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हमीरपुर में बाईपास फोरलेन के एप्रोच मार्ग और सड़क के निर्माण को लेकर अब यहां लोनिवि ने बड़ी तैयारी की हैं। परियोजना के तहत 8. 90 किमी मार्ग के निर्माण के लिए अभी तक पचास करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है। सैकड़ों किसानों को भी कई करोड़ रुपये मुआवजा के तौर पर दिया गया है। एप्रोच मार्ग में मिट्टी के कार्य में ही बड़ी धनराशि खर्च की गई है। बाईपास फोरलेन के डबल पुल और सड़क बनने से जल्द ही हमीरपुर को जाम की समस्या से निजात मिलेगी।
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किसी के घर मौत होने पर शमसान जाकर घर लौटके आने पर पत्नी घर के बाहर ही पानी की बाल्टी रख देेती।नहाने के बाद हीी घर मे प्रवेश करने देेती थी।
हार्ट अटेक की वजह से माँ कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थी।मुझे और पत्नी को बारी बारी से अस्पताल में रहना पड़ता था।अस्पताल में रोज एक दो मरीज मर जाते।घण्टो बेड पर लाश पड़ी रहती।हम भी वंहा मौजूद रहते।घर आने पर पत्नी कभी नही कहती थी,"नहाकर घर मे आना।"
बेटा बुढ़ापे का सहारा होता है।उन्होंने अपने इकलौते बेटे की परवरिश और पढ़ाई में कोई कसर नही रखी थी।इसी का परिणाम था कि बेटे की विदेश में नौकरी लग गई थी।
विदेश जाकर बेटा वँहा का ही होकर रह गया।जिस बेटे को वे बिधापे का सहारा समझ रहे थे।वह उन्हें बेसहारा छोड़कर चला गया था।
नवलेखक की पुस्तक विमोचन समारोह में मुझे भी आमंत्रित किया गया था।समारोह एक आलीशान होटल में था।मीडिया को भी बुलाया गया था।शहर से निकलने वाले सभी अखबारों के रिपोर्टर मौजूद थे।रिपोर्टर कार्यक्रम की कवरेज के साथ मंच पर विधमान महानुभवों के साथ लेखक और उनकी पत्नी का इन्टरव्यू भी ले रहे थे।
कल इसी होटल के इसी हॉल में एक वरिष्ठ लेखक की पुस्तक का विमोचन हुआ था।उसने भी मीडिया को निमंत्रण भेजा था।लेकिन बार बार फोन करने के बाद एक अखबार का रिपोर्टर आया और कुछ ही मिनटों में औपचारिकता निभाकर चला गया था।
कल के विमोचन समारोह के कार्यक्रम को मीडिया ने कोई महत्त्व नही दिया था।लेकिन आज?आज नवलेखक ने मीडिया की सेवा में कोई कमी नही रखी थी।खाना, सूरा उपहार सब का ििइंतजाम था।
लेकिन कल वरिष्ठ लेखक की तरफ से ऐसा कुछ नही था।
रमा और दीपा पडोसन थी।एक दिन रमा की बेटी मीरा और दीपा की बेटी सीमा खेल रही थी।खेल खेल में दोनों में झगड़ा हो गया।सिमा ने मीरा को पीट दिया।मीरा रोते हुए माँ के पास चली गई।रमा को बेटी का रोना बरदास्त नही हुआ।वह दीपा से लड़ने जा पहुंची।
जुबानी शुरू हुआ झगड़ा हाथा पाइ तक जा पहुंचा।रमा और दीपा झगड़े में गायक होकर अस्पताल में भर्ती थी।
सीमा और मीरा झगड़े को भूलकर साथ खेल रही थी।
नीतियों और कार्यप्रणाली का विरोश करने वाले कर्मचारियों को सरकार ने अनुशासनात्मक कारवाई की चेतावनी दी थी।
जो सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी का ढिंढोरा पिटती थी।उसी ने खिलाफ बोलने वाले कर्मचारियों के बोलने पर रोक लगा दी थी।
उमेश और किशोर दोनो दोस्त थे।वे एक ही दिन सरकारी सेवा में लगे थे।उनके जन्म का महीना और साल एक ही थे।इसलिए वे दोनों सरकारी सेवा से रिटायर्ड भी एक ही दिन हुए थे।
रिटायर होने से पहले ही उमेश और किशोर की पत्नियों का देहांत हो चुका था।
उमेश निसन्तान था।इसलिए एक परिचित के साथ पेइंग गेस्ट बनकर रह रहा था।
किशोर के दो बेटे थे।फिर भी उन्हें पेइंग गेस्ट की तरह रहना पड़ रहा था।क्योंकि उनके दोनों बेटे उन्हें अकेला छोड़कर विदेश में जा बसे थे।
"सामान क्यो ले आयें?"वह उसे देखते ही बोला।
"आपने ही तो कहा था।दो चार दिन में कमरा खाली हो जाएगा।"
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बंगाल में जारी हिंसा ने अब तक कई कार्यकर्ताओं की जान ले ली है. इसे लेकर राज्यपाल भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. एक दिन पहले ही वो हिंसा प्रभावित इलाके में पहुंचे. उन्होंने हिंसा के पीड़ितों से बात की. पुलिसवालों से स्थिति का जायजा लिया और कहा कि हिंसा के दौर को स्वीकार नहीं किया जा सकता. देखें ये वीडियो.
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नालंदा से जदयू सांसद कौशलेंद्र ने शनिवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं तो वो अपनी सीट छोड़ देंगे। इतना ही नहीं कौशलेंद्र ने आगे कहा कि मैं जदयू का सच्चा सिपाही हूं।
जागरण डिजिटल डेस्क, बिहारशरीफः बिहार में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सियासत तेज हो गई है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश भर में घूम-घूमकर विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं। इससे अटकलें लग रही हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। वहीं अब सीएम नीतीश कुमार के नालंदा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा भी शुरू हो गई है।
नालंदा से जदयू सांसद कौशलेंद्र ने शनिवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं तो वो अपनी सीट छोड़ देंगे। इतना ही नहीं, कौशलेंद्र ने आगे कहा कि मैं जदयू का सच्चा सिपाही हूं। आज मैं जो कुछ भी हूं, नीतीश कुमार की वजह से हूं। उन्होंने मुझे तीन बार सांसद बनाया है।
जदयू नेता कौशलेंद्र ने आरसीपी सिंह पर जोरदार सियासी हमला बोला। उन्होंने आरसीपी सिंह को चुनौती देते हुए कहा कि वो नालंदा से नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो उनकी जमानत जब्त हो जाएगी। अभी तक आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की रोशनी में चमक रहे थे। अब उनकी पहचान क्या है?
बता दें कि कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं। एक वक्त था, जब नीतीश कुमार रेलवे मंत्री थे, तब आरसीपी सिंह को अपना आप्त सचिव बनाया था। उसके बाद आरसीपी सिंह को दो बार पार्टी की कमान भी सौंपी थी।
आरसीपी सिंह जब भाजपा से नजदीकी बढ़ाने लगे तो जदयू ने उनसे किनारा कर लिया। आरसीपी सिंह भी नालंदा के रहने वाले हैं। हालांकि, इन दिनों वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अक्सर बयानबाजी करते रहते हैं।
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डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए यह खबर बेहद अहम है। यदि आपने कभी भी अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या कॉन्टेक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए नहीं किया है तो यह सुविधा हमेशा के लिए आपके कार्ड से खत्म हो सकती है। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक ने सुरक्षा के लिहाज से ऐसे सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा खत्म करने का आदेश दिया है, जिनका कभी इसके लिए इस्तेमाल नहीं हुआ है। यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्ड से यह सुविधा खत्म न हो तो 16 मार्च से पहले कम से एक बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जरूर करें।
इसके अलावा यदि आपने कभी इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन नहीं किया है तो फिर आपके कार्ड पर यह सुविधा भी खत्म होगी। दरअसल केंद्रीय बैंक ने 16 मार्च की डेडलाइन का आदेश 15 जनवरी को ही दिया था। आरबीआई का मानना है कि ऐसे यूजर जो कभी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करते हैं, उनके कार्ड पर भी यह सुविधा होना फ्रॉड की आशंका को बढ़ाता है।
- केंद्रीय बैंक ने बैंकों को आदेश दिया है कि वे डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर स्विच ऑन और स्विच ऑफ जैसी सुविधा दें। इससे यूजर जब चाहेगा, तभी ट्रांजेक्शन हो सकेगी। इसके अलावा आरबीआई ने यूजर की ओर से कार्ड पर लिमिट तय करने का फीचर भी देना को कहा है। इससे कोई भी कार्डधारक किसी भी ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट तय कर सकेगा। इससे फ्रॉड की स्थिति में नुकसान की आशंका को कम किया जा सकेगा।
- कार्ड के स्टेटस में किसी भी तरह का बदलाव होने पर कार्डहोल्डर को मेसेज, ईमेल और अन्य माध्यमों से तत्काल जानकारी मिलनी चाहिए।
देश में हैं कुल 85 करोड़ लोग हैं डेबिट/क्रेडिट कार्ड धारकः बता दें कि देश में कुल 5 करोड़ के करीब क्रेडिट कार्ड यूजर हैं, जबकि 80 करोड़ से ज्यादा डेबिट कार्ड धारक हैं। बीते कई सालों में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। धोखाधड़ी के ऐसे मामलों में आमतौर पर ऐसे लोग शिकार हुए हैं, जो तकनीक फ्रेंडली नहीं हैं। ऐसे में आरबीआई ने ऐसे लोगों को बचाने के लिए ही यह आदेश दिया है।
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ज्यादातर मामलों में, ठंड के पैरों का सिंड्रोमजनसंख्या का महिला हिस्सा ग्रस्त है, और उम्र सीमा काफी व्यापक है - 15 से 45-50 वर्ष तक। पुरुष इस तरह की असुविधाओं को 50 साल बाद ही महसूस करते हैं, और इस आयु में और चयापचय प्रक्रिया धीमा पड़ती है, और हार्मोनल पृष्ठभूमि में परिवर्तन होता है। इसे तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए कि बुजुर्ग लोगों में पैरों की परिसंचरण की गड़बड़ी के कारण फ्रीज हो सकती है, अर्थात, केशिकाओं में लाल तरल पदार्थ के प्रवाह का उल्लंघन है, परिणामस्वरूप - पैर ठंडा हैं। कारण काफी आम है, और इसे रोकने या पूरी तरह से हटाने के लिए, आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा, जिसे हम बाद में बात करेंगे। अब उन बीमारियों पर विचार करें, जिनके लक्षण अंगों की चिलचिलाहट हो सकते हैं।
कभी-कभी अस्पष्टीकृत कारणों के लिए महिलाएं शुरू होती हैंरक्त परिसंचरण को कमजोर करने के लिए, यह इस बिंदु तक पहुंच सकता है कि पैर एक सियान का रंग प्राप्त करेंगे इसे रयनाड रोग कहा जाता है इसमें कोई औषधीय तैयारी नहीं है, अक्सर डॉक्टर बस लक्षणों का इलाज करते हैं।
- ठंड के कारणों के कारण, पहले दो के अलावा, शरीर के सामान्य खराब परिसंचरण में भी हो सकता है, साथ ही साथ कार्डियोवास्कुलर सिस्टम के साथ समस्याओं में भी हो सकता है।
- मधुमेह रोगियों ने अक्सर ऐसे लक्षणों की शिकायत की है, लेकिन वे उन लोगों में भी होते हैं जिन पर थायराइड विकार होते हैं।
- एंडैररटाइटिस वाहिकाओं की एक बीमारी है, जो मुख्यतः निचले अंगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी के दौरान, रक्त वाहिकाओं के बीच ल्यूमन (संकीर्ण होने तक) पूरी तरह से लापता हो जाते हैं।
- ठंड के पैर के लिए एक और कारण बताते हुए यह महत्वपूर्ण है। यह एक लक्षण नहीं है, लेकिन इन्फ्लूएंजा, ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी बीमारियों के लिए उत्प्रेरक बन सकता है पूरी समस्या एक विशेष व्यक्ति के शरीर की संरचना में होती है, क्योंकि पैरों में व्यावहारिक तौर पर कोई वसा जमा नहीं होता है जो आपके पैरों को गर्म कर सकता है, इसलिए यह पता चला है कि वे ठंडा करने के लिए सबसे पहले हैं।
- एक और बल्कि अक्सर कारण कहा जा सकता हैजो जूते बहुत छोटा हैं (पैर की चौड़ाई में), जो उंगलियों को हिलाने से रोकता है इस तरह के मॉडल इस तथ्य को जन्म देते हैं कि निचले अंग सिर्फ मिर्च हैं, यहां तक कि बहुत गर्म जूते में भी।
अगर, चिकित्सा कारणों के लिए, अंगों को गर्म करने के लोगों के तरीकों को मतभेद नहीं किया जाता है, या यदि परीक्षा के बाद कुछ नहीं पाया जाता है, तो आप गर्म करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का सहारा ले सकते हैं।
- अपने पैरों को धो लें और उन्हें प्राकृतिक कपड़े से बना मोजे डाल दें, जिसकी एकमात्र शराब (या वोदका) में लथपथ था। एक अन्य ऊन होजियरी संग्रहण पर।
- अक्सर शरीर को गुस्सा करने के लिए पर्याप्त है, और समस्या स्वयं के द्वारा गायब हो जाएगी यदि संभव हो तो, कमरा चप्पल पहनना न करें, और यदि आप देश में जाते हैं, तो नंगे पैर चलें।
- पहले से ही 10 सत्रों के बाद, पैरों के लिए एक विपरीत स्नान का उपयोग करना सुनिश्चित करें आप सुधार महसूस कर सकते हैं।
- पैर ठंड के खिलाफ लड़ाई में, वसा, हंस, भालू या बेजर के साथ पैर फैलाने में मदद मिलेगी। अंग केवल गर्म नहीं होंगे, लेकिन यह भी नरम हो जाएगा, ऊँची एड़ी के जूते पर दरारें गायब हो जाएंगी।
- आप पैरों के स्नान का उपयोग कर सकते हैं, इसके लिए, समुद्री नमक, सुई के सुगंधित तेल या औषधीय जड़ी बूटियों को गर्म पानी में जोड़ा जाता है।
- और जाहिर है, मालिश यह पैरों की पूरी लंबाई के साथ, नितम्बों से बछड़ों और पैरों तक किया जाता है ऐसा करने के लिए, लूफैम-म्यूटिड (कठोर) या लंबे समय तक संभाल के साथ ब्रश का उपयोग करें। इस तरह की प्रक्रियाओं के लिए धन्यवाद, त्वचा कायाकल्प (छूटना की प्रक्रिया होती है), लोचदार हो जाती है, इसके परिसंचरण में सुधार होता है।
ठंड के कारणों के कारण बिल्कुल जरूरी होते हैंइस बीमारी को शुरू करने या उसके विकास को बढ़ावा देने के लिए नहीं का इलाज। प्रभारी चिकित्सक से परामर्श करना सुनिश्चित करें, वह न केवल मालिश और संकुचित लिख सकता है, बल्कि सामान्य संवहनी को मजबूत बनाने और रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए कुछ दवाएं भी हैं (विशेषज्ञ से ऐसी दवाएं लेने की योग्यता के बारे में जानने के लिए बेहतर है)।
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Priyanka Chopra Nick Jonas: ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा के भाई सिद्धार्थ चोपड़ा और उनकी सासु मां डेनिस जोनस का धमाल डांस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसे देख कर अंदाजा लग रहा है कि डांस पार्टनर्स नौसिखिए हैं।
... और ये इस तरह से सेलिब्रेट हुआ, थैंक यू निक जोनस हर सेलिब्रेशन शानदार बनाने के लिए, आप सबको मिस कर रही।'
वीडियो में सिद्धार्थ और डेनिस एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बैंड पर बजते हैप्पी बर्थडे की धुन पर सालसा कर रहे हैं। दोनों के मूव्स अटपटे हैं लेकिन दोनों का जोश डांस पर भारी दिख रहा है। सिद्धार्थ बहन की सास को नचाते भी दिखे। सिड ने ब्लैक बेस का कलरफुल शर्ट पहना है जबकि मदर इन लॉ भी ब्लैक आउटफिट में दिखीं। प्रियंका और हसबैंड निक ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में इस वीडियो को शेयर किया।
इससे पहले अपने सासु मां को विश करते हुए प्रियंका ने लिखा- हैपी बर्थडे मां, हम आपको प्यार करते हैं और हर दिन आपको सेलिब्रेट करते हैं। दूसरी पोस्ट में भाई सिद्धार्थ प्रियंका की बेटी मालती के साथ दिखे। इसमें लिखा- हैपिएस्ट बर्थडे सिड, तुम्हें मेरे छोटे भाई से लेकर मामू बनते देखना अद्भुत है, लव यू गूच।'
निक जोनस ने भी अपनी इंस्टास्टोरी में खूबसूरत सेलिब्रेशन पोस्ट के साथ दोनों को शुभकामनाएं दीं। लिखा- बर्थडे ट्विन्स को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। आपके साथ जश्न मनाना अच्छा लगा।
प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपनी अगली हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग में बिजी हैं। जिसका नाम Heads of State है। इस फिल्म में जॉन सीना और इद्रिस एल्बा भी हैं। निर्देशन Ilya Naishuller का है।
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भोपाल, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नए कृषि कानून किसानों की आर्थिक उन्नति में उपयोगी होंगे। मध्यप्रदेश में किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा है। मंडी के अलावा फसल को बेचने के वैकल्पिक उपायों का लाभ किसानों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने मिंटो हॉल में सिंचाई योजनाओं के वर्चुअल लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, मध्यप्रदेश के सिंचाई रकबे में निरंतर वृद्धि की जाएगी। यह राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भगवान के बाद मेरे लिए किसान हैं। वो धरती पर अन्न उगाता है। खून-पसीना एक करता है। हमारी व्यवस्था का केंद्र बिंदु है किसान। सिंचाई साधनों का विस्तार धरती पुत्र किसानों के लिए वरदान होता है।
उन्होंने कहा कि, प्रदेश के सिंचाई रकबे को 65 लाख तक पहुंचाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। मध्यप्रदेश इस लक्ष्य को पूरा करने में सक्रिय रहेगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, प्रदेश में निर्मित सिंचाई क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। इस वर्ष गेहूं उत्पादन उपार्जन में मध्यप्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया। कोरोना काल में कम से कम अन्न का कोई संकट नहीं रहा। इस अवधि में यह राहतकारी सिद्ध हुआ। प्रदेश में कृषि अधोसंरचना को सशक्त बनाया जाएगा। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को आंदोलन का रूप देंगे। हमारा लक्ष्य किसानों की हालत को बदलना है।
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है कैएकके पुरायके उदयकर परम विभूति होय है अर कैएक पुरायके चयकर नाश होय हैं जैसे सूर्यका यस्त होय है चन्द्रमाका उदय होय है तैसे लक्ष्मणके पुण्यका उदय जानना ॥
इति श्रीरविषेणाचार्यविरचितमहा पद्मपुराण भाषा यच निकाविषै लक्ष्मणके चक्ररत्नकी उत्पत्ति वर्णन करनेवाला पचहत्तरवां पर्व पूर्ण भया ॥ ७५ ॥ अथानन्तर लक्ष्मणके हाथ विषै महासुन्दर चक्ररत्न आया देख सुग्रीव भामण्डलादि विद्याधरनिके अधिपति अति हर्षित भए अर परस्पर कहते भए-आगे भगवान अनन्तवीर्य केवलोने आज्ञा करी जो लक्ष्मण आठवां वासुदेव है अर राम आठवां वलदेव है सो यह महाज्योति चक्रपाणि भया अति उत्तम शरीरका धारक याके वलका कौन वर्णन करसके, अर यह श्रीराम चलदेव जाके रथको महातेजवंत सिंह चलावें जाने राजा मयको पकड़ा अर हल मूसल महा रत्न देदीप्यमान जाके करविषै सोहें । ये वलभद्र नारायण दोऊ भाई पुरुषोत्तम प्रगट भये पुण्यके प्रभावकर परमप्र मके भरे लक्ष्मणके हाथविषै सुदर्शन चक्रको देख राक्षसनिका अधिपति चित्तविषै चितारे है जो भगवान अनन्तवीर्यने आज्ञा करी हुती सोई भई । निश्चय सेती कर्मरूप पवनका प्रेरा यह समय आया, जाका छत्र देख विद्याधर डरते अर महासेना परकी भाग जाती परसेनाकी ध्वजा अर छत्र मेरे प्रतापसे वह बहे फिरते अर हिमाचल विंध्याचल हैं स्तन जाके, समुद्र है वस्त्र जाके ऐसी यह पृथिवी मेरी दासी समान आज्ञाकारिणी हुती ऐसा में रावण सो रणविषै भूमिगोचरनिने जीत्या यह अद्भुत बात है कष्टकी अवस्था आय प्राप्त भई, धिकार या राज्य लक्ष्मीको कुलटा स्त्री समान है चेष्टा जाकी पूज्य पुरुष या पापनीको तत्काल तजें यह इन्द्रियनिके भोग इन्द्रायणके फल समान इनका परिपाक विरस है अनन्त दुःख सम्बन्ध के कारण साधुनिकर निन्ध हैं, पृथिवीविषै उत्तम पुरुष भरत चक्रवर्त्यादि भये ते धन्य हैं जिन्होंने निःकंटक छहखड पृथिवोका राज्य किया अर विषके मिले अन्नकी न्याई राज्यको तज जिनेन्द्र व्रत धार रत्नत्रयको आराधन कर परम पदको प्राप्त भए, मैं रंक विषयाभिलापी मोह बलवानने मोहि जीत्या यह मोह संसार भ्रमणका कारण धिक्कार मोहि जो मोहके वश होय ऐसी चेष्टा करी । रावरण तो यह चिंतवन करे है अर आया है चक्र जाके ऐसा जो लक्ष्मण महा तेजका धारक सो विभीउ० १० |
अगर आप विदेश में गाड़ी दौड़ाकर पैसा कमाना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पास इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस होना बहुत जरूरी है। बगैर इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस आप विदेश में गाड़ी नहीं चला सकते हैं।
भारत में इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस भी बनता है, जिससे आप विदेश में भी कार या बाइक ड्राइविंग का आनंद ले सकते हैं। इस इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस से आप किसी दूसरे देश में खुद गाड़ी ड्राइव कर उसे अच्छे से एक्सप्लोर कर सकते हैं। साथ ही अगर आप वहां कमाई के उद्देश्य से जा रहे हैं तो वहां ड्राइविंग कर मोटा पैसा भी कमा सकते हैं, बशर्ते उस समय आपके पास इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। भारतीय सड़क परिवहन प्राधिकरण द्वारा एक इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है, ताकि DL धारक अन्य देशों में भी गाड़ी चला सकें।
आपको बता दें कि भारत का इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत यूरोपीय उपमहाद्वीप के कई देशों में वैलिड है।
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आप आरटीओ कार्यालय या आधिकारिक वेबसाइट दोनों पर आवेदन कर सकते हैं। बस आपको कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है।
इसके लिए वर्तमान ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी चाहिए होगी। साथ ही आप जिस देश की यात्रा कर रहे हैं, उसके पासपोर्ट-वीजा की प्रति होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय यात्रा के टिकट की कॉपी होनी चाहिए। आयु प्रमाण और निवास प्रमाण पत्र की प्रति होना अनिवार्य है। भारतीय नागरिकता का प्रमाणित प्रमाण और फोटो होना जरूरी है। इसके साथ वैलिड हेल्थ फिटनेस होना बेहद आवश्यक है।
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन के लिए आपको अपने नजदीकी आरटीओ में जाना होगा। सभी डॉक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी के साथ फॉर्म को संलग्न कर इसे जमा करना होगा। इसके बाद आपको शुल्क जमा करना होगा। यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में है। आप इंटरनेशनल कंट्रोल ट्रैफिक एसोसिएशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।
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१० २०५ यत्तर्पणमाहरन्ति य एवाग्नीपोमीयः पशुर्वध्यते
स एव सः ॥
१ मांस क्षत्रियों के लिये खाना पाप है या नहीं यदि पाप है तो हिंसा में व खाने में ॥
२ मांस खाना पाप है तो साक्षात् वेद में कहां लिखा है
३ स्वामी जी ने मास खाना पहली संस्कार विधि में तथा सत्यार्थप्रकाश में लिखा है या नहीं ।
मुकाम गोधपुर से ता० । २७ - ७ । ९३
६० प्रतापसिंह
इस पत्र में यद्यपि मेरे जोधपुर थाने का स्पष्ट निषेध नहीं किया गया तथापि इस पत्र का अभिप्राय स्पष्ट है कि तुम जोधपुर न प्राओ क्योंकि यदि झाने की प्रेरणा वा प्राशय होता तो पत्र भेजना हो व्यर्थ था जो प्रश्न पत्र में लिखे थे उनको भी वहां पहुंचने पर पूछ हो सकते थे । कदाचित् यह पत्र मुझे चलने से पहिले मिल जाता तो स्वयं ही जोधपुर जाने से रुक आता परन्तु पत्र मेरे चले जाने के पश्चात् प्रयाग में पहुंचा। और यहां से लोगों ने आंधपुर को मेरे नाम भेज दिया । जिम चौथे दिन मेरे पास जोधपुर में पत्र पहुंचा ठमी दिन उस का संक्षिप्त उत्तर मैंनें लिख लिया था उस को यथार्थ नकलश्री ३म्
१ (क) स य एवं विद्वान्मांसमुपसिध्योपहरति । यावद् - हादशाहनेष्वा समुद्रावरुधे तावदेनेनावरुन्धे ॥
(सः यः) सोश (विद्वान्) विद्वान् पुरुष (मांसम्) मन को शक्ति को बढ़ाने वाले भोजन करने योग्य वस्तुओं के (उपसिध्य) शुद्ध कर के (उपहरति) समीप घरे वा गुरु आदि को समर्पण करे ( सुसमृद्धेन ) अच्छे ( द्वादशाहेन ) द्वादशाह नामक यज्ञ से ( यावत्) जितना अनिष्ट फन्न (अवरुन्धे ) रोका जाता है ( तावत्) उतना (एनेम) इस अतिथि यज्ञ से ( अवरुन्धे) हट जाता है ।
(ग) - यत्तर्पणमाहरन्ति य एवाग्नीषोमीयः पशर्वध्यते स एव सः ।। |
पहेलियाँ-तुलना। पारंपरिक पहेली पर अपने फायदे क्या हैं?
पहेलियाँ, तुलना थे और काफी लोकप्रिय हैं। यह उल्लेखनीय है कि सामान्य रूप में पहेली के सभी प्रकार व्यापक रूप से दोनों अभी भी काफी युवा और स्कूल उम्र के बच्चों और किशोरों के विकास के लिए किया जाता है। माना जाता है कि पहेली को तुलना कल्पना और तर्क के रूप में इस तरह के महत्वपूर्ण गुणों बच्चों में विकसित करने के लिए मदद करते हैं। यह शायद उन्हें क्या विशेष रूप से लोकप्रिय बनाता है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के बारे में सोचती है, जबकि मनोरंजक और बच्चों को विकसित कर रहे हैं।
रहस्य क्या है?
पहेली - यह एक सवाल है कि उत्तर दिया जाना चाहिए है। लेकिन यह व्यापार या विज्ञान के किसी भी रूप में गहरा ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। अक्सर, पहेली तुलना बच्चों चीजें या घटनाओं है कि हर जगह पाए जाते हैं वर्णन कर सकते हैं (तुलना में), लेकिन दूसरी तरफ उन्हें खोलने।
इसके अलावा, पहेली के इस प्रकार एक तार्किक समस्या यह है कि हल करने की जरूरत है के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इसके फायदे है कि बच्चे दिलचस्पी के साथ अनुमान लगा में शामिल है। इस सवाल के निर्माण की काव्य या मनोरंजक रूप के कारण है। और अधिक बार हमेशा की तरह पहेली और पहेलियों से, तुलना एक सरल कविता है कि उन्हें जल्दी से याद करने के लिए अनुमति देता है के साथ एक कविता के रूप में देखा जा सकता है। पाठ विकल्प इस प्रकार आप बच्चे का ध्यान आकर्षित करने के लिए, उसे में रुचि उत्पन्न करने की अनुमति देता है।
मुश्किल वास्तव में निर्धारित करने के लिए क्या पहेली एक तुलना के रूप में माना जा सकता है। परंपरागत रूप से, तार्किक कार्यों में से दो वेरिएंटः
- विपक्ष। वहाँ व्यापक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं कण "नहीं" और संयोजक "और" और "लेकिन"। यही कारण है कि यह है कि कई परिचित संभव हैः "। भौंकने मत करो, काट नहीं करता है और घर में अनुमति नहीं है" इस मामले में, एक ताला जो दरवाजा बंद कर देता है, पशुओं के साथ तुलना में। विशेषता लिया जाता है, जो कुत्ते में निहित है (प्रवेश द्वार की रखवाली, क्योंकि कुत्तों को अक्सर गार्ड के रूप में उपयोग किया जाता है) और उन सुविधाओं है कि मेल नहीं खाते के लिए खोज, - लेकिन इस तुलना विपरीत होता है। यही कारण है कि भौंकने और काटने जानवर के बारे में सोच से बच्चे को वापस लेने चाहिए के बारे में एक शब्द भी कहने के लिए है।
- अन्य वस्तुओं के साथ तुलना। यह सिर्फ गुणवत्ता, अन्य वस्तु के समान लगता है। तो, के बारे में एक टिड्डा रहस्य कहते हैं कि वे घास, हरी तरह है, और एक वायलिन की तरह खेलता है। वहाँ कीट या अन्य ऑब्जेक्ट में मतभेद के लिए कोई संदर्भ है। इसके विपरीत, समानता पाए गए। इस तरह के एक उदाहरण पहेली तुलना से पता चलता है कि उन वस्तुओं का चयन किया गया, घटना जो zadachek समूह में आम सुविधाओं की है। यही कारण है कि टिड्डी घास का रंग है, है, लगता है कि यह पैदा करता है, पारंपरिक रूप से वायलिन खेलने की तुलना में किया गया है।
क्या पहेली प्लस तुलना के साथ?
रहस्यों के फायदे, जिसमें अन्य चीज़ों या वस्तुओं के साथ तुलना में होते हैं क्या हैं? हम पर जोर है कि इस अवतार में, बच्चे को एक डबल लाभ हो जाता है। उन्होंने न केवल उन लक्षण है कि छिपे हुए ऑब्जेक्ट के निहित हैं देखता है, लेकिन यह भी पता चलता है कि एक दूसरे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता। इस प्रकार, उदाहरण में पहले से ही टिड्डी बच्चे अलग-अलग लाइनों का चयन और आगे घास की या वायलिनवादक के संगीत क्षमताओं पर रंग के बारे में जानकारी को मजबूत कर सकते हैं के बारे में उल्लेख किया है।
अगर माता-पिता पहुंचे और एक पहेली बच्चे अभी भी बहुत अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी जो, के बाद से बच्चे को कुछ घटना से परिचित नहीं है पूछा, वे चतुराई क्या एक विशेष तुलना व्याख्या कर सकते हैं, और उसके बाद ही बच्चे के साथ खोज जवाब देने के लिए शुरू करने के लिए।
इसके अलावा, बच्चे के लिए एक व्यापक विकास प्राप्त किया, आप इसे अपने स्वयं के बनाने के लिए कोशिश कर सकते हैं पहेली-तुलना। यह विकल्प काफी सरल है, लेकिन उनके माता-पिता से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता। सबसे पहले, आप एक विषय है कि एक कर देगा का चयन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, गेंद पर रहने के लिए। आप अपने बच्चे के साथ उसकी समीक्षा और चर्चा यह क्या करता है, यह कैसा है और यह क्या तुलना की जा सकती कर सकते हैं।
गेंद की विशेषताओं में से एक - यह क्षमता कूद रहा है। यहाँ हम जो या और क्या कूद कर सकते हैं याद करने के लिए बच्चे के साथ एक साथ खड़े हैं। सबसे पहले, स्मृति में खरगोश पाए जाते हैं, और कभी कभी और अधिक दिलचस्प संघ, उदाहरण के लिए, कंगारू, टिड्डी, छोटा कीड़ा दिख सकता है। तो पहेली का पहला टुकड़ा तैयार है।
दूसरे भाग एक गेंद फार्म के लिए समर्पित किया जा सकता है। यही कारण है कि एक दौर पाई, डोनट, रोटी और इतने पर है। अब आप पहेली को एक साथ इकट्ठा कर सकते हैं। दो विकल्प मिल सकता हैः
- कूद, गोल चलनेवाली नहीं है, लेकिन नहीं रोटी।
- बनी की तरह कूदता है, वह दौर सूरज की तरह।
यह दो विकल्प पहेली, तुलना बच्चे की तरह करने के लिए, खासकर जब से वह खुद को उनके मसौदा तैयार करने में भाग लिया यकीन है।
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दमोह। जिले के मड़ियादो थानांतर्गत आज सुबह एक बस दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गई, जिससे तीन यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 33 अन्य घायल हो गए। पुलिस के अनुसार मड़ियादो से लगभग पांच किलोमीटर पहले आज सुबह नौगरईया ट्रेवल्स की बस अनियंत्रित होकर पलट गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बस तेज गति में थी और इसी बीच उसकी कमानी टूट गई, जिससे वह अनियंत्रित होकर पलट गई। मृतकों के नाम बस मालिक मुन्ना नौगरईया ः40ः, चौरईया की सरपंच का पति हरिसिंह आदिवासी ः40ः के अलावा एक महिला यात्री उदीबाई बंजारा ः60ः बताए गए हैं। इनमें हरिसिंह की घटनास्थल एवं शेष दो की अस्पताल के रास्ते में मौत हो गई। हादसे में 33 यात्री घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए यहां जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया है। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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वैराग्य - राग-रसिक नहीं बना वह भगवत् राग-रसका पूर्ण रसिया भक्तिनिष्ठ भागवत बन ही नहीं सकता। हृदय त्यागके लिये इस प्रकार अकुलाता रहे, जिस प्रकार जलमें बहुत देर डुबकी लगाये रहनेपर प्राण श्वास लेने के लिये अकुलाने लगते हैं ।
महाप्रभुको संन्यास-दीक्षा देने के लिये भारती महाराज राजी हो गये । यह देखकर प्रभुकी प्रसन्नताका पारावार नहीं रहा । वे प्रेम में बेसुध बने हुए सम्पूर्ण रात्रि भगवन्नामका कीर्तन करते रहे और आनन्दके उल्लासमें आसनसे उठ-उठकर पागलकी तरह नृत्य करते रहे । जिस प्रकार नवागत वधूसे मिलने के लिये अनुरागी युवक बेचनीके साथ रात्रि होनेकी प्रतीक्षा करता रहता है, उसी प्रकार महाप्रभु संन्यास-धर्म में दीक्षित होने के लिये उस रात्रि के अन्त होने की प्रतीक्षा करते रहे । उस रात्रि में प्रभुको क्षणभर के लिये भी निद्रा नहीं आयी । निरन्तर संकीर्तन करते रहने के कारण प्रभुके नेत्र कुछ आप-मे-आप ही मुंदने से लगे । इतने में ही आम्रकी डालोंपर बैठे हुए पक्षियोंने अपने कोमल कण्ठोंसे भाँतिभौतिके स्वरोंमें गायन आरम्भ किया । मानो वे महाप्रभुके संन्यास ग्रहण करने के उपलक्ष्य में पहलेसे ही मङ्गलाचरण कर रहे हों ।
पक्षियोंके कलरवको सुनकर प्रभुकी तन्द्रा दूर हुई और वे आसनपरसे उठकर बैठ गये । पास में ही बेसुध पड़े हुए आचार्यरत्न, नित्यानन्द आदिको प्रभुने जगाया । सबके जग जानेपर प्रभु नित्यकर्मो से निवृत्त हुए । गङ्गाजी में स्नान करने के निमित्त अपने सभी साथियोंके सहित प्रभुने अपने भावी गुरुदेव के चरण कमलों में प्रणाम किया और बड़ी ही नम्रतासे दोनों हाथोंकी अञ्जलि बाँधे हुए उनमे निवेदन किया'भगवन् ! मैं उपस्थित हूँ, अब आज्ञा दीजिये मुझे क्या-क्या करना होगा।'
कुछ विवशता-सी प्रकट करते हुए भारतीजीने कहा- अब संन्यास-दीक्षाके निमित्त जिन-जिन सामग्रियोंकी आवश्यकता हो, उन्हें एकत्रित करना चाहिए । इसका प्रबन्ध मैं अभी किये देता हूँ ।' यह
कहकर उन्होंने एक आदमीको सब सामान लाने के निमित्त कटवा के लिये भेजा ।
कण्टक-नगर-निवासी नर-नारियोंको कलतक यही पता था कि भारतीजी उम युवकको संन्यास-दीक्षा देने के लिये कभी सहमत न होंगे; किन्तु आज जब प्रातः ही उन लोगोंने यह समाचार सुना कि भारती तो उस ब्राह्मण युवकको संन्यासी बनाने के लिये राजी हो गये और आज ही उसे शिखा-सूत्रसे रहित करके द्वार-द्वार से भिक्षा माँगनेवाला गृह त्यागी विरागी बना देंगे, तब तो उनके दुःखका ठिकाना नहीं रहा । न जाने उन ग्रामवासियोंको प्रभुके प्रति दर्शनमात्र से ही क्यों ममता हो गयी थी । वे सभी प्रभुको अपना घरका-सा सगा सम्बन्धी हो समझने लगे । बातकी बात में बहुत से स्त्री-पुरुष आश्रम में आकर एकत्रित हो गये । स्त्रियाँ एक ओर खड़ी होकर आँसू बहा रही थीं । पुरुष आपस में मिलकर भाँति-भांतिकी बाते कह रहे थे ।
कोई तो कहता - 'अजी ! इस युवकको ही समझाना चाहिये । जैसे बने, समझा-बुझाकर इसे इसकी माताके समीप पहुँचा आना चाहिये ।' इसपर दूसरा कहता - 'वह समझे तब तो समझावें । जब उसके सगेसम्बन्धी ही उसे नहीं समझा सके, तो हम तुम तो भला समझा ही क्या सकते हैं ।'
इतनेहीमें एक बूढा बोल उठा - 'अजी ! हम सब इतने आदमी हैं, संन्यासका कार्य ही न होने देगे, बस, निबट गया किस्सा ।
इसपर किसी विचारवान्ने कहा - 'भाई ! यह कैसे हो सकता है । हम ऐसे शुभ काम में जबरदस्ती कैसे कर सकते हैं। ऐसे पुण्य कामों में यदि कुछ महायता न बन सके तो इस तरह विघ्न करना तो ठीक नहीं है । हमलोग मुंहसे ही समझा सकते हैं। जबरदस्ती करना हमारा धर्म नहीं ।'
इसपर उद्धत स्वभावका युवक जोरोंसे बोल उठा - अजी ! धर्म गया ऐसी तैसी में । ऐसे धर्म में तो तेल डालकर आग लगा देनी चाहिये ।
बने हैं, कहींके धर्मात्मा । यदि ऐसी ही बात है, तो तुम ही क्यों नहीं संन्यास ले लेते । क्यों दिनभर यह ला, वह ला, इसे रख, उसे उठा करते रहते हो ।'
'औरोंको बुढ़िया सिख - बुधि देय, अपनी खाट भीतरी लेय ।'
'तुम अपने बेटा-बेटियोंको छोड़कर संन्यासी हो जाओ तब तो हम भी जाने ।' इतना कहकर वह लोगोंकी ओर देखता हुआ उसी आवेशके साथ कहने लगा - 'देखो भाई ! इन्हें बकने दो, इनकी तो बुद्धि सठिया गयी है । भला जिसके घरमें युवती स्त्री हो, दूसरी संतानसे रहित बूढ़ी विधवा माता हो, ऐसे चौबीस वर्षके नवयुवकको घर-घरका भिखारी बना देना किस धर्मशास्त्र में लिखा होगा। यदि किसीमें लिखा भी हो तो बाबा ! हम ऐसे धर्मशास्त्रको दूरमे ही दण्डवत करते हैं । ऐसा धर्मशास्त्र इन बाबाको ही मुबारक हो । ये अपने बड़े लड़केको संन्यासी बना दें या इनकी अवस्था है, ये ही बन जायें । हम अपनी आँखों के सामने तो इस ब्राह्मण कुमारको शिखा-सूत्र त्यागकर गेरुए रंगके वस्त्र न पहनने देंगे। भारती महाराज यदि सीधी तरह मान जायँ तब तो ठीक ही है, नहीं तो भारतीजीका गला दबाकर तो मैं इन्हें गाँवसे बाहर कर आऊँगा और आपलोग नाव में बिठाकर इस युवकको इसके घरपर पहुंचा आवे । भारतीको मना लेनेका ठेका तो मैं अपने जिम्मे लेता हूँ ।'
उस युवककी ऐसी जोशपूर्ण बातें सुनकर सुननेवालों में से बहुतोंको जोश आ गया और वे 'ठीक है, ठीक है, ऐसा ही करना चाहिये ।' ऐसा कह कहकर उसकी बातोंका समर्थन करने लगे। इसपर उसी विचारवान् वृद्धने कहा - 'भाई ! ऐसा करनेसे काम न चलेगा । यदि हम ! अपनी कमजोरीसे धर्म न कर सकें तो क्या उसे दूसरोंको भी न करने दें । यदि अपने भाग्य-दोषसे हम नकटे हों तो दुसरेकी नाकको भी न देख सकें । ये सब जोशकी बातें हैं । हमलोग इतना ही कर सकते हैं कि
भारतीजीको समझा-बुझाकर दीक्षा देने से रोक दें।' वृद्धकी यह वात सबको पसंद आई और सभी मिलकर भारतीजीके पास पहुंचे। सभी भारतीजीको प्रणाम करके बैठ गये। दूसरी ओर महाप्रभु नीचेको सिर किये हुए बैठे थे, उनके समीपमें ही चन्द्रशेखर आचार्य तथा नित्यानन्दजी आदि एक पुरानी-मी फटी चटाईपर बैठे थे । भारतीके समीप बैठकर लोग परस्पर एक दूसरेके मुखकी ओर देखने लगे। सब लोगोंके अभिप्रायको जानकर उसी विचारवान् वृद्ध पुम्पने हाथ जोड़े हुए कहा - 'स्वामीजी महाराज ! हमलोग आपसे कुछ निवेदन करना चाहते हैं ।'
प्रसन्नता प्रकट करते हुए जल्दी से भारतीजी महाराज बोल उठे'हाँ, हाँ कहो, जरूर कहो । जो कहना चाहते हो, निस्संकोच-भावसे कह डालो ।'
वृद्धने कहा - 'महाराज ! आप सब कुछ जानते हैं, आपसे कोई बात छिपी थोड़े ही है। हमें इन ब्राह्मण कुमारके ऊपर बड़ी दया आ रही है । इनकी घरमें वृद्धा माता है, युवती स्त्री है, घरवर दूसरा कोई आदमी नहीं । उनके निर्वाहके लिये कोई बंधी हुई वृत्ति नहीं । इनकी स्त्रीके अभीतक कोई संतान नहीं । ऐसी अवस्था में भी ये आवेश में आकर संन्यास ले रहे है, इससे हम सबोंको बड़ा दुःख हो रहा है । ये सभी बातें हमने इनके सम्बन्धियोंके ही मुखसे सुनी हैं । आपसे भी ये बातें छिपी न होंगी । इसलिये हमारी यही प्रार्थना है कि ये चाहे कितना भी आग्रह करें आप इन्हें संन्यास-दीक्षा कभी न दें ।'
उन सब लोगोंकी बातें सुनकर भारतीजीने बड़े ही दुःखके साथ विवशता-सी प्रकट करते हुए कहा - 'भाइयो ! तुमने जितनी बातें कही हैं, वे सब मुझे पहलेसे ही मालूम हैं। मैं स्वयं इन्हें संन्यास देने के पक्षमें नहीं हूँ और न मैं अपनी राजीसे इन्हें दीक्षा दे रहा हूँ । एक तो इनकी इच्छाको टाल देनेकी मुझमें सामर्थ्य नहीं । दूसरे इन्हें कोई धर्मका तत्त्व समझा ही नहीं सकता । ये स्वयं बड़े भारी पण्डित हैं, यदि कोई मूर्ख
होता, तो आपलोग सन्देह भी कर सकते थे कि मैंने बहका दिया हो । ये धर्माधर्मके तत्त्वको भलीभांति जानते हैं। गृहस्थी में रहते हुए भी वर्णाश्रम धर्मका पालन करते हुए ये वेदों में बताये हुए कर्मोंके द्वारा अपने धर्मका आचरण कर सकते हैं। किन्तु अब तो ये महात्यागकी दीक्षा के ही लिये तुले हुए हैं। मेरी शक्ति के बाहरकी बात है। हाँ, आपलोग स्वयं इन्हें समझावे, यदि ये आपलोगोंकी बात मानकर घर लौटने को राजी हो जायँगे तो मुझे बड़ी भारी प्रसन्नता होगी । आपलोग इस बातको तो हृदयसे निकाल ही दीजिये कि मैं स्वयं इन्हें दीक्षा दे रहा हूँ । यह देखो, इनके सामने जो ये आचार्य बैठे हुए हैं ये इनके पिता के समान सगे मौसा होते हैं, जब ये ही इन्हें न समझा सके और उलटे इनकी आज्ञानुसार सभी संन्यासके कर्मोको कराने के लिये तैयार बैठे हैं तो फिर मेरी तुम्हारी तो सामर्थ्य ही क्या है ?'
भारतीजीके मुख से ऐसी युक्तियुक्त बाते सुनकर सभी प्रभुके मुखकी ओर कातर-दृष्टिसे निहारने लगे। बहुत से पुरुष तो प्रभुकी ऐसी दशा देखकर रो रहे थे । प्रभुने उन सभी ग्रामवासियों को अपने स्नेहके कारण दुखी देखकर बड़ी ही कातर वाणीमें कहा - 'भाइयो ! आप मेरे आत्मीय हैं, सखा हैं, बन्धु हैं । आपका मेरे ऊपर इतना अधिक स्नेह है, यह सोचकर मेरा हृदय गद्गद हो उठा है । आपलोग जो कह रहे हैं, उन सभी बातोंको मैं स्वयं समझ रहा हूँ, किन्तु भाइयो । मैं मजबूर हूँ में अब अपने वश में नहीं हूँ । श्रीकृष्ण मुझे पकड़कर ले आये हैं । आप सभी भाई ऐसा आशीर्वाद दीजिये कि मैं अपने प्यारे श्रीकृष्णको पा सकूं । मैं वृन्दावनमें जाऊँगा, व्रजवासियों के घरोसे टुकड़े मांगकर खाऊंगा । वृन्दावनके बाहर कदम्बके वृक्षोंके नीचे वास करूंगा । यमुनाजीका सुन्दर श्याम रंगवाला स्वच्छ जल पीऊंगा और अनिश श्रीकृष्ण के सुमधुर नामोंका संकीर्तन करूंगा । जबतक मेरे प्राणप्यारे श्रीकृष्ण न मिलेगे तबतक मैं सुखी नहीं हो सकता । मुझे शान्ति नहीं मिल सकती । श्रीकृष्ण-विरह में मेरा हृदय जल रहा है, वह श्रीकृष्णके |
हृदय रोग एक बहुत ही जानलेवा रोग है और अगर हम यह समझ ना पाए कि इसके लक्षण क्या है तो हम इसके शिकार बन सकते हैं। इस रोग का सही इलाज सही समय पर होना चाहिए और आज हम आप सभी को हृदय रोग के पास आ सामान्य लक्षण बताएँगे।
अगर आपकी छाती में दर्द या दबाव महसूस हो तो आप समझ जाइए कि आपके दिल में कुछ असामान्य हो रहा है ऐसा होने पर जल्दी किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाइए। पेट दर्द, खट्टी डकार आदिअगर आपके शरीर में अचानक पेट दर्द या खाने का पाचन सही तरीके से ना हो तो आप समझ जाइए कि इसका असर आपके हृदय रोग से जुड़ा हो सकता है।
अगर आपके बाजुओं में दर्द हो जो फेल कर अपने हाथों तक पहुंचे तो यह हृदय रोग का एक लक्षण हो सकता है।
अगर अचानक से आपके सर हल्का लगे और घूमने लगे तो यह हृदय रोग का एक अंधे का लक्षण हो सकता है।
अगर आपके गले में दर्द हो या जबड़ों में अचानक से दर्द शुरू हो जाए तब हृदय रोग का एक लक्षण हो सकता है। यही थी कुछ लक्षण जो बहुत ही असामान्य लग सकते हैं लेकिन आप इनको बहुत ही आसानी से नजरअंदाज कर सकते हैं और इन सभी को नजरअंदाज करने से ह्रदय रोग में आपका बहुत ही नुकसान हो सकता है।
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यवसाय की नजर से देखा जाए तो वकील और मुवक्किल या प्रार्थी और आरोपी आदि आपस में जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वह आवश्यक रूप से अंग्रेजी नहीं होती। हमारी हिंदी-फिल्मों में भी अदालतों के दृश्यों में हिंदी का ही प्रयोग होते दिखाया जाता है। लेकिन असल में प्रार्थना-पत्र आदि के दाखिल करने से लेकर आगे की कार्यवाही और निर्णय अक्सर अंग्रेजी में होते हैं।
हिंदी के घरेलू और वैश्विक महत्त्व को लेकर पर्याप्त सैद्धांतिक विचार हो चुका है। भारत के संदर्भ में अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में इसे संपर्क भाषा मानने-मनवाने की सैद्धांतिक कवायद भी भरपूर हो गई है। फिर भी क्या कारण है कि हर सितंबर आते-आते हिंदी के बोलबाले को लेकर तमाम चिंताएं-चिंतन रह रह कर शुरू होने लगता है। क्या कारण है कि राजभाषा के रूप में हिंदी के आंकड़ों की बहार लादी जाने लगती है। वह भी एक ऐसी हिंदी में जिसे फिर हिंदी बनाने की जरूरत पड़ने लगती है। व्यक्यिों का एक ऐसा वर्ग भी है जो राष्ट्रभाषा या राजभाषा की समस्या को हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं के संबंधों में न ढूंढ़कर हिंदी और अंग्रेजी की प्रतिद्वंद्विता के रूप में उभारना चाहता है।
एक शोध के अनुसार 137 देशों में हिंदी भाषा विद्यमान है। इन देशों में हिंदी एक विदेशी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है और विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी के पठन-पाठन और शोध की लंबी परम्परा की व्यवस्था है। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार विदेशों में चालीस से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिंदी पढाई जा रही है। पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, म्यांमार, श्रीलंका और मालदीव अदि में हिंदी बोली जाती है। भारतीय संस्कृति से प्रभावित दक्षिण पूर्वी एशियाई देश, जैसे- इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, चीन, मंगोलिया, कोरिया और जापान में इसका प्रयोग होता है। सच है कि भारत की अनेक सरकारी या सरकार से मदद प्राप्त संस्थाएं हैं जो विश्व के संदर्भ में हिंदी के कदम बढ़ाने में गतिशील हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, केंद्रीय हिंदी संस्थान, केंद्रीय हिंदी निदेशालय और महात्मा गांधी हिंदी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय सहित अनेक भारतीय विश्वविद्यालय इस दिशा में अपनी. अपनी क्षमताओं और सीमाओं के अनुसार गतिशील हैं।
अंग्रेजी भाषा की सदा वकालत करता रहा है और हिंदी को व्यवहार में उसके उचित पद पर आने की राह में बाधा डालता रहता है। अपने देश की सबसे बड़ी मुश्किल यह भी है कि यहां कानून तो बन जाते हैं लेकिन उनके पालन कराने के लिए न कोई समुचित व्यवस्था और इच्छाशक्ति होती है और न हीं जिन्हें पालन करना होता है उनमें ललक और समझ ही पैदा की जाती है । रस्म अदायगी जरूर होती रहती है । हिंदी का भी यही सच है । न्यायपालिका एक संवैधानिक संस्थान है जो सरकार का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इस संस्थान की बुनियादी जिम्मेदारी जनता के प्रति होती है। 27 अप्रैल 1960 को राष्ट्रपति ने आदेश दिया कि विधि मंत्रालय को जो काम सौंपे जाएं, उनमें यह भी था कि वह हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं में केंद्रीय अधिनियमों के अनुवाद के लिए और उच्च न्यायालयों में निर्णय, डिक्री और आदेश आदि में हिंदी और राज्य की राजभाषाओं के प्रयोग के लिए आवश्यक अधिनियम बनाए। एक आदेश के अनुसार न्यायालयों में जिला न्यायालय स्तर तक सभी कार्य राज्य की राजभाषा में होंगे। इसका उपबंध दंड प्रक्रिया संहिता और सिविल प्रक्रिया संहिता में किया गया है। उच्च न्यायालय में कार्य दो भाषाओं में हो सकेगा। हिंदी में या राज्य की राजभाषा में।
उच्चतम न्यायालय में कार्य केवल हिंदी में होगा। विधेयकों का प्रारंभ में प्राधिकृत अनुवाद हिंदी में होगा। बाद में विधेयक हिंदी में रखे जाएंगे। एक सूचना के अनुसार विधि मंत्रालय ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए 1961 में राजभाषा आयोग बनाया जिसका स्थान 1976 में राजभाषा खंड ने ले लिया। राजभाषा खंड ने केंद्रीय अधिनियमों के हिंदी में प्राधिकृत पाठक तैयार कर लिए। मानक विधि शब्दावली तैयार हो गई। इसलिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय हिंदी समिति में यह निर्णय हुआ कि विधेयक मूलरूप से हिंदी में बनाए जाएं। 1998 के राष्ट्रपति के आदेश में भी यह कहा गया। लेकिन इस दिशा में जो प्रगति होनी थी वह फाइलों और सिद्धांतों में ही कैद है। यह आश्चर्य और दुख का विषय है ।
व्यवसाय की नजर से देखा जाए तो वकील और मुवक्किल या प्रार्थी और आरोपी आदि आपस में जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वह आवश्यक रूप से अंग्रेजी नहीं होती। हमारी हिंदी-फिल्मों में भी अदालतों के दृश्यों में हिंदी का ही प्रयोग होते दिखाया जाता है। लेकिन असल में प्रार्थना-पत्र आदि के दाखिल करने से लेकर आगे की कार्यवाही और निर्णय अक्सर अंग्रेजी में होते हैं। जिन नागरिकों को अंग्रेजी नहीं आती वे वकील और व्यवस्था पर आस्था और भरोसे के रहम पर ही जीते रहते हैं। क्या कथनी और करनी या सिद्धांत और व्यवहार की इस विडंबना को दूर नहीं किया जाना चाहिए? प्रयोग के स्तर पर अगर हिंदी, किसी उपयुक्त कारणवश अपने मानक रूप में कुछ छूट लेती और अपने भीतर कुछ अन्य बोलियों और भाषाओं के शब्दों को समेटती नजर आए तो उसे फिलहाल स्वीकार करना होगा। हिंदी को, भारत की राजभाषा के रूप में जरूरत और प्रतिष्टा भाषा का दर्जा दिलाने के लिए जब तक आवश्यक हो संघर्ष करना ही होगा। किसी अन्य भाषा का विश्व की भाषा के रूप में अपमान किए बिना इसे उपेक्षा की मार से बचाना होगा। लेकिन यह लक्ष्य रस्म अदायगी से नहीं बल्कि संकल्प, संघर्ष और सूझबूझ से ही प्राप्त होगा।
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उत्तराखंड में सरकार ने ऐसे लोगों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया, जो लगातार सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं। सरकार के हर कार्यों को ऐसे पेश करते रहे, जैसे कि पहली बार हो रहा है। ना जाने कितने बार वे सरकार के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों को खबरों में सौगात दे चुके हैं, पर जब देने का नंबर आया तो सरकार ने उन्हें भी ठेंगा दिखा दिया। सरकार पर विज्ञापन घोटाले के आरोप उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व सलाहकार सुरेंद कुमार ने लगाए।
उन्होंने धामी सरकार पर विज्ञापन घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां प्रदेश के श्रमजीवी पत्रकार राज्य सरकार से छोटे छोटे विज्ञापनों के लिए गुहार लागतें हों, वही एक अनजान पत्रिका जिसका वजूद भी संदेह में है, उसे सत्तर लाख से भी अधिक का विज्ञापन दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसे विज्ञापन घोटाला ही कहा जाएगा। इस संबंध में सुरेंद्र कुमार ने विज्ञापन भुगतान की रसीद भी मीडिया में जारी की। इसमें दिल्ली की खबर मानक पत्रिका को 71 लाख, 99 हजार 992 रुपये 80 पैसे का भुगतान दर्शाया गया है। 80 पैसे भी समझ से परे हैं, जैसे बाटा कंपनी का जूता खरीदा जा रहा हो और 80 पैसा उसका ट्रेड मार्का हो।
कांग्रेस नेता सुरेंद्र कुमार के मुताबिक, बेहतर होता थोड़ा थोड़ा धन राज्य के कलम के सिपाहियों को बाटा जाता। उससे कई कलम वीरों का भला होता। उन्होंने कहा कि इस विज्ञापन घोटाले के तार भाजापा नेताओं से भी जुड़ें हैं। चुनाव के लिए धन जुटाने के लिए इस तरह का कुचक्र रचा गया है। ऐसी पत्रिका जिसे आज तक कोई नहीं जानता। ना कभी उत्तराखंड की जनता से इस पत्रिका को देखा, उसे सत्तर लाख से अधिक का विज्ञापन जारी होना कई सवाल पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि-ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा, ऐसा कहने वाले चौकीदार की छत्रछाया में ही इस तरह के घोटाले हो रहे हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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गृहमंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खुलासा हुआ है कि PFI तेलंगाना के निज़ामाबाद में कराटे कैंप के नाम पर अपना Training camp चला रही है. जानकारी के मुताबिक कराटे कैंप में पीएफआई करीब 200 लोगों को trainging दे रही थी. आरोप है कि कराटे सिखाने की आड़ में मुस्लिम युवकों को दंगे के लिए तैयार किया जा रहा था. वहां हमला करने की ट्रेनिंग दी जा रही थी. पुलिस और NIA सूत्रों के मुताबिक इनका टार्गेट हिंदू समुदाय था.
The NIA will probe the PFI conspiracy behind Nizamabad training camps after a karate teacher, with alleged links to PFI, was arrested for training Muslim youth in weapons to incite violence.
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* अध्याय १४ *
फिर विदुरने अपने घर ले जाकर भगवान्का । पास लौट गये और बोले -'महाराज! आप पूजन और सत्कार किया । तदनन्तर वे युधिष्ठिरके । दुर्योधनके साथ युद्ध कीजिये ॥ २६ - २९ ॥
इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराणमें 'आदिपर्वसे आरम्भ करके [ उद्योगपर्व-पर्यन्त ]
महाभारतकथाका संक्षिप्त वर्णन' नामक तेरहवाँ अध्याय पूरा हुआ ॥ १३ ॥
चौदहवाँ अध्याय
कौरव और पाण्डवोंका युद्ध तथा उसका परिणाम
अग्निदेव कहते हैं - युधिष्ठिर और दुर्योधनकी बड़ी भारी वृष्टि की । इधर द्रुपदकी प्रेरणासे सेनाएँ कुरुक्षेत्रके मैदानमें जा डटीं। अपने विपक्षमें शिखण्डीने भी पानी बरसानेवाले मेघकी भाँति पितामह भीष्म तथा आचार्य द्रोण आदि गुरुजनोंको भीष्मपर बाणोंकी झड़ी लगा दी। दोनों ओरके देखकर अर्जुन युद्धसे विरत हो गये, तब भगवान् हाथीसवार, घुड़सवार, रथी और पैदल एकश्रीकृष्ण ने उनसे कहा - "पार्थ! भीष्म आदि दूसरेके बाणोंसे मारे गये । भीष्मकी मृत्यु उनकी गुरुजन शोकके योग्य नहीं हैं। मनुष्यका शरीर इच्छाके अधीन थी । उन्होंने युद्धका मार्ग दिखाकर विनाशशील है; किंतु आत्माका कभी नाश नहीं । वसु- देवताके कहनेपर वसुलोकमें जानेकी तैयारी होता । यह आत्मा ही परब्रह्म है । 'मैं ब्रह्म हूँ'- की और बाणशय्यापर सो रहे । वे उत्तरायणकी इस प्रकार तुम उस आत्माको समझो । कार्यकी । प्रतीक्षामें भगवान् विष्णुका ध्यान और स्तवन सिद्धि और असिद्धिमें समानभावसे रहकर करते हुए समय व्यतीत करने लगे। भीष्मके कर्मयोगका आश्रय ले क्षात्रधर्मका पालन करो ।" बाण - शय्यापर गिर जानेके बाद जब दुर्योधन श्रीकृष्णके ऐसा कहनेपर अर्जुन रथारूढ़ हो शोकसे व्याकुल हो उठा, तब आचार्य द्रोणने युद्ध में प्रवृत्त हुए। उन्होंने शङ्खध्वनि की। दुर्योधनकी सेनापतित्वका भार ग्रहण किया। उधर हर्ष सेनामें सबसे पहले पितामह भीष्म सेनापति हुए । मनाती हुई पाण्डवोंकी सेनामें धृष्टद्युम्न सेनापति पाण्डवोंके सेनापति शिखण्डी थे। इन दोनोंमें हुए। उन दोनोंमें बड़ा भयंकर युद्ध हुआ, जो भारी युद्ध छिड़ गया । भीष्मसहित कौरवपक्षके यमलोककी आबादीको बढ़ानेवाला था । विराट योद्धा उस युद्धमें पाण्डव-पक्षके सैनिकोंपर प्रहार और द्रुपद आदि राजा द्रोणरूपी समुद्रमें डूब गये । करने लगे और शिखण्डी आदि पाण्डव-पक्षके हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सैनिकोंसे युक्त वीर कौरव-सैनिकोंको अपने बाणोंका निशाना । दुर्योधनकी विशाल वाहिनी धृष्टद्युम्नके हाथसे बनाने लगे। कौरव और पाण्डव- सेनाका वह युद्ध, मारी जाने लगी। उस समय द्रोण कालके समान देवासुर-संग्रामके समान जान पड़ता था । आकाशमें जान पड़ते थे। इतनेहीमें उनके कानों में यह खड़े होकर देखनेवाले देवताओंको वह युद्ध बड़ा । आवाज आयी कि 'अश्वत्थामा मारा गया'। इतना आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था । भीष्मने दस सुनते ही आचार्य द्रोणने अस्त्र-शस्त्र त्याग दिये । दिनोंतक युद्ध करके पाण्डवोंकी अधिकांश सेनाको ऐसे समयमें धृष्टद्युम्नके बाणोंसे आहत होकर वे अपने बाणोंसे मार गिराया ॥ १-७॥ पृथ्वीपर गिर पड़े ॥८- १४॥
दसवें दिन अर्जुनने वीरवर भीष्मपर बाणोंकी
द्रोण बड़े ही दुर्धर्ष थे । वे सम्पूर्ण क्षत्रियोंका |
Chery बहुत चीनी ऑटोमोबाइल कंपनी Chery, 1997 में स्थापित की एक उत्पाद है। इस ब्रांड के अनुसार, मशीनों के 10 से अधिक विभिन्न मॉडल का उत्पादन किया जाता है।
चेरी बहुत पांच-दरवाजे वाला पांच सीट हैचबैक हैलंबाई 413.9 सेंटीमीटर, ऊंचाई 14 9.2 सेमी और चौड़ाई 168.6 सेंटीमीटर। इस तरह के आयामों के वाहन के लिए कार का औसत वजन 1275 किलोग्राम है। ईंधन टैंक की क्षमता 50 लीटर है। कार की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा हो सकती है। गाड़ी में एक प्रभावशाली ट्रंक है- मुड़ा हुआ सीटें, इसकी अधिकतम मात्रा 1300 लीटर होगी। मुड़ा हुआ में यह 380 लीटर के बराबर है। कार काफी किफ़ायती है - जब सीधा मार्ग पर गाड़ी चलती है तो वह 100 किमी प्रति सड़क के बारे में 5.8 लीटर खर्च करती है। जब शहर में उसी दूरी पर गाड़ी चलाते हैं, तो वह लगभग 9 .7 लीटर खर्च करेगा। चेरी बहुत ही 2011 में बिक्री पर चला गया, आज यह 9 ट्रिम स्तरों में उपलब्ध है। बेस कार में एयर कंडीशनिंग, पावर स्टीयरिंग, चालक के एयरबैग, अलार्म के साथ इममोबिलाइज़र, इलेक्ट्रिक लिफ्टों के साथ आता है। अधिकतम विन्यास में सामने सीट पर रहने वाले और चालक, पार्किंग सहायता, बाल सीट बढ़ते, 15 इंच के मिश्र धातु के पहिये और अन्य "घंटी और सीटी" के लिए डबल एयरबैग हैं।
तिथि करने के लिए, यह मशीन ऐसा नहीं हैरूसी सड़कों पर फैल गया है एक तरफ, इसका कारण इस तथ्य में निहित है कि इसे हाल ही में शुरू किया गया था, और कंपनी ने अभी तक बाजार पर एक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठा अर्जित नहीं की है। दूसरी ओर, कुछ सावधानी उत्पादक देश की वजह से है, क्योंकि चीन अनिवार्य रूप से सस्ते निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, ड्राइवरों जिन्होंने कार खरीदने का फैसला किया, छोटे ब्रांड के बावजूद, चेरी बहुत की गुणवत्ता और मूल्य से संतुष्ट थे मालिकों की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि यह समान यूरोपीय मॉडल के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है, इस तथ्य के बावजूद कि इसकी लागत बहुत कम है वे अच्छी गतिशीलता और एक शक्तिशाली इंजन को नोट करते हैं जो आपको ट्रैफिक लाइट से शुरू करने की अनुमति देता है, कारों के प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए।
एर्गोनोमिक इंटीरियर और कंट्रोल पैनल - दूसराकार Chery की गरिमा बहुत प्रशंसापत्र से संकेत मिलता है कि सभी लीवर और बटन अपने स्थानों पर हाथों में स्थित हैं। ट्रांसमिशन मैकेनिकल, आसानी से स्थित है, इसलिए स्विचन को रोकने के लिए कुछ भी नहीं है, हालांकि कुछ नोट करते हैं कि इंजन ठंडा होने पर लीवर तना हुआ होता है। कार की गतिशीलता और लचीलेपन भी Chery बहुत से एक प्लस है समीक्षा से संकेत मिलता है कि कार ठंड के मौसम में अच्छी तरह से शुरू होती है, और स्टोव ने आंतरिक रूप से प्रभावी रूप से इंटीरियर को बढ़ाया है। एयर कंडीशनिंग, जो सभी ट्रिम स्तरों में है, अंदर आराम से तापमान बनाए रखता है।
अब आप कार चेरी के नुकसान का उल्लेख कर सकते हैंबहुत। समीक्षा का कहना है कि सिद्धांत रूप में बहुत सारे नहीं हैं, लेकिन वे काफी महत्वपूर्ण हैं और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण रखरखाव है, या बल्कि इस तरह की अनुपस्थिति चूंकि मॉडल नई है और एक ही प्रतियां में रूसी सड़कों पर कारों को लुभाया जाता है, इसलिए कई ऑटो यांत्रिकी ने इस कार की मरम्मत कभी नहीं की है। तदनुसार, हर कोई ठीक से तय नहीं करता है इसके अलावा, घटक महंगे और दुर्लभ होते हैं, कभी-कभी उनका आदेश दिया जाता है और 1,5-2 महीने तक इंतजार करना पड़ता है।
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नहीं कर पाया । यह ठीक है कि उसमें आज के एक बहुत बड़े नेता की जीवन-घटना को ज्यों-का-त्यों उठाकर रख दिया गया है, क्योंकि उसमें आज की लड़की के जीवन की भयंकर ट्रैजेडी व्यक्त होती है । वह खुद किस प्रकार अपने को धोखा दिये चली जा रही है । वह प्रेमिका और पत्नी दोनों की भूमिकाएँ एक ही साथ ईमानदारी से निबाहने का ढोग करती है, जबकि वह वास्तव में न तो सच्ची प्रेयसी है और न निष्ठामयी पत्नी । वजह यह है कि आज उसके लिए दोनों जीवन के दो अलग ध्रुव हैं । ट्रेजेडी यह नहीं है कि वह दोनों के प्रति सच्ची क्यों नहीं है, बल्कि यह है कि वह दोनों में से किसी को अपने जीवन से भटककर नहीं निकाल पाती । परिणाम में दोनों अपनी तलखी में उस पर
कमज़ोर होने का प्रक्षेप करते हैं और इस तलखी का भी कारण वह स्वयं ही बनती है । कोई सह लेता है, कोई सह नहीं पाता । श्राजकी लड़की,..
- छोड़ो भी लड़की लड़की लड़की, तुम्हारे दिमाग पर सिर्फ़ लड़की छाई है । और कुछ लिखने को नहीं रह गया ?
- इस सादगी पर कौन न मर जाय ऐ खुदा अच्छा तुम्हीं बताओ, आज की लड़की के जीवन का यह द्वैत, आज के नारीपुरुष के बीच, अर्थात् स्वस्थ सामाजिक सम्बन्धों की खाई नहीं है ? पुरुष अपने आप में घुटता- उलझता है, औरत अपने में स्वस्थ सम्बन्धों । की कल्पना कैसे हो सकती है ? यह खाली प्रेम कहानियों वाली समस्या नहीं, एक भयंकर सामाजिक प्रश्न है कि इस सामूहिक निर्माण की बेला में कब तक वे आखिर अपने-आपसे अलग-अलग लड़ते रहेंगे ? यह रोटी की समस्या, जीवित रहने की समस्या, युद्ध और शान्ति की समस्या - ये सब अकेले-अकेले ही निपटने को चीजें हैं ? श्रादमी की जीवनी शक्ति को सबसे अधिक तोड़ती हैं ये धर्म और धन की दीवारें, रूढ़ियाँ संस्कार, झूठे नैतिक ढकोसले, जिनके पीछे एक मरती हुई आर्थिक व्यवस्था है। उन सबका शिकार क्या पुरुष की अपेक्षा नारी |
Weekly News Roundup Dhanbad कराटे की महिमा अपरंपार है। कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया (काई) की लीला बखानी ही नहीं जा सकती। इसी फरवरी में जेल यात्रा कर चुके काई के महासचिव भरत शर्मा पर प्रसाद की तरह ब्लैक बेल्ट बांटने के आरोप लगते रहे हैं।
धनबाद [ सुनील कुमार ]। Weekly News Roundup Dhanbad जेएससीए ने कराया तो था अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट, लेकिन हो गया अंडर-18। शायद ही कोई टीम रही होगी जिसके सभी खिलाड़ी वास्तव में 14 वर्ष से नीचे के होंगे। 14 वर्ष से नीचे के खिलाड़ी टाटा डिगवाडीह स्टेडियम में छक्का मार गेंद स्टेडियम के बाहर पहुंचा दें तो उनकी प्रतिभा नहीं, बल्कि उम्र का आकलन हो सकता है। पहले होता यह था कि जन्म प्रमाणपत्र के साथ खिलाडिय़ों को हाइट-वेट के मानक पर खरा उतरना पड़ता था। मैच रेफरी फिजिकल वेरीफिकेशन करते थे। उन्हें यदि लगता था कि संबंधित खिलाड़ी की उम्र अधिक है तो वे बाहर कर सकते थे। उम्र के फर्जीवाड़ा को रोकने में जेएससीए के तत्कालीन संयुक्त सचिव असीम कुमार सिंह का बहुत बड़ा योगदान था। वे खुद आयोजन स्थल पर जाकर खिलाडिय़ों की उम्र का फिजिकल वेरीफिकेशन करते थे। नई कमेटी क्या आई, सब कुछ राम भरोसे हिंदू होटल हो गया।
कराटे की महिमा अपरंपार है। कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया (काई) की लीला बखानी ही नहीं जा सकती। इसी फरवरी में जेल यात्रा कर चुके काई के महासचिव भरत शर्मा पर प्रसाद की तरह ब्लैक बेल्ट बांटने के आरोप लगते रहे हैं। इस खेल के जन्मदाता राष्ट्र में भी इतने सिक्स डान, सेवेन डान नहीं मिलेंगे, जितने हमारे इस छोटे से शहर धनबाद में मिल जाएंगे। कमाल की बात यह कि वुशु स्टाइल वाले पांड़े जी कराटे में सिक्स्थ डान हैं। प्रसाद वितरण के कारण जानने की जब कोशिश की गई तो पता चला कि भरत बाबा पक्के गांधीवादी हैं। गांधी जी की तस्वीर वाली नोटों की गड्डी देखते ही ही प्रसाद देने को तत्पर हो जाते हैं। अब इस डिग्री का फायदा भी समझ लीजिए। इसेे दिखा कर पब्लिक स्कूलों में खेल शिक्षक बन जाएंगे। इससे बेरोजगारी दूर होगी। चलिए, यह भी काम बढिय़ा ही है।
जेएससीए अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट में जमशेदपुर टीम के दो खिलाडिय़ों को अचानक बदल दो अन्य को शामिल करने से बवाल मच गया। आरोप लगा कि पैसे लेकर खेल कर दिया गया। यहां तो सिर्फ दो की बात है, मगर सिमडेगा जिले का किस्सा तो और भी दिलचस्प है। यहां तो पूरी टीम ही दिल्ली, नोएडा, गुडग़ांव, देहरादून के खिलाडिय़ों से बनी है। बाहरी खिलाडिय़ों से पैसे लेकर अवसर दे दिया गया। स्थानीय खिलाड़ी से खेल कर दिया गया। क्रिकेट जगत में तो यह चर्चा आम है कि सिमडेगा का लीग टूर्नामेंट नोएडा में होता है। वंश दिल्ली के नरेला क्रिकेट अकादमी से खेलते हैं। अमन, मोनित, योजित शर्मा भी दिल्ली के लिए खेलते हैं। सागर मथुरा के एनएस क्रिकेट अकादमी से खेलते हैं। उनका यह डाटा क्रिकहीरोज एप पर उपलब्ध है। सिर्फ सिमडेगा ही नहीं, कई अन्य जिले भी अब इस खेल में शामिल हैं।
टाटा स्टील में खेल गतिविधियां शुरू होने की सुगबुगाहट शुरू हुई ही थी कि कोरोना फिर अपना रंग दिखाने लगा। पिछले माह टाटा स्टील जमशेदपुर के सीनियर मैनेजर (स्पोट्र्स) व पूर्व ओलंपियन आनंद मेंजेस झरिया डिवीजन के दौरे पर आए। यहां उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं से प्रभावित दिखे। पिछले साल टाटा स्टील से जुड़े आनंद ने झरिया डिवीजन के महाप्रबंधक से मुलाकात की और यहां टाटा फीडर सेंटर को लेकर चर्चा की। महाप्रबंधक भी अप्रैल से इसे शुरू करने पर सहमत दिखे। इसे लेकर प्रशिक्षण के लिए आने वाले बच्चों में उत्साह का माहौल था, लेकिन कोरोना की दूसरे वेब ने उनके उत्साह पर पानी फेर दिया। टाटा स्टील के कई कर्मचारियों के संक्रमित पाए जाने पर कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाने लगा। अब बच्चों के सामने इस कहर के गुजर जाने का इंतजार करने के सिवा दूसरा कोई चारा भी तो नहीं है।
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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ः
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अस्वस्थ हैं और उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुल्तानपुर लोधी में काली बेईं नदी का पानी पीने से अचानक की तबीयत बिगड़ी है। हालांकि इसकी अभी किसी ने आधिकारिक पुष्टि कोई नहीं की है। यह भी जानकारी है आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने भगवंत मान से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीएम भगवंत मान कल सारा दिन मीटिंगें करते रहे हैं और वह बीमार नहीं हैं। सीएम के निकटवर्ती सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि सीएम मान दो दिन से दिल्ली में हैं और उन्हें वहां किसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
बताया जा रहा है कि मंगलवार रात को भगवंत मान के पेट में तेज दर्द उठने के बाद उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में दाखिल करवाया गया है और मेडिसन व गैस्ट्रो के डॉक्टर उनका उपचार कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सीएम दो दिन पहले दिल्ली गए थे। वहां तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उधर जानकारों के अनुसार 17 जुलाई को काली बेईं नदी की सफाई की 22वीं वर्षगांठ थी और उस दौरान सुल्तानपुर लोधी में आयोजित एक समारोह में सीएम भगवंत मान ने नदी का पानी पिया था।
बेईं की सफाई करवाने वाले संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने दावा किया था कि नदी को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है और पहले की तरह पवित्र है। वहीं जानकारों बताते हैं कि कई इलाकों से सीवरेज का पानी अब भी नदी में मिलता होता है जिसके कारण यह पीने लायक नहीं है। यह पानी को पीने के कारण ही सीएम को पेट में संक्रमण हुआ है।
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शिमला के शोघी के पास ट्रक हादसा.
शिमला. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) में एक ट्रक हादसे (Truck Accident) का शिकार हो गया है. हादसे में चालक की मौत हुई है और तीन अन्य लोग घायल हैं. घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. एसपी शिमला (SP Shimla) ने मामले की पुष्टि की है.
जानकारी के अनुसार, शिमला के शोघी के पास बुधवार सुबह हादसा हुआ है. यहां एक ट्रक हादसे का शिकार होने के बाद एक शेड पर गिर गया. इसमें ड्राइवर की मौत हो गई, जबकि कंडक्टर सहित तीन अन्य लोग घायल हो गए. दरअसल, ट्रक सड़क से लुढ़कने के बाद एक शेड पर गिर गया और उसके अंदर दो महिलाएं दब गई. ट्रक में सेब लदे हुए थे, जो मौके पर बिखर गए.
शेड में नेपाली परिवार रहता था. दोनों महिलाओं को लोगों ने रेस्क्यू किया और अस्पताल में भर्ती करवाया. बताया जा रहा है कि मृतक ड्राइवर लुधियाना का रहने वाला था और ट्रक में सेब लदे हुए थे. शिमला के SP ओमापति जम्वाल ने हादसे की पुष्टि की है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
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क्या 'दंगल', क्या 'पठान'. . . इस धांसू मूवी के सामने सब पड़ जाएंगे फीके! रिलीज से पहले ही कमा लिए 800 करोड़!
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राज कपूर हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में गिने जाते थे. वे एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ ही दिग्गज निर्देशक भी थे. तब ही तो राज साहब को हिंदी सिनेमा में 'शो मैन' भी कहा गया. राज साहब कपूर खानदान के अग्रणी सदस्यों में से एक थे. पहले उन्होंने फिल्मों में बतौर हीरो काम किया फिर वे निर्देशक भी बन गए.
राज साहब का फ़िल्मी करियर बतौर अभिनेता और बतौर निर्देशक भी सफल रहा. राज कपूर अपनी फिल्मों के अलावा अपनी जिंदादिली के लिए भी मशहूर थे. कई फिल्मों में काम करने वाले और कई फिल्मों का निर्देशन करने वाले राज कपूर अपनी एक सुपर फ्लॉप फिल्म को अपने काफी करीब मानते थे और उस पर उन्होंने पानी की तरह पैसा बहाया था.
राज साहब की वो फिल्म थी 'मेरा नाम जोकर'. यह फिल्म चाहे फ्लॉप रही थी लेकिन आज भी इस फिल्म की चर्चा होती है. राज ने इस फिल्म में जहां अहम रोल अदा किया था तो वहीं वे इसके निर्देशक भी थे. फिल्म के डायलॉग और गानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया था हालांकि फिल्म फ्लॉप रही थी. राज कपूर ने फिल्म पर ढेर सारा पैसा लगाया था और उन्हें इस फिल्म से बहुत उम्मीदें थी लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई.
राज साहब के साथ इस फिल्म में उनके बेटे ऋषि कपूर ने काम किया था. 17 साल के ऋषि ने अपने पिता का यंग किरदार निभाया था. इसके अलावा सिमी ग्रेवाल, पद्मिनी और एक विदेशी अभिनेत्री सेनिया रेबेंकीना भी फिल्म में अहम रोल में थी. सेनिया रेबेंकीना ने अपनी खूबसूरती से दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया था.
सेनिया रेबेंकीना को बॉलीवुड के दर्शक आज तक नहीं भूले है. चाहे उन्होंने बॉलीवुड छोड़ दिया हो फिर भी. आज हम आपसे इस लेख में सेनिया रेबेंकीना के बारे में ही बात करेंगे.
फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के समय सेनिया करीब 24 साल की थी जबकि अब वे 76 साल की हो चुकी हैं. सेनिया का जन्म रूस के मास्को में 4 सितंबर 1945 को हुआ था.
रशियन अभिनेत्री सेनिया को भी फिल्म में दर्शकों ने काफी पसंद किया था. पांच दशक के बाद अब सेनिया का लुक पूरी तरह बदल चुका है.
इंटरनेट पर सेनिया की कई तस्वीरें वायरल है. कुछ तस्वीरों में वे राज कपूर सहित हिंदी सिनेमा के अन्य कई कलाकारों के साथ नजर आ रही हैं.
सेनिया को आज भी अपनी फिल्म 'मेरा नाम जोकर' याद है. वे अपने साथ काम करने वाले कलाकारों और अन्य बॉलीवुड सेलेब्स को भी नहीं भूली हैं.
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Hindustan Tractors
उद्योग मंत्री श्री बा
अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी प्राज्ञा से प्रस्ताव* करता हूं :
" कि जन साधारण की भावश्यकताओं की पूर्ति के लिये अत्यावश्यक माल का उत्पादन जारी रखना सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिये हिन्दुस्तान ट्रैक्टर्स लिमिटेड, विश्वामिती, बदोदरा के उपक्रमों के भर्जन मौर चन्तरण का तथा उससे सम्बन्धित था उसके भानुथंगिक विषयों का उपबन्ध करने वाले विधेयक पर विचार किया जाये।"
इस विधेयक पर विवाद की कोई गुजाइश हो, ऐसा मुझे नहीं लगता है।
DR. VASANT KUMAR PANDIT (Rajgarh ) : Sir, on a point of information.
The matter in sub judice, it is already in the court and applications have been made......
Ltd. (etc. stc.) Bilu
चलाते हुए इसकी स्थिति में काफी सुधार करने में कामयाबी पाई है। जिस साल इसको सरकार ने अपने ताबे में लिया उस साल इस कारखाने में कुल 80 लाख रुपया का घाटा था। पिछले साल उस घाटे को लगभग 8 लाख पर लाने में गुजरात एग्रो इण्डस्ट्रीज कारपोरेशन को कामयाबी मिली। और इस साल पहली बार कई वर्षों के बाद यह कारखाना मुनाफा दिखायेगा, ऐसा प्रदाज है। भुनाफा बहुत ज्यादा नहीं होगा लेकिन लगभग एक लाख रुपए का मुनाफा इस साल पहली बार इस कारखाने को होगा।
MR. SPEAKER: In legislative measures, there is no question of sub judice at all. The Parliament is supreme.
बीमार अवस्था मे इस कारखाने को सरकार ने लिया था, जिस तरह से दूसरे बीमार उद्योगो को सरकार को लेना पड़ता है। इस कारखाने को लेने से पहले इस की जाच हुई थी, जिस तरह से दूसरे कारखानी की जांच होती है और उम जाच मे एक बात यह भी दिखाई दी कि इस कारखाने को जिस तरह मे चल या जा रहा था, वह ठीक नही था । इस तरह की स्थिति इस देश से हर रोज दिखाई देती है कि कारखाने को चलाने का ढग ठीक न होने के कारण उसमें बीमारी या जाती है और इसमे सबसे ज्यादा अगर किसी को परेशानी होती है, तो वह मजदूरी के साथ होती है। मगर कभी-कभी हमारे सामने ऐसी समस्या भी खडी हो जाती है कि अगर किसी बीमार उद्योग को ले लिया जाय और उसके बाद सब लोगों की मेहनत के चलते, जिसमे मजदूरो का सबसे ज्यादा योगदान होता है, उस कारखाने को सुधारने का काम सफल हो जाये, तो पांच साल के पूरे होते ही जो पुराने मालिक होते है, वे फिर भागे मा जाते है मोर कहने लगते है कि अब कारखाना ठीक से चलने लगा है, हम भी अब इसको ठीक से चला मकते हैं, लेकिन इस मामले में अनुभव कुछ और ही होता है। जो सदन में उस तरफ़ बैठने वाले लोग है, वे भी ऐसा कर चुके हैं और हम भी कर रहे है। इसलिये जब मै इस विधेयक
भी जार्ज फर्नानडिसः मैं जैसा कह रहा था, यह ऐसा विधेयक है जिस पर कोई खास विवाद की गुंजायश नहीं है। 1973 के मार्च में भाई० डी० भार० ऐक्ट के अन्तर्गत, हिन्दुस्तान ट्रैक्टर्स जो बड़ौदा में कारखाना है, ट्रैक्टर बनाने वाला, उसको सरकार ने अपने हाथ में लिया था और गुजगत एग्रो एण्डस्ट्रीज कारपोरेशन, जो सरकारी क्षेत्र में बनी हुई संस्था है उस संस्था के हाथा मे इसको चलाने की जिम्मेदारी दी थी। उसके बाद अब पांच साल पूरे हो रहे हैं। इन पाच सालों में गुजरात एग्रो इण्डस्ट्रीज कारपोरेशन ने इस कारखाने को
*Moved with the recommendation of the President.
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मेष राशि- मंगल ने मेश राशि के तीसरे भाव में गोचर किया था। ऐसे में नौकरी पेशा करने वाले जातकों को तरक्की मिलने के योग हैं। छात्रों के लिए समय अति उत्तम है। भाई-बहनों का साथ मिलेगा।
सिंह राशि- सिंह राशि के एकादश भाव में मंगल ने प्रवेश किया था। इस दौरान आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। निवेश से लाभ मिलेगा। प्रॉपर्टी में निवेश के योग बनेंगे। वाहन या भवन सुख की प्राप्ति हो सकती है।
कन्या राशि- कन्या राशि के दशम भाव में मंगल ने गोचर किया था। आने वाले तीन दिनों में आपका आर्थिक पक्ष मजबूत हो सकता है। नौकरी में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
मकर राशि- मकर राशि के छठवें भाव में मंगल ने प्रवेश किया था। आने वाले तीन दिनों में आपको शुभ समाचार मिल सकता है। नौकरी में तरक्की के योग हैं। व्यापारियों के लिए समय अच्छा है।
मीन राशि- मीन राशि के चतुर्थ भाव में मंगल ने प्रवेश किया था। इस दौरान आपको आकस्मिक धन लाभ हो सकता है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को तरक्की मिलेगी। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को सफलता हासिल होगी। वाद-विवाद से बचें।
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कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश को झारखंड ही ऑक्सीजन दे रहा है.
देशभर में कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही है. भारत में रोजाना 3 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. भारी तादाद में सामने आ रहे कोरोना के नए मामलों की वजह से देशभर में ऑक्सीजन (Oxygen) की भारी किल्लत हो रही है. इसी बीच झारखंड (Jharkhand) से एक हैरान कर देने वाली खबर आ रही है. देश के 6 राज्यों को ऑक्सीजन देने वाले झारखंड के लोग बिना ऑक्सीजन के मर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड में खपत के मुकाबले सात गुना ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, इसके बावजूद राज्य के मरीज ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.
झारखंड में सिलेंडर की भारी किल्लत झारखंड के मौजूदा हालातों को देखते हुए हाहाकार मचा हुआ है. बता दें कि कोरोना संकट के बीच राज्य में रोजाना औसतन 525 टन ऑक्सीजन बनाई जा रही है, जबकि यहां औसतन खपत सिर्फ 62 से 70 टन है. बताया जा रहा है कि झारखंड से सामने आ रहे ऑक्सीजन संकट की मुख्य वजह सिलिंडर की कमी है. राज्य में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो ऑक्सीजन सही समय पर रिफिलिंग यूनिट भी पहुंच रहा है. हालांकि, रिफिलिंग यूनिट में सिलेंडरों की भारी कमी की वजह से मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा. ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए सिलेंडरों की भारी किल्लत को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से 17000 सिलेंडर की मांग की है.
यूपी, बिहार समेत इन राज्यों को ऑक्सीजन दे रहा है झारखंड कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश को झारखंड से ही ऑक्सीजन दी जा रही है. इनके अलावा झारखंड अब महाराष्ट्र को भी ऑक्सीजन की सप्लाई करेगा. झारखंड में कुल पांच कंपनियां ऑक्सीजन का उत्पादन करती हैं. ये कंपनियां हवा से लिक्विड ऑक्सीजन बनाती हैं. जिसके बाद राज्य में काम करने वाली 20 कंपनियां इस लिक्विड ऑक्सीजन को गैस में तब्दील कर सिलेंडरों में भरती हैं. जिसके बाद ये ऑक्सीजन सिलेंडर मरीजों और अस्पतालों में भेजे जाते हैं.
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यूपी में कल से तीसरे चरण का मतदान होने जा रहा है जिसमे बहुसंख्यक समाज के वोटर वोट डालने जरूर जाए इसके लिए लोक जागरण मंच और जागरूक मतदाता मंच के कार्यकर्ता घर घर जाकर उन्हें प्रेरित कर रहे है। यूपी में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो में वोट प्रतिशत हमेशा से ज्यादा रहा है।
हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रो में बहुत से वोटर घर से वोट डालने नही निकलते। जिसे लेकर दो संस्थायों ने पूरे उत्तर प्रदेश में चिंता जताई है और हर मतदान केंद्र में हिन्दू वोटर को वोट देने के लिए घर घर जाकर ये आह्वान किया जा रहा है। इस प्रदेश को गुंडों माफिओ से बचाए रखना है,अपनी माताओं बहनों को सुरक्षित रखना है तो उन्हें जाकर वोट देना चाहिए।
बता दें कि लोक जागरण मंच के कार्यकर्ता वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश में लगे है। इनके द्वारा 25 मुद्दे पर आधारित एक पत्रक भी घर घर दिया जा रहा है जिसमे बताया गया है कि आपका वोट इन मुद्दों पर क्यों जरूरी है। लोक जागरण मंच के पत्रक में बिजली पानी गैस शौचालय मकान कानून व्यवस्था आदि का जिक्र किया गया है। मंच ने ये भी अपील की है कि जो पार्टी हमारे धर्म स्थलों का संरक्षण करे उसे ही वोट दें।
वहीं जागरूक मतदाता मंच शहरों कस्बो में प्रबुध्दजनो की बैठके करके आमंत्रित लोगो को ये अनुरोध कर रहा है कि वोटिंग बेहद जरूरी है और यदि ऐसा नही हुआ तो फिर से यूपी में दंगाईओ को संरक्षण देने वाली सरकार आगयी तो इस राज्य का भविष्य क्या होगा? इससे पहले लोक जागरण मंच उत्तर प्रदेश में नागरिक संशोधन बिल पर जागरूक अभियान चला चुका है।
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सुशांत सिंह राजपूत का केस दिन पर दिन और भी ज्यादा उलझता जा रहा है। मुंबई के बाद अब सुशांत का केस बिहार में भी चल रहा है क्योंकि बीते दिनो सुशांत सिंह के पिता ने बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के खिलाफ केस दर्ज कराई थी। जिसके बाद अब इस मामले में रिया चक्रवर्ती के साथ साथ उनके भाई शोवित चक्रवर्ती भी घिरते जा रहे हैं। अब इस मामले में ED ने रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शोविक चक्रवर्ती के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। जी हा सुशांत सिंह मामले में अब शक की तलवार दोनों भाई बहन पर लटकती नज़र आ रही है।
जहां इस मामले में बिहार पुलिस की ओर से दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह की शिकायत पर बॉलीवुड अभिनेता रिया चक्रवर्ती के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद अब ED ने भी राज्य पुलिस से मामले का ब्योरा मांगा है। ईडी के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने 14 जून को आत्महत्या करने वाले दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता के 25 करोड़ रुपये के बैंक लेनदेन को समझने के लिए एफआईआर की जानकारी मांगी थी।
सूत्रों से जानकारी मिली थी कि बिहार पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की जानकारी लेने के बाद, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने पर निर्णय लेगी. अब आगे देखने वाली बात होगी की आखिर दोनों भाई बहन पे अब कौन सा केस दर्ज होता है.
वहीं बात करे सुशांत सिंह राजपूत के बैंक स्टेटमेंट की तो सुशांत के बैंक स्टेटमेंट से काफी सारे नए खुलासे हुए है। बैंक स्टेटमेंट के हवाले से ये दावा किया जा रहा है कि किस तरह रिया के साथ-साथ उनके भाई पर भी सुशांत के खाते से लाखों रुपये खर्च हुए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत सिंह की मौत से पहले रिया चक्रवर्ती ने कई जगह उनके पैसे खर्च किये। जिन चीजों पर ये पैसे खर्च किए गए, उनमें होटल-फ्लाइट बुकिंग से लेकर मेकअप और शॉपिंग आदि शामिल हैं।
रिया ने अपने भाई के लिए प्लेन टिकट कराया। रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत के बैंक स्टेटमेंट से जाहिर होता है कि रिया ने 81, 000 रुपए सुशांत के अकाउंट से विथड्रॉ किये थे। ये पैसे साल 2019 में अक्टूबर के महीने में रिया और उनके भाई की प्लेन टिकट के लिए निकले थे। साथ ही उस वक्त उनके साथ दो और लोग थे।
महंगे होटल का खर्चा, साथ ही सुशांत ने न सिर्फ रिया के भाई की फ्लाइट टिकट कराई बल्कि उसका मुंबई के एक होटल में रहने का खर्च भी उठाया। उस वक्त सुशांत ने 4,72,975 का बिल चुकाया था। यह ट्रांजेक्शन भी सुशांत के अकाउंट स्टेटमेंट में मेंशन है।
'जारा' से की गई हजारों रुपए की शॉपिंग रिया ने सुशांत के पर्सनल आकाउंट से 35000 रुपए जारा से शॉपिंग करने के लिए निकाले थे। इसके अलावा 5 लाख रुपए और निकाले गए थे।
हेयर स्टाइल और मेकअप पर भी खर्च रिया ने अपनेपर्सनल खर्च भी सुशांत सिंह राजपूत के अकाउंट से ही जोड़े। अपने हेयर और मेकअप सामान के लिए सुशांत के अकाउंट से 40,000 रुपए निकाले। इसके अलावा पर्सनल सामान के लिए रिया ने सुशांत के अकाउंट से 1 लाख रुपए निकाले।
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चंडीगढ़, 3 फरवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा के भूना स्थित सहकारी शुगर मिल के कर्मचारियों को राज्य की खट्टर सरकार ने बड़ी राहत दी है। पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय इन कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। अब सरकार ने इन कर्मचारियों को प्रदेश की दूसरी शुगर मिलों व सहकारी संस्थाओं में उपलब्धि रिक्त पदों पर नियुक्ति देने का फैसला लिया है। इन कर्मचारियों के लिए पदों का पुनः सृजन भी होगा। सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इन कर्मचारियों के लिए राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ़ बनवारी लाल व हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला कई दिनों से प्रयास कर रहे थे। सीएम की मंजूरी के बाद दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करके उनका अभिनंदन किया। सहकारिता मंत्री डॉ़ बनवारी लाल ने कहा कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृति 31 दिसंबर, 2025 तक होनी है और जो किसी भी पद की योग्यता पूर्ण नहीं करते हैं, ऐसे 159 कर्मचारियों को सहकारी चीनी मिलों में रिटेनरशिप के आधार पर रखा जाएगा। शेष स्थाई 18 कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।
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दुखी वनाती है । मन आया, जिसे चाहा, नरक की अग्नि मे झोक दिया, जिसे चाहा, स्वर्ग के सिहासन पर बैठा दिया !
जैसा कि मेरा चिंतन है, ईश्वर की ऐसो कल्पना करने वालो ने तो ईश्वर को एकदम तानाशाह (डिक्टेटर) के रूप में ही चित्रित कर दिया है। उन्होंने आत्मा का तो बिलकुल ही महत्त्व निक्षेप कर दिया है। किंतु विचारने की बात तो यह है कि यदि आत्मा के अदर सुखदुःख के वोज नही हो, तो उसमे सुख-दु ख के पौधे उग किस प्रकार सकते हैं ? और यदि उसके वीज उसमें विद्यमान है, तो फिर उसका वीजारोपण किया किसने है ? स्पष्ट है, आत्मा मे सुख-दुख के बीज विद्यमान है, और उसका बीजारोपण भी स्वय आत्मा ने ही किया है, तो यह भी निश्चित है कि उसका फल भी वही भोग सकती है ।
जैनधर्म उक्त तथाकथित आत्मा की विवशता एव दीन-हीनता के विरुद्ध आवाज उठाता है । उसको स्पष्ट कथन है
"अप्पा कत्ता विकत्ता य, दुहाण य सुहाण य । १
आत्मा स्वयं ही अपने मुखो और दुखो का कर्ता है और स्वयं ही हर्ता है । कोई भी बाह्री शक्ति उसे सुख या दुख नही पहुँचाती ।
उक्त चर्चा का सार यह है कि जैन धर्म प्रत्येक आत्मा पर यह उत्तरदायित्व डालता है कि तू ही अपने जीवन का अधिष्ठाता है और जात का, अपनी मजिल का स्वयं स्वामी है । तुझे कही से कुछ न तो गिरा प्राप्त होगा, न ही कोई अन्य ही देगा, वल्कि जो कुछ है, यह तेरे अदर ही है । तेरे अंदर की अपनी शक्ति ही है, जो बाह्य गुरु, शास्त्र आदि का निमित्त पाकर जागृत होती है । यदि अदर मे कुछ न हो तो हजार गुरु और हजार शास्त्र मिल जाएँ तब भी कुछ प्रकाश नही प्राप्त होगा ।
वृन्दावन के अपने विहार की एक घटना हमे याद आ रही है । वहाँ जाकर, वहाँ के आर्यसमाज मंदिर का अवलोकन करने का मुझे अवसर मिला । गुरुकुल वडा ही सुन्दर है, सुव्यवस्थित है। वहां के आचार्य ने गुरुकुल को, दर्शन का वडा ही उच्च एव महत्त्वपूर्ण विद्यालय वताया । विद्यार्थियों से परिचय कराने के पश्चात् आचार्य ने
१. उत्तराध्ययन सूत्र
मुझसे आग्रह किया कि मैं उन विद्यार्थियों से कुछ पूछ । मुझे पूछना ही पड़ा । मैंने पूछा विद्यार्थीगण, आपलोग यह तो बताइये कि यहाँ पर आप लोगो का आना क्यों हुआ है ? किसलिए हुआ है? कुछ વેર तक सन्नाटा छाया रहा । फिर उनमे से एक विद्यार्थी ने उठकर उत्तर दिया कि हम सब ज्ञान प्राप्त करने के लिए यहाँ आए है । इस पर मैंने कहा आप दर्शन के अभ्यासी है, आपका उत्तर तो कुछ और होना चाहिए था । यह उत्तर तो गली-मोड पर के हर स्कूल के हर विद्यार्थी से मुना जा सकता है। आपके उत्तर का अर्थ तो यही हुआ। कि गुरुकुल मे ज्ञान का कोई विशेष कोष या संग्रह है, जिसे आप उसी तरह मे लेने आए है, जैसे कि बाजार से कोई सामान खरीदना हो । से ज्ञान प्राप्त किया जाता है यदि ऐसा कहा जाए, तब तो गुरु का अपना ज्ञानकोष एक दिन रिक्त हो जाएगा और गुरु एक दिन ज्ञान से शून्य हो जाएंगे । जब मैंने ऐसी शका उठाई, तो आचार्य महोदय कहा ---आपका प्रश्न गहरा है, ये तो पुस्तक लेते है, शब्द रटते है और परीक्षा दे देते है, बस, इनका विद्याव्ययन का कार्य समाप्त हो गया । आप ही इन्हे समझाइए कि वास्तविक वस्तुस्थिति क्या है इस पर मैंने कहा कि भारतीय दर्शन कहता है कि 'ज्ञान आत्मा का गुण है ।' जब ऐसा है, तो क्या गुग्ण और गुणी कही अलग-अलग होते हैं ? अग्नि और उष्णता को क्या एक-दूसरे से अलग किया जा सकता है ? नहीं । उन दोनो का नादास है । इसी प्रकार आत्मा का ज्ञान गुण भी आत्मा का अपना निज का है। यदि इसमे एक-दूसरे की लेने-देने की बात हो, तो गुण और गुणी मे भेद हो जाएगा और यह और ज्ञान क्रय-विक्रय एव अदला-बदली की वस्तु बन जाएगा । ज्ञान आत्मा का गुण है और वह उसी व्यक्ति का अपना है, दूसरे का नही हो सकता 1 वह जान एक प्रकार से क्षायोपगम से प्राप्त होता है । अध्ययन-चिन्तन-मनन से उसे विकसित किया जा सकता है, किन्तु किसी दूसरे से उपहार या उवार नहीं लिया जा सकता । पत्थर को हजागे वर्ष तक भी प्रवचन सुनाया जाए, तो भी उसे ज्ञान प्राप्त नही हो सकता, क्योंकि वह जड है, उसमे मूलत ज्ञान-गक्ति नहीं है । भगवान् को वाणी या गुरु की वाणी तो निमित्त मात्र है । जैसा जिसका आयोपशम होता है, वैसा ही उनका विकास होता है ।
आज के जैन एव जैनेतर प्राय सभी ज्ञान के लेने देने की बाते करने है । परन्तु आत्मा के क्षेत्र मे सौदेवाजी जैसी कोई चीज नहीं है, सभी के पास अपना ज्ञानरूप शास्त्र और सूत्र है । बाहर मे लिखा हुआ था मुना हुआ शास्त्र एव सूत्र तो जड है, पुद्गल है, उनमे ज्ञान का अंग कहाँ से आ सकेगा ? ज्ञान का अधिष्ठान आत्मा स्वय है, और ह्रएक आत्मा मे उतनी ही शक्ति है, उतना ही ज्ञान है, जितना भगवान् महावीर की आत्मा मे था । बस उस शक्तिरूप गुप्तज्ञान का सम्पूर्ण विकास ही तो आत्मा का शुद्ध निर्मल रूप है ।
वातावरण और परिस्थितियों के कारण आत्मा की मूल शक्तियों मे विकास और ह्रास होता रहता है। आज का धर्मात्मा कल बडे-सेवडा दुराचारी और हत्यारा बन सकता है तथा एक कुख्यात दुराचारी और हत्यारा सदाचारी भी बन सकता है । यह तो जीवन की उछाल है, वहाव है । व्यास भाप्य मे ठीक ही कहा गया है
"चित्त नदी उभय तो वाहिनी । बहुति कल्याणाय, बहति पापाय च ।।"
धाराएँ दोनो मार्गो को बहती हैं - अच्छे मार्ग से भी और बुरे मार्ग से भी । जिधर इसको मोड दिया, उधर ही बह चली । नदीपण जँसे समृद्धि और वैभव मे पलने वाले युवक अनेक सुन्दरियो का परित्याग करके साधु वने, कठोर तपस्या की धूनी रमा कर बैठ गए । परन्तु आगे चलकर एक वेश्या के पोहपाश मे फँस गए, वह भी सामान्य-सी स्थिति मे ! कथाकारो ने भले ही उनकी इस दुर्बलता पर परिस्थितियो का आवरण डालने की चेष्टा की हो, कितु आवरण इतना झीना है कि इसके पीछे नदीपण की आसक्ति और मानसिक दुर्बलता स्पष्ट झाँक रही है । वह बघनो मे फँसा, उसका ज्ञान सुप्त हो गया । और फिर वारह वर्षों के वाद, जगा तो इतने वेग से जगा कि सभी वधनो को, सभी कषायो को तोडकर प्रभु के चरणो मे जा पहुँचा । और तव, वह साधना मार्ग पर इतनी तेजी से बढ़ा कि अपने अनेक साथियो को पीछे छोड़कर बहुत आगे निकल गया ।
जैन दर्शन की, अत यह प्रक्रिया रही है कि वह प्रत्येक आत्मा मे विराट् शक्ति का दर्शन करता है, प्रत्येक बीज मे विशाल वृक्ष का अस्तित्व झाँकता है । आत्मा का भटक जाना स्वभाव नहीं है, वह तो
पर-भाव है। पर-भाव अनादिकाल मे ठोकरें खाता रहा है । परन्तु वह पर-भाव से सदा ठोकरे खाने के लिए नहीं है । स्व-भाव-सूर्य क चमकने पर प-र्भाव का अवकार छिन्न-भिन्न हो जाता है, ओर आत्मा मे शक्तिरूपेण स्थिति ईश्वरत्व पूर्णरूपेण प्रकाशमान हो जाता है। क्षायोपगामिक स्थित जान आगम एत्र शास्त्रो की सीमाओं को लाँघ कर प्रतिपूर्ण अनन्तरूप हो जाता है ।
अभिप्राययह है कि जैन धर्म का सिद्धान्त स्वय मे अद्वितीय है, बडा ही महत्त्वपूर्ण है । इसके अनुसार साधक को अपने आप मे पूर्ण सक्षम एव सवल होना है। उसे ईश्वर का चिंतन लेकर चलना है परन्तु अपने जगत् का निर्माण करने के लिए स्वय ईश्वर बन जाना है, किसी अन्य ईश्वर के भरोसे गाडी नही खिचनी है ।
हम देखते हैं कि इस जीवन के सारे सुख-दुख की साधना का केन्द्र आत्मा ही है । कोई इस कथन का अर्थ यह न समझे कि बाहर की चीजे नहीं हैं। बाहर की चीजें है और उनसे भी एक हद तक आत्मा प्रभावित होती है, परन्तु उन्हे जैन धर्म निमित्त मात्र मानता है । कहना यह है कि यदि तेरी तैयारी है, तो निमित्त मिल रहा है और काम वन रहा है, परन्तु यह नहीं है कि निमित्त से ही काम बन रहा है, तू निमित्त को कुछ समझ, परन्तु सव कुछ मत समझ ।
यदि निमित्त से ही काम बनता होता, तो गोशालक और जमालि क्यो भटकते फिरे होते ? एक ओर गौतम और सुधर्मा जैसे साधक भगवान् की सेवा मे पहुंचते हैं और अनेकानेक दूसरे सावक जाते है और अपने जीवन का निर्माण करते हैं । किन्तु दूसरी ओर, जमालि भगवान् के पास गया और वहाँ रह कर तथा जीवन का महान प्रकाश पाकर भी भटकता रहा । यही हान गोगालक का भी हुआ कि वह भी भगवान् से कुछ न पा सका ।
साधक की भूमिका :
दूसरे, यहाँ छोटी-छोटी बातो को लेकर सघर्ष होते जाते है । मूर्तिपूजा को लेकर भी हम आपस मे लड पडते हैं, किन्तु हम यह कहते है कि मूर्तिपूजा की बात तो किनारे रही, जिनकी मूर्ति है, वह स्वय क्या करने है ? यह तो साधक को अपनी योग्यता का प्रश्न है । जब
वम का नामत्त और उपादान
तक साधक की भूमिका उच्च नही बनती और उसकी प्रवृत्तियो का क्षायोपशम नही होता, तब तक साक्षात् भगवान् भी उसका कुछ बना नही सकते । वना सकते होते, तो भगवान् ऋषभदेव ने मरीचि का, जो समवसरण में दुनियाँ के सामने वडी गडवडी करता रहा और अपने आपको पतन के पय की ओर अग्रसर करता रहा, कल्याण क्यो नही कर दिया ? केवल जान जैसी कोई दूसरी स्थिति नही हो सकती और समझाने की कोई कला ऐसी नही जो गेप रह गई हो, किन्तु जिसकी भूमिका ही नही रही है, उसका कल्याण वे करे तो कैसे करे ? एक दो वर्ष के बालक से यदि कहा जाए कि मन भर बोझ उठाले, तो यह कैसे सम्भव है ? यहाँ तो योग्यता का प्रश्न है ।
अतएव इस रूप मे जो बात में कह रहा हूँ, वह यह वस्तु प्रमुख नहीं है, बल्कि प्रमुख वृत्ति है उसका मूल अर्थ यही है कि निमित्त तो मिलना ही चाहिए । निमित्त मिलने पर ही कुछ होता है अत हमको उसका स्वागत करना चाहिए, किन्तु निमित्त को ही सब कुछ मान लेना और यह मान लेना कि निमित्त से ही हमारा कल्याण हो जाएगा, ठीक नहीं हैं । हमारा कल्याण तो उपादान के द्वारा ही होगा । उपादान को भुला कर केवल निमित्त को ही हम सब कुछ मान बैठेगे, तो जैन धर्म के सिद्धान्त को हम ठेस पहुँचाएँगे और अपना अकल्याण कर बैठेंगे।
यहाँ प्रश्न यह उठता है कि वस्तु और व्यक्ति मुख्य है अथवा मनुष्य की वृत्तियाँ मुख्य है ? इस प्रश्न के उत्तर मे यह कह चुका हूँ कि वृत्तियाँ मुख्य है । जब-जब हमने वृत्ति को स्थान नहीं दिया और व्यक्ति को या वस्तु को ही महत्त्व दिया, तभी जैन धर्म मे उलझनें पैदा हो गई और अनेकानेक गुत्थियाँ हमारे सामने आ गई ।
अनेकान्त एवं एकान्तः
हमारे यहाँ तीन तरह मे प्रश्न चलते है ।
कोई साधु है, यदि वह किसी के यहां गोचरी के लिए गया, तो गृहस्थ ने साधु को दान दिया और यद्यपि साधु को आवश्यकता नही है, तब भी देता जाता है । इस विषय मे सार रूप मे एक कहानी प्रचलित है |
24 साल के बल्लेबाज ने 35 गेंदों का सामना किया और 211.42 की जबरदस्त स्ट्राइक रेट से 74 रन बनाए. उसकी पारी में 3 चौके और 7 छक्के शामिल रहे.
वो पूरे जोश में था. उसके जोश के आगे विरोधी टीम के होश उड़े थे. उसकी बल्लेबाजी में आग थी. गेंदबाजों को सामने देख उसका मन बस उन पर टूट पड़ने को ललच रहा था. और वो वही कर भी रहा था. विरोधी टीम के हर एक गेंदबाज को 24 साल का एक बल्लेबाज बड़ी बेरहमी से पिट रहा था. विरोधी गेंदबाजों के खिलाफ तांडव करते इस बल्लेबाज का नाम था जॉर्डन थॉम्पसन (Jordan Thompson). ये पूरी कहानी इंग्लैंड में खेले जा रहे T20 ब्लास्ट (T20 Blast) की है, जहां 49 मिनट के आए एक तूफान में पूरी टीम तबाह हो गई.
49 मिनट का ये तूफान कोई नेचुरल नहीं था बल्कि 24 साल के जॉर्डन के बल्ले की देन था. दरअसल, ये वो पूरा समय था, जितने वक्त जॉर्डन ने क्रीज पर खड़े रहकर बल्लेबाजी की थी. T20 ब्लास्ट में ये मुकाबला यॉर्कशर और नॉर्थेम्पटनशर के बीच खेला गया था. मुकाबले में यॉर्कशर ने पहले बल्लेबाजी की और 20 ओवर में 3 विकेट पर 224 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया.
यॉर्कशर को इस स्कोर तक पहुंचाने उसके ऑलराउंडर जॉर्डन थॉम्पसन की बड़ी भूमिका रही थी. उन्होंने 49 मिनट तक बल्लेबाजी की. इस दौरान 35 गेंदों का सामना किया और 211.42 की जबरदस्त स्ट्राइक रेट से 74 रन बनाए. जॉर्डन की इस पारी में 3 चौके और 7 छक्के शामिल रहे. यानी 54 रन उन्होंने सिर्फ चौके -छक्के से 10 गेंदों पर जड़े. तीन दिनों में ये दूसरी बार था, जब जॉर्डन थॉम्पसन अपनी टीम की जीत के नायक बने थे. इससे पहले उन्होंने 23 जून को 66 रन की नाबाद पारी खेलते हुए यॉर्कशर की जीत पक्की की थी.
अब बारी थी नॉर्थेम्प्टनशर के रनचेज की. वो करने तो उतरी पर लक्ष्य इतना बड़ा था कि सफल नहीं हो सकी. टीम ने 82 रन पहले ही दम तोड़ दिया. पूरी टीम 19.3 ओवर में 142 रन बनाकर ढेर हो गई. जॉर्डन ने बल्ले से रंग जमाने के बाद इस मैच में गेंद से एक विकेट भी लिया. और इस तरह खुद के मैन ऑफ द मैच बनने की दावेदारी को पुख्ता किया.
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मीरापुर। पूर्व विधायक के बाग मे विशालकाय अजगर निकलने से हडकम्प मच गया। ग्रामीणो की सूचना पर मौके पर पहुंची वनविभाग की टीम ने बडी मशक्कत कर अजगर को काबू मे किया।
मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश चन्द तितोरिया के बाग की देखभाल कर रहे बाग ठेकेदार व कुछ अन्य ग्रामीणो मे उस समय हडकम्प मच गया कि जब उन्होने बाग मे विशालकाय अजगर को देखा।
अजगर को देखकर उन सभी के होश फाख्ता हो गए। और देखते ही देखते आसपास के खेतो मे काम कर रहे दर्जनो ग्रामीण तमाशबीन बन मौके पर एकत्रित हो गए।
ग्रामीणो ने इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियो को दी। मामले की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम बाग मे पहुंची तथा काफी मशक्कत कर विशालकाय अजगर को काबू मे किया व अपने साथ ले गए।
यह मामला आज दिनभर ग्रामीणो के बीच चर्चा का विषय बना रहा।
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कुछ दिनों पहले ही नए साल 2016 की शुरूआत हुई है, और हम आपको याद दिलाने आ गए हैं कि इस साल कौन से ख़ास स्मार्टफोंस लॉन्च होने वाले हैं जो आपको काफी पसंद आयेंगे. . . हालाँकि यहाँ जो लिस्ट जारी की जा रही है. उसमें जो फोंस दिखाए गए हैं वह महज़ भारत में शायद ही लॉन्च किये जाएँ लेकिन कुछ समय के इंतज़ार के बाद इन्हें भारत में जरुर लॉन्च किया जाएगा. आइये जानते हैं इन स्मार्टफोंस के बारे में जो आने वाले कुछ ही समय में लॉन्च होने वाले हैं शानदार फीचर्स और स्पेक्स के साथ. . . आगे की स्लाइड्स में आप इन स्मार्टफोंस के बारे में जान सकते हैं.
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नहीं कि उन दोनों का अस्तित्व ही नहीं है । यथार्थ में वह फूलों और इमारत का आधार है । खैर थोड़ी विचार शक्ति और विवेक द्वारा तुम भी इनके अस्तित्व और महत्ता को समझ लोगे । यदि इतना भी कष्ट नहीं उठाओगे तो यह बात तुम्हारे ध्यान से निकल जायेगी । विचार शक्ति और अन्वेषण द्वारा तुम इस धागे तक पहुँच जाओगे जो माला को सँभाले है और नींव बनकर पृथ्वी में छिपा है । आधेय को देखकर आधार के अस्तित्व को अस्वीकार नहीं करना चाहिए । अस्वीकार करने से तुम सत्य को खोकर भ्रम को ही कसकर पकड़ लेते हो । विचार शक्ति से अच्छे-बुरे की पहचान करके विश्वास और अनुभव प्राप्त करो ।
दृश्य का आधार अदृश्य होता है । अदृश्य को समझने का श्रेष्ठ उपाय अन्वेषण है और श्रेष्ठ प्रमाण अनुभव है । जिनको अनुभव हो चुका है उन्हें वर्णन की आवश्यकता नहीं है । माला के प्रत्यके दाने के स्वभाव व गुण को जानना महत्व नहीं रखता है, इनसे हमारा ध्यान विचलित नहीं होने देना चाहिए । इसके बदले अपने आन्तरिक सत्य अर्थात् दोनों के आधार पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । यही आवश्यक अन्वेषण है । माला में विभिन्न प्रकार के फल क्षुद्र ( तामसिक जीव), चटकीले ( राजसिक जीव ) और सुन्दर व शुद्ध ( सात्विक जीव) रहते हैं। लेकिन धागा व आधार, अर्थात् परमात्मा इन सब से स्वतन्त्र रहता है । वह अप्रभावित है व सत्य, नित्य और निर्मल है ।
धागे के बिना फूल जिस प्रकार मला नहीं बन सकते उसी प्रकार ब्रह्म के बिना प्राणियों के मध्य ऐक्य नहीं हो सकता । प्रत्येक वस्तु और तत्व में ब्रह्म समाया हुआ है और इन दोनों को अलग नहीं किया जा सकता है । पंचतत्व इसका ही प्रत्यक्षीकरण है । यही अन्तर्वर्ती प्रेरणा है जिसे बाह्य दृष्टि वाले नहीं देख पाते हैं। दूसरे शब्दों में यही अन्तर्यामी है। इसलिए कृष्ण ने कहा, "मैं जल में रस हूँ, मैं सूर्य व चन्द्र में प्रभा हूँ, मैं वेदों में प्रणव हूँ, आकश में शब्द हूँ; मैं ही मानव में पौरुष ( पराक्रम, साहस और प्रेरणा ) हूँ ।
अब पूर्व निर्देशित प्रणव के विषय पर ध्यान दो । कृष्ण ने कहा, "प्रणव तो वेदों का जीवन ही है, हैन ? वेदों को "अनादि या आरम्भ-रहित माना जाता है " । प्रणव वेदों का प्राण वायु माना जाता है जो स्वयं सब आरम्भ से परे हैं । इससे जान लो कि प्रणव विश्व के प्रत्येक कण और वस्तु का सूक्ष्मसार और छिपा
स्वरूप है ।
विश्व की प्रत्येक वस्तु के दो हिस्से हैं-- नाम और रूप । इन दोनों को हटा देने से प्रपंच या विश्व नहीं रहेगा । रूप नाम से उत्पन्न और नियंत्रित है, रूप नाम पर निर्भर है । कौन अधिक स्थायी है, यह जानने के लिए विवेक-बुद्धि से मालूम करोगे तो नाम नित्य और रूप अनित्य है, यह जान जाओगे । उन लोगों के बारे में सोचो जिन्होंने बहुत से अच्छे कार्य किये, चिकित्सालय और स्कूल, मन्दिर या अन्य देवालय बनाये, अब जबकि उनका रूप संसार में नहीं है फिर भी उनसे सम्बन्धित नाम सब लोगों को याद है । ठीक है न ? रूप तो अस्थायी लेकिन नाम स्थायी रहता है ।
असंख्य नाम हैं और उतने ही रूप हैं लेकिन एक बात का तुम्हें ध्यान रखना है जो सबके लिए, पंडित से लेकर मूर्ख तक के लिए, प्रतिदिन अनुभव में आने वाली है । हिन्दी और तेलुगु में ५२ अक्षर हैं, अंग्रेजी में २६ हैं । यदि तुम हिन्दी या तेलुगु या अंग्रेजी के साहित्य का पूरा पहाड़ चुन दो फिर भी यह सब साहित्यिक रचनाएँ हिन्दी और तेलुगु के ५२ या अंग्रेजी के २६ अक्षरों के ही आधार पर बनी होंगी । इससे एक भी अक्षर अधिक कहीं नहीं मिलेगा ।
इसी तरह मनुष्य के शरीर में ६ नाड़ी केन्द्र होते हैं जिनकी आकृति कमल के फूल की तरह होती है । इनकी प्रत्येक पंखुड़ी से एक शब्द या ध्वनि सम्बन्धित है । हारमोनियम की रीड की तरह जब पंखुड़ियॉ हिलती हैं तब प्रत्येक से एक अलग ध्वनि निकलती है । इस कथन को जो बुद्धिपूर्वक समझने का प्रयत्न करेंगे उन्हें एक संदेह होगा-- 'यदि पंखुड़ियाँ हिलती हैं तो उन्हें कौन हिलाता है ?" हाँ 1 जो शक्ति इन्हें हिलाती है। वह अनहद ध्वनि है, पता भी न चले इतनी सूक्ष्म ध्वनि है जो बिना प्रयत्न के सचेत इच्छा की अपेक्षा किए बिना ही उत्पन्न होती है । यही प्रणव है । माला के मनकों की तरह सब शब्द व उनसे निकली ध्वनियाँ प्रणव में गॅथी हुई हैं। भगवान् के कथन--"वह वेदों में प्रणव है" का अर्थ यही है । कृष्ण की शिक्षा है कि तुम्हें अपना मन प्रणव में, जो कि विश्व का आधार है, लीन कर देना चाहिए ।
मन की एक विशिष्ट प्रवृत्ति है कि वह जिसके भी संपर्क में आता है उसी मे तदाकार हो जाता है और उसी के लिए तरसता है, उद्विग्न और व्याकुल रहता
बारहवाँ अध्याय
है। लेकिन नित्य अभ्यास, 'संयम' और साधना द्वारा इसे प्रणव की ओर ले जाकर और प्रणव में विलीन होने की शिक्षा उसे दी जा सकती है । ध्वनि की ओर तो वह स्वतः ही आकर्षित होगा । इसलिए इसकी सर्प से तुलना की जाती है । सर्प में दो अवगुण हैं । एक तो टेढ़ी चाल और दूसरी बुरी आदत यह कि सम्पर्क में आने वालों को डंक मारना । यही दोनों स्वभाव मनुष्य में भी हैं। जिस वस्तु पर मन फिसलेगा वह उसी को अधिकृत कर लेना चाहता है। और इसकी भी चाल टेढ़ी है । किन्तु सर्प का एक प्रशंसनीय गुण भी है। कितना भी विषैला और घातक होने पर भी बाजीगर की बीन का संगीत सुनते ही वह फन फैलाकर, संगीत की मधुरता में लीन हो अन्य सभी कुछ भूल जाता है ।
इसी तरह मनुष्य भी अभ्यास द्वारा प्रणव के आनन्द में लीन हो सकता है । परमात्मा, जो "वेदों का प्रणच है, यानि वेदों में जो प्रणव है" उस परमात्मा की प्राप्ति का शब्दोपासना ही मुख्य साधन है । परमात्मा केवल शब्द ही है । इसलिए भगवान् ने कहा है कि वह "वह मनुष्य में पौरुष" है । पौरुष यानि जीव शक्ति, यानि मनुष्य की प्राण शक्ति है । इसके बिना मनुष्य पुरुषार्थहीन है । पूर्व जन्मों की शक्ति की खिचावट कितनी भी प्रबल क्यों न हो, उसे पौरुष से उत्पन्न साहस और सफलता की ताकत के सामने झुकना ही पड़ता है । इस शक्ति को न समझने वाले मूर्ख मनुष्य, भ्रम में पड़कर अपने भाग्य को कोसते हैं, अपने प्रारब्ध को कोसते है, उससे डरते हैं और समझते हैं कि उनके प्रभाव से वे बच नहीं सकते ।
पौरुष का प्रयोग तो सभी को करना ही चाहिए । इसके बिना जीवन कठिन है। जीवन संघर्ष है, प्रयत्न है, प्राप्ति है । भगवान् ने मनुष्य को इसलिए बनाय है कि वह "पौरुष" द्वारा सफलता प्राप्त करें । उसकी उत्पत्ति इसलिए नहीं हुई कि मनुष्य खाना खाये, पृथ्वी पर भार बने व पशु की तरह इन्द्रियों का दास बन कर रहे । भगवान् का उद्देश्य आवारा, कठिन कार्य से जी चुराने वाले, बढ़ी चरबी के भयानक आकृति वाले झुंड उत्पन्न करना नहीं था । उसने केवल भोगों को भोगने के लिए ही मनुष्य को नहीं बनाया कि वह जिन्दा रहे, भगवान् के अस्तित्व की परवाह न करे, आत्मा को न माने, पशुओं की तरह घूमे, बुद्धि और विवेक को खोकर भटकता फिरे और भगवान् द्वारा दिए गए सब उपहारों का ऐश और आराम के लिए उपयोग कर तनिक भी भगवान् के प्रति कृतज्ञता न दिखाये । प्रकृति भी |
इस हप्ते थ्रिलर से लेकर कॉमेडी तक के अच्छे ऑप्शन मिलेंगे , जिसे आप घर पर ही अपनी फैमिली के साथ देख सकते है।
New Delhi: ओटीटी प्लैटफॉर्म आज के समय में काम में व्यस्थ लोगों के लिए एंटरटेनमेंट का बड़ा साधन है। अगर आप किसी कारण से सिनेमाघर नहीं जा पाते तो OTT पर आप अपने फेवरेट फिल्मों को एन्जॉय कर सकते है। बड़े बड़े स्टार्स भी अब OTT पर डेब्यू कर रहे हैं। हर महीने OTT प्लैटफॉर्म पर धमाकेदार फिल्मे और वेब सीरीज रिलीज हो रही है। मार्च का आखिरी हफ्ता भी ओटीटी प्लैटफॉर्म पर काफी अच्छा दिख रहा है. इस सप्ताह अलग-अलग ओटीटी ऐप पर कई बड़ी और धमाकेदार फिल्में रिलीज हनेवाली है।
इस हप्ते थ्रिलर से लेकर कॉमेडी तक के अच्छे ऑप्शन मिलेंगे , जिसे आप घर पर ही अपनी फैमिली के साथ देख सकते है।
इंग्लिश कॉमेडी सीरीज इंडियन समर्स हिंदी में आ गई है जो एमएक्स प्लेयर पर 27 मार्च से स्ट्रीम हो रही है। इस सीरीज में ब्रिटिश और भारतीय एक्टर्स लीड रोल में हैं. सीरीज की कहानी 1932 की है.
हॉरर थ्रिलर फिल्म अनसीन :
29 मार्च को नेटफ्लिक्स पर हॉरर थ्रिलर फिल्म अनसीन रिलीज होगी. यह फिल्म थियेटर्स में 7 मार्च को रिलीज की गई थी.
30 मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिवरडेल का छठा सीजन शुरू होगा। यह सुपरनेचुरल हॉरर क्राइम ड्रामा है.
31 मार्च को ओटीटी प्लैटफॉर्म डिज्नी हॉट स्टार प्लस पर सारा अली खान स्टारर फिल्म गैसलाइट रिलीज होनेवाली है। इस फिल्म में उनके साथ चित्रांगदा सिंह और विक्रांत मेसी लीड रोल में हैं.
31 मार्च को जी5 पर सुनील ग्रोवर स्टारर फिल्म यूनाइटेड कच्चे रिलीज होनेवाली है। यह सीरीज ब्रिटेन में ऐसे प्रवासियों की परेशानियां हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाती है जो जरूरी पेपरवर्क के बिना वहां रहते हैं.
कॉपीकैट किलर एक चाइनीज वेब सीरीज है। जिसकी कहानी एक जापानी नॉवल से प्रेरित है. कॉपीकैट किलर नेटफ्लिक्स पर आ रही है.
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करैरा। जिले के करैरा अनुविभाग के अमोला थाना क्षेत्र के सिंध नदी पर बने पुल के नीचे नदी में एक लाश मिलने से सनसनी फेल गई। स्थानीय लोगों ने इस लाश की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुॅचकर लाश को पानी से निकलवाकर पीएम के लिये भिजवा दिया है।
जानकारी के अनुसार आज शाम को अमोला पुल के पास घूमने गये कुछ लोगों को पानी में एक लाश तैरती दिखाई दी। इस लाश की सूचना स्थानीय लोगों ने अमोला पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुॅचकर लाश को पानी में से निकलवाया।
बताया गया है उक्त लाश किसी युवक की है इसकी उम्र 22 से 25 वर्ष बताई जा रही है। उक्त युवक नीले रंग का जिंस पहने हुए है और चौखाने की शर्ट पहना है। यह लाश लगभग तीन दिन पुरानी लग रही है जो पूरी तरह से सड़ गल गई है। खबर लिखे जानेे तक युवक की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
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सहारनपुर। भारतीय किसान यूनियन (तोमर) की माहीपुरा यूनियन प्रदेश उपाध्यक्ष के कार्यालय पर बैठक आयोजित हुई। बैठक में किसानों की समस्याएं तथा संगठन के विस्तार को लेकर विचार विमर्श किया गया। भाकियू (तोमर) के पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाकियू (तोमर) संगठन निस्वार्थ किसानों की सेवा कर रहा है।
संगठन ईमानदारी और कर्मठता के साथ किसान हित में काम कर रहा है। किसानों के लिए कभी भी किसी भी आंदोलन से पीछे नहीं हटा वो चाहे डीएम कार्यालय हो, तहसील हो, बिजली विभाग, हाईवे जाम करने की बात या रेलवे ट्रैक पर बैठने की बात हो हर सम्भव तरीके से किसानों को पूर्ण रूप से संगठन मदद करता रहा है। उन्होंने संगठन के सभी पदाधिकारियों को आदेशित किया कि वह गांव दर गांव जाकर किसानों की समस्याओं को सुने और उन्हे जोरों शोरों से उठाया जाए।
उन्होंने संगठन का विस्तार भी किए जाए पर सभी पदाधिकारियों से आह्वान किया है। प्रदेश उपाध्यक्ष हाजी खालिद ने कहा की संगठन किसी भी तरीके से किसानों को शोषण बर्दाश्त नहीं करेगा। सरकार कोई भी हो हमारा किसी सरकार से विरोध नहीं है, लेकिन जो भी सरकार किसानों का शोषण करेगी संगठन उसका जमकर विरोध करेंगा और किसानों को इन्साफ दिलाने का लगातार काम करता रहेगा।
युवा जिलाध्यक्ष सौरभ त्यागी ने कहा कि मिलों द्वारा बकाया गन्ने का भुगतान नहीं किया जा रहा है समय पर पैसा ना मिलने के चलते किसान अपने दैनिक कार्यों को नहीं कर पा रहे हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन कमजोर होती जा रही है। बिजली विभाग के कर्मचारी किसानों का शोषण करने पर लगे हैं। प्रदेश सरकार किसानों का गेहूं खरीदने के नाम पर घटतौली करा रही है। देश का दुर्भाग्य है कि मैडल जीतकर लाने वाले खिलाड़ियों को धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
बैठक की अध्यक्षता हाजी खालिक ने की तथा संचालन शाकिब ने किया। इस दौरान रहीस मलिक प्रदेश अध्यक्ष यूपी, सहारनपुर जिलाध्यक्ष अभिषेक काम्बोज, हसीब राजा जिला मंत्री, विजय त्यागी जिला सचिव, मिंटू वालिया,पपल चौधरी, यश त्यागी, अमित सैनी, रवि, जमशेद, पंकज, इसराईल, तारिक, इरफान, अरविंद, महेंद्र सिंह, सत्यपाल,आशु, चंद्रकिरण,नफीस,आलीम, अंशुल, पंकज सैनी, राजवीर, विपिन, अरमान,बबलू, महीपाल, रामसिंह, तलवार सिंह, अशोक अनिल कुमार आदि सैकड़ों कार्यकर्ता बैठक में उपस्थित रहे।
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज दिल्ली के द्वारका में सीबीएसई के नए एकीकृत परिसर का शिलान्यास किया।
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज नई दिल्ली के द्वारका में सीबीएसई के नए एकीकृत परिसर का शिलान्यास किया। इस अवसर पर सीबीएसई की अध्यक्ष श्रीमती अनीता करवाल भी उपस्थिति थी।
इस अवसर पर बोलते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने सीबीएसई को नए भवन की नींव रखने के लिए बहुत-बहुत बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई इमारत केवल कंक्रीट की इमारत नहीं होनी चाहिए बल्कि शिक्षा की बेहतरी की दृष्टि का केंद्र होना चाहिए जो इस इमारत के माध्यम से परिलक्षित भी होना चाहिए।
श्री पोखरियाल ने कहा कि भारत एक युवा देश है और सीबीएसई हमारे बच्चों को फिर से दुनिया का नेतृत्व करने के लिए सही दिशा और मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को सही दिशा देने के लिए हम लगभग 33 वर्षों के अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति ला रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आम जनता और उसके हितधारकों से प्राप्त लंबे विचार-विमर्श, सुझावों और टिप्पणियों के बाद एनईपी का मसौदा तैयार किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नई शिक्षा नीति 21 वीं सदी की आवश्यकता के साथ भारतीय संस्कृति और मूल्यों की सच्ची प्रतिनिधि होगी।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री के पर्यावरण को बचाने के विजन के अनुसार, एमएचआरडी मंत्रालय के साथ-साथ हम मंत्रालय से संबद्ध संगठनों और स्वायत्त निकायों में भी एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को रोक रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि एमएचआरडी हमारे देश के हरित वातावरण को बढ़ाने और भावी पीढ़ियों के लिए जल संसाधनों को संरक्षित करने के लिए 1 लीटर पानी प्रतिदिन बचाने के लिए वन स्टूडेंट - वन ट्री अभियान भी चला रहा है। उन्होंने कहा कि छात्र इन अभियानों में उत्साह से भाग भी ले रहे हैं।
बोर्ड ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से अपने संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से बोर्ड ने अजमेर, इलाहाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली पूर्व, दिल्ली पश्चिम, देहरादून, गुवाहाटी, नोएडा, पटना, पंचकूला, पुणे और तिरुवनंतपुरम में 16 क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थापित किए हैं।
दिल्ली में मुख्यालय के अलावा, बोर्ड की प्रीत विहार (दिल्ली) में एक व्यावसायिक परीक्षा इकाई है, दिल्ली के राउज एवेन्यू में शैक्षणिक एवं कौशल शिक्षा केन्द्र और पटपड़गंज में क्षेत्रीय कार्यालय और सीटीईटी इकाई है।
दिल्ली में बोर्ड की विभिन्न शाखाओं / इकाइयों के बीच बेहतर तालमेल बनाए रखने और सीबीएसई संबद्ध स्कूलों की संख्या में वृद्धि के कारण बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए, बोर्ड ने पहले दिल्ली में एक एकीकृत कार्यालय परिसर बनाने का प्रस्ताव दिया था और इसके लिए दिल्ली के द्वारका सेक्टर -23 में दिल्ली विकास प्राधिकरण से तीन एकड़ जमीन का एक भूखंड खरीदा गया था।
बोर्ड का प्रस्तावित एकीकृत परिसर भवन हरित भवन के मानदंडों को पूरा करते हुए एक अत्याधुनिक भवन होगा। भवन परिसर की कुछ विशेष विशेषताओं में कुशल भवन प्रबंधन प्रणाली की स्थापना शामिल होगी जो ऊर्जा संरक्षण की भी सुविधा प्रदान करेगी। सोलर पैनल लगाए जाएंगे जो बिल्डिंग की छत पर होंगे एवं इससे 300 किलोवाट प्रति घंटा बिजली का उत्पादन होगा। भूजल के पुनः उपयोग के लिए भी एक कार्ययोजना प्रस्तावित है। साथ ही एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लान भी नई तकनीक पर बनाया जाएगा। एकीकृत परिसर में शामिल की जा रही ये सुविधाएं पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगी। भवन के डिजाइन में नवीनतम सुरक्षा सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है। 12,000 वर्ग मीटर की यह इमारत लगभग 24 महीने की अवधि में पूरा होने का अनुमान है।
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भगतसिंह दत्त को छुडाने को योजना
न कर सकने से खिन्न है, ऊटपटाग हरक्नें उस से हो रही है। दिल का बुरा नही है । एक घटना में भाग लेकर वह स्थिर हो जायेगा ।"
आजाद, भगवती भाई और मुझे बैठाकर बहुत दर तक विचार करते रहे नि जेल पर आश्रमण भगतसिंह की योजना स किया जाय या मरी योजना से विया जाये। मेरी योजना सेन्ट्रल जेल के फाटव पर उस समय जानमण करने की थी जब भगतसिंह और दत्त वो वचहरी में या रविवार के दिन बोटंल जेल में बन्द साथियों से मुबद्दमे के सम्बन्ध में कानूनी सलाह के लिय ने जाया जा रहा हो । भगतसिंह की योजना थी वि आश्रमण उनके बोस्टन जेल से निकलते समय, जन वे फाटक से निकाल कर लारी में बैठाये जा रह हो, किया जाये । भैया ने मेरी योजना की भूल सुझाई, सन्ट्रल जेल के फाटन पर जेल की गारद अधिक है और 'शेरदिल पुलिस की एक छोलदारी भी है । वाटल जेल वे दरवाज़े पर केवन छ सशस्त्र सिपाही रहते है ।
मुझे बोस्टल जेल के विषय में यह आपत्ति थी कि जैन का फाटक सडक से लगभग सौ गज दूर है। हमारी मोटर जेल ये फाटर की ओर घूमते ही पहरे के सिपाही सतर्क हो जायगे । भगतसिंह और दत्त का जिस समय जेल बस म ले जाया या लाया जायेगा पुलिस वे छ सशस्त्र सिपाही साथ होग। भगत और दत्त को घेरे हुये सिपाहियो पर हम दूर से गोली चलानी पड़ेगी। गोनी भगत औौर दत्त को भी लग सकती है । वोर्स्ट जेल पर पिस्तौल या बम की आहट होते ही सेन्ट्रल जन वे फाटक पर तैनात शेरदिल पुलिस की गारद हमारी ओर दौड पडेगी ।
सेन्ट्रल जेल के फाटव पर आनमण करते समय, भगत और दत्त वे जेत फाटक से निकलते हो एक बम जैल गारद पर और दूसरा वम शेरदिलो की छोलदारी पर फेंक दिया जायेगा । भगतसिंह और दत्त हमारी कार की ओर दौड़ जायेंगे, वमों के एक साथ चलने से भगदड मच जायगी। यदि कोई सिपाही भगत, दत्त का पीछा करेगा तो हमारे पाच आदमी उन्हें पिस्तोला से रोज सकेंगे । शायद हमे सफलता हो जाये । मेन्ट्रल जेल बिन सडक पर है, वहा से दिन भर म सैकडा मोटरें और सवारिया गुजरती है। हमे फाटक की ओर घूमना न पडेगा । हमारे समीप आने से भी जेल वाले सतर्क न होगे ।
भगवती भाई का विचार था कि मैं सेन्ट्रल और बोस्टन जेलो की स्थिति को दूर से देख कर योजना बना रहा है । भगतसिंह उस अवस्था म से प्रतिदिन गुजरता है इसलिये उसका विचार अधिक भरोसे के योग्य है । भगतसिंह की योजनानुसार चलना ही तय हुआ। फिर भगवतो भाई के घटना में भाग लेन का प्रश्न आया। उन्होंने द्रविन स्वर म कहा--"मैं कोई तर्क नहीं दे माना लेकिन चाहता हू कि इस घटना में अवश्य भाग लू । यदि मैं मर भी गया तो |
रेप्को बैंक की स्थापना वर्ष 1969 में श्रीलंका, म्यांमार, वियतनाम एवं अन्य देशों से लौटे लोगों के पुनर्वास में मदद देने के लिए एक सोसायटी के रूप में हुई थी।
इस बैंक की कुल अधिकृत पूंजी 500 करोड़ रुपए है, जिसके एवज में अभिदत्त पूंजी 104 करोड़ रुपए है। इसमें भारत सरकार की 73.33 फीसदी हिस्सेदारी, तमिलनाडु सरकारी की 2.91 फीसदी, आंध्र प्रदेश की 1.73 फीसदी, केरल की 0.59 फीसदी, कर्नाटक की 0.17 फीसदी और प्रवासियों की 21.28 फीसदी हिस्सेदारी है।
यह बैंक भारत सरकार के गृह मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन है और यह एक बहु राज्य सहकारी सोसायटी के रूप में कार्यरत है।
अपर सचिव (एलडब्ल्यूई) श्री जयदीप गोविंद, अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार सुश्री संजीवनी कुट्टी, संयुक्त सचिव (एफईआर) श्री दिलीप सिंह और गृह मंत्रालय तथा रेप्को बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण इस अवसर पर उपस्थित थे।
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नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र में घने जंगल की आड़ में अवैध रूप से अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ नवादा पुलिस का अभियान जारी है। इसी क्रम में 26 फरवरी को पुलिस अधीक्षक नवादा के निर्देशन में रजौली थाना क्षेत्र के परतोनिया एवं चरघरवा के जंगलों में सहायक पुलिस अधीक्षक रजौली विक्रम सिहाग के नेतृत्व में थानाध्यक्ष रजौली थानाध्यक्ष दरबारी चौधरी व जिला बल जी कंपनी 32nd बटालियन एस एस बी (गुरपा, गया) एवं स्वाट टीम द्वारा छापेमारी किया गया।
तकरीबन 5 घंटे चले ऑपरेशन में 3. 5 एकड़ जमीन पर लगभग पकी हुई अफीम की खेती को ध्वस्त किया गया। प्रातः भौर में पहाड़ी दुर्गम रास्तों को पार करते हुए टीम ने ये सफ़लता अर्जित की है । जंगल में बरसाती नालों के पास एवं छोटी पहाड़ी की घाटियों के बीच छुपी हुई जमीन पर लगी अफीम की फसल लगभग तैयार हालत में थी, अगर समय रहते इसको ध्वस्त नहीं किया जाता तो करोड़ों के मूल्य का नशा बाजार तक पहुंच जाता।
नवादा पुलिस एवं एसएसबी की कार्यवाही कई दिनों की लगातार प्लानिंग एवं सटीक आसूचना संकलन के बदौलत सफल हो सकी है। गौरतलब हो कि पिछले माह भी नवादा पुलिस द्वारा जंगल की आड़ में लगी लगभग 2 एकड़ भूमि पर लगी अवैध अफीम की फसल को नष्ट किया था एवं एक राइफल भी बरामद की थी। प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है।
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हमारे देश की गहराई में कच्चे माल और ऊर्जा संसाधनों के अविश्वसनीय भंडार संग्रहीत हैंः अयस्कों, कोयला, तेल और गैस। कई खनिजों के भंडार के संदर्भ में, रूस अपने निकटतम अनुयायियों से कई गुना आगे है। रूस दुनिया में सबसे बड़ा गैस भंडार रखने के लिए भाग्यशाली था - मुख्य आधुनिक ऊर्जा स्रोतों में से एक। हमारे देश के प्राकृतिक संसाधन इतने विशाल हैं कि किसी भी समकक्ष में उनका मूल्यांकन करना संभव नहीं है।
ऐसा लगता है, हमें और क्या चाहिए? क्या हम न केवल अपने और अपने बच्चों के, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के महान-पोते-पोतियों के आरामदायक अस्तित्व की गिनती करते हुए पूरी दुनिया को खाना, पानी, कपड़े और गर्मी दे सकते हैं? "किस तरह के रिक्त स्थान, क्या एक विशाल क्षेत्र, एक समृद्ध देश! " - विदेशियों का बहिष्कार करें, रूस के साथ पहली बार परिचित। लेकिन क्या हम वाकई अमीर हैं? अधिक सटीक रूप से, क्या हम अपने धन को अपने निर्मल अस्तित्व की गारंटी मान सकते हैं?
रूसी संघ के नक्शे पर एक नज़र डालें। पहली चीज जो किसी ऐसे व्यक्ति की आंख को पकड़ती है जो भूगोल से थोड़ा परिचित है, वह यह है कि रूस के क्षेत्र के 2 / 3 से अधिक क्षेत्र ऐसे हैं जो न केवल खेती के लिए, बल्कि अन्य गतिविधियों के लिए भी बहुत कम उपयोग करते हैं। उत्तरी Urals और पश्चिमी साइबेरिया, याकुटिया और क्रास्नोयार्स्क क्षेत्र, सुदूर पूर्व के क्षेत्र - यह पृथ्वी पर स्वर्ग नहीं है, लेकिन तथाकथित "विश्व रेफ्रिजरेटर" है। यह इस "विश्व रेफ्रिजरेटर" में है कि रूस के मुख्य धन केंद्रित हैंः तेल, गैस, कोयला, लकड़ी, अयस्कों, सोना और हीरे। जो लोग कभी पचास डिग्री की ठंढ पर होते हैं या अपनी त्वचा पर एक असली बर्फानी तूफान महसूस करते हैं, वे ढेर को पर्माफ्रॉस्ट में डाल देते हैं या दलदल और दलदल पर रेल लगा देते हैं, यह बताना आवश्यक नहीं है कि ये क्षेत्र किसी भी विकास के लिए कितने कठिन हैं, दोनों जलवायु और राहत के संदर्भ में।
संसाधन विकास की चरम जटिलता, एक बहुत कम जनसंख्या घनत्व से गुणा, लंबे समय से हमारे सुदूर उत्तर और सुदूर पूर्व के कई क्षेत्रों को पूरी तबाही के कगार पर खड़ा कर दिया है। और जनसंख्या की अनुपस्थिति, जैसा कि ज्ञात है, राज्य के क्षेत्र पर नियंत्रण खोने के सवाल को उठाता है और किसी अन्य राज्य द्वारा अपनी विजय (इस मामले में, एक भोगवादी पेशा) को संभव बनाता है। जैसा कि वे कहते हैं, एक पवित्र स्थान कभी खाली नहीं होता हैः नए निवासी जल्द या बाद में खाली भूमि पर आएंगे, और उनके हाथों में जरूरी नहीं होगा हथियार, क्योंकि उन्हें किसी से लड़ना नहीं है। इस प्रकार की विजय का एक उल्लेखनीय उदाहरण इसकी सीमाओं के उत्तर में चीनी विस्तार है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति के बारे में बहुत सारे विवाद हैं, लेकिन तथ्य यह है कि चीनी, जो रूसी के ऊपर अमूर के दक्षिणी तट पर रहते हैं, जो उत्तरी बैंक पर रहते हैं, हमारे ऊपर एक से अधिक लाभ हैं, स्पष्ट है।
इसलिए, कोई फर्क नहीं पड़ता कि साइबेरिया और सुदूर पूर्व को विकसित करने की आवश्यकता के बारे में शब्दों को कैसे ट्रिट किया जाता है, उन्हें जितनी बार संभव हो उच्चारित करने की आवश्यकता होती है, और यह अत्यधिक वांछनीय है कि ये शब्द कर्मों से विचलित नहीं होते हैं।
सभी बातों की पृष्ठभूमि के खिलाफ कि "रूस की धन साइबेरिया के माध्यम से बढ़ेगा" वर्तमान सरकार के वास्तविक सौदे से प्रसन्न था, जो कि चुनाव पूर्व सनसनी और दिखावा के शेयर के बिना नहीं था, एक दिन पहले शुरू किया गया था। हम रेलवे लाइन के निर्माण की निरंतरता के बारे में बात कर रहे हैं, जो रूस के सबसे बड़े क्षेत्र - याकुटिया को ट्रांससिब के साथ जोड़ेगी, और इसके महत्वपूर्ण खंड को बेर्किट गांव, जो BAM पर है, निज़नी बेस्टियाख से जुड़ा है, याकुतस्क से कुछ 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
साइबेरिया और सुदूर पूर्व के विकास के संबंध में नवीनतम बयानों में, यह एलडीपीआर और वी। ज़िरिनोव्स्की की पहल का उल्लेख करने योग्य है, जो पूरे सुदूर पूर्व में कर-मुक्त अर्थव्यवस्था को पेश करता है, जिसे पार्टी के चुनावी कार्यक्रम में शामिल किया गया था। व्लादिमीर वुल्फोविच के बारे में जो भी विरोधी कहते हैं, उनके प्रस्ताव को लोकलुभावन कहते हैं, लेकिन कोई भी इस बात से सहमत नहीं हो सकता है कि यह काफी समझदार और व्यवहार्य है। ज़िरिनोव्स्की का प्रस्ताव न केवल क्षेत्र में शेष आबादी को बनाए रखने के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जो एक रोटी के लिए 50 रूबल के लिए रोटी खरीदता है, अक्सर मुश्किल से समाप्त होता है, लेकिन यह भी यूरोपीय रूस और सीआइएस देशों के रूसी हमवतन से अप्रवासियों को आकर्षित करता है जो अपना विकास करना चाहते हैं व्यापार, इस क्षेत्र की विशाल संपत्ति का लाभ उठाते हुए।
दुनिया के किसी अन्य देश को जीवन के लिए इतने विशाल और अनुपयुक्त क्षेत्र को रखने की आवश्यकता से नहीं जूझना पड़ा। उपयुक्तता की कमी के कारण, हमारे लोग इससे निपटेंगे, इस बारे में कोई संदेह नहीं है, लेकिन क्षेत्र की विशालता के साथ स्थिति बहुत अधिक जटिल है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितना कहते हैं कि एक मस्कोवाइट या सेंट पीटर्सबर्ग नागरिक स्वैच्छिक रूप से मगादान या सखालिन नहीं जाएगा, ये केवल शब्द हैं। लोगों को हमेशा जबरदस्ती से नहीं भगाया जाता है। सुदूर पूर्व में स्थानांतरित होने वाले नागरिकों के लिए प्राथमिकताएँ बनाना नितांत आवश्यक है। हमारे कोलिमा सोने के कैदियों के श्रम से, हम अब नहीं धोए जाएंगे, नए BAM के कोम्सोमोल सदस्यों के उत्साह पर हम अब नहीं बनाए जाएंगे। लेकिन हम एक व्यक्ति की जेब से चुकाई गई चमत्कार के साथ या तो नहीं कर सकते। हमें कुछ नया करना होगा, अन्यथा याकूतिया के लिए ट्रांस-साइबेरियन रेलवे का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।
"रूसी कार्ड" - निर्देशक इवान सिदेलनिकोव द्वारा समकालीन रूस और दुनिया में इसके स्थान के बारे में एक फिल्म परियोजना। आज चार भाग होते हैं। फ़िल्में उस स्थिति का विश्लेषण करती हैं जिसमें यूएसएसआर के विनाश के बाद देश ने खुद को पाया, जिसके साथ राज्य में नई आर्थिक और भौगोलिक वास्तविकताएँ चलीं। निर्माण का वर्षः 2001-2005।
- लेखकः
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आप इसका अरर्थ जानतळे ह ै, आप शब्द जानतळे ह ै, यही सब । मळेरा प्रश्न ह ै कि इस वाक्य मळे· काल कया ह ै? मनळे जानबूझकर अब तक भूतकाल कळे बारळे मळे बात नहीं की ह कयो कि मुझळे लगता है कि आप जानतळे ह ै और भूतकाल की कहानी भी वर्तमान काल कळे समान ह ै । भूतकाल इन मामलो मळे अधिक दृश्य-मान हो सकता ह ै, यह दिखाई दळेगा । वर्तमान काल कभी-कभी बहुत अधिक दृश्य-मान नहीं होता ह ।
(छातर् परोफळेसर सळे सवाल करता ह ै )
यह कहनळे का एक तरीका हौ, आप सही ह`· और मळेरा इसका विरोध या ख डन करने का कोई इरादा नही` ह ै, लेकिन मौ· जो कुछ कह रहा हूँ वह शब्द पर ह ै, जिस शब्द का आप सौंदर्भ बिदु दिखा रहळे ह· उसमो· काल को पर्दरर्शित करने वाला कोई सूचक नही ह । हमळे चीजो को सूचको मळे दळेखने की आदत है, वहा॰ कोई सूचक या सकळेत नही ह ै जो काल को पर्दरर्शित कर रहा ह ै, ह ै ना? हाला कि, इस पर भूतकाल सूचक । जब आप भूतकाल जोड.तळेह ै रौं, तो आपको कुछ और परापत होता ह ।
मौ· आपको दिखाऊ गा कि एक तरीका ह ... आपनळे सुना होगा जब आप... कया आपनळे भौतिक पर्तिकरियाओ और रासायनिक पर्तिकरियाओ को बार मळे सुना ह ? पर्तिकरियाओ को भौतिक गुण और पतिकरियाओ को रासायनिक गुण सुना ह ? उनमळे सळे एक मळे་, जब 2 चीजों को मिलाया जाता ह ै, तो उनह्ळे · अलग करना लगभग अस भव होता ह । काल को भूतकाल सो अलग करनळे का एक तरीका हौ और जिस कक्षण आप भूतकाल को अलग करतळेहरौं, वह अनावत रूप मळे सामनळे आता ह ।
और तब आप यह नहीं कह पाएँगळे कि यह एक सौंदर्भ बिदुह । एक क्षण को लिए रुकिए, म · यह आपको दिखाऊँगा। आप उस वाकय मळे कुछ और जोड तळेह, भूतकाल तुर`त बाहर आता ह ै ।और फिर आप शब्द कळे भूतकाल रूप का पयोग नहीं कर सकतळे मुझळे एक पल दो, म ै· यह आपको दिखाऊ गा इसलिए, मनळे भूतकाल कळेबारळे मळे· बात नही की ।
"प्रोफळेसर- छातर् वारतालाप शुरू होता है "
इसी बीच, कृपया मुझळे इन 2 वाकयो मळे · काल बताए ।
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फोरहेड किसः फोरहेड किस प्यार और एक सुरक्षा का एहसास आपके पार्टनर को करती है। यह एक देखभाल के तरीके से प्यार को एक्सप्रेस करने का खास तरीका है और एक व्यक्ति के लिए स्नेह और सम्मान दिखाने का एक सबसे अच्छा जरिया । यह दिखाता है कि आप कभी नहीं चाहते आपके पार्टनर को किसी भी तरह का ठेस पहुंचे। ऐसे में इस किस डे फोरहेड किस करना न भूले और ऐसा करके उन्हें अपना प्यार जरुर फिल कराएं।
गाल पर किसः गाल पर किस किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है होता है जो आपका सबसे प्रिय हो।
हेंड किसः अपने पार्टनर का हाथ प्यार से पकड़कर उसके हथेली के पिछले हिस्से को धीरे से किस करें। ऐसा करना उनके लिए आपका सम्मान और प्रशंसा दिखाएगा।
बटरफ्लाई किसः यह तब होता है जब आप अपने पार्टनर को किस कर रहे होते हैं और आप उनके इतने करीब होते हैं कि आपकी पलकें उनकी पलकों को छूने लगती है। बटरफ्लाई किस को करने से आपके मन में कुछ फिलिंग आती हैं वो दुनिया की सबसे अच्छी फिलिंग होती है।
एयर किसः एयर किसिंग एक सोशल गेश्चर होता है जिसमें फिजिकल कोनटेक्ट के बिना आप एक दूसरे को दूर से ही किस करते हैं। इसमें आप अपने पार्टनर को फ्लाइंग किस दे सकते हैं।
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इटावा के जसवंतनगर में जनसभा को संबोधित करते हुए शिवपाल ने अपने मन की बात सुनाई। उन्होंने कहा कि मैंने नेताजी के साथ काफी समय बिताया है और उनसे बहुत कुछ सीखा है। मैं अखिलेश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जैसे नेताजी को भी निराश नहीं किया, उन्हें भी कभी निराश नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि मैनपुरी में कण-कण और गली-गांव का विकास नेताजी ने किया है।
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Meerut: जम्मू-कश्मीर समस्या को लेकर सीसीएसयू के हिस्ट्री डिपार्टमेंट में आयोजित सेमिनार के चौथे दिन कश्मीर के संवैधानिक पक्ष व मानवाधिकार पर चर्चा की गई। कश्मीर का विमर्श नाम से आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम प्रथम सत्र में बतौर मुख्य वक्ता शिरकत करने पहुंचे सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप दुबे ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कुछ ऐसे प्रावधान लागू किए गए जो भारतीय संविधान की भावना से मेल नहीं खाते। इस कारण यहां के कुछ वर्ग उन प्रावधानों से वंचित हैं, जिनका लाभ देश के अन्य नागरिक उठा रहे हैं।
दूसरे सत्र में अधिवक्ता संजय त्यागी ने कहा कि संवैधानिक विसंगतियां यहां इस कदर प्रभावी हैं कि अनुच्छेद 35 ए के कारण राज्य में रह रहे पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी वाल्मीकि व गोरखा सहित लाखों लोग अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं। जेकेएससी से जुड़े रंजन चौहान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर बहुत से लोग पूछते हैं कि वहां की वास्तविक समस्या क्या है। क्या वहां आतंकवाद है। क्या वहां अलगाववाद है? इस विषय में मैं सब लोगों से कहता हूं कि यह सब बातें ठीक हैं लेकिन यहां का वास्तविक प्रश्न कुछ और ही है, जम्मू-कश्मीर को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव ही सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर बहस कानूनी और संवैधानिक दस्तावेजों के आधार पर होनी चाहिए। इस मौके पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आराधना ने दोनों वक्ताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। विकास शर्मा, डॉ। महिमा मिश्रा, डॉ। हेमन्त पांडेय, डॉ। अजय विजय कौर व डॉ। नवीन गुप्ता आदि मौजूद थे।
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ePlane Flying Taxi: अब फ्लाइंग कार में उड़ने का सपना भारत में भी साकार होगा। हाल ही में आईआईटी मद्रास की स्टार्टअप कंपनी ई-प्लेन (ePlane) ने बेंगलुरु के एयरो इंडिया शो 2023 (Aero India Show 2023) में अपनी पहली इलेक्ट्रिक टैक्सी (Flying Taxi) को पेश किया। कंपनी के मुताबिक, इस फ्लाइंग टैक्सी को शहरी परिवहन को आसान और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। कंपनी ने एयरो इंडिया शो में इस फ्लाइंग टैक्सी का प्रोटोटाइप मॉडल पेश किया था।
कंपनी के मुताबिक, यह फ्लाइंग टैक्सी वर्टीकल टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकती है। यानी इसे उड़ान भरने और लैंडिंग के लिए रनवे की जरूरत नहीं होगी। यह टैक्सी एक हेलीकाप्टर की तरह उड़ान भरने में सक्षम है। एक बार पूरी तरह चार्ज होने पर यह टैक्सी 200 किलोमीटर तक उड़ सकती है।
साइज में छोटा होने के वजह से यह टैक्सी तंग इलाकों से भी उड़ान भर सकती है। ई-प्लेन के सीईओ प्रांजल मेहता का कहना है कि यह इलेक्ट्रिक कार एक साधारण टैक्सी से 10 गुना तेज है। हालांकि इसमें सफर करने का खर्च भी सड़क एक ओला टैक्सी से लगभग दोगुना होगा। प्रांजल ने बताया कि उन्हें इस फ्लाइंग टैक्सी का आईडिया एक वीडियो को देखने के बाद आया।
इस फ्लाइंग टैक्सी की खास बात यह है कि इसे किसी भी ऊंची बिल्डिंग से उड़ाया और लैंड किया जा सकता है। इसे पार्क करने के लिए सिर्फ 25 वर्ग मीटर जगह की जरूरत होती है, जो कि एक फुल साइज एसयूवी से थोड़ा ज्यादा है। इसका वजन भी काफी हल्का है। बगैर पैसेंजर के इस फ्लाइंग टैक्सी का कुल वजन केवल 200 किलोग्राम है।
इसे हवा में लिफ्ट करने के लिए चार प्रोपेलर लगाए गए हैं। यह फ्लाइंग टैक्सी हवा में 150-200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। फिलहाल कंपनी ने इस फ्यिंग टैक्सी के बारे में काफी कम जानकारियां साझा की हैं।
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KANPUR : इंस्पेक्टर रैंक के थाने में केवल इंस्पेक्टर की तैनाती के डीजीपी के आदेश पर अमल शुरू हो गया है। डीआईजी ने मंडे को दस थानेदारों समेत 26 पुलिसकर्मियों के तबादले कर दिए। तबादला लिस्ट में शिवराजपुर थाना प्रभारी शेष नारायण पांडे को नरवल, नौबस्ता के कुंज बिहारी मिश्रा को कोहना, नरवल के प्रभारी निरीक्षक बलराम मिश्रा को चमनगंज, थाना प्रभारी चमनगंज राज बहादुर को क्त्राइम ब्रांच, थाना प्रभारी साढ़ प्रभु कांत को क्राइम ब्रांच, फजलगंज के प्रभारी निरीक्षक अमित तोमर को साढ़ थाने का प्रभारी निरीक्षक बनाया गया है।
इसी तरह सचेंडी एसओ अजय प्रताप सिंह को फजलगंज का चार्ज दिया गया है। कर्नलगंज में तैनात स्नहेलता को महिला थाने का प्रभारी निरीक्षक बनाया गया है। सर्विलांस सेल में तैनात सतीश कुमार सिंह को प्रभारी निरीक्षक नौबस्ता और कोहना के प्रभारी निरीक्षक रामबाबू को क्राइम ब्रांच का इंचार्ज तैनात किया गया है। ककवन एसओ अमित मिश्रा को शिवराजपुर थाने की कमान दी गई है। एसएसआई चकेरी संतोष कुमार ओझा को एसओ ककवन और एसएसआई नौबस्ता देवेंद्र सिंह को सचेंडी थाने का चार्ज दिया गया है। महिला थाना प्रभारी वर्षा को पिंक चौकी का इंचार्ज नियुक्त किया गया है।
चौकी प्रभारी फूलमती पंकज मिश्रा को चौकी प्रभारी जाजमऊ बनाया गया है। चौकी प्रभारी जाजमऊ अनुराग सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया था। इसी तरह पुलिस लाइन में तैनात योगेंद्र सिंह सोलंकी को चौकी प्रभारी उत्तरीपुरा, चौकी प्रभारी ईदगाह प्रमोद कुमार को थाना बिठूर चौकी प्रभारी, जनता नगर प्रमोद यादव को चौकी प्रभारी कुरियां, पंकज कुमार को चौकी प्रभारी जनता नगर, देवेंद्र सिंह को चौकी प्रभारी टीपी नगर, अर्पित तिवारी को चौकी प्रभारी जेल, पुलिस लाइन से खालिद खान को चौकी प्रभारी फूलमती बजरिया, राधा पाल को प्रभारी पिंक चौकी स्वरूप नगर से रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र भेजा गया है। सुखबीर सिंह को चौकी प्रभारी घाटमपुर बनाया गया है।
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सुरंग सिंड्रोम और उनकी घटना के कारणः
• जन्मजात विसंगतियों, नहर की संकीर्णता में व्यक्त;
• चोटों;
• टकसाली आंदोलनों की लगातार दोहराव;
• संयोजी रोग (रुमेटीइड गठिया, क्रोनिक गुर्दे की असफलता, अमायलोयॉइडिस, मधुमेह, हाइपोथायरायडिज्म और अन्य)
इस तथ्य के बावजूद कि सुरंग सिंड्रोम विभिन्न स्थानों पर और विभिन्न कारणों से हो सकता है, इस समूह के रोगों के लक्षणों की एक सामान्य सूची हैः
• "शूटिंग" और "चोंच" दर्द;
• स्तब्ध हो जाना;
• चलते समय झुनझुनी सनसनी;
• सीमित आंदोलन;
• कुछ मांसपेशी समूहों की कमजोरी;
सुरंग सिंड्रोम के दो मुख्य प्रकार हैंः
ऊपरी extremities (रेडियल और एक्सीलरी नसों, कार्पल और क्यूबैटल नहर सिंड्रोम की न्यूरोपैथी) के सिंड्रोम;
• निचले हिस्सों (फेरोमल, बाह्य त्वचीय, नाशपाती के आकार वाले मांसपेशी सिंड्रोम के न्यूरोपैथी) के सिंड्रोम।
इनमें से प्रत्येक विकृतियों की अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं और एक व्यक्ति को बहुत परेशानी पैदा कर सकती है।
सुरंग कलाई सिंड्रोम (कार्पल टनल सिंड्रोम)
इस विविधता का कारणसिंड्रोम मंझला तंत्रिका कार्पल बंध के संपीड़न है। अक्सर इस रोग संगीतकारों (पियानोवादक, वायलिनवादक, cellists) और जिन लोगों के काम ब्रश और मोड़ और विस्तार आंदोलनों (प्रोग्रामर, बिल्डरों) के लगातार पुनरावृत्ति पर लोड शामिल है को प्रभावित करता है।
इस प्रकार की सुरंग सिंड्रोम खुद प्रकट होती हैमध्य, सूचकांक और हाथ के अंगूठे की संवेदनशीलता में कमी, रात सहित दर्द, हाथ के साथ आगे दर्द सिंड्रोम का संक्रमण (कोहनी संयुक्त तक)। पहली तीन उंगलियों की संवेदनशीलता को स्पर्श और तापमान कम हो जाती है, मांसपेशियों की कमजोरी।
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आए दिन सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ ऐसा वायरल जरूर होता है जो हमारा मनोरंजन करता है, मगर कुछ ऐसे वीडियो भी वायरल होते हैं जो हमारे लिए उपयोगी साबित होते हैं. हाल में एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है जो लोगों को बहुत पसंद आ रहा है. इसे अब तक 13 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है. हमारे रोज के जीवन में ऐसा कई बार हुआ है कि जब हमारे सामने छोटी-छोटी समस्याएं पहाड़ बन कर खड़ी हो जाती हैं. इन्हीं में से एक है हमारी जैकेट या अन्य कपड़ों की जिप का न लगना, उसका खराब होना. या फिर कई बार ऐसा भी होता है कि कपड़े पहन चुकने के बाद उनकी जिप न लग रही हो.
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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पेशेवर पहाड़ पर्वतारोही और चरम साधकब्रिटिश ब्रांड करिमोर के विशेष जूते और पर्यटक accoutrements का चयन करें। वर्तमान में, कर्रिमर जूते (गुणवत्ता समीक्षा नीचे सूचीबद्ध हैं) को सबसे लोकप्रिय माना जाता है, निर्माता ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ कंपनियों की सूची में सूचीबद्ध है जो पेशेवर वस्तुओं के लिए खेल के सामान और खेल और पर्यटन उपकरण के निर्माण में लगे हुए हैं।
ब्रांड की नींव का इतिहास 1 9 46 में निकलता है। कर्रिमर के निर्माता पति चार्ल्स और मैरी पार्सन्स, और बहन मैरी - ग्रेस डेविस हैं। 70 वर्षों तक कर्रिमर की सीमा में काफी विस्तार हुआ है - यहां सक्रिय जीवनशैली के प्रेमियों को मोज़े से तंबू तक की हर चीज मिल सकती है।
आज तक, पर्यटक उपकरण औरजूते करीमोर, जिनकी समीक्षा - इसके उत्पादों की उच्च गुणवत्ता के सबूत, यात्रियों के प्रतीक कहा जा सकता है। पेशेवर एथलीटों - पर्वतारोही और मशहूर यात्रियों, साथ ही साथ गैर-पेशेवर - बाहरी गतिविधियों के प्रेमी दोनों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष उपकरण और विशेष जूते विकसित किए जाते हैं।
ब्रांड के निर्माता लक्षित प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैंउपभोक्ताओं को केवल उच्च गुणवत्ता और पूरी तरह से विश्वसनीय गोला बारूद के साथ महान शक्ति क्षमता के साथ। भले ही यह बैकपैक या संगठन की विशेष विशेषता है, भले ही कोई करिमर उत्पाद पहनने वाला प्रतिरोधी हो और लगभग किसी भी भार का सामना कर सके।
कर्रिमर के आविष्कारों में से एक झिल्ली हैघटना सांस लेने योग्य और निविड़ अंधकार सामग्री से बना है। ईवेंट झिल्ली का लाभ यह है कि परंपरागत पु कोटिंग के बजाय, ईपीटीएफई (पॉलीटेट्राफ्लोराइथिलीन) नामक एक विशेष सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसमें रासायनिक फार्मूला वसा युक्त यौगिकों के संपर्क में आने पर गुणों को बदलता है। प्रदूषण को दोबारा दबाकर, झिल्ली हमेशा साफ होती है - इसके छिद्र हमेशा खुले रहते हैं।
निर्माता अपने मॉडल का लाभ मानते हैंजूते के ऊपरी भाग की अप-टू-डेट विनिर्माण तकनीक। शूज़ कर्रिमर (ग्राहक समीक्षा - उस की मुख्य पुष्टि) सांस ले रही है, पानी को पास नहीं करती है और पर्यटक को हवा से बचाती है।
Polytetrafluoroethylene, लाखों से मिलकरसूक्ष्म छिद्र, पानी को बूट के अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता है और नमी की वाष्पीकरण में हस्तक्षेप नहीं करता है। ईवेंट झिल्ली का मुख्य लाभ कंडेनसेशन के बिना नमी मुक्त करने की क्षमता है।
वाटरटाइट श्वास झिल्ली Weathertite -करिमोर के अगले विकास - पहली बार 1 9 48 में प्रकाश देखा। एक बहु परत संरचना (टुकड़े टुकड़े) होने के बाद, वेदरटाइट पहनने के प्रतिरोध का एक उदाहरण है, और इस मॉडल की विनिर्माण तकनीक लगातार सुधार रही है। डेवलपर्स का ध्यान रखना है कि निविड़ अंधकार झिल्ली हमेशा तकनीकी प्रगति के नवीनतम परिणामों के अनुरूप है।
विब्रम एकमात्र डिजाइन और निर्माण किया गया थाखासकर ट्रेकिंग जूते के लिए। विब्रम, किसी भी संरचना की मिट्टी का पूरी तरह से पालन करते हुए, कभी भी एक स्व-सफाई चाल से दूषित नहीं होता है। एकमात्र सशर्त रूप से ब्रेक लगाना, प्रतिकृति और स्थिरता सुनिश्चित करने वाले कई क्षेत्रों में बांटा गया है। इस तरह के जूते के डेवलपर्स जूते की स्थिरता के लिए विशेष महत्व देते हैं, और इसलिए वे पॉलीयूरेथेन से बने मध्यवर्ती कुशनिंग परत के साथ विब्रम एकमात्र सुसज्जित करते हैं।
अद्वितीय खोखले microfibers, जिनमें सेसामग्री थिंसेलेट, सक्रिय रूप से हवा को अवशोषित करती है और गर्मी ऊर्जा को वापस करने के लिए मानव शरीर से निकलने वाली गर्मी को प्रतिबिंबित करती है। आकार में पारंपरिक सिंथेटिक सामग्री की तुलना में 10 गुना कम, थिंसेलेट माइक्रोफिबर्स सभी ज्ञात अनुरूपों की तुलना में 2 गुना अधिक कुशल और अधिक आरामदायक होते हैं।
मौसमी जूते के परिष्कृत स्पर्श के साथ एकमात्र हैवॉल्यूमेट्रिक ड्राइंग। ऐसे जूते में आप बर्फ पर भी चल सकते हैं। एकमात्र के पूरे परिधि पर रबड़ की एक अतिरिक्त पट्टी को सिलवाया जाता है, जो पहनने वाले के पैर की उंगलियों की रक्षा करता है, और खुद को आकस्मिक क्षति से जूते पहनता है। एक टखने और एड़ी क्षेत्र को एक ही मुलायम किनारों से छिड़काया जाता है। इस नवाचार की हाइलाइट - अंग्रेजी विनम्रता और गुणात्मक रूप से सबकुछ करने की इच्छा।
यह कोई रहस्य नहीं है कि सर्दी जूते के साथहाल के दिनों से राहत रक्षक - मानवता के सुंदर आधे के कई प्रतिनिधियों का सपना। विशेष रूप से यह छोटे शहरों के निवासियों पर लागू होता है, जहां अच्छे जूते खरीदने में मुश्किल होती है। महिलाएं जो ब्रिटिश कंपनी करिमोर से शीतकालीन जूते खरीदने के लिए भाग्यशाली थीं, उनकी खरीद को सफल मानते हैं। जूते Karrimor (ऑनलाइन स्टोर के पृष्ठों पर समीक्षा छोड़ दी गई थी), वे गर्म और उच्च गुणवत्ता कहा जाता है।
हर कोई, यहां तक कि सबसे लोकप्रिय चीज़, इसकी कमी है। ग्राहक द्वारा चर्चा किए गए मॉडल के माइनस को इसकी वज़न और कुछ हद तक मोटे तौर पर देखा जाता था।
ब्लिट्ज किड्स वेदरटाइट जूते के लिए डिजाइन किए गए हैंबच्चे और प्रतिक्रियाओं का न्याय करते हुए, बच्चे के लिए चित्र लेने और उन्हें रखने के लिए मुश्किल नहीं है। जूता के ऊपरी भाग को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बच्चे के पैर नमी से संरक्षित है।
कर्रिमर द्वारा बनाए गए बच्चों के जूते, जिनके प्रशंसापत्र इसको प्रमाणित करते हैं, उन्हें निविड़ अंधकार, गर्म और पहनने वाले प्रतिरोधी के रूप में रखा जाता है।
खरीदारों द्वारा छोड़ी गई समीक्षाओं में से, हैंएक रचनात्मक एकमात्र के साथ कर्रिमर के प्रकाश स्नीकर्स का उल्लेख। स्नीकर्स, जैसा कि ग्राहक कहते हैं, हालांकि वे बहुत उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री से बने नहीं हैं, लेकिन पूरी तरह से सिलवाए जाते हैं। साथ ही, उपयोगकर्ता ध्यान दें कि गुणवत्ता और कीमत के अनुपात ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।
इसके अलावा, जैसा कि खरीदे गए ग्राहकों द्वारा रिपोर्ट किया गया हैकारिमोर जूते, आकार ग्रिड (उत्पादों पर छोड़ी गई समीक्षा यादृच्छिक क्रम में चुनी गई थीं) आपको उत्पादों को चिह्नित करने के स्लाव और यूरोपीय तरीकों के बीच विसंगति के बावजूद सही आकार लेने की अनुमति मिलती है।
खरीदारों की बुनियादी आवश्यकताओं के अनुरूप हैट्रेकिंग जूते भी कर्रिमर हॉट रॉक मिड मैन्स चलना। यह टिकाऊ और निविड़ अंधकार के रूप में पहचाना जाता है। इसके अलावा, ग्राहकों के मुताबिक, एक मजबूत एकल और एक सॉक-सिलाई वाले मोजे, लंबे समय तक चलने के साथ-साथ किसी न किसी इलाके में ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त बनाता है।
कर्रिमर की स्थापना 1 9 46 में हुई थी और इसकीविश्व व्यापार क्षेत्र पर पदोन्नति शानदार जीत से चिह्नित है। यह सब तब शुरू हुआ जब जोड़े पार्सन्स और ग्रेस डेविस ने साइकिल बैग बनाने शुरू करने का फैसला किया।
पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में, उन्होंने एक निविड़ अंधकार, सांस लेने वाले मौसम का कपड़ा विकसित किया।
1 9 80 में, पौराणिक कर्रिमर स्पोर्ट्स बूट का उत्पादन शुरू हुआ, और कंपनी चलने वाले जूते के उत्पादन में अग्रणी बन गई, जिससे हल्की तकनीकी सामग्री के साथ किसी न किसी त्वचा को बदल दिया गया।
2001 में, कर्रिमर की सीमा में पर्यटक स्नीकर्स और सैंडल दिखाई दिए।
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JAMUI : जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को जिले के 10 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य के लिए मतदान शांतिपूर्वक एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो गया। जिले में करीब 85 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मतपेटियों को सील कर पूर्णिया स्थित वज्रगृह के लिए रवाना कर दिया गया है। डीएम ने आगे कहा कि कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए जमुई जिला में कुल 943 मतदाता नामित थे। इसमें 735 पुरूष एवं 208 महिला वोटर का नाम अंकित है। इस चुनाव में 943 मतदाताओं की जगह कुल 798 वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इसमें 620 पुरूष एवं 178 महिला शामिल हैं।
जिलाधिकारी स्वयं पुलिस अधीक्षक के साथ ई. अलीगंज , जमुई प्रखंड समेत कई अधिसूचित मतदान केंद्रों का भ्रमण , अवलोकन और निरीक्षण किया तथा वहां की हालिया स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने शांतिपूर्ण वातावरण में मतदान संपन्न होने की पुष्टि करते हुए कहा कि मतदाता पंक्तिबद्ध होकर वोट करते देखे गए। सिंह ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में मतदान संपन्न होने पर प्रतिनियुक्त अधिकारियों , कर्मियों के साथ मतदाताओं को साधुवाद दिया है।
पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन ने कहा कि विधान परिषद कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए शुक्रवार को जमुई जिला अंतर्गत 10 अधिसूचित मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए। शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष मतदान के लिए सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया गया था। मतदान केंद्र और इसके आस - पास के क्षेत्रों में दंडाधिकारी के नेतृत्व में पर्याप्त संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गए थे। आपसी सूझ - बूझ और बेहतर समन्वय के चलते मतदान शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न हो गया। उन्होंने भी बेहतर कार्य के लिए सम्बंधित जनों को साधुवाद दिया।
उधर मतदान समाप्ति के बाद समर्थक जीत - हार का कयास लगाने लगे हैं। अपने अपने स्तर से डाले गए मतों का जोड़ - घटाव कर रहे हैं। मतगणना 05 अप्रैल को निर्धारित है। वोटों की गिनती के बाद ही ऊंट किस करवट बैठेगा इसका खुलासा हो सकेगा।
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Aliens on Europa: एलियंस (Aliens) के अस्तित्व को लेकर कई दावे किए जाते हैं। एलियंस के बारे में वैज्ञानिकों के मत भी एक नहीं हैं। एलियंस (Aliens) और यूएफओ (UFO) को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं। धरती पर आए दिन एलियन और यूएफओ को देखने का दावा किया जाता है। कई बार ऐसे दावे किए जाते हैं जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है। क्या ब्रह्मांड में धरती के अलावा कहीं जीवन है? क्या अंतरिक्ष में एलियन का अस्तित्व है? इसको लेकर किसी के पास ठोस सबूत नहीं है। एलियन के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। हालांकि आए दिन एलियन के बारे में नए-नए दावे किए जाते हैं।
विज्ञान ने बीते दशकों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अब वैज्ञानिक अंतरिक्ष में ऐसी जगह की खोज कर रहे है जहां पर जीवन की संभावना हो। वैज्ञानिकों की यह खोज बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा तक पहुंच चुकी है। जहां पर जीवन की संभावना हो सकती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा (Europa) पर एलियन हो सकते हैं।
बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की अधिकतर सतह पर बर्फ है। हाल ही में वैज्ञानिकों को पता चला है कि यूरोपा पर पानी भी हो सकता है। यूरोपा की भौगोलिक स्थिति ग्रीनलैंड से मेल खाती है जिसकी वजह से यहां पर जीवन की संभावना जताई जा रही है। ग्रीनलैंड में बर्फ के अंदर पानी में जीवन पाया जाता है। यहां झींगा, जेलिफिश और घोंघे जैसे जीव पाए जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने इस आधार पर संभावना जताई है कि यूरोपा पर बर्फ की ठोस सतह के नीचे पानी स्थित है जहां पर जीवन हो सकता है। वैज्ञानिकों ने यूरोपा पर सैकड़ों किमी लंबी लकीरें खोजी हैं। यह लकीरें उठी हुई बर्फ है जिन्हें डबल रिज कहा जाता है। इन लकीरों और उत्तर-पश्चिम ग्रीनलैंड में समानताएं हैं।
इन डबल रिज पर 20 सालों से ज्यादा समय से वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के डॉ. ग्रेगर स्टीनब्रुग ने यह बात बताई है। वैज्ञानिकों को पहली बार यूरोपा पर कुछ ऐसा मिला है जो धरती पर होता है।
डॉ. ग्रेगर स्टीनब्रुग का कहना है कि बर्फीले यूरोपा पर आखिर कैसे फिजिक्स और गतिशीलता की प्रक्रियाएं हावी हैं? यह जानने और समझने का प्रयास कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को पता चला है कि यूरोपा पर पाए जाने वाले डबल रिज की ऊंचाई करीब एक हजार फीट है जबकि लंबाई लगभग आधा मील से अधिक है।
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लातेहार : आज प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, लातेहार अखिल कुमार के निर्देशानुसार व्यवहार न्यायालय, लातेहार के प्रांगण मे झालसा एवं नालसा के तत्वावधान में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, लातेहार अखिल कुमार, उपायुक्त भोर सिंह यादव, संजीव कुमार दास एडीजे प्रथम, लातेहार एवं अधिवक्ता संध लातेहार के अध्यक्ष राजमणी प्रसाद के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर अखिल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, लातेहार ने कहा कि विवाद समाज में सघंर्ष उत्पन्न करता है। परंतु लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है, जहॉ न कोई हारता है और न कोई जीतता है, यहॉ विवादों का निपटारा आपसी सहमति से होता है।
इस न्याय का सिद्धांत त्वारित न्याय से है। इसका मौका लोक अदालत में ही मिलता है। न्याय होते हुए भी दिखायी पड़ना चाहिए, इसके लिए लोक अदालत का आयोजन किया जाता है।
वही उपायुक्त, लातेहार भोर सिंह यादव के कहा की आम जनमानस के कठिनाई को देखते हुए नालसा एवं झालसा के तत्वावधान में नियमित समयांतराल पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। अधिवक्ता संध लातेहार के अध्यक्ष राजमणी प्रसाद ने भी सभा को संबोधित किया।
इस मौके पर लातेहार व्यवहार न्यायालय के न्यायिक पदाधिकारीगण संजीव कुमार दास एडीजे प्रथम, शशि भूषण शर्मा, मिथिलेश कुमार, राहुल कुमार, चेयरमैन स्थायी लोक अदालत चन्द्रीका राम, पी0एल0ए0 सदस्य डॉ0 मुरारी झा, मो0 शकील अख्तर, सदस्य जिला उपभोक्ता फोरम बीना कुमारी, उमेश सिंह, अधिवक्तागण, विभिन्न बैंकों के शाखा प्रबंधक, विभिन्न विभागों के पदाधिकारीगण व कर्मी तथा व्यवहार न्यायालय के कर्मचारीगण एवं अन्य पक्षकारगण उपस्थित रहे ।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 07 बेंच बनाए गए थे। जिसमें इस राष्ट््रीय लोक अदालत में कुल-2885 वादों का निष्पादन किया गया तथा कुल 36694607 रू मात्र राजस्व की वसूली की गई। इस मौके पर स्थायी लोक अदालत के 17 लाभुकों को चेक प्रदान किया गया।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल संचालन में विभिन्न बैकों, वन विभाग, परिवहन विभाग, उत्पाद विभाग, बिजली विभाग समेत अन्य विभागों का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिससे इस राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिकतम मामलों का निष्पादन किया जा सका।
इस कार्यक्रम का संचालन स्वाति विजय उपाध्याय सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, लातेहार ने किया, जिन्होने समय-समय पर आयोजित होने वाले लोक अदालत के महत्वपूर्ण और लाभकारी पक्षों का वर्णन किया साथ ही इस राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन में सभी की भागीदारी के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 6 अक्टूबर को लखनऊ में चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-आईआईएसएफ 2018 का उद्घाटन करेंगे। चार दिवसीय इस आयोजन में करीब 10000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिनमें 5000 छात्र, 550 शिक्षक तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के 200 छात्र, 20 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि और करीब 200 स्टार्टअप्स शामिल होंगे।
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आईआईएसएफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं, नवोन्मेषकों, कलाकारों और आम जनता को एक बड़ा मंच उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि यह विज्ञान के प्रति युवाओं में रुचि पैदा करने तथा विज्ञान के जरिए हितधारकों के एक व्यापक नेटवर्क को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार का आईआईएसएफ विज्ञान को राष्ट्रीय एजेंडे में प्रमुख स्थान देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री को अटल बहिारी वाजपेयी को समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह श्री वाजपेयी ही थे जिन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान जय किसान के नारे के साथ जय विज्ञान का नारा जोड़ा था।
'बदलाव के लिए विज्ञान' विषय पर आयोजित इस महोत्सव में 23 विशेष सत्र होंगे। उन्होंने बताया कि इस बार महोत्सव में 'साइंस विलेज' का आयोजन भी किया जाएगा। इसके आयोजन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समाज के सामने आ रही चुनौतियों का वैज्ञानिक समाधान उन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि साइंस विलेज प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना से जुड़ा है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणू स्वरूप ने इस अवसर पर कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में देश की प्रगति में महिला वैज्ञानिकों के योगदान को दर्शाना महोत्सव का प्रमुख हिस्सा होगा। महोत्सव में करीब 800 महिला वैज्ञानिक और उद्यमी हिस्सा लेंगी।
पहला और दूसरा विज्ञान महोत्सव नई दिल्ली में तथा तीसरा चेन्नई में आयोजित किया गया था। चौथा महोत्सव 5 से 8 अक्तूबर तक लखनऊ में आयोजित किया जाएगा।
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यह एडिटोरियल 05/08/2021 को 'हिंदुस्तान टाइम्स' में प्रकाशित "Will the next killer disease originate in the Arctic?" लेख पर आधारित है। इसमें पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से उत्पन्न चिंताओं और इस दिशा में आवश्यक उपायों की चर्चा की गई है।
पृथ्वी एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। वैश्विक स्तर पर तापमान में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। ग्रीष्म लहर, सूखा, समुद्र का अम्लीकरण और समुद्र का बढ़ता जलस्तर जैसी घटनाएँ नई चुनौतियों को जन्म दे रही हैं।
विश्व की लगभग 90% आबादी उत्तरी गोलार्द्ध में निवास करती है, जहाँ अधिकांश आबादी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में संकेंद्रित हैं। वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि इन क्षेत्रों को काफी अधिक प्रभावित कर सकती है।
वैज्ञानिक उन अप्रत्याशित समस्याओं को लेकर भी चिंतित हैं जो पर्माफ्रॉस्ट और हिमनदों के पिघलने से उत्पन्न हो सकती हैं।
- पर्माफ्रॉस्ट अथवा स्थायी तुषार भूमि वह क्षेत्र है जो कम-से-कम लगातार दो वर्षों से शून्य डिग्री सेल्सियस (32 डिग्री F) से कम तापमान पर जमी हुई अवस्था में है।
- ये स्थायी रूप से जमे हुए भूमि-क्षेत्र मुख्यतः उच्च पर्वतीय क्षेत्रों और पृथ्वी के उच्च अक्षांशों (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के निकट) में पाए जाते हैं।
- पर्माफ्रॉस्ट पृथ्वी के एक बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में लगभग एक चौथाई भूमि में पर्माफ्रॉस्ट मौजूद हैं। यद्यपि ये भूमि-क्षेत्र जमे हुए होते हैं, लेकिन आवश्यक रूप से हमेशा ये बर्फ से ढके नहीं होते।
- जलवायु परिवर्तन के खतरे को और गहरा करने में योगदानः आर्कटिक क्षेत्र में विश्व के अन्य क्षेत्रों की तुलना में तापमान दोगुनी तेज़ी से बढ़ रहा है। नतीजतन, वर्ष भर जमी रहने वाली पर्माफ्रॉस्ट पिघल रही हैं।
- पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से जलवायु संकट के प्रभाव और गहरे हो जाएंगे, क्योंकि इस प्रक्रिया में संगृहित कार्बन का उत्सर्जन होता है।
- इसी प्रकार समुद्री बर्फ और भूमि को ढकने वाली बर्फ की चादरों का पिघलना तापमान में वृद्धि की गति को तेज़ करेगा (क्योंकि बर्फ में जल की तुलना में अधिक एल्बिडो होता है)।
- उष्णकटिबंधीय चुनौतियाँ उच्च अक्षांशों में देखने को मिल सकती हैंःजो बीमारियाँ आम तौर पर भूमध्यरेखीय बेल्ट को प्रभावित करती हैं, उनका प्रसार अब उच्च अक्षांशों की ओर हो रहा है। मच्छर, किलनी (Ticks) और अन्य कीट इनमें से कई रोगों के प्रसार के वाहक हैं।
- वेस्ट नील वायरस (West Nile virus- WNV), जिसका पहला मामला वर्ष 1999 में सामने आया था, प्रत्येक वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में सैकड़ों मौतों का कारण बनता है।
- बढ़ते तापमान के साथ आर्कटिक के कुछ हिस्सों सहित कनाडा में वेस्ट नील वायरस की उपस्थिति अधिकाधिक सामान्य होती जा रही है।
- ज़ूनोटिक या पशुजन्य रोगों की व्यापकताः बढ़ते तापमान के कारण बत्तख और कलहंस जैसे जंगली पक्षियों के पर्यावासों में भी बदलाव आ रहा है जो प्रायः एवियन फ्लू के वाहक होते हैं।
- रूस में पक्षियों से मनुष्यों में H5N8 एवियन फ्लू के संक्रमण का पहला मामला दर्ज होने के साथ इस खतरे की पुष्टि भी हो गई है।
- लोमड़ियों जैसे अन्य जंगली पशुओं के पर्यावासों में परिवर्तन से भी रेबीज़ रोग के भौगोलिक वितरण में वृद्धि हो सकती है।
- विषाणुओं और जीवाणुओं में बढ़ोतरीः पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने और बर्फ के पिघलने से विषाणुओं और जीवाणुओं के उभार को लेकर भी वैज्ञानिक समुदाय चिंतित है। वर्ष 2016 के ग्रीष्म में साइबेरिया के एक सुदूर हिस्से में एंथ्रेक्स के प्रकोप ने इस चिंता को बल दिया था।
- इस प्रकोप से दर्जनों लोग संक्रमित हुए और एक युवक की मौत भी हो गई वहीं इस प्रकोप में लगभग 2,300 रेनडियर मारे गए थे।
- प्रसारः
- एंथ्रेक्स, जीवाणु के कारण होने वाला एक गंभीर संक्रामक रोग है जहाँ वे बीजाणु (Spores) के रूप में लंबे समय तक निष्क्रिय बने रह सकते हैं।
- जमी हुई मिट्टी और बर्फ में एंथ्रेक्स बीजाणु कुछ दशकों तक रोगसक्षम बने रहने की क्षमता रखते हैं।
- बर्फ के पिघलने से बाहर आए संक्रमित पशुओं (विलुप्त विशालकाय मैमथ सहित) के कंकाल विभिन्न रोगों के प्रकोप का कारण बन सकते हैं।
- महामारी का खतराः चिंता का एक अन्य विषय ऐसे विषाणुओं और जीवाणुओं का उभार भी है जो महामारी पैदा करने की क्षमता रखते हैं। रोग पैदा करने में सक्षम ये सूक्ष्मजीव सैकड़ों या हजारों वर्षों तक निष्क्रिय बने रह सकते हैं।
- वर्ष 1918 के स्पेनिश फ्लू पेंडेमिक का कारण बनने वाले H1N1 इन्फ्लूएंज़ा वायरस के साथ ही चेचक (Smallpox) उत्पन्न करने वाले विषाणुओं की आनुवंशिक सामग्री पर्माफ्रॉस्ट में पाई गई है।
- चेचक (जिसका उन्मूलन कर दिया गया था) जैसे वायरस का फिर से उभरना चिंताजनक होगा, जबकि इसके लिये अब नियमित टीकाकरण की गति धीमी पड़ गई है।
- तिब्बत के पठार से प्राप्त वायरस के नमूनेः ये स्थितियाँ केवल आर्कटिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं। हज़ारों वर्ष से बने रहे हिमनदों की बर्फ पिघल रही है।
- हाल ही में तिब्बत के पठार के हिमनदों में 15,000 वर्ष पुराने वायरस पाए गए हैं।
- जलवायु परिवर्तन की गति पर रोक लगानाः जलवायु परिवर्तन की गति को कम करने और पर्माफ्रॉस्ट की रक्षा के लिये यह अनिवार्य है कि अगले दशक में वैश्विक CO2 उत्सर्जन को 45% तक कम किया जाए और वर्ष 2050 के बाद उन्हें शून्य के स्तर पर लाया जाए।
- जलवायु परिवर्तन के शमन के लिये वैश्विक सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। कोई एक देश अपने उत्सर्जन में कटौती करता है तो इसका कोई लाभ नहीं होगा, यदि अन्य देश भी इसका पालन नहीं करते हैं।
- क्षरण की गति पर नियंत्रणः वैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' ने आर्कटिक के पिघलने से सर्वाधिक प्रभावित 'जैकबशवन ग्लेशियर' (Jakobshavn glacier, Greenland) के सामने 100 मीटर लंबा बाँध बनाने का सुझाव दिया है ताकि इसके क्षरण को नियंत्रित किया जा सके।
- कृत्रिम हिमखंडों को संयुक्त करनाः इंडोनेशिया के एक वास्तुकार को 'Refreeze the Arctic' नामक परियोजना के लिये पुरस्कृत किया गया है, जिसमें पिघलते हुए ग्लेशियरों के जल को इकट्ठा करने और इसके अलवणीकरण और पुनः जमाने के साथ बड़े हेक्सागोनल हिमखंडों के निर्माण जैसी कार्रवाइयाँ शामिल हैं।
- इन हिमखंडों के वृहत आकार के कारण इन्हें संयुक्त कर एक विशाल ग्लेशियर का निर्माण किया जा सकता है।
- हिमखंडों की मोटाई में वृद्धि करनाः कुछ शोधकर्त्ताओं ने अधिक बर्फ निर्माण के रूप में एक समाधान प्रस्तुत किया है। उनके प्रस्ताव में पवन ऊर्जा द्वारा संचालित पंपों के माध्यम से ग्लेशियर के निचले हिस्सों के बर्फ को जमा कर शीर्ष पर फैलाना है, ताकि ये जम जाएं और ग्लेशियर की स्थिरता को मज़बूती प्रदान करें।
- लोगों को जागरूक करनाः टुंड्रा और उसके नीचे का पर्माफ्रॉस्ट हमारे लिये सुदूर क्षेत्र प्रतीत हो सकता है, लेकिन हम पृथ्वी पर कहीं भी रहते हों, हमारे दैनिक कार्य जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं।
- अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम कर, ऊर्जा-कुशल उत्पादों में निवेश कर और जलवायु-अनुकूल व्यवसायों, कानूनों और नीतियों का समर्थन कर हम विश्व के पर्माफ्रॉस्ट को संरक्षित करने और पृथ्वी को लगातार गर्म करते दुष्चक्र को टालने में मदद कर सकते हैं।
प्रत्येक देश को जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को अपनी विदेश नीति के शीर्ष एजेंडे में शामिल करने की आवश्यकता है। हमें यह ज़रूरी क़दम उठाना ही होगा और जिस शीघ्रता से हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे, हमारी जलवायु कार्रवाइयों का उतना ही अधिक लाभ हम उठा सकेंगे।
अभ्यास प्रश्नः पर्माफ्रॉस्ट और हिमनदों के पिघलने से अप्रत्याशित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। चर्चा कीजिये।
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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर मचे बवाल के बीच त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को याचिका दाखिल कर आदेश पर अमल के लिए और वक्त मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को 10 से 50 वर्ष की बच्चियों और महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी खत्म कर दी थी।
बोर्ड ने याचिका में कहा कि आदेश को तत्काल लागू करने के लिए उसके पास जरूरी साधन नहीं है। लोग हिंसा और विद्रोह पर उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई का आदेश दिया था। लेकिन, 28 सितंबर के आदेश पर रोक से इनकार कर दिया था। वकील मैथ्यु नेदुम्पारा ने 14 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा था कि 28 सितंबर के फैसले पर रोक लगाई जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 22 जनवरी, 2019 तक इंतजार कीजिए। उसी दिन सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।
इसी विषय पर अमर उजाला डॉट कॉम ने ऑनलाइन पोल में अपने पाठकों से सवाल पूछा था 'क्या सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का नियम लागू करने के लिए और समय की मांग सही है? '
पोल के जवाब में 50. 44 फीसदी पाठकों ने माना कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का नियम लागू करने के लिए और समय की मांग सही नहीं है, जबकि 49. 56 फीसदी पाठकों ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का नियम लागू करने के लिए और समय की मांग करना सही है।
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नई दिल्ली- बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद इन दिनों सुर्खियों में दर्शन आनंद ने बुधवार को धौलपुर से संकल्प यात्रा के जरिए राजस्थान में चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार मायावती अब अपने भतीजे को बसपा का नेतृत्व सपना की जिम्मेदारी यानी तैयारी कर रही है। कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा इस बीच बातचीत के दौरान आकाश आनंद ने बताया कि आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को लेकर क्या बोलें 10 साल आकाश में चंद्रशेखर के पॉलिटिकल और पॉलिटिक्स करने की स्टाइल पर ही सवाल खड़े कर दिए आगे जाने आकाश आनंद ने आखिर क्या कह दिया है..
सवाल पूछा गया दलित अत्याचार के खिलाफ चंद्रशेखर धरने पर बैठ जाते हैं लेकिन बीएसपी क्यों नहीं इस पर जवाब देते हुए आकाश चंद ने कहा कि बसपा का लोगों को न्याय दिलाने का तरीका बहुत अलग चंद्रशेखर जिस टाइप का काम करते हैं उससे हमारे युवाओं का नुकसान पहुंचता है उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो जाते हैं। उनको आगे सरकारी नौकरियों में मौका नहीं मिल पाता है।
मायावती को लेकर आकाश ने कहा कि यूपी में बहन मायावती ने अनेकों काम किया बहन मायावती से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को सीख लेनी चाहिए।
अपने समर्थकों को संदेश देते हुए आकाश चरण ने कहा जब तुम्हारे सिर पर शेरनी बहन मायावती का हाथ है। तो क्यों घबराते हो कभी ना झुकना और ना कभी डरना अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर चाहिए।
चंद्रशेखर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। तो क्या आप उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे आपको बता दे कि जब चंद्रशेखर से ही यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसका उत्तर नहीं दिया। अब वक्त ही बताया कि आकाश चंद्रशेखर के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं या नहीं।
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। 23 अक्टूबर को थाना थाटीपुर क्षेत्र में रिवॉल्वर की नोक पर 80 लाख के जेवर छीनकर ले जाने की घटना का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस (Gwalior Police) ने आरोपी को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से करीब 70 लाख के जेवर बरामद कर लिए हैं। पुलिस जाँच में सामने आया है कि फरियादिया ने जो कहानी बताई थी मामला उस हिसाब से सामने नहीं आया।
एसपी अमित सांघी (SP Amit Sanghi) ने बताया कि 80 लाख के जेवर ले जाने की बात सामने आने के बाद पुलिस अलर्ट हो गई थी, एडिशनल एसपी राजेश दण्डोतिया और सीएसपी ऋषिकेश मीणा ने मामले की तफ्तीश शुरू की इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी को शहर में देखा गया है।
सूचना पर टीआई थाटीपुर आरबीएस को निर्देश दिए गए टीआई ने टीम बनाकर आरोपी की घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वो फरियादी का परिचित है, उसने रिवाल्वर लगाकर नहीं बल्कि डेढ़ दो महीने में धीरे धीरे कर जेवर लिए हैं, आरोपी ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग का कारोबार करता है उस पर कर्जा हो गया था जिसे पटाने के लिए वो जेवर को गिरवी रखकर कर्जा उतारना चाहता था। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से 70 लाख रुपये के जेवर बरामद कर लिए हैं। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है।
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यूपी में मेरठ के 'गोल्ड ब्वॉय' सौरभ चौधरी का धमाल जारी है। 17 दिन में उन्होंने देश के लिए चौथा पदक जीता है। इसमें दो गोल्ड मेडल, एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल है। उनके इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत टोक्यो ओलंपिक के लिए उनका चयन पक्का हो गया है। हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा होनी बाकी है।
21 अगस्त को सौरभ ने जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। दो दिन पहले दक्षिण कोरिया में कांस्य पदक पर निशाना साधा था। अब सौरभ ने 52वीं आईएसएसएफ वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल के जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
वहीं टीम इवेंट में रजत पदक जीता। मेरठ के थाना सरूरपुर क्षेत्र के छोटे से गांव कलीना निवासी सौरभ किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता चौधरी जगमोहन सिंह हैं। सौरभ ने 2015 में शूटिंग में दिलचस्पी दिखाई, जिसके बाद उन्होंने बागपत के बिनौली में वीर शाहमल राइफल क्लब में शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू की।
सौरभ की मां ब्रजेश देवी बताती हैं कि सौरभ बडे़ ही शांत स्वभाव का है। साधारण परिवार में जन्में सौरभ ने कभी कोई जिद नहीं की। साथ ही वे बताती हैं कि सौरभ घर पर देर रात तक प्रैक्टिस किया करता था।
सौरभ के पिता ने उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी जाहिर की। उन्होंने बताया कि जिस तरह हरियाणा सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देती है। उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
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यह सभी इस बात पर ध्यान देंगे कि मौजूदा विवाद, खिलाडिय़ों की सजा के अलावा खेल की भावना को आचार संहिता का और अधिक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे बनाया जाए। आईसीसी ने एक बयान में कहा कि बीते कुछ सप्ताहों में हमने खिलाडिय़ों के बुरे व्यवहार के कई उदाहरण देखे हैं जिसमें स्लेजिंग, आउट करने के बाद बल्लेबाज से बुरा व्यवहार, अंपायरों के फैसलों से असहमति और बॉल टेम्परिंग जैसे मुद्दे शामिल हैं।
बयान में कहा गया है कि हालिया घटनाओं को याद किया जाए तो यह शायद सबसे बुरा दौर था। बॉल टेम्परिंग के बाद पूरे विश्व ने साफ संदेश दिया है कि बहुत हो चुका। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 22 से 26 मार्च के बीच खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन कंगारू टीम के केमरून बेनक्राफ्ट को गेंद पर सैंडपेपर लगाते हुए देखा गया था। इसके बाद विवाद गहरा गया और नतीजन इस विवाद में शामिल ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ, उप-कप्तान डेविड वार्नर और बेनक्राफ्ट की क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने प्रतिबंधित कर दिया।
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड रिचर्डसन ने कहा, पिछले कुछ सप्ताहों में जो हुआ, हमें उससे आगे जाना होगा, लेकिन इस उम्मीद से नहीं कि लोग इसे भूल जाएंगे बल्कि इससे सकारात्मक चीजें सीखते हुए आगे निकलना होगा और विश्व भर के प्रशंसकों को विश्वास दिलाना होगा कि वे क्रिकेट पर विश्वास कर सकते हैं। रिचर्डसन ने कहा कि यह समीक्षा आईसीसी को मौका देगी कि वह देखे कि 21वीं सदी में यह खेल कैसा होना चाहिए।
मोहित शर्मा ने CSK के खिलाफ दिल दहलाने वाले आखिरी ओवर पर किया खुलासाः "मैं सो नहीं पाया"
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साउथ सुपरस्टार अल्लू अर्जुन ने हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर धमाकेदार एंट्री मारी। जहां पुष्पाराज को देखते ही वहां मौजूद पैपराजी उनकी तस्वीरें लेने के लिए दौड़े। हालांकि इस दौरान फिल्म स्टार अल्लू अर्जुन काफी जल्दबाजी में थे। जिसकी वजह से उन्होंने पैपराजी की लाख आवाजों के बाद भी रुक कर तस्वीरें नहीं क्लिक करवाईं। दिलचस्प बात ये है कि इस दौरान सुपरस्टार अल्लू अर्जुन अपनी फिल्म पुष्पा 2 के लुक में ही दिखे। यहां देखें स्टाइलिश स्टार अल्लू अर्जुन की फोटोज।
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२१ हिन्दी पूर्व प्रतीक-परम्परा
कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में प्रतीकपद्धति का प्रथम निदर्शन हमें मिश्र की प्राचीन चित्रलिपियों ( Hieroglyphics ) में मिलता है । काव्य-क्षेत्र के रूप में प्रतीकों का प्रयोग सर्वप्रथम हिन्दी साहित्य में प्राप्त न होकर वैदिक साहित्य में उपलब्ध होता है ।
२१.१ वैदिक तथा लौकिक संस्कृत काव्य में प्रतीक-योजना
भारतीय प्रतीकों की परम्परा को समीक्षकों ने ऋग्वेद से सम्बन्धित किया यथा-मदन वात्स्यायन का कथन है'न सूखने वाले जल की उपमा वैदिक ऋषि ने 'जीभ के जल" से दी थी । आग की लपटों की 'लींग घुमाते हुए पशु से और एक-एक दिन ह्रास करने वाली उपा की बस्त्री से 12
वर्तमान युग में अपनी यौगिक अनुभूतियों के आधार पर वेदार्थ को एक नया आलोक देने वाले योगिराज अरविन्द घोष तो समस्त वैदिक वाङ्मय को ही संध्या-भाषा (प्रतीक-भाषा) में प्रणीत रहस्यात्मक रचनाएँ मानते हैं। उनके अनुसार इस [वेद] की भाषा को ऐसे शब्दों और अलंकारों में आवृत्त कर दिया गया है जो कि एक ही साथ विशिष्ट लोगों के लिये आध्यात्मिक अर्थ तथा साधारण पूजार्थियों के लिये एक स्थूल अर्थ प्रगट करती है । वेद के प्रतीकवाद का आधार यह है कि मनुष्य का जीवन एक यज्ञ है, एक यात्रा है, एक युद्ध क्षेत्र है । योगिराज जी ने वेदगत इन्द्र, अग्नि, नोम आदि प्रतीकों के पीछे प्रतीयमान अन्तर्जगत के आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का अपने 'वेद -रहस्य' ( The secret of the Vedas ) में अतिविस्तृत और विश्वसनीय ढंग से स्पष्टीकरण कर रखा है । वेद व्याख्यानभूत ब्राह्मण वथों, पुराणों तथा काव्यों में हमें इन्हीं प्रतीयमान अर्थों की विस्तृत व्याख्याएं मिलती हैं; उदाहरणार्थं वर्तमानकाल की सर्वश्रेष्ठ कृति 'कामायनी' के मूल प्रेरक तत्व 'ऋग्वेद' और 'शत-पथ ब्राह्मण के मंत्र और संदर्भ है, वस्तुतः मनु के आख्यान के आवरण में आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं के विश्लेषण को मूलभावना कवि को वेदों से उपलब्ध हुई है ।
अतः स्पष्ट है कि आध्यात्मिक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति के लिये प्रतीक
४- संपादक-अज्ञेय- 'तीसरा सप्तक १० १३५.
१- अनु०-आचार्य अभयदेव विद्याकलंलार 'वेद-रहस्य, पृ० ११, १४, १५, |
चन्दनं शीतलं लोके चंदनादपि चंद्रमाः।
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतः। ।
चन्दन को शीतल माना जाता है लेकिन चन्द्र चन्दन से भी शीतल होता है। अच्छे लोगों का साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है।
। । आप सभी का दिन मंगलमय हो। ।
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बन कर हमारे पुण्य पाप का लेखा जोखा किया करता है । इसीलिए महर्षि नारद जी का कहना हैसत्रापि न माहात्म्यज्ञानस्मृत्यपवादः' 'तद्विहीनं जाराणामिव'
नारद - भक्तिसूत्र २२, २३
प्रेम तथा काम का तारतम्य
प्रेम तथा काम का तारतम्य समझ लेना इस प्रसंग में नितांत श्यक है। प्रेम में त्याग की भावना का प्राबल्य रहता है और काम में स्वार्थ की भावना का प्राधान्य रहता है। प्रेमी अपने प्रेमपात्र के लिए अपने सौख्य तथा सम्पत्ति को न्योछावर करने के लिप उद्यत रहता है, परंतु कामी की दृष्टि अपने ही सौख्य की ओर लगी रहती है। वह केवल अपना ही स्वार्थ चाहता है, अपनी इच्छा की पूर्ति की कामना करता है; उसका दृष्टिबिन्दु प्रियपात्र न होकर स्वयं अपना ही क्षुद्र आत्मा होता है । वह अपने प्रिय की ओर कभी फूटी नजरों से भी नहीं देखता । वह देखता है केवल अपने को अपने क्षुद्र स्वार्थ को तथा अपने व्यक्तिगत सौख्य को । नारदजी की सम्मति में प्रेम की प्रधान पहिचान है - तत्सुखसुखित्वम् = प्रियतम के सुख में अपने आपको सुखी मानना । परंतु काम में इस भावना का एकदम अभाव रहता है। गोपियों के जीवन में हम प्रेम की ही प्रधानता पाते हैं। उनका एक ही उद्देश्य था कि किसी न किसी प्रकार से कृष्णचंद्र को अपने कार्यों से आनंद पहुँचाना । इसी सेवा से ही उन्हें अपार आह्लाद प्राप्त होता था; उनके हृदय में और किसी भी स्वार्थभूलक वासना का अस्तित्व नहीं था । |
'कामना' में अध्यवसित रूपक की स्थापना मानसिक भाव करते हैं और 'ज्योत्स्ना' मे यह प्रकृति के द्वारा संपन्न होता है, यद्यपि मन के मे रूपों की सहायता भी इस कार्य में ली जाती है। जैसे, स्वप्न और कल्पना की, जिन्हें कवि ने साक्षात् अपने मूल रूप में उपस्थित हुआ दिखाया है ।
-५'ज्योत्स्ना' ऐसा नाटक है जिसमे काव्यत्व का प्राधान्य है । 'कामना' में इसकी कमी मिलेगी। 'ज्योत्स्ना' में यथाप्रसंग विचारात्मकता भी है, परंतु कम । काव्यात्मक परिस्थिति में ही इसका निर्माण हुआ है। इसके रंग-निर्देश तथा अनेक गीतों द्वारा जिसकी स्थापना में विशेष सहायता मिली है। रंगमंच पर 'ज्योत्स्ना' का अभिनय तो संभव ही लगता
-यद्यपि नाटककार ने पात्र - पात्रियों के रूप, वय तक का निर्देश किया है; परंतु साथ ही इनके जिन काल्पनिक वस्त्राभरण आदि का निर्देश किया है वे असंभव लगते हैं। हाँ इसका भय सिनेमा के रूप मे हो सकता है । इस पठ्य नाटक ही समझना चाहिए । 'कामना' की अभिनेयता मे संदेह नहीं, इसका हो भी चुका है।
रचना - कला की दृष्टि से 'ज्योत्स्ना' में चुस्ती नहीं दिखाई पड़ती । जिस वस्तु को लेकर इसका निर्माण प्रारंभ हुआ है उसकी पूर्ति थोड़े में ही हो जाती है और यदि इसमें लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात् व्यर्थ विस्तार न किया जाता, तो चुस्ती की निहिति हो जाती ।
गीत, अनेक फूलो के नाम, रूप, कार्य आदि फालतू से लगते हैं। अन्यत्र भी गीतों का आधिक्य इसकी चुस्ती को मारता है। ऐसा प्रतीत होता है कि नाटक में प्राकृतिक और काव्यात्मक वातावरण की स्थापना करने पर विशेष दृष्टि होने के कारण इसकी चुस्ती मारी गई। इसमें पाँच अंक हैं, 'कामना' में तीन हो । |
UPA -2 के दौरान तेलंगाना के गठन से पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के मुखिया के चंद्रशेखर राव (KCR) ने एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता से मुलाकात की थी. राव ने उनसे कहा था कि अगर संसद तेलंगाना का बिल पास करा दे तो वह अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर देंगे और मुख्यमंत्री बन जाएंगे.
उस वक्त कांग्रेस नेता और रेड्डी समुदाय के प्रभावशाली कांग्रेस नेता ने केसीआर को बताया कि अगर वह यह उम्मीद कर रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें सीएम बनाएगी तो वह बेवकूफ हैं. पार्टी केवल रेड्डी को ही सीएम बनाएगी.
टीआरएस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, केसीआर को महसूस हुआ कि कांग्रेस विलय के खिलाफ है. कुछ महीने बाद टीआरएस को जीत मिली और केसीआर तेलंगाना के पहले सीएम बन गए. अब तेलंगाना में दूसरा विधानसभा चुनाव हो रहा है. यहां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की आस रेड्डी समुदाय पर टिकी हुई है.
कांग्रेस के 75 में से 29 उम्मीदवार रेड्डी समुदाय से हैं. राज्य में रेड्डियों की आबादी 12 फीसदी से ज्यादा है. यूनाइटेड आंध्र प्रदेश के दौरान रेड्डी समुदाय कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी रही है. अब कांग्रेस, तेलंगाना में वापसी के लिए रेड्डियों के भरोसे है.
तेलंगाना के चुनाव में जगनमोहन रेड्डी ने अपनी पार्टी वाईएसआरसीपी से एक भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है जो अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की मदद करेगा. कांग्रेस के रेड्डी नेताओं की सूची में तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी, पत्नी पद्मावती रेड्डी, कोमेडी राजगोपाल रेड्डी और नेता विपक्ष कोमेडी वेंकट रेड्डी शामिल हैं. फायरब्रांड रेवंत रेड्डी, वरिष्ठ विधायक अरुणा रेड्डी और सुनीथा लक्ष्मण रेड्डी भी शामिल हैं. पूर्व सीएम चन्ना रेड्डी के बेटे और पूर्व विधायक शशिधर रेड्डी भी पार्टी का टिकट पा सकते हैं.
टीडीपी का समर्थन करने वाले अधिकतर पिछड़े वर्ग के नेताओं ने सीट मांगी. 119 सीटों वाली विधानसभा में 14 सीटें इन नेताओं को मिलीं. ओबीसी समुदाय से आने वाले पार्टी प्रवक्ता श्रवण कुमार को भी टिकट मिल गया है.
कांग्रेस फिलहाल तेलंगाना की 18 और सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करने वाली है. टीआरएस के खिलाफ बने महाकुटमी में लंबी बातचीत के बाद कांग्रेस को 93, टीडीपी को 14, तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमिटी को 8, सीपीआई को 2 और आईएनटीआई पार्टी को 1 सीट दी गई है.
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार रेड्डियों को इस बात की चिंता है कि सलाहकार एससी नेता के. राजू के प्रभाव में आकर राहुल गांधी एससी लोगों का समर्थन कर रहे हैं. हालांकि वह किसी तरह पार्टी चीफ को इस बात के लिए मना चुके हैं कि केवल रेड्डी ही पार्टी को सत्ता में वापस ला सकते हैं.
चुनाव में दो महत्वपूर्ण दलित नेता दामोदर राजा नरसिम्हा और भट्टी विक्रमाका भी चुनाव लड़ रहे हैं और यदि पार्टी जीतती है, तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी की उम्मीद है. पार्टी के मुस्लिम चेहरे और पूर्व मंत्री शबीर अली भी कांग्रेस सूची में शामिल हैं.
पार्टी को उम्मीद है कि हैदराबाद (ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र) के आसपास और आसपास 27 सीटें 'महाकुटमी' के पाले में आ सकती हैं.
आंध्र प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री डॉ एम एम मसूरा रेड्डी ने कहा, 'हैदराबाद जिले में 14 सीटें हैं और रंगा रेड्डी जिले में 13 सीटें हैं. रेड्डी और काम्मा आबादी यहां ज्यादा है. उनमें से कई आंध्र प्रदेश के प्रवासी हैं. इस क्षेत्र में कोई तेलंगाना भावनाएं नहीं हैं और टीआरएस भी कमजोर है. अगर कांग्रेस और टीडीपी अच्छी तरह से लड़ते हैं, तो वे हैदराबाद में 7 सीटों को छोड़कर अधिकतम सीटें जीत सकते हैं, जहां असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम जीतने की संभावना है. '
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, टीडीपी के नेता और आंध्र के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू अभी भी हैदराबाद क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और लोग मानते हैं कि उन्होंने आईटी, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य बड़े उद्योगों की स्थापना के दौरान विश्व मानचित्र पर हैदराबाद को बनाए रखा है.
एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अगर नायडू यहां आक्रामक अभियान चलाएं तो महाकुटमी को मौका मिल सकता है.
'महाकुटमी' महबूबनगर, हैदराबाद, रंगा रेड्डी, नलगोंडा और खम्मम के दक्षिणी जिलों पर केंद्रित है जहां टीआरएस अपेक्षाकृत कमजोर है. इसके साथ ही चंद्रबाबू नायडू को आंध्र में रेड्डी लोगों का दुश्मन माना जाता है. ऐसे में अगर महाकुटमी जीती तो यह कारक सीएम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.
(रमन कुमार पीवी के इनपुट के साथ)
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इंडिया न्यूज, नई दिल्लीः
Asha Bhosle Love Life Facts आशा भोसले एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह परदे में रहने दो, चुरा लिया है, उड़े जब-जब जुल्फें तेरी और जरा सा झूम लू में जैसे कुछ सबसे प्रसिद्ध गीतों के पीछे की आवाज है। बॉलीवुड में बतौर सिंगर काम करना आशा के लिए सिर्फ एक सपना ही नहीं बल्कि एक जरूरत भी थी। सभी कर्कश और उदास गीत उन्होंने गाए है।
जहां लता मंगेशकर पहले ही खुद को एक गायिका के रूप में स्थापित कर चुकी थीं, वहीं आशा अभी भी खुद को साबित करने की कोशिश कर रही थीं। अपने संघर्ष के दिनों में आशा ने एक ऐसा कदम उठाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वह लता मंगेशकर के सचिव गणपतराव भोसले के साथ रिश्ते में थीं। उस समय आशा की उम्र महज 16 साल थी। लता ने तुरंत अपनी छोटी बहन को अस्वीकार कर दिया और मंगेशकर परिवार ने उनसे सभी संबंध तोड़ लिए।
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लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र में होली के त्योहार वाले दिन प्रेम प्रसंग में रोड़ा बने दोस्त ने अपनी प्रेमिका संग मिलकर दूसरे दोस्त का गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या कोआत्महत्या का रूप देने के लिए प्रेमी-प्रेमिका ने मृतक के शरीर को आम के पेड़ से लटकाकर फरार हो गए।
घटना स्थल पर रस्सी से लटक रहे शव को प्रथम दृष्टया देखने पर हत्या कर शव को पेड़ से लटकाने की साजिश प्रतीत हो रही थी। मृतक के परिजनों ने पुलिस को तहरीर देते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था। मामले की जांच पड़ताल में जुटी पुलिस ने 24 घण्टे के भीतर हत्या का खुलासा करते हुए प्रेमी व उसकी प्रेमिका के गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के मुताबिक, रामलखन प्रजापति पत्नी नवनीत कुमारी व अपने 4 बेटे पंकज,अभिषेक,विवेक,राजवीर के साथ मलिहाबाद कोतवाली अंतर्गत सिरगामऊ गांव में रहकर खेती किसानी का काम करते हैं। होली के त्योहार के दिन ग्रामीणों ने रामलखन को बताया कि, उनका मंझला बेटा अभिषेक का शव जेहटा निवासी विनय सिंह के आम के बाग में रस्सी के सहारे लटका हुआ है।
अभिषेक की मौत की खबर सुनकर परिवार में कोहराम मच गया। मौत की खबर जंगल में लगी आग की तरह गांव में फैल गई। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में लोग घटना स्थल पहुंच गए। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने रस्सी के फंदे से लटक रहे शव को नीचे उतार कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने लगे। घटना स्थल पर मौजूद परिजनों व ग्रामीणों ने पुलिस को शव न देकर रोड जाम कर दिया और मौके पर आलाधिकारियों को बुलाने के साथ साथ हत्यारों को पकड़ने की मांग करने लगे।
सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे एसपी ग्रामीण ह्रदेश कुमार व क्षेत्राधिकारी योगेन्द्र सिंह ने हत्या के खुलासा करने का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। एसपी ग्रामीण ने कोतवाली प्रभारी ,सर्विलांस टीम व स्वाट टीम को हत्या का जल्द से जल्द खुलासा करने का आदेश दिया।
पूछताछ के दौरान पकड़े गए युवक ने अपना नाम सिरगामऊ निवासी अनुज यादव व युवती ने अपना नाम अंजली निवासी सरसण्डा बताया। अनुज यादव ने पुलिस को बताया कि मेरा अंजली से लगभग 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा है। अभिषेक लगातार अंजली से प्रेम प्रसंग का दबाव बना रहा था। जिसके चलते हम दोनों ने अभिषेक को रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगे।
होलिका दहन की रात्रि को अंजली ने फोन कर अभिषेक को मिलने के लिए बुलाया। एक दूसरे से गले मिलते समय मैंने पीछे से रस्सी से गला घोंट कर उसे बेहोश कर दिया। बेहोश होने के बाद हम दोनों ने मृतक को मोटर साइकिल से गांव से थोड़ी दूर विनय सिंह के बाग में ले जाकर रस्सी के फंदे से उसे पेड़ से लटका कर मौत के घाट उतार दिया और मौके से फरार हो गए।
घटना का अनावरण करने के बाद पुलिस ने बताया कि, दूसरे दिन डाले से मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाते समय अनुज ने साजिश के तहत कई बार डाले को रोककर जाम लगवाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के सामने उसकी एक न चली।
कसमण्डी कला चौकी इंचार्ज कुलदीप यादव ने बताया कि, मृतक अभिषेक व अनुज आपस मे अच्छे दोस्त थे। दोनों लोग डाला चलाने का काम करते थे। बीते 16 मार्च को अभिषेक बनारस भाड़ा उतारने के बाद घर मे होली का त्योहार मनाने के लिए वापस गांव लौटा था। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था और वह अपने बचपन के दोस्त के हाथों मारा गया। पुलिस के मुताबिक, हत्यारे दोस्त की 3 साल पहले मवई कलां बीकेटी निवासी पूनम से शादी हुई थी। उसके लगभग 9 माह की बेटी है। पुलिस ने दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है।
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Chennai Super Kings (CSK)
चेन्नई सुपर किंग्स (CSK): 4 बार की चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स (Chennai Super Kings) एक बार फिर महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में उतरेगी. डिफेंडिंग चैंपियन चेन्नई ने कप्तान धोनी (MS Dhoni) के अलावा रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja), मोईन अली (Moeen Ali) और ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) को रीटेन किया है. इसके अलावा उसने नीलामी के जरिये अंबाती रायडू, रॉबिन उथप्पा, डेवोन कॉनवे, ड्वेन ब्रावो, क्रिस जॉर्डन, शिवम दुबे, दीपक चाहर, सिमरजीत सिंह, ड्वेन प्रिटोरियस, मिचेल सैंटनर, एडम मिल्ने, राजवर्धन हंगरगेकर, प्रशांत सोलंकी, महेश तीक्षणा, मुकेश चौधरी, शुभांशु सेनापति, केएम आसिफ, तुषार देशपांडे, सी. हरि निशांत, एन. जगदीशन, के. भगत वर्मा को अपनी टीम में शामिल किया है.
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First choice is "KHADI"
यंगस्टर्स के दिलो-दिमाग पर इन दिनों खादी फेब्रिक से बनी ड्रेसेज सिर चढ़कर बोल रही हैं। कॉलेज गोइंग गल्र्स और ब्वॉयज के लिए खादी के बने कुर्ते, स्टॉल और शर्ट इन दिनों मार्केट में छाए हुए हैं। गल्र्स के मुताबिक, खादी स्टाइलिश होने के साथ-साथ आपको एक अलग लुक भी देता है। ड्रेसेज के अलावा इन दिनों खादी बैग्स भी कॉलेज कैंपस में स्टूडेंट्स के हाथ में देखे जा सकते हैं।
जैकेट, स्कर्ट, सलवार-कमीज, टॉप्स, पेंसिल स्कर्ट में इनोवेटिव डिजाइन के साथ एक्सपेरीमेंट करके इन ड्रेसेज को कैरी करके नया लुक दिया जा सकता है। इसमें लाइटर शेड्स, लाइट पेस्टल कलर्स के साथ एंब्रॉयडरी की कुर्ती को कैरी करके आप अट्रेक्टिव लुक पा सकते हैं। मार्केट में कॉटन खादी, सिल्क खादी, पोली खादी और वूलन खादी अवलेबल है। वेरियस एज ग्रुप के लिए खादी ड्रेस मैटेरियल भी मौजूद हैं।
इन दिनों यूथ खादी को काफी पसंद कर रहा है। इसमें अट्रेक्टिव लुक पाने के साथ-साथ आप खुद को बाकी सबसे अलग भी स्टेंड कर सकते हैं।
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शिवपुरी। यातायात महकमे ने शनिवार को स्कूल बसों की जांच के लिए पोहरी चौराहे पर चैकिंग लगाई। इस चैकिंग के दौरान सेंट चाल्स स्कूल की एक बस में क्षमता से अधिक बच्चों को लगेज की तरह ठूंस-ठूंस कर भरा गया था। यातायात प्रभारी सूबेदार रणवीर सिंह यादव ने जब बस पर तैनात स्टाफ से कागजात मांगे तो वह कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सका। उनके अनुसार बस 32 सीटर पास थी और उसमें 48 बच्चों को बैठा रखा था, जिसके चलते तत्काल बस में एक पुलिसकर्मी को बिठाया और सभी बच्चों को उनके घर तक सुरक्षति छुड़वा कर बस को थाने पर बुलवा लिया। बस मालिक ने घंटों बाद भी बस के दस्तावेज लेकर नहीं आया। यातायात प्रभारी का कहना है कि यह बस पूरी तरह से कबाड़ा है, कोई दस्तावेज नहीं हैं। बस को कार्रवाई के लिए न्यायालय भिजवाया जा रहा है।
सूबेदार का कहना है कि बस का मालिक जब कागजात लेकर थाने नहीं पहुंचा तो बस के रजिस्ट्रेशन नंबर से उसकी हिस्ट्री देखी गई तो वहां से जो जानकारी मिली उसके अनुसार बस की न तो फिटनेस है और न ही उसका बीमा और परमिट है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन और बस संचालक बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर ऐसी हालत में बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो आखिर जिम्मेदार कौन होगा।
जब बस के स्टाफ से इतने अधिक बच्चे होने के संबंध में जानकारी चाही तो उसका कहना था कि स्कूल में बड़े बच्चों के पेपर चल रहे हैं। बस में तीन बसों के बच्चे भरे हुए थे, उसके अनुसार बस नंबर 6 व 11 के बच्चे भी बस में बैठे थे। यही कारण है कि संख्या से अधिक बच्चे बस में सवार मिले। बस का स्टाफ यहां तक कहता नजर आया कि अगर मामला ले-दे कर निपट जाए तो निपटवा दो हम तो देने के लिए भी तैयार हैं।
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भारत ने आसियान देशों के पस्तावित मुक्त व्यापार समझौते आरसीईपी यानी रीजनल कॉम्पिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप में शामिल नहीं होने के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। इसे देश के किसानों और छोटे कारोबारियों के हक में एक बड़ी सफलता की तरह देखा जाना चाहिए। आसियान के दस देशों और उसके छह सहयोगी देशों चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच इस पस्तावित समझौते के अस्तित्व में आने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता बन जाएगा, जिसके दायरे में तकरीबन पचास फीसदी वैश्विक अर्थव्यवस्था आ जाएगी। इससे ही आरसीईपी के महत्व और उसके न केवल इसमें शामिल होने वाले देशों, बल्कि वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले पभाव को समझा जा सकता है।
बैंकाक में हुई बैठक में भारत को छोड़कर 15 देशों ने इस पर वार्ता पूरी कर ली है और भारत के लिए दरवाजे खुले हैं। दरअसल भारत इसमें शामिल होने से पहले अपने हितों को सुनिश्चित करना चाहता है। भारत की आपत्तियां खासतौर से इस बात को लेकर हैं कि इसके मौजूदा स्वरूप के अस्तित्व में आने से 80 से 90 फीसदी वस्तुओं पर आयात शुल्क खत्म हो जाएगा, जिससे चीन अपने सस्ते सामान से भारतीय बाजारों को भर देगा। इससे चीन के साथ व्यापार घाटा और बढ़ सकता है। इस समझौते से बाहर निकलकर पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश हित में बड़ा फैसला लिया है। कांग्रेस ने इसे इस आधार पर अपनी जीत बताई है कि पार्टी इस फैसले के खिलाफ थी।
आरसीईपी सम्मेलन के बाद शाम को भारत के विदेश मंत्रालय की सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने बताया कि शर्तें अनुकूल न होने के कारण राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए भारत ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया है। उन्होंने सम्मेलन में पीएम मोदी की ओर से दिया गया बयान भी पढ़ा, जिसमें उन्होंने गांधी जी के जंतर और अपनी अंतरात्मा के कारण यह फैसला लेने की बात कही थी। इस विषय पर टिप्पणी करते हुए पधानमंत्री ने बताया कि भारतीयों खासकर समाज के कमजोर वर्गों के लोगों और उनकी आजीविका पर होने वाले पभाव के बारे में सोचकर उन्होंने यह फैसला लिया है और उन्हें महात्मा गांधी की उस सलाह का ख्याल आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सबसे कमजोर और सबसे गरीब शख्स का चेहरा याद करो और सोचो कि जो कदम उठाने जा रहे हो, उसका उन्हें कोई फायदा पहुंचेगा या नहीं? भारत में लंबे समय से चिंताएं जताई जा रही थीं।
किसान और व्यापारी संगठन ने इसका यह कहते हुए विरोध कर रहे थे कि अगर भारत इसमें शामिल हुआ तो पहले से परेशान छोटे व्यापारी और किसान तबाह हो जाएंगे। निसंदेह आसियान और आरसीईपी में पस्तावित देशों के साथ भारत का रिश्ता दोतरफा है, लेकिन जब तक बाजार की पहुंच और सेवाओं में संतुलन नहीं बनता तब तक इस रिश्ते में मजबूती नहीं आ सकती।
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बिहारशरीफ। बड़ी पहाड़ी शराब कांड मामले में छः प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसमें पांच पुलिस द्वारा और एक पीड़ित रिषि के बयान पर दर्ज किया गया है, जिनमें आठ लोगों पर जहरीली शराब कांड में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। अलग-अलग प्राथमिकियों में शराब के धंधे में शामिल 18 लोगों के विरुद्ध नामजद तथा अज्ञात लोगों के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज हुई है। इस शराब कांड में अपनी आंख गंवा चुके रिषि ने जो बयान दर्ज कराया है उसमें दो लोगों को आरोपित बनाया गया है।
पुलिस द्वारा जो पांच प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है वह 15 जनवरी को दर्ज हुआ है, जबकि छठी प्राथमिकी 17 जनवरी को दर्ज की गयी है। इस मामले में मंसूर नगर के कारू पासवान, जितेंद्र कुमार उर्फ बोकड़ा, सुरेंद्र प्रसाद उर्फ सिंह जी, छोटी पहाड़ी की मीना देवी, उसका पुत्र संजय पासवान उर्फ भोंभा, सिंटू राम तथा पहड़तल्ली निवासी सुनीता मैडम और उसका पुत्र सूरज पर हत्या का मामला दर्ज हुआ है।
इसके अलावे मंसूर नगर के चंदन पासवान, अंडा, नगीना चौधरी, जेपी चौधरी, संतोष चौधरी, पहड़तल्ली के हकला उर्फ रंजीत पासवान, टिकुली पर के संतोष यादव उर्फ टेंगड़ा, बड़ी पहाड़ी मोहल्ले के देवनंदन पासवान, उसका पुत्र आकाश पासवान और प्रकाश पासवान तथा नूरसर शय थाना क्षेत्र के कैला गांव का एक अज्ञात के विरुद्ध भी नामजद प्राथमिकी हुई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहला मुकदमा तत्कालीन थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद के बयान पर दर्ज हुआ है, जिसमें मंसूर नगर के मुन्ना कुमार को अभियुक्त बनाया गया है। उसके पास से शराब जब्त हुई थी। दूसरी प्राथमिकी सुभाष कुमार नामक पुलिस कर्मी ने दर्ज कराया था, जिसमें पहाड़ी पर निवासी सुनील राम अभियुक्त बनाया गया था, जिसके पास से देसी शराब जब्त हुआ था। तीसरी प्राथमिकी राजकिशोर सिंह नामक पुलिस कर्मी ने दर्ज कराया था, जिसमें बड़ी पहाड़ी के मुन्ना कुमार, छोटी पहाड़ी के राहुल कुमार को अभियुक्त बनाया गया था।
रिषि जो अपनी आंख की रोशनी गवां चुका है ने भी प्राथमिकी दर्ज करायी। उसके अनुसार मकर संक्रांति के दिन अपने भाई के साथ मिलकर मीना देवी और उसका बेटा भोंभा से तीन सौ रुपये की शराब खरीदी थी और अपने भाई राजू के साथ छुपकर शराब पीया था। 15 जनवरी को दोनों की आंख खराब हो गयी। परिजनों ने पहले उसे विम्स में भर्ती कराया, बाद में प्राइवेट क्लिनिक में इलाज कराया गया।
एक अन्य प्राथमिकी सुरेश प्रसाद के बयान पर दर्ज की गयी जिसमें 8 लोगों को आरोपित बनाया गया और इनपर हत्या जैसे संगीन अपराध लगे। प्राथमिकी के अनुसार मृतक को पोस्टमार्टम कराने के बाद चिकित्सकों ने उनके शरीर में अल्कोहल मिलने की पुष्टि की थी। दर्ज मुकदमा के अनुसार कारू उसका चचेरा भाई बोकड़ा, उसका बहनोई मिलकर शराब बनाता था और पाउच में पैक कर मीना, भोंभा, सिंटू, सूरज और सुनीता को बेचने के लिए देता था।
छठी प्राथमिकी प्रभारी थानाध्यक्ष चंदन कुमार सिंह द्वारादर्ज कराया गया है। इसमें शराब के धंधे में शामिल 18 नामजद और एक अज्ञात को अभियुक्त बनाया गया है। कारू को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसने बताया कि वह सिंटू और अपने बहनोई सुरेंद्र के साथ मिलकर शराब का धंधा करता था। पहले नूरसराय के कैला गांव के एक धंधेबाज उसे शराब लाकर देता था बाद में वह खुद बनाना शुरू कर दिया। वह सिंटू व उसका बहनोई सुरेंद्र के साथ काम करता था।
बाद में उसका दूसरा बहनोई चंदन भी धंधे में शामिल हो गया और झारखंड से स्पिरिट मंगवाता था। इसमें व्हाइटनर मिलाकर शराब बनाता था। उसे प्लास्टिक में पैक कर अन्य धंधेबाजों को बेचने के लिए देता था। कभी-कभी स्पिरिट की जरूरत पर टिकुली पर के टेंगड़ा से खरीदता था। 14 तारीख से पहले उन्होंने शराब तैयार कर उसे बेचने के लिए दिया था। 15 की घटना के बाद सभी भाग निकले। 17 को शराब व अन्य सामान को घटना स्थल से हटाने के चक्कर में वह गिरफ्तार हो गया।
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अबदुल सतार 'सी'
अबदुल सतार 'आसी' एक मज़दूर कवि थे। उन्होंने मजदूरों के जीवन पर कुछ अच्छी कविताएं लिखी है। प्रासी पहले फ़ारसी भाषा में कविता लिखते थे, लेकिन जनता के प्यार और सेवा की खातिर इन्होंने काश्मीरी में भी काव्यरचना शुरू की। इन्होंने पहले पहल सामाजिक विषयों- "विधवा विधवा " इत्यादि पर कविताएं लिखींः "विधवा" नाम की कविता का एक मार्मिक ग्रंश यहां प्रस्तुत करते हैं :
नोज़ुक-बदन श्रख नोज़ुक-बदन प्रख मसवला मन्दरस प्रन्दर, ठोकरस निशि प्रॉस हारान अशि कनि खूने जिगर ।
[ चमेली के फूल के सदृश्य एक नाजुक बदन स्त्री मंदिर में ठाकुर की मूर्ति के सामने के रूप में अपना खून बहा रही थी । ]
बाद में स्व० आसीने मजदूरों और ग़रीबों का प्रतिनिधित्व अपनी कविता में किया । सन् १९४७ के राष्ट्रीय आन्दोलन के बाद आसी ने लिखा :
यिम श्रास्य गुलाम श्रजताम तिमनुय छु वोन्य करून राज, गमगीन दिलन चलन गम, यदि शान काशिर्यन हुन्द ।
[ जो आज तक गुलाम थे, उन्हें ही अब राज करना है। अब उदास दिलों की उदासी दूर होगी और काश्मीरियों का मस्तक उन्नत होगा ।।
मिरजा गुलाम हसन वेग 'धारिफ'
मिरजा गुलाम हमनबेग 'आरिफ' भी महज़ूर के समकालीन कवि रहे हैं प्रौर बराबर काव्य-सृजन करते हैं ।
'काश्मीर छोड़ो' के राष्ट्रीय आन्दोलन में डोगराशाही की सेना का दमन 'आरिफ़' वर्णन करते हैं :
बगावत करुन नाव श्राहन त नालन, जनानन शुर्यन लत मोंड़ कर रिसालन। दोपुख जेल-खानन नमव सोत वालन, बुद्धिय बेकसन जुलुम श्रालम त्रचान गव ।
[ लोगों की आहो फ़रियाद को उन्होंने बगावत का नाम दिया। स्त्रिय और बच्चों को घुड़सवार फ़ौज ने रौंद डाला। उन्होंने कहा कि (कंदी ) |
केंद्र सरकार ने 45 साल से अधिक उम्र वाले अपने सभी कर्मचारियों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाने की सलाह जारी की है। केंद्र ने निर्देश जारी कर कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 45 साल से ऊपर के सभी केंद्रीय कर्मचारी खुद को वैक्सीन लगवा लें।
निर्देश में कहा गया है कि 45 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि खुद को टीका लगवा लें ताकि कोविड-19 के संक्रमण को असरदार तरीके से रोका जा सके। इसमें आगे कहा है उन्हें सलाह दी जाती है कि वे आगे चलकर वैक्सीनेशन के बाद भी कोविड को लेकर उचित व्यवहार का पालन करें और लगातार हाथों को धोना, सैनिटाइज करना और मास्क व चेहरे को ढकने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जारी रखें।
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Mothers Day 2022: मदर्स डे को मां के सम्मान में मनाया जाता है. इस दिन को लोग अपने अंदाज में मनाते हैं. इस दिन आप अपनी मां को कार्ड या गिफ्ट देने की बजाए कई अन्य तरीकों से मना सकते हैं.
हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. ये दिन मां को समर्पित है. अपनी मां को स्पेशल फील कराने के लिए लोग कई अलग-अलग तरीके से इस दिन को मनाते हैं. मां (Mother) के सम्मान में ये दिन मनाया जाता है. मां के लिए लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं. आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर मां के साथ अधिक समय नहीं बिता पाते हैं. इस दिन आप (Mother's Day 2022) गिफ्ट के रूप में क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं. जरूरी नहीं कि आप मां को (Gift) गिफ्ट देकर इस दिन को मनाएं बल्कि आप कई अन्य खास तरीकों से भी इस दिन को सेलिब्रेट कर सकते हैं. आइए जानें आप किन सिंपल तरीकों से मदर्स डे मना सकते हैं.
मदर्स डे पर आप और आपकी मम्मी मिलकर कुकिंग कर सकते हैं. इस दिन आप अपनी मम्मी के फेवरेट डिश बना सकते हैं. ऐसा करने से मां के साथ कुछ समय भी बिता पाएंगे और कुछ उनकी फेवरेट डिश बनाकर उन्हें स्पेशल भी फील करा सकेंगे.
आपने अधिकतर देखा होगा की मां अपने बच्चों को बड़े ही प्यार से हेयर चंपी करती हैं. इस मदर्स डे आप अपने मम्मी की हेयर मसाज कर सकते हैं. इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा. हेयर चंपी के लिए आप किसी खास तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं. इससे न केवल उनके शरीर की थकान कम होगी बल्कि बहुत खुशी भी होगी.
मदर्स डे पर आप उन्हें गिफ्ट के रूप पेडिक्योर कर सकते हैं. आप बाहर जाने की बजाए खुद ही घर पर पेडीक्योर कर सकते हैं. इससे उनेक पैरों की सफाई होने के साथ शरीर को भी रिलैक्स फील होगा.
हम अक्सर खाली टाइम में या तो अकेले फिल्म देखना पसंद करते हैं या अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने जाना पसंद करते हैं. इस मदर्स डे आप अपनी मां के साथ फिल्म देख सकते हैं. आप अपनी मां की पसंद की कोई फिल्म देख सकते हैं.
अपनी मां के साथ बैठ कर अपने बचपन की बातें कर सकते हैं. उनसे अपने बारे में या अपने भाई-बहन के बारे में बात कर सकते हैं. इसके अलावा आप उनके साथ बैठकर फोटो एल्बम या फिर फोन में कुछ पुरानी फोटो देखकर कुछ पुरानी यादों को ताजा कर सकते हैं. ये सभी चीजें आपकी मां को बहुत ही स्पेशल फील कराएंगी.
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छतरपुर के प्राचीन मोटे के महावीर मंदिर में पुजारी ने अपनी मां का शव मंदिर में ही दफना दिया है. बताया कि उन्होंने अपनी मां की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनकी समाधि मंदिर में बनाई है.
मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक पुजारी ने अपनी मां के निधन के बाद शव को मंदिर में ही दफना दिया. इसके बाद विधिवत समाधि बनाकर पूजा पाठ भी किया. मामले की जानकारी हिन्दू संगठनों को हुई तो लोगों ने बवाल शुरू कर दिया है. इस संबंध में छतरपुर के डीएम को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है. इसमें पुजारी की हरकत को हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के खिलाफ बताते हुए शव को निकालकर पोस्टमार्टम कराने और फिर हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराने की मांग की है. उधर, पुजारी ने कहा कि उनकी मां संत महाराज की सेवा करती थी और उनकी अंतिम इच्छा थी की उसकी समाधि यहीं बने.
जानकारी के मुताबिक यह मामला छतरपुर शहर के प्राचीन मोटे के महावीर मंदिर का है. यहां मंदिर के पुजारी ने अपनी मां का शव मंदिर में ही दफना दिया है. पुजारी ने उसी स्थान पर मां की समाधि बनाकर उसकी पूजा भी शुरू कर दी है. बताया कि उनकी मां पिछले कई वर्षों से संत महाराज की सेवा करती आ रही हैं. उनके समाधि लेने के बाद भी उनकी मां यहां सेवा करती रहीं, उनकी इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनकी भी समाधि यहीं बने. उन्होंने अपनी मां की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनकी समाधि मंदिर में बनाई है. बवाल बढ़ने के बाद प्रशासन की मौजूदगी में शव निकालकर अंतिम संस्कार कराया गया है.
पुजारी ने बताया कि उन्होंने अपनी मां की समाधि मंदिर के अंदर हिंदू रीति रिवाज व विधि विधान से बनाई है. इसके लिए पहले लाउडस्पीकर से मुनादी कराई. तमाम लोगों की मौजूदगी में मां को दफन कर समाधि बनाई गई. उधर, मामले की जानकारी मोटे के महावीर समिति को लगी तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया है. पदाधिकारियों ने इस संबंध में जिला प्रशासन को एक ज्ञापन भी सौंपा है. आरोप लगाया है कि पुजारी ने हिंदू संस्कृति के खिलाफ जाकर अपनी मां का शव मंदिर में दफनाया है. समिति ने मंदिर को कब्रिस्तान बनाने का आरोप लगाया.
समिति के पदाधिकारियों ने अपनी शिकायत में बताया है कि पुजारी की मां एक गृहस्थ महिला थीं. ऐसे में इनका शव किसी हाल में दफन तो किया ही नहीं जा सकता. कायदे से हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक शव को जलाया जाना चाहिए. समिति ने प्रशासन से शव निकालकर पोस्टमार्टम कराने और फिर नियमानुसार अंतिम संस्कार कराने की मांग की है. वहीं मामला गरमाने के बाद पुजारी ने कहा कि शासन प्रशासन के आदेश के मुताबिक काम होगा. उन्होंने कहा कि यदि इससे किसी को ठेस पहुंची है तो वह माफी चाहते हैं. बाद में प्रशासन की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार कराया गया.
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द वायर बुलेटिनः आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
लोकसभा चुनाव परिणाम यह बताते हैं कि तात्कालिक आर्थिक स्थितियां परिणामों को निर्धारित करनेवाला एकमात्र कारक नहीं होतीं, लोग अपने निर्णय उपलब्ध विकल्पों के आधार पर तय करते हैं.
पिछले 24 घंटे में बिहार के औरंगाबाद जिले में 27, गया में 17 और नवादा में चार लोगों की मौत लू लगने से हुई है. वहीं, औरंगाबाद जिले के विभिन्न अस्पतालों में 40 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, एक मार्च 2018 से 24 जनवरी 2019 के बीच कुल 1,407. 09 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए, जबकि एक मार्च से 10 मई 2019 तक कुल 4,444. 32 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.
मामला पंजाब के मुक्तसर जिले का है. कर्ज नहीं चुकाने को लेकर कांग्रेस नेता के भाई समेत कुछ लोगों ने एक महिला को घर से खींचकर उसकी कथित रूप से बेल्ट और लात-घूंसों से पिटाई की थी.
छत्तीसगढ़ के रायपुर में पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, शिक्षा विभाग और सामाजिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई में पारले-जी कारखाने में छापा मारा गया. ये बच्चे छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों झारखंड, उड़ीसा और मध्य प्रदेश के हैं.
महिला पुलिसकर्मी ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया. महिला को जलाने के दौरान आरोपी भी 40 प्रतिशत तक जल गया और उसे हिरासत में ले लिया गया.
इंदौर के नवनिर्वाचित सांसद शंकर लालवानी और निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों को पैर और सिर की मालिश की सुविधा मुहैया कराने के प्रस्ताव का विरोध किया था.
स्पेन की एक महिला गुड़गांव में किराए पर घर ढूंढ रही थी और इस संबंध में उसने फेसबुक पर पोस्ट लिखा था. आरोप है कि एक व्यक्ति ने महिला से फेसबुक पर दोस्ती की और मदद के बहाने उसे फ्लैट में बुलाकर उसका बलात्कार किया.
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योगी सरकार के राज में अपराधियों की शामत आ गई है। एक बाद एक हो रहे एनकाउंटर में अब तक कई इनामी बदमाशों को यूपी पुलिस ढेर कर चुकी है और इसी सिलसिले में एक बार फिर यूपी पुलिस को एक बड़ी उपलब्धि हाथ लगी है।
आतंक का दूसरा नाम बन गए खूंखार इनामी बदमाश को पुलिस ने मारा गिराया है। यूपी पुलिस ने तराई का खूंखार बदमाश एक लाख का इनामी बग्गा सिंह मारा गया। आपको बता दें कि बग्गा वहीं हो जो यूपी पुलिस के एक सिपाही की हत्या कर साथी को पुलिस लॉकअप से छुड़ा ले गया था।
गौरतलब हो कि पुलिस को कई सालों से बग्गा सिंह की तलाश थी। बग्गा लूट, अपहरण, रंगदारी, हत्या के दर्जनों मामलों में आरोपी था। पता चला है कि मारे जाने से पहले वो भेष बदल कर रहा करता था। STF ने उसे नेपाल बर्डर के पास मारा गिराया।
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आईटीआई पास आऊट युवाओं को नालागढ़ आईटीआई में विभिन्न कंपनियों द्वारा रोजगार पाने का सुनहरा अवसर मुहैया करवाया जा रहा है। आदर्श औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान नालागढ़ में सुपर हॉज इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, चीमा बॉयलर लिमिटिड मोहाली, रैकिट बैंकिसर हैल्थकेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, सागर इस्पात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 20 दिसंबर को नालागढ़ आईटीआई में कैंपस साक्षात्कार का आयोजन किया गया है। मॉडल आईटीआई नालागढ़ के प्रधानाचार्य जोगिंद्र शर्मा ने बताया कि कंपनी द्वारा किसी भी ट्रेड से पास आउट उम्मीदवारों के लिए कैंपस इंटरव्यू का आयोजन किया जा रहा हैै। इंटरव्यू द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को सुपर हॉज इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से अप्रेंटिसशिप रोल पर हर माह 10,500 रुपए प्रतिमाह वेतन के साथ परफोर्मेंस इंसेंटिव, चीमा बॉयलर लिमिटेड मोहाली प्रतिमाह 9000 रुपए के साथ फूड, बोनस, ओवरटाइम, अकोमोडेशन, रैकिट बैंकिसर हैल्थकेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 9000 प्रतिमाह के साथ परफोर्मेंस इंसेंटिव, सागर इस्पात इंडिया प्राइवेट लिमिटिड द्वारा 9000 रुपए प्रतिमाह के साथ परफोर्मेंस इंसेंटिव दिया जाएगा।
रामशहर। अर्की विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक संजय अवस्थी ग्राम पंचायत दिग्गल में 19 दिसंबर को पधार रहे हैं। यह जानकारी बधोखर पंचायत के पूर्व उपप्रधान रंजीत ठाकुर ने एक प्रेस बयान में दी। उन्होंने बताया की ग्राम पंचायत दिगल में पधारने पर नवनिर्वाचित विधायक संजय अवस्थी का लोगों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा। इस मौका पर विधायक अवस्थी लोगों की जन समस्याओं को सुनेंगे एवं मौका पर निपटारा करेंगे। उन्होंने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया है कि दिगल में अधिक से अधिक संख्या में पहुंच कर विधायक के समक्ष अपनी समस्याएं रखें एवं कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं।
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नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए आज कारगिल युद्ध के वीरों को याद किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छूरा खोंपने का प्रयास किया था, लेकिन फिर दुनिया ने हमारे सैनिकों और भारत की ताकत को देखा।
पीएम ने कहा कि आज ही के दिन 21 साल पहले हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा कारगिल में फहराया था। कारगिल का युद्ध जिस परिस्थितियों में हुआ था उसे भारत कभी नहीं भूल सकता है। पाकिस्तान ने बड़े बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां की आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने के लिए दुस्साहस किया था। भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयास कर रहा था।
पीएम ने कहा कि कहा जाता है ना, बयरू अकारण सब काहू सों। जो कर हित अनहित ताहू सों। यानी दुष्ट का स्वभाव ही होता है हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना। ऐसे स्वभाव के लोग जो हित करता है उसका भी नुकसान ही सोचते हैं। इसलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की लेकिन इसके बाद भारत की वीर सेना जो पराक्रम दिखाया, भारत ने जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा।
पीएम ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं ऊंचे पहाड़ों पर बैठा दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेना और वीर जवान। जीत पहाड़ के ऊंचाई की नहीं भारत की सेनाओं के ऊंचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई। मुझे भी उस समय करगिल जाने और वीरता के दर्शन का मौका मिला। वह दिन मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से है।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि आज देशभर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक हैशटैग #CourageInKargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहे हैं, जो शहीद हुए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। मैं, आज सभी देशवासियों की तरफ से हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ उन वीर माताओं को भी नमन करता हूं, जिन्होंने, मां-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा देश के नौजवानों से आग्रह है कि कारगिल विजय से जुड़े हमारे जांबाजों की कहानियां एक दूसरे को बताएं। एक वेबसाइट है, www. gallantryawards. gov. in आप इसको जरूर विजिट करें। यहां आपको हमारे वीर पराक्रमी सैनिकों के बहुत सारी जानकारियां मिलेंगी।
पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान अटल जी ने लाल किले से जो कहा था वह आज भी हम सबके लिए बहुत प्रासंगिक है। तब अटल जी ने देश को महात्मा गांधी के एक मंत्र की याद दिलाई थी।
उनका मंत्र था कि कभी किसी को कोई दुविधा हो कि क्या करना है क्या नहीं करना है तो उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए कि जो वह करने जा रहा है। उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं। गांधी जी के विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था कि कारगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है। यह मंत्र था, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम यह सोचें क्या हमारा यह कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
प्रोपेगेंडा को लेकर देश को सचेत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि युद्ध के परिस्थितियों में हम जो बात कहते हैं, करते हैं। उसका सीमा पर डटे सैनिक और उनके परिवारों के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए हमारा आचार, व्यवहार, वाणी, बयान, लक्ष्य, मर्यादा इस कसौटी में होना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े।
राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लिए एकता के सूत्र में बंधे देशवासी हमारे सैनिकों की ताकत को कई गुना हजार बढ़ा देते हैं। कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना ऐसी चीजों को बढ़ावा देते हैं कि जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती है। कभी-कभी जिज्ञावश फॉरवर्ड कर देते हैं। आजकल युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़ी जाती है। देश में भी कई मोर्चे पर एकसाथ लड़ा जाता है और हर नगारिक को उसमें भूमिका निभानी होती है। हमें भी अपनी भूमिका देश की सीमा पर दुर्गम परिस्थितियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी।
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आईसीसी हाल ऑफ फेम बेदी ऐसे पहले भारतीय गेंदबाज थे जो टेस्ट गेंदबाजी में आईसीसी रैकिंग में शीर्ष पर रहे थे। जबकि भगवत चंद्रशेखर कपिल देव और अनिल कुंबले अपने करियर के दौरान दूसरे स्थान पर ही सिमट कर रह गए थे। आर अश्विन ने टेस्ट आलराउंडरों की सूची में भी आईसीसी रैकिंग में नंबर एक पर जगह बनाई है। पिछले तीन वषों में यह दूसरा अवसर है जब अश्विन आलराउंडरों में आईसीसी रैकिंग में शीर्ष स्थान पर रहे हैं। अश्विन ने अपने अभी तक के करियर में पहली बार आईसीसी में नंबर एक स्थान हासिल किया है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन को पीछे छोड़ा है। डेल चोटिल होने के कारण इंग्लैंड के खिलाफ दूसरी पारी में केवल 3. 5 ओवर गेंदबाजी ही कर पाये थे। स्टेन डरबन टेस्ट मैच से पहले अश्विन से चार अंक आगे थे। अब वह भारतीय आफ स्पिनर से इतने ही अंक पीछे है।
इस भरतीय तेज गेंदबाज ने पहली पारी में चार विकेट लिये थे । जो अश्विन के लिये 2009 के बाद भी लगातार छठे वर्ष साल के आखिर में नंबर एक पर काबिज रहने के लिये पर्याप्त नहीं थे। अश्विन ने साल 2015 की शुरूआत आईसीसी रैकिंग में 15वें नंबर से की थी। अपनी मेहनत और गेंदबाजी के प्रति अपनी लगन के चलते वह धीरे धीरे उपर चढ़ते गये और आईसीसी रैकिंग में पहला स्थान प्राप्त किया।
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महाराष्ट्र, भारत। देश में आज सबसे ज्यादा कोरोना के हालात महाराष्ट्र में बेकाबू हैं क्योंकि, कोरोना के सबसे ज्यादा मामले भी तेजी से महाराष्ट्र में ही बढ़ते नजर आरहे हैं। इतना है नहीं बल्कि पूरे देशभर में से जितने मामले हर दिन सामने आते हैं, उनमें से आधे से ज्यादा मामले सिर्फ महाराष्ट्र के ही हैं। ऐसे हालातों के बीच महाराष्ट्र में एक बार फिर लॉकडाउन लग गया है। इस मामले में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने रविवार को कोविड-19 टास्क फोर्स के साथ बैठक की थी, इसके बाद इस मामले में फैस लिया गया है।
महाराष्ट्र में लगा लॉकडाउन :
दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोरोना से रोकथाम के लिए एक बार फिर लॉकडाउन लागू कर दिया है। हालांकि, इसे हम पूर्ण लॉकडाउन ना कह कर मिनी लॉकडाउन कहे तो, यह ज्यादा उचित रहेगा। क्योंकि, पूरे राज्य में पूर्ण लॉकडाउन ना लगाकर 15 दिनों के लिए सेवाओं को बंद किया जा रहा है। इनमें जितनी भी गैर-जरूरी सेवाएं हैं वह बंद कर दी जाएंगी। साथ ही बिना किसी जरूरी कारण के घर से निकलने वालों पर भी रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा सुबह 7 से रात 8 बजे तक जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी। ट्रांसपोर्ट को भी बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन ये सेवाएं केबल जरूरी चीजों के लिए ही खोली जाएंगी।
15 दिनों के लिए बंद रहेंगे ऑफिस :
बताते चलें, CM उद्धव ठाकरे द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार, महाराष्ट्र में 14 अप्रैल को रात 8 बजे से धारा 144 लागू कर दी जाएगी और 15 दिनों के लिए सभी ऑफिस और संस्थानों को भी बंद किया जाएगा। CM उद्धव ठाकरे ने कहा कि, 'हमने लंबे समय तक विचार किया है, लेकिन अब सख्त कदम उठाने का वक्त आ गया है। मैं लॉकडाउन की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन हम कुछ सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं। हमें इस मामले में ब्रिटेन से सीख लेने की जरूरत है। हो सकता है कि यह आपके मन-मुताबिक न हो, लेकिन तब भी ऐसा करना पड़ रहा है। पूरे राज्य में अगले 15 दिन तक संचार बंदी लागू की जाएगी। '
नहीं किया लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल :
CM उद्धव ठाकरे ने बिना लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल करे कहा इसे 'ब्रेक द चेन अभियान' कहा जा सकता है। उन्होंने साफ करते हुए बताया है कि, 'इस दौरान जरूरी सेवाओं को छोड़कर सारे दफ्तर बंद रहेंगे। ईकॉमर्स, बैंक, मीडिया, पेट्रोल पंप, सुरक्षा गार्ड जैसे लोगों को इसमें छूट दी गई है। रेस्तरां आदि खुले रहेंगे, लेकिन वहां बैठकर खाने पर रोक होगी। सिर्फ होम डिलिवरी और टेक-अवे की सुविधा रहेगी। '
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मालदीव की उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी जेल में राजनीतिक कैदी के रूप में बंद हैं.
भारत के पड़ोसी देश मालदीव में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के सहयोगी अजीमा शुकूर ने देश में 15 दिनों के लिए आपातकाल घोषणा की. आपातकाल लग जाने से देश में सुरक्षा बलों को संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की पूरी आज़ादी मिल जाती है.
वहीं दूसरी तरफ मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, तो इस समय राजनीतिक कैदी हैं उन्होंने इस मामले में भारत से मदद की गुहार लगाई है. नशीद ने मांग की है कि भारत को मालदीव में दूत और सेना भेजनी चाहिए. भारत ने पडोशी मुल्क के हालात पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन सेना भेजने की मांग पर अभी तक भारत की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
मालदीव की उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी जेल में राजनीतिक कैदी के रूप में बंद हैं.
उच्चतम न्यायालय के 3 जजों ने यह कहते हुए फैसले को वापस लिया कि, राष्ट्रपति के कहने पर वह ऐसा कर रहे हैं. गौरतलब है कि इस महीने के पहली तारीख को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत अन्य नेताओं के खिलाफ मामले को ख़ारिज कर दिया था. इस फैसले के बाद मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने तीन खत लिख कर फैसले को वापस लेने की बात कही थी. ऐसा नहीं होने पर देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था और साथ ही मालदीव में सुप्रीम कोर्ट के 5 में से 2 जजों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया.
गिरफ्तार किए गए जजों में मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद भी हैं. दोनों ही जजों की गिरफ्तारी की जांच और उनके खिलाफ आरोप की जानकारी नहीं दी गई है.
मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने न्यायाधीशों पर आरोप लगाया था कि वे उनसे सत्ता छिनने की साजिश रच रहे हैं, और इस साजिश की जांच के लिए ही एमरजेंसी घोषित की गई है.
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गैर समुदाय के युवक ने गलत नाम और जाति बताकर एक युवती को प्रेमजाल में फंसा लिया। आठ नवंबर की रात आरोपी उसे फुसलाकर अपने साथ ले गया। काफी तलाश के बाद दोनों का पता नहीं चला। इस दौरान परिजनों को आरोपी के दूसरे समुदाय के होने की जानकारी मिली। युवती के भाई ने शुक्रवार सुबह मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाई है।
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आज से दिल्ली में तीन दिवसिय पूसा कृषि विज्ञान मेला आरंभ हो चुका है. मेले का उद्घाटन क्रेंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किया गया. मेले में कई किसान की उपस्थिति देखी गई. साथ ही इस बार पूसा मेले की थीम "श्री अन्न द्वारा पोषण,खाद्य एवं पर्यावरण सुरक्षा" रखी गई है. जिसके चलते मोटे अनाज और उससे बने व्यंजन देखे जा रहे हैं. बता दें कि पूसा कृषि मेले का आयोजन 2 मार्च से 5 मार्च तक किया जा रहा है, जिसमें किसानों को उद्योगपतियों को अपने विचार साझा करने का अवसर प्राप्त होगा.
मेले में नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को संबोधित करते हुआ कहा कि गांव-2 में वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा पहुंचे,इसके लिए भारत सरकार ने #AIFके लिए 1 लाख करोड़ रुपयों प्राविधिक किया है.
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Tina Dabi News: राजस्थान में पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए परिवारों के घरों पर सरकार के नियमों के तहत बुलडोजर चला। ये घर जैसलमेर जिले में अमर सागर इलाके में स्थित थे। ये उन हिंदुओं के घर थे जो पाकिस्तान से भारत आए थे। ये परिवार काफी समय से यहां रह रहे थे। जैलसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी हैं। कार्रवाई के बाद टीना चर्चा में हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, UIT सहायक अभियंता की अगुवाई में इन पाकिस्तानी हिंदुओं के घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की गई है। अब बेघर हुए ये पाकिस्तानी हिंदू डीएम ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि जबतक उन्हें कहीं और सेटल नहीं किया जाता, वे अपना ये धरना जारी रखेंगे।
धरने पर बैठे परिवारों का दावा है कि उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया और महिलाओं के खिलाफ फोर्स का इस्तेमाल किया गया जिसकी वजह से वे घायल हो गई हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के बिगड़ते हालात को देखते हुए कुछ हिंदू परिवार किसी तरह भारत आ गए थे और लंबे समय से इस इलाके में रह रहे थे।
इस बीच, मीडिया रिपोर्ट्स में जिला कलेक्टर टीना डाबी के हवाले से कहा गया है कि काफी समय से अमर सागर के सरपंच और स्थानीय लोगों की तरफ से शिकायतें आ रही थीं कि हिंदू प्रवासियों ने अवैध तरीके से जमीनों को हथिया लिया है जो राज्य सरकार के UIT की हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रवासियों को जगह खाली करने के लिए कई बार नोटिस दिया गया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में हालात दिन पर दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं। महंगाई अपने चरम पर है, लोग बुनियादी चीजों के लिए भी तरस रहे हैं। ऊपर से पाकिस्तान से आए दिन हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों की खबरें सामने आती रहती हैं। ऐसे में सताए हुए हिंदू बड़ी संख्या में राजस्थान में बॉर्डर के पास वाले इलाकों में रहने लगे। हालांकि, यहां भी उनके सिर से छत छीन ली गई है।
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Cobra: आखिर कोबरा को सांपों का राजा क्यों कहते हैं? ऐसी खूबियां नहीं जानते होंगे आप!
King Cobra: कोबरा को सांपों का राजा कहा जाता है क्योंकि वह एक विशेष प्रकार का सांप है जिसके पास कई पहचान होती हैं और इसका महत्वपूर्ण स्थान भारतीय संस्कृति और मिथोलॉजी में भी है. इसके बावजूद इसकी कई खूबियां होती हैं जिसके चलते इसे किंग कहा जाता है.
Why Cobra Called King: सांप का नाम सुनते ही सबसे पहले कोबरा का नाम जेहन में आता है. इसे सांपों का राजा कहा जाता है. आखिर क्या कारण है कि इसे सांपों का राजा कहा जाता है. असल में यह एक विषाक्त सांप होता है जो कि विशेष आकर्षण और डर का प्रतीक होता है. कोबरा के सिर पर एक बड़ा मुकुट जैसा फन होता है जो इसे राजा की पहचान देता है. वहीं वैदिक संस्कृति में भी कोबरा को एक महत्त्वपूर्ण प्राणी माना जाता है. यह कई आदिदेवों और देवीयों के आवाहन में इसका उपयोग किया जाता है.
दरअसल, किंग कोबरा दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है. यह अपने शरीर के एक तिहाई हिस्से को ऊपर उठा सकता है. हालांकि किंग कोबरा, स्वभाव से बेहद शर्मीला होता है, यही वजह है कि यह झाड़ियों में छिपा रहता है. लेकिन अगर इसको गुस्सा आ जाए तो मुश्किल से ही शांत होता है. ये अगर फुफकारते हैं तो इनकी आवाज बेहद खतरनाक लगती है. कोबरा को भारत में नाग भी कहा जाता है. इसकी पूजा भी की जाती है. भारत में कई आदिदेवों और देवीयों के संबंध में भी कोबरा का उपयोग किया जाता है.
इसके अलावा कोबरा को सांपों का राजा कहने के पीछे कुछ और कारण भी हैं.
बड़ी आकार और शक्तिः कोबरा एक बड़ा सांप होता है और उसकी आकार और शक्ति उसे सांपों की राजसी स्थिति में उच्चतम बनाती है. यह विषाक्त सांप अपनी भयंकरता और आक्रामकता के कारण प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि यह अन्य छोटे सांपों को भी निगल लेता है.
अद्भुत सामरिक रणनीतिः कोबरा अपनी सामरिक रणनीति में बहुत माहिर होती है. यह अपने को फैलाकर खड़ा भी हो जाता है. जिससे उसकी आक्रामकता और बचाव दोनों में बढ़ोत्तरी हो जाती है. इसकी विशेष रणनीतियां और इंटेलिजेंस को देखते हुए लोग इसे सांपों का राजा कहते हैं.
धार्मिक और सांप्रदायिक महत्वः कोबरा को भारतीय धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में महत्त्वपूर्ण माना जाता है. कोबरा को नागराज या शेषनाग के रूप में भी जाना जाता है. इसके साथ ही, नागपंचमी जैसे पर्वों में कोबरा की पूजा और आराधना की जाती है. इसलिए, इसके धार्मिक और सांप्रदायिक महत्व के कारण भी लोग सांपों का राजा कहते हैं.
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प्रयागराज ब्यूरो । मंगलवार को सीएमओ ऑफिस के सभागार में प्रेस कांफ्रेंस कर डेंगू नोडल अफसर व सीएमओ नानक सरन ने एक डेंगू डाटा मीडिया के सामने पेश किया। जिसमें अभी तक डेंगू के कुल 1107 कंफर्म रोगी दिखाया गया। कुल 31 डेंगू मरीज विभिन्न चिकित्सालयों में भर्ती हैं। शेष 40 घर पर उपचार करता दिखाया गया। कुल सक्रिय रोगी 71 और डेंगू से कुल 6 मृत्यृ दिखाया गया। जिसमें नगरीय क्षेत्र में पांच एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक मृत्यृ होना दिखाया गया। बताया कि एक जनवरी से सितम्बर तक कुल 174 डेंगू रोगी मिले। अक्टूबर माह में कुल 708 डेंगू रोगी मिले। इस माह में सात नवंबर तक कुल 5 डेंगू मिले हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि एक सप्ताह में अगर 225 मिले तो रोजाना औसत 32 मरीज मिल रहे है। अक्टूबर में रोजाना 22 के करीब रोजाना मरीज मिल रहे थे।
नोडल अफसर डा। रावेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि आपको डेंगू के लक्षण महसूस हो रहे है या सामान्य दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है तो डाक्टर की सलाह पर खून की जांच जरूर करा लें। यदि आपमें डेंगू के लक्षण का पता चलता है और लक्षण हल्के हैं तो डाक्टर द्वारा बताई गई दवाओं के साथ घर पर ही आराम करें। शरीर को हाइड्रेटेड रखें। समय-समय पर पानी, नारियल पानी, फलों के जूस आदि का सेवन जरूर करते रहें, पौष्टिक आहार का सेवन करें। यदि लक्षण ठीक नहीं हो रहे या यह बढ़ता हुआ नजर आ रहा है तो तुरंत डाक्टर की सलाह पर आगे के उपचार के लिए अस्पातल में भर्ती हो जाएं। डेंगू से सुरक्षित रहने के लिए मच्छरों के काटने से बचाव करते रहना सबसे आवश्यक है।
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- Travel भक्ति की अनुठी कहानी सुनाता है कर्नाटक का कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कहां से आते हैं मंदिर में इतने शिवलिंग?
ब्लूटूथ हेडसेट एक ऐसा गैजेट है जो हमेशा काम आता है खासकर जब आप कोई काम कर रहें हों और अचानक फोन आ जाए। आजकल कई कंपनियों के हैंडसेट बाजार में मौजूद है जिन्हें आप अपने बजट के अनुसार खरीद सकते हैं। वैसे आप चाहें तो ऑनलाइन साइट से भी अपने दोस्त को हेडसेट गिफ्ट भेज सकते हैं, बाजार में हेडसेट 1,500 रुपए से शरु होंते हैं जो ब्रांड और फीचर के हिसाब से अलग-अलग रेंज तक जाते हैं।
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अल्स्टर की सरकार
उत्तरी आयरलैंड के छः जिले, जो 'अल्स्टर' के नाम से प्रख्यात हैं, 'ग्रेट-यूटेन और उत्तरी आयरलैंड के संयुक्तराज्य का भाग है। बुटिश राजछत्र का प्रतिनिधि एक लाई लेफ्टीनेन्ट नाम का राजा की ओर सेस्टर की व्यवस्थापक-सभा के मंजूर किए हुए कानूनों को मंजूर या नामंज़ूर करता है। एक साल तक किसी भी मसविदे को वह रोक रख सकता है, जो यह समय पूरा होने के बाद क़ानून हो जाता है । यही अधिकारी व्यवस्थापक सभा की बैठकें बुलाता और बंद करता है । तेरह सदस्य अल्स्टर की ओर से बुटिश पार्लमेंट में चुन कर जाते हैं ।
२----व्यवस्थापक सभा
अल्स्टर की व्यवस्थापक-सभा की दो सभाएँ होती है-एक गिनेट और दूसरी हाउस ऑव कमन्स । कासन्स प्रजा के ५२ प्रतिनिधियों की सभा होती है। उस के सदस्यों का उन्हीं चुनाव क्षेत्रों से अनुप-निर्वाचन के अनुसार चुनाव होता है, जिन से बुटिश पार्लीमेंट के लिए सदस्यों का होता है। सिनेट में २६ सदस्य होते हैं। चौबीस को अल्स्टर को कामन्स सभा चुनती है; बेल्फ़ास्ट और लंडनडेरी के दो मेयर अपने पद की बुनियाद पर सिनेट में बैठते हैं । याय-व्यय के मसविंदे कामन्स में शुरू होते हैं और सिनेट उन में परिवर्तन नहीं कर सकती है । कामन्स के किसी मसविदे को सिनेट के दो बार नामंजूर कर देने पर दोनों सभाओं की एक सम्मिलित बैठक में उस मसविदे पर विचार कर के फैसला कर लिया जाता है । कामन्स के सदस्यों को खर्च के लिए २०० पौड सालाना दिया जाता है ।
कार्यकारिणी सत्ता लॉर्ड लेफ्टीनेंट और व्यवस्थापक-सभा का जबाबदार एक मंत्रिमंडल में होती है। सेना, परराष्ट्र-विषय, मिलकियत जब्त करने के, धार्मिक समता कायम रखने के और कुछ आर्थिक अधिकार बृटिश पार्लमेंट के अधिकार में रक्खे गए हैं । अल्टर की आर्थिक स्वतंत्रता भी सीमित है। बृटिश पार्लमेंट अल्स्टर के ६० फ़ीसदी कर एकत्र करती है ।
इंगलैंड के बाद यूरोप के देशों में फ्रांस से हमारा सब से अधिक संबंध रहा है। जिस प्रकार क्लाइव की इंगलैंड की सरकार ने पीठ ठोकी, अगर उसी प्रकार पले की फ्रांस की सरकार ने सहायता की होती, तो शायद आज भारतवर्ष में बृटिश साम्राज्य के स्थान में फ्रेंच साम्राज्य होता और थोड़े से इधर-उधर छोटे-मोटे शहर ही फ्रांस के अधि कार में न रह गए होते। परंतु फ्रांसीसी साम्राज्य फैलाने की कला में इतने निपुण नहीं हैं जितने अँगरेज़ । भारतवर्ष में फ्रेंच साम्राज्य होने पर भी हमारे देश की राजनैतिक संस्थाओं के विकास में अधिक भेद नहीं पड़ता, क्योंकि फ्रांस की सरकार का संगठन भी लगभग उन्हीं सिद्धांतों पर किया गया है। दोनों के रूप-रंग और चलन में बहुत समानता है। फ्रांस की भयंकर राज्यक्रांति ने भी सिर्फ़ यूरोप ही नहीं, संसार भर का हृदय दिला दिया था। उस ने काली की तरह मुर्दों के ढेर पर खड़े हो कर मानव-आति को एक ऐसे नए संसार की तरफ आने को हुंकारा था, जिस में 'स्वाधीनता, समानता और भ्रातृ-भाव' हो । इंगलैंड के प्रख्यात राजनीतिज्ञ डिसराइली का तो यहाँ तक कहना था कि 'इतिहास में केवल दो ही घटनाएँ हुई हैं; एक ट्राय का घेरा और एक दूसरी फ्रांस की राज्यकांति । डिसराइलीका वाक्य अतिशयोक्ति मान लेने पर भी यह तो निश्चय ही है कि फ्रांस की राज्य क्रांति में विचारों का एक नया प्रवाह बहा कर यूरोप की आधुनिक सरकारी का रूप रंग बदल डाला। अख, हर प्रकार से इंगलैंड के बाद फ्रांस की राज व्यवस्था का ही अध्ययन करना हमारे लिए उचित होगा ।
फ्रांस की राज्य क्रांति ने आठ सौ वर्ष से चलती ग्रानेवाली राज व्यवस्था फ्रांस में उलट डाली। यह राज व्यवस्था निरंकुश राजाशाही थी। राजाशाही के सिद्धांत के अनुसार राजा के सिर पर स्वयं ईश्वर मुकुट रखता था और कोई नहीं। ग्रस्तु, प्रजा के लिए कानून बनाना और प्रजा पर शासन करना राजा ही का अधिकार होता था और किसी का नहीं । देश भर पर एक केंद्रित नौकरशाही का चक्र चलता था और पेरिस के दरबार में बैठनेवाले राजा के छः मंत्रियों और लगभग चालीस सलाहकारों के सिवाय जनता की आवाज़ का राज व्यवस्था में कहीं कोई स्थान नहीं था । स्थानिक स्वशासन का भी प्रजा का अधिकार सिर्फ नाम के लिए था ।
जिस काल में इंग्लैंड में पार्लमिंट का विकास हुआ, उसी समय में फ्रांस में 'एस्टेट्स-जनरल' नाम की संस्था का विकास हुआ था। इस संस्था के तीन भाग थे -- एक सरदार और अमीरों की सभा, दूसरी पादरियों की सभा और तीसरी सध्यम श्रेणी के लोगों की सभा । पहली दोनों सभाओं के विचार प्रायः हर विषय पर मिलते थे और वे दोनों मिल कर हमेशा मध्यम श्रेणी की सभा की आवाज दवा देती थी। इंगलैंड की पार्लमेंट की तरह एस्टेट्स-जेनरल का फ्रांस की राजनीति में स्थान नहीं था। कुछ समय के बाद तो राजा ने एस्टेट्स-जेनरल को बुलाना भी बंद कर दिया था, और सिर्फ जब प्रजा से धन वसूल करने की आवश्यकता होती थी, तब एस्टेट्स-जेनरल को बुला कर उस की सहायता से कर वसूल किया जाता था । एस्टेट्स-जेनरल के सदस्यों के राजा के सामने प्रार्थना करने के अतिरिक अन्य कोई शासन अथवा ग्राय-व्यय इत्यादि में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं था। जिस प्रकार हमारे देश के कुछ रजवाड़ों में ग्राजकल नाम की व्यवस्थापक सभाएँ हैं, जो सिर्फ के दिखावे के लिए बुलाई जाती हैं, उसी तरह फ्रांस में सन् १७८६ ई० में एस्टेट्स-जेनरल नाम की संस्था थी। फ्रांस के कुछ प्रांतों में भी 'स्थानिक एस्टेट्स' सभाएँ थीं। परंतु वे भी राष्ट्रीय एस्टेट्स की बाँदी के अतिरिक्त और कुछ नहीं थीं। अमीर, उमरावों, सरकार के
और की पाँचों वी में रहती थीं। साधारण श्रादमी की बात पूछनेवाला कोई नहीं था। किसी भी आदमी को बिना कसूर बताए पकड़ कर जेल में बंद किया जा सकता था । पादरियों और सरदारों से नाम मात्र का कर लिया जाता था और बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त होने तथा किसानों से काम लेने की उन्हें ठेकेदारी-सी दे दी गई थी ।
इस और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठी, और जिस तूफ़ान की धूल फांस के आकाश में बहुत दिनों से उटती हुई दिखाई दे रही थी, उस ने सन् १७८६ ई० में ज़ोर से करां के अभागे तमा सुई और उस की राज व्यवस्था को उलट-पुलट कर फेंक दिया और नारे पुराने विचारों और विश्वासी की जड़ हिला डाली । २६ अगस्त सन् १७८९६० को फांस के प्रतिनिधियों ने एकत्र हो कर मनुष्य और नागरिक के अधिकारों का एका किया चित के पहले भाग में निम्नलिखित सिद्धांतों का समावेश था-----
१- मनुष्य स्वतंत्र पैदा होते हैं, और वे अधिकारों में स्वतंत्र और समान है। -सारी राजनैतिक संस्थाओं का केवल एक ही उद्देश होता है कि वे मनुष्य के
प्राकृतिक और अछिन अधिकारों की, जैसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जान-माल की रक्षा, ग्रन्याय का विरोध करने के अधिकारों की रक्षा करें ।
३ - प्रभुता प्रजा अथवा राष्ट्र की है और राष्ट्र की अनुमति के बिना किसी संस्था या किसी व्यक्ति का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है ।
४ - स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि जिस काम से किसी दूसरे को नुकसान न पहुँचे उरा के करने का सब को अधिकार है ।
५ - कानून प्रजा की इच्छा व्यक्त करता है और हर एक आदमी को स्वयं अथवा अपने प्रतिनिधि द्वारा कानून बनाने में भाग लेने का अधिकार है ।
६ -- कानून सब के लिए एक है
अधिकारों के इस एलान में विशेषकर इन बातों पर भी जोर दिया गया था कि
• गैर-कानूनी तरीके से किसी को गिरफ्तार या कैद नहीं किया जायगा, सब को धार्मिक विश्वास, भाषण, लिखने और बोलने की स्वतंत्रता रहेगी, स्वयं अथवा प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्येक मनुष्य को कर के संबंध में मत देने का अधिकार होगा, गैर-कानूनी तरीके से किसी का माल या जायदाद जन्त नहीं की जायगी और अगर सरकार को किसी चीज़ की ज़रूरत होगी, तो उस का मुआवजा दिया जायगा ।
अभी तक यूरोपीय देशों में राज व्यवस्था लिखित नहीं होती थी; सिर्फ़ रिवाजों पर ही निर्भर रहती थी। परंतु फ्रांस की क्रांति के बाद फ्रांस की जो राज व्यवस्था बनी उस को लेखनी-च किया गया । फ्रांस के नेताओं को अलिखित रिवाजी राज व्यवस्था से लिखित राज-व्यवस्था पसंद के कई कारणों में से एक खास कारण यह था कि लिखित राज व्यवस्था का सर्वसाधारण को आसानी से ज्ञान कराया जा सकता है । फ्रांस इस थोर कदम बढ़ा कर इस विषय में यूरोप का अगुआ बना और बाद में जरमनी, इटली, स्पेन यादि ग्रन्थ यूरोपीय देशों में भी यही विश्वास बढ़ता गया कि स्वाधीनता की रक्षा के लिए लिखित राज व्यवस्था अनिवार्य है। प्रजातंत्र सरकार स्थापित कर के फ्रांस की राज-क्रांति ने यूरोपीय देशों को दूसरा यह सबक भी पढ़ाया कि प्रजातंत्र ढंग की सरकार न सिर्फ फ्रांस के ही लिए उपयुक्त है बल्कि फ्रांस की तरह यूरोप के अन्य पुरातन और माननीय राष्ट्रों में भी स्थापित हो सकती है। वरना अभी तक यूरोप के बहुत से विचारकों का यही विचार चलाता था कि प्रजातंत्र राज्य केवल छोटे क्षेत्र के राज्यों में स्थापित हो सकता है। क्रांति के बाद नई राज-व्यवस्था का निर्माण करने के लिए ग्रांस की प्रजा के जो प्रतिनिधि एकत्र हुए उन में अधिक संख्या राजाशाही को कायम रहने के पक्षपातियों ही की थी, और सन् १०६१ तक इस प्रतिनिवि सम्मेलन में जो राज-व्यवस्था कर तैयार की थी, उस में राजशाही कायम रखी गई थी। परंतुओं के चक्र से राजा की कमजोरी और उस के संकल्प-विकल्पों और आखिरकार उस के देश छोड़ कर माग जाने से, रानी के प्रजा-भत का विरोध करने और राजा के पियों के लगातार ड्यंत्रों से उकता कर सबका मन राजाशादी की तरफ से हट गया, अन्तु २१ सितंबर सन् १७६२ ई० केज के प्रतिनिधियों ने गिज़ करको दकन किया और हाखंड प्रजातंत्र |
दोनों राशियाँ डेटिंग करते हुए भी अपनी आज़ादी बनाए रखना चाहती हैं. मिथुन को भावनात्मक रूप से खुलने में मुश्किल हो सकती है. हालाँकि उन्हें मेष राशि वालों के साथ मज़ा आ सकता है, लेकिन वे अपनी भावनाओं को साझा नहीं करना चाहेंगे. चूंकि मेष भी अपनी भावनाओं के साथ बहुत खुलते नहीं हैं, इसलिए ये संबंध बनाने के लिए संघर्ष कर सकते हैं. अगर वे एक-दूसरे के साथ संवाद करना सीख जाते हैं, एक दूसरे पर विश्वास करते हैं और जिद से बचते हैं तो उनका रिश्ता जीवन भर चल सकता है.
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"मैने आगरा वालों का क्या बिगाड़ा था?'
रफीक फ्लो के थोक विक्रेता नदीम के यहाँ नौकरी करता था।मालिक से किसी बात पर तकरार होने पर उसने नौकरी छोड़ दी।कुछ दिनों तक बेकार रहने के बाद उसने अपना कारोबार शुरू किया लेकिन सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए।
रफीक ने कारोबार शुरू करने के लिए दोस्तो और रिधतेदारो से उधार लेकर एक लाख रु इकट्ठे किये थे। नवरात्रे आने वाले थे।रफीक ने कश्मीर जाकर एक लाख रु के फल खरीदे।उन फ्लो को वह ट्रक से मुम्बई ले जा रहा था।
बारावफात की रात को आगरा में एक बाइक की टूक से टक्कर हो गयी।बाइक पर सवार तीन लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी।टक्कर मारने वाला ड्राइवर ट्रक को लेकर भागने में सफल हो गया।युवकों की मौत से लोग नाराज हो गए।उन्होंने आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी।शहर में अफरातफरी मच गई।गुस्साए लोगों ने रफीक के ट्रक को भी आग के हवाले कर दिया।
बाइक पर सवार लोग मरकर खुदा को प्यारे हो गए थे।लेकिन उसके बाद भड़की दंगे की आग ने उसे जीते जी मार दिया था।
"इसके नाक कान तुम से मिलते हैं।"रतिमा के बेटा होने पर पति और सास खुश थे।
रतिमा की शादी नीलेश से हुई थीं।शादी के पांच साल बाद भी रतिमा माँ नही बनी तब सास बेटे की दूसरी शादी के बारे में सोचने लगी।रतिमा को इस बात की भनक लगी तो वह घबरा गई।माँ बाप रहे नही थे।भाई था नही।अगर पति ने छोड़ दिया तो कहाँ जाएगी?परित्यक्ता को कौन अपनायेगा?काफी सोच विचार करने के बाद उसने अपने दाम्पत्य को बचाने के लिए अनमने मन से निर्णय लिया।
पति नवजात शिशु को अपना बेटा समझकर खुश हो रहा था।दुनिया की नज़रो में वह उसी का बेटा था।पर रतिमा ही जानती थी उसके गर्भ से पैदा बेटे का बाप उसका पति नही था।
"झूठन खाओगे?"जैसे ही फटेहाल लड़का मेरे फेंके दोने पर लपका,मैने उसका हाथ पकड़ लिया था।
"बाबूजी बहुत जोर की भूख लगी है।"फटेहाल लड़का बोला।
"तो झूठन क्यो खाते हो?"मैने उसे दुकान से दो कचौड़ी दिला दी।वह कचौड़ी खा चुका तब मैंने उस फटेहाल लड़के से पूछा था,"तुम क्या करते हो?"
"कुछ नही।"
",काम क्यो नही करते?अगर काम करोगे तो तुम्हे लोगो के झूंठे दोने नही चाटने पड़ेंगे?"
"क्या काम करूं बाबूजी?"उसने मुझ से पूछा था।
मैं उससे बात कर रहा था,तभी एक कचरा बीनने वाला लड़का मेरे सामने से गुजरा।उसे देखकर मैं बोला,"उस लड़के को देखो।कचरे में से बोतले,प्लास्टिक,लोहे का सामान आदि चीजे बेचकर रोज पचास सौ रु आराम से कमा लेता होगा।
",,,,"लेकिन बाबूजी कचरे में से सामान बीनने के लिए गली मोहल्ले के चक्कर लगाने पड़ेंगे और फिर उस सामान को बेचने के लिए कबाड़ी के पास जाना पड़ेगा।'
"पैसा कमाने के लिए यह तो करना ही पड़ेगा"।
"लेकिन झूठन खाने के लिए कुछ नही करना पड़ता।'
फटेहाल लड़के की बात सुनकर मैं समझ गया।उसकी आदत झूठन खाने की पड़ चुकी हैं।
""न जाने कहां से कलूटी पैदा हो गयी जिससे शादी करने को कोई तैयार ही नही होता"
आज फिर लतिका को देखने आया लड़का रिस्ते से इंकार कर गया तो रोमा गुस्से में बोली थी।
"माँ तू गोरी,पिता भी गोर थे।फिर भी मैं काली कैसे पैदा हुई।तू अच्छी तरह जानती है।'
बेटी ने उसके अवैध सम्बन्ध की तरफ इशारा कर दिया था।
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Chaitra Navratri 2023: ग्वालियर। नव संवत्सर की भी शुरुआत कल से हो जाएगी। इसी के साथ चैत्र नवरात्र शुरू होंगे। इस बार नवरात्र में 11 योगों का महासंयोग बन रहा है। माता का आगमन नाव में और प्रस्थान डोली में होगा। ज्योतिषाचार्य डा़ सतीश सोनी के अनुसार चैत्र नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन के होंगे। नौ दिन के भीतर तीन सर्वार्थ सिद्धि योग, तीन रवि योग और दो अमृत सिद्धि योग के साथ गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 23, 27 और 30 मार्च को रहेगा। वही अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को और रवि योग 24, 26 एवं 29 मार्च को रहेगा। नवरात्र के अंतिम दिन रामनवमी पर गुरु पुष्य नक्षत्र का महासंयोग भी बनेगा। घट स्थापना के समय शनि और गुरु अपनी राशि में विराजमान रहेंगे। शनि का मंगल और केतु दोनों के साथ नव पंचम राजयोग बनेगा। मीन राशि में सूर्य बुद्धादित्य योग, चंद्रमा गुरु की युति से गजकेसरी योग, हंस योग, शशयोग, धर्मात्मा राज लक्षण योग साक्षी रहेंगे। इन योगों के चलते आर्थिक विकास की दर में तेजी आएगी। बेरोजगारी दर में कमी होगी। जनता में खुशहाली रहेगी।
चैत्र नवरात्र में नव दुर्गा के साथ ही गौरी की पूजा का भी विधान है। 22 मार्च को प्रथम शैलपुत्री की पूजा के साथ ही घट स्थापना की जाएगी। 30 मार्च को महागौरी की पूजा के साथ ही रामनवमी मनाई जाएगी। 31 मार्च को नवरात्रि का पारण होगा। दुर्गा सप्तशती के अनुसार नवरात्र बुधवार को शुरू हो रहा है। ऐसे में माता का आगमन नौका में होगा, जो फसल, धन, धान्य और विकास के लिए काफी लाभदायक रहेगा।
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MATTERS UNDER RULE - 377 *
माननीय सभापति : माननीय सदस्यगण, नियम 377 के अधीन मामलों को सभा पटल पर रखा जाएगा । जिन सदस्यों को नियम 377 के अधीन मामलों को आज उठाने की अनुमति दी गई है
और जो उन्हें सभा पटल पर रखने के इच्छुक हैं, वे 20 मिनट के भीतर मामले का पाठ व्यक्तिगत रूप से सभा पटल पर भेज दें। केवल उन ही मामलों को सभा पटल पर रखा माना जाएगा, जिनके लिए मामले का पाठ निर्धारित समय के भीतर सभा पटल पर प्राप्त हो गया है। शेष को व्यपगत माना जाएगा।
(i) Regarding construction of sanctioned road projects in Rewa district, Madhya Pradesh
श्री जनार्दन मिश्र (रीवा) : रीवा जिला अंतर्गत वन टाइम इन्वेस्टमेंट पालिसी के तहत
(1) राष्ट्रीय राजमार्ग 135 के छूटे हुए शहरी भाग, हनुमना, मऊगंज, देवतालाब,रघुनाथगंज में 18.94 किलोमीटर, लागत 4158.08 लाख रुपये ।
Treated as laid on the Table.
(2) राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के मनगवां एवं रायपुर कर्चुलियान के छूटे हुए शहरी भाग के 9.30 किलोमीटर, लागत 1743.04 लाख रुपये, एवं (3) राष्ट्रीय राजमार्ग 39 के छूटे हुए शहरी भाग गुढ़ के 01 किलोमीटर लागत, 764.68 लाख रुपये की कुल 31 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने उक्त सभी सड़कों के निर्माण स्वीकृति
कर दी है लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। मंत्री जी अनुरोध है कि उक्त सड़कों के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार को निर्देशित करने की कृपा करे ।
(ii) Regarding development of processing technologies for Rare Earth Minerals in the country
SHRI JAGDAMBIKA PAL (DOMARIYAGANJ): The country despite having the fifth-largest reserves of rare earth minerals in the world could not develop itself as a manufacturer of rare earth metals. Geologically, the entire landmass around the Indian Ocean contains REEs in the surrounding rocks. We are blessed with some crucial rare earth minerals like zirconium, neodymium etc., which are available in plenty in monazite sands. This could contribute to Indian export markets, if utilized properly. However, most of the products that use rare earth minerals as raw materials are imported. Despite the fact that rare earth minerals having high value add potential for export growth, inadequate processing technologies have made India suffer. The Government should consider using private companies as they are nimble and better equipped to deal with the constraints of working overseas than their PSU counterparts. Slight support and encouragement from the Government would go a long way.
(iii) Regarding Maize Export Promotion Schemes and Maize based industry in Araria Parliamentary Constituency, Bihar
श्री प्रदीप कुमार सिंह (अररिया): मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे संसदीय क्षेत्र अररिया में मक्का की खेती बहुतायत मात्रा में होती है, अच्छी फसल होने के बावजूद भी किसान भाइयों को मक्का की पूरी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता हैं, जबकि यह बात ज्ञात होगी कि मक्का से प्रचुर मात्रा में ग्लूकोज, स्टार्च और कॉर्न फ्लेक्स का उत्पादन होता हैं फिर भी सरकार की तरफ से मेरे संसदीय क्षेत्र में एक भी मक्का आधारित उद्योग की स्थापना नहीं की गयी है। मेरे संसदीय क्षेत्र अररिया, बिहार में मक्का निर्यात संवर्धन योजनाओं को धरातल पर लागू किया जाए जिससे मेरा संसदीय क्षेत्र मक्का निर्यात हब के रूप में विकसित हो सके साथ ही मक्का आधारित उद्योग की भी स्थापना की जाए जिससे मेरे किसान भाइयों को उनकी पूरी फसल का उचित मूल्य मिल सके और मक्के का पूर्ण उपयोग हो सके तथा युवाओं को रोज़गार का अवसर मिल सकें। धन्यवाद।
(iv) Need to promote micro, small and medium scale enterprises
श्री गणेश सिंह ( सतना ): माननीय प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मै सरकार के वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालय का ध्यान लघु सूक्ष्म एवं सीमांत उद्योगों के उत्पादों तथा इकाईयों को बढ़ावा देने की जो योजना माननीय प्रधानमंत्री जी ने बनाई है, उस ओर दिलाना चाहता हूँ । अभी 200 करोड़ रुपये तक शासकीय निविदाओं में स्वदेशी कम्पनियों को भाग लेने की सहूलियत दी गई है, किन्तु इससे कम लागत की जो छोटी इकाईयां हैं, उन्हें इसका लाभ नही मिल पाता है। मेरा सुझाव है कि छोटी इकाईयों को तथा उनके उत्पादों को शासकीय खरीदी में यदि अवसर मिलेगा तो आत्मनिर्भर भारत को और मजबूती मिलेगी और ये इकाईयां अधिक अच्छी तरह से कार्य करते हुये अपना विस्तार करने में सफल होंगी। इसके साथ-साथ अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार देने का भी कार्य करेगी । जी0एस0टी0 में भी इनको और रियायत देने की जरूरत है।
(v)Need to provide electricity under Pradhan Mantri Saubhagya Scheme in Nandurbar Parliamentary Constituency, Maharashtra
डॉ. हिना विजयकुमार गावीत ( नन्दुरबार) : माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने 2014 से देश के उन सभी गावों को बिजली से जोड़ने का कार्य किया है जिनको स्वतंत्रता के 60 वर्षों बाद भी बिजली प्राप्त नहीं हुई थी । ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना विशेष रूप से गरीब लोगों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है। मेरे लोक सभा क्षेत्र नंदुरबार में अभी भी 67391 households ऐसे है जहाँ बिजली का connection प्राप्त नहीं हुआ है और 24000 ऐसे households है जिनमे unconventional source of energy के माध्यम से बिजली दी जा रही है । मेरा सरकार से आग्रह है कि सर्वप्रथम इन 67391 households को प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के अंतर्गत बिजली प्रदान की जाए और 24000 households जो unconventional sources of energy से प्राप्त बिजली का उपयोग कर रहे हैं उनको conventional sources of energy से प्राप्त बिजली सुविधा प्रदान की जाए जिससे हमारी सरकार के हर घर बिजली योजना का व्यापक क्रियान्वयन मन हो सके ।
(vi)Need to set up a new Medical College in Chatra Parliamentary Constituency, Jharkhand
श्री सुनील कुमार सिंह (चतरा): मेरा लोक सभा क्षेत्र चतरा (झारखंड) में तीन जिले चतरा, लातेहार एवं पलामू आते है और तीनों जिले आंकाक्षी जिले हैं, जिनका क्षेत्रफल लगभग 8500 वर्ग किलोमीटर हैं । यह पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र हैं। मेरे लोक सभा में पांच विधानसभा क्षेत्र है जिनमें से चार विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हैं। यह पूरा क्षेत्र विकास की दृष्टि से अत्यन्त पिछड़ा तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (LWE) क्षेत्र है। इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछडे और कमजोर तबके की है। इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यन्त अभाव हैं ।
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नेतृत्व में केन्द्र सरकार प्रत्येक तीन जिलों पर एक मेडिकल कॉलेज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव द्वारा झारखण्ड सरकार को दिनांक 01 मई 2020 को केन्द्र प्रायोजित योजनान्तर्गत (फेज-4) झारखण्ड राज्य के आंकाक्षी जिला में पूर्व से कार्यरत जिला/रेफरल अस्पताल को नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रस्ताव मांगा गया था । मैं मंत्री जी से मांग करता हूँ कि चतरा (झारखण्ड) में नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु आवश्यक कदम उठायें जायें ।
(vii) Regarding demands of farmers for legal guarantee of MSP for agricultural produce
श्री विवेक नारायण शेजवलकर (ग्वालियर) : MSP गारंटी कानून लाने की आंदोलनकारियों की मांग अव्यवहारिक और किसानों के हित में नहीं है । पूर्व में ही गठित समिति समय-समय पर कृषि उपज का MSP तय करती है, इससे लगातार वृद्धि भी हो रही है । किसी व्यापारी या उपभोक्ता को उत्पादक से उसका उत्पाद निश्चित मूल्य पर खरीदने हेतु बाध्य कैसे किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर एक पेन दस रूपये से कम पर नहीं खरीदा जा सकता । इसकी गारंटी सरकार कैसे और किस किसको देगी ?
MSP गारंटी कानून का मतलब कृषि उत्पादन के व्यापार का सरकारीकरण होगा जो किसानों के हित में नहीं हैं। ऐसा अव्यवहारिक कानून होगा जिसका कार्यान्वयन असंभव है । आंदोलनकारी किसान नेता MSP गारंटी कानून की मांग सरकार पर अनुचित दबाव डालने हेतु कर रहे हैं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, सरकार इसे प्रोत्साहन न दे।
(viii)Need to frame and implement Common Civil Code in the country
श्री संजय सेठ (राँची): एक तरफ देश में न्यायपालिका, प्रशासनिक व्यवस्था व सरकारों के समक्ष कामकाज का बोझ बढ़ा है तो दूसरी तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा दिया है। जरूरत इस बात की है कि इनके बीच सामंजस्य बनाया जाए। सामंजस्य बनाने की राह में मुझे एक ही विकल्प दिखाई देता है, वह है कॉमन सिविल कोड। कॉमन सिविल कोड देश की जरूरत है ताकि पंथनिरपेक्ष इस देश में सभी नागरिकों के लिए भी एक कानून हो । नागरिक धार्मिक मान्यताओं पर अलग कानून का इस्तेमाल न करें । यदि देश पंथनिरपेक्ष है तो कानून व्यवस्था भी पंथनिरपेक्ष होनी चाहिए। इससे नागरिकों में कानून के प्रति भी समानता का बोध होगा और कोई पर्सनल लॉ जैसे कानूनों की आड़ में भारतीय कानून का मखौल नहीं उड़ा सकेगा । मेरा आग्रह है कि सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाए और कॉमन सिविल कोड को देश में लागू किया जाए।
(ix)Need to construct ROB / RUB at level crossing no. 73 and make changes in the dimensions of railway underpass No. 74 in Jaipur Parliamentary Constituency, Rajasthan
श्री रामचरण बोहरा (जयपुर): मैं माननीय रेल मंत्री जी का ध्यान जयपुर की रेलवे से संबंधित समस्या की ओर आकाषत करना चाहता हूं। दुर्गापुरा सांगानेर के बीच कल्याणपुर फाटक (फाटक सख्या-73) पर लगभग 1 कि.मी. तक लम्बी कतार लग जाता ह जिससे कि जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए एवं शहर के बीचों बीच होने के कारण आर.ओ. बी. या आर.यू.बी. में परिवर्तन करने की आवश्यकता है । इसके होने से आम जनता को आराम मिलेगा और इसके साथ ही जयपुर-डिग्गी-मालपुरा रोड़ पर रेलवे अण्डर पास संख्या-74 की चौड़ाई और ऊंचाई कम होने से लगभग 1 कि.मी. लम्बी कतार लग जाती है जिससे कि आये दिन हादसे होते है। अतः इसकी चौड़ाई और ऊंचाई बढ़ाने की आवश्यकता है ।।
मेरा माननीय रेल मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे संसदीय क्षेत्र जयपुर के उक्त कार्यों को शीघ्रातिशीघ्र कराने की कृपा करें ।
(x)Need to ensure credit of Kisan Samman Nidhi in bank accounts of farmers of Mahasamund Parliamentary Constituency, Chhattisgarh
श्री चुन्नीलाल साहू (महासमुन्द ): छतीसगढ़ राज्य के लोकसभा महासमुंद क्षेत्रांतर्गत अनेकों किसानों के बैंक खाते में किसान सम्मान निधि की राशि नहीं पहुँच पा रही है । हितग्राहियों द्वारा विभागीय अधिकारियों को पूछने पर उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि हमने सारे रिकार्ड केंद्र सरकार को भेज दिया है । ऐसा कहकर अपना पल्ला झाड रहे है । हितग्राही काफी समय से इंतजार करते हुए परेशान होकर उम्मीदें छोड़ रहे है।
चूंकि यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, किसानों को किसान सम्मान निधि मिले और उनकी आर्थिक दशा मे सुधार हो । लेकिन छतीसगढ़ में किसान आज योजना से वंचित होकर ठगा सा महसूस कर रहा है।
अतः सरकार से निवेदन है कि उक्त विषय को गंभीरता से लेते हुए केंद्र के संबंधित विभाग से केंद्रीय जांच दल भेजकर अतिशीघ्र जांच कराने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उक्त योजना का लाभ मिल सकें ।
(xi)Regarding starting of a direct flight on a daily basis between Mumbai and Shirdi under the UDAN Scheme
DR. SUJAY VIKHE PATIL (AHMEDNAGAR): The town of Shirdi is located in the Ahmednagar district of Maharashtra and is home to Shri Sai Baba, one of India's most revered saints. The temple witnesses huge footfalls and is thronged by lakhs of devotees each year, irrespective of religion, caste and creed. Despite being one of the most prominent religious centres, the issue of connectivity due to absence of a direct flight from Mumbai is hampering the tourism potential in Shirdi. Currently, a passenger has to board a connecting flight via Hyderabad or New Delhi which takes somewhere between 5-10 hours even though the distance by road from Mumbai to Shirdi is 250 km. I request the Government to start a direct flight on a daily basis between Mumbai and Shirdi under the UDAN Scheme in order to promote tourism through proper connectivity and provide relief to the large number of national and international devotees who visit Shirdi.
(xii) Regarding withdrawal of a RBI Circular regarding cooperative societies
SHRI K. MURALEEDHARAN (VADAKARA): Reserve Bank of India has issued a circular that warned cooperative societies about using the word 'bank' in their names and accept deposits from non-members. The banking regulator noted that some cooperative societies are accepting deposits from nonmembers/ nominal members/ associate members which is tantamount to conducting banking business in violation of the provisions of the BR Act. Such stringent regulations will impact the functioning of cooperative societies in the states like Kerala. The Union Government is trying to overcome the two favourable orders passed by the Supreme Court in favour of the cooperative sector. New regulations would affect 1,692 primary agricultural societies, 1,200 rural co-operative banks and 16 urban co-operative banks in Kerala. Since the cooperative sector is a state subject, it is another alleged attack on the federal structure of the country. Hence, the Union Government should advise the RBI to withdraw these actions against the cooperative sector.
(xiii) Regarding inclusion of KIAL as a Haj Embarkation point
SHRI K. SUDHAKARAN (KANNUR): The largest number of muslim pilgrims in Kerala come from North Malabar region. Unfortunately, there is no Haj Embarkation point in the region. Earlier, 80 percent of the Haj pilgrims in Kerala depended on Calicut International Airport. But the Government has excluded the Calicut Airport from the list of embarkation points for Haj 2022 amid the DGCA's delay in restoring the operations of wide body aircraft. At present, Cochin International Airport is the only embarkation point for Kerala, Lakshadweep, Puducherry, Tamil Nadu, and Andaman and Nicobar. Pilgrims are to spend long hours travelling from North Kerala, Dakshin Kannada and Coorg to Cochin. On the other hand, Kannur International Airport has an integrated 95,000 sq m terminal building, which is the eighth largest in India, to facilitate services to pilgrims. The current runway length of 3,050 meters can operate wide body aircraft. The Government should include KIAL as a Haj Embarkation Point.
(xiv) Regarding establishment of an office of NEERI in Karaikudi
SHRI B. MANICKAM TAGORE (VIRUDHUNAGAR): I urge the Government to open a branch of National Environmental Engineering Research Institu that is NEERI in Karaikudi to assist small manufacturing units and certify crackers manufactured by small industries in the State of Tamilnadu. Sivakasi in Virudhunagar District, Tamil Nadu is well known for manufacturing firecrackers and matchbox. Since large amount of firecrackers are being manufactured here, it is called "FIRE HUB OF INDIA" with an annual turnover of Rs10,000 crore. There are around 1000 firework factories and around 6.5 lakh families are directly and indirectly dependent on this industry for their livelihood. NEERI having its headquarters in Nagpur is the certifying authority for crackers manufactured here. However, because of long distance, it takes time and is difficult for small manufacturing units to get certification. Therefore, I request the Government to establish an office of NEERI in Karaikudi and the same be made functional on the campus of CSIR-Central Electrochemical Research Institute (CSIR-CECRI).
(xv) Regarding killing of elephants by a train near Madukkarai in Pollachi Parliamentary Constituency
SHRI K. SHANMUGA SUNDARAM (POLLACHI): Three elephants were brutally killed after being hit by a train near Madukkarai in my Parliamentary Constituency. Three female elephants, an adult, a subadult and a juvenile were crossing the railway track near Navakkarai within the Madukkarai forest range around 9 pm on Friday last week. The culprit train No: 12602 Chennai mail, operated from Mangalore to Chennai had hit the three elephants at a section which falls under Palakkad Railway Division near Marappalam Thottam. All three elephants died on the spot without any chance to revive them. All the elephants belong to the same herd. Railway authorities made arrangements to transfer the passengers to Walayar but the two loco pilots were detained for enquiry. 11 elephants have been killed in the past 5 years in the reserves forest area of Madukkarai. Ministry of Environment, Forest and Climate Change should take immediate steps to save the elephants from further loss by the speeding train.
(xvi)Regarding development of road infrastructure in Tamil Nadu under Bharatmala Pariyojana
SHRI P. VELUSAMY (DINDIGUL): Bharatmala Pariyojana, an umbrella programme launched by the National Highways Authority of India (NHAI) for developing road infrastructure across country is all set to take off in Tamil Nadu, with the NHAI having floated tenders to lay 44.3 km four-lane road connecting Madurai and Natham under phase one of the flagship programme recently. The first four-lane project under Bharatmala includes 7.3 km elevated four-lane bridge connecting the Pandiyan Hotel Junction with Chettikulam and widening the existing 33.4 km two lanes into four lanes from Chettikulam to Natham on the NH 785. The estimated cost of the road works is pegged at Rs 980.4 crore. The people residing in and around the highway are unable to reach the national highway. A service road near the bridge along with the national highway can be provided to facilitate easy movement of the general public.
(xvii) Regarding inclusion of some temples situated in Anakapalle Parliamentary Constituency under PRASAD Scheme
DR. BEESETTI VENKATA SATYAVATHI (ANAKAPALLE): In my Parliamentary Constituency Anakapalle, many ancient and highly worshipped temples namely Appikonda Shivalayam Temple, Panchandrala Umadharmalingeswara Temple, Anakapalle Nookambica Ammvari Temple, Chodavaram Swayambhu Karya Siddhi Vinayaka Temple, Upmaka Sri Venkateswara Swamy Temple and Balighattam brahmalingeswara temple exists. I request to the Ministry of Culture and Tourism to take up this project under Prasad Scheme to enhance Temple Tourism.
(xviii) Regarding appointment of sickle cell volunteers in Palghar district
SHRI RAJENDRA DHEDYA GAVIT (PALGHAR): 46 sickle cell volunteers (Health volunteers) are associated with health service for the last 13 years in Palghar district. They have been continuously in service in various health related schemes from 2008. All volunteers have been attached with the PH Level centre which numbers 46 in Palghar district. They are conducting Meetings of counselling patients, medication etc. All volunteers and actively involved in health campaigns. Palghar is a Tribal District and has many healthrelated issues like mother child rearing, malnutrition and epidemic crisis like COVID-19. Therefore, it is requested to appoint sickle cell volunteers by approving the annual financial provision mentioned in the proposal of Health Department, Palghar, by way of making adjustment to the existing posts.
(xix) Regarding service conditions of employees of Jammu and Kashmir Cements Ltd
SHRI HASNAIN MASOODI (ANANTNAG): The employees of Jammu and Kashmir Cements Ltd, a profit-making industrial unit in state sector till a few years ago have been pushed to miserable situation. The unit has been closed down and the administration is planning to sell the industrial unit. 72 employees of the unit who have been in service of the unit till their superannuation have not been paid the salary. The employees who have retired have been denied retirement benefits. The administration is under a moral and legal obligation to release earned salary and retirement benefits.
(xx)Need to appoint students in Coal India Limited (CCL) who have undergone apprenticeship programme under skill development programme of CCL
श्री चन्द्र प्रकाश चौधरी (गिरिडीह) : कोल इंडिया लिमिटेड के अधीन सी. सी .एल कौशल विकास योजना तहत एक वर्ष कि अवधि का अप्रेन्टिस प्रोग्राम करवाया जाता है जिसमे एक साल का प्रशिक्षण आई . टी . आई और डिप्लोमा और डिग्री धारक लोगों का होता है । लेकिन सभी लोगों को कथित रूप से प्रशिक्षण के नाम पर काम करवाया जाता है। एक साल के बाद निकाल दिया जाता है और फिर से एक साल प्रशिक्षण के नाम में दूसरे छात्रों से काम करवाया जाता है । अतः रेलवे अप्रेन्टिस किए हुए प्रशिक्षुओं की तरह CCL भी इन अप्रेन्टिस का नियमितीकरण करे । CCL में इन प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को रोजगार दिया जाए जिससे कोयला का उत्पादन बढ़ सके जिसकी भारी कमी देश झेल रहा है ।
(xxi)Need for repair and four-laning of NH-753F in Maharashtra
श्रीमती रक्षा निखिल खाडसे (रावेर): महाराष्ट्र राज्य में भुसावल तथा मुक्ताईनगर से जामनेर होकर आगे अजंता केव्स से औरंगाबाद पुणे को जोड़ता है, इस नए नेशनल हाईवे 753F की स्थिति पहुर से अजंता केव्स से लेकर अजंतागांव तक इस नेशनल हाईवे स्ट्रेच मे 6 से 8 kms का घाट सेक्शन रोड की स्थिति इस वर्ष ज्यादा बरसात होने से बहुत ही गंभीर अवस्था में है और इस फोरलेनिंग का काम लगभग बीते एक दो साल से बंद है या बहुत धीमे गति से हो रहा है जिससे इस NH रोड की स्थिति दिन-प्रतिदिन अत्यंत ख़राब हो रही है जिससे कार, बड़े ट्रैक ट्रेलर आदि को बड़ी मात्रा में क्षति पहुँच रही है और एक्सीडेंट्स का प्रमाण का स्तर भी बढ़ा हुआ है। नेशनल हाईवे के अधिकारी भी इस फोरलेनिंग काम को नजर अंदाज कर रहे है। मै माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करती हूँ कि इस नेशनल हाईवे 753 F फोरलेनिंग के काम को जल्द से जल्द शुरुआत करने की मांग करती हूँ और तबतक अधिकारियों को यह घाट सेक्शन तुरंत रिपेयर करने का काम के लिए अवगत करायें जाने का अनुरोध भी माननीय मंत्रीजी से करती हूँ।
(xxii) Need to provide water to Nohar-Sidhmukh area in
Churu Parliamentary Constituency, Rajasthan from Bhakra main line.
श्री राहुल कस्वां (चुरू): मेरे लोकसभा क्षेत्र चुरू ( राजस्थान) के नोहर सिधमुख क्षेत्र हेतु बी.बी.एम.बी. के माध्यम से बहाव पद्धति पर सिंचाई हेतु 0.47 MAF पानी जारी किया गया था जिसमे से 0.30 MAF पानी एक्स नांगल से उपलब्ध करवाया जाएगा व बाकी बचा 0.17 MAF पानी इस क्षेत्र के क्षमता बहाली के पश्चात् भाखड़ा मेन लाइन से उपलब्ध करवाया जाएगा । राजस्थान सरकार द्वारा इस हेतु राशि दिए जाने की भी स्वीकृति जारी कर दी गई थी एवं पूर्ण क्षमता बहाली के पश्चात् राजस्थान सरकार द्वारा जब पानी उपलब्ध करवाए जाने हेतु बी. बी. एम. बी. की बैठक में प्रस्ताव रखा तब पंजाब व हरियाणा द्वारा पूर्ण क्षमता बहाली नहीं होने का बोलकर राजस्थान को यह 0.17 MAF पानी देने से मना कर दिया गया । यह पानी अगर हमारे क्षेत्र को उपलब्ध होता हैं तो इससे क्षेत्र के अनेक लोगों को सिंचाई के साथ साथ पीने का पानी भी उपलब्ध होगा और आज के समय यह बहुत ही आवश्यक भी हैं
मेरा सरकार से अनुरोध हैं कि बी. बी. एम. बी. को जल्द से जल्द निर्देशित किया जाए कि मेरे लोकसभा क्षेत्र के नोहर व सिधमुख क्षेत्र हेतु भाखड़ा मेन लाइन से 0.17 MAF पानी उपलब्ध करवाया जावे ।
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