Story_no
int32 0
7.77k
| Sentence
stringlengths 1
710
| Discourse Mode
class label 6
classes |
---|---|---|
0 | इन आँखों के ईलाज के लिए, मगर किसी डाक्टर से ठीक नहीं हुईं। | 2Dialogue
|
0 | किसी डाक्टर को मेरी बीमारी का पता नहीं चल सका। | 2Dialogue
|
0 | क्या होता है? | 2Dialogue
|
0 | बस आँसू बहते हैं। | 2Dialogue
|
0 | बस आँसू बहते हैं? | 2Dialogue
|
0 | और कोई तकलीफ़ नहीं होती। | 2Dialogue
|
0 | नहीं, और कोई तकलीफ़ नहीं होती! | 2Dialogue
|
0 | इस की आँखें रो रही थीं। आँसू गालों पर बह रहे थे। | 1Descriptive
|
0 | वो बार-बार रूमाल लगा कर अपनी आँखों को ख़ुशक करता। | 1Descriptive
|
0 | आँसू बह कर निकलते चले आ रहे थे। | 1Descriptive
|
0 | यकायक मुझे उस का भीगा, आंसूओं में तर चेहरा एक ऐसी लाश का चेहरा दिखाई दिया जो पानी में डूबी हो। | 4Narrative
|
0 | फिर दूर किसी गहरे कुवें से मुझे एक लड़की की चीख़ें सुनाई देने लगीं। | 4Narrative
|
0 | शायद ये आँखें एहतिजाज करती हैं। | 2Dialogue
|
0 | क्या? | 2Dialogue
|
0 | वो आँखें पोंछते पोंछते मेरी तरफ़ हैरत से देखने लगा। | 4Narrative
|
0 | क्या कह रहे हो तुम? मैं नहीं समझा। | 2Dialogue
|
0 | कुछ नहीं ये वो बीमारी है जिसे तुम नहीं समझ पाओगे। | 2Dialogue
|
0 | मैंने सर पर टोपी रख उसे सलाम किया और इसरानी और इस की बीवी को हैरान-ओ-शश्दर छोड़कर बाहर निकल आया। | 4Narrative
|
0 | क़हबाख़ाना की लड़की अब हंस रही थी। | 1Descriptive
|
1 | कराची में भी उसका यही धंदा था और बांद्रे आकर भी यही धंदा रहा। जहां तक उसकी ज़ात का ताल्लुक़ था, कोई तक़सीम नहीं हुई थी। | 1Descriptive
|
1 | वो कराची में भी सिद्धू हलवाई के घर की सीढ़ीयों के पीछे एक तंग-ओ-तारीक कोठरी में सोता था और बांद्रे में वही सीढ़ीयों के अक़ब में उसे जगह मिली थी। | 1Descriptive
|
1 | कराची में उसके पास एक मैला-कुचैला बिस्तर, ज़ंगआलूद पतरे का एक छोटा सा स्याह ट्रंक और एक पीतल का लोटा था। | 1Descriptive
|
1 | यहां पर भी वही सामान था। | 1Descriptive
|
1 | ज़हनी लगाव न उसे कराची से था न बंबई से। सच बात तो ये है कि उसे मालूम ही न था ज़हनी लगाव किसे कहते हैं, कल्चर किसे कहते हैं, हुब्बुलवतनी क्या होती है और किस भाव से बेची जाती है। | 1Descriptive
|
1 | वो इन सब नए धंदों से वाक़िफ़ न था। | 1Descriptive
|
1 | बस उसे इतना याद था कि जब उसने आँख खोली तो अपने को सिद्धू हलवाई के घर में बर्तन माँजते, झाड़ू देते, पानी ढोते, फ़र्श साफ़ करते और गालियां खाते पाया। | 1Descriptive
|
1 | उसे इन बातों का कभी मलाल न हुआ क्योंकि उसे मालूम था कि काम करने और गालियां खाने के बाद ही रोटी मिलती है और इस क़िस्म के लोगों को ऐसे ही मिलती है। | 1Descriptive
|
1 | इलावा अज़ीं सिद्धू हलवाई के घर में उसका जिस्म तेज़ी से बढ़ रहा था और उसे रोटी की शदीद ज़रूरत रहती थी और हर वक़्त महसूस होती रहती थी। | 1Descriptive
|
1 | इसलिए वो हलवाई के झूटे सालन के साथ साथ उसकी गाली को भी रोटी के टुकड़े में लपेट के निगल जाता था। | 1Descriptive
|
1 | उसके माँ बाप कौन थे, किसी को पता न था। | 1Descriptive
|
1 | ख़ुद चन्द्रु ने कभी इसकी ज़रूरत महसूस नहीं की थी। | 1Descriptive
|
1 | अलबत्ता सिद्धू हलवाई उसे गालियां देता हुआ अक्सर कहा करता था कि वो चन्द्रु को सड़क पर से उठा कर लाया है। | 4Narrative
|
1 | इस पर चन्द्रु ने कभी हैरत का इज़हार नहीं किया। | 4Narrative
|
1 | न सिद्धू के लिए शुक्रिये के नर्म जज़्बे का उसके दिल तक गुज़र हुआ। | 4Narrative
|
1 | क्योंकि चन्द्रु को कोई दूसरी ज़िंदगी याद नहीं थी। | 1Descriptive
|
1 | उसे बस इतना मालूम था कि ऐसे लोग होते हैं जिनके माँ बाप होते हैं। | 1Descriptive
|
1 | कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनके माँ-बाप नहीं होते। | 1Descriptive
|
1 | कुछ लोग घर वाले होते हैं, कुछ लोग सीढ़ीयों के पीछे सोने वाले होते हैं, कुछ लोग गालियां देते हैं, कुछ लोग गालियां सहते हैं। | 1Descriptive
|
1 | एक काम करता है दूसरा काम करने पर मजबूर करता है। | 1Descriptive
|
1 | बस ऐसी ही ये दुनिया और ऐसी ही रहेगी। | 1Descriptive
|
1 | वो ख़ानों में बटी हुई यानी एक वो जो ऊपर वाले हैं, दूसरे वो जो नीचे वाले हैं। | 1Descriptive
|
1 | ऐसा क्यों है और ऐसा क्यों नहीं है और जो है वो कब क्यों और कैसे बेहतर हो सकता है? | 1Descriptive
|
1 | वो ये सब कुछ नहीं जानता था और न इस क़िस्म की बातों से कोई दिलचस्पी रखता था। | 1Descriptive
|
1 | अलबत्ता जब कभी वो अपने ज़हन पर बहुत ज़ोर देकर सोचने की कोशिश करता था तो उसकी समझ में यही आता था कि जिस तरह वो सट्टे के नंबर का दाव लगाने के लिए कभी-कभी हवा में सिक्का उछाल कर टॉस कर लेता है। | 1Descriptive
|
1 | उसी तरह उसके पैदा करने वाले ने उसके लिए टॉस कर लिया होगा और उसे इस ख़ाने में डाल दिया होगा जो उसकी क़िस्मत थी। | 1Descriptive
|
1 | ये कहना भी ग़लत होगा कि चन्द्रु को अपनी क़िस्मत से कोई शिकायत थी हरगिज़ नहीं! वो एक ख़ुश-बाश, मेहनत करने वाला, भाग भाग कर जी लगा कर ख़ुशमिज़ाजी से काम करने वाला लड़का था। | 1Descriptive
|
1 | वो रात-दिन अपने काम में इस क़दर मशग़ूल रहता था कि उसे बीमार पड़ने की भी कभी फ़ुर्सत नहीं मिली। | 1Descriptive
|
1 | कराची में तो वो एक छोटा सा लड़का था। | 1Descriptive
|
1 | मगर बंबई आकर तो उसके हाथ-पांव और खुले और बढ़े, सीना फैला, गंदुमी रंग साफ़ होने लगा, बालों में लच्छे से पड़ने लगे, आँखें ज़्यादा रोशन और बड़ी मालूम होने लगीं। | 1Descriptive
|
1 | उसकी आँखें और होंट देखकर मालूम होता था कि उसकी माँ ज़रूर किसी बड़े घर की रही होगी। | 1Descriptive
|
1 | चन्द्रु की दुनिया में आवाज़ का इस हद तक गुज़र था कि वो सुन सकता था। | 1Descriptive
|
1 | बोल नहीं सकता था। | 1Descriptive
|
1 | आम तौर पर गूँगे बहरे भी होते हैं। | 1Descriptive
|
1 | मगर वो सिर्फ़ गूँगा था बहरा न था। | 1Descriptive
|
1 | इसलिए हलवाई एक दफ़ा उसे बचपन में एक डाक्टर के पास ले गया था। | 1Descriptive
|
1 | डाक्टर ने चन्द्रु का मुआइना करने के बाद हलवाई से कहा कि चन्द्रु के हलक़ में कोई पैदाइशी नुक़्स है। | 1Descriptive
|
1 | मगर ऑप्रेशन करने से ये नुक़्स दूर हो सकता है और चन्द्रु को बोलने के क़ाबिल बनाया जा सकता है | 1Descriptive
|
1 | मगर हलवाई ने कभी इस नुक़्स को ऑप्रेशन के ज़रीये दूर करने की कोशिश नहीं की। | 1Descriptive
|
1 | सिद्धू ने सोचा ये तो बहुत अच्छा है कि नौकर गाली सुन सके मगर उसका जवाब न दे सके। | 1Descriptive
|
1 | चन्द्रु का ये नुक़्स सिद्धू की निगाह में उसकी सबसे बड़ी ख़ूबी बन गया। | 1Descriptive
|
1 | इस दुनिया में मालिकों की आधी ज़िंदगी इसी फ़िक्र में गुज़र जाती है कि किसी तरह वो अपने नौकरों को गूँगा कर दें। | 1Descriptive
|
1 | उस के लिए क़ानून पास किए जाते जाती हैं, अख़बार निकाले जाते हैं, पुलिस और फ़ौज के पहरे बिठाए जाते हैं। | 1Descriptive
|
1 | सुन लो मगर जवाब न दो। और चन्द्रु तो पैदाइशी गूँगा था। | 1Descriptive
|
1 | यक़ीनन सिद्धू ऐसा अहमक़ नहीं है कि उसका ऑप्रेशन करवाए। | 1Descriptive
|
1 | सिद्धू भी दिल का बुरा नहीं था। | 1Descriptive
|
1 | अपने मख़सूस हालात में, मख़सूस हदूद के अंदर रह कर अपना मख़सूस ज़ाविया निगाह रखते हुए वो चन्द्रु को अपने तरीक़े से चाहता भी था। | 1Descriptive
|
1 | वो समझता था और इस बात पर ख़ुश था, और अक्सर उसका फ़ख़्रिया इज़हार भी किया करता था कि उसने चन्द्रु की परवरिश एक बेटे की तरह की है। | 1Descriptive
|
1 | कौन किसी यतीम बच्चे की इस तरह परवरिश करता है। | 1Descriptive
|
1 | इस तरह पालता-पोस्ता बड़ा करता है। | 1Descriptive
|
1 | कौन इस तरह उसे काम पर लगाता है। | 1Descriptive
|
1 | जब तक चन्द्रु का लड़कपन था, सिद्धू उस से घर का काम लेता रहा। | 1Descriptive
|
1 | जब चन्द्रु लड़कपन की हदूद फलांगने लगा, सिद्धू ने उसकी ख़ातिर एक नया धंदा शुरू किया। | 1Descriptive
|
1 | हलवाई की दुकान पर उसके अपने बेटे बैठते थे। | 1Descriptive
|
1 | उसने चन्द्रु के लिए चाट बेचने का धंदा तय किया। | 1Descriptive
|
1 | हौले-हौले उसने चन्द्रु को चाट बनाने का फ़न सिखा दिया। | 1Descriptive
|
1 | जल जीरा और कांजी बनाने का फ़न, गोलगप्पे और दही बड़े बनाने के तरीक़े, चटख़ारा पैदा करने वाले तीखे मसालहे, कुरकुरी पापड़ीयां और चने का लज़ीज़ मिरचिला सालन, ,भटूरे बनाने और तलने के अंदाज़, फिर समोसे और आलू की टिकियां भरने का काम, फिर चटनीयां, लहसुन की चटनी, लाल मिर्च की चटनी, हरे पोदीने की चटनी, खट्टी चटनी, मीठी चटनी, अद्रक की चटनी और प्याज़ और अनार दाने की चटनी। | 1Descriptive
|
1 | फिर अन्वा-ओ-इक़साम की चाटें परोसने का अंदाज़। | 1Descriptive
|
1 | दही बड़े की चाट, कांजी के बड़े की चाट, मीठी चटनी के पकौड़ों की चाट, आलू की चाट, आलू और आलू पापडी की चाट, हरी मूंग के गोलगप्पे, आलू के गोलगप्पे, कांजी के गोलगप्पे, हरे मसालहे के गोलगप्पे। | 1Descriptive
|
1 | जितने बरसों में चन्द्रु ने ये काम सीखा उतने बरसों में एक लड़का एम.ए. पास कर लेता है। | 3Informative
|
1 | फिर भी बेकार रहता है। | 1Descriptive
|
1 | मगर सिद्धू का घर बेकार ग्रेजूएटों को उगलने की यूनीवर्सिटी नहीं था। | 1Descriptive
|
1 | उसने जब देखा कि चन्द्रु अपने काम में मश्शाक़ हो गया है और जवान हो गया है तो उसने चार पहीयों वाली एक हाथ गाड़ी ख़रीदी। | 1Descriptive
|
1 | चाट के थाल सजाये और चन्द्रु को चाट बेचने पर लगा दिया, डेढ़ रुपया रोज़ पर। जहां चन्द्रु चाट बेचने लगा वहां उसका कोई मद्द-ए-मुक़ाबिल न था। | 1Descriptive
|
1 | सिद्धू ने बहुत सोच समझ के ये जगह इंतिख़ाब की थी। | 1Descriptive
|
1 | ख़ार लिंकिंग रोड पर और पाली हल के चौराहे के क़रीब टेलीफ़ोन ऐक्सचेंज के सामने उसने चाट की पहीयों वाली साईकल गाड़ी को खड़ा किया। | 1Descriptive
|
1 | ये जगह बहुत बा रौनक थी। | 1Descriptive
|
1 | एक तरफ़ यूनीयन बैंक था, दूसरी तरफ़ टेलीफ़ोन ऐक्सचेंज। | 1Descriptive
|
1 | तीसरी तरफ़ ईरानी की दुकान, चौथी तरफ़ घोड़ बंदर रोड का नाका। | 1Descriptive
|
1 | बीच में शाम के वक़्त खाते पीते ख़ुश-बाश, ख़ुश-लिबास नौजवान लड़के लड़कियों का हुजूम बहता था। | 1Descriptive
|
1 | चन्द्रु की चाट हमेशा ताज़ा, उम्दा और कर्रारी होती थी। | 1Descriptive
|
1 | वो बोल नहीं सकता था मगर उसकी मुस्कुराहट बड़ी दिलकश होती थी। | 1Descriptive
|
1 | उसका सौदा हमेशा खरा होता था। | 1Descriptive
|
1 | हाथ साफ़ और तौल पूरा। गाहक को और क्या चाहिए? | 0Argumentative
|
1 | चंचन्द्रु की चाट इस नौआबादी में चारों तरफ़ मक़बूल होती गई और शाम के वक़्त उसके ठेले के चारों तरफ़ नौजवान लड़के लड़कियों का हुजूम रहने लगा। | 1Descriptive
|
1 | चन्द्रु को सिद्धू ने डेढ़ रुपया रोज़ पर लगाया था। | 1Descriptive
|
1 | अब उसे तीन रुपये रोज़ देता था और चन्द्रु जो डेढ़ रुपये रोज़ में ख़ुश था, अब तीन रुपया पाकर भी ख़ुश था क्योंकि ख़ुश रहना उसकी आदत थी। | 1Descriptive
|
1 | उसे काम करना पसंद था और वो अपना काम जानता था और अपने काम से उसे लगन थी। | 1Descriptive
|
1 | वो अपने ग्राहकों को ख़ुश करना जानता था और उन्हें ख़ुश करने में अपनी ख़ुशी महसूस करता था। | 1Descriptive
|
1 | दिन-भर वो चाट तैयार करने में मसरूफ़ रहता। | 1Descriptive
|
1 | शाम के चार बजे वो चाट गाड़ी लेकर नाके पर जाता। | 1Descriptive
|