेंटेन करता है एक साथ अपने पैसे का कंट्रोल किसी दूसरे के हाथ में दे रहे हैं इसमें ट्रांसपेरेंसी की दिक्कत तो होती है और क्योंकि कुछ चुनिंदा स्टोर्स पूरे पैसे को कंट्रोल कर रहे होते हैं इसको करेक्शन भी वॉल्व होता है और बटर चाहे तो आपके पैसे के लीगल स्टेटस को भी हटा सकती है जैसा कि हमने डिमोनिटाइजेशन में 2008 में कमेंट बॉक्स में को अब स्क्रीन का डॉक्यूमेंट सब्सक्राइब करें तो इसका मतलब इसका मतलब स्किन और सब्सक्राइब करें यहां पर लेकर सुझाव आप ATM से प्रोडक्ट खरीदने हैं अगर ट्रांजेक्शन करते हैं तो आपको कुछ रिवॉर्ड प्वाइंट मिलते हैं जंगलों रिवॉर्ड प्वाइंट paytm के अंदर यूज होते हैं अगर वह रिवॉर्ड प्वाइंट बाहर यूज होने लगे और हर कोई स्पेसिफिक करने लगे तो इसकी वैल्यू बढ़ जाएगी सेम यही चीज होती है बिटकॉइन कॉन्फ्रेंस में बिटकॉइन क्रिप्टोकरंसी है उसके लिए संस्कृत लेवल पर डिपेंड करता है किस तरीके से सब्सक्राइब आपको इसका मतलब स्कूल ऐड्रेस टो सब्सक्राइब टो कंप्यूटर की जरूरत पड़ती है और इतने बड़े हजारों कंप्यूटर की जरूरत पड़ेगी और कंप्यूटर को मेंटेन करने के लिए थर्ड थर्ड थर्ड पार्टी के पास करने के लिए बिटकॉइन हंसा काया इसमें लोग अपने कंप्यूटर लगाकर एल्गोरिदम कराते हैं जब फंक्शन सक्सेसफुल होती है तो Android बिटकॉइन्स मिलते हैं यह सारा सिस्टम में डिस्ट्रीब्यूटर ऑप्शन की कम है तो इसमें किसी एक इंस्टीट्यूट आंटी के पास पावर जाना या फिर है कि होना इस सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है अरे बेटा मैंने लिए डोनेट करते रहेंगे बाघ वहीं जो मैंने इस चीज को नियुक्त नहीं कर सकते थे लेकिन वे तो बहुत ही अ आपको करना है कि अब दोनों के सामने यह प्रॉब्लम है किसको रिटर्न में पैसे कितने वापिस कर रहे हैं क्योंकि इस चीज के लिए कोई मेकेनिक भी नहीं है क्योंकि ओपन सोर्स से तो हो सकता आगे चलकर इसमें कोई कैंसर बन जाए इन सब चीजों से ज्यादा इंपोर्टेंट चीज है कि क्या बिटकॉइन इंडिया में लीगल भी है या नहीं तो इसका जवाब है बिटकॉइन इंडिया में लीगल है लेकिन गवर्नमेंट इसको रिकॉग्नाइज नहीं करता इसका मतलब जो भी आप ट्रेडिंग यह परचेसिंग करेंगे तो इसमें सारा का सारा ट्विस्ट आपका यह इसके डेकोरेशन बनाने पर काम कभी लेकिन उसका कुछ आउटकम अभी आया नहीं पहुंचे वेद 2018 को आवेदक सारे बैंकों को नोटिस जारी किया जिसमें यह शैतान की जितनी भी एंट्रीज क्रिप्टो करेंसी में डाल कर रही है उनको आप अपनी सर्विस बना लीजिए यानि कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज से आप अपना पैसा बैंक अकाउंट में विरोध नहीं कर सकते कि इस चीज को क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया और 2 साल यह क्वेश्चन है उसको धोया कृपा करेंसी एक्सचेंज हैं फिर भी अपने गाइड हटानी पड़ी बिटकॉइन को दो तरीके से यूज कर सकते हैं एक तो आप इसमें ट्रांजैक्शन कर सकते हैं लेकिन उसमें आपकी डिपेंडेंसी दूसरे पर होगी कि वह बिटकॉइन एक्सेप्ट करेगा या नहीं दूसरा आप इसमें ऐड कर सकते हैं 2009 में 0.04 पैसे में आप एक खरीद सकते थे और आज एक बिटकॉइन कीमत 18 लाख से ज्यादा तो इसमें इनवेस्टमेंट सब्सक्राइब करें तो आप सब्सक्राइब कर सकते हैं जिसमें अलग कर सकते हैं सब्सक्राइब आपने सब्सक्राइब सब्सक्राइब करने को जरूर सब्सक्राइब करें और इस गिफ्ट भेज सकते हैं इसका इंटरफेस बहुत हम इसे फोल्ड करते हैं ठीक उसी तरीके से देख सकते हैं मैंने डिस्क्रिप्शन में आ mpcWrhvife0,Why we hate Police [ Hindi ] | By Nitish Rajput,2020-11-12T03:31:24Z,PT9M29S,1241129,87194,4368,https://www.youtube.com/watch?v=mpcWrhvife0,, अब आधे से ज्यादा कौन सी वहीं घरों में रखे सिलेंडर भरवा रहा है सुबह शाम को बाजार छोड़कर आप क्योंकि नेता तो कड़े शब्दों में निंदा करके निकल जाएगा जेल हमें और आप कोई पड़ेगा जिन लोगों को हथकड़ी बनानी वह अगर आप सैन्य करवाओगे तो वहां पर पढ़ा लिखा है प्लस भी बेवकूफी लगेगा वहीं पॉलिटिक्स में समाज सेवा के लिए नहीं आता वह सब फेसबुक और ट्विटर के बारे में लिखने के लिए होता है लोग पॉलिटिक्स ज्वाइन करते हैं पावर के लिए विजय सालसकर हेमंत करकरे यह सब शेरों की तरह लड़ते हुए शहीद हुए कि जब भी कोई गवर्नमेंट पावर में आती है ऑफिस का ट्रांसफर होना चालू हो जाता है मैं इंडिया में बहुत सारे गवर्नमेंट डिपार्टमेंट है लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट को लेकर लोगों में अलग तरीके की नाराजगी है पुलिस को देखकर लोग फेल करने की बजाय घबराते हैं अगर कहीं पर पुलिस खड़ी है और आपके सामने दूसरा रास्ता अवेलेबल है तो हर कोई रेफर करता है कि दूसरे रास्ते से ही जाए तो इन सारी चीजों के पीछे रिजल्ट क्या है वैसा कोइंसिडेंस तो हो नहीं सकता कि सारे के सारे तरफ लोगों ने एक साथ पुलिस स्टेशन जॉइंट कर लिया इंस्पेक्टर बड़े से बड़ा घोटाला कर गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको सारे डिपार्टमेंट के नाम मिलेंगे लेकिन पुलिस इकलौता ऐसा डिपार्टमेंट है जिसमें आज तक कोई बड़ा करप्शन स्कैंडल नहीं पुलिस वाले को 12 से 16 घंटे काम करना होता है बिना किसी भी एक ऑप्शन ए ओवर टाइम पर है सेक्शन 2 एफ़ पुलिस 861 के हिसाब से पुलिस वाले को 24 घंटे अवेलेबल है ना प्लीज आप के लिए हम लोगों के लिए दीवाली और होली त्योहार होता है लेकिन पुलिस वाले के लिए ओवर टाइम नोट से पॉवर होता है पुलिस वालों को कभी भी होली दिवाली की छुट्टी नहीं मिलती है लॉ एंड ऑर्डर की वजह से जो डेट होती है उस मुक्षे टू इंडियन पुलिस पॉजिटिव वंश पर है इसका मतलब कि अगर आप कंट्री के बाहर जाते हैं तो वहां की पुलिस से आप ज्यादा खतरा है एस कंपेयर टो इंडियन पुलिस इतना ज्यादा इंवॉल्वमेंट है डिपार्टमेंट हर चीज में कि कोई भी कंट्री इस पर्टिकुलर डिपार्टमेंट में छोटे से छोटा लोग भी और नहीं कर सकती 1947 से लेकर आज तक 3000 पुलिसमैन लाइन और ड्यूटी में शहीद हुए विजय सालसकर हेमंत करकरे यह सब शेरों की तरह लड़ते हुए शहीद हुए लेकिन आज की डेट में पुलिस की कंडीशन ऐसी है कि एक तो वर्क लोग बहुत ज्यादा है सोशल लाइफ एकदम खत्म है वीकली ऑफ नहीं मिलता है सैलरी बहुत कम है और 1616 घंटे जिसके काम करते हैं आखिर में जाकर उसी से गाली मिलती है अगर आप अपने आसपास किसी पुलिस वाले से बात करेंगे तो कोई भी पुलिस वाला यह नहीं चाहता कि उसके बच्चे कभी पुलिस में है अब यह चाहिए तो ठीक है लेकिन कोई इन सब चीजों पर क्यों ध्यान देगा तो उसका खुद का पर्सनल एक्सपीरियंस पुलिस के साथ बहुत ही खराब है पुलिस घोष लेती है गुंडागर्दी करती है रिपोर्ट नहीं लिखती है ऐसे अलग एक्सपीरियंस रहे लोगों की पुलिस के साथ लेकिन इन सारी चीजों के पीछे विलेन क्या है उसको समझने के लिए मैं थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा जब पहली बार है 1957 में क्वेश्चंस के खिलाफ विद्रोह किया तो ब्रिटिश जज के सामने बहुत बड़ा चैलेंज था कि दोबारा रिपीट ना हो फिर उन्होंने 861 में पुलिस एक्ट लेकर है जिसका काम लोगों की हेल्प करना नहीं बल्कि उनको दबाना और कंट्रोल करना था क्योंकि ओवैसी अगर उस समय अच्छा होता तो वह अपनी एंट्री में भी डिलीट करते लेकिन 861 से लेकर आज तक हमारी एंट्री में वही सेम सिस्टम अभी तक चल रहा है क्योंकि यह सिस्टम हमारे नेताओं को सूट करता है जो एक्सपेक्टेशन बीडीएस की थी वही सेम एक्सप्रेशन हमारी नेताओं की भी है लोगों को कंट्रोल करना क्योंकि पुलिस को लॉ एंड ऑर्डर संभालना होता है तो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन ने पुलिस को जो पॉवर दे रखे हैं वह काफी हैवी हैं जब भी कोई करंट गवर्नमेंट पावर में आती है और मतलब गवर्नमेंट की बात कर रहा हूं तो इसके दो ही मोटे होते हैं एक जो करंट सिचुएशन है उसको अपने कंट्रोल में रखना और दूसरा उसका नेक्स्ट इलेक्शन है उसको सिक्योर करना सिक्योर करना यानि कि सर्जिकल स्ट्राइक हो ना तो फ्रेंड सिस्टम होने के लिए तो बाकि सारे डिपार्टमेंट है लेकिन जो करंट सिचुएशन है उसको अपने कंट्रोल में लेने के लिए जो पुलिस के पास पॉवर से है उसको अपने कंट्रोल में लेते हैं तो अपन कि जूरी सिस्टम को भी करना चाहते हैं लेकिन ज्यूडिशरी सिस्टम में इंडिपेंडेंट डिपार्टमेंट है वहां के ट्रांसफर-पोस्टिंग प्रमोशन यह सब नेताओं के हाथ में ही रहते हैं लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट में ट्रांसफर पोस्टिंग प्रमोशन यह सब नेताओं के हाथ में रहते हैं और यही सारी चीजों की जरूरत होती है इसी पुलिसमैन का प्रमोशन ट्रांसफर इस पर डिपेंड नहीं करता है बल्कि इस पर डिपेंड करता है अगर किसी को लेता तो आपको यह तो नोटिस गवर्नमेंट ऑफीसर ट्रांसफर रूल है जो भी नेता उन लोगों को में मिलाएं फिर पुलिस को यूज करके इसको पकड़ना है कि इन सब चीजों को किसी ने नोटिस में पोजीशन के लोग अलग-अलग गाना चालू करें नहीं होना चाहिए पुलिस डिपार्टमेंट में इसको लेकर मिस्टर प्रकार से जो कि इस रेसिपी रहे यूपी पुलिस में इन्होंने यह सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील पर सेट किया और मिस्र प्रकाश सिंह मुकेश जीत भी गए फिर 22 सितंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ल्ड दिया जो भी पॉलीटिकल पार्टीज इन थे इंटरफ्रेंस पुलिस डिपार्टमेंट में नहीं होना चाहिए और साथ इंफेक्शंस सारे सेट कर दिए उन पर तो हमने चीज स्टफ किया क्योंकि मजबूरी थी लेकिन ग्राउंड पर delete नहीं किया फिर सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग करेगी और एक कमेटी बनाई जिसको लीड है जैसे इस फेमस में और उस कमेटी ने जो रिपोर्ट दी वह मैं इस वक्त वर्ड आपको बताता हूं यार डिपार्मेंट वेयर टोटली डिफरेंट फ्रॉम थे स्टेट उधर कंप्लायंस आफ सुप्रीम कोर्ट डायरेक्शंस तो किसी भी गवर्नमेंट इसको माना ही नहीं और जो लोग अलग-अलग पार्टियों की वकालत करते हैं वह घर पर जरूर ध्यान दें क्योंकि तब लागू हुआ था और अब कोई चाहता ही नहीं और पुलिस डिपार्टमेंट सब्जेक्ट कोई स्पेसिफिक स्टेट गवर्नमेंट चाहे तो कर सकती है सेंट्रल गवर्नमेंट पर डिपेंड नहीं तो हम लोग है कि एक बार हम जिस पार्टी को पकड़ लेते थे दोस्ती यारी में कोई बहस हो चाहे कोई ग्रुप डिस्कशन ओं चाहे कोई भी मुद्दा हो हर मुद्दे में मोदी को सपोर्ट करेंगे अब जब इतने सालों से इस पार्टी के लिए पहुंच कर रहे हो एक बार पार्टी से भी क्वेश्चन पूछ लो कि छोटी सी चीज है क्यों नहीं लागू कर रही पॉलिटिकल में समाज सेवा के लिए नहीं आता वह सब फेसबुक और ट्विटर के बारे में लिखने के लिए होता है लोग पॉलिटिक्स ज्वाइन करते हैं पावर के लिए और कोई भी पार्टी यही चाहिए इसके से पावर जाए यह सारी चीजें तभी लागू होगा जब हम लोग चाहे आज की डेट में अगर यह साड़ी पार्टी में मौजूद है कि जो यह चीज एक्टिवेट करेगा वही जीते का या तो हंड्रेड परसेंट पाठ करें आप कोई भी डिपार्टमेंट उठाकर देखो जो कि इंडिपेंडेंट है आर्मी हो गया जो डिश ली होगी हमारी इलेक्शन कमिशन हो गया इसमें फिर भी लोगों का रस बना हुआ है लेकिन जिस चीज में नेता हाथ डाल देते हैं उस डिपार्टमेंट का पूरा टाइम चालू हो जाता है पुलिस डिपार्टमेंट में 22% पॉसिबल है 14 साल का एक्सपीरियंस है तो अगली जो आप कैसी होती है तू लाइक्सेजी ऑल क्वालिफिकेशन वर्सेज और अगर आपको 5 से 10 साल का एक्सपीरियंस है 25 से 30 के बीच में आपकी सैलरी होती पर उसके बाद 1216 घंटे के लिए बाहर निकलते तो कितनी भी कंजूसी करें पर दो से ढाई तौर पर तो लगता है फिर मिलते उनका ट्रांसपोर्ट कोई बॉडी मिली है नया तो उसका खर्चा मैंने बहुत सारे पुलिस वालों से बात करें तो ज्यादातर लोग यही बोल आप इसका रिजल्ट होता नहीं हर स्टेट का अलग है लेकिन अगर हम एवरेज मान लें तो एक पुलिस स्टेशन को मंत्री 110 लीटर पेट्रोल मिलता है और एक दिन का काम देखेंगे 3.6 लीटर मिलता है अब 3.6 सेंटर में पूरे एरिया के सिक्योरिटी देखनी है पेट्रोलिंग करनी है जो कैरियर उनका ट्रांसपोटेशन भी देखना है वही बात नेताओं की करें तो एक मंत्र 28 रिटर्न को मिलता है कई पुलिस स्टेशन ऐसे भी होते हैं जो बिजली का बिल भरने तक में दिक्कत आती है अभी भी छग्गी नोएडा में दो पुलिस स्टेशन ऐसे थे जिनको बिजली का बिल न भरने के लिए सब्सक्राइब कर लीजिए तो इन सारी चीजों को पूरा करने के लिए जोड़कर जरूरत पड़ती है अब जुगाड़ का मतलब आप लोग समझ गए होंगे तो और एनवायरनमेंट ऐसा बन जाता है कि जो यह सारी चीजें बहुत बहुत ही ईमानदार अफसरों से सामने करना चालू कर दिया तो जैसे आप लोग सबसे पहले चीज का काम बढ़ेगा आपको करेंगे इन कर्मियों को संबोधित करते करने होंगे कई महीनों तक आपको करनी पड़ेगी और जितने लोग उतनी खराब हो इसका मतलब खराब ही दूसरी चीज पूरा 160 नेताओं को सबस्क्राइब पुलिस ने किसी को अगर किसी को घ्र घ्र घ्र को छोड़कर बहुत अच्छे हो एवरी सिचुएशन आप कोई अनपढ़ आदमी अगर उनके काम में इंटरफेयर करेगा तो हम दिक्कत आएगी है जिन लोगों को हथकड़ी बनानी वह अगर आप सेल्यूट करवाओगे तो वहां पर पढ़ा-लिखा बेवकूफी लगेगा दूसरी चीज क्राइम रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ उसकी हमलों की भी जिम्मेदारी है कि वे लोगों का सपोर्ट करते हैं किसी पार्टी को सपोर्ट करते हैं पहले करें हम करें हम करें क्योंकि बहुत ही अच्छे पुलिस लेकिन किसी भी गवर्नमेंट इंटरवेंशन ने पुलिस को इस तरीके से के लिए झाल E7e5_OwXBYg,Dopamine: How to Trick Mind to Win in Life | Nitish Rajput,2020-10-29T03:35:30Z,PT4M38S,1640116,107908,2282,https://www.youtube.com/watch?v=E7e5_OwXBYg,, रॉबर्ट अगर आपको ऑप्शन दिया गेम खेलने का पार्टी करने का शॉर्ट कॉमेडी वीडियोस देखने का और दूसरी तरफ अगर आपको ऑप्शन दिया जाए पढ़ाई करने का बुक्स रीड करने का यह जो भी आपका गाल है उसके लिए मेहनत करने का तो ऐसा क्या रीजन रहता है कि हर कोई पहले ऑप्शन में इंटरेस्टेड है जबकि हर किसी को बहुत अच्छे से पता है कि अगर वह दूसरे ऑप्शन मेंटर दिखाएगा यह उसके लिए काम करेगा तो लाइक ही पहुंच सकता है लेकिन उसके बाद भी हर कोई पहले ऑप्शन में इंट्रस्ट होता है तो इसके पीछे अश्लील रिजन क्या है यह क्या कोई ऐसा आप्शन एग्जिट करता है जो मैं पहले ऑप्शन की तरफ से बचाव सके इन सारी चीजों के पीछे जो रिवीजन है वह डोपामिन हमारे दिमाग के अंदर न्यूरोट्रांसमीटर्स होते हैं उसमें से एक है डोपामिन अब इसका केमिकल फॉर्मूला क्या है यह दोनों के बीच में मैसेंजर कट करता है इन सब चीजों में नहीं बस इतना समझ लीजिए कि जब भी कोई एक्टिविटी करते हैं तो कुछ एक्टिविटीज में ज्यादा होता है और कुछ एक्टिविटीज में रिलीज होता है उन्हें नियुक्त अपने सोशल मीडिया के नोटिफिकेशन पार्टी करते हैं तो इन सब चीजों ज्यादा रिलीज होता है यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाईना में उन्होंने चूहों के दिमाग में और उनके दिमाग में होता तो यह दिन भर अपना खाना-पीना छोड़कर सिर्फ और सिर्फ और तो सबसे पहले खाना-पीना छोड़ उनकी सारी की सारी हो गई थी उनका किसी और काम में लग रहा था जिसमें हो तो कम होता है और हर किसी के लिए अलग लेकिन सोशल मीडिया पार्टी और यह है प्रदर्शन होते हैं मतलब हम कोई एक्टिविटी कर रहे हैं और उसके बाद जो Android है वह में पता नहीं है उसमें जो रस होता है पूरे करना मुश्किल हो जाता है सब्सक्राइब करें और इस चैनल को सब्सक्राइब कर लें और बहुत बड़ी मजबूरी में पांच घंटे के लिए उसके तुरंत बाद में ऐड करना बहुत मुश्किल हो जाता थे सन्डे नाइट को भी जो लोग पार्टी या फिर ग्रेडिंग कर रहे थे और बुद्ध ने छोटे-बड़े कि किस तरीके से यूज करने से उस पर्टिकुलर प्रोडक्ट को यूज करने के लिए इस चैनल को सब्सक्राइब कर लें तो इसलिए बड़े लाते रहते हैं अगर यहां पर कोई चाहिए बना रहे कि बाय वन गेट वन फ्री जैसी चीज़ों में एकदम से ट्रैक पर होता है डोपामिन तो अब इन सब चीजों का सलूशन क्या है तो इन सब चीजों का सलूशन बहुत सिंपल है अगर आप एक से दो दिन ऑब्जर्व करें तो आप यह फिगर ऑफ कर लेंगे कि आपकी लाइफ में हार्ड टो कम इन एक्टिविटीज कौन-कौन सी है लोड अभिनेत्री कौन सी है और एक बार जब आप सिगरेट तो आप पहला ऑप्शन तो यह है कि आप कमेंट करें उतना पॉसिबल नहीं करें और आपको अगर आप अपने काम करने जरूरी है aohVv234fLY,Reality of New Farmers Bill (Part-1) | Nitish Rajput,2020-10-12T13:40:26Z,PT14M59S,1092338,84200,5850,https://www.youtube.com/watch?v=aohVv234fLY,, किसान के मेनिफेस्टो में रहता है किसान उनके भाषणों में रहता लेकिन किसान कभी भी विल रियली जिंटा में नहीं बल्कि एक परसेंट लोग डाइरैक्टली एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट और जब इतना बड़ा वोट बैंक इंवोल्व होता है किसी चीज में तो वहां से शुरू होती है क्वालिटी जितनी भी गवर्नमेंट आएंगे सपने एक ही राग अलापा है कि पहले किसान कच्चे में रहता था हमने पक्का कर दिया पहले वह चूरा जाता था हमने गैस दिला दी जबकि असल बात यह है कि पक्के मकान में वह रहता है जिनके बच्चे खेती छोड़कर बाहर जॉब करने का यह पूरी दुनिया में इकलौती ऐसी जगह है जहां पर ओनर सस्ते में बेच रहा है और कंज्यूमर महंगे में खरीद रहा है और जिसका नाम लैंड है ना अनाज है मिडलमैन है वह सबसे ज्यादा मुनाफा कमा रहा है किसान हो और आपने पुरे साल भर महनत करके फसल उगाई है अब इस फसल को आपको बेचना है तो जो हमारा करंट समय वश में तीन तरीके से अपनी फसल को बेच सकते हैं अ है लोकल मार्केट दूसरा है एपीएमसी मंडी और तीसरा है एसपी पहला ऑप्शन ए लोकल मार्केट्स में किसान अपनी जान बचाकर साहू का किसी शॉप पर किसी लोकल मार्केट में अपनी इंडिविजुअल कैपेसिटी में जाकर बेच सकता है आप 30 से 40 करो हों तब तो एक कर सकता है लेकिन जब उन्होंने राज होता है तो उसके लिए आपको चाहिए होता है कि कोल्ड स्टोरेज वेयरहाउस इन बहुत पैसा लगता है तो इसमें गवर्नमेंट एंड स्टेट गवर्नमेंट रूल करती है इसमें कोल्ड स्टोरेज चीज करते हैं किसान को Transport पर पैसा घला लेकर किसान मंडी कमीशन एजेंट का काम होता है प्रोसेस पूरा सब्सक्राइब करते हैं फिर वहां पर क्लिक करता हूं जो कि पूरा फिर अलग-अलग और सबसे ज्यादा पैसा को सब्स्क्राइब करते हैं इसी तरीके से भी MS Word को मिला लेते हैं इसी तरीके से करती है तो बस एक चीज का डिफरेंस एपीएमसी मंडी में ट्रांसपेरेंसी नहीं रहती बाकी Amazon फ़्लिपकार्ट में पूरी तरीके से ट्रांसपेरेंट एपीएमसी मंडे को इतनी फिर होती है तो जो हालात किसानों का है वह हाल होता नहीं इसमें दिक्कत कहां कहां पर आती है अब इसमें सबसे बड़ी दिक्कत आती है जो मंडी के अंदर मीटिंग हो रही होती उसके अंदर इट्स पहले ही सांठगांठ कर लेते हैं अब इस साल का जो आईपीएल था इसमें ग्लैन मैक्सवेल का बेसप्राइज 2 करोड़ था अब दिल्ली और पंजाब में बहुत एक्सट्रीम लेवल पर बिल्डिंग गिरी जिसमें 10 करोड़ सभी ऊपर के बेर अब दिल्ली और पंजाब का पहले से सांठगांठ कर लेता तो उनको यह नहीं मिलता तो इसे यहीं सिचुएशन के साथ अब इसमें दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत आती है कि पूरी कराने में अलग-अलग टिप्स लेकर चलें तो टमाटर तो किसान को मिलने चाहिए चाहिए लेकिन होता है कि किसान नेता और नेता में 1.2 मिलने चाहिए लेकिन होता 1386 मिलता है किसान कॉपरेटिव सिस्टम आता है जो पहला ऑप्शन का लोकल मार्केट दूसरा ऑप्शन का ATM से मंडी जमने पीएम सी मंडी में धांधली होने लगी तो तीसरा ऑप्शन गवर्नमेंट लेकर आई एम एस की मिनिमम सपोर्ट प्राइस गवर्नमेंट मस्ट मिलाकर यह कर देगी जो भी MS Word करें डिसाइड होगा इससे कम में क्रॉस नहीं दिखेगी अगर मार्किट में आपको कम रेट मिल रहा है तो आप सीधा गवर्नमेंट के पास चाहिए और अपनी प्रॉब्लम्स क्रिएट पर जाकर भेज दीजिए जैसे अगर मैं वी का एल्बम पर लूं तो इस समय जो करंट चलाओ 90 पर कुंटल जो कि बढ़कर 1975 हो गया तो अगर आप अपना गेहूं बेचने तो आप सीधा गवर्नमेंट पर जाइए और MS की डेट पर भेज दीजिए लेकिन यह आपके लिए नहीं है 2036 सिर्फ है जिस पर हम स्पीड लगता है और बाकी किसी को नहीं लगता है MS Word जाने से भी किसानों की प्रॉब्लम सॉल्व नहीं भी जो भी लेट मे स्पीक गवर्नमेंट डिसाइड करती थी लोगों ने उससे ज्यादा देना ही बंद कर दिया बिडिंग प्रोसेस में भी MS Word का जो रेट होता था उसके आसपास ही बड़ी मिलती थी यहां तक कि लोकल साहूकार भी है वह भी यही कहते थे कि आपको बेचना है वैसी ही जाकर तो इतना ट्रांसपोर्ट का पैसा लगा रहे हैं इससे बढ़िया यही भेज दीजिए तो कुल मिलाकर जो मिनिमम सपोर्ट प्राइस का यह मैक्सिमम सपोर्ट प्राइस बन गया अब इसमें एक दिक्कत और आती है कि वे पूरे इंडिया में सेम रहता है लेकिन फार्मिंग की जो कॉस्ट होती है वह किस डेट में अलग-अलग आती है इतनी सारी दिक्कतों के बाद भी जब किसान एमएसपी के बीच में निकलता है तो वहां की कालाबाजारी गई है ms word है जितना भी प्रोसेस है मैनेजमेंट और इसको है जो इशारा एसबीआई देखती है तो जब किसान अपनी फसल लेकर वहां पहुंचता है तो उसको कोई न कोई बहाना बनाकर उसे चक्कर लगवाए जाते हैं अब किसान की फसल है वह हर दिन उसका रेट कम होता है फसल खराब होने का भी डर रहता है और जो उसने बैंक से लोन लिया है उसका इंटरेस्ट हर दिन बढ़ता है तो किसान ज्यादा वेट नहीं कर सकता वह मार्केट में जो भी रेट मिलता है उसमें जाकर भेज देता है फिर वही अधिकारी उसी मार्केट में जाकर कम रेट में खरीदना है और तो गवर्नमेंट मिनिस्टर होता है उसमें अब सिगरेट चढ़ा देता है MS Word बटन बन चुका है गवर्नमेंट के ऊपर यह गवर्नमेंट खुद तैयार हो चुकी है गवर्नमेंट एमएसपी के रेट पर खरीदनी है और कम दामों में राशन कार्ड को देना पड़ता है अगर मैं करंट सिचुएशन की बात करूं तो उन्हें सुपर 25 पैसे पर के जी के हिसाब से इसको गेहूं खरीदना पड़ता है और ₹2 जी के साथ राशन पर देना पड़ता है और जो इंटर दूसरी वजह से जो नुकसान होता है वह अलग से 90 करोड़ का नुकसान हुआ है अनाज खराब होने की वजह से की प्रॉब्लम कर सकते हैं हमारे पास अब यह तो नहीं लिख पा सकते हैं सकते हैं करता है लेकिन अगर आप करते हैं और आप चाहते हैं कि फसल को मंडी में किसान मंडी में अपनी फसल बेचने के दूसरे उसके पास लेकिन उसके बाद इसको अपने मन में फसल बेचने के किसी भी प्राइवेट कंपनी को और 169 पर्चेस होगा उस पर स्टेट गवर्नमेंट कोई भी टैक्स नहीं रहता है कि जब किसान इतनी दूर से ट्रांसपोर्ट में पैसा लगाकर कि मंडी पहुंचता है और एपीएमसी मंडी वालों को भी पता है वह यहां के अलावा कहीं बेच नहीं सकता तो ऐसे केस में मोनोपोली हो जाती है और किसान की जिनको चीज पॉवर है वह खत्म हो जाती है आप कभी भी वेबसाइट पर बैठे लोगों से नहीं कर सकते ओवरऑल अगर आप देखेंगे तो इस बिल से लार जिसके पॉवर कोई फर्क पड़ेगा जो स्मॉल स्केल फॉर हैव ऑलरेडी मंडी के बाहर बेच रहे हैं और उनका नाच इतना नहीं होता कि वो ट्रांसपोर्ट में पैसा लगा कि दूसरे सेट में जाकर भेजें अब अगर यह इतना अच्छा है तो फार्मर प्रोटेस्ट क्यों कर रहे हैं तो सारी बात आ जाती है गवर्नमेंट इंटरवेंशन पर फार्मट को यह लग रहा है कि प्राइवेट प्लेयर्स टो इंवॉल्व करके गवर्नमेंट टो एपी का बटन है उससे पीछा छुड़वा रही है दूसरी दिक्कत इसमें यह सकते हैं जब प्राइवेट प्लेयर्स में मौजूद होंगे तो एपीएमसी मंडे को नुकसान होगा और कोई भी नुक्सान नहीं करेगी तो यह माना जा रहा कि जब 3 4 साल एक प्राइवेट कंपनीज बहुत अच्छा रेट देंगी जब पीएम कैंडिडेट हो जाएंगे तो प्राइवेट कंपनीज अपनी मनमानी करेंगे जब ईश्वर के पार्लर में एयरटेल और आइडिया थे तो लोगों को लगा था क्योंकि बैटर अल्टरनेटर कि है और जब स्लट हो गया तो एयरटेल आइडिया मनचाहे लिए कि इससे चीन के साथ इंटरनेट और आज की डेट में एयरटेल और आइडिया गवर्नमेंट स्कूल स्कूल स्कूल स्कूल अब मनमानी दूसरा घ्र घ्र से पता चलता है कि कंपनी के प्रोडक्ट प्रोडक्ट तो किसान को ढक कर सके तो इस लेस को नुकसान भी होता है तो इस बिल के सचिवों से बचना है तो कॉन्ट्रैक्ट साइन कर सकता है किसी प्राइवेट कंपनी से जिसमें पहले ही डिसाइड होगा इसमें प्राइवेट कंपनीज किसानो को उनके फसल चाहिए और परेशन होगया पेस्टिसाइड फर्टिलाइजर्स वेयरहाउस इन सारी चीजों में मदद करेंगे इसमें इतिहास रचने की फसल पूरी होने से पहले ही कोई कंपनी लांच मिलाकर बंद हो गई यह दिवालिया हो गई तो उस केस में किसान का क्या होगा यह जैसी फसलें कंपनी चाहती है वैसा प्रोडक्शन ना हो तो उसके इसमें क्या होगा देखिए लीगल कॉन्ट्रैक्ट है और लीगल कांटेक्ट में हमेशा डिस्प्यूट होते हैं और कोर्ट के अंदर एक किसान का इतने बड़े विजय के सामने खड़ा होना बहुत ही मुश्किल है अगर 14 हजार के वकील को राम जेठमलानी के सामने लाकर खड़ा कर दोगे तो फिर सही गलत की चीजों कुछ फर्क रहा नहीं जाता अब इसमें दूसरी दिक्कत यह है कि शुरू के तीन चार साल तो कमजोरी अच्छे NET में कॉन्ट्रैक्ट करेंगे और एक बार जब एपीएमसी का ऑप्शन खत्म हो जाएगा तो कंपनी अपनी मनमानी करेंगी तो फेमस दिए जा रहे हैं इसके अंदर एमएसपी भी ऐड हो जाए लेकिन अगर गवर्नमेंट इसके अंदर ऐड करेंगे तो घूम फिर कर वहीं खड़ी हो जाएगी जिससे वह बचना चाह रही थी अब तीसरा और आखिरी बहस अंचल कमेटी बिल यह कोई नया बिल नहीं है यह 1955 में आया था यह बिल और इस बार इसमें कुछ चेंजेस किए गए हैं तो पहली चीज तो यह मिलाया है क्योंकि जरूरत क्यों है तो इस बिल को लाया गया था होल्डिंग को रोकने के लिए दैनिक कालाबाजारी को रोकने के लिए यह दिल कहता है कि जो भी जरूर चीज है उनको आप स्टोर नहीं कर सकते अब जरूरत की चीजें क्या है इन्हें कोई लीगल डेफिनेशन नहीं है एक लिस्ट है जिसमें से गवर्नमेंट ऐड और रिमूव करती रहती है जैसे कि मार्च ट्वंटी-20 में हैंड सेनेटाइजर और मास्क को गवर्नमेंट ऐड करिए तो इस लिस्ट में और फिर एक जुलाई 2017 को इसलिए से इसको हटा दिया था जैसे इसलिए इसके अंदर कोई प्रोडक्ट आता है तो सारा प्रोडक्शन सप्लाई डिस्ट्रिब्यूशन गवर्नमेंट कंट्रोल करने लगे जब डिमांड बढ़ती है तो प्राइस भी बढ़ता है अगर आज की डेट में पूरे मार्किट से कोई आलू उठाकर स्टोर कर लें तो अचानक चालू के पास बढ़ जाएंगे फिर अपने मन मुताबिक को आलू को दे सकता जैसे चाहे हो तो ऐसे केस में गवर्नमेंट आएगी और आलू को उठाकर असल में इसमें ऐड कर दीजिए जैसे ही आलू अश्लील इसमें ऐड होगा गवर्नमेंट कंट्रोल आ जाएगा आलू के ऊपर और जो भी इसको स्टोर करेगा उसको जेल होगी और मैंने इस नए बिल में क्या किया है कि अनाज दाल आलू प्याज और यह सारी चीजें आसानी से इससे बाहर कर दी है और कहा है कि दोबारा इनको ऐसे टिप्स में तभी डालेंगे जब कोई वॉइस ऐसी सिचुएशन होती है कोई प्राकृतिक आपदा आती है अचानक से फ्राई हो जाता है गवर्नमेंट का कहना है कि इन सारी चीजों से तो सही प्रयोग मिलेंगे और अगर आप नोटिस करें तो जिस दिन से अश्लील इसमें से सारी चीजें हटाई गई है उस दिन से सबसे रेट भी बढ़ गए लेकिन प्रॉब्लम यह रही कि फार्म के पास इतना पैसा नहीं है कि इतना बड़ा इंस्पेक्टर मेंटेन करें कोई स्टोरेज मेंटेन करें सब को स्टोर करने के लिए तो इसका जो असली फायदा है वह बड़े बिजनेसमैन उठाएंगे इन सारी चीजों को स्टोर करके आर्टिफिशल डिमांड क्रिएट करेंगे तो ऐसा क्या रीजन है कि पंजाब और हरियाणा में रिपोर्ट ज्यादा हो रहे हैं तो पहली चीज तो यह है कि दोनों स्टेट की जो इकोनामी है वह एग्रीकल्चर वेस्ट है दूसरी चीज सेंट्रल गवर्नमेंट है वह हर साल गेहूं और चावल बल्क में खरीदती है हरियाणा सिक्सटी परसेंट से ज्यादा प्रोडक्शन करता है बासमती राइस का और पंजाब ऑल ओवर इंडिया में दूध से ज्यादा गेहूं को रिड्यूस करता है जब सेंट्रल गवर्नमेंट बल्क में गेहूं चावल खरीदनी है तो स्टेट को एक पॉइंट फाइव परसेंट टैक्स देती है जिसमें से 2.5 पर सेंट एपीएमसी मंडे को जाता है और 6 पर सेंट डायरेक्टली स्टेट के पास जाता है अगर मैं सिर्फ पंजाब की बात करूं तो लास्ट ईयर 36 करोड़ पर मिले थे इसी टैक्स है जो कि लोग यूज करते हैं फ्री इलेक्ट्रिसिटी वगैरह देकर फेमस को इलेक्शन के टाइम पर तो इस बिल के आने से वह चीज बंद हो जाएगी मैं कल नहीं था कि गवर्नमेंट को पता नहीं था कि कौन-कौन सी स्टेट में प्रोटेक्ट होंगे यह किस लेवल के प्रोडक्ट होंगे कौन-कौन पार्टी छोड़ सकता है गवर्नमेंट को बहुत अच्छे से पता था इसीलिए यह बिल जून में कोई टाइम पर लाया गया प्रॉब्लम यह है कि हर एक पार्टी को बताया कि एग्रीकल्चर सेक्टर 63 पर सेंट जीडीपी को कंट्रीब्यूट करता है लेकिन अगर मॉडर्न इकोनॉमी की बात करें तो एग्रीकल्चर पास में सेकंडरी रखते हैं लोग लेकिन उसके साथ प्रॉब्लम यही रहती है कि ट्वेंटी फाइव पर सेंट पापुलेशन इन इंडिया की डाइरैक्टली एग्रीकल्चर पर डिपेंड है और 50% इंडिपेंडेंट है यानि कि कोई ट्रैक्टर की कंजक्शन कर रहा है कोई पैसे साइट बना रहा है घ्र पर डिपेंड और जब इतना बड़ा वोट बैंक इंवोल्व होता है किसी चीज में तो वहां से शुरू होती है पॉलिटिक्स आप नोटिस करेंगे किसान के मेनिफेस्टो में रहता है किसान उनके भाषणों में रहता है लेकिन किसान कभी भी उनके रियल एंड में नहीं रहता था जब से देश आजाद हुआ और जितने भी गवर्नमेंट आएंगे सपने एक ही राग अलापा है कि पहले किसान करने में रहता था हमने पक्का कर दिया पहले वह चूरा जाता था हमने गैस दिला दी जबकि असल बात यह है कि पक्के मकान में वही रहता है जिनके बच्चे छोड़कर बाहर जॉब करने गए जिनका परिवार आज भी खेती में लगाओ कच्चे मकान में रह आज भी सबसे ज्यादा किसान के बच्चे में जाते हैं एक लग्जरी कार खरीदने जाएंगे 7.5 पर सेंट टो इंट्रस्ट होता है वहीं किसान ट्रैक्टर 70% कर सकता है अगर बात करें तो सब्सक्राइब करें 1969 में डिसाइड कर रखा है तो उस हिसाब से 600 800 और 108 और यह नहीं कि पूरा परिवार में पूरे परिवार की इससे ज्यादा पैसा इंसान किसी जंगल में सिर्फ चार्ट और चालू करें इससे ज्यादा पैसा कमाने के लिए 119 रुपए कमा रहा है एमपी की सैलरी दहेज़ परसेंट बढ़ी है और अगर एक्स एमएलए या एमपी बनता है तो दो बार उठाता अगर आप सैलरी कब देखोगे तो पूरे साल भर में उसके ऊपर मैं इन्हें और दूसरे में मिलता है पूरे को नहीं मिल सकता की जरूरत को कि करोड़पतियों को चेक करेंगे तो ₹50 पर मार्किट में चेक करेंगे तो ऊपर थोड़ासा बटर तो सब्सक्राइब लगा सकते हैं कि यह पूरी दुनिया में ऐसी जगहें जहां पर सस्ते में बेच रहा है और कंज्यूमर मेघनाद सही तरीके से पास हुआ है नीतियां गलत थी तो इन सब चीजों में पढ़कर कोई फायदा नहीं है कि सारी पार्टियां मिलकर एक्टिंग कर रही है मदद करने की कोई 10 मदद करना नहीं चाहता 2019 में अगर आप पोजीशन का मेनिफेस्टो देखेंगे तो सब लोग यही बात कर रहे हैं और आज की डेट में की हत्या हो गई थी और लीडरशिप कर रही थी और आज की डेट में गेम चाहिए गेम चाहिए किसान की फसल को सबसे ज्यादा प्रॉफिट हो हमारा घाघरा 370 हट गया और 500 के नोट तो बहुत छोटी सी चीजें हैं लेकिन यह पॉसिबल और चाहेगी 0dyWv9lT6Bw,Reality of Indian Media || Nitish Rajput,2020-09-23T04:35:40Z,PT11M29S,2352843,170654,9557,https://www.youtube.com/watch?v=0dyWv9lT6Bw,, पहले एक बार छक्के दिखते थे और आजकल देखने के बाद छोड़ेंगे अर्णब गोस्वामी पिछले तीन महीनों से मेडिसिन की वकालत कर रहे हो और अपने खुद के चैनल मैं अपनी वाइफ को न्यूज़ प्रोडक्शन में और एंटी अ फाइबर ना रखो बिल पास हो रहा था आपको ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है फायदा बताने के लिए सुधीर चौधरी और नुकसान बताने के लिए रवीश कुमार अगली विडियो हमारे इंडिया टीवी ने बताया कि हिमेश रेशमिया को एलियन उठाकर ले जाएगा तो इस तरह से फ़ॉर्मेट भी ग्राहक जो अपने ग्राहक ही अगेंस्ट में जाएगा तो उसकी दुकान बंद होना तय है कान सारे न्यूज़ चैनल एक ही जैसा कर रहे हैं वस्तुओं में गुड अलग-अलग पकड़ते हैं उसमें नीरा राडिया बरखा दत्त को समझा रही है कि अगले ओलंपिक इस नेता को ऊपर रखना है किस नेता को नीचे रखना है पुलिस व दवाई चल रही है बाहर भी कंडीशनर सोशल मीडिया पर झूठ बोला जाता है और मेनस्ट्रीम मीडिया उसको फेयर करती है और तुम्हारे यहां मेनस्ट्रीम मीडिया झूठ बोलती है और लोग आकर सोशल मीडिया पर को शेयर करते हुए महात्मा गांधी जी लोगों के घर घर नहीं गए थे अपनी बात है जब वह जेल में भी थे उन्होंने अपने विचार लोगों तक न्यूज़ पेपर के सिरों पहुंचा इसीलिए मीडिया को फोर्थ पिलर आफ डेमोक्रेसी बोला जाता है क्योंकि आज का मीडिया का पहले होता तो ब्रिटिश अर्थ खरीद लेते हैं और हम लोगों को यह यकीन दिला दिया जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी कितनी बनी टीचर हमारे देश के लिए आफ 180 कंट्रीज इंडियन मीडिया 142nd नंबर पर ऑल द वल्र्ड इलेवन और अफगानिस्तान जहां लॉ एंड ऑर्डर की धज्जियां उड़ी है वह इंडिया से आगे जब भी कोई इंसिडेंट होता है तो एक जर्नलिस्ट का काम होता है कि वह बिना अपना ओपिनियन रखे सारी की सारी इन्फॉर्मेशन लोगों तक पहुंचता है उसके बाद लोग खुद डिसाइड करें कि उन्हें क्या मानना है क्या नहीं मानना है क्या समझना और क्या नहीं समझ में आ प्रॉब्लम यह है कि यहां पर आपको समझाया जा रहा है कि इस पर्टिकुलर इंसिडेंट से आप यह समझिए एक जन्म लिए जो आपका इन्फॉर्मेशन पहुंचा रहा है उस इन्फॉर्मेशन के बेसिस पर बहुत सारी पॉलिश पर भी फर्क पड़ता है तो इस चैनल इसकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने मुंह से एक शब्द बहुत ही सोच समझकर निकाल मानो आपके पास है कि ईमेल आया है जिसमें लिखा है कि आपकी 50 करोड़ की लॉटरी लगी है और उस 50 करोड़ की लॉटरी को पाने के लिए आपको $500 ट्रांसफर करना पड़ेगा अकाउंट है तो आप करोगे नहीं करोगे आप में का दुनिया में कोई भी ऐसा आदमी होगा करेगा नहीं लग रहा है नहीं करेगा कोई 9 मिलियन डॉलर साढे छह सौ करोड़ से भी ज्यादा रुपए का नुकसान हुआ लोगों का इस ईमेल के फ्रॉड की वजह से कुछ सोचो ऐसे लोगों को गलत इंफॉर्मेशन देखे उनसे वोट लेना कितना आसान होगा लोगों को यह भ्रम होता है कि वह अपनी मर्जी से वोटिंग बूथ पर जाकर अपनी फेवरेट पार्टी यह कैंडिडेट को वोट देने और जिस नॉलेज और इन्फॉर्मेशन के बेसिस पर अपने डिसाइड किया है कि आप जिस पार्टी के कैंडिडेट को वोट देंगे अगर वह नॉलेज और इन्फॉर्मेशन ही गलत हो तो अगर आप इसको ध्यान से समझें तो एक प्रॉपर प्लानिंग के तहत आपसे वोट डलवाया जा रहा है और आपको यह भ्रम है कि आपने अपनी मर्जी से बोल दिया कि बैंगन जो कि एक्स टेस्ट भी गया व्हाइट हाउस के उन्होंने 2019 में बात कही थी कि रूलिंग गवर्नमेंट का जो अक्सर ऑपरेशन होता है वह मीडिया होता है और मीडिया से डील करने के लिए आपको ज्यादा स्ट्रैटेजी नहीं लगानी है आप मीडिया में गर्भ कर दीजिए और लोगों का ध्यान से 11 इंच का या आप अपना काम अपनी से कर सकते ऑफिशियल फैन human जो इंडिया के टॉप न्यूज़ चैनल है उन्होंने जो लास्ट फिफ्टी फाइव डिबेट की है उसका डाटा इन्होंने शेयर किया है मैं आपको कंसॉलिडेट करके बता देता हूं अटैक इन पाकिस्तान स्पेसेस है अटैकिंग अपोजिशन स्पेसिफिक हुई है प्रेम सिंह गवर्नमेंट 3608 हुई है राम मंदिर प्रोटीन डिबेट हुई है पीएमसी बैंक एक डिबेट हुई है अनइंप्लॉयमेंट 0 सिक्योरिटी 040 इकोनामी 0.22 डिबेट सिर्फ दो डिजिट काम की हुई है उनके नाम भी बहुत इंटरेस्टिंग रखते हैं यह Vivo के वापस दौरान मेरे राम वर्ष तेरे राम मोदी का प्रण पाकिस्तान का चीरहरण विपक्ष पड़ा है चक्कर में कोई नहीं है टक्कर में जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं मोदी के सो दिन वर्सेस विपक्ष के बुरे दिन मंगल भवन अमंगल हारी राम मंदिर की करो तैयारी जो 10 होता है वह बहुत ही मेहनत लगती है आपको डिटेल रिपोर्ट बनानी होती है आपको बाहर निकलकर ग्राउंड रिपोर्टिंग करनी कि अब इतनी मेहनत की वजह है जो एंकर से है जो एक्टिंग साइड पर चिपके रहेंगे तो बस एक्टर करना चाहिए नॉलेज कम और एक्टिंग ज्यादा आती है यह रूप चार लोगों को पकड़कर डिबेट करना शुरू कर देते हैं और आप नोटिस करोगे जो लोग ज्यादा हल्ला करते हैं ज्यादा कॉन्ट्रोवर्सी करते हैं तो ज्यादा चीखते चिल्लाते हैं उन लोगों को यह लोग बार-बार बुलाते और इनको देश के लोगों के ऊपर इतना ज्यादा कौन है कि एक ही आदमी को अलग-अलग नाम से अलग-अलग टाइटल से बना बनाकर हर बार डिबेट में बैठा देते हैं अब इतना तो हर कोई कह रहा है कि इंडियन मीडिया बिका हुआ है और अगर ऐसा है तो बेटी हुई चीज के खरीदार भी होते हैं अब ऐसा तो है नहीं कि जो गवर्नमेंट जीती है उसी के पास पैसा है ऐसा तो जो हारी है उसके पास भी है तो हर पार्टी के पास है और अगर ऐसा होता तो हर चैनल सब्सक्राइब करें चैनल पर यह सिंपल में घृत में कुछ चुनिंदा लोग एक पर्टिकुलर कंट्री के मीडिया को और सकते हैं डायरेक्टली ओर इनडायरेक्टली अगर आपको इंडिया में कॉल लॉग इन वर्ल्ड है उसके नाम पता करने तो व्यक्त किए में बहुत रिसर्च करें और अलग चीज जो है उनको कर रहा है उनके नाम इसमें मैंने SIM यूज करने के लिए से ₹100 चाहिए उसके डिस्ट्रीब्यूशन के लिए अतीत से ₹50 चाहिए ताकि वह पर्टिकुलर चैनल टीवी तक पहुंच सके टाटा स्काई डीटीएच के प्रॉडक्शन कॉस्ट सैलरी जो न्यूज़ रिपोर्टर और फिर तो इन टोटल न्यूज़ चैनल न्यूज़ चैनल को सबस्क्राइब सब्सक्राइब करें चैनल न्यूज़ चैनल के बीच में कि इंसान भी फाइव परसेंट डिमांड है कि पूरी होती है ऐड से और किसी भी चैनल को अगर बने रहना है तो उसकी मजबूरी हो जाती है इस पर डिपेंड होना और यह सबसे बड़ी प्रॉब्लम है जिसके वह सारी चीजें शुरू होती 2019 के चुनाव में 25000 करोड़ से भी ज्यादा खर्च हुआ था सोशल मीडिया रिपोर्ट्स है तो एक तरह से गवर्नमेंट भी ग्राहक है और कोई अपने ग्राहकों के लिए गैस में जाएगा तो उसकी दुकान बंद होना तय है यह जो कमेंट कंपनी होती है यह भी अवॉइड करती है ऐसे न्यूज़ चैनल को तो गवर्नमेंट के अगेंस्ट बातें करता है क्योंकि इनकी भी पॉलिसीज पर फर्क पड़ता है इस चीज को तो खराब कर लिया जो चैनल है कि जो भी रूलिंग गवर्नमेंट है उससे बात नहीं करनी लेकिन इसमें ऑप्शन है साथ ही चैनल कर रहे हैं तो फस जाती है अगर लक्ष्मण की बात करूं तो वो एंटरटेनमेंट चैनल सब्सक्राइब करें और चैनल सबस्क्राइब मतलब एंटरटेनमेंट चैनल को सबस्क्राइब करना न भूलें है तो इस चीज को न्यूज़ चैनल से समझ लिया है कि उनको अपना कंटेंट एंड अटैचमेंट की तरफ शिफ्ट करना पड़ेगा नहीं तो उनका भी हाल डीडी न्यूज़ ऐसा होगा ट्यूसडे मसाला होता है स्टेटमेंट होता है लोग उनको सुनना चाहते हैं विश करने आ पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे अभी भी सलीम और इंडिया टीवी ने बताया कि हिमेश रेशमिया को एलियन उठाकर ले जाएगा बाहर भी कंडीशन में सोशल मीडिया पर झूठ बोला जाता है और मेंस्ट्रीम मीडिया उसको फेयर करती है और हमारे यहां मेनस्ट्रीम मीडिया झूठ बोलती है और लोग अगर सोशल मीडिया पर उसको क्लियर करते हैं पहले एक बार छक्के बेचते थे और आजकल देखने के बाद आप पहले लोग पॉलीटिकल पार्टीज - करते थे आजकल पॉलीटिकल पार्टीज के साथ-साथ मीडिया हस डिमिनिश्ड करें अगर आपकी जान पहचान में किसी को पटा लग जाए तो पूरी सोसाइटी उसका क्या हाल करें लेकिन एक्टर के ऊपर डर लगता है वह पहले तो जेल से निकलने के बाद सुपरहिट मूवी देता है और लोगों को छूने के लिए तरह की तीसरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि अगर मैं बात करूं तो यहां पर थिस क्वेश्चन ओं इलेक्शन कमिशन लेकिन इंडिया में सिस्टम नहीं है थैंक्स टो ट्रैवल जो कि हर तीन महीने छह महीने में ट्राई करता है कि कंप्लेंट कमीशन और प्रेस आए लेकिन जब हमारा देश आजाद हुआ ऐसा हो नहीं पाया और यह कोई कोइंसिडेंस है यह प्रॉपरली कोई भी गवर्नमेंट जाती है यह कमीशन आए पर से न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन बना रखा है जो यह न्यूज़ चैनल को भी बना रखी इनकी हर अखबार टीवी न्यूज़ चैनल वाले हैं मतलब कि अगर कोई गलती कर रहा है तो उसकी कंपलेन लेकर आप उसी के पास जाना है फिर अपने आप में एक जोकर है इस समय राज्य में इतनी सारी न्यूज़ चल रही है लास्ट तो लास्ट ईयर कि अगर मैं बात करूं तो महाराज के अंदर 2014 ने सुसाइड कर लिया उनको नहीं पता डिप्रेशन क्या होता है आप किसी से भी पूछ लेंगे तो हर को यह त्यौहार को इंसाफ मिलना चाहिए लेकिन उनको एक्शन इन साप तभी मिलेगा जब लोगों तक एक्शन इन्फॉर्मेशन होगी और अगर आपको लग रहा है कि अभी गवर्नमेंट चेंज होगी कि सारी चीजें लो ससईयो जाएंगे तो इसका महत्व चाहिए पहले भी गवर्नमेंट हो गया करंट गवर्नमेंट होगा आने वाली गवर्नमेंट होगी मीडिया को यह लोग एक ही तरीके से मैच करते हैं और यह सब मैं कोई फिलॉसफी नहीं बोला हूं अपने मन की बात नहीं और इन सबके फ्रूट अवेलेबल है कोबरापोस्ट ने 36वें और चैनल के ऊपर स्टिंग ऑपरेशन किया और उन्हें पैसे ऑफर की ओर भड़काऊ चलाने के लिए ऑफर किया यह सारे न्यूज़ चैनल एग्री हो गए और यह सारी जो स्टिंग ऑपरेशन की वीडियो है YouTube पर अवेलेबल है जाकर देख सकते हैं रिपब्लिक भारत की नेटवर्क 12 करोड़ है और अर्णब गोस्वामी उसमें 825 पसंद इस हेयर ऑइल है तो कई सौ करोड़ के आदमी है वह ऐसा नहीं क्योंकि लहसुन में कुछ पता नहीं है वह बहुत अच्छे से पता है कि वह क्या कर रहे हैं 3 महीने से नेपोलियन की वकालत कर रहे हैं और अपने खुद के चैनल मैं अपनी वाइफ को न्यूज़ प्रोडक्शन में और एडिटर्स एंड बना रखा है जबकि उनको तो जो सबसे बेस्ट और केबल एडिटर है वह रखना चाहिए तब लेकिन वह कौन है जितना है लोगों के ऊपर कि सबको बेवकूफ समझते हैं कुछ न्यूज़ चैनल ऐसे पेटेंट करते हैं कि सारा न्यूज़ चैनल खराब है जो रियल जर्नलिज़्म है वह खुद कर रहे हैं अगर मैं स्पेसिफिकली एनडीटीवी की बात करो तो 2010 में खुद भी एक्सपोज हो गए थे तोहरा 10:00 नीरा राडिया के टेप लीक हुए थे उसमें नीरा राडिया बरखा दत्त को समझा रही है कि अगले ओलंपिक किस नेता को ऊपर रखना है किस नेता को नीचे शीघ्र पूरी सौदेबाजी चल रही है तो आप इसके भी टैप जाकर पर YouTube पर सुनिएगा जरूर काम करेंगे संघ को अलग-अलग रखें अगर बिल पास हो तो दिमाग लगाने की जरूरत सुधीर कुमार अब इन सारे सलूशन जो भी आप डेली बेसिस पर यूज कर रहे हैं वह सब्सक्राइब कर सकते हैं तो आप मेरे चैनल को सबस्क्राइब कोई भी फिर कोई प्रॉब्लम है इसके जितने भी मैं उसको रीड करके किसी दूसरी चीज इस पार्टी को सपोर्ट करते हैं को सपोर्ट करते हैं उसमें आप इससे पहले बीजेपी कांग्रेस ने मुस्लिम किया है Zee TV पर क्लिक किया है और आप आने वाले 10 साल तक भी करते रहिए और अगर आप ₹1 का भी पैदा हो तो आप मुझे आकर बता दीजिएगा आपका फायदा तभी होगा जब आप मुद्दों पर बात करेंगे प्राइवेट स्कूल इतनी महंगी फीस है जो कि गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है वह 10 साल पहले भी नहीं होती थी अभी भी नहीं हो रही है और आगे भी नहीं होगी अगर आप अपने मित्रों के नहीं खड़े हुए सुशांत सिंह राजपूत को सीरियाई इसलिए मिली क्योंकि हम लोग इस टाइम लिया और ऐसे ही स्टैंड हमें अपने मुद्दों पर लेना है 1Ga8aI9B1Q0,Reality of New Education Policy 2020 || Nitish Rajput,2020-08-10T09:31:24Z,PT9M17S,913833,71409,3392,https://www.youtube.com/watch?v=1Ga8aI9B1Q0,, है कि जो भी हमारे एजुकेशन मिनिस्टर है उसके लिए बैचलर डिग्री कम से कम मैंडेटरी हो हर नेता जाता है कि हिना पोस्ट है आपके बच्चों को अपने बच्चों के लिए नहीं अपने बच्चों को दो बार भेजेगा इन इंग्लिश मीडियम में पढ़ा साइंस के साथ कोई को मौत की सजा यह सकता तो स्ट्रक्चर तो चेंज हो गया लेकिन पड़ेगा तो वहीं आऊटडेटेड सिलेबस इन जब तक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं रहेगा क्वालीफाई टीचर्स ही नहीं कैसे मान लें कि वह मेल्ट हो जाएगा ₹5 में पैरा टीचर हायर किए जाते हैं उनसे आप कट करेंगे क्रिटिकल थिंकिंग सिखाए जिमी कार्टर चीन के प्रेसिडेंट हैं वह अपनी बेटी को गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ा था कि हां ऐसा पॉसिबल नहीं है 2014 में जब बीजेपी की गवर्नमेंट बनी थी तो उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में क्लीयरली मेंशंड किया था कि वह म्यूजिक फैशन पॉलिसी लाएंगे 2015 में कमेटी बनाई गई इसको काम है क्या नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनाने का और जिस को लीड कर रहे थे कि आज सुबह मंजन स्मृति ईरानी समय साड़ी मिनट सकती तो जो भी सजेशन और जो भी पॉलिसी इस कमिटी ने बनाई है फौरन उस समय एक्सेप्ट करी नहीं कि 2016 में दोबारा से कमेटी बनाई गई जिसको लीड कर क्विकर सूरी रंग अ जो कि फॉर्मर विश्वसनीय और इस कमेटी ने थर्टी फर्स्ट में 2019 को एक ग्राफ प्रपोज किया जिसको एचआरडी मिनिस्ट्री के हिसाब से डेढ़ लाख से ज्यादा सजेशन लेने के बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने एक्सेप्ट कर लिया एचआरडी मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर आप अगर आप भी जाओगे तो उस पर फोल्ड राखडी नहीं है उस पर डॉक्यूमेंट एपिसोड 96 पेजेस का जो कि समरी बता रहा है नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी की अभी जो हमारा जो कि संस्था वह टेंपर्ड ग्लास टूट है मतलब क्लास वन से क्लास 10th का खूब मनोरंजन सब्जेक्ट पढ़ाई जाएंगे और लास्ट के दो यार हम स्पेसिफिक स्क्रीन डिसाइड करेंगे कुछ स्टेट जहां पर आंगनवाड़ी चलती है उनको छोड़ दिया जाए तो गवर्नमेंट स्कूल इन क्लास मन से स्टार्ट होती है अगर आप कान्वेंट स्कूल लिए ही मीडिया से पड़े हैं तो क्लास फर्स्ट से पहले आपने नर्सरी यूकेजी एलकेजी यह भी पढ़ा होगा जो हमारा नया एजुकेशन सिस्टम है वह पांच पति फिर यह टोटल 40 और पहले जो हमारा जो क्वेश्चन सिस्टम था वह टेन प्लस टू था वह दैवीय तो यह जो एक्स्ट्रा है यह जो गवर्नमेंट स्कूल में फर्स्ट क्लास स्टार्ट होता था फर्स्ट क्लास से पहले प्ले ड्यूरिंग और आंगनवाड़ी वह भी ऐड कर दिया इसमें जो बॉडी कुछ स्टेट में चल रहा था जो हमारा फंडामेंटल राइट हां राइट टो एजुकेशन वह कहता है कि छह साल से 14 साल की उम्र तक हर किसी को फ्री और कंपलसरी एजुकेशन मिलनी चाहिए जो नया सिस्टम है यह को चेंज करके 328 सीनियर कर देगा ऐसा कोई रोमांस नहीं है लेकिन जो स्ट्रक्चर इन्होंने बनाया है उस हिसाब से ऐसा लग रहा है कि 328 क्लियर हो जाएगा तो जो मां-बाप छह साल की उम्र से बच्चों को स्कूल भेजते थे वह अब तीन साल की उम्र से भेजेंगे तो पहली स्टेज होगी फाउंडेशन से जिसमें फर्स्ट ईयर आंगनवाड़ी और प्रीस्कूल होगा उसके बाद क्लास वन ओर टू द है कि टोटल पांच साल का होगा इसमें खेलकूद और डिफरेंट अप्रोच के साथ बच्चों के फंडामेंटल सिस्टम करें जाएंगे और बच्चों को लोकल लैंग्वेज में दिखाया जाएगा ट्राय कर आ जाएगा कि एक क्लास तक लोकल लैंग्वेज से ही सिखाया बच्चों को सब्सक्राइब करें जिससे यह भी 3 साल तक ले हिसाब से बच्चों को पढ़ाया जागने होगी वो होगी क्लास नाइंथ क्लास 12th क्लास में मल्टी डिसिप्लिनरी क्रिटिकल थिंकिंग हिसाब से इस ट्रेन में कोई जैसे पहले थी कॉमर्स साइंस बल्कि सब्सक्राइब करें इस चैनल को सब्सक्राइब कर लें तो आप ले सकते हैं और आप में मीडिया में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट फर्स्ट ईयर सेकंड ईयर थर्ड ईयर में आपको जरूर मिलेगी और मैं आपको जरूर सब्सक्राइब करें आपको इस पॉइंट से तो आप जैसे करें किसी को पड़ गया तो आप बाद में आकर जो पॉइंट आपने उसके जितने भी प्रोफेशनल कोर्स कर सकते हैं पेड़े कोडिंग ऐड कर रही हूं जैसे चाइना में होता है और वोकेशनल ट्रेनिंग ऐड करिए जैसे कारपेंटर प्लंबर मैकेनिक इन सब इंटर्नशिप कराई जाएगी जो एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज होती जैसे सपोर्ट हो गया म्यूजिक हो गया तो इनके भी एकेडमिक होंगे मतलब अगर आप अपना पेशंट फॉलो करें तो आपको अपना स्कूल सैक्रिफाइस नहीं करना पड़ेगा टॉप हंड्रेड यूनिवर्सिटीज इन इंडिया में जा सकेगी कि 2010 में भी सेम यही पॉलिसी आईटी फॉर एजुकेशन इंस्टीट्यूट विल हेव था लेकिन उसमें 50 करोड़ रुपए रिश्वत मांगी थी तो इस वजह से यूनिवर्सिटी आई नहीं थी इस बार वह चीज हटा दीजिए इसके इंप्लीमेंटेशन को लेकर बहुत बात हो रही है कि कैसे इंप्लीमेंट होगा तो अभी एक ड्राफ्ट है इसको पार्लियामेंट में जाना है फिर देखना वहां पर क्या चेंजेस होते हैं और अगर आप हमारी इस भी देखेंगे तो ऐसे बहुत सारे लुभावने रखें पॉलिसीज आई हैं और नेताओं ने अपने हिसाब से जो कि उन्हें सूट करिए वह चीज इंप्लीमेंट की है बाकी सारी चीजें ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है कौन सी है कोई लोन है किसी भी नेता के ऊपर कोई कंप्लशन नहीं है साइड में इसी का नाम चेंज करके ग्रेजुएशन में मिर्ची कर दिया गया जब हमारा देश आजाद हुआ तो एजुकेशन मिनिस्ट्री था लेकिन राजीव गांधी जी ने उसको साड़ी मिनिस्ट्री कर दिया था और फिर आप इसको दोबारा से जो कॉस्मेटिक कहा जा रहा है तो एजुकेशन मिनिस्टर से एड्रेस पर क्यों हुआ और एचआरडी मिनिस्ट्री से एजुकेशन में थी क्योंकि इसके पीछे का लॉजिक मुझे पता नहीं फ्री लैंग्वेज प्रॉब्लम को लेकर बहुत ज्यादा डिस्कशन चल है और कुछ लोग इस के फेवर में है कुछ तो इसका पोस्ट कर रहे हैं तो इसमें यह है कि क्लास फीट तक मधुरता और लोकल लैंग्वेज सिखाया जाए और कोशिश की जाएगी क्लास 8th और उसके आगे भी मधुरता को लोकल लैंग्वेज में दिखाया जाए और इसको भी मैंडेटरी नहीं किया है या सजेशन है यह तो गवर्नमेंट स्कूलों स्टेट गवर्नमेंट वह क्लिमेंट करेंगे इस चीज को लेकिन आपको लगता है कान्वेंट स्कूल और जो प्राइवेट स्कूल नहीं मानेंगे इस चीज को वह तो इंग्लिश नहीं पढ़ाएंगे और सारी बात घूम फिर कर वहीं आ जाएगी कि जो क्लास डिफरेंस है गवर्नमेंट स्कूल और प्राइवेट स्कूल्स में वो रहेगा प्राइवेट स्कूल के स्टूडेंट्स को इंग्लिश लैंग्वेज में एडवांटेज रहेगा कब मेरठ दिल्ली गवर्नमेंट स्कूल के जॉब्स इन ऑल में भी एडवांटेज झाल तो पेरेंट्स ट्राई करते हैं कि वह प्राइवेट स्कूल में ही डालें गवर्नमेंट स्कूल में फिर वही डालते हैं जिसकी मजबूरी होती है हर नेता जाता है कि हिंदी में पोस्ट की जाए आपके बच्चों के लिए अपने बच्चों के लिए नहीं अपने बच्चों को दो बार भेजेगा जब इन इंग्लिश मीडियम में पढ़ा होगा क्योंकि उसको पता है कि अगर उसका बच्चा इंग्लिश नहीं पड़ेगा तो इसको डिस्क्रिमिनेशन देखना पड़ेगा उसको डिसएडवांटेज होगा तो अपने बच्चे को एडवांटेज में नहीं रखेगा आपके बच्चे ओपन पोर्स की जाएगी गवर्नमेंट स्कूलों हिंदी में पोस्ट की जाएगी क्योंकि जो भी नेता ने हिंदी की बात करता तो हमें सुनिए बड़ा अच्छा लगता है ट्रेल के बाद कॉमन एंट्रेंस एग्जाम सी यह कर दिया गया है कि अब आपको अलग-अलग नहीं देना आपको ट्वेल्थ के बाद एग्जाम देना और उसी के रैंकिंग के हिसाब से आपको सारी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलेगा अब लेकिन वह मैटर नहीं किया तो आपको लगता है कि यह जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं जो निशान लेकर एडमिशन लेती हैं अपने अलग से जो एग्जाम कराती है वह मानेंगे इस चीज को हम हर चीज में तो कमबैक करते हुए से लेकिन यह बहुत सारा पैसा इंजेक्ट किया अपने प्रशिक्षण में तब जाकर उनका जो एजुकेशन स्ट्रक्चर है वह मेल्ट हो पाया आप जी टाटा जो यह के प्रेसिडेंट रह चुकी हैं उन्होंने अपनी बेटी को गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ाता अब यहां ऐसा पॉसिबल नहीं है इस बार बोला गया है कि जीडीपी का सिक्स परसेंट हम अपनी एजुकेशन में लगाएंगे कि ऐसा कब नहीं बोला गया 1968 में यहीं बोला गया था 1997 में भी बोला गया था जितनी बार भी पॉलिसी का ड्राफ्ट एजुकेशन पर हर बार बोला गया कि हम सिक्स परसेंट अपनी जीडीपी का एजुकेशन में लगाएंगे और जब हमारा देश आजाद हुआ है एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि सिर्फ प्रसन्न हमने अपनी जीडीपी का लगाया भूटान और नेपाल जो है वह भी सिक पॉइंट्स परसेंट कॉन्टिन्यूज लगा रहे अपनी जीडीपी का एजुकेशन टो 197 कंट्रीज व्हेयर थे 143 नंबर पर हम एजुकेशन में पैसा खर्च करना है लास्ट फाइव ईयर का अगर देखा जाए तो हम लोग तीन से 3.5 पर सेंट आफ थे जीडीपी का लगा है और 2017 2018 बता दूं 2.1 परसेंट लगाया था आप कितना ही चुना यह लोग हमें कमेंट कर देंगे लेकिन जब तक इंस्ट्रक्शन नहीं रहेगा क्वालीफाई टीचर्स नहीं देंगे हम कैसे मान लें कि वह मेल्ट हो जाएगा ₹5000 में पैरा टीचर हायर किए जाते हैं उनको यह नहीं पता होता कि नेक्स्ट बंदर की जॉब रहेगी कि एनएफसी ऑफ उनसे आप एक्सपेक्ट करें क्रिटिकल थिंकिंग सिखाएंगे बच्चों को इलेक्शन ड्यूटी सर्वे सेंसेस पोलियो कैंपेन फैमिली प्लानिंग कैंपेन एजुकेशन छोड़कर यह सारी चीजें कराई जाती टीचरों से अब मिड डे मिल के साथ बैकस्ट्रीट कर दिया है लेकिन आप अगर अभी सर्च मार के देखोगे मिड डे मील रोड तो आपको समझ में आएगा किस लेवल पर प्लेसमेंट हुआ है वह आंगनवाड़ी को लेकर भी बहुत लोग एक्साइटेड है कि आंगनवाड़ी ऐड हो गया लेकिन कुछ स्टेट में आलरेडी आंगनवाड़ी है तो आप हालत देखिए आंगनवाड़ी की या फिर गूगल पर भी सर्च करके भी मैसेज देख सकते हैं कि किस लेवल पर वह इंक्रीमेंट हुआ इंडिया की टॉप थ्री साइंस अकैडमी है नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस इंडियन नेशनल साइंस अकैडमी इन तीनों ने कहा इस ड्राफ्ट में तीन चीजें बहुत ही जो इंपोर्टेंट है उनको इग्नोर किया गया पहला आउटडेटेड सिलेबस पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर और पूर्ण ट्रेन टीचर अपने स्ट्रक्चर तो चेंज किया है जो कि बहुत ही अच्छी चीज है लेकिन उससे स्ट्रक्चर में साइंस के साथ कोई कॉमर्स के की सजा कर सकता है तो इस स्ट्रक्चर तो चेंज हो गया लेकिन पड़ेगा तो वहीं आऊटडेटेड सिलेबस यह जो न्यू एजुकेशन पॉलिसी है चीनी अच्छी होंगी लेकिन जो सारे लोग एक्साइटेड है कि इससे सारी दिक्कतें खत्म हो गई है जो किशन की तो थोड़ा सा गलत है यह छोटा सा पार्ट है अभी बहुत सारी चीजें बाकी है और हमें भी थोड़ा सा इंप्लिमेंटेशन का और वेट करना एक चीज अगर और इंप्लीमेंट हो जाती तो मेरे ख्याल से सबको बहुत अच्छा लगता है कि जो भी हमारे एजुकेशन मिनिस्टर है उसके लिए बैचलर डिग्री कम से कम मैंडेटरी हो जाए और वह फर्जी ना हो CkzDf8vZykU,Why Criminals Win Elections || Nitish Rajput,2020-07-26T17:30:33Z,PT6M54S,994670,80827,4021,https://www.youtube.com/watch?v=CkzDf8vZykU,," मैं तुम्हारे पार्लिमेंट के अंदर 14% पॉलिटिशन ऐसे हैं जिनके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस और उसमें 10 पर सेंट ऐसे हैं जिनके ऊपर मर्डर रेप फिरौती यह सारे चार्जेस और ऐसा नहीं चली MP3 हम इसमें पीछे नहीं है अगर मैं 2015 दिल्ली इलेक्शन की बात करूं तो उसमें 7043 नेता ऐसे जीतकर आए थे जिनकों पर के अनुसार जैसे अगर करंट की बात करें तो 35mm एडिसन के ऊपर क्रिमिनल चार्जेस और यह ऐसा नहीं कि आरोप लगा दिया त्यौहार है यह वह चार्ज सुप्रीम कोर्ट के अंदर फ्रेम हो चुके हैं मतलब पुलिस गई है वहां पर उसको एविडेंट कंफर्म हुए आईविटनेस मिलें यह वह चार्ज है यह प्रॉब्लम तो बहुत छोटी सी है कि पार्टी स्कैनर्स को टिकट ना दें और लो क्रिमिनल्स को वोट ना दे लेकिन यह छोटी सी प्रॉब्लम के लिए 1998 लड़ाई चल रही है अभी तक इसका सलूशन नहीं हुआ था 99 एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म इसे यहां से ज्यादा जानते हैं जो भी क्रिमिनल से पॉलिटिक्स में नियुक्तियां दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट है और दिल्ली हाई कोर्ट ने उसको सब करने नई दिल्ली हाई कोर्ट नहीं है यह एक्सपेक्ट की थी तो यह चीज वहीं खत्म हो गई थी यह जो नेताजी नियम बदल जाते हैं ना यह सब लोगों ने मिलकर उस पीआईएल के अगेंस्ट में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी जब सुप्रीम कोर्ट से उनकी अपील खारिज हो गई तो हमें वह देखने को मिला जो हमने कभी नहीं देखा था यह सारी पार्टियां एक हो गई जब हमारे देश की सिक्योरिटी की बात आती है पूरी अटैक हो गया बालाकोट हो गया या हमले वाली सिचुएशन बनती है तब भी यह पार्टियां एक नहीं होती लेकिन इस चीज के लिए सारी पट्टियां होगी और यह सारी चीजें की जगह के फट जाती है इंडिया के कानून के हिसाब से जब तक किसी भी आदमी के ऊपर फाइनल जजमेंट नहीं आता तब तक वह बेकसूर है और उस चीज का फायदा होता है अगर कोई आईएएस पीसीएस की तैयारी कर रहा है और उसके ऊपर क्रिमिनल चार्जेस है तो उसे ऑफर लैटर नहीं मिलेगा यहां तक कि क्लर्क जॉब के लिए को दिक्कत आ जाएगी लाखों कह दिया है जिस पर भी जजमेंट नहीं है जो डील है उनको जेल में डाल रखा है तो यह सारी चीजें जो एप्लीकेबल होती है सिर्फ पॉलीटिशियंस के लिए होती है बाकी किसी के लिए नहीं इतने बड़े संसदीय क्षेत्र में पार्टियों के लिए इतना मुश्किल हो जाता है सा कैंडिड बुद्ध जिसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नन आफ इंडिया की रिसर्च के हिसाब से क्रिमिनल कैंडिडेट के चांसेस तीन गुना ज्यादा होते हैं जितने के तीन कैंडिडेट के मुकाबले एक क्रिमिनल कैंडिडेट मनी और मसल पावर का परफेक्ट काम बन जाता है पार्टी के लिए फंड की कटिंग करनी हो सेल्फी नर्सिंग ब्लैक मनी कैंपेनिंग के लिए मैं इसे कट करना हो हर चीज में माहिर होते हैं इसलिए पॉलीटिकल पार्टीज की पहली पसंद बन जाए पहले लोग इतनी डिमांड नहीं थे पहले वह भी खट्टी करना बूथ कैप्चरिंग इन्हीं सब चीजों तक लिमिटेड से लेकिन यह जैसे कि वर्सेटिलिटी बढ़ती गई है पॉलीटिकल पार्टीज की पहली पसंद बनते गए थे पार्टीज की मजबूरी को समझ में आती है लेकिन कास्ट और सिस्टम अफेयर की वजह से लोगों की भी मजबूरी बन जाती है को वोट देना आज की डेट में FIR करने के लिए आपको जुगाड़ की जरूरत होती है लेकिन वहीं अगर आप अपनी क्लास वाले नेता के पास जाओगे तो आपका काम हो जाएगा थोड़ा बदलाव का हिसाब-किताब देखेगा आपका काम कर देगा वह तो यह तो सिस्टम कमजोर है यह मजबूर करता है लोगों को इन लोगों को वोट देने के लिए और यह लोग पूरा ध्यान रखते हैं कि सिस्टम कम्स फ्रॉम अगर तुमको नहीं और जब करो तो हर नेता यही तो समझा की कोशिश कर रहा है कि सिस्टम सारा खराब है सिस्टम यह कमियां हैं और मैं तुम्हें इससे सबसे बचा लूंगा और गरीबों के हक के लिए लड़ते लड़ते लड़ते वह खुद अमीरों है या जितने का एक सुपर हिट फॉर्मूला एरिया डिसाइड करो उस एरिया की का सर्कुलेशन कर लो जो कष्ट मैच्योरिटी में है उसका रोबिन्हो टाइप यॉर्क बाहुबली टाइपिंग नेता खड़ा कर दो जो सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है वह काम तो करने लगो लोग तो में वोट देने लगेंगे इनके अगर कोई ज्यादा होशियार बन रहा है या लोगों में ज्यादा समझ आ गई है तो छोटा सा ठंडा कर दो लोगों की मजबूरी बन जाएगा तो मैं वोट करना सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज सीएमएस इसके हिसाब से लास्ट लोकसभा जो 2019 कथा उसमें 50,000 करोड़ से भी ज्यादा परसेंट बोलता है पूरे वर्ल्ड में इंडिया सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है लक्षण में यूएसएस से भी ज्यादा तुम्हें क्या लगता है इतना पैसा खर्च करके कोई जाएगा तो रिटर्न ओं इन्वेस्टमेंट नहीं दिखेगा ऐसे ही सारी पार्टियां आपस में कितना लड़ती रहती हैं कितने वैचारिक मतभेद हैं कि आपस में लेकिन जब भी ट्रांसपेरेंसी इन पार्टी फंडिंग की बात आती है इस सब लोग एक जैसा चलाते यह लोग कभी भी पार्टी फंडिंग ट्रांसपेरेंसी आने ही नहीं एक बार पावर में पूरा-पूरा और जो पुलिस वालों के ट्रांसफर हो जाता है पुलिस ऑफिसर के एक सिक्योरिटी की बात आती है तो 3000 नेताओं को सिक्यूरिटी बाहुबलियों को किसी के पीछे पुलिस वाले बहुत ही होता है हर साल 70% से भी ज्यादा लोगों को पुलिस पर भरोसा ही नहीं है जहां पर पुलिस को 15 साल के बच्चे को पुलिस और यह सारा सिस्टम सिस्टम नेताओं को सूट करता है कि जिस दिन यह सब की दुकानें बंद हो जाएंगी के नीचे सब्सक्राइब कीजिए लुट और राज्यसभा के 63.5 है एक दो केस अगर छोड़ दें तो आम आदमी के लिए पॉलिटिक्स में घुसने का रास्ता नहीं है अगर आप गूगल पर सर्च करो टॉप टेन इंडियन पॉलिटिक्स है तो एक भी नाम उसमें ऐसा नहीं होगा जिसका कोई फैमिली से पॉलिटिकल कनेक्शन न हो आजादी के बाद 0.5% स्टेडियम पॉलिटिशन से अपने बच्चों को आर्मी में भेजा है वहां नहीं भेजते हो अब लोग इनसे मेनिफेस्टो में डिमांड कहां करते हैं हम तो बस रिलीजस मध्य देखते हैं मेनिफेस्टो में और खुश हो जाते हैं इंडिया के ब्रिटिश पार्लियामेंट्री सिस्टम अडाप्ट किया और उसमें बहुत इंपोर्टेंट चाहिए शैडो कैबिनेट व हमने छोड़ दी इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है और यह लोग हमें पता लगने के लिए देते हैं इसमें होता है अगर मेघनाद लोग तो जो भी रूलिंग पार्टी का मिनिस्टर है उसके लिए पोजीशन मिनट हो जाएगा और रूलिंग पार्टी का इसकी एक्टिविटी इसको पोजीशन का लोगो तक पहुंचाए और इसी तरीके से डिपार्टमेंट बेनेफिशियल क्योंकि छोटे से छोटे काम के लिए भी बहुत सारी मिनिस्ट्री रहती है तो हैं अक्षर में किस नेता की गलती है पता ही नहीं चल पाता इस तरीके के बहुत सारे कांसेप्ट है तो हम लोग को पार्टी से मेनिफेस्टो में डिमांड करने चाहिए क्योंकि हम लोग हमेशा मंदिरों और मस्जिदों के लिए लड़ते हैं यह सारी चीजें एकदम सही हो नहीं जाएंगी लेकिन एक चीज हमारे हाथ में है कि हम कम से कम किसी क्रिमिनल को तो वोट ना दें और ऐसा होता है कि सारी लाइन से क्रिमिनल खड़े हो जाते हैं हमें बस इतना करना है कि जो भी कैंडिडैट क्रिमिनल है मैं बस उसे वोट नहीं देना है भले ही हमारी फेवरेट पार्टी का हो गई हमारी कॉस्ट का अ से 12 बार हमें ऐसे करना कि इन लोगों को टिकट मिलना बंद हो जाएगा पार्टी इसे जितनी देर तक हम अपना मोबाइल फोन खरीदने में करते हैं उसकी 10 पर सेंट विच कि अगर मैं अपने कैंडिडेट के बारे में कर ली तो एक कैमरा जितने भी यह पार्लियामेंट में नहीं दिखेंगे वहीं दिखेंगे वहीं को होना चाहिए लास्ट में एक ही क्वेश्चन पर मैं इस कन्वरसेशन को एंड करूंगा कि पॉलिटिक्स का समाज सेवा है तो सैलरी क्यों और अगर नौकरी है तो एग्जाम और क्वालिफिकेशन क्यों नहीं है" TfiFJwZJk84,Indian Education System is the Biggest Scam | By Nitish Rajput,2020-07-05T00:06:39Z,PT5M58S,3115364,230509,11477,https://www.youtube.com/watch?v=TfiFJwZJk84,, कि जितनी स्विट्जरलैंड की टोटल पापुलेशन उससे ज्यादा इंजीनियर्स को डिलीट कर देता है उसके बाद भी रिसर्च इन मोशन में स्विट्जरलैंड नंबर वन पर इंडिपेंडेंस के बाद थे रिपब्लिक आफ इंडिया देवी व नोबेल लॉरेटेस प्रोड्यूस किए इन साइंस क्लासेज कर दिया एग्जाम की रिपोर्ट के हिसाब से एक परसेंट एजुकेटेड इंडियंस एंपलॉयर ही नहीं और सुंदर पिचाई वीएस सत्य नडेला अब बात करते हैं इन्हें अपने किचन और यह सारी चीजें जो मैं बोल रहा हूं इस रूट को डायवर्ट करने के लिए थोड़ा सा पीछे पड़े रहते हैं तो यह कंपनी ने दूसरा व कर्ज की बहुत जरूरत थी फिर थॉमस बैबिंगटन मैकाले ने 1835 जिसके ऊपर पूरे उनको चाहिए थे जो सब्सक्राइब करें क्वेश्चन ना करें क्वेश्चन इन इंग्लिश इंग्लिश सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लैंग्वेज में इसकी वजह एक क्लास बन गए इंडिया में एक वेश्या चाइना फ्रांस यह सब जगह इतना प्रेशर नहीं इंग्लिश को लेकर जितना इंडिया में पूर्व पब्लिकेशन बोला जाता है अगर आप इंग्लिश अच्छी नहीं है जबकि इंग्लिश ना आने का मतलब है कि आपको कोई और लैंग्वेज आती है 5 साल पुराना आयुर्वेद भी आज की डेट में आऊटडेटेड माना जाता है लेकिन इतनी इंपोर्टेंट चीज हमारा एजुकेशन सिस्टम आज भी बहुत थोड़े से चेंजेस के साथ ऐसे ही चल रहा है हमारे एजुकेशन सिस्टम में रखने का कंपटीशन होता है जो ज्यादा रख लेता उसके ज्यादा मार्क्स आते हैं अब 95परसेंट जिसके संस्कृत में आए हैं वह भी संस्कृत नहीं बोल पा रहा है और बेसिक होने की वजह कितनी मोटी-मोटी किताबें ऐसी ही जिसका कोई मतलब नहीं है अगर आज की डेट में आपको कुछ भी पता करना गूगल से पता कर लेंगे उसके लिए आपको याद करने की जरूरत नहीं है इतना कुछ और इस गवर्नमेंट स्कूल में हर क्लास में इंग्लिश का सबजेक्ट है 12 साल लगाने के बाद भी लोग इंग्लिश नहीं बोल पा रहे हैं और बिना किसी को कपड़े 5 साल का बच्चा सीख लेता है क्योंकि उसको उसको वैसा एनवायरनमेंट में जाता है यह प्लस बी का होल स्क्वायर इक्वल टू ए स्क्वायर प्लस बी स्क्वायर प्लस टू कि इसका रियल लाइफ में क्या यूजर किसी को नहीं पता ना प्रिंसिपल ने टीचर ने बच्चे बस प्राण चले जा सकता ऐसा कुछ मतलब हो लेकिन आप ट्राई करके देखना किसी को नहीं पड़ता कि अ टू बेबी की जगह अगर आपने फ्री अभी बोल दिया तो चार लौंग हंसने वाले मिल जाएंगे आपके ऊपर किंडर गार्डन में जो बच्चों को सिखाने के लिए टेक्निक यूज होती है वह लाख गुना अच्छी है कॉलेज कि वह रखने वाली टेक्निक से और जिन बच्चों के बहुत ज्यादा नंबर आते हैं ना जो वह छुपा छुपा के एग्जाम में लिखते हैं आप देखोगे जरूर रियल लाइफ में जाते हैं तो ज्यादातर ब्रेंबल करते हो हर किसी को सेम सिलेबस और सेम चीज सिखाई जाती है बिना उसकी क्वालिटी देखे और क्रिएटिविटी का तो दूर-दूर तक मतलब नहीं होता आप एक लाइन से आप शेर मछली सांप हाथी सब को लाइन से खड़ा कर दो उसे को पेड़ पर चढ़ उनको तो जिंदगी भर यही लगेगा ना कि वह तो किसी काबिल ही नहीं है और द्रोणाचार्य ने भी पांडवों को उनकी स्किल सेट के हिसाब से दो चीजें दिखाइए सबको एक चीज नहीं सिखा दी और हमारा जो क्वेश्चन सिस्टम में जाना ऑप्शंस भी नहीं है सबसे ऊपर साइंस फिर को म और सबसे नीचे जाकर कहीं नंबर आता आर्ट्स का साथ देने वाले को तो लोग इतना हल्के में लेते हैं जैसे हो किसी काम की नहीं यार मैं आपको तो यह डॉक्टर बनाना पॉर्न रिफ्रेशर कोर्स रख देते हैं तुम्हारा एंट्री नहीं करेंगे तो सारा पैसा बर्बाद होगा कॉलेज का तो ऑप्शंस कहां से आएंगे और बचपन से आपकी प्लानिंग स्टार्ट हो जाती है मां-बाप भाई-बहन रिलेटिव सभी समझाते हैं कि आपके मार्क्स नहीं है और जॉब नहीं लगी तो आपकी जिंदगी बेकार और लाइक की क्रिएटिविटी को आप रखते हुए साइड में और यह अच्छे मार्क्स और अच्छी जापान आपका सपना बन जाता है अब यह सपना पूरा हो जाता है तो बहुत बढ़िया है दूसरे को जेल स्किन कराओगे नीचा फील कर आओगे और इस छोटी सी उम्र में का सपना टूट जाता है तो साइड में आ जाओगे इतना बाहर वाले आपको नीचा नहीं समझे जितना आप खुद की नजरों में गिर जाओगे आप किसी भी चार-पांच सक्सेसफुल आदमियों के बारे में सोचकर देखिए चिन्ह आप बहुत सक्सेसफुल मानते हो या दिल की तरह लाइफ जीना चाहते हो कि मैं यह कह सकता हूं कि वह इस एजुकेशन सिस्टम की वजह से तो सक्सेसफुल नहीं होंगे चाहे जो भी भैरू भाई अंबानी विराट कोहली आमिर खान नरेंद्र मोदी यह सब हमारी इस करंट एजुकेशन सिस्टम के ट्रैक में नहीं फंसे इन्होंने खुद से खा खुद एजुकेट हुए और खुद आगे बढ़ेंगे किसी कंपनी के सीईओ को अगर यह कहा जाए कि आप अपनी कंपनी के सारे डिपार्टमेंट में एंट्री में दीजिए तो कोई गारंटी नहीं है कि वह सारी डिपार्टमेंट के इंटरव्यू निकाल देगा और यह भी हो सकता है कि आधे से ज्यादा डिपार्टमेंट के लिए क्वॉलिफाई ना करें एजुकेशन वास लेकिन वह पूरी कंपनी जरा सकता है तो यह जो 13 है इसके बारे में बात क्यों नहीं होती लोग अपने ठंडे फाइव परसेंट से ज्यादा जिंदगी करंट एजुकेशन सिस्टम में लगा देते हैं ताकि अपने से कम पढ़े-लिखे आदमी की कंपनी में जाकर उसके सपने पूरे कर सकें इंडिया का जो करंट एजुकेशन सिस्टम है वह इतना ही अच्छा है तो जो भी सेलेब्रिटीज है पॉलिटिशंस है वह अपने बच्चों को बाहर भेजने पढ़ने के लिए इन क्वालिटी इससे साफ तो ऐसा करना चाहिए वह जीते हो उसी एरिया के गवर्नमेंट कॉलेज उनके बच्चों को पढ़ा कंपलसरी हो जाए तभी मां के गवर्नमेंट कॉलेज 368 क्योंकि जॉब के लिए 1.5 लाख ग्रेजुएट और 240 से ज़् पोस्ट ग्रेजुएट ने अप्लाई किया था यह चीज की तो बात नहीं करता हूं तो एक टेंशन की बात होती है लेकिन कुछ लोग 5 व 6 साल से तैयारी कर रहें हैं कि कोई भी गवर्नमेंट जॉब मिल जाएंगे दूसरा पूछोगे क्यों ऐसे इतने टाइम से लगे हुए तो एक चीज बोलेंगे कि जॉब सिक्योर मतलब आप काम नहीं भी करोगे तो आपको निकाला नहीं जाएगा यह सारी कामचोरी वाली बातें माइंड में इसलिए आती है क्योंकि हमारा जो करंट एजुकेशन सिस्टम है वह इतना कॉन्फिडेंस नहीं देता है कि हम अपनी स्किल के दम पर कहीं जाकर काम करें और मैं निकलने का डर न हो मैं आने वाले 10 साल की तो बात ही नहीं कर रहा हूं अगर मैं आने वाले पांच साल की बात करूं तो टेक्नोलॉजी इसमें इतना ज्यादा चैनल आ जाएगा कि जो और हम पढ़ रहे हैं जैसे स्किन पर फोकस कर रहे हैं पता नहीं है लिमिट भी होगी कि उस समय क्लाउड कंप्यूटिंग ऐसी क्यों डिजिटल मार्केटिंग यह सब जॉब्स पहले जैसी नहीं करती थी हम लोग अजवाइन होना पड़ेगा नई चीजों को सीखने के लिए ओपन रहना पड़ेगा क्रिएटिव मंच रखना पड़ेगा Vty-XiS1GH8,Tiktok Vs Youtube | By Nitish Rajput,2020-05-18T02:00:57Z,PT4M9S,557585,44129,1898,https://www.youtube.com/watch?v=Vty-XiS1GH8,, यह टॉप कोर्सेज टो है कि नहीं इसको पहली टिप टॉप कोर्सेज बनाया गया अब हम इसे इग्नोर कर रिप्रेजेंटेटिव तो है न एडिटिव अगर कोई बेवकूफ ही करेगा तो आप पूरे टिक टॉक को SIM लेट करोगे तो इसे स्मारक ठीक है मालूम कल को अगर कोई ट्विटर से आ जाता है और कहता है कि YouTube बहुत बेकार है और Twitter फॉर बेटर है ट्यूब से YouTube कंटेंट नहीं है तो क्या YouTube वर्सेस टोटल होगा होगा ऐसा नहीं होगा ऐसे सिचुएशन आ जाएगी ना तो भी नहीं होगा क्योंकि वहां जवाब देने वाले बैठें अखोडी बॉयज मजाक उड़ाया इंडिया की पॉवर्टी का इंडियंस का मतलब अच्छे से मेल्ट किया ईयर्स का मजाक उड़ाया तब तक इतना बुरा लग रहा था हम लोगों को कितने लोग आए थे सपोर्ट में जितने इस समय आए हुए हैं टिप टॉप वर्षीय में हर किसी को अपना अपना शेयर चाहिए तो हिस्सा लेने आए हैं सब यहां पर लेकिन जब हमारे साथ होता है तो हमें बहुत बुरा लगता है जब हम करते हैं तो मजा आता है किसी भी प्लेटफॉर्म बनाया जो रिप्रेजेंट को हैं जो उसके टॉप के बंद होते हैं वह प्रेजेंट करते हैं किसी भी प्लेटफार्म को टेक्स्ट डॉक्टर से इंजीनियर से लॉयर्स न्यूज़ एंकर एक्टर्स मोटिवेशनल स्पीकर है लेकिन इन सबके बारे में कोई बात नहीं करेगा इस टॉपिक को आप थ्रोाउट थिस कंट्रोवर्सी किसी ने इनके बारे में बात भी की हो तो टिप टॉप खुद ही लोगों को पैरो मे रखता है आज की डेट में केसेस उधर से है 1.5 बिलीयन लोगों ने इसे एपिसोड पर डाउनलोड किया है और सबके मोबाइल में मिलेगा तो मैं लेकिन इस तरीके से इसकी वजह बन गई कि लोग बताने में डरते अब टेस्ट वर्सेज अगर तो मेरी राय पूछोगे तो मैं अपना वहीं अगर बताऊं तो YouTube अनम्यूट अली सबसे बेस्ट है कि मुझे इंफॉर्मेशन चाहिए होती है तो मैं सारी यही लेता हूं मुझे मेरे प्रोडक्ट महल अच्छी होती है सब यूट्यूब से वेबसाइट डेवलपमेंट कुछ भी हो मेरे YouTube मेरा प्रॉमिस पूरा होता है लेकिन जरूरी नहीं है कि मेरा प्रॉमिस पूरा हो रहा तो हर किसी का होगा मामलों की बहुत ही स्पेस में हो कोई दिन भर काम कर रहा है उसको अपने माइंड डाइवर्ट करना हो तो वह तो कोई अपना बना सेकंडों में वह वीडियो देखा आपने मैंने खुद टिक तोक पिसिन प्रॉब्लम काम बहुत कर लेता तो मुझे अपने माइंड डाइवर्ट करने के लिए वह थोड़ी देर पंजाबी कुड़ी वीडियो देखा था वह पर्टिकुलर प्रोजेक्ट मेरा माइंड डाइवर्ट हो जाता था कोई भी टेक्स्ट ऑफिस नहीं इंस्टॉल करता है इसको गिटार सीखना है उसको वेब डेवलपमेंट सीखना है या कुछ नहीं है लोग स्टॉक इंस्टॉल करते हैं अपने एंटरटेनमेंट के लिए एक अच्छा YouTube चैनल चलाने के लिए अच्छे गुडमैन चाहिए होते हैं जो हर कोई नहीं सपोर्ट कर सकता पहली चीज टेक टॉक विद मोबाइल ही होता है तो इसमें जो लोअर क्लास के लोग भी होते हैं वह भी आसानी से वीडियो बना लेते हैं अब दिल ओर क्लास का दें इसे स्कूल का मुंह तक नहीं देखा तो आपकी तरफ प्रवेश नहीं है जिसने आपकी तरह लोकेशन सिस्टम को छोड़ो जो आपके आसपास लोग हैं वह तक उसके आसपास नहीं दिखे कभी उसने अच्छी चीज देखी नहीं कभी वह 15 सेकंड में क्या बना कर देगा आपको आपके पास ऑप्शन है नॉट इंट्रस्टेड करने का वह दो-तीन बार नॉट इंट्रस्टेड करोगे तो अपने आप आना बंद हो जाएगा कि आप क्या करते हैं आप उसको उठाएंगे उसका अलग से एक वीडियो बनाएंगे इसको मां कि गाली देंगे फिर सब लोगों के सामने मजाक में और सारे लोग मिल के होते हैं अक्षर यह सेटिस्फाई करना है कि मैं इतना अच्छा इतनी अनफॉर्मेटेड बातें कर रहा हूं तो अच्छा कॉन्टेंट बनाता हूं मेरे से ज्यादा लाइक इस बेवकूफ के पंचर जोड़ने वाले एक मजदूर के कैसे आया है इनको तो समाज में रहने का अधिकार नहीं है यह ट्रैक्टर क्यों चला रहे हैं और इसे मां-बहन की गाली नहीं देते हैं छक्के यह सब बोला जाता है और जब यह सब कर रहे होते ना तो आप एक कमेटी को और टारगेट करते हैं वह कमेटी जो रोज अपने लाइट कल आलरेडी लड़ रही है तो उनकी डेथ हो जाती है ना तो एक एडिशन है कि उनको चप्पल मारी जाती है ताकि दोबारा ऐसे ना पैदा हो तो आप सोच भी नहीं सकते डेली बेसिस पर किस चीज से गुजरते हैं और जवाब यह करते हैं तो आपके मिलियंस आफ फॉलोअर्स है ना वह भी चीज करते हैं टेक्स्ट ऑफ चाइना का है YouTube यह ऐसे का है लड़ाई इंडिया में हो रही है यह किसी के नहीं है टेक टॉक ने अपने टॉप इनफ्लुएंसर्स को जो क्रिकेटर से उनको बैन कर दिया है कि अब यू-ट्यूब ने भी आप जिसके लिए लड़ रहे थे जिस जिसके सपोर्ट में बढ़ रहे तो उन्होंने भी आपकी वीडियो टाल दी तो यह किसी के नहीं है