folksong,language "पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे मैं बी सूत बनाऊंगी , हो मेरे राम । चालीस गज का झालर आला दाम्मण एक सिमाऊंगी , हो मेरे राम । सीसां आली चमक चून्दड़ी खादी की मंगवाऊंगी , हो मेरे राम । हाथ में पाणे झंडा तिरंगा खादी आला ठाऊंगी , हो मेरे राम । पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे मैं बी सूत बनाऊंगी , हो मेरे राम ।",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा दहू भगवान गरदौआ झोॅर बकरी भागतै जैबोॅ घोॅर । हम्में बाबू मचोल पर लेद्धोॅ छौड़ा हेठ में । चान मामू चान मामू खुरपा देॅ । सेहो खुरपा कथी लेॅ ? घसवा गढ़ावै लेॅ । सेहो घसवा कथी लेॅ ? गइया खिलावै लेॅ । सेहो गइया कथी लेॅ ? दहिया जमावै लेॅ । औंटल गेल , पौटल गेल कोठी तर जनमायल गेल जोरन आनै गेलाँ छी गोबर माखी ऐलाँ छी नया पोखर गोड़ धोलाँ , पोठिया मछली पैलाँ । चूल्हा लगाँ गेलाँ , पाकै वास्तें देलाँ चूल्हा में छेलै बुबुआ सेहो काटलकै बुबुआ । चाँन मामू , चाँन मामू चाभी देॅ । सेहो चाभी कथी लेॅ ? घरवा खोलबावै लेॅ । सेहो घरवा कथी लेॅ ? गेहुँमा निकालै लेॅ । सेहो गहुँमा कथी लेॅ ? अटवा पिसवावै लेॅ । से हो अटवा कथी लेॅ ? पुड़िया पकावै लेॅ । सेहो पुड़िया कथी लेॅ ? भौजो के पटवौ लेॅ । सेहो भौजो कथी लेॅ ? नूनू के जन्मौ लेॅ । सेहो नूनू कथी लेॅ ? गुल्लीडंटा खेलै लेॅ । गुल्लीडंटा टूटी गेल नूनू बाबू रूसी गेल । नानी गेलौ पानी भरेॅ भात भेलौ गील भात नै खैबोॅ भुजा भुजी दे भुज्जा भेलौ कुटुरमुटुर बहू करी दे बहू भेलौ धुमधाम टका फेरी दे टका भेलौ गड़बड़ आबेॅ बेलें पापड़ ।",angika-anp "मेरा सुसरा बरजै हे बहू! मेरा सुसरा बरजै हे बहू मत नौतो अपणा भैया , मेरा हीवड़े का जीवड़ा मिसरी का कूजा भैया । मेरा जेठा बरजै हे बहू मत नौतो अपणा भैया , मेरा हीवड़े का जीवड़ा मिसरी का कूजा भैया देवर बरजै हे भाभी मत नौतो अपणा भैया , मेरा हीवड़े का जीवड़ा मिसरी का कूजा भैया मेरा राजा बरजै हे गोरी मत नौतो अपणा भैया , मेरा हीवड़े का जीवड़ा मिसरी का कूजा भैया",haryanvi-bgc "ब्रह्मकौंल तब भाभी मोतीमाला खोसी1 गए मोसी , गात की घाघुरी छोड़े लाज का मारा । तब सजाये वन रघुकण्ठी घोड़ी , चल भाभी मोतीमाला श्रवण2 द्वारिका मेरो भैजी कृष्ण त्वै जागणू होलो । बाँठी छई वा भाभी मोतीमाला हे लाडला बरमकौंल , मैं वचन बोलदू , विमला रौतेलो होलो , जादव जायो जब तू चन्द्रागिरि जालो । मेरी भुली पत्थरमाला ब्याईक3 लालो । तब जैक4 मैं द्वारिका जौलू , नितर5 तू मेरी सात दाँ 6 टाड7 छोरी । बरमकौंल न सूणे त्रिया को आणों8 त्रिया को आणो ह्वैगे कपाल का मुँडारो9 । माता आणो देन्दी10 मैं खाणो नी खाँदो , बाबा आणो देन्दो , मैं काम नी जाँदो । भाई आणो देन्दो मैं बाँट नी लेन्दो । त्रिया को आणो ह्वैगे जिकुड़ी11 को बाण । तब गैगे बरमी चन्द्रगिरि बीच , तख रंद छयो गैरी नाग एक । नागों मां कोण नाग भूपू नाग छायो । रिंगदी12 अटाली13 छई वेकी , उड़दी14 डंडयाली15 , त्रिकूट का घाँड16 छया लग्याँ काँसी का घूँघर । भौन17 की चारी तरफ सात छई बाड़ी18 , कनों भीतर जौलू सोचदू लाडलो बरमी । ज जैकार करदो , सत करदू याद विमला को , सती होली मेरी माता , साती19 बाड़ी टपी जौलू । तब मारे बरमीन रघुकुंठी घोड़ी थाप , घोड़ी गगन मा चढ़ीगे , साती बाड़ी टपीगे । पौंछी गए तब बरमी पत्थरमाला का भौन , देखी तब वींन मोहनी मूरत साँवल सूरत कंकरियालो माथो देखी वींन ढबरियाली पीठ । मायादार20 आंखी देखीन , बुराँस21 को सी फूल । नारी पत्थर माला तब मोहित ह्वै गए । आँसुडी22 गेरदे वा , साँसुड़ी23 भरदे कै24 राज25 कू26 होली , कै दसावर27 जालू ? यख केक28 आयो वैरी का बदाण ? केक पंथ ग भूली , बाटो गै डूली , कै बैरीन भरमायो , साधून सन्तायो ? तू अभी देख तेरी सौंली सूरत , मेरो नाग डसी जालो । लाडलो बरमी तब मुलकुल हैंसदो सूण29 सूण पत्थरमाला , मैं पंथ नी भूल्यों30 , वैरीन नी भरमायो , साधून नी सन्तायो । आणा31 का ऊपर मेरी ज्वानी को विणास32 । ब्याईक ली जाणी मैन तू पत्थरमाला । जबरेक33 तेरु नाग नागलोक मां छ जायूं , तबरेक34 द्वारिका चली जौला । मुलकुल हैंसदी रानी पत्थरमाला यू ही बल लीक यख आयी ? कायरो नी होणू बरमी , सूण सूण नारी चोरीक नी लि जाणी । ठीक बोले त्वेन , अच्छा , हारी जीतीक जौलू । लाडलो बरमी वींन पलंग बैठाये , बजी गैन तबारे पलंग का घुंघर घांडू का स्वर पौंछीन नागलोक भिभड़ैक35 उठे भूपू नाग सूणा सूणा र नागों , मैं घर जांदो , मेरा गढ़ मा रिपु पैदा ह्वैग । लौट आये तब नाग चन्द्रागिरि गढ़ मा । वेका36 नाक को फुँकार चढ़न लैगे , भादों को सी रवाड़ो37 उस्कारा38 भरण लैगे थरथर कंपीगे बरमी , कबूतरसी बच्चा , छिपी गैगे वो टुप39 पलंग मा । हे रानी पत्थरमाला कु छ तेरो छिपायूँ ? बतौ झट कैको आयो स्यो काल ? हे मेा नाग कैन40 औणा41 साती42 बाड़ी43 टपीक44 , तेरी मति कैन हरे ? भौं कुछ45 बोल तू रानी पत्थरमाला , यख मनखी की बास छ औणी । तब नाग आणा देण लैगे जु मेरी चन्द्रगिरी मा छिफ्यूं रलू , वैसणी46 मां का सुगन्ध छन अइऐ बरमी छेतरी47 को रोष , छेतरी को रोष दूधसी उमाल । नी रै सके छिप्यूँ बरमी , ऐगे भैर48 , देखीक नाग मुलकुल हैंसदो हाथी सामणे फ्यूँली को फूल , बोल बोल छोरा , किलै49 तू आई , के रांडो को होये यो कुल को विणास सूण सूण नाग , मैन तू साधण50 , साधीक त्वै पत्थरमाला ब्यैक ली जाण । सुणीक बुरा वचन , नाग गुस्सा ऐगे , कनो51 पकड़ीले52 नागन लाडलो स्यो बरमी । बोल बोल छोरा तेरो कु छ बचौण वालो ? सूणसूण नाग , मरी जौलू बीती , पर वैरीक मैं बाबू53 नी बोलूँ । दोसरो लपेटो मारी नागन बोल बोल कू त्वै बचौण वालो ? सूण सूण नाग , मैं बचौण वालो , द्वारिका नारैण छ , कृष्ण भगवान । गाडयाले नागन नागपाँस54 , पड़ीगे भ्वां बरमी गेंडगू55 सी । आंख्यों सेंवल56 सरीगे57 , दांतु मा कौड़ी58 । सुपिनो ह्वैगे कृष्ण द्वारिका नारैण । कमरी कुसाण59 लैगे , दूदो चचड़ाण60 ओखी फफड़ाण61 लैगीन माता विमला की । आदेशू लगौंदू मैं गुरु गोरख , बचैक लावा मेरा बरमी । तब कृष्णन भौंर भेज्यों वीं रमोली , तख62 रंदू छयो सिदुवा रमोलो । पौछीगे सिदुवा चन्द्रागिरी गढ़ मा , छिपीगे नाग तिमंजल्या कोणी । आदेशू लगौन्दू मैं गुरु सतनाथ , भैर औ नाग आयो तेरो काल । मात की दुहाई त्वै हे नाग , गुरु से निगुरु ना होई । सिदुवा छयो बांको भड़63 , एक ही चोट मा तैन नाग , जती लम्बो तती चौड़ो कर्याले । तब आयो वो बरमी का पास , मारे वैन निल्लाट64 को ताड़ो65 , कांउर की जड़ी लिल्लाट66 थापे । खड़ो उठीगे तब लाडलो बरमी , यनी जीता रया सजन पुरुष , पिरेमी67 भगत । रानी पत्थरमाला तब स्यूंदोला68 गाडदी69 , धौली70 जसो71 फाट72 । वेन्दुली73 रखदी कुमौं74 जसो घट75 । लाडला बरमी की सजीगे रघुकुंठी घोड़ी , बजीन ढोल76 दमों ब्यौ का । चलीगे पत्थरमाला को डोला , बुरांस जनो फूल , मोतीमाला न भी पूरा कन्या बचन । मोतीमाला पत्थरमाला द्वी बेणी , चली ऐन दखिण द्वारिका । मोतीमाला ब्याहेण कृष्णक तैं , बरमीन ब्याहे पत्थरमाला । इना रैन भगवान कला का पूरा , द्वारिका बीच लोग मंगल गांदा ।",garhwali-gbm "पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी पांचां री नवीनवी भांत लसकरिया दक्खन मत जावेजी , दक्खन की चाकरी या आकरी निपट नरबदा रो घाट लसकरिया थाने तो बाला लागे रोकड़ा मारूजी म्हाने तो वाला लागो आप पेलो बधावो म्हारे यां आवियो भेजो ससराजी री पोल",malvi-mup "विवाह गीत वाण्या मा गुई ने घाघरों ते लाई । चुलि झुणि पेहरे वो नानी वो बेनी । पटवा मा गुई ने रिबिन लाई । तू झुणि गूथे वो नानी वो बेनी । पटवा मा गूई ने कांगसो ते लाई । तू झुणि चिचरे वो नानी वो बेनी । पटवा मा गूई ने चून्या ते लाई । तू झुणि बांथे वो नानी वो बेनी । सखी सासरे चली जायेगी , इस गुस्से में गीत गाया गया है । बनिये के यहाँ गई थी और घाघरा लाये । तू चोली मत पहनना अर्थात् फेरे के लिए तैयार मत होना । पटवा के यहाँ से रिबिन लायी , तू मत गूँथना । पटवा के यहाँ से कंघी लायी , तू बालों में कंघी मत करना । मोती लाये हैं , तू मत बाँधना ।",bhili-bhb "मँड़वा बइठल बाबा, दुलरइता बाबा मँड़वा बइठल बाबा , दुलरइता बाबा , चकमक मानिकदीप1 हे । कनेयादान के अवसर आवल , बराम्हन कयल हँकार2 हे ॥ 1 ॥ झाँपि झँूपि लवलन3 मइया दुलरइतिन मइया , रखल बाबा केर जाँघ हे । जब रे दुलरइता बाबा मुँहमा उघारल , साजन रहल निरेखि हे ॥ 2 ॥ का हथी4 सीता हे सुरुज के जोतिया , का हथी चान के जोत हे । अइसन5 सुनर कनेया कइसे मोरा भेंटल , धन धन हको6 मोरा भाग हे ॥ 3 ॥ कुसबा ले काँपथि बेटी के बाबू , कइसे करब कनेया दान हे । तोड़ी देहु तोड़ी देहु करहु बियहवा , तोड़ी देहु जिया जंजाल हे । कुइयाँ7 खनउली आउ बेटी बियाहली , तनिको न करहु बिचार हे ॥ 4 ॥ बेद भनइते8 बराम्हन काँपल , काँपी गेल कुल परिवार हे । हमर धियवा पराय घर जयतन , अब भेल9 पर केर आस हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "लोक गीत नीलो सो नीलो काइ धुंधे राणी । हुर्या नी नीलो पांख धुंधे राणी । कालो चो कालो काइ धुंधे राणी । कागला नी पांखे वो धंुधे राणी । धवलो चो धवलो काइ धुंधे राणी । बगल्या नी धवलो पांख धंुधे राणी । धंुधा रानी को सम्बोधित कर गीत है । प्रश्नोत्तर के रूप में इस गीत में कहा गया है कि नीलानीला क्या है ? उत्तर है तोते के पंख । कालाकाला क्या है ? कौवे के पंख । सफेदसफेद क्या है ? बगुला के पंख ।",bhili-bhb "सामन आयौ बहना मेरी रँगीला सामन आयौ बहना मेरी रंगीला जी , एजी कोई आई हरियाली तीज ॥ 1 ॥ कारे पीरे बदरा लगत सुहावने जी , ऐजी कोई घटा उठी हैं घनघोर ॥ 2 ॥ बादल गरजे चमके बीजुरी जी , ऐजी कोई मोर करें बन शोर ॥ 3 ॥ नहनी 2 बुँदियाँ मेहा बरसते जी , ऐजी कोई पवन चलै झकझोर ॥ 4 ॥ कोयल कूके हरियल डार पैजी , ऐजी कोई दादुर कर रहे शोर ॥ 5 ॥ पापी पपिया पिया 2 मति करे जी , ऐजी तेरी डारूँगी पंख मरोर ॥ 6 ॥ मेरे पिया तो छाये परदेश में जी , एजी मेरौ जोबन लेत हिलोर ।",braj-bra "416 जे तूं पोल कढावना नहीं आह ठूठा फकर दा चा भनाईए कयों जे तैं कुआरियां यार हंढावना सी तां फिर मापयां कोलों छिपाईए कयों खैर मंगीए ते भन्न देन कासा1 असीं आखदे मुंहों शरमाईए कयों भरजाइयां नूं मेहना चाक दा सी यारी नाल बलोचदे लाईए कयों बोती हो बलोचां दे हथ आईए जढ़ कुआर दी चा भनाईए कयों वारस शाह जां आकबत2 खाक होना एथे अपनी शान वधाईए कयों",panjabi-pan "कहा तक तोहे समझाऊ कहा तक तोहे समझाऊ , रे मन म्हारा १ हाथी होय तो शाकल मंगाऊ , पाव म जंजीर डलाऊ लई हो मऊत थारा सिर पर डालू दई . दई अकुंश चलाऊ . . . . . . रे मन म्हारा . . . २ लोहा होय तो ऐरण मंगाऊ , उपर धमण धमाऊ लई रे हथौड़ी जाको पत्र मिलाऊ जंतर तार चलाऊ . . . रे मन म्हारा . . . ३ सोना होय तो सुहागी मंगाऊ , कयड़ा ताव तपाऊ बंक नाल से फुक दई मारु पाणी कर पिघळाऊ . . . रे मन म्हारा . . . ४ घोड़ा होय तो लगाम मंगाऊ , उपर झीण कसाऊ चड़ पैगड़ा ऊपर बैठू आन चाबुक दई न चलाऊ . . . रे मन म्हारा . . . ५ ग्यानी होय तो ज्ञान बताऊ , ज्ञान की बात सुणाऊ कहत कबीरा सुणो भाई साधु आड़ ज्ञानी से आङू . . . रे मन म्हारा . . .",nimadi-noe "रंग डारो ना लला को अलकन में रंग डारो ना लला को अलकन में । पर जैं है मुकुट की झलकन में । उड़त गुलाल लाल भये बादर , परत आँख की पलकन में । पकर पकर राधे मोहन खाँ , मलत अबीर कपोलन में । खेलत फाग परस पर ईसुर , राधे मोहन ललकन में ।",bundeli-bns "कहाँ के चँदवा कहाँ चलल जाय, मोरे परान हरी कहाँ के चँदवा कहाँ चलल जाय , मोरे परान हरी । कहाँ के दुलहा गवन1 कयले जाय , मोरे परान हरी ॥ 1 ॥ पुरुब के चँदवा पछिम चलल जाय , मोर परान हरी । कवन पुर के दुलहा गवना कयले जाय , मोर परान हरी ॥ 2 ॥ सभवा बइठल बाबा मिनती2 करे , मोर परान हरी । दिन दस रहे देहु3 धियवा हमार , मोर परान हरी ॥ 3 ॥ जब तोरा अहो ससुर धियवा पियार , मोर परान हरी । काहे लागि तिलक चढ़वलऽ हमार , मोर परान हरी ॥ 4 ॥",magahi-mag "नदिया किनारे जिरवा जलमि गेलइ नदिया किनारे जिरवा जलमि1 गेलइ । फरे2 फूले लबधि3 गेलइ हे ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल आथिन4 दुलरइता दुलहा हे । उनकर पगड़ी अमोद5 बसे हे ॥ 2 ॥ ओतें6 सूतूँ , दुलरइता दुलहा हे । होइ जयतइ चुनरिया मइला हे ॥ 3 ॥ धोबिया जे धोबले7 जमुन दइ हे । सूखे8 देलकइ चनन गछिया हे ॥ 4 ॥ बाट जे पूछले बटोहिया भइया हे । केकर9 सिर के पगड़िया सूखइ हे । केकर तन के चुनरिया सुखइ हे । जेकर गंधे आमोद बसे हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "278 जदों रंग पुर दी जूह जा वड़या भेडां चारे अयाल1 विच बार दे जी नेड़े आनके जोगी नूं वेखदा ए जिवें नैन वेखन नैन यार दे जी झस2 चोर ते चुगल दी जीभ वांगूं गुझे रहन ना दीदड़े यार दे जी चोर यार ते ठगना रहन गुझे किथों छुपन एह आदमी कार दे जी तुसीं केहड़े देस तों आए रमते सुखन दस खं खोल नरवार दे जी हमीं लंकबासी चेले अगस्त मुनि दे हमीं पंछी समुंदरों पार दे जी वारस शाह मियां चारे चक भौंदे हमीं कुदरतां नूं दीद3 मारदे जी",panjabi-pan "518 हुकम हीर दा माउं तों लया सहती गल गिनी सू नाल सहेलियां दे होइयां तयार दोवें ननान भाबी नाल चढ़े नी कटक अखेलियां दे छडपासना तुरक बाजार चलो राह मार दे ने अठखेलियां दे वारस शाह कसतूरी दे मिरग छुटे थइ पइआं शरीर मथेलिआं दे",panjabi-pan "भैंसा सनक मनुसवा गे बहिनो भैंसा सनक मनुसवा गे बहिनो बजर सन गात हे । मोंछ रानू बँहिगा , सनसन आवे हे । जब तूँ आहे कोसिका हमो डुबइबे आनब हम अस्सी मन कोदारि । अस्सी मन कोदरिया रे रानो , बेरासी मन बेंट आगूआगू धसना धाय । ।",angika-anp "मैना वंती हो माता मैना वंती हो माता , नीर भरयो वो थारा नैन म १ क्यो बठ्यो रे बेटा अनमनो , आरे क्यो बठ्यो उदास दल बादल सब चड़ी रया बरसः आखण्ड धार . . . नीर भरो थारा . . . २ नही वो माता हाऊ अनमनो , आरे नही बठ्यो उदास कोई कहे रे जब हाऊ कहूँ करु सत्या हो नास . . . नीर भरो थारा . . . ३ नही रे बादल नही बीजळई , आरे नही चलती रे वाहळ जहाज खड़ी रे दरियाव में झटका चल तलवार . . . नीर भरो थारा . . . ४ मार मीठा ईना सबक , आरे करु पैली रे पार दास दल्लुजा की बिनती राखो चरण अधार . . . नीर भरो थारा . . .",nimadi-noe "गढ़ू सुम्याल (सुमरियाल) ले मेरी जिया1 , मैं राणी आज लायूँ , आरुणी जंगल , जड़ी खाली बूटी , घास काटीक लाली , भैंसी मेरी चराली , तेरी सेवा करली माता , ब्वारी2 तेरी सुरमा तबरी3 बिटैने4 तौंकी , होणीखाणी ह्वैगे गढ़ू सुमन्याल , चैन की मुरली बजौन्द अन्न का भण्डार ह्वैन , ऊँका धन का कोठारा , तौंक तई तै , आरुणी जंगल मा ही , सोनों बरखे तब सूणीयाले दीपू बडान5 , तौंकी होणी खाणी , ऐ दिन वैन , हात धरे लाठी , रोन्दोबरांदो तब , आइ गए आरुणी जंगल । जदेऊ6 पाँछो मेरा , बड़ा जी जेटा पाठा । आशीष मेरा बेटा , गढू माल नी रये क्वीकत , बेटा हमारा वंश मा । बार बरस को मामलो7 , ऐला तैला सलाण रैगे । तेरा बाबून तरवार मारे , तू तरवार मारलो , तू होलू बेटा छेतरी बंगल , हमारू अंगस8 तिन जाणा बेटा , तैला9 मैला सलाण , मामलो उगै10 लौण । तब जिया लीलादेई , इना बैन बोदी : जि जााू बेटा , तै सलाण बैरियों का , नि जाण गढू , काल का डिस्याण11 । तौं सलाण्योंन12 , तेरो बाबू मारे , तू होलू गढ़ मेरो , एकलो एकून्त हे जिया , सचू होलू मैं , ई बाबू को बेटा , सलाण साथीक लौलू , बैरी बाँधीक पैरीने13 वैन14 अपणी , ऐड़ी हत्यारी15 सुरमा रौतेली , पथेणा16 नेतर छोड़ दे : कना जाला स्वामी , विराणा विदेश , आरुणी वण मा हम , आनन्द रौला । आज जाणू छौं सुरमा , भोल औलू बौड़ी17 , कायरो18 नी करणो , तिन ज्यू अपणो जाणक जावा स्वामी , एक बात मेरी ली जावा , एकुला न चल्या बाट , विराणी19 न बैठ्याँ खाट । प्रफूल ह्वैक दीपू , गैगे अपणा दीपू कोट । गढू बैठे अपणी , भँवरपंख घोड़ी , सलाण मा तब , खबर या पौंछीगे जेको बाबू हम लोग न मारे , वैको बेटा यख पौंछीगे तब खोदीयाले तौन , सौ जरीब खाड20 बख मा पलंग बिछैगे , पलंग मा चदर । सलाण का लोक तब , कठा21 होई गैन , औ ज्वान ज्वान छोरी , स्यूँद22 गाडदी23 अब आयो हमारो पदान24 तौं लोगून बड़ो , सतभौ दिखाए , लाई ऐन तब बै , पलंग मा बैठौणा । याद आये तब गढू , सुरमा की बोलीं पलंग मारी वेन , बेत की चोट , चदर उन्दू लैगे , खाड देखेण गैरी । भली मैमानी25 करी , तुमन मेरी भायों , तुमारो ऐसा न , कबी न भूलूँ । कनो होये माल26 , घोड़ी असवार छौलोबुक27 छौलो , ह्वैगे घोड़ी कलासी कच्यैन28 वैन , गाबा29 सी काटीन साधीयाले तैन , स्यो सलाण , मामलो उगाई याले गज करो30 , मुण्ड करो , स्यूँदी सुप्पो लगैले । खिमासारी तब , पैटीगे31 माल , घर मू दीप न मदों , मन्सूबा ठाण्याल्या , गढू़ न मरी जाण , सुरमा मैन अपणा नौनाक32 ल्यौण । तब वो सुरमा का मामों , एक खाल रुप्या देन्द , सुरमा रौतेली , बुलैले मामाकोट । दीपीकोट बिटी33 ह्वैन बरात की त्यारी सुरमा की माम्योंन , देखे सुरमा रूपवन्ती , तीन जाणी नी , ना पछाणी , सोचे या हैकी सौत आई , कखन काल हमारी । अनजाणा मा तौन , बीं विष खेलैले , सुरमा अंगुडी34 छई , पघुण्डी ढलीगे । दीपून धरयाले तब , वा डोला पर , पर विधाता की लेख , इनी होंदी रस्ता मा गढू़ माल , खाणा छौ पकौणू । सुरमा रौतेली की , तब आँखी खुलीन , रोन्दी छ तुड़ादी तब , वा चाखुड़ी35 सी बराँदी । मैं छऊँ सुरमा राणी , गढ़ू माल की , कु छ मैं सणी , डोला पर लिआणू । डोला से नजर लगे , माल का रस्वाड़ा36 , भादों जसो बेला37 छयो , मगन पड्यूँ , डेड हात पीठ छई , डेड हात छाती । होलू त सी होलू मेरो , स्वामी प्यारो । फेंकदी तब गारा , सुरमा रस्वाड़ा मा , टपराँदो38 तब गढ़ू सुमन्याल अला39 कैको आये यो काल , कैन मेरा रस्वाड़ो पथराये । डोला से देखे वैन , हात अगाड़ी बढ़द , उंडो देखे वैन फुंडो , रौड़दो छ दौड़दो । गढू़ माल , डोला मु जाँदो , सुरमा रौतेली माथो नवौंदी मैं छऊँ स्वामी , विपता की मारी , किस्मत की हारी , छऊँ तुमारी नारी । दुश्मनुन जैर खलै , मैं बेहोश होयूँ , तुमारा बड़ा40 जीने41 , या कुदरत कराये । गढ़ू माल चढ़े , छेतरी को रोष , तैकी छाती का , बाल बवरैन ओंठ बबलैन वैका , भुजा फफड़ैन आँख्यों मा वैका लोइ सरे , दीपू बडान , यो क्या त करे ? मारीन तब बैन , दीपू का साती लड़ीक , दी बड़ा भी दगड़े , स्वर्ग पौंछाए तब दीपीकोट मा वैन कोटू बोणो कर याले बैरी को एक नी रखे , रीझाना कोसी शेष । तब सुरमा लोक , गूढ़ू सुन्याल , खिमासारी ऐगे , माता न बोलो भेंटें , ब्वारीन सासू का पैर छुयाँ , खिमासारी कोट मा , बजे आनन्द बढ़ मर्द मरी गैन , बोल रई गैन , मर्दू का पँवाढ़ा , गाया गैन",garhwali-gbm "हिंडोला कुँज वन डालो झूलन आईं राधिका प्यारी हिंडोला कुँज वन डालो झूलन आईं राधिका प्यारी कहे के खंभ लगवाए कहे की लगी डोरियाँ प्यारी सोने के खंभ लगवाए रेशम लगी डोरियाँ प्यार हिंडोला . . . कहाँ से आये शयाम बनवारी कहाँ से आई राधिका प्यारी गोकुल से आये बनवारी मथुरा आइ राधिका प्यारी हिंडोला . . . कि झोंका धीरे से दे ओ हमें दर लगता भारी दरो मत राधिका प्यारी हमें तो तुम जान से प्यारी हिंडोला . . .",awadhi-awa "रसना राम राम कह जारी रसना राम राम कह जारी , कौन जात है हारी । जौ हरनाम सजीवन बूटी , खात बनै तो खारी । काँलों दिन उर रात सिखइये , बऔ जात बिरथाँरी । ईसुर हमना कोउ तुमाये तैनाँ कोउ हमारी ।",bundeli-bns "सोन सन केश गे बुढ़िया कन सन दाँत हे सोन सन केश गे बुढ़िया कन सन दाँत हे ठेंगनि लागल बूढ़ी माय हे । खाय लेहु आरे शनू दही चूड़ा भोजन हे पीवि लेहु गंगा जल नीर हे चाढ़ि लेहू आरे रानू पाट केेर डोलिया हो । तब करू कोसी असनान हे । ककरा पर छोड़वै गे बुढ़िया बालक तिरिया हे कैसे करबै कोसी असनान हे । भाई पर छोड़िह हे रानू अन्न धन सम्पत्ति हे बहिन पर छोड़िह बूढ़ी माय हे । बूढ़ि माय पर चोड़िह रानू बालक तिरिया हे तब करू कोसी असनान हे गौनमा के धोतिया गे बुढ़िया मलिनो ने भेलै , कैसे करबै कोसी असनान हे जाति के बरनमा से बुढ़िया कहि के सुनाब हे तब करबै कोसी असनान हे हमहु जे छियै रे रानू बाभन कुल बेटिया हे नाम थिकै कोसिका कुमारि हे । कौनरे कुलके तू थिकही रे रानू किअ थिकौं तोहरो नाम रे । जाति के जे थिकियै हे बुढ़िया कानू ते कन्हैया हे नाम थिफै रानू सरदार हे । कान्ह कोदरिया हे रानू हाथ वसूलिया हे झट करू कोसी असनान हे ।",angika-anp "सामण आया हे सखी सामण के दिन चार सामण आया हे सखी सामण के दिन चार उन के ते सामण के करै जिनके बुलद न बीज तड़के ते जाँगी लक्खी बाप कै ल्याउंगी बुलद अर बीज बुड्ढा ते दीन्हा ढांढिया बोदी तो दे दी जवार हांक्या ना चाल्या बाबुल ढांढिया बोई ना जामी जवार खूंटी ते बांधो बेटी ढांढिया कोठी ते घालो हे जवार टग टग तै चाल्या बेटी ढांढिया सण जू जामी जवार",haryanvi-bgc "75 लायक होय के मामले दस देंदा मुनसिफ1 होए वढे फाहे फेड़यां दे बाही घत के कहीं दी पार लावे हथों कढ देंदा खोज झेड़यां दे धाड़ा धाड़ दी मोहर दवांवदा ए हुंद पांवदा विच बखेड़यां दे सभा रही रहुंनी नूं सांभ लयावे अखीं विच रखे वांग हेड़यां2 दे वारस शाह है शेर जवान रांझा पिछे पौंदा ए हाड़यां पेड़यां दे",panjabi-pan "196 मेल मेल सयालां ने जंज आंदी लगीयां सौण1 शगन करावने नूं घत सुरम सलाइयां देण गाल्हां अते खडुकने2 नाल खडावने नूं भरी घढ़ी घड़ोली ते कुड़ी नहाती आइयां फेर नकाह पढ़ावने नूं मौली नाल चा खिचया गभरू नूं रोढियां लगियां आन खुवावणे नूं",panjabi-pan "ओहो चणे वाले रे गलियों में आ के सोर किआ ओहो चणे वाले रे गलियों में आ के सोर किआ बाबा बन्ने का बड़ा कमाऊ , भर भर थैली लाता है दादी बन्ने की बड़ी चटोरी , भर भर डोने खाती है चाटा पत्ता फेंक दिया रे , गलियों में आ के सोर किआ आहो चणे वाले रे . . . बापू बन्ने का बड़ा कमाऊ , भर भर थैली लाता है अम्मा बन्ने की बड़ी चटोरी , भर भर डोने खाती है चाटा पत्ता फेंक दिया रे , गलियों में आ के सोर किआ आहो चणे वाले रे . . . ताऊ बन्ने का बड़ा कमाऊ , भर भर थैली लाता है ताई बन्ने की बड़ी चटोरी , भर भर डोने खाती है चाटा पत्ता फेंक दिया रे , गलियों में आ के सोर किआ आहो चणे वाले रे . . .",haryanvi-bgc "माना की माता बोलती मेरा माना आइये तन्ने मारे बिराणे लाल जहाज भर भर के मैं किस पै करूं सिंगार कालजा धड़के",haryanvi-bgc "330 कोई असां जेहा वली सिध नाहीं नजर आंवदा जुग जहूर जिहा दसतार रजवाड़यों1 खूब आवे अते बाफता2 नहीं कसूर जिहा कशमीर जिहा कोई मुलक नाहीं नहीं चानना चंद दे नूर जिहा अगे नजर दे मजा माशूक दा ए अते ढोल सुहांवदा दूर जिहा नहीं रंन कुलकड़े दुध जेही नाही जलजला3 हशेर दे तूर जिहा सहती जेडना होर झगड़ेल कोई अते सोहना होर ना हर जिहा खेड़यां जेड ना नेक नसीब कोई कोई थाऊं ना बैतुल4 मामूर जिहा सहिती जेड ना भला कोई बुरा नाहीं जो कम फतूर जिहा हिंग जेड ना होर बदबू कोई बासदार ना होर कचूर जिहा वारस शाह जिहा गुनाहगार नाहीं कोई ताउ ना गरम तंनूर5 जिहा",panjabi-pan "दूर-दूर की म्हारी मोठी बईण तुखऽ लेणऽ कुण जासे दूरदूर की म्हारी मोठी बईण तुखऽ लेणऽ कुण जासे , जासे हो म्हारो नानो भाई , घोड़ी कुदावतो लावसे । घोड़ा का टापुर वाज्या , बइण कहे कि म्हारो भाई आयो , पांयण पींजण को ठुमको वाज्यो , भाई कहे कि म्हारी बइण आई ।",nimadi-noe "308 इस पद्य में अलगअलग जातियों की औरतों के बारे में वारिस शाह बताता है । जिथे त्रिंजणां दे घुमकार पैंदे कतन बैठ के लख महरेटियां ने खतरेटियां अते बमनेटियां ने तरसेटियां अते जटेटियां ने लोहारियां लौंग सुपारियां ने सुंदर खेजना ते रंग रेटियां ने अरोड़ियां मुशक विच बोड़ियां ने फुलयरियां छेल सुखरेटियां ने मुनयारियां ते पखीवारियां ने सुंदर तेलनां नाल मछेटियां ने पठानियां चादरां तानियां ने पशतो मारदियां नाल मुगलेटियां ने बंजारियां सुघड़ सयानियां ने बरवालियां नाल मचेटियां ने रावलानियां बेटियां बानियां दियां जटां वालियां नाल ढटेटियां ने चगड़ानियां नायनां मीरजादां नाल सोंहदियां होर डुमेटियां ने गडीलना छैल छबीलना ने ते कलालनां भाबड़े बेटियां ने बाजीगरनियां नटनियां कगराना वोरा राधना राम जटेटियां ने नेचे बन्नणा डूमना धाईं कुटी आतशबाजनां नाल भलवाणेदिआं ने खटाकनां ते नेचे बंदना ने चूड़ेगरनियां ते कमगरेटियां ने बहुरूपना राजना जिलदामां बरवालियां नाल नमेटियां ने पूरबानियां हबशनां रंगरेजां ते बैरागना नाल ठठरेटियां ने लबानियां मोचना कंगहाना राज बेटियां अते वटेटियां ने कागज कुट दबगरनियां वरद बैगन हाथीवाननां नाल वलोचेटियां ने बांकियां गुजरियां डोगरना छैल बनियां राजपूतना राजे दियां बेटियां ने पकड़ अचला जोगी नूं ला गली वेहड़े वाड़ के घर लै बैठियां ने वारस शाह जीजा विच हो बैठा दवाले बैठियां सालियां जेठियां ने",panjabi-pan "418 शाला कहर खुदाई दा पेश आवे ठूठा भन के लाड शंगारनी ए लंक सुकीए रन्ने कलकड़े नी माड़ा वेख फकीर नूं मारनी ए नाले मारनी ए नक चाढ़नी एं नाले हाल ही हाल पुकारनी ए मरे हुकम देनाल तां सब कोई बिना हुकम दे खून गुजारनी ए बुरा नाल जे बोल के बुरे होईए असीं बोलने हां तां तूं मारनी ए ठूठा फेर दरुसत कर दे मेरा होर आख की सच नतारनी ए लोक आखदे हन एह कुड़ी कुवारी साडे बाब दी धाड़वी मारनी ए एडे फंद फरेब हन याद तैनूं मुरदारां दे सिर मुरदारनी ए घर वालीए वौहटिए बोल तूं भी केही सोच विचार विचारनी ए सवा मनों मुतहिर1 पई फुरकदी ए किसे यारनी दे सिर मारनी ए इक चोर ते दूसरी चतर बनियों वारस शाह तों पुछ के हारनी ए",panjabi-pan "आज होरिलवा के देखन चलूं न्योछन आज होरिलवा के देखन चलूं । आज होरिलवा के चूमन चलूँ ॥ 1 ॥ मोर होरिलवा हइ1 पुनियाँ2 के चनवा3 । अपन होरिलवा के खेलावँन4 चलूँ ॥ 2 ॥ राइ5 नोन6 लेके निहुँछन7 चलूँ । अपनअपन नजरी8",magahi-mag "अहिंसा परम धरम कहलाया अहिंसा परम धरम कहलाया । तय तियाग का मारग दिखलाया । । सादा जीवन उच्च विचार । बेड़ा इस तै होवै पार । । गांधी बाब्बू का योह् नारा । देस नै लाग्या था अति पियारा । ।",haryanvi-bgc "265 कहे नाथ रंझेटया समझ भाई सिर चाहिए जोग भरेटड़ी1 नूं अलख नाद वजाए के करे निहचा मेल आवना टुकड़ रोटड़ी नूं असीं मुख अलूद ना झूठ होलां चार लयावना अपनी खोतड़ी नूं वडी मां बराबरां जाणीए जी अते भैण बराबरां छोटड़ी नूं जती सती नमाणया हो रहिये साबत रखना इस लंगोटड़ी नूं वारस शाह मियां लै के छुरी कोई वढ दूर करीं इस बोटड़ी2 नूं",panjabi-pan "गोचर हे नगर के बराम्हन, पोथिया बिचारहु हे गोचर1 हे नगर के बराम्हन , पोथिया बिचारहु हे । आजु कन्हइया जी के मूँडन2 नेओता3 पेठाएब4 हे ॥ अरिजनि5 नेओतब , बरिजनि6 अउरो7 देआदिन8 लोग हे । नेओतब कुल परिवार , कन्हइयाजी के मूंड़न हे ॥ 2 ॥ काहे लागि रूसल9 गोतिया10 लोग , अउरो गोतिनी11 लोग हे । काहे लागि रूसले ननदिया , मँड़उआ12 नहीं सोभले हे ॥ 3 ॥ का13 ले14 मनएबो15 गोतिया , का ले गोतिनी लोग हे । अहे , का ले मनएबो ननदिया , मँड़उआ मोर सोभत हे ॥ 4 ॥ बीरा16 मनएबो गोतिया , सेनुर17 ले गोतिनी लोग हे । अहे , बेसरि ले मनएबो ननदिया , मँड़उआ मोर सोभत हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "विवाह -गीत - सोवत रहीं अटरिया झझक सोवत रहीं अटरिया झझक उठ बैठीं मईया केकरे दुआरे बाजन बाजे केकर होत है बियाह मईया जे बेटी बुलावैं गोद बैईठावें हसि कै बोलैं बेटी तोहरे दुआरियां बाजन बाजे तुहरहि होत है बियाह नाही सीख्यौ मोरी मईया गुन ग्रस्थापन नाही सीख्यौ राम रसोय सास ननद मोरा भैया गरियैहैं मोरे बूते सहयू न जाय सिख लेहू मोरी बेटी गुन ग्रस्थापन सिख लेहू राम रसोय सास ननद तोहरी भैया गरियहियें ले लिहो अचरा पसार",awadhi-awa "237 साडी खैर है चाहुंदे खैर तेरी फेर लिखो हकीकतां सारियां जी पाक रब्ब ते पीर दी मेहर बाझों कौन कटे मुसीबतां भारियां जी मौजू चैधरी दा पुत चाक होके चूचक सयाल दीयां खोलयां1 चारियां जी दगा देके आप चढ़ जान डोली चंचल हारियां एह कुआरियां जी सप रसियां दे करन मार मंतर तारे देंदियां जे हेठ खारियां जी , पेके जटां नूं मार फकीर करके लैण सौहरे जा घुमकारियां जी आप नाल सुहाग दे जो रहन पिछे ला जावन पिचकारियां जी सरदारां दयां पुतरां चाक करके आप मलदियां जा सरदारियां जी वारस शाह ना हारदियां असां कोलौं राजे भोज थीं एहना हारियां जी",panjabi-pan "कोन मा कोन डो पुग्या जा कोन पुग्या जा कोन मा कोन डो पुग्या जा कोन पुग्या जा कोन मा कोन डो पुग्या जा कोन पुग्या जा कोन जा सोना जा कोन कोन जा सोना जा कोन सोना जा कोन के रेशमों झूडा डो बागे सोना जा कोन के रेशमों झूडा डो बागे रेशमा डोरा डो सालोनी नी अचारेन परदा आऊगे रेशमा डोरा डो सालोनी नी अचारेन परदा आऊगे स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "सावां गीत तारो माटी रामस्यो धवल्याधुरी मंगाया । खांड्यामेंड्या क्यांे लाया रे । बइल्या छोड़बइल्या छोड़ ढेड्या । तारो माटी रामस्यो चाउलचोखा मंगाया । टेमरा क्यों लायो रे ढेड्या । तारो माटी रामस्यो सकर मंगाड़ी , गूले क्यों लायो रे ढेड्या । तारो माटी रामस्यो घींवे मंगाइयो । तेले क्यों लायो रे ढेड्या । सावां लाने वाले से स्त्रियाँ कहती हैं रामसिंह ने अच्छे सफेद और सुन्दर बैल जोतकर लाने को कहा था । तुम सींग टूटे , सींग मुड़े बैल क्यों लाये हो ? इन बैलों को छोड़ दो । रामसिंह ने चावल बुलाये थे , तुम टेमरू ले आये । शक्कर बुलाई थी , तुम गुड़ ले आये । घी मँगवाया था , तुम तेल क्यों ले आये ? इस तरह विभिन्न भोज्य सामग्रियों के लिए कहा जाता है ।",bhili-bhb "कहमां बहै मैया कमलेश्वरी कहमां बहै मैया कमलेश्वरी , कहमां बहै माता कोसिका । अलापूर बहै माता कमलेश्वरी , तिरहुत बहै माता कोसिका । दया करू माया करू कोसिका माय , चंडालिनी नगरक लोग करै छै किलोल । ।",angika-anp "गँगा रे अरार कवन बरूआ करे असनान गँगा रे अरार1 कवन बरूआ2 करे असनान । करे असननियाँ रे बरूआ , निरखे3 आठो अँग4 ॥ 1 ॥ बिनु हो जनेउआ हो बाबा , ना सोभे कान । अप्पन जनेउआ हो बाबा हमरा के दऽ ॥ 2 ॥ हमरो जनेउआ हो बरूआ , भे गेल5 पुरान । तोहरो जनेउआ हो बरूआ , देबो बजना6 बजाए ॥ 3 ॥ गँगा के अरार कवन बरूआ करे असनान । करे असननियाँ रे बरूआ , निरखे आठो अँग ॥ 4 ॥ बिनु हो जनेउआ हो चाचा , ना सोभे कान । अप्पन जनेउआ हो चाचा , हमरा के दऽ ॥ 5 ॥ हमरो जनेउआ हो बरूआ , भे गेल पुरान । तोहरो जनेउआ हो बरूआ , देबो बजना बजाए ॥ 6 ॥",magahi-mag "आरे मिगना सियेन डो मिगना सियेन मिगना सियेन डो आरे मिगना सियेन डो मिगना सियेन मिगना सियेन डो कोयल बोले नदी किनारे मिगना मिगना डो कोयल वाले मारे कोयल चिड़िया बोले वा डो आयोम इयां मेड्डा नी डो जोरो माटे कोयला को डो चिड़िया बोले वा डो आयोम कोयला चिड़िया बोले वा डो मारे नदी किनारे मिगना सियेन डो मिगना सियेन डो कोयेला बोले मारे कोयेला चिड़िया बोले वा डो आयोम इयां मे डाडा बोचोवा डो मारे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "ना छेड़री कामनी, कड़ जान दै विचारे खों ना छेड़री कामनी , कड़ जान दै विचारे खों , गैल के चलइया खों बीच ना उतार लैं । जा बारी सी उमर में लंक में कलंक लगौं , थौरे से जीवन में पूरब तौ सुधार लै । जीवन दे जुआतन खों जोवन ना दिखारी , नैकें चल बेला , तन कंदेला सभारलै । कात व्दिज ‘ईसुर’ सुख सासरे खों राखिये , सबरौ मजा मान मायके मैं न मारलै ।",bundeli-bns "सूरज कौंल (सूरज कुँवर) एक दिन कुंवर त्वैक1 , राति का बीखैमा2 , नागू का सूरजू बाला , सुपीनो ह्वै गये । राति हैवै थोड़ा त्वीन , स्वोंणो जम्पे भौत , पौछिगे सूरजू , जैकी ताता लूहागढ़ । सुपीना मा देखे तिन राणी जोत माला , देख्याले सूरजू तिन , राणी को बंगला । जै राणी को होलो आज ठैठाई को रंग , सुतरी3 पलंग जैं को नेलू झमकार । कवासुली4 सेज जैंको धावणिया घांड , हिया च सुरीज5 जैंको पीठी चंदरमा । कमरी दिखेंद जैंकी कुमाली सी ठांणा , बिणोटी दिखेंद जैंकी डांडा सी चुडीणा । सिंदोली6 दिखेंद जैकि धौली7 जैसो फाट8 , फिलीरी दिखेद जैकि धोबी सी मुंदरी , नाकुणी दिखेंद जैंकि खडक सी धार , ओठणी दिखेंद जैकि दालिमा सी फूल , दांतुणी दिखेंदी जैकि जाई जैसी कली । बैठायो को रंग तै को कोठायँ टूटद , सोवन9 सिन्वाणी10 जैकी रूपा11 की पैद्धाणी12 । रांड की जोतरा देंदा जलमू की बोली , तु हवेलू कुंवर सांचू सिंहणी सपूत , तू ऐल्यो कंवर मेरा ताता लूहा गढ़ । सिंहणी को ह्वैलो ऐलो ये बांका भोटंत , स्यालणी13 को ह्वेलो रैल्यो भीमली बजार । नौ दिन नौ राति बाला गिजनारै गये , नौ लाख कैतुरी कौल धाम झअल एगे । धाम झअल येगे बेटा सभा सुन्न रैगे , चचड़ैकी14 उठीकौल बवरैकी15 बीज । जाग दो ह्वे जांदी हे नाग सुरीज । जागदो ह्वे गये बाला कांटो को सुरीज । तेरि जिया16 नागीण बाला धावड़ी17 लगौंदा । किलैकी सुरजू बेटा कछड़ी नी औन्दो , किलैकी सूरजू आज ठउ नी जिमदो । नौ दिन ह्वेगैना मैंन सूरजू नि देख्यो , कागई सूरजू मेरा यकुला येकन्तू । त्वी बिना कुंवर तेरी भीमली सुन्न ह्वेगी । तेरी भुली सूरजी त्वे धावड़ी लगौंदा , त्वीकुणी सूरज कनी उनिन्दा पड़ी च । घाम झअल यैगे बेटा , सभा सुन्न ह्वेगे । चचडैकि उठी कौल बवरैकि बीजे । ऐगये सूरजू कौल नौरंगी तिवारी । मैं सणी जिया ब्वै आज सुपीनो ह्वेगे , सुपीन मा देखे मैंन राणी जोतमाला मैंन जाणा इजा वे ताता लूहागढ़ । रांड की जोतरा देंदा , जलमू की बोली , सिहणीं को ह्वेली ऐली ताता लूहागढ़ । स्यालणी को ह्वैलो रैलो भिमली बाजार । क्वी सोरो18 जांचदो वैकू बांटबांटी देन्दो । क्वी बैरी जांचदो मीकू हत्यारा भीड़ देन्दू । तिरया को जांचणो मीकू मारणो ह्वे गयी । मोरणो ह्वे जाना जिया जोतरा का बाना । भौंकुछ ह्वे जाना मैंन जाणा लूहागढ़ कित19 लेलो जोतरा इजा किन रौलो नाटो20 , ह्वेगैना जिया ब्वे मेरा बांही का बचन । त्वेतई जिया ब्वै बाला , बुझौणी बुझौंद , नि जाणों कुंवर मेरा बैरा का भकौंणा , निल्हौणो सूरजू तिन जोतरा को भामों । नि जाणो सूरजू बाला ताता लूहागढ़ । तू छई कुंवर मेरो इकलो यकन्तो तु छई कुंवर मेरो कांठा सि सूरज । तू छई कुंवर मेरो चन्दन सि गेंद , तू छई कुंवर बाला पालिंगा सि गेंद । तू ह्वेलू सूरजू मेरा धार्णिया सि ठुंसू । तेरो बाबू गैछो21 बेटा घर बौड़ी22 नि होये , तेरो दादो गैछो बेटा बौड़ी कि निआयो , जो गैना भोटन्त बेटा बौड़ी23 की नि आयो , तेरो दिदा24 बरमी रैगे बरमी डुग्यूँ पर । तेरी तिल्लू25 बाखारि26 बेटा छटपट छ्यूंदा27 , मान्याल कुंवर त्वेकु असगुन ह्वेगे । हून्दी मऊ कु बेटा कांदली नि हून्दी ,",garhwali-gbm "ढोला मारूनी दोनों बातां नी लागे ढोला मारूनी दोनों बातां नी लागे थारे पीहर में गोरी धन कौन पियारा नींबू पाकन लागे । एक पियारा अपना बाबुल भी कहिये दूजी तो पियारी मेरी लाड लडन्ती माय एक पियारा मुझे अपना बीरन लागे दूजी दुलारी हमें लाल भवजिया नींबू पाकन लागे । इन रे बातों गोरी धन खारी भी लागी देंगे तुम्हें मन से बिसार फूल फूलन लागे । ढोला मारूनी दोनों बातां नी लागे ससुराल में गोरी धन कौन पियारा नींबू पाकन लागे । एक पियारा हमें सौहरा जी कहिये दूजी पियारी हमें सास सपूती जी फूल फूलन लागे । एक पियारी हमें अपनी नन्दल लागे दूजा प्यारा हमें नन्दी का बीर फूल फूलन लागे । इन बातों में गोरी हमें प्यारी भी लागे देंगे तुम्हें अगड़ घड़ाय फूल फूलन लागे ।",haryanvi-bgc "कोरो घड़ियों बीरा पीली हल्दी कोरो घड़ियों बीरा पीली हल्दी नौतण आई भातई मेरे घर आइए बीरा मेरा मां का जाया मेरे घर बिरद उपाइये क्योंकर आऊं मेरी मां की जाई ढैर खड़ी मेरी लावणी ढैर जै बीरा मजूर खंदादे गाड़ी लगा दे ढोवणी मेरे घर आइए बीरा मेरा मां का जाया मेरे घर बिरद उपाइए क्यूंकर आऊं मेरी जामण जाई मेरे घर बालक रोवणा बालक रै बीरा धाय लगा दूं पलणा घालू बीरा झूलणा आती जाती बीरा झोटा लगा दूं मेरे घर बिरद उपाइये मेरे घर आइए बीरा मेरा मां का जाया मेरे घर बिरद उपाइए क्यूंकर आऊं मेरी मां की जाई मेरे घर नार सुलाखनी अपणा बीरा नै चारए विहावाद्यूं दो गोरी दो सांवली सांवली तो बीरा तपै रसोई गोरी ढोलै बीजणा , मेरे घर आइए बीरा मेरा मां का जाया मेरे घर बिरद उपाइए",haryanvi-bgc "निहाली गीत गड़ोगड़ो आइग्या , भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा ॥ लदोलदो बस्या , भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा ॥ टेघड़ा ने टेघड़ा भाले , भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा ॥ माकड्या ने माकड्या भाले , भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा ॥ वधू के घर महिलाएँ यह हास्य गीत गाती हैं एकदम आ गये भाई के साले हिजड़े और गधे । आकर खटिया पर लद गये भाई के साले हिजड़े और गधे । कुत्तों के समान देख रहे हैं , बन्दर के समान देख रहे हैं ।",bhili-bhb "164 जे तूं सोहणी होयके बणें सौकन असीं इक थीं इक चढ़ंदियां हां रब्ब जाणदा ए सभा उमर सारी असीं एस महबूब दियां बंदियां हां असी एस के मगर दीवानियां हां भावें चंगियां ते भावें संदियां हां उह असां दे नाल है चंद हुनदा असी खितीआं1 नाल सुहंदियां हां उह मारदा गालियां दे सानूं असीं फेर मुड़ चौखने2 हुंदियां हां जिस वेलड़े दा साथों रूस आया असी हंझू रत दे रूंदियां हां एह दे थां गुलाम लौ होर साथों ममनून3 अहसान दीयां हुंनियां हां रांझे लाल बाझों असीं सवार होइयां कूंजां डार थीं असीं विछुंनियां हां जोगी लोकां नूं मुनके करन चेले असीं एसदे इशक ने मुनियां हां वारस शाह रांझे अगे हथ जोड़ां तेरे प्रेम दी अग्ग ने भुनियां हां",panjabi-pan "अन्त नी होय कोई आपणा अन्त नी होय कोई आपणा , समझी लेवो रे मना भाई १ आप निरंजन निरगुणा , आरे सिरगुणी तट ठाढा यही रे माया के फंद में नर आण लुभाणा . . . अन्त नी . . . २ कोट कठिन गड़ चैड़ना , आरे दुर है रे पयाला घड़ियाल बाजत दो पहेर का दुर देश को जाणा . . . अन्त नी . . . ३ इस कल युग का हो रयणाँ , आरे कोई से भेद नी कहेणा झिलमीलझिलमील देखणा मुख में शब्द को जपणा . . . अन्त नी . . . ४ भवसागर का हो तैरणा , आरे कैसे पार उतरणा नाव खड़ी रे केवट नही अटकी रहयो रे निदाना . . . अन्त नी . . . ५ माया का भ्रम नही भुलणा , आरे ठगी जायगा दिवाना कहेत कबीर धर्मराज से पहिचाणो ठिकाणाँ . . . अन्त नी . . .",nimadi-noe "तुम भजन संभरि के गाना गाना हो तुम भजन संभरि के गाना २ बावन अक्षर हैं ओलम के इनके पास मतीं जाना तीन लोक औ चौदह भुवन हैं तिनके पार चले जाना इनके भीतर जो तुम आये पकरें दोऊ काना हो तुम भजन संभरि के गाना . . .",braj-bra "67 मैंनूं बाबले दी कसम रांझिया वे मरे मां जे तुध थीं मुख मोड़ां तेरे बाझ तुआम1 हराम मैंनूं तुध बाझ ना नेण नाल नैण जोड़ां खुआजा खिजर2 ते बैठके कसम खाधी थीवां सूर जे प्रीत दी रीत तोड़ां कोहढ़ी होइके नैण प्राण जावन तेरे बाझ जे कौंत मैं होर लोड़ां",panjabi-pan "भीम हरकतो आयो रे राजा भीम हरकतो आयो रे राजा गोकुल से लायो रे राजा . . . . भीम हरकतो आयो रे राजा १ पाँचई पांडव बैठीयाँ महेल म , बीच म कोतमा माय पहला सगून तो हुआ रे मुझको यदुपति दर्शन पायो रे राजा . . . भीम . . . २ बहुत प्रेम से पुछण लाग्यो , कैसे हो भीम भाई जात सी तो भोजन पाया मोये दियो विश्वास रे राजा . . . भीम . . . ३ रल्ली मुझसे पुछण लाग्यो , अली की रे विपता बताई एक वचन मुझसे ऐसो सुणायो बारह बरस वन जाओ रे राजा . . . भीम . . . ४ हतनापुर से मालुम हुई , भीम नायळ दई आया दास धनजी को स्वामी सावळीयो राखो लाज रघुराई रे राजा . . . भीम . . .",nimadi-noe "गौरीबाई मिठउवा है ई कुआ कौ नीर , छाँयरी पीपर कौ गंभीर , मिटा ले तनिक घाम की पीर , ओ पानी पीले गैलारे , तनिक बैठ के तुम सुस्ता लेव , जानै फिर जा रे । क्वाँर कौ घामौ हे , औ सूरज सामौ है । । को ठाकुर तुम आए कितै सें , और तुम्हें काँ जानें , मोखाँ ऐसौ लगत , होव तुम जैसें जानैंमानैं , पसीना बैठौ बिलमा लेव , और दोदो बातें कर लेव , न आँगें पानी मिलै पसेव , हौ प्यासे मजलन के मारे । और हम का करिए सत्कार , गाँव के मूरख अपढ़ गँवार , गड़ई भर जल हाजिर , करै तुम खाँ सादर । । हम तौ हैं ग्वालन की बेटी , हारपहारन रइए गइयनबछलन सें बाबू जी , मन की बातें कर लइए , हमारे गुइयाँ छ्योलसगौन करै बातैं हम बे रएँ मौन , दुक्ख मन कौ जानत है कौन , रहैं मन ऐसइँ समझा रे । आज जानें का मन में आई , और तुमसें इतनी बतयाई । । लाज सब टोरी है , करी मुँहजोरी है । । माँजी गड़ई निकारो गगरा जब बा पानी ल्याई , मैंने पूछौ ‘नाव तुम्हारौ’ , बोली ‘गौरीबाई’ , न देखे ऐसे निछल सनेह जा मैंने जब सें धरी है देह , उमड़ आए आँखन मैं मेह , तौ टेढ़ौ मुँह करकै टारे । बोली ‘तुमसौ लम्बौ ज्वान , हतो भइया मोरौ मलखान । पुलिस नें माड़ारो ; दुखी घर कर डारो । । ’ फिर मैं बोलो , ‘बिन्ना तौरौ ब्याव भओ कै नइयाँ ? ’ झुक गए नैन , तनिक मुसक्यानी , फिर भर दई तरइयाँ , तुरत मैं बोलो‘गौरीबाई , आज सें मैं हौं तोरौ भाई’ नेह की नदियासी भर आई , खुसी सैं नैना कजरारे । चूम लए मैंने ऊकैं पाँव , बताओ अपनौ नाँव औ गाँव , और बा लिपट्याई , फिर बोली हरखाई । । ‘मोरी उमर तुमैं लग जाबै , भाभी रहै सुहागन , दूधनपूतन फलौ , खेलबैं चन्दासूरज आँगन , लौट आई मोरे घर दोज मनाहौं मैं अब सावन रोज , मोरी जनमजनम की खोज , करो तुम पूरी भइया रे । रहत तो औरन के मन भार , बिना सारे की है ससुरार । । दुक्ख सब मिट गए हैं , कैं भइया मिल गए हैं । । ’",bundeli-bns "मैया राणी! मसाणी सेढ मनाहीं सां मैया राणी मसाणी सेढ मनाहीं सां मैया जै मेरी परोब सीख तो मर कंडबारो धोकसां मैया दरिया बहवै तेरे बार मलमल न्हाय सां मैया किक्करियंा को बाग तेरे बार छांय बलाई सां मैया काली सी कुत्ती तेरे बार टळूक गिराई सां मैया काला सो गधो तेरे बार दाल चराई सां",haryanvi-bgc "438 रांझा वांग ईमान शराबियां दे जुदा होयके पिंड थी बाहर रहया नैनां तेरयां जट नूं कतल कीता चाक होय के खोलया चार रहया अंत कन्न पड़वा फकीर होया घत मुंदरां विच उजाड़ रहया ओहनूं वतन ना मिले तूं सतर खाने थक टुटके अंत नूं हार रहया तैनूं चाक दी आखदा मुलक सारा एवें उसनूं मेहना मार रहया शकरगंज मसऊद मैंदूद वांगूं ऊहना नफस1 दी हिरस नूं मार रहया सिधा नाल तवकली2 ठल बेड़ा इके विच डुबा इके पार रहया",panjabi-pan "नवमी गीत १ . हमरा शीतलऽ मइया बड़ दुलरी , मइया बड़ दुलरी मइया डोला चढ़ि आवेली हमार नगरी । जाउ हम जनतीं अइहें हमार नगरी जाउयदि मइया डगर बहरतीं दहिनवें अंचरी । २ . नीमिया के डाढ़ मइया गावेली हिंडोलवा कि झूलिझूलि ना । झूलतऽ झूलतऽ मइया के लगली पिअसिया कि चलि भइली ना मलहोरिया दुआर , मइया चलि भइली ना सुतल बाड़े कि जागल रे मलिया बूँद एक आहि के पनिया पिआव कि बूँद एक कइसे में पनिया पिआईं मैया कि बालका तोहार मोरे गोद लेहु नाहि मालिनी बालका , सुताव सोने के खटोलवा कि बूँद एक मोहिके पनिआ पिआव । एक हाथ लेहली मालिन झँझरे गड़ुअवा दोसरे हाथ सिंहासन जइसन मालिन हमरे जुड़वलू ओहिसन पतोहिया जुड़ास , धिअवा जुड़ास धीया बाढ़ो ससुरे , पतोह बाढ़ो नइहर मइया केकरा के दीले असीस । धीया बाढ़ो ससुरा , पतोह बाढ़े नइहर ३ . मइया के दुआरे हरियर पीपर लाल धजा फहराई ए माया मोहिनी भवानी जगतारन माया अंचरा पसार भीख मांगेली बहुआरो देई हमके सेनुरा भीख देई ए माया , मोहिनी भवानी पटुका पसार भीख मांगेले कवन राम हमके पुतवा भीख देई ए माया , मोहिनी भवानी . . . ४ . कहाँ रहनी ए मइया कहाँ रहनी मइया पकवल रोटिया सेराई गइले , रउरा चरन में , उहें रहनी उहें असी कोस के पयेंतवा चलतऽ बटिया बिलम लगले कहाँ रहनी ए मइया . . .",bhojpuri-bho "439 आकी हो बैठे असीं जोगीअड़े जाह ला लै जोर हो लावना ई असी हुसन ते हो मगरूर बैठे चार चशम दा कटक लड़ावना ई लख जोर तूं ला जे लावना ए असां बदीयों बाझ ना आवना ई सुरमा अखियां दे विच पा के ते असां वडा घमंड दखावना ई रुख देके यार पयारड़े नूं सैदा रांझे दे नाल लड़ावना ई ठंडा होए बैठा सैदा वांग दहसर1 सोएन लंक नूं उस लुटावना ई रांझे कन्न पड़ायके जोग लया असां जजीया जोग ते लावना ई वारस शाह बाग विच जा बैठा असां हासला बाग दा पावना ई",panjabi-pan "फाग गीत मोगरियां री टोपली बजारां माही चाली रे ॥ वाला थारी आंगली झन्नाटे चढ़गी रे , ढुलगी मोगरियां । हारे ढुलगी मोगरियां , वालाजी थोड़ी भेजी करजो रे , ढुलगी मोगरियां । प्रेयसी संगरी की टोकरी लेकर बाजार में बेचने के लिए निकली । रास्ते में प्रेमी ने टोकरी को पकड़ा तो टोकरी सिर से गिर गई और संेगरियाँ बिखर गईं । प्रेयसी प्रेमी से कहती है कि संेगरियाँ एकत्रित करने में मेरा सहयोग करो । एक तो कागदियो लिखने कदली वन में मेलो रे ॥ कदली वन रा हातीड़ा विलाड़े लइजो रे , कँवर परणीजे ॥ हाँ रे कँवर परणीजे , हाती रा होदे तोरण वांदें रे , कँवर परणीजे ॥ एक पत्र लिखकर कजली वन में भेजो और कजली वन के हाथी बिलाड़ा राजस्थान बुलाओ । उस हाथी पर दीवान साहब बिलाड़ा के कुँवर अपने ब्याह में बैठकर तोरण का स्पर्श करेंगे ।",bhili-bhb "रामलला नहछू आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो । रामलला कर नहछू गाइ सुनाइय हो । । जेहि गाये सिधि होय परम निधि पाइय हो । कोटि जनम कर पातक दूरि सो जाइय हो । । १ । । कोटिन्ह बाजन बाजहिं दसरथ के गृह हो । देवलोक सब देखहिं आनँद अति हिय हो । । नगर सोहावन लागत बरनि न जातै हो । कौसल्या के हर्ष न हृदय समातै हो । । २ । । आले हि बाँस के माँड़व मनिगन पूरन हो । मोतिन्ह झालरि लागि चहूँ दिसि झूलन हो । । गंगाजल कर कलस तौ तुरित मँगाइय हो । जुवतिन्ह मंगल गाइ राम अन्हवाइय हो । । ३ । । गजमुकुता हीरामनि चौक पुराइय हो । देइ सुअरघ राम कहँ लेइ बैठाइय हो । । कनकखंभ चहुँ ओर मध्य सिंहासन हो । मानिकदीप बराय बैठि तेहि आसन हो । । ४ । । बनि बनि आवति नारि जानि गृह मायन हो । बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो । । अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो । उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो । । ५ । । रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो । जाकी ओर बिलोकहि मन तेहि साथहि हो । । दरजिनि गोरे गात लिहे कर जोरा हो । केसरि परम लगाइ सुगंधन बोरा हो । । ६ । । मोचिनि बदनसकोचिनि हीरा माँगन हो । पनहि लिहे कर सोभित सुंदर आँगन हो । । बतिया कै सुधरि मलिनिया सुंदर गातहि हो । कनक रतनमनि मौरा लिहे मुसुकातहि हो । । ७ । । कटि कै छीन बरिनिआँ छाता पानिहि हो । चंद्रबदनि मृगलोचनि सब रसखानिहि हो । । नैन विसाल नउनियाँ भौं चमकावइ हो । देइ गारी रनिवासहि प्रमुदित गावइ हो । । ८ । । कौसल्या की जेठि दीन्ह अनुसासन हो । नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो । । गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो । सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो । । ९ । । नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो । करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो । । कनकचुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो । आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो । । १० । । काने कनक तरीवन , बेसरि सोहइ हो । गजमुकुता कर हार कंठमनि मोहइ हो । । कर कंचन , कटि किंकिन , नूपुर बाजइ हो । रानी कै दीन्हीं सारी तौ अधिक बिराजइ हो । । ११ । । काहे रामजिउ साँवर , लछिमन गोर हो । कीदहुँ रानि कौसलहि परिगा भोर हो । । राम अहहिं दसरथ कै लछिमन आन क हो । भरत सत्रुहन भाइ तौ श्रीरघुनाथ क हो । । १२ । । आजु अवधपुर आनँद नहछू राम क हो । चलहू नयन भरि देखिय सोभा धाम क हो । । अति बड़भाग नउनियाँ छुऐ नख हाथ सों हों नैनन्ह करति गुमान तौ श्रीरघुनाथ सों हो । । १३ । । जो पगु नाउनि धोवइ राम धोवावइँ हो । सो पगधूरि सिद्ध मुनि दरसन पावइ हो । । अतिसय पुहुप क माल रामउर सोहइ हो । । तिरछी चितिवनि आनँद मुनिमुख जोहइ हो । । १४ । । नख काटत मुसुकाहिं बरनि नहिं जातहि हो । पदुमपरागमनिमानहुँ कोमल गातहि हो । । जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो । प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो । । १५ । । भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक हो । तुलसिदास बलि जाउँ देखि रघुनायक हो । । राजन दीन्हे हाथी , रानिन्ह हार हो । भरि गे रतनपदारथ सूप हजार हो । । १६ । । भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो । परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो । । तापर करहिं सुमौज बहुत दुख खोवहिँ हो । होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो । । १७ । । गावहिं सब रनिवास देहिं प्रभु गारी हो । रामलला सकुचाहिं देखि महतारी हो । । हिलिमिलि करत सवाँग सभा रसकेलि हो । नाउनि मन हरषाइ सुगंधन मेलि हो । । १८ । । दूलह कै महतारि देखि मन हरषइ हो । कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो । । रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो । जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो । । १९ । । दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो । तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो । । जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो । ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो । । २० । ।",awadhi-awa "दुराणी जिठानी बाबुल बोली हो मारैं दुराणी जिठानी बाबुल बोली हो मारैं के नरसी पत्थर ल्यावै हो राम सास नणदी बोली हो मारैं के नरसी तील पहरावै हो राम देवर जेठ बोली हो मारैं के नरसी मोहर ल्यावै हो राम तेरा जमाई बोली हो मारै के नरसी अरथां में आवै हो राम काणी सी धोबण बोली हो मारै के नरसी सुरमा ल्यावै हो राम भेली कसार लेकर हरनन्दी चाली हो ली सिरसागढ़ की राही हो राम बूझे सैं उसनै हाली पाली नरसी भगत कित पावै हो राम काका ताऊ कै चाली हे जा नरसी भगत अस्तल में पावै हो राम कूण किसै के काका ताऊ नरसी के मैं जांगी हो राम बूझी सैं उस नै कुएं की पणिहार नरसी कै मैं जांगी हो राम दूरे तैं हरनन्दी देखी आंवती नरसी भगत खड़े होगे हो राम दोनां हाथां सिर पुचकारा हे ईसर तेरी माया हो राम बेटी तैं दई राम जी बेटा बी दिए आज मनै बहुत रंज आया हो राम बेबे भी दई भाई बी दिए आज मन्ने भाती भी चाहिए हो राम टुट्टी सी गाड्डी बुड्डे से नारे आप नरसी गड़वाला हो राम टूटगी गाड्डी बैठगे नारे खड़े लखावै नरसी भगत हो राम धौल धौले नारे बाजणां सा रथ आप किरसन गडवाले हो राम आ पोंह्चा बाजणां सा रथ आप किरसन जी भाती हो राम चार घड़ी लग तील बरसी पहरो मेरी नणदी हो राम चार घड़ी लग मोहर बरसी बरतो मेरे देवर जेठ हो राम चार घड़ी लग पत्थर बरसे महल बणाओ सारी दुनिया हो राम चार घड़ी लग सुरमा बरसा सारो काणी धोबिन हो राम द्योराणी जिठाणी बूझण लागी कुणसा हे हरनन्दी तेरा भाई हो राम ओरां के आवैं भाई भतीजे मेरे किरसन जी आए हो राम",haryanvi-bgc "बनड़े की घोड़ी बिदकै मेरा कलेजा धड़कै बनड़े की घोड़ी बिदकै मेरा कलेजा धड़कै सीस बने के सेहरा , लड़ियां से लाल लटकै गले बने के तोड़ा , घूण्डी से लाल लटकै हाथ बने के घड़ियां , कांगणे सै लाल लटकै पैर बने के जूता , चलगत से लाल लटकै हेठ बने के लीला , चाबुक से लाल लटकै गैल बने के बनड़ी , जोड़ी से लाल लटकै",haryanvi-bgc "133 किस्सा हीर नूं तुरत सहेलियां ने जा कन्न दे विच सुनाया ई तैनूं मेहना चाक दा दे कैदो उस परहे विच शोर मचाया ई बाग ढोल हराम शैतान देजी डंका विच बजार दे लाया ई एह गल जे जाऊसी अज खाली तूं हीर क्यों नाम धराया ई कर छडनी इसदे नाल ऐसी सुने देस जे कीतड़ा पाया ई वारस शाह अपराधीयां रैहम नाहीं लंडे रिछ ने मामला चाया ई",panjabi-pan "221 जदों गानड़े दे दिन पुज गये लसी मुंदरी खेडने आइयां ने सैदा लाल पीड़े उते आन बैठा कुड़ियां वहुटड़ी पास बहाइयां ने पकड़ हीर दे हथ परात पाए बाहां मुरदयां वांग पलमाइयां ने वारस शाह मियां नैणां हीर दयां ने वांग बदला छैहबरां लाइयां ने",panjabi-pan "मेरे नौं सहु दा कित मोल मेरे नौं सहु दा कित मोल । मेरे नौं सहु दा कित मोल । अगले वल्ल दी खबर ना कोई , रह किताबाँ फोल । सच्चिआँ नूँ पै वज्जण पौले , झूठिआँ करन कलोल । चंग चँगेरे पर परेरे , असीं आइआँ सी अनमोल । बुल्ला शाह जे बोलांगा , हुण कौण सुणे मेरे बोल ? मेरे नौं सहु दा कित मोल । मेरे नौं सहु दा कित मोल ।",panjabi-pan "कोसिका-कोसिका पुकारै कोसिकाकोसिका पुकारै कोसिका मैया लोभीत हे अबरो के लहरा समेटोॅ कोसिका मैया लोभीत हे हम्में कैसे लहर समेटवै , ऐलै मुख्य भादो हे सातो बहिन झूमर खेलबै , आँठमें बरेला भैया हे गंगागंगा पुकरौं , गंगा मैया लोभीत हे अबरो के लहरा समेटोॅ , गंगा मैया लोभीत हे हम्में कैसे लहरा समेटवै , ऐलै मुख्य भादो हे सातो बहिन झूमर खेलबै आँठवे बरेला मैया हे ।",angika-anp "ऊपरां बादलिड़ा ऊपरां क्यूं जा ऊपरां बादलिड़ा ऊपरां क्यूं जा बरसै तै क्यूं ना हे म्हारे देस छन में पालिड़ा धूलम धूल छन में तो भर दे जोहड़ डाबड़ा सूता रे पालिड़ा रूखा की छां खेत उजाड़ा मेरे बाप का ह्यो रे पालिड़ा तेरेड़ी रांड खेत उजाड़ा मेरे बाप का मत दे हे सुन्दर मन्नै तैं गाल तेरे सरीकी म्हारै बी गोरड़ी आइये हे सुन्दर म्हारेड़े देस लहए रंगा हे ऊपर चुन्दड़ी",haryanvi-bgc "तोरो जरा हुक्म मिल जाये सास तोरो जरा हुक्म मिल जाये सास जै भात न्यूतने जाऊंगी जूनागढ़ के बीच में मेरे बाबल सेठ कहावें देवर जेठानी सब न्यूं कहे बिन भात ना ब्याह सुहावे अरी क्यों भारत न्योतणे जावे बहुवल तेरो बाप भिखारी घर घर का भिखमंगा क्या भात भरेगा नंगा तेरी संग भिखारिण मां है और भीख मांग कर खा है अरी ओ टोटे में लाचार बहुवल तेरा बाप भिखारी तूं घर नरसी के जावै नहीं भोजन तुझे खिलावै भूखण मरे फेर पछतावै बहुवल तेरो बाप भिखारी",haryanvi-bgc "इनी सिन्दोरी जाटी माडो हीरा मोगरा रानी मारे इनी सिन्दोरी जाटी माडो हीरा मोगरा रानी मारे इनी सिन्दोरी जाटी माडो हीरा मोगरा रानी मारे चौकी न सिन्दोरी जाटी मा डो हीरा मोगेरा रानी मारे चौकी न सिन्दोरी जाटी मा डो हीरा मोगेरा रानी मारे आन टुगान आवेसे सेनेवा जा हीरा मोगेरा राजा मारे आन टुगान आवेसे सेनेवा जा हीरा मोगेरा राजा मारे आन टुगान आवेसे सेनेवाजे मारे आन टुगान आवेसे सेनेवाजे मारे इयेकेनी जेमा सिरे वाइनवे जा हीरा मोगेरा हीरा राजा मारे इयेकेनी जेमा सिरे वाइनवे जा हीरा मोगेरा हीरा राजा मारे इयेकेनी जेया सिरे वाइन मारे इयेकेनी जेया सिरे वाइन मारे आमा गोदीन कन्हैया कुअवर खाडू वाडो हीरा मोगेरा रानी मारे आमा गोदीन कन्हैया कुअवर खाडू वाडो हीरा मोगेरा रानी मारे इयेकेनी सिरे वाइन मारे इयेकेनी सिरे वाइन मारे स्रोत व्यक्ति मिरकाय बाई , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "रेंगोली डो बारे रेंगोली डो बारे रेंगोली इंजकेन भरदुम रेंगोली डो बारे रेंगोली डो बारे रेंगोली इंजकेन भरदुम रेंगोली डो बारे रेंगोली डो बारे रेंगोली इंजकेन भरदुम कोन डोके कौन कौन विजा रेंगोली कोन डोके कौन कौन विजा रेंगोली रेंगोली डो बारे रेंगोली डो बारे रेंगोली इंजकेन भरदुम रेंगोली डो बारे रेंगोली डो बारे रेंगोली इंजकेन भरदुम चोबो चुरगी मटठी का लिजा सावींजा रेंगोली चोबो चुरगी मटठी का लिजा सावींजा रेंगोली स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "आयो मैंना चैत को, हे दीखो हे राम आयो मैंना चैत को , हे दीखो1 हे राम । उठिक फुलारी झुसमुस2 , लगी गैना निज काम ॥ मास आय वैशाख को , सुणली पतिव्रता खास । ग्यूँ जौ का पूलों मुड़े , कमर पड़ी गये झास ॥ आयो मैना जेठ को , भक्का3 हैगे मौत । स्वामिका नी होणते , समझि रयूं मैं मौत ॥ मास पैलो बसगाल को , आयो अब आषाढ़ । मैं पापिणि झुरिझुरि , मरो मास रयो न हाड़ ॥ मास दूसरो गसग्याल को , आयो अब घनघोर । बादल कुयेड़ि झूकिगे , वर्षा लगि झकझौर ॥ भादों मैना आइक , मन समझा यो भौत । या स्वामी घर आवन , या प्रभु ह्वै जो मौत ॥ आयो मास असूज को , बादल गैंन दूर । साटी झंगोरे सब पक्यो , निम्बू पाक्याचूर ॥ आई देवाली कातिकी , चढ़िगे घर घर तैक । यूंदींनू बिन स्वामि को ज्यू क्या लगलो कैक ॥ आय मास मंगसीर को , हे बहिनो हे राम । पतिदेव की फिक्र मां रयो हाड़ ना चाम ॥ पूष मास को ठण्ड बड़ी , धर धर काँपद गात । कनि होली भग्यांनसीं , छनपति जौं का साथ ॥ लाग्यो मैना मांघ को , ठण्ड आबिगे दूर । पति का घर निहोणसे , ज्यू यो ह्वैगे चूर ॥ फागुन मैना आइगे , हरि भरि गैन सार । सैं पापिण तनि हीरयो यकुला4 बांदर कि चार ॥",garhwali-gbm "111 सिर बेटियां दे चा जुदा करदे जदों गुस्सयां ते बाप आंवदे नी सिर वढके नदी विच रोहड़ दें दे मास कां कुते बिले खांवदे नी समी जान जलाली ने रोहड़ दिती कई डूम1 ढाडी पए गांवदे नी औलाद जेहड़ी आखे ना लगे मापे उसनूं मार मुकांवदे नी जदों कहर ते आंवदे बाप जालम बन्ह बेटियां भोरे पांवदे नी वारस शाह जे मारिये बदां तांई देवे खून ना तिन्हां दे आवंदे नी",panjabi-pan "65 हथ बधड़ी रहां गुलाम तेरी सने त्रिंजणी नाल सहेलियां दे होसन नित बहार दे रंग गूहड़े विच बेलयां देनाल बेलियां दे सानूं रब्ब ने यार मिला दिता भुल गये पयार अलबेलियां दे दिहें बेलियां दे विच करीं मौजां राती खेडसां विच हवेलियां दे",panjabi-pan "घर घर लन्दन मेमां रोवैं घर घर लन्दन मेमां रोवैं । गांधी बन गिया गले का हार । सरकार खड़ी सै घुटने टेके । थोथे उस के बाजैं हथियार । हाहाकार मचे लन्दन में । भैणा अब रूठ गये करतार । ।",haryanvi-bgc "मन्नै भावें कराले के बेर रुपये सेर, मेरा री मन बेरां नै मन्नै भावें कराले के बेर रुपये सेर , मेरा री मन बेरां नै । मन्नै सुसरा घाल्या री लेण ने , वोह तो चौधर आया जितवाए , कराले के बाग में । मन्नै जेठा घाल्या री लेण ने , वोह् तो घोड़ी आया जितवाए , कराले के बाग में । मन्नै देवर घाल्या री लेण ने , वोह तो खुलिया आया जितवाए , कराले के बाग में । मन्नै कन्ता घाल्या री लेण ने , वोह् तो गोरी आय जितवाए , कराले के बाग में । मन्नै भावें कराले के बेर रुपये के सेर , मेरा री मन बरां नै ।",haryanvi-bgc "चंदा थारी चांदणी सी रात चंदा थारी चांदणी सी रात झालीजी रमवा नीकल्याजी म्हारा राज रम्याखेल्या घड़ी दोयचार ससराजी आणे आवियाजी म्हारा राज चालो बऊ बड़ , चालो मोटा घर की नार छोटा घर की धीमड़ी जी म्हारा राज जेठजी आणे आवियाजी म्हारा राज चालो बऊ बड़ , चालो मोटा घर की नार मारूजी आणे आविया जी म्हारा राज मा चालो भाभीसा , चालो मोटा घर की नार मारूजी आणे आविया जी म्हारा राज चालो मारूणी , चालो मोटा घर की नार म्हें छोटा घर की धीवड़ी जी म्हारा राज",malvi-mup "महलां तै बैठी तेरी माता झरुवै महलां तै बैठी तेरी माता झरुवै , देख जेठानी का पूत जाहर एक घरूं घर आ सासरै तेरी बेबे रे झरुवे देख जेठानी का बीर जाहर एक घरूं घर आ पीहर में तेरी गोरी झरुवै देख भाणका नाथ जाहर एक घरूं घर आ सातैं ने आऊं ना मैं आठैं ने आऊं आऊं नवमी की रात जाहर एक घरूं घर आ धड़ धड़ धरती पाट के सुध लीलै गया समाय जाहर एक घरूं घर आ",haryanvi-bgc "आयो-आयो चैतडल्या रो मास जी आयोआयो चैतडल्या रो मास जी , जँवारा जतन कर राखज्यो जी । ईसरदासजी पेचडल्या मेँ टाँक सी जी , जँवारा जतन कर राखज्यो जी । बहू ओ गोराँदे रे चुडले रे माँय जी , जँवारा जतन कर राखज्यो जी बेटा जी पेचडल्या मेँ टाँक सी जी , जँवारा जतन कर राखज्यो जी । बहू रे चुडले रे माँय जी , जँवारा जतन कर राखज्यो जी ।",nimadi-noe "पहले पहर को सपनो सुनो मोरी सासो जी महाराज पहले पहर को सपनो , सुनो मोरी सासो जी महाराज । राम लखन दोऊ भइया , अंगन बिच तप करें महाराज । ननदी लयें बेला भर तेल , सांतिया लिख रही महाराज । भौजी बैठी मांझ मंझौटे , हार नौने गुह रही महाराज । इतने में आ गई बारी ननदी , विहंस के बोलिये महाराज । भौजी हुए लालन तुम्हारे , हार हम लै लैहें महाराज । चूमो बैयां तुम्हरी हथुरिया , घिया गुड़ मुँह भरो महाराज । सुनो बारी ननदी हमारी , हार तुम लै लियो महाराज ।",bundeli-bns "399 सहती आखया उठ खेल बांदी खैर पा फकीर नूं कडीए नी आटा घतके ते देईए बुक चीनी विचों अलख फसाद दी वढीए नी देह भिछया वेहड़यों कढ आईए होड़ा विच बरूहां दे गडीए नी अमां आवे ते भाबी तों वख होईए साथ ऊठ बलद दा छडीए नी जेहड़ा आकड़ां पया वखांवदा ए जरा वेहड़यों एसनूं कढीए नी वारस शाह देनाल दो हथ करीए अनी उठ तंू सार दीए हडीए नी",panjabi-pan "काटा बान डो खोबा बान जा भगवान काटा बान डो खोबा बान जा भगवान काटा बान डो खोबा बान जा भगवान इयां माई डो इयां बा नी चोजा ये ऐन डो इयां माई डो इयां बा नी चोजा ये ऐन डो झाडी जा बान राडी बान डो झाडी बान झाडी जा बान राडी बान डो झाडी बान इयां माई इयां बा नी चोजा ये ऐन डो इयां माई इयां बा नी चोजा ये ऐन डो ऐ भगवान जा ये भगवान ईनी जा कोरा डो डो मारे ऐ भगवान जा ये भगवान ईनी जा कोरा डो डो मारे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "14 रांझा जौतरा वाह के थक रिहा लाह अरलियां छाउं नूं आंवदा ए भता आन के भाबी ने कोल धरया हाल आपना रो विखांवदा ए छाले पये ते हथ ते पैर फुटे सानूं वाही दा कम ना आंवदा ए भाबी आखया लाडला बाप दा सैं अते खरा प्यारड़ा माउंदा ए",panjabi-pan "575 रब्ब फज़ल1 कीता राजे अदल2 कीता दिता यार नूं यार मिलाय मियां उहना मुढ कदीम दी दोसती सी जाो रब्ब रसूल खुदाय मियां हीर खोहके रांझे दे हथ दिती कीती जोगी ने खैर दुआय मियां रांझे हथ उठा दुआ कीती अला पाक दी सिफत3 सुनाय मियां तेरे हुकम ते मुलक विच खैर होवे तेरी दूर होवे कुल बलाय मियां अन्न धन्न ते लछमी मलक दौलत नित होवसी दून सवाय मियां घोड़े ऊंठ हाथी दम तोपखान हिंद सिंध ते हुकम चलाय मियां वारस शाह रब्ब आवरो नाल रखे मिटी मुठ ही दये लंघाय मियां",panjabi-pan "400 बांदी हो गुसे चुप हो रही बुक चीने दा चा उलेरया सू धरोही रब्ब दी खैर लै जा चाका हाल हाल कर पलुड़ा1 फेरया सू बांदी लाड दे नाल चवा2 करके धका दे के नाथ नूं रढ़या सू लैके खपरा3 चोबरा जाह विचों उस सुतड़े नाग नूं छेड़या सू दे के छिबी4 गल विच पशम पटी हथ जोगी दे मुंह ते फेरया सू वारस शाह फरंग5 दे बाग बड़के उस कला दे खूह नूं गेड़या सू",panjabi-pan "खेतन की बहा का कहिए खेतन की बहार , मन होत मगन सोभा निहार , बलिहारी पिरथीपुत्रन की जुन रकतपसीना रहे गार । नाठरकुनकुट गुलजार करत ऊ पुरसारथ की बलिहारी , कंचन के झुमका उठाउठा जै बोल रही क्यारीक्यारी , ककरीले काबर की काया बन जात मार , बिलसत कछार । मिहनत की महिमा है अपार , छुनछुना उठत सन कौ गहनां टिलवा के ऊँचे मूँड़ा पै , मुतियन की लरें लिपट जातीं जुंडी रानी के जूड़ा पै ; भर माँग सुहागिनसी धानें दै जातीं मंगल समाचार । आ जात चना पगिया सम्हार । चमचमा उठत नीलीनीली अरसी को सारी चटकीली , कुछ बोल चलत रस घोर चलत , बटरा की अँखियाँ सरमीली , राईसरसों , गौहूँपिसिया , झूमत गलबहियाँ डारडार । बारी खेती के सै सिँगार । केकी बाँहन कौ बल पाकै गचगचा उठत इसकरी अर्हर , रसभरी बर्हाई के पोरा बन जात चीकने सुधरसुघर ; नित नई नुनाई कूँड़न सें , कढ़ परत किबरियाँ टारटार । धूरा में हीरन कौ सिहार । केकी गुनभरी तपस्या सें कुदवन की कँदिया किलक उठी , को सकुन्तलासी बछवन खें दै चली समा फिर मुठीमुठी अनुराग बसो बैरागिउ में , सग चलो कि है संसार सार । साजौ घर सें सौ गुनों हार ।",bundeli-bns "बालेमा बालेमा बालेमा जा बालेमा बालेमा बालेमा जा बालेमा बालेमा बालेमा जा बालेमा जा सिलसिल पाटा नाइयो जा बालमा रे बालेमा जा सिलसिल पाटा नाइयो जा बालमा रे बालेमा सिर जगह सिर सोटकेन जा बालमा रे बालेमा सिर जगह सिर सोटकेन जा बालमा रे बालेमा जा सिलसिल पाटा नाइयो जा बालमा रे बालेमा जा सिलसिल पाटा नाइयो जा बालमा रे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "282 सत जनम दे हमी फकीर जोगी नहीं नाल जहान दे सीर मियां असां खेलियां खपरां नाल वरतन भीख पाय के पाईए वहीर मियां भला चाहें ना चाक बना सानूं असीं फकर हां जाहरा पीर मियां नाम मेहरियां दे सानूं डरन आवे रांझा कौन ते केहड़ा हीर मियां जटा चाक बनाए तूं जोगियां नूं एहो जा आवे सिटूं चीर मियां जती सती हां हथ दे जोग पूरे सत पीड़ीए जनम फकीर मियां थर थर कम्बे गुस्से नाल जोगी अखीं रोह पलटया नीर मियां तुसीं पार समुंदरों रहन वाले भुल गया चेला बखश पीर मियां वारस शाह दी अरज जनाब अंदर हुण हो नाहीं दिलगीर मियां",panjabi-pan "मैं ना जीओं बिनु राम मैं ना जीओं बिनु राम हो जननी , मैं ना जिओं बिनु राम । राम जइहें संग हमहु जाएब , अवध अइहें कवन काम जननी हो , मैं ना जीओं बिनु राम । राम लखन दुनो वन के गवनकिन , नृपति गयो सुरधाम , मैं न जीओं बिनु राम । भूख लगी तहाँ भोजन बनैहों , प्यास लगी तहँ पानी नींद लगी तहँ सेज लगैहों , चरण दबैहों सुबहसाम , मैं न जीओ बिनु राम ।",bhojpuri-bho "डा डा डारोमेन चना न की डाड़ी डोबाई डा डा डारोमेन चना न की डाड़ी डोबाई डा डा डारोमेन चना न की डाड़ी डोबाई डा डा डारोमेन चना न की डाड़ी डोबाई डा डा डारोमेन चना न की डाड़ी डोबाई आदि रात कोयल बोले डोबाई आदि रात कोयल बोले डोबाई आदि रात कोयल बोले डोबाई पछी रात मुरगा ना बोले पछी रात मुरगा ना बोले स्रोत व्यक्ति शांति , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "तरइयाँ भींज चलीं नइँ आए , सजनि भरतार , तरइयाँ भींज चलीं । गए सजबन के जुद्ध लरन खों , अभय अजयगढ़ बिजय करन खों , अभिमानिन के मान दरन खों , बाँद कमर तरवार ; तरइयाँ भींज चलीं । सजन हमाए समर जुझारू , धरत कभउँ नइँ पावँ निछारू , अरिअन पै जब होत उतारू , करत बार पै बार ; तरइयाँ भींज चलीं । बदरा उठतइ लखे धुँआँ के , सुँनत रई घनघोर धमाके , तरवारन के खनक खनाके , वीरन की ललकार ; तरइयाँ भींज चलीं । काऊ कौ नइँ गउत गहेसौ , जइसों लगतइ अधिक अँदेसौ , अबै तलक नइँ मिलो सँदेसौ , जीत भई कै हार ; तरइयाँ भींज चलीं । हेरतहेरत बाट पिया की , मलिन भई जर जोत दिया की , बढ़न लगी है जरन जिया की , भए फीके सिंगार , तरइयाँ भींज चलीं । तबइँ सुनाने विजय नगारे , हुँदकत घुड़ला आए दुआरे , ‘मित्र’ धना दए खोल किबारे , सजा सुकंचन थार ; तरइयाँ भींज चलीं । तुरतइँ राई नोंन उतारो , हरख हरद कौ तिलक समारो , गरें हार कमलन कौ डारो , परछन लओ उतार , तरइयाँ भींज चलीं ।",bundeli-bns "कहमाँ से बेटा आएल रे टोनमा कहमाँ से बेटा आएल रे टोनमा । केकर1 गली आइ भरमल2 रे टोनमा ॥ 1 ॥ पटना सहरवा से अयलूँ रे टोनमा । ससुरा गलियवा3 में भरमलूँ रे टोनमा । बाबा , हम ही एकलउता4 बेटा रे टोनमा ॥ 3 ॥",magahi-mag "दुखः सुखः मन म नी लावणा दुखः सुखः मन म नी लावणा , आरे रघुनाथ नी घड़ीया १ हरिशचँद्र सरीका हो राजवई , जीन घर तारावंती राणी अपणा सत् का हो कारणा भर नीच घर पाणी . . . दुखः सुखः मन . . . २ नल भऊ सरीका हो राजवई , जीन घर दमवंती राणी अपणा सत् का हो कारणा मील अन्न नही पाणी . . . दुखः सुखः मन . . . ३ द्रोपती सरीकी हो महासती , जीनका पांडव स्वामी चिर दुःशासन खईचीयाँ चीर पुरावे मुरारी . . . दुखः सुखः मन . . . ४ सीता सरीकी हो महा सती , जिनका रामचंद्र स्वामी रावण कपटी लई हो गया सुंदर बिलखानी . . . दुखः सुखः मन . . . ५ हनुमान सरीका हो महायोद्धा , आरे बल मे बल वंता सीता की सुद हो लावीयाँ चड़े तेल लंगोटा . . . दुखः सुखः मन . . .",nimadi-noe "हाय हाय हे बागां की कोकिल हाय हाय हे बागां की कोकिल आंख नींबू की फांक बच्ची सोने की चिड़िया हाय हाय बच्ची सोने की चिड़िया मूंगफली सी आंगूली नाक सुए की चोंच होठ पीपल के पात से किन तेरी बांधी अर्थी बच्ची सोने की चिड़िया हाय हाय बच्ची सोने की चिड़िया किन तेरी चिंता चिनाई कन्तै चिता चिनाई घर तें क्यों कर निकली फिर कब आवेंगी बच्ची बायें बोली कोतरी सिर पर बोला काग क्या मांगे है कोतरी जी क्या मांगे है काग सिर मांगे है कोतरी जी धड़ मांगे है काग ओढ पहर के नीकली . . . शहर का नाम के तख्त बाजार लोग महाजन न्यूं कहैं किस की बन्नी जाय बन्नी बन्नी मत करे . . . पति का नाम की रानी जाय अरी तेरा बाबल फिरै उदास तेरी अम्मा जोहै बाट अम्मां कौन पुकारै भैया तेरा लेने आया एक बार नैहर जाय चाची ताई तेरी रोवै उन को रोकन आय गहनां का डिब्बा भरा धरा है एक बार पहर दिखाय",haryanvi-bgc "केही केरे सिर सोहे सोने क छतुरिया केही केरे सिर सोहे सोने क छतुरिया , केहिया सिर ना रामा ढुरेला पसीनवा केहिया सिर ना राम जी के सिर सोहै सोने क छतुरिया , लखन सिर ना रामा ढुरेला पसीनवा लखन सिर ना सीता आवो मोरे देवरा अंगन मोरे बैठो , के मैं पोंछी देउ ना तोहरे सिर का पसीनवा मै पोंछि देउ ना लक्ष्मण सिर का पसीनवा तु जनि पोंछौ भौजी , के धूमिल होइहैं ना तोहरी चटकी चुनरिया धूमिल होइहैं ना सीता चुनरी त हमरी धोबीया घरे जैहैं , के लखन ऐस ना कहाँ देवरा मैं पैहों के लखन ऐस ना",awadhi-awa "अरी ए लाड़ो अब ना जइहों अरी ए लाड़ो1 अब ना जइहों , तेरा टीका2 अजब अनमोल । माँगे लाड़ो के टीका सोभे , मोतिया लागे हीरे लाल । ए गोरी अब ना जइहों , तेरा टीका अजब अनमोल ॥ 1 ॥ नाके लाड़ो के बेसर3 सोभे , चुनिया4 लागे हीरे लाल , चुनिया अजब बहार । ए लाड़ो अब ना जइहों , तेरा टीका बड़ा अनमोल ॥ 2 ॥ काने5 लाड़ो के बाली6 सोभे , झुमका लागे हीरे लाल । झुमका अजब बहार । ए लाड़ो अब ना जइहों , तेरा टीका गजब अनमोल ॥ 3 ॥ गले लाड़ो के माला सोभे , सिकड़ी लागे हीरे लाल । सिकड़ी अजब बहार । एक लाड़ो अब ना जइहों , तेरा टीका अजब अनमोल ॥ 4 ॥ जाने लाड़ो के सूहा7 सोभे , छापा8 अजब बहार । घूँघट लगे हीरे लाल , घूँघट अजब बहार ॥ 5 ॥ ए लाड़ो अब ना जइहों , तेरी सूरत अजब अनमोल । एक लाड़ो अब ना जइहों , तेरी अँखिया बड़ी अनमोल ॥ 6 ॥",magahi-mag "भाई ऊँचो माळो रे कमल भाई रे , टोंगल्यो बूडन्ती ज्वार । । काचा रे सूत की कमल भाई की गोफण , सुशीला होर्या टोवण जाई । । हरमीधरमी का होर्या उड़ी जाजो , न पापी को खाजो सगळो खेत । । गीत गाने वाली ने स्वयं के भाई के नाम से गाया है कि भाई का महल ऊँचा है , ज्वार घुटने के ऊपर है । कच्चे सूत की भाई की गोफन बनाई हुई है । सुशीला भाभी तोते उड़ाने जाती है । धरमी का खेत छोड़कर पापी का सारा खेत चुग लेना ।",bhili-bhb "तू कति चूमण छै! तू कति चूमण छै सर बियाँरा1 क्या धरे बौ2 हे । त्यरा दादू3 क रोटी धरे । खंडकि4 तोड़िक मैं दियाल वौ हे छीः तू कति मंगणया छै । छीः तु कति चूमण5 छै । सर बियांरा क्या धरे बौ हे तेरा दादूक बुखणा , धरेन एक खौंकाल6 मैं दियाल बौ हे छीः तू कति मंगण्या छै छीः तू कति निदऊ7 छै सर जटोली8 क्या करे बौ हे तेरा दादून नर्यूल दे तो टुकड़ा तोड़िइ में दियाल बौ हें ।",garhwali-gbm "बिन मिलती जोट मिलाई बिन मिलती जोट मिलाई मरियो मात पिता अन्यायी बिन मिलती जोट मिलाई देस बिराणा बालम याणा जानें ना सार हमारी ऊंट के गल में बूट बांध दिया खारी खारी खारी मरियेा मात पिता अन्यायी बिन मिलती जोट मिलाई",haryanvi-bgc "सासू म्हारी आवै सासू म्हारी आवै दिवला जगाई मांगे दे द्यो नै उनका बी नेग जी म्हारे भोले राजा कान्यां तै पतले राजा फूलयां तै हलके राजा मोती तै उजले राजा । जिठाणी म्हारी आवै पिलंग बिछाई मांगे दे द्यो नै उनका बी नेग जी म्हारे भोले राजा कान्यां तै . . . नणदल म्हारी आवै चूची धुआई मांगे दे द्यो नै उनका बी नेग जी म्हारे भोले राजा कान्यां तै . . . फूफस म्हारी आवै सथिए धराई मांगे दे द्यो नै उनका बी नेग जी म्हारे भोले राजा कान्यां तै . . . दुराणी म्हारी आवै पंखा ढुलाई मांगै दे द्यो नै उनका बी नेग जी म्हारै भोले राजा कान्यां तै . . .",haryanvi-bgc "85 मिली राह विच दौड़के जा नढी पहले नाल फरेब दे चटया सू नेड़े आणके शीहनी दे वांग गज्जी अखीं रोह दा नीर पलटया सू सिरों लाह टोपी गलों तोड़ सेहला लकों चाइके जिमीं ते सटया सू पकड़ जिमीं ते मारिया नाल गुसे धोबी पटड़े ते खेस छटया सू वारस शाह फरिशतियां अरश1 उतों शैतान नूं जिमीं ते सटया सू",panjabi-pan "213 मही टुरन ना बाझ रंझेटड़े दे भूहे होइके पिंड भजायो ने धौन चाइके बूथियां उतांह करके शोर घाट ते धुम्मला लायो ने मार चुंगियां लोकां नूं ढुंढ़ मारनभांडे भन्न के शोर घतायो ने लोकां आखया रांझे दी करो मिंनत पैर चुमके आन जगायो ने चशमां पैर दी खाक दा ला मथे वांग सेवकां सखी मनायो ने भड़थू मारयो ने दवाले रांझने दे लाल वेग दा थड़ा पूजायो ने पकवान ते पिंनियां रख अगे भोलू राम नूं खुशी करायो ने मगर मही दे छेड़के नाल शफकत1 सिर टुमक चा चवायो ने वाहो दाही चले रातो रात खेड़े दाइरे जा के देहुं चढ़ायो ने",panjabi-pan "हमका मेला में चलिके घुमावा पिया हमका मेला में चलिके घुमावा पिया झुलनी गढ़ावा पिया ना । अलता टिकुली लगइबे मंगिया सेनुर से सजइबे , हमरे उँगरी में मुनरी पहिनावा पिया मेला में घुमावा पिया ना । हँसुली देओ तुम गढ़ाई चाहे कितनौ हो महंगाई , हमे सोनरा से कंगन देवावा पिया हमका सजावा पिया ना । बाला सोने के गढ़इबे चाँदी वाली करधन लइबे , छागल माथबेनी हमके बनवावा पिया झुमकिउ पहिनावा पिया ना । कड़ेदीन की जलेबी मिठाईलाल वाली बरफी , डंगर हेलुआई के एटमबम लियावा पिया इमरती खियावा पिया ना । गऊरी शंकर धाम जइबे अम्बा धाम के जुड़इबे , इही सोम्मार रोट के चढावा पिया धरम तू निभावा पिया ना ।",bhojpuri-bho "313 वेहड़े जटां दे मंगदा चा वड़या अगे जट बैठा गां मेलदा ए सिंगी फूक के नाद घुकाया सू जोगी गज के जा विच ठेलदा ए वेहड़े विच अवधूत जा गजया ए मसत साहन वांगूं डंड पेलदा ए हू हू करके संघ टडयो सू फीलबान1 जयों हसती नूं पेलदा ए",panjabi-pan "भज ले हरि को, नाम रे मन तु भज ले हरि को , नाम रे मन तु १ बाल पणो तुन खेल म गमायो , ज्वानी म तीरीया का साथ काम रे धंदा म वा भी गमाई नई लियो राम को नाम . . . रे मन तु . . . २ आयो हो बुड़ापो न लग्यो हो कुड़ापो , डोलन लाग्यो सारो शरीर आखं सी सुझतो नही रे पड़यो पलंग का माही . . . रे मन तु . . . ३ राम नाम को घट म हो राखो , राखो दिन और रात मुक्ति होय थारी आखरी घड़ी रे भेज वैकुन्ठ धाम . . . रे मन तु . . . ४ कहत कबीरा सुणो भाई साधू , घट म राखो राम मनुष जलम काई भाव मिल्यो रे नई मिल अयसो धाम . . . रे मन तु . . .",nimadi-noe "288 रांझे अगे अयाल ने कसम खाधी नगर खेड़यां दे जा धसया ए यारो कौन सरदार गरां केहड़ा अते लोक कदोकना1 वसया ए अगे पिंड दे खूह ते भरन पानी कुड़ियां घतिया हस खड़खसिया2 ए यार हीर दा भावें तां एह जोगी किसे भाग भरी चा दसया ए पानी पी नढा छज्ञवें घाट बूटी सुन पिंड दा नाम खिड़ हसया ए एहदा नाम है रंगपुर खेड़यां दा किसे लभया ते नहीं दसया ए अरी कौन सरदार है भाज खानी सखी शूम3 केहा नाम जसया ए अजू नाम सरदार है पुत सैदा जिसने हक रंझेटे दा खसया ए सिंगी खपरी बन्ह तयार होया लंग4 चा फकीर ने कसया ए कदी लए हुलां5 कदी झूलदा ए कदी रो पया कदी हसया ए वारस शाह कसान जिउं होण राजा मींह औड़6 दे दिनां विच वसया ए",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-21 रोजई मुस्का कें कड़ जातीं हमसै कछू न कातीं जा ना जान परत है दिल की काये खों सरमातीं जब कब मिलैं गैल खोरन में कछू कान सौ चातीं ना जानै काहे कौ हिरदो कपटन सोउ दिखातीं ईसुर कबै कौन दिन हू है जबै लगाबै छाती । भावार्थ ईसुरी अपनी प्रेयसी से संवाद न होने पर कहते हैं — तुम रोज मुस्कुरा कर निकल जाती हो और मुझसे कुछ कहती नहीं हो । पता ही नहीं लगता तुम्हारे दिल में क्या है , क्यों शर्माती हो ? जब कभी गलीकूचों में मिलती हो तो लगता है कि कुछ कहना चाहती हो । न जाने तुम्हारा ह्रदय किसका बना है , मुझे तो लगता है तुम कपटी भी हो । ईसुरी कहते हैं — वह दिन कब आएगा जब मैं तुम्हें अपने ह्रदय से लगाऊँगा . . . ?",bundeli-bns "ससुर जी आगे सात प्रणाम ससुर जी आगे सात प्रणाम बहुअड़ नै भावैं फालसे जी राज बागां री मेवा खाओ म्हारी बहुअड़ कोई बागां में नहीं फालसे जी राज जेठ जी आगे सात प्रणाम बहुअड़ नै भावैं फालसे जी राज भैसड़ दूधा पीयो बहू म्हारी जी अब नहीं रितु है फालसे जी राज देवर जी आगे सात प्रणाम भाभी नै भावैं फालसे जी राज देस्यां भाभी निंबुड़े चुखाये कोई बागां में नहीं फालसे जी राज राजा जी आगे सात प्रणाम गोरी नै भावैं फालसे जी राज पांच पियादे तो दस असवार राजा जी चले बाग में जी राज साथिड़े तोड़ै दाड़िम दाख जी राजा जी तोड़ै फालसे जी राज तोड़ ताड़ै कर बांधी चौपट पांड जी कोई लाये महल में जी राज खाओ सखियां खाओ घर की नार बाकी के सइयां बांट दो जी राज थम चिर जिओ ससुरा रे जी पूत म्हारी भलीय पुजाई मन रली जी राज थम चिर जिओ सजनिया री धीय म्हारा बंस बधाया बाप का जी राज",haryanvi-bgc "रचि रचि रचलूँ सबुज रँग सेजिया रचि रचि1 रचलूँ2 सबुज रँग सेजिया । सुरुज जोति सेजिया , मोती लगल सेजिया ॥ 1 ॥ धायल , धूपल3 अयलन दुलहा दुलरइता दुलहा । बइठूँ , बइठूँ बइठूँ दुलहा सबुजे रँगे सेजिया ॥ 2 ॥ कइसे के बइठूँ धनि , तोहरा हे सेजिया । तूँ तो लगैलऽ धनि , हमर बहिनी चोरिया ॥ 3 ॥ बाबा किरिया4 भइया किरिया , परभु तोहर दोहइया । हम न लगवली तोर बहिनियाँ के चोरिया ॥ 4 ॥ टका5 चार बिगवौ6 हम पयबो सगरो7 धनियाँ । कहमा त पयबो धनि , अपन बहिनियाँ ॥ 5 ॥ अँचरा8 बिछयबो ताहाँ9 रे परभु पयबो । कहमा त पयबो परभु , हमहुँ सहोदर भइया ॥ 6 ॥",magahi-mag "हरे हरे बांस छवाय दई राय बटियां हरे हरे बांस छवाय दई राय बटियां मेरे बाबा सोवें सुख नीन्द दादी रानी अरज करै मेरी बन्नो भयी वर जोग सलोनी बेटी वर मांगै सुन के बाबा हंसि पड़े और घुड़ला कस लिया ढूंढा धुर गुजरात ढूंढा सारा मालवा सहरों में बड़ा सहर आयोध्या नजर पड़ी सजनों में बड़े सजन जंवाई रघुनाथ मिले",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा औका बौका , तीन तड़ौका लौआ लाठी , चन्नन काठी । बाग रे बग डोलडोल सम्मर में करेला फूले एक करेला नाम की ? आई बिआई फूलेॅ पानेॅ पचकी जा । धान कूटेॅ धनियाँ , बैठोॅ बभनियाँ केला के चोप लेॅ केॅ दौड़ेॅ कुम्हैनियाँ । अट्टापट्टा , नूनू केॅ पाँच बेट्टा कोय गेलै गाय चराय लेॅ , कोय गेलै भैंसी में नूनू हाथोॅ में दूधभात गसगस खैलकै । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्दन काठी । बाग रे बग डोलडोल पनिया चुभुक । चौबे चकमक दूबे नवाब पांडे पंडित , मिसिर चमार । चौधरीमौधरी काठ के दीया चौधरी छियाछिया । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्नन काठी । चल गे बेटी गंगा पार गंगा पार से आनबौ रेल रेल गेलो चोरी , टलो कटोरी इरिचमिरिच मरचाइन केॅ झावा हाथी दाँत सबुर नै पावा । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्नन काठी चल चल बहिनो पार गे पारोॅ सें करेली लान पक्कापक्का हम्में खाँव कच्चाकच्चा तोहें खो पकड़ बुच्ची कान गे । पुड़िया रे पुड़िया घीयोॅ में चपोड़िया । माथ पर धुम धाम पकड़ कनेठिया ।",angika-anp "गोना करैले रानू कोबरा बसैले गोना करैले रानू कोबरा बसैले ओ कोबरा में सूतलि निचित । माय तोरा हंटौ बाप तोरा घोपौ जनु जाह कोसी असनान । । काँख लेल धोतिया रानू हाथ लेल लोटवा चलि भेला कोसी असनान । । एक कोस गेला रानू दुई कोस गेला तीजे कोस कोसी केर धार एक डूब देलैन रानू दुई डूव देलैन तीजे डूव धसना खसाय । । अस्सी मन कोदरिया कोसी माय चैरासी मन डाँट । जोड़ा एक पाठी कोसी माय तोहरा चढ़ैबौ हे , बकसि देहु रानू केर परान । ।",angika-anp "म्हारा भरपुर जोगी म्हारा भरपुर जोगी , तुमन जगाया जुग जागजो १ सोई . सोई प्राणी क्या करे , निगुरी आव घणी निंद जम सिराणा आई हो गया आरे उबीयाँ दुई . दुई बीर . . . तुमन जगाया . . . २ चुन चुनायाँ देव ढलई गया , आरे ईट गिरी लग चार फुल फुलियाँ रे हम न देखीयाँ देख्या धरणी का माय . . . तुमन जगाया . . . ३ एक फुल ऐसा फुलिया , आरे बाति मिल नही तेल नव खण्ड उजीयारा हुई हो रयाँ देखो हरी जी को खेल . . . तुमन जगाया . . .",nimadi-noe "अरे भैया रघुबीर भात सवेरे ल्याइयो अरे भैया रघुबीर भात सवेरे ल्याइयो मेरे सीस में किलफां ल्याइयो , मेरा टीका रतन जड़ाइयो गले को ल्याइयो जंजीर भारत सवेरे ल्याइयो मेरे हाथ में दस्तबन्द ल्याइयो , मेरी चूड़ियां रतन जड़ाइयो गले को ल्याइयो जंजीर भारत सवेरे ल्याइयो मेरे पैरों में पायल ल्याइयो , मेरे बिछवे रतन जड़ाइयो गले की ल्याइयो जंजीर भारत सवेरे ल्याइयो मेरे अंग ने साड़ी ल्याइयो , मेरी चुन्दड़ी को गोरखरू लगाइयो गले को ल्याइयो जंजीर भारत सवेरे ल्याइयो",haryanvi-bgc "गरब करे सोई हारे गरब करे सोई हारे , हरि सो गरब करे सोई हारे । गरब करो रतनागर सागर , जल खारो कर डारे । हरि . . . गरब करे लंकापति रावण , टूकटूक कर डारे । हरि . . . गरब करे चकवाचकवी ने , रैन बिछोहा डारे । हरि . . . इन्द्र कोप कियो ब्रज के ऊपर , नख पर गिरवर धारे । हरि . . . मीरा के प्रभु गिरधर नागर , जीवन प्राण हमारे । हरि . . .",bundeli-bns "दुख देते मात पिता को वे नहीं धरम के लाल जी दुख देते मात पिता को वे नहीं धरम के लाल जी खल होंदे ना सरमांदे करदे हैं उलटे धंदे कंस नै मात पिता किए अंधे दीनै भोरै मैं रे डाल जी दुख देते . . . रावण दुरयोधन सिसुपाला करा सबी कुटम का गाला नहुस बी कर गए चाला लिए जूड़ रिसी ततकाल जी दुख देते . . .",haryanvi-bgc "मैया शख बजत मिरदग आरती की बिरिया... मैया शंख बजत मिरदंग आरती की बिरियां . . . ढोल नगाड़े तुरही बाजे , बाजत ढप उर चंग आरती की बिरियां । मैया . . . झांझ खंजरी झूला तारे , झालर ढोलक संग आरती की बिरियां । मैया . . . डमरू श्रंगी उर रमतूला , धुन गूंजत तिरभंग आरती की बिरियां । मैया . . . शिव सनकादिक नारद विष्णु , रह गये ब्रह्मा संग आरती की बिरियां । मैया . . . सुर किन्नर गंधर्व अप्सरा , सबई इक रंग आरती की बिरियां । मैया . . .",bundeli-bns "जोगिन भई राधिका गोरी जोगिन भई राधिका गोरी । अवै उमर है थोरी । बाजन लगी चमीटा चुटकी । नईं लाज ना चोरी । अंग भभूत बगल मृगछाला , डरी कँदा पै झोरी । ईसुर जाय हटी सौं कइयौं , पालागन है मौरी ॥",bundeli-bns "राम लखन दोऊ भैया ही भैया राम लखन दोऊ भैया ही भैया , साधू बने चले जायं मोरे लाल । । चलतचलत साधू बागन पहुंचे । मालिन ने लए बिलमाए मोरे लाल । राम लखन . . . घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू । गजरा गुआएं चले जाओ मोरे लाल । राम लखन . . . जब वे साधू तालन पहुंचे धोबिन ने लए बिलमाए मोरे लाल । राम लखन . . . चलतचलत साधू महलन पहुंचे । रानी ने लए बिलमाए मोरे लाल । घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू । महलन के शोभा बढ़ाओ मोरे लाल । राम लखन . . .",bundeli-bns "हाय हाय मेरा खिवैया हाय हाय मेरा खिवैया क्या होनी क्या होइयां हाय हाय मेरा सिरताज हा नदी आई पहाड़ की चढ़ गई गगन गम्भीर हाय हाय मेरा खिवैया पहले डूबे मोचड़े सूं घोड़े असवार हाय हाय मेरा खिवैया मेरा भाई मल्लाह का नय्या पार उतार हाथ की दूंगी मूंदड़ी गल का नौलख हार मल का साथ मिला हुआ फेर मिलन का नांय सब सब सूए वालियां रांडी मोल न तोल सब सब पूतां वालियां रांडी भौंरा देश ज्यों ज्यों मल सड़ ऊभरै त्यों त्यों भारी होय रांड गली का टोरड़ा मन माने ठुकराय रंग महल से ऊपरी सीस महल ना जाय बेसर टूटी सेज पै बिछए रतन जड़ाय रतड़ा पलंग निवार का खड़ी सूए के पास क्या तुम सूए सो रहे क्या तुम भरे गुमान सूता होय जगाय ले रूठा होये मनाय मौत न बस की होय होंगे कौने मालवै या सरवर की पोल सुरगी उट्ठे दामड़े रंडिया मोल न तोल क्या तुम संशय ऊतरे क्या तुम गढ़े सुनार आज पड़े हो धूल में कीन्हीं क्या करतार वहां का गया ना बाहुड़े उन राहों ना जाइयो उन राहों जम रही धूल आवते का मुख देखियां जावते की बस पीठ पीठ दिखाए न सरै तुम बिन पड़ी पुकार हमारी पुकारां ना सुनी ठाडा ले गया मार की ठाड़े की बीनती ये दिन मांगे लेय मांगे दिन तो ना मिले मांगे मिल गई मौत",haryanvi-bgc "ऊधौ रूप राधकाजू कौ ऊधौ रूप राधकाजू कौ , कृस्न बिछुरतन सूकौ । मन उड़जात तिनूका नाँई मन्द मन्द में फूँकौं । गदिया पलंग गदेला त्यागो परवौ है अब भू कौ । भुगतै मिटें , करौ कछु हू है , कछू पाय आगंूकौ । ईसुर पार लगत ना बँदरा फिरत डार कौ चूकौ ।",bundeli-bns "161 जदों खत दिता लिया कासदे ने नढी हीर ने तुरत फड़ाया ए सारे मामले अते मिलाप सारे गिला लिखया वाच सुनाया ए घलो मोड़के दयोर असाडड़े नूं मुंडा रूस हजारयों आया ए हीर सद के रांझणे यार ताईं सारा मामला खोल सुणाया ए",panjabi-pan "देओ तो देओ माय देओ तो देओ माय कोरो रे गागरा ठण्डा पानी देओ कोरो रे गागरा ठण्डा पानी देओ देओ तो देओ माय नर्मदा का ठण्डा पानी देओ नहीं दे तो नहीं हो माय तेरे जा बाराती प्यासी ना रहे हो देओ तो देओ माय चोखा रे चावल देओ नहीं दे तो नहीं हो माय तेरा जा बाराती भूखा न रहे हो देओ तो देओ माय तेरा जा बेटा दे देओ नहीं दे तो नहीं हो माय तेरा जा बेटी ना कुआरी रे हो स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "चंपे के पेड़ नीचे उतरे बने मियाँ चंपे के पेड़ नीचे उतरे बने मियाँ1 । बाजी लगी दिलोजान , मैं बारि जाऊँ , मैं बारि जाऊँ । दुलहा है भोला नादान , मैं बारि जाऊँ , मैं बारि जाऊँ ॥ 1 ॥ हारूँ तो बने मियाँ बँदरी2 मैं तेरी । जीतूँ तो सेजिया गुलाम , मैं बारि जाऊँ । बाजी लगी दिलोजान , मैं बारि जाऊँ ॥ 2 ॥ पलँगे की पट्टी टूटी , मोतियों की लर टूटी । टूटी है पलँगे नेवार , मैं बारि जाऊँ । दुलहा है भोला नादान , मैं बारि जाऊँ ॥ 3 ॥ उठ मियाँ बँदरे3 हुआ है सबेरा । अम्माँ खड़ी इँतजार , मैं बारि जाऊँ ॥ 4 ॥ मेरा तो दिल लाड़ो तुमसे लगा है । अम्माँ खड़ी झख मार , मैं बारि जाऊँ । दुलहा है भोला नादान , मैं बारि जाऊँ ॥ 5 ॥",magahi-mag "टीके पै लग रही चांदनी टीके पै लग रही चांदनी , झूमर पै लग रही चांदनी तुम देखो जी बने हमारी बीबी लाडली बून्दों पै लग रही चांदनी , माला पै लग रही चांदनी तुम देखो . . . डोले पे लग रही चांदनी , जोड़ी पै लग रही चांदनी घर में खिल गई चांदनी , सेजों पै हंस गई चांदनी तुम देखो . . .",haryanvi-bgc "हमरे हु नन्दलाल चली आना ननदिया हमरे हुए नन्दलाल , चली आना ननदिया । चांदी के गहने न लाना ननदिया , सोने के हमरे रिवाज री । चली . . . सूती कपड़े न लाना ननदिया , रेशम के हमरे रिवाज री । चली . . . काठ का पलना न लाना ननदिया , चन्दन का हमारे रिवाज री । चली . . . लड़के बच्चे न लाना ननदिया , अकेले का हमरे रिवाज री । चली . . . रुपये पैसे न मांगो ननदिया , खाली जाने का रिवाज री । चली . . . हमरे हुए नन्दलाल . . . ।",bundeli-bns "ईसुरी की फाग-15 जब से रजऊ ने पैरी अंगिया , मोय करो बैरगिया फिरतीं रातीं गलीखोरन में , तनक उगर गई जंगिया घूमत फिरत नसा के मारे , मानो पी लई भंगिया ईसुर भये बाग के भौंरा , रजऊ भईं फुलबगिया ।",bundeli-bns "मामा रे मामा सुमुदुरा मामा मामा रे मामा सुमुदुरा मामा मामा रे मामा सुमुदुरा मामा बानजा को दिये पहाड़ा देशी बानजा को दिये पहाड़ा देशी कोरा रे काकेजो लिखियो रे बानेजा कोरा रे काकेजो लिखियो रे बानेजा बानजा के दियो पहाड़ा देशी बानजा के दियो पहाड़ा देशी स्रोत व्यक्ति नन्हेलाल , ग्राम झल्लार",korku-kfq "हरो नीलो मंडवाना सजायो जा इयां डाई हरो नीलो मंडवाना सजायो जा इयां डाई हरो नीलो मंडवानासजायो जा इयां डाई हरो नीलो जा मंडवाना सजायो रे हरो नीलो जा मंडवाना सजायो रे हरो नीलो मांडवा सजायो जा इयां डाई मंडवा हरो नीलो मांडवा सजायो जा इयां डाई मंडवा ईटा आम ऐकली सुबाये ईटा आम ऐकली सुबाये आमा भावड़ीन डाई बाने जा इयां डाई आमा भावड़ीन डाई बाने जा इयां डाई आमा भावड़ीन नी किबला बाने आमा भावड़ीन नी किबला बाने हरो नीलो मांडवा ईटान हरो नीलो मांडवा ईटान स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "73 पुतर तखत हजारे दे चौधरी दा रांझा जात दा जट असील है जी एहदा बीबड़ा1 मुख ते नयन निम्मे बड़ी सोहणी एस दी डील है जी मथा एसदा चमकदा नूर भरया सखी2 जीउ दा , नहीं बखील है जी गल सोहणी परदे विच करदा खोज लाएक ते नयायों वकील है जी",panjabi-pan "गौरव गाथा महतारी के ये नाग मन के धरती जिंकर ले नग घलो थररात रिहिस । फणीं अऊ छिन्दक राजा मन के ध्वज हा लहरात रिहिस । । पाण्डव के पार्थ पौत्र परीक्षित ल जेन हा ललकारिन । लड़त मेरठ के तीर रण में तक्षक हा उनला मारिस । । अड़बड़ वीर मन के धरती ये छत्तीसगढ़ महतारी हे । ज्ोमां रत्न भरे खान , सरलसुघर सुन्दर सुजानी हे । । अइसन मनखे के माटी में बारुद बोवत हे मक्कार । अइसन मनखे के चिंहारी कर करना हे नक्कार । । ये वीरनारायण की धरती दाऊ दयाल के माटी हे । इंकर रक्षा हित बर मिटना वीर मन के परिपाटी हे । । मांदर के थाप सुनके इहां शेर के टांग घलो कांपथे । आदिवासी के तीर विरोधी के देह घलो वोहा नापथे । । काबर येमन भोलाभाला के मन मा जहर घोरथें । लोहा के सिक्का के बल मा ईमान ला तोलथें । । अउ कतका दिन तुमन अइसने कटवाहू ? जेन दिन सब संभलहीं कुटका में बंट जाहू । । वो दिन माटी के बेटा धरती के करजा उतारहीं । अउ खोजखोज के सब मक्कार ला मारहीं । । जंगल मा कोयली मैना पंख अपन फहराही । धरती धान के बाली ले चारों मुड़ा लहराही । । ताला के रुद्र छोड़ ताण्डव तब मंदमंद मुस्काहीं । छत्तीसगढ़ के वासी कपूत जनगणमन ला गाही दे । ।",chhattisgarhi-hne "344 रब्ब जेड ना कोई है जग दाता जिमीं जेड ना किसे दी साबरी वे मझी जेड ना किसे दे होन जेरे राज हिंद पंजाब ना बाबरी1 वे चंद जेड ना चलाकां2 न सद कोई हुकम जेड ना किसे दी काबरी वे बुरा कसब ना नौकरी जेड कोई याद हक दे जेड अकाबरी3 वे मौत जेड ना होर है सखत कोई ओथे किसे दी नहियों नाबरी4 वे रन्न वेखनी ऐब फकीर ताई भूत वांग सिरां उते बाबरी वे वारस शाह शैतान दे अमल तेरे दाढ़ी हो गई शेख़ दी झाबड़ी5 वे",panjabi-pan "लोक गीत सोरी काँकड़ आम्बे मोरियो रेऽऽऽ हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । सोरी काँकड़ आम्बे मोरियो रेऽऽऽ । हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । सोरा तमे हूँ भाली न मोहवायो हो राज हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । तारो बोर ड़ो भाली न मोहवायो हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । सोरी हूँ भाली न मोहवायो हो राज हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । तारो पागुलो भाली न मोहवाया हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । सोरी काँकड़ आम्बे मोरियो रेऽऽऽ हो राज आम्बे झरे मोरिया रेऽऽऽ । छोरी बंजर भूमि पर खड़े आम वृक्ष पर मंजरियाँ ढेर सारी आई हैं । छोरा तू ने मुझसे पूछा है , पर तेरे देखने का तरीका मुझे ऐसावैसा लग रहा है । तू मुझ पर मोहित क्यों हो गया है ? ऐसा तूने मुझमें क्या देखा है ? तेरे सिर बोर और अन्य गहने देखकर मैं मोहित हो गया हूँ । छोरी तू क्या देखकर मुझ पर मोहित हो गयी है ? आम पर मंजरियाँ बहुत आई हैं । छोरा तेरे सिर पर साफा देखकर मैं तुझ पर मोहित हो गयी हूँ । छोरा बंजर भूमि पर खड़े आम पर मंजरियाँ ढेर सारी आयी हैं ।",bhili-bhb "टुक बूझ कौण छप आया है टुक बूझ कौण छप आया है । एह आया छप्पका छप्पकाया है । कित्त इस नूँ किस नूँ अड़ना ऐं , गुलिस्ताँ1 बोस्त2 पढ़ना ऐं , ऐवें बेमूजब3 क्यों मरना ऐं । किसे उलटा भेत पढ़ाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । जिस नाह दरदी बात सही , उस प्रेम नगर ना झात पई , भाल कित मुई कित डुब मुई । आह क्यों जिन्दाए जाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । दुआ दूर करो कोई शोर नहीं , सभ तुरक हिन्दू कोई होर नहीं , सभ साध लिखो कोई चोर नहीं । हरि घट घट बीच समाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । पलास4 मनिन्द5 बणाओ रे , तन पात पात लुटाओ रे , मुक्ख काला कर विखलाओ रे । इस सिआही रंग लगाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । जो कहेआ नामनजूर होया , दूआ ना कहेआ मनजूर होया जिस दस्सआ सो मनसूर होया । ओह सूली पकड़ चढ़ाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । इस दुक्ख सों किचरक भागेगा , रो सौ के फिर तूँ जागेगा , फिर उठदा रोवण लागेगा । किस गफलत मार सवाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । है विरली बात बतावण की , तुम समझो दिल पर लावण की , इक्क बात बतलाऊँ पावण की । ओह कौण जो बणा बणाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । तुझे कसब6 फुकर7 ताकीद किया , दुःख तन आरफ8 बाअजीद9 किया , कर जोहई कुतब10 फरीद किया । किसे मेहनत नहीं पाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । इक्क रब्ब दा नाम खज़ाना है , मंग चौराँ याराँ दानाँ है , उस रहमत दा खसमाना है । संग खौफ रफीक11 बणाया है । टुक बूझ कौण छप आया है । जेहड़े मन लागा नहीं दुआ रे , यह कौण कहे मन मोया रे , इनायत सभ तन होया रे । फेर बुल्ला नाम धराया है । टुक बूझ कौण छप आया है ।",panjabi-pan "आई गेन ॠतु बौड़ी दाईं जनो फेरो, झुमैलो आई गेन ऋतु बौड़ी दाई जनो फेरो , झुमैलो ऊबा देसी ऊबा जाला , ऊंदा देसी ऊंदा , झुमैलो लम्बीलम्बी पुगड़्यों माँ र . . र . शब्द होलो , झुमैलो गेहूँ की जौ की सारी पिंग्ली होई गैने , झुमैलो गाला गीत वसन्ती गौं का छोरा ही छोरी , झुमैलो डांडी काँठी गूँजी ग्येन ग्वैरू को गितूना , झुमैलो छोटी नौनानौनी मिलि देल्यूँ फूल चढ़ाला , झुमैलो जौं का भाई रला देला टालु की अँगूड़ी , झुमैलो मैतु बैण्युँ कु अप्णी बोलौला चेत मैना , झुमैलो भावार्थ ' वसन्त ऋतु लौट आई , फसल माँड़ते समय बैलों के चक्कर के समान , झुमैलो ऊपर देश वाले ऊपर जाएंगे , नीचे देश वाले नीचे , झुमैलो लम्बीलम्बी क्यारियों में किसानों की र . . र . ध्वनि होगी , झुमैलो गेहूँ और जौ के सादे खेत पीले हो गए हैं , झुमैलो वसन्ती गीत गाएंगे , गाँव के लड़केलड़कियाँ , झुमैलो छोटीबड़ी पहाड़ियाँ गूँज उठी हैं ग्वालों के गीतों से , झुमैलो छोटे बालकबालिकाएँ मिलकर दहलीजों पर फूल चढ़ाएंगे , झुमैलो जिसके भाई होगा , अंगिया और ओढ़नी का उपहार देगा , झुमैला और मायके बुलाएगा बहिन को चैत्र माह में , झुमैलो '",garhwali-gbm "भानु भौंपेलो अपणा कूड़ा1 भितर , त्वै जगा नी देऊँ , त्वै जगा नी देऊँ । मैं मर्द को , मुख नी देखदू , वैको छैल2 भी , धोरा3 नी पड़ण देन्दू । पर फेर वींन , पैरु से सिर तक न्याले4 , माल का शेर जना मोछ छा डवराली डीठ , गजभर की पीठ , कंकर्यालो5 माथो । तब अमरावती नौनी , मोहित ह्वै गए पकड़ीले छोरा की पाखुड़ी6 , लीगे सुतरी7 पलंग हे छोरा तू कुछ , खेलबोल भी जाणदी ? तब गाड़े वींन , हस्तिदन्त पाँसो , खेलण लैग्या दुये , वीं डाँडा मरुड़ी । तब ऊँकी आँख्यों से , मिलीन आँखी , दिल से दिल , जुड़ी गैन । तब एक ह्वै गैन वो , जना8 धरती अगास , ऊँका पराणू मा , प्रीत समाये । कख छयो , घास काटणो , दिन भर छोरा , अमरावती का सात , मौज मा रन्दो । फूलू सीं हैंसदा छन दुये , पंच्छियोंसी बोलदा छन । मोससी नाचदा छन , वो बणूबणू माँज9 । तब और छानी वालौंन , चुगली खाई ब्याले छोरा , भूत जनो आये , आज रजा की नौनी दगड़े , खेलबोल कर्द । तौन लिखी घणी कागली , भेजे कालूनी कोट , हे सजू कलूनी , तिन अपणी नौनी दगड़े10 यो नौकर भेजे कि जार ? सज कलूनी तब भौत गुस्सा ऐगे , नौनी अमरावती माँगी होली , ग्वाड़छोड़ का रजा , गुरू ज्ञानचन्द की । तब लेखदो राजा तरवारी सवाल , करड़ा बयान हे राजा ज्ञानचन्द , छोटी बेटी बाप भौंदी , ठुली11 बेटी आप भौंदी । मेरी बेटी लिजालू त , तुरन्त ली जाई , पिछाड़ी तू वीं का , भराँस12 न रई । गुरू ज्ञानचन्द , गुस्सा ऐगे भौत कैको आई होलो , रूठो ऊठो काल ? जैन हमारी यांद13 रखणी चाये । राजान हात्योंन का , हलका14 पैटाया15 , पैटेले रैदल16 सैदल । कना पैटीन , रण का हत्यार , पैटी गए गुरू ज्ञानचन्द की फौजी बरात । कालूनी कोट मा , ग्वीराल17 सी फूलीगे , शेर18 मा जगा नी होंदी , जंगलू डेरा पड्याँ , लेखी कागूली वीं डाँडा मरोड़ी सजू कलूनींन , हे बेटी अमरा , घर आई जान । तेरी होली गरै19 की शान्ती । स्वामी , आज जौलू , भोल20 यखी21 औलू । तब जाँदी अमरावती , कलूनी कोट मा , कलूनी कोट मा , ग्वीराल फूल्यूँ छ पिता जी का शेर22 मा , क्या तमाशो होल ? पौंछी गए अमरा , पिता का भौन पितान वीं का , ब्यौ की बात नो सुणाई । राजा बेटी की , नहोणी धुवेणी करौन्द अनमन भाँति का , बस्तर पैरोंद । घर से भैर23 वीं जाण नी देन्दो । भानू भौपेलो डाँडा मरोड़ी भैंसी चुगौन्दू , होई गए जब श्यामली बगत , वैन देखे , अमरा नी आई । प्रेम की डोरीन बँध्यूँ छयो , रौड़दोदौड़दो , कालूनी कोट चली आये । तब खोलीवालो24 बोद , भितर जाण को हुकम नी च । माई मरदान को वेला , इथैं25 देखद उथैं26 , देखे वैन राणी अमरावती , पूरब की मोरी27 फेंके दुपटा तब अमरा न , भौंपेलो भीतर गाड़े । औन्दी तबारी राणी की माता , भोजन लौंदी , तब देखदी भानु भौंपला , तब बोदी हट छोरी , त्वैन कनो छोरा यों मराये , भैर तेरी बरात आई छ , यतनों मा येकी28 सगून29 नी पूगणो30 । तब बोदी31 राणी अमरावती : हे जिया32 , तौं33 माचदू34 क बोल , चली जावा । भानु मेरो कलेजी को भेंडू35 , जिकुड़ी को साल36 । हे छोरी अमरा , त्वैन कनो छोरा मराये ? हे छोरा , अमरा का फरपंचू37 कतै38 न पड़ , भैर39 वीं की बरात आई छ । हाथ्यों का हलका40 होला , घोड़ो का मलका41 । मैंन मरण जिऊण अमरा मेरी छ : डाँडा मरुड़ी हमून फेरा फेरयालीन । हे सासु , तुम छन माता का समान , न छीना अपणी , नौनी को सुहाग । हे सासु , इनी बुद्धि बतावा , जाँ से तुमारी बेटी , बैरी न लिजै सको । हे बेटा , सते छई तू जु राजू अंगस42 तू रागसाड़ी राज से , मांकाली घोड़ो जीती लौलो । तब मैं अपणी बेटी अमरावती त्वै दगड़े43 बेवोलो । आज मैं वीं , सैसर44 भेजलो , भोल45 वापीस बुलै दिओलो । हे सासु परसे , तब तेरी बेटी दोघर्या46 होई जाली । जाणक मैं जौलू वख , पर बतौ तू कथा47 दिन जाणका छन कथा औण का । बार बर्स जाण का छन , बार बर्स औण का । चौबीस बरस मा , अमरा बुधर्या ह्वै जाली । जु48 त्वै49 पर छेतरी50 हंकार51 त चौबीस बरस तक का वचन लीले । एक धज52 तोड़ी मैं बामण53 दिऊलो , गुरु ज्ञानचन्द का सात अजुड़दो54 करै द्यूलो । चौबीस बर्स तक अमरा तेरी बाँद55 छ । वचन मांग्याल्या वैन , धरम दियाले , सजाई वैन अपणी घोड़ी , होई गए सवार मारी घोड़ी पर वैन , निगर कुलड़ा , तब उड़ी घोड़ी पवन का समान , उडी माल बाँज सी पतेलो56 , नी समझी वैन , उतारी को बथौं57 नी समझी वैन , उकाली को धाम । मेरो माल सास58 नी ससदो , थूक नी घूटदो , ढाँव नी रुकदो । तब जाँद वो , तीसरा रोज",garhwali-gbm "आज बागां मेरे बीरा उणमणी आज बागां मेरे बीरा उणमणी आया मेरी मां का जाया बीर हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी ओढूं तो हीरा रे बीरा झड़ पड़ै डिब्बै में धरूं तो लरजे मेरा जिया हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी इसी ए तो ल्या द्यूं दो ए चार हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा निनियाँ पुर सें निनिया ऐलौ नानी यहाँ सें गेनरा ऐलौ । नूनू माय , हे नूनू माय नूनू कथी लेॅ कानै छौं अंगिया लेॅ की टोपिया लेॅ दादादादी हज्जर लेॅ पितिया महज्जर लेॅ चाकू रे चन्न बीजू रे वन्न खोपोॅ बीकै छोॅछोॅ मन्न । की खैबे रे बनरा ? दालभात खैबौ गे दीदी । केना सुतवे रे बनरा ? कोला में सुतवौ गे दीदी । पाप लिखतौ रे बनरा गंगा नहैवे गे दीदी । सरदी होतौ रे बनरा हरदी फाँकवोॅ गे दीदी । खोखी होतौ रे बनरा खोखमल्ला पिन्हबोॅ गे दीदी । रे नूनू कथी के अचनपचन बेलना के मायबाप ससन्ना के दादादादी हज्जर के पितिया महज्जर के हम्में खेलौनिया जाफर के फूफू तेॅ छेकी गुल्लर के । ताय पूड़ी ताय केके पकाय नूनू पकाय नूनुहैं खाय । नूनू के माय आवोॅआवोॅ भरी कंटरी खीर बनावोॅ आपने लेल्हेॅ थार भरी नूनू के देल्हौ कटोरा भरी वही लेॅ नूनू रूसल जाय बापेपितियें मिली बौसल जाय बापें बौसल हाथीघोड़ा पितियें बौंसल दूध कटोरा ।",angika-anp "बाना गीत बाना तने हाताना भोरी लाँ दलड़ा लाग्या रेऽऽऽ हजारी बालक बनेड़ा बाना तने बानो कुकके वालो । काई वतणवारे हजारी बालक बनेड़ा बाना तने बानो कुकके वाले । हाथाना भोरी लाद लड़े लाग्यानो रे हजारी बालक बनेड़ो । बानाजी तमने केड़ा ना कन्दौरा दले लाग्या रेऽऽऽ हजारी बालक बनेड़ा . . . । स्रोत व्यक्तिमांगीलाल सोलंकी दूल्हे तेरे हाथ में मेरी भँवरी दुल्हन है । उससे तेरा मन मिल गया है । तू तो हजारों में एक है । तुझे अब हम क्या बतलायें ? तेरे से मेरी दुल्हन का दिल लग गया है । तेरे कमर का कन्दौरा भी उसे पसन्द आ गया है । उस पर भी उसका दिल आ गया है ।",bhili-bhb "और जाल सब भिणभिणी तूं क्यों हे हरियाली और जाल सब भिणभिणी तूं क्यों हे हरियाली के तूं माली सींचिया के तेरी जड़ पैंताल न मैं माली सींचिया न मेरी जड़ पैंताल वारी मेरा जाहर मिल गइयां मेरे तले जाहर सो रहा सूत्या है वो चादर ताण वारी मेरा जाहर मिल गइयां मूंधे हुए बिलौवणे रीती है ये जा चकिहार वारी मेरा जाहर मिल गइयां ठाणां रांभै बाछडू डहरां री वे लागड़ गाय वारी मेरा जाहर मिल गइयां के सोवै मेरे लाड़ले ? डहरां रे वे तेरी लागड़ गाय वारी मेरा जाहर मिल गइयां जाहर उठा भड़क कै टूटे री पिलंगा के साल वारी मेरा जाहर मिल गइयां पांचों ल्यावो कापड़े तीनों ल्यावो हथियार वारी मेरा जाहर मिल गइयां सीम सिमे पर नावड़या ल्याया री वो गऊ छुटाय वारी मेरा जाहर मिल गइयां अर्जुन मार्या बड़तले सर्जुन री वो सरवल पाल वारी मेरा जाहर मिल गइयां खाई के ओल्हे मौसी खड़ी कहदे रे बीरा मन की बात वारी मेरा जाहर मिल गइयां उठ उठ री मां हाथ धुवा मारे री मौसी के लाल वारी मेरा जाहर मिल गइयां बुरी करी रे मेरे लाडले मारे रे मौसी के लाल वारी मेरा जाहर मिल गइयां मौसी करदी ऊतणी भावज रे तनें करदी रांड वारी मेरा जाहर मिल गइयां",haryanvi-bgc "132 कई रोज नूं मुलक मशहूर होसी चोरी यारी जो ऐब कुआरियां नूं जिनां बाण है नचने कुदने दी रखे कौन रंनां हैं सयारियां नूं उस पा भुलाउड़ा ठगया ए कम पहुंचया बहुत खुआरियां नूं जदों चाक उधाल लै जाए नढी तदों झूरसो बाजियां हारियां नूं वारस शाह मियां जिनां लाइयां नी सोई जाणदे डारियां यारियां नूं",panjabi-pan "वर शृँगार गीत पागा बांधो रे बेना , पाघा बांधो । तिलो कुण सवारेगा , तिलो कुण सवारेगा । धुति पेहरो रे बेना , धुति पेहरो । धुति कुण सवारेगा । धुति कुण सवारेगा । धुति भाइ सवारेगा , धुति भाई सवारेगा । झूल पेहरो रे बेना , झूल पेहरो । झूल कुण सवारेगा , झूल कुण सवारेगा । मुजा पेहरो रे बेना , मुजा पेहरो । मुजा कुण सवारेगा , मुजा कुण सवारेगा । मुजा भाई सवारेगा , मुजा भाइ सवारे । मुजड़ि पेहरो रे बेना , मुजड़ि पेहरो । मुजड़ि कुण सवारेगा , मुजड़ि कुण सवारेगा मुजड़ि बणवि सवारेगा , मुजड़ि बणवि सवारेगा । तरवार धेरा रे बेना , तरवार धरो । तरवार बणवि सवारेगा , तरवार बणवि सवारेगा । मोड़ बांधो रेबेना , मोड़ बांधो । मोड़ कुण सवारेगा , मोड़ कुण सवारेगा । मोड़ बइं सवारेगा , मोड़ बइं सवारेगा । दूल्हे से कहा गया कि पगड़ी बाँधो , पगड़ी का तिल्ला कौन व्यवस्थित करेगा ? उत्तर में गाया जाता है कि तिल्ला भाई व्यवस्थित करेगा । इसी प्रकार सभ शृँगार को व्यवस्थित करने वालों के नाम लेते हैं । मौर को बहिन बाँधती है ।",bhili-bhb "घोड़ी बने की आ गई देखो कैसी सजे घोड़ी बने की आ गई देखो कैसी सजे सीस बने के चीरा सोहै पेंची पै हीरे जड़े अंग बने के जामा सोहै कुण्डल पै लाल जड़े गले बने के माला सोहै देखो फूल कैसे सजे ऊंगली बने के अंगूठी सोहै अंगूठी में नीलम जड़े पैर बने के जूती सोहै जूती को खूब सजे संग बने के बनी सोहै फूलों की झड़ी लगे ।",haryanvi-bgc "विदाई गीत तारा बाबा ना घर मा काम कर्यो , धाम कर्यो गले नी गलसुण छोड़ी लेधी । तारा ससरा ना घर मा काम नी कर्यो । धाम नी कर्यो , गले नी गलसुण बांध लेधी । तारा वासने ना घर मा काम कर्यो , धाम कर्यो माथे नी ओढ़णी उतरि लेधी वो । तारा ससरा ना घर मा काम नहीं कर्यो , धाम नी कर्यो , माथे पर साड़ी ओढ़ि लेधी वो । वर पक्ष की ओर से इस गीत में वधू से कहा गया है कि तूने अपने पिता के यहाँ काम किया , किन्तु उन्होंने गले की गलसनी , माथे की ओढ़नी सब उतार ली । अभी तूने तेरे ससुर के यहाँ काम नहीं किया किन्तु तुझे गले की गलसनी व ओढ़नी ओढ़ा दी है ।",bhili-bhb "बीबी दूर खेलण मत जा बीबी दूर खेलण मत जा साजन आज आवेंगे लाडो दूर खेलन मत जा साजन आज आवेंगे मैं तो खेलूं अपने बाबा जी की पोली बाबल जी की पोली साजन आज आवेंगे लाडो गिरद गई असमान हात्थी के होद्दे आवेंगे नाई का दूध पखालों उनके पैर भोजन देइओ खान नै नाई का झाड़ बिछाईयो उनकी खाट कुसामद करिओ भोत घणी बीबी दूर खेलन मत जा साजन आज आवेंगे",haryanvi-bgc "जन्म दियो रे हरी नाम ने जन्म दियो रे हरी नाम ने , आरे खुब माया लगाई १ मृत्यु की माया आवीया , आरे सब छोड़ी रे आस जम आया रे भाई पावणा आन मारे सोटा को मार . . . जन्म दियो रे . . . २ रोवता बालक तुम न छोड़ीयाँ , आरे माथा नई फेरीयो हाथ दुःशमन सरीका हो देखता झुरणा दई हो जाय . . . जन्म दियो रे . . . ३ बारह दिन जन्मी सती , आरे पुरण जन्म की भक्ति नेम धरम से हो तु भया कैसा उतरा हो पार . . . जन्म दियो रे . . . ४ कोप किया रे मन माही , आरे घरघर आसु बहावे हंसा की मुक्ती सुधार जो गया पंछी नही आवे . . . जन्म दियो रे . . . ५ हस्ता बोलता पंछी उड़ी गया , आरे मुरख रयो पछताय झान मीरदिंग घर बाजी रया सिंग बाजे द्वार . . . जन्म दियो रे . . .",nimadi-noe "हुआ नगर सब सूना हुआ नगर सब सूना , बनो मेरी पाहुनिया रे दादी रानी ने ऐसे पाला , जैसे घी की गागरिया रे ताई रानी ने ऐसे पाला , जैसे घी की गागरिया रे बाबा राजा ने ऐसे निकाला , जैसे जल की माछुलिया रे ताऊ राजा ने ऐसे निकाला , जेसे जल की माछुलिया रे",haryanvi-bgc "आल्हा ऊदल किरिया धरावल जब लहरा सिंह रुदल जियरा छाड़व हमार नैंयाँ लेब बघ रुदल के एतनी बोली बघ रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय फिर के चलि भेल बघ रुदल लहरा दोसर कैल सरेख खैंचल तेगा जब लहरा सिंह बाबू लिहल अली के नाम जौं तक मारल बघ रुदल के देबी झट के लिहल बचाय बरल करेजा बघ रुदल के रुदल कूदल बवन्तर हाथ जौं तक मारल लहरा के भुँइयाँ लोथ फहराय भागल फौदिया जब लहरा के जब नैना गढ़ गैल पराय लागल कचहरी इंदरमन के जहाँ तिलंगा पहुँचल जाय बोलै तिलंगा लहरा वाला राजा इंदरमन जान बचाई मोर एतनी बोली सुनल इंदरमन बाबू मन में करे गुनान पड़ गलै बीड़ा इंदरमन के राजा इंदरमन बीड़ा लेल उठाय हाथी मँगावल भौंरानंद जिन्ह के नौं मन भाँग पिलाय दसे तिलंगा ले साथन में सिब मंदिर पहुँचल जाय घड़ी पलकवा का चलला में सिब मंदिर पहुँचल जाय बाँधल घोड़ा रुदल के पलटन पर पड़ गैल दीठ घीचै दोहाइ जब देबी के देबी प्रान बचावव मोर आइल देबी जंगल के बनस्पती देबी पहुँचल आय घोड़ा खोल देल बघ रुदल के घोड़ा उड़ के लागल अकास रुदल सूतल सिब मंदिर में जहवाँ घोड़ा पहुँचल बाय",bhojpuri-bho "तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन बोको जा आखिरी बल्ला तारागीन बोको जा आखिरी बल्ला तारागीन इयां मिसीक टारा नजा बोको जा इयां मिसीक टारा नजा बोको जा आखिरी बल्ला तारागीन आखिरी बल्ला तारागीन कूक बानेगा जूरना बोको जाटीकी बनेगा जूरना कूक बानेगा जूरना बोको जाटीकी बनेगा जूरना तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन तारागीन बोको जा आखिरी बल्ला तारागीन बोको जा आखिरी बल्ला तारागीन स्रोत व्यक्ति शांतिलाल , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "मलिया के बाघ में बेलिया फूले हे फुलवा, मलिया के बाघ1 में बेलिया2 फूले हे फुलवा , चमेलिया फूले हे फुलवा । तहवाँ हे कवन सुगइ झारे3 लामी4 केसिया ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल आबे कवन दुलहा । अरे लपकि धइले छयला5 दहिन मोरा हे बहियाँ ॥ 2 ॥ छोडू़ छयला , छोडू़ छयला , दहिन मोरा बहियाँ । फूटि जइहें संखाचूड़ी , मुरुकि6 जइहें बहियाँ ॥ 3 ॥ फूटे दहु संखाचूड़ी , नाहि मुरुकि बहियाँ । फेनो7 के पेन्हयबो सुगइ , लाली लाली हे चूड़िया । अरे फेनो के पेन्हयबो सुगइ , सोने के है कँगना ॥ 4 ॥ कहाँ तूहूँ पयबो परभु , लाली लाली चूड़िया । कहाँ तूहूँ पयबो परभु , सोने के कँगना ॥ 5 ॥ अम्माँ पउती8 पयबो सुगइ , लाल लाल चूड़िया । सोनरा घर पयबो सुगइ , सोने के कँगना ॥ 6 ॥ जब हम होयबो9 कवन साही के बेटिया । अरे लातहुँ10 न छुअबो छयला , लाली लाली चूड़िया ॥ 7 ॥ जब हम होयबो कवन साही बहिनियाँ । अरे लातहुँ न छुअबो छयला , सोने के कँगना ॥ 8 ॥ जब हम होयबो कवन साही के बेटवा । अरे जोर11 से पेन्हयबो सुगइ , लाली लाली चूड़िया ॥ 9 ॥ जब हम होयबो कवन साही भतीजवा । अरे जोर से पेन्हयबो सुगइ , सोने के कँगना ॥ 10 ॥",magahi-mag "बन्ना काली रे बदरिआ गोरा चन्दा बन्ना काली रे बदरिआ गोरा चन्दा , मैं तारों मैं तै आण मिलूंगी बन्ना दूर मत जाइयो नदी नाले , मैं वहांए तम तै आण मिलूंगी बन्ना सीस तेरे का सेहरा मैं लड़ियां ऊपर बार डालूंगी बन्ना कान तेरे के मोती , मैं सच्यां ऊपर बार डालूंगी बन्ना गल तेरे का तोड़ा , मैं घुण्डी ऊपर बार डालूंगी बन्ना हाथ तेरे की घड़ियां , मैं महन्दी ऊपर बार डालूंगी बन्ना पैर तेरे का जूता , मैं चलगत ऊपर बार डालूंगी बन्ना हेठ तेरे की लीली , मैं चाबुक ऊपर बार डालूंगी बन्ना काली रे बदरिया गोरा चन्दा , मैं तारों मैं तै आण मिलूंगी बन्ना दूर मत जाइयो नदी नाले , मैं बहांए तुम तै आण मिलूंगी",haryanvi-bgc "नवमी गीत १ . हमरा शीतलऽ मइया बड़ दुलरी , मइया बड़ दुलरी मइया डोला चढ़ि आवेली हमार नगरी । जाउ हम जनतीं अइहें हमार नगरी जाउयदि मइया डगर बहरतीं दहिनवें अंचरी । २ . नीमिया के डाढ़ मइया गावेली हिंडोलवा कि झूलिझूलि ना । झूलतऽ झूलतऽ मइया के लगली पिअसिया कि चलि भइली ना मलहोरिया दुआर , मइया चलि भइली ना सुतल बाड़े कि जागल रे मलिया बूँद एक आहि के पनिया पिआव कि बूँद एक कइसे में पनिया पिआईं मैया कि बालका तोहार मोरे गोद लेहु नाहि मालिनी बालका , सुताव सोने के खटोलवा कि बूँद एक मोहिके पनिआ पिआव । एक हाथ लेहली मालिन झँझरे गड़ुअवा दोसरे हाथ सिंहासन जइसन मालिन हमरे जुड़वलू ओहिसन पतोहिया जुड़ास , धिअवा जुड़ास धीया बाढ़ो ससुरे , पतोह बाढ़ो नइहर मइया केकरा के दीले असीस । धीया बाढ़ो ससुरा , पतोह बाढ़े नइहर ३ . मइया के दुआरे हरियर पीपर लाल धजा फहराई ए माया मोहिनी भवानी जगतारन माया अंचरा पसार भीख मांगेली बहुआरो देई हमके सेनुरा भीख देई ए माया , मोहिनी भवानी पटुका पसार भीख मांगेले कवन राम हमके पुतवा भीख देई ए माया , मोहिनी भवानी . . . ४ . कहाँ रहनी ए मइया कहाँ रहनी मइया पकवल रोटिया सेराई गइले , रउरा चरन में , उहें रहनी उहें असी कोस के पयेंतवा चलतऽ बटिया बिलम लगले कहाँ रहनी ए मइया . . .",bhojpuri-bho "पहिला सगुनवाँ तिल-चाउर हे बाबू, तब कए डटारेबो पान पहिला सगुनवाँ1 तिलचाउर हे बाबू , तब कए डटारेबो2 पान । लगनियाँ3 अइले उताहुल4 सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 1 ॥ ससुर बोलएबो कवन5 दुलहा हो बाबू । लगनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 2 ॥ कइसे6 में आएब ससुर बढ़इता7 हे , ससुर राउर8 नदिया झिलमिल पानी । लगनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 3 ॥ काल्ह9 कटएबो चन्नन गछिया हे बाबू , परसों10 बनएबो डेंगी नाव , ताहि11 रे चढ़ि आवहु12 हे । सगुनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 4 ॥ धीरे खेवऽ13 मधुरे खेवऽ , मलहवा भइया हे , बाबू , भिजले14 कवन दुलहा सिर पगिया । कवन सुगइ15 सिर सेनुर16 नयनवाँ भरी काजर । लगनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 5 ॥ कथिय17 सुखयबऽ18 सिर सेनुर , नयनवा भरी काजर । लगनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 6 ॥ रउदे19 सुखाएब झिलमिल पगिया हे बाबू । छँहिरे20 सुखाएब सिर सेनुर , नयनवाँ भरी काजर । लगनियाँ अइले उताहुल , सगुनवाँ भला हम पाएब हे ॥ 7 ॥",magahi-mag "कर देस की रकसा चाल कर देस की रकसा चाल , लाल मेरे सज धज के सुन दुसमन ने सीमा तेरी , चारां तरफ से आकै घेरी , क्या इस का नहीं ख्याल , लाल मेरे सज धज के कर देस की रकसा चाल , लाल मेरे सज धज के जिस दिन के लिये तन्नै दूध पिलाया , वो दिन लाडले आज सै आया , कर दे दिखा कमाल , लाल मेरे सज धज के कर देस की रकसा चाल , लाल मेरे सज धज के भूरे की माता बोलती सुण भूरा मेरा ये सोलह सौ पद्मनी तेरे खड़ी चौफेरा तनें देवर देवर कह रही क्यों मुखड़ा फेरा रे राणी आंसू गेरै मोर ज्यों हिया लरजै मेरा तोड़ बगादे कांगणा पकड़ो समसेरा गौरी साह के दलां में रह ब्याह होजा तेरा सांग्यां होजा आरता तलवारां फेरा बैरी थाते तै के हुआ भाई था तेरा सेर गढ़ां के पकड़िये तूं रहा भगेरा तूं ओढ़ै ना चूंदड़ी मनें दे चीरा मैं पडूं दलां में टूटके मार ढादूं ढेरा",haryanvi-bgc "मैं तो माड़ी हो गई राम मैं तो माड़ी हो गई राम धंधा कर के इस घर का बखते उठ कै पीसणा पीसूं सदा पहर का तड़का चूल्हे मैं आग बालगी छोरे ने दिया धक्का बासी कूसी टुकड़े खागी घी कोन्या घर का सास ननद निगोड़ी न्यूं कहे तने फेरा क्यूं ना चरखा मार कूट कै नै पापण मेरी देवर कर लिया घर का बड़े जेठ की मूंछ उखाड़ी सुसरे का कालजा धड़का मैं हठीली हट की पूरी कहा न मानूं किसे का",haryanvi-bgc "चोजा जलमी इले आयोम डो चोजा जलमी चोजा जलमी इले आयोम डो चोजा जलमी चोजा जलमी इले आयोम डो चोजा जलमी इले डो आयोम चोजा जलमी इले डो आयोम चोजा जलमी जन्मा जलमी इकेजा बेटा जन्मा जलमी जन्मा जलमी इकेजा बेटा जन्मा जलमी इकेजा बेटा जा जन्मा जलमी इकेजा बेटा जा जन्मा जलमी आकाशो बानी बोचोकेनी आयोम डो धरती मायनी आकाशो बानी बोचोकेनी आयोम डो धरती मायनी टिलाकेन आयोम डो धरती मायनी टिलाकेन आयोम डो धरती मायनी आमा नी कसड़ा झड़ी डो आयोम डो टोना एली आमा नी कसड़ा झड़ी डो आयोम डो टोना एली झूड़ी को आयोम डो टोना ऐली झूड़ी को आयोम डो टोना ऐली आमानी सलवा झूडो डो आयोम केला सकोमेन आमानी सलवा झूडो डो आयोम केला सकोमेन झूड़ी डो आयोम केला सकोमेन झूड़ी डो आयोम केला सकोमेन आमानी डिडोम नुडोन डो आयोम डो टुवर डिडोम आमानी डिडोम नुडोन डो आयोम डो टुवर डिडोम नुवेन आयोम डो टुवर डिडोम नुवेन आयोम डो टुवर डिडोम नुवेन आयोम डो टुवर डिडोम आमा सम्मानी दिवाला बेटा जा आमा सम्मा हल्दी आमा सम्मानी दिवाला बेटा जा आमा सम्मा हल्दी बेटा जा आमा सम्मा हल्दी बेटा जा आमा सम्मा हल्दी स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "मैं तो बीस बरस की होली मैं तो बीस बरस की होली ईबना सादी का विचार नाई ब्राह्मण गए , दिल्ली के बाजार उन नै सारी दुनियां देखी कोई ना जोड़ी का भरतार एक दिल्ली में बूढ़ा बैठ्या तख्त बिछाए भाई मेरी सादी करदै , ले ले ढाई हजार वाने डाढ़ी मूछ कटाई हो ग्यो बूढे तैं जवान बेटी फेरे ले ले तेरे करमण के भार मेरी दादी फेरे ले ले तेरी जोड़ी का भरतार",haryanvi-bgc "ले ले हे गोरी म्हारी नमस्ते हम तो नौकर चाल पड़े ले ले हे गोरी म्हारी नमस्ते हम तो नौकर चाल पड़े ना लेऊं हो पिया थारी नमस्ते तुम तो नौकर चाल पड़े आ रह्या सै तेरा बड़ला बीरा गैल बीर के डिगर जाइये पीहर जाऊं ना रहूं सासरे , संग बालम तेरे चालूंगी बारा वर्ष में पिया घर आये लेण गया उस नाजों नै क्यूं हो बेटा के दुख लाग्या के दुख लाग्या मेरी जाई ने हम तो री माता नौकर चाले आप की या नौकरी से नाटै सै झूठ पति तू झूठ मत बोले संग जाण की कह रही सूं ला दे हो साफा छत्री झोला घर अपणे ने डिगर जांगा घाल खटोला आंगण मैं सो गया भावज आण जगा रही सै क्यूं हो देवर क्यूं नहीं ल्याया क्यूं छोड़ आया मां बापां कै बोलै मत ना बिघन हो जागा नार छुटा दी हथणी सी उस ने छोड़ कै दूसरी ब्याह ले रह लेण दे मां बापां कै उस ने छोडूं ना दूसरी ब्याहूं , ना लाऊं गा उस नाजो नै",haryanvi-bgc "देवी गीत-देबी अंगन मोरे आयीं देबी अंगन मोरे आयीं निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ काऊ देखि देबी मगन भईं हैं काऊ देखि मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ सेनुर देख देबी मगन भईं हैं बिंदिया देख मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ चूडिया देख देबी मगन भईं हैं कंगना देखि मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ लहंगा देखि देबी मगन भईं हैं चुनरी देखि मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ पायल देखि देबी मगन भईं हैं बिछिया देखि मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ रानी देखि देबी मगन भईं हैं बालक देखि मुस्कानी निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ देबी अंगन मोरे आयीं निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ",awadhi-awa "कहे जनकपुर के नारि राम से कहे जनकपुर के नारि राम से , चलहुँ भमन1 हमारी कि हाँ जी । आबल महल हमर रघुनन्नन , अति भाग हमारी कि हाँ जी ॥ 1 ॥ कंचन थारी कंचन केर झारी , लावल गंगाजल पानी कि हाँ जी । चरन पखारि चरनोदक लीन्हे , है बड़ भाग हमारी कि हाँ जी ॥ 2 ॥ जे मन लागे सीरी राम ललाजी , देवे सखिन सभ2 गारी कि हाँ जी । जनकपुर के भाग3 उदे4 भेल , धन धन5 भाग हमारी कि हाँ जी ॥ 3 ॥ बासमती6 चाउर7 के भात बनावल , मूँग रहड़8 के दालि कि हाँ जी । कटहर , बड़हर , सीम आउ लउका , करइला के भुँजिया बनाये कि हाँ जी ॥ 4 ॥ भाँजी , तोरइ , बैंगन आउ9 आलू , सबके अचार परोसे कि हाँ जी । बारा , बजका , दिनौरी , तिलौरी , आउ कोहड़उरी परोसे कि हाँ जी ॥ 5 ॥ भभरा , पतौड़ा , पापर , निमकी , सबहिं भाँति सजायो कि हाँ जी । गारी गावत सभ मिलि नारी , राम रहल मुसकाइ , कि हाँ जी ॥ 6 ॥ राउर10 पितु रसरथ हथ11 गोरे , तूँ कइसे हो गेल कारे कि हाँ जी । तोहर मइया बहुत छिनारी , तूँ परजलमल पूत कि हाँ जी ॥ 7 ॥ बहिनी तोर साधु सँधे12 इकसल13 फूआ के कउन ठेकाना कि हाँ जी । सात पुस्त14 तोर भेलन छिनारी , तुहूँ छिनार के पूत कि हाँ जी ॥ 8 ॥ गारी परम पियारी हइ रघुबर , सुनूँ सुनूँ परेम के गारी कि हाँ जी । मुसुकत राम मुसुके भाइ लछुमन , धन धन भाग हमार कि हाँ जी ॥ 9 ॥ भोजन करि के किये अचमनियाँ , दीन्हें खरिका झारी कि हाँ जी । पोंछ हाथ रेसम के रूमलिया , बइठल सेज सँभारि कि हाँ जी ॥ 10 ॥ एतबर15 उमर16 हमारी जी नारी , नइ खायो ऐसी जेमनारी17 कि हाँ जी ॥ 11 ॥",magahi-mag "गौं गौं पंचायत करा, अर सुधारा पाणी जी गौं गौं पंचायत करा , अर सुधारा पाणी जी , सुख से उठलीबठली , राणीबौराणी जी । न करा मुकदमा भायों , करा आपस मा मेल जी , कोर्ट माँ पड्यां रला , बेचला लोणतेल जी । अच्छो काम करा भायों , नी खेलणू जुवा जी , गलीगल्यों पड्यां रला , बोलला बोई बुबा जी । पंचू मा जैक बोला , घूस जरा नी खाणी जी , सहीसही निसाब कर्णू , बालबच्चों जाणी जी । अपणी छ खेती , अपणू छ राज जी , मेल से रणो भाई , आजाद आज जी । डाली बोटी लगावा , वणा बग्वान जी , जागू जागू मोटर पौंछा , देवा श्रमदान जी ।",garhwali-gbm "छलकल गगरिया रे छलकल गगरिया रे मोर निरमोहिया छलकल गगरिया मोर बिरही मोरनियाँ मोरवा निहारे पापी पपिहरा पिउपिउ पुकारे पियवा गइल कउनी ओर निरमोहिया छलकल गगरिया मोर . . . कि . . . छलकल गगरिया मोर",bhojpuri-bho "मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में बाजरे की रोटियां चने का साग तुझे जेलों का पानी पिला दूं रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में तेरा नई दिल्ली का मुकदमा आगरे पहुंचा दूं तुझे सिमले की जेल करा दूं रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में ससुर को पेस करूं जेठे को पेस करूं छोटे देवर की दे दूं गवाही रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया , मैं तो दावा करूंगी अदालत में",haryanvi-bgc "नीला लिजा ऐबेरे डो नीला कण्टी रानी नीला लिजा ऐबेरे डो नीला कण्टी रानी नीला पार डोंगरा डो डोयराये इयां नी सोना ढाना बारी कोनकिन्जा राजा राजा जा जेमा सिरेन बाये मिया का साला जेवा डो रानी रानी डो माय डो बामेरान बाये आजोमेजा राम भगवान इयां कोन किन्जकेन डो चाले अमाका टगली उरीये डो नीला कण्टी रानी रानी डो नीला पार डोंगरो डो डोयराये स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "तुलसां माता तैं सुख दाता तुलसां माता तैं सुख दाता बिडला सीजूं तेरा तैं कर निस्तारा मेरा किरसन जी का कांधा दइओ पीताम्बर की धोती दइओ बैकुंठ का बासा दइओ हो ज्या निस्तारा मेरा बिडला सीजूं तेरा",haryanvi-bgc "उठ उठ री नणदल पानी ने चाल उठ उठ री नणदल पानी ने चाल सरबर दिखादे अपणे बाप का चाली री नणदल कोस पचास सरबर न आया तेरे बाप का वा दीखै री भावज ऊंची नीची पाल वो दीखै सरबर मेरे बाप का तुम तै री नणदल घड़ला डबोय मैं करूं दातण हरियल जाल की आया री भावज डालिडा का साथ टूटा तै लस्कर पाणी पीवेगा घड़ला भावज दिया सै मंधाय गिरवै छुहारा घड़ला भर दिया उठ उठ री मायड़ घड़ला रिताय बोझ मरै तेरी चिड़कली हम तै हे बेटी उठा ना जाय जाय उतारो बड़े भाई कै उठ उठ री भावज घड़ला रिताय बोझ मरै तेरी नणदली म्हारी री नणदल दुखै सैं आंख गोद भतीजा थारा रोवता उठ उठ री मायड़ घड़ला उतार न फोडू तेरे बारणै किसने हे बेटी बोले सै बोल किस ने मुख कर दीह्नी गाल काटूं हे बहुड़ तेरी हे जीभा आख धतूरे मुख मैं भरूं चूमूं हे बेटी तेरी हे जीभ गिरी छुहारों तेरा मुख भरूं",haryanvi-bgc "त्यरि म्यरि च जोड़ी त्यरि म्यरि च जोड़ी कैमा न बिंगै1 दे , सौंजङ्2 यौं कि छ्वीं3 छन तू छ्वीं न लगै दे । इनी छ्वीं लंगौणू मन बोद भारी , बिस बणलो अमरित स्वीसै न करै दे । कैका दिख्याँ मी पर न मारी तु गारी , मी जनई पँथेरम् पाणी न खले दे । धौडाँदि द्वफरी4 मा बँशुली बजौलो , तू मोरि बटि भैने कु मुक न पल दे । कमि आँखि टलपल रर्ग्याट करली , क्वी पूँछलो आँसू आँख्यौं मा लुकै दे । त्यरिइ तरौं भलि स्वाणि5 छन तेरि डाँडी , ज्यू झुरैकी तौकी शोभा न जगै दे ।",garhwali-gbm "अँगना में रोपलूँ हम नेमुआँ खिरकिया अनार जी अँगना में रोपलूँ हम नेमुआँ1 खिरकिया2 अनार जी । दरोजे3 पर रोपलूँ नौरँगिया , बगीचवे में आम जी ॥ 1 ॥ अँगना में फूलल4 नेमुआ , खिरकिया अनार जी । दरोजे पर फरल5 नौरँगिया , बगीचवे में आम जी ॥ 2 ॥ अँगना के नेमुआ हइ खट्टा , हइ मिट्ठा अनार जी । खटमिठ लगे नौरँगिया , मीठेमीठे आम जी ॥ 3 ॥ हम खायम6 नेमुआ के निमकी , सइयाँ जी अनार जी । ननदी के देबइ नौरँगिया , होरिलवा के आम जी ॥ 4 ॥",magahi-mag "म्हाने चूंदड़ी मंगादे रे म्हाने चूंदड़ी मंगादे रे ओ नण्दी के बीरा तने यूँ घूंघट में राखूंगी ओ नण्दी के बीरा म्हाने रखड़ी घड़ादे रे ओ नण्दी के बीरा तने यूँ माथे पर सजालूंगी ओ नण्दी के बीरा म्हाने चूंदड़ी मंगादे रे ओ नण्दी के बीरा",rajasthani-raj "जी हो आज म्हारो पटसाळ सूनो लगऽ जी हो आज म्हारो पटसाळ सूनो लगऽ नहीं आया म्हारा दशरथ बाप , हरकत पगरण आरंभियो । जी हो आज म्हारो पाळणो सूनो लगऽ नहीं आई म्हारी कौशल्या माय , हरकत पगरण आरम्भियो । जो हो आज म्हारो मण्डप सूनो लगऽ नहीं आया म्हारा रामलछमण बीरा , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारी आरती सूनी लगऽ नहीं आई म्हारी सुभद्रा बेण , हरकत पगरण आरम्भियो ।",nimadi-noe "मनैं बहली दीखी आवती साथिण के आए लणिहार मनैं बहली दीखी आवती साथिण के आए लणिहार साथिण मेरी तड़कै डिगर जागी ए बीरा एक बै घेरां में जाइए बाबल की धीर बंधाइए रे उसने रो रो सुजा लई आंख बेटी तै मेरी तड़कै डिगर जागी ए बीरा एक बै साला में जाइए माइयड़ की धीर बंधाइए रे उसने रो रो सुजा लई आंख बेटी तै मेरी तड़कै डिगर जागी मत रोवै बाबुल मेरे दुनिया का योह् सै ब्योहार मत रोवै मां मेरी बाबली दुनिया का योह् सै ब्योहार योह् सै जगत में होती आवै",haryanvi-bgc "536 खेड़ा खाए के मार ते भज पया वाहो दाह रोंदा घर आंवदा ई एह जोगिड़ा नहीं जे धाड़ कोई हाल आपना खोल्ह सुणांवदा ई एह कांवरू1 देस दे सेहर जाने वडे लोहड़े ते कहर2 कमांवदा ई ए दिओ उजाड़ विच आन लथा नाल घुरकियां3 जिंद गवांवदा ई नाले पढ़े कुरान ते दे बांगां चैंकी पांवदा संख वजांवदा ई वारस मार ते कुट तहिबार4 कीता पिंडा खोहलके जट वखांवदा ई",panjabi-pan "मैं वो सुतारियारी बेटी, बखी थी वो बेन मैं वो सुतारियारी बेटी , बखी थी वो बेन इनी सेरिया हाटड़लो मत मांड , म्हारी ऐ बेन छोड़ दो हटीला भेरू म्हारो फाटे वीर फाटे म्हारो चीर , भेरूजी टूटे म्हारो हार टूटे म्हारा बाजूबंद रा लू , म्हारी ऐ बेन छोड़ दो कालामतवाला , छोड़ दो कासी रा वासी",malvi-mup "जुगनी ते जुगना चल मणियाँ जुगनी ते जुगना चल मणियाँ , पाणी नु चलियाँ दो जणियां , साडे बुए दे अग्गे नाली , उड़ गया कां ते बै गयी लाली , नी कई सोणी जुगनीशाब्बा , नी कई बांकी जुगनीशाब्बा , नी कई टोई पिरोतीशाब्बा , नी कई लिशकन मोतीशाब्बा , जुगनी ते जुगना चल मणियाँ , पाणी नु चलियाँ दो जणियां , जुगनी जा वडी मदरसे , मुंडे लै किताबाँ नसे , मास्टर खिड खिड कर के हस्से , नी कई सोणी जुगनीशाब्बा , नी कई बांकी जुगनीशाब्बा , नी कई टोई पिरोतीशाब्बा , नी कई लिशकन मोतीशाब्बा , जुगनी ते जुगना चल मणियाँ , पाणी नु चलियाँ दो जणियां , जुगनी जा वडी लाहोर , उन्दे पै गये पीछे चोर , अग़े जुगनी पीछे चोर , चोरां ते पे गये मोर , नी कई सोणी जुगनीशाब्बा , नी कई बांकी जुगनीशाब्बा , नी कई टोई परोती , नी कई लिशकन मोती , जुगनी ते जुगना चल मणियाँ , पाणी नु चलियाँ दो जणियां .",panjabi-pan "तैं चौड़ा तैं चीकणा तैं चौड़ा तैं चीकणा तैं बिरमा का पूत तेरी डाली सींज कै सदा पावै हम सुख जोआं की क्यारी चणै भरी उसने सींजे राधा प्यारी पीपल सींजन मैं चाली कुल अपणे की लाज पीपल सींज्या हर मिले एक पंथ को काज",haryanvi-bgc "मेंदी तो आई टोडा देस से मेंदी तो आई टोडा देस से केसरिया हो राज रूपईया री टांक बेचाय मेंदी म्हारी रंग चुवे हो राज बाईजी रा बीरा घर नई मेंदी कौन मोलाय छोटो देवर लाड़लो , केसरिया हो राज मेंदी मोलावन जाय लसरलसर मेंदी बांटस्यां केसरिया हो राज झबियां झोला खाय , मेंदी म्हारी रंग चुपे हो राज देवर की राची चीटी आँग की भावज का रचिया दोई हाथ न्हाई धोई सीस गुथावियो मोतीड़ा से भरली माँग दो हो जेठानी तमारो हालरो दो हो देराणी तमारो चीर पेली पेड़ी पग दियो कंकू में खरन्या पाँव दूसरी पेड़ी पग दियो मेंदी में खरन्या पाँव तीसरी पेड़ी पग दियो झबलक दिवलो हाथ चौथी पेड़ी पग दियो सिरनी री छाब हाथ पांचीव पेड़ी पग दियो पाना री चोली हाथ मड़मड़ मेड़िया चड़ी गया जई उबा ढ़ोला रा पास जागता था पण सोई गया मुख पर राल्यो रूमाल अंगूठो मोड़ जगा दिया जागोजागो हो नणंद बई का बीर आज का दिन गोरी पीछा फिरो सिर चढ़ियो मथवार ऐसी म्हारा मनड़ा में जाणती लई आती सतवा सोंठ घसी लाती चरका लौंग मड़मड़ मेड़ियां ऊतरिया जई ऊबा राम आँगण बीच लो हो जेठाणी तमारो हालरो लो हो देराणी तमारो चीर लो हो सासूजी तमारा पूत खे खोला में लई ने धवाड़ो तमारो दूद लजायो लो हो बईजी तमारा बीर खे गेंदा दई समजावो एक दमड़ी का भुंगड़ा मंगाऊँ अलीगली में चबावो पटसाल पालणो बंधारन्यां तले बिछाऊँ म्हारी चीर आतेजाते झूला दऊँ तम झूलो हो नणंद बई का बीर ।",malvi-mup "तुम काहे न बोलो अपने लाल से तुम काहे न बोलो अपने लाल से । तेरा टीका जो उलझा लाड़ो माँग से । तेरा दुलहा सुलझावे अपने हाथ से । खेलवड़िया1 सुलझावे अपने हाथ से ॥ 1 ॥ तुम काहे न बोलो गेंदवा2 लाल से । तेरा बेसर जो उलझा लाड़ो नाक से । तेरा दुलहा सुलझावे अपने हाथ से । खेलवड़िया सुलझावे अपने हाथ से ॥ 2 ॥ तुम काहे न बोलो गेंदवा लाल से । तेरा बाली जो उलझा लाड़ो कान से । तेरा दुलहा सुलझावे अपने हाथ से । तेरा बनरा3 छोड़ावे अपने हाथ से ॥ 3 ॥ तुम काहे न बोलो गंेदवा लाल से । तेरा माला जो उलझा लाड़ो गले से । तेरा दुलहा सुलझावे अपने हाथ से ॥ 4 ॥ तुम काहे न बोलो गंेदवा लाल से । तेरा सूहा4 जो उलझा लाड़ो जान5 । तेरा छापा जो उलझा लाड़ो जान से । तेरा दुलहा सुलझावे अपने हाथ से । तुम काहे न बोलो गंेदवा लाल से ॥ 5 ॥",magahi-mag "366 हीर कन्न धरया एह कौन आया कोई एह तां है दरदखाह मेरा जेहड़ा भौर ताजन मैंनूं आखदा है अते गधा बनाया सू चा खेड़ा मतां कन्न पड़वाके मिएं रांझे घत मुंदरां ते लया राह मेरा वारिस शाह मत कन्न पड़ाए रांझा घत मुंदरां मंनया हुकम तेरा",panjabi-pan "दादा केरा अँगना जामुन के गछिया दादा केरा अँगना जामुन के गछिया । सेइ तर1 दुलरइतिन बेटी ठाढ़ , से दादा न बोलइ ॥ 1 ॥ रहियो2 न बोलइ , बटियो3 न बोलइ । पनिया भरइते4 पनिहारिन , से दादा न बोलइ ॥ 2 ॥ अनमा5 से देल दादा , धनमा6 से दिहले । मोतिया दिहले अनमोल जी ॥ 3 ॥ एक नहीं दिहले दादा , सिर के कँगहिया7 । सासु ननद ओलहन8 देत , से दादा न बोलइ ॥ 4 ॥",magahi-mag "हुण किस तों आप लुकाईदा हुण किस तों आप लुकाईदा ? हुण किस तों आप लुकाईदा ? किते मुल्लाँ हो वलेंदे हो , किते राम दुहाई देंदे हो । किते सुन्नत मज़हब दसेंदे हो , किते मत्थे तिलक लगाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? तुसीं हुण मैं सही सिआते हो , हर सूरत नाल पछात हो । जाते हो ते जाते हो , कोई वल छल होर विखाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? तुसीं सभनीं भेखीं थीन्दे हो , मैनूँ हर जा तुसीं दिसीन्दे हो । आप मधकर1 आपे पीन्दे हो , आपे आप तों आप चुकाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? हुण पास तुहाडे वस्सांगे , ना बेदिल हो के नस्सांगे । सभ भेत तुहाडे दस्सांगे , क्यों मैनूँ अग्गना लाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? मैं मेरीहै ना तेरी है , एही अन्त पाप दी ढेरी है । एह ढेरी होणी खेरी है , हुण ढेरी नूँ नाच नचाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? जो याद तुआडी करदा है , सो मरना तों अग्गे मरदा है । ओह माया भी तैत्थों डरदा है , मत मोयाँ नूँ मुड़ कुहाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? वाह , जिसपर करम आवेहा है , तहकीक ओह कीते जेहाहै । सच्च सही रवाएत एहा है , तेरी नज़र महर तर जाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? विच्च भाँबड़2 बाग लवाया ए , जड़ विच्च आप विखाया ए । तैंजाँ अलफों मीम बणाया ए , ताँ बातन की बतलाईदा हुण किस तों आप लुकाईदा ? बाहिर ज़ाहिर डेरा पाओ , आपे डहों ढोल वजाएओ । जग ते आपणा आप जणाओ , फिर अबदुल्ला दे घर धाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? लै हमा ओसत अगहा पाया , ऐस हमा ओसत ने अकल वंजाया3 । जे कोई तैनूँ वेखण आया , आपे तूँ ही तूँ हो जाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? बिन्द्राबन विच्च गऊआँ चरावें , मक्के दा हाजी बण जावें । लंका चढ़ नाद वजावें , वाह वाह क्या रंग बण बण जाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? इस अज़ाँ4 ओसत धाड़ा पाया , पढ़ पढ़ पंडत नाम बणाया । दिल ते इक्को अलफ टिकाया , सो दुआ गंज लुकाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? यूसफ खूहों दे विच्च पाओ , यूनस मच्छी तों निगलाओ । साबर केहड़े घाट बहाओ , फिर ओहनाँ नूँ तख़त चढ़ाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? किते चोर बणे काजी हो , किते मिंबर5 ते बाहि माअज़ी6 हो । किते तेग बहादर गाज़ी हो , आपे आपणा कटक7 बणाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? तूँ ही हाज़र नाले न्यारा , नाहीं न्यारा ऐवें लारा । जे तैं आखाँ ना ही प्यारा , ताँ ऐह घर घर कौण ध्याईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? बेली अल्ला वाली मालक हो , तुसीं आपे आपणे सालक8 हो । आपे खलकत हो आपे खालक हो , आपे अमर मारूफ9 कराईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? जे अल्ला इनसान पढ़ाया ए , ताँ आप नूँ भला छपाया ए । दल चौदाँ तबक10 बणाया ए , किते लम्माँ झगड़ा पाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? मनसूर तुसाँ वल्ल आया सी , तुसाँ सूली पकड़ चढ़ाया सी । ओह मेरा भाई बाबल जाया सी , दे खूम्बहा मेरे भाई दा । हुण किस तों आप लुकाईदा ? बुल्ला सहु ते मैं माएल हाँ , तब कर तिनाएत साएल हाँ । एह साएल का मैं घायल हाँ , घाएल थों आप छपाईदा । हुण किस तों आप लुकाईदा ?",panjabi-pan "428 दोवें मरद सवारियां रावले ने पंज सत पहौड़ियां लाइयां सू गलांह पुट के चोलियां करे लीरां हिकां भन्न के लाल कराइयां सू नाले तोड़ झंझोड़ के पकड़ गुतों दोवें वेहड़े दे वचि भवाइयां सू खोह चूंडियां गलां ते मार नौहदर दो धौन दे मुढ चा लाइयां सू जेहा रिछ कलंदरां घोल हुंदा सोटे चितड़ी ला नचाइयां सू गिटे लक ठकोर के पकड़ तरगो1 दोवें बांदरी वांग टपाइयां सू जोगी वासते रब्ब दे बस कर जाह हीरे अंदरों आख छुडाइयां सू",panjabi-pan "विघण हरण गणराज है विघण हरण गणराज है , शंकर सुत देवाँ कोट विघन टल जाएगाँ , हारे गणपति गुण गायाँ . . विघण हरण . . . शीव की गादी सुनरियाँ , ब्रम्हा ने बणायाँ हरि हिरदें में तुम लावियाँ , सरस्वति गुण गायाँ . . . विघण हरण . . . संकट मोचन घर दयाल है , खुद करु रे बँड़ाई नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है गुण शब्द की दाँसी . . . विघण हरण . . . गण सुमरे कारज करे , लावे लखं आऊ माथ भक्ति मन आरज करे , राखो शब्द की लाज . . . विघण हरण . . . रीधी सीधी रे गुरु संगम , चरणो की दासी चार मुल जिनके पास में , हारे राखो चरण आधार . . . विघण हरण . . .",nimadi-noe "408 वांदी हो के चुप खलो रही ऐं सहती आखदी खैर ना पायो कयों एह तां जोगीड़ा नीच कमजात कंजर , एस नाल उठ भैड़ मचाया कयों आप जा के देह जे हई लैंदा घर मौत ऐ घत फसायो कयों मेरी पान पत एस ने लाह सुटी जान बुझ बेशरम करायो कयों मैं तां एसदे हथ विच आन फाथी मास शेर दे हथ फहायो कयों वारस शाह मियां एस मोरनी दे दुआले लाएके बाज छुडायो कयों",panjabi-pan "मैं चूहड़ेटड़िआँ वे मैं चूहड़ैटड़िआँ1 वे सच्चे साहेब दी सरकारों । ध्यान दा छज्ज ज्ञान का हाडू , बुरे अमल नित्त झाड़ो रहाउ । हाकम काज़ी मुफ्ती जाने , सात्थों धारखती2 वगाचों । तउ बाज्झू मेरा होर ना कोई , कै पै जाए पुकारों । रातीं देहो एहो मँगदी , दूर ना कीचै दरबारों । बुल्ला सहु इनायत करके , हुण खबर मिले दीदारों ।",panjabi-pan "कन्यादान गीत काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । गुंडी वटली हारू मांगे नदान बेनी । काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । मांजरि कुतरि हारू मांगे नदान बेनो । काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । सिरको पलंग हारू मांगे नदान बेनी । काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । डोबा पाड़ा हारू मांगे नदान बेनो । काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । तागली ने हार मांगे नदान बेनी । काइ काइ दायजो हारू , मांगे नदान बेनी । पागड़ि वनात हारू मांगे नदान बेनो । दहेज में वरवधू क्या माँग रहे हैं ? इस पर वधू पक्ष की ओर से यह गीत गाया जाता है । नासमझ बनी क्याक्या दायजे मंे माँग रही है ? उत्तर में गाते हैं घुण्डीबटलोई माँग रही है । नासमझ बना दहेज में क्याक्या माँग रहा है ? उत्तर में अनचाही वस्तु भैंस व पाड़ा माँगने का बताया है । नासमझ बनी दहेज में क्याक्या माँग रही है ? उत्तर में तागली और हार बताया है । बना दहेज में क्याक्या माँग रहा है ? अब उत्तर में वाँछित वस्तु पगड़ी और बनात कहा गया है ।",bhili-bhb "विवाह - गीत - बाबा जे बेटी बुलावें बाबा जे बेटी बुलावें जांघ बैठावे बेटी कौन कौन सुख पायु महसे कहो अर्थाये सोने के कटोरवा बाबा हमरा भोजँव दुधवा हमरा अस्नान सोने की पलंगिया बाबा हमरी सेजरिया भुईया मै लोटहूँ अकेल उसर जोत बेटी काकर बोयों न जान्यो तित की मीठ नगर पैईठ बेटी तोरा बार दूँढयों नहि जान्यो करमा तोहर",awadhi-awa "अंगिका बुझौवल बन जरेॅ , बनखंड जरेॅ खाड़े जोगी तप करेॅ । दीवाल , भीत फूलेॅ नै फरै ढकमोरै गाछ । ढिबरी हीलेॅ डोरी , कूदेॅ बाथा । डोरीलोटा फूल नै पत्ता , सोझे धड़क्का । पटपटी मोथा जाति का एक पौधा मीयाँ जी रोॅ दाढ़ी उजरोॅ मकरा नाँचै सूतोॅ बढ़ेॅ । ढेरा सें सुथरी की रस्सी बाँटना जोड़ा साँप लटकलोॅ जाय सौंसे दुनिया बन्हलोॅ जाय । रस्सी छोटकी पाठी पेट में काठी पाठीकाठी रग्गड़ खाय सौंसे गाँव दिया जराय । दियासलाई उथरोॅ पोखर तातोॅ पानी ललकी गैया पीयेॅ पानी । दिया करिया हाथी हड़हड़ करेॅ दौड़ेॅ हाथी चकमक बरेॅ । बादल बिजली झकमक मोती औन्होॅ थार कोय नै पावै आरपार । आकाश और तारे नेङड़ा घोड़ा हवा खाय कुदकी केॅ छप्पर चढ़ि जाय । धुआँ जल काँपै , तलैया काँपै पानी में कटोरा काँपै । जल में चाँद की परछाँही",angika-anp "हाथों जरी का रूमाल बन्ना री मेरा मेवा ल्याया हाथों जरी का रूमाल बन्ना री मेरा मेवा ल्याया आया तो आया बन्ना नीलगरनी की गलियां नीलगरनी हुई कुरबान बन्ना मेरी साड़ी ल्याया बन्ना री . । । आया तो आया बन्ना मोची की गलियां मोचन हुई कुरबान बन्ना मेरा जूता ल्याया बन्ना री . । । आया तो आया बन्ना दरजी की गलियां दरजन हुई कुरबान बन्ना मेरा जोड़ा ल्याया बन्ना री . । । आया तो आया बन्ना सुसरे के अंगना सासू हुई कुरबान बन्ना मेरा ब्यावहन आया बन्ना री . । । आया तो आया बन्ना चौरी डिग बैठा बन्नो हुई कुरबान बन्ना मेरा सुन्दर आया । बन्ना री . । । आया तो आया बन्ना सलोक सुनाने आया सब ही हुए कुरबान बन्ना मेरा पंडित आया बन्ना री . । ।",haryanvi-bgc "निमन्त्रण गीत आखो हरियालो डुंगर , काली कुयल बुले बेनी । आवसे तारा भाइन जुड़ि , सरस्यो कागद भेजो वो । आखो हरियालो डुंगर , काली कुयल बुले बेनी । आवसे तारि भोजाइ निजुड़ि , सरम्यो कागद भेजो बेनी । आवसे तारा बणवि निजुड़ि , सरम्यो कागद भेजो बेनी । आवसे ताराा फुवा निजुड़ि , सरम्यो कागद भेजो बेनी । आवसे ताराा फुवा निजुड़ि , सरम्यो कागद भेजो बेनी । आखो हरियालो डुंगर , काली कुयल बुले बेनी । पूरा जंगल हरा हो गया है उसमें काली कोयल बोल रही है । बनी तेरे भाई की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो । तेरी भौजाई की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो । तेरे बहनोई की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो । तेरे फूफा की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो । तेरी बुआ की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो ।",bhili-bhb "181 हीर आखया ओसनूं कुड़ी करके बुकल विच लुका लिआया जे आमो साहमणे बैठ के करां झेड़ा तुसीं मुनसफ1 हो मुकाया जे मेरे माओं ते बाप तों करो पड़दा गल किसे ना मूल सुनाया जे जेहड़े होन सचे सोई छुट जासन रत्न झूठियां नूं चाए लाया जे मैं आख थकी ओस कमलड़े नूं लै के उठ चल वकत घुसाया जे मेरा आखना ओस ना कन्न कता हुण कासनूं डुसकना लाया जे वारस शाह मियां एह वकत घुथा किसे पीर नूं ना हथ आया जे",panjabi-pan "झुला दो रघुबर के पालने री झुला दो रघुबर के पालने री । झुलाओ मोरे हरि के पालने री । कै गोरी आली सबरे बृज की संखियां , घेर लए हरि के पालने री । झुला दो . . . कै मोरी आली कोरी मटुकिया को दहिया , जुठार गयो तोरो श्यामलो री । झुला दो . . . कै मोरी आली तू गूजरी मदमाती , पलना मोरो झूले लाड़लो री । झूला दो . . .",bundeli-bns "करमा गीत-4 हाय रे हाय मैं तो नहिं जानों जी कहां बोहावे जाम झरिया धर से निकरे फरिका मेर ढाढ़े कहां बोहावे जाम झरिया । डोंगरी च डोंगरी तै चड़ि जाबे । नीचे बोहावे जाम झरिया एक कोस रेंगे । दुसर कोस रेंगे तीसरे मा पहुँचे जाम झरिया हाथे मा गगरी मूढ़े मा गुढ़री खड़े देखय जाम झरिया ।",chhattisgarhi-hne "ऊंची कीकर हे मां मेरी पालना री ऊंची कीकर हे मां मेरी पालना री हां जी कोए डालें डालें पात क्यूँ जन्मी थी हे मां मेरी धीयड़ी री सासू रंगाई हे मां मेरी चूंदड़ी री अल्ले तो पल्ले हे मां मेरी खोंसड़े री हां जी कोए बीज नणद के बोल क्यूँ जन्मी थी हे मां मेरी धीयड़ी री",haryanvi-bgc "लोगे ही लोगे महकाय मोरी मैया लोंगें ही लोंगें महकाय मोरी मैया , तेरा बगीचा लोंगों का । कौन लगाये मैया बेला चमेली , कोने लगाई अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . देवी लगाई मैया बेला चमेली , लंगुरा लगाये अनार मोरी मैया तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . कैसे के गोडूं मैया बेला चमेली , कैसे के गोडूं मैया अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . कुदरन गोडूं मैया बेला चमेली , खुरपन गोडूं अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . कैसे के सींचूं मैया बेला चमेली , कैसे के सींचूं अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . दूधन सींचूं मैया बेला चमेली , अमृत सींचूं अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . कै फूल फूले मैया बेला चमेली , कै फूल फूले अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . कौना चढ़ाये मैया बेला चमेली , कौना चढ़ाये अनार मोरी मैया । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . देवी चढ़ाये मैया बेला चमेली , लंगुरा चढ़ाये अनार तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . . मोरी मैया तेरा बगीचा लोंगों का । तेरा बगीचा लोंगों का । लोंगें . . .",bundeli-bns "बाजार बकेंदी बरफी (ढोला) बाजार बकेंदी बरफी मैंनू लैंदे निक्की जिही चरखी ते दुखाँ दीया पूणीयाँ जीवें ढोला ढोल जानी साडी गली आवें तैंडी मेहरबानी भावार्थ ' बाज़ार में बरफ़ी बिकती है मुझे छोटीसी चरखी ले दो और दुखों की पुनियाँ जीते रहो , ढोला ओ ढोल , ओ प्राणधन तुम हमारी गली में आओ तो तुम्हारी मेहरबानी हो '",panjabi-pan "माय भवानी मोरी पाहुनी हो मा माय भवानी मोरी पाहुनी हो मां । चन्दन पटली बैठक डारों , दूधा पखारों दोऊ पांव । भवानी . . . दार दरों मैं मूंग की माता , राधौं मुठी भर भात । भवानी . . . खाके जूंठ मैया अचवन लागीं , मुख भर देतीं असीस । भवानी . . . दूध पूत मैया तोरे दये हैं , बरुआ अमर हो जायें । भवानी . . . सुमिरसुमिर मैया तोरे जस गाऊं , चरण छोड़ कहां जाऊं । भवानी . . .",bundeli-bns "बोडो सूय की माय बोडो इयानी माय माय बोडो सूय की माय बोडो इयानी माय माय बोडो सूय की माय बोडो इयानी माय माय इयां रानी केन्डो निभाटी जीटा इयां रानी केन्डो निभाटी जीटा इयानी नागा कसूबा जा बेया बेटा इयानी नागा कसूबा जा बेया बेटा चोपार टेम जा वो मारे चोपार टेम जा वो मारे लंगड़ा घुड़गी सायोमयी डी माय लंगड़ा घुड़गी सायोमयी डी माय घुड़गी डीजे टेनडो बो मारे एक जी पाय आगशो डाले माय एकी जो पाय धरती माय एकी जो पाय धरती डाले डो मोके निवाय स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "414 खैर फकर नूं अकल दे नाल दीजे हथ सभल के बुक उलारिए नी कीजे ऐड हकार ना जोबने दा मान मतीए मस्त हंकारीए नी कीजे हुसन दा मान ना भाग भरीए छल जासिया रूप विचारीए नी ठूठा भन्न फकीर दा पटयो ई शाला यार मरे रन्ने डारीए नी मापे मरन हंकार भज पवे तेरा अनी पिटन दीए वणजारीए नी",panjabi-pan "एक ही रे माय का सात लड़का एक ही रे माय का सात लड़का एक ही रे माय का सात लड़का सात लड़का रे नगदी फिरीये रे सात लड़का रे नगदी फिरीये रे हाथ में कटोरा कांधा में झूलेना लियो बेटा रे नगदी फिरो रे हाथ में कटोरा कांधा में झूलेना लियो बेटा रे नगदी फिरो रे असली बेटा असली बाहू रे नगदी फिरो रे असली बेटा असली बाहू रे नगदी फिरो रे नगदी से नगदी फिरो रे बेटा मुठी भर ज्वारी मागी फिरो रे नगदी से नगदी फिरो रे बेटा मुठी भर ज्वारी मागी फिरो रे कांधा में झूलेना हाथ में कटोरा लियो रे बेटा नगदी फिरो रे कांधा में झूलेना हाथ में कटोरा लियो रे बेटा नगदी फिरो रे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली , वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । कीता मुड़के पाणी पाणी , भिज गया मेरा सूट जापानी , पिघले गर्मी नाल जवानी , मखणा नाल जो पाली , वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी , कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी , फूँक भरा ए पख्खा खजूरी , तलियां दी जड़ गाली , वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा , सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा , मन्न लै आखा ना ला लारा , कहन्दीऊ हीर सियाली , वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां , सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां , झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां , आये न बिजली हाली , वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।",panjabi-pan "आज बिरज मे होरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया । कौना गांव के कुंअर कन्हैया , कौना गांव की गोरी रे रसिया । आज . . . नन्दगांव के कुंअर कन्हैया , बरसाने की गोरी रे रसिया । आज . . . अपनेअपने महल से निकरीं सखी सब कोऊ श्यामल कोऊ गोरी रे रसिया । आज . . . उड़त गुलाल लाल भये बादर , मारत भरभर रोरी रे रसिया । आज . . .",bundeli-bns "मेरी सास ने सात जाये मेरी सास ने सात जाये मेरे करम में बोन्ना री मुलक हंसणा री जगत हंसणा एक मेरे मन में ऐसी आवै पाथ धरूं पथरावै मैं मुलक हंसणा री जगत हंसणा नान्ही नान्ही बूंद पड़ैं थी चमक आया पथवारे में री मुलक हंसणा री जगत हंसणा एक मेरे मन में ऐसी आवै गेर आऊं कुरड़ी पै मुलक हंसणा री जगत हंसणा जोर सोर की आंधी आई चमक आया कुरड़ी मैं री मुलक हंसणा री जगत हंसणा एक मेरे मन में ऐसी आवै खारी मैं धर बेच आऊं री मुलक हंसणा री जगत हंसणा आगै मिल ग्या हरिअल पीपल उसके बांध आई री मुलक हंसणा री जगत हंसणा घर में आकै देखण लागी बोन्ने बिना उदासी री मुलक हंसणा री जगत हंसणा ऊपपर चढ़कै देखण लागी पीपल पाड़ैं आवै री मुलक हंसणा री जगत हंसणा बोन्ने का तो बोन्ना आया मुफ्ती इंधन ल्याया री मुलक हंसणा री जगत हंसणा",haryanvi-bgc "212 डोली चढ़दयां मारियां हीर चीकां मैंनूं लै चले बाबला लै चले वे मैंनूं रख लै बाबला हीर आखे डोली घत कहार नी लै चले वे मेरा आखया कदी न मोड़दा सैं उह समें बाबल किथे गये चले वे तेरी छतर छावें बाबल रूख वांगू घड़ी वांग मुसाफरां बह चले वे दिन चार न रज अराम पाया दुख दरद मुसीबतां सह चले वे साडा बोलया चालया माफ करना पंज रोज तेरे घर रह चले वे लै वे रांझया रब्ब नूं सौंपयों तूं असी जालमा दे वस पै चले वे जेहड़े नाल खयाल उसारदी सां खाने सभ उमैद दे ढह चले वे असां वत ना आय के खेडना ई बाजी इशक वाली करके तह चले वे सैदे खेड़े दी अज मुकान होई रोन पिटन करदे हाए हाए चले वे चारे कन्नियां मेरियां वेख खाली असीं नाल नहीयों कुझ लै चले वे कूड़ी दुनियां ते शान गुमान कूड़ा वारस शाह होरीं सच कह चले वे",panjabi-pan "झिल मिल साफा बांध दिखे री झिल मिल साफा बांध दिखे री दिल्ली में भरती हो लिया छुट्टी आया री भरतार दिखे री मेरा ठंडा कालजा हो गया झट पट मांडे पौए दिखे री आलू का साग बणा लिया पूरी मांगी ना साग दिखे री मनै घाल्या उतणा खा लिया निकल्या बिचली गाल दिखे री भावज के घर नै जा रह्या खोलो भाभी अजड़ किवाड़ी दिखे री भाभी सांकल खोलो लोहै सार की खुलगे अजड़ किवाड़ दिखे हो देवर सांकल खुलगी लोहै सार की आओ देवर मूढै पै बैठ दिखे तैं तो घणे दिन्यां मैं बाह्वड़ा हम नौकर सरकार दिखे री भाभी छुट्टी मिली जद आ लिया ।",haryanvi-bgc "जन्म के गीत-2 ननदी बोलयेंव उहू नइ आइस ननदी हो हमार का करि लेहव । बहिनी बलाके कांके मढ़ई बोन हम छबीली सबे के काम पड़बोन । । ननदोइ बोलयेंव उहू नइ आइस भोटो बला के नरियर फोरा ले बोन हम छबीली सबे के काम पड़बोन । । जेठानी बोलायेंव उहू नइ आइस जेठानी हो हमार का करि लेहव । भौजी बला के , सोंहर गवाबोन हम छबीली सबे के काम पड़बोन । । जेठ जो बोलायेंव उहू नइ आइस जेठ हो हमार का करिलेहव । भाई बला के बन्दुक छुटबई लेबोन हम छबीली सबे के काम पड़बोन । । ससुर बोलायेंव उहू नइ आइस ससुर हो हमार का करिलेहव । बापे बला के नाम धरइ ले बोन हम छबीली सबे के काम पड़बोन । । सासे बोलायेंव उहू नइ आइस सासे हो हमार का करिलेहव । दाई बला के टुठू बधवइबोन हम छबीली सबे के काम पड़िबोन । ।",chhattisgarhi-hne "बीबी की दादी रानी जी से अरज करै बीबी की दादी रानी जी से अरज करै बिटिया की अम्मा बाबुल जी से अरज करै बिटिया ऐसे घर दीजो जी पलंग बैठी राज करै सोने का पलका जी बैठी हुक्म करै सोने की झारी जी चौका बैठी दातुन करै छोटे देवर नन्नदें ‘भाभी’ ‘भाभी’ नित ही करैं बन्ना राजकुंवर सा जी सब कुछ न्यौछावर करै बीबी की चाची ताई भाभी जीजी अरज करै लाडो ऐसे घर दीजो जी रानी बनी हुक्म करै ससुर राजा दसरथ से औ कौसल्या सास मिलै वर तो कुंवर कन्हैया जी ‘रानी’ ‘रानी’ नित ही करै",haryanvi-bgc "ईसुरी की फाग-4 उनकी होय न हमसों यारी उनसों होय हमारी मन आनन्द गईं मन्दिर में , शिव की मूरत ढारी परसत चरन मनक मुन्दरी में , मुख की दिसा निहारी गिरजापति वरदान दीजिए , जौ मैं मनें बिचारी ईसुर सोचें श्री कृष्ण खों , श्री बृखमान दुलारी भावार्थ वे हमसे प्रेम करें या न करें , हम उनसे प्रेम करते हैं । वे मन्दिर में गईं , शिव जी पर जल चढ़ाया , पर अपनी अंगूठी के नग में जब मुखदशा निहारी तो अपने चेहरे की जगह उदासनिराश ईसुरी ही दिखाई दिए । मन्दिर में एक ब्राह्मण को जाने से कौन रोक सकता है ? वृषमान नन्दिनी की तरह उसने वरदान मांगा कि हे गिरिजापति मेरी मनोकामना पूरी करो ।",bundeli-bns "कहऽ त धानी अपन मइया बोलाबूँ कहऽ त धानी1 अपन मइया2 बोलाबूँ । न राजा हो , उनकर3 आदर अब कउन4 करतइन5 ॥ 1 ॥ कहऽ त धानी अपन बहिनी बोलाबूँ । न राजा हो उनकर नखरा कउन सहतइन6 ॥ 2 ॥",magahi-mag "हँस हँस के बाल सँवारे घूँघट खोले लाल बना हँस हँस के बाल सँवारे घूँघट खोले लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा टीका देख लोभाना1 लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा मोतिया देख लोभाना लाल बना । हँस हँस के बाल सँवारे , घूँघट खोले लाल बना ॥ 1 ॥ अरी ए अम्माँ , मेरा बेसर देख लोभाना , लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा चुनिया2 देख लोभाना , लाल बना । हँस हँस के बाल सँवारे , घूँघट खोले लाल बना ॥ 2 ॥ अरी ए अम्माँ , मेरा कँगन देख लाभाना , लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा पहुँची देख लोभाना , लाल बना । हँस हँस के बाल सँवारे , घूँघट खोले लाल बना ॥ 3 ॥ अरी ए अम्माँ , मेरा हँसुली देख लोभाना , लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा हरवा3 देख लोभाना , लाल बना । हँस हँस के बाल सँवारे , घूँघट खोले लाल बना ॥ 4 ॥ अरी ए अम्माँ , मेरा सूहा4 देख लोभाना लाल बना । अरी ए अम्माँ , मेरा छापा देख लोभाना , लाल बना ॥ 5 ॥ अरी ए अम्माँ , मेरी सूरत देख लोभाना , लाल बना । हँस हँस के बाल सँवारे , घूँघट खोले लाल बना ॥",magahi-mag "240 होका फिरे देंदा पिंड विच सारे आयो किसे फकीर जे होवना जे मंग खावना कम्मना काज करना ना कुझ चारना ते ना कुझ चोवना जे जरा कन्न पड़वा सवाह मलनी गुरु सारे जगत दा होवना जे नही देनी वधाई फिर जमने दी किसे मोए नूं मूल ना रोवना जे मंगना खावना ते नाले घूरना जे देनदार न किसे दे होवना जे खुखी आपनी उठना मियां वारस अते अपनी नींद ही सोवना जे",panjabi-pan "वर शृँगार मोड़ मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । पागा मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । झूल मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । धोती मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । मुजा मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । तरवार मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । मुजड़ि मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना । वर शृँगार सामग्री बाजार से क्रय कर लाने के लिये दूल्हे को कहा गया है हे चतुर बना मौर क्रय कर जल्दी आओ । इसी प्रकार सभी वस्तुओं को क्रय करने के बारे में कहा गया है ।",bhili-bhb "चोरी माखन की दै छोड़ि कन्हैया चोरी माखन की दै छोड़ि कन्हैया मैं समझाऊँ तोय एक लख धेनु नंद बाबा कें नित घर माखन होय दधि माखन तू रोज चुरावै हँसी हमारी होय चोरी माखन की दै छोड़ि कन्हैया मैं समझाऊँ तोय . . .",braj-bra "हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे , मेरा राँझण माही मक्का , नी मैं कमली आँ । मैं ते मंग राँझे दी होई आँ , मेरा बाबल करदा धक्का1 , नी मैं कमली आँ । हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे , मेरे घर विच्च नौ सौ मक्का , नी मैं कमली आँ । विच्चे हाजी विच्चे गाज़ी2 , विच्चे चोर उचक्का , नी मैं कमली आँ । हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे , असाँ जाणा तख़त हज़ारे , नी मैं कमली आँ । जित वल्ल यार उते वल्ल काअबा , भावें फोल किताबाँ चारे3 , नी मैं कमली आँ ।",panjabi-pan "63 घोल घोल घत्ती तैंडी वाट उतों बेली दस खां किधरों आवना है किसे मान मत्ती घरों कढिया तूं जिस वासते फेरियां पौणा है कौण छड आयों पिछे मेहर वाली जिस वासते तूं पछोतौणा है कौण ज़ात ते वतन नाम की साइओं दा अते जात दा कौण सदावना है तेरे वारने होनिआं मैं चौखने मंगू बाबले दा चार लिआवना है मंगू बाबले दा ते तूं चाक मेरा एह भी फंध लगे जे तूं लावना है वारस शाह चहीक1 जे नवीं चूपें सभे भुल जानीं जेहड़ियां गावना है",panjabi-pan "516 वकत फजर1 दे उठ सहेलियो नी तुसां अपने आहरी ही आवना जे माऊ बाप नूं खबर ना करो काई भुलके बाग नूं पासनां लावना जे वहुटी हीर नूं बाग लै चलना जे जरां एस दा जीउ वलावना जे लावन फरनि विच कपाह भैनां किस पुरूष नूं नही वखावना जे राह जादियां नूं पुछन लोक अड़ियो कोई इफतरां2 चा बनावना जे खेडो समीयां ते ततो पबीयां3 नि भलक खूह नूं रंग लगावनां जे वड़ो वट लगोटड़े विच पैली बन्ना वट सभ पुट वखावना जे बन्ह झोलियां चुनो कपाह सभ ते मुदासयां रंग सहावना जे वडे रंग सोहन इको जेडियां दे राह जांदयां दे सांग लावना जे चरखे चाए भरोटड़े4 कज उठो किसे पूनि नूं हथ लावना जे वारस शाह मियां एहो अरथ होया सभनां अजूदे फलेनूं जावना जे",panjabi-pan "मलिया के बाघ में बरसे झालर मेघ हे मलिया के बाघ1 में बरसे झालर2 मेघ हे । भींजले दुलरुआ मउरिया3 सहित हे ॥ 1 ॥ मउरी के रखिहऽ दुलरुआ मलिया के पास हे । निहुरि निहुरि4 दुलरुआ करिहऽ5 परनाम हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "राजा थें तो जागो ने जागो जी राजा थें तो जागो ने जागो जी जागो हो नणंद बई रा बीर सुन्ना रा सेहरे रंग लागो राज थारा पांव रा मौजा मेंदी बाली म्हारा राज गुलाबी चुड़िले रंग लागो",malvi-mup "माथा पर लीवि गोबर टोपली हो माथा पर लीवि गोबर टोपली हो , तू कां चली नार । । जै मठ रनुबाई आसन बठिया , ओ मठ लिपवा जावां ओ रनादेव , एक बालुड़ो दऽ । । एक बालुड़ो का कारण , म्हारो जनम अकारथ जाय , एक दीजे लूलो पांगलो हो , म्हारी सम्पति को रखवालो , म्हारा कुळ को हो उजालो , एक बालुड़ो दऽ । ।",nimadi-noe "बीजी जावा बीजी, हे खोली का गणेश बीजी जावा बीजी1 , हे खोली2 का गणेश बीजी जावा बीजी , हे मोरी का नारेण3 बीजी जावा बीजी , हे खतरी4 का खैंडो5 बीजी जावा बीजी , हे कूंती का पंडौऊं6 बीजी जावा बीजी , हे काँठ्यों7 उदंकारों8 बीजी जावा बीजी , हे नौखंडी9 नरसिंह बीजी जावा बीजी , हे संभु भोलेनाथ बीजी जावा बीजी , हे रात की चाँदनी बीजी जावा बीजी , हे दिन का सूरज बीजी जावा बीजी , हे ऐंच का आगास10 बीजी जावा बीजी , हे नीस11 की धरती बीजी जावा बीजी , हे नौ खोली का नागों",garhwali-gbm "जच्चा हाय मैया हाय दैय्या करती फिरै जच्चा हाय मैया हाय दैय्या करती फिरै हांडी सा पेट घुमाती फिरै । दाई आवै होलड़ जनावै वानै बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै । सासड़ आवै सथिया धरावै वाने बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै । जिठानी आवै पलंगा बिछावै वानै बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै । दौरानी आवै दीवा बलावै वानै बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै । नणदल आवै दूधी धुलावै वानै बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै । पड़ोसन आवै गीत गवावै वानै बी नेग दिलावती फिरै । जच्चा हाय मैय्या हाय दैय्या करती फिरै ।",haryanvi-bgc "285 भेत दसना मरद दा कम्म नाहीं मरद सोई जो वेख दम घुट जाए गल जीऊ दे विच जो रहे खुफिया काउं वांग पैखाल1 ना सुट जाए भेत दसना किसे दा भला नाहीं भावें पुछ के लोक नखुट जाए वारस शह ना भेत संदूक खुले भावें जान दा जंदरा टुट जाए",panjabi-pan "माई तुम्हरे श्याम कौन गुण कारे माई तुम्हरे श्याम कौन गुण कारे , कौन गुण कारे । माई तुम्हरे श्याम . . . गोरे नन्द बाबा , सो गोरी यशोदा सो गोरे ही हैं , बलराम तुम्हारे , बलराम तुम्हारे । माई तुम्हरे श्याम . . . कारे जिन कहो ग्वालन कारे ही हैं जग के उजियारे , मोरी आँख के तारे । माई तुम्हरे श्याम . . . खेलत गेंद गिरी जमुना में सो नागनाथ जैसे हो गये कारे , एही गुन कारे । माई तुम्हरे श्याम . . .",bundeli-bns "तिलू रौतेली ओ काँडा1 को कौतिक2 उन्यो3 , ओ तिलू कौतिक जौला4 । धका धैं धैं तिलू रौतेली धका धैं धैं । द्वी वीर मेरा रणशूर ह्वेन , भगतू5 पतर को बदलो लेक कौतिक खेलला , धका धैं धैं तिलू रौतेली धका धैं धैं । अहो रणशूर बाजा बजी गेन रौतेली धका धैं धैं । बोइयों को दूध तुम रणखेतू बतावा धका धैं . . . । तीलू रौंतेली ब्वादा रणसाज सजावा धका . . . । ईजा6 मैंण यू बीरु टीका लगावा , साज सजावा धका . . . । मैं तीलू बोलूद जौंका भाई होला , जौकी बैण होला , ओ रणखेतू जाला धका धैं धैं । बल्लू7 पहरी तू मुल्क जाईक धाई लगादे धका . . . । वीरौं की भ्रकुटी तनीगे धका . . . । तील रौतेली धका धैं धैं । ओ अब बढ़ो सलाण नाचण लाग धका . . . । अब नई ज्वानी आइगे धका . . . । बेलू देवकी द्वी संग चलीगै धका . . . । ओ खैरागढ़ मा जुद्ध लगी गै धका . . . । खडकू रौत तख मरीगे धका धैं धैं । तोलू रौतेली धका धैं धैं । ओ काँडा को कौतिक उरो धका . . . । तिलू रौतेली तुम पुराण हथियार पुजावा धका . . . । अपनी ढाल कटार तलवार सजावा धका . . . । घमडू की हुड़की बजणी बैठे धका . . . । ओ रणशूरसाज सजीक आगे तीतू रौतेली धका . . . । दीवा को उस्टानकर याल धका . . . । रण जीति घर आइक गाडूलो छत्तर रे । धका धैं धैं तोलू रौतेली धका धैं धैं । पहुँची गैतीलू8 टकोली भौन धका . . . । यख विद्वा कत्यूरो मारियल धका . . . । तब तीलू पहुँचीगै सल्ड महादेव । ओ सिगनी शार्दुला धका . . . । शार्दुला तीलु अब बढ़ीगै भिलण भौन । धका धैं धैं तीलू रौतेलो धका . . . । यख कख मारी कै की बढ़ोगै चौखटिया9 देघाट10 धका . . . । विजय मिल पर तीलू घिरीधै धकाः , बेल्लू देवकी रणखेतूमा यखी काम ऐन । इतना माँ शिब्बू पोखरियाल मदद लेक आइग धका . . . । जब शार्दुला लड़द लड़द पहुँची कालिंका खाल सराईखेत आइगै घमसाण युद्ध धका . . . । सार्दुला की मार से कत्यूरा रण छोडी भागीगे धका . . . । यू कत्यरौं क खन से तर्पण देईक कौंतिक खेललो धका . . . । रणभूत पितरों को कख तर्पण दिऊला धका . . . । यख शीब पोखरियाल तर्पण देण लग्ये धका . . . । सराईखेत नाम तभी से पड़ा धका . . . यो कौतिग तलवारियों को हालो धका . . . । ये ताई खेलल मर्दाना मस्ताना रणबांकुर ज्वान धका . . . । सरदार चला तुम रणखेत चला तुम धका . . . । धका धैं धैं तिलू रौतेली धका . . . । ओ रणसिघा रणभेरी , नगाड़ा बजीगै धका . . . । ओ शिबू ब्वाडा तर्पण करण खैरागढ़ धका . . . । अब शार्दुला पहुँची गै खैरागढ़ धका । यह जीत कत्यूरा मारी राजुला जैरौतेली आगे बढ़ोगे . . . । रणजीति सिंघनी दुबाटा मा नाणलग्ये धका . . . । रामू रजवार घात पाइगै धका . . . । राजूला त रणचण्डी छई अपणो काम कैकी नाम धरीगे । कौतिका जाईक खेलणों छयो खेली याल , याद तौं की जुग जुग रहली धका धैं धैं । तू साक्षी रैली खाटली की देवी , ओ तू साक्षी रैलो पंच पाल देव । कालिका की देवी , लंगूरिया भैरो , तड़ासर देव , अमर तीलु सिंगनी शार्दुला , जब तक भूमि , सूरज आसमान , तीलू रौतेली की तब तक याद रैली , धका धैं धैं तीलू रौतेली धका धैं धैं ।",garhwali-gbm "ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो झुब्बादार लाइयो करेलीदार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर . . . . . तुम सहर बरेली जाइयो , आच्छा सा सुरमा लाइयो लगाइयो अपने हाथ , नारी झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर . . . . तुम सहर बनारस जाइयो , बढ़िया सी साड़ी लाइयो बन्धाइयो अपने हाथ , नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर . . . तुम मथुरा जी को जाइयो , अच्छे पेरा लाइयो खवाइयो अपने हाथ , नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतली कमर . . . तुम बिन्दराबन को जाइयो , आच्छौ सो लहंगो लाइयो पहनाइयो अपने हाथ , नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतली कमर . . .",haryanvi-bgc "499 अड़ियो कसम मैंनूं जे यकीन करो मैं निरोल बेगरज बेदोसियां नी जेहड़ी आप विच रमजां सुनांदियां हो नहीं जानदी मैं चापलोसियां नी मैं तां पेकियां नूं पई याद करां पई पाउनियां नित ओसिआं नी वारस शाह क्यों तिन्हां अराम आवे जेहड़ियां इशक दे ता विच लूसियां नी",panjabi-pan "बहू हे तेरा नाम चमेली बहू हे तेरा नाम चमेली हे तू किस बालक की नार बहू तूं सुथरी घणी से हे सास मैं पाणी ने गई थी री उड़े आ रही एक बड़ी फौज फौज में तै तेरा लाल खड़ा री वो तै ले रहा अंगरेजी बैंत बात अंगरेजां तैं कर रहा री बहू हे तूं पक्के दिल की तनें देख्या मेरा लाल बहू हे तूं घर क्यों न ले आई सास वो तो जहाजां में बैठ लिया री उसने करड़े कर दिये पेच जहाज मिसर में तार्या री",haryanvi-bgc "जोगी ढ़ुढ़ण हम गया जोगी ढ़ुढ़ण हम गया , कोई न देखयो रे भाई १ एक गूरु दुजो बालको , तीजो मस्त दिवानो छोटा सा आसण बैठणा जोगी आया हो नाही . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . २ जोगि की झोली जड़ाव की , हीरा माणीक भरीया जो मांगे उसे दई देणा जोगी जमीन आसमानाँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . ३ आठ कमल नौ बावड़ी , जीन बाग लगाई चम्पा चमेली दवणो मोंगरो जीनकी परमळ वासँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . ४ पान छाई जोगी रावठी , फुल सेज बिछाई चार दिशा साधु रमी रया अंग भभुत लगाईँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . .",nimadi-noe "अंगिका फेकड़ा एक मटर पैलेॅ छी एँड़िया तर नुकैलेॅ छी सातो गोतनी पीसै छै एक गोतनी रूसली केकरा लेॅ ? बुढ़वा लेॅ । बुढ़वा गेलोॅ छै बारी कौआँ नोचै छै दाढ़ी छोड़ , छोड़ रे कौआ अब नै जैबौ बारी हाथी पर हथमान भैया घोड़ा पर रजपूत डोली पर बिहौती कनियाँ खोपोॅ हुएॅ मजबूत । एक तारा दू तारा मदन गोपाल तारा मदना के बेटी बड़ी झगड़ाही अक्का गोलगोल , पक्का पान शिवोॅ के बेटी कन्यादान काना रे कनतुल्लातुल्ला पीपर गाछी मारे गुल्ला साँप बोले कोंकों , कबुत्तर माँगे दाना हम्में तोरोॅ नाना । आव आव रे पर्वत सुगा अण्डा पारीपारी देॅ जो । तोहरा अण्डा आग लागौ नूनू आँखी नीन गे आव रे कौआ उचरी केॅ नूनू खैतोॅ कुचरी केॅ आव रे कौआ ओर सें नूूनू खैतोॅ कौर सें । नूनू के माय कुछुए नै खाय ऐंगन एत्तेॅ गो रोटी खाय पानी पियैलेॅ पोखर जाय पोखरी के कछुआ लेलक लुलुआय वहाँ के पियासली कुइयाँ जाय कुइयाँ के बेंगवा लेल लुलआय वहाँ के पियासली गंगा जाय गंगा माँता दिएॅ आशीष चिर युग जिएॅ नूनू लाख बरीस लाख बरिस के खुण्डाखुण्डी लाख बरिस के नूनू हमरोॅ ।",angika-anp "रामचंदर जलम लेलन चइत रामनमी के रामचंदर जलम लेलन1 चइत2 रामनमी के ॥ 1 ॥ डगरिन जे नेग3 माँगइ , नार के कटाइ4 । कोसिला के कँगन लेमो , 5 चैता रामनमी के ॥ 2 ॥ नाउन6 जे नेग माँगे , पैर के रँगाइ । कोसिला के कँगन लेमो , चैता रामनमी के ॥ 3 ॥ धोबिन जे नेग माँगे , फलिया7 के धोबाइ8 । कोसिला के कँगन लेमो , चैता रामनमी के ॥ 4 ॥ फूआ9 जे नेग माँगे आँख के अँजाइ10 । कोसिला के कँगन लेमो , चैता रामनमी के ॥ 5 ॥ दाई जे नेग माँगे , सौरी के झोराइ11 । कोसिला के कँगन लेमो , चैता रामनमी के ॥ 6 ॥",magahi-mag "22 भुल गए हां वड़े हां आन वेहड़े सानूं बखश लै डारीए वासता ई हत्थों तेरिओं देस मैं छड जासां वस्सीं देस हैंसियारीए1 वासता ई दिन रात तूं जुलम ते लक्क बधा मुड़ीं रूप शिंगारीए वासता ई नाल हसन दे फिरे गुमान लदी समझ मसत हंकारीए वासता ई वारस शाह नूं मार ना भाग भरीए अनी मुणस दी पयारीए वासता ई",panjabi-pan "चहका १ . सिया डाले राम गले जय माला , सिया डाले राम गले जय माला । रामचन्द्र दुलहा बनि आए । दुलहा बनि आए , दुलहा बनि आए । आरे लछुमन होऽऽ , बने सोहबाला , सिया डाले . . . २ . केदली बन भौंरा रस माते , के दली बन भौंरा रस माते । केकरा गृहे जन्मे सिया जानकी , अरे केकरा हो , केकरा गृह में पारवती , केदली बन भौंरा रस माते । केइएँ विवाही सिया जानकी , केइएँ विवाही पारबती , केदली बन भौंरा रस माते । राजा जनक गृहे सिया जानकी , अरे राजा होऽऽ , राजा हिवंचल के पारबती , केदली बन भौंरा रस माते । ३ . वर दऽ हो भवानी , इहे मगन हम मांगी ले । रामचन्द्र ऐसो कंत , लखन ऐसो देवर ज्ञानी , इहे मंगन . . . राजा दसरथ ऐसो सुसर , सास कोसिल्या रानी , इहे मंगन . . . राजा अयोध्या सरजुग जल निर्मल पानी , इहे मंगन . . . ४ . तनि भरि दऽ गगरियाऽ हो श्याम कहे बृजनारि । हमसे चढ़ा जात नाहि मोहन , जमुना ऊँच अरारी , पाव धरत हमरो जीउ डरऽवत , दूजे पाव में पायल भारी , कहे बृजनारि ।",bhojpuri-bho "363 तेरी तबा1 चलाक है छैल छिदर2 चोरां वांग की सेलियां सिलियां नी पैरीं बिलियां होण फरिंदीयां दे तेरी जीभ हरयारिए बिलियां नी केहा रोग है दस इस वौहटड़ी नूं अते मारदी है टरपलियां नी किते एसनूं चा मसान घते पड़ ठोकियां सार दियां किलियां नी सहंस धूप अते होर फुल हरमल हरे सरिह दियां छमां गिलियां नी झब करां मैं जतन झड़ जान कामनअनी कमलियो होना ढिलियां नी हथ फेरके धूप ते करां झाड़ा फेरे नैन ते मार दे खिलियां नी रब्ब वैद पका घर घलया जे फिरो ढूंढ़दे पूरब दिलियां नी वारस शाह परेम दी जड़ी घती अखीं हीर दियां कचियां पिलियां नी",panjabi-pan "टिकवा कारन लाड़ो रूस रहल रे टिकवा1 कारन लाड़ो2 रूस3 रहल रे , टिकवा कहाँ रे गिरे ? टिकुली कारन लाड़ो गोसा4 से भरे , टिकुली कहाँ रे भुले ? ॥ 1 ॥ गंगा में गिरल , जमुना दह5 पड़ल , टिकवा कहाँ रे गिरे ? पाँव पड़ि बनरा6 मनावे रे लाड़ो , टिकवा खोजि खोजि लायम7 ॥ 2 ॥ गंगा में देब महाजाल , जमुनमा दह डूबि डूबि लायम । लगे देहु हाजीपुर8 बजार , टिकवा कीनिकीनि9 लायम ॥ 3 ॥ जाये देहु हमरो बनीज10 टिकुली रंगे रंगे11 लायम । लाइ देबो नौलखहार12 सेजिया चकमक रे करे ॥ 4 ॥",magahi-mag "दुर्गा दुर्गति हारो दुर्गा दुर्गति हारो , भवानी मोखों आन उबारो । जपूं शीतला नाम तिहारो शीतल छैयां डारो । भवानी . . . नाम जपो मैया मंगला देवी मंगल काज संवारो । भवानी . . . जपूं रोज मैया मात शारदा सहबुद्धि देव सुधारो । भवानी . . . भजन करूं मैया तेरो कालका काल को फंदा टारो । भवानी . . .",bundeli-bns "99 महीं चरन ना बाझ रंझेटड़े दे माही हार सभे झख मार रहे कोई घुस जए कोई डुब जाए कोई शींह पाड़े कोई पार रहे सयाल पकड़ हथयार ते हो गुंमा मगर लग के खोलिया चार रहे वारस शाह चूचक पछोतावदा ए मूंगू ना छिड़े असीं हार रहे",panjabi-pan "छोटी घर कूंकड़ो, मोटी घर राड़ छोटी घर कूंकड़ो , मोटी घर राड़ दोई बिच कूंकड़ो , बड़ो उमराव बड़ो सिरदार बोल्यो बेरी कूंकड़ो मज अदरात बोल्यो बेरी कूंकड़ो बड़ी परभात पांव सारू बिछिया घड़ाव म्हारा राज अनबट पेरूँ म्हारी सोकड़ रिसाय म्हारी बैरन रिसाय",malvi-mup "चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है ललणा तो जाया पूनो की आधी रात है टेक सासू भी आवै दिवला चसावै दिवला चसाई मांगै झगड़े की बात है चुप . . . जिठाणी भी आवै पिलंग बिछावै , पिलंग बिछाई मांगे झगड़े की बात है चुप . . . नणदल भी आवै सतिये लगावै सतिये लगाई मांगे झगड़े की बात है चुप . . . देवर भी आवै बंसी बजावै बंसी बजाई मांगे झगड़े की बात है चुप . . . दाई भी आवै होलर जणावे , होलर जणाई मांगे झगड़े की बात है चुप . . .",haryanvi-bgc "मंडप मंडप निमाड़ी लोक गीत म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी दो बार म्हारा स्स्राजी गाँव का राजवाई म्हारो बाप दिली केरों राज । ज्डाको लाग्यो रे . . . म्हारी सासु सरस्वती नदी वय , महारी माय गंगा केरो नीर ज्डाको लाग्यो रे . . . महारी नन्द कड़कती बिजलई , महारी बैन सरावन तीज । ज्डाको लाग्यो रे . . . म्हारो देवर देवुल आग्डो , म्हारो भाई गोकुल केरो कान्ह । ज्डाको लाग्यो रे . . . म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी",nimadi-noe "कवन पुर तलाओ के मछरी कवन पुर तलाओ1 के मछरी , नदी नाला में आयो जी , बाबा प्यारे टोना2 । नदी नाला में आयो जी भइया प्यारे टोना ॥ 1 ॥ कहवाँ के अइसन3 गभरू4 जिनि जाल लगायो जी , जिनि जाल लगायो जी , भइया प्यारे टोना ॥ 2 ॥ कहवाँ के अइसन बेटिया जिनि लाल भोरायो जी , बाबा प्यारे टोना । जिनि लाल भोरायो जी , भइया प्यारे टोना ॥ 3 ॥ कवन पुर के अइसन गभरू जिनि जाल लगायो जी , बाबा प्यारे टोना । जिनि जाल लगायो जी , भइया प्यारे टोना ॥ 4 ॥ कवन पुर के अइसन बेटिया , जिनि लाल भोरायो जी बाबा प्यारे टोना । जिनि लाल भोरायो जी , भइया प्यारे टोना ॥ 5 ॥",magahi-mag "माय मायटेन आकोय जा हे सरावेन माय मायटेन आकोय जा हे सरावेन माय मायटेन आकोय जा हे सरावेन बाबा टेन आकोये बाबा टेन आकोये आमा मायनी वन गोम जा हे सरावेन आमा मायनी वन गोम जा हे सरावेन आमा वनी वन गोमे आमा वनी वन गोमे अन्धड़ी माय कानी गोम जा हे सरावेन अन्धड़ी माय कानी गोम जा हे सरावेन अन्धा बाका केन गोमे मारे अन्धा बाका केन गोमे मारे स्रोत व्यक्ति चिरौंजीलाल , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "काला डांडा पीछ बाबा जी काला डांडा पीछ बाबा जी काली च कुएड़ी बाबाजी , एकुली मैं लगड़ी च ड . . र एकुलीएकुली मैं कनु कैकी जौलो भावार्थ ' काले पहाड़ के पीछे , पिताजी काला कुहरा छा रहा है । पिताजी , मुझे अकेले में डर लगता है । अकेलेअकेले मैं ससुराल कैसे जाऊंगी ? '",garhwali-gbm "अमर कंट निज धाम है अमर कंट निज धाम है , नीत नंहावण करणा १ वासेण जाल से हो निसरी , आरे माता करण कुवारी कल युग म हो देवी आवियां कलू कर थारी सेवा . . . अमर कंट . . . २ बड़े बड़े पर्वत फोड़ के , आरे धारा बही रे पैयाला कईयेक ऋषि मुनी तप करे जल भये रे अपारा . . . अमर कंट . . . ३ पैली धड़ ॐकार है , ऐली धड़ रे मंन्धाता कोट तिरत का हो नावणा नहावे नर और नारी . . . अमर कंट . . . ४ मंन्धाता के घाट पे , आरे पैड़ी लगी रे पचास आम साम रे वाण्या हाटड़ी दूईरा पड़ रे बजार . . . अमर कंट . . .",nimadi-noe "होली आई रे फूलां री जोड़ी झरमटीयोले होली आई रे फूलां री जोड़ी झरमटीयोले ओ कोन खेले रे होली के फाग किस बीरे के हाथ में मोतियां की माला किस बीरा के हाथ में गुलाब की छड़ी होली खेलो रे होली खेलो रे ऋतु फागुन की",haryanvi-bgc "क्यांहे तै न्योदूं बाबल राजा क्यांहे तै न्योदूं बाबल राजा क्यांहे तै चाचे ताऊ भंवरा क्यांहे तै न्योंदूं हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली भेली न्योंदूं बाबल राजा दलिए चाचे ताऊ भंवरा मिसरी के कूजे हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली क्यांहे मैं आवै बाबल राजा क्यांहे मैं चाचे ताऊ भंवरा क्यांहे मैं आवै हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली रेलां में आवै बाबल राजा मोटर चाचे ताऊ भंवरा हाथी कै होदे हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली काहें उतारूं बाबल राजा काहें चाचे ताऊ भंवरा काहें उतारूं हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली परसे उतारूं बाबल राजा परसे चाचे ताऊ भंवरा खस खस के बंगलै हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली मेरै पटडै की शोभा मेरी मां का जाया जिस तै मैं ऊजली मेरे पंचा की सोभ्या हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली क्यांहें मैं न्हावै बाबल राजा क्यांहें चाचे ताऊ भंवरा क्याहें न्हावै हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली गंगा मैं न्हावै बाबल राजा जमना चाचे ताऊ भंवरा हरकी तो पैड़ी हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली ए मेरे पटडै़ की सोभ्या हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली के रै जै खावै बाबल राजा कै रै चाचे ताऊ के रै जै जीमै हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली लाड्डू जलेबी बाबल राजा बरफी चाचे ताऊ भंवरा मुथरा के पेडे हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली के रै जे पीवै बाबल राजा के रै चाचे ताऊ भंवरा के रै जै पीवै मेरी मां का जाया जिस तै मैं ऊजली पाणी पीवै बाबल राजा पाणी चाचे ताऊ भंवरा दूध कटोरे मेरी मां का जाया जिस तै मैं ऊजली के रै जै ल्यावै बाबल राजा के रै चाचे ताऊ भंवरा के रै जे ल्यावै हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली रोक रुपैए बाबल राजा तीवर चाचे ताऊ भवरा पीलड़ी मोहर हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली रे मेरे पटडै की सोभ्या हजारी बीरा जिस तै मैं ऊजली",haryanvi-bgc "जन्में हैं राम अजुध्या मैं जन्मे हैं राम अजुध्या मैं कुसल्या जी के दाई बी आवै , होलर जणावै होलर जणाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से सासू बी आवै , चावल चढ़ावै चावल चढ़ाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से जिठाणी बी आवै , पिलंग बिछावै पिलंग बिछाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से नणदल बी आवै , सतिए लगावै सतिए लगाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से देवर बी आवै , बंसी बजावै बंसी बजाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से नायण बी आवै , नगर बुलावै नगर बुलाई नेग मांगै राजा दसरथ जी से बाहमण बी आवै , नाम धरावै नाम धराई नेग मांगै राजा दसरथ जी से",haryanvi-bgc "रइयो करन हार से डरते रइयो करन हार से डरते । पल में परलै परते । पल में धरती बूँद न आवै , पल में सागर भरतें । पल में बिगरे बना देत हैं । पल मैं बने विगरते । तृन सें बज्रबज्र से तिनका । तिल सें बज्जुर करते । ईसुर कयें करता की बातें । बिरलें कोई नजरते ।",bundeli-bns "मैया के भुवन मे हरे चदन बिरछा मैया के भुवन में हरे चंदन बिरछा लंगुरा डार कटाय हो मां हँसहँस पूंछे देवी जालपा काहे की खातिर कटाये हो मां । मैया खों तो कइये मां चदन पलकियां मड़खों बजर किवार हो मां । मैया . . . उठा पलंगवा बीरा लंगुरवा डारे बढ़ई की दुकान हो मां । मैया . . . बढ़ई तो कइये चतुर सुजार जो रुचिरुचि पलंग बनाये हो मां । मैया . . .",bundeli-bns "आल्हा ऊदल कौन सकेला तोर पड़ गैल बाबू कौन ऐसन गाढ़ भेद बताब तूँ जियरा के कैसे बूझे प्रान हमार हाथ जोड़ के रुदल बोलल भैया सुन धरम के बात पड़ि सकेला है देहन पर बड़का भाइ बात मनाव पूरब मारलों पुर पाटन में जे दिन सात खण्ड नेपाल पच्छिम मारलों बदम जहौर दक्खिन बिरिन पहाड़ चार मुलुकवा खोजि ऐलों कतहीं नव जोड़ी मिले बार कुआँर कनियाँ जामल नैना गढ़ में राजा इन्दरमन के दरबार बेटी सयानी सम देवा के बर माँगल बाघ जुझर बड़ि लालसा है जियरा में जो भैया के करौं बियाह करों बिअहवा सोनवा से एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा मन मन करे गुनान जोड़ गदोइ अरजी होय गैल बबुआ रुदल कहना मान हमार जन जा रुदल नैनागढ़ में बबुआ किल्ला तूरे मान के नाहिं बरिया राजा नैना गढ़ के लोहन में बड़ चण्डाल बावन दुलहा के बँधले बा साढ़े सात लाख बरियात समधी बाँधल जब गारत में अगुआ बेड़ी पहिरलन जाय भाँट बजनियाँ कुल्हि चहला भैल मँड़वा के बीच मँझार एकहा ढेकहो ढेलफुरवा मुटघिंचवा तीन हजार मारल जेबव् नैनागढ़ में रुदल कहना मान हमार केऊ बीन नव्बा जग दुनिया में जे सोनवा से करे बियाह",bhojpuri-bho "मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना । मेरी सास बुलाई ना मेरो नार छुआओ ना । मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना । तेरी सास बुला दूंगा तेरी नार छुआ दूंगा । मैं तो हरदम ताबेदार गोरी हर दम ताबेदार । मेरी जेठाणी बुलाई ना मेरो पलंग निवायो ना । मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना । तेरी जेठाणी बुला दूंगा तेरो पलंग निवा दूंगा । मैं तो हर दम ताबेदार गोरी हर दम ताबेदार ।",haryanvi-bgc "अयलन रूकमिन जदुराई हे, परछों बर नारी अयलन1 रूकमिन जदुराई हे , परछों2 बर नारी । नगरी में पड़लो3 हँकार4 हे , परछों बर नारी ॥ 1 ॥ कंचन थारी सजाऊँ हे , परछों बर नारी । मानिक दियरा बराऊँ हे , परछों बर नारी ॥ 2 ॥ दस पाँच आगे पाछे चललन परिछे , गीत मधुर रस गावे हे । रूकमिन हथिन5 चान6 के जोतिया7 बाल गोबिंदा8 सुकुमार हे ॥ 3 ॥ काहे तों हहु9 हरि नीने10 अलसायल , काहे हहु मनबेदिल हे । का तोर सासू नइ किछ देलन , का सरहज तोर अबोध हे ॥ 4 ॥ नइ मोरा सासु हे नइ किछु देलन , नइ मोर सरहज अबोध हे । मोर सासु हथिन लछमिनियाँ , सरहज मोर कुलमंती11 हे । मोर ससुरार न भोराय12 हे , परिछों बर नारी ॥ 5 ॥",magahi-mag "झूला डरो कदम की डार झूला डरो कदम की डार , झूला झूलें नंद कुमार । काहे को जो बनो हिंडोला , काहे की जोती चार । झूला . . . चंदन काठ को बनो हिंडोला , रेशम जोती चार । झूला . . . का जो झूलें को जो झुलावे , को जो खैंचे डोर । झूला झूलें नंदकुमार । झूला . . . राधा झूलें कृष्ण झुलावें , सखियां मिचकी घाल । झूला . . .",bundeli-bns "316 जट वेख के जटी नूं कांग कीती वेखो मरी नूं रिछ पथलया जे मेरी सैआं दी मेहर नूं मार जिंदे तिलक मेहर दी सथ नूं चलया जे लोकां बाहुड़ी ते फरयाद कूके मेरा झुगड़ा चैड़ कर चलया जे पिंड विच एह आन बला वड़ी जहां जिन पकवाड़ विच मलया जे पकड़ लाठियां गभरू आन ढुके वांग काढवे कटक दे टलया जे वारस शाह जिवें धूंआं सरकया तों बदल पाटके घटा हो चलया जे",panjabi-pan "191 लाल लुंगियां अते मताअ लाचे नाल रेशम खेस सलारियां ने माणक चौंक पटामलां डोरिए सन बूंदा होर पंजदानियां सारियां ने चोंप छैला ते चार सुतये सन चंदा मोरां दे बान्हणू1 कारियां ने सालू तीहरे चादरां बाफते दीयां नाल भोशनां दे फुलकारियां ने वारस शाह चिकनी सिरोपाउ खासे ते पाष्ठाकियां मिलदया भारियां ने",panjabi-pan "हुई है सुनहली रात सजन आए हरे हरे हुई है सुनहली रात सजन आए हरे हरे सजन आये मोरे अंगना आओ दादी बाबा आओ सब मंगल गाओ सजन आये मोरे अंगना आओ अम्मा बाबुल आओ सब मंगल गाओ सजन आये मोरे अंगना आओ भैया भाभी आओ अब ना देर लगाओ सजन आये मोरे अंगना आओ सखियो आओ सब उत्सव रचाओ सजन आये मोरे अंगना पीले हाथ करो लाडो के पीले हाथ करो लाडो के सजन आये मोरे अंगना दूधों नाहये पूतों फले सुख सौभाग्य इसे दिन दूना सजन आये मोरे अंगना",haryanvi-bgc "रक्षा बंधन के गीत 1 . गलिया क गलिया फिरइ मनिहरवा , के लइहैं मोतिया क हारहिंडोलवा । मोतिया क हार लइहैं भैंया हो भैया , जेकर बहिनी दुलारी हिंडोलवा । पाछे लागी ठुनकई बहिनी रानी , एक लर हमहूं क देहूं हिंडोलवा । एक लर टुटि हैं सहस मोती गिरि हैं । एक लर बहिनि तुं लेउ हिंडोलवा । 2 माइ तलवा कुहकइ मोर । माई जेठरा भइअवा जिनि होइहैं सावन नीअर । माई सार बहनोइया एकै होइहैं सावन नीअर । माई बभना का पूत जिनि पठये सावन नीअर । माई पोथिया बांचन लगिहें सावन नीअर । । माई लहुरा भइयवा पठये सावन नीअर । माई रोइगाइ बिदवा करइहैं सावन नीअर । । 3 ठाढ़ी झरोखवा मैं चितवऊं , नैहरे से कोई नाहीं आइ । ओहिरे से केउ नाहीं बपई रे जिन मोरी सुधियों न लीन । ओहिरे बहिनिया कैसन बीरन , ससुरे में सावन होई ।",bhojpuri-bho "पड़ते अकाल जुलाहे मरे पड़ते अकाल जुलाहे मरे , और बीच में मरे तेली उतरते अकाल बनिये मरे , रुपये की रहगी धेली चणा चिरौंजी हो गया , अर गेहूं होगे दाख सत्रह भी ऐसा पड़ा , चालीसा का बाप",haryanvi-bgc "घाम पड़े, धरती तपै रे घाम पड़े , धरती तपै रे , पड़े नगांरा री रोल भंवर थारी जांत मांयने बापाजी बिना कड़ू चालणू रे बापा मोत्यां सूं मूंगा साथा भंवर थारी जांन मांयने माताजी बिना केडूं चालणू रे माताजी हरका दे साथ भंवर थारी जान मांयने घाम पड़े , धरती रपै रे , पड़े नागरां री रौल भवंर थारी जांन मांयने",rajasthani-raj "549 रांझे हथ उठायके दुआ मंगी रब्बा मेलना यार गवारनी1 दा एस हुब2 दे नाल है कम्म कीता वेड़ा पार करना कम सारनी दा पंजां पीरां दी तुरत आवाज होई रब्बा यार मेलीं इस यारनी दा फजल रब्ब कीता यार आन मिलया वारस शह मुराद पुकारनी दा",panjabi-pan "होरी खेलूँगी तोते नाय होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ उड़त गुलाल लाल भए बादर , भर गडुआ रंग को डारूँ होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला , पाग झगा तरी फारूँ औचक छतियन हाथ चलाए , तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ ।",bhadrawahi-bhd "जेवर की झंकार नै डोब दिया जेवर की झंकार नै डोब दिया हरियाणा सगा सगी तैं कहण लाग्या मैं तेरी छोरी ब्याह कै ले ज्यांगा वा बोलै तू मेरी छोरी ना ब्याह सकदा तेरे पास टूम घणी घालण नै कोन्या इतनी सुण कै सगा बोल्या इतना के मेरा घाट्टा सै बीस तीन के गूदड़ गाभे तीस बीस की खाट सै तीन सौ की झोटी घरां करै तो अरडाट सै मैं तेरी छोरी ब्याह कै ले ज्यांगा चाहै कितना कर लिये धिंकताणा जेवर की झंकार ने डोब दिया हरियाणा",haryanvi-bgc "ठहर बटेऊ ठहर बटेऊ के नै जाइये ठहर बटेऊ ठहर बटेऊ के नै जाइये म्हारे बाग का मिसरी मेवा चाख कै नै जाइये तेरे हाथ की रै माली की रोटी ना भावै कच्चे पाक्के फल तोड़ै मनै आच्छे ना लागैं सेठ की सिठाणी पै तेरी रोटी पुआ द्यूंगी मांज कै नै बालटी जल नीर पिता द्यूंगी",haryanvi-bgc "आज अगन बीच कन्हैया मचला ठाने आज अंगन बीच कन्हैया मचला ठाने । हमें खेलने हेतु गगन को चंदा चाने । आज . . . भांतिभांति के नये खिलौने , एकएक से नौनेनौने , माने न छलिया एक , हो गगन को चंदा चाने । आज . . . माता यशोदा गोद बिठाये , भांति भांति के खेल खिलाए , माने न नटखट एक हो , गगन को चंदा चाने । आज . . . कांसे को एक थार मंगाओ , थोड़ा जल उसमें भरवाओ । दियो है चन्द्र दिखाय हो , गगन को चंदा चाने । आज . . .",bundeli-bns "25 केहा भेड़ मचाया ई कचया वे मत्था डाहया ई सौंकनां वांग केहा जाह सजरा कम्म गवा नाहीं हो जासीया जोबन फेर बेहा रांझे खा गुस्सा सिर धौल मारी केही चबड़ी उस नूं जिवें लेहा रांझा हो गुस्से उठ रवां1 होया भाबी रख ओह तां नांह रेहा हत्थ पकड़ के जुतियां मार बुकल रांझा हो टुरया वारस शाह जेहा",panjabi-pan "कहऽ त जच्चा रानी, डगरिन बोला देउँ कहऽ1 त जच्चा रानी , डगरिन बोला देउँ । चुप , चुप , मेरो राजा , काटब2 नार3 अपने ॥ 1 ॥ कहऽ त जच्चा रानी , लउँड़ी4 बोला देउँ । चुप , चुप , मेरो राजा , लीपब5 सउर6 अपने ॥ 2 ॥ कहऽ त जच्चा रानी , भउजी बोला देउँ । चुप , चुप , मेरो राजा , पूजब7 देओ8 अपने ॥ 3 ॥ कहऽ त जच्चा रानी , बहिनी बोला देउँ । चुप , चुप , मेरो राजा पारब काजर9 अपने ॥ 4 ॥",magahi-mag "187 साक माड़यां खोह लैन डाढे अन पुजदे ओह ना बोलदे नी नहीं चलदा वस लाचार होके मोए सप्प वांगू विस घोलदे नी कदे आखदे मारीए आप मरीए पए अंदरों बाहरों डोलदे नी गुन माड़यां दे सभे रहिन विचे माड़ेमाड़यां दे दुख फोलदे नी शानदार1 नूं करे ना कोई झूठा कंगला झूठा कर टोलदे नी वारस शाह लुटाइंदे खड़े माड़े मारे खौफ दे मुंहों ना बोलदे नी",panjabi-pan "362 केही वैदगी आन जगायो ई किस वैद नेदस पढ़ायों वे वांग चैधरी आनके वैद बनयों किस चिठियां घल सदायों वे सेली टोपियां पहन लंगूर वांग तूं तां शाह भोला1 बन आयों वे वडे दगे ते फंध फरेब पढ़यों ऐवें पाड़ के कन्न गवायों वे ना तू जनयां ना फकीर रहयों ऐवें मुंदके घोन करायों वे बुरे दिनां भैड़ियां वादियां नी अज रब्ब ने ठीक कुटायों वे वारस शाह कर बंदगी रब्ब दी तूं जिस वासते रब्ब बनायों वे",panjabi-pan "अंगिका फेकड़ा अट्टापट्टा नुनु केॅ सात बेटा राजा , पाता , सीत , वसन्त , कुतवा अड़गड़ मारो बड़गड़ जाऊँ , पानी पीये पोखरिये जाऊँ बबुआ कहै काँखी तर जाऊँ ओ ना मा सी धं गुरूजी पढ़ंग कुइयाँ में काँटोॅ गुरूजी नाँटोॅ । नैहरा में कै बार गांगो सतसत बेरी अॅ ससुरारी मंे कै बार माँगों एके बेरी । उर्र बकरिया घाँस खो चुक्का लेॅ बथान जो चुक्का गेलौ फूटी दूध लेलकौ लूटी । रौदा उगोॅ गोसांय रौदा उगोॅ तोरी बहुरिया जाड़ें मरेॅ हमरी बहुरिया रौदा सेकेॅ । रौदा उग रे बभना मुरगी देबौ चखना बिलैया देवौ कोर काली माँय केॅ दीया बारबै सगरे ई ंजोर । रौदा छेकले बौध लागतौ गोला बरद के पीज रोटी खैबे । जाड़ा ऐल छै , पाड़ा ऐल छै ओढ़ गुदड़ी । बुढ़िया के दमाद ऐल छै मार मुँगड़ी । मामू हो मामू , डोॅर लागै छै केकरोॅ डोॅर , बेटी केकरोॅ डोॅर ? बाघ छै , बघिनियाँ छै झुनझुन कटोरवा खेलै छै सिकियो नै डोलै छै भौजी माथा पर कमलोॅ सेनूर भैया माथा पर कमलोॅ के फूल उठोॅ हे भौजी पीन्होॅ पटोर हम नै पिन्हबोॅ भंगा पटोर आनभौं कचिया दागभौं ठोर गुआगुआ केॅ पोछभौं लोर ।",angika-anp "तिरिया एक चतर पर बहना तिरिया एक चतर पर बहना । कजरे भरी राखती नैंना । गोरी बाको बदन चाल बैरिन की मतवारी । पतरी पतरी कमर थोंद ही गोला गुदकारी ।",haryanvi-bgc "मृत्यु गीत हाड़ मास का बणा रे पींजरा , भीतर भर्या भंगारा ऊपर रंग सुरंग लगायो , अजब करी करतारा , जोबन धन पावणा दिन चारा , अने जाता नि लागे वारा , जोबन धन पावणा दिन चारा ॥ पशु चाम के बाजा बने रे , नोबत बने नंगारा । नर तेरि चाम काम नहिं आवे , नर तेरि चाम काम नहिं आवे जळ भळ होइ अंगारा , जोबन धन पावणा दिन चारा ॥ गरब कर्यो रतनागर सागर , केसा नीर मतवाळा एसाएसा वीर गरब माय गळिया , आधा मीठा आधा खारा जोबन धन पावणा दिन चारा , अने जाता नि लागे वारा , जोबन धन पावणा दिन चारा । दस मस्तक वनी वीस भुजा रे , कुटम बहुत परिवारा एसाएसा नर गरब माय कलिया , लंका रा सरदारा जोबन धन पावणा दिन चारा । यो संसार ओस वाळो पाणी , अने जाता नि लागे वारा । कहत कबीर सुणों भइ साधू , कहत कबीर सुणो भइ साधू हर भज उतरोला पारा , जोबन धन पावणा दिन चारा ॥ यह मनुष्य का शरीर एक हड्डी और माँस का पिंजरा है , इसके भीतर भँगार भरा है । इस शरीर पर ऊपर अच्छज्ञ रंगरोगन कर सुन्दरता प्रदान की है , यह भगवान की माया गजब की है । जवानी और धनदौलत चार दिन की मेहमान है , इसे जाते देर न लगेगी । मानव तू इस हड्डी और माँस के पिंजरे पर तथा धनदौलत पर अभिमान न कर , ये चार दिन के मेहमान हैं । मानव तू विचार तो कर । अरे पशुओं के चमड़े के बाजे , नोबत , नगारे और भट्टी की धम्मन बनती है , परन्तु तेरा चमड़ा तो जलकर खाक होने वाला है । किसी के भी कुछ काम नहीं आने वाला है । तू उस परमात्मा का भजन कर , जिससे तू इस संसार रूपी समुद्र से पार उतर जायेगा । रत्नाकर समुद्र ने घमण्ड किया था , किस पर घमण्ड किया था अपने निर्मल नीर पर , तो भगवान ने उसके जल को आधा खारा और आधा मीठा बना दिया । इस जीवन में अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि यह थोड़े समय का है , किसे मालूम कब राम के घर का बुलावा आ जाये । लंका में राजा रावण , वह बहुत मायावी और बलशाली था । उसके दस सिर और बीस भुजा थी और बहुत बड़ा कुटुम्ब था । रावण ने बहुत अत्याचार , अनाचार किया , कितने ही साधुओं को मारा । उसके पुत्र मेघनाथ ने इन्द्र को भी जीत लिया था । देवताओं को जीता । रावण ने सीता का हरण किया , किन्तु अपने बुरे कर्मों के कारण कुटुम्ब सहित मारा गया । जैसा उसका भाई भगवान का भगत था , वैसा आचरण रावण भी रखता तो आज तक लंका पर उसके वंश का राज्य रहता । मनुष्य को अभिमान नहीं करना चाहिए । यह जवानी और धनदौलत चारदिन की मेहमान है । इस दुनिया में मनुष्य ओस का पानी के समान अल्पकाल के लिए आया है । जैसे प्रातःकाल पृथ्वी और पेड़पौधों पर ओस का पानी दिखाई देता है और सूर्य की किरणों से अल्पकाल में उड़ जाता है । अरे मनुष्य इस हड्डी और माँस के पिंजरे पर घमण्ड नहीं करना चाहिए । मनुष्य को अपने परिश्रम की कमाई से जीवनयापन करते हुए भगवान का भजन भी करनाा चाहिए जिससे सद्गति प्राप्त हो । यह जवानी और दौलत चार दिन की मेहमान है ।",bhili-bhb "म्हारा घर मदनसिंह जलमियो म्हारा घर मदनसिंह जलमियो । हऊँ तो जोसी घर भेजूं बधाओ , हमारा घर पोथीपुराण लई आवऽ । पोथी वाचसे नानोसो बालुड़ो , पुराण वाचसेऽ ओको बाप । मारूणी न मदनसिंह जलमियो । हऊँ सोनी घर भेजूं बधाओ , म्हारा घर कड़ातोड़ा लइ आवऽ । तोड़ा पेरसे नानोसो बालुड़ो , कड़ा पेरऽ नाना को बाप । मारूणी न मदनसिंह जलमियो । हऊँ तो बजाजी घर भेजूं बधाओ , म्हारा घर साड़ी वागो लई आवऽ । साड़ी पेरऽ गा नाना की माय , वागो पेरऽ नाना को बाप । मारूणी न मदनसिंह जलमियो । हऊँ तो दरजी घर भेजूँ बधाओ , म्हारा घर झगोटोपी लई आवऽ । झगो पेरऽ गा नानसो बालुड़ो , टोपी पेरसे नाना को भाई । मारूणी न मदनसिंह जलमियो । हऊँ तो बीराजी घर भेजूँ बधाओ , म्हारा घर पंचो पेळो लई आवऽ पेळो पेरऽ गा नाना की माउली , पंचो बांधऽ गा नाना को बाप हऊँ तो सबईघर भेजूँ बधाओ , मारूणी न मदनसिंह जलमियो ।",nimadi-noe "जैपर जाइओ जी ढोला जैपर जाइओ जी ढोला हम नै बंद बंगड़ी का चा कौण निरखैगा हे गोरी तेरा पिआ बसै परदेस चिट्ठी लिख भेजूं जी ढोला थम तो सांझ पड़ी घर आओ किस बिध आऊं हे गोरी मेरी मायड़ कै चढ़ रह्या ताप क्यूं ब्याही थी जी ढोला मेरा ब्याह कै मार्या मान न्यूं ब्याही थी ए गोरी मेरा घर का करिओ काम आग लगाद्यूं जी ढोला थम तो खड्या तमासा देखिओ जी इसी मत करिओ रे गोरी मेरी सात फेरयां की नार ना मर जइयो हे गोरी तेरे बिना तज द्यूं सारा संसार इब समझे ओ जी ढोला थारा घर बसाऊं दिन रात",haryanvi-bgc "सरद दुलइया कीनें कीकौ चुरा लओ चैन रे ? मीठी पीरा जा कीकी देंन रे ? नैनूँ की कान्हा नें करबे चोरी , कौनउँ गुजरिया की गागर फोरी । बचौ न काँसतिनूका कोरौ दई सारस नें लम्बी तान रे ; देखौ सरद जुन्हइया को सान रे । नौनी दुलइया धरनि सकुच्याबै , दूलाअकास मगन मुस्क्याबै । सेंमरगिँदउआसे बदरा उड़उड़ धीरेंधीरें डुला रए चौंर रे ; उठी हियरा में मीठी हिलोर रे । मनइँमनें मुसक्या रइँ रानी ; भऔ नदिया कौ निरमल पानी । सोंन मछरिया अत छनकीली मचलें घुँघटा में प्यासे नैन रे ; मन देखत भऔ बेचैन रे । धान गरब सें भर इठलाई , कनकछरी नइ भारन भाई । ताल तलइयन के ऐना में चोखे रूपेसी चिलकै रैन रे ; मुखसोभा खिली है पुरैन रे । जुनरी के भुंटा भए गदरारे , सहजइँ करत हैं वारेन्यारे । चाल हंस की लख मतवारी रिसिमुनियैन कौ टूटै ध्याँन रे , जौ है सरद दुलइया कौ मान रे ।",bundeli-bns "अवरित आई बसन्त बहारन अवरित आई बसन्त बहारन पानफूल फल डारन । बागन , बनन , बंगलन , बेलन बीधन बगरं बजारन । हारन और पहारन पारन , घाम धवल जल धारन । तपसी कुटिल कन्दरन खोरन । गई बैराग बिगारन । आए बौर मजीरन ऊपर लगे भोंर गुजारन । चहत अतीत , प्रीत प्यारे की । हा हा करत हजारन । ईसुर कन्त अन्त हैं जिनके तिनें देत दुख दारून ।",bundeli-bns "इस इमली के ओड़े चोड़े पात इस इमली के ओड़े चोड़े पात इमली तले साधण खड़ी के म्हारी गोरी थमनै इमली की साध के इमली तेरै मन बसी ना राजा जी म्हारे इमली की साध न इमली म्हारे मन बसी हम नै तो म्हारा मारू प्यार की साध आज रहो म्हारे महल में पौ पाटी जद होई परभात नाई कै नै दूब टांगिआ के नाई का म्हारे जन्मी सै म्हैंस के घोड़ी घुड़साल में ना म्हारा जजमान जन्मी सै म्हैंस ना घेड़ी घुड़साल मैं थारे म्हारा जिजमान जनम्या सै पूत बेल बधी थारे बाप की",haryanvi-bgc "हमरो बाबाजी के चारों खंड अँगना हमरो बाबाजी के चारों खंड अँगना , चहुँ दिसि लगल केबार हे । ओहि1 खंभ ओठँगल2 बेटी दुलरइती बेटी , बाबा से मिनती हमार हे ॥ 1 ॥ काहाँ तोंहे बाबा पयलऽ3 गजदाँत हथिया , काहाँ पयलऽ गजमोती हार हे । काहाँ तोंहे पयलऽ डँटहर4 पनमा , काहाँ पयलऽ राजकुमार हे ॥ 2 ॥ राजा घर पयली बेटी गजदाँत हथिया , पैसारी5 घर गजमोती हार हे । बरियाहि6 पइली डँटहर पनमा , देस पइसी7 राजकुमार हे ॥ 3 ॥ कइसे के चिन्हबऽ बाबा गजदाँत हथिया , कइसे के गजमोती हार हे । कइसे तों चिन्हबऽ बाबा डँटहर पनमा , कइसे के राजकुमार हे ॥ 4 ॥ खरग8 से चिन्हब गजदाँत हथिया , झलक9 से गजमोती हार हे । डंटिया से चिन्हब डँटहर पनमा , पोथिया पढ़इते राजकुमार हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "झालो अलगियों तो ऐयूं जालो मांए झालो अलगियों तो ऐयूं जालो मांए के धिया बाई सा रो पीवरियो तो एयूं मीडक मांए सासूरियूं तो लीन्यूं नजरा मांए बाइसा रो बापा जी तो रेग्या मीडंक भांए ससुरा जी तो लीन्या नजरां मांए सासू जी ने लीवों नजरां मांए । बाई री साथणियां तो रैगी माड़क मांय नणदल बाई सा ने लेवो नजरां मांए ।",rajasthani-raj "जारे राजा जारे राजा राजा नीली घोड़ा के सिंगारो रे जारे राजा जारे राजा राजा नीली घोड़ा के सिंगारो रे जारे राजा जारे राजा राजा नीली घोड़ा के सिंगारो रे चलो मायू चलो मायू माय मेरी रानी को निभाई लेवो चलो मायू चलो मायू माय मेरी रानी को निभाई लेवो नहीं रे बेटा नहीं रे बेटा बेटा मोरो घेरु रे सूना है रे नहीं रे बेटा नहीं रे बेटा बेटा मोरो घेरु रे सूना है रे चलो डायनी माय चलो मायू माय तेरे लेने सवारी ना लायो चलो डायनी माय चलो मायू माय तेरे लेने सवारी ना लायो हारे बेटा हारे बेटा बेटा मोरो मुसरा रे ठाड़ी लेवो हारे बेटा हारे बेटा बेटा मोरो मुसरा रे ठाड़ी लेवो चलो वो डायनी माय चलो मायू माय तेरा मूसरा वो साड़े बारा चलो वो डायनी माय चलो मायू माय तेरा मूसरा वो साड़े बारा चलो वो डायनी माय चलो मायू माय मेरी रानी को निभाई लेरे चलो वो डायनी माय चलो मायू माय मेरी रानी को निभाई लेरे एको जा जाय धरती डालो माय एकी जा पाय आगशो डाले एको जा जाय धरती डालो माय एकी जा पाय आगशो डाले स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी , तारया वे तेरी मेरी लो , नी ओ ओ तारया वे तेरी मेरी लो , चन्न पकावे रोटियाँ , तारा करे रसो , नी ओ ओ तारा करे रसो , चन्न दियाँ पक्कियाँ खा लईयाँ , तारे दियाँ रह गईयाँ दो , नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो , सस ने मैनू आख्या , घ्यो विच आटा गो , नी ओ ओ घ्यो विच आटा गो , घ्यो विच आटा थोडा पया , सस्स मैनू गलियाँ देवे , नी ओ ओ सस्स मैनू गलियाँ देवे , न दे सस्से गलियाँ , एथे मेरी कौन सुणे , नी ओ ओ एथे मेरी कौन सुणे , बागे विच मेरा बापू खड़ा , रो रो नीर भरे , नी ओ ओ रो रो नीर भरे , न रो बापू मेरेया , इत्थे मेरा कौन सुणे , नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे , बागे विच मेरा वडा भराह , रो रो नीर भरे , नी ओ ओ । रो रो नीर भरे । न रो वीरा आपने । इत्थे मेरा कौन सुणे । नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे । न रो माये मेरिये । इत्थे मेरा कौन सुणे । नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे । चन्न दियाँ पक्कियाँ खा लईयाँ , तारे दियाँ रह गईयाँ दो । नी ओ ओ तारे दियाँ रह गईयाँ दो",panjabi-pan "जानै कौन जमानों आऔ जानै कौन जमानों आऔ , गाँठन माल गमाओं भोजन वार बरक्कत गइँयाँ खाऔ जौन कमाऔ अपनी मूँड जेरिया बाधें । फिरत लोग सब धाओ । सतजुग की वा राय चली गई , बिन बँयै काटौ गाऔ । ईसुर कलस कुलीनन के घर कलजुग कलसा छाऔ ।",bundeli-bns "आणे का वायदा किया, हो आए ना बालमा आणे का वायदा किया , हो आए ना बालमा घूंघट की ओर से खोल दे अंखियां , चाले हैं ठण्डी हवा हो आए ना बालमा दरवाजे की ओर से देखो , हाथ पैरों से चल के देखो डोले हे मोरा जिया , हो आए ना बालमा हाथ की रेखा देखन वाले , देख मेरे ये भाग निराले परदेसी ने ये क्या किया , हो आए ना बालमा",haryanvi-bgc "डाभ कटाओ हे डाभ कटाओ हे डाभ कटाय कै जेवड़ी बंटाओ हे जेवड़ी बंटाय के पिलंग भराओ हे पिलंग भराए कै देवां नै सुआओ हे ।",haryanvi-bgc "52 रात हस के खेड गुजारीया सू सुबह उठ के जीउ उदास कीता राह जांदड़े नूं झुगी नजर आई डेरा चा मलाहां दे पास कीता अगे पलंघ बेड़ी विच विछिआ सी उते खूब विछौना रास कीता इथे जा वजा के वंझली नूं चा पलंग उते आम खास कीता वारस शाह जां हीर नूं खबर होई तेरी सेज दा जट ने नास कीता",panjabi-pan "वैहसाँ जोगी दे नाल मैं वैहसाँ जोगी दे नाल माए नी , मत्थे तिलक लगा के । मैं वैसाँ रैहसाँ हरगिज़ होड़े , कौण कोई मैं जान्दी नूँ मोड़े । मैनूँ मुड़ना ताँ मुहाल होया नी , सिर ते मेहना चा के । जोगी नहीं कोई दिल दा मीता , भुल्ल गई मैं प्यार कीता । मैनूँ रही ना कुझ सँभाल नी , उस चा दरशन पा के । इस जोगी मैनूँ कोहिआँ लईआँ , हाऊँ कलेजे कुण्डिआँ पाईआँ । इशके दा पाइओ सु जाल नी , मिी बात सुणा के । इस जोगी नूँ मैं खूब पछाता , लोकाँ मैनूँ कमली जाता । लुट्यो सू झंग स्याल नी , कन्नीं कुन्दराँ पा के । जे जोगी घर आवे मेरे , चुक्क जावण सभ झड़े झेड़े । लावाँ मैं सीने दे नाल नी , लक्ख लक्ख शगन मना के ।",panjabi-pan "259 धुरों हुंदड़े कावसां1 वैर आये बुरियां चुगलियां अते बखीलियां ओए मैंनूं तर्स आया वेख जुहद2 एहदा गलां मिठियां बहुत रसीलियां ओए पानी दुध विचों कढ लैन चातर जदों छिल के पांवदे तीलियां ओए गुरु आखया मुंदरां झब ल्यायो छड दयो गलां अठखीलियां ओए नहीं डरन हुन मरन थीं भैर आशक जिन्हां सूलियां सिरां ते झीलियां ओए वारस शाह फिर नाथ ने हुकम कीता कढ अखियां नीलियां पीलियां ओए",panjabi-pan "लमाना लमाना लमाना बेटा लमाना लमाना लमाना बेटा लमाना लमाना लमाना बेटा लमाना बेटा लमाना रे लमाना बेटा लमाना रे चोखा चावल पीला रे हल्दी चोखा चावल पीला रे हल्दी पीली रे हल्दी न्यूता भेज्यो पीली रे हल्दी न्यूता भेज्यो आजा रे काका केन भुलायो बेटा आजा रे काका केन भुलायो बेटा आजा रे काका केन भुलायो रे आजा रे काका केन भुलायो रे सोने की जाजोम बिछायो बेटा सोने की जाजोम बिछायो बेटा रुपे की जाजोम बिछायो रे रुपे की जाजोम बिछायो रे बिछायो बिछायो बिछायो बेटा बिछायो बिछायो बिछायो बेटा आजा रे काकाकेन बैठायो रे आजा रे काकाकेन बैठायो रे आजा रे काका ने बैठायो रे बेटा आजा रे काका ने बैठायो रे बेटा रामा रे रुमाय लियो रे रामा रे रुमाय लियो रे रामा रे रुमाय लियो रे बेटा रामा रे रुमाय लियो रे बेटा बातो रे चीतो बोलियो रे बातो रे चीतो बोलियो रे बातो रे चीतो बोलियो रे बेटा बातो रे चीतो बोलियो रे बेटा पान रे बीड़ा पिलायो रे पान रे बीड़ा पिलायो रे पान रे बीड़ा पिलायो रे लमाना लमाना लमाना बेटा लमाना लमाना लमाना बेटा लमाना बेटा लमाना रे लमाना बेटा लमाना रे स्रोत व्यक्ति मांगीलाल , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "काला डोरिया कुंडे नाल अडया ओये काला डोरिया कुंडे नाल अडया इ ओये के छोटा देवरा भाभी नाल लड़या इ ओये छन्ना चूरी दा ना मक्खन आँदा इ लै जा भत्ता ऐ मेरा पौला खाँदा इ छोटे देवरा तेरी दूर बलाई वे के न लड़ सोणया तेरी इक भरजाई वे कुकडी ओ लैणी जेड़ी आंडे देंदी ए सौरे नहीं जाणा सस्स ताने देंदी ए कुकडी ओ लैणी जेड़ी कुडकुड़ करदी ए सौरे नहीं जाणा सस्स बुड़बुड़ करदी ए सुथना छीट दियाँ मुल्तनों आईयाँ ने माँवाँ आप्नियाँ जिन्हा रीझाँ लाईयाँ ने सुथना छीट दियाँ मुल्तानों आईयाँ ने सस्सा बगाणीआं जिन्हा गलों लवाईयाँ ने काला डोरिया कुंडे नाल अडया इ ओये , के छोटा देवरा भाभी नाल लड़या इ ओये",panjabi-pan "171 खेड़यां भेजया असां थे इक नाई करन मिंनतां चाए एहसान कीचै भले जट बूहे उते आन बैठे एह छोकरी उन्हां नूं दान कीचै रल्ल भाइयां एह सलाह दिती किहा असांदा सभ प्रवान कीचै अन्न धन दा कुझ विसाह नाहीं अते बाहां दा ना गुमान कीचै जिथे रब्ब दे नाम दा जिकर आवे लख बेटियां चा कुरबान कीचै वारस शाह मियां नहीं करो आकड़ फरऔण1 जेहां वल ध्यान कीचै",panjabi-pan "विवाह गीत अतरि जुवानिमा लेहर्यो फुंदो , धड़े मेलिन् नाचो वो । नि माने ते मा माने लहर्यो फुंदो , मेलिन नाचों वो । फुंदा वाली धन्लि मारि उभिकरो , फुंद्याली दवड़ाउंवो । नि माने ते मा माने उभिकारो , फुंद्याली दवड़ाउंवो । अतरि जुवान मा लेहर्यो फुंदो , धड़े मेलिन् नाचो वो । दुल्हन के आँगन में महिलाएँ नाचते हुए गा रही हैं इतनी जवानी मंे चोटी का लहर्या फंुदा एक तरफ करके नाच रही हूँ । न माने तो मत माने । मेरी कमर में फुंदे लगे हैं , उसे खड़ी करके और दौड़ाऊँ । मन न माने तो खड़ी करूँ और दौड़ाऊँ ।",bhili-bhb "बल्ला - बल्ला हे सेन्द्रा ऐ जा लाड़ा बल्ला बल्ला हे सेन्द्रा ऐ जा लाड़ा बल्ला बल्ला हे सेन्द्रा ऐ जा लाड़ा बल्ला बल्ला हे सेन्द्रा ऐ जा लाड़ा लाड़ा आमानी रायनी जामू कोपा लाड़ा आमानी रायनी जामू कोपा लाड़ा आमानी रायनी जामू कोपा बुरुबुरु टेन सेन्द्रा ऐ जा डो लाड़ी बुरुबुरु टेन सेन्द्रा ऐ जा डो लाड़ी बुरुबुरु टेन सेन्द्रा ऐ जा डो लाड़ी लाड़ी अमानी कुकरु कुन्डा कोपा लाड़ी अमानी कुकरु कुन्डा कोपा लाड़ी अमानी कुकरु कुन्डा कोपा स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "भाँवर गीत बनी चवरी में खेले , सूरज फूल खेले । बनी चवरी में खेले , रंगइलो फूल खेले । मारि रंग रूपाली बिल्खी वो चरवयो खेलो चुट । बनी चवरी में खेले , सूरज फूल खेले । फेरे के समय चवरी की सजावट के बारे में बताया गया है । सूर्यमुखी फूल , रंगीन फूल चवरी में लगे हैं ।",bhili-bhb "अंबर बरसा बड़ा चिवा मेरी सासड़ अंबर बरसा बड़ा चिवा मेरी सासड़ राणी कोई नीम्ब झलार ले सात जणी का झूमटब मेरी सासड़ राणी कोई सात्यों री पाणी नां जां राहे मसाफर जांदड़ा मेरी सासड़ राणी कोई जांदे ना पानी पला मेरा तो पाणी बिस भर्या सुण जाण वाले कोई कोई पीउंदेउ मरजा म्हारतां घर के गारडू कोई पीयांगे जहर उतार जो थारे घर के गारडू सुण सालू वाली कोई हम से क्यूं घडला उठाय घडला उठाएऊ सास ते सुण सालू वाली कोई अपणा तो हाल बता छह्या के बालम घर रहे सुण सालू वाली लिया म्हारे साथ साथ जायों मत ना रहे सुण चीरे वाले कोई दो कुल खावेंगी लाज घडला उठा घर आ गई सुण सासड़ राणी कोई सुणियों जी हमारी बात राहे मसाफर मिल्या सुण सासड़ राणी बातां मां लग गई देर कैसे सो गाबरू सुण बहुवड़ राणी कोई कैसी सूरत होणहार तकड़ा सो गाबरू सुण सासड़ राणी कोई जेठ सूरत होणहार बें तो तेरे बालमा सुण बहुवड़ मेरी कोई कस क्यों ना पकड़ी तां बां कोठा चढ़ का देखले सुण बहुवड़ मेरी कोई नेड़ा गये या दूर आखां ते दीखा नेड़ा सासड़ मेरी पैरां ते कोस पचास",haryanvi-bgc "दया करो म्हारा नाथ दया करो म्हारा नाथ हुँउ रे गरीब जन ऐकलो १ बन म वनस्पति फुलियाँ , आरे फुलिया डालम डाल वाही म चन्दन ऐकलो जाकी निरमल वाँस . . . हुँउ रे गरीब . . . २ कई लाख तारा ऊगीयाँ ऊगीयाँ गगन का मायँ , वहा म्हारो चन्दाँ ऐकलो जाकी निर्मल जोत . . . हुँउ रे गरीब . . . ३ अन्न ही चुगता चुंगी रयाँ , आरे पंछी पंख पसार वहा म्हारो हंसो ऐकलो आरे मोती चुगचुग खाय… हुँउ रे गरीब . . . ४ कहेत कबीर धर्मराज से , आरे साहेब सुण लिजै घट का परदा खोल के आरे आपणो कर लिजे . . . हुँउ रे गरीब . . .",nimadi-noe "जशोदा के महलन बेग चलो री जशोदा के महलन बेग चलो री । महल के अंदर बेग चलो री । बंदनवारे बंदे अति सोहें लगी आम की धौरें । जशोदा . . . सोने के कलश धरे अति सोहें उनहू की ऊंची पौरें । जशोदा . . . अरे हाथ गुलेरी एड़िया महावर नाइन फिरी दौड़ीदौड़ी । जशोदा . . . कोई सखी गावे कोई बजावे कोई नाचें दै दै तारी । जशोदा . . . कोई सखी गोरी कोई कारी कोई सखी लड़कौरी । जशोदा . . .",bundeli-bns "हल्दी गीत कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । बावो कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । माय कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । भाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । भोजाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी । बाने बिठाते समय एक गुदड़ी गादी बिछाते हैं , उस पर दूल्हादुल्हन को बिठाते हैं । दुल्हन से पूछती हैं कि तुमसे किसने कहा और जो तू गादी पर बैठ गई ? उत्तर में गाते हैं कि पिता ने कहा और गादी पर बैठी । माँ ने कहा , भाई ने कहा और भौजाई ने कहा , तब गादी पर बैठी ।",bhili-bhb "343 कारसाज है रब्ब ते फेर दौलत सभ मेहनतां पेट दे कारने नी पेट वासते फिरन अमीर दर दर सयद जादयां ने गधे चारने नी पेट वासते हूर ते परीजादां जान जिन्न ते भूत दे वारने नी पेट वासते सब खराबियां ने पेट वासते खून गुजारने नी पेट वासते फकर तसलीम1 तोड़न समझ लै सभ रन्ने गवारने नी एस जिमीं नूं वांहदा मुलक मुका एथे हो चुके वडे कारने नी गाहुनहोर ते राहक2 नी होर एहदे खांवद हीर है होर दम मारने नी मेहरब्बान जे होण फकीर इक पल तुसां जहे करोड़ लख तारने नी",panjabi-pan "मैनूँ की होया मैत्थें गई गवाती मैं मैनूँ की होया मैत्थें गई गवाती मैं ? क्यों कमली आक्खे लोकाँ ? मैनूँ की होया है ? मैं विच्च वेक्खाँ ताँ मैं नहीं बणदी । मैं विच्च वसना ऐं तैं । सिर ते पैरीं तीक भी तूँ ही , अन्दर बाहर हैं । इक पाक इक उरार सुणीन्दा , इक बेड़ी इक नैं । मनसूर कहिआ अनलहक्क , कहु कहाया कैं ? बुल्ला शाह औसे दा आशक , आपणा आप वन्जाया जैं ।",panjabi-pan "घुड़ला तै बल ल्याइओ घुड़ला रे चाबक आओ घुड़ला तै बल ल्याइओ घुड़ला रे चाबक आओ अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल करवा तै बल ल्याइयो करवा रे रड़कत आओ अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल धूप पड़ै धरती तपै करूं अडाणी छांए अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल मंजल मंजल डेरा दिया तम्बू दिया ढलकाय अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल धमड़ा तै बल ल्याइयो समधी की पौल बखेर अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल महंदी तै बल ल्याइयो बंदडी रै हाथ रचाए अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल काजल तै बल ल्याइयो बंदड़ी रै नैन घलाए अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल काजल तै बल ल्याइयो बंदड़ी रै नैन घलाए अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल गहणा तै बल ल्याइयो गहणा पाट बलाय अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल बंदड़ी तै बल ल्याइयो बंदड़ी सै हंस बतलाय अनोखा लाडला हो राई बर धीरे धीरे चाल मंजलै मंजलै चाल",haryanvi-bgc "दुर्गा का दरबार चंपो-मोगरो दुर्गा का दरबार चंपोमोगरो कोणरू राम बीणे फूल कांकी बऊ हार गूंथे गूंथ्योगुथायो हार देवी के सिर ही चढ़े मांग रे सेवक मांग आज को मांग्यो पावे चखे मांगे दूद गोदी में पुत्र भवानी अखंड मांगू एैवात",malvi-mup "217 रांझे आखया सियाल रत्न गए सारे अते हीर भी छड ईमान चली सिर हेठां नूं कर लया फेर चूचक जदों सथ विच आनके गल हली धीयां वेंचदे कौल जबान हारन महराब मथे उते पौन ढिली यारो सयालां दियां दाढ़ियां वेखदे हो जेही मूंग मंगवाड़ दी मसर फली वारस शाह मियां धी साहनी नूं गल विच चा पांवदे हैन टली",panjabi-pan "राम लक्ष्मन बरी बूमकी राम लक्ष्मन बरी बूमकी राम लक्ष्मन बरी बूमकी बनेबासी ओलेन्डो माय बोले बनेबासी ओलेन्डो माय बोले हनुमानजी राधो ये म्याका बुजाटेन हनुमानजी राधो ये म्याका बुजाटेन टुलकेनडो माय बोले टुलकेनडो माय बोले स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "या ब्रज मे कछु देखो री टोना या ब्रज में कछु देखो री टोना । ले मटकी सिर चली गुजरिया आगे मिले नन्द जी को छोना । या ब्रज . . . दधि को नाम बिसर गयो प्यारे लेले रे कोई श्याम सलोना । या ब्रज . . . वृन्दावन की कुंज गलिन में , आँख लगाय गयो मन मोहना । या ब्रज . . . मीरा के प्रभु गिरधर नागर , सुन्दर श्याम सुंदर है सलोना । या ब्रज . . .",bundeli-bns "बहुआ जे चलली नहाय, तो सासू निरेखइ हे बहुआ जे चलली नहाय , 1 तो सासू निरेखइ2 हे । बहुआ , कवन मरद चित लायल , 3 गरभ जनावल हे ॥ 1 ॥ सासू आधी राति जा हइ , अउरो पहर4 राति हे । सासू , राती के आव हइ5 भँरवा , 6 तो होइ के खिड़की से हे ॥ 2 ॥ बोलवहऽ7 गाँव के पठेरिया , 8 तो रेसम के जाल बुनऽ हे । ओहि जाल बुझयबइ9 भँवरा , अछरँग 10 मोरा छुटि जइहें हे ॥ 3 ॥ मचियाहि11 बैठल सासू बढ़यतिन , 12 चिन्ही लेहु13 अपना बेटा के हे । सासु , अछरँग मोरा छोरि देहु हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "सूते पिया खरिहनवाँ हो, फागुन के महीनवा सूते पिया खरिहनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । कुकुर के नीन , भइल तन छीन , मोती भइल बाटे दनवाँ हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । अइसे पिआसल पिया मन हुलासल , गंगा बनल मोर नयनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । बन के कोइलिया , बोले मीठ बोलिया , हमके बुझाला सपनवा हो , फागुन के महीनवा । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से",bhojpuri-bho "म्हारा तो ऑगण रूखड़ो बधाई लाई ननदी , हां रे सांवलिया कहां से आई सौंठ , कांह से आई पीपली कहां से आई ननदी , हां रे सांवलिया बम्बई से आई सौंठ , इन्दौर से आई पीपली फलाने गांव से आई ननदी , हां रे सांवलिया काय में आई सौंठ , काय में आई पीपली काय में आई ननदी , हां रे सांवलिया डब्बे में आई सौंठ , डब्बी में आई पीपली तांगे में आई नंदी , हां रे सांवलिया काहे को आई सौंठ , काहे का आई पीपली काहे को आई नंदी , हां रे सांवलिया जच्चा के लिए सौंठ , बच्चा के लिए पीपली लूटन को आई नंदी , हां रे सांवलिया ।",malvi-mup "अवगुन बहुत करे अवगुन बहुत करे , गुरुजी मैंने अवगुन बहुत करे । जब से पांव धरे धरनी पे , लाखन जीवन मरे । गुरुजी . . . जब से कलम धरी कागज पे , दस के बीस करे । गुरुजी . . . गैल चलत मैंने तिरिया निरखी , मनसा पाप करे । गुरुजी . . . पाप पुण्य की बांधी गठरिया , सिर पे बोझ धरे । गुरुजी . . .",bundeli-bns "उतरहि दिस से नैया एक आयल हे उतरहि दिस से नैया एक आयल हेऽ हिंगुर रंगल दुनू मांगि हेऽ नैयो नै छियै बनिजरबो नै छियै हेऽ बिनु रे खेबैया नैया आबै हेऽ कहाँ गेलऽ किया भेलऽ रैया रनपाल हो जल्दी से देहु नैया कात लगाय हो किए तहूँ छिही गे बुढ़िया दैतनी जे भूतनी गे निसिभाग राति पाड़ै छै हाक गे नहि हम छिये बेरीबरबा दैतनी जे भूतनी रे नहि हम भूतनी पिसाचनी रे जाति के जे छिकियै बैरीबरबा बराहमन कुल बेटिया रे लोक कहै छै कोसिका कुमारि रे जब तहूँ पुछले बेरीबरवा जातिया ठेकान रे कहि दहि अपनो नाम ठेकान रे जाति के छियै माय कोसिका जाति के मलाह गे मायबाप रखलक माय कोसिका कोहला दे देव नाम गे पहिलुक पूजा कोहला देव , तोहरे देबअ हो चलऽ कोहला देव हमर साथ हो माय हमर आन्हरि कोसिका बाप काया कोढ़ि गे हमे कौना जइबौ संग साथ गे माय के आँखि देबौ , बाप के काया देबौ बनाय हो चलू कोहला वीर हमर संग साथ हो गोड़ तोरा लागै छी माय कोसिका दुह कर जोड़ि हे विपत्ति बेरिया होहु ने सहाय हे ।",angika-anp "कोइ सखि माथा बन्हावे, कोइ सखि उबटन हे कोइ सखि माथा बन्हावे1 कोइ सखि उबटन हे । कोइ सखि चीर सँम्हारे , कोइ रे समुझावत हे ॥ 1 ॥ सासु के बन्दिहऽ2 पाँव , जेठानी बात मानिहऽ3 हे । ननदी के करिहऽ पिरीत4 देवर कोर5 राखिहऽ6 हे ॥ 2 ॥ भउजी जे बाँन्हथिन खोँइछा7 अँचरा बिलमावथि8 हे । आज भवन मोरा सून9 भेल , ननद भेलन पाहुन हे ॥ 3 ॥ बाबा जे हथिन10 निरमोहिया , त हिरिदिया11 कठोर भेल हे । हमरा के सौंपलन रघुनंन्नन , अपना पलटि12 घर हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "जौ जश दे धरती माता जौ1 जश दे धरती माता जौ जश दे कुरम2 देवता जौ जश दे भूमि का भम्याल3 जौ जश दे गंगा की सौणी4 धार जौ जश दे पंचनाम देव जौ जश दे भायों5 की जमात जौ जश दे देऊ भूम गढ़वाल",garhwali-gbm "एक घोड़ी नजारे ते आई एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने रास बुलाई हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी होठां नै मरकावै बनड़े ने खान सिखावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी आखियां नै मरकावै बाले बनड़े नै सैन सिनावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । घोड़ी पायां ने मरकावै बाले बनड़े ने चाल सिखावै हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । । एक घोड़ी नजारे ते आई उसके दादा ने राम बुलाई हो राम घोड़ी की चाल सवा सलड़ी । ।",haryanvi-bgc "पाई खुदा के घर की कीनैं? पाई खुदा के घर की कीनैं ? की खाँ मरनै जीनैं ? बिघ ललाट के अच्छर ऐसे , लिखे ना काऊ चीनैं । एकन खाँ धन वान करत हैं , एकन को धन छीनैं । ईसुर ऐसे कलम करत है अल्ला ख्याल नवीनैं ।",bundeli-bns "दरवाजा पे नौबत बाजे दरवाजा पे नौबत बाजे लाल म्हारे भोत नीको लागे दाई हमारे मन भावे आवतो सो दीनड़ झेले लाल म्हारे भोत नीको लागे सासू हमारा मन भावे वे कुंवर पठोला में झेले वे जोठाणी हमारे मन भावे वे चखेते फूंको धरावे लाल मोय भोत नीको लागे वे देराणी हमारे मन भावे वे दस दन रसोई निपाये वे कोणा में खाट बिछावे लाल मोय भोत नीको लागे वे नणंद हमारे मन भावे वे कंवळे ते सांतीपूड़ा लावे वे पड़ोसन हमारे मन भावे वे दस दिन मंगल गावे वे ढोली हमारे मन भावे वे अँगना में ढ़ोल घोरावे वे जोसी हमारे मन भावे वे ललना को नाम धरावे ।",malvi-mup "बनड़ी! चलो जी हमारे साथ बनड़ी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी बन्ने दादा जी छोड़े ना जांय दादी में हमारा मन घना बन्ने बाबल छोड़े ना जांय अम्मा में हमारा मन घना बन्ने चाचा ताऊ छोड़े ना जांय चाची ताई में मन घना बन्ने भाई बहन छोड़े ना जांय मामा मामी में मन घना बन्ने यह घर छोड़ा ना जांय इस नगरी में हमारा मन रमा बन्नी यह सब झूठा है जंजाल असल में सच्चे दो जने बनी चलो जी हमारे साथ नारंगी ले लो रस भरी",haryanvi-bgc "भक्ती भरमणा दुर करो भक्ती भरमणा दुर करो , आरे ठगाई नही जाणा १ कायन की साधु गोदड़ी , आरे कायन का हो धागा कोण पुरुष दर्जी भया कुण सिवण हारा . . . भक्ती . . . २ हवा की बणी साधु गोदड़ी , आरे पवन का हो धागा मन सुतार दर्जी भया वो सिवण हारा . . . भक्ती . . . ३ काहाँ से आई रे हवा पवन , आरे कहा से आया रे पाणी कहा से आई रे मिर्गा लोचणी कळु कब की छपाणी . . . भक्ती . . . ४ आग आई रे हवा पवन , आरे पीछे आया रे पाणी बीच म आई रे मिर्गा लोचणी कळु जब की छपाणी . . . भक्ती . . . ५ धवळो घोड़ो रे मुख हंसळो , आरे मोती जड़ीया रे लगाम चंदा सुरज दुई पैगड़ा प्रभू हूया असवार . . . भक्ती . . .",nimadi-noe "जोगवा बेसाहन चलल मोर भइया रे टोनमा जोगवा1 बेसाहन2 चलल मोर भइया रे टोनमा । भइया चलले सँगे साथ रे टोनमा ॥ 1 ॥ घुरि फिरि3 देखथिन बेटी दुलरइतिन बेटी रे टोनमा । अँखियन से ढरे लोर4 रे टोनमा ॥ 2 ॥ आगे आगे अवथिन5 भइया दुलरुआ भइया रे टोनमा । पाछे पाछे भउजी6 चली आवे रे टोनमा ॥ 3 ॥ भउजी के हाथ में सोने के सिंघोरबा7 रे टोनमा । भइया हाथे तरवार रे टोनमा ॥ 4 ॥",magahi-mag "लोक गीत हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व । हातेम् आरस्यो पिपले व पाय मा झांजुर झलके व । जाणे वाली पछि फिरे वो , जाणे वाली पछि फिरे वो । सुबुन बुंद हात वा गुजरी , सुबुन बुंद हात वो गुजरी । फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ । कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ । कहयुं मिं खेतेम् रहिग्यू खड़ वो कमली भोजाइ । फिरिफिरि नेंद वो , खेतेम् रहित्यु खड़ कमली भोजाइ । हाथ में दर्पण चमक रहा है , पैर में पायजेब चमक रहे हैं । ओ जाने वाली पीछे मुड़ , जाने वाली पीछे मुड़ । सभी के हाथों में गूजरी हैं । फिरफिर कर घास उखाड़ , खेत में खरपतवार रह गया है वो कमली भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार रह गया है वो रूमा भावज । फिरफिर कर घास उखाड़ खेत में खरपतवार रह गया है वो राली भावज । इस प्रकार से निंदाई कर रहे लोगों के नाम लेलेकर गीत आगे बढ़ता जाता है ।",bhili-bhb "467 फिरे जोम1 दी भरी ते शाण चड़ी आ टली नी मुंडिए2 वासता ई मरदमार रकाने जग बाजे मान मतिये गुंडिए वासता ई बखशी सब गुनाह तकसीर तेरी लिया हीर नूं नडिये वासता ई वारस शाह समझाय के जटड़ी नूं लाह दिल दी घुंडिए वासता ई",panjabi-pan "कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना कटाया अपना नाम रसीले बन में एकले । कदिया ना भेजी राजा बाप के कदिया ना आये तांगा जोर रसीले बन में एकले । कदिया ना बैठे राजा चौंतरे कदिया न परखी मेरी चाल रसीले बन में एकले । कदिया न बुनी राजा जेवड़ी कदिया ना बुरी मेरी खाट रसीले बन में एकले । अब के तो जाऊं गोरी नौकरी अब के तो कटाऊं अपना नाम रसीले बन में एकले । अब के तो भेजूं गोरी बाप के अब के तो ल्याऊं तांगा जोर रसीले बन में एकले । अब के तो बैठून गोरी चौंतरे अब के तो परखूं तेरी चाल रसीले बन में एकले । अब के बाटूं गोरी जेवड़ी अब के तो बुनूं तेरी खाट रसीले बन में एकले ।",haryanvi-bgc "म्हारे आंगण कीचड़ा म्हारे आंगण कीचड़ा बे किन डोल्या पाणी म्हारी हथलाड्डो नहाई बे नाण डोल्या पाणी आया सामजी ढै पड्या बे उन की टांग निताणी टांग निताणी के करै बे गोडे पडग्या पाणी पड़ी ए पड़ी ललकारे बे जनूं दल्लो राणी मोरी म्हं को लीक्ड्या बे जणूं सामण का पाणी धम्मड़ धम्मड़ कूटी बे जणूं धान्नां की घाणी",haryanvi-bgc "हीरा मोती का गंज पड़िया हीरा मोती का गंज पड़िया आता सा फलाणा राम फिसल पड़िया दौड़तासा छोटा भई ने झेल लिया घणीखमा हो दादा म्हारा घणीखमा काय की तमखे दादा फिकर पड़ी हमखे काव करने की फिकर पड़ी वे तो दालकड़ी का गंज पड़िया आतासा जमई जी फिसल पड़िया दौड़तीसी बईरां ने झेल लिया घणीखमा हो म्हारा राज घणीखमा काय की फिकर तमखे पड़ी संडास सोरने की फिकर हमखे पड़े",malvi-mup "छैला जिकुड़ि1 धड़क धड़क कदी । अपणि नी छ बाणी । । छैला2 की याद करी उलरिगे3 पराणी4 । । पखन जखन सरग5 गिड़िके स्यां स्यां के बिजुलि सरके ढाडु6 पड़ं तड़तड़ के रुण झुण के पाणी । । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । बीच मुलक देश अहो कनु कै जी ज्यू त सहो । की जो क्या ब्यूत7 कहो । छि मैं छवीं8 नि लाणी । । जिकुड़ि धड़क धड़क कदी । अपणि नी छ बाणी । । छैला बणि की उदास , लैंदी दौं गरम स्वास ? बणिगे तन को कबास9 , कंदुड़ि10 छन बयाणी11 । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । हिरहिर के बथो12 औंद क्वी नी पर खबर लौंद कनु कै जी शान्त होंद पापि यो पराणी ? धड़क धड़क जिकुड़ि कदी अपणि नी छ बाणी । । झट अब घर जौलो इनु इनु वीं भेंट ल्यौलो मन हे , तू क्यां कु लोलो करदि काचि13 गाणी ? छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । घर की तू जोत छई कुल मां उपोत छई सुन्दर जनु फुलीं जई छै तु दिल कि राणी । जिकुड़ि धड़क धड़क कदी अपणि नी छ बाणी । । फ्यूली14 की कली जनी क्वां सो स्यो वदन तनी औंदो हा याद जनी , तरस दो पराणी । छैला की याद करी उलरिगे पराणी । । डांड्यों15 बसदी हिलांस16 रुकदो दौं किलै स्वांस खांदी क्या चुचा , फांस ? . . .",garhwali-gbm "लाडो पूछै बाबा से ए बाबा लाडो पूछै बाबा से ए बाबा मैं किस बिध देखण जाऊं रंगीला आ उतर्या बागां मैं हाथ टोकरियां फूलां की हे लाडो मालणिया बन कर जाओ रंगीला आ उतर्या बागां मैं कच्ची कच्ची कलियां तोड़ लीं अर मैं रिपट पड़ी री मुखड़ा देख गया बागां मैं बोल गया बतलाए गया री म्हारे सावै धरी बनड़ी के नजर लगाए गया बागां मैं",haryanvi-bgc "तेरे दुलहे ने लाया सोहाग, सोहागिन तेरे लिए तेरे दुलहे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 1 ॥ माँगो1 का टीका बने ने लाया । मोतिये में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 2 ॥ नाको का बेसर बने ने लाया । चुनिये2 में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 3 ॥ कानो3 की बाली बने ने लाया , झुमके में लाया सोहाग । तेरे नौसे4 ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 4 ॥ गले का माला बने ने लाया । हँसुली में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए । तेरे नीसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 5 ॥ जानो5 का सूहा6 बने ने लाया । छापे में लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए । तेरे नौसे ने लाया सोहाग , सोहागिन तेरे लिए ॥ 6 ॥",magahi-mag "गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा गंगा नीर जणो सोभा पा रिहा , सोने के कलसे में । मैं बी तेरे संग चलूंगी , गांधी के जलसे में",haryanvi-bgc "कांटो लागो रे देवरिया कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय अपने महल की मैं अलबेली जोबन खिल रहे फूल चमेली धूप लगे कुम्हलाय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय आधी राह हमें ले आयो रास्ता छोड़ कुरस्ता ध्यायो सास नणद तें पूछ न आयो चलत चलत मेरी पिंडली दुखानी सिगरी देह पिराय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय",haryanvi-bgc "345 रन्न वेखना ऐब है अन्नयां नूं रब्ब अखियां दितियां वेखने नूं सब खलक1 दा वेख के लौ मुजरा2 करो दीद इस जग दे पेखने नूं महांदेव जहे पारब्बती अगे काम लयांवदा सी मथा टेकने नूं रावन राजयां सिरां दे दाअ लाये जरा जायके अखियां सेकने नूं सब दीद मुआफ है आशकां नूं रब्ब यन दिते जग देखने नूं अजराईल हथ कलम लै वेखदा ए तेरा नाम इस जग तों छेकने नूं",panjabi-pan "लमटेरा की तान हमारे लमटेरा की तान , समझ लो तीरथ कौ प्रस्थान , जात हैं बूढ़ेबारे ज्वान , जहाँ पै लाल धुजा फहराय । नगनग देह फरकबै भइया , जो दीवाली गाय । । दिवारी आई है , उमंगै लाई है । आज दिवारी के दिन नौनी लगै रात अँधियारी , मानों स्याम बरन बिटिया नैं पैरी जरी की सारी । मौनियाँ नचै छुटक कैं खोर , कि जैसें बनमें नाचैं मोर , दिवारी गाबैं करकर सोर , कि भइया बिन बछड़ा की गाय । बिन भइया की बहिन बिचारी गली बिसूरत जाय । । भाई दौज आई है , कि टीका लाई है । आन लगे दिन ललित बसन्ती फाग काउ नैं गाई । ढुलक नगड़िया बजी , समझ लओ कै अब होरी आई । । बजाबैं झाँजैं , झैला , चंग , नचत नरनारी मिलकें संग , रँगे तन रंग , गए हैं मन रंग , कहरवा जब रमसइँयाँ गाय । पतरी कम्मर बूँदावारी , सपनन मोय दिखाय । । अ र र र र होरी है , स र र र र होरी है । गाई चैतुअन नैं बिलवाई , चैत् काटबे जाबैं । सौंनेचाँदी को नदियासी पिसी जबा लहराबैं । । दिखाबैं अम्मन ऊपर मौर , मौर पर गुंजारत हैं भौंर , कि मानौ तने सुनहरे चौंर , मौर की सुन्दर छटा दिखाय । । चलत लहरिया बाव चुनरिया , उड़उड़ तन सैं जाय । । गुलेलें ना मारौ लँयँ का तुमहारौ गायँ बुँदेला देसा के हो , ब्याह की बेला आई । ब्याहन आए जनक जू के घर , तिरियन गारी गाई । । करे कन्या के पीरे हाँत , कि मामा लैकें आए भात , बराती हो गए सकल सनात , बिदा की बेला नीर बहाय , छूट चले बाबुल तोरे आँगन , दूर परी हौं जाय । । खबर मोरी लैयँ रइयो , भूल मोय ना जइयो । बरसन लागे कारे बदरा , आन लगो चौमासौ । बाबुल के घर दूर बसत हैं , जी मैं लगो घुनासौ । । उमड़ो भाईबहिन कौ प्यार , कि बिटिया छोड़ चलीं ससुरार । है आ गओ सावन कौ त्यौहार कि भइया राखी लेव बँदाय । माँगैं भाबी देव , नौरता खाँ फिर लियो बुलाय । । और कछु नइँ चानैं , हमें इतनइँ कानैं ।",bundeli-bns "पोथिया पढ़इते तोहिं परभुजी, त सुनहऽ बचन मोरा हो ‘तिलरी राउर मइया पेन्हो , आउर बहिनिया पेन्हो हे । हो परभुजी , हमहुँ न काली कोयलिया , तिलरिया हमरा ना सोभे हे ॥ ’ पोथिया पढ़इते1 तोहिं परभुजी , त सुनहऽ2 बचन मोरा हो । परभुजी , हमरा झुलनियाँ3 केरा साध , झुलनियाँ हम पहिरब4 हो ॥ 1 ॥ बोलिया तो , अहो धनि , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे । धनियाँ , कारी रे कोयलिया अइसन5 देहिया , झुलनियाँ तोरा न सोभे हे ॥ 2 ॥ बोलिया त , अहो परभु , बोललऽ , बोलहुँ न जानलऽ हे । परभुजी , कारी के रे सेजिया जनि जइहऽ , साँवर होइ जायेब6 हे ॥ 3 ॥ मचिया बइठल तोहिं सासुजी , सुनहऽ बचन मोरा हे । सासुजी , बरजहुँ7 अपन बेटवा , सेजिया हमर जनि अवथुन , 8 , साँवर होइ जवथुन9 हे ॥ 4 ॥ बहुआ10 छोरि देहु माँग के सेनुरवा , नयना भरि काजर हे । बहुआ , बरजब अपन बेटवा , सेजिया तोहर न जयतन11 हे ।",magahi-mag "देसां मैं देस हरियाणा देसां मैं देस हरियाणा । जित दूध दही का खाणा ।",haryanvi-bgc "मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी मेहंदी बोई दिल्ली आगरा जी कोई रंग पाट्यो अजमेर मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी सींचण मैं गई जी कोई छोटा देवर साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी घोलण मैं गई जी कोई द्योर जिठाण्यां साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । मेहंदी लावण मैं गई जी कोई छोटी नणदल साथ मेहंदी रंग भरी जी राज । छोटी बूज्झे ए बड़ी तम कहो रात की बात मेहंदी किसीक रची जी राज । मेहंदी तो मैं लाय लई तूं आई न आधी रात मेहंदी अधिक बणी जी राज । द्योरेजिठानी सब कोई आई तूं नहीं आई आधी रात मेहंदी रंग भरी जी राज ।",haryanvi-bgc "अब कैसे जाऊँ लाड़ो, सामने खड़ी रे लाल अब कैसे जाऊँ लाड़ो1 सामने खड़ी रे लाल । माँगो टीका पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो दिल में बसी रे लाल ॥ 1 ॥ नाको बेसर पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 2 ॥ कानो बाली पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 3 ॥ हाथों कँगन पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 4 ॥ गले माला पहन लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , अँखिया लड़ी रे लाल ॥ 5 ॥ हाथों पहुँची2 पेन्ह लाडो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो , दिल में बसी रे लाल ॥ 6 ॥ जान3 सूहा4 पेन्ह लाड़ो , सामने खड़ी रे लाल । अब कैसे जाऊँ लाड़ो सामने खड़ी रे लाल ॥ 7 ॥",magahi-mag "149 पैचां कैदो नूं आखया सबर कर तूं तैनूं मारया ने झखां मारया ने हाये हाये फकीर ते कहर होया कोई वडा ही खून गुजारया ने बहुत दे दिलासड़ा पूंझ अखीं कैदो लंडे दा जीऊ चा ठारया ने कैदो आखदा धीयां दे वल होके देशों दीन ईमान निघारया ने वारस अंध राजा ते बेदाद1 नगरी झूठा दे दिलासड़ा मारया ने",panjabi-pan "एक रोटी को बैल बिका एक रोटी को बैल बिका अर पैसा बिक गया ऊंट चौतींसा नै खोदिया भैंस गाया का बंट चौंतीसा ने चौंतीसा मारै जिये वेश कसाई औह मारै तकड़ी अर उस ने छुरी चलाई",haryanvi-bgc "आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे . . .",braj-bra "509 पिहढ़े घतके कदी न बहे बूहे असीं एहते दुख विच मरांगे नी एहदा जिउना पलमदा पिंड साडे असीं एह इलाज की करांगे नी सोहनी रन्न बाजार ना वेचनीए वयाह पुत दा होरद करांगे नी मुलां वैद हकीम लै जान पैसे कहियां चटियां गैब दियां भरांगे नी वहुटी गभरू दोहां नूं बाढ़ अंदर असी बाहरों जंदरा जड़ां नी सैदा ढाह के एस तों लए लेखा असी चीकनों मूल न डरांगे नी शरमिंदगी जग दी सहागे जरा मुंह परां नूं होर दे करांगे नी कदी चरखड़ा डाह ना छोप कते असी मेल भंडार की करांगे नी वारस शाह शरमिंदगी एस दी तों असीं डुब के खूह विच मरांगे नी",panjabi-pan "कई आँवा मोरिया, जांबू मोरिया कई आँवा मोरिया , जांबू मोरिया कई मोरी कचनार म्हारा राज आज जमेरी रसभरी फलाणा राय तमारा राज में उना जमई का झाडू का लाड़ आज जमेरी रसभरी फलाणी बऊ तमारा राज में बेटी का दूनादूना लाड़ म्हारा राज आज जमेरी रसभरी ।",malvi-mup "आल्हा ऊदल नाम रुदल के सुन गैले सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय जे बर हिछलीं सिब मंदिर में से बर माँगन भेल हमार एतो बारता है सोनवा के रुदल के सुनीं हवाल घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर घोड़ा उड़ावल बघ रुदल सिब मंदिर में पहुँचल जाय घोड़ा बाँध दे सिब फाटक में रुदल सिब मंदिर में गैल समाय पड़लि नजरिया है सोनवा के रुदल पड़ गैल दीठ भागल सोनवा अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय सोने पलंगिया बिछवौली सोने के मढ़वा देल बिछवाय सात गलैचा के उपर रुदल के देल बैठाय हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओ कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बँधलव फाँड़ बोले राजा बघ रुदल भौजी सोनवा के बलि जाओं बारह वरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुँआर किला तूड़ दों नैना गढ़ के सोनवा के करों बियाह एतनी बोली रानी सोनवा सुन गैल सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय दूध मँगौली गैया के खोआ खाँड़ देल बनवाय जेंइ लव जेंइ लव बाबू रुदल एहि जीबन के आस कड़खा बोली रुदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान हमार किरिया खैलीं मोहबा गढ़ में अब ना अन गराहों पान",bhojpuri-bho "537 अजू आखया कहर अंोर यारो वेखो गजब फकीर ने चाया ए मेरा सीने दा केवड़ा1 मार जिदों कम कार थी चाए गवाया ए फकर मेहर कदे सारी खलक उते एस कहर जहान ते चाया ए वारस शाह मियां नवां सांग2 वेखो दिओ आदमी होए के आया ए",panjabi-pan "जीरा रगरि रगरि हम पिसलूँ जीरा रगरि रगरि1 हम पिसलूँ । जीरा पीले बहू , जीरा पीले धनी ॥ 1 ॥ पाग2 के पेंच3 में छानली हे । जीरा पीले जरा , जीरा पीले जरा ॥ 2 ॥ होअत बलकवा के दूध । जीरा पीले जचा , जीरा पीले जचा ॥ 3 ॥ हम बबा के अलरी दुलरी4 । हमरा न जीरा ओल्हाय , 5 जीरा कइसे पीऊँ ॥ 4 ॥",magahi-mag "आज अनंद भलइ हमर नगरी बधैया आज अनंद भलइ1 हमर नगरी । मोर दादा लुटावे अनधन सोना , मोर दादी लुटावे मोती के लरी2 ॥ 1 ॥ बाबूजी लुटावथ3 कोठीअटारी , मइया लुटाबे फूल के झरी । मोबारख4 होय होरिला तोहरो गली ॥ 2 ॥",magahi-mag "काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू बनजा बेटा रमा चाचू बनजा बेटा अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे झीमर झीमर चोय टेगेन टाला दारोम टेगने डो माय मारे अमा रानी का जा बेटा अमा रानी का जा बेटा ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे ऊरगा टाला केन्डे कडसा ढोढोवा जा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति रूक्मणी , ग्राम मकड़ाई",korku-kfq "76 तेरा आखया असां मनजूर कीता मझीं देह संभाल के सारियां नी खबरदार रहे मझीं विच खड़ा बेले विच मुसीबतां भारियां नी रोला करे नाहीं नाल खधिया1 दे एस कदे नाहीं मझी चारियां नी मत खेड रूझे खड़ियां जाण2 मझीं होण पिंड दे विच खुआरियां नी",panjabi-pan "चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो चढ़ लाडा , चढ़ रे ऊँचे रो , देखाधूं थारो सासरो रे जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा , ऐंडू के शार्रूं सासरो रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो , देखांधू थारा सुसरा रे जाणें जाणें पड़गो रा वौरा , ऐड़ा रे थारा सुसरा रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे जाणें जाणें पड़गा री "" बोंरी ' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो , देखांधू थारो सासरो रे जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी , ऐड़ी तो थारी साली रे",rajasthani-raj "चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । सच्च सुण के लोक ना सहिन्दे नी , फिर सच्चे पास ना बहिन्दे नी , सच्च मिट्ठा आशक प्यारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । सच्च शरा करे बरबादी ए , सच्च आशक दे घर शादी1 ए , सच्च करदा नवीं अबादी ए , जेही शरा तरीकत हारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । चुप्प आशक तों ना हुन्दी ए , जिस आई सच्च सुगन्धी ए , जिस माल्ह सुहाग दी गुन्दी ए , छड्ड दुनिआँ कूड़ पसारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ । बुल्ला सहु सच्च हुण बोले हैं , सच्च शरा तरीकत फोले हैं , गल्ल चौत्थे पद2 दी खोले हैं , जेहा शरा तरीके हारे नूँ । चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ ।",panjabi-pan "म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे , जरमरियो काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो लाड़ी आयो ने अनुअर डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो बेड़ो लायो ने थाली डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो लोटो लायो ने लोटी डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो सीरस लायो ने ढ़ाल्यो डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो म्हारो बालूड़ो ग्यो तो सासरे . . . जरमरियो ढ़ोलो काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये . . . जरमरियो ढ़ोलो ।",rajasthani-raj "पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु पिंजरा टूटी गयो रमा उड़ी गयो मायु रामा सरिका बोले रे बेटा म्हारो कलेजा टूटे पेप रे पाला जोमेडो में माडो इयां बेटी रेपे रेपे मांडिये पान सुपारी जोमे डो इयां बेटी रेपे रेपे मांडिये काली ग्वाली किटी टाला डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे डून्डा ओड़ा टेगेन डो माय मारे डून्डा ओड़ा चूटी तीये रामा चाचू बनजा बेटा आमा रानी का बोली वा जा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा",korku-kfq "जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां जच्चा की चटोरी जीभ चलेबी मंगवा द्यो नां उसकी सासू गिरवै रखद्यो ससुरै का लगवा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी जिठाणी नै गिरवै रखद्यो जेठै का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी देवरानी गिरवै रखद्यो देवर का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां उसकी ननद ने गिरवै रखद्यो ननदोइए का लगा द्यो ब्याज जलेबी मंगवा द्यो नां जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा द्यो नां",haryanvi-bgc "468 जो कुझ तुसी फरमांओ सो जाए आखां दिल जानथी चेलड़ी होइआं मैं तैनूं पीर जी भुल के बुरा बोली भुली विसरी आन विगोइआं मैं तेरी पाक जबान दा हुकम लैके कासिद1 होयके आन खलोइआं मैं वारस शाह दे मोजजे साफ कीती नहीं मुढ दी वढी बदखोइआं मैं",panjabi-pan "मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय मन खोल के मांगो नन्दी लेना हो सो लेय जेवर मत मांगो नन्दी डिब्बों का सिंगार जेवर में से आरसी दूंगी छलला लूंगी निकाल मन खोल के मांगो . . . तीयल मत मांगे नन्दी बुगचे का सिंगार कपड़े में मैं अंगिया दूंगी मुलकत लूंगी निकाल मन खोल के मांगो . . . बर्तन मत मांगो नन्दी चौके का सिंगार बर्तन में मैं कटोरा दूंगी तल्ला लेऊं निकाल",haryanvi-bgc "यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो माय चमेली नौ तैल गोरो लाड़ो लाड़ी बैठ्या उबटणे",malvi-mup "मृत्यु गीत टेक दल खोलो कमल का फूल हंसा , सायब रे न मिलावण ना होय रे । चौक1 गऊ न का दूध नीबजे रे हंसा , दूध का दही होय रे । आरे हंसा दूध न का दही होय रे । मयड़ो रोळो माखण नीबजे रे , ऐसो फिर नहिं दहिड़ो होय सायब रेन मिलावण होय । चौक2 फूल फूलियो गुलाब को हंसा , भँवरो गयो लोभाय रे , आरे हंसा भँवरो गयो लोभाय रे । कलीकली भँवरो गुँजी रह्यो हंसा , एसो फूल गयो कुम्हलाय । सायब रे न मिलावण ना होय रे । चौक3 पाटियां पाड़ी रूड़ा प्रेम की रे हंसा , सोभती बिंदिया सजाई रे । आरे हंसा रे न मिलावण ना होय रे । चूंदड़ ओढ़ कोई प्रेम की रे , वकि मुक्ति का होय कल्याण , सायब रेन मिलावण ना होय रे । चौक4 नंदी किनारे घर कर्यो हंसा , नहावत निरमल नीर रे । आरे हंसा नहावत निरमल नीर रे । धरमी राजा पार उतरिया , ऐसो पापी गोता खाय सायब से मिलावण ना होय रे । छाप कइये कमाली कबिर सा की लड़की , ऐसा खत अमरापुर पाया । हंस कमल दल का फूल खोलो , भगवान से मिलना न हो । गौ से दूध उत्पन्न होता है , दूध से दही बनता है , छाछ बनाई , मक्खन निकाला , उसके बाद दही नहीं हो सकता , इसी प्रकार समय खो दिया फिर भगवान से मिलना नहीं हो सकता । गुलाब का फूल खिला , उस पर भँवरा लुभाया । कलीकली पर भँवरा गुंजार करता रहा और ऐसा करते फूल मुरझा गया । इस प्रकार ऐसा करते हुए अरे मानव उस फूल के समान तेरी जिन्दगी खत्म हो गई । भगवान का भजन न किया , इससे भगवान का सामीप्य नहीं हुआ । फिर चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा । अरे हंसा जीव महिलाओं को सम्बोधन किया गया है स्नान किया , सिर के बालों की पाटियाँ प्रेम से पाड़ी । ललाट पर सुन्दर बिन्दी लगाई , इससे भगवान का सामीप्य नहीं मिलता है । अरे भगवान से लगन की चूनरी ओढ यानी भगवान का भजन भी कर , जिससे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो । आनन्दपूर्वक जीवन के साथ भजन भी कर । अरे जीव नदी के किनारे घर बनाया और खूब निर्मल जन से स्नान किया , किन्तु धर्म नहीं किया ? धम्र करने वाले पार उतर गए अर्थात् इस संसार रूपी नदी से पार उतर गये । तात्पर्य यह कि मुक्ति पा गये और पापी बीच में ही गोते खाते हैं । कबीरदासजी की पुत्री कमाली कहती है कि धर्म करने वालों को अमरापुर की प्राप्ति होती है ।",bhili-bhb "280 अजड़1 चारना कम पैगम्बरां दा केहा अमल शैतान दा रोलयो ई भेडां चारके तोहमतां जोड़ना ए क्यों गजब फकीर ते खोलयो ई वाही छड के खोलियां चारियां नी होयों जोगीड़ा जीऊना ठोलयो ई सच मन के पिछांह मुड़ जा जटा केहा कूड़ दा फोलना फोलयो ई वारस शाह एह उमर नित कर जाया2 शकर विच प्याज क्यों घोलयो ई",panjabi-pan "563 रांझा आखदा पुछो खां एह छापा किथों दामन नाल चमेड़या जे राह जांदड़े किसे ना पैन चंबड़े एह भूतना किथों सहेड़या जे सारे मुलक एह झगड़दा पया फिरदा किसे हटकया ते नहीं होड़या जे वारस शाह कुसंभे दे फोग वांगूं ओहदा उड़का रसा नचोड़या जे",panjabi-pan "पिपरी लेके सासु खड़ी, पिपरिया पीले बहू पिपरी1 लेके सासु खड़ी , पिपरिया पीले बहू । हो जयतो2 होरिलवा ला3 दूध , पिपरिया पीले बहू ॥ 1 ॥ पिपरी पीते मोरा होठ हरे , मोरा कंठ जरे हे । हिरदय कमलवा4 के फूल पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 2 ॥ पिपरी जेके भउजी खड़ी , चाची खड़ी । पुरतो5 होरिलवा के साध , पिपरिया पीले बहू ॥ 3 ॥ पिपरी पीते मोरा आँख जरे , नयना लोर6 ढरे । पिपरी न कंठ ओल्हाय7 पिपरिया मैं न पिऊँ ॥ 4 ॥",magahi-mag "275 जदों करम अलाह दा करे मदद बेड़ा पार हो जाए निमानयों दा लैणा करज़ नाहीं बूहे जा वहीए केहा तान है असां नितानयां दा मेरे करम सवलड़े आन जागे खेत जंमया भुंनयां दानयां दा वारस शाह मियां वडा वैद रांझा सरदार है सभ सिआनयां दा",panjabi-pan "रच्छा करी बटुकनाथ भैरों रच्छा करी बटुकनाथ भैरों , चौड़िया नारसिंह , वीर नौरतिया नारसिंह । ढौंढिया नारसिंह , चौरंगी नारसिंह । फोर मंत्र ईश्वरो वाच । ऊं नमो आदेश , गुरु कौं आदेश प्रथम सुमिरौं नादबुद1 भैरों , द्वितीय सुमिरौं ब्रह्मा भैरों , तृतीय सुमिरों मछेन्द्रनाथ भैरों , मच्छ रूप धरी ल्यायो । चतुर्थ सुमिरौं चौरंगी नाथ , विंधा उत्तीर्ण करी ल्यायों । पंचमें सुमिरों पिंगला देवी , षष्ठे सुमिरौं श्री गुरु गोरख साई , सप्तमे सुमिरौं चंडिका देवी या पिंडा2 को छल करी , छिद्र करी , भूत , प्रेत हर ले स्वामी प्रचंड बाण मारि ले स्वामी सप्रेम सुमिरौ नादबुद भैरों , तेरा इस पिंडा को ध्यान छोड़ादे इस पिंडा को भूत , प्रेत , ज्वर उखेल3 दे स्वामी फिर सुमिरौं दहिका देवी , इस पिंडा को दग्ध बाण उषेल दे स्वामी अब मैं सुमिरौं कालिपुत्र कलुबा वीर , द्यू लो तोई स्वामी गूगल को धूप , कलुवा वीर आग रख पीछ रख सवा कोस मू रख , पाताल मू रख फीली फेफ्नी को मास रख , मुंड को मुंडारो उखेल , मुंड को जर उखेल पीठी को सलको उखेल , कोरवी की धमाक उखेल , बार बिथा , छत्तीस बलई4 तू उखेल , रे बाबा मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति , सब साचा पिंडा राचा , चालो मंत्र , ईश्वरो वाच फोर मंत्र , फट् स्वाहा , या बिक्षा नी आन दूसरी बार ।",garhwali-gbm "बारात के रास्ते का गीत उभो रे मयदान मा , उभो रहयो रे बेना । बइं ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । बणवि ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । भाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । भोजाइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । फुवा वाटे , उभो रहयो रे बेना । फुइ ना वाटे , उभो रहयो रे बेना । गांवल्या वाटे , उभो रहयो रे बेना । बना रुक गया है , क्यों रुका ? उसकी बहन पीछे रह गई थी , इसलिए रुका । इस प्रकार सम्बन्धियों के नाम लेकर गाते हुए गीत आगे बढ़ता चला जाता है ।",bhili-bhb "का लेके अयले ननदिया, बोलाओ राजा बीरन के का1 लेके2 अयले3 ननदिया , बोलाओ राजा बीरन4 के । पाँच के टिकवा , 5 दस के टिकुलिया , 6 लेके आयल ननदिया ॥ 1 ॥ हमर बहिनियाँ बहुत किछु लयलक7 । ओकरा8 के पियरी पेन्हाउ , 9 बोलाबु राजा बीरन के ॥ 2 ॥",magahi-mag "515 हुकम हीर दा माऊ तों लया सहती गलां आपों विच दोहां मेलियां ने अनी आओ खां आपो विच गल गिनो सभ घलियां सभ सहेलियां ने रूजू1 आन होइयां सभे पास सहती जिवें गुरु अगे सभ चेलियां ने कहे कुआरियां कई वियाहियां ने चंद जेहे सरीर मथेलियां ने उन्हां माऊ ते बाप नूं भुन्न खाधा मुंग चने कुआरियां खेलियां ने विच हीर सहती दोवें बैठियां न दुआल बैठियां आन सहेलियां ने सभनां बैठ के इक सलाह कीती भाबी नणद ते आन रवेलियां ने सुती पई लोको उठ चलना जे बाहर करनियां जां काले केलियां ने सइयों हुम हुमा के आवना जे गलां करनियां अज कहेलियां ने वारस शाह शिंगार महावतां न जिवें हथनियां किले ते पेलियां ने",panjabi-pan "कबीरो किन भरमायो, अम्माँ महारो कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो १ कबीरा की औरत कहती सासु से ऐसो पुत्र क्यो जायो खबर हुती मख नीच काम की ब्याव काहै को करती कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो २ कबीरा की माता कहती कबीर से तुन म्हारो दुध लजायो खबर हुती मख गर्भवाँस की दुध काहे को पिलाती कबीरो किन भरमायो , अम्माँ महारो",nimadi-noe "रणिहाट नी जाणू गजेसिंह, हल जोता का दिन, गजेसिंह रणिहाट नी जाणू गजेसिंह , हल जोता का दिन , गजेसिंह छिः दारु नी पेणी गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह हौंसिया छै बैख गजेसिंह , बड़ा बाबू को बेटा , गजेसिंह त्यरा कानू कुंडल गजेसिंह , त्यरा हातू धगुला , गजेसिंह त्वे राणी लूटली गजेसिंह , रणिहाट नी जाणू , गजेसिंह तेरो बाबू मारेणे गजेसिंह , राणिहाट नी जाणू गजेसिंह बैरियों का बदाण गजेसिंह , सांपू का डिस्याण , गजेसिंह बड़ा बाबू को बेटा गजेसिंह , दरोलो नी होणो , गजेसिंह मर्द मरी जाँदा गजेसिंह , बोल रई जांदा , गजेसिंह ।",garhwali-gbm "माथे मटुक्डी महिनी गोरी माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा ससराजी मऴया , मुने लाजू करी या ने घणी हाम रे . . गोकुल मां , हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा जेठजी मऴया मुने झिणु बोल्या ने घणी हाम रे . . . . गोकुल मां हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी माँ म्हारा सासुजी मऴया , मुने पाए लाग्या ने घणी हाम रे . . . गोकुल मां . . हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . . सांकळी शेरी मां म्हारा परणयाजी मऴया , मुने प्रीत करया नी घणी हाम रे . . . ऐ गोकुल मां . . हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला रे , माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला . . . .",gujarati-guj "सारी चोर-बोर कर डारी सारी चोरबोर कर डारी , कर डारी गिरधारी । गिरधारी पकरन के काजैं । जुर आईं ब्रजनारी । नारी भेस करौ मोहन कौ । पैराई तन सारी । सारी पैर नार भए मोहन , नाचें दैदै तारी तारी लगा ग्वाल सब हँस रय ईसुर कयँ बलहारी ।",bundeli-bns "अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़ अगर चन्दन का बण्या रे किवाड़ , बावन चन्दन की कोठड़ी , कोठड़ी मऽ बठ्या राणी रनुबाई नार हो , बाळा कुंवर की मावली । भोळा हो धणियेर , भोळा तुम्हारो राज , तो नव दिन पियर हम जावां जी । तुम देवी मूरख गंवार , नव दिन पीयर मत जाओ । तपऽ तपऽ चैत केरो घाम , कड़ी को बाळो कुम्हलई जासे तुम्हारा बाला खऽ राखो तुम्हारा पास , नव दिन पियर हम जावां जी । ।",nimadi-noe "खोय देत हो जीवन बिना काम के भजन करो कछु राम के खोय देत हो जीवन बिना काम के , भजन करो कछु राम के । जी बिन देह जरा न रुकती , चाहो अन्त समय में मुक्ती ऐसी करो जतन से जुक्ती , ध्यान करियों सबेरे न तो शाम के । भजन . . . लख चौरासी भटकत आये , मानुष देह कठिन से पाये , फिर भी माने न समुझायें , गलती चक्कर में फंसे बिना राम के । भजन . . . ईश्वर मालिक से मुंह फेरे , दिल से नाम कभऊं न टेरे , वन के नारि कुटुम्ब के चेरे , कोरी ममता में फंसे इते आन के । भजन . . . छोड़ो मात पिता और भ्राता , जो हैं तीन लोक के दाता , करियो उन ईश्वर से नाता , क्षमा करिहें अपराध अपना जान के । भजन . . .",bundeli-bns "आल्हा ऊदल पड़ गैल बीड़ा जाजिम पर बीड़ा पड़ल नौ लाख हे केऊ रजा लड़वैया रुदल पर बीड़ा खाय चौहड़ काँपे लड़वेया के जिन्ह के हिले बतीसो दाँत केकर जियरा है भारी रुदल से जान दियावे जाय बीड़ा उठावल जब लहरा सिंड्घ कल्ला तर देल दबाय मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले जुझाम जुझाम एको एका दल बटुरल जिन्ह के दल बावन नवे हजार बूढ़ बियाउर के गनती नाहिं जब हाथ के गनती नाहिं बावन मकुना के खोलवाइन रजा सोरह सै दन्तार नब्वे सै हाथी के दल में ड़ड़ उपरे नाग डम्बर उपरे मेंड़राय चलल परवतिया परबत के लाकट बाँध चले तरवार चलल बँगाली बंगाला के लोहन में बड़ चण्डाल चलल मरहट्टा दखिन के पक्का नौ नौ मन के गोला खाय नौ सौ तोप चलल सरकारी मँगनी जोते तेरह हजार बावन गाड़ी पथरी लादल तिरपन गाड़ी बरुद बत्तिस गाड़ी सीसा जद गैल जिन्ह के लंगे लदल तरवार एक रुदेला एक डेबा पर नब्बे लाख असवार बावन कोस के गिरदा में सगरे डिगरी देल पिवाय सौ सौ रुपया के दरमाहा हम से अबहीं लव चुकाय लड़े के बोरिया भागे नौ नौ मन के बेड़ी देओं भरवाय बोगुल फूँकल पलटन में बीगुल बाजा देल बजाय",bhojpuri-bho "फूल लोढ़े चलली हे गउरा, बाबा फुलवारी फूल लोढ़े1 चलली हे गउरा2 बाबा फुलवारी । बसहा चढ़ल महादेव , लावले3 दोहाई4 ॥ 1 ॥ लोढ़ल5 फफलवा हे गउरा देलन छितराए । रोवते कनइते6 हे गउरा , घर चलि आवे ॥ 2 ॥ मइया अलारि7 पूछे , बहिनी दुलारि पूछे । कउने तपसिया8 हे गउरा , तोरो के डेरावे ॥ 3 ॥ लाज के बतिया9 हे अम्मा , कहलो न जाए । भउजी जे रहित हे अम्मा , कहिति समुझाए ॥ 4 ॥ पूछु गल सखिया10 सलेहर11 कहिहें समुझाए । बड़े बड़े जट्टा हे अम्मा , सूप अइसन12 दाढ़ी ॥ 5 ॥ ओही तपसिया हे अम्मा , हमरो डेरावे । ओही तपसिया हे अम्मा , पड़ले दोहाई ॥ 6 ॥ बुद्धि तोरा जरउ13 हे गउरा , जरउ गेयान । ओही तपसिया है गउरा , पुरुख14 तोहार ॥ 7 ॥",magahi-mag "करमा गीत-6 रांधत देखेंव मोगरी मछरी परसत देखेंव भोंगा सागे । अइसन सुआरी बर बड़ गुस्सा लागे । भारतें तुतारी दुई चारें । माहिरा तुतारी दुई चारें । चलि देबों मइके हमारे । मसके देइ मइके तुम्हारे । कर लेब दूसर बिहांव । कर लेइहा दूसर बिहाव हमर सूरत कहां पइहा । अइसन सुधरई का करबो । चिटको तो चाल कहर नइहे ।",chhattisgarhi-hne "हवा बहे रसे-रसे घुमड़इ कजरिया हवा बहे रसेरसे घुमड़इ कजरिया , जिया कहे चलचल पिया के नगरिया । जहिया से सइँया मोरा गेलन विदेसवा , आवे न अपने न भेजे कोई सनेसवा । लिलचा के रह जाहे ललकल नजरिया . जिया कहे चलचल पिया के नगरिया । जाड़ा जड़ाई गेलई सउँसे ई देहिया , गरमी में सब जरई सबरे सनेहिया । जियरा डेराय रामा छाय घटा करिया जिया कहे चलचल पिया के नगरिया ।",magahi-mag "रुकमिनी जेवनार बनाए रुकमिनी जेवनार1 बनाए , मकसूदन2 जेमन3 आए जी । सोभित रतन जड़ाओ4 कुंडल , मोर मकुट सिर छाजहिं ॥ 1 ॥ केसर तिलक लिलार5 सोभित , उर बयजन्तरी6 माल हे । बाँहे बिजाइठ7 सोबरन बाला , अँगुरी अँगुठी सोहहिं ॥ 2 ॥ सेयाम रूप मँह पीयर बसतर , चकमक झकझक लागहिं । कनक कंकन , चरन नेपुर , रूप काहाँ लौं बरनउँ ॥ 3 ॥ जिनकर रूप सरूप मुनिजन , मनहिं मन नित गावहिं । झारि बिछौना , लाइ झारी8 सब के पाँव धोवावहि ॥ 4 ॥ कनक , कलसबा , सुन्नर झारी , गिलास दय आगे धरयो । अंजुल9 जोरी विनय करि के , सभें के पाँत बइठावहि ॥ 5 ॥ कनक थारी में रुचिर ओदन10 दाल फरक परोसहिं । सुन्नर भोजन परसि परसि , घीउ11 ऊपर ढरकावहि ॥ 6 ॥ साग , बैंगन , अलुआ12 मूरी , कटहर , बड़हर परोसहि । अदरख , अमड़ा , अरु करइला , इमली चटनी लावहिं ॥ 7 ॥ कदुआ , ककड़ी अउर खीरा , राइ दही रहता13 बनो । बारा , बजका आउ तिलौरी , हरखि पापर देइ दियो ॥ 8 ॥ अदउरी , दनउरी आउर मेथौरी , हरखि दही आगे धरयो । देइ अचमन14 जल गँगा के , बाद सभे बीरा15 दियो ॥ 9 ॥ खाइ बीरा हँसि हँसि बोलथि हरि रुकमिनी का चही16 देऊँ परेम परगास हमरा , हाथ जोरि बिनति करी ॥ 10 ॥",magahi-mag "आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले (भाटियाली) आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले । । सहे ना यौवन ज्वाला , प्रेम ना करे छिलाम भालो गो । दुइ नयने नदी नाला तुइ बन्धु बहाइले । । आगे तो ना जानि आमि , एत पाषाण हइबे तुमि गो । बइसे थाकताम एकाकिनी , कि इहते प्रेम ना करिले । । तुमि बन्धु ताके सुखे , मरब आमि देखुक लोके गो अभागिनीर मरणकाले आइस खबर पाइले । ।",bengali-ben "वनिक मैं हूँ साहुकारा नाथ , कीजिए हमारा सौदा , छोटी बड़ी इलायची , छुहड़ा घर भरा है । लवंग ओ सुपारी , कत्था केवरा सुवास भरो , बांका है मुनक्का , जो डब्बे में रक्खा है । किसमिस बादाम , ओ चिरंजी तमाम रक्खी , गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है । सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो , काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है । हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी , धनिया मसाला सब आला दरसाई है । कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता , दीजिए न दाम , दास चरणों पर पड़ा है ।",bhojpuri-bho "वारे लाँगुरिया रुक मत जइयौ वारे लाँगुरिया रुक मत जइयो कहूँ गैल में ॥ टेक तोय दऊँ पहले ही बतलाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया जो रुकि गयौ कहुँ गैल में , फिर तौ लेगौ देर लगाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगरिया मोय आदत तेरी नहीं भावत है , तू तो सुन लै रे चितलाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया मैंने बोली जात करौली की , हम तौ दरस करेंगे वहाँ जाय ॥ लाँगुरिया . वारे लाँगुरिया गोद मेरी देखि सूनी है , अब मैया तो देगी भराय ॥ लाँगुरिया .",braj-bra "जामुना रे जामुना आरे बेटा जामुना रे जामुना आरे बेटा नद्दी किनारे जामुना का जामुना चोरो रे आरे बेटा जामुना चोरो रे मिया किलो डूमूर भैया मिया किलो जुगुनो दाना जोगी पिंजरा सिंगारे जा जोगी ये जोगी ये जोगी आमा पिंगी रुवेन जा कापरा लियेन सालो आगीन केन जा बोले रे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "देव खितरपाल घड़ी-घड़ी का विघ्न टाल देव खितरपाल1 घड़ीघड़ी का विघ्न टाल माता महाकाली का जाया2 चंड भैरों3 खितरपाल प्रचंड भैरों खितरपाल , काल भैरों खितरपाल माता महाकाली का जाया , बूढ़ा महारुद्र का जाया",garhwali-gbm "छापक पेड़ छिउलिया,त पतवन धन बन हो छापक पेड़ छिउलिया त पतवन धन बन हो ताहि तर ठाढ़ हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो चरतहीं चरत हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो हरिनी की तोर चरहा झुरान कि पानी बिनु मुरझेलू हो नाहीं मोर चरहा झुरान ना पानी बिनु मुरझींले हो हरिना आजु राजा के छठिहार तोहे मारि डरिहें हो मचियहीं बइठली कोसिला रानी , हरिनी अरज करे हो रानी मसुआ तो सींझेला रसोइया खलरिया हमें दिहितू न हो पेड़वा से टांगबी खलरिया त मनवा समुझाइबि हो रानी हिरिफिरि देखबि खलरिया जनुक हरिना जिअतहिं हो जाहू हरिनी घर अपना खलरिया ना देइबि हो हरिनी खलरी के खंझड़ी मढ़ाइबि राम मोरा खेलिहें नू हो जबजब बाजेला खंजड़िया सबद सुनि अहंकेली हो हरिनी ठाढ़ि ढेकुलिया के नीचे हरिन बिसूरेली हो",bhojpuri-bho "4 मदह1 पीर दी हुब्ब2 नाल कीचे जैंदे खादमा विच वी पीरिआं नी बाझ ओस जनाब दे पार नाही लख ढूंढ़दे फिरन फकीरिआं नी जिहड़े पीर दी मेहर मनजू़र होए घर तिनहां दे मीरिआं पीरिआं नी रोजे़ हशर ने पीर दे तालबां नूं हथ सजड़े मिलणगिआं चीरिआं नी",panjabi-pan "राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत राजा जी जे थारै जन्मैगा पूत मोहर हम पचास लेवां हां जी हां । राजा जी जै थारे जन्मैगी घी ओढां हम चुंदड़िया हां जी हां । राजा जी कौल बचन कर लो जी याद मोहर पचास हम लेवां हां जी हां । दाइए पूत जन्मा हमारी नार , तेरा दाई क्या रे लेया हां जी हां । राजा जी दोए बरस की सै बात दाई कै पैरां फेर पड़ो हां जी हां । राजा जी मेंह अन्धेरोड़ी रात चतर दाई कैसे चले हां जी हां । दाइए छिन्न भिन्न बरसैं मेह , ओढो थारी घाघरी हां जी हां ।",haryanvi-bgc "सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे सेनुरा सेनुरा जनी करूँ , सेनुरा बेसाहम1 हे । धनि2 लागि3 जयबइ4 सेनुरा के हाट , से सेनुरा ले आयम5 एतना कहिए दुलहा उठलन , चलि भेलन6 मोरँग7 हे । मोरँग देसे सेनुरा सहत8 भेलइ9 सेनुरा लेआबल हे ॥ 2 ॥ लेहु धनि सेनुरा से सेनुरा आउर टिकुली बेनुली10 हे । धनि साटि लेहु अपन लिलार , चलहु मोर ओबर11 हे ॥ 3 ॥ कइसे12 के साटि हम बेनुली , कइसे करूँ सेनुर हे । कइसे के चलूँ हम ओबर , हम तो कुमार बार13 हे ॥ 4 ॥ चुटकी भर लेहु न सेनुरबा , सोहगइलबा14 बेसाहहु15 हे । भरी देहु धानि के माँग , धानि तोहर होयत हे ॥ 5 ॥ चुटकी भरी लिहलन सेनुरबा , सोहगइलबा बेसाहल हे । दुलहा भरी देलन धानि के माँग , अब धानि आपन हे ॥ 6 ॥ बाबा जे रोबथिन मँड़उबा16 बीचे , भइया खँम्हवे धयले17 हे । अमाँ जे रोबथिन घरे भेल18 अब धिया पर हाथे हे ॥ 7 ॥ सखि सभ माथा बन्हावल19 लट छिटकावल20 हे । अजी सखि , चलूँ गजओबर , अब भेल पर हाथ हे ॥ 8 ॥ सेनुरा सेनुरा जे हम कयलूँ , सुनेरा21 त काल भेल हे । सेनुरा से पड़लूँ सजन घर , नइहर22 मोर छूटल हे ॥ 9 ॥ छूटि गेल भाई से भतीजबा , आउरो घर नइहर हे । अब हम पड़लूँ परपूता23 हाँथे , सेनुर दान भेल हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "आल्हा ऊदल जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर रात सपनवाँ सिब वाबा के एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय करे हिनाइ बघ रुदल के ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय",bhojpuri-bho "आज दिन सोने का कीजो महाराज आज दिन सोने का कीजो महाराज सोने को सब दिन , रूपों की रात , मोती के कलसे भराऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . आज बहूरानी मेरे घर में है आई नौबतनगाड़े , बजवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . हरेहरे गोबर अँगना लिपाऊँ बंदनवारें बँधवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . सखीसहेलिन सबकू बुलवा के मंगलगीत गवाऊँ महाराज ॥ आज दिन . . . साजसिंगार बहू को करवा के राईनोन उतारूँ महाराज ॥ आज दिन सोने को कीजे महाराज् ॥",braj-bra "नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी नीहोर तोरे पैयाँ पड़े कया देख मैया अंगना हो आई कया देख मुसकाई नीहोर तोरे पैयां पड़े दूधां देख मैया अंगना हो आई पूतां देख मुसकाई नीहोर तोरे पैयां पड़े पाँवां ने तेरे बिछिया सोवता अनबट देख मुसकाई नोहोर तोरे पैयां पड़े",malvi-mup "मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरे ताऊ ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चली मेरी बन खंड की कोयल बन खंड छोड़ कहां चली मेरे बाबुल ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चाली",haryanvi-bgc "ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा1 । गए सो गए फेर नहीं आए , मेरी जानी मीत प्यारे । मैं बाज्झों पल रहिन्दे नाहीं , हुण क्यों असाँ विसारे । विच्च कबराँ दे खबर न काई , मार केहा झुलाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । चित्त पाया ना जाए असाथों , उभ्भे साह ना रहिन्दे । असीं मोयाँ दे परले पार होए , जीविंदेआँ विच्च बहिन्दे । अज कि भलक तगादा2 सानूँ , होसी वड्डा कहाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । ओत्थे मगर प्यारे लग्गे , ताँ असीं एत्थे आए । एत्थे सानूँ रहण ना मिलदा , अग्गे कित वल्ल धाए । जो कुझ अगलिआँ दे सिर बीती , असाँ भी ओह टिकाणा । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा । बुल्ला एत्थे रहण ना मिलदा , रोन्दे पिटदे चल्ले । इक्क नाम धन्नी दा खरची है , होर पया नहीं कुझ पल्ले । मैं सुफना सभ जग भी सुफना , सुनणा लोक बिबाणा3 । ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा । कुछ नहीं ज़ोर घिङाणा ।",panjabi-pan "ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी एक विपत्ति राजा दशरथ पड़ गई राम लखन वनवासी ओ रघुबर . . . दूसरी विपत्ति श्री राम पे पड़ गई वनवन फिरत उदासी । रघुबर . . . तीसरी विपत्ति रावण पे पड़ गई लंका जली दिन राती । रघुबर . . . चौथी विपत्ति रावण पे पड़ गई थाहि लगी जन घाती । रघुबर . . .",bundeli-bns "अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा अणा कोलाला ना बीरा गऊँड़ा हांगणा बरोठा नी पाकी मसूर कमला बई नी सेरी बीरा हांकड़ी यो थो मदनलालजी नो भोको परवार रे सौदागर बीरा धणी रे घुमर से बीरा आविया आंवा कटाडूं रे बीरा आमळी लम्बी बंदाडूं पटसाल",malvi-mup "168 तुसीं एसदे खयाल ना पवो अड़ियो नहीं खटी कुझ एस सपार उतों नी मैं जीउंदी एस बिन रहां कीकूं घोल घोल घती रांझे यार उतों झलां बेलयां विच एह फिर भौंदा सिर वेचदा मैं गुनाहगार उतों मेरे वासते कार कमांवदा ए मेरी जिंद घाती एहदी कार उतों तदों भाबियां साक ना बणदियां सन जदों सुटया पकड़ पहाड़ उतों घरों भाइयां चा जवाब दिता एहना भूई दीआं पतियां चार उतों ना उमैद हो के वतन छड तुरया मोती तुरे जिउं पट दी तार उतों बिना मेहनतां मसकले1 लख फेरो नहीं मोरचा2 जाए तलवार उतों एह मेहणा लहेगा कदी नाहीं एस सियालां दे सभ प्रवार उतों नढी आखसन झगड़दी नाल लोकां एस सोहणे भंबड़े3 यार उतों वारस शाह समझा तूं भाइयां नूं हुण मुड़े ना ला लख हजार उतों",panjabi-pan "आल्हा ऊदल जिब ना बाँचल मोर देवी के सोनवा जान बचाई मोर नाम रुदल के सुन के सोनवा बड़ मगन होय जाय लौंड़ी लोंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी बात मनाव रात सपनवाँ में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय जौन झँपोला मोर गहना के कपड़ा के लावव् उठाय जौन झँपोला है गहना के कपड़ा के ले आवव् उठाय खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय पेनहल घँघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय चोलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बंद लगाय पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झंझकार सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दाँत सात लाख के मँगटीका है लिलार में लेली लगाय जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवा मने मने करे गुनान मन जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुँआर वैस हमार बित गैले नैनागढ़ में रहलीं बार कुँआर आग लगाइब एह सूरत में नेना सैव लीं नार कुँआर निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली बनाय पड़लि नजरिया इंदरमन के से दिन सुनों तिलंगी बात कहवाँ के राजा एत बरिया है बाबू डोला फँदौले जाय सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ गिराय",bhojpuri-bho "534 खेड़े निशा1 दिती अगे जोगीड़े दे सानूं कसम है पीर फकीर दी जी मरां होए के एस जहान कोहड़ा कदे सूरत जे डिठी है हीर दी जी सानूं हीर जटी धौली धार दिसे कोह2 काफ3 ते धार कशमीर दी जी लंका कोट पहाड़ दा परा दिसे फरहाद नूंनहर जो शीर4 दी जी दूरों वेखके फातिहा आख छडां गुरु पीर पंजाब दे पीर दी जी सानूं कहिकहा5 कंध दे वांग दिसे ढुका नेड़े ते कालजा चीर दी जी उसदी झाल ना असां थी जाए झली झाल कौन झले जटी हीर दी जी भैंस मार के ते सिंग नाद ढोई ऐवे हवस गई दुध खीर दी जी लोक आखदे हुसन दा दरया वगे सानूं खबर ना ओसदे नीर दी जी वारस शाह झूठ ना बोलीए जोगियां ते खयानत ना करीए मीर पीर दी जी",panjabi-pan "कान्हा के होली रंग बगरे हे बिरिज धाम मा कान्हा खेले रे होली वृन्दावन ले आये हवे गोली ग्वाल के टोली कनिहा में खोचे बंसी मोर मुकुट लगाये यही यशोदा मैया के किशन कन्हैया आए आघू आघू कान्हा रेंगे पाछु ग्वाल गोपाल हाथ में धरे पिचकारी फेके रंग गुलाल रंग बगरे हे . . . दूध दही के मटकी मा घोरे रहे भांग बिरिया पान सजाये के खोचे रहे लवांग ढोल नंगाडा बाजे रे फागुन के मस्ती होगे रंगारंग सबो गाँव गली बस्ती रंग बगरे हे . . . गोपी ग्वाल सब नाचे रे गावन लगे फाग जोरा जोरी मच जाहे कहूँ डगर तैं भाग ग्वाल बाल के धींगा मस्ती होली के हुड्दंग धानी चुनरी राधा के होगे रे बदरंग रंग बगरे हे . . . करिया बिलवा कान्हा के गाल रंगे हे लाल गली गली माँ धुमय वो मचाये हवे धमाल रास्ता छेके कान्हा रे रंग गुलाल लगाये एती ओती भागे राधा कैसन ले बचाए रंग बगरे हे . . . आबे आबे कान्हा तैं मोर अंगना दुवारी फागुन के महिना मा होली खेले के दारी छत्तीसगढ़िया मनखे हमन यही हमार चिन्हारी तोर संग होली खेले के आज हमार हे बारी रंग बगरे हे . . .",chhattisgarhi-hne "माँग लाड़ो टीका सोभे, मोतिये की बहार माँग लाड़ो टीका सोभे , मोतिये की बहार । लाड़ो हवले1 चलि आओ । ए बोलवे दिलवर जान , लाड़ो हवले चलि आओ ॥ 1 ॥ नाक लाड़ो बेसर सोभे , चुनिये2 की बहार । हवले चलि आओ , देखे दिलबर जान ॥ 2 ॥ कान लाड़ो बाली सोभे , झुमके की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 3 ॥ गले लाड़ो माला सोभे , सिकड़ी की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे दिलबर जान ॥ 4 ॥ साँवली सलोनी लाड़ो , सर के लम्बे बाल । हवले चलि आओ लाड़ो , देखें दिलवर जान ॥ 5 ॥ जान लाड़ो सूहा सोभे , छापे की बहार । हवले चलि आओ लाड़ो , देखे आशिक जार ॥ 6 ॥",magahi-mag "ये बिगाड़ो लाँगुरिया नईनई फैशन की जोगिन ने ये बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ टेक ॥ बिगाड़ौ लाँगुरिया , रे बिगाड़ौ लाँगुरिया ॥ नयीनयी . पानी भरन को मैं चलूँ तो पीछे चल दे लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आवै कुआ ढकेलू लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . गोबर थापन मैं चलूँ तो पीछे चलदे लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आबै गोबर में थापूँ लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . रसोई तपन को मैं चलूँ तो पीछे आवै लाँगुरिया , मेरेे मन में ऐसी2 आवै बेलन से मारूँ लाँगुरिया ॥ नयीनयी फैशन की . सेज पौढ़न को जब मैं जाऊँ पीछे से आवै लाँगुरिया , मेरे मन में ऐसीऐसी आवै पलका से ढकेलूँ लाँगुरिया , नयीनयी फैशन की .",braj-bra "सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी सासड़ नै भेजी हे मां मेरी चुंदड़ी जी , ए जी कोई दे भेजी मेरी सास , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी अलां तो पलां हे मां मेरी छेकले जी , ए जी कोई बी सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी ओढूँ तो दीखै हे मां मेरी छेकले जी , ए जी कोई रड़कै सासड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी सासरे में बेट्टी हे मां मेरी न्यूं रह्वै जी , ए जी कोई ज्यूं रै कढ़ाई बीच तेल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी ।",haryanvi-bgc "ऐ गा मोटरवाला ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई के पैसा लेबे तें जाबो दुरूग अउ भिलाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई एक झन जाबे ते , पांच रुपया लगथे दुनिया ले बाहिर , ऐ हा काबर हमला ठगथे एको घांव गेहस , ते आज पहली जावथस लगथे तें अभी अभी , मोटर ला चलावत हस साड़े चार लेथव , फेर चिल्हर नइये पाई वो ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई के झन जाहु ते , गन के बता ना चार झन जाबो , बता बैठे के ठिकाना कोन कोन हावव , ते खड़े खड़े जाहु टुरा टुरी दु लईका हे , काला मैं बताहूँ ऐ हावय बाबु के ददा , मैं नोनी के दाई ऐ गा मोटरवाला नन्न्न्ना काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई हीहीई जल्दी चढ़ना तेंहा , भीतरी में खुसर ना सोझ बाय गोठिया , हमला तैं झन हुदर ना पैसा देके भीतरी में , दम हा हमर घुटही तोला जाये हाबय ते चल , नहीते मोटर घलो छुटही कहाँ के तोर दुरूग जाही , कहाँ के भिलाई वो ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला काय बता ना बाई ऐ गा मोटरवाला हूं हूं हूं हूं हूं हूं",chhattisgarhi-hne "346 जेही नियत है तेही मुराद मिलीया घरो घरी छाई सिर पावना एं फिरे भौंकदा मंगदा खवारहुंदा लख दगे पखंड कमावना एं सानूं रब्ब ने दुध ते दहीं दिता असां खावना ते हंडावना एं सोना रूपड़ा1 पहन के असीं बहिए वारस शाह क्यों जीभ रमावना एं गधा उदरका2 नाल ना होय घोड़ी शाह परी ना होए यरोपीए नी गोरे रंग दे नाल तूं जग मुठा विचों गुनाह दे कारने पोलीए नी वेहड़े विच तूं कंजरी वांग नचे चोरां यारां दीए विच वचोलीए नी असांपीर कहया तुसां हीर जाता भुल गई हैं समझ विच भालीए नी अंत एह जहान छड जावना ए ऐडे कुफर अपराध ना तोलीए नी फकर असल अलाह दी हैन सूरत अगे रब्बदे झूठ ना बोलीए नी हुसन मतीए बोबके3 सोन चिड़ीए नैनां वालिये शोख ममोलीए नी तैंढा भला थीवे साडा छड पिछा अबा जिऊनीए आलीए भोलीए नी वारस शाह केती गल होए चुकी मूत विच ना मछीयां टोलिए नी",panjabi-pan "बाजूबंद री लूम टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए लागी प्यारी फुलवारी आतो झूम झूम जाए ल्याई गोरी रो संदेशो घर आओ नी सजन बैरी आंसुडा रो हार बिखर नही जाए कोई चमकी री चुंदरी में सळ पड़ जाए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया झालो सहयो नही जाए धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो री बयारिया झालो सहयो नही जाए",rajasthani-raj "71 बाप हम के पुछदा कौन हुंदा एह मुंडड़ा किस सरदार दा ए हथ लाया पिंड ते दाग पैंदा एह महीं दे नहीं दरकार दा ए सुघड़ चतर ते अकल दा कोट नढा महीं बहुत सम्भाल के चारदा ए हिके नाल पयार दे हूंग दे के सोटा सिंग ते मूल ना मारदा ए माल आपणा जान के सांभ लयावे कोई कम्म ना करे विगार दा ए वसे नूर अल्लाह दा मुखड़े ते मुंहों रब्ब ही रब्ब चितारदा ए",panjabi-pan "297 रसम जग दी करो अतीत साईं साडियां सूरतां वल ध्यान कीजो अजू मेहर दे वेहड़े नूं करो फेरा सहती सोहणी ते नजर आन कीजो वेहड़ा महर दा चलो विखा लयाईये जरा हीर दी तरफ ध्यान कीजो वारस वेखीए घरां सरदारी ढयां नूं अजे साहिबो नहीं गुमान कीजो",panjabi-pan "हार लगल बेनियाँ, सोहाग लगल बेनियाँ हार लगल1 बेनियाँ , सोहाग लगल बेनियाँ । मोती लगल हे , सोभइ सुगही2 के सेजिया ॥ 1 ॥ अँगना में हकइ3 चलन केरा4 हे गछिया5 । बिछ गेलइ6 हे धनि , सुगही के सेजिया ॥ 2 ॥ से चले लगलइ हे उहाँ7 हार लागल बेनियाँ । ओने से8 आवल पुरबा9 आयल सुख नीनियाँ ॥ 3 ॥ भुला गेलइ हे मोरा हार लगल बेनियाँ । भुला गेलइ हे मोरा सुहाग लगल बेनियाँ ॥ 4 ॥ आग लावे10 गेलूँ11 हम , ननदी के अँगना । उहीं12 धरल हे देखलूँ , हार लगल बेनियाँ ॥ 5 ॥ बाबा खउकी13 भइया खउकी , तुहूँ मोरा धानि । लगाइ देलऽ हे मोर बहिनी के चोरिया ॥ 6 ॥ बाबा कीर14 भइया कीर , परभु तोर दोहइया । हम न लगौली15 तोर बहिनी के चोरिया ॥ 7 ॥ आग लावे गेली हम , ननदो के अँगना । ओहँइ16 देखली , हम हार लगल बेनियाँ ॥ 8 ॥ आबे देहु , आबे देहु , हाजीपुर के हटिया17 । कीन देबो18 हे धनि , हार लगल बेनियाँ ॥ 9 ॥ लाय देहो हे परभु , हार लगल बेनियाँ । रूस गेल हे धनि , लाय देबो बेनियाँ ॥ 10 ॥",magahi-mag "नागरजा हे बिष्णु तब दूदी पेण लैगे , हे देव जी विष तेरा घिचा पर अमृत त बणीगे । पूतना हेरदी रै यशोदा को बालीक , अभी मरदो तभी छ मरदो । निराशे गए वा जब दूद्यौं दूँद नी रयो तब बोलदेहे दीदी यशोदा , अपणा बालक तू फुँडो1 गाडीयाल2 । तब विष्णु भगवान वीं की छाती पर चिपटीन पूतना को सारो खून चूसयाले तब पूतना बणैयाले आम जनी गुठली , बांज जनो बकल बराँदी3 तैं तरांदी4 पूतना रागसेण , भगवान वा मारी तिने । छया धेनु का चरैया हे मोहन , ह्वैल्या द्वारिकानन्दन हे मोहन । छया वसुदेव का जाया हे मोहन , ह्वैंल्या देवकी का लाडा हे मोहन । छई दई को दूपकी , हे मोहन , ह्वैल्या दूद की बिराली हे मोहन । त्वैकू बार मास होला हे मोहन , बोण घोर से प्यारा हे मोहन । तेरी नौसुन्या मुरुली हे मोहन , एक भौण5 मा मिलौंद हे मोहन । औदू बाँसुली बजौंदू हे मोहन । यूँ चीडू की बणायों हे मोहन , तेरी बार बीसी धेनु हे मोहन , ओडू नेडू औंदन , हे मोहन । त्वै बिना ग्वैरू की , हे मोहन , सभा नी शोभदी हे मोहन । चला ग्वाल बाल भायों , तुम खेला गेंदुवा6 , सोना को गेन्दुवा मेरो , विष्णु पटन मढ़यूँ छ । सोना को बण्यू छ , चांदी का घुँघर । हे प्रभु सोवन गेन्दुवा तेरो हाथ नी लियेंदू , भ्वां नी धरेन्दू तब खेलण जाँा सब कुंज वन मा , कुंज वन मा खिल्या बार भाँति का फूल । अनमन भाँति की औदे फूल की वासिनी , भौंरा छन गुँजणा , मारी7 रूणाणी छन , कि अनमन भाँति की केसर लेला । सारा कुंज वन मा खेल गेन्दुवा । ब्रज की गुजन्यों संग खेल गेन्दुवा छट छुटे गेंदुवा जमुना मा गिरिगे । वीं गैरी8 जमुना माछीन9 धूल्याले10 । तब विष्णु भगीवान धावड़ी11 लगौंदा । ग्वाल बाल सब घर बोड़ी ऐन , जिया को बालीक जभुनी छाला छुटिगे । तब जिया जसोमती इना बेन बोदी हे प्रभो , मेरो बाला जमुना छाला रैगे । सबूका बाला घर ऐन , मेरो कृष्ण नी आयो । जागदी रै गये त्वै स्या राणी सत्यभामा । काली नाग रंदो तैं गरी जमुना , हे मेरा कृष्ण नाग डसी जालो । कृष्ण भगीवान इना रैन बली , गाडी दिने गेन्दुवा , साधी लिने नाग भेंटद भाँटद छन गेन्दुवा कृष्ण भगवान , अनमन भाँति को खेल लाँद गोविन्द । ओडू12 नेडू ऐगे कातिक मास , कातिक मास बगवाली13 ऐन , जोन्याली14 रात बग्बाल्यों का खेल मधुवन मा , रचला रास राधिकोंका संग । सात सई15 गुजरी , आठ सई राणी , नौ सई आछरी16 तेरी मोहन रूप को रौंसिया छई , फूलू को हौंसिया । राधिकौंका संग खेल बोल , करदो रास पोथल्यों17 को ख्याल तब गुजरी बोदीन , मोहन मायादार , हाथी मिलैक खेल लौला । तब मोहन नारेणन मोहन रूप धरे , मोहन रूप धरे गाडे मोहन मुरली तब सभी राधिका राम , मोहित होई गैन , कि चित होइगे चंचल देव्यो , मन होइगे उदास । ये मुरल्यान हमारो मन मोहित देव्यो । तब गुजन्यों का साथ हाथी मिलैक , नाचदो मोहन कालिया नाच । जोन्याली रातू मा तब पूरणमासी की खिलदी जोन छन कई मधुवन मा । चल दीदी18 भुल्यों , ल्यूला असीनान , कठा होई गैन राम जी की गुजरी । राम जी की गुजरी खट की आछरी । चला दीदी भुल्यों जमुना का छाला19 , तब तउँ देव्योंन शृंगार सजाये , दांतुड़ी मंजैन जई जसो फूल , स्यूंदोली20 गाडीन21 देव्योन धौली22 जसो फाट , हाथ की पौंछी पैरीन , गला की कंठी , रमछम बाजेन देव्यों , खुटौं23 का घूंघर । रमकदी छमकदी गैन वीं नीली जमुना , वीं गैरी जमुना देव्यों , जमुनी छाला । जमुनी का छाला देव्यों , ल्यूला असीनान कपड़ी गाड़ीक देव्यों , भुयाँ24 धरी देवा , नंगी ह्वैन गुजरी , जल मा गैन । तबरी ए गैन विष्णु भगवान , नंगी गुजरी देखेन तौन , देो कपड़यों को ढेर जमुनी छाला लीला पुरुष छा भगवान , कपड़ी उठैक डाला चढ़ी गैन । मोहन नारेण गाड़े तब मोहन मुरली , तीन ताल मुरली आज सुणौंदा । नंगी गुजरियों सूणे मोहन बांसुली , चकोर की बच्ची सी तपराण25 लै गैन । तब देखे डाला मा तौन नारैण , हे कनो भाग ह्वैलो शरम खांदीन । तब धरे देव्योंन दूद्यों26 मती27 हाती28 ओ नंगी गुजरी जल मां बैठेन । हाथ जोड़दाा मोहन , माथो नवौंदा , हमारा वस्तरदी द्या , रख्याला लाज । मुलमुल हैंसदा तब मोहन छलिया , रतन्याली आंख्योंन मोहित ह्वैग्या । क्यक गुजन्यों , नंगी गै छई जल मा ? आज बटी29 देव्यों नंगी न नह्यान",garhwali-gbm "बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे । । लाव तो सब सारू लावजे रे वीरा , नई तो रहेजे अपणा देश । माड़ी जाया , चूनर लावजे । । संपत थोड़ी , विपत घणी हो बइण , कसी पत आऊँ थारा द्वार । । माड़ी जाई , कसी पत आऊँ थारा द्वार । । भावज रो कंकण गयणा मेलजे रे वीरा , चूनर लावजे । असी पत आवजे म्हारा द्वार , माड़ी जाया , चूनर लावजे । ।",nimadi-noe "बगिया में ठाढ़ा भेल कवन बेटी बगिया1 में ठाढ़ा भेल कवन बेटी , बगिया सोभित लगे हे । बाँहि2 पसार मलिनिया कि आजु फुलवा लोर्हब3 हे ॥ 1 ॥ धीर धरु अगे मालिन धीर धरु , अवरो4 गँभीर बनु हे । जब दुलहा होइहें कचनार5 तबे फुलवा लोर्हब हे ॥ 2 ॥ मँड़वाहिं ढाढ़ा भेल कवन बेटी , मड़वा सोभित लगे हे । बाँहि पसार कवन दुलहा , आजु धनि हमर6 हे ॥ 3 ॥ धीर धरु अजी परभु , धीर धरु , अवरो गंभीर बनु हे । जब बाबू करिहन7 कनेयादान , तबे तोहर होयब हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "379 सहती आखया एह मिल गए दोवें लई घत फकीर बलाइयां1 नी एह वेख फकीर निहाल होई जड़ियां एस नूं घत पिवाइयां नी आखे हीर नूं मगज खपा नाहीं नी मैं तेरियां लवां बलाइयां नी एस जोगड़े नाल तूं खोज नाही अनी भाबीए घोल घुमाइयां नी मता घत जादू मते करे कमली गलां एसदे नाल की लाइयां नी एह न खैन ना भिछया लवे दाने किथों कढीए दुध मलाइयां नी डर आंवदा भूतने वांग इस तों किसे थां दियां एह बलाइयां नी लै के खैर ते जा फरफेजिया2 वे अतां रावला केहियां चाइयां नी फिरे बहुत पखंड खलारदा तूं उथे केहियां वललियां3 चाइयां नी वारस शाह फकीर दी अकल किथे एह तां पटियां4 इशक पढ़ाइयां नी",panjabi-pan "203 जेहड़े छड के राह हलाल दे नूं तकन नजर हराम दी मारिअन गे कबर विच वहा के मार गुरजी सभे पाप ते पुन्न नतारिअन गे रोज हशर दे एह गुनहगार सभे घत अग दे विच नघारिअन गे उस वकत ना किसे साथ रलना खाली जेब ते दसत ही झाड़िअन गे वारस शाह एह उमर दे लाल मोहरे इक रोज नूं आकबत1 हारियन गे",panjabi-pan "195 आतशबाजियां छुटियां फुल झड़ियां नाले छुटियां वांग हवा मियां हाथी मोर ते चकिया झाड़ छुटे ताड़ो ताड़ पटाखया पा मियां सावन भादरों कुजियां खडियां ने टिंड चूहयां दी करे ता मियां महिताबियां दे टोटके चादरां सन देन चकियां वडे रसा मियां",panjabi-pan "152 जदों लाल कचौरी नूं खेड सइयां सभो घरो घरी उठ चलियां नी रांझा हीर नयारड़े हो सुते कंधीं नदी दीयां महियां मलियां नी पए वेख के दोहां इकठयां नूं टंगां लंडे दियां तेज हो चलियां नी परे विच कैदो आन पग मारे चलो वेख लौ गलां अवलियां ने",panjabi-pan "574 आह आशकां दी सुण अग मची वेख रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं लगी अग चैतरफ जां शहर सारे कीता साफ सभ झुगियां झादियां नूं सारे देश विच धुम्मते शोर होया खबरां पहुचियां पांधियां राहियां नूं लोकां आखया फकर बद्दुआ दिती राजे भेजयां तुरत सिपाहियां नूं पकड़ खेड़े करो हाजर नही जानदे जबत1 बादशाहियां नूं चलो होवे हाजर खेड़े फड़े ने वेख लै काहियां नूं वारस शाह सूमसलवात2 दी पुछ होई एहनां दीन ईमान उगाहियां नूं",panjabi-pan "रसराज सुनकै पराई पीर गल जाय नैनूँघाईं एइ आय आदमी के हिरदे की सरबस , भुलै निजी रागरंग , बना देत बिस्वरूप मूल सुर तंत्रिका सें जोर देत बरबस ; छीन करै छुद्र भाब , दिब्ब छबि प्रगटाबै बस करैं बज्रधारी बिना तीरतरकस , और सब रस आयँ दरबारी सहनासे छत्रपति स्वामी एक साँचौसौ करुन रस ।",bundeli-bns "106 रांझा हीर दी मां दे लग आखे छेड़ मझियां झल नूं आंवदा ए मंगू वाड़ दिता विच झांगड़ी1 दे आप नहायके रब्ब धयांवदा ए हीर सतुआं दा घरों घोल छन्ना देखो रिज़क रंझेटे दा आंवदा ए मेरा मरन जीउण तेरे नाल मियां सुन्ना लो पया भस पांवदा ए पंजां पीरां दी आमद तुरत होई हथ बन्न सलाम करांवदा ए",panjabi-pan "वान्ना वगडा न वायरा वायरे, वान्ना वगडा न वायरा वायरे , कन्ने घूमरियो घुम तो गायरे , रासे रमे , रासे रमे , गोप गोपियों नी संग , जामयो वृन्दावन ने मार गड़े रंग , वान्ना वगडा न वायरा वायरे , कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे . घेरी घेरी , घेरी घेरी , एनी वागे मुरलियो , गौरी गौरी राधा ने , सुंदर श्यामडियो , वान्ना वगडा न वायरा वायरे , कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे .",gujarati-guj "नागलोक में अर्जुन द्रोपती अर्जुन , सेयां छया । रातुड़ी1 होये थोड़ा , स्वीणा2 ऐन भौत3 सुपिना मा देखद अर्जुन बाली4 वासुदन्ता , नागू की धियाणी5 । मन ह्वैगे मोहित , चित्त ह्वैगे चंचल । वीं की ज्वानी मा , कनो उलार6 छौ , वीं की आँख्यों मा , माया7 का रैबार8 छौ । समलीक मुखड़ी वीं की , अर्जुन सोचण लैगे कसु9 कैक जौलू , नाग लोक मा । तैं नाग लोक मा , नाग होला डसीला , मुखड़ी का हंसीला होला , पेट का गसीला । मद पेन्दा हाथी होला , सिंगू वाला खाडू10 , मरक्बाल्या भैंसा होला , मैं मार्न औला । लोहा की साबली होली , लाल बणाई चमकदी तरवीरी होली , उंकी पल्याई11 । नागू की चौकी बाड़ , होली पैहरा , कसु कैक जौलू मैं , तैं नागलोक मा । कमर कसदो अर्जुन तब , उसकारा भरदो । मैन मरण बचण , नागलोक जाण । रात को बगत छयो , दुरपदा सेयीं छयी , वैन कुछबोल न चाल्यों , चल दिने नागलोक । मदपेन्दा हाती वैन , चौखालू चीरेन , लुवा की साबली , नंगून तोड़ीन । तब गैं अरजुन , वासुदन्ता का पास । तब देखी वासुदन्ता , हाम12 से हाम13 , धाम से14 धाम , पूनो जसो चाम । नोणीवालो15 नामो , जीरा16 वालो पिंड17 , सुवर्ण तरुणी देई , चन्दन की लता , पायी पतन्याली , आँखी रतन्याला , हीरा कीसी जोत , जोन सी उदोत । तब गै अरजुन , सोना रूप बणी , बासुदन्तान वो , उठीक बैठाये अर्जुन , वीं को मन मोहित होई गये तब वींन जाण नी दिने घर वो तू होलो अर्जुन , मेरो जीवन संगाती , तू होलो भौंर , मैं होलू गुलाबी फूल , तू होलो पाणी , मैं होलू माछी तू मेरो पराण छई , त्वै मैं जाा न देऊँ । तब तखी रगे अरजुन , कई दिन तई । जैन्तीवार मा , दुरपदा की निंदरा खुले , अर्जुन की सेज देखे , वीनकख गैहोला नाथ ? जाँदी दुरपदा , कोन्ती मात का पास हे सासु रौल तुमन , अपणू बेटा भी देखे ? तब कोन्ती माता , कनो स्वाल देन्दी काली रूप धरे , अर्जुन तिन भक्ष्याले , अर भैंमू सच्ची होण क आई गए । तब कड़ा बचन सुणीक दुरपती , दममण रोण लगदे । तब जांदे दुरपती , बाणू कोठड़ी , वाण मुट्ठी वाण , तुमन अर्जुन भी देखे तब बाा बोदान , हम त सेयां छा , हमून नी देखे , हमून नी देखे औंदा मनखी , पूछदी दुरपता , जाँदा पंछियो , तुमन अर्जुन भी देखे रोंदी छ बरांदी तब , दुरपता राणी , जिकुड़ी पर जना , चीरा धरी होन । तीन दिन होईन , वीन खाणो नी खायो , लाणो नी लायो । तब औंद अर्जुन को , सगुनी कागा तेरो स्वामी दुरपती , ज्यूंदो छ जागदो । नागलोक जायूं छ , वासुदन्ता का पास तब दुरपता को साँस ऐगे , पर बासुदन्ता को , नौ सुणीक वा फूलसी मुरझैगी , डालीसी अलसैगी । तबरेक रमकदो छमकदो अर्जुन घर ऐगे ।",garhwali-gbm "सेले सुवान सोये लोके सेले सुवान सोये लोके सेले सुवान सोये लोके सेले सुवान सोये लोेके हुई सेले सुवान सोये लोेके हुई निला मिरचा बगीया चरय निला मिरचा बगीया चरय निला मिरचा बगीया चरय हुई स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा बेटी केन दियो रे बनवासी रे बेटी केन दियो रे बनवासी रे कोरा कागजो पढ़ना भेज्यो कोरा कागजो पढ़ना भेज्यो बेटी केन दियो रे बनवासी रे बेटी केन दियो रे बनवासी रे गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा गोचाई बाबा बेटी केन दियो रे बनवासी रे बेटी केन दियो रे बनवासी रे तकलीफ रे रानी बेटी तकलीफ रे रानी बेटी नहीं तो काली गोदन से हो नहीं तो काली गोदन से हो स्रोत व्यक्ति लाड़की बाई , ग्राम आंवलिया",korku-kfq "द्वारे से राजा आए, मुस्की छांटत आए साभार : सिद्धार्थ सिंह द्वारे से राजा आए , मुस्की छांटत आए , बिरवा कूचत आए हो रानी अब तोरे दिन नागिचाने , बहिनिया का आनी लावों हो हमरे अड़ोस हवे , हमरे पड़ोस हवे , बूढी अईया घरही बाटे हो , राजा तुम दुई भौरा लगायो त वहे हम खाई लेबै , ननदी का काम नहीं हो हम तो सोचेन राजा हाट गे हैं , हाट से बजार गें हैं हो राजा गएँ बैरिनिया के देस , त हम्मै बगदाय गए हो छानी छपरा तूरे डारें , बर्तन भडुआ फोरे डारें , बूढा का ठेर्राय डारे हो बहिनी आए रही बैरन हमारी , त पर्दा उड़त हवे हो अंग अंग मोरा बांधो , त गरुए ओढाओ , काने रुइया ठूसी दियो हो , बहिनी हमरे त आवे जूडी ताप , ननदिया का नाम सुनी हो अपना त अपना आइहैं , सोलह ठाईं लरिका लैहै , घर बन चुनी लैहैं , कुआँ पर पंचाईत करिहैं हो बहिनी यह घर घलिनी ननदिया त हमका उजाड़ी जाई हो . . .",awadhi-awa "462 मगर तितरां दे अन्ना बाज बाज छुटा जा चम्बड़े दाद1 पतालूयां नूं अन्ना घलया अम्ब अनार वेखन जा लगा ए लैन कचालूयां नूं घलया फुल गुलाब दे तोड़ लयावी जा चमड़े तत समालूयां2 नूं अन्ना मुहरे लाया काफले दे लुटवाया साथ दयां चालयां नूं वारस शह तनूर विच दब बैठा अना घलया रंगन सालूयां नूं",panjabi-pan "अमवा पत्तो न डोलले, महुआ के पत्तो न डोलले अमवा1 पत्तो न डोलले2 महुआ के पत्तो न डोलले । एक इहाँ डोलले सुगइ सेज हे बेनियाँ ॥ 1 ॥ हरे रँग के बेनियाँ , आँचर3 लगल मोतिया । सुरुजे देलन जोतिया ॥ 2 ॥ आग आने4 गेलिअइ5 हम सोनरा के घरवा । कउनी6 रे बैरिनियाँ चोरयलक7 मोर हे बेनियाँ ॥ 3 ॥ गेलिअइ हम ननदोहि बनके8 पहुनमा । अरे , ननदोसिया के पलँग देखली अपन बेनिया ॥ 4 ॥ मारबो हे धनियाँ हम कादो9 में लेसरि10 के । अरे , हमरे बहिनियाँ के लगैलऽ11 काहे12 चोरिया ॥ 5 ॥ सेजिया बिछायब तहाँ धनि पयबइ13 । अरे , मइया के जनमल बहिनियाँ कहाँ पयबइ ॥ 6 ॥",magahi-mag "चपटी भरी चोखा चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो हे श्रीफल नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . सामे नी पोळ थी मालिडो आवे . . . . ऐ गजरा नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . . चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . . . सामे नी पोळ थी डोसिडो आवे . . . . ऐ चुंदरी नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . . चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . सामे नी पोळ थी कुम्भारी आवे . . . ऐ माता नो गरबो लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . . चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . सामे नी पोळ थी सुथारी आवे . . . . ऐ बाजट नी जोड़ लई ने लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . . चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . .",gujarati-guj "हरे हरे हरे दादा बसवा कटइहा, ऊँचे-ऊँचे मडवा छवइहा हो हरे हरे हरे दादा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो दादा , सजन लोग छेकले दुवार हो हरे हरे हरे नाना बसवा कटइहा , ऊँचेऊमचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो नाना , सजन लोग छेकले दुवार हो हरे हरे हरे बाबा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो बाबा , सजन लोग छेकले दुवार हो हरे हरे हरे चाचा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो चाचा , सजन लोग छेकले दुवार हो हरे हरे हरे मामा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो मामा , सजन लोग छेकले दुवार हो हरे हरे हरे भैया बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो भैया , सजन लोग छेकले दुवार हो",bhojpuri-bho "ईसुरी की फाग-9 अब रित आई बसन्त बहारन , पानफूलफल डारन हारनहद्दपहारनपारन , धामधवलजलधारन कपटी कुटिल कन्दरन छाई , गै बैराग बिगारन चाहत हतीं प्रीत प्यारे की , हाहा करत हजारन जिनके कन्त अन्त घर से हैं , तिने देत दुखदारुन ईसुर मौरझोंर के ऊपर , लगे भौंर गुंजारन ।",bundeli-bns "मइया तुम नाहक खिसयातीं मइया तुम नाहक खिसयातीं । इनके कँयँ लग जाती । पानी मिला दूध में बैचैं । तासें गाड़ौ कातीं । जे तौ अपने सगे खसम खाँ । साँसौं नई बतातीं । ईसुर जे बृज की बृजनारीं । धजी कै साँप बनातीं ।",bundeli-bns "रसिया रस लूटो होली में रसिया रस लूटो होली में , राम रंग पिचुकारि , भरो सुरति की झोली में हरि गुन गाओ , ताल बजाओ , खेलो संग हमजोली में मन को रंग लो रंग रंगिले कोई चित चंचल चोली में होरी के ई धूमि मची है , सिहरो भक्तन की टोली में संकलनकर्ता : जगदेव सिंह भदौरिया",bhadrawahi-bhd "299 सईयो देखो नी मसत अलमसत जोगी जैदा रब्ब दी वल धयान है नी इना भौरां नूं आसरा रब्ब दा ए घर बार ना तान ना मान है नी सोने बन्नड़ी देही नूं खाक करके रूलन खाक विच फकर दी बान है नी सोहणा फुल गुलाब माशूक नढा राज पुतर ते सुघड़ सुजान है नी जिन्हां भंग पीती सुआह ला बैठे जिनां माहनूआं1 नूं केही कान है नी जिवें असीं मुटयारियां हां रंग भरीयां तिवें एह भी साडड़ा हान है नी आओ पुछीए केहड़े देस दा वारस एस दा कौन मकान है नी",panjabi-pan "सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे , किनकी जान हरी लायो पीया रे , १ कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण , या नार कहा सी लायो इनी रे नार क भीतर राखो वो तपसी दो भाई . . . पीया रे सतवन्ती . . . २ कहेता रावण सुण मंदोदरी , काय को करती बड़ाई दस रे मस्तक न बीस भुजा है जेक तो बल बताऊ . . . पीया रे सतवन्ती . . . ३ कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण , क्यो करता राम सी बुराई चरण धोवो चर्णामत लेवो नाव क पार लगाव . . . पीया रे सतवन्ती . . . ४ कहत कबीरा सुणो भाई साधु , राखो तो चरण अधार जनमजनम का दास तुम्हारा राखो लाज हमारी . . . पीया रे सतवन्ती . . .",nimadi-noe "गंगाजल से पाँव पखारल गंगाजल से पाँव पखारल1 चनन पीढ़ा2 बिछावल , कि हाँ जी ॥ 1 ॥ झारी के झारी गँगाजल पानी , सोने के कलस धरावल3 कि हाँ जी । बामे हलधर दाहिन जदुपत , सभ गोवारन4 सँघ आवल5 कि हाँ जी ॥ 2 ॥ नारद आवल बेनु बजवात , बरम्हा बेद उचारे , कि हाँ जी । सभ सुन्नरि सभ गारी गावत , मुसकत सीरी गिरधारी , कि हाँ जी ॥ 3 ॥ बसमती चाउर के भात बनावल , मूँग रहर के दाल , कि हाँ जी । कटहर , बड़हर , कद्दू , करइला , बैंगन के तरकारी , कि हाँ जी ॥ 4 ॥ रतोआ , खटाइ , अचार , मिठाई , चटनी खूब परोसे , कि हाँ जी । बारा , पापड़ , मूँग , तिलौरी आउर दनौरी बनावल , कि हाँ जी ॥ 5 ॥ बजका6 बजुकी आउर पतोड़ा , सबहे भाँति बनावल , कि हाँ जी । ऊपर से ढारल7 घीउ8 के चभारो9 धमधम धमके रसोइ , कि हाँ जी ॥ 6 ॥ पंखा जे डोलवथि रुकमिनी नारी , आजु भोजन भल पावल , कि हाँ जी । ऊपर दही आउ10 चीनी बिछावल , लौंग सोपाड़ी11 खिलाइ , कि हाँ जी ॥ 7 ॥ जेमन12 बइठल जदुपत , हलधर , जेमत13 हय मुसकाइ , कि हाँ जी । जेमिए जुमुए14 जदुपत आचमन कयलन , झारी गंगाजल पानी , कि हाँ जी ॥ 8 ॥ पौढ़ल15 सेज पोंछल मुँह रेसम , रुकमिनी चौर16 डोलावे , कि हाँ जी । बड़ रे भाग17 से जदुपत आवल , धन धन भाग हमारो , कि हाँ जी ॥ 9 ॥ फिनु18 आयब इही19 मोर डगरिया , करूँ अंगेया20 अंगीकारे21 कि हाँ जी । नारद गावत , बरम्हा गूनत22 धन रुकमिनी तोर भागे , कि हाँ जी ॥ 10 ॥",magahi-mag "बइण जिन घर आनन्द बधाओ बइण जिन घर आनन्द बधाओ । । हऊँ तो अचरज मन माही जाणती , हऊँ तो बाग लगाऊँ दुई चार , ओ तो आई मालण , फुलड़ा लई गई , म्हारो बाग परायो होय , हऊँ तो अम्बा लगाऊँ दस पाँच , ओ तो आई कोयळ कैरी लई गई , म्हारो अम्बो परायो होय , हऊँ तो पुत्र परणाऊँ दुई चार , ओ तो आई थी बहुवर , पुत्र लई गई , म्हारो पूत पराया होय , हऊँ तो कन्या परणाऊँ दुई चार , ओ तो आया साजन , कन्या लई गया , म्हारी कन्या पराई होय , एक सास नणद सी सरवर रहेजे , जीभ का बल जीतजे । । एक देराणी जेठाणी सी सरवर रहेजे , काम का बल जीतजे । । एक धणी सपूता सी सरवर रहेजे , कूक का बल जीतते । ।",nimadi-noe "विवाह गीत सोनार्यो कांटो मारा नाक मा रे । चूड़िलो चमके मारा हात मा रे । चांदी ना झेला मारा मंुड मा रे । चूड़िलो चमके मारा हात मा रे । चांदी नो हार मारा गला मा रे । चूड़िलो चमके मारा हात मा रे । चांदी ना विछा मारा पाय मा रे । चूड़िलो चमके मारा हात मा रे । चांदी ना हाटका मारा हात मा रे । चूड़िलो चमके मारा हात मा रे । हे सखी मेरी नाक में सोने का काँटा , हाथ में चूड़ा चमक रहा है । मेरे सिर पर चाँदी का झेला , गले में हार , पाँव में बिछिया और हाथ में हटका सुशोभित है । इन सभी में हाथ का चूड़ा खूब चमक रहा है ।",bhili-bhb "जाट का मैं लाडला जाट का मैं लाडला तिरखा लगी सरीर अगन लगी बुझती नईं , बिना पिए जलनीर बिना पिए जलनीर , रस्ते में कुयाँ चुनाया किस पापी ने यै जुल्म कमाया , उस पै डोल ना पाया भावार्थ ' मैं जाट पिता का लाड़ला पुत्र हूँ , मुझे प्यास लगी है । मेरे मन में जो आग लगी है वह बिना पानी पिए नहीं बुझेगी । हालाँकि रास्ते में पक्का कुआँ बना हुआ है लेकिन न जाने किस पापी ने यह ज़ुल्म किया है कि उस पर डोल नहीं रखा है ।",haryanvi-bgc "गोरे-गोरे गालों पै जंजीर गोरे गालों पै जंजीरौ मति डारै लाँगुरिया ॥ टेक ससुर सुनें तो कुछ ना कहेंगे , सास देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै . जेठ सुनें तो कुछ न कहेंगे , जिठनी देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै . देवर देखे तो कुछ ना कहेंगे , दौरानी देख देवै तसिया ॥ गोरे गालों पै . नन्दोई सुनें तो कुछ न कहेंगे , ननद देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै .",braj-bra "ईसुरी की फाग-28 मिलकै बिछुर रजउ जिन जाओ पापी प्रान जियाओ । जबसे चरचा भई जाबे की टूटन लगो हियाओ । अँसुआ चुअत जात नैनन सैं रजउ पोंछ लो आओ । ईसुर कात तुमाये संगै मेरौ भओ बिआओ । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' अपने विरह का वर्णन करते हुए कहते हैं — रजउ , तुम मिलकर बिछड़ मत जाना । मेरे पापी प्राणों को जी लेने दो । जबसे तुम्हारे जाने की चर्चा सुनी है मेरा दिल टूटने लगा है । मेरे आँसुओं को तुम्हीं आकर पोंछ दो । ईसुर कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा ब्याह हुआ है ।",bundeli-bns "ऊंचा डाना बटि, बाटा-घाटा बटि ऊंचा डाना बटि , बाटाघाटा बटि , ऊंचा ढूंगा बटि , सौवा बोटा बटि , आज ऊंणे छे आवाज , म्यर पहाड़ , म्यर पहाड़ । ऊंचा पहाड़ को देखो , डाना हिमाला को देखो , और देखि लियो , बदरीकेदार म्यर पहाड़ यांको ठंडो छू पांणि , नौवाछैया कि निशानी , ठंडीठंडी चली छे बयार म्यर पहाड़ जयजय गंगोतरी , जयजय यमनोतरी , जयजय हो तेरी हरिद्वार म्यर पहाड़ तुतरी रणसिंहा तू सुण दमुआ नंगारा तू सुण आज सुणिलै तू हुड़के की थाप म्यर पहाड़ , म्यर पहाड़",kumaoni-kfy "पहिली गवन के मोला देहरी बैठाये पहिली गवन के मोला देहरी बैठाये न रे सुआ हो छाँडि चले बनिजार काकर संग खेलहूँ , काकर संग खाहूँ काला राखों मन बांध , न रे सुआ हो छाँडि चले बनिजार खेलबे ननद संग सास संग खाबे छोटका देवर मन बांध न रे सुआ हो छाँडि चले बनिजार पीवरा पात सन सासे डोकरिया नन्द पठोहूँ ससुरार न रे सुआ हो छोटका देवर मोर बेतवा सरीखे कइसे राखों मन बांध न रे सुआ हो छाँडि चले बनिजार . . . तोर अँगना म चौरा बंधा ले कि तुलसा ल देबे लगाय नित नित छुइबे नित नितं लीपबे कि नित नित दियना जलाय तुलसा के पेड़ ह हरियर हरियर कि मोर नायक करथे बनिजार जब मोर तुलसा के पेड़ झुर मुर जाही कि मोर नायक गये रन जूझ न रे सुआ हो नायक",chhattisgarhi-hne "की बे-दरदाँ संग यारी की बेदरदाँ संग यारी । रोवण अक्खिआँ ज़ारो ज़ारी । सानूँ गए बेदरदी छड्ड के , हिजरे1 साँग सीने विच्च गड्ड के , जिस्मों जिन्द नूँ लै गए कढ्ढ के , एह गल्ल कर गए हैं सिआरी , की बेदरदाँ संग यारी । बेदरदाँ दा की भरवासा , खौफ नहीं दिल अन्दर मासा , चिड़िआँ मैत गवाराँ हासा , मगरों हस्स हस्स ताड़ी मारी , की बेदरदाँ संग यारी । आवण कैह गए फेर ना आए , आवण दे सभ कौल भुलाए , मैं भुल्ली भुल्ल नैण लगाए , केहे मिले सानूँ ठग्ग बपारी , की बेदरदाँ संग यारी । बुल्ले शाह इक्क सौदा कीता , ना कुझ नफा ना टोटा लीता , दरद दुःखाँ दी गठड़ी भारी की बेदरदाँ संग यारी । रोवण अक्खिआँ ज़ारोज़ारी ।",panjabi-pan "आल्हा ऊदल नौ सौ तोप चले सरकारी मँगनी जोते तीन हजार बरह फैर के तोप मँगाइन गोला से देल भराय आठ फैर के तोप मँगाइन छूरी से देल भराय किरिया पड़ि गैल रजवाड़न में बाबू जीअल के धिरकार उन्ह के काट करों खरिहान चलल जे पलटन इंदरमन के सिब मंदिर पर पहुँचल जाय तोप सलामी दगवावल मारु डंका देल बजवाय खबर पहुँचल बा रुदल कन भैया आल्हा सुनीं मोर बात करव तैयार पलटन के सिब मंदिर पर चलीं बनाय निकलल पलटन रुदल के सिब मंदिर पर पहुँचल बाय बोलल राजा इंदरमन बाबू रुदल सुनीं मोर बात डेरा फेर दव एजनी से तोहर महा काल कट जाय तब ललकारे रुदल बोलल रजा इंदरमन के बलि जाओं कर दव बिअहवा सोनवा के काहे बढ़ैबव राड़ पड़ल लड़ाइ है पलटन में झर चले लागल तरवार ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार भुँइयाँ पैदल के नव मारे नाहिं घोड़ा असवार जेत्ती महावत हाथी पर सभ के सिर देल दुखराय छवे महीना लड़ते बीतल अब ना हठे इंदरमन बीर चलल ले राजा बघ रुदल सोनवा कन गैल बनाय मुदई बहिनी मोर पहुँच वाय",bhojpuri-bho "47 दोहां बाहां तों पकड़ रंझेटड़े नूं मुड़ आण बेड़ी विच चाढ़या ने तकसीर1 मुआफ कर आदमी दी मुड़ आण बहिश्त विच वाड़या ने गोया ख्वाब दे विच अजराइल2 डिठा ओहनूं फेर मुड़ अरश ते चाढ़या ने वारस शाह नू तुरत नुहाए के ते बीबी हीर दे पलंघ ते चाढ़या ने",panjabi-pan "धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये । देखो सांवले हैं राम , लखन गोरे हैं माई शोभा बरनी न जाई । सो धन्य उनकी माता , जिन गोद है खिलाये । देखो . . . जुड़े राजा की समाज , बड़ेबड़े महाराज , आये लंकाधिराज धनुष जोर से उठाये धनुष डोले न डुलाये । देखो . . . कहत लछिमन से राम , भइया धरती लो थाम , मची बड़ी धूमधाम शीश मुनि को नवाये , धनुष लिये हैं उठाये । देखो . . . तोड़ शंकर धनु भारी , जाको शब्द भयो भारी हरसित हो गये नरनारी सुनके सुर मुनि फूल हैं बरसाये । देखो . . . देखो जानकी जी आई , सखी संग में ले आईं कर में माल है सुहाई प्रेम विवश पहिराई न जाई । देखो . . .",bundeli-bns "मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना बोको टारो बानी डानजो बोका सा आलम बूमकी कठिये बोको टारो बानी डानजो बोका सा आलम बूमकी कठिये मिइनी चोको बोको साले रीनी चोकीन मिइनी चोको बोको साले रीनी चोकीन बोका साले अनी चोकेज बोको आले मेड्डा जोरो बोका साले अनी चोकेज बोको आले मेड्डा जोरो बान गोजू डोडू बोको मानी गोजू डागी बान गोजू डोडू बोको मानी गोजू डागी बोका डंडा डुसमन करनी डाये बोका डंडा डुसमन करनी डाये बोग भगवान के बकीमा दोषो बोग भगवान के बकीमा दोषो बोको चाँद सूरजो केन बाकीमा दोषो बोको चाँद सूरजो केन बाकीमा दोषो बोको डंडी डुसमन करनी डाये बोको डंडी डुसमन करनी डाये स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "अधेरी घिर आई धीरे-धीरे अंधेरी घिर आई धीरेधीरे कां से आई वर्षा , कां से आये बादर कां से आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . . पूरब से आये बादर , पश्चिम से आई वर्षा उत्तर से आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . . कैसे आये बादर हो कैसे आई वर्षा हां कैसे आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . . गरज के बादर , बरस के आई वर्षा हँसत आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . .",bundeli-bns "विवाह गीत (गाली) बयड़ी आडल ढुलकी वाजे हो । बांगड़ भड़के झुणी वो । तारो माटी रामस्यो आवे वो , बांगड़ भड़के झुणी वो । तारा माटी नो मांडवो वो , मांडवे नाचण आइ । हामु हजार भर्या ने , हामु मांडवे आइ । तारा माटी नो मांडवो वो , मांडवे नाचण आइ । बारात दुल्हन के यहाँ आती है तब मंडप में वर पक्ष की औरतं भी नाचती है । वधू पक्ष की औरतें गालियाँ गाती हैं । टेकरी की आड़ पीछे में ढोलक बज रही है तुम भड़कना मत । यह मंडप रामसिंह का है । तुम्हारे लाड़ले का है जो तुम मांडवे में नाचने को आ गईं ? उत्तर में वर पक्ष की औरतें गीत में कहती हैं कि हमने दहेज में लड़की के पिता को एक हजार रुपये दिये तब हम नाचने को आई हैं ।",bhili-bhb "496 साह काला ते होठां ते लहू लगा किसे नीली नूं ठोकरां लाइयां नी किसे हो वेदरद लगाम दिती अडियां वखियां विच चुभोइयां नी ढिला होए के किसे मैदान दिता , लाइयां किसे महबूब सफाइया नी वारस शाह मियां होनी हो रही हुन केहियां रिंकतां1 चाइयां नी",panjabi-pan "328 नैना हीर दियां वेख के आह भरदा वांग आशकां अखियां मीटदा ए जिवें खसम कुपतड़ा रन्न गुंडी कीता गल नूं पया घसीटदा ए रन्नां गुंडियां वांग फरफेज1 करदा तारन हारड़ा लगड़ी परीत दा ए घत घगरी बहे एह वढा ठेठर2 उसतादड़ा किसे मसीत दा ए चूंडियां वखियां विच एह वढ लैंदा पिछों आपणी वार एह चीकदा ए इके खैर हथा नहीं एह रावल इके चेलड़ा किसे पलीत दा ए ना एह जिन्न ना भूत न रिछ बांदर ना एह मुनया किसे अतीत दा ए वारस शाह परेम दी ज़ील3 न्यारी न्यारा अंतरा इशक दे गीत दा ए",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-19 तुमखों देखौ भौत दिनन सें बुरौ लगत रओ मन सें लुआ न ल्याये पूरा पाले के कैबे करी सबन सें एकन सें विनती कर हारी पालागन एकन सें मनमें करै उदासी रई हों भई दूबरी तन सें ईसुर बलम तुमइये जानौ मैंने बालापन सें । भावार्थ इस चौघड़िया में ईसुरी रजऊ की व्यथा को व्यक्त कर रहे हैं । देखिए — आज तुम्हें बहुत दिनों में देखा , मन में बहुत बुरा लगता था । मैं पासपड़ोस में सबसे कहती थी , लेकिन मुझे कोई लिवा कर नहीं लाया । किसी से विनती करती , किसी के पैर पड़ती लेकिन मैं हार गयी । मन से उदास रहती थी सो तन से भी दुबली हो गयी हूँ । मैंने तो बचपन से ही तुम्हें अपना प्रियतम जाना है ।",bundeli-bns "कुइयाँ असथान पर मुँजवा के थलवा कुइयाँ1 असथान पर मुँजवा के थलवा । 2 मूँज चीरे चललन , बरुआ कवन बरुआ ॥ 1 ॥ चिरथिन3 कवन चच्चा मूँज के हे थलवा । मूँज चीरे चललन बाबा हो कवन बाबा ॥ 2 ॥ तहाँ4 कवन बरुआ लोटिपोटि रोवलन5 । भुइयाँ लोटि रोवलन , दहु बाबा हमरो जनेऊ हो ॥ 3 ॥ झरलनझुरलन6 जाँघ बइठवलन7 । देबो बाबू तोहरो जनेऊ हो ॥ 4 ॥",magahi-mag "218 पैचां पिंड दयां सच तों तरक कीती काज़ी रिशवतां मारके चोर कीते पहले होरनां नाल करार करके तम्हा वेख दामाद चा होर कीते गल करे ईमान दी कढ छडनपैंच पिंड दे ठग ते चोर कीते अशराफ1 दी बात मनजूर नाहीं चोर चैधरी अते लंडोर कीते कां बाग दे विच कलोल करदे कूड़ा फोलने दे उते मोर कीते",panjabi-pan "फाग गीत बदिंल्या घड़इदो देवर , घर में थारो सारो रे ॥ दाम तो परण्या रा लाग्या , नाव थारो रे कि देवर म्हारो रे ॥ कि देवर म्हारो रे , हरिया रूमाल वाळो रे , कि देवर म्हारो रे ॥ एक भाभी लाड़ से देवर से कहती है कि घर में मुझे तेरा सहारा है , मुझे बिन्दी घड़वा दें । ब्याह में पैसे तो मेरे पति के लगे , किन्तु नाम तेरा है । मेरा देवर हरे रूमाल वाला है । इसका दूसरा अर्थ भी लगाया जा सकता है ।",bhili-bhb "469 लिया हीर सयाल सो दीद करिए आ जाह ओ दिलबरा वासता ई जाके आख रांझा तैनूं याद करदा घुंड लाह ओ दिलबरा वासता ई सानूं महर दे नाल वखाल सूरत मुख माह ओ दिलबरा वासता ई जुलफ नाग वांगूं कुंडल घत बेठी गलों लाह ओ दिलबरा वासता ई दिने रात ना जोगी नूं टिकाण देंदो तेरी चाह ओ दिलबरा वासता ई लोड़ें लुटिया नैणां दी सांग देके मुड़ जाह ओ दिलबरा वासता ई गल कपड़ा इशक दे कुठियां देहों घाह ओ दिलबरा वासता ई सदका सैदे दे नवें पयार वाला मिल जा ओ दिलबरा वासता ई वारस शाह नजाम दा करज वडा सिरों लाह ओ दिलबरा वासता ई",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-2 बैठी बीच बजार तमोलिन । पान धरैं अनमोलन । रसम रीत से गाहक टेरै , बोलै मीठे बोलन प्यारी गूद लगे टिपकारी , गोरे बदन कपोलन खैर सुपारी चूना धरकें , बीरा देय हथेलन ईसुर हौंस रऔ ना हँसतन , कैऊ जनन के चोलन भावार्थ अपने द्वार बैठी तुम तमोलन अनमोल पान धरे हो । रम्य रीति से ग्राहकों को बुलाती हो और मुस्कराती हो तो तुम्हारे गाल पर जो फोड़े का निशान रह गया है , वह कितना प्यारा लगता है । जब चूना , कत्था , सुपारी मिलाकर पान किसी की हथेली पर रखती हो तो किसको होश रह जाता होगा ।",bundeli-bns "भागीरथ ने करी तपस्या भागीरथ ने करी तपस्या , गंगा आन बुलाई मोरे लाल । सरग लोक से गंगा निकरी , शंकर जटा समानी मोरे लाल । भागीरथ . . . शंकर जटा से निकली गंगा जमुना मिलन खों धाईं मोरे लाल । भागीरथ . . . मिलती बिरियां गंगा झिझकी हम लुहरी तुम जेठी मोरे लाल । भागीरथ . . . हम कारी तुम गोरी कहिये तुमरोई चलहै नाम मोरे लाल । भागीरथ . . . इतनी सुनके गंगा उमड़ी दोई संग हो गईं मोरे लाल । भागीरथ . . . जो कोऊ संगम आन नहाहै , तर जैहें बैकुंठ मोरे लाल । भागीरथ . . .",bundeli-bns "पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में लगा दई भुटिया ॥ ससुर भी सोबै सास भी सोवें दै दै टटिया । हम लाँगुर दोनों मैंड़ पै डोलें लै लै लठिया ॥ पल्ले पड़ि गई . जेठ भी सोवै जिठानी भी सोवै दै दे टटिया । हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डोलें लै लै लठिया ॥ पल्ले पड़ि गई . देवर भी सोवै दौरानी भी सोवै दै दै टटिया । हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डौलें लै लै लठिया ॥ पल्ले पड़ि गई . बालम भी सोवै सौतन भी सोवे दै दै टटिया । हम लांगुर दोनों मैंड पर डोलें लै लै लठिया ॥ पल्ले पड़ि गई .",braj-bra "बुझो बूझो गोरखनाथ अमरित बानी बुझो बूझो गोरखनाथ अमरित बानी बरसे कमरा भींजे ल पानी जी कौआ के डेरा मा पीपर के बासा मुसवा के बिला म बिलई होय नासाजी बूझो बूझो . . . . . तरी रे घैला उप्पर पनिहारी लइका के कोरा म खेले महतारी जी बुझोबुझो भागे ले कुकुर भूँके ले चोर मरगे मनखे झींकत हे डोर जी बुझोबुझो बांधे ले घोड़ा , भागे ले खूंटा चढ़ के नगाड़ा बजावत हे ऊंटा जी बुझोबुझो पहली हे पूछें पीछे भय माई चेला के गुरू लागत हे पाईं जी बुझोबुझो",chhattisgarhi-hne "कारे सबरे होत बिकारे कारे सबरे होत बिकारे , जितने ई रंग बारे । कारे नाँग सफाँ देखत के , काटत प्रान निकारे । कारे भमर रहत कमलन पै , ले पराग गुंजारें । कारे दगावाज हैं सजनी , ई रंग से हम हारे । ईसुर कारे खकल खात हैं , जिहरन जात उतारे ।",bundeli-bns "हमखो तो चिन्ता हो रही हमखों तो चिन्ता हो रही , पिया कैसे मनाऊं सबको । सासो हमारे घर आयेंगी पिया , चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी पिया । कैसे मनाऊं उनको । हमखों . . . काहे की चिन्ता तुम करो धना , चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी धना । अपने नैहर के कंगना , तुम देना पहिनाय उनको । हमखों . . . जिठानी हमारे घर आयेंगी , भला लड्डू बंधाई नेग मांगेंगी अपने नैहर के झुमका जिठनी , रानी को देना पहिनाय । हमखों . . . ननदी हमारे घर आयेंगी , भला छठिया धराई नेग मांगेंगी अपने नैहर के कंगना , ननदी रानी को देना पहिनाय । हमखों . . . देवर हमारे घर आयेंगे धना , बंशी बजाई नेंग मांगेगे धना । तुम देना मनाय उनको । हमखों . . .",bundeli-bns "आया आया री सासड़ सामण आया आया री सासड़ सामण मास डोर बटा दे री पीली पाट की आया तो बहुअड़ री आवण दे जाय बटाइयो अपने बाप कै आया आया री सासड़ सामण मास पटड़ी घड़ा दे चन्दन रूख की आया तो बहुड़ री आवण दे जाय घड़ाइयो अपणे बाप कै आया आया री सासड़ सामण मास हमनै खंदा दे री म्हारे बाप कै इब तो बहुअड़ री खेती का काम फेर कदी जाइयो री अपणे बाप कै",haryanvi-bgc "लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ १ बिना रे भाप का बर्तन घड़ीयाँ , बिन पैसा दे रे कसोरा मुद्दत पड़े जब पछा लेगा घड़त नी हारयो कसारो . . . अखीर कऽ . . . २ भातभात की छीट बुलाई , रंग दियो न्यारोन्यारो इना रे रंग की करो तुम वर्णा रंगत नी हारयो रंगारो . . . अखीर कऽ . . . ३ राम नाम की मड़ीया बणाई , वहा भी रयो बंजारो रान नाम को भजन कियो रे वही राम को प्यारो . . . अखीर कऽ . . . ४ कहेत कबीरा सुणो भाई साधु , एक पंथ नीरबाणी इना हो पंथ की करो हो खोजना जग सी है वो न्यारो . . . अखीर कऽ . . . .",nimadi-noe "अंगिका फेकड़ा औका बौका , तीन तड़ौका लौआ लाठी , चन्नन काठी । बाग रे बग डोलडोल सम्मर में करेला फूले एक करेला नाम की ? आई बिआई फूलेॅ पानेॅ पचकी जा । धान कूटेॅ धनियाँ , बैठोॅ बभनियाँ केला के चोप लेॅ केॅ दौड़ेॅ कुम्हैनियाँ । अट्टापट्टा , नूनू केॅ पाँच बेट्टा कोय गेलै गाय चराय लेॅ , कोय गेलै भैंसी में नूनू हाथोॅ में दूधभात गसगस खैलकै । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्दन काठी । बाग रे बग डोलडोल पनिया चुभुक । चौबे चकमक दूबे नवाब पांडे पंडित , मिसिर चमार । चौधरीमौधरी काठ के दीया चौधरी छियाछिया । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्नन काठी । चल गे बेटी गंगा पार गंगा पार से आनबौ रेल रेल गेलो चोरी , टलो कटोरी इरिचमिरिच मरचाइन केॅ झावा हाथी दाँत सबुर नै पावा । औकाबौका , तीन तड़ौका लौआलाठी , चन्नन काठी चल चल बहिनो पार गे पारोॅ सें करेली लान पक्कापक्का हम्में खाँव कच्चाकच्चा तोहें खो पकड़ बुच्ची कान गे । पुड़िया रे पुड़िया घीयोॅ में चपोड़िया । माथ पर धुम धाम पकड़ कनेठिया ।",angika-anp "पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया बागां में कसुम्बो मोलायो म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो घांट जो पेरी मारूणी तम घर जो आया नणदल मसलो जो बोली केवो भावज भारा बापरंगायो , के थारी माय पठायो म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो ससरा कमाया बईजी , सासू ने संगच्या आलीजा भंवरा ने रंगायो घांट जो पेरी मारूणी सेज सिधारी सोकड़ की नजरां जो लागी मुखड़े नी बोले , मारूणी नजरां नी देखे सायधन को सायबो बिलखत फिरे इन्दौर शहर को बैद बुलांवा तारूणी की नबज बतावां कोटाबूंदी की मारूजी जाण बुलांवा मारूणी पे झाड़णी नखांवा मोहरमोहर को मारूणी झाड़नी नखावां रूपईया से नजर हेड़ांवा नजरां हो देखे , मारूणा मुखड़े हो बोल्या सायधन को सायबो हरकत फिरे अपणा शहर में मारूणी शक्कर बटांवा अपणा शेर में मारूणी नारेल बटांवा मारूणी का जी की बधई ।",malvi-mup "ओ नये नाथ सुण मेरी बात ओ नये नाथ सुण मेरी बात , या चन्द्रकिरण जोगी तनै तनमनधन तै चाव्है सै नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै मेरे कैसी नारी चहिये तेरे कैसे नर नै , बात सुण ध्यान मैं धर कै २ दया करकै नाचिये मोर , मोरणी दो आंसू चाव्है सै नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै",haryanvi-bgc "आमार मनेर मानुष, प्राण सइ गो (भाटियाली) आमार मनेर मानुष , प्राण सइ गो पाइगो कोथा गेले । आमि याबो सेइ देशे से देशे मानुष मिले । । यदि मनेर मानुष पेतेम तारे हद मझारे बसाइताम अति यतन कइरे । . । आमि मनसुते माला गेंथे दिताम ताहार गले । । भेवे छिलाम मने मने , से याबे ना आमार छेड़े , आरे आपन बइले । से ये फाँकि दिये गेलो चले , ऐ कि छिल मोर कपाले । । इसी प्रकार यह गीत दैहिक अथवा काया संबंधित है आरे मन माझि , तोर बैठा नेरे , आमि आर बाइते पारलाम ना । आमि जनम भइरा बाइलाम बैठा रे तरी भाइटाय रय , आर उजाय ना । । ओरे जंगीरसी यतइ कसि , ओ रे हाइलेते जल माने ना । नायेर तली खसा गुरा भांगारे , नाव तो गावगयनि माने ना । ।",bengali-ben "अंगिका बुझौवल बन जरेॅ , बनखंड जरेॅ खाड़े जोगी तप करेॅ । दीवाल , भीत फूलेॅ नै फरै ढकमोरै गाछ । ढिबरी हीलेॅ डोरी , कूदेॅ बाथा । डोरीलोटा फूल नै पत्ता , सोझे धड़क्का । पटपटी मोथा जाति का एक पौधा मीयाँ जी रोॅ दाढ़ी उजरोॅ मकरा नाँचै सूतोॅ बढ़ेॅ । ढेरा सें सुथरी की रस्सी बाँटना जोड़ा साँप लटकलोॅ जाय सौंसे दुनिया बन्हलोॅ जाय । रस्सी छोटकी पाठी पेट में काठी पाठीकाठी रग्गड़ खाय सौंसे गाँव दिया जराय । दियासलाई उथरोॅ पोखर तातोॅ पानी ललकी गैया पीयेॅ पानी । दिया करिया हाथी हड़हड़ करेॅ दौड़ेॅ हाथी चकमक बरेॅ । बादल बिजली झकमक मोती औन्होॅ थार कोय नै पावै आरपार । आकाश और तारे नेङड़ा घोड़ा हवा खाय कुदकी केॅ छप्पर चढ़ि जाय । धुआँ जल काँपै , तलैया काँपै पानी में कटोरा काँपै । जल में चाँद की परछाँही",angika-anp "80 खुआजा खिजर ते शकरगंज बोज़ खोरी मुलतान दा जिकरिया पीर नूरी होर सयद जलाल बुखारिया सी अते लाल शाहबाज ते बहशत हूरी तुररा खिजर रूमाल शकरगंज दित्ता अते मुंदरा लाल शहबाज नूरी खंजर सयद जलाल बुखारीये दा खूंडी जिकरीए मीर ने हिक बूरी तैनूं भीड़ पवे करीं याद जटा वारस शाह ना जानना पलक दूरी",panjabi-pan "उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै चालदी नै बाट सुहावै री सो हर की प्यारी नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा नित उठ धारा जी मैं न्हाणा री सो हर की प्यारी हाथ लोटा कांधे धोती सखि जगावण जाणा री सो हर की प्यारी नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा हाथ बी धोए पैर बी धोए अंग मल मल धोए री सो हर की प्यारी नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा नहाए धेए जद बाहर लीकड़ी गंगा जी नै सीस नुआया री सो हर की प्यारी नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा चन्दर सखी भजो बाल किरसन जब हर के चरण चित लाया री सो हर की प्यारी",haryanvi-bgc "पाणी मऽ की पगडण्डी हो माता ब्याळु मऽ की वाट जी पाणी मऽ की पगडण्डी हो , माता ब्याळु मऽ की वाट जी । रनुबाई पीयर संचरिया जी , माता सई नऽ ली संगात जी । एक सव तो माता वांजुली , ओ , दुई सव बाळा की माय जी , वाळा की माय थारी सेवा कर हो , वाझ नऽ संझो द्वार जी । हेडूँ कटारी लहलहे हो , म्हारो ए जीव तजूँ थारा द्वार जी , उभी रहो , उभी रहो , वांजुली हो , माता मखऽ ढूँडण दऽ भंडार जी । सगळो भंडार हऊं ढूँडी आई , थारा करमऽ नी तानो बाल जी ।",nimadi-noe "अणी ए गणी मेरी नणदी मनरा फिरै मेरी नणदी मनरा फिरै मेरी नणदी मनरे नै ल्याओ रे बुलाय चूड़ा तै मेरी जान , चूड़ा तै हाथी दाँत का हरी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ हरे मेरे राजा जी के खेत बलम जी के खेत चूड़ा तै हाथी दाँत का री नणदी ना पहरूँ मेरे राजा जी के केश बलम जी के केश चूड़ा तै हाथी दाँत का ना पहरूँ मेरे राजा जी के दाँत बलम जी के दाँत चूड़ा तै हाथी दाँत का",haryanvi-bgc "कते जल बहै छै मेया कमोॅहे-लेसरी कते जल बहै छै मेया कमऽहेलेसरी हे कते जल बहै छै कोसी धार ठेहुना जल बहैयै मैया कमलेसरी हे अगमे जल बहे कोसी धार से हे अगम जल कहमां नहैले कोसी माय कहाँ लट झारले कहमां कैले सोलहो सिंगार बराछतर से अइले माय कोसिका बाटहि नहैले गहबर कैले सोलहो सिंगार जीरबा सन के दँतबा गे कोसीमाय सिहारी फाड़ल माथ हे चानन काटि मैया खाट देबौ घोराय गे सोना से डँड़बा देबौ छराय गे सोना से अगिया लगेबौ रे सेवक तोर डँरकस रानू सरदार छिये हमर लोग ।",angika-anp "हरि भज ले हरि भज ले हरि भज ले हरि भज ले हरि भजणै का मोका सै ये चलती दुनियां सै टिकट ले हम बी बैठांगे संभल कै चलणा रे भइआ पराए संग मैं धोखा सै हरि भज ले हरि भज ले हरि भजणै का मोका सै तेरे माता पिता बन्धु जगत साथी ना तेरा कोए जिसे तू आपणा समझै सरासर उन ते धोखा सै हरि भज ले हरि भज ले हरि भजणै का मोका सै",haryanvi-bgc "555 हाए हाए मुठी मत ना लईया दिती अकल हजार जोगेटया वे वस पयों तूं वैरियां डाढयां दे की वाह है मुशक लपेटया वे जेहड़ा खिंडया विच जहान सारे नहीं जावना मूल समेटया वे राजा अदली है तखत ते अदल करदा खड़ी बांह कर कूक सुखरेटया वे बिना अकल दे नहीं सभ हसाब होसी तेरे नाल ही मीपां रंझेटया वे नहीं हूर बहिश्त दा हो जांदी गधा जरी देनाल लपेटया वे असर सुहबतां दे कर जान गलबा जाह राजे दे पास जटेटया वे वारस शाह मियां तांबा हाय सोना जदों कीमिया दे नाल भेटिया वे",panjabi-pan "मन्नू हरिया वन्दना लागी गेलै अजमतिया हो गोसैंया , फिरै धरमोॅ के व्येॅ हो वार माया रचना रचै बाबा हो , अलख भग हो वान एन्होॅ माया रचलकै बाबा हो , त्रिलोकी भग हो वान दोनों कर जोड़ी केॅ बाबा हो , लबीलबी करियौं पर हो नाम हम्में निरबुधिया बाबा हो , करौं धरमोॅ के व्येॅ हो वार सम्मुख दर्शन दियहवोॅ बाबा हो , भगतिया के हो नजर हम्में भक्ति के भगत हो बाबा , जपभौं रोजेरोज भगति के हरि हो नाम जिनगी में जब तक काया बचतौं बाबा हो जपभौं हरिहरि हो नाम भुललोॅचुकलोॅ दाता निरंजन , हमरोेॅ हाजरियो निर हो माय । दोहा गुरू ब्रह्मा अनादि का , हृदय में ध्यान लगाय हाथ में लेखनी पकड़ के चरण शीष नवाय कियो विचार मन में यह , लिखूँ हरिया डोम का गीत ‘प्रभात’ लिख दियो सुनी केॅ हरिया डोम का गीत गाथा वाचक जो मुझे जनायो , लिख दियो कागज पे अमृत । हो , हो यहो गाथा छेकै जोति भगत के समय रोॅ हो भाय जखनी कि जोति जाय छेलै करै लेॅ भगति हरि हो नाम जोति आरो हरिया डोम दोनों नें चराबै छेलै एक्के साथें बरेलवा वन में हो सूअर दोनों बचपन रोॅ छेलै लंगोटिया संगी हो साथी वही समय में मिललै दोस्त लंगोटिया हरिया डोमा हो भाय वहीं पलोॅ में दाता निरंजन आपनोॅ सूअर हरिया डोमा केॅ सौंपे आरो चललै करै लेॅ भगति हरि हो नाम हरिया डोमा गछी लेलकै जोति के सूअर हो चराय मजकि डोमा नें जोति सें करलकै एक्के कौल हो करार हो , रे भाय जोति , तों जे जाय छैं , भगति करै लेॅ जाय छैं यै भगति के आधाआधी फल बाँटै लेॅ पड़तौ कहेॅ तेॅ लागलै जोति नें हरिया केॅ समुहो झाय हे रे भाय हरिया , तोरोॅ यहो बात हम्में स्वीकार करी लेलियौ है बात बोली चललै करै लेॅ भगति हरि हो नाम जबेॅ जोति भगति तपस्या करी केॅ घुरलै आपनोेॅ घर हो वार आपनोॅ दोस्तोॅ के वादा निभाबै लेली धरी लेलकै दोस्तोॅ के घरोॅ के हो डगर एक्के कोसे चललै दोसरो कोसे तेसरी चौथोॅ हो कोसेॅ पहुँची गेलै हरिया के हो द्वार जोति नें पहुँची केॅ दाता निरंजन , आधाआधी बाँटी देलकै पंथ हो गोसाँय तबेॅ दुन्हू दोस्तें अपनाअपनी घरोॅ पर , सेवेॅ लागलै पंथ आरो हो गोसाँय पंथ आरो गोसाँय के सेवा सुश्रसा करतेॅकरतेॅ , डोमा केॅ हो गेलै धन अपरम हो पार डोमा केॅ भगति सें रिझलै , पंथ आरो हो गोसाँय डोमा केॅ जाँचे लेॅ , ऐलै सुरपुर सें एक दिना पंथ आरो हो गोसाँय पंथ आरो गोसाँय दाता निरंजन , पहुँची गेलै हरिया डोमा घरोॅ के हो नगीच डोमा घरोॅ के नगीच चराबै छेलै एक गैधोरैय नें हो गाय पंथ आरो गोसाँय दाता निरंजन माया करलकै विस हो तार पंथे नें ब्राह्मण रूप धरि केॅ पूछलकै धोरैय सें हरिया डोम के हो घोॅर गैधोरैय नें हाथोॅ के इशारा सें देलकै डोमा के घर हो बतलाय आरो पूछेॅ लागलै , हों बाबा तों तेॅ लागै छोॅ कोय महान हो पुरुष तोहें बाबा कहिनें खोजै छोॅ , हरिया केॅ हो हौ तेॅ छेकै जाति के हो बाबा डोम ब्राह्मण नें धौरैय केॅ कहै समु हो झाय जोॅन दिनमा सें हम्में आपनोॅ गुरू सें , दीक्षा लेलेॅ छियै रे धोरैय वही दिनमा सें हम्में जातिपाती के नै करै छियै रे वरण । एतना कहीकही केॅ ब्राह्मण चललोॅ गेलै हरिया डोमा के हो द्वार हौ दिना हो दाता निरंजन , सूपडलिया बेचै गेलोॅ छेलै डोमडोमनियाँ सूजागंज हो बाजार आरो घरोॅ के जोगबारी में छोड़ी देनें छेलै आपनोॅ बेटा रणजीत हो कुमार रणजीत कुमार आपनोॅ संगीसाथी साथें खेलै छेलै गुल्ली डंडा के हो खेल ब्राह्मण भेष धरी , पंथेॅ , दाता निरंजन , पारेॅ लागलै हरिया डोमा केॅ हो हाँक हाँक सुनी केॅ दाता निरंजन , गुल्लीडंडा छोड़ी केॅ ऐलै रणजीत हो कुमार ब्राह्मण केॅ देखी केॅ दाता निरंजन , दोनोॅ कर जोड़ी केॅ रणजीत करै पर हो णाम ब्राह्मण नें मनोॅ सें आशीष दै छै , रणजीत हो कुमार फिनू रणजीत द्वारी पर सें घुरी आवै छै धरेॅ हो ऐंगन घरोॅ सें दाता निरंजन रणजीत नें निकालें छै बट्टू सें पैसा , डाला सें अरबा मोती हो चौर रणजीत नें द्वारी पर आबी केॅ चौर आरो पैसा दियेॅ लागलै लीयोॅलीयोॅ हो बाबा , भीक्छा हो हमार भीक्छा देखतै दाता निरंजन , ब्राह्मण नें रणजीत केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें बलकबा हम्में नै लेबौ भीक्छा आरो नै छोड़बौ रे द्वार हम्में रास्ता में एकादशीद्वादशी बरत करनें छियै आरो बरत निस्तार करी केॅ तोरा द्वारी पर ऐलोॅ छियौ रे बलकवा हमरा सात दिनरात बिती गेलोॅ छौ बिनू अन्नेपानी के रे बलकवा सें तों रे बलकवा हमरा पनियाँ रे पिलाव कुछु देर सोची केॅ रणजीत कुमारें कहलकै हो भाय सुनोॅसुनोॅ हो बाबा , सुनोॅ हमरोॅ हो वचन हे हो बाबा , हम्में छेकां जाति के डोम सें तों डोमोॅ जाति घरोॅ रोॅ जल केना करभो हो ग्रहण सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव जोॅन दिनां से गुरू सें दीक्षा लेलेॅ छियै रो बलकवा वही दिनमां सें हम्में जातिपाजी केॅ नै राखै छियै वरण एतना सुनी केॅ रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय हो बाबा तोरानी रोॅ कृपा सें हमरा छै अनेॅधनोॅ रोॅ बौछार हो बाबा तोरा मनोॅ में जे खाय के हुवै , हौ बतलाय देॅ हो बाबा हमरा घरोॅ में कोय चीजोॅ के कमी नै छै हो बाबा एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें बलकवा केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव हमरा दैवैं लिखलेॅ छै रे बलकवा , हरिया हाथोॅ सें भोजन रे सुसार एतना बातोॅ पर रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय आजु के दिनां हो बाबा हमरोॅ मायबाप गेलोॅ छै सूपडलिया बेचै लेॅ सूजागंज हो बाजार एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें रणजीत केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनें हमरोॅ रे वचन जल्दी सें तों बोलाबैं रे बलकवा , बाजारोेॅ से आपनोॅ माय रे बाप एतना वचन सुनी केॅ रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय हे हो बाबा हम्में केना केॅ जैबोॅ हो बाजार हमरा मायबाबू नें रखलेॅ छै घरोॅ के ही जोगवार हो बाबा घरोॅ सें जों एक्को सामान चोरी होय जेतै तेॅ हमरोॅ पीठी के चमड़ा हो उदार सुनेंसुनें रे बलकबा , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव जों तोरा घरोॅ सें एक्कोॅ सामान चोरी होतौ तेॅ हम्में तोरा देबौ दोबर हो लगाय जल्दी सें तों जाबें रे बलकबा आपनोॅ माय बाबू रोॅ रे पास एतना सुनी केॅ रणजीत नें माय रोॅ देलोॅ बाँसुरी निकाली केॅ फुँकलेॅफुँकलेॅ बाजारोॅ रोॅ डगर धरलकै हो भाय यै बाँसुरी रोॅ करामत छेलै दाता निरंजन विपत्ती के धड़ियाँ में आवाज जों है बाँसुरी कुमार रणजीत नें फूँकै छेलै तेॅ आवाज पहुँची जाय छेलै मायबाबू रोॅ पास बाँसुरी फूँकतै दाता निरंजन , माय दौड़ली चललोॅ हो आबै जेना कि लेरुआ के डकरतैं गैया खमशली चललोॅ हो आबै डोमनियाँ नें बाँसुरी के आवाज सुनतै हरिया केॅ कहै समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव कोन विपतिया पड़लै हो स्वामीनाथ जे सुनाय पड़ै छै बाँसुरी के आवाज जल्दी सें समेटोॅ हो स्वामीनाथ , सूपेॅ आरो हो डलिया जल्दी सें चलोॅ हो स्वामीनाथ महलोॅ केरोॅ हो ओर हरियाँ कहै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय सुनेंसुनें सतवरती गे , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव रोजेरोजे के येहे खबरिया , तेॅ सूपवा केना केॅ बिकतौ जबेॅ सौदा बिकेॅ लागै छौ गे , तेॅ रोजेरोजे के यहेॅ हो लीला जेना लागै छौ तोरा जुगा केकरौ आरो बेटा नै रहेॅ हे हो स्वामीनाथ दोसरा रोॅ बेटा नाचगान करै छै हमरोॅ हो बेटा स्वामीनाथ , करै छै भगति हरि हो नाम आबेॅ तेॅ यही बातोॅ पर उठलै दून्हू जीवोॅ में हो लड़ाय असरा देखतेंदेखतें हो आबी गेलै मायबाबू लुग रणजीत हो कुमार डोमनियाँ के नजर पड़तैं दौड़ी केॅ रणजीत केॅ हिरदय हो लगाय कोन बिपतिया पड़लौ रे बेटा जे तोंआबी गेलें रे बाजार आहो नहीं मोरा मारलकै माता जी कोय संगी हो साथी नहीं मोरा मारलकै बाबूजी हितुवन हो समाज रणजीत नें कहलकै मायबाबू केॅ समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो मोरा जन्मदाता , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव आपनोॅ दरवाजा पर एलोॅ छौं एक संत मेह हे मान वहीं संतेॅ खोजै छौं तोरोॅ मुल हे कात नै तेॅ भीक्छा लै छौं हो बाबूजी , नै छोड़ै छौं हो द्वार यही संतेॅ कहे छौं , तोरोॅ बाबू केॅ हाथोॅ सें करबौ भोजन हो आधार एतना सुनतै तीनोॅ प्राणी चललै आपनोॅ हो महल घर पहुँचतै हो दाता निरंजन , करलकै ब्राह्मण सें मुल हे कात हरिया नें दोनोॅ कर जोड़ी केॅ ब्राह्मण केॅ करै पर हे णाम मनोॅ सें आशीषबा दै छै ब्राह्मणनें हरिया डोम केॅ हो भाय जियेंजियें रे हरिया , तोरोॅ काया अमर भई हो जाय सुनेंसुनें रे हरिया , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव सुनै में हमरा ऐलोॅ छो रे हरिया तों आजु दिनां बड़ी धरमतमा होलोॅ छै रे यही लेॅ हम्में ऐलोॅ छियौ तोरोॅ रे द्वार सात दिनरतियाँ पर हम्में अन्नपानी रोॅ एकादशीद्वादशी वरत तोड़नें छियै रे से तों आय खिना शुद्ध माँस भोजन रे कराव एतना सुनतैं दाता निरंजन , हरिया आचरजोॅ में पड़ी गेलै रे भाय एतना वचन सुनतैं हरिया ऐलै महलोॅ में डोमनिया केरोॅ हो पास तबेॅ दुन्हू जीवेॅ मिली केॅ करै लागलै ब्राह्मण के भोजन के विचार हरिया केॅ डोमनियाँ नें कहै समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव हे हो स्वामीनाथ बिहानी हम्में सुअर चराय खिनी जंगलोॅ में देखलेॅ छेलियै गाय के खाल उदारलोॅ हो माँस आभी तांय हो स्वामीनाथ , कोय कौआकुत्ता नै खैलेॅ होतै हो चलोॅचलोॅ हो स्वामीनाथ , होकरे सुचा माँस काटी केॅ लानी लैबै डोमनियाँ के बेहवार देखी दाता निरंजन , ब्राह्मण नें माया करलकै आपनोॅ बिस हो तार ब्राह्मण नें हो दाता निरंजन , गौ माता के मरलोॅ देहोॅ पर देलकै अमृत छिड़ हो काय अमृत छिड़कतैं दाता निरंजन , गैया उठि केॅ चरेॅ लागलै हो भाय जबेॅ डोमनियाँ के नजर पड़लै गैया पर , तेॅ देखै छै गैया केॅ उठि केॅ चरतें हो भाय है देखी केॅ डोमनियाँ रुकी गेलै हो भाय डोमनियाँ केॅ रुकतें देखी डोमा पूछेॅ लागलै हो भाय तबेॅ तेॅ डोमनियाँ के मुँहोॅ के बोली खतम होय गेलै हो भाय सुनोॅसुनोॅ स्वामीनाथ सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव यहेॅ गैया हो स्वामीनाथ देखलेॅ छेलियै हम्में मरलोॅ हो एतना सुनतैं डोमा नें डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय हेगे सतवरती तों हमरा ठगी रहलोॅ छैं गे चलेंचलें गे सतवरती सैरा दोहा गे घाट हम्में सूअरी केॅ पानी पिलाय खिनी देखलेॅ छियै एक ठो गे लहास होकरे शुद्ध माँस काटी केॅ भोजन गे बनाय होंहों दाता निरंजन , दोनों जीव मिली केॅ चललै सैरा दोहा किनार जबेॅ दोनों जीव मिली केॅ गेलै सैरा दोहा हो किनार वही कालोॅ में दाता निरंजन , माया करलकै विस हो तार माया विसतार करी केॅ दाता निरंजन लहाशोॅ पर अमृत देलकै छिड़ हो काय अमृत छिड़कतैं दाता निरंजन , लहासें उठि केॅ जपेॅ लागलै हरि हो नाम जबेॅ नदी किनार पहुँचलै तेॅ डोमा पड़ी गेलै आचरजोॅ में हो भाय तबेॅ तेॅ डोमनियाँ कहै लागलै डोमा केॅ समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ तों कहिनें रुकी गेलोॅ हो डोमा कहै लागलै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय सुनेंसुनें गे सतवरती सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव हम्में देखलेॅ छेलियै गे सतवरती , है मनुखोॅ केॅ मरलोॅ गे अखनी देखी रहलोॅ छियै गे , जपी रहलोॅ छै हरिहरि हो नाम हेकरोॅ मतलब छै गे सतवरती , है कोय ब्राह्मण नै छेकै है छेकै कोय पंथेॅ हो गोसाँय जे कि हमरा जाँचै लेॅ आइलोॅ छै द्वार आबेॅ दोनोॅ प्राणी निराश होय केॅ लौटी चललै आपनोॅ हो महल रास्ता में लौटी केॅ दुन्हू जीवें करेॅ लागलै मने मन हो विचार हरिया कहै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय सुनेंसुनें गे सतवरती , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव हमरा मारी केॅ गे सतवरती दहीं ब्राह्मण केॅ भोजन हो कराय तों गे सतवरती आपनोॅ बेटा लैकेॅ गुजरबसर गे करिहैं हमरा जुगा गे सतवरती ढेरी मिलतौ गे डोम एतना सुनी केॅ डोमनियाँ डोमा केॅ कहै समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव हमरै मारी केॅ हो स्वामीनाथ ब्राह्मण केॅ देहोॅ भोजन हो कराय आपनें रही केॅ करिहोॅ राजपाट आरो जीवन हो बसर हमरा जुगा हो स्वामीनाथ अनेको मिलतौ हो डोमनियाँ ई सब बातचीत करतेंकरतें पहुँची गेलै हो महल मायबाबू के पहुँचतें बालक रणजीत भी ऐलै ऐंगन मायबाबू केॅ झगड़तें देखी बालक रणजीत पूछै हो भाय कथी लेॅ झगड़ै छोॅ देहोॅ हमरा बत हो लाय एतना बोल सुनी केॅ हरिया कहै रणजीत केॅ समु हांे झाय सुनेंसुनें रे दुलरुवा बेटा , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव हम्में कहै छियै रे बेटा , हमरा मारी केॅ ब्राह्मण केॅ दहीं भोजन हो कराय माय कहै छौ रे बेटा , हमरा मारी केॅ दहोॅ भोजन हो कराय मायबापोॅ के बात सुनी केॅ रणजीत नें मायबापोॅ केॅ कहै समु हो झाय सुनोेॅसुनोॅ हो मोरा जन्मदाता सुनोॅ परेमोॅ साधु हो भाव सुनोॅसुनोॅ हो पिताश्री , आदमी नें गाछ लगाय छै छाया के लेली बेटा पैदा करै छै सुखोॅ के लेली बाबूजी हो , बाबू मरला सें लोग सूअर हो कहाबै माताजी मरला सें लोग टूअर हो कहाबै से हो तोरानी मरला सें हमरा भारी दुःख ही होतै यै लेली हो बाबू , तोरानी हमरा मारी केॅ ब्राह्मण केॅ भोजन देहोॅ हो कराय एतना सुनी केॅ हरिया नें कहै समु हो झाय जबेॅ हमरानी तीनों प्राणी मरै लेॅ छोॅ तैयार तेॅ चलें ब्राह्मण के हो नगीच तीनों प्राणी हो दाता निरंजन हाथ जोड़ी केॅ खड़ा होलै ब्राह्मण के हो नगीच तीनोॅ प्राणी केॅ खड़ा देखी केॅ ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय कीयेॅ रे हरिया भोजन तैयार होलै की नै रै कीयेॅ रे हरिया तोरोॅ भोजन कराय के मन नै छौ की रे एतना सुनी केॅ हरिया नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव तोरोॅ जेकरोॅ माँस खाय के इच्छा हुवेॅ , होकरा आज्ञा देॅ हो बाबा एतना बोल सुनी केॅ ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव आभी रणजीत बालक छै शुद्ध रे , हेकरा मारी केॅ भोजन रे कराव आरो सुनी ले रे हरिया , जों रणजीत केॅ मारै खिनी एक्को बूँद लोर गिरलौ तेॅ हम्में भोजन नै करबौ रे एतना बोल सुनी रणजीत खुशी सें नाँची उठलै हो भाय तबेॅ दोनों प्राणी हाथोॅ में हथियार लैकेॅ रणजीत केॅ काटै लेॅ होय गेहो तैयार दुन्हू मिली केॅ एक्कैं छबोॅ में देलकै सिर अलग करी हो भाय फिनू दुन्हू नें मिली केॅ माँस बनाबेॅ लागलै हो भाय यही बीचोॅ में हरिया मशाला लानै लेॅ गेलै हो बाजार एतनै में डोमनियाँ मने मन करै हो विचार अकेल्ले बाबा नें कत्तेॅ खैतै हो माँस येहेॅ विचार करी केॅ डोमनियाँ नें सिरा राखी लेलकै हो चोराय कुच्छु देरोॅ रोॅ बाद हरिया मशाला लैकेॅ ऐलै हो ऐंगन फिनु मशाला बाँटी केॅ माँस चढ़लकै चूल्हा पर हो भाय डोमनियाँ के बेहवार देखी दाता निरंजन ब्राह्मण नें माया करलकै हो विसतार पाँच मन जलावन जरी गेलै , नै सिझलै हो माँस माँस नै सिझतेॅ देखी केॅ दाता निरंजन हरिया गेलै ब्राह्मण के हो पास ब्राह्मण के नगीच जाय केॅ दाता निरंजन हरिया नें कहै लागलै ब्राह्मण केॅ समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो बाबा , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव पाँच मन जलावन जरी गेलै बाबा नै सीझै छै हो माँस एतना बोल सुनी दाता निरंजन ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव है बात हमें पोथीपतरा देखी केॅ ही बताबेॅ पारौं आरो ब्राह्मण नें पोथीपतरा उलटाबै लागलै हो भाय पोथीपतरा देखी केॅ दाता निरंजन हरिया केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे हरिया , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव तोरोॅ रे जनानी रे हरिया , बेटा रोॅ सिर राखलेॅ छौ चोराय यहीं रे कारणें सें नै सीझै छौ माँस मनुखोॅ रोॅ सिरा ही तेॅ शुद्ध माँस होय छै रे हरिया एतना बोल सुनी केॅ हरिया गेलै आपनोॅ हो ऐंगन ब्राह्मण के कहलोॅ हरिया नें डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय तों गे डोमनियाँ बेटा रोॅ सिरा राखलें छै चोराय सें तों निकाली केॅ मूसल सें सिरा चूरी केॅ माँस हो बनाव आरो चूरै खिनी एक्को बूँद आँसू नै गिरौ तबेॅ सिझतौ सब ठो गे माँस एतना सुनी केॅ सिरा निकाली केॅ मुसल सें चुरेॅ लागलै हो फिनू सिरा चूरी केॅ नैका बरतन में चढ़ैलकै चूल्हा पर हो भाय एतन्हौं पर जबेॅ माँस नै सिझलै तेॅ फिनू गेलै हरिया ब्राह्मण के हो पास सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव सिरबा मूसल में चूरलिहौं , तय्यो नै सीझै छौं हो माँस सुनेंसुनें रे हरिया , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव हे रे हरिया , तों कहै आपनोॅ जनानी केॅ बायाँ गोड़ चुल्ही में देतौ तबेॅ सिझतौ रे माँस एतना बोल सुनी केॅ हरिया दौड़लोॅ गेलै हो ऐंगन ऐंगना में जाय केॅ डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें गे सतवरती सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव तोरा बाबा नें कहै छौ , बामा गोड़ चूल्ही में गे लगाय लेॅ तबेॅ गे सतवरी सिझतौ माँस हो आहार एतना बोल सुनी केॅ सतवरती कहै छै हमरोॅ बेटा मरलोॅ , हम्मूँ मरि केॅ काया अमर करी हौ लों एतना कही केॅ सतवरती नें आपनोॅ गोड़ देलकै चुल्ही में हो लगाय गोड़ चूल्ही में देतैं हो दाता निरंजन माँस सीझी केॅ होय गेलै हो तैयार माँस सिझतैं दाता निरंजन हरिया गेलै एक थरिया में परोसी केॅ विजय हो कराय वही समय में दाता निरंजन , पूछै छै ब्राह्मण नें हो भाय सुनेंसुनें रे हरिया , कै थरिया में लगैंने छै रे भोजन हरिया नें कहै छै ब्राह्मण केॅ समु हो झाय हम्में एक्के थरियाँ में खाली तोरा बास्तें लगैनें छियौं हो भोजन एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें कहै छै हरिया केॅ समु हो झाय सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव तो लगाभैं रे हरिया चार थरिया में तीन प्राणी तोहें आरो एक हमरोॅ रे लगाव एतना बोल सुनी हरिया ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव हम्में तेॅ आपनोॅ बलकबा केॅ मारि केॅ भोजन करलिहौं हो तैयार जबेॅ तोरा बेटा नै छै रे तेॅ तोरा हाँ ने करबौ रे भोजन जेकरा घरोॅ में बेटा नै रहै छै , हौ होय छै जग रोॅ रे पापी आरो जौंने निरवंशी हाँ भोजन करतै , वहो होतै जग रे पापी यही पलोॅ में हरिया के अज्ञानोॅ रोॅ पर्दा हटलै रे भाय आरो कहै लागलैमोरा बेटा खेलै लेॅ गेलोॅ छै बहार से तों हो बाबा भोजन करोॅ हो सुसार यही बातोॅ पर ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव पहिलें तों रे हरिया , चार थरिया में भोजन हो लगाव चार थरिया में भोजन लगाय केॅ तों हकारोॅ दैकेॅ बोलाव आपनोॅ बेटा तबेॅ हम्में करबौ भोजन रे सुसार हरियाँ नें द्वारी के डेढ़िया पर सें हकारोॅ दै लेॅ गेलै हो बहार यही बीचोॅ में ब्राह्मण आलोपित भई हो जाय हरिया केॅ हकारोॅ देतैं दाता निरंजन बलकवा दौड़लोॅ चललोॅ ऐलै तबेॅ देखै छै ब्राह्मण के कोय पता नै हो ठिकानोॅ तबेॅ डोमाडोमनियाँ के ज्ञानोॅ रोॅ पुड़िया खुललै हो भाय वही दिनमां सें तनोॅमनोॅ आरो धनोॅ सें करेॅ लागलै भगति हरि हो नाम हो दाता निरंजन आरो फैललै वही दिनाँ सें धरमोॅ के पर हो चार वै दिनां सें डोमा बेसीये गावै भगति हरि हो नाम आरो डोमनियाँ बजाबै करेॅ हो ताल यही बीचोॅ में कुमार रणजीत उछलीउछली गाबै भगति हरि हो नाम डोमडोमनियाँ के भगति देखी होय गेलै सगरो धरमोॅ के पर हो चार ।",angika-anp "तन कौ कौन भरोसों करनैं तन कौ कौन भरोसों करनैं । आखिर इक दिन मरनैं । जौ संसार ओस कौ बूँदा , पवन लगै सें ढुरनें । जौ लों जी की जियन जोरिया जी खाँ जे दिन भरनें । ईसुर ई संसारै आकें । बुरै काम खों डरनें ।",bundeli-bns "ठनाठनी बस्ती सें दूर अलग जनवासौ अनवासो वारइ सें जान परै जैसें कुछ तनातनी , गोलन की भड़ाभट्ट , चकरी की चक्कमक्क हाँतिन की टनाटन्न , घोड़न की हिनीनिनी । रब्बीरमतला सँग ढोलन की धमाधम्म झाँझन की झमाझम्म फरकावै कनीकनी , मंगल समाज यौ , कि पल्टन कौ साजबाज ? लरका कौ ब्याव है कि समधी सें ठनाठनी ?",bundeli-bns "हम तोंही पूछही दुलारी धनी, अउरो अलारी धनी हे हम तोंही पूछही दुलारी धनी , अउरो अलारी1 धनी हे । ललना , कउन कउन रँग तोरा भाबे , त कहिके सुनाबहु हे ॥ 1 ॥ अमवा जे फरलइ2 घउद3 सूर्य , इमली झबद4 सयँ हे । परभु जी , नरियर फरले बहुत सूर्य , ओही मोरा मन भावे हे ॥ 2 ॥ हम तोंही पूछही दुलारी धनी , अउरो अलारी धनी हे । कउन तोरा अभरन भावे , से कही के सुनाबहु हे ॥ 3 ॥ साड़ी मोरा भाव हे कम त , ललसवा5 कुसुम रँग चूनर हे । ललना , चोली मन भावे हे साटन फूल , आउ6 जे नई भावे हे ॥ 4 ॥ हम तोंही पूछही अलारी धनी , अउरो दुलारी धनी हे । ललना , कउन रंग सेजिया तो भावए , कहि के सुनाबहु हे ॥ 5 ॥ सोनन7 के चारो पउआ , 8 रेसम लागल डोरिये हे । पिया , मन भाव हे रंगल सेजिया , होरिला बिनु नहीं सोभे हे ॥ 6 ॥ ओते9 सुतूँ , 10 ओते सुतूँ राजा बेटा , अउरो साहेब बेटा हे । ललना , बड़ा रे जतन के होरिलबा , पसेना चुए लागल हे ॥ 7 ॥ चुए देहु , 11 चुए देहु पसेनवाँ , से कुरता सियायब हे ॥ 8 ॥ कहाँ से दरजी बोलायब , कहाँ रे कलीगर12 हे । ललना , कइसन कुरता सिलायब , बाबू पहिरायब हे ॥ 9 ॥ पटना से दरजी बोलायब , गाया13 के कलीगर हे । ललना , हरियर कुरता सिलायब , बाबू पहिरायब हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "नारंगी दामन वाली जच्चा, गोद में बच्चा ले नारंगी1 दामन वाली जच्चा , गोद में बच्चा ले । गोद में बच्चा ले री जच्चा , गोद में बच्चा ले ॥ 1 ॥ माँग जच्चा के टीका सोभे , मोतिया लहरा ले रे जच्चा , मोतिया लहरा ले । हजरिया2 बैैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 2 ॥ नाक जच्चा के बेसर सोभे , चुनिया लहरा ले । हाँ जी , चुनिया लहरा ले , चुनिया लहरा ले । हजरिया बैठा पास में , केसरिया3 बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 3 ॥ कान जच्चा के बाली सोभे , झुमका लहरा ले , हाँ जी , झुमका लहरा ले । केसरिया बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 4 ॥ हाय जच्चा के कँगना सोभे , चुड़िया लहरा ले , हाँ जी , चुड़िया लहरा ले । हजरिया बैठा पास में , केसरिया बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 5 ॥",magahi-mag "पुरुबा के अबलन एक गो मोसाफिर से पुरुबा के अबलन1 एक गो2 मोसाफिर से , बइठी गेलन हमरो अँगना , रे गोरिया । कउन तूँ हहु3 सुन्नर , कहमाँ तूँ जाहु4 से , केकर तूँ खोजहूँ मकनमा , रे गोरिया ॥ 1 ॥ हम हिओ5 तोहर सरहज , बारे ननदोसिया से , करि दहु6 ननद के गमनमा , रे गोरिया । हमर ननद हथिन7 बारी सुकमरिया8 से , कइसे करियो तोहरो गमनमा रे गोरिया ॥ 2 ॥ रहु रहु मोरा ननदोसिया पहुनमा से , होवे दहु ननद जुवनिया9 रे गोरिया । करि देबो तोरा ननदोसिया गबनमा से , होवे दहु छतिया नवरँगिया10 रे गोरिया ॥ 3 ॥ आवे दहु , आवे दहु मास रे फगुनमा से , करि देबो तोहरो गमनमा , रे गोरिया । एकारसी11 अइहऽ12 ननदोसिया जे हमरा से , दोआरसी13 के करब मरजदबा14 रे गोरिया । तेरोदसी15 के करबो बिदइया16 रे गोरिया ॥ 4 ॥ एक कोस गेलइ डारी17 दोसर कोस गेलइ से , तेसरे18 डँड़िया पइसी19 पूछे एक बतिया20 रे गोरिया । बघिया21 में डँड़िया के भेलइ दुपहरिया22 से , रसे रसे गरमी गँवावहु23 रे गोरिया ॥ 5 ॥",magahi-mag "लोक गीत बागा मा आवी उतरयु साजनीकु छोरी छाने बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ । हतमा लई लेसु लाकेड़ी रे छोरी गाय ना बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ जोई लेसू रे , मन मोई लेसु रे ऽऽऽ दोई दल लड़ानी बाल्यो कर लेसु रे ऽऽऽ । बागा मा आवी उतरयु साजनीकु छोरी छाने बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ । काख्यां मा लइ लेसु टोपे लू छोरी छांणा ने बाने जोई लेसुर रे बागा मा आवी उतरयु साजनीकु छोरी छाने बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ । हाथा मा लई लेसु दाँतेड़ , छोरी सारा ना बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ जोई लेसु रे ऽऽऽ मन मोई लेसु रे ऽऽऽ बागा मा आवी उतरयू साजनी कु छोरी . . . । मैं बागीचे में ठहरा हूँ सखी किस बहाने से मैं साजन से मिलूँ ? तू मुझे बता , देख लूँगी । छोरी हाथ में तू लकड़ी ले लेना और गाय चराने के बहाने से मिल लेना । सखी ठीक है । मैं मिल लूँगी और उसका मन मोह लूँगी । इस तरह दोनों मिलकर हम दिल की बातें कर लेंगे । मैं देख लूँगी । सखी बगल में टोपला रख लूँगी और कंडे बीनने के बहाने से मैं उससे मिल लूँगी । मैं देख लूँगी । मैं बगीचे उतरा हूँ । सखी मैं अपने हाथ में दाँतेड़ा ले लूँगी और चारा काटने के बहाने से मैं उससे मिल लूँगी और इस तरह मैं उसका मन मोह लूँगी ।",bhili-bhb "526 खेड़यां आखया केहड़ा घलीए जी जेहड़ा डिगे फकीर दी जा पैरीं साडी करीं वाहर नाम रब्ब दे जी कोई फजल दा पलड़ा आ फेरी सारा खोल के हाल अहवाल दसी नाल भिहरियां बरकतां विच डेरी चलो वासते रब्ब दे नाल मेरे कदम घतयां फकर दे होन खेरी दाम लायके हीर वयाह आंदी जंतर जोड़ के गए सा विच देरी बैठ कोड़में1 गल पका छडी सैदा घलीए रलन ना ऐरी गैरी जिवें जानसैं तिवें लया उसनूं करो मिन्नतां लावना हथ पैरी वारस शाह मियां तेरा इलम होया मशहूर है जिसन इनस2 तैरी",panjabi-pan "350 असां मेहनतां डाढियां कीतियां नी गुंडीए खचरिये लुचिये जटीए नी करामात फकीर दी देखनी एं खैर रब्ब तों संग सुपतीए नी कन्न पाटयां नाल ना जिद कीजे अन्ने खूह विच झात न घतीए नी मसती नाल तकबरी रात दिने कदी होश दी अख परतीए नी कोई दुख ते दर्द ना रहे भोरा भाड़ा मेहर दा जिनां नूं घतीए नी पढ़ फूकिगे इक अजमत सैफी1 जिन्न ते भूत दी पटीए नी तेरी भाबी दे दुखड़े दूर होवन असी मेहर दे चा पलटीए नी वारस मिठड़ा बोल ते मोम हो जा त्रिखा बोल ना काहली जटीए नी",panjabi-pan "अउरी झउरी करथिन दुलरइतिन सुगवे हे अउरी झउरी1 करथिन दुलरइतिन सुगवे हे । हम लेबइ2 इलइची3 फुलवा हे । हम लेबइ जाफर फुलवा हे ॥ 1 ॥ कहाँ हम पयबो इलइची फुलवा हे । कहमा जाफर फुलवा हे ॥ 2 ॥ हमरा नइहरवा परभु इलइची फुलवा हे । अउरो जाफर फुलवा हे ॥ 3 ॥ पहुना4 बहाने परभु नइहरवा नइह5 हे । भौंरवा6 रूपे फूलवा लेइ अइह हे ॥ 4 ॥ बगिया में अयलन दुलरइता सरवा7 हे । लवँगिया डरवा8 सरवा बाँधी देलन हे । सोबरन सँटिया9 सरवा मारी10 देलन हे ॥ 5 ॥ रोइ रोइ चिठिया लिखथिन दुलरइता दुलहा हे । येहो चिठिया धनि हाथ हे ॥ 6 ॥ हँसि हँसि चिठिया लिखथिन दुलरइतिन सुघइ हे । येहो चिठिया भइया हाथ हे ॥ 7 ॥ लवँग डढ़िया11 भइया चोरवा12 खोली दिहऽ हे । सोबरन सँटिया भइया केरी13 लिहऽ हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "बुरो संग अकुलौ1 माँ माया2 करी , कैकी3बी नी पार तरी । बार4 बिथा सिर थरी5 , कू रोयेंद6 । जख तख मिसे7 लांद , झूटाफीटा8 सऊँ9 खंद । दियुं लेयुं तने10 जांद , अपजस पायेंद । आगो पाछो देखी जाणी , खरी खाणी चुप्प चाणी । किलै11 कद झुटि स्याणी12 , गांठी पैसा खोयेंद । मैंत बोदू भली बात , सोच कदु दिन रात । मुरखू का संग साथ , ज्यान जोख्यूं13 पायेंद । आँखु देखि सुणी जाणी , बटोरों मां माया लाणी । जगत की गालि खाणी , विचारिययुं चाहेंद । लगणु नी वैकी बाणी , जै की होन दुलि काणी । पाछ पड़द खैंचा ताणी , ज्यान जोख्यूं पायेंद ।",garhwali-gbm "आल्हा ऊदल भोग चढ़ाइब अदमी के देबी अरजी मानव् हमार एतनी बोली देबी सुन गैली देबी जरि के भैली अँगार तब मुँह देबी बोलली बबुआ सुनीं रुदल महराज बेर बेर बरजों बघ रुदल के लरिका कहल नव् मनलव् मोर मरिया राजा नैना गढ़ के नैंनाँ पड़े इन्दरमन बीर बावन गुरगुज के किल्ला है जिन्ह के तिरपन लाख बजार बावन थाना नैना गढ़ में जिन्ह के रकबा सरग पताल बावन दुलहा के सिर मौरी दहवौलक गुरैया घाट मारल जैबव् बाबू रुदल नाहक जैहें प्रान तोहार पिण्डा पानी के ना बचबव् हो जैबव् बन्स उजार एतनी बोली रुदल सुन गैल तरवा से लहरल आग पकड़ल झोंटा है देबी के धरतो पर देल गिराय आँखि सनीचर है रुदल के बाबू देखत काल समान दूचर थप्पर दूचर मुक्का देबी के देल लगाय लै के दाबल ठेहुना तर देबी राम राम चिचियाय रोए देबी फुलवारी मैं रुदल जियरा छोड़व् हमार भेंट कराइब हम सोनवा सें एतनी बोली रुदल सुन के रुदल बड़ मंगन होय जाय प्रान छोड़ि देल जब देबी के देबी जीव ले चलल पराय भागल भागल देबी चल गैल इन्द्रासन में पहुँचल जाय पाँचों पण्डु इन्द्रासन में जहवाँ देबी गैल बनाय",bhojpuri-bho "धवळो घोड़ो ने जीन कस्या धवळो घोड़ो ने जीन कस्या रामदेव भया असवार फ्लाणा राम आड़ा फरीग्या रामदेव जी रेवो आज नी रात गेल्या हुवा रे भोळा मानवी परजा जोवे हमारी बाट पवन पंथी हमारा चालणा जल मांय रैवां रात",malvi-mup "मैं तोर गुन जानि गयूँ ए नान गुटकी मैं तोर गुन जानि गयूँ ए नान गुटकी दाल बनाईं भात बनाईं और बनाईं फुलकी , सारा जेवना जेई के भर्तार पति के आगे ठुनकी मैं तोर गुन . . . लौंग इलाइची बीरा खाईं आवै लागीं हिचकी , सीसा लै के मुंह निहारें गाल होई गे सुट्की मै तोर गुन . . . मारी गईं पीटी गईं कोने जाए सुसकी , तनिक नैना ओट भएँ बांधे लागी पुटकी मैं तोर गुन . . . सेज सुपेती दासन पाइन संझवय से खसकी , सारे पलंग पर अपना सोवैं पिया का काटें चुटकी मैं तोर गुन . . .",awadhi-awa "264 रांझे आखया मगर ना पौ मेरे कदी कैहर दी वाओ हटाईए जी गुरु मत तेरी सानूं ना फबे गल घुट के चा लंघाईए जी पहले चेलयां नूं चाए हीज1 करीए पिछों जोग दी रीत बताईए जी इक वार जो सना दस छडो घड़ी मुड़ी ना गुरु अकाईए जी करतूत जे एहो सी सभ तेरी मुंडे ठग के लीक ना लाईए जी वारस शाह शागिरद ने चेलड़े नूं काई भली ही मत सिखाईए जी",panjabi-pan "417 जे कोई जंमया मरेगा सभ कोई घड़या भजसी वाह सभ वहनगे वे मीर पीर वली गौसा कुतब जासन एह सभ पसारड़े ढहनगे वे जदों रब्ब अमाल1 दी खबर पुछे हथ पैर गवाहियां देनगे वे जदों उमर दी आन मिआद पुगी अजराईल होरी आ वहनगे वे भन्ने ठूठे तों एड वधा करना बुरा तुध नूं लोक सभ कहनगे वे जेहा बुरा तूं बोलया रावला वे हड पैर सजाइयां लैनगे वे कुल चीज फनाह हो खाख वैसी सावत वली अलाह दे रहनगे वे ठूठा नाल तकदीर दे भज पया वारस शाह होरी सच कहनगे वे",panjabi-pan "कियौ महारास प्रभु बन में कियौ महारास प्रभु बन में , वृन्दावन गुल्म लतन में ॥ बन की शोभा अति प्यारी , जहाँ फूल रही फुलवारी । सोलह हजार ब्रजनारी , द्वै द्वै न बीच एक गिरिधारी ॥ झ़ड़ताथेताथेई नचत घूँघरू बजत झूम झन झनन । सारंगी सनन करत तमूना तनन ॥ सप्त सुरन सों बजत बाँसुरी , शोर भयौ त्रिभुवन में । वृ . बंशी को घोर भयौ भारी , मोहे सुन मुनि तपधारी । जड़ पशु पक्षी नरनारी , शिवसमाधि खुल गई तारी ॥ झड़ सुन जमुना जल भयौ अचल , सिथिल भये सकल । जीव बनचारी , मनमोहन बीन बजाय मोहिनी डारी ॥ जहाँ के तहाँ थिर रहे परी धुन बंशी की श्रवनन में । वृ . जब उठ धाये त्रिपुरारी , जमुना कहै रोक अगारी । गुरु दीक्षा लेओ हमारी , जब करौ रास की त्यारी ॥ झड़ नहीं पुरुषकौ अधिकार , सजाशृंगार नारि बनजाओ । तब महारास के दरशन परसन पाओ । जमुना के बचन सुने , शिव जान गये सब मन में ॥ वृ . जब खाय भंग कौ गोला , जमुना में धोय लियौ चोला । गोपी बन गये बंभोला , यों नवल नार अनबोला ॥ झड़ जहाँ है रह्यौ रास विलास , पहुंच गये पास , भये अनुरागे शिव शंकर सखियन संग नाचने लागे । भूल गये कैलाश वास , हर है रहे मगन लगन में । वृ . गोपिन संग नृत्य कर्यो है , हिरदे आनन्द भर्यो है । जब शिव पहिचान पर्यौ है , गोपेश्वर नाम धरयौ है ॥ झड़सब गोपी भई प्रसन्न , धन्य प्रभु धन्य मधुर बीनाकी कर महारास निशि कीनी छै महीना की । ‘घासीराम’ कृपा सों छीतर बस रह्यौ गोवरधन में ॥ वृ .",braj-bra "दूधी की धार मारूं माता नै दूधी की धार मारूं माता नै कदे तू गुमानी भूल नहीं जा याद दिलांऊ सूं अक आवैगी अब नई बहूरानी बेटा भूल नहीं जा भाई का सुखी हो सरीर , जुग जुग जीवो मेरा बीर याद दिलाऊं सूं अक मां जाई की या सै निसानी बीरा भूल नहीं जा",haryanvi-bgc "लूँगी भावज मैं वही कँगना लूँगी भावज1 मैं वही कँगना । मुझे कँगने को शौक मेरी भाभी ॥ 1 ॥ माँगो2 का टीका ले री ननदिया , ले री झलाही3 । एक नहीं दूँगी यही कँगना ॥ 2 ॥ लूँगी मैं भावज वही कँगना । मुझे कँगने की शौक मेरी भाभी , लूँगी मैं वही कँगना ॥ 3 ॥ नाको का बेसर ले री ननदिया , ले री झलाही । एक नहीं दूँगी , यही कँगना ॥ 4 ॥",magahi-mag "चीकन मटिया कोड़ि मँगाएल ‘‘आगि लागे परभु चुनरिया , वलकवा के हाँसुल हे । बजर पड़े चढ़न के घोड़वा , नइहर कइसे तेजब हे ॥ ’’ अँगना जे लिपली1 दहादही2 माड़ो3 छावली हे । ताहि चढ़ि भइया निरेखे4 बहिनी चलि आवल हे ॥ 1 ॥ मचिया बइठल मोरा धनिया5 त धनिया सुलच्छन6 हे । धनिया , आवऽ हथिन7 बाबा के दुलारी , गरब8 जनि बोलहु हे ॥ 2 ॥ आवहु हे बहिनी , आवहु , मोरा चधुराइन हे । बहिनी , बइठहु बाबा चउपरिया9 मंगल दस गावह , गाइके10 सुनावहु हे ॥ 3 ॥ गाएब11 हो भइया गाएब , गाइ के सुनाएब हे । भइया , हमरा के का देवऽ दान , लहसि12 धरवा जायेब हे ॥ 4 ॥ गावहु , ए ननद गावहु , गाइके सुनावहु हे । ननदो , जे तोरा हिरदो13 में समाए14 लेइके15 घरवा जाहुक16 हे ॥ 5 ॥ हमरा के दीहऽ चुनरिया , बलकवा के हाँसुल17 हे । भउजी , प्रभु के चढ़न के घोड़वा , लहसि घर जाएब हे ॥ 7 ॥ कहाँ पाएब लाली चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे । ननदो , कहवाँ पाएब चढ़न के घोड़वा , लउटि18 घरवा जाहु हे ॥ 7 ॥ रोइत जाइह19 ननदिया , बिलखइत जाहइ भगिनवाँ न हे । हँसइत जाहइ ननदोसिया , भले रे मान20 तोड़ल हे ॥ 8 ॥ चुप रहु चुप रहु , धनिया , मोर चधुराइन हे । हम जएबो राजा के नोकरिया , दरब21 लेइ22 आएब23 हे ॥ 9 ॥ तोहरा ला24 लएबो चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे । अपना ला चढ़न के घोड़वा , नइहर बिसरावहु25 हे ॥ 10 ॥ आगि लागे परभु चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे । बजर26 परे चढ़न के घोड़वा , नइहर कइसे27 तेजब28 हे ॥ 11 ॥",magahi-mag "रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर रचिएक1 कोहबर लिखलूँ हम कोहबर । लिखलूँ हम मनचित लाय , अनजान लिखुँ कोहबर हे ॥ 1 ॥ सेहि पइसो सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा । जवरे दुलहिनियाँ संघें साथ , लिखुँ कोहबर ॥ 2 ॥ रसे रसे डोलहइ चुनरी लगल बेनियाँ । होवे लगल2 दुलहा दुलहिन बात , अनजान लिखूँ कोहबर ॥ 3 ॥ हम त हिओ3 धनि तोहर परनमा । तू हका4 हमर परान , अनजान लिखुँ कोहबर ॥ 4 ॥",magahi-mag "नी कुटीचल मेरा नाँ नी कुटीचल1 मेरा नाँ । मुलाँ मैनूँ सबक पढ़ाया । अलफों अग्गे कुझ ना आया । उस दीआँ जुत्तिआँ खाँदी सा । नी कुटीचल मेरा नाँ । किवें किवें दो अखिआँ लाइआँ । रल के सइआँ मारन आइआँ । नाले मारे बाबल माँ । नी कुटीचल मेरा नाँ । साहवरे सानूँ वड़न ना देंदे । नानक2 दादक3 घरों कढेंदे । मेरा पेके नहींओं थाँ । नी कुटीचल मेरा नाँ । पढ़न सेती सभ मारन आहीं । बिन पढ़िआँ हुण छडदा नाहीं । नी मैं मुड़ के कित्त वल्ल जाँ । नी कुटीचल मेरा नाँ । बुल्ला सहु की लाई मैनूँ । मत कुझ लग्गे ओह ही तैनूँ तद करेंगा तूँ निआँ । नी कुटीचल मेरा नाँ ।",panjabi-pan "हमसें दूर तुमारी बखरी हमसें दूर तुमारी बखरी , हमें रजऊजा अखरी । हो पावे बतकाव न पूरौ घरी भरे खाँ छकरी । परत नहीं हैं द्वार सामनें , खोर सोऊ है सकरी बेरा बखत नजर बरकाकें कैसे लेवे तकरी छिन आवें छिन जाय ईसुरी भए जात हैं चकरी ।",bundeli-bns "कारल्याच बी पेर ग सुने, मग जा आपुल्या माहेरा 1 . कारल्याच बी पेर ग सुने , मग जा आपुल्या माहेरा , कारल्याच बी पेरल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । । कारल्याच वेल येऊ दे सुने मग जा आपुल्या माहेरा , कारल्याचा वेल आला सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । । कारल्याला कारल येऊ दे सुने मग जा आपुल्या माहेरा , कारल्याला कारल आल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । । कारल्याची भाजी चीर ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा , कारल्याची भाजी चिरली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । । कारल्याची भाजी केली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा , कारल्याची भाजी खा ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा । । कारल्याची भाजी खाल्ली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा , कारल्याच उष्ट काढ ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा । । कारल्याची उष्ट काढल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । । 2 . कारलीच बी पेर ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा माहेरा कारल्याच बी पेरल हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याला पाणी घाल ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याला पाणी घातल हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याला बूड येऊ देग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याला बूड आल हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याला मांडव घाल ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याला मांडव घातला हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याला फूल येऊ दे ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याला फूल आल हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याला कारल लागू दे ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याला कारल लागल हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याची भाजी कर ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याची भाजी केली हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना कारल्याची भाजी खा ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा कारल्याची भाजी खाल्ली हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना भाजीचा गंज घास ग सूनबाई मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा भाजीचा गंज घासला हो सासूबाई आता तरी धाडाना , धाडाना सासूबाई सासूबाई आता तरी धाडाना मला काय पुसते पूस जा आपल्या सासर्‍याला मांमाजी मांमाजी आता तरी धाडाना , धाडाना मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या दिराला भाऊजी भाऊजी आता तरी धाडाना , धाडाना मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या जावेला जाऊबाई जाऊबाई आता तरी धाडाना , धाडाना मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या नंणदेला वन्स वन्स आता तरी धाडाना , धाडाना मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या पतीला पतिराज पतिराज आता तरी धाडाना , धाडाना घेतळी चोळी लावली पाठी जाऊन बसली नदीच्या काठी",marathi-mar "178 हीरे कहर कीतो रल नाल भाइयां सभा खुलक1 तूं चा गवाइयां नी जे तूं अंत एहो पिछा देवना सी एडिआं मेहनतां काहे कराइयां नी एहा हद हीरे तेरे नाल साडी महल चाढ़ के पौड़ियां चाइयां नी तैं तां वयाह दे हार शिंगार बधे अते खेड़यां घरीं वधाइयां नी खाह कसम सौगंद तैं घोल पीती एह दसीं तूं पूरीयां पाइयां नी बाहों पकड़ के टोर चा कढ देसों ओवें तोड़ नैनां जिवें लाइयां नी यार यार थीं जुदा हुण दूर कीचै मेरे बाब तकदीर लिखाइयां नी वारस शाह ठगिओ दगा दे के जेहियां कीतयां सो असां पाइयां नी",panjabi-pan "542 जोगी चलया रूह दी कला हिली तितर बोलया शगन मनावने नूं ऐतवार ना पुछया खेड़यां ने जोगी आंदा ने सीस मुनावने नूं वेखो अकल शऊर जो मारया ने तामा1 बाज दे हथ फड़ावने नूं भुखा खंड ते खीर दा होया राखा रंडा घलया साक कावने नूं सप्प मकर दा परी दे पैर लड़या सुलेमान2 आया झाड़ा3 पावने नूं राखा जवां दे ढेर दा गधा होया अन्हा घलया हरफ4 लिखावने नूं नियत खास करके उहनां सद आंदा मियां आया है रन्न खसकावने नूं उन्हां सप्प दा मांदरी5 सद आंदा सगों आया सप्प लड़ावने नूं वसदे झुगड़े चैढ़ करावने नूं मुढों पट वूटा लैंदे जावने नूं वारस बंदगी वासते घलया ए आ लगा ए पहनने खावने नूं",panjabi-pan "पहल सारदा तोहे मनाऊं पहल सारदा तोहे मनाऊं तेरी पोथी अधक सुनाऊं मोरधज से राजा भारी लड़का लिया बला सीस धर भरी करौती भगत ने हेला दे बलवाया धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया धानू बोया खेत बीज नै आप्पै चाब्बा लोग करै गिल्लान ऊपरा तोता भया अरे भगत ने बिना बीज निपजाया धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया दीना अवा लगा आंच अवा में डारी मंझारी के बच्चे चण दिये चार कूंट का करै कुम्हारी कुल कै लाग्या दाग आप उतरे गिरधारी अरे भगत ने बच्चा का सो बरतन कच्चा पाया धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया ताता खंभ कर्या तेरा कित ग्या भाई देख खंभ की राह खड्या तुरग बहराई अरे खम्भ पै कोड़ी नाल दरसाया धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया",haryanvi-bgc "कोरी कोरी चांदी की कांगणी कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई ऊपर जड्या नगीणा , हो मन्नै तेरी सोंह । कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई खद्दर की साड़ी बांधी , हो मन्नै तेरी सोंह । कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई अमर रहे बापू गांधी , हो मन्नै तेरी सोंह ।",haryanvi-bgc "92 तेरे वीर सुलतान नूं खबर होवे फिकर करे उह तेरे मुकाबले दा चूचक बाप दे राज नूं लीक लाई किहा फायदा लाड लडावने दा नक वड के कोड़मा गालया किहा फायदा मापिआं तावने दा राती चाक नूं चा जवाब देसां साडा शोक नहीं है महीं चरावने दा आ मिठिए लाह लै सभ टूमां किहा फायदा गहनयां पावने दा वारस शाह मियां एस छोहरी दा जी होया ए लिंग कुटावने दा",panjabi-pan "सब के वरदिया कोसीमाय सब के वरदिया कोसीमाय पार उतरि गेलै , हमरो हे बरद कोसीमाय उसरे में मझाई हे हमरो बदर । जब हम आगे बहिना पार देवी उतारि गे तोहरो बरद बहिना गे हमरा के की देवे इनाम । जब हम आहे मलहा बसबै ससुररिया , तब छोटकी ननदी देवौ इनाम रे मलहा छोटकी ननदिया हे कोसीमाय देवौ इनाम । छोटकी ननदिया वहिना हमरो हे वहिनिया हे कैसे कोसीमाय लेबौ इनाम हे । कोसीमाय सांचले हे यौवन हमरो यौवन हे कोसी माय विष के अगोरल मलहा छुबैत मरि जेबै रे । ।",angika-anp "काची अम्बली गदराई सामण मैं काची अम्बली गदराई सामण मैं बुड्ढी री लुगाई मस्ताई फागण मैं कहियो री उस ससुर मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस बहुए म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं कहियो री उस जेठ मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस बहुए म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं कहियो री उस देवर मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस भावज म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं",haryanvi-bgc "अमीर गरीब में पड़ी जो खाई अमीर गरीब में पड़ी जो खाई । गांधी बाब्बू नै कोन्या भाई । । गरीब मजूरां का हक दिलाया । अमीरां तै यूं उपदेस सुनाया । । धन नै सांझा समझो भाई । नहीं तो कहलाओगे कसाई । ।",haryanvi-bgc "तुम म्हारी नौका धीमी चलो तुम म्हारी नौका धीमी चलो , आरे म्हारा दीन दयाला १ जाई न राम थाड़ा रयाँ , जमना पयली हो पारा नाव लावो रे तुम नावड़ा आन बैगा पार उतारो . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . २ उन्डी लगावजै आवली , उतरा ठोकर मार सोना मड़ाऊ थारी आवली रूपया न को रास . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ३ निरबल्या मोहे बल नही , मोहे फेरा घड़ावो राम म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो म्हारो घणो परिवार . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ४ बिना पंख को सोरटो , आरे पंछी चल्यो रे आकाश रंग रूप वो को कुछ नही लग भुख नी प्यास . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ५ कहत कबीर धर्मराज से , आरे हाथ ब्रम्हा की झारी जन्म . जन्म का हो दुखयारी राखो लाज हमारी . . . . तुम म्हारी . . . . . . . .",nimadi-noe "ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो , भंवर म्हांने खेलण द्यों गणगौर खेलण द्यो गणगौरगणगौर , भंवर म्हांने निरखण द्यो गणगौर जी म्हांरी सहेल्यां . . . के दिन की गणगौर , सुन्दर थांने कतरा दिन को चाव सोळा दिन की गणगौर , भंवर म्हांने सोळा दिन को चाव ओजी म्हांरी सहेल्यां . . . सहेळ्यां ने ऊभी राखो , सुन्दर थांकी सहेळ्यां ने ऊभी राखो जी थांकी सहेळ्यां ने दोवंण गोट , सुन्दर थाने खेळणं दां गणगौर खेलण द्यो गणगौर . . .",rajasthani-raj "काला शाह काला काला शाह काला , मेरा काला ई सरदार गोरेआं नु दफा करो , मैं आप तिल्ले दी तार काला शाह काला . . . सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर , दो ऐबी दो शराबी जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी काला शाह काला . . . सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर , दो टीन दो कनस्तर जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया ए दफ्तर काला शाह काला . . .",panjabi-pan "जूड बेटी माय सुसुनावा जूड बेटी माय सुसुनावा आवकजा मारग सूसून डोगे मारगा सूसून चोजमा डोगे आयोम आयोम काडो काली ग्वाली किटी टालान कोन सूसून डोगे कोन सूसन चोजमा डोगे आयोम आयोम काडो ऊरग टालो कोन जाया सूसन डोगे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय केला भी को बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे केला भी को बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे माय टेन भी पुरी बाटेन भी पुरी माय टेन भी पुरी बाटेन भी पुरी पूरी भी का बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे पूरी भी का बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे स्रोत व्यक्ति सुनीता , ग्राम नानी मकड़ाई",korku-kfq "माटी कोरे गेल छिनरो, पार गंगा हे माटी कोरे1 गेल छिनरो2 पार गंगा हे । गजनवटा3 में चोरवले4 आयल सोरह गो5 भतार हे ॥ 1 ॥ घर के भतार पूछे , कवनकवन जात6 हे । चार गो त जोलहाधुनिया , चार राजपूत हे ॥ 2 ॥ चार गो त मुसहर7 बड़ मजगूत8 हे । भले9 छिनरो , भले कोरे10 गेल11 हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "कैसे दर्श मै पाऊ मैया बिराजी पहाड़ पे कैसे दर्श मैं पाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे मैया दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाऊं मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . .",bundeli-bns "रंग में रँग दई रंग में रँग दई बाँह पकरि लई , लाजन मर गई होरी में , इकली भाज दई होरी में , हुरमत लाज गई होरी में ॥ रंग . चूँदर रंग बोरी होरी में , पिचकारी मारी होरी में , ह्वैके स्याम निसंक अंक भुज भरि लई होरी में । रंग में . गाल गुलाल मल्यौ होरी में , मोतिन लर तोरी होरी में , लोक लाज खूँटी पे कान्हा धर दई होरी में । रंग में . बरजोरी कीन्ही होरी में , ऐसी बुरी भई होरी में , ‘घासीराम’ पीर सब तन की हर लई होरी में । रंग में .",braj-bra "185 मठी होर खजूर पराकड़ी भी भरे टोकरे नाल समोसयां दे अंदरसे कचौरियां अते लुची बड़े खंड दे खिरमयां खोमयां दे पेड़े नाल खताइयां गोल गुप चुप बदानयां नाल पलोसयां दे रांझा जोड़के परे फरयाद करदा वेखो खुसदे साक बेदोसयां दे वारस शाह नसीब ही पैन झोली करम ढहन नाहीं नाल रांसियां दे",panjabi-pan "451 जिस मरद नूं शरम न होवे गैरत उस मरद तों चंगियां तीवियां ने घर सदा ई औरतां नाल सोंहदा शरमवंदते तरदियां बीवियां ने इक हाल थी मस्त घरबार अदर इक हार शिंगार विच खीवियां ने वारस हया1 दी पहन चादर अखों नाल जमीन दे सीवियां2 ने",panjabi-pan "अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया सोहय बिंदिया सही , घाट डोंगरी पहार सोहय बिंदिया सही , घाट डोंगरी पहार चंदा सुरूज बने तोरे नैना सोनहा धान अइसे अंग , लुगरा हरियर हे रंग सोनहा धाने के अंग , लुगरा हरियर हे रंग तोर बोली हवे जइसे मैना अंचरा तोर डोलावय पुरवईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया सरगुजा हे सुग्घर , तोरे मउर मुकुट सरगुजा हे सुग्घर , जईसे मउर मुकुट रायगढ़ बिलासपुर बने तोरे बञहा रयपुर कनिहा सही , घाते सुग्गर फबय रयपुर कनिहा सही , घाते सुग्गर फबय दुरूग बस्तर बने पैजनियाँ नांदगांव नवा करधनियाँ महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां महूं विनती करव तोरे भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया",chhattisgarhi-hne "नैना रा लोभी एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी सासू सूती ने नन्दल जागे सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा म्हारा बाई सा रा बीरा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा ननदी रा बीरा की कर आऊँसा बाई सा रा बीरा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी जेठानी सूती द्योरानी जागे सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा भई सागर ढोला की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा भई सागर ढोला की कर आऊँसा एजी हांसा म्हे तो आऊँ ने पाछी फिर फिर जाऊं सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारो नानो देवर उभो जांखे सा पाड़ोसन झाला देवे म्हे कइयां आऊँसा पाड़ोसन झाला देवे म्हे कइयां आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा",rajasthani-raj "564 कितों आया ए काल विच भुखा मरदा एह चाक सी महर दियां खोलियां दा लोक करन विचार जवान बेटी उहनूं फिकर शरीकां दियां बोलियां दा छैल नढडो वेखके गिरद होया हिलया होया सयालां दियां गोलियां दा महीं चारके मचया दावयां ते होया वारसी साडियां डोलियां दा मौजू चैधरी दा पुत आखदे सन पिछलग हजारे दियां ढोलियां दा हक करीं जोउमर खताब कीता हथ वढना झूठयां रोलियां दा नौशेरवां गधे दा अदल कता अते कंजरी अदल तंबोलियां दा नाद खपरी ठगी दे बाब सारे चेता करे धयान जे झोलियां दा मंतर मारके खुंभ दा करे कुकड़ हीरा निम्म दा करे नमोलियां दा कंघी लोहे दी तायके पटे वाहे सरदार है बड़े गयोलियां दा अंब बीज तंदूर विच करे हरया बने मोकयों बालका औलियां दा वारस शाह सभ ऐब दा रब्ब महरम ऐवें सांग है पगड़ियां पोलियां दा",panjabi-pan "दो-दो जोगिनिन के बीच दोदो जोगिनिन के बीच अकेलौ लाँगुरिया ॥ टेक बड़ी जोगिनी यों कहै मोय टीकौ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै मोय हरवा लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिन के . बड़ी जोगिनी यों कहै मोय घड़ियाँ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै , मोय तगड़ी लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिनि के . बड़ी जोगिनी यों कहै मोय साड़ी लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै मोय सेला लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिन के . बड़ी जोगिनी यों कह मोय जूड़ौ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै तू लट मेरी दै खोल ॥ दोदो जोगिनिन के .",braj-bra "चौथ चन्दा गीत १ . खेलत खेलत एक कउड़ी पवनी उ कउड़ी गंगा दहवऽली गंगा मुझको बालू दिया , उ बालू गोड़िनिया लिया । गोड़िनिया मुझको भार दिया , उ भार घसवहा लिया । घसवहा मुझको घास दिया , उ घास गैया लिया । गइया मुझको दूध दिया , उ दूध बिलैया लिया । बिलइया मुझको चूहा दिया , उ चूहा चिल्होरिया लिया । चिल्होरिया मुझको पाँख दिया , उ पाँख राजा लिया । राजा मुझको घोड़ा दिया । २ . रामजी चले लछुमनजी चले , महावीरजी चले , लंका दाहन को । तैंतीस कोट प्रदुम्न चले , जैसे मेघ चले बरिसावन को । का करिहें उत्पात के नन्दन , का करिहें तपसी दोनों भइया । मार दिहें उत्पात के नन्दन , काटि दिहें तपसी दोनों भइया । ३ . सूर्यकुल वंशवा में जन्म लिहले रामचन्द्र , कोशिला के कोख अवतार रे बटोहिया । ४ . एक मती हरताल ताला , जहाँ पढ़ावे पंडित लाला । पंडित लाला दिये असीस , जीओ बचवा लाख बरीस । लाख बरीस की उमर पाई , दिल्ली से गजमोती मंगाई । आव रे दिल्ली , आजम खाँव । आजम खाँव चलाया तीर , बचा कोई रहा न वीर । जय बोलो जय रामा रघुवर , सीता मैया करे रसोइया जेवें लछुमन रामा , ताहि के जूठन काठन पा गया हनुमाना । सोने के गढ़ लंका ऊपर कूद गया हनुमाना । ५ . बबुआ हो बबुआ , सिताब लाल बबुआ बबुआ के माई बड़ा हई दानी , लइकन के देखदेख भागे ली चुल्हानी । घर में धोती टांगल बा , बाकस में रुपेया कूदऽ ता घर में धरबू चोर ले जाई गुरुजी के देबू , नाम हो जाई । बबुआ आँख मुनौना भाई , बिना किछु लेहले चललऽ ना जाई । ६ . छाते थे भाई छाते थे , छातेछाते भूख लगी । अनार की कलियाँ तोड़ लिया , बंगाली का छोकड़ा देख लिया । धर टाँग पटक दिया , रोतेरोते घर गया । घर का मालिक दौड़ा आया , दिल्लीकोस पुकारते आया । आव रे दिल्लीआजम खाँव , आजम खाँव चलाया तीर , बचा कोई रहा न वीर । थरथर काँपे जमुनापुरी , जमुनापुरी से आया वीर , मार गया दो छैला तीर । छैला मांगे एक छलाई , दिल्ली से गजमोती मंगाई । ७ . एक दिन सतराजीत के भाई , पहुँचे वन में जाई । वहाँ भादो का बहार दिखलाए हुए थे करते करते शिकार , खुद बन गए शिकार हाथी घोड़ा से भी साज वे सजाए हुए थे । सुनकर जामवन्त गुर्राया , उनको क्रोध और चढ़ि आया । पहले बातों से बहलाए , वह शर्माए हुए था । भारी होने लगी लड़ाई , जामवन्त को बात याद जब आई हमको दर्शन देने आज रघुराई आए थे ।",bhojpuri-bho "मेरे आगे तेरी उठे कहा है मेरे आगे तेरी उठे कहा है एक दरख्त मैंने सुणो बिना जल आप ही बढ़ै न ले हे सहारो किसी को धरण में आप गढ़ै बता वह कौन लगावै है डेढ़ फल वाके आवै है फूल तो दरख्त में ग्यारह बता दे मत हिम्मत हारे तीन जुग में दरख्त हो है वा दरख्त का नाम बता दे पूछ रहा तोहे वा दरख्त का नाम बता दे जिसमें डेढ़ पता है",haryanvi-bgc "तेलचघी 1 तोरे ददा बाबू देसपति के राजा अउ काहे गुन रहे गा कुंवारा हरदी के देस दीदी हरदी महंगा भइगे , अउ परी सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी करसा महंगा भइगे , बिजना सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा हरदी के देस दीदी चाउंर महंगा भइगे , अउ पर्ण भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी मंगरोहन महंगा भइगे , गुड़रा भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा 2 पहार ऊपर पहार ऊपर मोर धानर बाजे पेरि देबे तेलिया मोर कांचा तिली के तेल कोन तोर लाने नोनी अटना के हरदी पटना के हरदी बने कोन तोर सिरही चढ़ाये , चंदन रूप अगनी सजन घर मड़वा गड़े ददा तोर लाने नोनी अटना के हरदी पटना के हरदी बने दाई तोर सिरही चढ़ाये , चंदन रूप अगनी सजन घर मड़वा गड़े 3 सुरहिन गइया के गोबर मंगाले ओ हाय , हाय मोर दाई खूंट धर अंगना लिपा ले ओ खूंट धर अंगना लिपा ले ओ हाय , हाय मोर दाई मोतियन चौंक पुरा ले ओ मोतियन चौंक पुरा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के कलसा मंढ़ाले ओ सोने के कलसा मंढ़ाले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के बतिया लगा ले ओ सोने के बतिया लगा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सुरहिन घीव जला ले ओ 4 हरियर हरियर मोर मड़वा में दुलरू वो कांचा तिली के तेल कोने तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो कांचा तिली के तेल ददा तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो दाई आनय तिली के तेल कोन चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो कोन देवय अंचरा के छांव फूफू चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो दाई देवय अंचरा के छांव रामलखन के मोर तेल चढ़त थे बाजा के सुनव तुमन तान 5 कहां रे हरदी , कहां रे हरदी भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहां रे लिए अवतार मरार बारी , मरार बारी दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन बनिया दुकाने दीदी लिएंव अवतार कहां रे पर्रा , कहां रे पर्रा भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहां रे पर्रा तैं लिए अवतार सिया पहार ऐ , सिया पहार ऐ दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन कंड़रा के घरे मैं लिएंव अवतार हमरे हमरे दुलही राय बड़ सुकुमारी पेरि देबे तेलिया ओ कांचा तिली के तेल 6 एके तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । दुवे तेल चढ़गे महतारी मुरझाय । । तीने तेल चढ़गे फूफू कुम्हलाय । चउथे तेल चढ़गे मामी अंचरा निचुराय । । पांचे तेल चढ़गे भईया बिलमाय । छये तेल चढ़गे भउजी मुसकाय । । साते तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । हरदी ओ हरदी तैं साँस मा समाय । । तेले हरदी चढ़गे देवता ल सुमरेंव । मंगरोहन ल बांधेव महादेव ल सुमरेंव । । 7 एक तेल चढ़गे एक तेल चढ़गे , हो हरियर हरियर हो हरियर हरियर मंड़वा मे दुलरू तोर बदन कुम्हलाय रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे कहवा के दियना दीदी करथे अंजोर आमा अमली के आमा अमली के दाई सीतल छईहां दाई सीतल छईहां कर देबे फूफू तोर अंचरा के छांव दाई के अंचरा दाई के अंचरा वो अगिन बरत हे हो अगिन बरत हे फूफू के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय काकी के अंचरा काकी के अंचरा दाई अगिन बरत हे दाई अगिन बरत हे मामी के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय डोंगरी पहारे डोंगरी पहारे दीदी घनरा चलत हे दीदी घनरा चलत हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल हमरे दुलरवा हमरे दुलरवा नई बांधे मऊरे नई बांधे मऊरे नई सहे तेलिया मोर राई सरसो के तेल",chhattisgarhi-hne "हरी ये जरी की हे मां चुन्दड़ी जी हरी ये जरी की हे मां चुन्दड़ी जी , हे जी कोई दे भेजी मेरी माय , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी अलां तो पलां हे मां मेरी घुँघरू जी , एजी कोई बीच मायड़ के लाड़ , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी बैठूं तो बाजै हे मां मेरी चुंदड़ी जी , ए जी कोई पियारे मायड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी पीहर में बेटी हे मां मेरी न्यूँ रह्वै जी , ए जी कोई ज्यूँ खिचड़ी बीच घी , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी",haryanvi-bgc "मुड़ मुड़ डालै झूलती सुनहरी ढोला मुड़ मुड़ डालै झूलती सुनहरी ढोला सात जणी कै साथ बड़ का तो डाला टूट गया हेरी मेरी सासड़ राणी साथण्यां का बिछडूया साथ और सखी सब बाह्वड़ी हे मेरी बहुअड़ राणी तैं कित ला दई बार बाटें तो जांदा बटेऊ हेरी मेरी सासड़ रानी झगड़े ते ला दई बार",haryanvi-bgc "432 घूआं हूंझदा रोयके आह मारे रब्बा मेलके यार विछोड़यो कयों मेरा रढ़े जहाज सी आन लगा बने लायके फेर मुड़ बोढ़यों कयों कोई असां थी वडा गुनाह होया साथ फजल दा लदके मोड़यों कयों वारस शाह इबादतां छडके ते दिल नाल शैतान दे जोड़यो कयों",panjabi-pan "गोरबंद लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ गायाँ चरावती गोरबन्द गुंथियों तो भेंसयाने चरावती मैं पोयो पोयो राज मैं तो पोयो पोयो राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ ऐ खारासमद सूं कोडा मंगाया तो बिकाणे तो गड़ बिकाणे जाए पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ ऐ देराणी जिठणी मिल गोरबन्द गुंथियों तो नडदल साचा मोती पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो कांच री किवाडी माथे गोरबन्द टांकयो तो देखता को हिवडो हरखे ओ राज हिवडो हरखे ओ राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो ऐ ऐ ऐ ऐ डूंगर चढ़ ने गोरबन्द गायो तो झोधाणा तो झोधाणा क केडी हैलो सांभळो जी राज हैलो सांभळो जी राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो",rajasthani-raj "धार नगर नी तुई वो मालनड़ी धार नगर नी तुई वो मालनड़ी तुई वो चतरड़ी सेहरड़ो गूंथी लावजे हो गूंथतगूंथत सेरिया में आई सेरिया में आई , बजार में आई राय हो फलाणा राय नो घर वन्यांनोजी ऊँचीऊँची मेड़ो , ने लाल किवाड़ो दिवलो बळे बत्तीस सरियो जी राय हो फलाना राय नो घर वन्यांनोजी",malvi-mup "हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे किसी सखस नै मोहली चन्द्रो बोल रसीला हे सुनरे के नै हार घड्या था ज्योड़ा बाट लिया बेरा ना कद मिलणा होगा छोरा नाट लिया चलो हे छोरियो छोडण चालो उल्टी बोहड़ ले जिस साले नै गरज पड़ैगी हाथ जोड़ ले आ जा जीजा बैठ पिलंग पै दुखसुख की बतला ले मैं तेरी छोटी साली जीजा बढ़िया सूट सिमा दे ।",haryanvi-bgc "दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै जाचक खड़े साह्मणै , बिप्पर खड़े साह्मणै कहै करण तम राणी धोरै जाओ ओ ऊंचा स्ािान दूर नहीं साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै दूर देस्यां के हम हारे थके भोत होए हैरान कहै करण मेरी ढाल पकड़ा इतणा कर द्यो इहसान तुम्हारे मुख कै साह्मणै बिपर खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै के नौकर हम तेरे बाप के क्यूं धराया दानी नाम कह करण इब गया है परण जी बुरी करी करतार नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै रिसक पिसक कै ढाल सरकाई तोड़े चौंपे के दांदे लेओ बिप्पर दान थम पधारो अपणै धाम नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै धो के तो देओ हम नै दान गावैगे हम संसार मैं दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै मार्या करण नै बाण गंगा चढ़ आई साह्मणै गंगा मैं धो के दिया दान पधारो अपणै धाम नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै कहे किरसन तैं देख ले यो सै दान का मान तुम्हारे मुख कै साह्मणै बिप्पर खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै",haryanvi-bgc "होली गीत टेक मुरारी झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक1 राती घांगर रंग सिर पर झपटी वैसिया वरणी साड़ी । कच्चे पक्के डोर रेसम के हो तोड़े तो झड़गइ कोर किनारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक2 सात सखी मिल गई जमना पे वहाँ बैठे कृष्ण मुरारी , घर मेरा दुर घांगर सिर भारी , तो में नाजुग पणियारी देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक3 कुएं पे जाऊँ तो रे किच मचत है , जमना बेहती है गेहरी । गोकुल जाऊँ तो रंग से भींजूं तो अण साँवरा से मैं हारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक4 आगल सुणत मोरि बगल सुणत हैं , सासू सुणेंगा देगि गाली , पिउजी सुणेंगा तो पकड़ बुलावे , तो बात भई बड़ि भारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । छाप बाई पड़ोसण अरज करत है , विनती करकर हारी । ऐसी सिख काऊ को नहिं देना । तो चन्द्रसखी बलिहारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । गोपी कहती है कि श्रीकृष्ण ने मेरा चीर छपटकर छीन लिया । लाल मटकी मेरे सिर पर और वैसे ही रंगी की साड़ी थी , उस साड़ी में कच्चेपक्के रेशम के धागे थे , वे तोड़ दिये । धागे टूटने से साड़ी की कोर बार्डर निकलकर अलग हो गई । देखो रे अनोखे खिलाड़ी को , मेरा चीर झपट लिया । मैं सखियों के साथ यमुना पर पहुँची , वहाँ श्रीकृष्ण मिल गये । मेरे सिर पर भारी मटकी , मेरा घर दूर है और मैं कोमल नाजुक पणिहारी हूँ । मुझे रोको मत , मटकी का वजन लग रहा है । दूर जाना है और मैं नाजुक हूँ , फिर भी कृष्ण न माने और मेरी चीर साड़ी छीन ली । गोपी कहती है कि कुएँ पर जाऊँ तो कीचड़ मचता है अर्थात् कुएँ पर पानी से भिगो देते हैं । यमुना पर जाती हूँ तो यमुना गहरी बहती हैं अर्थात् वहाँ भी मुझे भिगो देते हैं । गोकुल में जाऊँ तो रंग से भीगूँ मुझे श्रीकृष्ण रंग से सराबोर कर देते हैं । मैं इस साँवरे श्रीकृष्ण से हार गई । इस अनोखे खिलाड़ी से हार गई । मेरी चीर झपट लिया । एक गोपी कहती है मेरे अगलबगल के आसपास रहने वाले और मेरी सास सुनेगी तो मुझे गाली देगी । मेरे पति सुनेंगे तो बड़ी भारी बात हो जायेगी बखेड़ा हो जायेगा । मुझे पकड़कर बुलवायेंगे । देखो इस अनोखे खिलाड़ी को मेरी चीर छीन लिया । पड़ोस की बाई से कहती है कि मैं विनती करकर हार गई कि ऐसी सीख किसी को न देना पराई स्त्री के चीर को कोई न झपटे , इस अनोखे खिलाड़ी कृष्ण को देखो , मेरी चीर झपट लिया ।",bhili-bhb "हे खड़िआं थी सिरस तलै हे खड़िआं थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां हे वै आवें थे च्यार जणे वे संझा मेरे बीरे हे मैं भाजूं थी मिलण जुलण मेरा टूट्या नोसर हारा रे तौं चुगदे रे चिड़ी चिड़कले कित ते आया बनजारा हे आगम तै आए चिड़ि चिड़कले पाछम तै बनजारा हे खड़ियां थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां",haryanvi-bgc "पलँग ऊपर चाँदनी की जोत, मैं ना रे जानो पलँग ऊपर चाँदनी की जोत1 मैं ना2 रे जानो3 । नइहर वाली लाड़ो4 है अनमोल , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 1 ॥ टीका हो तो पलँगे पर पहनइहो5 । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । नइहर वाली लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 2 ॥ बेसर हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । भइया पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 3 ॥ बाली6 हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अब्बा पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 4 ॥ कँगन होतो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 5 ॥ अँगूठी हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 6 ॥ सूहा7 हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । नइहर वाली लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 7 ॥",magahi-mag "घोड़ी सोवै दादा दरबार घोड़ी सोवै दादा दरबार , बछेरी मेरै मन भावैगी चरि आवै खेड़े की दूब , बछेरी मेरै मन भावैगी पी आवै जमुना जल नीर , बछेरी मेरै मन भावैगी घोड़ी सोवै ताऊ दरबार , बछेरी मेरे मन भावैगी चरि आवै खेड़े की दूब , बछेरी मेरै मन भावैगी पी आवै जमुना जल नीर , बछेरी मेरै मन भावैगी",haryanvi-bgc "आई सोहाग की रात सखी आई सोहाग की रात सखी । माँगे1 लाड़ो के टीका सोभे , मोतिया की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 1 ॥ नाक लाड़ों के बेसर सोभे , चुनिये2 की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 2 ॥ कानो लाड़ांे के बाली3 सोभे , झुमके की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 3 ॥ गले लाड़ो के माला सोभे , हँसुली4 की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 4 ॥ जाने5 लाड़ो के सूहा6 सोभे , छापे की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 5 ॥",magahi-mag "दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ ॥ 1 ॥ खेलते धूपते गेली बेटी दुलरइती बेटी । ए लपकि1 धयल2 छयला , दाहिन हे बँहियाँ ॥ 2 ॥ छोडू़ छैला , छोडू़ छैला , दाहिन हे बँहियाँ । अहे टूटि जयतो संखा चूड़ी , मुरकि3 जयतो हे बँहियाँ ॥ 3 ॥ टूटे देहु , टूटे देहु , संखा चूड़ी मेरौनियाँ4 । अहे फेरू5 से गढ़ाय देबो6 सोने केर हे कँगना ॥ 4 ॥ सभवा बइठल तुहूँ , ससुर दुलरइता बाबू । तोइर पूता दुलरइता बाबू , तोड़ल हे कँगना ॥ 5 ॥ होय दऽ7 बिहान8 पुतहू , पसरत9 हे हटिया । अहे फेरू से गढ़ाय देबो , सोने केर हे कँगना ॥ 6 ॥",magahi-mag "557 राजे हुकम कीता चढ़ी फौज बांकी आ राह विच घेरयो खेड़यां नूं तुसी हो सिधे चलो पास राजे छड दयो खां छलां1 झेड़या नूं सानूं हुकम जो चोर न जान पाए चलो छडो दुखां दयां फेड़यां नूं पकड़ विच हजूर दे लिआए हाजर राहजनां2 ते खेहरयां भेड़यां नूं बन्न खड़ांगे इक ते आप चलो नहीं जाणदे असीं बखेड़यां नूं वारस शाह चन्न सूरजां ग्रहन लगे ओह फड़े ने आपने फेड़यां नूं",panjabi-pan "हाथ सेंनुरवा गे बेटी, खोंइछा जुड़ी पान हाथ सेंनुरवा गे बेटी , खोंइछा1 जुड़ी2 पान । चलली दुलरइती गे बेटी , दादा दरवाज3 ॥ 1 ॥ सुतल4 हल5 जी दादा , उठल चेहाय6 । कवन संजोगे गे बेटी , अयली दरवाज ॥ 2 ॥ अरबो7 न माँगियो जी दादा , दादी के सोहाग ॥ 3 ॥ लेहु दुलरइते गे बेटी , अँचरा8 पसार ॥ 4 ॥ अँचरा के जोगवा9 गे दादी , झरिय झुरि जाय । मँगिया10 के जोगवा गे दादी , जनम अहियात11 ॥ 5 ॥",magahi-mag "मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , घर न लुटाऊँगी , नेग भी चलाऊँगी । मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , सासु अइहें किया मोरा होइहें । देवता मनाने अपनी मइया को बुराऊँगी , मैं तो अकेली राजा घर न लुटाउँगी । गोतनी नहीं अइहें किया मोरा होइहें , हलुआ घाटन अपनी भाभी को बुराऊँगी । मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , ननदी न अइहें किया मोरा होइहें । काजर पारन को बहिनी को न बुलाउँगी , मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी ।",magahi-mag "मेरा री हरियाला बन्ना लाख करोड़ी मेरा री हरियाला बन्ना लाख करोड़ी । बाग बेच बागीचे बेचूं अर बेचूंगी अंबिया अंबिया में की गुठली बेचूं तो बाबल की जाई मेरी री . . . । महल बेचूं दुमहिल बेचूं और बेचूंगी अटारी अटारी में की खिड़की बेचूं तो बाबल की जाई मेरी री . . . । जब यह मांगे रो रो पैसा तब यह सासू तेरा अब यह लाता भर भर थेली अब यह बन्ना मेरा मेरी री . . . । जब यह मांगे रो रो रोटी तब यह सासू तेरा अब यह लावे भर भर दौने अब यह बन्ना मेरा मेरी री . . . । जब यह पहने कुर्ता टोपी तब यह सासू तेरा अब यह पहने नीची धोती अब यह बालम मेरा मेरी री . . . । देवी धाई दुर्गा धाई जब यह बेटा पाला अब बहू विधाता ऐसी आई अपना कर बैठाला मेरी री . . . । क्यों सासू तू देवी धाई क्यों धाई तू दुर्गा पंचों दीन्हां हमने लीन्हा तूने क्या कर दीन्हा मेरी री . . . ।",haryanvi-bgc "मीठी थूली ओ सायबा दूद से मीठी थूली ओ सायबा दूद से जेको अजब सवाद लाडू पेड़ा हो सायबा लापसी जेको बड़ो रे सवाद गोदी भरी हो सायबा पूत से जेको अनन्द उछाव मेलां फूले हो सायबा केवड़ो जेकी आवे परमल बास ।",malvi-mup "बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे एक तो सरदी की मौसम दूसरे पाला पड़े तीसरे राजा नहीं है रैन रो रो के कटे एक तो गरमी महीना दूसरे लूआं चले तीसरे टपके पसीना बूंद जीवन मैं पड़े एक तो बरखा की मौसम दूसरे मैंहा पड़ै तीसरे बोले पपीहा ठेस सीने मैं लगे एक तो सावन महीना दूसरे हींडा घले तीसरे झूलेगी सखियां चीर सीन पै खिले",haryanvi-bgc "गाँजौ पियो न प्रीतम प्यारे गाँजौ पियो न प्रीतम प्यारे । जरजें कमल तुमारे । जारत काम बिगारत सूरत सूकत रकत नियारे जोतौ आय साधु सन्तन कौ , अपुन गिरस्ती वारे । ईसुर कात छोड़ दो ईखाँ हौ उमर के बारे ।",bundeli-bns "निरंकार ओंकारं सतगुरू प्रसाद , प्रथमे ओंकार , ओंकार से फोंकार , फोंकार से वायु , वायु से विषंदरी1 , विषंदरी से पाणी , पाणी से कमल , कमल से ब्रह्मा पैदा होइगे । गुसैं2 को तब देव ध्यान लैगे , जल का सागरू मा तब गुसैं जी न , सृष्टि रच्याले । तब देन्दो गुसैं ब्रह्मा का पास चार वेद चौद शास्तर , अठार पुराण , चौबीस गायत्री । सुबेर पढद बरमा , स्याम भूली जांद । अठासी हजार वर्ष तब ब्रह्मा , नाभि कमल मारैक वेद पढ़दो । तब चारवेद , अठार पुराण , चौबीस गायत्री वैका कंठ मा आइ गैन । वे ब्रह्मज्ञानी तब गर्व बढ़ी गये वेद शास्त्रों को धनी होईग्यूं , मेरा अग्वाड़ी कैन होण ? मैं छऊँ ब्रह्मा सृष्टि को धनी । तब चले ब्रह्मा गरुड़ का रस्ता , पंचनाम देवतो की गरूड़3 मा सभा लगीं होली बूढ़ा4 केदार की जगा बीरीं होली । सबूक न्यूतो दियो वैन गसांई नी न्यतो । वे जोगी कू हमन जम्मानी न्यूतण , स्यो त डोमाणा5 खै औंद , स्यो त कनो जोगी होलो तब पूछदो ब्रह्माकु होलो भगत । नारद करद छयो गंगा माई की सेवा । पैलो भगत होलू कबीर कमाल तब को भगत होलू तब को भगत होलू रैदास चमार बार वर्ष की धुनी वैकी पूरी ह्वै गए । तब पैटदू ब्रह्मा गंगा माई का पास तुम जाणा छया ब्रह्मा , गंगा माई का दरसन मेरी भेंट भी लिजावा , माई कू देण एक पैसा दिन्यो वेन ब्रह्मा का पास , तब झिझड़ांद ब्रह्मायो रेदास चमार कनकैक6 लिजौजू7 ये की भेंट ? तब बोलदो रैदास भगत मेरी भेट कू ब्रह्मा , गंगा माई हाथ पसारली , मेरी भेंट कू ब्रह्मा , गंगा माई वाच8 गाडली9 चली गये ब्रह्मा तब गंगा माई का पास , नहायेधोये ब्रह्मा , छाला10 खड़ो होई गये : धावू11 मारे वैन , गंगा न वाच12 नी गाड़ी । तब उदास ह्वैगे ब्रह्मा , घर बौड़ीक13 आए , रैदास की भेंट वो भूली गए अथवाट आये ब्रह्मा ओखा फूटी गैन , गंगा माई जयें देखद , आंखा खुली जांदन तब याद आये ब्रह्मा रैदास की भेंट धौबी तब धों गया माई का छाला रैदास की भेट छ दीनी या माई । रैदास को नौ सूणीक तब , गंगा माई न वाच दियाले । रैदास होलो मेरो पियांरो भगत एक शोभनी14 कंकण गंगा माईन गाडयो ब्रह्मा मेरी ई समूण15 तू रैदास देई ब्रह्मा कामन कपट ऐगे , लोभ धमीरो , यो शोभनी कंकण होलू मेरी नौनी16 जुगन17 तब रैदास का घर का घाटा ब्रह्मा लौटीक नी औंदो पर जै भी बाटा जाँद रैदास खड़ो ह्वै जांद ब्रह्मा गंगा माई की मैं सम्पूण दीईं होली त्वैकू बोल्यूँ रैदास व्याखुनी18 दां मैंन तेरा घर औण । सुणदो रैदास तब परफूल19 ह्वैगे , सुबेरी बिटे20 गौंत21 छिड़कंदो , घसदो छ भितरी , लीपदो छ पाली22 । आज मेरा डेरा गंगा माई न औण । वैकू चेला होलू जल कुँडीहीत , जादू मेरा हीत बद्री का बाड़ा , केदार की कोण्यों , ली आवो मैकू अखंड बभूत देवतों न सूणे रैदास की बात , जोगी हीत तब पिंजड़ा बन्द करयालें इन होलो सत जत को पूरो , जोगी पाखुड़ी23 बणी उड़ी जांदो",garhwali-gbm "504 भाबी जुलफां गलां उते पेच खाधे अखीं तेरिआं सुरमे दियां धारियां ने गलां उते भंबीरियां उडदियां ने नैनां सान कटारिया चाढ़ियां ने तेरें नैनां ने शाह फकीर कीते सनें हाथियां फौज अंबारियां ने वारस शाह जुलफां खोल नैंण खूनी फौजां कतल उते चा चाढ़ियां ने",panjabi-pan "अंगिका बुझौवल एक मुट्ठी राय देल छिरयाय गिनतेंगिनतें ओरो नै पाय । तारा काठ फरै कठ गुल्लर फरै फरै बत्तीसी डार चिड़िया चुनमुन लटकै छै मानुष फोड़ीफोड़ी खाय । सुपाड़ी एक चिड़ियाँ ऐसनी खुट्टा पर बैसनी पान खाय कुचुरमुचुर से चिड़ियाँ कैसनी । जाताँ सुइया एन्हों सोझोॅ माथा पर बोझोॅ । ताड़गाछ सुइया एन्हों सोझोॅ डाँड़ा पर बोझोॅ । मकई के पेड़ तनी टा छौड़ी जनम जहरी तेकरा पिन्हला लाल घंघरी । मिरचाय जबेॅ हम छेलाँ काँच कुमारी तब तक सहलाँ मार अब हम पहनला लाल घंघरिया अब नै सहबौ मार । हड़िया कारी गाय लरबर दूध करेॅ छरभर । मेघ टिपटिप टिपनी , कपार काहे चुरती टाकुर माँगुर रात काहे बूलती । महुआ तनी टा भाल मियाँ बड़का ठो पुछड़ी । सुईया तनी टा मुसरी पहाड़ तर घुसरी । सुईया सब्भे गेलोॅ हटिया धुम्मा रहलोॅ बैठलोॅ । कोठी हेबेॅ ऐलोॅ हेबेॅ गेलोॅ । नजर कारी गाय पिछुआडैं ठाड़ी । टीक जब हम छेलाँ बारी भोरी तब हम पीन्हला दोबर साड़ी जब हम होलाँ जोख जुआन कपड़ा फाड़ी देखेॅ लोगलुगान । भुट्टा",angika-anp "130 अम्मां बस कर गालियां दे नाही गाली दितयां वडा सराप आवे नीह रब्ब दी पटनी बहुत बुरी धीयां मारयां बड़ा अजाब1 आवे लै जाये मैं भईयड़ा पिठड़ी नूं कोई गैब ते सूल दा ताप आवे वारस शाह ना मुड़ांगी रांझणे तों भावें बप दे बाप दा बाप आवे",panjabi-pan "सावां गीत सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो । होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो । मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले । मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले । डोला तारा फुदला , कान्टा तारा टुट्ला । डोला तारा फुदला , कान्टा तारा टुट्ला । साम्हले काहाँ , मेलों तारा लाकड़ा । चालो काहाँ वाले । बइल्या तारा दाल खिचड़ि खाय , पावर्यो लार घुट्ये । मेल दउं तारा लाकड़ा , रखड़ो उडिग्यो । सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । मेल दउं तारा लाकड़ा , घणीं भंुडि वाजे । सावां लेकर आने वालों को सांवग्या कहते हैं । सांवग्या बाँसुरी बजाते हैं । सावां बधाते समय गीत में कहा गया है कि तुम्हारी बाँसुरी अच्छी नहीं बज रही है । तेरा होंठ टूटा हुआ और हाथ भी टूटा है , जिसके कारण बाँसुरी की धुन कहाँजा रही है ? तेरी आँखें फूटी हुई हैं , कान टूटे हुए हैं , तू सुनता किधर है । तेरे बैल , दाल और खिचड़ी खा रहे हैं । गाड़ीवान लार घुटक रहा है । अन्त में कहा गया है कि बाँसुरी बहुत खराब बज रही है । सावां भरने के दिन दोनों पक्ष के लोग विवाह की तिथि निश्चित कर लेते हैं । चन्द्रमा और तारों को देखकर मुहूर्त्त स्वयं निकाल लेते हैं । निश्चित तिथि को लड़केलड़की को बाने बिठाते हैं ।",bhili-bhb "ईसुरी की फाग-17 देखी रजऊ काउनें नइयाँ , कौन बरन तन मुइयाँ काँ तौं उनकी रहस रास है , काँ दये जनम गुसइयाँ पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ ईसुर हमने रजऊ की फागें , कर दई मुलकन मैंया ।",bundeli-bns "मारग आदी रातलों हेरी मारग आदी रातलों हेरी , छैल विदरदी तेरी । बेकल रई पपीहा जैसी , कहाँ लगाई देरी ? भीतर सें बाहर लों आई । दै दै आई फेरी । उठ उठ भगी सेज सूनी सें लगी ऑख ना मोरी तड़प तड़प सो गई ईसुरी । तीतुर बिना बटेरी ।",bundeli-bns "किनका बाड़ी रोपबै कोसी माय किनका बाड़ी रोपबै कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया किनका हे बाड़ी कोसी माय अढ़हुल हे फूल बाबा बाड़ी रोपबै कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया भइया हे बाड़ी रोपबै कोसी माय अढ़हुल फूल हे कौने डाला तोरब कोसी माय हे ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया कौने हे डाला तोरब अढ़हुल फूल हे सोने डाला तोरब कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया रुपा हे डाला तोरबै कोसी माय अढ़हुल फूल हे कौन सूत गूथब हे कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया कौन हे सूत गूथबै अढ़हुल फूल हे लाले सूता गूथब हे कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया पीले हे सूत , कोसी माय गूथबै अढ़हुल फूल हे ।",angika-anp "ओ कोकिला रे... (भटियाली) ओ कोकिला रे . . . आमार निभानो आगुन ज्वले मोर स्वरे । । देखले तोर रूपेर किरण , मने पड़े बन्धुर वरण । आमार दुटो मनेर कथा शोन , कोकला रे । । पड़ले नयन काल रूपे पराण आमार उठे क्षेपे । आमार ए व्यथा कि बुझबे अपरे । ।",bengali-ben "पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं कि अरे महला पुराने होई गें टपकन लगी बूँद , राजा घरै नहीं आवैं कि अरे ननदी सयानी होई गईं मानै नहीं बात , राजा घरै नहीं आवें कि अरे देवरा सयाने होई गें पकड़न लगे बांह , घरै नहीं आवैं कि अरे हमहूँ पुरानी होई गईं पाकन लगे बार , राजा घरै नहीं आवैं",awadhi-awa "333 मरद करम दे नेक ने सहतीए नी रन्नां दुशमनां नेक कमाइयां दियां तुसीं एस जहान विच हो रहियां पंज सेयिां धड़ धड़वाइयां दियां मरद हैन जहाज जो नेकियां दे रन्नां बेड़ियां हैन बुरयाइयां दियां मां बाप दा नाम नमूज डोबन पतां लाह सुटन भलयां भाइयां दियां हड मास हलाल हराम कपन एह कुहाड़ियां तेज कसाइयां दियां लबां लैंदियां साफ कर देन दाढ़ी जेहीयां कैंचियां तेज कसाइयां दियां सिर जाए ना यार दा भेत देईए शरमां रखिए अखियां लाइयां दियां आडा नाल फकीरां दे लांदियां ने खूबियां वेख ननाण भरजाइयां दियां वारस शाह तेरे मुंह नाल मारां पंडीं बन्न के सभ बुरयाइयां दियां",panjabi-pan "इन घर की मैंड़ी ऊंचे बंके बार इन घर की मैड़ों ऊंचे बंके बार जम जम सादीसोहिले हम गांवैं मंगलचार मंगल करै बधावड़ इस रे सुहावने बार मोतियन चौक पुराय कै सुवरण सतिये देय रंगमहल तै उतरो सिर सालू चक डोर हाथ कसीदा रंगला गोद जडूलें पूत गल सोहै मोतियन की माल बिछुए तम्हारे बाजने बेटियो घड़े सुघड़ सुनार बाबुल बीर घड़ाइया तुम पाहिनो मन चित्त लाय पायल तुम्हारी बाजनी , बहुओं घड़ी सुघड़ सुनार सारे भाई चौधरी नीके सारे बरकतदार सारे घरचैं बोरियां तुम्हारी धन्य धन्य हे माय मखमल जूता पहर के घूमो बागों बीच या सोवो दरबार में या भाइयों के बीच तुम्हारे बार लाला नीम झलोरे ले आंगन तख्त बिछा हुआ तुम्हें बेटों का सुख जंवाई का सुख , पोते , नाती , भाई भतीजे का सुख ऊंचे तुम्हारे चौंतरे लाला , ऊंचे तुम्हारे नाम मोती तुलें तराजुओं तुम्हारे हस्ती घोड़े घूमें बार बाहें हरी हरी चूड़ियां बहुओ , अचल रहे सुहाग नाक की बेसर यों लसै , ज्यों तारों में चांद नौ दरवाजे अगलेनी के चांदी के बड़ किवाड़ पोते बेटे लाडले तेरे खेलें चौपड़ बार",haryanvi-bgc "करेला असन करू होगे का ओ तोर मया करेला असन करू होगे का ओ तोर मया ये सनानना करेला असन करू होगे य मोर मया करेला असन करू होगे का ओ , करेला असन करू होगे का य मोर मया ये सनानना करेला असन करू होगे य मोर मया हाय रे तिवरा के ड़ार , टुरी तेल के बघार ये गजब लागे वो गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा मिरचा मारे झार गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया हाय रे धनिया के पान , मिरी बँगाला मितान गजब लागे वो , गजब लाबे ये गजब लागे वो ये गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा मिरी के बरदान गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया हाय रे जिल्लो के भाजी , खाय बर डौकी डौका राजी ये गजब लागे वो गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा सुकसी मारे बाजी गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया",chhattisgarhi-hne "हिजाब करें दरवेशी कोलों हिजाब1 करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । गल अलफी सिरपाए बरैहना , भलके रूप वटावेंगा । एह लालच क्या नफसानी2 मुठों , कितकों मुंड मुंडाया ई । घाट ज़कात3 मंगणगे प्यादे , कहु क्या अमल कमाया ई । जद आ बणेगी सिर पर भारी , उन को क्या बतलावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जैसी करनी वैसी भरनी , पिरम नगर वरतार ए । एत्थे दोज़ख4 कट्ट तूँ दिलबर , अग्गे खुल्ल बहाराँ ए । केसर बीज जो केसर होवे , लैहसन बीज ठगावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । करो कमाई मेरे भाई , एहो वकत कमावण दा । पावण सताराँ हुण पौंदिआँ ने , फिर दाअ न बाज़ी लावण दा । उजड़ेगी खेल छपणगिआँ नरदाँ , झाड़ दुकान उठावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । खावें मास जबावें बीड़ी , अंग पुशाक लगाया ई । टेढी पगड़ी आकड़ चलें , जुत्ती पब्ब अड़ाया ई । इक दिन अज़ल5 दा बक्करा हो के , आपणा आप कुहावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । पढ़ सबक मुहब्बत ओसे दी दा , किते बमूजब6 क्यों डुबादा हैं । पढ़ पढ़ किसे जीओ वलावें , क्यों खुभणाँ विच्च खुभदा हैं । हरफ इशक दा इक्को नुक्ता , कोहे कूँ उट्ठ लदावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । एत्थे गोइल वासा वस्सण नूँ , रैहण नूँ ओत्थे डेरा है । लै लै तोहफे घर नूँ घल्लें , एहो वेला तेरा है । ओत्थे हत्थ न लगदी ड़ाई , कुझ ऐत्थों ही लै जावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । कर सौदा पास सौदागर ई , बिह वेला हत्थ ना आवीगा । वणज वणोदा नाल शताबी7 , वणजाराा उ जावीगा । उस दिन कुझ न हो सकदी , जद कूच नगारा चलावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । भुक्ख मँगदी नाम अल्ला दे , एहो बात चँगेरी ए । दोनों थोक पत्थर थीं भारी , मुश्कल जेही ढेरी ए । जे सड़से तूँ इस जग अंदर , अग्गे सरदी पावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । एह अम्माँ बाबा बेटा बेटी , पुच्छ वेक्खाँ क्यों रोन्दे ने । एह रन्नाँ कन्जाँ8 पुत्तर धीआँ , विरसे नूँ आन खलोन्दे ने । एह जो लुट्टण तूँ , क्यों नाहीं , ज़र के आप लुटावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । इक्कलिआँ ओत्थे जाणा है , तेरे संग न कोई जावेगा । खेश9 कबीला रोन्दा पिट्टदा , उरिओं ही मुड़ आवेगा । शहरों बाहर जंगल विच्च वासा , ओत्थे डेरा पावेगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जे तूँ मरें मरन से अगे , एह मरना मुल्ल पावीगा । मोए सो रोज़ हशर नूँ उट्ठण , आशक ना मर जावीगा । मैं वड्डी नसीहत करना हाँ , जे सुण कर दिल ते लावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जा राह शरा दा पकड़ेंगा , ताँ ओट मुहम्मद होवेगी । दसदी है पर करदी नाहीं , एहो खलकत रोवेगी । हुण सुत्याँ कौण जगावे , जान्देआँ पछतावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । ऐंवे उमर गँवाइआ अवगत10 , आकबत11 चा लुड़हाया ई । चलाकी कर कर दुनिआँ ते , सुफैदी मूँह ते आया ई । अजे बेदाद12 जे ताएब13 होवें , तद अशना14 सदावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । बुल्ला सहू ते चलना ए ताँ , जान किहा चिर लाया ई । जगवत के केहे करने , जाँ वतनों दफतर आया ई । वाचदिआँ खत अकल गईओ ई , रो रो हाल वँजावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा ।",panjabi-pan "मचिया बइठल तू अम्मा मचिया बइठल तू अम्मा तो सुनहूँ बचन मोरा हे । ललना हम लिपबई भाभी के सउरिया कंगनबाँ लेई लेबइन हे । सउरी पइसल तुहूँ बहुआ त सुनहूँ बचन मोरा हे । ललना दई देहूँ धिया के कंगनवा , धिया देस दूर बसे हे । कंगनवे कारन पिया देश गेलन अउरो विदेस गेलन हे । ललना न देबइन ननदी कंगनवाँ , ननदिय देसदूर बसे हे । चुप रह चुप रह बहिनी , त सुनहूँ बचन मोरा हे । हम करबो दूसर बिआह कंगनवाँ हम दिलाई देबो हे । इतना बचनियाँ धनियाँ सुनलन , सुनहूँ न पौलन हे । ललना झटसिन फेंकले कंगनवाँ अंगनवाँ बीच हे । ललना ल न छिनरियो कंगनवाँ सवतिया बनके रहहूँ न हे ।",magahi-mag "सामण का महीणा मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै सामण का महीणा मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै मन नै समझाऊं तो बी बैरी जोबन तरसै तीजां के दिनां की तो थी आस बड़ी भारी ऐसे में भी न आए मैं पड़ी दुखां की मारी सामण का महीना मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै मन नै समझाऊं तो बी बैरी जोबन तरसै",haryanvi-bgc "463 जाह खोल के वेख जो सिदक आवे किहा शक दिल आपने पाइयो नी कहयां असां जे रब्ब तहकीक करसी केहा आन के मगज खपाइयो नी जाह वेख विशवास जे दूर होवे केहा दरदढ़ा आन मचाइयो नी शक मिटें जे थाल नूं खोल वेखें वारस मकरकी आन फैलायो नी",panjabi-pan "रूक्मिन बिपर के बोलौउलन, आँगन बइठवलन हे रूक्मिन बिपर1 के बोलौउलन , आँगन बइठवलन2 हे । हमरा सँपतिया3 के चाह , सँपति हम चाहही4 हे ॥ 1 ॥ उलटि पुलटि बिपर देखलन मन मुसकयलन5 रूक्मिन , बिधी नइ लिखलन लिलार , 6 सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , देबी जी हथुन7 दयामान , सँपति तोरा ओहि देथुन8 हे ॥ 2 ॥ उहँऊ9 रूक्मिन चललन , देबी से अरज करे हे । देबीजी हमरो सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 3 ॥ उलटि पुलटि देबीजी देखथिन बड़ी मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब10 हे । रूक्मिन , गंगा जी हथुन दयामान , सँपति तोरा देइ देथन हे ॥ 4 ॥ उहँउ से रूक्मिन चललन , गंगा से अरज करे हे । गंगाजी , मोरा सँपतिया के चाह सँपति हम चाहही हे ॥ 5 ॥ उलटि पुलटि गंगाजी देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , बिसुन11 जी हथुन दयामान , सँपति तोरा देइ देथुह हे ॥ 6 ॥ उहँउ से रूक्मिन चलि भेलन , बिसुन से अरज करे हे । बिसुन , मोरा सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 7 ॥ उलटि पुलटि बिसुन देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , सिबजी हथुन दयामान , वोही सँ देथुन हे ॥ 8 ॥ उहँउ से रूक्मिन चलि भेलन , सिब से अरज करे हे । सिबजी , मोरा सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 9 ॥ उलटि पलटि सिब देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधि नहीं लिखलन लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , बरमाँजी12 हथुन दयामान , ओही सँपति देथुन हे ॥ 10 ॥ उहँउसे रूक्मिन चललन , बरमाँ से अरज करे हे । बरमाँजी हमरो सँपतिया के चाह , सँपति कहाँ पायब हे ॥ 11 ॥ उलटि पलटि बरमाँ देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधि नहीं लिखलन लिलार , सँपति कहाँ पायब हे ॥ 12 ॥ बरमाँजी बलका13 के बोलौउलन जाँघे बइठवलन हे । बलका , छठिया14 राते तोरा होयते , घुरिए15 चलि अइह हे ॥ 13 ॥ एतना सुनयते16 त बलका त बलका अरज करे हे । बरमाँ जी , हम न जायब17 अबतार बहुत दुख होयत हे ॥ 14 ॥ घर ही रोवत मोरा अंबा बाहर मोरा पिता रोइतन हे । बरमाँ जी , हम नहीं लेबो अबतार , बहुत दुख पायब हे ॥ 15 ॥ बरमाँ जी , बलका के बोलवलन , जाँघे बइठवलन हे । बलका सदियाबिआह18 तोरा होयतो , तबहि चलि अइह हे ॥ 16 ॥ बलका बरमाँ से अरज करे अउरो मिनती करे हे । बरमाँ जी , हम न लिहब अवतार , बहुत दुख होवत ॥ 17 ॥ घरे जे रोबे मोरा भइया बाहर मोरा पिता रोइतन19 हे । सेजिया बइठल रोवे घरनी , बहुत दुख होयत हे ॥ 18 ॥ बरमाँ जी बलका के बोलवलन , जाँघे बइठवलन हे । बलका , अजर अमर होई रहिह , बहुत सुख होयत हे ॥ 19 ॥",magahi-mag "जीवणा है दिन चार जगत में जीवणा है दिन चार जगत में १ सुबे से हरि नाम सुमरले , मानुष जनम सुधारो सत्य धर्म से करो हो कमाई भोगो सब संसार . . . जगत में . . . २ माता पिता और गुरु की रे सेवा , और जगत उपकार पशु पक्षी नर सब जीवन में ईश्वर आन निहारु . . . जगत में . . . ३ गलत भाव मन से बिसराजो , सबसे प्रेम बड़ावो सकल जगत के अंदर देखो पुरण बृम्ह अपार . . . जगत में . . . ४ यह संसार सपना की रे माया , ममता मोहे निहारे हरि की शरण मे बंधन जोड़े पावो मोक्ष दुवार . . . जगत में . . .",nimadi-noe "गिनायतो गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे माण्डरा लिखने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे पातल सीने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे चावल सीमे वाला गिनायतो रे चिवना पूजने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे हल्दी पूजने वाला गिनायतो रे खिचड़ी पूजने वाला गिनायतो रे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे",korku-kfq "ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ पूरी आम केन ज्ञानी घाले मकान ईयेन दोषना हेजे ऐ पूरी आम केन ज्ञानी घाले मकान ईयेन दोषना हेजे खांडा सोकड़ा टोचना पूरी ढोला ढागा टोचना पूरी खांडा सोकड़ा टोचना पूरी ढोला ढागा टोचना पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ पूरी ऐ पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ पूरी ऐ पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ पूरी ऐ पूरी उनीड़ी उसरी सुबाय पूरी पूरी ऐ पूरी ऐ पूरी उनीड़ी उसरी सुबाय पूरी पूरी काडो चाका चिका डोगे पूरी काडो चाका चिका डोगे पूरी स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "सोहाग माँगे गई बेटी, हजरत बीबी दरवाजे सोहाग माँगे गई बेटी , हजरत बीबी दरवाजे । बीबी देहु न सोहाग बाली1 भोली का सोहाग । नइहर वाली का सोहाग रे । मैं ना जानूँ , टोना कैसे हो के2 लगा ॥ 1 ॥ बेली चमेली हो के लगा , दाना मरुआ3 हो के लगा । सोने संदल4 हो के लगा , मैं ना जानूँ । टोना कैसे होके लगा , मैं ना जानूँ ॥ 2 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी , दादा दरवाजे । दादी देहु न सोहाग , बाली भोली का सोहाग । अच्छी लाड़ो का सोहाग रे । टोना कैसे होके लगा , मैं ना जानूँ ॥ 3 ॥ बाईं नैना होके लगा , दाहिने मोढ़े5 होके लगा । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 4 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी नाना दरवाजे । नानी देहु न सोहाग , अपनी लाड़ो का सोहाग । नइहर वाली का सोहाग रे । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 5 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी अब्बा दरवाजे । अम्माँ देहु न सोहाग , बाली भोली का सोहाग । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 6 ॥",magahi-mag "83 हीर आखदी रांझणा बुरा कीतो तूं तां पुछणा सी दुहराए के ते मैं तां जाणदा नहीं सां एहु सूहा1 खैर मंगिया सू मैथों आए के ते खैर लैंदो ही पिछांह नूं तुरत नठा उठ वगिया कंड वलाए2 के ते नेड़े जांदा ई जाए मिल नडीए नी जाए पुछ लै गल समझाए के ते वारस शाह मियां उस थीं गल पुछीं दो तिन अडिआं हिक विच लाये के ते",panjabi-pan "रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो सोवेडो माय खुदुमा खुड हास सोवेडो माय खुदुमा खुड हास बार डो बाझोरी बये डो बाझोरी माय रीटा पालंगो सोवे बार डो बाझोरी बये डो बाझोरी माय रीटा पालंगो सोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचो मा रोचो रोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचो मा रोचो रोवे रानी डो रानी रानी डो माय बेरिया पालंगो सोवे रानी डो रानी रानी डो माय बेरिया पालंगो सोवे बार डो बांझोरी बार डो बांझोरी माटा रीटा पालंगो सोवे बार डो बांझोरी बार डो बांझोरी माटा रीटा पालंगो सोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचे मा रेचो रोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचे मा रेचो रोवे फूजो डो फूजो सीताराम जा फूजो डो माय नागर निशान झूरे फूजो डो फूजो सीताराम जा फूजो डो माय नागर निशान झूरे स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "संजा फूली आंगणऽ माय संजा फूली आंगणऽ माय , कि पूजणऽ चलो जी । चांद सूरजऽ दुई भाई , कि मीलणऽ चलोजी । । कि जिनका हाथ सोन्ना की तलवार , कि धोळा घोड़ा पर असवार कि जिनका माथऽ पचरंग पाग , कि जिनका गळा मंऽ सतरंग हार । संजा फूली आंगणऽ माय , कि पूजणऽ चलोजी । चांद सूरज दुई भाई , कि मीलणऽ चलोजी । ।",nimadi-noe "मद अब देत करेजे जारें मद अब देत करेजे जारें आई बसन्त बहारें । सीतल पवन लगत है ऐसी , मानो अगन की झारें । बोलकोकिला लगें तीर से लेवें प्राण निकारे । आमनमौर झोंर के ऊपर भोंर करत गुन्जारे । ईसुर पाती देव पीतम खाँ घर खों बेग पधारें ।",bundeli-bns "दीवा बले सारी रात, मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । बत्तियाँ बटा रखदी , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । आवेंगा ताँ पुच्छ लवांगी , मेरया जाल्मा कित्थे गुज़ारी सारी रात । बत्तियाँ बटा रखदी , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । आवेंगा ताँ बुज्झ लवांगी , मेरया जाल्मा कित्थे गुज़ारी सारी रात । दीवा बले सारी रात , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात भावार्थ ' दीया रात भर जलता है , ओ मेरे ज़ालिम दीया रात भर जलता है । बत्तियाँ तैयार करा कर रखती हूँ , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है । तू आयेगा तो मैं पूछ लूंगी , ओ मेरे ज़ालिम कहाँ बिताई सारी रात ? बत्तियाँ तैयार करा कर रखती हूँ , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है । तू आयेगा तो मैं समझ जाऊंगी , ओ मेरे ज़ालिम कहाँ बिताई सारी रात ? यह दीया रात भर जलता है , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है ।",panjabi-pan "तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ , राखैं लाज गुसईयाँ , उड़ उड़ पात गिरत धरनी मैं , फिर नई लगत डरईयाँ जर बर देय भसम हो जै हैं । फिरना चुनैं चिरइयाँ , मानुस चाम काम न आवै । पसु कीं बनत पनईयाँ , ईसुर कोऊ हाँत ना दै ले जब हम पकरैं बइयाँ ।",bundeli-bns "नीमिया रे कडुआइन, सीतल बतास बहे हे नीमिया रे कडुआइन1 सीतल बतास बहे हे । ताहि तरे ठाढ़2 दुलरइता दुलहा , नयना दुनो लोर3 ढरे हे ॥ 1 ॥ घर से बाहर भेलन दुलरइता दादा , काहे बाबू लोर ढरे हे । किया बाबू आजन बाजन थोड़ा भेल , साजन4 घुमइला5 भेल हे ॥ 2 ॥ माइ के जनमल दुलरइता भइया , सेहु न जोरे6 जयतन हे । पाँचो भइया पाँचो दहिन बहियाँ7 जइहें , जौरे बहनोइया जइहें हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "474 रांझा वेख के आखदा परी कोई इके भावे तां हीर सयाल होवे कोई हीर कि मोहनी इंदरानी हीर होवें तां सइयां दे नाल होवे नेड़े आयके कालजा धा गई जिवें मसत कोई नशे दे नाल होवे रांझा आखदा अबरे1 बहार आया जंगलां भी लाली लाल होवे हाठां जोड़2 बदलां हांझ बधी वेखां केहड़ा देस निहाल होवे चमक लैलातुल कदर3 सयाहशबथी जिसते पवगी नदर निहाल होवे डील डाल ते चाल दी लटक सुंदर जेहा पेखने दा कोई खयाल होवे यार सोई महबूब ते फिदा होवे जी सोई जो मुरशदां नाल होवे वारस शाह आ चंबड़ी रांझने नूं जेहा गधे दे गल विच लाल होवे",panjabi-pan "कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? तेल तिलाँ दे लड्डू ने , जलेबी पकड़ मँगाई । डरदे नट्ठे कन्द शकर तों , मिशरी नाल लड़ाई । काँ लगड़ नूँ मारन लग्गे , गद्दों दी गल्ल लाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? हो फरिआदी लक्ख पतिआँ ने , लूण ते दस्तक लाई । गुलगलिआँ मनसूबा बद्धा , पापड़ चोट चलाई । भेडाँ मार पलंघ खपाए , गुरगाँ1 बुरा अहवाल2 । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? गुड़ दे लड्डू गुस्से हो के , पेड़िआँ ते फरेआदी । बरफी नूँ कहे दाल चने दी , तूँ हैं मेरी बादी । चढ़ सहे शहनेआँ ते नच्चण , लग्गे वड्डी पई धमाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? शक्कर खंड कहे मिशरी नूँ मेरी वेख सफाई । चिड़वे चने एह करन लग्गे , बदाने नाल लड़ाई । चूहिआँ कन्न बिल्ली दे कुतरे , हो हो के खुशहाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? बुल्ला सहु हुण क्या बतावे , जो दिसे सो लड़दा । लत्त बलत्ती गुत्त बगुत्ती , कोई नहीं हत्थ फड़दा । वेक्खो केही कयामत आई , आया खर दजाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ?",panjabi-pan "पाँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो बधावा बधाई गीत पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो , पॉँच बधावा जो आवत हम देख्या . . . . . . . . . . . की प्य्लो बधावो पिया न हो , ससरा घर भेजो हो , दुसरो बधावो सहोदर बाप घर की तिस्रो बधावो पिया न हो जेठ घर भेजो हो , चोथो बधावो सहोदर वीरा घर की पांच्वो बधावो पिया न हो कूख सुलेखनी , जिन्ना बतायो रे धन को सोय्लो . . . . . . की अम्बा जो वन की पिया नहो , कोयल बोल्या हो , चलो सुआ चलो सुआ , अम्बा वन आमली की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो , मास नी र्ह्य्सा हो काचा ते वन फल गदराया की माची बसंत पिया न हो , मोठी बैण बोल्या हो छोटी बैण बोल्या हो , चलो पिया चलो पिया , वीरा घर पावना , की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो मास नी र्ह्य्सा पिया न हो आठ जो दिन का वीराजी घर पावना की सोननो नी लयनो पिया न हो , रुप्पो नी लयनो हो , छोटी भाव्जियारो ग्यनो चित्त लाग्यो",nimadi-noe "पानड़ पानड़ दिया बलऽ पानड़ पानड़ दिया बलऽ , थारा दिवलड़ा की लागी जागजोत रे , आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो । ओंकार देव की मैया पूछऽ वातूली , तू खऽ आज कूणऽ निवत्यो पूत रे , आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो । मखऽ निवत्यो छे , अमुक भाई की माय , जिमाड़्या छे दही अरू भात रे । आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो ।",nimadi-noe "421 एस फकर दे नाल की वैर चाया उधल जावसैं तै नहीं वसना ई ठूठे भन्न फकीरां नूं मारनी एं अगे रब्ब दे आख की दसना ई तेरे कुआर नूं खुआर संसार करसी एह जोगी दा कुझ ना खसना ई नाल चूहड़े दे खतरी घुलन लगा वारस शाह फिर मुलक ने हसना ई",panjabi-pan "सिर पर दोगढ़ ठा नणद री सिर पर दोगढ़ ठा नणद री ठाले नेजू बाल्टी हमतो चलैंगे थारे साथ भावज री ना ठावैंगे नेजू बाल्टी उल्टी दोगढ़ तार बिखेरी मैं तो भीतर बड़ कै रो पड़ी कोरा सा कागज मंगा दिखे मनै लिख कै गेरा अपणे बीर पै दिया डाकिये के हाथ डाकिये रे जा दिये मेरे बीर नै काली सी मोटर जोड़ दिखे री वो तो आण डटा धमसाल मैं साची बताए मौसी के दुख दिया मेरी बाहण ने काम करे ना एक मेल सिंह कहूं तो आवै खाण ने साची साच बता बसन्ती के दुख दिया तेरे गात ने काम करूं दिन रात मेल सिंह रोट्टी ना देंदी खाण ने गठडी मुठडी बांध बसन्ती होले मेरी साथ ने हम तो चले अपणे देस नणद री लोटदी फिरो धमसाल में चाली जाइए मेरी भावज दिखे री में तो हट के ब्याहूं अपणै बीर ने नौ सौ बीघे जमीन बसन्ती आधी राम करा लिये नाम कराऊं ना मूल मेल सिंह बासी रोटी दे दिये ।",haryanvi-bgc "444 पया लानत दा तौक शैतान दे गल ताहीं रब्ब ने अरश ते चाढ़ना ई झूठ बोलया जिनां वयाज खाधा तिनां विच बहिश्त ना वाड़ना ई असी जिउ दी मैल चुका बैठे वत करां ना सीऊना पाड़ना ई सानूं मार लै भाईअड़ां पिटयां नूं चाढ़ सेज उते जिसनूं चाड़ना ई अगे जोगी तों मार मुकाया ई हुण होर की पड़तना पाड़ना ई घर बार तों चा जवाब दितो होर आख की सच नितारना ई मेरे नाल ना वारसा बोल एवें मते हो जाए कोई कारना ई",panjabi-pan "मेरे आंगण मां मेरी कड़वा-सा नीम मेरे आंगण मां मेरी कड़वा सा नीम ते ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही घरड़ कटा दूं री मां मेरी कड़वा सा नीम ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही मत काटै मत काटै धी मेरी कड़वा सा नीम ढलती तै फिरती छाया फेर बाह्वड़ै जी",haryanvi-bgc "तुम मोरी बात बिगाड्यो बारे रसिया तुम मोरी बात बिगाड्यो बारे रसिया मन भरे का जात मंगौबे हाथ भरे क चकिया पिसौबे बारे रसिया पिसौबे बारे रसिया , सोलह सेर पिसना पिसौबे बारे रसिया हाथ बढ़निया लिहे बगल छिटनिया झारौबे बारे रसिया झरौबे बारे रसिया , झाँसी वाली लैन झरौबे बारे रसिया हाथे मा हथकड़ी डरौबे पांए मा पैजनिया देखौबे बारे रसिया देखौबे बारे रसिया , कानपुर का जेहल जेल देखौबे बारे रसिया",awadhi-awa "कोड्डी कोड्डी बगड़ बुहारूँ कोड्डी कौड्डी बगड़ बुहारूं , दर्द उठा सै कमर में , हो राजीड़ा इबना रहूंगी तेरे घर में । द्योराणी जिठानी बोल्ली मारैं , जिब क्यूं सौवै थी बगल में , हो राजीड़ा इबना रहूंगी तेरे घर में । सास नणद मेरी धीर बन्धावै , होती आवै सै जगत में , हो राजीड़ा , इबना रहूंगी तेरे घर में । छोटा देवर खरा रसीला , दाई नै बुलावै इक छन में , हो राजीड़ा , इब ना रहूंगी तेरे घर में । छोटा देवर नै बाहण बियाह द्यूं दाई बुलाई इक छन में , हो राजीड़ा , इब ना रहूंगी तेरे घर में ।",haryanvi-bgc "581 सयालां बैठ के सब विचार कीती भले आदमी गैरतां पाल दे नी यारो गल मशहूर जहान उते सानूं मेहने हीर सयाल दे नी पत रहेगी ना जेकर तोर दईए नढी नाल मुंढे महीवाल दे नी कबर विच दऊस खंजीर होसन जेहड़े लाड करदे धन माल दे नी औरत आपणी कोल जो गैर वेखन गैरत करन ना ओसदे हाल दे नी मूंह तिन्हां दा वेखनां खूक1 वांगू कतल करो रफीक जो नाल दे नी सयद शेख नूं पीर ना मूल जानो अमल करन जे उह चंडाल दे नी होवे चूहड़ा तुरक हराम खावे मुसलमान वस उसदे नाल दे नी दौलत मंद दऊस2 दी तरक सुहबत मगर लगिए नेक कंगाल दे नी कदी कचकड़ां लाल ना होए जांदा जे परो दईए नाल लाल दे नी जहर दे के मारिए हीर ताई गुनाहगार जो जुल जलाल3 दे नी मार सुटया हीर नूं मापयां ने एह पखने उस दे खयाल दे नी बद अमलियां जेहड़ियां करें चोरी महरम सभ तेरे वाल वाल दे नी सानूं जनती साथ रवालना जे असां आसरा फजस कमाल दे नी जेहड़े दोजखीं बन्ह के टोरनोगे वारस शाह फकीर दे नाल दे नी",panjabi-pan "मृत्यु गीत दुख सागर भरिया दुखसुख मन मा नि लावणा ॥ राम सरीका रे राजा हुया , हारे जे घरे सतवन्ती नारी आया रे रावण सीता लय गया हाँ रे जिनका बुरा हया हाल , दुखसुख मन मा नि लावणा । हाँ रे हरिशचन्द्र सरीका रे राजा की , जे घर तारावन्ती नारी आपना रे सत का कारणे , हाँ रे नीच घर भरियो पाणी । दुखसुख मन मा नि लावणा । हाँ रे पाण्डव सरीका रे राजा वी । हाँ रे जिन घर द्रोपती राणी दुशासन चीर रे खेचिया , हरी पुरायो चीर दुखसुख मन मा नि लावणा । संत कबीर की वीणती अरे सायब सुणलेणा दास धना की विणती , हाँ रे रघुपति गुण गावणा । दुखसुख मन मा नि लावणा । किसी की मृत्यु होने पर गीत गाते हैं । संसार रूपी समुद्र दुःखांे से भरा है । दुःखसुख मन में नहीं लाना चाहिए । जो जीव पैदा हुआ है उसकी मृत्यु होनी ही है , उसके लिए दुःख नहीं होना चाहिए । उदाहरण देकर समझाया है कि राजा राम जिनके यहाँ सती नारी थी , रावण आया और सीता को हरण कर ले गया । रावण का कैसा बुरा हाल हुआ ? तात्पर्य यह है कि मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए , पाप नहीं करना चाहिए । सतयुग में हरिश्चन्द्र राजा हुए , उनके यहाँ तारामती रानी थी । अपने सत्य के निर्वाह में सपने में ब्राह्मण को राज्य का दान कर दिया था उन्हें राजपाट छोड़ना पड़ा और दान के साथ दक्षिणा देने के लिए स्वयं की पत्नी बिक गए और मरघट की रखवाली की । कितना दुःख झेला , किन्तु हिम्मत नहीं हारी । पुत्र की मृत्यु दुःख को जाना । इसलिए मरने वाले के प्रति दुःखी नहीं होना चाहिए । पाण्डव समान द्वापर में राजा हुए , उन पर कितना दुःख पड़ा था , राजपाट हार गए , खुद हारे और पत्नी द्रोपदी को हार गए । दुःशासन द्रोपदी का चीर खींचने लगा था , उसे नग्न करना चाहता था , किन्तु भगवान कृष्ण ने चीर को बढ़ाया और उसकी लज्जा रखी । दुःख संसार में सभी पर पड़ता है उसको मन में नहीं लाना चाहिए । संत कबीर विनती करते हैं कि सुनो भगवान का राम नाम लेना चाहिए , जिससे मृतात्मा को शान्ति प्राप्त होती है । गीत का मुख्य उद्देश्य परिवार वालों का ध्यान दुःख से दूर हटाना है ।",bhili-bhb "लेहु हजमा सुबरन कसैलिया लेहु1 हजमा सुबरन कसैलिया2 नेवतियो3 लावऽ चारो धाम हे । गया से नेवतिहऽ4 गजाधर5 नेवतिहऽ , नेवतिहऽ बीर हनुमान हे । गंगा में नेवतिहऽ गंगा मइया नेवतिहऽ , नेवतिहऽ सीरी जगरनाथ6 हे । धरती से नेवतिहऽ सेसरनाथ7 हे ॥ 1 ॥ गाा से अयलन8 गजाधर अयलन , अयलन सीरी जगरनाथ हे । गंगा से गंगा मइया अयलन , अयलन बीर हनुमान हे । धरती से अयलन सेसरनाथ हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "लचके लवँगियाँ के डाँढि ,गोरिया पतरी लचके लवँगियाँ के डाँढि , गोरिया पतरी । जइसे लचके लवँगियाँ के डाँढि । । टेक । । अमवाँ महुइया के घनी फुलवरिया , अरे पाकल निबुआ अनार , आहो रामा । । टेक । । केथिया नियन गोरी पातरि हईं , आरे , केथिया नियन सुकुवार । । टेक । । पनवा नियन गोरी पातरि हई , फुलवा नियन सुकुवार । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से",bhojpuri-bho "लचिका रानी दूसरा खण्ड रम्मा सुनोॅ आगू के वचनमो रे ना रम्मा सुनोॅ सब भाई , बहिन धरि धियनमो रे ना रम्मा लचिका के आगू रोॅ बचनमो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै पापी राजवो रे ना रम्मा शिव मंदिरवा के नगीचवो रे ना रम्मा घुसियैलो छेलै जहाँ रानी लचिको रे ना रम्मा कानै छेलै कपरवा धुनिधुनि रे ना रम्मा वहाँ जायके बोले पापी राजवो रे ना रम्मा चल्लोॅ आवोॅ मंदिर से बहरवो रे ना रम्मा आपनोॅ तों चाहोॅ कुशलवो रे ना रम्मा अगर नै ऐभौ बहरवो रे ना रम्मा काटी देवौ तोरोॅ सिरवो रे ना रम्मा सुनीकेॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा बौले सुनीकेॅ लचिका रनियो रे ना रम्मा सुनोॅ हमरो अरजबो रे ना रम्मा केना हम्में निकलबै बहरवो रे ना रम्मा भीजलोॅ हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा झलकतै हमरोॅ सभे अंगवो रे ना रम्मा निकलै में लागै हमरा शरममो रे ना रम्मा घटवा पर हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा लानी केॅ देभौ हमरोॅ अगुओ रे ना रम्मा तबेॅ पीन्ही केॅ निकलबै बहरवो रे ना रम्मा सुनि केॅ लचिका के बतियो रे ना रम्मा लानी केॅ देलकै राजा नुग्गासाया बुलाऊजवो रे ना रम्मा सब चीज पीन्हीं निकललै बहरबो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै राजा के समनमो मेें रे ना रम्मा राजा भेलै खुशिया मगनमो रे ना रम्मा राखलेॅ छेलै उड़न खटोलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ बैठलकै उपरवो रे ना रम्मा पापी राजा भेलै आनन्दवो रे ना रम्मा लैकेॅ चली देलकै सथवो रे ना रम्मा जतना छेलै लश्करियो रे ना रम्मा सब गेलै राजा के नगरियो रे ना रम्मा बरपपा के सुनो अब जिकरियो रे ना रम्मा भारी हल्ला होलै गढ़ के भीतरवो रे ना रम्मा रूदन पीटन पड़ी गेलै महलियो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह के रोवै महतरियो रे ना रम्मा छाती पीटीपीटी कहै बचनियो रे ना रम्मा नाश होलै कुलखनदनमो रे ना रम्मा पूतोहो के करनमो रे ना रम्मा केतना घर भेलै मोसमतवो रे ना रम्मा सबके धोएैलै सिर सिन्दुरवो रे ना । रम्मा छोड़ी केॅ गेलै आपनोॅ ललनमो रे ना रम्मा गेलै हठ करि पोखिरियो रे ना रम्मा धनजन करलकै संहरवो रे ना रम्मा करनि के पैलकै फलवो रे ना रम्मा महीना दिनो के रहै ललनमो रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ वहाँ के हलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लै गेलै लक्ष्मीपुर के रजवो रे ना रम्मा खटोलबा के उपरवो रे ना रम्मा जबेॅ पहुँचलै गाँव के नजदीकवो रे ना रम्मा दस कोस रहलै फसिलवो रे ना रम्मा पड़ी गेलै वहाँ कममो रे ना रम्मा लागलोॅ रहै वहाँ पचरंग बजरवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लैकेॅ वहाँ रजवो रे ना रम्मा पहुँचलै जायकेॅ ठिकनमो रे ना रम्मा उतारलकै वहाँ उड़नखटोलवो रे ना रम्मा जुटी गेलै पलटनियो रे ना रम्मा करै लागलै सब लोग दतबनमो रे ना रम्मा बोलै लचिका तबेॅ बचनियो रे ना रम्मा सुनि लेॅ राजा हमरोॅ बचनमो रे ना रम्मा यहाँ तनवाय देहोॅ तम्बुकवो रे ना रम्मा आपनोॅ मकानमा तांय रे ना रम्मा हम्मे चलबै तम्बुकबा भीतरबो रे ना रम्मा यहाँ सें करलेॅ जैबै दनमो रे ना रम्मा देहोॅ तहूँ मंगाई केॅ समनमो रे ना रम्मा करवे हम्मे तबेॅ दतनमो रे ना रम्मा तोहरे हाथो सें पियबै हम्में पनियो रे ना रम्मा धीरेंधीरें चलबै तोहरोॅ घरबो रे ना रम्मा दिन भरी में चलबै पाव भर रसतवो रे ना रम्मा नाहीं मानबै बीचोॅ एक्को बतियो रे ना रम्मा मारी देभौ तों हमरोॅ जनमो रे ना रम्मा यहेॅ छौं हमरोॅ कहनामो रे ना रम्मा तबेॅ होतौं तोहरोॅ इच्छा पूरनमो रे ना रम्मा सुनी केॅ रानी के बचनमो रे ना रम्मा राजा कहै मीठी बोलियो रे ना रम्मा तुरंते होय जैतै सब काममो रे ना रम्मा राजा कही केॅ एतना बचनमो रे ना रम्मा बौलेलकै सब नौकरबो रे ना रम्मा राजा देलकै सबकेॅ हुकुममो रे ना रम्मा जल्दी सें तनाबै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस यहाँ सें मकनमो रे ना रम्मा घर तक तानी दै तम्बुकवो रे ना रम्मा तम्बुकवा तानै सब नौकरवो रे ना रम्मा राजा कहैलेॅ गेलै खबरवो रे ना रम्मा सगरो तनाय गेलै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस रसतवा लागै दस बरसवा दिनमो रे ना रम्मा राजा तबेॅ बोलाबै दीवनमो रे ना रम्मा जल्दी सें जैभौ तों नगरियो रे ना रम्मा खंजाची केॅ देहोॅ खबरियो रे ना रम्मा सुनी केॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ सें चल्लै दीवनमो रे ना रम्मा गेलै खजांची के पसबो रे ना रम्मा कहि देलकै राजा के हुकुममो रे ना रम्मा खजांची देलकै तुरंते समनमो रे ना रम्मा एैले तबेॅ लैकेॅ दिवनमो रे ना रम्मा रानी केॅ देलकै सब समनमो रे ना रम्मा तबेॅ करेॅ लागलै रानी दानमो रे ना रम्मा दान करतें हुवेॅ चल्लै डगरियो रे ना रम्मा चली देलकै राजा के दरबरियो रे ना रम्मा दिन भरि में चलै रती भर जमीनमो रे ना रम्मा मनमा में करिकेॅ विचरवो रे ना रम्मा हमरे खातिर कुल होलै नशवो रे ना रम्मा येहो सोचतें चल्लै मनमो रे ना",angika-anp "रसिया रग भर-भर जिन मारो रसिया रंग भरभर जिन मारो , पिचकारी दृगन तक न मारो । न गहो छैल गैल बिच बहियां , पैयां पडूं मैं बलिहारी । पिचकारी . . . जो सुन पैहें सास ननद मोरी , सुन रूठ जैहें पिया प्यारो । पिचकारी . . . चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि , चरण कमल पे बलिहारी । पिचकारी . . .",bundeli-bns "ऊठ बहू मेरी पीस ले ऊठ बहू मेरी पीस ले यो दिन धोला लिकड़ आया हे । तन्नै कै सासू पीसणा मैं काच्ची नींद जगाई हे । सेजां पै तै बालम बोल्या सुण ले अम्मां मेरी हे । भले घरां की ब्याह के ल्याणा इब नां चालै थारी हे । भरी सी मैं झोट्टी ल्यूंगा छोटा बीरा ल्यूंगा पाली हे । बलध्यां की मैं जोड़ी ल्यूंगा बाबल ल्यूंगा हाली हे । भारी सी मैं चाक्की ल्यूंगा थम ने ल्यूं पिनहारी हे । गोबर कूड़ा थमै करोगी गरज पड़ै रह जाइयो हे ।",haryanvi-bgc "काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू बनजा बेटा रमा चाचू बनजा बेटा अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “राजा का जोगी वेष में आना” घोड़ा रोवय घोड़ेसार मा , घोड़ेसार मा या , हाथी रोवय हाथीसार मा घोड़ा रोवय घोड़ेसार मा , घोड़ेसार मा वो , हाथी रोवय हाथीसार मा मोर रानी ये वो , महलों में रोवय मोर रानी ये या , महलों में रोवय येदे धरती में दिए लोटाए वो , ऐ लोटाए वो , भाई येदे जी येदे धरती में दिए लोटाए वो , ऐ लोटाए वो , भाई येदे जी सुन लेबे नारी ये बाते ला , मोर बाते ला या , का तो जवानी ये दिए हे सुन लेबे नारी ये बाते ला , मोर बाते ला वो , का तो जवानी ये दिए हे भगवाने ह वो , मोर कर्म में ना भगवाने ह या , मोर कर्म में ना येतो काये जोनी मोला दिए हे , येदे दिए हे , भाई येदे जी येदे काये जोनी दिए हे , येदे दिए हे , भाई येदे जी – गाथा – ऐ रानी सामदेवी रइथे ते रागी हौव राजा भरथरी के वियोग में हा मुड पटक पटक के रोवत रिथे रोवत थे अउ कलपत रिथे हौव किथे हे भगवान हा मोर किस्मत फूट गे फूट गे अतका बात ला सुन के पारा परोस के मन आथे हौव आथे त रानी सामदेवी ल पूछथे हा रानी हौव तोला का होगे हौव ते काबर रोवत हस हा तब रानी सामदेवी रहाय ते बतावत हे का बतावत हे – गीत – बोली बचन मोर रानी हा , मोर रानी हा वो , सुन बहिनी मोर बाते ल बोली बचन मोर रानी हा , मोर रानी हा या , सुन बहिनी मोर बाते ल मोर माँगे के या , येदे सेन्दुर नईये मोर माथे के वो , येदे टिकली नईये में ह जन्मों के होगेंव रांडे वो , भाई येदे जी में ह जन्मों के होगेंव रांडे वो , भाई येदे जी भाई रोवे गुजराते हा , गुजराते हा वो , बुलबुल रोवे रानी पिंगला के भाई रोवे गुजराते हा , गुजराते हा या , बुलबुल रोवे रानी पिंगला के बारा कोस के वो , फुलवारी रोवय बारा कोस के ना , फुलवारी रोवय उहू जुलुम होगे सुखाये वो , भाई येदे जी उहू जुलुम होगे सुखाये वो , भाई येदे जी – गाथा – दोनों हाथ ला जोड़ के रानी सामदेवी किथे रागी हौव बहिनी हो हा मोर मांग के सेन्दुर मिटागे हौव मोर माथ के टिकली मिटागे मिटागे में जन्मों के रांड होगेंव रांड होगेंव सब झन पूछथे , ये बात कइसे होइस रानी हौव तब बताथे हा जे दिन मोर राजा इहां ले गिस हौव तो कहिस हावय हा जब तक के में जिन्दा रहूँ हौव तब तक ये तुलसी के बिरवा हराभरा रही हा अउ जब तक ये तुलसी के बिरवा हराभरा रही , समझ जबे में जिन्दा रहूँ जिन्दा रहूँ अउ तुलसी के बिरवा सुखा जही हौव त में मर जहूं मर जहूं यही तुलसी के बिरवा ला मोला निशानी देके गिस हे बहिनी हो हौव आज ये तुलसी के बिरवा सुखा गे हा मोर करम फुट गे हौव आज इही मेर के बात इही मेर के रइगे रागी हा राजा भरथरी राहय तेन बिनती करत अपन घर ला आवत हे हा – गीत – बिनती करे राजा भरथरी राजा भरथरी या , आवत थे अपन घरे ला येदे घरे में वो , पहुँचत हबाय ये द्वार में येदे द्वार में या , लिली घोड़ी ला देखत हाबे ना , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी मन में सोंचे लिली घोड़ी हा लिली घोड़ी हा वो , राजा भरथरी ला देखी के में ह आये हव गा , राजा ऐ इंदर पठाये हे मोला कोने बेटा देही ए गांवे काहथे , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी गुस्सा होवय लिली घोड़ी हा लिली घोड़ी हा वो , राजा भरथरी ला देखी के वो दे काहत ना , का ये बतावव ये तोला ना अइसे बोलत हे वो , लिली ये घोड़ी हा आगे ना , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी – गाथा – अब ये राजा भरथरी राहय ते , अपन दरवाजा में पहुँचथे रागी हौव जब दरवाजा में पहुँचथे , तब एक लिली घोड़ी नाम के हा वो घोड़ी वो दरवाजा में बइठे रिहिस बइठे राहत हे वो इंदर भगवान के हौव भेजे हुवे लिली घोड़ी रिथे हा गुस्सा हो के लिली घोड़ी किथे राजा हौव तें तो योगी होगेस हा ना तोला घोड़ा चाहिए हौव ना तोला हाथी चाहिए हा अब तें तो योगी होगेस हौव अउ इंदर भगवान भेजे हे तोर खातिर हा मोला लगाम कोन दिही हौव अइसे कइके राजा भरथरी के सामने में हा लिली घोड़ी रहाय तेन प्राण त्याग देथे प्राण त्याग देथे – गीत – आगे चले राजा भरथरी , राजा भरथरी या , देखथ रइये किसाने ला आगे चले राजा भरथरी , राजा भरथरी वो , देखथ रइये किसाने ला कोनों चिन्हे नहीं , येदे योगी ला या कोनों चिन्हे नहीं , येदे योगी ला वो वो ह डेहरी में धुनी जमाये हे , ये जमाये हे , भाई येदे जी वो ह डेहरी में धुनी जमाये हे , ये जमाये हे , भाई येदे जी",chhattisgarhi-hne "राजी राजी बोल बनी तो चुड़लो पेरादूं राजी राजी बोल बनी तो चुड़लो पेरादूं बेराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियो , म्हारी फूल चिटियो नवी नारंगी रो खेल बतादूं रसिया . . . मीठी खरबूजो राजी राजी बोल बनी तो तीमणियौ पैराधूं बैराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियों . . . म्हारी फूल चिटियों नई नारंगी रो खेल बता दू रसिया . . . मीमो खरबूजों ।",rajasthani-raj "सासु मोर बेनिया डोलावहऽ, कमर भल जाँतहऽ हे सासु मोर बेनिया डोलावहऽ , 1 कमर भल जाँतहऽ2 हे । अहो लाल , देहरी3 बइठल तू ननदिया बिरह बोलिय4 बोलए हे ॥ 1 ॥ मोरी भौजी रखिहऽ5 पलंगिया के लाज त बेटवा बिअइह6 हे ॥ 2 ॥ तुहुँ त7 हहु8 मोरा ननदी , अउरो सिर साहेब हे । ननद , पियवा के आनि9 बोलावह , पलंगिया डँसायब10 हे ॥ 3 ॥ किया11 तोर भउजो12 हे नाउन , किया घरबारिन13 हे । मोर भउजो , किया तोरा बाप के चेरिया , कवुन14 दाबे15 बोलह हे ॥ 4 ॥ नहीं मोर ननद तू नाउन , नहीं घरबारिन हे । नहीं मोर बाप के चेरिया , बलम16 दाबे बोलली17 हे । ननद , तुहुँ मोरा लहुरी18 ननदिया सेहे19 रे दावे बोलली हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "निमन्त्रण एक नेवतो देजो गुणेसा घेर । एक नेवतो देजो गुणेसा घेर । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । महादेव बाबो आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते उकार देजो आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते गंगा ने गवरां आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते लालबाईफुलबाई आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते चाँदसूरज आवसे । एक निमंत्रण गणेशजी के घर देना । एक निमंत्रण महादेवीजी को , एक निमंत्रण ओंकारदेव को और एक निमंत्रण गंगागौरा को देना । एक निमंत्रण लालबाई फूलबाई को और एक निमंत्रण चाँदसूरज को देना , वे सभी अवश्य ही आएँगे ।",bhili-bhb "भानु भौंपेलो बार बरस को बाटो , तीन रोज मा काटदो । तख छयो वो माँकाली घोड़ो रागसी घोड़ौं की पंगत1 बँधी छई । मांकाली2 घोड़ो मरा सगन्ध3 सूंगद , हे छोरा , कै राज को छई ? कै बैरीन भरमाए , घर की नारीन सन्ताये । हे मांकाली घोड़ा , मैं कू मदत दियाल , मैं पर चढ़ीं छ , गुरु ज्ञानचन्द की सेना , त्वै द्योलों , सोवन की जीण , त्वै द्योसों , काँसी का घूँघर । आज घोड़ा तिन भाई होण । तेरा बाबू दादान मैं जांती नी सक्यो , तू कखन मैं जीतण आई ? घोढ़ो निकालद , हातहात की जीभ , बैत4 बेत का दाँत । तब गाड़े भानू भौंपेलान , बेतुना5 की छड़ी , साधण लै गए माँकाली घोड़ो । मारी मछुली उलार , ओ जै लग वीं काली बादुली । कनो रैगे नौ दिन , नौ राती अगास मा । एक वेत टूटे , हैको6 निकाले मालन , घोड़ा पर पसीना ऐगे , नीला दाग पड़ी गैन । ये घोड़ा मैं बिना मान्याँ नी छोंड़ौं , मैं छऊँ हिण्डवाणी वंश को जायो । तब बोलदू मांकाली घोड़ो अफू जौलूँ अस्वार , अब पाये मैंन । पृथी मा ऐगे तब , घोड़ो मांकाली । हे घोड़ा तिन , सच्चो भाई होण , दुश्मनू की फौज मारी देण । तब राजी ह्वैगे मांकाली घोड़ी , कालूनी कोट मा जाण कू तैं । ज्ञानीचन्द की बरात अड़ी छै तुम्हारा शैर7 मा नी जूड़दत , हम अपणा शैर मा जुड़ौला । लड़ीझगड़ीक ऊन तेरां8 रोज , लाडी अमरावती , वेदी मा गाडयाले । आम जसी दाणी छै , दिवा जसी जोत , पूनो जसी चाँद बाँदू9 मा की बाँद । मैन पैले10 बोल्याले ज्ञानचन्द , मैं न छुई : मैं राणी छऊँ , भानु भौंपेला की । छै मैंना की माँगी छै , कना बैन वोदे । मैंन पैले बोल्याले ज्ञानचन्द , मैं न छुईं , लम्बीलम्बी टाँगी तेरी मड़ोई तोड़ला । बेदी का अग्वाड़ी11 पिछाड़ी , डाले वींन बरछ्यों को घेर , कै भी अमरा भितर नी औण देंदी । तब उड़ी औंद मांकाली घोड़ो भानू लीक12 , मारदू भानु भौंपेलो , घोड़ी पर चाबुक मारयाले वीन माछीसी उछाट । तब का जायान क्या होण , जब ज्ञानचन्द दगड़े , मेरी राणी फेरो फेन्याली । झटपटमा छयो घोड़ो सरपठ चलणू अफू तैं समाली13 नीं सक्यों पड़ी गये वो बरछियों का घेरा मा । चुभीत बरछी जिकुडी मा , भानु भौंपेलो स्वर्गवास होये । वैको छौ हिरक्यालो14 पराणी , जिन्दगी ज्यान15 ह्वै , तरुणैं को विणास16 । वैकी मिट्टी दुश्मनू कामणे रैगे , रोंदी बराँदी17 तब अमरावती कनो देव मैं कू तैं रूठे ? तब मलासदी18 वै सेयों19 मुखड़ी वीं का माता हे बेटा , मेरो कसूर नीं , विधाता की लेखी मेटो नी सकेंदी जाँद तब विधाता चित्रगुप्त पवन रेखा जख होला पंचनाम देव , पांच पाण्डव , मामी पार्वती होली जख तैको20 पौन21 विधाता की सभा जाँदो हे मेरा विधाता मौत सबू की होंदी , पर मेरी मिट्टी दुश्मन का सामणे रैगे तब भगवान विष्णु दया औंदी , पाँच पाण्डव पौणा22 पैट्या , कुन्दी दुरपती मंगल्वैन23 पैटी24 ऐ गैन देवता कालूनी कोट । भानु भौंपेला मा ऊँन शरील धन्याले , तब वो जीतू25 होइगे , इनी26 जीती27 होयान सुणदी28 सभाई । तब माल घोड़ी मांकाला मांकली चढ़ीगे , पकड़े पट पाखुड़ी वैने अमरावती की , ऐंच चाड्याले घोड़ा मू मंडल29 वैन वो दलबदल , बैरी को मालन , तब एक नी रखे , मान्या गए सजू कालूनी भी तब सासु औन्दी वेका पास अपणो भलो करे , मेरो करे बुरो अपणी जोड़ी बाँधे , मेरी जोड़ी मारे सासू जी बेटा दीक बेटा छऊँ मन्याँ को क्वी नी , बच्याँ की दुनिया तब सजीगे अमरावती को , औलासरी डोला , राजा की सजी जेबर पालंकी बाज्या ढोल दमौंरूं गायेन्दा माँगल , चार दिन पुरुषू को नाम , मालू का पवाड़ा रै गैन ।",garhwali-gbm "302 सानूं नांह अकाउंदी भात खानी खड क्रोध दा हमी ना हूतने हां जे आपने दा ते आ जाईए खुली झंड सिर ते असीं मूतने हां घर मेहरां दे कासनूं असां जाना सिर महरीयां दे असीं भूतने हां वारस शाह मियां भठ बाल भांबड़ उलटे रात नूं होयके झूटने हां",panjabi-pan "अरजी बरजी करइ छोटकी ननदिया अरजी बरजी1 करइ छोटकी ननदिया । आइ रे गेलइ इहमा2 मास रे फगुनमा3 ॥ 1 ॥ जो तोंहे जइहऽ भउजी , अपन कोहबरवा । भइया से कहि मोरा , रखिहऽ नेअरबा4 ॥ 2 ॥ नहीं माँगू थारी5 लोटा , नहीं माँगू धनमा । एक हम माँगू भउजी , सिर के सेनुरबा । एक हम माँगू भउजी , तोहरो सोहगबा ॥",magahi-mag "साड़ी न लहँगा लहरदार लेबो भउजो हे बधैया साड़ी न लहँगा लहरदार लेबो भउजो1 हे । चोली न अँगिया बूटेदार लबो भउजो हे ॥ 1 ॥ कँगना न लेबो , पहुँची2 न लेबो । बाला3 तो लेबो चमकदार , सुनु भउजो हे ॥ 2 ॥ रुपया न लेबो , अठन्नी न लेबो । गिन्नी तो लेबो हम हजार , सुनु भउजो हे ॥ 3 ॥ चानी न लेबो , सोना न लेबो । हम लेबो गिनि गिनि4 लाल , 5 सुनु भउजो हे ॥ 4 ॥ जुग जुग जीओ भउजो , तोहरो होरिलवा । जुगजुग बढ़ो अहियात , 6 सुनु भउजो हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना रूपे के रुखुवा मा चड़ गिए तेहां रूपे के रुखुवा मा चड़ गिए तेहां मोर मनके मंदरस ला झार दिये ना मोर मनके मंदरस ला झार दिये ना मोर मनके मंदरस ला झार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना उल्हवा पाना कस कवला करेजा उल्हवा पाना कस कवला करेजा भूंज डारे तेला बघार दिये ना भूंज डारे तेला बघार दिये ना भूंज डारे तेला बघार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना तोर होगे आती अउ मोर होगे जाती तोर होगे आती अउ मोर होगे जाती रेंगते रेंगत आँखी मार दिये ना रेंगते रेंगत आँखी मार दिये ना रेंगते रेंगत आँखी मार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना",chhattisgarhi-hne "भँगिया पिसयते महादेओ, सुनहऽ बचन मोरा हे भँगिया पिसयते महादेओ , सुनहऽ बचन मोरा हे । देओ , 1 तोरा धनी दरद बेयाकुल , तोरा के बोलावथु2 हे ॥ 1 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहु न पओलन हे । बुढ़उ बैल पीठी भेलन असवार , कहाँ रे धनी बेआकुल हे ॥ 2 ॥ सउरी में से बोलथी गउरा3 देई , सुनहऽ बचन मोरा हे । देओ , लाज सरम केरा बतिया , तोरा से कहियो केता4 हे ॥ 3 ॥ मारहे पँजरवा5 में पीर से डगरिन बोलाइ देहु हे ॥ 4 ॥ एतना बचन जब सुनलन , बुढ़वा दिगम्बर हे । बुढ़उ बैल पीठ भेलन असबार , कहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 5 ॥ बाट जे पूछहथ6 बटोहिआ त कुइआँ पनिहारिन7 हे । इहाँ त सहरबा के लोग , काहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 6 ॥ ऊँची चउपरिया8 पुर9 पाटन10 आले11 बाँस छावल हे12 दुअरे चननवा के गाछ , उहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 7 ॥ डगरिन डगरिन पुकारथि , 13 डगरिन अरज करे हे । के मोरा खोलहे14 केवरिया15 त रतन जड़ल हकइ16 हे ॥ 8 ॥ हम हिअइ17 देओ महादेओ , हम तोरा टाटी खोली हे ॥ 9 ॥ की18 तोरा माय कि मउसी , कि सगर19 पितिआइन20 हे । की तोरा घर गिरथाइन21 दरद बेआकुल हे ॥ 10 ॥ नइ मोरा माय से मउसी , से सगर पित्त्आिइन हे । मोरा धनि दरद बेयाकुल , तोंहि के बोलावथु हे ॥ 11 ॥ पैरे ही पैरे22 नहीं जायब , पैर दुखायत23 हे । आनि देहु मोरा सुखपाल , 24 ओहि रे चढ़ि जायब हे ॥ 12 ॥ एतना बचन जब सुनलन बुढ़वा दिगंबर हे । चलि भेलन बैल असवार , घरहि घुरि25 आयल हे । एक त जाति के डगरिन , बोलऽहइ26 गरब सयँ27 हे । माँग हकइ संझा28 सुखपाल ओहि29 रे चढ़ि जायब हे ॥ 14 ॥ एक त सिवजी दलिद्दर , 30 जलम के खाके31 भाँड़े32 हे । सिव , लेइ जाहु संझा सुखपाल , ओहिरे चढ़ि आवत हे ॥ 15 ॥ डड़ियहि33 आवथी डगरिन , चाउँर डोलत आवे हे । चनन से अँगना लिपायल सुघर डगरिन पग धरे हे ॥ 16 ॥ घड़ी रात बीतल , पहर रात , अउरो आधिए रात हे । लेलन गनेस औतार , महल उठे सोहर हे ॥ 17 ॥",magahi-mag "415 घोल घतिआं यार दे नाम उतों जोगी मुख संभाल हतयारया वे तेरे नाल की असां है बुरा कीता हथ ला तैनूं नहीं मारया वे मनों सुनदयां पुने तूं यार मेरा एह कहर कतो लोहड़े मारया वे रूग आटे दा होर लै जा साथों कोई वधे फसाद बुरयारया वे तैथे आदमगरी1 दी गल नाही रब्ब चा बथुन2 उसारया वे वारस किसे असाडे नूं खबर होवे ऐवें मुफत विच जायेगा मारया वे",panjabi-pan "होलर कहै री अम्मा! तुझे झुंझणा मंगा दे होलर कहै री अम्मा तुझे झुंझणा मंगा दे । चल बिसाती की दुकान रे लला तुझे झुंझणा मंगवा दूं । इस झुंझणा दूजा लट्टू रे लला तीजी फिरकी दिला दूं । होलर कहै री अम्मां तुझे टोपी सिला दे । चल दरजी की दुकान रे लला तुझे टोपी सिला दूं । इस टोपी दूजा झूगला रे लला तीजी कछनी सिला दूं । होलर कहै री बूआ मेरा ब्याह करवादे । चल मामा के बार रे लला तेर ब्याह करवा दूं । एक नानी दूजी मामी रे लला तीजी मोसी ब्याह दूं ।",haryanvi-bgc "बुल्ले शाह की सीहरफी - 1 अलफ अल्लाह जिस दिल पर होवे । मुँह ज़रदी अक्खाँ लहू भर रोवे । आपणे जीवन तों हत्थ धोवे । जिस नूँ बिरहों अग्ग लगावे । लागी रे लागी बल बल जावे । बे बालण मैं तेरा होई । इशक नज़ारे आण वगोई1 । रोन्दे नैण ना लैन्दे ढोई । लूण फट्टाँ ते कीकर लावे । ते तेरे संग प्रीत लगाईं । जीओ जामे दी कीरी साईं । मैं बक्करी पास बिरहों2 कसाई । कट्ट कट्ट माँस हड्डाँ नूँ खावे । से साबत नेहों लाया मैनूँ । दूजा कूक सुणावाँ कीहनूँ । रात अद्धी ओह ठिलदी नैं नूँ । ओह कूंज वाँगूं कुरलावे । जीम जहानों चोई साँ न्यारी । लग्गा नेहों ताँ होए भिकारी । पए बुल्ले सूल पसारे । लोग लोग उलांभे दे दे तावे । हे हैरत बिन साएत नाहीं । ज़ाहर बाताँ माराँ ढाहीं । झात बत्तण3 नूँ लावाँ दाईं । सीने सूल प्रेम दी धावे । तुध बिन कौण जो आण बुझावे । खे खुबी हुण ओह न रहीआँ । जब दी सांग कलेजे सहीआँ । आहीं नाल पुकाराँ कहीआँ । तुध बिन कौण जो आवे बुलावे । दाल दूरों दुःख दूर न होवे । फक्कर फिराकों से बहुता रोवे । तन भी दिल खल्लाँ धोवे । इशक अक्खीं विच्च मिरच लगावे । ज़ाल ज़ोक दुनिआँ ते इतना करना । खौफ हशर दा ज़रा न करना । चलनाँ नबी साहिब दे सरना । ओड़क जा हिसाब करावे । रे रोज़ हशर कोई रहे न खाली । लै हिसाब दो जग्ग दा वाली । ज़ेर ज़बर सभ भुल्लण आली । तिस दिन हज़रत आप छुडावे । जे जुहद4 कमाई चंगी करीए । जेकर मरन तों अग्गे मरीए । फिर मोए भी ओस तों डरीए । मत्त मोयाँ नूँ पकड़ मँगाए । सीन साईं बिन जार ना कोई जित्त वल्ल वेक्खाँ ओही ओही । होर किते वल्ल मिलेना ढोई । मेरा मुरशद पार लँघावे । शीन शाह अनायत मुरशद मेरा । जिस ने कीता मैं बल फेरा । चुक्क ग्या सभ झगड़ा झेड़ा । हुण मैनूँ भरमावे तावे । सुआद खबर ना आवे मैनूँ , खुली वस्त बज़ार । कासद5 लै के विदेआ होया , जा फड़ेआ दरबार । अग्गों मिलेआ आए के ओहनूँ , होया सोर असवार । रस्ते विच्च अंगुश्तरी6 आही , ऐसी ऐसी भई बुलावे । जुआद ज़रूरी यार अल्ला दे , आ करन सवाल रसूल । नवें असार7 कलाम सुणाईं , मैं दरगह पई कबूल । एह मज़ाजी8 जात हकीकी , वासल9 वसल वसूल । फ़ारग हो के हजरत ओत्थे , आवे खाणा खावे । तोए तलब दीदार दी आही , कीता करम सत्तार10 । जलवा फेर इलाही होया , हज़रत नूँ गुफ्फार11 । हत्थ नूरानीं गैबों आवे , मुन्दरी दी चमकार । बुल्ला खलक मुहम्मदी कीते , ताँ एह की कहावे ? जोए ज़ाहर मलूम ना कीता , होया दीदार भुलावे । रल के सइआँ खाणा आधा , ज़रा अंत ना आवे । ओह अंगूठी आप पछाती , आपणी आप जितावे । बुल्ला हज़रत रुखसत हो के , आपणे यार सुहावे । ऐन अनायत12 उलफत13 होई , सुणे असहाबो यारो । जेहड़ा हुण ना करसी हज़रत14 , झूठा रहे सरकारों । फिर शकायत ओहनाँ ही करनी , साहिब दे दरबारों । बुल्ला किबर ना करीए दुनिआँ उत्ते , इक्का नज़री आवे । गैन गुलाम गरीब तुसाडा , मंगे खैर दरबारों । रोज़ हशर15 दे खौफ सुणींदा , सद्द होसी सरकारों । कुल ख़लाइक16 तलखी17 , सूरज दे चमकारों । बुल्ला असाँ भी ओत्थे जाणा , जित्थे गया ना भावे फ़े फ़िकर फकीराँ कीता , विच्च दरगाह इलाहीं । शफीर18 मुहम्मद जा खलोते , जित्थे बेपरवाही । नेड़े नेड़े आ हबीबाँ , एह मुहब्बत चाही । खिरका19 पहन रसूल अल्ला दा , सिर ते ताज लगावे । काफ कलम रवानां मिटदी नाहीं , जो असाँ पर आई । जो कुछ भाग असाडे आहा , ओह ताँ मुड़दा नाहीं । बाझ नसीबों दावे केहे , भुल्ली कुल्ल खुदाई । बुल्ला लेह महफूज ते लिखिआ , ओत्थों कौण मिटावे । काफ कलाम नबी दी सच्ची , सिर नबीआँ दा साईं । सूरत पाक नबी अजेहा , चंद सूरज भी नाहीं । हीरे मोती लाल जवाहर , पहुँचे ओत्थे नाहीं । मजलस ओस नबी दी बह के , बुल्ला कौण कहावे । लाम ला इल्ला दा ज़िकर बताओ , इलालिला असबात20 कराओ । मुहम्मद रसूल अल्ला कह मेल मिलाओ , बुल्ला एह तोहफा आदम नूँ आवे । मीम मुहम्मदी जिस्म बणाओ , दाखल विच्च बहशत कराओ । आपे आप शैतान भजाओ , फिर आदम ओत्थों आवे । नूँन निमाणा मुजरम है आया , कड्ढ बहश्तों जिमीं रुलाया । आदम हव्वा जुदा कराया , बुल्ला आप विछोड़ा पावे । व वाह वाह आप मुहम्मद आपणी , आदम शकल बणावे । आपे रोज अज़ल21 दा मालक , आपे शफीह हो आवे । आपे रोज़ हशर दा काज़ी , आपे हुक्म सुणावे । आपे चा शिफाइल22 करदा , आपे ही दीदार करावे । हे होली बोली एत्थे भाई , मताँ कोई सुणे सुणावे । वड्डा अज़ाब23 कबर दा दिसे , जे कोई चा छुडावे । पुरसलात24 दी ओक्खी घाटी , ओह भी खौफ डरावे । तूँ रक्ख उमैद फज़ल दी बुलिआ अल्लाह आप बचावे । लाम लांभ न कोई दिसे मैनूँ , कित वल्ल कूक सुणावाँ । जित वल्ल वेक्खाँ नजर ना आवें , किस नूँ हाल विखावाँ । बाझ पीआ ना हामी कोई , होर नहीं कोई थावाँ । बुल्ला मल दरवाज़ा हज़रत वाला , तैनूँ ओह छुडावे । अलफ इकल्ला जावें एत्थों , वेक्खण आवण ढेर । साहाँ तेरिआँ दी गिणती एत्थे , आई होई नेड़ । शताबी ओत्थे वड़ चल्ल बुलिआ , मत लग्ग जावे देर । पकडत्रीं वाग रसूल अल्ला दी , कुछ जित्थे हत्थ आवे । ये यारी हुण मैं लाई , अगली उमराँ खेड वाँई । बुल्ला शाह दी जात ही आई , कलमा पढ़दिआँ जिन्द लै जावे । लागी रे लागी बदल जावे , इस लागी को कौण बुझावे ।",panjabi-pan "मेरा पिरस चढन्ता सुसरा न्यू कवै मेरा पिरस चढन्ता सुसरा न्यू कवै बहुवड़ एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का सुसरा फोडूं तै दूखै मेरी आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा धार कढन्ता जेठा न्यूं कवै बहुवड़ एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का जेठा फोडूं तै दूखै आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा खुलिया खेलन्ता देवर न्यू कवै भावज एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का देवर फोडूं तै दूखै आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा महल चढन्ता कन्था न्यूं कवै गौरी एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का पीया कोठी नीचै झाकरा मन मांगै जीब खा बगड बखेरूं तेरा झाकरा मेरे बाबल का मार्या सै मान मेरे भाई का मार्या सै मान लाडूडा चरचरी सूंठ का",haryanvi-bgc "पांच पंचास की नाथ घड़ाई पांच पंचास की नाथ घड़ाई पड़गी लामनी पहरन ना पाई सांज ताहीं करी लामनी सांज पड़ै घरां डिगराई आगै सासड़ लड़ती पाई देखा क्यूंना काम बखत क्यूं ना आई सास मिरी नरै मक्की री सुकाई ढाई सेर की कूंडी बखत उठ कै आधी पीस कै कंथा धोरै आई के सोवै हो कै जागै नणदी के भाई मक्की मत बोइए हो कलावती के भाई डिगगी धरण ठिकाने नहीं आई सास मर जागी नणद घर जागी तेरे मेरे राज में मक्की छूट जागी",haryanvi-bgc "514 हीर आखया बैठ के उमर सारी मैं ते आपने आप नूं साड़नी हां मतां बाग गयां मेरा जिउ लगे अंत एह भी पड़तना पाड़नी हां पई रोणियां मैं लेख आपने नूं कुझ किसे दा नही विगाड़नी हां वारस शाह मियां तकदीर आखे वेख नवां पसार पसारनी हां",panjabi-pan "चरखा चन्नण दा नी मैं कत्तां परीतां नाल , चरखा चन्नण दा शाव्वा चरखा चन्नण दा नी ए विकदा ए वडे बज़ार , चरखा चन्नण दा शाव्वा चरखा चन्नण दा नी ए घड़ी ए किसे सुनार , लज्ज लोहे दी शाव्वा चरखा चन्नण दा चरखा कूकर देंदा शाव्वा कूकर लगी कलेजे शाव्वा इक मेरा दिल पया धडके शाव्वा दूजे कंगण छणके शाव्वा माँ मेरी मैंनू चरखा दित्ता , विच चरखे दे मेखां माँ राणी मैनू याद पई आवे , जद चरखे वल वेखां चरखा चन्नण दा . . . चरखे दा मैं रंग की आखां , रंग आखां सुनहरी बाबल मेरे हथ जो फड़या , ते रोया भरी कचहरी चरखा चन्नण दा . . . उचचे बनेरे कां पया बोले , मैं चरखे तंद पावां वे कांवां मेरा वीर जे आवे , तैनु कुट कुट चूरीआं पावां चरखा चन्नण दा . . .",panjabi-pan "मित्तर प्यारे कारन मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । लग्गा नेहुँ मेरा जिस सेती , सरहाणे वेख पलंघ दे जीती , आलम क्यों समझावे रीती , मैं डिट्ठे बाझ ना रैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । तुसीं समझाओ वीरो भोरी , राँझण वंेहदा मैत्थों चोरी , जींहदे इशक कीती मैं डोरी , नाल आराम ना बैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । बिरहों आ वड़ेआ विच्च वेहड़े , ज़ोर ज़ोर देवे तन घेरे , दारू दरद ना बाज्झों तेरे , मैं सज्जणाँ बाज्झ मरेनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । बुल्ले शाह घर राँझण आवे , मैं तत्ती नूँ लै गल लावे , नाल खुशी दे नैण विहावे , नाल खुशी दे रैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ ।",panjabi-pan "भजन टेक कब लग तोहे समझाऊँ , भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक1 घोड़ो रे होय तो लगाम देवाहूं , खासी झीण डलाऊँ । असवार होकर ऊपर बैठकर , चाबुक दे समझाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक2 हाथी रे होय तो जंजीर बंधाड़ू , चारी पाँय बंधाड़ू , मावत होकर ऊपर बैठे , तो अंकुस दे समझाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक3 सोनू रे होय तो सुवागी बुलाऊँ , खासा ताव देवाड़ों । नई फूकणी से फुकवा लाग्या , तो पाणी से पिघला भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक4 लोहो रे होय तो लोहार बुलाऊँ , आइरण घाट घड़ाऊँ । लइ सन्डासी खिंचवा लाग्या , तो यंत्र मा तार चलाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । छाप ज्ञानी रे होय तो बताऊँ , लइ पोथी समझाऊँ कइये कबीर सुणो भाई सदू , तो पत्थर को क्या समझाऊँ अरे भोले मन तुझे कब तक समझाऊँ । घोड़ा हो तो उसे लगाम लगाऊँ और उस पर मजबूत झींग कसवाऊँ और उस पर सवार होकर बैठूँ और चाबुक से उस समझाऊँ । अरे तू तो मनुष्य है और सभी जीवधारियों में एकमात्र समझदार जीव है , तुझे क्या घोड़े को समझाने के समान समझाना पड़ेगा ? हाथी हो तो पैर में जंजीर बाँधूँ चारों पैरों में जंजीर बँधाऊँ , महावत होकर ऊपर बैठकर अंकुश से समझाऊँ । तू तो मनुष्य है । सोना हो तो सुहागी बुलाकर और सोने के साथ डालकर खूब ताव दिलाऊँ आग से ताव देने पर ही सोना पिघलता है और फिर संडासी से पकड़कर पीटते हुए तारों में परिणत करूँ और आवश्यक डोरेकंठी बनाऊँ । तू तो मनुष्य है । क्या सोने के समान आग पर तपाकर फूँकणी से फूँक देकर तार बनवाऊँ । लोहा हो तो लोहार को बुलाऊँ और निहाई लोहे की एरण पर रखकर घड़वाऊँ और संडासी से पकड़कर हथौड़े से पीटते हुए तार बनवाऊँ । ज्ञानी हो तो ज्ञान बताऊँ और पोथी लेकर समझाऊँ । कबीरदासजी कहते हैं कि हे साधु भाइयों सुनो , पत्थर को क्या समझाऊँ । इस गीत में मनुष्य को शिक्षा दी गई है कि तू समझ जा और अच्छे कर्म करते हुए परिश्रम की कमाई से जीवन व्यतीत करते हुए साथ में इस संसार रूपी समुद्र से पार होने के लिए भगवान की भक्ति कर । गीत में घोड़े , हाथी , स्वर्ण , लोहा का उदाहरण देते हुए मनुष्य को समझाया गया है । किसी की मृत्यु होने पर एकत्रित जनसमूह के समक्ष मृत्यु गीत गाते हैं । मरने वाला परलोक सिधार जाता है किन्तु गीतों से जनमानस को अच्छे कर्म के प्रति प्रेरित कर भगवान का भजन करने की प्रेरणा दी जाती है ।",bhili-bhb "पाँच बधावा म्हारे आविजाजी पाँच बधावा म्हारे आविजाजी कई हरी जमेरी जी कई पांचा री नवीनवी भांत रस की हरी जमेरी जी पेलो बधावो म्हारे आवियोजी भेजो म्हारा ससरा दो पोल ।",malvi-mup "ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी सोना गोला डो छाले बोले सोना गोला डो छाले बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा आमा बानी ऐ बेटा जा ऐ बेटा आमा बानी सोना गोला भाई बटवाड़ा सोना गोला भाई बटवाड़ा जा ढाये बोले जा ढाये बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी सोना गोला चोज माठेन जा घाले बोले सोना गोला चोज माठेन जा घाले बोले बेटा आमानी जा बालको जा बेटा बोलो बेटा आमानी जा बालको जा बेटा बोलो ऐ माय डो ऐ माय डो माय इयां बानी ऐ माय डो ऐ माय डो माय इयां बानी काली ग्वाली डो घाल बोले काली ग्वाली डो घाल बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी केंडे ग्वाली ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी केंडे ग्वाली काका बाबा डाई बटवाड़ा जा डाये बोले काका बाबा डाई बटवाड़ा जा डाये बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा नीडो ना वाले को ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा नीडो ना वाले को चोफार टेमा घाले बोले चोफार टेमा घाले बोले स्रोत व्यक्ति गंगू बाई , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "सो जा बारे वीर सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर तातीताती पुरी बनाई ओई में डारो घी पी ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे वीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर एक कटोरा दूध जमाओ और बनाई खीर ले ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे बीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर बरा पे डारो पालना पीपर पे डारी डोर सो जा मोरे बारे भइया मैं लाऊँ गगरिया बोर सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर",bundeli-bns "म्हारै आंगणा बाजा बाजिया जी मंकारा म्हारै आंगणा बाजा बाजिया जी मंकारा , पछोकड़ री म्हारै धर्या हे निसान । बधावा मैं सुना जी मकारा म्हारा सोहरा गढ़ा का चौधरी जी मकारा । म्हारी सासड़ री म्हारी घर की सै मैड़ , बधावा जी मैं सुनां जी मकारा ।",haryanvi-bgc "महेंदी ते वावी मालवे ने मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . नानो दिअर्यो लाडको ने काइन लाव्यो मेहँदी नो छोड़ रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . वाटी कूटी ने भर्यो वाटको ने भाभी रंगों तमारा हाथ रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . हाथ रंगीने वीरा शु करूं रे एनो जोनारो परदेस रे मेहँदी रंग लाग्यो रे मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . . लाख टका नू रोकडा रे कोई जाजो दरिया पार रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . मेहँदी ते वावी माळवे ने एनो रंग गयो गुजरात रे मेहँदी रंग लाग्यो रे . . . .",gujarati-guj "हथ करघे का कपड़ा पावैं हथ करघे का कपड़ा पावैं गांधी का फरमाण बजावैं गरीब जुलाहां के कुंबनां नै रोटी कमान का काम दिलावैं",haryanvi-bgc "राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी कुछ गर्मी से कुछ सर्दी से दूजा जोर जवानी का कोठे चढ़न ते देवर बुलावै आजा राज दुलारी अंगिया भीजै हमारी मैं कैसे आऊं मेरे छोटे से देवरिया कदम कदम हुआ भारी अंगिया भीजै हमारी बारां बरस पिया चाकरी से आए रोवै राज दुलारी अंगिया भीजै हमारी",haryanvi-bgc "131 कैदो आनके आखदा सहुरयो ओये मैंथो कौन चंगा मत देसिआ ओये एह नितदा पयार न जाए खाली पिंज गडी दादास ना देसिया ओये हथों मार सियालां ने गल्ल टाली परा छड झेड़ा एह भेरसिया ओये रग इक वधीक है लंडयां दीए किरतघण फरफेज मलखेसिया ओये",panjabi-pan "मेरी मालन रंगीली गून्थ लायी री सेहरा मेरी मालन रंगीली गून्थ लायी री सेहरा गून्थ लायी री कहां तो बोया केवड़ा री कहां तो बोया गुलाब री किनारे किनारे बोया केवड़ा री क्यारी में बोया गुलाब री किन ये डाल झुकाइयां री और किन ये बीने हैं फूल री मेरी मालन छबीली . . . माली ने डाल झुकाइयां री और मालन ने बीने हैं फूल री गून्था ए गून्था वारी ला हां धरा ए चंगेरी के बीच री मेरी मालन छबीली . . . सिर धर मालन निसरी री मेरठ के तखत बजार री लोग महाजन पूछिया अरी कर सेहरे का मेल री मेरी मालन छबीली . . . . यौं तो लगे या मे डेढ़ सौ री , और लाल लगे लख चार री उड़ने तो लगी चिड़कली जी कूकन लागे मोर री मेरी मालन छबीली . . . किन यह सेहरा मंगाइयां री और किस के घर में जाय री . . . का बेटा . . . का पोता ब्याहियां उन घर जाये री मेरी मालन छबीली . . .",haryanvi-bgc "190 असकंदरी नेवरां वीर बलियां पिपल वतरे झुमके सारयो ने हस जड़े छनकंगनां नाल जुगनी ठिके नाल ही चा सवारयो ने चंननहार लोगाढ़ियां नाल लूहला वडी डोल मयानडे धारयो ने दाज घत के विच संदूक बधे सुनो की की दाज रंगारयो ने वारस शाह मियां असल दाज रांझा इक ओह बदरंग करायो ने",panjabi-pan "बाबू के मउरिया में लगले अनार कलिया बाबू के मउरिया1 में लगले अनार कलिया2 । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया3 । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 1 ॥ बाबू सरहज से बोलिहऽ अमीर4 बोलिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 2 ॥ बाबू के दोरवा5 में लगले अनार कलिया । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया ॥ 3 ॥ बाबू के अँगुठी में लगले अनार कलिया । अनार कलिया हे , गुलाब झरिया । बाबू धीरे से चलिहऽ ससुर गलिया । 4 ॥",magahi-mag "श्री रामचन्द्र जन्म लिये चैत सुदि नौमी श्री रामचन्द्र जन्म लिये चैत सुदि नौमी । दाई जो झगड़े नरा की छिनाई कौशिल्या जी की साड़ी लैहों , सोर की उठाई । श्री . . . नाइन झगड़े नगर की बुलाई कौशिल्या जी को हार लैहों , महल की पुताई । श्री . . . पंडित जो झगड़ें वेद की पढ़ाई दशरथ जी को घोड़ा लैहों वेद की पढ़ाई । श्री . . . ननदी जी झगड़े आँख की अंजाई तीन लोक राज लैहों सांतिया धराई । श्री . . .",bundeli-bns "सजन बड़ा रे बईमान है सजन बड़ा रे बईमान है , दगा दिया परदेशी १ काया जीव से कह रही , सुन ले प्राण अधार लागी लगन पिया मत तोड़ो मैं तो तेरे पास . . . सजन बड़ा रे . . . २ जीव काया से कह रही , सुण ले काया मेरी बात अष्ट पहेर दिन रेन के प्रित बाळ पणा की . . . सजन बड़ा रे . . . ३ तुम राजा हम नग्र है , फिरी गई राम दुवाई तुम तो पुरुष हम कामनी कीस मद मे रहते . . . सजन बड़ा रे . . . ४ मैं पंछी परदेस का , मेरी मत कर आस देख तमाशा संसार का दुजो करो घर बार . . . सजन बड़ा रे . . . ५ चार दिन का खेलणा , खेलो संग साथ मनरंग स्वामी यो कहे मेरी मत कर आस . . . सजन बड़ा रे . . .",nimadi-noe "लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै । ऐसा रै होय कोई बीरा नै जिवाले आधा राज सबाई धरती , लिछमन कै । कै तो जिवाले सीता रै सतबंती कै तो जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै । क्यों तै जिवाले सीता रै सतबंती , क्यां तै जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै । सत तै जिवाले सीता रै सतबंती , बूटी तै जिवाले हनुमान जती , लिछमन कै ।",haryanvi-bgc "उदना रेख करम में खाँची उदना रेख करम में खाँची । होन हार सो साँची । जैसी लिखी भाग में भाबई आन अगारूॅ नाँची । पक्की मौत होत पाँवँन की उबै गिनो ना काँची । राखी बात आपविघ हाँतन आन बदे मैं बाँची साजी बुरई ईसुरी चर्चा सिनसारी में माँची ।",bundeli-bns "सपने में आए भरतार सपनौ तौ देखौ बहना मेरी रात में जी ऐजी कोई सपने में आये भरतार ॥ 1 ॥ सपनौ तौ . घोड़ा है बाँधो बहना मेरी थान पै री ऐरी मेरे आये हैं महल मझार ॥ 2 ॥ पाँचों उतारे पियाजी ने कापड़े जी एजी कोई खोलि धरे हथियार ॥ 3 ॥ अचकपचक तो पलका पै पग धरौजी ऐजी मैं लीनी झटकि जगाय ॥ 4 ॥ उंगली पकरि के बैठी मोय कर लई जी एजी कोई हँसि हँसि पूछी बात ॥ 5 ॥ प्रेम तौ बाढ़ौ जागो रस काम कौ जी ऐसी मेरे डाली है गले में बाँह ॥ 6 ॥ इतने ही में नैना मेरे खुल गये जी एजी यहाँ ते कित गये दाबादार ॥ 7 ॥ कहनि सुननि तो बहना कछु ना भई री एजी कोई रूठि गये भरतार ॥ 8 ॥ प्यारे पिया बिन बहना कल ना पड़े जी , एजी मोय सामन नाँहि सुहाय ॥ 9 ॥ कर्म लिखौ सो बहना मेरी है गयो री एजी जाकौ कोई नाहैं मेंटनहार ॥ 10 ॥",braj-bra "कदी आ मिल यार प्यारिआ कदी आ मिल यार प्यारिआ । तेरीआँ वाटाँ तों सिर वारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ । चढ़ बागीं कोइल कूकदी । नित सोजे़अलम1 दे फूकदी । मैनूँ ततड़ी को शाम विसारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ । बुल्ला सहु कद घर आवसी । मेरे बलदी भा2 बुझावसी । ओहदी वाटाँ तों सिर वारिआ । कदी आ मिल यार प्यारिआ ।",panjabi-pan "इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बाईसा रा बीरा लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोलालहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सुसराजी तो दिल्ली रा राजवी सा म्हारा सासूजी तो गढ़ रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोलालहेरियो सा",rajasthani-raj "रंग उड़े रे गुलाल इना घर में रंग उड़े रे गुलाल इना घर में पाणी पड़े रे तुबार इना घर में जई ने कीजो कचेरी बिठईया से दफ्तर के लिखईया से दाई ने बेग बुलावे इना घर में दाई बुलाय जच्चा क्या फरमाव हम घर नाको मोड़ाय इना घर में जई ने किजो उना सार का खिलईया से पांसा का जितईया से सासू जी ने बेग बुलाव इना घर में सासू बुलाय बच्चा क्या फरमाव कुवर अटोला में झेले इना घर में आप तो जच्चा रानी लाल लई सूता , गोपाल लई सूता हमखे लगाई दौड़ादौड़ इना घर में जाय ने कीजो कंठी का पेरईया से चौसर का निरखईया से जेठाणी खे बेग बुलाव इना घर में जेठाणी बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारा चखे कुंकू धराय इना घर में जाई ने कीजो उन पागां का पेरईया से पेचां का निरखईया से देराणी खे बेग बुलाव इना घर में देराणी बुलाय जच्चा क्या फरमावो देस इन रसोई निपाय इना घर में म्हारा कोने खाट बिछाय इना घर में नणदल खे बेग बुलाय इना घर में नणदल बुलाय जच्चा क्या फरमाओ म्हारा कंवळे सांतीपुड़ा मांडे इना घर में पड़ोसण खे बेग बुलाव इना घर में पड़ोसण बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारे इस दन मंगल गवाड़ो इना घर में जोसीड़ा खे बेग बुलावो इना घर में जोसीड़ो बुलाय जच्चा क्या फरमावो म्हारा नाना को नाम धरावो इना घर में ढोली बुलाय जच्चा क्या फरमावो ढोली बुलाय जच्चा क्या फरमावो दस दन ढोल बजाव इना घर में",malvi-mup "आल्हा ऊदल बज पड़ गैल आल्हा पर ओ पर गिरे गजब के धार जब से ऐलों इन्द्रासन से तब से बिदत भैल हमार पिल्लू बियायल बा खूरन में ढालन में झाला लाग मुरचा लागि गैल तरवारन में जग में डूब गैल तरवार आल्हा लड़ैया कबहीं नव् देखल जग में जीवन में दिन चार एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा खुसी मंगन होय जाय खोलै अगाड़ी खोलै पिछाड़ी गरदनियाँ देल खोलाय जीन जगमियाँ धर खोले सोनन के खोलै लगाम पीठ ठोंक दे जब घोड़ा के घोड़ा सदा रहव कलियान चलल जे राजा डेबा ब्राहमन घुड़ बेनुल चलल बनाय घड़ी अढ़ाई का अन्तर में रुदल कन पहुँचल जाय देखल सूरत घुड़ बेनुल के रुदल बड़ मंगन होय जाय देहिया पोंछे जब घोड़ बेनुल के रुदल हँस के कैल जनाब हाथ जोड़ के रुदल बोलल घोड़ा सुन ले बात हमार तब ललकारें रुदल बोलल डेबा मंत्री के बलि जाओ घोड़ा बेनुलिया तैयारी कर जलदी बोल करव् परमान घोड़ा पलाने डेबा ब्राहमन रेसम के भिड़े पलान चोटी गुहावे सोनन से चाँदी खील देल मढ़वाय पूँछ मढ़ावल हीरा से महराजा सुनीं मोर बात सात लाख के हैकलवा है घोड़ा के देल पेन्हाय एतो पोसाक पड़ल घोड़ा के रुदल के सुनी हवाल",bhojpuri-bho "अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ ? भोगा , बुरी रै कंगाली , धन बिन कीसी रै मरोड़ धनवन्त घरां आणके कह जा निरधन ऊँचीनीची सब सह जा सर पर बंधाबंधाया रह जा माथे पर का रै मोड़ । अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ निरधन सारी उमर दुख पावे भूखा नंग रहके हल बाहवे भोगा , बिना घी के चूरमा तेरी रहला कमर तै रै तोड़ अरै मैं बुरी कंगाली धन बिन कीसी रै मरोड़ भावार्थ ' बुरी है ग़रीबी , धन के बिना कैसा नखरा ? मैं सब भोग चुका हूँ , गरीबी बुरी बला है । धन के बिना कोई नखरा नहीं किया जा सकता । धनी ग़रीब के घर आकर , जो चाहता है कहकर चला जाता है । ग़रीब व्यक्ति उसकी हर ऊँचीनीची बात सह जाता है । धन के बिना तो सर पर बंधी पगड़ी का भी कोई मोल नहीं रह जाता । अरे मैं सब झेल चुका हूँ । बहुत बुरी है ये कंगाली । धन के बिना कोई सुख नहीं पाया जा सकता है । ग़रीब व्यक्ति सारी उमर दुख पाता है । वह भूखानंगा रह कर हल चलाता है और खेत जोतता है । अरे ओ भोगा , क्या किया तूने ? बिना घी की रोटी का जो चूरमा चूरा तूने कपड़े में बांध कर अपनी कमर पर लटका रखा है , वह तेरी कमर का बोझ बनकर उसे तोड़ रहा है । अरे , मैं यह बुरी कंगाली ख़ूब झेल चुका हूँ । पैसे के बिना जीवन में कोई सुख नहीं है । '",haryanvi-bgc "झूले नदलाल झुलाओ सखी पालना झूलें नंदलाल झुलाओ सखी पालना काहे के तोरे बनो पालना , काहे के लागे फंुदना । झूलें नन्दलाल . . . अगर चंदन के बने हैं पालना , रेशम की डोरी रुपे के लागे फंुदना । झूलें नन्दलाल . . . को झूलें को जो झुलावे , को जो बलैया लेत मुख चूमना । झूलें नन्दलाल . . . कान्हा झूले , सखिया झुलावें , यशोदा बलैया नंद मुख चूमना । झूलें नन्दलाल . . .",bundeli-bns "352 एह रसम कदीम है जोगियां दी ओहनूं मारदे ने जेहड़ी टुरक दी ए खैर मंगदे दियां फकीर ताई अगे कुतयां दे वांग घुरकदी ए एह खसम नूं खान नूं किवें दसी जेहड़ी खैर देंदी पई झुरकदी ए एक पेरनी के अहलवाननी ए इके कंजरी ए किसे तुरक दी ए पहले फूक के अग मताबियां नूं पिछों सरद पानी वेख बुरकदी ए रन्न गुंडी नूं जिथों पैजार1 वजन ओथों चुप चुपीतड़ी सुरकदी ए इक झट दे नाल मैं पट लैणी जेहड़ी जुलफ गलां उते लुटकदी ए सयाने जानदे ने धनी जाय झोटी जेहड़ी साहन दी मुतरी खुरकदी ए फकर जान मगन खैर भुखे मरदे अगों सगां2 वांगूं पई दुरकदी ए लंडी वैहड़ नूं खेतरी हथ आई पई उपरों उपरों मुरकदी ए वारस शाह वांगूं सानं रन्न खचरी अख विच ज्यों कुकरे रूड़कदी ए",panjabi-pan "तेरा हर्या पीपल सौंपल डाली भौं पड़ै तेरा हर्या पीपल सौंपल डाली भौं पड़ै एक आरतड़े की मैं सार न जाणूं क्यूंकर कीज्या बटणां आरता एक दूर देसां तै मेरी नणन्द आई आरता समझाईयां एक डाल छोटा पेड़ मोटा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ कसीदा गोद भतीजा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ लोटा गोद बेटा कर दे सुहागण आरता तेरे हाथ तोरी गोद छोरी कर दे सुहागण आरता छोरियां ने मकर कसार बहुआं ने खाटी राबड़ी द्योत्यां ने खेलणे , पोते हांडै रोवते लीपै ते पोत म्हारी धीयड़ , हाग हाग दाबै म्हारी कुल बहू छोरियो तम अपणे घर जाओ , बेल बधावै म्हारी कुल बहू",haryanvi-bgc "हमखो न अखिया दिखाओ मोरे सैया हमखों न अंखिया दिखाओ मोरे सैयां । दइजे में तुमने रुपये गिना लये , रुपया गिना के कायको बिकाय गये । अब खरीखोटी न सुनाओ मोरे सैयां । हमखों . . . दइजे के धन पे बने पैसा वारे , छैल छबीले बने बाबू प्यारे रौब कछु न जमाओ अब सैयां । हमखों . . . चूल्हा न करहों चौका न करहों बासन न करहों पानी न भरहों कौनऊ नौकरानी लगाओ मोरे सैयां । हमखों . . . सुनतई मुरझा गई शैखी तुम्हारी बरछी सी लगे जे बतियां हमारी रोटी बना के खबाओ न सैयां । हमखों . . .",bundeli-bns "सूती थी रंग महल में सूती थी रंग महल में , सूती ने आयो रे जन जाणु , सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे सुपने में आग्या जी , म्हारी नींद गवाग्या जी सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसाग्या जी सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे तब तब महेला ऊतरी , गई गई नन्दल रे पास , बाईसा थारो बिरो चीत आयो जी पूछे भाभी गेली बावली , बीरोजी गया है परदेस , सुपने तो तने झुटो ही आयो रे देखो ननद थारी भाईजी की बातां , लाज शरम नहीं आवे , सुपने के बाहने नैणां से नैण मिलाग्या जी सुपने में आग्या जी , म्हारी नींद गवाग्या जी , सूती है सुख नींदा में म्हाने तरसया गया जी , सुपना रे बैरी नींद गवाईं रे",rajasthani-raj "राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे गोना घाटो बेडेजे बोको सारी गागंड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो गोना घाटो बेडेजे बोको सारी गागंड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो रुपयो झोला कान्डोयो बोको सारी मकड़ाई सारी गागंड़ा फिरीयो रुपयो झोला कान्डोयो बोको सारी मकड़ाई सारी गागंड़ा फिरीयो सारी गागंड़ा फिरीयो बोको बा सूरतो बन डूंगू सारी गागंड़ा फिरीयो बोको बा सूरतो बन डूंगू राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे राई राई राई बोको राई घाटो गोना घाटो बेडेजे गोना घाटो बेडेजे सारी गांगड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो गोना घाटो बेडेजे सारी गांगड़ा सारी मकड़ाई फिरीयो स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "जल भर ले हिलोरें हिलोर रसरिया रेशम की जल भर ले हिलोरें हिलोर रसरिया रेशम की अरर जल भर ले हिलोरे हिलोर रेशम की रसरी तब नीकी ल़ागे सोने की गगरिया होय रसरिया रेशम की सोने की गगरी तब नीकी लागे सुघड़ महरिया होय रसरिया रेशम की सुघड़ महरिया तब नीकी लागे साथे में छैला होय रसरिया रेशम की साथे म छैला तब नीको लागे गोदी म ललना होय रसरिया रेशम की सुघड़ महरिया तब नीकी लागे सत् रंग चुनरी हारसरिया रेशम की सतरंग चुनरी तब मीको लागे मखमल का लहंगा होय रसरिया रेशम की मखमल का लहंगा तब नीको लागे सब अंग गहना होय रसरिया रेशम की",awadhi-awa "9 मौजू चौधरी पिंड दी पांध1 वाला चंगा भाइयां दा सरदार आहा अठ पुत्र दो बेटियां तिसदिआं सन वडा टबर अते परिवार आहा भले भाइआं विच प्रतीत उसदी मंनिआ चोंतरे विच सरकार आहा वारस शाह एह कुदरतां रब्ब दीयां ने धीदो नाल उस बहुत पयार आहा",panjabi-pan "केलवा जे फरये ला घवद से ओहपर केलवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय नारियलवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय अमरुदवा जे फरये ला घवद से ओहपर सुगा मंडराय उ जे खबरी जनइबो अदित्य से सुगा दिहले जुठीयाय उ जे मरबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरुछाय सुगनी जे रोवय वियोग से आदित्य होऊ न सहाय",bhojpuri-bho "अंगिका फेकड़ा अटकनमटकन , दहिया चटकन बर फूले , करेला फूले इरिचमिरिच मिरचाय के झावा हाथी दाँत समुद्र के लावा लौआ लाठी चन्दन काठी मार पड़ोकी पाँजड़ तोड़ । कागजपत्तर कलम दवात इटा पाटी सोने के टाट टाट गिरा दे पूरे आठ । चिल्लर पटपट , गंगा हो लाल हथिया सूढ़ ठुट्ठोॅ पीपर पतझाड़ कौआ कानोॅ , तेली बेमानोॅ मियाँ ढोलकिया , फूस कन्हैया । अलिया गे झलिया गे बाप गेलौ पुरैनिया गेे लानतौ लाललाल बिछिया गे कोठी तर छिपैयेैं गे बालू में नुकैयैं गे झमकलझमकल जैहियें गे सास केॅ गोड़ेॅ लगिहें गे ननदी केॅ ठुनकैहियैं गे । सुइया हेराय गेल खोजी दे नै तेॅ मैया मारबे करतौ ना । अट्टा ऐन्होॅ , पट्टा ऐन्होॅ धोबिया के पाट ऐन्होॅ कुम्हरा के चाक ऐन्होॅ बीचोॅ गामोॅ में मुकद्धम मुखिया बनी जइहोॅ तोंय राजा बेटा गोड़ोॅ लागोॅ , ठाकुर जी केॅ , धरती धरमोॅ केॅ साठी माय केॅ । बाप कहाँ गेल छौ ? ढाका बंगाला । कीकी लानतो ? पूड़ीमिठैइया । हमर्हौ देबे ? नै रे भैया । चिकना भरभर , चिकना भरभर । ताय पुड़ी ताय के के पकाय नूनू पकाय नुनूहैं खाय । गाय गेलौ रनेॅ बनेॅ भैंस गेलौ बीजू वनेॅ कानी भैंसियाँ धान खाय छै राजा बेटा हाँक दै छै घूबे तेॅ घूर गे धान फूसूर । करिया झुम्मर खेलै छी लीख पटापट मारै छी । बीजू रे बन्धवा कै चन्दवा ? एक चन्दवा । घोघो रानी कतना पानी अतना पानी , अतना पानी ?",angika-anp "घरी घरी पै ईसुरी, घरी सौ दृगन दिखात घरी घरी पै ईसुरी , घरी सौ दृगन दिखात , मुईयाँ बाँके छेल की , नजर न भूलत रात । ऑखियाँ तरसें यार खाँ कबै नजर मिल जाय , नजर बचा के ईसुरी रजऊ बरक कड़ जाय । तरै तरै के करत हैं , तेरे ऊपर प्यार , हमहँ अकेले एक हैं , रजऊ की दमके यार । घातें सबई लगाँय हैं , घर खोरन की कोद , ईसुर डूबे रसरँगन , और न पावै सोद ।",bundeli-bns "मृत्यु गीत टांडो लाद चल्यो बणजारो । टेक अरे मन लोभी थारो काई रयण को पतियारो । चौक1 गिर पड्यो कोट , बिखर गइ माटी ॥ माटी को हुइ गयो गारो , थारो कइ रयण को पतियारो । मन लोभी थारो कइ रयण को पतियारो । चौक2 वाड़ लगायो तुन बहुत रसीलो भाई जेकि पेरी को रस न्यारोन्यारो । थारो रयण को कइ पतियारो । चौक3 बुझ गयो दीपक जळ गइ बाती ॥ भाई थारा महल म पड़ि गयो अंधियारो । थारो काइ रयण को पतियारो मन लोभी , टांडो लाच चल्यो बणझारो , थारो काइ रयण को पतियारो चौक4 लेय कटोरो भिक मांगण निकल्यो ॥ भाइ कोइ न नि दियो उधारो , थारो रयण को काइ पतियारो । टांडो लाद चल्यो बणझाारो , थारो रयण को काइ पतियारो । छाप कई ये कबीर सुणो भई साधु ऐसा संत अमरापुर पाया , थारो रयण को कइ पतियारो । बणजारा अपना टांडा बैलों पर लादकर चला । अरे मानव तू उस बणजारे की बालद के समान अल्प समय के लिए इस संसार में आया है । बणजारा अपने मार्ग पर जाते हुए रात्रि में ठहरता है और सबेरा होते ही अपने गंतव्य की ओर टाण्डा मालअसबाब बैलों पर लादकर चल पड़ता है , उसी के समान मानव तू भी दुनिया में आया है और समय पूरा होने पर चल पड़ेगा । अरे मन तेरे रहने का क्या भरोसा है , यानी कब दुनिया से जाना पड़ेगा , क्या भरोसा है ? यह शरीर पंचत्व का बना है , कच्ची मिट्टी के कोट के समान है । जिस प्रकार कच्ची मिट्टी का किला गिरकर बिखर जाता है और उस माटी का गारा हो जाता है , उसी प्रकार कब जीव इस घर को छोड़कर चला जायेगा और यह पंचतव्व द्वारा निर्मित देह मिट्टी गारा हो जायेगी । तेरा रहने का क्या भरोसा है ? अरे लोभी मन तेरा रहने का क्या भरोसा है ? तात्पर्य है जो भी भजन , धरमपुण्य , भले कार्य करके अपने मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर । अरे लोभी मानव तूने बहुत मीठे रस वाला गन्ने का खेत भरा , उस गन्ने की पेरी गन्ने में कुछकुछ दूरी पर गठानें होती हैं , उन गठानों के बीच के भाग को पेरी कहते हैं के रस की मिठास अलग होती है । जड़ के ऊपरी हिस्से की पेरी का रस ज्यादा मीठा होता है और ऊपर जैसेजैसे पेरी आती है क्रमशः उन पेरियों के रस की मिठास कम होती जाती है । मनुष्य तू प्रारम्भ से ही भगवान की भक्ति में लग जा और उस भक्ति की मिठास को प्राप्त कर , उसमें मजा ले । आगे क्या भरोसा है , कब तक दुनिया में रहना होगा ? अरे मानव दीपक बुझ जाता है और फिर रहीसही बत्ती भी जल जाती है । अरे भाई दीपक बुझा और तेरे महल में अंधेरा हुआ । जीव चला गया तो इस शरीर में अंधेरा हुआ और शरीर की हलचल समाप्त हो जाती है । मानव तन तेरे रहने का क्या भरोसा है ? इसलिए प्रारम्भ से ही चेत जा । कबीरदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य प्रारम्भ से ही चेत कर भगवान की भक्ति और भले कर्म धरमपुण्य कर लेते हैं , ऐसे संत अमरापुर पा लेते हैं ।",bhili-bhb "570 हीर नाल फिराक1 दे आह मारी रब्बा वेख असाडियां भखन भाही अगे अग पिछे सप शीह सांडे साडी वाह ना चलदी चैही राही इके मेलसाइयां रांझा यार मैंनूं इके दोहां दी ऊमर दी अलख लाही एडा केहर कीता देस वालया ने एस शहर नूं कादरा अग लाई",panjabi-pan "375 भला दस खां जोगिया यार साडा हुण केहड़ी तरफ नूं उठ गया वेखां आप हुण केहड़ी तरफ फिरदा अते मुझ गरीब नूं कुठ1 गया रूठे आदमी घरां विच आन मिलदे गल समझ जा बधड़ी मुठ2 गया घरां विच पैंदा गुनां सजनां दा यार होर नाहीं किसे गुठ गया घर यार ते ढूंढ़दी फिरे बाहर किते महल ना माड़ियां उठ गया सानूं चैन आराम ते सबर नाहीं सोहणा यार जदोकणा रूठ गया",panjabi-pan "नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके । अम्माँ वाली लाड़ो माथे चाँद चमके ॥ 1 ॥ माँगे लाड़ो के टीका सोभे , मोतिया की झलक देखा री लाड़ो । अम्माँ पेयारी लाड़ो माथे चाँद चमके ॥ 2 ॥ नाके लाड़ो के बेसर सोभे , चुनिया1 अजब बिराजे लाड़ो । नथिया अजब बिराजे लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 3 ॥ काने लाड़ो के बाली2 सोभे , झुमके की झलक देखा री लाड़ो । कनपासा3 की झलक देखा री लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 4 ॥ जाने4 लाड़ो के सूहा5 सोभे , छापे की झलक देखा री लाड़ो । छापा अजब बिराजे लाड़ो , माथे चाँद चमके । भइया पेयारी लाड़ो , माथे चाँद चमके ॥ 5 ॥",magahi-mag "असमानों उत्तरी इल्ल वे (ढोला) असमानों उत्तरी इल्ल वे तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे सभ्भे ने कुआरियाँ , जीवें ढोला ढोल मक्खना दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना भावार्थ ' आकाश से चील उतरी अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ? सभी कुंवारी हैं जीते रहो , सजन ओ सजना ओ मक्खन परदेसीओं का दिल राज़ी रखना '",panjabi-pan "246 भोग भोगना दुध ते दहीं पीवन पिंडा पालके रात दिन धोवना एं खरा कठन है फकर दी वाट झागन1 मुंहों आखके काहे वगोवना एं वाहें वंझली त्रीमतां नित घूरे गाईं महीं वलायके चोवना एं वारस आख जटा केही बनी तैनूं सुआद छडके खेह2 क्यों होवना एं",panjabi-pan "दादा मियाँ लगाइन घनी बगिया दादा मियाँ लगाइन1 घनी बगिया । मेवा तोड़ तोड़ खइहे , मेरे लाल बने2 ॥ 1 ॥ ससुर भँडुए की साँखरी गलिया । दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने ॥ 2 ॥ दादा मियाँ की ऊँची दलनियाँ3 । जहाँ सासु को नचइहो4 मेरे लाल बने ॥ 3 ॥ बाबा मियाँ लगाइन घनी बगिया । मेवा तोड़ तोड़ खइहे , मेरे लाल बने ॥ 4 ॥ साले भँडु़ए की साँखरी गलिया । दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने ॥ 5 ॥",magahi-mag "आया था ओ गेहूं काट कै आया था ओ गेहूं काट कै आंदे ठाली लाठी मार छेत्त के पूछण लाग्या चोट कड़ै सी लागी",haryanvi-bgc "मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी मैं तुम ते पूछूं हो मेरे राजा कैसी लगै पनिहारी जैसी दूध पै जमे मलाई मेरी गोरी ऐसी लगै पनिहारी मेरे राजा . . . मैं तमतै पूछूं हो मेरे राजा कैसे लगै घरआली जैसी चुभच्चै मैं आवै बदबोई मेरी गोरी ऐसी लगै घरआली मेरे राजा . . . लिखलिख चीट्ठी बीरण पै भेजूं मेरे राजा आ गए बीरण हजारी मेरे राजा . . . मैं तमतै पूछूं हो मेरे जीजा कैसे लगै पनिहारी जैसी चुभच्चै मैं आवै बदबोई मेरे साला ऐसी लगै पनिहारी मेरे राजा . . . मैं तमतैं पूछूं हो मेरे जीजा कैसे लगै मेरी बहणां जैसी दूध पै आवै मलाई जी साला ऐसी लगै थारी बहणां मेरे राजा . . . मैं थम तै पूछूं जी मेरे राजा अब कैसी तेरी मत मारी मैं तम तै बोलूं हे मेरी गोरी अब डरदै की मत मारी मेरे राजा भीजै मेरी चम्पा साड़ी",haryanvi-bgc "बने दूल्हा छवि देखो भगवान की बने दूल्हा छवि देखो भगवान की , दुल्हन बनी सिया जानकी । जैसे दूल्हा अवधबिहारी , तैसी दुल्हन जनक दुलारी , जाऊ तन मन से बलिहारी । मनसा पूरन भई सबके अरमान की । दुल्हन बनी . . . ठांड़े राजा जनक के द्वार , संग में चारउ राजकुमार , दर्शन करते सब नरनार धूम छायी है डंका निशान की । दुल्हन बनी . . . सिर पर कीट मुकुट को धारें , बागो बारम्बार संभारे , हो रही फूलन की बौछारें । शोभा बरनी न जाए धनुष बाण की । दुल्हन बनी . . . पण्डित ठांड़े शगुन विचारें , कोऊकोऊ मुख से वेद उचारें । सखियां करती हैं न्यौछारें , माया लुट गई है हीरा के खान की । दुल्हन बनी . . . कह रहे जनक दोई कर जोर , सुनियोसुनियो अवधकिशोर , कृपा करो हमारी ओर । हमसे खातिर न बनी जलपान की । दुल्हन बनी . . .",bundeli-bns "अंगिका बुझौवल तोहरा कन गेलाँ लेॅ केॅ बैठलाँ । पीढ़ा तोहरा कन गेलाँ खोली केॅ बैठलाँ । जूत्ता चानी हेनोॅ चकमक , बीच दू फक्का जे नै जानेॅ , जे नै जानेॅ ओकरोॅ हम्में कक्का । दाँत हिन्हौ टट्टी , हुन्हौ टट्टी बीच में गोला पट्टी । जीभ हाथ गोड़ लकड़ी पेट खदाहा जे नै बूझै ओकरोॅ बाप गदहा । नाव फरेॅ नै फूलै , ढकमोरै गाछ । पान जड़ नै पत्ता , की छेकोॅ ? अमरलत्ता तोहरा घरोॅ में केकरोॅ पेट चीरलोॅ । गेहूँ चलै में रीमझीम , बैठै में थक्का चालीस घोॅर , पैतालीस बच्चा । रेल खेत में उपजै , हाट बिकाबै साधूब्राह्मण सब कोय खाबै नाम कहैतें लागै हस्सी आधा गदहा , आधा खस्सी । खरबूजा लाल गे ललनी , लाल तोरोॅ जोॅड़ हरिहर पत्ता , लाल तोरोॅ फोॅर । खमरूआ राग जानै गाना नै जानै गाय ब्राह्मण एक्को नै मानै जों कदाचित जंगल जाय एक हापकन बाघौ केॅ खाय । मक्खन हमरोॅ राजा केॅ अनगिनती गाय रात चरै दिन बेहरल जाय । तारा हिनकी सास आरो हमरी सास दोनों माय घी तोहें बूझोॅ हम्में जाय छी । ससुरपुतोहू साँपोॅ हेनोॅ ससरै , माँड़ रं पसरै सभै छोड़ी केॅ नाक केॅ पकड़ै । पोटा एक गाछ मनमोहन नाम बारह डार , बारह नाम । बरस , दिन , तिथि एक जोगी आवत देखा रंगरूप सिन्दूर के रेखा रोज आबै , रोज जाय जीवजन्तु केकरो नै खाय । सूरज",angika-anp "फागुन के आइल बहार हो बलमुआ फागुन के आइल बहार हो बलमुआ छोड़ द नोकरिया घरे आव , आहे घरे आव । । टेक । । घरहिं खिअइबो तोहे पूरी मिठइया ऊपर से तोहके सेजिया सूताइब हींक भरि जिअब लहालोट हो , बलमुआ छोड़ द नोकरिया घरे आव , आहे घरे आव । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से",bhojpuri-bho "मान उतारने का गीत खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार । तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार । तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार । खोलोखोलो वो माता खोलो वो किंवाड़ । हे माता1 दरवाजा खोलो । हे माता तेरे आँगन में दोचार नारियल हैं । हे माता तेरे आँगन में दोचार बकरे हैं । माता को भेंट के लिए दोचार नारियल और दोचार बकरे लेकर आये हैं ।",bhili-bhb "गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला गांजा बुबुलेयन मानेला जा सिडु बुबुलेयन मानेला मानेला पान्तारी कोरा कीटजे मानेला मानेला पान्तारी कोरा कीटजे मानेला रही रुपों जड़ी तालान आमा रानी ताड़ान भोले रही रुपों जड़ी तालान आमा रानी ताड़ान भोले ओ बिडेजा मानेला ओ बिडेजा मानेला पान्तारी कोरा बो बिडे जा पान्तारी कोरा बो बिडे जा मानेला ईय भागो रानी साथ बुहार रानी सेगेवा जा मानेला मानेला ईय भागो रानी साथ बुहार रानी सेगेवा जा मानेला स्रोत व्यक्ति निशा , ग्राम आंवलिया",korku-kfq "काबर समाये रे मोर काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा झूलत रहिथे तोरे चेहरा ए हिरदे के अएना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा अपने अपन मोला हांसी आथे सुरता मा तोर रोवासी आथे अपने अपन मोला हांसी आथे सुरता मा तोर रोवासी आथे का जादू डारे ए ए रे टोनहा तैं ए पिंजरा के मैंना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा आथे घटा करिया घनघोर झूमर जाथे मंजूर मन मोर आथे घटा करिया घनघोर झूमर जाथे मंजूर मन मोर पुरवईया असन आ आ आजे संगी पानी हो के रैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा का होगे मोला तोर गीत गा के नाचे के मन होथे काम बुता मा मन नइ लागे धकर धकर तन होथे आके कुछु कहिते ए ए ए संगवारी मया के बोली बैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा झूलत रहिथे तोरे चेहरा ए हिरदे के अएना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा काबर समाये रे मोर , बैरी नैना मा",chhattisgarhi-hne "चलो मनवा उस देश को चलो मनवा उस देश को , हंसा करत विश्राम १ वा देश चंदा सुरज नही , आरे नही धरती आकाश अमृत भोजन हंसा पावे बैठे पुरष के पासा . . . चलो मनवा . . . २ सात सुन्न के उपरे , सतगरु संत निवासा अमृत से सागर भरिया कमल फुले बारह मासा . . . चलो मनवा . . . ३ ब्रह्मा विष्णु महादेवा , आरे थके जोत के पासा चैदह भवन यमराज है वहां नहीं काल का वासा . . . चलो मनवा . . . ४ कहत कबीर धर्मदास से , तजो जगत की आसा अखंड ब्रह्मा साहेब है आपही जोत प्रकाशा . . . चलो मनवा . . .",nimadi-noe "कहवाँ में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा कहवाँ में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा कहवाँ में रोपबई बेइलिया अहो रामा । नइहरा में रोपबई हरी केबड़ा अहो रामा ससुरा में रोपबई बेइलिया अहो रामा । पनिए पटयबई हरी केबड़ा अहो रामा दूधवे पटयबई बेइलिया अहो रामा । काँचे सूते गुँथबई हरी केबड़ा अहो रामा रेसम सूते गुँथबई बेइलिया अहो रामा । के मोरा पेन्हतन हरी केबड़ा अहो रामा के मोरा पेन्हतन बेइलिया अहो रामा । भइया मोरा पेन्हतन हरी केबड़ा अहो रामा सइयाँ मोरा पेन्हतन बेइलिया अहो रामा ।",magahi-mag "लागा झुलानिया प धक्का लागा झुलानिया प धक्का , बलम कलकत्ता पहुंची गए कैसे क मति मोरी बैरन होई गई कीन्ह्यो मैं हठ अस पक्का , बलम कलकत्ता . . . लागे जेठानिया के बोल बिखै ज़हर से लागा करेजवा में लुक्काआग , बलम कलकत्ता . . . रेक्सा चलायें पिया तांगा चलायें झुलनी के कारण भयें बोक्का पागल , बलम कलकत्ता . . . बरहें बरिस झुलनी लई के लौटें , देहिंयाँ हमारि भै मुनक्का , बलम कलकत्ता . . . लागा झुलानिया प धक्का बलम कलकत्ता पहुँची गए",awadhi-awa "मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी पतली जी पाणी जाए नार सांवलड़ी कोए काहे बटेऊ जाय कुएं पै पाहुचा कोए बूझण लाग्या नार बात सांवलड़ी गोरी एक घूंट पाणी पिलाय दूर का प्यासा मेरा संग अकेला जाए पाणिडा पिला दे मैं तो क्यूंकर पाणिडा पिलाऊं नहर जल भारी कूएं का जल खारी रे मेरी सास बड़ी जल्लाद खसम मेरा खूनी रे कोए इतणी सी सुण के बात मुसाफिर जा जादू डार्या रे मेरी नेजू के नो टूक डोल उत रह ग्या रे तैं चाल म्हारे घरां पिलाद्यूं तनै पाणी रे तेरी भोत करूं मिजबानी म्हारे घरां चाल रे मैं क्यूंकर घर ने चालूं सुण मेरी बात हे तेरी सास बड़ी जल्लाद खसम तेरा खूनी रे तैं भर बैदे का भेस गली में आइयो रे मैं जाय पडूँ बेमार तुरत बुलवाऊं रे सासू उठ जलदी सी घड़ा तार सास मैं मरी री मेरा उठ्या कमर मैं दरद पेट मेरा दूखै री सुण ले सासू बात पिरान मेरे चाले री गलियां में हांडे बैद नबज दिखलादे री इतनी सी सुण के बात सास दौड़ी गई री गलिआं में पोंहची जाय बैद तै बोली हे चाल रे बैदा म्हारे घर ने तन्नै लेण नै आई रे मेरी बहू पड़ी बेमार नबज तुम देखो रे कोए बहू का पकड्या हाथ नबज उसनै देखी रे मेरा मिट्या कमर का दरद सास मैं राजी री बैदे नै देदे फीस सास मैं अच्छी री लेके नै अपनी फीस बैद घर गया रे बहू किस पै धोए पैर अर किस पै झुकाई तन्ने पटिआं बहू किस पै पाड़ी मांग सुणा द्यो हे बहु बतिआं सासू मन पै धोएै पैर दिल पै पटिआं बहूं ज्यों कै चाल्लो चाल जमाणा खोटा तेरा सुसर बसैं परदेस बालम तेरा छोटा",haryanvi-bgc "भरथरी लोक-गाथा - भाग 3 चल मिरगा ल राम मय जियावॅव दाई मोर अमरित पानी ल लावॅव ओ जोगी लार्वव ओ , भाई ये दे जी । घोड़ा मा मिरगा ल लादिके भरथरी ये ओ देखतो दीदी चले जावत हे गोरखपुर म न चले जावय गिंया गोरखनाथ गुरु धुनि रमे हे न जेकर तीर म जाय भरथरी ओ भरथरी ओ , भाई ये दे जी । लगे हे धुनिबाबा के गोरखनाथ के ओ घोड़ा म मिरगा ल लादे हे चले आवय गिंया भरथरी ये न । मोहिनी ये दीदी मोर मोहिनी बरोबर दिखय ओ , भरथरी ओ भाई ये दे जी । गोरखनाथ के चेला ये मोर चेलिन ओ भरथरी ल कइसे देखत हे मोहिनी ये गिंया । ये मोहावत हे ना चेलिन बोलत हे ना कहसन सुघ्घर हे ना मोर कहां के लिखे भगवान ये ओ जेहर भेजे ओ , बाई ये दे जी । मोहिनी बरोबर मोहत हे भरथरी ये राम गोरखनाथ गुर के चरण मा चले जावत हे न सुनिले गुरु बात मिरगा ल कहय , तय जिया देबे न तोर पईया लागव बारंबार गा , बारंबार गा , भाई ये दे जी । तब तो बोलय गुरू गोरखनाथ सुनिले राजा मोर बात मिरगिन के लागे सरापे न चरण छुए नई दॅव । सराप ये गा पाप धो लेबे न जेकर पाछू चरण छूबे गा , ये दे छूबे जी , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी सुन गुरु मोर बात मिरगा जिया देना कहत हॅव मिरगा ल गुरु । तय जिया दे गा मोर मिरगिन सराप , मोला लगे हे न ये ला मिटा देते न मोर अइसे बोलय भरथरी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । गोरखनाथ गुरु कहत हे मिरगा देहँव जियाय तब तो बोलय भरथरी ल जोग साधे ल रे तोला परही बेटा बारा साल मे न । जोग साधबे बेटा तब जाके तोर पाप ह कटय गा , बैरी कटय गा भाई ये दे जी । लगे हे धुनि गुरु के गोरखनाथ के न जेमा आवत हे राम का तो कूदय भरथरी ये लगे हे धूनि गोरखनाथ के जेमा जा कूदथे भरथरी ह जीव ल देवत हे तियाग सुन राजा मोर बात गुरु गोरखनाथ जेला देखत हे न मय तो कइसे दुख म परेव ओ , ये परेव ओ , भाई ये दे जी । भरथरी ये दे जीव ल मोर बचावत हे राम गुरु गोरखनाथ ये धुनि मं जावे अमाय भरथरी ल निकाल गुरु मोर जावत हे मोर मिरगा ल देवय जिआय , ये जिआय ओ , भाई ये दे जी । आगू जनम के ये मिरगा मोर साधू ये राम छय आगर छय कोरी चेलिन ये जेकर काला मिरगा जनम लेके बेटा सिंघलदीप म गा राज करीस जेला मारे तॅय बान ये दे लागे सराप मोर कइसे समझाय भरथरी ल , भरथरी ल ओ , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी ह सुन गुरु मोर बात जोग ल साधव मॅय अभी न गुरु बोलत हे आज सुन राजा मोर बात हावस कच्चा कुंवर जोग नई साधव रे चार दिन के सुख ल , भोग ले गा , भोग ले गा , भाई ये दे जी । जेकर पाछू म भरथरी चले आबे बेटा जोग सधा देहॅव तोला मय पाप काटिहॅव तोर अइसे बोलत हे न भरथरी ल बात भरथरी ये ओ घर आवत हे न मोर गुरु गोरखनाथ के चरण छुवय ओ , भाई ये दे जी । घर मं , रंगमहल मं मोर आइके ओ कइसे माता ला बतावत हे सुन दाई मोर बात काला मिरगा ये ओ मय तो दिहेंव जिआय गोरखनाथ गुरु जहां धुनि रमाय मोर काला मिरगा ल जिआये ओ , जिआये ओ , भाई ये दे जी । आनंद मंगल होवत हे फुलवारानी ओ , बेटा ल गोदी मँ बैठारत हे मोर देख गिंया आनंद मंगल मनाय अंगना मँ हीरा मोर राजा के न ये दे परजा ल ओ मेवा मिठाई बँटाय अब जेला देखय फुलवारानी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । बारा बरस के तोर ऊमर आय अब आगे बेटा तोर घर में बसा देवॅव कय दिन के जिन्दगी , मोर बाचे बेटा तोर सुख ल राम देखि लेतेंव बेटा ये दे जेखर पाछू नैना ग , सुख भोगे गा , भाई ये दे जी । अइसे फुलवा सोचिके सुनले महराज का तो नाऊ ल बलावत हे कइना खोजे बर न लिख पाती भेजय खोज के आवा गिंया मोर उत्तर दिसा नई तो पांय कहना दक्षिण बर जाय कइना नइ पावय न मोर आके बात ल बोलय ओ , कइसे बानी ओ , भाई ये दे जी । खोजतखोजत कइना ल पथ बीच मँ ओ जइसे पावत हे नाऊ ह रानी ल देवय बताय जइसे भरथरी आय तइसे सुन्दर कइना देखि आयेंव दाई सुनरानी , मोर बात समादेई ये ओ , मोर भरथरी के कइसे नारी बनजाही ओ , भाई ये दे जी । सुन्दर जांवर जोड़ी ये दुनिया मां रानी अइसे बोलत हावय नाऊ ह जग मँ नाम कमाय जइसे कइना ये न तइसे राजा हमार सादी कर देवा ओ रानी ल बोलत हे ओ जेकर बानी ल सुनत हे रानी ओ भाई रानी ओ , भाई ये दे जी । लिख के पतरिका भेजत हे नेवता ल भेजय सुनले कहत हावॅव बात ल परतापी राजा , जेकर बेटा ये न भरथरी ह ओ मोर आनी बानी के राजे ल नेवता जावय ओ , भाई ये दे जी । शादी के करे तियारी ये दे रचे बिहाव देख तो रानी सामदेई के घर मा लानत हे न गवना ल कराय मोर रंगमहल मँ गिया हीरा साहीं दीदी दूनों दिखत हें न मोर फुलवा बरोबर चमके ओ , रंगमहल ओ , भाई ये दे जी । गवना कराके भरथरी चल लानत हे राम रंगमहल ल सजाये हे फौजफटाका ओ ये दे फोरत हे राम संगी सहेली न मंगल गीत सुनाय मोर आनंद बधाई मनाय ओ , मनाय ओ , भाई ये दे जी । एक दिन बइरी गुजरत हे दूसर दिन ओ तीन दिन के छइंहा मा घर सौंपत हे न भरथरी ल ओ रानी सामदेई न मोर राजा बनाय भरथरी ल , भरथरी ल ओ , भाई ये दे जी । का तो गाजे के पराई ये समय बीतत हे राम जोगी के जोग बैरी दिन ये चले आवय गिंया मंगनी के बेटा बारा बच्छर बर आय रहिस दीदी फुलवारानी ये ओ जेला गय हे भुलाय मोर तो सुरता लगे हे विचार ओ , ए विचार ओ , भाई ये दे जी । रंगमहल म जावत हे भरथरी ये ओ सामदेई जिहां पलंग म बइठे हे भरथरी ये न चले जावय दीदी मोर पलंग के ओ ये दे तीर म न कइसे विधि कर हबरय ओ , ये हबरय हो , भाई ये दे जी । पलंग मं पॉव ल रखत हे जऊन समय म राम गाज के देख तो पराई ये खोनपलंग ए ओ टूट जावय दीदी धरती मं मढ़ाय जेला देखत हावय भरथरी ओ , भरथरी ओ , भाई ये दे जी । का तो जोनी मय पायेंव का तो लागे हे पाप का तो कारण पलंग मोर टूटगे रानी देवव बताय भेद नई जनँव ओ मोला दे दे बताय ये दे अइसे विधि भरथरी ओ दाई पूछय ओ , भाई ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "चाय पी पी के दूध घी की कर दई महगाई चाय पी पी के दूध घी की कर दई महंगाई । बड़ी आफत जा आई । बेंचे दूध घरे न खावें , लड़का वारे बूंद न पावें । चाहे पाहुन लो आ जावें देवी देवता लो होम देशी घी के न पाई । । बड़ी . . . घर को बेंचे मोल को धरते , रिश्तेदारों से छल करते , जे नई बदनामी से डरते , डालडा से काम चले हाल का सुनाई । बड़ी . . . घी और दूध के रहते भूखे , जब तो बदन परे हैं सूखे , भोजन करत रोज के रूखे स्वाद गोरस बिना भोजन को समझो न भाई । बड़ी . . . देशी घी खों हेरत फिरते , चालीस रुपया सेर बताते , डालडा तो खूब पिलाते , बेईमानी की खाते हैं खूब जे कमाई । बड़ी . . . जब से चलो चाय को पीना , जिनखों मिले न धड़के सीना आदत वालों का मुश्किल है जीना , सुबह शाम उनको परवे न रहाई । बड़ी . . . अपना बने चाय के आदी , चालू स्पेशल को स्वादी , कर दई गौरस की बरबादी । बीच होटल में जहाँ देखो चाय है दिखाई । बड़ी . . .",bundeli-bns "कहमाँ गमोलँ तोहूँ एता दिन सिवजी कहमाँ गमोलँ1 तोहूँ एता2 दिन सिवजी , पियरी3 जनेउआ कहाँ पावल4 हे । गेलियो5 हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा , बराम्हन रचल धमार6 हे । एता दिन हमें गउरी सासुर7 गमउली8 सुखे9 सुखे गेल ससुरार हे ॥ 1 ॥ तुहूँ गमौलऽ सिउजी अइसे से ओइसे , नयना काजर कहाँ पाव10 जी । गेलियो हम गउरा हे तोहरो नइहरवा , सरहजवा रचल धमार हे । ओहु जे11 सरहोजिया हे उमिर के12 काँचल13 दिहलन कजरा लगाय हे ॥ 2 ॥ तोहूँ जे हकऽ14 सिउजी अइसे से ओइसे , पियर धोतिया कहाँ पाव जी । गेलियो से गेलियो गउरी तोहरो नइहरवा , सरवा15 रचल धमार हे । सरहजवा हथी गउरी काँचे से बुधिया16 देलन धोतिया रँगाय हे ॥ 3 ॥ कहमाँ गमवलऽ सिउजी मास पखवरवा17 पउआँ18 कहाँ भराव जी । गेलियो हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा , नउआ19 रचल धमार हे । नउआ जे हकइ20 गउरा ओहु छोट जतिया21 भरि देलक22 हमरा के पाँव हे ॥ 4 ॥ कहमाँ से अयलऽ सिउजी एता मोटरी23 लेके24 कहमाँ पयलऽ25 कलेउ26 हे । गेलियो जे हम गउरा तोहरो नइहरवा से , सासुजी देलन सजाय हे । एक खइँचा27 देलन गउरा पुआ28 पकमनमा , दुइ खइँचा लाइ29 मिठाइ हे ॥ 5 ॥ एतना जे सुनलन गउरा गेंठरी उठवलन , धरि देलन कोठिया30 के साँधेकंधे पर हे । हमर नइहरवा सिउजी सब दिन उरेहल31 काहे गेलऽ32 ससुरार हे ॥ 6 ॥ सास ससुरवा गउरा हथी गँगाजलिया33 सार34 सरहज कमल फूल हे । ससुरा के लोग हथी लाइ मिठइया , रोज जायब ससुरार हे ॥ 7 ॥",magahi-mag "बिच्छू उतारने का मंत्र काली गाय कपने गई , हरे डूंगरे गई वहाँ से चिरि फिरि सागड़े गोठाणे गई वाहाँ एक पोठो करीयो एक पोठाम् बारेह विछु निकल्या , एक विछु चोटी पे चड्यो मेर से निहि उतरे मेरा गुरू उतारा , इस मंत्र को एक बार में नही उतरे तो 10 मिनिट बाद दुबारा बोलना और जहाँ तक चढ़ा हुआ है वहाँ तक हाथ फेरतेफेरते नीचे की ओर लाते हैं । बिच्छू उतारने के लिये रखोड़े का उपयोग करते हैं । बिच्छू उतारने के लिये अलगअलग मंत्र का उपयोग करते हैं ।",bhili-bhb "फाग गीत नाचण तो नाचण चाली ढोल गेरो वाजे रे । होळी आगे गेरिया झरावर नाचे रे , हालो देखाने । हाँ रे हालो देखाने हवजी वालो जायो नाचे रे , हालो देखाने । एक पत्नी कहती है कि नाचने वाली नाचने का चली , ढोल अच्छा बज रहा है , देखने को चलो । मेरा पति भी नाच रहा है ।",bhili-bhb "अंछरयों की राणी झूमझमा झम , खुटों का झाँवर रे , अंछर्यो1 की राँणी आई , गीत गान्दरे । नौ सोर मुरली बाजी , मोछंग2 की धुन म फूलू की पंखुड़ी , भौंर का गीतू म । . . . . . . . ओजी हो धमधमाधम , भौंरों की बरात रे अंछर्यों की राँणी आई , फूल फुलान्दी रे । बाँज की डाल्यों म आई , बुराँस का फूलू म , फ्योंलि का फूलू म आई , झमकदा गीतू म । . . . . ओजी हो छमछमाछम , खुट्यों का झाँवर ये अंछर्यों की राँणी आई , गीत गान्द रे । लंगलंगी डाल्यों म आई , रुमझुम पातु म , छुणक्यलि3 दाथी म आई , घुगति4 की घू घू म । . . . . ओजी हो सरसरासर , सर , बथौं का दगड़ रे अंछर्यों की राणी आई , मुलमुल हैंसदी रे । हो . . . . हो . . . . . हो",garhwali-gbm "देवी मैया के दरस कूँ देवी मैया के दरस कूँ घर से निकरौ लाँगुरिया ॥ टेक माथे तिलक सिंदूर कौ रे टोपी पहरी लाल , पीरे कुरता पै पड़ी रे गल फूलन की माल ॥ देवी . झण्डा सोहै हाथ में रे बाजत मुख से बैन , काजर कटीली डार कै री खूब चलावत सैन ॥ देवी . मेंहदी रच रही हाथ में रे घड़ी कलाई सोह , ठुमक 2 कै वो चलै री दिल कूँ लेवे मोह ॥ देवी . जोगिन ठाड़ी राह में रे भरिभरि देखै नैन , मन तिरपत हे गयौ हमारौ ऐसी उसकी कैन ॥ देवी .",braj-bra "दूब का डांडळा अकाव का फूल दूब का डांडळा अकाव का फूल , राणी ओ मोठी बहू अरघ देवाय । अरघ दई नऽ वर पाविया , अमुक सरीका भरतार । आतुली पातुली , लाओ रे गंगाजल पाणी , न्हावण करऽ रनुबाई राणी । रनुबाई , रनुबाई , खोलो किवाड़ , पूजण वाळई ऊभी दुवार । पूजण वाळई काई माँगऽ । दूध , पूत , अहवात माँगऽ । हटियाळो बाळो माँगऽ । जटियाळो भाई माँगऽ । बहू को रांध्यो माँगऽ । बेटी को परोस्यो माँगऽ । टोंगळया बुडन्तो गोबर माँगऽ । पोयचा बुड़न्तो गोरस माँगऽ । पूत की कमाई माँगऽ । धणी को राज माँगऽ । सोन्ना सी सरवर गऊर पूजा हो रनादेव । माय नऽ बेटी गऊर पूजा हो रनादेव । नणंद भौजाई गऊर पूजा हो रनादेव । देराणी जेठाणी गऊर पूजा हो रनादेव । सास न बहू गऊर पूजा हो रनादेव । अड़ोसेण पड़ोसेण गऊर पूजा हो रनादेव । पड़ोसेण पर टूट्यो गरबो भान हो रनादेव । दूध केरी दवणी मजघर हो रनादेव । पूत केरो पालणो पटसाळ हो रनादेव । असी पत टूट्यो गरबो भान हो रनादेव ।",nimadi-noe "इक दिन जा बैठी सो डार के पटा इक दिन जा बैठी सो डार के पटा ईने बना दये , बिना नोन के भटा तनक चीखो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया एक दिन जा बैठी सो ले रई पुआर और खीर मे लगा दओ हींग को बघार तनक सूँघो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया इक दिन जा बैठी सो कर रई सिंगार और ओंठ मे लगा लओ ईने पाँव को महार तनक देखो तो मतारी मोरी , बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया",bundeli-bns "मोटी सी साड़ी ल्या दै हो मोटी सी साड़ी ल्या दै हो जिसकी चमक निराली . . . जलियाँवाला बाग का जलसा डायर फायर करता हो भारत का बदला लेने को लंदन में शेर विचरता हो डायर मारया , खुद मरया गया ना वार कती खाली मोटी सी साड़ी ल्या दै हो जिसकी चमक निराली . . . .",haryanvi-bgc "539 अजू बन्ह खड़ा हथ पीर अगे तुसी लाडले परवरदगार1 दे हो तुसी फकर अलाह दे पीर पूरे विच रेख2 दे मेख3 नूं मारदे हो होवे दुआ कबूल पयारयां दी दीन दुनी4 दे कम सवारदे हो अठे पहर खुदा दी याद अंदर तुसी नफस5 शैतान नूं मारदे हो हुकम रब्ब दे थी तुसी नहीं बाहर पीर खास हजूर दरबार दे हो मेरी नूंह नूं सप्प दा असर होया तुसी कील मंतर सप्प मारदे हो रूढ़े जान बेड़े औगनहारयां दे फजल6 करो ते पार उतारदे हो तेरे चलयां नूंह मेरी जीउंदी ए डुबन लगयां नूं तुसी तारदे हो वारस शाह दे उजर7 मुआफ करने बखशनहार बंदे गुनाहगर दे हा",panjabi-pan "काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी जूरेना काली हो गोलन बेटी जूरेना तेरा मायू से गोदी वो बेटी रावसी बोली तेरा मायू से गोदी वो बेटी रावसी बोली सुसरा से गोदी वो बेटी काली हो गोलेन सुसरा से गोदी वो बेटी काली हो गोलेन काली हो गोलन बेटी जूरेना काली हो गोलन बेटी जूरेना तेरा भाई से गोदी बेटी रावसी बोली तेरा भाई से गोदी बेटी रावसी बोली सुसरा से गोदी वो बेटी जूरेना सुसरा से गोदी वो बेटी जूरेना स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "करूं कढ़ाई गुलगुला सेढल माता धोकन जाय करूं कढ़ाई गुलगुला सेढल माता धोकन जाय । इब म्हारी सेढल माता राज्जी होय । दादी दायला फूल्या नहीं समाय ।",haryanvi-bgc "यारौ पर नारी से बरकौ यारौ पर नारी से बरकौ । येइ हुकुम है हरकौ । ई कलजुग कौ जाल कठिन है । रहवौ बड़ी खबर कौ । जिनके संगै परी भांवरैं । जोड़ा नारी नर को । जो सुख चाहौ घरी भरेकौ । मिटे जनम को खटकौ । ईसुर स्याम आस सब छोड़ौ भजन करौ रधुवर कौ ।",bundeli-bns "विदाई गीत तारा घर मा हिरे भर्यो हिडोलो , हिचणे वालि काहाँ चालि वो बेनी । तारा भाइ काजे हेलिमेलि लेजी वो , हिचणावालि , काहाँ चालि वो बेनी । तारि भोजाइ के हेलिमेलि वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । तारा बावा के हेलिमेलि लेजी वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । तारि माय काजे हेलिमेलि लेजि वो हिचणावालि , बेनी काहाँ चालि वो । वरवधू को विदा करते समय यह गीत गाया जाता है वधू से कहा गया है कि तेरे घर मंे रेशम जड़ित झूला है , उसमें झूलने वाली बनी अब कहाँ चली ? जाते समय भाई से मिल लेना , भावज से मिल लेना , पिता से मिल लेना और माता से मिल लेना ।",bhili-bhb "बागां में मेंहा बरसै सरवर पै मेंहा बरसै बागां में मेंहा बरसै सरवर पै मेंहा बरसै मत बरसै इन्दर मेरी मां का जाया बरसै माला पै रंग बरसै चम्पा पै रंग बरसै मत बरसै इन्दर राजा थाली में बीरा बरसै",haryanvi-bgc "मैं आई थी मीठियां की लालच मैं आई थी मीठियां की लालच फीकी दे भुला दई । मैं आई थी गेहुआं की खात्तर बाजरा की दे भुला दई । मैं आई थी घणियां की खात्तर दो दो दे भुला दई ।",haryanvi-bgc "श्रमिक बोल १ . बोलीबोलऽ , चोली खोलऽ , चोली के भीतर , लाल कबूतर , खाए के मांगे , सबुज दाना , धरधर लेइयें पर , पांजर मोटा , खइबऽ सोटा , धर धरेसी , ध के पेसी , पेसन वाला , है मतवाला , ढिलवा भैया , करे ढिलाई , ओकर मउगी , करे सगाई । २ . हाथ भरो जी हैसा , जोर करो जी हैसा , जोर जुगुती हैसा , हो छुट्टी हैसा , छुट्टी होना हैसा , मौज उड़ाना हैसा , मौजेदारी हैसा , साव मदारी हैसा , घामघमैला हैसा ।",bhojpuri-bho "कहमा रे हँसा आवल, कहमा समाएल हो राम कहमा रे हँसा1 आवल2 कहमा समाएल3 हो राम । कउन गढ़ कयलक4 मोकाम5 कहाँ रे लौटि जायत हो राम ॥ 1 ॥ निरगुन से हंसा आवल , सगुना समायल हो राम । बिसरी गयल हरिनाम , माया में लपटायल हो राम ॥ 2 ॥ नया रे गवनमा के आवल , पनियाँ के6 भेजल हो राम । देखल कुइयाँ के रीत , से जिया घबड़ायल हो राम ॥ 3 ॥ डोलवो7 न डोलहइ8 इनरवा9 रसरिया10 त छूटल हो राम । देखल कुइयाँ के रीत , हिरा मोरा काँपे हो राम ॥ 4 ॥ सास ननद मोरा बयरिन11 गगरी फूटल हो राम । का लेके12 होयबइ13 हजूर14 से आजु नेह टूटल हो राम ॥ 5 ॥ सास मोरा सुतल अटरिया , ननद कोठा ऊपर हो राम । सामी मोरा सुतलन अगमपुर , कइसे के जगायब15 हो राम ॥ 6 ॥ लटवा16 धुनिए धुनि17 माता रोवइ । पटिया18 लगल बहिनी हो राम । बहियाँ पंकड़ि मइया रोवइ , से आज नेह टूटल हो राम ॥ 7 ॥ चारि जना खाट उठावल , मुरघट19 पहुँचावल हो राम । जँगला20 से लकड़ी मँगावल , काया के छिपावल हो राम ॥ 8 ॥ फिन21 नहीं अयबइ22 इ नगरिया । मनुस चोला न पायम23 हो राम ॥ 9 ॥",magahi-mag "सोना के ढकनी में हरदी परोसल सोना के ढकनी1 में हरदी परोसल2 । उपरे3 लहलही दूभ4 हो , सिरवा5 हरदी चढ़ावे ॥ 1 ॥ पहिले चढ़ावे बराम्हन अप्पन6 । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे । सोना के ढकनी में हरदी परोसन । उपरे लहलही दूभ हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 2 ॥ पहिले चढ़ावे बाबा जे अप्पन । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 3 ॥ पहिले चढ़ावे चच्चा जे अप्पन । तब सकल परिवार हो , सिरवा हरदी चढ़ावे ॥ 4 ॥",magahi-mag "परस बठंता अपना बाबल बुज्झा परस बठंता अपना बाबल बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कातक न्हणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला लाइयो बाग बगीचे हो राम दूध घमोड़ती अपनी मायड़ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला सिंच्चो धरम की क्यारी हो राम धार काढ़ता अपना बीरा बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा बेब्बे बड़ाए दुहेल्ला ले ले न गोद भतीजा हो राम पीसणा पीसती अपनी भावज ओ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम कात्तक न्हाणा ननदल बड़ाए दुहेल्ला काढो ना कसीदा हो राम",haryanvi-bgc "किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ दादा किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ दादा चार दल थारै ऊमहे एक दल आप दल दूजा बाप दल तीजा दल घर के भातिआ चौथे दल ऊधली का री जाया मौड बांध के बन्ना आइया किस नींद सूत्या मेरा लक्खी ओ बाबल चार दल थारै ऊमहे एक दल आप दल दूजा बाप दल तीजा दल घर के भातिआ चौथे दल ऊधली का री जाया मौड़ बांध के बन्ना आइया",haryanvi-bgc "मेरी बीबी सोवै अटरिया मेरी बीबी सोवै अटारिया पहने है झुमके बालियां बीबी सोई सोई उठ जागियां अपने बाबा दादा से बर मांगिया बाबुल एक कहा मोरा कीजिये मुझे राय रतन बर दीजियो बेटी रायरतन सिर सेहरा जैसे बागों में खिल रहा केवड़ा बेटी मत कर मन पछतावड़ा तेरी अम्मा गोरी बाबल सांवला बेटी आप किसन भी सांवले रुक्मण का रंग ऊजला",haryanvi-bgc "बिछिया पेरिया आपका बिछिया पेरिया आपका अपणा सुहाग का आनड़िया रा बाप का अलबेली जच्चा मान करो मान करो , गुमान करो री जच्चा मान करो तोड़ा पेरिया आपका अपणा सुहाग का कीकाजी रा बाप का अलबेली जच्चा मान करो",malvi-mup "लाल मेरी अँगिया न छूऔ लाल मेरी अँगिया न झूऔ , तिहारे करूँगी कपोलन लाल ॥ टेक यह अँगिया नाहिं धनुष जनक को , छुबत टुटौ तत्काल ॥ लाल . नहिं अँगिया गौतम की नारी , छुबत उड़ी नन्दलाल ॥ लाल . गिरिधर धारि भये गिरधारी , नहिं जानौ बृजलाल ॥ लाल . जावौ तुम खाबौ सुदामा के तन्दुल , गैयन के प्रतिपाल ॥ लाल . कहा बिलोकत कुटिल भृकुटि कर , नाहिं है पूतना काल ॥ लाल . यह अँगिया काली नहिं समझो , नथ्यौ जाय पाताल ॥ लाल . इतनी सुन मुसकाय साँवरे , लियौ अबीर गुलाल ॥ लाल . ‘सूरश्याम’ मुख मसक छिड़क अंग , सखियाँ करीं निहाल ॥ लाल .",braj-bra "आपणो संग रलाईं प्यारे आपणो संग रलाईं प्यारे , आपणो संग रलाईं । पहिलों नेंहु लगाया सी तैं , आपे चाई चाई । मैं लाा ए कि तुध लाया , आपणी ओड़ निभाई । आपणो संग रलाईं प्यारे । राह पवाँ ताँ धाड़े बेले , जंगल लक्ख बलाईं । भौंकण चीते ते चित्त मुचित्ते1 , भौंकण करन अदाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे । पार तेरे जगतार चढ़ेआ , कन्ढे लक्ख बलाईं । हौल दिले दा थर थर कम्बदा । बेड़ा पार लंघाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे । कर लई बंदगी रब्ब सच्चे दी , पवण कबूल दुआईं । बुल्ले शाह ते शाहँ दा मुखड़ा , घुँघट खोहल विखाईं । आपणो संग रलाईं प्यारे ।",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-23 ऐसी हती रजउ की सानी दूजी नईं दिखानी । बादशाह कै बेगम नइयाँ ना राजा घर रानी । तीनऊ लोक भुअन चौदा में ऐसी नईं दिखानीं । ईसुर पिरकट भईं हैं जग में श्री वृषभान भुबानी । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' का अपनी प्रेयसी ' रजऊ ' से मिलन नहीं हो पाया । इस वियोग में ' रजऊ ' के रूप की प्रशंसा करते हुए वे कहते हैं — मेरी ' रजऊ ' की ऐसी शान थी कि उसके जैसी दूसरी नहीं दिखाई दी । बादशाह की बेगम और राजा की रानी भी वैसी नहीं हो सकती । तीनों लोक और चौदह भुवनों में भी ऐसी कोई नहीं दिखती । ऐसा लगता है मानो रजऊ के रूप में वृषभान कुमारी यानि राधा जी ही प्रकट हो गई हैं ।",bundeli-bns "अबै जिन बरसो बादरा रे अबै जिन बरसो बादरा रे बरसन लागे बादरा रे , चुंअन मोरे लागे बांगला रे । अबै . . . चुंअन मोरे लागे बांगला रे , भींजन मोरे लागे पालना रे । अबै . . . भींजन मोरे लागे पालना रे , रोबन मोरे लागे लालना रे । अबै . . . अबै घर नइयां साजना रे । अबै . . .",bundeli-bns "बाना गीत कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । बइण कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । भोजाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । भाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो । जमीन पर गादी बिछाकर दूल्हादुल्हन को बैठाते हैं , जिसे बाना बैठाना कहा जाता है । दूल्हे के बाने बैठने पर गीत में प्रश्नोत्तर किये गये हैं कि किसनेकिसने कहा जब दूल्हा गादी पर बैठ गया ? उत्तर में कहा है कि बहन , भौजाई व भाई ने कहा , तब बना गादी पर बैठा ।",bhili-bhb "सकल गुण धाम अम्बे तू भला क्या गान गाऊ मै सकल गुण धाम अम्बे तू , भला क्या गान गाऊ मैं । बनाऊँ साज पूजन को , कहाँ पर साज पाऊँ मैं । तुमईं हो व्याप्त ग्रंथों में , तुमईं वेदों पुराणों में । कहाँ वह ज्ञान है मुझको , जो माता को सुनाऊँ मैं । । मृदुल सुचि पद्म आसीना , कहाँ आसन बनाऊ मैं । लगैया पार अब नैया , तेरो सो कौन पाऊँ मैं । । सुनो हे मातु अब बिनती , अनाथों ओ गरीबों की । तुम्हें ही मध्य पाऊँ मैं , तुम्हारा गान गाऊँ मैं । ।",bundeli-bns "म्हारा दादाजी आया, म्हारी माता हो आया म्हारा दादाजी आया , म्हारी माता हो आया दामा रो लोभी बीरो घर रयो तम क्योंनी आया म्हारा माड़ी रा जाया तम बिना सूनी म्हारी बिरदड़ी विरद अलोणी बीरा , थारी बेन अलोमी कड़ही री चीगट म्हरे चढ़ रई थारा पिछवाड़े बेन्या गंगा हो जमना न्हाईधोई ने बेन्या चीगट हेड़जे न्हाया धोया से बीरा उजला नी दीखां उजला तो दीखां रामरथ बीर से",malvi-mup "मेरे टांडै मैं सोला सै राणी मेरे टांडै मैं सोला सै राणी पर तेरै सिकल की नहीं सै तैं तो चाल मेरे ए टांडे मैं राणी ओड़ै बिछ रहे पिलंग जरी के तेरे आग लागै टांडै कै जले बल जाइयो हो पिलंग जरी के तेरी गठड़ी में दाम कोन्या जले तैं तो ठगदा फिरै सै जगत नै मेरी गठड़ी मैं दाम भतेरे दिन छिपदे ए ले ल्यूंगा फेरे पर तिरिआ ना अपणी होवै नार चाहे कितणे ए लाड लडाले काग्गा ना हंसा होवै जले चाहे चारों बेद पढाले",haryanvi-bgc "झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा झूलण खातर घल्या करैं सैं पींघ सामण में मीठी बोली तेरी सै जणो कोयल जामण में तेरे दामण में लिसकार उठै चमक रिहा घोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा लरज लरज कै जावै से योह् जामण की डाली पड़ के नाड़ तुड़ा लै तैं रोवै तन्ने जामण आली तेरे ढुंगे पै लटकै काला नाग सा मोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा मोटी मोटी अंखियां के मांह डोरा स्याही का के के गुण मैं कहूं तेरी इस नरम कलाई का चंदरमा सा मुखड़ा तेरा जणों नूर का लोटा झूलण आली बोल बता के बोलण का टोटा",haryanvi-bgc "116 काज़ी आखदा खौफ खुदाई दा कर मापे जिद चढ़े चा मारनी गे तेरी किआड़ीयों1 जीभ कढा सुट्टण मारे शरम दे खून गुजारनी गे जिस वकत दिता असां चा फतवा उस वकत ही मार उतारनी गे वारस शाह कउं तरक2 बुरयाइया नूं नहीं अग दे विच निधारनो गे",panjabi-pan "565 काज़ी आखया बोल फकीर मियां छड झूठ दे दब दबेड़यां नूं असल गल जो आख दरगाह अंदरना कर ज़िकर तूं झगड़यां झेड़यां नूं सारे देस विच धुम ते शोर होया दोवें फड़े हो आपने फेड़यां नूं एस जट दी शरम जे लाह सुटी खुआर कीता जे सयालां ते खेड़यां नूं पहलां मचयों आनके दावयां ते है सलाम वलां छलां तेरयां नूं आबू1 भुन्नदियां झाड़ के चब2 चुका हुण वौहटड़ी देह खां खेड़यां नूं आओ वेख लवो सुनन गिनन वालयो ए मियां जा डोबदे बेड़यां नूं दुनियांदारां नूं औरतां जुहद फकरां मियां छोड़ दे झगड़यां झेड़यां नूं काज़ी बहुत जे आंवदा तरस तैनूं बेटी आपनी बखश दे खेड़यां नूं नित माल पराया चुरा खांदे एह दस मसले राही पेड़यां नूं ऐबी3 कुल जहान दे पकड़नीगे वारस शाह फकीर दे फेड़यां नूं",panjabi-pan "बीबी तो म्हारी जैसे चन्दा चकोर बीबी तो म्हारी जैसे चन्दा चकोर लाडो तो मांगे म्हारी हाथी का दान हस्ती का दान तेरा बाबा जी देगा बाबल जी देगा म्हारे पै तो हैंगे लक्ख चार हे री लक्ख चार लाड्डो तो म्हारी जैसी चन्दा चकोर",haryanvi-bgc "387 तेरे मौर लौंदे फाट खान उते मेरी फुरकदी अज मुतैहर1 है नी मेरा कुतकां2 लवे ते तेरे चुतड़ अज दोहां दा वडड़ा भेत है नी चिबड़3 वांग तेरे बिउ कढ सुटां तैनूं आया है जोर दा कहर है नी एस भेड दे खून तों किसे चिड़ के नाहीं मार लगया कदी शहर है नी उजाड़े खोर गधे वांगूं कुटिएगी तैनूं वढड़ी किसे दी विहर4 है नी वारस शाह ए मारदी रन्न कुती किसे छडावनी वेहड़े ते कहर है नी",panjabi-pan "पीरे पट वाले मेरे सैया पीरे पट वाले मेरे सैयां कै तुम संग किये साधुन के कै सरजू में दई गैयां । पीरे . . . ना हम संग किये साधुन के ना सरजू में दई गैयां । पीरे . . . गुण अवगुण तुम तो सब जानो तुम से नाथ झुपी नैयां । पीरे . . .",bundeli-bns "आल्हा ऊदल कौन सकेला तोर पड़ गैल बाबू कौन ऐसन गाढ़ भेद बताब तूँ जियरा के कैसे बूझे प्रान हमार हाथ जोड़ के रुदल बोलल भैया सुन धरम के बात पड़ि सकेला है देहन पर बड़का भाइ बात मनाव पूरब मारलों पुर पाटन में जे दिन सात खण्ड नेपाल पच्छिम मारलों बदम जहौर दक्खिन बिरिन पहाड़ चार मुलुकवा खोजि ऐलों कतहीं नव जोड़ी मिले बार कुआँर कनियाँ जामल नैना गढ़ में राजा इन्दरमन के दरबार बेटी सयानी सम देवा के बर माँगल बाघ जुझर बड़ि लालसा है जियरा में जो भैया के करौं बियाह करों बिअहवा सोनवा से एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा मन मन करे गुनान जोड़ गदोइ अरजी होय गैल बबुआ रुदल कहना मान हमार जन जा रुदल नैनागढ़ में बबुआ किल्ला तूरे मान के नाहिं बरिया राजा नैना गढ़ के लोहन में बड़ चण्डाल बावन दुलहा के बँधले बा साढ़े सात लाख बरियात समधी बाँधल जब गारत में अगुआ बेड़ी पहिरलन जाय भाँट बजनियाँ कुल्हि चहला भैल मँड़वा के बीच मँझार एकहा ढेकहो ढेलफुरवा मुटघिंचवा तीन हजार मारल जेबव् नैनागढ़ में रुदल कहना मान हमार केऊ बीन नव्बा जग दुनिया में जे सोनवा से करे बियाह",bhojpuri-bho "खिल खिल गए दो दाणे अनार के खिल खिल गए दो दाणे अनार के , हां हां खिल गए दो दाणे अनार के मनैं नहाणा बणाया सभाल के , कैसे नहाऊं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . . मनैं खाणा बनाया संभाल के , कैसे खाऊं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . . मनैं चोपड़ सजाई संभाल के , कैसे खेलूं बिगैर दिलदार के खिल खिल गए दो . . .",haryanvi-bgc "356 मथा वेख के करो इलाज इसदा रखां नजर जो दयो फरमा मैंनूं नाडी वेख के एस दी करां कारी देवे उठ के हथ दिखा मैंनूं रोग कास तों चलया करो जाहर मजा मूंह दा एह बता मैंनूं वारस शाह मियां छती रोग कटां मलकुल1 मौत दी याद दवा मैंनूं",panjabi-pan "आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टीली में आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टीली में सूं टाल एकलड़ी क्यों चाली हे इतनो बाबाजी रोहेत इतनो ताऊ जी रोहेत एकलड़ी क्यों चाली हे इतनो मामा जी रोहेत इतनो फूफा जी रोहेत एकलड़ी क्यों चाली हे आयो परदेसी सूबटो ले ग्यो टोली में सूं टाल एकलड़ी क्यों चाली हे",haryanvi-bgc "ऊना सा पाणी ठंडा वई रया रे डळी बाई ना आंगणे चार खुणी बावड़ी चार खुण्यो कुंड कणे म्हारो नीर झकोल्यो रूणीजा रा देव रामदेव जी नीर झकोल्यो वणे असनान करिया सुगणा बई रा आंगणे चम्पो मोगरो कणे चंपो मरोड़ियो रूणीजा रा देव रामदेव जी वणाए चंपो मरोड़ियो",malvi-mup "मैया महक रहे तोरे बाग मदिरवा गर के मैया महक रहे तोरे बाग , मंदिरवा एंगर के । चम्पा चमेली केतकी फूली , मैया फूल रही कचनार । मंदिरवा . . . फूले गुलाब चांदनी बेला , केवरा की है बहार । मंदिरवा . . . कमल कुमुदनी मोंगरा फूलो , फूल रहे गुलदाख । मंदिरवा . . . दिन के राजा रात की रानी , फूलन की भरमार । मंदिरवा . . . भांतिभांति के फूल खिले हैं , बरने कौन प्रकार । मंदिरवा . . . उन फूलन के बने हैं गजरे , देवी को होत शृंगार । मंदिरवा . . .",bundeli-bns "32 वाह ला रहे भाई भाबियां भी रांझा रूस हजारयों धाया ई भुख नंग नूं झागके पंध करके रातीं विच मसीत ते आया ई हथ वंझली पकड़ के रात अधी औथे रांझे नूं मजा भी आया ई रन्न मरद न पिंड विच रिहा कोई घेरा गिरद मसीत ते पाया ई वारस शाह मियां पंड झगड़ियां दी पिच्छे मुलां मसीत दा आया ई",panjabi-pan "429 उन्हां छुटदियां हाल पुकार कीती पंजसत मुशटंडियां आ गईयां वांग काबली कुतियां गिरद होइयां दा दा अललहिसाब1 लगा गईयां उन्हां अक के धक्के रख अगे घरों कढ के ताक चढ़ा गईयां धके दे के सट पलट उसनूं होड़ा बड़ा मजबूत फसा गईयां बाज तोड़के ताबयों2 लाहयों ने माशूक दी दीद हटा गईयां सूबेदार तगयार3 नूं ढा छठया वडा जोगी नूं वायदा पा गईयां अगे वांग ही नवीयां फिर होइयां वेख भड़कदी ते तेल पा गईयां घरों कढ अरूडी तेसुटया ने बहिश्तों कढ के दोजके पा गईयां जोगी मसत हैरान हो दंग रहया केहा जादूड़ा घोल पिला गईयां अगे ठूठे नूं झूरदा खफा हुंदा उते होर पसार बना गईयां वारस शाह मियांनवां सिहर4 होया परियां जिन्न फरिशते नूं ला गईयां",panjabi-pan "पहले आवै री माता जुलजुली पहले आवै री माता जुलजुली पाछे हलहल ताप सच्ची सेढ़ मसाणिया हाड़ खिणै खिणै माता निकले मोती की हुणियार सच्ची सेढ़ मसाणिया मेर करेगी री माता आपणी पाल्ले जूं झड़ जाय सच्ची सेढ़ मसाणिया तन्नै ध्यावै री माता दो जगे एक पुरुस दूजी नार सच्ची सेढ़ मसाणिया पुरस करेगा री माता बिनती वा धण लागै तेरे पांय सच्ची सेढ़ मसाणिया",haryanvi-bgc "वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर , आशकाँ दिनाँ ना समझे कोर । कोठे चढ़ के देवाँ होका , जंगल बस्ती मिले ना ठोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । आशक देाहीं जहानी मुट्ठे , नाज़ माशूकाँ दे ओह कुट्ठे , किस तो बाँधा फट्ट तलवार । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । दे दीदार सोया जद माही , अचनचेत पई गल फाही । डाढी कीती बेपरवाही , मैनूँ मिल ग्या ठग्ग लाहौर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । शीरीं है बिरहों दा खाणा , कोह चोटी फरिहाद निमाणा । यूसफ मिसर बाज़ार विकाणा , इस नूँ नाही वेक्खण कोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । लैला मजनूँ दोवें बरदे , सोहणी डुब्बी विच बहर दे । हीर वन्जाए सभे घर दे , इस दी छिक्की माही डोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । आशक फिदे चुप चुपाते , जैसे मस्त सदा मध माते । दाम जुल्फ दे अन्दर फाथे , ओत्थे वस्स ना चल्ले ज़ोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । जे ओह आण मिले दिल जानी , उस तों जान कराँ कुरबानी । सूरत दे विच्च है लासानी , आलम दे विच्च जिस दा शोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर । बुल्ला सहु नूँ कोई ना वेक्खे , जो वेक्खे सो किसे ना लेक्खे । उसदा रंग रूप ना रेक्खे , ओही होवे हो के चोर । वाह वाह रमज़ सज्जण दी होर ।",panjabi-pan "सूरज कौंल (सूरज कुँवर) जाँदी मऊ कू बेटा अडयी नि लांदी । बिराणा देशा को बेटा गारो बैरी होन्दा , नि जाणो कुंवर मेरा बैरयूंकी भकौणा । मान जा सूरजू बेटा माता की अड्याई1 , दानों2 कू बोलियूं बाला ओला3 को सवाद । तेरो होलो सूरजू बाला भिमलो बजार कनि होली कुंवर तेरी नौरंगी तिवारी । तेरि खोली गणेश वाला मुख च झूमदो , तेरी भुली सुरजी बाला दणमण4 रोंदा । कुदेलो5 दिदाजी6 भीमली को दैजो7 , को ऋतु जणाली , को बसन्त बौडाली । मिन जांणा सुरजी भुली8 ताता लूहागढ़ , मी ल्हौलो सुरजी त्वीकू मल्यागिरी सोनो । मल्यागिरि सोना की त्वीकू सोन चूड़ी गडौलो । त्वी को लौलो सुरजी भुली भिमली को दैजो । घर बौडी येजौली द्यीलो सरनामी दैजो । त्वी ऋतु जणौलो त्वी बसन्त बौडोलो । आज का भोल भुलो भौं कुछ ह्वेजैन , मरदू को बचणो भुली चार दिन हुन्द । त्वीतई9 जिया10 ब्वै बाला बुझौणो बुझौंद , मान्याला सुरजू बेटा दाना11 की अडज्ञयीं12 । त्वी सणी कुंवर बाला नयो ब्यो करुंला , नयो ब्यो करुंला नाम जोतरा धरुंला । तेरी तिल्लू बाखरी बेटा छटपट छयूंदा13 । निल्हेणो सूरजू तिना जोतरा को भामो । मैंन जाणा इजा ब्वै आज भोटन्त का राज , मौरणो ह वैजाना इजा जोतरा का बाना14 नयो ब्यऊ करीली तू सूरत कौक ल्हैली , घर बौड़ी येजौजू इजा तिलू मारी खौलो , भैं15 कुछ ह्वैजैन जाण बालुरी भीटन्त । त्वी तई इजा ब्वै बाला बुझौंणी बुझौंद , तू जांदी सूरजू गुरु गोरख का पास , बागुरी गोरख तेरी रकसा16 करलो । जैलागे सूरजू गुरु गोरख की धुनी , गोरख की धुनी होला नौ नाथ की सिद्धी । बारा नाम बैरागी सोल नाम संन्यासी । गोरख का पास बाला अलक लगौंद , तू बोल सूरजू बाला कै काम को आयो । मैसणी देदणा गुरु सांबर17 की विद्या । बोकासी18 जाप देणा पंजाबी चुंगटी । तै दिन गोरख त्वी कू समझौंण लागे , तेरो माता को छई बेटा तु येको येकन्तू । मान्याल सूरजू बाला भोटन्त नी जाणों , सुपीना की बात जन बगड़ का माछा जो गैना भोटन्त बाला घर बौड़ी नी आया । तै दिन सूरजू बोदा भौं19 कुछ ह्वे जैना , मैंन जाणा गुरजी आज भोटन्त का राज । जो बैरी जांचदा वैकू हत्यार भीड़ देदों , जो माता जंचदी गुरु थाल छोड़ि देदों तिरिया को जांचणौं मीकू मरणों ह्वे गये । नौ दिन नौ राति रैगे गोरख का पास , धूनी लगौद चला आसण बिछौंद । गाड़ याले गोरख तिन हाथ ताल छुरी , तालछुरी गाडू तैकि मूंड्यिाले । रूपसी20 कन्दूणियं21 धनी खुरसानी चीरा22 , पैरने सुरीज त्वीकु फटीक23 मुन्दरा । सुफेद कपड़यूं भगोया चायांले , पैराये गुरु त्वींकू भगोया मुड्वासी । काँधू मां धर्याले तेरा खरवा की झोली , एक हाथ देये तेरो तेजमली सोटा , दूजा हाथ देये तेरा नौपुरी को बांस । धर्याले बगल पर बगमरी आसण । त्वीसणे दिाले बाला कानू को मंतर । बोकसाडी24 जाप देये कांवर की धूल , साबर25 की विद्या देये पंजाबी चुंगटी । त्वीकुणे कुंवर जब बिपदा पड़ली , मीकुणी सूरज तब याद करी याली । ऐगये सूरज लौटी नौलाख कैंतुरी , पकैदे जिया ब्वैं मींक द्वी पाथा26 कलेउ चौपथा27 सामल28 मीक बाटा29 को धरियाल30 , मिन जाँणा जिया ब्वै आज ताता लूहागढ़ । औडू नेडू ये जादी मेरी तेलिया बाड़णी , लगैदे बाडणी31 मेरी जुलफिऊंमा32 तेल । औडू नेडू देजादी मेरी हे माला धोबणीं , लगैदे धोबड़ी मेरा कपड़ौ छुयेड़ों । कपड़ि सजैदे मेरी तूमी जसो फूल , मिन जाणा धोबणीं वे बांका भोटन्ता । पैराले सूरजू तीन झिलमिलों33 जामो34 , ओडू नेडू बुलावा मेरी घोड़ी का बखड्या35 । गाड़ीदे बखड्या मेरी सुर्जमुखी घोड़ी , मल्यो रंग घोड़ी मेरी सजाई देवा ।",garhwali-gbm "हांसी सहर से पाते मंगवा दो हांसी सहर से पाते मंगवा दो सिरसे के छीपी से रंगवा दो गाढ़ा मारा जी पीलो रंगवा दो पीलो ओढ़ म्हारी जच्चा पाणी ने चाली लाल पड़ोसिन मुख मोड़ा गाढा मारा जी पीलो रंगवा दो एडा तो शेड़ा साहबा मोर पपीहा घूंघट पर सान्ती ओम लिखा दो पति प्यारा जी पीलो रंगवा दो पीलो ओढ़ म्हारी जच्चा खेत ने चाली ननद जेठानी बिलराव पति प्यारा जी पीलो रंगवा दो",haryanvi-bgc "रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत रे होरी रघुबर राजकिशोरी महल बिच खेलत रे होरी । कर झटकत घूंघट पट खोलत , मलत कपोलन रोरी । महल . . . कंचन की पिचकारी घालत , तक मारत उर ओरी । महल . . . सोने के घड़न अतर अरगजा , लै आईं सब गोरी । महल . . . हिलमिल फाग परस्पर खेलत , केसर रंग में बोरी । महल . . . अपनीअपनी घात तके दोऊ , दाव करत बरजोरी । महल . . . कंचन कुँअरि नृपत सुत हारे , जीती जनक किशोरी । महल . . .",bundeli-bns "किनका के एहो दूनूँ कुवँरा जनक पूछे मुनि जी से किनका1 के एहो2 दूनूँ कुवँरा3 जनक पूछे मुनि जी से ॥ 1 ॥ गाई के गोबर अँगना निपावल , गजमोती चउका पुरावल4 । धनुस देलन ओठगाँई5 जनक पूछे मुनि जी से ॥ 2 ॥ जे एहो धनुस करत तीन खंड , सीता बियाह घरवा ले जायत हो । किनका के एहो दूनूँ कुवँरा , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 3 ॥ उठला सिरी रामचन्दर धनुस उठवला । धनुस कयला6 तीन खंडा , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 4 ॥ भेलो7 बियाह , चलल राम कोहबर8 मुनि सब जय जय बोले । अब सिय होयल9 बियाह , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 5 ॥",magahi-mag "सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे छोरा साइकल त्यार कर के ओले हाथ कै घड़ी बांध रह्या टेढा साफा धर कै गाम गोठ जद पहुंच लिया छोटा साला मिल गया जद साले नै करी नमस्ते साइकल नोहरै मैं डाट लिया सांझ होई जद दिया चासण नाई का आया चाल बटेऊ चालिए कुछ भोजन सा खाया थाली पै बैठ कै जद जीमण भी लाग्या चारों तरफ लखा कै मैं तो चुपका सा हो गया जद मन्ने लेण का जिकर कर्या मेरी सासू नाट गी दूर ढाल की बाल उस नै सोच के कही थाली पै तै उठ कै मैं नौहरै मैं आया मन मैं करू विचार भगवान तेरी अपरमपार माया घाल दे ओ साला घाल दे तेरी बहन खजानी नै नौकर छोड़ डिगर जा गां इस भरी जवानी मैं ले जा हो जीजा लेजा हो मेरी बहिन खजानी नै नौकर मत ना जाइये इस भरी जवानी मैं",haryanvi-bgc "477 मिहतर1 नूंह2 दियां बेटियां जिद कीती डुब मोए नी छड टकानयां नूं याकूब दयां पुतरां जुलम कीता सुनया होसीया यूसफ दयां बानयां नूं हाबील कबील3 दा जंग होया छड गए पैगम्बरी बानयां नूं जे मैं जानदी मापयां बन्न देनी छड चलदी झंग मघयानयां नूं खाहश हक दी कलम तकदीर वगी मोड़े कौन अलाह दे भाणयां नूं किसे ततड़े वकत सी नेहुं लगा तुसां बीजया भुन्नयां दानयां नूं साढे तिन्न हथ जिमी मुलक तेरा ऐवें कासनूं वल वलानयां नूं गुंगा नाह कुरान दा होवे हाफज अन्ना वेखदा नहीं टटानयां नूं वारस शाह अलाह बिन कौन पुछे पिछा टुटया अते नतानयां नूं",panjabi-pan "कर जोर खड़ी गिरिजा ढिग राज दुलारी कर जोर खड़ी गिरिजा ढिंग राज दुलारी , जगदंबे अंबे हिय की तुम जानन हारी । कीन्हों न प्रगट तेइसें कारण बखान के , कर देहू सफल सेवा , अब मातु हमारी । कर जोर . . . कह सके न शेष शारद महिमा अपार है , बड़अगु पतिव्रत में जगलोक तुम्हारी । । कर जोर . . . कंचन कुंअरि सप्रेम विनय भाल कंठ से , दीन्हीं असीस सिय को हंस शैल कुमारी । । कर जोर . . .",bundeli-bns "248 महांदेव थीं जोग दा पंथ बनया खरी कठन है जोग मुहिंम मियां कौड़ा बक बका सवाद है जोग संदा जेही घोटके पीवनी निंम मियां जहां सुन समाध दी मंडली है तहां जोड़ना है निंम झिंम मियां तहां भसम लगाइके भसम होणा पेश जाए नाहीं गबर ते डिंम1 मियां",panjabi-pan "गारी गावे जनकपुर की नारिया गारी गावें जनकपुर की नारियां , दूल्हा श्री रामजी बने जनक पहुंचे है जाय , विनती कीन्ही समुझाय कुंअर दीजे पठाय , हां हो गई कलेऊ की तैयारियां । दूल्हा . . . करके सुन्दर वे शृंगार , आये अपने हैं ससुरार लिये आरती सबईं उतार रानी लाई हैं पूजा की थालियां । दूल्हा . . . दिये उनको आदर सम्मान , लिये वे हैं सबके जजमान सबने उनसे की पहिचान कहो कैसे तुम्हारी महारानियाँ । दूल्हा . . . आई सोने की थार , परसो व्यंजन बहुत प्रकार भोजन करते चारों कुमार सासो परसती है पूड़ीकचौड़ियां । दूल्हा . . .",bundeli-bns "लोरियाँ 1 चंदा मामा , आरे आव , पारे आवऽ , नदी के किनारे आवऽ सोने की कटोरिया में दूध भात ले ले आवऽ बुचिया का मुंहवा में घूट घूट अनेक जगह यह पंक्ति है “बबुआ के मुंहवा में घुटुक” । 2 घुघुवा मन्ना , उपजे चन्ना , एही पड़े आवेले बबुआ के मामा । उठा ले ले कोरा , थमा दे ले लड्डू , छेदा देले नाककान पहिरा देले बाला । 3 मामा मामी , अंगना , बीच में मुचेंयना मामी के ले गइले चोर , मामा टकटोरेले । 4 आउरे गइया नाटी , दूध दे भरि कांटी । आउरे गइया अगरी , दुधवा दे भरि गगरी । हुंकुरति आउ गइया , चोकरति आउ । घुंचवा भरत दूध लिहले आउ । तोरे घूंचवा सोन्हाई मोरा बाबुल के पिआउ । 5 आजा आजी के थूके ? सोने के कि माटी के ? आजाआजी सोने के , पितिया पीताम्भर के लोग बिराना माटी के । 6 बबुआ कथू आवेले ? घोड़वा चढ़ल आवेले । कथक नाचत आवेला । आजी कथू आवेली ? डोला चढ़ल आवेली । चवर डोलत आवेले । 7 बचवा के माई गइली पहार ले अइली गजमोहरा के हार । कुछ घइली असहड़ , कुछ घइली कसहड़ , कुछ घइली बबुआ गर हार । 8 मोरे बाबू , मोरे बाबू का करेले ? कोइनी फोरिफोरि घर भरेले । कोइनी का तेल में छपकि खेलेले । कोइनी कहुए का बीज 9 मोर बचवा मोर बचवा का करेले ? मछरी मारिमारि मगइया धरेले । रीन्हेली बहिना हींग जीरा लाइ , खाले भइया पोंछ फहराइ । अवरा कूकुर कबरा खाला , पोछिया डोलाई , चल लउंड़िया जूठ बटोरे , घुंघरू बजाइ । खरिका देली बारी बिटिया नथुना फलाइ । 10 हेलेहेले बबुआ , कुसई में ढबुआ , बाप दरबरुआ , बेटवा लहैंडुआ धिअवा नचनियां । 11 बाबू बाबू कहीला , चमन के रारी ला , चन्दन भइले थोरा , मोरे बाबूल के मुंह गोरा । अंखिया रतनारी , भहुआं सोहे कारी । बाबू की चोरिनी महतारी । चटनी महतारी , बाबू की चोरिनी बा फूआ , चटनी बा फूआ . . . . । 12 अनर मनर पुआ पाकेला , चीलर खोंइछा नोचेला । चिलरू गइले खेतखरिहान , ले अइले तिलठिया धान । ओही धान के रिन्हली बरवीर , नेवति अइली बाम्हन फजीर । बम्हना के पुतवा दिहले असीस , जीअसु बचवा लाख बरीस । 13 आटा पाटा , बिलारी के बच्चा बचवा का नव दस बेटा । गोली गइया ह , नाटी गइया ह धवरी ह , सोकनी ह । खरवा खाले , पनिया पियेले , कहवां जाले । 14 जिन्हि बाबुल देखि सिहइहें तिन्हि नउजी बिअइहें । बीअहू के बिअइहें त मेंगुची बिअइहें । 15 निनिया अवेले निनर वन से उरदी मूंग ओही पटना से खाट मांच निनिअउरा से । 16 चिरई चोंचा मुंह के बेबहरा , पण्डितन से करे बकताई । उठि के चोंचा तोर खोंता उजारबि , छुटि जइहें बकताई । 17 हमार बाबू कथी के ? नौ मन सोना हीरा के , माई लवंग के , बाप चौवा चन्दन के । पीतिया पीतम्बर के , नर लोग सभ माटी कंे हमार बबुआ सोना के । 18 बबुआ बबुआ करेनी चन्दन रगरेनी । चन्दन भइले थोर , बबुआ का मुंहवा गोर । 19 आउरे निनिया नीनरवन से बाबू हमार अइले पटना से । 20 आऊरे गइया अगरी , दुधवा ले आउ भरि गगरी बाबू के पिआउ भर पेटुकी । 22 पौढ़िये लालन , पालनै हौं झुलावौं स्वर पद मुख चख कमल लसंत लखि लोचन भंवर भुलावों आज विनोद मोद मंजुल मनि किलकनि खानि खुलावौ तेइ अनुराग ताग गुहिये कह मति मृगनयनि बुलानि तुलसी भनित भलो भामिनि उर सो पहिराइ फुलावों । 23 सोइये लाल लाड़िले रघुराई मगन मोद लिये गोद सुमित्रा बारबार बलि जाई हंसे हंसत अनरसे अनरसत प्रतिबिंबनि ज्यों भाई तुम सबके जीवन के जीवन सकल सुमंगल दाई । 24 सो अपने चंचलपन सो सो मेरे अंचल धन सो पुष्कर सोता है निज सर में भ्रमर सो रहा है पुष्कर में गुंजन सोया कभी भ्रमर में सो मेरे ग्रह गुंजन सो तनिक पार्श्व परिवर्तन कर ले उस नासापुटको भी भर ले उभय पक्ष का मन तु हर ले मेरे व्यथा विनोदन सो । तेरी आँखों का सुस्पंदन मेरे तप्त हृदय का चन्दन । 25 चन्दा मामा दौड़े आव आरे आव पारे आव नदिया किनारे आव सोनवा कटोरी में के दूध भात लेले आव बबुआ के मुँह में घुटूक । 26 सुतेरे होरो लाल तार बप्पा बांस काटै गेल बांस के कटैया तीन सेर मरूआ कुटि पीसो तीन रोटी भेल एक रोटी छोरा छोरी एक रोटी बुढ़वॉ तेखर रोटी बुढ़िया छूछे अकेल सून रे हीरो लाल तोर बप्पा बांस काटे गेल । 27 नै खोजहि माय के नै लिहिं बाप के नाम माय गेली कूटे पीसे बाप गेली गाँव चचा गेलो छप्परछारे चाची के दुखली कान यहाँ एगो बैठल छीयो हमहि ठानेठास । 28 अलिया के झलिया में गोला बरद खेत खाय छो गे कहमा गे डीह पर गे डीह छूटल परबतिया गे हाँकू बेटी लक्ष्मी गोर में देबौ पैजनी बाबू कहां गेल खुन गे बाप गेलौ पुरनिया में लै लौ लाल लाल बिछिया में",bhojpuri-bho "आल्हा ऊदल जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर रात सपनवाँ सिब वाबा के एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय करे हिनाइ बघ रुदल के ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय",bhojpuri-bho "नगरी नगरी द्वारे द्वारे नगरी नगरी द्वारे द्वारे ढूंढूं रे सांवरिआ सीस बन्नै के सेरा सोए लड़िओं पे नजरिआ नगरी नगरी . . . कान बन्नै के मोती सोए सच्चयां पे नजरिआ नगरी नगरी . . . गल्ल बन्नै के तोड़ा सोए टिकड़ै पर नजरिआ नगरी नगरी . . . हाथ बन्नै के घड़िआं सोए गुट्ठी पै नजरिआ नगरी नगरी . . . पैर बन्नै के जूता सोए चलगत पै नजरिआ नगरी नगरी . . . सेज बन्नै के बनडी सोए जोड़ी पै नजरिआ नगरी नगरी . . . हेठ बन्नै के लील्ली सोए महफिल पै नजरिआ नगरी नगरी . . .",haryanvi-bgc "उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले लाली चनारिया मोहनी मुरतिया देखत मन ला मोहे वो उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले गाँवे शहर मा तोर होथे बड़ाई वो , जा के डोंगरगढ़ मा बसे बम्लाई दूसर रूपे मा शारदा कहाये वो , जाके शहर तैं हा मईहर बसाये माथे मा टोकिया , सोन के अंगूठीया , दसों अंगुरिया मा सोहे वो उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले चंद्रहासिनी चंदरपुर मा बिराजे वो , हे महामाया रतनपुर मा साजे डिंडेश्वरी तैं मल्हार मा कहाये वो , जा के जिंहा दाई सोना बरसाये नवदिन नवरात जोत , बरत हे दिया ना , मईया के झूलना झूले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले लाली चनारिया मोहनी मुरतिया , देखत मन ला मोहे वो उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले",chhattisgarhi-hne "भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “चम्पा दासी द्वारा राजा को पहचान"" अब ये चम्पा दासी राहय ते जाके रानी सामदेवी ल बताथे रागी हौव अउ कइथे , रानी हा में अतका कई डरेंव वो योगी ल हौव वो जाबे नई करत ऐ हा अउ तोर हाथ ले वो भिक्षा लुहूँ किथे लेहूँ किथे हमर हाथ ले भिक्षा नई लेवत ऐ हौव का पूछत हस रागी ओतका बात ल सुनके हा जलबल के खाख हो जथे हौव अउ गुस्सा होके किथे हा चार झन दीवान मन ला बोलथे हौव वो योगी नोहय , चंडाल ऐ हा जा ओला धक्का मार के निकाल दव निकाल दव ओकर झोला झंटका ल नगां लव हौव अउ गंगा में लेके बोहा दव हा अब ओतका बात ल सुनके , चार छन दीवान राहय ते रागी हौव योगी के पास में आ जथे हा अपन अपन ले झोला ल नंगात रिथे हौव बाबा ल धक्का मारत रिथे हा लेकिन वो बाबा उंहा ले नई जावय हौव – गीत – तब तो बोले मोर रानी हा , मोर रानी हा वो सुनले दासी मोर बाते ला तब तो बोले मोर रानी हा , मोर रानी हा या सुनले दासी मोर बाते ला एकबारेच वो , अउ जाना दासी एकबारेच वो , अउ जाना दासी तेंहा भिक्षा ये देके , ये आना वो , येदे आवोना , भाई येदे जी अउ भिक्षा देके आवोना , येदे आवोना , भाई येदे जी भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे , येदे पहुँचय दीदी चम्पा ये दासी ह आज ना भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे , येदे पहुँचय दीदी चम्पा ये दासी ह आज ना लेलव बाबा तुमन , येदे भिक्षा ल ग लेलव बाबा तुमन , येदे भिक्षा ल ग येदे धूनी ल इंहा ले उठावव जी , ये उठावव जी , भाई येदे जी येदे धूनी ल इंहा ले उठावव ना , ये उठावव ना , भाई येदे जी – गाथा – अब ये चम्पा दासी राहय तेन रानी सामदेवी के बात मान के आथे रागी हौव फेर किथे हा बाबा हौव एले अब तो भिक्षा लेलेव हा धूनी ल हटा दव हौव हां भई भिक्षा नई लव हा तो आसपास में तुंहर बर हम मंदिर बनवा देथन हौव उंहा तुम पुजारी रहू पुजारी रहू तुहाँ ल हाथी घोड़ा सबकुछ देबो हौव लेकिन इंहा ले तुम धूनी ल तो हटा दो हा ओतका बात ल सुनथे तो बाबा हौव थोकन मुस्कुरा देथे हा मुस्कुरा देथे ओकर दांत में , ओकर सोन के दांत लगे रिथे हौव झलक ह दिख जथे हा चम्पा दासी राहय ते चिन डारथे हौव अउ चिन्हे के बाद का पूछत हस रागी हा थई थई थारी ल पटक देथे हौव अउ जाके बीच अंगना में हा रोवन लाग जथे हौव – गीत – बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो सुन ले रानी मोर बाते ल बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या सुन ले रानी मोर बाते ल वो ह योगी नोहय , तोर राजा ऐ वो वो ह योगी नोहय , तोर राजा ऐ वो येदे कही के रोवन लागत हे , भाई येदे जी येदे कही के रोवन लागत हे , भाई येदे जी बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो सुन ले रानी मोर बाते ल बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या सुन ले रानी मोर बाते ल कोन भेषे में वो , भगवाने आथे कोन भेषे में ना , भगवाने आथे येदे कोन भेषे तोर राजा वो , भाई येदे जी येदे कोन भेषे तोर राजा वो , भाई येदे जी",chhattisgarhi-hne "आज बागां मैं ए जीजी जगमगी आज बागां मैं ए जीजी जगमगी आया मेरी मां का जाया बीर हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी ओढूं तो हीरा मोती झड़ पड़ै डिब्बै बसै तो ललचे जिया सादी क्यूं ना ल्याया चून्दड़ी क्यूं ललचाया अपणा जिया तनै और भतेरी ल्या द्यां चून्दड़ी",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा लुक्खी बनरिया दालभात खो सैंया बोलैलकौ पटना जो । सुनरी जैती धरमपुर हाट माय लेॅ साड़ी , बहिनी लेॅ चोली पीसी लेॅ रतनारी साड़ी वियोग मरेॅ नूनू के चाची रहोॅरहोॅ चाची , धीरज बान्होॅ छाती तोहरा देभौं चाची गुड़ोॅ के चक्की । हा हुस रे सुगना । तोहरा मचान पर के छौ ? भैया छै , भौजी छै । की करै छौ ? कोठी पारी बैठली छै । भैया मारै भौजी केॅ भौजी रूसल जाय छै घुरोॅ हे भौजी घुरोॅघुरोॅॅ पहिनोॅ लुंगा नया पटोर तोरोॅ भैया बड़ा कठोर । चान मामू , चान मामू कचिया दे कचिया कुटबाय लेॅ । सेहो कचिया कथी लेॅ ? घसवा गढ़ावै लेॅ । सेहो घसवा कथी लेॅ ? बैलवा खिलावै लेॅ । सेहो गोबर कथी लेॅ ? ऐंगना निपावै लेॅ । सेहो ऐंगनां कथी लेॅ ? गेहूँमा सुखावै लेॅ । सेहो गेहुमा कथी लेॅ ? पुड़िया छकावै लेॅ । सेहो पुड़िया कथी लेॅ ? नूनू केॅ जिम्हावै लेॅ । बाबू हो भैया हो सुगां फोकै छौं धान हो केॅ मोॅन ? बीस मोॅन । बीसू राय के बेटवा लाला पगड़िया मथवा भैया ऐलै घोड़ी पर भौजी ऐलै खड़खड़िया पर टुनटुनमा ऐलै छितनी पर भैया केॅ देलियै लोटबे पानी भौजी केॅ देलियै कटोरबे पानी टुनटुनमा केॅ देलियै चुकुड़बे पानी भैया सुतलै सीरा घोॅर भौजी सुतलै भनसा घोॅर टुनटुनमा सुतलै चुलही पिछुआड़ ।",angika-anp "586 खतम रब्ब दे करम दे नाल होई फरमायश पयारड़े यार दी सी ऐसा शे’र कीता पुर मगज मौजूं1 जेही मोतियां लड़ी शहवार दी सी तूल खोल के2 जिकर बयान कीता रंग रंग दी खूब बहार दी सी तमसील3 दे नाल बयान कीता जेही जीनत4 लालां दे हार दी सी जो कोई पड़े सो बहुत खुरसंद होवे वाह वाह सभ खलक पुकारदी सी वारस नूं सिक दीदार दी सी जेही हीर नूं भटकना यार दी सी",panjabi-pan "पराती १ . हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी चलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी टूटि गइले खुरपी , ढरकि गइले पानी रोयेली मदोदर रानी , कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी केकर घोड़वा माई रे ओएडेंगोएड़ें जाय केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़ेगोएड़े जाय कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे सोझे उदड़ल जाय रोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोर हँसेले कवन दुलहा , मुँहे खाले पान । २ . मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया कोइलर बोले अनबोल , सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले पसिया के पकड़ लेइ आउ रे हँकड़हु डँकड़हु गाँवचकुदरवा राजा जी के परे ला हँकार ए कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि नाहिं हम नग्र से उजारबिए । जवना चिरइया के बोलिया सोहावन , उहे आनि देहु रे । डाढ़ि डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे , पाते पाते कोइलर लुकासु रे , जेहिसन पसिया रे लवले उदबास , उदबासबेचैनी मुओ तोर जेठका पूतऽ ए । तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा खोरन दुधवा आहार रे । जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले जिओ तोर जेठका पुतऽ रे । ३ . हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा , काहे रउआ छोड़िले अरार हे । पिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा , ओहि मोरा छोड़िले अरार रे । डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधी , सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुर , ओहि मोरा ढबरल पानी । ४ . ए जाहि रे जगवहु कवन देवा , जासु दुहावन । ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त , मठवा के नारी बहे । ए हथवा के लिहली अरतिया त , मुँह देखेली सोरही सनेही । ए जहि रे जगवहु कवन देही , जासु दुहावन । ए हथवा के लिहली अरतिया , त सोरही सनेही आरती निरेखेली ए । जाहिरे . . . ५ . आईं ना बरहम बाबा , बइठीं मोरे अंगनवा हे , देबऽ सतरजिया बिछाइ ए । गाई के घीव धूम हूम कराइबि , आकासे चली जास ए । आईं ना बरहम बाबा , बइठीं मोरे अंगनवा हे । देबऽ सतरजिया बिछाई ए । गाई के गोबर . . कब जग उगरिन होसु ए । आईं ना काली माई , बइठीं मोरे अंगनवाँ हे , देबऽ सतरजिया बिछाइ ए , गाई के घीव धूम हम कराइबि , कब जग उगरिन होसु हे ।",bhojpuri-bho "गाड़ी तलै मनै जीरा बोया गाड़ी तलै मनै जीरा बोया , हां सहेली जीरा ए जीरे के दो फंुगल लागी , हां सहेली फुंगल ए फुंगल कै मनै गऊ चराई , हां सहेली गऊ ए गऊ का मनै दूध काढ्या , हां सहेली दूध ए दूध की मनै खीर बणाई , हां सहेली खीर ए खीर तै मनै बीर जिमाए , हां सहेली बीर ए बीरे नै मनै चूंदड़ उढ़ाया , हां सहेली चून्दड़ ए चून्दड़ ओढ़ मैं पाणी चाली , हां सहेली पाणी ए पानी ल्यांदे दो कांटे लागे , हां सहेली कांटे ए काटा लाग मेरै आंसू आए , हां सहेली आंसू ए आंसू लै मनै चून्दड़ तै पूंझे , हां सहेली चून्दड़ ए चून्दड़ नपूते में धाबे पड़गे , हां सहेली धाबे ए धाबे ले मनै धोबी कै गेर्या , हां सहेली धोबी ए धोबी नपूते न धोला कर दिया , हां सहेली धोला ए धोला ले मनै लीलगर के गेर्या , हां सहेली लीलगर ए लीलगर नपूते ने लीला कर दिया , हां सहेली लीला ए लीला लै मनै दरजी के गेर्या , हां सहेली दरजी ए दरजी नपूते ने कोथला सीम दिया , हां सहेली कोथला ए कोथले मैं मनै सास घाली , हां सहेली सास ए सास घाल में बेचण चाली , हां सहेली बेचण ए बेच बाच के टके ल्याई , हां सहेली टके ए टके का मनै चूड़ा पहर्या , हां सहेली चूड़ा ए चूड़ा मेरा चिमकै , सास मेरी बिलसे ए ।",haryanvi-bgc "ईसुरी की फाग-27 जब सें गए हमारे सईयाँ देस बिराने गुइयाँ । ना बिस्वास घरें आबे कौ करी फेर सुध नइयाँ । जैसो जो दिल रात भीतरौ जानत राम गुसैयाँ । ईसुर प्यास पपीहा कैसी लगी रात दिन मइयाँ । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' की विरहिणी नायिका अपनी वेदना का वर्णन करते हुए कहती है — हे सखी जब से मेरे प्रियतम परदेश गए हैं , तब से ये भरोसा भी नहीं रहा कि वे कभी घर भी आएँगे । उन्होंने मुझे याद तक नहीं किया । मेरे ह्रदय की दशा राम ही जानते हैं । मेरी प्यास पपीहे की प्यास जैसी है , जो हृदय में रातदिन लगी रहती है ।",bundeli-bns "गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना1 । सुन बेटी के दादा , सुन बेटी के नाना । दादा गाफिल2 मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना । नाना गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ 1 ॥ सुन बेटी के बाबा , सुन बेटी के चच्चा । बाबा , गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना । चाचा , गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ 2 ॥ गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना । सुन बेटी के भइया , सुन बेटी के मामा । भइया गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ मामा गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना ॥ 3 ॥",magahi-mag "पिया पतले जी पतंग जैसे पैर पिया पतले जी पतंग जैसे पैर सिखर दुपहरी मत आइयो मोरे बालमा ये जल जाए जी पतंग जैसे पैर पिया पतले जी . . . सई सांझ मत आइयो मोरे बालमा ओहो जागे जी नणद और सास पिया पतले जी . . . आधी आधी रात मत आइयो मोरे बालमा ओहो जागे जी ड्योढी का पहरेदार पिया पतले जी . . . सास गई बाप कै नणद गई सोहरै ओहो अब होई जी मिलण आली रात पिया पतले जी . . . सास आई सोह्रे नणद आई बाप कै अब होई जी बिछोड़ै आली रात पिया पतले जी . . .",haryanvi-bgc "51 जा माहीयां1 पिंड विच गल कीती इक सुघड़ बेड़ी विच गांवदा ए उहदे बोलयां मुख तेां फुल किरदे लख लख दे सद अलांवदा ए सने लुडन झमेल दीयां दोवें रन्नां सेज हीर दी ते रंग लांवदा ए वारस शाह कुआरियां आफतां ते वेख किहा फतूर हुन आंवदा ए",panjabi-pan "बागां के मैं मत जाइये नार सैन मार तक लेगा बागां के मैं मत जाइये नार सैन मार तक लेगा सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा गांला मैं मत जाइयो नार को परदेसी तक लेगा सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा हरी कन्नी लाल कन्नी या कन्नी असमानी इस बीर नै कुछ मत कहियो या सै बीर बिराणी",haryanvi-bgc "जमुना किनारे मोरा गाव जमुना किनारे मोरा गांव , संवरिया आ जाना । जो कृष्ण मोरा गांव न जानो । बरसाना मोरा गांव , संवरिया आ जाना । जमुना . . . जो कान्हा मोरा नाम न जानो , राधा नवेली मोरा नाम । संवरिया आ जाना । जमुना . . . जो कान्हा मोरा धाम न जानो ऊंची हवेली मेरा धाम । संवरिया आ जाना । जमुना . . .",bundeli-bns "बुंदली हम मुट्ठी भर दौना अरे दइया बुंदली1 हम मुट्ठी भर दौना2 अरे दइया , कोड़बइ3 हम कइसे । कोड़बइ हम सोने के खुरपिया4 पटयबो5 दौना कइसे ॥ 1 ॥ पटयबो हम दुधरा6 के धरवा7 अरे लोढ़बो8 दौना कइसे । लोढ़बइ हम सोने के चँगेरिया , अरे इयबा9 गाँथबइ हम कइसे ॥ 2 ॥ गाँथइ हम रेशम के डोरिया , पेन्हैबो10 दौना कइसे । पेन्हैबो हम दुलरइतिन देइ के गरवा , देखबो दौना कइसे ॥ 3 ॥ सारी सरहज सब ढूका11 लगलन , अरे दइबा देखहू न पउली12 ।",magahi-mag "एके कोखी बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया एके कोखी1 बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया दू रंग नीतिया2 काहे कईल3 हो बाबू जी दू रंग नीतिया बेटा के जनम में त सोहर गवईल अरे सोहर गवईल4 हमार बेरिया , काहे मातम मनईल हमार बेरिया5 दू रंग नीतिया काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया बेटा के खेलाबेला6 त मोटर मंगईल अरे मोटर मंगईल हमार बेरिया , काहे सुपली मऊनीया7 हमार बेरिया दू रंग नीतिया काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया बेटा के पढ़ाबेला8 स्कूलिया पठईल अरे स्कूलिया पठईल9 हमार बेरिया , काहे चूल्हा फूँकवईल हमार बेरिया दू रंग नीतिया काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया बेटा के बिआह में त पगड़ी पहिरल10 अरे पगड़ी पहिरल हमार बेरिया , काहे पगड़ी उतारल11 हमार बेरिया दू रंग नीतिया काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया एके कोखी बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया दू रंग नीतिया काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया",bhojpuri-bho "चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी चरखो तो ले ल्यूँ , भँवरजी , रांगलो जी हाँ जी ढोला , पीढ़ा लाल गुलाल तकवो तो ले ल्यूँ जी , भँवरजी , बीजलसार को जी ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी म्होरे म्होरे री कातूँ , भँवर जी , कूकड़ी जी हाँ जी ढोला , रोक रुपइये रो तार म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी ओ जी म्हारी लल नणद रा ओ वीर अब घर आओ प्यारी ने पलक न आवड़े जी गोरी री कमाई खासी राँडिया रे हाँ ए गोरी , कै गांधी कै मणियार म्हे छाँ बेटा साहूकार रा जी ए जी म्हारी घणीए प्यारी नार गोरी री कमाई सूँ पूरा न पड़े जी भावार्थ ' एक रंगीला चरखा ले लूंगी मैं , ओ प्रियतम अजी ओ ढोला , एक लालगुलाल पीढ़ा ले लूंगी । उत्तम , पक्के लोहे का , ओ प्रियतम मैं तकला ले लूंगी । अजी ओ , मेरी जोड़ी के भरतार बीकानेर से पूनियाँ मंगवा लूंगी , एकएक मोहर के दाम से कातूंगी एकएक कूकड़ी पूनी । अजी ओ ढोला , एकएक रुपए का होगा एकएक धागा । मैं कातूंगी और तुम बैठे इसका व्यवसाय करना । अजी ओ , मेरी लाल ननद के भाई जल्दी घर आओ , तुम्हारी प्यारी को अब पल भर भी चैन नहीं । ' ' स्त्री की कमाई खाएगा कोई नामर्द , या कोई इत्र बेचने वाला , या कोई मनिहार , ओ रूपवती मैं तो साहूकार का बेटा हूँ । हे मेरी बहुत प्यारी नारी पत्नी की कमाई से काम नहीं चलता । '",rajasthani-raj "गाली गीत काकड़ी नो डीरो टरका करे । आइणि नो माटि टरका करे । काकड़ी नो डीरो टरका करे । मंगली नो माटी टरका करे । काकड़ी नो डीरो टरका करे । सुमली नो लाड़ो टरका करे । ककड़ी का डीरा टरटर कर रहा है , समधन का पति टर्रा रहा है । ककड़ी का डीरा टरटर कर रहा है , मंगली का खसम टर्रा रहा है । ककड़ी का डीरा टरटर रहा है , सुमली का पति टर्रा रहा है ।",bhili-bhb "थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी । । थारा टीका खऽ लागी जगाजोत वो गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । थारा कान खऽ झुमका रनुबाई अजब बणया । थारी लटकन ख लगी जगाजोत वो । । गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । । थारा हाथ का कंगण अजब बन्या , थारी अंगूठी ख लगी जगाजोत वो गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । । थारी कम्मर को कदरो रनुबाई अजब बन्यो थारा गुच्छा ख लागी जगाजोत वो गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । थारा अंग की साड़ी रनुबाई अजब बनी थारा पल्लव ख लगी जगाजोत वो गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी थारा पांय की नेऊर रनुबाई अजब बन्या थारा रमझोल ख लगी जगाजोत वो गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । हे रनुबाई तुम्हारे माथे कि बिंदी , शीश का टीका , कान के लटकन बहुत ही सुन्दर लग रहे है । तुम्हारे कान के कंगन , अंगूठी , कमरबंद , गुच्छे की घड़त न्यारी है । तुम्हारे झुमके अंग की साडी और उसके पल्लव की शोभा न्यारी है ।",nimadi-noe "माय तोरा हँटो गे कोसिका माय तोरा हँटो गे कोसिका बाप तोरा बोधो से मति जाह सौरा असनान । अंगना में आगे कोसिका कुइयाँ खुनाय देबौ नित उठि करिहे असनान । हँटलो ने माने कोसी बोधलो ने माने वलि भेलै कोसिका सोरा असनान । जाहि घाट आगे कोसिका करै गो असनानताहि घाट अहिरा पड़रू नमावै । घाट छोड़ू बाट छोड़ू पूत अहिरा तिरिया जानि हम करब असनान पालट के नूआ अहीरा घर ही बिसरलौ तिरिया जाति हम करब असनान । हमरो चदरियाकोसिका पहिरि करू हे असनान अगिया लगेवौ अहिरा तोहरो चदरिया बजर खसैबो तोहर चदरिया तीतले भीजले जेवै अपन घर दुआर ।",angika-anp "थोड़ा-सा नीर पिला दै थोड़ासा नीर पिला दै , बाकी घाल मेरे लोटे मैं अरे तूँ भले घराँ की दीखै , तन्ने जन्म लिया टोटे मैं तू मेरे साथ होले गैल , दामण मढ़वा दिऊँ घोटै मैं भावार्थ ' थोड़ासा पानी मुझे पिला दे , बाकी मेरे लोटे में डाल दे । अरी ओ , तू तो भले घर की लगती है , लेकिन ऐसा लगता है जैसे तेरा जन्म बड़े ग़रीब घर में हुआ है । चल , मेरे साथ चल । मैं तेरे लहंगे को गोटे से मढ़वा दूंगा ।",haryanvi-bgc "म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो पिछवाडे़ है छाई राजा गजबेल बधांवोजी म्हें सुण्यो म्हारा ससराजी गांव गरसिया सासूजी हो राज अरथ भंडार बधावोजी म्हें सुण्यो म्हारा जेठ बाजूबन्द बेरखा जेठाणी हो राजा बेरखा रा लूम म्हारा देवर दांती को चूड़लो देराणी है राजा चूड़ला री चोप म्हारी नणदल कसूमल कांछली नणदोई हो राजा कांछलीरा बंद म्हारी धीमड़ को राजा हाथ मूंदड़ी जमाई हो राजा मूंदड़ी रो कांच म्हारो पुत्र हो राजा कुल ही को दीवलो कुलबऊ है राजा दिवलारी जोत म्हारा सायबा सिरही का सेहरा सायधन हो राजा पांव की पेजार बधाबोजी म्हें सुण्यो हीरा वारूँ वो बऊ पड़ तमारी जीब पे बखाण्यो हो म्हारों सोई परिवार मोती वारूँ हो सासूजी तमारी कूख पे तमने जाया हो राज अर्जुनभीम बधावोजी म्हें सुण्यो ।",malvi-mup "ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर ब्याहे ब्याहे राज करेंगे रांडा का पणमेसर छोटे छोरे कै न जांगी , बालम याणे कै न जांगी , देस बिराणै कै न जांगी कासण बांटे , बासण बांटे , साझे रहा बरौला यो भी क्यों न बांटा रांड के घर में देवर मौला छोटे छोरे कै न जांगी . . . कासण बांटे , बासण बांटे , साझे रह गई थाली यो भी क्यों न बांटी रांड के घर में ननदल चाली छोटे छोरे कै न जांगी . . . सौड़ बांटी , सौड़िया बांटा , साझै रह गई रजाई यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों मरी जड़ाई छोटे छोरे कै न जांगी . . . घर बांटा घरबासा बांटा साझै रह गई मोरी यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों हो गई चोरी छोटे छोरे कै न जांगी . . .",haryanvi-bgc "बाप की सिखावन लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो , हमें चाहें फिर कछू न बिइयो , करौ नौकरी कभउँ काऊ के मों कौ कौर खैंच जिन खइयो ऐसौ कठिन समइया आय गऔ , गाँवगाँव भुखमरई परी है घरनघरन में बिधी लड़ाई , भइयन में मुड़ कटई भरी है ; अपओं गाँव ह्वै गऔ दुपटया , गाँवगाँव बढ़ गए चौपटया , हमनें तेरी फसल काट लई , तैं खरयानन आग धरी है । ऐसे गाँवपुरन में जइयो , चार जनन कों टेर बुलइयो , सुनियो बातें सबइ जनन कीं , न्याय निबल के संगै करियो । लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो । भूखे मुन्स उघारे मिलहैं , सीदे और हरारे मिलहैं , बइयर लरका बारे मिलहैं , मुखिया कहूँ मुनारे मिलहैं ; ऐसेउ भगत तुम्हें मिल जैहें , ढेर लगा दैहैं पइसन कौ , रुपयापइसाबारे मिलहैं , टुपियाकुरताबारे मिलहैं । लला न इन्हें तनक पतयइयो , मुफत मिलै सौनों ठुड़यइयो , टूटी खटिया फटे गदेला , लिैं तिनइँ पै तुम सो रइयो । लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो । देखो तुमनें क्वाँरघाम जब होंय बखरनी हाँपरपीटा , तुम्हें पतौ है भरी बतर में बैलन कें कढ़ आओ खुसीटा , रूखी रोटी रकत बनो , सोइ कढ़ो पसेउ , भूम कों पिया दओ , चैत नुनाई गड़गड़ाय कें बादर डर के मारे छींटा । सब भुगतो है , भूल न जइयो , छाई पाय कें ना बुकल्यइयों , मिलै पसीना की तौ खइयों , मिलै न तौ सूखेइ हरयइयों । लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयोेेेेेेेेेेेेेेेेेे है सौगन्ध हमाए पाँव में लगे डूँड़ की पकी पीर की , हर जोतें धरती सें जूझ मौं पै धूरा के अबीर की ; चकिया पीसत महतारी की ठेठन की सौगन्ध तुम्हें है , भइयन की रूखी रोटिन की , ज्वान बहिन के फटे चीर की । लाज पराई कों न उघरियो , बुरी गैल पै पाँव न धरियो , नौकरचाकर अपएँ गाँव के , नथुआ बुधुआ घाईं समझियो । लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो ।",bundeli-bns "543 भला होया भैणा हीर बची जानो मन मन्ने दा वैद हुन आया नी दुख दरद गए सभे हीर वाले कामल वली ने फेरड़ा पाया नी जेहड़ा छड चुधराइया चाक होया वत उसने जोग कमाया नी जैंदा वंजली दे विच लख मंतर एह अल्लाह ने वैद मिलाया नी शाखां रंग बिरंगियां होण पैदा सावन माह जिऊं मींह वसाया नी नाले सहती दे हाल ते रब्ब तुठा जोगी दिलां दा मालक आया नी तिनां धिरां दी होई मुराद पूरी धुआं एस चरोकना लाया नी एहदी फुरी कलाम अज खेड़यां ते इसमे आजम1 ते असर कराया नी महमान जियों आंवदा लैन वहुटी अगे सहुरयां पलंघ वछाया नी वीराराध2 वेखे एथे कोई हुंदा जग धूड़ भलांवड़ा पाया नी मंतर हक ते पुतलियां दो उडन अल्लाह वालयां खेल रचाया नी खिसकू शाह होरी अज आन बैठे तंबू आन उघालूयां लाया नी दुआ मार बैठा जोगी मुदतां दा अज खेड़यां ने खैर पाया नी कखों लख चा करे खुदा सचा दुख हीर दा रब्ब गवाया नी उन्हां सिदकियां दी दुआ रब्ब सुनी उस वांढड़ी दा यार आया नी भला होया जे किसे दी आस पुनी रब्ब बिछड़या यार मिलाया नी सहती आपने हथ अखतिआर लैके डरा डूंमां दी कोठड़ी पाया नी रन्नां झट मोह लैन शाहजादयां नूं वेखो इफतरा कौन बनाया नी आपे धाड़वी दे अगे माल दिता पिछों उसदे ढोल बजाया नी भलके ऐथे ना होवसन दोवे कुड़ियां सानूं सगन एहां नजर आया नी वारस शाह शैतान बदनाम करसू लूण थाल दे विच भुनवाया नी",panjabi-pan "कद्रू-बनिता कदू्र कानाग ह्वैन , बनिता का गरुड़ कदू्र बनिता , दुई1 होली सौत , सौति डाह छै , तौं मा । कद्रू बोलदी तब हे भुली बनिता , तेरो बेटा भानपँखी , रंद सूर्य कालोक माँग2 सूर्य भगवान को रथ चलौंद । बोलदऊँ हे भुली , सूर्य को रथ , कै रंग को होलो ? तब बनिता बोलदे , सूर्य को स्वेत रथ होलो । तब नागूना3 की माता कना बैन बोदे आज भुली बनिता , तेरा मेरा बीच , कौल4 होई जाला मैं सणी तू भुली , धरम दीयाल । सूर्य को सफेद रथ होलो , तब मैं , तेरीदासी होई जौलो । अर कालो रथ होलो तब तू , मेरी दासी , बणी जालो । तब कौलकरार , करीगे नागू की माता , रोंदड़ा5 लगौंदी6 तब , छुँयेड़ा7 चारदे , मन मारीक अपणा , कालागिरि नाग । याद करके वा , ध्यान धरदे । तब औंद कद्रू को , कालागिरी नाग अपनी माता का , चरणू मा गिर्दु8 क्या हालू माता , मैं कू तै हुकूम , केक याद करयूँ , त्वैन मैंई । माता तब बाच9 , नी गाड़दी10 । कालागिरि तब , सोच मा पड़ीगे क्या ह्वै माता , इनी होणी होन्यार । तब कदू्र बोलदे , क्या होण बेटा , आज बिटे मैं , गरूड़ की माँ की दासी छऊँ । कालागिरी पूदक्या कारण होलो ? कदू्र न बोलेमेरा अर बनिता का बीच , बचन होई गैन गरुड़ की माँन बोले , सफेद रथ सूर्य को , मैंन बोले सूर्य को काली रथ होलो । सफेद रथ सूर्य को सची होलो तब मेरा लाडा11 , भोल12 बिटे13 मैन गरुड़ की माँ की , दासी होई जाण । बनिता होली कनी स्या डैणा14 , वीं की दासी , कनु होण बेटा , मैन ? कालागिरि बोद : हे मेरी माता , नागू की माता छई तू , बनिता तेरी मैंदासी बणौलू । मैं अभी अपणा , सभी नागू बोलदौं ऊँ सणी स्वर्ग लोक भेजदौं । उदंकारी15 काँठा माँग16 , जै वक्त सूर्य को , रथ औलू , वै वक्त सब , अपणा नागू । सूर्य का अग्वाड़ी पिछाड़ी , खड़ा करी द्यू लो नागू का छैल17 से , सूर्य को रथ , कालो होई जालो । तब मेरी माता , बनिता देखली , सूर्य को रथ , कालो ही कालो ? कालागिरि नाग , तब नागू लीक , उदंकारी काँठा , पौंछी गए ? उदैकाल माँ नागून , सूर्य को रथ घेरयाले ? गौ सरूप पृथी , सूती बिजीगे पृथी मा सूर्य को , झलकरो ऐगे ? अँध्यारी पृथी , उयंकार होइगे , तब निकलदे भैर18 , नागू की माता , सूर्य की तरफ देखण लगदी सूर्य का रथ की काली छाया , तब देखेण लगदी । तब लौंदी धावड़ी19 , कदू्र खुशी माँग औ भुलि बनिता , देख सूर्य को रथ कालो रथ छ त , तू मेरी दासी ह्वैजा , सफेद रथ छ त , मैं तेरी दासी ह्वै जौलू । तब गरुड़ की माता , देखदे सूर्य को रथ । सूर्य कारथ तैन , काली छाया देखे तब बोलदे बनिता आज बिटी दीदी कदू्र मैं , तेरी दासी बणीग्यूँ । तब ह्वैगे बनिता , नागू की दासी । तब दणमण20 रोंदे , पथेणा नेत्र धोलदे । जना कना21 बेटऊँ , चुली22 तनी रणू भलो । मेरा बेटा भानपंखीन मेरो अपमान कराये । मैं मँूग23 त बोले सफेद रथ सूर्य को , अैर दखा त कालो रथ देखंद । मैं कौल24 हारी करेऊं , दासी बणायूं । तब गरुड़ की माता , मन मारी , जी हारी , नखारो सांस लेंदे । तब वीं को बेटा मिश्री गरुड़ , रंद देवलोक मा भगवान मा बोद : मैं घर जाँदू मेरी माँ पर क्वी कष्ट आई गए । रौंड़दो दौड़ो औंद माँ का पास । वै की मान औंदो दखी , तब वीन पीठ फरकाई दीने । मिश्री गरूण माँ का चरणू मा गिर्द । कद्रू माता दणमण रोंदे इनो बेटा नी होंदो मेरो , तब त मैं खूब रदी तब मिश्री गरुड़ बोद क्या होई माता होणी होन्यार ? तब माता बोदे : तेरा भाई भानपंखीन मई माक झूठ बोले कि सूर्य को रथ सफेद होंद मैन नागू की माता दगड़े कौल करीन आज ऊँकी दासी बणी गयूं । तब मिश्री गरुड़ बोलदो धीरज धर माता , मैं अपणो जायो25 नी बोली , जू मैन त्वै छुड़ायो नी । तब रौड़दौदौड़दो वो जांद कालागिरी नाग का पास हो कालागिरी नाग , तिन कपट करी मेरी मां दासी किलै बणाये ? तब कालागिरी नाग इनो बोलदो हे मिश्री गरुड़ तू देवलोक मां रंदी बख बिटी अमिर्त को घड़ो लैक हमू दियाल , तेरी माता सणी हम छोड़ी दिऊला । मिश्री गरुड़ होलो दिल को भोलो , तब अमृत ल्याईक गरुड़ नाग देन्द । तब कालागिरि नागन सब नाग बोलैन नहेकधुयेक औला , अमृत प्यूला । तब नाग नहेण धुयेण जांदन , भगवान सुँणदन , दौडदादौड़दा ऐग्या गरुड़ , तिन यो क्या करे ? जनो कपट ऊन त्वैक करे , तनो कपट तू भी ऊँक कर जबारेक वो नहेक औंदन , तबारेक अमृत देवलोक धरी हौऊ । तब मिश्री गरुड़ अमृत उठैक , सुकीं26 देवलोक मां धरी आयें तब औंदन नाग ऐन , ऊन अमिर्त नी पायो । तब कालागिरी मिश्री गरुड़ मू औंद । तब मिश्री गरुड़ का साथ माँज , कालागिरी नाग जुद्ध करण लै गये । मिश्री गरुड़न तब नाग मारयालीन , तब कालागिरी नाग अकेलु रै गये : तब कालागिरी नाग गरुड़ की डर , मिश्रीदऊ मा घुसीगे । तब माछी बणीक वो छाला आई गये , तब मिश्री गरूड़न वा माछी मारी आले , वख एक रिषी तप कदो छयो , वीं माछी को खून वे रिषी का अंग पड़ीगे वै रिषीन गरूड़ सराप दियाले जनो तिन मेरो तप भंग करे , तनी तेरी ये कुंड माज27 छाया पड़न से मृत्यु होई जान जनो रिषीन सराप दिने गरुड़ सणी , तनी भगवान मालूम होई गये । भगवानन तब गरूड़ को कुंड मा , घूमणो बद करी दीने तब भगवान जी कालानाग नाथीक , भैर ली ऐन तुम भाई भाई छया गरुड़ो नागो , अपस मा मेल से रवा । तब मिश्री गरूड़क भगवान न बोले : तू सिर्फ मैना28 राक एक नाग खाई ।",garhwali-gbm "डूब चलो दिन माय साझ भई मदिर मे डूब चलो दिन माय , सांझ भई मंदिर में । काहे के मैया दियला बने हैं काहे की डारी जोत । सांझ भई मंदिर में सोने के मैया दियला बने हैं , रूपे की डारी जोत । सांझ . . . कौन सुहागन दियरा जारें , कौना ने डारी जोत । सांझ . . . सीता सुहागन दियरा जारे , रामा ने डारी जोत । सांझ . . . कहां बनी मैया तोरी मडुरिया , कौना भयो रखवार , सांझ . . . ऊंचे पहाड़ मैया बनी मडुरिया , लंगुरा भये रखवार । सांझ . . . सुमिरसुमिर मैया तोरे जस गाऊं , चरणन की बलिहार । सांझ . . .",bundeli-bns "कैसी तौबा है तौबा ना कर यार , कैसी तौबा है नित्त पढ़दे इसतगफार , कैसी तौबा है सावीं दे के लवो सवाई , ड्योढिआँ ते बाजी लाई , एह मुसलमानी कित्थे पाई , एह तुहाडी किरदार , कैसी तौबा है जित्थे ना जाणा तूँ ओत्थे जाएँ , हक्क बेगाना मुक्कर खाएँ , कूड़ किताबाँ सिर ते चाएँ , एह तेरा इतबार , कैसी तौबा है मुँहों तौबा दिलों ना करदा , नाही खौफ खुदा दा धरदा , इस तौबा थीं तौबा करीए , ताँ बखशे गफ्फार , कैसी तौबा है बुल्ला सहु दी सुणे हकायत1 , हादी2 पकड़ेआ होई हदायत3 , मेरा मुरशद शाह अनायत , ओह लँघाए पार , कैसी तौबा है",panjabi-pan "मैं हूर परी बाँगर की मैं हूर परी बाँगर की , मन्ने फली खा लई सांगर की मेरी के बूझे भरतार म्हने छोड़ न जइए , अपना कपटी दिल समझइए ओ भर बुरा बनियाँ से प्यार भावार्थ ' मैं बाँगर की हूर हूँ । एकदम परी सरीखी लगती हूँ । मैं सींगरे की फलियाँ खा खा कर पली हूँ । प्रियतम , आख़िर मुझे क्या समझते हो तुम ? मुझे छोड़ कर न जाओ , प्रिय । इस कपटी दिल को अपने समझाओ , प्रिय । ओ देखो न , तुम्हारे प्रति मेरे मन में बुरी तरह से प्यार जाग रहा है ।",haryanvi-bgc "बीच ही समुन्द्र कोसी माय बीच ही समुन्द्र कोसी माय बोदिला भासल जाय हे सोलह हाथ के सड़िया हे कोसी माय बन्हि लेलोॅ हे हेलिए गेलोॅ बीचला हे समुन्द्र हे हेलिए जे डुबिए हे कोसी माय बोदिला उपर कइलें से हो बोदिला मांगे छअ बिआह हे हमें तोरा पुछिओ रे बोदिला जतिया ते ठेकान रे तहूँ मांगे हमरों से बिवाह रे हमहूँ जे छिकिये गे कोसिका ओछि जाति चमार हे हमें मांगियो तोरो से विवाह हे कथी ले खियोलियो रे बोदिला दूध भात कटोरबा रे पोसिपालि कइलियो जबान रे तहूँ जे कइलें रे बोदिला जातियो कुल हरण रे ।",angika-anp "दादा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू, सीना तान के चलिहो दादा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो1 । हजरिया बने2 सीना तान के चलिहो ॥ 1 ॥ सहूरे3 का माली जोगी , हाँ जी बाबू , सेहरा4 पढ़ के5 बँधिहो6 ॥ 2 ॥ सहूरे का दरजी जोगी , हाँ जी बाबू , जोड़ा7 पढ़ के पेन्हिहो8 । सो लाले बने , जोड़ा पढ़ के पेन्हिहो ॥ 3 ॥ नाना तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो । हजरिया बने सीना तान के चलिहो ॥ 4 ॥ सहूरे का तँबोली9 जोगी हाँ जी बाबू , बीरा10 पढ़ के चब्हियो11 । हजरिया बने सीना तान के चलिहो ॥ 5 ॥ अब्बा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो । सहूरे का साला जोगी हाँ जी बाबू , लाड़ो12 पढ़ के लइहो13 । हजरिया बने लाड़ो पढ़ के लइयो ॥ 6 ॥",magahi-mag "राय थें तो फलाणा राय का जाया राय थें तो फलाणा राय का जाया केसरिया केवाणा , दरबारी केवाणा लिखन्दा केवाणा हो म्हारा राज झालो दई रया राज तमारी माता तो फलाणी बऊ खोळ में सोवाड़िया , आंचलड़ो धवाड़िया पालणे पोड़ाया हो म्हारा राज झालो दई रया राज तमारी बेन्या तो फलाणी बई आरती संजोवे , मोतीड़े बधावे चौक पुरावे हो म्हारा राज राज तमारी गोरी तो फलाणी बऊ सेज बिछाये , झारी भर लावे गुंजा भरी लावे , ठंडो पाणी भरी लावे हो राज ।",malvi-mup "एमन समाज कबे गो सृजन हबे एमन समाज कबे गो सृजन हबे ये दिन हिन्दुमुसलमान बौद्धखृष्टान जातिगोत्र नाहि रबे । शोनाय लोभेर बुलि नेबे ना केओ काँधेर झुलि , इतर आतरफ बलि दुरे ठेले ना देबे । । आमिर फकीर हये एक ठाँइ सबार पाओना पाबे सबाइ , आशरफ बलिया रेहाइ , भवे केओ येनाहि पाबे । । धर्मकुलगोत्रजातिर , तुलबे ना गो जिगिर , केंदे बले लालन फकिर केबा देखाये देबे ।",bengali-ben "पड़ा रहा छपपनियां का काल पड़ा रहा छपपनियां का काल पड़ रहा कैसा री दुकाल दिया री महंगाई नै मार दमड़ी के हो गए चार कपड़ा मिलै न टाट अन्न दाल का टोटा पड़ गया बालक सारे रोते डोलें जीना जी का जंजाल पड़ रहा छप्पनियां का काल आया जमाई धड़का जी कहां से लाउं सक्कर घी मान महत मेरा सारा मर गया कौन ओड़ निभावे करतार पड़ रहा छप्पनियां का काल",haryanvi-bgc "मोरे हर से करे ररिया जनकपुर की सखिया मोरे हर से करें ररियां जनकपुर की सखियां । उनने आतर परसी सो पातर परसी परस दई दुनिया जनकपुर की सखियां आलू परसे रतालू परसे , सो परस दई घुइयां । जनकपुर . . . पूड़ी परसी कचौड़ी परसी सो परस दई गुजियां । जनकपुर . . . लडुआ परसे जलेवी परसी , सो परस दई बुंदियां । जनकपुर . . . उनने अमियां परसे , करौंदा परसे , सो परस दये निबुआ । जनकपुर . . .",bundeli-bns "रूखड़ी खोदणा पिपर्यापाणी मा निहिं मिले आंबा , निहिं मिले आमली । पिपर्यापाणी मा निहिं मिले आंबा , निहिं मिले आमली । उरखड़े जीरो वावे रांडे , जीरो वावे रांडे । दीतल्या भाइ काजे , पूछि निहि रांडे , झाजो करि देधो । रेसमि भोजाइ काजे पूछि निहिं रांडे , झाजो करि देधो । पिपर्यापानी जगह का नाम में आम और इमली नहीं मिलती हैं । रांड ने घूरे पर जीरा बो दिया , दितल्या भाई को पूछा नहीं , धान बो दिया । रेशमी भोजाई को पूछा नहीं और धान बो दिया ।",bhili-bhb "करमा गीत-3 हां हां रे रतन बोइर तरी रे गड़े है मैनहरी कांटा रतन बोइंर तरी रे । ओही मा ले नहकयं डिंडवारे , छैलवा हेर देबे मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । कांटा हेरवनी का भूर्ती देबे , हेर दहे मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । ले लेबे भइया थारी भर रुपइया , हेर देबे मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । थारी भर रुपइया तोरे धर भावय नइ हेंरव मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । ले लेबे भइया लहुरि ननदिया । हेर देबे मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । लहुरि ननदिया तोरे धर भावय नइ हेंरव मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे । ले लेबे , छैलवा मोरे रस बुंदिया हेर देहंव मैनहरी कांटा रतन बोइर तरी रे ।",chhattisgarhi-hne "501 राह जांदड़ी झोटे ने ढाह लई साहन थल एथल के मारियां नी हबों हबो व गायके भन्न चूढ़ा पाट सुटियां चुन्नियां सारियां नी डाढा माढ़यां नूं ढाह मार करदे अन्न जोरावरां अगे हारियां नी नस चली सां ओंस नूं वेखके मैं जिवें वरां तों जान कवारियां नी सीना भन्न के भनयो सू पासयां नूं दोहां सिंगां उते उस चाढ़ियां नी मेरे करम सन आन मलंग मिलयां जिस जीवंदी पिंड विच वाड़ियां नी वारस शाह मियां गल नवी सुनी हेड़ी1 हरत मैं ततड़ी दहाडियां2 नी",panjabi-pan "बादरु गरजइ बिजुरी बादरु गरजइ बिजुरी चमकइ बैरिनि ब्यारि चलइ पुरबइया , काहू सौतिन नइँ भरमाये ननदी फेरि तुम्हारे भइया । । दादुर मोर पपीहा बोलइँ भेदु हमारे जिय को खोलइँ बरसा नाहिं , हमारे आँसुन सइ उफनाने तालतलइया । काहू सौतिन . . . । । सबके छानीछप्पर द्वारे छाय रहे उनके घरवारे , बिन साजन को छाजन छावइ कौन हमारी धरइ मड़इया । काहू सौतिन . . . । । सावन सूखि गई सब काया देखु भक्त कलियुग की माया , घर की खीर , खुरखुरी लागइ बाहर की भावइ गुड़लइया । काहू सौतिन . . . । । देखिदेखि के नैन हमारे भँवरा आवइँ साँझ–सकारे , लछिमन रेखा खिंची अवधि की भागि जाइँ सब छुइछुइ ढइया । काहू सौतिन . . . । । माना तुम नर हउ हम नारी बजइ न एक हाथ सइ तारी , चारि दिना के बाद यहाँ सइ उड़ि जायेगी सोन चिरइया । काहू सौतिन . . . । ।",kanauji-bjj "इशक दी नविओं नवीं बहार इशक दी नविओं नवीं बहार । फूक मुसल्ला भन्न1 सिट्ट लोटा , ना फड़ तसबी कासा सोटा , आलिम कैंहदा दे दे होका , तर्क हलालों खाह मुरदार । इशक दी नविओं नवीं बहार । उमर गवाई विच्च मसीती , अन्दर भरिआ नाल पलीती , कदे नमाज़ वहादत ना कीती हुण क्यों करना ऐं धाड़ोधाड़ । इशक दी नविओं नवीं बहार । जाँ मैं सबक इशक दा पढ़िआ2 , मस्जिद कोलों जीऊड़ा3 डरिआ4 , भज्जभज्ज ठाकुर दुआरे वड़िआ5 , घर विच्च पाया महिरम यार । इशक दी नविओं नवीं बहार । जाँ मैं रमज़6 इशक दी पाई , मैनूँ तूती7 मार गवाई , अन्दर बाहर होई सफाई , जित वल्ल वेखाँ यारो यार । इशक दी नविओं नवीं बहार । हीर राँझण दे हो गए मेले , भुल्ली हीर ढुँढेंदी मेले , राँझण यार बगल विच्च खेले , मैनूँ सुध बुध रहीना सार । इशक दी नविओं नवीं बहार । वेद कुरानाँ पढ़पढ़ थक्के , सिजदे करदिआँ घस गए मत्थे , ना रब्ब तीरथ ना रब्ब मक्के , जिन पाया तिन नूर अनवार8 । इशक दी नविओं नवीं बहार । इशक भुलाया सिजदा तेरा , हुण क्यों ऐवें पावें झेड़ा , बुल्ला हो रहो चुप्प चुपेड़ा , चुक्की सगली कूक पुकार । इशक दी नविओं नवीं बहार ।",panjabi-pan "461 घर अपने चा चवा कर के आख नागरी वांग क्यों सूकिये नी नाल जोगियां मोरचा लाया ई रजे जट वांगूं वडी फूकिये नी जदों बन झड़े थक हुट रहिए जा पिंड दियां रन्नां थे कूकिये नी कड्ढ गालियां सने रबेल बांदी घिन मोहलियां असां न घूकिये नी भलो भली जां डिठयो आशकां नूं वांग कुतियां अन्न नूं चूकिये नी वारस शाह तों पुछ लै बंदगी नूं रूह साज कलबूत विच फूकिये नी",panjabi-pan "दसरथ नन्नन चलल बियाह करे दसरथ नन्नन चलल बियाह करे , माँथ बन्हले1 पटवाँस2 हे ॥ 1 ॥ केहि3 जे रामजी के पगिया सम्हारल , केहिं सजल बरियात हे । केहिं जे रामजी के चनन चढ़ावल साजि4 चलल बरियात हे ॥ 2 ॥ भाई भरथ रामजी के पगिया सम्हारल , दसरथ साजे बरियात हे । माता कोसिला रानी चनन चढ़ावल , साजि चलल बरियात हे ॥ 3 ॥ एक कोस गेल राम , दुइ कोस गेल , तीसरे में बोले बन काग हे । भाई भरथ राम के पोथिया बिचारलन , काहे बोले बन काग हे । रामजी के पोथिया धोतिया धरन5 पर छूटल , ओही बोले बन काग हे ॥ 4 ॥ जब बरियात दुआर6 बीच आयल , चेरिया कलस लेले ठाड़7 हे । परिछे8 बाहर भेलन सासु मदागिन9 हाथ दीपक लेले ठाड़ हे ॥ 5 ॥ कवन बर के आरती उतारब , कवन बर बियहन10 आएल हे । जेकरहि11 माँथ मउरी12 भला सोभे , तिलक सोभले लिलार हे ॥ 6 ॥ ओही बर के आरती उतारब , ओही बर बियहन आएल हे । सासु के खोइँछा13 में बड़े बड़े खेलौना , से देखि रिझल14 दमाद हे । सासु के खोइँछा में मोतीचूर के लड्डू , से देखि उनके15 दमाद हे ॥ 7 ॥ भेल बियाह , बर कोहबर चललन , सारी सरहज16 छेंकलन17 दुआर हे । बहिनी के नमवाँ18 धरहु19 बर सुन्नर , तब रउरा20 कोहबर जाएब हे ॥ 8 ॥ हमरहिं बंसे बहिनी नहीं जलमें21 जलमल22 लछुमन भाइ23 हे । सेहु भाइ जउरे24 चलि आएल , माँगलक25 सलिया बियाहि हे ॥ 9 ॥",magahi-mag "519 फौज हुसन दी खेत विच खिंड पई तुरत चा लगोटड़े वटयो ने संमी खेडदियां मारदियां फिरन गिधा फबी घत बनावट पटयो ने तोड़ किकरों सूल दा वडा कंडा पैर चोभ के खून पलटयो ने सहती अंदरों मकर दा फंद जड़या दंद मारके खून उलटयो ने शिसतअंदाज1 ते मकर दा नाग कीता उस हुसन दे मोर नूं फटयो ने वारस यार दे खरच तहसील विचों हिसो सिरफ कसूर दा लुटयो ने",panjabi-pan "चेतावनी अलो भायूं क्या छ ? कख तइं पड़यूं घर मां । विदेस्यूं न देखा ? कनि कनि कन्याले जगत मां । करा प्यारों अब त , जतन कुछ अप्णा विषय मां । न खोवा हे चुच्चों , निज दिन अमोला मुफत मां ।",garhwali-gbm "गौतम नार सिला कर डारी गौतम नार सिला कर डारी मुर्गा बांग दगे की दे गया , बांग दगे की न्यारी गौतम ऋषि जी के न्हाने की तैयारी । गौतम ऋषि जी ने जब न्हान संयोया , बोली यमुना माई , कौन रे पापी आन जगाई , मैं तो सोऊं थी नग्न उघारी , क्या री माता भूल गई हो , भूलत बात बिसारी , मैं गौतम ऋषि भगत तुम्हारा । तूं तो रे भोले भूल गया है , भूलत बात बिसारी , तेरे तो रे भोले घर हो रही है जारी कुछ गौतम ऋषि न्हाये कुछ न्हान न पाये , कांधे धोती डारी , जब गौतम ऋषि ड्योड़ी आये , ड्योढ़ी चन्दरमा पाये , दे मिरगछाला जा उन मस्तक मारी , गौतम नार सिला कर डारी ।",haryanvi-bgc "मेरौ वारौ सौ कन्हैंया मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री ॥ टेक ग्वालबाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी ॥ मेरौ . काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी ॥ मेरौ . रेशम की जानें गेंद बनाई , चन्दन को डण्डा लायौरी । मेरौ . मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी ॥ मेरौ . नागिन जब ऐसे उठि बोली , क्यों तू दह में आयौरी ॥ मेरौ . कैं तू लाला गैल भूलि गयो , कै काऊ ने बहकायौरी ॥ मेरौ . कैसे लाला तू यहाँ आयो , कैं काऊ ने भिजवायोरी ॥ मेरौ . ना नागिन मैं गैल भूल गयो , ना काऊ ने बहकायौरी ॥ मेरौ . नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी ॥ मेरौ . नाँय जगाये तो फिर कहदे ठोकर मारि जगायौरी ॥ मेरौ . हुआ युद्ध दोनों में भारी , अन्त में नाग हरायौ री ॥ मेरौ . नाग नाथि रेती में डारौ फनफन पे बैंन बजायौरी ॥ मेरौ . रमनदीप कूँ नाग भेज दियौ फनपै चिन्ह लगायौरी ॥ मेरौ . ‘घासीराम’ ने रसिया कथिके , भर दंगल में गायौरी ॥ मेरौ .",braj-bra "बगिया मति अइहा हो दुलहा बगिया मति1 अइहा2 हो दुलहा , डेहुरिया3 मति हो छुइहा4 । पोसल चिरइँया5 हो दुलहा , उड़ाइ मति हो दीहा6 ॥ 1 ॥ बगिया हम अइबो7 हे सासु , डेहुरिया हम हे छुइबो8 । पोसल चिरइँया हे सासु , उड़ाइ हम हे देबो ॥ 2 ॥ सड़क मति अइहा हे दुलहा , ओहरिया9 मति हे छुइहा । पोसल सुगवा हे दुलहा , उड़ाइ मति हो दीहा ॥ 3 ॥ सड़क हम अइबो हे सासु , ओहरिया हम हे छुइबो । पोसल सुगवा हे साुस उड़ाइ हम हे देबो ॥ 4 ॥ मड़वा मति अइहो हो दुलहा , कलसवा मति हो छइहा । बरल10 चमुकवा11 हे दुलहा , बुताइ12 मति हे दीहा ॥ 5 ॥ मड़वा हम अइबो हे सासु , कलसवा हम हे छुइबो । बरल चमुकवा हे सासु , बुताइ हम हे देबो ॥ 6 ॥ कोहबर मति जइहा हे दुलहा , सेजिया मति हे छुइहा । पोसल बेटिया हे दुलहा , रुलाइ मति हे दीहा ॥ 7 ॥ कोहबर हम जयबो हे सासु , सेजिया हम हे छुइबो । पोसल बेटिया हे सासु , रूलाइ हम हे देबो ॥ 8 ॥",magahi-mag "मैं अंग्रेजी पढ़ गई बालम मैं अंग्रेजी पढ़ गई बालम खाना नहीं बनाऊंगी नहीं चूल्हे पर रखूं देगची आंच ना बारूंगी पतली फुलकिया पोए न बालम तुझे न खिलाऊंगी न चक्की पर रखूंगी पसीना कोर ना डालूंगी गोरमैंट से बात करूंगी तनखाह पाऊंगी तेरे सा मजूर पलंग बिछावै गद्दा लाऊंगी",haryanvi-bgc "पोसतू का छुमा, मेरी भग्यानी बा पोसतू1 का छुमा , मेरी भग्यानी बा2 । आज की छोपती , मेरी भग्यानी बौ । रै तुमारा जुमा , मेरी भग्यानी बौ । अखोडू का डोका3 , मेरी भग्यानी बौ । रै तुम्हारा जुमा , मेरी भग्यानी बौ , हम अजाण लोका , मेरी भग्यानी बौ । बाजी त छुड़ीका4 मेरी भग्यानी बौ , इनू देण दुवा5 , मेरी भग्यानी बौ , हींग सा तुड़ीका6 मेरी भग्यानी बौ । काखड़7 की सींगी , मेरी भग्यानी बौ , रातू क सुपिना देखी , मेरी भग्यानी बौ । दिन आँख्यों रींगी , मेरी भग्यानी बौ , बान8 को हरील9 , मेरी भग्यानी बौ , रिंगदों रिंगदो10 , मेरी भग्यानी बौ , त्वै मुंग11 सील12 , मेरी भग्यानी बौ ।",garhwali-gbm "कहमाँहि दुभिया जनम गेलइ जी बाबूजी कहमाँहि1 दुभिया2 जनम गेलइ जी बाबूजी , कहमाँहि पसरल3 डाढ़4 हो । 1 ॥ दुअराहिं5 दुभिया जनम गेलउ6 गे7 बेटी , मड़वाहिं8 पसरल डाढ़ हे ॥ 2 ॥ सोनमा9 ऐसन10 धिया11 हारल12 जी बाबा । कारकोचिलवा13 हथुन दमाद हे ॥ 3 ॥ कारहिंकार14 जनि घोसहुँ15 गे बेटी , कार अजोधेया सिरी राम हे ॥ 4 ॥ कार के छतिया16 चननमा सोभइ17 गे बेटी । तिलक सोभइ लिलार18 हे ॥ 5 ॥ कार के हाथ बेरवा19 सोभइ गे बेटी । मुखहिं सोभइ बीरा20 पान हे ॥ 6 ॥ मथवा में सोभइ चकमक21 पगड़िया । गलवा22 सोभइ मोतीहार हे ॥ 7 ॥ ऐसन23 बर के कार काहे24 कहलऽ । कार हथिन सिरी राम हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "जिदना मन पंछी उड़ जानैं जिदना मन पंछी उड़ जानैं , डरौ पींजरा रानैं । भाई ना जै हैं बन्द ना जैहें । हँस अकेला जानें । ई तन भीतर दस व्दारे हैं की हो के कड़ जाने । कैवे खों हो जै है ईसुर । एैसे हते फलाने ।",bundeli-bns "झोलै मैं डिबिआ ले रह्या झोलै मैं डिबिआ ले रह्या हाथ्यां मैं ले रह्या रूमाल पति हो तेरी कित की त्यारी सै बहाण मेरी सुनपत ब्याही सै हे री तीज्यां का बड़ा त्युहार सिंधारा लै कै जाऊंगा टेम गाड्डी का हो रह्या सै हे री घंटी बाज रही खड खड गाड्डी सिर पर आ रही सै मिठाई सतपकवानी सै हे री सासड़ तौली खाट बिछाए बीर मेरा भाज्या आवै सै बीरा मेरा सिर पुचकारै सै मैं लेई गोड्यां के बीच बिठा बीर नैणां में आसूँ ल्या रह्या सै हे री मेरी सासड़ भरदी नां हां बीर मेरा आंख्यां नै आ रह्या सै जेठ मेरा सान्नी काटै सै मेरा देवर काढै धार पति मेरा पलटण में जा रह्या सै",haryanvi-bgc "506 सहतीं हीर दे नाल पका मसलत बड़ा मकर फैलायके बोल दी ए गरदानदी मकरां मुतवलां1 नूं अते कनज़2 फरेब दी खोल दी ए इबलीस3 मलफूफ4 खनाम विचों लै रवायतां जायजां बोल दी ए अफाकुल हदिस5 मनसूख कीती किताब लाईन अला वाली फोलदी ए तेरे यार फिकर दिन रात मैंनूं जान मापयां तो पई डोलदी ए वारस शाह सहती अगे मां बुढी वडे गजब दे कीरने फोलदी ए",panjabi-pan "पाया है किछु पाया है पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है । कहूँ वैर पड़ा कहूँ बेली हो , कहूँ मजनूँ हो कहूँ लेली हो , कहूँ आप गुरु कहूँ चेली हो , आप आप का पन्थ बताया है । पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है । कहूँ मस्जिद का वरतारा है , कहूँ बणिआ ठाकुरद्वाराहै , कहूँ बैरागी जटधारा है , कहूँ शेख नबी बण आया है । पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है । कहूँ तुर्क हो कलमा पढ़ते हो , कहूँ भगत हिन्दू जप करते हो , कहूँ घोर गुफा में पड़ते हो , कहूँ घर घर लाड लडाया है । पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है । बुल्ला मैं थीं बेमुहताज होया , महाराज मिलिआ मेरा काज होया , दरस पीआ का मुझहे इलाज होया , आपे आप मैं आपु समाया है । पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है ।",panjabi-pan "150 चूचक आखदा अखीं विखा मैंनूं मुंडी1 लाह सुटां गुंडे मुंडयां दी हक अयां तराह मैं तुरत माही साडे देस ना थां है गुंडयां दी सिर दोहां दे वढ के अलख लाहां असीं सथ ना परे हां गुंडयां दी कैदो आखया वेख फड़ावना हां भला माखड़ी एहनां लुंडयां दी एस हीर दे बिरछ दी भंग लैसां सेहली वटसां चाक दे जुंडयां दी अखीं वेख के फेर जे ना मारो तदों जानसों परे दे बुंडयां दी वारस शाह मियां एथों खेड़ पौंदी वेखो बुंडयां दी अते मुंडयां दी",panjabi-pan "एक बार आओजी जवाईजी पावणा एक बार आओजी जवाईजी पावणा थाने सासूजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना सासूजी ने मालुम होवे म्हारे भाई आज होयो म्हारे घरे से मौक्ळो काम सासूजी मने माफ़ करो . . . एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . . थाने सुसराजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना सुसराजी ने मालूम होवे बाप म्हारो सेहर गयो म्हारे घर से लारलो काम सुसराजी मने माफ़ करो एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . . थाने साळीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना साळीजी ने मालुम होवे साढुजी ने भेजू हूँ म्हारा साढुजी नाचेला सारी रात साळीजी मने माफ़ करो एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . . थाने बुवाजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना बुवाजी ने मालुम होवे म्हारे भी बुवाजी आया बुवासासुजी ने जोडू लंबा लंबा हाथ बुवाजी मने माफ़ करो एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . . थाने लाडीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना लाडीजी बुलावे तो लाडोजी भी आवे है मैं तो जाऊंला सासरिये आज साथिङा मने माफ़ करो एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . . थाने सासूजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . . थाने सुसराजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . थाने साळीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . . थाने बुवाजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . थाने लाडीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . .",rajasthani-raj "321 आ कुवारिए ऐड अपराधने नी धका देह ना हिक दे जोर दा नी बुंदे कुंदले नथ ते हस कड़ियां बैठी रूप बनायके मोर दा नी आ नढीए रिकतां छेड़ नाही एह कमनाहीं धुंम शोर दा नी वारस शाह फकीर गरीब उते वैर कढयो ई किसे खोर दा नी",panjabi-pan "सभवा बइठल रउरा कवन बाबा सभवा बइठल रउरा1 कवन बाबा , दहु2 बाबा हमरो जनेउ3 गे माई । बेदिया बइठल हो बरुआ , रतन के जोत4 के माई ॥ 1 ॥ केई5 देबे6 मूँज जनेउआ7 केई मिरिग छाल गे माई । केई देवे पियर8 जनेउआ , बेदिया के बीच गे माई । रतन के जोत गे माई ॥ 2 ॥ बराम्हन देलन मूँज जनेउआ , नउआ9 मिरिग छाल गे माई । बाबा देलन पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई । रतन के जोत गे माई ॥ 3 ॥ सभवा बइठल रउरा कवन चच्चा , दहु चच्चा हमरो जनेउ गे माई । बेदिया बइठल हो बरुआ , रतन के जोत गे माई ॥ 4 ॥ केई देवे मूँज जनेउआ , केई मिरिग छाल गे माई । केई देवे पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई रतन के जोत गे माई ॥ 5 ॥ बराम्हन देलन मूँज जनेउआ , नउआ मिरिग छाल गे माई । चच्चा देलन पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई । रतन के जोत गे माई ॥ 6 ॥",magahi-mag "बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं सींजूं बड़ की डाली आप किरसन जी झरोखे बैठे सींजै राधा प्यारी",haryanvi-bgc "म्हारो मीठो लागै खीचड़ो म्हारो मीठो लागै खीचड़ो । म्हारो चोखो लागे खीचड़ो । । मीठो खीचड़ो । । छुलक्यो छांढ़यो बाजरो । म्हें दली ए मूंगा की दाल । । मीठो खीचड़ो । । खदबद सीझै बाजरो । कोई लथपथ सीझै दाल । । मीठो खीचड़ो । । दूध खिचड़ी खावा बैठ्या । कोई तरसै म्हारी जाड़ । । मीठो खीचड़ो । ।",haryanvi-bgc "डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार । गेहुँआ मण्टरिया से लहरल सिवनवा , होखे निहाल भइया सगर किसनवा धरती के बाढ़ल श्रृंगार मगन मन होला हमार । । बिहँसेला फुलवा महकेला क्यारी , ताक झाँक भँवरा लगावे फुलवारी मौसम में आइल बहार मगन मन होला हमार । । आईल कोयलिया अमवाँ के डरिया , पीयर चुनरिया पहिरे सवरियाँ सोहेला पनघट किनार मगन मन होला हमार । ।",bhojpuri-bho "सुणिये मेरे मिन्त कथा सुणिये मेरे मिन्त कथा । पंजे गाड़ दिये होणी ने हे होणी बलवान धंसी जा सरवण के घर में आते ही डिगा दी बुध आण के उस तिरिया की पल में कुमत्त राणी की बन आई । सोना को टका दियो हाथ जाय कुम्हरा ते बतलाई सुण प्रजापत बात समझले बरतन एक बणा दे ऐसा भीतर हो परदा सुणिये मेरे मिन्त कथा । ले हंडिया प्रजापत आयो काम करी चितराई को पंजे गाड़ दिये होनी ने दोष नहीं ईमे काई को एक में रंधती खटी मेहेरी एक में रंधती खीर करके सोच कहे यू अंधा या कैसी तकदीर सकीमी सरवण में आई । बहुत गए दिन बीत मेहेरी खट्टे की खाई सरवण ने सुणो जवाब रही ना बाकी सुण अंधे माई बाप दोजखी पापी खीर तनें सब दिन ते खाई हुयो तूं अंधा दुखदाई वाको थाल आप ले लीनो अपनो दियो पिता सुणिये मेरे मिन्त कथा । एक ग्राम लियो मुख भीतर थाल पटक दियो धरती में कुल में घात चला रही तिरिया तू ना चूकी करणी में सुण तिरिया बदकार अक्ल की मारी तूं एकली काग उड़ाये पड़ी रह लानत की मारी ऐसे वचन कहे सरवण ने सरवण बन को जा सुणिये मेरे मिन्त कथा । हरे हरे बांस कटा के इसने कावड़ बनवाई नंगे कर लिये पैर सुरत जने बन खंड की लाई आ गयो सागर ताल नीर भर लीयो दसरथ ने मार्यो बाण जुलम कर लीयो सांस ना सरवण की भटकी बात तो बहुत जबर अटकी भयानो दसरथ को आयो । मेरी सुणिये दसरथ बात पिता रह गयो तिसायो ले पाणी दसरथ आयो ठाकुर नाम सुता सुणिये मेरे मिन्त कथा ।",haryanvi-bgc "हाथ सिन्होरबा गे बेटी हाथ सिन्होरबा1 गे बेटी , खोंइछा2 दुब्भी पान । चली भेली दुलारी गे बेटी , दादा दरबार ॥ 1 ॥ सुत्तल3 हला4 जी दादा , उठला चेहाय5 । किया6 लोभे अइला7 गे बेटी , दादा दरबार ॥ 2 ॥ अरबो8 न माँगियो जी दादा , दरब9 दुइ चार । एक हम माँगियो जी दादा , दादी के सोहाग ॥ 3 ॥ मचिया बइठली जी दादी , दहिन10 लटा11 झार । लेहु दुलरइते गे बेटी , अँचरा पसार ॥ 4 ॥ अँचरा के जोगवा12 गे दादी , झुरिये झुरि13 जाय । मँगिया सेनुरबा गे दादी , जनम अहियात14 ॥ 5 ॥",magahi-mag "एक धनि अँगवा के पातर पिया के सोहागिन हे एक धनि अँगवा1 के पातर2 पिया के सोहागिन हे । ललना , दोसरे , दुआरे लगल ठाढ़ , काहे भउजी आँसू ढारे हे ॥ 1 ॥ तुंहूँ त हहु , भउजो , अलरी3 से , भइया के दुलरी हे । काहे भउजी लगल दुआर , काहे रे भउजी आँसू ढारे हे ॥ 2 ॥ तुहूँ त हहु बबुआ देवर , मोर सिर साहेब4 जी । बबुआ , तोरो भइया देलन बनवास , से एक रे पुतर बिनु हे ॥ 3 ॥ लेहु न लेहु भउजी सोनमा , से अउरो चानी लेहू हे । भउजी , मनवहु आदित5 भगमान , पुतर एक पायब हे ॥ 4 ॥ मनवल6 आदित भगमान , से होरिला जलम लेल हे । जुगजुग जिअए देवरवा जे मोरा गोदी भरि देल हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "279 तूं तां चाक सयालां दा नाम धीदो छड खरच पो1 गल हंकर दे जी महीं चूचके दीयां जदों चारदा सैं जटी मानदा सैं विच बार दे जी तेरा मेहना हीर सयाल ताईं खबर आम सी विच संसार दे जी नस जाह एथों मार सुटनिगे खेड़े सच ते झूठ नितारदे जी देस खेड़यां दे जरा खबर होवे जान तखत हजारे नूं मारदे जी भज जाह खड़े मतां लाध करनी प्यादे बन्न लै जान सरकार दे जी मार चूर कर खटनी हड गोडे मलक गोर2 अजाब3 कहार दे जी वारस शाह जयों गोर विच हड कड़कन गुरजा नाल आसी गुनहगार दे जी",panjabi-pan "अगना मे बाजे बधैया बाजे हो बधैया अंगना में बाजे बधैया , बाजे हो बधैया यशोदा जी के द्वारे । रार करें पानी में हिलोरें , खेले को मांगे जुन्हैया । यशोदा जी के द्वारे तुम जिन सोच करो मनमोहन देहैं चांद ल्याकें यशोदा के द्वारे गोरी नंद गोरी यशोदा , तुम काय मोहन कारे । अंगना . . .",bundeli-bns "317 आय आय मुहानयां जदों कीती चहुं कन्नी जां पलम के आ गए सचो सच जां फाट नूं तयार होए जोगी होरी भी जिउ चुग गए वेखो फकर अलाह दे मार जटी उस जटी नूं वायद पा गए जदों मार चैतरफ तयार होई ओदों आपना आप खिसका गए इक फाट कढी सभे समझ गइयां रन्नां पिंड दियां नूं राह पा गए जदों खसम मिले पिछे वाहरां दे तदों धाड़वी घोड़े दुड़ा गए हथ ला के बरकती जुआन पूरे करामात ही जाहरा विखा गए वारस शाह मियां पटे बाज छुटे जान रख के चोट चला गए",panjabi-pan "खड़े ने खप्पर धारणी खड़े ने खप्पर धारणी देवी जगदम्बा थारे मदरो प्यालो हाथ सदा मतवाली ओ थारा पावां ने बिछिया सोवता वो देवी जगदम्बा थारी अनबट से लागी रयो बाद",malvi-mup "109 एह रज़ा तकदीर दी होय रही , वारद कोण हो जो दये हटाए मियां दाग अंब दी रसा दा लहे नाहीं दाग इशक दा भी नहीं जा मियां होर सभ गलां मनजूर होइयां रांझे चाक थों रहा न जा मियां एस इशक दे रोग दी गल ऐवें सिर जाय ते सिरर ना जा मियां वारस शाह मियां जिवें गंज सिर दा बारां बरस बिना नहीं जा मियां",panjabi-pan "इयां निमूसरा खवडै इली मां डो गंगायली आयोम इयां निमूसरा खवडै इली मां डो गंगायली आयोम आयोम डो इनी रानी गेली सेने आयोम डो इनी रानी गेली सेने रानी गेली बाकी सेने बेटा इयां बेआ इयें निगराये जे इयां बेटा इयें निगराये जे इयां बेटा इयें निगराये जे अमेनी निगरायेजे माकां इयां बेगलेन टेगेन डो गंगायली आयोम अमेनी निगरायेजे माकां इयां बेगलेन टेगेन डो गंगायली आयोम आयोम डो इयां भा रुपया झोला कांधा बेडों इयां सामान टेगेन स्रोत व्यक्ति दयाराम काजले , ग्राम सोनपुरा",korku-kfq "बागों की अजब बहार बागों की अजब बहार , सहाना बना बागों में उतरा । सहाने अब का मैं सेहरा सँम्हारूँ , लाले बने का मैं सेहरा सँम्हारूँ । लड़ियों की अजब बहार , बागों की अजब बहार ॥ 1 ॥ लाड़ो1 का दुलहा बागों में उतरा , सहाने बने का मैं जोड़ा सँम्हारूँ । जोड़े में लगे हीरा लाल , लाड़ो का बना बागों में उतरा ॥ 2 ॥ सहाने बन का मैं बीड़ा सँम्हारूँ सुरखी2 में लगे हीरा लाल । लाड़ो का बना बागों में उतरा , सुरखी की अजब बहार । केसरिया बना बागों में उतरा ॥ 3 ॥ सहाने बने की मैं लाड़ो सँम्हारूँ , घूँघट में लागे हीरे लाल । लाड़ो का बना बागों में उतरा , सूरत की अजब बहार । केसरिया बना बागों में उतरा ॥ 4 ॥",magahi-mag "जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां , के वड्डे हो के डाके मारदा , जग्गया के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया , जग्गा , जमया ते मिलन वधाईयां के सारे पिंड गुड वण्डया , जग्गया , के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया , जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा , मैं इक थाईं दो जम्मदी , जगया के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वज्जया जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया , ते भैण दा सुहाग चुमके , मखना , के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना , जग्गा मारया बोड़ दी छांवे , के नौ मण रेत भिज गयी , पूरना के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा , जग्गा , जमया ते मिलन वधाईयां",panjabi-pan "पाण्डव जन्म परगट ह्वै जान , परगट ह्वै जान , परगट ह्वै जान , पाँच भाई पंडऊं1 । परगट ह्वै जान कोन्ती माता , परगट ह्वै जान राणी द्रोपता । कोन्ती माता होली पंडौं की माता , नंगों कू बस्तर देंदी , भूकों को अन्न । नंगों देखीक वस्त्र नी लांदी , भूकों देखीक खाणू नी खाँदी । कोन्ती माता होली धर्म्याली माता , बार बरस तैं करदी रै दुर्बासा की सेवा तब रिषि दुर्बासा परसन्न ह्वैन , कोन्तीं माता तैं पुत्र बरदान दीने तेरा पाँच पुत्र होला छेतरी2 माल3 , काटीक नी कटोन मारीक नी करोन । तब पाँच मंत्र रिषीन दीन्या , रण लैगे कोन्ती तब मैत4 घर । एक दिन धर्म्याली तीर्थ नहेन्दी , सूरज तैं वा पाणी चढ़ौंदी । मंत्र जाप करे तब वीन प्रभु की लीला छई , कर्ण पैदा ह्वैगे बार वर्ष पढ़े मातान धर्म मंत्र , धर्म मंत्र पढ़ीक ह्वै गैन धर्मराज बार वर्ष पढ़े मातान वायु मंत्र , पैदा ह्वैन तब बली भीमसण बार वर्ष करे मातान इन्द्र को जाप , पैदा ह्वै गैन हाँ जी , अजुन धनुर्धारी तब बार वर्ष पढ़े मातान पाँडु मंत्र , त पैदा ह्वैन नकुल कुँवर बार वर्ष पढ़े माता ने ब्रह्म मंत्र , पढ़ीक कनो ह्वैगे सहदेव ब्रह्म पाँच पुत्र पंडौ छा कुन्ती का , धरती की शोभा छया , देवतौं माण्याँ धर्मराज युधिष्ठर होला धर्म का ज्ञानी , जौन गरीब नी संतायो , बुरो नी मप्यायो बंध्या रैन जु धर्म की डोरी , धर्मराज होला सत का पुजारी अरजुन राजा होलू बीर भारी , कृष्ण सारथी जैका रैन वैका बाण बैरियों का काल , वैको गुस्सा जिन्दड़ी5 को ज्यान6 कनो होलो स्यो वीर विभीषण7 , सौ मण की गदा होली नौ मन की ढाल आगी को खेलाड़ी होलो बीर , ऐड़ी हत्यारी8 को पैरवारी9 जंगल जंगल भाबर10 , भाबर होईन बीरु , तुमूक प्यारा । बार मास रये , बणवासी जोगी , कंदमूल खैक , दिन बितैन । दुरजोधन छयो , कौरव राजा , हस्तिनापुर को राज , पंडौं नी देन्दू । लोराछापरसी , तब पंडोऊँ , बणूबणू रीड़दा छा , लूकीलूकीक । ऊँक तैं धाम नी छौ , नी छौ पाणी , पेट की नी छै , रुड़ी11 सी बणाँग , भूक नी छै , तीस ऊँकू ।",garhwali-gbm "आल्हा ऊदल बावन गज के धोती बाँधे खरुअन के चढ़ल लँगोट अस्सी मन के ढलिया है बगल में लेल लगाय तीस मन के जब नेजा है हाथन में लेल लगाय बाँक दुआल पड़ल पंजड़ तक तर पल्ला पड़ल तरवार छप्पन छूरी नौ भाला कम्मर में ढुले बनाय बूता बनाती गोड़ सोभै जिन्ह का गूँज मोंछ फहराय बावन असरफी के गल माला हाथन में लेल लगाय भूजे डण्ड पर तिलक बिराजे परतापी रुदल बीर फाँद बछेड़ा पर चढ़ गैल घोड़ा पर बैल असवार घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर दुइए घोड़ा दुइए राजा नैना गढ़ चलल बनाय मारल चाबुक है घोड़ा के घोड़ा जिमि नव् डारे पाँव उड़ गैल घोड़ा सरगे चल गैल घोड़ा चाल बरोबर जाय रिमझिम रिमझिम घोड़ा नाचे जैसे नाचे जंगल के मोर रात दिन का चलला माँ नैना बढ़ लेल तकाय देखि फुलवारी सोनवा के रुदल बड़ मगन होय जाय डेबा डेबा के गोहरावे डेबा सुनव् बात हमार डेरा गिरावव् फुलवारी में प्रक निंदिया लेब गँवार बड़ा दिब्य के फुलवारी है जहवाँ डेरा देल गिराय घुमि घुमि देखे फुलवारी के रुदल बड़ मंगन होय जाय देखल अखाड़ा इन्दरमन के रुदल बड़ मंगन होय जाय",bhojpuri-bho "289 ओथे झल मसतानियां करे गलां सुखत सुनो कन पाटयां भारयां दे करां कौन तारीफ मैं खेड़यां दी झुंड फिरन चैतरफ कवारियां दे मार आशकां नूं चा करन बेरे नैन तिखड़े नोंक कटारियां दे देन आशकां नूं तोड़े नाल नैना नैन रहन नाहीं बुरयारियां दे एस जौवने दीयां वनजारियां नूं मिले आन सुदागर यारियां दे सुरमा खुल दंदासड़ा सुरख मेंहदी लुट लए नी हट पसारियां दे नयनां लाल कलेजड़ा झिक कढन दिसन भोलड़े मुख विचारियां दे जोगी वेखके आन चैगिरद होइयां छुटे फिरन विच नाग पटारियां दे ओथे खोल के अखियां हस पैंदा जित्थे वेखदा मेल कवारियां दे आन गिरद होइयां बैठा विच जोगी बादशाह जयों विच अमारियां दे वारस शाह ना रहन नचलड़े ओ जिन्हां नरां नूं शौक ने नारियां दे",panjabi-pan "579 भाइयां जायके हीर नूं घरी आंदा नाल रांझना घरी मंगाइयो ने लाह मुंदरां जटां मुंना सुटियां सिर सोहनी पग बहाइयो ने याकूब दे पयारढ़े पुत वांगू कढ खूह थी तखत बहाइयो ने नाल दे लागी खुशी हो सभनां तरफ घरां दी चा पहुंचाइयो ने भाईचारे नूं मेल बहाइयो ने सभे हाल अहवाल सुनाइयो ने वेखो दगे दी पैवंद1 लायो ने घी मारन दा मता पकाइयो ने वारस शाह एह कुदरतां रब्ब दियां वेखो नवां पखेड़ रचाइयो ने",panjabi-pan "समदण तेरे नैनों में कालीघटा समदण तेरे नैनों में कालीघटा प्यारी समदण को बिछिया सोवे अनबट समदण को तोड़ा सोवे सांकला में होय रई लटा पटा ।",malvi-mup "489 तेरे सयाह ततोलढ़े कजले दी ठोडी अते गलां उतों गुम लए तेरे फुल गुलाब दे लाल होए किसे घेर के राह विच चुम लए तेरे खानचे1 शकर पारयां दे हत्थ मार के भुखयां लुम गए घोड़ा मार के धाड़वी मेवयां दे रत्न झाड़ बूटे किते गुम गए वडे वनज होए अज जोबना दे कोई नवें वनजारढ़े धुंम गए वारस शह मियां कीते कम तेरेअज कल जहान ते धुंम गए कोई धोबी वलैयतों आन लथे सिरी साफ दे थान चढ़ खुंब गए तेरी चोली वलूंदरी सने सीन पेजे तंूबयां नूं जिवें तुंब गए खड़े काबली कुतयां वांग नठे वढायके कन्न ते दुंब गए वारस शाह अचबड़ा नवां होया सुते पाहरूयां नूं चोर टुंब गए",panjabi-pan "हरे हरे बांसों का बंगला छवा दो जी हरे हरे बांसों का बंगला छवा दो जी जिस चढ़ सौवे लाडली का बाबा कहो लाडो कहो बिटिया कैसा वर ढूंढैं जी चन्दा नहीं , सूरज नहीं , नहीं रैन अन्धेरी नदी किनारे महादेव तपस्या करै वही परमान्द हमारे मन भाये जी",haryanvi-bgc "कान्हा गगरिया मत फोड़ो कान्हा गगरिया मत फोड़ो बन की बीच डगरिया में । . . . जो कान्हा तुम्ळें भूख लगेगी . . . भूख लगेगी कान्हा भूख लगेगी . . . माखन रखिहो बगलिया में । . . . जो कान्हा तुम्हें प्यास लगेगी । . . . प्यास लगी कान्हा प्यास लगेगी । . . . झाड़ी रखिहो बगलिया में । कान्हा । . . . जो कान्हा तुम्हें तलब लगेगी । . . . तलब लगेगी कान्हा , तलब लगेगी । . . . बीड़ा रखिहो बगलिया में । कान्हा । . . .",bundeli-bns "मड़वा न सोभले कलसवा बिनु मड़वा न सोभले कलसवा बिनु , अवरो1 पुरहरवा2 बिनु हे । मड़वा न सोभले गोतियवा3 बिनु , अवरो सवासिन4 बिनु हे ॥ 1 ॥ चउका चनन कइसे बइठब , अपना पुरुखवा5 बिनु हे । अरबे6 दरबे7 कइसे लुटायब , अपना पुतरवा8 बिनु हे ॥ 2 ॥ लाल पियर कइसे पेन्हब , अपन धिया9 बिनु हे । इयरी पियरी कइसे पेन्हब , अपना नइहरवा10 बिनु हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "घर पिछुअरवा डोमिन के घरवा घर पिछुअरवा1 डोमिन के घरवा । देइ देहि बिनि2 डोमिन बेनियाँ3 नवरँगिया4 ॥ 1 ॥ हमरा जे हकइ5 डोमिन , साँकर6 कोहबरिया । हमरा के लागइ डोमिन , बड़ी रे गरमियाँ7 ॥ 2 ॥ जे तूँहि चाहिं दुलहिन , बेनिया नवरँगिया । तूँ हमरा देहिं8 दुलहिन , सोने के कँगनमा । कहमा गढ़वले डोमिन , अइसन गढ़नमा ॥ 4 ॥ तोहर पुतहु किनलन9 बेनियाँ नवरँगिया । ओहि रे देलन मोरा , सोने के कँगनमा ॥ 5 ॥ भइया खउकी10 बाबू खउकी , तूहूँ रे पुतोहिया । कहमा हेरवलें11 अपन , सोने के कँगनमा ॥ 6 ॥ हमरा जे हलइ12 सासु , साँकर कोहबरिया । हमरा के लागइ सासु , एतना गरमियाँ ॥ 7 ॥ हम जे किनलूँ सासु , बेनिया नवरँगिया । ओने13 अवलन14 दुलहा दुलरूआ ॥ 8 ॥ तोहर धानि हकउ बाबू , एता15 रे सउखिनियाँ16 । कइसे कइसे किनलन बेनियाँ नवरँगिया ॥ 9 ॥ तोहर दुलार अमाँ , घड़ी रे पहरुआ । धानि के दुलार अमाँ , हकइ सारी रतिया । कइसे के बरजूँ17 अमाँ , नाया दुलहिनियाँ ॥ 10 ॥",magahi-mag "बारह बरीस के नन्हुआँ कवन दुलहा बारह बरीस के नन्हुआँ1 कवन दुलहा , खेलत गेलन बड़ी दूर । उहवाँ2 से लइलन3 हारिले सुगवा4 तिहलन हिरदा लगाय ॥ 1 ॥ सब कोई पेन्हें अँगिया5 से टोपिया , सुगवाहिं अलुरी6 पसार7 । हमरा के चाहीं मखमल चदरिया , हमहूँ जायब बरियात ॥ 2 ॥ सब कोई चढ़लन हथिया से घोड़बा , हमरा के चाहीं सोने के पिंजड़वा । हमहूँ जायब बरियात ॥ 3 ॥ सब कोई खा हथी8 पर पकवनवाँ , हमरा के चाहीं बूँट9 के झँगरिया10 । हमहूँ जायब बरियात ॥ 4 ॥ सब कोई देखे बर बरियतिया , सासु निरेखे धियवा दमाद । अइसन11 लाढ़ी12 रे बर कतहूँ न देखलूँ , सुगवा लिहलन बरियात ॥ 5 ॥ आहि13 जे माई पर परोसिन , सुगवा के डीठि जनि नाओ14 । बन केइ सुगवा बनहिं चली जइहें , संग साथी अइले बरियात ॥ 6 ॥",magahi-mag "म्हारा संत सुजान म्हारा संत सुजान ध्यान लग्यो न गुरु ज्ञान सी १ ज्ञान की माला फेर जोगी , आरे बंद में धुणी तो रमावे जोगी की झोली जड़ाव की मोती माणक भरीया . . . ध्यान लग्यो . . . २ बड़ेबड़े भवर गुफा में , आरे जोगी धुणी तो रमावे जेका रे आंगणा म तुलसी जेकी माला हो फेर . . . ध्यान लग्यो . . . ३ चंदन घीस्या रे अटपटा , आरे तिलक लीया लगाई मोदक भोग लगावीया साधु एक जगा बैठा . . . ध्यान लग्यो . . . ४ कई ऋषि मुनी तप करे , आरे इना पहाड़ो का माही अब रे साधु वहा से चल बसे गया गुरुजी का पास . . . ध्यान लग्यो . . . ५ गंगा जमुना सरस्वती , आरे बहे रेवा रे माय जीनका रे नीरमळ नीर हैं साधु नीत उठ न्हाये . . . ध्यान लग्यो . . .",nimadi-noe "लाड़ो को लाल बुलावे यह बाजूबन झूमता लाड़ो1 को लाल बुलावे यह बाजूबन2 झूमता । सहाना3 लाल बोलावे , यह बाजूबन झूमता । हजरिया लाल बोलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 1 ॥ माँगो4 टीका पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो । लाड़ो को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 2 ॥ नाको बेसर पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो । सहाना लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 3 ॥ कानो बाली पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो । हजरिया लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 4 ॥ गले हार पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो । लाड़ो को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 5 ॥ हाथों कँगन पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो । लाड़ों को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 6 ॥",magahi-mag "नाडी जोता कांडोवेन जा नाना बेटा नाडी जोता कांडोवेन जा नाना बेटा काली ग्वाली जा सिव सेने आमा आटानी डियावेन जा नाना बेटा सावा बारी पारे न आमा आटा डियायेन बाहू तो नौ बाजे आमा आटा डियायेन सावा बारी पारेन आमा आटा डियायेन आमा आटा जोमे वाजा नाना बेटा आमा आटा जोमे नारे इये रागेज वाने माडो इयां आयोम इये रागेज वाने ना रे आमा चोजा जूरेना ना रे नाना बेटा आमा चोजा जूरेना ना रे इयेन रानी जूरेना नारे इयां आयोम इयां रानी जूरेना नारे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात बिरजो एक जोबन झिरवै एकला एक लुगाई न्यूं कहै तिरे हाकम का ब्याह बिरजो एक जोबन झिरवै एकला किस गुण ब्याही दूसरी मेरे औगुण दो ना बताय बिरजो एक जोबन झिरवै एकला ओगुण थोड़े गुण घणे छोटी बंदड़ी का चा बिरजो एक जोबन झिरवै एकला सौकण आई मैं सुणी हलहल चढ़ गया ताप बिरजो एक जोबन झिरवै एकला मेरी दूखै आंगली सोकण की दूखै आंख बिरजो एक जोबन झिरवै एकला आच्छी हो गई मेरी आंगली सौकण की फूटगी आंख बिरजो एक जोबन झिरवै एकला सौकण मरी मैं सुणी हलहल उतरा सै ताप बिरजो एक जोबन झिरवै एकला घूंघट रोवै मन हंसै हिया हिलोडे लेय बिरजो एक जोबन झिरवै एकला",haryanvi-bgc "गोरी के जोबना गोरी के जोबना हुमकन लगे , जैसे हिरनियों के सींग । मूरख जाने खता फुनगुनू , वे तो बाँट लगावे नीम । भावार्थ ' गोरी के उरोज उभरने लगे , हिरनी के सींगों समान मूर्ख उन्हें फोड़ेफुन्सी समझ रहा है और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है '",bundeli-bns "खोल उधली की कांगना खोल उधली की कांगना , तेरी माए बाहण का भागना खोल रानी के डोरियां तेरी मां बाहण गोरियां",haryanvi-bgc "सास री भार्या सा दामण सिमा सास री भार्या सा दामण सिमा चक्कर काट्टे कली कली सास री हर्या सा कुड़ता सिमा जेब्बां में राखूं टेम घड़ी बहू न्यूं तो साच बता के करैगी टेम घड़ी सास री मैं फौजी की नार हर दम चीहै टेम घड़ी ।",haryanvi-bgc "चिडिया चटाचट बोले चिडिया चटाचट बोले , पटापट बोले , बधायो मेरे अँगना में डोले ॥ 2 पहलो बधायो ससुर घर आयो , सासु न मुख से बोले , बधायो मेरे अँगना में डोले ॥ चिडिया . . . दूजो बधायो जेठ . . .",braj-bra "290 माही मुंडयो घरी जा कहना जोगी मसत कमला इक आ वड़या कन्नी ओस दे सेहलियां1 मुंदरां ने दाहड़ी पटे भवां मुणा वड़या किसे नाल कुदरत छल जगलां थीं किसे भुल भुलावड़े आ वड़या जहां नाऊं मेरा कोई जाए लैंदा रब्ब महांदेव तों दौलतां लया वड़या वारस कम सोई जेहड़े रब्ब करसी मैं तां उसदा भेजया आ वड़या",panjabi-pan "कउने बाबू के मड़वा लगल फुलवरिया हे कउने बाबू के मड़वा लगल फुलवरिया हे । कउने देइ1 के कोहबर नाचहइ2 मलहोरिया3 हे । आजु सुदिनमा दिनमा नाचइ मलहोरिया हे ॥ 1 ॥",magahi-mag "कड़वी कचरी हे मां मेरी कचकची जी कड़वी कचरी हे मां मेरी कचकची जी हां जी कोए कड़वे सासड़ के बोल बड़ा हे दुहेला हे मां मेरी सासरा री मीठी कचरी है मां मेरी पकपकी री हां जी कोए मीठे मायड़ के बाल बड़ा ए सुहेला मां मेरी बाप कै जी माय रंगाई हे मां मेरी चुन्दड़ी री अल्यां तो पल्यां हे मां मेरी घुँघरू री हां जी कोए बीच दादर मोर बड़ा ए सुहेला मां मेरी बाप कै जी सास रंगाया हे मां मेरी पीलिया जी अल्यां तो पल्यां हे मां मेरी छेकले जी हां जी कोए बीच सासड़ के बोल बड़ा ए दुहेला हे मां मेरी सासरा री ओढूँ तो बाजै हे मां मेरी घुँघरू री चालूँ तो बोलैं हे मां मेरी मोर बड़ा ए सुहेला मां मेरी बाप कै जी ओढूँ तो चिमकै हे मां मेरी छेकले जी हां जी कोए खटकै छाती में बोल बड़ा ए दुहेला मां मेरी सासरा री सासरे में बहुअड़ हे मां मेरी न्यू रह्वै जी हां जी कोए रंधै कढ़ाई में तेल बड़ा हे दुहेला हे मां मेरी सासरा जी पीहर में बेटी हे मां मेरी न्यूं रह्वै जी हां जी कोए घिलड़ी में रम रह्या घी बड़ा ए सुहेला हे मां मेरी बाप कै जी",haryanvi-bgc "माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर । लोकाँ दे भाणे चाक चकेचा , साडा रब्ब गफ्फूर माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर । जीहदे मिलण दी खातर चश्मा , बहिन्दीआँ सी नित्त झूर । माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर । उठ गई हिजर जुदाई जिगरों , जाहिर दिसदा नूर । माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर । बुल्ला रमज़ समझ दी पाईआ , ना नेड़े ना दूर । माही वे तैं मिलिआँ सभ दुःख होवण दूर ।",panjabi-pan "असीं एथे ते ढोला छाओनी (ढोला) असीं इथ्थे ते ढोला छाओनी एहनाँ अक्खीयाँ दी सड़क बनाओनी चन्न माही आवना जीवें ढोला अंब डलियाँ जित्थे खिलारिया ई उत्थे खलीआँ भावार्थ ' हम यहाँ हैं और ढोला छावनी में है इन आँखों को सड़क बनानी है चांदसा प्रियतम आएगा जीते रहो ढोला आम की फाँकें जहाँ तुमने मुझे खड़ी होने को कहा था , वहीं खड़ी हूँ '",panjabi-pan "567 हीर खोह खेड़े चले वाहो दाही रांझा रहया मुंह कज हैरान यारो उजड़ जाए कि निघरे गरक होवेवेहल दए ना जिमी असमान यारो खेप मारिए खेतड़ी सणें बोहल हक अमलियां दे रूड़हे जान यारो डेरां वेख के मीर शिकार रोवन हथो जिन्हां दिओं बाज उडजान यारो उन्हां होश ते अकल रहिंदी सिरीं जिनहांद पैन व दान यारो हीर लाह के घुंड हैरान होई सती चिखा दे विच मैदान यारो तिख दिदड़ा वांग महांसती1 दे मल खड़ी सी इशक मैदान यारो चुप मिसल है बोलनों रही जटी दिनां रूह दे जिवे इनसान यारो विच ओढने सहम दे नाल छपी जिवे विच किरबान कमान यारो वारस शाह दोवें परेशान होए जिवे फड़े लाहौल शैतान यारो",panjabi-pan "सूति नऽ हो धणियेर सपनो हो देख्यो सूति नऽ हो धणियेर , सपनो हो देख्यो , सपना को अरथ बताओ भोळा धणियेर । । मानसरोवर मनऽ सपना मंऽ देख्यो , भर्यो तृर्यो भंडार मनऽ सपना मंऽ देख्यो । वहेती सी गंगा मनऽ सपना मंऽ देखी , भरी तुरी वावड़ी मनऽ सपना मंऽ देखी । श्रावण तीज मनऽ सपना मंऽ देखी , कड़कती बिजळई मनऽ सपना मंऽ देखी , गोकुळ कान्हो मनऽ सपना मंऽ देख्यो , तरवरतो बिच्छू मनऽ सपना मंऽ देख्यो , गुलाब को फूल मनऽ सपना मंऽ देख्यो , झपलक दिवलो मनऽ सपना मंऽ देख्यो , कवळारी केळ मनऽ सपना मंऽ देखी , वाड़ उप्पर की वांझुली मनऽ सपना मंऽ देखी । पेळा वाळई नार मनऽ सपना मंऽ देखी , ऊगतो सो सूरज मनऽ सपना मंऽ देख्यो । सपना को अर्थ बताओ भोळा धणियेर । ।",nimadi-noe "मनौती गीत जाजम राळी भाई खड़ा रहिया , कुण हेड़ऽ मन की भरात । पाँची पांडव मऽ रहिया उनका लखपति भाई । । उऽ हेड़ऽ मन की भरात । । पगलिया मांडिया बेन खड़ा रहिया , कुण हेडे़ऽ मन की भरात । पांची पांडव मा रहिया . . . मारा जाया बिराजे । । उऽ हेड़ऽ मन की भरात । । महादेव जी को मान देने पहुँचे , वहाँ बैठने के लिए जाजम बिछाई । सभी लोग जो मानता देने आए हैं उनमें से कौन अपने मन की इच्छा पूरी करेगा यानी कौन पूजाअर्चना कर महादेवजी को भेंट देगा ? गीत में कहा गया है किबालक के मामा भेंट देकर अपने मन की इच्छा पूर्ण करेंगे । वैसे जो भी मान में आमंत्रित हैं सभी पूजाअर्चना भगवान की करते हैं और भेंट देते हैं । बालक को भी यथाशक्ति भेंट देकर प्रसन्नता प्रकट करते हैं ।",bhili-bhb "जिनको बजत हुकुम को बाजा जिनको बजत हुकुम को बाजा । कान रीत में आजा । हम खाँ जान देब द्द बैंचन । भग रोकन नई साजा । करो फिराद जावगे पकरे । रोकें सें गम खाजा । जानत नई बृजभान कुँअर खाँ , जिसकी सकल समाजा , चौरासी बृज कोस ईसुरी , हियाँ राधका राजा ।",bundeli-bns "हाय हाय बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल किन तेरी बांधी पालकी बागां की कोयल किन तेरा कर्या सिंगार बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल देवर जेठां नै बांधी पालकी बागां की कोयल द्योर जिठाणियां नै कर्या सिंगार बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल मार मंडास्सा ले गये बागां की कोयल बिन्दरावन के पास हे बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल बिन्दरावन की गोपनी न्श्रयूं कै या कौण राणी जाये हाय हाय बागां की कोयल अपणे बाबल की धीअड़ी बागां की कोयल अपणे भाइयां की भाण योह् बागां की कोयल भावजां की प्यारी योह् बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल",haryanvi-bgc "आओ री राधे बैठो पिलंग पर आओ री राधे बैठो पिलंग पर तुम हमारे मन की भाई हो राम । हरा हरा गोबर राधे अंगवना लिपाऊं चन्दन चौंक पुराऊं हो राम । नाई का लड़का री राधे बैगे बुलाऊं नगर बुलावा दुवाऊं हो राम । आओ री राधे बैठो मंडप में हम थरी गोद पुरावैं हो राम । आप भी खाओ री राधे सखियां नै खिलाओ घर मत लेकर जाइयो हो राम । खेल मेल कर राधे घर धाम गई माता ने गोद पुराई हो राम । कहा ये राधे कहां री गई थी किन्ह थारी गोद पुराई हो राम । खेलत खेलत माता नन्द घर गई नन्दरानी गोद भराई हो राम । आप भी खाओ राधे सखियां नै खिलाओ घर मत लेकर जाना हो राम । अब तो गई थी राधे फिर मत जाना नन्द घर हुई है सगाई हो राम इस रै ब्रज राधे लोक बुरे हैं ठग ठग करै सगाई हो राम ।",haryanvi-bgc "कहाँ के ऊजे लामू लहेरिया कहाँ के ऊजे लामू1 लहेरिया2 । झुलनियाँ वाली तोर3 चूड़ी कते में4 बिकाऊ ? ॥ 1 ॥ हमरो जे चुड़िया साँवरो5 लच्छ6 रूपइया । तोर बहियाँ घूमि घूमि जाय । झुलनियाँ वाली तोर चूड़ी कते में बिकाऊ ? ॥ 2 ॥ हमरो जे पियवा साँवरो बड़ रँगरसिया । बने बने7 बँसिया बजावे । झुलनियाँ वाली तोर चूड़ी कते में बिकाऊ ? ॥ 3 ॥",magahi-mag "176 हीरे इशक ना मूल सवाद दंदा नाल चोरियां अते उधालियां दे किड़ा1 पौंदियां मुठे हा देस विचों किस्से सुने सन खूनियां गालियां दे ठगी नाल तैं महीयां चरावा लइयां एह राह ने रनां दियां चालियां दे वारस शाह सराफ सभ जाणदे नी ऐब खोटयां पैसयां वालियां दे",panjabi-pan "मोजा पेरो जमई, मेंदी निरखो जमई मोजा पेरो जमई , मेंदी निरखो जमई छोटा खोटा जमई लांबा लापर जमई जामा पेरो जमई कड़ा पेरो जमई पोंची निरखो जमई कंठी पेरो जमई चौसर निरखो जमई चूनी निरखो जमई पागां बांदो जमई पेचां निरखो जमई छोटाखोटा जमई लांबालापर जमई",malvi-mup "हे मेरा पति बड़ा धोखे बाज मिरै तै दे गया धोखा हे मेरा पति बड़ा धोखे बाज मिरै तै दे गया धोखा हे ऊं नै न्यारी बिछा ली खाट मिरे ते फेर गया पाच्छा सिखरी मैं झूलै चांद यार नै दे दिया रूका रै उतर्या नै मिरे यार भतेरा बतला लिया होगा ऊं नै धोला पैर्या कमीज सैड़दे हो लिया बैठ्या हे मेरी जड़ तै तजूरी खोल रेल का ले लिया भाड़ा मेरी जड़ तै ट्रंक खोल के गुलाबी ले लिया साफा मेरी रुके मारै सास लाल मेरा सोवंता होगा री क्यूं रूके मारै मेरी सास अटेली जा लिया होगा हे लत्ते कपड़े काढ़ के पांद्यां नै धरदा होगा न्यूं तो मैं बी जाण गई भीतर नै बड़दा होगा हे थर थर तो मेरा गात काम्बा सीढ़ी पर तै पड़गी भाज्जी तो मेरी नणदल आई भावज कड़ै डिगरगी ऊपर चढ़कै देख नणद जी तेरा बीर आंवदा होगा कन्धै ऊपर गोल बिसतरा लांवदा होगा रसते कै मैं सै लेटडी उठै नाह्वंदा होगा हाथ के मैं कंघा सीसा मांग जचांवदा होगा",haryanvi-bgc "मेरी सोने की सलाई साजन लेन चले मेरी सोने की सलाई साजन लेन चले जगमोतियन की माला लेन चले बाबा जी तुम भी कैसे हारे लाला जी तुम भी कैसे हारे बीबी तेरे कारण हारे बेटी लाडो तेरे कारण हारे पोते के कारण जीत चले बेटे के कारण जीत चले मेरी सोने की सलाई साजन लेन चले जगमोतियन की माला लेन चले",haryanvi-bgc "पितर नेवतौनी ये सरगऽ में बसेले बर्हम बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि । ये सरगऽ में बसेले महादेव बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि । इसी तरह ठाकुर बाबा , सुरुज , खिरलिच , काली , दुर्गा , चन्द्रमा , अछैबट सभी देवता एवं उनकी पत्नी देवी का और सभी कीड़ोंमकोड़ों का भी आवाहन किया जाता है । दुआरी छेंकौनी गीत छोड़ींछोड़ीं सखी सबे रोकल दुआर हे मोर दुलहा बाड़े लड़िका नादान हे । अहिरा के जात हंउअन बोली पतिशाह हे कइसे में छोड़ीं सखी रोकल दुआर हे तोर दुलहा बाड़े सखी लड़िका नादान हे । दुल्हे का उत्तर अहिरा के जात हईं बोली पतिशाह रे काहे के बाबा तोर गइले पूजन रे । काहे के भइया तोर गइले बोलावे रे ।",bhojpuri-bho "कँगना भी बदलूँ, पहुँची भी बदलूँ कँगना भी बदलूँ , पहुँची भी बदलूँ , पिया बदल कोई लेवे । चदरिया न बदलूँ हमर1 हरिअर2 चद्दर बुटेदार , चदरिया न बदलूँ ॥ 1 ॥ झाँझ भी बदलूँ , लरछा3 भी बदलूँ , पिया बदल कोई लेवे चदरिया न बदलूँ , हमर हरिअर चद्दर बुटेदार , चदरिया न बदलूँ ॥ 2 ॥ कंठा भी बदलूँ , हयकल4 पिया बदल कोई लेवे । चदरिया न बदलूँ , हमर हरिअर चद्दर बुटेदार , चदरिया न बदलूँ ॥ 3 ॥",magahi-mag "कहाँ के तूँ तो बराम्हन बरुआ कहाँ के1 तूँ तो बराम्हन बरुआ2 । कहँवाँ बिनती तोहार , माई हे ॥ 1 ॥ कवन साही3 सम्पत सुनि आएल हो बरुआ । कवन देइ4 दुआर5 धरि टाड़6 माई हे ॥ 2 ॥ माँगले बरुआ धोती से पोथी , माँगले पीयर जनेऊ , माई हे । माँगले बरुआ हो चढ़न के घोड़वा , माँगले कनिया कुआँर7 माई हे ॥ 3 ॥ तिरहुत के हम बराम्हन बरुआ , कवन पुर में विनती हमार माई हे । कवन साही सम्पत सुनि अइली हो बरुआ , कवन देइ दुआर धइले ठाड़ हे ॥ 4 ॥ देबों में बरुआ हो धोती से पोथी , देबों में पियर जनेऊ , माई हे । देबों में बरुआ हो चढ़न के घोड़वा , एक नहीं कनियाँकुआँर , माई हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "जादू सो कर गई हेरन में जादू सो कर गई हेरन में दुरवारी दृग की फेरन मैं । जों मरतेज , तेज चितवन कौ , सो नइँयाँ समसेरन में । उड़त फिरत जैसें मन पंछी गिरत बाज के घेरन में । जब कब मिलत गैल खोरन में , तिरछी नजर तरेरन में । कहत ईसुरी सुन लो प्यारी , तनक सेन की टेरन मैं ।",bundeli-bns "तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या! भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ . . . तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या नीन्दडली में सूत्याँ राज । थारी तो माँ की जाया सासरियो में झूरे राज , झूरेगी झूर मरे , कोई काल्ड़ो काग उडावे राज उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो , जे मेरो वीरो आवै राज आवैगों आधी रात , पिलंगन ताजन सूती राज ऊठी छी वीर मिलन , न टूटयो बाई रो हारो राज हारो तो फेर पुओसां , वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज , चुग देगी सोन चिड़ी और पो देगो बणजारो राज , कैठे की सोन चिड़ी न कैठे को बणजारो राज , दिल्ली की सोन चिड़ी और जेपुर को बणजारो राज , के मांगे सोन चिड़ी और के मांगे बणजारो राज , घी मांगे सोन चिड़ी न गुड मांगे बणजारो राज , घी देस्याँ सोन चिड़ी और गुड देस्याँ बणजारो राज , तूं क्यों रायाँ का भैय्या नीन्दडली में सूत्याँ राज",rajasthani-raj "बराम्हन नेवतब, बराम्हनी नेवतब बराम्हन नेवतब1 बराम्हनी नेवतब । नेवतब , पोथिया सहिते2 चलि आवऽ , माई हे । कब हम देखम3 रामजी जनेउआ , कब हम देखम किरिस्न4 जनेउआ , माई हे ॥ 1 ॥ कुम्हरा5 नेवतब , कुम्हइनियाँ6 नेवतब । नेवतब , कलसा सहिते चलि आवऽ , माई हे । कब हम देखम रामजी जनेउआ , कब हम देखम किरिस्न जनेउआ , माई ह ॥ 2 ॥ हजमा नेवतब , हजमिनियाँ नेवतब । नेवतब , छुरवा समेते चलि आवऽ , माई हे । कब हम देखम रामजी जनेउआ , कब हम देखम किरिस्न जनेउआ , माई हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "392 भाबी करे रिआयतां जोगी दियां हथीं सचियां पा हथौड़ियां नी जेहड़े डंड वखायके करे आकड़ मैं तां पटसां एहदियां चैड़ियां नी गुरु एसदे नूं नहीं पहुंच एथे जिथे अकलां साडियां दौड़ियां नी मार मोहलियां ते सटां भन्न टंगां फिरे ढूंढ़दा काठ कठोरियां1 नी जिन्न भूत ते देउ दी अकल जाये तदों मारके उठीए छौढ़ियां नी वारस शाह फकीर दे नाल लड़ना कपन जैहर दियां गदलां कौड़ियां नी",panjabi-pan "गुड गुड का चिन्दी आई डो इयां माई गुड गुड का चिन्दी आई डो इयां माई गुड गुड का चिन्दी आई डो इयां माई रीगी ओ इयां माई इयां भाई रीगी वो रीगी ओ इयां माई इयां भाई रीगी वो टोपी ना सीवे ओ इयां माई हो तो बेटा टोपी ना सीवे ओ इयां माई हो तो बेटा राज कमाय कोन्जई हो तो मोरी माई राज कमाय कोन्जई हो तो मोरी माई रात दिन राड मचाये , आखू बोचोगेवा जा कोन्जई रात दिन राड मचाये , आखू बोचोगेवा जा कोन्जई स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "होरी खेलूँगी तोते नाय होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ उड़त गुलाल लाल भए बादर , भर गडुआ रंग को डारूँ होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला , पाग झगा तरी फारूँ औचक छतियन हाथ चलाए , तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ ।",bhadrawahi-bhd "ढोगजा गोमेजा डोगेजा अंगा बन डो पगड़ी बान ढोगजा गोमेजा डोगेजा अंगा बन डो पगड़ी बान ढोगजा गोमेजा डोगेजा अंगा बन डो पगड़ी बान ढोगजा गोमेजा डोगेजा अंगा बन डो पगड़ी बान कमय मेटे घटऊवा , कमय मेटे घटऊवा कमय मेटे घटऊवा , कमय मेटे घटऊवा कमय मेटे घटऊवा , कमय मेटे घटऊवा इयां दया डोया मकान , इंज जिंदा ठाड़वा इयां दया डोया मकान , इंज जिंदा ठाड़वा इयां दया डोया मकान , इंज जिंदा ठाड़वा स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "98 रांझा सुट खूंडी उतों लाह भूरा छड चलिया सभ मंगवाड़े मियां जेहा चोर नूं खुरे दा खड़क पहुंचे छड जावंदा सन्न दा पाड़ मियां दिल चाया देस ते मुलक उतों उहदे भा दा बोलया हाड़1 मियां तेरियां कटियां कटदे मिलन सभे खड़े खोलियां नूं कोई धाड़ मियां तेरी धी नूं असीं की जानदे हां तैनूं आवंदी नजर देहाड़ मियां मैंनूं महीं दी कुझ परवाह नाहीं नढी पई सी एस रिहाड़ मियां मंगू मगर मेरे हथों आंवदा ए महीं अपनियां महर जो ताड़ मियां घुट बहें चराई तै मइयां दी सही कीता ई कोई कराड़ मियां मझीं चारदयां नूं होए बरस बारां अज उठयो अंदरों साड़ मियां बही खतरी दी रही खतरी थे लेखा गया है होए पहाड़ मियां तेरी धी रही तेरे घर बैठी झाड़ा मुफत दा लया ई झाड़ मियां हट भ्रे भकुन्ने नूं सांभ लया कढ छडयो नंग कराड़ मियां वारस शाह अगे पूरी नाह पइयां पिछों आया सैं पड़तने पाड़ मियां",panjabi-pan "571 इस पद्य में अलगअलग देशों के नाम हैं रब्बा उह पाई कहर शहर उते जेहड़ा घर फरऔन डुबाया ई जेहड़ा कहर होया नाजल जिकरी ते उहनूं घत शरांह दराया ई जेहड़ा पायके कहर ते सुट तखतों सुलेमान तों भठ झूलकाया ई जेहड़े कहर दे नाल फिर शाह मरद इक नफरतों कतल कराया ई जेहड़े कैहर दा युनस ते पा बदला ओहनूं डगरे तों निगल वायाई जेहड़े कैहर ते सबक दी पकड़ कीती इसमाईल नूं जिबा कराया ई जेहड़े घतक गजब ते बड़ा गुसा यूसफ खूह दे विच पवाया ई जेहडे कहर दे नाल यजीदां तों मजलूम हुसैन कुहाया ई ओहो कहर घती इस शहर उते सिर इतलयां दे जेहड़ा आया ई",panjabi-pan "आजे डो कोन्जई आजे डो कोन्जई राजो आजे डो कोन्जई आजे डो कोन्जई राजो गुद्दी सुबाई आमा कोरा काकेडा पढाई डो कोन्जई रोचो न रोचो माराटेन बोचोवा डो कोन्जई आम नी इयां नी कोन्जई कोन्जई आमा गाव नी ऐल्ले नी वाने डो कोन्जई स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "बंसी काहन अचरज बजाई बंसी काहन अचरज1 बजाई । बंसी वालिआ चाका राँझा , तेरा सुर है सभ नाल साँझा साडी सुरत तैं आप मिलाई । बंसी काहन अचरज बजाई । बंसी वालिआ काहन कहावें , सब दा नेक अनूप मनावें अक्खिआँ दे विच्च नज़र ना आवें , कैसी बिखड़ी खेल रचाई । बंसी काहन अचरज बजाई । बंसी सभ कोई सुणे सुणावे , अरथ इसका कोई विरला पावे , जे कोई अनहद की सुर पावे , सो इस बंसी दा सौदाई । बंसी काहन अचरज बजाई । सुणीआँ बंसी दीआँ घँगोराँ2 , कूकाँ तन मन वाँङू मोराँ , डििआँ इस दीआँ जोड़ाँ तोड़ाँ इक सुर दी सभ कला उठाई । बंसी काहन अचरज बजाई । इस बंसी दा लम्मा लेखा , जिस ने ढूँढा तिस ने देखा , शादी इस बंसी दी रेखा , ऐस वजूदों3 सिफ्त4 उठाई । बंसी काहन अचरज बजाई । इस बंसी दे पंज सत तारे , आप आपणी सुर भरदे सारे , इक्क सुर सभ्दे विच्च दम मारे , साडी इस ने होश भुलाई बंसी काहन अचरज बजाई । बुल्ला पुज्ज पए तकरार5 , बूहे आण खलोते यार , रक्खी कलमे6 नाल ब्योहार , तेरी हज़रत भरे गवाही । बंसी काहन अचरज बजाई ।",panjabi-pan "काय को दिवला मैया काय की बाती काय को दिवला मैया काय की बाती काय की लागी जगाजोत वो अनन्दी तेरे भवन पे मैया , नौबत बाजे नौबत बाजे मैया , वो मढ़ गाजे धरम धजा फहराय वो जगतारन तेरे भवन पे मैया नौबत बाजे पाँव में तेरे मैया बिछिया बी सोहे अनबट की लागी जगाजोत वो महाकाली अंग को मैया तेरे सालू बी सोहे ओढ़न की लागी जगाजोत वो अनन्दी तेरे भवन पे मैया नौबत बाजे",malvi-mup "102 चूचक आखया जा मनाए उसनूं वयाह तीक तां मही चराए लईए जदों हीर डोली पाए तोर दिती रूस पवे जवाब तां चाए दईए सडे पीउ दा कुझ ना लाह लैंदा सभा टहिल टकोर करा लईए वारस शाह असीं जट सदा खोटे इक जटका फंद वी ला लईए",panjabi-pan "आल्हा ऊदल बीड़ा पड़ गैल बघ रुदल के रुदल बीड़ा लेल उठाय मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले कड़ाम कड़ाम जलदी आल्हा के बोलवावल भाइ चलव हमरा साथ करों बिअहवा सोनवा के दिन रात चले तलवार गड्गन धोबी दुरगौली के बावन गदहा ढुले दुआर मुड्गर लाद देल गदहा पर लड़वयौ आफत काल दानी कोइरी बबुरी बन के सिहिंन लाख घोड़े असवार चलल जे पलटन बघ रुदल के जिन्ह के तीन लाख असवार रातिक दिनवाँ का चलला में धावा पर पहुँचल बाय डेरा गिरावे दुरगौली में डेरा गिरौले बाय जोड़ गदोइ रुदल बोलल भैया सुनीं आल्हा के देल बैठाय नौ सौ सिपाही के पहरा बा आल्हा के देल बैठाय रुदल चल गैल इंद्रासन में अम्बर सेंदुर किन के गैल बनाय एत्तो बारता बा रुदल के नैना गढ़ के सुनीं हवाल भँटवा चुँगला बा नैना के राजा इंदरमन के गैल दरबार रुदल के भाइ अल्हगं है दुरगौली में डेरा गिरौले बाय तीन लाख पलटन साथन में बा आल्हा के तैयारी बाय हाथ जोड़ के भँटना बोलल बाबू इंदरमन के बलि जाओं हुकुम जे पाऊँ इंदरमन के आल्हा के लेतीं बोलाय एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा बड़ मड्गन होय जाय जेह दिन लैबव आल्हा के तेह दिन आधा राज नैना के देब बटवाय",bhojpuri-bho "सावन सुअना माँग भरी सावन सुअना माँग भरी बिरना तो चुनरी रँगाई अनमोल । माता ने दीन्हेगउ नौ मन सोनवाँ तौ ददुली ने लहर पटोर । । भैया ने दीन्हेगउ चढ़न को घेड़वा , भौजी मोतिन को हार । माता के राये ते नदिया बहति है , ददुली के रोये सागर पार । । भैया के रोये टुका भीजत है , भौजी के दुइदुइ आँस ।",awadhi-awa "बोडो सोलड़ई बोडो बोलडई गांगुल गाडा काकू बोडो सोलड़ई बोडो बोलडई गांगुल गाडा काकू बोडो सोलड़ई बोडो बोलडई गांगुल गाडा काकू बोडो सोलड़ई बोडो बोलडई गांगुल गाडा काकू इंजनी बागो सोलड़ीया काजा आमा रानी कीला लियाटेन डो डो मारे इंजनी बागो सोलड़ीया काजा आमा रानी कीला लियाटेन डो डो मारे इंजनी बागो सोलड़ीया काजा आमा रानी कीला लियाटेन डो डो मारे बाकी हिगरा सोलड़ई काडो इयां रानी केन मीया का मागेन मोनई बाकी हिगरा सोलड़ई काडो इयां रानी केन मीया का मागेन मोनई बाकी हिगरा सोलड़ई काडो इयां रानी केन मीया का मागेन मोनई टूकड़ा डो आरु मारे टूकड़ा डो आरु मारे टूकड़ा डो आरु मारे स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "ज़ात इशक दी कौण बुल्ला की जाणे , ज़ात इशक दी कौण । ना सूहाँ ना कम्म बखेड़े , वं´े जागण सौण । राँझे नूँ मैं गालिआँ देवाँ , मन विच्च कराँ दुआई1 । मैं ते राँझा इको होई , दई लोकाँ नूँ अज़माई । जिस वेले विच्च बेली दिस्से , उस दीआँ लवाँ बलाईं । बुल्ला सहु नूँ पासे छड्ड के , जंगल वल्ल ना जाईं । बुल्ला की जाणे , ज़ात इशक दी कौण । ना सूहाँ ना कम्म बखेड़े , वें जागण सौण ।",panjabi-pan "पोखरी का हीत, जय जश दे पोखरी का हीत1 , जय जश दे , तेरा जाति2 आयो जय जश दे भेंटुली3 क्या लायो , जय जश दे , सोवन4 धुपाणी5 लायो जय जश दे मोत्यों6 भरी थाल लायो जय जश दे , जाति तेरा आयो जय जश दे पोखरी का हीत जय जश दे",garhwali-gbm "मुरलीखेड़ा हाटी कोरान सोना डहनी बोचोकेन डो बाई मुरलीखेड़ा हाटी कोरान सोना डहनी बोचोकेन डो बाई मुरलीखेड़ा हाटी कोरान सोना डहनी बोचोकेन डो बाई बिडे डो बिडे बाई आमा लिजटेन परवा आडी हेजेवा बाई बिडे डो बिडे बाई आमा लिजटेन परवा आडी हेजेवा बाई बिडे डो बिडे बाई आमा लिजटेन परवा आडी सेनेवा डो बाई बिडे डो बिडे बाई आमा लिजटेन परवा आडी सेनेवा डो बाई इंज नी चौफार टेन मा बिडे वा डो आयोम इयानी साथी लियेन बारह गाड़ा जानोम रेचा टीन्जकेन आबा इयानी साथी लियेन बारह गाड़ा जानोम रेचा टीन्जकेन आबा इंच नी चौफार टेन मा बिडे वा आबा इयानी साथी लियेन बारा गाड़ा डेघा रेचा टीन्जकेन आबा इयानी साथी लियेन बारा गाड़ा डेघा रेचा टीन्जकेन आबा ईटा टेन्ज नी परवा आडी सेनेवा जा आबा लिन्जटेन भी जरिया जाबू लोखेज बा जा आबा लिन्जटेन भी जरिया जाबू लोखेज बा जा आबा इंज नी चौफार टेन मा बिडे वा जा आबा इंज नी भुरु आधाना एन्टेन गिटीज केनजा आबा इंज नी भुरु आधाना एन्टेन गिटीज केनजा आबा स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "गड़ौ है हिंडोला नौलख बाग में गड़ौ है हिंडोला नौलख बाग में जी , ऐजी जहाँ झूले कुँवरि निहाल । 1 । लम्बे2 झोटा दे रही ऊदा भाट की जी । एजी कोई आय रही अजब बहार । 2 । सात सहेली झूलें मिल संग में जी , ऐजी कोई गावत राग मल्हार । 3 । घुमड़ि 2 के बादल गरजते जी , ऐजी कोई नहनीनहनी पड़त फुहार । 4 । रिमझिम 2 मेहा बरसते जी । ऐजी कोई सीरीसीरी चलति बयारि । 5 । कोकिल बैनी गावें कामिनी जी , ऐजी कोई आनंद बढ़े अपार । 6 । मोर पपीहा बोलत बाग में जी ऐजी कोई कोयल रही है पुकार । 7 । अधिक सुहावनो सावन मास है जी । ऐजी जाकी शोभा अपरम्पार । 8 ।",braj-bra "अरे न्यूं रोवै बुड्ढा बैल अरे न्यूं रोवै बुड्ढा बैल , मन्नै मत बेच्चै रे पापी तेरे कुआं कोल्हू में चाल्या नाज कमा कै तेरे घरां घाल्या इब्ब तन्नै करली सै बज्जर की छाती तिरा बंज्जड़ खेत मन्नै तोड्या , गाड्डी तै मुंह ना मोड्या इब्ब तै मेरी बेच्चै से माटी",haryanvi-bgc "हरियर मड़वा धयले मउरिया सम्हारइ बंदे हरियर1 मड़वा धयले2 मउरिया सम्हारइ बंदे । मउरी के झांेक मजेदार , झुमाझम रे बंदे । दुलहा के मउरी से छुटल पसेना बंदे । दुलहिन के चाकर3 बंदे , दाँवँन4 से पोंछल पसेना बंदे ॥ 1 ॥ हरियर मड़वा धयले मोजवा5 सम्हारइ बंदे । मोजा पर जुत्ता मजेदार , झमाझम रे बंदे , चमाचम रे बंदे । दुलहा के मोजा से छुटल पसेना बंदे । दुलहिन के चाकर बंदे , दाँवँन से पोंछल पसेना रे बंदे ॥ 2 ॥ हरियर मड़वा धयले , दलहिन सम्हारइ बंदे । दुलहिन के घूँघुट मजेदार झमाझम रे बंदे , चमाचम रे बंदे । दुलहा के अंग से छुटल पसेना बंदे । दुलहिन के चाकर बंदे दाँवँन से पोंछल पसेना रे बंदे ॥ 3 ॥",magahi-mag "बेरहिं बेरहिं तोरा बरजों कवन दुलहा बेरहिं बेरहिं1 तोरा बरजों2 कवन दुलहा , बन बिरिदा3 जनि जाहु हे । बन बिरिदा एक देव बरिसल4 भींजि जइहें5 चन्नन तोहार हे ॥ 1 ॥ हाँथी भींजल , घोड़ा भींजल , भींजल लोक बरियात हे । हँथिया उपरे भींजल कवन दुलहा , चन्नन भरले6 लिलार हे ॥ 2 ॥ डाँड़ी भींजल , डोरी भींजल , भींजल सबजी ओहार हे । डँड़िया भीतरे भींजल कवन सुगइ , सेनुर भरले लिलार हे ॥ 3 ॥ झिहिर झिहिर नदिया बहतु हैं , ओहि7 में कवन सुगइ नेहाय हे । हँथिया उपर बोलल कवन दुलहा , हरवा8 दहि मति9 जाय हे ॥ 4 ॥ ई हरवा मोरा ऐरिन बैरिन , ई हरवा मोरा परान के अधार हे । ई हरवा मोरा बाबा के हलइ10 ई हरवा मोरा परान के अधार हे ॥ 5 ॥ अपन मउयिा सम्हारहु11 ए दुलहा , घामा12 लगत कुम्हलाए हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "360 सहती गज के आखदी छड जटा खोह सब नवालियां सटियां नी होर सब जातां ठग खधियां नी पर एस वेहड़े विच जटियां नी असां एतनी गस मलूम कीती एह जटियां मुलक दियां डटियां नी डुमां रावल कुतयां जोगियां दियां जीभां धुरों शैतान ने चटियां नी पर असां वी जिन्हां नूं हथ लाया ओह बूटियां जड़ां तों पटियां नी पोले ढिड ते अकल दी मार बहुती चाहां पीन त्रबेहियां खटियां नी",panjabi-pan "पड़ै बुन्दियां भरैं क्यारी समय बरसा लगे प्यारी पड़ै बुन्दियां भरैं क्यारी समय बरसा लगे प्यारी बनै के सीस पै मौड़ा तेरे गजरों पै मैं वारी बने की सास साली सभी झरोखे झांकती देखीं बना घोड़े चढ़ा जाता छवि उसकी पै सब वारीं पड़े बुंदियां . . . बने के अंग पर जामा तेरे सेहरे पै मैं वारी बने के हाथ की अंगूठी तेरी घड़ियों पै मैं वारी बने के पैर में जूता तेरी चाली पै मैं वारी बने के संग मैं बनड़ी तेरी जोड़ी लगे प्यारी पड़ैं बन्दियां . . .",haryanvi-bgc "48 यारो पलंघ केहा सणे सेज एथे लोकां आखया हीर जटेटड़ी दा बादशाह सिआलां दे त्रिजणां दी महिर चूचके खान दी बेटड़ी दा शाह परी पनाह नित लए जिस तों एह थां है मुशक लपेटड़ी दा वारस शाह झबेल ते घाट पतन सभ हुकम है एह सलेटड़ी दा",panjabi-pan "ऐसो करम मत किजो रे सजना ऐसो करम मत किजो रे सजना गऊ ब्राम्हण क दिजो रे सजना १ रोमरोम गऊ का देव बस रे , ब्रम्हा विष्णु महेश गऊ को रे बछुओ प्रति को हो पाळण क्यो लायो गला बांधी . . . . रे सजना ऐसो . . . २दुध भी खायो गऊ को दही भी जमायो माखण होम जळायो गोबर गोमातीर से पवित्र हुया रे छोड़ो गऊ को फंदो . . . सजना ऐसो . . . ३ सजन कसाई तुक जग पयचाण , धरील माँस हमारो सीर काट तेरे आगे धरले फिर करना बिस्मलो . . . सजना ऐसो . . . ४ तोरण तोड़ू थारो मंडप मोडू , ब्याव की करु धुल धाणी लगीण बखत थारो दुल्लव मरसे थारा पर जम पयरा दिसे . . . सजना ऐसो . . . ५ कबीर दास न गऊवा मंगाई , जल जमुना पहुचाई हेड़ डुपट्टो गऊ का आसु हो पोयचा चारो चरो न पेवो पाणी . . . सजना ऐसो . . .",nimadi-noe "सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी बारह जीरा लाये माडो सेटी रानी बारह जीरा लाये माडो सेटी रानी सेटी राजा जा सेटी राजा सेटी राजा जा सेटी राजा बारह जीरा चोज कमिया हेजे मा जा सेटी राजा बारह जीरा चोज कमिया हेजे मा जा सेटी राजा सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी बारह जीरा माय आबा आंगूल वाडो सेटी रानी बारह जीरा माय आबा आंगूल वाडो सेटी रानी सेटी राजा जा सेटी राजा सेटी राजा जा सेटी राजा इली गांजा उबून येन जा सेटी राजा इली गांजा उबून येन जा सेटी राजा सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी इनी गांजा उबनू लकेनडो सेटी रानी इनी गांजा उबनू लकेनडो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी इनी गांजा बाचा टीयडो सेटी रानी इनी गांजा बाचा टीयडो सेटी रानी सेटी राजा जा सेटी राजा सेटी राजा जा सेटी राजा इनी गांजा चोजा कमिया ऐजे माजा सेटी राजा इनी गांजा चोजा कमिया ऐजे माजा सेटी राजा सेटी रानी डो सेटी रानी सेटी रानी डो सेटी रानी इली गांजा महादेवा पीयला डो नूनू वाडो सेटी रानी इली गांजा महादेवा पीयला डो नूनू वाडो सेटी रानी स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "चौमासो सावन लाग्यो भादवो जी यो तो बरसन लाग्यो मेह , बनिसा मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे म्हारा सासूजी बनाबा ने जाए , बनिसा मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे उगण लागी बाजरी रे म्हारी उगन लागी बाजरी रे म्हारी उगण लागी जवार , बनिसा मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे काटूं मैं काटूं बाजरी रे म्हारी काटूं मैं काटूं बाजरी रे म्हारी काटूँ मैं काटूं जवार , बनिसा मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे आळ्या में पड़गी बाजरी जी म्हारी आळ्या में पड़गी बाजरी जी म्हारी कोठा में पड़गी जवार , बनिसा मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे म्हारा सासूजी मनाबा ने जाए , बनिसा मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे . . . झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे . . .",rajasthani-raj "इस सागर के कारने बाबा जी इस सागर के कारने बाबा जी रूठा जाय दामाद रे देहरी बैठी दादी रानी बिनवै सुन बेटा मेरी बात रे अनमोल बेटी मैंने तुमको समर्पी तो सागर कौन बिसात रे सोना भी देंगे रूपा भी देंगे वर मोहर हजार रे एक ना देंगे दूल्हे सागर अपना कुंवर करेंगे असनान रे पन्थी आवै हाथ मुंह धौवें गडवै पीयें जल नीर रे",haryanvi-bgc "बाना, माँगे दुलहवा बहार बाना , माँगे दुलहवा बहार1 बहार देउँ सरहज2 । बाना , माँगे दुलहवा ननद के , ननद देउँ सरहज ॥ 1 ॥ माथा में दुलहा के मउरी न हइ । बाना , माँगे दुलहा मोती के हार , हार देउँ सरहज ॥ 2 ॥",magahi-mag "बरसौं जामैं बृज बै जाबै बरसौं जामैं बृज बै जाबै । मेघन इन्द्र सुनावैं । सात दिन औ सात रात लौं , बूँदा गम ना खावै । ब्रज वासिन के घर आँगन में , जल जमना को धावैं । लऔ उठा गोबरधन नख पैं , छैल छत्र सौ छावैं । कैसे मारे मरत ईसुरी , जिन खां राम बचावैं ।",bundeli-bns "दूर दिसावर सै आई नणंदिया, भाई भतीजे के चाव दूर दिसावर सै आई नणंदिया , भाई भतीजे के चाव हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ दस के तो हंसली दस क कडूले यो ही री भाभी नेग मेरा हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ टाट की अंगिआ मूंज की तगिआ , यो ही बीबी जी नेग तेरा हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ लेणा होए तो ले ले नणंदिया , नहीं तो करूंगी बुरा हाल हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ मेरी री आंगण गां का खूंटा , उसमें पड़या है मोटा रस्सा हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ रस्से से बांधूं नणद हठीली , रेसम से बांधूं तेरा भइआ हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ कस कर बांधूं नणद हठीली , ढीला सा बांधूं तेरा भइआ हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ आधी सी रात निकल रहे तारे , नणद गई है खूंटा पाड़ हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ सास नणद की पूछण लागी , क्या कुछ बहुअड़ नेगी हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ संग की सहेली पूछण लागी , के कुछ ल्याई भैण नेग हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ गां बांधण नै ल्याई हूं खूंटा , सामण झूलण नै रस्सा हाल मेरा जा सुनरे से कहिओ",haryanvi-bgc "बसन्ती रँगवाय दूंगी बसन्ती रंगवाय दूँगी जा लाँगुरिया की टोपी ॥ जो लाँगुर तौपै कपड़ा नाँयें , जो लाँगुर तौपे . . . कपड़ा तोय दिवाय दूँगी , जा लाँगुरिया की टोपी . . . ॥ बसन्ती रंगवाय दूँगी . जो लाँगुर तोपे सिमाई नायें , जो लाँगुर , सिमाई मैं मरवाय दूँगी , जा लाँगुरिया की टोपी . . . ॥ बसन्ती रंगवाय दूँगी . जो लाँगुर तोपे कुर्ता नायें , जो लाँगुर , दुपट्टा फारि सिमाय दूँगी , जा लाँगुरिया की टोपी . . . ॥ बसन्ती रंगवाय दूँगी .",braj-bra "मानो बचन हमारो रे,राजा मानो बचन हमारो रे , राजा , मानो बचन हमारो १ भिष्म करण दुर्योधन राजा , पांडव गरीब बिचारा पाचँ गाँव इनक दई देवो बाकी को राज तुम्हारो . . . रे राजा . . . २ गड़ गुजरात हतनापुर नगरी , पांडव देवो बसाई दिल्ली दंखण दोनो दिजो पुरब रहे पिछवाड़ो . . . रे राजा . . . ३ किसने तुमको वकील बनाया , कोई का कारज मत सारो राज काज की रीती नी जाणो युद्ध करी न लई लेवो . . . रे राजा . . .",nimadi-noe "सती बोली आमा सती अले सती गले माडो सती बोली आमा सती अले सती गले माडो बोलो हो सती सती रानी आमा सती गले माडो सती सती रानी आमा सती आले सती गले माडो सती डो ये सती रानी आमा सती गले मा सती बोले डो सती सती राजा इयां सती चोजा लेन कोमरावा जा सती बोले ये सती सती रानी इयां सती चोज लाने कोमरावा जा सती मारे ये सती सती राजा इयां नी सती लाने इयां नी अठली डोगे बोले ये सती सती राजा इयां अठली वारा दिवा लापके इयां सती सती मारे ये सती सती राजा इयां अठली वारा दिवा लापके जा इयां सती सती बोले रे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "बेरिया डुबन लगल, फूलल झिगनियाँ बेरिया1 डुबन लगल , फूलल झिगनियाँ2 । आजु मोरा अइह धानि , हमर कोहबरिया ॥ 1 ॥ कइसे के अइयो3 प्रभु , तोहरो कोहबरिया । अँगना में हथु4 सासु मोर रे बयरनियाँ5 ॥ 2 ॥ सासुजी के दिहऽ धानि , दलिया6 आउ भतवा । चुपके से चलि अइहऽ हमर कोहबरिया ॥ 3 ॥ कइसे के अइयो परभु , तोहरो कोहबरिया । ओसरा7 में हथु गोतनी मोर रे बयरिनियाँ ॥ 4 ॥ गोतनी के दिहऽ तूँ भरि के चिलिमियाँ8 । चुपके से आ जइहऽ हमर कोहबरिया ॥ 5 ॥ कइसे के अइयो परभु , तोहर कोहबरिया । बाहरे खेलत हथु , ननदी बयरनियाँ ॥ 6 ॥ ननदी के दिहऽ धानि , सुपती मउनियाँ9 । चुपे चुपे चलि अइहऽ हमरो कोहबरिया ॥ 7 ॥ कइसो के अइयो परभु , तोहर कोहबरिया । मुसुकत खाड़े हथु देवर बयरनियाँ ॥ 8 ॥ देवर के दिहऽ धानि , खइनियाँ10 आउ चुनमा । चुपके से चलि अइहऽ , हमरो कोहबरिया ॥ 9 ॥",magahi-mag "सासू बी बहरी सुसरा भी बहरा सासू बी बहरी सुसरा भी बहरा बहरा सै घर वाला रै उन बहरां मैं मैं बी बहरी चारूआं का बाजा न्यारा रै एक राहे बटेऊ न्यूं उठ बोल्या टेसन की राही बता दे रै धोले के तो लगे पानसै गौरे के ढाई से दे सैं रै इतणै मैं रुटिहारी आई बलदां का मोल लगै सै रै नूण मिरच तेरी मां नै गैर्या हम नै क्यूं गाली दै सै रै रोटी दे कै घर नरै आई सासू तै राड़ मिचाई रै नूण मिरच तै तन्नै गेर्या मन्नै गाली दिवाई री हमनै तै बहू बेरा कोन्नी तेरै सुसरै नै पूछूंगी डांगर चरा के सुसरा आया बहू पीहर जाण नै कह सै रै कौण कहे कालर में चरा ल्याया डहरां में चर कै आई सै सासू बी बहरी सुसरा बी बहरा , बहरा सै घर वाला रै",haryanvi-bgc "तोहर मउरी हवऽ नव लाख के तोहर मउरी हवऽ नव लाख के । जरा जइहऽ1 काँटेकुसे बच के ॥ 1 ॥ नदी नाले से चलिहऽ सँम्हर के2 । जरा लाड़ोसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला से रहिहऽ सँम्हर के ॥ 2 ॥",magahi-mag "म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर म्हारा काकाजी के मांडी गणगौर रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो घडी दोय जावता पलक दोय आवता सहेलियाँ में बातां चितां लागी हो रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो थारो नथ भलके थारो चुड़लो चमके थारा नेना रा निजारा प्यारा लागे हो मारुजी थारा बिना जिवडो भुल्यो डोले",rajasthani-raj "रसीणे के कमरे में जच्चा हमारी री रसीणे के कमरे में जच्चा हमारी री री जच्चा राणी सोच मत करणा दाईये बुलावैगा जेठ तुम्हारा री जच्चा राणी फिकर मत करणा दीवला बालेगी सास तुम्हारी री जच्चा राणी सोच मत करना पीलंग बिछावैगी जेठाणी तुम्हारी री जच्चा राणी सोच मत करना थाल बजावैगी दुराणी तुम्हारी री जच्चा राणी सोच मत करना चूची धुवावैगी नणन्द तुम्हारी री जच्चा राणी सोच मत करना सथिये लगावैगी बामणी तुम्हारी री जच्चा राणी सोच मत करना होम करावैगा ससुरा तुम्हारा री जच्चा राणी सोच मत करना",haryanvi-bgc "गोदी के अंदर भगत राम राम रह्या टेर गोदी के अंदर भगत राम राम रह्या टेर जब से चरचा सुणी थी हर की राम नाम की लगी लगन समझाया था एक न मानी दरसन की थी लगी लगन हरिणाकस नै नांय सुहाया क्रोध की अग्नि लगी जलन निर्भय हो कै भजा भगत ने भै की भूतणी लगी भगन होलकां ले गोदी में बैठी फूँक जलाद्यूँ ढेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर होलकां का एक सील वस्तर था लोम रिसी से पाया था जिस में अगनी परवेस हुवै न यो ही कथा में गाया था पहिले भी या सती हुई थी यो ए ओढ़ सुख छाया था अब कै बैर कर्या हर सेत्ती नहीं हुया मन चाहा था सील वस्तर के अन्दर बड़ कै लागी थी वे करण अंधेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर चौगरदे कै चिता चिणा के जिस के बीच में दई अगन जद वा अगन जारी हुई थी चन्दन लकड़ी लगी जलन चौगरदे के असर फिरैं थे जिनक े हाथ में खड्ग नगन जगहां नहीं थी कहीं निकलण नै असर रहे थे घेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर मुलतान सहर के सब सजनां नै अगनी में माला गेर दई दीनानाथ बचा लड़के नै या सन्तों ने टेर दई तेरा नाम छिपजा दुनिया में हमने भतेरी फेर लई जै लड़का जल जाय अगन में इन असरां की जीत हुई जै भगत जल जा अगनी में के कर ल्येगा फेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर ऐसी पवन चली जोर की चिता तो पाड़ बगाय दई सील वस्तर को उथल पुथल के लड़के पै उठाय दई दगा किसी का सगा नहीं सै समझैगा को सिहणी का सेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर",haryanvi-bgc "सुआ गीत-3 तरी नरी नहा नरी नही नरी ना ना रे सुअना तुलसी के बिरवा करै सुगबुगसुगबुग रे सुअना नयना के दिया रे जलांव नयनन के नीर झरै जस औरवांती रे सुअना अंचरा म लेहव लुकाय कांसे पीतल के अदली रे बदली रे सुअना जोड़ी बदल नहि जाय",chhattisgarhi-hne "ब्रह्मकौंल प्रभो , जौं1 से गंगा पैदा होई , सोई चरण सुमिरण करदौं । जु चरण रैन नन्द का आंगण , जु चरण रैन जसोदा की गोदी , सोई चरण सुमिरण करदौं । प्रभो , एक दां कृष्ण भगवान द्वारिका मा बैठीक खेलणा छा पासो2 । छुयौं3 पर छुई ऐन4 , नारद जी न बोले ; हिमाचल कांठा5 मा जौलाताल राजकुमारी रंदी तख एक मोतीमाला सोना का पासा छन वीं मू , चाँदी की छन चौकी । रूप की आछरी6 छ वा दिवा7 जसी8 जोत , रघुकुँठी घोड़ी साजी वैन9 , लाडलो बरमी पौंछे10 कृष्ण पास । बोल बोल दिदा11 , क्या काम होलू मैकू ? तब बोलदा कृष्ण भगवान मन की बात त्वै12 जाणू होलू13 बरमी हिंवचल काँठा , सोना का पासा लौणन , चांदी कीचौकी जौलाताल रैंदा14 बल मोतीमाला , जीतीक लौण भुला15 मोतीमाला मैकू तई । तब चलीगे बरमी हिंवचल काँठा , सत होलू सत विमला रौतेली , सत पीनी होली मैन सहस्त्रधारी ददी , मेरी रगुकुँठी घोड़ी गगन चढ़यान । तब गगन मा चढ़ीगे , अगास उड़ीगे , रघुकुँठी घोड़ी वा वैकी । पौछीगे बरमी हिंवचल कांठा जौलाताल मू वो नहेण लैगे । तब जाँदीन चेली16 पाणी भरण , तब आई गए सौंली शारदा रूप की प्यासी छै वा मोतीमाला की दासी सौंली शारदा तब दृष्टि घुमौंदी , देखीले तन लाडलो बरमी साँवली सूरत वैकी , मोहनी मूरत । रौड़दीदौडदी गै17 बल सौंली शारदा , मोतीमाला का त पास अंगूठी गैणुवा18 जीं का , बाल काली बादुली19 । चीणा20 जसी चम21 फ्यूँली22 जसो फूल नौण23 सी लुटकी24 हिंसर25 सी गुन्दकी , मोतीमाला होली बांदू26 मां की बांद , चांदू मा की चांद होली , कृष्ण त्वई लैख27 । रूप का रसिया छया कृष्ण , फूलू का हौंसिया28 । सीलो ज्यू29 भगवान को रसपैस30 गए , पूछे ऊन एक एक करी सब ज्वान31 , पर वख जाणक कैन हुँगारो32 नी भरे । तब रगड़े कृष्णन बदन अपणो , पैदा होई गए कनी भौंरों की टोली । भेजीन तब भौंरा हिवंचल काँठा , ब्रह्मकोट रंदो छयो लाडलो ब्रह्मकौंल । बथौं सी उड़ीन भौंरा , अगास चढ़ीन , घूमदा घूमदा गैन ब्रह्मकौंल का भौन । बठीन वो देणी भुजा मा बरमी की , जाणीयाले तब वैन बड़ा भाई को रैबार33 आयो । तब तैयार होन्दू द्वारिका जाणक , हे मेरी जिया34 विमला सहस्त्रधारी , मैंन जाण द्वारिका , मैं कू आयूं हुकम छ नि जाणू बेटा , दखिण द्वारिका , वीं रतन द्वारिका रंदो कालो नाग । लाडला बरमीन बल एक नी माणी , मरण वचण जिया , मैन द्वारिका जाण । सुण सुण मोती , पीफल चौरी35 देख , सौंली36 सूरत कू कुई चौरी मू बैठ्यूँ छ । रतन्याली37 आँखी छन वेकी , पतन्याली फिली38 । मोतीमाला तब देखी बरमी को रूप : जा दू जा दू शारदा वै लाऊ बुलाई । शारदा तब ऐगी बरमी का पास , छेद39 छेदी पूछदी तब वैसे बात । मैं विमला को जायों40 छऊँ , जाति को जादव , मिलण आयूँ मैं भाभी मोतीमाला । मोतीमाला कन्या छ कुँवारी , तीन सौ साठ राजा ऐन आज तैं , कुछ हारी गैन , कुछ मान्या गैन । बोल बोल बरमी , तेरी वा भाभी होई कनाई41 ? सौंली शारदा मुलकुल42 हैंसण लैगे : केकू43 आई होलू छोरा , वैरी का वदाण44 , वैरी का वदाण आई , काल का डिल्याण । फ्यूँली को फूल देखी वीं दया ऐगे । तब बोलदी शारदाः जिया को लाडलो होलू तू , अगास को गैणो होलू तू , कै दिल को फूल । राणी मोतीमाला छ पांसा की शौकी , तिन45 हारीक बरमी मान्या जाण पर जु बचणू चाँदू46 त मेरी बात सुण्याला , जै47 चौकी मा बिठाली , वीं मा न तू बैठी । तब सौली शारदा ली गए वे मौती का भौन । सेवा मानी सेवा , भाभी मेरी मोतीमाला । मोतीमाला न उठीक बैठाये बरमी , बैठीक जिमाये खटरस भोजन । खिलैक पिलैक तब वा बोलण लैग सुण्याल बरमी जरा पांसुड़ी48 खेल्याल । गाडीन वींन चाँदी का चौपड़ , सोना की पाँसुड़ी अपणी चौकी गाडे49 वींन50 , बैठी गए , बैठैयाले बरमी हैका51 चौकी पर । तब लाडलो बरमी पाँसा दऊ52 देन्द पैला दऊ हारिगे बरमी , रघुकुँठी घोड़ी , तब हारीन बरमीन कानू का कुण्डल , तब हारीन बरमीन हाथू का मणिबंध । हाथू का मणिबंध , गात का बस्तर । तब छूटिगे बरमी , खाली मासपिंड । माता की बोलीं तब याद औंदी । कैं घड़ी माँ पैटी53 हालू मैं ये हिंवंचल काँठा , प्रभु ई विपत से मैं आज कू बचालू ? याद आये तबारी शारदा बोलीं , बोले बरमीनः भाभी मैं तीस लैगे । जादू मेरी सौंली पाणी लौमोतीन बोले तब मुँडली54 ढगड्योंद55 लाडलो बरमी , तू पिलौ भाभी अपणा हाथ पाणी , चेली56 को लायू57 पाणी मैं नी पेन्दो । तब जाँदी मोतीमाला पाणी पन्यारी58 , लाडला बरमी क पाणी लौंदी59 बाँज60 को जड्यों61 कू । बरमीन हार चौकी छोड़े , मोती की चौकी बैठे । मोतीमाला लौटीक देखदी मेरी चौकी छोड़ बरमी , पाणी पे तू जगा उठा की होण या बैठा की ? मैन तब पेण पाणी , जब पांसू खेल्यान । बबराँदी62 छ ककलाँदी63 मोतीमाला , मड़ो64 मन्यान65 तेरो जैन धोका करे । खेलण बेठीन दुई फेर पाँसुड़ी बरमीन पैला दाऊ जीतले रघुकुण्ठी घोड़ी , कानू का कुण्डल जीतेन , तब हाथू का मणिबंध । विजोरिया हँसुली जीती , झंझरियाली बेसर , सोवन पाँसुड़ी जीतीले , चाँदी की चौकी ।",garhwali-gbm "राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे १ जब सी भरत अवध मे आये , छाई उदासी भारी अड़घाट घेरियो मोहे परघाट घेरियो प्रजा ढुंढे जग माही . . . भरत पुछे . . . २ राजा दशरथ के चारी पुत्र , चरत भरत रघुराई चरत भरत को राज दियो है राम गया बंद माही . . . भरत पुछे . . . ३ माता कौशल्या मेहलो मे रोये , बायर भारत भाई राजा रशरथ ने प्राण तज्यो है कैकई रई पछताई . . . भरत पुछे . . . ४ राम बिना रे म्हारी सुनी आयोध्या , लक्ष्मण बीन ठकुराई सीता बीन रे म्हारी सुनी रसवोई अन कोण करे चतुराई . . . भरत पुछे . . . ५ आगे आगे राम चलत है , पीछे लक्ष्मण भाई जिनके बीच मे चले हो जानकी अन शोभा वरणी न जाई . . . भरत पुछे . . .",nimadi-noe "बिटिया बिटिया तो है कपला गाय , न अपने मुख सें कछु वा काय , जमाने के सब जुलम उठाय , ओंठ सें बोल न दो बोले , महा जहर खाँ भी अन्तर में , अमरितसौ घोले । सान्ति की सूरत है , सील की मूरत है । अन्तर में होंय आग तौउ बा सीतल बानी बोले , नौनीबुरइ सबइ की सुनबै भेद न मन कौ खोले खुसी में थोड़ौ मुसक्या देत , लाज सें दृग नीचे कर लेत , न ईसें आगें उत्तर देत , मन की चाहे धरा डोले । करत है जब कोऊ ऊकी बात , तौ नीचौ सर करकें उठ जात , लाज भर नखसिख सें , कछू ना कह मुख सें । सावन की सोभा है बिटिया और दोज कौ टीकौ , न्यारौन्यारौ रूप है ईको मातबहिनपतनी कौ । ईकौं केवल कन्यादान , होत है कोटन जग्य समान , दओ जिन उनके भाग्य महान , भाग्य दोऊ कुल के खोले । सजाबै अपनों घर संसार , प्यार कौ लै अपार भंडार , जात घर साजन के , छोड़ सँग बचपन के । कर दए पीरे हाँत , पराए हो गए बापमताई , छूटे पौंर , देहरी , आँगन , पनघट गलीअथाई । चली तज बाबुल कौ घरगाँव , और माँ की ममता की छाँव , परबस जात पराए ठाँव , चली डोली होलेहोले । याद कर भाईबहिन की जंग , संग सखियन के बिबिध प्रसंग , नैन भरभर आबैं , सबइ छूटे जाबैं । पलकन की छाया में राखो , सुखसनेह सें पालो , ऐसी नौनी रामकुँवर पै , परै न राम कसालो । रातदिन दुआ करै पितुमात , सौंप दओ जीके हाँत में हाँत , संग में ऊके रहै सनात , नाथ की सेवा में हो ले । जराबै संजा कैं नित दीप , धरत है तुलसीधरा समीप , बड़न के पग लागै , कुसल पतिकी माँगै । लरका जग में एकइ कुल कौ , कुलदीपक कहलाबै , ‘पुत्रि पवित्र करे कुल दोऊ’ रामायन जा गाबै । कन्या कुलवंती जो होय , तौ ऊसें जस पाबें कुल दोय , अपने मन मानस में धोय , तौल कें फिर बानी बोले । करत है हरदम मीठी बात , मनौ होय फूलन की बरसात , कि जीमें समता है , हिये में ममता है ।",bundeli-bns "सालय ईटा जड़ा ऊमन जे सालय ईटा जड़ा ऊमन जे सालय ईटा जड़ा ऊमन जे सालय पला ऊल खेंडो बेटी मारे सालय पला ऊल खेंडो बेटी मारे अमा भाभी भाने बेटी अमा भाभी भाने बेटी अमा माये भाने बेटी मारे अमा माये भाने बेटी मारे बाय इजा ऐजे बेटी बाय इजा ऐजे बेटी रोचो रोचोनी जोम डो बेटी मारे रोचो रोचोनी जोम डो बेटी मारे स्रोत व्यक्ति सुनीता , ग्राम मकड़ाई",korku-kfq "268 नाथा जिऊंदयां मरन है खरा औखा साथों ऐडे ना वायदे होवने ने असी जट नाड़ीयां1 करन वाले असां कचकड़े नांह परोवने ने अखीं कन्न पड़ाय के खवार होए सारी उमर दे दुख दुखोवने ने साथों खपरी2 नाद3 ना जाए सांभे असां अंत नूं ढगड़े जोवने ने रन्नां नालों जो वरजदे चेलयां नूं एह गुरु ना बन्न के दोवने ने रन्नां देन गाली असीं चुप करीए एडे सबर दे पैर किस धोवने ने हस खेडना तुसां चा मने कीता असां धुप दे गोहे ना ढोवने ने वारस शाह कहे अंत आखरत नूं कटे जावने ने मटे घोवने ने",panjabi-pan "विवाह गीत वधू पक्ष तारा माटीनो मांडवो वो , मांडवे आइ बठि । तारा लाडा नो मांडवो वो , मांडवे आइ बठि । तारा ढुकण्यानो मांडवो वो , मांडवे आइ बठि । वर पक्ष से हामु रूप्या भर्याने , हामु मांडवे आइ । हामु हजार भर्याने , हामु मांडवे आइ । वधू पक्ष तारा माटीनो मांडवो , मांडवे आइ बठि । वर पक्ष तारा माटी ना रूप्यावो , रूप्या खाइ बठि । तारा लाडाना रूप्यावो , रूप्या खाइ बठि । वधू पक्ष की महिलाएँ गीत में कहती हैं कि तेरे खसम का मंडप है जो आकर बैठ गई ? वर पक्ष से उत्तर दिया गया है कि हमने रुपये दिये हैं इसलिए मंडप में आई हैं , हमने हजार रुपये दिये और मंडप में आये हैं ।",bhili-bhb "केकरा चौंर जलम जदुनन्नन, केकरा बंस बढ़िये गेल माई केकरा1 चौंर2 जलम जदुनन्नन , केकरा बंस बढ़िये गेल माई । नाना के चौंर जलम जदुनन्नन , दादा3 के बंस बढ़िय गेलइ माई ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल आवे भइया , बहिनी धयलन4 लगाम गे माई ॥ 2 ॥ छठी5 पूजन भइया साठ रुपइया , आँख अँजन6 सोने थारी7 माँगब । पान खवैया8 पनबट्टा माँगब , पिरकी9 बिगन10 उगलदान । आपु11 चढ़न भइया डोला12 माँगब , स्वामी चढ़न घोड़ा गे माई ॥ 3 ॥ जेकरा से13 अगे14 बहिनी एतना न होवे , से कइसे15 बहिनी बोलावे गे माई ॥ 4 ॥ हम जेा जनती ननद , दीदी अइहें नश्हर जाके पझैती16 गे माई । जब तोहें भउजी नइहर जयतऽ , नइहर आके नचइती गे माई ॥ 5 ॥",magahi-mag "आपसे हो म्हारो लखपति बाप आपसे हो म्हारो लखपति बाप , साड़ी लावसे रेशमी जी । । हऊं नापूँ तो हात पचास , तोलूँ तो तोला तीस जी । । हऊँ धरूँ तो तरसऽ म्हारो जीवड़ो , पेरूँ तो खिरऽ मोतीड़ा जी । । आवसे हो म्हारो लखपति बाप , साड़ी लावसे रेशमी जी । ।",nimadi-noe "137 हिक मार लतां दुई मार छमक1 त्रीई नाल चटाकियां मारदी ए कोई इट बटा जुती ढीम पथर कोई पकड़ के धौन मुढ मारदी ए कोई पुट दाहड़ीदुबरू विच देंदी कोई डंडका विच गुजारदी ए चोर मारीदा देखने चलो साधो वारस शाह एह जबत सरकार दी ए",panjabi-pan "कदी आ मिल कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ । इशक लगे ताँ है है कूकें , तूँ की जाणे पीड़ पराई नूँ । कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ । जे कोई इशक विहाजिआ लोड़ें , सिर देवें पैहले साईं नूँ । कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ । अमलाँ वालिआँ लंघ लंघ गइआँ , साडिआँ लज्जाँ माही नूँ । कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ । गम दे वहम सितम1 दीआँ काँगाँ किसे कहर कप्पड़ विच्च पाई नूँ । कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ । माँ पियो छड्ड सइआँ मैं भुल्ली आँ , बलिहारी राम दुहाई नूँ । कदी आ मिल बिरहों सताई नूँ ।",panjabi-pan "160 रांझे दीयां भरजाइयां तंग होके खत हीर सयाल नूं लिखया ए साथों छैल वधीक सौ वार सुटी लोक यारियां किधरों सिखया ए देवर चंद साडा साथों रूस आया बोल बोल के घरां थीं त्रिखया ए साडा लाल मोड़ो सानूं पायो जानो कमलियां नूं पाई भिखया ए कुड़े सांभ नाहीं माल रांझयां दा कर सारदा दीदड़ा तिखया ए झट कीतियां लाल न हथ आवण सोई मिले जो तोड़ दा लिखया ए कोई ढूंढ़ वडेरड़ा कम जोगाअजे एह ना यारियां सिखया ए वारस शाह लै चिठियां दौड़या ई कम्म कासदां1 दे मियां सिखया ए",panjabi-pan "अखरे गोबर से सासु अंगना नीपलियै अखरे गोबर से सासु अंगना नीपलियै ओहि चढ़िनाहियाबहु भैया के बटिया , सासु जेबै नैहरबा ओहि चढ़ि ना । काटबै सामल सीकिया , बेढयै जमुनमा ओहि चढ़ि ना । सासु जेबै नैहरबा ओहि चढ़ि ना । । एक चेहरि खेबल रे मलहा दुई चेहरि खेबले तेसर चेहरि डूबलै भैया के बहिनो है कि । ओहि चढ़ि ना । अम्मा जे सुनतै रे मलहा कोसी घंसि मरतै रे कि , बाबा जे सुनतै रे मलहा धरती लोटेतै हे कि , भैया जे सुनतै रे मलहा जाल बाँस खिरेतै रे कि भौजी जे सुनतै रे मलहा भरि मुँह हँसतै रे कि भने ननदो डूबली रे की । ओहि चढ़ि ना ।",angika-anp "चन्दरमा निरमळई रात चन्दरमा निरमळई रात , तारो कँवऽ उँगसे ? तारो ऊँगसे पाछली रात , पड़ोसेण जागसे जी । । धमकसे मही केरी माट , धमकसे घट्टीलो जी , ईराजी घर आवसे , रनुनाई खऽ आरती जी । ।",nimadi-noe "हमनी के रहब जानी दूनू हो परानी हमनी के रहब जानी दूनू हो परानी अंगना में कींचकाँच दुअरा पर पानी खाला ऊँचा गोर पड़ी चढ़ल बा जवानी देशविदेश जाल‍ऽ टूटही पलानी केकरा पर छोड़के जालऽ टूटही पलानी कहत महेंदर मिसिर सुनऽ दिलजानी केकरा से आग मांगब , केकरा से पानी",bhojpuri-bho "दुनिआं मैं रे बाबा नहीं रे गुजारा किसी ढब तै दुनिआं मैं रे बाबा नहीं रे गुजारा किसी ढब तै घर मैं रहै तो कैसा जोगी बन मैं रहे विपत का भोगी मांगै भीख बतावै लोभी त्यागी बण ग्या कब तै दुनिआं मैं रे बाबा . . . बोलंू तो बेचाल बतावै नहीं बोलै गरभाय रह्या करैं कुसामंद हार गया है डरै रै हमारे डर तै दुनिआं मैं रे बाबा . . . धरम करै तो दरब लुटावै नहीं करै तो सूम बतावै क्या कहूं कुछ कहीए ना जावै परीत करै मतलब तै दुनिआं मैं रे बाबा . . . अचार करूं पाखंड मचावै नहीं करूं तो पसू बतावै हंसूं तो कहते हैं मस्तावै नहीं हंसूं तो बिंधा मरज तै दुनिआं मैं रे बाबा . . . नींदा अस्तुती दोनों त्यागे सुब असुब पीठ दे भागे राम परताप चरण चित लागै तब रै जीते इस जग तै दुनिआं मैं रे बाबा . . .",haryanvi-bgc "157 तुसीं घल देहो तां अहसान होवे नहीं चल मेला असीं आवने हां गल पलड़ा पा के वीर सभे असी रूठड़ा वीर मनावने हां असां आयां नूं जे तुसी नाह मोड़ो तदों पयेपक पकावने हां नाल भाइयां पिंड दे पैंच सारे वारस शाह नूं नाल लै जावने हां",panjabi-pan "सावां गीत सब याही आया वोते एक याही नी आया लाव कटोरी काटो नाक , लाव विचारा नो ढाकूं नाक डांडेडांडे उतरवो बाई छछूंदरी , कालगान चोटी कातरवो बाई छछूंदरी सावां लाने वालों के लिए गीत में कहा गया है कि सभी समधी भाई हैं , कटोरी लाओ इनकी नाक काटूँ और कटी हुई नाक ढाँक दूँ । छछूंदर से कहती है कि तू छत की लकड़ियों के सहारे नीेचे उतर । सावां लाने वालों में से किसी की चोटी कतर डाल ।",bhili-bhb "मोछंग 1 . धारमं1 बैठिकी पूर्ण निश्चिन्त हैवे आ , सुणौदौं सुणा आज मोछंग कू । साज मां साज ली , राग मां बाजली चित्त की क्वो छिपीं आह भी खोलली । 2 . देश का हर्ष मां , दुख मां , प्रेम मां ईश की भक्ति मां , ठाठ से बाजली । ताल मां , तान मां , कान मां गूंजली ई सुणी , चित मां चाह भी सूजली 3 . एक ही गूंज से गूंजलो विश्व यो देश मां जाग भी , जोश भी फैललो । मातृभाषा भरीं एक या द्वो कड़ी भाव शृंगार को रूप भी खोलली ॥ 4 . धार ये , गाड़2 वो , डांडि3 मैदान से एक ही भौण4 मां ये हुँगारा भरी । ओर से पोर तैं गाजली , गूंजली आज मोछंग का गीतसंगीत मां ॥ 5 . वार की पार की , जोड़ि की तोड़ि की बात द्वी , की गढ़ी ढंग से बोलली । ह्वै सक्यो तो भला रांगसाहित्य मां या रँगाली न क्या आपका चित्तकू ? 6 . रोपिकी आश को तार आकाश मां भाव का झूलना मां झुलाली अभी । मस्त होली अफ्वी , आपकू तैं रिझै कल्पनाभावनाका नया राग मां ? 7 . ई सुणी जागलो आपका ख्याल मां जाति को प्यार , औ देश सेवा अभी । जागला आप ही रोंगटा गात मां चित्त मां ज्ञान की जोत भी भासली ॥",garhwali-gbm "देन्णा होई जाया बें सेळी धरती देन्णा होई जाया बें सेळी धरती देन्णा होई जाया बें भूमियाळा दयोऊ देन्णा होई जाया बें माईऽऽमडूली देन्णा होई जाया बें रितू बसंता देन्णा होयां देवताओं उलामुला मासा देन्णा होयां देवताओं चुलामुला बारा ऋतू बौडी औगया बै दाई जसो फेरो ऋतू बौडी औगया बै बारूणी बगत उलापैटा मासा बै बौडी कै नी औना ऋतू फेरी बसंता बै फेर बौडी औगे सूकुओ का सनणा बै मौली कै नी औना हरी भरी सनणा बै फेर मौळी औगे कनु औगे दयाल्तायों चौपन्थी चौखाळ मौळणाऊ लैगे बै चांचर की धूप ऋतू चाडों बासना ऋतू ऋतू बोना ऋतू चाडी बासनी मैतामैता बोनी ओखाडा की फाग्यूं माँ कफ़ूणा बासलों सान्योंसान्यों बासा बै घुघूती घूरली सैळा जैटा बारां बै सैळी सूरी बासा माळनो की घुघूती पराबतूं आगे",garhwali-gbm "566 काज़ी खोह दिती हीर खेड़यां नूं यारो एह फकीर दगौलिया1 जे विचों चोर ते यार ते लुचा लुंडा वेखो बाहरूं वली ते औलिया जे दगेदार ते झागडू कलाकारी बनी फिरे मुशायख2 मौलिया जे वारस दगे ते आवे तां सफ गाले अखीं मीट बहि जापे औलिया जे",panjabi-pan "भजमन राम सिया भगवानै भजमन राम सिया भगवानै , कछू संग नइँ जानै , धन सम्पत सब माल खजानौ , रैजें येई ठिकानैं । भाई बन्द उर कुटुम कबीला , जे स्वारथ सब जानैं । कैंड़ा कैसौ छोर ईसुरी , हँसा हुयें रवानै ॥",bundeli-bns "376 एस घुंड विच बहुत खवारियां ने अग लायके घुंड नूं साड़ीए नी घुंड हुसन दी आब छुपा लैंदा वडे घुंड वाली रड़े मारीए नी घुंड आशकां दे बेड़े डोब देंदा मैना ताड़ ना पिंजरे मारीए नी तदों एह जहान सब नजर आवे जदों घुंड नूं जरा उतारीए नी घुंड अनयां करे सुजाखयां नूं घुंड लाह मुंह उपरों लाड़ीए नी वारस शाह ना दबिए मोतियां नूं फुल अग्ग दे विच ना साड़ीए नी",panjabi-pan "93 माए रब्ब ने चाक घर घलया सी तेरे होननसीब जे धुरों चंगे एहो जेहे जे आदमी हथ आवण सारा मुलक ही रब्ब तों दुआ मंगे जेहड़े रब्ब कीते कम होए रहे सानूं मांउ कयों गैब दे दें पंगे कुल सयानयां मुलक नूं मत दिती तेग मेहरियां1 इशक ना करो नंगे नांह छेड़िये रब्ब दयां पूरयां नूं जिनंहां कपड़े खाक दे विच रंगे जिन्हां इशक दे मामले सिरीं चाये वारस शाह ना किसे तों रहन संगे",panjabi-pan "भैणाँ मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी। भैणाँ मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी1 । पीहड़ी पिच्छे पिछावाड़े रहि गई , हत्थ विच्च रहि गई जुट्टी । अग्गे चरखा पिच्छे पीहड़ा , मेरे हत्थों तन्द तरूटी2 । भैणाँ मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी । दाज जवाहर असाँ की करना , जिस प्रेम कटवाई मुठ्ठी । उहो चोर मेरा पकड़ मंगाओ , जिस मेरी जिन्द कुट्ठी । भैणाँ मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी । भला होया मेरा चरखा टुट्टा , मेरी जिन्द अजाबों छुट्टी । बुल्ला सहु ने नाच नचाए , ओत्थे धुम्म कड़ कुट्टी3 भैणाँ मैं कत्तदी कत्तदी हुट्टी ।",panjabi-pan "जेहि देस सिकियो न डोलय जेहि देस सिकियो1 न डोलय2 साँप ससरि3 गेल हे । ललना , ओहि4 देस गयलन5 दादा रइया6 अँगुरी धरि कवन बरूआ हे ॥ 1 ॥ पहिले जे मरबो साहिल7 काँटा चाहिला8 हे । ललना , तबे हम मरबो मिरिगवा , मिरिगछाल9 चाहिला हे । ललना , तबे हम कटबो परसवा10 परास डंटा चाहिला हे ॥ 2 ॥ ललना , तबे हम कटबो मुँजिअबा , मुँजिअ11 डोरि चाहिला हे । ललना , आज मोरा बाबू के जनेउआ , जनेउआ पीला12 चाहिला हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "बदली टलन गदलीकेन बदली टलन गदलीकेन बदली टलन गदलीकेन बदली टलन गदलीकेन हुई बदली टलन गदलीकेन हुई लाबा जोबेन लचकेन लाबा जोबेन लचकेन लाबा जोबेन लचकेन हुई लाबा जोबेन लचकेन हुई स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "पांच बरस की ब्याह के उठ गए पांच बरस की ब्याह के उठ गए परदेस सुनो रै राजा भरथरी बारह बरस में रै राजा बाहवड़े आए सैं बागां के बीच सुनो रै राजा भरथरी बागां के उठे रै जोगी चल पड़े आए हैं माता दरबार सुनो रै राजा भरथरी भिच्छा तै घालो री माता तावली जोगी खड़े तेरे बार सुनो रै राजा भरथरी भिच्छा तै घालूं रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा लाल सुनो रै राजा भरथरी भूली फिरै सै री माता बावली तूं सै जनम की बांझ सुनो रै राजा भरथरी माता ने छल कै जोगी चल पड़ा आया सै भाण के बार सुनो रै राजा भरथरी भिच्छा तै घालू रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा बीर सुनो रै राजा भरथरी भूली फिरै सै है भैणा बावली तूं सै जन्म की एक सुनो रै राजा भरथरी भैणां ने छल के जोगी चल पड़ा आया सै तिरिया के पास सुनो रै राजा भरथरी भिच्छा तै घालूं रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा नाथ सुनो रै राजा भरथरी भूली फिरै सै राणी बावली तूं सै फेरां की रांड सुनो रै राजा भरथरी गल मैं तै घालूं जोगी ओढण ईब चालूं तेरी साथ सुनो रै राजा भरथरी हाथ के तै बांधा रे जोगी कांगणा सिर कै तै बांधा मोड़ सुनो रै राजा भरथरी रोवत बांध रे तिरिया कांगणा छीकत बांधा मोड़ सुनो रै राजा भरथरी",haryanvi-bgc "सभवा बइठल रउरा बाबा कवन बाबा हो सभवा बइठल1 रउरा2 बाबा कवन3 बाबा हो । बाबा लाबर4 मोरा छेँकले5 लिलार6 करहुँ जगमूँड़न हो ॥ 1 ॥ झारि7 बान्हु8 सम्हारि9 कवन बरूआ10 हो । आवे दहु जेठ बइसाख , करहु जग मूड़न हे । करबो11 अलबेला के मूंड़न हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "बिना बल के जवान बिना बल के जवान , बिना बल के जवान फोरे न फूटे सुपलिया । कांहा ले मंगाबो रे चुना रे चुना रे चुना । कंहवा ले रे पान , कंहवा ले रे पान । कांहा ले मंगाबो रे रंड़ी रे रंडी रे रंड़ी ॥ कंहवा के जवान , कंहवा के जवान फोरे न फूटे सुपलिया । बिना बल के जवान , बिना बल के जवान फोरे न फूटे सुपलिया । होली है . . . . . . . . . . . . . . . कटनी ले मंगाबो रे चुना रे चुना रे चुना । रायपुर ले रे पान , रायपुर ले रे पान । पटना ले मंगाबो रे रंड़ी रे रंडी रे रंड़ी ॥ धमतरी के जवान , धमतरी के जवान । फोरे न फूटे सुपलिया । बिना बल के जवान , बिना बल के जवान फोरे न फूटे सुपलिया । होली है . . . . . . . . . . . . . . .",chhattisgarhi-hne "गरि परवत से चलल माता कोसिका गिरि परवत से चलल माता कोसिका , चलि भेलै गंगा स्नान घड़ी एक पहुँचवै माता कोसी गंगा घाट । निशि भाग राति माता कोसिका करै छियै किलोल , से लावू नैया दियौ गंगाजी के घाट पर । से माता निशि भाग राति में किए करै छै किलोल की छियै दैतनीकी छियै भूतनी । नै छी हम दैतनी , नै हम भूतनी , जाति के हम छी बाम्हन , बाप राखलक कोसिका नाम । कल जोड़ि माता करै छी परनाम टुटले नैया टुटले पतवार । कोना करब गंगा के पार । सोना से मढ़ाय देवौ दूनू मांगि , रूपा से मढ़ेबो करूआरि सात दिन सात राति माता कोसिका झलहेर खेलवैये । सात दिन सात राति माता कोसिका खेललो झलहेर , से मांग रे मलहा इनाम । जो लागि कोसिका ने करवे सत परिनाम , तो लागि नै मांगवो इनाम । एक सत के लिये दोसर सत केलियै तेसर सत केलियै परिनाम घर में माता छै अंधी बुढ़िया नाच हमरा पद बांझ दे छोड़ाय माता के हेतो आँखि दई लोचना तोराके बांझ पर देव छोड़ाय कल जोड़ि मिनती करै छी माता कोसिका , रन बेरि कोसिका होहु ने सहाय ।",angika-anp "माची बसन्ता सासू जी हो माची बसन्ता सासू जी हो म्हारी माड़ी जाई ने पीयर लई जावां बाराबारा भैस्यां रो दूध म्हारा मां सुगणा बिना कोण बिलोवे हो रसोड़ा पोवन्ता जेठाणी हो म्हारी माड़ी जाई ने पीयर लई जावां घड़ीघड़ी पोवणो , ने घड़ीघड़ी पीसणों म्हारी सुगणा बिना कौन पांवे हो ढेलड़ा खेलन्ता बाई जी हो म्हारी माड़ी जाई ने पीयर लई जावां बेड़ेबेड़े पाणी कौण भरे म्हारी सुगणा बिना कौण भरे बासीदो सोरन्ता देराणी हो म्हारी माड़ी जाई ने पीयर लई जावां बारेबारे भैस्यां रो गोबर म्हारी सुगणा बिना कुण सोरे ऊँची अटारी पे पियूजी हो सुता कणे दन मांडवो , ने कणे दन घर विवाह कणा दन जानड़ी बुलावा हो बीज नो मांडवी , ने तीज नो घर विवाह चौत ना दन जानड़ी बुलावा हो घड़ी दोय घोड़ीला थोबजे रे वीरा म्हारी सासू जी रा पांव पड़ी आवां म्हारी जेठाणी रा पांव पड़ी आवां म्हारी नणद रा पांव पड़ी आवां म्हारी देराणी से मळी आवां घड़ी दोय घोड़ीला थोबजे रे वीरा भरे खोले जाजो बऊ वड़ ने खाली खोले आजो लाल गंवाई घरे आजो ने थारा बेन्या मां सासू न ससरा किनो छेड़ो काड़ियो वो पालना माजना बालूड़ा रमी रया माड़ी जाई अनमनी",malvi-mup "गंगा माई, गाडू रिंग्या ओद गंगा माई , गाडू1 रिंग्या2 ओद , गंगा माई , इनी मातमी माई , त्वैन उत्पइ लिने , हिमालै का गोद । गंगा जी , रीटी जाली काई , विष्णु चरण से छूटी , शिव जटा समाई । गंगा माई , इनी मातमी माई , शिव जटा समाई गंगा जी , रीटी जाली काई , शिव जटान छूटे , मृत्यु मंडल आई गंगा माई , इनी मातमी माई , मृत्यु मंडल आई गंगा जी , तराजू का झोका , तेरी जातरा3 औंदा , देसूदेसू का लोका । गंगा जी , अखोडू की साई , सोवन की जटा माता , मोती भरी ले बाँही गंगा माई , इनी मातमी माई , मोत्यों भरी ले बांही । आँगड़ा की तणी , गंगा जी , आगआग चले माता , पीछपीछ हीरों की कणी । गंगा जी , लमडाई लोड़ी , आग आग चले माता , पीछपीछ गौ की जोड़ी । गंगा माई , इनी मातमी माई , पीछ गौ की जोड़ गंगा जी मँडवा की माणी , चाँदी सी चलक माता , सुहागसी स्वाणी । गंगा माई इनी मातमी माई , सुहाग सी स्वाणी गंगा जी , कागजू की स्याई , भगतू का खातर माता , मृत्यु मंडल आई । गंगा जी , औंलू को अचार , पंचनाम देव माता , करदा जैजैकार । गंगा माई , इनी मातमी माई , करदा जैजैकार ।",garhwali-gbm "जल भरन जानकी आई तीं (कुआँ-पूजन) जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं । कौन की बेटी कौन की बहुरिया कौन की नारि कहाई हतीं । जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं । जनक की बेटी दसरथ की बहुरिया राम की नारि कहाई हतीं । जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं । भावार्थ जल भरने के लिए जानकी जी आई थीं वे सबके मन को भा गई थीं । वह किनकी बेटी , किनकी बहू और किनकी पत्नी थीं ? वे राजा जनक की पुत्री , राजा दशरथ की बहू और श्रीराम की पत्नी थीं ।",bundeli-bns "चलो अनन्दी, चलो झुलवाए माय चलो अनन्दी , चलो झुलवाए माय गेरीगेरी अमली री डाल चलो झुलवाए माय रमवा सरको यो चौक चालो झुलवाए माय रमवा सरकी या रात शरद पूनम की या रैन चालो झुलवाए माय पाँवों ने बिछिया सोवताए माय थारी अनबट से लागी रया बाद",malvi-mup "ऐ गाड़ीवाला रे ऐ गाड़ीवाला रे , ऐ गाड़ीवाला रे पता देजा रे पता लेजा रे पता देजा पता लेजा गाड़ीवाला रे तोरे नांव के तोरे गाँव के पता देजा जिया जागत रहिबे रे बईरी , भेजबे कभू ले चिट्ठिया , काया माया के नाच नचाये मया के एक नजरिया ऐ गाड़ीवाला रे , ऐ गाड़ीवाला रे पता देजा रे पता लेजा रे",chhattisgarhi-hne "आ ढोला इन्हाँ राहाँ ते (ढोला) आ ढोला इन्हाँ राहाँ ते दीवा बाल रक्खाँ खनगाहाँ ते तेरीयाँ मन्नताँ जीवें ढोला मंजी बाण दी ढोले दीया ' रमजां ' मैं सब्बे जाणदी भावार्थ ' आओ ढोला , इन रास्तों पर मैं खानकाहपीर की समाधि पर दीया जलाए रखती हूँ तेरी मनौती मानती हूँ जीते रहो ढोला बान की बुनी हुई खाट है ढोला के मर्म की बातें मैं समझती हूँ '",panjabi-pan "मति करऽ राम वियोग मति करऽ राम वियोग सिया हो , मति करऽ राम वियोग । सुतल रहनी कंचन भवन में , सपना देखली अनमोल । सिया हो मति करऽ राम वियोग । अमृत फल के बाग उजरले राम लखन के दूत । सिया हो मति करऽ राम वियोग । पूरी अयोध्या से दोउ बालक अइले , एक सांवर एक गोर । सिया हो मति करऽ राम वियोग । बाग उजरले लंक जरवले , दिहले समुंदर बोर । सिया हो मति करऽ राम वियोग ।",bhojpuri-bho "231 तैनूं चाअ सी वडा वयाह वाला भला होया जे झब वहीजिए1 नी एथों निकल गईए भलयां दिनां वांगू अते सौहरे जा पतीजिए नी रंग रतीए वौहटिए खेडयां दिए कैदो लंगे दिए गुंड भतीजिए नी चुलियां पा पानी दुखां नाल पाली करमक2 सैदे दे मापयां बीजिए नी कासद3 हीर नूं आखया जायके ते खत चाक दा लिखया लीजिए नी",panjabi-pan "502 भाबी साहन तेरे मगर धुरो लगा हलयां होया कदीम दा मारदा नी तूं भी वहुटड़ी पुत सरदार दिए उस वी दुध पीता सरदार दा नी साहन बाग विच लटदा हो कमला हीर हीर ही नित पुकारदा नी तेरे नाल उह लाड पयार करदा होर किसे नूं मूल ना मारदा नी पर उह इलत बुरी हिलया ए पानी पींवदा तेरी नसार1 दा नी तूं झंग सयालां दी मोहनी ए तैनूं आन मिलया हिरन बार दा नी खास किसे दे वल न धयान करदा साखां2 तेरियां उह लताड़दा नी वारस शाह मियां सच झूठ विचों पुण कढदा अते नितारदा नी",panjabi-pan "17 तुसां छतरे मरद बना दिते सप रसियां दे करो डारीयो नी राजे भोज दे मुख लगाम दे के चढ़ दौड़ियां हो टूनेहारीयो नी कैरों पाडवां दी सभ गाल सुटी ज़रा गल दे नाल बुरियारीयो नी रावण लंका लुटायके गरक होया कारन तुसां दे ही हैंसियारीयो नी",panjabi-pan "बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो जई चोप्यो हो दसरथ दरबार सहेली ऐ आंबो मोरियो बड़ को गोड़ थरू थांबर हुई रयो वाकी डाली हो गई असमान सहेली ऐ आंबो मोरियो बड़ की डाली जो डाली हीरा जड़िया बड़ का पत्ता राज मोती रा लूम बड़ खे देखन रामलछमन आविया उनका सांते हो तैतीस करोड़ देवता बड़ खे देखन हो सीता माता आविया उनका सांते हो राधारूकमारी जोड़ बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो जई चोप्यो फलाणा राम दरबार बड़ देखण आई उनका भाईभतीजा री जोड़ बड़ देखण आई देराणीजेठाणी री जोड़",malvi-mup "मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी बिनती सुनो... मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . कष्ट निवारो संकट काटो , दुख टारो महरानी भवानी बिनती सुनो । बिनती सुनो . . . कितने भक्त हैं तारे तुमने , मोह तारो महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . ना हम जाने आरती पूजा , ना भक्ति महरानी भवानी । बिनती सुनो . . . कैसे तुम्हारे दरशन पाऊं , कैसे चरण दबाऊं महरानी । बिनती सुनो . . . अपनी शक्ति दिखाओ मैया , शरण तुम्हारे आऊँ भवानी । बिनती सुनो . . .",bundeli-bns "41 मुलां आखया नामाकूल1 जटा फरज कट के रात गुजार जाईं फजर होई तों अगों ही उठ एथों सिर कजके मसजदों निकल जाईं घर रब्ब दे मसजदां हुंदयां ने अजगैब2 दीयां हुजतां नांह उठाईं वारस शाह खुदा दे खानयां नूं एह मुलां भी चंबड़े ने बलाईं",panjabi-pan "मालू राजुला हैको गास छोड़े विरालीक1 तई । तीसरो गास छोड़े अगनी का नऊ । चौथो गास वो अफू भोरजन कर्द । छोड़ याले तब साई न माता को थाल , मालूशाही की माता झप2 अंगवाल3 मारदे । तू जोगी नी छई तू छई बेटा मेरो । किलै4 छोड़ी बेटा , सात राणी बौराणी ? किलै छोड़ी राजा अपणी रैत5 मैत ? नि छऊ माई मैं तेरो मालूशाही , न मेरी राणी छई न मेरो राज । मालूशाही माता दणमण6 रोन्दे : तू बोल न बोल बेटा , तू मेरो मालू छई । कनो7 निरमोही होई तु कै8 पापीन भरमाई9 । कंचन काया छै तेरी उजली आतमा , केक बेटा त्वैन यो राखो रमाई ? मैं नी छऊँ मेरी माता , तेरो जायो10 , मैं छऊं माता गुरू गोरख को चेलो । तब गाडे जोगीन बोकसाड़ी11 विद्या , वैई12 बगत13 मा वो अन्तर्ध्यान ह्वैगे छोड़ तब्री रंगीली वैराट , चली गए वो जलन्धर देस मा जलन्धर देस मा विषल्या का शैर14 । वै शैर मा रन्दी छई वा राणी विषल्या , जै राणी की छई विष की मगरी15 , ऊ मगरियों मा विष चारियूं छयो , जु तें पाणी पेंद छौं , विष खै मरी जांद छयो , मालशाही जोगी पौंछीगे दोफरी का धाम , विष की मगरी पाणी पीयाले । जोगी तई तब विष लगो गए ढली गये वो चन्दनसी गेंडो16 । राणी विसल्या तब पाणी भरण ऐगे , देखे वैन जोगी पड्यूं हात हात भर की जटा बेत17 बेत भर का नंग18 , पर मुखड़ी पर वैकी बाला19 सुरज की उद्यों20 छौं वीं स्वाणी21 सूरत भोली मूरत देखी , वीं दया ऐगे । लक22 लगाये वींन , विष गाडीयाले , जीतो23 होई गए मरयूं मालूशाही तनी24 जीती25 रयान सुणली26 सभाई । तब बोलदी विषल्या रौतेली तुम मेरा नाथ साई , मैं तुम्हारी जोगीणा । विसल्या मैं जाग जलन्धर देस , जब घर औलू त्व विवै ल्यौलू । रंगीली को राजा छऊँ , मैं रंगीली मालूशाही । तिन मेरा पराण बचाया , त्वै मैं विषल्या , भुलण्या नी विसरण्या । हे जी , तब जांदू मालूशाही जलन्धर देस मा , विघनी विजैपाल छा घट27 मू , तब मिली गैन विधनी विजैपाल । चार गारा मन्त्रीन साई न , देखा दूं तब तौंका घटा बन्द होई गैन , तब औंदन जोगी मू कये बिघनी विजैपाल , हे भायों , केव घट बन्द होइन ? हे भाई , तू छई मातमी28 जोगी , हमारा घट बन्ध्या गैन । तु कुछ तन्त्र जाणनी त हमारो कारज साधी ले । अहा , ई किसम को साधू हम नी मिलणो ? तब बोलदो जोगीहे विघनी विजैपाल , राजुला न व्यायान , तुमन मारीइ जाण । जोगी पौंछीगे तब राजुला का पास , राजुलीन देखे रूपवन्तो साई , कनू देखेन्द यो मालूशाही की तरौं । मालूशाही बोल्दराजुला रौतेली , तेरा नौं को जोगी छौ , तेरा रूप को भोगी । भौ29 कुछ होइ जान , मैन तू बेवैक ल्याणी । तेरा बाना30 छोड़ी राजुला रंगीली बैराट , तेरा बाना छोड़ी राजुला , राण्यों का भौन । तेरा बाना छोड़ें राजुला , माता की माया , तेरा बाना धरे जोगी को ध्यान । आई गैन तबारे विघनी विजैपाल , राजुला हमारी होली , तू जोगी कखन31 आयो ? विघनी विजैपाल छा बांका भड़ , ऊँ देखी पड़32 कम्पदा छा , डाल्यों33 का जड़ला34 । ऊँन तब जुद्ध शुरू करीयाले । मालूशाही होलो बोक्सा35 को चेला , कनी खोली वैन बगसाड़ी36 विद्या इना भैरव तब पैदा ह्वैन जौन विघनी विजैपालू का कलेजा कोरीकोरी खैन । एक नी ऊँन छोड़ीन विघनी विजैपाल , गाबा37 सी काटीक , निमो38 मी निचोड़ीन39 । तब प्रफूल ह्वैगे राजुला राणी , तुम होला स्वामी मेरा पूर्वला40 का सांगाती41 , मैं तुमारी छऊँ , तुम मेरा छतर42 । तब सिंगार करदी राजुला रंगीली , आँख्यों गाजल43 चढौंदी , माथा वेंदी भली गाड़दी44 स्यू45 द पाटी , फूलून सजैक । तब सजीगे वींको औला46 सरी47 डोला , नौरंग मालूशाही छौ दस रँगी राजुला । रंगीलो मालूशाही औंद रंगीली वैराट , रंगीली वैराट मा जै जै होंद",garhwali-gbm "बौ का हात भली रसाण बौ का हात भली रसाण मारी बाखरी , पूज्यो मसाण1 , बौका2 हात , भली रसाण3 सड़क फुंड बाखरा मेरा , ब्याखनदां4 जाण , बौ का डेरा बौ छ मेरी छोटी छौनक5 , बौ का बौंड6 , भली रौनक । उबा बणू बल हिंसरी गोंदा , छोटी बौ बडू छ फोंदा पल्यापताला7 वासी त कवा8 , बौ बणीगे , बजारी हवा । बौ च मेरी रिक पठोली9 , बौ की धोती कैन लटोली10 ?",garhwali-gbm "एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । काजर लगाउन एयँदे टिकली सजाउन काजर लगाउन एयँदे टिकली सजाउन बिछिया लगाउन एयँदे पयँरी बजाउन बिछिया लगाउन एयँदे पयँरी बजाउन भरे बजार में चिन्हुन मके तुइ भरे बजार में चिन्हुन मके तुइ मके चूड़ी ऽ ऽ मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । मँडई बुलायँदे तुके खाजा खवायँदे मँडई बुलायँदे तुके खाजा खवायँदे झुलना झुलाउन तुके सरकस दखायँदे झुलना झुलाउन तुके सरकस दखायँदे हात के तुचो धरुन सँग ने मयँ हात के तुचो धरुन सँग ने मयँ तुके चूड़ी ऽ ऽ तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । पान खवायँदे तुके चटनीचमन चो पान खवायँदे तुके चटनीचमन चो । गोदना गोदायँदे हाते मयँ तो तुचो नाव चो गोदना गोदायँदे हाते मयँ तो तुचो नाव चो । मया चो बाँसुरी बजाउन मयँ मया चो बाँसुरी बजाउन मयँ तुके चूड़ी ऽ ऽ तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । एसे एसे मँडई कोंडागाँव चो तुके चूड़ी पिंधायँदे मोचो नाव चो । एयँदे एयँदे मँडई कोंडागाँव चो मके चूड़ी पिंधासे तुचो नाव चो । ला ला ला ला ला ला ला ला ला हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ",chhattisgarhi-hne "प्रेमी पथिक चंदा आधा सरग1 पर थै2 सर्कणी बादल्यूँ मा , काँसी की सी थकुलि3 रड़नी खत्खली4 खूल्यूँ मा । निन्यारे5 थे निजन बण का नौवत्या गीत गाणी , शर्दे रातै शरदि लगणी , शीतली पौन पाणी । बस्ती धोरा6 कखि मि थइ नी गैर भी जंगली थौ , डालौं7 परथौ बथौं8 लगणू होंद सुँस्याटसी थौ । धुधू धूधू धुरकि पुरको धुर्कणूसी जनू थौ , नेडू औणू धमकि धमकी धम्कदो भारि स्यूँ थौ । हे हे बृन्दा गजब कनि ह्वै बज्र पड़नू सफा धो , 9 , तेरो निर्णै कुछ भित निह्वै दुख सबसे बड़ो यो । सच्ची सादी चतुर गहिरो सत्य संकल्प वाली , हिर्दै सौंपे मइ मु तिन जो ओ कनो कष्ट पाली । कदों कदों मनहिं मन मा याद बृन्दा कि सारी । देख्णो साम्णे बिसरि पड़गे स्यू कि भैंभी तवारी । क्या दौं जाणे डुकरि भागेगे शेर तो फाल10 काटी , नन्दू चल्लै फिरभि बणिगे एकदौ संग भाटी । मन्मा मुखैनी मुख मा मनै नी , तू पूरि कन्कै मइं बोलु त्वेम्बी , ताँचै त देवी सब बात मेरी , मन्मा टटोली तरखि छाणि ल्हे ली । जो कत्कली की खुद11 कल्वलीसी , लग्णी च वा बोलिहि नी सकेंदी । कथ्णा हि गौंक्रा करु पर्त ज्यू को , गुंडी त वा खोलिहि नी सकेंदी । गोरोसी मुख सुर्जकान्तमणिसी किर्णून थौ12 चस्कणू , जां की झूलन फुलवाडि परथौ पीलो उद्यो13 दम्कण । लम्बा लोलक दिप्प था कंदुड़14 का मोती जड्या झूलणा दर्पन सी गलवाड़ियों15 पर थमा दुद्वी बण्या सूझणा । थै बाँई नकदोड़ि मा चमकणो फूली सुहाणी कनी , हीरा की कणि ठोंठ मा यकतरैं तोता कि थामी जनी । छोटी लाल पिठाई की टुपुकि सी बेंदी थई भालकी , सोना का जनि जंत्र या सजदि थै टीकी धरीं लालकी । जाँखे थे मृग बालि बीसि रिगणी16 पाणी न गैथै मर्ये , हब्रे17 सूरज देखणी हबरि18 वा थै सोचणी प्राण मा , कीदौ उभ्र गर्जन का च किचदौं ब्रह्माण्ड का ध्यान मा । दुद्वी चूड़ि बरीक हाथु पर थै सोना कि सादी कनी , लच्छे रेशम की मृणालु पर छै फूलू पिछाड़ी जनी । बायाँ हाथ की अंगुली पर छई भिन्ना भई मुंदरी , खोद्यूँ थौ नउँ हिन्दि मा टकटकी वृन्दावती सुंदरी । दैणा हाथ न चौंठि मा कलम की मुख्ड़ी छुआई उड़ैं , बायाँ हाथ न दाबि कागज धर्यू अर्दोन धारी फुडैं । कूर्ती पैरियूं आसमानि अलगीं छाती तई दीखणी , देची ही जनि दिव्य मन्दिर बिटे संसार पलींखणी । पोंछे सूरज धार19 का पिछनई बृन्दा खड़ीकीखड़ी , देख्दी सामणि म्वाँ फंडो नजर तो फुंल्वाड़ि दी परपडी । को दौं यो , कनु धूर्त बैठिक तई पुछ्याँ ही बिना , मनमा सोचदि ह्वैक तैं पिरपिरी20 यो चोर होलो किना ।",garhwali-gbm "आल्हा ऊदल निकलल पलटन लहरा के बाबू मेघ झरा झर लाग झाड़ बरुदन के लड़वैया साढ़े साठ लाख असवार चलल जे पलटन है लहरा के सिब मंदिर के लेल तकाय बावन दुआरी के सिब मंदिर बावनों पर तोप देल धरवाय रुदल रुदल घिराइल सिव मंदिर माँ जरल करेजा है रुदल के घोड़ा पर फाँद भेल असवार ताल जो मारे सिब मंदिर में बावनों मंदिर बिरल भहराय बोलल राजा लहरा सिंह रुदल कहना मानव हमार डेरा फेर दव अब एजनी से तोहर महाकाल कट जाय नाहिं मानल बघ रुदल बाबू सूनीं धरम के बात बातन बातन में झगड़ा भैल बातन बढ़ल राड़ बातक झगड़ा अब के मेटे झड़ चले लागत तरवार तड़तड़ तड़तड़ लेगा बोले जिन्ह के खटर खटर तरवार सनसन सनसन गोली उड़ गैल दुइ दल कान दिलह नाहिं जाय झाड़ बरुदन के लड़वैया सै साठ गिरल असवार जैसे बढ़इ बन के कतरे तैसे कूदि काटत बाय आधा गंगा जल बहि गैल आधा बहल रकत के धार ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार ढलिया बहि बहि कछुआ होय गैल तरुअरिया भैल धरियार छूरि कटारी सिंधरी होय गैल धै धै तिलंगा खाय नब्बे हजारन के पलटन में दसे तिलंगा बाँचल बाय",bhojpuri-bho "आल्हा ऊदल जन जा रुदल नैना गढ़ में बबुआ कहना मान हमार प्रतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बर के भैल अँगार हाथ जोड़ के रुदल बोलल भेया सुनी बात हमार कादर भैया तूँ कदरैलव् तोहरो हरि गैल ग्यान तोहार धिरिक तोहरा जिनगी के जग में डूब गैल तरवार जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में अम्बा जोर चली तरवार टूबर देहिया तूँ मत देखव् झिलमिल गात हमार जेहि दिन जाइब नैना गढ़ में दिन रात चली तरवार एतना बोली आल्हा सुन गैल आल्हा बड़ मोहित होय जाय हाथ जोड़ के आल्हा बोलल बाबू सुनव् रुदल बबुआन केत्त मनौलों बघ रुदल के बाबू कहा नव् मनलव् मोर लरिका रहल ता बर जोरी माने छेला कहा नव् माने मोर जे मन माने बघ रुदल से मन मानल करव् बनाय एतना बोली रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय दे धिरकारीरुदल बोलल भैया सुनीं गरीब नेवाज डूब ना मूइलव् तूँ बड़ भाइ तोहरा जीअल के धिरकार बाइ जनमतव् तूँ चतरा घर बबुआ नित उठ कुटतव् चाम जात हमार रजपूतन के जल में जीबन है दिन चार चार दिन के जिनगानी फिर अँधारी रात दैब रुसिहें जिब लिहें आगे का करिहें भगवान जे किछु लिखज नरायन बिध के लिखल मेंट नाहिं जाय",bhojpuri-bho "नीकल चले दो भाई रे बन को नीकल चले दो भाई रे बन को १ अभी म्हारा आगणा म राम हो रमता , रमताँ जोगी की लार माता कोशल्याँ ढुढ़ण चली अन खोज खबर नही आई रे . . . बन को . . . २ आगे आगे राम चलत है , पिछे लक्ष्मण भाई जिनके बीच मे चले हो जानकी अन शोभा वरनी न जाई रे . . . बन को . . . ३ राम बिना म्हारो रामदल सुनो , लक्ष्मण बीना ठकूराई सीता बीना म्हारी सुनी रसवाई अन कुण कर चतुराई रे . . . बन को . . . ४ हारे श्रावण गरजे , न भादव बरसे , पवन चले पुरवाई कोण झाड़ निच भीजता होयगँ राम लखन सीता माई रे . . . बन को . . . ५ भीतर रोवे माता कोशल्या , बाहेर भारत भाई राजा दशरथ ने प्राण तज्यो हैं अन कैकई रई पछताई रे . . . बन को . . . ६ हारे गंगा किनारे मगन भया रे , आसण दियो लगाई तुलसीदास आशा रघुवर की अन मड़ीयाँ रहि बन्दवाई रे . . . बन को . . .",nimadi-noe "भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का बात बनायो भोला भोला का दारु पिलायो ओर समदी काये रोजेना आयो गल्ला नापियो पाइ से नापियो खोटी में रखियो पैसा गिनाया ताली में गिनायो पेटी में रखियो भोला भोला का बात बनायो भोला का सगाई जुड़ायो ओ समदी काये रासेना आयो स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर, हम राजा दसरथ हे चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर , हम राजा दसरथ हे । डगरिन , मोर घर अयलन भगमान , भेलन1 नंदलाल2 मोरा हे ॥ 1 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहुँ न पयलन3 हे । राजा लेइ आहु डोलिया कहार , बुलइत4 नहीं जायम5 हे ॥ 2 ॥ एतना सुनइते राजा दसरथ , डोलिया फनावल6 हे । डगरिन चढ़ि चलूँ मोर महलिया , बालक नहबावहु7 हे ॥ 3 ॥ हम लेबो हँथिया से घोड़वा अउरी गजमोतीए8 हे । तमकि के बोलहकइ9 डगरिन , तबे नहबायब हे ॥ 4 ॥ एतना सुनत राजा दशरथ , डगरिन अरज करे हे । डगरिन ले लेहु सहन10 भंडार , बालक नहबावहु हे ॥ 5 ॥ धन धन धन राजा दसरथ , धन कौसीला माता हे । ललना , धन धन डगरिन भाग , ले राम नेहबावल हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "लेहऽ दुलरइता भइया कँधवा कोदरिया लेहऽ1 दुलरइता भइया कँधवा2 कोदरिया3 । परबत से जड़ी ला देहु भइया ॥ 1 ॥ तोड़िए काटिए4 भइया बाँहलन मोटरिया । लऽ न दुलरइतिन बहिनी जोग के जड़िया ॥ 2 ॥ पिसिए कुटिए5 बहिनी भरल कटोरिया । पीअऽ न दुलरइता दुलहा जोग के जड़िया ॥ 3 ॥ हमें न पीबो सुघइ6 जोग के जड़िया । हम भागी जायबो बाबा के पासे ॥ 4 ॥",magahi-mag "सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला , रेशम लम्बी डोर हो , झालरियो । । रनुबाई गंगा भरिया , जमुना भरिया , जाय कवेरी झकोळ हों , झालरियो । । बेटी म्हारी , पहिलाज आणऽ ससराजी आया , काळो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , दूसराज आणो जेठजी आया , धौळो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , तीसराज आणो देवरजी आया , छैल बछेरी लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबकी आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , चवथाज आणो धणियेरजी आया , हँसलो घोड़ो लाया हो , झालरियो । । पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो , हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो , झालरियो । । बेटा म्हारी , ससरो भी फिरी गयो , जेठ भी फिर गयो , देवर भी फिरी गयो । हाड़ा राव को कुँवर कन्हैयो । । ओ नी पाछऽ फिरऽ हो , झालरियो । । पिताजी जळ जमुना को काळो पाणी , देखी नऽ डर लागऽ हो , झालरियो । । बेटी म्हारी , नाव लगावसे , डोंग्या चलावसे , पार उतारी लई जासे हो , झालरियो । । पिताजी चैतबैसाख की घाम पड़ऽ नऽ , म्हारी कड़ी को बाळो कोम्हलासे हो , झालरियो । । बेटी म्हारी छतरी लगावसे , तम्बू तणावसे , छावळऽ छावलऽ लई जासे हो , झालरियो । ।",nimadi-noe "568 रांझा आखदा जाह की वेखनी ए बुरा मौत थीं इह विजोग है नी पए धाड़वी लुट लै चले मैंनूं इह दुख की जानदा लोग है नी मिली रांझे नूं हीर ते सवाह मैंनूं तेरे नाम दा असां नं रोग है नी बुकल लेफ दी जफियां वहुटियां दियां एह रुत सयाल दा भोग है नी शौकन रंन गवांढ कपतयां दा भले मरद दे बाब1 दा रोग है नी खुशी किव होवन मरद फुल वांगूं घरी जिन्हां दे नित दा सोग है नी तिन्हां विच जहान की मजा पाया गल जिन्हां दे रेशटा2 जोग है नी जेहड़ा बिनां खुराक दे करे कुशती ओस मरद नूं जानिए फोग है नी आसमान ढह पवे ते नहीं मरदे बाकी जिन्हां जहान ते चोग है नी कूंज कां नूं मिले ते शोर पैंदा वारस शाह एह धुरों संजोग है नी",panjabi-pan "सोहर साभार : सिद्धार्थ सिंह चलो चली सखिया सहेलिया त हिलि मिलि सब चली हो सखी जमुना का निर्मल नीर कलस भरि लाई हो कोउ सखी हाथ मुख धोवें त कोउ सखी घैला बोरै हो अरे जसुदा जी ठाढ़ी ओनावै कन्हैया कतौ रोवें हो घैला त धरिन घिनूची पर गेडुरी तखत पर हो जसुदा झपटि के चढ़ी महलिया कन्हैया कहाँ रोवै हो चलो चली सखिया सहेलिया त हिलि मिलि सब चली हो सखी जसुदा के बिछुड़े कन्हैया उन्हें समुझैबे हो कई लियो तेलवा फुलेलवा आँखिन केरा कजरा हो जसुदा कई लियो सोरहो सिंगार कन्हैया जानो नहीं भये हो नीर बहे दूनो नैन दुनहु थन दूधा बहे हो सखी भीजै चुनरिया का टोक मैं कैसे जानू नहीं भये हो",awadhi-awa "अरे सायबा खेलणऽ गई गनागौर अरे सायबा खेलणऽ गई गनागौर , अबोलो क्यों लियो जी महाराज । । अरे सायबा , अबोलो देवरजेठ , सायबजी सी ना , रहवा जी महाराज । । अरे सायबा , पड़ी गेई रेशम गांठ , टूटऽ रे पण ना छूटऽ जी महाराज । । अरे सायबा , खाटो दूा अरू दही , फाट्यो रे मन ना जुड़ जी महाराज । । अरे सायबा , खेलणऽ गई गनागौर , अबोलो क्यों लियो जी महाराज । ।",nimadi-noe "विवाह -गीत - घुमची बरन मै सुन्नर घुमची बरन मै सुन्नर बाबा मुनरी बरन करिहांव हमरे बरन बर ढुंढयो मेरे बाबा तब मोरा रचहू बियाह इहड़ खोज्यो बेटी बीहड़ खोज्यो , खोज्यों मै देस सरिवार तोहरे जोगे बेटी बर कतहूँ न पायों अब बेटी रह्हू कुवाँरि इहड़ खोज्यो बाबा बीहड़ खोज्यो , खोज्यों तू देस सरिवार चार परगिया पै नग्र अयोध्या दुइ बर राम कुवाँर उहे बर माँगै बेटी अन धन सोनवा बारह बरद धेनू गाय उहे बर माँगै बेटी नव लाख दायज हथिनी दुवारे कै चार नहीं देबो मोरे बाबा अन धन सोनवा बारह बरद धेनू गाय नहीं देबो मोरे बाबा नव लाख दायज तब बर हेरौ हरवाह",awadhi-awa "मैया के भुवन अरे हा अखण्डी ज्योति जरे मैंया के भुवन अरे हां , अखण्डी ज्योति जरे । काहे के दीया काहे के बाती काहे के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सोने की दीया कपूर की बाती , सोने के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . कौना मंदिर में जोत जरावे , कौना कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सीता सुहागन जोत जरावें , राम जी कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . . सब वेदन मे तोरो जस गावे अखण्डी ज्योति जरे । मैंया . . .",bundeli-bns "आल्हा ऊदल कौड़ी लागे फुलवारी के मोर कोड़ी दे चुकाय तब ललकारे डेबा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं हम तो राजा लोहगाँ के दुनियाँ सिंघ नाम हमार नेंवता ऐली समदेवा के उन्ह के नेंतवा पुरावन आय एतनी बोली जब सुन गैले लौंड़ी के भैल अँगार करे हिनाइ बघ रुदल के सेरहा चाकर पर मालिक के रुदल रोटी बिरानी खाय कत बड़ सोखी बघ रुदल के जे सोनवा से करे खाय बियाह जरल करेजा है बघ रुदल के तरवा से बरे अँगार लौंड़ी हो के अतर दे अब का सोखी रहा हमार छड़पल राजा है बघ रुदल लौंड़ी कन पहुँचल जाय पकड़ल पहुँचा लौंड़ी के धरती में देल गिराय अँचरा फाड़े जब लौंड़ी के जिन्ह के बंद तोड़े अनमोल हुरमत लूटे ओहि लौंड़ी के लौंड़ी रामराम चिचियाय भागल लौंड़ी हैं सोनवा के फुलवारी से गैल पराय बठली सोनवा सिब मंदिर में जहवाँ लौंड़ी गैल बनाय बोले सोनवा लौंड़ी से लौंड़ी के बलि जाओं केह से मिलल अब तूँ रहलू एतना देरी कैलू बनाय तब ललकारे लौंड़ी बोलल रानी सोनवा के बलि जाओ देवर आइल तोर बघ रुदल फुलवारी में जुमल बनाय जिव ना बाँचल लौंड़ी के सोनवा , जान बचावव हमार",bhojpuri-bho "खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा वरपक्ष की ओर से खोली देवा खोली देवा , ए दौड़ पड़दा1 देखू मैं कन्या को रूप । कन्या पक्ष का उत्तर हमारी कन्या छ गौरी स्वरूप , तुमारो बन्दड़ा श्याम स्वरूप । केन होय केन होय श्याम स्वरूप , बन्दड़ा पर लगे जेठ की धूप । वरपक्ष की ओर से खोली देवा खोली देवा , ए दौड़ पड़दा , देखूँ मैं कन्या को रूप । कन्या पक्ष का उत्तर हमारी कन्या छ सावित्री स्वरूप , तुमारो बन्दड़ा , चमार सी कालो । बन्दड़ा पर लगे , जेठ की धूप ।",garhwali-gbm "भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला उनी सुतारण ले लाव ललकार हातां री झालो देती आवे रे गुड़ री गूजरी भेरू जी जो तम कलस्या रा सावला उनी कुमारण से लाव ललकार भेरूजी जो तम तेलसिंदूर सावला उनी तेलण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम नायका रा सावला उनी कंठालण ले लाव ललकार भेरूजी जोतम मेवा रा सावला उनी मालण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम बीड़ा रा सावला उनी तंवोलण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम घुघरा रा सावला उनी सुनारण खे लाव ललकार भेरूजी जो तम घीखिचड़ा रा सावला उनी कलालण खे लाव ललकार भेयजी जो तम घीखिचड़ा रा सावला उनी बऊ खे लाव ललकार भेरूजी जो तक भेंट का सावला तो तम उना सेवक ले लाव ललकार भेरूजी जो तम आरती का सावला तो तम उनी कुंवासी खे लाव ललकार",malvi-mup "बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी तेरे बाबा की ऊंची हवेली बन्ना जी तेरे बाबल की ऊंची हवेली बन्ना जी मैं तो चढ़ती चढ़ती आई बन्ना जी मैं तो राज घर सै आई बन्ना जी तेरी दादी बड़ी लड़ाकी तेरी अम्मा का तेज मिजाज बन्ना जी मैं तो डरती डरती आई",haryanvi-bgc "इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं तूं किस कारण आए प्यारे बन्दड़े इसी गर्मी मैं असी सर्दी मैं तुम किस कारण आए प्यारे बन्दड़े इसी थलियां मैं इसे टीब्यां मैं हम थारे कारण आए प्यारी बन्दड़ी इसी गर्मी मैं इसी सर्दी मैं हम थारे कारण आए बन्दड़ी जनेती ले ब्याईयो म्हारे घर आईयो पिरस्यां मैं आण बठाईयो प्यारे बन्दड़े बाजा ले ल्याईयो म्हारे घर आईयो गालां मैं आण बजवाईयो प्यारे बन्दड़े गहणा तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्दड़ी ने आण पहराईयो प्यारे बन्दड़े महन्दी तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्नी के हाथ रचाईयो प्यारे बन्दड़े चोरी तै ल्याईयो म्हारे घर आईयो बन्दड़ी का सीस गुंदाईयो प्यारे बन्दड़े रात अन्धेरडी या बन्दड़ी कामनगैरी तुम पाच्छै घोड़ा राखो प्यारे बन्दड़े नदी का किनारा यो जोबन का सै जोड़ा तुम कस कै पौंचा पकड़ो प्यारे बन्दड़े",haryanvi-bgc "162 भाइयां भाबियां चा जवाब दिता मैंनूं वतनथीं चा त्राहयो जे भूएं खोह के बाप दा लया विरसा मैंनूं अपने गलों चा लाहयो जे मैंनूं मार के बोलियां भाबियां ने कोई सच दा कौल निभायो जे मैंनूं दे जवाब चा कढयो जे हल जोड़ क्यारड़ा वाहयो जे रत्न रन्न खसमां मैंनूं ठिठ कीता मेरे अरश दा किंगरा1 ढाहयो जे नित बोलियां मारदियां जाह सयालों मेरा कढना देश थीं चाहयो जे असीं हीर सयाल दे चाक लगे जटी मेहर दे नाल दिल फाहयो2 जे हुण चिठियां लिख के घलियां जे जदों खेतरी दा राखा चाहयो जे वारस शाह समझा जटेटियां नूं साडे नाल केहा मथा डाहयो जे",panjabi-pan "आँगन में बतासे लुटा दूँगी, आँगन में आँगन में बतासे लुटा दूँगी , आँगन में । सासु जी अइहें , चरुआ1 चढ़इहें । 2 भला उनको चुनरिया पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 1 ॥ चरुआ चढ़ावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे चुनरिया छिना लूँगी , आँगन में ॥ 2 ॥ गोतिनी जे अइहें , पलँग बिछइहें । भला उनको तिलरिया3 पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 3 ॥ पलँगा बिछावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे तिलरिया छिना लूँगी , आँगन में ॥ 4 ॥ ननद जो अइहें , आँख लगइहें4 । भला उनको कँगनवाँ पेन्हा दूँगी , आँगन में ॥ 5 ॥ आँख लगावे में कसरमसर करिहें । भला उनसे कँगनवाँ छिना लूँगी , आँगन में ॥ 6 ॥",magahi-mag "कहमा ते बहैये मैया कमलेसरी हे कहमा ते बहैये मैया कमलेसरी हे हे कमला बहै छै बलान । कहमा मैया बहै कोसीधार । । अलापुर बहै मैया , मैया कमलेसरी हे तिरहुत बहै छै मैया बलान मैया धरमपुर बहै छै कोसीधार हे । किअ दय समदव मैया मैया कमलेसरी हे , मैया हे किय दय समदव बलान हे । पानफूल दयसमदव मैया मैया कमलेसरी हे मैया हे परवा दय समदव बलान हे । पाठी दय समदव मैया , कोसीधार हे मैया हे पाठी दय ।",angika-anp "90 कैदो आखदा थी वयाह मलकी दोहाई रब्ब दी मन्न लै डायने नी इके मारके वढ के करीं बेरे1 मुंह भन्न सु चुआयने नाल सायने नी वेख वेख धीउ दा लाड की दंद कढें अंत झूरसैं रन्ने कसायने नी इके बन्न के भोरे चा घतीं लिंब वांग भडोले दे आयने नी गुस्से नाल मलकी तप लाल पई झब दौड़ तू मिठिये नायने नी सद लया तूं हीर नूं ढूंढ़ के ते तैनूं मां सदेंदिये है डायने नी खड़ दुंबीये मनिये भेड़िये नी मुशटंडिये बार दीये डायने नी वारस शाह वांगूं किते डुब मोईये घर आ सयापे दिये नायने नी",panjabi-pan "खिल रहा चान्द लटक रहे तारे खिल रहा चान्द लटक रहे तारे चल चन्दरावल पाणी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी सासड़ की जाई मेरी ननद हठीली रात ने खंदा दई पाणी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी उरले घाट मेरा घड़ा न डूबे परले किसन मुरारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी क्यांहे की तिरी ईंढली गुजरिया प्यारी क्यांहे की जल झारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी अन्दन चंदन की ईंढली कन्हैया प्यारे सोने की जल झारी कैसे भर लाऊं जमना जल झारी",haryanvi-bgc "आरी के हेंठे-हेंठे लगि गेल फुलवारी आरी1 के हेंठेहेंठे2 लगि गेल फुलवारी । कान्हर3 बछरू चरावल हे ॥ 1 ॥ फेरू फेरू4 अहो कान्हर , अपनी बछरुआ । चरि जएतन5 घनी फुलवारी हे । येली6 चरि जइहें , बेली7 चरि जइहें , चंपा ममोरले8 डाढ़ हे ॥ 2 ॥ काहे से9 गाँयब10 हो कान्हर फल के मउरिया11 । काहे से गाँथब हो कान्हर चंपाकली हरवा । दुलहा दुलहिन चौका चलि बइठल , बाम्हन वेद उचारल हे ॥ 3 ॥ हँसि हँसि पूछल दुलहा कवन दुलहा । कउने हथुन12 बाबू तोहार हे , कउने हथुन अम्मा तोहार हे ॥ 4 ॥ जिनका डँरवा13 में पिअरी14 धोतिया सोभे , ओहे15 हथि बाबूजी हमार हे । जेकर हँथवा में सोने के कँगना सोभे , ओही हथि अम्मा हमार हे ॥ 5 ॥ कामर16 ओढ़न , कामर डाँसन17 ओहि हथिन चच्चा हमार हे । जिनकाहि सोभे परभु लहरापटोरवा , ओहि हथिन चाची हमार हे ॥ 6 ॥ धीरे से अइहें गंभीरे चुमइहें18 ओही हथिन बहिनी हमार हे । जिनका मुँहवाँ में लहालही19 बिरवा20 ओहि हथिन भइया हमार हे ॥ 7 ॥ अइंठलिजोइंठलि21 ओठ ममोरलि22 ओहि हथिन भउजी हमार हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "224 गई उमर ते वकत फिर नहीं मुड़दे गए करम ते भाग न आवंदे ने गई गल जबान थीं नहीं मुड़दी गए रूह कलबूत1 ना आंवदे ने गई जान जहान थीं छड जुसा कई होर सयाने फरमांवदे ने मुड़ एतने फेर जे आंवदे ने रांझे यार होरी मुड़ आंवदे ने अगे वाहियों चा गवायो ने हुन इशक थीं चा गवांवदे ने रांझे यार होरां एह थाप छडी किते जा के कन्न पड़वांवदे ने इके अपनी जिंद गवाउंदे ने इके हीर जटी बन्न लयांवदेने वेखो जट हुण फंद चलांवदे ने बन चेलड़े घोन हो आंवदे ने वारस शाह मियां सानूं कौन सदे भाई भाबियां हुनर चलांवदे ने",panjabi-pan "आरे ओ, ओरे सुजन नाइया (भाटियाली) आरे ओ , ओरे सुजन नाइया कोन वा देशे याओ रे तुमि , सोनार तरी बाइया । । कोन वा देशे बाड़ी तोमार , कोन वा देशे याओ । । एइ घाटे लगाइया नाओ , आमार लइया याओ । । सोनार तरी , रंगेर बादाम , दिवाछ उड़ाइया । पुबाली बातासे बादाम उड़े रइया रइया । । रंग देखिया एइ अभागी कान्दे घाटे बइया । सोतेर टाने कलसी आमार गेल रे भसिया । । आइस आइस सुजन नाइया , कलसी देओ धरिया । । कि धन लइया याइब घरे , शून्य आमार हिया । ।",bengali-ben "सोने का सरोता, बताओ धनराणी सोने का सरोता , बताओ धनराणी सोने का सरोता , रूपा की डांडी कतरकतर बिड़ला , चाबो धनराणी पेलो मास जो लागियो , आल भोले मन जाए ।",malvi-mup "ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री जब री सासू मेरी पीसन ने खन्दावे बाबुल की पनचक्की मोहे याद बड़ी आवे री जब री जेठाणी मोहे रोटी ने खन्दावे बाबुल की बाह्मनिया मोहे याद बड़ी आवे री जब री ननद मोहे पाणी ने खन्दावे बाबुल की झीमरिया मोहे याद बड़ी आवे री ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री",haryanvi-bgc "कान्हा बरसाने में आय जैयो कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी , बुलाय गई राधा प्यारी . . . . . . . कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा माखन मिश्री खाय जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा बरसाने में आए जैयो , बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी , बुलाय गई राधा प्यारी . . . . . . .",braj-bra "जगमग राज रा भोजा जगमग राज रा भोजा जगमग राज री मेंदी जगमग राज री पेरण री चतराई हो ऐसा म्हारा राज जमई जी , सासरिया में सोवे जी सासरिया में सोपे जमई जी , सासू लाड़ लड़ावे जी जगमग राज रा जामा , ने जगमग राज री केसर जगमग राज री पेरण री चतराई जी जगमग राज राकड़ा , जगमग राज री पोंची जगमग राज री कंठी , जगमग राज री डोरा जगमग राज रा मोती , जगमग राज री चूनी जगमग राज री पेरण री चतराई हो",malvi-mup "66 नाल नढियां घिन्न के चरखड़े नूं तुसां बैठणा विच भंडार हीरे असीं आणके रूलांगे विच वेहड़े साडी कोई न लएगा सार हीरे टिकी देके वेहड़ियों कढ छडें सानूं ठग के मूल न मार हीरे साडे नाल जे औड़ निबाहुणी ए सच्चा देह खा कौल इकरार हीरे",panjabi-pan "पहिलो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च कुमारी पहिलो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च कुमारी , दूजो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च माँ की दुलारी । तीजो फेरो फेरे लाड़ी , कन्या च भायों की लड्याली , चौथो फेरो फेरे लाड़ी , मैत1 छोड़याली । पाँचों फेरो फेरे लाड़ी , सैसर2 की च त्यारी , छठो फेरो फेरे लाड़ी , सासु की च ब्वारी3 , सातों फेरो फेरे लाड़ी , कन्या ह्वे चुके तुमारी ।",garhwali-gbm "पिया लै दो हमें हरियल सारी पिया लै दो हमें हरियल सारी , पलका पै मचल रई हैं प्यारी सूत महीन , झीन ना हौवै , बड़ी मुलाम तरज बारी । छोरन मोर पपीरा राजें , जरद कोर की जरतारी । बीचन बीच बेल बूटन सें भरी होय कछु फुलवारी । कहत ईसुरी सुनलो प्यारी , भोर भगा है सुकमारी ।",bundeli-bns "आज भई मोरे मन की, सुनो सैंया आज भई मोरे मन की , सुनो सैंया सासो न आवे हमारो का बिगरे , चरुजा चढ़ाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठके पिया चूल्हा जलइयो , हम चरुआ धर लैहें , सुनो सैंया । आज . . . जिठनी न आवे हमारो का बिगरे , लड्डू बंधाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठ के पिया मेवा ले अइयो , हम लड्डू बांध लैहें , सुनो सैंया । आज . . . ननदी न आवें हमारो का बिगरे , संतिया धराई बच जैहें , सुनो । सैंया . . . तुम उठके पिया गोबर ले आइयो , हम संतिया धर लैहें , सुनो सैंया । आज . . . पड़ोसन न आवे हमारो का बिगरे , सोहर गबाई बच जैहें , सुनो सैंया । आज . . . तुम उठके पिया ढोलक बजइयो , हम सोहर गा लैहें , सुनो सैंया । आज . . .",bundeli-bns "अरे रे काला भँवरवा, तू नेवति ला नैहर मोरा हे अरे रे काला भँवरवा1 तू नेवति ला2 नैहर मोरा हे ॥ 1 ॥ किये ले3 नेवतबइ नैहरवा , किये ले ससुर लोग हे । लौंग4 लेइ नेवतिहे नैहरवा , कसइली5 ले ससुर लोग हे ॥ 2 ॥ कहँवा से औतइ6 महरिआ7 कहाँ से बीरन भइया हे । पूरब से औतइ महरिआ , पछिम से बीरन भइया हे ॥ 3 ॥ कहँवा उतरबइ8 महरिआ , कहँवे बीरन भइया हे । कड़वे उतरबइ महरिआ , अँचरे9 बीरन भइया हे ॥ 4 ॥ किये किये10 खयतइ बोझियवा11 दूध खाँड़ बीरन भइया हे ॥ 5 ॥ किये दे12 समाधबइ13 बोझियवा , त किये दे बीरन भइया हे । दान दे समधबइ14 बोझियवा , त चढ़न के घोड़वा बीरन भइया हे । हँसइत जयतइ15 बोझियवा , कुरचइत16 बीरन भइया हे ॥ 6 ॥ खोली देहु बहिनी गुदरिया17 त , तू पेन्हिलऽ चुनरी मोरा हे । छोड़ी देहु मन के कुरोध18 तू भइया से मिलन करू हे ॥ 7 ॥",magahi-mag "चलो मन बँसरी बजावे चलो मन बँसरी बजावे जिहाँ मोहना रे , राधा रानी नाचे ठुमा–ठुम रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना जमुना के खड़ मे कदम के बिरखा , नाचथे मँजुरा अव फुदकथे मिरगा , खेतले कछार जिहाँ बोलथे पपीहरा रे , कलपथे हाबे पाना फुल । रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना । रूनझुन घुनझुन जिँहा कदम के छईहाँ , नाचथे गुवालिन जिँहा जोरे जोरे बईँहा झाँझ मजिँरा जिँहा झमके झमाझम रे , घुँघरू सुनाथे छुनाछुन ॥ रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना कलकल छल छल , छलकथे जमुना , झनन झनन झनके तारा अव तमुरा । महर महर बन म मन लेय लहरा ले , भँवरा गुँजावे गुनागुन रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ चलो मन बँसरी बजावे जिहाँ मोहना रे , राधा रानी नाचे ठुमा–ठुम रास रचावे जिँहा गोकुल गुवाला रे , मृदँग बाजे धुमाधुम , मोर सुवा न मृदँग बाजे धुमाधुम ॥ तरी हरी नहा नरी नना मोर सुवा न , तरी हरी नहा नरी नना",chhattisgarhi-hne "144 कुड़ियां सद के पैचों ने पुछ कीती लंगा कासनूं ढाह के मारया जे बाझ ऐवें तकसीर1 गुनाह लुटया इके कोई गुनाह नितारया जे हाल हाल करदा परे विच बैठा एडा कहर ते खून गुजारया जे झुगी साड़ के मार के भन्न भांडे एस फकर नूं मार उजाड़या जे कहो कौन तकसीर फकीर अंदर फड़े चोर वांगूं ढांह मारया जे वारस शाह मियां पुछे छोहरियां नूं अग लाए फकीर कयों साड़या जे",panjabi-pan "आइये बहुअड़ इस घरां आइये बहुअड़ इस घरां तेरी सासड़ आई सुसर घरां आइये बहुअड़ इस घरां तेरी जिठाणी आई जेठ घरां",haryanvi-bgc "हरी हरी गोबर घोलती हरी हरी गोबर घोलती गज मोती चौक पुरावो कुम्भकलश अमृत भरियाजी जानूं मोरित आज आवो म्हारा रामचंद आवजो जाकी जोती थी वाट ऊँची अटारी रगमगी दिवलो जले रे उजास खेलामारूणी खेले सोगटा खोलो मनड़ा री बात आबो म्हारा रामचंद आवजो जेकी जोती थी वाट लीली दरियाई को घाघरों साड़ी रंग सुरंग अंगिया पहने कटावकी जी बंदा खोलो सुजान छींकत घोड़ीला जीण कस्या बरजत हुवा असवार राय आंगण बिच धन खड़ी पीवू खड़ाजी , जीवो छींकन हार ।",malvi-mup "एकली घेरी बन में आन स्याम एकली घेरी बन में आन स्याम तेने या के ठानी रे स्याम मोहे बिन्दराबन जानो लौट के बरसाने आनो जे मोहे होवे अबेर लरैं देवरानी जेठानी रे एकली घेरी बन . . . दान दधि को देजा मेरो कंस के खसम लगे तेरो मारूं कंस मिटाऊं बंस ना छोडूँ निसानी रे एकली घेरी बन . . . दान मैं कभी न दूँगी रे कंस ते जाय कहूंगी रे आज तलक या ब्रज में कोई भयो न दानी रे एकली घेरी बन . . .",haryanvi-bgc "वे इशका मारिआ ई रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक हुराँ दे वधे अडम्बर । इशक ना छुड्डदा पीर पैगम्बर । इशक ना छुपदा बाहर अन्दर । इशक कमाया शरफ कलन्दर । बाराँ बरस पाणी विच्च ठारीआँ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । आदम कणकों मनाँ कराएओ । पिच्छे चा शैतान दौडाएओ । कल्ल बैहश्तों जिमीं रूलाएओ । भला पसार पसरेआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मूसा नूँ कोह तूर1 पठाएओ । इसराईल नूँ ज़िब्हा2 कराएओ । यूनस मच्छली तों निगलाएओ । की ओहनाँ नूँ रूतबा चाढ़िआ ई ? रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मनसूर नूँ चा सूल दित्ता । राहब दा कढवाएओ पित्ता । सरमद दा की औगुण डिा ? फेर ओहनाँ कम्म की सारिआ ई ? रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । यूसफ नूँ विच्च खूहे पायो । भाइआँ नूँ इल्ज़ाम दिवायो । ख्वाब जुलेखाँ नूँ दिखलायो । फिर उस नूँ तख्त चाढ़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । फरऊन ने खुदा कहाया । ईसा नाल अशतंड3 जगाया । नील नदी विच्च ओह डुबाया । खुदीओं कर तुध मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । नमरूद4 ने वी खुदा कहाया । जिस ते रब्ब ने तीर चलाया । मच्छर तों उसनूँ मरवाया । कारूँ जिमीं निघराया ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । आपे चा अमाम बणाया । उसदे नाल यज़ीद5 लड़ाया । चौधीं तबकीं शोर मचाया । सिर नेजे ते चाढ़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । फौजाँ मेल मंगाईआँ भाइआँ । मुशकाँ चूहिआँ तों टुकवाइआँ । डिट्ठी कुदरत तेरी साइआँ । मैं सिर तेरे तो वारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । लंका चढ़ के नाद बजायो । लंका राम कोलों लुटवायो । हरनाकश कित्हा बैहशत बणायो । ओह विच्च दरवाजे मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । दित्ता दहसिर लई बेचारी । तद हनूँवंत ने लंका साड़ी । रावण दी सभ चा अटारी । ओड़क रावण मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । कैरो पांडों करन लड़ाइआँ । उठाराँ खूहणिआँ तदों खपाइआँ । मारन भाई सक्किआँ भाइआँ । की ओत्थे नेआँ नितारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । गोपिआँ नाल की चज्ज कमायो । मक्खण काहन तो लुटवायो । राजे कंस नूँ पकड़ मँगायो । बोदिओं पकड़ पछाड़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक लैला दे धुम्माँ पाईआँ । तद मीआँ मजनूँ अक्खिआँ लाईआँ । इशक ने धाराँ आप चुंघाईआँ । खूहे ते बरस गुज़ारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । इशक होरीं हीर पर आए । तद मीआँ राँझे कन्न पड़वाए । साहिबाँ नूँ विआहवण आए । सिर मिरजे दा वारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । रस्सी नूँ चा थलीं रूलायो । सोहणी कच्चे घड़े डुबायो । रोडे दे सिर गिल्हा जो आयो । पुरषे कर कर मारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । मुगलाँ ज़हर प्याले पीते । भूरेआँ वाले राजे कीते । कुल अशराफ फिरन चुप्प कीते । भला ओहनाँ नूँ झाड़िआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । बुल्ला शाह फकीर विचारा । कर चल्लिआ कूच नगारा । जग विच्च रोश्न नाम हमारा । नूरों सूरज उतारिआ ई । रहु रहु वे इशका मारिआ ई । कहु किस नूँ पार उतारिआ ई । राँझा जोगीड़ा बण आया राँझा जोगीड़ा बण आया , वाह साँगी साँग रचाया । ऐस जोगी दे नैण कटोरे , बाजाँ वांगूँ लैंदे डोरे । मुक्ख डिठिआँ दुःख जावण झोरे , इन्हाँ अब्बीआँ लाल वन्जाया6 ।",panjabi-pan "हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री सद नूणी मक्खन की लाइयो री तू अपने हाथ खिलाइयो री हो बरसाने वाली कदम्ब नीचे आइयो री जो तेरी द्यौरजिठाणी लड़ैगी एक की लाख सुणाइयो री जो तेरा बाला कन्थ लड़ैगा तू हम से परीत लगाइयो री चन्द्र सखी भज बाल किरसन छवि तू हर के चरण चित लाइयो री हो बरसाणे वाली कदम्ब नीचे आइयो री",haryanvi-bgc "पुरबा जे बहै छै झलामलि हे कोसी पुरबा जे बहै छै झलामलि हे कोसी , पछिया बहै छै मधुर । अंगना में कुँइयाँ खनाय दियो कोसिका , बाँटि दियो रेशम के डोर । झटपट अंगिया मंगाय दियो कोसिका माय , भैरव भैया भुखलो न जाय । साठी धान कूटि के भतवा रान्हलियै , मुंगिया दड़रि के कैलो दालि । जीमय ले बैठलै भैरव छोटे भइया , कोसी बहिन बेनिया डोलाय । बेनिया डोलावैत बहिनो चुवलै पसीना , नैन से ढरै मोती लोर । जनु कानु जनु खिझु कोसिका हे बहिनो , तोरो जोकर डोलिया बनाय । घर पछुअरवा में बसै छै कहरवा , कोसी जोकर डोलिया बनाय । झलकैत जेती सुसुरारि ।",angika-anp "क्या कहूं रानी! तुम्हारा भाग क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग तुम्हीं हमारा बंस बधाया जी धन्य बहूरानी जी जिन जाया . . . ज्ञानी जी धन्य धन्य हमारा भाग जी मिली तुम बहूरानी जी क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग . . . धन्य . . . बहूरानी जिन जाया हमारा लाल ज्ञानी जी क्या कहूं रानी तुम्हारा भाग . . .",haryanvi-bgc "हे हर जी ल्याए हैं झोली भर फूल हे हर जी ल्याए हैं झोली भर फूल राधा जोगे नां ल्याए भगवान हे जी बांटे हैं सब परवार राधा जोगे नां बचे भगवान हे जी राधा के मन मैं सै छोह टग टग महलें चढ़ गई भगवान हे राधा नै जा मूंदे अजड़ किवाड़ सांकल लोहे सार की भगवान । हे राधा रिमझिम बरसे है मैंह किरसन भीजें बाहरणै भगवान हे राधा खोलो नै अजड़ किवाड़ सांकल लोह सार की भगवान हे हर जी जां बांटै झोली भर फूल बहैं जाओ सो रहो भगवान हे हर जी कै मन मैं था छोह् ढगढग महलां ऊतरे भगवान हे हर जी जा सोए बिरछां की धाएं धोली चादर ताण कै भगवान हे जी राधा के मन मैं था चाव टग टग महलें ऊतरी भगवान हे हर जी पूछी हैं कूएं पणिहार कहीं देखे सांवरे भगवान हे राधा नहीं देखे किसन मुरार नहीं देखे सांवरे भगवान हे हर जी पूछै हैं हाली पाली लोग कहीं देखे सांवरे भगवान हे राधा वे सूते बिरछां की छांह धोली चादर ताण कै भगवान हे राधा देख्या है पल्ला ए उघाड़ किरसन सूते नींद मैं भगवान हे हर जी ऊठो न किरसन मुरार उठो न पियारे सांवरे भगवान हे हर जी नैणां मैं रम गई धूल पैरां मैं छाले पड़ गए भगवान हे हर जी राधा तो रूसै बारम्बार किरसन रूसै न सरै भगवान",haryanvi-bgc "269 छड चोरियां यारियां दगा जआ बहुत औखियां एह फकीरियां ने जोग जालना सार दा तकला ए एस जोग विच बहुत जहीरियां ने जोगी नाल नसीहतां हो जांदे जिवें ऊठ दे नक नकीरियां ने तूंबा खपरी सिमरना नाद सिंगी चिमटा भन्ग नलयेर1 जंजीरियां ने छड त्रीमतां झाक हो जोगी फकर नाल जहान की सीरियां ने वारस शाह एह जट फकीर होया नहीं हांदियां गधे तों पीरियां ने",panjabi-pan "बार ही बारे विनवूं, गरवे से बाबुल बार ही बारे विनवूं , गरवे से बाबुल कातिक लगिन लिखाव हो आलालीला बांस कटाव नागर बेल मंडवा छवाव सुलतान दूले , रामदूले आनि बाजिया वे हातीड़ा हठसाल बांदो , घोड़ी ला घुड़साल बांदो बराती खे देवो जनिवास , साजनसमधी सास सेरी जवाली अनपोय लाया , तिमन्यो अनपोय लाया नाड़ा को रंग बदरंग बाबुल उनखे बांध दीजो गजरा अनगूंथ लाया , रेणी अनरंग लाया दुपट्टा को रंग भदरंग काकुल उनखे बांध दीजो सुलतान दूले राम दूले रूस चलिया दे",malvi-mup "करन्ड कस्तूरी भरिया छाबा भरिया फूलड़ा जी करन्ड कस्तूरी भरिया , छाबा भरिया फूलड़ा जी । तुम भेजो हो धणियेर रनुबाई , जो हम करसां आरती जी थारी आरतड़ी ख आदर दीसाँ , देव दामोदर भेंटसा जी । । करन्डी कस्तूरी भरिया , छाबा भरिया फूलड़ा जी । ।",nimadi-noe "छोटे से मोरे मदन गोपाल (लोरी) छोटीछोटी गैयाँ छोटेछोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल कहाँ गईं गैयाँ , कहाँ गए ग्वाल कहाँ गए मोरे मदन गोपाल । हारे गईं गैयाँ , पहाड़ गए ग्वाल खेलन गए मोरे मदन गोपाल का खाएँ गैयाँ ? का खाएँ ग्वाल का खाएँ मोरे मदन गोपाल ? घास खाएँ गैयाँ , दूध पिएँ ग्वाल माखन खाएँ मोरे मदन गोपाल । छोटीछोटी गैयाँ छोटेछोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल",bundeli-bns "मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत कहूं सीधा तैं चालै आडा याहे बात कसूत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत तेरै संग मैं पांच भूतणी कोन्या मानै रांड ऊतणी तैं पाक्का सै भूत मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत पांच चोर सै तेरे रे साथी तेरी समझ में कोन्या रे आती चौड़े लोआ दे जूत",haryanvi-bgc "जमुना किनारे मेरौ गाँव जमुना किनारे मेरौ गाँव आ जइयो ॥ टेक ॥ जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली , मैं ब्रज की गोपिका नवेली । राधा रंगीली मेरौ नाम कि बंशी बजाय जइयो ॥ 1 ॥ मलमल कै स्नान कराऊँ , घिसघिस चन्दन खौर लगाऊँ । पूजा करूँ सुबह शाम कि माखन माख जइयो ॥ 2 ॥ खसखस कौ बंगला बनवाऊँ , चुनचुन कलियाँ सेज सजाऊँ । धीरेधीरे दाबूँ में पाम , प्रेमरस पियाय जइयो ॥ 3 ॥ देखत रहूँगी बाट तुम्हारी जल्दी अइयो कृष्णमुरारी । झाँकी करेंगी ब्रजवाम कि हंसमुस्काय जइयो ॥ 4 ॥ तुम से फँस रहौ प्रेम हमारौ , खिच्चो कह रहौ आटे बारौ । बाबू खलीफा मेरौ काम नैंक करवाय जइयो ॥ 5 ॥",braj-bra "सभवा बइठल तोहे बाबू साहेब, अउरी सिर साहेब हे सभवा1 बइठल तोहे बाबू साहेब , अउरी सिर साहेब हे । साहेब , मोर नइहर लोचन2 पठइती , तो बाबू जी अनन्द होइतन हे ॥ 1 ॥ बाबूजी होयथीं अनदंे मन , मइया हरखि जयतइ हे । बहिनी के जुड़ा जयतइ छतिया , भइया मोर हुलसि जायत हे ॥ 2 ॥ मोर पिछुअरवा3 नउआ4 भइया तोही मोर हित बसे हे । नउआ , चली जाहु हमर ससुररिया , दुलरइतिन देइ5 के नइहर हे ॥ 3 ॥ कहाँ के हहु तोंहि हजमा , 6 त केकर7 पेठावल हे । ललना , कउन बाबू के भेल नंदलाल , लोचन लेइ आवल हे ॥ 4 ॥ कवन पुर8 के हम हीअइ नउआ , कवन बाबू पेठावल9 हे । ललना , कवन बाबू के भेलइन नंदलाल , लोचन लेइ आवल हे ॥ 5 ॥ लेहु हो नउआ , तूं साल अउ दोसाला लेहु हे । नउआ , लेहु तोंहि पटुका पटोर10 लहसि घर जाहुक हो ॥ 6 ॥ मइया , जे हमर दुलरइतिन मइया , सुनहट बचन मोर हे । मइया , अइसन भेजिहऽ पियरिया , 11 कि देखि के हिरदय साले हे ॥ 7 ॥ भउओ , जे हमरो दुलरइतिन भउजो , सुनहट वचन मोरा हे । भउजो , अइसन भेजिह सोंठउरवा , 12 जे गोतनी के हिरदय साले हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "पिया हो गये तबाह सट्टा हार के फिरन लगे हाथ झार के पिया हो गये तबाह सट्टा हार कें , फिरन लगे हाथ झार कें सबरी मिटा गृहस्थी डारी , घर में बचे न लोटा थारी , रोवे लड़कन की महतारी । गहना जेवर सब लै गए उतार कें फिरन लगे . . . रुपया पैसे सबरे हारे , लड़का बिटिया फिरें उघारे , अब तो फिरें हाथ पसारे । खाना खरचा खों बल पे उधार कें । फिरन लगे . . . हम तो समझा समझा हारे , करजा ऊपर से कर डारे , उलझन में हैं प्राण हमारे । कछु घर में न बचो सब हार के । फिरन लगे . . . अच्छेअच्छे सब पछतावें , सट्टा जुआं से पार न पावें , सबकी नजरन से गिर जावें । काम करियो तुम सोच विचार के । फिरन लगे हाथ झार के । पिया हो गये तबाह . . . ।",bundeli-bns "286 मार आशकां दी लज लाह सुटी यारी लाके घिंन लै जावनी सी अंत खेड़यां वयाह लै जावनी सी यारी उसदे नाल ना लावनी सी ऐडी धुम कियों मूरखा पावणी सी एह सूरत न गधे चड़ावनी सी वारस शाह जे मंग ले गए खेड़े दाढ़ी परे दे विच क्यों मुणावनी सी",panjabi-pan "बारात स्वागत का गीत आवोआवो वो याहयण रामरामी । मिलोमिलो वो याहयण रामरामी । बठोबठो वो याहयण रामरामी । पाणिपीवो वो याहयण रामरामी । आवोआवो वो याहयण रामरामी । समधन से गीत में कहा है समधन बैठने के लिये मंडप बना रखा है । आओ रामराम । समधन आओ मिल लेवें । बैठो पानी पिओ । जब माँडवे में वर पक्ष की महिलाएँ बैठ जाती हैं तब गाली गीत वधू पक्ष की ओर से प्रारम्भ हो जाता है , जवाब वर पक्ष से दिया जाता है ।",bhili-bhb "बेबे हे करम्यां की गत न्यारी बेबे हे करम्यां की गत न्यारी मेरे तै कही नहीं जावै किसे के फिरते इधर उधर नै कोए कोए तरसै एक पुतर नै पर बन कुछ न पावै बेबे हे . . . कोए कोए ओढ़े सीड दुसाले उसके बस्तर घणे निराले किसै नै पाटै बी ना पावै बेबे हे . . . कोए कोए सोवै रंग महल मैं उस के नौकर रहें टहल मैं किसै के छान नहीं पावै बेबे हे . . .",haryanvi-bgc "दसमास रे बेटा बोझ मरी थी दसमास रे बेटा बोझ मरी थी मायड़ ने निरणा दे चढ़या अपणी मायड़ नै मैं बांदी री ल्यादूं बड़े ए साजन की धीअड़ी बारां मास रे बीरा गोद खिलाया बाहण का निरणा दे चल्या अपणी बाहण नै मैं अगड़ घड़ा दयूं ऊपर नौरंग चूंदड़ी",haryanvi-bgc "झूमर तो पिया! तुम गढ़वाओ झूमर तो पिया तुम गढ़वाओ बिन्दी लावै मेरे भातइये चल चुप रह नार देखे तेरे भातइये पांच का लावैं पच्चीस ले जाएं ब्याज मूल में तुझे ले जाएं देखे तेरे भातइये कांटे तो पिया तुम गढ़वाओ कड़े गजरे लावैं मेरे भातइये बून्दे अंगूठी लावैं मेरे भातइये पांच का लावैं पच्चीस ले जाएं दस पांच और ऊपर ले जाएं ब्याज मूल में तुझे ले जाएं देखे तेरे भातइये",haryanvi-bgc "गजराई नै टेर लगाई गज घंटा दिया बजाई गजराई नै टेर लगाई गज घंटा दिया बजाई बचा दिए उन के प्राण गरड़ चट्ढ आइयो जी भगवान द्रोपदा नैं टेर लगाई उन की साड़ी तुएं बढ़ाई मार्या दुसासन का मान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान नरसी ने दान कर्या था सरसै मैं भात भर्या था कर दिया हुंडी का भुगतान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान दास तेरा कहवाऊं कर दरसण खुसी हो जाऊं राख्यो मेरी तरफ को ध्यान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान",haryanvi-bgc "क्यो रोये मोरी माई हो ममता क्यो रोये मोरी माई हो ममता क्यो रोये मोरी माई १ तो पाँच हाथ को कफन बुलायो , उपर दियो झपाई चार वेद चैरासी हो फेरा उपर लीयो उठाई . . . हो ममता . . . २ तो लाख करोड़ी माया हो जोड़ी , करकर कपट कमाई नही तुन खाई , नही तुन खरची रई गई धरी की धरी . . . हो ममता . . . ३ तो भाई बन्धू थारो कुटूम कबीलो , सबई रोवे रे घर बार घर की हो तीरीया तीन दिन रोवे दूसरो कर घर बार . . . हो ममता . . . ४ तो हाड़ जल जसी बंध की हो लकड़ी , कैश जल जसो घाँस सोना सरीकी थारी काया हो जल कोई नी उब थारा पास . . . हो ममता . . . . . .",nimadi-noe "बरस एकादशी करिये बरस एकादशी करिये नणदळ न्हावा ने जईये राधा , रूकमणी और सतभामा ललता से कहिये कुवजा से कहिये बाईजी न्हावा ने जईये गंगा , जमना और सरसती तिरवेनी में न्हइये भवसागर तिरिये बाईजी न्हावा ने जईये न्हाई धोई सुमिरण करस्यां गऊ सेवा करिहें गऊ पूजा करिये नणदल न्हावा ने जईये सांवलिया नी संग जो रेस्यां सोयलड़ो चईये बाईजी न्हावा ने जईये मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणा रहिये प्रभु चरणा रहिये बाईजी न्हावाने जईये",malvi-mup "ऐसे कपटी श्याम ऐसे कपटी श्याम कुंजन बन छोड़ चले उधो ३ जो मैं होती जल की मछरिया श्याम करत स्नान चरण गह लेती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती चन्दन का बिरला श्याम करत श्रृंगार मैथ बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती मोर की पांखी श्याम लगाते मुकुट मुकुट बिच रहती मैं उधो ऐसे क पटी 2 जोमें होती तुलसी का बिरला श्याम लगाते भोग थल बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी 2 जो मैं होती बांस की पोली श्याम छेड़ते राग अधर बिच रहती मैं उधो ऐसे कपटी2 जो मैं होती बन की हिरनिया श्याम चलते बाण प्राण तज देती मैं उधो ऐसे कपटी 2",braj-bra "166 नी मैं घोल घती एहदे मुखड़े तों पाओ दुध चूरी एहदा कूत है नी इललिल दीयां जलियां पौंदा ए जिकर हयू ते लायभूत1 है नी नहीं भाबियां ते करतूत काई सभे लड़न नूं होई मजबूत है नी जदों तुसां ते सी गाली देंदियां साओ एहतां ऊतनी2 दा कोई ऊत है नी भारया तुसां दे मेहनयां गालियां दा एह तां सुक के होया तबूत3 है नी सौंप पीरां नूं झल विच छेड़ महीयां एहदी मदद ते खिजर ते लूत4 है नी वारस शाह फिरां ओहदे मगर लगा अज तीक ओ रिहा अछूत है नी",panjabi-pan "जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी कुछ नां जाणै जी जच्चा तै म्हारी कीड़ी तै डरपै जी सांप मार सिराणै दीन्यां बीच्दू मार बगल मैं दीन्यां जच्चा तै म्हारी कीड़ी तै डरपै जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी कुछ नहीं खाती जी चार कनस्तर घी के खागी नौ बोरी तै खांड जी जच्चा तै म्हारी कुछ नहीं खाती जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी जच्चा तै म्हारी लड़ना नां जाणै जी आई गई का लहंगा पाड़ै सास नणन्द की चुटिया जी जच्चा तै म्हारी लड़ना नां जाणै जी जच्चा तै म्हारी याणी भोली जी",haryanvi-bgc "मैया तेरे लाला को लागी नजरिया मैया तेरे लाला को लागी नजरिया माथे पे चंदा इनके बना दो , मोहन माला गले पहना दो डालो गले में पुतरिया , इन्हें लागी नजरिया । मैया . . . रेशम का धागा कमर पहिरा दो मोरो के पंखों की झालर लगा दो जाने न दो इन्हें कोऊ की बाखरिया । मैया . . . सोने की थाली में दीपक उजारो मेवा सुपाड़ी नारियल धारो सूनो न छोड़ो इन्हें अपनी सजेरिया । मैया . . .",bundeli-bns "रजमतिया के चिट्टी छोटकी गोतिनिया के तनवा के बतिया , पतिया रोईरोई ना , लिखावे रजमतिया । सोस्ती श्री चिट्टी रउरा भेजनी तेमे लिखल , सोरे पचे अस्सी रोपेया , भेजनी तवन मिलल ओतना से नाही कटी , भारी बा बिपतिया । पतिया . . . छोटकी के झूला फाटल , जेठकी के नाहीं , बिटिया सेयान भइल , ओकरो लूगा चाही , अबगे धरत बाटे कोंहड़ा में बतिया , पतिया . . . रोज रोज मंगरा मदरसा जाला , एक दिन तुरले रहे मौलवी के ताला , ओकरा भेंटाइल बा करीमना संघतिया । पतिया . . . पांडे जी के जोड़ा बैला गइलेसऽ बिकाइ , मेलवा में गइले त पिलवा भुलाइल , चार डंडा मरले मंगरू , भाग गइल बेकतिया । पतिया . . . जाड़ा के महीना बा , रजाई लेम सिआइ , जाड़ावा से मर गइल दुरपतिया के माई , बड़ा जोर बीमार बा भिखारी काका के नतिया । पतिया . . . कबरी बकरिया रातभर मेंमिआइल , छोटका पठरुआ लिखीं कतना में बिकाई , दुखवा के परले खिंचत बानी जँतिया । पतिया . . .",bhojpuri-bho "माझे माझे दियरा परिये गेल माझे माझे दियरा परिये गेल लागी गेल कमला फूल । नान्ही नान्ही डलिया बुनाबिहे छौड़ी मलनिया , तोड़ली हे कमला फूल । कोन फूल ओढ़न कोन फूल पहिरन कोन फूल हे सिंगार । एली फूल ओढ़न बेली फूल परिहन , चमेली फूल कोसिका के हे सिंगार ।",angika-anp "मोटी मोटी बून्दां झले पै आई मोटी मोटी बून्दां झले पै आई तो गाबरू नै चाद्दर ताणी , हो मन्ने तेरी सोंह जद वोह् चाद्दर भीजण लागी तो गाबरू नै छतरी ताणी , हो मन्ने तेरी सोंह जद वोह् छतरी भीजण लागी तो गाबरू नै बैल जुड़ाई , हो मन्ने तेरी सोंह बाजणी सी बैल बिदकणे से नारे तो गाबरू नै बांह तुड़ाई , हो मन्ने तेरी सोंह",haryanvi-bgc "सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन सागुन सागुन डो डोंगरा सागुन डोंगरा सागुन केन न्यूता कूले डोंगरा सागुन केन न्यूता कूले चोखा चावली डो पीला हल्दी चोखा चावली डो पीला हल्दी पीला हल्दी डो न्यूता कूले पीला हल्दी डो न्यूता कूले जामुन जामुन डो गाडा जामुन जामुन जामुन डो गाडा जामुन गाडा जामुन केन न्यूता कूले गाडा जामुन केन न्यूता कूले चोखा चावल डो पीला हल्दी चोखा चावल डो पीला हल्दी पीला हल्दी डो न्यूता कूले पीला हल्दी डो न्यूता कूले स्रोत व्यक्ति कालूराम , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "आयो आयो चौमासा त्वैक जागी रयो आयो आयो चौमासा त्वैक जागी रयो । मैं पापणीं सदा मन भरी रयो । मेरा स्वामी को मन निठुर होयो । घर बार छोड़ीक विदेश रयो । हाई मेरा स्वामी जी मैंने क्या खायो । तुमरी प्रीति से न्यारी होयो ।",garhwali-gbm "बुल्ले शाह की सीहरफी - 2 अलफ आपणे आप नूँ समझ पहले , किस वास्ते है तेरा रूप प्यारे । बाझ आपणे आप दे सही कीते , रहेओं विच्च दसौरी दे दुःख भारे । होर लक्ख उपाओ ना सुक्ख होवे , पुच्छ सिआणे ने जग्ग सारे । सुक्ख रूप अखंड चेतन हैं तूँ , बुल्ले शाह पुकारदे वेद चारे । बे बन्ह अक्खीं अते कन्न दोवें , गोशे1 बैठ के बात विचारीए जी । छड्ड सिआणपाँ जग्ग जहान कूड़ा , कहेआ आरफाँ दा दिल धारीए जी । पैरीं जा जंजीर बे खाइशी दे , ऐस नफस2 नूँ कैद कर डारीए जी । जान जान देवें जान रूप तेरा , बुल्ले शाह एह खुशी गुज़ारीए जी । ते तंग छिद्दर3 नहीं विच्च तेरे , जित्थे कक्ख ना इक्क समावंदा है । ढूँढ़ वेख जहान दी ठौर4 कित्थे , अन हुंदड़ा5 नजरीं आँवदा है । जिवें ख्वाब दा खयाल होवे सत्तिआँ नूँ , तराँ तराँ दे रूप विखालदा है । बुल्ला शाह ना तुध थीं कुझ बाहर , तेरा भरम तैनूँ भरमाँवदा है । से समझ के बैठ जहान अंदर , तूँ ताँ कुल इसरार जहान दा है । तेरे डिठिआं दिसदा सभ कोई , नहीं कोई ना किसे पछाणदा है । तेरा खयाल एहो हर तराँ दिसे , जिवें बाल बेताल कर जाणदा है । बुल्ले शाह फाहे तौण बावरे नूँ , फसे आप आपे फाही ताणदा है । जीम जीवणा भला कर मन्निआँ तैं , डरें सरन थीं एह अगयान भारा । इक्क तूँ ही ताँ जिन्द जहान दी हैं , घटा कासे जूँ मिलें सभ माहों न्यारा । तेरे जेहा ना दूसर कोई , आदि अंत बाझों लगे सदा प्यारा । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ अमर हैं सदा नहीं मरन वाला । चे चानणा कुल जहान दा तूँ , तेरे आसरे होएआ व्योहार सारा । तूँ ही सभ की आँख मैं वेखदा हाँ , तुझे सज्झद6 चानणा और अँधारा । नित्त जागणा सोवणा खाब सेती , एह ते होए अग्गे तेरे कई वारा । बुल्ला शाह प्रकाश सरूप तेरा , घट्ट वद्ध ना हो तूँ इक्क सारा । हे हिरस7 हैरान कर सुट्टिआ तूँ , तैनूँ अपणा आप भुलाया सू । पातशाहिओं सुट्ट कंगाल कीता , कर लक्ख तों कक्ख वखया सू । मध मत्तड़े8 शेर नूँ तंद कच्ची । पैरीं पा के बन्ह बहाया सू । बुल्ले शाह तमासड़ा होर वेक्खो , लै समुन्दर नूँ कुजड़े पाया सू । खे ख़बर ना आपणी रक्खदा ऐं , लग्ग खयाल दे नाल तूँ खयाल होएआ । ज़रा खयाल नूँ सुट्ट बे खयाल हो तूँ , जिवें रहे ना उठ्ठ जागिया ना सोएआ । तदों देख खाँ अंदरों कौण जागे , नहीं घास में छुप हाथी खलोएआ । बुल्ला शाह जो गले दे विच्च गहणा , फिरे ढूँढदा तिवें मैं आप खोहिआ । दाल दिलों दिलगीर ना होएँ मूलों , दूजी चीज ना पैदा तहकीक कीजे । अव्वल जाँ सहुबत करे आशकाँ दी , सुखन तिन्हाँ दे आबेहयात पीजे । चश्म जिगर हो मलन हो रहे तेरे , नहीं सूझता तिन्हाँ को साफ कीजे । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तेहैं एक अनंद में सदा जी जे । जाल ज़रा नाँ सुक्क तूँ रक्ख दिल ते , हो बे शक तू हैं खुद खसम जाईं । जिवें सिंघ भुलाए बल आपणे नूँ , चरे घास मिल अजान साईं । पिच्छों समझ बल गरजिओं अजामारे , भएआ सिंघ दा सिंघ कुझ भेद नाहीं । तैसी तूँ भी तराँ कुछ अबर धारे , बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं । रे रंग जहान दे देखदा हैं , सोहणे बाझ दीदार दे दिसदे नीं । जिवें होत हबाब बहुरंग दे जी , अंदर आब9 दे जरा विच्च फिसदे नीं । आब खाक आतश बात भए इकट्ठे , देख अज के कल्ल विच्च खिसकदे नीं । बुल्ला शाह सँभाल के वेख खाँ तूँ , दुःख सुक्ख सभे एह किसदे नीं । जे ज़ोर नहीं जाणे आवणे दा , ओत्थे कोह वाँग हमेश अडोल है सी । जिवें बद्दलाँ दे तले चंद चलदा , लग्गा बालकाँ नूँ वड्डा भोल है सी । चल्ले मन इन्दरी प्रान दे आदिक , दिसे देखणेहार अडोल है सी । बुल्ला शाह सँभाल खुशहाल है जी , ऐन आरफाँ दा एहो बोल है जी । सीन सितम करना ऐं जान अपणी ते , भुल्ल आप थीं होर कुझ होवणा जी । सोईओ लिखिआ शेअर चितेरिआँ10 ने , सच्च जाा के बालकाँ रोवणा जी । जरा सैल नहीं वेख भुलना ऐं , लग्गा चिकड़ों जान क्यों धोवणा जी । बुल्ला शाह जंजाल11 नहीं मूल कोई , जाण बुज्झ के भुल्ल खलोवणा जी । शीन शुबहा नहीं कोई ज़रा इस में , सदा अपणा आप सरूप है जी । नहीं ज्ञान अज्ञान की ठौर ऊहा , कहाँ सूरमें छाओं और धूप है जी । पड़ा सेज है माहिमैं सही सोया , कूड़ा सुखन कारंग अरूप है जी । बुल्ला शाह सँभाल जब मूल देक्खाँ , ठौर ठौर मैं आप सरूप है जी । सुआद सबर करना आया नबी उत्ते , देख रंग ना दिल डोलाईए जी । सदा तुखम दी तरफ निगाह करनी , पात फूल की ओर ना जाईए जी । जोई आए और अटक रहे नाहीं , सो कौण दानश12 जीव लाईए जी । बुल्ला शाह सँभाल दुःख खंड चाखी , जिसे दुःख फल तिसे क्यों खाईऐ जी । जुआद ज़रूर मगरूर को छोड़ दीजे , नहीं और कुछ एह ही पछानणा ई । जा सों उट्ठिआ ताँ ही के बीच डाले , होए अडोल देक्खो आप चानणा ई । सदा चीज़ ना पैदा हो देखीए जी , मेरे मेरे कर जीअ मैं जानणा ई । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ सदा अनंद मैं छानणा ई । तोए तौर महबूब दा जिन्हाँ डिट्ठा , तिन्हाँ दूई तरफों मुक्ख मोड़ेआ ई । कोई लटक प्यारे दी लुट्ट लीती , हटे नाहीं ऐसा जी जोड़िआ ई । अठ्ठे पहर मस्तान दीवान फिरदे , ओहनाँ पैर आलूद13 ना बोझिआ ई । बुल्ला शाह ओह आप महबूब होए , शोक यार दे कुफर सभ तोड़िआ ई । ज़ोए ज़ाहर जुदा नहीं यार तै थीं , फिरे ढूँढदा किसनूँ दस्स मैनूँ । पहिलों ढूँढणे हार नूँ ढूँढ़ खाँ जी , पिच्छों प्रतच्छ घरे विच्च रस तैनूँ । मत्त तूँहीएँ होवें आप यार सभदा , फिरें ढूँढदा जंगलाँ विच्च जिहनूँ । बुल्ला शाह तूँ आप महबूब प्यारा , भुल्ल आप थीं ढूँढदा फिरे कीहनूँ ? ऐन ऐन है आप बिना नुक्ता , सदा चैन महबूब दिलदार मेरा । इक्क वार महबूब नूँ देक्खाँ , और देक्खणे हार है सभ केहड़ा । उस तों लक्ख वहशत कुरबान कीते , पहुँचा होए बेगम चकाए जेहड़ा । बुल्ला शाह हर हाल विच्च मस्त विरदे , हाथी मत्तडे तोड़ जं़जीरा घेरा । गै़न ग़म ने मार हैरान कीता , अठे पहर मैं प्यारे नूँ लोडींदी साँ । मैनूँ खावणा पीवणा भुल्ल गिया , रब्बा मेल जानी हत्थ जोड़दी साँ । सइआँ छड्ड गइआँ मैं इकल्लड़ी नूँ , अंग साक नालों नाता तोड़दी साँ । बुल्ला शाह जब आप नूँ सही कीता , तब मैं सतड़ी अंग न मोड़दी साँ । फे फिकर गिया सइओं मेरीओ नी , मैं ताँ आपणे आप नूँ सही कीता । कूड़ी देह सिहुँ नेहों चुकाया मैं ख़ाक छाण के लाल नूँ फोल लीता । देख धूहें दे धौलरे14 जग्ग सारा , सुट्ट पाया है जीआ ते हार जीता । बुल्ला शाह अनंद आखंड सदा , लक्ख आपणे आप आबेहयात पीता । काफ कौण जाणे जानी जान दे नूँ , आप जानणेहार एह कुल दा ए । परतक्ख दी आदि परमान जे ते , सिद्ध कीते जिस्दे नहीं भुल्लदा ए । नेत नेत कर बेद पुकारदे नी , नहीं दूसरा ऐस दे तुल दा ए । बुल्ला शाह सँभाल जद आप देक्खा , सदा सहंग15 प्रकाश होए झुलदा ए । गाफ गुज़र गुमान ते समझ बैह के , हंकार दा आसरा कोई नाहीं । बुद्ध आप संघात चढ़ देखीए जी , पड़ा कान पखान ज्यों भुम माहीं । आप आत्मा ज्ञान सरूप सत्ता , सदा नहीं फिरदा खड़ा एक जाँहीं । बुल्ला शाह बबेक बिचार सेती , खुदा छोड़ खुद होए खसम साईं । लाम लग्ग आक्खे जाग खा सोया , जाण बुज्झ के दुःख क्यों पावना ऐं ? ज़रा आप ना हटें बुरेआइआँ तों , मसले कड्ढ लोक सुणावनाँ ऐं । काग16 विष्ट17 जीवन को जाण तजे , संताँ विखे मोड़ क्यों चित्त लुभावनाँ ऐं । बुल्ला शाह ओह जानणेहार दिल दा , करें चोरिआँ साध सदावनाँ ऐं । मीम मौजूद है हर जाह मौला , तिस देख क्या भेख बणाया सू । जिवें एक ही तुखम18 बहु तराँ दिसे , तिवें आपणा आप भुलाया सू । मैह आपणे अपणे खयाल करदा , नर नार होए चित्त मिलाया सू । बुल्ला शाह ना मूल थीं कुझ होया , सो जाने जिसे जनाया सू । नून नाम अरूप उठा दीजे पिछ , असत अर भांत परेआ साँच है जी । जोई चित्त की चितवनी विच्च आवे , सोई जान तहकीक कर कार है जी । तों बिन की बरत काहैं तूँ साक्खी , तूँ जान रूप में है जी । बुल्ला शाह जे भूप19 अचल्ल बैठा , तेरे अग्गे प्रतिकृति का नाच है जी । वा वझत एह हक्क ना आवणा ई , इक्क पलक दे लक्ख करोड़ देवें । जतन करें ताँ आप अचाह होवें , तूँ ताँ पहर अठ्ठे विखे रस सेवें । कूड़ बिपार कर धूड़ सिर मलसें , चेत्तन्न मन देवें जड़ काच लेवें । बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं , तूँ ताँ अनंत लग्ग देह मैं कहाँ मेवें । हे हर तराँ होवे दिलदार प्यारा , रंग रंग दा रूप बणाया ई । कहूँ आप को भूल रंजूल20 होया , कहूँ उरध भरमाए संताया ई । जदों आपणे आप में प्रगट होया , सदानन्द21 के माहिं समाया ई । बुल्ला शाह जे आहदे थाँ अत्त सोई , जिवें नीर मैं नीर मिलाया ई । अलफ अज्ज़ बणिआ सभ्भे कच्च मेरा , शादी गमी थीं पार खलोया मैं । भया दूर भरम , मरम पाया मैं , डर काल का जीआ ते खोया मैं । साध संगत की दया तेभाअ निरमल , घट घट विच्च तन सुक्ख सोया मैं । बुल्ला शाह जद आप नूँ सही कीता , जोई आदि थाँ अंत फिर होया मैं । ये यार पाया सइओं मेरीओ नी , मैं ताँ आपणा आप गुआए के नी । रही सुध ना बुध जहान केरी , थक्की बिरत22 आनन्द मैं आएके नी । अठ्ठे आम बिसराम ना काम कोई , धुन ज्ञान की भाह जलाएके नी । बुल्ला शाह मुबारकाँ लक्ख देवो , बहीए शांत जानी गल लाएके नी ।",panjabi-pan "480 तुसी मेहर करो असीं घरी जाईए नाल सहती दे डाल बनाईए जी बहर1 इशक दा खुशक गम नाल होया नाल अकल दे मीह वरसाईए जी किवें करां मैं कोशशां अकल दियां तेरे इशक दियां पूरीया पाईए जी जां तयारियां टुरन दियां झब करिए असीं सजनों हुकम कराईए जी हजरत सूरत इखलास2 लिख दयो मैंनूं कुर्रा3 फाल4 नजूम दा पाईए जी खोल फालनामा ते दीवान हाफज वारस शाह तों फाल कढाईए जी",panjabi-pan "लचिका रानी दूसरा खण्ड रम्मा सुनोॅ आगू के वचनमो रे ना रम्मा सुनोॅ सब भाई , बहिन धरि धियनमो रे ना रम्मा लचिका के आगू रोॅ बचनमो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै पापी राजवो रे ना रम्मा शिव मंदिरवा के नगीचवो रे ना रम्मा घुसियैलो छेलै जहाँ रानी लचिको रे ना रम्मा कानै छेलै कपरवा धुनिधुनि रे ना रम्मा वहाँ जायके बोले पापी राजवो रे ना रम्मा चल्लोॅ आवोॅ मंदिर से बहरवो रे ना रम्मा आपनोॅ तों चाहोॅ कुशलवो रे ना रम्मा अगर नै ऐभौ बहरवो रे ना रम्मा काटी देवौ तोरोॅ सिरवो रे ना रम्मा सुनीकेॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा बौले सुनीकेॅ लचिका रनियो रे ना रम्मा सुनोॅ हमरो अरजबो रे ना रम्मा केना हम्में निकलबै बहरवो रे ना रम्मा भीजलोॅ हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा झलकतै हमरोॅ सभे अंगवो रे ना रम्मा निकलै में लागै हमरा शरममो रे ना रम्मा घटवा पर हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा लानी केॅ देभौ हमरोॅ अगुओ रे ना रम्मा तबेॅ पीन्ही केॅ निकलबै बहरवो रे ना रम्मा सुनि केॅ लचिका के बतियो रे ना रम्मा लानी केॅ देलकै राजा नुग्गासाया बुलाऊजवो रे ना रम्मा सब चीज पीन्हीं निकललै बहरबो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै राजा के समनमो मेें रे ना रम्मा राजा भेलै खुशिया मगनमो रे ना रम्मा राखलेॅ छेलै उड़न खटोलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ बैठलकै उपरवो रे ना रम्मा पापी राजा भेलै आनन्दवो रे ना रम्मा लैकेॅ चली देलकै सथवो रे ना रम्मा जतना छेलै लश्करियो रे ना रम्मा सब गेलै राजा के नगरियो रे ना रम्मा बरपपा के सुनो अब जिकरियो रे ना रम्मा भारी हल्ला होलै गढ़ के भीतरवो रे ना रम्मा रूदन पीटन पड़ी गेलै महलियो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह के रोवै महतरियो रे ना रम्मा छाती पीटीपीटी कहै बचनियो रे ना रम्मा नाश होलै कुलखनदनमो रे ना रम्मा पूतोहो के करनमो रे ना रम्मा केतना घर भेलै मोसमतवो रे ना रम्मा सबके धोएैलै सिर सिन्दुरवो रे ना । रम्मा छोड़ी केॅ गेलै आपनोॅ ललनमो रे ना रम्मा गेलै हठ करि पोखिरियो रे ना रम्मा धनजन करलकै संहरवो रे ना रम्मा करनि के पैलकै फलवो रे ना रम्मा महीना दिनो के रहै ललनमो रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ वहाँ के हलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लै गेलै लक्ष्मीपुर के रजवो रे ना रम्मा खटोलबा के उपरवो रे ना रम्मा जबेॅ पहुँचलै गाँव के नजदीकवो रे ना रम्मा दस कोस रहलै फसिलवो रे ना रम्मा पड़ी गेलै वहाँ कममो रे ना रम्मा लागलोॅ रहै वहाँ पचरंग बजरवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लैकेॅ वहाँ रजवो रे ना रम्मा पहुँचलै जायकेॅ ठिकनमो रे ना रम्मा उतारलकै वहाँ उड़नखटोलवो रे ना रम्मा जुटी गेलै पलटनियो रे ना रम्मा करै लागलै सब लोग दतबनमो रे ना रम्मा बोलै लचिका तबेॅ बचनियो रे ना रम्मा सुनि लेॅ राजा हमरोॅ बचनमो रे ना रम्मा यहाँ तनवाय देहोॅ तम्बुकवो रे ना रम्मा आपनोॅ मकानमा तांय रे ना रम्मा हम्मे चलबै तम्बुकबा भीतरबो रे ना रम्मा यहाँ सें करलेॅ जैबै दनमो रे ना रम्मा देहोॅ तहूँ मंगाई केॅ समनमो रे ना रम्मा करवे हम्मे तबेॅ दतनमो रे ना रम्मा तोहरे हाथो सें पियबै हम्में पनियो रे ना रम्मा धीरेंधीरें चलबै तोहरोॅ घरबो रे ना रम्मा दिन भरी में चलबै पाव भर रसतवो रे ना रम्मा नाहीं मानबै बीचोॅ एक्को बतियो रे ना रम्मा मारी देभौ तों हमरोॅ जनमो रे ना रम्मा यहेॅ छौं हमरोॅ कहनामो रे ना रम्मा तबेॅ होतौं तोहरोॅ इच्छा पूरनमो रे ना रम्मा सुनी केॅ रानी के बचनमो रे ना रम्मा राजा कहै मीठी बोलियो रे ना रम्मा तुरंते होय जैतै सब काममो रे ना रम्मा राजा कही केॅ एतना बचनमो रे ना रम्मा बौलेलकै सब नौकरबो रे ना रम्मा राजा देलकै सबकेॅ हुकुममो रे ना रम्मा जल्दी सें तनाबै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस यहाँ सें मकनमो रे ना रम्मा घर तक तानी दै तम्बुकवो रे ना रम्मा तम्बुकवा तानै सब नौकरवो रे ना रम्मा राजा कहैलेॅ गेलै खबरवो रे ना रम्मा सगरो तनाय गेलै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस रसतवा लागै दस बरसवा दिनमो रे ना रम्मा राजा तबेॅ बोलाबै दीवनमो रे ना रम्मा जल्दी सें जैभौ तों नगरियो रे ना रम्मा खंजाची केॅ देहोॅ खबरियो रे ना रम्मा सुनी केॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ सें चल्लै दीवनमो रे ना रम्मा गेलै खजांची के पसबो रे ना रम्मा कहि देलकै राजा के हुकुममो रे ना रम्मा खजांची देलकै तुरंते समनमो रे ना रम्मा एैले तबेॅ लैकेॅ दिवनमो रे ना रम्मा रानी केॅ देलकै सब समनमो रे ना रम्मा तबेॅ करेॅ लागलै रानी दानमो रे ना रम्मा दान करतें हुवेॅ चल्लै डगरियो रे ना रम्मा चली देलकै राजा के दरबरियो रे ना रम्मा दिन भरि में चलै रती भर जमीनमो रे ना रम्मा मनमा में करिकेॅ विचरवो रे ना रम्मा हमरे खातिर कुल होलै नशवो रे ना रम्मा येहो सोचतें चल्लै मनमो रे ना",angika-anp "ऐसी हो प्रीत निभावजो ऐसी हो प्रीत निभावजो , आरे जग मे होय नी हाँसी १ बैठ्या बामण चन्दन घसे , आरे थाड़ी कुबजा हो दासी फुल फुल्यो रे गुलाब को माला गुथो हो खासी . . . ऐसी हो प्रीत . . . २ राम नाम संकट भयो , आरे दिल फिरे हो उदासी तुम हो देवन का हो देवता राखो लाज हमारी . . . ऐसी हो प्रीत . . . ३ जल डुबता बर्तन तिरिया , आरे तिरिया कंुजर हाथी पथ राख्यो रे पहेलाद को लाज द्रोपता राखी . . . ऐसी हो प्रीत . . . ४ दास दल्लु की हो बिनती , आरे राखो चरण लगाई मृत्यू सी हमक छोड़ावजो मन म चिंता हो लागी . . . ऐसी हो प्रीत . . .",nimadi-noe "ऐसी बोलो कौनऊँ बानी ऐसी बोलो कौनऊँ बानी । ना काऊ की जानीं । सगुन मैं होय , ना निर्गुन में । नाहिं बेदन में धानी । ना आकासैं नंपातालैं , नई देवतन जानी । ना भूतन में ना प्रेतन में , ना जल जीब बखानी कयें ईसुरी जोड़ मिला दो । जब जानैं हम ज्ञानीं ।",bundeli-bns "गणेश वन्दना परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता । परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता । सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । दिवला दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । दिवला दाळा तुम्हारा कान , आओ म्हारा गणपति देवता । धारण ढाळा तुम्हारा पांय , आओ म्हारा गणपति देवता । धारण ढाळा तुम्हारा पांय , आओ म्हारा गणपति देवता । कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां , आओ म्हारा गणपति देवता । कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां , आओ म्हारा गणपति देवता । सर्वप्रथम गणेशजी आपका स्मरण करते हैं , आपके कान सूपड़े के समान , आँखें दीपक के समान और पैर खम्भों के समान हैं । कुंकुमचावल से आपकी पूजा करें , आप पधारिये ।",bhili-bhb "गोबर से लिपलूँ अँगना, हरबोबिन लाल गोबर से लिपलूँ1 अँगना , हरबोबिन लाल । बिछवा2 रेंगल3 जाय हे , हरगोबिन लाल ॥ 1 ॥ ओने से4 अयलन दुलरइतिन छिनरो हे , हरगोबिन लाल । काट लेलक5 छिनरो के बिछवा हे , हरगोबिन लाल ॥ 2 ॥ कउन बइदा6 के बोलाऊँ हे , हरगोबिन लाल । कउन ओझा के गुनाऊँ हे , हरगोबिन लाल ॥ 3 ॥ ओने से अयलन कवन रसिया हे , हरगोबिन लाल । जरा एक7 जगहा8 देखाऊँ हे , हरगोबिन लाल ॥ 4 ॥ इसे के जगहा देखाऊँ हे , हरगोबिन लाल । लहँगा में बिछवा समायल9 हे , हरगोबिन लाल ॥ 5 ॥",magahi-mag "सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री हे री नेवरी पै नान्ही नान्ही बूंद नेवरी में बाज्जा घला दे री बहू तन्ने बाज्जा भावै ए हे री मेरा लाल लड़ाइआं बीच बहू मेरा के जीवणा सै री सास मन्ने नेवरी घड़ा दे री",haryanvi-bgc "148 कैदो बाहुड़ी ते फरयाद कूके धीयां वालयो करो नयां मियां मेरा हट पसारी दा लुटया ई कोल वेखदा पिंड गिरां मियां मेरे भंग अफीम ते पोसत लुड़िया होर नयामतां दा क्या नां मियां मेरी तुसंा दे नाल ना सांझ कोई पिंन टुकड़े पिंड दे खां मियां तोते बाग उजाड़दे मेवयां दे अते फाह लयांवदे कां मियां",panjabi-pan "घड़ी एक घोड़ीलो थोबजे रे सायब बनड़ा घड़ी एक घोड़ीलो थोबजे रे सायब बनड़ा दाऊजी से मिलवा दो रे हठीला बनड़ा दाऊजी से मिलकर काई करो वो सायब बनड़ी दो न पालकड़े पाँव चालो घर आपणा",malvi-mup "झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण पानीपत के टेसण ऊपर मींडक बांटै बाण एक अचंभा मन्नै सुण्या यो कुत्ता कपडणे धोवै ओबरै में म्हैस जुगालै ऊंट पिलंग पै सोवै झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . . कीड़ी मरी पहाड़ पै खींचण चले चमार दो सै जोड़ी जूती बणगी सांटै कई हजार झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . . कुतिआ चाली बिजार में गलै बांध के ईंट बिजार के बणिए न्यूं उठ बोलैं ताई लता लेगी क छींट झूठ तै मैं बोलूं कोन्या . . .",haryanvi-bgc "आज लाड़ो केरा अजबी बहार रे बना आज लाड़ो1 केरा अजबी बहार रे बना । बाना2 सुरती3 गजबी सोहार4 रे बना ॥ 1 ॥ बाना , अपन अपन नयनमा5 सम्हार रे6 बना । बाना , लगी जयतउ नजरी के बान रे बना ॥ 2 ॥ बाना , दुलहा हइ दुलहिन के जोग रे बना ॥ 3 ॥",magahi-mag "होली गीत टेक हो साँवरा मती मारो पिचकारी चौक1 मति मारो रे मोहे जात में रयणा , में पर घर की हूँ नारी । हमको रे लजा तुम कोरे ऐसा । तो मुख से देऊँगी गाली , फजीता होयगा तुम्हारा , साँवरा मति मारो पिचकारी । चौक2 ऐसी रे होस होत हइयाँ में , फिर परणों तुम नारी । जाय कहूँगी जसोदा माय को , हजुवन में हुँ कुँवारी ढूढो तो वर माता हमारी , साँवरा मति मारो पिचकारी । चौक3 पर नारी पंलव पकड़ों ऐसी हे चाल तुम्हारी । माता पिता ना रे व्रत भयो छे तो राजा कन्स हों भय भारी सुणेगा तो होय विस्तारी । साँवर मति मारो पिचकारी । छाप धन गोकल धनधन विन्द्रावन धन हों जसोदा माई । धन मयता नरसइया नु स्वामी । तो मांगु ते बेड कर जोड़ी सदा संग रहूँगा तुम्हारी । साँवरा मति मारो पिचकारी । हे साँवरे श्रीकृष्ण मुझ पर पिचकारी से रंग मत छींटो । हे साँवरे मुझ पर पिचकारी से रंग न डालो । मुझे अपनी जाति में रहना है । मैं पराये घर की स्त्री हूँ । आप ऐसा करेंगे अर्थात् रंग डालेंगे तो हमें लज्जा आयेगी , अगर आप रंग डालेंगे तो मैं अपने मुँ से गाली दूँगी और आपके फजीते हो जायेंगे । हे साँवरे पिचकारी न मारो । एक गोपी कहती है कि अगर आपको इतना शौक है तो तुम ब्याह कर लो । मैं यशोदा माता से जाकर कहूँगी , अभी तक मैं कुँवार हूँ मेरे लिए वर ढूँढ़ो । हे साँवरे पिचकारी न मारो । एक नारी कहती है कि आप एक पराई नारी का पल्ला पकड़ना चाहते हैं , ऐसी चाल दिखाई देती है । राजा कंस का भय नहीं लगता , सुनोगे तो होश उड़ जायेंगे । हे साँवरे पिचकारी न मारो । गोकुल , वृन्दावन और यशोदा माता धन्य हो । नरसिंह मेहता के स्वामी श्रीकृष्ण धन्य हो । दोनों हाथ जोड़कर वरदान माँगती हूँ कि सदा आपके साथ रहूँ ।",bhili-bhb "हम धनी जी खिचड़ी की साध हम धनी जी खिचड़ी की साध खिचड़ी हाल मंगा द्यो जी । खिचड़ी हे गोरी मायड़ भावज पै मांग हम पै मेवा मीसरी जी । हम धनी जी पीला की साध पीला हाल मंगा द्यो जी । पीला ए गोरी मायड़ भावज पै मांग हम पै नौरंग चूंदड़ी जी । हम धनी जी खिचड़ी की साध खिचड़ी हाल मंगा द्यो जी ।",haryanvi-bgc "वाह वाह छिन्ज पई दरबार। वाह वाह छिन्ज पई दरबार । खलक तमाशे आई यार । असाँ अज्ज की कीता ते कल्ल की करना , भट्ठ असाडा आया । ऐसी वाह क्यारी बीजी , जो चिड़िआँ खेत वन्जाया । मगर पीआ दे जेहड़े लग्गे , उठ चल पहुता तार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । इक्क अलाम्भा सइआँ दा , दूजा है संसार । नंग नामूस एत्थों दे एत्थे , लाह पगड़ी भूएं मार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । नड्ढा गिरदा बुड्ढा गिरदा , आपो आपणी बार । की बीवी की बाँदी लौंढी , की धोबी मुटिआर । अमलाँ सेती होण निबेड़े , नबी लँघावे पार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । बुल्ला सहु नूँ वेक्खण आवे , आपणा भाणा करदा । जूनो गूनी भांउे घड़दा , ठीकरिआँ कर धरदा । एह तमाशा वेख के , चल अगला वेख बाज़ार । वाह वाह छिन्ज पई दरबार । खलक तमाशे आई यार ।",panjabi-pan "विवाह निमंत्रण गीत - अरे अरे करा भवरवा अरे अरे करा भवरवा करिया तोहरी जतिया भवरा आजु मेरे काज परोजन नेवत दई आओ अरगन नेवत्यो परगन नेवत्यो अउर नानियाउर एक नहीं नेवत्यो बीरन भईया जेन्से बैर भये सास भेटै आपन भईया नन्दा बीरन भईया अरे बाजरा कै फाटै हमरी छतिया कही उठी भेटू अपने बीरन बिनु अरे अरे करा भवरवा करिया तोहरी जतिया भौरा फिर से नेवत्य दै आओ बीरन मोरे आवें",awadhi-awa "235 अगे चूड़ियां1 नाल हंडाइयों नी जुलफां कुंडलदार हुन देख मियां घत कुंडलां नाग सयाह पलमण2 वेखे ओह झला जिस लेख मियां मल वटना लोड़ ददासड़े दा नयन खूनियां दे भरन भेख मियां आ हुसन दी दीद कर देख जुलफां खूनी नयनां दे भेख नू वेख मियां",panjabi-pan "हालत एक गरीब किसान की हालत एक गरीब किसान की कवि नरसिंह कात्तिक बदी अमावस थी और दिन था खास दीवाळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का । कितै बणैं थी खीर , कितै हलवे की खुशबू ऊठ रही हाळी की बहू एक कूण मैं खड़ी बाजरा कूट रही । हाळी नै ली खाट बिछा , वा पैत्यां कानी तैं टूट रही भर कै हुक्का बैठ गया वो , चिलम तळे तैं फूट रही ॥ चाकी धोरै जर लाग्या डंडूक पड़्या एक फाहळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का ॥ सारे पड़ौसी बाळकां खातिर खीलखेलणे ल्यावैं थे दो बाळक बैठे हाळी के उनकी ओड़ लखावैं थे । बची रात की जळी खीचड़ी घोळ सीत मैं खावैं थे मगन हुए दो कुत्ते बैठे साहमी कान हलावैं थे ॥ एक बखोरा तीन कटोरे , काम नहीं था थाळी का आंख्यां कै म्हां आंसू आगे घर देख्या जिब हाळी का ॥ दोनूं बाळक खीलखेलणां का करकै विश्वास गये मां धोरै बिल पेश करया , वे लेकै पूरी आस गये । मां बोली बाप के जी नै रोवो , जिसके जाए नास गए फिर माता की बाणी सुण वे झट बाबू कै पास गए । तुरत ऊठकै बाहर लिकड़ ग्या पति गौहाने आळी का आंख्यां कै मांह आंसू आगे घर देख्या जब हाळी का ॥ ऊठ उड़े तैं बणिये कै गया , बिन दामां सौदा ना थ्याया भूखी हालत देख जाट की , हुक्का तक बी ना प्याया देख चढी करड़ाई सिर पै , दुखिया का मन घबराया छोड गाम नै चल्या गया वो , फेर बाहवड़ कै ना आया । कहै नरसिंह थारा बाग उजड़ग्या भेद चल्या ना माळी का । आंख्यां कै मांह आंसू आगे घर देख्या जब हाळी का ॥",haryanvi-bgc "भरथरी लोक-गाथा - भाग 5 बड़ अक्कल वाली ये रानी ये देख तो भगवान साते मँ कैसे आ बइठे हे मनेमन मँ भरथरी हर , मोर गुनत हे ओ बिना आगी पानी के बनावत हे सबे सइना के न मोर सोहाग ओ चल बनाई के न मोर सुन्दर कलेवा खवावय ओ , ये खवावय ओ , भाई ये दे जी । सबे के पूर्ति ल करिके मोर सुनिले न ओ कइसे विधि कइना बइठे हे भरभरी ह न जब सोचे गिंया ओही जनम ओ मोर पलंग न , टूटे हे राम रानी नई तो गिंया , मोर बताए ओ मोर साली हर आज बतावय ओ , मँयहर पूँछव ओ भाई ये दे जी । आजेच्च पूछिहँव के काले ओ कईके सोचत हे ओ देख तो दीदी मोर मने म भरथरी ये न जब सोचि के राम चल बइठत हे ओ ओही समय म न मोर चेरिया ल ओ कइना भेजत हे राम सुनिले जोगी मोर बात तोर सारी ह महल म बलावत हे चले जावॅव ओ , भाई ये दे जी । गोदी म बालक ल धरावत हे आज कइना ह ओ देख तो दीदी मोर भरथरी ल भरथरी ये ओ बालक ल देखय न सुनिले कइना मोर बात सोने पलंग ओ कइसे टूटिस हे ना आज महली ये रात तोर बहिनी हर ओ सामदेई हर ना नई बताइसे ओ मोला बतादे कइना मोर सदे के ये तो बाते ये ओ , तय बतादे ओ , भाई ये दे जी । जब धन बोलत हे कइना ह सुनिले जोगी मोर बात मॅय हर नई तो बतांव न मोर बालक हो पहली ये गिंया मोर गोदी म न बालक हावे ओ मॅय हर का करिहॅव ओ मोर गोदी मा बालक हावय ओ , जोगी हावय ओ , भाई ये दे जी । हरके अऊ बरजे ल नई मानय भरथरी ये ओ देखतो दीदी रटन धरे ये मोर रानी ये ओ सुनले भरथरी बात मॅयहर छोड़त हव न आजे चोला ल ओ हेता करके दीदी जीभ चाबी के न मोर चोला ल ओ चल छोड़त हे न मोर राजा हर देखथे कइना ओ बाई देखय ओ , भाई ये दे जी । दफन देई के भरथरी अपन रऊल बर ओ देखतो दीदी चले आवत हे एके महिना मे न दूसर महीना के छाय मोर सुआ के पेट में अवतारे ओ , चल धरय ओ , भाई ये दे जी । बीच कंगोरा म बइठके मोर फुलवा ये ओ टोंटीटोंटी दीदी बाजत हे भरथरी ये न मोर आवाज ल चल सुन के न घर ले निकलत हे सुनले सुआ रे बात ओही जनम के मोर सारी अव न तय बतादो हीरा मोर सोने पलंग कइसे टूटिस हे न कइसे विधि कर पूँछय हो , ये दे पूँछय ओ , भाई ये दे जी । जब बोले मोर सुआ हर सुनले जीजा मोर बात कुकुर के पेट म अँवतारे न तीन महीना म राम मॅयहर लेहव हीरा तोला दिल की बात बतावॅव ओ बतावॅव ओ जोगी ये दे जी । जब सुआ मरी जायय ओ मोर भरथरी ओ पैर तरी सुआ गिर जाय भरथरी ए न दफन करें गिया तीन महीना ल न चल सोचत हे न मॅयहर कब राजे ल सुनॅव ओ जीव सफल ओ बाई होवय ओ , रानी ये दे जी । नई अन्न खावॅव पानी नई तो पियय दीदी का बइहाभूतहा होय हे भरथरी हर ओ मोरे बात मन फुदका मारे राम चल तरिन ओ मन सोचिके न मोर चेहरा गया कुम्हलाय , ये कुम्हलाय ओ , भाई ये दे जी । गोरा बदन काला होई गय चेहरा गय कुम्हलाय दुबरावत चले जावत हे तीने महीना म ओ मोर जाई के न मोर कइना हर राम मोर कुकुर के पेट अवतार ये ओ , चल धरे ओ , भाई ये दे जी । कुकुर के पेट अवतार ल चल पैरा म ओ जोगी पैरावट म मोर जाइके ने धीरेधीरे गिंया भरथरी ये न ओही जनम के भोर सारी अस ओ सोने पलंग ह कइसे टूटिस हे न मोला हालेल देना बताय ओ भाई बोलय ओ , भाई ये दे जी । जब बोलय मोर कुतनिन ह सुनले जीजा मोर बात मंय अवतारे ल धरे हॅव दुई अवतारे ल धरे हॅव सुनले जीजा मोर बात सुरा के पेट में जनम लेहॅव तब तोला जीजा मॅय बता देहॅव जब सोच के ओ मोर कुकुर हर न चोला छोड़त हे राम भरथरी ये ना दफन करिके ओ मोर माथा ल धरके बइठे ओ , भाई आके ओ , भाई ये दे जी । धररधरर आंसू चलत हे सुनिले भगवान का तो कलपना मोला परे हे मन म सोचत हे न विकट हैता गिंया करी डारेंब ओ मोर हाथे म चोला छुटे ओ , भाई छुटे ओ , भाई ये दे जी । सुराके पेट म जाइके अवतारे ओ देख तो दीदी छै महीना मा चल जनमथे न चल डबरा म ओ भूरीभूरी दीदी जिहां दिखत हे न भरथरी ए ओ खोजत जावय राम सुनिले भगवान सुनी लेट कइना बात मोला कइसे आज बतावय ओ , ए बतावय ओ , भाई ये दे जी । सोने पलंग मोर टूटिस रानी हांसीस ओ तेकर बात बता देना जब बोलय मोर सुरा हर सुनिले सुरिन मोरबात कहना वचन जोगी नई मानय मोरे पिछे म धरी ले जोगी चोला छोड़ी के न मैं ये दे जावत हॅव कौंआ के पेट अवतार ओ , चल लेहॅव ओ , भाई ये दे जी । तीन जोनी ल तो छोरी के मोर जावत हे ओ कौंआ के पेट मँ अवतारे न चल जाई के न मोर बइठे गिंया मोर आमा के डार मोर कांवेकांवे ओ नारियाये ओ , भाई ये दे जी । जब बोलय भरथरी ह सुनले कौंआ रे बात सुनले कोयली मोर काग बोली से गिंया मॅयहर लिहेंव पहिचान मोर बइठे आमा के डारे ओ , ये दे बइठे ओ , भाई ये दे जी । बोली से मय लिहेंव पहिचान सुन काग मोर बात कइसे पलंग पर टूटिसे रानी हांसिस न देदे साला जवाब जब कौंआ हर ओ चल मरत हे न ये दे छोड़ॅव जोगी , अपन चोला ल न मय हर गऊ के पेट अवतारे ओ , चल हेह्व ओ , भाई ये दे जी । चोला स छोड़िके कौंआ हर मोर गिरी गे ओ अब दफन ये दे देवत हे भरभरी ये न फेर सोचत हे राम चारे अवतारे न एकर होगे दीदी येहर कब मोला बताहय ओ , बताहय ओ , भाई ये दे जी । दस महीना के छॉय मा कोठा मँ ओ देखतो जनम लेके आवत हे बछिया जोनी न जल धरे हे न सुघ्घर गइया ए ओ मोर कइसे बछेवा हर दिखय ओ , ये दे दिखय ओ , भाई ये दे जी । मुरली बिन गइया रोवत हे सुनिले भगवान बछड़ा हर रोवत हे दैहाने म नोई दूध हर ओ राउत बिना गिंया चल कलपत हे ना मोर जउने समय म ओ भरथरी चले आवय ओ , भाई ये दे जी । सुनिले बछिया ए दे बाते ल मोला बतादे ओ सोने के पलंग मोर टूटे हे ओही जनम के मोर सारी अस ओ बचन पियारी न मोर हाल ल देना बताये ओ , भाई आजे ओ , भाई ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "कन्यादान गीत ठाटी म ठण को वाज्यो , हिवड़ो सवायो जी । बनी पुई आवें ती , अड़ी जाजी वो । बनी डूबी आपे ते , छोड़ देजी वो । बनी बइण आवे ते , अड़ी जाजी वो । बनी बुकड़ी आपे ते छोड़ि देजी वो । बनी भाई आवे ते अड़ी जाजी वो बनी गाय आपे ते छोड़ि देजी वो । यह गीत बारात रवाना होने से पूर्व जब दुल्हन को भेंट ओपी दी जाती है , उस समय गाया जाता है । दुल्हन को भेंट देने के अवसर पर गाये जाने वाले कन्यादान गीत में कहा गया है बनी , बुआ आए तो अड़ जाना , बहन आए तो अड़ जाना और भाई आए तो अड़ जाना । ये लोग तुझे भैंस , गाय या बकरी दें तो छोड़ देना ।",bhili-bhb "आल्हा ऊदल बज पड़ गैल आल्हा पर ओ पर गिरे गजब के धार जब से ऐलों इन्द्रासन से तब से बिदत भैल हमार पिल्लू बियायल बा खूरन में ढालन में झाला लाग मुरचा लागि गैल तरवारन में जग में डूब गैल तरवार आल्हा लड़ैया कबहीं नव् देखल जग में जीवन में दिन चार एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा खुसी मंगन होय जाय खोलै अगाड़ी खोलै पिछाड़ी गरदनियाँ देल खोलाय जीन जगमियाँ धर खोले सोनन के खोलै लगाम पीठ ठोंक दे जब घोड़ा के घोड़ा सदा रहव कलियान चलल जे राजा डेबा ब्राहमन घुड़ बेनुल चलल बनाय घड़ी अढ़ाई का अन्तर में रुदल कन पहुँचल जाय देखल सूरत घुड़ बेनुल के रुदल बड़ मंगन होय जाय देहिया पोंछे जब घोड़ बेनुल के रुदल हँस के कैल जनाब हाथ जोड़ के रुदल बोलल घोड़ा सुन ले बात हमार तब ललकारें रुदल बोलल डेबा मंत्री के बलि जाओ घोड़ा बेनुलिया तैयारी कर जलदी बोल करव् परमान घोड़ा पलाने डेबा ब्राहमन रेसम के भिड़े पलान चोटी गुहावे सोनन से चाँदी खील देल मढ़वाय पूँछ मढ़ावल हीरा से महराजा सुनीं मोर बात सात लाख के हैकलवा है घोड़ा के देल पेन्हाय एतो पोसाक पड़ल घोड़ा के रुदल के सुनी हवाल",bhojpuri-bho "छिंगुनिया के छल्ला छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे , नथुनियाँ , न झुलनी , न मुँदरी जुड़ी , आयो लै के कनैठी अंगुरिया को छल्ला इहै छोट छल्ला पे ढपली बजइबे कितै दिन नचइबे , गबइबे , खिजइबे कसर सब निकार लेई , फिन मोर लल्ला कबहुँ गोरिया तोर पल्ला न छोड़ब , चिपक रहिबे बनिके तोरा पुछल्ला करइ ले अपुन मनमानी कुछू दिन उहै छोट लल्ला तुही का नचइबे भये साँझ आवै दुहू हाथ खाली जिलेबी के दोना न चाटन के पत्ता , मेला में सैकल से जावत इकल्ला , सनीमा के नामै दिखावे सिंगट्टा हमहूँ चली जाब देउर के संगै उहै ऊँच चक्कर पे झूला झुलइबे काहे मुँहै तू लगावत सबन का लगावत हैं चक्कर ऊ लरिका निठल्ला उहाँ गाँव माँ घूँघटा काढ रहितिउ , इहाँ तू दिखावत सबै मूड़ खुल्ला न केहू का हम ई घरै माँ घुसै देब , चपड़चूँ करे तौन मइके पठइबे लरिकन को किरकट दुआरे मचत , मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला , इहाँ देउरन की न कौनो कमी मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा तुहै छोड़ , कहि देत , मइके न जइबे मचावत है काहे से बेबात हल्ला , अगिल बेर तोहका चुनरिया बनइबे , पड़ी जौन लौंडेलपाड़न के चक्कर दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे छिंगुनियाके छल्ला पे . . .",bhojpuri-bho "266 साबत हुंदी लंगोटी जे सुनीं नाथा काहे झगड़ा चा उजाड़दा मैं जीभ इशक थीं चुप जे रहे मेरी ऐडे पाड़ने कास नूं पाड़दा मैं इस जिऊ नूं नढी ने मोह लया नित फकर दा नाम चितार दार मैं जिऊ मार के रहन जे होवे मेरा ऐडे मामले कासनूं धारदा मैं जे मैं मसत उजाड़ विच जा बैंहदा महीं सयाल दियां कासनूं चारदा मैं सिर रोड करा क्यों कन्न पाटन जेकर किबर1 हंकार नूं मारदा मैं जे मैं जानदा कन्न तूं पाड़ देने इह मुंदरां मूल ना धारदा मैं जे मैं जानदा इशक थीं मना करना तेरे टिले ते धार ना मारदा मैं इके कन्न सवार दे फेर मेरे नहीं घतूंगु धौंस सरकार दा मैं होर कम नहीं सी फिकर होवने दा इक वारस रखदा हां गम यार दा मैं",panjabi-pan "मान उतारने का गीत सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या , कि मानवाला केतरिक दूर । सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या , कि मानवाला केतरिक दूर । आई वा आवाड़ माता आइ रहया , बोकड़ा की करूं वो सेमान । सेली माता नी साकड़ी सयरी ते , डोलता आवे ससवार । काई वाटे ली वो राजल बेटी अवगढ़ मान , बेटा सारू ली वो माय अवगढ़ मान । भूल्याचुक्या वो माता माफ करजो , बोकड़ा की छूट्या वो हामु मान । बोकड़ा वाला रे भाई भारूड़ । इनि वाटे बोकड़ा झुणि लावे । बोकड़ा नी लोभी मारी सेली माता , तारा बोकड़ा जासे पयंताल । सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या , कि मानवाला केतरिक दूर । शीतला माता ने कोरा कागद पहुँचाया है कि मन्नत देने वाले कितनी दूर हैं । आ रहा हूंँ अभी , वो माता आ रहा हूँ । बकरा लाने की तैयारी कर रहा हूँ । शीतला माता का रास्ता सँकरा है इसलिए घोड़े लड़खड़ाते आ रहे हैं । राजल बेटी ऐसी औघड़ मान किसलिए ली ? पुत्र प्राप्ति हेतु ली । वो माता भूलचूक माफ करना । माता बकरे की मान ली थी , वह दे दी है । हे भारुड़ भाई बकरे वाले इस रास्ते बकरे मत लाना । मेरी शीतला माता बकरे की लोभी हैं । तेरे बकरे पाताल में चले जायेंगे ।",bhili-bhb "भजन खेती खेड़ो हरि नाम की , तेमा मिलसे से लाभ ॥ पाप ना पालवा कटावजो , धरमी हळे अपार ॥ एची खेचिन बायरा लावजो , खेती कंचन थाय ॥ खेती खेड़ो रे हरि नाम की , तेमा मिलसे से लाभ ॥ ओमसोम दोउ वाळ दिया , हाँरे सुरता रास लगाय ॥ रास पिराणा धरिन हातमा , हाँ रे सूरा दिया ललकार , खेती खेड़ो रे हरि नाम की , तेमा मिलसे रे लाभ ॥ सत कारे माळा रोपजो , धरमी पयड़ी बंधाव ॥ ग्यान का गोळा चलावणा , हाँ रे पंछी उड़उड़ जाय , खेती खेड़ो रे हरि नाम की ॥ ववन वकर जुपाड़जो , सोवन सरतो बंदाय , कुल तारण बीज रे बोवणा , हाँ रे खेती लटालुम थाय , खेती खेड़ो रे हरि नाम की ॥ दावण आइ रे दयाल की , पाछी फेरी नि जाय ॥ दास कबिर की रे विणती न रे , लज्जा राखो रे भगवान ॥ खेती खेड़ो रे हरी नाम की , तेमा मिलसे रे लाभ ॥ खेती खेड़ो रे हरी नाम की । भगवान के नाम की खेती करो । भगवान का भजन करो , उसमें लाभ मिलेगा । इस खेती में पाप के जो वृक्ष उगे हैं , उन्हें खुदवाओ । धर्म खूब करो और उन वृक्षों को खींचखाँचकर बाहर निकालो , जिनसे तुम्हारे जीवनरूपी खेती का सौन्दर्य बढे़गा । इसके बाद तुम्हारी खेती सोना ही जायेगी ।",bhili-bhb "कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग १ ना कोई तुमरा पिता कहावे , ना कोई जननी माता खंब फोड़ प्रगट भये हारी अजरज तेरी माया . . . रे नरसींग . . . २ आधा रुप धरे प्रभू नर का , आधा रे सिंह सुहाये हिरणाकुष का शिश पकड़ के नख से फाड़ गीरायो . . . रे नरसींग . . . ३ गर्जना सुन के देव लोग से , बृम्हा दिख सब आये हाथ जोड़ कर बिनती की नी शान्त रुप करायो . . . रे नरसींग . . . ४ अन्तर्यामी की महीमा ना जाणे , वेद सभी बतलाये हरी नाम को सत्य समझलो यह परमाण दिखायो . . . रे नरसींग . . . . . . .",nimadi-noe "नणद ते भाबी रल बैठीआं (2) नणद ते भाबी रल बैठीआं , जीआ कीते सू कौल करार जे घर जम्मेगा गीगड़ा1 नी , बीबा देवांगी फुलचिड़िआं2 अध्धी अध्धी रात , पिछला ई पहर , भाबो ने गीगड़ा जी जम्मेआ लै दे नी भाबो फुलचिड़िआं , अड़ीऐ पूरा होया नी करार ना तेरे बाप घड़ाईआं नी बीबी , ना तेरे वडड़े वीर फुलचिड़िआं बादशाहां दे वेहड़े , बीबा साडे ना फुलचिड़िआं तेवरां विच्चों तेवर चंगेरा , पीया सो मेरी नणदी नू दे तेवरबेवर घर रख्ख भाबो , मैं लैणीआं फुलचिड़िआं गहणिआं विच्चों गहणा आरसी , वे पीया सो मेरी नणदी नू दे आरसीपारसी रख्ख छड्ड भाबो , नी मैं लैणीआं फुलचिड़िआं मझ्झां दे विच्चों बूरी चंगेरी पीया , सो मेरी नणदी नू दे कालीयांबूरीयां घर रख्ख भाबो , मैं तां लैणीआं फुलचिड़िआं रुस्सी रुस्सी नणदी ओह गयी वे पीया , लंग्ग गयी दरिया दराणीआंजेठाणीआं पुछण लग्गीआं , वधाई दा की मिलिया अड़िओ वीर तां मेरा राजे दा नौकर , भैणो भैण रुथड़ी मनाई थाल भरया सुच्चे मोतिआं नी भेणे , उप्पर फुलचिड़िआं लै नी बीबी दे असीसां अड़िऐ , पूरा ते होया ई करार भाईभतीजा मेरा जुगजुग जीवे , मेरी भाबो दा अल्लड़ सुहाग",panjabi-pan "नैना ना मारौ लग जै हैं नैना ना मारौ लग जै हैं । मरम पार हो जै हैं । बख्तर जुलम कहा कर लै हैं । ढाल फार कढ़ जै हैं । नैनाँ मार चली ससुर खाँ , डरे कलारत रै हैं । ओखद मूर , एक ना लग है । वैद गुनी का कै है ? कात ‘ईसुरी’ सुन लो प्यारी , दरस दवाई दै हैं ?",bundeli-bns "382 बुरियां खौफ फकीर दे नाल पाइयां अठखेल बुरयार उटकिया ने रातब खायके बीचरन1 विच तिले मारन लत अराकियां2 बकियां न इक भौंकदी दूसरी करे टिचकरां एह ननाण भाबी दोवे सकियां ने एथे कई फकीर जहीर3 होए खैर देंदियां देंदियां अकियां ने जिन्हां डबियां पायके सिरी चाइयां रन्नां तिन्हां दियां उसकियां ने नाले ढिड खुरकन नाले दुध रिड़कन अते चाटियां कीतीयां लकियां ने झाटा खुरकदियां खंघदियां नक सुनकन मारन वाउके4 चाढ़के नकियां ने लोड़ हई जे चगियां होवने दी वारस शाह तों लओ दो फकियां ने",panjabi-pan "जनी जनिहा मनइया जनी जनिहा मनइया जगीर मांगात ई कलिजुगहा मजूर पूरी शीर मांगात बीड़ीपान मांगात सिगरेट मांगात कॉफीचाय मांगात कपप्लेट मांगात नमकीन मांगात आमलेट मांगात कि पसिनवा के बाबू आपन रेट मांगात ।",awadhi-awa "चाँद चड्यो गिगनार यहाँ नारी को रात होने से पहले घर पहुँचने जाना चाहिए , नहीं तो बड़ेबूढ़े नाराज़ होंगे . . . चाँद चड्यो गिगनार फिरत्या ढल रहिया जी अब बाई घराँ पधार भाऊजी मारेला बाबूसा देला गहल बडोरा बीर बरजेला मत दयो बाई ने गाल भाई म्हारी चिड़ी कली आज उड़े पर मान तडके उड़ जासी जी",rajasthani-raj "उरइँयाँ साँकर बजी दुआरें देखौ टेरन लगीं उरइँयाँ ; गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ । कुकरा की सुन बाँग उल्लुअन की धकधक भई छाती , अँखियाँ हो गई चार चकई कीं पिया संग इठलाती । धुँधरी हो गई जोत दिया में तेल बचौ न बाती ; गलियारिन में गूँज रई अब साँईं की परभाती । छिन में चोर सरीखीं दुक गई अनगिन सरग तरइँयाँ । गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ । घर के जेठे जगे , पौंर में खाँसें और खकारें ; ओझा बब्बा महामाई के पौवे सपर दुआरें । पीपर तरें मनौती करकें बाई सिव खों ढारें ; चरनन ध्याँन लगा हियरा में आसचन्दन गारें । मन्दिर के घंटा घाराने , कड़ीं बगर सें गइँयाँ ; गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ । हँसी पुरैन तला के बीचाँ , रै पानी सें न्यारी , महकन लगी मदरसाक्यारी कौंरे फूलनवारी । कीनें सोंनबारिया लैकें बखरी झार समारी ? राईसी नच उठी किरन जाँ सतरंगी फगवारी । रामराम की रटन लगा रई पिंजरा भीतर टुइँयाँ । गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ । डार उरैंन सगुन सें पूरे सुबरन चौक सलोंने ; स्यानी बिटिया की ओली फिर भरी काऊ नें नोंने । बखरी हो गई अमर सुहागिन हरसे चारउ कोंने , हालफूल में सबई तराँ के रागरंग अब होंनें । उठ डारें बल्दाऊ नोंनें खेतन सगुन हरइँयाँ ; गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।",bundeli-bns "चैत मास तिथि नौमी, त रामा जग्य रोपन्ही रे चैत मास तिथि नौमी , त रामा जग्य रोपन्ही रे अरे बिनु सितला जज्ञि सून , त को जज्ञि देखै रे सोने के खडउन्हा बशिष्ट धरे , सभवा अरज करैं रे रामा सीता का लाओ बोलाई , त को जज्ञि देखै रे अगवां के घोड़वा बसिष्ठ मुनि , पिछवां के लछिमन रे दुइनो हेरैं लागे ऋषि के मड़ईयाँ , जहां सीता ताप करैं रे नहाई धोई सीता ठाढ़ी भई , झरोखन चित गवा रे ऋषि आवत गुरु जी हमार , औ लछिमन देवर रे गंगा से जल भर लाइन , औ थार परोसें रे सीता गुरु जी के चरण पखारें , त माथे लगावैं रे इतनी अकिल सीता तुम्हरे , जो सब गुन आगरि रे सीता अस के तज्यो अजोध्या , लौटि नहि चितयू रे काह कहौं मैं गुरु जी , कहत दुःख लागे सुनत दुःख लागे रे गुरु इतनी सांसत रामा डारैं , की सपन्यो न आवैं रे ऐसा त्याग किया राम ने मेरा की सपने में भी नहीं आते सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना ब्याह करैं रे रामा अस्सी मन केरा धनुस , त निहुरी उठावैं रे सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना गौना लायें रे रामा फुल्वन सेजिया सजावें , हिरदय मा लई के स्वावै रे सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना बन चले रे रामा हमका लिहिन संग साथ , साथ नहीं छोडें रे सवना भादौना क रतिया , मैं गरुए गरभ से रे गुरु ऊई रामा घर से निकारें , लौटि नहीं चितवहि रे ? गुरु जी का कहना न मेटबे , पैग दस चलबे रे गुरु फाटै जो धरती समाबे , अजोध्या नहीं जाबै रे गुरु फेर हियें चली औबे , राम नहीं देखबै रे",awadhi-awa "हमारी द देओ आरसी हँसके माँगे चन्द्रावली हमारी दे देओ आरसी ॥ टेक मनसुख नें मुख देखन लीनी जी । हाथन में चलती कर दीनी जी ॥ चली कछु बानें ऐसी चाल कि देखत रह गईं सब ब्रजबाल , लायकैं दीनी तुम्हें गुपाल । दोहा दीनी तुमको लायकैं , दीजै हमें गहाय । बिना आरसी जाऊँगी , घर में सास रिस्साय ॥ घर में सस रिस्याय , होत दीखे तकरार सी ॥ हँसके . तो तौ ग्वालिन चढ़ रही सेखी जी । नाहिं आरसी मैंने तेरी देखी जी ॥ चोरि मनसुख ने कब कर लई , लायके मोकू कब क्यों दई । आरसीदार अनौखी भई ॥ दोहा तुही अनौखी आरसी , ब्रज में पहिरनहार । जोवन ज्वानी जोर से , है रही तू सरसार ॥ है रही तू सरसार नार खिल रही अनार सी ॥ हँसके . तू तौ ओढ़े लाला कम्बल कारौ रे । कहा आरसी कौ परखनहारौ रे ॥ मुकुट मुरली कुण्डल को मोल , मेरी आरसी बनी अनमोल । बोलत क्यों है बढ़बढ़ के बोल ॥ दोहा बढ़बढ़ के बोलै मती , जनम चराये ढोर । घरघर में ते जायके , खायौ माखन चोरि ॥ खायौ माखन चोरि , लाल तुम बड़े बनारसी ॥ हँसके . चन्द्रावलि चतुराई दिखावै जी । आप शाह मोय चोर बताबै जी ॥ जात गूजर दधि बेचनहार , अपनी रही बड़ाई मार । आरसी दऊँ मानलै हार ॥ दोहा हार मानके कहेगी , मुझ से जब ब्रजनार । धमकी ते दुंगो नहीं , चाहें कहै हजार ॥ चाहंे कहै हजार बोल , तेरौ कौन सिपारसी ॥ हँसके . चन्द्रावलि मन में मुस्काई जी । तुरत आरसी श्याम गहाई जी । आरसी दै दीनी नन्द नन्द , ग्वालिनी चली मान आनन्द कृष्ण कौ बुरौ प्रीत को फन्द ॥ दोहा बुरौ प्रीत कौ फन्द है , साँचे मन से प्रेम प्रेमिन के बस आयके , बिसर जाय सब नेम ‘घासीराम’ जीत गये मोहन , ग्वालिन हार सी ॥ हँसके .",braj-bra "287 मरद बाझ मीहरी पानी बाझ धरती आशक डिठड़े बाझ ना रजदे ने लख सिरी अवल आवन यार यारां तों मूल ना भजदे ने भीड़ां पैंदियां मरद बंडा लैदे परदे आशकां दे मरद कजदे ने दा चोर ते यार दा इक सांयत नहीं वसदे मींह जो गजदे ने",panjabi-pan "देह से हो हंसा निकल गया देह से हो हंसा निकल गया , हंसा रयण नी पाया १ पाँच दिन का पैदा हुआ , छटी की करी तैयारी आधी रात का बीच म छटी लिखी गई लेख . . . देह से . . . २ सयसर नाड़ी बहोत्तर कोटड़ी , जामे रहे एक हंसा काडी मोडी को थारो पिंजरो बिना पंख सी जाय . . . देह से . . . ३ चार वेद बृम्हा के है , सुणी लेवो रे भाई अंतर पर्दा खोल के दुनिया म नाम धराई . . . देह से . . . ४ गंगा यमुना सरस्वती , जल बहे रे अपार दास कबिर जा की बिनती राखौ चरण आधार . . . देह से . . .",nimadi-noe "विदाई का गीत १ . खेलत रहलीं सुपली मउनिया , आ गइले ससुरे न्यार । बड़ा रे जतन से हम सिया जी के पोसलीं , सेहु रघुवर लेले जाय । आपन भैया रहतन तऽ डोली लागल जइतन , बिनु भैया डोलिया उदास । के मोरा साजथिन पौती पोटरिया , के मोरा देथिन धेनु गाय । आमा मोरे साजथिन पावती पोटरिया , बाबाजी देतथिन धेनु गाय । केकरा रोअला से गंगा नदी बहि गइलीं , केकरे जिअरा कठोर । आमाजी के रोअला से गंगाजी बहि गइलीं , भउजी के जिअरा कठोर । गोर परूँ पइयाँ परूँ अगिल कहरवा , तनिक एक डोलिया बिलमाव । मिली लेहु मिली लेहु संग के सहेलिया , फिर नाहीं होई मुलाकात । सखिया सलेहरा से मिली नाहीं पवलीं , डोलिया में देलऽ धकिआय । सैंया के तलैया हम नित उठ देखलीं , बाबा के तलैया छुटल जाय । २ . राजा हिंवंचल गृहि गउरा जी जनमलीं , शिव लेहले अंगुरी धराय । बसहा बयल पर डोली फनवले , बाघ छाल दिहलन ओढ़ाय । 3 बर रे जतन हम आस लगाओल , पोसल नेहा लगाय सेहो धिया आब सासुर जैती , लोचन नीर बहाय जखन धिया मोर कानय बैसथिन , सखी मुख पड़ल उदास अपन सपथ देहि सखी के बोधल , डोलिया में दिहले चढाय . लोचन नीर बहाय . . . गाम के पछिम एक ठूंठी रे पाकरिया , एक कटहर एक आम गोर रंग देखि जुनी भुलिहा हो बाबा , श्यामल रंग भगवान . लोचन नीर बहाय . . .",bhojpuri-bho "जीतू बगडवाल जीतू व शोभनू होला , गरीबा का बेटा , माता त सुमेरा छई , दादी फ्यूँली जौसू । दादा जी कुंजर छया , भुली1 शोभनी छई , जाति को पंवार छयो , जीतू अकलि गँवार , बगूड़ी2 जैक भौजी , होंई गैन बगड्वाल राज मानशाइन दिने , कमीणा3 को जामो4 , गौ मुंडे5 को सेरी6 दिने , गौ मथे7 को धारो8 जीतू रये दादू , मादू9 उदभातू10 राणियों कू रौसिया11 , रये फूल को हौंसिया । अणव्याई12 बेटियों कू , ठाकुरमासो13 खाये , बांजा14 घटू15 को , वैन , भग्वाड़ी16 उगाये , ऊं बांजो17 भैंस्यों को , पालो18 लिने परोठो19 , जीतू रये भैजी , राजौं को मुसद्दी । बगुड़ ऐगे भैंजी , उल्यामुल्या20 मास , तब जितेसिंह राजा , धाविड़ी21 लगौंद ओडू़22 नेडू़23 औंदू , मेरा भुला शोभनू सोरासरीक भुला , सब सेरा सैंक लैन , कि मलारी को सेरो हमारो बाँजो रैगे त , बाँजो मेरा दादू । तू जायौदू भुला24 , जोशी25 का पास , गाड़ीक लऊ , सुदिन सुवार सुदिन सुवार लौणा , लुंगला26 को दिन । पातुड़ी की भेंट धरे , सेला चौंल पाथी27 , धुलेंटी28 की भेंट धरे , सोवन29 को टका । चलोगे शोभनू तब , बरमा30 का पास , जाईक माथो नवौन्दो , सेवा लगौंदो पैलगु पैलगु मेरा बरमा । चिरंजी जजमान मेरा । भैंर31 गाड़32 बरमा , धुलेटी33 पातुड़ी , धुलेटी पातुड़ी गाड , सुदिन सुवार । गाडी याले बरमान , धुलेटी पातुड़ी , देखद देखद बरमा , मुंडली34 ढगडयोंद35 , तेरी राशि नी जूड़दो जजमान तुमारी बतैन्दी बल , वा वैण36 शोभनी , शोभनी क हाथ जूड़े , लुंगला को दिन । लुंगला को दिन , छै गते अषाढ़ । वावैण मेरी रन्दी , कठैत का गाऊं चूला कठूड़ तै , बाँका वनगड़ । सोचदू सोचदू तब , घर ऐगे शोभनू पौंछीगे37 तब , जीतू का पास खरो मानी जदेऊ38 , मेरा जेठापाठा भैजी , तेरी राशि नी जूड़े दिदा39 लुंगला40 को दिन । हमारी बतैंछ41 भैजी , वा वैणा शोभनी शोभनी का हात जूँडे , लुंगला को दिन । जीतू भिभड़ैकै42 उठे तब , गए माता के पास , हे मेरी जिया , हमारी राशि नी जूड़े , लुंगला को दिन मैं त जाँदू माता , शोभनी बैदौण43 । तू छई जीतू , बावरो44 बेसुवा45 , शोभनी बैदौण जालौ , तेरा भुला शोभनू । भुला शोभनू होलू माता , बालो अलबूद46 , मैं जौलू माता , शोभनी बैदौण । न्यूतीक बुलौलो , पूजीक पठोलो47 । नी जाणू जीतू , त्वैक48 ह्वैगे असगुन , तिला बाखरी तेरी , ठक49 छयू50 दी । नि लाणी जिया51 , त्वैन इनी छुँई52 , घर बोड़ी53 औलो , तिला मारी खोलो । भैर54 दे तू मेरो , गंगाजली जामो55 , मोडुवा56 मुन्डयासो57 दे दूँ , आलमी इजार घावड्या बाँसुली दे दूँ , नौसुर मुरुली । न जा मेरा जीतू , कपड़ो तेरो झौली58 ह्वैन मोसी59 , आरस्यो60 को पाग तेरो , ठनठन टूटे । त्वैक तई ह्वैगे , जीतू यो असगुन माता की अड़ैती61 जीतू , एक नी माणदू , लैरेन्द62 पैरेन्द तब , कांठो63 मा कोसी सूरीज64 , गाड़ कोसी माछो , सर्प कोसी बच्चा , बाँको वीर छयो , जीतू नामी भड़ , राजौं को माण्यु छयो , रूप् को भर",garhwali-gbm "राइ जमाइन दादी निहूछे देखियो रे कोइ नजरी न लागे राइ1 जमाइन2 दादी निहूछे3 देखियो रे कोइ नजरी न लागे । सँभरियो4 रे कोइ नजरी न लागे ॥ 1 ॥ राइ जमाइन मइया निहूछे , देखियो रे कोइ नजरी न लागे । सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 2 ॥ राइ जमाइन चाची निहूछे , देखियो रे कोइ नजरी न लागे । सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 3 ॥ राइ जमाइन भउजी निहूछे , देखियो रे कोई नजरी न लागे । सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 4 ॥",magahi-mag "नइहर वाली लाड़ो बलवा अपन सँवार नइहर वाली लाड़ो बलवा अपन सँवार । माँगो का टीका और सोभे मोतिया । हाँ जी लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 1 ॥ अम्माँ प्यारी लाड़ो , बलवा अपन सँवार । सहानी1 लाड़ो बलवा अपन सँवार ॥ 2 ॥ नाकों में बेसर और सोभे चुनिया2 । हाँ री लाड़ो , बलवा अपन सँवार । भोली लाड़ो बलवा अपन सँवार ॥ 3 ॥ कानांे में झुमका और सोभे बलिया3 । हाँ री लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 4 ॥ जानो का सूहा4 और सोभे छापा5 । हाँ जी लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 5 ॥",magahi-mag "बनी ए बाबा उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी बनी ए बाबा उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस बनी है यारे गोरे से पोंहचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी बनी ए बापू जी उमराओ , मंगाओ हीरां की चूड़ी पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस बनी यारे गोरे से पोंचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी बनी ए ताऊ जी उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस बनी है यारे गोरे से पोंहचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी",haryanvi-bgc "431 हीर चुप बैठी असीं कुट कढे साडा वाह पया नाल डोरयां1 दे उह वेलड़ा हथ ना आंवदा ए लोक दे रहे लख ढंडोरयां दे इक रन्न गई दूज धन गया लोक मारदे नाल निहोरयां दे धीयां राजयां दे नोहां डाढियां दियां कीकूं हथ आवन बिनां जोरयां दे असीं खैर मंगया ओनां वैर कीता मैंनूं मारया दे नाल निहोरयां दे वारस डाडयां दे सौ सत वीहां हाड़े रब्ब दे अगे कमजोरयां दे",panjabi-pan "भजन ओमसोम दोनों बैल सुरता रास लगाय धर्म की रास व लकड़ी पिराणा हात में ले , सुरा ने ललकार सत्य का माला रोपना धर्म की पेड़ी बंधाकर । धर्म का मकान सत्य की पेड़ी बँधाकर बनाना । ज्ञान के गोले चलाना जिससे पंछी उड़उड़कर जायें । बोने के लिए सोवन सत्य का सरता बँधाकर बक्खर चलाना । कुल को तारने वाला बीज बोना , जिससे खेती लटालूम हो । भगवान के पास से बुलावा आया , वह वापस नहीं फेरा जा सकता है । कबीरदासजी की विनती है भगवान लज्जा रखना ।",bhili-bhb "38 सानूं दस नमाज है कादी जी कास नाल बणा के सारियां ने कन नक नमाज दे हैन कितने मत्थे किन्हां दे धुरों एह मारियां ने लम्मे कद चौड़े किस हाण हुंदी किस चीज दे नाल सहारियां ने वारस किलियां कितनियां ऐस दीयां ने जिस नाल एह बनह उतारियां ने",panjabi-pan "चना के दार राजा हे बटकी में बासी , अउ चुटकी में नून में गावतथव ददरिया तें कान देके सुन वो चना के दार हे बागे बगीचा दिखे ला हरियर बागे बगीचा दिखे ला हरियर मोटरवाला नई दिखे , बदे हव नरियर , हाय चना के दार हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो तरी फतोई ऊपर कुरता हाय , तरी फतोई , ऊपर कुरता , हाय ऊपर कुरता तरी फतोई , ऊपर कुरता , हाय ऊपर कुरता रइ रइ के सताथे , तोरेच सुरता , होय चना के दार हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो नवा सड़किया रेंगे ला मैंना हाय नवा सड़किया , रेंगे ला मैंना , हाय रेंगे ला मैंना नवा सड़किया , रेंगे ला मैंना , हाय रेंगे ला मैंना दु दिन के अवईया , लगाये महीना , होय चना के दार हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो चांदी के मुंदरी चिनहारी करले वो हाय चांदी के मुंदरी , चिनहारी करले , हाय चिनहारी करले चांदी के मुंदरी , चिनहारी करले , हाय चिनहारी करले मैं रिथव नयापारा , चिनहारी करले , होय चना के दार हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो कांदा रे कांदा केंवट कांदा हो हाय कांदा रे कांदा , केंवट कांदा , हाय केंवट कांदा कांदा रे कांदा , केंवट कांदा , हाय केंवट कांदा हे ददरिया गवईया के , नाम दादा , होय चना के दार हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो",chhattisgarhi-hne "कृष्ण बने मनिहार -सुनो री आली कृष्ण बने मनिहार सुनो री आली सर पे चुनरिया को डाल सुनो री आली । कृष्ण . . . आँखों में काजल अति सोहे , नैना देख सभी मन मोहे , हाथों में बाजूबंद डार , सुनो री आली । कृष्ण . . . कानों में कुण्डल अति सोहे , मुतियन चमक देख मन मोहे गले में पहिने है हार , सुनो री आली । कृष्ण . . . सोलह शृंगार करें मनमोहन , बरसाने पहुंचे हैं मोहन नर से बनेहैं नारि , सुनो री आली । कृष्ण . . . ललिता ने है टेर लगाई , झपट के पहुंचे कृष्ण कन्हाई मन में खुशी है अपार , सुनो री आली । कृष्ण . . . चूड़ी पहिनाओ प्यारी , तुम्हारी साड़ी कितनी प्यारी , कैसी बनी ब्रजनारि , सुनो री आली । कृष्ण . . .",bundeli-bns "तीजां का त्योहार रितु सै सामण की तीजां का त्योहार रितु सै सामण की खड़ी झूल पै मटकै छोह् री बाहमण की क्यूं तैं ऊंची पींघ चढ़ावै क्यूं पड़ कै सै नाड़ तुड़ावै योह् लरजलरज के जावै डाल्ही जामण की तीजां का त्योहार रितु सै सामण की",haryanvi-bgc "मांगो मांगो म्हारी नणन्द थारा मांगण का ब्योहार मांगो मांगो म्हारी नणन्द थारा मांगण का ब्योहार ऐसी चीज मत मांगो म्हारे गैणे का सिंगार इस गैणे में की गूठिया नणदिया नै द्यो इस गुट्ठी का नगीना राजा काढ क्यूंनां ल्यो मांगो मांगो म्हारी नणदी थारा मांगण का ब्योहार ऐसी भैंस ना मांगो जिससै म्हारा लैंडा बिगड़ै इन भैंस्यां मां का काटड़ा म्हारी नणदिया ने द्यो काटडे का जेवड़ा राजा काढ क्यूंनां ल्यो मांगो मांगो म्हारी नणदी थारा मांगण का ब्योहार ऐसी तील मत मांगो म्हारे पणघट का सिंगार इन तीलां कै मां का घागरा नणदिया ने द्यो इस घाघरे का लामण राजा पाड़ क्यूंनां ल्यो",haryanvi-bgc "भरथरी लोक-गाथा - भाग 11 कतेक गैना ल गावॅव मय तीन महीना ल ओ तीने महीना जादू मारे हे जादू काटत हे राम खड़ेखड़े सामदेई ये रूपदेई राम जादू ल बइरी इन काटत हें जेला देखत हे राम काटे मँ जादू कट जाए नैना रानी ये ना गुस्सा होवय देखतो बाई रामा ये दे जी । कोपे माने का बइरी गुस्सा ल मोर होवत हे ओ देख तो दीदी सामदेई ये रूपदेई रानी न गुस्सा गुस्सा मँ दाई मारत हे जादू मंतर ओ जादू मंतर ओ कलबल के राख कर देवय नैना रानी ल आज नैना रानी ओ आनंद होगे भरथरी ये राम चरणों मँ आके का गिरय सुन राजा मोर बात जइसे गुरु तुम्हार जोगी होही तुम्हार सिद्ध न अइसे देवय आसीस जेला लेवत हे भरथरी हर , रामा ये दे जी । ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा ये कमरु नगर ले देख तो दीदी भरथरी ये चले आवत हे राम गुरु गोरखनाथ भेर कौरु कमच्छल जादू टोना बइरी का बोलय गुरु गोरखनाथ गोरखपुर ल बनाये हे मोर बिलाई अवतार गुरु गोरखनाथ घलो ला नई तो छोड़े हे राम जहां धुनि बबा रमे हे गुरु गोरख के ओ सब तो बिलाई बइरी का बोलय म्याऊँ म्याऊँ ओ जम्मर चेलिन चेला नरियावय गुरु गोरखनाथ धुनि म का बैरी बोलत हे म्याऊँम्याऊँ ये ओ धुनि बइरी ये अधूरा ये रामा ये दे जा । लऊठी आवय भरथरी हर गुरु गोरख के अंगना म जऊन मेर धुनि हे देखत हवय राजा जम्मो बिलाई अवतरे हें जादू मारे हे राम देख तो नैनामति रानी ये गुरु गोरखनाथ बिलाई अवतार मे लपटत हे जोन भेर धुनि रचाय कलपीकलप बइरी लोटत हे म्याऊँम्याऊँ कहय जतका चेलिन अऊ चेला ये तऊन ल देखत हे राम अइसे बानी ल रानी का बोलय , रामा ये दे जी । लउटी के आई के देखत हे भरथरी ह दाई ओ कहां मोर गुरु हे जम्मों दिखत हे राम देख तो बिलाई अवतारी न गुरु गोरखनाथ कलपीकलप भरथरी ये सुरता करत हे राम नई तो मिलत आवय खोजे म सुमिरन करत हे न सामदेई मोर सुमिरत हे सुनले माता मोर बात जऊने समय तुम जादू मारेंव तिरिया चरित मार जादू ल देवा गुरु गोरखनाथ जल्दी ला देवा ओ बोलत हे , रामा ये दे जी । कारी पिऊँरी चाऊँर रानी मारत हे दाई ओ देखतो दीदी सामदेई ह गुरु गोरखनाथ ल देखतो आदमी बनावत हे कोरु नगर के जतका घोड़ा बइरी गदहा ये जतका सुआ ये कऊनार पड़की परेवा ये कऊनो सुरा ये राम कऊनो कुबुबर बिलाई ये कऊनो भेड़वा ये राम कऊनो बोकरा ये बने हे सबला आदमी बनाय गुरु गोरखनाथ ल तो ये कइसे आदमी बनाय जतका चेलिन ल नारी ये मोर बनावत हे राम तऊनो ल देखत हे राजा ये भरथरी ये ओ जइसे गुरु तइसे तुम चेला जोग पूरा हो जाय अइसे बानी रानी बोलत हे , रामा ये दे जी । कंचन मिरगा मरीच के गुरु जल बरसाय कंचन मिरगा मरीच के रामा ये दे जी मुनि जल बरसाय , कंचन मिरगा मरीच के जम्मे ल आदमी बनावत हे गुरु गोरख ओ देख तो बोलय भरथरी ल सुन राजा मोर बात तोरो जोग बइरी सिद्ध होवय लौटी जावा तु राज गढ़ उज्जैनी मँ चल देवा माता ये तुम्हार सामदेई ले भिक्षा लावा चले जावत हे राम गुरु के बानी ल पावत हे गुरु बोलत हे बात सुनले बेटा भरथरी भरथरी ये राम न तो नारी मोला भीख देवय तो जोग साधव कइसे के जोग ल साघॅव , ये दे साघॅव , रामा ये दे जी । बोले वचन गुरु गोरख हर सुन ले बेटा मोर बात ल चले जाबे बेटा उज्जैन सहर म धुनि तॅय रमा लेबे ग अइसे बानी ल बइरी बोलत हे पित पिताम्बर ओ गोदरी ल गुरु देवय टोपी रतन जटाय काँधे जनेऊँ ल देवत हे हाथे खप्पर हे राम भरथरी धरि आवत हे गढ़ उज्जैन म आगी लगे खप्पर ल रखत हे जोग साधन हे न ओ गुरु गोरखनाथ ये , भाई ये दे जी । धुनि रमाये भरथरी ल गांव भर के हीरा राज दरबार देखत हे रानी डंका पिटाय सुनले गांव के परजा ये जऊन राजा हमार ना तो मैनावती रानी ये गोपी भाँचा हमार तुँहरों गाँव ल नेवता हे राजा तिलोकचंद तुँहरों गरीब घर नेवता हे मानसिंह राजा जम्मे नेवता ल बलावत हे बाइस गढ़ के राजा ल नेवता भेजत हे नेवता सुने सामदेई के भरथरी के आज देखतो दीदी जोग बइठे हे धुनि रमे हे न जिहां खप्पर ओ रखे हे दान देवत हे न नगर के बइरी परजा ये जतका रैयत हे ओ जम्मे ल बइरी दान देवय खप्पर म डॉरय आज न तो गुरु के खप्पर ये नई तो भरय दीदी का धन करँव उपाय ल , रामा ये दे जी । तब तो बोलय सामदेई ह का तो करँव उपाये ल देख तो अस्नादे बनावत हे रंगमहल म आय सुन्दर नहावत हे सामदेई आनंद मंगल मनाय सोने के भारी निकालत हे मोर देख तो दाई जऊने म मोहर धरत हे मोहर घरिके ओ सोने के थरी म आवत हे मैनावती ये ओ सुनले भइआ मोर बाते ल दान देवत हव झोंकव न खप्पर तो नई भरय का तो करँव उपाय तब तो सामदेई आवत हे सोने के थारी म राम मोती जवाहरात धरि के आवत हे सामदेई ये सुन्दर करके स्नान खप्पर के तीर म जावत हे जोग पूरा तुम्हार हो जावय ले लेवव दान ल सुन ले बेटा हमार अइसे कहिके डारत हे , रामा ये दे जी । बेटा कहिके डारत हे सामदेई ह दाई ओ देखतो खप्पर बइरी भरि जावय जोग हो गय तुम्हार पूरा अब होई जावय जुगजुग जीबे लला देवय आसीस सामदेई ह गुरु गोरखनाथ जइसे गुरु तइसे चेला अव जग मँ नाव तुहार अम्मर हो जाहय बोलत हे , रामा ये दे जी । भीख ल जोगी पाइके सामदेई के ओ देखतो दीदी भरथरी ह चले आवत हे जऊन मेर गुरु के धुनि रमे जिंहा जावय दीदी आनंद मंगल मनावत हे गुरु भरे जवाब मँगनी के तय तो बेटा अस तोला देहे रहेंव बोलत हावय गुरु गोरख हर सुनले राजा मोर बात न तो सामदेई के तुम बेटा न तो फुलवा के रे बेटा तुम अब हमार अइसे बानी ल गुरु बोलत हे , रामा ये दे जी । पीत पिताम्बर गोदरी कइसे देवत हे गुरु ओ देख तो दाई भरथरी ल टोपी रतन जटाय कांधे जनेऊ सोहत हे खप्पर देवय खप्पर रखावत हे धुनि म गुरु गोरखनाथ बानी बचन कई सत बोलय गद्दी देवय सम्हाल धुनि के तिलक ल निकालत हे तिलक सारत हे राम भरथरी ल गुरु गद्दी ए चल देवत हे गुरु के गद्दी ल पावत हे भरथरी ह न गोरखपुरे में बइठ जावय गुरु गद्दी म भरथरी ओ , रामा ये दे जी । तब तो बोलय आल्हाऊदल हर दुनिया ल गुरु भरथरी ल तय दान दिये जग म होगे अमर अमर होगे राज ग तुँहर ये दे नाम जग म नाम कमा लेवय हमला देवा वरदान कुछू तो देवा अइसे बोलत हे , रामा ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए , कूं कूं चर्खया , मैं लाल पूणी कतां के न ? कत्त बीबी कत्त . दूर मेरे सौरे , दस वसां के न ? वस बीबी वस . पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले , मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले , अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय , जदों दा चरखा डाया ए , सस्स नूं तरस न आया ए . तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . . सरगी उठ मदानी रिड्कान , भरूं लस्सी दा छन्ना , ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना , बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए . तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . . चक्की पीह के आटा पीवन दोनों नन्द जिठानी , सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी , चटक मटक के भाबो आई , सिरे ते मटका चाया ए . तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . . सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ , भार पिंडे ते धौण डोल गई दूर पिंडे दियां रावां , दूरों किदरों फाती आये , सिरे ते मटका चाया ए , तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . . नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले , साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया , हथीं पे गये छाले . शाबा सानुं शाबा , असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए . तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . . असीं निशंग मलंग बेलिया असीं निशंग मलंग , सानु हस्सन खेडण भावे , कम्म काज की आखे सानु , मन दी मौज उड़ाइए , जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई , दद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई , रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए , तिरंतन बैठिया नाराँ , भला जी झुरमुट पाया ए . . .",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-7 कैयक हो गए छैल दिमानें रजऊ तुमारे लानें भोर भोर नों डरे खोर में , घर के जान सियानें दोऊ जोर कुआँ पे ठाड़े , जब तुम जातीं पानें गुन कर करकें गुनियाँ हारे , का बैरिन से कानें ईसुर कात खोल दो प्यारी , मंत्र तुमारे लानें भावार्थ रजऊ तुम्हारे लिए कितने ही लोग छैला और दिवाने होकर रातरात भर गली में पड़े रहते हैं । अभी तो यह बात घर के लोगों को भी पता लग गई है । जब तुम पानी लेने जाती हो तो कितने ही लोग कुएँ के आसपास खड़े रहते हैं । कितने ही ओझाओं और गुनियों की सहायता से तुम्हारे साथ मिलन का उपाय कर रहे हैं कि उस बैरिन से ऐसी क्या बात कहें कि वह उनकी हो जाए । ईसुरी कहते हैं तुम्हारे लिए इतने जंतरमंतर किए हैं । अब तो तुम्हें अपने मन की बात खोल ही देनी चाहिए ।",bundeli-bns "कान पङा लिये जोग ले लिया कान पङा लिये जोग ले लिया , इब गैल गुरु की जाणा सै । अपणे हाथां जोग दिवाया इब के पछताणा सै ॥ धिंग्ताणे तै जोग दिवाया मेरे गळमैं घल्गि री माँ , इब भजन करुँ और गुरु की सेवा याहे शिक्षा मिलगी री माँ । उल्टा घरनै चालूं कोन्या जै पेश मेरी कुछ चलगी री माँ , इस विपदा नै ओटूंगा जै मेरे तन पै झिलगी री माँ ॥ तन्नै कही थी उस तरियां तै इब मांग कै टुकङा खाणा सै । अपणे हाथां जोग दिवाया इब के पछताणा सै ॥",haryanvi-bgc "सोह्‌रा मेरा लोभी बेटे न भरती घालै सै सोह्रा मेरा लोभी बेटे न भरती घालै सै सास मेरी चाली मनै झूठे ताने मारे सै छेल छुट्टी आया मनै लील्ये लोट दिखावै सै नोटां नै के फूक्कूं मनै सारा कुणबा तास्सै सै गेल तेरी चालू पलटन मा भरती हो जूं व्हां चालें बम्ब के गोले तौं डर डर के मर ज्यागी वे आवैंगे सिपाही जोबन न कडै लकोवेगी",haryanvi-bgc "सोनी गढ़ को खड़को सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार म्हारी गार कसुम्बो रुदियो सोनी धड़जे ईश्वरजी रो मुदड़ो , वांकी राण्या रो नवसर्‌यो हार म्हांरी गोरल कसुम्बो रुदियो वातो हार की छोलना उबरी बाई सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो",rajasthani-raj "कत दिन मधुपुर जायब, कत दिन आयब हे कत1 दिन मधुपुर जायब , कत दिन आयब हे । ए राजा , कत दिन मधुपुर छायब , 2 मोहिं के बिसरायब हे ॥ 1 ॥ छव महीना मधुपुर जायब , बरिस दिन आयब हे । धनियाँ , बारह बरिस मधुपुर छायब , तोहंे नहिं बिसरायब हे ॥ 2 ॥ बारहे बरिस पर राजा लउटे3 दुअरा4 बीचे गनि5 ढारे6 हे । ए ललना , चेरिया7 बोलाइ भेद पूछे , धनि मोर कवन रँग हे ॥ 3 ॥ तोर धनि हँथवा के फरहर , 8 , मुँहवा के लायक9 हे । ए राजा , पढ़ल पंडित केर10 धियवा , तीनों कुल रखलन11 हे ॥ 4 ॥ उहवाँ12 से गनिया उठवलन , अँगना बीचे गनि ढारे हे । ए ललना , अम्माँ बोलाइ भेद पुछलन , कवन रँग धनि मोरा हे ॥ 5 ॥ तोर धनि हँथवा के फरहर , मुँहवा के लायक हे । ए बबुआ , पढ़ल पंडित केर धियवा , तीनों कुल रखलन हे ॥ 6 ॥ उहवाँ से गनिया उठवलन , ओसरा13 बीचे गनि ढारे हे । ए ललना , भउजी बोलाइ भेद पुछलन , धनि मोरा कवन रँग हे ॥ 7 ॥ तोरो धनि हँथवा के फरहर , मुँहवा के लायक हे । बाबू , पढ़ल पंडित केर धियवा , तीनों कुल रखलन हे ॥ 8 ॥ उहवाँ से गनिया उठवलन , सेजिया बीचे गनि ढारे हे । ए ललना , धनियाँ बोलाइ भेद पुछलन , तुहूँ धनि कवन रँग हे ॥ 9 ॥ अँगना मोरा लेखे14 रनबन15 दुअरा कुँजनबन16 ए राजा , सेजिया पर लोटे काली नगिनिया , रउरे17 चरन बिनु हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "26 खबर भाइयां नूं लोकां ने जा दिती धीदो रुस1 हजारयों चलया जे हल वाहण ओस तों होए नाहीं मार बोलियां भाबियां सलया जे पकड़ राह तुरया हंझू नयन रोवन जिवें नदी दा नीर उछलया जे वारस शाह दे वासते भाइयां ने अधवाटयां राह आ मलया जे",panjabi-pan "हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे दादा हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे दादा साजन मलमल न्हायेंगे गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो सून्ने की कुंडली ना होगी माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी साजन मलमल न्हायेंगे हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे ताऊ साजन मलमल न्हायेंगे गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो सून्ने की कुंडली ना होगी माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी साजन मलमल न्हायेंगे हो सून्ने की कुंडली घड़ा मेरे बाबू साजन मलमल न्हायेंगे गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो सून्ने की कुंडली ना होगी माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी साजन मलमल न्हायेंगे",haryanvi-bgc "जा मुरली तो मधुर सुना जाव फिर मथुरा खो चले जावो जा मुरली तो मधुर सुनाएं जाव , फिर मथुरा खों चले जावो । मुरली बजे श्याम की प्यारी , जा में वश कीन्हें बृजनारी , सोवत जगी राधिका प्यारी । हमें सुर को तो शब्द सुनाये जाओ । फिर . . . तुम बिन हमें कछु न भावे , जो मन दरसन खों ललचावे , सूरत सपने में दरसावे , हमें नटवर तुम संगे लिवाए जाओ । । फिर . . . सोहे भाल तिलक छवि न्यारे , दोई नैनाहैं रतनारें , कानन कुण्डल डुले तुम्हारे । अपना मोहिनी रूप दिखाए जाओ । फिर . . . गारी श्रीकृष्ण की प्यारी , उनके चरणन की बलहारी , जिनको भजते सब संसारी । हमें चरणन की दासी बनाए जाओ । फिर . . .",bundeli-bns "मैया कैसी मनोहर गलिया सजी है मैया कैसी मनोहर गलियां सजी हैं देखो सुनार लये , नथनी खड़ो हैं । नथुनी में हीरे की कनियां लगी हैं । मैया . . . देखो बजाज लये , चुनरी खड़ो है । अरे चुनरी में गोटे की छड़ियां पड़ी हैं । मैया . . . देखो माली लये , हार खड़ो है , हार में चम्पे की कलियां लगी हैं । मैया . . . देखो यात्री मोहन भोग लये हैं , भोग में मिश्री की डरियां पड़ी हैं । मैया . . .",bundeli-bns "587 बखशीं लिखने वालयां जुमलयां नूं पढ़न वालयां करी अता साईं सुनन वालयां नूं बहुत खुशी होई रखन जौक ते शौक दा चा साईं रखी शरम हया तूं जुमलयां दा मीटी मुड़ दी दई लघां साईं वारस शाह तमामियां मोमनां नूं दईं दीन ईमान लुका साईं",panjabi-pan "गोंदा फुलगे मोरे राजा हो गोंदा फुलगे मोरे राजा गोंदा फुलगे मोर बैरी छाती मं लागय बान गोंदा फुलगे हो गोंदा फुलगे मोरे राजा गोंदा फुलगे मोर बैरी छाती मं लागय बान गोंदा फुलगे गोंदा फुलगे मोरे राजा ठाढ़े हे बैरी टरत नई ये हो ठाढ़े हे बैरी टरत नईये मोर आंखी के पिसना मोर आंखी के पिसना मरत नईये गोंदा फुलगे गोंदा फुलगे मोरे राजा गोंदा फुलगे मोर बइरी छाती मं लागय बान गोंदा फुलगे हो गोंदा फुलगे मोरे राजा हा हा पूनम के चंदा लजा के मर जाए पूनम के चंदा लजा के मर जाए तोर रूप आज रतिहा तोर रूप आज रतिहा गजब गदराए गोंदा फुलगे गोंदा फुल गे मोरे राजा गोंदा फुल गे मोर बैरी छाती मं लागय बान गोंदा फुलगे हो गोंदा फुलगे मोरे राजा होहो ओहो अहा अहा अहा सुआ नही बोले ना बोले मैना हो सुआ नही बोले ना बोले मैना मैं तरसत हव सुनेबर तोरेच बैना गोंदा फुलगे गोंदा फुल गे मोरे राजा गोंदा फुल गे मोर बैरी छाती मं लागय बान गोंदा फुलगे हो गोंदा फुलगे मोरे राजा हो हा हहा हा",chhattisgarhi-hne "मेरा रूप किया देखे मेरा रूप किया देखे मेरा रूप किया देखे अमरा की साई हो अमरा की साई हो निकलो हो रानी तो तेरा रूप देखे वो निकलो हो रानी तो तेरा रूप देखे वो स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "वन्यांती तो आया देवी देवता रे नाना वन्यांती तो आया देवी देवता रे नाना वन्यां ती तो आया गणेश उजण्या से आया देवीदेवता रे चन्तामण से आया गणेश वन्यां उतारां देवीदेवता रे नाना वन्यां उतारां गणेश मंदरे उतारां देवीदेवता रे नाना बाजूरया उतारां गणेश कई निमाड़ा देवीदेवता रे नाना कोई निमाड़ा गणेश पनफल निमाड़ा देवीदेवता रे नाना लाडू निमाड़ा गणेश कोई जो देगा देवीदेवता रे नाना कोई जो देगा गणेश अन्न धन देगा देवीदेवता रे नाना रिदयसिद्ध देगा गणेस",malvi-mup "रंग का चार बनड़ा। रंग का चार बनड़ा । पिया लो म्हारा आवो वासी रंगरा हस्ती तो लाजो कजली वनरा घोड़ा तो लाजो खुरासान रा गाड़ी तो लाजो मारू देस री मेवा तो लाजो गढ़ गुजरातरा नाड़ा तो लाजो नखल देसरा मेंदी तो लाजो टोड़ा देसरा सालू तो लाजो सांगानेर री गेणा तो लाजो सोनी देसरा बेटी तो लाजो बड़ा बापकी",malvi-mup "सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के ॥ 1 ॥ जबे जबे हरिजी खरही1 चुनावे । गारी सुनावे मनमान2 मोहन प्यारे के ॥ 2 ॥ ले खरही हरि , टटर3 बिनैबो4 देतन तोर मइया दोकान5 । जोग के बीरा6 सखियन देलन , हर लेलन हरि के गेयान ॥ 3 ॥",magahi-mag "जेहि बन सिंकियो ना डोलइ जेहि बन सिंकियो ना डोलइ , बाघ सिंह गरजइ हे । तेहि बन चललन , कवन चच्चा , अँगुरी धरि कवन बरुआ हे ॥ 1 ॥ पहिले जे कटबउ1 मूँजवा2 मूँज के डोरी चाहिला हे । तब कय कटबउ परसवा , परास डंडा चाहिला हे । तब कय मारबउ मिरगवा , गिरिग छाल चाहिला हे ॥ 2 ॥ जेहि बन सिंकियो न डोलइ , बाघ सिंह गरजइ हे । तेहि बन चललन कवन भइया , अँगुरी धरि कवन बरुआ हे ॥ 3 ॥ पहिले जे कटबउ मूँजवा , मूँज के डोरी चाहिला हे । तब कय कटबउ परसवा , परास डंडा चाहिला हे । तब कय मारबउ मिरिगवा , मिरिग छाल चाहिला हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "मायमौरी 1 देव धामी ल नेवतेंव उन्हूं ल न्योत्यों जे घर छोड़ेन बारेन भोरेन ता घर पगुरेन हो माता पिता ल नेउतेन उन्हू ल नेउतेन 2 हाथे जोरि न्यौतेंव मोर देवी देवाला हो देवी देवाला घर के पुरखा मन होओ सहाय… बिनती करेंव मंय माथ नवायेंव हो माथ नवायेंव कर लेहो एला स्वीकार… 3 ठाकुर देवता के पईयां परत हव वो पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय हो देवता दुलरू के होई हव सहाय वो तो दुलरू के होई हव सहाय हो देवता दुलरू के होई हव सहाय संकर देवता के पईयां परत हव वो पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय हो देवता दुलरू के होई हव सहाय वो तो दुलरू के होई हव सहाय हो देवता दुलरू के होई हव सहाय",chhattisgarhi-hne "वृन्दावन श्याम मची होरी वृन्दावन श्याम मची होरी । टेक बाजत ताल मृदंग झांझ ढप , बरसत रंग उड़त रोरी ॥ कित ते आये कुंवर कन्हैंया , कितते आई राधा गोरी । गोकुल ते आये कुँवर कन्हैंया , बरसाने सेस राधा गोरी ॥ कौन के हाथ कनक पिचकारी , कौन के हाथ अबीर झोरी । कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी , राधा के हाथ अबीर झोरी ॥ अबीर गुलाल की धूम मची है , फेंकत है भरिभरि झोरी । ‘सूरदास’ छबि देख मगन भये , राधेश्याम जुगल जोरी ॥",braj-bra "आल्हा ऊदल मारे टापन के रोनन से रुदल के देल उठाय बोलल घोड़ा रुदल के बाबू पलटन इंदरमन के पहुँचल आय फाँद बछेड़ा पर चढि गैल पलअन में पहुँचल बाय बलो कुबेला अब ना चीन्हे जाते जोड़ देल तरवार पड़ल लड़ाइ इंदरमन में रुदल से पड़ गैल मार ऐसी लड़ाई सिब मंदिर में अब ना चीन्हे आपन पराय गनगन गनगन चकर बान बोले जिन्हके बलबल बोले ऊँट सनसन सनसन गोली बरसे दुइ दल कान दिहल नाहिं जाय दसो तिरंगा इंदरमन के रुदल काट कैल मैदान गोस्सा जोर भैल इंदरमन खींच लेल तरवार जौं तक मारल बघ रुदल के अस्सी मन के ढालन पर लेल बचाय ढलिया कट के बघ रुदल के गद्दी रहल मरद के पास बाँह टूट गैल रुदल के बाबू टूटल पं के हाड़ नाल टूट गैल घोड़ा के गिरल बहादूर घोड़ा से धरती पर गिरल राम राम चिचियाय पड़ल नजरिया है देवी रुदल पर पड़ गैल दीठ आइल देवी इंद्रासन के रुदल कन पहुँचल बाय इमिरित फाहा दे रुदल के घट में गैल समाय तारु चाटे रुदल के रुदल उठे चिहाय चिहाय प्रान बचावे देबी बघ रुदल के रुदल जीव ले गैल पराय भागल भागल चल गैले मोहबा में गैल पराय",bhojpuri-bho "दगड़ू नि रैणू सदानि दगड़्या (खुदेड़ गीत) तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि तेरु बाटू तेरा अगाड़ि , मेरु बाटू मेरा अगाड़ि कख ल्हिजालू कुज्याणी दगड़्या , कख ल्हिजालू कुज्याणी दगड़्या दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . दगड़ू नि रैणू सदानि तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि सुख मां दुख मां मिली जुली , दिन जू गैनी वी अपड़ा सुख मां दुख मां मिली जुली , दिन जू गैनी वी अपड़ा मेरी उंठड़्यूं मां हैंसी तेरी , तेरु दरद मेरा जिकुड़ा . . . तेरु दरद मेरा जिकुड़ा . . . अपणू परायू नि जाणि दगड़्या , अपणू परायू नि जाणि दगड़्या दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . . तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि कांडा लग्यां ईं उमर उंद , नरकै कि गाई बिराणी सी कांडा लग्यां ईं उमर उंद , नरकै कि गाई बिराणी सी बगत नि रुकि हथ जोड़ी जोड़ी , बगदू राई पाणी सी . . . बगदू राई पाणी सी . . . पौणू सि आई या ज्वानि दगड़्या , पौणू सि आई या ज्वानि दगड़्या , दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . . तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि रईं सईं बि कटि जाऊ जू , यनि समळौण देजा आज रईं सईं बि कटि जाऊ जू , यनि समळौण देजा आज दगड़्या भोळ कख तू कख मी , आखिरी बेर भ्येंटे जा आज आखिरी बेर भ्येंटे जा आज . . . बगण दे आंख्यूं कू पाणि . . . दगड़्या . . . बगण दे आंख्यूं कू पाणि . . . दगड़्या दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . . तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि बोझ हिया कू भुयां बिसैजा , भूलीं बिसरीं छ्वीं बत लैजा बोझ हिया कू भुयां बिसैजा , भूलीं बिसरीं छ्वीं बत लैजा औ दगड़्या सुख दुख बांटि ल्योला , जिकुड़ी अदला बदली कैजा जिकुड़ी अदला बदली कैजा . . . दुख से हार नि मानि दगड़्या . . . दुख से हार नि मानि दगड़्या . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . . तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि ।",garhwali-gbm "348 फकर शेर दा आखदे हैन बुरका भेत फकर दा मूल ना फोलीए नी दुध साफ है वेखना आशकां दा शकर विच पयाजना घोलीए नी घरों खरे जो हस के आन दीजे लईए दुआ ते मिठड़ा बोलीए नी लइए आख चढ़ायके वध पैसा पर तोल तों घट ना तोलीए नी",panjabi-pan "माले पुले बेटी डो माले पुले बेटी माले पुले बेटी डो माले पुले बेटी बेटी आमा डाई डाई तावी पारोम टेन आजे आजे डो होड़ा साई डो साई बोले माले पुले बेटी डो माले पुले बेटी बेटी आमा डाई डाई बेटी डाई आजे टायन बेटी डो बोकजई इले डो मिले डो सूटोये स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "जेहि बन सीकियो न डोलइ, बाघ गुजरए हे जेहि बन सीकियो1 न डोलइ , 2 बाघ गुजरए3 हे । ललना , ताहीतर रोवे सीता सुन्दर , गरभ अलसायल4 हे ॥ 1 ॥ रोवथी सीता अछन5 सँय , अउरो छछन6 सँय हे । ललना , के मोरा आगेपाछे7 बइठतन , के8 रे सिखावत9 हे ॥ 2 ॥ बन में से इकसलन10 बनसपति , 11 सीता समुझावल हे । ललना , सीता हम तोरा आगेपाछे बइठब , केसिया सँभारब12 हे ॥ 3 ॥ हम देबो सोने के हँसुअवा , 13 हमहीं होयवो डगरिन हे ॥ 4 ॥ आधी रात बीतलइ पहर रात , बबुआ जलम लेल हे । ललना , जलमल तिरभुवन नाथ , तीनहुँ लोक ठाकुर हे ॥ 5 ॥ जलम लेहल बाबू अजीधेया त अउरो रजधानी लेत हे । बाबू जीरवा14 के बोरसी15 भरयतूं , 16 लौंगिया पासँध देती हे ॥ 6 ॥ जलमल ओही कुंजन बन अउरो सिरीस बन हे । बबुआ , कुसवे17 ओढ़त18 कुस बासन19 कुसवे के डासन20 हे ॥ 7 ॥ अँचरा फारिय21 के कगजा , कजरा22 सियाही भेल हे । ललना , कुसवे बनइली23 कलमिया , लोचन24 पहुँचावहु हे ॥ 8 ॥ पहिला लोचन रानी कोसिला , दोसर केकइ रानी हे । ललना तेसर लोचन लहुरा25 देवर , रामहिं जनि जानहि हे ॥ 9 ॥ चारी चौखंड26 के पोखरिया , राम दँतवन करे हे । ललना , जाइ पहुँचल उहाँ27 नउआ , त कहि के सुनावल हे ॥ 10 ॥ कोसिलाजी देलन पाँचों टुक28 जोड़वा , 29 केकई रानी अभरन हे । ललना , लछुमन देलन मुंदरिया , 30 रामजी पटुका31 देलन हे ॥ 11 ॥ कहले सुनल सीता माँफ करिह , अजोधेया चलि आवह हे । फटतइ32 धरतिया समायब , 33 अजोधेया नहीं आयब हे ॥ 12 ॥",magahi-mag "525 इस पद्य में संपों की बहुत सारी किस्मों का ब्यान है सहती आखया फरक ना पवे मासा ए सप ना कील ते आंवदे ने काले बाग विच जोगीड़ा सिध दाना जिदे कदम पया दुख जांवदे ने बाशक नाग करूंडीए मेद तछक छिबे तितरे सीस निवांवदे ने कलगीदार ते उडना भूंड नाले असराल खराल डर खांवदे ने तेपूरड़ा बूरड़ा फनी फनियर सब आन के सीस निवांवदे ने मनीदार ते सिरे खड़बीए भी मंतर पढ़े ते कील ते आंवदे ने घंगूरियां दामियां बस बसाती रतवाड़ियां कोझियां छांवदे ने खंजूरिया तेलिया बनत करके चंगा फनवारिया कोइ चा चांवदे ने काई दुख ते दरद ना रहे भोरा जादू जिन्न ते भूत सब जांवदे ने मिले उस नूं कोई ना रहे रोगी दुख कुलां दे उस तों जांवदे ने राव राज ते देवते वैद परियां सब उस तों हथ वखांवदे ने होर वैदगी वैद लगा थके वारस शाह होरी हुण आंवदे ने",panjabi-pan "नदी देखों नदी देखों नदी तिलजुगबा कोसी गो देखि नदी देखों नदी देखों नदी तिलजुगबा कोसी गो देखि मैया जीवो थर थर काँपे , कोसी गो देवी । सगरे समैया कोसी माय उठि बैठि गमैलियैगे मैया भादो मासे साजले बारात कोसी माय गे देवी । जब तहूँ आहे कोसिका सलहेस देखले आवैत घाटे घाटे , नैया राखले छपाय , कोसी गो देवी । जब तहूँ आहे कोसिका नैया छपैले हाथी चढ़ि भैया उतरव पार कोसी गो देवी । जब तहूँ आहे सूड़िया हाथी चढ़ि उतरबे माझे धारेहाथी देबौ डुवाय माझे धारे । जब तहूँ आहे कोसिका हाथी दूड़ैव सीरा में बान्ह देवो बन्हाय मैया कोसी गे देवी । जब तहूँ आहे सूड़िया बान्ह बन्हैव तोड़िकेसमुख धार देवो बनाय । घाट बाट चढ़यो मैया दशोनहा पान घर गेनेदेबौ पाठी कटाय । बेर तोरा परलौ लाखें लाख कबूल वे घर गेने जेवै बिसराय । मैया कोसी गे देवी । जातो मोरा जेतौ , प्रानो तन हततै तैयो न विसख तोर नाम । तोही जितले मैया , हमें हारलो , दे मैया पार उतारि । मैया कोशी गे देवी ।",angika-anp "फाग गीत चन्दरमा री चांदणी तारा रो तेज मोळो रे । बालमणा रो भाएलो परदेस नीकाळियो , मूंडे मळियो नी । हाँ रे मूंडे मळियो नी , जातोड़ा री पीठ देखी यो , मूंडे मळियो नी । एक युवती कहती है कि चन्द्रमा की चाँदनी और तारों का प्रकाश मंद है । मेरे बचपन का प्रेमी बिना मिले परदेश चला गया । मुझसे मिला भी नहीं , जाते हुए उसकी पीठ देखी । इससे वह क्षुब्ध है ।",bhili-bhb "मैं तो सोय रही सपने में मैं तो सोय रही सपने में , मोपै रंग डारौ नन्दलाल ॥ सपने में श्याम मेरे घर आये , ग्वाल बाल कोई संग न लाये , पौढ़ि पलिका पै गये मेरे संग , टटोरन लागे मेरौ अंग , दई पिचकारी भरभर रंग ॥ दोहा पिचकारी के लगत ही मो मन उठी तरंग जैसे मिश्री कन्द की , मानों पी लई भंग ॥ मानो पी लई भंग , गाल मेरे कर दिये लाल गुलाल ॥ 1 ॥ खुले सपने में मेरे भाग , कि मेरी गई तपस्या जाग , मनाय रही हंसिहंसि फाग सुहाग । दोहा हंसहंसि फाग मनावत , चरन पटोलत जाउँ धन्यधन्य या रैन कू , फिर ऐसी नहिं पाउँ ॥ फिर ऐसी नहि पाउँ , भई सपने में माला माल ॥ 2 ॥ इतने में मेरे खुल गये नैना , देखूँ तो कछु लैन न दैना । पड़ी पलिक पै मैं पछितात , कि मीड़त रह गई दोनों हाथ । मन की मन में रह गई बात । दोहा मन की मन में रह गई , है आयौ परभात । बज्यौ फजर कौ गंजर , रहे तीन ढाक के पात ॥ तीन ढाक के पात , रहीकंगालिन की कंगाल ॥ 3 ॥ होरी कौ रस रसिकहि जानें , रसकूँ कूर रहा पहिचाने । जो रस देखौ ब्रज के मांहि , सो रस तीन लोक में नांहि , देखके ब्रह्मादिक ललचाँय ॥ दोहा ब्रह्मादिक ललचावते , धन्यधन्य ब्रजधाम । गोबरधन दसबिसे में , द्विजवर घासीराम ॥ द्विजवर घासीराम , सदा ये कहैं रसीले ख्याल ॥ 4 ॥",braj-bra "कहवाँ के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे कहवाँ1 के सेनुरिया2 सेनुर3 बेचे आयल हे । कहवाँ के बर कामिल4 सेनुर बेसाहल5 हे ॥ 1 ॥ कवन पुर के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे । कवन पुर के बर कामिल , सेनुर बेसाहल हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे । सासु , मिलि लेहु बाड़ा छछन1 से , बाड़ा ललक से हे ॥ 1 ॥ अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी2 ना पेन्हबो हे । पिया के सेज न जायबो , पिया के सुध लीहट तूँहीं ॥ 2 ॥ दूसरा बेदन जब आयल , गोतनी के बोलावल हे । गोतनी , मिलि लेहु बाड़ा छनन से , बाड़ा ललक से हे ॥ 3 ॥ अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी ना पेन्हबो हे । पिया के मुँह न देखबो , पिया मन बोधिहऽ तूंहीं ॥ 4 ॥ तेसरा बेदन जब उठल , ननद के बोलावल हे । ननदो , मिलि लेहु बाड़ा छछन से , बाड़ा ललक से हे ॥ 5 ॥ अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी न पेन्हबो हे । पिया सँग अब न सुतबों , सुतिहऽ अब तूँहीं ॥ 6 ॥ चउठा दरद जब आयल , जलमल नंदलाल हे । अब त सासु हम जीली3 छछन से , जीली ललक से हे ॥ 7 ॥ अब सोंठ पीपर हम पीबो , पियरी हम पेन्हबो हे । अब पिया पास हम जयबो , पिया के बोला देहु हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "लाँगुरिया रे लँगुरिया कमरा में भारी डाकौ पर गयौ ॥ टेक कोई पर गयौ आधी रात ॥ लँगुरिया मेरे ससुर गये देवी परसन कू , चाहे सास भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया मेरे जेठ गये देवी जात कूँ , चाहे जिठानी भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया मेरे देवर गये देवी जात कूँ , चाहे दौरानी भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया . . . ऐसे ही नाम लेते जाते हैं ।",braj-bra "मोह न छोड्यो मोर महतारी मोह न छोड्यो मोर महतारी एक कोखि के भैया बहिनिया एकहि दूध पियायो महतारी मोह न . . . भैया के भए बाजै अनद बधैया हमरे भए काहे रोयो महतारी ? मोह न . . . भैया का दिह्यो मैया लाली चौपरिया हमका दिह्यो परदेस महतारी मोह न . . . सँकरी गलिय होई के डोला जो निकरा छूटा आपन देस महतारी मोह न . . .",awadhi-awa "इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए इक अलफों दो तिन्न चार होए , फेर लक्ख करोड़ हजार होए , फेर ओत्थों बाझ शुमार होए , इक अलफ दा नुक्ता न्यारा ए । इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए । क्यों पढ़ना ऐं गड्ड किताबाँ दी , क्यों चाना ऐं पंड अजाबाँ1 दी , हुण होयों शकल जलादाँ दी , अग्गे पैंडा मुशकल भारा ए । इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए । बण हाफज़2 हिफज़3 कुरान करें , पढ़ पढ़ के साफ ज़बान करें , फिर नेआमताँ4 विच्च ध्यान करें , मन फिरदा ज्यों हलकारा ए । इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए । बुल्ला बी बोहड़ दा बोएआ सी , ओह बिरछ वड्डा जाँ होएआ सी , जद बिरछ ओह फानी होएआ सी , फिर रैह गया बी अकारा ए । इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए ।",panjabi-pan "409 झाटा पटके मेढियां खोह सुटूं गुतों पकड़के देऊं विलावड़ा1 नी जे तां पिंडदा खौफ वखावनीएं लिखां पशम2 ते एह गिरावड़ा नी तेरा असां दे नाल मुदापड़ा ए नहीं होवना सहज मिलावड़ा नी लत मारके छडूंगा चाए कुबन3 कढ आई ए ढिड जिउं तावड़ा नी सने बांदी कुआरी दे मिझ कढूं निकल जाणगिआं सहिती दीयां चावड़ा नी हथ लगे तां सटूंगा चीर रन्ने कढ लऊंगा सारियां कावड़ा नी तुसीं त्रैए घुलाटड़ा जानना हां कडूं दोहां दा पोसत पोसतावड़ा नी वारस शाह दे मोढयां चढ़ीए तूं निकल जाये जवानी दा चावड़ा नी",panjabi-pan "विरह गीत माथे नी हयणी ढली गई , कहां लग भालुं तारी वाट रे । हाथ रंगीली लाकड़ी , रही गई ढोलिहा हेट रे । चूल्हा पर खिचड़ी सेलाई गई , कहां लग भालुं तारी वाट रे । सींका पर चूरमो सेलाई ग्यो , कहां लग भालुं तारी वाट रे । मारो रावलियो कुकड़ो तो , रावलियोरावलियो जाये रे । राजा नी रानी जागसे , तो टोपसे ढोलिड़ा हेट रे ॥ प्रियतमा अपने प्रियतम का इन्तजार कर रही है । वह कहती है हिरणी आसमान में उदित होने वाले तीन तारे , जिन्हें देखकर समय का अनुमान लगाया जाता है ढल गयी है अर्थात् आधी रात हो गयी है , अभी तक प्रिय घर नहीं आये , मैं कब तक राह देखूँ ? उनके लिए रखी खिचड़ी और सींके पर रखा चूरमा भी ठण्डा हो गया है । प्रेयसी , प्रिय के विरह में इतनी व्याकुल हो गयी है कि मुर्गे को टोकनी में बन्द करना ही भूल गयी ।",bhili-bhb "साढ़ जे मास सुहावणा सुआ रे साढ़ जे मास सुहावणा सुआ रे जै घर होता हर का लाल मैं हाली खंदावती सामण जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं हिंदो घलावती भाद्ड़ा जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर लाल मैं गूगा मनावती असौज जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं पितर समोखती कातक जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं दिवाली मनावती मंगसर जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं सौड़ भरवाती पोह जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं संकरात मनावती माह जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं बसन्त मनावती फागण जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं होली खेलती चैत जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं गणगौर पूजती बैसाख जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर का लाल मैं पंखा मंगावती जेठ जे मास सुहावणा सुआ रे । जै घर होता हर लाल मैं जेठड़ा मनावती बारहए महीना होलिया सुआ रे । तोडूं मरोडूं तेरा पींजड़ा जल में दूंगी बगाय तेरी सेवा ना करूं सुआ रे । म्हारी तो सेवा वै करै राधा ए जो हर आवैगा आज जेाडूं संगोडूं तेरा पींजड़ा सुआ रे । और चुगाऊं पीली दाल तेरी सेवा मैं करूं",haryanvi-bgc "म्हारे से डरपत नहीं चूहा म्हारे से डरपत नहीं चूहा सेंध चलावै छप्पर में कैसे पतो पड़ो बणजारिन चूंटी ना छोड़ो चून बहिन मेरी कर दियो छेट चपटिया में कोठी और कुठिला में पंसेरी कर दिये मींग बहिन मेरी जौ की कर दई बेजरिया चूहा मारन मैं गई झट्ट बिलन में जाये बहिन मेरी मौंछ हिलावे गिट्टे में",rajasthani-raj "अंगिका बुझौवल एक मुट्ठी राय देल छिरयाय गिनतेंगिनतें ओरो नै पाय । तारा काठ फरै कठ गुल्लर फरै फरै बत्तीसी डार चिड़िया चुनमुन लटकै छै मानुष फोड़ीफोड़ी खाय । सुपाड़ी एक चिड़ियाँ ऐसनी खुट्टा पर बैसनी पान खाय कुचुरमुचुर से चिड़ियाँ कैसनी । जाताँ सुइया एन्हों सोझोॅ माथा पर बोझोॅ । ताड़गाछ सुइया एन्हों सोझोॅ डाँड़ा पर बोझोॅ । मकई के पेड़ तनी टा छौड़ी जनम जहरी तेकरा पिन्हला लाल घंघरी । मिरचाय जबेॅ हम छेलाँ काँच कुमारी तब तक सहलाँ मार अब हम पहनला लाल घंघरिया अब नै सहबौ मार । हड़िया कारी गाय लरबर दूध करेॅ छरभर । मेघ टिपटिप टिपनी , कपार काहे चुरती टाकुर माँगुर रात काहे बूलती । महुआ तनी टा भाल मियाँ बड़का ठो पुछड़ी । सुईया तनी टा मुसरी पहाड़ तर घुसरी । सुईया सब्भे गेलोॅ हटिया धुम्मा रहलोॅ बैठलोॅ । कोठी हेबेॅ ऐलोॅ हेबेॅ गेलोॅ । नजर कारी गाय पिछुआडैं ठाड़ी । टीक जब हम छेलाँ बारी भोरी तब हम पीन्हला दोबर साड़ी जब हम होलाँ जोख जुआन कपड़ा फाड़ी देखेॅ लोगलुगान । भुट्टा",angika-anp "हारे वाला ऊँची-नीची सरवर पाल हारे वाला ऊँचीनीची सरवर पाल जमई धावे धोपती जी म्हारा राज हांरे वाला कोनस राम रा गज भीम कोणजी घर पावणा जी म्हारा राज हां वो दासी तातासा पाणी समोव जमई न्हावे न्हावणा जी म्हारा राज हां वो बाई ताता सा भोजन परोस जमई जीने जीमणा जी म्हारा राज हां वो दासी ठंडी सी झारी भरलाव जमई पीवे पीवणी जी म्हारा राज हां वो दासी पाना रा विड़ला लगाव जमई बीड़ा चावसी जी म्हारा राज हां वो दासी मेलां में दिवलो संजोव चमई चौपड़ खेलरन्यां जी म्हारा राज हां वो दासी तेलां री खबर मंगाव न्योण हारिया ने कोण जीत्याजी म्हारा राज हां वो वाई हरिया सातापाचां री रामां री बाई जीत्याजी म्हारा राज हां रे वाला आई जमायां ने रीस वाई ने ताज्या ताजणा जी म्हारा राज हां रे वाला आई जमाई जी ने रीस भेलां से नीचे ऊतरियाजी म्हारा राज हां रे वाला दईदई दादाजी री आन वाई ने पाछा फेरिया जी म्हारा राज हां रे वाला दईदई वीराजी री आन वाई ने पाछा फेरियाजी म्हारा राज",malvi-mup "128 अम्मां चाक बेले असीं पींघ झूटां कहे गैब दे तोतने बोलनी एं गंदा बहुत मलूक मुंह झूठड़े दा ऐडा झूठ दहाड़ क्यों तोलनी एं शोलह नाल गुलाब दे त्यार कीता विच पयाज क्यों झूठ दा घोलनी एं गदों किसे दी नहीं चुरा आंदी दानी होइके गैब1 क्यों तोलनी एं अन सुणदियां नूं चा सुणाया ई मोए नाग वांगूं विस घोलनी एं वारस शाह गुनाह की असां कीता ऐडे गैब दे कूड़ क्यों फोलनी एं",panjabi-pan "अगे अगे चेरिया बेटिया, नेस देहु मानिक दियरा हे अगे अगे चेरिया बेटिया , नेस देहु1 मानिक दियरा2 हे । येहो3 बँसहर4 घर दियरा बराय5 देहु , सुततन6 दुलरू दुलहा हे ॥ 1 ॥ पहिल पहर राती बीतल , इनती मिनती7 करथिन हे । लेहु बहुए सोने के सिन्होंरबा8 तो उलटि पुलटि सोबऽ9 हे ॥ 2 ॥ अपन सिन्होरबा परभु मइया के दीहऽ10 अउरो बहिनी के दीहऽ हे । पुरुब मुँह11 उगले जो चान , तइयो12 नहीं उलटि सोयबो हे ॥ 3 ॥ दोसर पहर राती बीतल , इनती मिनती करथिन हे । लेहु बहुए नाक के बेसरिया , उलटि जरा सोबहु हे ॥ 4 ॥ अपन बेसरिया परभु , मइया दीहऽ , अउरो बहिनिया दीहऽ हे । पुरुब के सुरूज पछिम उगतो13 तइयो नहीं उलटि सोयबो हे ॥ 5 ॥ तेसर पहर रात बीतल , दुलहा मिनती करे , अउरो आरजू करे हे । लेहु सुहवे14 सोनहर15 चुनरिया , त उलटि पुलटि सोबऽ हे ॥ 6 ॥ अपन चुनरिया परभु जी मइया दीहऽ , अउरो बहिनिया दीहऽ हे । पछिम उगतो जे चान , तइयो तोरा मुँह न सोयब हे ॥ 7 ॥ चउठा पहर रात बीतल , भोर भिनिसरा16 भेले हे । भिनसरे लगल सिनेहिया17 तो कागा बैरी भेले हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "बागन भये बसन्त अबईयाँ बागन भये बसन्त अबईयाँ , न जा विदेसै सँईयाँ । पीरी लता छता भई पीरी , पीरी लगत कलईयाँ । सूनी सेज नींद ना आवै , विरहन गिनें तरँइँयाँ । तलफत रहत रेंन दिन सजनी का है राँम करइँयाँ ? ईसुर कऐं सजा दो इनखाँ , परों तुमाई पइँयाँ",bundeli-bns "रँगीला टोना दुलहे को लगेगा रँगीला टोना दुलहे को लगेगा , छबीलाटोना दुलहे को लगेगा । यह रे टोना दादी बीबी करेंगी , यह रँगीला टोना , सेहरे1 में लगेगा ॥ 1 ॥ यह रे टोना नानी बीबी करेंगी , रँगीला टोना जोड़े2 में लगेगा । छबीला टोना दुलहे को लगेगा ॥ 2 ॥ यह रे टोना अम्माँ बीबी करंेगी , रँगीला टोना बीड़े3 में लगेगा । छबीला टोना दुलहे को लगेगा ॥ 3 ॥ यह रे टोना भाभी बीबी करेंगी , रँगीला टोना मोंढ़े4 में लगेगा । छबीला टोना पलकों में लगेगा , रिझौना5 रिझौना टोना , दुलह को लगेगा ॥ 4 ॥",magahi-mag "चारों सखी चारों ही पनियां को जायें चारों सखी चारो ही पनियां को जायें कुएं पर चढ़ के चारों करें बिचार अरी सखी तुझे कैसे मिले भर्तार एरी पतले कुंवर कन्हैया हम पाये भर्तार सखी बीस बरस के हैं वे सचमुच राज कुमार सखी फूटा पर भाग्य हमारा अस्सी बरस के हमें मिले भर्तार वे ज्यों ही उठते गड़गड़ हिलती नाड़ सूनी अटरिया बिछी सेजरिया हमें बुलावैं पास सखी बाबा सा लागै री हमें सेज लगे उदास सखी ताऊ सा लागै री हमें दिया सरम ने मार भाग्य में लिखा हमारे था अरी नहीं किसी का दोष",haryanvi-bgc "देख कै ने गांधी का चरखा देख कै ने गांधी का चरखा । अंगरेजां का था दिल धड़का । । बालक बुड्ढे अर नर नारी । सब नै तान चरखे की पियारी । । चरखे नै जादू दिखलाया । सुदेसी का पाठ सिखलाया । ।",haryanvi-bgc "बलमा घर आयो फागुन में बलमा घर आयो फागुन में २ जबसे पिया परदेश सिधारे , आम लगावे बागन में , बलमा घर… चैत मास में वन फल पाके , आम जी पाके सावन में , बलमा घर… गऊ को गोबर आंगन लिपायो , आये पिया में हर्ष भई , मंगल काज करावन में , बलमा घर… प्रिय बिन बसन रहे सब मैले , चोली चादर भिजावन में , बलमा घर… भोजन पान बानये मन से , लड्डू पेड़ा लावन में , बलमा घर… सुन्दर तेल फुलेल लगायो , स्योनिषश्रृंगार करावन में , बलमा घर… बसन आभूषण साज सजाये , लागि रही पहिरावन में , बलमा घर…",kumaoni-kfy "माँगे चार मिलें ना भाई माँगे चार मिलें ना भाई । बिन पूरब पुन्याई । बिन पुरब को पुन्य मिलै ना , बिरथाजात बड़ाई बिन पूरब के पुन्य मिलै ना जे सरीर सुखदाई । बिन पूरब के पुन्य मिलै ना सुन्दर नार सुहाई बिन पूरब के पुन्य ईसुरी कौनें सम्पत पाई ?",bundeli-bns "367 बोली हीर आवे अड़या जा एथों कोई खुशी ना होवे ते हसीए क्यों परदेसियां जोगियां कमलयां नूं विचों जिउदा भेत चा दसीए क्यों जे तां आप इलाज ना जानीए वे जिन्न भूत ते जादूड़े दसीए क्यों फकर भारड़े गौरडे ही रहिए कुआरी कुड़ी दे नाल खिड़ हसीए क्यों वारस शह उजाड़के वसदयां नूं आप खैर दे नाल फिर वसीए क्यों",panjabi-pan "गमला नी गमला रानी मिया डो रानी गमला नी गमला रानी मिया डो रानी मुलको घाटी सेनेवा मारे गमला नी गमला रानी सिगारे डो रानी चकरी सेने मारे आमानी चालिसो मुखा सिगारे डो रानी जमा सेने वा जा मारे आमानी चालिसो माडी सेने वा जा राजा जे मा सिरे जा बाई मारे आमानी गुनी बाई सेने वा जा मारे कन्या कुवरे वाल कुवरे राजा जेमा सिरे जा वाये मारे आमानी लास वारे तिन तेरा डाऊवाजा राजा मिया किलो जुगसो दाना मिया किलो डुमूर का डा सामाजुम जा जोगी जोगी कु सिगारे जा वाले आमा पिंगी सिगारे जा राजा आमा पिंगी जा सिगारे जा जोगी आमा पिंगी रुबेन जा जोगी सालो रानी कापरा लियेन आगेन केन जा आगरु केन जा डाई स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "आई गेन ऋतु बौड़ी दॉई जनो फेरो आई गेन ऋतु बौड़ी1 दॉई जनो फेरो2 , झुमैलो ऊबा3 देसी ऊबा जाला , ऊँदा4 देसी ऊँदा , झुमैलो लम्बीलम्बी पुंगड् यों5 मां , रअ् रअ् शब्द होलो , झुमैलो गेहूँ की जौ की सारी , पिंगली6 होई गैने , झुमैलो गाला गीत बसन्ती , गौं का छोरा7 छोरी , झुमैलो डाँडी काँठी गुँजी ग्येन , ग्वैरू8 को गितूना , झुमैलो छोटी नौनीनौनी , मिलि देल्यू9 फूल चढ़ाला झुमैलो : जौं का माई रला , देला टालुकी10 अंगूड़ी11 , झुमैलो मैतु12 बैण्युं कु अप्णी , बोलौला चेत मैना , झुमैलो ।",garhwali-gbm "153 परे विच बेइजती कल होई चोभ विच कलेजे दे चमकदी ए बेशरम है टप के सिरीं चढ़दा भले आदमी दी जान धमकदी ए चूचक घोड़े ते तुरत सवार होयां हथ सांग जयों बिजली लिशकदी ए सुम्म घोड़े दे काड़ ही काड़ वजन हीर सुनदयां रांझे तों खिसकदी ए उठ रांझया बाबल आंवदा ईनाले गल करदी नाले रिसकदी ए",panjabi-pan "होली खेले लाड़ली मोहन से होली खेले लाड़ली मोहन सें । बाजत ताल मृदंग झांझ ढप शहनाई बजे सुर तानन से । होली . . . भर पिचकारी मोरे सन्मुख मारी भीज गईं मैं तन मन से । होली . . . उड़त गुलाल लाल भये बादल रोरी भलें दोऊ गालन सें । होली . . . फगुआ मिले बिन जाने न दूंगी कह दो यशोदा अपने लालन सें । होली खेले लाड़ली मोहन सें ।",bundeli-bns "तेरा दादा घढ़ावै अटल पलना तेरा दादा घढ़ावै अटल पलना तेरी दादी झुलावै तू झूल ललना मेरा छोटा सा झूलै अटल पलना मेरा बाला सा झूलै अटल पलना तेरा ताऊ घढ़ावै अटल पलना तेरी ताई झूलावै तू झूल ललना मेरा छोटा सा झूलै अटल पलना मेरा बाला सा झूलै अटल पलना तेरा चाचा घढ़ावै अटल पलना तेरी चाची झुलावै तू झूल ललना मेरा छोटा झूलै अटल पलना मेरी बाला सा झूलै अटल पलना",haryanvi-bgc "205 जेहड़े इशक दी अग दे ता तपे ओन्हां दोजखां1 नाल की वासता ई जिन्हां इशक दे नाम दा विरद2 कीता ओहनां फिकर अंदेसड़ा कासदा ई आखर सिदक यकीन ते कम पौसी मूत चरगु3 एह पुतला मास दा ई दोजख मारया मिलन बेसिदक झूठे जिन्हां बान तकन आस पास दा ई",panjabi-pan "भाँवर गीत वर पक्ष पाच फेरा फिरजि बेना , पारकि लाड़ी छे । वधू पक्ष पाच फेरा फिरजि बेनी , पारको लाड़ो छे । वधू पक्ष लाकड़ि काटि देजि बेनी , लाड़ो टेकेटेके चाले । वर पक्ष लाकड़ि काटि देजि बेना , लाड़ी टेकेटेके चाले । यह गीत भाँवर के समय वरवधू के लिये गाया जाता है । वास्तविक रूप से चार फेरे में दूल्हा आगे रहता है और तीन फेरे मंे दुल्हन आगे रहती है । गीत में कहा गया है बना पाँच फेरे फिरना लाड़ी पराई है । इसी प्रकार बनी को कहा है पाँच फेरे फिरना दूल्हा पराया है । दूल्हेदुल्हन की हँसी करते हुए कहा गया है बनी लकड़ी काटकर देना , बना उसे टेकते हुए चलेगा । फिर दूल्हे को कहा है लकड़ी काटकर देना , दुल्हन उसे टेकते हुए चलेगी ।",bhili-bhb "चउका चढ़ि बइठलन कवन साही चउका चढ़ि बइठलन कवन साही , राजा रघुनन्नन हरि । 1 पूजहऽ पंडित जी के पाओ2 सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 1 ॥ पाओं पुजइते सिर नेवले3 राजा रघुनन्नन हरि । देहऽ पंडितजी हमरो असीस , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 2 ॥ दुधवे नहइह4 बाबू पुतवे पझइह5 रघुनन्नन हरि । चउका चढ़ि बइठलन कवन साही , राजा रघुनन्नन हरि । पूजहऽ चाचा जी के पाओं सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 4 ॥ पाओं पुजइते सिर नेवले , राजा रघुनन्नन हरि । देहऽ चच्चा जी हमरो असीम , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 5 ॥ दुधवे नहइह बाबू , पुतवे पझइह , रघुनन्नन हरि ॥ 6 ॥ चउका चढ़ि बइठलन कवन साही राजा रघुनन्नन हरि । पूजहऽ चाची जी के पाओं , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 7 ॥ पाओं पुजइते सिर नेवले , राजा रघुनन्नन हरि । दुधवे नहइह बाबू पुतवे पझइह , रघुनन्नन हरि ॥ 9 ॥",magahi-mag "आई री सासड़ सामणिया री तीज आई री सासड़ सामणिया री तीज सीढ़ी घड़ा दै चन्दन रूख की म्हारे तो बहुअड़ चन्दन ना रूख जाए घड़ाइए अपणै बाप के अपणी नै दे दी पटड़ी अर झूल म्हारे ते दिया सासड़ पीसणा फोडूँरी सासड़ चाकी के पाट बगड़ बिखेरू तेरा पीसणा आया री सासड़ माई जाया बीर मन्नै खंदा दे री मेरे बाप कै इबकै तो बहुअड़ मौका है नांह कातक पाछे जाइयो अपणे बाप कै कातक पाछे सासड़ बीरे का ब्याह जबतिक जांगी बैरण दूसरे सुण सुण रे बेटा बहुअड़ के बोल ओछे घरां की बोले बोलणे कहो तो मां मेरी देवां हे बिडार कहो तो घालां धण के बाप कै कहो तो मां मेरी जोगी हो जां कहो तो कालर घालूं झौंपड़ी क्यां न रे बेटा जोगी हो जाय क्यां न रे घालै कालर झौंपड़ी क्यां न तो बेटा दे रे बिडार न तो घालै धण के बाप कै तेरी री दुःख में द्यूँगा बिडार तेरे दुःख में घालूँ धण के बाप कै या धण जनमेगी पूत बेल बधेगी तेरे बाप की या धण कुएं पणिहार सोभा लगेगी तेरे बाप की या धण जनमेगी धीय लाड़ जामई आवै पांहुणे",haryanvi-bgc "भरथरी लोक-गाथा - भाग 8 जोग ल गुरु मय साधिहॅव मया छोडिहॅव राम अइसे ग बानी ल बोलत हे जोग ल गुरु साधिहॅव नई तो मया म जॉव अइसे बानी राजा बोलत हे गुरु बोलत हे राम देखतो बानी ल न चुटकी मारत हे ओ मोर लानत हे न गेरुआ कपड़ा भरथरी ल ओ दाई देवत हे न बानी बोलत हे न ए दे भिक्षा माँगे चले जाबे गा , चले जाबे गा , भाई ये दे जी । रंगमहल म भीख ल माँगी लाबे लला चेकर पाछू धुनि देहँव धुनि देहँव तोला तिलक करिहॅव बेटा नाम ले लेबे न गोरखनाथ के ओ ये दे अइसे बानी राजा बोलय ओ , गुरु बोलय ओ , भाई ये दे जी । गरके माला ल देवत हे भरथरी ये ओ देखतो दीदी मोर चेला ल मोर सर के सरताज गुरु देवय दीदी राजा भरय आवाज मोर राजे अऊ पाठे ल छोड़य ओ , ये दे छोड़य ओ , भाई ये दे जी । का तो गेरुआ रंग के कपड़ा ल पहिर के राम भिक्षा माँगे चले जावत हे रानी कमंडल ओ चिमटा ल धरे भरथरी ये न मोर मगन होके राम गुरु गोरख के नाम गावत दाई रेंगना रेंगय ना चले जावय हीरा मोर आनन्द मंगल गावय ओ , बाई गावय ओ , भाई ये दे जी । ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा ओ भरथरी हर ओ आनंद मंगल गाई के कइसे जावत हे गेरुआ कपड़ा , हाथ म चिमटा धरे हे नाचतनाचत दीदी रंगमहल बर आवत हे रामा ये दे जी गांव के पनिहारिन जेला देखत हें गांव के जमों पनिहारिन पानी भरे ल ओ देखतो गये हावय कुआँ म भरथरी ल ओ देखत हें पनिहारिन मुंड के गघरा मुंह म बैरी रे रहिगे मुड़ियाये हें ओ माड़ी के हँवला माड़ी म रहिगे बाल्टी डारे हें ओ रस्सी तिरैया ह तिरत हे मोहनी अब राम देखती ये दे का मोहाये , राम ये दे जी । जऊने समय के बेरा म भरथरी हर ओ भिक्षा माँगे महल मँ जावय डंका पारत हे नाम गुरु गोरखनाथ के बानी सुनत हे ओ रंगमहल के रानी चेरिया ल बलाय सुनले भगवान मोर बात ल भीख मांगे ल ओ देखतो आय कोन अँगना मँ भीख ले जा चम्पा हीरा मोती अऊ जवाहर मोर भेजत हे ओ धरके चम्पा चले का आवय , रामा ये दे जी । थारी म मोहर धरिके चले आवत हे राम जेला देखत हावय भरथरी भिक्षा ले ले जोगी अइसे बानी चम्पा का बोलय सुनले चम्पा मोर बात तोर हाथे भीख ओ मय तो नई लेवॅव भिक्षा देवा दे तय रानी सो अइसे बोलत हे बात अतका सुनत हावय चम्पा हर मन म सोचत हे बात का कहँव राजा जस लागत हे , भाई ये दे जी । मोरे राजा कस लागत हे भरथरी कस ओ मुहरन दीदी ओ का करय मन म करत हे ओ ये दे न विचार ल करिके भरथरी ये ओ कइसे बइरी मुसकी धरय मुसकावत हे राम हीरा कस दांत झलक जावय चम्पा देखत हे ओ मोहर ल धरके दौरत जावय रानी मेर आके राम सुन तो रानी कहिके का बोलय जोगी बनि के घर में आय हवय , भरथरी ये ओ , भाई ये दे जी । जोगी के रुप म आय हे सुनिले रानी मोर बात नोहय जोगी ओ तो राजा ये भरथरी कस ओ अइसे दिखत हावय सुन रानी बानी सुन के राम का तो बोलत हावय रानी हर सुनिले चम्पा मोर बात झन कहिबे झूठ लबारी ल कुआं देहव खनाय जेमा गड़ा देहँव न चम्पा सामदेई ओ अइसे बानी ल हीरा का बोलय , रामा ये दे जी । ये रामा , ये रामा , ये रामा ये , रामा ये रामा हो बोली सुनिके देख तो दीदी सामदेहई ह ओ थारी म मोहर धरे हे चले आवय दीदी सुन्दर बानी ल बोलत हे सुनले जोगी मोर बात भीख माँगे तु आये , ले आय हो , रामा ये दे जी । अतका बानी ल राजा सुनत हे भरथरी न ओ दे दे कइना मोला भीखे ल माँगत हावॅव दाई देख दाँत ओ झलक जावय मोहनी सही ओ दिखत हावे भरथरी ह सामदेई ये ओ चिन डारय दाई मुँह ल देखत हे राम , सुनले राजा मोर बात ल , रामा ये दे जी । आनंद बधाई मना लेवा सुनले राजा मोर बात रंगमहल ल झन छोड़व नव खण्ड ए ओ नौ लाख नौ कोरी देवता हे भरे दरबार ये जिहां ल छोड़े राजा जोगी बनेव का तो करँव उपाय जोगी के भेख राजा का धरेव झनि धरव राजा रंगमहल मँ आनन्द करव अइसे बानी बोलत हे ओ देखतो कइना दाई सामदेई , रामा ये दे जी । ना तो हरके बइरी मानत हे भरथरी ये राम बरजे बात ल दाई नई मानत सुनले रानी मोर बात भिक्षा माँगे ल चले आये हँव भीख ल दे देवा वो अइसे बानी ल रानी बोलत हे सुनले राजा मोर बात भीख तो मे बइरी नई देवॅव घर के नारी अब तो सुनले राजा मोर बात ल बानी सुनत हे ओ देखतो दीदी भरथरी ह नई तो मानॅव कइना कइसे बनी ल राजा का बोलय , रामा ये दे जी । नई तो मानत हावय हरके अऊ बरजे बात ल कइना नई तो मानय भीख नई देवय राम लौट जोगी चले जावत हे गोरखपुर म ओ गोरखनाथ गुरु ल का बोलय सुनले गुरु मोर बात बाते ल मोर थोरकुन सुन लेवा भिक्षा माँगेव गुरु भिक्षा बइरी नई तो देइस हे घर के नारी ये गा का धन करँव उपाय ल अइसे बोलत हे राम बोली सुनत हावय गुरु ये बानी का बोलय ओ का कर डारव उपाय ल चुटकी मारत हे राम देख तो गुरु गोरखनाथ , रामा ये दे जी । चुटकी बइरी ल मार के जेला सुनथे दाई ओ का करिके उपाय ल ओ मॅय ह कहॅव बेटा ना ता तोला मॅय रांखव भिक्षा ले आवा रे तेखर पाछू चेला मानॅव अइसे बोलत हे ना गुरु गोरखनाथ हर बेटा कहिके तोला जऊन देखय मया देहय रे भीख ले आबे न सुनले राजा भरथरी , भाई ये दे जी । कलपीकलप राजा रोवत हे भरथरी ये ओ नई तो बइरी चोला के ये उबारे ये राम अइसे बानी ल राजा बोलत हे मय तो रुखे ल ओ ये दे लगाय बबूर के आमा कहां ले होय का धन करव उपाय ल , बइरी ये दे जी । सुनले गुरु मोर बात ल प्रान देहॅव मॅय नई तो राखव मोला चेला जी क्षतरी के बानी जनम लिहेंव जीव ल दे देंहव राम अइसे बानीं बोलय भरथरी ह बाई बोलय ओ , रामा ये दे जी । चुटकी बजावत हे गुरु बानी बोलत हे दाई ओ सुनले राजा भरथरी ग चिमटा देवत हॅव आव पाचे पिताम्बर गोदरी टोपी रतन जटाय जेला लगालय भरथरी चले जाहव बेटा राज उज्जैन शहर म भिक्षा ले आहा ग मांग लेबे भिक्षा सामदेई सो बेटा कहिके तोला जऊने समय भीख देहय न चेला लेहँव बनाय अइसे बोलत हावय गुरु गोरखनाथ ये ओ , बानी ल सुनत हे राजा ह , भाई ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "अंगिका फेकड़ा घुघुआ घू , मलेल फूल घुघुआ मना , उपजल धना सब धान खाय गेल सुग्गा मैना मन्ना रे मन्ना लब्बोॅ घर उठेॅ पुरानोॅ घर बैठेॅ । अटकनमटकन , दहिया चटकन खैरा गोटी रस रस डोले माघ मास करेला फूले नाम बताव के तोहें गोरी जमुआ गोरी तोहोरोॅ सोहाग गोरी लाग लगावेॅ , खीर पकावेॅ मिट्ठोॅ खीर कौनें खाय दीदी खाय , भैयाँ खाय कान पकड़लेॅ बिनू जाय । झाँयझूँ खपड़ी धीपेॅ लाबा फूटेॅ , महुआ टुभुक । कन्ना गुजगुज , महुआ डार कहिया जैभेॅ गंगा पार गंगा पार में खेती के आढ़ तेलियाँ मारथौं चढ़ले लात हमरोॅ हाथ लाल , हमरोॅ हाथ लाल । कन्ना गुजगुज , महुआ डार केके जैभेॅ गंगा पार गंगा पार में बाघ छै , बघनिया छै सिकरी डोलाबै छै गंगा पार में उपजल धान धीया पूता के काटबै कान । अड़गड़ मारूँ , बड़ घर मारूँ बासी भात खेलिखलि खाँव । नूनू खाय दूध भत्ता , बिलैयाँ चाटेॅ पत्ता चाटलेॅचाटलेॅ गेल पिछुआड़ झाँझीं कुत्ती लेल लिलुआय वहाँ से आयल गंगा माय गंगा मैया दिएॅ आशीष जीयेॅ नूनू बाबू लाख बरीस नया घोॅर उठो पुरानोॅ घोॅर खसो । हरदी के दग दग माँटी के बेसनोॅ हम नै जैबोॅ मामू के ऐंगनोॅ मामू के बेटी बड़ झगड़ाही माँगेॅ थारी दिएॅ कढ़ाही ।",angika-anp "74 किहें डोगरां जटां दे नयाऊं जाणे परहे विच दलावर लाइयां दे पाड़ चीर के जानदा किवें देसो लड़या कासनूं नाल एह भाइयां दे किस गल तों उठ के रूठ आया की कर बोलया नाल भरजाइयां दे वारस शाह ना इस तों नफा दिसदा किवें छड आया माल गाइयां दे",panjabi-pan "अठवारा ॥ दोहरा ॥ छनिछर वारउतावले वेख सज्जण दी सो । असाँ मुड़ घर फेर ना आवणा जो होणी होग सो हो । वाह वाह छनिछर वार वहीले । दुःख सज्जन दे मैं दिल पीले । ढूँडां औझड़ जंगल बेले । अद्धड़ी ैनं कुवल्लड़े वेले । बिरहों घेरिआँ ॥ 1 ॥ खड़ी तांघाँ तुसाड़िआँ तांघाँ । रातीं सुत्तड़े शेर उलांघाँ1 । उच्ची चढ़ के कूकाँ2 चांघाँ3 । सीने अन्दर रड़कण सांघाँ4 । प्यारे तेरिआँ ॥ 2 ॥ ॥ दोहरा ॥ बुद्ध सुद्ध रही महबूब दी सुद्ध आपणी रही ना होर । मैं बलिहार ओस दे जो खिच्चदा मेरी डोर । बुद्ध सुद्ध आ गया बुधवार । मेरी खबर लए दिलदार । सुखाँ दुखाँ तों घत्ताँ वार । दुखाँ आण मिलाया यार । प्यारे तारिआँ ॥ 3 ॥ प्यारे चल्लण न देसाँ चल्लिआं । लै के नाम जुल्फ दे वल्लेआं । जाँ ओह चल्लिआ ताँ मैं छल्लिआं । ताँ मैं रक्खसाँ दिल रल्लिआं । लैसाँ वारिआँ ॥ 4 ॥",panjabi-pan "बांदी भेजूं हो साहब बांदी भेजूं हो साहब घर आ ताता सा पाणी सीला हो रहा तुम न्हाओ रै गौरी म्हारी कंवर नहवा हमतै पड़ौसिन के घर न्हां ल्यां बांदी भेजूं हो साहबा घर आ तपी रसोई सीली हो रही तुम जीमो रे गौरी म्हारी मात जिमा हमतै पड़ौसिन के घर जीम ख्यां",haryanvi-bgc "बनि गए नन्द लाल लिलिहारी दोहा श्री राधे से मिलन को , कियो कृष्ण विचार । बन्शी मुकुट छिपायके , घरौ रूप लिलहारि ॥ बनि गये नन्दलाल लिलहारी , लीला गुदवाय लेओ प्यारी । लहँगा पहन ओढ़ सिर सारी । अँगिया पहरी जापै जड़ी किनारी ॥ शीश पै शीश फूल बैना , लगाय लियौ काजर दोऊ नैना । पहन लियो नखशिख सौं गहना दोहा नखशिख गहनों पहिर कै , कर सोलह सिंगार । बलिहारी नैद नन्दन की , बनि गए नर से नारि ॥ बन गए नर से नारि कि झोली कंधा पै डारी ॥ 1 ॥ धरी कन्धा झोली गठरी । गैल बरसाने की पकरी ॥ महल वृषभान चले आये , नहीं पहचान कोऊ पाये । श्याम अति मन में हुलसाये ॥ दोहा महल श्री वृषभान के , दई आवाज लगाय । नन्दगाम लिलहार मैं , कोउ लीला लेउ गुदाय ॥ लीला लेउ गुदाय गरी मैं हूँ गोदनहारी ॥ 2 ॥ राधिका सुन लिलिहारिन बैन । लगी ललिता से ऐसे कहन ॥ बुलाओ लिलिहारिन कूँ जाय , मैं यापै लीला गुदाय । बिसाखा लाई तुरत बुलाय । दोहा लिलिहारिन कौ रूप लखि , श्री वृषभान कुमारि । हंसहंस के कहने लगी , लई पास बैठारि ॥ लीला मो तन गोद सुघड़ कैसी गोदनहारी ॥ 3 ॥ शीश पे लिखदै श्री गिरधारी जी । माथे पै लिख मदनमुरारी जी ॥ दृगन पै लिखदै दीनदयाल , नासिका पै लिखदै नन्दलाल । कपोलन पे लिख कृष्णगुपाल । दोहा श्रवन पै लिख साँवरौ , अधरन आनन्दकन्द । ठोड़ी पै ठाकुर लिखो , गल में गोकुलचन्द ॥ छाती पै लिख छैल , दोऊ बाहन पे बनवारी ॥ 4 ॥ हाथ पै हलधर जू को भैया जी । उंगरिन पै आनन्द करैया जी ॥ पेट पे लिख दै परमानन्द , जाँघ पै लिख दै जैगोविन्द । नाभि पे लिख दै श्री नन्दनन्द । दोहा घोंटुन में घनश्याम लिख , पिडरिन में प्रतिपाल । चरनन में चितचोर लिख , नख पै नन्द को लाल । रोम रोम में लिखो रमापति , राधाबनवारी ॥ 5 ॥ लीला गोद प्रेमगश आयौ जी । तनमन कोा सब होश गमायौ जी ॥ खबर झोलीडंडा की नाँय , धरन पै चरन नाँय ठहराँय । सखी सब देखत ही रह जाँय । छन्द देखत सखी सब रह गई , झगरौ निरखकर फंद को । बीसौ बिसै दीखे सखी , छलिया है ढोटा नन्द कौ । अँगिया में वंश छिप रही , राधे ने लई निहारकैं । हे प्यारी हे प्यारी कही भेंटे हैं भुजा पसार कें । ‘घासीराम’ जुगल जोड़ी पै , बारबार बलिहारी ॥ 6 ॥ बन गए नन्दलाल . ॥",braj-bra "मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । जब की तुम संग परीत लगाई । जद वसल वसाल बणाईएगा , ताँ गुँगे का गुड़ खाईऐगा , सिर पैर ना अपणा पाईएगा । एह मैं होर ना किसे बणाई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । होए नैण नैणाँ दे बरदे , दरशन सैआँ कोहाँ तों करदे पल पल दौड़न ज़रा न डरदे । तैं कोई लालच घत भरमाई मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । हुण मैं वाहदत विच्च घर पाया , वासा हैरत1 दे संग आया , मैं जम्मण मरण वंजाया । अपणी सुध बुध रही ना काई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । डौं डौं इशक नगारे वजदे , आशक जाण उते वल्ल भजदे , तड़ तड़ तड़क गए लड़ लजदे । लग्गा इशक ताँ शरन सिधाई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । बस कर त्यारे बहुते होई , तेरा इशक मेरी दिलजोई , मैं बिन मेरा साक ना कोई । अम्मा बाबल भैण ना भाई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । कदी हो असमानी बैंहदे हो , कदी इस जग ते दुक्ख सैंहदे हो , कदे मगन होए रैंहदे हो । मैं ताँ इशके नाच नचाई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । बुल्ला सहु असीं तेरे प्यारे हाँ , मुक्ख देक्खण दे वणजारे हाँ , कुझ असीं वी तैनूँ प्यारे हाँ । की महीओं घोल घुमाई । मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई । मेरी बुक्कल दे विच्च चोर मेरी बुक्कल दे विच्च चोर , नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर । कीहनूँ कूक सुणावाँ नी , मेरी बुक्कल दे विच्च चोर । चोरी चोरी निकल ग्या , जगत विच्च पै ग्या शोर ।",panjabi-pan "विदाई का गीत १ . खेलत रहलीं सुपली मउनिया , आ गइले ससुरे न्यार । बड़ा रे जतन से हम सिया जी के पोसलीं , सेहु रघुवर लेले जाय । आपन भैया रहतन तऽ डोली लागल जइतन , बिनु भैया डोलिया उदास । के मोरा साजथिन पौती पोटरिया , के मोरा देथिन धेनु गाय । आमा मोरे साजथिन पावती पोटरिया , बाबाजी देतथिन धेनु गाय । केकरा रोअला से गंगा नदी बहि गइलीं , केकरे जिअरा कठोर । आमाजी के रोअला से गंगाजी बहि गइलीं , भउजी के जिअरा कठोर । गोर परूँ पइयाँ परूँ अगिल कहरवा , तनिक एक डोलिया बिलमाव । मिली लेहु मिली लेहु संग के सहेलिया , फिर नाहीं होई मुलाकात । सखिया सलेहरा से मिली नाहीं पवलीं , डोलिया में देलऽ धकिआय । सैंया के तलैया हम नित उठ देखलीं , बाबा के तलैया छुटल जाय । २ . राजा हिंवंचल गृहि गउरा जी जनमलीं , शिव लेहले अंगुरी धराय । बसहा बयल पर डोली फनवले , बाघ छाल दिहलन ओढ़ाय । 3 बर रे जतन हम आस लगाओल , पोसल नेहा लगाय सेहो धिया आब सासुर जैती , लोचन नीर बहाय जखन धिया मोर कानय बैसथिन , सखी मुख पड़ल उदास अपन सपथ देहि सखी के बोधल , डोलिया में दिहले चढाय . लोचन नीर बहाय . . . गाम के पछिम एक ठूंठी रे पाकरिया , एक कटहर एक आम गोर रंग देखि जुनी भुलिहा हो बाबा , श्यामल रंग भगवान . लोचन नीर बहाय . . .",bhojpuri-bho "94 मलकी आखदी चूचका बणी औखी सानूं हीर दयां मेहणयां खवार कीता ताहना देण शरीक ते लोक सारे चौतरफिओं ख्वार संसार कीता वेखो लज सयालां दी लाह सुटी नढी हीर ने चाक नूं चाक कीता जां मैं मत दिती अगों लड़न लगी लज लहाके चशमां नूं चार कीता कढ चाक नूं खोह लै महीं सभे असां चाक तों जीउ बेजार कीता इके थी नूं चा घड़े डोब करीए जानो रब्ब ने चा गुनाहगार कीता झब विआह कर थी नूं कढ देसों सानूं ठिठ है एस मुरदार कीता वारस शाह नूं हीर खराब कीता नाहीं रब्ब साहिब सरदार कीता",panjabi-pan "338 जेठ मींह ते सयाल विच वाओ मंदी कतक माह विच मनेह हनेरियां नी रोना वयाह विच गौना विच सयापे सतर मजलसां करन मंदरियां नी चुगली खांवदा दी बदी नाल मुलां खान लून हराम बदखैरियां नी हुकम हथ कमजात दे सौंप देना नाल दोसतां करनियां वरियां नी गीवत तरक सलबात1 ते झूठ मसती दूर करन फरिशतयां तेरियरां2 नी मुड़न कौल जबान थीं फिरन पीरां बुरे दिनां दियां एहभी फेरियां नी लड़न नाल फकीर सरदार यारी गडा घतना माल दसेरियां नी मेरे नाल जो खेड़यां विच होई खचर वादियां एह सब तेरियां नी बले नाल भलयाइयां बदी नाल बुरियां याद रख नसीहतां मेरियां नी बिना हुकम दे मरन न ओह बंदे साबत जिन्हां दियां रिजक ढेरियां नी बदरंग नूं रंग के रंग लायो वाह वाह एह कुदरतां तेरियां नी हुणे घतके जादूड़ा करूं कमली पई गिरद मेरे घते फेरियां नी वारस शाह असां नाल जादूआं दे कई रानियां कीतियां चेरियां नी",panjabi-pan "गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो आई नऽ उतर्या ठण्डा वड़ तळऽ पूछतऽ पूछतऽ गाँव मऽ आया हो नगर मऽ आया हो भाई हो मोठाजी भाई को घर कहाँ छे ? आमी सामी वहरी नऽ लम्बी पटसाळ हो , केल जऽ झपकऽ उनका आंगणा मऽ सीप भरी सीरीखण्ड थाक भरी मोतीड़ा गणेश बधावण मोटी बैण संचरिया ।",nimadi-noe "साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे बाबल असां उड़ जाणा साडी लम्मी उडारी वे बाबल केहड़े देस जाणा तेरे महिलां दे विच विच वे बाबल चरखा कौन कत्ते ? मेरियां कत्तन पोतरियाँ धिए घर जा अपणे तेरे महिलां दे विच विच वे बाबल गुडियां कौण खेडे ? मेरियां खेडण पोतरियाँ धिए घर जा अपणे मेरा छुट्या कसीदा वे बाबल दस कौन कडे ? मेरियां कडन पोतरियाँ धिए घर जा अपणे तेरे बागां दे विच विच वे बाबल डोला नहीं लंघदा इक टहनी पुट देवाँ धिए घर जा अपणे तेरियां भिडीयाँ गलियाँ ' च वे बाबल डोला नहीं लंघदा इक इट पुटा देवाँ धिए घर जा अपणे",panjabi-pan "बेड़ु पाको बारो मासा बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २ भुण भुण दीन आयो २ नरण बुझ तेरी मैत मेरी छैला २ बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २ आप खांछे पन सुपारी २ , नरण मैं भी लूँ छ बीडी मेरी छैला २ बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २ अल्मोडा की नंदा देवी , नरण फुल छदुनी पात मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २ त्यार खुटा मा कांटो बुड्या , नरणा मेरी खुटी पीडा मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २ अल्मोडा को लल्ल बजार , नरणा लल्ल मटा की सीढी मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २",kumaoni-kfy "169 आखो रांझे देनाल वयाह देवां इके बनड़े चा मंगाईए जी हथी आपणी किते समान कीजे जान बुझ के लीक ना लाईए जी भाइयां आखया चूचका एस मसलत1 असीं आखदे ना शरमाईए जी साडा आखया जे कर मन्न लयें असीं खोहल के चाए सुनाईए जी वारस शाह फकीर प्रेम शाही हीर उस तों पुछ मंगाइए जी",panjabi-pan "हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा सोना कावड़ी कान्डा ने माय बापू का कान्डाय मारे सोना कावड़ी कान्डा ने माय बापू का कान्डाय मारे हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा अन्धा माडो अन्धा बा नी डागा टाटोम जा हेयन मारे अन्धा माडो अन्धा बा नी डागा टाटोम जा हेयन मारे बारा कोसो कंजली वन में बारा कोसोन जा बिन्दरावन में जा बारा कोसो कंजली वन में बारा कोसोन जा बिन्दरावन में जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा बारा डो बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी आनूकी मारे बारा डो बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी आनूकी मारे हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा चिड़िया नूडून चंकोर नूडून बावरी डानी जा आनुकी मारे चिड़िया नूडून चंकोर नूडून बावरी डानी जा आनुकी मारे हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा राजा दशरथ तीर का मीन जा कुड़ाय मारे राजा दशरथ तीर का मीन जा कुड़ाय मारे हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा हे सरावेन जा बारा नी बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी जा आनू मारे बारा नी बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी जा आनू मारे स्रोत व्यक्ति राधा , ग्राम कुकड़ापानी",korku-kfq "आया री लाड़ो सो तेरा बर आया आया री लाड़ो सो तेरा बर1 आया । टीका2 लाया री लाड़ो , मोतिया लाया री । आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 1 ॥ बेसर लाया री लाड़ो चुनिया3 लाया री । आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ आया री लाड़ो सो तेरा बना आया ॥ 2 ॥ बाली4 लाया री लाड़ो , झुमका लाया री । आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 3 ॥ कँगन लाया री लाड़ो पहुँची5 लाया री । आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 4 ॥ सूहा6 लाया री लाड़ो छापा7 आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 5 ॥",magahi-mag "उठा गढ़वालियों उठा गढ़बालियों , अब त समय यो सेण1 को नीछ । तजा यीं मोहनिद्रा कू अजौं तैं जो पड़ीं ही छ । अलो अपणा मुलक की यीं छुटावा दीर्घ निद्रा कु , सिरा का तुम इनी गेहरी खड़ा मां जींन गेर याल्यें । अहो तुम मेर2 त देखा , कभी से लोग जाग्यां छन , जरा सी आंखत खोला कनो अब धाम चमक्यूं छ । पुराणा वीर , व ऋषियों का भला वृतान्त कू देखा , छपाई ऊँ बड़ीं की ही सभी सन्तान तुम भी त । स्वदेशी गीत कू एक दम् गुंजावा स्वर्ग तैं भायों , भला डौंरू कसालू3 की कभी तुम कू कभी नी छ । बजावा ढोलसणसिंघा , सजावा थौल4 कू सारा दिखावा देशवीरत्व भरीपूरी सभा बीच । उठाला देश का देवतौं सणी , बांका भडू कू भी । पुकारा जोर से भायों घणा मंडाण5 की बीच । करा प्यारों । करा कुछ त लगा उद्योग मां भायों , किलै तुम सुस्त सा बैठ्यां छया ई और क्या नी छ ? करा संकल्प कू सच्चा , भरा अब जोश दिल् मां तुम , अखाड़ा मां वणा तु सिंह गर्जा देश का बीच । प्रचारा धर्म विद्या कू , उड़ावा झूट छल सारा फुरावा सर्व गुण शक्त् यों , करा ज्यांमा बड़ाई छ । बजावा सत्य कौ डंका सबू का द्वार पर जैक भगावा दुःख दारिण करा शिक्षा भली जोछ ।",garhwali-gbm "188 मुशकी1 चावलां दे भरे आन कोठे सोनपतीए दे झोने छड़ी दे नी बासबती पशावरी बेगमी सन हरी चंद ते जरदीए2 परी दे नी सठी किरचका सेउला किरत कंतल , अनोकीकला तीहरा सरी दे नी बारीक सुफैद कशमीर चावल खुरश जेहड़े हूर ते परी दे नी गुलियां सचियां नाक हथोड़ियां दे मोती चुन लंबोरियां3 जड़ी दे नी वारस शाह एह जेवरां घड़न ताईं पिछों पिंड सुनआरड़े फड़ी दे नी",panjabi-pan "रेलिया बैरन पिया को लिये जाये रे रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे , रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे । जौन टिकसवा से बलम मोरे जैहें , रे सजना मोरे जैहें , पानी बरसे टिकस गल जाए रे , रेलिया बैरन । । जौने सहरिया को बलमा मोरे जैहें , रे सजना मोरे जैहें , आगी लागै सहर जल जाए रे , रेलिया बैरन । । जौन सहबवा के सैंया मोरे नौकर , रे बलमा मोरे नौकर , गोली दागै घायल कर जाए रे , रेलिया बैरन । । जौन सवतिया पे बलमा मोरे रीझे , रे सजना मोरे रीझें , खाए धतूरा सवत बौराए रे , रेलिया बैरन । ।",bhojpuri-bho "228 त्रुटे कहर कलूर1 सिर ततड़ी दे तेरे बिरहौं फिराक ने कुठियां मैं सुन्नी त्राट कलेजे दे विच धानी नहीं जिउना मरन ते रूठियां मैं चोर पैन रातीं घर सुतयां दे देखो दिहें बाजार विच मुठियां मैं जोगी होइके आये जे मिले मैंनूं किसे अम्बरों कहर दे त्रुटियां मैं नहीं छड घर बार उजाड़ बैसां नहीं वसना ते नहीं वुठियां मैं वारस शाह मियां प्रेम चिठियां ने मार पटियां फटियां कुठियां मैं",panjabi-pan "लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया चन्ना कंदा तूं मरिया अख वे साडे आटे दे विच हथ वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया चन्ना वेख के न साडे वाल हस वे साडी माँ पइ करेंदिये ए शक वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलों दी रुस के न लंग माहिया गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे सन्नू अज पिछवाड़े मिल वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया गल्लां गोरियां ते काला काला तिल वे साड़ा कड़ के लेगया दिल वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया तेरी माँ ने चाडया साग वे असां मंग्या ते मिलया जवाब वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया तेरी माँ ने चाड़ियाँ ए गंदालां असां मंगियाँ ते पैगयिया दंदलान अनवां लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया तेरी माँ ने चेद्य ए खीर वे अस्सां मांगी ते पैगई पीढ वे लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया साड़े दिल विच की की वासियां न तूं पुछियाँ ते न असी दसियाँ लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया आवो सामणे कोलो दी रुस के न लंग माहिया",panjabi-pan "भरोसौ ठाँड़ो आज भरोसे की बीता भर धरती पै मानुस । अपने गेरँऊँ आई नदीसौ देख समुन्दर पलछिन सोसत , बूड़ न जाबै पाँवतरे की धरती दंदफंद औ चालफरेबी के पानूँ में उतै दूबरौ और बिचारौ एक भरोसौ दिन बूड़े कौ सूरजसौ हो हराँहराँ आँखनसामूँ सें हिलबिलानसौ हो रऔ ।",bundeli-bns "अँखिया अलसानी, संइयाँ सेज चल हो अँखिया अलसानी , संइयाँ सेज चल हो । । टेक । । लाल पलँग , पचरंग के तकिया , हो ता पर चादर तानी , । । टेक । । हलुके पाँव दीह पलँगे पर , जगिहें हमरो जेठानी । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से",bhojpuri-bho "194 ढाडी भगतीए कंजरियां नकलिए सन अते डूम सरोद वजाए के जी कशमीरी ते दखनी नाल वाजे भेरां तुरियां छन वजाए के जी केसर थींनड़े पंगां दे पेच आहे घोड़े लूल्ह हमेल1 छनकाए के जी काठियां सुरख बनात दीयां हेठ ताज़ी2 दारू पींवदे धरगा3 वजाए के जी फुलां सेहरयां तुरियां नाल लटकन टके दितो ने लख लुटाए के जी वारस शाह मुख ते बन्ह मुकट सोहन सेहरे बन्ह बनाए के जी",panjabi-pan "498 भाबो जानदें हां असी सभ चालें जेहड़े मुंग ते चनें खिड़ावनी ए आप खेंडदिए किसें चालयां नूं सानूं मसतियां चा बनावनी ए चीचो चीच कंडालियां आप खेडें चिठा मापियां नाल वलावनी ए आप रहे बेगरज बेदोश बैठी माल खेड़यां दा लुटवाउनी ए",panjabi-pan "सब लोके कय लालन कि जात संसारे (बाउल) सब लोके कय लालन कि जात संसारे लालन कय , जेतेर कि रूप , देखलाम ना ए नजरे । । छुन्नत दिले हये मुसलमान , नारी लोकेर कि हय विधान ? वामन यिनि पैतार प्रमाण वामनि चिनी कि धरे । । केओ माला , केओ तसबि गलाय , जाइते कि जात भिन्न बलाय जेतोर चिह्न रय कार रे । । गर्ते गेले कू पजल कय , गंगाय गेले गंगाजल हय , मूले एक जल , से ये भिन्न नय भिन्न जानाय पात्र अनुसारे । जगत बेड़े जेतेर कथा लोके गौरव करे यथा तथा , लालन से जेतेर फाता बिकियेछे सात बजारे । ।",bengali-ben "जोगी ढ़ुढ़ण हम गया जोगी ढ़ुढ़ण हम गया , कोई न देखयो रे भाई १ एक गूरु दुजो बालको , तीजो मस्त दिवानो छोटा सा आसण बैठणा जोगी आया हो नाही . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . २ जोगि की झोली जड़ाव की , हीरा माणीक भरीया जो मांगे उसे दई देणा जोगी जमीन आसमानाँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . ३ आठ कमल नौ बावड़ी , जीन बाग लगाई चम्पा चमेली दवणो मोंगरो जीनकी परमळ वासँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . . ४ पान छाई जोगी रावठी , फुल सेज बिछाई चार दिशा साधु रमी रया अंग भभुत लगाईँ . . . . . . . . . जोगी ढ़ुढ़णँ . . . . .",nimadi-noe "511 सहती माउ नूं आखदी सुनी मांईए किस वासते जिउ तपांवनी ए नुंह लाल जेही अंदर घतिया ई परख वाझ तूं लाल वजांवनी ए तेरी पूंह पंजफूलड़ी1 पदमनी ए वाऊ लैन खुनों क्यों गवावनी ए पई अंदरे हो बिमार चली जान बुझ के दुख वधावनी ए भावे पई रहे दिन रात अंदर नाल शौक दे नहि बलांवनी ए एह फुल गुलाब दा गुट अंदर पई दुखड़े नाल सुकावनी ए अठ पहर ही ताड़के विच कोठे पतर पानां दे पई सुकावनी ए वारस धी सयालां दी मारनी ए दस आप नूं कौन सदावनी ए",panjabi-pan "तुम खाँ देखौ भौत दिनन में तुम खाँ देखौ भौत दिनन में । अबलाखा ती मन में । हमरी तुमरी प्रीत पुरानी । छूटी वाला पन में । दरसन दियौ न्यारे परकें , छिप जिन जाव सकन में हम तुम इक संगे खेले हैं । मथुरा बिन्द्रावन में । भली करा दई भेंट ईसुरी , विध नैं येइ जनम में ।",bundeli-bns "साते हो घोड़वा गोसाई, सातो असवार साते1 हो घोड़वा गोसाई , सातो असवार । अगिलहिं2 घोड़वा देवा सुरूज असवार ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल देवा करथी पुछार3 । कउने अवादे4 बसे , भगत हमार ॥ 2 ॥ ऊँची कुरीअवा5 देवा , पुरुबे दुआर6 । बाजे मँजीरवा7 गोसाईं , उठे झँझकार8 ॥ 3 ॥ कथि केर दियवा देवा , कथि केर बात । केथी केर घिया , जरइ सारी रात ॥ 4 ॥ सोने केर दियरा देवा , कपासे केर बात । सोरही के घिया देवा , जरइ सारी रात ॥ 5 ॥ जरि गेलो घिया , मलिन भेलो बात । खेलहुँ न पइलऽ देवा , चउ पहर9 ॥ 6 ॥",magahi-mag "पूछें अपनी गोरड़ी कैसा रानी जी थारा भाग पूछें अपनी गोरड़ी कैसा रानी जी थारा भाग बधावा जी हमारे नित नया हमारा नहीं जी तुम्हारी माय का भाग जिन जाये हैं गिरदां वाले पूत जिन जाये हैं अर्जुन जैसे पूत बधावा जी हमारे नित नया",haryanvi-bgc "मैं बे-कैद, मैं बे-कैद मैं बेकैद1 , मैं बेकैद , ना रोगी ना वैद । ना मैं मोमन ना मैं काफर , ना मुल्लाँ ना सैद । चौहदीं तबकीं2 सैर असाडा , किते ना होवाँ कैद । खराबात3 में जात असाड़ी , ना शोभा ना ऐब । बुल्ला सहु दी जात पुछनै , पै करे नपैद4",panjabi-pan "पाती किशन चन्द की आई पाती किशन चन्द की आई , छाती से चिपकाई । हातनहात लै गोपिन नैं , राधा जुबै गुवाई । परी देय में फिर से स्वाँसा , मरी खाल जी आई । अब हम पै भगवत भए सूदे । ऊधौ जू की ल्याई । समाचार लिख दये ईसुरी , सबने बाँच सुनाई ।",bundeli-bns "मोर झूल तरी गेंदा बाग बगीचा दिखे ल हरियर , बाग बगीचा दिखे ल हरियर दुरूग वाला नई दिखे बदे हव नरियर मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे ना चांदी के मुँदरी किनारी कर ले चांदी के मुँदरी किनारी कर ले मैं ह रइथव दुरूग में चिनहारी कर ले मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे वो पीपर पाना डोलत नइये पीपर पाना डोलत नइये का होगे टुरी ल बोलत नइये मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे वो नवा सड़कीया रेंगे ल मैना , नवा सड़कीया रेंगे ल मैना चार दिन के अवईया लगाये महीना मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे गा पांच के लगइया पचीस लग जाए पांच के लगइया पचीस लग जाए बिना लेगे नई छोड़व पुलिस लग जाए वो मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे वो गाय चराये हियाव करिले गाय चराये हियाव करिले दोस्ती मा मजा नईये बिहाव करले मोर झूल तरी मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा नरवा मा अगोर लेइबे गा",chhattisgarhi-hne "हम त माँगली आजन बाजन हम त माँगली आजन बाजन , सिंघा1 काहे लाया रे । परिछन के बेरिया2 बनूक3 काहे लाया रे ॥ 1 ॥ हम त मँगली हाथी घोड़ा , मोटर काहे लाया रे । भोंपू भोंपू मोटर बोले , कान घबराया रे ॥ 2 ॥ हम त रहली दुलहा परिछत , जियरा ललचाया रे । घुर फुर कर गोला छोड़े , जियरा घबराया रे ॥ 3 ॥ परिछन के बेरिया पिहतौल4 काहे लाया रे । लाजो न लागे समधी , नाम को हँसाया रे ॥ 4 ॥",magahi-mag "विवाह गीत लाड़ि तुखे गुबर हेड़ाउं वो , पिपर्यापाणी मा । लाड़ि तुखे पाणी भराउं वो , पिपर्यापाणी मा । लाड़ि तुखे रूटा कराउं वो पिपर्यापाणी मा । लाड़ि तुखे घटी दलाउं वो , पिपर्यापाणी मा । निहिं दले ते लाते उरी ने , लाते परी कराउं वो , पिपर्यापाणी मा । डालि तुखे फाटा विछाडु वो , पिपर्यापाणी मा । लाड़ि तुखे कांटा विछाड़ु वो , मुहड़ा वाला खेत मा । लाड़ि तुखे दगड़ा विछाडु़ वो , टेमरा वाला खेत मा । दुल्हन को गीत में कहा है कि तुझसे ढोरों का गोबर फिकवायेंगे , पिपर्या पानी गाँव में । इसी प्राकर पानी भरवायेंगे , रोटी करवायेंगे , घट्टी चलवायेंगे , नहीं पीसेगी तो लात से इधर और उधर करवायेंगे । तुझसे कचरा खेत में चुनवायेंगे , महुए वाले खेत में काँटा चुनवायेंगे । टेमरू वाले खेत में पत्थर बिनवायेंगे ।",bhili-bhb "बर के गोदे झूलती रे बिटाऊ ढोला सात सहेलिन बीच बर के गोदे झूलती रे बिटाऊ ढोला सात सहेलिन बीच सातुन के मुख ऊजरे मेरी डाबर नैनी त्यारों मैलो क्यों भेख सातुन के ढोला घर रहे रे बिटाऊ ढोला हमरे गये परदेस संग चलो ते ले चलून मेरी डाबर नैनी चलो न हमारे साथ सोने सूं कर दूं पीयरी मेरी डाबर नैनी चांदी सेत सपेत आग लगाऊं तेरी पीयरी रे बिटाऊ ढोला मौछन बड़ो अंगार डाढी तो जराऊं तेरे बाप की रे बिटाऊ ढोला जरी जाइयो सेत सपेत उन पीयन की हम गोरड़ी रे बिटाऊ ढोला तुम से भरें कहार एक बिटाऊ ढोला यूं कहै मेरी सासुल रानी चलो न हामरे साथ कैसे तो बिन के कापरे मेरी बहुअल रानी कैसे सुरत उनिहार धौरे ते बिन के कापरे मेरी सासुल रानी लौहरे देवर उनिहार वेही तुम्हारे साहबा मेरी बहुअल रानी गई क्यूं ना बिन के साथ भाजूं तो पहुंचूं नहीं मेरी सासुल रानी हेला देते आवै लाज",haryanvi-bgc "तनि एक अइपन लिखलूँ हम कोहबर तनि एक1 अइपन2 लिखलूँ हम कोहबर । 3 ताहि पइसी4 सुतलन5 दुलहा दुलरइता दुलहा । जबरे6 दुलहिनियाँ सुघइ7 साथे हे हरी । लिखलूँ हम कोहबर8 मनचित लाय हे हरी ॥ 1 ॥ एक पहर बितलइ , दोसर पहर बितलइ हे । भे गेलइ9 फरिछ10 बिहान11 सुरुज किरिन छिटकल हे हरी ॥ 2 ॥ दादी जे पइसी कोहबर दुलहा जगावे हे । भे गेलो फरिछ बिहान , सुरुज किरिन छिटकल हे हरी ॥ 3 ॥ उठि उठि जगबथि राम के सीता देइ हे । उठूँ परभु12 भे गेलो बिहान , उठहुँ परभु कोहबर हे हरी ॥ 4 ॥ हम तोहिं पूछूँ हे सीता देइ दुलहिन हे । कइसे चिन्हलऽ13 भे गेलो बिहान , कहहु सिरी राम हे हरी ॥ 7 ॥ भेल फरिछ परभु , कउआ14 डार बोले जी । गउआ दुहन घर घर आवे , सुनहु मोर सामी हे हरी ॥ 6 ॥ मोर माँगे मोतिया सभ परभु बदरंगे भेल । एही से15 चिन्हलूँ भेल बिहान , उठहु रघुनन्नन हे हरी ॥ 7 ॥",magahi-mag "बहै छै पुरबा झिलमिल बहै छै पुरबा झिलमिल हे कोसी माय पछिया बहै छै मधुर अँगना में कुँइयाँ खनाय दियौ माय कोसिका बाँटि दियौ रेशम के डोर झट से अगिया मँगाय दियो कोसी माय भैरब भैया भुखलो न जाय साठी धान कुटि के भातबा रान्हलियै अरहरमुँगिया के केलौं दालि जीमय ले बैठलै भैरब छोट भैया बहिन कोसिका बेनिया डोलाय बेनिया डोलाबैत चुबै छै पसीना नैना से ढरे मोती लोर जनु कानुखिझु बहिन हे कोसिका तोरो ले डोलिया हे बनायब घर पछुअरबा में बसै छै कहरबा कोसिका झलकैत जेती ससुरारि ।",angika-anp "183 खेड़यां साहा कढाएया बेहमनां तों भला थित महूरत ते वार मियां नावीं सावनों रात सी वीर वारी लिख घलया एह दिन वार मियां पहर रात नूं आन नकाह लैना ढिल लावनी ना जिनहार1 मियां उत्थे खेड़यां पुज समान कीता होये सियाल वी तुरत नयार मियां वारस शाह सरबालड़ा नाल होया हथ तीर गानाते तलवार मियां",panjabi-pan "भूली औ भुली1 तू आज मिलिले , मैं छ जाणू दूर तेरो , ऐ2 नि सकदो यख कभी , फिर छोड़ियाले आज डेरो । ऐ गये मौका इनू यो , एक पल भी टल नि सकदो , रुकण को भी क्वी बहानो , द्वी घड़ी को चल नि सकदो । 2 . पीठि को फाडो3 तेरो यो , दूर त्वै4 से आज ह्वैगे , मोहममता छोड़िकी तैं , जाणकू तैयार ह्वैगे । भेंटिले कुछ बोलिले , जो कुछ छ मन की बात तेरी , रै5 जाली कुछ ही दिनूँ मा , आखिरी या याद मेरी । 3 . हौर6 छै छन भै7 त्यरा भुलि , मैं सनैं8 तू भूलि जाई , याद कै9 कै की बणू मा , ना खुदै10 की गीत गाई । भै औला त्वै मू सदा ही , रीत भी त्वै सन जणाला , मैत11 को बाटो बताला , सब तरह त्वै सन12 मनाला । 4 . ये भयादूजी कु13 तैं तू , ल्हे फुलों माला बणैकी , भेटदे सब भाइयों सन , सैंद्वाणी14 अपणी बणैकी । राखड़ी त्योहार आलो , अब आली होलीदीवाली , औन्दु रै तू मैत अपणा , जाण ना दे बार खाली । 5 . हौर सब मैं भूलि जाला , माँ त नी सकदी भुलाई , माँ सणै15 तू भूलि की भी , याद ना मेरी दिलाई । ह्वै सको धीरज बँधाई , प्राण सन वीं का बुझाई , बात करदी वक्त रोकी मन , ना तू आँसू बगाई ।",garhwali-gbm "सब दिन होत न एक समाना सब दिन होत न एक समाना एक दिन राजा हरिश्चन्द्र गृह कंचन भरे खजाना एक दिन भरे डोम घर पानी मरघट गहे निशाना सब दिन . . . . एक दिन राजा रामचन्द्र जी , चढ़ के जात विमाना जी एक दिन उनका वनवास भयो दशरथ तजे प्राणा साधु सब . . . . एक दिन अर्जुन महाभारत में , जीते इन्द्र समाना जी एक दिन भीलन लुटी गोपिका वही अर्जुन वही बाणा . . . . एक दिन बालक भयो गोदीया मा एक दिन भयो सयाना एक दिन चिता जरे मरघट पे धुआं जात असमाना . . . . कहत कबीर सुनेउ भाई साधो यह पद हे निर्वाणा यह पद का जो अर्थ लगइहें होनहार बलवाना , सब दिन . . .",bhojpuri-bho "मलिया के अँगनवाँ चननवाँ केरा गाछ मलिया के अँगनवाँ चननवाँ केरा गाछ1 । ताहि तर2 सुगवा3 सगुनवा4 ले ले ठाढ़ ॥ 1 ॥ पहिला सगुनवाँ माइ हे , मलिया के देल । सोने के मउरिया5 लाइ मड़वा धराय ॥ 2 ॥ दूसरे सगुनवाँ माइ हे , कुम्हरा6 के देल । सोने के कलसवा लाइ मड़वा धराय ॥ 3 ॥ तीसरे सगुनवाँ माइ हे , बम्हनवाँ के देल । सोने के पतरबा7 लाइ मड़वा धराय ॥ 4 ॥ चउथे8 सगुनवाँ माइ हे , बेटी के बाबा के देल । अपनी दुलहिनियाँ आनि चउका बइठाय ॥ 5 ॥ पँचवाँ सगुनवाँ माइ हे , बेटा के बाबा के देल । अपन दुलहवा आनि चउका बइठाय ॥ 6 ॥ गरजे लागल कारी बदरिया , बरसे लागल मेघ । भीजे लागल दुलहा दुलहिन , जोड़ले सनेह9 ॥ 7 ॥ दुलहिन पुछये दुलहवा साधु10 बात । कइसेकइसे11 सजल12 जी परभु अपन बरियात13 ॥ 8 ॥ धोयले धोयले कपड़ा रँगलरँगल दाँत । छयले छयले गभरू14 सजल बरियात ॥ 9 ॥ दुलहा जे पूछये दुलहिनियाँ साधु बात । कइसे कइसे सीखल धानि राम रसोई15 ॥ 10 ॥ बतिसो हँड़ियवा जी परभू , छप्पन परकार । बाबा घरे सिखली जी परभू राम के रसोई ।",magahi-mag "10 बाप करे पयार ते भाई वैरी डर बाप दे हथों पये संगदे ने गुझे मेहणे मारदे सप वांगूं उसदे कालजे नूं पये डंगदे ने कोई वस ना लगदा कड छडन देंदे मेहणे रंग बरंग दे ने वारस शाह एह गरज है बहुत पयारी होर साक ना सैन ना अंग दे ने",panjabi-pan "भीलट देव- ऊँचो माळो भीलट देव डगमाळ , टोंगल्यो बूड़न्ती ज्वार । । काचा सूत की भीलट देव की गोफण , मालू राणी होर्या टोवण जाई । । हरमीधरमी का होर्या उड़ी जाजो , न पापी को खाजो सगळो खेत । । भीलट देव का महल ऊँचा है , ज्वार घुटने के ऊपर तक है । काचा सूत की भीलट देव की गोफण बनाई । मालू की रानी तोते उड़ाने जाती हैं । धरमी का खेत छोड़ देना और पापी का पूरा खेत चुग जाना । भीलट देव की पत्नी मालू रानी माना है ।",bhili-bhb "नहडोरी 1 दाबे बर ले दे दाई खांडे तलवारे घामे बर छतरी तनाय कोन गांव ला टोरंव दाई कोन गांव ला फोरंव कोन गांव ले लानों बिहाय रायपुर ला टोरंव रायगढ़ ला फोरंव नवागढ़ ले लानों बिहाय चढ़त बेरा धरम के उतरत बेरा लगिन के धरम धरम जस ले ले फेर धरम नइ मिले 2 नहडोरी के एक गीत ‘दे तो दाई अस्सी ओ रुपइया’ ये गीत ल अलगअलग जगा म अलगअलग गावत सुने ला मिल जाथे । ये गीत ह दाई अउ बेटा के बातचीत के रूप म हे जेमां बेटा ह दाई कर बिहाव बर रुपया मांगथे । जैसे कि कुछ जगा म गाये जाथे … दे तो दाई दे तो दाई अस्सी ओ रुपइया सुन्दरी ला लातेंव मंय बिहाये ओ दाई सुन्दरीसुन्दरी बाबू तुम झन रटिहौ गा सुन्दरी के देश बड़ा दूरै रे भइया तोर बर लाहवं दाई रंधनी परोसनी ओ मोर बर घर के सिंगार ओ दाई गोड़े बर रुपमुचा पनही छांव बर छतरी तनाय , हांहां जी चले जाबो सुन्दरी बिहाव लाये बर देबे इक तलवारी चढ़ेबर लीली हंस घोरी , हां हां जी चले जाबो सुन्दरी बिहाय अउ कुछ जगा म गाये जाथे … दे तो दाई दे तो दाई अस्सी ओ रुपैया सुन्दरी ला लातेंव बिहाय सुन्दरी सुन्दरी रटन धरे बाबू सुन्दरी के देस बड़ दूर तोर बर लनिहों दाई रंधनि परोसनि मोर बर घर के सिंगार पांव बर ले दे दाई रुचमुच पनही चढ़े बर दे दे लिलि हंसा घोड़ा भूख बर जोर दे दाई भुखहा कलेवना प्यास बर गंगा जल 3 देतो देतो दाई अस्सी वो रुपैया के सुंदरी ला लातेंव वो बिहाय कि अवो दाई सुंदरी ला लातेंव वो बिहाय सुंदरी सुंदरी बाबू तुम झन रटिहव के सुंदरी के देस बड़ा दूर कि अग बाबू सुंदरी के देस बड़ा दूर मोर बर लाबे बेटा रंधनी परोसनी के तोर बर घर के सिंगार कि अग बेटा तोर बर घर के सिंगार तैं तो हाबस दाई बड़ा वो अबुधनिन के मांगत हस दूध के तैं मोल कि अवो दाई मांगत हस दूध के तैं मोल तोर बर लानिहंव दाई पानी भरईया के मोर बर घर के सिंगार कि अवो दाई मोर बर घर के सिंगार पांव बर लेते दाई बजनी वो पनही के चढ़े बर लीली हंसा घोड़ा कि अवो दाई चढ़े बर लिलि हंसा घोड़ा",chhattisgarhi-hne "हमरा चान लागे लू तू देख जनि चान , हमरा चान लागे लू । मचा देबू कहियो तूफान लागे लू । मत करिह सिंगार , मिली ओरहन हजार तोहके देखे खातिर मेला में हो जायी मार रूप के तू बड़हन दुकान लागे लू । केहू आपन दौलत करेला निछावुर सुधबुध केहू खो के बनि जाना बाउर तूर देबू सबकर गुमान लागू लू । हंसि हंसि के जन आज बिजुरी गिराव अभिज्ञात जी के जनि पागल बनाव अंगड़ाई ले लू कमान लागे लू ।",bhojpuri-bho "एमन समाज कबे गो सृजन हबे (बाउल) एमन समाज कबे गो सृजन हबे ये दिन हिन्दुमुसलमान बौद्धखृष्टान जातिगोत्र नाहि रबे । शोनाय लोभेर बुलि नेबे ना केओ काँधेर झुलि , इतर आतरफ बलि दुरे ठेले ना देबे । । आमिर फकीर हये एक ठाँइ सबार पाओना पाबे सबाइ , आशरफ बलिया रेहाइ , भवे केओ येनाहि पाबे । । धर्मकुलगोत्रजातिर , तुलबे ना गो जिगिर , केंदे बले लालन फकिर केबा देखाये देबे ।",bengali-ben "टोकणी पीतल की रे टोकणी पीतल की रे रोहतक तै मोल मंगाई ईठवां जाली का मैंने उसपै दोगढ़ जचाई छेल तराइये ओ तेरी हूर लरजदी आई घर ने मत आइए तेरा आ रा सुभे सिंघ भाई इतनी सी सुन कै हो सासड़ ने नणद दौड़ाई पाणी के म्हारे रिते पड़े तेरा मरियो सुबेसिंघ भाई नणद चाली गाल मत दे सूबेसिंघ की के लगै सै लुगाई",haryanvi-bgc "शुक्र को तारो रे ईश्वर उंगी रह्यो शुक्र को तारो रे ईश्वर उंगी रह्यो । तेकी मखऽ टीकी घड़ाव । । धु्रव की बादळई रे ईश्वर तुली रही । तेकी मखऽ तहबोळ रंगाव । । सरग की बिजळई रे ईश्वर कड़की रही । तेकी मखऽ मगजी लगाव । । नव लख तारा रे ईश्वर चमकी रह्या । तेकी मखऽ अंगिया सिलाव । । चाँदसूरज रे ईश्वर उग्री रह्या । तेकी मखऽ टीकी लगाव । । वासुकी नाग रे ईश्वर देखई रह्यो । तेकी मखऽ एणी गुथाव । । बड़ी हठ वाळई रे , गौरलगोरड़ी । ।",nimadi-noe "हो दिल्ली में बिक रही छींट हो दिल्ली में बिक रही छींट छींट लेते आइयो मेरठ में चलै मसीन वहीं सिलवाइयो रास्ते में म्हारा गाम वहीं डट जाइयो मेरा बाबा काढ़ै धार , नमस्ते करियो मेरी अम्मा फेरे हाथ नीचे को नव जाइयो मेरी भाभी की बजनी टूम बिदक मत जाइयो",haryanvi-bgc "होली खेलू आज किसन होली खेलूं आज किसन , प्यारे होली खेलूं । आवत महल तुम्हें गह लूंगी सगले सखन से कर न्यारे । होली . . . लेहों काड़ कसर पिया सगरी बन प्रमोद तुमने रंग डारे । होली . . . देखों लाल आज तुम कैसे रसिया अजब बने बारे । होली . . . राधा दुलारी जान नें पावें रसिया अजब बने न्यारे ।",bundeli-bns "लाल-लाल ओढ़नी माय सोना रा तार लाललाल ओढ़नी माय सोना रा तार लाल बजावे बांसरी , नौ दुर्गा खेले छन्द छन्दगाली रा नेवर बाजण्या रे माय पावाँ में बिछिया सोवे ताप माय थारा अनबट से लागी रयो बाद नखराली रा नेवर बाजण्या ऐ माय थारी नोगरी से लागी रयो बाद छन्दगाली रा नेवर बाजण्या ऐ माय थारे वैयां ने बाजूबन्द सोवत ऐ माय थारा भुजबन्द से लागी रयो बाद नखराली रा नेवर बाजण्या हो माय थारा गला में गलूबन्द सोवत ए माय थारी माला से लागी रयो बाद छन्दगाली रा नेवर बाजण्या हो माया थारा काना में झुमका सोवता ए माय थारा काँटा से लागी रयो बाद थारा मुखड़ा ने बेसर सोवता ए माय थारा टीका से लागी रयो बाद थारा अँगन सालू सोवता ए माय थारी ओढ़नी से लागी रयो बाद छन्दगाली रा नेवर बाजण्या हो माय",malvi-mup "हम नहीं पूजबइ बरहिया, भइया नहीं अयलन हे हम नहीं पूजबइ1 बरहिया , 2 भइया नहीं अयलन हे ॥ 1 ॥ अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे । चेरिया , देखि आवऽ हमरो बीरन भइया , कहुँ चलि आवत हे ॥ 2 ॥ दूरहिं घोड़ा हिंहिंआयल , 3 पोखरिया4 घहरायल5 हे । गली गली इतर6 धमकी गेल , 7 भइया मोरा आयल हे ॥ 3 ॥ मचिा बइठल तोहें सासुजी , सुनहऽ बचन मोरा हे । अब हम पूजबो बरहिया , भइया मोर आयल हे ॥ 4 ॥ सासुजी , कहँमाहि8 धरियई9 दउरिया , 10 कहाँ रे ई11 सोठाउर12 हे । सासुजी , कहाँ बइठइअइ13 बीरन भइया , देखतो सोहावन हे ॥ 5 ॥ कोठी14 काँधे रखिहऽ दउरिया , कोठिल15 बीच सोठाउर हे । बहुआ अँचरे16 बइठइहऽ बीरन भइया , देखत सोहावन हे ॥ 6 ॥ ओहरी17 बइठल दुलरइतिन ननदो , मुँह चमकावल हे । जे कछु कोठिया के झारन , 18 अँगना के बाढ़न19 हे । भउजी सेहे लेके अयलन बीरन भइया , देखते गिलटावन20 हे ॥ 7 ॥",magahi-mag "मिलकें रजऊ बिछुर जिन जाऔ मिलकें रजऊ बिछुर जिन जाऔ , पापी प्रान जियाऔ । जब सें चरचा भई जावे कीं , टूटन लगों हियाऔ । अँसुआ चुअत जात नैनन सौं रजऊ पोंछ लो आऔ । ईसुर कात तुमाये संगै , मेरौ भऔ बियाऔ ।",bundeli-bns "कउन बन उपजे हे नरियर, कउन बन उपजे अनार हे कउन1 बन उपजे2 हे नरियर , कउन बन उपजे अनार हे । ललना , कउन बन उपजे गुलाब , तो चुनरी रँगायब हे ॥ 1 ॥ बाबा बन उपजे हे नरियर , भइया बन अनार हे । ललना , सामी3 बन उपजे गुलाब , त चुनरी रँगायब हे ॥ 2 ॥ से चुनरी पेन्हथिन4 सुगही , 5 दुलरइतिन6 सुगही हे । ललना , पेन्हिए चललन पानी लावे , चुकवन7 पानी भरे हे ॥ 3 ॥ बटियन8 पूछऽ हे बटोहिया , त कुआँ पनिहारिन हे । ललना , केकर हहु तोंहि बारीभोरी , 9 कउन भइया के दुलारी हे । ललना कउन पुरुसवा के नारी , त चुकवा लेइ पानी भरे हे ॥ 4 ॥ बाबा के हम हीअइ10 बारी , 11 त भइया के दुलारी हे । ललना , सामी जी के अलप12 सुकुमारि , चुकवा सन13 पानी भरी हे ॥ 5 ॥ मचिया बइठल तुहूँ सासुजी , सुनहऽ बचन मोरा हे । ललना , रहिया में मिलल एक रजवा14 त बदन निहारइ हे । ललना , बोले लगल बचन कुबोल , 15 करे लगल हाँसी हे ॥ 6 ॥ कइसन16 हइ उजे17 रजवा , कइसन रँग हाथी हे । ललना , कइसन हकइ18 महाउत , 19 कहि समुझावहु हे ॥ 7 ॥ करिया रंग के हथिया से गोरे महाउत हे । ललना , सुन्नर बदन के जे रजवा से बदन निहारइ हे ॥ 8 ॥ हँसिहँसि बोलथिन20 सासुजी , तुहूँ बहू बोदिल21 हे । ललना , रजवा हकइ मोर बेटवा , आयल परदेश करि हे । ललना , दुअरे बाँधल हकइ हथिया , तोहर परभु आयल हे ॥ 9 ॥",magahi-mag "माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो । माता झबर झबर रथ हिलोळा लेय , रत्नाकर अम्बो मौरियो । माता रथ मऽ सी राणी रनुबाई काई बोलऽ माता कुणऽ म्हारो आणो लई जाय माता दूर का अमुक भाई मानवी हो माता ऊ तुम्हारो आणो लई जाय माता सुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो । ।",nimadi-noe "रिमझिम-रिमझिम मेहा बरसे रिमझिमरिमझिम मेहा बरसे , काळा बादळ छाया रे पिया सूं मलबां गांव चली , म्हारे पग में पड ग्या छाला रे रिमझिम . . . भरी ज्वानी म्हांने छोड गया क्यूं , जोबन का रखवाला रे सोलह बरस की रही कुंवारी , अब तो कर मुकलावां रे रिमझिम . . . घणी र दूर सूं आई सजनवां , थांसू मिलवा रातां रे हाथ पकड म्हांने निकां बिठाया , कान में कर गया बातां रे रिमझिम . . .",rajasthani-raj "292 घर आ ननाण ने गल कीती भाबी इक जोगी नवां आया नी कन्नी ओसदे दरशनी मुंदरां ने गल मेखला1 अजब सहाया नी फिरे ढूंढ़दा विच वेलीयां दे कोई ओसने लाल गवाया नी नाले गांवदा ते नाले रोंवदा ए वडा ओसने रंग मचाया नी हीरे किसे रजवंस2 दा ओह पुतर रूप तुध थीं दून सवाया नी विच त्रिंजणां गाउंदा फिरे भौंदा अंत उसदा किसे ना पाया नी फिरे वेखदा वौहटियां छैल3 कुड़ियां मन किसे ते नांह भरमाया नी काई आखदी प्रेम दी चाट लगी ताहिओं उसने सीस मुनाया नी कहन तखत हजारे दा एह जोगी बाल नाथ तों जोग लिआया नी वारस शाह एह फकर तां नहीं जोगी हीर वासते कन पढ़ाया नी",panjabi-pan "ऐ महादेव जा ऐ महादेव ऐ महादेव जा ऐ महादेव महादेव म्याका राठो बावन दरवाजा बावन कोरा आरुकेन जा महादेव रे हे गोरा रे हे गोरा आमानी डो ऊवा गोपटी टेन बावन दरवाजा बावान कोटा जुकड़ी की डो गोरा बोले हे महादेव ऐ महादेव चोजा सन्टी बावन कोटा बावन दरवाजा जुकड़ी ऐ जा महादेव रे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "लीली घोड़ी अंबे का असवार लीली घोड़ी अंबे का असवार आगेआगे फलाणा राम प्यादा जाय हमखे निवारो देवी पागनिवार संतन निवारो देवी दुर्गा माय लाल घोड़ी अंबे का असवार आगेआगे फलाणा राम प्यादा जाय हमखे निवारो देवी पागनिवार संतन निवारो देवी दुर्गा माय",malvi-mup "वे तो साला बेणोई दोई बागां में जाय वे तो साला बेणोई दोई बागां में जाय वे तो पाटे नी चाले जमई जी ऊबट रस्ते जाय जमई खे कांटो भाग्यो जाय साला पूछे बेणोई अब कैसो हो बनी साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी वे तो साला बेणोई दोई दातण करने जाय वे तो दातण नी तोड़े जमई जी डाल मरोड़े जाय जमई जी उलझयाउलझया जाय साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी वे तो न्हाई नी जाये जमई जी ऊँडा गीता खाय साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी वे तो साला बेनाई दोई नीम वा ने जाय वे तो जीयी नी जाय जमई जी आखा लाडू खाय साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी ।",malvi-mup "टोकणी पीतल की कुआं का रे जल भर लाई टोकणी पीतल की कुआं का रे जल भर लाई छेल मनै तरवा दे रंडवे की नजर ने खाई नार तोहे बरजै मत घालै सुरमा स्याही बैंत तोहे मारूं दगड़े में हंसती आई मेरो कोई दोष नहीं वहां ठाडी चार लुगाई जेठ मेरो न्यूं बोल्यो रे क्यों मारै छेल कसाई देवर मेरो न्यूं बोल्यो या कि निकलन दे गुमराही ननद मेरी न्यूं बोली या बिगडद्ये घर की आई देवरानी मेरी न्यूं बोली तेरे तड़के ल्याऊं सगाई पड़ौसिन मेरी न्यूं बोली मैं खुद ल्या दूं मां जाई जेठाणी मेरी न्यूं बोली मुट्ठी में धरी लुगाई",haryanvi-bgc "तोय राखूँगी भवन रखवारौ लाँगुरिया तोय राखूँगी भवन रखबारौ ॥ टेक ॥ जा दिन लाँगुर तैने जन्म लियौ है , पर्वत पै बजौ है नगारौ ॥ लाँगुरिया तोय . जा दिन लाँगुर मैंने गोद रे धारो , और कच्चे दूधन पारौ ॥ लाँगुरिया तोय . जा दिन लाँगुर तैनें होश है सँभारो जयजय मात उचारौ ॥ लाँगुरिया तोय . जा दिन लाँगुर तैनें खेल खिलायौ , मैंया ने नाच रचाओ ॥ लाँगुरिया तोय . जा दिन व्यास तेरे दरश करेगो , वा दिन होय निस्तारो ॥ लाँगुरिया तोय .",braj-bra "गांधी का फोटू खिंचा है सांवरिआ गांधी का फोटू खिंचा है सांवरिआ मेरे सुसर जी का स्योने का बंगला डाका पड़ै लुट जाय हो सांवरिया गांधी जी का फोटू . . . मेरे जेठ जी का काठ का बंगला आग लगे जल जो हो सांवरिया गांधी जी का फोटू . . . मेरे देवर जी का कागज का बंगला हवा लगे उड़ जाय हो सांवरिया गांधी जी का फोटू . . . मेरे कन्थ जी का पान्नां का बंगला दोन्नू रल मिल हवा खंय हो सांवरिया गांधी जी का फोटू . . .",haryanvi-bgc "मेरे तो पीर उठे ननदी हँसत फिरे मेरे तो पीर उठे ननदी हँसत फिरे ॥ 1 ॥ बाहर बैठे ससुर हमारे , ससुर , तोरे पइयाँ पडूँ । ननदी बिदा करो , झलाही1 बिदा करो ॥ 2 ॥ बाहरे बैठे भैंसुर2 हमारे , भैंसुर तोरे पइयाँ पडूँ । ननदी बिदा करो , झलाही बिदा करो ॥ 3 ॥ बाहर बैठे सइयाँ हमारे , सइयाँ तोरे पइयाँ पडूँ । ननदी बिदा करो , झलाही बिदा करो ॥ 4 ॥ कंगन सोनार घरे , चुनरी रँगरेज घरे । गंगा जमुना बाढ़ आई , कैसे बिदा करूँ ॥ 5 ॥ मेरे से कंगन ले लो , मेरे से चुंदरी ले लो । नइया चढ़ा ननदी बिदा करो ॥ 6 ॥",magahi-mag "बोये चले थे भंवर जी पीपली बोये चले थे भंवर जी पीपली हांजी कोए हो गई घुमर घुमेर बैठण की रुत चाले चाकरी",haryanvi-bgc "विवाह गीत काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रात मा बुले । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रात मा बुले । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , फुइ करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , फुइ करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रात मा बुले । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , फुवो करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , फुवो करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रावला मा बुले ॥ महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , मामा करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , मामा करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रावला मा बुले ॥ महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , मामी करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , मामी करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रावला मा बुले ॥ महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , बईं करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , बईं करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रावला मा बुले ॥ महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , बणवि करतेक आवे । महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे , बणवि करतेक आवे । काली चिड़ि वो देव चिड़ि , रावला मा बुले ॥ लड़की के ब्याह में महिलाएँ काली चिड़िया को सम्बोधित करते हुए गीत में कह रही हैं कि हे काली चिड़िया तू देव चिड़िया है और रावले में बोल रही है । महल पर चढ़कर बनी रास्ता देख रही है और चिड़िया से पूछती है कि मेरी बुआ कितनी दूरी पर आ रही है । इसी प्रकार आगे फूफा , बहनबहनोई , मामामामी का नाम लेकर गीत को गाया जाता है । मेहमानों के आने की प्रतीक्षा बनी कर रही है ।",bhili-bhb "डुबली खूटूबा आथाटेन ऊखू केन जा आबा डुबली खूटूबा आथाटेन ऊखू केन जा आबा डुबली खूटूबा आथाटेन ऊखू केन जा आबा चुरुटेन भी डा डो भानी टेन भी जोम डो चुरुटेन भी डा डो भानी टेन भी जोम डो सेने डो बाई आमा खूंजकार केन डा बारेन ईडिये सेने डो बाई आमा खूंजकार केन डा बारेन ईडिये भानी टेन भी जोम डो चुरुटेन भी डाडी भानी टेन भी जोम डो चुरुटेन भी डाडी सेने डो बाई आमा खूंजकार केन आटा बारेन ईडिये सेने डो बाई आमा खूंजकार केन आटा बारेन ईडिये खुला एन टेन हिगरायन खुला एन टेन हिगरायन बाना एन टेन हिगरायन बाना एन टेन हिगरायन सेने डो बाई आमा खूंजकार केन सेने डो बाई आमा खूंजकार केन आटो बारेन ईडिये आटो बारेन ईडिये स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "लागल करेजवा में गोली हो, सुनि कोइलर के बोली लागल करेजवा में गोली हो , सुनि कोइलर के बोली । । टेक । । छलकि छलकि जाला रस के गगरिया । चलल दुलुम भइले रहिया डगरिया । जहें तहें करेला ठिठोली हो , नवछटियन के टोली । । टेक । । भरिभरि के मारे देवरा फिचुकारी । भींजि के लथपथ हो गइले सारी । मसकि गइल हमार चोली हो , कइसे खेलीं होली । । टेक । । झिरीझिरी बहेला बेयार मधुआइल । कुफुरेला जीव मोर पियवा न आइल । दुअरा लगाइल केहू डोली हो , जइसे उड़नखटोली । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से",bhojpuri-bho "टुटली मैं फटली मड़इआ देखते भेयामन हे टुटली मैं फटली मड़इआ1 देखते भेयामन2 हे । सेहु3 पइसी सुतली गउरा देइ , मन पछतावे हे ॥ 1 ॥ माँगि चाँगि4 लावल5 महादेव , धन बित6 छरिआ7 हे । बाघेछाल देल ओछाइ8 बसहा धान खाइल9 हे ॥ 2 ॥ नहाइ धोवाइ महादेव चउका चढ़ि बइठल हे । अधन10 देली ढरकाइ11 बिहँसि गउरा बोलथिन हे ॥ 3 ॥ सब केर देलहो महादेव , धन बित छड़िया हे । अपना जगतर12 भिखारी , पइँचो13 न मिलत हे । ऐसन नगरिया के लोग , पइँचो न देहइ14 हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "पातल सिवने बाला पातल सिवने बाला पातल सिवने बाला खिचडा पूजन बाला खिचडा पूजन बाला हल्दी पूजन बाला हल्दी पूजन बाला चावल जा सिलने बाला ना चावल जा सिलने बाला ना खिचडा गिनाई सौ खिचडा खिचडा गिनाई सौ खिचडा जो पूजन वाला गिनाई जो पूजन वाला गिनाई सौ आमा डेई नी सौ आमा डेई नी खिचडा जिलामेन जा खिचडा जिलामेन जा स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "रुकुमिनी लिपी अईली पोति अईली रुकुमिनी लिपी अईली पोति अईली छतीस दियना बारि अईली हो आरे बीनू रे होरील के ओबरिया त झहर झहर करे एक रे पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो आरे पांचही आम के घवदिया खोईन्छा कहू डालेला दूसरा पहर रुकुमिनी सूतली त सपन एक देखेली हो आरे कोरी नदीयवा के दहिया जंगलवा कहू धईल तीसरा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली आरे लाल बरन के घुनघुनावान सेजीयावा पर धईल . चौथा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो आरे सावरेन वरन के होरीलवा सेजीयवा पर खेलेला हो",bhojpuri-bho "गंगा असननियाँ चललन दुलरइता दुलहा हे बाबा फुलवरिया लवँग1 केर गछिया , अरे दह2 । जुहिया फुलल कचनरिया , अरे दह ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल आवइ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह । कते3 दूर हइ4 ससुररिया , अरे दह । कइसन हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 2 ॥ धीरेबोलूँ , धीरे बोलूँ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह । नजिके5 बसहइ6 ससुररिया , अरे दह । काँच7 कली हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 3 ॥",magahi-mag "बाजो अंग्रेजी चइए चीरा तो तम पेरो बनाजी पेंचा भोत हजाब बनाजी थारी बनड़ी हे नादान के बाजो अंग्रेजी चइए । बाजो अंग्रेजी चइए के पंखी खसखस को चइए झालर मखमल की चइए गोटा बंबई का चइए । डांडी सोना की चइए हो जी थारी बनड़ी हे नादान के बाजो अंग्रेजी चइए । बना म्हारा जामा तो तम पेरो के बाजो अंग्रेजी चइए । इसी तरह से जेवरों के नाम जोड़तेजोड़ते यह गीत लम्बा होता चला जाता है ।",malvi-mup "मनौती गीत श्री आंकार जी ऊँचो माळो डगमाळ टोंगलया बूड़न्ती जवार । । काचा सूत की ऊँकार देव की गोफण बणाई . . . । । हरमीधरमी का होर्याचिरल्या उड़ी जाजो , ने पापी को खाजो सगळो खेत । । ओंकारेश्वरजी का महल ऊँचा है और घुअने डूब जायें , उतनी बड़ी ज्वार है । कच्चे सूत की आंकारजी की गोफन बनाई । धर्मात्मा लोगों के खेतों के तोते उड़ जाना और पापी का सारा खेत चुग जाना ।",bhili-bhb "अवध नगरिया से अयले बरियतिया हे अवध नगरिया से अयले बरियतिया हे । परिछन चलु मिली जुली साजु सब सखिया हे ॥ 1 ॥ साजी लेहु डाली डुली1 बारी लेहु2 बतिया3 हे । पान फूल दूध दही अछत भरी लुटिया4 हे ॥ 2 ॥ मकुनी5 जे हथिया के जरद6 अमरिया7 हे । ताही चढ़ी आवल हमर अलबेलवा हे ॥ 3 ॥ हथिया वो घोड़वा के बनवल हइ सिंगरबा8 हे । ताही चढ़ी चारो दुलहा सोभत असवरबा9 हे ॥ 4 ॥ जामा साजे जोड़ा साजे साजल गले हरवा हे । हथवा रूमाल सोभे माथे मनिन10 मउरिया हे ॥ 5 ॥ सासु के अँखियाँ लगल मधुमछिया11 हे । कइसे में परिछों दमाद अलबेलबा हे ॥ 6 ॥ आरती करइतो सुधि बुधि नहीं आवे हे । आनन्द मंगल तेही छन सब गावे हे ॥ 7 ॥ राम रूप छकिछकि पावे दरसनमा हे । उँटवा नगाड़ा बाजे बाजे सहनइया हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "256 गैबत1 करन बेगानड़ी अत औगन सते आदमी एह गुनाहगार हुंदे चोर चुगल किरतघन ते झूठ बोले लूती लांवदे सतवां यार हुंदे असां जोग नूं नहीं गल पहन बहना तुसी कासनूं ऐडे बेजार हुंदे वारस जिन्हां उमैद ना तांघ काई कम्म तिन्हां दे आकबत2 पार हुंदे",panjabi-pan "काची करड़ नी गमरण बावड़ी काची करड़ नी गमरण बावड़ी लोंगा जड़ियो रे जड़ाव तांबा पीतला ना गमरण बेड़ला रेसम लाम्बी डोर बेड़लो मेल्यो रे सखर पाळ चूमकी चम्पा डाळ डोर टूटी ने गडूलियो डूबियो पाणी गयो रे पैताळ काठा कसी लो गमरण कांछड़ा लीजो पीपरिया नी वाट घर जाता हो गमरण माता ने के माता म्हारो माथो दूखे ससराजी आणें आविया माता म्हारो तो माथो दूखे जेठजी आणे आविया माता म्हारो तो माथो दूखे देवरजी आणे आविया माता म्हारो तो माथो दूखे पीयूजी आणे आविया घर जा ने बेटी माता म्हारो माथो हो गूथो पाटी पड़ाव पियूजी आणे आविया",malvi-mup "आरता हे आरता सांझी माई आरता आरता हे आरता सांझी माई आरता आरते की फूल झवेलन बेल इतने से भाइयां में कुणसा गोरा चन्दा गोरा सूरज गोरा गोरा के रनयण काजल भर गेरे",haryanvi-bgc "घोड़ी बठी नऽ धणियेरजी आया घोड़ी बठी नऽ धणियेरजी आया , रनुबाई करऽ सिंगार हों चंदा कसी भरी लाऊं जमुना को पाणी , घर म्हारो दूर घागर म्हारी भारी , घाटी घढ़ी हाऊं हारी चंदा कसी भरी लाऊँ जमुना को पाणी ।",nimadi-noe "बाबे तेरे की दोय क्यारियां बाबे तेरे की दोय क्यारियां बाग लगवाइये म्हारा छैल बन्ना काची कलियां तोड़ कै सुवा साफा रंगवाइये म्हारा छेल बन्ना सुवा साफा बांध कै सुसराल बिग जाइये म्हारा छेल बन्ना साली तुम्हारी गाभरू धीमे बतलाइये म्हारा छेल बन्ना सासू तुम्हारी हांडणी जरा सीख देता आइये म्हारा छेल बन्ना",haryanvi-bgc "354 सुन सहतीए असी हां नाग काले पढ़ सैंफियां1 जुहद2 कमावने हां मकर रन्न नूं भन्नके साफ करदे जिन्न भूत नूं साड़ विखावने हां नकस लिखके फूक यासीन3 साए4 सूल दी जात गवावने हां दुख दरद बला सभे दूर हुंदे कदम जिन्हां दे वेहड़यां पावने हां सनै तसमियां5 पड़हां इखलाक6 सूरत जड़ां वैरी दियां पुट गुवावने हां दिलों जिसदे चा तवीज लिखिये असीं रूठड़ा यार मनावने हां जेहड़ा मारना होवे ता कील करके ऐतबार मसान जगावने हां जेहड़े गभरू तों रन्न रहे विटर लौंग मंतर के चा खुवावने हां जेहड़े यार नूं यारनी मिले नाहीं फुल मंतर के चा सुंगावने हां ओहनां वौहटियां दे दुख दरद जादे फड़ हिक ते हथ फरावने हां कील डायनां कचियां पकियां नूं दंद भन के लिटां मुनावने हां जान सेहर जादू जेहड़े भूत गुंडे गंडा कील दुआली दा पावने हां किसे नाल जे वैर विरोध होवे ओहनूं भूत मसान चमड़ावने हां बुरा बोलदी ए जेहड़ी जोगियां नूं सिर मुन्न के गधे चढ़ावने हां जैदे नाल मुदपड़ा7 ठीक होवे ओहनूं वीर बैताल पहुंचावने हां असी खेड़ियां दे घरों इक बूटा हुकम रब्ब देनाल पुटावने हां वारस शाह जे होर ना दा लगे सिर ते परेम जड़ीयां जा पावने हां",panjabi-pan "44 पैसा खोल के हथ ते धरे जेहड़ा गोदी चाढ़ के पार उतारने हां अते ढेकया मुफत जे कन्न खायें चा बेड़ियों जिमीं ते मारने हां जेहड़ा कपड़ा दे ते नकद सानूं सभो ओसदा कम्म सवारने हां जोरावरी जे आनके चढ़े बेड़ी अधवाटड़े डोब के मारने हां डूमां अते फकीरां ते मुफतखोरां दूरों कुतियां वांग दुरकारने हां वारस शाह जेहां पीर जादयां नूं मुढों बेड़ी दे विच ना वाड़ने हां",panjabi-pan "नथली के जुलमी तोता नथली के जुलमी तोता हालै झूलै मत रे ऐसी बेहोस करी रे रस टपकै लगी झड़ी रे या है पीले अधर भरी रे रसता भूले मत रे फल कच्चे पक्े होते वे झूठे करे नपूते ढोला तूं छोड़ अछूते सबे गबूरे मत रे",haryanvi-bgc "कहाँ रे हरदी, कहाँ रे हरदी कहाँ रे हरदी , कहाँ रे हरदी भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहाँ रे लिए अवतार मरार बारी , मरार बारी दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन बनिया दुकाने दीदी लिएँव अवतार कहाँ रे पर्रा , कहाँ रे पर्रा भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहाँ रे पर्रा तैं लिए अवतार सिया पहार ऐ , सिया पहार ऐ दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन कँड़रा के घरे मैं लिएँव अवतार",chhattisgarhi-hne "100 माए चाक तराहयां बाबे चाए एस गल उते बहुत खुशी हो नी रब्ब उसनूं रिज़क है देणहारा कोई उसदे रब्ब ना तुसी हो नी मझीं होण खराब विच बेलयां दे खेल दस केही बुस बुसी हो नी वारस शाह औलाद न माल रहसी जिहदा हक खुथा ओह तां हो नी",panjabi-pan "सासागन हेजे केन कूटूम्बे सासागन ऐजेकेन सासागन हेजे केन कूटूम्बे सासागन ऐजेकेन सासागन हेजे केन कूटूम्बे सासागन ऐजेकेन सासागन हेजे केन कूटूम्बे सासागन ऐजेकेन आम बाकी सोस बाकी सासाकूनी सायेने आम बाकी सोस बाकी सासाकूनी सायेने आम बाकी सोस बाकी सासाकूनी सायेने स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "ऊँच तोरा लिलरा गे बेटी, मनि बरे जोत ऊँच तोरा लिलरा1 गे बेटी , मनि2 बरे3 जोत4 । दँतबा के जोत गे बेटी , बिजुली चमके ॥ 1 ॥ एक तो सुनली5 गे बेटी , मएभा6 सासु । दोसरे सुनली के बेटी , करिया7 दमाद । खयबो में माहुर8 बिरवा9 लगयबो में फाँसी , येही धिया10 लागी11 ॥ 2 ॥ जनि खाहु माहुर बिरवा , जनि लगाबहु फाँसी । भइया के लिखल हे अम्मा , बाबा चउपरिया12 । हमरो लिखल हे अम्मा , जयबो दूर देसवा ॥ 3 ॥ जाहि दिन हे अम्मा , भइया के जलमवाँ13 सोने छूरी कटइले नार14 हे । जाहि दिन अहे अम्मा , हमरो जलमवाँ , हँसुआ खोजइते हे अम्मा , खुरपी15 न भेंटे ; झिटकी16 कटइले मोरो नार हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "वर निकासी धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना । बइंने पछल रहिग्यो मारा राजबना । धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना । बणवि ना पछल रहिग्यो मारा राजबना । धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना । भाइ ना पछल रहिग्यो मारा राजबना । धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना । भोजाइ ना पछल रहिग्यो मारा राजबना । मेरा राजा बना धीरे चलने वालों से भी धीरे चल रहा है । बहन से पीछे रह गया , बहनोई से , भाई से और भौजाई से पीछे रह गया ।",bhili-bhb "562 जदों शरह1 दी आनके रजूह2 होए काजी आखया करो ब्यान मियां दिओ खोल सुनायके बात मैंनूं करां उमर खताब दा निआउं मियां खेड़े आखया हीर सी साक चंगा घर चूचके सयाल दे जान मियां अजू खेड़े दे पुत नूं खैर कीता होर ला थके लख तरान मियां जंज जोड़के असां विआह आंदी टके खरच कीते ढेर दान मियां लख आदमी दी ढुकी प्रथवी सी हिंदू सिख अते मुसलमान मियां असां लायके दम विआह आंदी देस मुलक रहया सभो जान मियां असां खोल्ह के हाल बियान कीता झूठ बोलना बहुत नुकसान मियां रावन वांग लै चलया सीता ताईं एह छोहरे तेज जबान मियां",panjabi-pan "ले रे ले रे ले रे बेटा जारी लोटा ले रे बेटा मुंडा धोये ले रे ले रे ले रे बेटा जारी लोटा ले रे बेटा मुंडा धोये ले रे ले रे ले रे बेटा जारी लोटा ले रे बेटा मुंडा धोये मुंडा धोवे किया केरो मैं जाऊँ परदेशी रानी ढूँढे मुंडा धोवे किया केरो मैं जाऊँ परदेशी रानी ढूँढे रानी फीकेर सो बड़ो माय रानी फीकेर सो बड़ो माय रानी नहीं हो ये गेरु बुरा दिखे रानी नहीं हो ये गेरु बुरा दिखे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "68 जेता मामले पैन तां नस जाएं इशक जालना खरा दुहेलड़ा1 ई सच आखना ई हुने आख मैंनूं एहो सच ते झूठ दा वेलड़ा ई ताब इशक दी झलनी बड़ी औखी इशक गुरु ते जग सभ चेलड़ा ई एथे छड ईमान जे नस जावें अंत रोज किआमते मेलड़ा ई",panjabi-pan "जिस तन लग्या इशक कमाल जिस तन लग्या इशक कमाल । नाचे बेसुर ते बेताल । दरद मन्दाँ नूँ कोई ना छेड़े , आपे आपणा दुःख सहेड़े , जम्मणा जीऊणा मूल हुगेड़े1 , आपणा बुज्झ आप ख्याल । जिस तन लग्या इशक कमाल । जिसने वैर इशक दा कीता , धुर दरबारों फतबा2 लीता , जदों हजूरों प्याला पीता , कुझ ना रेहा जवाब सवाल । जिस तन लग्या इशक कमाल । जिस दे अन्दर वसेया यार , उेआ यारो यार पुकार , ना ओह चाहे राग ना तार , ऐवें बैठा खेले हाल । जिस तन लग्या इशक कमाल । बुल्ला सहु नगर सच्च पाया , झूठा रौला सभ मुकाया , सच्चिआँ कारन सच्च सुणाया , पाया उस दा पाक जमाल । जिस तन लग्या इशक कमाल ।",panjabi-pan "कुवां पाणी कसी जाऊँ रे नजर लगी जाय कुवां पाणी कसी जाऊँ रे , नजर लगी जाय । नजर लगी जाय , हवा लगी जाय । । म्हारा साहेबजी का बाग घणा छे , फुलड़ा तोड़णऽ कसी जाऊँ रे , नजर लगी जाय । म्हारा साहेबजी का कुवां घणा छे , पाणी भरणऽ कसी जाऊँ रे , नजर लगी जाय । नजर लगी जाय , हवा लगी जाय । ।",nimadi-noe "ईसुरी की फाग-6 जुवना दए राम ने तोरें सब कोऊ आवत दौरें आएँ नहीं खांड़ के घुल्ला , पिएँ लेत ना घोरें का भऔ जात हाथ के फेरें , लए लेत ना टोरें पंछी पिए घटी नहीं जातीं , ईसुर समुद हिलौरें भावार्थ राम ने तुझे यौवन दिया है , सब लोग तेरे दरवाज़े पर दौड़दौड़ कर आते हैं यानि तेरे घर के चक्कर लगाते हैं । पर ये स्तन तेरे कोई खांड के खिलौने तो हैं नहीं जिन्हें हम घोल कर पी जाएंगे । इन पर हाथ फेर लेने दो , तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा ? हम इन्हें तोड़ तो नहीं लेंगे । ईसुरी कहते हैं कि पंछियों के पीने से समुद्र की लहरें घट नहीं जातीं ।",bundeli-bns "राखें मन पंछी ना रानें राखें मन पंछी ना रानें , इक दिन सब खाँ जानें ? खालो पीलो , लैलो दैलो , ये ही लगै ठिकानें , कर लो धरम कछूबा दिन खाँ , जा दिन होत रमानैं । ईसुर कई मान लो मोरी , लगी हाट उठ जानैं ।",bundeli-bns "तोरे ददा बाबू देसपति के राजा अउ काहे गुन रहे गा कुँवारा तोरे ददा बाबू देसपति के राजा अउ काहे गुन रहे गा कुंवारा हरदी के देस दीदी हरदी महंगा भइगे , अउ परी सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी करसा महंगा भइगे , बिजना सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा हरदी के देस दीदी चाउंर महंगा भइगे , अउ पर्ण भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी मंगरोहन महंगा भइगे , गुड़रा भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा",chhattisgarhi-hne "ए जी जित बांटे झोली भर फूल ए जी जित बांटे झोली भर फूल उड़े पड़ सो रहे भगवान ए जी बरसै सै रिम झिम मेघ बाहर भीज्जै एकले भगवान ए जी थारै धौरे साथियां का साथ कैसे डरपो एकले जी भगवान ए जी म्हारै चौंतरे पग ना देय लीप्या पोता ऊपड़ै भगवान ए जी इतनी सी सुण कै नै किसन महलां ऊतरे भगवान ए जी एक चणा दोय दाल दलै पाच्छै ना मिले भगवान ए जी एक दही सूजै दूध फटे पाच्छै ना मिले भगवान ए जी एक पुरुष दूजी नार लडें़ पाच्छै रत्न मिले भगवान ए जी एक चणा दूजी दाल पीसे पाच्छै रत्न मिले भगवान ए जी एक दही दूजै दूध बिलोय पाच्छै ना मिले भगवान ए जी एक पुरुष दूजी नार मनाए पीछै मनै ए भगवान ए जी रोवै राधा जार बेजार आंसू गेरै मोर ज्यूं भगवान ए जी राधे रूस्से बारम्बार किसन रूस्से ना सरै भगवान",haryanvi-bgc "सीता चलीं मायकें एड़ीटेड़ी बाँसुरी , बजाबेबारौ कौन , सीता चलीं मायकें , लौटाबेबारौ कौन ? आज आदमी निज स्वारथ में , ऐंन आँदरौ हो रओ , मानुस होकैं मानवता खौं , काए कुजानें खो रओ । असगुन हो रए रोज चौगुने , बिगरत जा रओ सौंन । कैबे सुनबे जान चिनारी , कोऊ काम नइँ आबैं , थायँबताकै हमें ऊथली , लै गैरे खौं जाबैं । दूध बिलइयाँ पिएँ मजे सें , हमें मठा कौ धौंन । चोरचोर मौसेरे भइया , पेरैं अपनी घानी , अपुन मसकबैं माल मजे सैं , हमें पिआ दएँ पानी । फोरा पारैं और जरे पै , डारैं रोजऊँ नौंन । चोरबजारी करैं प्रेम सैं , हरिसचन्द के लरका , सज्जनता की नई सड़क पै , बड़ेबड़े भए भरका । अपने काजै डैवड़ौ दूनौ , और काउऐ पौंन । नीतन्याय की बात करौ नइँ , भरौँ मच गओ भारी , मौं पै मीठे बोल , बगल में दाबैं फिरैं कटारी । तनक भले की बात चलै तौं , होहो जाबैं मौन । सत्य अहिंसा धरम नीति के , क्वाउत जौन पुजारी , निकरत बेइ कुकरमी पापी , असली अत्याचारी । बेइ प्रगत के महाखम्भ की , पकरैं बैठे टौंन ।",bundeli-bns "मैं मुशताक दीदार दी घुँघट ओहले ना लुक सोहणिआ , मैं मुश्ताक दीदार दी हाँ । जानी बाझ दीवानी होई , टोकाँ करदे लोक सभ्भोई । जे कर यार करे दिलजोई , मैं ता फरिआद पुकारदी हाँ । मैं मुश्ताक दीदार दी हाँ । मुफ्त बिकान्दी बान्दी जान्दी , मिल माहीआ जिन्द ऐवें जान्दी । इकदम हिजर नहीं मैं सहिन्दी , मैं बुलबुल इस गुल्ज़ार दी हाँ । मैं मुश्ताक दीदार दी हाँ । घुँघट ओहले ना लुक सोहणिआ , मैं मुशताक दीदार दी हाँ ।",panjabi-pan "559 खेड़यां जोड़के हथ फरयाद कीती नहीं वकत हुण जुलम कमावने दा एह ठग जे महजरी1 बड़ा खोटा सेहर जानदा सरहों जमावने दा वेहड़े वड़दयां नढियां मोह लैंदा इस नूं इलम जे रन्न वलावने दा साडी नूंह नूं इक दिन सप्प लड़या ओह वकत सी मांदरी लयावने दा सहती दसया जोगिड़ा वांग काल ढम जानदा झाड़या पावने दा मंतर झाड़े नूं असां ने सद आंदा सानूं कम सी जिंद बचावने दा लै के दोहां नूं रातों ई रात नठा फफर वली अला फेरा पावने दा विचों चोर ते बाहरों साध दिसे इसनूं वल जे भेख वटावने दा राजे चोरां ते यारां नूं मार देनी सूली रसम है चोर चढ़ावने दा भला करे ते एहनूं मार टिे हुकम आया है चोर मुकावने दा वारस शाह बेअमल चाकरी कोई रब्बा रखां आस मैं फजल करावने दा",panjabi-pan "239 बुझी इशक दी अग नूं वा लगी समां आया ए शौक जगावने दा बाल नाथ दे टिले दा राह फड़या मता जागया कन्न पड़ावनेदा पटे वाल मलाइयां दे नालपाले वकतआया सू रगड़ मुनावने दा जरम करम तयाग के ठान बैठा किसे जोगी दे हथ वकावने दा बुंदे सोने दे लाह के चाअ चढ़या कन्न पाड़ के मुंदरां पावने दा किसे ऐसे गुरदेव दी टहल करीए वल सिखीए रन्न खिसकावने दा वारस शाह मियां एहनां आशकां नूं फिकर जरा ना जिंद गुवावने दा",panjabi-pan "सरग भवन्ति हो गिरधरनी एक सन्देशो लई जाव सरग भवन्ति हो गिरधरनी , एक सन्देशो लई जाव । । सरग का अमुक दाजी खऽ यो कयजो , तुम घर अमुक को ब्याव । । जेम सरऽ ओमऽ सारजो हो , हमारो तो आवणोनी होय । । जड़ी दिया बज्र किवाड़ , अग्गळ जड़ी जड़ी लुहा की जी । ।",nimadi-noe "453 मियां तींवियां नाल विवाह सोहन अतेमरन ते सोंहदे वैन मियां घर बार दी जेब1 ते हैन2 जीनत नाल त्रिमतां दे साक सेन मियां एह त्रीमतां सेज दियां वारसा ने अते दिलां दियांदेन ते लैन मियां वारस शाह एह जोड़ना जोड़दियां ने अते महरिहां3 महरदियां हैन मियां",panjabi-pan "पियवा, हो पियवा, तू ही मोरा साहेब हो पियवा पियवा , हो पियवा , तू ही मोरा साहेब हो पियवा । पियवा , जे बघिया1 एक लगइत , टिकोरवा2 हम चखती हो ॥ 1 ॥ धनियाँ , हे धनियाँ , तूहीं मोरा सुन्दर हे धनियाँ । धनियाँ , बेटवा जे एक बियइतऽ सोहरवा हम सुनती हे ॥ 2 ॥ बेटवा जे होअ हे करम से जे ऊ राम बूझथ3 हे । बघिया जे होअ हे आदमी से , आउर मानुस से ॥ 3 ॥ ओरिया4 काटि नेहयलन , सुरूज गोड़वा लगलन हे । हमें पर आदित होअ न देआल , पियवा मोरा ओलहन5 हे ॥ 4 ॥ आधी राति गइले , पहर राति , होरिल जलम ले ले हे ॥ 5 ॥ अँगना बहारइत6 चेरिआ , सुनहु बचन मोरा हे । चेरिया , प्रभुजी के सेजिया डँसाव त पियवा सुनिहें सोहर हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "हाथी चले डिलम डोला रे घोड़ा रे चलियोंगोचाई बाबा गोचाई बाबा हाथी चले डिलम डोला रे घोड़ा रे चलियों हाथी चले डिलम डोला रे घोड़ा रे चलियों चमकी कैसी घोड़ा रे सारी रात रे दिवा वाले चमकी कैसी घोड़ा रे सारी रात रे दिवा वाले राजा चले देश देखन रे राजा चले देश देखन रे रानी चलियो गाजा बाजा रे रानी चलियो गाजा बाजा रे सारी रात दिवा वाले सारी रात दिवा वाले हाथी चले डिलम डोला रे घोड़ा रे चलियो हाथी चले डिलम डोला रे घोड़ा रे चलियो स्रोत व्यक्ति पीला बाई , ग्राम आंवलिया",korku-kfq "135 सइयां नाल रलके हीर मता कीता खिंड पुंडके गलियां मलियां नी कैदो आन याजदों फलहे अंदर खबरां तुरत ई हीर नूं घलियां नी हथीं पकड़ कांवा वांग शाह परियां गुसा खाइके लारियां जलियां नी कैदो घेर जयों गधा घुमयार पकड़े लाह सेलियां पकड़ पथलियां नी घाड घाड ठठयार जोपौन धमकां धाई छबियां मोहलियां1 नीचलियां नी",panjabi-pan "बखरी रैयत है भारे की बखरी रैयत है भारे की , दई पिया प्यारे की । कच्ची भीत उठी माटी की , छाई फूस चारे की । वे बन्देज बड़ी बे बाड़ा , तई पै दस व्दारे की । किबारकिवरियाँ एकऊ नइयाँ , बिना कुची तारे की । ‘ईसुर’ चाँय निवारों जिदना , हमें कौंन बारे की ।",bundeli-bns "कुतली चूरगी मोरई जपय कुतली चूरगी मोरई जपय कुतली चूरगी मोरई जपय कुतली चूरगी मोरई जपय हुई कुतली चूरगी मोरई जपय हुई कुतली चूरगी मोरई जपय हुई कुतली चूरगी मोरई जपय हुई डिजकेन का सासावा डिजकेन का सासावा डिजकेन का सासावा डिजकेन का सासावा स्रोत व्यक्ति शिवराज पालवी , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "आकाशो में तो चाँद सूरजो धरती में तो राम भगवान आकाशो में तो चाँद सूरजो धरती में तो राम भगवान जा भगवान इयें कीनी चोयमा गाले धरती में तो चाँद सूरजो आकाश में तो राम भगवान जा भगवान इय केन नी चोयामा गाले मायटेने भी फुरी जा भगवान , बाँटे ने भी पूरी जा भगवान जा भगवान इंके न भी चोयामा गाले बा केन भी डोढूँजा भगवान जा माय केन भी डोढूँजा भगवान जा भगवान इयें केन ने चोयामा गाले पीठो में तो भाई नहीं है खोक में तो बैठा नहीं है जा भगवान इयेकेन ने चोयामा गाले खोक में तो बैठा नहीं है पीठो में तो भाई नहीं रे हा रे भगवान इयेकेन चोयामा गाले पीठ में तो काका नहीं रे , पीठ में तो काकी नहीं रे जा भगवान इयेकेन चोयामा गाले स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "देवी के पर्वत चड़ती चौलण पाट्या ए मां देवी के पर्वत चड़ती चौलण पाट्या ए मां । कै गज चौलन पाट्या के गज रह्या ए मां । दस गज चौलन पाट्या नौ गज रह्या ए मां । काहे की तो सुई री मंगाऊं काहे का तागा ए मां । सार की तो सुई री मंगाऊं रेसम का तागा ए मां ।",haryanvi-bgc "भूरे की माता बोलती सुण भूरा मेरा माना की माता बोलती मेरा माना आइये बेटा बादसाह के दलां में तू सन्मुख जाइये तेग झमकती देख के भय मत ना खाइये लोथा ऊपर लोथ पड़ै मत एडी ठाइये रतनसिंह के नाम पर सम्मुख मर जाइये जै तूं आवै भाज के मुंह मत दिखलाइये अच्छा सा जोगी देख कै जा कान पड़ाइये ठेकरा ले लीये हाथ में मांगिये अर खाइये और घणी रे माना के कहूं मां के दूध कै मत लाणा लाइये",haryanvi-bgc "मुखड़ी को रंग कनो! सिर धौंपेली1 लटकाई कनी , काला सर्प की केंचुली जनौ सिन्दूर से भरी माँग कनी , नथूली मा गड़ी नगीना जनी । सी आँखी सरमीली कनी , डाँडू मा खिली बुराँसी जनी । मुखड़ी को रंग कनो ? बाला सूरज को रंग जनो ओंठू का बीच दाँतुड़ी कनी , गठ्यांई2 भोत्यों माल जनी स्वर मा मिठास कनी ? डाँड्यो वासदी हिलाँस3 जनी",garhwali-gbm "सुन्दर सेत सरद को चन्दा सुन्दर सेत सरद को चन्दा । रास रचौ गोविन्दा । सेत उठाई सेत बिछाई । सेत चाँदनी बन्दा । सेतइ कली टिकुली सी दमकैं , अली करै आनन्दा । जेवर सेतसेत पोसाखैं । सेत सुमन को कन्दा । ईसुर सेत सुपेती को सुख , किसन चन्द मकरन्दा ।",bundeli-bns "सुहाग मांगण दादी पै गई सुहाग मांगण दादी पै गई सुहाग मांगण अम्मां पै गई दादी भर द्यो ने मांग सिंदूर सुहाग हम नै तुंए देगी री अम्मां भर द्यो नै मांग सिंदूर सुहाग हम नै तुंए देगी री हथ मैंहदा भइआ चूड़ा बीबी सीस डोरी री भर ल्यो नै मोतियन तै मांग सुहाग थम नै रब देगा री ।",haryanvi-bgc "349 असीं भूत दी अकल गवा दईए सानूं ला भबूत डरावना एं त्रिंजणं देखने वहुटियां छैल कुड़ियां ओथे किंगनी तार वजावना एं मेरी भाबी दे नाल तूं रमज मारें भला आप तूं कौन सदावना एं ओह पई हैरान है नाल जहमत1 घड़ी घड़ी क्यों पया अकावना एं ना तूं वैद ना मांदरी ना मुलां झाड़े गैब दे कासनूं पावना एं चोर चूहड़े वांग है तन्न तेरी पई जापदी सिर फुडावना एं कदे भूतना होयके झंड खोले कदे जोग धारी बन आवना एं इट सिट फगवाड़ ते कवार गंदल एह बूटियां कढ वखावना एं दारू ना किताब ना हथ शीशी आख काहे दा वैद सदावना एं जाह घरों असाडयों निकल भेखी नहीं जटां दी जूह सुहावना एं खोह बावरी खपरी भन तोडूं अते होर की लीक लुआवना एं रन्नां बलम बाऊर2 दा दीन खोहया वारस शाह तूं कौन सदावना एं",panjabi-pan "आल्हा ऊदल एत्तो बारता बा रुदल के आल्हा के सुनीं हवाल केत्ता मनौलीं बघ रुदल के लरिका कहल नव मानल मोर बावन कोस के गिरदा में बघ रुदल डिगरी देल पिटवाय लिखल पाँती बघ रुदल तिलरी में देल पठाय तेली बनियाँ चलल तिलरी के लोहन में आफत काल पाँती भेजवो नरबर गढ़ राजा मेदनी सिंह के दरबार चलल जे राजा बा मेदनी सिंह मोहबा में पहुँचल जाय आइल राजा मकरन्ना गढ़ मोरंग के राज पहुँचल वाय चलल जे राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय आइ राजा डिल्ली के सुरजन सिंह बुढ़वा सैयद बन्नारस के नौं नौ पूत अठारह नात ओनेहल बादल के थमवैया लोहन में बड़ चण्डाल मियाँ मेहदी है काबुल के हाथ पर खाना खाय उड़ उड़ लड़िहें सरगे में जिन्ह के लोथ परी जै खाय चलल जे राजा बा लाखन सिंह लाखन लाख घोड़े असवार नौ मन लोहा नौमनिया के सवा सौ मन के सान उन्ह के मुरचा अब का बरनौ सौ बीरान में सरदार आइल राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय जेत्ता जे राजा बा लड़वैया रुदल तुरत लेल बोलाय जेत्ता जे बा लड़वैया जिन्ह के सवा लाख असवार एत्तो बारता बा राजा के रुदल के सुनीं हवाल",bhojpuri-bho "फाग गीत नणदल ने भोजाई दोइ , भेलो पाणी लावे रे ॥ नणदल चाली सासरे , भोजाई रोवे रे , जोड़ी बिखरगी ॥ हाँ रे जोड़ी बिखरगी , नणदोई थारी वेल वधजो रे , जोड़ी बिखरगी ॥ ननद और भाभी दोनों साथ में पानी लाती हैं । ननद ससुराल चली तो दोनों की जोड़ी टूट गई । जोड़ी टूटी , किन्तु भाभी ननदोई को आशीर्वाद देती है कि आपकी वंश वृद्धि हो ।",bhili-bhb "होरी खेलन आयौ श्याम होरी खेल आयौ श्याम , आज याहि रंग में बोरौ री ॥ कोरेकोरे कलश मँगाओ , रंग केसर घोरौ री । रंगबिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री ॥ होरी . पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री । पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ री ॥ होरी . हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री । तारी देदै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री ॥ होरी . ‘चन्द्रसखी’ की यही बीनती करै निहोरौ री । हाहा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री ॥ होरी .",braj-bra "जोगी आयो शहर में व्योपारी जोगी आयो शहर में व्योपारी २ अहा , इस व्योपारी को भूख बहुत है , पुरिया पकै दे नथवाली , जोगी आयो शहर में व्योपारी । अहा , इस व्योपारी को प्यास बहुत है , पनियापिला दे नथ वाली , जोगी आयो शहर में व्योपारी । अहा , इस व्योपारी को नींद बहुत है , पलंग बिछाये नथ वाली जोगी आयो शहर में व्योपारी २",kumaoni-kfy "बीरा थे दाम्मण भल ल्याईओ बीरा थे दाम्मण भल ल्याईओ चुन्दड़ी पर रतन जड़ाईओ म्हारा रिमक झिमक भाती आईओ बेस्सर थे भल ल्याइओ झूमर पर रतन जड़ाईयो म्हारा रिमक झिमक भाती आईओ बोरलै पै रतन जड़ाईयो म्हारा रिमक झिमक भाती आईयो",haryanvi-bgc "सामन भदोइया क निसि अधिरतिया सामन1 भदोइया2 क निसि अधिरतिया , मलका मलके3 सारी रात हे । बिजली चमके चहुँ ओर हे । खाट छोड़िए भुइयाँ4 सुतली दुलरइतिन बेटी , रोइ रोइ कयल5 बिहान6 हे । दुअरे से अयलन दादा दुलरइता दादा , बेटी से पूछे साधु बात7 हे । कउन संकटिया8 तोरा आयल गे बेटी , रोइ रोइ कयल बिहान हे ॥ 2 ॥ हमरा सुरतिया जी दादा तोरे न सोहाये , खोजी देलऽ लड़िका दमाद हे । हमर करम बराबर गे बेटी , जानो धरम तोहार हे ॥ 3 ॥ उतम कुल बेटी तोहरा बिआहलूँ9 देखलूँ छोट न बड़ हे । पूरब खेत बेटी ककड़ी जे बुनलूँ10 ककड़ी के भतिया11 सोहामन हे ॥ 4 ॥ न जानू बेटी गे तीता कि मीठा , कइसन ककड़ी सवाद12 हे । सोनमा रहइत बेटी तोहरा डहइती13 रूपवा डहलों न जाय हे ॥ 5 ॥ कुइयाँ14 रहइत बेटी फिनु से15 उढ़ाहती16 समुदर उढ़ाहलेा न जाय हे । बेटा रहइत बेटी फिनु से बिवाहती , बेटी कियाहलो न जाय हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "ब्याही थी रे बिलसी नाहीं ब्याही थी रे बिलसी नाहीं , या क्या हुई प्यारी ए तोड़ी थी रे सूंघी नाहीं , ली थी गले में डार प्यारी ए घर घर की दीवा घर घर बाती , रंडुवे के घर घोर अंधेरा ए घर घर भोजन घर घर रोटी , मेरे घर ढकनी में चून प्यारी ए दामन चुंदरी खूंटी धरे हैं , एक बार पहर दिखाय प्यारी ए पानी की गगरी रीती धरी है , इक बार सागर जाय प्यारी ए गहने का डिब्बा भरा धरा है , एक बार पहन दिखाय प्यारी ए भैया तेरा लेने आया , एक बार नैहर जाय प्यारी ए सेजें मेरी सूनी पड़ी हैं , एक बार सूरत दिखाय प्यारी ए डाल खटोला बगड़ बिच सोया , एक बार सुपने में आय प्यारी ए",haryanvi-bgc "तेरो हरयो ए पीपल संपुल तेरो हरयो ए पीपल संपुल फलियो बैलड़ी फलछाइयो एक दूर देसां ते मेरी भुआ ए आई कर बड़ गोतण आरतो एक दूर देसां ते मेरी भाणलए आई कर मेरी मां की जाई आरतो एक आरता को मैं भेद ना जाणू कै विध कीजो भैण्यो आरतो एक हाथ लोटो गोद बेटो कर मेरी मां की जाई आरतो एक हाथ कसीदो गोद भतीजो कर बड़ गोतण आरतो एक आरता की गाय लैस्यां और ज अलल बछेरियां उस गाय को हम दूधो री पीवां अलल बछेरी म्हारो पिव चढ़ै वा तो इतणो सो लैकै बाई घरवी चालो दे मेरी मां की जाई असीसड़ो तम तो लदियो रे बधियो मेरी मां का रे जाया फलियो कड़वा नीम जूँ तेरी सास नणद रत्न बूझण लागी कैरे ज लाग्यो बहुअड़ आरतो पान तो रै कै पचास लाग्या सुपारी तो लागी पूरी ड्योढ़ सै",haryanvi-bgc "ए परदेसी चाल्या जाइये ए परदेसी चाल्या जाइये , घर बूझे सै मारे नै ए मेरी मां बाम्हण कै जारी बाबल नम्बरदारी मैं ए मेरी भाभी माण्डे पोवै , दाल रघैं म्हारे हारे मैं ए मेरा बीरा ढोल जिमावै , जले की नजर चुबारे मैं ए मेरी माता लत्ते दिखावै , बैली करदी बाड़ै मैं",haryanvi-bgc "बांका रहिए जगत में बांका रहिए जगत में बांके का ही आदर होय । बांकी बन की लाकड़ी काट सके ना कोय । ।",haryanvi-bgc "कै भड़ को आइ होलो, यो दल-बल कै भड़1 को आइ होलो , यो दलबल , कै भड़ की आई होली , या पिंगली पालंकी , केक सेन्दो बाबा जी , निंद सुनिंद , ऐ गैन बाबा जी , जनती2 का लोक , नी सेन्दू बेटी मैं , निन्द सुनिंद । तेरी जनीत कांद ओगी लौलू बरमा जी करला , गणेश की पूजा , वर तैं लगौलू मंगल पिठाई ।",garhwali-gbm "डाची वालेया मोड़ मुहाल वे डाची वालेआ मोड़ मुहार वे सोहणी वालेआ लै चल नाल वे डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . . तेरी डाची दे गल विच्च टल्लीआं वे मैं पीर मनावन चलीआं तेरी डाची दी सोहनी चाल वे ओये डाची वालेया मोड़ मुहार वे . . . तेरी डाची थलां नू चीरनी वे मैं पीरां नू सुख्खनी आ खीरनी आके तक्क जा साडा हाल वे ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . . तेरी डाची दे चुम्नीआं पैर वे तेरे सिर दी मंगनीआं खैर वे साडी जिंदड़ी नू एन्ज न गाल वे ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . . तेरी डाची तों सदके मैं जानीआं पंजा पीरां नू पई मैं मनानिआँ . सुख्खां सुखनिआँ तेरियां लाल वे ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . . डाची वालेआ मोड़ मुहार वे सोहणी वालेआ लै चल नाल वे . . .",panjabi-pan "ऐसी के जल्दी मचाई हरियाली ऐसी के जल्दी मचाई हरियाली रासन में सादी कराई हरियाली बीबी मात्थे तुम्हारे अीका बिन्दी पै रतन जड़ाई हरियाली रासन में सादी कराई . . . बीबी गल तुम्हारे नकलिस लोकिट पै रतन जड़ाई हरियाली रासन में सादी कराई . . . बीबी हाथ तुम्हारे कंगणा मंहदे पै रतन जड़ाई हरियाली रासन में सादी कराई . . . बीबी पैर तुम्हारे जूता चलगत पै रतन जड़ाई हरियाली रासन में सादी कराई . . .",haryanvi-bgc "कंहवा कै यह माती हथिनिया कंहवा कै यह माती हथिनिया , कंहवा कै यह जाए केहिके दुआरे लवंगिया कै बिरवा , तेहि तरे हथिनी जुड़ाए उन्ह्वा वर का निवास कै यह माती हथिनिया , उन्ह्वा वधु का निवास कै यह जाए फलाने बाबू वधु के पिता का नाम द्वारे लवंगिया कै बिरवा , तेहि तरे हथिनी जुड़ाए महला से उतरे हैं भैया कवन बाबु वधु के भाई का नाम , हाथ रुमालिया मुख पान आपनि हथिनी पछारो बहनोइया , टूटै मोरी लौंगा क डारि भितरा से निकरी हैं बहिनी कवनि देई वधु का नाम , सुनो भैया बिनती हमारि जेहिके दुआरे भैया इत्ता दल उतरा सुघर बर उतरा , त का भैया लौंगा क डारि ? ?",awadhi-awa "घुमेरदार लंजो बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो घुमेरदार लंजो . . . अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो म्हारे माथा ने मैमद लाइजो और रखडी रतन जड़ाई जो . . . बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो घुमेरदार लंजो . . . अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो म्हारी बैयाँ ने चुडलो लाइजो , म्हारी नथनी रतन जड़ाई जो . . . बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो घुमेरदार लंजो . . . अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो पगल्या ने पायल लाइजो म्हारा बिछया रतन जड़ाई जो . . . बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो घुमेरदार लंजो . . . अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो",rajasthani-raj "नदी बहै, नाला बहै नदी बहै , नाला बहै , बहै सरयू नदिया वही देखी मलाहा थरथर काँपै हे , वही देेखी दूध लेनें खड़ा छै गुअरा केरोॅ पुतवा हे केना होवै सरोवरनदी पार टुटलियो जे नैया छै कोसी माय टुटलियो जे पतवार , कैसें होवै सरोवरनदी पार चंदन छेवीछेवी मलाहा नैया बनैहौ महुआ छेवीये पतवार वही चढ़ी होवै सरोवरनदी पार । खेवैतें हे खेवैतें मलाहा लै गेलै अकोलो नदी पार यहो हम्में जानतौं रे मलाहा मांगवै तहूँ घाट गंगा केरोॅ कौरिया लेतिहौ गठरी लगाय ये मत हो जानिहैं मलाहा कोसी छै असवार कोसी के संग मलाहा बड़ेला छुट भाय बँहियाँ रे घूमै मलाहा बही चली जाय अँचरा छूहीयै मलाहा जरी केॅ होइहैं भसम मोर अँचरा छुवैतें . . . . . . ।",angika-anp "बाबा मांडा बल ग्या मैं खा ल्यूंगा बाबा मांडा बल ग्या मैं खा ल्यूंगा बाबा यू बी बलग्या यू बी खा ल्यूंगा बाबा सारे बलगे सारे मैं खा ल्यूंगा बाबा कुणबा के तन्नै खागा",haryanvi-bgc "तोरे पाव परत महामाई हो मोरी अरज सुनो तोरे पांव परत महामाई हो , मोरी अरज सुनो माया के तेरे भरे हैं खजाने , धन दौलत मैया कछु न चाने बिनती सुनो हमारी हो मोरी अरज सुनो . . . दुष्ट दलन जगदम्बा भवानी , तो सम नहिं मैया कोऊ दानी करो कृपा हर्षायी हो । मोरी . . . नाहिं चाहो मैया महल अटारी इतनी है बस बिनय हमारी रहो चरन चितलाई , हो मोरी अरज सुनो . . . सेवक की रक्षा करो माता बिनय सुनो तुम मेरी माता जीवन ज्योति जलाई हो । मोरी अरज . . .",bundeli-bns "347 छेड़ खुंदरां भेड़ मचावना एं सेकां लिंग तेरे नाल सोटयां दे असीं जटियां मुशक पलटियां हां नक पाड़ सुटे जिन्नां झोटयां दे जदों मूहलियां पकड़ के गिरद होइयां पिसते कढिये टीनयां कोटयां दे जट जुटके कुटिये नाल सोटे एह अलाज नी चितड़ां मोटयां दे लपर शाह दा बालका शाह भखड़ तैथे वल है ऐड लपोटयां दे वारस शाह रोडा सिर कन्न पाटे एह हालचोरां यारां खोटयां दे",panjabi-pan "495 कही छिंज1 घती अज तुसां भैणां खुआर कीता जे मैं निघर जांदड़ी नूं भइआं पिटड़ी कदों मैं गई किते किओं उडाया जे मैं मुनसखांदड़ी2 नूं छज छाननी घत उडाया जे मापे पिटड़ी ते लुड जांदड़ी नूं सैदे खेड़ी दे ढिड विच सूल होया सदन गई सां मैं किसे मांदरी3 नूं",panjabi-pan "174 हीरमाउं देनाल आ लड़न लगी तुसां साक कीता नाल जोरियां दे कदों मंगया मुनस मैं तुध कोलों बैर कढया ने लाल घोरियां दे हुण करें वलाए क्यों असां कोलों एह कम्म ना हुंदे ने चोरियां दे जेहड़े होन विआकुल चा लावंदे ने इटां बारियां दीयां विच मोरियां दे चाए चुगद1 नूं कंूज दा साक दितो परी बधीया ई गल ढोरियां दे वारस शाह मियां गनां जग सारा मजे चख लै पोरियां पोरियां दे",panjabi-pan "बड़ए बगड़तै सती राणी नीसरी भर गोबर की हेल बड़ए बगड़तै सती राणी नीसरी भर गोबर की हेल गोबर छिड़का भोली रााी भोंपड़ी धरती में हुवाए लिपाव बड़ए बगड़तै सती रानी नीसरी भर गीव्हां की हेल गीहव छिड़का भोली राणी भोंपड़ी धरती में राख्यो ए बीज बड़ाए बगड़तै सती राणी नीसरी भर लोटा जल नीर गड़वा तो छिटका भोंपड़ी धरती हुयाए सिलाव",haryanvi-bgc "दै दै मुरलिया मोरी राधिका कृष्ण : दै दे मुरलिया मोरी राधिका , दै दे मुरलिया मोरी राधिका दै दे मुरलिया कृष्ण : यह मुरली मोरे प्राण बसत है वहो भाई रे चोरी राधिका , वहो भाई रे चोरी राधिका दै दे मुरलिया . . . कृष्ण : काहे से गौबे काह बजौबे काहे से गौवें टेरी राधिका , काहे से गौवें टेरी ? गायों को कैसे बुलाऊँ राधिका दै दे मुरलिया . . . राधा : मुख से गावो ताल बजावो बोलि के गौवें टेरो श्याम , तुम बोलि के गौवें टेरो श्याम न देबे मुरलिया तोरी . . . राधा : एहि मुरली धुन खूब सतायो खूब करयो है बरजोरी श्याम , तुम खूब करयो है बरजोरी श्याम न देबे मुरलिया तोरी . . . कृष्ण : हाथ जोड़ तोसे विनय करत हूँ प्रण करत कलिन्दी यमुना ओरी राधिका , करत कलिन्दी ओरी राधिका दै मुरलिया मोरी . . .",awadhi-awa "विवाह गीत भोलो ईश्वर अकनो कुवारो । भोली गवरां नी मांगणी करे । भोलो ईश्वर बाने बठो । भोली गवरां बाने बठी । सीदा वादा करें । भोला ईश्वर नी बरात चाली । भोली गवरां ना फेरा लाग्या । बरात पछि घेर आवी । लाव वो रांड मारा जूटा देख दे । सातला नो ईसो कर्यो गवरां । पागड़ी नो ईसोवो ईश्वर ना माथा हेट । चाल ने घरी उतरी न पड़ी वो भूंड ना भंवरे । भंवरा मा गइ वा वासिंग ना बायणें । आवा वा बयण , आव वा बयण । असो काइ बोले तू मोटा ना मोटा । खादो ने पीछे व रात काटी । नाथ ने मुरखा मारा मुंहडे । रास ने धरी वो गवरा आई । निंदरान् उड्या वो भोला ईश्वर ना । काइ वो रांड काहाँ गयली । रोला ना भर्या डील गंधये । नंदे उँघले मि गयली । नव महाना ना दाहड़ा गिणे गवरां । महना गिणें वो भोली गवरां । पूरा हया वो नव महना । पेट मा हुल्क्यो वो गवरो गणेस । सुयण लावे वो भोलो ईश्वर । गवरो गणेस पेट मा हुलके । हात मेल्यों वो सदा सुयण । खलाके लेता जाइ पड्यो गणेस । नालों कांटे सदा वा सुयण । नाहवा ने धोवा करे सुयण दायण । झोली ने पलाणं वा गवरां घाले । पणीला भरे वा भोली गवरां । देखजी रे ईश्वर इना बाला के । मीं ते जाऊं रे पाणीला भरने । ईश्वर ऊठ्यो ऊँचो माथो करिन् । नव धार्यो खांडो वो हेड्यो ईश्वर । गणेस नो माथो वो काट्यो ईश्वर । फगाट देधो वो दरियाव माहीं । गवरां न रोवे वो माथु ठोके । बालवा नो माथो काहा वो काट्यो । मारो ते मुंड्को काटी नारवनो । छाती न माथो ठोके भोली गवरां । तारा वा बालवा के करूं सरजीवण । तूते झुणी रेड़े वा गवरां । ईश्वर धरी ने चाल धरी , हातिड़ा ना बन मा । नवसौ हातिड़ा घेर्या ईश्वर , लायो रे दरियाव पर । हातिड़ा ने चूसी रे दरियाव चूसी भसम उडाड़यो । कछ ने मछ फफड़ी रह्या , गणेस नो माथो हेरे ईश्वर । मछ ने कछ ना पेटे चीरे , मछ ने कछ बोलि पड़्या । हामरा पेट ते मा चिरे ईश्वर मा चीरे भोला ईश्वर । माथा काजे तु हामु खाइन् घेरी नाख्यो । कछ ने मछ बोलि रह्या । हातिड़ा नो माथो वारूस रहसे । ईश्वर लेधो रे नव धार्यो खांडो । हातिड़ा नो माथो काटी नाख्यो । माथो हाकल्यो भोलो ईश्वर । माथोली न चाल देधो घेर । गवरा गणेस नो जाड्यो माथो । गजरा गणेस काजे कर्यो सरजीवण । मंगाला माथा ना बण्यो रे गणेस रे । वाटका डोलानो रे बण्यों रे गणेस रे । कुसलाज दाँत नो रे , कुटकाज होट नो रे बण्यो रे गणेस । तारा मुंहड़े रे भरी रे सूंड रे । सूंड ने मुंडे खाय रे गणेस । चवड़ी छाती नो रे बण्यो रे गणेस रे । पराल्या सातला नो रे , बण्यो रे गणेस रे । थामलाज् पल्यिा नो रे बण्यो रे गणेस रे । छाबड़्याज् पाय नो रे बण्यो रे गणेस रे । उठता ने बसता रे नाव तारो रे सार से रे । भोले स्वभाव के शंकर भगवान अखण्ड कुँवारे हैं । भोली गौरी से मंगनी करते हैं । भोले शंकर वाने बैठें । भोली गौरी वाने बैठी । अनाज , दाल आदि तैयार कर रहे हैं । भोले भगवान की बारात चली । भोली गौरी से फेरे हुए भँवर पड़े । बारात वापस घर आई । शंकरजी ने गौरा से कहा मेरी जटा में जुएँ देख दे । गौरी ने महादेवजी का सिर अपनी जंघा पर रखा । गौरी ने महादेवजी को निद्रामग्न देखा तो अपनी जंघा हटाकर पगड़ी का तकिया लगा दिया । गौरी चल पड़ीं और पाताल लोक मंे पहुँची । पाताल में शेषनाग ने कहा बहन आ । ऐसा क्या बोल रहा है ? तू बड़े लोगों में सबसे बड़ा है । शंकरजी की निद्रा टूटी तो कहने लगे तू कहाँ थी ? तेरी देह से रोले की खुशबू आ रही है । गौरी बोली मैं नदी पर स्नान करने गई थी । नौ महीने के दिन गौरी गिन रही है । नौ महीने पूरे हुए । पेट में गणेशजी दुःख रहे हैं प्रसव पीड़ा होने लगी । भोले भगवान दाई को लाते हैं । गणेशजी पेट में दुःख रहे हैं । दायण ने प्रसव हेतु हाथ रखा । गणेशजी पेट से एकदम निकले । दायण ने नाला काटा । दायण स्नान कराकर कपड़े धोती है । गौरी गणेशजी को पालने में झुलाती हैं । गौरी पानी भरने जाती हैं । भगवान इस बालक को देखना , मैं पानी लेने को जाती हूँ । शंकरजी को शंका हो गई थी कि प्रथम रात्रि में मैं निद्रामग्न था और गौरी मुझे छोड़कर पगड़ी का तकिया सिर के नीचे लगाकर कहाँ चली गयी थी ? शंकर ऊँचा सिर करके उठे । नौ धार का खांडा शंकरजी ने निकाला । शंकरजी ने गणेशजी का सिर काट लिया । सिर समुद्र में फेंक दिया । गौरी रोती हैं और सिर पीट रही हैं । बालक का सिर क्यों काट दिया ? मेरा सिर काट देते । गौरी सिर और छाती पीट रही हैं । तेरे बालक को मैं पुनः जीवित कर दूँगा , गौरी तू मत रो भगवान हाथियों के जंगल में चल पड़े । नौ सौ हाथियों को हाँककर समुद्र पर लाये । हाथियों ने समुद्र चूसचूसकर सुखा दिया । कछुए और मछलियाँ फड़फड़ाने लगे । भगवान गणेश का सिर खोज रहे हैं । मछलियों और कछुओं के पेट चीर रहे हैं । मछलियाँ और कछुए बोल उठे , हमारे पेट मत चीरो भगवान , मत चीरो भोले भगवान सिर को तो हमने खाकर हजम कर मल द्वार से निकाल दिया । कछमछ बोल रहे हैं । हाथी का सिर अच्छा रहेगा । शंकरजी ने नौ धारवाला खाँडा उठाया । हाथी का सिर काट लिया । भोले भगवान ने हाथी का सिर उठाया । सिर लेकर घर चल पड़े । गौरी ने गणेश का सिर जोड़ दिया । गणेशजी को पुनर्जीवित किया । चूल्हे के ठीयों के समान सिरवाले गणेशजी बने । कटोरी के समान आँखों वाले गणेशजी बने । कुसले के समान दाँत वाले , कटे हुए ओंठ के गणेशजी बने । मुँह पर सूँड लगा दी है । सूँड के द्वारा गणेशजी खा रहे हैं । गणेशजी का सीना चौड़ा बना है । लम्बीमोटी जंघा वाले गणेशजी बने । खम्भे के समान पिंडलीवाले गणेशजी बने । चौड़े पंजो वाले गणेशजी बने । दुनिया उठतेबैठते आपका नाम स्मरण करेगी ।",bhili-bhb "11 तकदीर सेती मौजू फौत होया1 भाई रांझे दे नाल खहेड़दे ने खाये रज के घूरदा फिरे रन्ना कढ रिकता2 धीदो नूं छेड़दे ने नित सजरा3 घाव कलेजड़े दागलां त्रिखियां नाल उचेड़दे ने भाई भाबीयां वैर दीयां करन गलां एहो झिंजटां नित नबेड़दे ने",panjabi-pan "123 दिन होवे दुपहर ते आए रांझा अते ओधरों हीर भी आवंदी ए रांझा महीं लया बहांवदा ई ओह नाल सहेलियां आंवदी ए ओह वंझली नाल सरोद करदा हीर नाल सहेलियां गांवदी ए काई जुलफ नचोड़दी रांझणे ते काई नाल कलेजे दे लांवदी ए काई चमड़ी लक नूं मशक बोरी काई मुख नूं मुख नूं मुख छुहांवदी ए काई मीरियां आख के भज जांदी मगर पवे ते टुबियां लांवदी ए काई आखदी माहिया माहिया वे तेरी मझ बूरी कटा जांवदी ए काई मापिआं दिआं खरबूजयां नूं कौडे़ बकबके चा बणांवदी ए काई आखदी ऐंठया1 रांझया वे मार बाहुली पार नूं धांवदी ए मुरदे तारियां तरन चफाल2 करके काई इक छाल घड़क दी लांवदी ए कुते तारियां तरन चवाओ3 करके इक निओल निसर रूड़ी आंवदी ए इक शरत बधी टुभी मार जाये ते पताल दी मिटी लयांवदी ए इक बणदा चतरांग मुरगाबियां हो सुरखाब ते कूंज बण आंवदी ए इक वांग ककूहीयां संघ टडन इक कूंज वांगो बुलांवदी ए इक ढींग बने इक बने बगला इक बने जलांवनी आवंदी ए इक औकड़ बोलदी टटिहरी हो इक हो संसार सरलांवदी ए इक दा पलसेटियां हो बोलहण मशक वांगरां ढिड फुकांवदी ए हीर तरे चुतरफ ही रांझने दे मोई मछली बन बन आवंदी ए आप बने मछली नाल चावड़ा दे मिएं रांझे नूं कुरल बनांवदी ए उस तखत हजारे दे पढड़े नूं रंग रंग दियां जालियां पांवदी ए वारस शाह जटी नाज नयाज कर के नित याद दा जी परचांवदी ए",panjabi-pan "गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज निमाड़ में विवाह के अवसर पर गया जाने वाला "" गणपति "" गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज नौबत वाज इंदर गढ़ गाज टो झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन १ जंव हो गजानन जोसी घर जाजो तों अच्छा अच्छा लगीं निकालो हो गजानन गढ़ हो . . . २ जंव हो गजानन बजाजी घर जाजो तों अच्छा अच्छा कपडा ईसावो हो गजानन ३ जंव हो गजानन सोनी घर जाजो तों अच्छा अच्छा गयना ईसावो हो गजानन गढ़ हो . . . ४ जंव हो गजानन पटवा घर जाजो तों अच्छा अच्छा मौड़ ईसावो हो गजानन गढ़ हो . . . जंव हो गजानन साजन घर जाजो तों अच्छी अच्छी बंधीब्याहों हो गजानन गढ़ ही गुंडी उप्पर नौबत वाज नौबत वाज इन्द्र गढ़ गाज तों झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन",nimadi-noe "राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे इयां लाज कुसुवाजा हीरा कुंवरा इयां लाज कुसुवाजा हीरा कुंवरा राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे आमा लाज कुसुवाकेन सुईनी आमा लाज कुसुवाकेन सुईनी सानी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी सानी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे कुठी टाला मुठी ढाना मिया सारा कुठी टाला मुठी ढाना मिया सारा बारी सारा ढोगे माडो बारी सारा ढोगे माडो हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा जोसी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी हीरा जोसी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे आमा लाज कुसुवा माका कैनीया कुंवर आमा लाज कुसुवा माका कैनीया कुंवर डाउवा हो हीरा कुंवरी रानी मारे डाउवा हो हीरा कुंवरी रानी मारे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "भरथरी लोक-गाथा - भाग 4 कलपीकलप भरथरी ये रानी संग में आय देख तो भरथरी पूछत हे सामदेई ये ओ बानी बोलत हे राम भेद नई जानँव सुन जोड़ी मोर बात सोनपलंग कइसे टूटे गा , कइसे टूटे गा , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी ह कोन जानत हे ओ भेद ल देतिस बताय जानी लेतेंव कइना ए दे बोलत हे न भरथरी ह ओ सामदेई ये न , सुन्दर बानी बताय सुन राजा मोर बात ये दे अइसे विधि कर बानी ओ , दाई बोलय ओ , भाई ये दे जी । जऊने समय कर बेरा में सुनिले भगवान कइसे विधि कर का बोलय सुनिले राजा मोर बात करले भोगविलास आज पहिली ये रात मोर बारम्बार मानुष चोला ओ , नई आवे ओ , भाई ये दे जी । सोने पलंग कइसे टूटिस हे रानी हॉसे ह ओ तेकर भेद बता देबे मैं हर नई जानँव राम छोड़ दे ओ बात ओला तुमन सुरता झन करव ओ , झन करव ओ , भाई ये दे जी । मोर हरके अऊ बरजे ल नई मानय सुनिले भगवान कइसे विधि कर का बोलय सुनिले राजा मोर बात रामदेई जानत हे राज वोही देहि बताय सोन पलंग कइसे टूटे गा , कइसे टूटे गा , भाई ये दे जी । मन मा गऊर करके भरथरी ये ओ देख तो दीदी अब सोचत हे सुनिले भगवान का तो जोनी ये न मैं कमायेंव ह राम रानी संगे में हो सुख नइये गिंया मोर कइसे विधि राजा सोचय , भाई सोचय ओ , भाई ये दे जी । जाई के बइरी ह बइठत हे मोर कछेरी ये ओ भरे कछेरी , दरबार मा एक ओरी मोर बइठे हे मोर चियां ये ओ दुए ओरी पठान ए न तीन ओर ये राम गोंड़गिराईओ सुन्दर लगे दरबार , दरबार ओ भरथरी ये न , चल बइठे दीदी मोर कइसे विधि कर मन म भाई गुनय ओ , भाई ये दे जी । जऊने समय कर बेरा मा सुनिले भगवान एक महीना , दू महीना गुजरत हे चारे महीना ओ लगे पाचे के छांय दस महीना मा ना दिल्ली सहर मा मोर रानी के ओ सुन्दर गोदी मा न बालक होवय ओ , बाई होवय ओ , भाई ये दे जी । जब बोलय मोर मानसिंग सुन कइना मोर बात दिल्ली सहर मां मैं बइठे हँव भरथरी ल ओ छठी निमंतरन देई देवॅव कइना सुनिले नारी मोर बात जब सोचत हे ना मोर कइना ये ओ मेंहर नई जानँव राम तैंहर ये दे जोड़ी मोर छठी के निमंतरन भेजय ओ , धवनिया ओ कइसे धवनिया ल भेजत हे मोर मानसिंग ओ धवनिया ह रेंगना ल कइसे रेंगत हे सांप सलगनी राम मीथी दुरंगिनी ओ हरिना के दीदी मोर निच्चट ये ना कुकुर लुरंगी ये राम मोर बाघे के मार बघचोपी ओ तले आवय ओ , भाई ये दे जी । छुटे हे कारी पसीना ओ चले आवत हे ओ देख तो दीदी धवनिया ह भरे कछेरी न मोरा राजा के ओ भरथरी ये न गद्दी मा बइठे हे राम मोर धवनिया ये ओ ओतके बेरा न , चल आई के न मोर करे जोहार , पत्र देवत हे राम बाची लेवॅव गिंया , मोर रानी ह ओ चल भेजे ह न मोर आशीष अऊ पैलगी ओ , ये दे भेजे ओ , रानी ये दे जी । चारो मुड़ा खबर भेजत हे मोर भरथरी ओ कइसे छठी निमंतरन म सबे सइना ल न मोर लिए सजाय एक डंका मा ओ मोर होगे तइयार दुसरैया ए ना मोर होय हुसियार मोर तीने डंका में निकलगे ओ , ये निकलगे ओ , भाई ये दे जी । घोड़ा वाला घोड़ा मा चघे हाथी वाला ये ओ हाथी मा होय सवारे न पैदल वाला ये ओ रथ हाके गिंया सायकिल वाला ए न चल रेंगना हे मोर गद्दी वाला , गद्दी चाले ओ , भाई चाले ओ , भाई ये दे जी । बग्घी वाला बग्घी मा जावे टांगा वाला ये ओ देख तो दीदी टांगा खेदत हे सबे सइना ए ना मोर रेगे भइया जऊने समय में ना लुसकैंया ए ओ मोर ढुरकी अ रेंगना ल रेगे ओ भाई रेगे ओ , भाई ये दे जी । आघू हाथी पानी पीयत हे पाछू के हाथी ये ओ ये दे दीदी चिघला चॉटय जेकर पीछू ओ फुतकी चॉटय हे न चले जावय भैया मोर सेना ए ओ लावे लसगर ये न फौजफटाका ओ मोर घटकतबाजत जावे ओ , चल जावे ओ , भाई ये दे जी । मेड़ों म पहुँचगे भरथरी मोर जाई के ओ देखतो दीदी तम्बू तानत हे हाथी वाला हर ओ गेरा देवे गिंया मोर घोड़ा वाला मोर दाना ए ओ मोर चना के दार फिलोवय ओ , ये फिलोवय ओ , भाई ये दे जी । येती बर देखत हे मानसिंग सैना हर आगे ओ भरथरी के मोर मेड़ों म ओ तम्बू ताने हे ना कइसे करँव भगवान मॅयहार कइसे के पूर्ति ल करॅव ओ कइना गुनय ओ , भाई ये दे जी । नई पुरा पाह्व में सेना बर खाईखजेना नई तो पुरा पाहव मैं ओढ़ना अऊ दसना बोली बोलत हे ओ , मोर मानसिंग सुनिले नारी मोर बात तोरे सहारा मा भेजेंव , भाई भेजे ओ , भाई ये दे जी । थारी मं फूल ल धरिके रानी चलत हे ओ देख तो दीदी मोर मंदिरे म मोर मंदिर म ओ रानी जाइके न चल भजत हे राम होगे परगट न मानले बेटी मोर बात पूरा करके गिंया तोर का मनसे हे तेला मांगा ओ , मॅयहर दिहा ओ , भाई ये दे जी । भाखा चुकोवत हे ये दे ओ सरसती ये ओ जऊने समय भाखा चुकोवत हे भाखा चुकी गे ओ मांग ले बेटी तॅय तोला देवॅव वरदान तोर जोगे हर पूरा होगे ओ , भाई बोले ओ , भाई ये दे जी । भरथरी आये हे सैना मोर लेके दाई मोर घर में कुछू तो नइ ए ना सबै सेना के ओ पूरती करदे दाई पईंया लागत हॅव न मोर लाजे ल ये दे बता दे , ये बचाबे ओ , भाई ये दे जी । हाथी वाला बर हाथी ओ मोरा गेर ल ओ कइसे के बाद मँ भेजत हे पूरती करिहँव बेटी तैंहर जाना कइना मोर घर म आके पलंग म ओ मोर बइठे ओ , भाई ये दे जी । रइयत मन बर ये दे ओ बगरी ल गिंया बिन आगी पानी के मढ़ा देबे मोर कलेवा ओ सुख्खा म नी खवाय घोड़ा वाला बर ना मोर दाना ये राम जब भरथरी न मन म गुनत हे ओ रामदेई ए ना चल नई साजे ओ ये दे साजे गिंया मोर सारी के अव्बड़ होवे ओ , मोर नेम ओ , भाई ये दे जी । बड़ अक्कल वाली ये रानी ये देख तो भगवान साते मँ कैसे आ बइठे हे मनेमन मँ भरथरी हर , मोर गुनत हे ओ बिन आगी पानी के बनावत हे सबे सइना के न मोर सोहाग ओ चल बनाई के न मोर सुन्दर कलेवा खवावय ओ , भाई ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "दो डूंगर विच पाट दो डूंगर विच पाट किण घर जास्या माता पामणा जास्यां , जास्यां ईश्वरजी दरबार रणू बाई देगा माता वेसणो बेसन देस्यां भम्मरिया रा पाट घूघरिया रा घाट ओढ़ा वस्यां जीमण देस्यां दूध ने भात खीर खांड गपरनी जिमाइस्यां",malvi-mup "आल्हा ऊदल कौड़ी लागे फुलवारी के मोर कोड़ी दे चुकाय तब ललकारे डेबा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं हम तो राजा लोहगाँ के दुनियाँ सिंघ नाम हमार नेंवता ऐली समदेवा के उन्ह के नेंतवा पुरावन आय एतनी बोली जब सुन गैले लौंड़ी के भैल अँगार करे हिनाइ बघ रुदल के सेरहा चाकर पर मालिक के रुदल रोटी बिरानी खाय कत बड़ सोखी बघ रुदल के जे सोनवा से करे खाय बियाह जरल करेजा है बघ रुदल के तरवा से बरे अँगार लौंड़ी हो के अतर दे अब का सोखी रहा हमार छड़पल राजा है बघ रुदल लौंड़ी कन पहुँचल जाय पकड़ल पहुँचा लौंड़ी के धरती में देल गिराय अँचरा फाड़े जब लौंड़ी के जिन्ह के बंद तोड़े अनमोल हुरमत लूटे ओहि लौंड़ी के लौंड़ी रामराम चिचियाय भागल लौंड़ी हैं सोनवा के फुलवारी से गैल पराय बठली सोनवा सिब मंदिर में जहवाँ लौंड़ी गैल बनाय बोले सोनवा लौंड़ी से लौंड़ी के बलि जाओं केह से मिलल अब तूँ रहलू एतना देरी कैलू बनाय तब ललकारे लौंड़ी बोलल रानी सोनवा के बलि जाओ देवर आइल तोर बघ रुदल फुलवारी में जुमल बनाय जिव ना बाँचल लौंड़ी के सोनवा , जान बचावव हमार",bhojpuri-bho "336 तेरियां सेलियां तों असीं नहीं डरदे कोई डरे ना भीलदे साग कोलों ऐवें मरीदा जानसे एस पिंडों जिवें खिसकदा कुफर है बाग कोलों सिर कज के तुरेंगा झब जटा जिवें सप उठ चलदा डांग कोलो ऐवें खपरी सुट के जाएंगा तूं जिवें धाड़वी खिसकदा काग कोलों मेरे डिठया गई है जान तेरी जिवें चोर दी जान झलांग1 कोलों तेरी टोटड़ी2 फरकदी सप वांगू आ रन्नां दे डरी उपांग3 कोलों ऐवें खौफ पैसी तैनूं मारने दा जिवें सूकदा पैर उलांग कोलों वारस शाह इस जोगी दी चोग मुकी पानी मंगदे नेजे दी सांग कोलों",panjabi-pan "होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो हिपड़ा इतरो पाणी होजी जूड़ो छोड़ी ने न्हावण बैठिया ईश्वरजी घर की राणी होजी झाला झलके , झुमणा रक के वोले अमरित वाणी होजी अमरित का दोई प्याला भरिया कूंक दी पिंगाणी",malvi-mup "विवाह -गीत - मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा लौंगा चुवै आधी रात लौंगा मै चुन बिन ढेरिया लगायों लादी चले हैं बनिजार लड़ चले हैं बनिजरवा बेटौवा लादि चले पिय मोर हमरो डरिया फनावो बंजरवा हमहूँ चालब तोहरे साथ भुखियन मरिबू पियासियन मरबू पान बिन होठ कुम्हिलाय कुश कै गडरिया धना डासन पैइबू अंग छोलय छिल जाये भुखिया अंगैबै पियसिया अंगैबै पनवा जो देबै बिसराय तोहरे संघरिया प्रभु जोगिन होबै न संग माई न बाप",awadhi-awa "कामना पूरी करो माई कामना पूरी करो माई कामना पूरी करो माई , कामना पूरी करो माई । पूरना पूरी करो माई । के माई मोरी काहे को तेरो मंदिर काहे के लगे खम्भे री माई । पूरना . . . के माई मोरी , सोने को तेरो मंदिर रूपे के चारो , खम्भा री माई । पूरना . . . के माई तेरों , काहे को लागे भोग काहे को भरी , झाड़ी री माई । पूरना . . . के माई मोरी , दाख चिरौंजी को भोग गंगा जल झाड़ी भरी माई । पूरना . . . औ माई मोरी , निर्धन खों धन दीजो कोढ़िन खों काया री माई । पूरना . . . कै माई मोरी , सबकी खबर है लीजो अरज मोरी सुनियो री माई । पूरना . . .",bundeli-bns "आजु देखली हम एक रे सपनमा आजु देखली हम एक रे सपनमा । सूतल हली1 हम अपन कोहबरिया ॥ 1 ॥ ओने से2 अयलइ बाँके रे सिपहिया । पकड़ि बाँधल मोरा पिया सुकमरिया ॥ 2 ॥ छोडूँ छोडूँ दुलहा हे हमरो सिपहिया । बिहरे3 मोरा देखि बजर के छतिया ॥ 3 ॥ जो तोहिं देहीं धानि बाला4 रे जोबनमा । छोड़िए देऊँ5 तोहर पिया सुकमरिया ॥ 4 ॥ पिया देखि देखि मोरा बिहरे करेजवा । नयना ढरे जइसे बरसे समनमा ॥ 5 ॥ टूटि गेलइ एतना में हमरा के नीनियाँ6 । झरे7 रे लागल जइसे झहरे समनमा8 ।",magahi-mag "सांझी सांझा हे कनागत परली पार सांझी सांझा हे कनागत परली पार देखण चालो हे संज्ञा के लणिहार वह तो देखिया भाला हे चन्दा लाम जड़ाम देखण चाली हे सांति के लणिहार वह तो देखिया भाला हे चन्दा लाम जड़ाम",haryanvi-bgc "आई हरि जु की पौढी आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया । आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया ॥ हरे –हरे गोबर अँगना लिपाए , मालनिया , मोतियन चौक पुराए , सुघडपति मालनिया । कुम्भ कलश अमरत भर लाई , मालनिया , अमुवा की डार झकोरी , सुघडपति मालनिया । इन चौकन रानी के ईसरदासजी घर के पुरुष सदस्यों के नाम बैठे मालनिया , संग सजन की जाई , सुघडपति मालनिया । बहन भानजी करें आरतो , मालनिया , झगडत अपनो नेग , सुघड्पति मालनिया । देत असीस चलीं घरघर को , मालनिया , जिएं तेरे कुवँर कन्हाई , सुघडपति मालनिया । रहे तेरो अमर सुहाग , सुघडपति मालनिया । आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया ॥",braj-bra "बुल्ला की जाणाँ मैं कौण! बुल्ला की जाणाँ मैं कौण ना मैं मोमन1 विच्च मसीताँ , ना मैं विच्च कुफर2 दीआँ रीता , ना मैं पाकाँ3 विच्च पलीताँ4 ना मैं मूसा ना फरऔन । बुल्ला की जाणाँ मैं कौण ना मैं अंदर वेद किताबाँ , ना मैं विच्च भंगाँ ना शराबाँ ना विच्च रिन्दाँ मस्त खराबाँ , ना विच्च जागण ना विच्च सौण । बुल्ला की जाणाँ मैं कौण ना विच्च शादी5 ना गमनाकी6 , ना मैं विच्च पलीती7 पाकी8 , ना मैं आबी ना मैं खाकी , ना मैं आतिश ना मैं पौण । बुल्ला की जाणाँ मैं कौण ना मैं अरबी ना लाहौरी , ना मैं हिन्दी शहर नगौरी , ना हिन्दू ना तुरक पशौरी , ना मैं रहिन्दा विच्च नदौण । बुल्ला की जाणाँ मैं कौण ना मैं भेद मज़हब दा पाया , ना मैं आदम हव्वा जाया , ना मैं आपणा नाम धराया , ना विच्च बैठण ना विच्च भौण । बुल्ला की जाणाँ मैं कौण अव्वल आखर आप नूँ जाणाँ , ना कोई दूजा होर पछाणा , मैत्थों होर ना कोई सिआणा , बुल्ला शाह खड़ा है कौण ? बुल्ला की जाणाँ मैं कौण",panjabi-pan "नृत्य गीत आंबि सांबि खेलो वो लिलरियो । गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो । आइणि रांड के धरो वो लिलरियो । गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो । आइणि रांड के धरो पुण डरो निहिं । एक दूसरी के गले और कमर में हाथ डालकर , हाथ पकड़कर नाचते हुए महिलाएँ यह गीत गाती हैं । आमनेसामने दो भागों में बँटकर यह गीत गाया जाता है आमनेसामने लिलरिया खेल रही हूँ । गेंदा का फूल खेल रही हूँ लिलरियो । समधन को पकडूँ , परन्तु डरूँ नहीं ।",bhili-bhb "267 खाह रिज़क हलाल ते सच बोलीं छड देह तूं यारियां चोरियां ओए तोबा कर तकसीर मुआफ तेरी जेहड़ियां पिछलियां सफान घोरियां ओए ओह छड चाले गवार पुने वाले चुन्नी पाड़ के कीतियां मोरियां ओए पिछा छड जटा कौतां सांभ लइयां जो सी पाड़ियां खड दियां बोरियां ओए जो अराहकां1 जोत रत्ना लईए जेहड़ियां अरलियां2 भंनियां तोड़ियां ओए धोये धोये के मालकां वर लइयां जेहड़ियां चाटियां कीतियां खोरियां ओए रौले विच तैं रेढ़या कम चोरी कोई खरचियां नाहीं बोरियां ओए छड सब बुरायाइयां पाक हो जा ना कर नाल जगत दे जोरियां ओए तेरी आजज़ी इजज़3 मंजूर कीता ताहियें मुंदरां कन्न विच सोरियां ओए वारस शाह ना आदतां जांदियां ने भावे कटिए पोरियां पोरियां ओए",panjabi-pan "476 चैधराइयां छड के चाक बनयां मही चार के अंत नूं चोर होए कौल कवारियां दे लोहड़े मारियां दे उधल हारियां दे वेखो होर होए मां बाप करार कर कोल हारे कम्म खेढ़यां दे जोरों जोर होए राह सच दे ते कदम धरन नाहीं जिन्हां खोटयां दे दिल खोर होए तेरे वासते मिले हां कढ देसों असीं अपने देस दे चोर होए वारस शाह ना अकल ते होश रहियां मारे हीर दे सेहर दे मोर होए",panjabi-pan "बीबी तेरे बाबा जी खड़े बीबी तेरे बाबा जी खड़े रामरथ हांक दिया बीबी मांगणा हो सोए मांग अभी तो तनैं मिल सकदा मैं तो बर मांगूं भगवान देवर छोटे लछमन से मैं तो मांगू कुसल्या बरगी सास ससुर राजा जसरथ से मैं तो मांग अजुध्या जी का राज तख्त बैठी हुकम करूं",haryanvi-bgc "जाय जगावहु कवन पितर लोग, भेलन पोता जाय जगावहु1 कवन2 पितर लोग , भेलन पोता । पोता भेल बंसबाढ़न , 3 बहु4 जुड़वावस5 ॥ 1 ॥ देइ घालऽ6 सोने के हँसुअवा , होरिला नार काटस7 ॥ 2 ॥ भोंरहिं राम जनम ले लें साँझहि लछुमन हो । आधे राते भरथ भुआल , मोरे रे राम जनम ले ले हो ॥ 3 ॥ दियवा8 खोजन गेलूँ , 9 दियवो न मिलल , दियरवो10 न मिलल । ललना , हिरवा11 के करबो12 अँजोर , 13 मोरे राम जनमु ले लें ॥ 4 ॥ हँसुआ खोजन गेलूँ , हँसुओ न मिलल । सोने छुरिये राम नार काटब , मोरे राम जनम ले लें ॥ 5 ॥",magahi-mag "384 भाबी जोगी दे वडे कारने नी गलां नहीं सुनियां कन्न पाटयां दीयां रोक बन्ह पल दुध दही पीवन वडिया चाटिया जोड़दे आटयां दीयां गिठ गिठ नाखुन वाले रिछां वांगू पलमन लछियां लागड़ा पाटयां दीयां वारस शाह एह मसत के पाट लथा रगां किरलयां वाग हनगाटयां दीयां",panjabi-pan "हीर हीर अक्खाँ जोगिया झूठ बोले कौण विछड़े यार मिलावदाँ ई ऐसा कोई ना मिलया वें मैं ढूँढ थकी जेड़ा गया नूँ मोड़ लेयावँदा ई मेल रूहाँ दे अज़ल दे रोज़ होए ते सच्चे इश्क दी न्यूँ तामीर होई फुल्ल खिल गये पाक मोहब्बताँ दे कोई राँझा होया , कोई हीर होई साडे चम दियाँ जुतियाँ करे सोई जेड़ा ज्यू दा रोग गवावदाँई भला दस खाँ चिड़ि व छुन्याँ नूँ कदों रब सच्चा घरीं ले आवदाँई इक बाज़ तों कंग नू कूंज खोई वेखाँ चुप है के कुरलावदाँई दुखाँ वालेयाँ नू गल्लाँ सुखदियाँ ते किस्से जोड़ जहान सुनावदाँई इक जट दे खेत नूँ अग्ग लगी वेखाँ आण के कदों बुझावदाँई देवाँ चूरियाँ घ्यों दे बाल दिवे वारस शाह जे सुणा मैं गाँवदाँई मेरा जूजा मा जेड़ा आण मिले सिर सदका ओस दे नाणदाँई भला मोए ते विछड़े कौन मिले ऐंवे जीवड़ा लोग बुलावदाँई",panjabi-pan "हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा हम तोरा पूछिला1 कवन अलबेलवा । के रे2 सम्हारे बाबू के एहो रँगल मउरिया ॥ 1 ॥ मलिया के जलमल3 बँगाली बहनोइया । ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल मउरिया ॥ 2 ॥ हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा । के रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जोड़वा4 ॥ 3 ॥ दरजिया के जलमल बँगाली बहनोइया । ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जोड़वा ॥ 4 ॥ हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा । के रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जुतवा ॥ 5 ॥ चमरा के जलमल बँगाली बहनोइया । ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जुतवा ॥ 6 ॥",magahi-mag "12 हजरत काज़ी ने पैंच सदा सारे भाइयां जिमीं नूं कछ पवाइयां ई वढी दे के जिमीं लै गये चंगी बंजर जिमीं रंझेटे नूं आइया ई कछां मार शरीक मजाक करदे भाइयां रांझे दे बाब बनाइया ई गल भाइयां भाबिआं एह बना छडी मगर जट दे फकड़ी लाइया ई",panjabi-pan "बाबा देस जांदा परदेस जाइयो बाबा देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का बर ढूंडियो लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का ताऊ देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का मामा देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का भाई देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का",haryanvi-bgc "गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो फलाणा राज का फलाणा राय राय सुन्नारी अंगूठी हो राज रंग रो बधावो वऊवड़ झेलो क्योंनी वो फलाणी बऊ री फलाणी बऊ राय सुन्नारी अंगूठी हो राज ।",malvi-mup "इतल पीतल इतळ पीतळ रो भर लाई बेवड़ो रे झांझरिया मारा छैल कोई कांख मेला टाबरिया री आन मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये सासू बोले छे म्‍हाने बोलणा रे झांझरिया मारा छैल कोई बाईसा देवे रे म्‍हाने गाल मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये आया बीरो सा म्‍हाने लेवा ने रे झांझरिया मारा छैल ज्‍यारी कांई कांई करूं मनवार मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये थारे मनाया देवन ना मानूं रे झांझरिया मारा छैल थारा बड़ोडा़ बीरोसा ने भेज मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये काळी पड़गी रे मन की कामळी रे झांझरिया मारा छैल म्‍हारा आलीजा पे म्‍हारो सांचो जीव मैं जाऊं रे जाऊं रे सासरिये",rajasthani-raj "ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी , नान्हीनान्ही बूँद पड़े छे म्हारो लहरयो भीज्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी , ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी कदम्बा की डाल पे ढोलर घाल्यो , हीदड चाल्यो हरिया बन की कोयल बोले लागे चोखो भलो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी , ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी आपस में हिलमिल झूला झोंटा दे द्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी , ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी",rajasthani-raj "सुरसती गनपत मनाइब, चरन पखारब हे सुरसती1 गनपत मनाइब , 2 चरन पखारब3 हे । अहे रूकमिनी भइल राजा जोग , 4 केसब5 बर पावल हे ॥ 1 ॥ नेहाइ धोवाइ6 के माँग फारल , 7 अगर चनन सिर धरे । फूल सेज बिछाय आपन कंत सँग बिहरन लगे ॥ 2 ॥ चार पहर रात कामिन8 हरि सँग बिलास करे । चउठे पहर जब बीतल सपन एक देखल हे ॥ 3 ॥ देखि सपना रानी रूकमिनी , अपन हरि जगावहिं । लाज लोक विचार कछु नहीं , एक बात उचारहि ॥ 4 ॥ दूसर मास जब बीतल , कार्त्तिक9 फूलल कुंद कली । अहे हँसि हँसि पूछथि सखियन उनकर मोदभरी ॥ 5 ॥ रुकमिन जनमहिं करोध10 सखिन मारन धाबहिं । जाहु नारी , देम11 मोंहि खेल न भावहिं ॥ 6 ॥ तीसर मास जब आयल , अगहन मोद भरी । सैनहि सैन12 सखिन सब घुमरि घुमरि13 उठे ॥ 7 ॥ देह लागत सून14 भोजन देखि देखि हुल15 बरे16 । छप्पन परकार के भोजन छाड़ि देइ , छुवा17 न करे ॥ 8 ॥ सभ छाड़ि चुल्हवा18 के माटि के रुकमिन चुपके चाटे ॥ 9 ॥ कउन कारन19 भेल तोंहि के , कहि के मोंहि सुनावहू । कउन चीज मनभावत , वोंहि के बनावहू ॥ 10 ॥ नहीं चाहुँ अन धन लछमी , न छप्पन भोजन हे । नहीं मोरा रोग न सोग , कउन चीज माँग हम हे ॥ 11 ॥ जलम जलम तोर दासी होऊँ , अउरो न कछु चाहूँ हे ॥ 12 ॥ चउठी महीने जब बीतल , पूस नियरायल हे । लागत ठंडा बयार त काँपत हियो हमरो ॥ 13 ॥ पचमे माह माघ आयल आयल सीरी पंचमी हे । सजी गेल बाघ20 बगइचा , त रुकमिन हुलसे हियो ॥ 14 ॥ छठहि मास जब आयल , फागुन छठवाँ जनायल21 हे । अहे कनक कटोरा में दूध भरि चेरिया त लावल हे ॥ 15 ॥ सभ छाड़ि अमरस22 चाटल , मधुर रस तेजल23 हे । अलफी सलफी24 सभ फेकल25 मन फरियायल26 हे ॥ 16 ॥ सतमें मास आयल चइत , सत बाजन27 बाजये हे । अहे , मधुबन फुलल असोक , भओंरा28 रस भरमइ29 हे ॥ 17 ॥ कोइल सबद सोहावँन , अति मनभाँवन हे । रुकमिन चिहुँकी के उठथि बदन पियरायल हे ॥ 18 ॥ अठमे महीने जब , आयल बइसाख30 नियरायल हे । अहे फेरि फेरि देख मुँह अयनमा , 31 कइसन32 मुँह पीयर हे ॥ 19 ॥ नौमा33 महीना जब जेठ क दुपहर हे । लुहवा34 चलहइ , धूरी35 उठहइ से रुकमिन व्याकुल हे ॥ 20 ॥ दसमहि मास जब आयल , असाढ़ नियरायल हे । कउन विधि उतरब पार , चितय36 रानी रुकमिन हे ॥ 21 ॥ जलम लीहल परदुमन , महल उठे सोहर हे । मोती , मुँगा , चानी , सोना , लुटवल , जे किछु माँगल हे । सखी सभ मंगल गावहिं , सुध बुध बिसरहिं हे ॥ 22 ॥ जे इह मंगल गावहिं , गाइ , सुनावहिं हे । दूध पूत बढ़े अहियात , पुतर फल पावहिं हे ॥ 23 ॥",magahi-mag "कही पेठाएम ससुर जी से, कही पेठाएम1 ससुर जी से , झट दिना2 गवना करावऽ अगहन में । डेरा पड़ल हइ3 राजा बघिअन में ॥ 1 ॥ कही पेठाएम बारी दुलहिन जी से , थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में । डेड़ा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 2 ॥ कही पठाएम भइँसुर4 जी से , झट दिना गवना करावऽ अगहन में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 3 ॥ कही पेठाएम बारी भावह5 जी से , थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 4 ॥ कही पेठाएम देवर जी से , झट दिना गवना करावऽ अगहन में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 5 ॥ कही पेठाएम बारी भउजी जी से , थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 6 ॥ कही पेठाएम सइँया जी से , झट दिना गवना करावऽ अगहन में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 7 ॥ कही पेठाएम बारी धनि जी से , दोसर खसम करलऽ नइहर में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 8 ॥ कही पेठाएम सामी जी से , तोरा अइसन गुलाम रखम6 नइहर में । डेरा पड़ल राजा के बघिअन में , झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 9 ॥",magahi-mag "फुगडी 2 फुगडी खेळतां खेळतां जमीन झाली काळी माझ्याशी फुगडी खेळते लेकुरवाळी २ . लाही बाई लाही साळीची लाही मुक्यानं फुगडी खेळणं शोभत नाही ३ . गणपतीच्या मागे उंदराची पिल्लं सगुणा म्हणते तींच माझी मुलं ४ . पैंजण बाई पैंजण छुमछुम पैंजण माझ्याशी फुगडी खेळते बुटबैंगण ५ . खार बाई खार लोणच्याचा खार माझ्याशी फुगडी खेळते नाजुक नार ६ . आपण दोघी मैत्रिणी गळां घालूं वेढा गोड गोड बोलुं आपण साखरपेढा ७ . बारा वाजले एक वाजला समोर पडली आहेत उष्टी नवरा आणि बायको बसून करताहेत गोष्टी . ८ . तुझी माझी फुगडी किलवर ग संभाळ अपुले बिलवर ग ९ . आपण दोघी मैत्रिणी गळां घालूं मिठी गोड गोड बोलूं आपण साखरपिठी १० . नमस्कार करतें आशीर्वाद द्या लहान आहे सासूबाई संभाळून घ्या ११ . फुगडी फुलेदार भाऊ शिलेदार नणंदा मोकाणी जावा कोल्हाटिणी . १२ . हरबर्‍याचं घाटं माज्या फुगडीला दाटं फुगडी पापा तेलणी चांफा , सईची साडी राहिली घरीं , बाप सोनारा नथ घडू दे , नथीचा जोड सवती बोल , सवत कां बोल ना , यील मेल्या सांगीन त्येला , तुला ग मार दियाला , बकर कापीन गांवाला , हरीख माज्या जीवाला १३ . घोडा घोडा एकीचा एकीचा पेठकरणी लेकीचा , लेकीचा १४ . अशी लेक गोरी , गोरी हळ्द लावा थोडी , थोडी हळदीचा उंडा , उंडा रेशमाचा गोंडा , गोंडा गोंड्यात होती काडी , काडी काडीत होता रुपाया , रुपाया भाऊ माझा शिपाया , शिपाया . १५ . शिळ्या चुलीत चाफा चाफा नाव ठेवा गोपा , गोपा गोपा गेला ताकाला ताकाला विंचू लावला नाकाला विंचवाची झाली गुळवणी गुळवणी त्यांत माझी मिळवणी मिळवणी मिळवणीचा रहाट ग रहाट ग कोल्हापूरची पेठ ग पेठ ग पेठेला लागल्या शेंगा शेंगा अशी शेंग गोड ग गोड ग जिभेला उठला फोड ग फोड ग फोड कांही फुटेना फुटेना घरचा मामा उठेना उठेना घरचा मामा खैस ग खैस ग त्यान घेतली म्हैस ग म्हैस ग १६ . अरंडयावर करंडा करंडयावर मोर माझ्यासंग फुगडी खेळती चंद्राची कोर १७ . ओवा बाई ओवा रानोमळ ओवा माझ्यासंग फुगडि खेळतो गणपतिबुवा १८ . आम्ही दोघी मैत्रिणी अट्टीच्या अट्टीच्या साडया नेसू पट्टीच्या पट्टीच्या १९ . खोल खोल विहिरीला उंच उंच चिरे तुझी माझी फुगडी गरगर फिरे २० . आपण दोघी मैत्रिणी जोडीच्या जोडीच्या हातात पाटल्या तोडीच्या तोडीच्या २१ . चहा बाई चहा गवती चहा माय लेकीच्या फुगडया पहा २२ पहा तर पहा उठून जा आमच्या फुगडीला जागा द्या २३ . अक्कण माती चिक्कण माती पाय घसरला प्रेमाचा नवरा् शेला आणायला विसरला २४ . इकडून आली तार तिकडून तार भामाचा नवरा मामलेदार . २५ . तुझ्या घरी माझ्या घरी आहे बिंदली सरी फुगडी खेळताना बाई नको तालीवारी",marathi-mar "घड़िआली देहो निकाल घड़िआली1 देहो निकाल नी , अज पी घर आया लाल । मैंनूँ आपणी खबर ना काई , क्या जाणा मैं कित्थे गंवाई , एह गल्ल कीकूँ छुपे छुपाई । हुण होया फज़ल कमाल । घड़िआली देहो निकाल । घड़ी घड़ी घड़ेआल वजावे , रैण वसल दी क्यों घटावे , मेरे मन दी बात जो पावे । हत्थों चा सुट्टे घड़ेआल । घड़िआली देहो निकाल । अनहद बाजा बजे शहाना , मुतरब सुघाडाँ तान तराना , नमाज़ रोज़ा भुल्ल ग्या दुगाना । टूणे कामण करो सवेरे , जादूगर आवण वड्डे वडेरे , किवें किवें वस आया तेरे । लक्ख बरस रह होरी नाल । घड़िआली देहो निकाल । साईं मुक्ख वेक्खण दे अजब नज़ारे , दुःख दलिदर गए जो पास प्यरे , चंगी रात वधे किवें करे पसारे दिन अग्गे धरे देवाल । घड़िआली देहो निकाल । बुल्ला सहु दी सेज प्यारी , मैं तरी सो तारनहारे तारी , किवें किंवे हुण आईआ वरी । मैंनूँ विछड़न थीआ मुहाल । घड़िआली देहो निकाल ।",panjabi-pan "बोल सुण्या जब साधू का बोल सुण्या जब साधू का , खाटका लग्या गात के म्हाँ । पाटमदे झट चाल पङी , उनै भोजन लिया हाथ के म्हाँ ॥ उठ्ण लागी ल्हौर बदन मैं , जब नैनो से नैन लङी । मेरे पिया बिन सोचे समझे , या गलती करदी बोहोत बङी ॥ हिया उझळ कै आवण लाग्या , आंख्यां तै गई लाग झङी । हाथ जोङ कै पाटमदे झट , शीश झुका कै हुई खङी ॥ कह "" लख्मीचन्द "" न्यूँ बोली , तू क्युं ना रह्या साथ के म्हाँ ॥ पाटमदे झट चाल पङी . . . . . . . . . . .",haryanvi-bgc "कन्यादान गीत पोसे पोसे रूप्या देधा , हार कड़ा पातला देसे वो लाड़ि । पोसे पोसे रूप्या देधा , गंुडि वटली फवरी देसे वो लाड़ि । पोसे पोसे रूप्या देधा , पलंग सिरको फवरा देसे वो लाड़ि । पोसे पोसे रूप्या देधा , कड़ा पातला देसे वो लाड़ि । वर पक्ष की महिलाएँ शंका कर रही हैं कि हमने पोष भरभरकर तेरे मातापिता को रुपये दिये हैं , हारकड़े पतले देंगे । घुण्डीबटली हल्के देंगे , पलंग सिरका हल्का देंगे और कड़ा और कड़ी पतली देंगे ।",bhili-bhb "488 भाबी अज जोबन तेरे लहर दितो जिवें नदी दा नीर उछलया ए कुफल1 जंदरा तोड़ के चोर वड़या अज बीड़ा कसतूरी दा हलया ए सुहा घगरा लहरां दे नाल उडे वेग बद दोचंद हो चलया ए सुरखी होंठां दी किसे ने चूप लई अंब सगना मोड़ के घलया ए कस्तूरी दे मिरग जिस ढाह लए कोई नवां हीरा आन मलया ए वारस शाह तैनूं पिछों आन मिलीया इक नवां ही कोई सहड़या ए",panjabi-pan "पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला नैना भरों के भरों घैला । पनघट पे . . . भर के गगरिया हमें घर जानें मोहन न रोको हमारी गैला । पनघट पे . . . काम तुम्हारो है माखन चुरावो , तुम हो जनम के चुटकैला । पनघट पे . . . एही पनघट पे हो गई दिवानी , लागी नजर कौन जाऊँ गैला । पनघट पे . . . पिया सखी भई रूप दिवानी नाजा रे छलिया छलबैला । पनघट पे . . .",bundeli-bns "बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै , गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ महल मालिया थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई टूटी टपरी म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ कामधेनवा थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई भैंस पाडड़ी म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ हाथी घोड़ा थारै । थारी बरोबरी म्हें करोस , कोई ऊंट टोरड़ा म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ भाला बरछी थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई जेली गंडासी म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ रतनागर सागर थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई ढाब भर्या है म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै ऐ तोसक तकिया थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई पाटी गूदड़ी म्हारै गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै आ राधा रानी थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई एक जाटणी म्हारै बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै , गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै",haryanvi-bgc "आसौ दे गऔ साल करौंटा आसौ दे गऔ साल करौंटा , करौ खाव सब खौंटा । गोंऊ पिसी खाँ गिरूआ लग गव महुअन लग गओ लौंका । ककना दौरीं सबधर खाये रै गव फकत अनोंटा । कात ईसुरी बाँधें रइयो जबर गाँठ कौ घोंटा ।",bundeli-bns "म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं भंवरा म्हे तो सगलाई कुलदेव भेंट्या रे भंवरा म्हारे भोपाजी रै तैल सिंदूर चढ़े रे भंवरा म्हें तो सगलाई देवां ने भेंट्या रे भंवरा म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं रे भंवरा",rajasthani-raj "कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे । कहवाँ के कोहबर पान से छवावल हे ॥ 1 ॥ अँगना के कोहबर लाल हे गुलाब हे । भीतर के कोहबर पान से छवावल हे ॥ 2 ॥ सेहु पइसी1 सुतलन दुलरइते बाबू राजा हे । जबरे भइ सुतलन पंडितवा केरा धिया हे ॥ 3 ॥ ओते2 सुतूँ , ओते सुतूँ , ससुर जी के बेटवा हे । नइहर के चुनरी मइल3 जनु होवइ हे ॥ 4 ॥ एतना बचन जब सुनलन दुलरइते बाबू राजा हे । भीतर के सेजिया बाहर कर देलन हे ॥ 5 ॥ गरजे लगल बादल बरसे लगल बुंद हे । देहरी लगल दुलहा रोदना पसारे4 हे ॥ 6 ॥ खोलु धनि , खोलु धनि , सोबरन केवाड़ हे । आजु के रतिया सुहावन करि देहु हे ॥ 7 ॥ कइसे हम खोलूँ परभु , सोबरन केवड़िया हे । हमरा बाबू से दहेज मत लिहऽ5 हे । हमरी अम्माँ से जयतुक6 मत लिहऽ हे ॥ 8 ॥ तोहरो बाबू से दहेज नहीं लेबो7 हे । तोहरी अम्माँ से जयतुक नहीं लेबो हे ॥ 9 ॥ हमरी अम्माँ से जबाव मति करिहऽ8 हे । तोहरी अम्माँ से जबाब मति करबो हे ॥ 10 ॥ लाख अरजिया जी परभु , लेखो9 मत लिहऽ हे । अरथ भंडार10 परभु , सौंपि हमरा दिहऽ हे ॥ 11 ॥",magahi-mag "263 देवां सिखिया1 रब्ब दी याद दसी गुरु जोग दे भेत नूं पाईए जी नहा धो के चा भबूत मलीए अते किस वत अंग वटाईए जी सिंगी फौड़ही खपरी हथ लै के पहले रब्ब दा नाम धयाईए जी नगर अलख वजाइके जा वड़ीए पाप जान जे नाद बजाईए जी सुखी दवार वसे जोगी भीख मांगे देई दुआ असीस सुनाईए जी इस भांत दे नगर दी भीख लै के मसत लटकदे दुआर को आईए जी वडी माउं ही जान के करो निसख छोटी भैन मिसाल बनाईए जी वारस शाह यकीन दी गल चगी सभो हक दी हक ठहराईए जी",panjabi-pan "रथ ठाड़े करो रघुबीर रथ ठांड़े करो रघुबीर , तुम्हारे संग मैं चलूं वनवास खों । अरे हां जी तुम्हारे , काहे के रथला बने , है अरे काहे के डरे हैं बुनाव तुम्हारे संग . . . अरे हां हो हमारे , चन्दन के रथला बने , और रेशम डरे हैं बुनाव , तुम्हारे संग . . . अरे हां जी तुम्हारे , रथ में को जो बैठियो , और हां जी रानी सीता , रथ में बैठियो , राजा राम जी हैं हांकनहार , तुम्हारे संग . . . रथ ठांड़े करो . . .",bundeli-bns "मड़वा डगमग खरही बिनु मड़वा डगमग1 खरही2 बिनु , कलसा पुरहर बिनु हे । मन मोरे डगमग नइहर बिनु , अप्पन सहोदर बिनु हे ॥ 1 ॥ मड़वहिं बइठल गोतिया लोग , भनसा3 गोतिनिया लोग हे । तइयो नहीं मन मोरा हुलसल4 अप्पन नइहर बिनु हे ॥ 2 ॥ इयरी पियरी कइसे पेन्हब , अप्पन नइहर बिनु हे । चउका चनन कइसे बइठब , अप्पन जयल5 बिनु हे । अरप दरप6 कइसे बोलब , अप्पन पुरुख बिनु हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है जन्म हुआ है हुई है बजर की रात पहरे वाले लाडो सो गए लग गए चन्दन किवाड़ गुड़ की पात तेरी अम्मां वह पीवै टका भी खरचा न जाय सौ सठ दिवले बिटिया बाल धरे हैं तो भी गहन अंधेर जिस दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात सूतों के पलंग लल्ला अम्मां बी पौढे सुरभि का घृत मंगाय बूरे की पात तेरी अम्मां तो पीवै बाबल लुटावै दाम एक दिवला रे लल्ला बाल धरा है चारों ही खूंट उजाला जिद्दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात घर बी सून्ना आंगन बी सूना लाडो चली पिता घर तियाग घर में तो उस के बाबल रोवैं अम्मां बहिन उदास कोठे के नीचे से निकली पलकिया निकली पलकिया आम नीचे से निकला है डोला भय्या ने खाई है पछाड़ कोयल शब्द सुनाम खेल क्यूं ना ले लाडो कौले की गुड़िया मिल क्यों ना ले संग की सहेली कैसे खेलूं रे बाबा कौले की गुड़िया अब कैसे मिल लूं संग की सहेली सासू के जाये ने झगड़ा है डाला अब नहीं मिलने हार जी माय कहै मेरी नित उठ आइयो बाबल कै छठे मास भैया कहै जीजी काज परोजन या भतीजे के भये क्या आऊं रे बाबा काज परोजन या भाभी के जाये क्या आऊं रे बाबा सावन की तीजो क्या रे भतीजों के ब्याह डोले के पीछे बाबा भी चलिया रथ का पकड़ा है डांड मेरी तो बेटी रे समधी महलों की बांदी हम तेरे बंदे गुलाम ऐसा बोल ना बोल मेरे लायक समधी तुम्हारी तो बेटी मेरे महलों की रानी तुम हमारे सिर के ताज",haryanvi-bgc "380 मैं अकलड़ा गल ना जाणदा हां तुसीं दोवें ननाण भरजाइयां नी मालजादियां वांग बना तेरी पा बैठीए सुरम सलाइयां नी पैर पकड़ फकीर दे देह भिछया अड़ियां कुआरीए केहीयां लाइयां नी धयान रब्ब ते रख ना हो तती गुसे होण ना भलयां दीयां जाइयां नी तैनूं शौक है तिन्हां दा भाग भरीए जिन्हां डाचियां मार चराइयां नी जिस रब्ब दे असीं फकीर होए वेख कुदरतां उस वखाइयां नी मेरे पीर नूं जाणदे मोयां गयां ताईं गालियां देनियां लाइयां नी वारस शाह ओह सदा ई जिऊंदे ने जिन्हां कीतियां नेक कमाइयां नी",panjabi-pan "395 जिनां नाल फकीर दे अड़ी बधी हथ धो जहान थी चलियां ने आ टलीं कुआरिये डारिये नी केहियां चाइयां धजां अवलियां ने होवे शर्म हया उनां कुआरियां नूं जेड़ियां नेक सोहबत विच रलियां ने कारे हथियां कुआरियां वेहु भरियां भला क्यों कर रहन नचलियां ने मुनस मंगदियां जोगिया नाल लड़के राती औखियां होण अकलियां ने पिछे चरखड़ा रूल है सड़न जोगी कदे चार ना लाहियो छलियां ने जिथे गभरू होण जा खहे उथे परे मारके बहे पथलियां ने टल जाह फकीर तों गुंडीए नी आ कुआरिये राहां कयों मलियां ने",panjabi-pan "मचिया बैसल हे कोसिका मचिया बैसल हे कोसिका , भितिया अंगुठल दीनानाथ के वटिया हेरै छै । कहँमा से भागवै हे कोसी चानन के लकड़िया कहाँ से मंगेवै सूतिहार । मोरंग से मंगेवै हे कोसिका चानन लकड़िया तिरहुत से मंगेवै सूतिहार । कथी से छेवैवे हे कोसिका चानन के लकड़िया कथी से छेवैवे हे कोसिका पैर के खड़म । आरी से छेवैवे हे कोसिका चानन के लकड़िया बसुला से छेवैवे हे कोसिका पैर के खड़म । कहाँ गेल किअ भेल दीनानाथ दुलरूआ पीन्हि लिअ पैर के खड़म । ।",angika-anp "अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे हे अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे1 हे । अरे ताहि कोहबर सुतलन कवन दुलहा , बेनिया डोलाइ माँगे हे ॥ 1 ॥ बेनिया डोलइते हे आवल2 सुखनीनियाँ । रसे रसे3 बीत गेलइ सउँसे4 रँगे रतिया ॥ 2 ॥",magahi-mag "पाँच पतासे पान्या का बिड़ला पांच पतासे पान्या का बिड़ला लै सैयद पै जाइओ जी जिस डाली म्हारा सैयद बैठ्या वा डाली झुक जाइयो जी पांच पतासे पान्या का बिड़ला लै माता पै जाइयो जी जिस डाली म्हारी माता बैठी वा डाली झुक जाइयो जी पांच पतासे पान्या का बिड़ला लै देवी पै जाइओ जी जिस डाली म्हारी देवी बैठी वा डाली झुक जाइयो जी",haryanvi-bgc "हरता तो फरता मारूजी हो पूछे हरता तो फरता मारूजी हो पूछे मटकी ना मोती क्याँ मेलिया एकज मोती राजा दई ने दीदो हरता तो फरता मारूजी हो पूछे मटकी ना मोती क्यां मेल्या एकज मोती राजा सासू ने दीदो कुंवर पटोला झेलिया हरता . . . एकज मोती राजा जेठाणी ने दीदो दस दन खूणे खाट ढलाविया हरता तो . . . एकज मोती राजा जेठाणी ने दीदो दस दन दिवलो संजोवियो हरता तो . . . एकज मोती राजा नणदल ने दीदो कंवले सांतीपूड़ा मंडाविया हरता तो फरता सुगणी रा सायबा पूछे एकज मोती राजा ढोली ने दीदो दस दन ढोल गरासिया हरता तो . . . एकज मोती राजा पड़ोसन ने दीदो दस दन मंगल गवाड़िया",malvi-mup "काला बहल जुड़ाइयां मैं काला बहल जुड़ाइयां मैं थलस तलै नै आइयां क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां काला घर मैं बड़ियां ये कड़ी करंजै पड़ियां क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां भूरा बहल जुड़ाइयां मैं झट दै बेहल मैं आइयां क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां भूरा घर मैं बड़ियां सत्तर दीवे बलियां काले के दो जाये जणों भूंड गिरड़ ते आये क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां भूरे कै दो जाये जणो चांद सूरज दो आये क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां",haryanvi-bgc "राजा ऊँचा है चंवरो चब खंडियो राजा ऊँचा है चंवरो चब खंडियो जे पर ढ़ाली नवरंगी खाट हर बोलो दीवानजी रा कूंकड़ा जे पर पोढ़िया फलाणाजी हो राम बऊँ लाड़ी थारो नाम जगावजे हो जागोजागो केसरिया नाम हरि बोलो दीवानजी रा कूंकड़ा राजा जागी ने पाग सँवारिया उनकी पागां पर मोतिया रा लूम हीरा केरा लूम राजा ऊँचा हो चंवरो चवखंडियो जे पर ढाली है टूटी टाटी खाट जे पर पोढ़िया फलाणा राम भाँड बाई थारो नाम जगावजे जागोजागो नावीड़ा नाम नावी जागी ने चींदो संवारिया चींदा पे ऊँदरा रा लूम , बिच्छूरा लूम",malvi-mup "अचक आय अँगुरी पकरी जाने कैसी करी अचक आय अँगुरी पकरी ॥ टेक अँगुरी पकर मेरी पहुँचौ पकर्यौ , अब कित जाऊँ गिरारौ सकरौ । मिलवे की लागी धक री ॥ जानै . जो सुनि पावेगी सास हमारी , नित उठि रार मचावेगी भारी । मोतिन सौं भरी माँग बिगरी ॥ जानै . श्री मुख चन्द्र कमरिया बारौ , सालिगराम प्रानन कौ प्यारौ । अन्तर कौ कारौ कपटी ॥ जानै .",braj-bra "अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए अंगना में कुइयाँ खोनाइले , पीयर माटी नू ए , ए ललना जाहिरे जगवहु कवन देवा , नाती जनम लिहले हो । नाती जनमले त भल भइले , अब वंस बाढ़हू ए । ए ललना देह घालऽ सोने के हँसुअवा , बाबू के नार काटहु ए । ए ललना देइ घालऽ सोने के खपड़वा , बाबू के नहवाईवि ए । ए ललना जाहि रे जगवहु कवन देवा , नाती जनम लिहले ए । नाती जनमले त भल भइले , अब वंस बाढ़हु ए । ए ललना देई घालऽ रेशमऽ के कपड़वा , जे बाबू के पेनहाइवि ए ।",bhojpuri-bho "40 तुसीं विच खुदा दे खानयां दे गोज1 वायगी दस क्यों मारदे हो झूठ गैबता2 अते हराम करना मुशतजनी दे गैब क्यों सारदे हो बास हलवियां दी खबर मुरदियां दी नाल दुआए दे जीऊंदे मारदे हो अन्ने कोड़यां लूलयां वांग बैठे कुररा मरन जहान दा मारदे हो शरह चाए सरपोश बनाया जे रवादार वडे गुनहगार दे हो वारस शाह मुसाफरां आयां नूं चलो चल ही पये पुकारदे हो",panjabi-pan "दृगन मन बस गये री मोरे गुइया दृगन मन बस गये , री मोरे गुइयां कै मोरी गुइयां , दशरथ राज दुलारे गैल इत कड़ गये , री मोरी गुइयां । दृगन मन . . . कै मोरी गुइयां , हांथ सुमन के दौना , लतन बिच छिप रहे , री मोरी गुइयां । । दृगन मन . . . कै मोरी गुइयां तक तिरछी सैनन विहंस कछु कह गये , री मोरी गुइयां । । कै मोरी गुइयां कंचन प्राण पियारे , चोर चित लै गये , री मोरी गुइयां । दृगन मन . . .",bundeli-bns "सरवन पँवारा कात–बास दोइ अँधा बसइँ अमर लोक नाराँइन बसे अँधी कहति अँधते बात हम तुम चलें राम के पास कहा राम हरि तेरो लियो एकुँ न बालक हमकू दियो बालकु देउ भलो सो जाँनि मात–पितन की राखै काँनि । एक माँस के अच्छर तीनि दुसरे माँस लइउड़े सरीर तिसरे माँस के सरबन पूत्र डेहरी लाँघइ फरकइ दुआरु देखउ बालकु जूकिन कार जू बालकु अन्धी को होई जू बालकु सूरा का होइ लइलेउ अन्धी अपनो लालु लइलेउ सूरा अपनो लालु् जू जो जिअइ तउ हउ बड़ भागि दिन–दिन अन्धी सेवन लागि दिन–दिन सूरा के भओ उजियार",kanauji-bjj "कड़तन लागौ मूड़ दिरौंदा कड़तन लागौ मूड़ दिरौंदा , कड़ीं न सिर खों ओंदा । कारीगर ने बुरऔ बनाऔं । धरौ न ऊँचों गोंदा । लच गई , लफ गई , दूनर हो गई , नेंनूँ कैंसो लोंदा ईसुर उनें उठा नई पाए , हतो उतै सकरोंदा ।",bundeli-bns "अमवा के डाढ़ चौका अमवा के डाढ़1 चढ़ि बोलेले कोइलिया । लगन2 लगन डिँड़ियाय3 हे ॥ 1 ॥ एहो नगरिया माइ हे , कोई नहीं जागथिने4 । लगन न माँगथिन5 लिखाइ जी ॥ 2 ॥ एहो नगरिया माइ हे , जागथिन कवन बाबू , हमें लेबइ लगन लिखाइ हे ॥ 3 ॥ घर से बाहर भेलन6 दुलरइता दुलहा , आजु बाबू लगन लिखाहु जी ॥ 4 ॥ अइसन लगन लिखिह जी बाबू , ओहे लगन होइतो बियाह जी ॥ 5 ॥",magahi-mag "विदाई गीत सासु बोलाड़े बनी जरा बोलजे । बनी बोल बिराणो लागे । माई बोलाड़े वेगि बोल नानी बनड़ी । बोल पियारो लागे । सेसरो बोलाड़े धीरेबोल नानी बनड़ी । बोल बिराणो लागे । मायके से लड़की को शिक्षा दी गई है कि मायके वाले आवाज दें तो जल्दी और जोर से बोलना । ससुराल वाले आवाज दें तो धीरे से और शांतस्वभाव से बोलना । मायके वालों की आवाज प्यारी लगती है , ससुराल वालों की आवाज पराई लगती है ।",bhili-bhb "नीला पंखो जोरान्यकू डो नीला पंखो जोरान्यकू डो नीला पंखो जोरान्यकू डो चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना ऊरागा भरटी काका कू डो ऊरागा भरटी काका कू डो चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना चिचारिस भरटी काकी के डो चिचारिस भरटी काकी के डो चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "दीपक दया धरम को जारौ दीपक दया धरम को जारौ , सदा रात उजयारौ । धरम करे बिन करम खुलैना , ज्यौं कुन्जी बिन तारौं , समझा चुके करै न रइयो । दिया तरै अंदयारौ । कात ईसुरी सुनलो भईया लगजै यार न वारौ ।",bundeli-bns "तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल यो बिडला मेरे मन बसिया बिडला बिडला के करै री गोरी बिडले ल्यावां दो चार यो बिडला मेरे मन बसिया कोठी चावल रै गोरी घी घणा गोरी म्हारी बैठी मौज उडाय यो बिडला मेरे मन बसिया चरखा ल्यांदा रै गोरी रांगला पीड़ा लाल गुलाल यो बिडला मेरे मन बसिया तकवा ल्यांदा रै गोरी म्हारी सार का कातनी झरोखे दार",haryanvi-bgc "नागर नंदजी ना लाल नागर नंदजी ना लाल नागर नंदजी ना लाल रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई कान्हा जड़ी होए तो आल , कान्हा जड़ी होए तो आल रस रमंता म्हारी नथनी खोवाई . . . वृन्दावन नी कुञ्ज गलीं मां बोले झिना मोर राधाजी नी नथनी नो शामलियो छे चोर . . . . नागर नंदजी ना लाल नागर नंदजी ना लाल रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई . . . . .",gujarati-guj "मेरी मटुकी फोरी री जसोदा तेरे लाला ने मेरी मटुकी फोरी री ॥ टेक हम दधि बेचन जात वृन्दावन मिलि ब्रज गोरी री । गैल रोकि के ठाड़ौ पायौ , कीनी झकझोरी री ॥ दही सब खाय मटुकिया फोरी बाँह मरोरी री । लै नन्दरानी हमने तिहारी नगरी छोड़ी री ॥ चोरी तो सब जगह होय तेरे ब्रज में जोरी री । नाम बिगारौ तिहारौ याने बेशरमाई ओढ़ी री । सारी झटक मसक दई चोली , माला तोरी री । कहै ‘शिवराम’ चिपकारी भरिकें खेलौ होरी री ॥",braj-bra "निमंत्रण भावनाओं के रिश्ते में रचा आमंत्रण , जो देवता , प्रकृति के समस्त उपादान , स्वजनों के साथ साथ सभी वर्ग एवं वर्ण के उन सभी लोगों को आमंत्रित करता है जो किसी न किसी नाते सहयोगी बनकर जीवन में आते हैं . प्रात जो न्युतुं में सुरीज , सांझ जो न्युतुं में चन्द्रमा तारण को अधिकार ज्युनिन को अधिकार किरनन को अधिकार , समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये ब्रम्हा विष्णु न्युतुं मैं काज सुं , गणपति न्युतुं मैं काज सुं ब्राह्मण न्युतुं मैं काज सुं , जोशिया न्युतुं मैं काज सुं , ब्रह्मा न्युतुं मैं काज सुं , विष्णु श्रृष्टि रचाय , गणपति सिद्धि ले आय , ब्राह्मण वेड पढाए , जोशिया लगन ले आय , कामिनी दियो जलाय , सुहागिनी मंगल गाय , मालिनी फूल ले आय , जुरिया दूबो ले आय , शिम्पिया चोया ले आय दिन दिन होवेंगे काज सब दिन दिन होवेंगे काज , समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये बढ़या न्युतुं मैं काज सूं , शंख घंट न्युतुं मैं काज सूं सब दिन दिन होवेंगे काज , समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये बाजनिया न्युतुं मैं काज सूं , बहनिया न्युतुं मैं काज सूं , भाई बंधू मैं न्युतुं मैं काज सूं , सब दिन दिन होवेंगे काज , समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये बढया चोका ले आय , शंख घंट शब्द सुनाय , बाजनिया बाजो बजाय , आन्गानिया ढहत लगाय , बहनियाँ रोचन ले , भाई बंधू शोभा बढ़ाय अहिरिणी दहिया ले आय , गुजरिया दूधो ले आय , हलवाई सीनी ले आय , तमोलिया बीढो ले आय , सब दिन दिन होवेंगे काज , समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये",kumaoni-kfy "साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै मैं मंरू अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै साथिण का कर्या कसार कढ़ाई भर भर कै मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै साथिण की दिखादी तील पिलंग पै धर के मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै साथिन ने आई घाल पहर कै तड़कै मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै मैं पड़ी खटोली के बीच सबर सा करकै मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै",haryanvi-bgc "तोरे सोहे पाव पैजनिया माई के बलमा तोरे सोहे पांव पैजनिया , माई के बलमा । माथे मुकुट माल रतनन की ओढ़ें लाल उढ़निया , माई के बलमा । तोरे . . . हाथन में हंथचूरा सोहे , अंगुरिन बीच मुदरिया , माई के बलमा । तोरे . . . बाजूबन्द भुजन पे सोहे , कमर में करधनिया , माई के बलमा । तोरे . . . एक हाथ में खड़ग लिये हैं । दूजे तीर कमनिया , माई के बलमा । तोरे . . . तीजे हाथ त्रिशूल बिराजे चौथे खप्पर अंगनिया , माई के बलमा । तोरे . . . सिंह सवार भई जगतारन छबि न जात बखनियां , माई के बलमा । तोरे . . . पांच भगत माई तोरे जस गावें । छवि न जात बखनियां , माई के बलमा । तोरे . . .",bundeli-bns "तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ राजा का सै डोल राजा से डोल मांग ले बटेऊ पीले जल नीर बटेऊ बटेऊ मत करै मैं तो लागूं तेरा बीर तेरे राजी भाई भतीजे मरगी तेरी मांय कहो तो बाणा बदलूं हो बीरा हो लूं तेेरी गैल क्यांह नैं बाणा बदले हे बेबे होले मेरी गैल नदियां तै पार उतर गई बीरा दीख्या नां गांव बीरा बीरा मत कर हो गोरी लागूं तेरा भरतार धोखे मैं दे कै मारी हो जुल्मी जाइयो तेरा नास मेरे छोरां छोरी रोवैं हो बैरी रोवै मेरा भरतार तेरे हो जैं छोरा छोरी हो गोरी मैं तेरा भरतार महलां सै तले नै उतरो री अम्मां चन्दा सी नार तूं किस की जाई ल्याया रे बेटा किस की सै नार राजा की जाई ल्याया री अम्मां मेरी सै नार कूएं पै नीर भरे थी अम्मां हो ली मेरे साथ धोखे में दे कर मारी बुड्ढिया जाइयो री इसका नास मेरे सासू सुसरा ढूंढै री बुड्ढिया ढूंढै भरतार",haryanvi-bgc "जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया जब सारा फागण बीत गया तैं घर में साजन क्यूँ आया छम छम नाचैं सब नर नारी मैं बैठी दुखां की मारी मेरे मन में जब अंधेरा मचा तैं चान्द का चांदण क्यूँ आया इब पीया आया जी खित्याना जब जी आया पी मित्याना साजन बिन जोबन क्यूँ आया जोबन बिन साजन क्यूँ आया मन की तै अर्थी बंधी पड़ी आंख्यां मैं लागी हाय झड़ी जब फूल मेरे मन का सूक्या लजमारा फागण क्यूँ आया",haryanvi-bgc "रुपया खरच कू रख लीजो बारे लाँगुरिया रुपया खरच कू रख लीजो , मैंने बोली है करौली की जात ॥ लँगुरिया . बारे लाँगुरिया चम्पा की मैयाहू जावैगी , और सुन्दर की कर गई बात ॥ लँगुरिया . बारे लाँगुरिया साड़ी तौ लादै नायलौन की जामें चमकैं जोबन गात ॥ लँगुरिया . बारे लाँगुरिया गोटा किनारी वापै लगवाऊँ , चाहे उठ जाँय पाँच के सात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया गोद मेरी तो सूनी है , अब जाय मांगूगी देवी मात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया मन में तू शंका कछु न रखियो वहाँ पै जो माँगे ‘प्रभु’ पात ॥ लँगुरिया .",braj-bra "ईसुरी की फाग-5 दिल की राम हमारी जानें मित्र झूठ न मानें हम तुम लाल बतात जात ते , आज रात बर्रानें सा परतीत आज भई बातें , सपनेन काए दिखानें ? ना हो , हो , देख लेत हैं , फूले नईं समानें भौत दिनन से मोरो ईसुर तुमें लगौ दिल चानें भावार्थ हमारे मन की बात तो राम ही जानते हैं । मित्र , हमारी बात को झूठ न समझें । आज रात को ही हमने यह सपना देखा है कि हम उनसे बात कर रहे हैं । तब हमें यह अन्दाज़ हुआ कि सपना हमने क्यों देखा ? हम उन्हें यहाँवहाँ किसी न किसी तरह देख कर ख़ुश होते रहते हैं न , इसलिए अब वे हमें सपने में भी दिखाई देने लगी हैं । अरे ईसुरी , मेरा दिल उन्हें बहुत दिनों से चाहता है ।",bundeli-bns "जेठ बइसखवा के पुरइन लहर-लहर करे जेठ बइसखवा के पुरइन लहरलहर करे , ताहि कोखी धिअवा जनमली त पुरुख बेपछ परले ए । बेपछविपक्ष मइले ओढ़न , मइले डासन , कोदो चउरा पंथ भइले , रेंडवा के जरेला पसंगिया , निनरियो नाहि आवेले ए । लाले ओढ़न , लाल डासन , बसमती चउरा पंथ भइले , चनन के जरेला पसंगिया , निनरिया बलु आवेले ए । सासु के देबऽ रेडिय तेल , ननद के तिसिए तेल , गोतिन के देबऽ फुलेल तेल , हम गोतिन पाइंच ए । सासु जे आवेली गावत , ननद बजावत हे , गोतिन आवेली बिसमाधम मुदइया मोरे जनमऽलन , सासु के डासबऽ खटिअवा , ननद के मचिअवा नू ए । गोतिन के लाली पलंगिया हम गोतिन पाइंचए",bhojpuri-bho "तोपेड़ तेन आठी थालो तोपेड़ तेन आठी थालो तोपेड़ तेन आठी थालो कोम तेन आठी डो बेईनी पारोमे कोम तेन आठी डो बेईनी पारोमे चुरु तेन डा डो चुरु तेन डा डो बानी तेन जोम दो बेईनी ईदी ये बानी तेन जोम दो बेईनी ईदी ये स्रोत व्यक्ति ज्योति , ग्राम माथनी",korku-kfq "ईसुरी की फाग-1 तुम खों छोड़न नहि विचारें भरवौ लों अख्तयारें जब ना हती , कछू कर घर की , रए गरे में डारें अब को छोड़ें देत , प्रान में प्यारी भई हमारें लगियो न भरमाए काऊ के , रैयो सुरत सम्भारें ईसुर चाएँ तुमारे पीछें , घलें सीस तलवारें",bundeli-bns "सलौ सलौ1 डारि2 ऐ गैना , डालि बोटो खै गैना । फसल पात खै गना , बाजरो खाणो कै गैना । सलौ डारि डाँड्यूं मा बैठी गैन खाड्यूं मा । हात झींकड़ा लीन , सलौ हांकि दीन । काकी पकाली पलेऊ , काला हकाल मलेऊ । भैजी हकालू टोपीन , बौ हटाली धोतीन । उड़द गथ खै गैना , छड़ी सारी कै गैना । भैर देखा बिजोपट , फसल देखा सफाचट । पड़ीं च बाल बच्चों की कनी रोवा रो , हे नौंनों का बुबा जी , सलौ ऐन सलौ ।",garhwali-gbm "भरथरी लोक-गाथा - भाग 7 सुनले भांटो मोर बाते ल हाल देहॅव बताय झन तो कहिबे तेंहर बात ल भेद रखबे लुकाय तबतो दिहँव बताय ये दे अइसे बानी रानी बोलय ओ , भाई ये दे जी । तीन वचन चुकोवत हे रुपदेई ये ओ नई तो कहय मानसिंह ल सुनले महराज रुपदेई ये ओ भरथरी ल , कइसे बानी बताय सुन राजा मोर बात ओही जनम के येह का लाग मोर ये दे अइसे बानी कहिके पूछय ओ , भाई पूछय ओ , रानी ये दे जी । राजा मानसिंह ल देखत हे भरथरी ह ओ जेकर बेटा ल का देखय मन मँ करे विचार सुनले कहना मोर बात ओही जनम के ओ तोर बेटा ये बाज ए ही जनम मँ न तोर रचे बिहाव ये दे अइसे बानी भरथरी ओ हीरा बोलय ओ , भाई ये दे जी । जइसे आज होवत हे मोर संग बिहाव तइसे सुनले राजा तँय ओही जनम के सामदेई ये न तोर दाई ये ओ सुन भांटो मोर बात ये ही जनम मँ तोर संग बिहावे ग ये दे होगे ग , ये दे होये ग , भाई ये दे जी । तब तो बोलय भरथरी हर का करॅव भगवान विधि के लिखा ह नई कटय अइसे बानी ये राम मनमें सोचत हे न पाती होतिस हीरा बांची ले ते कइना का तो करॅव उपाय नई तो जानेव गिंया मोर भेदे ल आज बताये ओ ये बताये ओ , भाई ये दे जी । सुनले रानी मोर बात ल पाछूआगू ओ भेद ल देते बताय तॅय सुनले रानी बात रंगमहल म लहुटी के सारी घर नई जावॅव ओ बाती बोलत हे न भरथरी ये राम ये दे कइसे बानी ल बोलय तोरे ये सातो के हत्या भारी पाप मोला परे हे पाप लेहँव मिटाय जेखर पाछू रानी लौटी जाहॅव ओ ये दे अइसे बानी ल बोलय ओ , हीरा बोलय ओ , भाई ये दे जी । सुन्दर बानी ल बोलत हे भरथरी ये ओ रानी ल बोलिके चले जाय महराज घोड़ा छोड़त हे नाम जोग साधे के ना मन म करे विचार रंगमहल में राम चले आवत हे ओ , चले आवय ओ , भाई ये दे जी । रानी ल बोलत हे दाई सुन मोर बात मय तो चलेंव जोग साधे बर राज पाठ ल ओ छोड़ देवॅव दाई नई तो करॅव राज जो साधिहॅव ओ रानी कहत हे न मोर आंख के रे बेटा तारा ये मोर एके अकेला जनम बेटा धरे ग , भाई ये दे जी । बुढ़त काल के लाठी अस संग छोड़व न आज कलपीकलप दाई का रोवय गाज के पराई ये ओ बेटा के छुटाई ये न रंग महल ये दरबार ये न मोर रोवय हीरा भरथरी ल ओ समझावत हे न मोर हरके अउ , बरजे ल नई मानय भरथरी , भाई ये दे जी । घोड़ा ल छोड़त हे रंगमहल साजसज्जा उतार देख तो दीदी चले आवत हे सामदेई ये ओ गोड़ तरी गिरय सुन जोड़ी मोर बात झन जावा हीरा नई तो मानत हे न मोर राजमहल ले जावय ओ , चले जावय ओ , भाई ये दे जी । गोरखपुर के रद्दा ल राजा धरत हे राम जिहां बइठे गोरखनाथे भरथरी ये राम ये के कोस रेंगय दूसर कोस ओ तीन कोस ए ना बारा कोसे के ओ मोर अल्दा रेंगय मोर छय महीना छय दिन बितय ओ , बितय ओ , रानी ये दे जी । छय महीना छय दिन बीतत थे भरथरी ओ जाइ हबरगे गोरखपुर म कइसे बोलत हे राम गोरखनाथ ल न गुरु सुन मोर बात चले आयेंव राजा जोग साधे ल ओ गुरु मानी ले बात मोला जोग के रद्दा बतादे ओ , भाई बता दे ओ , भाई ये दे जी । गोरखनाथ के चेलिन ये मोर बइठे हे राम मोहनी सूरत बनाये हे भरथरी ह न कइना जावय मोहाय बानी का बोलय राम अइसन हे जोड़ी मय हर पा जातेव न जोग काबर साधतेंव ये दे जोग छोड़ी चल देतेव ओ चल देतेव ओ , भाई ये दे जी । लाख समझावत हे राजा ल नई तो मानय दाई जोग के लागे हे आसे न सुनले राजा मोर बात जोग झन साधा हो आनन्द मंगल ये न मोर हरके बात मान जाबे जोगी , जाबे भाई , भाई ये दे जी । बारा बछर के ऊपर हे सुनिले लाला बात झन करबे जोग के साध न गोरखपुर के दीदी गोरखनाथ गुरु ओ समझावत हे न भरथरीये राम नई तो मानय गिंया मोर कइसे विधि जिद्दी करय ओ , भाई करय ओ , रानी ये दे जी । माता पिता जनम दिये गुरु दिये गियान सुन ले बेटा मोर बाते ल तोला गियान न मॅयहर देथॅव तोला लाला तॅयहर जोग के साथ झन करव ओ , झनी करव ओ , भाई ये दे जी । कहना वचन जोगी नई मानय भरथरी ये ओ देख तो दीदी हरके नई मानय बरजे ल गिंया नई तो मानत हे ओ भोर धुनि ये ओ चल जलथे न मोर कइसे विधि जोगी कूदे ओ , भाई कूदे ओ , भाई ये दे जी । गोरखपुर के मोर गुरु ये जल बइठे हे ओ मॅयहर का करॅव राम ये ह कूदिगे दाई हरके ल गिंया नइ तो मानिचे न मोल बालक रूपी जनम ओ , येहर धरे ओ , भाई ये दे जी । कोठी में आगी समाइगे बन आग लगाय जबधन कइसे मय करॅव न कोठी में आगी लगाय गय बदन गय कुम्हलाय जबधन राजा मॅय बोलव न अमृत पानी ल ओ गोरखनाथ ये गुरु चल सींचत हे न अग्नि हर गिंया मोर सांति ये ओ चल होगे दीदी मोर भभूत ये दे निकाले ओ , ये निकाले ओ , भाई ये दे जी । कइसे बइरी मय तो घर जाहॅव कइसे रहिहॅव गुरु जेकर भेद बता दे न नई तो जावॅव गुरु जोग साधिहँव न रंग महल मँ नई तो रहॅव गुरू मोर अइसे बानी ल बोलय गा , राजा बोलय ग , भाई ये दे जी । ओतका बानी ल सुन के गोरखनाथ ह ओ देख तो दीदी भरथरी ल मुंह खोली के राम तीनों लोक के ओ दरस ल देखाय बानी बोलत हे राम भुला जाथे बेटा कोनकोन जनम कोन का अवतार न लेथे लाला ये दे तीनो लोक के दरस ए करावय ओ , भाई ये दे जी । तीनो लोक ल देखके भरथरी ये ओ गुरु गोरखनाथ के ये दे मुंह म न तीनों लोक ल देखय नई तो समझय राजा जोग नई छोंड़व न मोर मिरगिन के लागे सरापे ग , ये सरापे ग , भाई ये दे जी । हरके अऊ बरजे ल नइ मानय तब बोलय गुरु गोरखनाथ सुनले राजा मोर बात भरथरी ये गा जोग साधे बेटा कहना मानव न मोह भया लाला छोड़ी देबे बेटा ये दे जकर पाछू जोगे ग , तय साधबे ग , भाई ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "नया घर नया कोहबर नया नींद हे नया घर नया कोहबर नया नींद हे । नया नया जुड़ल सनेह , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 1 ॥ सासु जे पइसि जगाबए , नया नींद हे । उठऽ बाबू , भे गेल बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 2 ॥ सासु जे अइसन बइरिनियाँ , नया नींद हे । आधि रात बोलथिन1 बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 3 ॥ लाड़ो2 जे जाइ जगाबए , नया नींद हे । उठऽ3 परभु , भे गेल बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 4 ॥ चेरिया जे अँगना बहारइ , नया नींद हे । दीया4 के बाती धुमिल भेल , अइसे5 हम जानली बिहान । सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की जब देखूं जब चांद सिखर मैं मर गई हो पिया तेरे फिकर मैं एक हाथ दिवला एक हाथ झारी चढ़ गई हो मैं तो पिया की अटारी कठै मेलूं दिवला कठै झारी , कठै हो पिया सेज तुम्हारी धरण पै दिवला पटक दे ना झारी , पड़ जाओ हे गोरी पांयतै हमारी पांयत सै रै सिरहाणै नै आई , जद बी ना बोला हो मरद कसाई रो रो के मनैं आंख सुजा लई पांच रपइए सेर मिटाई या ले गोरी रूसे की मनाई धर दे रपइए पटक दे मिठाई , रूसें पाछै हो पिया मनैं नां लुगाई",haryanvi-bgc "प्रभात को परब जाग, गो सरूप पृथ्वी जाग प्रभात को परब1 जाग , गो सरूप पृथ्वी जाग धर्म सरुपी अगास2 जाग , उदयंकारी काँठा3 जाग । भानुपँखी गरड़ जाग , सत लोक जाग । मेघलोक जाग , इन्द्रलोक जाग । सूर्यलोक जाग , चन्द्रलोक जाग , तारालोक जाग , पवनलोक जाग । ब्रह्मा का वेद जाग , गौरी का गणेश जाग । हरो भरो संसार जाग , जन्तु जीवन जाग , कीड़ीमकोड़ी जाग , पशुपक्षी जाग । नरनारैण जाग , मरदऔरत जाग , दिन अर रात जाग , जमीनआसमान जाग । शेष समुद्र जाग , खारी समुन्द्र जाग , दूदी समुद्र जाग , खैराणी समुद्र जाग । घोर समुद्र जाग , अघोर समुद्र जाग , प्रचंड समुद्र जाग , श्वेतबंध रामेसुर जाग । ह्यूँ हिंवालू4 जाग पयालू5 पाणी जाग , गोवर्धन पर्वत जाग , राधाकुंड जाग । बाला बैजनाथ जाग , धौली दिप्रियाग जाग , हरि हरद्वार , काशी विश्वनाथ जाग । बूढ़ा केदार जाग , भोला शम्भूनाथ जाग , कालसी कुमौंऊ जाग , चोपड़ा चौथान जाग । फटिंग का लिंग जाग , सोवन की गादी जाग ।",garhwali-gbm "झूमरली गीत जमना किनारे कानो धेन चरावे , राधाराणी राधाराणी पाणी जावे हो राज । माता जसोदा रो कानूड़ो । श्रीकृष्णजी की कान की झूमर राजधाजी ने ले ली थी , उसी पर गीत रचा गया । श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे गौर चारण हेतु जाते हैं , राधा रानी भी यमुना पर जल भरने जाती हैं । माता यशोदा के श्रीकृष्ण । जमना किनारे कानो बन्सी वजावे , झिणि झिणि राग सुणावे हो राज । माता यशोदा रो कानूड़ो । यमुना के किनारे गौओं को चराते हुए श्रीकृष्ण मधुरमधुर राम सुनाते हैं । हाथ पग धोवता गळनो निचवता , कानूड़ा रे छाटो लाग्यो हो राज । आंगळी पकड़ी ने पुणचो पकड्यो , हार गळा रो लीदो हो राज । मारी ककरिया फोड़ी गगरिया , दूर जइ ऊबो कानूड़ो हो राज । माता जसोदा रो कानूड़ो । राधा ने पानी की गागर भरी और पानी छानने का गलना धोया , हाथपैर धोये , श्रीकृष्ण पास ही खड़े थे , उन पर पानी के छींटे लगे । छींटे लगने से श्रीकृष्ण को राधा से मजाक करने का बहाना मिल गया । राधा ने भी जानकर उन पर छींटे उड़ाए थे । पानी के छींटे लगते ही श्रीकृष्ण ने राधाजी की अँगुली पकड़कर पोंची पकड़ी और उनके गले का हार निकालकर कंकड़ मारकर गगरिया फोड़ दी और दूर एक तरफ जाकर खड़े हो गये । इतने में बहुत सी गोपियाँ आ गईं । राधा ने उन्हें बताया कि कान्हा ने मेरा हार निकाल लिया । माँ लड़ेगी तो क्या उत्तर दूँगी ? गोपियांे ने मशविरा किया और पानी लेकर घर की ओर चल पड़ी । सभी ने मिलकर उपाय सोचा कि कान्हा की झूमर कीमती है , इसकी झूमर निकाल लो । गोपियों ने मटकिया उतारी और कुंज गली के गन्ने लेकर रास्ते में खाने लग गई । गोपियांे ने विचार किया कि कान्हा गन्ने का शौकीन है , गन्ना खाने के लिये बुलाना है और सभी को मिलकर पकड़ना है । राधा झूमर निकालेगी और इसके पास रहेगी । कान्हा गौयें लेकर आये , गोपियों ने कहा कुंज गळी रो हांटो मीठो मीठो , गांठ गांठ रो रस न्यारो न्यारो न्यारो रे । आवो कान्हा हांटो खइलो , देखो हांटा रो रस मीठो रे , मीठो मीठो मीठो रे । कान्हा गन्ने की लालच में उनके बीच आ गया । गोपियाँ बोलीं इस गन्ने का स्वाद नहीं चखा , इसकी पेरपेर का रस अलगअलग है । कान्हा ने कहा थोड़ा सा गन्ना मुझे भी दो । गोपियों ने एक पेर तोड़कर दी , उन्हें गन्ना बहुत मीठा लगा और कहा थोड़ा और दे दो । इतने में गोपियों ने उन्हें घेर लिया और राधा से कहा इसकी झूमर निकाल ले । राधा ने झूमर निकाल ली और गोपियों के साथ चलती बनी । कान्हा गायें घर ले गया और बाड़े में प्रवेश कराकर घर के ओटले पर खड़ा हो गया कि यशोदा माता कान में झूमर न देखकर पूछेगी तो क्या उत्तर दूँगा ? कान्हो ऊबो घर रा ओटख् ऊबो ओटे ओट अण झूमरी रा कारणें । कान्हो लोटे लोटे धूळा में , झूमर पाई वे तो दीजो । कान्हा ओटले पर खड़ा रहा और धूल में लोटने लगा और रोरो कर कहने लगा मेरी झूमर गिर गई है किसी को मिली हो तो दे दो । यशोदाजी बाहर निकलीं और कहने लगीं कान्हा मूंडो धोइली माखण खइलो , घमी गी तो घमणें दो कान्हा ऊबके घूड़इ दूँ मोटी मोटी मोटी । म्हारा कान्ह कुँवर री झूमर कोई पाई वे तो दीजो लालजी लादी वे तो दीजो , म्हारा भोळा कान्ह री झूमर कोई पाई वे तो दीजो । यशोदाजी कान्हा से कहती हैं कि कान्हा मुँह धो लो , मक्खन खा लो , गुम गई तो गुमने दो अबकी बार बड़ी झूमर घड़वा दूँगी । वे सभी से कहती हैं कि मेरे भोले कान्हा की झूमर किसी को मिली हो तो दे देना । कान्हा बात को छिपा रहा है सच नहीं बोल रहा है कि मैंने राधा का हार छीन लिया और राधा ने मेरी झूमर छीन ली । वह माता से कहता है कि गायें लड़ने लगीं मैं उनके बीच में आकर धूल मंे गिर पड़ा और झूमर निकलकर गिर पड़ी , खूब ढूँढ़ी पर न मिली । कान्हा माँ से पूछता है कि झूमर कितने रुपये की थी ? माता कहती हैं एरे रे मेरे हीरा जड़िय , विचमें सोवण धागो । म्हारा कान्ह कुँवरी झूमरी में , लाख रूप्यो लागो । झूमर पाई वे तो दीजो , म्हारा कान्ह कुँवर री झूमरी , कोइ ने लादी वे तो दीजो । एरे रे मेरे हीरा जड़िया , विचमंे लालां पोई , म्हारा कान्ह कुँवर री झूमरी , दड़ियां खेलत खोई खोई खोई । झूमर पाई वे तो दीजो , झूमर लादी वे तो दीजो । म्हारा नखराळा री झूमरी कोई पाई वे तो दीजो । यशोदाजी कहती हैं कि झूमरी के आसपास हीरे जड़े हुए हैं और सोने के धागे से पिरोई हुई है । उसके बीच में लालें भी पिरोई हुई हैं । झूमरी में लाख रुपये लगे हैं । लोगों से कहती हैं कि मेरे कान्हा की झूमरी गेंद खेलते हुए गुम गई है । मेरे नखराले की झूमर किसी को मिली हो तो देना । जनसमूह एकत्रित हो गया क्योंकि कान्हा की झूमर और वह भी हीरे मोती और लाल जड़ी हुई लाख रुपये की । यशोदा ने विचार किया कि ऐसे तो झूमर मिलेगी नहीं । नारदजी मथुरा में आये हुये हैं उन्हें बुला लो तो ही झूमर मिलेगी । मथुरा रे नगरी कागद मेल्यो , नारद ने बुलाओ । मथुरा रे नगरी कागद मेल्यो , नारद दवड्यो आयो । खुसी मनाओ मन रा माहीं , कान कुँवर री झूमरी राधा वना पावे नि । म्हारा . . . यशोदा ने नारदजी को पत्र लिखा , नारदजी दौड़े आये , उन्हें बात बताई । नारदजी बोले सभी मन में खुशी मनाओ , कृष्ण की झूमर राधा के बिना नहीं मिलेगी । राधा को बुलवाया और कहा झूमर कहाँ है ? राधा ने कहा मैंने नहीं ली । नारदजी ने कहा झूमर तूने ही ली है , दे दो । राधा कहती है मैंने नहीं ली है , आप लोग चाहें तो काळी देह ती नाग बुलइ लो , झूटी ब्यूं तो डसेला कालिया दह से नाग बुलावो और मेरे गले में डालो , मैं झूठ बोल रही होऊँगी तो मुझे डसेगा । धमण धमई दो गोळा तपय दो , झूटा वे वने दीजो । झूमर पाई वे तो दीजो . . . । राधा कहती हैं नहीं मानो तो भट्टी सुलगाओ और लोहे के गोले गरम करके मेरे हाथ में दे दो , मैंने ली होगी तो मेरे हाथ जलेंगे । नारदजी ने कहा राधा तेरे सिवाय झूमर का पता कोई नहीं बता सकता तू बता कहाँ मिलेगी ? राधा ने सोचा इस नारद की खोज मिटे , यह मेरे पीछे पड़ गया है , फजीते करा देगा । नन्दगाँव गोदाणा रा बीच में , खोजो खोज लगावे । बिरज भान री डावड़ी , यो उनको भरम बतावे । झूमर पाई वे तो दीजो , लालजी लादी वे तो दीजो । नखराळा री झूमरली , कोइ पाई वे तो दीजो । राधा कहती हैं कि नंदगाँव और गोदाणा के बीच में कोई खोज करने वाला पता लगाये । वृषभान की पुत्री उनको भेद बता रही है । इस प्रकार कहा तो सभी लोग बिखर गये और झूमर खोजने लगे । चुपके से राधाकृष्ण से मिली और कहा तेरी भी चुप और मेरी भी चुप और शाम को अँधेरा होने पर चुपके से आना , यह नारद पीछे पड़ गया है अपने फजीते करा देगा । सांझ पड़े दन आतमें ने , छानेछाने अइजो । हार तो देजइजो कानजी , झूमरली ले जइजो । झूमर पाई वे तो दीजो . . . राधा ने कहा शाम को सूर्यास्त के बाद चुपके से आना , मेरा हार दे जाना और झूमर ले जाना । राधा ने कहा वैसा ही कृष्ण ने किया और सभी मन में तो जानते ही थे कि झूमर राधा के ही पास है । कृष्ण झूमर लेकर आ गये और घर में शरमा कर बैठ गये । इस प्रकार प्रकरण समाप्त हुआ ।",bhili-bhb "रामलाल क फगुवा पहिले पहिले फगुवा खेलै रामलाल ससुरारी चललैं रुपया प‍इसा कपड़ा लत्ता कै के खूब तैयारी चललैं लेहलैं नया सरौता , बटुआ , कत्था , खड़ी सोपारी लेहलैं मेहर खातिर साबुन , पौडर , साया , ब्लाउज , सारी लेहलैं अपने खातिर लुंगी , जूता , बीड़ी अउर सलाई लेहलैं कई दुकानी चीखचीख के आधा किलो मिठाई लेहलैं हाथ गाल पर फेरै लगलन सोचै अ‍उर विचारै लगलन आस पास सैलून कहाँ हौ चारो ओर निहारै लगलन बनल ठनल एक औरत ल‍उकल खोंखैं अ‍उर खंखारै लगलन इसकूटर पर ममा देख‍इलन बढ़के ममा पुकारै लगलन नाहीं सुनलैं ममा भीड़ में नाहीं त बतियवले होतन पुछले होतन हाल घरे क आपन हाल बतवले होतन नाँहींनाँहीं लाख कहित हम तब्बौ चाह पियवले होतन अपने इसकूटर पर हम्मैं बस अड्डा पहुँचवले होतन सुनले हई शहर में मम्मा मामी नई लियायल ह‍उअन बड़की मामी गांव रहैले ओकरे पर गुस्सायल ह‍उअन रामलाल अब सरसमान कुल झोरा में सरियावै लगलन साबुन पौडर लुंगी जूता खोंसै अ‍उर दबावै लगलन बस से चली कि रेकसै अच्छा जोड़ै अ‍उर दहावै लगलन सोझैं खाली रेकसा ल‍उकल ’हे रेकसा’ गोहरावै लगलन बस से जाये क मतलब हौ पैदल ढेर चलै के होई रेकसा से सीधे दुआर पर कत्तौं ना उतरै के होई का हो रेकसा पूरे चलबा सोचा मत बस बोला जनला रेकसोवाला हँस के कहलस लेला उड़नखटोला जनला एतना जल्दी तोहके पूरे अब क‍इसे पहुँचाई हम हमहूँ हई अदमिये मालिक गरुड़ देवता नहीं हम ज‍इसे त‍इसे घंटा भर में रेकसा पार शहर के निकलल चारों ओरी जाम बेचारा चढ़ के कहीं उतर के निकलल मुँह पर डूबत बेर देख के रामलाल घबराये लगलन रेकसावाले पर रह रह के पिन्नाये भन्नाये लगलन एसे तेज चली ना हमसे जल्दी हो त खुदै चलावा आजिज आ के रामलाल तब कहलन अच्छा ब‍इठा आवा बारीबारी दूनों जाने बइठै अ‍उर चलावै लगलन एतना गड़बड़ रस्ता सरवा रामलाल गरियावै लगलन पाहुन अ‍इलैं पाहुन अ‍इलैं घर द‍उरल अगवानी खातिर केहू तोसक तकिया खातिर केहू मीठा पानी खातिर रामलाल क मेहर अपने भ‍उजी से बतियावत ह‍उवै पैदल त ई चलै न जानै अस सुकुआर बतावत ह‍उवै रेकसावाला मुसकियात हौ रामलाल त हाँफत ह‍उवैं गौर से उनके सब देखत हौ ऊहो सब के भाँपत ह‍उवैं हँस के बोलल चाहत हउवन लेकिन हँसी न आवत ह‍उवै अ‍इसैं मिलै सवारी मालिक रेकसावान मनावत ह‍उवै घर में चाह पियै के खातिर रामलाल बलवावल गइलन निखरहरै खटिया पर बिच्चे अंगना में बईठावल ग‍इलन भरमूंहे सब रंग लगवलस जमके भूत बनावल ग‍इलन साली करै चिकारी सटके सरहज गावै गारी बबुआ बबुई त ससुरारी ग‍इलिन तू अ‍इला ससुरारी बबुआ रामलाल निखरहरै खटिया फोंय फोंय फुफ्कारै लगलन हमरे नियर चलावा रेकसा सपनै में ललकारै लगलन ॥",bhojpuri-bho "वर निकासी के समय का गीत बना क्यों रे खड़ो दलगीरी से थारा समरथ दादाजी थारा सांत लाल क्यों रे खड़ो दलगीरी से थारा समरथ काकाजी थारा सांत ।",malvi-mup "एके तेल चढ़गे कुँवरि पियराय एके तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । दुवे तेल चढ़गे महतारी मुरझाय । । तीने तेल चढ़गे फूफू कुम्हलाय । चउथे तेल चढ़गे मामी अंचरा निचुराय । । पांचे तेल चढ़गे भईया बिलमाय । छये तेल चढ़गे भउजी मुसकाय । । साते तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । हरदी ओ हरदी तैं साँस मा समाय । । तेले हरदी चढ़गे देवता ल सुमरेंव । मंगरोहन ल बांधेव महादेव ल सुमरेंव । ।",chhattisgarhi-hne "गांधीजी के बारे में गांधी ने अंगरेज भजाया । अर भारत का मान बचाया । गंगा जल का लोट्टा । गांधी काट गिया टोट्टा । । जल भर्या लोट्टा चांदी का । यू राज महात्मा गांधी का । । देसी घी की भरी से कोल्ली । गांधी बाब्बू की जै बोल्ली । । भरी थाली यो चांदी की । जय बोलो महात्मा गांधी की । । नया जेवड़ा महं कोल्ली । गांधी जी की जय बोल्ली । । सेर बाजरा झोली में । झंडा टंग रह्या पोली में । । कोरा घड़वा नीम तले आजादी की जोत जले ।",haryanvi-bgc "आल्हा ऊदल मारे टापन के रोनन से रुदल के देल उठाय बोलल घोड़ा रुदल के बाबू पलटन इंदरमन के पहुँचल आय फाँद बछेड़ा पर चढि गैल पलअन में पहुँचल बाय बलो कुबेला अब ना चीन्हे जाते जोड़ देल तरवार पड़ल लड़ाइ इंदरमन में रुदल से पड़ गैल मार ऐसी लड़ाई सिब मंदिर में अब ना चीन्हे आपन पराय गनगन गनगन चकर बान बोले जिन्हके बलबल बोले ऊँट सनसन सनसन गोली बरसे दुइ दल कान दिहल नाहिं जाय दसो तिरंगा इंदरमन के रुदल काट कैल मैदान गोस्सा जोर भैल इंदरमन खींच लेल तरवार जौं तक मारल बघ रुदल के अस्सी मन के ढालन पर लेल बचाय ढलिया कट के बघ रुदल के गद्दी रहल मरद के पास बाँह टूट गैल रुदल के बाबू टूटल पं के हाड़ नाल टूट गैल घोड़ा के गिरल बहादूर घोड़ा से धरती पर गिरल राम राम चिचियाय पड़ल नजरिया है देवी रुदल पर पड़ गैल दीठ आइल देवी इंद्रासन के रुदल कन पहुँचल बाय इमिरित फाहा दे रुदल के घट में गैल समाय तारु चाटे रुदल के रुदल उठे चिहाय चिहाय प्रान बचावे देबी बघ रुदल के रुदल जीव ले गैल पराय भागल भागल चल गैले मोहबा में गैल पराय",bhojpuri-bho "156 जदों रांझना जाए के चाक बनया मझी सांभियां चूचक सयाल दीयां ने खबरां तखत हजारे विच जा पुजिआं कूमां1 उस अगे बड़े माल दीयां ने भाइयां रांझे दयां सयालां नूं खत लिखया जातां महरम जात देहाल दीयां ने मौजू चौधरीदा पुत चाक लायो एह नूं कुदरतां जल जलाल2 दीयां ने साथों रूस आया तुसीं मोड़ घलो ऊहनूं बाहरां रात दिन भाल दीयां ने जिस भूई तों रूसके एह आया क्यारियां बनियां पइयां इस लाल दीयां ने साथों वाहियां बीजीयां लये दाने अते महानियां3 पिछले सास दीयां ने महीं चार के वढयो नकसाडा साथों खूहनियां एसदे माल दीयां ने मही कटक नूं देके खिसक जासी साडा नहीं जुमा फिरो भाल दीयां ने एह सूरतां ठग जो वेखदे हो वारस शाह फकीर दे नाल दीयां ने",panjabi-pan "छोटा टोना बड़ा लोना गे माई छोटा टोना बड़ा लोना1 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना । टोनवा बाबुल2 जी के देस गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 1 ॥ अपने बने से मैं पनियाँ भरइहों3 रे । बिन ऊभन4 बिन डोल गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना । टोनवा बाबुल जी के देसे गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 2 ॥ अपने बने से मैं भात पकइहों5 रे । बिन हाँड़ी बिन डोइ6 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना । सासु को काहे का मलोल7 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 3 ॥ अपने बने से मैं धान कुटइहों8 रे । बिन उखली9 बिन मूसल गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 4 ॥",magahi-mag "सासु हमर रहे पक्का महल में, उनखा देहु बोलाइ सासु हमर रहे पक्का महल में , उनखा1 देहु2 बोलाइ । हमरा भेलइ3 नंदलाल , सुने ना कोई रे ॥ 1 ॥ गोतनी हमर रहे सीस सहल में , उनखा देहु बोलाइ । हमरा भेलइ हे गोपाल , जगे ना कोई रे ॥ 2 ॥ ननद हमर हे महल अटारी में , उनखा देहु बोलाय । हमरा के भेल हे होरिलवा4 जगे ना कोई , सुने ना कोई रे ॥ 3 ॥ सामी हमर हथ5 मालिन के सँग , उनखा देहु बोलाय । हमरा के भेल नंदलाल जगे न कोइ , सुने ना कोई रे ॥ 4 ॥",magahi-mag "कब के भये बैरागी कबीर जी कब के भये बैरागी कबीर जी , कब के भये बैरागी आदि अंत से आएँ गोरख जी , जब के भये बैरागी १ जल्मी नही रे जब का जलम हमारा , नही कोई जल्मी को जायो पाव धरण को धरती नही थी आदी अंत लव लागी . . . कबीर जी . . . २ धुन्दाकार था ऐ जग मेरा , वही गुरु न वही चेला जब से हमने मुंड मुंडायाँ आप ही आये अकेला . . . कबीर जी . . . ३ सतयुग पेरी पाव पवड़ियाँ , द्वापूर लीयाँ खड़ाऊ त्रैतायुग म अड़ बंद कसियाँ कलू म फिरीयाँ नव खंडा… . . कबीर जी . . . ४ राम भया जब टोपी सिलाई , गोरख भया जब टीका जब से गया हो जलम फेरा ब्रम्हा मे सुरत लगाई . . . कबीर जी . . .",nimadi-noe "नीकौ नई रजऊ मन लगवौ नीकौ नई रजऊ मन लगवौ , एइ सें करत हटकवौ । मन लागौ लगजात जनम खाँ , रौमंई रौंम कसकवौ । सुनतीं , तुमे सऔ ना जै हैं , सब सब रातन जगवौ । कछु दिनन में होत कछु मन लगन लगत लै भगवौ । ईसुर जे आसान नहीं है प्रान पराये हरवौ ।",bundeli-bns "आल्हा ऊदल बीड़ा पड़ गैल बघ रुदल के रुदल बीड़ा लेल उठाय मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले कड़ाम कड़ाम जलदी आल्हा के बोलवावल भाइ चलव हमरा साथ करों बिअहवा सोनवा के दिन रात चले तलवार गड्गन धोबी दुरगौली के बावन गदहा ढुले दुआर मुड्गर लाद देल गदहा पर लड़वयौ आफत काल दानी कोइरी बबुरी बन के सिहिंन लाख घोड़े असवार चलल जे पलटन बघ रुदल के जिन्ह के तीन लाख असवार रातिक दिनवाँ का चलला में धावा पर पहुँचल बाय डेरा गिरावे दुरगौली में डेरा गिरौले बाय जोड़ गदोइ रुदल बोलल भैया सुनीं आल्हा के देल बैठाय नौ सौ सिपाही के पहरा बा आल्हा के देल बैठाय रुदल चल गैल इंद्रासन में अम्बर सेंदुर किन के गैल बनाय एत्तो बारता बा रुदल के नैना गढ़ के सुनीं हवाल भँटवा चुँगला बा नैना के राजा इंदरमन के गैल दरबार रुदल के भाइ अल्हगं है दुरगौली में डेरा गिरौले बाय तीन लाख पलटन साथन में बा आल्हा के तैयारी बाय हाथ जोड़ के भँटना बोलल बाबू इंदरमन के बलि जाओं हुकुम जे पाऊँ इंदरमन के आल्हा के लेतीं बोलाय एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा बड़ मड्गन होय जाय जेह दिन लैबव आल्हा के तेह दिन आधा राज नैना के देब बटवाय",bhojpuri-bho "सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो सहेली चाली धौली मोटर कार आज म्हारे आ रही सखि हे नाई की बुलाल्यो ए के सीस गुन्दा ल्यो ए गाल्यो मंगल चार ज्ञान के गाल्यो ए पति हे मेरी गुट्ठी पहर रह्या हे रेसमी कुरता बटनां की लाग री लार तेज होवै खुड़का वोह् तो चलावै कार पति हे मेरा पट्ठे बाह रह्या हे",haryanvi-bgc "हंसा फिरैं बिपत के मारे हंसा फिरैं बिपत के मारे अपने देस बिनारे । अब का बेठें ताल तलईयाँ ? छोड़े समुद्र किनारे । चुन चुन मोती उगले उननें ककरा चुनत बिचारे । ईसुर कात कुटुम अपने सें , मिलवी कौन दिनारे ?",bundeli-bns "किधर तै आई दाई किधर ते आया नाई किधर तै आई दाई किधर ते आया नाई किधर तै आई नणंद बीजली या तेरी मां की जाई भीतर आजा मेरी नणंदी लगूंगी तेरे पाएं के मांगेगी दाई माई के मांगेगा नाई के मांगेगी नणंद बीजली या तेरी मां की जाई भीतर आजा . . . पांच रपइए दाई मांगै सवा रपइया नाई पच्चीस मांगे नणंद बीजली या तेरी मां की जाई भीतर आजा . . . पांच रपइए दाई ने देद्यो सवा रपइया नाई एक अठन्नी नणंद बीजली या तेरी मां की जाई भीतर आजा . . .",haryanvi-bgc "डेगेन केन इयां आयोम लियेन डेगेन केन इयां आयोम लियेन धरती चोजा लियेन डेगेन केन इयां आयोम धरती चोजा लियेन टेगेन धरती शेषनांगे फन लियेन टेगेन इयां बेटा धरती शेषनाग न फन लियेन टेगेन शेष नागो टोलेमा डेगेन केन इयां आयोम शेष नागा टोलेमा टेगेने शेष नागो शंकर गला हार आरुकेन इयां बेटा शेष नागो शंकर गला हार आरुकेन शेष नागो टोलेमा टेगेन इयां आयोेम शंकर भगवान टोलेमा टेगेना इयां आयोम शंकर भगवान टोलेमा टेगेने के शंकर भगवान पर्वत टेगेन केन इयां बेटा गंगा जमुना रे टोलेमा टेगेन केन इयां आयोम गंगा जमुना टोलेमा टेगेने गंगा जमुना शंकर भगवान ऊबा गोठी टेगेन आसमा जे शक्ति टेगेन के इयां आयोम आसमा जे शक्ति टेगेन आसमा ऐजा शक्ति टेगेन इयां बेटा आसमा ऐजा शक्ति टेगेन स्रोत व्यक्ति राधा , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "विवाह गीत झेला मोलवो वो बेनी , झेला पेहरो । झेला पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी । दुनिया देखे । हार मालवो वो बेनी , हार पेहरो । हार पर सुब रंग्यो छिब्रो मारि नानि बेनी । दुनिया देखे । बाष्ट्या मोलवो वो बेनी , बाष्ट्या पेहरो । बाष्ट्या पर बुब रंगि भात वो मारि नानि बेनी । दुनिया देखे । करूंदी मोलवो वो बेनी , करूंदी पेहरो । करूंदि पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी । दुनिया देखे । महिलाएँ गीत में दुल्हन से कहती हैं कि झेला खरीदो और पहनो । झेला में सभी रंग के फूल हैं , तुम्हें झेला पहने हुए सभी लोग देखेंगे । हार में सभी रंग के फूलों वाले छल्ले लगे हैं , पहनोगी तो दुनिया देखेगी । बाष्ट्या पर सभी रंग की डिजाइन बनी हुई हैं , पहनोगी तो दुनिया देखेगी । अन्त में करूँदी खरीदकर पहनने को कहती हैं । करूँदी पर सभी रंग के फूल बने हुए हैं , हनो । दुनिया देखेगी कि दुल्हन ने कितने अच्छे गहने पहन रखे हैं ।",bhili-bhb "अंगिका फेकड़ा अटकनमटकन , दहिया चटकन बर फूले , करेला फूले इरिचमिरिच मिरचाय के झावा हाथी दाँत समुद्र के लावा लौआ लाठी चन्दन काठी मार पड़ोकी पाँजड़ तोड़ । कागजपत्तर कलम दवात इटा पाटी सोने के टाट टाट गिरा दे पूरे आठ । चिल्लर पटपट , गंगा हो लाल हथिया सूढ़ ठुट्ठोॅ पीपर पतझाड़ कौआ कानोॅ , तेली बेमानोॅ मियाँ ढोलकिया , फूस कन्हैया । अलिया गे झलिया गे बाप गेलौ पुरैनिया गेे लानतौ लाललाल बिछिया गे कोठी तर छिपैयेैं गे बालू में नुकैयैं गे झमकलझमकल जैहियें गे सास केॅ गोड़ेॅ लगिहें गे ननदी केॅ ठुनकैहियैं गे । सुइया हेराय गेल खोजी दे नै तेॅ मैया मारबे करतौ ना । अट्टा ऐन्होॅ , पट्टा ऐन्होॅ धोबिया के पाट ऐन्होॅ कुम्हरा के चाक ऐन्होॅ बीचोॅ गामोॅ में मुकद्धम मुखिया बनी जइहोॅ तोंय राजा बेटा गोड़ोॅ लागोॅ , ठाकुर जी केॅ , धरती धरमोॅ केॅ साठी माय केॅ । बाप कहाँ गेल छौ ? ढाका बंगाला । कीकी लानतो ? पूड़ीमिठैइया । हमर्हौ देबे ? नै रे भैया । चिकना भरभर , चिकना भरभर । ताय पुड़ी ताय के के पकाय नूनू पकाय नुनूहैं खाय । गाय गेलौ रनेॅ बनेॅ भैंस गेलौ बीजू वनेॅ कानी भैंसियाँ धान खाय छै राजा बेटा हाँक दै छै घूबे तेॅ घूर गे धान फूसूर । करिया झुम्मर खेलै छी लीख पटापट मारै छी । बीजू रे बन्धवा कै चन्दवा ? एक चन्दवा । घोघो रानी कतना पानी अतना पानी , अतना पानी ?",angika-anp "कहमाँहि हरदी जलम लेले, कहमाँहि लेले बसेर कहमाँहि1 हरदी जलम लेले2 कहमाँहि लेले बसेर3 हरदिया मन भावे । कुरखेत4 हरदी जलम लेले , मड़वा में लेलक5 बसेर , हरदिया मन भावे ॥ 1 ॥ पहिले चढ़ावे बराम्हन लोग , तब चढ़ावे सभलोग , हरदिया मन भावे ॥ 2 ॥",magahi-mag "124 कैदो आखदा मलकिए भेड़िए नी तेरी धीउ नूं वडा चंचल चाया ई जाए नदी ते चाक दे नाल घुलदी एस मुलख दा अध गवाया ई मां बाप काजी सभे होड़ थके एस इक ना जीउ ते लाया ई मुंह घुट रहे वाल पुट रही थक हुट रही गैब चाया ई हिक हुट रहे सिर सुट रहे अंत हुट रहे मन ताया ई वारस शाह मियां सुते मामले नूं लंगे लुचेने फेर जगाया ई",panjabi-pan "मारी महिसागर नी आरे ढोल मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे वागे छे ढोल वागे छे . . . . गाम गाम ना सोनीडा आवे छे आवे छे हूँ लावे छे मारी माँ नी नथनियु लावे छे मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे गाम गाम ना सुथारी आवे छे आवे छे हूँ लावे छे मारी माँ नो बाजटीयो लावे छे मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे गाम गाम ना डोशीडा आवे छे आवे छे हूँ लावे छे मारी माँ नी चुन्दरियु लावे छे मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे वागे छे ढोल वागे छे . . . .",gujarati-guj "दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज झबियां में लागा आदा म्हारी सगी ननंद रा दादा झबियां में लागा आखा म्हारी सगी नणंद रा काका झबियां में लागा आंबा म्हारी सगी नणंद रा मामा झबियां में लागा हीरा म्हारी सगी नणंद रा बीरा झबिया में लागा मोती म्हारी सगी नणंद रा गोती ।",malvi-mup "बटोहिया सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्राण बसे हिमखोह रे बटोहिया एक द्वार घेरे रामा हिमकोतवलवा से तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया जाऊजाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से कामिनी बिरहराग गावे रे बटोहिया बिपिन अगम घन सघन बगन बीच चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वृछ केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से पपिहा के पीपी जिया साले रे बटोहिया सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया उपर अनेक नदी उमड़ि घुमड़ि नाचे जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया आगरा प्रयाग कासी दिल्ली कलकतवा से मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया जाउजाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ जहां ऋसि चारो बेद गावे रे बटोहिया सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस मोरे बापदादा के कहानी रे बटोहिया ब्यास बालमीक ऋसि गौतम कपिलदेव सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया रामानुजरामानंद न्यारीप्यारी रूपकला ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया जाउजाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया बुद्धदेव पृथु बिक्रमार्जुन सिवाजी के फिरिफिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही जन ' रघुबीर ' सिर नावे रे बटोहिया ।",bhojpuri-bho "79 बेले रब्ब दा नाम लै जा वड़िया होया धुप दे नाल जहीर1 मियां ओहदी नेक साइत2 रूजू आन होई मिले राह जांदे पंज पीर मियां रांझा वेखके तबहा फरिशतियां दी पंजां पीरां दी पकड़दा धीर मियां काई नढड़ी सोहणी बखश छडो तुसीं पूरे हो रब्ब दे पीर मियां हीर बखशी दरगाह थीं तुध तांहीं सानूं याद करीं पवे भीड़ मियां",panjabi-pan "एक दिन चूक जात सब कोई एक दिन चूक जात सब कोई केसऊ स्यानों होई । हय गज दन्त पुनीत चड़इया । चूक जात जे दोई । चूक जात मानस परखइया । परख रहे हैं खोई । चूकजात पुरानिक पाँडे वैरागी तपसोई । ईसुर कात चुगत न चूकै । होवै बड़ो अनोई ।",bundeli-bns "अच्छे लीला गोद मेरी अच्छे लीला गोद मेरी सोक लिलिहारी नाक पै बुलाक गोद रथ कौ सो पैय्या गालन को झुकादे दोनों लंग को पपैय्या होठों में बना दे एक कोयल कारी अच्छे लीला गोद मेरी . . .",haryanvi-bgc "बरात निकासी गांवे अवधपुर ले चले बरतिया चले बरतिया की गांवे जनकपुरी जाये वो दाई गांवे जनकपुरी जाये गांवे जनकपुरी जाये वो दाई गांवे जनकपुरी जाये कौने चढ़त हे गाड़ी अउ घुलवा गाड़ी अउ घुलवा कौने चढ़य सुख पलना वो दाई कौने चढ़य सुख पलना कौने चढ़य सुख पलना वो दाई कौने चढ़य सुख पलना रंगे चढ़त हे गाड़ी अउ घुलवा गाड़ी अउ घुलवा भरत चढ़य सुख पलना वो दाई भरत चढ़य सुख पलना भरत चढ़य सुख पलना वो दाई भरत चढ़य सुख पलना काकर सिर मा चांवर डोलत हे चांवर डोलत हे कौने टिपत हावे बाने वो दीदी कौने टिपत हावे बाने कौने टिपत हावे बाने वो दीदी कौने टिपत हावे बाने राजा दसरथ के सिर में चांवर डोलत हे चांवर डोलत हे लखन टिपत हावे बाने वो दीदी लखन टिपत हावे बाने लखन टिपत हावे बाने वो दीदी लखन टिपत हावे बाने राजा जनक के पट पर भांठा पट पर भांठा तम्बू लगे हे तनायें वो दाई तम्बू लगे हे तनायें तम्बू लगे हे तनायें वो दाई तम्बू लगे हे तनायें",chhattisgarhi-hne "होली पूजन तू आई वो बयण सालिया पाल हंव आई वो बयण भर उल्हाळे ॥ तू तो लाई बयण गोटी फटाका , न हंव लाई बयण लाल गुलाल ॥ तू तो लाई बयण गुंजिया पापड़ , न हंव तो लाई वाकड़ वेलिया ॥ तू तो आई बयण गाय का गोयऽ , हंव तो आई बयण खयड़े व बयड़ै ॥ तू तो आई वो बयण कार्तिक महने , हंव तो आई बयण फागण महने ॥ होली ओर दीपावली दोनों बहने हैं । होली बहन दीपावली से कहती है कि बहन तु सर्दी के दिनों में आयी और मैं गरमी में आयी । तू गोट्या पटाखा लायी और मैं गुलाल लायी । तू गुजिया पापड़ लायी और मैं जलेबी लायी । तू गौ के गोयरे आयी गौ पूजन मैं टेकरेटेकरी पर आयी । तू कार्तिक माह में और मैं फाल्गुन में आयी । दोनों त्यौहारों का समय वे किस प्रकार मनाते हैं , इसका वर्णन किया है ।",bhili-bhb "पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने पावी मामा बाकी सेने सरवन बेटा पावी जा मामा बाकी सेने पावी मामा बाकी सेने सरवन बेटा पावी जा मामा बाकी सेने चिरसो ईटान चिरसो बाना नी भुरुम केन्जा चिरसो ईटान चिरसो बाना नी भुरुम केन्जा सरावेन बेटा पावी मामा बाकी सेने सरावेन बेटा पावी मामा बाकी सेने पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने जूडो ईटान सोनारु कूला भूरुम केन्जा जूडो ईटान सोनारु कूला भूरुम केन्जा सरावेना बेटा पावी मामा बाकी सेने सरावेना बेटा पावी मामा बाकी सेने मिया के ढोम टाव का टावनी ईराकुजा मिया के ढोम टाव का टावनी ईराकुजा सरावेना बेटा बारी केढोम टाव का टाव ईराकू रे सरावेना बेटा बारी केढोम टाव का टाव ईराकू रे पावी मामा बाकी सेने सरावेना बेटा पावी मामा बाकी सेने सरावेना बेटा स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "पिबक्कड़ कौ पछताव नास हो जाबै ऐसौ नसा करत जो लाखन की दुरदसा बना दो बिगड़ी फिर सें राम , नसा कौ कभउँ न लैहैं नाम । घरै क्वॉरी मौड़ीं हैं सात कितै सें पीरे करहैं हाँत ? भए मौड़ा सब महा कुजात रोज थानें बुलवाए जात । पिबक्कड़ पै नइँ कोउ पतयात माँगहै घरघर हाँत पसार , न मिलहै एकउ टका उधार चितैहैं हम तर गटा निकार , भगा दें द्वारेइ सें दुतकार ; हाय अब कैसी करबें राम जगत्तर भर में भए बदनाम न रै गओ घर में एक छदाम । घरउवा घरीघरी पै रोउत न छिन भर कभउँ चैन सें सोउत भोर सें घरघर गोबर ढोउत फटौ आँचर अँसुअन सें धोउत डार कें पानी चुटिया गोउत । पियत रए हम तौ उतै सराब कुटुम खौं पी गई इतै सराब हाय जे घर के लाल गुलाब हमाए कारन भए खराब । हाय अब का हूहै करतार ? हूतौ जो सबकौ साहूकार भिखारी हो गयो बौ घरबार । लगतौ जी द्वारें दरबार उतै नइँ कुत्ता ढूँकन आउत दूर सें हमें देख गुरउित , बनाए जिनके सौसौ काम भूल गए बे सब दुआसलाम । नसा की जीजी में लत परी , जुआनी भइ बाकी अधमरी जिन्दगी , गगरी है रसभरी , फोर कें बा गगरी की तरी नसा नें सबरी बेरस करी । हाय बौ सावित्रीसी सती पिबक्कड़ हो गओ बाकौ पती , बिचारी ऊसइँ दुखिया हती मरत , बौ कानों जियत रती । करत ती रोटी ढाँकें मूँड़ पती नें मारो सिलगत डूँड़ । सती तौ हो गइ लोउलुहान , पिबक्कड़ चिपटो रोटी खान । संग में मरियल लला लुबायँ सती घर भगी टौरिया तायँ । सुमिर के पापी पति कौ नाम , कूँ नीचें सती धड़ाम , गिरतनइँ हो गओ कामतमाम । खड़े ठेका पै बे कबिराज मंच खौं करैं बसैलौ आज उतै बे तानसेन महराज उवाँ रए पीकें , रो रओ साज । निभा रए जे नेता कौ रोल नसाबन्दी पै रए जे बोल देख लो इनकी जेब टटोल धरें रम की बोतल अनमोल । देस की जिनके हाँत लगाम हाय बे बने उमर खइयाम । करौ होय जीनें बंटाढार काएखौं मिलहै घर में प्यार चड़ौ होय छाती फार बुखार छूटबै बिकट पसीनाधार पौंछहै नइँ कोउ हाँत पसार । करौ जब हमनें पाप प्रचण्ड काए ना मिलहै ऐसौ दण्ड नसा नें नास करे भुजदण्ड बोतलें चिलकत धरीं मुचण्ड करेजे के हो गए सौ खण्ड । केस हो गए अबइँ सें सेत हाय , सब चिड़ियाँ चुग गई खेत फाँकबे रै गइ माटीरेत भए हम जिन्दा भूतपरेत , सुबै क करकें धर दई साम हाय हम बने जेठ के घाम । नसा नें सबरे सुख लए लूट , भाग तौ तबइँ गए ते फूट पियौ जब हमनें पैलौ घूँट ; काँखरी में पउवा चिपकायँ पनइयाँ औंठन पै औंदायँ मूँछ पै सौ माछी भिनकायँ डरे रत ते द्वारें मौं बायँ । देख लो मोकों भइया हरौ नसा नें कैसौ हमखों चरौ हतौ जो घर सौने सें भरौ नसा नें बौ घूरेसै करौ जिन्दगी हती दसहरी आम नसा नें गुठली कर दइ , राम । हाय जौ गंगाजल कौ देस भोग रओ कैसौ कठिन कलेस , काए सें , जाँ देखै ताँ नसा पीतनइँ भूलत घर की दसा घुसी जी घर में जा करकसा हो गई बा घर की दुरदसा । देस में होबै सफल सुराज न घरघर गिरै गरीबी गाज बचै लाखन सतियन की लाज प्रतिज्ञा कर लो सबरे आज नसा खौं मानें सदा हराम , न लैहैं जियत नसा कौ नाम ; तभइँ उलछर पुरखन कौ नाम बनें भारत सुखसम्पत धाम न लैहैं जियत नसा कौ नाम ।",bundeli-bns "आल्हा ऊदल नौ सौ तोप चले सरकारी मँगनी जोते तीन हजार बरह फैर के तोप मँगाइन गोला से देल भराय आठ फैर के तोप मँगाइन छूरी से देल भराय किरिया पड़ि गैल रजवाड़न में बाबू जीअल के धिरकार उन्ह के काट करों खरिहान चलल जे पलटन इंदरमन के सिब मंदिर पर पहुँचल जाय तोप सलामी दगवावल मारु डंका देल बजवाय खबर पहुँचल बा रुदल कन भैया आल्हा सुनीं मोर बात करव तैयार पलटन के सिब मंदिर पर चलीं बनाय निकलल पलटन रुदल के सिब मंदिर पर पहुँचल बाय बोलल राजा इंदरमन बाबू रुदल सुनीं मोर बात डेरा फेर दव एजनी से तोहर महा काल कट जाय तब ललकारे रुदल बोलल रजा इंदरमन के बलि जाओं कर दव बिअहवा सोनवा के काहे बढ़ैबव राड़ पड़ल लड़ाइ है पलटन में झर चले लागल तरवार ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार भुँइयाँ पैदल के नव मारे नाहिं घोड़ा असवार जेत्ती महावत हाथी पर सभ के सिर देल दुखराय छवे महीना लड़ते बीतल अब ना हठे इंदरमन बीर चलल ले राजा बघ रुदल सोनवा कन गैल बनाय मुदई बहिनी मोर पहुँच वाय",bhojpuri-bho "482 हीर हो रूखसत1 रांझे यार कोलों आख सहतिए मता पकाइए नी ठूंठा भन्न फकीर नूं कढया ई किवें उसनूं खैर भी पाइए नी वहन लोहड़े पया वेड़ा शोहदयां2 दा नाल करम दे बनड़े लाइए नी मेरे वासते उसने लए तरले किवे उसदी आस पुचाइए नी तैनूं मिले मुराद ते असां माही दोवे आपने यार हडाइए नी होया मेल जों चिरी विछुनयां दा यार रजके गले लगाइए नी बांकी उमर रंझेटेदे नाल जालां जिवें मेरा भी मेल मिलाइए नी जीउ आशकां दा अरश हक दा ए किवे उसनूं ठंड पवाइए नी एह जोवना ठग बाजार दा ए सिर किसे दे एह चड़ाइए नी शैतान दियां असीं उसताद रन्नां कोई आ खां मकर3 फैलाइए नी बाग विच ना जांदियां सोहदियां हां किवें यार नूं घरी लिआइए नी गल घत पला मुह घाह लै के पैरो लग के पीर मनाइए नी वारस शाह गुनाह दे असी लदे चलो कुल तकसीर4 बखशाइए नी",panjabi-pan "गढ़वाली ठाट ”गुन्दरू का नाम बिटे 1 सिंगाणा2 की धारी छोड़िक वे को कुख वे की झगुली इत्यादि सब मेंला छन , गणेशू की सिपर्फ सिंगाणा की धारी छ पर हौरी चीज सब साफ छन । यां को कारण , गुन्दरू कि मां अल गसी3 , खलचट4 और लमडेर5 छ । मित्तर देखादों बोलेंद यख बखरा6 , रंहदा होला , मेलो7 खणेक धुलपट होयू छ , मितर तब की क्वी चीज इर्थे क्वी चीज उथैं । सांरा मितर तब मार घिचर पिचर होई रये । अपणी अपणी जगा हर क्वी चीज नी । मांडाकूंडा ठोकरियूं मां लमडण रंदन , पाणी का भाडज्ञें तक तलें देखा दों , धूल को क्या गद्दो जम्यू छ । यूं का मितर पाणी पेंण को भी मन नी चांदो । नाज पाणी की खत फोल , एक माणी पकोण कू तिकालन त द्वी माणी खतेई जांदन , अर जु कै डूम8डोकला , मिखलोई सणी देणां कू बोला त हे राम यां को नौ नी’ । “",garhwali-gbm "अरू तू रे जगत जग जागिया अरू तू रे जगत जग जागिया अरू जागिया छे चारी देव हो रंग बोल वे सुन्नारा कुँकड़ा अरू काशी रा विश्वनाथ जागिया अरू उज्जैन रा महाकाल देव अरू इन्दौर रा इन्द्रनाथ जागिया अरू भंवरासा रा भंवरनाथ जागिया अरू आष्टा रा अजपाल देव अरू तू रे जगत जग जागिया अरू जागिया छे चारी राव छज्जा से फलाणा राव जागिया अरू बऊ रे फलाणी बऊ रो कंत महल अटारी से जागिया फलाणा राव पालकी से फलाणा राव जागिया अरू जागिया छे चारी भांड मोरी में से फलाणा राव जागिया नारदे में से फलाणा राव जागिया संडास में से फलाणा जमई जागिया बेटी फलाणा रा गुलाम",malvi-mup "की हे जी, हाथे मा लोटिया बगल मा धोतिया की हे जी , हाथे मा लोटिया बगल मा धोतिया , जनक जी चले हैं नहाय की हे जी , आजु चौपरिया लिपायो मोरी रनिया , पूजब सालिगराम की हे जी , सुरहिनी गैया क गोबरा मंगायों , गंगा जमुनवा क नीर की हे जी , झुक धरि लीपन्ही बेटी जानकी , धनुष दिहिन खसकाय की हे जी , नहाई धोई जब लौटे जनक जी , पड़ी चौपरिया निगाह की हे जी , आजु चौपरिया कवन रनिया लीपिन , धनुष दिहिन खसकाय की हे जी , रोजु त लीपहि सोन चिरैय्या कौशल्या , तिल भरि सरकि न पाए की हे जी , आजु त लीपिन बेटी जानकी , धनुष दिहिन खसकाय की हे जी , इतनी बचन राज सुनयू न पायें , कीन्हि नगर मा शोर की हे जी , जो धनुहा तूरी लेइहैन वही कुलभूसन , सीता ब्याहि लई जाएँ की हे जी , यह प्रण कीहन्यो जो बाबा मोरे , तोर प्रण हमै न सोहाय की हे जी , जो धनुहा तोरि लैहैं बन के असुरवा हमका ब्याहि लई जाएँ ? ?",awadhi-awa "झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय उत क्यूँ ना बरसो बादली जित म्हारा बीरा री देस उत मत मरसे ए बादली जित म्हारा पिया परदेस तम्बू तो भीजै तम्बू की रेसम डोर चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय वै लस्करियां न्यूँ कहो थारी घर बाहण का ब्याह काला पीला जो कापड़ा कोए कन्या द्यो परणाय चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय वै लस्करियंा न्यूँ कहो थारी माय मर्यां घर आय माय नै दाबो बालू रेत में ऊपर सूल बबूल चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय वे लस्करियां न्यूँ कहो थारै कुंवर हूयो घर आय कोठी चावल घी घणो बैठी कुंवर खिलाय चार टकां दें गांठ का जे कोए लसकर जाय वे लस्करियां न्यूँ कहो थारी जोय मर्या घर आय जोय नै दाबो चम्पा बाग में ऊपर साल दुसाल झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय",haryanvi-bgc "हे फुलड़े तो बीन्हण हे फुलड़े तो बीन्हण म्हारी चलीए लाडली बाबल की फुलवाड़िआं हे एक फूल बीन्हा लाडो देा फूल बीन्हे तीजै मैं भरी ए चगेरिआं हे आगे तो मिल गया साजन का री बेटा लइए डपट्टे छाइओ हे सुण सुण हो जान के हो बेटे हम सां अखन कवांरिआं हे अखन कवांरी लाडो बड़ परवारी रूप घणा गुण आगली हे जद मेरा लक्खी बाबल ब्याह ए रचावै जब रे चलूंगी तेरी साथ में हे फुलड़े तो बीन्हण . . .",haryanvi-bgc "विवाह गीत छाबो भरि पापड़ अलग मेकसे । याहिणी वो लांगड़ चाई गुई । भाट्यो भरि दारुड़ो अलग मेकसे याहिणी वो लांगड़ पी गुई । छाबो भरि खार्या अलग मेकसे । याहिणी वो लांगड़ खाई गुई । समधन के लिए वधू पक्ष की स्त्रियाँ कह रही हैं हमारी समधन बहुत दुखी और पेटू है । समधन के सामने हमने बहुत से पापड़ रखे , वो सभी खा गई , पूरी दारू पी गई और सेंव भी खा गई , ये कैसी समधन है ?",bhili-bhb "चौपर है राजन के लानैं चौपर है राजन के लानैं जिनै जगीरी खानैं । बड़े भोर सें बिछो गलीचा ठान ओई की ठानैं । निस दिन तार लगी चौपर की , मरे जात भैरानें । कात ईसुरी जुरकै बैठत लबरा केऊ सयाने ।",bundeli-bns "नल बखरी मे लगवा दो साजना नल बखरी में लगवा दो साजना , बात मोरी नहीं टालना । बालम होत बड़ी हैरानी , हमखों भरन पड़त है पानी । घर में बैठी रहत जिठानी ननदी छोड़ गई गोबर को डालना । बात . . . सासो भोरई आन जगावे , हमखों पानी खों पहुंचावें , आठ बजे पानी भर पावें , परो मोड़ा रोवत मेरो पालना । बात . . . तुमरो दूर कुआं को पानी , भरतन मेरी चांद पिरानी तई में होय बैलन की सानी , दुपरै दस खेप ढोरन खों डारना । बात . . . कालों तुमखों हाल सुनावें , सब घर रोजई मूड़ अनावें , हम तो कछु अई नई कर पावें , होती रुचरुच के रोज की टालना । बात . . . भोरई उठ कर दफ्तर जइयो , रुपया पिया जमा कर अइयो बालम इतनी मान हमारी लइयो , नई तो पानी न जैहें हम बालमा । बात . . .",bundeli-bns "झूला डरो कनक मदिर मे झूला डरो कनक मंदिर में झूलें अवध बिहारी ना । राम लक्षिमन झूला झूलत , सिया दुलारी ना । झूला . . . भरत शत्रुहन मारत पेंगे , हनुमत , झलत बयारी ना । झूला . . . कोयल कूकत नाचत मोरा , शोभा देख निराली ना । झूला . . . सखियां सबरी कजरी गावे , खुशियां छाई ना । अवध में . . .",bundeli-bns "सभवा बइठल तोहें दादा सभवा बइठल तोहें दादा , सभे1 दादा उठिकर । हे साजहु बरियतिया उठिकर , हे साजहु बरियतिया उठिकर ॥ 1 ॥ मचिया बइठली तोहें दादी , सभे दादी उठिकर । हे साजहु डाला दउरवा2 उठिकर , हे साजहु डाला दउरवा उठिकर ॥ 2 ॥ ससुरा से आयती बहिन सभे , बहिनी उठिकर । हे आँजहु3 भइया अँखिया उठिकर ॥ 3 ॥ कथि4 लाय5 मुहँमा उगारब6 कथिलाय । हे आँजहु भइया के अँखिया उठिकर ॥ 4 ॥ तेल रे उबटन लाए मुहँमा उगारब । कजरवा7 लाय हे आँजब भइया के अँखिया उठिकर ॥ 5 ॥",magahi-mag "जमुना किनरवा जीरवा जलमि गेलइ जमुना किनरवा1 जीरवा जलमि गेलइ हे । फरी फूरी2 ओरझ3 हे ॥ 1 ॥ हथिया चढ़ल आथिन4 दुलरइता दुलहा हे । जिनखर5 पगिया रँगे रँगे हे । जिनखर अभरन6 रसे रसे7 हे ॥ 2 ॥ नदिया किनारे धोबिया धोवे लगल हे । सूखे देलक कदमियाँ तरे हे ॥ 3 ॥ हँसि हँसि पुछथिन कवन दुलहा हे । केकर बेटी के चुनरिया सुखइन हे । केंकर धिया के केचुअवा8 सुखइन हे ॥ 4 ॥ जिनखर चुनरी रँगे रँगे हे । जिनखर केचुआ अमोद बसे हे ॥ 5 ॥ कवन पुर के हथिन दुलरइता बाबू हे । उनखर बेटी के चुनरिया सुखइन हे । उनखर धिया के केचुअवा सुखइन हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "440 आकी होयके खेड़यां विच वड़ीए आशक हुसन दे वारसी जटीए नी पिछा अंत नूं देवना होय जिसनूं झुगा उसदा कासनूं पटीए नी जेहड़ा वेखके मुख निहाल होवे कीजे कतल ना हान पलटीए नी एह आशक वेल अंगूर दी ए मुढ़ों एसनूं ला पटीए नी एह जोबना नित ना होवना ए पैर यार दे धोयके चटीए नी लैके सठ सहेलियां विच बेले तूं ते धांवदी सैं नित जटीए नी पिछा ना दीजे सचे आशकां नूं जो कुझ जान ते बने सो कटीए नी दावा बन्नीए ते खड़यां हो लड़ीए तीर मारके पिछां ना हटीए नी अठे पहर वसारीए नहीं साहिब कदे होश दी अख तरटीए नी जिन्हां कौंत भुलाया छुटडां ने लख मौलियां महिंदीयां घतीए नी वारस चाट तोतड़ें1 नूं पिछों कंकरी रोड़ ना सटीए नी",panjabi-pan "जन्म गीत वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो । । बाळा का दाजी आव परदा लगाड़ दे , बाळ के छिपाई दीजो । । भगवान बाळो आम्यो । वांझा पार पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो । बाळा का मामा आओ , अरदा खोलि दीजो परदा खोलि दीजो । । बाळा के वताई देजो , भगवान बाळो आप्यो । । वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो । । भगवान ने बाँझ के घर बालक को जन्म दिया और पालना बँधवाया । बालक के दादा आओ और परदे लगाकर बालक को छिपा दो ताकि किसी की नजर न लगे । आगे मामा से कहा गया है किमामा आओ और परदे खोलकर बालक को दिखाओ ।",bhili-bhb "पंछी पंचक अरे जागा जागा कब बिटि1 च कागा उड़ि उड़ी करी . . . ‘काका’ ‘काका’ घर घर जगोणू तुमसणी । उठो गैने पंछी करण लगि गैने जय जय , उठा भायों जागा भजन बिच लागा प्रभुजि का । धुगूती धुगूती धुगति2 धुगता की अति भली भली मीछी बोलो मधुर मदमाती मुदमयी । हरी डांड्यो3 धुनि पर धुनि जो छ भरणीं हरी जी की गाथा हिरसि हिरसी स्या च करणीं । ‘कुऊ कूऊ कुऊ कुउ कुउ कुऊ कूउ कुउऊ’ छजो4 धारू धारू5 बणु बणु बिटी गूंजण लगीं । हिलांसू6 की प्यार जिउ खिंचण बारी रसभरी सुरीली बोली स्या स्तुति भगवती जी कि करद । . . . ‘तुही तूही तूही’ सुरम बणु मां सार सिंचिक , पुराणू शास्त्रू को मरम मय बोली बिमल मां । प्रभू की ख्याती कोयल च करणीं तार सुर से ”तु तूही में तूही महि सब हि तूही तुहि तुही“ टिटो7 च्यौलो म्यौली छितरि तितरी ढैंचु मंडकी रसीली तानू कू भरि भरि हरी जी कु भजद । उठा प्यारों प्यारी भिनसरि8 कि लूटा विभक्ता , छ जो छाई नाना प्रकृति जननी का रहसु से । ।",garhwali-gbm "112 बच्चा दुहां ने रब्ब नूं याद करना नहीं इशक नूं लीक लगवाना ई अठे पहर खुदाए दी याद अंदर तुसां ज़िकर ते खैर कमावना ई पीर देख के तबाअ1 निहाल होए हुकम कीता है रब्ब नूं धियावना ई वारिश शाह पंजां पीरां हुकम कीता बच्चा दिल नूं नहीं डुलावना ई",panjabi-pan "कथा खेत-खरयानन की तुम डिल्ली कीं बातें करौ बड़े भइया , हमें करन दो सेवा अपने गाँवन की ; तुम कारन पै मलकौ मालपुआ गुलकौ , हमें कहन दो कथा खेतखरयानन की । इन गावन में अपने पुरखा रहत हते , ठाँड़ी कर गए छायबनाय मड़इयँन कों ; रातरात सोई गीले में महतारी , पालपोस स्यानों कर गइ सब भइयन कों । खेतन की माटी सरसक्क पसीना सें , दोदो बीघा भूम सकल सम्पदा हती ; कोहरीं , चना , मुसेला धमके काम करो , घी कीं चुपरीं बाँटत रहे खबइयन कों । देखौ कभउँ जाय कें उन रौगड़ियन पै , अभउँ डरी है धूरा उनके पाँवन की । इन गाँवन में बारे सें उचकेकूँबे , हिलमिल खेले खेल , बनाए घरघूला ; तलातलइयाँ सपरे , खेतन में लोटे , दिनदिन भर सावन में झूलत ते झूला । ज्वानी अपओंबिरानो लैकें चढ़ आई , आँतहिलोरो भइया तब बैरी बन गओ ; घूरे पै गारीगुल्ला मुड़कटइ भई , फाँसी पै टँग गए मतइयाँ मनफूला । उन दोउन के लरका जूझ करइयाँ हैं , लै लई है सौगन्ध उन्हें समझावन की । गाँवन के त्योहार लगत हैं तेरहिंसे , अब न भरै कोउ स्वाँग न बजत नगाड़े हैं , ज्वानन की कढ़ आईं कुथरियाँ पेटन कीं , और पथनवारे बन गए अखाड़े हैं , अब न गाँव की बेटी सबकी बहिन रही अब न गाँव के लरका ऊके भइया हैं ; कढ़न न पाबैं हारखेत बहुएँ बिटियाँ गैलघाट में ऐसे चरित उभाँड़े हैं । हमें बेंदुलाचढ़वइया बन जानें है , चन्द्रावल की धरीं भुजरियाँ सावन कीं ।",bundeli-bns "आल्हा ऊदल किरिया धरावल जब लहरा सिंह रुदल जियरा छाड़व हमार नैंयाँ लेब बघ रुदल के एतनी बोली बघ रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय फिर के चलि भेल बघ रुदल लहरा दोसर कैल सरेख खैंचल तेगा जब लहरा सिंह बाबू लिहल अली के नाम जौं तक मारल बघ रुदल के देबी झट के लिहल बचाय बरल करेजा बघ रुदल के रुदल कूदल बवन्तर हाथ जौं तक मारल लहरा के भुँइयाँ लोथ फहराय भागल फौदिया जब लहरा के जब नैना गढ़ गैल पराय लागल कचहरी इंदरमन के जहाँ तिलंगा पहुँचल जाय बोलै तिलंगा लहरा वाला राजा इंदरमन जान बचाई मोर एतनी बोली सुनल इंदरमन बाबू मन में करे गुनान पड़ गलै बीड़ा इंदरमन के राजा इंदरमन बीड़ा लेल उठाय हाथी मँगावल भौंरानंद जिन्ह के नौं मन भाँग पिलाय दसे तिलंगा ले साथन में सिब मंदिर पहुँचल जाय घड़ी पलकवा का चलला में सिब मंदिर पहुँचल जाय बाँधल घोड़ा रुदल के पलटन पर पड़ गैल दीठ घीचै दोहाइ जब देबी के देबी प्रान बचावव मोर आइल देबी जंगल के बनस्पती देबी पहुँचल आय घोड़ा खोल देल बघ रुदल के घोड़ा उड़ के लागल अकास रुदल सूतल सिब मंदिर में जहवाँ घोड़ा पहुँचल बाय",bhojpuri-bho "भरथरी लोक-गाथा - भाग 9 धरय चिमटा भरथरी पांच पिताम्बर ओ का तो गोदरी ल ओढ़त हे टोपी रतन जटाय देखतो पहिरत हे भरथरी रेंगना रेंगय राम कोसेकोसे के तो रंेगना ये एक कोस रेंगय दूसर कोस , दसे कोस बइरी का रेंगय बीस कोसे ये ओ तीस कोसे के अल्दा म गढ़ उज्जैन राम जिहां हबरत हे भरथरी धुनि लेवय जमाय का तो बइठत हे धुनि मँ डंका देवय पिठाय सुन लेवा रानी गढ़ उज्जैन के ओ , सुनले रानी भीख ले आवा ओ , भाई ये दे जी । अतका बानी न रानी सुनत हे रंगमहल मँ राम साते बइरी सतखंडा ये सोला खण्ड में ओगरी बत्तीस खंड अधियारे न साये गुजर म ओ जाई बइठे सामदेई नैना देखय निकाल का तो झरोखा ले झाँकय धुनि लेहे रमाय भरथरी राजा ह बइठे हे जोगी के धरे भेख तऊने ले देखत हे सामदेई , राजा ये दे जी । रंगमहल ले आवत हे थारी मोहर ये ओ धरे हावय रानी सामदेई आंगन म हीरा बारापाली के साये गुजर ले ओ नहकत चले आवय सामदेई भरथरी मेर आय जऊने मेर धुनि रमाय हे बानी बोलत हे राम सुनले राजा मोर बात ल जोग साधे ह हो जोग ल बइरी तु छोड़ देवा कऊने कारण राजा पर के नारी मोर बिहाव करेव रंग महल म ओ काबर लाये हव तुँ राजा , भाई ये दे जी । अतका बात ल सुनके भरथरी ये राम का तो बोलत हावय बाते ल सुनले रानी मोर बाते ल का गत होतिस बाचतेंव करम बाँचे नई जाय मोर करम जोगी लिखे हे सुनले कइना मोर बात जोग साघ लिहेंव कहत हॅव बानी बोलत हे राम नई तो मानत हावय रानी ये सुन राजा मोर बात राजपाट ये दे तोला न दस लाख ये ओ हाथी ल तोला मय का देवॅव बीस लाखे बइरी सेना सुबह मंगा देहव ये दे अंगना म कथरी देहव सिलाय टोपी म रतन जड़ देवॅव धुनि लेवॅव रमाय अंगना मँ बइठ जावा तुम जोगी , भाई ये दे जी । झन जावा गोरखपुर म जोगी झन बना राम अइसे बोलत हे रानी हर नई तो मानत हे बात अब तो बोलय भरथरी हर सुनले रानीमोर बात जोगे ल न तो मय छोडॅ़व भीख दे दे कइना अइसे बानी ल रानी बोलत हे सुनले राजा मोर बात घर के नारी मय तुँहरे अॅव जोग झन साधा ओ रंगमहल मँ आनन्द करॅव राज पाट तुँहार धन दौलत के हे का कमी हीरा मोती जवरात छय आगर छरू कोरी सइना हे रंगमहल मँ आज कतका सजाये हे रंगमहल बानी बोलत हे राम , नई तो मानय भरथरी ह , भाई ये दे जी । का तो भरथरी समझावत हे जोगी रुपे ल वो आज तो कइना मँय धरेंव राज छोड़ देहॅव ओ ना तो चाही मोला धनदौलत ना तो लतका सजाव ना तो हाथीघोड़ा चाही वो ना तो चाही नारी ना तो मोला घर के तिरिया मोला जोग चाही अइसे बानी ल रानी ल बोलत हे गुरु गोले हे ओ भीख माँगे तोर अंगना म आयेंव भीख दे दे कइना अइसे बानी ल रानी ल का बोलय , भाई ये दे जी । दे देबे दाई भीख ल मुख से निकला हे राम जेला सुनय सामदेई हर मुर्च्छा खावत हे राम का तो भुईयाँ मं गिरय घर के जोड़ी ह राम का तो भुईयाँ म बइरी गिरत हे घर के जोड़ी ये ओ कइसे दाई कहिसे भेदे जानिस हे का अइसे गुनत हावय सामदेई भिक्षा दे दे कइना बेटा कहिके थारी ल झोला भंडार दे हमार अइसे बानी ल राजा बोलत हे , रामा ये दे जी । का तो रानी बानी बोलत हे सुन चम्पा मोर बात घर के राजा ल समझावव ओ बात नई सुनत न अइसे बानी ल कइसे कहॅव मॅय चम्पा बोलत हे राम सुनले रानी मोर बाते ल भरथरी के ओ बहिनी हावय कहिके बोलत हे गढ़नराकुल म आज जेला बला लेवा रानी ओ , भाई ये दे जी । लेके जावत हे राम का तो धवनिया ह दौड़त हे एक कोसे रेंगय दुई कोस बइरी तीन कोस , दस बीसे ओ तीस कोस के ओ अल्दा म नराकुल सहर म ओ , जाई हबरत हे देख तो ओ ए धवनिया ये राम लिखे पाती ल बाँचत हे पहली पाती ल बइरी का बाँचय जेमा लिखे जोहार तेकर पाछू लिखत हे भइया तुँहरे ओ मिरगिन बइरी , मिरगा मारे मिरगिन के लागे सराप जोग साधे हवय भरथरी पाती बाचत हे राम कलपीकलप रानी मैना ये बइरी रोवत हे राम काय धन करॅव उपाय ल आज तीज तिहार जब तो भइया लेनहार ये नई तो आये दीदी , मिरगा के लागे सराप ये , रामा ये दे जी । सुनले बेटा गोपीचंद रे आज ममा तुहार मिरगा सराप में का लगे धुनि देहे रमाय जोग ल साधे बइठे हे घर के अँगना हमार चल ना बेटा समझाये ल भरथरी के ओ भांचा आवय गोपीचंद संग मा मैना ये राम देख तो दीदी कइसे आवत हे गढ़ उज्जैन म आज का बाधी चल रेंगत हे , राम ये दे जी । घोड़ा ल साजत हे गोपीचंद ये राम बारा मरद के साज ल कसय रेंगना रेंगत हे राम मंजिलमंजिल के तो रंगना मंजिल नहकत हे चार का तो हटरी बजारे ल बइरी नहकत हे ओ कदली के बइरी कछारे ल कइसे नहकत हे राम देखतो दीदी रथ भागत हे लस्कर साजे हे राम जावत हे रानी का गुनय मैना ये दीदी गोपीचंद जेकर संग म चले आवत हे राम गढ़ उज्जैन मँ आई के , रामा ये दे जी । का तो पड़ाव ल डालत हे गांव के मेंढ़ में ओ कइसे विधि गोपीचंद ये का तो पड़ावे ल डालत हे गोपीचंद ये ओ जेकर मातामैना रानी ये चले आवय दीदी घर म पहुँचे हे के कहय सामदेई सुनले मोर बाते ल भइया तुॅहार जोग साधे समझा दे न ओ , घर के तिरिया रानी बोलत हे , रानी ये दे जी । अतका बानी ल सुनत हे मैना रानी ये ओ भइया के तीरे म जावत हे भइया सुनले न बात काबर भइया तॅय जोगी बने मिरगा लगे सराप सुनले न बहिनी मैना ओ एक बहिनी अस ओ एक आंखी के तारा अस सुन मोर बात कइसे बानी तोला का कहॅव गुरु गोरखनाथ के बात मोला लागे हे भीख माँगे ल ओ घर म आयेंव हॅव भीख नई देवय ओ तॅय तो समझा दे सामदेई ल बेटा कहिके भीख दे देतीस बहिनी ओ , भाई दे दी जी । अतका बानी ल सुनत हे मैना ये राम का तो धरती बइरी फाट जातिस नारी न ल माता कहत हे मोर भइया ये ओ मिरगा के लागे सरापे ह देख तो साधत हे जोग घर के बात ल मोर नई मानय गोपीचंद ल ओ मैना रानी का बोलय सुन बेटा मोर बात ला जावा समझाव ग ममा ल ये दे आज गा तुँहार अइसे बानी ल बोलत हे गोपीचंद ह ओ ममा ल देय समझाये ना सुनले ममा मोर बात जोग ल तुम ममा छोड़ देवो जोग साधे के हो आज तुँहार दिन नइ तो हे अइसे बोलत हे राम जेला सुनत हवय भरथरी सुनले भांचा हमार पईयां लागव बारम्बार ग जोग नई छोड़ॅव ना अइसे बानी ल भरथरी ह बोलत हे राम , रामा ये दे जी । न तो हरके ल मानत हे न तो बरजे ल राम न तो मॉनय भरथरी ये गोपीचंद ये ओ जेकर माता मैना रानी सामदेई ल ओ जाके दीदी समझावत हे सुनले रानी मोर बात भइया ल दे देवा भीखे न छतरी के जनम नई तो छेड़ॅय बइरी जोग ल कइसे देवत हे ओ थारी म मोहर धरत हे कथरी ल हीरा पांच पिताम्बर के लावत हे टोपी रतन जटाय देख तो दीदी हाथी लावत हे ये दे हाथी म ओ हीरा मोती ल बइरी लादत हे लस्कर ल सजाय देख तो दीदी बइरी मोर सइना ये कइसे साजि के ओ कइसे दीदी चलि आवत हे ओ भिक्षा ले लव राजा अइसे बानी ल हीरा का बोलेय , रानी ये दे जी । भीख ल द्यरे भरथरी रेंगना रेंगय राम तेकर पाछू सामदेई चले जावय दीदी सगे म जेकर रेंगत हे रेंगना रेगय ओ लस्कर सजाय हावय रानी जेकर पाछू म चले जावत हे गढ़ उज्जैन के ओ छय लाख छय कोरी सेना ये चले जावत हे संग गोरखपुर के डहर का तो पानी ल बइरी पियत हे पाछू के सैना ये ओ चिखला चाटंत बइरी जावत हे गोरखपुर मँ राम जाके डेरा ल बइरी डारय ओ , रामा ये दे जी ।",chhattisgarhi-hne "वेदे कि तार मर्म जाने (बाउल) वेदे कि तार मर्म जाने ये रूप साँइर लीलाखेला आछे एइ देह भुवने । । पंचतत्व वेदेर विचार पंडितेरा करने प्रचार , मानुष तत्व भजनेर सार वेद छाड़ा वै रागेर माने । । गोले हरि बलले कि हय , निगूढ़ तत्व निराला पाय , नीरे क्षीरे युगल हय साँइर बारमखाना सेइखाने । । पइले कि पाय पदार्थ आत्म तत्वे याराभ्रान्त लालन बले साधु मोहान्त सिद्ध हय आपनार चिने ।",bengali-ben "जुनख्यालि रात च छोरी जुनख्यालि1 रात च छोरी । कनै हैंसि तू ? गाड2 पाणि अफ नि पेंदि फल नि खाँदा डाला अन्न तैं भि भूख लगद तीस मेघमाला । हर फूल जो स्वाणो3 स्वाणे ही नि होंदो बात को अन्ताज होंद निस्तुको नि होंदो । छूँ लगाई लाख , मगर छपछपि छू लगद क्वी औखियों मा दुनिया बसद दिल भितर बसद क्वी गाड द्यखण पड़द पैले स्वाँ कु मरद फाल4 भक्क कख मरेंद भौं5 कै बाँद6 पर अँग्वाल7 । भूको ब्वद वलि गदनी अधणो ब्वद पलि गदनी । अपणा दिलै मी जणदू त्यरि जिकुड़ो8 कन च कनी ।",garhwali-gbm "58 उठीं सुतया सेज असाडड़ी तों लम्मा सुसरी वांग की पया हैं वे राती किते उनींदरा कटो ई ऐडी नींद वाला लुड़ गया हैं वे सुन्नी देख नखसमड़ी सेज मेरी कोई आलकी आन ढह पया हैं वे इके ताप चढ़या जिन्न भूत लगे इके डैण किसे भख लया हैं वे वारस शाह तूं जींवदा घूक सुत्तों इके मौत आई मर गया हैं वे",panjabi-pan "होली बी खेले ढप बी बजा होली बी खेले ढप बी बजा कै गलियां में उडए गुलाल कहियो मुरैटण तै होली खैलण आवै नवाब हंसली घड़ावै फिरंगी को लड़को कठलो घड़ावै नवाब कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो लाज कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब लहंगो सिंवावै फिरंगी को लड़को स्यालू सिंवावै नवाब कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब बाजू घड़ावै फिरंगी को लड़को लूमा जड़ावै नवाब ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो ल्हाज",haryanvi-bgc "रणू रौत (रावत) सिरीनगर1 रन्द छयो , राजा प्रीतमशाई , कुलावाली कोट मा , रन्दी रौतू औलाद । हिंवा रौत को छयो भिवाँ रीत , भिंवा रौत को छयो रण रौत । रणू रौत होलो मालू2 मा को माल , जैको डबराल्या3 माथो छ , खंखराल्या4 जोंबा5 , घुण्डौं6 पौंछदी भुजा छन जोधा की , मुंगर्याली7 फीली8 छन , मेरा मरदो । माल की दूण9 रांजड़ा ऐन , तौन कागली10 सिरीनगर भेज्याले । रुखा रुखा बोल लेख्या तीखा लेख्या स्वाल । बोला बोला मेरा कछड़ी11 का ज्वानू मेरा राज पर कैन त यो धावा बोले ? मेरा गढ़वाल मा कु इनु माल12 होलू जु भैर13 का मालू तैं जीतीक लालू । तबरेक उठीक बोलदू छीलू भिमल्या , ई तरई को माल होलो कुलवाली कोट , हिंवा रौतन तरवार मारे । रणू रौत् भी तरवार मारलो । रणू रौत होलो तरवान्या ज्वान , जैका14 मारख्वाल्या15 छन बेला16 , जैका चौसिंग्या17 खाडू18 होला , खोल्या होता कुत्ता । कुलावाली कोट को वो रणू रौत , मेरो भाणजो मालू साधीक लौलो । प्रीतमशाई माराज तब कागली19 लेखद , हे बुवा रणू रौत तू होलू बांको भड़ , भात खाई तख , हात धोई यख , जामो20 पैरो तख तणी21 बाँधी यख । कागली पौछीगे रौत का पास । तब बांचद कागली रौत शेर जसा22 मोछ छया रौत , तैका मणि23 का मान धड़कन लै गैन , तैकों हातू की मुसली24 बबलाण25 लै गैन , कण्डील26 वंश को कांडो जजरान्द27 , निरकुलो पाणी डाली सी हिरांद28 । तब धाई29 लगौन्द रण राणो भिमला , मैं त जांदू राणी सैणी30 माल दूण , मेरा वासता पकौ निरपाणो खीर । राणी भिमला तब कुमजुल्या31 ह्वैगे , नयी नयी माया छै ऊँ की ज्वानी की , नयों नयों ब्यौं छो ? राणी भिमला डाली सी अलस्यैगे । छोड़दी पथेणा , नेतर रांगसा बुन्द मैं छोड़ीक स्वामी तुम जुद्धक पैट्या , सुमरदो तब रौत देबी झालीमाली , ढेबरा32 लुकदा , बाखरा लुकदा , मर्द कबी नी रुकदा , शेर कबी नी डरदा , लुबा जंगी जामा पैरेण लैग्या , सैणा33 सिरीनगर ऐ गए रणू , जैदेऊ माल्यान गर्दनी मालीक । हे रौत आज को जैदेऊ त्वैक च बुवा । तू छै मेरा रणू मालू मा को माल , त्वैन मारणन बेटा त्वै चटा माल । राजा को आदेसू पैक रौत चलीगे , माल की दूण कुई माल बोदा ये तैं चुखनी 34 चुण्डला35 , आँगूली36 मारला तब छेत्री को हंकार चढ़े रौत , मारे तैन मछुलीसी उफाट , छोड़े उडाल तरवार । तैन मुण्डू37 का चौंरा38 लगैन , तैन खूनन घट्ट रिंगैन39 मरदो । तै माई मर्दू का चेलान मरदो , सी केला सी कच्यैन , गोदड़ा सी फाड़ीन । बैरी को नी रखे एक , ऋणना कोसी शेष । छीलू भिमल्या छयो रणू को मामा , तै मामा को एक नौनो होलो झंक्रू । झंक्रूहोलो मातो40 उदमातो41 , राणियों को रौंसियो42 होलो वो , फूलू को हौंसिया43 । रणू रौत की बौराणी44 भिमला पर वैकी लगीं छै आँखी । रणू तैं जुद्ध मा जायूं सुणीक वो चली आये भिमला का पास । सेवा मानी मेरी बौ45 भिमला । ज्यू जागी दिऊर लाख बरीस । धोलीन झंकरुन टलपला आँसू हे मेरी बौ , दादू46 मरीगे माल की दोण47 तनी न वोल मेरा द्यूर48 झँकरु , उ मालू मा का माल छन , ऊं सणी कु मारी सकदो ? सची माण मेरी बौ भिमला । मैं दादू की गति49 करि आयूं मुगति । तब राणी भिमला कनी कदी कारणा ? छोड़दे पथेणा50 नेतर राँग51 जसा52 बुन्द तब झंक्रू बुझौणी बुझौदबौ , मामा पुफू का भाई होन्दान , कका53 बड़ौ54 का दाई55 , जनो माल दिदा छयो तनी मैं भी छऊं । मैंन आज दादू का पलंका सूतो56 होण , मैंन दादू की थाल ठऊँ जिमण । एक बात बोली द्यूर हैकी ना बोली , मैं शेरना की सेज स्याल नी सेवाल्दो , मैं स्वामी की थाल कुत्ता नी जिमौंदू । माल की दूण रणू रौत सूतो छयो , झाबीमाली देबी वैका सुपिना चलीगे । चचलैक57 उठे रणू झबकैक58 बैठे मेरी कुलावाली कोट कु चोरड़ा59 आइगे । लत दिन रात कैक रणू घर पौंछे , रात चौक मा तब तैको जोड़ो60 बजीगे । जोड़ो बजीगे , घोड़ो खंकरैगे61 : चोर जार कू नीन्दरा नी होन्दी , झंक्रू का तरेण्डा62 टुटी गैन खड़ी उठ हे मेरी बौ63 भिमला । भेर बजीगे माई को जोड़ो , घोड़ो खंकरैगे । थरथर कम्पद झंकरू राम राम जम्पद अलै जाँदू64 बलै मेरी बौ भिमला । मैं छनी आज बचौ ।",garhwali-gbm "दस पाँच सखिया मिली, चलली बजरिया रामा दस पाँच सखिया मिली , चलली बजरिया1 रामा । ओहि2 ठइयाँ3 टिकुली रे , भुलायल हो राम ॥ 1 ॥ कहमा4 महँग5 भेलइ6 टिकुली सेनुरवा रामा । कहमा महँग भेलइ , बालम हो राम ॥ 2 ॥ लिलरे7 महँग भेलइ , टिकुली सेनुरवा रामा । सेजिए महँग भेलइ , बालम हो राम ॥ 3 ॥ कहमा जो पयबइ8 हम , टिकुली सेनुरवा रामा । कहमा पयबइ अपन बालम हो राम ॥ 4 ॥ बजरे9 में पयबइ हम , टिकुली सेनुरवा रामा । ससुरे पयबइ अप्पन बालम हो राम ॥ 5 ॥ के मोरा लाइ देतइ10 टिकुली सेनुरवा रामा । करे मिलयतइ11 अप्पन बालम हो राम ॥ 6 ॥ देओरा12 मोरा लाइ देतन टिकुली सेनुरवा रामा । सतगुरु मिला देतन बालम हो राम ॥ 7 ॥ कहत कबीर दास पद निरगुनियाँ हो रामा । संत लोग लेहु न बिचारिय13 हो राम ॥ 8 ॥",magahi-mag "मुने एकली जानी ने मुने एकली जाणी ने कान ऐ छेडी रे . . . . मारो गरबो ने मेली ने हालतों था . . नही तो कही दऊँ यशोदा ना कान माँ . . . मुने एकली जाणी ने कान ऐ काने छेडी रे . . बेडलुं लैने हूँ तो सरोवर गई थी . . पाछी वडी ने जोयु तो बेडलुं चोराई गयू मारा बेडला नो चोर मारे केम लेवो खोळी पछी कही दऊँ यशोदा ना कान माँ . . . मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे . . मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे . .",gujarati-guj "माटी कुदम करन्दी यार माटी कुदम करन्दी यार । माटी जोड़ा माटी घोड़ा , माटी दा असवार । माटी माटी नूँ दौड़ाए , माटी दा खड़कार । माटी कुदम करन्दी यार । माटी माटी नूँ मारन लग्गी , माटी दे हथिआर । जिस माटी पर बहुतीमाटी , तिस माटी हंकार । माटी कुदम करन्दी यार । माटी बाग बगीचा माटी , माटी दी गुलज़ार । माटी माटी नूँ वेक्खण आई , माटी दी ए बहार । माटी कुदम करन्दी यार । हस्स खेड मुड़ माटी पाओं पसार । बुल्ला एह बुझारत बूझें , लाह सिरों भुँए मार । माटी कुदम करन्दी यार ।",panjabi-pan "अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यूं कंवर बुलाए अपने बाबा की मैं लाख सौगन्ध खाऊं मैं नहीं कुंवर बुलाये बाबा रूप देख वर आये अपने बाबल के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आए मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यों राव बुलाये अपने बाबल की मैं लाख सोगन्ध खाऊं मैं नहीं कुंवर बुलाये बाबल रूप देख वर आये",haryanvi-bgc "198 काज़ी महकमे विच इरशाद1 कीता मन शरह दा हुकम जे जीवना ई बाअद मौत दे नाल ईमान हीरे दाखल विच बहिश्त दे थीवना ई नाल जौक ते शौक2 दा नूर शरबत विच जनतउलअदन3 दे पीवना ई चादर नाल हया दे सतर4 कीजे काहे दरज हराम दी सीवना ई",panjabi-pan "वे दिल जानी प्यारेआ आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ , केही चेटक लाया ई मैं तेरे विच्च ज़रा ना जुदाई1 , सात्थों आप छुपाया ई । मज्झीं आइआँ राँझायार ना आया , फूक बिरहों डोलाया ई आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ । मैं नेड़े मैनूँ दूर क्यों दिस्नाऐं , सात्थों आप छुपाया ई । आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ । विच्च मिसरदे वाँग जुलैखां घुँघट खोल्ह रूलाइआ ई । आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ । सहु बुल्ले दे सिर विच्च बुरका , तेरे इशक नचाया ई । आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ । केही चेटक लाया ई ।",panjabi-pan "चउका चढ़ि बइठलन कवन बाबू चउका1 चढ़ि बइठलन कवन बाबू । जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे ॥ 1 ॥ ए राम , असरे पसरे2 चुनरी भींजल ना । रउरा परभुजी बेनियाँ3 डोलावऽ ना ॥ 2 ॥ कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ । ताकत होइहें4 बाबूजी तोहार हे ॥ 3 ॥ चलु चलु सुगइ हमर देसवा । उहँई5 देबो बेनियाँ डोलाइ ना ॥ 4 ॥ चउका चढ़ि बइठलन कवन चच्चा । जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे ॥ 5 ॥ ए राम , असरे पसरे चुनरी भींजल ना । रउरा परभुजी बेनियाँ डोलावऽ ना ॥ 6 ॥ कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ । ताकत होइहें चच्चा तोहार हे ॥ 7 ॥ चलु चलु सुगइ हमर देसवा । उहईं देबो बेनियाँ डोलाइ ना ॥ 8 ॥",magahi-mag "घूमर गीत ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ . . .",rajasthani-raj "बना रे बागां में झुला घाल्या 1 . बना रे बागां में झुला घाल्या म्हारे हिवडे री , म्हारे जिवड़े री , म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छैल भंवरसा म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छेल भंवरसा गोरी ऐ बागां में झुला घाल्या म्हारे हिवडे रो , म्हारे जिवड़े रो , म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा बना रे फागण री रुत आई मैं लुक छिप , मैं छुप छुप , मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा गोरी ऐ रंग गुलाबी थारो थारे नैणा सूं , थारे गालां सूं , थारे होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा थारा होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा बना रे रंग में रंग रळ जावे जद मनडे सूं , जद तनडे सूं , जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा गोरी ऐ प्रीत री डोर न टूटे इण जनम ने , ऊण जनम ने , सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा सौ जनम में साथ न छूटे म्हारा छैल भंवरसा सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा 2 . बन्ना रे बागा में झूला डाल्या , म्हारी बन्नी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा . बन्ना रे बाग में झूला डाल्या , म्हारी लाडी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा . बन्ना रे जैपुरिया ते जाज्यो , म्हारी बन्नी ने रखदी ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा . बन्ना रे कोटा बून्दी जाज्यो , म्हारी लाडी ने लहेरिओ ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा बन्ना रे चूडीगड ते जाज्यो , म्हारी लाडी ने चुड्लो ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा .",rajasthani-raj "सामन आयौ अम्मा मेरी सामन आयौ अम्म मेरी सुहावनो जी , एजी कोई सब सखि झूलति बाग । 1 । चन्दन पटुली अम्मा बनवाय दे री , एजी कोई रेशम डोरि मंगाय । 2 । मैं भी झूलूँ अम्मा चंपाबाग में जी , एजी कोई जाऊँ सहेलियन साथ । 3 । इतनी सुनि के बोली माता मल्हनदे जी एजी बेटी सुनले मेरी बात । 4 । आल्हाऊदल बेटी घर हैं नहीं जी एजी कोई जूझि गयौ मलिखान । 5 । बारौ सौ भैया तेरौ ब्रह्माजीत है जी । ऐजी कोई कौन झुलावे बेटी मेरी आज । 6 । जो सुनि पावे बेटी पृथ्वीराज है री एजी कोई कोपि चढ़ेंगे चौहान । 7 । डोला तो लै जाय बेटी तेरौ बाग तेही , एजी कोई बिगर जाय सब बात । 8 । जो घर होते बेटी आल्हा ऊदल से जी एजी तोय देते बाग झुलाय । 9 । मानि कही तो बेटी घर झूलि ले री । एजी कोई सामन लेउ मनाय । 10 ।",braj-bra "जय जय राजस्थान गोरे धोरां री धरती रो पिचरंग पाणा री धरती रो , पीतल पातल री धरती रो , मीरा करमा री धरती रो कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान . . . धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां कोटा बूंदी भलो भरतपुर अलवर अर अजमेर पुष्कर तीरथ बड़ो की जिणरी महिमा चारूं मेर दे अजमेर शरीफ औलिया नित सत रो फरमान रे कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान . . . . धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां दसो दिसावां में गूंजे रे मीरा रो गुण गान हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुरबान चेतक अर चित्तोड़ पे सारे जग ने है अभिमान कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां उदियापुर में एकलिंगजी गणपति रंथमभोर जैपुर में आमेर भवानी जोधाणे मंडोर बीकाणे में करणी माता राठोडा री शान कितरो कितरो रे करा म्हें बखान कण कण सूं गूंजे जय जय राजस्थान धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर किर्ने गढ़ रा परपोटा है बांका घेर घूमेर घर घर गूंजे मेड़ततणी मीरा रा मीठा गान कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां राणी सती री शेखावाटी जंगळ मंगळ करणी खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न वरणी करणी बरणी रोज चलावे बायेड़ री संतान कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां गोगा पाबू , तेजो दादू , झाम्बोजी री वाणी रामदेव की परचारी लीला किण सूं अणजाणी जैमल पन्ना भामाशा री आ धरती है खान कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां",rajasthani-raj "होत आवेरो म्हारा धाम को होत आवेरो म्हारा धाम को , गुरु न भेज्यो परवाणो १ हम कारज निर्माण किया , आरे परमेश्वर को जाणु मुल रच्यो निजधाम को जाकर होय रे ठिकाणु . . . होत आवेरा . . . २ ओ सल्ला बिहार के , काई लावो रे बयाना कस के कमर को जायगो जामे साधु समाना . . . होत आवेरा . . . ३ बहु सागर जल रोखीयाँ , देव जबर निसाणी चेहरा हो देखो निहार के काहे दल को हो धाम . . . होत आवेरा . . . ४ नाम शब्द को राखजो , आरे बैकुंट को जाणु सब संतन का सार है चाहे होय परवाणो . . . होत आवेरा . . . ५ तीरुवर परवाणो कीजीये , नही देणा रे भेद गुरु मनरंग पहिचाणिया मानो वचन हमारो . . . होत आवेरा . . .",nimadi-noe "आगे गुरु पासे चेला आगे गुरु पासे चेला आगे गुरु पासे चेला कतरी डाटेन टोलेमा गुरु मारे कतरी डाटेन टोलेमा गुरु मारे जाजह बांधो टीकरा बांधो जाजह बांधो टीकरा बांधो कतरी डाटेन टोले मा जा गरु मारे कतरी डाटेन टोले मा जा गरु मारे जाजह बांधो सिवाड़ बांधो जाजह बांधो सिवाड़ बांधो कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे जाजह बांधो सिवाड़ बांधो जाजह बांधो सिवाड़ बांधो कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे आगे गुरु पासे चेला आगे गुरु पासे चेला कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे खिला को बांधो मुटवा बांधो खिला को बांधो मुटवा बांधो कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे स्रोत व्यक्ति सकून बाई , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "बारात गीत तूके कुण बुलायो , ने कुणे घर आयो रे रायजादा बनड़ा । तारा काकड़ पर डेरो देणो देजी वो रायजादी बनड़ी । तारो दाजी लिखलो कागद में क्यों वो रायजादी बनड़ी । तारा मांडवा मा डेरा देणों देजी वो रायजादी बनड़ी । तूके कुण बुलायो , ने कुणे घर आयो रे रायजादा बनड़ा । इस गीत में वधू पक्ष की स्त्रियाँ दूल्हे से कह रही हैं तुझे किसने बुलाया और तू किसके घर आया है ? तो दूल्हा , दुल्हन से कह रहा है कि तेरे पिताजी ने पत्र देकर मुझे यहाँ बुलाया है । तुम्हारे गाँव व मंडप में मुझे ठहरने दो ।",bhili-bhb "काहे को तेरी ओबरी काहे को तेरी ओबरी , काहे का जड़ाए किवाड़ सच्चा हनुमान बली अगड़ चन्दन की ओबरी , चन्दन जड़ाए किवाड़ सच्चा हनुमान बली केरै चढ़े तेरै देहरै , केरै तुम्हारी भेंट सच्चा हनुमान बली सवाए तो मण को रोट सै , सवाए रुपय्या की भेंट सच्चा हनुमान बली बैरीड़ा तो मारकै दफै करो , छोरा कै सिर सै जीत सच्चा हनुमान बली",haryanvi-bgc "माखन की चोरी छोड़ि कन्हैंया अरे माखन की चोरी छोड़ि कन्हैंया , मैं समझाऊँ तोय ॥ टेक ॥ बरसाने तेरी भई सगाई , नित उठि चरचा होय । बड़े घरन की राज दुलारी , नाम धरैगी मोय ॥ अरे माखन की . ॥ मोते कहै मैं जाऊँ गइयन पै , रह्यौ खिरक पै सोय । काऊँ ग्वालिन की नजर लगी या दई कमरिया खोय ॥ अरे माखन की . ॥ माखनमिश्री लै खावे कूँ क्यों है सुस्ती तोय । कहि तो बंशी नई मँगाय दउँ कहि दै कान्हा मोय । अरे माखन की . ॥ नौलख धेनु नन्द बाबा के नित नयो माखन होय । फिर भी चोरी करत श्याम तैनें लाजशरम दई खोय ॥ अरे माखन की . ॥ ब्रजवासी तेरी हँसी उड़ावें घरघर चरचा होय । तनक दही के कारन लाला लाज न आवै तोय ॥ अरे माखन की . ॥",braj-bra "गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम आयोम माडो कोन्जिया कोरा डो डोयराय आयोम माडो कोन्जिया कोरा डो डोयराय डिवड़ी नी लियेन सुबाये डो गंगाय ऐली आयोमी डिवड़ी नी लियेन सुबाये डो गंगाय ऐली आयोमी कोन्जई नी कोरा डो डोयराये कोन्जई नी कोरा डो डोयराये कोन्जई नी गाठी काकू नी गाठी चापा नी चापु डो टोयाये कोन्जई नी गाठी काकू नी गाठी चापा नी चापु डो टोयाये गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे कोन्जीया नी रजो लिवीज डो लोखोड झूलानी लीयेन डो आसुडे कोन्जीया नी रजो लिवीज डो लोखोड झूलानी लीयेन डो आसुडे गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे कोन्जीया हिरदा हाजेवाडो गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया हिरदा हाजेवाडो गंगाय ऐली आयोम रोचो मा रोचो डो जामे रोचो मा रोचो डो जामे गीली नी दारोम सुनाडो गंगाय ऐली आयोम गीली नी दारोम सुनाडो गंगाय ऐली आयोम उरा डागे उरा सूना सूना उरा डागे उरा सूना सूना स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "बारांमाह बुल्ले शाह अस्सू लिक्खो सन्देस्वा1 वाचे हमरा पीओ । गौने2 कीआ तुम काहिको , कलमल हमरा जीओ ॥ 1 ॥ अस्सू असाँ तुसाडी आस । साडी जिन्द तुसाडे पास । जिगरे मुढ्ढ प्रेम दी लास । दुःखां हड्ड सुकाए मास । सूलाँ साड़िआँ ॥ 1 ॥ सूलाँ साड़ी रही उरार । मुट्ठी तदों ना गइआँ नाल । उलटी प्रेम नगर दी चाल । बुल्ला सहु दी कर सँभाल । प्यारे मैं सारिआँ ॥ 1 ॥ बैसाखी बीतन कठन से संग मीत ना होए । किस किस आगे जा कहा इक्क मंडी भा दोए । जे मैं होवाँ सुख , वैसाख 16 कछा3 पौण ताँ पके साख । जै घर लागी तै घर लाख4 । कई बात ना सका आख । कन्ताँ वालिआँ । कन्ताँ वालिआँ डाढे ज़ोर । मैं ताँ झूर झूर होईआं होर । कंडे पुड़े कलेजे ज़ोर । बुल्ला सहु बिन मन्दा सोर । मैं घत्त गालिआँ ॥ 8 ॥ भादरों भावे ताँ सखी पल पल हेत मिलाप । जब घट5 देक्खो आपणा पर घट आप ही आप । भादरों रब्ब ने भाग जगाया । साहिब कुदरती सेती पाया । हर विच्च हरि ने आप छुपाया । शाह अनायत आप लखाया । ताँ मैं लखिआ । तहीएँ होन्दी उमर तसला । पल पल मंगदे नैण तजला । बुल्ला शाह करे लोहला । मैं परेम रस चाखेआ ।",panjabi-pan "दी देवा बाबा जी, कन्या को दान दी देवा बाबा जी , कन्या को दान दानू मा दान होलो , कन्या को दान । हीरा दान , मोती दान , सब कोई देला , तुम देला बाबा जी , कन्या को दान । तुम होला बाबा जी , पुण्य का लोभी , दी देवा बाबा जी , कन्या को दान । हेम दान गजदान सब कोई देला , तुम देला बाबा जी , कन्या को दान",garhwali-gbm "रसिया को नारी बनाओ री रसिया को नारी बनाओ री , रसिया को नारी बनाओ री । कटि लहंगा गले माहीं कंचुकी , चुंदरी सीस उढ़ओ री रसिया को नारी बनाओ री । गाल गुलाल आंखिन में अंजन , बैंदी भाल लगाओ री रसिया को नारी बनाओ री । नारायण तब तारी बजा के , जसुमति पास नचाओ री रसिया को नारी बनाओ री ।",haryanvi-bgc "नी सइओ! मैं गई गवाती नी सइओ मैं गई गवाती । खोल घूँघट मुख नाची । जित वल्ल देक्खाँ दिसदा ओही । कसम ओसे दी होर ना कोई । ओहो मुहकम फिर गई दोही । जब गुर पत्तरी वाच्ची । नी सइओ मैं गई गवाती । खोल घूँघट मुख नाची । नाम निशान ना मेरा सइओ जे आक्खाँ ताँ चुप्प किसे ना करीओ । बुल्ला खूब हकीकत जाची । नी सइओ मैं गई गवाती । खोल घूँघट मुख नाची ।",panjabi-pan "ऊँचि डांड्यू तुम नीसि जावा ऊँचि डांड्यू तुम नीसी जावा घणी कुलायो तुम छाँटि होवा मैकू लगी छ खुद मैतुड़ा की बाबाजी को देखण देस देवा मैत की मेरी तु त पौण प्यारी सुणौ तु रैवार त मा को मेरी गडू गदन्य व हिलाँस कप्फू मैत को मेर तुम गीत गावा भावार्थ ' हे ऊँची पहाड़ियो तुम नीची हो जाओ । ओ चीड़ के घने वृक्षो तुम समने से छँट जाओ । मुझे मायके की याद सता रही है , मुझे पिता जी का देस देखने दो । ओ मेरे मायके की हवा मेरी माँ का सन्देश सुना । ओ नदीनालो ओ हिलाँस पक्षी ओ कप्फू तुम सब मिल कर मेरे मायके का गीत गाओ । '",garhwali-gbm "भजन कर निरना एकादसी करना भजन कर निरना एकादसी करना राजा ब्रह्म आगे साक्षी भरना पेली निरजला , दूसरी सिरजला दोनोई एकादसी करना भाव भक्ति से जो कोई साधे बैतरनी में तिरना भजन कर निरना एकादसी करना दसमी के दिन एकटंक जीमणा ग्यारस निरनै करना बारस के दिन भोजन करना जमराज से नहीं डरना भजन कर . . . एकादशी को अटल पुण्य है अनमाय जीव नहीं रखना भावभक्ति से जो कोई साधे भवसागर से तिरना भजन कर . . . जनम सुधारण जग में मेला भूल आलस नहीं रखना कहे कबीर सुनो भई साधो बैकुंठा को चलना",malvi-mup "मैं तो थारा हाजिर बन्दा जी, हमारी धन रूस क्यों गई मैं तो थारा हाजिर बन्दा जी , हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो अम्मां बुलावैं जी , कहो तो चढ़वा हमीं चढ़ावैं जी हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो भाभी बुलावै जी , कहो तो मंज्जा हमीं बिछावैं जी हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो दौरानी बुलावैं जी , कहो तो दिया हमीं जलावैं जी हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो बीबी बुलावैं जी , कहो तो सतिये हमीं धरावैं जी हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो दाई बुलावैं जी , कहो तो बच्चा हमीं जनावैं जी हमारी धन रूस क्यों गई कहो तो बांदी बुलावैं जी , कहो तो पोतड़े हमीं धौवैं जी हमारी धन रूस क्यों गई",haryanvi-bgc "तळै खड्या क्युं रुके मारै चढ्ज्या जीने पर कै तळै खड्या क्युं रुके मारै चढ्ज्या जीने पर कै , एक मुट्ठि मनै भिक्षा चहिए देज्या तळै उतर कै । सुपने आळी बात पिया मेरी बिल्कुल साची पाई , बेटा कह कै भीख घालज्या जोग सफ़ल हो माई । बेटा क्युकर कहूँ तनै तू सगी नणंद का भाई , उन नेगां नै भूल बिसरज्या दे छोड पहङी राही ॥ पिया सोने के मन्नै थाळ परोसे जीम लिये मन भर कै , राख घोळकै पीज्यां साधू हर का नाम सुमर कै ॥ तळै खड्या क्युं रुके मारै . . . . .",haryanvi-bgc "हाँ, हाँ, हाँ मेरा भोला है राजा हाँ , हाँ , हाँ मेरा भोला है राजा । कमरे में दाई काहेको1 आई , राजा जी , मेरी नाफे2 टली3 थी ॥ 1 ॥ हाँ , हाँ , हाँ मेरा भोला है राजा । हाँ , हाँ , हाँ मेरा सुरमा4 सिपाही । रानी पीली साड़ी काहे को पेन्हे थी । राजा जी , मैं तो न्योते गई थी ॥ 2 ॥ राजा जी , मेरा भोला है राजा । रानी कमरे में कौन रोया था । राजा जी , दो ये बिल्ले5 लड़े थे । राजा जी , मेरा भोला है राजा । राजा जी , मेरा सीधा है राजा ॥ 3 ॥",magahi-mag "हाँजी म्हारे आँगन कुओ हाँजी म्हारे आँगन कुओ खिनयदो हिवड़ा इतरो पानी हाँजी जुड़ो खोलर न्हावा बेठी ईश्वरजी री रानी हाँजी झाल झलके झुमना रल के बोले इमरत बानी हाँजी इमरत का दो प्याला भरिया कंकुरी पिगानी",rajasthani-raj "बाँके बजैं पैजनाँ धुनके बाँके बजैं पैजनाँ धुनके । परे पगन में उनके । सुन तन रौमरौम कड़ आवत , धीरज रहत ना तनके । खेलत फिरत गैल खोरन मेंख सुर मुख्त्यार मदन के । करने जोंग लोग कुछनाते , लुट गये बालापन के ईसुर कौन कसायन डारे , जे ककरा कसकन के ।",bundeli-bns "उंकार देव न लिख्या कागज दई भेज्या उंकार देव न लिख्या कागज दई भेज्या , तू रे ईरा , बेगा रे घर आव हम कसां आवां म्हारा उंकार देव , हमारा माथऽ नारेळ की मान । नारेल चढ़ावऽ थारो माड़ी जायो , तू रे ईरा , बेगा रे घर आव ।",nimadi-noe "बाबुल मेरो ब्याह रचाओ रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ २ कैऊ कल्प बीत गये याकों तौऊ भई नहिं शादी है ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये महादेव की दादी है . . . .",braj-bra "गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग गोरी वो गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग , में बन जाहूं चकरी , तैं उड़बे पतंग चटभइंया बोली तोर निक लागे वो , तोर बोलीठोली हा गुरतुर लागे वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो तरिया के पानी लागे है बनी गोरी वो गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो तरिया के पानी लागे है बानी , दुरिहा घुजके भरबे , कर छेड़कानी बेलबेल्हा टुरा घटौन्दा के तीर , बइठे बजावत रइथे सिटी गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो",chhattisgarhi-hne "भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी का चम्पा दासी को सजा देना” अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव जा के रानी सामदेवी ल किथे हा रानी हौव में तोला का बतावँव हा कोन भेषे में भगवाने आ जथे हौव अउ कोन भेषे में राजा आ जथे राजा आ जथे वो योगी नोहय तोर राजा ऐ हौव ओतका बात ल सुनथे , रानी राहय तेन हौव एकदम जलबल के खाख हो जथे हा जइसे नागिन फोंय करथे हौव वइसे रानी उप्पर ले आके हौव चप्पल उतार के हा चम्पा दासी ल चार चप्पल मार देथे हौव त पूछथे हा ते कइसे मोला राजा ये किके केहे हौव कइसे मे मोर राजा होइस तेला बता हा तो किथे रानी , मोर बात ल थोकन मान हा थोकन सुनले हौव तब मोला मारबे हा वो तोर राजा चे , योगी नोहय हौव बतावय नहीं कि ओकर दांत में सोन के हीरा हे किके हा बस ओतका बात ल कइय के रागी हौव चम्पा दासी राहय तेन हा – गीत – बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो सुन ले रानी मोर बाते ल मोर बाते ल वो , नाने पने के में आये हौव ऐदे आये हवव , तोरे संगे दासी बनी के , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी जतका मारना तोला मारी ले , येदे मारी ले ना काहत हाबय ये दासी ह येदे पीठे ल ग , देवन लागथे दासी ह मोर सखी मन वो , सहेली रोवत हाबे गा , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी बोले बचन रानी सामदेवी , रानी सामदेवी सुन लव दीवान मोर बाते ला , मोर बाते ल गा चम्पा ये दासी ल लेगी के , येदे लेगी के ना तुमन फांसी लगावव जी , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी – गाथा – ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव रानी हा मोर पीठ ल मार ले हौव लेकिन पेट ल मत मार मत मार जब से तें शादी होके आय हस हौव तब से तोर संग में छेरिया बन के आय हव हा मोर बात ल मान जा रानी हौव मोर बात ल सुन ले रानी हा अइसे कइके हौव ऐ चम्पा दासी राहय ते रो रो के कलपत रिथे हा ओकर सखी सहेली राहय तेन हौव ओमन भी रोवत रिथे हा सामदेवी राहय ते काकरो बात ल नई माने रागी हौव चारझन दीवान ल आदेश दे देथे हा अरे ये चंडालिन ल तें काय देखत हस हौव कल के दिन योगी ल कहिसे , मोर पति ये किके हा वो योगी चंडाल ह मोर पति हो सकथे हौव लेजा येला फांसी में चढ़ा दे चढ़ा दौव अइसे कइके दीवान मन ला आदेश दे देथे हौव अब ये चम्पा दासी ल राहय तेन चारझन दीवान ह धरथे रागी हौव अउ काहत रिथे हा – गीत – बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो सुनी लेवव मोर बाते ल बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा ना सुनी लेवव मोर बाते ल मोर बाते ल ग , तुम सुनी लेवव मोर बाते ल ग , तुम सुनी लेवव येदे कही के रोवत हाबय वो , येदे हाबय वो , भाई येदे जी येदे कही के रोवत हाबय वो , येदे हाबय वो , भाई येदे जी एकादशी के उपासे हे , ये उपासे हे वो चम्पा ये दासी ह आजे ना एकाऐदशी के उपासे हे , ये उपासे दीदी चम्पा ये दासी ह आजे ना कतको रोवत हे या , कतको कलपय दीदी कतको रोवत हे वो , कतको कलपय दीदी येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के , येदे दासी के , भाई येदे जी येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के , येदे दासी के , भाई येदे जी",chhattisgarhi-hne "निहाली गीत ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल । याहिणिके लावता ते वात करता रे लोल । ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल । कलाल्या मा जाता ते दारू पीता रे लोल । हलवी मा जाता ते गुंड्या खाता रे लोल । ताड़ के पास जाते ही ताड़ी पीते । समधन का लाते तो उसके साथ बात करते । कलाल के यहाँ जाते तो दारू पीते । हलवाई के यहाँ जाते तो भजिये खाते ।",bhili-bhb "बाबा जू भर आयँ बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ , कुजानें कित्ते ढौंग दिखायँ लगाकै चौंतइया पै होम , बिनैं सी करैं पकर कैं कान , फुरोरू लैकें दो इक दार , उचट कैं गिरबैं उल्टे ज्वान । मुलक्कीं हाँकें देतइ जायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । रगड़ कैं सूदी टिहुनी मार , चिचाबै चाय कितेकउ खून , उचल गई करयाई की खाल , रगड़ कैं दई जिओरा की दून । कोउकोउ गोड़े हाँत कपायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । खुरन कै ई धरती खौं खूँद , बमकबैं बँदरा से हरदार , पकर कैं लाल लुअरसी साँग , कबउँ कओ दै देबैं ललकार । उतै बे हाँपत रए मौं बायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । उठाकैं मैंकी मायँ भबूत , गुटइया बाबा की जै बाल , लगो जब तनक घोल्लाँ खम्भ , सुनैं बे सबकी बातें खोल । तमाखू धरकैं पण्डा प्यायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । लगी फिर बिन्त्वारी खौं भीर , कबैं कोऊ मोंड़ै चड़ो बुखार , पिरा रओ कोउ कबै के पेट , कबै कोउ गइया भइ बेजार । उतै कोऊ खतियाँखाज झरायँ बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । भुमनियाँ कै रओ कै महाराज , अबै नौं पानी नइँ बरसाव , नाज कौ बढ़ रओ दनौ भाव । बतादो का हम औरें खायँ ? बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । उतै हुन मैंक मुठी भर राख , ”चलो जा हवा न अब उड़ जैय , करौ अब दूधकरूला ऐंन , बता दो फलिया कबनौ दैय । समइया आबै नौनों नायँ , “ बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । ”पुजाकैं पैलाँ खेरबहेर , कुवाँरी जुबवा दिइयौ पाँच , मजे सैं खेलौकूदौ खाव , समज लो आय न एकऊ आँच । “ भजनया भजन कैऊ ठऊ गायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । धरीं तीं पचवन्नीं अठवाइँ , मगाकैं धर लओ पानी लाल , जरा रए तेल और लोबान , फुलै रए बैठेबैठे गाल । तकौ जा उल्टी हो रइ दायँ । बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । उठे फिर गेरफेर सैं हात , खुरोरू बटीं नारियल फोर , तमासौ तको न हमसैं जाय , ‘हमैं दो’ हो रओ गेरऊँ सोर । इनैं ना और कछू की भायँ , बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।",bundeli-bns "जावा गैल्याण्यों, तुम मैत जावा जावा गैल्याण्यों , तुम मैत जावा , मेरो रैबार , माँजी मू लि जावा । मालू भैंसी को खटो दई , बई मा बोल्यान रोणीकि छई । बाबाक बोल्यान देखीक जाई , सासु सैसरों समझाई आई ।",garhwali-gbm "में तो अकेली म्हारो घर न लुटाय दीजो में तो अकेली म्हारो घर न लुटाय दीजो घर न लुटाय दीजो , बन न कराय दीजो सासू सुणें तो पिया उन्हें मत आवन दीजो ललना खेलावन म्हारा माता खे बुलाव दीजो जेठाणी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो रसोई निपावन म्हारी काकी खे बुलाय लीजो नणंदी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो सांतीपुड़ा मांडण म्हारी बून्या बुलाय लीजो पड़ोसन सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो मंगल गावण म्हारी सखियां बुलाय लीजो ढोली सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो ढोली म्हारा पीयर से बुलाय लीजो जोसी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो जोसी म्हारा पीयर से बुलाय लीयो ।",malvi-mup "284 तुसीं अकल दे कोट अयाल हुंदे लुकमान हकीम दसतूर है जी बाज भोर बगला अते लौंग कालू शाही शीहनी1 नाल कसतूर है जी लोहा पशम पिसत डबा मौत सूरत सबजा होर शाबान मनजूर है जी पंजे बाज जेहे रक वांग नीचे पौंचा वजया मगर सभ दूर है जी चक सीह वांगूं गज नींह वांगूं मैंनूं दंद मारन हड चूर है जी किसे पास ना खोलना भेत पाई जो आखयो कुझ सब मनजूर है जी आ पया परदेस विच कम मेरा हीर लई इको सिर दूर है जी वारस शाह हुण बनी है बहुत औखी अगे सुझया कहर कलूर है जी",panjabi-pan "रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़ रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़ माता ताड़ को झाड़ , वहाँ रहे देवी को रहेवास । माता आड़ी रूळतो घागरो , न कड़ी रूळता केश , माता गोदी लियो बाजुड़ो , न पेळो पेरी जाय ।",nimadi-noe "अंगिका फेकड़ा अट्टापट्टा नुनु केॅ सात बेटा राजा , पाता , सीत , वसन्त , कुतवा अड़गड़ मारो बड़गड़ जाऊँ , पानी पीये पोखरिये जाऊँ बबुआ कहै काँखी तर जाऊँ ओ ना मा सी धं गुरूजी पढ़ंग कुइयाँ में काँटोॅ गुरूजी नाँटोॅ । नैहरा में कै बार गांगो सतसत बेरी अॅ ससुरारी मंे कै बार माँगों एके बेरी । उर्र बकरिया घाँस खो चुक्का लेॅ बथान जो चुक्का गेलौ फूटी दूध लेलकौ लूटी । रौदा उगोॅ गोसांय रौदा उगोॅ तोरी बहुरिया जाड़ें मरेॅ हमरी बहुरिया रौदा सेकेॅ । रौदा उग रे बभना मुरगी देबौ चखना बिलैया देवौ कोर काली माँय केॅ दीया बारबै सगरे ई ंजोर । रौदा छेकले बौध लागतौ गोला बरद के पीज रोटी खैबे । जाड़ा ऐल छै , पाड़ा ऐल छै ओढ़ गुदड़ी । बुढ़िया के दमाद ऐल छै मार मुँगड़ी । मामू हो मामू , डोॅर लागै छै केकरोॅ डोॅर , बेटी केकरोॅ डोॅर ? बाघ छै , बघिनियाँ छै झुनझुन कटोरवा खेलै छै सिकियो नै डोलै छै भौजी माथा पर कमलोॅ सेनूर भैया माथा पर कमलोॅ के फूल उठोॅ हे भौजी पीन्होॅ पटोर हम नै पिन्हबोॅ भंगा पटोर आनभौं कचिया दागभौं ठोर गुआगुआ केॅ पोछभौं लोर ।",angika-anp "केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ , दो घड़िआँ मिल जाईं । नेड़े वस्से थाँ ना दस्से , ढूँढ़ा कित वल जाहीं । आपे झाती पाई अहमद , वेक्खाँ ताँ मुड़ नाहीं , आख ग्यों मुड़ आयो नाहीं , सीने दे विच्च भड़कण भाई1 । इकसे घर विच्च वस्सदीआँ रस्सदीआँ , कित वल्ल कूक सुणाईं । पांधी जा मेरा देह सुनेहा । दिल दे ओल्हे लुकदा केहा नाम अल्लाह दे ना हो वैरी , मुक्ख वेक्खण नूँ ना तरसाईं । बुल्ला सहु की लाया मैनूँ , रात अद्धी है तेरी महिमा । औझ़ बेले सभ कोई डरदा , सो ढूँढ़ा मैं चाईं चाईं । केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ दो घड़िआँ मिल जाईं ।",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-10 पतरें सोनें कैसे डोरा , रजऊ तुमाये पोरा बड़ी मुलाम पकरतन घरतन लग न जाए नरोरा पैराउत में दैयामैया , दाबत परे दादोरा रतन भरे सें भारी हो गये , पैरन कंचन बोरा ' ईसुर ' कउँ का देखे ऐसे , नरनारी का जोरा ।",bundeli-bns "329 एह मिसाल मशहूर जहान अंदर करम रब्ब दे जेड ना मेहर है नी हुनर झूठ कमान लाहोर जेही ते कावरू1 दे जेड ना सेहर है नी चुगली नहीं दिपालपुर कोट जेही नमरूद2 दे थां बे मेहर है नी नकश चीन ते मुशक दा खुतन3 जेहा यूसुफ जेड ना किसे दा चेहर है नी मैं तां तोड़ शाहदरे दे कोट सटां तैनूं दम खां काम दी वेहर है नी बात बात तेरी विच हैन कामन वारस शाह दा सेअर की सेहर4 है नी",panjabi-pan "29 भाइयां बाझ न मजलसां सोंहदियां ने अते भाइयां बाझ बहार नाहीं भाई मरन ते पैंदियां भज बाहां बिना भाइयां परे प्रवार नाहीं लख ओट है भाइयां वसंदयां दी भाइयां गयां जेही कोई हार नाहीं भाई ढाहुंदे भाई उसारदे ने वारस भाइयां बाझों बेली यार नाहीं",panjabi-pan "273 जोगी नाथ तों खुशी लै विदा होया छुटा ब्राजज्यों तेज तरारयां नूं इक पलक विच कम हो गया उसदा लगी अग फेर चेलयां सारयां नूं मुड़के रांझणे इक जवाब दिता उन्हां चेलयां हैंस्यारयां1 नूं भले कर्म होवण ताहींए जोग पाईढ मिले जोग न करमां दयां मारयां नूं असीं जट अनजान थीं फस गए करम कीतो सू असां नकारयां नूं वारस शाह अल्ला जदों करम2 करदा हुकम हुंदा ए नेक सतारयां नूं",panjabi-pan "तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी छोड़ ए गोरी घोड़े की लगाम साथां के साथी म्हारे धुर गए छूट गई घोड़े की लगाम आंसू तो गिरे हरियल मोर ज्यूं",haryanvi-bgc "फलाणे की बहु का घागरा यहां किसी का भी नाम लिया जा सकता है जिसे सींठने दिये जाते हैं की बहू का घागरा धोबी धोए रे छिनाल रे धइआं धौंदे धौंदे बह गया खड़ी रोवै रे छिनाल रे धइआं म्हारा . . . अपने पक्ष के किसी पुरुष का नाम न्यू कहै क्यूं रोवै रे छिनाल रे धइआं",haryanvi-bgc "56 पकड़ लए झबेल ते बन्ह मुशकां मार छमकां लहू लुहान कीते मेरे पलंघ ते आन सवालिया जे मेरे बैर दे तुसां सामान कीते कुड़ीए मार ना असां बेदोशियां नूं कोई असां ना एह महमान कीते चंचल हारीए रब्ब तों डरीं मोइए अगे किसे ना ऐड तुफान कीते",panjabi-pan "मेरे टुरने दी होई त्यारी तुसीं आओ मिलो मेरी प्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे रल के टोरन आइआँ , आइआँ फुफ्फिआँ चाचिआँ ताइआँ , सुभ्भे रोंदिआँ जारो जारी1 मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे आखण एह गल जाणी , रव्हीं तूँ हर दम हो निमाणी , ताहीं लग्गेंगी ओत्थे प्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे टोर2 घराँ नूँ मुड़िआँ , मैं हो इक इक्कलड़ी टुरिआँ , होइआँ डारों मैं कूंज न्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । बुल्ला सहु मेरे घर आवे , मैं कुच्चजी नूँ लै गल लावे , इक्को सहु दी ए बात न्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी ।",panjabi-pan "नमो नरंजन मात भवानी नमो नरंजन मात भवानी , सदा रंगीला तेरा भवन तेरे दरस को रिसी मुनि आए , दूरदूर तै करके गवन कोए समरधा लावै समाधी , कोए समरधा साधै पवन तेरे दरस को . . . ग्यान बूझ की तैं मेरी जवाला , तेरै बरोबर और न कोए सुख संपत की तैं मेरी देवै , तेरै बरोबर और ना कोए सेवत राम तरा जस गावै , हाथ जोड़ कै कर गवन तेरे दरस को . . .",haryanvi-bgc "लोक गीत सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरा तारे पुश्यानु काँई काम रेऽऽऽ । सोरा मारे पुश्यानु बड़ी मोआरेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तमे परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । सोरी तमे परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । धेर मा मारा बापा ने जाई केथु रेऽऽऽ । बापा हमुँ परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । बापा हमुँ परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । बेटी तमे नानां थां परण्याया रेेऽऽऽ । बेटी तमे नानां थां परण्याया रेेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है । छोरा तेरे इस प्रकार पूछने का क्या मतलब है ? छोरी मुझे इस प्रकार तुझे पूछने से बहुत मजा आता है । छोरी तू शादीशुदा है कि कुँवारी है ? छोरा घर जाकर मैं अपने बाप से पूछँगी कि मैं शादीशुदा हूँ कि कुँवारी ? छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है । बेटी तू छोटी थी , तभी मैंने तेरी शादी कर दी थी । छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है ।",bhili-bhb "लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी , मेहँदी तोडं न ख हाउ गई न म्हारो , छोटो देव्रियो साथ मेहँदी रंग लागी । तोडी ताडी न मन खोलो भर्यो न हउ लगी गई घर की वाट मेहँदी रंग लागी । अगड दगड को लोय्डो न ब्र्हन्पुर की सील मेहँदी रंग लागी लसर लसर हउ मेहँदी वाटू न म्हारा बाजूबंद झोला खाय मेहँदी रंग लागी देवर रंग तीची अन्गालाई न हउ रंगु ते दुई हाथ , मेहँदी रंग लागी द ओ जेठानी थारो झुमकों न द ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी द ओ पडोसन थारो दिव्लो न , द ओ अडोसन तेल मेहँदी रंग लागी खट खट खट हउ पैडी चढ़ी न गई ते तीजजे मॉल मेहँदी रंग लागी जगेल होता तेका सोई गया न मुख पर डाल्यो रुमाल मेहँदी रंग लागी अग्न्ठो पकडी न मन स्यामी ज्गाद्योअसो नही जाग्यो मुर्ख गंवार मेहँदी रंग लागी खट खट खट हउ पैडी उतरी न आई ते नीच मॉल मेहँदी रंग लागी ल ओ जेठानी थारो झुमकों न , ल ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी ल ओ पडोसन थारो दिव्लो न ल ओ अडोसन थारो तेल मेहँदी रंग लागी असो देवर बताव ओकी माय ख न हउ केख बताऊ बेऊदुई हाथ मेहँदी रंग लागी असी सासु की कुख ख हीरा जडया न , जाया ते हीरालाल मेहँदी रंग लागी लागी लागी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी",nimadi-noe "सुनहु जदुनन्नन हे चीकन1 मटिया2 कोड़ि मँगाएल , ऊँची कय3 मँड़वा छवाएल । जनकपुर जय जय हे ॥ 1 ॥ सोने कलस लय4 पुरहर5 धरब , मानिक लेसु6 फहराय7 जनकपुर जय जय हे ॥ 2 ॥ लाल लाल सतरंजी8 अँगन9 को बिछाएल । जनकपुर जय जय हे ॥ 3 ॥ जय जय बोले नउअवा से बाम्हन , जय जय बोले सब लोग । जनकपुर जय जय हे ॥ 4 ॥ धन राजा दसरथ , धन हे कोसिलेया । धन10 हे सीता देई के भाग , रामे बर11 पायल12 हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "गंढाँ दूजी खोलूँ क्या कहूँ , दिन थोड़े रहिन्दे । सूल सभ रल आवंदे , सीने विच्च बहिन्दे । झल्लवलल्ली मैं होई , तन्द कत्त ना जाणा । जंझ ऐवें रल आवसी , ज्यों चढ़दा ठाणा । तेरा गंढीं खुल्लिआँ नैण लहू रोन्दे । होया साथ उतावला , धोबी कपड़े धोन्दे । सज्जण चादर ताण के सोया विच्च हुजरे1 । अजे भी ना ओह जागेआ दिन कितने गुज़रे । बाई खोहलो पहुँच के हभ मीराँ2 मल्काँ । ओहना डेरा कूच है मैं खोहलाँ पल्काँ । आपणा रैहणा की कराँ केहड़े बाग दी मूली । खाली जग्ग विच्च आए के सुफने पर भूली । इक्क इक्क गंढ नूँ खोल्हिआँ इकत्ती होइआँ । मैं किस पाणीहार3 हाँ एत्थे केतिआँ रोइआँ । मैं विच्च चतर खडारसाँ दाअ प्या ना कारी । बाज़ी खेडाँ जित्त दी मैं एत्थे हारी । कर बिसमिल्ला खोहलीआँ मैं गंढाँ चाली । जिस आपणा आप वंझाया सो सुरजन आवे । जंझ सोहणी मैं भाँवदी लटकन्दा वाली । जिस नूँ इश्क है लाल दा सो लाल हो जावे । अकल फिकर सभ छोड़ के सहुनाल सिधाए । बिन कहणों गल्ल गैर दी असाँ याद ना काए । हुण इन्न अल्लाह आख के तुम करो दुआई । पीआ ही सभ हो गया अबदुल्ला4 नाहीं ।",panjabi-pan "बरसन लागी सावन बुन्दिया बरसन लागी सावन बुन्दिया , प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना बरखा के आये , याद आवे तोहरी बतियां प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना जाडा के बीते , तरपत बीती सगरी रतियां प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना गरमी के लागे , अजहुं ना आये हमारे बलमा प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया",awadhi-awa "जागो वशी वारे ललना-जागो मोरे प्यारे जागो वंशी वारे ललनाजागो मोरे प्यारे रजनी बीती भोर भयो है , घरघर खुले किवाड़े । जागो . . . गोपी दही मथत सुनियत है , कंगना के झनकारे । जागो . . . उठो लाल जी भोर भयो है , सुर नर ठांड़े द्वारे । जागो . . . ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जयजय शब्द उचारे । माखन रोटी हाथ में लीन्हीं , गउवन के रखवारे । जागो . . . मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर शरण मैं आई तिहारे । जागो . . .",bundeli-bns "साहवरेआँ घर जाणा सदा मैं साहवरेआँ घर जाणाँ , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । तुसाँ वी होसी अल्ला भाणा , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । रंग बरंगी सूल उपट्ठे , चंझड़ जावण मैनूँ । दुक्ख अगले मैंनाल लै जावाँ , पिछले सौपाँ किहनूँ । इक विछोड़ा सइआँ दा , ज्यों डारों कूंज विछुन्नी । मापेआँ ने मैनूँ एह कुझ दित्ता , इक्क चोली इक्क चुन्नी । दाज एहना दा वेखके हुण मैं , हन्झू भर भर रून्नी । सस्स ननाणाँ देवण ताने , मुश्कल भारी पुन्नी । बुल्ला सहु सत्तार1 सुणीन्दा , इक वेला टल जावे । अदल2 करे ताँ जाह ना काई , फज़लो3 बखरा पावे । सदा मैं साहवरेआँ घर जाणाँ , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । तुसाँ वी होसी अल्ला भाणा , नी मिल लओ सहेलड़ीओ ।",panjabi-pan "34 कलमदान दवात दफतैन1 पटी नावें आमली वेखदे लड़कयां दे लिखन नाल मसौदे सयाक खिसरे सियाह अवारजे2 लिखदे वरकयां दे इक भुल के ऐन दा गैन वाचन मुल्लां जिंद कढे नाल घुरकयां दे इक आंवदे नाल जुजदान3 लैके विच मकतबां दे नाल तड़कयां दे",panjabi-pan "तिलक -गीत भितरा से बोलीं हैं भितरा से बोलीं हैं रानी कौशिल्या सुनो राजा दशरथ बचनी हमारी सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बडि थोरी सोभ्वा से बोले है राजा दशरथ सुनो जनक बचनी हमारी सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बड़ी थोरी हाथ जोरी राजा जनक जी बिनवैं सुनो दशरथ बचनि हमारी तू तो हयो तीनो लोक ठाकुर हम होई जनक भिखारी",awadhi-awa "विदाई गीत एक बन गईं दुसरे बन एक बन गईं दुसरे बन गईं तीसरे बबिया बन बेटी झलरी उलटी जब चित्वें तो मैया के केयू नाही लाल घोड़ चितकबर वहिसे वै पिया बोलें धना हमरे पतुक आंसू पोछो मैया सुधि भूली जाव केना मोरी भुखिया अगेंहैं तो केना पियसिया केना जगहियें आल्ह्ड निन्दियन अपने मैयरिया बिन मईया मोरी भुखिया अगेंहैं बहिनी पियसिया हमही जगेईबै आल्ह्ड निन्दिया तो मईया सुधि भूली जाओ मईया तोहरी गरियहै बहिनी टुकरीहै आपे प्रभु गरजी तड़प बोलिहै छतिया बिहरी जेईहैं मईया मोरी बहुअरि गोहरैहैं बहिन भउजी कहिहैं हमही लागैबें हिरदैया मईया सुधि भूली जाओ",awadhi-awa "बरस्या बरस्या रे झंडू मूसलधार बरस्या बरस्या रे झंडू मूसलधार लाल पड़ौसिन का घर ढह पड़ा । चाल्या चाल्या रे झंडू सिर धर खाट लाल पड़ौसिन के सिर गूदड़ा । खोलो खोलो रै गौरी म्हारी बजर किवाड़ सांकल खोलो लोहसार की म्हारी भीजे री गौरी पंचरंग पाग लाल पड़ौसिन के सिर चूंदड़ी दे दो रे छोरे बुलदां का पाल लास लसौली झंडू पड़ रहे जी",haryanvi-bgc "मृत्यु गीत टेक अरे थारो बहुत दिन म आयो दाव , म्हारा हंसा समली न चौपट खेल रे । चौक1 अरे चोपट मांडि सान मेरे हंसा खेलर्यो घड़ि चार रे , अरे हंसा खेलर्यो घड़ी चार रे , समली न चोपट खेलो मेरे हंसा , जो युग मांडिया को दाव म्हारा हंसा समली न चोपट खेल । चौक2 चार खाणी की चोपट , बणी रे हंसा चौरासी घर को यो दाव रे , अरे हंसा चौरासी घर को यो दाव रे , अरे जीत तो सुर पुर मरे जासे नहिं तो फिर चौरासी म जाय , म्हारा हंसा समली न खेल चौक3 चौरासी घर की चौरासी सार हंसा ब्रह्मा न फासो यो डालियो रे , अरे हंसा ब्रह्मा ने यो फासो डालियो रे , सम्हली ने सार चलो रे मेरे हंसा यो ताकीर्यो यमराज मेरे हंसा , समली न चोपट खेल रे , अरे यारो बहुत दिन म दाव आयो रे , समली न चोपट खेल । छाप कहे कबीरा सुणो धरमदास ये पंथ हे निरवाणी रे यहि रे पंथ की करो रे परीक्षा , थारो हांसो गये सतलोक मेरे हंसा समली न चोपट खेल । अरे मानव चौरासी लाख योनियों के बाद तुझे यह मानव जन्म प्राप्त हुआ है , यह अवसर तुझे बहुत वर्षों बाद प्राप्त हुआ है । इस पवित्र योनी में बहुत सम्हलकर चौपड़ खेल , मतलब यह है कि इस काया पर दाग मत लगने दे । अरे मानव छान में बरामदे में चौपड़ बिछी है , चार घड़ी खेल रहा है । यह संसार अल्प समय के लिए मिला है , इसमें सम्हलकर खेलो , अगर चूक गए तो अवसर चूक जाओगे । अर्थात् भक्ति कर अच्छे कार्य करो , इस काया पर कलंक न लगने दो । चार खानों की चौपड़ खेलने की चौकड़ी बनी है , उसमें चौरासी घर हैं । अरे जीत गया तो स्वर्ग में जायेगा और हार गया तो फिर चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा , इससे तू सम्हलकर चल । चौपड़ में चौरासी घर हैं , चौरासी सार हैं । ब्रह्माजी ने यह पासा डाला है । सम्हलकर सार चलो यमराज ताक रहा है । मानव बहुत दिन में अवसर तेरे हाथ आया है । चूक गया तो यमराज ले जायेगा और नरक में डालेगा । कबीरदासजी कहते हैं धरमदास सुनो यह पंच निरवाणी है , इस पंथ की परीक्षा करो , तेरा हंसा सतलोक में गया , हंसा सम्हलकर खेलो ।",bhili-bhb "करमा गीत-5 ओ हो रे हाय रात झिम झिम करे उठ देवता कंदरा बजावो हो । रात झिम झिम करे । कय दो मोहर कर केंदरा रे केन्दरा कय दो मोहर ओकर तार हो । रात झिम झिम करे . . . दसे मोहर कर केन्दरा रे केन्दरा बीस मोहर ओकर तार हो । रात झिम झिम करे . . . हल जोती आवे कुक्षारी भाजे आवे , लगे देवरा केन्दरी बजावा हो । रात झिम झिम करे . . . फूट गये केन्दरा टूट गये तार हो , कइसे बजावौ गाई केन्दरा हो । रात झिम झिम करे . . . तुंहर बने केन्दरा तुंहर बने तार हो कइसे पतियांवन तुंहर बात हो रात झिम झिम करे . . .",chhattisgarhi-hne "ऊँचा री कोट सुरंग देवी जालमा ऊंचा री कोट सुरंग देवी जालमा हरियल पीपल तेरे बार मेरी माय हरियल पीपल पड़ी ए पंजाली तैं तो झूलै आज भवानी मेरी माय कौन जै झूले मइया कौण झुलावै कौण जै झोटे देवै मेरी माय देरी री झूलै मइया लोकड़िया झुलावै धणराज झोटे देवै मेरी माय सीस राणी तेरे स्यालू री सोहै ऊपर जरद किनारी मेरी माय हाथ राणी तेरे महंदा सोहै पोरी पोरी छलले बिराजैं मेरी माय पैर राणी तेरे पायल सौहे बिछवे रुण झुण बाजे मेरी माय सोवै के जागै मेरी सात भवानी तेरी सात सवाई मेरी माय इब के तो गुनाए बकस मेरी जालमा तेरै जैजै करदा आऊं मेरी माय बेटे री पोते मइया साथ री ल्याऊं नंगे पैरें आऊ मेरी माय",haryanvi-bgc "223 भाबी खिजां दी रूत जद आन पहुंची भौर आसरे ते जफर जालदे नी सेउन बुलबुलां बूटयां सुकयां नूं फेर फुल लगन नाल डाल दे नी असां जदों कदों उहनां पास जाना जेड़े महरम असाडड़े हाल दे नी जिन्हां सूलियां ते लए चा झूटे मनसूर होरीं साडे नाल दे ने वारस शाह जो गए नहीं मुड़दे लोक असां तों औना भालदे ने मोजू चैधरी दा पुत चाक लया एह पेखने1 जुल जुलाल2 दे ने एस इशक पिछे लड़न मरन सूरे सफां डोलदे खूनियां गालदे नी भाबी इशक तो नसके ओह जांदे पुत्र होन जो किसे कंगाल दे नी मारे बोलियां दे घरीं नहीं वड़दे वारस शाह होरी फिरन भालदे नी",panjabi-pan "कानो बड़ाई करो बीर हनुमान की कानों बड़ाई करों बीर हनुमान की । सिंधु पार कूंद पड़े बाग तो उजार आये लंका जलाये आये , छन में रावण की । कानों . . . रावण के देश गये , सिया खों संदेश दये मुद्रिका को तो दे आये , सिया खों राजा राम की । कानों . . . कहते हैं रामचंद्र सुनो भैया लक्ष्मण , होते न हनुमान तो पाउते न जानकी । कानों . . . तुलसीदास आस रघुबर की , निसदिन मैं गाऊँ , श्री रामचंद्र जानकी । कानों . . .",bundeli-bns "निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी । सँवरिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 1 ॥ मेरे पेटारे में कपड़ा बहुत सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 2 ॥ मेरे पेटारे में गहने बहुत सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । माय बहन को पेन्हा1 सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 3 ॥ मेरे पेटारे में मेवा बहुत खइयाँ । माय बहन को खिला सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़े दरदे उठी ॥ 4 ॥",magahi-mag "नैना परदेसी सें लरकें नैना परदेसी सें लरकें । भऐ बरवाद बिगर कैं । नैनाँ मोरे सूरसिपाही । कवऊं न हारे लरकें । जे नैना बारे सें पाले , काजर रेखैं भरकें । ईसुर भींज गई नइ सारी , खोवन अँसुआ ढरकें ।",bundeli-bns "अंगिका फेकड़ा ओरे रे नूनू ओर बटना माय बाप गेलोॅ छौ चिचोर कटना बाप जिमिदरबा घोड़वा पर माय जिमिदरनी डोलवा पर पैला में चूड़ा मचक मारै छै सीका पर दही हिलोड़ मारै छै । नूनू के जुठकुट के खाय ? बाबू खाय । बाबू के जुटकूट के खाय ? भैया खाय । भैया के जुठकूट के खाय ? भौजी खाय । भौजी के जुठकूठ के खाय ? कुतवा खाय । कुतवा के जुठकुठ के खाय ? कौआ खाय । कौआ के जुठकुठ के खाय ? धरती खाय । ओरे रे नूनू ओर बटना माय गेल छौं कूटेॅ पीसेॅ बाप गाड़ीमान दादा गेलोॅ छौं बाँस काटेॅ दादी हलुमान फूफू तेॅ छेकौ लुबड़ी पानी पियै के तुमड़ी साँझै घूरी केॅ एथौं नूनू भर अैंगना । चॉन मामू आरे याबोॅ वारे याबोॅ नदिया किनारे आवोॅ चंपा केला , सुरका चूड़ा भैंसी के दही लेलेॅ आवोॅ , लेलेॅ आवोॅ नूनू रोॅ मुँहोॅ में घुटुस । सूतेंसूतें रे नूनू ओर बटना माय गेलै कूटेॅ पीसेॅ , बाप खलिहान चाचा गेलै छप्पर छारेॅ चाची के दुखैली कान । सूतेॅसूतेॅ रे नूनू सुतौनी देबौ दालभात तोहरा खबौनी देबौ ।",angika-anp "254 बचा सैं तूं जिस कलबूत अंदर सचा रब्ब है थाओं बनाए रहया माला मनकयां दे विच इक धागा तिवें सरब दे विच समा रहया जिवें पतरी मेंहदी दे रंग रचाया तिवें जान जहान में आ रहया जिवें रकत सरीर विच सास अंदर तिवें जात में जोत समा रहया रांझा बन्नके खरच ही मगर लगा जोगी अपरा जोर सब ला रहया तेरे दुअर जोगा हो रिहा हां मैं जोगी जट नूं कथा समझा रहया वारस शाह मियां जिहनूं इशक लगादीन दुनी दे कम थीं जा रहया",panjabi-pan "कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय बेआ का जोवेना रे कनयारी फूले डो माय बेआ का जोवेना रे बेटी का डीयो डो माय बेटी का डीयो डो माय बेटी का डीयो डो माय टापी न पेला रे रे बेटी का डीयो डो माय टापी न पेला रे रे जंगेला चलो डो माय जंगेला चलो डो माय जंगेला चले डो माय दुनिया न देखी से हो जंगेला चले डो माय दुनिया न देखी से हो बेटी का डूकी डो माय बेटी का डूकी डो माय बेटी का डूकी डो माय भगवाना जाने से हो बेटी का डूकी डो माय भगवाना जाने से हो स्रोत व्यक्ति संगीता , ग्राम मकड़ाई",korku-kfq "बावरियों छे फलाणी जेळू रो यार बावरियों छे फलाणी जेळू रो यार हेली म्हारो बावरियां ।",malvi-mup "कउन बाबू के बगिया लगावल, जलथल हरियर हे कउन बाबू के बगिया लगावल , जलथल हरियर1 हे । ललना , कवन बाबू हथि2 रखवार , कउन चोर चोरी कयलन हे ॥ 1 ॥ बाबा मोरा बगिया लगावल , जलथल हरियर हे । ललना , मोरा भइया हथि रखवार , साहेब चोर चोरी कयलन हे ॥ 2 ॥ एक फर3 तोड़ले दोसर फर , अउरो तेसर फर हे । ललना , जागि पड़ल रखवार , दउना4 डारे बाँधल हे ॥ 3 ॥ सोबरन5 के साँटी6 चोरवा के मारल , रेसमे डोरो बाँधल ॥ 4 ॥ घरवा से इकसल7 जचा रानी , इयरी पियरी पेन्हले हे । गोदिया में सोभइ एगो8 बालक , नयन बीच काजर हे ॥ 5 ॥ भइया हमर बीरन भइया , सुनहु बचन मोरा हे । भइया , चोरवा हइ सुकुमार फुलुक9 डोरी बाँधिहऽ , सोबरन साँटि छुइह हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "456 राज छड गए गोपी चंद जेहे शदाद फिरऔन कहा गया नौशेरखां छड बगदाद टुरया ऊह वी अपनी वार लंघा गया आदम छड बहिशत दे बाग नठा भुले बिसरे कणक नूं खा गया फिरऔन खुदा कहायके ते मूसा नाल ऊशटंड बना गया नमरूद शदाद जहान उते दोजख अते बहिश्त बना गया कारूं जेहा इकठियां मल के बन्ह सिर ते पंड उठा गया माल दौलतां हुकम ते शान शौकत महखासरी हिंद लुटा गया सलेमान सकदरों ला सफरे सतां भूइयां ते हुकम चला गया ओह भी एस जहान ते रिहा नाही जेहड़ा आप खुदा कहा गया वारस शाह उह आप है करनहारा सिर बंदया दे गिला आ गया",panjabi-pan "91 हीर आणके आखदी हस के ते अना झाल नी अंबड़ीये मेरीये नी तैंनूं डूंघड़े खूह विच चा बोड़ां गल्ला नूं पिटयो बचड़ीये मेरीये नी धी जवान जे किसे दी बुरी होवे चुप कीतियां चा नबेड़ीए नी तैनूं वडा उदमाद1 आ जागिया ई तेरे वासते मणुश सहेड़ीए नी धी जवान जे निसे दी बाहर जाण लगे वस तां खूह नघेरीये नी वारस शाह जीउंदे होण जे भैन भाई चाक चोबरां नांह सहेड़ीए नी",panjabi-pan "चन्दा तेरो चान्दणे कोयली बोले चन्दा तेरो चान्दणे कोयली बोले खेलण जोगी है रात राजा कोयली बोले ननद भौजाई खेलण निकली खेल खाल के घर बावड़ी घर तो बैठा लणिहार राजा कोयली बोले ‘कहां गई तेरी मां कहां गया तेरा बाप राजा कोयली बोले’ ‘कोई पीहर गई मेरी मां दिल्ली गया मेरा बाप राजा कोयली बोले’ ‘के तो ल्यावे तेरी मां के तो ल्यावे तेरो बाप राजा कोयली बोले’ ‘चून्दड़ी तै ल्यावे मेरी मां कपड़ा तै ल्यावै मेरो बाप राजा कोयली बोले’",haryanvi-bgc "151 वढी होई हुशेर1 जा छिपया ए पोह माघ कुता विच कुन्नूयां2 दे होया छाह वेला जदों विच बेले फेरे आन पये ससी पुन्नयां दे बूटा भन्न रांझे दे हथ मलिया ढेर आन लगे रते चुन्नूयां दे बेला लालो ही लाल पुकारदा सी कैदो हो रिहा वांग घुन्नूयां दे",panjabi-pan "मलेथा की कूल धौली1 का छाला2 पले किनारो , ऊँचा माँगै मलेथो3 को सेरो एक दिन छयो रुखो मलेथो एक दिन छयो भूखो मलेथो कोदो गत्थू को गौं छयो सटी नी नऊं को होंद छयो दूर बटि4 ब्वारी मुंउ मुं गैठी लादी छै पाणी पीणू कू तैंई तबी की बात तख रैंद छयो माधू भण्डारी मासूर छयो दूर तैं मानता जैकी छयी राज दरबार मा धाक छयी एक दिन माघू कोसू चल्यूं राज दरबार बटी ए थक्यंू भूख की ज्वाला छै पेट लागी खाणू को रोटी , भावी मा मांगी रोटी त छैंचा पर साग नीच बोली भावी ला चटणी बी नीच लूण अर मिर्च पीसिका ल्हौ उनि खै ल्यूं लो द्वि रोठला घौं बोले माधू ना भावी कू तैंयी भावी स्या लूण सिपणू कू गैयी जरा अबेर5 भावी कू ह्वेगे माधू कू कोध की ज्वाला लैगे मिलता समझे भावी जी कखे त्वे पर जलड़ा जकड़ी का लगिगे तान मा ताना भावी ला धाया एक की द्वी तैंला सुणाया गै छौ वं क्यारी मी मिर्च ल्हांणा गोबी छन जख आलू लगाणाँ कूल ल्हैं त्यारो कूल्याँदो क्यूँ पाणी ल्है त्यारो पणचाये क्यूँ क्यारी की क्यारो उख प्याज की छै पुँगड़ी6 पालिंगा अर मेथी की छै पाणी का घट्ट जख धुरकदा छन जौंल मगरा बी धदकदा छन माधो भण्डारी का नाम लागे छत्रि छौ वेको अभिमान जागे माधू ठाकुर उतड़ीण बैठे भावी कू रोष मा बोली बैठे तूयी ल्ही औंदी घौं कूल गाड़ी तुयी ल्ही औंदी घौं गाड बाँधी मित्र वटि भावी को क्रोध बाढ़े भैर मुसकैक बोलण बैठे त्यारा रौंदा जी मिल कूल ल्हाणा तवै छौंदा जी मिल हौल बाणा ता बुवा माधू धिकार त्वेकू ता चुचा माधू , छुछकार त्वेकू जोंगा मूँडीका विन्दी लगौ तू स्युंद गाडी का भिंटुली बणौं तू वीर क्या जैमा बबराट नीच ‘स्यू’ क्या जैमा घुघराट नीच भावी का ताना तानौ की बात बज्र सी पोड़ी माघो का माथ साबली कूटली गैंती फौड़ो धैरी काँदमा दाथी कुल्हाड़ो कूल खणणू कू अब जाण बैठे जोश का बोल बोलणा बैठे गणपती भूमिया देवी की जै जन्म भूमि गढ़माता की जै ब्यूंत कूली को अब दिखणा बैठैो रौल्यूं रौल्यू माधो जाणा बैठो साबली बजणी च खणाखण . . . ॥ धमकदा फौड़ो तैको दनादन . . . ॥ गैंती चलदी च जश तीर होवा कूटी वा जनो शमशीर होवा चल्दा पैनी कुलाड़ी चटाचट डालौं तैं काटी धोल्दा खटाखट छीना चट्टान का चूराचूरा खणी चट्टाणू का बूराबूरा ऐगे भंडारी स्वरंग क्वरदा दाँती अंखेड़ सी फोड़दफोड़दा माधू का एक नौन्याल छयो शेर को पूत हूँणयाल छयो जैं जगा डांडा7 सोरंग कोरी तख बटी खन्द एक भारी पोड़ी माधो का नौना का मूंड लैगे फोड़ि बरमंड का खंड कैगे असगुनी कूल स्या अपजसी रै सिरगतो बाल की जैला बलि ल्हे चित्त माधो को बैंरागी ह्वेगे ज्ञान की जोत चमकणा लैगे बीरु तैं शोक नी करणो चेंदो तैथैं मिरतू मा नी रोण चैंदो रौऊ को बांध माधू ला खोले माई गंगा की जै बोले , बोले पाणी खकलाट गगलाट कैकी छल्की छल्की का फकप्याट कैकी माधो की कृती यश गाँदागाँदा आज तैं कूल तख बग्द जांदा",garhwali-gbm "अपनी महलिया से मलिया मउरी गुथहइ अपनी महलिया से मलिया मउरी1 गुथहइ2 । जहाँ कवन बाबू खाड़3 जी ॥ 1 ॥ मैं तोरा पूछूँ मलियवा हो भइया । केते दूर बसे ससुरार जी ॥ 2 ॥ तोर ससुररिया , बाबू , मउरिया से खैंचल4 । चुनमें5 चुनेटल6 तोर दुआर जी ॥ 3 ॥ मोतिया चमकइ बाबू , तोहर ससुररिया । चारो गिरदा7 गड़ल हो निसान8 जी ॥ 4 ॥ अपनी महलिया में दरजी जोड़ा9 सियइ । जहाँ कवन बाबू खाड़ जी ॥ 5 ॥ मैं तोरा पूछूँ दरजियवा हो भइया । केते दूर बसे ससुरार जी ॥ 6 ॥ तोर ससुररिया बाबू , जोड़वा से खैंचल । चुनमें चुनेटल तोर दुआर जी ॥ 7 ॥ मोतिया चमकइ बाबू , तोहर ससुररिया । चारो गिरदा गाड़ल हइ निसान जी ॥ 8 ॥",magahi-mag "49 बेड़ी नहीं एह जंझ दी बनी बैठक जो कोई आवे सो सद बहांवदा ए गडावडा1 अमीर वजीर बैठे कौन पुछदा ए केहड़ी थाउं दा ए जिवें शमां ते डिगन पतंग धड़ धड़ लंझ नैं मुहानया2 आंवदा ए खवाजा खिजर दा बालका आन लथा जनाखना शरीनियां3 लयांवदा ए लुडन नाह लंघाया पार उसनूं ओस वेलड़े नूं पछोतांवदा ए यारो झूठ न करे खुदा सचा रन्नों मेरियां एह खिसकांवदा ए इक सद दे नाल एह जिंद लैंदा पंछी डेगदा मिरग फहाउंदा ए ठग सुने थनेसरों आंवदे ने एह तां जाहरा ठग झनाउं दा ए वारस शाह मियां वली जाहरा ए वेख हुने झबेल कुटाउंदा ए",panjabi-pan "मृत्यु गीत चुइण्यो चुइण्यो महलो गंधये राम । चुइण्यो चुइण्यो महलो गंधये राम । बणिया रे श्री राम पोपट एक दिन रइणें नि पायो , राम को बुलावो आयो । एक दिन रइणें नि पायो , राम को बुलावो आयो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो पोपट श्री राम को । चुइण्योचुइण्यो हिचको बंधायो राम । चुइण्योचुइण्यो हिचको बंधायो राम । एक दिन हिचणें नि पायो राम । एक दिन हिचणें नि पायो राम । आइ गयो राम को बुलावो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो रे श्री राम पोपट । चुइणों चुइणों भोजन रंधाड्यो राम । चुइणों चुइणों भोजन रंधाड्यो राम । एक कवळ नि खाणें पायो राम , आइ गयो राम को बुलावो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो रे पोपट श्री राम को । चुनचुनकर महल बनाया । महल अच्छा बना । एक दिन भी रहने न पाया , मेरे राम । मेरे राम तो भगवान राम के पोपट बनकर उड़ गए । मेरे राम ने द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । अच्छा झूला बँधाया । मेरे राम ने , पर एक दिन भी झूलने नहीं पाये और राम का बुलावा आ गया । मेरे भगवान राम के पोपट बनकर उड़ गए । मेरे राम ने द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । मेरे राम ने अच्छा भोजन बनवाया , किन्तु एक कौर भी नहीं खा पाये , भगवान राम का बुलावा आ गया । वे पोपट बनकर उड़ गए और द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । पत्नी इस प्रकार पति की मृत्यु पर रोरो कर दुःख प्रगट करती है ।",bhili-bhb "216 तैनूं हाल दी गल मैं लिख घलां तुरत हो फकीर तै आवना ईं किसे जोगी दा जा के बनी चेला सवाह लाके कन पड़वावना1 ईं सभो जात सफात बरबाद करके अते ठीक तैं सीस मुणावना ईं तू ही जीउंदियां दईं दीदार सानूं असां वत न जीउंदियां आवना ईं यारी तोड़ निभावनी दस सानूं वारस एह जहान छड जावना ईं",panjabi-pan "199 हीरे रूप दा कुझ वसाह नाहीं मान मतीए मुशक पलटिए नी नबी हुकम निकाह फरमा दिता रद फअनकहू मन लै जटिए नी कदी दीन असलाम दे राह टुरिए जड़ कुफर दी तिले तों पटिए नी जेहड़े छड हलाल हराम तकन विच हाविए दोजखी सटिए नी खेड़ा हक हलाल कबूल कर तूं वारस शाह बन बैठिए वहुटिए नी",panjabi-pan "बेन्या बाई आरती जी राइवर उबा राइवर उबा हे मांडप आय तम करो वो बेन्या बाई आरती जी । बईरी सासु बईरी सासु नणद पूछे बात ववड़ कोई ओ लादो आरती जी । घोड़ला लादा घोड़ला लादा मांडपड़ा रे हेट म्हारे मोरा ओ लादी डेड़सो जी घोड़ाला लादा घोड़ला मांडपड़ा रे हेट म्हारे मोरा हो लादी डेड़ सो जी । वकड झूटा ववड़ झूटा ओ झूटा रा बोल्या थारी एक टकारी आरती जी । राइवर उबा राइवर उबा मांडपड़ा रे हेट तम करो वो बेन्या बाई करो वो सुमन बाई करो वो मनीसा बाई करो वो टुइया बाई आरती जी ।",malvi-mup "255 जोगी हो लाचार जां मेहर कीती तदों चेलयां बोलियां मारियां ने जीभा साण चढ़ाय1 के गिरद होए जिवें तिखियां तेज कटारियां ने बेख सोहना रंग जटेटड़े दा जोग देन दियां करन त्यारियां ने जोग देन ना मूल नमाणयां नूं जिनां कीतियां मेहनतां भारीयां ने ठरक मुंडयां दे लगे जोगियां नूं मतीं2 जिन्हां दियां रब्ब ने मारियां ने वारस शाह खुशामदां3 सोहनयां दियां गलां हकदियां नांह नितारियां ने",panjabi-pan "हार दो म्हारा लाड़ला भैरव हार दो म्हारा लाड़ला भैरव हार के कारण म्हारा सासूजी रिसाया ससरा देस्या गाळ हार दो म्हारा लाड़ला भैरव जो तू बऊपड़ हार की वो भूकी खरी रे दुपेर म्हारा मड़ मांय आ नानो सी देवर म्हारा लादा लाग्यो आयो छोटी सी नणदल म्हारी लारां लागी आई",malvi-mup "बिच्छू उतारने का मंत्र धवलिया विछु कातर वालियो , कालो विछु कातर वालियो , निलो विछु कातर वालियो , कापलियो विछु कातर वालियो , छेन्डीयो विछु कातर वालियो , लहरियो विछु कातर वालियो , जहरीयो विछु कातर वालियो , काली गाय कपन चड़ी , एक विछी खुट चड़ीयो , लाव मारी पिछे , माराती नि उतरे तो बारह हनुमान नि दुहाई , सोगन्ध माराती नि उतरे तो मारा गुरू की दुहाई , सोगन्ध माराती नि उतरे तो बारह भिलट की दुहाई , सोगन्ध ।",bhili-bhb "सात जणी का हे मां मेरी झूलणा जी सात जणी का हे मां मेरी झूलणा जी पड्या पिंजोला हरियल बाग में जी अस्सी गज का हे मां मेरी घाघरा जी उसमें कली सैं तीन सौ साठ जी पड्या पिंजोला हरियल बाग में जी",haryanvi-bgc "सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी हां जी कोए आई है नवेली तीज पड़ी ए पंजाली हरियाल बाग में जी ले लो बांदी पटड़ी ए झूल कोए चलो तो म्हारे साथ जी भले ए घरां की कंवर निहाल बांगां ना जाइयो बैरण झूलणै थम नै तो लाडो झूलण रा चाव झूला घला द्यां अपणै बाग में जी तेरी तो रोकी अम्मां मेरी ना रहूं जी हां जी कोए सब कोए झूलण नै जांय पड़ी ए पंजाली हरियल बाग में जी एक डस झूले बाह्मण बाणिये जी हां जी एक डस रांघड़ और राजपूत बिच बिच झूले कंवर निहालदे जी",haryanvi-bgc "आज बिरज में होरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया ॥ टेक होरी रे रसिया , बरजोरी रे रसिया ॥ आज . कौन के हाथ कनक पिचकारी , कौन के हाथ कमोरी रे रसिया ॥ आज . कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी , राधा के हाथ कमोरी रे रसिया ॥ आज . अपनेअपने घर से निकसीं , कोई श्यामल , कोई गोरी रे रसिया ॥ आज . उड़त गुलाल लाल भये बादर , केशर रंग में घोरी रे रसिया ॥ आज . बाजत ताल मृदंग झांझ ढप , और नगारे की जोड़ी रे रसिया ॥ आज . कै मन लाल गुलाल मँगाई , कै मन केशर घोरी रे रसिया ॥ आज . सौ मन लाल गुलाल मगाई , दस मन केशर घोरी रे रसिया ॥ आज . ‘चन्द्रसखी’ भज बाल कृष्ण छबि , जुगजुग जीयौ यह जोरी रे रसिया ॥ आज .",braj-bra "हो रास्ते में पड़ गयो झील, छेल तेरे आने जाने में हो रास्ते में पड़ गयो झील , छेल तेरे आने जाने में हो तेरा बाप घर पर नहीं , छेल तेरी मय्या बुला रही सै हो मेरी अम्मां गंगा नीर , नीर के दोष लगावो मत ना हो तेरा भय्या घर पर नहीं , छेल तेरी भाभी बुला रही सै हो मेरी भाभी जमना नीर , नीर के दोष लगावो मत ना हो तेरा जीजा घर पर नहीं , छेल तेरी बहिन बुला रही सै हो मेरी बहिन कच्चा दूध , दूध के दोष लगावो ना",haryanvi-bgc "16 करे आकड़ां खाके दुध चावल एह रज के खान दीयां मसतियां ने आखन देवर नाल निहाल होइयां सानूं सभ शरीकनां हसदियां ने एह रांझे दे नाल हन घयो शकर पर जीउ दा भेत न दसदियां ने रन्नां डिगदियां देख के छैल मुंडा जिवें शहद विच मखियां फसदियां ने इक तूं कलंक हैं असां लगा होर सब सुखालियां वसदियां ने घरों निकलें जदों तूं मरें भुखा भुल जाण तैनूं सभे मसतियां ने",panjabi-pan "अटकी पीरे पटवारे सैं अटकी पीरे पटवारे सैं । प्रीत पिया प्यारे सैं । निसदिन रात दरस की आसा , लगी पौर व्दारे सैं । कैसे , प्रीत बड़े भय छूटैं , संग खेली बारे सैं । विसरत नई भोत बिसराई , बसीं दृगन तारे सैं । ईसुर कात मिलैं मन मोहन , पूरव तन गारे सैं ।",bundeli-bns "ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा हुई ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा हुई स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी जरा बेनिया1 डोलइहो2 लाल , मुझे लागि गरमी । अलग होके सोइहो3 लाल , मुझे लागि गरमी । करवट4 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 1 ॥ टीके की झलमल , मोतिये की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । पयताने5 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 2 ॥ बेसर की झलमल , चुनिये की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । जरा पंखा डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 3 ॥ बाली की झलमल , झुमके की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । सिरहाने6 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 4 ॥ कँगन की झलमल , पहुँची की गरमी । करबट होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 5 ॥ सूहे की झलमल , छापे की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । लाड़ो के लागि गरमी ॥ 6 ॥",magahi-mag "रे गगन गरजै झिमालै बिजली रे गगन गरजै झिमालै बिजली पड़ै बुन्दिया भरैं क्यारी समै बिरखा लगै प्यारी कहां गए सेज के रसिया लगा गये एक के तकिया कहां गए बाग के माली लगा गए एक सी डाली रे गगन गरजै झिमालै बिजली पड़ै बुंदियां भरै क्यारी समै बिरखा लगै प्यारी",haryanvi-bgc "सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी पु सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी कंडा चुबा तेरे पैर बांकिये नारे नी । कौन कड्डे तेरा कांडड़ा मुटिआरे नी , कौन सहे तेरी पीड़ बांकिये नारे नी । स भाबो कड्डे मेरा कांडड़ा सिपाईया वे , वीर सहे मेरी पीड़ मैं तेरी मेहरम नायों । पु खुअे ते पाणी भरेंदिये मुटिआरे नी , पाणी दा घुट पिआ , बांकिये नारे नी । स अपना भरया न दवां सिपाईया वे , लज्ज पई भर पी , मैं तेरी मेहरम नायों । पु घड़ा तेरा जे भन्न देयां मुटियारे नी , लज्ज1 करां टोटे चार , बांकिये नारे नी । स घड़ा भजे कुम्ह्यारां दा सिपाईया वे , लज्ज पट्टे दी डोर मैं तेरी मेहरम नायों । सस्स वड्डे वेले दी टोरियें सुण नूअड़िये आयियों शामां पा नी भोलीए नूअड़िये । स उच्चा लम्मा गाबरू सुण सस्सोड़िये , बैठा झगड़ा पा नी भोलिए सस्सोड़िये । सस्स ओ तां मेरा पुत्त लग्गे सुण नूअड़िये तेरा लागदा ए खौंद2 नी भोलीए नूअड़िये3 । भर कटोरा दुधे दा नी सुण नूअड़िये , जाके खौंद मना नी भोलीए नूअड़िये । पु तेरा आंदा मैं न पियाँ मुटिआरे नी , खुई वाली गल सुणा नी बांकिये नारे नी ओ । स निक्की हुन्दी नू छड्ड गया सिपाईया वे , हुण होइयां मुटिआर मैं ता तेरी मेहरम होई । सौ गुनाह मैनूं रब बख्शे सिपाईया वे , इक बख्शेंगा तू , मैं तेरी मेहरम4 होई ।",panjabi-pan "291 कुड़ीयां वेखके जोगी दी तबाअ1 सारी घरी हसदियां हसदियां आइयां ने माए इक जोगी साडे नगर आया कन्नी उस ने मुंदरां पाइयां ने नहीं बोलदा बुरा जबान विचों भावें भिछया नहीयों पाइयां ने हथ खपरी फाहुड़ी मोढयां ते मेहर गानियां गले पहनाइयां ने अरड़ाउंदा वांग जलालियां2 दे जटां वांग मदारियां छाइयां ने ना ओह मुंडीया गोदड़ी नाथ जंगम ना उदासियां विच ठहराइयां ने परेम मतियां अखियां रग भरियां सदा गूहड़ियां लाल सुहाइयां ने खूनी बांकियां नशे दे नाल भरियां नैनां खीवियां3 सान चढ़ाइयां ने कदे संगली सुट के शगन वाचे कदे सवाह ते औंसियां पाइयां ने कदे किंग बजा के खड़ा रोवे कदे हसदे नाद घुकाइयां ने अठे पहर अलाह नूं याद करदा खैर ओसनूं पांदियां माइयां ने नशे बाझ भवां उहदियां मतियां4 ते मिरगाणीयां5 गले बणाइयां ने जटां सोंहदियां छैल उस नढड़े नूं जिवें चंद गिरदे घटां आइयां ने ना कोई मरदा ना किसे नाल लड़या नैनां उसदयां छहबरां6 लाइयां ने कोई गुरु पूरा उसनूं आन मिलया कन्न पाड़ क मुंदरां पाइयां ने वारस शाह चेला बाल नाथ दा ए झोकां7 प्रेम दियां किसे ने लाइयां ने",panjabi-pan "472 हीर आखया जायके खोल बुकल उहदे वेस नूं फूक वखावनी हां नैनां चाड़के सान ते करां पुरजे कतल आशकां दे उते धावनी हां अगे चाक सी खाक कर साड़ सुटां उहदे इशक नूं सिकल1 चड़ावनी हां ऊहदे पैरां दी खाक हैं जान मेरी जीउ जानथी घोल घुमावनी हां मोया पया है नाल फिराक2 रांझा ईसा वांग मुड़ फेर जवावनी हां वारस शाह पतंग नूं शमा उते अग लायके वेख जलावनी हां",panjabi-pan "भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी से चम्पा दासी के लिए विनती” अब ये दासी राहय ते रागी हौव सबझन ल किथे हा मोर बात तो तुमन सुन लौ सुन लौ बहिनी हो हा तुमन तो मोर बात सुनलव हौव भईया हो हा तुमन तो मोर बात सुनलव हौव चम्पा दासी के कोई बात नई सुनय रागी हा बस ओला फांसी में लेगेबर हौव तैयार रिथे हा एकादशी के उपास रिथे हौव छै दिन के वो खाना नई खाय राहय हा तब सब सखी सहेली , रानी सामदेवी ल किथे हा – गीत – बोले बचन मोर सखीमन , मोर सखीमन या सुन ले रानी मोर बाते ल बोले बचन मोर सखीमन , मोर सखीमन वो सुन ले रानी मोर बाते ल एकादशी के वो , ये उपासे हावय एकादशी के ना , वो उपासे हावय येदे छै दिन कुछ खाए वो , भाई येदे जी येदे छै दिन के कुछ नई खाए वो , भाई येदे जी लोटा ल देवत हे रानी हा , मोर रानी ह वो आमायेझरीबर भेजथे लोटा ल देवत हे रानी हा , मोर रानी ह वो सोनायेझरीबर भेजथे चम्पा दासी दीदी , उहाँ पहुँचत थे या चम्पा दासी दीदी , उहाँ पहुँचत थे वो येदे रोवन लागत थे वोदे वो , भाई येदे जी येदे रोवन लागत थे वोदे वो , भाई येदे जी – गाथा – चम्पा दासी के सब सखी सहेली राहय ते रागी हौव जाकर के रानी सामदेवी ल किथे हा दोनों हाथ में विनती करके किथे हौव रानी हा एकबार हमर बात रखलेव रखलेव वो ह एकादशी के उपास हे हौव छै सात दिन होगे कुछ खाए नईये हा अउ खाली पेट में ओला फांसी मत चढ़ा हौव अउ ओला गुस्सा आ जथे रागी हा धरा देथे लोटा ला हौव अउ सोनाझरी के हा तरियाबर भेज देथे हौव अब ये चम्पा दासी राहय तेन हा धिरे धिरे जा थे हौव रोवत रिथे हा – गीत – पहुंचन लागत थे दासी हा , मोर दासी हा वो सोनायेझरीबर के तीरे में , येदे तोरे में या गंगा ये मइया ल देखत थे , येदे देखय दीदी बोलन लागथे दासी हा , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी गंगाच मइया में उतरत थे , मोर उतरत थे वो चम्पा ये दासी ह आजे ना , येदे आजे दीदी विनती करय जल देवती के , जल देवती के वो सुमिरन करय भोलानाथ के , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी घुटुवा ले पानी ह आवत थे , येदे आवय दीदी माड़ी ले पानी ह आ गेहे , येदे आगे हे वो मनेमने दासी सोचत थे , येदे सोचय दीदी देखन लागथे भोला ला , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी – गाथा – अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव लोटा ल धर लेथे हा सोनाझरी के तीरे में पहुंच गे हौव गंगा मइया में उतरथे हा घुटुवा ले पानी आ जथे हौव ओकर बाद माड़ी तकले हा जब माड़ी तकले आथे त किथे हे भोलेनाथ हौव में तोर सामने में हौव हा तें मोरबर दया कर हौव में तोला अंचरा मे पुजहूँ हा भोलेनाथ हौव अइसे किके ओकर प्रार्थना करथे हा",chhattisgarhi-hne "538 सहती आखदी बाबला जाह आपे सैदा आप नूं वडा सदांवदा ए नाल किबर1 हंकार दे मसत फिरदा नजर तले ना किसे नूं लयांवदा ए सांहे वांगरां सिरी फिहांवदा ए अगों आकड़ां पया वखांवदा ए जा के नाल फकीर दे करे आकड़ गुसे गजब नूं पया वधांवदा ए मार नूंह दे दुख हैरान कीता अजू घोड़ी ते चढ़के धांवदा ए यारो उमर सारी जटी ना लधी रहया सोहनी ढूंढ़ ढूंढ़ावदा ए वारस शाह जवानी विच मसत रहया वकत गए ताईं पछोतांवदा ए",panjabi-pan "सुआ गीत-1 और गीत के बीचबीच में ये दुहराई जाती हैं । गीत की गति तालियों के साथ आगे बढ़ती है । तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना कइसे के बन गे वो ह निरमोही रे सुअना कोन बैरी राखे बिलमाय चोंगी अस झोइला में जर झर गेंव रे सुअना मन के लहर लहराय देवारी के दिया म बरिबरि जाहंव रे सुअना बाती संग जाहंव लपटाय",chhattisgarhi-hne "आल्हा ऊदल पानी पीयो मद पीयों भौजी अन गौ के माँस तब ललकार सोनवा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं फगुआ खेलावह मोर देवर के इन्ह के फगुआ देह खेलाय घौरै अबिरवा सिब मंदिर में केऊ तो मारे हुतका से केऊ रुदल के मैसे गाल भरल घैलवा है काँदो के देहन पर देल गिराय धोती भीं जल लरमी के पटुका भींजल बदामी वाल मोंती चूर के डुपटा है कीचर में गैल लोटाय बोले राजा बघ रुदल बाबू डेबा सुनी बात हमार रण्डी के चाकर हम ना लागीं तिरिया में रहों लुभाय भैं तो चाकर लोहा के सीता राम करे सो होय बीड़ा मँगावल पनवाँ के भर भर सीसा देल पिलाय पढि पढि मारे लौंड़ी के टिकुली टूक टूक उड़ जाय भागल लौंड़ी है सोनवा के लौंड़ी जीव ले गैल पराय लागल कचहरी इंदरमन के बँगला बड़े बड़े बबुआन ओहि समन्तर लौंड़ी पहुँचल इंदरमन अरजी मान हमार आइल रजा है बघ रुदल के डोला घिरावल बाय माँग बिअहवा सोनवा के बरियारी से माँगै बियाह है किछू बूता जाँघन में सोनवा के लावव छोड़ाव मन मन झड़खे रजा इंदरमन बाबू मन मन करे गुनान बेर बेर बरजों सोनवा के बहिनी कहल नव मानल मोर",bhojpuri-bho "बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश की रहेवास बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारो देश माळवो , मुलुक निमाड़ , गाँवड़ा को छे रहेवास । बनी तुम घर चलो घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो , नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को पणिहार । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारा घर घर कुवा , न चौक वावड़ी गाँव मऽ रतन तळाव । बनी तुम घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो , नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को जीमणार । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारा ज्वार तुवर का खेत घणा , घींव दूध की छे भरमार । बनी तुम घर चलो , घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बनी थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को पेरवास । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारो घर भर रहेट्यो चलावण्यो , काचळई लुगड़ा को छे पेरवास , बनी तुम घर चलो , घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा घर को रिवाज । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारी काकी भाभी छे अति घणी , माताजी का नरम सुभाव । बनी तुम घर चलो , घर चलो चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । ।",nimadi-noe "लचिका रानी बंदना रम्मा पहिलें सुमराैं सरसती मैयो हो ना रम्मा हमरा पर हुवेॅ सहैयो हो ना रम्मा सुमरौं गणपति , गणेश , चरणमो हो ना रामा नीचें सुमरौं शेषनाग देवता हो ना रम्मा सुमराैं आपनोॅ धरती धरममो हो ना रम्मा सुमराैं हम्मे सातो बहिन दुर्गा महरनियो हो ना रम्मा पकड़ी सुमराैं गुरू जी के चरनमो हो ना रम्मा जौनें देलकै हमरा गियनमो हो ना रम्मा सब्भै देवता के करौं परनममो हो ना रम्मा सुनोॅ आबेॅ लचिका के कहनियो हो ना पहिला खण्ड रम्मा सुनोॅ कथा लचिका के धरि केॅ धियानमो रे ना रम्मा बरप्पा छेलै एक नगररियो रे ना रम्मा वहाँ के राजा बड़ा शक्तिशालियो रे ना रम्मा इनकर लड़का छेलै प्रीतम सिंहो घब रे ना रम्मा सब्भै राजा में प्रसिद्धवो रे ना रम्मा अन्नधन छेलै पुरजोरिवो रे ना रम्मा लचिका छेलै प्रीतम के जानमो रे ना रम्मा देखै में छेलै खुबसुरतियो रे ना रम्मा लागै गुलाब फुलवो रे ना रम्मा रूप छेलै अनुपे रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ आगू के बतियो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के छेलै नौरंग पोखरबो रे ना रम्मा राजा के सुनी हुकुममो रे ना रम्मा आबी केॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा हम्में लानी देभौं लचिका रनियाँ रे ना रम्मा पान बीड़ा खैलके कुटनी बुढ़िया रे ना रम्मा बुढ़िया धरलकै रसतवो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै वरप्पा नगरियो रे ना रम्मा करलकै राजा बड़ी इन्तजामवो रे ना रम्मा संगोॅ में सब पलटनमो रे ना रम्मा पहुँची गेलै वरप्पा पोखरियो रे ना रम्मा बुढ़िया गेलै लचिका के भवनमो रे ना रम्मा लचिका सें करै छै बतियो रे ना रम्मा हम्में छेकियौ तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा बुढ़िया बोलै मीठी बोलियो रे ना रम्मा लचिका सुनी देलकै जबबो रे ना रम्मा मैया छेलै हमरोॅ अकेलवो रे ना रम्मा दोसरोॅ कोनो नहीं बहिनियो रे ना रम्मा कैसें लागभैं तों हमरोॅ मौसीयो रे ना रम्मा तबेॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा जहिया होलौ तोरोॅ जनममो रे ना रम्मा वही दिनां होलै हमरोॅ गौउनमो रे ना रम्मा जहिया सें गेलियै ससुररियो रे ना रम्मा नाहीं एैलियै नैहरवो रे ना रम्मा होलौ जबेॅ तोरोॅ विहववो रे ना रम्मा नै देलकौ तोरो माय नेवतो लियवनमो रे ना रम्मा तोड़ी देलकौ हमरा सें नतवो रे ना रम्मा जानभैं कैसें तों हमरोॅ हलवो रे ना रम्मा कैसें करभैं पहचनमो रे ना रम्मा पूछले ऐलां तोहरोॅ नगरियो रे ना रम्मा तोरा सें करैलेॅ मुलकतवो रे ना रम्मा हम्में तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा मानी लेहै हमरोॅ तों सत बचनमो रे ना रम्मा तोरोॅ ससुर के नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा मनोॅ में लागलोॅ ललसवो रे ना रम्मा देखै लेॅ ऐलां सुनी केॅ नममो रे ना रम्मा सुनी लचिका भेलै मगनमो रे ना रम्मा करेॅ लागलै मौसी के आदर सतकरबो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के मनोॅ मे भेलै खुशियो रे ना रम्मा एक दिन कहै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटो लचिका हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा तोहरोॅ छौ नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा हमरा देखाय दे भरी नजरियो रे ना रम्मा चली केॅ हमरा संगवो रे ना रम्मा तबेॅ पूरा होतै हमरोॅ अरमनमो रे ना रम्मा लचिका कहै मौसी सें बतियो रे ना रम्मा सुनें हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा हम्मे पूछि आवै छियौ आपनोॅ सासू सें रे ना रम्मा तबेॅ लैके जैवौ पोखरियो रे ना रम्मा इ बात बतिया कही के लचिका गेलै सासू के पासबो रे ना रम्मा हाथ जोड़ी करै बतियो रे ना रम्मा सुनोॅ माय जी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा आजु दिना छेकै एतबरबो रे ना रम्मा सुरूजोॅ केॅ देवै अरगबो रे ना रम्मा हमरा तों देॅ हुकुममो रे ना रम्मा हम्में जैबै नाहैलेॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका के सुनी बचनमो रे ना रम्मा सासु कहै पूतौहो सें बचनमो रे ना रम्मा पोखरिया के पानी बड़ा खरबवो रे ना रम्मा कादोॅ कीचड़ सें भरलोॅ पोखरबो रे ना रम्मा कैसंे जैभो पोखिरिया असनानमो रे ना रम्मा ठंडा लागी पोखरिया के पनियो रे ना रम्मा ऐगंना में खोदाई देभौं वारह कुपबो रे ना रम्मा रेशम के लानी देबाैं डोरियो रे ना रम्मा नहीं देलकै साँसू हुकुममो रे ना रम्मा तबेॅ भै गेलै रानी लचिका उदसवो रे ना रम्मा चल्लो गेलै ससुर जी के पसबो रे ना रम्मा जाय केॅ बोललै हलवो रे ना रम्मा ससुरें दै देलकै हुकुमो रे ना रम्मा तबेॅ गेलै स्वामी जी के पासवो रे ना रम्मा नहीं देलकै स्वामी हुकुममो रे ना रम्मा माथा पर चढ़लै शैतनमो रे ना रम्मा नहीं मानलकै केकरो कहनमो रे ना रम्मा चल्लोेॅ गेलै पोखरिया असननमो रे ना रम्मा कुटनी के फेरोॅ में पड़लै रानी लचिको रे ना रम्मा फिरी गेलै लचिका के मतिया रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के दागाबजियो रे ना रम्मा भेद कुछु नहीं जानलकै रानी लचिको रे ना रम्मा लड़का छोड़ी देलकै घरवो रे ना रम्मा सुतलोॅ पलंग के उपरबो रे ना रम्मा लै लेलकै आपनोॅ कपड़वो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै कुटनी के संगबो रे ना रम्मा पोखरिया में करै लेॅ असननमो रे ना रम्मा आवे सुनो पोखरियाँ के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ बैठलोॅ रहै पापी जयसिंह राजवा रे ना रम्मा मनोॅ में सौचै बतियो रे ना रम्मा आजु दिना मिली जैतै रानी लचिको रे ना रम्मा लचिका एैले पोखर किनरवो रे ना रम्मा दतवन करेॅ लागलै पोखर किनरवो रे ना रम्मा कपड़ा गहनमा खोली धरै घटवा भीतरबो रे ना रम्मा लचिका नहावेॅ लागलै घटवो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़िया देलकै राजा के ईशरवो रे ना रम्मा राजा जबेॅ देखलकै ईशरवो रे ना रम्मा साथे लैके सिपहिया लशकरवो रे ना रम्मा आवी पहुँचलै पोखरियाँ ऊपरवो रे ना जतना छेलै सेना लश्करवो रे ना रम्मा घेरी लेलकै आवी केॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका जबेॅ देखलकै हलवो रे ना रम्मा भागि केॅ छिपलै मंदिरवो रे ना रम्मा जबेॅ सुनलकै नौरंग सिंह खबरवो रे ना रम्मा लचिका घेरैली पोखरबो रे ना रम्मा घेरलकै आवी केॅ दुश्मनमो रे ना रम्मा मथवा धुनै कहै बचनमो रे ना रम्मा बहुएं नहीं मानलकै कहनमो रे ना रम्मा पोखरिया पर गेलै करिकेॅ हठबो रे ना रम्मा पड़ी गेले दुश्मन के हथवो रे ना रम्मा होय गेलै बड़ी मुश्किलवो रे ना रम्मा एतना कही केॅ बचनमो रे ना रम्मा देलकै पलटन के हुकुममो रे ना रम्मा एैलै दुश्मन पोखरियो रे ना रम्मा होय जायकेॅ जल्दी तैयरवो रे ना रम्मा सुनी केॅ जयसिंह के बतियो रे ना रम्मा पलटन सजलकै आरू हथियो रे ना रम्मा चल्लै पोखरिया पर पटलनमो रे ना रम्मा साथो में चललै प्रीतम सिंहबो रे ना रम्मा पोखरिया पर पहुँचे फौजियो रे ना रम्मा दोनों दलोॅ के भेलै भिड़नमो रे ना रम्मा चलेॅ लागलै तीर तलबरवो रे ना रम्मा हुवै लागलै घमासान लड़ैयो रे ना रम्मा बहै लागलै लहुवो के धरबो रे ना रम्मा घोर लड़ैया होलै चार पहरवो रे ना रम्मा जयसिंह पोखरियो रे ना रम्मा पलटन के देखी हलवो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह लड़े आबी केॅ अगुओ रे ना रम्मा करलकै धमासान लड़ैयो रे ना रम्मा लड़तेंलड़तें तेजलकै परनममो रे ना रम्मा रहि गेलै नौरंग सिंहवा अकेल्ले रे ना रम्मा सुनिकेॅ हाल होले बेहलबो रे ना रम्मा फेनू धीरज धरलकै मनमो रे ना रम्मा घोड़ा वृजवाहन पर सबरबो रे ना रम्मा लड़ैलेॅ चललै होयकेॅ तैयरवो रे ना रम्मा पहुँची गेलै पोखरिया उपरवो रे ना रम्मा आबी केॅ लड़ेॅ लागलै नौरंग सिंहबो रे ना रम्मा करिकेॅ लड़ाय धमसनमो रे ना रम्मा दस बीस के काटै गरदनमो रे ना रम्मा एतनै में एैललै एक वीरवो रे ना रम्मा पीछू सें मारि देलकै तेगवो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के कटी गेलै गरदनमो रे ना रम्मा धरती पर गिरी तेजलकै परनमो रे ना रम्मा होलै नाश नौरंग सिंह के दलवो रे ना रम्मा दुश्मन केॅ होलै खुशी हलवो रे ना रम्मा चारो ओर मचलै जै जै करबो रे ना रम्मा दुश्मन दल के भीतरवो रे ना",angika-anp "मैं नाहीं दधि खायौ मैया मैं नाहीं दधि खायौ , मोय झूठो दोष लगायौ ॥ टेक ॥ ये ग्वालन जुरिमिलि के मैया , मोकू नाच नचाती हैं । दे दे तारी हँसे और मोय बकनी बात सिखाती हैं ॥ लीनौ पकरि मोय वन वन में जो कहुँ अकेलौ पायौ ॥ मैया . जो मैं आयो भाजि तो मैया ये मन में खिसियाती हैं । तंग कराइबे मोकू ये झूठौ उरहानौ लाती हैं ॥ इनके संग तनकहू मैंने ऊधम नहीं मचायौ ॥ मैया . जो तू मानें झूठ पूछ लैं मनसुख मेरौ गवाही है । कब लूटौ मैंने दधि इनको झूठी बात बनाई है ॥ हैं मदमाती ज्वानी में ये अपनों ऐब छिपायौ ॥ मैया . कैऊ दिना या चिमिचिमयाने मैया मोकूँ मारौ है । पूछ ले याते मैया तू अरी मैंने कहा बिगारौ है । ‘घासीराम’ ने दंगल में रसिया ये कथिके गायौ ॥ मैया .",braj-bra "15 रांझा आखदा भाबियो वैरनो नी तुसां भाइयां नालों विछोड़या जे खुशी रूह नूं बहुत दिलगीर करके तुसां फुल गुलाब दा तोड़या जे सके भाइयां नालों विछोड़ मैंनूं कंडा विच कलेजे दे पोड़या जे भाई जिगर ते जान सां असीं अठे वखो वख न चाए विछोड़या जे नाल वैर दे रिकतां छेड़ भाबी , सानूँ पिटणा होर चमोड़िया जे जदों साफ हो टुरनगियां वल जन्नत वारस शाह दी सांग न मोड़या जे",panjabi-pan "ऐ माय डो ऐ माय डो माय ऐ माय डो ऐ माय डो माय इंज सेनेवा चारी कोना तीरथो बारेन डो सेने बोले ऐ कोन जा ऐ कोन आमानी उरगा टालान गंगा जमुना डो सुबान केरे ऐ कोन जा ऐ कोन चारी कोना चोजा सांटी चारी कोना तीरथो बारेन डो सेने बोले ऐ कोन जा ऐ कोन अमानी उरागेन गंगा जमुना डो सुबान केरे स्रोत व्यक्ति गंगू बाई , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "43 रांझे आखया पार लंघा मियां मैनूं चाढ़ लै रब्ब दे वासते ते असीं रब्ब की जाणदे भैण भाड़ा बेड़ा ठेहलदे लब्ब दे वासते ते असां रिज़क कमावना नाल हीले बेड़ा खिंचदे ढब्ब दे वासते ते हथ जोड़के मिन्नतां करे रांझा तरला करां मैं झब्ब दे वासते ते वारस रूस आया नाल भाइयां दे मिन्नतां करां सबब दे वासते ते",panjabi-pan "ननदिया माँगे फुलझड़ी हे, हम न देवइ ननदिया माँगे फुलझड़ी हे , हम न देवइ1 । झलाही2 माँगे मोती लड़ी हे , हम न देवइ ॥ 1 ॥ राजाजी , सोवे कि जागे हे , हम न देवइ । अप्पन3 बहिनी के बरजू4 हे , हम न देवइ ॥ 2 ॥",magahi-mag "हठ पर गई गौरा नार हठ पर गई गौरा नार , महादेव मढ़िया हमें बनवाय दियो । काहे की मढ़िया बनवाई , काहे के कलश धराये । हमें . . . चूना ईंटा की मढ़िया बनाई , सोने के कलश धराये । हमें . . . कै जोजन मढ़िया बनी औ कै जोजन विस्तार महादेव । हमें . . . नौ जोजन मढ़िया बनी औ दस जोजन विस्तार महादेव । हमें . . . को मढ़िया में बैठयों औ कौना करे विस्तार महादेव । हमें . . . गौर मढ़िया में बैठिहे औ भोला करे विस्तार महादेव । हमें . . .",bundeli-bns "नौमण सौंठ, सवामण अजमो नौमण सौंठ , सवामण अजमो येंई धमाधम खांडो पियाजी कोई लोग सुणेगा सासू सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो ललना खिलावेगा ललना खिलावेगा , तो दिन दस रेगा दिन दस रेगा , तो घणोघणो खावेगा जापो बिगाड़ी घर जावेगा पियाजी कोई लोग सुणेगा माता सुणेगा , तो दौथ्ड़यादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो ललना खिलावेगा ललना खिलावेगा , तो दिन दस रेगा दिन दस रेगा , तो थोड़ाथोड़ा खावेगा जापो सुधारी घर जावेगा जेठानी सुणेगी , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो फूंको धरेगा फूंको धरेगा , तो नेग मांगेगा जापो बिगाड़ी ने घर जावेगा काकी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने घर जावेगा देराणी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो रसोई निपावेगा दिन दस रेगा , खाट बिछावेगा नेग लई ने जापो बिगाड़ेगा जापो बिगाड़ी ने घर जावेगा भाभी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने घर जावेगा नणंद सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने धर जावेगा । नणंद सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो सांतीपूड़ा लावेगा नेग लई ने जापो बिगाड़ेगा बेन आवेगा , तो जापो सुदारेगा पड़ोसण सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा आवेगा तो मंगल गावेगा पेड़ा मांगी ने घर जावेगा सखियां सुणेगा , तो दौड़ी आवेगा जापो सुदारेगा ।",malvi-mup "262 बाल नाथ दे साहमणे सद धीदो जोग देन नूं पास बहालया सू रोड मोड होया सवाह मली मुंह ते सब कोड़मे दा नाम गालया सू कन्न पाड़ के झाड़ के हिरस हसरत इक पलक विच मुन्न वखालया सू जहे पुतरां ते बाप मेहर करदे जापे दुध पिलाइके पालया सू सवाह अंग रमा सिर मुन्न दाढ़ी पा मुंदरां चा नहवालया सू खबरां कुल जहान विच खिंड गइयां रांझा जोगड़ा साज वखालया सू वारस शाह मियां सुनयार वांगू जट फेर मुड़ भन के गालया सू",panjabi-pan "झिमरी-झिमरी डा नी बारेन झिमरीझिमरी डा नी बारेन घामावा जा सारावेन बेटा झिमरीझिमरी डा नी बारेन घामावा जा सारावेन बेटा उनरी ऊसरी बाकी चूचूम गांगा ऐली आयोम उनरी ऊसरी बाकी चूचूम गांगा ऐली आयोम ताला आरागे चूचूम कू गांगा ऐली आयोम ताला आरागे चूचूम कू गांगा ऐली आयोम कुलड़ा झूरी लिवीच लोकेच आसुड़े कुलड़ा झूरी लिवीच लोकेच आसुड़े आमा जापाय ऊरागा तालाटेन आमा जापाय ऊरागा तालाटेन केने केरसा डोडो वाजा सारावेन बेटा केने केरसा डोडो वाजा सारावेन बेटा सोना लकड़ी खांडा ऐजा सारावेन बेटा गाडा किनारे सोना लकड़ी खांडा ऐजा सारावेन बेटा गाडा किनारे इडी के कुजा सारावेन बेटा सोना कोरी खांडा मारे इडी के कुजा सारावेन बेटा सोना कोरी खांडा मारे स्रोत व्यक्ति नन्हेलाल , ग्राम झल्लार",korku-kfq "नगरकोट में बासा राणी नगरकोट में बासा राणी तेरे कला कुल जग नै जाणी कथा बखाणै बिरमा ज्ञानी दुआरे तेरे पीपल री खड़ी मुगला उतर्या सतलज नदी सूती हो उठ री नदी लौकड़ लहीं खड्या है झंडी जिब जाला नै चकर चलायी फौज मुगल की काट बगाई मुगल कहै मन्नै बकसो माई जिब जाला की करी चढ़ाई खीर खांड के थाल भराए धजा नारियल लेकर आये मुगला भेंट ले कै री आया जिब लौकड़ नै कथा सुनाई सूती उठ जाग री माई मुगल भेंट भवन तेरे में लहें री खड़ा धजा नारियल भेंट चढ़ाई लौकड़िया तेरे अगवाणी खड़ा",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा ओरे रे नूनू ओर बटना माय बाप गेलोॅ छौ चिचोर कटना बाप जिमिदरबा घोड़वा पर माय जिमिदरनी डोलवा पर पैला में चूड़ा मचक मारै छै सीका पर दही हिलोड़ मारै छै । नूनू के जुठकुट के खाय ? बाबू खाय । बाबू के जुटकूट के खाय ? भैया खाय । भैया के जुठकूट के खाय ? भौजी खाय । भौजी के जुठकूठ के खाय ? कुतवा खाय । कुतवा के जुठकुठ के खाय ? कौआ खाय । कौआ के जुठकुठ के खाय ? धरती खाय । ओरे रे नूनू ओर बटना माय गेल छौं कूटेॅ पीसेॅ बाप गाड़ीमान दादा गेलोॅ छौं बाँस काटेॅ दादी हलुमान फूफू तेॅ छेकौ लुबड़ी पानी पियै के तुमड़ी साँझै घूरी केॅ एथौं नूनू भर अैंगना । चॉन मामू आरे याबोॅ वारे याबोॅ नदिया किनारे आवोॅ चंपा केला , सुरका चूड़ा भैंसी के दही लेलेॅ आवोॅ , लेलेॅ आवोॅ नूनू रोॅ मुँहोॅ में घुटुस । सूतेंसूतें रे नूनू ओर बटना माय गेलै कूटेॅ पीसेॅ , बाप खलिहान चाचा गेलै छप्पर छारेॅ चाची के दुखैली कान । सूतेॅसूतेॅ रे नूनू सुतौनी देबौ दालभात तोहरा खबौनी देबौ ।",angika-anp "पलंग सुतल तोहे पियवा, और सिर साहेब हे पलंग सुतल तोहे पियवा , और सिर साहेब हे । पियवा बगिया तू एगो लगइत , टिकोरवा हम चिखती1 हे ॥ 1 ॥ पलंग सुतल तोंहे धानी , त सुनहऽ बचन मोरा हे । धानी , तुहुँ एगो बेटवा बियतऽ सोहर हम सुनती हे ॥ 2 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहु न पवलन हे । धनि , सुतलन गोड़ेमुड़े2 तान सुतल गज ओबर हे ॥ 3 ॥ मोर पिछुअरबा सोनार भइया , तोही मोरा हित बसे हे । भइया , धनियाँ ला3 गढ़ि देहु कँगना , धनि के पहिरायब हे ॥ 4 ॥ काँख जाँति लिहले कँगनमा , त धनि के मनावल हे । धनिया के जाँघ बइठावल , हिरदय लगावल हे ॥ 5 ॥ धनि हे , छाँड़ि देहु मन के बिरोध , पहिर4 धनि काँगन हे ॥ 6 ॥ एही कँगना रउरे माई पेन्हथ5 अउरी बहिन पेन्हथ हे । पिया ओहे दिन सेजरिया के बात , करेजा मोरा सालए हे ॥ 7 ॥ मारलहऽ ए पियवा , मारलहऽ तीखे कटरिया से हे । पियवा रउरे बात साल हे करेजवा , कँगनमा कइसे पहिरी हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "इतनो करि काम हमारो हमारो हो , इतनो करि काम हमारो २ कानसराई और गिंजाई की बारी बनवा देना मगरमच्छ का हँसला झूमै , चंद्रमा जड़वा देना काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै , जामे लटकै बिच्छू कारो हो इतनो करि काम हमारो अंबर की मोइ फरिया लाय दै , बिजुरी कोर धरा देना जितने तारे हैं अंबर में , उतने नग जड़वा देना धरती को पट करों घाघरो , शेषनाग को नारो हो इतनो करि काम हमारो छत के ऊपर अट्टे के नीचे , चौमहला बनवा देना बिन पाटी और बिन सेरये के , पचरंग पलँग नवा देना दिन में जापै बूढ़ो सोवै , राति कों है जाइ बारो हो इतनो करि काम हमारो",braj-bra "नणन्द भावज का था प्यार दोनों रल कातती नणन्द भावज का था प्यार दोनों रल कातती काढो नणन्द लाम्बे लाम्बे तार दोनों रल बतलावती जै नणन्दल हो जायगी धी दयांगे गल का झालरा जै नणदल हो ज्यागा पूत दयांगे री जगमोतियां दर्द ऊठे आधी रात सुरत सुरत गई नणन्द मैं नाई बेटा बेग बला ल्यादे रे मेरी नणन्द नै कै रै नेाई के बात क्या मिस आ गया थारे जीजी होया सै भतीजा तनै लेण आ गया उठी नणन्द आधी रात ने दिन लिकाड्या आपणे देस मैं देख नणन्द जी का रूप भावज मेरी हंस पड़ी आरी नणन्द मेरी बैठ मूढ़ा री घालूं बैठण नै मुड़ तुड़ लागूं तेरे पाएं भतीजा तेरी गोद मैं ले ल्यो नणन्द गल का झालरा लिखो कोले साथियां झालरे ने पहरै मेरी भावज ल्यांगे री जगमोतियां लै ल्या नणन्द हार सिंगार लिखो री कोले साथियां सिंगार करैगी मेरी भावज ल्यांगें री जगमोतियां ले ल्यो नणन्द रूंढी भैंस लिखो कोले साथियां रूंढी ने दुवै मेरा भाई ल्यांगे री जगमोतियां ले ल्यो नणन्दल ठाडी घोड़ी लिखो कोले साथियां घोड़ी पै चढ़ैगा मेरा बाबल ल्यांगे री जगमोतियां ले ल्यो नणन्दल धौले नारे लिखो कोले साथियां नार्यां ने जोड़े मेरा बीर ल्यांगे री जगमोतियां जलाओ हठीली का बीर , हठीली हठ कर रही तड़क धड़क बोल्या सै बीर दे दे नै जगमोतियां जीओ मेरी मां का जाया बीर मेरा री मन राखियां बीरा मेरा री घर का सेर , भावज घर की कूतरी बीरा मेरा सिर का मोड़ , भावज मेरी पांयां खौंसड़ी",haryanvi-bgc "36 दाहड़ी शेख़ दी अमल शैतान वाले केहा राणयो जांदयां राहियां नूं अगे कढ कुरान ते बहे मिंबर केहा अडयों मकर दीयां फाहियां नूं इह पलीत ते पाक दा करो वाकफ असीं जाणीए शरह गवाहियां नूं जिहड़ी थाउं नापाक लै विच वड़यों शुकर रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं वारस शाह विच हुजरियां फैल1 करदे मुलां लावंदे जोतरे वाहियां नूं",panjabi-pan "तोरे नैनाँ हैं मतवारे तोरे नैनाँ हैं मतवारे , तन घायल कर डारे । खन्जन खरल सैल से पैने , बरछन से अनयारे । तरबारन सें कमती नइँयाँ , इनसे सबरे हारे । ईसुर चले जात गैलारे । टेर बुलाकें मारे ।",bundeli-bns "कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउन नगर गर बीजे हो माय ओ मय्या कउन नगर गर बीजे हो माय कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउन नगर गर बीजे हो माय ओ मय्या कउन नगर गर बीजे हो माय अहा गढ़ हिंग्लाजे ले खातू मंगाए हो गढ़ नरहूर गर बीजे हो माय ओ मय्या गढ़ नरहूर गर बीजे हो माय कउने ह लाए मय्या खातू अउ माटी हो कउन ह लाए बा के बीजे हो माय ओ मय्या कउने लाए बा के बीजे हो माय अहो पंड़वा ह लाए मय्या खातू अउ माटी हो उहीमन लाए बा के बीजे हो माय ओ मय्या उहीमन लाए बा के बीजे हो माय कउने बनाये मय्या तोरे फुलवरिया कउन ह बोये बा के बीजे हो माय ओ मय्या कउन ह बोये बा के बीजे हो माय अहो लंगुरा बनाये मय्या तोरे फुलवरिया पंड़वामन बोये बा के बीजे हो माय ओ मय्या पंड़वामन बोये बा के बीजे हो माय काहिन के मय्या कलसा बनाये हो काहे के दियना जलाए हो माय ओ मय्या काहे के दियना जलाए हो माय अहो दामी के मय्या कलसा बनाये हो सुरहिन घीव के दियना जलाए हो माय ओ मय्या सुरहिन घीव के दियना जलाए हो माय कउन चघे हे नवरात हो मय्या कउने करे हे रखवारे हो माय ओ मय्या कउने करे हे रखवारे हो माय अहो पंड़वा चघे हे नवरात हो मय्या मोर लंगुर करे हे रखवारे हो माय ओ मय्या लंगुर करे हे रखवारे हो माय अहो तोरे सरन मा हम आयेहन मय्या मोर बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय",chhattisgarhi-hne "दँतवा लगवलूँ हम मिसिया, नयन भरि काजर हे दँतवा लगवलूँ हम मिसिया , नयन भरि काजर हे । डंटी1 भर कयलूँ सेनुरबा , बिंदुलिया से साटि लेलूँ हे ॥ 1 ॥ सेजिया बिछयलूँ हम अँगनमा से फूल छितराइ देलूँ हे । रसेरसे बेनिया डोलयलूँ , बलम गरे2 लागलूँ हे ॥ 2 ॥ हम नहीं जानलूँ मरमिया से सुखे नीने3 सोइलूँ4 हे । रसेरसे मुँह पियरायल , जीउ फरियायल5 हे ॥ 3 ॥ आयल मास असाढ़ से दरद बेयाकुल हे । अँगनो न देखियइ बलमु जे , कइसे बचत बाला6 जीउ हे ॥ 4 ॥ ओने से अयलन ननदिया , बिहँसि बोल बोलथि हे । भउजो तोरो होतो आजु नंदलाल लहसि सोहर गायब7 हे ॥ 5 ॥ हाथ में लेबो कँगनमा8 गले मोहरमाला लेबो हे । पेन्हें के लेबो हम पीताम्बर , लहसि सोहर गायब हे ॥ 6 ॥ हम जे जनतों एतो पीरा9 होयतो , अउरो दरद होयतो हे । भुलहुँ न सामी सेज जइतूँ , न बेनियाँ डोलयतूँ हे ॥ 7 ॥ आधी रात बीतलइ , पहर राती अउरो पहर राती हे । जलमल10 सीरी भगमान , महल उठे सोहर हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे अब्बा वाली ॥ 1 ॥ तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायँगे । अरे , टीके का करु1 बनिजार2 रे नइहर वाली । मोतिये का करु बनिजार रे नइहर वाली । जो दिल तेरा सो , मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे भइया वाली ॥ 2 ॥ तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायेंगे । अरे , बेसर3 का करु बनिजार रे नइहर वाली । चुनिये4 का करु बनिजार रे नइहर वाली । जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे भइया वाली ॥ 3 ॥",magahi-mag "कैसे के दर्शन पाऊ मैया तोरी सकरी दुअरिया कैसे के दर्शन पाऊं मैया तोरी सकरी दुअरिया । सकरी दुअरिया , मैया चंदन किबरियां । कैसे . . . मैया के दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं री , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक बांझन पुकारे देव बालक घर जाये री , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया ।",bundeli-bns "122 फलहे कोल जिथे मंगू बैठदा सी ओथे चाल हैसी घर नाइयां दा मिठी नाएण घरां संदी खसमनी सी नाई कम करदे फिरन साइयां दा घर नाइयां दे हुकम रांझने दा जिवें साहुरे हुकम जवाइयां दा चा भा मिठी फिरन वालयां दी बाग खुलदा1 लेफ तुलाइयां दा मिठी सेज वछाई के फुल पूरे उते आंवदा कदम खुदाइयां दा दोवं हीर रांझा रातीं करन मौजां मझीं खान खढ़ियां सिर साइयां दा घड़ी रात रहिंदी हीर घर जांदी रांझा भाउ पुछांवदा धाइयां दा आपो अपनी कार विच रुझ जांदे बूहा फेर ना देखदे नाइयां दा",panjabi-pan "गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे मा डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन मा डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन गुजरती बेटा जो गुजरासा बेटा मारे गुजरती बेटा जो गुजरासा बेटा मारे बेटा आमका सान्टी टूटा ऊरान जा जूड़ा टिये बेटा आमका सान्टी टूटा ऊरान जा जूड़ा टिये गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे माय डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन माय डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन स्रोत व्यक्ति अनिता , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "बाजा है नघारा रणजीत का है बाजा है नघारा रणजीत का है जणू हाक्यम आया । अपणी सीमा ना छोड़ कै हे म्हारी सीमी आया अपणी बेबे न छोड़ के हे म्हारे ब्याहवण आया ।",haryanvi-bgc "पठिया बोझिलेॅ नैया बीच धार आवै हे पठिया बोझिलेॅ नैया बीच धार आवै हे वही देखी कोसिका खलखल हाँसै हे हँसै बड़ेला भाई मुँहखड़ा हे पनमा हम नै जानलियै कोसी माय तोरोॅ नैया हे आवै लड्डुवा बोझैली नैया बीच धार आवै हे वही देखी कोसी मैया खलखल हाँसै हे हँसै बड़ेला भैया मुँह खड़ा हे पनमा हम नै जानलियौ कोसी माय तोरोॅ नैया हे आवै ।",angika-anp "यारी होत मजा के लानैं यारी होत मजा के लानैं । जो कोउ करकैं जानैं । बड़े भाग से यार मिलत है । सौंरी सी पैचाने । नाव लेत रैंदास चले गये । कुज्जा भई दिमानें । ईसुर कात बिना यारी के , जिउ ना लगत ठिकानें ।",bundeli-bns "तेरे घर में घुस गए चोर तेरे घर में घुस गए चोर , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी टोपी आले , ये टोप आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी धोती आले , ये पतलून आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी लाठी आले , ते बंदूख आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे ।",haryanvi-bgc "आल्हा ऊदल लागल कचहरी जब आल्हा के बँगला बड़ेबड़े बबुआन लागल कचहरी उजैनन के बिसैनन के दरबार नौ सौ नागा नागपूर के नगफेनी बाँध तरवार बैठल काकन डिल्ली के लोहतमियाँ तीन हजार मढ़वर तिरौता करमवार है जिन्ह के बैठल कुम्ह चण्डाल झड़ो उझनिया गुजहनिया है बाबू बैठल गदहियावाल नाच करावे बँगला में मुरलिधर बेन बजाव मुरमुर मुरमुर बाजे सरंगी जिन्ह के रुन रुन बाजे सितार तबला चटके रस बेनन के मुखचंद सितारा लाग नाचे पतुरिया सिंहल दीप के लौंड़ा नाचे गोआलियरवाल तोफा नाचे बँगला के बँगला होय परी के नाच सात मन का कुण्डी दस मन का घुटना लाग घैला अठारह सबजी बन गैल नौ नौ गोली अफीम चौदह बत्ती जहरन के आल्हा बत्ती चबावत बाय पुतली फिर गैल आँखन के अँखिया भैल रकत के धार चेहरा चमके रजवाड़ा के लड़वैया शेर जवान अम्बर बेटा है जासर के अपना कटले बीर कटाय जिन्ह के चलले धरती हीले डपटै गाछ झुराय ओहि समन्तर रुदल पहुँचल बँगला में पहुँचल जाय देखल सूरत रुदल के आल्हा मन में करे गुनान देहिया देखें तोर धूमिल मुहवाँ देखों उदास",bhojpuri-bho "हमखों बिसरत नई बिसारी हमखों बिसरत नई बिसारी , हेरन हँसन तुमारी । जुबन बिसाल चाल मतवारी , पतरी कमर इकारी । भांेय कमान बान से तानैं , नजर तरीछी मारी । ‘ईसुर’ कात हमारे कोदै तनक हेरलो प्यारी ।",bundeli-bns "काजर काय पे दइये कारे काजर काय पे दइये कारे । बारे बलम हमारे । साँज भये ब्यारी की बैराँ करें बिछोना न्यारे । जब छुव जात अनी जोवन की थर थर कँपत विचारे । का काऊ खाँ खोर ‘ईसुरी’ फूटे करम हमारे ।",bundeli-bns "उत्रहि राज से एलै एक मोगलवा उत्रहि राज से एलै एक मोगलवा , बान्हि जे देलकै कमला जी के धार । एहेन बान्ह जे बान्हल बोरी रे मोगलवा सिकियो ने झझावे मोगला के बान्ह । हिन्दुओं नै बूझै मोगला , तुर्को नै बुझै सब से चकरी ढुआवै । राजा शिवसिंह बैठल छलै मचोलवा , तकरो से चेकरी ढुआवे । ऐसन बान्ह बान्हलक मोगलवा , सीकयो ने झझावै मोगलाक बान्ह । कानि कानि चिठ्ठी लिखत माता कमला दहुन गे गंगा बहिनो हाथ । गंगा बहिनो चिठ्ठी पढ़ै माटी भीजि गेलै , हमरो सक नै टूटतै मोगलाक बान्ह कानि कानि चिठ्ठी लिखै माता कमला दहुन गे कोसिका बहिनो हाथ । कोसिका बहिनो चिठ्ठी पढ़ैत सोचे जे लागलै हमरो सक नै टूटतै मोगलाक बान्ह । एहेन बामी माछ बनबैये बहिनो कमला फोड़ करै जे मोगलाक बान्ह । फोड़ करैत कोसी हुलि देल कै , केल कै सम्मुख घार । गावल सेवक माता दुहु कलजोड़ी जुग जुग जपब तोहर नाम । राजा शिव सिंह चरन नमावे , मैया हे धनि धनि तोहर प्रभाव । तोरा देबौ कमला जोड़ जोड़ पाठी , कोहला के पाहुल चढ़ाय । गावल सेवक माता दुहु कल जोड़ी युग युग जपब तोहर नाम ।",angika-anp "204 कालूबला1 दे दिन नकाह बधा रूह नबी दी आप पढ़ाया ए कुतब हो वकील विच आन बैठा हुकम नब्ब ने आप कराया ए जबराईल मेकाईल गवाह चारे अजराइल2 असराफील आया ए अगला तोड़ के होर नकाह पढ़ना आख रब्ब ने कदों फुरमाया ए",panjabi-pan "अवध नगरिया से अइलय बरियतिया हे अवध नगरिया से अइलय1 बरियतिया हे , परिछन चलु सखिया । हथिया झुमइते2 आवे , घोड़वा नचइते3 सोभइते4 आवे ना । सखि रघुबर बरियतिया हे , सोभइते आवे ना ॥ 1 ॥ बजन बजइते आवइ , कसबी5 नचइते हे । उड़इत6 आवे न चवदिस7 से निसान8 हे , उड़इते आवे ना ॥ 2 ॥ लेहू लेहू डाला9 डुली बारी लेहू बतिया हे । परिछन चलु रघुबर बरियतिया हे , देखन चलु ना ॥ 3 ॥ ढोल वो नगाड़ा बाजइ , बजइ सहनइया हे । देखन चलु न सखि रघुबर बरियतिया हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "आई रितु़ड़ी रे सुणमुणया रे आई रितु़ड़ी1 रे सुणमुणया2 रे आई गयो बालो3 वसन्त रे । फूलण लैगी गाडू4 की फ्योंलड़ी5 सेरा6 की मींडोली7 नैं डाली पैंया8 जामी । कूली9 का ढीसोली10 , नैं डाली पैंया जामी । चला दीदि भुलेऊँ , नैं डाली पैंया जामी । क्वी मीटी काट्यौला , नैं डाली पैंया जामी । क्वी दुंगा11 चाड़ यौला , नैं डाली पैयां जामी । दूपत्ति12 ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । द्यू करा धूपाणों , नैं डाली पैंया जामी । क्वी दूद चार्यौंला , नैं डाली पैंया जामी । चौपत्ति ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । द्यवतों का सत्तन , नैं डाली पैंया जामी । दूफौंकी ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । झपन्याली13 ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । चला छैलू14 बैठ्यौला , नैं डाली पैंया जामी । धौली15 का किनारा , यो फूल के को16 ? अनमन17 भांति को , यो फूल के को ? सैरो18 बोण19 मोयेणे20 यो फूल के को ? सैरो धौली धुमैली21 , यो फूल के को ? देवतों सरोख्या22 , यो फूल के को ? टोपी मा धर23 लेणू , यो फूल के को ? धौली का किनारा , यो फूल के को ?",garhwali-gbm "ऐसी भक्ति साधू मत किजीये ऐसी भक्ति साधू मत किजीये , जग मे होय नी हाँसी १ अन्त काल जम मारसे गल दई देग फाँसी . . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . २ जो मंजारी ने तप कियो , खोटा व्रत लिना घर से दीपक डाल के आरे मूसाग्रह लिना . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . ३ जो हो लास पिघल चली , पावक के आगे ब्रज होय वहा को अंग . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . ४ देखत का बग उजला , मन मयला भाई आख मिची ऋषी जप करे मछली घट खाई . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . ५ ग्रह ने गज को घेरिया , आरे कुंजरं दुंख पाया हरी नाम उचारीया आरे तुरंत ताल छुड़ाया . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . .",nimadi-noe "फाग गीत नेणा में काजलियो छोरी , लालाड़ी में टीकी रे ॥ भएलो परदेस बैठो , लिख दो चिठी रे , वेगो आवे रे ॥ हाँ रे वेगो आवे रे , फागण रो मीनो एलो जाए रे , मीनो फागण रो । प्रेयसी के नयनों में काजल लगा है और ललाट पर टीकी लगी है । वह कहती है प्रेमी पदरेश में बैठा है , पत्र लिख दो , जल्दी आये , क्योंकि फाल्गुन मास व्यर्थ ही बीत रहा है ।",bhili-bhb "सुरहिन गइया के गोबर मँगा ले ओ सुरहिन गइया के गोबर मंगाले ओ हाय , हाय मोर दाई खूंट धर अंगना लिपा ले ओ खूंट धर अंगना लिपा ले ओ हाय , हाय मोर दाई मोतियन चौंक पुरा ले ओ मोतियन चौंक पुरा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के कलसा मंढ़ाले ओ सोने के कलसा मंढ़ाले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के बतिया लगा ले ओ सोने के बतिया लगा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सुरहिन घीव जला ले ओ सुरहिन घीव जला ले ओ",chhattisgarhi-hne "साधो किस नूँ कूक सुणावाँ। साधो किस नूँ कूक सुणावाँ , मेरी बुक्कल दे विच्च चोर । किते रामदास किते फतह मुहम्मद , एहो कदीमी शोर । मुसलमान सड़न तो चिढ़दे , हिन्दू चिढ़दे गोर1 । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । दोवें आपो विच्च लड़दे भिड़दे , नित्त नित्त करदे खोर2 । चुक गए सभ झगड़े झेड़े , निकल प्या कोई होर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । जिस ढूँढ़ पाया तिस पाया , नाहीं झुर झुर होया मोर । पीर पीराँ बगदाद असाडा , मुरशद तखत लाहौर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । ओस सी सभ इक्को कोई , आप गुड्डी आप डोर । जेहड़ा लेख मत्थे दा लिखेआ , कौण करे भन्न तोड़ । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । ओहा आप साईं जिसनूँ भाल लए , मैनूँ ओसे दी गत ज़ोर । तुसीं पकड़ लवो ताँ मैं दस्सणाँ हाँ , बुल्ला शाह दा चुगलीखोर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ ।",panjabi-pan "मचिया ही बईठल कौशिल्या रानी मचिया ही बईठल कौशिल्या रानी , सिहाँसन राजा दशरथ हो राजा बिनु रे बदरी कहीं कजरी कहाँ जाई बरसेले हो बोलिया त बोलेली रानी बोलही नाहीं पावेली हो रानी बीनू हो ग़रभ के तिरियवा होरीला नाही जनमत सुनत सुख सोहर हो एतना बचन रानी सुनली सुनहि नाही पावेली हो रानी हाथे गोड़े तानेली चदरिया सुतेली कोपवाघर हो कोपभवन सोने के खडौउआ राजा दशरथ केकयी महल चले रानी तोरे बहिना बड़े रे वियोगावा त चली के मनावहु हो एक हाथ लेली केकयी दतुअनि दुसरे हाथ पानी हो केकयी झटकि के चढ़ेली अटरिया त बहिना मनावन हो उठहु इ बहिना उठहु कहल मोर मानहु बहिना उठिके करहु दतुअनिया होरिल तोरे होईहे सुनीह सुख सोहर हो कवनाहिं मासे गंगा बढ़ियईहें सवार दहे लगिहन हो बहिनी कवनही मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें सावन मासे गंगा बढ़ियईहें सेवर दहे लगिहें बहिनी कातिक मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें बहिनी कातिक मासे राम जनमेलें त बचन पूरण भईलें सब सखि तेल लगावेली मंगल गावेली रानी केकयी के जीयरा भे रोग सुनीके नाहि आवेली सोने के खड़उआँ राजा दशरथ केकयी महल चलें रानी कवन अवगुन मोसे भईलें सुनीके नाहि आवेलू हो ना हम तेल लगाईब ना ही मंगल गाईबी राजा हो ब्रम्हा के बान्हल पिरितिया उलटी राउरे दिहली ।",bhojpuri-bho "पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए , अब पीआ किस नूँ कहीए ? हिजर1 वसल2 हम दोनों छोड़े , अब किस के हो रहीए ? पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए , अब पीआ किस नूँ कहीए ? मज़नू लाल दीवाने वाँगूं , अब लैला हो रहीए । पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए , अब पीआ किस नूँ कहीए ? बुल्ला सहु घर मेरे आए , अब क्यों ताने सहीए ? पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए , अब पीआ किस नूँ कहीए ?",panjabi-pan "खोपा पारे पाटी मारे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली छुनुर छुनुर पैरी हो छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली रद्दा ल रेंगे खोरे ल डहके रद्दा ल रेंगे खोरे ल डहके गोरी खोचें है करौंदा गली म महके देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली छुनुर छुनुर पैरी हो छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली चंदा ऊबे अउ चंदैनी छिटके चंदा ऊबे अउ चंदैनी छिटके तोर कनिहा ले चुंदी नागिन लटकेरे देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली पहिने ल लुगरा देखे ल दरपन पहिने ल लुगरा देखे ल दरपन तोला खुल के बिराजे चांदी के करधन देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली छुनुर छुनुर पैरी हो छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली",chhattisgarhi-hne "आई निबिया पइ घाम आयी निबिया पइ घाम घमाबइँ सजनी",kanauji-bjj "बिटिया के बाप-मताई जब सैं मौड़ी भई माते कमैं , सूख ठठेरौ हो रए , उदक परैं , रातें ब नींद न सुख की सो रए । ईसुर तुमनें बुरई बिदै दई , कओ कीसैं कन जाबैं , घर में नइयाँ चून चनन कौ , कैसें ब्याव रचाबैं । ऊसई घर में तंगी परबै , दोदो दिन के फाँके , कोउ नई सूदै बात करै , कै को तुम आहौ काँके । दानौ नइयाँ , मुलकन केरे , गोऊँचना चानें ते , ब्याज झार नई पाऔ पैल कौ , साव बुरई मानें ते । हराँहराँ स्यानी भई बिन्नू , घानन लगीं कँदेला , कबऊँकबऊँ ओरी के पैरै , चूरा और पटेला । भूकि भली बने रए माते , ऊ बिटिया के काजैं , अब जी खौं गंठ्यावन बिदी जाबुरए करें चाय साजै । काँसैं ल्यायँ रुपइया उनसौं , ऐंठें लरकाबारे , ऐसे भोरेभारे उनकैं , झक नई पाबैं द्वारे । जी की थानक राखी बिटिया , बा प्रानन से प्यारी , तनक देर के काजैं कैसँउ , करी न जाबै न्यारी । माँगेसस्ते बैंचखर्च दए , अपने दोई बैला , नइँतर साव कका रए उनखौं , कैउ दिना के टैला । गानें धर दओ कुआकटीं कै , जोरजार कैं भन्ना , पूरी करी माँग समधी की , तौऊ न जाबैं मन्ना । अपनी प्यारी सामलिया के , पीरे हाँत करे फिर , तातेखारे असुवा जाबैं , टपटप आँखन सैं गिर । मौं ढाँकें घूँघट में रो रई बे मातैन बिचारीं , अरे और की हो गई मौड़ी , आँखें करीं फरारीं । अपने आँगन में खेलत ती , भरत हती किलकइयाँ , ऊके नन्ना फिरत रात ते , लएँ सबरे में कइयाँ । अरे और की हो गई मौड़ी , अब कओ कबैं दिखानैं , भूँकप्यास नइँ आँसी साँसऊ , इँ मौड़ी के लानें । रोरो कै रईं अब कओ कैसें , इऐ गरे सैं छोड़ैं , करैं फिरैं नेचौ मौ माते , सेत पिछौरा ओड़ैं । बिदा करी बिटिया की उन्नें , घर में नइयाँ खैबे , अब कऔ कैसी करें बिचारे , ठौर बचो नई रैबे । खाबे नईं भरपेट मिलै उर , ऊ बिटिया खौ हीड़ैं , कै नइँ कछु काऊ सें पाबें , भीतर उठैं भपँूडै़ । लगो घुनीतासौ भीतर हुन , कोउ नइँ धीर धरइया , बेई बुढ़ापे की मौड़ी ती , खेबेवारी नइया । नाज कितैं सैं रओ तो घर में , नइँ रई गड्इकुपरिया , उठ नइँ पायँ सैं परे सैं कैसऊँ , डकरा और डुकरिया । पानी तक नई दैबेवारो , तलफतलफ कै मर गये , माते उर मातैन बिचारे , हीड़तहीड़त घुर गये । उनकी प्यारी बिटिया उनखौं , मिली न मरती बैराँ ऊके बिना उनन के काजैं , सूनऊसूनौ गेराँ । उऐ पठैबे भरी न हामी , बुरए करे बतकारे , मीत कड़े पड़सा के कोरे , बिटिया के घर बारे ।",bundeli-bns "बई जी पांच बधावा म्हारे आविया बई जी पांच बधावा म्हारे आविया बई जी पांचा री नवीनवी भांत झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो बईजी पेलो बधावो म्हारे आवियो बईजी भेजो म्हारा ससराजी री पोल झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो बई जी ससराजी रंग से बधाविया बईजी सासू ने लियो खोले झेल झेलो हो . . . बईजी थांका बीरा म्हारी सेरी नीकल्या बईजी करी गया आड़ी टेड़ी बात झेलो हो . . . बईजी तांबापीतल होय तो बदलां बईजी थांका बीरा बदल्या नी जाय बईजी कागत होय तो बांचलां झेलो हो . . . बईजी दूसरो बधावो म्हारे आवियो बईजी भेजो म्हारा जेठजी पोल बईजी रंग से बधाविया जेठजी बईजी जेठाणी ने लियो खोला झेल बईजी तीसरो बधावो म्हारे आवियो बईजी भेजो म्हारा दादाजी री पोल बईजी दादाजी रंग से बधाविया माता ने लियो खोल्यां झेल झेलो हो . . . बईजी चौथो बधावो म्हारे आवियो बईजी भेजो म्हारा वीराजी री पोल बईजी वीराजी रंग से बधाविया बईजी भावज लागे म्हारा पांव झेलो हो . . . बईजी पांचवों बधावो म्हारे आवियो बईजी भेजो म्हारा सायबजीरी पोल बईजी सायब रंग से बधाविया बईजी सायबन लियो खोल्यां झेल",malvi-mup "बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला दो मूसल से लड़ूँ अकेला जो तेरी नाजो खीचड़ा खाय फूलफाल कोठी हो जाए । भावार्थ ' बाजरा कहता है , मैं बड़ा अलबेला हूँ । दो मूसलियों से अकेला ही लड़ लेता हूँ । यदि तेरी कोमलांगी पत्नी मेरी खिचड़ी खाएगी तो वह भी फूलफूल कर कोठरी सरीखी दिखाई देने लगेगी ।",haryanvi-bgc "भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट अड़ै मिलैं ना टूटी जूती ओड़े मिलैं फुलबूट भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट अड़ै मिलै ना पाट्टे लीतर ओड़े मिलैंगे सूट भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट",haryanvi-bgc "कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा मा झूड़ी हो बागे मा झूड़ी हो बागे रेशोमा डोरा डो कोसा नी नीजा झान्डा कू पालेना झूडी हो बागे रेशोमा डोरा डो कोसा नी नीजा झान्डा कू पालेना झूडी हो बागे आलायो झुलायो हरि जा डाई हरि जा कोन केन झूडी हो बागे आलायो झुलायो हरि जा डाई हरि जा कोन केन झूडी हो बागे आलायो झुलायो रमुटी डो बाई रमुटी डो कोन केन झूडी हो बागे स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "कोठरिया जे लिपली ओसरा से अउरो देहरिया से कोठरिया जे लिपली ओसरा से अउरो देहरिया से । ललना , तइओ1 न चुनरिया मइल2 भेल , एक रे होरिलवा3 बिनु ॥ 1 ॥ नइहर में दस सै भइया अउरो भतीजा हवे हेऽ । ललना , तइओ न नइहर सोहावन लगे , एक रे मइया बिनु ॥ 2 ॥ ससुरा में दस सै ससुर अउरो देवरा हेऽ । ललना , तइओ न ससुरा सोहावन लगे , एक रे पुरुखवा बिनु ॥ 3 ॥ देहिया में दस सै सारी अउरो चोली हेऽ । ललना , तइओ न देहिया सोहावन लगे एक रे होरिलवा बिनु ॥ 4 ॥",magahi-mag "सतपुरुस रतन ऊ देस धन्न , वा भूम धन्न , औतरे जहाँ सतपुरुष रतन , जनमानसनिधि , धरती के धन । सबके सुख के लानें जिननें निज कौ सुखबैभौ त्याग दओ , धरती के भाग जगाबे खें , बैकुंठउ सें बैराग लओ । परहित में जिननें तपा तपे झेले बरसा , आँधी , हिमार , परदुख में नैनूँसे पिघले ज उतरे बनकै मंगधार । जिनको संगत में डरोपरो बन गओ गिलारौ लौ चन्दन , बन गईं रपरियाँ नन्दन बन । दिखकै समाज को दुरगत जे व्याकुल हो बिलखबिलख रोए , मानुस कौ पतन जिन्हें अखरी जे रहे जगत , जब सब सोए ; सूलन की सेजें अँगया कै मंगलचौके नित रहे रचत , रह गए अकेले , पै न झुके पी गए हलाहल हँसतहँसत ; भर गए जगत में नई जोत , आहुतिसी अरपन कर तनमन । उनसें को कैसें होत उरिन ? आगम की कूँख जलम जिननें अन्यायी की रस्ताा छेड़ी , बौछार जुलम जल्लादी की बलिदानी बाँहन पै एड़ी ; गजरा न गुलामी के पहिरे फाँसी कौ फंदा चूम लओ , जिनकी भसमी की छाप अमिट रच गई अमर इतिहास नओ । जिनके पदचिन्हन की धूरा , बन क्रान्ति धँसी खोरनखोरन , ऊँघत ज्वानी खें झकझोरन । मैरा सें लैकै महलन लौ झनकार उठत जिनकी बानी , पाखान हिएउ के सोतन सें रसयात नेहकरुनाघानी । जिनके बोलन की डोर पकर बज उठत बाँसुरीरमतूला , रसरँग बरसत झोपड़ियन से निकरत बन राजकुँवर दूला ; जग जात जननि के रखवारे , करतीं रनभेरीं घननघनन ; जुगसाके गूँजत घरनघरन । ऊ देस धन्न वा भूम धन्न , औतरे जहाँ सतपुरुस रतन ।",bundeli-bns "प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये , लम्बेलम्बे झाडू शबरी डगर बटोरी , एही डगरिया आयें , राम शबरी घर आये । प्रेम . . . कुश की चटइया शबरी झाड़ बिछाई , आशन लगाये भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . . काठ कठिवता शबरी जल भर ल्याई , चरण पखारूँ मैं भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . . मीठीमीठी बेर शबरी दौना भर ल्याई , भोग लगावे भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . . तुलसीदास आस रघुबर की , शिव री बैकुण्ठ पठाये , शबरी घर आये । प्रेम . . .",bundeli-bns "569 बर वकत1 जे फजल2 दा मींह वसे बरा कौन मनावदा रूठयां नूं लब यार दे आबहयात बाझों कौन जिंदगी बखशदा कठयां नूं लब यार दे आबहयात बाझों कौन जिंदगी बखशदा कठयां नूं दोवे राह फिराक दे मार लए करामात मनांवदी रूठयां नूं आह सबर दी मार के शहर साडो बादशाह जाणे असां मुठयां नूं बाझ सेजणां पीड़ वंडावयां दे नित कौण मनांवदा रूठयां नूं बिनां तालयां3 नेक दे कौन मोड़े वारस शाह दे नाल आ फुटयां नूं",panjabi-pan "सावन के सहनइया सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे , सुगासुगइया के पेट , वेदन कोई न जानय हे । सुगासुगइया के पेट , कोइली दुःख जानय हे , एतना वचन जब सुनलन , सुनहूँ न पयलन हे । पकी दिहले हथवा कुदारी बबूर तर हे , डाँड़ मोरा फाटहे करइलो जाके , ओटियो चिल्हकि मारे हे । राजा का कहूँ दिलवा के बात , धरती अन्हार लागे हे ।",magahi-mag "हँसि हँसि लिखथ पाँती बाँचहु हो भइया हँसि हँसि लिखथ1 पाँती2 बाँचहु3 हो भइया । चंपा के चोरवा4 के दीहऽ5 तूँ सजइया ॥ 1 ॥ रउदा6 में रहतन जयतन रउदाइए । घममा7 में रहतन जयतन पिघलाइए ॥ 2 ॥ सरदी के मारे चोर जयतन सरदाइए । अँचरा में बाँधब रहतन लोभाइए ॥ 3 ॥",magahi-mag "महँगाई और होरी रामधई , खायँ लेत महँगाई उतै लगत अब एक रुपइया जितै लगत ती पाई । काँकी होरी , काँ कौ होरा ? कलजुग , परौ सबई्र पै तोरा , चिथरा भई तुमाई धुतियाँ , हम तौ कहत लपेड़ौ बोरा , चुटियाँ फीता छोड़कें रँग लो , करिया रामबाँस कौ जोरा , दार उधार मुहल्ला भरकी , अब नों नई चुकाई । काँसें लै आबै तिरकाई ? घर में जुरत नाज ना खाबे , कैसें जायँ बहू खौं ल्वाबे ? छोड़ौ बे सतजुग की बातें , दिन में दसदस बीरा चाबे , गुरसक्कर की सुर्त करौ ना , सकौ सतुआ नइयाँ खाबे , भरभूँजिन खौं संकराँत की नई दै पाए भुँजाई । उरानों रोज देत भौजाई । पटकौ जा अपनी पिचकारी , होय कछु तौ दै दो ब्यारी , पइसन बिना खलीता सूनों , काँसें ल्याएँ चून सरकारी , दद्दा डरे स्वाँस के मारें , कक्को खौं आ रई तिजारी को दएँ देत उधार गरीब खौं , काँसें ल्याँय दबाई ? रो रइँ भर होरी खौं बाई । हाय फसल पै पालो पर गओ , हम सब खौं कौरन खौं कर गओ , धरे हते जो चार रुपइया , उनें साँड़ महँगाई कौ चर गओ , जा कंगाली के बचई में , होरी कौ त्यौहार पबर गओ , हम कीसे पूँछें , जा मेंनत , सब काँ जात हमाई । देत बस बापू की दोहाई ।",bundeli-bns "म्हारे आँगण हरी रे दरोब म्हारे आँगण हरी रे दरोब नितकी चूंटूं , ने नित पानवे ऐसा हमारा फलाणा राय सिरदार जात जिमावे , भोग्या जग करे घर में बऊ लाड़ी बोलिया सुनो हमारा अलीजा सरदार अपनी बेन्या बई खे लावजी गेल्या मारूणी निपट गंवार तमारे बेन्यां बई खे नई बणे राखां बई ने दिन दोयचार चूनड़ ओढ़ई ने बई खे मोकलां ।",malvi-mup "बहुत सताई ईखड़े रै तैने बहुत सताई ईखड़े रै तैने बहुत सताई रे बालक छाड़े रोमते रै , तैने बहुत सताई रे डालड़ी मैं छाड्या पीसना और छाड़ी सलागड़ गाय नगोड़े ईखड़े , तैने बहुत सताई रे कातनी मैं छाड्या कातना और छाड़ेसें बाप और माय नगोड़े ईखड़े तैने बहुत सताई रे बहुत सताई ईखड़े रै , तैने बहुत सताई रे बालक छाड़े रोमते रै , तैने बहुत सताई रे भावार्थ ' बहुत सताया है , ईख , तूने मुझे बहुत सताया है । मैं अपने पीछे घर में बच्चों को रोता हुआ छोड़कर आई हूँ । तूने मुझे बहुत दुखी किया है । डलिया में अनाज पड़ा है और दूध देने वाली गाय को भी मैं बिना दुहे हुए ही छोड़ आई हूँ । निगोड़ी ईख , तूने मुझे बहुत परेशान किया है । कतनी में पूनियाँ भी बिना काते हुए ही छोड़ आई हूँ । तेरे लिए मैं अपने मातापिता को भी बिना देखभाल के ही छोड़ आई हूँ । देख तो ज़रा ईख , तूने मुझे कितना हैरान किया है । कितना परेशान किया है । पीछे घर में बालकों को रोता छोड़ आई हूँ । तूने बहुत सताया है मुझे ।",haryanvi-bgc "अंगिका फेकड़ा बाबू हो भैया हो सुग्गा फोकै छौं धान हो केॅ मोॅन ? बीस मोॅन । बीसू राय के बेटवा लाल पगड़िया मॅथवा ढोल बाजे डिग्गिर बाजे बाजे रे शहनैया राजा बेटी धरहर नाँचै रतन जमइया । चल गे चिलरोॅ मोर खलिहान खोयछा भरी देबौ रामसारी धान वही धान के कुटिहें चूड़ा नेतोॅ जमैहिएं कोॅरकुटुम सब्भै तोरा दिएॅ आशीष चिरयुग जिऐ नूनू , लाख बरिस । हा हुस रे पर्वत सुगा हमरोॅ खेत नै जैहियैं सुगा मामू खेत जैहियैं सुगा एक्के सीसोॅ लीहें सुगा घोंघा में भात रान्हियें सितुआ में माँड़ पसैहियें सुगा आपनें खैइहैं दालभात बेटाबेटी केॅ खिलैयैं माँड़भात आपनें सुतिहें मचोल पर बेटाबेटी केॅ सुतैहियैं डमखोल पर । बिल्लो मौसी कहाँ जाय छैं ? माछोॅ मारेॅ । केना मारबे ? छुपुर छैंया । केना बनैवे ? हसुआकचिया । केना धाबे ? कठौती पानी । केना खैबे ? कुटुरमुटुर । केना सुतबे ? नम्मा चौड़ा । केना सतभेॅ ? फोंफोंफों ।",angika-anp "250 एस जोग दे वाइदे बहुत औखे नाद अलेख ते सुन्न वजावना ओए ताड़ी1 लाइके नाथ वल ध्यान धरना दसवे दुआर सवास चढ़ावना ओए जन्मे आय दा हरख2 ते सोग छडे नही मोयां गयां पछोतावना ओए नाम फकर दा बहुत असान लैना खरा कठन है जोग कमावना ओए धो धाए के जटा नूं धूप देना सदा अंग भबूत रमावना ओए उदयान3 बासी जती सती जोगी झात स्त्री ते नाहीं पावना ओए लख खूबसूरत परी हूर होवे जरा जीउड़ा नहीं भरमावना ओए कंद मूल ते पोसत अफीम बचा नशा खाइके मसत हो जावना ओए जग खाब खयाल दी बात जानी हो कमलयां होश भुलावना ओए काम क्रोध ते लोभ हंकार मारन जोगी खाक दर खाक4 हो जावना ओए मेले साधां दे खेलीभा देश पछम नवां नाथां दा दरशन पावना ओए घत मुंदरां जंगलां विच रहना बिन किंग5 ते संख वजावना ओए रन्नां घूरदा गांवदा फिरे वहशी तैथों औखड़ा जोग कमावना ओए वारस जोग है कम नरासयां दा तुसां हक दाराह बतावना ओए",panjabi-pan "जय-जय शीतला माई की जय-जय बोलो जयजय शीतला माई की जयजय बोलो गंगा के नीर मैया कैसे चढ़ाय दूं मछली ने लियो है जुठार , की जयजय बोलो मिठया के पेड़ा मैया कैसे चढ़ाय दूं । चींटी ने लिये हैं जुठार की जयजय बोलो बगिया के फूल मैया कैसे चढ़ाय दूं भौंरे ने लिये हैं जुठार , की जयजय बोलो घर की रसोई मैया कैसे चढ़ाय दूं बालक ने लिये हैं जुठार , की जयजय बोलो",bundeli-bns "लहँगा बेसाहन चललन कवन दुलहा लहँगा बेसाहन1 चललन कवन दुलहा , पएँतर2 भेल3 भिनसार हे । हँसि पूछे बिहँसि पूछे , सुगइ , कवन सुगइ , कहाँ परभु खेपिल4 रात हे ॥ 1 ॥ आम तर5 रसलों6 महुइआ7 तर बसलों , चंपा तर खेपली रात हे । काली कोइल कोरा8 पइसि सुतलों , बड़ा सुखे खेपली रात ॥ 2 ॥ डाँढ़े डाँढ़े9 पसिया10 कोइल बझवले11 पाते पाते12 कोइल छपाए13 हे । जइसन पसिया रे उदवसले14 हम जएबो आनंद बन हे । ओहि रे आनंदबन अमरित फल खएबों , बोलबों15 गहागही16 बोल हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "दिया-बत्ती हुओ रे मिलाप बय लड़ी सांजुली दियाबत्ती हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । । गौआबछुआ हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । । पंछीबच्चा हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । । रातदिन हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । । राजारानी हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । ।",nimadi-noe "इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा बंझोटी या इनी आम्बे जेमानी बिडे बोले बंझोटी या इनी आम्बे जेमानी बिडे बोले इनी आम्बे जेमानी जोमे वाजा राजा इनी आम्बे जेमानी जोमे वाजा राजा बंझोटिया इनी आम्बे जेमानी जोमे बोले बंझोटिया इनी आम्बे जेमानी जोमे बोले इनी आम्बे चिड़िया पखारे जोमे वाडो रानी इनी आम्बे चिड़िया पखारे जोमे वाडो रानी बंझोटी इनी आम्बे होरया पंखोर जोमे बोले बंझोटी इनी आम्बे होरया पंखोर जोमे बोले चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी वाजा चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी वाजा राजा बंजोला चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी राजा बंजोला चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी चिड़िया पंखोर सुवला बारेन आजोमेडो रानी चिड़िया पंखोर सुवला बारेन आजोमेडो रानी बंझोटी चिड़िया पंखोर सुबला बारेन आयो मेरे बंझोटी चिड़िया पंखोर सुबला बारेन आयो मेरे चिड़िया पंखोर फुल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी वाजा चिड़िया पंखोर फुल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी वाजा राजा बंझोटिया फूल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी बोले राजा बंझोटिया फूल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी बोले भगवान करनी नी ढाके डो रानी जेनोमा का बंझोटी रे भगवान करनी नी ढाके डो रानी जेनोमा का बंझोटी रे नामी आम्बे बिडे माजा राजा बंझोटा नामी आम्बे बिडे बोले नामी आम्बे बिडे माजा राजा बंझोटा नामी आम्बे बिडे बोले नामी आम्बे जेमानी जोमेवाडो रानी बंझोटी नामी आम्बे जेमानी नामी आम्बे जेमानी जोमेवाडो रानी बंझोटी नामी आम्बे जेमानी जोमे बोले जोमे बोले स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "आल्हा ऊदल पलटन चल गैल रुदल के मँडवा में गैल समाय बैठल दादा है सोनवा के मँड़वा में बैठल बाय बूढ़ा मदन सिंह नाम धराय प्रक बेर गरजे मँडवा में जिन्ह के दलके दसो दुआर बोलल राजा बूढ़ा मदन सिंह सारे रुदल सुनव बात हमार कत बड़ सेखी है बघ रुदल के मोर नतनी से करै बियाह पड़ल लड़ाइ है मँड़वा में जहवाँ पड़ल कचौंधी मार नौ मन बुकवा उड़ मँड़वा में जहवाँ पड़ल चैलिअन मार ईटाँ बरसत बा मँड़वा में रुदल मन में करे गुनान आधा पलटन कट गैल बघ रुदल के सोना के कलसा बूड़ल माँड़ों में धींचे दोहाइ जब देबी के देबी माँता लागू सहाय घैंचल तेगा है बघ रुदल बूढ़ा मदन सिंह के मारल बनाय सिरवा कट गैल बूढ़ा मदन सिंह के हाथ जोड़ के समदेवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओं कर लव बिअहवा तूँ सोनवा के नौ सै पण्डित लेल बोलाय अधी रात के अम्मल में दुलहा के लेल बोलाय लै बैठावल जब सोनवा के आल्हा के करै बियाह कैल बिअहवा ओह सोनवा के बरिअरिया सादी कैल बनाय नौ सै कैदी बाँधल ओहि माँड़ों में सभ के बेड़ी देल कटवाय जुग जुग जीअ बाबू रुदल तोहर अमर बजे तरवार डोला निकालल जब सोनवा के मोहबा के लेल तकाय रातिक दिनवाँ का चलला में मोहबा में पहुँचल जाथ",bhojpuri-bho "आल्हा ऊदल एत्तो बारता बा रुदल के आल्हा के सुनीं हवाल केत्ता मनौलीं बघ रुदल के लरिका कहल नव मानल मोर बावन कोस के गिरदा में बघ रुदल डिगरी देल पिटवाय लिखल पाँती बघ रुदल तिलरी में देल पठाय तेली बनियाँ चलल तिलरी के लोहन में आफत काल पाँती भेजवो नरबर गढ़ राजा मेदनी सिंह के दरबार चलल जे राजा बा मेदनी सिंह मोहबा में पहुँचल जाय आइल राजा मकरन्ना गढ़ मोरंग के राज पहुँचल वाय चलल जे राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय आइ राजा डिल्ली के सुरजन सिंह बुढ़वा सैयद बन्नारस के नौं नौ पूत अठारह नात ओनेहल बादल के थमवैया लोहन में बड़ चण्डाल मियाँ मेहदी है काबुल के हाथ पर खाना खाय उड़ उड़ लड़िहें सरगे में जिन्ह के लोथ परी जै खाय चलल जे राजा बा लाखन सिंह लाखन लाख घोड़े असवार नौ मन लोहा नौमनिया के सवा सौ मन के सान उन्ह के मुरचा अब का बरनौ सौ बीरान में सरदार आइल राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय जेत्ता जे राजा बा लड़वैया रुदल तुरत लेल बोलाय जेत्ता जे बा लड़वैया जिन्ह के सवा लाख असवार एत्तो बारता बा राजा के रुदल के सुनीं हवाल",bhojpuri-bho "33 मसजद बैबुलअतीक1 मिसाल आहीखाने काबिउं डोल उतारीया ने गोया अकसा दे नाल दी भैण दुई शायद संदली नूर उसारीया ने पढ़न फाजल ते दरस दरवेश मुफती खूब कढ हलहोन प्रकारीया ने तालीम मीजान2 ते सरफ बिहाई सरफ मीर भी याद पुकारीया ने काज़ी कुतब ते कनज अनवा बारां मसऊद दीयां जिलद सवारीया ने खानी नाल मजमूआ सुलतानियां दे अते हैरतुल फिका नवारीया ने फितावि बरहिना मनजूम शाहां नाल जु़बदयां हिफज3 करारीया ने मुआरजुल नबुवता खुलासियां नूं रोजा नाल इखलास पसारीया ने जरादियां ने नाल शरह4 मुलां ज़िन्नानियां नहव5 नतारीया ने करन हिफज कुरान तफसीर दौरां गैर शरह नूं धुरयां मारीयां ने इक नजम दे दरस हरकरन पढ़दे नाम हक ते खालक बारीया6 ने गुलिसतां बोसतां नाल बहार दानिश तूतीनामा ते राजक बारीया ने मुनशाजब ते अबुल फज़लां शाहू नामिऊ राफत बारीआं ने किरानुल सादैन दीवान हाफज वारिस शाह ने लिख सवारीया ने",panjabi-pan "नया घघरु डो माय नाया सुमारी नया घघरु डो माय नाया सुमारी नया घघरु डो माय नाया सुमारी कौना जा खाधा लिजेटेन जूली डोने कौना जा खाधा लिजेटेन जूली डोने आफूज डोने आम सेनेवा आफूज डोने आम सेनेवा किमीन जा खाधा लिजेटेन जूली डोने किमीन जा खाधा लिजेटेन जूली डोने आफूज डोने आम सेनेवा आफूज डोने आम सेनेवा कुलारा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने कुलारा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने आफूज डोने आम सेनेवा आफूज डोने आम सेनेवा कुटूम्बा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने कुटूम्बा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने आफूज डोने आम सेनेवा आफूज डोने आम सेनेवा स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "गंगा असननियाँ चललन दुलरइता दुलहा हे बाबा फुलवरिया लवँग1 केर गछिया , अरे दह2 । जुहिया फुलल कचनरिया , अरे दह ॥ 1 ॥ घोड़वा चढ़ल आवइ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह । कते3 दूर हइ4 ससुररिया , अरे दह । कइसन हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 2 ॥ धीरेबोलूँ , धीरे बोलूँ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह । नजिके5 बसहइ6 ससुररिया , अरे दह । काँच7 कली हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 3 ॥",magahi-mag "हो गई स्याम बिछुरतन जीरन हो गई स्याम बिछुरतन जीरन , बृज में एक अहीरन । कल नई परत काल की ढूँड़त , कालिन्दी कै तीरन । भरमत फिरत चित्त नई ठौरें , उठत करेजें पीरन । हमरौ जनम बिगार चले गये डारकें मोहजँजीरन । वन वन व्याकुल फिरत ईसुरी राधा भई फकीरन ।",bundeli-bns "मीठी लागै बाजरे की राबड़ी रै मीठी लागै बाजरे की राबड़ी रै दल चक्की से हांडी पे गेरी नीचे लगा दी लाकड़ी रे मीठी लागै . . . रांध रूंध थाली में घाली ऊपर आ गई पापड़ी रै मीठी लागै . . . . खाय खूय खटिया पर सूती नींद सतावै बाखड़ी रै मीठी लागै . . .",haryanvi-bgc "भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “शंकर पूजा, चम्पा को शंकर दर्शन” हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी वो हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य भोलेबाबा ल वो , शंकरजी ल ना भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य भोलेबाबा ल वो , शंकरजी ल ना भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो बेल पान दुबी , दुधी रखेंव पूजा के थारी म बेल पान नरियर दुबी रखेंव खलोक थारी म बेल पान दुबी , दुधी रखेंव पूजा के थारी म रखेंव पूजा के थारी म , रखेंव पूजा के थारी म बिगड़ी बना दे मोरे , आयेंव तोर दवारी म आयेंव तोर दवारी म , आयेंव तोर दवारी म हाथ जोड़के माथ मैं नवावंव दीदी वो शंकरबाबा ल वो , भोलेबाबा ल वो शंकरबाबा ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो माथ म चंदन तोरे , गले में नाग लपटे हे गला में नाग लपटे हे , गला में नाग लपटे हे मिरगा के छाला पहिने , जटा में गंगा लटके हे जटा में गंगा लटके हे , जटा में गंगा लटके हे सावन सोमवारी के गोहरावंव दीदी वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो एक हाथ म जामुन धरे , दूसर म तिरछुल दूसर म तिरछुल , बाबा दूसर म तिरछुल अंगभरे राख चुपरे , गांजा ल पीये फुकफुक गांजा ल पीये फुकफुक , गांजा ल पीये फुकफुक इ गोधरे गांजा ल पीके गुस्साए हाबय वो शंकरजी ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो शंकरबाबा ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो – गाथा – अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव भगवान भोलेनाथ के पूजा करथे हा भोलेनाथ राहय ते प्रसन्न हो जथे हौव अउ किथे हा बेटी हा बेटी ते सो माँग , मे सो देबर तैयार हंव हौव तब किथे बाबा हा मोर ऊपर विपत आगे हे हौव में का बताव बाबा हा मोर बात ल रानी सामदेवी समझत नई ये हा अउ बस मोला मार के हौव चारझन दीवान ला आदेश देवा देहे हा अउ फांसी देके ऑर्डर दे देहे हौव अब मे फांसी में चढ़हूं बाबा हौव तब भोलेनाथ किथे हा जा बेटी हौव तोला चिंता करे के बात नईये बात नईये चम्पा दासी राहय तेन हौव जाथे सुग्घर घर में हा पीताम्बरी के साड़ी पहिन लेथे रागी हौव पहिने के बाद हा चारझन कहार रिथे डोला बोहईया हौव जब डोला में बईठथे हा तब , सब सखी सहेली रिथे हौव मिलथे भेंटथे हा अउ रोथे , अउ किथे बहिनी हो हा जईसे में ससुराल जातहव हौव वइसे मोला समझव , में जिंदगी भरके लिए फांसी में चघत हौव हा अब ये चारझन कहार राहय तेन रागी हौव ले जाथे हा तब चम्पा दासी काय किथे जानत हस हौव – गीत – बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या सुनले कहार मोर बाते ल बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो सुनलव कहार मोर बाते ल सौ शर्त जगा , तोला देवथव दान सवर पति के गा , तोला देवथव दान येदे तरी में डोला धिरलमाबे गा , धिरलमाबे गा , भाई येदे जी येदे तरी में डोला धिमाबे गा , धिमाबे गा , भाई येदे जी धिरेचधिर ये जावत थे , मोर जावय दीदी डोला ल लेगथे राते के धिरेचधिर ये जावत थे , मोर जावय दीदी डोला ल लेगथे राते के तरिया के पारे में वो , डोला रखे हावय तरिया के पारे में वो , डोला रखे हावय येदे चम्पा ह डोला ले उतरत थे , येदे उतरत थे , भाई येदे जी येदे चम्पा ह डोला ले उतरत थे , येदे उतरत थे , भाई येदे जी",chhattisgarhi-hne "नागरजा सारा गोकुल वासी करद छया तै इन्द्र की पूजा । कठा होई गैन तब सब स्ये कनो बोद तब इन्द्र को बालक केकूँ होलू जाज यो हल्ला ? आज गोकुल का लोक , सुण मेरा बाला करदा इन्द्र की पूजा । तब बोलदू कृष्ण भगवानछोड़ा इन्द्र कीपूजा । आज से करला गोवर्धन पूजा । लाया गएपूजा को समान , थालू परात मा मेवा मिष्टान , षट् रस मीठ रस भोजन , बार पकवान , बाबन व्यंजन । घी दूध नैवेद , दीप , धूप , दान , जौ तिल हवन , पिठैं टीका चंदन । तब पूछदू कृष्ण भगवान : इन्द्र क्या कभी तुम दरसन भी देंद ? तब बोलदा गोकुल का लोक नी देन्दू इन्द्र , दर्शन नी देन्दू । तब तुम इन्द्र की पूजा छोड़ा हमेशाक करी तब त्वैन लीला इनी कृष्ण गोबर्धन फूटी , उपजे नारैण1 , जौंका गात पीताम्बर , भुजा मा मणिबन्ध , सिर मोर मुकुट , हाथ बांसुली । दर्शन देंदू दीनों कू दयाल , मगन होई गैन गोकुल का वासी । तब इन्द्र माराजा इनो वोद : ब्रज वासियोंन आज मैं पूजा नी लगाए । जा मेरा मेघो , ब्रज मा जावा , प्रलै मचावा तबरी ही गरजीन मेघ घनघोर , बिजली कड़के , सरग गिड़के , बज्र तड़ातड़ तड़केन । कंपी गये नौखंड धरती थर थर हा हा मचीगे तै गोकुल मा , हे कृष्ण तिन यो क्या करे ? कृष्ण भगीवान् तब बोलदा बैन गोकुल का लोगू कायरो नी होणू । तब ऊन गोबर्धन आंगुली मा धरयाले गोकुल मा नी पड़े पानी को छीटो । तब सोचदो इन्द्र क्या ह्वै ह्लो आज ? क्या तै गोकुल ह्वैगे कृष्ण अवतार तब इन्द्र माराजन साथ लिन्या तेतीस करोड़ देव , कामधेनु गाई चलदा चलदा ऐग्या गोकुल मांज । कृष्ण भगवान गाई चरौंदा छया , बंसी बजौदा छा , पृथी मोहदा छा । कुछ ग्वाल आग छा , कुछ छा पीछ , गौऊन विर्याँ छा , कृष्ण भगीवान । तभी करी इन्द्रन गौ को स्वरूप , बार बार तब परिक्रमा करदू । ज जै कार करदा पंचनाम देव , इना रैन कृष्ण भगवान , गर्वियों गर्व चलैन , छलियों का छल",garhwali-gbm "हौनी कवउँ न जात अनूठी हौनी कवउँ न जात अनूठी , जिदना जी पै रूठी । इक दिन रूठी राजा नल पै , हार लील गइ खूँटी । इक दिन रूठी कंसासुर पै , मूड़ खपरिया फूटी । इक दिन रूठी तो अर्जुन पै , भील गोपका लूटी , सोने की गढ़ लंक ईसुरी , घरी भरे में टूटी ।",bundeli-bns "आओ सइओ रल देओ नी वधाई आओ सइओ रल देओ नी वधाई । मैं बर पाया राँझा माही । अज्ज ताँ रोज़ मुबारक चढ़िआ , राँझा साडे वेहड़े वड़ेआ , हत्थ खूण्डी मोढे कंबल धरिआ , चाकाँ1 शकल बणाई । आओ सइओ रल देओ नी वधाई । बुल्ले शाह इक सौदा कीता , पीता ज़हर प्याला पीता ना कुझ लाहा टोटा लीता , दरद दुखाँ दी गठड़ी चाही , आओ सइओ रल देओ नी वधाई । मैं बर पाया राँझा माही",panjabi-pan "मोरे मन बसे राम और सीता मोरे... मोरे मन बसे राम और सीता । मोरे . . . मोर मुकुट मोरे ठाकुर जी खों सोहे , सो कलगिन बीच राम और सीता । मोरे . . . चंदन खोरे मोरे ठाकुर जी खों सोहे , सो टिपकिन बीच राम और सीता । मोरे . . . नैनन सुरमा मोरे ठाकुर जी खों ‘सोहे’ , सो माला बीच राम और सीता । मोरे . . . पानन बिरियां मोरे ठाकुर जी खों सोहे , सो लाली बीच राम और सीता । मोरे . . .",bundeli-bns "दादा हमारे नयना जोगी हैं री मइया दादा हमारे नयना जोगी1 हैं री मइया । दादी हमारी मनमोहिनी री मइया । बलदी2 लदाये3 जोग लाद लायें जी ॥ 1 ॥ नाना हमारे नयना जोगी हैं री मइया । नानी हमारी मन मोहिनी री मइया । छकड़े4 लदाये जोग लाईं री मइया ॥ 2 ॥ अब्बा हमारे नयना जोगी हैं री मइया । अम्माँ हमारी मन मोहिनी री मइया । छकड़े लदाये जोग लाई री मइया ॥ 3 ॥ भइया हमारे नयना जोगी हैं री मइया । भाभी हमारी मन मोहिनी री मइया । गाड़ी लदाये जोग लाई री मइया ॥ 4 ॥",magahi-mag "361 होली सहज सुभा दी गल कीजे नाही कड़किये बोलिये गजिये नी लख झट तरले फिरे कोई करदा दिते रब्ब दे बाझ ना रजिए नी धयान रब्ब ते रख ना हो तती दुख औगुनां होन तां कजिए नी असीं नजर करीए तुरत होन राजी जिन्हां रोगियां ते जा वजिए नी चैदां तबका1 दी खबर फकीर रखन मुंह तिन्हां तों कासनूं कजिए नी जदों हुकम विच माल ते जान होवे उस रब्ब तों कासनूं भजिए नी सारी उमर जो पलंघ ते रहे नढी एसे अकल देनाल कुचजिए नी शरम जेठ ते सौहरयां करन आई मुंह फकरां तों काहनूं कजिए नी वारस शाह तद इशक दी नजर दिसे जदों आपने आपनूं कजिए नी",panjabi-pan "जलमी इले आवा जा डूड प्याला माय मारे जलमी इले आवा जा डूड प्याला माय मारे मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले रावेन बेटा जा रावेन बेटा मारे बेटा नव लाको जरी टा लान ईनी जाजोम जे कुँवार रानी का बीले बेटा नव लाको जरी टा लान ईनी जाजोम जे कुँवार रानी का बीले स्रोत व्यक्ति दयाराम काजले , ग्राम सोनपुरा",korku-kfq "रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये टाराटेन जोमेडो चूरूटेन डा डो टाराटेन जोमेडो चूरूटेन डा डो रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "18 भाबी आखदी गुंडया मुंडया वे साडे नाल की रिक्तां चाइयां नी वली जेठ ने जिहना दे फतू देवर डुब मोइयां ओह भरजाइयां नी घरो घरी विचारदे लोक सारे सानूं केहियां फाहिआं पाइयां नी वारस गल न बनेगी नाल साडे परना लया स्यालां दीयां जाइयां नी",panjabi-pan "448 जदों खलक पैदा कीती रब्ब सचे बंदयां वासते कीते नी सभ पसारे रन्नां छोकरे जिन्न शैतान रावल1 कुता कुतड़ी बकरी ऊठ सारे टोहां मूल फसाद दा होइयां पैंदा जिन्हां सभ जगत ते मूल धारे आदम कढ बहिश्त थी खुआर कीता ए तां डायनां धुरों ही करन कारे एह करन फकीर चा रांझयां नूं इन्हां राजे ते राने ने सभ मारे वारस शाह हैन हुनर विच मरदां अते महरियां विच नी ऐब भारे",panjabi-pan "कहाँ से जोग आयल, कहाँ जोग घुरमई गे माई कहाँ से जोग आयल , कहाँ जोग घुरमई1 गे माई ॥ 1 ॥ दुलरइता दुलहा ही2 से जोग आयल । तेलिया दुहरिया3 जोग घुरमइ गे माई । दुलरइता देइ4 के जाके जोग लग गे माई ॥ 2 ॥",magahi-mag "एके तेल चढ़ेंगे-2 एक तेल चढ़गे एक तेल चढ़गे , हो हरियर हरियर हो हरियर हरियर मंड़वा मे दुलरू तोर बदन कुम्हलाय रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे कहवा के दियना दीदी करथे अंजोर आमा अमली के आमा अमली के दाई सीतल छईहां दाई सीतल छईहाँ कर देबे फूफू तोर अँचरा के छाँव दाई के अँचरा दाई के अँचरा वो अगिन बरत हे हो अगिन बरत हे फूफू के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय काकी के अँचरा काकी के अँचरा दाई अगिन बरत हे दाई अगिन बरत हे मामी के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय डोंगरी पहारे डोंगरी पहारे दीदी घनरा चलत हे दीदी घनरा चलत हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल हमरे दुलरवा हमरे दुलरवा नई बांधे मऊरे नई बांधे मऊरे नई सहे तेलिया मोर राई सरसो के तेल",chhattisgarhi-hne "जन्म गीत एक पतासा का नव सौ टुकड़ा । एक टुकड़ो मने चूल्हा जगह मेकियो । बाळ की ममई बठीबठी चाख , आवते चाट न जाते की चाट । एक पतासा का नव सौ टुकड़ा । एक टुकड़ो मन झोळी जगह मेक्यो । बाळ की जी माय हिचकाड़ती चाट । एक पतासा का नव सौ टुकड़ा । एक टुकड़ो मन मोरी जगह मेक्यो । बाळा की मामी जात की चाट , आवते की चाट । एक पतासा का नव सौ टुकड़ा । एक टुकड़ो मन हतई म मेक्यो । बाळ की फुई आवते की चाट , जाते की चाह । एक पतासा का नव सौ टुकड़ा । एक टुकड़ो मन मुळ्ळा पर मेक्यो । बाळ की मावसी जाते की चाट आवते की चाट । बालक के जन्म के बाद पूजन में रिश्तेदारों को बुलाते हैं और उनसे हँसीमजाक के लिए महिलाएँ गीत गाती हैं और जिनका नाम गीत में आता है , उसको देखकर महिलाएँ हँसती हैं । गीत में कहा गया है किएक बतासे के नौ सौ टुकड़े करके चूल्हे के पास रखा । बालक की नानी माँ आतेजाते चाटती हैं एक टुकड़ा पालने के पास रखा , बालक की दादी माँ झूला देते हुए चाटती हैं । एक टुकड़ा मोरी के पास रखा , बालक की मामी आतेजाते चाटती हैं । एक टुकड़ा मैंने चौक में रखा , बालक की बुआ आतेजाते चाटती हैं । एक टुकड़ा मैंने पनिहारे पर रखा , बालक की मौसी आतेजाते चाटती हैं ।",bhili-bhb "हम पहिरे मूगन की माला हम पहिरे मूंगन की माला , हमारी कोऊ गगरी उतारो कहां गये मोरे सैंया गोसंइयां , कहां गये वा रे लाला , हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . . एक हाथ मोरी गगरी उतारो , दूजे घूंघट संभालो , हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . . एक हाथ मोरी गगरी उतारो , दूजे से चूनर संभालो , हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . . एक हाथ मोरी गगरी उतारो , दूजे से लालन संभालो , हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . .",bundeli-bns "मृत्यु गीत पवाँ फाटियो ने सुरिमल उगिया राम । पवाँ फाटियो ने सुरिमल उगिया राम ॥ सास नणद क कइ क मीराबाई लात नहिं मारना राम । सास नणद क कइ क मीराबाई लात नहिं मारना राम ॥ उनको नाके गदड़ी को अवतार व , मीरा बाई राम । उनको नाके गदड़ी को अवतार व , मीरा बाई राम ॥ गदड़ी तो रूखड़े लुलाइ रा , मीराबाई राम । गदड़ी तो रूखड़े लुलाइ रा , मीराबाई राम ॥ सासू नणद क जूठो भोजन नि देणू राम , मीरा बाई राम । सासू नणद क जूठो भोजन नि देणू राम , मीरा बाई राम ॥ वको नाखसे मांजरी को अवतार राम , मीरा बाई राम । वको नाखसे मांजरी को अवतार राम , मीरा बाई राम ॥ मांजरी ते घेरघेर दूध दहि उष्टो चाटे राम , मीरा बाई राम । मांजरी ते घेरघेर दूध दहि उष्टो चाटे राम , मीरा बाई राम ॥ मीरा बाई कहे राम भजो रे राम । आपणी देराणीजेठाणी का कारा नहिं करनु रे राम । वको नाखसे कुतरी नो अवतार व राम । कुतरी बणिन घरेघर भुखसे रे राम । घरवाळा कथि छिपिन नि खाणूं राम । वको नाखसे वागळी नो अवतार राम । वागळी ते औंधी झाड़े लटके रे राम । जिना मुहंडे खाय पलाज मुहंडे हागे रे राम । मीरा बाई कहे राम भजो रे राम ॥ इस गीत में महिलाओं ने महिलाओं से कहा है कि भगवान राम का भजन करो उसी में कल्याण है । सवेरा हुआ और सूर्योदय हुआ । राम का भजन करो । अपनी सास व ननद को लात नहीं मारना , नहीं तो भगवान गधी का अवतार देगा , गधी बनकर घूरे पर लोटोगी । सासननद को जूठा भोजन न खिलाना , नहीं तो भगवान बिल्ली का अवतार देगा , बिल्ली बनकर घरघर के दूधदही के बर्तन व जूठा चाटना पड़ेगा । अपनी देरानीजेठानी की बुराई नहीं करना , नहीं तो भगवान कुत्ती का अवतार देगा और घरघर भूँकोगी । अपने पति से छिपकर नहीं खाना , नहीं तो भगवान चमगादड़ का अवतार देगा , दिन में नहीं दिखेगा और पेड़ पर औंधी लटकी रहोगी , एक ही मुँह से खाओगी और उसी से मल त्याग करोगी । मीरबाई का कहना है कि राम का भजन करो ।",bhili-bhb "एक दिन ले दुय दिन, दुय दिन ले आँट दिन एक दिन ले दुय दिन दुय दिन ले आँट दिन धनकुल मँडालो होय रानी चो धनकुल मँडालो होय धनकुलसेवा करे रानी धनकुलपुजा करे आँट दिन ले पँदरा दिन पँदरा दिन ले मयना दिन धनकुल मँडालो होय रानी चो धनकुल मँडालो होय धनकुलसेवा करे रानी धनकुलसेवा करे छय मइना होए रे भगवान सालडेड़ साल होये परभू धनकुल मँडालो होय रानी चो धनकुल मँडालो होय धनकुलसेवा करे रानी धनकुलपुजा करे मने बिचार रानी करे दिले धोका रानी करे हे राम भगवान बले रानी बाप रे दइया बले नाना पयकार होले बले मयँ बानाबिसा होले काईं नामना निंहाय बले काईं किरती निंहाय बले जिव रत ले खायँदे बले मोचो करले नाव निंआय एके किरती करले जाले एक किरती करले जाले जुगजुग नाव रएदे बले मोचो किरती बाड़ुन जायदे बाजे बसुन जात राजारानी सेज बसुन जात सुना राजा राजरपती सुना राजा देसरपती बाते सुनुन जाहा राजा गोठ मानुन जाहा काईं नामना निंहाय राजा मचो काईं किरती निंहाय एके किरती करले जाले एक किरती करले जाले जुगजुग नाओ रएदे राजा किरती बाढ़ुन जायदे काय किरती आय रानी आले मोके साँग सुना राजा राजरपती सुना राजा देसरपती तुलसी मँडाउन दिहा राजा मके तुलसी मँडाउन दिया तुलसीसेवा करें राजा मयँ तुलसीपुजा करें काईं बले नाओ रएदे राजा जुगजुग नाओ होयदे राजा रानी हट मताय राजा के रानी टेको मताय दतुन नई चाबे रानी अन नई खाए भुकेभुके बले रानी आसे भुकेभुके रानी आसे बाँजा राजा दखे बाबा बाँजा राजा दखे रानी के काए बले राजा सुना रानी बले तिनपुर टेकहिन आइस रानी बड़ा उपइन आस रानी टेक मताउन जास रानी हट मताउन जास दतुन नई चाबिस रानी अन नई खाइस तिनपुर रोना तुय रोइस रानी तिनपुर रदना धरिस रानी तिनपुर हट मतास रानी तिनपुर टेको मतास भुक ने मरुन जासे रानी तुय भुके मरुन जासे दतुन चाबुन जा रे रानी अन खाउन जा रे रानी तुलसी मँडाउन दइँदे रानी तुके तुलसी मँडाउन दयँदे रानी सुनुन जाय बाबा खँड मुचकी मारे मुचमुचमुचमुच रानी हाँसे मुचमुचमुचमुच रानी हाँसे दतुन चाबुन जाय रानी अन खाउन जाय एक दिन ले दुय दिन दुय दिन ले आँट दिन दतुन चाबलो होय रानी चो अन खादलो होय बाजे बसुन जात राजारानी सेज बसुन जात सुना राजा बाँजा राजा सुना राजा बाँजा राजा पँजिआरमाहाले जाहा राजा पँडितमाहाल जाहा पँडित बलाउन आना राजा मके तुलसी मँडाउन दयदे सुने राजा बाँजा राजा सुने राजा बाँजा राजा बाबू के काए बले राजा सुन बाबू बले उपरभवने जा बाबू तुय साहादेव पँडित के आन आपलो जाको बले धरो बाबू आपन साजू धरो बाबू एक डँडिक एवो बाबू मके तुलसी मँडाउन दयदे रानी हट मताय बाबू रानी टेक मताय सुने बाबू झोलू पाइक सुने बाबू झोलू पाइक हरबर तियार होय बाबू जलदी तियार होय आपन साजू पिंदे बाबू आपन जाको धरे हाते बेद बले बाबू धरे पाँए खड़ऊ बाबू पिंदे राजामाहाल छाँडे बाबू जातेजाते जाय रुमझुमरुमझुम रेंगे बाबू एक कोलाट मारे जाए बाबू झोलू पाइक जाए बाबू झोलू पाइक मोकोड़ीमाहाले जाय बाबू मोकोड़ीमाहाल अमरे माँडो मोंगरा उबे बाबू बाई हंका मारे बाई सुनुन जाये बाबा घर ले बाहिर होय परभू बाबू के काए बले बाई सून बाबू बले काय कामे इलिस बाबू आले मोके साँग सुन बाई पदमकड़ी सुन बाई पदमकड़ी सुत लमाउन दे बाई मके ताग लमाउन दे उपरभवने जायँ बाई मयँ उपरभवने जायँ सुन बाबू झोलू पाइक सुन बाबू झोलू पाइक कइसे सुत लमायँ बाबू मयँ कइसे तागो लमायँ बालबचा गागोत बाबू लोलोबालो गागोत तुचो पिला के लाई दयँदे तुचो पिला के खेलाते रएँदे सुत लमाउन दे बाई मके ताग लमाउन दे बाई सुनुन जाय बाबा सरसर सुतो लमाय",chhattisgarhi-hne "गंगा जी को औत (बाजूबन्द गीत) गंगा जी की औत तराजू मां तोली लेणा , कैकी माया भौत तराजू मां तोली लेणा , कैकी माया भौत झंगोरा की घांण , झंगोरा की घांण जैकी माया घनाघोरा , आंख्यूं मा पछ्याण जैकी माया घनाघोरा , आंख्यूं मा पछ्याण जैकी माया घनाघोरा हो . . . . . सड़का की घूमा , सड़का की घूमा सड़का की घूमा , सड़का की घूमा सदानि नि रैंदी सुवा , जवानी की धूमा सदानि नि रैंदी सुवा , जवानी की धूमा सदानि नि रैंदी सुवा हो . . . . . . भिरा लीगे भिराक , भिरा लीगे भिराक भिरा लीगे भिराक , भिरा लीगे भिराक तरुणी उमर सुवा , बथौं सी हराक तरुणी उमर सुवा , बथौं सी हराक तरुणी उमर सुवा हो . . . . . . . . . घुघुती को घोल , घुघुती को घोल घुघुती को घोल , घुघुती को घोल मनखि माटू ह्वे जांद , रई जांदा बोल मनखि माटू ह्वे जांद , रई जांदा बोल मनखि माटू ह्वे . . . . . . . गौड़ी कू मखन , गौड़ी कू मखन गौड़ी कू मखन , गौड़ी कू मखन दुनिया न मरि जाण , क्या ल्हिजाण यखन दुनिया न मरि जाण , क्या ल्हिजाण यखन दुनिया न मरि जाण . . . . .",garhwali-gbm "मेरे माही क्यों चिर लाया ए मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? कह बुल्ला हुण प्रेम कहाणी , जिस तन लागे सो तन जाणे , अन्दर झिड़काँ बाहर ताने , नंहु ला एह सुख पाया ए । मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? नैणाँ कार रोवण दी पकड़ी , इक्क मरनाँ दो जग्ग दी फकड़ी1 , बिरहों जिन्द अवल्ली जकड़ी , मैं रो रो हाल वन्जाया ए । मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? मैं प्याला तहकीक2 लीता ए , जो भर मनसूर पीता ए , दीदार मअराज3 पीआ लीता ए , मैं खूह थीं वुजू4 सजाया ए । मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? इशक मुल्ला ने बाँग दिवाई , सहु आवण दी गल्ल सुणाई , कर नीयत सजदे वल्ल धाई , नी मैं मुँह मेहराब5 लगाया ए । मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? बुल्ला सहु घर लपट लगाईं , रस्ते में सभ बण तण जाईं , मैं वेक्खाँ आ अनायत साईं , इस मैनूँ सहु चिर लाया ए । मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?",panjabi-pan "271 नाथ मीट अखीं दरगाह अंदर नाले अरज करदा नाले संगदा ए दरगाह लोबाली1 है हक वाली ओथे आदमी बोल ना हगदा ए आसमान जमीन दा वामसी तूं तेरा वडा पसारड़ा रग दा ए रांझा जट फकीर हो आन बैठा रख तकवा नाम ते लंग दा ए सभ छड बुरयाइयां बन्न तकवा लाह आसरा साक ते अंग दा ए ऐसा इशक ने मार हैरान कीता सड़ गया सू अंग पतंग दा ए",panjabi-pan "मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं रै मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा",haryanvi-bgc "226 इक वहुटड़ी साहुरे चली सयालीं आई हीर तों लैन सुनेहयां नूं तेरे पेकड़े चली हां एह गलों खोलह किसयां जेहयां केहयां नूं तेरा सहुरयां तुघ प्यार केहा ताजे करे सुनहेड़ा बेहयां नूं तेरा गभरू नाल प्यार केहा बहुछियां दसदियां ने असां जेहयां नूं हीर आखदी ओस दे गल एवें वैर रेशमां नाल ज्यों लेहयां नूं वारस गाफ1 ते अलफ ते लाम बोले2 होर की आखां एहयां तेहयां नूं",panjabi-pan "बना-बननी मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको , माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस , गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी । हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन , हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी पांय सारु चम्पक लाव्जो , पांय सारु बिछिया , पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । अंग सारु साडी लाव्जो , अंग सारु पैठनी , अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।",nimadi-noe "मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी। मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी । मेरा दिल मांगे हरी हरी फली सास , दिल मांगे हरी हरी फली ताला तो मेरा घर रखवाला छुरी बनारै फली । मेरा दिल मांगे हरी हरी फली सास , दिल मांगे हरी हरी फली सास दिल मांगे ताजा फली । जब उन फलियां नै चीरण बैठी सास नगोड़ी जली । जब उन फलियां ने जीमण बैठी , दुराणी जिठानी जली । मेरा दिल मांगे हरी हरी फली खेतां तै घरवाला आया खूब दड़ाहड़ दई । दुराणी जिठानी बोली मारै , फिर भी खागी फली । मेरा दिल मांगे हरी हरी फली",haryanvi-bgc "राम अर लछमण दशरथ के बेटे राम अर लछमण दशरथ के बेटे दोनों बणखंड जाएँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान एक बण चाल्ये , दो बण चाल्ये तीजे में लग आई प्यास . . . हे जी कोई राम मिले भगवान ना अड़े कूआँ , ना अड़े जोहड़ ना अड़े सरवर ताल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान हर के घर तै उठी बदलिया बरस रही झड़ लाए . . . हे जी कोई राम मिले भगवान भर गए कूएँ , भर गए जोहड़ भर गए सरवर ताल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान छोटासा छोरा गउएँ चरावै पाणी तो प्याओ नंदलाल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान भर के लोटा पाणी का ल्याया पिओ तो श्री भगवान . . . हे जी कोई राम मिले भगवान तेरा पाणी हम जब पीवांगे नाम बताओ माय अर बाप . . . हे जी कोई राम मिले भगवान पिता अपने का नाम ना जाणू सीता सै म्हारी माँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान चाल भई लड़के उस नगरी में जित थारी सीता माँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान खड़ीखड़ी सीता केश सुखावै हरे रूख की छायँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान ढक ले री माता इन केशां ने बाहर खड़े श्रीराम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान इस माणस का मुखड़ा ना देखूँ जीव तने दिया बणवास . . . हे जी कोई राम मिले भगवान पाट गई धरती समा गई सीता खड़े लखावें श्रीराम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान भाजलुज के चोटा पकड़्या चोटे में हरीहरी घाम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान राम की माया राम ही जाणे भज लो जय जय राम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान",haryanvi-bgc "बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए , ललना कवना चेली के लोभवलु त , गरभ रहि जाले नू ए । पुत मोरे बसेले अयोध्या , पतोहिया गजओबर ए , ए सासु भंवरा सरीखे प्रभु अइले , गरभ रहि जाले नू ए । मोरे पिछुअरवा पटेहरवा भइया , तूहू मोरे हितवा नू ए , बिनी द ना रेशमऽ के जलिया त , छैला के भोराइवि हे । बिनि देहले रेशमऽ के जलिया , रेशमडोरिया लगाई देहले ए लेहि जाहु रेशम के जलिया , छैला के भोरावऽहु ए । सुतल बाड़ू कि जागलऽ सासु , चिन्ही लऽ आपनऽ पुतवा अछरंगवा मत लगावऽहु ए । अछरंगदोष",bhojpuri-bho "374 हीर उठ बैठी पते ठीक लगे अते ठीक नशानियां सारियां ने एह तां जोतशी पंडत आन मिलया बातां आखदा खूब करारियां ने पते वंझली दे एस ठीक दिते ओस मझी भी साडियां चारियां ने वारस शाह एह इलम दा धनी डाढा खोल कहे निशानियां सारियां ने",panjabi-pan "कृष्ण ने कैसौ जुलम गुजारौ कृष्ण ने कैसौ जुलम गुजारौ , मेरी चूँदर पे रंग डारौ ॥ टेक रस्ता लई रोक हमारी , मारी भरभरकै पिचकारी , उत्पात करौ है भारी , कीनी कैसी हुशियारी । लई अकेली घेर , न कीनी देर , श्याम गयौ आई , मो भोरी सखी की एक पेश नहीं खाई । गयौ पिछारी ते ऊधम करके मोते बजमारौ । मेरी . ॥ अब मोकूँ घर जानों , वहाँ लड़े सास सच मानो , जल्दी ते बताय बहानों , जाते मिले न मोय उरिहानो , चोली में पड़ गये दाग , तुरन्त गयौ भाग , कियौ छल यानै , ऐसौ जसुदा कौ लाल एक नहीं मानें । जब देखूँ तब खड़ौ अगारी , रस्ता रोक हमारौ ॥ मेरी . ॥ ये नित नये फैल मचावै , नांय दहसत मन में खावै , लै ग्वालन कू संग आवै , मेरे लाल गुलाल लगावै । कहते में आवै लाज , कहूँ कहा आली , सखी सुन प्यारी । मेरौ लीनों अंग टटोर झटक लई सारी । रंग बिरंगी करी कुमकुमा तान बदन पै मारौ ॥ मेरी . ॥ अब सब मिल सलाह बनाऔ , मोहन कूँ यहाँ बुलाऔ , ज्वानी को मजा चखाओ , सब बदलौ लेऔ चुकाय सभी हरसाय , करौ जाकी ख्वारी , कर सोलह सिंगार हंसौ दै तारी । ‘नारायण घनश्याम’ भयौ घटघट कौ जानन हारौ ॥ मेरी . ॥",braj-bra "42 चिड़ी चूकदी नाल जां टुरे पांधी पइयां चाटियां विच मधानियां नी उठ गुसल दे वासते जा पुजे सेजां जिनां ने रात नूं मानियां नी रांझे कूच कीता आया नदी उते साथ लदया पार मुहानियां नी वारस शाह मियां लुडन बड़ा लोभी कुपा शहद दा लदया बानियां नी",panjabi-pan "बुन्देलखण्ड के किसान हम किसान बुन्देलखण्ड के हमें भूम या प्यारी है , ई धरती पै जलमजुगन सें हमनें काया गारी है । जब औरन नें गंगाजल सें अपनी बगियाँ सींचीं जू , तब पाठिन की जर सें हमनें स्रम की झिरें उलीचीं , जू ; निज की बिपदा तनक न सेंटी , हमें पिरानी परपीरा , अपने दौरें मुरम बिछाई , बाँट दए बाहर हीरा ; मुरकाडुभरी भोग लगाकै , परसी सदा सुहारी है । जब तुम ऊँघत बैठेबैठे , खस की टटियन में प्यारे , तब हम भेंटत लपटघाम खें , दौरदौर कै उघरारे ; साखन सें चल रही तपस्या , तपा तपत हो गए कारे , अब हम ठाँडे़ रहत पछारूँ , जहाँ जुरत गोरेनारे ; जहाँ कसौटी होत हिए की , बस वहाँ जीत हमारी है । खेतन में जुन बहुएँबिटियाँ , मनभावन सावन गातीं , समय परे पै बेइ अवन्नती , दुर्गा , देवल बन जातीं ; का चीन्हें इतिहास हमें यौ , टरकत पकरें बैसाखी , कितने पले हमाए दोरें जमुननरमदा हैं साखी ; पिरलै की रातन में हमनें जियनजोत उजयारो है । जिननें सोसण करो हमारौ , बचीं न उनकीं रजधानी , डेरा लद गए अँगरेजन के , बिला गए राजारानी ; काअत पेट दलाल आज जुन कारे धन के मतवारे , आउन चहत काल की आँधी , उड़ जैहें सब अबढारे ; अपनी तौ हर नए भोर के स्वागत की तइयारी है । हम किसान बुन्देलखण्ड के , हमें भू या पयारी है । ।",bundeli-bns "आई है फूलों की बहार आई है फूलों की बहार , बधाई होवै । पहली बधाई याके , बाबा कू होवै । दादी न गाए मंगला चार , बधाई होवै । आई है फूलों . . . दुजी बधाई याके , ताऊ कू होवै । ताई ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै आई है फूलों . . . तीजी बधाई याके , चाचा कू होवै । चाची ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै । आई है फूलों . . . चैथी बधाई याके , फूफा कू होवै । बुआ ने सतिए लगाए बधाई होवै । आई है फूलों . . . पाँचवीं बधाई याके , नाना कू होवै । नानी ने भेजो छुछक आज , बधाई होवै । आई है फूलों . . . छटी बधाई याके , मामा कू होवै । मामी ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै । आई है फूलों . . . सातवीं बधाई याके , बाबुल कू होवै । आँगन में छाई खुशियाँ आज , बधाई होवै । आई है फूलों की बहार , बधाई होवैं ।",braj-bra "गाँव का पंचून सोचे बात, श्रमदान मा देणहात गाँव का पंचून सोचे बात , श्रमदान मा देणहात । हात की साबली हात रैन , परवाणा देखी छक्का छुटी गैन । पाड़ से जुइयां एक छंदा जवान , साबली चलौंदा जना काबुली खान जनतान इनु करे यो सांसो , ये पाड़ तोड़ला हम जनु काँसो । ये काम से न हम मुख मोड़ला , पड़ तैं हम हातून फोड़ला । घणु की चोटुन पाड़ थर्राए , डाँडू वीठू मा सड़क आए ।",garhwali-gbm "पड़तालीओ हुण आशक केहड़े? पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? नेंहु लग्गा मत्त गई गवाती । ‘नहन1 अकबर’ ज़ात पछाती । साई शाह रग तों भी नेड़े । पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? हीरे तूँ मुड़ राँझा होई । एह गल्ल विरला जाणे कोई । साईं चुक्क पवण सभ झेड़े । पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? लै बराताँ रातीं जागे । नूर नबी दा बरसन लागे । ओह वेख असाडे वेहड़े । पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? ‘अनलहक’2 केहा उन लोकाँ । मनसूर न देंदा आपे होका । मुल्लाँ बन बन आवन पेड़े । पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? बुल्ला सहु शरा ते काज़ी है । हकीकत ते भी राज़ी है । साई घर घर निआओं निबेड़े । पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?",panjabi-pan "पिया मेरी किलफां ले जा पिया मेरी किलफां ले जा , भर्या बाहण के भात मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात हो उसनै कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार है तनक सी ने भैया लिया रे समझाए पिया मेरा झूमर ले जा , भर्या बाहन के भात मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए पिया मेरा गुलबन्द ले जा , भर्या बाहन के भात मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए",haryanvi-bgc "हरे रामा लागे सावन के महीना हरे रामा लागे सावन के महीना के झूला डारो रे हारी । रिमझिम रिमझिम बरसत मेघा रामा , भीज गई सब देह कि भीजी मोरी साड़ी रे हारी । हरे . . . रेशम डोर चन्दन के पलना रामा , झूलें राधा कृष्ण कदम की डारी रे हारी । हरे . . . दादुर मोर पपीहा बोले रामा , घाटघाट मोहन की मुरलिया बाजे , प्यारी रे हारी । हरे . . . हरे रामा लागे सावन के महीना . . .",bundeli-bns "झूला पड़ गयो रे आगन मे झूला पड़ गयो रे आंगन में बन में नाचे लागी मोर । को जो झूलें को जो झुलावें को जो खींचे डोर । गणपति झूलें शंभु झुलावें गौरा खींचे डोर । झूला . . . कौना महिना जन्म भयो है कौने नाम धरायो । झूला . . . भर भादों में जनम भयो है गणपति नाम धराये । झूला . . . काहे को इन्हें भोग लगत है काहे पे होत सवार । झूला . . . मोदक को इन्हें भोग लगत है मूषक पे होत सवार । झूला . . .",bundeli-bns "राजा के अगनवा चन्दन का विरवा राजा के अँगनवा चन्दन का बिरवा अछर बिछर ओखी डार हो वो ही तरे पूरे बबुआ सोना संकल्पै डारे लागे सुधर सुनार हो गढ़ सोनरा तुम आंगन कंगन गढ़ सुनरा सोलह सिंगार हो इतना पहिन बेटी चौक में बैठी भरहि मोतियन मांग हो सोनवा पहिन बेटी मण्डप में आई आवे लागे मोतियन आंसू हो कि मोरी बेटी अन धन कम है कि है रमैया वर छोट हो कौन बात बेटी मण्डप में रोई आवे लागे मोतियन आसू हो नाहीं तो मोरे बाबुल धन अन कम है नहीं है रमैया वर छोट हो आज की रैन बाबुल तुम्हारा देशवा कल परदेहिया के देश हो राजा के अगनवा चन्दन के विरवा . . . ।",bundeli-bns "309 कोई आयके रांझे दे नयन वेखे कोई मुखड़ा वेख सलाहुंदी ए अड़ियो वेखो ते शान इस जोगड़े दी राह जांदड़े मिरग फहाउंदी ए छोटी उमर दी दोसती नाल जिसदे दिन चार ना तोड़ निबाहुंदी ए कोई ओढ़नी1 लाह के मगर पहुंचे धो धा भबूत जा लाहुंदी ए कोई मुख रंझेटे नाल जोड़े तेरी तबह2 की जोगिया चाहुंदी ए सहती लाड दे नाल चवा3 करके चा सेलियां जोगी दियां लाहुंदा ए रांझे पुछया कौन है एह नढी धी अजू दी काई चा आहुंदी ए अजू वजू छजू फजू अते गजू हुंदा कौन है तां अगों आहुंदी ए वारस शाह ननाण एह हीर दी ए धी खेड़यां दी बादशाहुंदी ए",panjabi-pan "214 लै वे रांझया वाह मैं ला थकी मेरे वस थीं गल बे वस होई काज़ी मापयां भाइयां बनन तोरी मैंडी तैंडड़ी दोसती बस होई घरी खेड़यां दे नहीं वसना में साडी उन्हां दे नाल खरखस होई जां जीवांगी मिलांगी रब्ब मेले हाल साल तां दोसती वस होई वारस शाह तों पुछ लै लेख मेरे होनी हीर निमाणी दी सस होई",panjabi-pan "अंगिका बुझौवल माटी रोॅ घोड़ा माटी रोॅ लगाम ओकरा पर चढ़ेॅ खुदबुदिया जुआन भात करिया जीन लाल घोड़ा चढ़ेॅ उतरेॅ सिपाही गोरा । तबा , आग , रोटी भरलोॅ पोखरी में चान गरगराय । घी से भरी कड़ाही में पूआ भरलोॅ पोखरी में टिटही नाँचै । बालू से भरी खपड़ी में भूजा टुपटाप करै छैं , कपार कैन्हें फोड़ै छैं नेङा ऐसन डेङा तोहें रात कैन्हें चलै छैं । साँप महुआ से ‘’ टुपटाप करते हो , महुआ गिराते हो , और सर क्यों फोड़ते हो । ‘’ महुआ , तुम ऐसे नंगधड़ंग रात को क्यों चलते हो ? फूलफूल मखचन्नोॅ के फूल पैन्हें छिमड़ी तबेॅ फूल । दिया की बत्ती और लौ एक सङ दू साथी रहै एक चललै एक सूती रहलै तैयो ओकरोॅ साथ नै छुटलै । चक्की के दोनों पल्ले यहाँ , महाँ , कहाँ , छोॅ गोड़ दू बाँहाँ पीठी पर जे नाङड़ नाचेॅ से तमासा कहाँ ? तराजू ६ डोरियाँ , दो पलरे और डंडी पर पूँछ जैसी मूँठ चलै में लचपच , बैठै में चक्का हाथ नै गोड़ नै मारै लचक्का । साँप पानी में निसदिन रहेॅ जेकरा हाड़ नै माँस काम करेॅ तरुआर के फिनु पानी में बाँस । जोंक फूलेॅ नै फरेॅ सूप भरी झरेॅ । बोहाड़न एक गाँव में ऐसनोॅ देखलौं बन्नर दूहेॅ गाय छाली काटी बीगी दियेॅ , दूध लियेॅ लटकाय । पासी , ताड़खजूर का पेड़ , ताड़ी एक टा फूल छियत्तर बतिया । केले की खानी पानी काँपै , कुइयाँ काँपै पानी में कटोरा काँपै चाँद लाल गाय खोॅर खाय पानी पीयेॅ मरी जाय । आग ऊपर सें गिरलै धामधूम धुम्मा रे तोहरोॅ माथा सूंघ । ताड़ हिन्हौ नद्दी , हुन्हौ नद्दी बीच में हवेली हवेली करेॅ डगमग माँग अधेली । नाव",angika-anp "जरमन ने गोला मार्‌या जरमन ने गोला मार्या जा फूट्या अम्बर में गारद में सिपाही भाजे रोटी छोड़ गए लंगर में उन बीरां का के जीणा जिन के बालम छः नम्बर में",haryanvi-bgc "जगाओ फिर बापू के भाव देस में कैसौ दंगा मचौ खेल जौ सैतानन नें रचौ , बरै जौ जातपाँत कौ नसा देश की कर डारी दुरदसा , जगाओ फिर बापू के भाव किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव । दनुजता बोलत जिन्दाबाद मनुजता हो रइ मुरदाबाद , भीतरइँ भुँजत मुरादाबाद बरेली बरत इलाहाबाद , देहली मेरठ मोदीनगर , अलीगढ़ चुरत गाजियाबाद । भँवर में फँसी नाव खौं देख डुबाबे पोंच जात जल्लाद । महा साँतर जो लुंगा मरत साँड़ से सबरइँ छुट्टाँ चरत , सहर में जौन लफंगा बरत बेइ पुंगा तो दंगा करत । लैन नइँ देत काउ खौं चैन बैन खों जे नइँ समझत बैन , टूट परतइ इज्जत खों लेन लोहू सें लीपत नीच उरैन । मनुजतनधारी बिसधर नाग लगा रए जे दंगन की आग , उगल रए देस बैर कौ झाग सहीदन के लोहू सें सिँचौ उजारत नन्दनबनसौ बाग । न चूकत अत्याचारी दाँव देस खौं इनसें आज बचाव , किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव जगाऔ फिर बापू के भाव । एक हैं जाँके रामरहीम , एक हैं जाँके कृष्णकरीम , एक से तुलसीसूरकबीर भरे रस सें रसखान रहीम , एक से सबखौं बैद हकीम एक सँग पुजतइ सइयद बली इतै के सालिगरामसलीम । बाबरे बैजू कौ संगीत कि जीनें लए जड़चेतन जीत , बौइ है तानसेन की तान करे बस में सम्राट महान , लता खौं का हिन्दुवइ सुनत ? रफ खौं बस तुरकन के कान ? विधाता कौ साँचौ है एक हमइँ तुम करतइ भेद अनेक । दौर कैं दो उगरें लग जाव बीरबल अकबर जैसे चाव , मेंट के भेदभाव के भरम छोड़ दो सबरे कपटदुराव , जगाऔ फिर बापू के भाव , किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव । छिड़ी जब आजादी की जंग लड़े गोरन सें सबरे संग भगत सिंह चन्द्रसेखर आजाद न भूलत कोउ बिसमिल की याद । सहीदन कौ नायक असफाक , निछावर हो गऔ बीर हमीद करी ऊँची भारत की नाक ; याद आ गओ हुमायूँ आज बचा लइ करमवती की लाज , आज के जे समाज के ताज न इनखौं कौनउँ सरमलिहाज बोउत रत रोज जहर के बीज करत फिर जेइ कोढ़ में खाज , बिगारत बेइ डाँकधर मर्ज कि जिनके हाँतन होत इलाज । जेइ रए कलपबृच्छ खौं काट न सूजत इनखौं भावकुभाव , जगाऔ फिर बापू के भाव किनारे तबइँ लगा पैऔ नाव । सिक्ख , मुसलिम , हिन्दू , ईसाई सुमित में रतते सबरे भाई कितै सें कीनें गुँजी लगाई सगी माँ सबकी भारत माई हिमालयसी जीकी ऊँचाई , अरब सागर जैसी गहराई पवन कै रइ जीकी प्रभुताई ; जनम भर जाँकौ पानी पियो देवतन जैसी देह बनाई । जितै को रज में खोखो खेल आज ज्वानी ऐसी गर्राई , भाई की घिची काट रए भाई खून सें खेलत क्रूर कसाई । न रै गऔ इनखौं नकउ कूत करोरन में जेइ कड़े कपूत कि इन्नें माँ की कोख लजाई जगत्तर भर में नाक कटाई । डुबा डारो बापू कौ नाम बिलख रए बरधासाबरमती सिसक रऔ सबरौ सेवाग्राम । थूक रऔ इनपै सब संसार जेइ तो बरत भूमि के भार , अहिंसा की नित हिंसा करत , प्रेमपोथी चूले में धरत , सत्त अभमन्यू कौ वध करत जेइ तौ करवाउत टकराव । नए हों चाय पुराने घाव न इनपै नोंनमिर्च भुरकाव , प्रेम की मरहम इन्हें लगाव । भाइचारे के भरकें भाव , नेह सें नित्त इन्हें सहलाव आज फिर बिछरे गर्रे लगाव प्रेम के अँसुवन सें सपराव , आज फिर भरतमिलाप कराव जगाऔ फिर बापू के भाव , किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव ।",bundeli-bns "जेहि नदी कोसी माय सूतो नै थाहे जेहि नदी कोसी माय सूतो नै थाहे , से नदिया देल उसर लोटाय । आगू आगू माता उसर लोटबे पाछू चरै नबेलाख धेनु गाय । राजा शिवसिंह पोखरि खुनैलन्हि ओहि पोखरी कोसिका कयल पयान । आगू आगू रानू सरदार घसना खसाबे पाछु कोसी करे सन्मुख धार ।",angika-anp "एक कोस गेलै हे कोसी माय एक कोस गेलै हे कोसी माय , दुई कोस गेलै हेऽ तेसर कोस बिजुबन सिकार हेऽ बघबो नै मारै हेऽ कोसी माय , हरिणों नै मारै हेऽ चुनिचुनि मारै छै हेऽऽ मजूर हेऽ सात सय मजूरबा हे कोसी माय मारि अयले हेऽ सात सय मजूरनी कयलें राड़ हेऽ हकन कानै छै कोसी माय बन के मजूरनी कोसी मैया बारी बेस हरले सिन्दूर नै हम खैलियो कोसी मैया खेत खरिहानमा नैय हम कैलियो लछ अपराध बखसु बखसियौ कोसी माय सिर के सिन्दूरिया मैया बखसि दियौ सिर के सिन्दूर जब तोरा हम बखसबो सिर के सिन्दूरिया हमरा के की देबे इनाम मजूरनी जब तुअ बखसबे कोसी माय सिर के सिन्दूरिया भरि राति नाचबा देबौ देखाय राति नाचबा देखायब होयत भिनसरबा बोलिया देबौ सुनाय चुटकी बजाय कोसी माय मजूरा के जियाबे खुसी गे भेलौ मैया बन के मजुरनी भरि राति आगे मजुरनी नचबा देखाबै होयत भिनसरबा बोलिया देय सुनाय गाबल सेबक जन दुहु कल जोड़ि विपत्ति के बेरिया मैया होहु न सहाय ।",angika-anp "जगदेव पंवार पंच देवों की सभा लगीं छई , शिव जी ध्यान मा छा , देवी छई पारवती , सभा का मुकुट तिरलोकी नारैण तब इना बैन1 बोलदा : क्वी दुनिया मा इनो वीर भी होलो जो शीश काटीक दान देलो ? जैन शीश को दान देण , वैन गढ़वाल को राज लेण । बखी बैठी छई चंचु भाट की बेटी कैड़ी कंकाली । तब बोलदा भगवान , हे कैड़ी कंकाली दुनिया को तोल लौ दू , पृथ्वी भाऊं2 । क्वी दुनिया मा शीश काटीक दान भी देलो । तू रन्दी कंकाली मृत्यु मण्डल3 मा । मैं ल्यूलो भगवान पृथी को भेद , तब कैड़ी कंकाली मृत्यु मण्डल ओंदी । वै मलासीगढ़ में रन्द छयो वीं को बाबा4 चंचु भाट , कैड़ी कंकाली छै मलासीगढ़ को प्यारी , मन की मयाली5 छैणै वा कैड़ी कंकाली , भूकों तई खलौंदी छई , रोदौं चण्यौन्दी6 , भूकों देखीक अन्न नी छै खान्दी नंगों देखीक वस्त्र नी छै लान्दी । मालसीगढ़ का लोक वीं तई तब आंख्यों मा पूजदा छया । वखी वै गढ़ मा रन्द छयो एक बोतल भाट , मति को होणू7 छयों , पेट को नीनू8 । गरीब छयो भौत वो बेताल भाट , चार नौना9 छया वैका10 , जिकुड़ो11 का जना चीरा12 , भाग का जना कांडा13 । भूख न रोंदा छा वो , वे सणी झुरोंदा14 तब ककाली मू वैन अपणी विपता गाये : हे कैड़ी कंकाली , तू होली देवी स्वरूप , मैं छऊँ किस्मत को हारो , विपता को मारो । मेरा होला ये चार बेटा , तू ऊं सणी भीक मांगीक पाली दे दूँ । जिकुड़ी क्वांसी15 छै कंकाली की वींन बालीक पालणा स्वीकार करयाल्या । मैंन जाण होलो दुनिया को भाऊ16 लेण , तखी बिटी मांगीक भी लौलू यूं छोरौक । कंकालीन तब हात धरे कमण्डल , जोगीण को भेष बणाये , बभूत रमाए । तब राज राज मा घूमदी कंकाली घूमदी घूमदी ऐ गए धारा नगरी । धारा नगरी मा रन्द छरूा जैदेव जगदेव पंवार , जयदेव जगदेव होला पीठी17 जौंला भाई , जयदेव जेठू होलू जगदेव काणसो18 । जयदेव बल मा किरपण होलो । मंगदारों देखीक जो द्वारू लगौंदो । जगदेव मन को टुलो19 होलो , दिल को खुलो , दानियों मा दानी होलो जगदेव पंवार । कैड़ी कंकाली गै पैले जयदेव का पास , द्वार पर जैक वींन अलख रमाई , हे पहरदारू भीतर जैक बोला राजा मू इनो , द्वार पर एक भिखारीन आई छ । तब राजा जयदेव इनो कदो बूध20 , सभी मुसद्यों21 तैं अफू22 जना23 जामा24 पैरोंद , कंकाली तब वै पछाणी नी पौन्दी तब बोलदू वोहे कैडी कंकाली , हमारू राजा शिकार जायूं छ । तब हैंसदी हैंसदी कंकाली लौटीक ओन्दी : जनू सीखी छ तनी तुमूक होयान । तब सूणीयाले या बात जगदेवन , शरील उठौगे , लाज न बैठीगे । न्यूते तब वैन वा कैडी कंकाली , मैं मुख को मांग्यू त्वै दान द्यौंलो । इनो दानी छयो जगदेव पँवार दणक वेको हात नी छौ टिटगदो , कया देऊं , कया देऊँ मन करदू छऊ । तब एक एक करी वैन पूछौन अपणी राणी , बोला , वीं भिखारीणो कया देण , कया देण ? कैना रुप्या बोले , कैन बोले पैसा , कैन हाथी बोल्या , कैन बोल्या घोड़ा । वैकी छैः राण्योंन छैः जवाब दिन्या , सातीं राणी छई चौहान्या25 राणी , राजा की छोड़ी छै वा पुंगड़ी26 जनी गोड़ीं , पर वैन वा भी पूछी लीने । तब बोल्दी वैकी वा चौहान्या राणी तुम मेरा सिर का छतर छयाई , तुम वोलदाई त स्वामी त मैं अपणू सिर देणक भी त्यार छऊं । तब राजान एक एक करीक सबी राण्यों तई सिर देणक पूछे । तब बोलदी राणी : हे राजा , तुमू क्या होये । जिन्दगी से प्यारी कभी भिखारिण क्या होली ? चौहान्या राणीन तबी मर्दाना बस्तर पैरीन , वीरु को भेष बणाये , सिरंगार सजाए , हौर27 राण्यों न समझे खेल तमाशा छ जाणी , देखदीं कती सजीं ल जनी बुरांससी डाली । मैं पराणू भीख दी सकदूँ राजा । देखी जगदेव न चौहान्या राणी , आंख्यों से आंसू छुटीन , जिकुड़ी से सांस , तू धन्य छै चौहानी , तिन मेरो नाक रखे । तब पंवार का भुजा बलकण लै गेंन , तब छेत्री हंकार चढ़ीगे मरद । औ तू कैडी कंकाली , तू पतरा लीक तब पंवारन सोनामुठी28 तेग29 गाडे30 देखण देखण मा ही तलवार वैकी धौणी31 से पार होई गए कैडी कंकाली न सिर धरे कमण्डल पर धारा नगरीन स्वर्ग चली गए । बख वैठ्यां छया पंचनाम देवता , सभा का मुकुट तिरलोकी नारैण छया । तब बोलदी कंकालील्य , नारैण । यो छ जगदेव को सिर । दुनिया को तोल लायूं मैं पृथी को भाऊ । तब परसन्न होया तिरलोकी नारैण , जगदेव होलू प्राणू को निरमोही । तब पंचनाम देवता धारानगरी ऐन , सिर पर धड़ लगाए तब देवतौन । तब कैडी कंकाली चौहान्या राणी मू बोदी : यो छ सिर जगदेव को , जीता32 होई जालो । तब चौहानी राणी ना करदी वीं कू दिन्यू दान नी लियेन्दू , थुक्यूं जूक नी चाटेन्दू । तब देवतौंन वीं धड़ पर ही हैकू33 सिर उपजाए । सेतापिंगला चौंल मारीन , जीतों होई गए जगदेव पंवार । देवतौंन तब वे गढ़वाल को राज दिने । वचन चले दिल राई , जैसिंह सभाई , वचन रहा जगदेव पंवार का जिसने सिर काट कंकाली को दिया । गढ़वाल देश को राज लिया ।",garhwali-gbm "म्हारा हरिया ए जुँवारा राज म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि लाँबातीखा सरस बढ्या , म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि गँऊ लाल सरस बढ्या , गोरईसरदासजी का बाया ए क बहु गोरल सीँच लिया , गोर कानीरामजी का बाया ए क बहु लाडल सीँच लिया , भाभी सीँच न जाणोँ ए क जो पीला पड गया , बाइजी दो घड सीँच्या ए क लाँबातीखा सरस बढ्या , म्हारो सरस पटोलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो , गज मोतीडा रो हारो ए क बाई रोवाँ पैर लियो , म्हारो दाँता बण्या चुडलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो , म्हारो डब्बा भरियो गैणोँ ए क बाई रोवाँ पैर लियो , म्हारी बारँग चूँदड ए क बाई रोवाँ ओढ लेई , म्हारो दूध भरयो कटोरो ए क बाई रोवाँ पी लियो , बीरा थे अजरावण हो क होज्यो बूढा डोकरा , भाभी सैजाँ मेँ पोढो ए क पीली पाट्याँ राज करे ।",nimadi-noe "हरियर पट केरा जाजिम झारी बिछावहु हे हरियर पट1 केरा2 जाजिम झारी बिछावहु हे । आयल कुलपरिवार , हरदी चढ़ावहु हे ॥ 1 ॥ हरदी चढ़ावथी3 दुलरइता दादा , सँघे4 दुलरइतो दादी हे । ताहि पाछे5 कुल परिवार , से हरदी चढ़ावथी हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "इयानी सिरभाव जेमा डो सागे इयानी सिरभाव जेमा डो सागे इयानी सिरभाव जेमा डो सागे इयानी सिरभाव कोन किमीन सागे इयानी सिरभाव कोन किमीन सागे इयानी सिरभाव कोनजई जामाय सागे इयानी सिरभाव कोनजई जामाय सागे इयानी सिरभाव घाडा डेघा सागे इयानी सिरभाव घाडा डेघा सागे घाडा डेघा भागायन डो जेमा डो सागे घाडा डेघा भागायन डो जेमा डो सागे इयानी सिरभाव घाडा डोंगरीन सागे इयानी सिरभाव घाडा डोंगरीन सागे घाडा डोंगरान भागायन डो जेमा डो सागे घाडा डोंगरान भागायन डो जेमा डो सागे इयानी सिरभाव भसोड़ कू डुबली सागे इयानी सिरभाव भसोड़ कू डुबली सागे भसोड़ कू डुबली भागायन डो जेमा डो सागे भसोड़ कू डुबली भागायन डो जेमा डो सागे इयानी सिरभाव नाड़ा टिकी सागे इयानी सिरभाव नाड़ा टिकी सागे नाड़ा टिकी भागायेन डो जेमा डो सागे नाड़ा टिकी भागायेन डो जेमा डो सागे इयानी सिरभाव केकड़ा कू डोडान सागे इयानी सिरभाव केकड़ा कू डोडान सागे इयानी सिरभाव जेमा डो सागे इयानी सिरभाव जेमा डो सागे स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "87 अधी डुल पई अधी खोह लई चून1 मेल के परे विच लयांवदा ए कहया मन्नदे नहीं सउ मूल मेरा चूरी पलयों खोल विखांवदाए नहीं चूचके नूं कोई मत देंदा पढी मार के नहीं समझांवदा ए चाक नाल इकलड़ी जाय बेले अज कल कोई लीक लांवदा ए जिस वेलड़े महिर ने चाक रखया ओस वेलड़े नूं पछोतांवदा ए",panjabi-pan "हे मेरी सांझी तेरी चम्पा फूली हे मेरी सांझी तेरी चम्पा फुली आंगी कुरबान सांझी हो मेरा सुसरा तेरी डाढी लिकड़ा कचरा कुरबान सांझी हे मेरी सासू तेरे गिण गिण तोडूं पांसू कुरबान सांझी हे मेरी नणदी तेरी तोड़ घड़ा लूं अणदी कुरबान सांझी सांझी चाली सांझ नै गैल बसंता पूत और सब चीज सिर पर धरी बगल में मारा सूत",haryanvi-bgc "492 भाबी अखियां दा रंग रतवना तैनूं हुसन चड़या अनआंवदा नी अज धिआन तेरा असमान उते तैनूं आदमी नजर ना आंवदा नी तेरे सुरमे दियां धाड़ियां धूड़ पइयां जिवे कटक है माल तें आंवदा नी राजपूत मैदान विच लढ़न तेगां अगे ढाडीयां दा पुत्तर गांवदा नी रूख होर दा होर अज दिसे तेरा चाला नवां कोई नवां आंवदा नी",panjabi-pan "208 कुरब्ब1 विच दरगाह दे तिनां नूं जे जेहड़े हक देनाल नकाहीअन गे जेहड़े छड के हुकम बे हुकम होए विच हाविए दोजखां डाहीअन गे मां बाप दे हुकम विच चलन नाल शौक दे ओह विआहीअन गे जेहड़े नाल तकबरी2 करन आकड़ बांग बकरे ईद दे ढाहीअन गे तन पाल के जिनां खुदरूई3 कीती अगे अग्ग दे आकबत4 डाहीअन गे वारस शाह मियां जेहडे बहुतस्याने काग वांग उह पलक विच फाहीअन गे",panjabi-pan "मालू राजुला रंगीली वैराट1 मा , रन्दो छयो रंगीलो दोलाशा2 छौ राजा दोलाशाही , रंगीली को राजा रंगीली दोलाशाही , ह्वैगे असी को विरबै3 बुडयांदी4 बगत लगी , तीजा जसी5 जोन6 । दोलाशाही राजा की , राणी पंवारी बतैं छै वीं रांणी को विधाता गर्भ रई गए एको दूजो मास लैगे , तीजो चौथो मास , पाँचों सातों मास लैगे , आठों नवों मास , दसाँ मास राणी , वैदन7 लगी गए बुड्याँदी बगत हे राजा , कनो गरण8 लैगे । विधाता की लेख9 छई , राजा को बेटा ह्वैगे गया का बरमा10 बुलौंद राजा , काशी का पण्डित , देखा मेरा बरमा , ये को राशभाग तब बरमा , पातुड़ी देखदा ; राजा इनोजरम , यो भौंपति भौंपाल रंगीली को राजा जरमे , मालूशाही नाम होलो येको हे राजा , गया को बरमौन कुछ अलप11 बतैले , हे राजा , मालशाही को पंचुला ब्यौ करण नितर12 तुम पर पाप लगण सौक्यानी देश मा , सौक्यानी सोनूशाही , सोनूशाही की नौनी , नौरंगी राजुला तब गैन गया का बरमा13 , सौक्यानी देश मा , सौक्यानी देस मा , माँगल छा गायेणा राजा सोनशाही की , जरमी14 , नौरंगी राजुला आनन्द बड़ई बजदी , सौक्यानो कोट मा तब बोलदा गया का बरमा हे राजा सोनूशाही , तेरी नौनी जरमे , हमारा राजा दोलाशाही को , नौनो होलो मालूशाही , अपणी नौनी की तू , जबान15 दी दे । नौरंग राजुला होलो , दसरंग मालूशाही । तब सोनूशाहीन , राजुला की जबान दीयाले वीं , रंगीली वैराट । पंचुला की नौनी छै , पंजुला को नौनो , जौ जबान ह्वैगे , माँग जाग । मँगल पिठाई लगे , ढोल दमौं जज्या । पर राजुला को छौ , बल नाड़ी वेद16 , ससुरा तैं तब वो पिड़ाये राजा दोलाशाही , स्वर्गवास ह्वैगे । मन्त्री तन्त्रियोंन , इनो मन्त्र करे ई निरभागी ब्वारी17 का मांगण से ससुरा मरी गए । या ब्वारी हमून , कतई18 नी ल्यौण । मालूशाही छोटू छ , तै मा नी सुपौणा कि राजुला की करीं छै जुवान । हे जी , बरसू19 बीती गैन20 तब , पंचुला की नौनी , राजुला अक रंगीली , सुघर21 तरुणी ह्वैगे । बुराँस22 कोसी फूल , फूली गए राजुला । रूप् की छलार23 आँख्यों मा वीं का , जवानी भरेणी , पाणी कोसी ताल । राजुला होली , राजों की बेटी , देवी कोसी रूप होलो , सूरज कोसी झल्यारो24 । होई गए राजुला , ब्यौवोणा का लैख25 , पर हे जी रंगीली का राज की औणी26 नी छ जाणी27 । पंचुला की नौनी माँगी छई , तब बिटी28 करे , नी कैन29 खबर सार । राजुला माँगण तब , औंदा दुरुदुरुन राजा , राजुला होली भली बाँद30 , व्यवैक ल्यौण । राजा सोनूशाही पर , भौत खरी31 ऐगे , धरम को बाँध्यूं छौ , शरम की मान्यूँ । रंगीली राजान हमारो , कनो नाक कटाये , ई बेटीन कनी दशा कराये । बड़ाबड़ा राजा ऐन , टालदो रैन ऊंतैं32 । पर जलन्धर देश मा , रन्द छा विधनी विजैपाल , राजुला की चारजोइ , सूणी तब तौन , घूमदाघूमदा आई गैन , सौकानी देशमा , सेवा मानी , सेवा मानी , राजा सोनूशाही , राजुला को डोला हमन , जलन्धर देश पौंछोण । देन्दी छै ससुरा त , कट दे जुबान । नितर33 तेरो सौकानी राजा , बाँजा34 डाली द्योला । अपणा नौ35 का , विघनी छौं हम , विजैपाल छाँ । डर का मारा सोनू शाहीन , ना किलै36 बोलणू छौ ? राजुला की जुवान , वैन ऊं दियाले । आठवाँ ऐत्वार37 , औली हमारी बरात , तब विघ्नी विजेपाल , अपणा जलन्धर गैन । रूवसी राजुला छई , आम जसी फाँक , कनी तकदीर फूटे , गई जलन्धर देस ? तब बोदी वा राजुला , चल चाची छमुना , सारा जाँद अपणो देस देखाइयाल , वण देखाइयाल वासो । उच्च पर्वत बिटी38 , सारी दुनिया देखदी हे चाची , शैरू 39 मा , के कु शैर पियारो ? राजों मा कु राजा पियारो ? मेरी तकदीर फूटे , गये जलन्धर देस । तेरी तकदीर फूटे , बेटी गई जलन्धर देस , ओ रंगीली बैराट मा , तेरी जुबान दियेणी छै रंगीली को राजा छयो , नौरंग मालूशाही , नौरंगू मालूशाही , दसरँगी राजुला । ओ कख छ रंगीलो बैराट हे चाची । ऊँचा पंवाली काँठा40 देख तै राजुला । अच्छुत मैं जांदूं छमुना चाची , वै रंगीलीकोट मा , हात धरे टालखी41 राजुला न , वैराट42 पैटी गए राणी । हाँ , सु कनो सोनशाही को , छयी इस्टदेव भैरव , भैरव का कानू मा , खबर पौंछी गए । विधनी विजैपाल , सोनगढ़ तोड़ी जाला वो राजुला की , कनी43 मति44 हरे । डेढ़ हात भैरों , जान्द राजुला की ढूँड , वैराट को राजा , स्यो रंगीली मालूशाही , मालू शाही का होला , रौल्या45 ओल्या46 घट । तौं घटू मू पौंछीगे , तब रंगाली राजुला , हे जी भैरव न , तब टाड47 कैले बाड घर त त्वई राजुला , औणू होल में सोनूशाही को , डेड हात भैरव तेरो मड़ो48 मरयान , कुलदेव भैरव , किलै49 रस्ता रोकदी , मैं जाण दे छट छोड़े भैरव न , रस्ता राजुला भागी , रूबसी राजुला पौंछीगे , रंगीला बैराट राजुला से भी पैले , पौंछीगे भैरव , मालूशाही क तैं , निन्दरा50 जाप51 ह्वेगे , बार बरस की वे निन्दरा पड़ोगे दस रंग राजुली को , हिया भरी औन्द , हे मेरा भैरव , कनो करे त्वैन मैकू ? तेरी जोई52 भैरव , जू राँड होयान । लपटौन्दी53 झपटौदी54 मालूशाही नी बीज55 , रूबसी राजुला , तब कागली लेखदो मैं पंचुला की कन्या मालूशाही , माँगणी56 कबूल कै छई । विधनी विजैपाल लिजाणा छन मंई57 , त्वे बियाणी58 मंई त , ऐ जाणू जलन्धर देस मा । हीरा की गुण्ठी चढ़ाये वैका हात , रोन्दीबराँदी राजुला , सौकानी देस मा ऐ गए । तब डेढ़ हात भैरवन मालूशाही को जाप59 खोली याले । हीरा की गुण्ठी60 देखे , वैन अपणा हात , तब राजा को , हिया भरी औंद , राजुला मेरी राणी , होली मेरो पराणी । हे राम , वा कतना , दुख सैणी होली , आँसू छोड़दी होली , पथेणा61 नेतर । हे राजा , तब धरे , जोगी को रूप , कनो छोड़े रंगीलो वैराट , माता जी छोड़ दी , वैका पथेणा नेतर , कख गई होली , मालूशाही मेरो लाडो62 । तब सूणदी माता , रंगीली बैराट को राजा गै63 गुरू गोरख की थली64 गुरू जी गोरख तब , वै सणी देन्दा विद्या । बोदा तब गुरू गोरखनाथ जा मेरा चेला , तू मां कर घर , भोजन करी अऊ । तब औन्द मालूशाही रंगीली वैराट माता को शरीर तब भरी ओन्द कनो65 दिखेन्दी66 मेरा मालूशाही की चार67 । मेरो मालूशाही भी इनी ही छौ । हे माता , एक सरूप् का कना कना होण्दान , हे माता , तू मैं आशिर्वाद दे आज भोरजन तेरा घर मा होलू । पकौंदी भोजन तब बुडढ़ी माता , हे जी माता को शरीर धीरज धरद मेरो मालूशाही छयो पंचगास्या ज्वान । यो पंचग्रासी हालो त मेरो मालू ही छ । तब बुलाये वींन जोगी भोरजन जिमौणा एक गास धरे जोगीन गाई का नौऊ68 ,",garhwali-gbm "202 रले दिलां नूं पकड़ विछोड़ देंदे बुरी बान है तिनांह हतिआरयां नूं नित शहर दे फिकर गलतान1 रहिंदे एहो शामत है रब्ब दयां मारयां नूं खावन वढियां नित ईमान वेचन एह मार है काज़ियां सारयां नूं रब्ब दोजखां नूं भरे पा बालन केहा दोश है असां विचारयां नूं वारस शाह मियां बनी बहुत औखी नाहीं जानदे सां इनहां कारयां नूं",panjabi-pan "देखो खेते किसनवा जाय रहे देखो खेते किसनवा जाय रहें , वे तो मस्ती में हैं कछु गाय रहें , गर्मी की तपती दोपहरिया , उनखों तनकऊ नाहिं खबरिया , सिर पे धरके चले गठरिया , वे तो तन मन की सुध बुध भुलाय रहे । मेहनत खेतन में वे करते , मेहनत से तनकऊ नहिं डरते , माटी में अन्न उगाते , देखो खेतन में हल खो चलाय रहे । कभऊंकभऊं ओला पड़ जाते , बादल पानी उन्हें डराते , पर वे तनकऊ न घबराते , देखो भगवान खों वे तो मनाय रहे । गाय बैल की करें रखवारी , बाद में करते हैं वे ब्यारी , गांवन की शोभा है न्यारी , धरती खों स्वर्ग बनाय रहे । कोऊ न बैठे घर में खाली , लड़का बिटिया और घरवाली , जीवन की है नीति निराली अरे सब खों वे सीख सिखाय रहे ।",bundeli-bns "कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै । जैसे तैसे मैंने लई कढ़ाई सासू जी आटा ना देय मेरा दिल हलुवै नै । जैसे तैसे मैंने आटा लीया जिठाणी मीठा ना देय मेरा दिल हलुवै नै । जैसे तैसे मैंने मीठा लीया द्योराणी घी ना देय मेरा दिल हलुवै नै । जैसे तैसे मैंने घी भी लीया नणदल चूल्हा ना देय मेरा दिल हलुवै नै । जैसे तैसे मैंने हलुवा बनाया होलरिया खाण ना देय मेरा दिल हलुवै नै ।",haryanvi-bgc "हरियो रूमाळ चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ बैठूंगी मोटर कार में चाहे सास बिको चाहे ससुर बिको चाहे बिक जाये नणद छिनार बैठूंगी मोटर कार में चाहे देवर बिको चाहे देराणी बिको चाहे बिक जाये सारा रूमाळ बैठूंगी मोटर कार में चाहे जेठ बिको चाहे जेठाणी बिको चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ बैठूंगी मोटर कार में चाहे बलम बिको चाहे सौंक बिको चाहे बिक जाये सांस को लाल बैठूंगी मोटर कार में",rajasthani-raj "भजन टेक मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा । उजळी कर लेणा , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा । गोदड़ी बणी रे गुरु ज्ञान की , हीरा लाल लगाया , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा । काय की बणि रे साधु गोदड़ी , कायन केरा धागा कायन केरा धागा , कोण पुरुष दरजी भया , कोण सिवण हारा , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा मयली गोदड़ी . . . चौक2 जल की बणी रे साधु गोदड़ी , पवन केरा धागा , हो पवन केरा धागा , आप पुरुष दरजी भया , हंसा सीवण हारा , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा मयली गोदड़ी . . . चौक3 काहाँ से पवन पथारिया , कांसे आया जल पाणी , अरे कांसे आया पाणी , कांसे आई सोवागणी , कब से धरती रचाणी , मयली गोदड़ी साधू धोई लेणा । चौक4 आगम से पवन पधारिया , पीछे आया जलपाणी , आरे पीछे आया पाणी , इन्द्र से आई सोवागणी , तब से धरती रचाणी , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा मयली गोदड़ी . . . चौक5 धवळो छोड़ो रे खुर वाटळो मोत्या जड़ि रे लगाम अरे मोत्या जड़ि रे लगाम , चाँद सूरज बेड़ पेगड़ा , उड़ि न हुयो रे असवार , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा मयली गोदड़ी . . . छाप अकास से धारा उतरिया , धारा गई रे पयाळ , अरे धारा गई रे पयाळ , कईये कबीर सुणो साधू अरे हंसो गयो सत लोग , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा । हे साधु पुरुष यह काया मैली हो गई हो तो इसे धोकर स्वच्छ कर ले अर्थात् भक्ति करकेक उज्ज्वल कर ले । हे साधु पुरुष गुरु ज्ञान की गोदड़ी बिछावन बनी है , इसमें हीरे और लाल लगे हैं । यह काया वैसे ही प्राप्त नहीं हुई है । चौरासी लाख योनियों के बाद यह मानव काया प्राप्त हुई है । इस काया को भक्ति के द्वारा उज्ज्वल कर ले । यह काया जल से बनी है और पवन के धागे से सी गई है । गोदड़ी सीने को भगवान दर्जी बने । हरे हंसा जीव भगवान इसके बनाने वाले हैं । पवन कहाँ से आया और जल कहाँ से आया ? कहाँ से सुहागन आई और यह काया धरती कब से बनी ? आगम से पवन का आगमन हुआ और उसके बाद जल आया । और इन्द्र के यहाँ से सुहागन आई तब ये धरती बनी और जीव की उत्पत्ति हुई । सफेद घोड़ा उसका खुर कटोरेनुमा , उसकी लगाम मोतियों से जड़ी है । चन्द्रमा और सूर्य दोनों पेगड़े और उछलकर उस पर सवारी की । अरे जीव हंसा इस काया को भक्ति से उज्ज्वल कर ले , ताकि तुझे नरक का मुँह न देखना पड़े ।",bhili-bhb "सेन्दुर सम्भाल के उथईहा ए सुन्दर बर सेन्दुर सम्भाल के उथ ईहा ए सुन्दर बर सेन्दुर सम्भाल के उथईहा ए सुन्दर बर । माता पिता कन्यादान तोह्के कैले हो आंखी के पुतरी बनैहा ए सुन्दर बर । मात पिता अपनी प्यारी बिटिउआ के आंखी के पुतरी बनैहा ए सुन्दर बर ।",bhojpuri-bho "बाजरे की रोटी पोई रै हलिड़ा बाजरे की रोटी पोई रै हलिड़ा बथुए का रांधा रै साग आठ बलधां का रै हलिड़ा नीरणा बार हलिड़ा की छाक बरसन लागी रै हलिड़ा बादली",haryanvi-bgc "46 सैईं वंझीं चनाब दा अंत नाहीं डुब मरेंगा ठिल्ल ना सजना ओ चाहड़ मोढयां ते तैनूं पार लाइए कोई जान तूं ढिल ना सजना ओ साडी अकल शहूर1 तूं खस लीती रिहा कख दा वॅल ना सजना ओ वारस शाह मियां तेरे चौखने2 हां साडा कालजा सॅल ना सजना ओ",panjabi-pan "दादा लखिया की बदशाही दादा लखिया1 की बदशाही , सहानी2 लाड़ो3 के मेहँदी रचाई ॥ 1 ॥ नाना लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी लगाई ॥ 2 ॥ बाबा लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई ॥ 3 ॥ चाचा लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई । भइया लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई ॥ 4 ॥",magahi-mag "सदा थिर रहियो जी अविचल रहियो सदा थिर रहियो जी अविचल रहियो जी लाडो तेरी जोड़िया ? बाबा बोई हैं बाबल बोई हैं सुहागों की क्यारियां चाचा बोई हैं भय्या बोई हैं सुहागों की क्यारियां मामा बोई हैं जीजा बोई हैं सुहागों की क्यारियां दादी सींचे री अम्मा सींचे री लोटा भर झारियां चाची सींचे री भाभी सींचे री लोटा भर झारियां मामी सींचे री जीजी सींचे री लोटा भर झारियां अविचल रहियो जी सदा थिर रहियो जी लाडो तेरी जोड़ियां लाडो हे तेरे गोझे में गुड़धाणी , तुम बोलो इमरत बाणी , हे राजा की ।",haryanvi-bgc "पत रखियो सब जन की मोरी मैया पत... पत रखियो सब जन की मोरी मैया । पत . . . मैया के मड़पे चम्पा धनेरो । महक भरी फुलवन की । मोरी मैया . . . मैया के मड़ पे गौयें धनेरी बाढ़ भई बछड़न की । मोरी मैया . . . मैया के मड़ में भक्त बहुत हैं भीड़ भई लड़कन की । मोरी मैया . . . मैया के मड़ में जज्ञ रचो है हवन होय गुड़ घी को । मोरी मैया . . .",bundeli-bns "मृत्यु गीत पावो फाटियो ने सुरिमल उगिया रे भँवरा । पावो फाटियो ने सुरिमल उगिया रे भँवरा ॥ जीविता क तो नि दी रोटी रे भँवरा । जीविता क तो नि दी रोटी रे भँवरा ॥ मरिया पाछे बेटो लाड़ु उड़ाया रे भँवरा । मरिया पाछे बेटो लाड़ु उड़ाया रे भँवरा ॥ जीविता क तो बेटो कपड़ा नि पेराया रे भँवरा । जीविता क तो बेटो कपड़ा नि पेराया रे भँवरा । मर्या पाछे बेटो मसरू ओढ़ाया रे भँवरा । मर्या पाछे बेटो मसरू ओढ़ाया रे भँवरा ॥ जिवता क तो बहु हिचके नि हिचाड्यो रे भँवरा । जिवता क तो बहु हिचके नि हिचाड्यो रे भँवरा । मर्या पाछे बहु हिचके हिचाड़े रे भँवरा । मर्या पाछे बहु हिचके हिचाड़े रे भँवरा ॥ जिवता क तो बेटो कुद्यां नि उँघळायो रे भँवरा । जिवता क तो बेटो कुद्यां नि उँघळायो रे भँवरा ॥ मर्या पाछे बेटो खुब ऊँघळावे रे भँवरा । मर्या पाछे बेटो खुब ऊँघळावे रे भँवरा ॥ महिलाएँ जनसामान्य का शिक्षा देती हैं हे जीव प्रभात और सूर्योदय होता है । जीवित रहते मातापिता को पुत्र ठीक से भोजन नहीं देता है और नुक्ते में लड्डू जिमाता है । जीवित रहते हुए पुत्र मातापिता को ठीक से वस्त्र लाकर नहीं पहनाता है और मरने के बाद मसरू ओढ़ाता है । जब तक सासससुर जीवित रहें , तब तक बहू ने झूले पर नहीं झुलाया और मरने के बाद खूब झुलाती है । इस क्षेत्र के आदिवासियों में मरने के बाद झूले पर झुलाया जाता है । कुटुम्ब के लोगों के अलावा दूसरे मातम के लिए आने वाले भी मृत शरीर को झूला देकर झुलाते हैं । जीवित रहते हुए मातापिता को नहलाया नहीं और मरने के बाद खूब नहलाते हैं । गीत में यह बताया गया है कि मातापिता की सेवा पुत्र और पुत्रवधू को ठीक से करना चाहिए । मरने के बाद के कार्य तो चली आ रही परम्परा है ।",bhili-bhb "धीरे चलो मै हारी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी । । एक तो नारी दूजे सुकुमारी , तीजे मजल की मारी , संकरी गलियां कांटे कटीले , फारत हैं तन की सारी । लक्ष्मण . . . गैल चलत मोह प्यास लगत है , दूजे पवन प्रचारी । लक्ष्मण धीरे चलो . . .",bundeli-bns "50 लोकां आखिया मियां तूं कौण हुंना ? आणि किस ने अन्न खवालिया ई तेरी सूरत तां बहुत मलूक दिसे ऐडा जफर1 तूं कास नूं जालिया ई अंग साक तूं छड के नस आयों बुढी माऊं ते बाप नूं गालिया ई ओहले अखियां दे तैनूं किवें कीता किन्नां दूतियां दा कौल पालिया ई",panjabi-pan "बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया , बन्ना ए कित घरा रे निसान छोटा छेल उतर्या बाग मैं । तेरी बंदड़ी रे कह्वै रै बन्ना , तूंए सबेरी सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बंदड़ी गहणा घड़ावण मैं गया , सुनरे ने ला दई बार रे छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बंदड़ा गहणा घड़ावै तेरा दादा जी तेरा ताऊ जी , तूं तड़कै ए तड़कै आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बन्नी कपड़ा बिसावण मैं गया , बणिया नै ला दई बार छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बन्दड़ा कपड़ा बिसावै तेरा बाबल जी तेरा काका जी , तूं सबेरी ए सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बंदड़ी मैंहदी बिसावण मैं गया , पंसारी नै ला दई वार छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बंदड़ा मैंहदी बिसावै तेरा बीर जी तेरा मामा जी , तूं रै सबेरी ए सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं । बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया , बन्ना ए कित धरा रे निसान छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।",haryanvi-bgc "चललन कवन साही बजना बजाइ हे चललन कवन साही1 बजना2 बजाइ हे । दहकि3 चिरइया सब उठलन चेहाइ4 हे ॥ 1 ॥ का तुहूँ चिरइया सब उठलऽ चेहाइ हे । हमरा कवन पुता बियाहल5 जाइ हे ॥ 2 ॥ बइठलन कवन साही जाजिम डसाइ6 हे । जँघिया कवन पुता कचरल7 पान हे ॥ 3 ॥ बइठलन कवन भँडुआ खरइ8 डसाइ हे । जँघिया9 दुलारी बेटी लट छटकाइ10 हे ॥ 4 ॥ फेंकलन कवन दुलहा बिरवा11 पचास हे । बिड़बो न लेवे सुगइ12 मुखहूँ न बोले हे ॥ 5 ॥ केकरा दिमागे13 हे सुगइ , बिरवो न लेवे हे । केकरा दिमागे हे सुगइ , मुखहूँ न बोले हे ॥ 6 ॥ बाबा के दिमागे जी परभु , बिरवो न लेवीं14 हे । भइया के दिमागे जी परभु , मुखहूँ न बोली हे ॥ 7 ॥ ऊँचे चउरा15 नीचे चउरा , कवन पुर नगरिया हे । हुएँ16 तोरा देखब हे सुगइ , बाबा के दिमाग हे ॥ 8 ॥ हुएँ तोरा देखब हे सुगई , भइया के गुमान हे । चलु चलु बरियतिया17 सब , अपनो दुआर हे । भरले मजलिसवे सुगइ , देलन जबाब हे । चलु चलु बरियतिया सब , अपनो दुआर हे ॥ 9 ॥ हमरा कवन बहिनी , छेंकलेसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला गृह प्रवेश करते समय दरवाजे पर खड़ी होकर रोक लेती है और कुछ नेग या उपहार लेकर छोड़ती है दुआर हे । छोडू़ छोडू़ अगे बहिनी , हमरो दुआर हे ॥ अवइथथुन18 दुलारी भउजो , लीहऽ खोइँछा19 झार20 हे ॥ 10 ॥ भउजी के भइया बाप , निपटे गँवार हे । खोइँछा में देलन हो भइया , एहो दुभि धान21 हे ॥ 11 ॥ छोडू़ छोड़ू अगे बहिनी , हमरो दुआर हे । तोहरा के देबो में बहिनी , कंठा22 गढ़ाय हे । पाहुन23 के देबो गे बहिनी , चढ़ेला घोड़बा हे ॥ 12 ॥",magahi-mag "उतरहि राज से ऐली माँ हे कोसिका हे उतरहि राज से ऐली माँ हे कोसिका हे पश्चिम केने जाय कोसीमाय असीधार । हरदी रंगल साड़ी गे कोसी माय सिनुरा भोगारल अंचरा करै छी महामहि जुन छेडु जनु छेडु छोड़ा रे मलहवा , हमछी बिन पुरूषक नारि । ।",angika-anp "बिदाई 1 ये बेरा गाये जाने वाला गीत म कन्या ओकर दाई , ददा , भाई अउ सब्बो मयारूमन के पिरा भरे होथे । दाई ह दुख म इंहा तक की डारथे… बेटी के संचरत जान पाइतेंव अंडी के पान ला खा लेतेंव कोखिया ला पार लेतेंव बांझ बेटी ह घलो कतार हो जथे । वहू अनजान संग बने रिस्ता ले दुखी हे , जे ओला जीवन भरबर ओकर घर ले बिलग करके लेगत हे । ओकर ले बिछड़त दाई ददा भाई बहिनी के पिरा नई देखे जाय… रहेंव मैं दाई के कोरा ओ अंचरा मा मुंह ला लुकाय ओ ददा मोर कहिथे कुआं में धसि जइतेंव बबा कथे लेतेंव बैराग , ओ बेटी काहे बर ददा कुआं में धसि जाबे काहे बर बबा लेबे बैराग बालक सुअना पढ़न्ता मोर ददा मोला झटकिन लाबे लेवाय सब ला बेटी ले बिछुड़े के पिरा हे फेर दाई के पिरा सबले जादा होथे । आखिर वो का कर सकथे ? ओकर कोख म पले बेटी ल सदा बर घर म तो नई रखे जा सके । बेटी ह पराया धन होथे । तेकर सेती दाई ह बेटी ल समझाबुझा के आसिरवाद देथे… मंगनी करेंव बेटी , जंचनी करेंव ओ बर करेंव बेटी , बिहाव करेंव ओ जा जा बेटी , कमाबे खाबे ओ मार दिही बेटी , रिसाय जाबे ओ मना लिही बेटी , त मान जाबे ओ जांवर जोड़ी संगे , बुढ़ा जाबे ओ सुख दुख के रद्दा , नहक जाबे ओ 2 मैं परदेसिन आवं पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव अउ परदेसिया के साथ दाई कइथे रोज आबे बेटी ददा कइथे आबे दिन चार भईया कइथे तीजा पोरा भउजी कइथे कोन काम मैं परदेसिन आवं पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव अउ परदेसिया के साथ 3 अतेक दिन बेटी तैं घर मोर रहे वो आज बेटी भये रे बिरान झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव ददा संग भेंट झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव दाई संग भेंट अतेक दिन बहिनी तैं घर मोर रहे वो आज बहिनी भये रे बिरान झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव भाई संग भेंट झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव भउजी संग भेंट 4 दुलरी के अंगना में एक पेड़ पारस नोनी चिड़ियन करथे बसेर आवत चिरईया मोर रूमझुम लगथे नोनी जावत चिरईया सिमसान संगी जहुंरिया दुनो बइठे ल अइहव घर बेटी बिना रे अंधियार 5 नीक नीक लुगरा निमार ले वो आवो मोर दाई , बेटी पठोवत आंसू हारे वो नोनी के छूटगे महतारी वो आवो मोर दाई , बुता तो होगे तोर भारी वो चार दिन दाई तैंहर खीझेस वो आवो मोर दाई , मया गजब तैंह करस वो नोनी के घर आज छूटगे वो आवो मोर दाई , बाहिर म घर ल बनाही वो नोनी के जोर तुम जोरितेव वो आवो मोर दाई , रोवथे डण्ड पुकारे वो पहुंना तो नोनी अब बनगे वो आवो मोर दाई , बेटी के विदा तुम करिदेव वो 6 दाई के रेहेंव में रामदुलारी दाई तोरे रोवय महल वो अलिन गलिन दाई रोवय ददा रोवय मुसरधार वो बहिनी बिचारी लुकछिप रोवय भाई के करय दण्ड पुकार वो तुमन रइहव अपन महल मा दुख ला देइहव भूलाय वो अंसुवन तुम झन ढारिहव बहिनी सबे के दुखे बिसार वो दुनिया के ये हर रित हे नोनी दिये हे पुरखा चलाय वो दाई ददा के कोरा मा रेहेन अचरा मा मुह ला लुकाय वो अपन घर तुमन जावव बहिनी झन करव सोंच बिचार वो 7 घर के दुवारी ले दाई रोवथे आज नोनी होये बिराने ओ घर के दुवारी ले ददा मोर रोवथे रांध के देवइया बेटी जाथे अपन कुरिया के दुवारी ले भईया मोर रोवथे मन के बोधइया बहिनी जाथे भीतरी के दुवारी भउजी मोर रोवथे लिगरी लगइया नोनी जाथे दाई मोर रोवथे नदिया बहथे ददा रोवय छाती फाटथ हे हाय हाय मोर दाई भईया रोवय समझाथे भउजी नयन कठोरे वो 8 बर तरी खड़े हे बरतिया बर तरी खड़े हे बरतिया कि लीम तरी खड़े हे कहार बर तरी खड़े हे बरतिया बर तरी खड़े हे बरतिया कि लीम तरी खड़े हे कहार अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात दाई मोर रोवत हे महल में दाई मोर रोवत हे महल में कि ददा मोर रोवय दरबार झिनबर डोला बिलमइतेंव झिनबर डोला बिलमइतेंव कि दाई संग करी लेतेंव भेंट बड़े बड़े डोलवा चंदन के बड़े बड़े डोलवा चंदन के कि छोटे छोटे लगे हे कहार अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात लकठा में खेती झन करबे गा लकठा में खेती झन करबे कि दुरिहा में बेटी झन बिहाय लकठा के खेती गरवा खाथे गा लकठा के खेती गरवा खाथे कि दुरिहा के बेटी दुख पाय तैं परदेसनिन हो गे वो तैं परदेसनिन हो गे कि जा परदेसिया के साथ दाई कथे आबे रोज बेटी दाई कथे आबे रोज बेटी कि ददा कथे आबे दिन चार भाई कथे आबे तीजा पोरा में भाई कथे आबे तीजा पोरा में कि भउजी कथे आये के का काम अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात कि चलो चलो कहिथे बरात कि चलो चलो कहिथे बरात",chhattisgarhi-hne "339 असां जादूड़े घोलके सभ पीते करां बाबरे जादूआं मालयां नूं राजे भोज1 जेहे कीते चा घोड़े नहीं जानदा साडयां चालयां नूं सिर कप रसालू2 नूं वखत पाया घर मकर3 होया सीता वासते भेद वखालयां नूं रावन लंक लुटायके गिरद4 होया सीता वासते भेद वखालयां नूं सके भाइयां नूं करन नफर5 राजे अते राज बहांवदे सालयां नूं यूसफ बंद6 विच पा जहीर7 कीता ससी बखत पाया ऊठां वालयां नूं रांझा चार के मही फकीर होया हीर मिली जे खेड़यां सालयां नूं रोडा8 वढ के डकरे नदी पाया तूं जलाली9 दे देख लै चालयां नूं फोगू उमर10 बादशाह खुआर होया मिली मारवन11 ढोल दे रालयां नूं वली वलम बउर12 ईमान दिता देख डोबया बंदगी वालयां नूं महींवाल ते सोहणी रहे ऐवें होर पुछ लै इशक दे चालयां नूं अठारां खूहनी कटक13 लड़ मोए पांडो डोबडाब के खूनियां गालयां नूं रन्नां सचयां नूं करन चा झूठे मकर नाल विछा निहालयां नूं वारस शाह तूं जोगिया कौन हुणे ओड़क भरेंगा साडयां हालयां नूं",panjabi-pan "लहेरियो इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बाईसा रा बीरा लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सुसराजी तो दिल्ली रा राजवी सा म्हारा सासूजी तो गढ़ रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा जेठजी तो घर रा पाटवी सा म्हारा जेठानी तो घर रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारो देवरियो तो तारा बिचलो चंदो सा महरी द्योरानी तो आभा माय्ली बीजळी सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सायब्जी तो दिल रा राजवी सा म्हें तो सायब्जी रे मनडे री राणी सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा",rajasthani-raj "कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ? ‘कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ ? ’ ”कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ ? देखी भलो ऐन सैवो तेरो मलेथ । “ ”ढलकदी1 कूल2 मेरा मलेथ गाँऊ मुड़े को धारो मेरा मलेथ पालिंगा3 को बाड़ी मेरा मलेथ छोलिंग बिजोरा4 मेरा मलेथ गांयियों को गुठधार5 मेरा मलेथ भैंस्यों का खरक6 मेरा मलेथ बैजूका बांदूका7 लड़का8 मेरा मलेथ वैखूका9 डसक10 मेरा मलेथ देखी भलो ऐन सैवो मेरा मलेथ । “",garhwali-gbm "टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी सुबान डोर जनी रोसवा टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी सुबान डोर जनी रोसवा चोजमा सन्टी डोरानी रोसावा चोजमा सन्टी डोरानी रोसावा कडैया सन्टी वाडो रजनी रोसवा कडैया सन्टी वाडो रजनी रोसवा स्रोत व्यक्ति शिवनारायण , ग्राम बंदी",korku-kfq "सो जा वा रे वीर तुम तो सो जाओ वा रे वीर सो जा वा रें वीर , तुम तो सो जाओ वा रे वीर । बीरन की बलैयां ले गईं जमुना के तीर । । वर पे डाले पालना , पीपल पे डारी डोर । जो लों कन्हैंया सोवन लागे ऊपर बोली मोर । सो लो मोरे लाड़ले , तुम जब लो होने भोर । आवतजावत झोंका देहों , कबहूं न टूटे डोर । माई गई है मायके , बीरन गये ससुराल । भैया गयें हैं चाकरी , भाभी ठांढ़ी द्वार । तातीताती खीर बनाईं , जामे डारो घी । दो कौर खा लो लाड़ले , ठण्डो पड़ जाये जी ।",bundeli-bns "लाडो सोई सोई उठि जांगियां लाडो सोई सोई उठि जांगियां अपने बाबा जी से वर मांगियां या तो बाबा मुझे चन्दा दे दो या तो फूल गुलाब का बाबा हमें चन्द्र सलोना दे दो बाबा हमें साजन के घर भेजो",haryanvi-bgc "लाग्या लाग्या, लाग्या नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण जाग्याजाग्या दिन और रैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण अजी किस विध लाग्या जी थांहसू नैण काहै लाग्या जी थांहसू नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण अंतरा १ नित ड्योढी रा काग उडाऊं दिवलो आलियां सांझ जगाऊं ऊँची अटारी बैठ उडीकूं बाटाँ थान्हारी दिन और रैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कंईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा २ नैणा सूँ नित बरसै सावण रतन डसै रै बण बण नागण जग सारौ भयो बैरी म्हासूं कोई न लागे जी म्हणे सैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ३ चाँद पूनम रो हँस हँस आँगन मारे कटारी हिन्व्ड़े साजन सखियाँ सहेलियाँ घिर घिर घेरे मोहे ण भावे जी सखियन बैन लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ४ हुक हिया री कँइयाँ देगिया किस बिध लेगिया जी म्हारो चैन काजल म्हारो पलकां छोड़ी नींद म्हारी छोड़िया जी नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ५ मौरया रा आँसू दैख़त मेघा घिर आवे रै बैगा बैगा म्हारो जी ढोलो खुद निरमोही कोई बुलावे जी काँई कैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ६ रतन हिंडोलो सूनो सूनो सूनी है जी फूलाँ री सेज कर सोलह सिंगार भँवर जी गौरी बैठी जी चुन्दड पैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ७ दूर देसां रा परदेसी पावण भूल गया कांई थाँरी गजवण परंण थाँहने छोड़िया मायर बाप छोड़ियो पीवर , भाई बैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कंईया लाग्या जी थांहसू नैण स्थाई लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण जाग्याजाग्या दिन और रैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण अजी किस विध लाग्या जी थाँहसू नैण काहै लाग्या जी थामहसू नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण",rajasthani-raj "210 काज़ी आखदा एह जो रोड़ पका हीर झगड़यां नाल ना हारदी ए ल्याओ पढ़ो नकाह मूंह बन्न इसदा मता कोई फसाद गुजारदी ए छड मसजदां डेरियां विच वढ़दी छड बकरियां सूरियां चारदी ए वारस शाह मधानिएं हीर जटी इशक दहींदा घिउ नितारदी ए",panjabi-pan "86 हीर ढाह के आखया मियां चाचा चूरी देह जे जीऊणा लोड़ना एं नहीं ते मारके जिंद गवा देसों मैंनूं किसे ना हटकणा होड़ना एं बन्ह हथ ते पैर लटका देसां लड़ लड़कियां नाल की जोड़ना एं चूरी देह खां नाल हया आपे वारस शाह दे नाल अजोड़ना एं",panjabi-pan "311 लागे हथ जे पकड़ पछाड़ सटों तेरे नाल करसां तां तूं जानसै वे हिक हिक कसां भन्न लिंग तेरे तदों राब नूं खूब पछानसै वे वेहड़े वड़े तां भन्नांगी टिंड तेरी तदों शुकर बजा लयानसै वे गदे1 वांग जा जूड़ के घड़ां तैनूं तदों छट तदबीर दी छानसै वे सहती उठ के घरां नूं घूक चली मंगन आवसें तां मैंनूं जानसै वे वारस शाह वांगू तेरी करां खिदमत मौज सजनां दी तदां मानसै वे",panjabi-pan "403 चीना रब्ब ने रिजक बना दिता ऐब घरीना त्रखड़ी जुखयां दा अन्न चीने दा खाईए नाल लसी सुआद आंवदा टुकड़यां रूखयां दा बनन पिंनीयां एसदे चावलां दीयां माई बाप है नगयां भुखयां दा वारस शाह मियां नवां नजर आया एह चालड़ा लुचयां खुचयां दा",panjabi-pan "कद की देखूं थी बाट माई कद की देखूं थी बाट माई जाए सब तै रे पहला न्योतियां कित सी अक लाई सै वार सब तै रे पहला न्योतियां तेरी भावज ने ला दई वार अपना हे कुंवर सजावतीं कद की देखूं बाट सब तै रे पहला न्योतियां दर्जी ने लाई सै वार कपड़े सिवावतीं सुनरै ने लाई सै वार तेरा हे हंसला घड़ावतीं तै कित जाइ्र सै वार भाई जाए सब तै रे पहला न्योतियां माईड़ ने लाई सै वार तेरा हे चून्दड़ रंगावतीं बाबल ने लाई सै वार तेरा हे हंसला घड़ावतीं",haryanvi-bgc "सुआ गीत-4 तरी नरी नहा नरी नही नरी ना ना रे सुअना मोर नयना जोगी , लेतेंव पांव ल पखार रे सुअना तुलसी में दियना बार अग्धन महीना अगम भइये रे सुअना बादर रोवय ओस डार पूस सलाफा धुकत हवह रे सुअना किटकिट करय मोर दांत माध कोइलिया आमा रुख कुहके रे सुअना मारत मदन के मार फागुन फीका जोड़ी बिन लागय रे सुअना काला देवय रंग डार चइत जंवारा के जात जलायेंव रे सुअना सुरता में धनी के हमार बइसाख . . . . . . . . आती में मंडवा गड़ियायेव रे सुअना छाती में पथरामढ़ाय जेठ महीना में छुटय पछीना रे सुअना जइसे बोहय नदी धार लागिस असाढ़ बोलन लागिस मेचका रे सुआना कोन मोला लेवरा उबार सावन रिमझिम बरसय पानी रे सुअना कोन सउत रखिस बिलमाय भादों खमरछठ तीजा अऊ पोरा रे सुआना कइसे के देईस बिसार कुआंर कल्पना ल कोन मोर देखय रे सुखना पानी पियय पीतर दुआर कातिक महीना धरम के कहाइस रे सुअना आइस सुरुत्ती के तिहार अपन अपन बर सब झन पूछंय रे सुअना कहां हवय धनी रे तुंहार",chhattisgarhi-hne "अंगिका फेकड़ा दहू भगवान गरदौआ झोॅर बकरी भागतै जैबोॅ घोॅर । हम्में बाबू मचोल पर लेद्धोॅ छौड़ा हेठ में । चान मामू चान मामू खुरपा देॅ । सेहो खुरपा कथी लेॅ ? घसवा गढ़ावै लेॅ । सेहो घसवा कथी लेॅ ? गइया खिलावै लेॅ । सेहो गइया कथी लेॅ ? दहिया जमावै लेॅ । औंटल गेल , पौटल गेल कोठी तर जनमायल गेल जोरन आनै गेलाँ छी गोबर माखी ऐलाँ छी नया पोखर गोड़ धोलाँ , पोठिया मछली पैलाँ । चूल्हा लगाँ गेलाँ , पाकै वास्तें देलाँ चूल्हा में छेलै बुबुआ सेहो काटलकै बुबुआ । चाँन मामू , चाँन मामू चाभी देॅ । सेहो चाभी कथी लेॅ ? घरवा खोलबावै लेॅ । सेहो घरवा कथी लेॅ ? गेहुँमा निकालै लेॅ । सेहो गहुँमा कथी लेॅ ? अटवा पिसवावै लेॅ । से हो अटवा कथी लेॅ ? पुड़िया पकावै लेॅ । सेहो पुड़िया कथी लेॅ ? भौजो के पटवौ लेॅ । सेहो भौजो कथी लेॅ ? नूनू के जन्मौ लेॅ । सेहो नूनू कथी लेॅ ? गुल्लीडंटा खेलै लेॅ । गुल्लीडंटा टूटी गेल नूनू बाबू रूसी गेल । नानी गेलौ पानी भरेॅ भात भेलौ गील भात नै खैबोॅ भुजा भुजी दे भुज्जा भेलौ कुटुरमुटुर बहू करी दे बहू भेलौ धुमधाम टका फेरी दे टका भेलौ गड़बड़ आबेॅ बेलें पापड़ ।",angika-anp "फाग गीत मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू । सासरा मा मारी सासुरी नु दख पीयरा मा आऊ मारी आई नु लाड़ मारी आई जी नु लाड़ । ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ सासरा मा जाऊँ मारा सुसरा नु दख ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . । पीयरा मा आऊँ बाजी नु लाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . . . । सासरा मा जाऊँ मारी ननदी नु दख पीयरा मा आऊँ मारी भाभी मोल्या ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . . । सासरा मा जाई मारा देवर नु दख पीयरा मा आवी मारा भाइ नु लाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ । ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू पत्नी कहती है कि उसके आँगन में भाँग का पेड़ है । उसके पति भाँग और तम्बाकू पीपीकर मस्त रहते हैं । अब मैं क्या करूँ ? ससुराल में मेरी सासु दुःख देती है और मायके में माँ लाड़प्यार मैं क्या करूँ ? कहाँ जाऊँ ? ससुराल में जाती हूँ तो मेरे ससुर दुुःख देते हैं और मायके में बाप का प्यार मेरे पति तो भाँग और तम्बाकू में मस्त रहते हैं । ससुराल मैं जाती हूँ तो मुझे ननद की ओर से दुःख है और मायके में भाभी का व्यवहार ठीक नहीं , मैं क्या करूँ ? ससुराल में मुझे देवर की ओर से दुःख है और मायके में भाई का प्यार मैं क्या करूँ ? मुझे कहाँ जाना चाहिए ?",bhili-bhb "भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर इस गीत में पत्नि पति से गणगौर उत्सव में शृंगार पदार्थ लाकर देने का निवेदन करती है . . . भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर ऐसी म्हारी लाड बरण का बीर भँवर म्हाने पूजन दयो गणगौर माथे पे मेमद ल्याओ ऐसी म्हारी रखडी रतन जडायो भँवर म्हाने चूडला ल्याओ भँवर म्हारे पाँव मैं पायल ल्याओ ऐसा म्हारा बिछुआ जुटणा बैठ घडायो भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर",rajasthani-raj "की जाणा मैं कोई की जाणा मैं कोई वे अड़िआ , की जाणा मैं कोई जे कोई अन्दर बोले चाले , जात असाडी सोई । जिस दे नाल मैं नेहुँ लगाया , ओहो जेही होई । की जाणा मैं कोई । चिट्टी चादर लाह सुट्ट कुड़ीए , पहल फकीराँ दी लोई । चिट्टी चादर नूँ दाग लग्गेगा , लोई नूँ दाग न कोई । की जाणा मैं कोई । अलफ पछाता बे पछाती , ते तलावत1 होई । सीन पछाता सीन पछाता , सादक2 साबर होई । की जाणा मैं कोई । कू कू करदी कमरी आही , गल विच्च तौक3 पिओई । बस्स ना कदी कू कू कोलों , कू कू अन्दर मोई । की जाणा मैं कोई । जो कुझ करसी अल्ला भाणा , क्या कुझ करसी कोई । जो कुझ लेख मत्थे दा लिखिआ , मैं उस ते शाकर होई । की जाणा मैं कोई । आशक बक्करी माशूक कसाई , मैं मैं करदी कोही4 । एयों ज्यों मैं मैं बहुता करदी , त्यों त्यों ही ओह मोई । की जाणा मैं कोई । मेहर करीं ते फज़ल5 करीं तूँ , मैं आजिज़6 दी ढोई । नच्चण लग्गी ताँ घूँघट केहा , जद मुँह थों लत्थी लोई । की जाणा मैं कोई । भला होया असीं दूरों छुट्टे , नेड़े आन लधोई7 । बुल्ला सहु इनायत करके शोक शराब दितोई8 की जाणा मैं कोई ।",panjabi-pan "बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया । बनी थारा पिताजी न लिख्यो कागज भेज्यो , बनी हम उनका बुलाया रे जल्दी आयो । । बनी म्हारा हाथी झूलऽ द्वार , म्हारा यहाँ घोड़ा की घमसाण , म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलणऽ आवजो । । बना म्हारी हलुदी भर्यो अंग , म्हारी पाटी मऽ गुलाल म्हारी चोटी मऽ अत्तर , बना म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलण आवजो । ।",nimadi-noe "394 भाबी एस जे गधे दी अड़ी अधी असीं रन्नां भी चैंचल हारियां हां देह मारया एस जहान ताजा असीं रोज मीसाक1 दियां मारियां हां जे एह जिद दी छुरी है हो बैठा असीं रन्नां भी तेज कटारियां हां एह गुंडयां विच है पैर धरदा नहीं बांकियां एस तों डारियां हां मरद रंग महल हन इशरतां2 दे असीं जौक3 दे मजे दियां नारियां हां एस चाक दी कौन मजाल है नी राजे भोज थीं असीं ना हारियां हां वारस शाह विच हर सफैदपोशां असीं होली दे रंग पिचकारियां हां",panjabi-pan "238 रांझे आखया लुटदी हीर दौलत जरम1 गालिए तां भेत पा लईए रंग होर वटाय के जा वड़ीए नाल हीर दे अंग लगा लईए इक होवना रिहा फकीर मैथों जरा इतना भी वस ला लईए मखन पालया चिकना नरम पिंडा जरा सवाह दे विच रला लईए किसे जोगी तों सिखीए सेहर2 कोई चेले होए के कन्न पड़ा लईए अगे लोकां दे झगड़े बाल सेके जरा आपने नूं चिनग ला लईए अगे झंग सयालां दी सैर कीती जरा खेड़यां नूं झोक3 ला लईए उथे खुदी गुमान मनजूर नाहीं सिर वेचीए तां भेत पा लईए वारस शाह महबूब नूं तदों पाईए जदों आपना आप गवा लईए",panjabi-pan "बाबू, दादी पूछतूँ ह घड़ी रे घड़ी बाबू , दादी पूछतूँ ह1 घड़ी रे घड़ी । बाबू कइसन2 बनल हौ3 ससुर के गली ॥ 1 ॥ मामा4 का तूँ पूछऽ हऽ5 घड़ी रे घड़ी । मामा , सोने के मढ़ल ससुर के गली ॥ 2 ॥ बाबू , झुट्ठो बड़ाई हमरा से करी । कादो कीचड़ भरल हे ससुर के गली ॥ 3 ॥ बाबू , भूल गेलऽ आपन बाबू के गली ॥ 4 ॥",magahi-mag "प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । जान्दा जाह ना आवीं फेर , ओत्थे बेपरवाही ढेर , ओत्थे डहल1 खलोन्दे शेर , तूँ वी फँधिआ जावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । खूह विच्च यूसफ पायो ने , फड़ विच्च बाज़ार विकायो ने , तूँ कौडी मुल्ल पवावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । नेहुँ ला वेख जुलेखाँ लए , ओत्थे आशक तड़फण पए , मजनूँ करदा है है है , तूँ ओत्थों की ल्यावेंगा ? प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । ओत्थे इकनाँ पेवस्त2 लुहाइदे , इक्क आरेआँ नाल चिराईदे , इक्क सूली पकड़ चढ़ाईदे , ओत्थे तूँ वी सीस कटावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । घर कलाल दा तेरे पासे , ओत्थे आवण मस्त प्यासे , तूँ वी जीअ ललचावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । दिलबर हुण ग्यौं कित लौ3 , भलके की जाणा की हो , मस्ताँ दे ना कोल खलो , तूँ वी मस्त सदावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । बुल्लिआ गैर शरा ना हो , सुक्ख दी नींदर भर के सौं , मुँहों ना अनलहक्क4 बगो5 , चढ़ सूली ढले गावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा ।",panjabi-pan "राते बरस गओ पानी राते बरस गओ पानी काय राजा तुमने ना जानी । अंटा जो भीजे अटारी भींजी , भींजी है धुतिया पुरानी काय राजा बाग जो भींजे बगीचा भींजे माँलिन फिरे उतरानी काय राजा कुंआ है भर गओ , तला है भर गओ कहारिन फिरे बौरानी काय राजा गैयां भीजी बछिया भींजीं नदियन बढ़ गओ पानी काय राजा",bundeli-bns "207 काज़ी मां ते बाप करार कीता हीर रांझने नाल वयाहुनी ए असां ओसदे नाल चा सिदक कीता गल गोर1 दे तीक निभाहुनी ए अन्त रांझे नूं हीर परना देनी कोई रोज दी एह पराहुनी ए वारस शह ना जानदी मैं कमली खोरश2 शेर दी गधे ने डाहुनी ए",panjabi-pan "बनी ! थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै बनी थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै झमकू थूंई मत जाणे "" राइवर "" ऐकला रै साथे चूड़ीदार , चौपदार , हाकिम ने हवालदार कागदियों से कांमदार , काका ऊभा किल्लेदार भौमा ऊबा मज्जादार , सखाया सब लारोलार फूल बिखौरे गजरों गंधियों रै बनी थूंई मत जाणे बनासा एकला रै",rajasthani-raj "धण पिआ मताए मताइआं जी धण पिआ मताए मताइआं जी जी पिआ कहो तो चीठी लिख गेरां मेरा राजिड़ा कहो तो सांडिआं भेजां जी जी पिआ चीठी तो मजले मजले जा मेरा राजिड़ा सांडिआ जावै तावली जी जी पिआ न्योंदूंगी बाप मेरे कै सीम मेरा माईजाया सीम सधै की पीपली जी रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के खेत हाली हल बीरा जोतिआ रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के बाग बांगा मैं कोल झिंगारिआ रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के कंुआ कुंआ बठांदी झीमरी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के ताल ताल बणंदी बीरा धोबणी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के गोरा गोरा बठांदी बीरा गऊ चरै रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के गाल गाल बठांदी बीरा भंगणा रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की परस परसे पचे लोग बीरा रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की पोल पोल बठांदी रातां देई मेरी मां रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की रसोई रसोइए बठांदी बीरा बाह्मणी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे का मुढला मुढले बैठी भाबी आपणी गोद खिलंदा भतीजड़ा जी रे बीरा न्योंदूंगी रातां देई मायड आपणी ताई चाचिआं का बीरा झूकमकारे रे बिरा न्योंद्या कोए सब परवार मेरा माई जाया भूल चली छोटी बहनड़ी जी हे बेबे बाहवड़ बाहवड़ मां की जाई हे बहनड़ मेरी हम न सिख बुध दे चलो जी रे बीरा सिख बुध देइए न जाय मेरा माई जाया सिख सरीरे बीरा ऊपजै जी रे बीरा ल्याइयो मेरे तीवल पचास मेरा माई जाया आंगी सिरकै बीरा डेढ सै जी रे बीरा ल्याइओ मेरे मोहर पचास मेरा माई जाया रोक रुपइए बीरा पानसै जी रे बीरा ल्याइओ मेरे काँसण की जेट मेरा माई जाया बीच ठणकदा रे बीरा बेल्वा जी रे बीरा ल्याइया मेरै टोकणै दो चार मेरा माई जाया बीच खुड़कदा बीरा कडछा जी रे बीरा ल्याइओ मेरै म्हेसां को लार रे बीरा ल्याइयो मेरै चोलां की पोट मेरा माई जाया हरे हरे मूंग दिसावरी जी रे बीरा ल्याइयो मेरै गोआं की लार तलै चूंघते बाछड़ा जी रे बीरा इतणा तो ले घर आइओ मेरा माई जाया या घर रहियो बीरा आपणे जी हे बेबे इब कै तो इतणा ना हो मेरा माई जाया हे किस विध आवै तेरे भातिआं जो रे बीरा मेरे आंगण राए चन्दन का पेड़ मेरा माई जाया झट रै चढूं झट उतरू जी रे बीरा कद की रे देखूं थी बाट मेरा माई जाया कद सीक आवै मेरे भातिआं जी रे बीरा छोटी नणदल बोले से बोल मेरा माई जाया फिट भाबी तेरे भातिआं जी रे बीरा छोटा देवर राख्या सै मान मेरा माई जाया वे आए भाबी तेरे भातिआं जी रे बीरा सिर पर मटकी धरी ए उठा मेरा माई जाया सरवर पाणी बीरा मैं गई जी रे बीरा तै कित लाई सै वार मेरा माई जाया सब तै पैले बीरा न्योंदिआ जी हे बेबे मायड़ नै लाई सै वार मेरी अम्मां जाई तेरा ए भात सिजोबंदे जी हे बेबे दरजी नै लाई सै वार मेरी अम्मां जाई तेरा दामण सीमदे जी हे बेबे लीलगर ने लाई सै वार तेरा चूंदड़ रगांवदे जी हे बेबे मणिआर ने लाई सै वार तेरी चूड़िआं जुड़ांवदे जी हे बेबे सुनरे नै लाई सै वार तेरा अगड़ घ्ज्ञड़ावले जी हे बेबे भावज नै लाई सै वार अपणा कंवर सिंगारदे जी हे बीरा रांधूंगी चावल का भात मेरा माई जाया अपणै घर का बीरा टोकणा जी हे बीरा जीमण बेठे देवर जेठ मेरा माई जाया उझल पड्या मेरा टोकणा जी रे बीरा रांधूंगी अपणे घर का भात मेरा माई जाया बाबल का घर का बीरा टोकणा जी रे बीरा जीमण बैठ्या भातिआं का पेट पंसेरा कड़छा बाज्या मेरै टोकणै जी के बीरा खाई थी उड़दां की दाल मेरा माई जाया हग ए भर्या मेरा ओबरा जी रे बीरा उठ्या ए आधड़ी सी रात मेरा माई जाया मूसल मार्या बीरा कांख मैं जी रे बीरा मूसल मेरा दे कै बी जा मेरा माई जाया देवर जेठाणियां का सीर का जी ऐ बेबे जाऊंगा कीकरिआं कै देस मेरी मां की जाई मूसल ल्याऊ बेबे साल का जी रे बीरा मूसल तै और भतेरे मेरा माई जाया देवर जिठाणी बोली मारैंगी जी",haryanvi-bgc "आसा की जोत रैंन अँदिरिया गैल भुलानी ; हिलबिलान हो गई जिँदगानी । मिरगा ढूँड़ रए कस्तूरी , आसा होत न उनकी पूरी । भरत चौकड़ीं देख मरीची कितनी नाप लई है दूरी । सेंतमेंत हो रई नादानी ; हिलबिलान हो रई जिँदगानी । कौन घरी में भाँवर पारी , घिरी बदरिया कारीकारी । धुरुब तरइया देख न पाए कैसें गैल मिलै अबढारी ? थेबौ खात फिरत अग्यानी ; हिलबिलान हो गई जिँदगानी । दूर बजत कऊँ ढोलनगारे , बैरे हो गए कान हमारे । बेबस होकें सबई तराँ सें भटक रए नित मारेमारे । चीर दए नभथल औ पानी , हिलबिलान हो रई जिँदगानी । आसा तौऊ पैले पार , कैसें कोऊ मानें हार । हार न मानी जब मकरी नें , गिरगिर चढ़त रई हरदार । चढ़ीचढ़ी मकरन्दो रानी ; इक दिन पार लगै जिँदगानी ।",bundeli-bns "कर कत्तण वल ध्यान कुड़े नित्त मत्तीं देन्दी माँ धीआँ , क्यों फिरनी ऐं ऐंवें आ धीआँ , नी शरम हया ना गवा धीआँ , तूँ कदी ताँ समझ नादान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा मुफ्त तेरे हत्थ आया , पल्लिओं नहीओं कुझ खोल गवाया , नहीओं कदर मेहनत दा पाया , जद होया कम्म आसान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा बणिआ खातर तेरी , खेडण दी कर हिरस थोरेड़ी , होणा नहीओं होर वडेरी , मत कर कोई अज्ञान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा तेरा रंग रंगीला , रीस करेन्दा सभ कबीला , चलदे चारे कर लै हीला , हो घर दे विच्च आवादान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । इस चरखे दी कीमत भारी , तूँ की जाणे कदर गवारी , उच्ची नज़र फिरें हंकारी , विच्च आपणे शान गुमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । मैं कूकाँ कर खलिआँ बाहीं , ना हो गाफल समझ कदाई , ऐसा चरखा घड़ना नहीं , फेर किसे तरखाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । एह चरखा तूँ क्यों गवाया , क्यांे तूँ खेह दे विच्च रूलाया1 , जद दा हत्थ तेरे एह आया , तूँ कदे ना डाहिआ आण कुड़े । नित्त मत्तीं देण वलल्ली नूँ , इत भोलीकमली झल्ली नूँ , जद पवेगा वखत इकल्ली नूँ , तद हाए हाए करसी जाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । मुढों2 दी तूँ रिज़क विहूणी , गोहड़िओं नाँ तूँ कत्ती पूणी , हुण क्यों फिरनी ए निम्मोझूणी , किस दा करें गुमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । डिंगा तक्कला रास करा लै , नाल शताबी बाएड़ पवा लै , ज्यों कर वगे तिवें वगा लै , मत कर कोई अज्ञान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । अज घर विच्च नवीं कपाह कुड़े , तूँ झब झब वेलणाा डाह कुड़े , रूँ वेल पिंजावण जाह कुड़े , मुड़ कल्ल ना तेरा जाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तेरे नाल दीआँ सभ सइआँ नी , कत्त पूणिआँ सभना लइआँ नी , तैनूँ बैठी नूँ पिच्छे पइआँ नी , क्यों बैठी ऐं हुण हैरान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । दीवा आपणे पास जगावीं , कत्त कत्त सूत भर वट्टी पावीं , अक्खीं विचों रात लंघावीं , औखी कर के जान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । राज पेक्का3 दिन चार कुड़े , ना खेडो खेड गुज़ार कुड़े , ना हो वेहली कर कार कुड़े , घर बार ना कर वीरान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तूँ सुतिआँ रैण गुज़ार नहीं , मुड़ औणा4 दूजी वार नहीं , फिर बैहणा ऐस भंडार नहीं , विच्च इक्को जेडे हाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तूँ सदा ना पेक्के रैहणा ए , ना पास अंबड़ी5 दे बैहणा ए , ना अंत विछोड़ा सैहणा ए वस्स पएंगी सस्स ननाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । कत्त लै नी कुझ कता लै नी , हुण ताणी तंद उणालै नी , तूँ आपणा दाज रंगा लै नी , तूँ तद होवें परधान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । जद घर बेगाने जावेंगी मुड़ वत्त ना ओत्थों आवेंगी , ओत्थे जा के पछतावेंगी , कुझ अगदों कर समिआन कुड़े । अज्ज ऐडा तेरा कम्म कुड़े , क्यों होई ए बे गम कुड़े , की कर लैणा उस दम्म कुड़े , जद घर आए मेहमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । जद सभ सइआँ टुर जाउणगीआँ , फिर ओत्थों मूल ना आउणगीआँ , आ चरखे मूल ना डाहुणगीआँ , तेरा त्रिंझण प्या वीराण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । कर माण ना हुसन जवानी दा , प्रदेस6 ना रैहण सिलानी7 दा , कोई दुनिआँ झुठी फानी8 दा , ना रैहसी नाम निशान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । इक औखा वेला आवेगा , सभ साक सैण भज जावेगा , कर मदद पार लंघावेगा , ओह बुल्ले दा सुलतान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े ।",panjabi-pan "आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे इंजनी जेनोमा का बंझोटी जा राजा धामू टीसो सेने मारे इंजनी जेनोमा का बंझोटी जा राजा धामू टीसो सेने मारे आमा रानी ककोटा केनवेन्ज राजा आमा रानी झूला में झूले आमा रानी ककोटा केनवेन्ज राजा आमा रानी झूला में झूले आमा रानी बंझोटी जा राजा धामू टाला कामाय सेने आमा रानी बंझोटी जा राजा धामू टाला कामाय सेने स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "323 कच कवारिये लोहड़े दीये मारीए नी टूने हारीए आख की आहनी ए भलयां ना बुरी काहे होवनी एं काई बुरी ही फाउनी फाहनी ए असां भुखयां आन सवाल कीता केहियां गैब दियां ढुचरां डाहनी ए विचों पकीए छैल उचकीए नीराह जांदड़े मिरग पई फाहनी ए गल हो चुकी फेर छेड़नी ए होर शाख नूं मोड़ की वाहनी ए घर जान सरदारां दे भीख मंगे साडा अरश1 दा किंगरा ढाहनी ए केहा नाल परदेसियां वैर चायो चैंचल हारिये आख की आहनी ए राह जांदड़े फकर खहेड़नी एं ढगी वाहरिये साहनां नूं डाहनी ए घर पईअड़े2 धरोहियां फेरियां नेआ नीहरिए संग क्यों डाहुनी ए जा शिकार दरया विच खेड मोईए केहियां मूत विच मछियां फाहुनी ए वारस शाह फकीर नूं छेड़नी एं अखीं नाल क्यों खखरां लाहुनी ए",panjabi-pan "ऐसी को खेले तोसे होरी ऐसी को खेले तोसे होरी ॥ टेक बारबार पिचकारी मारत , तापै बाँह मरोरी । ऐसी . नन्द बाबा की गाय चराबो , हमसे करत बरजोरी । छाछ छीन खाते ग्वालिन की , करते माखन चोरी । ऐसी . चोबा चन्दन और अरगजा , अबीर लिये भर झोरी । उड़त गुलाल लाल भये बादर , केसरि भरी कमोरी । ऐसी . वृन्दावन की कुंज गलिन में , पावौं राधा गोरी ‘सूरदास’ आश तुम्हरे दरश की , चिरंजीवी ये जोरी । ऐसी .",braj-bra "हरियाले बन्ने चीरा तो ले दूं तेरी मौज का हरियाले बन्ने चीरा तो ले दूं तेरी मौज का सहजादे बन्ने कच्ची कली ना तोड़ियो हरियाले बन्ने मालन देगी गालियां हो तेरे ताई रंगीले बन्ने पाकन दे रस होन दे हरियाले बन्ने झुका दूंगी डालियां हो तेरे ताई हरियाले बन्ने . . .",haryanvi-bgc "ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबा ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबा वाऊ पै रतन जड़ाइये आधी चुनड़िया पै मानक मोती आधी पै रतन जड़ाइये चुनड़ी ओढ़ लाजो बैठी है चौक पै केस लिये छिटकाये अब का सरम रही है मेरे बाबला बैठी हूं चारों दल जोड़ कै एक आपु दल दूजा बापु दल तीजा दल राजा भातिये चौथा दल साजन का लड़का मुकुट बांध घर आइये ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबुल वाऊ पै रतन जड़ाइये",haryanvi-bgc "आल्हा ऊदल नाम रुदल के सुन गैले सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय जे बर हिछलीं सिब मंदिर में से बर माँगन भेल हमार एतो बारता है सोनवा के रुदल के सुनीं हवाल घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर घोड़ा उड़ावल बघ रुदल सिब मंदिर में पहुँचल जाय घोड़ा बाँध दे सिब फाटक में रुदल सिब मंदिर में गैल समाय पड़लि नजरिया है सोनवा के रुदल पड़ गैल दीठ भागल सोनवा अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय सोने पलंगिया बिछवौली सोने के मढ़वा देल बिछवाय सात गलैचा के उपर रुदल के देल बैठाय हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओ कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बँधलव फाँड़ बोले राजा बघ रुदल भौजी सोनवा के बलि जाओं बारह वरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुँआर किला तूड़ दों नैना गढ़ के सोनवा के करों बियाह एतनी बोली रानी सोनवा सुन गैल सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय दूध मँगौली गैया के खोआ खाँड़ देल बनवाय जेंइ लव जेंइ लव बाबू रुदल एहि जीबन के आस कड़खा बोली रुदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान हमार किरिया खैलीं मोहबा गढ़ में अब ना अन गराहों पान",bhojpuri-bho "कटोरनि पियली कोसिला रानी, अउरो सुमिन्त्रा रानी हे कटोरनि1 पियली कोसिला रानी , अउरो सुमिन्त्रा रानी हे । ए ललना , सिलि2 धोइ पियलन केकइ रानी , तीनों रानी गरभ से हे ॥ 1 ॥ कोसिला रानी के मुँह पियराएल , देह दुबराएल3 हे । ए ललना , दसरथ मनहिं अनन्दे , कोसिला जरि4 रोपली हे ॥ 2 ॥ आधी राति बीतले पहर राति बीतले हे । ए ललना , कोसिला के भेल5 राजा रामचंदर , सुमित्रा के लछुमन हे ॥ 3 ॥ ए ललना , ककइ के भरथ भुआल , 6 तीनों महल सोहर हे ॥ 4 ॥ दुअरा से बोलथिन7 राजा दसरथ , सुन ए कोसिला रानी । ए रानी जी , कउन8 बरत रउरा9 कएल कि राम फलवा पाएल हे ॥ 5 ॥ सउरी10 से बोलथिन कोसिला रानी , सुन राजा दसरथ जी । ए राजा , बरत कइली एतवार , त राम फल पइली हे ॥ 6 ॥ कातिक मासे हम नेहइली , तुलसी दिया बरली11 हे । ए राजा , भूखल12 बराम्हन जेववली , 13 त राम फल पइली हे ॥ 7 ॥ माघ मासे नेहइली , 14 अगनियाँ15 न तपली16 हे । ए राजा , एहो कस्ट सहली , राम फल पइली हे ॥ 8 ॥ बैसाखहिं मासे नेहइली सुरूज गोड़ लगली17 हे । ए राजा , टूअर18 भगिना का पालली , त राम फल पइली हे ॥ 9 ॥ दुअरा से बोलथिन राजा दसरथ , सुन ए कोसिला रानी हे । ए रानी , सेर जोखि19 सोनवा लुटाएब , पसेरी जोखि रूपवा20 हे ॥ 10 ॥ ए रानी जी , सँउसे अजोधया लुटएबो , त राम के बधइया में ॥ 11 ॥ सउरी से बोलथिन केकइ रानी , सुन राजा दसरथ । ए राजा , कोसिला के भेल रामचंदर , सुमित्रा के लछुमन हे ॥ 12 ॥ ए राजा , केकइ के भरथ भुआल , जानिबुझि21 अजोधेया लुटइह । ए राजा , रामजी लिखल बनवास , अजोधेया मत लुटइह ॥ 13 ॥ सउरी से बोलथिन कोसिला रानी , सुन राजा दसरथ जी । राजा , छुटले22 बँझिनियाँ के नाम , बलइए से23 राम बन जइहें , बन से लवटि अइहें हे ॥ 14 ॥",magahi-mag "प्यारे बिन मसलत उठ जाणा प्यारे बिन मसलत उठ जाणा , तूँ कदे ताँ होए सिआणा । कर लै चावड़1 चार दिवाड़े , थीसें अंत निमाणा । जुल्म करें की लोक सतावें , क्यों कीओ उलट कहाणा । जिस बाटे दा माण करें तूँ , सो भी संग ना जाणा । खामोश शहर नूँ वेख हमेशा , सारा जग इस माहि समाणा । भर भर पूरे लंघावे डाढा , मलकुल2 मौत मुहाणा । ऐथे जितने हैन सभ तिन ते , मैं गुनाहगार पुराणा । बुल्ला नौ दुश्मण तेरे नाल बुरे , विच्च हुण दुश्मन बल ढाणा । महिबूब रबानी करे असानी , दिलों खौफ जाए मलकाणा ।",panjabi-pan "576 लै के चलया अपने देस वले चल नढिए रब्ब दिवाई ए नी चैधरानिए तखत हजारे दिए पंजां पीरां नूं वत घिणाईए नी कढ खेड़यां तों रब्ब दिती ए तूं अते मुलक पहाड़ पहुंचाईए नी हीर आखया ऐव जे जा वड़सां रन्नां आखसन उधली आईए नी घत जादुड़ा देयों ने परी ठगी हूर आदमी दे हत्थ आईए नी वारस शाह परेम दी जड़ी घती मसतानड़ी चा बनाईए नी",panjabi-pan "तुमको मैं टोना करूँगी रे तुमको मैं टोना करूँगी रे , बाली1 भोली का दुलहा ॥ 1 ॥ सेहरे में टोना भेजा , सेहरा बाँधि2 आया रे , मेरा असला3 दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , बाली भोली का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा नेवता4 दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा झुकता5 दमदवा ॥ 2 ॥ जोड़े में टोना भेजा पेन्हि6 आया रे , मेरा असला दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा भोला दमदवा ॥ 3 ॥ मोजे में टोना भेजा , मोजा पेन्हि आया रे , मेरा नेवता दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , बाली भोली का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरी लाड़ो का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा दुलरा दमदवा ॥ 4 ॥ ।",magahi-mag "हे लठ्याली तू कैकी बौराण छ? हे लठ्याली1 तू कैकी बौराण छ ? धुँवाँसी धुपली2 , पाणी सी पतली , केलासी गलखी , नौण3सी गुँदगी , दिवा जसी जोत , कैकी बौराण छ ? इनी मेरी होंदी जिकुड़ी4 मा सेंदी5 । बादल सी झड़ी , दूबला6 सी लड़ी , भीमल सी सेटकी7 लाबू8 सीठेलकी , फ्यूँली9 कीसी कली , कैकी बौराण छ ? नाक मा छ तोता , जीभ मा क्वील , आँख्यों माआग , गालू मा गुलाब । हुड़कीसी कमर , कैकी बौराण छ ? इनी मेरी होंदी , हथगुली मा10 सेन्दी । बाँदू11 मा की बाँद चाँदू मा की चाँद । चीणा12 जसी झम13 , पालिंगा14 सी डाली । हिंसर कीसी डाली , कैकी बौराण छ ? घास काटद काटद , बणी छ गितांग15 हे लठ्याली दादू , कैकी बौराण छ ?",garhwali-gbm "121 रांझे आखया आउ खां बैठ हीरे कोई खूब तदबीर बनाइए नी माओं बाप तेरे दिलगीर हुंदे किवें ओहनां ते बात छपाइए नी मिठी नायन नूं सद के गल कीजे जे तूं कहें तेरे घर आइए नी मैं सयालां दे वेहड़े वड़ां नाहीं मैथों हीर नूं नित पुचाइए नी दिने रात तेरे घर मेल साडा साडे सिर अहिसान चढ़ाइए नी हीर पंज मोहरां हथ दितियां नी किवें मिठीए डौल बणाइए नी कुड़ीयां पास ना खोहलणा भेत मूले गल जीउ दे विच लुकाइए नी वारस शाह छुपाइए खलक1 कोलों भावें आपणा ही गुड़ खाइए नी",panjabi-pan "कोई बरसन लागी काली बादली! कोई बरसन लागी काली बादली "" डौलै तै डौलै , हालीड़ा , मैं फिरी मन्ने किते न पाया थारा खेत । "" बरसन लागी काली बादली "" कोई चार बुलदांका , हालीड़ा , नीरना दोए जणिएँ की छाक "" बरसन लागी काली बादली "" कितरज बोया , हालीड़ा , बाजरा ? कोई कितरज बोई जवार ? "" बरसन लागी काली बादली "" थलियाँ तै बोया , गोरी धन , बाजरा , कोई डेराँ बोई जवार "" बरसन लागी काली बादली भावार्थ ' देखो , काली बदली बरसने लगी है । "" अजी ओ किसान , मैं मेंड़मेंड़ पर घूमीफिरी , तुम्हारा खेत मुझे कहीं नहीं मिला । "" और काली बदली बरसने लगी है । "" चार बैलों के लिए मैं भूसा लाई हूँ , दो आदमियों के पीने लायक छाछ । "" और काली बदली यह बरसने लगी है । "" गोरी धन , ज़रा किसी ऊँची मेड़ पर चढ़ कर निहारो , मेरे गोरे बैल के गले में बड़ी घंटी भी तो बज रही है । "" फिर काली बदली बरसने लगी है । "" अजी ओ किसान , किस तरफ़ तुमने बाजरा बोया है ? और कहाँ बोई है जवार ? "" काली बदली बरसने लगी है । "" गोरी धन , ऊपर के खेत में बाजरा बोया है और्नीचे के खेत में जवार । "" और काली बदली बरसने रही है । '",haryanvi-bgc "पाँच बधावा म्हारे ये भल आया पाँच बधावा म्हारे ये भल आया आया तो कई ऐ म्हारा देस में पेलो बधावो म्हारा ससरा घर भेज्यो दूसरो बधावो म्हारा बाप क्यां तीसरो बधावो म्हारा जेठ क्यां भेज्यों चौथो बधावो म्हारा बीर क्यां पाँचबो बधावो धन री कूंख से लाणी जासे सरब सुख होय हो ससरा सपूतां सूं सरंबद रेस्यां बापरे बल आपने सासू सपूती सूं सरबद रेस्यां माय रे बल आपने देवरजेठ सूं सदबद रेस्यां लाज रे बल आपने देराणीजेठाणी सूं सदबद रेसयां काम रे बल आपने ननंद भानेजां सूं सदबद रेस्या बुगचा रे बल आपने स्वामी सपूतां सूं सदबद रेसयां रूप रे बल आपने भरभर नैनां आज सूती धीय बोलाई सासरे नवरंग पेलो आज पेरियो पूत परण घर आविया सुखदेव टूटिया , इच्छा पूरी मन मनोरथ पाविया ।",malvi-mup "झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो २ तुम हो बृज की सुन्दर गोरी , मैं मथुरा को मतवारो चुंदरि चादर सभी रंगे हैं , फागुन ऐसे रखवारो । गौरी प्यारो… सब सखिया मिल खेल रहे हैं , दिलवर को दिल है न्यारो गौरी प्यारो… अब के फागुन अर्ज करत हूँ , दिल कर दे मतवारो गौरी प्यारो… भृज मण्डल सब धूम मची है , खेलत सखिया सब मारो लपटी झपटी वो बैंया मरोरे , मारे मोहन पिचकारी गौरी प्यारो… घूंघट खोल गुलाल मलत है , बंज करे वो बंजारो गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो २",kumaoni-kfy "दर्शन कूँ आनाकानी मत करै वारे लाँगुरिया दर्शन कूँ आनाकानी मत करै , मैंने बोली है करौली की जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया नैनन सुरमा मैंने सार कै , कोई बिन्दी लगाय लई माथ ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया हाथन में कंगन मैंने पहिर लगये , और मेंहदीउ लगाय लई हाथ ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया साड़ी तो पहिरी टैरालीन की , कोई साया तौ जामें चमकत जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया कौन की सीख लई मान कै , जो करवे चले नाँय जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया रूपया खरच कूँ मैंने रख लीने , तू तो निधरक चल ‘प्रभु’ साथ ॥ लाँगुरिया .",braj-bra "फूली जालो काँस ब्बै, फूली जालो काँस फूली जालो काँस1 ब्बै , फूली जालो काँस , म्योलड़ी2 बासदी ब्बै , फूलदा बुराँस हिंसर की काँडी ब्वै , हिंसर की काँडी , मौली3 गैन डाली ब्बै , हरी ह्वैन डाँडी4 । गौड़ी देली दूद ब्बै , गौड़ी देली दूद , मेरी जिकूड़ी5 लगी ब्बै , तेरी खूद6 । काखड़ी को रैतू ब्वै , काखड़ी को रैतू , मैं खूद लगी ब्बै , तू बुलाई मैतू7 । दाथुड़ी को नोक ब्बै , दाथुड़ी की नौक , वासलो कफू ब्बै , मैत्यों8का चौक सूपा भरी देण ब्बै , सूपा भरी देण , आग भमराली ब्बै , भैजो9 भेजी लेण10 । टोपी धोई छोई ब्बै टोपी धोई छोई , मैत्या डाँड देखी ब्बै , मैं आँदो रोई झंगोरा की बाल ब्बै , झंगोरा की बाल , मैत को बाटो देखी ब्बै , आँखी ह्वैन लाल",garhwali-gbm "540 छड देस जहान उजाड़ मली अजे जट नहीं पिछा छडदे ने असां छडया एह ना मूल छडन वैरी मुढ कदीम तो हड दे ने लीही पई मेरे उते झाड़यां दी पास जान नाही पिंज गड दे ने वारस शाह जहान तों अक पए कल फकीर हुण लद दे ने",panjabi-pan "आओ राधा नहाण चलां मेरे राम आओ राधा नहाण चलां मेरे राम । म्हारा तो नहीं ए चलान दूधां मैं रम रही मेरे राम । दूधां का कैसा हे गमान , आवै बिलाई पी जावै हरे राम ।",haryanvi-bgc "412 नवी नोचिए गुझिए यारने नी कारे हथीए चाक दिये पयारीए नी पहले कम सवार हो बहे नियारी बेली घर लै जाए तूं डारीए नी आप भली हो बहें ते असीं बुरियां करे खचरपो1 रूप शिंगारीए नी आ जोगी नूं लईं छुडा साथों तुसां दोहां दी पैज सवारीए नी वारस शाह हथ फड़े दी लाज हुंदी साथ करीए ते पार उतारीए नी",panjabi-pan "ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी उरा टोले मा अरुकेन डो मोरांगी रे उरा टोले मा अरुकेन डो मोरांगी रे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे ये मोरांगी डो ये मोरांगी ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे ये झलजा जा ये झलजा ये झलजा जा ये झलजा मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे स्रोत व्यक्ति लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "ईसुरी की फाग-16 ऐसी पिचकारी की घालन , कहाँ सीख लई लालन कपड़ा भींज गये बड़बड़ के , जड़े हते जर तारन अपुन फिरत भींजे सो भींजे , भिंजै जात ब्रजबालन तिन्नी तरें छुअत छाती हो , लगत पीक गइ गालन ईसुर अज मदन मोहन नें , कर डारी बेहालन ।",bundeli-bns "जीजी रलमिल गुड़ियां खेलती तूं चाली जीजा के साथ जीजी रलमिल गुड़ियां खेलती तूं चाली जीजा के साथ बाहण चाली सासरे । जीजा सुसरा का कहा मत गेरिये सुसरा धरम का बाप बाहण चाली सासरे । जीजी सासू का कहा मत गेरिये सासू धरम की मां बाहण चाली सासरे । जीजी जीजा का कहा मत गेरिये कटैं तेरे दिन रात बाहण चाली सासरे । देवर संग का सुहेलड़ा जैसे धरम का बीर बाहण चाली सासरे ।",haryanvi-bgc "विवाह गीत मेहंदी गीत घोड़ी के गीत",rajasthani-raj "320 सच आख तूं रावला कहे सहती तेरा जिऊ केहड़ी गल लोड़दा ए वेहड़े वड़दयां रिकतां छेड़ीयां ने कंडा विच कलेजे दे बोड़दा ए बादशाहां दे बाग विच नाल चावड़ फिरे फुल गुलाब दा तोडदा ए वारस शाह नूं शुतर1 मुहार बाझों डांग नाल कोई भुण मोड़दा ए",panjabi-pan "शीश रामदेव जी ने पागा विराजे शीश रामदेव जी ने पागा विराजे पेचा रो अदक सरूप हाथ मजीरा रामदेव जी ने खांदे तंदूरा रा अदक सरूप रूणीजा मंे रमी रया हो कान में रामदेव जी ने मोती बिराजे चूनी रो अदक सरूप गळे रामदेव जी ने कंठी बिराजे डोरा रो अदक सरूप अंगे रामदेव जी ने बागी बिराजे केसर रो अदक सरूप हात रामदेव जी ने पोंची बिराजे कड़ा रो अदक सरूप पांव रामदेव जी ने मोजा बिराजे मेंदी रो अदक सरूप",malvi-mup "एक दिन करो सिंगार नार ने एक दिन करो सिंगार नार ने तीहर पहर ली , सीसो लियो हाथ रेख दो नैनन बीच गही । लगा लियो अखियन में कजरा , या ढब ले रहो झिमार उठै ज्यों सावन को बदरा । नार इक सुआ सारी है , इत उत के चोटी परी लगे जैसे नागिन कारी है । आए रहे अंगिया पै जलसा , पीछे के चोटी बन्धी धरे दो सोरन के कलसा । नार में सोने की हंसली , हार हमेर गुलीबन्द एक माला मोतिन की असली । करै इस पायल झनकारो , झांझन चूरी सोठ करूला गोटे पै नारो रचा लई हाथन में मेंहदी मांगन में भरयो सिन्दूर धरी दो माथे पे बैंदी । पहर लई अंगलिन में गूंठी , जब लगी बिरह की भूख नार की फिर देही टूटी । गुदा लिया टूण्डी पे मोरा , हंसन की लगतार बीच में सारस को जोरा ।",haryanvi-bgc "335 असीं सहतीए डरिये ना मूल तैथों तिखे दीदड़े1 तैंडड़े सार2 दे नी हाथी नहीं तसवीर दा किला ढाहे शेर फवियां3 तों नहीं हार दे नी कहे कावां दे ढोर ना कदी मोए भूंड अखियां कदे ना मारदे नी फट हैन लड़ाई दे असल ढाई होर कूड़ पसार पसार दे नी इके मारना इके ते आप मरना इके नठ जाना अगे सार दे नी हिंमत सुसत बरूत4 शुकीन भारे ओह गभरू किसे न कार दे नी बन्ह तोरिये जंग नूं एक करके सगों अगलयां नूं पिछों मारदे नी सड़न कपड़े होन तहकीक काले जेहड़े गोशटी5 हीन लुहार दे नी झूठियां सेलियां नाल ना जोग हुंदा पथर गले ना लान फुहार दे नी खैर दितयां माल ना होवे थोड़ा बोहल थुड़े ना चुगे गुटार6 दे नी जदों चूहड़ेनूं जिन्न चा करे खजल झाड़ा करीदा नाल पैज़ार7 दे नी तैं तां फिकर कीता साडे मारने दा तैनूं वेख लै यार हुण मारदे नी जेहा करे कोई तेहा पांवदा ए सचे वायदे परवदगार दे नी वारस शाह मियां रन्न भौंकनी नूं फकर पा जड़ियां8 चा मारदे नी",panjabi-pan "नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा, फाँड़ा बान्हीं लेल नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा , फाँड़ा1 बान्हीं लेल । चलि गेल अहो दुलहा , हाजीपुर हटिया ॥ 1 ॥ उहा2 से लावल3 दुलरू , मजुरवा4 लगल बेनियाँ । घामा5 के घमाएल कवन दुलहा , डोलाए मांगे हे बेनियाँ ॥ 2 ॥ कइरो डोलाऊँ परभु , मजुरवा लगल हे बेनियाँ । तोरो कवन बहिनी चोराइ लेलन हे बेनियाँ ॥ 3 ॥ आवे देहु अगहन दिनवाँ , उपजे देहु धनवाँ । अपनी कवन बहिनी बिदा करबों हे ससुररिया ॥ 4 ॥",magahi-mag "आल्हा ऊदल जिब ना बाँचल मोर देवी के सोनवा जान बचाई मोर नाम रुदल के सुन के सोनवा बड़ मगन होय जाय लौंड़ी लोंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी बात मनाव रात सपनवाँ में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय जौन झँपोला मोर गहना के कपड़ा के लावव् उठाय जौन झँपोला है गहना के कपड़ा के ले आवव् उठाय खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय पेनहल घँघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय चोलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बंद लगाय पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झंझकार सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दाँत सात लाख के मँगटीका है लिलार में लेली लगाय जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवा मने मने करे गुनान मन जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुँआर वैस हमार बित गैले नैनागढ़ में रहलीं बार कुँआर आग लगाइब एह सूरत में नेना सैव लीं नार कुँआर निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली बनाय पड़लि नजरिया इंदरमन के से दिन सुनों तिलंगी बात कहवाँ के राजा एत बरिया है बाबू डोला फँदौले जाय सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ गिराय",bhojpuri-bho "लीम म लिमोलई लागी श्रावण महिनो आयो जी लीम म लिमोलई लागी , श्रावण महिनो आयो जी । हमारा तो मोठा भाई तुम खऽ नींद कसी आवऽ जी । । तुम्हारी तो छोटी बहेण सासरिया मऽ झूरऽ जी । झूरऽ तेखऽ झूरऽ देओ हमनी झूरनऽ देवां जी । ।",nimadi-noe "रुमाल लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो बाग़ लगायो सा घुमण रे मिस आजो नैना रा लोभी हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो थाळ परोस्यो सा आप रे कारण म्हे तो भोजन परोस्यो सा जीमण रे मिस आजो नैना रा लोभी हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो लाल ननद भाई रा बीरा रे रुमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो होद भरायो सा नहावण रे मिस आजो नैना रा लोभि हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो",rajasthani-raj "245 खाब रात दा जग दियां सभ गलां धन माल नूं मूल ना झूरिए नी पंज भूत विकार ते उदर पानी नाल सबर संतोख दे पूरिए नी एहो दुख ते सुख समान जाने जेहे शाल मशरू तेहे भूरिए नी भोग आतमा दा रस कस त्यागो वारस गुरु नूं कहे वडूरिए नी",panjabi-pan "नानी-सी गाय गटर-गैंगणी सौ पूला खाय नानीसी गाय गटरगैंगणी , सौ पूला खाय , माता जमुना को पाणी पे , न्हार सामऽ जाय , ला ओ माय बकेड़ी ।",nimadi-noe "कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी जो कान्हा तू राह न जाने डोले डोले आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी ताता पानी धरिया ततेरा , तेरी गर्ज पड़े तो नहा जाइयो बुलागी राधा प्यारी पतली ते पतली पोई फुलकियां तेरी गर्ज पड़े तो खा जाइयो बुलागी राधा प्यारी",haryanvi-bgc "ईसुरी की फाग-22 तोरे नैना मतबारे तिन घायल कर डारे खंजन खरल सैल से पैने बरछन से अनयारे तरबारन सैं कमती नइयाँ इनसें सबरई हारे ' ईसुर ' चले जात गैलारे टेर बुला कैं मारे । भावार्थ प्रिये , तुम्हारे नयन बहुत मतवाले हैं , जिन्होंने घायल कर दिया है । ये खंजन जैसे आकर्षक , विष के बुझे हुए , पर्वत शिखर की तरह नुकीले हैं और बरछी की तरह तीखे हैं । ये नयन तलवारों से कम नहीं हैं जिनसे सब हार जाते हैं । ईसुरी कहते हैं कि ये नयन राह चलते को बुला कर मार देते हैं ।",bundeli-bns "गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए गोरे बाबुल की धीय बच्ची मोरनी ए हाय हाय बच्ची मोरनी ए के रे रोऊं सराह कै बच्ची मोरनी ए के रे सुहावन बोल किन तेरा डिब्बा खोलियां किन तेरा किया सिंगार हिय बधूं उस माय का कैसे किया सिंगार आंखों पट्टी देय ली छाती वज्र किवाड़ इस जानी का बाहुड़ै वहां गया ना बाहुड़ै अपने घर बैठ जब तैं घर ते नीकली मन्दे हो गए सौन मन्दे सौन न जाइयो जाइयो सकुन विचार आगे मिल गई लाकड़ी उल्टे घड़े पनिहार छींकत मंजा ढाइयां उट्ठी दामन चीर काल अचानक मारिया पहरे बैठे बार",haryanvi-bgc "435 करामात लगायके शहर फूकां जड़ां खेड़यां दियां मुढों पट सुटां फौजदार वांगूं दयां फूक अगा कर मुलक नूं चैड़ चपट सुटां नाल फौज नाही पकड़ कुआरियां नूं हथ पैर ते नक कन कट सुटां सहती हथ आवे पकड़ चूंडियां तों वांग टाट दी तपड़ी छट सुटां पंज पीर जे बोहड़न आन मैंनूं दुख दरद कजीअड़े पट सुटां हुकम रब्ब दे नाल मैं काल जीभा मगर लग के दूत नूं चट सुटां होवे पार समुंदरों हीर जटी बुकां नाल समुंदर नूं छट सुटां",panjabi-pan "आव रे चांद भैंसी बान्ध "" आव रे चांद , भैंसी बान्ध । चन्दा बाबा चन्दी दऽ घीं मऽ रोटी वालई दऽ । नाना भाई खऽ भावऽ नी , न झुमका लाड़ी आवऽ नी । """,nimadi-noe "कन्नी बुन्दे सोहणे, सिर ते छ्त्ते सै मणाँ दे (जांगली ढोला) कन्नी बुन्दे सोहणे , सिर ते छत्ते सै मणाँ दे उत्थे देवीं बाबला , जित्थे टाल्ह वणाँ दे बहाँ चढ़ कचावे , कराँ सैल झनाँ दे हिकनाँ नूँ वर ढहि पहुते , पुन्ने हिकना दे झोली पये बाल थणाँ दे भावार्थ ' कानों में सुन्दर बालियाँ हैं , सिर पर सौसौ मन के केश , हे पिता , मेरा विवाह वहाँ करना , जहाँ बड़ीबड़ी टहनियों वाले ' वण ' वृक्ष हों । मैं ऊँट की काठी पर चढ़ बैठूँ , चनाब नदी की सैर करूँ । ' फिर किसीकिसी को वर प्राप्त होने का वचन मिल गया और स्तनों से दूध पीते बालक उनकी झोली में आ गए ।",panjabi-pan "334 रीस जोगियां दी तैथों नहीं हुंदी हवसां1 केहियां जटां रखाइयां दियां बेशरम दी मुठ जयों पूछ पिदी जेहियां मुंजरां2 बेट3 दी धाइयां दियां तानसैन जिहा राग नहीं हुंदा लख मतां जे होन अताइयां दियां तेरी चराचर बिरकदी4 जीभ ऐवें जिवें जुतियां मरकदियां साइयां दियां सिर मुंन दाढ़ी खेह लाइयां ई कदरां डिठयो एडियां चाइयां दियां मुंडयां नाल घुलना मंदे बोल कहने नहीं चालियां भलयां दयां जाइयां दियां नहीं कावयों चूहड़ा होवे वाकफ खबरां जानदे चूहड़े खाइयां दियां नहीं फकर दे भेतदा तूं वाकफ खबरां तुध नूं महीं चराइयां दियां चितड़ सवाह भरे वेखो मगर लगा जिवें कुतियां होन कसाइयां दियां जेहड़ियां सुन उजाड़ विच वांग खवर कदरां उह की जानदियां दाइयां दियां गधे वांग तूं रजयों करे मसती कछां सुंघनां रन्नां पराइयां दियां पूछ गाईं दी मही नूं जोड़ नाए खुरियां मही नूं लाउना ए गाइयां दियां हासा आंवदा वेख के सिफलया5 गलां तबा6 दीयां वेख खफनाइयां दियां मियां कौन छुडावसी आन तैनूं धमकां पैनगियां जदों कुटाइयां दियां गलां इशक देवालियां नाहीं फलियां कचे घड़े ते बहन रूढ़ाइयां दियां परियां नाल देवां नूं की आखन जिनां वखियां भंनियां भाइयां दियां एह इशक ना जानदे चाक चोबर खबरां जानदे रोटियां ढाइयां दियां वारस शाह न बेटियां जिनां जाइयां उह की जाणदे कदरां जवाइयां दियां",panjabi-pan "रंडुवा तो रोवै आधी रात रंडुवा तो रोवै आधी रात सपने में देखी कामनी कोई ना पीसे उसका पीसना कोई ना पूछै उसकी बात हिलक हिलक रंडुवा रो रहा भाभी ने पूछी बात सपने में देखी कामनी कोई न रोटी बणा देवे उसे कोई न पूछे उसकी बात सपने में देखी कामनी",haryanvi-bgc "मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी, एके बाल नव कँगही मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी , एके1 बाल नव कँगही2 । किनने3 तेरा बाल सँवारा है ? ॥ 1 ॥ दादी जो मेरी कवन दीदी बीबी , एके बाल नव कँगही । वही दादी बाल सँवारा है ॥ 2 ॥ मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी , एके बाल नव कँगही । किनने तेरा बाल सँवारा है ? ॥ 3 ॥ नानी जो मेरी कवन नानी बीबी , एके बाल नव कँगही । वही नानी बाल सँवारा है ॥ 4 ॥",magahi-mag "नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा एक झूला डाला मैंने बाबल के राज में बाबल के राज में संग की सहेली हे सावन का मेरा झूलणा नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलना ए झूला डाला मैंने भैया के राज में भैया के राज में गोद भतीजा हे सावन का मेरा झूलना नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलना",haryanvi-bgc "वीरांगना अवंतीबाई इनकी शौर्यगाथा पर बाबू वृन्दावनलाल वर्मा ने ‘रामगढ़ की रानी’ उपन्यास लिखा है तथा केंद्रीय सरकार ने इनकी स्मृति में विशेष डाक टिकट जारी किया है । धन्न भूम भई मनकेड़ी की , जितै अवतरीं रानी , जुगनजुगन नौ जाहर हो गई उनकी अमर कहानी ; बड़े प्रेम सैं चबा चुकी तीं , देसप्रेम कौ बीरा , जियतजियत नौ ई धरनी की , दूर करत रई पीरा । नगर मण्डला के बीरन में ऐसे भाव भरे ते , प्रान हाँत पै धर गोरन सैं , अपनें आप लरे ते , थरथर प्रान कँपे गोरन के , ई रानी के मारैं , डारडार हँतयार भगे ते , सुनसुन कै ललकारैं । हलहल गऔ रानी के मारें , बाडिंगटन कौ आसन , सोससोस रै गए ते दुसमन , अब का करबैं सासन । ऐसौ परो खदेरौ उनपै , प्रान बचाकैं भागे , कजन बचे रए रानी जू सैं , भाग सबई के जागे । सुनसुन कै दुक गए ते दुसमन , ऊ घुरवा कौ टापैं , लाललाल मों देख जुद्ध में , जिऊ अरियन के काँपैं । एक हाँत पाछैं रइँ उनसै , झाँसीवारी रानी , ई धरनी कौ कनकन कै रओ , उनकी सुजस कहानी । राज रामगढ़ की रानी की , है काँ किलौ पुरानौ ? अपुन इए अब आजादी की , निउँ कौ पथरा मानौ । अमर बीरता के साके की , दै रओ किलौ गबाई , जी के भीतर देसभक्ति की , जगमग जोत जगाई । ऐसी अमर बीर रानी खौं , भूले काय कुजानें , जस की डोर दौर कै भइया , अपनी तरपै तानें । स्वार्थ भाव के इँदयारे में , नीतन्याय खौं भूले , उल्टीसूदी बातें गड़कै , ऊसई फिर रए फले । देसप्रेम की मीठौ अमरत , अपनें मन में घोलो , बीर अवंतीबाई जू की , एक साथ जय बोलो । महातीर्थ सी कर्म भूमि के , दरसन करबे जइयौ , भक्तिभाव सैं चिर समाधि पै , श्रद्धासुमन चढ़इयौ ।",bundeli-bns "175 हीर आखया रांझया कहर होया एथों उठ के चल जे चलना ई दोवें उठ के लंबड़े राह1 पईए कोई असां ने देस ना मलना ई जदों झुगड़े वड़ी मैं खेड़यां दे किसे असां नूं मोड़ ना घलना ई मां बाप ने जदों वयाह दिती कोई असंा दा जोर ना चलना ई असीं इशक दे आन मैदान रूझे2 बुरा सूरमे नूं रनों भजना ई वारस शाह दे इशक फिराक दौड़े एह कटक फिर आख किस झलना ई",panjabi-pan "उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया केसर कस्तूरी की चमचाई उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया भर पिचकारी मेरे माथे पै मारी बिन्दी की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे मुखड़े पै मारी बेसर की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे छाती पै मारी माला की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे हाथां पै मारी गजरे की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे पायां पै मारी बिछुवा की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया",haryanvi-bgc "459 सहती खोलके थाल विच धयान कीता खंड चावलां दा थाल हो गया छुटा तोर फकीर दे मोजजे1 दा विचों कुफर पाजी परे हो गया जेहड़ा चलया निकल यकीन आहा करामात नूं देख खलो गया गरम गजब दी आतशों आप आहा बरफ कसफ2 दे नाल समो गया जिस नाल फकीरां दे अड़ी बधी ओह आपना आप वगो गया पेवे डाढयां माड़यां केहा लेखा ओस खोह लया ओह हो गया मरन वखत होया सड़ खतम लेखा जो कोई जमया छोह ने छोह गया वारस शाह जो कीमिया3 नाल छूता सोना तांबयों तुरत ही हो गया",panjabi-pan "247 जोगी छड जहान फकीर होए एस जग विच बहुत खुआरियां ने लैन देन तेदगा अनियां करना लुट खुट ते चोरियां यारियां ने ओह पुरख निरब्बान पद जा पहुंचे पंज इंदरियां जिनां ने मारियां ने जोग दे के करो निहाल मैंनूं कहिया जिउ ते घुंढियां चाढ़ियां ने एस जट गरीब नूं तार तिवें जिवें अगलीयां संगतां तारियां ने वारस शाह मियां रब्ब शरम रखे जोग विच मुसीबतां भारियां ने",panjabi-pan "बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ , सो धरती जैजैकार करै । पानी कौ पहलौ गिरो , मुतियन की लर झिलमिला उठी , कुछ सौंधीसौंधी महँक जगी , सोई माटी कुलबिला उठी ; बह चलीं उरतियाँ गलिनगलिन , लरकन की गोलें जुरयाईं , कलकत उघरारे निकर परे , वे खेल चले चाईमाई ; सबनें जीऐसौ पाओ है , या अमरित की रसधार झरै । भर गुच्छन जमना फूट कढ़ी गौहान हार गोरीनारी , जैसे धरती खें उढ़ा गओ , कोउ पीरुइया प्यारीप्यारी ; सूकी कँदिया सकत्यान लगी , बिरछन पै आई नई उल्हन , जुड़रक में उतर खैजुअन सें चिनगुनीचिरइयाँ लगीं चुनन ; नाचत करहायँ , मितकरे मगन , भारई अलग झनकार भरै । निँग चलीं गिँजाई गैल धरें , ई पखनीपखना मौज करें , लजबन्ती बीरबहूटिन सें हरयारी सेंदुर माँग भरें । फिर रहे कैंचुवा , पौहन के गुलगुले गिलाए में सरकत , कुछ ऐसउ कीरा बिचर परे , जिनखें दिखतइँ छाती धरकत , मालिक कौ भारी कटखानों , अनगिन्ते जीव निकार घरै । हिलुरो जल कंडीउतरावन , जब गिरो कलफया भदरभदर , नद्दीनारे गड़गड़ा उठे , पा धुआँधार की झिमरझिमर ; अब आसातिसना दौर परी , छा गई जीउका जलाबम्म , करमार जुड़ाने बैठे हैं , करतूती कूदे घमाघम्म , कोउ ब्यामा छाँटै बौंड़बौंड़ , कोउ पूँछ पकर जग पार करै । बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ , सो धरती जैजैकार करै । ।",bundeli-bns "आया अयोध्या वाला कुवर दो आया अयोध्या वाला कुवर दो १ राजा जनक तो जग में हो ठाड़ा शोभा वर्णी न जाई उठ सभा दल देखण लागी उग्या भवन का तारा . . . कुवर दो . . . २ यो रे धनुष कोई सी हाले न डोले , लख जोधा आजमाया रावण सरीका पड्या खिसाणा भवपती गरब हरायाँ . . . कुवर दो . . . ३ लक्ष्मण सुणो बंधु रे भाई , गुरु की नी आज्ञा पाई डावी भुजा सी धरणी क तोकु धनुष की कोण बिसात . . . कुवर दो . . . ४ गुरु की आज्ञा पाई राम न , चरणो म शीश नमाया इनी रे भूमी पर है कोई योद्धा धनुष का टुकड़ा उड़ाया कुवर दो . . . ५ सिता रे ब्याही न राम घर आया , घरघर आनंद छाया माता कौशल्या न आरती सजाई राम बधाई घर लाया . . . कुवर दो . . .",nimadi-noe "373 जिस जट दे खेत नूं अग्ग लगी ओह रहिवां1 वढके गाह लया लावेहार2 राखे विदा होए ना उमैद हो के जट राह लया जेहड़े बाज तों काउं ने कूंज खोही सबर शुकर कर बाज फना लया दुनियां छड उदासियां पैहन लइयां सयद वारसों हुण वारस शाह होया",panjabi-pan "ऐ रानी डो ऐ रानी ऐ रानी डो ऐ रानी ऐ रानी डो ऐ रानी साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले ऐ राजा जा राजा बोले ऐ राजा जा राजा बोले चो सन्ठी साडी डरमे घोरा फलगो निचानो डो बोले चो सन्ठी साडी डरमे घोरा फलगो निचानो डो बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले घोरा फलगो लियेन नी विष्णु भगवान सुबान डो रानी बोले घोरा फलगो लियेन नी विष्णु भगवान सुबान डो रानी बोले स्रोत व्यक्ति नन्हेलाल , ग्राम झल्लार",korku-kfq "163 हीर पुछके आपने माहीए नूं लिखवा जवाब चा टोरया ई तुसां लिखया ते असां वाचया ई सानूं वावदयां ही लगा झोरया ई असां धीदो नूं चा महींवाल कीता कदी टोरना तेनहीं लोड़या ई कदे पान ना वल फेर ते पहुंचे शीशा चूर होया किसे जोड़या ई गंगा गइयां न हडियां मुड़दियां ने गए वकत नूं किसे ना मोड़या ई हथों छुटके तीर ना कदे मिलदे वारस छडना ते नहीं छोड़या ई",panjabi-pan "आल्हा ऊदल बावन गज के धोती बाँधे खरुअन के चढ़ल लँगोट अस्सी मन के ढलिया है बगल में लेल लगाय तीस मन के जब नेजा है हाथन में लेल लगाय बाँक दुआल पड़ल पंजड़ तक तर पल्ला पड़ल तरवार छप्पन छूरी नौ भाला कम्मर में ढुले बनाय बूता बनाती गोड़ सोभै जिन्ह का गूँज मोंछ फहराय बावन असरफी के गल माला हाथन में लेल लगाय भूजे डण्ड पर तिलक बिराजे परतापी रुदल बीर फाँद बछेड़ा पर चढ़ गैल घोड़ा पर बैल असवार घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर दुइए घोड़ा दुइए राजा नैना गढ़ चलल बनाय मारल चाबुक है घोड़ा के घोड़ा जिमि नव् डारे पाँव उड़ गैल घोड़ा सरगे चल गैल घोड़ा चाल बरोबर जाय रिमझिम रिमझिम घोड़ा नाचे जैसे नाचे जंगल के मोर रात दिन का चलला माँ नैना बढ़ लेल तकाय देखि फुलवारी सोनवा के रुदल बड़ मगन होय जाय डेबा डेबा के गोहरावे डेबा सुनव् बात हमार डेरा गिरावव् फुलवारी में प्रक निंदिया लेब गँवार बड़ा दिब्य के फुलवारी है जहवाँ डेरा देल गिराय घुमि घुमि देखे फुलवारी के रुदल बड़ मंगन होय जाय देखल अखाड़ा इन्दरमन के रुदल बड़ मंगन होय जाय",bhojpuri-bho "लचिका रानी बंदना रम्मा पहिलें सुमराैं सरसती मैयो हो ना रम्मा हमरा पर हुवेॅ सहैयो हो ना रम्मा सुमरौं गणपति , गणेश , चरणमो हो ना रामा नीचें सुमरौं शेषनाग देवता हो ना रम्मा सुमराैं आपनोॅ धरती धरममो हो ना रम्मा सुमराैं हम्मे सातो बहिन दुर्गा महरनियो हो ना रम्मा पकड़ी सुमराैं गुरू जी के चरनमो हो ना रम्मा जौनें देलकै हमरा गियनमो हो ना रम्मा सब्भै देवता के करौं परनममो हो ना रम्मा सुनोॅ आबेॅ लचिका के कहनियो हो ना पहिला खण्ड रम्मा सुनोॅ कथा लचिका के धरि केॅ धियानमो रे ना रम्मा बरप्पा छेलै एक नगररियो रे ना रम्मा वहाँ के राजा बड़ा शक्तिशालियो रे ना रम्मा इनकर लड़का छेलै प्रीतम सिंहो घब रे ना रम्मा सब्भै राजा में प्रसिद्धवो रे ना रम्मा अन्नधन छेलै पुरजोरिवो रे ना रम्मा लचिका छेलै प्रीतम के जानमो रे ना रम्मा देखै में छेलै खुबसुरतियो रे ना रम्मा लागै गुलाब फुलवो रे ना रम्मा रूप छेलै अनुपे रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ आगू के बतियो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के छेलै नौरंग पोखरबो रे ना रम्मा राजा के सुनी हुकुममो रे ना रम्मा आबी केॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा हम्में लानी देभौं लचिका रनियाँ रे ना रम्मा पान बीड़ा खैलके कुटनी बुढ़िया रे ना रम्मा बुढ़िया धरलकै रसतवो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै वरप्पा नगरियो रे ना रम्मा करलकै राजा बड़ी इन्तजामवो रे ना रम्मा संगोॅ में सब पलटनमो रे ना रम्मा पहुँची गेलै वरप्पा पोखरियो रे ना रम्मा बुढ़िया गेलै लचिका के भवनमो रे ना रम्मा लचिका सें करै छै बतियो रे ना रम्मा हम्में छेकियौ तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा बुढ़िया बोलै मीठी बोलियो रे ना रम्मा लचिका सुनी देलकै जबबो रे ना रम्मा मैया छेलै हमरोॅ अकेलवो रे ना रम्मा दोसरोॅ कोनो नहीं बहिनियो रे ना रम्मा कैसें लागभैं तों हमरोॅ मौसीयो रे ना रम्मा तबेॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा जहिया होलौ तोरोॅ जनममो रे ना रम्मा वही दिनां होलै हमरोॅ गौउनमो रे ना रम्मा जहिया सें गेलियै ससुररियो रे ना रम्मा नाहीं एैलियै नैहरवो रे ना रम्मा होलौ जबेॅ तोरोॅ विहववो रे ना रम्मा नै देलकौ तोरो माय नेवतो लियवनमो रे ना रम्मा तोड़ी देलकौ हमरा सें नतवो रे ना रम्मा जानभैं कैसें तों हमरोॅ हलवो रे ना रम्मा कैसें करभैं पहचनमो रे ना रम्मा पूछले ऐलां तोहरोॅ नगरियो रे ना रम्मा तोरा सें करैलेॅ मुलकतवो रे ना रम्मा हम्में तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा मानी लेहै हमरोॅ तों सत बचनमो रे ना रम्मा तोरोॅ ससुर के नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा मनोॅ में लागलोॅ ललसवो रे ना रम्मा देखै लेॅ ऐलां सुनी केॅ नममो रे ना रम्मा सुनी लचिका भेलै मगनमो रे ना रम्मा करेॅ लागलै मौसी के आदर सतकरबो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के मनोॅ मे भेलै खुशियो रे ना रम्मा एक दिन कहै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटो लचिका हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा तोहरोॅ छौ नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा हमरा देखाय दे भरी नजरियो रे ना रम्मा चली केॅ हमरा संगवो रे ना रम्मा तबेॅ पूरा होतै हमरोॅ अरमनमो रे ना रम्मा लचिका कहै मौसी सें बतियो रे ना रम्मा सुनें हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा हम्मे पूछि आवै छियौ आपनोॅ सासू सें रे ना रम्मा तबेॅ लैके जैवौ पोखरियो रे ना रम्मा इ बात बतिया कही के लचिका गेलै सासू के पासबो रे ना रम्मा हाथ जोड़ी करै बतियो रे ना रम्मा सुनोॅ माय जी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा आजु दिना छेकै एतबरबो रे ना रम्मा सुरूजोॅ केॅ देवै अरगबो रे ना रम्मा हमरा तों देॅ हुकुममो रे ना रम्मा हम्में जैबै नाहैलेॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका के सुनी बचनमो रे ना रम्मा सासु कहै पूतौहो सें बचनमो रे ना रम्मा पोखरिया के पानी बड़ा खरबवो रे ना रम्मा कादोॅ कीचड़ सें भरलोॅ पोखरबो रे ना रम्मा कैसंे जैभो पोखिरिया असनानमो रे ना रम्मा ठंडा लागी पोखरिया के पनियो रे ना रम्मा ऐगंना में खोदाई देभौं वारह कुपबो रे ना रम्मा रेशम के लानी देबाैं डोरियो रे ना रम्मा नहीं देलकै साँसू हुकुममो रे ना रम्मा तबेॅ भै गेलै रानी लचिका उदसवो रे ना रम्मा चल्लो गेलै ससुर जी के पसबो रे ना रम्मा जाय केॅ बोललै हलवो रे ना रम्मा ससुरें दै देलकै हुकुमो रे ना रम्मा तबेॅ गेलै स्वामी जी के पासवो रे ना रम्मा नहीं देलकै स्वामी हुकुममो रे ना रम्मा माथा पर चढ़लै शैतनमो रे ना रम्मा नहीं मानलकै केकरो कहनमो रे ना रम्मा चल्लोेॅ गेलै पोखरिया असननमो रे ना रम्मा कुटनी के फेरोॅ में पड़लै रानी लचिको रे ना रम्मा फिरी गेलै लचिका के मतिया रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के दागाबजियो रे ना रम्मा भेद कुछु नहीं जानलकै रानी लचिको रे ना रम्मा लड़का छोड़ी देलकै घरवो रे ना रम्मा सुतलोॅ पलंग के उपरबो रे ना रम्मा लै लेलकै आपनोॅ कपड़वो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै कुटनी के संगबो रे ना रम्मा पोखरिया में करै लेॅ असननमो रे ना रम्मा आवे सुनो पोखरियाँ के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ बैठलोॅ रहै पापी जयसिंह राजवा रे ना रम्मा मनोॅ में सौचै बतियो रे ना रम्मा आजु दिना मिली जैतै रानी लचिको रे ना रम्मा लचिका एैले पोखर किनरवो रे ना रम्मा दतवन करेॅ लागलै पोखर किनरवो रे ना रम्मा कपड़ा गहनमा खोली धरै घटवा भीतरबो रे ना रम्मा लचिका नहावेॅ लागलै घटवो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़िया देलकै राजा के ईशरवो रे ना रम्मा राजा जबेॅ देखलकै ईशरवो रे ना रम्मा साथे लैके सिपहिया लशकरवो रे ना रम्मा आवी पहुँचलै पोखरियाँ ऊपरवो रे ना जतना छेलै सेना लश्करवो रे ना रम्मा घेरी लेलकै आवी केॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका जबेॅ देखलकै हलवो रे ना रम्मा भागि केॅ छिपलै मंदिरवो रे ना रम्मा जबेॅ सुनलकै नौरंग सिंह खबरवो रे ना रम्मा लचिका घेरैली पोखरबो रे ना रम्मा घेरलकै आवी केॅ दुश्मनमो रे ना रम्मा मथवा धुनै कहै बचनमो रे ना रम्मा बहुएं नहीं मानलकै कहनमो रे ना रम्मा पोखरिया पर गेलै करिकेॅ हठबो रे ना रम्मा पड़ी गेले दुश्मन के हथवो रे ना रम्मा होय गेलै बड़ी मुश्किलवो रे ना रम्मा एतना कही केॅ बचनमो रे ना रम्मा देलकै पलटन के हुकुममो रे ना रम्मा एैलै दुश्मन पोखरियो रे ना रम्मा होय जायकेॅ जल्दी तैयरवो रे ना रम्मा सुनी केॅ जयसिंह के बतियो रे ना रम्मा पलटन सजलकै आरू हथियो रे ना रम्मा चल्लै पोखरिया पर पटलनमो रे ना रम्मा साथो में चललै प्रीतम सिंहबो रे ना रम्मा पोखरिया पर पहुँचे फौजियो रे ना रम्मा दोनों दलोॅ के भेलै भिड़नमो रे ना रम्मा चलेॅ लागलै तीर तलबरवो रे ना रम्मा हुवै लागलै घमासान लड़ैयो रे ना रम्मा बहै लागलै लहुवो के धरबो रे ना रम्मा घोर लड़ैया होलै चार पहरवो रे ना रम्मा जयसिंह पोखरियो रे ना रम्मा पलटन के देखी हलवो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह लड़े आबी केॅ अगुओ रे ना रम्मा करलकै धमासान लड़ैयो रे ना रम्मा लड़तेंलड़तें तेजलकै परनममो रे ना रम्मा रहि गेलै नौरंग सिंहवा अकेल्ले रे ना रम्मा सुनिकेॅ हाल होले बेहलबो रे ना रम्मा फेनू धीरज धरलकै मनमो रे ना रम्मा घोड़ा वृजवाहन पर सबरबो रे ना रम्मा लड़ैलेॅ चललै होयकेॅ तैयरवो रे ना रम्मा पहुँची गेलै पोखरिया उपरवो रे ना रम्मा आबी केॅ लड़ेॅ लागलै नौरंग सिंहबो रे ना रम्मा करिकेॅ लड़ाय धमसनमो रे ना रम्मा दस बीस के काटै गरदनमो रे ना रम्मा एतनै में एैललै एक वीरवो रे ना रम्मा पीछू सें मारि देलकै तेगवो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के कटी गेलै गरदनमो रे ना रम्मा धरती पर गिरी तेजलकै परनमो रे ना रम्मा होलै नाश नौरंग सिंह के दलवो रे ना रम्मा दुश्मन केॅ होलै खुशी हलवो रे ना रम्मा चारो ओर मचलै जै जै करबो रे ना रम्मा दुश्मन दल के भीतरवो रे ना",angika-anp "सर्प दंश से सम्बन्धित मंत्र बड़वा नीम की पाँच टहनी पत्ते वाली लेता है और पीड़ित व्यक्ति के सामने बैठकर सर्प का जहर उतारने के लिए मंत्र बोलता है , नीम की टहनियों को पीड़ित व्यक्ति के सिर से झाड़ा डालता है । जिसे सर्प काटा हो उसे पूर्व दिशा की ओर मुँह करके जमीन पर बैठा देते हैं , लाल धागा भीलट बाबा की मान लेकर बड़वा पीड़ित के दाहिने हाथ में बाँध देता । मान यह लेता है कि जहर उतर जायेगा तो सवा पाव शक्कर , पेठा , गेहूँ का आटा , घी लेकर प्रसाद बनाकर भीलट बाबा को भोग लगाकर , सबसे पहले भानेज को प्रसाद देकर बाद में दूसरे लोगों को बाटूँगा । मंत्र1 चालक चलावनि बोर की मिठी लगडोडा परोलो की पपड़ी काली कुत्ती गले काम से दर में घुसी हाल हेर करी पकड़ा नवनागनी नव वाटा पड़या तो एक वाटो दिवड़ खाई गयो कुआँमर जड़ी ताहॉ आया साथ हाथी हाथी , हाथी रिस करें रोटा , रोटी भान दिया , ताह निकलीयो कालो नाग नाग का बेटा का नाम डुचकियो , उदालाल , पानलाल , धामन सुरित निल बागरे छिट परनी , मंत्र2 माथे काटनी नी मुड़ल में मेकिस जिप काटीन आरती में मेकिस हजुर जामनी दाँव पाय खड़ो रहीन धोग दिस मंत्र3 दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो दरिया न काँटा वड़ली न चाहाँ हिचारू छिट परली नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ हिचारू लाड़ी , बाडी नागन फुफल , फुगारी दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो , ताहा हिचारू दिवेदो नागन धामन की नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाँधीयो हिरन हिडोलो , चाहा गुयरो गुहराव छीबरो नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो , भुई सापन दरछायी दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो , आम्बासम्बा हिदल नाखे भिलड़ बाबो धुराव न दखनाव , हवा चाले हिड़ल हिचे , हिचे , हिचे टुट पड़ीयो , दरियाम पड़यो , रहीयो मगर माछलो चुसि डासियो खाई गयो धरती गुजपिय उतारू मारसी नि उतरेतो तो सवाँ हाथ डन्डो उतारू सातपुड़ी जमीन माता इस्माल जोगी निकालियो तो कपन गाय न गोह आयो , ग्वालीया पोरिया हतला ग्वालियर पोरिया क इस्माइल जोगी पूछियो कि निल्लो , पिल्लो वासड़ो देखियो नी पोरिया कहीयो कि भरिया डूँगर में छ बाबा निलो , पिल्लो वासड़ो ढंूढतोढूंढतो गयो , भरिया डूँगर में जड़ गयो वासड़ो सोलह लौंग , सुपारिया , हाथ में लेदी गुगेड़ी लाकुड़ काखम में लेधा झोलना चोटियालो नारियल अगरबत्ती लोबान चुनियो कुकड़ा कोरी भाटी नो दारू काचा सुत , सुती देधो वासड़ा मर पूजा पाट कर देदी दाऔ झाटको मारियो तो दुधियो तलाब बनियो जेवडियो झाटको मारियो तो खुन न तलाव बनियो वासड़ो काटिन दाबल बनाया , जाल , कालो नाग फुक मारिया निल्ली , पिल्ली जमीन हईगई स्वर्ग में निल्लो , पिल्लो बाण फुट गयो , मंत्र4 अम्बी न साम्बी जाल फेकेरे काला नागक धखा लागियो काला नाग धरया गियो न दाबला भरने लागिया , रामलो , धामलो तपन लागियो आबी न तुलवारा मार , अदलिया फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , कागनी फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , आम्बीसाम्बी न जाल फेकेरे जोगी धुचकिया , नागन काजे धरी लेदो न दाबल मे भरी लेधो , चोकिया फेरन रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी , लाड़ी बान्ड़ी , नागन फुफल फुगार , मादल फेरू रातु न दिसु वधवा लागिया गोबा , आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी उदालाल पानलाल , रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा धोल फेरू , रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा स्वर्ग ठलारो मार देधा , गोबा वधबा लागिया चटकिया फुटकिया , रामला गामला तपने लागिया , तिरसठ जात न जनवार डोलन लागिया तिरसठ जात न जनवार दाबला म भरीन जोगी शोरी मामा न झोपल गयो शोरी मामा काई की काई भाई काई लाइयो जोगी बोलियो तिरसठ जात ना जनवार दाबला म भरीन लाईरियो शोरी मामा कहियो की जोगी इन्छु कटियाला जनवार काजे डुडिया में बसाड़ी न समुद्र पली पार कर देजी कापन गाय न गोह लागिया बिच्च म गुवालिया पोरिया आया जोगी काजे पूछन लागियो , इन्हु दाबला म काई लिजाई जोगी बाबा देधो दाबलो खोलिन गुवालिया पोरिया देखिन घबराय गया तिरसठ जनवार कहाँ ती लायो , कुसल दाँत लहरीयो फेन वालो तो रेड़ भात ना तो गुवालिया पोरियो बोलिया कि जा बाबा इन्हूंक समुदु पली घड़ छोड़िया दरिया न काट वाकि वरली इस्माइल जोगी जाई हिडोल बाधियो हिचतहिचत दुट पड़यो गयो मगरमाच्छला चुसी डसी खाई गयो , यह मंत्रांे के बाद में सभी देवीदेवता काम नाम बोलते हैं । सातपुड़ी जमीन मुण्डीया सी राफ वासींग नाग , बैलाबाबा , कुण्डी राणादेव , नाक में कुहतादेव , खाक में भवरा , एक तागीया बबल , थानिया सुपड़ काडिया , शिवाबाबा , महेश्वर वाला डेरा , नर्मदा माई , फुलबाई माता , बाघेश्वरी माता , काली माई , कालका माता , डामरा माता , महीमाता , गायमुख माता , भिलड़ देव , खेड़ा देवती , रानी काजल , भेस्टा कंुवर देव , नाहाराजा कुंवर । ऊँकारजी बाबा , सिंगाजी बाबा , गणपति बाबा , बलवारी बाबा , हनुमान , महाकालडेरा बाबा , हुनमान बाबा , रामभगवान , भिमा , माता कुन्ती , सितामाता , महादेव गोरा , चाँद , सूरज , मालदेव , उगवना , बुड़वना , तरफ मारा दरवाजे । यह मंत्र पूरा होने पर सर्प का जहर उतर जाता है , फिर उतारने वाला या बड़वा जंगल में जाता है और जंगली जड़ीबूटी खोजकर लाता है । जड़ीबूटी को बारीक पीसकर , पानी में घोलकर पिला देते हैं और वह सर्प का काटा हुआ अच्छा हो जाता है ।",bhili-bhb "340 आ नढीए गैब क्यों चाया ई साडे नाल की रिकता1 चाइयां नी बेकसां दा कोई ना रब्ब बाझों तुसीं दोवं ननाण भरजाइयां नी जेहड़ा रब्ब दे नाम ते भला करसी अगे मिलनगियां ओस भलाइयां नी अगे तिन्हां दा हाल ज़बून2 होसी अखीं वेख करन जो बुरयाइयां नी",panjabi-pan "नाई की तेरे लाम्बे लाम्बे खेस नाई की तेरे लाम्बे लाम्बे खेस आधे बिछा ल्यो आधे ओढ़ ल्यो राजा जी मेरी मां के पाले खेस क्यूंकर बिछा ल्यूं क्यूंकर ओढ ल्यूं राजा जी तेरी चाल सरूप जणू रै हाथी घूमै गाल मैं राजा जी तेरा बोल सरूप जणू रै पपीहा बोल्या रेल का नाई की तेरा बोल सरूप जणू रै कोयल बोली बाग में नाई की तेरी चाल सरूप जणू मुरगाई तिरगी ताल मैं",haryanvi-bgc "145 मुंह उंगलां घत के कहनसभे कारे करन थीं एह ना संगदा ए साडियां मंमियां टोंहदा छेड़ गलां पिछों होएके सुथणां सुंघदा ए सानूं कठियां करें ते आप पिछों सान होएके टपदा रिंगदा ए नाल बन्न के जोग नूं जोअ देंदा गुतां बन्न के खिचदा टंगदा ए तेड़ां लाह घाई ते फिरे भौंदा भऊं भऊं मूतदा ते नाले त्रिंगदा ए वारस शाह उजाड़ विच जाय के ते फुल साढियां कनां दे सुंघदा ए",panjabi-pan "जौ गीवहां को उबटणों राय चमेली का तेल जौ गीवहां को उबटणों राय चमेली का तेल अत लाडो बैठ्यो उबटणै मैल झड़े झड़ मैं पड़े नूर चढै गोरे अंग अत लाडो बैठ्यो उबटणै आ मेरी मायड़ देख ले तम देख्या सुख होय अत लाडो बैठ्यो उबटणै आ मेरी भुआ देखल्यो तमने आरतड़ा रो चाव अत लाडो बैठ्यो उबटणै",haryanvi-bgc "कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घेरि आइल ननदी तू तौ जात हौ अकेली कौनो संग न सहेली गुण्डा रोकि लींहें तोहरी डगरिया बदरिया घेरि आइल ननदी भौजी बोलेलू तू बोली सुनिके लागल हमरा गोली काहे पड़ल बाड़ू हमरी नगरिया बदरिया घेरि आइल ननदी केतने दामुल फाँसी चढ़िगे केतने गोली खाके मरिगे केतने पीसत होइहैं जेल में चकरिया बदरिया घेरि आइल ननदी",bhojpuri-bho "भोर बीरन हो रओ भोर , दूदसीं डूबन लगीं तरइयाँ । बड़ी भुजाई नें बखरी कौ , टालटकोरा कर लऔ । माते जू के बड़े कुआ कौ , मीठौ पानी भर लऔ । मुरगन नें दई बाँग , डरइयँन बोली श्याम चिरइयाँ । बीरन हो रऔ भोरदूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । मानकुँवर ने सारन कौ सब , कूराकरकट भर लऔ । दूद देत गइयनभैंसन खौं , दन्नों दर कैं घर दऔ । सौकारूँ कर लेब गोसली लगीं रमाँउन गइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । नन्नीं बउ नें दोउ भाँउन कौ , दई भाँ लऔ सबरौ । जुनइ रखाउन हरियन सै , डरुआ खेतन खौं डगरौ , कहा करइयाँ हौ आँगन में आगइ ऐन उरइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । बेर बीनवे कड़ गऔ पनुआँ लैकैं बड़ौ ढिकौला । चून माँगबे आ गऔ दोरें बी सादू , हरबोला । जो कजन्त कउँ झूँठी मानौं , हेरौ खोल किबइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । आलस छोड़ किसान , भोर कर लेय काम जई अपनें । ‘मित्र’ सदा बेइ सुक्ख उइाबै , दुक्ख न पाबै सपनें । मोय छोड़ नइँ कोऊ तोखौं भइया कमऊँ जगइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगी तरइयाँ ।",bundeli-bns "सूजैं इन आँखन अलबेली सूजैं इन आँखन अलबेली जग मैं रजऊ अकेली । भरकें मूठ गुलाल , धन्न वे , जिनके ऊपर मेली । भागवान जिनने पिचकारी , रजऊ के ऊपर ठेली । ई मइनाँ की आवन हम पै , मिली , मसा के झेली । अपकी बेराँ उननें ईसुर फाग सासरें खेली ।",bundeli-bns "कई रेती में पीपल छाया कई रेती में पीपल छाया कई गेरा कुंडा खणाया हो म्हारा गेरा गजानन्द आया कई दाऊजी रे मन भाया कई माता बई हरक बवाया म्हारा गेरा गजानन्द आया कई काकोजी रे मन भाया कई काकीजी मोतीड़े बदाय । कई भैया रे मन भाया कई भाभी बई कंकूड़े बदाया कई मामाजी रा मन भाया कई मामाजी हिदड़े बदाया",malvi-mup "भानु भौंपेलो हिंडवाणी कोट मा रन्दो1 छयो2 हंसा हिंडवाण , वो त होलो अनमातो3 धनमातो4 जैकी बार5 छन तिवारी , बत्तीस नीमदरी6 , मट्टी जसो अन्न होलो , ढुंग्यों7 जसो धन , बार छन बेटा जैका , अठार छन नाती । तब हिण्डवाणी कोट मा पड़े , बार बरस को अकाल , देखा बड़ा पेड़ा , न लायान भूक , छोटा न पड्यान दूख । हिण्डवाणी कोट मा , कनी तराइ8 मचीगे , रोन्दा छन , बराँदा9 भूखन नौना , देखीदेखीक , जिकुड़ी चिरेन्दी । बत्तीसू कुटूम तैकू , भूखन चचलाण10 लैगे , बड़ो आदमी छयो , हंसा हिण्डवाण , वैकू शरम ऐगे , अपणा आँसू पीगे । कै मू अपणी , विपता कया लाण , कै मू मैंन अब , मांगणक जाण ? विता का दिनू , अपणा भी होंदा पराया । गाडे़11 वैन तब , खोड12 की लगोठी13 , मिठो जैर14 डाली , दिने बत्तीस कुटुम । तब बत्तीसों कुटुम , वैको स्वर्गवास ह्वैगे , अफू भी ढकी गै राजा , तिवारी का अडासा15 । वे को बैटा भानू , मामाकोट छयो जायँ तब लौटी आये , हिण्डवाणी कोट मा , सूनो चौक देखे वैन , सूनकार तिवारी , घूमद ऊं बार तिवारियों , बाईस निमदारियों , तब देखीन वैन , अपणू बत्तीसों कुटम जागू16 जागू मू मरियूं । तब चाखुड़ी17 सी रीटदो18 , भानू भौपेलो , रौंदू छ बराँदू , कपाल फोड़ीफोड़ी । कै मा नी सुणाँद , बदनामी की डर , लोक बोलला , रजा की कुटमदारी , भूखन मरी गए । शरम को मारो छौ वो , विपता को हारो , बत्तीस कुटम को वैन , एकू भारो लगाये , तब लीगे ऊं रविछाला19 मुंग । चिता बणाई वैन , अपणी जिकुड़ी सल मा जगदी देखे फूकेन्दी । तब चिता कों राखो लीक , भानु भौपेलो , ऐगे हिण्डवाणी कोट माँग सूनी तिवारी वै , तब खाण औन्दीन , तब बोल्द वो , भानू भौंपेलो : मैंन यख रैक , क्या त करण ? तब उतान्याँ वैन , राजों का कपड़ा , बणाये मालू20 की झगली , मालू की टोपली21 , छोड़याली तब वैन , हिण्डवाणी कोट । तब राजपाट छोड़ीक , शैरू 22 शैरू घूमद , एक शैर छोड़ी राजा , दूसरा शैर जान्द दूसरा शेर छोड़ी , तीसरा चौथा शेर जान्द । छठा शेर मा जाँद , कालूनी कोट मा , कालूनी कोट मा , रन्दो छयो सजू कलूनी । तब सजु कलूनी मा , भानू जदेऊ23 लगौद , रजा तेरी बलया जौलू , मैं छऊँ गरीब छोरा , गरीब छोरा छऊँ , मैं नौकर धन्याल । छारा , नौकर धरलू , तिन तनखा क्या लेण ? गरीब छोरा छऊँ , रोटी दियान कपड़ा । तउ सोचदू सजू , अछू नौकर मिले , त्वई लैख24 काम , डाँडू की मरूडी25 हमारी , डाँडों की करूड़ी , घास काटण की नौकरी । तब फेंक्याले वैन , मालू की झूली टोपली , सजून दिन्या , फट्यांपुराणा बस्तर । तब सामल पांजायाले , बतैले डाँडा को बाटो , वे डाँडा मरूड़ी बैठा , घास काटण । तब भानु भौपेलो गैगे , वीं डाँडा मरोड़ी , सजू कलूनी की छई , एक नोनी अमरावती , नोनी अमरावती , छई सुघर तरुणी । वींन देखे , छोरा एक औन्द , तब बोदे : मैंन पैले बोल्याले , छोरा आँगण छूत न करी । मैं तेरा ब्वई26 बुवान27 , नौकर भेजेऊँ , ई डाँडा मरूड़ी , मैन घास काटण । तू अबी लोटी जा , धसेर छोरा , यख मर्द का नौं28 , माखो29 नी औन्दी । वा ज्योंज्यों ना करदी , छोरा अगाड़ी औन्दो , तब अमरावती , भौत गुस्सा ऐगे ; न औ न औ छोरा , मैं आज चाँदू30 बेन्दू31 बेलों32 मू , तेरी श्किार खेलौण । वा ज्योंज्यों ना करदी , छोरा अगाड़ी औन्दो कैको होलो यो , निरभागी छोरा , कै अभागी माँ की , होली कोख सूनी ? तब चढ़े वीं , सिंहणी को रोष खोल्या वींन , चाँदू बेन्दू बेला । लम्बालम्बा सिंग छा ऊँका , बड़ा बड़ा आँखा , पड़ी गेन वो , वैकी धाद33 । दौड़दो छ दौड़दो छोरा , विपता को मारो , तब एक बिरछ , मारदो अंग्वाल । इना छया , चाँदू बेन्दू बेला वै बिरछ सणी , जड़ उखाड़ कर्ण लैग्या । तब छोरा तै चढ़ी , छैत्री को जोश , सची होलू मैं हिंडवाण वंश को जायो , एक ही मुठीन चाँदू बेन्दू फोत34 होई जान । तब एक एक , मुठ्यों मा ही वैन चाँदू बेन्दू , चित्त करीया लौन । हकदक रैगे तब , अमरावती रौतेली , यो छोरा होलू , मालू35 मा को माल । तब पूछदी वा , नौं गौं छोरा को , हे छोरी मैं छऊँ , हिंडवाणी कोट को रौतेलो , हंसा हिण्डवाड को बेटा , छऊँ मैं भानु भौपेलो । किस्मत को मारो छऊँ , बिता को हारो , आज बण्यू छऊँ , तेरो घास काटदारो । तब बोदे राणी अमरावती राजों कू रोतूलू होलू तू , पर मैं",garhwali-gbm "इक मेरी अख काशनी नी इक मेरी अख काशनी , दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेआ , शीशे ते तरेड़ पै गयी , वाल वौंदी ने धयान जदों मारेआ , इक मेरी अख . . . . इक मेरी सस्स चंदरी , भैड़ी रोही दे किकर तों काली , गल्लेकथ्थे वीर भुन्नदी नाले दवे मेरे माँपयां नू गाली , नी क़ेहडा उस चंदरी दा , नी मैं लाचीयाँ दा बाग उजाड़आ , इक मेरी अख काशनी . . . दूजा मेरा दियोर निकड़ा , भैड़ा गोरियाँ रन्ना दा शौंकी , ढुक ढुक नेह्ड़े बैठदा , रख सामणे रंगीली चौंकी , नी इस्से गल तों डरदी , अजे तीक वी न घुण्ड नूँ उतारया , इक मेरी अख काशनी . . . तीज़ा मेरा कंत ज़िम्वे , रात चानड़ी च दुध दा कटोरा , फिकड़े सिन्दूरी रंग दा , ओदे नैणा च गुलाबी डोरा , नी इको गल माड़ी उसदी , लाईलग नु है माँ ने विगाडिया ।",panjabi-pan "मनख्या बाघ लोगूँ कु खेती कु काम नी होये पूरू1 , यो निभागी बाघ होईगे शुरू एकी2 जागान3 बल हैकी4 जागा जाँद , जनानी चोरीक नौनोऊँ छ खाँद कनो निरभागी यो बाग गीजी5 , हमारी आँखी आँसुन भीजी एकी जनानी वैन मारे धाड़ो , मैं कू बाड़ी पकौण को करे भाड़ो । तैं को मालिक बवराँदो6 भौत , ये पापी बागक कब औली मौत ? तै डाँडा का ऐंच दुगड़ी गौऊँ , तख बुडड़ी मारे वैन गौं का सौऊँ तै बागन पकड़े बुडड़ी की गली , ब्वारी की पकड़ी छै वीं की नली खाण दे बुडड़ी की ऐगे खैर , हम बाग की डर नी औंदा भैर7 तौं द्वारू तैं अब झट लावा , घमछंदे भायों रोटी खावा ऐंसू का साल नी कैकी खैर , हम बाग की डर नी औंदा भैर डरदामरदा औंदान वो घर , विरालों देखीक लगदी छ डर रुमसूम्या8 बगत जु कुकर भूक्या , इना नामी वंधू जु ओबरा9 लूक्या ओबरा लूक्या रऊसी10 माछा , पोटगा मा डर का नरसिंह नाच्या",garhwali-gbm "सावां गीत ऊँचा मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो नेचो मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो खाटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो उटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो सावां लाने वालों को बधाकर स्वागत कर घर में ले जाते हैं फिर औरतें गीत गाती हैं । सावां लाने वालो को कहती हैं कि तुम ऊपर आसमान की ओर मत देखो सरग आसमान हमारा भानजा लगता है । धरती , खटिया और चबूतरे पर मत बैठो , ये भानेजभानजी लगते हैं ।",bhili-bhb "भाँवर गीत मारो कवचड़ा पर , ढेड्या दासे झुणी । कवच आजड़ झांजड़ करे , ढेड्या दासे झुणी । पुर्यो चुली मेकण आयो , पुरयो धड़धड़ कांपे वो । विवाह के दिन फेरे के समय दूल्हे का छोटा भाई दुल्हन के लिए चोली लेकर दुल्हन के घर में जाता है । स्त्रियाँ कहती हैं ले लड़के मेरा कवच का घर है , भागना मत । कवच हिलती है तुझे लग जाएगी , भागना मत । वह लड़का जो चोली देने के लिये आया है , थरथर काँप रहा है ।",bhili-bhb "पानी भारेन जाऊसे वो मोरी मायू पानी भारेन जाऊसे वो मोरी मायू घर का सासू घाघर रोके भागी भागी से आई से जावा मारो बेटी भागी भागी के आई जा मैं कैसी आऊंसे वो मोरी मायू रास्ता में मिले होय तो सोटी न मारे रोटी पावन जाऊंसे वो मोरी मायू घर का जिठानी चूला न रोके भागी भागी से आई से जावा मारो बेटी भागी भागी के आई जा स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल",korku-kfq "179 रांझे आखया मूंहों की बोलना ए घुट वट के दुखड़ा पीवना ई मेरे सबर दी दाद जे रब्ब दिती खेड़े हीर सयाल ना जीवना ई सबर दिलां दे मार जहान पटन उच्ची कासनूं असां बकीवना ई तुसीं कमलियां इशक थीं नहीं वाकफ नेहुं लावणा निंम दा पीवना ई वारस शाह जे चुप थीं दाद पाईए उची बोलयां वहीं विहीवना1 ई",panjabi-pan "नीम्ब के लागी निम्बोली दादा हो नीम्ब के लागी निम्बोली दादा हो समधी की रीतगी न्यौली दादा हो कन्या नै दो परणाय दादा हो जांडां के लागी झींझ दादा हो समधी नै आ गई नींद दादा हो कन्या नै दो परणाय दादा हो आकां कै लागै डोडे दादा हो समधी के जुड़ गये गोडे दादा हो कन्या नै दो परणाय दादा हो",haryanvi-bgc "464 सानूं बखश अलाह दे नाम मियां साथों भुलयां एह गुनाह होया कचा शीर पीता वंदा सदा भुले धुरों आदमों भुलना राह होया आदम भुल के कणक नूं खा बैठा झट जंनतों हुकम फनाह होया शैतान उसताद फरिशतयां दा भला सजदयों किधर दे राह होया मुढों रूह भला कौल दे वड़या जुसा छड के अंत फनाह होया कारूं भुल जकात थी शुभ होया वाहद ओस ते कहर अलाह होया भुल जिकरीए लई पनाह होजम1 आरी नाल उह चोर दोफाह होया अमलां बाझ दरगाह विच पैण पौले लोकां विच मियां वारस शाह होया",panjabi-pan "आजा-बे हीरा मोर जोहथों रद्‍दा तोर आजाबे हीरा मोर आजाबे हीरा मोर जोहथों रद्‍दा तोर थाड़े घठोंधा मा रे असाढ़ करथे घुरुरघारर सावन म बरसे झिमिरझामर तोर सुरता म रो रोके बोहागे आंखी के काजर भींजगे लुगरा के छोर सुहावे नहीं अंगना घरदुवार बिरखाहे सुर सिंगार तोर बिना चारो कोती लगथे कुलुप अंधियार आके कर दे अंजोर आँसू चलथे झरझरझर हिरदे कांपे थरथरथर बिन धारन कस पटिया होगेंव में निचट अधर कबले भेजबे खबर सोंच आजाबे हीरा मोर आजाबे हीरा मोर जोहथों रद्‍दा तोर थाड़े घठोंधा मा रे",chhattisgarhi-hne "पाँच लाडू पाँच धरिया पाँच लाडू पाँच धरिया फलाणा राय पाँच पड़िया नाचरे म्हारा गणपति गणपतियो तो नाचेगो सेरी में धूम मचायेगो नाचरे म्हारा गणपति",malvi-mup "लैवौ राम नाम इक सच्चा लैवौ राम नाम इक सच्चा । दूर होय दुख दच्चा । हिरनाकस पिहलाद के लानैं । कौन तमासो रच्चा । सबरे बरतन पके अबाके , बो बर्तन रऔ कच्चा । बरत आग सैं कूँदत आ गए , मनजारो के बच्चा । लैलै राम निकारौ , ईसुर , मिल्लादुल्लाफुच्चा ।",bundeli-bns "28 आख रांझया भा की बनी तेरे देस बाप दा छड सिधार नाहीं वीरा अम्बड़ी जाया जा नाहीं सानूं नाल फिराक1 दे मार नाहीं एह बांदियां असीं गुलाम तेरे कोई होर विचार विचार नाहीं बखश एह गुनाह तूं भाबियां नूं कौन जंमिआ जो गुनहगार नाहीं",panjabi-pan "मेंहदी गीत खेड़िखड़ि काइ रेते कर्या । खेड़िखड़ि काइ रेते कर्या । जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज । हात रंग्या पाय रंग्या । जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज । रंग चुवे । हे बनी जमीन मंे हल चलाकर , मेहंदी का बीज ढूँढा । बीज बोया , तब जाकर मेहंदी का पौधा तैयार हुआ । वही मेहंदी हमने तेरे हाथपैर में लगा दी है । देखो मेहंदी का रंग कैसे खिल रहा है ?",bhili-bhb "445 आ सहतीए वासता रब्ब दा ई नाल भाबियां दे मिठा बोलीए नी होईए पीड़ वंडावड़े शहदियां दे जहर बिछूआं वांग ना घोलीए नी कम बंद होवे परदेसियां दा नाल मेहर दे गंड नूं खोलीए नी तेरे जही ननान हो मेल करनी जिऊ जान भी उस तों घोलीए नी जोगी चल मनाईए बाग विचों हथ बन्न के मिठड़ा बोलीए नी जो कुझ कहे सो सिरे ते मन लईए गमी शादियों मूल ना डोलीए नी चल नाल मेरे तूं तां भाग भरीए मेल करनीए विच वचोलीए नी वारस शाह मेरा ते रांझे दा मेल होवे खंड दुध दे विच चा घोलीए नी",panjabi-pan "147 वार घतियां कौन बलाए कुता दुरकार के परां ना मारदे हो असां भईअड़े पिटियां हथ लाया तुसीं एतनी गल न नितारदे हो फरफेजियां मकरियां ठकरियां नूं 1 मूंह ला के चा विगाड़दे हो मुठी मुठी हां ऐड अपराध पैंदा धीयां सद के परहे विच मारदे हो एह लुचा मुशटंइड़ा असीं कुड़ियां अजे सच ते झूठ नितारदे हो पुरूष होय के पढियां नाल घुलदा तुसीं गल की चा निघारदे हो वारस शाह मियां मरद सदा झूठे रन्नां सचियां सच की तारदे हो",panjabi-pan "गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग गोरी वो गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग , में बन जाहूं चकरी , तैं उड़बे पतंग चटभइंया बोली तोर निक लागे वो , तोर बोलीठोली हा गुरतुर लागे वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो तरिया के पानी लागे है बनी गोरी वो गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो तरिया के पानी लागे है बानी , दुरिहा घुजके भरबे , कर छेड़कानी बेलबेल्हा टुरा घटौन्दा के तीर , बइठे बजावत रइथे सिटी गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो",chhattisgarhi-hne "आयो महीनो भादों को आयो महीनो भादों को । मन समझादूं1 बौत2 । या मिली जादों स्वामी जी या प्रभु देदो मौत ।",garhwali-gbm "आओ फकीरो मेले चलीए आओ फकीरो मेले चलीए , आरफ का सुण वाजा रे । अनहद शब्द सुणो बहु रंगी , तजीए भेख प्याज़ा रे । अनहद वाजा सरब मिलापी , नित्त वैरी सिरनाजा रे । मेरे बाज्झों मेला औतर , रूढ़ ग्या मूल व्याजा रे । करन फकीरी रस्ता आशक , कायम करो मन बाजा रे । बन्दा रब्ब भ्यों इक्क मगर सुक्ख , बुल्ला पड़ा जहान बराजा रे ।",panjabi-pan "कालू भण्डारी होलो कालू भण्डारी मालू1 मा को माल , अन्न का कौठारा2 छा वैका , वसती3 का भण्डारा । गाडू4 घटड़े5 छई , धारू6 मरूड़े7 , धनमातो8 छौ , अनमातो9 , जोवनमातो छौ कालू स्यो भण्डारी । कालू भण्डारी छौ जब सोल बरस को , आदी रात मा तैं सुपिनो होयो , सुपिना मा देखे बैन स्या ध्यानमाला , देखे वैन वरफानी काँठो10 बरफानी कांठा देखे ध्यानमाला को डेरो11 । चाँदी की सेज देखे , सेना का फूल , आग जसो आँख देखी , दिया जसी जोत । वाणसी अरेण्डी12 देखी , दईसी तरेण्डो13 , नौणसी गलखी14 देखी , फूलूसी कुटखी15 । हिया सूरज देख , पीठी मा चन्दरमा । मुखड़ी को हास देखे , मणियों कू परकाश , कुमालीसी ठाणा16 देखे , सोवन17 की लटा । तब चचड़ैक18 उठै कालू , भिभड़ैक19 बैठे , तब जिया20 बोद21 : क्या ह्वैलो मेरा त्वई ? आज को सुपिनो जिया , बोलणो नी औन्दो । ना ले बेटा कालू सुपिना को बामो22 , सुपिना मा बेटा , क्या नी देखेन्दो ? कख नी जायेन्दो , क्या नी खायेन्दो ? मैन ज्यूण मरण जिया हिंवाला ह्वैक औण , तख रन्दी माता , वा बाँद23 ध्यानमाला । कालू भण्डारी मोनीन24 मोयाले25 , तब पैटी26 गए वो तैं नवलीगढ़ । भैर27 को रूखो छयो कालू भीतर को भूखो । कथी28 समझाये जियान29 वो , चली आये वो ध्यानमाला का गढ़ । ध्यानमाला औणी छै पाणी का पंद्यारा30 , देखी औन्द कालू भण्डारीन वा , हे मेरा परभू वा बिजली कखन छूटे हैं सुपिना मा देखी छै जनी31 , तनी32 ही छ नौनी या आछरीसी सची , सरप कीसी बची , अर देखे ध्यानमालान कालू भण्डारी वो , बांको ज्बान छौ वो , बुराँस कोसी फूल । तू मेरी जिकुड़ी छै बांकी ध्यानमाला , त्वै मा मेरो ज्यू छ । सुपिना मा देखी तू , तब यख आयूँ , आज तू मैसणी33 प्रेम की भीख दे । तब ली गये वै तैं ध्यानमाला अपणा दगड़ा34 , कुछ दिन इनी ही रैन वो गुपती रूप मा । तब बोलदो कालू भण्डारी , कब तैं रण रौतेली इनू लकी लूकीक । तब ध्यानमाला का बुवा35 धरमदेव , कालू भण्डारी मिलण गैगे । सूण सूण धरमदेव , मैं आयौं डाँड्यों36 टपीक37 , गाडू38 बगीक39 । मैंन जिऊण मरण राजा , तेरी नौनी ध्यानमाला ल्याण । ऐलैन्दो बैलोन्दो तब राजा धरमदेव , मेरा राजा मा आयाँ होला हैका राज से पाँच भड़ , साधी40 लौलो ऊँ तै जु कालू भण्डारी ब्यौवोलो त्वे ध्यानमाला । कालू भण्डारी का जोंखा41 बबरैन42 , वैकी छाती का बाल जजरैन43 । उठाये तब्री वैन नंगी शमशीर , चली गये हैका शैर भडू साधण । इतना मा गंगाड़ी हाट44 को रूपू , आये ध्यानमाला मांगण । ब्यौ को दिन तब निच्छै ह्वै गये पकोड़ा पकीन , हल्दी रंगीन , नवली गढ़ मा कनौ उच्छौ45 छाये । कालू भण्डारी लड़दू रैये भडू का सात , तैका कानू मा खवर नी पौंछी । पिता की मरजी , अपणी नी छै वीं की , करांदी46 छ किराँदो47 वा नौनी ध्यानमाला । तब सुमिरण करदे वा कालू भण्डारी , तेरी मेरी प्रीत दूजा जनम ताई । किसमत फूटे मेरी विधाता , जोडी को मलेऊ फंट्याओ । तब दैखे वैन ध्यानमाला रोणी छै बराणी । जाणी याले वैन होई गये कुछ खटको , रौड़दोदौड़दो आये माला का भौन । हे मेरी माला , क्या सोची छयो मैन , अर क्या करी गये दैव ? कालू भण्डारी , हे कालू भण्डारी , मेरा पराणू को प्याो होलो कालू भण्डारी । मेरो सब कुछ तू छ , मैं छऊँ तेरी नारी । देखे वीन कालू भण्डारी , क्वांसी48 आँख्योंन , हाथ बुरैया49 छा वैका , खुटा50 छा फुक्यां51 , काडो52सी होयूं छौ वो सूखीक । मेरा बाबा येन कतना तरास सहे ? गला लगाये वींन तब कालू भण्डारी , मरण जिऊण मैंन येक ही जाण । तब बोलदू कालू भण्डारी : तेरी माया ध्यानमाला मैंकू स्वर्ग का सामल53 । कु जाणी क्या हेन्द विधाता की लेख , पर मैं औलू व्यौ का दिन , तू मेरी माला आखरी फेरो ना फेरी । तब वखन चलीगे वो कालू भण्डारी । कुछ दिन बाद आये ब्वौ को दिन , गंगाड़ीहाट मा तब बरात सजे , ब्यौ का ढोल दमौऊँ धारू गाडू गाजीन । नवलीगढ़ राज मा भी बजदे बड़ई , मंगल स्नान होंदू , माला लैरेन्दी54 पैरेन्दी , धार55 मा गँणी56 सी देखेदी माला । बोलदी तब वींकी जिया57 मुल58 हैंसी , ध्यानमाला होली राजौं का लैंख59 । गंगाड़ोहाट का रूपू गंगसारा की तब नबलीगढ़ बरात चढ़े । मँगल पिठाई होये , षट रस भोजन । तब व्यौ को लगन आये , फेरों की बगत , छं फेरा फेरीन मालान , सातों नी फेरे मैं अपणा गुरू देखण देवा । तबरेक60 ऐ गये तख साधू एक , कालू भण्डारी छ कालू भण्डारी , पछाणीयाले61 मुखड़ी वैकी मालान वीं की आँख्यों मा तब आस खिलीगे , प्रफूल ह्वैगे तब वा ध्यानमाला मेरा गुरू जी होला तरवारी62 नाच का गुरू , मैं देखणू चाँदऊँ जरा नाच आज ऊँको । तब गुरूसाधु वेदी का धोर63 ऐगे , नंगी शमशीर चमकाई वैन , एक फरकणा64 फुन्डो65 मारी , एक मारे उन्डो66 पिंडालू67 सी काटीन वैन , मोदड़ा68 सी फाड़ीन । कुछ भागीन , कुछ मान्या गईन , मान्या गये वो रूपू गंगसारो भी । तब वख मू ध्यानमाला ही छुटी गये । लौटी औन्दू तब वीं मू कालू भण्डारी ओ मेरी माला आज जनम सुफल होये , अगास69 की जोन70 पाये मैंन फूलूसी डाली । तब जुकड़ा71 लेगे हाथू मा धरीले वा आज मेरा मन की मुराद पूरी होये । तबरे लुक्यूँ उठे रूपू को भाई लूला गंगोला वैको नऊँ छयो मारी दिने वैन कालू भण्डारी धोखा मा । रोये बराये तब राणी ध्यानमाला , भटके जनी ऊखड़72 सी माछी । मैं क तैं पायूँ सोहाग हरचे73 , मैंक तैं मांगी भीख खतेण74 , कनो मैंक तई दैव रूठे ? रखे दैणी जंगापर वींन कालू को सिर , बाई जांग पर धरे वो रूपू गैगसारो । रौंदी बरांदी चढ़े चिता ऐंच , सती होई गये तब ध्यानमाला",garhwali-gbm "जेरेमा रेपे डो कोवा हेचकेन जेरेमा रेपे डो कोवा हेचकेन जेरेमा रेपे डो कोवा हेचकेन आम्बे नी पाला रोकोमा रोको डो साडी मारे आम्बे नी पाला रोकोमा रोको डो साडी मारे देठ जाने डो भूट जाने देठ जाने डो भूट जाने डोरानी आम्बे पाला रोकामारो कोडो साडी मारे डोरानी आम्बे पाला रोकामारो कोडो साडी मारे स्रोत व्यक्ति संगीता , ग्राम कुकड़ापानी",korku-kfq "किसिआं बान्ना हे न्योंदिए किसिआं बान्ना हे न्योंदिए घर किसिआं के हे जा यू बनवाड़ा हे न्योंदिए सिरी राम बन्ना हे न्योंदिए घर राम जी के हे जा यू बनवाड़ा हे न्योंदिए फीडे मारे हे मोचड़े चाले हे नान्हड़ी चाल चादर ओढ़े ए तीन पटी बैठ भाईआं के हे बीच यू बनवाड़ा हे न्योंदिए",haryanvi-bgc "ताकतवर बलवान बना ताकतवर बलवान बना , क्यूं भुंडी सकल बनाई रे के बुज्झेगा मन मेरे की घणी मुसीबत आई रे दइ्र खुदा ने टांग बड़ी जो दो दो गज तक जाती रे ऊपर बोज्झा लदे घणा जब तीन तीन बल खाती रे पेट उभरमा छाती चठमा इडर से सज जाती रे लगें रगड़के इडर के ना मिलता कोई हिमाती रे धन धन तेरे नाती तेरी माता बाबल भाई रे के बुज्झेगा मन मेरे की घणी मुसीबत आई रे",haryanvi-bgc "तेरे माथे मुकुट विराज रह्यौ श्री गोवर्धन महाराज , महाराज तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ तौपे पान चढ़े , तौपे फूल चढे़ , तो पै पान . . . और चढ़े दूध की धार , हाँ धार । तेरे माथे . तेरे गले में कण्ठा सोह रह्यौ , तेरे गले में . . . तेरी झाँकी बनी विशाल , विशाल , तेरे माथे मुकुट विराज रह्यौ । श्री . तेरी झाँकी बनी विशाल , विशाल , तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ । श्री . तेरी सात कोस की परिक्रमा , तेरी सात . . . चकलेश्वर है विश्राम , विश्राम तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ ॥ श्री .",braj-bra "गगा को मान बड़ा भारी गंगा को मान बड़ा भारी , चलो बहनों मुक्ती सुधारी । तारन के लाने सहज में न आई , तप करके भागीरथ निकारी । चलो दीदी . . . . गंगा की धार शम्भू रोकी जटन में भोला शिवत्रिपुरारी । चलो दीदी . . . . तीरथ व्रत ऐसे चारों तरफ हैं गंगा की महिमा है न्यारी । चलो दीदी . . . . जावे के लाने कछु अड़चन नैयां दिन भर चले मोटर गाड़ी । चलो दीदी . . . . गंगा जी जावें परम गति पावें मन में विश्वास करो भारी । चलो दीदी . . . . गंगा जी जावे खों सब कोई विचारे भागों से मिले तारन हारी । चलो दीदी . . . .",bundeli-bns "परोस दिये भाजी लड्डू पूरी पकवान जी परोस दिये भाजी लड्डू पूरी पकवान जी जीमो जीमो समधी पंच पकवान जी बताओ बताओ समधी अपनी बात जी मां हमारी चांदनी और बाबुल पूनो का चांद जी हमारे सारे भाई राज कुंवर बहन रानी राधिका जी बहू हमारी चम्पा की कली सोभा है रनिवास की मां तुम्हारी नटनी और बाप तुम्हारा बटुआ जी तुम सारे भाई बनजारे बहन तुम्हारी बांदियां सी जी",haryanvi-bgc "नाचो डी टेन हाजे डाई नाचो डी टेन हाजे नाचो डी टेन हाजे डाई नाचो डी टेन हाजे नाचो डी टेन हाजे डाई नाचो डी टेन हाजे नाचो डी टेन हाजे डाई नाचो डी टेन हाजे आमा कोन डो आमा किमिन हल्दी घाटो चोखा चावल मेंढा बोकरा समाले जे ढाई आमा बोको आमा किमिन हल्दी घाटी चोखा आमा रानी आमा कोन की हल्दी स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठ , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "लीली घोड़िया बर असबरवा लीली घोड़िया बर असबरवा , हाथ सोबरन के साँट1 हे सखी । राति देखल घर मोरे आयल , पेन्हि ओढ़ि धीय जमाइ2 हे सखी ॥ 1 ॥ औंठीपौंठी3 सूतल सारी4 सरहजबा5 पोथानी6 सूतल नीचे सास हे । ओते सुतूँ7ओते सुतूँ सासु पंडिताइन , लगि जयतो8 पेरवा9 के धूर हे ॥ 2 ॥ किया तोंहे हउ बाबू सात पाँच के जलमल , किया मलहोरिया10 तोहर बाप हे । नइ हम हिअइ11 सासु , सात पाँच के जलमल । हम हिअइ पंडितवा के पूत हे । मलहोरिया हइ12 रउरे लगवार13 हे ॥ 4 ॥ अइसन जमइया माइ हम न देखलूँ , रभसि रभसि14 पारे गारी हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "पातर-पातर गोरिया के पतरी कमरिया पातरपातर गोरिया के पतरी कमरिया मोर सँवरिया रे पतरी डगरिया धैले जाय पातर लपलप गोर पतरी अंगुरिया मोर सँवरिया रे लचकत पनिया के जाय सड़िया के आरीआरी गोटवा के जारी मोर सँवरिया रे मटकत रहिया के जाय गावेले महेंदर मिसिर दूहो रे पुरुबिया मोरे सँवरिया रे , देखते में जिया ना अघाय ।",bhojpuri-bho "तेरौ जनम सुफल है जाय तेरौ जनम सुफल है जाय लगायलै रज ब्रजधाम की । टेक । काट दें पाप तेरे ब्रजराज , लगाय लै परिकम्मा गिर्राज बनें सब तेरे बिगड़े काज । दोहा काम तेरे बिगड़े सभी , दें बनाय वृजचन्द । करते भव से पार हैं , वे माधवचन्द मुकुन्द ॥ हृदय के पट खोल और , करि झाँकी श्याम की ॥ 1 ॥ मानसी गंगा कर स्नान , प्रेम से चरनामृत कर पान , लगा मंसा देवी से ध्यान । दोहा दर्शन कर महादेव के , पूरन करें मुराद । चकलेश्वर महादेव जी , हरें तेरी सब व्याधि ॥ हरें तेरी सब व्याधि , लगा लौ तू शिव नाम की ॥ 2 ॥ दान घाटी पै दूध चढ़ाय , प्रेम सै दै परसाद लगाय , बाँट विप्रन को भोग उठाय । दोहा परिकम्मा कर नेम से , सात बार तू यार । दण्डौती कर प्रेम से , है जाय भव से पार ॥ हे जाय भव से पार , लगा रट तू राधेश्याम की ॥ लगाय लै गोता चलती टैम , धार कै हर पूनों कौ नैम , करियो दर्शन उठिते खैम । दोहा कीने जितने पाप हैं , धुलें सभी अज्ञान । कामक्रोध और मोह को तजि मुरख नादान ॥ कहते ‘गेंदालाल’ भजन कर पुतली चाम की ॥",braj-bra "अफई उफून मोनई तुरीया अफई उफून मोनई तुरीया अफई उफून मोनई तुरीया लिजा टियानेन इनी का टइईया लिजा टियानेन इनी का टइईया पोलका टियायेन इनी का टड़ईया पोलका टियायेन इनी का टड़ईया बिगड़ी फड़ीयेन इनी का टड़ईया बिगड़ी फड़ीयेन इनी का टड़ईया जाम लज्जेन इनी का टड़ई जाम लज्जेन इनी का टड़ई जाम लज्जेन इनी का टड़ई स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "इंज सेनेवा सेनेवा जा राजा गावां सिरेन इंज सेनेवा सेनेवा जा राजा गावां सिरेन इंज सेनेवा सेनेवा जा राजा गावां सिरेन गाना बजना जा सेने बोले गाना बजना जा सेने बोले बाकीमा सेने इयां रानी गावां सिरेन बाकीमा सेने इयां रानी गावां सिरेन गाना बजना डो बाकी सेने गाना बजना डो बाकी सेने गाँव का लोग जले डो रानी गावां सिरेन गाँव का लोग जले डो रानी गावां सिरेन गाना बजना डो बाकी सेने गाना बजना डो बाकी सेने जलने वालों को जलन दे राजा जलने वालों को जलन दे राजा बोलने वालों को बोलन दे राजा बोलने वालों को बोलन दे राजा गावां सिरेन गाना बजना जा इंज सेने गावां सिरेन गाना बजना जा इंज सेने बाकीमा सेने इयां डो रानी बाकीमा सेने इयां डो रानी बालेमा बोले इयां बारेन डो डो डो मारे बालेमा बोले इयां बारेन डो डो डो मारे बाकीमा सेने इयां डो रानी आमा जाने इयां जाने बाकीमा सेने इयां डो रानी आमा जाने इयां जाने कलंगी बारे डो हाजे बोले कलंगी बारे डो हाजे बोले स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "192 डारां खूबां दीयां मेलणां दे मेल आइयां हूरपरी दी होश गवांदियां ने लख जटियां मुशक पलटियां ते आण पदमनी वाग सुहांदियां ने बारां जात ते सत सनात1 ढुकी रंग रंग दीयां सूरतां आंदियां ने परीजात जटेटियां नैण खूनी नाल हेक महीन दे गानदियां ने उते भोछन सन पंज पलिए2 दे अते लुंगियां तेड़ झनादियां ने नाल आरसी मुखड़ा देख सुन्दर खोल आशकां नूं तरसांदियां ने इक खेल चादरां कढ छाती उपर वाड़यां झातियां पांदियां ने इक वांग बसातियां3 कढ लाटू वीराराध4 दी नाफ5 दिखांदियां ने इक ताड़ी मारदियां नचदियां ने इक शौहदियां घाड़ियां गांदियां ने इक गायके कोइयां काग होइयां इक राह विच दोहरे लांदियां ने इक आखदी मोर ना मार मेरा इक विच मसोलड़ा6 गांदियां ने वारस शाह जिउ शेरगड़ कपट मेटन लख सगतां जिआरातां आंदियां ने",panjabi-pan "केकर रोवले गँगा बही गेल, केकर रोवले समुन्दर हे केकर1 रोवले गँगा बही गेल , केकर रोवले समुन्दर हे । केकर रोवले भिजलइ चदरिया , केकर अँखिया न लोर2 हे ॥ 1 ॥ अम्माँ के रोवले गँगा बही गेल , बाबूजी के रोवले समुन्दर हे । भइया के रोवले भिंजले चदरिया , भउजी के अँखिया न लोर हे ॥ 2 ॥ कवन कहल बेटी रोज रोज अइहें , कवन कहले छव मास हे । कवन कहले भउजी काज परोजन3 कवन कहले दूरि जाहु4 हे ॥ 3 ॥ अम्माँ कहले बेटी रोज रोज अइहें , बाबूजी कहले छव मास हे । भइया कहले बहिनी काज परोजन , भउजी कहलन दूरि जाहु हे ॥ 4 ॥ का तोरा भउजी हे नोन5 हाथ देली , न देली पउती6 पेहान7 हे । का तोरा भउजी हे चूल्हा चउका रोकली , काहे कहल दूरि जाहु हे ॥ 5 ॥",magahi-mag "समझा ले अपनो लाल री समझा ले अपनो लाल री मेरी छुप गयो आज अटरिया में मैं गोबर गेरन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मेरो गोबर को तो गोबर बखेरो धर गयेा डुक्क कमरिया में समझा ले अपनो लाल री . . . मैं पानी भरने जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मेरो पानी को तो पानी पीयो मेरे कर गयो छेद मटकिया में समझा ले अपनो लाल री . . . मैं दूध बिलोवन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मक्खन को मक्खन खायो मेरी कर गयो छेद मटकिया में समझा ले अपनो लाल री . . .",haryanvi-bgc "रलियो मांडपड़ो सुवावणो जी जी ओ पेलो यो खंब मोती भर्योजी जी ओ दूसरो यो खंब हीरा भर्योजी जी ओ रचो म्हारे मांडप हेट आज रलीयो मांडपड़ो सुवावणोजी । जीओ तीसरो यो खंब चोखा भर्योजी जी ओ चोथो यो खंब कंकु भर्योजी रचो म्हारा मांडपड़ा हेट रलीयो मांडपड़ो सुवावणोजी । जीओ पांचमो यो खंब सुपारी भर्योजी जीओ छटो यो खंब नारेलाँ भर्योजी जीओ रचो म्हारा मांडवा हेट रलीयो मांडपड़ो सुवावणोजी । जीओ सातमो यो खंब हलदी भर्योजी जीओ आठमो यो खंब लोगाँ भर्योजी जीओ रचो म्हारा मांडवा हेट रलीयो मांडपड़ो सुवावणोजी । जीओ नवमो यो खंब डोड़ा भर्योजी जीओ रचो म्हारा मांडवा हेट रलीयो मांडपड़ो सुवावणोजी ।",malvi-mup "449 सहती आखया पेट ने खुआर कीता कणक खा बहिश्त थी कढया ए आई मैल तां जनत तों मिले धके रसा आन उमैद दा वढया ए आख रहे फरिशते कणक दाना नहीं खावना हुकम कर छडया ए सगों आदम ने हव्वा नूं खुआर कीता साथ उसदा एस ना छडया ए वारस किसे दा असां ना बुरा कीता ऐवें नाम जहान तों छडया ए",panjabi-pan "नाना म्हारा का ठुमक्या पांय नाना म्हारा का ठुमक्या पांय , ठुमुक ठुमुक भाई वाड़ी मऽ जाऽय । वाड़ी मऽ का वनफल तोड़ तोड़ खाय , एतरा मंऽ आई गई मालेण मांय । मालेण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल , रड़ऽ कुढ़ऽ रे म्हारो नानो भाई । रस्ता मऽ मिली गई भूआ मांय , क्यों रड़ऽ रे म्हारा नारा भाई । नाना भाई नऽ तोड़ी लिया कमल का फूल , मालेंण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल । लऽ वो , मालण मांय , थारा कमल का फूल , दऽ म्हारा नाना का झगा नऽ झूल ।",nimadi-noe "माता यसोदा दही बिलोवे माता यसोदा दही बिलोवे कान्हूड़ो राड़ मचावै दही को सपड़को कान्हे ने भावे ले ले रे कान्हा दही रे गोड़ियो बाहर सूँ बाबो नन्द जी आयो तेरी कान्हूड़ो बहुत हठीलो हार तोड़े मोती मांगे बालूड़ो",haryanvi-bgc "365 मान मतिए रूप गुमान भरिए भैड़े कारीए गरब गहेलीए नी एडे फंद फरेब ने याद तैनूं किसे वडे उस्ताद दी चेलीए नी एस हुसन दी ना गुमान करीए मान मतीए गरब1 गहेलीए नी तेरी भाबी दी नहीं प्रवाह सानूं वडी हीर दिये अंग सहेलीए नी मिले सिर नूं ना विछोड़ दईए सगों विछड़े सिरां नूं मेलीए नी केहा वैर फकीर दे नाल चायो पिछा छड अनोखिए लेलीए नी",panjabi-pan "531 चुप हो जोगी सहज बोलया ए जटा कास नूं पकड़यो काहियां नूं असीं छड जहान फकीर होए एहनां दौलतां ते बादशाहियां नूं याद रब्ब दी छड कके करन झेडे ढूंढ़न उडदियां छड के फाहियां नूं तेरे नाल ना चलियां नफा कोई मेरा इलम ना फुरे वियाहियां नूं रन्न सचियां नूं करन चा झूठे रन्नां कैद करांदियां राहियां नूं वारस कढ कुरान ते बहें मिंबर1 केहा अडयो मकर दियां फाहियां नूं",panjabi-pan "मुरलिया बाजे जमुना तीर मुरलिया बाजे जमुना तीर बंशी बाजी जमुना तीर हाथों के गहिने राधा पैरों में पहिने ओढ़ आई उल्टा चीर रे । मुरलिया . . . संग की सहेली मैंने कुआओं पे छोड़ी छोड़ आई कुल की रीति रे । मुरलिया . . . सास ननद मैंने सोवत छोड़ी छोड़ आई साजन और बीर । मुरलिया . . . ऐसे प्रेम रंगे सब मोहन बिनती करूं मैं रघुबीर । मुरलिया . . .",bundeli-bns "बाजरा कह मैं बड़ा अलबेल्ला बाजरा कह मैं बड़ा अलबेल्ला दो मुस्सल तैं लडूं अकेला जै मिरी नाजो खिचड़ी खाय फूलफाल कोठी हो जाय",haryanvi-bgc "505 बारां बरस दी औड़ सी मिह बुठा लगा रंग फिर खुशक बगिचियां नूं फौजदार तगयार बहाल होया बांझ तंबूयां अते गलिचियां नूं बाहियां सुकियां सबज मुड़ फेर होइयां एस हुसन जमीन नूं सचियां नूं वारस वांग किशती परेशान हां मैं पानी पहुंचया नूंह दे टिचियां नूं",panjabi-pan "तैं कित पर पाओं पसारा ए? तैं कित पर पाओं पसारा ए ? कोई दम का एहना गुज़ारा ए । तैं कित पर पाओं पसारा ए ? इक्क पलक छलकदा मेरा ए । कुझ कर लै एहो वेला ए । इक्क घड़ी गनीमत दिहाड़ा ए । तैं कित पर पाओं पसारा ए ? इक्क रात सराँ दा रहणा ऐं । एत्थे आकर फुल्ल ना बहणा ऐं । कल्ल सभ दा कूच नकारा1 ए । तैं कित पर पाओं पसारा ए ? तूँ ओस मकानों आया ऐं । एत्थे आदम2 बण समाया ऐं । हुण छड्ड मजलस कोई कारा ए । तैं कित पर पाओं पसारा ए ? बुल्ला सहु एह भरम तुमारा ए । सिर चक्केआ परबत भारा ए । ओह मंज़ल राह ना खाहड़ा ए । तैं कित पर पाओं पसारा ए ? तैं कित पर पाओं पसारा ए । कोई दम का एहना गुज़ारा ए ।",panjabi-pan "लाडो खेलै लौंग के बिरवे तल लाडो खेलै लौंग के बिरवे तल तेरे दादा ने लयी है बुलाय चलो बीबी महलों में तेरे बाबुल ने लयी है बुलाय चलो बीबी महलों में तेरे मामा ने लई है बुलाय चलो बीबी महलों में तेरी सजती सी आवै बारात चलो बीबी महलों में तेरे बजते से आवै निसान तेरे उड़ते से आवै गुलाल चलो बीबी महलों में तेरा घोड़े पै सज रहा दूल्हा पीछे बराती आवै साथ चलो बीबी महलों में",haryanvi-bgc "एक माय का पाँची ही पूतां एक माय का पाँची ही पूतां पांची का मता जुदाजुदा पेलो पंडित के , में कासीजी जाऊँ गंगा में न्हाऊँ , बिस्वनाथ भेंटूं जेका धरम से में उद्धरूँ दूसरो पंडित के में उज्जण जाऊँ अवंती में न्हाऊँ , महाकाल भेंटूं जेका धरम से में उद्धरूँ तीसरो के में बाग लगाऊँ तुलसा परणाऊँ , बामण जिमाऊँ जेका धरम से में उद्धरूँ चौथे पंडित के में बेण परणाऊँ भाणेज परणाऊँ , जात जिमाऊँ जेका धरम से में उद्धरूँ पांचवों पंडित कईये नी जाणे पेट भरी ने धंदो करूँ हरहर जिवड़ा तू रयो रे उदासी रयो रे लुभासी बरत न कियो रे एकादशी बरत एकादशी , धरम दुवादसी तीरथ बड़ो रे बनारसी एकादशी ना डाड़े जीमे छें थूली अंतकाल प्रभु मारग भूली एकादशी ना डाड़े जीमे छे खिचड़ी अंतकाल प्रभु मेले बिछड़ी एकादशी ना डाड़े पोड़ेढोले अंतकाल प्रभु अवगत डोले व्दासी ना डाड़े जीमे छे भाजी अंतकाल प्रभु नइ्र छे राजी व्दासी ना डाड़े जीमे छे कांसे अंतकाल प्रभु मेले सांसे व्दासी ना प्रभु डाड़े जीमे छे चोखा अंतकाल प्रभु मारग सीधा घी बिना धरम ना होय हो पंडित जी पत्र बिना कुल ना उद्धरे घृत बिना होम ना होय हो पंडित जी तिल बिन ग्यारी न होय मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणा चित लागी",malvi-mup "पाणी पिला दे भरतार पाणी पिला दे भरतार तिसाई मर गी खेत मैं कोड्डी तो हो के पी ले नार पाणी तो भर रह्या लेट मैं क्यूं कर पिऊं भरतार छोरट ते मेरे पेट में न्यूं तो बता दे मेरी नार किस ने तौं घाली खेत मैं बड़िये जिठाणी चकचाल जेठै ने घाली खेत मैं",haryanvi-bgc "धार नगर का पापी हो राजा धार नगर का पापी हो राजा उन मेरी सेवा नई कर जाणी करवा नगर का ठाकुर उन मेरी सेवा नई कर जाणी उन मेरी पाठ बंचाया उन मेरी ओढ़नी ओढ़ाई उन मेरी होम करायो धार नगर का पापी राजा उन्होंने मेरी सेवा करना नहीं जानी करबा नगर का ठाकुर उन्होंने मेरी सेवा करना जानी उन्होंने पाठ कराया उन्होंने ओढ़नी ओढ़ाई उन्होंने हवन कराया",malvi-mup "होरे कू खाडू रुड मा रुड आजे डो होरे कू खाडू रुड मा रुड आजे डो होरे कू खाडू रुड मा रुड आजे डो जल्मी आयोम सोने की किवाडू खोलो जल्मी आयोम सोने की किवाडू खोलो हीरा लाल टेगेनवा डो जल्मी आयोम हीरा लाल टेगेनवा डो जल्मी आयोम स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "ननदी अँगनमा चनन केरा हे गछिया ननदी अँगनमा1 चनन ेकरा2 हे गछिया । ताहि चढ़ि बोलय कगवा कुबोलिया ॥ 1 ॥ मारबउ3 रे कगवा हम भरल बढ़निया4 । तोहरे कुबोली बोली पिया5 गेल परदेसवा हमरा के छोड़ि गेल अपन कोहबरवा ॥ 2 ॥ काहे लागी मारमें6 गे भरल बढ़निया । हमरे बोलिया औतन7 पिया परदेसिया ॥ 3 ॥ तोहरे जे बोलिया औतन पिया परदेसिया । दही भात मिठवा8 खिलायम9 सोने थरिया10 ॥ 4 ॥ उड़ि उड़ि कगवा हे गेलइ नीम गछिया । धम से पहुँची गेलइ पिया परदेसिया ॥ 5 ॥",magahi-mag "सासु मोरा मारे राम बाँस के छिऊकिया सासु मोरा मारे राम बाँस के छिऊकिया मोर ननदिया रे सुसुकत पनिया के जाय छोटेमोटे पातर पियवा हँसि के ना बोले मोर ननदिया रे से हू पियवा कहीं चलि जाय गंगा रे जमुनवा के चिकनी डगरिया मोर ननदिया रे पैयाँ धरत बिछलाय कहत महेंदर श्याम इहो रे पुरुबिया मोर ननदिया रे पिया बिनु रहलो ना जाय",bhojpuri-bho "253 जोग करन सो मरन थीं होए असथिर जोग सिखीए सिखना आया ई निहचा धार के गुरु दे सेव करिये एह भी जोगियां दा फरमाया ई नाल सिदक यकीन दे बन्न तकवा धन्ने पथरों रब्ब नूं पाया ई मैल दिल दी धो के साफ कीती तुरत गुरु ने रब्ब मिलाया ई बचा सुनो इस विच कलबूत खाकी सचे रब्ब ने थां बनाया ई वारस शाह मियां हमाओसत1 जापे सरब्ब मय भगवान नूं पाया ई",panjabi-pan "अंजन की सीटी में अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले बीजळी को पंखो चाले , गूंज रयो जण भोरो बैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो चला चला रे . . . डूंगर भागे , नंदी भागे और भागे खेत ढांडा की तो टोली भागे , उड़े रेत ही रेत चला चला रे . . . बड़ी जोर को चाले अंजन , देवे ज़ोर की सीटी डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी चला चला रे . . . जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी चला चला रे . . . शब्दार्थ : डलेवर ड्राईवर गाबा गाने लगना डूंगर पहाड़ नंदी नदी ढांडा जानवर जद जब जदी , जर और जण भी कहा जाता है असी ऐसा , इतना",rajasthani-raj "मेरी बावन गज की बूंद मेरी बावन गज की बूंद सास डीब के बीच धरी हे री डीबे के बीच धरी ओढ़ पहर पाणी जां सास पाड़छे में आण खड़ी हे री पाड़छे में आण खड़ी पाणी भर के उल्टी आऊं , सास सन्टर के बीच खड़ी हे री सन्टर के बीच खड़ी सासू जल्दी सी दौघड़ तार मेरी तो नाड़ी छूट लई हे री नाड़ी छूट लई बाहरणै ते आया भरतार आज मां किसी खाट घली हे री किसी खाट घली बेटा कहूं कही ना जा तेरी नोटंकी के नजर हुई तेरी रे नोटंकी नजर हुई बैदा लेले डेढ़ हजार मेरी नौटंकी नै कर दै खड़ी हे रे नौटंकी करदे खड़ी बच्चा पीसा ल्यूं ना एक तेरी नौटंकी मरी पड़ी हे रे नौटंकी मरी पड़ी तनै याके करी भगवान मेरी तो माया लूट लई हे रे माया लूट लई म्हारी सास केसी जोट आज इकले नै छोड़ चली हे रे इकलै ने छोड़ चली पिलंग्या पै सोवण आली आज धरती में ल्हास पड़ी हे री धरती में ल्हास पड़ी तेरा देबी बरगा रूप मुट्ठी भर राख होई हे रे मुट्ठी भर राख होई",haryanvi-bgc "बागां मैं दुख सै बगीचां मैं दुख सै बागां मैं दुख सै बगीचां मैं दुख सै पेड़ कटै ए जद डालिआं मैं दुख सै न्यूं मत जाणै ए बेबे तालां मैं दुख सै ए कलिआं मैं दुख सै ताल सुखए जद मछिआं मैं दुख सै न्यूं मत जाणै ए बेबे राणी मैं दुख सै रोहतास मैं दुख सै भंगी घर पाणी भरै राजा मैं दुख सै न्यूं मत जाणै ए बेबे राम मैं दुख सै ए लिछमन मैं दुख सै सीता हड़ी ए जद रावण मैं दुख सै न्यूं मत जाणै ए बेबे",haryanvi-bgc "तिलकी परन तिलन सें हलकी तिलकी परन तिलन सें हलकी , बाँय गाल पै झलकी । मानौ चुई चाँद के ऊपर । बुंदकी जमना जल की । मानों फूल गुलाब के ऊपर , उड़ बैठन भई अलकी । के गोविन्द गुराई दै कैं । बैठ गये कर छलकी । जी में लगी ईसुरी जी के , दिल के दाब अतल की ।",bundeli-bns "कहमा उपजल झालर गुअवा कहमा उपजल झालर गुअवा , कहमा डाटरि पान इहो पान खैता रानू सरदार रंगौता बतीसो मुख दाँत सातो बहिन मंे कोसिका दुलारि छलै तकरे से रंगाबै रानू दाँत देखहोदेखहो आहे पिया दाँत केर जोतिया देखे देहो अपनी सुरतिया अखनी ने देखे देबौ सुरतिया घर में छै माय हे बहिन जखनी जे देखे देबौ दाँत केर जोतिया तोहरा से होइतै पिरीत ।",angika-anp "सिया खड़ी पछताय कुस बन में हुए सिया खड़ी पछताय कुस बन में हुए जो यहां होती ललना की दाई ललना देती जमाय सूरज देती पजाय मुन्ना लेती खिलाए । कुस बन में हुए । । जो यहां होती ललना की नायन मंगल देती गवाय चौक देती पुराय न्हान देती नहलाय । कुस बन में हुए । । जो यहां होती ललना की दादी चरुए देती धराय , खुसियां लेती मनाय बाजे देती बजवाय । कुस बन में हुए । । जो यहां होती ललना की चाची पलंगा देती बिछाय दीपक देती जलाय घुट्टी देती बनाय । कुस बन में हुए । । जो यहां होती ललना की ताई ललना लेती खिलाय मोहरें देती लुटाए नेग देती दिलाय । कुस बन में हुए । । जो यहां होती ललना की बुआ सतिये देती धराय काजल देती लगाय दूध देती पिलवाय । कुस बन में हुए । ।",haryanvi-bgc "बसती बसत लोग बहुतेरे बसती बसत लोग बहुतेरे । कौन काम के मोरें । बैठे रहत हजारन को दी , कबऊँ न जे दृग हेरे । गैल चलत गैलारे चर्चे , सब दिन साझ सबेरे । हाय दई उन दो ऑखन बिन , सब जग लगत अँधेरे । ईसुर फिर तक लेते उन खाँ वे दिन विध ना फेरे ।",bundeli-bns "घर घर डोलऽहे नउनियाँ, त हाथ ले महाउर हे घर घर डोलऽहे1 नउनियाँ , 2 त हाथ ले महाउर3 हे । राजा , मोरा तूँ रँगा दऽ पियरिया4 महल उठे सोहर हे ॥ 1 ॥ जसोदा जी नंद के बोलाय के सभे हाल पूछल हे । राजा , गुनी5 सभ अधिको न जाँचथि , हिरदा जुड़ाइ देहु6 ना ॥ 2 ॥ नंद कयलन धनदान से7 मन हरखायल हे । गेयानी गुनी सभ भेलन नेहाल8 अउरो कुछ चाहिए हे ? ॥ 3 ॥ किया तोरा चाह हउ9 नउनियाँ , माँगु मुँह खोली खोली गे । नउनियाँ , देबऊ में अजोधेया के राज , आउरो कछु चाहही10 गे ॥ 4 ॥ हँसि हँसि बोलहइ नउनियाँ त सुनहु बचन मोरा हे । राजा हम लेबो सोने के सिकड़िया , अजोधेया राज की करब हे ? ॥ 5 ॥ जसोदा जी देलकन11 सिकड़िया , रोहन12 गल हाँसुल13 हे । राजा देलन पाट पिताम्बर , महल उठे सोहर हे ॥ 6 ॥ आवहु नयना14 से गोतनी अउरो सभ सुन्नर15 हे । गावहु आज बधइया , महल उठे सोहर हे ॥ 7 ॥ बूढ़ीं सूढ़ी देलकन असिसववा जुअहु16 पूत पंडित हे । ललना , सुनरी के नयना जुड़ायल लोग बाग हरखित हे ॥ 8 ॥ जे इह सोहर गावल , गाइ सुनावल हे ललना जलम जलम अहियात , पुतर फल पावल हे ॥ 9 ॥",magahi-mag "तूं क्यूँ रे पूत अकेलड़ा तेरा लाखी रे दादा तेरे साथ तूं क्यूँ रे पूत अकेलड़ा तेरा लाखी रे दादा तेरे साथ नौरंग रचा तेरा सेहरा तंू क्यूं रे पूत अकेलड़ा तेरा काका रे ताऊ तेरे साथ नौरंग रचा तेरा सेहरा तूं क्यूं रे पूत अकेलड़ा तेरा लाखी रे बाब्बू तेरे साथ नौरंग रचा तेरा सेहरा तूं क्यूं रे पूत अकेलड़ा तेरा लाखी रे फूफा तेरे साथ नौरंग रचा तेरा सेहरा तूं क्यूं रे पूत अकेलड़ा तेरे भाइयां की जोड़ी तेरे साथ नौरंग रचा तेरा सेहरा",haryanvi-bgc "गाली गीत काकड़ी नो वेलों , खड़ोखड़ो वाजे । याहिणिंक ढुके ते , घमघुले वाजे । बेनो निहिं मान्यो ने , भिलड़ा मा लायो । बेनो निहिं मान्यो ने , दात्याला मा लायो । बेनो निहिं मान्यो ने , डाहवाला मा लायो । बेनो निहिं मान्यो ने , ढुमाला मा लायो । बेनो निहिं मान्यो ने , दारूड्या मा लायो । ककड़ी का वेला खड़खड़ बज रहा है , समधन को ठोकें तो धमाधम आवाज आ रही है । बना नहीं माना अपनी मर्जी से लाड़ी पसंद की और ‘भिलड़ो’ में ले आया अर्थात्व्य वहार अच्छा नहीं है । बना नहीं माना , दाताकच्ची करने वालों में ले आया । घमंडियों में ले आया । धूम करने वाले घमंडियों में ले आया , दारू पीने वालों में ले आया ।",bhili-bhb "नागरजा केको भाग लालो , केन करलो स्नान । तब बोदा सांवल भगीवान तेरा बांजा वैराट मौसा , मैं चलदू बणौल । यनी फैलाये भगवानन लीला गायों का करेन गोठ , भैसू का खरक नन्दू का यख लगीन दूध का धारा । दूध का लगीन , नाज का कोठारा1 । बालपन मा ही बणी गये कृष्णा नन्दू को ग्वैरे2 , गायों को गोपाल । गऊ चुगौंदू मोहन , वांसुली बजौंदू । चला भाई ग्वैर छोरौं , मथुरा वृन्दावन , बांसुली बजौला , कौथीक3 करला । तब बजाई कृष्णा त्वैन मोहन मुरली , तेरी मुरली सुणीक कामधेनुन चरणो4 छोड़याले , सभी ग्वैर छोरा मोहित करयाला । कुन्दन शैर मंग तेरी मुरली सणी , रुक्मणी रोज रंदी सुणन लगीं । कोंपलू5सी फलरुक्मणि सोना कीसी टुकड़ी । तालसी माछी6 , सरप कीसी बच्ची । सुण्याले तैंन मुरली अनबन7 भांती , मन होइगे मोहित , चित चंचल । भौ8 कुछ होई जाई मैंन मुरल्याक9 जाण । एसी एकी बांसुली अफू10 कनू होलू ? पाणी कीसी बूंद की , नौण11सी गोंदकी , तै दिन वा रुकमणि लैरेन्दी12 पैरेन्दी , चलदी चलदी आइगे अघबाट । कृष्ण भगवान इना रैन छली , बीच बाट मां नदी दने उपजाई । अफू ह्वैगे भगवान धुनार13सी लम्बो । लुहारसी कालो , भाड़ कोसी मुछालो14 । तबरेकरुकमणि भली बणीक बांद तख15 मुंग16 एक बोलण लैगे हे धुनार छोरा तराई17 दियाल18 । तराई क्या लेण छोरा तराई बोल्याल ? तराई क्या बेल्ण मैंन , भौं कुछ19 दियान । जनानी की जात , डोंडा20 मा बैठीगे , आधी गाड बीच कृष्ण भगवान डोंडू खडू21 करयाले , पाणी मा छोड़याले । हे धुनार छोरा , मैं पल्या22 छोड़ गाड । पाल्या छोड़ लिजौलू त्वे , पैले23 तराई दियाल । कनु छै तू धुनार , अधबीच तराई तू लेन्दू , हजारू को धन दिउलू करोडू की माया । सुण सुण रुकमणी हजारू को धन , नी मांगदू , न करोड़ की माया । जरा रुबसी24 घीचीन25 राणी मैं भेना26 बोल्याल । हि रि27 रि कैक डोंडू लैगे बगण28 , डोंडू बगण लैगे , दिल लैगे डिगण । तै दिन रुकमणि राणी रोंदी छ तुडादी29 , ये काला औधूत तैं मैं भेना नी बोलौं । एक दिन संसार न मरी जाण , त्वै क तैं मैं कभी भेना नी बोलौं । डोंडा का डांड तैन ढीलो करीले , रुकमणि को शरील पंछीसी उड़ीगे । ऐथर देखदी पेथर राणी , हे भेना ठाकुर मैं पल्या छोड़ गाड । गर्वियों का गर्व तोड़या त्वैन , धजियों30 का तोड़या धज31 । तब भगवान न हैको छदम धारे , बणी गए प्रभु बांको चुरेड़32 । हाथ मा धरयालीन33 चूड़ी अनमन भांति । चूड़ी पैरयाला तुम स्वामियों की प्यारी , राजमती34 चूड़ी होली , भानुमती35 छेको36 । ढलकदी छणकदी37 रुकमणी औंदी , बोल रे बोल चुरेड़ , चूड़ियों को मोल ? तै दिन भगवान त्वैन वीं को हात पकड़याले , राजौं की कन्या छई , क्या बैन बोदी : हजारू को धन दिऊलू , करोडू की माया । हे चुरेड़े तू मेरो हात छोड़ दे । पैली मेरी चूड़ियों को मोल दियाल । सुण्याल रुकमणि , तू मैं कू रुबसी घीचीन भेना बोल्याल । नौनी रुकमणि रोंदी छ तुड़ांदी , हेरदी छ देखदी राणी तब बोदी हे मेरा भेना , मेरो हाथ छोड़याल तब ऐगी रुकमणि मथुरा वृन्दावन , देख कना ऐन गोकुल का ग्वैर । सुण रुकमणि बोद कृष्ण भगीवान् बिना ब्यौ राणी त्वै नो रखदू । कठा38 होई जावा मथुरा का ग्वैरू39 , ई का साथ मेरो ब्यौ करी देवा । ग्वैर छोरा क्वी40 बण्या बामण कुई औजी41 , घैंट्या42 केला कुलैं43 का स्तंभ , तै दिन तौंकू ब्यौ होई गये । पूतना रागसेण रदी कंस की बैण44 । कना बैन बोदू तब दुष्ट कंगस कु जालू गोकल मेरा बैरी मान्यालो ? तब पूतना रागसेण बोदेमैं जौलू गोकल मां तू मेरा बैरी मारी औली त पूतना , त्वै मैं आदा राज द्योलो । तब पूतना रागसेण तयार होये । नहेन्दी व धुयेन्दी तब वा , स्यूंद शृंगार तब सजौण लगदे । तब धरे पूतनान मोहनी को रूप , अपनी दूधियों मांज विष चारियाले , रमकदी छमकदी जांदी पूतना रागसेण , रौड़दीदौड़दी गगे गोकुल का राज । यसोदा का पास जांद मुंडली नवौदे । तब पूतना रागसेण कना बैन बोदे मैन सूणे दीदी तेरो नौनो होये । उंडो दे दी दीदी अपणा नौना , तुमारो बालक दीदी , भलो छ प्यारो । कृष्ण भगवान गोद मा गाडदे । तब पूतना रागसेण लाड करदे , हाती खुटी फलोसदी , घीची45 छ पेंदी46 । कृष्ण भगवान जी दीनू का दयाल , नरु का नारैन भक्तू का राम ।",garhwali-gbm "काया नही रे सुहाणी भजन बिन काया नही रे सुहाणी भजन बिन बिना लोण से दाल आलोणी . . . भजन बिन . . . . . . . . . १ गर्भवास म्हारी भक्ति क भूली न बाहर हूई न भूलाणी मोह माया म नर लिपट गयो सोयो तो भूमि बिराणी . . . भजन बिन . . . २ हाड़ मास को बणीयो रे पिंजरो उपर चम लिपटाणी हाथ पाव मुख मस्तक धरीयाँ आन उत्तम दीरे निसाणी . . . भजन बिन . . . ३ भाई बंधु और कुंटूंब कबिला इनका ही सच्चा जाय राम नाम की कदर नी जाणी बैठे जेठ जैठाणी . . . भजन बिन . . . ४ लख चैरासी भटकी न आयो याही म भूल भूलाणी कहे गरु सिंगा सूणो भाई साधू थारी काल करग धूल धाणी . . . भजन बिन . . .",nimadi-noe "54 केही हीर दी करे तारीफ शायर मथे चमकदा हुसन महताब1 दा जी खूनी चूडियां रात जिउं चंद दुआले सुरख जिउं रंग शराब दा जी नयन नरगसी मिरग ममोलड़े2 दे गलां टहकियां फुल गुलाब दा जी भवां वांग कमान लाहौर दिसन कोई हुसन ना अंत हिसाब दा जी सुरमा नैनां दी धार विच फब रिहा चड़या हिंदते कटक पंजाब दा जी खुली विच त्रिंजनां लटकदी ए हाथी फिरे जिउं मसत नवाब दा जी चेहरे सोहणे ते खत खाल बणदे खुशखत जिउं हरफ किताब दा जी जेहड़े देखणे दे मुशताक आए वडा फाइदा इहनां दे बाब दा जी चलो लैलतुल कदर3 दी करो जिआरत वारस शाह एह कम सबाब4 दा जी",panjabi-pan "काय को दिवलो मैया, काय की बाती काय को दिवलो मैया , काय की बाती काय की लागी जगाजोत सुन्ना को दिवलो , मैया रूपा की बाती कपूर की लागी जगाजोत पाँवा ने बिछिया सोवता ए माय थारा अनबट से लागी रयो बाद",malvi-mup "पढ़ो रे पोपट राजा राम का पढ़ो रे पोपट राजा राम का , सीता माई न पढ़ायाँ १ भाई रे पोपट थारा कारणा , खासा पिंजरा बणायाँ उसका रंग सुरंग है उपर चाप चड़ायाँ . . . पढ़ो रे पोपट . . . २ भाई रे पोपट थारा कारणा , खासा महल बणायाँ ईट गीरी लख चार की नर रयण नी पायाँ . . . पढ़ो रे पोपट . . . ३ भाई रे पोपट थारा कारणा , खासा बाग लगायाँ चंपा चमेली दवणो मोंगरो वामे केवड़ा लगायाँ . . . पढ़ो रे पोपट . . . ४ भाई रे पोपट थारा कारणा , खासा कुँवा खंडाया कुँवा खडया घणा मोल का पाणी पेण नी पायाँ . . . पढ़ो रे पोपट . . . ५ अनहद बाजा हो बाजीया , आरे सतगुरु दरबार सेन भगत जा की बिनती राखो चरण अधारँ . . . पढ़ो रे पोपट . . .",nimadi-noe "पिया भरती मैं होले ना पिया भरती मैं होले ना पट्टजा छतरापन का तोल जरमन में जाके लड़िए अपने मां बापां का नां करिए तैं तोपां के आगे अड़िए अपणी छाती ने दे खोल पिया भरती में होले ना पट्टजा छतरापन का तोल",haryanvi-bgc "पोड़ोसी माय डो पोड़ोसी माय डो माय डो पोड़ोसी माय डो पोड़ोसी माय डो माय डो पोड़ोसी माय डो पोड़ोसी माय डो माय डो उरागा टालाड़ इयानी माय डो बान डूगू उरागा टालाड़ इयानी माय डो बान डूगू हिरामन बेटा जा हिरमन बेटा बेटा आमा हिरामन बेटा जा हिरमन बेटा बेटा आमा मायनी गाडा कोराटेन ओलेन मारे मायनी गाडा कोराटेन ओलेन मारे ऐ माय डो पोड़ोसी माय डो इयां मायनी ऐ माय डो पोड़ोसी माय डो इयां मायनी दुखिया सुखिया घाले मारे दुखिया सुखिया घाले मारे ऐ माय डो इयां माय डो चोज सांटी ऐ माय डो इयां माय डो चोज सांटी गाडा कोरा टेन ओलेन मारे गाडा कोरा टेन ओलेन मारे ऐ बेटा इयां जा बेटा उरागा टाला ऐ बेटा इयां जा बेटा उरागा टाला दुखिया सुखिया जा ढोगे मारे दुखिया सुखिया जा ढोगे मारे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "पैलो मास जो लागियोजी सायबा पैलो मास जो लागियोजी सायबा आल भोले मनजाय अगरनी करावजो जी सायबा देराणीजेठाणी रीसे बकेसी सायबा कौन पुरावे हमारी साद पीयरिये पोंचावो दादाजी रा लाड़िलाजी सायबा माता करेगा दूना लाड़ बीरा जीरा लाड़लाजी सायबा भाभी पुरावे हमारी साद अगरनी करावजो जी सायबा",malvi-mup "जे देवी दयाल भई मोरे अगना जे देवी दयाल , भई मोरे अंगना देवी के हाथन दूध औ जलेबी जो जूठन डाल चली मोरे अंगना । जे देवी . . . देवी के हाथन फूलों की माला जे माला डाल चली मोरे अंगना । जे देवी . . . मैया के हाथन मोहरे अशर्फी जे मोहरें डाल चली मोरे अंगना । जे देवी . . . मैया के हाथन उड़िया झडूले जे पलना डाल चली मोरे अंगना । जे देवी . . .",bundeli-bns "रावटड़ी चढ़ सूत्या बाई का बाबा जी रावटडी चढ़ सूत्या बाई का बाबा जी चिंत्या मैं नींद ना आंवती जी म्हारा राज रावटडी चढ़ सूत्या बाई का बाबला जी चिंत्या मैं नींद ना आंवती जी म्हारा राज के थारी सेज कुसेज के मैहलां के माच्छर लागणै जी म्हारा राज ना म्हारी सेज कुसेज ना मैहलां के माच्छर लागणे जी म्हारा राज म्हारै घर लाडलडी का ब्याह चिंत्या मैं नींद ना आंवती जी म्हारा राज",haryanvi-bgc "चवरी गीत चवरि काटणे जाइ रह्या , रावताला ना का जवांयला । काटि लाया रावताला ना का जवांयला । चवरि गाड़े रावताला ना का जवांयला । रावताला ना कि कुवासणि चवरि वधावे वो । रावताला ना कि कुवासणि चवरि वधावे वो । रावताला ना कि कुवासणि चवरि सुति देवो । रावताला ना कि कुवासणि , वेंडा ढुलि देवो । रावतला गोत्र विशेष के जवाँई चवरी के लिये लकडियाँ काटने जा रहे हैं । रावतला के जवाँई चवरी काटकर ले आए । रावतला के जवाँई चवरी गाड़ रहे हैं । रावतला की कुँवारी लड़कियाँ चवरी बधा रही हैं । रावतला की कुँवारी लड़कियाँ कच्चा सूत चवरी में बाँध रही हैं । रावतला की कुँवारी लड़कियों से कहते हैं कि कुएँ से कलश भरकर पवित्र जल लाए हैं उसे दूल्हे के सिर पर उडेल दें ।",bhili-bhb "ढोल चन वे, लखाँ तेरियां मन्नियाँ ढोल चन वे , लखाँ तेरियाँ मन्नियाँ , तू इक मन वे , ढोल मखणा , दिल पर्देसियाँ दा , राजी रखना । उची माड़ी ते दुध पई रिडकाँ , मेनू सारे टब्बर दियां झिडकाँ , मेनू तेरा इ दिलासा , वे चन्न वे . . . वे बाजार विकेंदी बर्फी , मेनू ल्यादे दे निक्की जहि चरखी , ते दुक्खा दियाँ पूनियाँ , वे चन्न वे . . . वे बाजार विके दुध कडया , माह़ी कंजरी दे नालों फडया , हाय एथों दिल सडया , वे चन्न वे ।",panjabi-pan "सगरे समैया कोसीमाय उठि बैठि गमैलौ सगरे समैया कोसीमाय उठि बैठि गमैलौ भदो मास कोसीमाय सजलौ बारात । केओ तोरा आहे कोसीमाय मौरिया उड़ाहत केओ तोरा जायत बरियात । मलिया तोरा आहे कोसीमाय मौरिया उड़ाहत , नगरक लोग साजत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय डलवा उड़ाहत केओ तोरा जायत बरियात । डोमरा तोरा आहे कोसीमाय डलवा उड़ाहत नगर के लोग जायत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय सड़िया उड़ाहत केओ तोरा जायत बरियात । । कपड़िया तोरा आहे कोसीमाय सड़िया उड़ाहत तिरहुत लोग जायत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय चूड़िया उड़ाहत , केओ तोरा जायत बरियात । कपड़िया तोरा आहे कोसीमाय कपड़ा उड़ाहत तिरहुत लोग जायत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय हँसुली उड़ाहम , केओ तोरा जायत बरियात । सोनरा तोरा आहे कोसीमाय हँसुली उड़ाहत तिरहुत लोग साजत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय पनिया उड़ाहत केओ तोरा साजत बरियात सोनरा तोरा आहे कोसीमाय पनिया उड़ाहत तिरहुत लोग साजत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय सिनुरा उड़ाहत केओ तोरा साजत बरियात । बहेलिया तोरा आहे कोसीमाय सिनुरा उड़ाहत तिरहुत लोग साजत बरियात । । केओ तोरा आहे कोसीमाय तेलबा उड़ाहत केओ तोरा साजत बरियात । तेलिया तोरा आहे कोसीमाय तेलबा उड़ाहत तिरहुत लोग साजत बरियात । केओ तोरा आहे कोसीमाय टिकुली उड़ाहत केओ तोरा साजत बरियात । । बहेलिया तोरा आहे कोसीमाय टिकुली उड़ाहत तिरहुत लोग साजत बरियात ।",angika-anp "रसीले नैन गोरी के रे रसीले नैन गोरी के रे चलो एक नार पानी को रे मिला एक छेल गबरू सा रे किसे तुम देख मचले हो रे किसे तुम देख अटके हो रे सूरत तेरी देख मचला हूं रे जोबन तेरा देख अटका हूं रे कहां तेरे चोट लागी है रे कहां तेरे घाव भारी है रे हिवड़े में मेरे चोट लागी है रे कलेजे मेरे घाव भारी है रे आओ ना मेरी सेज पर गोरी रे रसीले नैन गोरी के रे",haryanvi-bgc "बाबू सिर जोगे टोपी त न आएल बाबू1 सिर जोगे2 टोपी त न आएल । बाबू के ठग के ले गेल , सुनहु लोगे । बाबू के सेंतिए3 ले गेल , सुनहु लोगे । रामजी कोमल बर लइका4 सुनहु लोगे ॥ 1 ॥ बाबू देह जोगे कुरता त न आएल । बाबू के ठग के ले गेल , सुनहु लोगे । बाबू के सेंतिए ले गेल , सुनहु लोगे । रामजी कोमल बर लइका , सुनहु लोेगे ॥ 2 ॥ बाबू गोड़ जोग धोती त न आएल । बाबू के ठग के ले गेल , सुनहु लोगे । बाबू के सेंतिए ले गेल , सुनहु लोगे । रामजी कोमल बर लइका , सुनहु लोगे ॥ 3 ॥",magahi-mag "सींकी के बढ़निया गे बेटी सींकी के बढ़निया1 गे बेटी , सिरहनमा2 लाइ गे रखिहऽ । भोरे भिनसरवा3 गे बेटी , अँगनमा बाढ़ी4 गे लइहऽ ॥ 1 ॥ सेहो बढ़नमा5 गे बेटी , करखेतवा6 जाइऽ गे बिंगिह7 । सेहू जनमतइ8 गे बेटी , कदम जुड़ी9 छँहियाँ ॥ 2 ॥ सेहू तरे10 उतरइ गे बेटी , सतपँचुआ11 के जनमल12 दमदा । लँगटवा13 के जनमल दमदा ॥ 3 ॥",magahi-mag "बान डो बनवासी का घेरु माय भेरिया जाजोम वीले बान डो बनवासी का घेरु माय भेरिया जाजोम वीले भेरिया जाजोम बीले डो माय सोने कि दिवा वाले सोने कि दिवा डो माय सोने कि दिवा उजाला में कैनिया कुंवर खेले डो माय राजा खुडुमा खुडु हासे जाजोम बीले रीटा जाजोम बीले डो माय कासे की ढिवा बाले कासे कि ढिवा उजारेनी सीटा मीनू ख्याले सीटा मीनू ख्याले डो मारा राजा जाम लान्जे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "अंबे तो खबं बळे रे दिवला अंबे तो खबं बळे रे दिवला जाणू चतुरभुज जनमियां जुगजुग जिवजो दाई हमारा आतोसो दीनड़ झेलियो जुगजुग जीवजो सासू हमारा दस दन कुंवर खेलाविया जुगजुग जीवजो जेठाणी हमारा चखेत फूंको मेलियो जुगजुग जीवजो देराणी हमारा कंवळे खाट बिछाविया जुगजुग जीवजो नणांद हमारा कूका ने झगल्यो लाविया कूका ने झूल टोपी लाविया जुग जुग जीवजो ढ़ोली हमारा अंगणा में ढ़ोल घोराविया जुग जुग जीवजो पड़ोसण हमारा दस दन मंगल गाविया जुग जुग जोशी हमारा कूका को नाम धराविया ।",malvi-mup "37 घर रब्ब दे मसजदां हुंदियां ने एथे गैर शरह नहीं वाड़ीये ओए कुता अते फकीर पलीत होवे नाल दुर्रिआं1 बन्नके मारीये ओए तारक हो सलवात2 दा पटे रखें लब्बों वालया मार पछाड़ीये ओए नीवां कपड़ा होवे तां पाड़ दईये लमां होन दराज तां साड़ीये ओए जेहड़ा फका असूल दा नहीं वाकफ ओहनू चा सूली उते चाड़ीये ओए वारस शाह खुदा दे दुश्मनां नूं दूरों कुतियां वांग दुरकारीये ओए",panjabi-pan "जरमन तेरा जाइयो नास जरमन ने गोला मार्या जा फूट्या अम्बर में गारद में सिपाही भाजे रोटी छोड़ गए लंगर में उन बीरां का के जीणा जिन के बालम छः नम्बर में",haryanvi-bgc "बूँदा मनकौ हरन तुमारौ बूँदा मनकौ हरन तुमारौ । जो लयें लेत हमारौ । बनौ रात घूंघट के भीतर । करै रात उजियारौ । अच्छे रंग धरे कारीगर । लाल , हरीरो , कारौ । ईसुर ऐसें डसें लेत है । जैसे नाँग लफारौ ।",bundeli-bns "481 अवल पैर पकड़े एतकाद कर के फेर नाल कलेजे दे लग गई नवां तौर अजूबे दा नजर आया वेखो जाल पतंग ते अग गई कही लग गई , चिंनग जग गई , खबर जग गई वज तलग गई यारो ठगां दी रेवडी हीर जटी मुंह लगदयां यार नूं ठग गई लगां मसत हो कमलियां करन गलां दुआ किसे फकीर दी वग गई अगे धूंआं धुखंदड़ा जोगीड़े दा उतों फूक के छोकरी अग गई यार यार दा बाग विच मेल होया गल हिजर दी दूर अलग गई वारस टुटयां नूं रब्ब जोड़दा ए वेखी कमले नूं परी लग गई",panjabi-pan "बेरहिं बेरी कोइल रे, तोहिं बरजों हे बेरहिं बेरी1 कोइल2 रे , तोहिं बरजों3 हे । कोइल रे , आज बनवाँ4 चरन5 जनि जाहु । अहेरिया6 रजवा चलि अयतन7 हे ॥ 1 ॥ अयतन तऽ आवे दहुन अहेरिया रजवा हे । अहे सोने के पिंजरवा चढ़ि बइठम8 हे । अहेरिया रजवा का9 करतन10 हे ? ॥ 2 ॥ बेरहिं बेरी बेटी तोहिं बरजों हे । बेटी दुअरे खेलन जनि जाहु । कवन दुलहा चलि अयतन हे ॥ 3 ॥ अयतन तऽ आवे दहुन कवन दुलहा हे । अहे सोने पलकिया चढ़ि बइठम हे । कवन दुलहा का करतन हे ? ॥ 4 ॥ एक कोस गेल11 डाँड़ी12 दुइ कोस हे । अहे अम्मा रोवथि13 छतिया फाड़ि हे । गोदिया14 बेटी , आजु सुन्ना15 भेल हे ॥ 5 ॥ दुइ कोस गेल डाँड़ी , तीन कोस हे । अहे चाची रोवथि छतिया फाड़ि हे । सेजिया आजु बेटो , सुन्ना भेल हे ॥ 6 ॥ तीन कोस गेल डाँड़ी , चार कोस हे । अहो भउजी16 रोवथि छतिया फाड़ि हे । भनसा17 ननदी आजु सुन्ना भेल हे ॥ 7 ॥ चार कोस गेल डाँड़ी , पाँच कोस हे । अहे सखी सब रोयथिन छतिया फाड़ि हे । सलेहर18 आज सखी सुन्ना भेल हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "मेरे दादा के पछवाड़े आले आले बांस खड़े मेरे दादा के पछवाड़े आले आले बांस खड़े समधी का लड़का नादान आंगन मोरे तप करे अन्दर से निकली भर मोती का थाल ले ले रे सज्जन के लड़के अंगना मोरा छोड़ दे क्या करने तेरे मोती क्या करनी ये थालिया तुम्हारे घर कन्या कुमारी हमें परणाय दो",haryanvi-bgc "मैया जब मैं घर से चलूँ मैया जब मैं घर से चलूँ बुलामें घर में ग्वालिन मोय ॥ अचक हाथ कौ झालौ देकै , मीठी बोलें देवर कह कैं । निधरक है जाँय साँकर देके ॥ दोहा झपट उतारें काछनी , मुरली लेंय छिनाय । मैं बालक ये धींगरी , मेरी कहा बसाय ॥ आपहु नाचैं मोय नचावें , कहा बताऊँ तोय ॥ 1 ॥ मैं भोरौ ये चतुर गुजरिया , एक दिन लेगई पकरि उँगरिया , फूटीसी याकी राम कुठरिया । दोहा धरी मटुकिया मो निकट , माखन की तत्काल । माखन दूँगी घनों सौ , चींटी बीनौ लाल ॥ मैंने याकी चींटी बीनी , ये पति संग गई सोय ॥ 2 ॥ एक दिना पनघट पे मैया , मैं बैठौएक दु्रम की छैंया , ढिंग बैठ्यो बलदाऊ भैया । दोहा लै पहुँची वहाँ गागरी , रिपटौ याकौ पाम । मेरे गोहन पड़ गई , धक्का दीनों श्याम ॥ गुलचा दे दे लाल किये , मैं ठाड़ौ रह्यौ रोय ॥ 3 ॥ तेरे मोंह पै करें बढ़ाई , बाहर निकसत करैं बुराई , ऐसी ब्रज की ढीठ लुगाई । दोहा इनकौ पतियारौ करे , मैं झूठौ ये शाह । चोर नाम मेरौ धरौ , होन न दिंगी ब्याह ॥ मोते इनने ऐसी कीनी , जैसी करै न कोय ॥ 4 ॥",braj-bra "तुम देवो रजा घर जावां तुम देवो रजा घर जावां , राणी रनु बाई हो । । चूल्हा पर खीचड़ी खदबदऽ , राणी रानु बाई हो । । अंगारऽ सीजऽ दाळ , राणी रनु बाई हो । । ससराजी सूता द्वार , राणी रनु बाई हो । । सासुजी दीसे गाळ , राणी रनु बाई हो । । म्हारा स्वामी सोया सुख सेज , राणी रनु बाई हो । । तुम देवो रजा घर जावां , राणी रनु बाई हो । ।",nimadi-noe "सियाजी बाढ़ऽ हथिन अँगना सियाजी बाढ़ऽ हथिन1 अँगना , माता निरखै2 हे । माइ हे , अब सीता बियाहन जोग3 सीता जोग बर चाही हे ॥ 1 ॥ हाँथ काय4 लेहु बराम्हन धोबिया , काँखे5 पोथिया हे । चलि जाहो नगर अजोधेया , सीता जोग बर चाही हे ॥ 2 ॥ काहाँ से बराम्हन बाइला6 काहाँ घाइला7 हे । कउन8 रिखी9 कनेया कुआँरी , कउन बर चाही हे ॥ 3 ॥ जनकपुर से हम बराम्हन आइलूँ10 अजोधेया घायलूँ हे । जनक रिखी कनेया कुआँरी , राम बर चाही हे ॥ 4 ॥ केरे11 उरेहल12 सिर मटुका13 तिलक चढ़ावल हे । अहे , केरे सजत बरियात , कउन सँग जायत हे ॥ 5 ॥ जनक उरेहल सिर मुटुका , तिलक चढ़ावल हे । अहे , दसरथ सजत बरियात , भरथ सँग जायेता14 हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "सीस तेरे चीरा हरियाले बन्ने पेची अजब बहार सीस तेरे चीरा हरियाले बन्ने पेची अजब बहार काम तेरे मोती बन्ने चुन्नी अजब बहार किसियो पोता ब्याहिये किसिये चढ़ा दहेज स्याम नन्द विवाहिये जुन पूनो का चांद दिल्ली का सुल्तान ब्याह बहू ले आइये हरियाले बन्ने उतरो राज द्वार बहू उतारो ओबरे सोभा यह धमसाल सोभा का क्या देखना जो बहू कुल की होय जो मन मेलू होय सास बहू जब लड़ पड़ी बन्ना किस की ओर बाहर से भीतर गया हुआ बहू की ओर एक दिना एक रात में जाय सराही ससुराल नौ दस मास गरभ में बीते तब न सराही माय आधा सोभा बांट दे जाय बसूं ससुराल जब तैं रोया बन्ने खड़ी डुलाऊं थी सारी रात सूखे तुझे सुलावती गीले रहती सोय रे हरियाले बन्ने जो मैं ऐसा जानती क्यों रखती तेरी आस तू क्या पाला सेंत में मेरी अम्मां तूने ठगा मेरा बाप हमीं बिना आदर नहीं बापू जी ने दी बिसराय हमीं हुए आदर हुआ पीहर से ली बुलाय गडुवा से लडवा खाये खाई चरपरी सौंठ अर करकरा गौंद मूंग चावल की खीचड़ी मेरी भोली अम्मा सुरही गऊ का घीय कोने घुस घुस खावती हम से एक जो गस्सा गिर पड़ा मेरी भोली अम्मां नानी सी मर जाय बन्दर सी गुरराय मेरी भोली अम्मा",haryanvi-bgc "430 घरों कढया अकल शहूर1 गया आदम जनतों कढ हैरान कीता सजदे वासते अरश तों मिले धके जिवें रब्ब ने रद शैतान कीता शदाद2 बहिश्त थीं रहया बाहर नमरूद3 मछर परेशान कीता वारस शाह हैरान हो रिहा जोगी जिवें नूर हैरान तुफान कीता",panjabi-pan "एक जलेबी तेल में एक जलेबी तेल में । गांधी भेज्या जेल में । । जेल का फाटक गिया टूट । गांधी आया फोरन छूट । । सतागरह गांधी ने चलाया । देस म्हारा आजाद कराया । ।",haryanvi-bgc "गोर ए गणगौर माता खोल किँवाडी पूजा शुरु करने के पहले गोर ए गणगौर माता खोल किँवाडी , बाहर ऊबी थारी पूजन वाली , पूजो ए पुजावो सँइयो काँईकाँई माँगा , माँगा ए म्हेँ अनधन लाछर लिछमी जलहर जामी बाबुल माँगा , राताँ देई माँयड , कान्ह कँवर सो बीरो माँगा , राई रुक्मणी सी भौजाई , ऊँट चढ्यो बहनोई माँगा , चूनडवाली बहना , पून पिछोकड फूफो माँगा , माँडा पोवण भूवा , लाल दुमाल चाचो माँगा , चुडला वाली चाची , बिणजारो सो मामो माँगा , बिणजारी सी मामी , इतरो तो देई माता गोरजा ए , इतरो सो परिवार , दे ई तो पीयर सासरौ ए , सात भायाँ री जोड परण्याँ तो देई माता पातळा पति ए , साराँ मेँ सिरदार पूजा शुरु करते हैँ ऊँचो चँवरो चौकुटो , जल जमना रो नीर मँगावो जी , जठे ईसरदासजी सापड्या विराजे हैँ , बहू गोराँ ने गोर पुजावो जी , जठे कानीरामजी सापड्या बहु लाडल ने गोर पुजावो जी , जठे सूरजमलजी सापड्या , बाई रोवाँ ने गोर पुजावो जी , गोर पूजंता यूँ कैवे सायब या जोडी इभ् छल इसी तरह राखो जी , या जोडी इभ् छल राखो जी म्हारा चुडला रो सरव सोहागो जी , या जोडी इभ छल राखो जी म्हारै चुडला रे राखी बाँधो जी । दूब के साथ 8 बार पूजा करते हैँ गोरगोर गोमती , ईसर पूजूँ पार्वतीजी , पार्वती का आलागीला , गोर का सोना का टीका , टीका दे , टमका दे राणी , बरत करे गोराँदे रानी , करताकरता आस आयो , मास आयो , खेरे खाण्डे लाडू आयो , लाडू ले बीरा ने दियो , बीरो ले गटकाय ग्यो , चूँदडी ओढाय ग्यो , चूँदड म्हारी इब छल , बीरो म्हारो अम्मर , राण्याँ पूजे राज मेँ , म्हेँ म्हाँका सवाग मेँ , राण्याँ ने राजपाट द्यो , म्हाँने अमर सवाग द्यो , राण्याँ को राजपाट तपतो जाय , म्हारो सरब सवाग बढतो जाय ओलजोल गेहूँ साठ , गौर बसे फूलाँ कै बास , म्हेँ बसाँ बाण्याँ कै बासकीडीकीडी कोडूल्यो , कीडी थारी जात है , जात है गुजरात हैसाडी मेँ सिँघाडा , बाडी मेँ बिजौराईसरगोरजा , दोन्यूँ जोडा , जोड्या जिमाया , जोड जँवारा , गेहूँ क्यारागणमण सोला , गणमण बीस , आ ए गौर कराँ पच्चीस टीकी आ टीकी बहू गोराँदे ने सोवै , तो ईसरदासजी बैठ घडावै ओ टीकी , रमाक झमाँ , टीकी , पानाँ क फूलाँ टीकी , हरयो नगीनो एआ टीकी बाई रोयणदे ने सोवै , तो सूरजमलजी बैठ घडावै ओ टीकी , रमाक झमाँ , टीकी , पानाँ क फूलाँ टीकी , हरयो नगीनो एआ टीकी बहू ने सोवै , तो बेटा बैठ घडावै ओ टीकी , रमाक झमाँ , टीकी , पानाँ क फूलाँ टीकी , हरयो नगीनो ऐ ।",nimadi-noe "सदेई जाड़ो तसिगे1 प्रकृति बिजिगे2 , पशु वा पंछी सभी जी गयेन । जाड़ान जो सुन्न न होई गै तो , स्यो बौड़ि3 गे ल्वै रस सार प्राण । डाली व बोटी वण व वणोंदी , निर्लज्ज जाड़ान करेति नांगी । अनेक पैरया ालेन अब रंग की , बसन्त का स्वागत कत साड़ी । गाड4 गधेरा5 अर पंछी पौन , छया जो जाड़न सुन्न होया । कर्ण बसे कोलाहल लगि गैन , खुशी बसन्त की मनौण लैन । शरीरो कलेजा पहुँचौंण रायावायु , स्या घैंत स्वाणी6 अब लागदे छ । सुगन्ध फूल7 दगड़े मिलीक , अमृत पिलाई पुलकौंद पौन । सफेद रत्ता8 , पिंगला व नीला , भांति व भांति छन फल फूल्या । समीन्न यून प्रकृति पुरुष सी , सजाई दीने रति रंग भूमि । कुलूड़ि भि फूलि अर फ्यू ली फूली , गयेन फूली वण वो वणोंदी । गुलाब फूल्यों अर कूजों फूल्यो , फूली गयेन लगुले9 व झाड़ी । आरु , घिंघार अर आम डाले , निम्बू नारंगी भित फूलि गैन । चम्पाभि , पाईभि चमेलि फूलि , बुरांस घारूँ मंग अंचि फूल्यों । सिलंग फली सब ठौर फूली , गईन फूटि कलि कोंपलें भी । क्या घर क्या बोण10 सभी जगौं मां , सिलंग की बास सुवास फैली च । छन रंग नया ताजा अर रंग नाना , सुवास नाचा अर गीत नाना । अनेक नाना विधि का न स्येन , वि दिखेंद , सूंघेंद , सुणोंद जा ना । गीतु सुरिला छन पंछी गाणा , वीं कोकिला की पर प्यारि थक । सुणोंद चारू दिशि दूरुदूरु , दुखौंद ज्यू कू सहदेई कोछ । पंछी तु गाला छई मास ओरे , चेड़ो11 कफू12 बासलो चैत मास सिलंग डाली पर फ्यूँलि गाली , ना पास केकु ज्युकड़ी13 झुरौंद । हल्या रयों मां छन मस्त रौंकणा , पाख्यों घस्यारे छन गीत गाणी । लगादू भौणे छन गीतू मांगे , स्वालू जवाब हुह्रौंण लागी । रैबार14 रै पार हिलांस15 प्यारी , कूकू करी कूकद लवि कूकू । झणन्यालि गैरीछ गदरियों मां , स्या म्योलड़ी भी कना गीत गाणी । भौंरा छया जो सुनसान ब्याले , स्ये आज फुलूफुल मांन गुजराण । यैं फुल की केशरी फुल वै मां , लिजाण लाग्यां छन स्वार्थि भौंरा इनी निराली अर भांति भांति , छ काम होणु प्रकृति पुरुष को । सृष्टि छ सारी उत्सौव मनोणी , खुशी मनौणी खिलखील हंसणी । बसन्त ए मा रज तालबात , आयुँ छ गर्भाषय वीजु मांगे । जणन कु जन्तुजननी जनक को , छ जगजोड्यूँ जजग मांग गां तां । सिलंग नीस16 सहदेई बैठी , सुणणी छ देखणी बण की बहार । सैं मैलि डाली मुं सदानि औंदे , खुदेड़ सैदी खुद बिसरौण । सैदी कु औदे जब याद मैतै , दगड्17 याणियों की भि छ याद औंदा । वणू वणोंडो कि भि याद औंद , धारू व गाडू कि भि याद औंदा । चौंरी18 माँ बेठी च खुदेड़ सैदी , बौली सी होई खुद से सदेई । चड़ी सी रोटी भोर भरि ज्यू स्या रोंदे , इना इना वैन सुबैन बोदे । हे ऊँचि डांडयों19 तू नीसी20 आवा , धणी कुलांयों21 तु छांटि जावा । मैं ते दगीं छ खुद22 , मैतुड़ा23 की , बाबाजी को देखण देश देवा । मैतअकि मेरी तु पौन24 प्यारी , सुणों त रैबार25 तु मां को मेरी । गाडूगदअन्यों26 व हिलांस27 कफ्फू , मेतअका मेरा तुम गीत गावा । वारअ ऋतु बौड़लि28 बार मास , आली व जाली जनि दाई29 फेरो । आई निजाई निरभाग मैं कू , क्वी मी नि आई ऋतु मेरी दात30 । बसन्त मैना ासब का त माई , मेटेंण आला वहिण्यों कु अपणी । दीदीभुलीमिलीक गीत गालो , गला लगाली खुद विसराली । मैत्यों कि भेजी कपड़ों की छाल , पैलीं विसाली कनु से मिजाज । लड्यालि31 मेरो कुई माई होंदो , कलेऊ लौंदो व दुरौंदो पैणा32 । लठ्यालि होलो निरमाग मै त , पीठी नि की होयन माईवैणा । करीं पछिंण्डि छऊँ धौलि33 पार , गाऊ विदेशी , अर दूर देश । जवान ह्वै गयूं , लड़कालि34 भी गयूं , मेरी करी नी कैन खबर न सार । मैतअकि देवी छऊँ , झालीमाली , मेरी सुणियाल विपत्ति भारी । दियाल मैंकु इक भाई प्यारो , देखीक जैकु खुद बिसरौं में । भाई की मुखड़ी जब देखि लेंदो , होंदो सुफल जीवन यो त मेरो । मैं कूत नी छ कुछ और इच्छा , समान भाई नोछ , और नी छ की भी । देली तु जो यो वर आज मैंकू , मैं देउलो त्वै सरवाच देवी । जो भाई होलो तो अठ्वाड़ धूलो , पंडौङ नचौलो अर जात धू लो । खोंदू अभी नितर प्राण अपणों , सहाय ह्वै जा दुर्गाभवानी । देवी भवानी जननी जगत की , प्रसन्न होंदे वर तैंकु देंदे । होलो सदेउ इक भाई तेरो , बड़ो प्रतापी मिललो वो त्वैकू । आकाशवाणी इन वीं न सुणी , सुपनों छ यो या भरमौंणु की मैं । या मेरी होली कुल इष्ट देवी , दन्दौल35 नाना बिधि कर्दी मनमां । गई सदेई जब सांझ होये , सिलंग डालि सणी भेंट देण । धर्दी छ वा धीरज शांत होंदें , लगदे छ धन्धें पर स्थान धरका ।",garhwali-gbm "312 क्यों फकर दे नाल रिहाड़ पईए भला बखश सानूं मापे जीनिए नी सप शीहनी वांग बुलैहनीए नी मास खानीए ते रत पीनीए नी दुखी जिऊ दुखा ना भाग भरीए होईए चिड़ी ते कूंज लखीनीए नी साथों निशा ना होसोया मूल तेरी सके खसम तों ना पतीनीए नी चरखा चाय के नटनी मरद मारे किसे यार ना पकड़ मलीनीए नी वारस शाह फकीर दे वैर पईए जरम ततीए करमां दीए हीनीए नी",panjabi-pan "बर खोजन जब चललन बाबा हे, हाँथ गुलेल बर खोजन1 जब चललन बाबा हे , हाँथ गुलेल2 मुँह पान हे । पुरूब खोजलन3 पछिम खोजलन , खोजलन मगह मनेर4 हे ॥ 1 ॥ खोजइते खोजइते गेलन अजोधेया नगरी , मिलि गेलन राजकुमार हे । राजा दसरथजी के चारियो बेटवा , हमें घर सीता कुँआर हे ॥ 2 ॥",magahi-mag "तीतर रै तूं बामै दाहने बोल तीतर रै तूं बामै दाहने बोल , चढ़ते जमाई का सूण मणाइये जी मैं का राज कोयल हे तूं बागां में जा बोल , चढ़ते जमाई नै सबद सुणाइये जी मैं का राज सूरज हे तूं बादल में बड़जा , चढ़ते जमाई नै लागै घामड़ा जी मैं का राज बादल रे तू झीणा बरस , चढ़ती लाडो की भीजै नौरंग चूंदड़ी जी मैं का राज आंधी हे तूं झीणी झीणी चाल , चढ़ते जमाई का गरद भरै कपड़े जी मैं का राज टीबी हे तूं ऊंची नीची हो , चढ़ते जमाई की दीखै पंचरंग पागड़ी जी मैं का राज",haryanvi-bgc "शहर बाजार में जाइजो हो बना जी हो राज शहर बाजार में जाइजो हो बना जी हो राज पान मंगाय वो रंगतदार बनजी बांगा माहे पांन खाय बनी सांभी सभी , बना हजी हो राजे बनो खीचे बनी से हाथ . . . हो बांगा माहे हाव्यलड़ों मत खीचों बना जी हो राजे रुपया लेस्सूँ सात हजार . . . हो बांगा माहे ऊधार फुझाब मैं नहीं करां हो राज रुपया गिगलां सात हजार . . . हो बांगा माहे शहर बाजरां मती जाइजो हो राज म्हांने परदेसी रो कांई रे विसवास . . . हो बांगा माहे . . .",rajasthani-raj "नन्द के द्वार मची होरी बाबा नछ के द्वार मची होरी ॥ टेक कै मन लाल गुलाल मँगाई , कै गाड़ी केशर घोरी । दस मन लाल गुलाल मँगाई , दस गाड़ी केशर घोरी । 1 । कौन के हाथ कनक पिचकारी , कौन के साथ रंग की पोरी । कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी , मनसुख हाथ रंग की पोरी । 2 । कै री बरस के कुँवर कन्हैया , कै री बरस राधा गोरी सात बरस के कुँवर कन्हैया , पाँच बरस की राधा गोरी । 3 । घुटुवन कीच भई आँगन में , खेलैं रंग जोरी जोरी चन्द्रमुखी भजु बालकृष्ण छवि बाबा नंद खड़े पोरी । 4 ॥",braj-bra "दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे आई नव प्रभात गवाँराँ गीगां हंस ल्यो रे गयी अंधारी रात नवाँ नवाँ हो झाड़ हाथ ले सोत्डला में चालो चालो खेतडला में चालो अब हिम्मत , अब हिम्मत , अब हिम्मत , की है बात रे आयो नव प्रभात कान खोल के सुण लो जवानो धरती सोणा निपजे रे , मेहनत सूँ , मेहनत सूँ , मेहनत सूँ निपजे रे गयी अंधारी रात दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे आयो नव प्रभात",rajasthani-raj "रोमैं लयें रागनी जी की रोमैं लयें रागनी जी की । लगे सुनत मैं नीकी । कौऊ सास्त्र पुरान अठारा । चार बेद सो झीकी । गैरी भौत अथाह भरी है । थायमिलै ना ई की । ईसुर साँसऊँ सुरग नसैनी , रामायण तुलसी की ।",bundeli-bns "सावां गीत आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या । आखो उंढालो काई कर्यो ढेड्या । खड़ काट्यो ने पान तुड्या वो जीजी । खड़ काट्यो ने पान तुड्या वो जीजी । आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या । आइणिं छिनाले नो डंड भर्यो रे ढेड्या । आइणिं छिनाले नो डंड भर्यो रे ढेड्या । आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या । खड़ काट्यो ने पान तुड्या ने घर छायो रे ढेड्या । गर्मी का मौसम निकल गया तुमने सावां लाने में देर क्यों लगाई ? जीजी हमने गर्मी में घास काटा और पत्ते तोड़े । गर्मी में समधन का दंड भरा । घास काटा , पत्ते तोड़े और घर का छप्पर छाया ताकि पानी घर में न गिरे । सावां एक प्रकार का शगुन है , जिसे लेकर पुरुष ही जाते हैं । गीत वधू पक्ष की महिला गाती हैं । यह गीत गाली का है , जिसे ‘निहाली’ कहते हैं ।",bhili-bhb "विवाह गीत पिपलियो पान झलके वो नानी बेनुड़ी , पिपलियोपान झलके । मनावर्यो हाट जासुं वो नानि बेनुड़ी । खारिक खोपरों लावसुं वो नानि बेनुड़ी । बागुन हाट जासूं वो नानि बेनुड़ी । खर्यादाल्या लावसुं वो नानुड़ि बेनी । जोबट्यो हाट जासूं वो नानुड़ि बेनी । माजम ने हार काकणिं , लावसुं वो नानुड़ि बेनी । पीपल का पान चमक रहा है छोटी बनी । मनावर के हाट जावेंगे छोटी बनी और खारकखोपरा लाएँगे । बाग के हाट जायेंगे और सेवचने जायेंगे । जोबट के हाट जाएँगे और माजम व हारकंगन लाएँगे ।",bhili-bhb "257 रल चेलयां ने चा मता कीता बाल नाथ नूं पकड़ पथलयो ने छड दवार उखाड़ भंडार चले जा राह ते वाट1 सब मलयो ने सेलियां टोपियां कुश्रदां छड चले गुस्से जी दे नाल उथलयो ने वारस शाह ना रब्ब बखील2 होवे चारे राह नसीब दे मलयो ने",panjabi-pan "वा तो सात पापड़ की जोड़ी हो वा तो सात पापड़ की जोड़ी हो वे तो लईगया फलाणा राम चोरी हो देख्यादेख्या फलाणी बाई चोरी हो उनखे बांदिया फलाणी बाई चोरी हो उनखे बांदिया मोया की डोरी हो धीरयाधीर या उनखे सालाजी सेरी हो अब तो छोड़ पनोती गोरी वो मैं तो कदी नी करूँ पापड़ चोरी वो",malvi-mup "ईसुरी की फाग-11 जो तुम छैल , छला हो जाते , परे उंगरियन राते मौं मुँह पौंछत गालन के ऊपर , कजरा देत दिखाते घरीघरी घूंघट खोलत में , नज़र सामने आते ' ईसुर ' दूर दरस के लानें , ऐसे काए ललाते ?",bundeli-bns "कृष्ण हिंडोले बहना मेरी पड़ गये जी कृष्ण हिंडोले बहना मेरी पड़ गये जी , ऐजी कोई आय रही अजब बहार ॥ 1 ॥ सावन महीना अधिक सुहावनौ जी , ऐजी जामें तीजन कौ त्यौहार ॥ 2 ॥ मथुरा जी की शोभा ना कोई कहि सके जी , ऐजी जहाँ पै कृष्ण लियौ अवतार ॥ 3 ॥ गोकुल में तो झूले बहना पालनो जी , ऐजी जहाँ लीला करीं अपार ॥ 4 ॥ वृन्दावन तो बहना सबते हैं बड़ौरी , एजी जहाँ कृष्ण करे रस ख्याल ॥ 5 ॥ मंदिर2 झूला बहना मेरी परि गये जी एजी जामें झूलें नन्दकुमार ॥ 6 ॥ राग रंग तो घर घर है रहे जी , ऐजी बैकुण्ठ बन्यौ दरबार ॥ 7 ॥ बाग बगीचे चारों लग लग रहे जी , ऐजी जिनमें पक्षी रहे गुंजार ॥ 8 ॥ मोर पपैया कलरब करत हैं जी , ऐजी कोई कोयल बोलत डार ॥ 9 ॥ पावन यमुना बहना मेरी बहि रही जी , ऐजी कोई भमर लपेटा खाय ॥ 10 ॥ ब्रजभूमी की बहना छवि को कहैजी , ऐजी जहाँ कृष्ण चराईं गाय ॥ 11 ॥ महिमा बड़ी है बहना बैकुण्ठ तै जी , एजी यहाँ है रहे जै 2 कार ॥ 12 ॥",braj-bra "कहवाँ के डँड़िया कुनली कहवाँ के डँड़िया1 कुनली2 अही डँड़िया कुनली । कहवाँ में लगले ओहार3 चढ़हु4 धनि डाँडि , चेतहु5 गिरहि6 आपन हे ॥ 1 ॥ कवन पुर के डँड़िया कुनली , अहो डँड़िया कुनली । कवन पुर में लगले ओहार , चढ़हु धनि डाँरि , चेतहु गिरहि आपन हे ॥ 2 ॥ गोड़ लागों , पइयाँ परों , अजी सइयाँ ठाकुर हे । बाबा के पोखरवा7 डाँड़ि बिलमावहु8 अम्मा से भेंट करम9 हे ॥ 3 ॥ कइसे में डाँरि बिलमायब , अहे धनि सुन्नर हे । तोर बाबा दहेजवा के सोंच में , अम्मा बिसमादल10 हे ॥ 4 ॥ रँचिएक11 डाँडि बिलमावहु , अजी सइयाँ ठाकुर हे । भेंटे देहु चाची हमार , सासु जे आपन हे ॥ 5 ॥ कइसे में डाँड़ि बिलमाऊँ , अहें धनि सुन्नर हे । बरवा12 पकवइत13 चाची बिसमादल हे । तिलक गिनइते चच्चा बिसमादल हे ॥ 6 ॥ रँचिएक डाँड़ि बिलमावहु , अजी सँइया ठाकुर हे । भेंटे देहु भउजी हमार , सरहज आपन हे ॥ 7 ॥ कइसे में डाँड़ि बिलमाऊँ , अहे धनि सुन्नर हे । पटवा14 फड़इते भउजी बिसमादल हे । भँउरिया15 घुमइते भइया बिसमादल हे ॥ 8 ॥",magahi-mag "7 हुकम1 मन्न के सजनां प्यारयां दा किस्सा अजब बहार दा जोड़या ए फिकरा जोड़ के खूब दरूसत कीता नवां फुल गुलाब दा तोड़या ए बहुत जीउ दे विच तरतीब करके फरहाद पहाड़ नू फोड़या ए सभा वीन के जे़ब बना दिता जेहा अतर गुलाब नचोड़या ए",panjabi-pan "355 महबूब अलाह दे लाडले हो एस वहुटड़ी नूं कोई सूल है जी कोई गुझड़ा रोग है एस धाणा पई नित एह रहे रंजूल1 है जी हथों लुढी वैंहदीं लाहू लथड़ी है वहुटी हो जांदी मखतूल2 है जी मुंहों मिठड़ी लाड दे नाल बोले हर किसे दे नाल माकूल3 है जी मूधा पया है झुगड़ा नित साडा एह वहुटड़ी घरे दा सूल है जी मेरे वीर दे नाल है वैर एहदा जेहा काफरां दे नाल रसूल है जी अगे एसदे साहुरे हथ बधी जो कुझ आखदी सब कबूल है जी वारस पलंघ तों कदी तां उठ बैठे साडे ढिड दे विच डंडूल है जी",panjabi-pan "319 जोगी हीर दे सौहरे जा वड़या भुखा जट जिउं फिर लालोरदा जी आया खुशी दे नाल दहचद होके सूबेदार जिउं नवां लाहौर दा जी धुस दे के वेहड़े विच आ वड़या कड कीता सू सन ते चोर दा जी अनी खेड़यां दी पयारी वौहटीए नी हीरे सुख है चा टकोरदा जी वारस शाह अगे हुण पई फाहवी शगन होया है जंग दे शोर दा जी",panjabi-pan "138 पाड़ चुनियां सुथनां कुडतियां नूं चक वढ के चीकदा चोर वांगू वते फिरन परावर जयों चंद दवाले गिरद पायलां पांदियां मोर वांगू शाहूकार दा माल जयों विच कोटांदवाले चौंकियां फिरन लहौर वांगू वारस शाह अगयारियां भखदियां दी एहदी प्रीत जो चंद चकोर वांगू",panjabi-pan "हल्दी गीत बेनी तारो पीठी रोलो , कुण चोलसे ? बेनी तारो पीठी रोला , े कुण चोलसे ? बेनी तारो पीठी रोलो , तारि भोजाइ चोलसे । बेनी तारो पीठी रोलो , तारि बहणिस चोलसे । बेनी तारो पीठी रोलो , तारि फुई चोलसे । बनी तुझे हल्दी कौन लगायेगा ? हे बनी तुम्हारी भौजाई , बहन और बुआ तुम्हें हल्दी लगाएँगी ।",bhili-bhb "चम चम चमके चुन्दडी चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे म्हारी तो रंग दे चुन्दडी बिण्जारा रे म्हारे साहेबा रो , म्हारे पिवजी रो , म्हारा साहेबा रो रंगदे रूमाल रे बिण्जारा रे म्हारा साहेबा रो रंगदे रूमाल रे बिण्जारा रे चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे जोधाणा सरीखा पैर मैं बिण्जारा रे कोई सोनो तो घड़े रे सुनार रे बिण्जारा रे कोई सोनो तो घड़े रे सुनार रे बिण्जारा रे चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे पायल घड़ दे बाजणी बिण्जारा रे म्हारी नथली पळ्कादार रे बिण्जारा रे म्हारी नथली पळ्कादार रे बिण्जारा रे चम चम चमके चुन्दडी बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे कोई थोडो सो म्हारे सामे झांक रे बिण्जारा रे",rajasthani-raj "105 रांझा आखदा हीर नूं मां तेरी सानूं फेर मुड़ रात दी चंबड़ी ए मियां मन लै उसदे आखने नूं तेरी हीर पयारी दी अंबड़ी ए किते जाइए उठ के घरीं बहीए अजे वयाह दी विथ ते लंबड़ी ए वारस शाह इस इशक दे वनज विचों किसे पले न बधड़ी दमड़ी ए",panjabi-pan "रूप तेरा चन्दा-सा खिल रिया रूप तेरा चन्दासा खिल रिया , बे ने घढ़ी बैठ के ठाली कर तावल वार भाजरी , जिसी दारू माँ आग लाग री कलियाँदार घाघरी , पतली कम्मर लचकत चाली । भावार्थ ' तेरा रूप चांद की तरह खिलाखिलासा है । लगता है , भगवान ने तुझे फ़ुरसत में बैठ कर गढ़ा है । यह सुनकर युवती वहाँ से भाग कर दूर चली गई । ऐसा लगा जैसे शराब में आग लग गई हो । कलीदार लहंगा पहने वह अपनी पतली कमर को लचकाती हुई वहाँ से चली गई । '",haryanvi-bgc "डुगीकू डुगीकू खाडू राजन डेई डुगीकू डुगीकू खाडू राजन डेई डुगीकू डुगीकू खाडू राजन डेई सुसून मारे चोजा मा आसीबा चोजा मा सुसून मारे चोजा मा आसीबा चोजा मा जुजुमवा डुगीकूखाडू जा सुसुन वा जुजुमवा डुगीकूखाडू जा सुसुन वा पैसो भी बागो धैला भी बागो पैसो भी बागो धैला भी बागो डुगूकी खाडू सुसून वा चाना भी दाना बागो जा डुगूकी खाडू सुसून वा चाना भी दाना बागो जा डुगीकू दाना बागो जा कालीमीटो डोंगोर जा डुगीकू दाना बागो जा कालीमीटो डोंगोर जा डुगीकू मिया नी मिटर जा डोंगोर बायल लाये जा डुगीकू मिया नी मिटर जा डोंगोर बायल लाये जा कुलू भी जोपे राजन जा डाई जा डाई कुलू भी जोपे राजन जा डाई जा डाई डुगीकू खाडू भी सुसून वा जा मारे डुगीकू खाडू भी सुसून वा जा मारे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "सीता राम सुमर लेवो सीता राम सुमर लेवो , आरे तजी देवो सब काम १ सपना की संपत भई , आरे बाध्यो जगराज भोर भई उठ जागीयाँ आरे जीनका कोण हवाल . . . सीता हो राम . . . २ बिगर पंख को सोरटो , आरे उड़ी चलीयो रे आकाश रंग रुप वो को कछु नही आरे वोक भुख नी प्यास . . . सीता हो राम . . . ३ वायो सोनो नही निपजे , आरे मोती लग्या रे डाल भाग बिना रे मोती ना मीले तपस्या बीन राज . . . सीता हो राम . . . ४ राजा दशरथ की हो अयोध्या , आरे सिर जाया रघुबीरा माता हो जीनकी कोशल्याँ आरे लक्ष्मण बलवीरा . . . सीता हो राम . . . ५ अनहद बाजा हो बाजीया , आरे सतगुरु दरबार सेन भगत जा की बिनती राखो चरण आधार . . . सीता हो राम . . .",nimadi-noe "जसुदै दैंन उरानों जइये जसुदै दैंन उरानों जइये । हाल लला कौ कइये । हीरा हाट बिचौली पैरी चोली फटी दिखइये । कछुअक साँसी कछुअक झूँठी , जुरे मिले कैं कइये , आठ घरी दिन रात ‘ईसुरी’ । काँलौं कैं गम खइये ।",bundeli-bns "गूंगड़ा देशो नीला जोवेड़ा गूंगड़ा देशो नीला जोवेड़ा गूंगड़ा देशो नीला जोवेड़ा रुन्डो रुन्डो टे जाटीये डो बेटा मारे रुन्डो रुन्डो टे जाटीये डो बेटा मारे रुन्डो रुन्डो जाटीये अरिको अमा कंकार गाडा कोरा इयानी बेदी डाय वोडा माय मारे रुन्डो रुन्डो जाटि अरिको खिटी खोरा बा कंकार इयानी बेदी डाय माडो माय मारे स्रोत व्यक्ति बालकराम सिलाले , ग्राम झल्लार",korku-kfq "कब चुकबे, कब चुकबे चलनी कै गोंहुआँ हो न कब चुकबे , कब चुकबे चलनी कै गोंहुआँ हो न । मोरा बीरन भइया आये अनवइया हो न । । बैइठहु न मोरे भइया रतनी पलँगिया हो न । बहिनी कहि जाऊ आपन हवलिया हो न । । नौ मन कूट्यों भइया नौ मन पीस्यों हो न । भइया पहिली टिकरिया मोर भोजनवा हो न । । भइया वोहू महैं कुकरा बिलरिया हो न । । भइया वोहू महैं गोरू चरवहवा हो न । । भइया वोहू महैं देवरा कलेवना हो न । । भइया वोहू महैं ननदी कलेवना हो न । । फटही लुगरिया भइया हमरा पखरुआ हो न । भइया वोहू महैं गोरू चरवहवा हो न । । भइया वोहू महैं ननदी ओढनिया हो न । । भइया वोहू महैं देवरा भगइया हो न । । ई दुख जिन कह्या बाबा के अगवा हो न । भइया सभवा बइठ बाबा रोइहैं हो न । । ई दुख जिन कह्या माई के अगवा हो न । भइया मचिया बइठ माई रोइहैं हो न । । ई दुख जिन कह्या सखिया के अगवा हो न । भइया खेलतै खेलत सखियाँ रोइहैं हो न । । ई दुख जिन कह्या बहिनी के अगवा हो न । भइया इहै सुनि गवने न जइहैं हो न । । ई दुख जिन कह्या भाभी के अगवा हो न । भइया राम रसोइयाँ तनवा मरिहैं हो न । । ई दुख कह्या भइया अगुआ के अगवा हो न । भइया जेन कीहें मोरी अगुअइया हो न । ।",awadhi-awa "हात रे भाई रे! हात रे भाई रे नाना की मांय पाणी खऽ गई , घर मऽ कुतरा कोंडी गई । कुतरा भूकसे होलई पर , नानों म्हारो सोवसे झोलई पर । आवों चिड़ीबाई दौड़ करी , नानो म्हारो सोवसे सौड़ करी । आवो चिड़ीबाई परात मऽ , नानो म्हारेा जासे बरात मंऽ । आवो चिड़ीबाई करूँ थारो याव , कथील को मूंदड़ो नऽ जुरूंग को हार बाजरा को खीचड़ो नऽ मसूर की दाल , आवों चिड़ीबाई करूँ थारों याव । हात रे भाई रे",nimadi-noe "गाम गाम धुपवा दियैले माँ कोसिका गाम गाम धुपवा दियैले माँ कोसिका , माँ तोरा नहीं माया दरेग , बाजे लागल बिछिया अनोर । डेढ़ी डेढ़ी नैया गे कोसिका घाटघाट चढ़ेबौ रोरिया बाजे लागल बिछिया अनोर । ’’ धारे धारे चढ़ेबौ गे कोसिका थार थार मिठइया , बाजे लागल बिछिया अनोर ।",angika-anp "दादा साहेब के घर पोता भयेल हे बधैया दादा साहेब के घर पोता भयेल हे । पोता निछाउर1 कछु देवऽ2 कि न ? । हमसे असीस3 कछु लेबऽ4 कि न ? ॥ 1 ॥ देबो5 मैं देबो पोती अन धन सोनवाँ । हमरा ही6 नाचबऽ आउ7 गयबऽ कि न ? ॥ 2 ॥ गयबो मैं गयबो दादा , दिनमा से रतिआ8 । अपन खजाना लुटयबऽ कि न ? ॥ 3 ॥ जुग जुग जिओ दादा तोहर होरिलवा9 । हमर ससुर घर पेठयबऽ कि न ? ॥ 4 ॥",magahi-mag "जे उट्ठ चल्लियों चाकरी, चाकरी वे माहिया जे उट्ठ चल्लियों चाकरी , चाकरी वे माहिया सान्नूँ वी लै चल्लीं नाल वे अख्खियाँ नूँ नींद क्यों न आई वे तूँ करेंगा चाकरी , चाकरी वे माहिया मैं कत्तांगी सोहणा सूत वे अख्खियाँ नूँ नींद क्यों न आई वे इक्क ट्का तेरी चाकरी , चाकरी वे माहिया लख्ख टके दा मेरा सूत वे अख्खियाँ नूँ नींद क्यों न आई वे भावार्थ ' यदि काम पर जाने के लिए तुम तैयार हो , काम पर जाने को प्रीतम तो मुझे भी अपने साथ ले चलो । अजी , मैं भी कहूँ , मुझे नींद क्यों नहीं आती ? तुम करोगे नौकरी , ओ मेरे प्रीतम और मैं कातूंगी सूत सुन्दर मेरे प्रिय अजी , मैं भी सोचती हूँ , ये नींद क्यों नहीं आती ? एक रुपए की नौकरी तुम्हारी , ओ प्रीतम मेरा सूत होगा एक लाख का । अजी , मैं भी कहूँ मुझे आख़िर नींद क्यों नहीं आती । '",panjabi-pan "401 रांझा वेखके बहुत हैरान होया पइयां दुध विच अवदियां फालड़ियां ने गुसे नाल जो हशर नू जिमीउते जिउ विच कलीलियां1 चाड़ियां ने चीणा2 चोग चमूनयां3 पायो ई मुन्न चलीए गोलीए दाढ़ियां ने जिसते नबी दा रवा दरूद4 नाही अखीं फिरनना मूल उघाड़ियां ने जैदा पवे परावना नांह मडा पंड नांह बझे विच साड़ियां ने डुब मोए नी कासथी5 विच चीने वारस शाह ने बोलियां मारियां ने",panjabi-pan "ऐली पैली सखरिया री पाल ऐली पैली सखरिया री पाल पालां रे तंबू तांणिया रे जाये वनी रे बापाजी ने कैजो , के हस्ती तो सामां मेल जो जी नहीं म्हारां देसलड़ा में रीत , भंवर पाला आवणों जी जाय बनी रा काकाजी ने कैजो घुड़ला तो सांमां भेजजो जी नहीं म्हारे देशां में रीत , भेवर पाला चालणों जी जाय बनीरा माता जी ने कैजो सांमेला सामां मेल जो जी नहीं म्हारे देशलड़ां में रीत भंवर पाला आवणों री",rajasthani-raj "548 निकल कोठयों तुरत तयार होया सहती आन हजूर सलाम कीता बेड़ा ला बने असो आजजां दा रब्ब फजल तेरे उते आम कीता मेरा यार मलावना वासता ई असां कम्म तेरा सरंजाम1 कीता भाबी हथ फड़ायके टोर दिता कम खेड़यां दा सभ खास आम कीता शरम मापयां दी सभो रोड़ दिती ससी नाल जिवें आदम जाम कीता जो कुझ होवनी ने सीता नाल कीती अते दहसरे नाल जो राम कीता वारस शाह आप जिस ते मेहरबान होवे उथे फजल ने आय कियाम कीता",panjabi-pan "337 कहियां आन पंचायतां जोड़ियां नी असी रन्न नूं रेवड़ी जानने हां फड़ी चिथ के लई लंघा पल विच तंबू वैर दे असीं ना तानने हां लोक जागदे महरियांनाल परचन असीं खाब अंदर मौजां मानने हां लो छानदे भंग ते शरबतां नूं असीं आदमी नजर विच छानने हां",panjabi-pan "अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे अँगना बहारइत1 चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे । चेरिया , बबुआ जी के पारु न हँकरवा , 2 महलिया में कुछो काम हे ॥ 1 ॥ पोथिया जे बिगलन3 बबुआ दुअरवे पर , 4 अवरो दलनवा5 पर हे । मचिया बइठल तुहूँ भउजी , त सुनहऽ बचन मोरा हे ॥ 2 ॥ भउजी , कउची6 महलिया कुछो काम , त हमरा बोलावल जी । बबुआ , भइया जी के पारु न हँकरिया , त दरदे बेयाकुल जी ॥ 3 ॥ भइया , रउरा महलिया त कुछो काम , भउजी बोलावले जी । पसवा त फेंकलन परभु जी बेलवा तरे , अउरो बबूर तरे हे । भनसा7 पइसल तुहूँ धनियाँ , कउन काम हमरा बोलऽवलऽ जी ॥ 4 ॥ डाँर मोरा फाटे करइले8 जोगे , ओटिया चिल्हकि मारे हे । सामी , लामीलामी केसिया भसम9 लोटे , धरती अन्हार लागे हे ॥ 5 ॥ अतना बचनियाँ परभु जी सुनलन , त देबी जी मनावन चललन हे । देबी जी , तिरिया पर होहु न सहइया , अब न तिरिया पास जइबो हे ॥ 6 ॥ पहिले जे धनियाँ मोरा महितऽ , त अउरो में चूमि लेती हे । धनियाँ , मगही ढोली10 पनवा चभइती , 11त जँघिया बइठइती हे । धनियाँ , लाली रे रजइया हम ओढ़उती , त कोरबा12 ले के सुतती हे ॥ 7 ॥",magahi-mag "ये बहना डो ये बहना लेना डो ये बहना डो ये बहना लेना डो बुलवा ईन डायेन ये बहना डो ये बहना बहना बुलवा डो ईन डायेन ये बहना डो ये बहना बहना बुलवा डो ईन डाये ये डाई जा ये डाई इयां उरान नी डायेन मारे कजली गाय नी कोनकेन मारे ये डाई जा ये डाई इयां उरान जा कपली गेई जा कोनकेन मारे ये बहना बुलवा डो ईन डायेन ये बहना ये बहना ये बहना बहना बुलवा डो ईन डायेन ये बहना डो ये बहना कपली गेई कोनकेन मारे ये डाई जा ये डाई ईन भी से असली कोन्जई जा डाई ये डाई जा झाडी टालटेन ईन उलडे मारे स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल",korku-kfq "कय गुने कलसा हे, कय गुने भार कय1 गुने2 कलसा हे , कय गुने भार3 बोल हे कलसवा हे , के4 लेत भार ॥ 1 ॥ छव गुने कलसा हे , नव गुने भार । बोलथि5 जनइया6 रिखी7 हम लेबो भार ॥ 2 ॥ गंगाजल पानी देबो , पुंगीफल धान । चउमक8 बराय9 देबो , सगरो10 इँजोर11 ॥ 3 ॥ धन12 अनपुरना13 देइ , धन रउरा भाग । कलसा धराइ गेल14 जनइया रिखी के मड़वा ॥ 4 ॥",magahi-mag "गैलारौ जीकौ ओर न छोर ऐसी है गैल , गैल गहें चलो जात हेरौ , वौ गैलारौ । किदना निगौ ? कोऊ नइँ जानत बस निगत सबइ नें देखौ , मानों चका होय गाड़ी कौ , भमत जात है ऐसें जैसें पथरा ढँड़कत चूना पीसत की चकिया कौ । लीलाधौरा खैंचत जिऐ समै के बैला और संग में पिसत जात है दिन चूनासे हराँहराँ सब जिँदगानी के ।",bundeli-bns "राम के मथवा लुटिरिया, देखत नीक लागय हे आँख अँजाई राम के मथवा1 लुटिरिया , 2 देखत नीक3 लागय हे । ललना , ब्ररह्मा जे दिहले लुटुरिया , अधिको छबि लागय हे ॥ 1 ॥ राम के माथे तिलकवा , तिलक भल सोभय हे । ललना , चन्नन दिहले बसिट्ठ , 4 अधिको छबि लागय हे ॥ 2 ॥ राम के अँखिया रतनारि , काजर भल सोभय हे । ललना , काजर दिहले सुभदरा , 5 देखत नीक लागय हे , अधिको छबि लागय हे ॥ 3 ॥ राम के पाँव पैजनियाँ , पाँव भल सोभय हे । ललना , ठुमुकि चलले अँगनवाँ , देखत नीक लागय हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "अहो सगुनि अहो सगुनि, सगुने बियाह अहो सगुनि1 अहो सगुनि , सगुने2 बियाह । मैं तो जनइति3 गे4 सगुनी , होयतो बियाह ॥ 1 ॥ अरे काँचे बाँसे डलवा5 गे सगुनी , रखती बिनाय6 । अरे आपन बेटा दुलरइता दुलहा , रखती चुमाय7 ॥ 2 ॥ मैं तो जनइति गे सगुनी , होयतो बियाह । अरे अपन बेटी दुलरइतिन बेटी रखती छिपाय ॥ 3 ॥ रखे के न रखलऽ जी बाबा , लड़िका से बारी8 । अरे अब कते9 रखबऽ जी बाबा , सुबुधि सेयानी10 ।",magahi-mag "वेखो नी की कर गया माही वेखो नी की कर गया माही , लैंदा ही दिल हो गया राही , अंबड़ी झिड़के मैनूँ बाबल मारे , ताअने देंदे वीर प्यारे , ओसे दी गल ओहा नितारे , हँसदिआँ गल विच्च पै गई फाही । वेखो नी की कर गया माही । बूहे ते उन नाद वजाया , अकल फिकर सभ चा गवाया , जे बुरी बुरिआर मैं होया , मैनूँ देहो उते वल्ल तराही । वेखो नी की कर गया माही । इशक होर दे पए पुवाड़े कुझ सुलाँ कुझ करमा साड़े , मनसूर होराँ चा बुरके पाड़े , असाँ भी मुँह तो लोई लाही । वेखो नी की कर गया माही । बुल्ला सहु दी इशक रंजाणी , डंगी आँ मैं किसे नाग अयाणी , अज्ज अजोके प्रीत ना जाणी , लग्गी रोज़ अज़ल दी माही । वेखो नी की कर गया माही ।",panjabi-pan "अरे निऊँ रौवै बूढ़ बैल अरे निऊँ रौवे बूढ़ बैल , म्हने मत बेचै रे , पापी तेरे कुल कोल्हू में चाल्या नाज कमा कै तेरे घरां घाल्या इब तन्ने कर ली है बज्जर की छाती । तेरा बज्जड़ खेत मन्ने तोड्या , गडीते न मुँह मोड्या , इब मेरी बेचै से माटी । मेरी रै क्यों बेचै से माटी ? अरे निऊँ रौवै बूढ़ बैल । भावार्थ अरे यूँ रो रहा है बूढ़ा बैल ' मुझे बेच मत , ओ पापी मैं तेरे सारे परिवार के कोल्हू में जुता हूँ यानी तेरे परिवार को पालने के लिए सारे काम मैंने किए हैं । तेरे घर को मैंने अनाज से भर दिया और अब तूने अपना हृदय वज्र के सामान सख़्त बना लिया है । मैंने पूरी तरह से बंजर तेरे खेत को भी जोतजोत कर उपजाऊ बना डाला । गाड़ी छकड़ा या बैलगाड़ी में जुतने से भी मैंने तुझे कभी इंकार नहीं किया । और अब तू मेरी मिट्टी मेरी यह वृद्ध देहबेचने जा रहा है । अरे भाई , क्यों बेच रहा है तू मेरी यह मिट्टी ? ' बूढ़ा बैल यह कहकह कर रो रहा है ।",haryanvi-bgc "ओखरी में चउरा छँटाएब हे, चकरी में दाल दराएब हे, ओखरी1 में चउरा2 छँटाएब हे , चकरी3 में दाल दराएब4 हे , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । बराम्हन के नेओता5 पेठाएब , पोथिआ समेत6 चलि आवऽ कन्हइआजी के मूंड़न हे । बराम्हन अलुरी7 पसारे , हम लेबौ पोथिया के मोल , कन्हइआ जी के मूंड़न हे ॥ 1 ॥ ओखरी में चउरा छँटाएब हे , चकरी में दाल दराएब हे , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । हजमा8 के नेओता पेठाएब , छुरबा9 समेत चलि आवऽ , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । हजमा अलुरी पसारे , हम लेबो छुरबा के मोल , कन्हइआ जी के मूंड़न हे ॥ 2 ॥ ओखरी में चउरा छँटाएब , चकरी में दाल दराएब , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । कुम्हारा10 के नेओता पेठाएब , कलसा समेत चलि आवऽ , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । कुम्हरा अलुरी पसारे , हम लेबो कलसा के मोल , कन्हइआ जी के मूंड़न हे ॥ 3 ॥ ओखरी में चउरा छँटाएब , चकरी में दाल दराएब , कन्हइआ जी के मूंड़न हे । फूआ11 के नेओता पेठाएब , फुफ्फा12 समेत चलि आवऽ कन्हइआ जी के मूंड़न हे । फूआ अलुरी पसारे , हम लेबो बबुआ के मोल , कन्हइआ जी के मूंड़न हे ॥ 4 ॥",magahi-mag "खेती खेडो रे हरिनाम की खेती खेड़ो रे हरिनाम की , जेम घणो होय लाभ १ पाप का पालवा कटाड़जो , आरे काठी बाहेर राल कर्म की फाँस एचाड़जो खेती निरमळ हुई जाय . . . खेती खेड़ो रे . . . . २ आस स्वास दोई बैल है , आरे सुरती रास लगाव प्रेम पिराणो हो कर धरो ज्ञानी आर लगावो . . . खेती खेड़ो रे . . . ३ ओहम् वख्खर जोतजो , आरे सोहम् सरतो लगावो मुल मंत्र बीज बोवजो खेती लुटा लुम हुई जाय . . . खेती खेड़ो रे . . . ४ सत को माँडवो रोपजो , आरे धर्म की पयडी लगावो ज्ञान का गोला चलावजो सुआ उड़ी उड़ी जाय . . . खेती खेड़ो रे . . . ५ दया की दावण राळजो , आरे बहुरि फेरा नी होय कहे सिंगा पयचाण जो आवा गमन नी होय . . . खेती खेड़ो रे . . . .",nimadi-noe "बाये कोयलि बाये कोयलि आले देशो बो डी बाये कोयलि बाये कोयलि आले देशो बो डी बाये कोयलि बाये कोयलि आले देशो बो डी बाये कोयलि बाये कोयलि आले देशो बो डी आपे देशो बाये कोयलि आले देशो बी डी आपे देशो बाये कोयलि आले देशो बी डी आपे देशो बाये कोयलि आले देशो बी डी आपे साड़ी बाये कोयलि आले साड़ी उरीये आपे साड़ी बाये कोयलि आले साड़ी उरीये आपे साड़ी बाये कोयलि आले साड़ी उरीये आपे चाँदी बाये कोयलि आले चांदी उरीये आपे चाँदी बाये कोयलि आले चांदी उरीये आपे चाँदी बाये कोयलि आले चांदी उरीये स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "साथिया पुरावो हे रणचंडी दुर्गा चामुंडा करता सवनी रखवाली हे माजी करता सवनी रखवाली हे महिसासुर मर्दिनी अम्बिका जै जै माँ गबर वाली जै जै माँ आरासुर वाली खेडब्रह्मा ना खोले रमता बाला घुमे बहुचर वाली गरबे रमवा ने आवो बाल साहू विनवे माँ पवावाली माँ जै जै माँ गबर वाली . . . साथिया पुरावो द्वारे , दिवडा प्रग्टावो राज आज मारा आँगणे पधारशे माँ पावावाली जै अम्बे जै अम्बे अम्बे जै जै अम्बे . . . वान्झिया नो मेलो पाले रमवा राजकुमार दे खोळा नो खुन्दनार दे कुंवारी कन्या ने मनगम्तो भरतार दे प्रीतमजी नो प्यार दे निर्धन ने धन धान आपे राखे माड़ी सवनी लाज आज मारा आँगणे पधारशे माँ पावावाली साथिया पुरावो द्वारे , दिवडा प्रग्टावो राज आज मारा आँगने पधारशे माँ पावावाली जै अम्बे जै अम्बे अम्बे जै जै अम्बे . . .",gujarati-guj "प्यारा यार मनावाँगी टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । इस टुणे नूँ पढ़ फूकाँगी , सूरज अगन जलावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । अक्खिआँ काजल काले बादल , भवाँ1 से आग लगावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । और बसात2 नहीं कुझ मेरी , जोबन धड़ी गुन्दावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । सत्त समुन्दर दिल दे अन्दर , दिल से लहर उठावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । बिजली होकर चमक डरावाँ , मैं बादल घिर घिर जावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । इशक अँगीठी हरमल3 तारे , सूरज अगन चढ़ावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी । ना मैं ब्याही ना मैं कँवारी , बेटा गोद खिड़ावाँगी । बुल्ला लामकान4 दी पटड़ी उत्ते , बह नाद बजावाँगी । टुणे कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावाँगी ।",panjabi-pan "बधाये नन्द के घर आज सुहाये नन्द के घर आज बधाये नन्द के घर आज , सुहाये नन्द के घर आज । टैरो टैरो सुगर नहनिया , घरघर बुलावा देय बधाये . . . अपनेअपने महलिन भीतर , सब सखि करती सिंगार पटियां पारे , मांग संवारे , वेंदी दिपत लिलार । बधाये . . . आवत देखी सबरी सखियां , झपट के खोले किवाड़ बूढ़नबड़ेन की पइयां पड़त हूं , छोटेन को परणाम । बधाये . . . बाबा नन्द बजारे जइयो , साड़ी सरहज खों ले आओ पहिनो ओढो सबरी सखियां , जो जी के अंगे भाये । बधाये . . . पहिन ओढ़ ठांड़ी भई सखियां , मुख भर देतीं आशीष जुगजुग जिये माई तेरो कन्हैया , राखे सभी को मान । बधाये . . .",bundeli-bns "जाग नी मेरी बाल कन्या जाग नी मेरी बाल कन्या , जाग रुकमणी राणीये । कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका , कीकण जागां मेरेया लखेया देसा , बाबल तां वर घर नहीं लेआयेया , बाबल तेरा दान करदा , लै गडवे इशनान करदा , मोतियाँ बाबल चौक पूरदा , बाबल तां वर घर लै आयेया । जाग नी मेरी बाल कन्या , जाग रुकमणी राणीये । कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका , कीकण जागां मेरेया लखेया देसा , भईया तां दाजो नहीं लैआएया भईया तेरा दान करदा , लै गडवे इशनान करदा , मोतियाँ भईया चौक पूरदा , भईया दाज लै के आयेया । जाग नी मेरी बाल कन्या , जाग रुकमणी राणीये । कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका , कीकण जागां मेरेया लखेया देसा , चाचा तां गुलियान नहीं लैएया चाचा तेरा दान करदा , लै गडवे इशनान करदा , मोतियाँ चाचा चौक पूरदा , चाचा गुलियान लै आयेया । जाग नी मेरी बाल कन्या , जाग रुकमणी राणीये । कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका , कीकण जागां मेरेया लखेया देसा , मामा तां चूड़ा नहीं लेएया । मामा तेरा दान करदा , लै गडवे इशनान करदा , मोतियाँ मामा चौक पूरदा , मामागु चूड़ा लै के आयेया ।",panjabi-pan "मोरे पिछवरवा चन्दन गाछ आवरो से चन्दन हो मोरे पिछवरवा चन्दन गाछ अवरो से चन्दन हो रामा सुघर बडइया मारे छेवर लालन जी के पालन हो ॥ रामा के गढउ खडउवा लालन जी के पालन हो , रामा जसुमती ठाढ़ी झुलावैं लालन जी के पालन हो ॥ झूलहु ए लाल झूलहु अवरो से झूलहु हो रामा जमुना से जल भरि लाईं त झुलवा झुलाइब हो ॥ जमुना पहुँच न पावों घडिलवौ ना भरिलिउं हो रामा पिछवाँ उलटि जो मैं चितवौं पहल मुरली बाजल हो ॥ रान परोसिन मैया मोरी अवरो बहिन मोरी हो बहिनि छवहि दिना के भइने लाल त मुरली बजावल हो ॥ चुप रहु जसुमति चुप रहु दुसमन जनि सुनै हो बहिनी ईहैं त कंस के मारिहैं औ गोकुला बसैहैं हो ॥",bhojpuri-bho "सात सहेल्यां रे झूलरे सात सहेल्यां रे झूलरे , पणिहारी जीयेलो मिरगानेणी जीयेलो पाण्यू चाली रे तालाब , बाला जो काळी रे कळायण उमडी एपणिहारी जीयेलो , मिरगानेणीजीयेलो , छोटोडी बूंदां रो बरसे मेह , बालाजो आज धराऊं धूंधलो ए पणिहारी . . . मोटोडो धारां रो बरसे मेह , बाला जो भर नाडा भर नाडयां ए पणिहारी . . . भरियोभरियो समंद तलाब , बाला जो",rajasthani-raj "बजरंग बली- उँचो माळो डगमाळ , टोंगल्या बूडन्ती ज्वार । । काचा सूत की बजरंग बली की गोफण , सावळ राणी होर्या टोवण जाई । । हरमीधरमी का होर्या उड़ी जाजो , ने पापी का खाजो सगळो खेत । । बजरंग बली का महल ऊँचा है और ज्वार घुटने से ऊपर तक की है । बजरंग बली की गोफण कच्चे सूत की बनाई है । सावल रानी तोते उड़ाने जाती हैं । धरमी के खेत छोड़कर तोतो , पापी का खेत सारा चुग लेना । हनुमानजी की पत्नी सावल रानी को माना है ।",bhili-bhb "रेपे रेपे टे कोयो येचकेन नानी रेपे रेपे टे कोयो येचकेन नानी रेपे रेपे टे कोयो येचकेन नानी आम्बे बोचो किजा बल कुयेरा आम्बे बोचो किजा बल कुयेरा आमानी कटारी इली कुवेरा आमानी कटारी इली कुवेरा आम्बे सोल कीजा बल कुवेरा आम्बे सोल कीजा बल कुवेरा आमानी कटारी इली कुवेरा आमानी कटारी इली कुवेरा नाना आम्बे कपि कीजा बल कुवेरा नाना आम्बे कपि कीजा बल कुवेरा मिया परा आम जोमे मिया परा रेमा जोमे मिया परा आम जोमे मिया परा रेमा जोमे रेमा अनाशा पूरा कीजा बल कुवेरा रेमा अनाशा पूरा कीजा बल कुवेरा स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "बाना गीत गुदड़ये बठो रे बानो कागते वाचे । इनी धड़े फुवो , पली धड़े फुई । विच मा बठो रे बानो , कागते वाचे । इनी धड़े भाई , पत्नी धड़े भोजाई , विच मा बठो रे बानो , कागते वाचे । इनी धड़े बनवी , पत्नी धड़े बइण विच मा बठो रे बानो कागद वाचे । गद्दी पर बैठा हुआ दूल्हा कागज पढ़ रहा है । दूल्हे के एक तरफ फूफा बैठा है और दूसरी तरफ फूफी बैठी है । बीच में दूल्हा कागज पढ़ रहा है । इस ओर भाई तथा उस ओर भौजाई बैठी है । इस ओर बहन और उस ओर बहनोई बैठा है । बीच में बैठा बना कागज पढ़ रहा है ।",bhili-bhb "सिदुवा तिन मथुरा मा जनम लीने , विष्णु मेरा करतार , तिन देवकी का गर्भ लीने , मेरा अवतार । तुम द्वारिका का धनी होला , मथुरा का ग्वैर1 गायों का गोपाल होला , गोप्यों का मोहन । तुम तै प्यारी होली , मधुवन की कुँज स्ये , तुम तैं प्यारा होला , जमुना का त छाला2 । तब सुपिना मा देखे कृष्ण गगू की रमोली , रौंत्याली रमोली3 होलि , तौं ऊँचो डाँडयों4 मा । बाँज की वणीई5 होली , तख होली कुलाई6 , अनमन भाँति का फूल , अनमनभाँति की वासिना7 दूरू फैल्याँ सौड़8 होला , होलो ऊँचो शतरंज9 देखे भगवानन बाँकी रमोली लागे मन तब इनाबैन बोदा साँवल भगीवान् हे गंगू रमोला , मैं तेरी रमोली औंदू । द्वारिका नारैण छौं , मैं तेरो कुलदेव , जगा दियाल मैं , तेरी रमोली लग्यो मन । मैं नी माणदू कै सणी10 , देवता सुण्याल11 , गंगू रमोलो छऊँ मैं , मेरा अग्वाड़ी12 क्वी नी समझलू देवता त्वै , नितर रिङ्वा13 , जु रागसीण मारी देलो , सेम छ वींको वासो । मैन हरणाकंस मारे , मैन असुर संहारया , रागसीण मारणी गंगू , मेरा अग्वाड़ी क्या छ ? कला पूरा छयो कृष्ण , जसीलो देवता मारी दिन रागसीण , चीरे चारी दिशौं मा । तब तई सेम मुखम , तेरा बजदा घाँड , दस घड़ी सजा14 होन्दी , बीस घड़ी की पूजा । सिदुवा लिजाँद डौरूथाली , कृष्ण लिजाँद शंख । चलदऊ सिदुवा जौला15 , पंडौऊ16 की जैन्ती17 । रौड़दादौड़दा गैन , तब खैट की खाल18 । खैट की खाल गैन , चौपता चौराड़ी । चौपता चौराड़ी गेन , कोंकू19 डाली छैलू20 । तब कृष्ण भगीवान , कना बैन बोदान : कंूकू डाली नीस सिदुवा , छम धड्याली21 लौला । तब अनमन भाँति की , तौन धड्याली लगाये । खैट की आछरी22 तब देव्यो , कना बैन बोदीन , खैट कीखाल देव्यों , कू होलू धड्याल्या ? चला दीदी भुल्यों , धड्याला भू जौला । आज की धड्याली सूणी , मन ह्वैगे मोहित , चित होइगे चंचल । तब निकलीन भैर23 , आछरियों की टोली अगास की गैणी छै वो , धरती की चाँदना । रूप की जोत छई , कांठ्यों को उद्यौऊ । धाड थाला मू जैक , देव्यों रास रचीयाले , अनमन भाँति को , लगे रास मंडल । रूप की छलार पड़े , शीशू चमलाणी । सिदुवा बजौंद डौंरू थाली , कृष्ण करद अनमन , भाँति को नाच",garhwali-gbm "527 अजू आखया सैदया जाह भाई एह वौहटियां बहुत पयारियां ने जाह बन्ह के हथ सलाम करना तुसां तारियां खलकतां सारियां ने अगे नजर रखीं सारा हाल असीं अगे जोगिड़े दी करीं जारियां ने सानूं बनी है हीर नूं सप्प लड़या खोल कहीं हकीकतां सारियां ने आखीं रब्ब दे वासते चलो जोगी सानूं पइयां मुसीबतां भारियां ने जोगी मार मंतर करो सब हाजर जाह लया मना तूं वारियां ने वारस शाह उथे नहीं फुरे मंतर जिथे इशक ने दंदियां मारियां ने",panjabi-pan "मृत्यु गीत राम भजो रे , भगवान मारो मन काई म लागी रयो । राम भजो रे , भगवान मारो मन काई म लागी रयो । राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । भगवान मारो मन बेटाबहु म रमी रयो रे राम । भगवान मारो मन बेटाबहु म रमी रयो रे राम । भगवान मारो मन कई मा लागी रयो । राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । भगवान मारो मन खेतीवाड़ी म लगी रयो । भगवान मारो मन खेतीवाड़ी म लगी रयो । राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मारो मन छोरी जवाँई म लगी रयो ॥ राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मारा मन कइ मा लगी रयो ॥ राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मारो मन नातीपोती म लगी रयो ॥ राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मारो मन कइ मा लगी रयो ॥ राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मारो मन घरबार म लगी रयो ॥ राम भजो रे , भगवान राम भजो रे । मानव के अन्तिम क्षणों में जब केवल श्वाँस बाकी रहती है , उस समय की दशा का इस मृत्यु गीत में वर्णन किया गया है । राम का भजन करो । हे भगवान मेरा मन किसमें लगा हुआ है जिससे मेरा जीव अटका है । मरणासन्न दशा वाले मनुष्य से कहलाया गया है कि मेरा गन अपने पुत्रो और बहुओं में लगा हुआ है । इस सभी का मोह मेरी आत्मा को रोके हुए है । आगे कहा गया है कि मेरा मन खेतीबाड़ी के मोह में अटका हुआ है । मेरी खेतीबाड़ी इतनी बड़ी और अच्छी है । यह संसार मोह माया है इसमें जीव अटका है । लड़की और जवाँई के मोह में मेरा जीव अटका है । नाती और पोती का मोह भी रोके हुए हैं । घरबार का मोह भी रुकावट डालता है । गीत का मुख्य उद्देश्य यह है कि माया मोह के सांसारिक बंधनों में मनुष्य पड़ा रहता है । राम का भजन करना चाहिए जिससे मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती है । लोगों को भगवान के भजन की ओर प्रेरित करने के प्रयास में ये उदाहरण दिये हैं ।",bhili-bhb "24 नढी सयालां दी व्याहके लयावसां मैं करो बोलियां नाल ठठोलियां नी बहे घत पीढ़ा वांग रानियां दे अगे तुसां जेहियां होवन गोलियां नी मझू वाह विच बोड़ीए भाबियां नूं होण तुसां जहियां बड़बोलियां नी वारस बस करो असीं रज रहे भर दितियां जो तुसां झोलियां नी",panjabi-pan "अंगण खज़ूरां मैं लाईआं अंगण खज़ूरां मैं लाईआं , मन मेरड़िआ मैं घक़ कम्म ज़रूर , वीरां घर सोहलड़े माई मेरी ने भाजी घल्ली , मन मेरड़िआ पेके तां जाणा ज़रूर , वीरां घर सोहलड़े देईं नी सस्से झग्गा टोपी , सस्सु मेरड़िए मैं पेकड़े जाणा ज़रूर , वीरां घर सोहलड़े लै लै नी नूहें झग्गा टोपी , नूहें मेरड़िए आपनड़े घर राज , दिऊरां घर सोहलड़े लिआ वे दिऊरा घोड़ी , दिऊरा मेरड़िआ मैं पेकड़े जाणा ज़रूर , वीरां घर सोहलड़े वड्डी भैण ने सद्दा दित्ता , वीरां मेरड़िआ छोटी तूं आई ज़रूर , वीरां घर सोहलड़े",panjabi-pan "अंगिका बुझौवल तर खमेरी ऊपर झण्डा जेकरोॅ पात सहस्सर खण्डा । ओल हिन्हौ टट्टी , हुन्हौ टट्टी , बीच में मकइया फरै में लदबद , खाय में मिठैइया । पानी के सिंघाड़ा चलोॅ पाँचो भाय पाण्डव चरका पथलोॅ के पार करी दीहोॅ । अंगुरीदाँत एक मुट्ठी नारोॅ सौंसे घरोॅ छारोॅ । सिन्दूर हिन्हौ टट्टी , हुन्हौ टट्टी , बीच में सड़कवा फरेॅ लागलै काली माय , छोड़ी देलकै बन्दूकवा । सलाम चार कबूतर चार रंग भाड़ी में ढूकेॅ एके रंग । पान हेती टा चुकड़ी में तीन बचवा किरीन के धाव लागल उड़ बचवा । अंडी इती टा भालमियाँ हेत्तेॅ ठो पुछड़ी सूई आँखीतर गुजुरगुजुर गुजुर तर फें फें फें फें तर फदर फदर सुनेॅ तेॅ कें कें आँख , नाक , मुख , कान एक महल में दू दरवाजा ऐलै लटकन मारोॅ पटकन नाक बाप रे बाप ऊपर से गिरलै बड़का चाप घोॅर भागलै दुआर दै केॅ हम्में कोन दै केॅ भागवै रे बाप जालमछली तोॅर टाटी ऊपर टाटी बीच में नाचेॅ गोली पाठी जीभ चार कबूतर चार रंग भाँड़ी में ढूकेॅ तेॅ एक्के रंग पान , सुपारी , चूना , कत्था सूतसूत पर आग बरेॅ लेकिन सूत एक नै जरेॅ बिजली का तार घोटोॅ घोटोॅ डिबिया लाल लाल बिबिया मसूर लाल हाथी उजरोॅ सूँढ़ बूटकी अँकुरी तोॅर गदगद ऊपर फेन तेकरोॅ बेटा रतन सेन भात",angika-anp "केहा झेड़ा लायो ई? आ सज्जण गल लग्ग असाडे , केहा झेड़ा लायो ई ? सुत्तेआँ बैठेआँ कुझ ना डिट्ठा , जागदेआं सहु पायो ई । कुम्ब बि इजली शमस1 बोले , उल्टा कर लटकायो ई । इशकन इशकन लग्ग विच्च होइआँ , दे दिलास बिठायो ई । मैं तैं काटी नहीं जुदाई , फिर क्यों आप छुपायो ई । मज्झिआँ आइआँ माही ना आया , फूक बिरहों डुलायो ई । ऐस इशक दे वेक्खे कारे , यूसफ खूह पवायो ई । वाँग जुलैखा विच्च मिशर दे , घुँघट खोल रूलायो ई । रब्बएअरनी मूसा बोले , तद कोह तूर जलायो ई । लन तरानी2 झिडकाँ वाला , आपे हुक्म सुणायो ई । इशक दीवाने कीता फानी , दिल यतीम बणायो ई । बुल्ला सहु घर वसिआ आ के , शाह अनायत पायो रे । आ सज्जण गल लग्ग असाडे , केहा झेड़ा लायो ई ।",panjabi-pan "लचिका रानी चौथा खण्ड रम्मा कुँवर सुमरै धरती मैयो रे ना रम्मा वीर बाँके रणवीर कुवरवो रे ना रम्मा दादियाँ के करै परनममो रे ना रम्मा घोड़ियाँ पर होलै सबरवो रे ना रम्मा बारप्पा सें करलकै परसथनमो रे ना रम्मा चली देलकै दुश्मनमा के देशवो रे ना रम्मा कुँवर बोलै घोड़ी सें बचनमो रे ना रम्मा चले घोड़ी दुश्मनमा के देशवो रे ना रम्मा घोड़ी छोड़ै धरती उड़े आकशवो रे ना रम्मा कुछ ही घंटा में जाय पहुँचलै मुदैई नगरियो रे ना रम्मा होय छेलै राजा घर आनन्दवो रे ना रम्मा लचिका सें करै छेलै विधिवत् विहववो रे ना रम्मा होय छेलै मंगल गीत गानमो रे ना रम्मा बाजै छेलै दुआरी पर बजवो रे ना रम्मा राजा छेलै खुशी मगनमो रे ना रम्मा बड़ी भीड़ छेलै दुवरियो रे ना रम्मा वही समय पहुचलै कुंवर रणवीरवो रे ना रम्मा जहाँ करै छेलै लचिका दानमो रे ना रम्मा वहाँ गेलै कुंवर रणबीरबो रे ना रम्मा घोड़ी पीठी पर होलै सबरवो रे ना रम्मा बोलै बात बड़ी कड़वो रे ना रम्मा हरि के लानल्है हमरो मैयो रे ना रम्मा करबै हम्में होकरोॅ बेटी से बिहवबो रे ना रम्मा हम्मू जों होभै असल के जनमलो रे ना रम्मा हम्मू चूकैय्यै लेबै बापोॅ के बदलो रे ना रम्मा आजु दिनां देखबै होकरोॅ बलबो रे ना रम्मा तलवरवा सें काटि होकरोॅ सिरबो रे ना रम्मा काटि केॅ लटकैय्यै देवै पीपरवा के गछियाँ पर सिरबो रे ना रम्मा कुंवर के सुनि के बतियो रे ना रम्मा लचिका रानी सुनी केॅ होलै खुशवो रे ना रम्मा लचिका के छतियाँ से बहै लागलै दुधबो रे ना रम्मा पड़लै जायकै कुंवर के मुंहमो रे ना रम्मा ऐसन देखि के हलवो रे ना रम्मा तबेॅ कहेॅ लागलै रानी लचिको रे ना रम्मा सुनोॅ नुनुआ हमरोॅ बतवो रे ना रम्मा भागी जो तों चुपचपवो रे ना रम्मा भेद नहीं जानौं पापी रजवो रे ना रम्मा जबेॅ होय जैताैं राजा के मालूममो रे ना रम्मा जित्तोॅ नै छोड़ताैं परनममो रे ना रम्मा माता के सुनी बचनमो रे ना रम्मा तबेॅ बोलै कुंवर रणवीरवो रे ना रम्मा सुनोॅ मैया हमरोॅ कहनमो रे ना रम्मा तोरोॅ चरन पर धरै मथवो रे ना रम्मा मैया तों दे हमरा आशिशबो रे ना रम्मा असल के जो होवै लड़कवो रे ना रम्मा हम्में आपनोॅ बापो के लेवै बदलवो रे ना रम्मा बिना बदला चुकैलै नै जैबै आपनोॅ देशवो रे ना रम्मा एतना कहि केॅ बचनमो रे ना रम्मा मैया केॅ करलकै परनममो रे ना रम्मा तबेॅ देलकै मैया अशिरबदवो रे ना रम्मा कुंवर ऐलै सीधा दरबरवो रे ना रम्मा गरजी केॅ बोलै बचनमो रे ना रम्मा हरन करि केॅ जे लानल्हे हमरोॅ मैयो रे ना रम्मा आबी जो तों हमरोॅ सामना रे ना रम्मा देखबै हम्में होकरोॅ सुरतियो रे ना रम्मा जों होतै असल के पैदवो रे ना रम्मा आवी केॅ निकलतै मैदनमो रे ना रम्मा देलकै कुंवर ललकरवो रे ना रम्मा देवै होकरोॅ विगाड़ी नकशवो रे ना रम्मा सुनि केॅ कुंवर के ललकरबो रे ना रम्मा राजा हौले जरी केॅ अंगरवो रे ना रम्मा दै देलकै पलटन केॅ हुकुवमो रे ना रम्मा जल्दी सें होय जो तैयरवो रे ना रम्मा सुनी केॅ हुकुम पलटनमो रे ना रम्मा आवी जुटलै सब मैदनमो रे ना रम्मा टूटी पड़लै कुंवर के उपरवो रे ना रम्मा तबेॅ कुंवर देलकै ललकरवो रे ना रम्मा घोड़ी उड़ै आकशवा रे ना रम्मा दोॅत सें काटी गिरावै पलटनमो रे ना रम्मा घोड़ी पर चढ़ी केॅ कुंवर रणवीरवो रे ना रम्मा जैसै काटै खेत किसनमो रे ना रम्मा वैसे काटै कुंवर सेनमो रे ना रम्मा खुनमा से पटै धरतियो रे ना रम्मा खतम होय गेलै सब सैनिकवो रे ना रम्मा अकेला बचलै एक्के रजवो रे ना रम्मा होकरोॅ काटलकै गरदन वीर रणवीरवो रे ना रम्मा बापोॅ के चुकैलकै बदलवो रे ना रम्मा कुंवर जीतलकै समरवो रे ना रम्मा तबेॅ गेलै गढ़ के उपरवो रे ना रम्मा धजवा फरैलकै कुंवर रणबीरवो रे ना रम्मा तोड़ी देलकै सबके गुमनमो रे ना रम्मा चल्लो गेलै महल के भीतरवो रे ना रम्मा जहाँ छेलै रजवा के बेटीयो रे ना रम्मा रजबा के बेटी लैकेॅ संगबो रे ना रम्मा हीरामंती जेकरोॅ नाममो रे ना रम्मा चमकै छैलै होकरोॅ रूपवो रे ना रम्मा ऐलै आपनोॅ मैया के किनटवो रे ना रम्मा हाथ जोड़ी करलकै मैया केॅ परनममो रे ना रम्मा देलकै मैया तबेॅ आर्शीबदबो रे ना रम्मा कुंवर मन होलै आनन्दवो रे ना रम्मा मैया के साथोॅ में कुंवरवो रे ना रम्मा चली देलकै आपनोॅ देशवो रे ना रम्मा कुंवर आवी गेलै नौरंग पोखरबो रे ना रम्मा बोलै तबेॅ कुंवर रणवीरवो रे ना रम्मा सुनी लेॅ राजा के बेटीयो रे ना रम्मा यै पोखरिया उपर जेतना हड्डियो रे ना रम्मा चुनीचुनी करै तों जोअरवो रे ना रम्मा तोरोॅ बापोॅ के करनमो रे ना रम्मा कुंवर के सुनी बचनमो रे ना रम्मा भोकरीभोकरी कानेॅ लागलै हिरामंती रे ना रम्मा कथीलेॅ होलोॅ छेलै हमरोॅ जनममो रे ना रम्मा कौनी जनमोॅ में करलोॅ छेलां पपवो रे ना रम्मा जे आय हमरा भोगे लेॅ पड़ै रे ना रम्मा कुंवर कहै आपनोॅ कहनमो रे ना रम्मा जल्दी सें मानी लेॅ हमरोॅ कहनमो रे ना रम्मा यही बातोॅ में तोरोेॅ कुशलवो रे ना रम्मा नहीं तेॅ करवोॅ तोरोॅ दुरगतियाँ रे ना रम्मा खींची लेवौ देहोॅ के खलवो रे ना रम्मा कत्तो तों कानभै नै छोड़वौ जानमो रे ना रम्मा हमरोॅ कहलोॅ मुताबिक करेॅ तों कममो रे ना रम्मा जैसनोॅ तोरोॅ वापोॅ के मारलियो समानमो रे ना रम्मा वैसने लै लेवौ तोरोॅ परनममो रे ना रम्मा हीरामंती कानै धुनीधुनी कपरवो रे ना रम्मा लोर पोछीपोछी भीजाबै अचरबो रे ना रम्मा कुछु दिन के बादबो रे ना रम्मा आवी गेलै शिवरतियाँ के दिनमो रे ना रम्मा शिबरतियाँ के दिनमा हिरामंती सें कुंवर करलकै बिहबबो रे ना रम्मा बाजै लागलै खुशी के बजबो रे ना रम्मा मंगल गीत हुवै लागलै अंगनमो रे ना रम्मा छुटी गेलै कुंवर के सब विपत्तियो रे ना रम्मा खुशिया से रहै रानी लचिको रे ना रम्मा पुरी गेलै सब्भै आस अरमनमो रे ना रम्मा कुंवर रणबीरवा केॅ पिन्हलकै राज मुकुटवो रे ना रम्मा कुंवर रणबीरवा भेलै वरप्पा के रजवो रे ना रम्मा वीतेॅ लागलै खुशी से जीवनमो रे ना रम्मा परजबा में भी होलै खुशियो रे ना रम्मा खनैलकै वारोॅ कुपवो रे ना रम्मा हरलो राज धुरी केॅ होलै रे ना रम्मा जनता के खुशी सें राजा रहै प्रसन्नमो रे ना ।",angika-anp "कथि केर खटोलवा त कथि केर ओरहन हे कथि1 केर खटोलवा त कथि केर ओरहन2 हे । ललना , सेहो चढ़ि धानि वेदनायली , 3 वेदने बेयाकुल हे ॥ 1 ॥ चनन कोरा खटोलवा , त रेसम के ओरहन हे । सेहो चढ़ि धानि वेदनायली , बेदने बेयाकुल हे ॥ 2 ॥ आन4 दिन सुतलऽ एके सेज , बहर5 सिरहाना6 कयले हे । धानि हे , आज काहे सुतलऽ दोसर सेजिया , परभु से बयर कयलऽ हे ॥ 3 ॥ काँचहि बँसवा कटायब , खटोला बिनायब हे । पिया से लड़िए झगड़ि करि बेदना बँटायब हे ॥ 4 ॥ टोला परोसिन के माय , तुहुँ मोर बहिनी ही हे । मइया , सब मिलि धनि परबोधऽ , कहि समुझावऽ हे ॥ 5 ॥ तोर धनि दिनमा के थोरी , बयसवा के भारी7 हथु हे । बबुआ , जबो घर होयतो नंदलाल , करिहऽ पनचाइत हे । जबे घर होयतो होरिलवा तबही परबोधब8 हे , कहि के बुझायब हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "घोड़ा सरीका चमके होय तो भायर निकालो घोड़ा सरीका चमके होय तो भायर निकालो घोड़ा सरीका चमके होय तो भायर निकालो समदन भायर निकालो समदन भायर निकालो हथ्थी सरीका डोले हो तो घर में रखी लेव हथ्थी सरीका डोले हो तो घर में रखी लेव घर में रखी लेव समदन घर में रखी लेवे घर में रखी लेव समदन घर में रखी लेवे स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम बंदी",korku-kfq "सुआ गीत-2 तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना तिरिया जनम झन देव तिरिया जनम मोर गऊ के बरोबर रे सुअना तिरिया जनम झन देव बिनती करंव मय चन्दा सुरुज के रे सुअना तिरिया जनम झन देव चोंच तो दिखत हवय लाले ला कुदंरु रे सुअना आंखी मसूर कस दार . . . सास मोला मारय ननद गारी देवय रे सुअना मोर पिया गिये परदेस तरी नरी नना मोर नहा नारी ना ना रे सुअना तिरिया जनम झन देव . . .",chhattisgarhi-hne "जय जय बोला जय भगोती नंदा (धार्मिक गीत) जय जय बोला जय भगोती नंदा , नंदा उंचा कैलास की जय जय जय बोला जय भगोती नंदा , नंदा उंचा कैलास की जय जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू , तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू , तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय जय जय बोला . . . . . . . काली कुलसारी की , देवी उफरांई की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . बगोली का लाटू की , हीत बिणेसर की नंदा राज राजेश्वरी . . . बीड़ा बधाण की , जमन सिंह जदोड़ा की , कांसुआ कुवंरुं की . . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . जय जय बोला , माता मैणावती , तेरा पिताजी हेमंता की जय . . . जय बोला जय भगोती नंदा , नंदा उंचा कैलासा की जय . . . जय बोला . . . . . नौटी का नौट्याळूं की , सेम का सेम्वाळूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . देवल का देवळ्यूं की , नूना का नवान्यूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . देवी नंदकेसरी की , छैकुड़ा का सत्यूं की , बाराटोकी बमणूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . जय जय बोला दशम द्वार डोली , डोली कुरुड़ हिंडोली की जय . . . जय बोला जय भगोती नंदा , नंदा उंचा कैलासा की जय . . . जय बोला . . . . डिमर का डिमर्यूं की , मलेथा मलेथ्यूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . तोती का ड्यूंड्यूं की , खंडूड़ा खंडूड़्यूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . नैणी का नैन्वळ्यूं की , गैरोळा थपल्यळ्यूं की , चेपड़्यूं का थोकदारूं की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . जय जय बोला हीत घंड्याळ , तेरा न्योज्यां निसाण की जय . . . . जय बोला जय भगोती नंदा . नंदा उंचा कैलासा की जय . . . जय बोला लाता की मल्यारी की , शैलेसर बनोली की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . मनोड़ा मनोड्यूं की , देवराड़ा देवरड्यूं की . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . चमोळी कंड्वळूं की , चौदा सयाणों की , द्यो सिंह भौ सिंह की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . जय जय बोला तांबा का पतार , तेरा रिंगदा छतारा की जय . . . . जय बोला जय भगोती नंदा . नंदा उंचा कैलासा की जय . . . जय बोला नैनीताल अल्मोड़ा की , रणचूला बैजनाथ की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . कोटमाई डंगोली की , दानपुर सनेती की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . . बदिया बागेसुर की , मारत्वोली जोहार की , छलमिलम मकाया की . . . नंदा राज राजेश्वरी . . . जय जय बोला ईष्ट देवी नंदा , नंदा कुमौ गढ़्वाळ की जय . . . जय बोला जय भगोती नंदा . नंदा उंचा कैलासा की जय . . . जय बोला",garhwali-gbm "327 वेहड़े वालियां दानियां आखदियां क्यों बोलदियो नाल दवानड़े नी कुड़ीए कासनूं झगड़े नाल जोगी एह तां जंगलीखडे निमानडे नी मंग खायके सदा एह देहे तयागन तबू वैरने एह तानदे नी कसब जानदे रब्ब दी याद वाला ऐडे झगड़े एह ना जानदे नी सदा रहन उदास निरास नगे बिरछ फूक के सयाल गुजारदे नी वारस शाह पर असां मलूम कीता जटी जोगी दोवें इकसे हानदे नी",panjabi-pan "अँगना में चकमक, कोहबर अँन्हार अँगना में चकमक , कोहबर अँन्हार1 । नेसि2 देहु दियरा3 होयतो4 इँजोर गे माइ ॥ 1 ॥ पान अइसन पतरी , सुहाग बाढ़ो5 तोर । साटन6 के अँगिया समाय7 नहीं कोर8 गे माइ ॥ 2 ॥ केंचुआ9 के चोरवा भइया , देहु न बँधाय । रउदा10 में बाँधल भइया , रहतन रउदाय11 । अँचरो में बाँधब भइया रहतन लोभाय ॥ 3 ॥",magahi-mag "बिन्दी तो तुम पैरो हो बनीजी बिन्दी तो तुम पैरो हो बनीजी , तुमखऽ बन्दड़ाजी बुलावऽ । । थारा रंगमहल कसी आऊं रे बना , म्हारा झाँझरिया की रूणुकझुणुक , म्हारा पिताजी सुणी लीसे । थारा पिताजी की गाळई हो बनी , मखऽ बहुतज प्यारी लागऽ । ।",nimadi-noe "मृत्यु गीत टेक आर तुन मनक्या जनम गमायो हंसा , नाम नहिं जाण्यो राम को । चौक1 हारे खाई न दिन गमाविया रे हंसा , सोइ न गमाइ तुन रात रे , आरे हंसा सोइन गमाइ तुन रात रे हीरा सरीका तुन जलम गमाया , एको कवड़ी मोल नइ पायो हंसा नहिं जाण्यो राम को । चौक2 तन की बणाइ तुन ताकड़ी , हांसा रे हांसा , मन को बणायो सेर रे , आरे हांसा मनको बणायो तुनसेर रे । सुरत नुरत दोनो डांडी लगाई , हांन थारा तोलणम कछु फेर हांसा नाम निजाण्यो राम को । चौक3 सकर विखरी रेत म रे हंसा , कसि पाछि आवे हाथ रे । अरे हंसा कसि पछि आवे हाथ रे । सरग सुवागणी ऊतरी रे , ऐसी किड़ियां बणकर चुंग । हंसा नाम नि जाण्यो राम को । छाप तिरगुणी घाट संत का मेळा कसि पत उतरेगा पार रे । कसि पत उतरेगा पार रे । गऊ का दान तुम देवो मोरे हंसा । तेरा धरम उतरारेगा पार , हंसा नाम नि जाण्यो राम को । अरे जीव तूने मानव जन्म खो दिया , राम का नाम नहीं जाना । अरे मानव तूने खाकर दिन खो दिए और सोकर रात खो दी । हीरे के समान तूने जन्म खो दिया । मानव जीवन का मूल्य एक कौड़ी के बराबर न पाया । राम का नाम न जाना । इस शरीर को तूने तराजू बनाई और मन का सेर बनाया । सुरतनिरत दोनों डांडी लगाई और तेरे तौलने में कुछ कपट है , तूने राम का नाम न जाना । अरे जीव शक्कर रेत में बिखर गई , वह अब हाथ में नहीं आ सकती , समय चला गया अब क्या ? उस रेत में बिखरी शक्कर को चीटियाँ बनकर चुग अर्थात् और चौरासी लाख योनियों में भटक । त्रिगुण घाट पर संतो का मेला किस प्रकार पार उतरेगा ? गोदान करो , तेरा धरम पार उतारेगा । तूने राम का नाम न जाना ।",bhili-bhb "हे री आई सै रंगीली तीज हे री आई सै रंगीली तीज , झूलन जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी बूड्ढा आया हे मां मेरी लेण नै जी , हां जी कोये नां जां बुड्ढे के साथ झूलण जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी हे री आई सै रंगीली तीज , झूलन जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी जेठा आया हे मां मेरी लेण नै जी , हां जी कोये नां जां जेठे के साथ झूलण जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी हे री आई सै रंगीली तीज , झूलन जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी देवर आया हे मां मेरी लेण नै जी , हां जी कोये नां जां पाली के साथ झूलण जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी हे री आई सै रंगीली तीज , झूलन जांगी हे मां मेरी बाग मैं जी कन्था आया हे मां मेरी लेण नै जी , हां जी कोये इब जां कन्थै के साथ झूलण जांगी हे री हरीयल बाग मैं जी",haryanvi-bgc "हेरा गइले बदरी में चनवां हेरा गइले बदरी में चनवां1 रे गुइयां चैत महीनवां । पागल पवनवां सुमनवा बटोरे , नरमी चमेलियन के बंहियां मरोड़े पांख झारि नाचेला मोरवा रे गुइयां चैत महीनवां । कोइली के बोली मोरा जियरा जरावे , घरआंगन मोहे तनिको ना भावे देवरा पापी निरखे जोबनवां रे गुइयां , चैत महीनवां ।",bhojpuri-bho "टिकवा ओलरि गेल माँग से टिकवा1 ओलरि2 गेल माँग से , दुलहा पेन्हावे3 हाँथ से , गीभरू4 पेन्हावे हाँथ से । अहियात5 बाढ़े भाग से , सोहाग6 बाढ़े भाग से ॥ 1 ॥ कंठवा7 ओलरि गेल गल्ला8 से , दुलहा पेन्हावे हाँथ से , गभरू पेन्हावे हाँथ से । अहियात बाढ़े भाग से , सोहाग बाढ़े भाग से ॥ 2 ॥ बलवा9 ओलरि गेल लिलुहा10 से , दुलहा पेन्हावे हाँथ से , गभरू पेन्हावे हाँथ से । अहियात बाढ़े भाग से , सोहाग बाढ़े भाग से ॥ 3 ॥ छागल11 ओलरि गेल पाँव से , दुलहा पेन्हावे हाँथ से , गभरू पेन्हावे हाँथ से । अहियात बाढ़े भाग से , सोहाग बाढ़े भाग से ॥ 4 ॥",magahi-mag "बहै पुरवैया कोसी माय डोलले सेमैर बहै पुरवैया कोसी माय डोलले सेमैर , नदिया किनारे महामैया भइये गेलखिन ठाढ़ि । नैया लाउ नैया लाउ मलहा जे भाय , पाँचो बहिन दोलिया मलहा उतारि दियौ पार । कथी के नैया कोसी माय कथी के पतवार , कोने विधि नैया उतारि दियौ पार । सोना के नैया कोसी माय रूपा के पतवार , झमकैत दोलिया उतारि दियौ पार । खनै नैया खेवै कोसी माय खने भसियाय , खने मलहा पूछै जाति के ठेकान । जाति के रे छियै मलहा बाहानक बेटी , नाम हमर छियै कासिकामाय । आब की पूछै छह मलहा दिल के बात , बँहिया जे छूबै मलहा कोढ़ी फूटि जाय ।",angika-anp "बेगी कीमड़ा खोले डो रानी बेगी कीमड़ा खोले डो रानी बेगी कीमड़ा खोले डो रानी रानी डो बेगी कीमड़ा खोले रानी डो बेगी कीमड़ा खोले इयानी राजा ऊरान बन जा जोगी इयानी राजा ऊरान बन जा जोगी अरे जोगी मैं कैसी बेगी कीमड़ा खोले अरे जोगी मैं कैसी बेगी कीमड़ा खोले इयानी राजा ऊरान बने जा जोगी इयानी राजा ऊरान बने जा जोगी चोफरा टेमा बेगी कीमड़ा खोले चोफरा टेमा बेगी कीमड़ा खोले हाथ का झल्ला पायं का मचूरा पहचान कर वो रानी हाथ का झल्ला पायं का मचूरा पहचान कर वो रानी रानी डो बेगी कीमड़ा खोले रानी डो बेगी कीमड़ा खोले स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी",korku-kfq "आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी छठी-पूजन आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी1 वयठहुँ आय । बबुआ के घोँटी2 देहु बतलाय ॥ 1 ॥ बचा3 महाउर4 आउर5 जायफर6 । सोने के सितुहा7 रूपे8 के काम । जसोमती घोँटी देल चुचकार ॥ 2 ॥",magahi-mag "281 अवे सुनी चाका सुआह ला मुंह ते जोगी होयके नजर भवा बैठों हीर सयाल दा यार मशहूर रांझा मौजां मन्न के कन्न पड़ा बैठों खेड़े यार लै गए मुंह मार तेरे सारी उमर दी लीक लवा बैठों तेरे बैठयां वयाह लै गए खेड़े दाड़ी परे दे विच मुणा बैठों जदों डिठया चाआ ना कोई लगे ए बूहे नाथ दे अंत नूं जा बैठों मंग छडीए नहीं जे जान होवे बली वधरा छड हया बैठों अमल ना कीतो ई गाफला ओए ऐवें कीमियां उमर गवा बैठों वारस शाह तरयाक1 दा थां नाहीं हथीं जहर तूं खा बैठों",panjabi-pan "कौने राज उपजै कोसी माय कौने राज उपजै कोसी माय लांग ते हे इलेचिया हे मेया कौने हे राज उपजै सरर के हे गाछ हे कौने हे राज तिरहुत राज उपजै छै कोसी माय लांग ते हे इलेचिया हे मैया मोरंग हे राज कोसी माय सरर के हे गाछ हे मोरंग हे राज कौने डाला तोरबैय हे कोसी माय लांग ते हे इलेचिया हे मैया कौने हे डाला तोरबैय सरर के हे गाछ हे मैया कौने हे डाला सोने डाला तोरब हे कोसी माय लंग ते हे इलेचिया हे मैया रूपा हे डाला तोरब सरर के हे गाछ हे रूपा हे डाला किए हमें करबैय हे कोसी माय सरर के हे गाछ हे किए हे करबैय तोरे चढ़इबऽ कोसी माय लांग ते हे इलेचिया हे मैया हे धूप देबऽ कोसी माय हे सरर के हे गाछ हे धूप हे देबऽ ।",angika-anp "मालिन के अँगना कसइलिया के गछिया मालिन के अँगना कसइलिया1 के गछिया2 रने बने3 पसरल4 डार5 हे । घर से बाहर भेले दुलहा दुलरइते दुलहा , तोड़ हइ6 कसइलिया के डार हे ॥ 1 ॥ घर से बाहर भेले दादा दुलरइते दादा , मालिन ओलहन7 देवे हे । देखो बाबू साहब तोहरे8 पोता9 तोड़े हे10 कसइलिया के डार हे ॥ 2 ॥ लड़िका रहइते मालिन बरजतियइ11 छयला बरजलो न जायगे । देबो गे अगे मालिन डाला12 भर सोनमा , डाला भर रूपवा , तोड़े दे कसइलिया के डार गे ॥ 3 ॥ हमरा दुलरइते दुलहा कसइलिया के भूखल , तोड़े हइ कसइलिया के डार गे ॥ 4 ॥",magahi-mag "सुणा मेरा स्वामी जी सावण आयो सुणा मेरा स्वामी जी सावण1 आयो । रूणझुणया2 वर्षा , घनघोर लाया । दौड़ी दौड़ी कुयेड़ी3 , डाडू मा आयो । कुयेड़ी न स्वामी , अंधियारों छायो ।",garhwali-gbm "हाथ मऽ आरती नऽ खोळा मऽ पाती ”हाथ मऽ आरती , नऽ खोळा मऽ पाती , चलो म्हारी सई ओ , रनुबाई पूजाँ । पूजतजऽ पूजतजऽ ससराजी न देख्या , केतरा जाय पूत , म्हारी बहुवर वाँजुली । असलामसला कहाँ तक सहूँ हो , एक वार तो टूटो म्हारी माता , डोंगर की देवी । हळवा गयो होय तो हळई घर आवऽ , खेलवा गयो होय तो खेली घर आवऽ , पालणा को बाळो पालणऽ झूल , सड़क को बाळो सड़क पर खेलऽ , मजघर को बाळो मजघर जीमऽ म्हारी माता सोना की टोपली न मोती का जवारा , दुहिरा रथ सिंगारूँ म्हारी माता एक बालूड़ो द",nimadi-noe "मैं चली पिया पेकड़े मैं चली पिया पेकड़े तुसी मगरे ही आ जाइओ मैं ता मिलांगी उत्थे बेबे जी नू तुसी बापू जी नु मिल आइओ मगरों करयोजी तुसी पेरीपैणा पहलां लै जाणा सुणा आइयो मैं कहूँगी जी मैं नहीं जाना किते छड्ड के ना जाइओ थोड़ा बहुता उत्थे मैं रोऊँगी वी तुसी ऐंवीं ना घबरा जाइओ",panjabi-pan "इक नुकता यार पढ़ाया ए। इक नुकता यार पढ़ाया ए । इक नुकता यार पढ़ाया ए । ऐन गैन दी हिक्का1 सूरत , हिक्क नुकते शोर मचाया ए । इक नुकता यार पढ़ाया ए । सस्सी दा दिल लुट्टण कारन , होत पुनूँ बण आया ए । इक नुकता यार पढ़ाया ए । बुल्ला सहु दी जात ना कोई , मैं सहु अनायत2 पाया ए । इक नुकता यार पढ़ाया ए । ऐन गैन दी हिक्का सूरत , हिक्क नुकते शोर मचाया ए । इक नुकता यार पढ़ाया ए ।",panjabi-pan "गाली गीत तारि माय नो काम कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि । करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बूढ़ी लाड़ि । तारि माय ना रूटा कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि । करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बुढ़ि लाड़ि । दुल्हन से वर पक्ष की महिलाएँ गीत में कह रही हैं कि बूढ़ी लाड़ी तेरी माँ का काम कौन करेगा ? वही करेगी और थोड़ी देर रोएगी । तेरी माँ की रोटियाँ कौन बनाएगा ? वही बनाएगी और थोड़ी देर रोएगी ।",bhili-bhb "बेदियनि बोलले बरुअवा बेदियनि1 बोलले बरुअवा , जनेऊजनेऊ करे हे । बाबा , के मोरा बेदिया भरावत2 जनेउआ दियावत3 हे ॥ 1 ॥ हँसिहँसि बोलथिन4 बाबा , बोली भितराएल5 बबुआ , हम तोरा बेदिया भराएब , जनेउआ दियाएब हे ॥ 2 ॥ बेदियनि बोलले बरुअवा , जनेऊजनेऊ करे हे । चच्चा , के मोरा बेदिया भरावत , जनेउआ दियावत हे ॥ 3 ॥ हँसिहँसि बोलथिन चच्चा , बोली भितराएल हे । बबुआ , हम तोरा बेदिया भराएब , जनेउआ दियाएब हे ॥ 4 ॥ बेदियन बोलले बरुअवा , जनेऊजनेऊ करे हे । भइया , के मोरा बेदिया भरावत , जनेउवा दियावत हे ॥ 5 ॥ हँसिहँसि बोलथिन भइया , बोली भितरायल हे । बबुआ , हम तोर बेदिया भराएब6 जनेउआ दियाएब हे ॥ 6 ॥",magahi-mag "रमजनिया का दुखड़ा रोईरोई कहतिया बुढ़िया रमजनिया , का कहीं ए बाबा आपन दुख के कहनियाँ । जेठवा बेटउआ के कइनी सगाई , अइसन बिआ मिलल दुलहिनिया भेटाइल , खटिया पर पानी ध के माँगे ले भोजनिया । का कहीं . . . कबो उहो घरवा में झाड़ू ना लगावे , दिनभर भतरा के मुँहवे निहारे , भतरे के किरिया खाले मोर दुलहिनिया । का कहीं . . .",bhojpuri-bho "572 रांझे हथ उठाय दुआ मंगी तेरा नास जबार कहार साई तूं ते अपने नाम कहर पिछे एस शहर नूं कादरा अग लाई सारा शहर उजाड़ के साढ़ रब्बा रख लई हैवान ते माल गाई साडी शरम रहे करामात जागे बंने बेड़ियां साडियां जा लाई वारस शाह पीरां सुनी कूक साडी अज राजे दे शहर नूं अग लाई",panjabi-pan "छोटी-छोटी गइया छोटीछोटी गइया छोटेछोटे ग्वाल , छोटौ सो मेरौ मदन गोपाल । आगेआगे गइया , पीछेपीछे ग्वाल , बीच में मेरो मदन गोपाल । छोटीछोटी गइया . . . कालीकाली गइया गोरेगोरे ग्वाल , श्याम वरन मेरौ मदन गोपाल ॥ छोटीछोटी गइया . . . छोटौ सै मैरो . . . . . ॥ घास खाएँ गइया , दूध पीवे ग्वाल , माखन तो खावै मेरौ मदन गोपाल , छोटीछोटी गइया . . . छोटौ सै मैरो . . . . . ॥ छोटीछोटी लकुटी , छोटेछोटे हाथ , बंसी बजावे मेरौ मदन गोपाल ॥ छोटीछोटी गइया . . . छोटौ सै मैरो . . . . . ॥ छोटीछोटी सखियाँ मधुबन बाग रास रचावे मेरौ मदन गोपाल । छोटीछोटी गइया . . . छोटौ सै मैरो . . . . . ॥ छोटौ सौ मेरौ मदन गोपाल ॥",braj-bra "558 खेड़े राजे दे आन हजूर होए मुंह बने ने आन फरयादियां दे रांझे आखया खोह लै चले नढी एह खोहरू1 परहे वेदादियां2 दे मैथों खोह फकीर तों उठ नठै जिवें पैसयां नूं डूम शादियां दे मेरा नयां राजा साहब तेरे अगे एह वडे दरबार नी आदियां दे चिटियां दाढ़ियां पगड़ियां वेख भुले एह शैतान ने अंदरों वादियां दे वारस शाह बाहरों सुफैद सयाह विचों तंबू होण जिवें मालजादियां3 दे",panjabi-pan "परोस दिया भात जी धोया धोया थाल परोस दिया भात जी आओ आओ जीजाजी बैठो म्हारै साथ जी बैठो म्हारै साथ बताओ थारी जात जी बाप म्हारा बैली , माँ ए चिंडाल जी चारों भाई चोरटा , बैण उदाल जी बुआ म्हारी बगतन , मोड्या रै साथ जी धोया धोया थाल परोस दिया भात जी आओ आओ साला जी बैठो म्हारै साथ जी बैठो म्हारै साथ बताओ थारी जात जी बाप म्हारा राजा जी , माँ पटराणी जी चारों भाई सत्तर साँ , बैण सुदाल जी बुआ म्हारी सौदरा रसोइयाँ रै माए जी । ० शारदा सैनी हाँसी के सौजन्य से प्राप्त",haryanvi-bgc "नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे काई जनावर जाय “नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे , काई जनावर जाय , हरणी को पिलको ढोर चरावण जाय । ला ओ माय बकेड़ी । """,nimadi-noe "इक्को रंग कपाई दा इक्को रंग कपाई दा । सभे इक्को रंग कपाही दा , इक आपे रूप वटाई दा । अरूड़ी ते जे गद्दों चरावै , सो भी वागी गाई दा । सभ नगराँ विच्च आपे वस्से , ओहों मेहर सराई1 दा । हरजी आपे हर जा खेले , सद्दया चाईं चाईं दा । बाज बहाराँ ताँ तूँ वेखें , थीवें चाक अराईं2 दा । इशक मुश्क दी सार की जाणे , कुत्ता सूर सराईं दा । बुल्ला तिस नूँ वेख हमेशाँ , एह दरसन साईं दा ।",panjabi-pan "यूँ को राज रखो देवता यूँ को राज रखो देवता , माथा भाग दे देवता यूँ का बेटाबेटी रखो देवता , यूँ का कुल की जोत जगौ देवता । यूँ का खाना जश दे , माथा भाग दे देवता यूँ की डाँडो काँठ्यों1 मा , फूँलीं रौ फ्योंली2 डंड्यौली यूँ कि साग सवाड़ी , रौन रोज कलबली3 । धरती माता सोनो बरखाओ , नाजा4 का कौठारा5 दे , धन का भंडारा दे ।",garhwali-gbm "लोक मारेन्दे ताने इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । दिल दी वेदन1 कोई ना जाणे , अन्दर देस बगाने । जिस नूँ चाट2 अमर3 दी होवे , सोई अमर पछाणे । ऐस इशक दी औक्खी घाटी , जो चढ़ेआ सो जाणें । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । आतश4 इशक फराक5 तेरे दी , पल विच्च साड़ विखाइआँ । ऐस इशक दे साड़े कोलों , जग्ग विच्च देआँ दुहाइआँ । जिस तन लागे सो तन जाणे , दूजा कोई ना जाणे । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । इशक कसाई ने जेही कीत्ती , रैह गई खबर ना काई । इशक चवाती6 लाई छाती , फेर ना झाती पाई । मापिआँ कोलों छुपछुप रोवाँ , कर कर लक्ख बहाने । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । हिजर तेरे ने झल्ली करके , कमली नाम धराया । सुमुन बुकमनु7 व उमयुन8 हो के , आपणा वक्त लंघाया । कर हुण नज़र करम दी साइआँ , ना कर ज़ोर धडाने । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । हस्स बुलावा तेरी जानी , याद कराँ हर वेले । पल पल दे विच्च दरद जुदाई , तेरा शाम सवेले । रो रो याद कराँ दिन रातीं , पिछले वक्त विहाणे । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने । इशक तेरा दरकार असाँ नूँ , हर वेले हर हीले । पाक रसूल9 मुहम्मद साहिब , मेरे खास वसीले । बुल्ले शाह जो मिले प्यारा , लक्ख कराँ शुकराने । इशक असाँ नाल केही कीत्ती , लोक मारेन्दे ताने ।",panjabi-pan "हरियर लेमुआ हे हरियर जोवा केरा खेत1 हरियर1 लेमुआ2 हे हरियर जोवा3 केरा4 खेत ॥ 1 ॥ एक अचरज हम सुनलूँ , दुलरइते बाबू के मड़वा5 जनेऊ । मड़वहिं बैठल दुलरइते बाबू , गेंठ जोड़ि6 दुलरइते सुहवे7 हे ॥ 2 ॥ बेदिअहिं8 घीउ9 हे ढारिये गेल , सगरो10 भेइ गल इजोर11 । सरग12 अनंद भेल पितर लोग , अबे बंस बाढ़ल13 मोर ॥ 3 ॥",magahi-mag "बिहुला कथा मनसा पूजा तथा बिषहरी चरित्र बिहुला कथा प्रथम खण्ड दूसरा भाग तीसरा भाग चौथा खण्ड पांचवां खण्ड छठवां खण्ड सातवां खण्ड आठवां खण्ड नवाँ खण्ड",angika-anp "ईसुरी की फाग-18 जौ जी रजउरजउ के लानैं का काऊ से कानैं जौ लौ जीने जियत जिन्दगी रजुआ हेत कमाने पैले भोजन करै रजऊआ पाछे मो खौं खानै रजउ रजउ को नाँव ' ईसुरी ' लेत लेत मर जानै । भावार्थ अपनी प्रेयसी "" रजउ "" के विरह में तड़पते ईसुरी कहते हैं — मेरे ये प्राण रजउ के ही लिए हैं , मुझे किसी से क्या कहना . . . ? जब तक जीना है , जीवन है तब तक रजउ के हित के लिए ही कमाना है यानि उसका प्रेम अर्जित करना है । पहले रजउ भोजन करेगी फिर मैं खाऊँगा । ईसुरी कहते हैं मैं रजउ रजउ नाम लेते लेते ही मर जाऊँगा ।",bundeli-bns "तरो रिरम वोजा डाई टरोव गोगाठ तरो रिरम वोजा डाई टरोव गोगाठ बोजा डाई टरोब गोगाठ टरोब गोगाठ वोजा डाई टरोब गोगाठ टरोब बीली जो ऐन डाई डागा टाटोम ये मेन्डाई डागा टा टाम जामुनि हिटो जीरा डो बकजे रा बन डानी नुये डो बोकजई रा बन डानी स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "काला दाम्मन चक्कर काटै काला दाम्मन चक्कर काटै जम्फर करै कमाल मेरा ज्यादा मत ना बोलिये मारूंगी हरिया रूमाल मेरा",haryanvi-bgc "आल्हा ऊदल गज भर धरती घट जैहें प्रक चोट करों दैब से मार तब तो बेटा जासर के नैं याँ पड़े रुदल बबुआन चल गैल रुदल ओजनी से गढ़ पिअरी में गैल बनाय लागल कचहरी है डेबा का जहवाँ रुदल पहुँचे जाय सोना पलँगरी बिछवाइ सोना के मोंढा देल धरवाय सात गलैचा के उपर माँ रुदल के देल बैठाय हाथ जोड़ के रुदल बोलल बाबू डेबा ब्राहमन के बलि जाओं लागल लड़ाइ नैना गढ़ में डेबा चलीं हमरा साथ एतना बोली डेबा सुन गैल डेबा बड़ मोहित होई जाय जोड़ गदोइ डेबा बोलल बाबू सुनीं रुदल बबुआन जहवाँ पसीना है रुदल के तहवाँ लोधिन गिरे हमार डेबा डेबा के ललकारे डेबा सुन बात हमार बाँधल घोड़ा तबल खास में घोड़ा ए दिन लावव् हमरा पास चल गैल डेबा गढ़ पिअरी से तबल खास में पहुँचल जाय बावन कोतल के बाँधल है बीच में बाँधल बेनुलिया घोड़ ओहि समंदर डेबा पहुँचल घोड़ा कन पहुँचल जाय जोइ गदोइ डेबा बोलल घोड़ा सुनव् बात हमार भैल बोलाहट बघ रुदल के लागल लड़ाइ नैना गढ़ में घोड़ा चलव् हमरा साथ एतना बोली घोड़ा सुन गैल घोड़ा के भैल अँगार बोलल घोड़ा जब डेबा से बाबू डेबा के बलि जाओं",bhojpuri-bho "142 मैंनूं मार के उधलां मुंज कीता झुगी लाए मुआतड़े साड़ियां ने दौर भन्न के कुटके साड़ मेरे पैवंद जुलियां फोल के पाड़ियांने भन्न कुटीया मेरी अफीम लुटी मेरी बावनी चाए उजाड़ियां ने धाड़ेमार धड़वैल एह माल लुटण मेरा मुलख लुटिया ऐनां लाड़िया ने झूठियां सचियां चुगलियां मेल के ते घरोघरी तूं लूतिया1 सुनावना एं पिउ पुतरां नूं यार यार कोलों मावां धीयां नूं पाड़ वखावना एं तैनूं बान है बुरा कमावने दी ऐवें टकरां पया लड़ावना एं परां जा शाह जटा पिछा छड साडा एवड कास नूं पिआ अकावनाएं",panjabi-pan "राम भजन कर भाई रे निगुरा राम भजन कर भाई रे निगुरा , नाव किनारा आई रे निगुरा १ पैसा सरीका टिपारा , जीसमे अंडा धरावे आट मास गरब म रइयो करी किड़ा की कमाई . . . रे निगुरा . . . २ इना नरक से बाहर करो , कळु की हवा खावा हाथ जोड़ी न कलजुग म आयो प्रभु क पल म भुलायो . . . . रे निगुरा . . . ३ बाल पणो तुन खेल म गमायो , जवानी म भरनींद सोयो दास कबीरजा की बजीर पड़ी रे अब कह क्यो पछताई . . . . . रे निगुरा . . . ४ आयो बुड़ापो न लग्यो रे कुड़ापो , लकड़ी लिनी हाथ पाव चल तो ठोकर खावे जरा सुद नही पाई . . . . . . रे निगुरा . . .",nimadi-noe "झूलण जांगी ऐ मां मेरी बाग में री झूलण जांगी ऐ मां मेरी बाग में री आं री कोए संग सुहेली च्यार झूलण जांगी ए मां मेरी बाग में री कोए पंदरां की मां मेरी कोए बीस की री आं री को संग सुहेली च्यार झूलण जंगी ए मां मेरी बाग में री कोए गोरी ए मां मेरी कोए सांवरी री आं री कोए संग की सहेली च्यार झूलन जांगी हे मां मेरी बाग में री",haryanvi-bgc "जब तौं घर तैं लीकड़या गभरू सेर जुआन जब तौं घर तैं लीकड़या गभरू सेर जुआन हो गया सौण कसौण गभरू सेर जुआन हाय हाय गभरू सेर जुआन बाम्मै बोल्ली कोतरी दहणै बोल्या काग गभरू सेर जुआन हाय हाय गभरू सेर जुआन मारी क्यों ना कोतरी तैने मार्या क्यों ना काग हाय हाय गभरू सेर जुआन कनअ तेरी बांधी पालकी कनअ तेरा कर्या सिंगार हाय हाय गभरू सेर जुआन भाइयां बांधी पालकी भाइयां ने कर्या सिंगार हाय हाय गभरू सेर जुआन सुसरा का प्यारा हाय सासड़ का प्यारा हाय हाय हाय हाय गभरू सेर जुआन",haryanvi-bgc "जी पहला मास जै लागिया, दूध दही मन जाय जी पहला मास जै लागिया , दूध दही मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । दूजा मास जै लागिया , मेरा निबुआं में मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । तीजा मास जै लागिया , मेरा बेरा में मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । चौथा मास जै लागिया , मेरा लाडूआं ने मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । पांचवां मास जै लागिया , मेरा खरी पूडां में मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । छटा मास जो लागिया , मेरा गूंद गिरी मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । सातवां मास जै लागिया , मेरा फलियां में मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । आठवां मास जै लागिया , मेरा धाणी में मन जाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया । नौवां मास जै लागिया , मेरा होलड़ सबद सुणाय , मेरे अंगणा में अमला बो दिया ।",haryanvi-bgc "30 भरजाइयां आखया रांझिया वे असीं बांदियां तेरियां हुंनीयां हां नाम लैना एं जदों तूं जावणे दा असीं हंजड़ रतदियां रूंनीयां हां जान विच ऊलांभियां आ गई तेरे दरद फिराक चा भुंनीयां हां सानूं सबर करार अराम नाहीं वारस शाह तों जदों वछुनीयां हां",panjabi-pan "अठमी के भेल नंदलाल, बधावा ले के चलऽ अठमी1 के भेल2 नंदलाल , बधावा ले के चलऽ3 मेरो मन भेल नेहाल , 4 बधावा ले के चलऽ ॥ 1 ॥ सोने के छूरी से नार5 कटायल , 6 रूपे7 खपर8 नेहायल । कानों में कुंडल , गले में मोहर , केसों में झब्बूदार ॥ 2 ॥ रेसम के कुलिहा , 9 साटन के टोपी , बीचे बीचे गोटा10 लगाय । सेही पहिर के कन्हैयाजी बिहँसथ , गावथि11 गोआल12 ॥ 3 ॥",magahi-mag "425 सहती सने लौंडी1 हथ पकड़ मोहली जैंदे नाल छडें़दियां चावले नूं गिरद आन होई वांग जोगनां देखूब फंड चाढ़ी ओस रावले नूं खपर सेलियां तोड़के गिरद होईयां ढाह घतयो ने सोहने सावले नूं अंदर वाड़के हीर नूं मार कुंडा बाहर कुटयो खूब लटवावले नूं घड़ी घड़ी नालों इको मार मारी उन्हां तकयासी इस लावले नूं वारस शाह मियां नाल मुहलयां दे ठडा कितो ने कस उतावले नूं",panjabi-pan "चन्दन से भरी हो तळाई चन्दन से भरी हो तळाई , राणी रनुबाई पाणी खऽ संचरिया । आगऽ जाऊँ तो डर भय लागऽ , पाछऽ रहूँ तो घागर नहीं डूबऽ सिर लेऊँ तो बाजूबंद भींजऽ कड़ऽ लेऊं तो बाळों रड़ऽ",nimadi-noe "588 हीर रूह ते चाक कलबूत जानो बालनाथ एह पीर बनाया ई पंज पीर ने पंज खवास1 तेरे जिन्हां थापना तुध नु लाया ई काज़ी हक झंवेल ने अमल तेरे अयाल मुनकिर नकीर2 ठहराया ई कोठा गैर दा अते अजराईल खेड़ा जेहड़ा लैंदा ई रूह नूं धाया ई सइयां हीर दीयां घर बार तेरा जिन्हां नाल पैवंद3 बनाया ई कैंदों लंगा शैतान मलऊन4 जानों जिसने विच दीवान फड़ाया ई बांग हीर दे बन्ह लै जान तैनूं किसे नाल ना साथ लदाया ई जेहड़ा बोलदा नातका5 वंझली दा जिस होश दा राग सुनाया ई सहती मौत ते जिसम है यार रांझा उन्हां दोहां ने भेड़ मचाया ई शैहवत भाबियां ते भुख रवेल बांदी जिन्हां जन्नतों बाहर कढाया ई जोगी तारक6 बणया कन्न पाड़ जिसने सभ अंग भबूत रमाया ई दुनियां जाण एवे जिवे झंग पेके गैर कालड़ा बाग बनाया ई त्रिंजन एह बदअमलियां तेरियां ने कढ भिशत थीं दोजखी पाया ई ओह मसीत है माऊ दा शिकम7 बंदे जिस विच शबरोज8 लंघाया ई अदली राजा ते नेक ने अमल तेरे जिस हीर ईमान दिवाया ई वारस शाह मियां बेड़ा पार तिन्हां जिन्हां रब्ब दा नाम धिआया ई",panjabi-pan "नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता हे जी नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता हे जी हां जी काहे चारूं दिसां पड़ेगी फुवार हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा संग की सहेली मां मेरी झूलती जी हमने झूलण का हे मां मेरी चाव जी हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा सखी सहेली मां मेरी भाजगी जी हां जी काहे हम तै तो भाज्या ना जाय पग की है पायल उलझी दूब में जी नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता जी हां जी काहे चारूं पास्यां पड़ेगी फुवार",haryanvi-bgc "229 कुड़ियां जा वलाया रांझने नूं फिरे दुख ते दरद दा लदया ई आय घिंन सुनेहड़ा सजनां दा तैनूं हीर प्यारी ने सदया ई तेरे वासते मापयां घरों कढी असां सैहरा पेईड़ा रदया ई झब होए फकीर ते पहुंच मैंथे , उथे झंडड़ा कास नूं गड़िया ई",panjabi-pan "जरमन तेरा जाइयो राज जरमन तेरा जाइयो राज , आज ना तडकै तन्ने मारे बिराने लाल जहाज भरभर के मैं किस पर करूँ सिंगार कालजा धड़के भावार्थ ' अरे जरमन तेरा राज ख़त्म हो जाए , आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भरभर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय मैं शृंगार करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है '",haryanvi-bgc "पड़दा ओल्है जच्चा बोलै राजन उरै बुलाओ जी पड़दा ओल्है जच्चा बोलै राजन उरै बुलाओ जी राजन उरै बुलाओ जी झूमदा झामदा राजन आया हम नै क्या फरमाओ जी हम नै क्या फरमाओ जी सूंठ तो सठवा की ल्यावो खांड तो खंडवा की ल्यावो घीव तो सुरही का ल्यावो मेवा तो काबुल का ल्यावो गून्द तो अजमेरी ल्यावो इतना सौदा ल्यावो जी इतना सौदा ल्यावो जी सौदा ल्याय आंगण बिच ऊम्या सौदा किसने सौंपा जी सौदा किसनै सौंपा जी सास नणद का नहीं भरोसा भीतर ही लै जाओ जी भीतर ही लै जाओ जी दोनूं मिलकै फोड़न लाग्गै सूंठ भड़ाभड़ फोड़ी जी सूंठ भड़ाभड़ फोड़ी जी दोनूं मिलके पीसण लाग्गै भारी चाकी फेरी जी भारी चाकी फेरी जी दोनूं मिलकै लाडू बांधै बड़े बड़े लाडू बांधै जी बड़े बड़े लाडू बांधै जी लाडू बान्धै पति जीभ सम्भालै इक लाडू दबकावै जी इक लाडू दबकावै जी सुन सुण जी म्हारे राजदिवाने चोरी ना खट्टयावै जी चोरी ना खट्टयावै जी राजा जी जाय बजार में बैठे आ आ लड़ैं बिलाई जी आ आ लड़ैं बिलाई जी प्यार मित्तर न्यू उठ बोले या के कुबध कमाई जी या के कुबध कमाई जी म्हारी धण नै बेटा जाया लाडूडा बन्धवाया जी लाडूडा बन्धवाया जी ये लडै मेरी सुसरी बिलाई हमनै ना चखाया जी हम नै ना चखाया जी",haryanvi-bgc "चल्यौ अइयौ रे श्याम मेरे पलकन पे चल्यौ अइयौ रे श्याम मेरे पलकन पे चल्यौ अइयो रे ॥ टेक तू तो रीझौ मेरे नवल जीवना , तू तौ . . . मैं रीझी तेरे तिलकन पै , तेरे तिलकन पै ॥ चल्यौ . तू तौ रीझौ मेरी लटक चाल पै , तू तौ . . . मैं रीझी तेरी अलकन पै , तेरी अलकन पै ॥ चल्यौ . ‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखे , पुरुषोत्तम . . . अबीर गुलाल की झलकन पै , अरी झलकन पै । चल्यौ .",braj-bra "276 जेहड़े पिंड विच आवे तां लोक पुछण एहतां जोगड़ा बालड़ा छोटड़ा ई कन्नीं मुंदरां एस नूं ना फबन एहदे तेड़ ना बन्ने लंगोटड़ा ई सत जनम के हमी हां नाथ पूरे कदे वाहया नहीओं जोतड़ा ई दुख भंजन नाथ है नाम मैं तां घनंतर वैद दा पोतरा ई जे कोई असां दे नाल दम मारदा ए एस जग तों जायगा औतरा ई हीरा नाथ है वढा गुरदेव साडा चले उसदा पूजने चैतरा ई वारस शाह जो आज्ञा लै साढी दुध पुतरां दे नाल सौतरा ई",panjabi-pan "जच्चा तो मेरी भोली भाली री जच्चा तो मेरी भोली भाली री जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री चार कनस्तर घी के खागी ढाई मण पक्का बूरा री जच्चा तो मेरी पाणी ना मांगे री जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री सांप मार सिरहाणे धर लिया बीच्छू मार बगल मैं री जच्चा तो मेरी मच्छरों तै डरदी री जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री आए गयां का लहंगा पाड़े सास नणंद की चुटिया री जच्चा तो मेरी लड़ना ना जाणै री जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री जेठ सुसर की काण ना मानै देवर तै राड़ जगावै री जच्चा तो मेरी सरम हजारी री जच्चा तो मेरी बड़ी हरियाली री",haryanvi-bgc "वर्षा का गीत खयड़ी न बयड़ी रेलछेल पाणी , इड्ला ना घेर पर पाणी निहिं । वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥ खयड़ी न बयड़ी रेलछेल पाणी , इड्ला ना घेर पर पाणी निहिं । वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥ चोखा अतरी विजली , सुपड़ा अतरो बुलावो । गाजण्यों काहाँ मरीग्यो , वारिस वो मेघ बाबा , ढुडी व ढुडी व ॥ टूटलास् खाटलाय पड़ी तो मांगती , पाणी दे वो पाणी दे । नोण दे वा मीरी दे , कुयडू पान्यो काइ करि खाऊँ , ढूडी व ढूडी व ॥ जब फसल बोने के बाद वर्षा रुक जाती है और फसलें सूखने लगती हैं तो लोग रात्रि में एकत्रित होकर ग्राम में निकलते हैं । प्रत्येक घर जाकर गीत गाकर अनाज , नमक , मिर्च माँगते हैं और दूसरे दिन एकत्रित सामग्री से उज्ज्वणी मनाते हैं । उज्ज्वणी करने से वर्षा हो जाती है यह विश्वास है । इसमें जो गीत गाया जाता है उसे ढूडी खेलना कहते हैं । प्रत्येक घर की महिला सुपड़े में पानी लेकर ढूडी वालों पर फेंकती है । गीत में कहा गया है पहाड़पहाड़ियों पर खूब वर्षा हो रही है , इडला के घर पानी नहीं है । हे बादल बाबा बरस जा । नाले सूख गये , लावातीतर प्यासे मर रहे हैं । हे बादल बरसो । बहुत छोटी बिजली चमक रही है , सूप के समान बादल हैं । हे गरजने वाले बादल कहाँ कर गया ? हे मेघ बाबा बरसो । माँगती के घर के सामने जाकर गीत में कहा गया है टूटी हुई खटिया पर माँगती पड़ी है , माँगती पानी दे । नमक दे और मिर्च दे , कोरी रोटी किस प्रकार खाऊँ ?",bhili-bhb "60 रांझा आखदा एह जहान सुफना छड जावना ई मतवालीये नी तुसां जिहे सरदारां नूं एह लाजम आये गये मुसाफरां पालीये नी ऐडा हुसन दाना गुमान कीजे एह लै पलंघ ते सने निहालीये1 नी वारस आसरा रब्ब दा रखया ई , उठ जावना ई नैना वालीए नी",panjabi-pan "अहे बाम्हन के पड़ले हँकार, बरुअवा के मूंड़न हे अहे बाम्हन के पड़ले हँकार1 बरुअवा2 के मूंड़न हे । बाम्हन अइले वेद भनन3 हे ॥ 1 ॥ अहे गोतिया के पड़ले हँकार , बरुअवा के मंूडन हे । गोतिया अइले माँड़ो4 छावन5 हे ॥ 2 ॥ अहे गोतिनी के पड़ले हँकार , बरुअवा के मंूड़न हे । गोतिनी अइले मंगल गावन हे ॥ 3 ॥ अहे कुम्हरा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूड़न हे कुम्हरा अइले कलसा लिहले6 हे ॥ 4 ॥ अहे हजमा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । हजमा अइले छुरवा7 लिहले हे ॥ 5 ॥ अहे बड़ही8 के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । बड़ही अइले पिढ़वा9 लिहले हे ॥ 6 ॥ अहे फूआ10 के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । फूआ अइले अँचरा पसरले11 हे ॥ 7 ॥ अहे , बाबा के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । बाबा जे अइले गेंठी खोलले12 हे ॥ 8 ॥ अहे भइया के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । अहे भइया गइले13 रिसिआय14 बहिनी घरलूटन15 हे ॥ 9 ॥ अहे , भउजी के पड़ले हँकार , बरुअवा के मूंड़न हे । अहे , ननद अइले घरलूटन , बरुअवा के मूंड़न हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "मोय ब्रज बिसरत नैया मोय ब्रज बिसरत नैयां , सखी री मोय तो ब्रज बिसरत नैयां । । सोने सरूपे की बनी द्वारिका , गोकुल जैसी छवि नइयां । मोय सखी . . . उज्जवल जल जमुना की धारा , बाकी भांति जल नैयां । मोय सखी . . . जो सुख कहियत मात जशोदा , सो सुख सपने नैयां । मोय सखी . . .",bundeli-bns "नाचइ नदिया बीच हिलोर नाचइ नदिया बीच हिलोर वनमां नचइ बसंती मोर लागै सोरहों बसंत को सिंगारु गोरिया । सूधे परैं न पाँव हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं बयस बावरी मुँहु बिदुराबै को गीता कौ बाँचै चिड़िया चाहै पंख पसार उड़िबो दूरि गगन के पार",kanauji-bjj "भजन टेक सीता हो राम सुमर लेणा , भजि लेवो भगवान , सीता हो राम सुमर लेणा । चौक1 सपना की रे संपत भइ , बांधिया गजराज । भंवर भयो उठ जागीया , तेरा वही रे हवाल । सीता हो राम . . . चौक2 वाये सोनू नहिं नीबजे , मोती लाग्या डालम डाल । भाग बिना केम पावसो , तपस्या बिन राज । सीता हो राम . . . चौक3 राजा दसरथ की अयोध्या है , नंदि सरजु का तीर , जा घर बैठी राणी कौशल्या , जिनका जाया रघुवरी । सीता हो राम . . . चौक4 बिना रे पंख का सोरठा , उड़ि गया रे अकास , रंग रूप वाहां को कछु नहिं , भूखा न प्यास । सीता हो राम . . . छाप झिणि झिणि नोबत वाजसे , वाजे गरू रबार , सेन भगत की रे वीणती , राखो चरण आधार , सीता हो राम . . . सीताराम का स्मरण करें अर्थात् भगवान का भजन कर लें । यह संसार क्षणिक स्वप्न के समान है । स्वप्न में मनुष्य मालदार हो जाता है , उसके घर हाथी झूलने लगते हैं । भोर होने पर फिर वही हाल । हे मानव भजन कर ले । सोना बोने से उगता नहीं , न ही डाली पर मोती लगते हैं । भाग्य के बना कुछ नहीं मिलेगा । तपस्या के बिना राज्य भी नहीं मिलता है । सरयू नदी के तट पर राजा दशरथ की अयोधया है , जिनके पास कौशिल्या रानी हैं , उनके पुत्र रघुवीर हैं । उनका भजन कर लो । यह जीव बिना पंख का पक्षी है , उसका रंग रूप कुछ नहीं है । न भूख लगती है न प्यास । हे मानव सीताराम की भक्ति कर ले , तो पार उतर जायेगा ।",bhili-bhb "318 जोगी मंग के पिंड तयार होया आटा मेलके खपरा पूरया ए किसे हस के रूग चा पाया ए किसे जोगी नूं चा वडूरया ए वारस खेड़यां दी झात पाईया सू जिवें चैधवी दा चंद पूरया ए",panjabi-pan "आध पाव बाजरा कूट्टण बैठी आध पाव बाजरा कूट्टण बैठी उछल उछल घर भरियो सैतान बाजरा आध पाव बाजरा पकावण बैठी खदक खदक हंडिया भरियो सैतान बाजरा",haryanvi-bgc "लम्बी नाड़ लटकमा चोटी लम्बी नाड़ लटकमा चोटी साफा बान्धै मेरा राजा हे पट्ठे बाह्वै तेल रमावै सोकण तै बतलावै हे सांझ पड़े महलों में आवै बिजली सी वे पाटे हे उठ सवेरे चाकी झो देई कुएं में पड़न की ध्या लेई हे पीसछाण दोघड़ धर लई हम पानी भर लावां हे पहले तो बहू रोटी खाले फिर पानी भर लाइयो हे तुम खावो थारा बेटा खुआओ मेरी सासू हे दोघड़ मेली घाट में फेर चारों तरफ लखाई ए नार गम्म गम्म कूवे मैं जान टका सी खो देई ए सासू भी रोवै सुसरा भी रोवै बलमा नै रुधन मचा दिया हे सासू तो मेरी ये दुख देखे मने रे पीसना दे गई रे सुसरा तो मेरा ये दुख रोवै बालक बोहड़िया मर गई रे बलमा तो मेरा ये दुख रोवै मेरी बैटरी बुझ गई रे",haryanvi-bgc "556 कू कू कीता कूक कूक रांझने ने उचा कूकदा चांगर1 धरासदा ए बू बू मारके ललकारां करे धुमां राजे पुछया शो विशवास दा ए रांझे आखया राजया चिरी जीवें तेरा राज ते हुकम अरासता2 ए हुकम मुलक दिता तैनूं रब्ब सच्चे करम रब्ब दा फिकर गम कासदा ए तेरी धाक पई रूम शाम अंदर बादशाह डरे आस पास दा ए तेरे राज विच बिनां तकसीर मारे ना गुनाह ते ना कोई वासता ए मखी फसदी ए जिवें शहद अंदर वारस शाह इसजग विच फासदा ए",panjabi-pan "541 चलीं जोगिया रब्ब दा वासता ई असीं मरद नूं मरद ललकारने हां जो कुझ सरे सो लै नजर पैर पकड़ां जान माल परवार भी वारने हां पया कलह दा कोडमां सभ रोंदा असी काग ते मोर उडारने हां हथ बन्हके बेनती जोगिया वे असी आजजी नाल पुकारने हां चोर सदया माल दे सांभणे नूं तेरियां कुदरतां तों बलिहारने हां वारस शाह वसाह की एस दम दा ऐवें रायगां1 उमर क्यों हारने हां",panjabi-pan "अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे ऐ भउजी . . काये . . एक बात काहव का बात ए रूप में फंस के मरिस पतिंगा , रस में अरझगे भौंरा हा अच्छा गंध म मछरी धुन मा हिरना , भईया बर सब्बो संघरा हट हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे खेते म जाथंव , बता के जाथे ए . . . ए . . . खेते म जाथंव , बता के जाथे बीड़ी सिपचाहूँ कहिके लहुट आथे , हाय अरझगे हे हाय अरझगे हे का या , तोर मया म भईया अरझगे हे हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे भउजी हे धीरन , भईया हे लुठुवा आहा आहा भउजी हे धीरन , भईया हे लुठुवा भउजी हाबे अधरतिहा भईया हे सुकुवा , हाय अरझगे हे हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे भईया के सुंता , भउजी के सुतीयां आहा हो हो भईया के सुंता , भउजी के सुतीयां भउजी हाबे मोर अठन्नी भईया हे रुपिया , हाय अरझगे हे हाय अरझगे हे का या , तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे हाय अरझगे हे भउजी , तोर मया म भईया अरझगे हे",chhattisgarhi-hne "पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया साभार : सिद्धार्थ सिंह पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया काहे से आएं बैदा बेटौना , काहे से आई दवाई रे , नजरा गैली गोरिया मोटर से आएं बैदा बेटौना , टेम्पो से आई दवाई रे , नजरा गैली गोरिया बैदा बेटौना पलंग चढ़ी बैठो , नाड़ी का रोग बताओ रे , नजरा गैली गोरिया न इनके गर्मी न इनके सर्दी , इनके तो चढ़ी है मोटाई रे , नजरा गैली गोरिया",awadhi-awa "कुझ कत्त कुड़े कुझ कत्त कुड़े ना वत्त कुड़े , छल्ली लाह भरोटे घत्त कुड़े । जे पूणी पूणी कत्तेंगी , ताँ नंगी मूल ला वत्तेंगी । सौ वरिआं दे जे कत्तेंगी , ताँ काग मारीगा झुटकुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । विच्च गफलत जो तैं दिन जाले1 कत्तके कुझ ना लेओ सँभाले । बाझों गुण सहु आपणे नाले , तेरी क्यों कर होसी गत्त2 कुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । माँ पिओ तेरे गन्ढी3 पाजिआँ , अजे ना तैनूँ सुरताँ आइआँ । दिन थोड़े ते चाअ मकाइआँ , ना आसे पेके वत्त कुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । जे दाज विहूणी जावेंगी , ताँ किसे भली ना भावेंगी । ओत्थे सहु नूँ किवें रीझावेंगी , कुझ लै फकराँ दी मत्त कुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । तेरे नाल दीआँ दाज रंगाए नी , ओहनाँ सूहे सालू पाए नी । तूँ पैर उलटे क्यों जाए नी , ओत्थे जाए ताँ लग्गे तत्त कुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . । बुल्ला सहु घर आपणे आवे , चूढ़ा बीड़ा4 सभ सुहावे । हुण होसी ताँ गल लावे , नहीं रोसे नैणी रत्त कुड़े । कुझ कत्त कुड़े . . . . . . ।",panjabi-pan "कच्चे नीम्ब की निम्बोली कच्चे नीम्ब की निम्बोली सामण कद कद आवै रे जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भर ल्यावै रे बाबा दूर मत ब्याहियो दादी नहीं बुलाने की बाब्बू दूर मत ब्याहियो अम्मा नहीं बुलाने की मौसा दूर मत ब्याहियो मौसी नहीं बुलाने की फूफा दूर मत ब्याहियो बूआ नहीं बुलाने की भैया दूर मत ब्याहियो भाभी नहीं बुलाने की काच्चे नीम्ब की निम्बोली सामणया कद आवै रे जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भय ल्यावै रे",haryanvi-bgc "146 कैदो आखदा लोको एह झूठ सारा खेखन कुड़ियां ने एह भरपूर कीते झुगी साड़ भांडे भन खोह दाढ़ी लाह पग पठे पुट दूर कीते टंगों पकड़ घसीट के विच खाई लतां मारके खलक रंजूर1 कीते वारस शाह गुनाह थीं पकड़ काफर हढ पैर मलायकां2 दूर कीते",panjabi-pan "सांटो रे जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे नानाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे कीका गूँज गली को भावे । तो नानीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे कीका गूँज गली को भावे । जा रे कीका थने झगल्यो टोपी चावे जा रे कीका थने रजई गादी चावे तो मामाजी री मामीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे कीका गूँज गली को भावे । जो रे कीका चावे रेसम डोरी पालणो तो भुवाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे कीका गूँज . . . गली को भावे । बच्चों की ज़रूरत वाली चीज़ों के नाम जोड़तेजोड़ते यह गीत लम्बा होता चला जाता है ।",malvi-mup "326 चकी हानयां विच विचार पैंदी एहदी धुम्म तंदूर ते भठ है नी कमजात कुपतड़ा वड कंजर डबी पुरे दे नाल दी चठ है नी भैणे कार खोटा ठग माझड़े दा जेहा रन्न घरोली दा हठ है नी मंग खान हराम मुशटंडयां नूं वडा सार हसधात1 दरी लठ है नी मुशटंडड़े तुरत पछाण लईए कम्म डाह देहो एह तां जट है नी एह जट है झुगड़े पट है नी एह तां चैधरी चैड़ चुपट है नी गदों लदया सने एह छट है नी भावें वेलने दी एह तां लठ है नी वारस शाह ना एसदा रस मिठा एह तां काठे कमाद दा गठ है नी",panjabi-pan "आली मनमोहन के मारै आली मनमोहन के मारै । जमना गैल बिसारें । जब देखो तब खड़े कुंज में । गहें कदम की डारैं । जो कोऊ भूल जात है रास्ता बरबस आन बिठारैं । जादौं नई हँसी काऊसों । जा नइ रीत हमारैं । ईसुर कौन चाल अब चलिये , जे तो पूरौ पारें ।",bundeli-bns "दिल्ली की दलाली दिल्ली की दलाली तेरा पल्ला लटके छोरे बजावैं बांसली तों खड़ी मटकै",haryanvi-bgc "लीली लेमड़ी रे, लीलो नागरवल नो छोड़ लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़ हे परभू परोड़ ना रे म्हारे घर उतारा करता जाओ उतारो नहीं करूँ रे के म्हारे घर सीता जूवे वाट सीता एकली रे के जूवे रामलखमण नी वाट लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़ हे परभू परोड़ ना रे म्हारे घर दातन करता जाओ दातन नहीं करूँ रे के म्हारे घर सीता जूवे वाट सीता एकली रे के जूवे रामलखमण नी वाट लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़ हे परभू परोड़ ना रे म्हारे घर नहावन करता जाओ नहावन नहीं करूँ रे के म्हारे घर सीता जूवे वाट सीता एकली रे के जूवे रामलखमण नी वाट लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़ हे परभू परोड़ ना रे म्हारे घर भोजन करता जाओ भोजन नहीं करूँ रे के म्हारे घर सीता जूवे वाट सीता एकली रे के जूवे रामलखमण नी वाट लीली लेमड़ी रे , लीलो नागरवल नो छोड़ हे परभू परोड़ ना रे म्हारे घर परोधन करता जाओ परोधन नहीं करूँ रे के म्हारे घर सीता जूवे वाट सीता एकली रे के जूवे रामलखमण नी वाट",gujarati-guj "सखी री मेरे उमड़ आये बदरा सखी री मेरे उमड़ आये बदरा आये आये री मेरे घर की तलवटी पहिला बधावा मेरे बाबुल बार दूजा बधावा मेरे माई जाये बीर बाप बधावे री सखी जन्म पाया बीर बधावे नौरंग चूंदड़ी तीजा बधावा सखी री मेरे ससुरे के बार चौथा बधावा मेरे लखपत जेठ के ससुर बधावे सखी री मैंने यह घर पाया जेठ बधावे सखी री मैंने आधा धन पाया पांचमां बधावा मेरे राजड़े के बार उसी बधावे मेरा मन रहसिया राजड़े बधावे सखी मैंने यह घर पाया अन्न धन पाया दूध पूत पाया इसी बधावे मेरा मन रहसिया",haryanvi-bgc "आ जैहो बड़े भोर दही लै के (कार्तिक स्नान का गीत) आ जैहो बड़े भोर दही लै के , आ जैहो बड़े भोर । । टेक । । नें मानो कुड़री धर राखो , मुतियन लागी कोर । नें मानो मटकी धर राखो , सबरे बिरज कौ मोल । नें मानो चुनरी धर राखो , लिख है पपीहरा मोर । नें मानो गहने धर राखो , बाजूबंद हमेल । चंद्रसखी भज बालकृष्ण छब , छलिया जुगलकिशोर ।",bundeli-bns "दोई नेंनन की तरवारें दोई नेंनन की तरवारें , प्यारी फिरें उवारें । अलेमान , गुजराम सिरोही । सुलेमान झकमारे । ऐंचत बाढ़ म्याँन घूँघट की , दैकाजर की धारैं । ईसुर स्याम बरकते रइयो , अंधयारै उजयारै ।",bundeli-bns "मोर के मजुरवा केरा नाया कोहबर मोर के मजुरवा1 केरा2 नाया कोहबर । गंगा जमुनी3 बिछामन भेलइ हे ॥ 1 ॥ ताहि पइसी सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा । जवरे4 भये दुलरइतिन सुघइ5 हे ॥ 2 ॥ ओते सुतूँ , ओते सुतूँ दुलरइतिन सुघइ हे । घामे6 रे चदरिया मइला होय रे , नाया कोहबर ॥ 3 ॥ एतना बचनियाँ जब सुनलन दुलरइता सुघइ हे । चलि भेजन अपन नइहरवा रूसि7 हे ॥ 4 ॥ अँतरा8 में मिललन दुलरइता भइया हे । काहे बहिनी बिदइया भेलऽ हे । परपूत9 बोलऽ हे कुबोली बोली हे ॥ 6 ॥ बाँधल10 केसिया भइया , खोलाइ देलन हे । संखा चुड़िया11 फोड़ाइ12 देलन हे । कसमस चोलिया फराइ13 देलन हे ॥ 7 ॥ घुरू घुरू14 बहिनी , नइहरवा चलूँ हे ॥ 8 ॥ खोलल केसिया भइया बँधाइ देलन हे । कसमस चोलिया सिलाइ देलन हे ॥ 9 ॥ संखा चूड़िया पेन्हाइ देलन हे । छिनारी पूता15 के बन्हाइ देलन हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी पांचां री नवी , नवी भांत लसकरिया कम्मर कसिया भम्मर लारां लई चलोजी लारां चलो तो दासी थेंई बाजोजी घर हो केसरिया री नार सीता लंखी , आंबा बरनी , बादल बरनी मारूणी हठ छोड़ोजी",malvi-mup "97 वलौ बसतलाहि रिज़क अलअबादा1 रज खाए के मुसतिआं चाइयां नी कुलू वशरबू दा सी अमर होया ला तुसरे फू2 फुरमाइयां नी किथों पचण इहनां मुशटंडियां नूं नित खांवदे दुध मलाइयां नी रिज़क रब्ब देसी असीं उठ चले लगा करन हुण ऐड चवाइयां नी वमामिन बहिश्त फिलअरज3 होया आहे लै सांभ मझीं घर आइयां नी",panjabi-pan "गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी गिली टलान चना डोना कलोमे एडो राधो बेटी गिली टलो चना डोना कलो ऐ गिली टलो चना डोना कलो ऐ टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये टेयन टेंका बा बूलू टे अगरुये टेयन टेंका कुन्कर बे सिरिन बोचोयन डो राधो बेटी टेयन टेंका कुन्कर बे सिरिन बोचोयन डो राधो बेटी टेयन टेंका कन्करा बे सिरिन बोचोयेन टेयन टेंका कन्करा बे सिरिन बोचोयेन स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी",korku-kfq "माँगे टीका लाड़ो माँगे, ए वोही न लाये बने माँगे1 टीका लाड़ो2 माँगे3 ए वोही4 न लाये बने5 । अच्छी नइहर बाली माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 1 ॥ नाको बेसर लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने । अच्छी भइया पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 2 ॥ कानो बाली6 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने । अच्छी अब्बा पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 3 ॥ हाथों कँगन लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने । हाथों पहुँची7 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने । अच्छी नइहर वाली माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 4 ॥ जाने8 सूहा9 लाड़ो माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने । अच्छी भइया पेयारी माँगे , वोही रँग काहे न लाये बने ॥ 5 ॥",magahi-mag "441 जिवें मुरशदां पास जा डिगन तालब तिवें सहती दे पांवदी हीर फेरे करीं सभ तकसीर मुआफ मेरी पैरी पवां ते मन्नीए नाल मेरे बखशे नित गुनाह खुदा सचा वंदे असंख गुनाह दे भरन बेड़े वारस शाह मनावड़ा असां आंदां साडी सुलह कराएगा नाल तेरे",panjabi-pan "पैले न्यूते पैले न्यूते, वेदमुखी बरमा पैले1 न्यूते2 पैले न्यूते , वेदमुखी बरमा , आज चैन्द बरमा जी को काज । तब न्यूते , तब न्यूते औजो को बेटा , आज चैन्द बढ़ैं3 को काज । आज न्यूती याले मैन हालदान4 की बाड़ी , आज चैन्द हलदी को काज , आज न्यूती यालेन मैन मंगल्यानी5 नारी , आज चैन्द मांगल को काज । आज न्यूती यालेन मैन साट्यों की सटेड़ी6 आज चैंद मोतियों को काज ।",garhwali-gbm "ए बहू आई असल गंवार ए बहू आई असल गंवार या तो सासू की गैल लड़ै सै सासू कहण लागी बहू उठ कै तैं पीस ले चूल्हा कासण और बुहारी उठ कै नै देले नै रोटी पोणी पाणी भरणा पड़ी पां पसार कै काया मेरी बा ने घेरी सांस ल्यूं मूं पाड़ कै बहू झुंझलाई बूढ़ी मारी है पछाड़ कै भाजो रै नगरी के लोगो बूढी बोली ललकार कै बुढिआ पड़ी ए पड़ी ससडै सै बहू सास की तरफ सरके सै ऐ बहू आई असल गंवार . . . पड़ी थी पुकार बूढ़ा आया लाठी उठाय कै ओछे रे कुटम की ओछी बड़गी घर में आय कै जाणू था मैं सन्तो तन्नै ल्याया था घर ब्याह कै बहू झुंझलाई मूसल ल्याई सै उठाय कै मूसल उठाया बुढै के मार्या हे उठाय कै आडी खड़ी खाट बूढ़ा कूद गया सुसाय कै सिर फूट्या गोडै फूटे पड्या धरण में आय कै ऐ बहू आई असल गंवार . . . बाहर तै जद आया भौंदू रोण लागी कलहारी नार नर के मैं नाए ब्याही जीओ क्यूं मरे भरतार बुढिआ नै गाली दीनी बूढ़ा गया लाठी मार धमकी दे चाल्ली मन्नै न्यूं हे पडूंगी कूएं में जाय कै हो मैं बोली ना सरम की मारी हो पति कुलां की रख दई थारी ऐ बहू आई असल गंवार . . . नार का सिखाया भौंदू जा पकड़ी बूढी की नाड़ पोली मैं तो बूढ़ी पीटी मुक्के मारे दोए चार कित ग्या तलाकी बूढा इबे द्यून उन्ने सुधार गद्धमगध बूढी पीटी जा पकड़ी बूढ़े की नाड़ के मैं जींदा नहीं जाणा इबे देऊं तन्नै मार पूत तो सपूत दीजो हरदम रह सेवा में तैयार इसे तै पूत तै न दूरे राखो करतार ऐ बहू आई असल गंवार . . .",haryanvi-bgc "सास गारी देवे सास गारी देवे , ननंद मुंह लेवे , देवर बाबू मोर । संइया गारी देवे , परोसी गम लेवे , करार गोंदा फूल । केरा बारी में डेरा देबो चले के बेरा हो ॥ आए बेपारी गाड़ी म चढ़िके । तो ल आरती उतारव थारी म धरिके हो ॥ करार . . . टिकली रे पइसा ल बीनी लेइतेंव । मोर सइकिल के चढ़इया ल चिन्ही लेइतेंव ग ॥ करार . . . राम धरे बरछी लखन धरे बान । सीता माई के खोजन बर निकलगे हनुमान ग ॥ करार . . . पहिरे ल पनही खाये ल बीरा पान । मोर रइपुर के रहइया चल दिस पाकिस्तान ग ॥ करार . .",chhattisgarhi-hne "कदी दुनिया में रणधीर डर्या नहीं करदे कदी दुनिया में रणधीर डर्या नहीं करदे जिननै सै नहीं मरणा आन्दा उन नै हर कोई डर दिखलान्दा हरियाणा के वीर कदी डर्या नहीं करदे मौत तै डर्या करैं वे पापी जिन नै पाप करें हो काफी माफी की याचना वीर कर्या नहीं करदे",haryanvi-bgc "अरे मेरे करम के खारे जल गए अरे मेरे करम के खारे जल गए एअर मोमी दूदाभ अरे मेरे करम के सुनरा मर गए रूठ गए मनिहार बहू री मेरी मत रोवै मुझे लगा री लाल का दाग मां अरी धौले धौले पहर कपड़े राड़ा भेष भरावै अरी चले सूनरा के मेरी नाथे उतरवाये अरी देही जले जैसे कांच की भट्टी पकावे अरी बिच्छू ने मारा डंक लहर क्यूं न आवे अपना मन समझावन लागी दो नैनों में भर आया पानी अरी सासू जब धसूं महल में दरी बिछौना सूना कुछ एक दिनां की ना है मुझे सारे जनम का रोना अरे यानी थी तब रही बाप के मुझे सोच कुछ न था अब कैसे कटै दिन रैन री मुझ को एक दिना की ना है",haryanvi-bgc "452 वफादार ना रन जहान उते लांदी शेरदे नक विच नथ नाहीं गधा नहीं कुलद1 मनखट2 खोजा अत खसरयां दो काई कथ नाही नामरद दी वार ना किसे गावी अते बुजदिलां दी काई सथ नाही जोगी नाल ना रन्न दा टुरे टूना रोज रोज थी चड़े अगथ नाही यारी सोंहदी नही सोहागना नूं रंडी रन्न दे सोहदी नथ नाही वारस शाह ओह आप है करनहारा इहना धदयां दे कुझ हथ नाही",panjabi-pan "रामी ‘बाटा गोड़ाई1 क्या तेरो नौं2 छ , बोल , बौराणि3 कख तेरो गौंछ4 ? ’ ‘बटोहीजोगी न पूछ मैकू । केकु पुछदि , क्या चैंद दवैकू ? रौतु5 की बेटि छौ , रामी नौछ । सेटु की ब्वारि छौं , पालि गौछ । मेरा स्वामी न भी छोड़ी घबर । निर्दयी ह्वे गैने मई पअर । ज्यूरा6 का घर नी जगा मैकू । स्वामि विछोह होयूं च जैंकू । रामी तैं स्वामी को याद ऐगे । हायकूटिल7 छूटण लैगे । ‘चल , बौराणी , छैलू8 बैठी जौला । आपड़ी खैरी9 उखीमू लीला । ’ ‘जा , जोगी , अपड़ा बाठा लागण । मेरा सरील ना लऊ आगअ । जोगी ह्वेकी भी आंखी नि खूली । छैलू बैठलि त्यरि दीदीभूली । ’ ‘बौराणी गाली नी देणी भोतअ । करव रैंद गौंको सयाणो रौतअ ? ’ जोगी न गौं मा अलंक लाई । भूखो छौं , भोजन देवा मई । बूडडी माइ तैं दया ऐगे । खेतु से ब्बारी बुलौण लैगे । ‘घअर और ब्वारी तू । झट कैकअ । घर मू भूखो चअ साधु एकज । ’ ‘सासु जी , कैकू बुलाये रौलअ10 । ये जोगी लगीगै आज बौलअ11 । ये जोगी कू नि पकांदू रोटी । गालि देने येन खोटीखोटी । ये पापी जोगी शरम नीचअ । कैकुतैं आये हमारा बीचअ ? “ ‘अपड़ी ब्वारी समझऊ भाई । भूखो छौं , मात बणावा जाई । ’ रामि रुसाड़ों12 झुलयोण लैगे । स्वामी की याद भी औण लैगे । ‘मा लू का पात मा धारे मातअ । भी तेरा भात नी लांदु हाय । रामी का स्वामी की थालि माजअ भात दे , रोटि मै खैलो आज । ’ ”खांदु छै जोगी तअखाई लेदा । नी खांदो जोगी तअजाई लैदी । भतेरा जोगी झोलीऊ ल्हीकअ । रोजाना घूमि निपौंदा भीकअ । “ जोगी न आखीर भेद खोले । बूडडी माई से इनो बोले । ”मैं छऊं माता तुम्हारी जायो । आज नौ साल से घअर आयों । “",garhwali-gbm "रामचन्दर चललन बियाह करे रामचन्दर चललन बियाह करे , रिमिझिमि बादल हे । अरे रिखियन1 खबरि जनावउ2 कहाँ दल उतरत3 हे ॥ 1 ॥ परिछे बाहर भेली सासु त , सोना के डलनि4 लेले हे । अहे , किनकर5 आरती उतारू , कउन बर सुन्नर हे ॥ 2 ॥ साम6 बरन7 सिरीराम , त गोरही8 लछुमन हे । सिरी रामचन्दर के आरती उतारूँ , ओहि बर सुन्नर हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "धरणी रीटे साँपीण धरणी रीटे साँपीण , अगाश रीटली शीणी , मणछ मगार लाणदो , विपता भगवान दीणी । हसा खाण , बांठी बुलाण , कोया न बाटुड़ लाणो । चार दिन मानछड़ो मरेय न अंयागौर जाणो । कूण कियो बांठो को मरीणो , कूणी दुबड़िया लायो रीण । पापी अपरादी ज्योंरा मेरा , न माणदो कसी की गीण ।",garhwali-gbm "विवाह गीत बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे वो । हवा निहि लागे वो बेनि पंखो ढुलाइ दे । पंखो नि चाले तो बेनी रेडियो चालादू दे । बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे । बनी तेरी हवेली में हवा नहीं लग रही है , पंखा चला दे । पंखा नहीं चले तो रेडियो चालू कर दे ।",bhili-bhb "नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नैं नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नैं कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का कमला नै ल्यावै उसका बाप कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का औरां की छोह्रियां पहरै सैंडल कमला पहरै काले सूट कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का औरां की छोह्रियां पहरै फराकां कमला पहरै काले सूट कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का नाई के रे नाई के ल्याइए कमला नै कमला नै ल्यावै उसका बाप कमला ध्यान राखिए पड्ढणै का",haryanvi-bgc "पति क्यो बैठया उदास रात दिन पति क्यो बैठया उदास रात दिन कई देवो दिल की बात १ पति कहे तीरीया से , तुमको कभी नई कण तीरीया मन में कभी नही राखे या खोटी तीरीया की जात . . . रात दिन . . . २ हट पड़ी तीरीया नही माने , अंन जरा नही खाये सब तीरीया काई सार की कब कई दिल की बात . . . रात दिन . . . ३ मणीया बाद भाई गयो रे बाद म , नही कोई संग सगाली म्हारा मन म ऐसी आवे वा करी कृष्ण न घात . . . रात दिन . . . ४ इतनी बात सुणी तीरीया न , रात को नींद नी आई सोचत सोचत रैन गवाई फिरी हुयो परभात . . . रात दिन . . . ५ घर को धंधो सबई छोड़यो , दबड़ी न पनघट आई सब सखीयाँ तो बराबरी वहाँ कही दिल की बात . . . रात दिन . . . ६ तुक देखी न मन बात कई , तु मती कोई क कैसे कान कान बा बात चली रे वा गई कृष्ण का पास . . . रात दिन . . .",nimadi-noe "377 अखी सामने चोर जे नजर आवे क्यों दुख विच आपनूं गालिए वे मियां जोगीया झूठियां करे गलां घर होण तां कासनूं भालिए वे अग बुझी नूं ढेरिआ1 लख दीजन बिना फूक मारी नहीं बालिए वे हीर वेखके तुरत पछाण लया हस आखदी बात समालिए वे सहती पास ना खोलना भेत मूले शेर पास ना बकरी पालिए वे देख माल चुरायके पया मुकर राह जांदड़े कोई ना भालिए वे वारस शाह मिलखाइयां माल लधा चलो कुजियां बदर2 पिवालिए वे",panjabi-pan "थारो काई काई रूप बखाणूँ रनुबाई थारो काई काई रूप बखाणूँ रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारी अगळई मूंग की सेंगळई रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारो सिर सूरज को तेज रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारी नाक सुआ की रेख रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारा डोला निंबू की फाक रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारा दाँत दाड़िम का दाणा रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारा ओंठ हिंगुळ की रेख रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारा हाथ चम्पा का छोड़ रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारा पांय केळ का खंब रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । । थारो काई काई रूप बखाणूं रनुबाई , सौरठ देस सी आई ओ । ।",nimadi-noe "हरी ए झंजीरी मनरा न पहरूं हरी ए झंजीरी मनरा न पहरूं मनरा हरा ए म्हारा राजा जी का बाग , सुलतानी जी का बाग मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का काली ए झंजीरी मनरा न पहरूं मनरा काला ए म्हारा राजा जी का सिर , सुलतानी जी का सिर मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का धोली ए झंजीरी मनरा न पहरूं मनरा धोला ए म्हारा राजा जी का दांत , सुलतानी जी का दांत मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का पीली झंजीरी ए मनरा न पहरूं मनरा पीला ए म्हारा राजा जी का कापड़ा , सुलतानी जी का कापड़ा मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का सरबै झंजीरी ए मनरा मैं पहरूं यो मेरा राजा जी का सर्व सुहाग , सुलतानी जी का सर्व सुहाग मनरा तो मेरी जान चुड़ला तो हात्थी दांत का",haryanvi-bgc "हमखों कर डारो बैरागी हमखों कर डारो बैरागी , रजऊ की आसा लागी । अपने जानें कभऊ नई भई धूनी बरै न आगी । इन हातन का दई दच्छिना हमने भिच्छया माँगी । फेरी देत रजऊ के लाने ईसुर बस्ती त्यागी ।",bundeli-bns "गांधी था सत का मतवाला गांधी था सत का मतवाला । सत का था उस नै परण पाला । । सचाई हाथ तै दी ना जाणे । चाहे प्राण पड़े थे गवांणे । । सत के बल पै अमरता पाई । सांच नै आंच ना लागण पाई । ।",haryanvi-bgc "टिकवा जे लइह राजा, बचवा लगाइ हो टिकवा1 जे लइह2 राजा , बचवा3 लगाइ हो । टिकुली जे लइह राजा , चमके लिलार हो । जलदी4 लउटिह5 राजा , जड़वा6 के दिनवाँ हो ॥ 1 ॥ हँथवा7 के फरहर8 धनि , मुँहवाँ के लाएक9 हो । से हो10 कइसे तेजब धनि , जड़वा के दिनवाँ हो । से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो ॥ 2 ॥ कंठवा जे लइह राजा , सिकड़ी लगाइ हो । टिकुली जे लइह राजा , चमके लिलार हो । जलदी लउटिह राजा , जड़वा के दिनवाँ हो ॥ 3 ॥ हँथवा के फरहर , धनि मुँहवाँ के लाएक हो । से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो । से हो कइसे तेजब धनि जड़वा के रतवा हो ॥ 4 ॥",magahi-mag "दीवा कै मण रै दीवा कै मण दीवा कै मण रै दीवा कै मण गाल्या लोहरे तो कै मण जाल्या कोयला जे दीवा नौ मण रै दीवा नौ मण गाल्या लोहरे दीवा दस मण जाल्या कायला जे बात्ते रै तेरे बात्त घाल्यूं सवा सेर की घड़ीए उजेऊं तेलको जे भर चास्सूं रै भर चास्सूं म्हारै संकर की धनसाल घर प्यारे कै चांदणो जे भर चास्सूं रै भर चास्सूं म्हारे रामसिंह की धमसाल घर राम सरन कै चांदणो जे",haryanvi-bgc "वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो , सेळा जामुण की रे छाया । । व्हाँ रे बालुड़ो पाती तोड़ऽ रनुबाई डुबीडुबी न्हावऽ । न्हावतज् न्हावतज् धणियेरजी नऽ देख्यो , कसी पत दीसो हो जवाब । । हाथ जोड़ी नऽ सीस नवां म्हारी सई हो , नैणां सी दीसां जवाब । ।",nimadi-noe "भैया सो जा बारे बीर (लोरी) भैया सो जा बारे बीर बीर की निंदिया लागी , जमनाजी के तीर । । टेक । । आम से बांदो पालनों , पीपर से बांदी डोर । जों लो भैया सोवन न पाए , टूट गई लमडोर । । अब नें रोओ मोरे बारे बीरन नैनन बह गए नीर । । धीरेंधीरें आँख मूंद ले अब आ जैहे नींद । जब तक मोरो भैया सोहे झपट बनेंहो खीर । । तातीताती खीर बनैहें ओई में डारहैं घी । बाई खीर जब भैया खैहें ठंडो परहै जी । ।",bundeli-bns "जी हो ए ही रे दिवलो इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो जी हो ए ही रे दिवलो , इन्द्र लुहार नऽ घड़ियो जेमऽ पुरव्यो सवा घड़ो तेल , सोन्ना की डांडी दिया हो बळऽ जी हाँ ए ही रे दिवलो , मजघर मऽ धर्यो , मजघर बठी म्हारी सदासुहागेण माय , सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ आरती मऽ धर्यो , आरती धरऽ म्हारी सदासुहागेण बैण , सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ पटसाळ मऽ धर्यो , पटसाल खेलऽ म्हारा नारा ताना बाळ , सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ जी हो ए ही रे दिवलो , मनऽ सभा मऽ धर्यो , सभा मऽ बठ्या छे समधी लोग , सोन्ना की डांडी दिया हो बलळऽ",nimadi-noe "जमुना किनारे मेरा घर है रे जमुना किनारे मेरा घर हैं रे गोपाल गागर भर दे रे जमुना जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली सास ससुर मेरे संग हैं रे । गोपाल जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली सात सखी मेरे संग हैं रे । जमुना . . . गोपाल गागर भर दे रे । जमुना . . . जो तुम जानो श्याम , मैं हूँ अकेली श्याम सुन्दर मेरो वर है रे । जमुना",bundeli-bns "126 झगड़ डूम ते फतू कलाल दौड़े भोला चूहड़ा ते झंडू चाक मियां जा हीर अगे धुम घतीया ने बची कही उडाई आ खाक मियां तेरी मां तेरे उते बहुत गुस्से बाप करेगा मार हलाक मियां रांझा जा तेरे सिर आन बनी नाले आखदी मारीए चाक मियां सियालां फिकर कीता तेरे मारने दा गिणे आपनूं बहुत चलाक मियां तोता अम्ब दी डाली ते करे मौजां ते गुलेलड़ा पौस पटाक मियां चुल्हीं सियालां ने अज न अग पाई सारा कोड़मा बहुत गमनाक मियां वारस शाह यतीम दे मारने नूं चढ़ी सब झनाउं दी ढाक मियां",panjabi-pan "261 दिन चार बना सुका मुंदरां बाल नाथ दी नजर गुजारियां ने गुस्से नाल विगाड़ के गल सारी डरदे गुरु तो चा सवारियां ने जोरावरां दी गल है बहत औखी जान बुझके बदी वसारियां ने गुरु केहा सो ओहनां प्रवान कीता नरदां पुठियां ते बाजी हारियां ने घुट वट के सम्म बुकुंम1 नसुम्भ होई काई गल ना मोड़के सारियां ने लया उसतरा गुरु दे हथ दिता जोगी करन दी नीत चा उजाड़ियां ने वारस शाह हुण हुकमदी पई पुठी लख वैरियां ठग के मारियां ने",panjabi-pan "जोगीरा १ . दानापुर दरियाव किनारा , गोलघर निशानी लाट साहेब ने किला बनाया , क्या गंगा जल पानी जोगी जी वाह वाह , जोगी जी सार रा रा । दिल्ली देखो ढाका देखो , शहर देखो कलकत्ता । एक पेड़ तो ऐसा देखो , फर के ऊपर पत्ता , जोगी जी वाह वाह , जोगी जी सार रा रा । कौन काठ के बनी खड़ौआ , कौन यार बनाया है , कौन गुरु की सेवा कीन्हो , कौन खड़ौआ पाया , चनन काठ के बनी खड़ौआ , बढ़यी यार बनाया हो , हम गुरु की सेवा कीन्हा , हम खड़ौआ पाया है , जागी जी वाह वाह , जोगी जी सारा रा रा । २ . किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी , फिर देख चली जा । किसकी बेटी तारा मंदोदरी किसकी बेटी सीता ? किसके बेटा रामलछुमन चित्रकूट पर जीता ? किसके मारे अर्जुन मर गए किसके मारे भीम ? किसके मारे बालि मर गये , कहाँ रहा सुग्रीव ? उत्तर १ . विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली पवन के बेटा हनुमान जी , ओहि लंका के जारी २ . कृष्ण मारे आर्जुन मर गए कृष्ण के मारे भीम राम के मारे बालि मर गए लड़ता था सुग्रीव । ३ . कौन जिला का रहने वाला , क्या बस्ती का नाम ? कौन जात का छोकड़ा बता तो अपना नाम ? फिर देख चली जा । धरती माँ का जनम बता दो , कौन देव का टीका कौन गुरु का सेवा किया , कहाँ जोगीरा सीखा ? फिर देख चली जा । क्या चीज का रेल बना है , क्या चीज का पहिया ? क्या चीज का टिकट बना है , क्या चीज का रुपैया ? फिर देख चली जा । ४ . कौन देस से राजा आया कौन देस से रानी ? कौन देस से जोगी आया मारा उलटा बानी ? फिर देख चली जा । काहे खातिर राजा रूसा काहे खातिर रानी ? काहे खातिर जोगी रूसा काहे मारा बानी ? फिर देख चली जा ।",bhojpuri-bho "घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा मिया मिलटो धारना सुभान सुभाये घामू घामू तीसो तीस एजेकेन जा आबा मिया मिलटो गाधी लियेन सुभाये घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा मिया मिलटो मिगरी चुटी सुभाये घामू घामू तीसो तीसो एजेकेन जा आबा मिया मिलटो भानी टालान सुभाये भानी टालान चोजेमा सुभाये कौन जा इंज सांटी किमीन भी का भागायेन घरना सुभान चोजेमा सुभान कौन जा इंज सांटी कौन भी का भागायेन स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा",korku-kfq "नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया तेकी डाळ गई गुजरात ते अब घर आओ तीरथ वासी । नानो सो अम्बो गंगा घर लगई आया तेकी कैरी लगी लटलूम हे अब घर आओ तीरथ वासी । नानी सी गय्या गंगा घर धरी आया तेका जाया अक्खरनी समाय ते अब घर आओ तीरथ वासी । नानी सी कन्या , गंगा घर छोड़ी आया , तेका जाया पालणां नी समाय , ते अब घर आओ तीरथवासी । नानो सो पुत्र गंगा घर धरी आया , तेका जाया पालणां नी समाय , ते अब घर आओ तीरथवासी ।",nimadi-noe "बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , मैं तां खड़ी सां बाबल जी दे पास , बाबलजी तों आस , बाबल वर लोड़ीये , नी बेटी कियो जया नी लाडो , कियो जया वर लोडिये , वे बाबल ज्यों तारयाँ विचों चान , चान्नां विच्चों कान्ह , कन्हयिया वर लोडिये , बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , मैं तां खड़ी सां भैया जी दे पास , भैयाजी तों आस , भैया वर लोडिये , नी बहना कियो जया नी लाडो , कियो जया वर लोडिये , वे भैया , ज्यों तारयाँ विचों चान , चान्नां विच्चों कान्ह कन्हयिया वर लोडिये । बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , नी जाईये , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , मैं तां खड़ी सां चाचाजी दे पास , चाचजी तों आस , चाचा वर लोडिये , नी बेटी कियो जया नी लाडो , कियो जया वर लोडिये , वे चाचा ज्यों तारयाँ विचों चान , चान्नां विच्चों कान्ह , कन्हयिया वर लोडिये । बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , नी लाडो , चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी , मैं तां खड़ी सां मामाजी दे पास , मामा जी तों आस , मामा वर लोड़ीये , नी बेटी कियो जया नी लाडो , कियो जया वर लोडिये , वे मामा ज्यों तारयाँ विचों चान , चान्नां विच्चों कान्ह , कन्हयिया वर लोडिये ।",panjabi-pan "219 यारो ठग सयालां तहकीक1 जानो धीयां ठगनियां सब सिखांवदे ने कौल हार जवानां दे साक खोवन पयोंद2 होर धिर लांवदे ने पुत वेख सरदारां दे मोह लैदे एहनूं महींदा चाक बनंवदे ने दाड़ी शेख दी छुरा कसाइयां दा बैठ परे3 विच पैंच सदांवदे ने जट चोर ते यार ते राह मारन डडियां4 मोहदे सन्नां लांवदे ने वारस शाह एह जट नी सभ खोटे वडे ठग ए जट झनांदे ने",panjabi-pan "पितर नेवतौनी ये सरगऽ में बसेले बर्हम बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि । ये सरगऽ में बसेले महादेव बाबाऽ , उन्हउ के नेवतबि । इसी तरह ठाकुर बाबा , सुरुज , खिरलिच , काली , दुर्गा , चन्द्रमा , अछैबट सभी देवता एवं उनकी पत्नी देवी का और सभी कीड़ोंमकोड़ों का भी आवाहन किया जाता है । दुआरी छेंकौनी गीत छोड़ींछोड़ीं सखी सबे रोकल दुआर हे मोर दुलहा बाड़े लड़िका नादान हे । अहिरा के जात हंउअन बोली पतिशाह हे कइसे में छोड़ीं सखी रोकल दुआर हे तोर दुलहा बाड़े सखी लड़िका नादान हे । दुल्हे का उत्तर अहिरा के जात हईं बोली पतिशाह रे काहे के बाबा तोर गइले पूजन रे । काहे के भइया तोर गइले बोलावे रे ।",bhojpuri-bho "मोरया आछो बोल्यो रे मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने , रात ने , रात ने औ , म्हारे हिवडे में बेगी रे गुजार मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने",rajasthani-raj "हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय हे इयां माय हाँ हे बा ऐनी कोनजई पराय डो माय हाँ हे इयां माय हाँ , ऐनी कोनजई चोज गेटी हाँ हे इयां माय हाँ , ऐनी कोनजई चोज गेटी डाके माय हाँ , ये इयां बा हाँ , इनी कोनजई चूज गेटी डाके माय हाँ , ये इयां बा हाँ , इनी कोनजई चूज गेटी डाके बा हाँ , ये इयां बा हाँ , ये इयां डाई डो डाई डाके बा हाँ , ये इयां बा हाँ , ये इयां डाई डो डाई इनी बोकोजई , टियांटेन का आमा बोकोजई ढाने डाई हाँ इनी बोकोजई , टियांटेन का आमा बोकोजई ढाने डाई हाँ स्रोत व्यक्ति परसराम , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा आलमा ऊरान सिल्ला माजा बेटा सिल्ला लियेन नाइडो हिडायेन सिल्ला लियेन नाइडो हिडायेन सिल्ला लियेन चोजमा नाइ डाले डो आयोम सिल्ला लियेन चोजमा नाइ डाले डो आयोम स्रोत व्यक्ति नानी बाई , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "ससुरे परलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई ससुरेपरलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई राजा जी परमात्मा जैहें पहिचानि , करब हम कौन बहाना आवा गवन . . . मोरे पिछवारे रंगरेजवा बेटौना गुरु बीरन लागौ हमार , करब हम कौन बहाना आवा गवन . . . एक बोर मोरी बोरौ चुनरिया ज्ञान , भक्ति और कर्म के आलोक से मेरी आत्मा की शुद्धि कर दो राजा न पावें पहिचानि , करब हम कौन बहाना आवा गवन . . . संकरी गलिय होई के डोला जो निकरा छूटा जो आपन देस , करब हम कौन बहाना आवा गवन . . . आवा गवन नगिच्याय करब अब कौन बहाना",awadhi-awa "397 खुआर खजलां रूलदियां फिरदिां सी अखीं वेखदयां होर दियां होर होइयां आप दुध दियां धोतियां नेकबख्तां अगे चोर दे असी नी चोर होइयां चोर चैधरी गुंडी परधान कीती ए उलट अवलायां जोर होइयां बदजेब1 तों कोझियां भैड़ मूंहियां अगे हुसन दे बागदियां मोर होइयां एह चुगल बलोचां दी टुंब डिठी मिा दोज घूठी मनखोर2 होइयां एहदी बनत देखो नाल नखरयां दे मालजादियां3 विच लहौर होइयां",panjabi-pan "550 डाची शाह मुराद दी आन रिंगी ऊतों बोलया साई संवारीए नी शाला ढुक आवे हुश ढुक नेड़े आ चड़ी कचावे ते डारीए नी मेरी गई कतार कुराह घुथी कोई सेहर कीती टूने हारीए नी दाई सूई दी बोतड़ी एह डाची घिन छिक पलाने दी लाड़ीए नी वारस शाह बहिश्त दी मोरनी तूं एह फहरशतयां ऊंठ ते चाड़ीए नी",panjabi-pan "मृत्यु गीत पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम , गाठड़ी काहाँ उतारां रे जी ॥ गाठड़ी त ढोल्या नीचे उतारो रे , दयाराम भगवान लेखो मांगेगा ॥ भगवान लेखो त तुम पछ लीजो रे , हम त भूखा चली आया ॥ ताजा भोजन की थाली परसेली रे राम , कोई के जिमाड्या होय त जीमो राम निहिं ते भूख्या चली जाओ राम ॥ भगवान लेखो मांगे राम ॥ पाप धरम की गाठड़ी रे राम , गाठड़ी काहाँ उतारां रे राम , काठड़ी त ढोल्या हेट उतार दो राम , भगवान लेखो मांगे राम ॥ लेखो तो तुम पाछे लेजो , तीसा मरता आया जी ॥ कोराकोरा मटका भरिया रे राम , तुमने पिलाया होय तो पीवो जी । नि तो तीस्या चली जावो राम ॥ पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम , गाठड़ी काहाँ उतारूँ ॥ गाठड़ी तो ढोल्या हेट उतारो राम , भगवान लेखो मांगे जी ॥ लेखो तो तुम पाछे लेजोजी । हम तो उघाड़ा आया जी ॥ कोराकोरा कपड़ा गाठड़ा बंदिया पड़िया राम , कोई के पेहराया होय त पेरो राम , नहीं तो उघाड़ा चल्या जाओ राम ॥ भगवान लेखो मांगे जी ॥ पाप धरम की गाठड़ी रे दयाराम गाठड़ी काहाँ उतारूँ ॥ गाठड़ी तो ढोल्या हेट उतारो राम , भगवान लेखो मांगे जी ॥ लेखो तो तुम पाछे लीजो हम तो पायं बलता आया राम ॥ नवी नवी मोजड़िया गाठड़ा मा बंधी कोई के पेहराया होय त पेरो जी , नहीं तो अलवाणा चल्या जाओ राम भगवान लेखो मांगे जी ॥ मनुष्य इस देह को छोड़कर जब धर्मराज के यहाँ जाता है तो वहाँ क्या कहता है ? क्या उत्तर मिलता है ? यह इस गीत में बताया गया है । मनुष्य इस संसार में खूब धन अर्जित करता है , कोई मेहनत करके कमाता है और कोई चोरी , भ्रष्टाचार , मिलावट से धन अर्जित करता है । कोई अपनी मेहनत की कमाई से धर्म कार्य करता है , दान देता है । कोई दुनिया वालों पर प्रभाव डालने के लिए पाप की कमाई को धार्मिक कार्यों में लगाकर अपने को आदर्श दानी कहलाता है , किन्तु इस संसार से जब जाता है तो धनदौलत , पुत्रबहू आदि सभी यहीं रह जाते हैं , कोई भी साथ में नहीं ले जा सकता । उसके साथ तो केवल पाप और धर्म की गठरी जाती है । जिसने अपने परिश्रम की कमाई से जीवनयापन करते हुए यथाशक्ति धरम किया है , वही साथ जाता है । पाप की कमाई वाला पाप की गठरी ले जाता है । वहाँ जाकर विनय करता है कि दयालु पापधरम की गठरी साथ में लाया हूँ इसे कहाँ उतारूँ ? उसे उत्तर मिलता है दयाराम गठरी तो पलंग के नीचे रख दो , भगवान हिसाब माँगेंगे । तुमने कितना धरम कियिा है औ कितना पाप किया है ? मनुष्य वहाँ कहता है कि हिसाब तो आप बाद में लेना , मैं दुनिया से भूखा आया हूँ , मुझे भोजन चाहिए । उत्तर मिलता है कि ताजे भोजन की थाली परोसी हुई है , तुमने अपनी मेहनत की कमाई से किसी अपंग , अनाथ , गरीब , साधू ब्राह्मण को जिमाया हो तो जीम लो , नहीं तो भूखे चले जाओ । अरे राम भगावान तो हिसाब माँगते हैं , तुम्हें पात्रता आती हो तो जीमो । आगे इसी प्रकार प्रश्न करके कहता है कि मैं प्यास आया हूँ , मुझे पानी चाहिए । उत्तर मिलता है कि किसी प्यासे को पानी पिलाया हो तो पी लो नहीं तो प्यासे जाओ । यहाँ ठंडे पानी के मटके भरे हैं , तुम्हें पात्रता हो तो पी लो । आगे जीव कहता है मैं उघाड़ा आया हूँ वस्त्र चाहिए । उत्तर मिलता है कि यहाँ नयेनये कपड़ों के गाठड़े बँधे हैं । तुमने किसी गरीब , असहाय को वस्त्र दान किया हो तो पहन लो , नहीं तो उघाड़े चले जाओ । आगे कहता है कि मेरे पैर जलते हैं मोजड़िया चाहिए । उत्तर वही मिलता है कि तूने किसी को मोजड़िया पहनाई हो तो पहन लो , नहीं तो वैसे ही चले जाओ । भगवान तो हिसाब माँगते हैं । इस मृत्यु गीत का मुख्य उद्देश्य यह है कि दुनिया में अपने परिश्रम की कमाई से जीवनयापन करते हुए उसमें से बचे तो यथाशक्ति गरीब , अपंग , ब्राह्मण , साधु को दान देना चाहिए । इस प्रकार दान की ओर प्रेरित किया गया है ।",bhili-bhb "एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया , यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥ महरमहर ममहावत हाबे धनहा खेत के माटी ह , सुवा ददरिया गावत हाबे , खेतहारिन के साँटी ह ॥ उबुकचुबूक उछाल मारे गाँव के तरिया , यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥ फोरे के तरिया खेते पलोबो , सोन असन हम धान उगाबो , महतारी भुईया ले हमन , धान पाँच के महल बनाबो । अड़बड़ बियापे रिहिस , पौर के परिया , बादल करिया । यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥",chhattisgarhi-hne "बुड्या जवाई 1 . बुढ्याकू बेटि क्या देणि छ मुणडमा आपदा लेणि छ , वर्ष द्वी मांज मरि जाँदो छै छोरि1 कू रांड करि जांदो छ । 2 . मुर्खलो2 खोसि जब रोंदी वा दुःख का बैन यना बोदि वा , बाबा जी तुमन क्यों सैंत्यो मैं फेंकणया होइ कनु व्वेकु मैं । 3 . माजि तिन कोखि क्यों राख्यो मैं होंद ही केकु नी फेंक्यो मैं , केकुतैं लाड़ करि पालयो मैं फेर ये दुःख मां डाल्यों मैं । 4 . त्वेन जो बेटि नी जाण्यों मैं गोरू या भैंससी जारयों मैं , पन्द्रसौ लेणिछै त्वैमेरी यांकुही होइ तू मां मेरी । 5 . धर्मदी कर्म नीजाण्यों जो जात्यादी रूपभी नीमान्यों जो , शोचदा वर्ष मैनौकी छौं साठ का बुढ्या कू दीने छौं । 6 . बेचितैं पुडांड़ि3 अर कूडी4 कू पन्द्रसौ दीनि त्वे पापी कू , बाबा जी त्वेकू ह्वै सौकारी मेरारै भाग मा जीलारो । 7 . कीराकी होइ दै जो काले चाँदिसी चमकदी वो वाले , हारादी छड़ा छन सी मैकू दैव यनु ना करी तू कैकू । 8 . माजि तिन थैलि पर दीने डीठ बेटिकू फेरी जो यनि पीठ , त्वेकू वा थेली ही रई जान लोक परलोक ना हो यो यान । 9 . कै घड़ी दिन्या तिन मैंकु बांद वर्ष का बीच ह्वैग्युं राँड , त्योंखि भी मैकू तैंनीछ आज दैव ही रखलो मेरी लाज । 10 . गैणा जो लोगु का पर थारी तौं की भी बात रै दिन चारी नाक पर मुर्खलो रये मेरा स्योभि छै मासमा गये डेरा । 11 . मार अर गालि देंदान सोरा सैसुरी मैतिनी क्वीभि मेरा , पूछरो आज नी क्वीभि मैकू बाबा जी रोण मिन क्या आज त्वेकू । 12 . क्वीभि शुभ काम जब होंदान मैकू तैं क्वीभिनी बोदान , सभी मा बैण वख जांदिन गीत अर मांगल गाँदिन । 13 . कब्बि जो भूलिकी गैगी मैं राँड निर्लज्ज बस ह्वैगी मैं , मैकु तैं डैणा सब बोदान देखि मैं खाण जनु औंदान । 14 . राँड कू बारनी त्यौहार राँड कू केकुछौ शृंगार , राँड ह्वै डोमू से भि नीच छ राँड को जगतमा क्वीभि नीछ । 15 . मुख भी स्वामि को नी देख्यो सुख संसार को नी देख्यो , स्वीणा नी देखे सुख की रात लाण औं खाणकी क्या बात । 16 . बालि ही राँड मैं ह्वैग्यूं जो जन्म की दुःखिया रैग्यू जो , दोष यां माँग नी क्वी मेरो बाबा जी पाप छ यो तेरो । 17 . दुखि ये चित्त की हड्कार रोणु बी पीटणू फिड्कार , कल्लो तै बंश को संहार जागलो तब्बि यो संसार । 18 . थैलि कै काम जो ऐ जाली भैंसि वा भेल कू ह्वै जाली , मुकद्मा जोर को लै जालो थैली ”योगीन्द्र“ वो खैजालो ।",garhwali-gbm "केसर भई राधिका रानी केसर भई राधिका रानी , गलन गलन मिहकानी । चम्पा , जुही केतकी बेला ललत बेल लिपटानी जिनसें भौत तड़ंगें उठतीं ज्यों गुलाब कौ पानी । ईसुर किसनचन्द मधुकर नें लइ सुगन्द मनमानी ।",bundeli-bns "परबत उपर नेमुआ चनन केर गाछ परबत उपर नेमुआ चनन1 केर गाछ , लिखूँ कोहबर । ताहि तर दुलरइता दुलहा खेलइ जुगवा सार2 लिखूँ कोहबर ॥ 1 ॥ किया तोंहे अजी बाबू , खेलबऽ जुगवा सार , लिखूँ कोहबर । तोहरो दुलरइतिन सुघवे3 नइहरवा भागल जाय , लिखूँ कोहबर ॥ 2 ॥ जाय देहु जाय देहु , अम्माँ जी के पास , लिखूँ कोहबर । उनको पीठी4 बजतइन5 सुबरन केर साँट6 लिखूँ कोहबर ॥ 3 ॥ ई मति जानु बाबू , सासु निरमोहिया , लिखूँ कोहबर । उनकर धिया हइन7 परान के अधार , लिखूँ कोहबर ॥ 4 ॥",magahi-mag "लका मे हनुमान अलबेले राम लंका में हनुमान , अलबेले राम काहे को सोटा काहे को लंगोटा काहे चढ़ा दूं चोला । सोने को सोटा , लाख को गोटा सेंदुर चढ़ाय दऊं चोला । बनबन भटके फिरत अकेले डाले फूलन को सेला । लंका में . . . । काहे को मुकुट , काहे को मुस्टक काहे को बनहै झेला । सोने को मुकुट , चंदन की मुस्टक फूलों का डाले झेला । लंका में . . . ।",bundeli-bns "528 सैदें मार बुकल पचाड़की1 बधी जुती झाड़के डांग लै कड़कया ए वाहो दाह चलया खड़ी बांह करके वांग कटकूं2 माल ते सरकया ए काले बाग विच जोगी दे जा वड़या वेखके जट नूं तड़कया ए खड़ा हो माही मुंढे खान आवे नाल भांवड़े शोर कर मड़कया ए सैंदा संग के खड़ा थर थर कंबे उसदा अंदरों कालजा धड़कया ए चली रब्ब दे वासते जोगिया ओए खार विच कलेजे दे अड़कया ए जोगी पुछया कीह बनी तैनूं एस हाल आवे जट बड़कया ए जटी वड़ी कपाह विच बन्ह झोली काला नाग अजगैब3 दा लड़गया ए वारस शाह जो रन्नां आ जमा होईयां सप झाड़ बूटे किते बड़गया ए",panjabi-pan "एक दिन होगा ढेर मैदान में एक दिन होगा ढेर मैदान में , किस गफलत में फिर रहा सै । सब बातां नै भूल जायेगा , जब आवैगा बखत अखोरी । माता बहनां धौरा धरजां , उल्टी हटजा अरज सरीरी । यम के दूत पकड़ कै लेजां , हाथां में तेरे घाल जंजीरी । एैल फेल नै भूल जायेगा , रेते में रल जां ठाठ । सीस पकड़ कै रोवैगा , रै कुनबा हाजा बारह बाट । नैपे सिर का कफन मिले ना , नीचे तो जा काठ की खाट । भजा सै भजन जबान में , किस ढंग का छल भर रहा सै । एक दिन होगा ढेर . . . उस मालिक की भक्ति करले न , घर ईसवर के होगा जाणा । के तो राजी खुसी डिगर जा , ना तै होगा धिंगताणा । मोहर छाप तेरी खाली रहजा , छट लिया तेरा अन्न जल दाणा । भक्ति करले उस मालिक की , दीये छोड़ कपट का जाल । धरमराज की पूंजी बरतै , मूरख कोन्या करता ख्याल । एक दिन खाली होवै कोथली , लिकड़ जां तेरे सारे माल । एक दिन जलना पड़ै समसान में , किस मोह ममता में घिर रहा सै । एक दिन होगा ढेर . . .",haryanvi-bgc "भजन टेक हारे सतगुरू का भरम नी पायो रे , लियो रतन कोख अवतार रे । चौक1 आठ मास नव गर्भ रयो रे । हंसा कोन पदारथ लायो रे । आरे हंसा कोन पदारथ लायो रे । कितना पुन से आयो मोरे हंसा , ऐसो काई नाम धरायो रे । लियो रतन कोख अवतार रे । चौक2 दान पुन प्रणाम कियो रे हंसा , वइ काया संग लायो रे । इतना पुन से आयो मोर हंसा , ऐसो हीरा नाम धरायो रे । लियो रतन कोख अवतार रे । चौक3 तीनी पण तुन धुल म गमायो हंसा , हजुव नि समझ्यो गंवार रे । अरे हंसा हजुव नि समझ्यो गंवार रे । बइण भाणिज तुन वलकी नी जाण्यो । थारो रगीसर को अवतार रे । लियो रतन कोख अतवार रे । चौक4 जहाज पुरानी नंदी वव गयरी , केवटियो नादान रे । आरे हंसा केवटियो नादान रे । धर्मी राजा पार उतरियो , ऐसो पापी गोता खाय रे । लियो रतन कोख अतवार रे । कइये कमाली कबिर सा री लड़की ये निरबाणी । अरे हंसा ये पंथ है निरबाणी । गऊ का दान तुम देवो मेरे हंसा हो , तेरा धरम उतारेगा पार । लियो रतन कोख अवतार । हाँ , मनुष्य तूने सतगुरू का भेद नहीं पाया , तूने रत्न की कोख से अवतार लिया है । माँ की कोख को रतन कोख कहा गया है । आठ नौ माह त माँ के पेट में रहा , कौन सा पदार्थ लाया ? अरे मानव तू जान ले कितने पुण्य से मानव रूप में आया , ऐसा कौन सा नाम रखा है ? तूने पूर्व जन्म में जो भी दानपुण्य और अराधना की , वही इस काया शरीर के साथ लाया है । इतने पुण्य से तू आया है और हीरा नाम रखा है । मानव को हीरा माना है जैसे धरती माता की कोख से बड़े प्रयत्न के बाद हीरा बाहर निकलकर संसार के लोगों के सामने आता है , वैसे ही माता की कोख से मनुष्य आता है । अब मनुष्य के बुढ़ापे को कहा है कि बालपन , किशोर , युवावस्था तीनों पन धूल में गमा दिये अर्थात्तूने अपनी मुक्ति के लिए कुछ नहीं किया । अरे गँवार बुढ़ापा आ गया , तू अभी तक नहीं समझा । बहनभाणिजी को तूने नहीं पहचाना अर्थात् तूने नहीं पहचाना अर्थात् तूने बहनभाणजी को दान नहीं दिया । तेरा जन्म व्यर्थ गया । भजन में बहनभाणजी को दान देने की प्रेरणा दी गई है । अरे मानव जिस प्रकार जहार पुरान हो और नदी गहरी हो और नाविक नादान नासमझ हो , उसमें धरम करने वाले राजा मनुष्य पार हो जाते हैं और पापी लोग नदी में गोते खाया करते हैं । कबीरजी की लड़की कमाली कहती है कि अरे मानव गौ का दान करो तो वह धरम तुझे पार उतार देगा । भजन में गौदान की महत्ता प्रतिपादित की गई है ।",bhili-bhb "नौ नौ नौरते संझा माई के नौ नौ नौरते संझा माई के सोलां कनागत पितरां के उठ माई बैठ माई खोल दे पाट मैं आई तने पूजण ने पूज पिछोकड़ कै फल लागे भाई भतीजे पूरे पंचास कड़वी कचरी कड़वी बेल पूत फलियां तेरी बेल मक्का देरी मक्का द तेरे आये बोहड़िआ धक्का दे",haryanvi-bgc "104 मलकी आखदी लड़यों ना नाल चूचक कोई सुखन1 न जीउ ते लावना ई केहा मापियां पुतरां लड़न हुंदा तुसां खटना ते असां खावना ई छिड़ माल दे नाल मैं घोल घती रातीं सांभ मझीं घरीं आवना ई तूं ही चोय के दुध जमावना ईं तूं ही हीर दा पलंघ वछावना ई कुड़ी कल दी तेरे तों रूस बैठी तूं ही उस नूं आ मनावना ई मंगू माल ते हीर सयाल तेरी नाले घूरना ते नाले खावना ई तेरे नाम तों हीर कुरबान कीती मंगू सांभ के चार लयावना ई",panjabi-pan "मिट्ठड़ा ना लगदा शोर प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर । हुण मैं ते राजी रैहनाँ , प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर । मैं घर खिला सगूफा होर , वेक्खिआँ बाग बहाराँ होर हुण मैनूँ कुझना कैहणा । प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर । हुण मैं मोई नी मेरीए माँ , पूणी मेरी लै गया काँ , डों डों करदी मगरे जाँ , पूणी दे दई साईं दे नाँ । प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर । बुल्ला साइ दे नाल प्यार , मेहर अनायत करे हजार , इक्को कौल1 ते एहो करार2 , दिलबर दे विच्च रैहणा प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लगदा शोर ।",panjabi-pan "89 मांउ हीर दी ते लोक करन चुगली तेरी मलकिए धीउ बेआब1 है नी असीं मासियां फुफियां लज मोइयां साडा अंदरों जी कबाब है नी चाक नाल दे नेहुं लगाया सू अठे पहर रहिंदी गरकाब2 है नी तेरी कुड़ी दा मगज है बेगमां दा वेखो चाक जोउ फिरे नवाब है नी वारस शाह मुंह उंगलियां लोक घतन चढ़ी हीर नूं लोढ़े दी खराब3 है नी",panjabi-pan "मोती बारे हैं, बेर बेर मोती बारे हैं मोती बारे हैं , बेर बेर1 मोती बारे हैं । दादा के घोड़े चढ़ि आए नवसा2 दुलहा । दादी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 1 ॥ नाना के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा । नाना के हाथी चढ़ि आए नवसा दुलहा । नानी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 2 ॥ अब्बा के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा । अम्मा दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 3 ॥ चाचा के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा । चाची दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 4 ॥ भइया के घोड़े चढ़ि आए नवसा दुलहा । भाभी दरवाजे लगि खड़ी हैं , मोती बारे हैं ॥ 5 ॥",magahi-mag "लंगुरिया - १ करिहां चट्ट पकरि के पट्ट नरे में ले गयो लांगुरिया ॥ टेक ॥ आगरे की गैल में दो पंडा रांधे खीर , चूल्ही फ़ूंकत मूंछे बरि गयीं फ़ूटि गयी तकदीर ॥ करिहां ॥ आगरे की गैल में एक लम्बो पेड खजूर , ता ऊपर चढि के देखियो केला मैया कितनी दूरि ॥ करिहां ॥ आगरे की गैल में एक डरो पेंवदी बेर , जल्दी जल्दी चलो भवन को दरशन को हो रही देर ॥ करिहां ॥ आगरे की गैल में लांगुर ठाडो रोय , लांगुरिया पूरी भई भोर भयो मति सोय ॥ करिहां ॥",bhadrawahi-bhd "585 अफसोस मैंनूं आपणी नाकसीं1 दा गुनाहगार नूं हशर दे सूर दा ए एना मोमनां खौफ ईमान दा ए अते हादियां बैंत मंसूर दाए सूबेदार नूं तलब सपाह2 दा ए अते चाकरां काट कसूर दा ए सानूं शरम ईमान वा खौफ रहिंदा जिव मूसा नूं खौफ कोहतूर3 दा ए इन्हां गाजियां4 करम बहिश्त होवे ते शहीदां नूं वायदा हूर दा ए एवे बाहरों शान खराब विचों जिवे ढोल सुहांवदा दूर दा ए वारस शाह वसनीक जंडयालड़े दा ते शगिरद मखदूम कसूर दा ए",panjabi-pan "140 कैदो लथड़ी तफड़ी खून वंिदे कूक बाहुड़ी ते फरयाद मियां मैंनूं मारके हीर खबार कीता पैंचो पिंड दयो देहो खां दाद मियां कफनी पाड़ बादशाह दे जा दसां मैं तां पटसुटां बुनयाद मियां मैं बोलनों न रिहा सच पिछे झगी कूक कीता बे आबाद मियां चो झगड़िये चल के नाल चूचक एह गल न जाये बरब्बाद मियां वारस शाह अहमकां1 नूं बिना फट खाधे नहीं आंवदा इशक स्वाद मियां",panjabi-pan "होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय होड़ा सांही घोड़ा पालंगो डो आयोम डी पालंगो आम सुबाय इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो इयां पालंगो बाने जा बेटा आमा रानी का भौरा पालंगो आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम आमा ऊरा आमा दारोम डो आयोम चोज सांही बुरा माडी माडी येरे चोज सांही बुरा माडी माडी येरे चोज सांही बुरा माडी माडी येरे स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "बारहमासा प्रथम मास असाढि सखि हो , गरज गरज के सुनाय । सामी के अईसन कठिन जियरा , मास असाढ नहि आय ॥ सावन रिमझिम बुनवा बरिसे , पियवा भिजेला परदेस । पिया पिया कहि रटेले कामिनि , जंगल बोलेला मोर ॥ भादो रइनी भयावन सखि हो , चारु ओर बरसेला धार । चकवी त चारु ओर मोर बोले दादुर सबद सुनाई ॥ कुवार ए सखि कुँवर बिदेश गईले , तीनि निसान । सीर सेनुर , नयन काजर , जोबन जी के काल ॥ कातिक ए सखी कतकि लगतु है , सब सखि गंगा नहाय । सब सखी पहिने पाट पीतम्बर , हम धनि लुगरी पुरान ॥ अगहन ए सखी गवना करवले , तब सामी गईले परदेस । जब से गईले सखि चिठियो ना भेजले , तनिको खबरियो ना लेस ॥ पुस ए सखि फसे फुसारे गईले , हम धनि बानि अकेली । सुन मन्दिलबा रतियो ना बीते , कब दोनि होईहे बिहान ॥ माघ ए सखि जाडा लगतु है , हरि बिनु जाडो न जाई । हरि मोरा रहिते त गोद मे सोबइते , असर ना करिते जाड ॥ फागुन ए सखि फगुआ मचतु है , सब सखि खेलत फाग । खेलत होली लोग करेला बोली , दगधत सकल शरीर ॥ चैत मास उदास सखि हो एहि मासे हरि मोरे जाई । हम अभागिनि कालिनि साँपिनि , अवेला समय बिताय ॥ बइसाख ए सखि उखम लागे , तन मे से ढुरेला नीर ॥ का कहोँ आहि जोगनिया के , हरिजी के राखे ले लोभाई ॥ जेठ मास सखि लुक लागे सर सर चलेला समीर । अबहुँ ना सामी घरवा गवटेला , ओकरा अंखियो ना नीर ॥",bhojpuri-bho "देखत स्याम माँग पै मोये देखत स्याम माँग पै मोये , गोला मुख पै गोये फन्दन फन्द फूल बेला कौ , बीचन बीच बिदोये । बेनी जलद चार कय केरत , तिरवेंनी सें धोये , उठत पराग अतर पटिया की , गये सरवोर निचोये । ईसुर उतै प्राण की परवी मन लै चली चितौये ।",bundeli-bns "आ गई रे बरसात सुहानी आ गई रे बरसात सुहानी चारऊ ओर भई हरियाली , धरती ने पहिरी चूनर धानी । आ गई . . . झूला पड़ गओ डालीडाली आम पे बोले कोयल रानी । आ गई . . . रिमझिमरिमझिम मेहा बरसे , ताल तलैयन भर गयो पानी । आ गई . . . दादुर मोर पपीहा बोलो , कैसी प्यारी ऋतु ये लुभानी । आ गई . . .",bundeli-bns "सुण सुण मौसा सुणी’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां तनै मेरी मौसी गैहणै धरी’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां दिल्ली में सोना पाया’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां तनै लट्ठे की चादर पाई’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां तनै टूम घड़णनै सुनरा पाया’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां रोहतक में बाजा मिला’क नां सुण सुण मौसा सुणी’क नां",haryanvi-bgc "390 हीर आखदी एस फकीर नूं नी केहा घतयो गैर दा वायदा नी इनां आजजां नूं पई मारनी ए एस जीवने दा क्या फायदा नी अल्ला वालयां नाल की बैर चायो भला कुआरीए एह बुरा कायदा नी पैर चुम्म फकीर दे टहल कीजे एस कम्म विच खैर दा जायदा1 नी पिछों फड़ेंगी कुतका जोगिड़े दा कौन जानदा केहड़ा जायदा नी वारस शाह फकीर जे होण गुसे खौफ शहर नूं कहर वबाय2 दा नी",panjabi-pan "गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई इन लोटन में आग लगादे मेरा गुलीबन्द घरवादे गहनो दे घरवाई मरद ते कह लुगाई गुलीबन्द है खाजा चपरा , आच्छे कीमती लादूं कपरा सारी दे मंगवाई मरद ते कहे लुगाई",haryanvi-bgc "चोका चावल पीला हलदी झूडो बाईकेन न्यूटा कूले चोका चावल पीला हलदी झूडो बाईकेन न्यूटा कूले झूडो बाई डो झूडो बाई हो सारी राटे बलटन बाई केन नारुयेरे चोका चावल पीली हलदी बुलुरी बाई केन न्यूटा कूले बुलुरी बाई डो बुलुरी बाई डो सारी राटे बलटन बाईकेन नारुयेरे चोका चावल पीली हलदी सोसो बाईकेन न्यूटा कूले सोसो बाई डो सोसो बाई डो सारी राटे बलटन बाईकेन नारुयेरे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । ताऊ भी रहसा बाबा भी रहसा , रहसा सब परिवार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । जीजा जी रहसा मामा भी रहसा , रहसा सब परिवार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । बूआ लाई उसका कुर्ता टोपी , फूफा लाया गलहार मेरे ललना का , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । मामी तो लाई उसका घोड़ा डोला , मामा लाया जोड़े साथ मेरे ललना के , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । नाना आये उस पै मोहरें बारीं , नानी ने भेजी मोती माल मेरे ललना की , हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।",haryanvi-bgc "बसन्त कौ प्यार क्वाँरी मनबगिया कोयलिया कूक रई , बिरछन नें कर लऔ सिंगार , झूमे नए फूलन के हार । दूर हरी खेतन में बगरी है भाँग , गंध झरत केवरे सें झूम रई डाँग , होंन लगे रागरंग आ गई बहार , नदिया की निरमल भई धार । अनहोंनी बात भई सोंने में बास , धरती पै होंन लगो महुअन कौ रास । नाँनीँ रसबुँदियन की बरसै फुआर , रूपेसौ हो गऔ सिंसार । पीपी कें बैर चली बहकी है चाल , महँक उठीं मेंड़ें सब हो गईं बेहाल । कलियाँ रस बगरा कें मस्ती रइँ ढार , पाँखन में मुन्सारे पार । सेंमर सज आऔ है टेसू के संग , बौराये आम देख इनके सब रंग । बनीठनी सकियँन सँग ठाँड़ी कचनार , पीर करै हिय में तकरार । सरसों में गोरी कौ कंचन भऔ आँग , भरी नई बालन नें मोंतिन सें माँग । सोभा लख आसमान धीरज ना धार बगरौ है धरती के थार राधा नें रूप सजौ सोरउ सिंगार , कुंजन में नन्दन बन हो रऔ बलहार । काए ना कान्हा फिर लेबें औतार ? धरती में इतनों है प्यार । क्वाँरी मनबगिया में कोयलिया कू क रई , बिरछन नें कर लऔ सिंगार , झूमे नए फूलन के हार ।",bundeli-bns "मेनू हीरे हीरे आखे हाय मेनू हीरे हीरे आखे हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छनके हाय नी मुंडा लम्बर दा , नी मुंडा लम्बर दा सुबा सवारे उठ नदिया मैं जानी आ मल मल दही दियाँ फुटियां नहौनियां , नी उहदे पाणी च सुनींदे हासे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा , सुबा सवारे उठ खुही मे जानीआ सुहा शुआ गहरा जद धके मै लौनी आ , मैनू लगा मेरी वखी संग जापे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मेनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा , सुबा सवेरे उठ बागे मैं जानीआ बागे मैं जानीआ , नी बागे मैं जानीआ चुन चुन मरुआ चमेली मैं लैउनीआ , उहदे साह दी सुगंध औंदी जापे , हाय नी मुंडा लम्बरा दा , मैंनू वांग शुदैयाँ छणके मुंडा लम्बर दा हाय नी मुंडा लम्बरा दा",panjabi-pan "दूरि गमन से अयलन कवन दुलहा दूरि गमन1 से अयलन कवन दुलहा , दुअराहिं भरि गेल साँझ2 हे । केने3 गेल , किआ भेल सुगइ कवन सुगइ , कोहबर के करू न विचार हे ॥ 1 ॥ एक हम राजा के बेटी , दूसरे पंडितवा के बहिनी , हम से न होतइ बिचार हे । अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन दुलहा , घोड़े पीठे भेलन असवार हे ॥ 2 ॥ अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन सुगइ , पटुक4 झारिए झुरिए5 उठलन कवन सुगइ । पकड़ले घोरा6 के लगाम हे । अपने तो जाहथि7 जी परभु , ओहे रे तिरहुत देसवा , हमरा के8 सौंपले जाएब जी ॥ 3 ॥ नइहर में हव9 धनि , माय बाप अउरो सहोदर भाई , ससुरा में हव छतरीराज10 हे ॥ 4 ॥ बिनु रे माय बाप , कइसन हे नइहर लोगवा , बिनु सामी नहीं ससुरार हे । किआ11 काम देथिन12 जी परभु , माय बाप अउरो सहोदर भाई , चाहे काम देथिन छतरीराज हे ? ॥ 5 ॥",magahi-mag "523 सद मांदरी खेड़यां लख आंदे फकर वैद ते नाल मदारियां दे तिरयाक अकबर अफलातून वाला दारू वडे फरग पसारियां दे जिनहां जात हजारे दे सप कीले घत आंदे ने विच पटारियां दे गडे लख ताविज ते धूप हरमल सूत आंदे ने कंज कुआरियां दे कोई अक चवा खवा गंडे नागदौण1 ते पान सुपारियां दे तेल मिरच ते बूटियां दुध पैसे घिओ देंदे ने नाल खुआरियां दे वारस शाह सपाधियां पिंड बधे खेड़यां जोर लाए जरां जारियां दे",panjabi-pan "427 रांझा खायके मार फिर गरम होया मार मारया भूत फतूर दे ने वेख परी दे नाल खम1 मारया ए उस फरिशते बैत मामूर2 दे ने कमर बन्न के पीर नूं याद कीता लाई थापना मलक हजूर दे ने डेरा बखशी दा मारके लुट लया फते पाई पठान कसूर दे ने वारस शाह जां अंदरों गरम होया लाटां छटियां ताओ तनूर दे ने",panjabi-pan "दादा जीए, दादी जीए, आउर सभ लोग दादा1 जीए , दादी2 जीए , आउर3 सभ लोग । मोरे लाला के गोरेगोरे गाल ॥ 1 ॥ कुरता चूमूँ , टोपी चूमूँ , चूमूँ उनकर गाल । मोरे लाला के भुअरेभुअरे4 बाल ॥ 2 ॥",magahi-mag "जायगो हऊ जाणी रे मन तूक जायगो हऊ जाणी रे मन तूक १ पाँच तत्व को पींजरो बणायो , जामे बस एक प्राणी लोभ लालूच की लपट चली है जायगो बिन पाणी . . . रे मन तू . . . २ भुखीयाँ के कारण भोजन प्यारा , प्यासा के कारण पाणी ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी नही मिल्यो गुरु ज्ञानी . . . रे मन तू . . . ३ राज करन्ता राजा भी जायगा , रुप निखरती राणी वेद पड़न्ता पंडित जायेगा और सकल अभिमानी . . . रे मन तू . . . ४ चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा , जाय पवन और पाणी दास कबीर जी की भक्ति भी जायगा जोत म जोत समाणी . . . रे मन तू . . .",nimadi-noe "कोई सात जणी पाणी जायं री कोई सात जणी पाणी जायं री कोई कुएं रही मंडलाए री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई अगली के कांटो लागियो फिर सातों रही मंडराए री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कैं तैरो कांटो काढियो कैं तेरो पकड़ो पांय री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई नाई का ने कांटो काढियो मेरा देवर पकड़ो पांय री मनै बदो महीनो फागण को एरी एरी कोई नाई का ने देसो परगनो कोई देवर बहण ब्याह री मनै बदो महीनो फागण को",haryanvi-bgc "जौ लों जग में राम जियावैं जौ लों जग में राम जियावैं । जे बातें बरकावै । हात पाँव दृगदाँत बतीसउ सदा एक से राबैं । ना रिन ग्रेही करै काऊ खाँ ना घर बनौ मिटावै । आपुस की बनी नइँ बिगरै कुलै दाग ना आवै । इतने में कुछ होय ईसुरी बिना मौत मर जावै ।",bundeli-bns "विदाई गीत बनी झाझा भाई ने भेले रमतेली वो । बनी पीपल छांया मा रमतेली वो । बनी झाझी वयण भेले रमतेली वो । बनी झाझी भोजाई ने भेले रमतेली वो । बनी झाझी फुई ने भेले रमतेली वो । वर पक्ष की ओर से दुल्हन को कहा जाता है कि यह पीपल का वृक्ष बहुत पुराना है । इस पीपल की ठंडी छाया में बहुत से भाई , भौजाई , बुआ , बहन के साथ खेलती थीं ।",bhili-bhb "लग रही आस करूँ ब्रजवास लग रही आस करूँ भजन करूँ और ध्यान धरूँ , छैया कदमन की मैं ॥ सदा करूँ सत्संग मण्डली सन्त जनन की मैं ॥ लग . पलकन डगर बुहार रेणुका ब्रज गलियन की मैं । अभिलाषी प्यासी रहें अँखियां हरि दरसन की मैं । भूख लगै घरेघर तै भिक्षा करूं द्विजन की मैं । गंगाजल में धोय भेट धरूँ नन्दनन्दन की मैं ॥ शीतल प्रसादहि पाय करूँ शुद्धी निज मन की मैं । सेवा में मैं सदा रहूँ नित ब्रज भक्तन की मैं ॥ ब्रज तज इच्छा करूँ नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं । ‘घासीराम’ शरण पहुँचे गिरिराजधरन की मैं ॥",braj-bra "भाग हमारा जागीयाँ तुम म्हारी नौका धीमी चलो , आरे म्हारा दीन दयाला १ जाई न राम थाड़ा रयाँ , जमना पयली हो पारा नाव लावो रे तुम नावड़ा आन बैगा पार उतारो . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . २ उन्डी लगावजै आवली , उतरा ठोकर मार सोना मड़ाऊ थारी आवली रूपया न को रास . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ३ निरबल्या मोहे बल नही , मोहे फेरा घड़ावो राम म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो म्हारो घणो परिवार . . . . तुम म्हारी . . . . . . . . ४ बिना पंख को सोरटो , आरे पंछी चल्यो रे आकाश रंग रूप वो को कुछ नही लग भुख नी प्यास . . . . म्हारी . . . . . . . . ५ कहत कबीर धर्मराज से , आरे हाथ ब्रम्हा की झारी जन्म . जन्म का हो दुखयारी राखो लाज हमारी . . . . तुम म्हारी . . . . . . . .",nimadi-noe "तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी तू रंग जोगिआ रंग दे सेवक जाण रे बनवारी राम नाम की चाल जमी हो सिव संकर की बूटी हो भू गुरवो की डोर पड़ी हो किलफां जिसकी छटी हो ग्वाल बाल गोपाल हो संग में ग्वालन की दधि लूटी हो देख कै चोला मोरा जोगिआ आसा तिरसना टूटी हो फिर पहर कै चोला करूं तुम्हारा ध्यान रे बनवारी तू परेम के रंग . . . सूत सूत मैं राम रम्या हो मेरै चोलै प्यारै मैं गोकल मैं गउंआं चरती हों जमना बहे किनारै मैं सत का सिलमा लगा दिआ जो चमके एक इसारै मैं बेला फूल बण्या बिसणू का जो राम रह्या हमारे मैं तार तार तै आवै हरी की तान रै बनवारी तू परेम के रंग . . . ठपपै मैं ठाकर जी बैठे देखूं पल्लै चारूं मैं नारायण नरसी की क्यारी बणी होई इन फुलवारां मैं नो लख तार्यां की चमकीली मिलै जो बजार्या मैं चांद सूरज बी बणे होए हों मेरै चोलै प्यारै मैं तू सत्त धरम नै पक्का करदे आण रे बनवारी तू परेम के रंग . . . राम नाम तू रंग में रंग दे गंगा जल लहराता हो इस चोलै ने ओ पहरेगा जिसका हर तै नाता हो यो चोला तो उसने भावै जिस नै मोहन भाता हो मैं बेचैन रहूं तेरै बिन मनगुण तेरे गाता हो मैं राम पार हो जाऊं कर गुणगान रे बनवारी तू परेम के रंग . . .",haryanvi-bgc "हमाओ बीघन कौ परिवार हमाओ बीघन कौ परिवार चलाबैं कैसें हम करतार दयानिध कर दो बेड़ा पार । तनकसौ घर भारी किल्लूर डरन के मारैं रत हम दूर एक जौ चटा चाट रओ चाट एक जौ पड़ा पटक रओ खाट । एक जौ खड़ौ खुजा रऔ खाज एक जो मुरा , मुरा रऔ प्याज एक जौ सिड़ी सुड़क रऔ नाक एक जौ चड़ौ टोर रओ छाज एक जे लला बुआ रए लार मताई कानों करै समार हारकैं रोउन अँसुबा ढार काए खौं पबरौ जौ परिवार । एक जौ खड़ी खाट पै खड़ौ एक जौ फिरत स्थाई में भिड़ौ कढ़ोरा अलमारी सें कड़ौ लल्तुआ लालटेन पै चड़ौ । चतुरिया चूले ऊपर चड़ी चाट रइ हँड़िया में की कड़ी रमकुरा जात खुजाउत मुड़ी सिमइयँन की वीनत है सुड़ी । एक जे लला लगा रए लेट एक जे नंगधुरंगे सेट कड़त आ रओ मटकासौ पेट पेट पै रोटी धरें चपेट । एक कौ जौनों हम मौं धोउत दूसरौ मौड़ा तीनों रोउत रात भर इनखौं ढाँकत फिरत बता दो फिर हम काँसें सोउत ? घुरत रत तन ज्यों घुरतइ राँग बढ़त जा रइ डाड़ी की डाँग तौउ जे मौड़ीमौड़ा करत गरम कपड़न की रोजइ माँग । रखा लए लम्बेलम्बे बार निकरतइ घर सें पटियाँ पार बुआ दो प्रभू तेल की धार खुपड़ियाँ कर लेबें सिंगार । कुटुम में कैसें किऐ पढ़ायँ फीस खौ पइसा काँसै ल्यायँ ? जेब की खौंप न भरबा पाई नओ कुरता काँसैं सिलवाये ? कभउँ नइँ नोंन , कभउँ नइँ मिर्च चलै कैसें जा घर कौ खर्च ? लिड़इ के काल लिबउवा आए और सँग में दो धुंगा ल्याए , न घर में नैकऊ बचो अचार , डरी डबला में सेरक बार , आजकल की दएँ दैत उधार ? काए सें राम करें सत्कार ? बढ़त गइ हर सालै सन्तान न आओ दोउ जनन खौं ग्यान आज देरी पै पटकत मूँड़ चटत जा घरीघरी पै जान करा जनसंख्या कौ बिस्तार बने हम हाय देस के भार । दयानिध कर दो बेड़ा पार ।",bundeli-bns "घोलो री नंणद मेंहदी के पात घोलो री नंणद मेंहदी के पात रगड़ रचाओ मेंहदी जी राज नणद रचाए हाथ और पां हम नै रचाई चिटली आंगली जी राज झूठी सी रची हाथ और पां जुलम रची सै चिटली आंगली जी राज नहा ले री धो ले कर ले सिंगार पट्टी झूला ले सच्चे मोतियां की राज होली री भावज म्हारे री साथ आज मिला दूं बीरा आपणै ते जी राज खोलो रे बीरा बजर किवाड़ सांकल खोलो लोहे सार की जी राज नहीं खुले बजर किवाड़ सांकल खुले ना लोहे सार की जी राज रिमझिम बरसै सै मींह बाहर भीजै तेरी गोरड़ी जी राज खुल गए बजर किवाड़ सांकल खुल गई लोहे सार की जी राज लई धण हेवड़े कै ला आंसू तो पूंजै पंच रंग चीर कै जी राज जीवो जी नणदल थारे बीर सदा सुहागण म्हारी नणदली जी राज द्यूँगी री नणदल बुगचे की तील छटे महीने सीधा कोथली जी राज",haryanvi-bgc "आवे अचक मेरी बाखर में आवे अचक मेरी बाखर में , होरी को खिलार ॥ डारत रंग करत रस बतियाँ , सहजहि सहज लगत आवे छतियाँ । ये दारी तेरौ लगवार ॥ होरी को . आवै . जानत नाहिं चाल होरी की , समझत बहुत घात चोरी की । आखिर तो गैयन को ग्वार ॥ होरी को . आवै . गारी देत अगाड़ी आवै , आपहु नाचै और मोहि नचावै । देखत ननदी खोले किवार ॥ होरी को . आवै . सालिगराम बस्यों ब्रज जब से , ऐसो फाग मच्यो नहिं तब ते । इन बातन पै गुलचा खाय ॥ होरी को . आवै .",braj-bra "कोई नी मिल्यो म्हारा देश को कोई नी मिल्यो म्हारा देश को , आरे केक कहूँ म्हारा मन की १ देश पति चल देश को , आरे उने धाम लखायाँ चिन्ता डाँकन सर्पनी काट हुंडी हो लाया . . . कोई नी . . . २ मन को हो चहु दिश छोड़ दे , आरे साहेब ढूँढी लावे ढूँढे तो हरि ना मिले आरे घट में लव हो लागे . . . कोई नी . . . ३ लाल कहू लाली नही , आरे जरदा भी नाही रुप रंग वाको कछु नही आरे व्यापक घट माही . . . कोई नी . . . ४ पाणी पवन सा पातला , आरे जैसे सुर्या को घाम जैसे चंदा की हो चाँदणी आरे साई हैं मेरो राम . . . कोई नी . . . ५ पाव धरन को ठोर नही , आरे मानो मत मानो मुक्ती सुधारो जीव की आरे जीवन पयचाणो . . . कोई नी . . .",nimadi-noe "काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल रूप कटोरी में बटणां , सूण कटोरी में तेल हठ म्हारी लाडो बैठी बटणा तेरी लाडो मां सुहागण पांय ना दे छीकै पांय ना दे पांय ना दे सुहागण अणन्द बधावा हो तेरी लाडो सास छिनलिया छीकै पाएं धरैगी रिपट पड़ेगी टूटैं सोकण के हाड काहे कटोरी में बटणां काहे कटोरी में तेल ऐत लाडो बैठा बटणां सूने कटोरी में बटणां रूप कटोरी में तेल ऐत लाडो बैठा बटणां आ मेरी दादी देख ले आ मेरी अम्मां देख ले तुम देखियां सुख होय ऐत लाडो बैठा बटणां आ मेरी बुआ देख ले आ मेरी मामी देख ले तमरे घणे मण चाय ऐत लाडो बैठा बटणां",haryanvi-bgc "नानी-सी मांजरी मालवऽ गई मालव सी लाई माटी नानीसी मांजरी मालवऽ गई , मालव सी लाई माटी , माटी का बणाया हत्थी , हत्थी चलऽ आणा बाणा , माटी का माय टुलेक दाणा ।",nimadi-noe "ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम ढोटका उटू बबा जोम डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी डे जुडी म बकी मडी स्रोत व्यक्ति परसराम , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो देखण दो फलाणा राज रा भीम होजी उन राया रो कई देखणो वे तो नमी रया हो उनके चीरां रे भार बधावोजी म्हें सुण्यो होजी रसोई रा पड़दा खोल दो म्हने देखण दो साजनिया री धीय बधावोजी म्हें सुण्यो होजी उन राणी रो कई देखणो वे तो नमी रया उनका चुड़िला रा भार नानी बऊ दबीरया केसरिया रे भार बधावो जी म्हें सुण्यो ।",malvi-mup "पियवा जे चललन गोरखपुर, धनियाँ अरज करे हे पियवा जे चललन गोरखपुर , धनियाँ अरज करे हे । परभुजी , हमरा लइहऽ1 कँगनमा , कँगनमा हम पहिरब हे ॥ 1 ॥ अँगना खेलइते2 तोहें ननदी त भउजी से बचन बोले हे । भउजी , तोहरा के होतो नंदलाल , हमरा तोंही3 का4 देबऽ हे ॥ 2 ॥ तू हमर लउरी5 ननदिया , आउर6 सिर साहेब हे । हम देबो गोरखपुर के कँगना , होरिला जमे7 होयत हे ॥ 3 ॥ गोड़ हाथ पड़त8 ननदिया , आदित9 मनायल10 हे । आदित , मोर भउजी बेटवा बिययतन11 बधइया हम कँगनमा लेबइ हे ॥ 4 ॥ आधी रात बितलइ , पहर रात , होरिला जलम लेल हे । बाजे लागल आनंद बधावा , महल उठे सोहर हे ॥ 5 ॥ मचिया बइठल तोंहे भउजो त सुनह बचन मोरा हे । कहलऽ तू हमरा कँगनमा , कँगनमा बधइया लेबो हे ॥ 6 ॥ नऽ देबो , हे ननदो , नऽ देबो , पीआ के अरजल12 हे । कँगना हइ पीया के कमइया , 13 कँगनमा हम कइसे देबो हे ॥ 7 ॥ सुनहऽ हो आदित , सुनहऽ , हम तोर गोड़ धरी हे । आदित , भउजी मोर बेटिया बिययतन बधइया न दे हथन14 हे । कोदो15 के भतवा के पंथ16 पड़े , जबे भोर होयत हे ॥ 8 ॥ बेटवा क सोहर हम सुनम , हम बधइया देम हे । पहिला अरजन17 के कँगनमा , से हो रे पहिरायम हे ॥ 9 ॥ भइया के दसो दरबजवा , दसो घर दीप जरे हे । आदित , भउजी के होवइन होरिलवा , बसमतिया18 के पंथ पड़े हे ॥ 10 ॥",magahi-mag "बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल दूब लाने का गीत बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल , छोरियाँ आई दूब लेणथे कुण्याजी री बेटी हो , कुण्याजी री भेँण हो , के थारो नाम है , म्हेँ बिरमादासजी री बेटी हाँ , ईसरदासजी री भेँण हाँ , रोवाँ म्हारो नाम है ।",nimadi-noe "बोया बोया री मां मेरी बणी बोया बोया री मां मेरी बणी आला खेत खेत रूखाली मैं गई राही राही री मां मेरी दो पंछी जायं एक गोरा एक सांवला जी गोरा जी मां मेरी राही जा सांवल म्हारे खेत में री ‘के रे सांवल भूला सै राह के तेरी ब्याही बाप कै जी ‘ना मैं है सुन्दर भूला सूं राह न मेरी ब्याही बाप कै जी’ ‘हम तै हे सुन्दर तेरे लगवाल बाप तेरे के साजना जी’ ‘तेरे कैसे रे सांवल तीन सौ साठ बाप मेरे के मेहनती जी’ ‘तेरी कैसी हे सुन्दर तीन सौ साठ बाप मेरे की झीमरी जी’",haryanvi-bgc "बनी ए थारे बाबा जी से कहियो बनी ए धारे बाबा जी से कहियो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी बनी ए थरे ताऊ जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी बनी ए थरे बाब्बू जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो स सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी",haryanvi-bgc "पूजा गोवर्धन की करि लै अरी तेरे सब संकट कटि जायें , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ टेक अड्डे पै भीर बड़ी हो , मोटर नाँय एक खड़ी हो । अरी तू चल दै चालम चाल , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . जा मानसी गंगा नहियो , गिर्राज कूँ माथ नवइयो । और फिर परिकम्मा कू जाय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . परिकम्मा में मिलें भिखारी , दीजो भिक्षा उनकूँ डारी । अरी तू पुन्य बड़ौ ही पाय , पूजा गोवर्धन की करिले ॥ अरी . मन्दिर जो बीच पड़िंगे , पइसा एकएक चढ़िंगे । अरी तू दर्शन करती जाय , पूजा गोवर्धन की करिले । अरी . जब आवै पूछरी को लौठा , बिन खाय जो पड़ौ सिलौठा ॥ अरी वाय चरनन सीस झुकाय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . जब राधाकुण्ड कूँ जाबें , वहाँ दोनों कुण्ड में नहावैं । अरी तेरे पाप सभी धुल जाँय , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी . तू लौट गोवर्धन आवै , श्रम तेरौ सब हर जावै , अरी जब मानसी गंगा नहाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी . पूजा कौ थाल सजइयो , बर्फी को भोग लगइयो । मुकुट गिर्राज कू शीश नवाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी . गिरिराज से ध्यान लगावे , मन वांछित फल तू पावे ॥ अरी चह ‘नन्दन’ कहत सुनाय , पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी .",braj-bra "संझा बोलत माई हे किनकर घरे जाग संझा बोलत माई हे किनकर1 घरे जाग2 ॥ 1 ॥ कथि केर3 धियवा4 कथि केर बात5 । कथि केर दियवा6 जरइ7 सारी रात ॥ 2 ॥ सोने केर दियवा , कपासे केर बात । सोरही गइया8 के घियवा , जरइ सारी रात ॥ 3 ॥",magahi-mag "मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब बटेऊ राही राही जा था तूं तो बहुत सरूपी नार गैल मेरी चालै ना मैं तो एक कहूंगी बात बटेऊ तूं सुणता जा तेरै मारूंगी जूत हजार बटेऊं तूं गिणता जा मेरे बाबुल के घर का बाग मेवा तो रुत की सै मेरे भाई भतीजे साठ कुआं म्हारा घर का सै",haryanvi-bgc "114 सुलतान भाई आया हीर संदा आखे मां नूं घिऊ नूं ताड़ अम्मां असां फेर जे बाहर एह डिठीसुटां एसनूं जान थीं मार अम्मां तेरे आखयां सतर1 जे ना बैठी फेरां एसदी धौन तलवार अम्मां चाक वड़े नाहीं साडे विच बेहड़े नहीं डकरे करांगे चार अम्मां जेकर धी ना हुकम विच रखियाई सभ साड़ सुटां घर बाहर अम्मां वारस शाह जेकर धी बुरी होवे रोहड़ दे समुंदरों पार अम्मां",panjabi-pan "जशोदा तेरो लाल री वशी मे देवे गारी जशोदा तेरो लाल री वंशी में देवे गारी । जब हम जावें नीर भरन खों , रोके गैल हमारी । जशोदा . . . जब हम जावें दही बेंचन खों , मांगे दान मुरारी । जशोदा . . . जब हम जावें जल भरने खों , फोरे गगर हमारी । जशोदा . . . वाके गुण में कहा सुनाऊं , लाज लगत है भारी । जशोदा . . . तुम बरजो अपने कान्हा खों , न तो तजिहैं पुरी तिहारी । जशोदा . . .",bundeli-bns "खुदेड़ बेटी बोड़ि1बोड़ी ऐगे ब्वै2 । देख । पूस मैना । गौंकि बेटो ब्वारि ब्वै । मेतु3 आइ गैना मैतुड़ा4 बूलालि ब्वै । बोइ5 होलि जौंकी । मेरि जीकूड़ी6 म ब्वै । कूयड़ी7 सि लौंकी8 । मूल्वड़ी9 वासलि ब्वै । डाड्यूं10 चैत मासज । भौलि गैने डालि ब्वे । फूलिगे बुरांसज । माल की धूगति ब्वै । मैत आंदि होली । डाल्युं मां हिलांस ब्वै । गीत गांदि होली । ऊलरि मैनो कि ब्वै । ऋतु बोड़ि ऐगे । हैरि ह्वेने डांडि ब्वै । फूल फूलि गैने । घूगती घुरलि ब्वै । डाल्यूंडाल्यूं मांजअ । मैतुड़ा बुलालि ब्वै । बोह होलि जौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ लाल बअणी होलि ब्वै । काफुलू11 कि डाली । लोग खान्दा होला ब्वै । लूण रालि राली । गौंकि दीदीभूलि ब्वै । जंगुल न जाली । कंडि मोरिमोरि12 ब्वै । हींसर13 बिराली । ‘बाडुलि14 लागलि ब्वै । आग भभराली15’ । बोई बोदि होलि ब्वै । मैत आलिआली । याद ओंद मीत ब्वै । अपड़ा भुलौंकी । मेरि जोकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ ल्हालि कूरो16 गाडिब्वै । गौं कि बेटिब्वारी । हैरिभरीं होलि ब्वै । गेंउजो , कि सारी17 । यं बार मैनों कि ब्वै । बार ऋतु आली । जौंकि बोई होलि ब्वै । मैतुडा बुलाली । मैतु ऐगै होलि ब्वै । दीदिभूलि गौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ स्वामिजी हमेशा ब्वै । परदेश रैने । साथ का दगड़या18 ब्वै । घअर आइ गैने । ऊंकु प्यारी ह्वेगि ब्वै । विदेशू को वासअ । बाठा देखीदेखी ब्वै । गैनि दिनमासअ । बाडुलि लागलि ब्वै । आग भभराली । या त घअर आला , ब्वै । या त चिट्ठिं आली । चिट्ठि भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी । मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लोंकी ॥ बाबजी भी मेरा ब्वै । निरमोही रैने । जौन पाथो19 भोरि ब्वै । मेरा रूप्या खैने । गालि देंद सासु ब्वै । मैंबाबु20 कि मारी । बासि खाणू देंद ब्वै । कोलि मारी मारी । बोद तेरो बाबु ब्वै । जो रूपया नि खांदो । मेरो लाड़ोप्यारी ब्वै । विदेशू नि रांदो । बाबा न बणये ब्वै । इनि गति मेरी । ज्वानि तअ उड़िगे ब्वै । वाठो हेरीहेरी । चिट्ठी भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी । मेरि जीकूड़ी21 म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥",garhwali-gbm "298 हमी वडे फकीर सत पीढ़ीए हां रसम जग दा हमी जानने हां कंद मूल उजाड़ विच खायके ते बनवास लै के मौज मानने हां नगर विच ना आतमा परचदा ए उदयान1 बह के तम्बू तानने हां वारस तीरथ जोग बैराग होवे रूप तिनां दा हमीं पछानने हां",panjabi-pan "जसोदा तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई , तेरे लाला ने माटी खाई ॥ टेक अद्भुत खेल सखन संग खैल्यौ , इतनौ सौ माटी को डेल्यौ तुरत श्याम ने मुख से मेल्यौ , जानै गटकगटक गटकाई ॥ 1 ॥ माखन कू कबहूँ ना नाटी , क्यों लाला तैनें खाई माटी धमकावै जसुदा लै साँटी , जाय नेंक दया नहिं आई ॥ 2 ॥ ऐसौ स्वाद नांय माखन में , नाँय मिश्री मेवा दाखन में जो रस ब्रजरजके चाखन में , जानें भुक्ति को मुक्ति कराई ॥ 3 ॥ मुख के माँहि आँगुरी मेली , निकर परी माँटी की डेली भीर भई सखियन की भेली , जाय देखें लोग लुगाई ॥ 4 ॥ मोहन कौ म्हौड़ौ फरवायौ , तीन लोग वैभव दरसायौ जब विश्वास जसोदाए आयौ , ये तो पूरन ब्रह्म कन्हाई ॥ 5 ॥ जा रजकू सुरनर मुनि तरसें , धन्यभाग्य जो नितप्रति परसैं , जिनकी लगन लगी होय हरसैं , कहें ‘घासीराम’ सुनाई ॥ 6 ॥",braj-bra "मात कहे बात भली सुन सुन्दरी जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई होती है तब सभी महिलाये उसे विदा करते हुए यह सीख देती है । मात कहे बात भली सुन सुन्दरी , लक्ष धरी वात न निभाव्जे हो सयानी कुल न ल्जाव्जे । ससरा खअपना बाप सम जान्जे , सासु ख माय सम जान्जे ओ सयानी . . . जेठ का सामन हलू हलू चालजे , जेठानी का मान ख ब्धावजे ओ सयानी . . . देवर ख अपना भाई सम जान्जे , देरानी ख सई सहेली सम जाणिजे ओ सयानी . . . . नन्द ख अपनी बैन सम जान्जे , ननदोई जी आया मिज्वान ओ सयानी . . . . मात कहे बात भली सुन सुन्दरी , लक्ष धरी बात न निभाव्जे वो सयानी कुल न ल्जाव्जे",nimadi-noe "निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो तो निवाड़ो निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो स्रोत व्यक्ति चिरौंजीलाल , ग्राम कुकड़ापानी",korku-kfq "कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप कुटकी जोम सकप सकप साना बाम्बू लकप लकप साना बाम्बू लकप लकप साना बाम्बू लकप लकप स्रोत व्यक्ति सुलोचना , ग्राम नानी मकड़ाई",korku-kfq "देवी गीत- देबी दयाल भईं अंगन मोरे होलिया में उड़त है गुलाल मईया का रंग सतरंगी सेनुरा भीजै बिंदिया भीजै चेहरा है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी चुडिया भीजै कंगना भीजै हाथ है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी लहंगा भीजै चुनरी भीजै देहियाँ है ललाम लाल मईया का रंग सतरंगी पायल भीजै बिछुआ भीजै एड़िया है ललाम लाल गुलाल मईया का रंग सतरंगी",awadhi-awa "आले आले बँसवा कटावलूँ आले आले1 बँसवा कटावलूँ , डढ़िया2 नबि नबि3 जाय । से जीरा छावल कोहबर ॥ 1 ॥ सेहे4 पइसि5 सूतल6 दुलहा दुलरइता दुलहा । जबरे7 सजनमा केर धिया , से जीरा छावल कोहबर ॥ 2 ॥ ओते8 सुतूँ9 ओते सुतूँ , दुलहिन , दुलरइतिन दुलहिन । पुरबी चदरिया10 मइला होय जयतो , से जीरा छावल कोहबर ॥ 3 ॥ एतना बचनियाँ जब सुनलन , दुलहिन सुहबे । खाट छोड़िए भुइयाँ11 लोटे हे , से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 4 ॥ भनसा12 पइसल तोहे13 बड़की सरहोजिया14 । अपन ननदिया के बौंसावह15 से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 5 ॥ उठूँ मइयाँ16 उठूँ मइयाँ , जाऊँ कोहबरवा । अपन सँम्हारू17 लामी केस , से जीरा छावल कोहबर ॥ 6 ॥ कइसे उठूँ , कइसे उठूँ भउजी हे । छिनारी पूता18 बोलहे19 कुबोल , से जीरा छावल कोहबर ॥ 7 ॥ कने20 गेल21 कीया22 भेलऽ23 छिनारी के भइया हे । हमर ननदिया रूसवल24 से जीरा छावल कोहबर ॥ 8 ॥",magahi-mag "मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात रे बीरा बारी बारी जां मैं तो पीसूंगी चकले के पाट रे बीरा बारी बारी जां मैं तो घोलूंगी हिरणी के दूध रे बीरा बारी बारी जां मैं तो लाऊंगी देवेन्द्र भाई के हाथ रे बीरा बारी बारी जां",haryanvi-bgc "141 चूचक आखया लंडयां जाह साथों तैनूं वल है झगड़यांझेड़यां दा तूं सरदार हैं चोरां उचकयां दा सूहा बैठा एं महानूआं भेड़यां दा तैनूं वैर है नाल अजानयां दे अते वैर है दब दरेड़यां दा आप छेड़ के पिछड़ें दी फिरन रोंदे एह चज है माहणूआं1 फेड़यां दा वारस शाह इबलीस2 दी शकल कैदी एह मूल हैसब बखेड़यां3 दा",panjabi-pan "चवरी गीत वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठि वो मारी बेनी । सोनानी पालकी वासे । कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा , कुकड़ डालगो कटके । वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठो रे बेना , सोनानी पालकी वासे । कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा , कुकड़ डालगो कटके । चावरी में दूल्हादुल्हन बैठे हैं , दोनों पक्ष की महिलाएँ गीत गाती हैं । वधू पक्ष की महिलाएँ कहती हैं दुल्हन सोने की पालकी में बैठी है , सोने की पालकी खुशबू दे रही है । बूढ़ा दूल्हा मुर्गेमुर्गी के डाले पिंजरा में बैठा है , पिंजरा कटकटा रहा है । वर पक्ष की ओर से कहा गया है दूल्हा सोने की पालकी में बैठा है , पालकी खुशबू दे रही है , बूढ़ी दुल्हन मुर्गेमुर्गी के डाले में बैठी है और डालगा पिंजरा कटकटा रहा है ।",bhili-bhb "इशक अव्वल दा नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । अव्वल दा रोज़ अज़ल1 दा । विच्च कड़ाही तल तल जावे , तलेआँ नूँ चा तलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । मोएआँ नूँ एह वल वल मारे , दलिआँ नूँ चा दलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । क्या जाणा कोई चिणग पई है , नित्त सूल कलेजे सल्ल दा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । तीर इशक दा लग्गा जिगर विच्च , हिलाएआँ वी नहीं हलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । बुल्ला सहु दा नेहुँ अनोखा , रलाएआँ भी नहीं रलदा । नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।",panjabi-pan "मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको , माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस , गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन , हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी पांय सारु चम्पक लाव्जो , पांय सारु बिछिया , पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी अंग सारु साडी लाव्जो , अंग सारु पैठनी , अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी",nimadi-noe "तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना! तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना दुनिया का देख ढंग , चड्यूँ च कच्चो रंग । भेद भौ कुछ नी च , सब एक समाना छै रुप्या को कोट सिलैले तब चलदो बाँगो , जेब मा वेका धेला नी च चुफ्लो वे को नाँगो कली होक्का साँदी रख्या , बीड़ी पेन्दा ज्यादा , कोणा पर बीड़ी सुलगै , रजै फुंके आदा नौना को भैंसो ब्यायूँ , बुड्या लग्यूँ च सास , ब्वारी करदी सैर फैर , सासू काटदी घास सासू कर्दी कूटणी पीसणी ब्वारी ह्वैगे सयाणी , नौनों मू चा को गिलास , बुड्या मू पंज्वाणी । जोंखी मूंडी फुंडू धोली , चिफ्ली करी दाड़ी , घर की जनानीक धोती नी , रंडीक लौंदा साड़ी हात पर बीड़ि लीले , गिच्चा पर पान , बुड्या बुड्योंन जोंखी मूंडी , हम भी होन्दा ज्वान",garhwali-gbm "ईसुरी की फाग-24 बाँकी रजउ तुमारी आँखें रव घूंगट में ढाँके । हमने अबै दूर से देखीं कमल फूल सी पाँखें । जिदना चोट लगत नैंनन की डरे हजारन कांखें । जैसी राखे रई ' ईसुरी ' ऐसईं रईयो राखें । भावार्थ महाकवि ' ईसुरी ' अपनी प्रेयसी ' रजऊ ' की आँखों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं — प्रिय रजऊ , तुम्हारी आँखें बेहद सुन्दर हैं इनको तुम घूँघट में ही छिपा लो । अभी तो मैंने दूर से देखी हैं लेकिन मानो वो कमल की पंखुड़ियों हैं । जिस दिन इन आँखों की चोट लगती है उस दिन हज़ारों लोग कराहते हैं । लेकिन मेरे प्रति जैसा प्रेम भाव अब रखे हो वैसा ही रखना ।",bundeli-bns "रातिए जे एलै रानू गउना करैले रातिए जे एलै रानू गउना करैले कोहबर घर में सूतल नीचीत । जकरो दुअरिया हे रानो कोसी बहे धार से हो कैसे सुतै हे नीचीत । सीरमा बैसल हे रानो कोसिका जगावै सूतल रानो उठल चेहाय । कांख लेल धोतिया हे रानो मुख दतमनि माय तोरा हँटो हे रानो बाप तोरा बरजौ जनु जाहु कोसी असनान । हँटलौ ने माने रानो दबलौ ने माने चल गेलै कोसी असनान । ।",angika-anp "विवाह - गीत - बेरिया की बेरिया मै बेरिया की बेरिया मै बरिज्यो बाबा जेठ जनि रचिहो बियाह हठी से घोडा पियासन मरिहै गोरा बदन कुम्हलाय कहो तो मोरी बेटी छ्त्रू छ्वाओं कहो तो नेतवा ओहार कहो तो मोरी बेटी सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय काहे को मोरे बाबा छ्त्रू छ्वायो काहे कैं नेतवा ओहार काहे को मोरे बाबा सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय आजू कै रोजे बाबा तोहरी मडैइया कालही सुघर बार के साथ काचहि दुधवा पियायो मोरी बेटी दहिया खियायो सढीयार एकहू गुनहिया न लाइयु मोरी बेटी चल्यु परदेसिया के साथ काहे कै मोरे बाबा दुधवा पियायो दहिया खियायो सढीयार जानत रह्यो बेटी पर घर जइहें गोरा बदन रहि जाय इहै दुधवा बाबा भैया कैं पीऔत्यों जेनि तोहरे दल कै सिंगार",awadhi-awa "ऐसा काला तूं बना रे ऐसा काला तूं बना रे . . . . . . जैसी उड़द की दाल दाल होय तो धोय लूं तेरा रंग न धोया जाय रे",haryanvi-bgc "491 परमेह1 दा मैंनूं है असर होया रंग जरद होया एस वासते नी छांपां खुभ गइयां गलां मेरिया ते दाग पै गया चुभ वरासते नी कटे जांदे नूं भजके मिलिसां मैं तनिया ढिलोहां चोली दिया पालते नी रूंनी अथरू डुलिया मुखडे ते खुल गए ततोलड़े2 पासते नी सुरखी होंठां दी आप मैं चूस लई रंग उड गया एस वासते नी कटा घुटया विच गलवकड़ी दे डूकां लाल होइयां आस पास ते नी मेरे पढू नूं कट ने ढुड मारी लासां पै गइयां मेरे मास ते नी वारस शाह मैं पुज गरीबनी हां क्यों आंखदे लोक मुहासते3 नी",panjabi-pan "ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ काले काले तेरे भातिआं जी ए बेबे गिरदां आले देवर जेठ ओछे ओछे तेरे भातिआं जी ए बेबे पंठा आले देवर जेठ गंजे गंजे तेरे भातिआं जी",haryanvi-bgc "249 तुसीं जोग दा पंथ बताओ मैंनूं शौक जागया हरफ1 नगीनयां दे एस जोग दे पंथ विच आ वड़या छपन ऐब सवाब कमीनयां दे हिरस अग ते सबर दा पवे पानी जोग ठंड घते विच सीनयां दे इक फकर ई रब्ब दे रहन साबत होर थिड़कदे अहल2 खजीनयां दे तेरे दर ते आन मुथाज होए असीं नौकर हां बाझ महीनयां दे वारस हो फकीर मैं नगर मंगां छडां वायदे एहनां रोजीनयां3 दे",panjabi-pan "डोहा गीत डोहो मांड्यो कि दयणी , दिवल्यो मांगे तेल । डोहो पान यातली , डोहो सुरभरयो रमसे । डोहो तेल पर खेले ने । डोहो घिंव पर खेले । डोहो केरेल्यो रे लोल । दीपावली के बाद डोहा खेलते हैं । एक मिट्टी के कलश या मटकी में कई छेद कर देते हैं । उसके अन्दर घी या तेल भरकर एक दीपक रखते हैं , उसे डोहा कहते हैं । एक लड़की डोहे को सिर पर रखती है साथ में लड़केलड़कियाँ रहते हैं , ढोल बजाकर नाचते हैं और गीत गाते हैं । डोहे वाली पार्टी गाँव में प्रत्येक घर जाकर गीत गाती है , घर के लोग उनको अनाज देते हैं । उसकी गोठ पार्टी करते हैं । एक गाँव के लोग दूसरे गाँव में भी डोहा खेलने जाते हैं ।",bhili-bhb "जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे , आया म्हारा गणपत राव , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारी पटसाळ लहलहे आया म्हारा दशरथ बाप , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारो पाळणो लहलहे आई म्हारी कौशल्या माय , हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारो मण्डप लहलहे आया म्हारा रामलछमण बीरा हरकत पगरण आरम्भियो । जी हो आज म्हारी आरती लहलहे आई म्हारी सुभद्रा बेण । हरकत पगरण आरम्भियो ।",nimadi-noe "बिराजे आज सरजू तीर बिराजे आज सरजू तीर चौकी चारु भनिन मय राजे , तापर सिया रघुबीर । । बिराजे . . . जनक लली दमिनि अति सुन्दर , पिय धन श्याम शरीर । पीताम्बर पट उत छवि छाजत , इत नीलाम्बरचीर । । बिराजे . . . सिय सिर सुभग चन्द्रिका झलकत , उत कलगी मंदीर । । पिय कर वाम सिया हैं सोहे , दाहिन कर धनु तीर । । बिराजे . . . मृदु मुसकात बतात परस्पर , हरत हृदय की पीर । । कंचन कुंअरि निरखि यह शोभा , रहो न तनमन धीर । । बिराजे . . .",bundeli-bns "मथुरा के लोगवा आवत है नन्दलाल के हाथी , तूरत डार मीरोरत छाती , ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ । मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी , फेरत है सिर के गगरी , भींजत है लहँगा चुनरी , बान्हत है टेढ़का पगरी ।",bhojpuri-bho "डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़ डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़ करके नीची नाड़ सासू जी के पांय लिये सै लिये चरण चुचकार जीओ हे तेरे भाई भतीजे बणा रहो भरतार मेरे बेट्टे की बेल बधाई जाम्मे हे राजकंवार",haryanvi-bgc "293 मुठी मुठी ए गल ना करो अड़ीयो मैं तां सुनदयां ही मर गई जे नी तुसां इक जदाकनी गल टोरी खली1 तली ही मैं रूढ़ गई जे नी गये टुट सतरान2 ते अकल डुबी मेरे धूह कलेजड़े पई जे नी कीकूं कन्न पड़ाय के जींवदा ए गलां सुनदयां ई जिंद गई जे नी उहदा दुखड़ा रोवना जदों सुनयां मुठी मीट3 के मैं बह गई जे नी मसू भिन्नड़ा4 जो लैंदियां ने जिंद सुनदयां ई निकल गई जे नी किवें वेखीए ओस मसतानड़े नूं जैदा धुम त्रिंजणा पई जे नी वेखां केहड़े देश दा एह जोगी उस तों कौन पयारी रूस गई जे नी अक पोसत धतूरा ते भंग पी के मौत ओस ने क्यों मुल लई जे नी जिसदा मां न बाप न भैण भाई कोई कौन करेगा ओसदी सही जे नी",panjabi-pan "वत्त ना करसाँ माण वत्त ना करसाँ माण रँझेटे यार दा वे अड़िआ । इशक अल्ला दी जात दा मेहणा , कैह वल्ल कराँ पुकार किसे नहीं रहणा , अग्गे दी गल्ल ओही जाणै , कौण कोई दम मारदा वे अड़ेआ । अज्ज अजोकी रात मेरे घर वस्स खाँ वे अड़िआ , दिल दीआँ घुंडिआँ खोल असाँ नाल हस्स वे अड़िआ , दिलबर यार करार कीत्तोई , की इतबार सोहणे यार दा वे अड़िआ , जान कराँ कुरबान भेत ना दसाईं अड़िआ । ढूँढ़ा तकीए दाएरे उठ्ठ उठ्ठ नस्सना ऐं , रत्न मिल सइआँ पुच्छदीआँ , होया वक्त भंडार वे अड़ेआ । हिक्क करदीआँ खुदी हंकार उन्हां थी तारना ऐं , हिक्क पिच्छे पिच्छे फिरन खुआर सड़िआँ नूँ साड़ना ऐं , मैंडे यार की इतबार तेरे प्यार दा वे अड़िआ । चिक्कड़ भरेआँ नाल तूँ झूमर घत्तना ऐं , लाया हार शिंगार मैथीं उठ्ठ नस्सना ऐं , बुल्ला सहु घर आओ , होय वक्त दीदार दा वे अड़िआ ।",panjabi-pan "मिली-जुली चलहु चुमावन, सुनहु सिवसंकर हे मिलीजुली चलहु चुमावन , सुनहु सिवसंकर हे । आजु हुइ राम के बियाह , सुनहु सिवसंकर हे ॥ 1 ॥ दसपाँच सखिया बारिय भोरे1 अउरो बड़ सुन्नर हे । हाथ लेले सोने के थार2 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 2 ॥ चुमवल मइया कोसिला मइया , अवरो तीनों मइया हे । आज अजोधेया में उछाह3 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 3 ॥",magahi-mag "शबरी के खट्टे मीठे बेर बेर बड़े मीठे लगे शबरी के खट्टे मीठे बेर , बेर बड़े मीठे लगे । एक दिन शबरी जंगल गई थी , जंगल गई थी । ले आई खट्टे मीठे बेर , बड़े मीठे लगे । एक मुट्ठी बेर शबरी रामजी को दीन्हीं रामजी ने खाय लिये बेर , बेर बड़े मीठे लगे । एक मुट्ठी बेर शबरी लखन जी को दीन्हीं । फेंक दिये उनके बेर , बेर बड़े खट्टे लगे । वही बेर बनें थे , पर्वत पे बूटी । आये लखन के काम बेर . . .",bundeli-bns "103 मलकी जाए के वेहड़े विच पुछदी ए वेहड़ा केहड़ा भाइयां सावयां1 दा साडे माही दी खवर है किते अड़ियो किधर मारया गया पछोतावयां दा जरा हीर कुड़ी उहनूं सददी ए रंग धोवंदी पलंघ देयां पावयां दा रांझा बोलयां सथरो मन्न आकड़ एह जे पिआ सरदार नथावयां दा सिर पटे सफा कर सोए रिहा जिबे बालका मुन्नया बावयां दा वारस शाह जयों चोर नूं मिले वाहर2 उमे साह मरे मारया हावयां दा",panjabi-pan "मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन डोयरा माजा राजा मारे डोयरा माजा राजा मारे आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने बाकीमा झूरना इयां माडो रानी बाकीमा झूरना इयां माडो रानी जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे बाकी मा झूरना इयां डो रानी बाकी मा झूरना इयां डो रानी गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम टेमलावाड़ी",korku-kfq "लूटन चलो श्याम की अमरैया लूटन चलो श्याम की अमरैयां । कहना कन्हैया प्यारे जन्म लियो हैं हां कहना बाजे बधैयां लूटन . . . मथुरा कन्हैया प्यारे जन्म लिवो हैं गोकुल बाजे बधैयां । लूटन . . . कहां तो बाजे ढोलक मंजीरा कहां बाजे शहनैयां । लूटन . . . मथुरा बाजे ढोलक मंजीरा गोकुल बाजे शहनैयां । लूटन . . .",bundeli-bns "प्रभु तोरी महिमा परम अपारा प्रभु तोरी महिमा परम अपारा जाको मिले न कोऊ पारा । । सबरे जगत खों आप रचावें सबके हो तुम पालन हारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । कैसो सूरज गरम बनायो कैसो शीतल चांद उजारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । जुदाजुदा नभ के तो ऊपर चमकत कैसे हैं धु्रवतारा । प्रभु तोरी महिमा . . . । उन प्रभु खों तुम भज लो प्यारे कर लो अपनो बेड़ा पार । प्रभु तोरी महिमा . . . ।",bundeli-bns "अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा1 । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । टिकवा2 ले गुरहँथियेसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला दुलहिन को वस्त्राभूषण देता है रे , जेठ भैंसुरा ॥ 1 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । नथिया3 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 2 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । हँसुली4 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 3 ॥ अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । बजुआ5 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 4 ॥ अच्छा अच्छा कपड़ा चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा । बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा । सड़िया ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 5 ॥",magahi-mag "गरबा का गणपति गरबा का गणपति ऐजी सुमर गणपति को ध्यान म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी सांते तम रिद्धिसिद्धि लावजोजी म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी कंकूना पगल्या पधार जो म्हारा गरबा में बेगा आवजो",malvi-mup "ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे । सूई सेवे ना बिन धागे । इशक मज़ाजी दाता है । जिस पिच्छे मस्त हो जाता है । इशक जिन्हाँ दी हड्डीं पैंदा । सोई निरजीवत मर जांदा । इशक पिता ते माता ए । जिस पिच्छे मस्त हो जाता ए । आशक दा तन सुक्कदा जाए । मैं खड़ी चन्द पर के साए । वेख माशूकाँ खिड़ खिड़ हासे । इशक बेताल पढ़ाता है । जिस ते इशक एह आया है । ओह बेबस कर दिखलाया है । नशा रोम रोम में आया है । इस विच्च न रत्ती ओहला है । हर तरफ दिसेन्दा मौला है । बुल्ला आशक वी हुण तरदा है । जिस फिकर पीआ दे घर दा है । रब्ब मिलदा वेक्ख उचरदा है । मन अन्दर होया झाता है । जिस पिच्छे मस्त हो जाता है ।",panjabi-pan "आ मिल यार आर मिल यार सार लै मेरी , मेरी जान दुःखाँ ने घेरी । अन्दर ख्वाब विछोड़ा होया , खबर ना पैंदी तेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । सुं´े बन विच्च लुट्टी साइआँ , सूर पंगल1 ने घेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । मुल्लाँ जज़ी सानूँ राह बतावण , देण भरम दे फेरी । एह ताँ ठग्ग जगत दे , जिह लावण जाल चुफेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । करम शरा दे धरम बतावण , संगल पावण पैंरी । ज़ात मज़हब एह इशक ना पुच्छदा , इशक शरा दा वैरी । नदिओं पार मुल्क सज्जण दा , लहवो2 लअब3 ने घेरी । आर मिल यार सार लै मेरी । सतगुर बेड़ी फड़ी खलोती , तैं क्यों लाई आ देरी ? बुल्ले शाह सहु तैनूँ मिलसी , दिल नूँ देह दलेरी । आ मिल यार सार लै मेरी । प्रीतम पास ते टोलणा किसनूँ , भुल्ल ग्यों सिखर दुपहरी । आ मिल यार सार लै मेरी । मेरी जान दुःखाँ ने घेरी ।",panjabi-pan "ईख नलाई के फल पाई ईख नलाई के फल पाई ईख नलाई मन्ने कंठी घड़ाई ले गया चोर बहू के सिर लाई सुसरा तै लडूंगी पीठ फेर कै लडूंगी आजा हे सासड़ तन्ने डंडा तै घडूंगी जेठ तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी आजा हे जिठानी तेरा धान सा छउूंगी देवर तै लडूं घूंघट खोल कै लडूंगी आजा हे द्यौरानी तन्नै खूटिया धरूंगी पड़ोसी तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी आजा हे पड़ोसन तन्नै पाड़ के धरूंगी बालम तै लडूंगी महलां बैठी हे लडूंगी आजा हे सोकन तेरा डंडा बित्ती घडूंगी",haryanvi-bgc "442 असां किसे दे नाल नहीं कुझ मतलब सिरो पा लै के खुशी हो रहे लोकां मेहने मार बेपती कीती मारे शरम दे अदरी रो रहे गुसे नाल एह वाल पैकान1 वांगू साडे जिसम दे तीर खलो रहे वारस शाह ना संग नूं रंग आवे लख सूहे जे विच डबो रहे",panjabi-pan "माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो सुन्नो घड़े रो सुनार मोरे कसूम्बो रगमग्यो सोनी घड़जे ईश्वर राम को मंूदड़ो म्हारी रणु बाई दो नौसरियो हार सोनी हार की छोलण ऊतरे म्हारा सुभद्रा बई हो तिलक लिलाट गोरे कसुम्बो रगमग्यो",malvi-mup "माता पिता ने धरम डिगा दिया माता पिता ने धरम डिगा दिया महाराणा तैं डर कै पति का परेम भुलावण लाग्यी क्यों धिंगताणा कर कै अपनी मां के संग थी मीरा पूजा बीच निगाह थी एक वर पूजण गया मंदिर में बारात सजी संग जा थी मैं बोली कौण कित जा सै समझ लावण आली मां थी न्यूं बोली बनड़ा बनड़ी ल्यावे जिसने पति की चाह थी मैं बोली मेरा पति कौन झट हाथ लगाया गिरधर कै पति का परेम . . . नाम सुणा जब गिरधर जी का आनंद हो गई काया बीरबानी ने पति बिना अच्छी लागै ना धन माया उसका परेम ठीक हो जा सै जिस ने ज्यादा परेम बढ़ाया खुद माता के कहने से मैंने गिरधर पति बनाया करूं परीति सच्चे दिल तै परेम बीच में भर कै पति का परेम . . .",haryanvi-bgc "नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया । गइया चरावे हीरालाल जी ॥ 1 ॥ कारी गाय सुन्नर1 ऐसो लेरू2 । दुधवा पियत हीरालाल जी ॥ 2 ॥ सोने के सेहला3 गढ़ा दऽ मोरे बाबा । अउर जड़ा दऽ हीरालाल जी ॥ 3 ॥ सोने के सेहला बाबू मरमो4 न जानूँ । कइसे जड़इबे हीरालाल जी ॥ 4 ॥ तोहरो ससुर जी के साँकर गलिया । झरि जयतो सेहला के फूल जी ॥ 5 ॥ आगे आगे जइतन बाबा5 जी साहेब । सेकर6 पीछे मामा7 सोहागिन जी । जेकर8 पीछे जइतन छोटकी बहिनिया । चुनि लेतन सेहला के फूल जी ॥ 6 ॥",magahi-mag "हो गाड़ी वाला रे हो गाड़ी वाला रे . . पता दे जा रे , पता ले जा रे गाड़ी वाला पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता दे जा पता ले जा रे पता दे जा रे गाड़ी वाला का तोर गांव के नाव दिवाना डाक खाना के पता का नाम का थाना कछेरी के तोरे पारा मोहल्ला पता का को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही पहार सड़किया पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ी वाला मया नई चिन्हे देसी बिदेसी मया के मोल न तोल जात बिजाति न जाने रे मया , मया मयारु के बोल कायामाया सब नाच नचावे मया के एक नजरिया पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ीवाला . . जीयत जागत रहिबे रे बैरी भेजबे कभुले चिठिया बिन बोले भेद खोले रोवे , जाने अजाने पिरितिया बिन बरसे उमड़े घुमड़े , जीव मया के बैरी बदरिया पता दे जा रे पता ले जारे गाड़ी वाला . . . पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता दे जा हो गाड़ी वाला रे . .",chhattisgarhi-hne "466 करे जिन्हां दी रब्ब हमायतां नी हक तिन्हां दा खूल मामूल1 कीता जदों मुशरिकां2 आन सवाल कीता तदों चन्न दो खन्न3 रसूल कीता कढ पधरो ऊठनी रब्ब सचे करामात पगम्बरी मूल कीता वारस शाह जां कशफ4 वखा दिता तदों जटी ने फकर कबूल कीता",panjabi-pan "उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है जीवण अमूल पिआरे क्यूं बखत खो रह्या है रहणा न इत बणैगा दुनिया सरा सी फानी इस मैं फंस्या तैं पियारे क्यूं मस्त हो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर भाई पिता अर पुत्तर होगा न कोई साथी क्यूं मोह का बोझा नाहक मैं ढो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर ले ले धरम का तीसा मत भूल रे दीवाने नैकी की खेती कर ले क्यूं बखत खो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर किसती अमूल पा कै हिम्मत तै पार कर लै इस जल असार जग मैं तैं क्यूं डबो रह्या है उठ जाग रे मुसाफिर",haryanvi-bgc "विवाह गीत बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे । बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे । दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है , उनका वर्णन गीत में किया गया है बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है । तागली , हार , बीटियाँ , हाटका , बेड़ी माँग रहा है । कड़े हाथ में पहनने का , तागली गले में पहनने का , हार गले में पहनने की , हार गले में पहनने की , बीटी अँगुली में पहनने का , हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है ।",bhili-bhb "झिम्मा रुणझूण पाखरा जा माझ्या माहिरा । । हू हू । । तिथ घराचा दरवाजा । चंदनी लाकडाचा पेशवाई थाटाचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरा अंगणी । बघ फुलली निंबोणी गोडी दारात पुरवणी । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरीचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरीचा । झोपाळा आल्याड बांधियला फुलांनी गुंफियला । त्यावरी बैस जा । । हू हू । । माझ्या माहिरी मायबाई । डोळे लावुनी वाट पाही तिला खुशाली सांगाया जा । माझ्या माहिरी पाखरा जा । । हू हू । ।",marathi-mar "कैसे क दरसन पाऊँ कैसे क दरसन पाऊँ मैया तेरी सकड़ी दुवरिया सकड़ी दुवरिया मैया , चंदन किवड़िया धरम धजा फहराय मैया तेरी सकड़ी दुवरिया देवी के द्वारे एक निरथन पुकारे देव माया घर जाऊँरी मैया तेरी सकड़ी दुवरिया देवी के द्वारे एक अंधा पुकारे देव नयन घर जाऊँरी देवी के द्वारे एक बाँझ पुकारे देव पुत्र घर जाऊँरी देवी के दारे एक कुष्ठा पुकारे देव काया घर जाऊँरी मैया तेरी सकड़ी दुवरिया",malvi-mup "रंग रंगीली भोत रंग भीनी रंग रंगीली भोत रंग भीनी उस धनाबऊ रे हाथ राचन दो मेंदी उस मोड़ादे रे हाथ राचन दो मेंदी पेलो मास गोरी धन लाओ आल भोले मनजाय राचन दो मेंदी मोड़ादे रे हाथ",malvi-mup "वेक्खो नी शाह अनायत साईं वेक्खो नी शाह अनायत साईं मैं नाल करदा किवें अदाईं । कदी आवे कदी आवे नाहीं , त्यौं त्यौं मैनूँ भड़कण भाहीं । नाल अल्लाह पैगाम सुणाईं , मुक्ख वेक्खण नूँ तरसाईं । वेक्खो नी शाह अनायत साईं । बुल्ला सहु केही लाई मैनूँ , रात हनेर उठ तुरदी नै नूँ । जिस औझड़ तों सभ कोई डरदा , सो मैं ढूँढा चाईं चाईं । वेक्खो नी शाह अनायत साईं । मैं नाल करदा किवें अदाईं ।",panjabi-pan "बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा , बथुए का रांध रै साग आठ बलधां का रै हालिड़ा नीरणा चार हालिड़ा की छाक बरसन लागी रे हालिड़ा बादली सास नणद का रे हालिड़ा ओलणा इब कूण उठाये छाक कसकै तै रे बांधो गोरीधन लाऊणा झटदे उठाल्यो छाक ड्योलै तै ड्योला रे हालिड़ा मैं फिरी कितै ना पाया थारा खेत ऊंच्चे चढ़कै गोरीधण देख ले म्हारे धोले बलध कै टाल पाछा तैं फिर कै रे हालिड़ा देख ले , कोई बोझ मरै छकियार किसाक जाम्या रे हालिड़ा बाजरा किसीक जाम्मी सै जुआर लाम्बे तै सिरटे गोरीधण बाजरा , मुड़वां सिरटै जुआर कै मण बीघे निपजै रे हालिड़ा बाजरा , कै मण बीघे जुआर नौ मण बीघे निपजा गोरी बाजरा , दस मण बीघे जुआर अपणै घड़ाले रे हालिड़ा गोखरू मेरी भंवर की नाथ",haryanvi-bgc "परदा किस तों राखीदा परदा किस तों राखीदा ? क्यों ओहले बैह बैह झाकीदा ? पहलों आपे साजन साजे दा , हुण दस्सना ऐं सबक निमाजे दा , हुण आया आप नज़ारे नूँ , विच्च लैला बण बण झाकीदा । परदा किस तों राखीदा ? शाह शमस दी खल्ल लुहाएओ , मनसूर नूँ चा सूली दवाएओ , ज़करीए1 सिर कलवत्तर2 धराएओ , की लेक्खा रहेआ बाकी दा ? परदा किस तों राखीदा ? कुन्न3 केहा फअकुन4 कहाया , बेचूनी5 दा चून6 बणाया , खातर तेरी जगत बणाया , सिर पर छतर लौलाकी दा7 । परदा किस तों राखीदा ? हुण साड्डे वल्ल धाया ए , ना रहिन्दा छुपा छुपाया ए , किते बुल्ला नाम धराया ए , विच्च ओहला रखया खाकी दा । परदा किस तों राखीदा ?",panjabi-pan "मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे बाबा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे ताऊ हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे बाब्बू हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे चाचा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई तेरे फूफा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मौसा हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई",haryanvi-bgc "झाळ झपकऽ बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी झाळ झपकऽ , बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी , धणियेर आंगणऽ कुआ खणाया , हरिया एतरो पाणी , जूड़ो छोड़ी न्हावण बठ्या , धणियेर घर की राणी , धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी । आमुलड़ा री डाल म्हारी माता , सालुड़ो सुखाड़ऽ , सालुड़ा रा रम्मक झम्मक , नाचऽ ठम्मक ठम्मक , धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी ।",nimadi-noe "अंगिका फेकड़ा चलोॅ हे हिरनी माय फूल तोड़ै लेॅ फूलोॅ के गाछ तर ऐल्हौं जमाय बेटी केॅ लेल्हखौं डोली चढ़ाय ज्यौंज्यौं डोलिया डुलकल जाय त्यौंत्यौं बेटी हकरल जाय बोॅर बैठलोॅ बरोॅ तर कनियाँय बैठली पीपरोॅ तर बरोॅ केॅ लागलै दाँती कनियाँय धूनेॅ छाती । कनियाँय मनियाँय झिंगाझोर कनयाँय माय केॅ लेॅ गेल चोर दौड़ोॅ हो शहर के लोग । झरिया ऐलै बुनरिया ऐलै करका मेघ लगैलेॅ ऐलै डाला कुण्डा घोॅर करोॅ बेटी केॅ विदा करोॅ । औठीपौठी लौका बीच में गू खौका । पांड़े पड़ोकी चुटिया में तेल पांड़े के धियापुता खेलेॅ गुलेल पांडे़ ढबढबढब । यद्दू बेचेॅ कद्दू , बंगाली बेचेॅ पान यद्दू के एक बेटा , सेहो गाड़ीमान यद्दू दूर गेलेॅ हो । अथरोबथरो सीमा गेली सीम तोड़े नीमा गेली नीन तोड़े , दा बूढ़ी भात अभी गोबरे हाथ । ऊबु पान फूल पत्ता गुलाबी रंग कच्चा कटोरी में के आगिन बुझाय देॅ मोरी भौजी । ओ ना मा सी धं गुरूजी पढ़ंग चटिया लंग बाजे मृदंग । तार काटूँ , तनकुन काटूँ काटूँ रे बनखज्जा हाथी पर से घुंघर बोले टन देॅ केॅ राजा राजा के रजोली बेटी भैया के दुपट्टा हिच्च मारौं , घिच्च मारौं चीचे हेनोॅ बच्चा ।",angika-anp "भादों की अँधेरी, झकझोर भादों की अँधेरी , झकझोर1 । ना बास ना बास , पापी मोर । डुलदो2 तू क्यों , पापी प्राणी । स्वामी बिना मैक , बड़ी खडरी3 । विश्वासी मन जो , औंद भारी । भादों की बरसात जग रूझ4 । मन की मेरो ना , आग बुझ । स्वामी बिना झूठी , लाणीं खांणी5 । मनु की मनुमा , रई गांणी6 ।",garhwali-gbm "201 दुर्रे1 शरह दे मार उधेड देसां करां उमर खिताब दा नयां हीरे घत कखां दे बिन मैं साड़ सुटां तैनूं वेखसी पिंड गरां हीरे अखीं मीट के वकत लघा मोईए एह जोबना बदलां छां हीरे खेड़े करीं कबूल जे खैर चाहवें छड चाक रंझेटे दा नां हीरे वारस शाह हुण आसरा रब्ब दा ए जदों विटरे2 बाप ते मां हीरे",panjabi-pan "अगे, अगे चेरी बेटी, तोँहु देखि आहु गे माइ अगे , अगे चेरी बेटी , तोँहु1 देखि आहु2 गे माइ । कइसन3 समधी बाबू , महला उठावे गे माइ । इँटवा चुनिए चुनि4 महला उठावे गे माइ । चुनमे5 चुनेटल6 चारों घटिया बनावे गे माइ ॥ 1 ॥ अरे , अरे हजमा , तोंहुँ देखि आहु गे माइ । कइसन समधी भँड़ुआ , सजे बरियात गे माइ । धोइले7 धोइले कपड़ा , रँगल बतीसो दाँत गे माइ । छैले छैले गभरू8 सजल बरियात गे माइ ॥ 2 ॥ बइठल समधी बाबू जाजिम बिछाय गे माइ । जँघिया दुलरइतिन बेटी लट छिटकावे गे माइ । बीड़वा9 जे फेंकलन दुलहा , बीड़वो न लेथिन10 गे माइ । हँसथिन न बोलथिन , दुलहिन मुँहमो न खोलथिन गे माइ ॥ 3 ॥ किनकर11 गुमानी12 धनि , मुँहमो न बोले गे माइ । किनकर गुमानी बेटी , बीड़वो न लेइ13 गे माइ । परभु के गुमानी धनि , मुँहमो न बोले गे माइ । बाबा के दुलरइतिन बेटी , बीड़बो न लेइ गे माइ ॥ 4 ॥ बाबा तोर देखलूँ दुलहा , टट्टर14 घर खाड़ा गे माइ । भइया तोर देखलूँ लोकदिनियाँ15 सँघे साथे गे माइ । चाचा तोर देखलूँ तमोलिन के पास गे माइ । कइसे के करियो16 दुलहा तोहर बिसवास गे माइ । तुहूँ त हकहु17 दुलहा बड़ रँगरसिया18 गे माइ ॥ 5 ॥",magahi-mag "215 जो कुझ विच रजा दे लिख दितां मुंहों बस न आखिये भैड़ीए नी सुन्ना सखना चाक नूं रखया ई मथे भौरीए चंदरीए चैड़ीए नी जेकर मंतरकील दा ना आवे ऐवें सुतड़े नाग ना छेड़ीए नी इके यार दे नाम तों फिदा होईए मौहरा दे के इके नबेड़ीए नी दगा देवना होवे जिस आदमी नूं पहले रोज ही चा खटेड़ीए नी जे ना उतरीए यार दे नाल पूरे ऐडे पिटने ना सहेड़ीए नी वारस शाह तोड़ निभाहुनी दस सानूं नहीं दे जवाब चा टोरये नी",panjabi-pan "शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर",korku-kfq "189 कंगन नाल जंजीरियां पंज मुणियां हार लौंगां दे नाल पुरायो ने तुंगा1 नाल कपूरां2 दे जुट सुचे तोड़े पाउंदे गजरयां छायो ने पहौंची जुगनियां नाल हमेल माला मोहर बिछुए नाल घड़ायो ने सोहनियां अलियां नाल पंजेब फबे घुंगरालड़े घुंगरू लायो ने वारस शाह गहना ठीक चाक आहा सोई खटड़े3 चा पवायो ने",panjabi-pan "उरजौ ना स्याम कही मानों उरजौ ना स्याम कही मानों , फट जै हैं , चुनरिया ना तानों । इत मथरा उत गोकल नगरी , बीच बसत है बरसानो । रजा कंस कौ राज बुरओ है , मथरा बीच रूपौ थानों । मैं बेटी वृषभान लला की , काऊकी ईसुर ना जानों ।",bundeli-bns "से वणजारे आए से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । लालाँ दा ओह वणज करेन्दे , होक्का आख सुणाए । लाल ने गहणे सोने सात्थी , माए नाल लै जावाँ । सुणिआ हौका मैं दिल गुज़री , मैं भी लाल ल्यावाँ । इक्क ना इक्क कन्नाँ विच्च पा के , लोक्काँ नूँ दिखलावाँ । लोक जानण एह लालाँ वाली , लइआँ मैं भरमाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । ओड़क जा खलोती ओहना ते , मैं भनों सद्धराइआँ । भाई वे लालाँ वालिओ मैं वी , लाल लेवण नूँ आइआँ । ओहनाँ भरे संदूक विखाले , मैनूँ रीझाँ आइआँ । वेक्खे लाल सुहाणे सारे , हक्क तो हक्क सवाए । से वणजारे1 आए नी माए , से वणजारे आए । भाई वे लालाँ वालिआ वीरा , एहना दा मुल्ल दसाईं । जे तूँ आई हैं लाल खरीदण , धड़ तों सीस लुहाईं । डम्ह2 कदी सुई दा ना सहिआ , सिर कित्थों दित्ता जाई । लाज़मी होके घर मुड़ आई , पुच्छण गवांढी आए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । तूँ जु गई सैं लाल खरीदण , उच्ची अड्डी चाई नी । केहड़ा मुहरा ओत्थों रन्ने तूँ , लै के घर आई नी । लाल सी भारे मैं साँ हलकी , खाली कन्नी साईं नी । भारा लाला अणमुल्ला ओत्थों , मैत्थों चुक्किआ ना जाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । कच्ची कच्च विहाजण जाणा , लाब विहाजण चल्ली । पल्ले खरच ना साख ना काई , हत्थों हारन चल्ली । मैं मोटी मुशटंडी दिसाँ , लालाँ नूँ चारन चल्ली । जिस शाह ने मुल्ल लै के देणा , सो शाह मुँह ना लाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए । गलिआँ दे विच्च फिराँ दिवानी , नी कुड़ीए मुटिआरे । लाल चुगेन्दी नाज़क होई , एह गल्ल कौण नितारे । जाँ मैं मुल्ल ओहना नूँ पुच्छिआ , मुल्ल करन ओह भारे । डम्ह सूई दा कदे ना खाधा , ओह आक्खण सिर वारे । जेहड़िआँ गइआँ लाल विहाजण , ओहनाँ सीस लुहाए । से वणजारे आए नी माए , से वणजारे आए ।",panjabi-pan "सुसरै जी से अरज करूं थी सुसरै जी से अरज करूं थी मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी बहू इस रुत मैं दाख नहीं सै मेवा मिसरी खाल्यो जी बालम जी से अरज करूं थी मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी ओ गए पंसारी की दुकान पै ल्याए हरी हरी दाख तुला कै खा कै सोई पिलंग पै बालम तै कर री बात बड़े प्यार तै जो गोरी थम छोरी जणोगी बुरी बात करो गी हम तै जो गोरी थम पुत जणोगी दाख मंगा द्यूं और कहीं तै",haryanvi-bgc "रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो अजे बीले आजे सुबाय इयाँ पलंगो बाने जा बेटा आमा रानी का पलंगो रे आमा रानी का पलंगो रे आमा रानी का पलंगो रे स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा",korku-kfq "पेलो मास जो लागियो ये पेलो मास जो लागियो ये धनारायणी आल भोले मन जाय अनोखा धनराणी , ऐके धनराणी मजला मजला आप पेले मजल थारे लापसी ऐके धनराणी दूसरे मजल बूरा खांड तीसरे मजल थारे खोपरो चौथ दाड़िम दाख",malvi-mup "532 सैदा आखदा रोंदड़ी पई डोली चुप करे नाहीं हतिआरड़ी1 ओए वडी जवान बाला कोई परी सूरत तिन कपड़े वडी मुटिआरड़ी ओए जे मैं हथ लावां सिरों लाह लैंदी चा घतदी चीख चिहारड़ी2 ओए हथ लावण पलंग नूं मिले नाहीं खौफ खतरियो3 रहे निआरड़ी4 ओए मैंनूं मारके आप नित रहे रोंदी एस डौल ही रहे कुआरड़ी5 ओए नाल सस ननाण दे गल नाही पई मचदी नित खुआरड़ी6 ओए असां ओसनूं मूलना हथ लाया कोई नागर7 लोथ है भारड़ी8 ओए ऐवे गफलतां विच बरब्बाद कीती वारस शाह एह उमर पयारड़ी ओए",panjabi-pan "180 रत्न हीर ते आइयां फेर सभे रांझे यार तेरे सानूं घलया ई खूंडी वंझली कमली सुट धते छड देस परदेस नूं चलया ई जे तैं अंत ओहनूं पिछा देवना सी ओहदा कालजा कासनूं सलया ई असां एतनी गल मालूम कीती तेरा निकल ईमान हुण चलया ई",panjabi-pan "मेरी भूरी भूरी पींडी री सासड़ काली जराब मेरी भूरी भूरी पींडी री सासड़ काली जराब मन्नै सोला सिंगार करे री सासड़ बलमा नदान बाहर सै बालम आया री माता कहां गई साजन जाई टगटग महलों चढ़गी रे बेटा कर के सिंगार तैं सोच समझ के जइयो रे बेटा बहू सै जुआन तन्नै खाटी ल्हासी प्याई री सासड़ रह गया नदान मन्नै हंस के दूध पीए री सासड़ हो गी जुआन दिन दस पीहर चली जा री बहुअड़ कर ल्यूं जुआन ऊपर तै नीचे पटक री माता हो ज्या नुकसान तै ओड ओड बोल ना बोलै रे बेटा बहू सै जुआन",haryanvi-bgc "मिट्टी दा बावा (1) मिटटी दा मैं बावा बनाणीआं उत्ते चा दिन्नी आं खेसी वतनां वाले माण करन की मैं माण करां परदेसी मेरा सोहणा माही , आजा वे बूहे अग्गे लावां बेरीआं गल्लां घरघर होंण तेरीआं ते मेरीआं वे तू शकल दिखा जा वे मेरा सोहणा माही , आजा वे बूहे अग्गे पाणी वगदा साडा कल्लआं दा जी नईओं लगदा सानूं गल नाल लाजा वे मेरा सोहणा माही , आजा वे",panjabi-pan "मोये बल रात राधका जी कौ मोये बल रात राधका जी कौ , करैं आसरौ की को । दीन दयाल दूर दुख मेलत , जिनको मुख है नीको । पैले पार पातकी कर दए , मोहन सौ पति जी को । काँलों लगत खात सब कोऊ , स्वाद कात ना थी को ईसुर कछू काम की जानै , कदमन के ढिंग झीकौं ।",bundeli-bns "कौण आया पैहन लिबास कुड़े कौण आया पैहन लिबास कुड़े ? तुसीं पुच्छो नाल इखलास1 कुड़े । हत्थ खुंडी मोडे कम्बल काला , अक्खिआँ दे विच्च वसे उजाला , चाक नहीं कोई है मतवाला , पुच्छो बिठा के पास कुड़े । कौण आया पैहन लिबास कुड़े ? चाकर चाक ना इस नूँ आखो , एह ना खाली गुज्झड़ी2 घातों , विछड़िआ होया पैहली रातों , आया करन तलाश कुड़े । कौण आया पैहन लिबास कुड़े ? ना एह चाकर चाक कहींदा , ना इस ज़र्रा शौक महीं दा , ना मुश्ताक है दुध दहीं दा , ना उस भुक्ख प्यास कुड़े । कौण आया पैहन लिबास कुड़े ? बुल्ला सहु लुक बैठा ओहले , दस्से भेद ना मुख से बोले , बाबल वर खेड़ेआँ तो टोले , वर माँहढा3 माँहढे पास कुड़े । कौण आया पैहन लिबास कुड़े ? तुसीं पुच्छो बिठा के पास कुड़े ।",panjabi-pan "ऐ बैना डो ऐ बैना चोज सांटी ऐ बैना डो ऐ बैना चोज सांटी उनिड़ी उसरी डो आम सुबाये ऐ डाई जा ऐ डाई इयां ऊनी केने केरसा जा डोडो मारे ऐ बैना डो ऐ बैना टाला चिछरी डो आम सुबाये इंज बागोन बागोन जा डाई इयां ऊनी ऊँऐन्टेन हाकोज अगरा गोमढून मारे बाकीमा हिगरा इयां डो बैना इंज बीसे बा रोगों जा डाई टेंगन स्रोत व्यक्ति कड़मी बाई , ग्राम रोशनी",korku-kfq "हिंगलू भरी बादल लाव हिंगलू भरी बादल लाव म्हारा मानगुमानि ढोला वा तो फलाणा राम आंगण ढोलो रे म्हारा मालगुमानी ढोला वे तो फलाणा राम हैं पोंच वाला रे वी तो आवता सा जानीड़ा जिमाड़े रे",malvi-mup "211 काज़ी पड़ह निकाह ते घत डोली नाल खेड़या दे दिती टोर मियां तेवरां बेवरां1 नाल जड़ाउ गहिने दम दौलतां नअमतां होर मियां टमक2 महीं अते नाल ऊंठ घोड़े गहिणा पतरां3 ढगड़ा ढोर4 मियां हीर खेड़या नाल न टुरे मूले पया पिंड दे विच एह शोर मियां वारस हीर नूं घिंन के रवां होए5 जिवें माल नूं लै के चोर मियां",panjabi-pan "हरे नोटिस आयारे राजा राम का हरे नोटिस आयारे राजा राम का , आरे तामील कर लेना १ जमपती राजा आई बैठीयाँ , अरे बैठीया पंख पसार हंसराज को हो लई गया लईगया स्वर्ग द्वार . . . . नोटिस आयारे . . . . २ काया सिंगारी राई आगणा , झुरी रया सब लोग साज बाज घर बाजी रयाँ उड़े रंग गुलाला . . . . नोटिस आयारे . . . . . . . ३ माता रोवे रे थारी जलमी , बईण वार त्योहार तीरया रोयवे थारी तीन घड़ी दुसरो घर बार . . . . नोटिस आयारे . . . . . . . ४ कहत कबिर धर्मराज से , साहेब सुण लेणा अन्त का परदा हो खोल के जीनको अन नी पाणी . . . . नोटिस आयारे . . . .",nimadi-noe "सूरज ऊगो हो केवड़ा के री परत सूरज ऊगो हो केवड़ा के री परत म्यानो रजाम सुहावनो तम जागो हो सूरज जी हो राम तम जागो ही गणपत जी हो राम तम घर हो परजा केरो राज तम जागो हो फलाणा जी हो राज तम बैठो हो अक्खी बड़ की छाँह तम लीजो हो श्रीकृष्ण को नाम दीजो हो सूर्या गाय को दान सूरज ऊग्यो के वड़ा के री परत म्यानो श्याम सुहावणो तम जागो हो फलाणा राम भांड तम बैठो हो धतूरा अरंडिया छाँव तम लई करवो मुख धोवी तम लीजो अल्लाखुदा को नाम तम दीजो हो तमारी माता को दान",malvi-mup "नक्बेसर कागा ले भागा नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा , उड उड कागा मोरी बिंदिया पे बैठा . . . बिंदिया पे बैठा . अरे मोरे माथे का सब रस ले भागा , नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा , उड उड कागा मोरे नथुनी पे बैठा अरे नथुनी पे बैठा . मोरे होंठ्वा का सब रस ले भागा , नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा , नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा , उड उड कागा मोरे चोलिया पे बैठ , अरे चोलिया पे बैठा . . . . अरे जुबना का सब रस ले भागा , अरे जोबना का सब रस ले भागा नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा , उड उड कागा मोरे करधन पे बैठा अरे साये पे बैठा , अरे मेरी बुरीयो का सब रस ले भागा मोरा अरे नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा ,",bhojpuri-bho "तावी तावी डो तावी किनारे तावी तावी डो तावी किनारे तावी तावी डो तावी किनारे तावी तावी डो तावी किनारे राजा रावटी डो टाजा टिये राजा रावटी डो टाजा टिये आपियां जूमू डो चोज मारे आपियां जूमू डो चोज मारे आलिया जूमू नी राजा आलिया जूमू नी राजा सारेली डो बो रेली रे सारेली डो बो रेली रे स्रोत व्यक्ति अनिता , ग्राम लखनपुर",korku-kfq "बीच जमुनमा हे कोसी माय बीच जमुनमा हे कोसी माय कदम के गाछ हे ओहि चाढ़ि कोसी पारे हाक हे कहाँ गेलै किए भेलो झिमला मल्लाह रे जल्दी से उतारें पार रे टूटलियो नइया हे कोसी माय टूटल करूवारि हे कौन विधि उतारब पार हे जोड़ि लेबेइ नइया रे झिमला जोड़ब करूवारि रे , हिंगुर ढोरब दुनू मांगि रे खनेखने खेबै रे मलहा , खने भसियाबे रे खने मांगे घटवारि रे एहि पार देबौ रे झिमला पाकल बीड़ा पान रे ओहि पार गला गिरमल हार रे ।",angika-anp "भड़ौनी व गारी गीत 1 समधी के लिए गीत बने बने तोला जानेंव समधी , मड़वा में डारेंव बांस रे झालापाला लुगरा लाने , जरय तुंहर नाक रे दार करे चांउर करे , लगिन ला धराये रे बेटा के बिहाव करे , बाजा ल डराये रे मेंछा हावय लाम लाम , मुंहू हावय करिया रे समधी बिचारा का करय , पहिरे हावय फरिया रे मेंछा हावय कररा कररा , गाल हे तुंहर खोधरा रे जादा झन अतियाहव समधी , होगे हावव डोकरा रे 2 समधिन के लिए गीत बरा खाहूं कहिथव समधिन , कहां के बरा पाबे रे हात गोड़ के बरा बना ले , टोर टोर के खाबे रे खाये बर मखना पिराये बर पेट रे का लइका बिआए समधिन हंसिया के बेंट रे पातर पातर मुनगा फरय , पातर लुरय डार रे पातर हवय समधीन छिनारी , ओकर नइये जात रे खीरा फरिच जोंधरी फरिच , फरिच हावय कुंदरू रे समधिन दारील हम नचाबोन , गोड़ में बांधही घुंघरू रे डमरू हावय दफड़ा हावय , ओला हम बजवाबो रे हमर समधिन दारी ला , बजनिया संग नचवाबो रे कोदो के हवै दुई दुई झंसा , रैला चना के दुई दार समधिन के हवय तीनि बहिनिया , कोन त अकल छिनरिया बड़की ऐ लबरी छुटकी हे बपुरी , मंझली हे छिनरिया छुटकी रे बपुरी कुछु नई जानय , खोजि खोजि करे लगवारा 3 दुल्हा राजा के लिए गीत आमा पान के बिजना , हालत झूलत आथे रे किसबिन के बेटा हर , बरात लेके आथे रे करिया करिया दिखथव दुलरू , काजर कस नई आंजेव रे तोर दाई गेहे पठान घर , घर घर बासी मांगेच रे सुंदर हवस कहिके दुलरवा , हमला दियेव दगा रे बिलवा हावय मुंहू तुंहर , नोंहव हमर सगा रे आमा पान के पुतरी , लिमउआ छू छू जाय रे दुल्हा डउका दुबर होगे , सीथा बिन बिन खाये रे 4 बने बने तोला जानेंव समधी , मड़वा में डारेंव बांस रे बने बने तोला जानेंव समधी , मड़वा में डारेंव बांस रे जालापाला लुगरा लानेंव , जरगे तोरे नाक रे जालापाला लुगरा लानेंव , जरगे तोरे नाक रे दार करे चांउर करे , लगिन ला धराये रे दार करे चांउर करे , लगिन ला धराये रे बेटा के बिहाव करे , बाजा ल डर्राये रे बेटा के बिहाव करे , बाजा ल डर्राये रे मेंछा हावे कररा कररा , गाल तुंहर खोधरा रे मेंछा हावे कररा कररा , गाल तुंहर खोधरा रे जादा झन अटियाव समधी , होगे हावव डोकरा रे जादा झन अटियाव समधी , होगे हावव डोकरा रे नदिया तीर के बांमी मछरी , सलमल सलमल करथे रे नदिया तीर के बांमी मछरी , सलमल सलमल करथे रे आये हे बरतिया मन हा , तलमल तलमल करथे रे आये हे बरतिया मन हा , तलमल तलमल करथे रे नदिया तीर मा आये बरतिया , चिंगरी भूंज भूंज खाये रे नदिया तीर मा आये बरतिया , चिंगरी भूंज भूंज खाये रे मेछा जरगे फोरा परगे , रायपुर काबर आये रे मेछा जरगे फोरा परगे , रायपुर काबर आये रे 5 हमका जानी हमका जानी , दुरूग भिलई के पानी रे हमका जानी हमका जानी , दुरूग भिलई के पानी रे आये हे बरतिया मन हा , मारत हे उदानी रे आये हे बरतिया मन हा , मारत हे उदानी रे बड़े बड़े रमकलिया चानी , भीतरी में गुदा भराये वो बड़े बड़े रमकलिया चानी , भीतरी में गुदा भराये वो हमर समधिन चटक चंदैनी , कनिहा ल मटकाय वो हमर समधिन चटक चंदैनी , कनिहा ल मटकाय वो नदिया तीर के पटवा भाजी , पटपट पटपट करथे रे नदिया तीर के पटवा भाजी , पटपट पटपट करथे रे आये हे बरतिया मन हा , मटमट मटमट करथे रे आये हे बरतिया मन हा , मटमट मटमट करथे रे चटकत मटकत रेंगे समधिन , घेरीबेरी बिजरावय वो चटकत मटकत रेंगे समधिन , घेरीबेरी बिजरावे वो पाटी पारे मांग संवारे , कोई नई सहरावय वो पाटी पारे मांग संवारे , कोई नई सहुंरावे वो नदिया तीर के खोटनी भाजी , उलवा उलवा दिखथे रे नदिया तीर के खोटनी भाजी , उलवा उलवा दिखथे रे आये हे बरतिया मन हा , मुड़वा मुड़वा दिखथे रे आये हे बरतिया मन हा , मुड़वा मुड़वा दिखथे रे आंखी करे लिबिर लाबर , मुंहू हाबे करिया वो आंखी करे लिबिर लाबर , मुंहू हाबे करिया वो हमर समधिन मन हा , पहिरे हाबे फरिया वो हमर समधिन मन हा , पहिरे हाबे फरिया वो नदिया तीर के खोटनी भाजी , उलवा उलवा दिखथे रे नदिया तीर के खोटनी भाजी , उलवा उलवा दिखथे रे आये हे बरतिया मन हा , मुड़वा मुड़वा दिखथे रे आये हे बरतिया मन हा , मुड़वा मुड़वा दिखथे रे नदिया तीर के लुदवा मछरी , लूदलूद लूदलूद करथे वो नदिया तीर के लुदवा मछरी , लूदलूद लूदलूद करथे वो दुलहि नोनी के बहिनी मन हा , मुचमुच मुचमुच करथे वो दुलहि नोनी के बहिनी मन हा , मुचमुच मुचमुच करथे वो नदिया तीर के बांमी मछरी , सलमल सलमल करथे रे नदिया तीर के बांमी मछरी , सलमल सलमल करथे रे आये हे बरतिया मन हा , तलमल तलमल करथे रे आये हे बरतिया मन हा , तलमल तलमल करथे रे सुंदर हावन कहिके समधिन , हमला दियेव दगा वो सुंदर हावन कहिके समधिन , हमला दियेव दगा वो जालापाला मुंहू हावय , नोंहो हमर सगा वो जालापाला मुंहू हावय , नोंहो हमर सगा वो नदिया तीर में आये बरतिया , चिंगरी भूंज भूंज खाये रे नदिया तीर में आये बरतिया , चिंगरी भूंज भूंज खाये रे मेछा जरगे फोरा परगे , रायपुर काबर आये रे मेछा जरगे फोरा परगे , रायपुर काबर आये रे खीरा फरिस जोंधरा फरिस , फरिस हावे कुंदरू वो खीरा फरिस जोंधरा फरिस , फरिस हावे कुंदरू वो समधिन दारील हमुं नचाबो , गोड़ म बंधा के घुंघरू वो समधिन दारील हमुं नचाबो , गोड़ म बंधा के घुंघरू वो खोकसी धरि मोंगरी धरि , अउ धरि केंवई रे खोकसी धरि मोंगरी धरि , अउ धरि केंवई रे हमर समधिन मन हा , डरे हे लेवई रे हमर समधिन मन हा , डरे हे लेवई रे आमा आमा ल खाये समधिन , गोंही ल बचाये वो आमा आमा ल खाये समधिन , गोंही ल बचाये वो हमर मन बर खोर मा , सजरी बिछाये वो हमर मन बर खोर मा , सजरी बिछाये वो आमा जानी आमा जानी , डोंगरगढ़ के पानी रे आमा जानी आमा जानी , डोंगरगढ़ के पानी रे आये हे बरतिया मन हा , मारत हे फुटानी रे आये हे बरतिया मन हा , मारत हे फुटानी रे हउंला हउंला पानी लाने , कौवा ह जुठारे वो हउंला हउंला पानी लाने , कौवा ह जुठारे वो ठउका के बेरा में समधिन हा , बात ल बिगड़े वो ठउका के बेरा में समधिन हा , बात ल बिगड़े वो कांवर कांवर पानी लाने , कौवा ह जुठारे रे कांवर कांवर पानी लाने , कौवा ह जुठारे रे हमर समधि मन ला , डंडा मा सुधारे रे हमर समधि मन ला , डंडा मा सुधारे रे हरियर हरियर डोंगर दिखथे , पिंयर पिंयर बांस वो हरियर हरियर डोंगर दिखथे , पिंयर पिंयर बांस वो हमर समधिन छेना बिनत हे , नई लागे एला लाज वो हमर समधिन छेना बिनत हे , नई लागे एला लाज वो बने बने तोला जानेंव समधी , मड़वा में डारेंव बांस रे बने बने तोला जानेंव समधी , मड़वा में डारेंव बांस रे जालापाला लुगरा लानेंव , जरगे तुंहर नाक रे जालापाला लुगरा लानेंव , जरगे तुंहर नाक रे हे डमरू हावे दफड़ा हावे , ओला हम बजवाबो वो डमरू हावे दफड़ा हावे , ओला हम बजवाबो वो हमर समधिन ला , बजनिया संग नचवाबो वो हमर समधिन ला , बजनिया संग नचवाबो वो दार करे चांउर करे , लगिन ला धराये रे दार करे चांउर करे , लगिन ला धराये रे बेटा के बिहाव करे , बाजा ल डर्राये रे बेटा के बिहाव करे , बाजा ल डर्राये रे",chhattisgarhi-hne "बरसय जी बाबू, रिमझिम बुँदवा बरसय जी बाबू , रिमझिम बुँदवा , बरसय जी ॥ 1 ॥ हाथी साजूँ , घोड़ा साजूँ , साजूँ बरियतिया । साज देहु जी बाबा , दँड़िया1 सवरिया , साज देहु ॥ 2 ॥ हाथी के पाँव घइले मामा2 खड़ी है , सुन लेहु जी । बाबू हमरी बचनियाँ , सुन लेहु जी ॥ 3 ॥ कइसे में सुनिओ मामा , तोहरी बचनियाँ । जा हियो3 जी मामा , धनि के उदेसवा4 । बियाहन5 को मामा , राजा बंसी6 बेटिया ॥ 4 ॥",magahi-mag "माटी कोड़े गेली हम आज मटिखनमा माटी कोड़े गेली1 हम आज मटिखनमा2 इयार3 मोरा पड़लन , हाय जेहलखनमा4 ॥ 1 ॥ पियवा के कमइया5 हम कछु न जान ही । इयार के कमइया नकबेसर6 हुई7 हे ननदो8 ॥ 2 ॥ ओही नकबेसर धरी इयार के छोड़यबो9 । इयार मोरा पड़लन हाय जेहलखनमा ॥ 3 ॥",magahi-mag "81 हीर चाए भता खंड खीर मखन मिएं रांझे दे पास लै जांवदी ए तेरे वासते जूह मैं भाल थकी रो रो अपना हाल सुनांवदी ए कैदों ढूंढ़दा खोज नूं फिरे भौंदा वास चूरी दी बेलयों आंवदी ए वारस शाह मियां वेखो रंग लंगी एह शैतान दी कलहि जगांवदी ए",panjabi-pan "107 हीर वत के1 बेलयों घरीं आई मां बाप काजी सद लयांवदे ने दोवें आप बैठे अते वि काजी अते साहमणे हीर बहांवदे ने बची हीर तैनूं असीं मत देंदे मिठी जबान नाल समझांवदे ने चाक चोबरां नाल ना गल कीजे एह मेनहती केहड़े थाउं दे ने चरखा डाहके आपने घरीं बहिए सुघड़ गाउं के जी परचांवदे ने लाल चरखड़ा डाहके छोप पाईये कहीए सोहने गीत झनाब दे ने नीवीं नजर हया के नाल रहिये तैनूं सभ सयाने फरमांवदे ने चूचक सिआल होरी हीरे जाणनी ए सरदार ते पंच गरांव दे ने शरम मापियां दी वल धयान कीजे शानदार एह जट सदांवदे ने बाहर फिरन ना सोंहदा कवारियां नूं अज कल लागी घर आंवदे ने ऐथे वयाह दे सब समान होये खेड़े पये बना2 बनांवदे ने वारस शाह मियां चंद रोज अंदर खेड़े जोड़ के जंझ लयांवदे ने",panjabi-pan "फगुआ के गीत १ . धनिधनि ए सिया रउरी भाग , राम वर पायो । लिखि लिखि चिठिया नारद मुनि भेजे , विश्वामित्र पिठायो । साजि बरात चले राजा दशरथ , जनकपुरी चलि आयो , राम वर पायो । वनविरदा से बांस मंगायो , आनन माड़ो छवायो । कंचन कलस धरतऽ बेदिअन परऽ , जहाँ मानिक दीप जराए , राम वर पाए । भए व्याह देव सब हरषत , सखि सब मंगल गाए , राजा दशरथ द्रव्य लुटाए , राम वर पाए । धनि धनि ए सिया रउरी भाग , राम वर पायो । २ . बारहमासा शुभ कातिक सिर विचारी , तजो वनवारी । जेठ मास तन तप्त अंग भावे नहीं सारी , तजो वनवारी । बाढ़े विरह अषाढ़ देत अद्रा झंकारी , तजो वनवारी । सावन सेज भयावन लागतऽ , पिरतम बिनु बुन्द कटारी , तजो वनवारी । भादो गगन गंभीर पीर अति हृदय मंझारी , करि के क्वार करार सौत संग फंसे मुरारी , तजो वनवारी । कातिव रास रचे मनमोहन , द्विज पाव में पायल भारी , तजो वनवारी । अगहन अपित अनेक विकल वृषभानु दुलारी , पूस लगे तन जाड़ देत कुबजा को गारी । आवत माघ बसंत जनावत , झूमर चौतार झमारी , तजो वनवारी । फागुन उड़त गुलाब अर्गला कुमकुम जारी , नहिं भावत बिनु कंत चैत विरहा जल जारी , दिन छुटकन वैसाख जनावत , ऐसे काम न करहु विहारी , तजो वनवारी ।",bhojpuri-bho "आपियां जूमू चोजमा बाई आपियां जूमू चोजमा बाई आपियां जूमू चोजमा बाई आपियां जूमू जा राजा सारीली डो बोरोली रे ऐ सारीली डो ऐ बोरोली रे आपियां सन्टी इयां रानी केन बावड़ी कुआं बोचो मारे ऐ राजा जा ऐ राजा आपियां सन्टी आमा रानी केन बावड़ी कुआन जा बाकी बोचो ऐ राजा जा ऐ राजा आलीन जा बातो चलना जा रानी मारे स्रोत व्यक्ति मुलायम , ग्राम भोजूढाना",korku-kfq "तूँ किद्धरों आया तूँ किद्धरों आया , किद्धर जाणा , आपणा दस्स ठिकाणा । जिस ठाणे दा तूँ माण करें , तेरेनाल ना जासी ठाणा । जुल्म करें तूँ लोक सतावें , कसब1 फड़ेओ लुट खाणा । महबूब2 सुजानी3 करे असानी , खौफ जाए मलकाणा । शहर खामोशाँ दे चल्ल वसीए , जित्थे मुलक समाणा । भर भर पूर लँघावे डाढा , मलकुलमौत4 मुहाणा । कर लै चावर चार दिहाड़े , ओड़क तूँ उठ जाणा । एहना सभनाँ थीं एह बुल्ला , गुनहगार पुराणा । तूँ किद्धरों आया , किद्धर जाणा , आपणा दस्स ठिकाणा ।",panjabi-pan "ईसुरी की फाग-3 मोरी रजऊ से नौनों को है डगर चलत मन मोहै अंग अंग में कोल कोल कें ईसुर रंग भरौ है । मन कौ हरन गाल कौ गुदना , तिल सौ तनक धरौ है । ईसुर कात उठन जोबन की , विरहा जोर करौ है । भावार्थ मेरी रजऊ से सुन्दर कौन है ? रास्ते चलते मन मोह लेती है । ईश्वर ने उसके अंग अंग को तराश कर रंग भरा है । उसके गाल का गुदना छोटे तिलसा लगता है । देखो , ईसुर उभरते यौवन को विरह कैसे सता रहा है ?",bundeli-bns "हेठ वगे दरिया ते ऊपर मैं खड़ी हेठ वगे दरिया ते ऊपर मैं खड़ी , मेरे वीरे लवाया बाग खिड पई चंबा कली , चंबा कली न तोड़ वीर मेरा मारुगा , वीरा मेरा सरदार बैठे कुर्सी ते , भाबो मेरी परधान बैवे रत्ते पीढ़े , रत्तड़ा पीढ़ा चीकदा भाबो नु उड़ीकदा , भाबो कोलों आइयाँ , झग्गा चुन्नी लेआइयाँ ।",panjabi-pan "446 जिवें सुबह दी कजा1 नमाज हुंदी राजी हो इबलीस2 भी नचदा ए जिवें सहती दे जिउ विच खुशी होई दिल रन्न दा छला कच दा ए जाह वखशया सभ गुनाह तेरा तैनूं इशक कदीम तों सच दा ए वारस शाह चल यार मना आईए एथे नवां अखारड़ा मचदा ए",panjabi-pan "विरह आयो चैतर मास , सुणा दौं मेरी ले सास वणवणूडें1 सबी मौली2 गैन , चीटें3 मौली गैन घास स्वामी मेरो परदेस गै तो , द्वी तीन होई गैन मास अज्यूं4 तई5 कुछ सुणी6 निमणी , ज्यूं7 को ह्वेगे उत्पास8 जौंका स्वामी घरू छन , तौंको होयुं छ विलास रंगविरंगे चादरे ओढ़ीओढ़ी , अड़ोसपड़ौस सुहास ।",garhwali-gbm "मेरी सांझी के औरे धोरै फूल रही कव्वाई मेरी सांझी के औरे धोरै फूल रही कव्वाई भान मैं तन्नै बूझूं संझा कैं तेरे भाई मेरे पांच पचास भतीजे नौ दस भाई भान कैयां का ब्याह रचाया कितने की सगाई पांचा का तो ब्याह रचाया दसां की सगाई ।",haryanvi-bgc "चली गई माल दुलारी तजी न थारी चली गई माल दुलारी तजी न थारी सोयो पाव पसारी तजी न थारी १ जिसकी जान थारा पास नही रे , सोना क दियो रे गमाईहो रामा भरम भंभू का उठण लाग्या नोटीश प नोटीश जारी . . . तजी न थारी . . . २ बृम्ह कचेरी म बृम्ह का वासा , गीत का मुजरा लेईहो रामा नव नाड़ी और बावन कोठड़ी अंत बिराणी होय . . . तजी न थारी . . . ३ जब हो दिवानी ने दफ्तर खोला , नही शरीर नही श्वासहो रामा माता छटी ने डोर रचीयो है रती फरक नही आव . . . तजी न थारी . . . ४ हिम्मत का हाल टुटी गया रे , रयि हमेशा रोई सतगुरु राखा अभी ले जाजो नही तो चैरासी का माही . . . तजी न थारी . . . ५ कहत कबीर सुणो भाई साधो , यो पद है निरबाणीहो रामा यही रे पंथ की करो खोजना रही जासे नाम निसाणी . . . तजी न थारी . . .",nimadi-noe "एती जाथोँ त ओती जाथस एती जाथोँ त ओती जाथस , ओती जाथॉ त दोती ओ एती जाथो त ओती जाथस , ओती जाथॉ त दोती ओ कोन नजर के जादु मँतर मार देहे मोला ओ , हाय मोला झोल्टुराम बना देहे ओ । मोला झोल्टुराम बना देहे ओ झोल्टु के झोली मा का का चीज , लौँग सुपारी धथूरा के बीज । झोल्टु के झोला ला लेगे चोर , झोल्टु कुदावथे धोती छोर ॥ एती देखव ते ओती देखव , ओती देखव ते दोती ओ छ्त्तीसगढ के मोहनी जरी मोला पिया देहे रे , हाय मोला सुखडू राम बना देहे ओ मोला झोल्टुराम बना देये हो तोर मया म मै जोगी बनेव , सोला बछर के मै माला जपेँव । का कहाव मैं ह काला बताँव , तोला बलावव के ओला बलाँव ॥ तोर मया म मै जोगी बनेव , सोला बछर के मै माला जपेँव । का कहाव मैं ह काला सुनाव , तोला बालावव के ओला बलाँव ॥ एती लेजाव कि ओती लेजाव , ओती लेजाव के दोती ओ सात भाँवर के सात नचनिया , मोला नचा देहे रे , हाय मोरा फोकटू राम बना देहे ओ मोरा फोकटू राम बना देहे ओ तोर जवानी के नशा मोला , गाँजा पीयेँव मे तोला तोला । का कहाव मैं ह काला बताँव , तोला बलावव के ओला बलाँव आरी लेजेव के बारी लेजव , बारी लेजव के दुवारी ओ । बत्तीस दिन के खाना पीना मोला छोड़ा देहे ओ , हाय मोरा फोकटू राम बना देहे ओ एती देखव त ओती देँखँव , ओती देखँव ते दोती ओ एती लेजाव कि ओती लेजाव , ओती लेजाव के दोती ओ कोन नजर के जादु मँतर मार देहे मोला ओ , हाय मोला झोल्टुराम बना देहे ओ ।",chhattisgarhi-hne "प्रश्नोत्तर में जोगीरा मित्रो भेद बताओ महावीर उस लंका के , जो दहन किया गढ़ लंका के ना । कवन बात पर महावीर ने भेष बनाया बन्दर का ? कितना लम्बा कितना चौड़ा पानी रहा समुन्दर का ? पूरब पच्छिम उत्तर दक्खिन था पहाड़ दशकन्धर का ? कौन तरफ से गये महावीर , भेद जो पाये अन्दर का ? विभीषण से मुलाकात हुआ कब , दिन रहा कि रात ? जाकर बजा दिया ओ डंका जो दहन किया गढ़ लंका का । कै मिनट के अन्दर पकड़ा महावीर बलवान को ? कौन दूत ने खबर दिया था , जाकर सभा में रावन को ? उसी दूत का नाम बता दो , आज सभा में धावन को । परी रहा कि देव रहा , कि था लड़का उ ब्राह्मन का ? पूँछ में कपड़ा कौन लपेटा , था किस निस्चर का बेटा ? फूंका घर वो पहले किसका , महावीर ने जाकर के ? नर नारी सब जले थे कितने बताओ तू गा करके ? रहा कौन समय ओ बेरा , उसने पूंछ कै दफे फेरा ? गुजरा कै दिन शंका का , जो दहन किया गढ़ लंका का । गोरे काले मरे थे कितने , बिगे गये उठा करके ? हिसाब करके जरा बता दो आज हमें समझा करके । किस जंगल की थी वो लकड़ी गदा बना बलधारी का ? उस बढ़ई का नाम बताओ काम किया मिनकारी का ? वजन बता दो उस गदा का महावीर बलधारी का । कहे शिवनन्दन खोलो भेद , दिल से हटाकर संका का । जो दहन किया था लंका का ।",bhojpuri-bho "मेरी सांझे तील दिखा दई कर दिया मकर कसार मेरी सांझे तील दिखा दई कर दिया मकर कसार मैं बखते बहैल बिठा दई कर दई लम्बे राह बादल तैं बादल अड़ रहा नन्ही पड़ैं फुहार बेहल का परदा भीजै री बुलदां का भीजै सिंगार पति का साफा भीजै री मेरे भी लगैं बौछार मेरी भी चूंदड़ी भीजै री पति का हरा रूमाल",haryanvi-bgc "पाँच-पाँच पनवाँ के बिरवा त बिरवा सोहामन जी पाँचपाँच पनवाँ के बिरवा1 त बिरवा सोहामन जी । अजी ननद , एहो बिरवा भइया जी के हाथे त मैया के मनावहु जी ॥ 1 ॥ कि अजी भउजी , नाउन2 , कि अजी भउजी , भाँटिन । कि अजी भउजी , तोरा बाप के चेरिआ जी ॥ 2 ॥ न एजी ननद , नाउन , न एजी ननद , भाँटिन । न एजी ननद , मोरा बाप के चेरिया जी । अजी ननद , मोरा प्रभु जी के बहिनी , ननद बलु3 लगबऽ जी ॥ 3 ॥ जुगवा खेलइते भइया , बेलतेरे , अउरो बबुरतरे जी । अजी भइया , प्राण पेयारी मोर भउजिया , त केसिया4 भसमलोटे जी ॥ 4 ॥ जुगवा छोरलन राजा बेलतरे , अउरो बबुरतरे जी । कि अरे लाला , भाई चलले , गजओबर , कहू जी धनि कूसल हे ॥ 5 ॥ लाज सरम केरा बात , कहलो न जाय , सुनलो न जाय । कि अजी प्रभु , मरलों करमवा के पीरा5 त ओदर6 चिल्हकि मारे हे ॥ 6 ॥ कहितऽ त अजी धनियाँ , जिरवा7 के बोरसी भरइतों , लवँगिया के पासँघ8 जी । कहितऽ त अजी धनियाँ , अपन अम्माँ के बोलइतों , रतिया सोहानन जी ॥ 7 ॥ कहितऽ त अजी धनियाँ , सोए रहूँ , अउरो बइठि रहूँ । अजी धनि , मानिक दीप बरएबों त रतिया सोहावन जी ॥ 8 ॥ न कहुँ अजी प्रभुजी , सोए रहु , न कहुँ बइठि रहु । अजी प्रभु , बुति9 जइहें मानिक दीप , रतिया भेयावन जी ॥ 9 ॥ बुति जइहें जीरवा के बोरसी , लवंगिया के पासँघि जी । अजी प्रभु , सोए जइहें तोहर अम्माँ , त रतिया भेयावन जी ॥ 10 ॥ हम त जनति धनि , बिरही10 बोलित , अउरो बिरही बोलित जी । अजी धनि , लरिके मैं गवना करइती , विदेस चलि जइती , बिरही नहीं सुनती जी ॥ 11 ॥",magahi-mag "इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा । इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा । कुनफअकूनो1 अग्गे दीआँ लगिआँ , नेहु ना लगड़ा चोर दा , आप छिड़ जान्दा नाल मज्झी दे , सानूँ क्यों बेलिओं मोड़ीदा ? इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा । राँझे जेहा मैनूँ होर ना कोई , मिन्नताँ कर कर मोड़ीदा । इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा । मान वालिआँ दे नैण सलौने , सूहा दुपट्टा गोरी दा । इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा । अहिद2 अहिमद3 विच्च फरक ना बुल्लिआ , इक रत्ती भेत मरोड़ी दा । इक राँझा मैनूँ लोड़ीदा ।",panjabi-pan "राँझा जोगीड़ा बण आया ऐस जोगी दी की निशानी , कन्न विच्च मुन्दराँ गल विच्च गानी । सूरत इस दी यूसफ सानी , इस अलफों अहल1 बणाया । राँझा जोगीड़ा बण आया । रांझा जोगी ते में जोगिआणी , इस दी खातर भरसाँ पाणी । ऐवें पिछली उमर विहाणी , ऐस हुण मैनूँ भरमाया । राँझा जोगीड़ा बण आया । बुल्ला सहु दी एह गल बणाई , प्रीत पुराणी शोर मचाई । एह गल्ल कीकूँ छप छुपाई , नी तख्त हजारेओं धाया । राँझा जोगीड़ा बण आया । वाह सांगी सांग रचाया ।",panjabi-pan "242 नाथ वेख के बहत मलूक चंचल अहल तबा1 ते सोहना छैल मुंडा कोई हुसन दी कान उशनाक2 सुंदर अते लाडला मां ते बाप सदा किसे दुख ते रूस के उठ आया अते किसे दे नाल पै गया धंदा नाथ आखदा दस खां सच मैंथे तूं तां केहड़े दुख फकीर हुंदा",panjabi-pan "होली गीत टेक मचाई बृज में हरी होरी रचाई । चौक1 इत से हो आई सुगर राधिका उत से कृष्ण कन्हाई । हिलमिल फाग रचिो फागण को , तो सोभा बरणि न जाई , लालजी ने होरी मचाई , बृज में हरि होरि रचाई चौक2 राधा सेन दियो सखियन को , झुण्ड झुण्ड उठ आई । लपट झपट गले श्याम सुन्दर के , तो पर्वत पकड़ बनाई । लालजी ने होरी रचाई । बृज में हरि होरी रचाई । चौक3 छीन लीनी रे वाकि मोर मुरलिया , सिर चूनर ओढ़ाई । बिन्दी जो भाल नयन बिच कजरा । तो नथ बेसर पेराई कृष्णजी नार बणाई , बृज में हरि होरी रचाई । चौक4 करि गई तेरि मोर मुरलिया , कां रे गई चतुराई , कां रे गया तेरा नन्द बाबाजी , तो कांहां जसोदा माई लालजि ने लेवे छोड़ाई बृज में हरि होरी रचाई । छाप धन गोकल धनधन बृन्दावन धन हो जसोदा माई । धन मयती नर सहया न स्वामी , तो मांगू ते बेऊ कर जोड़ी सदा रंग रऊंगा तुमारी , बृज में हरि होरी रचाई । चौक5 तो घणा रे दिवस ना दही दुद खादा , तुम बिन चोर न कोई लेत कसर सब दिन की चुकाऊँ हे तुम बिन चोर न कोई ददी मेरो माखन खाई बृज में हरि होरी रचाई । छाप धन गोकल धनधन बिन्द्राबन , धन हो जसोदा माई , धन मयता नरसइया नू स्वामी चौक6 बाजत ताल मिरदंग झांजर डफ मर्जुग धुन न्यारी । चवां रे चवां चंदन आरो पिया , तो रंग का उड़त फवारा , मानो रे जैसे बादल छाई , बृज में हरि होरी रचाई । बृज में श्रीकृष्ण ने होली रचाई और धूम मचा दी । इधर से राधिका आई और उधर से कृष्ण आये । दोनों ने मिलकर होली का फाग रचा फाल्गुन मास का फाग रचा तो उस शोभा का वर्णन नहीं किया जा सकता । लालजी श्रीकृष्ण ने होली रचाई । राधा ने सखियों को आँखों से इशारा किया तो होली खेलने के लिए सखियाँ उठकर झुण्ड के झुण्ड में आ गईं । श्रीकृष्ण के गले लिपट गईं और पर्वत के समान कसकर मजबूती से पकड़ा । श्रीकृष्ण ने होली रचाई । राधिका और सखियों ने मुनकी , मुरली और सिर का मोर मुकुट छीन लिया और उनके सिर पर चूनरी ओढ़ा दी । ललाट पर बिन्दी और नयनों के बीच काजल लगाकर नाक में नथ पहना दी और श्रीकृष्ण को औरत बना दिया । फिर गोपियाँ कृष्ण से पूछती हैं कि कहाँ गया तुम्हारा मोर मुकुट और मुरली ? तेरे नंदबाबा और जसोदा माता कहाँ गये ? वे आकर आपको छुड़ा लें । गोकुल धन्य है । वृन्दावन धन्यधन्य है । यशोदा माता धन्य है । गोकुल और वृन्दावन धन्य हैं । यशोदा माता धन्य है । नरसिंह मेहता के स्वामी श्रीकृष्ण धन्य हैं । मैं दोनों हाथ जोड़कर वर माँगूँ कि आप सदैव साथ रहें । हरि ने ब्रज में होली रचाई । आपने बहुत दिनों तक दूधदही चुराकर खाया । आपके अलावा कोई दूसरा चोर नहीं है । आज सब दिन की कसर निकाल लेंगे । मेरा दही और माखन खूब खाया है । गोकुल , वृन्दावन , यशोदा माता और नरसिंह मेहता के स्वामी श्रीकृष्ण धन्य हों । मृदंग ताल , झाँझ , डफ बज रही है । मर्जुन की धुन का क्या कहना , उसकी धुन निराली ही है । प्रत्येक चौक में चंदन आरोपित किए हैं और फव्वारों से रंग की फुहारें उड़ रही हैं , मानो जैसे बादल छाये हुए हांे । ब्रज में हरि ने होली रचाई है ।",bhili-bhb "रसिया रस लूटो होली में रसिया रस लूटो होली में , राम रंग पिचुकारि , भरो सुरति की झोली में हरि गुन गाओ , ताल बजाओ , खेलो संग हमजोली में मन को रंग लो रंग रंगिले कोई चित चंचल चोली में होरी के ई धूमि मची है , सिहरो भक्तन की टोली में संकलनकर्ता : जगदेव सिंह भदौरिया",bhadrawahi-bhd "हथलेवो दादा को ए पोती कर हथलेवो कराइयो हथलेवो दादा को ए पोती कर हथलेवो कराइयो हथलेवो ताऊ की ए बेटी कर हथलेवो कराइयो हथलेवो बाबल की ए बेटी कर हथलेवो कराइयो हथलेवो भाई की ए भाण कर हथलेवो कराइयो हथलेवो मामा की ए भाणजी कर हथलेवो कराइयो",haryanvi-bgc "186 मुंडे मास चावल दाल दहीं धगड़ एह माहियां पालियां राहियां नूं सभा चूहड़े चपड़े रज रहे राखे जेहड़े सी सांभदे वाहियां नूं कासे चाक चोबर सीरी डंगरां नूं दहीं मुखपा जिउ दिसन बिलाइयां नूं दाल शोरबा रसा मठा मंडे डूमां ढोलियां कंजरां नाइयां नूं",panjabi-pan "दिल लोचे माही यार नूँ दिल लोचे माही यार नूँ । इक्क हस्स हस्स गल्लाँ करदिआँ , इक्क रोन्दिआँ धोन्दिआँ मरदिआँ , कहो फुल्ली बसंत बहार नूँ । दिल लोचे माही यार नूँ । मैं न्हाती धोती रह गई , इक्क गन्ढ माही दिल बह गई , भा1 लाईए हार शिंगार नूँ । दिल लोचे माही यार नूँ । मैं कमली कीती दूतिआँ2 , दुक्ख घेर चुफेरे लीतिआँ , घर आ माही दीदार नूँ । दिल लोचे माही यार नूँ । बुल्ला सहु मेरे घर आया , मैं घुट्ट राँझण गल लाया , दुक्ख गए समुन्दरों पार नूँ । दिल लोचे माही यार नूँ ।",panjabi-pan