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फैशन की मार गीत बन रहा है दर्शकों की पसंद,गीत,संगीत की हो रही तारीफ।
डीजे कु घमघ्याट गीत को लाखों दर्शकों ने किया पसंद,गीत,संगीत की हो रही सराहना।
तकनोरिया सुनीता 2 ने जीता लिया है लाखों दर्शकों का दिल, देखें वीडियो।
छुमा हे बना लाखों श्रोताओं की पसंद,गायिकी की जमकर तारीफ की।
धनराज के सुपरहिट गीतों की लम्बी लिस्ट,गौरा देई ने भी बटोरे लाखों व्यूज।
नवीन सेमवाल की दोनों पत्नियों ने नाक में किया दम, जानिए क्या रही वजह।
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दुनिया पर स्वनामधन्य 'अमरीकी संस्कृति' और 'अमरीकन तजें जिन्दगी' का सिक्का बिठालने की एक नापाक योजना है। मित्रो, आप जानते ही हैं कि अमरीका सारी दुनिया पर अपना एक- छत्र, चक्रवर्ती साम्राज्य फैलाना चाहता है, इसीलिए वह यह नारा बुलन्द करता है. कि छोटे-छोटे राष्ट्रीय राज्यों का जमाना चला गया, अब सारी दुनिया का एक राज्य होना पड़ेगा । प्रगतिशील मानवता जानती है कि एक 2. जमाना ऐसा जरूर आवेगा जब सारी दुनिया के देश एक ही अखिल विश्व प्रजातान्त्रिक राज्य के हिस्से होंगे, लेकिन वह चीज़ तब होगी जब दुनिया से बर्बर पूँजीवाद का नामोनिशान मिट गया रहेगा, जब स दुनिया में साम्यवाद की विजय हो चुकी होगी, जब दुनिया के सभी देशों में मजदूर किसान और जनता का राज होगा । वह समय आ जाने पर संसार के सभी देशों की जनता अपनी इच्छा से एक स्नेह-सूत्र में बँधेगी और सारी दुनिया का एक जनतन्त्र होगा। उस दिन हमारे ऋषियों का सपना सच होगा और सारी वसुधा एक कुटुम्ब के समान हो जायगी वह संसार की सारी प्रगतिशील मानवता का सपना है जिसे सच करने ही के लिए वह इतने अर्से से खून बहाती आयी है और आज भी बहा रही है, कंसेन्ट्रेशन कैम्पों में शहादत का जाम पी रही है, लड़ाई के मैदानों में बिला दरेग अपने खून की नदियाँ बहा रही है। पर मित्रो, उस चीज़ में और साम्राज्यवादी अमरीका के सांस्कृतिक कारखाने से निकले हुए कास्मोपालिटनिज्म में कोई भी साम्य नहीं है, उनमें वहीं अन्तर है जो दिन में और रात में, सफेद में और काले में, रोशनी में में और अँधेरे में । कास्मोपालिटनिज्म अमरीकी गुलामी का पट्टा है जो वह सारी दुनिया से लिखवाना चाहते हैं । कास्मोपालिटनिज्म वह कंट्रैक्ट है जिसके जरिये वालस्ट्रीट सारी दुनिया की आजादी को खरीद लेना चाहती है, वह साम्राजी गर्दी- गुबार का एक अन्धड़ है जिसकी |
राजस्थान रॉयल्स के ऑलराउंडर रियान पराग ने रणजी ट्रॉफी में एक तूफानी पारी खेली है। उन्होंने उस पारी में 78 रन बनाए और ये सब रन चौके और छक्के लगाकर बनाए। उनकी यह पारी आने वाले आइपीएल सीजन के लिहाज से राजस्थान के लिए अच्छी है।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। राजस्थान रॉयल्स के ऑलराउंडर रियान पराग ने रणजी ट्रॉफी मैच में हैदराबाद के गेंदबाजों की ऐसी खबर ली जिसे वह आसानी ने भूल नहीं पाएंगे। पराग ने असम की दूसरी पारी के दौरान 28 गेंद पर 78 रन की तूफानी पारी खेली। उन्होंने अपनी इस पारी में 8 चौके और 6 छक्के लगाए। उनकी इस पारी की सबसे खास बात यह रही है कि उन्होंने सारे रन केवल बाउंड्री से ही लगाए।
पराग की इस बल्लेबाजी का फायदा असम की टीम को तो होगा ही लेकिन उनकी इस पारी से राजस्थान की टीम भी काफी खुश होगी क्योंकि आइपीएल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और पराग जबरदस्त रंग में नजर आ रहे हैं। मैच की बात करें तो उनकी पारी के बावजूद भी असम की टीम केवल 252 रन ही बना पाई।
असम ने पहली पारी में 205 रन ही बनाए थे। हालांकि, पहली पारी में पराग का बल्ला खामोश था और उन्होंने 19 गेंद पर केवल 10 रन बनाए। हैदराबाद की टीम भी पहली पारी में 208 रन ही बना सकी और केवल 3 रन की बढ़त हासिल कर पाई। लेकिन असम की टीम फायदा नहीं उठा पाई और दूसरी पारी में भी बड़ा स्कोर करने में नाकामयाब रही।
रियान पराग की विस्फोटक पारी असम के किसी काम नहीं आई क्योंकि इस मैच में हैदराबाद टीम मजबूत स्थिति में है। 250 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए हैदराबाद ने टी ब्रेक तक 2 विकेट के नुकसान पर 100 रन बना लिए हैं और जीत की तरफ तेजी से बढ़ रही है। तन्मय अग्रवाल 50 और भावेश सेठ 30 रन बनाकर नाबाद हैं।
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पटना, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनी भोजपुरी फिल्म 'भईल तोहरा से प्यार आई लव यू' 29 दिसंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म में भोजपुरिया संस्कार और समाज का बेजोड़ संयोजन देखने को मिलेगा।
'भईल तोहरा से प्यार आई लव यू' के निर्माता धर्मेंद्र मौर्या ने कहा कि वास्तव में इस फिल्म का निर्माण हर वर्ग को ध्यान में रखकर किया गया है। उन्होंने दावा किया कि फिल्म लोगों को खूब पसंद आएगी।
उन्होंने बताया, इस फिल्म का निर्देशक शाद ने किया, जो दुर्भाग्य से इस दुनिया में अब नहीं हैं। शाद ने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की। यह फिल्म उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी, इसलिए दर्शक एक बार इसे पूरे परिवार के साथ जरूर देखें।
फिल्म के अभिनेता विनय आनंद ने कहा कि फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसे प्रेम करने की सजा समाज से बहिष्कृत होकर चुकानी पड़ती है। उसके बाद लड़की के साथ जो होता है, वह काफी दिलचस्प है।
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कर्नाटक के पी यू कॉलेज में बुर्का पहनकर एंट्री न मिलने पर कर्नाटक हाईकोर्ट पहुँची रेशम फारूक की याचिका पर आज (फरवरी 8, 2022) अदालत में चली सुनवाई में लड़कियों के बुर्का को सही ठहराने के लिए दलीलें हदीस से लेकर माहवारी तक पहुँच गईं। अदालत में दलील देते हुए 'सेकुलर सोच' तक को मजहबी प्रथाओं से अलग रखने को कहा गया।
It is not correct for a woman after she starts menstruating, to show any part of her body except hands and face to strangers: Kamat referring to hadith mentioned in the Kerala HC judgment.
The error in earlier tweet is regretted.
मुस्लिम लड़कियों की माँग को जायज बताने के लिए उनकी ओर से पेश वकील देवदत्त कमात ने केरल हाईकोर्ट के फैसले में दिए गए हदीस के हवाले का उल्लेख करते हुए कहा कि लड़कियों की माहवारी शुरू होने के बाद उनके लिए ये ठीक नहीं है कि वो अपने हाथ को छोड़कर शरीर का कोई भी अंग किसी को दिखाएँ। वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सेकुलर सोच ये तय नहीं करती कि मजहब के लिए क्या सही है और क्या नहीं। उन्होंने कहा कि मजहबी अभ्यासों को सेकुलर विचारों के आधार पर नहीं आँका जाना चाहिए।
Religious practice cannot be tested on secular thoughts outside of religious authority: Kamat from judgment.
वहीं राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल ने छात्रों द्वारा हाईकोर्ट में की गई माँग को लेकर कहा कि अगर छात्रों को किसी तरह की छूट चाहिए तो भी उन्हें कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के पास जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि ये अधिकार उनकी ओर से कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी को दिए गए हैं कि वो निर्णय लें कि बच्चों की यूनिफॉर्म क्या होगी। जबकि, राज्य द्वारा याचिका का विरोध किए जाने पर वकील देवदत्त कमात ने कहा कि राज्य इस मामले में सहज नहीं है इसलिए वे इस याचिका का विरोध कर रहे हैं।
लड़कियों को कॉलेज बुर्का पहनने की परमिशन दिलवाने के लिए उनके वकील ने संविधान के कुछ अनुच्छेदों का हवाला दिया। कमात ने दलील दी कि बुर्का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 (1) के तहत संरक्षित है। इसे केवल अनुच्छेद 19 (6 ) के आधार पर ही प्रतिबंधित किया जा सकता है।
कमात ने बुर्का को जायज ठहराने के लिए मद्रास, बॉम्बे और केरल हाईकोर्ट के फैसलों का उदाहरण देकर साबित करने का प्रयास किया कि ये कुरान द्वारा निर्देशित जरूरी मजहबी क्रिया है। कमात की ओर से बुर्का को सही ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी फैसले का हवाला दिया गया। वकील ने अपने तर्क देते हुए कहा बुर्का पहनना निजता के अधिकार का एक पहलू है जिसे सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी फैसले द्वारा अनुच्छेद 21 के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई।
बता दें कि अदालत ने आज इस मामले की सुनवाई में करते हुए टिप्पणी की थी कि वो हर भावना को किनारे रखकर संविधान के अनुरूप फैसला लेंगे। जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा था कि संविधान भगवद गीता से ऊपर है और वह उस शपथ के साथ जाएँगे जो संविधान के मद्देनजर उन्होंने ली। इस सुनवाई के दौरान मामले को समझने के लिए कोर्ट ने बकायदा कुरान की एक कॉपी मँगवाई।
इसके बाद उसके आधार पर आगे की सुनवाई को शुरू किया गया। इस सवाल पर कि क्या बुर्का जरूरी है? कुरान की आयतों के माध्यम से बताया गया कि कुरान की आयत 24. 31 और 24. 33 'हेड स्कॉफ' की बात करता है। इनमें बताया गया है कि कैसे गले के नीचे का हिस्सा अपने शौहर के अलावा पराए मर्द को नहीं दिखना चाहिए। अब जानकारी के मुताबिक कोर्ट इस मामले में न्यायधीश को दी गई कुरान की प्रति की पुष्टि करेंगे कि वो प्रमाणिक संस्करण है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें जनता की बुद्धिमता और सद्गुण पर पूरा भरोसा है। उन्हें उम्मीद है उनकी बात को अमन में लिया जाएगा।
भले ही इस विरोध प्रदर्शन को 'बुर्का' के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले बुर्का नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। बुर्का सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे बुर्का से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।
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गाजीपुर जिला चिकित्सालय में अन्तर्राष्ट्रीय रक्तदान दिवस पर शिविर का आयोजन किया गया। रक्तदान दिवस के मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीप्रकाश गुप्ता ने भी रक्तदान करते हुए लोगों को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया। जिलाधिकारी ने कहा कि रक्त दान महादान है, यह कह सकते है कि यह एक जीवनदान ही है। दुनिया में इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। क्योंकि रक्त दान करके ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति का जीवन को बचाया जा सकता है।
विश्व रक्तदाता दिवस के दिन जिले के विभिन्न संगठनों ने जिला अस्पताल गाजीपुर के ब्लड बैंक में रक्तदान किया। जिसमें स्वाभिमान संगठन के डेढ़ दर्जन समाजसेवियों ने पूरे उत्साह के साथ रक्तदान में भाग लिया। स्वाभिमान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमितेश मिश्र ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे द्वारा दिया गया खून किसी के काम आएगा। जरूरतमंद और लाचार लोगों को जब-जब जरूरत होगी तो संगठन के लोग हमेशा तैयार रहेंगे।
समाज की सेवा करना ही संगठन का उद्देश्य है। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवेश सिंह ने बताया कि दुर्घटना ग्रस्त, लाचार एनीमिया आदि से पीड़ित लोग रक्त की कमी से अक्सर दम तोड़ देते हैं। ऐसे लोगों को जब-जब रक्त की आवश्यकता पड़ी है। हमारा संगठन हमेशा तैयार रहा है। वैसे भी वर्ष में कुल मिलाकर लगभग 100 यूनिट रक्त संगठन के द्वारा दान किया जाता है।
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स्वतंत्रता से पूर्व प्रस्तुत की गई हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राज्यप्रणाली में खो गई । क्योंकि कांग्रेस ने एकत्रित मतों की राजनीति के लिए अल्पसंख्यकों की चापलूसी करने के साथ ही हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति को भारत से मूलतः हटाने का एक सूत्री कार्यक्रम हाथ में लिया । उस माध्यम से हिन्दू राष्ट्र शब्द का उच्चारण अर्थात राष्ट्रदोह, ऐसी हिन्दूद्वेषी परिस्थिति राजकीय एवं सामाजिक स्तर पर निर्मित की गई । ऐसा होते हुए भी सनातन संस्था ने दो-ढाई दशक पूर्व हिन्दू राष्ट्र स्थापना की घोषणा की । केवल घोषणा कर सनातन नहीं रुका अपितु देश के हिन्दुआें में धर्म और राष्ट्रप्रेम निर्माण करने के लिए उमंग के साथ कार्य प्रारंभ किया । १९ जून से २५ जून २०१६ के मध्य रामनाथी, गोवा में होनेवाला पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन उसका ही परिणाम है । देशभर के छोटे-बडे हिन्दू संगठनों और हिन्दू धर्म के संप्रदायों के प्रतिनिधि बडी संख्या में इसमें सम्मिलित होनेवाले हैं । हिन्दू राष्ट्र राजनीति नहीं; अपितु यह एक जीवनशैली है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना से ही मानव का कल्याण साध्य होनेवाला है । इस लेख के माध्यम से भारत में हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने की अर्निवायता स्पष्ट की गयी है ।
असुरक्षित हिन्दू !
कल तक नेपाल संसार के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र के रूप में जाना जाता था; परंतु दुर्भाग्यवश साम्यवादियों ने इस हिन्दू राष्ट्र को निगल लिया । इसलिए हिन्दुआें का स्वयं का एक भी राष्ट्र पृथ्वी पर नहीं है । भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होते हुए भी स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हिन्दुआें को जानबूझ कर हिन्दू राष्ट्र से वंचित रखा गया । इसके विपरीत संसार में ईसाइयों के १५७, मुसलमानों के ५२, बौद्धों के १२ तथा ज्यू पंथियों का १ राष्ट्र है; परंतु हिन्दुआें का एक भी राष्ट्र नहीं है । एक प्रकार से आज संसार में हिन्दू अनाथ हो गए हैं । भारत की राज्यव्यवस्था और समाजव्यवस्था में हिन्दू हित को प्राथमिकता नहीं है । इसलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दू एक प्रकार से भारत में आश्रित जीवन का अनुभव कर रहे हैं । परिणामस्वरूप आज हिन्दुआें की अवस्था दयनीय हो गई है । हिन्दुआें की इस दुरावस्था को भारत की धर्मनिरपेक्ष शासनव्यवस्था के माध्यम से परिवर्तित नहीं किया जा सकता, यह ध्यान में रखना चाहिए । हिन्दुआें की स्थिति सुधारने तथा भारत की अंतर्बाह्य समस्याएं सुलझाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता क्यों है, यह देखते हैं ।
१ अ. धर्मनिरपेक्ष शासनप्रणाली में हिन्दुआें की दुरावस्था : वर्तमान में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रशंसा हो रही है । भारत में गत ६८ वर्षों के लोकतंत्र में किसी भी पक्ष ने हिन्दुआें के प्रश्नों को सुलझाना तो दूर; अपितु उन्हे सुलझाने के लिए प्रामाणिक प्रयास भी नहीं किए । हिन्दुआें पर निरंतर धर्मांधों के आक्रमण हो रहे हैं । लव जिहाद के कारण हिन्दू युवतियों का जीवन नष्ट हो रहा है । हिन्दुआें की सुरक्षा का विचार करें तो सामान्य हिन्दुआें का कोई रक्षक नहीं है । गोमाता की उजागर रूप से हत्या हो रही है । हिन्दुआें के मंदिर शासन के नियंत्रण में हैं तथा उनका धन अल्पसंख्यकों के लिए व्यय किया जा रहा है । महंगाई तथा अकाल के कारण जनता झुलस रही है तथा किसान आत्महत्या कर रहे हैं । वर्तमान कानून, नीतियां तथा राज्यकर्ताआें में इच्छाशक्ति के अभाव के कारण धर्मनिरपेक्ष शासन में जहां जिहादी, भ्रष्टाचारी, बलात्कारी सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हों, तो ऐसा राज्य क्या कभी हिन्दूहित साध्य कर सकेगा ? अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान, परधर्मियों के हाथ की कठपुतली बने दूरचित्र प्रणाल, कॉन्वेंट विद्यालय, धर्मनिरपेक्ष शिक्षाप्रणाली आदि के कारण हिन्दू धर्म में जन्मा हिन्दू मन तथा आचरण से परधर्मीय अथवा अधर्मी बन गया है ।
१ अ १. कश्मीरियों के पुनर्वसन का प्रश्न विकट : कश्मीर से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितो को पुनर्वसन हेतु दी गई बस्तियों में मुसलमानों को भी स्थान दिया जानेवाला है । कश्मीर के अधिकतर स्थानीय मुसलमान पाक के समर्थक हैं तथा आतंकवादियों ने उन्हीं की सहायता से हिन्दुआें को कश्मीर से विस्थापित किया था । तब भी कश्मीरी पंडितों के पुनर्वसन की बस्तियों में मुसलमानों को स्थान देना आतंकवादियों का अत्याचार सहन किए हुए कश्मीरी पंडितों के लिए अत्यंत क्लेशदायक तथा असुरक्षित है । ऐसे कश्मीर के अलगाववादियों का समर्थन करनेवाले पीडीपी पक्ष को समर्थन देकर भाजपा ने इस पक्ष को कश्मीर राज्य की सत्ता सौंपी है । इसलिए कश्मीरी पंडितों की घरवापसी की आशा और धूमिल हो गई है; इसलिए कश्मीरी हिन्दू पंडितों के कश्मीर में पुनर्वसन के लिए अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की आवश्यकता है ।
१ अ २. हिन्दुआें के नेता असुरक्षित : हिन्दूबहुल भारत में अभी तक धर्मांधों ने १२७ हिन्दू नेताआें की हत्या की है तथा अनेकों पर प्राणघातक आक्रमण कर उन्हें घायल किया है । हिन्दुआें के नेता ही जहां मारे जा रहे हों, वहां सामान्य हिन्दुआें की क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना कर सकते हैं । हत्याआें का यह सत्र आज भी चल रहा है । पूर्वांचल, दक्षिण भारत में हिन्दू नेता वहां के स्थानीय शासन के विरोध में जाकर हिन्दुआें की रक्षा का कार्य कर रहे हैं । यह स्थिति परिवर्तित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही आवश्यक है ।
२. इसिस के आक्रमणों से हिन्दुआें की रक्षा करने के लिए हिन्दू राष्ट्र : वर्तमान में सीरिया के इसिस नामक अत्यंत क्रूर इस्लामी आतंकवादी संगठन ने विश्व स्तर पर आतंक का वातावरण निर्मित किया है । एक-एक राष्ट्र करते हुए संपूर्ण संसार में इस्लामी शासन स्थापित करने का इस संगठन का उद्देश्य है । इसलिए इस संगठन ने एक एक राष्ट्र पर आक्रमण कर उस पर विजय प्राप्त करने का सत्र प्रारंभ किया है । अब इस संगठन ने पाक और बांग्लादेश में अपने पैर जमा लिए हैं । कुछ समय पूर्व ही इस संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत में पहले हिन्दुआें पर आक्रमण किया जाएगा । निष्पाप लोगों के गले काटनेवाले और महिलाआें पर सामूहिक बलात्कार करनेवाले आतंकवादी संगठन इसिस से हिन्दुआें की रक्षा करने के लिए तथा हिन्दुआें को इस आतंकवादी संगठन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए उनका मानसिक और शारीरिक बल बढाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है । वर्तमान में सत्ता पर बैठे हुए नेताआें से हिन्दुआें को अपेक्षाएं हैं; परंतु प्रत्यक्ष में हिन्दुआें को निराशा ही मिल रही है । क्योंकि इस शासन को धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थावाला भारतीय राज्य ही चाहिए । हिन्दू राष्ट्र का विषय उनके मन में भी नहीं है ।
३. हिन्दू राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष नहीं अपितु धर्माधारित होगा ! : भारत की राज्यप्रणाली और कानूनप्रणाली अल्पसंख्यकों के लिए विशेषतः मुसलमान और ईसाइयों को छूट देनेवाली तथा हिन्दुआें के साथ सौतेला व्यवहार करनेवाली है । इसलिए हिन्दुआें को सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक आदि सभी क्षेत्रों में सदैव असुरक्षा का अनुभव होता है । स्वतंत्रता से ७ दशकों तक हिन्दुआें के साथ निरंतर किए जानेवाले अपमानास्पद व्यवहार के कारण इस देश में हिन्दू मानसिक रूप से दुर्बल हो गए हैं । उनके आस्थास्थानों पर निरंतर आघात कर उनकी धार्मिकता की एक प्रकार से हत्या की गई है तथा उसी समय अन्य धर्मियों के आस्थास्थानों का अत्यधिक आदर किया जा रहा है । इसलिए स्वाभाविक ही हिन्दुआें को छोडकर अन्य धर्मीय और पंथीय संगठित हैं; परंतु हिन्दू बिखरे हुए हैं । कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राज्यप्रणाली के षड्यंत्र की हिन्दू बलि चढ गए हैं । इसलिए हमारे देश में हिन्दुआें के मन में पराएपन की भावना बढ रही है । अखिल मानवजाति का कल्याण करने की क्षमता रखनेवाले हिन्दू धर्मग्रंथ, वेद, उपनिषदों की विरासत प्राप्त यह देश धर्मनिरपेक्ष राज्यप्रणाली के कारण अधोगति की ओर जा रहा है । इसलिए देश के तथा हिन्दुआें के उत्कर्ष के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना आवश्यक हो गई है । हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा राजनीति नहीं अपितु धर्माधारित और राष्ट्रनिष्ठ जीवन यापन की एक प्रगल्भ संस्कृति और व्यवस्था होगी । मानव, पशु, पक्षी, कीडा, चींटी, वृक्ष और बेलों से लेकर सूक्ष्मातिसूक्ष्म जीवों के उद्धार का विचार करनेवाली यह एक ईश्वरसंकल्पित सामाजिक व्यवस्था होगी; इसके अतिरिक्त जनता सुखी होने तथा समृद्ध राष्ट्र के लिए केवल आर्थिक विकास पर्याप्त नहीं है । अपितु जीवन के सभी अंग विकसित होना आवश्यक होता है । धर्म जीवन के सभी अंगों को व्याप्त करता है इसलिए राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष नहीं अपितु धर्माधारित होना आवश्यक होता है । इसलिए हिन्दू राष्ट्र धर्माधारित ही होगा !
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विधानसभा चुनाव में बसपा के 89 मुस्लिम प्रत्याशियों के मैदान में उतरने और मुस्लिम मतों का बंटवारा होने से समाजवादी पार्टी को नौ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। ये सभी भाजपा ने जीती हैं।
बसपा के मुस्लिम प्रत्याशियों को मिले वोट अगर सपा को मिलते तो सपा इन सीटों को जीत जाती। अलीगढ़, बहराइच, बिसवां, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, कानपुर कैंट, कोल, मेरठ दक्षिण, मोहम्मदी और मुरादाबाद नगर की सीटें हैं, जहां सपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के सामने बसपा ने भी इस वर्ग के उम्मीदवारों को उतारा।
सपा ने विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण के आधार पर उम्मीदवार उतारे। शुरुआती दौर से यह मानकर चला जा रहा था कि यादव और मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं होगा। इस दोनों जाति का वोट इकतरफा सपा को मिलेगा। सपा के साथ ही बसपा ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया।
प्रदेश की नौ ऐसी सीटें रहीं जहां पर सपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के सामने बसपा ने भी इसी बिरादरी के उम्मीदवार मैदान में उतार दिए। बसपा के उम्मीदवार भले ही नहीं जीत पाए पर वोटों का बंटवारा होने से सपा उम्मीदवारों का जरूर नुकसान हुआ। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो बहराइच सीट पर सपा के याशर शाह के सामने बसपा ने नईम को उतार दिया। सपा प्रत्याशी भाजपा उम्मीदवार अनुपमा जायसवाल से 4078 वोट से हार गए।
भाजपा सरकार में मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी सपा में आए और अपनी परंपरागत सीट नकुड़ से चुनाव लड़े। बसपा ने इनके खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार उतारा। इसके चलते धर्म सिंह सैनी 315 वोटों से हारे। सीतापुर की महमूदाबाद विधानसभा सीट से दो बार के विधायक रहे नरेंद्र वर्मा भी मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने से हार गए। वर्ष 2012 के चुनाव में कांग्रेस से जीतकर विधायक बनी माधुरी वर्मा वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर जीती थीं। इस बार वह सपा के टिकट पर लड़ी और मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने से हार गईं।
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नई दिल्लीः दिल्ली मेट्रो में सफर करनेवाले स्मार्टकार्ड धारक यात्रियों को अब स्मार्ट कार्ड में रिचार्ज कराई गई धनराशि रिफंड नहीं होगी। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने बयान जारी कर कहा कि ऐसा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया है।
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बयान के मुताबिक, एक अप्रैल के बाद बेचे गए स्मार्ट कार्ड और पहले से प्रचलन में आए कार्ड के पैसे वापस नहीं दिए जाएंगे। बयान के मुताबिक, कार्डधारकों को एक मार्च से 31 मार्च तक की अवधि दी जाएगी जिसमें इच्छुक यात्री मेट्रो स्टेशन से स्मार्ट कार्ड के लिए रिफंड ले सकते हैं।
DMRC का कहना है कि दिल्ली मेट्रो के यात्रियों को एक अप्रैल के बाद से जरूरी कटौती के बाद सिर्फ सिक्योरिटी डिपॉजिट धनराशि ही वापस दी जाएगी। गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो कार्डधारकों को उनकी प्रत्येक यात्रा पर 10 फीसदी की छूट मिलती है।
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बीजिंगः चीन ने जी-7 देशों के हिरोशिमा संयुक्त बयान पर राजनयिक विरोध दर्ज कराया है और उन पर बीजिंग के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है। इस बयान में जी-7 देशों ने ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता को लेकर चिंता व्यक्त की है। जापान के हिरोशिमा में हुए शिखर सम्मेलन में चीन से संबंधित मुद्दे व्यापक तौर पर उठाए गए। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। संयुक्त बयान का एक हिस्सा चीन को लेकर था जिसमें कहा गया है कि वे चीन के साथ "रचनात्मक और स्थिर संबंध" चाहते हैं।
बयान में ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रुख पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। जी-7 देशों ने शनिवार को जारी संयुक्त बयान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ सहयोग करने की जरूरत पर जोर दिया लेकिन यह भी कहा कि उसके "दुर्भावनापूर्ण इरादों" और "ज़ोर-ज़बरदस्ती" का मुकाबला किया जाना चाहिए। संयुक्त बयान में तिब्बत, हांगकांग और शिनजियांग सहित चीन में मानवाधिकारों के बारे में चिंता व्यक्त की गई। शिनजियांग में बीजिंग पर हजारों उइगर मुसलमानों को जबरन श्रम शिविरों में बंद रखने का आरोप है।
चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बीती देर रात एक बयान में कहा, " चीन की गंभीर चिंता के बावजूद, जी-7 ने बीजिंग को बदनाम करने और उस पर हमला करने के लिए चीन से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल किया तथा खुल्लम-खुल्ला चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया। " चीन ने अपने बयान में कहा, " चीन इसकी (जी-7 के संयुक्त बयान) कड़ी निंदा करता है और दृढ़ता से इसका विरोध करता है तथा शिखर सम्मेलन के मेजबान जापान और अन्य संबंधित पक्षों के समक्ष गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। " जी-7 समूह ने शनिवार को चीन से आग्रह किया कि वह अपने रणनीतिक साझेदार रूस पर यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध समाप्त करने का दबाव बनाए। समूह के नेताओं ने ताइवान पर चीन के दावे के "शांतिपूर्ण समाधान" का आह्वान किया।
चीन ने अपने बयान में कहा कि जहां तक "आर्थिक दबाव" का सवाल है, तो ऐसा अमेरिका करता है, क्योंकि वह बड़े पैमाने पर एकतरफा प्रतिबंध लगाता है और औद्योगिक एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करने का कार्य करता है तथा आर्थिक और व्यापार संबंधों का राजनीतिकरण करने के साथ ही उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है। बयान में यह भी कहा गया, " अंतरराष्ट्रीय समुदाय जी-7 के प्रभुत्व वाले पश्चिमी नियमों को न तो स्वीकार करता है और न ही करेगा जो दुनिया को विचारधाराओं एवं मूल्यों के आधार पर विभाजित करने की कोशिश करते हैं। " चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, " मैं यह स्पष्ट कर दूं कि वे दिन गए जब मुट्ठी भर पश्चिमी देश जानबूझकर दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल दे सकते थे और वैश्विक मामलों को प्रभावित कर सकते थे। "
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मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर भारत के आर्थिक केंद्र मुंबई को अहमदाबाद शहर से जोड़ने वाली एक निर्माणाधीन हाई-स्पीड रेल लाइन है। यह भारत की पहली हाई-स्पीड रेल लाइन होगी।
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर भारत के आर्थिक केंद्र मुंबई को अहमदाबाद शहर से जोड़ने वाली एक निर्माणाधीन हाई-स्पीड रेल लाइन है। यह भारत की पहली हाई-स्पीड रेल लाइन होगी। निर्माण अप्रैल 2020 से शुरू होने की और परियोजना के दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद थी। महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण, पूरा होने की तारीख अक्टूबर 2028 तक बढ़ा दी गई है।
क्या है 'गर्डर लांचर 'प्रोधोगिकी?
एक लॉन्चिंग गैन्ट्री (जिसे बीम लॉन्चर भी कहा जाता है, गर्डर लॉन्चर, ब्रिज बिल्डिंग क्रेन, और ब्रिज-बिल्डिंग मशीन, जिसे स्थानीय रूप से "आयरन मॉन्स्टर" कहा जाता है) एक विशेष उद्देश्य वाली मोबाइल गैन्ट्री क्रेन है। पुल निर्माण में उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से खंडीय पुल जो राजमार्ग और हाई-स्पीड रेल पुल निर्माण परियोजनाओं में प्रीकास्ट बॉक्स गर्डर ब्रिज सेगमेंट या प्रीकास्ट गर्डर्स का उपयोग करते हैं। लॉन्चिंग गैन्ट्री का उपयोग ब्रिज सेगमेंट या गर्डर्स को उठाने और समर्थन करने के लिए किया जाता है क्योंकि उन्हें जमीन के बजाय ब्रिज पियर्स द्वारा समर्थित किया जाता है।
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जिस भुट्टे के बालों को हम बेकार समझकर फेंक देती हैं वह कई गुणों से भरपूर होता है। जिसे सुनने के बाद आप कभी भी भुट्टे के बालों को कूड़ेदान में नहीं फेकेंगी बल्कि संभालकर रखेगी!
भुट्टा खाना हम सभी को बहुत पसंद होता है और हम सभी इसे बहुत चाव से खाते भी हैं। यह हमें सेहत से जुड़े कई लाभ भी देता है क्योंकि यह विटामिन और फाइबर से भरपूर होता है। लेकिन जिस भुट्टे के बालों को हम बेकार समझकर फेंक देती हैं वह कई गुणों से भरपूर होता है। जी हां भुट्टे के बालों में पोटेशियम, कैल्शियम और विटामिन बी 2, सी और के जैसे प्रमुख पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
भुट्टे के बाल कोई फेंकने की चीज नहीं है। इसके कुछ अनोखे फायदे है जो आज हम आपको बताने जा रहे है। जिसे सुनने के बाद आप कभी भी भुट्टे के बालों को कूड़ेदान में नहीं फेकेंगी बल्कि संभालकर रखेगी क्योंकि यह आपको कई health benefits देता है। हालांकि आपको लग रहा होगा कि भुट्टे के बालों को हम ऐसे ही तो खा नही सकते तो कैसे सेवन करें? तो इसके फायदे बताने से पहले हम आपको इसे इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में बता रहे हैं।
- पानी को उबाल लें और इसमें भुट्टे के बाल डाल दें।
- टेस्ट के लिए आप इसमें नींबू का रस डाल सकते हैं।
- फिर शाम को शहद डालकर सेवन करें।
भुट्टे के बाल anti-inflammatory एजेंट की तरह काम करते हैं, जो यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के लिए उपयोगी होता है। यह आमतौर पर urinary tract lining को कोट करती है और आगे होने वाली जलन को दूर करती हैं। भुट्टे के बालों की चाय पीने से ब्लैडर और urinary tract की सूजन को शांत करने में हेल्प मिलती है। इससे यूरीन ज्यादा मात्रा में आता है जिससे यूरीन ट्रेक्ट में बैक्टीरिया के निर्माण के जोखिम को कम करता है।
भुट्टे के बालों की चाय का इस्तेमाल एक प्राकृतिक शक्तिशाली मूत्रवर्धक एजेंट के रूप में किया जा रहा है। यह बॉडी से ज्यादा पानी और टॉक्सिन को बाहर निकालने में हेल्प करता है, जिससे वॉटर रिटेंशन से संबंधित समस्याओं को कम किया जा सकता है। कई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि मूत्रवर्धक का उपयोग लंबे समय में हार्ट फेल्यिर और किडनी रोगों सहित कई स्वास्थ्य खतरों से छुटकारा दिलाता है।
जो महिलाएं किडनी स्टोन से परेशान है उनके लिए भुट्टे के बालों की चाय रामबाण मानी जाती है। यह आपके किडनी में जमा हुए टॉक्सिन्स और नाइट्रेट को बाहर निकल देता है, जिससे किडनी स्टोन होने का खतरा कम हो जाता है। और जिन्हें होता है उसे भी धीरे धीरे गलाकर किडनी से बाहर कर देता है।
हाल के दिनों में हुए रिसर्च के निष्कर्षों के अनुसार, भुट्टे के बाल की चाय से ब्लड शुगर के मामलों में मदद मिलती है। 2012 in the International Journal of Biological Macromolecules में प्रकाशित एक रिसर्च से पता चला है कि corn silk extract के कारण डायबिटीज पर प्रभाव पड़ा। भुट्टे के बाल में इतने विटामिन्स और मिनरल्स होने से यह ब्लड में इंसुलिन की मात्रा को कंट्रोल में रखता है। जिससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है।
भुट्टे के बालों में विटामिन 'के' की अधिकता के कारण यह ब्लड जमने की क्षमता को बढ़ाता है। यह सुनिश्चित करता है कि चोट की स्थिति में आपको अत्यधिक खून का नुकसान नहीं आता है।
बहुत से महिलाएं आजकल hypertension या high blood pressure की समस्या से परेशान हैं। वे high blood pressure को कम करने के लिए भुट्टे के बाल की चाय का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे उन्हें ओटीसी blood pressure दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों से सामना नहीं करना पड़ेगा।
यह आपके पाचन तंत्र को मजबूत रखता है। इससे खाना अच्छे से पचता है और भूख भी लगती है। यह पेट के लिए एक अच्छा आहार माना जाता है साथ ही प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से इसे सेहत की दृष्टि से अच्छा होता है।
मोटापा एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है जिससे आजकल आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित है। हालांकि मोटापा आनुवंशिकी सहित एक से अधिक कारकों के कारण होता है, कुछ महिलाओं की बॉडी पर अतिरिक्त फैट water retention और टॉक्सिन के इकट्ठा होने के कारण होता है। चूंकि Corn silk बॉडी से अधिक पानी और टॉक्सिन को दूर करने में हेल्प करता है, ऐसी महिलाओं को वजन कम करने में मदद मिलेगी।
भुट्टे को anti-inflammatory गुणों के लिए जाना जाता है। पारंपरिक चिकित्सा अनुयायियों का मानना है कि इसका उपयोग gout और arthritis जैसे सूजन संबंधी बीमारियों के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है। कॉर्न सिल्क का मूत्रवर्धक गुण शरीर के जोड़ों में अतिरिक्त यूरिक एसिड गठन को रोकता है।
Corn silk में विटामिन सी होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आदर्श है यह मानव शरीर में एक असंख्य कार्यों को विनियमित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तो आप कब लेना शुरू कर रही हैं भुट्टे के बाल की चाय।
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia. com पर हमसे संपर्क करें।
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Realme Pad X सोमवार को पहली बार देश में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। रियलमी पैड एक्स को पिछले महीने ही भारतीय मार्केट में लॉन्च किया गया है। रियलमी का नया टैबलेट पिछले साल आए Realme Pad का अपग्रेड वेरियंट है और 5G कनेक्टिविटी के साथ आता है। Realme के इस लेटेस्ट टैब में क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 695 प्रोसेसर और 6GB तक रैम दी गई है।
रियलमी पैड एक्स को 4 जीबी रैम व 64 जीबी स्टोरेज, 4 जीबी रैम व 64 जीबी स्टोरेज (वाई-फाई ओनली), (5G कनेक्टिविटी, 6 जीबी रैम+ 128 जीबी स्टोरेज) वेरियंट में लॉन्च किया गया है। इनकी कीमत क्रमशः 19,999 रुपये, 25,999 रुपये और 27,999 रुपये है।
रियलमी पैड एक्स की बिक्री फ्लिपकार्ट और रियलमी स्टोर पर दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। कंपनी ने ICICI बैंक कार्ड के साथ साझेदारी की है जिसके क्रेडिट कार्ड के साथ शॉपिंग करने पर 2000 रुपये इंस्टेंट डिस्काउंट मिलेगा।
रियलमी पैड एक्स में 10. 95 इंच WUXGA+ LCD डिस्प्ले दी गई है जिसका रेजॉलूशन 2000 × 1200 पिक्सल है। यह टैबलेट DC डिमिंग के साथ आता है। रियलमी के इस टैबलेट में हाई-रेजॉलूशन ऑडियो सर्टिफिकेशन के साथ क्वाड-स्पीकर सेटअप मिलता है।
रियलमी के इस लेटेस्ट टैबलेट में ऑक्टा-कोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 695 प्रोसेसर दिया गया है। डिवाइस में ग्राफिक्स के लिए अड्रेनो 619 GPU दिया गया है। यह टैबलेट 6 जीबी रैम व 128 जीबी इनबिल्ट स्टोरेज के साथ आता है। स्टोरेज को माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए बढ़ाया जा सकता है। यह टैबलेट ऐंड्रॉयड 12 बेस्ड Realme UI 3. 0 के साथ आता है।
रियलमी पैड एक्स में 8340mAh की बैटरी दी गई है जो 33W Dart फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करती है। यह टैबलेट रिवर्स वायर्ड चार्जिंग सपोर्ट के साथ आता है। टैबलेट में रियर पर अपर्चर एफ/2. 2 के साथ 13 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा दिया गया है। वीडियो कॉल के लिए हैंडसेट में अपर्चर एफ/2. 2 के साथ 8 मेगापिक्सल फ्रंट सेंसर है।
रियलमी के इस लेटेस्ट टैबलेट को ग्लेशियर ब्लू और ग्लोइंग ग्रे कलर में लेने का मौका है। इसका वज़न करीब 500 ग्राम और डाइमेंशन 256. 5 × 161. 1 × 7. 1 मिलीमीटर है। कनेक्टिविटी की बात करें तो यह टैबलेट 5G, वाई-फाई 802. 11 ए/बी/जी/एन/एसी, ब्लूटूथ 5. 1, जीपीएस, ग्लोनास जैसे फीचर्स के साथ आता है।
रियलमी पैड एक्स टैबलेट रियलमी पेंसिल सपोर्ट करता है और इस पेंसिल की कीमत 5,499 रुपये है। इसके अलावा कंपनी ने रियलमी स्मार्ट कीबोर्ड को भी 4,999 रुपये में लॉन्च किया है। हालांकि, सोमवार को होने वाली सेल में ये प्रोडक्ट उपलब्ध नहीं होंगे। जल्द ही इन एक्सेसरीज की सेल डेट की जानकारी मिलने की उम्मीद है।
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गुरुवार रात को पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर के संचालक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। रात करीब ढाई बजे की गई इस कार्रवाई में पुलिस ने आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन भी बरामद किये।
भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी थमती नजर नहीं आ रही है। अभी हाल ही में पुलिस ने ऐसे ही मामले में जेके अस्पताल की एक नर्स और उसके बॉयफ्रेंड को गिरफ्तार किया था। गुरुवार रात को पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर के संचालक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। रात करीब ढाई बजे की गई इस कार्रवाई में पुलिस ने आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन भी बरामद किये।
गांधीनगर टीआई अरुण शर्मा ने बताया कि गुरुवार रात ढाई बजे इलाके में दो युवकों के इंजेक्शन की कालाबाजारी किए जाने की सूचना मिली थी। ड्यूटी पर तैनात एसआई समेत तीन लोगों की टीम को आरोपियों की तलाश में लगाया गया। रात तीन बजे गांधीनगर तिराहे पर दो युवक बाइक पर जाते मिले। टीम ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया। तलाशी लेने पर उनके पास से दो इंजेक्शन बरामद हुए। पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम छोला मंदिर निवासी सर्जन सिंह राजपूत निवासी चौपड़ा कला और सूखीसेवनिया निवासी गौरव लोधी बताया। सर्जन सिंह राजपूत मेडिकल स्टोर संचालक है और गौरव साथ में काम करता है।
पूछताछ में दोनों ने बताया कि उनके पास रखे इंजेक्शन रेमडेसिविर हैं। वे इसे बेचने के लिए निकले थे। उन्होंने इसे 19 हजार रुपए में एक व्यक्ति से खरीदा था और इसे वह 27 हजार रुपए में बेचना चाह रहे थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है और आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 2020 में राज्य के पर्यटन उद्योग को 1600 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग7632(Uttarakhand Tourism Industry) बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ऐसे में अब राज्य के होटल मालिकों, सड़क किनारे के ढाबों, टूर एंड ट्रेवल एजेंसी ऑपरेटर्स और इस सेक्टर से जुड़े दूसरे लोगों की उम्मीदें राहत पैकेज पर टिकी हैं.
प्रदेश सरकार का अनुमान है कि राज्य के पर्यटन उद्योग को साल 2020 में 1600 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है. पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को बताया कि "हमने अपने पर्यटन उद्योग में जान फूंकने के लिए राहत पैकेज के लिए मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव सौंपा है. उन्होंने कहा कि टूरिज्म हमारी रोजी रोटी है और महामारी के कारण ये कई स्तर पर प्रभावित हुआ है. इस दौरान राहत पैकेज इस सेक्टर से जुड़े लोगों को काफी राहत देगा.
आईआईएम काशीपुर के एक अध्ययन का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण 2020 में उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को 1600 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है. इसके कारण कम से कम 23,000 लोगों का रोजगार चला गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से हुए नुकसान का आकलन अभी किया ही नहीं गया है.
मंत्री ने बताया कि संक्रमण की दूसरी लहर के कारण लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुंभ का आयोजन सीमित रखा गया. कोरोना वायरस के कारण लगाई गई पाबंदियों से चार धाम यात्रा लगातार दूसरे साल भी प्रभावित रही. मंत्री ने कहा कि पर्यटन उद्योग को इससे भारी धक्का लगा है.
सतपाल महाराज ने कहा कि संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए पर्यटन के केंद्र नैनीताल और मसूरी में पर्यटकों ने भारी संख्या में बुकिंग रद्द कराई है. इसके चलते टूर और ट्रैवल सेक्टर को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. सतपाल महाराज ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से अनुरोध किया है कि प्रदेश में कोविड कर्फ्यू खत्म होने के बाद चार धाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाए.
(इनपुट- भाषा)
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सुखपदन मन्तीष ]
पुरााकार कहते हैं - प्राप्त शक्ति का दुरुपयोग करने वाले फोकना चाहिए। मन का अर्थ है आत्मा । वह पुरुष पास्तव में यात्मातक है, वर्ग कि अपने पापों की वृद्धि करके आत्मा का यहित करता है । या
इसी दुर्बुद्धि के कारण आत्मा का आवागमन बढ़ता चला जाता है। सोचना चाहिए कि प्याखिर भोग से जब तृप्ति होती ही नहीं तो उसे भीगने से लाभ ही क्या है ?
कभी भोगों से इस दिल को, सत्र हर्मिज़ नहीं आता । चाहे हो बादशाह क्यों नहीं, रात्र इगिज़ नहीं श्राता ।।
भोग स्वभाव ही अतृप्ति जमन्तोष बढ़ाना है। अतएव उससे का फैसे था सकता है ? पोर्ट सोचे कि मैं जब मम्राट या बादशाह कम लाऊंगा तो भोग-भोग कर वृति संपादित कर लूँगा, फितु भरे गीले जव ! बादशाह के दिल से तो पूछ देख कि उसका बना दाल दे ? उसे सन्तुष्टि मिल सकी है या नहीं ?
चाहे हो महल रत्नो का, मिले अप्सरा अजय सुन्दर,
सजी हो सेज फूलों की । सत्र हगिज़ नहीं जाता ॥
एसजीव पो सुन्दर महल मिल जाय, जिसका फर्श होगें मेज, अमरासरीखी रमणी प्राप्त हो जाय और अन्य प्रकार की सुख मागधी भी सब मिल जाय, तय भी इम्बो मन्तोष मिलता। शव के अन्तःपुर में अठारह हजार पनि भी और सोने की लंका थी। जब लंका सोने की थी तो आपके व या महल कितना सुन्दर मूल्यवान जोर देवभवन के समान न होना ? तब भी उसे सन्तोष न हुआ । उसके में |
इससे पहले योगी सरकार ने मदरसों का सर्वे कराया था। जिसमें सैकड़ों मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चलते मिले थे। इनमें दुनियाभर में प्रसिद्ध दारुल उलूम का मदरसा भी शामिल है। योगी सरकार के मदरसों में रविवार को छुट्टी करने के फैसले के बाद अब सियासत के एक बार फिर गरमान के पूरे आसार दिख रहे हैं।
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- #BhopalMP मानसून सत्र के पहले दिन अमित शाह का तय हुआ अचानक दौरा, भोपाल की शाम को क्या होगा 'मंगल'?
जीएसटी विभाग ने भोपाल के पंजीकृत दो डीलर समेत मध्य प्रदेश के 8 डीलर के खिलाफ एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) में मामला दर्ज कराया है। इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि एटीएस ने 8 एफआईआर दर्ज की है। जिसमें जीएसटी के पंजीयन नंबर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाया गया है। जिन फर्म ने जीएसटी नंबर प्राप्त कर लिया था। वह भौतिक रूप से कोई व्यवसाय नहीं कर रहे थे। कागजों पर ही अपना व्यापार चला रहे थे। फर्जी बिलिंग भी करते थे। ऐसा प्रथम दृष्टया पाया गया। ऐसे 8 प्रकरणों पर एफ आई आर दर्ज कराई गई है। इसमें पांच इंदौर और दो भोपाल और एक ग्वालियर की फर्म है।
गृहमंत्री मिश्रा ने बताया कि एटीएस जांच कर रही है कि फर्जी आईडी प्रूफ कैसे बनवाए इनके नाम पते फर्जी निकले हैं जांच के बाद इस मामले पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बताया जा रहा है कि विभाग ने यह कदम टेरर फंडिंग की आशंका में उठाया है। संदीप तूने नाम पते के दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर जीएसटी पंजीयन हासिल किया विवाह को आशंका है कि वह सर्कुलर ट्रेडिंग कर रहे थे। इसके जरिए एक जगह से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेकर दूसरी जगह भेजा जा रहा था।
बता दें कि जीएसटी में एक ही वस्तु पर बार-बार टैक्स नहीं लगता। माल बेचने वाला व्यापारी टैक्स चुकाता है और खरीदने वाला टैक्स देता जरूर है, लेकिन उसे बेचने वाले व्यापारी से टैक्स क्रेडिट मिल जाती है। वेश के जरिए दूसरे टैक्स की देनदारी चुका देता है। लेकिन जीएसटी आने के बाद टैक्स क्रेडिट में बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जीएसटी विभाग एक माह से पड़ताल में जुटा हुआ था। पता चला कि यह फर्म नाम माल भेजती है, ना मंगाती है, बल्कि बोगस बिल जनरेट करती है।
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प्रवीण वालिया, Karnal News:
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकित करने का आभार जताया है। नाहर सिंह ने कहा कि इसके लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी, राहुल गांधी प्रियंका गांधी का भी धन्यवाद दिया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता रणदीप सुरजेवाला राज्यसभा में जाकर आम लोगों की आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि रणदीप सुरजेवाला एक मझे राजनेता के साथ एक प्रखर वक्ता भी हैं। वह जमीन से जुड़े हैं। उन्हें धरातल की बेहतर समझ हैं। वह राज्य सभा में जाकर आम लोगों की आवाज बनेंगे। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा के लिए गौरव की बात है कि यहां के राजनेता राजस्थान से राज्य सभा में जाएंगे।
सुरजेवाला के जाने से कांग्रेस की स्थिति भी संसद में मजबूत होगी। वह भाजपा की केद्र सरकार पर भी अंकुश लगाने के लिए विपक्ष की मजबूत आवाज बनेंगे। सुरजेवाला का राज्य सभा के लिए नामंकित किए जाने पर करनाल में सुजेर्वाला के समर्थक तथा पूर्व प्रदेश महासचिव नाहर सिंह संधु के निवास पर सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता पहुंचे। सभी ने मिठाई बांट कर खुशी जाहिर की। सभी ने नाहर सिंह संधु के माध्यम से रणदीप सुरजेवाला को बधाई दी। इस अवसर पर श्री संधु ने सभी को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया।
इस अवसर पर ओमपाल मढ़ान डवकोली,बल्कार पूर्व सरपंच कलसौरा, अशोक कुमार बदरपुर, डा. सुखबीर टापू, पूर्व सरपंच अंग्रेज सिंह संघोई, इंद्री के पूर्व एमसी मेघराज, जस्सा सिंह जपेसरो, ईशम सिंह भीड़ माजरा, रणजीत सिंह सिंह भादसौ, मदन मलिक निहोरी, सुखबीर शर्मा भरत बत्स उर्फ निक्का, सुरेंद्र सिंह मंगलौरा, सुनहरा सिंह वाल्मीकि और धर्म सिंह कुंजपुरा मौजूद रहे।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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मालिक बदलने के बाद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आगे इस कंपनी का नेतृत्व कौन करेगा। पराग अग्रवाल ने पिछले साल नवंबर में कंपनी के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी से ये पदभार संभाला था।
ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को हटाते हैं तो उन्हें अग्रवान को मोटी रकम चुकानी होगी। रिसर्च फर्म इक्विलर के मुताबिक, अगर 12 महीने के भीतर पराग की छुट्टी होती है तो उन्हें ट्विटर की तरफ से 42 मिलियन डॉलर (3. 2 अरब रूपये) की राशि का भुगतान करना होगा। हालांकि ट्विटर के प्रतिनिधि ने इक्विलर के अनुमान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
मालिक बदलने के बाद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आगे इस कंपनी का नेतृत्व कौन करेगा। पराग अग्रवाल ने पिछले साल नवंबर में कंपनी के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी से ये पदभार संभाला था।
डील के बाद पराग अग्रवाल ने कहा कि ट्विटर का भविष्य अनिश्चित हो गया है। उन्होंने कहा, डील फाइनल होने के बाद, हम नहीं जानते कि प्लेटफॉर्म किस दिशा में जाएगा। पराग ने ट्विटर पर लिखा कि ट्विटर का एक उद्देश्य और उपयोगिता है, यही कारण है कि यह पूरी दुनिया को प्रभावित करती है। हमें अपनी टीम पर बेहद गर्व है और उनके काम से प्रेरित भी हूं।
पराग को कंपनी के साथ अपना एक दशक का सफर पूरा कर चुके हैं। 37 वर्षीय पराग अग्रवाल साल 2011 में एक साफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर ट्विटर से जुड़े थे। अक्तूबर 2017 से नवंबर 2021 तक उन्होंने ट्विटर के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी के रूप में काम किया। ट्विटर से पहले पराग ने कुछ समय के तक माइक्रोसॉफ्ट, एटीएंडटी और याहू में भी काम किया था।
- मस्क ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि अगर मैं ट्विटर की बोली जीत जाता हूं तो बोर्ड की सैलरी पर शून्य डॉलर खर्च होगा।
- यदि ट्विटर बोर्ड के सदस्यों को सैलरी न दी जाए तो हर साल 30 लाख डॉलर की बचत होगी।
- मस्क ये भी कह चुके हैं कि ट्विटर के मौजूदा बोर्ड पर उनको भरोसा नहीं है जिससे संशय बढ़ गया है।
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लेकिन, प्राचीन समय में, प्राकृतिक रूप मेंकीमती धातुओं और पत्थरों के लिए एक भाग्य की लागत जारी रहेगा इसलिए, बहुत सारे सोने के गहने खरीदते हैं जो अलग-अलग कपड़ों से मेल खाता है, बहुत महंगा हो सकता है। लेकिन मूल पोशाक आभूषण आप किसी भी शैली के साथ सुसंगत रूप से पूरक हैं और हर रोज की छवि में विविधताएं जोड़ सकते हैं।
पोशाक गहने क्या है?
आभूषण (फ्रांसीसी शब्द "बीजोर्टेरी" सेजो "गहना" के रूप में अनुवादित है) को सस्ती सामग्री से बना आभूषण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। अक्सर पोशाक गहने कीमती धातुओं और प्राकृतिक कीमती पत्थरों से बने महंगे उत्पादों की नकल है। इसके लिए, सस्ता धातुओं का उपयोग किया जाता है, सोने, चांदी या रोडियाम के साथ बिजली के कोटिंग। कीमती पत्थरों कांच ग्लास क्रिस्टल, सिंथेटिक एनालॉग, सिक्यूरिटीज खनिजों से बदला जा सकता है।
यह अक्सर मामला है कि पोशाक गहनेउन सामग्रियों से बना है जो पारंपरिक गहने से पूरी तरह अलग हैं। इसलिए, यदि आप गहने को उन सामग्रियों से वर्गीकृत करते हैं जिनसे इसे बनाया जाता है, तो आपको कई किस्म मिलेंगेः
- सस्ती धातुओं (कांस्य, निकल चांदी, पीतल, जस्ता, निकल चांदी);
- रंग या पारदर्शी ग्लास मोती से ("दीपक" तकनीक की मदद से स्फटिक और जटिल विवरण);
- बहुलक मिट्टी का;
- एपॉक्सी राल से;
- प्राकृतिक अर्द्ध कीमती और अनमोल पत्थरों का;
- मोती और प्लास्टिक के मोती का;
- रंगीन तार और धागे से;
- चमड़ा;
- कपड़ों की;
- प्राकृतिक सामग्री (कंकड़, लकड़ी, गोले, आदि)
इसलिए, सामान्यीकरण, गहने कई बड़े समूहों में विभाजित हैंः
- शास्त्रीय। इस तरह के गहने को गहने कीमती धातुओं और कीमती पत्थरों से सटीक गहने बनाने के लिए बनाया गया है। इसके लिए, विकल्प धातु गैल्वनाइजिंग द्वारा असली सोने या चांदी की एक पतली परत के साथ लेपित है। काली स्फटिक, घन zirconia, कृत्रिम मोती या प्राकृतिक zircons के साथ कीमती पत्थरों से insets बदल रहे हैं। दरअसल, गुणवत्ता वाले गहने इतना मुश्किल हो सकते हैं कि यह पहचानने के लिए केवल एक पेशेवर जौहरी द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। शास्त्रीय गहने के लिए, आप कार्यालय में एक दैनिक यात्रा के लिए एक मामूली झुमके के रूप में ले सकते हैं, और एक शादी की पोशाक के लिए शानदार मुकुट।
- नव-विचारक। यह गहने अक्सर पेशेवर डिजाइनरों द्वारा हस्तनिर्मित, आविष्कार और निष्पादित होती हैं। इस मामले में सामग्री सबसे विविध और विदेशी हो सकती हैं, और डिजाइन सबसे साहसी हैं, क्योंकि ऐसी चीजें केवल असामान्य उपस्थिति, मौलिकता और विशिष्टता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- जातीयता। जातीय पोशाक गहने विभिन्न लोगों की सांस्कृतिक परंपराओं को संदर्भित करता है, लोक प्रस्तुतियों का उपयोग करता है, और अक्सर, प्राकृतिक सामग्रीः लकड़ी, पत्थर, पशु फेंक, गोले, चमड़े और धागा तत्व। गहने, प्रतीकों, जादू चिन्ह, चित्रलिपि और रूण - ये सब जातीय रंग और रहस्योद्घाटन को रहस्य कहते हैं।
- बच्चे। आमतौर पर, ये सस्ते सामग्री से बने गहने हैं, अक्सर लोकप्रिय गर्लफिल प्रस्तुतियों (तितलियों, फूल, दिल) का उपयोग करते हुए, और महंगी मां के गहने से बढ़ते फैशन कलाकारों का ध्यान हटाने के लिए डिज़ाइन किया गया।
उत्पादन के प्रकार के अनुसार, गहने को निम्नलिखित समूहों में विभाजित किया जा सकता है।
- स्ट्रीमिंग (यह सस्ती सामग्री और बड़े पैमाने पर उत्पादन का मतलब है, जो परिणामस्वरूप बहुत लोकतांत्रिक मूल्य देता है, लेकिन सर्वोत्तम गुणवत्ता नहीं)
- लेखक की (सबसे अलग गुणवत्ता और मूल्य श्रेणी का "हाथ-मेयड")
- गहने (गहने उत्पादन द्वारा कीमती धातु उत्पादों के रूप में एक ही तकनीक का उपयोग करके उत्पादित, सस्ते और महंगी सामग्री गठबंधन कर सकते हैं)
इस प्रकार, गहने के लिए धन्यवाद, व्यावहारिक रूप सेकोई भी महिला उसके स्वाद और बटुए के लिए गहने पा सकते हैं महान प्लेटिनम और स्पार्कलिंग हीरे का सपना, जो अब तक उपलब्ध नहीं हैं, आज के बारे में किसी को नहीं भूलना चाहिए। गहने पहनने में संकोच न करेंः यह आपकी छवि को उज्ज्वल और अधिक विविध बनाने का एक और बड़ा अवसर है।
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महिलाओं के लिए ये जैकेट काफी बढ़िया माने जाते हैं। इन Bomber Jacket को पहनकर ज्यादा फैशनेबल लुक मिल सकता है।
विंटर सीजन में भी स्टाइलिश और आकर्षक दिखने के लिए आप इन बॉम्बर जैकेट को ट्राय कर सकती हैं। ये जैकेट वार्म फील भी देती हैं। इन जैकेट का लुक और डिजाइन भी काफी शानदार है। इन Bomber Jacket For Women में फुल स्लीव भी दी जा रही है। ये बॉम्बर जैकेट ज्यादा अट्रैक्टिव और फैशनेबल है। यह सभी जैकेट पहनने में भी कंफर्टटेबल हैं।
इन जैकेट को ड्यूरेबल और हाई क्वालिटी मटेरियल से बनाया गया है। यह शानदार पैटर्न के साथ मिलते हैं।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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रवि गुप्ता छतरपुर। मध्यपदेश के छतरपुर जिले के एसडीएम कोर्ट में लंबित धारा 40 और 92 के मामलों में जनपद पंचायतों के सीईओ और जिला शिक्षा केन्द के डीपीसी द्वारा समय पर दस्तावेज उपलब्ध न कराने के कारण मामलों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। इस लापरवाही पर कलेक्टर ने बेहद सख्त रवैया अपनाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे सरकारी पक्ष का समर्थन करें और समय पर दस्तावेज एसडीएम को दें जिससे दोषी सरपंचों के खिलाफ धारा 40 और 92 की कार्रवाई हो सके। कलेक्टर ने कहा कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामलों में जिला शिक्षा केन्द के उाrपीसी और जनपद सीईओ की नित्रिढयता पर नाराजगी जताई है। जानकारी के अनुसार जिले की ग्राम पंचायतों के खिलाफ एसडीएम न्यायालय में लंबित धारा 40 एवं धारा 92 के पकरणों के लंबित रहने को जिला पशासन ने गंभीरता से लिया है। कलेक्टर राहुल जैन ने ऐसे सभी न्यायालयीन पकरणों को समय सीमा में निराकृत किए जाने के निर्देश दिए है। जिले की सभी जनपद पंचायतों के सीईओ और सर्व शिक्षा अभियान के डीपीसी को पकरणों के शीघ्र निपटारे के लिए कार्रवाई समय-सीमा में पूरी करने के निर्देश दिए गए है। जिला पंचायत सीईओ भावना वालिंबे ने बताया कि ग्राम पंचायतों द्वारा अपने कर्तव्यों में लापरवाही और निर्माण कार्यो में अनियमितता करने पर पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत सरपंच को पद से पृथक करने का पावधान है। इसी तरह ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण कार्यो की राशि का अनियमित आहरण करने पर धारा 92 के तहत वसूली की न्यायालयीन कार्रवाई किए जाने की व्यवस्था है। जिले की कई ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों के विरूद्ध एसडीएम न्यायालय में पकरण पस्तुत किए गए है। लेकिन समय पर जनपद सीईओ एवं जिला शिक्षा केन्द के डीपीसी द्वारा उनके खिलाफ दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं जिससे मामलों का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
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Dhanbad: धनबाद (Dhanbad) धनबाद जिला स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में द चैलेंज इनिशिएटिव (टी. सी. आई), इंडिया कार्यक्रम के तकनीकी सहयोग से गुरुवार 25 अगस्त को सोनोटेल होटल के सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा ने दीप जला कर किया. उन्होंने धनबाद में शहरी स्वास्थ्य सेवा के बारे में बताया और परिवार नियोजन का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि धनबाद में सबसे बड़ी चुनौती मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करना है और टी सी आई इंडिया परियोजना के सहयोग से शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन को सुदृढ़ करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी. टी सी आई इंडिया के तहत काम करने पर लक्ष्य को पूरा कर सकेंगे.
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों यथा मातृ शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, किशोर स्वास्थ्य आदि के लिए उपलब्ध संसाधन, कौशल, समुदाय में पंहुच जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई और जानने का प्रयास किया गया कि सभी विभाग कैसे परस्पर समन्वय से काम कर सकते हैं.
टीसीआई के राज्य प्रतिनिधि ने बताया कि टीसी आई इंडिया कार्यक्रम का क्रियान्वयन पी एस आई इंडिया संस्था कर रही है. पी एस आई इंडिया भारतीय स्वयं सेवी संस्था है, जो वर्ष 1988 से केंद्र व राज्य सरकारों और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की दिशा में प्रयासरत है. टी सी आई इंडिया कार्यक्रम शहरी स्वास्थ्य तथा शहरी परिवार नियोजन के हाई इम्पैक्ट इंटरवेंशन (एच. आई. आई) को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करता है. विभिन्न राज्यों में सकारात्मक परिणाम को देखते हुए, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के आदेशानुसार राज्यके पांच शहरों (रांची, बोकारो, धनबाद, देवघर और पूर्वी सिंहभूम) को टी. सी. आई इंडिया के तकनीकी सहयोग हेतु चयनित किया गया है.
टी सी आई इंडिया शहरी स्वास्थ्य तथा परिवार नियोजन के हाई इम्पैक्ट इंटरवेंशन को झारखंड राज्य में बड़े पैमाने पर लागू कर शहरी गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने हेतु सरकार को तकनीकी सहायता प्रदान करेगा. कार्यशाला में डी आर सी एच ओ डॉ संजीव ने रिपोर्टिंग पर ज़ोर देते हुए कहा कि प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्र को भी अपनी रिपोर्ट जिला में भेजनी चाहिए और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रोच के साथ काम करना चाहिए.
प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसाइटी की प्रेसिडेंट डॉ प्रतिभा राय ने परिवार नियोजन की जरुरत को समझाते हुए कहा कि यह हर व्यक्ति का अधिकार है और कहा कि स्लम बस्तियों में रहने वालों पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है. स्लम की मैपिंग और लिस्टिंग होनी चाहिए, ताकि उन गरीब तबकों तक परिवार नियोजन एवं स्वास्थ्य की सभी सुविधा उनको मिल सके. सिटी अरबन हेल्थ मैनेजर ( प्लानिंग) विनय कुमार यादव ने कहा कि स्लम बस्तियों में जो स्वास्थ्य केंद्र है, वहां सुविधा नहीं पहुंच पाती है. अरबन कम्युनिटी सेंटर, हेल्थ सेंटर और सदर अस्प्ताल के साथ जोड़ कर उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्लान करना है.
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मुंबई - दुनिया की अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डालर में आई मजबूती के दबाव में सोमवार को अंतर बैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया 15 पैसे लुढ़ककर 63. 93 रुपए प्रति डालर रह गया। शनिवार को यह 26 पैसे की बढ़त के साथ 63. 78 रुपए प्रति डालर रहा था।
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नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेसियों ने बेहयाई और बेशर्मी की हद कर दी। एक अदालती मामले को राजनैतिक रंग देने की सोनिया और राहुल गांधी की कवायद ने देश की जनता के सामने कांग्रेस का असली चेहरा उजागर कर दिया है। एक ऐसे मामले में जो अदालत में अंडर ट्रायल है उसके लिए संसद को बाधित करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस का विकास से कुछ लेना देना नहीं है। तरस आता है कांग्रेस के नेताओं पर जो बिना होमवर्क किए सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के पीछे चाटुकारिता की इंतेहा करते हुए दिखते हैं।
हकीकत यह है कि नैशनल हेराल्ड की करोड़ों की संपत्ति को हड़पने की साजिश वर्षों से चल रही है। 2010 में जब तत्कालीन जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मामले को लेकर अदालत में वाद दायर किया था उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और स्वामी का भाजपा से कुछ लेना देना नहीं था। अब जब दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए तब कांग्रेसियों द्वारा मुद्दे को राजनैतिक रंग देने की कोशिश करना और संसद को बाधित करना समझ से परे है।
कांग्रेस ने भाजपा पर राजनैतिक बदला लेने का आरोप लगाया है जो भी समझ में नहीं आ रहा है, इस आरोप से यह भी मतलब निकलता है कि भारत की अदालतें राजनैतिक सत्ताओं से प्रभावित होती हैं, यह एक बड़ा आरोप है और भारत को बदनाम करने की एक और साजिश। भारत की निष्पक्ष और स्वतंत्र अदालतें दुनिया भर में अपना एक विशिष्ट स्थान रखतीं हैं, ऐसे में अदालती कार्यवाही को राजनैतिक बदला लेने की साजिश बताना अदालतों का अपमान है।
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि मैं इंदिरा गांधी की बहू हूं किसी से डरती नहीं। तो सोनिया जी को शायद यह मालूम नहीं कि 1975 में जब रायबरेली से इंदिरा गांधी के चुनाव को चुनौती दी गई थी तो उन्होंने भी प्रधानमंत्री रहते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाजिरी लगाई थी। यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था। आपातकाल के बाद जब 1977 में जनता सरकार आई थी उसके बाद तमाम केसों में इंदिरा गांधी ने अदालतों के चक्कर काटे थे। सोनिया और राहुल को कम से कम अपने पूर्वजों की इस पंरपरा का खयाल तो करना ही चाहिए।
वैसे कांग्रेस द्वारा इस तरह की हरकत करना उनके सत्ता से बाहर होने पर होने वाली बौखलाहट की पराकाष्ठा है। हकीकत तो यह है कि 12 साल तक गुजरात दंगों पर नरेंद्र मोदी को विभिन्न अदालतों द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद आरोप लगाने वाले कांग्रेसी अपने राजनैतिक विरोधियों के साथ यही करते आए हैं इसलिए उन्हें लगता है उनके साथ भी यही हो रहा है लेकिन देश की जनता सबकुछ देख रही है। सोशल मीडिया के इस जमाने में कुछ भी न तो छिपा रह सकता है और न ही अब जनता कुछ भूलेगी। कांग्रेस को जनता की अदालत में भी मुंह की खानी पड़ेगी।
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में चोरी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां के जंगपुरा इलाके में स्थित शोरूम को चोरों ने निशाना बनाया। दीवार काटकर चोर शोरूम में दाखिल हुए। यहां से सोना, हीरा और जेवरात चोरी करके फरार हो गए।
सीसीटीवी की मदद से चोरों की तलाश की जा रही है। जंगपुरा के ज्वेलरी शोरूम में चोरों ने सेंध लगाकर वारदात को अंजाम दे दिया। चोरों ने छत काटकर करीब 25 करोड़ रुपये के जेवरात चोरी कर लिए।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के जंगपुरा भोगल इलाके में स्थित शोरूम को चोरों ने निशाना बनाया। दीवार काटकर चोर शोरूम में दाखिल हुए। यहां से 20-25 करोड़ रुपए के सोना, हीरा और जेवरात चोरी करके फरार हो गए। सीसीटीवी की मदद से चोरों की तलाश की जा रही है।
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हरियाणा के रोहतक में व्यक्ति को इंटरनेट से गूगल-पे का हेल्पलाइन नंबर सर्च करना भारी पड़ गया। जब वह अपने अकाउंट से एक लाख रुपए की ट्रांजेक्शन कर रहा था तो उसमें तकनीकी खराबी दिखाई गई। समस्या का समाधान करने के लिए इंटरनेट से हेल्पलाइन नंबर सर्च किया और संपर्क किया, लेकिन वह नंबर किसी ठग का निकला। गूगल-पे की लिमिट बढ़ाने के नाम पर कुल 1 लाख 2 हजार 500 रुपए ठग लिए।
रोहतक की भिवानी चुंगी स्थित शिव नगर निवासी योगेश दत्त शर्मा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसका छोटा भाई गूगल-पे से एक लाख रुपये भेज रहा था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण पैसे नहीं भेजे जा रहे थे। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट से गूगल-पे का हेल्पलाइन नंबर सर्च किया। इंटरनेट पर मिले मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। फोन पर सामने वाले को जब अपनी समस्या के बारे में बताया कि उसने मोबाइल पर एक लिंक भेजा।
उसने कहा कि लिंक पर क्लीक करने से लिमिट बढ़ जाएगी। भेजे गए लिंक पर क्लीक करते ही खाते से 1 लाख 2 हजार 500 रुपए खाते से निकल गए। अकाउंट से पैसे निकालने के लिए कुल पांच ट्रांजेक्शन की गई। चार ट्रांजेक्शन में 25-25 हजार रुपए (1 लाख रुपए) निकाले थे। वहीं पांचवी ट्रांजेक्शन में 2500 रुपए निकाले गए। जब इस धोखाधड़ी का पता पीड़ित को लगा तो उसने मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने भी अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
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द्वारा श्रमशक्तियां बलवान होती हैं और मन चाहे परिणाम उपस्थित करती हैं।
भक्त; भगवान का पिता है। अपनी भक्ति द्वारा वह अपने भगवान को उत्पन्न करता और पुष्ट करता है । जो अपने भगवान् को जितना भक्ति का साधना का दूध पिलाता, है उसका भगवान इतना ही बलवान हो जाता है और जितना, उसमें बल होता है उतना ही महत्वपूर्ण परिणाम उपस्थित कर देता है । प्रहलाद का भगवान इतना चलवान था कि खंभ चीर कर नृसिंह रूप में निकल पड़ा और हिरण्यकश्यपु का पेट चीर डाला । नरसी भगत का भगवान हुण्डी बरसा सकता था । परन्तु हमारे भगवानों में वह बल नहीं है। किसी के भगवान स्वप्न में या जागृत अवस्था में दर्शन दे सकते हैं। किसी के भगवान भविष्य का कोई संकेत कर सकते हैं। किसी के भगवान विपत्ति मे सहाई हो सकते हैं । तात्पर्य यह कि जिसने अपने भगवान को जिस योग्य बनाया होगा वह वैसे वरदान देने के लिए, वैसी सहायता करने के लिए वह तैयार रहेगा।
वस्तुतः मनोबल ही भगवान है । मनोबल को बढ़ाने के तरीके, अनेकों हैं। योग साधना का भारतीय तरीका ही एक मात्र उपाय नहीं है, संसार में अनेकों सावन और उपाय इसके हैं । विश्वास के आधार पर मनोवल बढ़ता है।' कई व्यक्ति.. बिना योग साधना के भी अपने स्वाबलम्बन, आत्मविश्वास, अध्यवसाय, साहस, सत्सङ्ग एवं पराक्रम द्वारा अपना मनोबल बढ़ा लेते हैं और वही लाभ प्राप्त करते है जो भक्तों को भग वान प्रदान करते हैं। अनेक अनीश्वरवादी व्यक्ति भी बड़े बड़े सिद्ध हुए हैं, राक्षस लोग देवताओं से अधिक साधन सम्पन्न थे, असुरों को बड़े-बड़े अद्भुत वरदान प्राप्त थे, आज भी |
कटक : हिंदी दिवस के पावन अवसर पर इस बार डीएवी पब्लिक स्कूल राजाबगीचा कटक में महान साहित्य सम्मेलन('लिटरेरी केलीडोस्कोप') का आयोजन किया गया। तीनों भाषाओं के साहित्य को लेकर यह आयोजन किया गया जिसमें अंग्रेजी ,हिंदी और ओड़िया साहित्य के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए सम्मेलन का सफल समापन हुआ। इस अवसर पर बहुत ही विशिष्ट अतिथियों का आगमन हुआ। इन अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन में चार चाँद लगा दिए।
आयोजन को सफल बनाने हेतु मंच पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका आ० मौसमी दास, डॉ० रश्मि मिश्रा, डॉ० अजय कुमार पट्टनायक, श्री प्रबोध कुमार राऊत एवं आ० प्राचीतारा मिश्रा मौजूद रहे। गणमान्य अतिथियों ने मंत्रोच्चारण के बीच दीप प्रज्जवलित करके सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया।
सभी प्रबुद्ध महानुभावों ने अपने शब्दो के माध्यम से अपनी विद्वत्ता का परिचय दिया। सभी ने साहित्य को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला।
विद्यालय की शिक्षिका आ० रीता झा की पुस्तक 'मेरी अनुभूतियाँ' जीवन के संग का विमोचन करताल ध्वनि के बीच बहुत ही शानदार तरीके से किया गया। रीता झा की इस पुस्तक में जीवन से जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर सुंदर शब्दों से सुसज्जित कविता है। विशेष द्रष्टव्य यह कि पुस्तक का आवरण भी रीता झा के द्वारा ही सुसज्जित किया गया है।
इस अवसर पर अपने हृदय के उद्गार व्यक्त करते हुए रीता झा ने कहा कि यह उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव है।
उन्होंने विशेष रूप से अध्यक्षा महोदया तथा आ० सोमा दास,आ० माला सिन्हा एवं अपने सभी सहयोगी शिक्षकों का आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था।
साहित्य सम्मेलन का अद्भुत मंच संचालन आ० सोमा दास जी के द्वारा किया गया।
पुस्तक विमोचन पर समाज के प्रबुद्ध जनों ने रीता झा को हार्दिक बधाई दी एवं भविष्य के लिए शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।
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२७६ भाषय सार्वजनिक समा
[ जोहानिसबर्म जमस्त १६ १९८]
१९८] को बौद्रके समय ऐसी बहना बेजनेमें माई सी कदाचित् कमी न होपी। कोई तीन हजार विवियन केवल [पंजीयत प्रसाबपोंको] बमको अपने श्रीमान फर्म पिचकी ओर बाइके भीतर सदस्पति भरा हुमा । इससे राष्ट्रीय
रात रविचार [१६ अरस्त माझा है, इस देश बक्ति होने भारतीय एक बात स्प इराकर विचता है
ऐसी एकता पर मातृभूमि उचित वर्म कर सकती है मंचर कांग्रेस के नेता अनेक प्रमुख भारतीय
मध्यक्ष श्री लिजंग विथ और भी पाभी मौजूद थे। इस विशालतमाकी अस्पता ईसप इस्माइल मियने की सम्भावताओंकी मेजवे मये अपर उठे हुए और प्रतीक्षा करते हुए असं चेहरे के बिना और पूर्ण प्रवाही से
पंक्ति एक वर्जन प्रतिनिधि चीनी नेता बैठे थे और उस महत्व पूर्ण का कर रहे थे। पहले सम्म बस्तीप्ति सामन दिया और क श्री एनी मार्फत समा करने कारणॉपर मत माया प्रकाश डाला। फिीपन दिया। उसके बाल स्वेच्या पंचमत प्रमाणपत्र एक बड़े क के वैसे वर किया जा और भी ई सिमानामपर उनमें माम क्या थी। श्री एस ने जिन्होंने यह स्मरण होगा, अविनियम अन्तर्गत पंजीयन कराया वा अफ्ना मुलामौका पट्टा बुके आम बढाया और
बीच बी मरपट्ट
कही चीनी
श्री गांधीका भाषण
बाज में अपने सरपर एक अत्यन्त पम्मीर बिम्मेवारी रहा हूँ। में कुछ समय से अपने बैको देता रहा है उसके लिए मेरे मित्र मुझे भला-बुरा कहे हैं। और अपनेको मेरा मित्र नहीं मानते ने मेरी हँसी उड़ा रहे हैं। इसके बावजूद पूरी तरह विचार १ रिपोर्ट १०-८-१९ परमेरो मिकी गई है और
के होने और ५
समीकीबैठ गये। रामैचर म
। उसके बाद चीनी मंदूसरे
मनावर बाग मैदे
मा सार्वजनिक
और कहना चाहिए, प्रार्थना करनके बाद भी में बापके सम्मुख बाज फिर उसी को पुराने जा रहा हूँ। और यह सलाह यह है, जैसा कि आप मानते है कि हमारी स सम्बन्धित पटनामोंका बस दस गया है, हमें अपने प्रमाणपत्रको जला देना चाहिए। [] मुझसे कहा जाता है कि अपने देखायको मन जो सलाह दी है उसस, यदि उन्होन उसपर किया तो में उन्हें भी कोंडातका सामत बन सकता हूँ। में यह मच्छी तरह जानता हूँ। परन्तु में यह भी जानता हूँ कि मरमाप प्रमाणपत्रको धानसे मवर्ष नीय कष्टोंमें पड़ जायेंगे तो इन प्रमाणपत्रोंको रखनसे और एशियाई कानूनको या वैजीकरण जिसका दूसरा वाचन होने जा रहा है, मानन से मर बेसणासी भरपनीम वसम्मान निमकर। इसलिए मेरी मामी जितना भी बस है वह सारा बस अगाकर म आपस कह देना चाहता हूँ कि इस सम्मानको निमन्त्रित करनेक बनाम मरे बेपनासियाके लिए उनपर जो कष्ट आयें उन्हें सह बना बहुत अधिक अच्छा होगा। फिर, यही ट्रान्सबादमें मेरे बघ भाइमामे यह घपण की है कि व एसियाई कानूनको नहीं मानेंगे। इस सपमके कंजल पाक नही उसकी मारमा पास उहें करता है। अगर में आपको यह बुरी साह मान्य कोई कि जापान प्रमापन करम विजयको स्वीकार कर सकत है और यह जानकर हो सकते हैं कि आप एचिमाई कानूनस मुक्त हो गया है तो में मरने आपको अपने देशमा प्रति ईश्वरक प्रति और अपनी अपकप्रतिदा । में आपको ऐसी कमी नही दूंगा फिर ही इन प्रमाणपक जसागंपर मापपर कितने ही क्यों न जायें। परन्तु एक बात याद रखिए। इन प्रमाणपत्रास जमा इनके फट बाद जबतक इस बार सरकारका म्यायमुक्त और सम्मानपूर्ण समझौता नही हो पाता तबतक मापको कभी इन प्रमापसे काम नही उठाना है। आज जिन प्रमापपत्राको माप पा रहे है कपाँच मिसिम शुरु देकर उनकी दूसरी पति आपको दफ्तरसेमिक सती है में कहा है कि सरकार आपको इनकी मुफ्त भी वे बेगी क्योंकि अभी वह विभ पक कानून नहीं बना है। परन्तु अगर इस विद्यास जन-समुदायमें कोई ऐसा भारतीय जो मागधर्मी बन सकोसमें आकर अममा ऐसे ही किसी अन्य कारणसे अपना प्रमाणपत्र करउसको की इच्छा रखता है तो मैं जोर दे कर कहता हूँ कि यह सभी सामनमा जाये और कह दे कि वह अपना प्रमाणपत्र नहीं पहचाना चाहता। परन्तु मगर आप इस बार है कि आप सरकार के पास इन प्रमाणपत्रकी नकल मांगनक लिए नहीं जाने में काकि आपने बहुत अच्छा किया है। विधि भारतीय संघकी सभामें हमने जब यह विषय किया उस पहुच माप कितने ही भारतीयोंकी जम भज चुके थे। श्रीबी माह कीजिए। अन्य है कि आपकी उड़ाई लिए टाउनस बाम (नि) इसमेही मरीज भाई अपनी कौमकी सबाके लिए मौर इस उम्पस जोहानिसबम फाट जल में ममे कि उनके कष्टांको कपकर सरकार एवं इम उनिमारमसम्मान और ग्राम प्रमाणपत्रको कर बैठे रखना और बरन अपेधात जो तीन महीनको अदमिकेबाद सदन 24 या करना किन रविवाई कानूनक जाये सिर तुका में हमें सीमा बना है? में गारके साथ हूँ नही भरी जाकी अवधि पूरी होनसजसमें जो क |
आईएमडी के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सापेक्ष आर्द्रता 53 प्रतिशत दर्ज की गई और दिन में आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के आसार दिख सकते हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) में भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने रविवार को बताया है कि सुबह न्यूनतम तापमान 21.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम के औसत तापमान से पांच डिग्री सेल्सियस कम है. वहीं मौसम विभाग के मुताबिक अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है.
आईएमडी (IMD) ने कहा कि रविवार को आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है और न्यूनतम और अधिकतम तापमान क्रमशः 21.7और 41 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है. मौसम विभाग ने शाम साढ़े पांच बजे 35 फीसदी सापेक्षिक आर्द्रता दर्ज की है. मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सापेक्ष आर्द्रता 53 प्रतिशत दर्ज की गई और दिन में आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के आसार दिख सकते हैं. जहां राजधानी दिल्ली शहर में वायु गुणवत्ता "मध्यम" श्रेणी में दर्ज की गई.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा सुबह आठ बजकर पांच मिनट पर दर्ज वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 165 था. जोकि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा', 51 और 100 के बीच एक्यूआई 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच एक्यूआई 'मध्यम' 201 और 300 के बीच एक्यूआई 'खराब', 301 और 400 के बीच एक्यूआई 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच एक्यूआई 'गंभीर' की श्रेणी में आता है.
बतां दें कि आईएमडी ने कहा कि गर्मी से एक मामूली बदलाव में, दिल्ली में न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान 39.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
इस हफ्ते की शुरुआत में गुरुवार को दिल्ली में हल्की बारिश हुई. आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में नोएडा, मेरठ रोहतक, पानीपत और कुछ अन्य स्थानों पर हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश और हवा की गति के साथ गरज के साथ बारिश होने का अनुमान है. आईएमडी ने राष्ट्रीय राजधानी के अलावा हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर 20-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा के साथ हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश के साथ गरज के साथ बौछारें पड़ने की भी भविष्यवाणी की है.
(इनपुट- भाषा)
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पंजाब के न्यू अमृतसर एरिया में शुक्रवार रात को 3 चोरों का एक गैंग CCTV में कैद हो गया, जो एक घर से सामान चोरी करके ले गया है। गुरदास एवेन्यू में हरप्रीत सिंह के घर के बाहर रात तकरीबन 2 बजे के करीब तीन युवक आए।
दो ने चेहरे पर लाल रंग का परना बांधा हुआ था। एक युवक दीवार फांद कर घर में घुसते दिखा। उसने घर में खड़ा महंगा साइकिल उठाया और बाहर पकड़ा दिया। इसके साथ ही वे साइकिल के पास पड़े 3 गैस सिलेंडर भी साथ ले गए।
बीते कुछ समय में न्यू अमृतसर में चोरी की वारदातें अधिक रिपोर्ट हो रही थीं। दो दिन पहले ही न्यू अमृतसर बी-ब्लॉक में भी चोरी करने का प्रयास किया गया, लेकिन दरवाला लॉक होने के कारण चोर घटना को अंजाम देने में विफल रहे।
न्यू अमृतसर पुलिस का कहना है कि चोरी की CCTV फुटेज हाथ लगी है। आरोपियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल शिकायत के आधार पर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
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गोरखपुर (ब्यूरो)। 10 वीं का इम्प्रूवमेंट और कंपार्टमेंट एग्जाम 12 से 19 जुलाई तक होगा। गोरखपुर के सभी स्कूलों को डेटशीट भेज दी गई है। स्कूल अपने स्तर से इम्प्रूवमेंट और कंपार्टमेंट देने वाले 10 वीं और 12 वीं के स्टूडेंट का सूचना दे रहे हैं।
इंटर के स्टूडेंट्स का इम्प्रूवमेंट और कंपार्टमेंट एग्जाम लिटिल फ्लावर स्कूल में होगा। तीन घंटे का एग्जाम दोपहर दो बजे शुरू होकर पांच बजे तक चलेगा। इसी तरह हाईस्कूल के स्टूडेंट्स का सेंटर एचपी चिल्ड्रेन स्कूल को बनाया गया है। हाईस्कूल के सभी एग्जाम सुबह 11 बजे शुरू होंगे। सभी एग्जाम दो घंटे के होंगे, केवल एक पेपर तीन घंटे का होगा।
एग्जाम शेड्यूल के अनुसार स्टूडेंट अपने-अपने स्कूलों से 7 जुलाई को एडमिट कार्ड प्राप्त कर सकते हैं। इंटर का 13 तो हाईस्कूल के अलग-अलग सब्जेक्ट का 19 जुलाई तक एग्जाम चलेगा। काउंसिल के अनुसार अगस्त में इम्प्रूवमेंट और कंपार्टमेंट एग्जाम को रिजल्ट घोषित किया जाएगा। एग्जाम के दौरान स्टूडेंट को क्वेश्चन पेपर पढऩे के लिए 15 मिनट एक्स्ट्रा समय दिया जाएगा। स्टूडेंट को बोर्ड द्वारा बनाए रूल्स के आधार पर ही एग्जाम देने आना है। बिना एडमिट कार्ड के एग्जाम सेंटर पर इंट्री नहीं मिलेगी।
स्कूलों में काउंसिल ने इम्प्रूवमेंट और कंपार्टमेंट एग्जाम की डेटशीट भेज दी है। उसके अनुसार एग्जाम के लिए आवेदन करने वाले बच्चों को सूचना दी जा रही है।
12 जुलाई से 19 जुलाई तक एग्जाम चलेगा। इसका रिजल्ट अगस्त में आ जाएगा। स्टूडेंट को एग्जाम की डेट मैसेज कर दी गई है। एग्जाम के लिए दो स्कूलों को सेंटर बनाया गया है।
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रन फॉर आस्थाः दिनांक 24.10.2019 जिला अयोध्या रन फार आस्था से दीपोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ रामनगरी अयोध्या में होने वाले भव्य दीपोत्सव का शुभारंभ रन फार आस्था से आज हो गई ।
पिछले तीन दिनों से अयोध्या एक बार फिर छावनी जैसी दिख रही है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बल के जवान दिख रहे हैं. मुख्य सड़क पर बीच-बीच में सायरन बजाती सुरक्षाबलों की गाड़ियां नज़र आ रही हैं.
ऐसा इसलिए है क्योंकि सरयू तट पर दीपावली से ठीक एक दिन पहले भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम होना है और क़रीब तीन लाख दीये जलाने का रिकॉर्ड क़ायम करना है.
पिछले साल एक दिवसीय दीपावली महोत्सव से उत्साहित राज्य सरकार ने इस बार कार्यक्रम तीन दिन का कर दिया है. पिछले दो दिन से शहर में रामलीला समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और मंगलवार सरयू तट पर भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम होगा.
राम की पैड़ी पर सरयू घाट के दोनों ओर की सीढ़ियों के ऊपर मिट्टी के दीये सजाकर रखे गए हैं और शाम को जैसे ही उनमें तेल भरकर उन्हें प्रज्ज्वलित किया जाएगा, पूरा घाट जगमग हो जाएगा. घाटों को वैसे भी पिछले दो दिनों से रोशनी से नहलाने के लिए लेज़र बीमों और ख़ूबसूरत प्रकाश का इस्तेमाल किया जा रहा है.
वहीं सोमवार देर रात तक अयोध्या की सड़कों पर चहल-पहल रही. कुछ लोग सरयू घाट पर रोशनी और दीयों की सजावट देख रहे थे तो कुछ धनतेरस की ख़रीदारी में व्यस्त थे. अयोध्या शहर के भीतर मुख्य मार्ग की सड़क पर मरम्मत कार्य भी चल रहा था.
वहीं सांसद लल्लू सिंह ,अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता , अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथि भी मौजूद रहे। यह दौड़ पंचकोसी परिक्रमा मार्ग होते हुये वापस राम की पैड़ी पर आकर खत्म हुई।
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जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर और अन्य पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. इच्छुक उम्मीदवार जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) भर्ती अधिसूचना 2021 के लिए 06 फरवरी 2021 तक या उससे पहले निर्धारित प्रारूप के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। सेंट्रल रेलवे, बायकुला डिवीजन ने सीनियर रेजिडेंट के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. इच्छुक उम्मीदवार 6 जनवरी 2021 को आयोजित किये जाने वाले वॉक-इंटरव्यू के लिए उपस्थित हो सकते हैं। असम लोक सेवा आयोग (Assam PSC) ने मत्स्य विकास अधिकारी, जूनियर इंजीनियर (JE) और प्लांट मैनेजर पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 29 जनवरी 2021 को या उससे पहले निर्धारित आवेदन प्रारूप के माध्यम से असम पीएससी भर्ती अधिसूचना 2021 के लिए आवेदन कर सकते हैं।
वहीं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) तिरुपति ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, तकनीकी अधिकारी और अन्य पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक और पात्र व्यक्ति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) तिरुपति भर्ती अधिसूचना 2021 के लिए 29 जनवरी 2021 को या उससे पहले निर्धारित आवेदन प्रारूप के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। दरअसल, कई सरकारी विभागों में विभिन्न पदों पर सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। उम्मीदवार, अपनी योग्यतानुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर सकते हैं। हम यहां, भर्ती से संबंधित जरूरी जानकारी जैसे विभाग, रिक्तियों की संख्या, आवेदन का तरीका, अंतिम तिथि से लेकर चयन प्रक्रिया और वेतनमान तक की जानकारी दे रहे हैं। गवर्नमेंट जॉब्स के लेटेस्ट न्यूज जानने के लिए हमारे अपडेट्स को फॉलो कर सकते हैं।
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पक यही मनोविकार है। मनुष्य की सज्जनता वा दुर्जनता अन्य प्राणियों के साथ उसके सम्बन्ध वा संसर्ग द्वारा ही व्यक्त होती है। यदि कोई मनुष्य जन्म से ही किसी निर्जन स्थान में अपना निर्वाह करे तो उसका कोई कर्म सज्जनता या दुर्जनता की कोटि में न आगा। उसके सब कर्म निर्लिप्त होंगे। संसार में प्रत्येक प्राणी के जीवन का उद्देश्य दुःख की निवृत्ति और सुख की प्राप्ति है अतः सबके उद्देश्यों को एक साथ जोड़ने से संसार का उद्देश्य सुख का स्थापन और दुःख का निराकरण या बचाव हुआ । अतः जिन कर्मों से संसार के इस उद्देश्य का साधन हो वे उत्तम हैं। प्रत्येक प्राणी के लिए उससे भिन्न प्राणी संसार है। जिन कर्मों से दूसरे के वास्तविक सुख का साधन और दुःख की निवृत्ति हो वे शुभ और सात्विक हैं तथा जिस अन्तःकरण-वृत्ति से इन कर्मों में प्रवृत्ति हो वह सात्विक है। कृपा वा प्रसन्नता से भी दूसरों के सुख की योजना की जाती है। पर एक तो कृपा वा प्रसन्नता में आत्मभाव छिपा रहता है और उसकी प्रेरणा से पहुँचाया हुआ सुख एक प्रकार का प्रतिकार है। दूसरी बात यह है कि नवीन सुख की योजना की अपेक्षा प्राप्त दुःख की निवृत्ति की आवश्यकता अधिक है ।
दूसरे के उपस्थित दुःख से उत्पन्न दुःख का अनुभव अपनी तीव्रता के कारण मनोवेगों की श्रेणी में माना जाता है, पर अपने आचरण द्वारा दूसरे के संभाव्य दुःख का ध्यान या अनुमान, जिसके द्वारा हम ऐसी बातों से बचते हैं जिनसे अकारण दूसरे को दुःख पहुँचे, शील वा साधारण सद्वृत्ति के अन्तर्गत समझा जाता है। बोल-चाल की भाषा में तो 'शील' शब्द से चित्त की कोमलता वा मुरौवत ही का भाव समझा जाता है, जैसे- 'उनकी आँखों में शील नहीं है', 'शील तोड़ना अच्छा नहीं। दूसरों का दुःख दूर करना और दूसरों को दुःख न पहुँचाना इन दोनों बातों का निर्वाह करने
वाला नियम न पालने का दोपी हो सकता है, पर दुःशीलता वा दुर्भाव का नहीं। ऐसा मनुष्य झूठ बोल सकता है पर ऐसा नहीं कर सकता जिससे किसी का कोई काम बिगड़े या जी दुखे । यदि वह कभी बड़ों की कोई बात न मानेगा तो इसलिए कि वह उसे ठीक नहीं जँचता, वह उसके अनुकूल चलने में असमर्थ है; इसलिए नहीं कि बड़ों का अकारण जी दुखे। मेरे विचार के अनुसार 'सदा सत्य बोलना', 'बड़ों का कहना मानना' आदि नियम के अन्तर्गत हैं, शील वा सद्भाव के अन्तर्गत नहीं। झूठ बोलने से बहुधा बड़ेबड़े अनर्थ हो जाते हैं इसी से उसका अभ्यास रोकने के लिए यह नियम कर दिया गया कि किसी भी अवस्था में झूठ बोला ही न जाय। पर मनोरंजन, खुशामद और शिष्टाचार आदि के बहाने संसार में ऐसा बहुत-सा झूठ बोला जाता है जिस पर कोई समाज कुपित नहीं होता। किसी-किसी अवस्था में तो धर्म ग्रन्थों में झूठ बोलने की इजाजत तक दे दी गई है, विशेषतः तब जब कि इस नियम-भंग द्वारा अन्तःकरण की किसी उच्च और उदार वृत्ति का साधन होता हो । यदि किसी के झूठ बोलने से कोई निरपराध और निःसहाय व्यक्ति अनुचित दण्ड से बच जाय तो ऐसा झूठ बोलना बुरा नहीं बतलाया गया है, क्योंकि नियम शील वा सद्वृत्ति का साधक है, समकक्ष नहीं । मनोवेग-वर्जित सदाचार केवल दम्भ है। मनुष्य के अन्तःकरण में सात्विकता की ज्योति जगाने वाली यही करुणा है। इसी से जैन और बौद्ध धर्म में इसको बड़ी प्रधानता दी गई है और गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी कहा हैपर उपकार सरिस न भलाई । पर-पीड़ा सम नहीं अथमाई ॥ यह बात स्थिर और निर्विवाद है कि श्रद्धा का विषय किसीन किसी रूप में सात्विक शीलता ही है । अतः करुणा और सात्विकता का सम्बन्ध इस बात से और भी प्रमाणित होता है
कि किसी पुरुष को दूसरे पर करुणा करते देखकर तीसरे को करुणा करने वाले पर श्रद्धा उत्पन्न होती है। किसी प्राणी में और किसी मनोवेग को देखकर श्रद्धा नहीं उत्पन्न होती। किसी को क्रोध, भय, ईर्ष्या, घृणा, आनन्द आदि करते देखकर लोग उस पर श्रद्धा नहीं कर बैठते । यह दिखलाया ही जा चुका है कि प्राणियों की आदि अन्तःकरण वृत्ति रागात्मक है । अतः मनोवेगों में से जो श्रद्धा का विषय हो वही सात्विकता का आदि संस्थापक ठहरा । दूसरी बात यह भी ध्यान देने की है कि मनुष्य का आचरण मनोवेग वा प्रवृत्ति ही का फल है। बुद्धि दो वस्तुओं के रूपों को अलग-अलग दिखला देगी, यह मनुष्य के मनोवेग पर निर्भर है कि वह उनमें से किसी एक को चुनकर कार्य में प्रवृत्त हो । कुछ दार्शनिकों ने तो यहाँ तक दिखलाया है कि हमारे निश्चयों का अन्तिम आधार अनुभव वा कल्पना की तीव्रता ही है, बुद्धि द्वारा स्थिर की हुई कोई वस्तु नहीं। गीली लकड़ी को आग पर रखने से हमने एक बार धुँआ उठते देखा, दस बार देखा, हज़ार बार देखा, अतः हमारी कल्पना में यह व्यापार जम गया और हमने निश्चय किया कि गीली लकड़ी आग पर रखने से धुँआ होता है। यदि विचारकर देखा जाय तो स्मृति, अनुमान, बुद्धि आदि अन्तःकरण की सारी वृत्तियाँ केवल मनोवेगों की सहायिका हैं, वे मनोवेगों के लिए उपयुक्त विषय-मात्र ढूँढ़ती हैं। मनुष्य की प्रवृत्ति पर कल्पना को और मनोवेगों को व्यवस्थित और तीव्र करने वाले कवियों का प्रभाव प्रकट ही है।
प्रिय के वियोग से जो दुःख होता है वह भी करुणा कहलाता है, क्योंकि उसमें दया व करुणा का अंश भी मिला रहता है। ऊपर कहा जा चुका है कि करुणा का विषय दूसरे का दुःख है । अतः प्रिय के वियोग में इस विषय की संप्राप्ति किस प्रकार होती है, यह देखना है। प्रत्यक्ष निश्चय कराता है और परोक्ष अनिश्चय |
भुवनेश्वरः कोरोना वायरस संकट के बीच ओडिशा से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, वहां कटक के एक मंदिर के पुजारी ने नरबलि चढ़ा दी उसका कहना था कि उसे सपने में भगवान से आदेश मिला था कि अगर मैंने नरबलि दी तो कोरोना खत्म हो जाएगा। कटक जिले के नरसिंहपुर में एक मंदिर के पुजारी ने इस घटना को अंजाम दिया है।
कटक जिले में 70 साल के एक पुजारी ने मंदिर परिसर में 52 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद दावा किया उसने 'कोविड-19 वैश्विक महामारी खत्म करने के लिए मानव बलि दी है। ' पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी 70 साल के संसार ओझा ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर हत्या करने की बात स्वीकार की।
अथागढ़ पुलिस के सब डिविजनल आलोक रंजन राय ने कहा, 'ओझा ने दावा किया कि देवी ने उसके सपने में आकर उससे कहा था कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के अंत के लिए एक मनुष्य की बलि देनी होगी। '
घटना नरसिंहपुर थाना क्षेत्र के बाहुड़ा गांव के ब्राह्मणी देवी मंदिर में बुधवर रात हुई, उन्होंने बताया कि हत्या का मकसद पता लगाने की कोशिश जारी है, अधिकारी ने बताया कि पुलिस आरोपी के दावों को नहीं मान रही है।
हत्या के लिए इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी को भी जब्त कर लिया गया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। बताया जा रहा है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी पुजारी घटना के समय शराब के नशे में था आशंका है कि वह मानसिक रूप से बीमार है।
मंदिर के पुजारी संसारी ओझा ने हत्या के पीछे वजह अलग ही बताई है जिसे सुनकर कोई भी चौंक जाए, संसारी ओझा ने कहा, सपने में भगवान से आदेश मिला था कि अगर मैंने नरबलि दी तो कोरोना खत्म हो जाएगा। मगर पुलिस का दावा है कि मृतक प्रधान और पुजारी के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था जसको लेकर दोनों के बीच बहस हो गई जिसके चलते इस घटना को अंजाम दिया गया।
मृतक की पहचान 52 वर्षीय सरोज कुमार प्रधान के तौर पर हुई है। अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों का कहना है कि ओझा का लंबे समय से गांव में आम के एक बाग को लेकर प्रधान के साथ विवाद चल रहा था।
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अस्पृश्यता को व्याख्या
१ - अस्पृश्यता हिन्दू धर्म का अंग नहीं है, बल्कि उसमें घुसी हुई सड़न है, वहम है, पाप है और उसको दूर करना हर एक हिन्दू का धर्म है उसका परम कर्तव्य है।
२ - अस्पृश्य माने जाने वाले लोग चारों वर्गों के ही अंग हैं ।
३ - जन्म के कारण मानी गई इस अस्पृश्यता में अहिंसा धर्म और सर्वभूतात्म भाव का निषेध हो जाता है। इसको जड़ में संयम नहीं है, उच्चता को उद्धत भावना ही वहां बैठी हुई है। इसलिए यह स्पष्टतः अधर्म ही है । इसने धर्म के बहाने लाखों, करोड़ों की हालत गुलामो को·सी कर डाली है ।
४ - सार्वजनिक मेले, बाजार, दुकानें, मदरसे, धर्मशालाएं, मन्दिर, कुएं, रेल, मोटरों इत्यादि में, जहां कहीं दूसरे हिन्दुओं को श्राजादी से जाने और उनसे लाभ उठाने का अधिकार है, हरिजन स्वच्छन्द रूप से जा सकते हैं । " इस अधिकार से उन्हें वंचित रखने वाला अन्याय करता है। इस इधिकार को स्वीकार करने वाले उन पर मेहरबानी नहीं करते, बल्कि अपनी ही भूल को सुधारते हैं ।
५ -- सैकड़ों वर्षों के अमानुष व्यवहार और संस्कारवान वर्णों के संसर्ग से वंचित रहने के फलस्वरूप ग्रस्यं की स्थिति इतनी षिक दयनीय हो गई है और वे इतने अधिक नीचे गिर गये है कि उन्हें दूसरे वगों की कं टि में चढ़ाने के लिए संस्कारवान हिन्दुओं के विशेष प्रयत्न करने की आवश्यकता है। इसलिए अस्पृश्य तथा दूसरी दलित या बिछड़ी हुई जातियों की सेवा में अपना जीवन अर्पण करना और इस कार्य में उदार हृदय से सहायता करना इस युग के संस्कार वाले हिन्दुओं का प्रति पवित्र कर्तव्य है।
६ - इस दृष्टि से दलित जातियों के लिए विशेष संस्थाओं और सुविधाओं की जरूरत है । पर विशेष संस्थाओं और सुविधाओं की व्यवस्था कर देने से उनका सार्वजनिक संस्थाओं और सुविधाओं से लाभ उठाने का अधिकार चला नहीं जाता।
७-अछूतों की स्थिति सुधारने के लिए यह जरूरी नहीं है कि उनसे के परम्परागत पेशे छुड़वाये जायं अथवा उन पेशों के प्रति उनके मन में प्रदक्षि पैदा की जाय। ऐसा नतीजा पैदा करने के लिए की गई कोशिश उनकी सेवा |
तुर्क साम्राज्य ने अब तुर्की और पूर्वी भूमध्यसागरीय दुनिया का एक बड़ा हिस्सा 12 99 से 1 9 23 तक शासन किया था । ओटोमन साम्राज्य के शासकों या सुल्तानों ने मध्य एशिया के ओघुज तुर्कों में अपनी पैतृक जड़ें थीं, जिन्हें तुर्कमेनिस्तान भी कहा जाता था।
हालांकि, अधिकांश सुल्तान की मां शाही हरम से उपनिवेश थीं - और अधिकांश उपनिवेश साम्राज्य के गैर-तुर्किक, आमतौर पर गैर-मुस्लिम भागों से थे।
जेनिसरी कोर में लड़कों की तरह, तुर्क साम्राज्य में अधिकांश उपनगरीय तकनीकी रूप से दास वर्ग के सदस्य थे। कुरान साथी मुस्लिमों के दासता को रोकता है, इसलिए ग्रीस या काकेशस में ईसाई या यहूदी परिवारों की उपनिवेशियां थीं, या आगे की ओर से युद्ध के कैदी थे। हरम के कुछ निवासी आधिकारिक पत्नियां भी थे, साथ ही, जो ईसाई राष्ट्रों की महानता हो सकती हैं, राजनयिक वार्ता के हिस्से के रूप में सुल्तान से विवाह कर रही थीं।
यद्यपि कई मां दास थे, लेकिन अगर उनके बेटों में से एक सुल्तान बन गया तो वे अविश्वसनीय राजनीतिक शक्ति प्राप्त कर सकते थे। वैलाइड सुल्तान या मदर सुल्तान के रूप में, एक उपनिवेश अक्सर अपने युवा या अक्षम बेटे के नाम पर एक वास्तविक शासक के रूप में कार्य करता था।
तुर्क शाही वंशावली उस्मान प्रथम (आर। 12 99 - 1326) से शुरू होती है, जिनके माता-पिता तुर्क थे। अगला सुल्तान भी 100% तुर्किक था, लेकिन तीसरे सुल्तान, मुराद प्रथम के साथ शुरू हुआ, सुल्तान की मां (या वालइड सुल्तान ) मध्य एशियाई मूल के नहीं थे।
मुराद प्रथम (आर। 1362 - 1389) 50% तुर्की था। बेएज़िड की मां ग्रीक थी, इसलिए वह 25% तुर्की था।
पांचवीं सुल्तान की मां ओघुज थी, इसलिए वह 62. 5% तुर्की था। फैशन में निरंतर, सुलेमान ने शानदार , दसवीं सुल्तान के पास 24% तुर्की रक्त था।
मेरी गणना के अनुसार, जब तक हम तुर्क साम्राज्य के 36 वें और अंतिम सुल्तान तक पहुंचे, मेहमद VI (आर।
1 9 18 - 1 9 22), ओघुज़ रक्त इतना पतला था कि वह केवल 0. 1 9 5% तुर्किक था। ग्रीस, पोलैंड, वेनिस, रूस, फ्रांस और उससे परे माताओं की उन सभी पीढ़ियों ने वास्तव में मध्य एशिया के चरणों पर सुल्तानों की आनुवंशिक जड़ों को डूब दिया।
- मुराद III, इतालवी (वेनिस)
- मेहम III, इतालवी (वेनिस)
- उस्मान द्वितीय, ग्रीक या सर्बियाई (? )
- अब्दुलमेसिड I, जॉर्जियाई या रूसी (? )
- अब्दुलहम द्वितीय, अर्मेनियाई या रूसी (? )
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ऊना-दीपावली पर्व के चलते ऊना के बाजार पूरी तरह से गुलजार नजर आए। लोगों ने बाजार में पहुंचकर जमकर खरीददारी की। दिवाली पर्व से एक दिन पूर्व स्वीट शॉप्स, गिफ्ट सेंटर, रेडीमेड गारमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलर्स की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिली। बाजार में लोगों की आवाजाही देख दुकानदारों के चेहरे खिले-खिले नजर आए। त्योहारी सीजन के चलते दुकानदार विभिन्न उत्पादों पर छूट दे रहे है।
शुक्रवार को पूरा दिन लोग अपने फ्रेंड्स व रिश्तेदारों के घर जाकर दिवाली की बधाई व गिफ्ट्स देने में व्यस्त रहे। दिवाली से एक दिन पहले ऊना शहर में विभिन्न स्थानों पर पटाखों व मिट्टी के दीयों की दुकाने सजी रही। लोगों ने भी लोकल विद वोकल को प्रमोट करते हुए मिट्टी के दीये खरीदने में भारी दिलचस्पी दिखाई। दिवाली पर्व के चलते लोगों ने जहां बाजारों में खरीददारी की, वहीं लोगों ने टू व्हीलर वाहन व गाडि़यों की भी जमकर खरीददारी की। लंबे समय बाद बाजार में ग्राहकों की आवाजाही से व्यापारियों के काम-धंधे को भी गति मिली। व्यापारियों ने भी दिवाली पर्व को लेकर पूरी तैयारियां कर रखी थी। दिवाली पूर्व से कुछ दिन पूर्व ही ऊना शहर की दुकाने पूरी तरह से सज चुकी थी। व्यापारियों द्वारा दिवाली पर्व के उपलक्ष्य पर ग्राहकों को रिझाने के लिए विभिन्न उत्पादों पर छूट दी जा रही है।
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हैं ? यदि तो ये किसी उद्देश्य के लिए साधन मात्र हैं, तब तो दूसरी बात है और यदि शान्ति स्वयमेव उद्देश्य बन जाए तो जीवन का अन्त ही हो जाएगा। सर्वत्र शान्ति और सहिष्णुता तो शव का धर्म है। क्या पूर्ण समाज को एक शव के तुल्य बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है ?"
बाण पत्रलता को युक्ति करते देख चकित रह गया । वह मन मे विचार करता था कि यह पान बेचने वाली ऐसी तार्किक कैसे बन गई । इस पर उसको समझाया कि जिस सूर्य की परिधि मे यह घूमती है, वह महामात्य है। अतएव इसके मन मे उस महान् सूर्य का प्रकाश प्रतिबिम्बित हो रहा होगा। इतना विचार कर उसने कहा, "शान्ति और सहिष्णुता तो पथ है । परन्तु उद्देश्य प्राप्ति निर्वाण है।"
"निर्वाण ? यह किस बला का नाम है ? कवि निर्वाण के अर्थ पूछे थे महाप्रभु से १ "
" निर्वाण का अर्थ है महान् प्रशान्त अवस्था ।'
" अर्थात्, महान् शान्ति के लिए लघुशान्ति उपाय है । दूसरे शब्दो मे यह कहो कि मीठा खाने के लिए मीठा खाना उपाय है। तो उद्देश्य और साधन अभिन्न हो गए । उद्देश्य और पथ एक हो गए। क्या यही उपदेश महाप्रभु ने दिया है ?"
इस समय पाचक ने पुनः स्मरण कराया, " श्रीमान् भोजन तैयार
"तो परस दो। दो व्यक्तियों के लिए । "
इतना कह वाण ने पत्रलता की ओर देखकर कहा, "अब तो देवी जी को पता चल गया होगा कि यह धन-वैभव चोरी डाका डालकर उपलब्ध नहीं किया। यह तो महाराज ने अपने सेवक को वेतन स्वरूप दिया है ।"
"महाराज का अन्न तो मै खाती रही हूँ। वह मै अपना ही मानती |
आईबी में 2000 पदों पर नौकरियां निकली हैं.
इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में एसआईओ की 2000 भर्तियां निकली हैं. इसके लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर - ग्रेड--II/एग्जीक्यूटिव परीक्षा 2020 ( आईबी एसीआईओ भर्ती 2020 ) का नोटिफिकेशन जारी किया है. इंटेलिजेंस ब्यूरो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है. ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तारीख 9 जनवरी 2021 है. इच्छुक अभ्यर्थी आधिकारिक वेबसाइट www. mha. gov. in , www. ncs. gov. in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसमें 989 पद अनारक्षित हैं.
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ग्वालियर में मारपीट से आहत युवक ने फांसी लगा ली। घटना रविवार रात की है। घटना का पता सोमवार सुबह चला। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को निगरानी में लेकर पीएम के बाद शव परिजन को सौंप दिया। युवक से दो दिन पहले उसके ही दो दोस्तों ने मारपीट की थी। इसके बाद वह बेइज्जती महसूस कर रहा था। इसका जिक्र उसने घर पर भी किया था। घरवालों ने इसे अनसुना कर दिया।
गिरवाई स्थित बारावीघा इलाके में रहने वाले अजीत उर्फ सोनू सिकरवार (34) पुत्र रामनरेश सिंह सिकरवार प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे। उनकी गंजी वाला मोहल्ला के रहने वाले मोनू और रिंकू जाटव से दोस्ती थी। यह तीनों स्मैक का नशा भी करते थे। दो दिन पहले मोनू और रिंकू ने अजीत से किसी बात को लेकर बीच सड़क पर मारपीट कर दी थी। इसी से वह दुखी था। उसे लग रहा था कि उसकी बेइज्जती हुई है। दो दिन से वह बार-बार घर में यही कह रहा था कि उसके साथ हुई मारपीट का बदला लेना है। उसने मामला भी दर्ज कराया था।
अजीत ने परिवार से बेइज्जती का बदला लेने के लिए कहा था, लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया। जिस पर वह रविवार रात बाजार गया। रात को लौटकर फंदे पर झूल गया। सोमवार सुबह जब वह नींद से नहीं उठा, तो परिजन को चिंता हुई। अंदर जाकर देखा तो वह फंदे पर लटका था। तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। दोपहर पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सौंप दिया।
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हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसको लेकर हर कोई हैरान है। मामला ये है कि एक शख्स की जीभ पर बाल उग आए। जब इसका पता चला तो लोग चौंक गए। जब यह शख्स डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टरों की टीम ने पूरी कहानी बयां करते हुए उसका कारण बताया। टीम ने यह भी बताया कि ऐसे मामले बेहद दुर्लभ होते हैं और यह बहुत ही रेयर केस में सामने आते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस शख्स की जानकारी गोपनीय रखी गई है लेकिन इसके साथ घटी घटना को विस्तृत तरीके से रिपोर्ट किया गया है। रिपोर्ट में एक केस स्टडी के हवाले से बताया गया कि पचास वर्षीय एक शख्स के साथ यह घटना हुई तो वह डॉक्टर के पास पहुंचा। शख्स की जीभ काली पड़ चुकी थी और उस पर बाल जैसी चीज उग आई थी। इसे एक्सपर्ट्स ने ब्लैक हेयर टंग सिंड्रोम नाम दिया है।
यह ब्लैक हेयर एक प्रकार से अस्थायी और हानिरहित कंडीशन है। इस सिंड्रोम में जीभ की सतह पर डेड स्किन सेल्स उभरने लगती है। ये डेड स्किन सेल्स टेस्ट बड्स समेटने वाले पैपिले पर जमने लगती हैं। जिसमें खाना, यीस्ट, तंबाकू व अन्य चीजें जमा होने लगती हैं और जीभ का रंग काला पड़ने लगता है। हालांकि यह कंडीशन अधिकतर मामलों में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार यह स्थायी लगने लगती है।
बताया गया कि बहुत ज्यादा इन सब चीजों के सेवन से और ठीक उसी समय हार्मोन्स के सक्रिय होने से ऐसी स्थिति सामने आ जाती है। ब्लैक हेयर टंग सिंड्रोम में कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। जैसे- जीभ का रंग पीला, काला, सफेद, डार्क ब्राउन आदि का हो जाना। इसके अलावा जीभ पर बालों जैसी दिखावट होना या स्वाद में गड़बड़ी आ जाना।
इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि शख्स को कुछ दिन पहले शरीर के बाएं हिस्से में लकवा भी मार गया था। इसके बाद इस मरीज को डॉक्टरों ने लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी थी और उसे खाने की कोई भी चीज मिक्सी में पीस कर खिलाई जा रही थी। लगभग ढाई महीने बाद, उसकी देखभाल करने वाले ने उसकी जीभ की सतह काले बाल उगे हुए देखे। फिलहाल उसका इलाज शुरू हुआ और बाद में इसे कुछ हद तक सही कर लिया जाएगा।
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बलिया गोलीकांड का मुख्य आरोपी धीरेंद्र सिंह को पुलिस ने धर दबोचा है. बता दें कि यूपी पुलिस ने सभी आरोपियों पर इनाम बढ़ाकर 50-50 हजार रुपये कर दिया है, लेकिन धीरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद अब 7 नामजद और करीब 25 अज्ञात आरोपियों में सिर्फ 8 की गिरफ्तारी हुई है और इनमें भी सिर्फ तीन ही नामजद हैं. बाकी नामजद आरोपियों का कोई पता ठिकाना नहीं है. हालांकि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर यूपी पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है. देखिए ये वीडियो.
Prime accused, Dheerendra Singh arrested in connection with the incident where a man died after bullets were fired during a meeting for allotment of shops under government quota, in Durjanpur village in Ballia. A total of eight accused arrested so far. Now all the accused will be tried under the NSA and the Gangster Act. Watch this video.
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प्रेमिका ने प्रेमी के ऊपर कराया था छोटी बहन से छेड़खानी का मामला। दो दिन बाद प्रेमी की लाश पेड़ पर लटकी मिली। इस मामले में मृतक युवक के परिजनों से पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
औरैयाः औरैया जिले में एक युवक की लाश एक आम के पेड़ पर लटकी मिली है। युवक की लाश की सूचना से इलाके में हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पेड़ से नीचे उतरवाया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है। पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। इधर युवक के परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, घटना औरैया के बिधूना कोतवाली के वनखण्डेश्वर मंदिर के पास की है। यहां एक खेत में खड़े आम के पेड़ पर अनुज ( उम्र 28 साल) नाम के युवक की लाश लटकी हुई मिली थी। अनुज के परिजनों ने इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ बिधूना कोतवाली में मामला दर्ज कराया है।
दो दिन पहले प्रेमिका ने युवक के खिलाफ दर्ज कराया था केस बताया जाता है कि दो दिन पहले ही अनुज की प्रेमिका ने उसके खिलाफ अपनी छोटी बहन के साथ छेड़खानी का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में प्रेमिका ने अनुज के बड़े भाई, भाभी और बहन के खिलाफ भी मारपीट का मामला दर्ज कराया गया था। हालांकि इस मामले में समझौता हो गया था। लेकिन तभी से अनुज गायब था। लेकिन गुरुवार सुबह लोगों ने देखा एक डेड बॉडी पेड़ से लटकी हुई है। यह खबर आग की तरह फैल गई। जब पेड़ से लाश के लटकने की जानकारी मिली तो अनुज के परिवार भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा तो लटकी हुई डेड बॉडी अनुज की निकली।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाते हुए जांच में जुटी पुलिस इस मामले पर शिष्यपाल सिंह अपर पुलिस अधीक्षक औरैया ने बताया कि युवक के परिजनों ने पांच लोगों पर मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है। पुलिस आगे की जांच में जुट गई है।
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पूरा देश शनिवार को 74 वें स्वतंत्रता दिवस की खुशी मना रहा है। दूसरों को शुभकामनाएं देने से, राष्ट्रीय ध्वज फहराने तक, सभी देशवासी भारत की उपलब्धियों और स्वतंत्रता संग्राम में अपने जीवन को कुर्बान करने वाले नायकों के ऊपर गर्व व्यक्त कर रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री भी देशभक्ति के रंग में रंगी हुई है। कई सेलिब्रिटीज ने इस अवसर पर सोशल मीडिया के जरिये फैंस को शुभकामनाएं दीं।
हाल ही में कोरोना वायरस को हरा कर घर लौटे अमिताभ बच्चन ने स्वतंत्रता दिवस के सन्देश के साथ साथ कोविड-19 वॉरियर्स के लिए भी एक नोट साझा किया। उन्होंने इस अवसर पर सभी की शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने भी अपना सदाबहार गाना 'सारे जहां से अच्छा' का वीडियो शेयर करते हुए सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी।
अक्षय कुमार ने कोविड-19 महामारी के बीच कठिन समय का सामना कर रहे स्ट्रीट सेलर्स की मदद करने के लिए सभी से आग्रह करते हुए एक भावनात्मक वीडियो पेश किया।
कंगना रनौत ने भी एक तस्वीर साझा की जिसमें वह एक पौधा लगा रही हैं और लिखा कि हम सभी को कुछ ऐसा करके दिखाना चाहिए कि इस देश की मिट्टी को हम पर गर्व हो।
तापसी पन्नू ने दिवंगत कवि राहत इन्दौरी की एक कविता साझा की।
प्रियंका चोपड़ा ने सरोजिनी नायडू, रानी लक्ष्मीबाई जैसी स्वतंत्रता संग्राम की महिला योद्धाओं को एक वीडियो के साथ सम्मानित किया।
अनुपम खेर ने 'भारत माता' के लिए एक नोट लिखा जिसमें कहा गया था कि वह हमेशा प्रार्थना करेंगे कि हमारा देश हज़ारों सालों तक फूलें फलें और प्रगति की ऊँचाइयों को छुए।
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रायपुर, अपूर्वा सिंह। कोरोना महामारी संक्रमण के बचाव के लिए प्रदेश सहित पूरे देश में लॉक डाउन. 3 का दौर चालू है। इस लॉक डाउन में कई चीजों पर छूट दी गई। इस लॉकडाउन के दौर में रायपुर नगर निगम के महापौर लगातार जनता को जागरूक करने व जनता के सवालों को सुनकर उनकी समस्याओं का निराकरण करने फेसबुक लाइव के माध्यम से लगातार लोगों से रूबरू होते हैं। आज भी रायपुर के प्रथम नागरिक फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों से जुड़े। आपको बता दें कि पिछली बार महापौर एजाज ढेबर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर ए फरिश्ता के साथ फेसबुक पर लाइव आए थे व जनता को कोरोना वायरस से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां बताई थी। इस बार महापौर रायपुर एसएसपी आरिफ एच शेख के साथ फेसबुक पर लाइव थे, जहां पर उन्होंने जनता के प्रतिनिधि बनकर रायपुर एसएसपी से सवाल किए।
सवाल : शहर में लॉक डाउन का पालन करवाने के लिए कौन से उपाय किए जा रहे हैं ?
जवाब : इस पर एसएसपी आरिफ शेख ने बताया कि लॉक डाउन 3 फेस में हुआ है। लॉक डाउन वन, टू और थ्री। हर एक लॉक डाउन में पुलिस प्रशासन के रिस्पांस अलग-अलग थे। लॉक डाउन जब शुरू हुआ था, तब हमारे सामने दो चुनौतियां थी। सबसे पहली लॉक डाउन का बहुत ही कड़ाई से पालन करवाना और दूसरा जो लोग बाहर से आ रहे हैं। उनका सर्विलेंस करवाना इन दोनों चुनौतियों का सामना बहुत ही अच्छे से हुआ जिसका नतीजा हमें यह देखने को मिला। लॉक डाउन में बाकी जगहों की तुलना में यहां पर मरीजों की संख्या काफी कम थी। उसके बाद लॉक डाउन 2 में कुछ कुछ रियायतें दी गई थी। कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई जिसमें पब्लिक को कंट्रोल में रखना सबसे बड़ी चुनौती थी। उसके बाद लॉक डाउन 3 में रेड जोन, आॅरेंज, ग्रीन जोन बनाए गए। राजधानी रेड जोन में है, इन तीनों लॉक डाउन के फेस में पब्लिक की भूमिका बहुत ही ज्यादा सराहनीय रही है। राजधानी की जनता की वजह से ही राजधानी में बेहतर स्थिति बन पाई है। पब्लिक के द्वारा हमारे जवानों की काफी सहायता की गई। साथ ही साथ हौसला अफजाई भी किया गया। इसके साथ-साथ खानपान की चीजों का भी इंतजाम करवाया गया । हमारे द्वारा दिए गए आदेशों का बड़ी ही सजगता से जनता ने पालन किया।
सवाल : अक्सर लोगों के मन में पुलिस को लेकर डर देखा जाता है। मगर इस समय लोग बिना डरे पुलिस का सहयोग करते दिखे। यह कैसे संभव हुआ?
जवाबः आरिफ शेख ने कहा कि बहुत सारे कारणों की वजह से पुलिस की छवि नकारात्मक बनी थी, लेकिन जब से लॉक डाउन शुुरू हुआ तब से पुलिस प्रशासन को एक मौका मिला कि वह इस छवि को लोगों के मन में पुलिस के प्रति बैठे नकारात्मक छवि को दूर कर सके। कोरोना वायरस ने पुलिस प्रशासन को मौका दिया कि वह आम जनता को बता सके कि किसी भी विषम परिस्थिति में पुलिस प्रशासन अपनी जान की परवाह किए बिना हमेशा जनता की रक्षा के लिए उपस्थित है और सिर्फ पुलिस ही नहीं नगर निगम के कर्मचारी डॉक्टर्स व अन्य कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर जनता की रक्षा के लिए अपनी तत्परता दिखाई है।
शहर की जनता ने भी इस बात को बखूबी समझा है और कोरोना वायरस के इस जंग में अपना भरपूर सहयोग भी दिया है।
सवाल : रायपुर पुलिस की मुहिम है 'चुप्पी तोड़ो' इसके बारे में कुछ बताएं?
जवाब : शेख ने बताया कि जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है, तब से घरेलू हिंसा की वारदात बहुत ज्यादा हो रही है । आम दिनों में घरेलू हिंसा की 25 से 30 मामले सामने आते थे, पर जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है तब से यह संख्या बढ़कर 45 से 60 तक पहुंच गई है। इस समस्या को हमने बहुत गंभीरता से लिया, जिसके लिए पिछले तीन-चार सालों में कहां पर सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा हुई हमने उस जगह को चिन्हांकित किया। उसके बाद पंद्रह सौ महिलाओं की एक लिस्ट तैयार की जिन्होंने पहले भी घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज कराई है। हम लगातार इन महिलाओं से संपर्क करते हैं व जानने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ कोई दुर्व्यवहार तो नहीं हो रहा। उसके साथ साथ हम लोगों ने टोल फ्री नंबर भी घोषित किया है व व्हाट्सएप नंबर भी दिया है। जिसके बाद लगातार हमारे पास शिकायतें आ रही हैं। अन्य राज्यों से भी हमारे पास शिकायतें आ रही है। इसके निराकरण के लिए हम वहां के अधिकारियों से संपर्क करते हैं। अब तक हमारे पास कुल साढ़े चार सौ शिकायतें आई है। जिसके बाद हमने उन महिलाओं का काउंसलिंग लिया व उनकी स्थिति में सुधार लाने का प्रयास भी किया व कुछ मामलों में एफआईआर भी दर्ज की है। हैरानी वाली बात तो इसमें यह है कि कुछ पुरुषों ने भी इसमें शिकायतें की है। लगभग 35 पुरुषों ने घरेलू हिंसा की शिकायत की है। इन शिकायतों के ऊपर भी हमने प्रतिबंधक कार्यवाही की है।
सवालः रायपुर पुलिस कोरोना संक्रमण से अपनी सुरक्षा के लिए क्या उपाय अपना रही है?
जवाबः उन्होंने कहा कि करोना जैसी बीमारी के लिए सबसे पहला उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग, जिसका पुलिस प्रशासन द्वारा बड़े ही कड़ाई से पालन किया जा रहा है। उसके साथ समय-समय पर हमारे जवानों को सैनिटाइज किया जाता है। साथ ही हमारे जवानों को पीपीई किट व एन 95 मास्क उपलब्ध करवाए गए। लगातार हमारे जवानों का टेस्ट भी करवाया जा रहा है। बहुत सारे हमारे ऐसे कोरोना वारियर्स है, जो अपने घर भी नहीं जा रहे अपने घर व घर वालों से दूर है। हम लोग हर एक प्रतिबंधक उपाय कर रहे हैं ताकि संक्रमण हमसे किसी को ना फैले और ना हम तक संक्रमण पहुंच पाए।
सवाल : पुलिस जवान अपने परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए कई बार घर नहीं जा पाते ऐसी स्थिति को कैसे मैनेज कर रहे हैं?
जवाब : एसएसपी ने कहा कि हमारे परिवार वाले भी समझ गए है कि हमारे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं व रायपुर शहर हमारा पूरा परिवार है इसीलिए रायपुर को सुरक्षित रखने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा व कुछ महिला पुलिसकर्मी भी अपनी ड्यूटी पूरी इमानदारी से कर रही है। ड्यूटी के दौरान उनकी देखभाल और सुरक्षा की क्या व्यवस्था होती है। इस सवाल पर आरिफ शेख ने बताया कि हमारे द्वारा हमारी ऐसी पुलिसकर्मी जो गर्भवती है उनको बोला गया था कि आपको काम करने की जरूरत नहीं है पर मुझे बताते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि यह हमारी पुलिस कर्मियों का जज्बा ही है कि वह इस लड़ाई में हमारे साथ है। उनका कहना है कि आप सब लोग लड़ रहे हैं यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी इस समस्या में आपका साथ दे। शेख ने एडिशनल एसपी अमृता सूरी की उन्होंने खासी तारीफ की है कि, ऐसी परिस्थिति में होने के बावजूद भी वह अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट रही। फेसबुक लाइव के माध्यम से आरिफ शेख व एजाज ढेबर ने जनता से अपील की है कि अभी भी लोग लॉक डाउन का बड़ी ही कड़ाई से पालन करें व जिस प्रकार आज तक बड़ी सहजता से अपना सहयोग प्रदान करते हैं वैसे ही आगे भी अपना सहयोग हमें दे। आरिफ शेख ने यह भी बताया कि लॉक डाउन जब से जारी हुआ है, तब से शहर में अपराध के मामले काफी कम हो गए है।
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डिस्कवरीः विलियम वोलास्टन 1803-1804 (इंग्लैंड)
शब्द उत्पत्तिः यूनानी रोडन गुलाब। रोडियम नमक एक गुलाबी रंग का समाधान पैदा करते हैं।
गुणः रोडियम धातु चांदी-सफेद है। लाल गर्मी के संपर्क में आने पर, धातु धीरे-धीरे सेस्क्यूक्साइड तक हवा में बदल जाती है। उच्च तापमान पर यह वापस अपने मूल रूप में परिवर्तित हो जाता है ।
रोडियम में प्लैटिनम की तुलना में उच्च पिघलने बिंदु और कम घनत्व होता है। रोडियम का पिघलने बिंदु 1 9 66 +/- 3 डिग्री सेल्सियस है, उबलते बिंदु 3727 +/- 100 डिग्री सेल्सियस, विशिष्ट गुरुत्वाकर्षण 12. 41 (20 डिग्री सेल्सियस), 2, 3, 4, 5, और 6 की वैलेंस के साथ ।
उपयोगः प्लैटिनम और पैलेडियम को सख्त करने के लिए रोडियम का एक बड़ा उपयोग मिश्र धातु एजेंट के रूप में होता है। क्योंकि इसमें कम विद्युत प्रतिरोध होता है, इसलिए रोडियम विद्युत संपर्क सामग्री के रूप में उपयोगी होता है। रोडियम में कम और स्थिर संपर्क प्रतिरोध होता है और जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी होता है। चढ़ाया रोडियाम बहुत कठिन है और इसमें उच्च प्रतिबिंब है, जो इसे ऑप्टिकल उपकरणों और गहने के लिए उपयोगी बनाता है। रोडियम को कुछ प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
स्रोतः रोडियम अन्य यूरेनियों और उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में नदी के रेत में अन्य प्लैटिनम धातुओं के साथ होता है। यह सडबरी, ओन्टारियो क्षेत्र के तांबा निकल सल्फाइड अयस्क में पाया जाता है।
आयनिक त्रिज्या : 68 (+ 3e)
संदर्भः लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी (2001), क्रिसेंट केमिकल कंपनी (2001), लैंग्स हैंडबुक ऑफ कैमिस्ट्री (1 9 52), सीआरसी हैंडबुक ऑफ कैमिस्ट्री एंड फिजिक्स (18 वां एड। )
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नई दिल्लीः पुणे टेस्ट में टीम इंडिया ने जमकर कैच छोड़े थे. जिसका नतीजा ये हुआ कि टीम को 333 रनों से ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा. अब टीम इंडिया बेंगलुरु टेस्ट के लिए तैयार है.
क्रिकेट में कहावत है, कैच पकड़ो मैच जीतो. पुणे टेस्ट में कैच छोड़ने से मिला हार के कारण टीम इंडिया के एक सबक तो मिल ही चुका है. जिसकारण टीम अब बेंगलुरु में चुस्त फील्डिंग रखेगी.
पुणे टेस्ट में टीम इंडिया ने पूरे 4 कैच छोड़े थे. कैच छोड़ने का स्मिथ ने फायदा उठाया और बदले में शानदार शतक ठोक डाला. लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट की फील्डिंग उस स्तर की नहीं है जो पहले की थी.
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मारुति सुजुकी देश में सीएनजी कारों की सबसे बड़ी रेंज पेश करती है। अब कंपनी की सीएनजी कारों की लिस्ट में जल्द ही एक नई कार जुड़ने वाली है। हाल ही में ग्रेटर नॉएडा में आयोजित हुए ऑटो एक्सपो 2023 में कंपनी ने ब्रेजा के सीएनजी वर्जन को शोकेस किया था। यह एसयूवी मैट ब्लू पेंट स्कीम में दर्शकों के सामने पेश की गई थी।
कंपनी ब्रेजा सीएनजी को फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट के साथ 1. 5 लीटर K15C इंजन में पेश करेगी। पेट्रोल इंजन की तुलना में ब्रेजा सीएनजी थोड़ी कम पॉवरफुल होगी। हालांकि, कंपनी ने दावा किया है कि इसका माइलेज 27km/kg हो सकता है।
ऑटो एक्सपो 2023 में सबसे ज्यादा चर्चा में रही मारुति की दूसरी कार मारुति जिम्नी थी। कंपनी इसे मई 2023 में लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। कंपनी इसे 3 डोर वेरिएंट में विदेशी बाजारों में बेच रही है। हालांकि, भारत इसे 5 डोर वेरिएंट के साथ 4-व्हील ड्राइव वर्जन में लाया जाएगा। यह भारत में कंपनी की पहली 4X4 एसयूवी होने वाली है।
मॉडल लाइनअप को दो ट्रिम्स - जीटा और अल्फा में फैले 4 वेरिएंट में पेश किया जाएगा। सभी वेरिएंट्स में 1. 5L, 4-सिलेंडर, K15B पेट्रोल इंजन दिया जाएगा जो आइडल स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम से लैस होगा। कंपनी जिम्नी को 5-स्पीड मैनुअल और 4-स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के के विकल्प में पेश कर सकती है।
फ्रोंक्स क्रॉसओवर को कंपनी आने वाले कुछ सप्ताह में लॉन्च कर सकती है। Fronx एसयूवी को दो इंजन ऑप्शन में पेश किया जाएगा जिसमें पहला 1. 2 लीटर, 4-सिलेंडर नैचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन और दूसरा 1. 0 लीटर, 3-सिलेंडर टर्बो बूस्टरजेट पेट्रोल इंजन होगा। फ्रोंक्स को कंपनी सिग्मा, डेल्टा, डेल्टा+, जेटा और अल्फा ट्रिम्स में पेश करेगी। इस एसयूवी में मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों गियरबॉक्स का विकल्प दिया जाएगा।
मारुति फ्रोंक्स की कुछ प्रमुख फीचर्स में स्मार्टप्ले प्रो 7. 0-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, वॉयस असिस्टेंस, वायरलेस चार्जर, 6-स्पीकर ऑडियो सिस्टम, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में रंगीन एमआईडी, सुजुकी कनेक्टेड कार टेक आदि शामिल हैं।
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IMF में कोटा के आधार पर किसी देश की सब्सक्रिप्शन फीस निर्धारित की जाती है। इसी सब्सक्रिप्शन फीस के आधार पर सदस्य देश का वोटिंग शेयर तय होता है। वर्तमान में IMF में भारत का कोटा 2. 76 फीसदी है, जिस आधार पर वोटिंग शेयर 2. 64 फीसदी है। भारत को अभी भी जनरल रीव्यू ऑफ कोटा की बैठक से काफी उम्मीदें हैं।
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कम्यूनिस्ट पार्टी का में प्रमुख आदमी हूँ। मेरे ऊपर कोई नहीं है। यह प्लान मैंने बनाया है !"
उमानाथ का इतना अधिक खुल जाना ब्रह्मदत्त को अच्छा नहीं लगा उसने फिर एक बार प्रयत्न किया "तो फिर ठीक है ! मैं तो ऐसा समझत कि कामरेड नरोत्तम को अपना कार्यक्रम बतला दें और इन्हीं से एक प्लान बनवा लें क्योंकि काम इन्हीं को करना है !"
नरोत्तम हँस पड़ा, "आप ठीक कहते हैं कामरेड ब्रह्मदत्त ! कामरेड उमा मुझे अपना प्लान दें और उसको मैं एक बार देख कर अध्ययन कर लूँ । इसके बाद जो जो परिवर्तन मुझे उसमें उचित लगेंगे- उन्हें नो कर लूँगा और आपसे उन पर परामर्श कर लूँगा !"
लेकिन उमानाथ की ग्रहमन्यता उस समय तक सतह पर या गई थी दूसरों की यह मजाल कि वे उसके बनाए हुए प्लान पर अपनी क़ल चलावें ! उसने तेज़ी से कहा, "कामरेड नरोत्तम ! जो प्लान मैंने बनाया है व बहुत सोच-समझ कर ! ग्राप कार्यकर्ता हैं; बिना किसी बात पर शंका किये बहस किये, काम करना - यह ग्राप का कर्तव्य है। यह प्लान ले जाइये इसका अध्ययन कर लीजिये फिर ग्राम को जो चीजें न समझ में आवें वह आप को समझा दूँगा !"
और उमानाथ
ने प्लान द्वार से निकाल कर नरोत्तम को दे दिया ।
नरोत्तम के चले जाने के बाद ब्रह्मदन ने उमानाथ से कहा, अगर बुरा न मानो तो एक बात तुमसे कहूँगा ।"
"क्या बात है?"चंय से उमानाथ ने पूछा ।
"कामरेड"मेरी तुमसे सलाह है कि तुम राजनीतिक मामले से सदा के लिए ग्रुप
हाथ खीच लो। तुम इन काम के लिए नहीं बने हो !"
"क्या मतलब है तुम्हारा ?" उमानाथ ने ज़रा गरम होते हुए पूछा । "मेरा मतलब यह है कि जितनी सावधानी के साथ तुम काम करते हो, जिस लापरवाही के साथ तुम बात करते हो उससे तुम किसी हालत में सफल नहीं हो सकते । यही नहीं, बल्कि मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि तुम खुद खतरे के मुँह में फाँद रहे हो और अपने साथियों को भी तुम खतरे में ढकेल सकते हो ! तुम जानते ही हो कि कम्यूनिस्ट पार्टी पर सरकार की कड़ी नज़र है । आज तुमने, एक अनजाने श्रादमी के सामने खुल कर, उसपर यह प्रकट करके कि तुम कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख प्रतिनिधि हो, अदूरदर्शिता का परिचय दिया है ! "
बहादत्त की इस बात से उमानाथ निरुत्तर- सा हो गया । कुछ देर तक चुप वह सोचता रहा, फिर उसने कहा, "तुम ठीक कहते हो कामरेड । नरोत्तम के सामने खुल कर मैंने शायद ठीक नहीं किया ।"
उसकी बात के तर्क को उमानाथ ने स्वीकार कर लिया, इस बात से ब्रह्मदत्त को प्रसन्नता हुई । उसने फिर कहा, "और उससे भी अधिक नासमझी का काम तुमने किया अपने हाथ से लिखा हुआ प्लान उसके हाथ में सिपुर्द करके ! बिना इस पर सोचे कि उस प्लान के सरकार के हाथ में पड़ जाने से तुम पर मुसीबत पड़ सकती है !"
" उँह जाने भी दो ! मुझे पूर्ण विश्वास है कि नरोत्तम ठीक तरह का है और वह मेरे साथ विश्वासघात नहीं करेगा !" लेकिन उमानाथ के शब्दों में चिन्ता की फलक साफ़ थी ।
इसी समय मार्कण्डेय के साथ दयानाथ ने कमरे में प्रवेश किया। मार्कएडेय ने ब्रह्मदत्त को देख कर ही कहा, "नमस्कार ब्रह्मत्तदंजी - कहिये स्वास्थ्य कैसा है ?"
ब्रहात्तदत्त ने अपने भुजदण्डों को ठीक तरह से देख भाल कर उत्तर दिया, "नमस्कार मार्कण्डेय जी ! स्वास्थ्य आपकी कृपा से अच्छा है !"
मार्कण्डेय ने बैठते हुए अपनी बात जारी रक्खी, "बड़े मौके से मिल गए ब्रह्मदत्त ! मैं तुम्हें ढूँढ ही रहा था !"
ब्रह्मदत्त ने पूछा, "कहिये ! आप लोगों की क्या सेवा कर सकता हूँ ?" मार्कण्डेय का स्वर थोड़ा और मुलायम हुआ, "भाई व दयानाथ की लाज तुम्हारे हाथ में है। इस समय इन्हें तुम्हारी ही सहायता बचा सकती है । "
ब्रह्मदत्त मुसकराया, "यो हो ! तो पण्डित दयानाथ को मेरी सहायता की वश्यकता पड़ी । लेकिन यह सहायता मुझसे पहले क्यों गई मार्कण्डेय जी ?"
उत्तर दयानाथ ने दिया, "इसलिए कि मैं समझता था कि मेरा विरोध न होगा, और अगर थोड़ा-बहुत विरोध हुआ भी तो उसमें कोई दम न होगा !"
"क्यों ? क्या इसलिए कि दुनिया का सारा दम-खम ग्राप में ही है दयानाथ जी ? लेकिन आपने अपनी ताक़त ग्रन्दाजने में ग़लती की । पके मुकाविले जो शिवराम जी खड़े हुए हैं उनमें भी दम है !"
दयानाथ की भृकुटियाँ चढ़ गई, "शिवराम ! ब्रह्मदत्त जी ! ग्रास लोग अच्छी तरह जानते हैं कि शिवराम में ईमानदारी की कमी है । चन्दे की एक बहुत बड़ी रक्कम उनके नाम पर चढ़ी हुई है जिसका उन्होंने अभी तक कोई हिसाब नहीं दिया है । यह है कि वह उस रकम का कोई हिसाब देंगे भी नहीं, क्योंकि हिसाव दे ही नहीं सकते। फिर भी मुकेशचय होता हूं कि लोग एक बेईमान आदमी का समर्थन कर रहे हैं !"
बादत्त हॅम पढ़ा, "वेईमान आदमी ? हाँ दयानाथ जी, रुपये-पैसे के मामले में ग्राम शिवराम जी की बेईमान कह सकते हैं। लेकिन दूसरी बात में? आप की सारी नैतिकता रुपयों-पैसों की है। यही ग्राम की उस नैतिकता का एकमात्र साप तौल है। लेकिन इस रुपये पैसे के आगे भी कुछ ६... यह श्राप नहीं समझ सकते !"
इस बार मार्कण्डेय के हँसने की बारी थी, "इस रुपये पैसे के आगे भी कुछ है ब्रहादत्त ! तुम इस बात को कह रहे हो - और वह भी शिवराम के लिए ! मैं पूछता हूँ कि अगर रुपये पैसे के ऊपर शिवराम किसी चीज़ को मानते होते तो जनता की उस रक़म पर, जो उनके पास धरोहर के रूप में रक्खी हुई थी - हाथ न लगाते ! नहीं ब्रह्मदत्त - ग़लत कह रहे हो । न शिवराम के लिए रुपये-पैसे के ऊपर कोई चीज़ है और न तुम्हारे लिए !"
"यह आप क्या कह रहे है मार्कण्डेय भइया !" उमानाथ ने आश्चर्य से पूछा, "शिवराम कैपिटेलिस्ट है या बन रहा है, और इसलिए मैं उसके सम्बन्ध में यह माने लेता हूँ कि उसके लिए रुपये पैसे से ऊपर कोई चीज़ नहीं है; लेकिन ब्रह्मदत्त तो कम्यूनिस्ट है । ब्रह्मदत्त के सम्बन्ध में ग्राह कैसे कह सकते हैं ?"
मार्कण्डेय सम्हल कर बैठ गया, "उमा ! तुम भी तो कम्यूनिस्ट हो न ! म और मैं कहता हूँ कि ब्रहादत्त के लिए ही नहीं, तुम्हारे लिए भी रुपये-पैसे के
उपर कुछ नहीं है ! अगर मेरी बात पर तुम्हें बुरा लगे तो माफ़ करना, लेकिन मैं भी सारी मीमांसा किये देता हूँ । हाँ, अगर मैं ग़लती नहीं करता तो तुम कम्यूनिस्ट समाज का निर्माण आर्थिक नींव पर मानते हो । है न ऐसा !"
"आप ठीक कहते हैं !" उमानाथ ने उत्तर दिया ।
"ठीक ! और अर्थ का दूसरा रूप है रुपया-पैसा । तो प्रत्येक कम्यूनिस्ट रोटी और पैसे के ऊपर ही प्रत्येक सामाजिक अंग का निर्माण मानता है । उसके लिए धर्म-कर्म-विश्वास - यह सब एक ढकोसला है जिसे पैसे वाले ../ सम्पन्न लोगों ने ग़रीबों और समथ को धोखा देने के लिए, उन्हें बहला कर तथा फुसला कर उनका वेजा फ़ायदा उठाने के लिए बना रक्खा है । है न ऐसी बात ? १
" बिल्कुल ठीक !" उमानाथ ने तपाक के साथ कहा ।
"तो जहाँ तक ज़िन्दगी पर कम्यूनिस्टों के दृष्टिकोण का सवाल है, वह
वही है जो एक पूँजीपति का है । न पूँजीपति रुपए पैसे के ऊपर किसी को मानता है, न कम्यूनिस्ट रुपए-पैसे के ऊपर किसी चीज़ को मानता भेद केवल इतना है कि पूँजीपति इस बात को स्वीकार नहीं करता, कम्यूनिस्ट इस बात को खुल्लम-खुल्ला स्वीकार करता है !"
"यह इसलिए कि पूँजीपति का इस बात को स्वीकार न करने में हित हैं "ठोक ! इस लिए कि पूँजीपति के पास है - प्रचुरता के साथ है। कम्यूनिस्ट के पास नहीं है । पूँजीपति समाज से छीन कर इस रुपए पैसे व्यक्ति में केन्द्रित करना चाहता है, वहाँ कम्यूनिस्ट चाहता है कि यह रु पैमा व्यक्ति के हाथ से निकल कर समाज के पास चला जाय !"
"प ठीक कहते हैं ! पूँजीपति और कम्यूनिस्ट में यह अन्तर बड़े म का है । पूँजीपति अपने लिए जीवित रहता है, कम्यूनिस्ट समाज के लिए
"दूसरों के लिए जीवित रहना !" मार्कण्डेय ने इन शब्दों पर ज़ोर हुए कहा, "दूसरों के लिए जीवित रहना - एक मनोवैज्ञानिक सत्य ! ; ढंग से, प्रचार के लिए यह चिल्ला कर कहा जाता है कि हम दूसरों के जीवित रहते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है । कोई भी व्यक्ति के लिए नहीं जीवित रहता - प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए जीवित रहता कम्यूनिस्ट दूसरों से लेने में, छीनने में विश्वास करता है, दूसरों को दे नहीं । कम्यूनिस्ट में श्रात्म-बलिदान की भावना नहीं । वह अपने ऊपर से अधिक खर्च करने में विश्वास करता है। उसके भाव अथवा का विकराल रूप है, और वह 'अभाव अथवा नहीं' का प्रथम केन्द्र को मान कर काम रम्भ करता है । और कम्यूनिज्म प्रभाव प्रतिक्रिया भर है- इनके बाद कुछ नहीं !"
उमानाथ ने तड़प कर कहा, "मार्कडेय भदया ! आप यह बात कि दुनिया के सबसे बड़े कम्यूनिस्ट वे लोग रहे है जिन्हें मध्यवर पूजीपतिका जा सकता है, जिन्हें खाने का कभी कोई प्रभाव नह
है । उस सत्य को भुला कर खाप ने भयानक असत्य को अपना रहे हैं
मार्कण्डेय हँस पड़ा, "यही सत्य तो, जो कुछ मैं कह रहा हूँ उसका आधार है ! एक मज़दूर ! वह वास्तविक कम्यूनिस्ट हो ही नहीं ' सदियों से पिसते- पिसते उसकी यात्मा मर-सी चुकी है, वह न सोच न समझ सकता है, अपने भाव के रूप को देखने की उसमें नहीं है । कम्यूनिस्टों में अधिकतर मध्यवर्ग के लोग ही हुए हैं, जिनका दुनिया के घमण्डी पूँजीपतियों से मुकाविला हुआ और उनके मन में 4 पूँजीपति वर्ग के स्वार्थ, अभिमान और उच्छृङ्खलता के प्रति विद्रोह पैदा हुआ । जिन लोगों में पूँजीपति के भाग्य पर ईर्ष्या हुई, जिन्होंने लगातार यह सोचा कि उन्हें वे सब सुविधाएँ क्यों नहीं मिलतीं जो पूँजीपतियों को प्राप्त है। ईर्ष्या और ईप्याजनित विद्रोह पर ही कम्यूनिज़्म की नींव पड़ी है - यह याद रखना ! विद्रोह संतोप से नहीं होता, वह होता है प्रभाव से; और गरभाव से तुम इन साधारण चीज़ों को -यानी रोटी कपड़े को समझते हो - तो तुम्हारा बड़ा ग़लत ख्याल है !" मार्कण्डेय यह कहते-कहते उत्तेजित हो उठा, "उमानाथ ! तुम यह बतला सकते हो कि दुनिया में किस कम्यूनिस्ट ने दूसरों की ग़रीबी से द्रवित हो कर अपनी सम्पत्ति उनके लिए दान कर दी है ? तुम बता सकते हो कि किस कम्यूनिस्ट ने ऐयाशी, भोग-विलास छोड़े हैं, तुम बता सकते हो कि किस कम्यूनिस्ट ने त्याग किया है ?"
"दान, त्याग, दया ! मूर्खों के लिए बने हुए सिद्धान्त हैं - तुम इन पर विश्वास करो मार्कण्डेय भइया, लेकिन बुद्धिवादी कम्यूनिस्ट को इन पर विश्वास नहीं !"
"ठीक कहते हो उमानाथ ! यह चीज़ें जिनका मतलब है 'देना' - इन पर तुम्हें विश्वास नहीं । तुम्हारा सिद्धान्त है लेना-ठीक वही सिद्धान्त जो पूँजीपति का है । कम्यूनिज़्म एक तरह से पूँजीवाद से भी भयानक है क्योंकि पूँजीवाद में जहाँ महज़ 'लेना' ध्येय ' है, वहाँ कम्यूनिज़म का ध्येय 'लेने' के साथ 'मारना और मिटाना' भी है। दूसरे शब्दों में कम्यूनिज्म पूँजीवाद की प्रतिक्रिया भर है; और साथ ही कम्यूनिज़्म में पूँजीवाद की हिंसा की एक विनाशात्मक प्रतिहिंसा भी है जो समाज के लिए कहीं अधिक भयानक है !"
उमानाथ ने आवेश में आकर कहा, "ग्राप ने बहुत ग़लत बात कह डाली मार्कण्डेय भइया ! कम्यूनिज़्म की नींव 'लेने' पर है, लेकिन वह 'लेना' स्वत्व और अधिकार के अन्तर्गत है । हमीसमर्थता पर विश्वास करते हैं - हम मनुष्य मात्र में पौरुष देखना चाहते हैं। हमार सम्प्रदाय संघर्ष के युग का सम्प्रदाय है। दया और त्याग असमर्थों औ अपाहिजों के लिए है - ये व्यक्तिगत चीजें हो सकती हैं, सामाजिक नहीं दया और त्याग व्यक्ति के लिए भले ही कुछ हों, समाज के लिए यह दय और समाज के लिए आत्महत्या है । कम्यूनिज़्म समाज का सत्य है और चूँकि व्यक्ति समाज का भाग है, इसलिए व्यक्ति के लिए लाज़िमी है कि वह समाज के सत्य को अपनावे !" और उसी समय ब्रह्मदत्त में कहा, "मैं तो यह कहता हूँ कि रूस की ओर देखो ! क्या से क्या हो गय है ! प्रत्येक व्यक्ति सुखी है, प्रत्येक व्यक्ति सम्पन्न है। दुनिया के उत्पीड़ितों के लिए, भेड़-बकरियों की तरह पिसने वाले कायर और मजदूरों और किसानं के लिए रूस ने नवजीवन का संदेश दिया है !"
दयानाथ ने मुसकराते हुए पूछा, "क्या वास्तव में रूस का हरेक यादमं सुखी है, सम्पन्न है, सन्तुष्ट है ? क्या वास्तव में रूस ने अपने यहाँ से प्रभाव के निकाल फेंका है ?
"हो ! हां ! रूस महान है !" बहादत्त ने मामने पड़ी हुई सेंटर टेबिल पर हाथ पटकते हुए कहा ।
"श्रीर में कहता हूँ कि तुम बिना जाने चूके, साँच-समझे, रूस के नारे लगा रहे हो। तुम रूम के इतने बड़े गुलाम हो कि उसकी बुराइयों में जरा ही नहीं सकती !" दयानाथ ने उत्तेजित होकर कहा ।
मार्कडेय ने दयानाथ का हाथ पकड़ कर सचेत किया, "दया ! फिर हम अपने ऊपर से अधिकार सो बैटे ! यह तुम्हें इस तरह उत्तेजित हो जान शोभा नहीं देना !
लेकिन दयानाथ की बात का
पढ़ चुका था। द ने उठने
हुए कहा, "जहाँ हमारे विचारों का इस तरह अपमान किया जाता है, जहाँ हमें इस तरह गालियाँ दी जाती है, वहाँ बैठना ग़लत है। अच्छा कामरेड उमानाथ, मैं आपसे फिर कभी मिलूँगा !"
पण्डित श्यामनाथ तिवारी को तार द्वारा अपने तबादले की खबर मालूम होने पर धक्का-सा लगा । जिस समय मिस्टर राटसन उनसे चार्ज लेने ए, वे कानपुर जाने की तैयारी कर रहे थे। उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था कि यह क्या हो रहा है, लेकिन सरकारी आज्ञा थी और उन्हें चार्ज देना ही पड़ा । चार्ज देकर पण्डित श्यामनाथ तिवारी इंसपेक्टर जेनरल पुलिस से मिलने के लिए इलाहाबाद चले गए ।
इन्सपेक्टर जेनरल पुलिस ने उन्हें बतलाया कि उनका तबादिला भारतसरकार के प्रदेशानुसार किया गया है। उसने श्यामनाथ के साथ पूरी हमदर्दी ज़ाहिर की। उसी समय श्यामनाथ ने एक लम्बी छुट्टी ले ली ।
इलाहाबाद से श्यामनाथ तिवारी उन्नाव पहुॅचे । जिस समय श्यामनाथ रामनाथ के यहाँ पहुॅचे, वीणा रामनाथ तिवारी को खवर सुना रही थी । अपने बड़े भाई के सामने पहुॅचते ही श्यामनाथ रो-से पड़े, "भइया - सर्वनाश हो गया ! "
"क्या बात है ?" रामनाथ ने घबरा कर पूछा ।
" फ़तहपुर का चार्ज मुझसे ग्राज सुबह ले लिया गया । भइया - जो कुछ भी मैं प्रभा को बचाने के लिए कर सकता था, न कर सकूँगा ।
रामनाथ थोड़ी देर तक एक टक अपने छोटे भाई की ओर देखते रहे, इसके बाद उन्होंने शून्य में गड़ा दीं । कुछ रुक कर उन्होंने
धीरे से कहा, "श्यामू ! तुम्हे नियति पर विश्वास है ?"
श्यामनाथ मर्माहत से मौन रहे ।
रामनाथ ने कुछ देर तक श्यामनाथ के उत्तर की प्रतीक्षा करके कहा, "नियति का चक्र चल रहा है श्यामू ! एक बहुत बड़ी ताक़त हमारे खिलाफ़ है । ज़रा सोच कर और समझकर हमें उस ताक़त का मुक़ाबिला करना पड़ेगा, बहुत सम्हल कर ! एक क़दम भी ग़लत पड़ा और विनाश अवश्यं - भावी है। कहीं हम हार न जाँय, इसका ख्याल रखना पड़ेगा !" और अनायास ही रामनाथ उठ खड़े हुए, मानों उनका दम घुट रहा हो । उस समय वे कह रहे थे, अपने ही से, "कहीं हम हार न जाँय -- हार न जाँय ! नहीं, हारना असम्भव है !" और वे उस समय वरामदे के बाहर निकल कर खड़े हो गए । अमावस्या की रात घिर आई थी - अमावस्या के उस गहरे अन्धकार में उन्होंने गड़ा दीं । "हे भगवान ! क्या मुझे पराजित होना पड़ेगा ? तुम चाहते क्या हो ? तुम्हारे विरुद्ध लड़ना ! - इतना बल मुझमें नहीं है ! मुझे चल दो मेरे भगवान !"
उम रात पण्डित रामनाथ तिवारी को नींद नहीं आई। उनकी समझ में नया रहा था कि प्रभानाथ को किस प्रकार बचाया जाय । उनकी हरेक चाल ग़लत पड़ रही थी, हर जगह उन्हें सफलता मिल रही थी। उन्हें ऐसा लग रहा था कि नियति उनके साथ युद्ध कर रही है, और नियति ने यह दृढ़ निश्चय कर लिया है कि वह उन्हें पराजित करेगी ही।
सुबह उन्होंने श्यामनाथ से कहा, "श्यामू ! कानपुर जा कर प्रभा को पैरवी का इन्तजाम करो ! इस बीच में में सोचूँगा कि क्या किया जाय !"
पर मानी श्यामनाथ के प्राणों में बल ही न रह गया हो ! बड़े करुण स्वर में उन्होंने कहा, "भया ! आप कानपुर चलिये ! मुझमे कुछ न हो सयेगा ! श्रव श्राप का ही सहारा है !"
"अच्छी बात है-मैं चलता हूँ !"
दूसरे दिन श्यामनाथ के साथ रामनाथ कानपुर के लिए रवाना हो गए। रामनाथ ने एक वॅगला हिगए पर ले लिया और उसी में उतरे। उन्हें
टेढ़े मेढ़े रास्ते मालूम था कि उमानाथ दयानाथ के यहाँ ठहरा है, श्यामनाथ तिवारी को उन्होंने उमानाथ को बुलाने को भेजा ।
श्यामनाथ जय दयानाथ के घर पहुँचे, उमानाथ घर पर न था । दयानाथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ अपने चुनाव की तैयारी में लगे थे। श्यामनाथ के आते ही उन्होंने उठकर श्यामनाथ के चरण हुए। और जब दयानाथ को पता लगा कि रामनाथ ने दूसरा अँगला किराए पर ले लिया है तब उन्होंने मर्माहत हो कर कहा, "तो काका ! बात यहाँ तक पहुँच गई है। ददुआ ने इस तरह मुझे छोड़ दिया ! "
श्यामनाथ ने इस पर केवल इतना कहा, "दया ! तुम तो जानते ही हो. बड़के भइया को !"
दयानाथ ने उत्तर दिया, "हाँ काका, मैं जानता हूँ ! लेकिन उनके साथ ग्रापस लागों ने - सब लोगों ने..!" और दयानाथ आगे कुछ न कह सके; उनका गला रुँध गया ।
एक क्षण के लिए श्यामनाथ विचलित हो उठे। उन्होंने दयानाथ का हाथ पकड़ लिया, "दया ! मुझे क्षमा करो ! मैं जानता हूँ कि तुम्हारे साथ जो अन्याय हो रहा है उसमें में भी सम्मिलित हूँ ! लेकिन मैं तुम्हें विश्वास. दिलाता हूँ कि अपनी इच्छा के विरुद्ध ! मैं अपने में नहीं हूँ ! " आप
छठा परिच्छेद
उमानाथ कह रहा था, और उसके सामने बैठे हुए दस आदमी गौर से -सुन रहे थे, "ये सारी भावनाएँ, यह धर्म-कर्म, यह दया, यह प्रेम, यह् त्याग ! - वह सब का सब एक ढकोसला है, जिन्हें समयों ने असमथ को बहकाने के लिए, भावा देने के लिए बनाया है। ये जितनी भावनाएँ हूँ उनका मनुष्य की सामर्थता के साथ बदलता रहता है । रूप समाज के नियमों का निर्माण शासक वर्ग के व्यक्तियों द्वारा हुआ है, और वही शासक वर्ग समाज का शोषक वर्ग है जिसने अपनी सुविधा के लिए, 4 अनन्त काल तक शोषितों को अपना शिकार बनाए रखने के लिए, यह सब धर्म, कर्म, दया, करुणा का जाल बिछाया है। इनकी दुहाई देना बहुत बड़ी बचना है और जन समुदाय को इस छलना से बचाना पड़ेगा ।
"अपने यहां के ही पंजीपतिवनिये की लो-वह बहुत बड़ा धर्मात्मा बनता है। उसने मंदिर बनवाए है, उसने धर्मशालाएं स्थापित किये हैं। उसने प्रस्ताव गोले, उसने कुल खोले । वह गंगा का स्नान करता है, का निगमित्र मोसी है। और उसके बाद उसका देखो ! मनुष्य गगन चूत कर वर्ष यादमी कृषी तप करार जाते है। 3. दूससे की योग्ण देता है। और के लिए
में पड़ता कि कहना है क्या? या गीता एक ढकोसला नियों में अपने स्वार्थसाधन के लिए निर्माण किया है। इस
राष्ट्रीयता के नाम पर लाखों करोड़ों श्रदीप जानें दे देते हैं। लेकिन "ला किनका होता है ? पूँजीपतियों का !
"कांग्रेस इन्हीं पूँजोपतियों की संस्था है और गांधी इन पूँजीपतियों का तेनिधि है ! सत्याग्रह में जेल जाने वालों की संख्या पर ध्यान दो, और हे स्पष्ट हो जायगा कि उन लोगों में अधिकांश मध्यवर्ग के वे लोग हैं जिन्हें जीपतियों ने जेल जाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिनकी पूँजीपति समयमय पर धन से सहायता करते रहते हैं। इस सत्याग्रह को चलाने वाले देश ; पूँजीपति हैं । और अच श्राप सब लोग पूछ सकते हैं कि देश के पूँजीपति स स्वतंत्रता संग्राम में क्यों दिलचस्पी ले रहे हैं !
"इस स्वाभाविक प्रश्न का उत्तर ही हमारे सिद्धान्त की, हमारे समुदाय 1, हमारी नीति की सबसे बड़ी और अकाट्य दलील है। आप लोग यह द रखिये कि जन समुदाय न स्वतंत्रता के रूप को जानता है, न स्वतंत्रता मूल को-और यह बात केवल हिन्दुस्तान के जन समुदाय पर ही लागू हीं है, यह बात दुनिया के प्रत्येक स्वतंत्र वापरतंत्र जन समुदाय पर है। उत्पीड़ित, दलित और अशिक्षित जन समुदाय केवल राज्य से ही सित नहीं है, वह पूँजीवाद अथवा उच्चश्रेणीवाद का गुलाम है। मजदूर
मालिक के किसान को ज़मीन्दार के इशारों पर नाचना पड़ता है । स मज़दूर अथवा किसान की सारी नैतिकता, उसका हँसना-गाना, उसका र्मि-कर्म- - यह सब का सब पूँजीपति के चंद चांदी के टुकड़ों पर बिक चुका : । उसका सारा अस्तित्व उम्र पशु का सा अस्तित्व है जो मालिक के यहाँ लता है, उसका अन्न खाता है, उसका वाव ढोता है । और इसलिए, नि- समुदाय की स्वतंत्रता के प्रति उपेक्षा स्वाभाविक ही है। मैं यह मानता कि विभिन्न देशों के जनसमुदाय में राष्ट्रीयता की एक झूठी और घातक भावना भर दी गई है, पर यह सब पूँजीपतियों ने तथा उच्च श्रेणी वालों ने जनसमुदाय को बेवकूफ बनाकर स्वार्थ साधन करने के लिए किया है । और इसीलिए मैं कहता हूँ कि जन समुदाय में स्वतंत्रता के लिए वास्तविक उत्साह होना असम्भव है । वह तो इतना जानता है कि उसे अनन्त काल
तक गुलामी करनी ही पड़ेगी - अपने मालिक की ; वह मालिक चाहे हिन्दुस्तानी हो चाहे अंग्रेज़ हो ।
"देश की स्वतंत्रता से लाभ होगा केवल पंजीपति को । ग्राज अंग्रेज़ पूजीपति अपने साम्राज्यवाद की सहायता से हमारे देश का सारा व्यवसाय अपने हाथ में किये हुए है। वह हमारे देश के व्यवसाय को पनपने नहीं देना। इसके माने यह है कि हमारे देश का पूँजोपति उतना मुनाफ़ा नहीं कर सकता जितना अंग्रेज पूँजीपति कर लेता है। और इसीलिए ग्राज हिंदुस्तानी पूजोपति का यह स्वार्थ है कि हिन्दुस्तान स्वतंत्र हो जिससे वह बिना शेक-टोक देश के जन समुदाय को उत्पीड़ित और शोषित कर सके, जिससे कर भेड़-बकरी के समान हिन्दुस्तान के जन समुदाय को अपना गुलाम बना सके ।
" और इसीलिए मैं कहता हूँ कि इस राष्ट्रीयता को लड़ाई में हमें, हम मजदूरी को, हम किसानों को न कोई दिलचसी हो सकती है, न कोई दिल चवी होनी चाहिये । हमें पूँजोपनियों से लड़ना है, हमें संगठित होकर श्रेणी वाद का विनाश करना है तो हमें वास्तविक स्वतंत्रता मिलेगी !"
"लेकिन यह सम्भव किस प्रकार है ?" एक श्रादमी ने पूछा । उमानाथ ने उत्तर दिया, "यह विश्व - कान्ति द्वारा सम्भव है !" "ग्री विश्वक्रान्नि कैसे सम्भव है ?"
"महारा !" उमानाथ ने कहा, "म विश्वको आयोजना क साहै, में उसके लिए तैयार होना चाहिये । और इसीलिए मैं कहता हूँ
गीता, या गायकीलाई यह सब बेकार है। मेरे मन में व कम लोगों के दिनों के लिए किमी अंश तक हानिकारक है। अभी वा की हालत में तो हम सब हिन्दुस्तान के निवासी मन - हिम्मन, सववर्ग के लोग और सी-ब्रिटेन के खिलाफ जमकी महा पता करते हैं, और कम से कम हिन्दुस्तान में विवानिव
समापन सेवा, लेरिन यदि एक बार हिन्दुस्तान को बना ि
गई और देश के मज़दूर तथा किसान एक बार देश के पूँजीपतियों के शिकंजे में पूरी तौर से कस गए तो याद रखियेगा, उस कल्याणकारी भावी विश्वक्रान्ति के समय रूस का विरोधी एक जबर्दस्त दल हिन्दुस्तान में तैयार हो जायगा ।"
" इसके माने तो यह हुए कि जब तक रूस विश्व-क्रांति न करे तब तक हम हिन्दुस्तानियों को ब्रिटेन की गुलामी करनी चाहिये, और खास तौर से तब जब विश्वक्रांति का न कोई निश्चित समय है, न उसकी कोई निश्चित रूप रेखा है !" ब्रहादत्त ने कहा ।
"रूप रेखा मौजूद है लेकिन वह गुत है --उसे मैं प्रकट नहीं कर सकता । लोग चीज़ों पर ठीक तौर से ग़ौर करें । जैसा मैं कह चुका राष्ट्रीयता • एक छिछली और धोखे की चीज़ है, हमारी समस्या राष्ट्रीय समस्या नहीं है, हमारी समस्या वर्गवाद की अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। दुनिया भर के • मज़दूर किसान उत्पीड़ित हैं, दुनिया भर के पूँजीपति मौज करते हैं । इसलिए हमें पूँजीवाद के खिलाफ़ युद्ध करते रहना है। हमारा युद्ध एक दिन का नहीं है, एक वर्ष का नहीं है, इस युद्ध की अवधि एक लम्बी अवधि रहेगी। इस युद्ध में हमें कुशल लोगों का नेतृत्व चाहिये, और वह नेतृत्व हमें रूस से ही मिल सकता है । रूस की जो नीति है वह हमारी नीति होनी चाहिये । और जितनी जल्दी हम विश्व - क्रान्ति के लिए तैयार हो सकते हैं उतनी ही जल्दी विश्वक्रान्ति होगी। यह याद रखिये कि यह समाजवादी दल केले रूस में नहीं है, अकेले हिन्दुस्तान में नहीं है, यह समाजवादी दल सारी दुनिया में फैला है और सारी दुनिया के मज़दूर और अन्य शोषित लोग रूस की अध्य / चता में, रूस के पवित्र नेतृत्व में इस विश्वक्रांति के लिए तैयार हो रहे हैं ! "
उमानाथ के इस व्याख्यान का प्रभाव वहाँ बैठे हुए अधिकांश ग्राद"मियों पर पड़ा, और जिस समय उमानाथ वहाँ से निकला, एक नवयुवक ने
उनसे कहा, "कामरेड उमानाथ ! मैं आपको बधाई देता हूँ कि आपने हम लोगों को वास्तविक स्थिति समझा कर हमारी ग्रांखें खोल दीं। मैं चाहता हूँ कि मैं आपकी कुछ महायता कर सकूँ !"
"प्राय याजकल क्या करते हैं ?" उमानाथ ने पूछा ।
"याज कल में बेकार हू !" उस नवयुवक ने उत्तर दिया, "पिछले साल बी०ए०पास किया था; आगे पढ़ नहीं सकता क्योंकि घर की हालत बहुत खराब है; और अभी तक लाख कोशिश करने पर कोई नौकरी नहीं मिन्नी । और नौकरी मिलती भी कैसे ? नौकरी मिलने के लिए होनी चाहिये मिकारिश । एक बड़े आदमी के भाई भतीजे, नाते-रिश्तेदार हैं। पहले उन्हें नौकरी मिलेगी वा मुझे !"
उमानाथ मुगकगया, "ठीक करने हो ! प्रच्छा. अगर मैं तुमसे यह कहूँ तुमको ता उसमें तुम्हें कोई आपत्ति होगी ?"
एम० ए० केए! मैं कर चुका है न कि घर की हालत बहुत रागव है !"
"दुनिता मत करो। तुम्हारी पढाई का सर्च में वहशित करूंगा । सुम्पस काम होगा दुनिमिठी में कवियार्थियों में समाजवादका प्रचार गरपति पुस्तके जिसी गई है वह पूरा परिण में है इसे हम पायें, उस गय का दूसरे विद्यार्थियों में
ब्रह्मदत्त ने उमानाथ के साथ चलते हुए कहा, "कामरेड ! कामरेड नरोत्तम की कोई खबर मिली ?"
उमानाथ के मस्तक पर चिंता की एक हलकी-सी रेखा अंकित हो गई, "अभी तक तो नहीं मिली, और मैं कुछ ऐसा अनुभव कर रहा हूँ कि नरोत्तम # के हाथ में काम सिपुर्द करके मैंने समझदारी का काम नहीं किया !" ब्रहादत्त मुसकराया, "मैंने तुम्हें पहले ही ग्रागाह कर दिया था कामरेड ! » लेकिन ब्रह्मदत्त की मुसकराहट में भी चिन्ता निहित थी, "कामरेड ! अगर मान लो कि नरोत्तम तुम्हारे हाथ के लिखे हुए प्लैन को सरकार के हाथ में सिपुर्द कर दे तो ?"
"तो सरकार मुझे गिरफ्तार कर सकती है, यद्यपि मेरी गिरफ्तारी के लिए सिर्फ इतना सा सबूत काफ़ी न होगा । फिर भी सरकार के खुफ़िया विभाग को तो तुम जानते ही हो - उन्होंने मेरे खिलाफ़ और न जाने क्या-क्या सबूत इकट्ठा कर रक्खे हों।"
कुछ देर तक ब्रह्मदत्त सोचता रहा, फिर उसने कहा, "कामरेड ! यह तो अच्छा नहीं हुआ। मुझे अब पूरी तौर से यक्रोन होने लगा है कि नरोत्तम का सी० आई० डी० विभाग से सम्बन्ध है । जरा सावधान रहना होगा आपको और अगर कुछ मेरी सहायता की आवश्यकता हो तो उसी समय मुझे बुलवा लीजियेगा !"
ब्रहादत्त की रास्ते से ही विदा करके उमानाथ बँगले में पहुँचा। वहाँ एक ग्रादमी बैठा हुआ उमानाथ की प्रतीक्षा करे रहा था ।
उस आदमी ने उमानाथ से कहा, "मैं स्पेशल डिपार्टमेण्ट का इंस पेक्टर लालबहादुर हूँ - तकलीफ़ के लिए माफ़ कीजियेगा, लेकिन आपसे कुछ ज़रूरी बातें पूछनी थीं !"
उमानाथ बैठ गया । उसने मन ही मन कहा, "तो आरम्भ हो गया !" और उसने लालबार से कहा, "हाँ हाँ ! पूछिये !"
लालबहादुर ने जरा गला साफ़ करके आरम्भ किया, "बात यह है कुँवर साहेव - ग्राप जानते ही है- जी हाँ, हम लोगों को तो सरकार जैसा कड़े वैसा करना पड़ता है। तो - जी हाँ, आपके खिलाफ़ कुछ ऐसी खबरें मिली है कि मुझे पसे पूछताछ करने को तैनात किया गया है - लिहाज़ा में आपकी खिदमत में हाज़िर हो गया ।" यह कहकर लालबहादुर मुसकराया ।
इस समय तक, और खास तौर से लालबहादुर की बातचीत के ढंग से उमानाथ सुव्यवस्थित हो गया था। उमानाथ ने कहा, "हाँ हाँ - तो पहले कुछ नावा पी लीजिये फिर बातचीत होती रहेगी, आपको कोई खास जल्दी तो नहीं है ?"
"ज जल्दी किस बात की- हम लोग तो वक्त के मालिक होते है साहेब, सिर्फ मौत से बस नहीं चलता, वरना हमारी ब्रिटिश सरकार के बस में सब कुछ है ।" और लालबहादुर अपने मज़ाक पर खुद हँस पड़ा ।
उमानाथ ने नौकर से ना बनाने को कह दिया, फिर वह लालबहादुर के पास बैठ गया। उसने पूछा, "इंसपेक्टर साहेव-श्रव ग्राप मुझे पहले यह बनाये कि सरकार के क्या इरादे है ?"
वीरे का है- इसका तो मुझे परिपार्ट आपके खिलाफ शुरू कर दी गई है
कुछ खास पता नहीं, लेकिन तो इससे आपको मालूम
महज़ चिल्लाते भर है कि सरकारी नौकरी छोड़ दो। पूछिये साहेब नौकरी छोड़ दूँ तो इतने लोगों को कांग्रेस खिलाएगी। वैसे देशभक्ति मेरे दिल में भी हैलेकिन कुँवर साहेब यह सत्र देशभक्ति उसी को शोभा देती है जिसके पास पैसा हो । मेरे पास भी अगर लाख पचास हज़ार रुपया हो जाय, तो मैं भी देशभक्ति कर सकता हूँ !"
उमानाथ के चेहरे पर एक मुसकराहट आई, "इंसपेक्टर साहेब ! अगर समझदारी के साथ काम करें तो कुछ दिनों में आपके पास इतना रुपया आसानी से हो सकता है !"
• लालबहादुर ने ज़रा मुँह बनाते हुए कहा, "आपकी बड़ी कृपा है कुँवर साहेब - लेकिन दुनिया में हाथ-पैर बचाकर काम करने को ही बुद्धिमानी कहते हैं । इसके अलावा एक बात और मुझे दान-दक्षिणा लेने में विश्वास नहीं । यहाँ तो खरा सौदा करने वाले आदमी हैं। अगर आप खरे सौदे को मेरी तमझदारी समझ सकें तो वह समझदारी मेरे पास काफ़ी है।"
इस समय तक चा आ गई थी । उमानाथ और लालबहादुर ने चा पी। चा पीकर लालबहादुर ने कहा, "तो कुँवर साहेब ! मुझे यह दरियास करना था कि कानपुर में क्या कर रहे हैं, और आगे चल कर क्या करने के इरादे हैं ?"
उमानाथ ने उत्तर दिया, "अपने छोटे भाई की, गिरफ्तारी के सिलसिले में उसकी पैरवी करने के लिए यहाँ रुका हुआ हूँ -- इसके बाद क्या करूँगा, यह मैंने अभी तै नहीं किया है । "
"मिल एरिया में अपने कुछ सभाएँ कीं और कम्यूनिजम पर अपने कुछ व्याख्यान दिये क्या यह बात ठीक है ।
"चूँकि पण्डित ब्रह्मदत्त मेरे मित्र है वे मुझे दो-एक मज़दूरों की सभाओं में ले गए। लेकिन कम्यूनिज़्म पर मैंने कोई व्याख्यान नहीं दिया -- न कम्यूनिस्ट हूँ !" |
राजस्थान झुंझुनू की तरफ से आया टिड्डी दल रात को गांव पवेरा व छिलरो में ठहर गया। हालांकि प्रशासन की सर्तकता के चलते यह टिड्डी दल फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच सका।
जिला महेंद्रगढ़ (Mahendragarh) में बृहस्पतिवार देर सायं पांचवीं बार टिड्डी दल (Locust party) ने हमला किया। राजस्थान झुंझुनू की तरफ से आया टिड्डी दल रात को गांव पवेरा व छिलरो में ठहर गया। हालांकि प्रशासन (Administration) की सर्तकता के चलते यह टिड्डी दल फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच सका। पहले से ही तैयार प्रशासन को टिड्डी दल के हमले की सूचना मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
टिड्डी दल को लेकर प्रशासन पूरी रात अलर्ट रहा। गांव पवेरा व छिलरो में रात को टिड्डियों के बैठने की सूचना मिलने के बाद प्रशासन उनको मारने की तैयारी में जुट गया। जिसके चलते रात को ही 14 ट्रैक्टर स्प्रे मशीन व 4 फायरब्रिगेड की गाड़ियों को इस काम में लगा दिया। पहले से तैयारी का फायदा भी प्रशासन को मिला और 14 ट्रैक्टर स्प्रे मशीन व 4 फायरब्रिगेड की गाड़ियों से दवाई का स्प्रे करके रात से लेकर अलसुबह तक करीब 60 फीसदी टिड्डियों को मार गिराया गया। टिड्डियों को स्प्रे करके मारने का आंकड़ा और भी बढ़ सकता था। परंतु सुबह स्प्रे की वितरित दिशा में तेज हवा चल पड़ी। जिसके चलते 40 प्रतिशत टिड्डियां हवा के साथ उड़ गई। इसके बाद यह टिड्डी दल नांगल चौधरी, बहरोड़, रेवाड़ी होते हुए बावल की और चला गया।
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करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है। हिंदू धर्म में महिलाओं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। करवा चौथ का पूजन विधान अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से है। अधिकतर महिलाएं अपने घर की परंपरा और रीति रिवाजों के अनुसार पूजा करती हैं और कहानी सुनती हैं। लोगों के अनुसार अधिकतर जगहों में पूजा विधि में इन चीजों का समावेश होता है। करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी का ध्यान पूरे दिन करना चाहिए। करवा चौथ व्रत के दिन दीवार पर गेरू और पिसे चावलों के घोल से करवा माता का चित्र बनाते हैं या फिर बाजार में मिलने वाला करवाचौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। इस दिन आठ पूरियां अठावरी के लिए बनाई जाती हैं। सभी चीजें जैसे सास को देने वाला बायना भी करवा मां को चढ़ाया जाता है। इस दिन पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी जी बनाएं जाते हैं। मां गौरी का श्रृंगार कर उनसे सुहाग लिया जाता है। इसके बाद कहानी सुनी जाती है।
करवा चौथ का व्रत रखने की विधिः
1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके पति, पुत्र, पौत्र, पत्नी और सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें।
2. करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। लेकिन कहीं-कहीं परंपरा के अनुसार सरगी खाने का भी रिवाज है। सरगी में , मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार का समान दिया जाता है। सरगी करने के बाद पानी नहीं बिना चाहिए क्योंकि इसके बाद से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
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डब्लू०टी०ओ० की कमियाँ :(1) डब्लू0टी0ओ0 का मतलब है We Take over" ऐसा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के व्यवहार से लगता है बड़ा कम्पनियाँ छोटी कम्पनियों को निगलती जा रही है। उपभोक्ता सामान से लेकर पूँजीगत वस्तुओं तक के सन्दर्भ में छोटे उद्योगों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से करारी मात मिल रही है और उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
(2) कानर एण्ड कम्पनी द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट के आधार पर यूरोप और अमेरिका अगले पचास सालों तक भी कृषि क्षेत्र को दी जाने वाले सब्सिडी नही घटायेगें । इस रिपो का अध्ययन भारतीय केन्द्र सरकार कर रही है।' Against W.T.O. Provisions विकसित देशों में कृषि सब्सिडी बढ़ रही
है, सबसे धनी विलियन Trading Block Organisation for
Economics Corporation (DFCD) प्रतिदिन कृषि को अमरीकी
डालर की महत्वपूर्ण मतदाता है। अमरीकी सरकार में नये कृषि विधेयक जो काँग्रेस में लम्बित है के तहत वादा किया
है कि वह आने वाले 10 वर्षों में अपने किसानों को 170 विलियन डालर की सहायता से अतिरिक्त रूप से होगी ।
(3) 2000 में विश्व व्यापार में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी के 2001 में 2 प्रतिशत शेष का अनुमान है। शायद विश्व व्यापी मन्दी एवं वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर गिरने का भी नाम हो सकता है।' विश्व व्यापार संगठन को इस निराशा का हक ढूँढ़ने का प्रयत्न करना होगा ।
(4) विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक माइकमूर ने दावा किया है कि डब्लू०टी०ओ० विशेषाधिकारों के खिलाफ है। यह सही है मुक्त व्यापार ने सरकारों के लिए ऊँचे टैक्स लगाना अथवा दूसरे प्रकार में आर्थिक शोषण करना कठिन हो सकता है।
(5) भूर का यह कथन सही है कि खुले व्यापार में राष्ट्रीय नेताओं, नौकरशाहों एवं उद्यमयों में विशेषधिकार समाप्त हो जाते है, पन्द्रह वर्ष पूर्व अपने देश में केवल एम्बेसडर कार, प्रीमियम तथा स्टैण्डर्ड और बनती थी । सभी खटारा थी। 1
अमर उजाला नवम्बर 30, 2001 2- अमर उजाला नवम्बर 6, 2001
लीटर पेट्रोल में 10 से 13 किमी ही चलती थी। 50,000 किमी चलने के बाद उनका इंजन खुलवाना पड़ता था। कारण यह था कि कि कार निर्माता कम्पनियों में विशेषाधिकार को सरकार ने स्थापित कर रखा था, कार का आयात प्रतिबन्धित था। देश के कार निर्माता चाहे जैसी कार का उत्पादन करें, वे उनके लिए मनचाहा मूल्य वसूल सकते थे।
(6) नये दौर के कर्ताओं के लिए एजेन्डे में समझौते में सबसे बड़ी कार वस्तु उद्योग को लेकर आ रही है। भारत, पाकिस्तान, बाँग्ला देश विकसित देश खासकर अमेरिका और कनाडा के बाजारों में वस्त्र उत्पादों के लिए खोलने पर और दे रहे है।'
(7) एक समस्या यह भी है कि नवम्बर में डब्लू0 टी0ओ0 की दोहा की बैठक में नये चक्र की वार्ता करने का प्रस्ताव जोर पकड़ रही है।
अमर उजाला 6 नवम्बर, 2001 |
सरस्वती आदोलन - विद्या बुद्धि और ज्ञान-विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी का नाम सरस्वती है । इसे ब्राह्मी, भारती, भाषा और गीर्वाग्वाणी भी कहते है, "ब्राह्मी तु भारती भाषा गीर्वाग्वाणी सरस्वती' । इसके भव्य स्वरूप की कल्पना इसके महत्व के अनुरूप ही की गई है। इस वागीश्वरीवाग्देवी की काति कुद, इदु, तुषार, चपक, कुमुद, कर्पूर, दुग्ध तथा श्वेत कमल के समान उज्ज्वल और धवल है । इसका भव्य वदन श्वेत चदन से चर्चित है । इसके वस्त्र शुभ्र है, गले मे मुक्ता श्रीर स्फटिक के हार है । यह श्वेत पद्म पर अथवा श्वेत हम पर विराजमान है। उसके एक हाथ मे पुस्तक और दूसरे मे वीरगा है, जो साहित्य-संगीत और ज्ञान-विज्ञान के प्रतीक है। यह शुद्ध गत्वमयी, तपोमयी, प्रज्ञारूपिरगी, शक्तिस्वरूपा, शारदा है। इसके स्मरण मात्र से अज्ञानाधकार का लोप और विद्या बुद्धि के प्रकाश का उदय होता है । इमे वेदो मे जगदम्बा कहा गया है । इसके अवतरण की तिथि माघ शुक्ला ५ मानी जाती है, जिसे 'श्री पचमी' अथवा 'बसत पचमी' कहते है ।
यद्यपि सरस्वती की मूल कल्पना प्राचीन है, तथापि इसके स्वरूप का विकास और पूजन का प्रचार जैन धर्म की देन है । मथुरा के जैन विद्वानो को यह श्रेय प्राप्त है कि उन्होंने परपरागत श्रुत रूपा 'जिन वारणी' को लिखित रूप प्रदान करने के लिए 'मरस्वती आदोलन चलाया था, और मथुरा के मूर्ति कलाकारो ने सर्वप्रथम पुस्तकधारिणी सरस्वती देवी की प्रतिमाएँ निर्मित कर उम आदोलन को मूर्त रूप प्रदान किया था । 'नागहस्ति आचार्य द्वारा प्रस्थापित सरस्वती की जो लेखाकित खडित मूति ककाली टीले से प्राप्त हुई है, वह न केवल जैन सरस्वती की ही सर्व प्राचीन उपलब्ध मूर्ति हे, वरन् अन्य धर्मो द्वारा निर्मित उक्त देवी की ज्ञात प्रतिमाओ मे भी सर्वप्राचीन मानी जाती है ' ।'
'मथुरा से प्रचारित उस मरस्वती आदोलन का यह परिणाम हुआ कि दक्षिण एवं उत्तर भारत के कुदकुद, कुमारनदि, शिवार्य, विमल सूरि, उमा स्वामी श्रादि अनेक जैनाचार्य विक्रम की प्रथम शताब्दी मे ही ग्रंथ रचना मे सलग्न हो गये और आगमी के मकलन की आवाज बुलंद करने लगे । अत प्रथम शताब्दी मे ही दक्षिणापथ के जैन माधुओ ने अपने अवशिष्ट आगम ज्ञान को सकलित एव लिपिबद्ध कर डाला तथा आगमिक ज्ञान के आधार से द्रव्यानुयोग, कररणानुयोग, चरणानुयोग एव प्रथमानुयोग के भी प्रमुख ग्रंथ रचने प्रारंभ कर दिये । इस प्रकार जैन आगमो को सकलित और लिपिबद्ध करने तथा ग्रथ- निर्माण कराने का कार्य पहिले दिगवर विद्वानो ने किया था ।
नाग - गुप्त काल ( स० २३३ से स० ६०० तक ) की स्थिति - कुपारणो के पश्चात् मधुरा राज्य पर पहिले नाग राजाओ का और फिर गुप्त सम्राटो का शासन हुआ था । उम काल मे उत्तरी - दक्षिणी विचार - भेद ने पुष्ट होकर दिगवर श्वेतावर सप्रदाय-भेद को और भी स्पष्ट कर दिया था । मथुरा के जैन साधु और श्रावक वर्ग अपने को तटस्थ रखते हुए उम भेद-भाव को कम करने की चेष्टा करते रहे । उस काल मे 'मथुरा के अनेक तत्कालीन जैन गुरु दिगवर आम्नाय मे मान्य हुए, तो कितने ही श्वेतावर आम्नाय मे, और कई एक यथा आर्यमखु, नागहस्ति आदि दोनो ही सप्रदायो मे सम्मान्य हुए थे । मथुरा मे ही उसी काल मे सभवतया कह श्रमरण के नेतृत्व मे उस
(१) मथुरा मे जैन धर्म का उदय और विकास ( ब्रज भारती, वर्ष १२ अक २ ) पृष्ठ ११ वही ( ) पृष्ठ ११ |
वित्र ने यह भी कह दिया कि उस कन्या का विवाह तब तक स्थायी रूप से नहीं हो सकता जब तक जगपतिराय स्वीकृति न दें ।
राजा के लड़के ने यह सुन कर प्रधान को बुलाया और स्वयं जोगी का भेष धारण कर एक सेना के साथ चल पड़ा। उवर विप्र ने जाकर इस बात की सूचना कनकावति को दे दो और परमरूप का सौंदर्य वर्णन कर उसकी और उनका मन भी आकृष्ट कर दिया। भरथराय ने पहले प्रधान को भेज कर राजसिंघ से कनकावति को मँगा लेना चाहा परन्तु वह इस बात पर सम्मत नहीं हुआ और दोनों में युद्ध छिड़ गया । भरथराय हार गया और परमरूप को एक संन्यासी अपने साथ ले कर जंगल की ओर चला गया । राजकुमार के इस प्रकार जीवित रहने का समाचार दे कर विप्र ने इघर भरथराय को और उवर कनकावति को धैर्यपूर्वक रहने के लिए उत्साहित किया ।
फिर विप्र स्वयं परमरूप को ढूंढ़ने निकला और उसे संन्यासी के आश्रम में जाकर पाया । विप्र उस दिन से परमरूप एवं कनकावति के बीच पत्रवाहक का काम करने लगा । इस प्रकार उसने दोनों के पारस्परिक प्रेम-भाव को जागृत रखा । संन्यासी ने भी इसी बीच में राजकुमार को 'कच्छप निधि' की विद्या सिखला दो जिसके बल पर वह एक दिन अदृश्य हो कर विप्र के साथ सिंघ नगर जा पहुँचा। परंतु कनकावति ने उसे बिना विवाह स्वीकार नहीं किया । अतएव विप्र को उन दोनों का विवाह संबंध भी अनुष्ठित करना पड़ा। एक दिन केलि करते समय परमरूप को भरथनेर स्मरण हो आया और दोनों प्रेमी वीहड़ यात्रा समाप्त कर वहाँ भी पहुँच गए।
इधर राजसिंघ को अपनी पुत्री के इस प्रकार चले जाने पर वड़ा क्षोभ हुआ और उसने जगपतिराय से ये सारी बातें जना दी । जगपतिराय क्रुद्ध हो कर भरथनेर पर चढ़ आया और उसने उस नगर के आधे भाग को
सुरंग से उड़ा दिया। उसके लोग पानी में बहने लगे और परमरूप इस प्रकार बहता बहता जगराय के हाथ लग गया जिसने उसे पुत्रवत् पाल रखा । उधर कनकावति भी, इसी भाँति, जगपतिराय के हाथ लगी जिसने उसे पुत्रीवत् स्वीकार कर लिया। परन्तु वह सदा विरह में तड़पा करती थी। एक वार संयोगवश जगराय ने जगपति को लिखा कि मेरे पुत्र के साथ तुम अपनी कन्या का विवाह कर दो । इसप्रकार मंगनी तै हो कर दोनों की विवाह विधि सम्पन्न हो गई । अंत में क्रमशः जगपति और जगराय साथ राजसिंघ और भरथराय भी मिल गए।
अवतरण में इस अंतिम घटना का ही विवरण दिया गया है । - दोहा १ - जुरी जुराई = एक वार पहले जो विप्र द्वारा, विवाह के अनुष्ठान से, जोड़ दी गई थी (वह फिर दूसरी विवाह विधि के आधार पर भी एक बार जुड़ी ) । फिरि जुरी = फिर जगपतिराय और जगराय के प्रयत्नों द्वारा जुड़ गई । जोरी है जगदीस = यह पुनर्वार का मिलन भगवत्कृपा से ही संभव हुआ । परफुलित = प्रसन्न चित्त और आनंदित । जोरी == कनकावति और परमरूप की जोड़ी । विस्वावोस = अत्यन्त । चौपाई-- नगन जटित नगीनों से जड़ा हुआ । नरवाम = वर-वधू । विरधाई पूर= जो अत्यन्त वृद्ध थे। मूर= मूल । लानी = उपस्थित कर दी। चौनी = । चौगुनी, कई गुनी। दोहा २ -- अनंग तरंग = काम वासना के भावों की वृत्तियाँ । भले ............डार = एक अनोखा रंग चढ़ आया । चौपाई - सुनि= सुनो । प्रानी = प्राणाधार । सपुनौ = स्वप्न में । नातर = नहीं तो ( यदि तुमसे मिल जाने की आशा नहीं बंधी रहती तो ) । सुनत ही व्याह = इस दूसरे विवाह की चर्चा सुनते ही । षाड़त जीव = प्राण संकट में पड़ जाते । • सपुनौ = स्वप्न के दृश्य प्रत्यक्ष हो गए। पोपन = जीवित रखने वाला । दहुवन पित = दोनों के ही पिता । भरै = सह रहे हैं । दोहा३ -जु = जो कुछ। चलित = चलते समय, विदाई के असवर पर |
PRAYAGRAJ:
उत्तर भारत में जबर्दस्त ठंड पड़ रही है। संगमनगरी में भी शनिवार को हाड़कंपाने वाली ठंड रही। शुक्रवार को जहां मिनिमम टेम्परेचर 6. 4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। वहीं शनिवार को भारतीय मौसम विभाग के अनुसार प्रयागराज का मिनिमम टेम्परेचर 5. 0 डिग्री सेल्सियस से 3. 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस साल का अब तक का सबसे ठंडा दिन रहा। मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल दो तीन दिन तक कड़ाके की ठंड से राहत नहीं मिलने वाली है।
मौसम विभाग के अनुसार जबरदस्त शीतलहर का कारण है गंगा के मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा, हिन्द महासागर में होने वाली असामान्य वॉर्मिंग से बना पश्चिमी विक्षोभ। इसके साथ ही भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले ऊष्णकटिबंधीय तूफान से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिम भाग में अचानक हुई बारिश भी इसके लिए जिम्मेदार है।
भारतीय मौसम विभाग ने एक सप्ताह के मौसम का पूर्वानुमान करते हुए फोरकास्टिंग जारी किया है। मौसम विभाग की फोरकास्टिंग के अनुसार 31 दिसंबर तक जहां कोल्ड डे रहेगा। वहीं मिनिमम टेम्परेचर में थोड़ा सुधार होगा। मिनिमम टेम्परेचर जहां 10 तक पहुंचेगा, वहीं मैक्सिमम टेम्परेचर 18 तक पहुंचेगा। वहीं नए साल के पहले दिन टेम्परेचर कंट्रोल में रहेगा। ठंड कम होगी, लेकिन बारिश हो सकती है। एक से तीन जनवरी तक बारिश होने की संभावना जताई गई है।
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हिन्दुस्तान के हिमालय बचाओ, पॉलीथिन हटाओ अभियान के तहत द डिवाइन स्कूल जीवनगढ़ में शिक्षकों ने हिमालय बचाने की शपथ ली। प्रधानाचार्य नसीम अहमद ने कहा कि हिमालय का संरक्षण सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि जगरूकता पैदा की जानी जरूरी है। हिमालय से निकलने की वाली सदानीरा नदियां विश्व की कई सभ्यताओं का पालन पोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए हिमालय का मतलब प्रकृति की सुरक्षा के साथ ही सांस्कृतिक सुरक्षा भी है। प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत भी हिमालय से ही जुड़ी है। ऐसे में हिमालय के संरक्षण में भी उत्तराखंड के निवासियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। पेड़ों के दोहन से पर्यावरण असंतुलन पैदा हो रहा है, जिसका सीधा असर हिमालय पर पड़ रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों का जल स्तर कम होने लगा है, जो धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। हिमालय बचाने के लिए जरूरी है कि आम जनमानस में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा हो। उन्होंने हिमालय बचाओ अभियान को घर-घर तक पहुंचाने के लिए शिक्षकों को अभियान चलाने की सलाह दी। इस दौरान बनीता राणा, पूजा जोशी, प्रियंका शर्मा, अनुज चौहान, सिमरन खान, मेहनाज खान, अंजलि तोमर, मानसी रावत, रजिया बानो आदि मौजूद रहे।
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रायगढ़ (निप्र)। मेट्रो अस्पताल प्रबंधन ने फीस के लिए 15 साल के बच्चे की लाश बतौर बंधक रख ली। अस्पताल प्रबंधन की इस कारगुजारी ने गरीब परिवार पूरी तरह हलाकान रहा। वहीं घटना के 12 घंटे बाद कलेक्टर व सीएचएमओ से शिकायत केबाद प्रबंधन ने बच्चे का शव परिजन के हवाले कर दिया।
अस्पताल के डाक्टरों को लोग भगवान का दर्जा देकर पूजते हैं। मरीज के लिए डाक्टर वास्तव में भगवान से बढ़कर होता है। इसके बाद भी धरती के इस भगवान ने रुपए की खातिर अपना जमीर बेचने से गुरेज नहीं करते। ऐसा ही शर्मसार करने वाला एक मामला मेट्रो अस्पताल में आया, अस्पताल प्रबंधन की इस हरकत ने मानवता को शर्मसार कर दिया। दरअसल शहर के कौहाकुंडा स्थित मेट्रो अस्पताल में 17 दिन पहले जांजगीर-चांपा जिले के बाराद्वार बस्तीपारा निवासी गोपीलाल अपने 15 वर्षीय पुत्र पदुम पटेल के इलाज के लिए आए। परिजन के मुताबिक पदुम लाल पटेल को बुखार था, जिसके बाद उन्होंने उसे मेट्रो अस्पताल में भर्ती करा दिया। भर्ती के समय प्रबंधन ने परिजन से 20 हजार रुपए जमा कराए, बाद में स्मार्ट कार्ड के माध्यम से 30 हजार रुपए जमा कराया। 50 हजार रुपए नकद जमा कराने के बाद कुछ दवाई के लिए और करीब 1 लाख रुपए खर्च किया जा चुका था। इसके बाद भी इलाज ठीक से नहीं होने के बच्चे की बीती रात करीब 1 बजे मौत हो गई। इस गम में समाए परिजन द्वारा शव की मांग की गई। बताया जाता है कि करीब 72 रुपए बाकी होने का हवाला देकर अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे का शव देने से इंकार कर दिया। लाख अनुरोध करने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा लाश देने से मना करने से परिजन पर दुखों का पहाड़ टूट गया। सारी कोशिश नाकाम होने के बाद सुबह साढ़े 10 बजे परिजन इसकी शिकायत कलेक्टर मुकेश बंसल व सीएचएमओ डा हबेल उरांव की। इसके बाद कलेक्टर की पहल पर करीब 12 घंटे बाद परिजन को अपने लाडले का शव मिला।
बच्चे की मौत के गम में पिता की हालत समझे बिना अस्पताल प्रबंधन द्वारा जिस तरह लाश देने से इंकार कर दिया, उससे मानवता शर्मसार हो गई। बताया जाता है कि बच्चे की मौत के बाद परिजन अंतिम संस्कार के लिए शव की मांग की, लेकिन प्रबंधन ने शव देने से इंकार कर दिया। पिता का कहना था कि बच्चा जिंदा रहता तो कहीं से भी रकम की व्यवस्था कर देते, लेकिन 1लाख 72 हजार रुपए खर्च होने के बाद भी बच्चा हमारे हाथ से निकल गया। बीपीएल कार्डधारी होने के कारण उन्हें स्मार्ट कार्ड जारी किया गया है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन की मांग कैसे पूरी की जाती।
बच्चे की मौत से दुखी परिजन लाश नहीं मिलने से रात भर हलाकान रहे, सुबह होते ही इसकी शिकायत कलेक्टर से की गई। तब जाकर कहीं बच्चे का शव मिल सका। बताया जाता है कि गरीबों को इस तरह तंग करने के कारण कई बार मेट्रो अस्पताल की शिकायत हो चुकी है। हालांकि रसूखदार लोगों का शेयर होने के कारण इस अस्पताल पर किसी की टेड़ी नजर आज तक नहीं हुई है ।
मेट्रो अस्पताल के एडमिन प्रभारी दिनेश त्रिपाठी का कहना है कि प्रबंधन द्वारा इलाज में पूरा सहयोग दिया गया। 10 दिन पहले बच्चे को गंभीर बीमारी होने की जानकारी देकर बाहर ले जाने की सलाह दी गई थी। बावजूद परिजन ज्यादा पैसा लगने की बात कह कर यहीं इलाज कराने की जिद कर रहे थे। इलाज पर करीब 90 हजार बाकी होने के बाद भी किसी तरह का दवाब नहीं डाला गया है। लाश ले जाने के लिए कई बार परिजन से कहा गया, लेकिन गाड़ी आने की बात कह कर उनके द्वारा लाश नहीं उठाया गया। बाद में परिजन द्वारा प्रबंधन के खिलाफ झूठी शिकायत की है।
रुपए वाले प्रकरण की जानकारी नहीं है। शव रिलीज नहीं करने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद मेट्रो अस्पताल प्रबंधन से संपर्क कर शव रिलीज करने का निर्देश दिया गया है।
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बिहार में देश के सबसे लंबा डबल डेकर पुल का निर्माण कार्य जारी है, इस पुल का निर्माण 2022 तक पूरा कर लेना था लेकिन अभी तक जमीन अधिग्रहण का मामला लटका हुआ है. जिस जमीन पर यह पुल बनना है वहां पर घर बने हुए है ऐसी स्थिति में घर विस्थापित कर पूल बनाने में समस्या उत्पन्न हो रही है.
आपको बता दें कि जिस जमीन पर पुल को बनना है यह जमीन लोपोलैंड है यानी कि सरकारी है. यह जमीन नगरपालिका की जमीन है. मगर इस जमीन पर पिछले 100 वर्ष से लोगों ने कब्जा जमा लिया है. यहां से सरकार को 48 डिसीमिल जमीन का अधिग्रहण करना था लेकिन लोग इस जमीन को छोड़ना नहीं चाह रहे हैं.
भू-अर्जन विभाग के अधिकारी की मानें तो भू-अर्जन करने के लिए जमीन की पैमाइस करने की अधिसूचना अभी नहीं मिली है. ऐसे में विभाग क्या कर सकता है. इस पेंच में डबल डेकर का निर्माण प्रभावित हो सकता है.
इस पुल को लेकर सारण प्रमंडल के आयुक्त आरएल चोग्थू ने तकनीकी अधिकारियों के साथ लगातार बैठक का दौर जारी है. पुल निर्माण निगम के प्रोजेक्ट अभियंता ने बताया कि छपरा शहर में निर्माणाधीन डबल लेकर 2022 तक पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन गांधी चौक से नगरपालिका चौक तक भू-अर्जन में समस्या उत्पन्न हो रही है. जिसके बारे में प्रस्ताव विभाग को दे दिया गया है.
आपको बता दें कि छपरा में उत्तर भारत का सबसे पहला डबल डेकर फ्लाईओवर बनाया जा रहा हैं. यह पूरे भारत का सबसे बड़ा डबल डेकर फ्लाईओवर होगा, जिसकी लम्बाई करीब 3. 5 किमी होगी. इसका निर्माण अगले 3 वर्षों (2022 तक) के अंदर पूरा कर लेने का लक्ष्य है. सबसे लंबे डबल डेकर फ्लाईओवर के निर्माण में करीब 411 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बता दें कि देश में अब तक का सबसे लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर मुंबई में है जिसकी लम्बाई 1. 8 किमी है।
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अभिनेत्री रिमी सेन ने बॉलीवुड को कई सफल फिल्मों की सौगात दी हैं। उन्हें फिल्म 'हंगामा' से विशेष पहचान मिली थी। ये अलग बात है कि काफी समय से रिमी को बड़े पर्दे पर नहीं देखा गया है। फिल्मों के अलावा वह रियलिटी शो बिग बॉस के नौवें सीजन को लेकर सुर्खियों में रही थीं। अब अभिनेत्री ने बताया है कि उन्हें इस रियलिटी शो में भाग लेने के लिए 49 दिनों में 2. 25 करोड़ रुपये मिले थे।
रिमी ने बताया कि वह पैसों के लिए रियलिटी शो का हिस्सा बनी थीं। उनका मानना है कि इतने कम समय में कोई उन्हें इतनी बड़ी रकम नहीं दे सकता था। रिमी ने कहा, "मैंने कुछ चीजें ख्याति पाने और कुछ काम पैसे कमाने के लिए किए। मैंने शो बिग बॉस को केवल पैसे कमाने के लिए किया था। उन्होंने 49 दिनों में करीब 2. 25 करोड़ रुपये दिए थे। इतने कम समय में किसी को भी ये रकम नहीं मिलती। "
रिमी को साल 2015 में 'बिग बॉस 9' में देखा गया था। शो के प्रति रुचि नहीं दिखाने के कारण उन्हें कई बार सलमान खान से फटकार सुनने को मिली थी। रिपोर्ट के मुताबिक, शो के दौरान रिमी कई बार इसे छोड़ने की इच्छा जता चुकी थीं। अब पांच साल के बाद उन्होंने खुलासा किया है कि उन्हें इस शो में भागीदारी करने का कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा कि शो में काफी कुछ सीखने को मिला।
एक इंटरव्यू में अभिनेत्री ने बताया कि कई लोग बिग बॉस का कॉन्सेप्ट नहीं समझ पाते। यह केवल लड़ाई-झगड़ों को परोसना वाला शो नहीं है। यह छुपे हुए व्यक्तित्व को सबके सामने लाने वाला शो है। रिमी ने कहा, "शो में शामिल होने का मेरा दूसरा उद्देश्य यह देखना था कि मुश्किल परिस्थितयों में मैं खुद को शांत और सुलझा हुआ रख सकती हूं। बिग बॉस का उद्देश्य इंसान के अंदर की निगेटिविटी को बाहर लाना है। "
शो की दिलचस्प बात यह है कि इसमें सभी प्रतिभागियों के लिए अलग-अलग प्राइज मनी है। इस शो के विजेता को सबसे ज्यादा पैसे मिलेंगे, इस बात की गारंटी भी नहीं है। रिमी को शो में भाग लेने के लिए करोड़ों में भुगतान किया गया। वहीं, बिग बॉस के नौवें सीजन के विजेता प्रिंस नरूला को मात्र 50 लाख रुपये दिये गए थे। 11वें सीजन में शो की विजेता शिल्पा शिंदे से ज्यादा पैसे हिना खान को दिए गए थे।
बिग बॉस के आखिरी सीजन का खिताब टीवी अभिनेत्री रुबीना दिलैक ने अपने नाम किया है। पिछले महीने ही रुबीना को बिग बॉस की ट्रॉफी के साथ 36 लाख रुपये नकद दिए गए थे। वहीं, राहुल वैद्य इस शो के रनर-अप रहे हैं। शो के विजेता की प्राइज मनी 50 लाख रुपये रखी गई थी। हालांकि, राखी सावंत को शो छोड़ने के एवज में 14 लाख रुपये देने के बाद यह रकम घटकर 36 लाख रुपये बच गई थी।
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बता दें कि गायत्री प्रजापति प्रदेश की सपा सरकार में सर्वाधिक विवादित मंत्री रहे हैं। अमेठी सीट से पूर्व विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर सपा सीट पर पहली बार विधायक बने गायत्री प्रजापति को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह का विशेष स्नेह और आशिर्वाद मिला। नतीजतन उन्हें खनन जैसे मंत्रालय का पदभार मिला और कैबिनेट मंत्री का तमगा भी।
यहां रहकर उन्होंने जो गुल खिलाया वो किसी से छुपा नहीं है। खनन मंत्री रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। जिसके पश्चात मुख्यमंत्री ने साहस दिखाते हुए उनसे खनन मंत्रालय छीन लिया। इस पर परिवार में विद्रोह की नौबत आ गई अंततः पुनः दबाव में उन्हें परिवहन विभाग दिया गया।
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तिथि करने के लिए, घर कैनिंगसर्दियों के समय के लिए फलों और सब्जियां कटाई के सबसे लोकप्रिय तरीका हैं। लगभग हर गृहिणी कई अलग-अलग व्यंजनों को जानता है जो कि प्रयुक्त खाद्य आपूर्ति के सभी पोषक तत्वों को संरक्षित करने की अनुमति देता है, और प्रसंस्करण खाद्य की उचित तकनीक के साथ, विटामिन वास्तव में नहीं खोए जाते हैं इस लेख में, हम खीरे की डिब्बाबंदी पर विचार करेंगे। नीचे दी गई सिफारिशों सर्दियों के लिए सूर्यास्त की तैयारी की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी।
सूर्यास्त के लिए छोटे आकार के ताजा, हरे और रसदार खीरे, अधिमानतः युवा? इस पर एक नाजुक, लोचदार, लेकिन मोटी त्वचा और काली कताई के साथ।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मसालेदार और नमकीन खीरे अलग-अलग चीजें हैं, क्योंकि उनके पास विभिन्न प्रसंस्करण सिद्धांत हैं, साथ ही साथ मसालों के इस्तेमाल के सेट और कुछ घटकों।
तो, नमकीन बनाना के लिए अचार में सिरका है(साइट्रिक एसिड), चीनी, काली मिर्च और नमक, साथ ही साथ मसालों। सब्जियां डिब्बे में डाल दी जाती हैं, गर्म प्याला डाला जाता है और लुढ़का होता है। हालांकि, इस मामले में, सिरका विटामिन को नष्ट करने और ट्रेस तत्वों को बेअसर करने में मदद करता है।
जब खीरे खीरे, सिरका का उपयोग नहीं किया जाता है, यहांविभिन्न जड़ी बूटियों, चेरी और किशमिश पत्ते, लहसुन, काली मिर्च और अन्य मसालों का एक बहुत इस्तेमाल किया। सब्जियों धोया जाता है, किशमिश के साथ कवर एक बोतल में डाल छोड़ देता है खीरे की परतों मसाले, जड़ी बूटियों और लहसुन के मिश्रण बदलाव और नमक नमकीन (20% नमक) डालना।
हम इस बात पर विचार करेंगे कि सर्दी के लिए खीरे की कैनिंग कैसे और कैसे संभव है।
सामग्रीः एक किलोग्राम सब्जियों के लिए आपको जरूरी हैः सोआ, अजमोद और अजवाइन के तीस ग्राम, पत्ती सहिजन पुदीना के पत्तों के पांच ग्राम, काली मिर्च के तीन ग्राम, लहसुन की पंद्रह ग्राम, चार पत्ती चेरी, अंगूर तीन चादरें, काले किशमिश के चार चादरों की पंद्रह ग्राम।
खीरे की कैनिंग से पहले, उनकेइकट्ठा करना जरूरी है, फिर केवल एक दिन के बाद वे अचार शुरू कर देते हैं। ऐसा करने के लिए, सब्जियों को ठंडे पानी में छह घंटे तक धोया जाता है, धोया जाता है और बोतलों में रखा जाता है, जिसके नीचे वे नुस्खा में निर्दिष्ट हिरणों का तीसरा हिस्सा डालते हैं। फिर खीरे के आधे जार, फिर हिरण के दूसरे भाग, फिर सब्जियां और शेष हिरण और मसाले डाल दें। बोतलों को नमकीन समाधान के साथ डाला जाता है (50 ग्राम नमक में पानी का एक ग्राम डाल दिया जाता है), बीस डिग्री के तापमान पर आठ दिनों के लिए कवर किया जाता है और छोड़ दिया जाता है।
थोड़ी देर के बाद, बोतलें ब्राइन से भरी हुई हैं और घिरा हुआ है।
2. मसालेदार खीरे।
सामग्रीः दस आधा लीटर के डिब्बे लेने के लिएः खीरे के तीन किलोग्राम, अजमोद के पंद्रह ग्राम, सोआ और लहसुन की पचास ग्राम, सहिजन, allspice और अजवाइन, टकसाल के पत्तों और लाल मिर्च के तीन ग्राम, सात तेज पत्ते, पानी की दो लीटर, नमक के एक सौ ग्राम, सिरका के चार सौ ग्राम के तीस ग्राम ।
खीरे का संरक्षण इस तथ्य से शुरू होता हैबोतलों के नीचे मसाले और जड़ी बूटियों का एक तिहाई हिस्सा होता है, शीर्ष पर खीरे की एक परत डालते हैं, फिर फिर मसालों और खीरे, और इसी तरह। बैंकों को गर्म ब्राइन डाला जाता है, जो निम्नानुसार तैयार किया जाता हैः व्यंजनों में पानी डालें, नमक, उबाल लें और गेज के तीन परतों के माध्यम से फ़िल्टर करें, फिर सिरका जोड़ें। Marinade दो मिनट के लिए फोड़ा जाना चाहिए।
बोतलों को गर्म पानी से भरे बड़े बर्तन में रखा जाता है और नब्बे डिग्री दस मिनट के तापमान पर पेस्टराइज्ड किया जाता है, जिसके बाद जार मोड़ जाते हैं।
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मुंबईः बॉलीवुड के मशहूर सिंगर सोनू निगम के ट्वीट ने सोमवार की सुबह सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया. सोनू निगम ने एक के बाद एक ट्ववीट कर इस्लाम पर निशाना साधा था. सोनू निगम ने आज एक बार फिर से ट्वीट कर कहा है कि मैं अपने बयान पर कायम हूं.
सोनू निगम ने आज फिर से ट्वीट कर कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा आगे यह भी कहा कि मस्जिदों और मंदिरों में लाउडस्पीकर नहीं होने चाहिए.
अपने इस ट्वीट के बाद सोनू ने एक और ट्वीट किया इसमें उन्होंने अहमद पटेल वाले ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि समझदार लोग इसी तरह से मुद्दों को समझते हैं. मैं आपकी इज्जत करता हूं अहमद पटेल जी. उन्होंने आगे लिखा कि यह अजान या आरती नहीं, बल्कि लाउड स्पीकर्स के लिए था.
बता दें कि सोमवार को ट्वीट कर कहा था कि मैं मुस्लिम नहीं हूं और अजान की आवाज से मेरी सुबह जल्दी नींद खुल जाती है. भारत में ऐसी जबरदस्ती वाली धार्मिकता कब बंद होगी.
उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे आगे ये भी कहा कि जिस समय मोहम्मद ने इस्लाम की स्थापना की थी, जब बिजली नहीं थी. इसके बावजूद क्या वजह है कि एडिसन के आविष्कार के बाद भी ये शोर क्यों सुनना पड़ रहा है.
And by the way Mohammed did not have electricity when he made Islam. . Why do I have to have this cacophony after Edison?
सोनू निगम ने ये भी कहा कि मैं किसी मंदिर या गुरुद्वारे पर विश्वास नहीं करता कि बिजली के इस्तेमाल से लोगों को सुबह जगा देते हैं जो उस धर्म को फॉलो नहीं करते. तो क्यों. . ? ईमानदार? सच? इसके बाद निगम ने कहा कि गुंडागर्दी है बस. सोनू के इन ट्वीट्स के बाद से सोशल मीडिया पर नई बहस शुरु हो गई है. ट्वीटर पर सोनू निमग ट्रेंड भी करने लगे हैं.
I don't believe in any temple or gurudwara using electricity To wake up people who don't follow the religion . Why then. . ? Honest? True?
वहीं सोनू के इस ट्वीट्स का कुछ लोग सपोर्ट कर रहे हैं तो कुछ उनके विरोध में खड़े हो गए हैं. आपको बता दें कि मस्जिदों में सुबह ऊंची आवाज में अजान होती है और इसके लिए लाउड स्पीकर भी लगाए जाते हैं.
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हल्द्वानी। उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिले में छात्रों की अनिवार्य रूप से दिमागी जांच नहीं होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की ओर से छात्रों का मनोचिकित्सक टेस्ट (साइकेट्रिस्ट) अनिवार्य करने के फैसले को रद्द कर दिया है। जरूरत महसूस होने पर ही यह जांच होगी।
नीट यूजी और नीट पीजी से दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए पिछले दिनों राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने मनोचिकित्सक टेस्ट अनिवार्य किया था। सरकार ने इस संबंध में न तो नीतिगत फैसला लिया था और न ही देश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में यह जांच अनिवार्य है।
इसे देखते हुए प्रभारी स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार के निर्देश पर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना ने किसी भी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अनिवार्य रूप से मनोचिकित्सक टेस्ट नहीं कराने के निर्देश दिए हैं।
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने मेडिकल शिक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण के फैसले पर विवाद होने पर अनिवार्यता की शर्त को हटा लिया है। यदि मेडिकल बोर्ड को लगता है कि कोई छात्र मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो उसी स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण को अनिवार्य करने के पीछे कॉलेज प्रशासन का तर्क था कि छात्र-छात्राओं के आत्महत्या करने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था।
राजकीय मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्र-छात्राओं के होने वाले मेडिकल परीक्षण में मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण को जोड़ा गया था। अगर कोई छात्र-छात्रा मानसिक तौर पर बीमार मिलता तो इससे मेडिकल कॉलेज में उसके प्रवेश पर कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि अब इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है। अब जरूरत पड़ने पर ही ऐसा किया जाएगा।
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संस्कृत काव्यशास्त्र की परम्परा मे नाट्यशास्त्र के प्रणेता भरतमुनि का स्थान अग्रणी है । काव्यशास्त्र विषयक जो प्राचीनतम् ग्रन्थ उपलब्ध है वह नाट्यशास्त्र ही है। इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ की रचना कब हुई ? यह विवाद का विषय है। कुछ विद्वानो का मत है कि यह एक काल की रचना नही है अपितु शताब्दियो के प्रयास का प्रतिफल है। प्रो कीथ के अनुसार नाट्यशास्त्र का समय ईसा की तृतीय शताब्दी के पूर्व नही हो सकता है । कालिदास के 'कुमारसम्भव महाकाव्य मे मुनि भरत का स्पष्ट उल्लेख हैमुनिना भरतेन य प्रयोगो भवतीष्वष्टरसाश्रयो निबद्ध ।
ललिताभिनय तामद्य भर्ता मरूता दृष्टुमना स. लोकपालः।।'
नाट्यशास्त्र के अन्त साक्ष्य से भी उसकी प्राचीनता सिद्ध होती है । उसमे ऐन्द्र व्याकरण तथा यास्क के उद्धरण तो है, किन्तु पाणिनीय व्याकरण के नही। नाट्यशास्त्र के तीन अश है- गद्य भाग, सूत्र विवरण स्वभाव कारिका तथा अन्य श्लोक। इसमे विविध ललित कलाओ का भी निरूपण किया गया है। ग्रन्थ के प्रारम्भ मे नाटक की उत्पत्ति तथा रगमच आदि का विशद विवेचन किया गया है। अभिनय तथा संगीत के अतिरिक्त भावी अलकारशास्त्र के विविध अगो का विवेचन भी नाट्यशास्त्र मे उपलब्ध होता है। ग्रन्थ के छठे - सातवे अध्यायो से यह स्पष्ट व्यक्त होता है कि इन्होने विभावादि से रस - निष्पत्ति तथा रसो के वर्ण व देवतादि का उल्लेख किया है। सप्तदश अध्याय मे उपमा, रूपक, यमक और दीपक अलकारो का तथा १० काव्य गुणो एव १० काव्य दोषो को निरूपित किया । रस के प्रति भरत का पक्षपात सर्वथा स्पष्ट ही है, क्योकि इन्होने नाट्य के सम्प्रेषण भाव के अन्तर्गत आन्तरिक वस्तु के रूप मे रस का वर्णन किया है, जबकि अलकारो की चर्चा इन्होने वागभिनय के अन्तर्गत नाटक के बाह्य प्रसाधन के रूप मे की है। इस प्रकार उनकी दृष्टि मे 'रस तो मूल सम्प्रेष्य वस्तु है, किन्तु 'अलकार सम्प्रेषण का माध्यम मात्र ।
कुमारसम्भवम्-२ / २८ |
आज बॉलीवुड की रानी यानि रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की राजकुमारी आदिरा एक साल की हो गई हैं। मम्मी रानी ने अपने प्यारी सी राजकुमारी के लिए विश करने का सबसे अनोखा तरीका अपनाया है। 9 दिसंबर 2015 को आदिरा का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि बच्ची को यह नाम आदित्य और रानी के नाम को मिलाकर दिया गया है। इस स्टार किड की एक झलक पहले बर्थडे पर दिखाई गई। यशराज के आधिकारिक टेविटर हैंडल से यह फोटो शेयर की गई है। जिसमे मम्मी रानी अपनी सोती हुई राजकुमारी के साथ पोज देते हुए नजर आ रही हैं। रानी का अपनी बेटी के नाम लिखा गया यह पत्र यशराज फिल्म्स के इंस्टाग्राम से शेयर किया गया है। आज आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी के लिए डबल खुशी है। क्योंकी आज आदिरा के जन्मदिन के साथ-साथ बेफिक्रे फिल्म भी रिलीज हो गई है।
-> बॉलीवुड में नंबर 1 पर लेकिन इस लिस्ट से अभी भी गायब!
है।
-> ब्रेकअप के बाद रणबीर इस अभिनेत्री को कर रहे डेट!
रानी ने लिखा है. . . मैं अपनी बच्ची आदिरा से बेहद प्यार करती हूं।
सहनशील और दयालु भी। यह सब अचानक एक दिन रातोंरात हो गया।
-> एक ने छोडी तो दूसरों के लिए सुपरहिट हो गई ये फिल्में!
उम्मीद है कि मैं आदिरा का पालन-पोषण अच्छी तरह से कर पाऊंगी. . . वह निडर,
मुस्कान के साथ, दिल से हंसे, उसकी मुस्कुराहट उसकी आंखों तक पहुंचे।
-> बॉलीवुड अभिनेत्रियों के मेल वर्जन!
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इस्लाम में मस्जिद की अनिवार्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने अहम फैसला दिया है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मसले को संविधान पीठ के हवाले नहीं किया जाएगा।
जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सिविल वाद पर तथ्यों के आधार पर निर्णय किया जाएगा और पूर्व के फैसले की कोई प्रासंगिकता नहीं है। तीन सदस्यीय पीठ ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने इस्लाम में मस्जिद की अनिवार्यता मामले में 2-1 के बहुमत से फैसला दिया है।
जस्टिस नजीर ने बहुमत के खिलाफ अपनी राय दी है। इसके साथ ही सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस भूषण ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की है। बता दें कि इस्माइल फारूकी मामले में वर्ष 1994 में कोर्ट ने कहा था कि इस्लाम धर्म को मानने के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है। ऐसे में भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा जमीन के अधिग्रहण पर रोक भी नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि मुसलमान कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस बाबत 2010 में फैसला दिया था। इससे पहले मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने जोर दिया जोर दिया था कि मामले की सुनवाई संविधान बेंच करे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि मुसलमानों को प्रार्थना करने के लिए मस्जिद जरूरी है या नहीं। 1994 में, अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने इस्लाम में प्रार्थना के लिए मस्जिद को जरूरी नहीं माना था।
इसी के आधार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। विवादित भूमि को लेकर फैसले में सुप्रीम कोर्ट के मस्जिदों पर फैसले की अहम भूमिका हो सकती है। 2010 में फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया था। एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान को, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को दिया गया था।
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रिकांगपिओ - किन्नौर में स्वास्थ्यएं शिक्षा, पानी जैसी जरूरी सुविधएं आम जनमानस को नहीं मिल पा रही है। किनौर में शिक्षा के क्षेत्र में हालात यह हो गए है कि एक माह में एक ही स्कूल से पांच अध्यापको का स्थानांतरण करने से स्कूल की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ने लगा है। सरकार ने एक माह के भीतर ही किन्नौर के सपनी स्कूल में प्रिंसिपल सहित पांच अध्यापकों का तबादला कर दिया। इस से स्कूल में पड़ रहे बच्चों के पढ़ाई पर सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह बात किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने रिकांगपिओ में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा। नेगी ने बताया कि इस समय किन्नौर में दो दर्जन के करीब ऐसे स्कूल है जहां पर साइंस, कॉमर्स, मैथमेटिक्स, इंग्लिश जैसे टीचर तैनात नही है। ऐसी तरह कई अन्य जरूरी विषयों के अध्यापक भी कई स्कूलों में नही है। इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा इस पर भाजपा सरकार गंभीर नहीं है। नेगी ने कहा कि किन्नौर जिला का एक मात्र क्षेत्री अस्पताल रिकांगपिओ का ओपीडी मात्र तीन डाक्टरों के सहारे चल रहा है। इस दौरान उन के साथ जिला कांग्रेस प्रवक्ता सूर्य बोर्स, पूह ब्लॉक कांग्रेस प्रवक्ता तेजस्वी नेगी, प्रदेश इंटक सचिव कुलवंत नेगी, कांग्रेस कार्यालय सचिव भारत लाल नेगी मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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अमरावती प्रतिनिधि/ दि. ११ -गुंठेवारी योजना अंतर्गत शहर सहित जिले में प्राथमिक जानकारीनुसार निजी जमीन पर बनाए गये 10 हजार से उपर घर, 70 के उपर लेआउट्स की झोपडपट्टिया व गांव के विकास का मार्ग आसान हो गया है. इसका तत्काल नियमितिकरण होगा तथा 2001 से अनेक घरों में लेआउट का निर्माण हो गया है. किंतु उसका नियमितिकरण न होने से वहां का विकास भी ठप्प पड गया था. शासन की अनेक योजनाओं का लेआउट का लाभ यहा के निवासियों को नहीं मिलता था. किंतु अब विकास का मार्ग आसान हो गया है, ऐसे घरों को पीआर कार्ड भी मिलेगा.
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अथवा छोटो शहरों में निजी जमीन पर बिना लायसेंस के खेती करना अथवा कोई भी अनुमति लिए बिना निर्मित किए गये घर तथा बांधकाम महाराष्ट्र गुंठेवारी योजना अंतर्गत नियमित करने का निर्णय राज्यमंत्री मंडल की बैठक में हाल ही में लिया गया. इस 31 नुसार 2001 से 31 दिसंबर 2020 तक की निजी जमीन पर बिना अनुमति के सभी घर व निर्माण कार्य यह महाराष्ट्र गुंठेवारी योजना अंतर्गत अब नियमित होंगे. इस निर्णय के कारण अमरावती मनपा क्षेत्र में निजी जमीन पर सैकडो भूखंड नियमित होकर विकास को गति मिलेगी.
उसी प्रकार जिले के अतिक्रमित जमीन पर घर व भूखंड भी नियमित होनेवाले है. मनपा क्षेत्र का विकास प्रारूप ब्यौरा मनपा आयुक्त ने 19 नवंबर 2019 को शासन की ओर भेजा था. महानगर क्षेत्र विकास प्रारूप ब्यौरा के लिए नियुक्त जाधव ने प्रारूप ब्यौरा मनपा सभागृह में प्रस्तुत किया था.
मनपा क्षेत्र का विकास ब्यौरा मनपा आयुक्त ने 19 नवंबर 2019 को शासन के पास भेजा था. महानगर क्षेत्र विकास प्रारूप ब्यौरे के लिए नियुक्त जाधव ने प्रारूप ब्यौरा मनपा सभागृह में प्रस्तुत किया था. इसमें मौजे नवसरी सर्वे क्र. 19,92,93,99,100, 101, 102, व पास की अन्य जमीन शहर के अन्य निवासी विभाग में शामिल करने का प्रस्ताव था. इस दौरान इस प्रस्ताव पर विचार व कामकाज सबंध में 16 अगस्त 2019 को महापौर, उपमहापौर, सभागृह नेता, विरोधी पक्ष नेता, स्थायी समिति सभापति सदस्यासहित शासन द्बारा गोविंद देवाजी चव्हाण, श्रीराम कापसे, राजकुमार कदम की एक समिति गठित की. किंतु इस समिति ने राज्य शासन की प्रतिनिधि से सूचित की गई नवसारी सर्वे क्र. 91,92,93,99,100,101,102 व पास की अन्य जमीन भी निवासी क्षेत्र में घोषित करने का प्रस्ताव से इनकार किया व वैसा प्रस्ताव शासन के पास भेजा. परंतु जब तक भूखंड नियमानुकूल नहीं होते तब तक उसे पीआरकार्ड नहीं मिलता. इसी वजह से आगे निजी जमीन पर भुखंड पर विकास काम करना अथवा स्थानीयों की मुलभूत सुविधा का लाभ मिलने में बडी अडचने निर्माण हुई. शहर में ही नहीं जिले में भी ऐसे अनेक घर ले-आउट्स, प्लॉट, निवासी क्षेत्र है. जो नियमाकुल न होने से उन्हें शासन की योजना का लाभ नहीं मिलता था तथा वहां के विकास काम ठप्प थे. वर्ष 2001 से 31 दिसंबर 2020 तक शहर में अनेक भूखंड की बिक्री की गई. वे आज भी विकास काम से वंचित है. उसी प्रकार पक्के घर नियमाकुल न होने से उन्हें पीआर कार्ड दिलवाने में अडचने आयी. इस बात की दखल लेकर विधायक खोडके ने बिना अनुमति के घर नियमानुकूल करने संबंध में महाविकास आघाडी सरकार के समक्ष मुद्दा रखा था. जिसका परिणाम 6 जनवरी को मिला है. जिसमें बिना अनुमति वाले प्लॉट लेआउट झोपडपट्टी गावठान को नियमानुकूल करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. जिसमें विधायक सुलभा खोडके द्बारा किए गये प्रयास सफल रहे.
गुंठेवारी नियमित किए जाने के लिखित आदेश हाथ में आने के पश्चात सूचना नियम व शर्तो तथा आवश्यक दस्तावेज की जांच कर घर व लेआउट नियमानुकूल करने को ेलेकर कदम उठाए जायेंगे, ऐसा मनपा के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है.
घर व लेआउट नियमानुकूल करवाने हेतु मनपा को आवेदन करते समय बिजली बिल, संपत्तिकर की रसीद तथा बांधकाम का नक्शा आवेदन के साथ जोडना होगा.
राज्य शासन की ओर से निजी जमीन पर बिना अनुमति के किए गये निर्माण कार्य को नियमित किए जाने की विस्तृत आदेश आने के पश्चात ही मनपा द्बारा तत्काल कार्रवाई की जायेगी.
प्रशांत रोडे,
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वन्यजीवन और वाहनों के बीच टकराव सड़कों के पर्यावरणीय परिणामों में से एक है, और एक गंभीर सार्वजनिक सुरक्षा मुद्दा है। यह सड़क पारिस्थितिकी का केवल एक पहलू है, लेकिन रोडकिल निश्चित रूप से सबसे दृश्यमान में से एक है। हम सभी ने सड़क पर मृत हिरण, रेकून, स्कंक्स, या आर्मडिलोस देखा है। हालांकि, इन व्यक्तिगत जानवरों के लिए निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है, उनकी जनसंख्या या प्रजातियां आम तौर पर जोखिम में नहीं होती हैं।
हमारी चिंताओं आमतौर पर वाहनों के लिए सार्वजनिक सुरक्षा और क्षति तक ही सीमित होती है। हालांकि, हम अनगिनत छोटे पक्षियों, छोटे स्तनधारियों, सरीसृपों, और उभयचरों को शायद ही कभी देखते हैं जिन्हें हम अक्सर मारते या चलाते हैं। वन्यजीवन के लिए रोडकिल के संरक्षण महत्व के बारे में हम यहां क्या जानते हैं।
कारों द्वारा उच्च दर पर सोंगबर्ड मारे जा रहे हैं। अनुमान अलग-अलग हैं, लेकिन सूत्रों ने कनाडा में 13 मिलियन पक्षियों पर सालाना टोल लगाया। संयुक्त राज्य अमेरिका में, एक अलग अध्ययन ने कारों से प्रति वर्ष 80 मिलियन मौतों का अनुमान लगाया। यह संचार टावरों, पवन टावर्स, घर बिल्लियों और खिड़कियों द्वारा हर साल लाखों पक्षियों को मार डाला गया है। पक्षी आबादी पर तनाव का यह संग्रह लंबे समय तक कुछ प्रजातियों को धमकी देने के लिए पर्याप्त हो सकता है।
कुछ उभयचर जो तालाबों और गीले मैदानों में प्रजनन करते हैं, जैसे घिरे हुए सलामैंडर्स और लकड़ी के मेंढक, गीले वसंत की रातों के दौरान बड़ी संख्या में माइग्रेट करते हैं।
अपने प्रजनन तालाबों के रास्ते पर, वे बड़ी संख्या में सड़कों को पार कर सकते हैं। जब ये क्रॉसिंग व्यस्त सड़कों पर होती है, तो इससे बड़े पैमाने पर मृत्यु दर हो सकती है। आखिरकार, कुछ प्रजातियों को मुख्य रूप से इन बड़े पैमाने पर सड़क मृत्यु दर की वजह से स्थानीय रूप से विलुप्त किया जा सकता है (स्थानीय विलुप्त होने की अवधि)।
वे कितनी धीमी गति के कारण हैं, कछुए कारों के लिए कमजोर हैं। उन्हें अक्सर गीले मैदानों के बीच या घोंसले के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए सड़कों को पार करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मुलायम सड़क के किनारे गंदगी अक्सर कछुए को एक धूप वाली घोंसले की जगह की तलाश में आकर्षित करती है। हालांकि, कछुए आबादी के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक उनकी जनसंख्या संरचना से जुड़ी भेद्यता है। कछुए धीरे-धीरे बढ़ते जानवर हैं जो जीवन में देर से पुनरुत्पादन शुरू करते हैं, और हर साल कुछ संतान पैदा करते हैं। इस कम उत्पादकता को संतुलित करने के लिए, उन्होंने एक ठोस खोल विकसित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे लंबे समय तक रह सकें (100 से अधिक वर्षों में) और पुनरुत्पादन के कई अवसर हैं। वह खोल एक कार के पहियों से कोई मेल नहीं है, हालांकि, और वयस्कों को जो उच्च जीवित रहने का आनंद लेना चाहिए, उनके प्रधान में मारे गए हैं, जिससे जनसंख्या में कमी आती है।
स्तनधारियों की छोटी आबादी को कभी-कभी सड़क मृत्यु दर से विलुप्त होने की धमकी दी जाती है। फ्लोरिडा पैंथर, 200 से कम व्यक्तियों के साथ, सड़क के कारण सालाना एक दर्जन व्यक्तियों को खो रहा है। ऐसी छोटी आबादी उस स्तर के दबाव को बनाए रख सकती है, और फ्लोरिडा राज्य ने पैंथरों के लिए सड़क मृत्यु दर को कम करने के उपायों को लागू किया है। इसी तरह की समस्याएं अन्य स्तनधारियों जैसे पहाड़ शेर, यूरोपीय बैजर और कुछ ऑस्ट्रेलियाई मर्सपियल्स द्वारा अनुभव की जाती हैं।
यहां तक कि कीड़े!
कीड़ों के लिए भी सड़क मृत्यु दर चिंता का विषय हो सकता है। 2001 में प्रकाशित एक अध्ययन का अनुमान है कि इलिनोइस राज्य में कारों द्वारा मारे गए राजाओं की तितलियों की संख्या 500,000 से अधिक व्यक्तियों से अधिक हो सकती है। ये संख्याएं राजाओं की आबादी में हाल ही में भारी गिरावट के प्रकाश में विशेष रूप से परेशानी होती हैं (ध्यान दें कि राजा के संरक्षण में सहायता करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, मोनार्क वॉच एक महान नागरिक विज्ञान परियोजना है)।
बिशप और बोर्गन। 2013. एवियन संरक्षण और पारिस्थितिकी।
एरिक्सन, जॉनसन, और यंग। 2005. यूएसडीए वन सेवा सामान्य तकनीकी रिपोर्ट।
मैककेना एट अल। 2001. लेपिडोप्टेरिस्ट्स सोसाइटी का जर्नल ।
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सिराथू तहसील के थुलगुला निवासी जयकरन पटेल (36) पुत्र रामकृष्ण को सप्ताह भर पहले से तेज बुखार आ रहा था। उसका इलाज स्थानीय चिकित्सक के यहां चल रहा था। हालत में सुधार नहीं होने पर उसे प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जांच के दौरान पता चला कि युवक को डेंगू है। इलाज के दौरान बुधवार शाम युवक की मौत हो गई। युवक की मौत से परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल है।
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बिग बॉस के सीजन 13 को विजेता मिल गया है। बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला हैं। करीब चार महीने चले इस शो में सिद्धार्थ शुक्ला का सफर काफी विवादित और रोचक रहा। बिग बॉस के घर में सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) दर्शकों की शुरू से ही पहली पसंद रहे थे। शो के ग्रैंड फिनाले में सिद्धार्थ शुक्ला के साथ आसिम रियाज (Asim Riaz), रश्मि देसाई (Rashami Desai), पारस छाबड़ा (Paras Chhabra), आरती सिंह (Aarti Singh) और शहनाज गिल (Shehnaaz Kaur Gill) मुकाबले में थे।
ऐसे में हम आपको बताते हैं सिद्धार्थ शुक्ला ने अपने इन सभी प्रतिद्वंदियों को कैसे मात की और बिग बॉस 13 की ट्रॉफी अपने नाम की। ग्रैंड फिनाले में सलमान खान ने शो में मौजूद सभी छह कंटेस्टेंट्स की तकदीर का फैसला करते हुए दस लाख रुपये से भरे एक ब्रीफकेस का ऑफर दिया। इस ऑफर के तहत ग्रैंड फिनाले को बीच में छोड़ने वाले को ये ब्रीफकेस मिलता। सलमान ने इन सभी कंटेस्टेंट्स को 30 सेकेंड तक सोचने का मौका किया। जिसके बाद पारस छाबड़ा ने ब्रीफकेस के साथ शो छोड़ने का फैसला किया।
10 लाख रुपये लेकर पारस छाबड़ा ने बिग बॉस छोड़ दिया। ऐसे में सिद्धार्थ शुक्ला का मुकाबला अब पांच लोगों के बीच रह गया था। कुछ देर बाद सलमान खान बिग बॉस 13 के विनर को छोड़कर जीतने की दौड़ में शामिल बाकी चार कंटेस्टेंस्ट के लिए अबू धाबी के टूर पैकेज का ऑफर लेकर आए। इसके बाद आरती सिंह के बिग बॉस के घर से बेघर होने की घोषणा हुई। कुछ समय बाद मशहूर निर्माता-निर्देशक रोहित शेट्टी शो ने अपने आने वाले शो खतरों के खिलाड़ी का प्रमोशन करने आए। बिग बॉस के ग्रैंड फिनाले में आकर रोहित शेट्टी ने घर में मौजूद सिद्धार्थ शुक्ला, आसिम रियाज, रश्मि देसाई और शहनाज गिल से टास्क करवाया।
टास्क करवाने के बाद रोहित शेट्टी ने बिग बॉस के घर में मौजूद इन चारों में से रश्मि देसाई को घर से बेघर किया। रश्मि के चले जाने के बाद बिग बॉस 13 के फिनाले की रेस में सिद्धार्थ शुक्ला, आसिम रियाज और शहनाज गिल बचे थे। इसके कुछ समय बाद सलमान खान ने टॉप तीन कंटेस्टेंट्स में से अगले कंटेस्टेंट के घर से बेघर होने की घोषणा की। इस बार सलमान खान ने शहनाज गिल को बिग बॉस 13 के ग्रैंड फिनाले की रेस से बाहर किया।
शहनाज के घर से बेघर होने के बाद शो के अंदर बिग बॉस सीजन 13 के दो सबसे चर्चित कंटेस्टेंट्स आसिम रियाज और सिद्धार्थ शुक्ला टॉप दो में पहुंचे। इन दोनों ने बिग बॉस के घर की पूरी लाइट्स बंद करके सलमान खान के साथ स्टेज पर आए, जहां सलमान खान इस सीजन के विजेता की घोषणा करने वाले थे। स्टेज पर आने के बाद सलमान खान ने सिद्धार्थ शुक्ला और आसिम रियाज का हाथ अपने हाथों में पकड़ा और सस्पेंस बरकरार रखते हुए विजेता के नाम को कुछ देर बाद बताया। सलमान खान ने सिद्धार्थ शुक्ला का हाथ ऊपर करते हुए बिग बॉस 13 के विजेता की घोषणा की।
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मैड्रिड : स्पेन की राजधानी मैड्रिड में एक कार रैली में शामिल एक कार अचानक तेज रफ्तार के साथ दर्शकों पर जा चढ़ी, जिससे छह लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, हादसा शनिवार रात करीब आठ बजे (स्थानीय समयानुसार कैरल गांव के निकट 'रैली ऑफ ए कोरुना' कार दौड़ में हुआ।
स्पैनिश सिविल गार्ड ने पुष्टि की है कि मृतकों में चार महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं।
इसके अलावा हादसे में 10 अन्य लोग घायल हुए हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नागरिक सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर काबू पाने और पीड़ितों एवं उनके परिवारों की देखरेख के लिए रवाना हो गई हैं।
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नई दिल्ली, Russia Ukraine Conflict रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर है. रूस ने लगभग यूक्रेन की सभी सीमाओं पर अपने सैनिक तैनात कर दिए है. हालत ऐसे है कि किसी भी क्षण दोनों देशो के बीच युद्ध हो सकता है. दोनों देशो के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए अमेरिक के राष्ट्रपति जो बाइडन (Us president joe biden) ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन से आगे बढ़ना चाहता है. कई दौर की बातचीत के बाद भी दोनों देशो के बीच हालत ठीक नहीं हुए है. इसलिए अमेरिका रूस पर 2014 से भी ज्यादा कड़े प्रतिबंध लगाने जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम रूस पर दो कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे है.
अमेरिका ने रूस के दो बड़े वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है. अमेरिका अब रूस के साथ आगे से व्यापार नहीं करेगा. ' अमेरिका के राष्ट्रपति ने घोषणा की कि अमेरिका रूसी बैंकों (वीईबी (VEB) और रूसी सैन्य बैंक से जुड़े व्यापार) और कुलीन वर्गों के खिलाफ कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगाने के आदेश दे रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि रूस पर वित्तीय सहित कई बड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। रूस को पश्चिमी देशों से मिलने वाली ताकत को भी रोकेंगे, जैसे-जैसे रूस आगे बढ़ेगा हम प्रतिबंध बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि नाटो (NATO) से हमारा वादा अटल है. अमेरिका नाटो की हर एक इंच सीमा की रक्षा करेगा, रूस ने संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन किया है, जो सही नहीं है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि रूस के खिलाफ यूक्रेन को सैन्य मदद देंगे. रूस ने यूक्रेन के चारों तरफ अपने सैनिकों को तैनात करके रखा है. रूस की हर चुनौती का मिलकर जवाब देंगे. हलाकि उन्होंने ये साफ किया कि वे युद्ध का समर्थन नहीं करते। अमेरिका चाहता है कि दोनों देशो के बीच विवाद जल्द खत्म हो और देश में अमन और शांति कायम रहे.
-अमेरिका का मानना है कि यूक्रेन के साथ बढ़े तनाव में रूस स्पष्ट रूप से हमलावर है।
-बाइडन ने पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के पुतिन के फैसले की निंदा की, इसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
-दो वित्तीय संस्थान वीईबी और रूस के सैन्य बैंक अब प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। रूसी अभिजात वर्ग और उनके परिवारों के खिलाफ और प्रतिबंधों लगाए जाने की संभावना है।
-अमेरिका यूक्रेन को और अधिक रक्षात्मक सहायता भेज रहा है और बाल्टिक सहयोगियों के साथ अमेरिकी सेना तैनात कर रहा है, जो नाटो के सदस्य हैं।
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सरकार जी अभी, हाल ही में, विदेशी दौरे पर थे। जैसा कि होता ही है कि विदेशी दौरे पर उनका वहां रहने वाले भारतीयों से मिलने का कार्यक्रम था। सरकार जी जब भी विदेश जाते हैं तो वहां रहने वाले भारतीयों से अवश्य ही मिलते हैं। इससे सरकार जी की खुशहाल भारतीयों से मिलने की इच्छा भी पूरी हो जाती है।
तो सरकार जी डेनमार्क में बसे खुशहाल भारतीय लोगों से मिल कर हॉल में से निकले ही थे कि पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। सरकार जी सकपका गए। सरकार जी बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ था पिछले सात आठ सालों में सरकार जी के सामने पत्रकार पड़ जाएं। वैसे तो सरकार जी तैयारी कर के भी पत्रकारों के सामने नहीं आते हैं पर यहां तो वे पत्रकारों के सामने अचानक ही पड़ गए थे और वह भी बिना किसी तैयारी के। सामने टेलीप्रोम्पटर भी नहीं था कि कुछ बोल पाते। तो सरकार जी हड़बड़ा गए। हकलाते हुए कुछ अस्पष्ट सा बोलने लगे। जो कुछ समझ में आया, वह था, 'आपको अंदर नहीं आने दिया? ओह माई गॉड'!
ओह माई गॉड! यह तो बहुत ही अजीब हुआ। पत्रकारों को तो अंदर आने ही देना चाहिए था। सरकार जी का भाषण सुनने देना चाहिए था। सरकार जी जो जुमले बाजी करते, वह सुनने देनी चाहिए थी। मी लार्ड, ये सरकार जी द्वारा जुमला बोलने की बात मैंने नहीं, आदरणीय गृहमंत्री जी ने कही थी। मैं तो यह मानते हुए कि जुमला बोलना अच्छी बात है, सरकार जी यह करते रहते हैं और गृहमंत्री जी इसकी तस्दीक भी करते हैं, इस शब्द, जुमला का प्रयोग कर रहा हूं।
तो सरकार जी तो विदेश में खुशहाल भारतीय लोगों से मिलने ही गए थे। भारत में तो खुशहाल भारतीय ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं। तो सरकार जी जब भी विदेश जाते हैं, वहां बसे भारतीयों से अवश्य ही मिलते हैं क्योंकि खुशहाल भारतीय वहीं, विदेश में ही मिलते हैं। वहीं पर सरकार जी 'सब चंगा सी', 'सब ठीक-ठाक है', :ऑल इज वेल' बोल सकते हैं। भारत में तो यह बोलना मुश्किल ही है। यहां भारत में कोई भी 'सब चंगा सी' बोलेगा तो लोग हंसेंगे, ठहाके लगायेंगे।
भारत में तो लोग बोलते 'हे भगवान! गैस सिलेंडर हजार रुपए का हो गया'! 'हाय राम! यह मूंह जला खाने का तेल तो दो सौ के पार होने वाला है'! 'ओह माई गॉड! गेहूं का आटा भी पचास रुपए पहुंच गया है'! या अल्लाह! ये लोग पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ाने से कब रुकेंगे'! विदेश में होते हैं तो भगवान को याद करने के, ओह माय गॉड बोलने के मौके कम ही आते हैं पर भारत में आप दिन में पांच सात बार भगवान को याद न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता है। जब से सरकार जी सरकार बने हैं तब से ऐसे मौके ज्यादा ही आने लगे हैं। जब भी लोग बाजार जाते हैं, पेट्रोल पंप जाते हैं, गैस सिलेंडर मंगवाते हैं, सब्जी खरीदते हैं, भगवान को याद कर ही लेते हैं। 'ओह माई गॉड' बोल ही लेते हैं।
भारत में खुशहाल भारतीय कम ही पाये जाते हैं। खुशहाल भारतीय एक लुप्त होती प्रजाति है। खुशहाल भारतीयों के संरक्षण के लिए ही वर्तमान सरकार जी बहुत ही लगन से, बिना सोये, बिना कोई छुट्टी लिए काम कर रहे हैं। इन्हीं के कार्यकाल में भारतीयों को विदेश भेजने का विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य बहुत से भारतीय खुशहाल रहने के लिए ही भारत से बाहर गए हैं। अनुमान है, रोज लगभग तीन सौ भारतीय खुशहाल भारतीय बनने के लिए विदेश जाते हैं।
ओह माई गॉड! यह क्या हो गया? मैं यह सब लिख ही रहा था कि खबर आई कि उच्चतम न्यायालय ने देशद्रोह (राजद्रोह) कानून को सस्पेंड कर दिया है। उस पर रोक लगा दी है। अब क्या होगा? मतलब क्या अब कोई भी सरकार जी की आलोचना कर सकेगा? कोई भी सरकार जी के झूठ को झूठ कह सकेगा? कोई भी सरकार जी को जुमले को जुमला बोल सकेगा? कोई भी सरकार जी को झूठे वादे करने वाला, वादे पूरे नहीं करने वाला बता सकेगा? और सरकार जी उसे देशद्रोही भी नहीं कह सकेंगे? ओह माई गॉड! देश में यह क्या हो रहा है?
लेकिन जरा रूको। खुश मत होओ। सरकार जी के पास और भी हथियार हैं। और अधिक खतरनाक हथियार हैं। देशद्रोह कानून से अधिक खतरनाक तो यूएपीए ही है। और इन सरकार जी के पास ही नहीं, सभी सरकार जीयों के पास इतने खतरनाक हथियार रहे हैं। आजकल यूएपीए है तो उससे पहले पोटा होता था और पोटा से पहले टाडा...उससे पहले मीसा। तो चिंता मत करो। अगर राजद्रोह कानून खत्म हो भी गया तो भी विरोधियों पर, आलोचकों पर और अधिक खतरनाक कानून लगाए जा सकते हैं। यूएपीए लगाया जा सकता है। तो देशभक्त लोगों, चिंता मत करो। देश में कानून का राज चलता ही रहेगा।
(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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उत्तम आनंद, देवघरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संथाल परगना के लोगों को सदी का सबसे बड़ा तोहफा दिया है। गोड्डा से बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने ट्वीट के जरिए जानकारी साझा करते हुए कहा है कि देवघर के अपने प्रस्तावित कार्यक्रम में पीएम देवघर एयरपोर्ट और एम्स के नए अस्पताल का उद्घाटन करेंगे। देवघर एयरपोर्ट के विधिवत उद्घाटन को लेकर एक तरफ जहां तैयारियां जोरों पर है वहीं, दूसरी तरफ एम्स के नए 250 बेड के अस्पताल को भी पूरा करने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर भी सभी कार्यों को वक्त रहते पूरा करने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं जिस अप्रोच सड़क को लेकर पिछले कई महीनों से सियासी रस्साकसी जारी थी अब उसका कार्य भी पूरा हो चुका है। ऐसे में अब देवघर समेत संथाल परगना की जनता को यह यकीन हो चला है कि प्रधानमंत्री तय तारीख को अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के दौरान देवघर समेत संथाल परगना के लोगों को यह सौगात देंगे।
साल 2018 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही देवघर एम्स और इंटरनेशनल स्तर के देवघर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था। अब इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री मोदी ही अपने कार्यकाल के दौरान करेंगे। आपको बता दें कि, देवघर एयरपोर्ट के चालू हो जाने से न सिर्फ देश-विदेश से देवघर की कनेक्टिविटि बढ़ेगी बल्कि, इलाके का औद्यौगिक विकास भी होगा। वहीं, देवघर एम्स के नए 250 बेड वाले अस्पतल के भी शुरू हो जाने से झारखंड समेत बंगाल और सीमावर्ती बिहार के लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सकेगी। फिलहाल एम्स की ओपीडी सेवा जारी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, देवघर एयरपोर्ट से नियमित उड़ान सेवा की शुरुआत होते ही इलाके में विकास की रफ्तार तेज होगी, जिससे रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। पर्यटन उद्योग के साथ ही हास्पिटिलिटी सेक्टर और एमएसएमई सेक्टर में भी तेजी आएगी। डॉ निशिकांत दुबे का दावा है कि, राज्य के पिछड़े इलाकों में शुमार संथाल परगना की तस्वीर आनेवाले वक्त में बदली सी नजर आएगी।
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भारत को इतिहास पढ़ने की जरूरत नहीं, राजौरी में आधार से तस्दीक कर मारे गए हिंदुओं को देखिए!
लगभग एक मकसद से की गई राजौरी और पाकिस्तान की घटना से साफ़ हो जाता है कि हिंदू तो सिर्फ पाकिस्तान में रहते हैं. भले वे मुट्ठीभर हैं. गरीब हैं. दबे कुचले हैं. भारत में तो हिंदुओं के फिरके रहते हैं. कोई फारुख अब्दुल्ला तो कहेगा ही कि जलजला उठेगा तो सेना-सरकार कश्मीर नहीं संभाल पाएगी. सरकार को बताना चाहिए कि राजौरी की घटना पर सर्जिकल स्ट्राइक क्यों नहीं कर सकते?
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पार्थसारथ मिश्र
ये भी भाट्टमन के पूजल समर्थक है। इन्होंने जैमिनीय मोमासा पर "शास्त्रदोपिका' नामक अधिकरण प्रधान ग्रन्थ की रचना की है । यउ मीमांसा दर्शन का कीर्तिस्तम्भ है । यद मीमांसा का प्रामाणिक ग्रन्थ माना गया हे । इसके आंतरिक्त कुमारिल भट्ट का दृष्टीका पर इन्होंने "तन्त्ररत्न" नामक व्याख्याग्रन्थ भी लिखा है ।
814वीं शतो
पार्थसारथिकृत शास्त्रदीपिका के किलष्ट होने से मीमाता दर्शन के विचार को हृदयङ्गम कराने के लिये माधवाचार्य ने पूर्वपक्ष एवं उत्तरपक्ष सत "जैमिनीय न्यायमाला" नामक ग्रन्थ की रचना की है । यह ग्रन्थ श्लोकात्मक एवं अधिकरण प्रधान है। इसे और अधिक जोधगम्य बनाने के लिये इन्होंने स्वयं दी "विस्तर नाम्ना संक्षिप्त व्याख्या भी लिखी है। इस ग्रन्थ में लगभग 1500 श्लोक है ।
रामकृष्ण ने शास्त्रदीपिका पर युक्तिस्नेहपूरणी-सिद्धान्तचान्द्रका नामक व्याख्या लिखी थी । इसका तर्कपादान्त भाग "निर्णयसागर प्रेस बम्बई से प्रकाशित है । यह स्पष्ट नहीं गात होता कि इन्होंने सम्पूर्ण शा स्त्रदीपिका की व्याख्या की थी या केवल तर्कपाद पर इनके अनुसार इनके पूर्व किसी अन्य ने शास्त्रदीपिका की व्याख्या नहीं लिखी थी ।
इन्होंने तन्त्रवाक पर न्यायस्था एवं शास्त्रदोपिका परं कर्पूरवार्तिक नाम्नी टीका लिखी है । ये भी भाट्टमतानुयायी है । |
नई दिल्लीः भाजपा प्रमुख अमित शाह ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले को लेकर गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखा हमला बोला और उनसे कहा कि वह रिश्वत लेने वालों के नाम बताएं।
उन्होंने कहा, मैं सोनिया से जो पूछना चाहता हूं, वह यह है कि जिन लोगों ने रिश्वत दी, वे इटली में जेल में हैं, तब वे लोग कहां हैं जिन्होंने रिश्वत ली? उस समय सत्ता में कौन थे? वे जिम्मेदार हैं तथा उन्हें सच सामने लाना चाहिए। देश के लोगों के समक्ष इसका खुलासा होना चाहिए।
सोनिया पर उनकी बुधवार की इस टिप्पणी के लिए कि वह किसी से डरती नहीं हैं, शाह ने हमला बोलते हुए कहा कि वह सही हैं और इसीलिए इस तरह के घोटाले खुले में आ रहे हैं।
शाह ने पत्रकारों के एक समूह से कहा, इसीलिए जब नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार का मामला हुआ, आपने कहा कि आप किसी से डरती नहीं हैं। जब अगस्तावेस्टलैंड मामला होता है, आप कहती हैं कि आप किसी से डरती नहीं हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हम भारतीय जनता पार्टी के लोग संविधान, नियम और सार्वजनिक नियमों से डरते हैं।
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क्यों दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक साझेदारी यानी आरसीईपी में भारत शामिल नहीं हुआ?
आरसीईपी क्या है और एशिया-पैसिफ़िक की ट्रेड यूनियनें इसके बारे में चिंतित क्यों हैं?
RCEP पर भारत की दुविधा : क्या इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है?
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से क्यों है डर?
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'मानरा' की हिन्दी टोरायें ॥ १४३
'मानस' के टीकात्मक ग्रन्थ मे संस्कृत के तत्सम शब्दो का भी प्राचुर्य मिलता है। उसने अपने अर्थों एवं शब्दो को संपुष्टि संस्कृत के उद्धरणो से की है। वार्तिक की जर्थ शैली व्यास अथवा पडिताऊ पद्धति से पूर्ण रूपेण प्रभावित है । इन सभी तथ्यों का परिचायक एक उद्धरण आनन्द लहरी से यहां अवतरित किया जा रहा है --
मूल-गिरा अर्थ जल बीचि सम कहियत भिन न मिन ।
वदी सीताराम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न ।'
बोहार्य - गिरा अर्थ अरु जल तरग कहियत मिन परि अभिन्न है जैसे सोताराम को भिन्न कहियत हैं पर अमिन हे एक ही हैं तिनके पर बदी जिन सोताराम को विन जो हैं दोन जिनको समार दुख रूप लाग्यो है है श्री सीताराम जो मैं तुम्हारी शरण हो ऐसे दोन श्री सीताराम जी को परम प्रिय हैं जो गिरा अर्थ जल बीचि इव सीताराम हैं ये हा अर्थ मिद्धि वरिये तो गिरा जो है वाणो तामे अर्थ उपाधि करि कै सिद्धि होत है काई बार्थ पाइके बाणो म अथ निकगत है अरु गवन के योग से तरंग उठती है अनिरुपाधि में वेडल वाणा हे अरु जल हे अरु जा वही श्री रामचन्द्र जो वाणी जलस्थाने है अर थो जानको जो अर्थ तरग स्थान कही तो नहीं बने काहे ते कि जानको जी उपाधि करिव मिद्धि होता है तो यह नहीं बने अरु जा थो जान को जो को वाणी जल कही श्री रामचन्द्र की अर्थ तरण कहिये तो दुइ मे एक हूँ नही बने ऐसे कहे ते मत विरोध उपासना विरोध ग्राथ कर्ता को जाशय में विरोध होता है । अरुथो सोताराम दोऊ मूर्ति सच्चिदानन्द स्वरूप एक ही है अरु दोऊ विग्रह अनादिभिन्न है अखण्ड के एक रस नित्य है (प्रमाण ) रामम्गीता जानकी रामचन्द्रोनित्याखडी ये चपश्यति घोरात्रुति ' । अरु जो महिये कि गिरा अर्थ जन वोचि सम कहियत मिन सदा भिन्नै कहो कि अमित कहो न कही यह काकु अर्थ कहा है तहाँ गिरा अर्थ जन बीचि कैसे मित करहिंगे भिन्न होतई नहीं तहाँ यह अथ सिद्ध होत है मीता नाम राम नाम ये जो हूँ पद हैं मो वंदते है गुमाई जो, सोताराम अर राम नाम ये दोऊ नाम सदा मित हैं अरु दोनो नाम की तत्व अभिन्न है गिरा अर्थ जन तर के दृष्टान्त करि के तहाँ यह अर्थ करते हैं पाछे को चौपाई मे श्री जानको जो वे श्री रघुनाथ जो के पद वदना करि आये हैं अब आगे राम नाम कहिये को भूमिका बाँधते हैं ताते मोता शब्द अरु राम शब्द ये जो दोनो पद हैं तो यदि कहते हैं अह दोनो नाम के तत्व सा अभिन्न कहते हैं गिरा नाम जो है अर्थ नाम जो है जल नाम जो है बोचि नाम जो है ये ते नाम अनादि वेदशास्त्र पुराण सब कहत आते हैं ताते सारा अर्थ जन बोचि येते नाम मिन्न हैं अरु गिरा अर्थ तत्व अभिन्न है एक हो है तैसही जल तरग है तैसही मोताराम अरु राम नाम अनादि । भिन्न है अरु दोउ नाम पद जो है सो तत्व रूप अभिन्न है कैसे जानिये सामवेद की महा वाक्य तत्त्वमसो है वेद का सिद्धान्त है सो राम शब्द सो सिद्धि होत है अरु सीता शब्द सो सिद्ध होत है रकार तत पद है अनार त्वं पद है हल मकार असि गद है सोना मन्द मे तार तत पद है तार में जो दीप अवार है सो त्व पद है पुनि तवार को दीर्घ आकार लै बै अरु सी पद जो है ताते असो पन है ताते तत्व |
ED Action Lalu Yadav: ED ने लालू यादव और परिवार के खिलाफ सीबीआई में दर्ज मामले के आधार पर मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया था. आरोप था कि लालू यादव जब 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री थे, उस दौरान जमीन के बदले रेलवे में नौकरियां दी गईं. ये नौकरी ग्रुप डी में दी गई थी.
What is Railway Scam: प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू यादव के परिवार की संपत्ति अटैच की है. ये संपत् लालू की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, बेटी हेमा यादव के पति विनित यादव, हेमा यादव के ससुर शिव कुमार यादव की है. इसके अलावा दो कंपनियां M/s AB Exports Pvt Ltd और M/s AK Infosystem Pvt Ltd को भी अटैच किया है. अटैच की गई संपत्ति की कुल कीमत 6.02 करोड़ रुपये है.
ED ने लालू यादव और परिवार के खिलाफ सीबीआई में दर्ज मामले के आधार पर मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया था. आरोप था कि लालू यादव जब 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री थे, उस दौरान जमीन के बदले रेलवे में नौकरियां दी गईं. ये नौकरी ग्रुप डी में दी गई थी.
इसी मामले की जांच जब ED ने शुरू की तो पाया कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहने के दौरान सारे नियमों को ताक पर रख कर जमीन के बदले नौकरियां दीं और अपने पद का दुरुपयोग किया. लालू यादव ने जो जमीन ली थीं वो पटना, दानापुर के महुआबाग और बिहता में थी. ये इस तरह से ली गई थीं कि किसी को शक ना हो और ये लगे कि पहले से मौजूद जमीन के साथ ही ये जमीन ली गई है.
एजेंसी ने इस मामले में 10 मार्च 2023 को दिल्ली-एनसीआर,पटना, मुंबई और रांची में 24 ठिकानों पर छापेमारी कर 1 करोड़ रुपये कैश, 1900 USD, 1.5 किलो सोना जिसकी कीमत 1.25 करोड़ थी, और 540 ग्राम सोने का सामान जब्त किया था. ये छापेमारी लालू यादव की बेटी हेमा यादव, रागिनी यादव, चंदा यादव और दूसरे आरोपी अमित कत्याल, नवदीप सरदाना, अबू दुजाना और CA सुमन नायक के ठिकानों पर की गई थी.
एजेंसी ने आरोपियों के ठिकानों से कैश और ज्वैलरी के अलावा जांच से जुड़े काफी अहम दस्तावेज भी जब्त किये थे. उस दौरान एजेंसी ने छापेमारी के बाद 600 करोड़ की संपत्ति का पता लगाने का दावा किया था, जिसमें 350 करोड़ की Immovable Properties और 250 करोड़ की संपति बेनामीदारों के जरिये घुमाने का आरोप था.
छापेमारी के बाद जो सबूत मिले थे और जांच में जो सबूत सामने आए उससे पता चला कि राबड़ी देवी और उसकी बेटी हेमा यादव को नौकरी के बदले जो जमीन मिली थी उसे RJD पार्टी के पूर्व विधायक अबू दुजाना की कंपनी M/s Meridian Construction India Ltd को 3.5 करोड़ में बेच दी थी. जबकि ये चार जमीन के टुकड़े महज 7.5 लाख रुपये में लिए गए थे.
इसके अलावा जांच में ये भी पता चला कि बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दिल्ली के जिस घर में रहते हैं वो M/s AB Exports Pvt Ltd के नाम से है और ये एक Shell Company यानी फर्जी कंपनी है, जिसका मालिकाना हक तेजस्वी यादव और चंदा यादव के पास है.
ED ने दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में बने इस चार मंजिला बंगले की कीमत करीब 150 करोड़ बताई थी. इसके अलावा M/s Bhagirathi Tubes एक पार्टनरशिप फर्म है जो लालू यादव की बेटी हेमा यादव के ससुर शिव कुमार यादव के कंट्रोल में है और यूपी के गाजियाबाद में इसका कारोबार है.
ED ने बताया कि दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में D-1088 पर जो चार मंजिला बंगला है वो M/s AB Exports Pvt Ltd के नाम से है जिसे 2011 में सिर्फ चार लाख में लेने की बात कही गई. इस बंगले को अलग-अलग कंपनी का कॉरपोरेट ऑफिस बताया गया है, जिसका कंट्रोल लालू यादव परिवार के पास है. लेकिन बावजूद इसके इस बंगले को रहने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रहते हैं. इस बात का पता भी एजेंसी को छापामारी के दौरान ही पता चला.
इसके बाद एजेंसी ने अब कार्रवाई करते हुए न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के चार मंजिला बंगला, बिहार के पटना और दानापुर के महुआबाग में जमीन के दो टुकड़े जो राबड़ी देवी और M/s AK Infosystems Pvt Ltd के नाम पर हैं, अटैच किए हैं. इसके अलावा पटना के बिहटा में राज्यसभा सांसद और लालू यादव के बेटी मीसा भारती ने नाम जमीन, हेमा यादव के पति विनित यादव और ससुर के नाम गाजियाबाद के साहिबाबाद में दो औद्योगिक प्लॉट भी अटैच किए गए हैं.
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हमें कैसा जीवन जीना चाहिए, हमारे विचार कैसे होने चाहिए, हमारे कर्तव्य और अधिकार क्या हैं और हमें किस समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर शास्त्रों में मिल जाते हैं।
हमारे यहां दैनिक कार्यों से जुड़ी भी कुछ परंपराएं हैं जैसे सुबह जल्दी उठना, शाम के समय नहीं सोना, शाम के समय नहीं पढऩा और सूर्यास्त के समय खाना नहीं खाना। कहते हैं शाम के समय भोजन नहीं करना चाहिए। इस समय तो पूरे भक्तिभाव से भगवान की पूजा-अर्चना एवं संध्या करनी चाहिए।
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भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 31 जुलाई 2019 के एक आदेश द्वारा, "चालू खातें खोलने और परिचालन के लिए आचार संहिता", "बैंकों द्वारा चालू खाता खोलना - अनुशासन की आवश्यकता", "बैंकों द्वारा बिलों की डिस्काउंटिंग / रिडिस्काउंटिंग", "भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों और चयनित वित्तीय संस्थानों द्वारा रिपोर्टिंग और धोखाधड़ी का वर्गीकरण) दिशा-निर्देश 2016", "फंड का अंतिम उपयोग - मॉनिटरिंग" और "बैलेंस शीट डेट पर जमाराशि", पर रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के कुछ प्रावधानों के गैर-अनुपालन के लिए सात बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना लगाया जिसका विवरण निम्नानुसार हैः
(₹ करोड़ में)
आरबीआई द्वारा जारी पूर्वोक्त निर्देशों का पालन करने में बैंकों की विफलता को देखते हुए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए (1)(सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर प्रश्न करना नहीं है।
रिजर्व बैंक द्वारा एक समूह की कंपनियों के खातों की जांच की गई थी और यह देखा गया कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक या एक से अधिक निर्देशों के प्रावधानों का पालन करने में बैंक विफल रहें जैसा कि ऊपर बताया गया है । जांच के निष्कर्षों के आधार पर, बैंकों को नोटिस जारी किया गया था, ताकि उन्हें निर्देश दिया जा सके कि वे इस बात का कारण बताएं कि निर्देशों का पालन न करने पर उन पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। बैंकों से प्राप्त उत्तरों, व्यक्तिगत सुनवाई में बैंकों से मांगी गई मौखिक प्रस्तुतियों और अतिरिक्त प्रस्तुतियाँ, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक के निर्देशों का पालन न करने के पूर्वोक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और प्रत्येक बैंक में गैर-अनुपालन की सीमा के आधार पर, उपरोक्त सात बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना लगाने का निर्णय किया गया।
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बगदादः ईरान पर बैन के बाद तेल की आपूर्ति भारत के लिए चिंता का बड़ा कारण है, किन्तु सऊदी अरब ने भारत को तेल की निर्बाध आपूर्ति का आश्वासन दिया है. इसके अलावा महाराष्ट्र में 60 अरब डॉलर की तेल रिफाइनरी पर कार्य करने के लिए सऊदी अरब की सरकारी कंपनी अरामको और भारतीय सार्वजनिक उपक्रम की तेल कंपनियों के बीच बड़े अनुबंध पर दस्तखत हुए हैं.
सऊदी अरब के वाणिज्य मंत्री माजिद बिन अब्दुल्ला अल कसाबी ने गुरुवार को इस बारे में गेंद को भारत के पाले में डालते हुए कहा कि जैसे ही भारत की तरफ से ज़मीन आवंटित कर दी जाएगी, इस पर काम आरंभ हो जाएगा. सऊदी वाणिज्य मंत्री ने कहा कि, 'जहां तक अवसरों का प्रश्न है, हमने अरामको से शुरुआत की है. इसने रिफाइनरी बनाने का निर्णय लिया और ये बहुत बड़ा निवेश है. ये एक प्रतिबद्धता है. हम भारत सरकार की तरफ से जमीन को चुनने कि प्रतीक्षा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम समझ सकते हैं जैसे कि पीएम मोदी ने कहा है कि प्रदेश में नई सरकार चुनी गई है, ऐसे उन्हें उम्मीद है कि ज़मीन जल्द ही आवंटित हो जाएगी. इसलिए गेंद भारत के पाले में है और ये 35 अरब डॉलर के निवेश का आगाज़ है. पहले ये प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के रत्नागिरी में बनने वाला था. किन्तु बाद में इसे रायगढ़ में स्थापित करने का फैसला लिया गया.
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अगर आप Tejas या मुंबई अहमदाबाद शताब्दी एक्सप्रेस में सफर करते हैं तो ये खबर आप के लिए काफी जरूरी है क्यूंकि अब आप की रेलवे से सफर के दौरान इन ट्रेनों में मिलने वाली कुछ सुविधाएँ हटाई जा रही।
बता दें की अगली बार से तेजस एक्सप्रेस या मुंबई अहमदाबाद शताब्दी एक्सप्रेस में सफर करने जा रहे हैं तो अब इन ट्रेनों की सीटों पर लगे एलसीडी स्क्रीन पर मूवी देखने, गेम्स खेलने की सुविधा नहीं ले पाएंगे।
भारतीय रेल मंत्रालय ने तेजस और शताब्दी ट्रेनों में मिलने वाली प्रीमियम सुविधाओं में से एक एलसीडी स्क्रीन की सुविधा को बंद करने का फैसला किया है।
- आपको बता दें कि मुंबई अहमदाबाद शताब्दी में एलसीडी स्क्रीन लगी हुए हैं।
- खबर के मुताबिक रेलवे की जांच में इन ट्रेनों में एलसीडी स्क्रीन के तार टूटे हुई थे।
- कई हेडफोन के चोरी होने की भी खबर है और साथ ही कई पावर स्विच भी गायब मिले थे।
- ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों द्वारा सीटों के पीछे लगाए गए एलसीडी स्क्रीन में तोड़-फोड़ के कई मामले सामने आए हैं जिसके चलते रेलवे ने ये सुविधा बन्द करने का फैसला लिया है।
खबर के अनुसार ये कहा जा रहा है कि सभी ट्रेनों में मुफ्त वाई-फाई उपलब्ध कराने का विचार किया जा रहा है। आज कल सभी के पास स्मार्टफोन होते है ,इसी को ध्यान में रखकर इस सुविधा के बारे में सोचा जा रहा।
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गूगल पर सबसे अधिक सर्च किए जाने नुस्ख़ों में प्रमुख है 'वज़न घटाने के तरीके'. सिर्फ़ अमीर देशों के लोग ही बढ़े हुए वज़न से परेशान नहीं हैं, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों में भी मोटापा एक बड़ी समस्या बन गई है. आपने अपने आस-पड़ोस के लोगों को वज़न तेज़ी से घटाने के कई नुस्ख़े आज़माते देखा ही होगा. यहां तक कि कई बार हम ख़ुद भी आदर्श वज़न, आदर्श शरीर पाने के लिए वजन घटाने के इन तरीक़ों पर ऐतबार कर लेते हैं. आज हम बताने जा रहे हैं वेट लॉस से जुड़ी ऐसी छह बातों के बारे में, जिनके बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता रहा है. बेशक इन तरीक़ों में कुछ तरीक़े, कुछ लोगों पर काम कर सकते हैं, पर ज़्यादातर केसेस में इनके फ़ायदे ज़रूरत से ज़्यादा ही बखाने जाते हैं, जो आख़िरकार मिथक साबित होते हैं. और वज़न न कम होने पर आपकी निराशा का कारण भी. तो आइए नज़र डालते हैं, उन मिथकों पर.
पहला मिथकः अपनी डायट से कुछ चीज़ें निकाल देने से वज़न कम हो जाएगा (Skip some items from your diet will reduce weight)
चावल और आलू भारत में मोटापे का मुख्य कारण समझे जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी यह सोच बन गई है कि कुछ तरह की चीज़ें खाने से हमारा वज़न बढ़ने लगता है. फिर हम करते क्या हैं? बिना किसी डायटीशियन या डॉक्टर की सलाह लिए उन चीज़ों को खाना बंद कर देते हैं. उदाहरण के लिए वज़न घटाने के लिए संघर्षरत लोग अपने जीवन में कभी न कभी कार्ब्स यानी कार्बोहाइड्रेट्स खाना तो छोड़ते ही हैं. यही दुश्मनी बेक किए हुए खाद्य पदार्थों और मीठे के साथ भी निभाई जाती है. यहां हम बेसिक ग़लती यह करते हैं कि बस दूसरों की देखादेखी ये चीज़ें छोड़ देते हैं. ऐसा करते हुए हम इस बात को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि सबका शरीर और मेटाबॉलिज़्म अलग-अलग होता है.
हक़ीक़त यह है कि खाने-पीने की सभी चीज़ें हमें सही अनुपात में लेनी चाहिए. किसी एक चीज़ को पूरी तरह छोड़ देना हमारी सेहत के लिए नुक़सानदायक साबित हो सकता है. दरअसल होता यह है कि जब हम किसी चीज़ों को नुक़सानदेह समझकर खाना पूरी तरह से छोड़ देते हैं, तक कुछ समय तो हम चला ले जाते हैं. पर एक वक़्त ऐसा आता है, जब हम उसे खाने से ख़ुद को रोक नहीं पाते. तब हम ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं.
तो वज़न कम करने या सेहतमंद बने रहने के लिए अपने खानपान में से किसी खाद्य पदार्थ को पूरी तरह से हटा देना बिल्कुल भी सही फ़ैसला नहीं है. लॉन्ग टर्म में यह हमारे लिए नुक़सानदेह ही है.
दूसरा मिथकः वज़न कम करना है तो आपको नो-फ़ैट डायट अपनाना होगा (To lose weight, you have to adopt a no-fat diet)
जिस तरह चावल और आलू हम भारतीयों के लिए वज़न बढ़ाने का प्रमुख कारक समझे जाते हैं, उसी तरह हम फ़ैट वाले यानी वसायुक्त चीज़ों को भी सेहत का शत्रु ही मानते हैं. ज़्यादातर लोगों को लगता है कि वसायुक्त चीज़ें कम से कम खाने से या पूरी तरह छोड़ देने से हमारा वज़न तेज़ी से कम हो सकता है. पर यह पूरी तरह ग़लत ही नहीं, सेहत के लिहाज़ से बेहद ख़तरनाक बात है. फ़ैट्स यानी वसा हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक हैं. इससे हमारे शरीर का काम सुचारू रूप से चलता रहता है. आपने गुड फ़ैट-बैड फ़ैट के बारे में तो सुना ही होगा.
अंडे, एवोकाडो जैसी चीज़ों से जो फ़ैट मिलता है, उसकी तुलना गुड फ़ैट में की जाती है. इसके अलावा पारंपरिक रूप से हम भारतीय घी, मक्खन और दूसरे डेयरी प्रॉडक्ट्स खाते रहे हैं. इन्हें वज़न कम करने के लिए पूरी तरह से छोड़ना बिल्कुल भी सही नहीं है. अगर आप ऐसा करेंगे तो आपके शरीर में चिकनाई की कमी हो जाएगी. गुड कोलेस्टेरॉल के स्तर को बढ़ाने के लिए ये चीज़ें काफ़ी ज़रूरी हैं. तो अगर आपसे कोई कहे कि फ़ैट्स खाना पूरी तरह बंद कर दें तो उस सलाह को न मानें. नियंत्रित मात्रा में फ़ैट्स को अपनी डायट में ज़रूर शामिल करें.
तीसरा मिथकः वज़न कम करना है तो दिन या रात में से एक बार का खाना न खाएं (Want to lose weight, do not eat once a day or night)
दिन या रात में से एक बार का खाना न खाने को हम मील स्किप करना कह सकते हैं. वेट लॉस के लिए जी-जान से जुटे लोग इस टिप्स को सही मान लेते हैं. उन्हें लगता है कि ख़ुद को भूखा रखकर वे अपना आदर्श वज़न प्राप्त कर लेंगे. वे इसे कैलोरी कम लेने का एक तरीक़ा मानते हैं. पर हमारा मानना है कि यह तरीक़ा बिल्कुल भी सेहतमंद नहीं है. असल में होता यह है कि जब आप खाना छोड़ते हैं तब शरीर को कम कैलोरीज़ मिलती हैं. इसका लंबे समय में असर शरीर के मेटाबॉलिज़्म पर पड़ता है.
खाना पचाने की उसकी दर धीमी पड़ जाती है. साथ ही जब आप एक मील स्किप करते हैं, तब दूसरे मील में ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरीज़ ले लेते हैं. इसके चलते आप जो कुछ भी खाएंगे, आपका वज़न कम होने की जगह बढ़ना शुरू हो जाएगा. तो बात साफ़ है, वज़न कम करने के लिए खाना छोड़ने के बजाय आपको सेहतमंद चीज़ें खानी चाहिए. खाने की मात्रा पर नियंत्रण करना चाहिए, बजाय पूरा खाना छोड़ने के. दो मील्स के बीच भूख लगने पर हल्का-फुल्का स्नैक्स भी खाना चाहिए.
चौथा मिथकः वज़न सिर्फ़ और सिर्फ़ एक्सरसाइज़ करने से कम होता है (Lose weight only by exercising)
एक्सरसाइज़ यानी व्यायाम सेहतमंद बने रहने के लिए बहुत ही ज़रूरी है. इससे शरीर मज़बूत होता है, उसमें फ़्लैक्सिबिलिटी यानी लचीलापन आता है. और हां, वज़न को भी काफ़ी हद तक नियंत्रत रखा जा सकता है. पर यह मनना कि सिर्फ़ और सिर्फ़ एक्सरसाइज़ से वज़न कम किया जा सकता है, सही नहीं है. कभी-कभी इसका उल्टा प्रभाव भी पड़ जाता है. कई लोग वज़न कम करने के लिए जिम जॉइन करते हैं. फिर यह मान लेते हैं कि अब तो जिम जॉइन कर लिया है तो कुछ भी खाने-पीने की आज़ादी मिल गई है. जिसके चलते अपनी डायट को लेकर लापरवाह हो जाते हैं. ऐसे में होता यह है कि उनका वज़न उतना कम नहीं हो पाता, जितना होना चाहिए था. कई केसेस में तो वज़न पहले की तुलना में बढ़ भी जाता है.
अगर आप भी एक्सरसाइज़ को फ़िट रहने का एक मात्र रास्ता समझते हों तो इस सोच को बदल दें. व्यायाम के साथ-साथ सही खानपान से ही वज़न को कम किया जा सकता है. और व्यायाम करने का मतलब यह न समझें कि आपको कुछ भी खाने का लायसेंस मिल गया है.
पांचवां मिथकः आपका वज़न कम नहीं होने के पीछे आपके जीन्स ज़िम्मेदार हैं (Your genes are responsible for not losing weight)
हम जैसे दिखते हैं यानी हमारे रूप-रंग के पीछे जीन्स की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. पर कुछ लोग जीन्स को हौव्वा बना लेते हैं. अपने बढ़े हुए वज़न का दोष भी जीन्स को देने लगते हैं. कहते हैं हमारे परिवार में तो सब लोग अच्छे-खासे खाए-पिए लगते हैं. खाते-पीते खानदान वाला जोक भी इसी तरह के आलसी लोगों द्वारा बनाया गया है.
हो सकता है कि मोटापा आपकी फ़ैमिली हिस्ट्री हो, पर इससे हार मान लेना क़तई सही नहीं है. कई बार मोटापा हमारे जीन्स से अधिक हमारे खानपान, रहन-सहन यानी लाइफ़स्टाइल के चलते हमें परेशान करता है. तो सीधे परिवार को ढाल बनाने के बजाय आप सबसे पहले अपनी लाइफ़स्टाइल को बदल कर देखें. अच्छी और सेहतमंद चीज़ें खाएं. दिनचर्या में व्यायाम शामिल करें. सही समय पर सोना और सही समय पर उठना शुरू करें. काफ़ी कुछ संभव है कि आपके ऐसा करने से आपका वज़न नियंत्रण में आ जाएगा. यदि पूरे परिवार ने अपनी लाइफ़स्टाइल को हेल्दी बना लिया तो आपका मोटा परिवार, छरहरा परिवार बन जाएगा.
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PATNA: बाढ़ का खतरा बिहार में टल गया है। गंडक बराज खोल दिए गए हैं, लेकिन अलर्ट रहने को कहा गया है। सीएम नीतीश कुमार ने संबंधित डिपार्टमेंट्स की हाईलेवल मीटिंग बुलाई और पूरी स्थिति की समीक्षा की। सीएम ने बताया कि जान-माल की क्षति की उतनी आशंका नहीं है, जितनी व्यक्त की गई थी। फिर भी तैयारी पूरी है। एहतियाती कार्रवाई कर ली गई है। गंडक नदी के तटीय जिलों के डीएम एवं जल संसाधन विभाग के अफसरों को आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि नेपाल के म्यागरी जिले में भूस्खलन के कारण पहाड़ का बड़ा हिस्सा काली गंडक नदी में गिरा है, इससे कृत्रिम झील बन गई है। मलबा हटाने पर प्रवाह तेज हो सकता है। गति का आकलन कर लिया गया है। जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि अब तक की सूचना है कि नदी का प्रवाह जो बाधित हुआ था, वह ऊंचाई पार कर ऊपर से निकल रहा है, फिर भी अलर्ट रहने की हिदायत दी गई है।
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इससे पहले लोकेहेतिके पर अमीरात क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने बीते साल नंबर में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। आईसीसी ने जो आरोप लगाए हैं वह बीते लागए गए आरोपों के साथ ही हैं।
लोकेहेतिगे पर यह आरोप 2017 में टी-10 लीग में किए गए भ्रष्टाचार के कारण लगाए गए थे। उस समय आईसीसी ने उन्हें अस्थायी रूप से प्रतिबंध कर दिया था। ईसीबी ने लीग में आईसीसी के विशेष दल को भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए नियुक्त किया था।
लोकोहेतिके पर फिक्सिंग, दूसरे को फिक्सिंग के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार रोधी ईकाई का जांच में समर्थन न देने के आरोप लगाए गए हैं।
लोकेहेतिके के पास इन आरोपों का जबाव देने के लिए 14 दिनों का समय है। उनके यह 14 दिन तीन अप्रैल से शुरू हो रहे हैं।
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डा. मिश्रा के बयान पर भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यह ध्रूवीकरण करने के अलावा कुछ और नहीं है। हम तो पहले से कहते आए हैं कि मदरसों की जांच करा लें और साथ-साथ सरस्वती शिशु मंदिर की भी कराएं।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश सरकार मदरसो में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की जांच कराएगी। प्रदेश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कतिपय मदरसों में आपत्तिजनक बातें पढाए जाने की शिकायतें मिली हैं। इससे माहौल दूषित न होने पाए इसके लिए सजग होने की जरूरत है। कलेक्टरों को इस आशय के निर्देश भेजे जा रहे हैं कि वह मदरसों में पढ़ाई जा रही सामग्री की जांच करा लें। समझा जा रहा है कि इंदौर के ला कालेज में कट्टरता का पाठ पढाए जाने का मामला सामने आने के बाद सरकार दीनी तालीम के साथ पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रमों की जांच करा रही है।
डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के कुछ मदरसों में आपत्तिजनक बातें पढ़ाने से संबंधित विषय ध्यान में लाया गया है। प्रथम दृष्टिया मैंने भी देखा है। इस तरह की किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मदरसों की जो पठन सामग्री है, उसके लिए कलेक्टर को कहा है कि संबंधित शिक्षा विभाग से इसकी स्क्रूटनी करा लें। इसके माध्यम से यह भी पता चल सकेगा कि मदरसों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में कितने सुधार की जरूरत है।
डा. मिश्रा के बयान पर भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यह ध्रूवीकरण करने के अलावा कुछ और नहीं है। हम तो पहले से कहते आए हैं कि मदरसों की जांच करा लें और साथ-साथ सरस्वती शिशु मंदिर की भी कराएं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में इंदौर में विधि कालेज में विवादित पुस्तक पढ़ाने का मामला सामने आ चुका है और सरकार ने जांच कराकर कार्रवाई भी की थी।
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"दिखाओ तुमने कैसी तस्वीरें ली है।"जीत वफ़ाई की तरफ मुडा। वफ़ाई ने केमरा खोल दिया। तस्वीरें दिखने लगी.... जीत, चित्राधार, उस पर केनवास, केनवास पर चित्र, चित्र में बादल, गगन के रंग, दूर क्षितिज में सूरज।
चित्राधार के पीछे वास्तविक गगन एवं तस्वीर का गगन एक समान थे। यह बात अदभूत थी।
तस्वीरें जीत को पसंद तो आई किन्तु वह प्रसन्न नहीं था। उसने फिर से वफ़ाई से केमरा खींचा और सारी तस्वीरें केमरे से हटा कर लेपटोप में डाल दी। वफ़ाई ने ना तो विरोध किया ना विद्रोह। वह बस देखती रही। उसने मन में कुछ योजना बना ली।
जीत लौटा और खाली केमेरा वफ़ाई को दे दिया। वफ़ाई ने चुपचाप उसे ले लिया। वह कुछ क्षण मौन रही।
"जीत, मुझे मेरी सभी तस्वीरें लौटा दो। तुम चाहो तो वह सभी लेपटोप में भी रख सकते हो। पर मुझे वह सब दे दो।" वफ़ाई ने मौन से विद्रोह कर दिया।
जीत मन में हो रहे यूध्ध को शांत मन से देख रहा था। समय रहते वह यूध्ध समाप्त हो गया। ह्रदय विजयी हो गया। वफ़ाई का सान्निध्य बना रहे ऐसी वह योजना बनाने लगा।
दोनों ने खूब दलीलें की किन्तु जीत उन तस्वीरों को लौटाने को सहमत नहीं हुआ।
"बात स्पष्ट है।" जीत ने कहा।
"ठीक है, तुम्हारे साथ मुझे समय व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए, मैं चली जाती हूँ।" वफ़ाई जाने लगी।
"तो तुम क्या चाहते हो मुझ से?" वफ़ाई त्रस्त हो गई।
"मुझे कोई चिंता नहीं है।"वफ़ाई त्वरा से उठी और जीत का घर छोड़ गई। जीप की तरफ भागी। जीप का द्वार खोला और अंदर कूद पड़ी, सोये हुए जीप के एंजिन को जागृत किया। वफ़ाई अंधकार में लंबे, रेतमय और अज्ञात मार्ग पर निकल पड़ी।
जीत, उसे जाते हुए स्थिर सा देखता रहा। जीप और वफ़ाई उस से दूर होती जा रही थी। शांत मार्ग दौड़ती हुई जीप की ध्वनि से जाग उठा।
लंबे अंतराल तक जीत वहीं खड़ा रहा, अंततः कक्ष के अंदर चला गया।
समय बीत गया। शीतल रात्री ने मरुभूमि पर प्रवेश कर लिया। रात्रि सदा की भांति शीतल थी, किन्तु जीत के अंदर कुछ उष्ण बह रहा था।
सोने से पहले जीत सदैव दूसरे दिन की चित्रकारी की तैयारी कर लेता था। चित्र के विषय में विचार करता था, उसके मन में चित्र जन्म लेता था जो दूसरे दिन केनवास पर प्रकट होता था। अजन्मे चित्र जीत को स्वप्न में मार्ग दिखते थे।
किन्तु उस रात्रि भिन्न थी।
पाँच महीनों के बाद कोई उसके घर आया था और उसने बातें भी की थी। घर के मौन को अनेक बार उसने भंग किया था।
'मरुभूमि के मौन को मैं सदा पसंद करता रहा हूं। किन्तु लंबे समय के पश्चात आज मैंने ध्वनि सुनी है, मनुष्य के मुख से शब्द सुने है, जिनके कारण मेरा व्यक्तिगत और ज्ञात मौन अनेक टुकड़ों में बिखर गया है।
इन पाँच महीनों में किसी से भी बात करना मुझे पसंद नहीं था, स्वयम से भी नहीं। किन्तु, आज संध्या समय पर मैंने बातें की है, अधिक बातें की है, स्वयं के साथ भी, वफ़ाई के साथ भी। न केवल बातें किन्तु लड़ाई भी की है, दलीलें भी की है, क्रोध भी किया और स्मित भी।' जीत विचारता रहा।
स्मित !
एक ताजा स्मित जीत के अधरों पर आ गया। छाती के अंदर उसने कुछ अनुभव किया। कुछ उग रहा था उसके ह्रदय के अंदर। एक शीतल लहर कक्ष में प्रवेश कर गई, दूसरी जीत के ह्रदय में।
जीत ने आँखें बंध कर ली। उसे अपने सामने एक लड़की दिखाई दी जो उसे आमंत्रित कर रही थी, ह्रदय के द्वार खटखटा रही थी।
जीत ने अनायास स्मित किया। एक लड़की वफ़ाई नाम की कारण था उसके स्मित का।
जीत की आँखों के सामने पूरा घटनाक्रम आ गया जो आज संध्या को हुआ था। वह उसमें धूमिल हो गया। वह आनंदित हो उठा।
वफ़ाई के शब्द उसे मधुर संगीत जैसे लगने लगे।
जीत, वफ़ाई के स्वप्न को साथ लिए सो गया।
प्रभात में जब जीत अपने कार्य में व्यस्त था तब कोई भिन्न ध्वनि उसके कान पर पडी। वह मोबाइल की ध्वनि थी। जीत ने उसे देखा, विस्मय से।
"यह यदा-कदा ही बजता है। आज कौन याद कर रहा है मुझे?" जीत ने उसे उठाया और बात करने लगा।
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खन्ना, 28 (निसं)
साई समुदाय के लोगों को कब्रिस्तान के लिए जगह मिलेगी, यह कहना है नगर काउंसिल के कार्य साधक अफसर चरनजीत सिंह का, उनका कहना कि हाउस में पास करवाकर ईसाई समुदाय को जगह दे दी जाएगी। बुधवार को नगर काउंसिल खन्ना के दफ़्तर पहुंचे ईसाई भाईचारे से संबंधित लोगों ने नगर काउंसिल खन्ना के कार्य साधक अफसर चरनजीत सिंह से मिलकर कब्रिस्तान के लिए जगह देने की मांग की थी। इस संबंध में ईसाई समुदाय के डा. रमेश ने बताया कि ईसाई भाईचारे के लोगों के लिए खन्ना में कोई भी कब्रिस्तान की जगह नहीं है। पहले जो जगह हमें प्रशासन द्वारा दी गई थी, वह आबादी में आ जाने के कारण व उस जगह के नजदीक स्कूल खुल जाने से एतराज़ किए जाने से उसके बदले खन्ना में दूसरी जगह पर ईसाई समुदाय के लोगों को शवों को दफनाने के लिए जगह दी जाएगी।
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Mujafferpur: पश्चिम बंगाल के एक परिवार को उस समय खुशी नसीब हो गई, जब उसे पता चला कि उसका बेटा पिछले 4 सालों से मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद है. युवक पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बुढ़वा थाना निवासी नूर मोहम्मद है. उसके परिवार वाले उसे मृत समझ बैठे थे, लेकिन एक वकील से जानकारी मिलने पर उनका बेटा जलील खान अपनी पत्नी-बच्चों के साथ मुजफ्फरपुर पहुंच गया.
उसने जेल में बंद अपने पिता से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात की. इसके बाद नूर अब जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं. चार साल पहले जिले के हथौड़ी थाने की पुलिस ने नूर को बच्चा चोरी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इसके बाद से वे जेल में ही बंद हैं. उसकी कोई भी खोज खबर लेने नहीं गया. क्योंकि परिजनों को उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वे लोग तो उन्हें मृत समझकर जीवन जीने लगे थे.
अधिवक्ता होमा परवीन ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने उन्हें 3 महीने पहले नूर मोहम्मद के केस की पैरवी करने को कहा था. इसके बाद उन्होंने केस से संबंधित कागजातों को खंगाला. इसमें सबसे बड़ी परेशानी थी कि नूर मोहम्मद के राज्य का नाम नहीं लिखा हुआ था. इसके बाद वे जेल में उससे मिलने गईं. लेकिन, उसकी भाषा न तो वो समझ पा रही और ना उनकी भाषा को नूर समझ रहा था. फिर भी वह जो बोल रहा था उसे वह डायरी में लिख रही थीं. इस दौरान वह रोने भी लगा था.
अधिवक्ता होमा परवीन ने बताया कि कागजात पर सिर्फ मुर्शिदाबाद जिला और गांव का नाम सोन्दरपुर लिखा था. उन्हें कुछ लोगों ने बताया कि इस नाम की जगह त्रिपुरा या असम में है. उन्होंने इंटरनेट पर मुर्शिदाबाद नाम से सर्च किया. इसमें त्रिपुरा आया. वहां के डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस अधिकारी से संपर्क किया. पता चला कि मुर्शिदाबाद तो है. लेकिन, सोन्दरपुर नहीं है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारी का नंबर इंटरनेट से मिला. वहां कॉल करने पर बताया कि ये गांव उनके यहां है. इसके बाद वहीं से बोरवा थानेदार का नंबर मिला. थानेदार से बात की और पूरी बात बताई.
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झांसी (एजेंसी/वार्ता):उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) में 20 जून से ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा शुरू होने जा रही है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने आज बताया कि कुलपति प्रो़ मुकेश पाण्डेय की अध्यक्षता में प्रवेश परीक्ष समिति की बैठक हुई जिसमें यह फैस्ला लिया गया कि इस सत्र से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई नयी शिक्षा नीति के तहत करायी जायेगी।
कुछ नये कोर्स भी शुरू करने की येाजना बनायी जा रही है। प्रवेश परीक्षा के लिए 20 जून तक फार्म भरे जायेंगे, पचास कोर्सों के लिए 02 जुलाई को प्रवेश परीक्षा होगी। इस दौरान 50 से अधिक कोर्स में मेरिट के आधार पर सीधा प्रवेश दिया जायेगा,
प्रवेश परीक्षा झांसी समेत छतरपुर, ग्वालियर, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और गाजियाबाद में भी आयोजित की जायेंगी। विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट हैः बीयूझांसीडॉटएसीडॉटइन। इस वेबसाइट पर परीक्षा के संबंध में और अधिक जानकारी हासिल की जा सकती है।
-(एजेंसी/वार्ता)
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अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों के लिए, लंबे समय तक कोई राज्य सीमा नहीं है।
और इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
रूस के लंबे समय तक दुर्भाग्य से जनरलों के सीमित क्षितिज और राजनेताओं की अत्यधिक सावधानी है। इसलिए, 1950-s की शुरुआत से, जब तक कि पावर्स प्लेन ने 1 प्लेन को मई 1960 में Sverdlovsk के पास सोवियत रॉकेट से मार गिराया, अमेरिकी और ब्रिटिश उच्च ऊंचाई वाले स्काउट्स RB-47, RB-66, U-2 और कैनबरा ने यूएस के क्षेत्र में नियमित रूप से उड़ान भरी। मास्को, लेनिनग्राद, कीव और अन्य शहरों के कपुस्टिन यार, सेमिलिपाल्टिंस्क और सैरी-शगन, सबसे पहले, सोवियत वायु रक्षा यू-एक्सएनयूएमएक्स विमान को नहीं मार सकती थी, जो एक्सएमयूएमएक्स - 2 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भर रही थी।
हालाँकि, 2 m के विशाल पंखों वाला U-24,4, 750-800 किमी / घंटा की कम मंडराती गति और टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान भयानक सुस्ती किसी भी फाइटर के लिए आसान शिकार था, यहां तक कि एक उड़ान स्कूल कैडेट द्वारा संचालित किया गया। पाकिस्तान में पेशावर के पास एक गुप्त हवाई अड्डे पर या नॉर्वे में लैंडिंग क्षेत्र में तटस्थ पानी पर रनवे पर या टेकऑफ़ के दौरान उसे नष्ट होने से क्या रोका गया? आह, फिर अंतरराष्ट्रीय कानून का क्या? वाशिंगटन या लंदन में कुछ मैडम स्मिथ क्या कहेंगी? लेकिन उसे क्या कहना चाहिए? दरअसल, अमेरिकी वायु सेना में U-2 टोही विमान शामिल नहीं थे। और आधिकारिक तौर पर वे प्रकृति में मौजूद नहीं थे। यह पता चला कि एक निश्चित यूएफओ रूस के ऊपर से उड़ गया, और रूसी विमान ने नार्वे को इससे बचा लिया। आपको कभी नहीं पता कि UFO से कौन सी गंदी चाल की उम्मीद की जा सकती है।
20 वीं और 21 वीं शताब्दी में विदेशी क्षेत्रों में उड़ानों पर रोक लगाने वाला अंतर्राष्ट्रीय कानून केवल दो राज्यों - यूएसएसआर और . . . रूसी संघ द्वारा चलाया गया था। हालांकि वास्तव में यह अब अमेरिकियों द्वारा पूरी तरह से कुचल दिया गया है।
मैंने ध्यान दिया कि अमेरिकियों ने न केवल टोही का संचालन किया। 4 पर अप्रैल 1983 पर, छह वाहक-आधारित तूफानों ने ज़ेलेनी (मलाया कुरीलस्काया रिज) के निर्जन द्वीप पर प्रशिक्षण बमबारी की। उन्होंने नौ बम हमले किए।
और इजरायल के सैन्य विमानों ने युगांडा में बंधकों को मुक्त करने के लिए एन्तेबे ऑपरेशन के दौरान अफ्रीका के आधे से अधिक भाग लिया, जिनके जीवन में उस समय किसी को भी खतरा नहीं था। एंतेबे में, इज़राइलियों ने 45 युगांडा के सैनिकों को मार डाला और 11 मिग-17 सैनिकों को जला दिया। और अंतरराष्ट्रीय कानून का क्या?
सीरिया पर बमबारी के दौरान, इजरायली वायु सेना पड़ोसी देशों के हवाई क्षेत्र का लगातार उल्लंघन कर रही है। इसलिए, 2007 में, तुर्की के विदेश मंत्री ने मांग की कि इजरायल के राजदूत ने बताया कि कैसे तुर्की क्षेत्र पर इजरायल एफ-एक्सएनयूएमएक्स लड़ाकू बमवर्षकों के लटकते टैंक दिखाई दिए।
और यहाँ एक विस्तार है जिसके बारे में रूसी मीडिया ने अभी तक नहीं लिखा है। अप्रैल 6 2017 पर, अमेरिकन पोर्टर DDG-78 और रॉस DDG-71 विध्वंसक ने सिसिली के तट से एक त्वरित संक्रमण किया और 40 मील दक्षिण में तेल अवीव तक समाप्त हो गया। इसलिए, सीरियाई हवाई ठिकाने के साथ लॉन्च की गई 59 टॉमहॉक मिसाइलों ने लेबनान, इजरायल के ऊपर उड़ान भरी और इजरायल-सीरियाई सीमा पार की।
स्मरण करो कि अफगानिस्तान में सोवियत सैनिकों की विफलता दो मुख्य कारणों से थी। पाकिस्तान मुजाहिदीन का विश्वसनीय रियर बन गया है। "शरणार्थियों" के विशाल शिविरों को वहां सीमा पर स्थापित किया गया, जहां अमेरिकी और नाटो प्रशिक्षकों ने लड़ाकू विमानों को प्रशिक्षित किया। पाकिस्तान के रास्ते गए हथियार और गोला-बारूद, और पाकिस्तानी लड़ाके मुजाहिदीन के हवाई कारवां से अफगानिस्तान में गहराई तक जा रहे थे। भारत के आधुनिक हथियारों की बड़े पैमाने पर आपूर्ति के साथ-साथ हिंद महासागर में परमाणु पनडुब्बी भेजने और भारतीय हवाई क्षेत्रों में दूर के समुद्र के 5-6 रेजिमेंट लगाने के वादे से ही पाकिस्तान को शांत करना संभव था। विमानन क्रूज मिसाइलों के साथ। बाद में - अमेरिकी द्वारा एक प्रयास के मामले में बेड़ा भारत-पाकिस्तान संघर्ष में हस्तक्षेप करने के लिए। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत पाकिस्तान से निपटने का अपना एकमात्र मौका नहीं गंवाएगा। और मुझे यकीन है कि मामला संघर्ष के लिए नहीं आएगा और घटनाओं के इस तरह के विकास का एक खतरा पाकिस्तानी सरकार को अफगानिस्तान के साथ सीमा पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का पालन करने के लिए मजबूर करेगा। हाँ यह नहीं किया।
दूसरा कारक अमेरिकी और अंग्रेजी MANPADS "स्टिंगर", "ब्लिपिप" और "जेवलिन" का मुजाहिदीन में स्थानांतरण है। सममित उपायों का एक खतरा है, अर्थात्, फिलिस्तीन, लैटिन अमेरिका, आयरलैंड, आदि के पक्षपातियों को सोवियत मैनपेड्स "स्ट्रेला" और "सुई" की बिक्री, एंग्लो-सैक्सन्स को रोकने की गारंटी देगा। उनकी सरकारें आग की तरह दुनिया में MANPADS के फैलने का डर था, इसलिए, अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी के बाद, उन्होंने बहुत सारे पैसे के लिए मुजाहिदीन से अपने MANPADS खरीदे। इसमें कोई संदेह नहीं है, और फिर और अब विश्व हथियारों के बाजार पर MANPADS का व्यापक उपयोग हमारे देश के लिए समस्याएं पैदा करता है। लेकिन 1980 में पश्चिम के लिए, और अब यह आपदा के लिए समान था।
खैर, अब हम सीधे सीरिया की घटनाओं की ओर मुड़ते हैं। हमारे सैन्य लोग वहां क्यों हैं? असद के लिए राष्ट्रपति पद के संरक्षण के लिए? बिलकुल नहीं। एकध्रुवीय विश्व की स्थापना के लिए अमेरिका के प्रयासों के खिलाफ संघर्ष है। ताकि सीरिया के बाद "टॉमहॉक" डीपीआरके, ईरान, डोनबास, क्रीमिया और मास्को के लिए उड़ान न भरे।
बेशक, कई और कारण हैं। उदाहरण के लिए, तीसरी दुनिया के देश "युद्ध हथियार" खरीदना पसंद करते हैं। और सीरिया में एयरोस्पेस फोर्सेज (वीकेएस) की शुरुआत ने रूसी हथियारों के आदेशों के पोर्टफोलियो में उल्लेखनीय वृद्धि की।
ठीक है, चलो ईमानदारी से कहते हैं - सेना को कम से कम थोड़ा लड़ना चाहिए। 1941 ऑफ द ईयर की त्रासदी को इस तथ्य से समझाया गया है कि वेहरमाचट ने डेढ़ साल पहले जुटाकर नॉर्वे से ग्रीस और पोलैंड से लेकर फ्रांस तक एक दर्जन सेनाओं को हराया और एक गैर-लड़ाकू सेना से टकरा गया, जिनमें से ज्यादातर बस बन गए थे।
सीरिया में मौजूदा स्थिति के विकास के लिए रूस दोनों ध्रुवीय विकल्पों का लाभ उठाता है। असद के साथ या बिना एक व्यापक शांति संधि का निष्कर्ष फायदेमंद है - इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुख्य बात यह है कि रूसी संघ इस समझौते के अनुपालन के गारंटरों में से है। आइए हम भावनाओं को छोड़ दें और स्वीकार करें कि रूसी संघ और मध्य पूर्व में शत्रुता का पर्याप्त विस्तार संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल की पूर्ण भागीदारी के साथ खराब संगत है।
मैं ध्यान देता हूं कि शायरत पर अमेरिकी हमले से पहले 21, और विशेष रूप से मार्च 17 की रात को, दो इजरायली विमानों ने पलमायरा क्षेत्र में सीरिया पर बमबारी की। उनके बाद, सीरियाई लोगों ने दो अप्रचलित सोवियत निर्मित C-200 मिसाइलों को लॉन्च किया। सीरियाई आंकड़ों के अनुसार, एक विमान को नीचे गिराया गया था, इजरायली आंकड़ों के अनुसार, दोनों अपने ठिकानों पर लौट आए, और एक सी-एक्सएनयूएमएक्स को इजरायली विमान-रोधी परिसर "एरो-एक्सएनयूएमएक्स" द्वारा नीचे गिराया गया। जाहिर है, C-200 ने इजरायल के क्षेत्र में उड़ान भरी।
एक समय, इजरायल सरकार ने बुद्धिमानी से सीरिया के गृहयुद्ध में तटस्थता बनाए रखी। यह बिल्कुल भी नहीं है कि असद के अतिग्रहण से इजरायल-सीरियाई सीमा सुरक्षित हो जाएगी। अब इजरायल में अमेरिकी मिसाइल हमले और इजरायल के हवाई क्षेत्र के टॉमहॉक्स के उपयोग से संतुष्टि पर उल्लास था। जब बॉम्बर्स और क्रूज मिसाइलें सीमा पार से उड़ान भरती हैं, तो इसे केवल एक युद्ध की शुरुआत माना जा सकता है। और इज़राइल के साथ युद्ध असद की शानदार जीत होगी। मैं इस बात पर आपत्ति जताऊंगा कि इजरायल की सेना सीरिया की तुलना में अधिक मजबूत है। इज़राइली वायु सेना बम दमिश्क टैंक ब्रिगेड सीरिया के क्षेत्र में प्रवेश करेगी। और इसे जाने दो! जितना बड़ा उतना अच्छा। लेकिन असद सभी अरबों के नायक बन जाएंगे, और अरब दुनिया में उनके विरोधियों को शर्मिंदा होना पड़ेगा। हजारों स्वयंसेवकों को असद के लिए तैयार किया जाएगा, और रूसी संघ और ईरान के पास "भारी आक्रामक हथियारों" के साथ उसकी मदद करने के लिए कारण होंगे। इसके अलावा, सीरिया पर इसराइल का हमला पश्चिमी यूरोप में अरबों और वामपंथी युवाओं द्वारा कई प्रदर्शनों को गति देगा और संभवतः, आतंकवादी हमलों की एक लहर।
क्या युद्ध का कारण बन सकता है? सीरिया पर एक और इज़राइली हवाई हमला या इज़राइल से नए टॉमहॉक का आगमन। इसके जवाब में सीरिया इस्राइली शहरों पर अपनी मिसाइलें दागेगा। एक साथ दर्जनों उड़ान भर सकता है मुफ़्तक़ोर - कमर्शियल कॉप्टर से लेकर डीकमीशन एयरक्राफ्ट तक।
U-2 टोही विमान, महासागर पर काबू पाने, चुपचाप यूएसएसआर के हवाई क्षेत्र में वर्षों के लिए उड़ान भरी।
वैसे, रूसी संघ के रक्षा मंत्रालय ने टॉमहॉक को निकालते समय रेडियो-तकनीकी हस्तक्षेप के अप्रैल के 7 के अमेरिकियों द्वारा उपयोग के बारे में चुप क्यों है। वास्तव में, अब तक, क्रूज मिसाइलों के सभी प्रक्षेपणों को तीव्र जाम के साथ किया गया है। यह उत्सुक है कि यूक्रेनी अखबार में "इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप" कहा जाता है - "रेडियो स्कोडा। " तो क्यों नहीं हमारे सीरिया में एक छोटे से खेलने के लिए?
वैसे, शुरू में टॉमहॉक मिसाइलों के परिपत्र संभावित विचलन (CVR) 80 मीटर के बारे में था, और अब, इलाके और जीपीएस संकेतों की एक स्कैन का उपयोग करते हुए, CVO को 10 - 15 मीटर तक बढ़ा दिया गया है। यानी, मास्को में आप न केवल सही घर, बल्कि सही अपार्टमेंट भी मार सकते हैं। ।
इस बीच, रूसी संघ में, पोल-एक्सएनयूएमएक्स उपग्रहों से जीपीएस-सिग्नल और अन्य नेविगेशन सिग्नल दबा दिए गए हैं। प्रणाली 21x150 किमी के एक क्षेत्र की रक्षा कर सकती है। Tomahawks मार्गदर्शन प्रणाली और अन्य मिसाइलों की विफलता को फील्ड-150 प्रणाली के एमिटर से कम से कम 25 किमी की दूरी पर किया जाता है। आप बड़ी दूरी पर सभी प्रकार के विमानों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को दबाने में सक्षम दूर के स्कोडा का उपयोग करके आगे भी जा सकते हैं। इस प्रकार, रूसी सैन्य सलाहकार सीरिया, इराक और इजरायल में अमेरिकी विमानों को पूरी तरह से अलग उद्देश्यों के लिए शूट करने, नौसेना दुर्घटनाओं में मरने आदि के लिए मजबूर कर सकते हैं।
लेकिन क्या होगा अगर प्रतिक्रिया में यांकी स्कोडा शुरू करते हैं? इस प्रकार, सीरियाई सेना और ईरानी स्वयंसेवक आईएसआईएस (रूसी संघ में प्रतिबंधित एक आतंकवादी संगठन) और "उदारवादी विरोध" को हवा दे पाएंगे। लेकिन विमानन सहायता के बिना अमेरिकी गठबंधन एक सप्ताह में अलग हो जाएगा।
रूस के पास संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल पर क्लिक करने के दर्जनों तरीके हैं। सबसे पहले आपको उनके जनरलों और शहरों को बताने की जरूरत है कि वोल्गा कैस्पियन सागर में बहती है। नहीं, मैं मजाक नहीं करने जा रहा हूं। ये सज्जन वास्तव में भूगोल में मजबूत नहीं हैं। वोल्गा पर रूस के दर्जनों रक्षा उद्यम हैं, जो बहुत ही विदेशी उत्पादों का उत्पादन करते हैं।
और अब "नदी-समुद्र" प्रकार का एक मालवाहक जहाज शहर एन की बर्थ के पास पहुंचता है, कुछ बड़े कंटेनरों को एक कैनवास कवर के नीचे लोड किया जाता है। फिर मालवाहक जहाज मदर वोल्गा से अंजेली के शानदार शहर तक जाता है। खैर, एक मालवाहक जहाज को वितरित करने वाले उत्पादों का नामकरण तेल अवीव और वाशिंगटन दोनों में अच्छी तरह से जाना जाता है। सब कुछ, ICBM तक सही!
शरत एक घंटी है जो रूस में बजती है। टॉमहॉक को दाहिनी और बाईं ओर लहराते हुए यूएसए को हटाने का समय है। मैं ध्यान देता हूं कि विध्वंसक रॉस और पोर्टर क्रमशः यूएस नेवी द्वारा 1997 और 1999 में कमीशन किए गए थे। उनका विस्थापन 9 हजार टन से अधिक है। विध्वंसक 90 ऊर्ध्वाधर लॉन्च इकाइयों से लैस हैं, जिन्हें किसी भी अनुपात में मिसाइल वायु रक्षा / मिसाइल रक्षा "एजिस" और क्रूज मिसाइल "टॉमहॉक" रखा जा सकता है।
यह उत्सुक है कि दोनों 2014 में नष्ट हो जाते हैं - 2017 साल लगातार काला सागर में चरते हैं, और व्यावहारिक रूप से प्रत्येक यात्रा के दौरान वे क्रीमिया के क्षेत्रीय जल के किनारे तक पहुंचते हैं। इसलिए, मई के 2015 में, "रॉस" ने रूस के क्षेत्रीय जल में प्रवेश किया और Su-24 की एक जोड़ी द्वारा संचालित किया गया, जिसके बाद यह मुड़ गया और उत्तर-पश्चिम में चला गया। वर्ष के 2016 के जून में, पोर्टर ने ओडेसा में प्रवेश किया, और फिर गाइड के किनारे पर भी खतरे में पड़ गया और हमारे विमान को भी भगा दिया। खैर, अभी हाल ही में, फरवरी 2017 में, पोर्टर ने काला सागर के साथ एक "चलना" बनाया। मुझे लगता है कि यह समझाने की आवश्यकता नहीं है कि अमेरिकी विध्वंसक और क्रूजर भूमध्य सागर से भी क्रीमिया और रूस के अन्य दक्षिणी क्षेत्रों में मिसाइल लॉन्च कर सकते हैं। और काला सागर से उनके "टॉमहॉक" आसानी से मास्को के लिए उड़ जाएंगे।
इस बीच, वर्ष के 1936 के बाद से, मॉन्ट्रो कन्वेंशन लागू हो गया है, जो गैर-काला सागर देशों के युद्धपोतों द्वारा बोस्फोरस और डार्डानेल्स के माध्यम से पारित होने के मोड को निर्धारित करता है। एनेक्स एक्सएनयूएमएक्स में सम्मेलन इंगित करता है कि किसके लिए जलडमरूमध्य का मार्ग निषिद्ध हैः "विमान वाहकों के अलावा भूतल युद्धपोत जिनका मानक विस्थापन 2 टन (8000 8 मीट्रिक टन) से अधिक नहीं है और जिनके पास एक्सएनयूएमएक्स मिलीमीटर (एक्सएनयूएमएक्स इंच) से अधिक कैलिबर की बंदूकें हैं। "
इस प्रकार, विध्वंसक रॉस और पोर्टर को एक ही बार में दो तरह से उपभेदों को पारित करने का अधिकार नहीं हैः विस्थापन और एजिस और टॉमहॉक मिसाइलों में एक्सएनयूएमएक्स मिमी से अधिक कैलिबर। एक समय में, यूएसएसआर के विदेश मंत्रालय ने टार्टर विमान-रोधी मिसाइलों के साथ अमेरिकी विध्वंसकों द्वारा स्ट्राइक पास करने पर भी सख्ती से विरोध किया, और अब स्मोलेंस्काया स्क्वायर पर, जाहिरा तौर पर, वे साल के एक्सएनयूएमएक्स सम्मेलन के पाठ को पूरी तरह से भूल गए।
एक लफ्फाजी वाला सवाल यह उठता है कि काला सागर में अमेरिकी जहाजों के अवैध आक्रमण के लिए हमारा बेड़ा सममित प्रतिक्रिया क्यों नहीं देता है? उदाहरण के लिए, 100 किमी की दूरी पर संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट पर गश्त करने के लिए एक टैंकर के साथ पुराने आरटीओ के एक जोड़े को न भेजें, जो समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानून का पूरी तरह से पालन करेगा। यह अमेरिका की आबादी पर वांछित प्रभाव पैदा करेगा।
क्या टॉमहॉक एक अजेय, भयानक हथियार हैं? डरावना - हाँ। 1980 वर्ष में विध्वंसक और पनडुब्बियों से टॉमहॉक मिसाइल के समुद्री संस्करण का परीक्षण शुरू हुआ। टॉमहॉक उड़ान की अधिकतम सीमा 2500 किमी है। टॉमहॉक मिसाइल में कई प्रकार के वॉरहेड होते हैंः 20 kt की एक परमाणु शक्ति, 454 किलो वजनी उच्च विस्फोटक विखंडन, कवच-भेदी (मर्मज्ञ) - 450 किलो और 166 लड़ाकू तत्वों से युक्त क्लस्टर। इस प्रकार, अमेरिकी सेना की योजना के अनुसार, टॉमहॉक किसी भी भूमि और समुद्री लक्ष्यों को मारने में सक्षम है।
लेकिन इन मिसाइलों की अयोग्यता एक मूक बिंदु है। टॉमहॉक उप-उड़ान की गति 880 - 885 किमी / घंटा है। उड़ान की ऊंचाई 10 - 60 मीटर है। यह काफी टॉमहॉक का पता लगाता है। लेकिन अगर यह पाया जाता है, तो पुराने ZSU-23-4 "शिल्का", रास्ते में होने के नाते, बस "हैचेट" को चिप्स में तोड़ देगा। युगोस्लाविया में युद्ध के दौरान, सर्बियाई मिग-एक्सएनयूएमएक्स लड़ाकू के पायलट ने टॉमहॉक का पता लगाया, उसके पास उड़ान भरी और एक्सएनयूएमएक्स-मिमी बंदूक से गोली मार दी।
युगोस्लाविया और इराक सहित स्थानीय युद्धों के दौरान, सोवियत निर्मित वायु रक्षा प्रणाली - S-125M Pechora, S-75 Dvina, 2K12 Kvadrat, 9K31 Strela-1, 9K35M टॉमहॉक्स के खिलाफ थोड़ा प्रभावी साबित हुआ। इसके आधार पर, कई मीडिया आउटलेट नए टॉर और पैंटीर कॉम्प्लेक्स की प्रशंसा करते हैं, जो टॉमहॉक्स से निपटने के आदर्श माध्यम हैं। इसका एक कारण है। लेकिन एक टोर या शेल की लागत कितनी है? सीरिया को उनके साथ कवर करने के लिए, रूसी संघ की पूरी आबादी को रोटी और पानी पर बैठना होगा। वास्तव में, सभी कथित तौर पर अप्रचलित वायु रक्षा प्रणाली अप्रभावी थीं क्योंकि वे टॉमहॉक को नीचे नहीं ला सकते थे, लेकिन क्योंकि उन्हें लक्ष्य पदनाम नहीं मिला था। वास्तव में, सभी इराकी और यूगोस्लाव राडार, दोनों लंबी दूरी की खोज और फायरिंग, हस्तक्षेप से दबाए गए थे, और विमान द्वारा बड़े पैमाने पर मिसाइल-हमले उन पर प्रहार किए गए थे। इसलिए यदि आप समय में टॉमहॉक लॉन्च की खोज करते हैं और इसके प्रक्षेपवक्र की गणना करते हैं, तो यह पुरानी वायु रक्षा प्रणाली और इगला मैनपाड गणना दोनों द्वारा खटखटाया जाएगा।
यह आश्चर्यजनक है कि काला सागर बेड़े 7 अप्रैल के चार टोही जहाजों पूर्वी भूमध्य सागर में नहीं था। "मुहाना" ने काला सागर में नाटो के जहाजों का पीछा किया, और तीन अन्य सेवस्तोपोल में शांति से खड़े रहे। इस बीच, अमेरिकी जहाजों पर पूर्व-लॉन्च ऑपरेशन एक निश्चित अवधि लेते हैं, जिसके दौरान विद्युत चुम्बकीय दालों का उत्सर्जन होता है, जिसकी प्रकृति हमारे बेड़े के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन विकिरणों के लिए धन्यवाद, महान युद्ध की शुरुआत के समय को पहले से निर्धारित करना संभव है। इसलिए, हमारे टोही जहाजों को लगातार टॉमहॉक के प्रक्षेपण के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के विध्वंसक और क्रूजर के पास पकड़ लिया जाता है। तो यह यूगोस्लाविया, लीबिया और अन्य जगहों पर था। अभी क्यों नहीं?
जहाजों के अलावा, पूर्वी भूमध्यसागरीय को नियमित रूप से हमारे शुरुआती चेतावनी वाले विमानों को गश्त करना चाहिए। टॉमहॉक प्रक्षेपणों का पता लगाने में अंतरिक्ष यान भी कम महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाते हैं। एक बार फिर मैं दोहराता हूं, टॉमहॉक्स के प्रक्षेपण का पता लगाना आवश्यक है, मार्ग की गणना करना, और फिर - प्रौद्योगिकी का मामला।
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